BIBLIOTHECA INDICA ;

COLLECTION OF ORIENTAL WORKS PUBLISHED UNDER THE SUPERINTENDENCE OF THE ASIATIC SOCIETY OF BENGAL.

NEW SERIES

Nos. 218, 224, 235, 244, 251, 270, 280, 285, 286, and 293.

| Nedas, Samaveda Sama Veda Sauhita. WITH THE COMMENTARY OF SA°YANA A‘CHA‘RYA.

प्राना) BY

SATYAVRATA SA’MAS‘RAMI.

EDITOR OF THE HINDU COMMENTATOR,

VOL. I.

CALCUTTA.

PRINTED AT THE GANES A PRESS,

1874.

सामवेदसंहिता aa कन्दभा्िं कः तवापि भराम्नेयेन्द्रेति पवहयामकः अष्यायचतुष्कः प्रथमोभागः भगवकायणाचाय्ये बिरविित-भाष्य-सदहितः खरौली वङ्गदेशीयासियाटीक-समाजाभ्यथेनया

रधोतवेद-“प्र्रकम्बरनग्दिनौः-सम्परादकेन MIATA AAAS AAT

बङ्गसामगेन

रोकितो यथावसरं श्योधितख |

गणेशयन्त्रे सुदित; BTS १९२४५

Digitized by Google

कन्दभाचिंकस्य परिष्ेद-खचौ

--->«°@-- चरिष्छदः पष्ट परिच्छदः पष्ठ We Wy यम Te ee ९१ | ४यं १०, a8 to, दितीवादः-प्रथमे

श्मे१०, CH १०, ९े १०, १०म to) ९९ ऋचः |

खथ चतुथे; प्रपाठक; .., ५९७ = WET १० दरतः = (रमे द्रति १० WH, रयं १० शये १०, 8H ९, UH २०; दितोषा ईं-परथमे वा Tle, of ८, cH ९, श्मे ११११० to) ec ऋचः | अथ पञ्चमः प्रपाठकः ,.,

अथं प्रणमः प्रपाठकः ee et | वा (षं te, = खद ate दतः = (मे wuts १, We, र्ये ११०, श्ये ९७, भ्यं ९०, uate; fedterenrea बा 4.2 G, ow १०, SHS, शमे १०; CoH ९) ९९ WE

we दितोयः vores: ९४५८ = अदो = १० दषत; =( ta दलति १० थवः, WC = सङकरगवा

Ger

WUT WT GY 8- Ts AAT, WUT:— 2G to, भ्यं to, vt १०; दितोय। इं -प्रथमे वा ९८ १०, CHL, न्स १० €मे१० १०मे९ ऋचो facta Ox wife परिन- शिताः) ९० We: 1

( इति खाभ्बं षम्‌ पवं- शवर प्रथम- wan ९९ कमाद्मकः + दितौय- प्रपाकस्यादिमाः १८ HVE रमया

=X डो = १० UMA: = (रे दलति चः, रये १०, देये १०, ध्ये ८, ae १०; दितोयाई-प्रथमे WT ET to, OF १० CH १० =सह- कनया we: न्द्रधवेकमेता,, अपराः मवम-द्ग्न-दष्दयात्मकाः Yo ऋच सतवे पावमाने fe ufc मकिताः) ९९ WY!

(cfr tq पव-अथ fate

५४ प्रपाठटकोथाः शेवा WET ९९4 ऋचः

oe | ततोय-प्रपाठकः TAU e+ UAE:

» अण रेन्दम्‌ Oi नी न्म | अषाढः GUN ९८५

अथ ततीयः प्रपाठकः ,.. ४२९९ ee

, we wey = १० cr = (एमे ठकस्यादिमाः, 24 I ;

~ anfrre ww, दये te, He, १५९ ऋचः) | Pere वि ध.

iG peer,

WH 606981.

Ai

ay

[ 1

गेयगानस्य परिच्छद-सुचो पि ete परिक्छेदः परिष्डेदः पृष्ठ चच प्रथन. AUIS: ee €४ | SU Qua: TSS: 1 ace

= खदु = (३४ = RE) ७० wy fare: भ्रपाठकः ०० १९९१ == WEY = ( ४०--९१ ) ०१।

wy wits, प्रपाठकः a fre = Gal = (९९ [इमान्दे व... १८० सामानि द्रव -पवाकमेतानि ] —&t) eo |

अथ चतुथः प्रपाठकः vee ११४

= Wel = (१९-१९५ ) ०० | अथ नवमः TSH: - ९९१ = wet = ( ११६१५) ९९। चथ दद्मः प्रादयः %& = ? way = ( २४--१५) ९९। अथ रकादनः NSH: ,,, ८१९ = Wey = (१९-- १८) O81

अथ दादयः, प्रपाठकः cte cues 1 deeb अय पञ्चमः प्रपाठकः HE] तव read ergs equi = १९ अहौ" = (२५--२५)००। | arf Gy TE: प्रपाठकः vee BBR [ एति रे म्‌ पकं ] at अदो = ( ३०--१५ ) ०९। ना चथ SHR प्रपाठकः . ४१९ = WAT = ( १९--१९ ) ९९। अथ सायणभाव्यस्य परिच्छेद-सूची =< परिष्डेदः पु-पं ufcve <: पपं qu भाष्यावतरक्िका ८, १४ ( अथ दिषडि विकाराः ) ` वथ दोण डात्‌-जद्य-कतेय्रति- भन््रवेदयोः वि्ेष-विजार-प्रक्रमे पादकमन््रायं -बोजनम्‌ ,, २१ सन्तरूचषम ०, ४-९

[ a J

vitae: पृ-पं CATE TEC ,., ९.९ ९-४-४५ मन-विरवाशामुग्बकःखाम- wuret ewerfs ots “airy grave (२ रपा १५ Ye Se)” fragt रथन्तरद्रब्दनिङूपणम्‌ = ,,, © Wang मानमाज-वाकिन- fade: अद्चरविकारादोौनां सामनिष्या- स्कल वख नम्‌... vow ११-११ ष्डोमरुशण-वलंनम्‌ १९-६ १० नने वं -रशोपादि-विषयको विचारः sy os १९ इराशब्दजाग-विधानम्‌ oo RARE १९ शां tergia-wge ` aa. ,,„ ६९-१५ १९ ure we प्रति Garca- QI ose ००० ९४ खद्प्रन्धद्छ पौडमेयापौखवेथल - विचारः ss १४५ “शकं साम तृचे ज्ियतेखोचि- यम्‌-इति विषान-मरको fa- चारः, FF करखप्कारख ,. २०९ १९ अर-रेष्-विषयको विचारः... २१-२ १० शन्दःखयो दलराख्धयोवा ऋचो wewarata विचारः wee URE १८ जेग्तोक-खामीदन-विचारः ,,, २४-८

९-९

१०-९

१४-४

०१

१८८

परिच्छदः पपं १९ विषमद्न्डकयोरजरयीष्ं चो Wargame... tee २० Cul fasrcawt: sea. Fonte gate walt: सम्पादवम्‌ ९९२ ९१ Sfewaredifafeuet axtint सम्पादनादिकम्‌ ... ६१-१९५ १२ पादश्रद्थनविचारः ,. ३७-१ ९१ “az योग्यां तदुभरथो मयति"

“che विागमूङको विचारः

कवबाकरशप्रकारख ००० हट श्छ उशरथोः छोभातिदे्कथवम्‌ ४०-१ ९५ सामवेदिनां साजेवादुष्टाबकच

अता-निरूपयम्‌ ०, ७१. ९९ शडत्श्डा दिषु weer है

चिकवम्‌ ... BRB ९० रदद्रथन्तरयथो चेमं ससुखयकथगस ज्ञ at-z ९८ UE वेदिकनामघेवन-

कथनम्‌ oe ०, BRR २९ जिषच्छब्दविचारः woe BRE १० चिनाद्ब्दस् araqawa-

fade: ०० BUR

-बदिष्यवमानश्नब्दादौनां गाम-

धेयलनिरखय, . , ७९-८ -जिष्टदादिखोमानां खखप-

कवनम्‌ = vee BOK ११ ४छादि्लोवाणां प्रकानक्मतव-

fadz: - vee ५०६

[ |

* परिषदः पपं RR THe ऋष्‌ वारवनौय-साम- जान-प्रकार-बोषमनम्‌ .. ५११४ a निषनविगेवाणां काम्बलः कथनम्‌ oe oo. KQE US सामगान SS ख्व -गौचेखव -धणे विचारो LN ° १५.११ QL आणाने वामदेवादौनामपांयु ee .. ` wee REL ३९ wafturfcetafaere ... ४०५ RO खावापोडापविचारः ,,, १८-१० ३८ Wawacg सरं fara. कयनम्‌ ‘ee oo ४९-१० ae walguifneafirea: ,,, ९०-११ eo शरसामविकारचिनागम्‌ .. ९९-१ ७१ Warfurer rey urfx- wiva समृदवनिरयः ... ६४-६ ०९ कोत्ादिसाखः renege fowe: ,,, ,,, (५.६ ४९ wae विर्ेषथवख्या ,., ९९-१९ ५४ खोम-डगयोः प्रशटत-वाध- maT: .,, ,, UB

०४ दन्दोविग्रोषत खावापकयनम्‌ (0-4 ४९ कण्ठरथनर खयीनावेवति

निद्ारयम्‌ | Wufin तु freer ९९-१ ४८ तिङखित्यपिमद््वां अवशा... 0-9 धनानखकद्ादचि कतेयन- ,

Ufcwee: पृषं मिति fads ... soo ७२-११

४० STAT शो स-बन-प्रकार- निदणः ORO

५९ afqurrarreat we qa: ०४-८ ५२ THT सासः तजे मेवमनि्यः ७५१ ४२ SUERTE मौशनावधिल- कथनम्‌ a ४४* इषद्रथन्तरथोदिंममेदेन प्रथोज- निरयः र. ४५ प्रायरोयोदमयारःकश ` विचारः ,, te ८०-८ ४९ खषंयर् einen विडितब- निखंयः oe yo वेरूपबेराजयीः उकथवोङ्धि- quara-fade: sae GOR ४८ frecfrefa freee सोमन-निदारकल्‌ ४९ Peas: पहल-गिरेयः a qo ewqarurfacret नियतल- wats eer “ERE ११ ग्रद्यसालोविकरिपितल-कथनम्‌ ८९-१५ पयग्िकरख ब्रह्यसामकाल खत्‌कष विधानम्‌

e¢-8

ॐ८,१

cot.

८१-६ SURE

GB-8

@ we wet (५४) रवम CME तद्‌ जममरकम्‌? रवचु्षरजापि |

[ |

परिच्छेदः धप WS सामवेद शाख्छान-प्रयःजन- कथगोपक्रमः ae wa सामाङनाक्रयत्वादिन-जियः ८९-३ WS मन््ेरथाददमरवन-निखंयः coy we पवरुदिता-सृरूकूप-शन्दोनामा. चिकमाचसख wrererrarciest ८९-१ we तच च्रातयविषवाशं freq, ०.५ SUB Qe echettqrecent wee: ,०, ९१-8 वथ प्रथनोऽष्यायः ०, ERR

= १२२ Gar: = / I— to, ₹--

१० R—2S, 8-१० ५--१०,

९--८, o—"to, G—t, --१ ०,

१०-- 4, ११--९०, १२-८)११४

ऋचः = खाग्रेवम्‌ पवं we दितोयोऽष्यायः

= १९ WUT = (१--१०

eee ९२८८-१

परिण्डेदः ९--१०,१--१०, ४- १०,५- १० €-?०१५- १० ८- ९, ९- १०. १६०--९० १?-९ १९-१० ) ११८ इषः |

अथ ततौयोऽष्याबः = १९ खष्डाः = ( १--१०,२- Lo, ९--१० 8--१०, ४--१०; ८--१०, Oto, ८-- ९०, €- १०, १० - ९, १९१९ - १०, १२-१०) ११९ We

अथ चतुथो sare: .. ९०१९-१ = १९ खष्ठाः = (१--८, R40 R— LL, ४--१०,५- 5, १-- १०, ०१०, ८--८५९--६०,१०-- १०)

प-~-पं

coe VOOR

११-९०, १२- १० ) ११५ wey [ रे षयं = ( Figo teeta. ११९-ख ०१११५ सद्धरनया ) Wwe ऋचः |

कन्दः-सुचौ

~~ परिच्छदः पृष्ठतः-पुष्ाकम्‌ | परिस्शद्‌ः प्ठतः-बृ्ाकम्‌ €४--?९९

लज बद्माना-९८प्‌* |

१४०७--- १९५

| -

Ufcwee: 1 वथ जिदुवधिकारः ( १८ we: )- १९९-१९९ लव RAMI—LES, २०६। विराट्‌-९९५। अथ अतद्‌ वधिकारः (१९अवः) ११४२५०९ wey ofegatqarc: (रव्य) R158 २८७

लज ककुप्‌ २९१, VOU NEY , (cargo पवं = चाप्र लाष्ठम्‌ TET SMITE: = इदम कषाः = हितोय- प्रपाठकोय-प्रथमादंस दितोवं ददत्‌)

अथ माथबाविक्ारः (११८ we:)

= डिनौयोऽष्यायः.., = र०्८----४9९

अथ ररत्यथिकारः ( ८० we: )- ४ॐ---ई २९

"अव परखा-बतोय-पद्डि-टोप्पन्वां किद्‌ भमोषिग्यते - पुलति wew fern wa, प्रसं येत्यादि wee wifear: सप्र आवः, car Gel we: कहकभः, Wa: Ex Siege: इति | न्दथाभिङपबिलात्‌

परिषदः qeta:- प्ानभ्‌ we चिद्‌ वधिकारः (२९ we: )— qRS—— EER we चिपदा विराट्‌-६९५। अथ WAU विकारः ( २८ we: )— ९९२४-9 १४ अथ जमत्यथि इरः ( १९ we: )- ९०#४----७१ तब मङापदङ्िः-०*७। अथ उब्धिनधिकारः ( द८ ऋवः)- QTR——_ER [ae विराड-८१४। ककुप्‌... ८१९५-१ अथ Weer: (१८ we )— ८१९. -{@ तज उपरिष्टाद्‌ दतो-८4९। we ferarfaarc: ( omg :)— ८९५८-९ ०©

wa पङ्कः fever ८९८ cor, cox, ८७६, COE, ८९०, ८९१, Tey, ८९३, ८९४, CEL, ८९९, ८९९, ९०२, CORT, ९०४, ९०४, COST | waey = विपदा= पिपीङिकामध्या ८११९, coo | पद्पद्धिः ८८० | पुरखग्धिकै ८८२। जायज = पचचद्रा्रा ८० °च ०,९०१ Woy Freq = FEET corde, <०५अ० ९०९० |

| |

uit we: qura:-gerng | परिच्छेदः णडातः-पहान्लने जावो = CHIT ९०७ अतिखनतौ ९११ | अथातिष्छन्दोऽचिकारः (१० we: ) WUT: ९१४, ELS, ९२३, CRE I fot ——enq | अतिखमती ९१९, १२१ सव QTE: ९०९। अतिश््धरो ९२९, ean!

कन्दभा्चिंकस्य देवता-सुचौ

mee @ © 3 Oe

WH, ९७, १००, १०९, १.४, १११, | २८९, २८३, २८४, २८४, * २८९२, २१९, १९९, UUM, ११६० १२०, १२२, १२३, १२९ | २०, ARB, QRS, REE, ४२२, ४१२९, १९२, LAB, LAM, १९९, CNS, USL, १४४, | ४४१) ४५२, ४८९, ४९०, UIA, Reo, १९४, १४९) UNL, १५३, १५५, १५९०१९० १९२, | ६९२, COE, ४१, OCR, ०९४, ७९५, १९२० १९५१ LCS, LOO, १७१, १७४ १९६) | ८००, ८१२००४४) Sug, CEs, ०९९; CEE, ROO, १८०; LEY, १८४, १८७, (ar, ९०७, CRE | १८९, १९१, LER NUH, LEG LEE, ९०३, | GAM (TaTME) ९४, ९९, ९८, १०४,

१००, १०८, ११२, १२८, ९९० VAR, १३८ २०४) २११, २१९, ९२८ ® ८८०

Roe, २१५, २१८, ९२०, २२४, ९२५, ९२०, RRL, RWB, VRE, URE, २३८,२४ ०, २४९१, २७, २४४, २४८, २४० २४९, firmed tre २५१, २५९, २५२, २५५, १५८, २५८, २९१, WEA, VEL VEC, VEE, २८९, २०१, | @, 0 eT a पर्वशि दमाः समशः, ९७२९, VOR, २७४ ९०९, ९०८, २८०, | अधधिमाख्ंन्ं पवंशोति fare) `

[

अदितिः २९८, ete | WTA CRU, OnE |

आयना ४०९ | अख्िनो १९४, १९८, ४५९,

४१२, BRL, ४६४; ४८ ६१०११ Ere,

yeu,

९१४, ९११९, CW, CUR!

wife 8४९, ८९०, KLE |

आपः १४१

UH ९२४७० ९९८ yoo We Ti श८्ट tI

CHTHT Led |

इन्द्रापवेते ९८४, CEE!

BUT १५८, ९११, ४, SUG, cer, ८९दय्द ०, ८९४ ख्‌, ८९५अ ०, Loz | ऋक्सामे अर्सा०।

WAT sor |

WUT: ४२९

लाश्छं : Eek |

efumrer ०३० |

ष्यावापथिवौ ००६ |

पवमानः VCCI

{ waa पवखि catfow: U7: | wunttgrcfgrqerr TUT T- cw, am विनेषतोऽनिर्दि्टदेवताः खवा रव Gar इति चुगमम्‌।

J

पूषा २९९, ४११।

WET: १०८४, ere |

भन: ९०० Go

सरतः NVQ, ३९२; ४६०; ४९९, OLA Go, ०१४ Woy SYS Glo, Ete, GRR, Coc |

मिषः ४०९, ४५९, ५२९, URE |

षः (SegTo |

QR: २०९ |

WEY: ४०९, ४४९, ४२०९, ४९६९, WEI वाजिनः ८८२ |

बायः ४०७ |

FARTAT, १९९, VOL, २७२, १९० BLY, ९०४, CUR, OBE, ८४९, ८९९, ८४९; ९०३अ ०. LOB, ९०९ ELE, <२१।

Fama: ४९२।

वमः ९४५।

सद ख्यतिः १८८ |

विता ११२, EC!

OCHA ४९५।

सूदः १२४ Ve, १९९, ५४०५ सा० WEE |

सोमः ९६९४ ३७०, ROC, ४८९, ५७८, qed, ८९६ ०; SE, Got, COR, ८०४; ८९६»

COO, EGR, RQ |

[ ] इन्दा कर कषि-सुचौ

ee OC ——— wafer: ( लापसः ) ९४८ | १९९, 8०९, ४९०1 अभ्रिः [ पावकः ] ( वां स्पत्यः) Ute We, | peg: ( BIE: ) ४८९०, ५९०।

१२२ We, ९२० Go |

WaTweer ( रेशवरथः ) ८९८, ८८६

स्कोः ( कात्यः ) ६८१ |

fw: ( भोमः ) deg, ९४३ | नामतः ( wT<eftr ) ९२९ I

wfcua fa: ( ताच्छंः ) ९९९ | wre: ( खाच यः ) TUR अशिनो (वेवखतो ) ९१४। खंदोसम्‌ (वामदेवः) ECTS |

wag: ( $ ) ९०९सा०।

अयश च्ाद्िः( ? ) ११९१।

cfefafe, श्रिभिढः, दूरिमिहिवा (काण्डः) ९९८, RRS, ९६४, ४१०, ८९०) <१६। चप त्‌ (वाड इयः MTT वा) १९८। खङ्वः ( वातायनः) ४०७ | खद्मनाः (काबः) tee, १४४. | ऋथिजचा ( मारदाजः ) २७२, ROR | ऋशवसदद्य. ( ufwet) [ ate ] ८८९, Tort, ८७३) GOs, ८७ई$ GOs | श्ब्रयामरूत्‌ ( GIA: ) ९९१ | we:( चोरः) १८२, १८५, १८९, १८९,

wife: ( प्रागाणः ) scegte | कववः (CEN) ९०४सा०। SWE कपो बा ( मारौचः) wor

®ह०्बि० कायः ( प्रागाथः ) ucefize | WE ( wifeca: ) ९२०३, ६१९बि०,०७। कुलारवद्टिषः ( शुषिः ) ८९९। Hae: ( STE: ) ९७०, RO? | कुसौदौ ( काष्ठः) १२७

we ( ufedr ) कालः we,—vrfiy-

रसः Be ) o¢e | नकः ( Gate: ) ९३४ | ma ( ? ) qenfire | afefen: ( wraq: ) ११८॥ मातुः (खावयः) CVE

fact ( वैश्वाभिषः ) ९१८१बि०।

wey: ( आङ्गिरसः ) २५१कि०, ४१९ ९३९ fae ९०९, ९९९।

मीधा ( wiferce: ) Rett

गोषक्ताचसूङ्ठिने।, ATER वा (काए्वायनो ) ९०१, ६०२, ४४६

ater: मोकमोगा ( राङ्नकः ) २९९, १४१,

१८९०१५१० ML os ९९००.१११९०९१ ९१ (भातिः)

GRY, CRY, SRE, ८४१; ८४९, ८४४, SUE, TER | नोपवमः मोपवनो वा (WAG: ) २४२, ९४९ खा० Fae |

गोरः ( STF HCE: ) ९०८ अर, MTA: (कात्यः) ९४१,

aracfa: ( मामेव, ) ४५९, ५२०, HEE छेत [ यता fae ] ( माषुग्शन्दसः ) eee,

८४०८९६१)

९११ | ९७० |

OR3 |

तिरश्चो ( आाङ्किरसः ) ९५१वि०१ ९५९वि ०, मृपाणिः( ? ) wurde, १५९बि०, £ ४. qoute fee | तुतः (WTAE) १४९1, २६९१ ०४९, ८४९ | तृष्योकः निश्योकोवा (कायुः) २१९१ २०, RRR १९४, ३९८, ४१९, ४४०, ४५९, | ९४४वि०। नोर्रवाः( ? ) ९०४बि०। Weg: ( पोरुकृष्ः ) ८७१ FoR, ८७४, ` ८७€१ TOO, ८८३ | URI

WIRE: (TEA: ) ८७१, ८७३, ८७४,

fafac: ( arg: )

८७९, ८७७, | दध्य्‌ ( खथवंशः ) ९९९ | Chive: (wham: ) ९४८ | दुर्भिचः ( ater ) (व ETAT, (न्द्रमातरः) ९९९, १९१

|

]

२९०.। देवश्रवाः ( भारतः ) २९०० | देवातिधिः ( काणः) ४५२१, ५९९, ५७३,

९९९ सुताः ( मादतिः ) ६५१, ९४१ ६९० Wye: ( बाम्नदेवः ) ९४९, ९२९ | नारदः (काषुः) ९८३ | नोप्रातिथिः ( काणः ) %१९।

waar मेधवा ( आद्धिरखः ) are, AW, ४६९; WU, UWI, ५५६, ४९८०) ९१०, ९२३१ OCC, ८०७, ८२४, . ERE | नोधाः नोधा वा ( गोतः) ४८५, ९०१, ९२४) ८०८ |

पवतः (ATT!) ७९०१ पदष्छेपः ( TERT fee ) (देवोदाप्नः)

४८९,९१४,९ १८ Ere | पायः ( ATCT: ) २३१, २४५ पड. ( GTTs: ) २४४, ९४९ | एदमोढः ( सोरोचः) १०९१, १७४।।

GEAR: YC AT ( TARTS: ) ४१२, ४९१, ४५३३, ५४४ |

away ( खाङ्किरिसः ) ५०२, ५९१९, Vor | पूतदचः पृतद्चा वा (Fave : wife-

रसः) V9, १९२ ङे

थः ( aq: ) ९२४ |

पुषश्रिः ( काणः) ८९९० |

प्रगा्यः ( BIT ) ३९४, BRR, tee, hos, woufao, ५५७; ५९४बि०, ९१५. fae, OR, ८०९ |

[ =]

Teta: ( भावः .) ११३, १२१, १९९ १२०,

` सधाम, ३९९६सा०, LEWTs, AEaUTe,

-८२९कि० |

WHS: ( WTS: ) १२९, UE, ९०६, २५९, ९९८, ४८ णसा ०, ४८२०, ९१२६, Que}

परियमेधा: (आङ्गिरसः) VOU, १९६१, BCR,

BCG, ४९९, ०२९, ORY, ORE, BAR| बह्मातिथिः ( काकुः) ५५९ weafwen: ( ? ) geyuto, yecgre,

९०९० | ४६६ बषः (खावयः) २१९८ | बडदुकयथः (वामदेबः) २०९, ६४८ |

WUE ( वाद्यः ) ९५, eg, ९८, ११४.१००, १०८, १९८, १२९, १५९ सा Fre, २०४, Roo, eee, २३१, ९३७, VRE, ३११ सा०, ३४९, BAe, ४९१३, ४८१ WTO, ABYATo, ४४९सा०, ४७९१, ४८्५सा०, ९१९१ ७४३, ७९४, भमः (STATE) १४१सा० ९४९, LGR, Ree, ४९८७) ५२१, ४९४, Ue? |

( ख्य WyItar ) ९०३, eos |

मधुच्छन्दाः ( वेश्वामिजः ) ११५, १९३,

२१५, ९९९१६०१, ROO, ४०२, ४१५. URE,

Gog |

४१८, ९९४, ११. मदः ( वेवखतः) tor, १४०८ {। मान्धाता ( यौवनाश्वः ) ९९७० |

कक्कवाद्धः सृह्कवाहोवा (आभे यः) २४० | म्बाः( ? ) ९२५बि०।

मेातिकिः ( काष्ठः ) ९०.११९, १४९, rec, ROB, १२९, १४२, ३६१, ACK, ४५४, vq, ७९४; ४९९वि० ४६९, ४९२, sexETs, ४०४, ४०५, ५१५बि०, ५२९, ४४०, ५४8, WUE, WOE, ४९४, ४९९, ५९९, ०र्सा,. ९०८बि0, ९१७, Cou, ७११ बि०, ७७७।

मेध्यातिथिः (wre: ) १७८, ४९९, ४९५, ५०४, Wd, ६१५, ५१०, ५१९, UNS, Heo,

४९४० ४९९) ५९९, GOR, ९०८, ९१७। रुः ( बेश्लामिजः ) ९८९ रोः (STW) ५२५, ५९८. ४४९, ०६४,

<१९।

त्यः (MTS) Lou, १२७, ६२९, Rey, १४२, ४०४, ४१०, ४१२सा०, ४९२००

४३९सा०) ५४८) ४५९०वि०।

बक्षः ( WIM: ) ९९०, ९२४। न्धः, rar, विप्रवनध: [ चात-चयः ] ( शौपायनः गोपायनो वा ) Cec, Loo, Cok |

बिहः afarta ( मेवावदशः ) RR, TRY, १२५१५, १६७) १८४, १९२; We,

२१५० २३८, ३१८

BEE ४९४, ५५०, ५९९, ५७४, ५८१, ६८३,

LES, ELL, ९१३, ९२०, ERX, CWT, ६३०,

९४१, ८९४; ९६९; ८१४, ८७ +. |

वसः ( अश्वः ) ४१२, Bee, ४३९ | THC ? +) ६४८्वि०, €८्८ Fete |

Tom: विमदोवा ( प्राजापत्यः ) ९०९, ८४९, Ego |

९२४८१ ४७८, ४९३,

[ s ]

वशु तः (TTS: ) ८४४, वसूयवः ( wa @) २४९ वामदेवः ( गौतमः) ९९१, ११०, URS ६९७बि०, १९९०, २०९, २३६, २४० ?, ९४९वि०, २५१, २५२, २५४ P, १८४१ REE, ३९६ बि०, BUG, ४२४, BAW, ७४३, ४४० ४९६५, ४९८्वि० ४७४ fae,

४०९,

४८९बि०) ४८८१ ४९८, ६०४सा० ९ण्ध्छा° ९००वि०, ९९२, COE, ६८०, ९८१, ET, ०९९, ०९९, ०१०, ORO, ७४१ ०६९०८८०, विरूपः (GIFTS) ११९१, LOU, १६२वि०, ४३९वि ०, ७८४, Oct | , विश्वसनाः ( Few: ) २६९, YOR, २७९ सा०, SER, ९४, ७९४, ८००, FRI विख्ामिवः। गादौ ) १८०, १९४, ९९४) ९३० , VEL, २९५, ROW, BRR ४४५,

४५९, ४९८) ४७४, ४०८, ULE १, ९९७, ९८४, ९१४ f, Of | येनः ( भार्गवः ) mie ewarfa: (भारतः ) ९०२० ९१४७ ufee: ( वाणिः ) ५९५० कपत ( मोतम ) ७२१ ?।

शुनःशेपः शएनःणेफो वा ( सजिभः ) ere! भनःरेपः [ फ] (खाज गतिः) १२०, १२९; १९३बि° न्यच HU ऋषि-सम्बादो मास्ति, ३५३, २४४ 7, BOL Boe, ४५० |

श्एष्ठिगुः( काषः ) , श्तोनकः( ) ४५५। श्यावाश्व ( खत्रयः ) १९६, ९६२, DO |

८१४ | खयः, Maat (भारदाजः--बारस्यत्यः )

LUO, WR, १६०) RE, १९०१ ४९२ fae, ४०८१, ५४२१ ४४९, १८४, ७१९ 5९९ I सत्यश्रवाः ( खावे षः ) ८३९ | ary: [ सगुः वि०] ( आङ्धिरखः) ९९०। सप्तगभिः (खायः) BUR सम्पातः ( खखाङ्किर खः ८९२, ८९९, ८९४; ८८४, ८्८९९६सा०।

wan: ( खङ्धिरसः ) सत्यश्टतिः ( वाङूचिः ) Bret ua: [ सत्यः वि° ] ( arferce: ) Sat,

Cok |

Sst, ९७३ | fare ta: ( wreréte: ) १४९। wife: (arfece: ) १०९१, your!

UTS, VAG, WA, greet वा ( warfare: ) ९९९, २८५ २९९, १००) Rod, २१९२१ ९९९, ९. 9} RVE, WAL, WE,

१६२, १८६, ९०, BLR, ४२९ BRE, BUY, ४४८, ४४१, ४९८बि०) | ४०६ ufaa: (ate) yoo? fate |

GIT: [ मेषा वि ] (WPT: ) one t Weta: ( भारद्वाङः ) que! सोमोडतिः (aT) ९५९। सौभरिः (काण्डः ) १६४, Ot, १७९, १६८८, ROB, FOE, २०८१ Va, NER, २८३ २८४१ WSU, SWE, SRO, SRS,

८९०, SR, ८२३; SS, ८० | wae: (प्रामाथः ) RE | fecgaa( ? ) ४९०बि° |

[ ]

द्वे दोयाड ऋमखिका = | —— रतदूपन्व-चतुषटयादसारत दष सामनदोय-नेजेयो = बे” wares सङ्कशिताः ; नतमेदे तु बवा- VIVE: = सा० किकसाग्मत्य तदेव लोकाय करं तम्‌

We, Ro, सा०, fire, रत्यन्बतरसङ्कं तेन ज्ञापितम्‌, सुमे Tern चिदितम्‌, खथ यवाख्ि तेषामेव संद्रयद्च तथेव द्धितम्‌ (?), कचिदचरलोऽपि feret बोधितः, प्रचतप्रन्-सम्णदमावसर यच कचित पाढ-मेद खररोक्ृतं, सातं तयोरम्बतणे विचारमख्माश्णइरवति भाषिते सचाश्य उपेचितः; चित्‌ कचित्‌ मतभेद दति पनव-मध्यनि दिटोःप्वव पार मेदन्ेनाङ्गगेष्ठत इति विवेचनोयम्‌ खर |

माधवास्यंष्ठतं दिवरकल्‌ = वि

मन््ञाणामकारादिकमेण सृ चो

——=09 0

पष्ठ शचन्नमोमद्दगो ( इ, १, ३१ - मे ११, २, २९२९-१) ae ee WASATCH (१, २, ४, ९=म २, २, १० =१) i ia २४९६ werqrarfe (२, 8, २, (=a १,१.१३) ae ९४ wuutfarsar (१,२,९,१९न=्ब र, २, १९- २०२ | ius २३४ अश्वि वोहटधन्तल्‌ (१,९, ३, १=अं १,२, १-३२-३) ,.. oe १२७ wa wtare (५,२, ३, SHH १२, १, ३८-४९ =४) ... ts €re whamaaq (4,2, 8, 9=7 <, ९, ८१) be ` ८९४

wine ( १; १; १) श्न्ग t Game) ११४ ce

wfaact (१, २, २, १० wa, % ८-९२-२)

ध्चिमिम्भानो (१, १, २, जे ९, ९, १२९०१) we * अग्निमोद्िष्यावसे (६, १, ५, LTR ९, १८९) वअण्िरक्थे (१, t,% BHR, t, १४१५२) ~" a खग्रिमंदधो (t,t, २, ORAL, २,१२ =१९)

` खध्मिवुं चाकि (t,t StF) .. on waferfazam (९, & न्मे १, % 8—C=8) .. - WH SCAT (2, t, 8, WAL, WABI ~—a.. 56

GIT तमद (४, 1, U, ८= मे ९, २, R— RL = 2)

GT Tet (4, % VW VHA १०, १, १२-१५ ४) ,..

अग्र मङ्‌ (2,1, ९,९८१.९० ८) weet यथिष्ठो (९, १, १, गे ३१ १, १०१९ = ३) च्यप्रायखच्खा (१, १, १,५ = मे १३३११०१६) a.

च्थद्ररथा (९,९,२,४ = अ, ९,९ = ९) ०७ wy ary (२, ९, १, = FZ १५- CE = २)

च्छद्र विवखद्‌ाभर (2%, १,१० = मे १,१,९९ = १)...

wr विवखदटुषसश््‌ (१, १, ४, & = जे १, ९, ९१४- ३५ =X).

येत्य ग्रखि० (५,२, ९, १९ = मे १२ १,१०- ११९ = २) WHILE (४,२,४, = १०, २९९१७ २.) च्दतखिदिन्ड्र( १,१,३,२ = AGUS = १) ae

अती दिमन्य्‌ nf ( १,१,४,९ = मे ९, १, १५ = १९) अतादगोर्‌ (२,२,१,९२ नबे ४,२,९ =U)

WEE EMA ( ४,९,९, = ने ०, २.१४ = २) --- ..

यट भिगातु वि्नमो ( ’; ४; = a 3, t, १३ = १) eee eo

WIMTS ( २, WW O = ४, १,२४-२४५ HR) WASNT (t,t, WE = AYU UE = १) Sa HUTTE (४, ९, २,८ = मे ९०, ९, VLA = ९). अष्वयीद्गावया (४, २, २, = AZURE BL) ow es

WATSTH (४,२,१,४ = FULL =t) ००. अदुद्दित्वा ( ५, १,४,९ = Ft, २२४ wee) खपत्यंखिमं (२, ९, १, = 73%, ९१८१) WUE (२, २,१,१९ = मे५,२,१ २.२) अपामोवाम्‌ (५, %, %, 9 = मे १०, २, Wo = ९) खपाम्फेनेग (21,75 = He,t, १९ = १) अपिबत्कद्रवः (२,९१,४,७ न= जे ४,१,५ = १) ., SYS पुरतमा० ( ४५१, ३११० = FS, % to = ) अवोष्यस्मि.समिधा (९, २,३,१ = मे २,२.१० = १) चभित्यम्दव (५,२.३.८ = मे १२, १, =) खभित्यग् षं ( ४,२, ४, = Ho, १, १८ = १) wiraTato (९, ९, २.४ = He, tte = १९) अभितवा्टवम (२, 2,%,9 = ५, १, ९--३ = श) शधिलाशूर ( २११, ५, १- मे ९९०९९ र्थ्=) ... अमिप्रनोपति"( २, २, ९, ४=जे ४, २, २०-२९-२९ ) Gang: (१, १, ५, [=F €, ९; ₹२०- २२१ ) अभिवावौरम्‌ (२, ९, ३, VT, २, १) अमोषतस्तद्‌ ( ४, १, २० जे ८, 2, Re =१ ) WHATS ( ५, ११२, = १०,२, WER) अमोयेदेवाः ( ४, २, ९, --म ९, २, १९१ )

अयवामघमत्तमः ( ४,१,२, जं ८, ९, २०१ ) अ्सडखमानवो ( ५,२,१, जे १२, १, २८ =e ) WMT (2, % % LA ४, २, २०--१२ =e ) WHIT ( १, १, १, CHT २, ९, २९ १) वलते ( २,२,४,८ ५,२,७-१९) ,., ° अयाधियाच (२, २, ४, =F ५,२, ६१ =!)

WUT ( ५, ९० ३,० १२, १, २४-१५-९२) WATS (४, २,२, =H १२, १, POSH)

eee

अरष्योजिंडितो (१, % ३१ 9 ३, २, ro =2 )

wrens (2, t, %, =F €, १, ६)... oe

व्वरमश्चाय( 8.t,& 8 HTL Yc easy) .. WW AMET ( 8, %, 8, RHA ९२, W=t )

wy न्यक ममशतो ( ४,२,१,९ =a १२, १, =) WITS (४,११,४, HA FB १८९९ = ४) WMT ( ९, ९, २, —T १, १, Ye =X) WCET (2, २, ४, WHA 9, २, २१--२४ =? ) असाविदेव (४, १, 8, LETS, ९, AC Se) ... श्य उाविसोमदण्द्र(४,२, ९, जे <, २, ९६) कद्धप्रमिन््र (2,%, २, THAW, २, Wet)...

wfaetat (%, र, १, (ome ४5 ९) Rt =?) west (४, २१ ३9 anal १२, १, Us १) ००० च्वदमिडि (2, % 8, STAB, २११२) ... a

GTAATAT (4, %, % VHA १०, २, द४- ३४५२) ,.,

श्याग्रित्रख० (४, % 8, VBA UU, % १४२)

GATE (2, ९, ४, =H 4, ११- १९ SY We अजुरोता (१, % % २.१ WSN)... GACT (२, २, १, YHA ४२, १९--१८ = ४) GTYACHCATA (2, % 2, OH AU, % & =k) चातेश्यद्र० (४,१,४, मे १९१, २, ?-२=१) .. शतेषत्सो (१, १, १, = मे १, २,१८-१७ = र)

waratfarcy (8,2, ११ ca €; २७ C= ) ००१

WATS (४, ९, ९, ३-म ८, १,१६९) ्ात्वारथं (४,२,२, = मजर, २, १५--९६ ॐ=२)

आलाविं ( इ, १, १; B= FTL, 2, २९ = १) “2 ्ात्मासखयः (8, %, 4, €= He, १, १२ = 2) WTATSWHH ( २, २, १, RAE, % २९२९४) ..

WATSTHS (४, १,२,५ मे ०८,९, = २८१)

खानता (२, ९,२,१० SAV. Cw)... wifeqima (१, १, २, १० = ये १,१, २४२१) आमोखग्म (१,१,४,९ = गे २,२,९२,=१) ... आनोभिवा (३, १, ३१० = मे ९१, १,१९ = १) WATT AT, (४, ९,२, =मे ९,९.१४ = १)

आमो विश्वासु (2, २,९ = 9, %, <= ३)

WIR CAT (1,8 CHAE eV se WTA FE (2, २,१,४ HAE, २७२९१) a, wrafwarar (4, % १, = मं १९,१, ९१९) ०.

WT TIA (२,२.६४, = ५,२,१६ १९) खायद्ययिम्दवं (५, १,२,४ = मं ९, १, २-४-ॐ=ह).., च्डाबद्यप (३, १,४,५ न्ग &, १९ = ९) eee [ह ह)

WI (२,९.३२, = ६,९,५= ६) ... ba खावोरायानम्‌ ( १, २,२,७=्म २,९, ११९) ०, Wray (९, २, ३, = २,१,१९= १)

Creat ( १, २,४,१ च्म ०,२, Ware)... दूतद्तखद्‌ (१,२,४,२ न्ग २,१.९१)... इ्थाद्िसोम (४, १, १, = मे ११, ९, १०-\८ = २)... Temeg ( ९, २०२, =A २, १; 29 १) WATT TAT (२, ९, ३, LOMA १, २, २६--९९--३) -.“ xe fern fF (१, १, १) HAG, १, १४८१) .. TSWANA (२, २, ९, १-मे ५, १, ९०-१२-२३)

CR :पवि्टथाखमं ° (४, १५४ ४५- गे ११, २, REV, CEUTA (३, १, १, CHM ५,२, २५ ९९--२) ,..

इन्द्रकयेभिर्‌ (२ १, ४, UHM ९, १, १८८१) -.*

WE वय मद्दाघन० (२,१, ४, EA ४, ९, ३--४=२) ददर विश्वा खनौ AAT (४, २, १, VAM SU १७--९९ = 3)

<2

CEMID (2, %, २, OMA 9, ९, २९२४ = 2) षन्द्रतुभ्चसिद्‌ 4, १.९, = मं Ut, २६ =) vee cafaurg (३, २, द, 8 = AO, 8 we).. “ee THVT (५,१,३,५ = मे ११११०९०१) षनद्रनदोय (१, २, ४,१० = HO, % BEV = २)... इृन्दरब्वरोनेमधिता,४, १, ३, = मे८,९,९९ =?) ... दृण्दरमिद्भाथिनो ( ३, १, २, = He २४ = १) ,,, wafae वतातबण (३, २,१,०७ ==जेञ१,१ Ht) .., इन्दरसुतेषु ४, २,५,१९ = भे १०१२४२६९ = १) दन्दराग्रोख्पा०( 8,2, ४, = मे ०,२, Yo = १) WHAT ( २, १, ११९ = मे५,२,२९ = १) दृन्द्रापवंता (४, १,५४, = मं €, १, १० = १) warafact ( ४,१९) ५,८ == मं ९, १३१९ = 2)

इृन्द्रायमदने ( २,२, ९, = मे ४,२,२०- १९ = १९)... WUT (४,२,५,८ = १०, २, ९८११ = ३)... इन्द्रे िमद्टयन्धसो ( २,२, ४,९- मे, १९९ = १) इृन्द्रोष्ङ्मख्द्‌ (३, १,१,० = ४५२,९२७ ret) .. इन्दरोदधोचो (९२, २,४, ~ ने ५,२,२- = २) WRATH ( ५,१, ३०३ = मे १९, १, १९--२५ = ९) cal चिञ्द्य ( ५,२,२, १० = ९२, १, Meee =e) इन्धराजा(१,२.२,८- २,२, ४-५-२२) ,, द्मदृन्द्रमद्‌ाय (४, १,११२ = ८,१.१५ -१) इमश्न्द्रायसुग्विरो ( ४, १, t,t = मे ८,१, १९४ =e)... CASHES (२,२,१,२ - मे ४,९,९ =r) दमखत्वावि (२,१,५,९--म ४,१,१९ = १)

LA STAT (१,२,२,४ - मं २,१,१८- १) दमभिन्द्रसुते (५, २, १३३ ~ गे €, १; २४- २७ = 8 ) इमम्‌ ( ६, १,८ = १, % ९३ = %)

इमाखत्वापुदवसोजिर (३,२,१, = मे ०,१,२-४ = 3) दमाङन्नापुखवसोभिष्रना (२,२,१,२ - ५४,२,३ = १) इमाउव्बासुलसुते (३,१,१,८- नं ५,२,२८ १} दमाखउवांदिविष्टय (५, १,२९.२ - ८,१, २४ - १) CASH YTAT ( ४,९, २, = मे १२९. १,२१ = १)

TGR (२, २१५, १३ = गे ४,२,१२ = ९) ais CHART ( ४,२,४,४ = मे १०,१.१२-१२=२)... एमनदृन्द्रखोमाः (३, १,२,९ = मं ९,१९,४ = १९) इडाषहोवा (२, ९.१,० =मे ४,३,१९८९६)..., We ( २,१,५१ नमे war)... CHM (UVSC = मे ५,१,१२ = १)... रङिष्वाहि (२,१,१,० = मे at oar)

ठकथश्चम (२,१४.३२ =मे €, १.१७ =१)... खकथमिन्द्राख ( ४,२, ३,४ = मेर, २, २५१) WAT ( २,१,१,६= मे ३,१,२९=१) ... VATE (EULA EU E=2).. छदुत्येजातवेदृं ( ९, १, ३, ११ = नं १,९ १९१) ,.. खदुत्येमधमन्मा° ( १, २, १, ने ©, ११४५-९) ,. PENG: ( १, मे ९, १९१) CRMTG Cam ( ४, ११ ४, CHM ८, २, ११--१ ) खदुषेदभिं ( २, २, ४, मे ९, २, Ween ) छषब्राम्न ( १,१, BHA १, ९, ९४१) ठपनाखामयो ( १,१, RHA LY, २२-२९-१९) .., उपनोहरिभिः ( २, २, १, CHM ४, ९, १४१)

CITT ( ४, ९, १, CHAT १९, १, ०१ ) उपकरभिरौकशाम्‌ ( २, ९, ४, ४, १, २९-१० २)... उपोब्रणो ( ४) १, ९९, १, ९०-्१ ) ००९

La |

VMware (ए, २, ५, CHA उ, २, १९१) as warufary (४, ०, ४, १०--मे १०, १, २२,--१ ) seg खषा स्यखसुषटमः (4, २,२,४-=म १२, १,२० = १)

खलेभिनो ( ५,९,२, रने १२,१, WEL) ae SEST( १,२,१, शमे २, १,२६१)

WITT (४, २, ३, ६० ९, २, ३१ ३४-२) कल्‌ नोतौनो ( १, १,३,५-मे ९, १, १० = ६) bad

रतो farKe WTAE ( ४, % team ९, २, 0-2) रतोज्विन्द्र खवा मसष्डाख ( ४, २, ५, ऽज १०,२,८= १)... श्दुमधोर ( ४,२,५, LHM १०, २,५--ई--२) a रनावोष्ग्नि" (१, १, ४, t= २,१,८-९१=४)

UR FASTA (४,२,५,९-=ग १०,२, ७०८९)

रन्द्रमोमधि (४,१, ९, ३, =गे १०, ९, ३० = १)

षन्द्रपच ( ३१०४, CHA ९, १, २४९). *, WRITE ( ४, ९, १, O=T ९०, YUE Ht) CHUB (४, २,१) TEA १९२, १, ९० = १) रन्द्रसानसि (i, WHA ४,१,१-२ ०९) .. CATHPSMT (९, ९, ४,१०्ब = ६,९, २५ = १) एषब्रह्याय० (५,२,१,२ यअ ११, २, १२४१८ = \५) रषोऽषा्यपूथा (२५२, ४,४ = मे ५,९,३५ = १) CW THATS (१,१११, १, १, १४-१४-२)

WATT (२, २,४, ८=मे ६,२,५- ९२) ओव भृल्वच्छचि्‌ ( १, १, ९, HT १, १, २१--१२ =२)..

| SLAMS (२, २, ५४, ६, २, १५१) बर्‌ वेद्‌ (४,१,१,५ न्न ८,१, User) a.

MU MAT, GL OFT २, २५-२०-१३) ऋदाचनसरोरसि (४,१, १, cats, १, २११) कदावसो (३, १, ४, EH A ९, १.२०- REY) कदुःप्रचेतसे (१, १,४, ६, १, १९=१).. a कथानस्िच (९, % 2, १५ ५, १, २१२५-३) = wfanfaa (2%, 1,8 १२=मं t, & १७१) कश्पस््मखविंदो (४,२,३,२ ९,२,२९-१) कष्डमिन्द्रतवावसो (2, २, 8, CF 9, २, श्८- २९९) ,.. क्नु नंपरोकसि (१,९.१९, १४ -म १,२,२०-२९-र) कावमामोवना (१, १,४,९-म २, १, १०-२१-२) ,. कुहः्कोवाम्‌ (४, e, aaa ८, १? १८ = १) ४, ख्य दु (४, ९, ४, १० = गे <, १, १२- १)

WAAC WTAE ( ५,१,४,५= Ct, २, 9=2) SSM (२, १५५,८ = मे ४,१,२६९--र८= ३) ,. ययक दसि (2%, % & 9,% ११-११-३१) ..,

मन्थो दशो (२, र, ५, रजं ४,२, १०१९२) जाय.मला (४, % १, १-=म €, १, १४-१९-१३) अावखपद्‌ावटे (२,१, ९, ३=गम ३,२,६-ऽ=२) .. आवश्िद्धा (५,१,२, <-ग १९, १, LRH LAER) जिर्वशःपाड्डि (द, १, १९, २=म Y, & 2 = १) cae य्टकतदिन्द्रत (4. t,t, C= २०,२, १८ ९०)... attata (2, % १, L=a ४, २,८-<<=२)

धतवतोमृवनानाम्‌ ( ४,२, ४, <न्=्म १०, १, २०-२६-५२)

अक्रयदखापस्वा (४,१,८,९ TF २,३४ १) ,.. अन्द्रमाश्यप्लादन्नरा (४, ९, ३, C=M १९, ९, ३१-३५--५ ) अष चोधतं ( ¥; ४१ ४,६=म १०) १५.८९ pe eve

[ |

पद चिवरच्छिष्णोस्‌ (१,२,२, रम २,१, १५१९-९)... ae tee लग्रद्यात ( ४, १, % WM ८, २, ७-११-५) os ९३० STMT TH (२, ९) १, ६४-म ह, १, २०१) fee २६६ शरागोधतदु (१, १, २, ४५--न १,९, २४-२९-२९) ११९ खातःपरोक (१, २, ४, १० ==म २, २, २११) ue २४७ संबोदख्मम्‌ ( ३, १, ४, 8 =F ९, १, ११--३७--५) Boy THAT (२, ९, २, द्मे ३, १, १-२९१ ) ९७८ तदग्रे खननम्‌ (२,१,२०--ज १, =r)... ae He २८४ HETATS (२,१,३, १=म ६,२, १--४--४ ) oe ee Roa TH मदं (४, २, ५, दज १०, १, ३१--१४-४) = - ocx गक.मोपवनो (१, १, २, €=म १, २, १४१) १३७ fam जोडवोमि (४; २, ३, ४. गे १२,१, Et)... a ९१९ कमिन्द्र बशादथि (२, १,२, CHT १, २, १४-१९-१) ... ss २९९ वभिन्द्र वाजयामसि (२, १,३,५-मे९,२,१०-१३-४) = १९६ नसुख्भिप्रमायत (8, %, ६, २-गे १० १,२०-द६०-४) Ory, सरण्िवो (8, UHHH, BUM=EL) ,. Se ae ४१९६ लरशिरित्धिषास्ति (2, 0,4, ¢€-% ९, २, ८--११=४) २6 ४९३ तरोभिवीं ९,१,५,५ मे €, २, १-59-७). oh ति ufe लवत्यत्रये ( ४, २, १, १०- जे १२, १, ४२१) af os ९३४ wa दिन्द्रावम (९, ९, ३, ८-मं 9, २, १०१) oe im ४५५० बचेत॒नाय (४, १, UHM Po, २, २८०६९ ) * ८१० जभ्य सुतासः (३, १, २, १० =म €, १, ५१) bs es ४४८ व्यस्वःसचासाष्ं (१, २, ३, == मे Wy १, २१५२०००२) a १८१ Ms खो प्रदं (४, २, २, न्म <, २, १८००१) ... see Ore त्यमूषुवाजिनं (४१, ५११ aA ९१, १--२=९) ... re ९७१

BRAT (४, २, ४, ८० मे १०; १, १८००१) see ९७३

चातारमिम्द्रम्‌ (४, १, 0, २०० €, १, Fat) ove famy केषुसद्दिषो ( ५,२.३२, LA १६२, १,२७००१९) (४, १, ४, न्मे ८,२, २६८९० == २) ्द्यश्विरे ( द, १, ५८० ९, २, १४१९ sk), AMATAT ( ४, १, २, न= मं १,१ १, ०-८००२) wafer ( १, १०४, ०० १,२, २९००१) MUTT AE FA: ( १, १५१०९ = १, १, १२-१३-०२) amy ग्टडपतिस्‌ ( १. ९, ११ Ome २, १. २१-१२-८२) Hwy यज्चानां (१,१,१,२ न्म U8 wt ) ४; लमग्न वसृर ( २, ५, ६०० मे ३, १, Oust )

तम्प्र खिषो (३, २,१, ५० ६, २, Wal) ,.. नमिव्यप्रथा (t,t, 8, Fah २,९, १२०८२) जमिन्दुप्तृततिब्बभि ( ४,१,२,९०्ग ८, १६१९०१९) ... लमिन्द्रबशाद्‌ (२, ९, % Cam ९,२,१४- १९००३) .. लमिन्द्रयश्षा ( ९, २, १, ९० ९, २, ३१--३५००५) ,,. लयाखिद्ययवा ( ४, ९० dae A १८, ११५०१) ve

बरहागोदेय' ( ४, १, १,७य्ज ८, १, २०००१) ise TAT पुष्कराद्‌ ( १, १, ११ == मे १) १) १८ ==) लरासिदाद्मो ( ४, ९, १, LOA ८, १, २६--\ ) ae नामिद्धिहवामद्े ( ३, ४, MA | ९, २८--९९--र२) जावतःपुरूवस ( ९, २, ५, <= -ज ५; २, १९१)

शप्र खातः ( १९, ६, ४, ९, २२९१) “°

नं षषम ( १, ९, ४, शग २, २, २२--१) ae TWH वायरोम्‌ ( १, २, ५, ३, ६, WL) rr दधिक्रावणो ( 8, %, ९, OM <, २, =? )

WaT (९ श, २, RA UU २१--१) .. es

HUTT ( ht, 8, गे ९.१, २--\) ow os

[ |

देनानामिदषो ( २, १, ४. SAB. १, १८--२१--४ ) -.. SHAT (१, २, १, नग २,१,२४--१) .. दोषोख्ठागाद्‌ { % २, ४, WHAM ४, १, WV)

चानावनतङ्करश्धिकम्‌ ( ९, १, ९७ ९५ RA) --

सकिरृनद्रलद्‌ (2 १, १, १० गे ५, ९१ R=V) a नकिदेवा (२,२, ४, ४,१, ३९!) ... ses afacea a (३, २, १; &) २, VO VSR ) os HAH GT (५, ९, ४, SHH १११ ९, १०१) as मतस्यमायया ( २, ९, १, तज २, १, २३१ ) warewat ( ४, १, ९, ४न्ज ८, १, Lot ) ee नमस्त ष्यप्र ( १,१; २, १-मे १,१,२० \) कः जसौमदेव ( ३, ९, ३, इनमे CHA) -.. 7 जद्िवश्रमं ( ह, १, ५, a १,२९- रथ्-१) .,, माकेसुपणेम्‌ ( ४, इ, HM ८, २, १४१) vee

मिनान्छय ( १, ९) ३) ~ १, २. ११९१-१ ) निललासग्र (१, १, ५, LOM ९, १, WORST) ove

पन्यन्पन्यमित (२, १,२, < = ३, ९१ २० ~ १) oe परिप्रधग्ेन्द्राय (५, GAA UL WHEY) ,.* परिवाजपतिः (९, ९, ९, १०० गे १, २, १४५०१) vee प्व HEMT (४, १, ५, १० गे ११, २, १९ ९८ =) UAT TACT ATA (५ ११५५९ ११ २०१९९८९० == र) पवस्सो मष्टे (४, १, ४, == १९१२, २९-- २२ eR) ००. पाकमावो (२,२,२, १०८ ४, २,१९-१८००३) ~, पावकानः (२,२५,५ ५,२,१४ ०९) “ee wifearwaret (३, २, ४, अगे ८, १,८-९=९) vee पाडनोअग्र (१,१४.२१; GVEA VES A) „^

| a |

FATTAS (३, १, ४, गन्म ६, २, ९२- ९४० द;

पिषाखोममिन्द्र (५,१, १, Sm १०,२, ३१ ६२०२)

FUP र्‌ (४५२, २, ८, जन्मे ९, २, २१०८१) पुश्लादाशिवां (९, १, ९, CHa ३, २,८१२.१५) प्कतुमा ( १, २५२, CA २, २, ९--० me?) LATTA (१, १; 2, C= मे ११ १, २९ aw?) प्रतिप्रियतमं (५, ९, ९, १०-मे २९१, १, Vp... प््ग्रहरसा (१, २, ५, ५--म २, २, ९,- ऽर)

प्य्छपिप्रीषते (४, २, २, १,=-गे ९, २, १९--१३--द) ...

्रलु्द श्चं 0 (४, १, ९, १--ग ८, १, ९४) ्रेवोदाखो (१, १, ४, == मे ३, १, १८ १) प्राबि्ट मम्‌ (४, २, 9 १, = गे ९, २, ९२९ =U) WOT (१, % X= A २,२, १११). प्मण्दिष्टाय (९, १०२, t= A द, १, WE— VE = ४) WH न्दिनि (४, २, ४, (LA १०, १, २९१) परमि्ाय (३, २, २, R= मे 9, ९, १९--१८ =) WHT (१, २, १, BHT, १, P= १)... प्योरिरि्च०(४, १, २, १० == गे ८, १, ९४ = १) परवद्न्दराय्टते (2, २, २, ~ A 9, १, ९० = ९)

TARTAR (२, VX, VHB, २, १६१८-३) परबष्ग््रायष्टबडनमाय ( ५,२, १,१०--म १२, १, ==)

प्रगोमहेमवयो (५, २, ३, C= मे १९,१, १९ =-= १)

्रवोमरेमरेवे (४, १, ४, = गे ८, २७ १०-३१ = २)

WHAT (१, २५१५ मे १, २८ == १) प्रषमाजमचुरदख्य (१, २, & == २, ९, १९ -- १)

प्सचाजशचषं TATA (२, १, 7, १० =-= मे ४, १, ३१--१४ = ४)

परणोषप्रे (२, १, २, FHA YU २० = १)

प्रशोताजातो (१,१,३०५- ने २, ९, १४- १४ HN) ...

भ्रहमोच TH (२,१,१,२=म १, १,१९-१४ = ह.) भ्रातर ग्रः (१५२, ४,५ == मेर, २, २४ == १) oe au WBA (ty de —AU,L CU, HA) भ्र छमभोडि (4, 2%, ३, X= ९१, १, २७ १) # ध, Sqmewafa: (१, २, १५२ ~ २, १, MH?) Sa.

qwawroufa (2, % uv, x = 2, x, २९१) बवदुक्थ (8,0, 2,8 4, t,t)

बद्दिन्द्राय (2,2, 2 E€=FOVUMHyY

गरह्भिरग्म (१, १४, १९, ९, २९८-३० =-= २) -

बहद्वयोदि(१,२,४,८--मे२,१, २८१२९ =९) ... atwwar (2, 2%, 4,€= 7 8, t, २९ --१) ६६४ WYN (४,१, ३, ८, २, ९४ १९ = 2) ... ६४

WTVH (५,२,९,९६--म १२,१,१- २२) - ब्रह्मा णा दिन्द्(३, १,४, =-= मे ६, १, =?)

भगोमविवो (४,२,२९, X= FA १२, ९,१९--१७ --२) ...

भद्रत्रोखपि (५१, ४, B= मे १९, ९, =)

भद्रकाद्रन्र (२, २, BE HAW, १, FH)...

भद्रीनोखग्िर्‌ ( २, १० % WA ९,१, RE= ९) 1 ate farfaafasar (२, % ४, १०ब 8, %, tet ) os a ART ०दइन्द्रःपुरख (२,२, १, R= A VW, 0, UR—tus—_a ) ...

मदिवीणामवर्‌ ( २, २४, SHA ५,२, १७--!८्२)..

eee

aVaa ( 2; & ४, रग ८१ ?, ११-९२-२९ ) wae WEATWS ( ५, १, ४, =H ११, २, Mr ) see ee माचिदन्यत्‌ ( ₹, %, ४, SF १९१, ९, ५--! ) see _

TAC HITT ( २, २, २; CHM 0, %, २६--२०न=२) ,,, मानट्न्द्राभ्याश्दिणः (२, १, ४, BoA १, २, १०-११-१२) ०,

RUE

[ |

WATER ATs (२,१,२, BHM ३, १,९४-- ३५--२) ... waaay ( १, २, ९, WHA ९, tad -४०=२ )

मेहि व्रता ( ४, १, ४, Y= २, १, २८-- ९९२ )

मोषुला ( ३, २, ५, २-जे ७, २, ३५--२६-२ )

यश्चानयत्‌ ( २.१, 8, RHA ३, २, २८-२८-१९) बटृनद्रचमसष्ठा (२, २, २, SHA ५,१, ४-४५-२) य््द्रसोमपातमो ( ५, ९, १, ४=मे १०, २, २७९ ) awafacta( ३, २, १, TG २, ९९१) ai बरकरद्िदयते ( ४,२.४,९--म १०,२,१२ -१४१) चःसवाहा ( ३, % 4, BHA ९) ३१) ,., वररन्ति (२,९,४, एने ५,२,८ १९) ... ies WAT (४, 4, =a <, १,८--<९= २) TUM (३,२,३,२=गे 9, २, --२ =z ) ve ५५ चजामदष्न्द्/ ४, १,४,३ = ९, १, ४-=१)

वजिहग्त्वावष्टमष्धे ( ९, ९, २, = ३. ९, १५९ )

यश्नदन्द्रम्‌ ( र, २, 2, मं ३; a, 2o=t ) por

यत्रायन्चावो (१,१,४,१६-ग 2, 2, ९१२-२५--२) .. चतदन्द्रभषामद्दे ( ३, ९२, ४, °= OR, १८--१) .. se Tatafary ( ४, २, ५, B=M १०, %, Y— ==.) WUTATA ( १, २, १, १० गे ७, १, ८-- <~ ) a so TETHER, १, ४, R= ३, २, Ro=t ) tee

क्दाकदाच ( ए, २, ४, €--ग ८, 2, y—o=3 | Ram (४, २, १, = गे <, १, २८ -- २९ == २) वदिगुनाङषौष्वा (२, २, २, १० == मे ©, १, १२ = 9 Titan (१, २, ४, 9 == मं 0,2 २६--२७ = २) वरिन्ुयावसस््म्‌ (४, ९, २,८ = मे ८, १, ३१--१९-२) ... Vert (१,१,१, मे ८,१,१८ १९)

[ J

यदिन्द्रा (२,१.९२, ८मेश,२, १८ - १९८२) ., यदिन्द्रो्यतुयद्‌ (२,२,१,४ मे ४,९,९-०-२) ..

BAT (९,९, BLS मर, २,२१ = ९) 7 यदीवर्ग्याश्वो (8, YR UAH Me, २,१८८ १) यदुदौरत (५,१, VEHMLY, ९, ९८१) aa

यद्या वन्द (2,2, 8, = AS, % Wz)

wErefaars (२, १,२,८ जे ९, १, ९९ = १) safe यदाद्िष्ठ (१,९,४,९ मे % %, २-२६-२) यद्ोड़ावोन्दर (३,१९.२, HAY, % B=?) ve we wa (९, % 8 ९-ज १, २,५ १)

यस्यत्यच्छम्बर (५,१,९, RHA १०,९,२१-२४-४) ... अद्ब्द्रभुज0 (३, २,२, मे ८, ९, १११५-३)

we चवादिहतर0 (५, 2, 8, ९्=मे ८, १, २२--१) शु येतेपन्बाश्यधो (२,२९,३,८- AYU, २९ = ९) si थोजेयोमेतवसर (२, २, १, < =-= ५,१, ८-- == श)... थोनदृदमिद (५,१,२,२ मे १०,२, ९४--१५ == २) ..* धोनिषठदृम्डर (४, ३, HAS, २, १--२--२) थोनोवलुद्चन (४, ४, -= ९.१७, == ९)

धोरथिवो (४,२,१,१४ =a €, 3, ¢—to= 8) ‘ae थोराजाचष Wat (३, % ४, {HA 9, २, १०-१९८ = २) थो विश्चादयते (१) १० == २, १, ४--ऽ् ४)

रायेच्यप्रं AG (2, २,१, = ३, ९, १--४--२) ५०५ रेवतोमः (२,२, ९, = गे ४, २, १४ == १)

धयः FIT (४, १, ३, ऽमे ८, २, १९३९-१) sa वयङ्गत्वा ( ३, २, २, =A 9, १, २८--३१९--४) waryrTaafa ( ३, १५ ४, ९, २३१) se

wuferxareat ( t, 8, त= ४; १; १०९० ) ee

व्मृलामपृन्यं ( ४,१,९, १० जे ११, UL Cee 8) बयसत्वातदिथा (२, २,२, १९ =मे ४,२,२५- २९०२) वयमेनमिदा (३, २,३,१० च्=गे ७,२, ?४-१६ २) ययद्धितेपतचिणो (४,२,३, ८न्नम <, २,१९.००१) .. ग्खयदृन्द्रासि(द, BU, १० न्म ८, १, १३०१) 3

वातश्चावातु (2,2, 8, te गे ५,२,८ ८८१ )

यासोष्यते( ३, % 8, Vas ७, % २०-२१-२२) विनदापो (१,२.२९ तग ९, २, १-२२-२) > विन्दद्राख (४, ९, ४, Raa MS, २, २४-२५ mw? ) विभो न्द्र (४,२, ९, == ९.२, ३०. ) विष्तेविष्तेवो (१, ९, ४,०=मे२,२,९० ==? ) विखतोद्‌ावम्‌ (४,२, १, न्ग UU, WB aD). विश्वस्यपरस्तःभ (४२, २,४ तन्म १९, ११८ १८०२)... बिश्वाःपुतना० (४, २, ४,१८्गे < २,२५ oot) विश्वानरद्य ( ४, २,३,४ र, ९,२६- २७.०२) Faw तयोयथा ( ४,२,२, च्न्ग १२, १,२९.१)

CAMA (४, १, ४, २न््म ८,२,२२- १९३०२) ,,, वेत्थाहिनिष्ट तीनां (५,१,१, €= मे१०,२,२९०१) ...

WNT (१, १, ३, १९ ग्ग १,२,१८- १९ न्र्‌) ,,,

आम्पदमघ (५,२,१,५ =मे१२१,४,=१) * अग्ध्यदेष्‌ (६, २,२, = १,२, १०--१२ = ३)

WH fry ATT ( ३, UW wa मे ८,१,४=१) WHT WAZ ( १,२, ३, = गे २, २, १९१)

WH BIA (४, t, 9, O=AS, 2 ९९ =?) 4 भेषेवमेष (१,१५) २=मं २,१,१२=१) ves शरततेदघानि (BRB VHA १०३१, न्य) ` ,,, ATI (२४ २,३,५य्ग्म ®, २,५.९१)

| ]

चनवोष्टबरगमम्‌ (९.१,२. ५न्ग ५.२.३४ १९) अ,धिव्ररकण (१. १.५.६९ =गे २.१.१०१) च्रधोषवजभिरख्या (४.२,१,१ =मे<.२,१- २२)... चाग्रं (२,१९.१, १० मे १,१.२५ १) सखायद्चागिषामद (४,२.५, १० १०२, १५-१०-३९) FHT ( १,२. १, SHH, YA) | OMA BIT (४२.४.६९ =गे१९,२,८्२)

4 सघायस्त (४,२,३.९=ज र, Roe =?) aes wa fara (३,२,३ = t, 2 ९६ =?) सत्रादश ४.१.१४न=गे९,१,५.८-२) BUTANE A (२.२.३१० F ४,१.९८ = 2) सद्‌गावः(४,२.१.९६ =H A १२,१,५-~-१,.. eee BOATS (३, १, १, 2 HV. PR =) सनादश्र 1, २,.६,८- म२,३.१८--१. सणएयोमद.नां(४,९.२.४-ग ९.२, १० == १) a

रमस््रमन्यवे (9. YU R= A ४,१.१७ --१)

समतविश्वा (४, ९,४,३ = Ate, १.९-९१ = 3) सौदन्तच्चं (५,१,२,८ नग LysU, te—taae) oi पुनमथोघास (2, 3,2, R= गं 4, &, ae = 2) ss GATTI He (2,8 W TH AZUL २) GRISAA (2, २, ९.६ ४; २, 3s = 4) GATTI CF (८, १,२.८० = AR, --; =) si WAT ATS (२,२,१, १० गे, २,५-१) सःमबालामः (१,२५.१ ३, १,९१९-६) | कमारंम्बरणशं (२, १, ४,५ ~ग ४, १९१ रेरे = १)

सादा व्या ५,१,२.१्ग १६.९.१५)

ee

[ CeYo —ty o” ] क्रोडपचम्‌ ( श्रशोतिःृष्टस्येऽषटमेपरक्तो निवेश्यम्‌ )

चतुयाधिकरणमारचथति-** “स्यरेकाद्शिना किं प्राप-

णोयोदयनौययोः। प्रत्येकमखिलाः fa वा विभनज्याः स्यस्तयो, रपि॥ उद्ेश्ययोः प्रधानत्वात्‌ प्रत्येक पश्यवोऽखिलाः। नोदृश्यो शतवद्धागः गिष्टस्वा सत्तितोऽन्तिमे हादशाह अयते-- “एका दशिना प्रायखोयोदयनौययोरतिराच्रसंख्थयोरतिरादव्रयोरालभेर- fafa” तरते पश्चवएकादशापि प्रायणोयेऽहनि BUA: तथो- दयनोयेऽपि wa कन्तव्याः। कुतः? प्रायणीयोद्‌यनौयये शदे - Naat प्राधान्यात्‌-प्रतिप्रधानं चाङ्गात्तेयुक्षत्वादिति प्व UE वचनान्तरेण विहितानाभेकादशानां प्रकरणेन हाद Tera सिददेशाकाष्कायां तान्‌ पशनुदिस्य प्रायणौय)दय- नोयौ देशत्वेन विधौयेते। तत्र क्रुत उद्‌ श्यत्वम्‌ ? कुतस्तरां प्राधान्यम्‌ कुतस्तमां warafa:! एव सति यथा--शयत देवदत्तयन्नदत्तयोविविधौयताम्‌'-इत्यत्र देवदत्ते पञच्चाशददिधौयते यज्ञदत्ते पञ्चाशदिति विभागस्तथा प्रायणोये wy पशव उदनौये पञ्चेति विभागो gai amafae एकः पश्रन्तिमः ्रत्यासन्रत्वा दन्तिभेऽहन्युदवसानौये कत्तव्य Y's fA

* मटाम्धादित इचिद पि gaa नेतद्धिकरषणोद्रणशमिद् cad, ae खक-प्राण्डित्य- मेवाव मूलमित्यलुमीयतेऽख खामविचारेप्रतला्च तथा पाण्डित्यम्‌ ; परमेतस्येव भमवतीभाष्यदछत खपसदहूतिवचने (-५--ई) ईइिषष्टोति परिगणनश्रतःसखाप्यधकरग्स् VATS HAT यह AH CIM लोकाय भितोस्थं करोडौ कतम्‌ | स°।

Ha: सामवदाय।

सामवेदसंहिता |

भाष्यावतरशिका |

वामोशयाः सुमनसः सवाधौनासुपक्रमे | यं नत्वा MART: Wet ममामि मजाननम्‌ यस्य निश्वसितं वेदायोवेेभ्योऽखिल जगत्‌ | निर्ममे तमहं वन्दे विव्यातौ्धंमद्ेष्वरम्‌ २॥ तत्‌कटाचेण AZT CHET AACA: | श्रादिश्यत्‌ सायणाचाथ' Tavera प्रकाशने ३। ये पूर्वोत्तरमोमांे (५) ते व्याख्यायातिसखग्रहात्‌ (९१ कपालुः सायणचार्यो वेदां AMAIA: सामवेदार्घमेषोऽत प्रकाशयति सादरम्‌ |

(९) waa हि अमिनि-रुत-पुषं -मोमांसा-सृजामुखारोश वेयास्कि्र-शारोरिक नामोभरमोमांखा-सूचामु मारो (विषय-संग्रय-पुवपचोलरपचच-सङ्गत्याक-पच्चा- वयवदाभि) न्यायापरपयायाधिकरशानि निभितानि, खयमेव ख्यानेन विस्तसानि च; तद्‌ दइयोरोव प्रन्धयोरभिधानमध्करकमाखा म्य.यमाल्ला न्यायविद्लरो बा |

(२) Waeatey तज तज, “मोमांसा-सायरणठेन करीर -पुष्करिशो मबेत्‌'। खति- संधिप्नन्रादिति ara: |

द्‌ सामवेदसंहिता

उद्टातुस्तत्जिन्नासोरपि तेन छतार्घता (awe THA Wy हावर्धौ कार्डयोर्दयोः (२) |

TAY मुख्ये करतिग्मिवतुरभिरयिन्न-सम्पदः ५,

निमि मीते क्रिया-सद् रध्वरयर्य्नियं वपुः

तदलंङुवंते होता ब्रह्मोदातेरथमी अयः WHAT AAT AT ASAT AT aA TT आ्आज्य-एष्ठादिभिः Srl सद्रातालङ्करोत्यसुम्‌ व्रयाणामपराधन्तु ब्रह्मा परिश्रेत्‌ सदा | warns मन््ेऽसावयः सर्वोऽभिधौयते

यज्नं यजल॒भिं रष्वयुं निर्मिमोते ततो यजुः |

व्याख्यातं प्रथमं, THEME व्याख्या नमोरितम्‌ १०॥ सामराख्गासितत्वेन सम्म-व्याख्या I THA भरनुतिष्टासु-जिन्नाद्नाःवशाद्‌ व्याख्या-क्रमो हयम्‌ ॥.११ जाते Se भवत्यस्य कटकादि-विभूषणम्‌ |

आआज्रितम्‌ मरिमुक्षादि कटकादौ gar तथा १२॥ यजु्जाते we स्यारम्मिस्तदिभूषशम्‌ |

VATA ALAM ATA तासु समायिताः॥ १२॥

(१) उद्ा-ना कः ऋलिगविेषः; तस सामवेद ये-न्ञाममत्यावश्यकस, यशे WEST TTS सखामवेदोय-काये-कलापाधिकारितवात्‌, तथाच राग्यरायन-सूचम्‌ “उद्गाता सामवेदेन (४१,० ख)-रति। (मन्त्रान्‌ STNG WE. कदम. डरे (VT )-ट्तिच।

(२) तच अधिकाः कम्काखः, fafecu: प्पम्बव्रभकः Baw wy प्राभाकरादि-मते ज्नानकाष्डो ATSIS |

सामवेदसंहिता | डे

नन्वध्वर्यु-हो जु हाट -तरह्म-कर्तव्य-प्रतिपादको यो qaqa योजनीथः-इ्तिचेत्‌, योन्यते-- “sat लः पोषमास्ते पुपुष्वान्‌ गायत्रं ल्लो गायति क्षरोषु। ae ले वदति जातविद्यां awe सातां विभमिमोत त्वः""-दत्येष मन्वः(\) | तस्म्रावमर्धः-त्-शष्टः सवं नामसु पठितः एक-गष्ट-पयौयः, एकोहोढ-नामकः ऋलिक्‌ तत्र तत्र विप्रक्रोर्णलेनाधोलानासचां यन्नालुष्टान-काले arta arate पुष्टिं gaat; एकउद्राष्ट-नामकः गक्षथुं पलचित- च्छन्द. fategaray गायतेादि-नामकं साम गायति; एको ब्रद्र-नामङ्ा होचादोनां बैद-चथ-विषधे यस्मिन्‌कस्िंधिदपराधे जत तत्पृतोजारङूपां विद्यां वदति(९) श्रत एव च्छन्दोगा भ्रामनन्ति “ang Salary यद्‌ ब्रह्मा यन्नायैव तद्‌ भेषजं कत्वा इरति" श्रतिः, “यदि यंक ध्रात्तिभवति भूरिति ब्रह्मा area जु इथात्‌"-दवयादिप॑"च ; एकस््ध्वयुयंन्न ल्य मातराभियत्तां विमि wa विशेषेख परिच्छिनत्ति इति|

* aya विरिष्टं सन्दधाति मेषजक्षतोह वा एष यन्नो aaa fag ब्रह्मा भवेति (४प्र०?७ त°) -दति कोधृम-याखौ-यद्छान्दोम्य पाटः |

t शययङ्गरिथेद्‌ भूःखाङेति गां पतये जु इयात्‌ (४प्र०१७- ख०)”- इति को० शा० Bro पाठः |

wa nofa “ag anata स्वांखलिगोऽमि रशति"-दति प्रकरणशोपषररश- यचनाज्ञध्यते

~~~ ~~~ ~~~ ~~~

(१) WAI म-मष्डल।टमाटक-दिितोयष्यायौया मिमाऋ्क्‌।

(र) विश्छतो खद्धानं निङङ्ग-प्रथमाध्याय-द्दितोय-पाद्‌-दादण्खड तद्राष्ये द्रष्टम्‌ |

8 सामवेदसंहिता |

नशु षैदाथ-प्रकाशकेऽस्िन्‌ wa वेदानां areaa सति तत्परित्यज्य यज्ुरादिकं व्यास्थेयव्वेनोपन्धसितुमयुक्षम्‌-इतिचेत्‌- नायंदोषः, मन्त-विशेष-वाचके्थं शुरादि-शब्देस्तन्तच्न्तोपे तानां वेदानासुपलचितत्वात्‌

ननु मन््र-ेदयोः को fate: शति चेत्‌, उच्यते-मन्- ब्राह्मण-समष्टि्वदः तथाचापस्तम्बः सरति ^“ मन्-त्राह्मणयो वेद-नामधेयम्‌ ”-दति (\)। वेदैकदेणयो्मन््राह्मणयोः Tat खरूपं जेमिनिर्न्यायेन निर्णीतवान्‌, (९) तश्र मन्-खरूप-निशंयं हितोग्राध्यायस्य प्रथमपाद सप्तमाधिकरणे न्धाय-विस्तर-कार (९) दस्य मुदाजष्टार--'“श्रहेबभ्रिय मन्त भेदति मन्वस्य लक्षणम्‌ |

[

(६) उपनिषदु-भागस्त्मनयो Cad तः,वथाच काचिदुपनिषत्‌ aaah दबेत्यवमादिः काचिद्‌ ब्राद्यगद्मिका केनेत्यादिः। मोमांखुक-मत-विषेषे तु ““खाखायस्य श्रियाये- ताद्‌ मथक्यमत दथामाम्‌ (१।९।९)".इति जे मिनि-सृात्‌ क्रियापरातिरिक्रानामुपमिष- दिनि भ्रसिदहानां वेदत्वमेव मास्ति। तत एव “परा म्द यजबे दः सामबेद्‌ः इ्यादि-कथन-पूबकम्‌ “अथ पणा यया तद चरमधिगम्यते'-दति मुष्डको पनिषद्‌ (1-1-2) वाक्यम्‌, “दः रत्‌ स्लोऽचिमन्ग्यः सररस्योदिजम्मना'-रति मनु-वाक्छ खररस्य-पदम्‌, "दष्टवदानुश्रविकः' इति सां जोत्‌ यितिख सङ्गच्छते तदेतत्‌ स्पष्ठमेवाभ्यधायि प्राभाकरः श्र्टत्ति-जिष्टसि विधि-तच्छेष-यतिरकश केवल-वल्ल-वाद वेदभागो नालि' | CAAT मन््रभागाग्तःश्रतानामीगेत्यादौनां क्रियापर एवाथ पाद्यः, WHAT काल्पनिकः, केनेत्या लु ब्राह्मण-पन्थानाभिवाद्राद्‌ ब्राह्यशल-थमः, तथादरख बेदवेशभिः भििष्यमुपदेष्र ततुप्रशोतत्वात्‌, ब्रा्श-गरन्य-बाङ खा द्रवना-सःम्य A AT IS तथा समः, यथा ACT MATT RY MARAT CTSA: |

(२) तथाच द्वितेःयाष्याय-पथम-पाद्‌ अष्ट विश्त्युनचिशरमे सूज ^तचचोद्‌केषु waren xfer पे are इति तच तेषां मन््राशां चोदकेषु खध्यापकेषु मन्त्र इति षा प्रविद्धा, तत Fr Te न्चयमित्याय-म्‌ जाथ ेष-नन्‌ MATA |

(द) खयं म्याय-विखर-कारः, अन्यपशष-निद्देणष्णो लेख .शेलो |

समवेदसद्िता

नाख्यस्ति A नाख्येतदव्याप्तयारेरवारणात्‌॥ यान्निकानां समाख्यानं लक्षणं दोष-वजिंतम्‌। तेऽुष्टान-स्मारकादौ मन्त- शब्द्‌ प्रयुच्ते Wea ददमारायते--“अरहेवुभिय aa भे गोपाय -दति ; तच मनस्य लक्षणं नास्ति, भ्रव्याप्तातिव्यास्यो- वौरयितुमशक्लात्‌--विदहिताधाभिधायकोमन्तः तयकष 'वस- न्ताय कपिश्चलानालभते इत्यस्य मनस्य विधिरूपत्वादव्या्िः, मनन-हेतुमेग्वः-द्यक्ञे ब्ाद्रारेऽतिव्यािः, एवम्‌ अ्रसि-पदान्सो मन्ः “उत्तमपुरुषान्तो मन्ः' इत्यादि-लक्षणानां पर खरमव्यातिः ; इतिचेत्‌-- मेवम्‌, यान्निक-समाख्यानस्य निदौष-ल छणत्वात्‌ # तञ्च समाख्यानमनुष्टान-स्मारकारोनाम्‌ मन्तं गमयति- उरुप्रय खेव्यादयोऽलुष्टान-स्मारकाः [१] अग्निमोले पुरोह्ितमित्यादयः स्ततिरूपाः [२] ईषे वेव्यादयस््न्ताः [२] अग्नश्रायाहि वोतये- दूत्यादयश्रामन्तणोपेताः [४] अम्नोदग्नोन्‌ विद्रेत्यादयः Teen: Lu श्रधःखिदास)दुपरिंखि दासोदित्यादयो विचाररूपाः [ ] अम्ब ऽभ्बिकेऽम्बालिके मानयति कश्चनेत्यादयः परिदेवनरूपाः [७] wera त्वा परमन्तं एथिव्याद्रत्यादयः wren: [८] Sear: परमन्तं धिव्यादरत्यादय saved: [< ] एवमन्यदप्यदाहार्यम्‌ | ईदशेष्वत्य न्त. विजातोयेषु समाख्यानमन्तरेण नान्य: कशिदनुगतो धर्मोऽस्ति, यस्य लक्षणत्वमुच्येत ; लचणस्योपय,गञ्च vale देथिंतः-- ऋषयोऽपि पदार्थानां नान्तं यान्ति wana: 1 लच्णेन तु सिद्ानामन्तं यान्ति विप्रितः-दति; तस्मादभि- * factrare-sfa गोडखखामि-पुस्तक-पाठः | weren:-xfa ate पुस्त -पाठः।

| सामवेदसंहिता |

garat मन्तेःऽधमिति समाश्यानं लल्षखम्‌” ९॥ ब्राह्मण-खरूप- मपि तज्ैवाटमाधिकरसे vet निर्थीतम्‌-\“नास्येतद्‌ ब्राद्भखे- त्व way विद्यतेऽथवा। नास्तोयन्तो वेदभागादति केर भावतः॥ मन््रञ्च ब्राहमणं Sf et भागौ तेन मन्तः | अन्यद्‌ व्राह्मणमिखेतद्‌ भवेद्‌ ब्राह्मण-लक्षणम्‌ चातुमौस्येष्विद्‌ मानरायते-"एतद्‌ ब्राह्मणान्येव we शवींषे'-दति, aa ब्राह्मणस्य लक्षणं नास्ति, Hare बेदभागानामियन्तानवधारणेन ब्राह्मसभागेष्वन्यभागेषु लक्षणस्याव्याप्ातिव्याप्गोः शोधयितु मगश्यतवात्‌ ; wit, भागान्तराणि कानि चित्‌ पूर्वेरदाहतत सङ्‌ग्टङ्ोतानि "हेतुर्न चनं निन्दा प्रयसा wag विधिः। परक्तः + पुराङशखोयव्रधारण-शखनां~ द्ति-- तेन wa क्रियतद्रति रेटुः [१] एतदक्रोदधित्व- fafa निवेचनम्‌ [२] अमेध्या वै माषा aft निन्दा [२] वायु चेपिष्ठेति प्रथंसा [४] तद्‌ यचिकत्रिखन्‌ जुह्वानो arerat मिति aaa: [५] यजमनेन सम्मितोदृश्वरी भवतोति विधिः Le] माषानेव मद्यं पचते-द्रति पर क्षतिः [७] पुरा arma अयेषु रिति पुराकल्पः [८] यावतोश्वान्‌ प्रतिग्छ्लौयात्‌ तलावतेवारूां खतुष्कपा लान्निवं पे दिति विशेषावधारणकल्यना [<] एवमन्यद्यु- दाहम्‌ हेत्वादौनामन्यतमदुत्राद्मणएम्‌'- इति लत्त- णम्‌, मन्तेष्वपि हेलारि-सहवात्‌। तयाहि-- इन्दवोवामु- शन्ति होति हेतुः--उदानिषु्म॑द्टोरिति तस्मादुदकसुष्यतद्ति

* परक्रिया-द्ति रामगास्ति-पुस्तक-पाटः |

1 wararfefa गो० पुस्तञ्-पाठः।

wraaeafear |

निवे चनम्‌-मोघमव्र विन्दतं ्रप्रचेताद्ति निन्दा--श्रम्निमश्ा- दिवः कङ्कदिति प्रशंसा--श्रधःखिदत्सौदुपरिखिदासौदिति सं शयः--कपिष्लामाखभतदति विधिः-सहस्रमयुताददददिति परक्ततिः--यच्रेन away देवाष्ति पुराकल्यः। शइति- करण बहलं ॒त्राह्यणम्‌'-इति चेत्‌ न, cael इत्ययजथा » श्त्यपच द्रति ब्राह्मणो गायेदित्यस्मिन्‌ area गातब्ये मनग्तेऽति- व्याभेः शशत्याहेत्यनेन वाक्येनोपनिवदं ब्राह्मणमिति चेत्‌- न, राजा fra भगं भक्तौत्याह- योवा राः शचिरस्मोत्याह' camara: | श्राख्यायिकारूपं ब्राह्मणम्‌" इति चेत्‌ -- न, यमथमो-संवाद-सूक्ादावतिनग्यापेः तस्माव्रास्ि ब्राह्मख-लक्तणम्‌-दति प्रापे, ब्रूमः-- मन्वन्राद्भणरूपौ eae देदभागावित्यङ्गोकारात्‌ मन््र-लक्षणंस्य पूवं मभिहितत्वात्‌ श्रव

fart वेदभागो ब्राह्मणम्‌ -दइत्येतज्ञ क्षणं भवतौ ति" मन्धविशेषाणामम्यजुःसामरूपाणां waufa तस्िन्रेवाधि- कारे feafracry (९) जेभिनिः सुववामास--“तेषाख्ग्‌ यवार्थवशेन पाद-व्यवस्था"” [२१)].गोतिषु सामाख्या” [३४] “शेषं यजुःयब्दः” [२२]-इति(९) तदे तच्यायविस्तरे सखष्टाकतम्‌-

दूत्यपचया-दति सामखमि-पुस्तकेऽधिकः पाठः। (१) द्रमेकाद्द्वादेध्विति बोध्यम्‌ |

(२) wat चिन्यम-खथग-ल चं कर्थं छतमिति, दश्यते छयेवमनेकचाथवेना- MATCH | तथाच वद्वि श-जःदरु-चतुथे-पपाठकोय-प्रथमख्ण्ड--“ कम्ब दः एथिव्या यञ्‌-

वदोकारिचाम्‌ सामददोरख्मात्‌^इति, मन्तर-त्राद्यर-ष-प्रपाटकौय-सप्नद गर खष्ड | WT चो वायो पि सामान्यःदित्याह्‌” इति, मनो प्रथमेऽध्याये अप्रि-वायु-रविग्यलु.जय

a araadeatear |

९.५.५८.नक्‌ -साम-यलुषां ढा सकयोदिति शङ्किते पाद गोतिः प्रश्चि्ट-पाठदरत्य स्यसङ्करः इदमान्नायते-्र्ेवभ्िय मन्व भे गोपाय खृषयसतैविदा विदुः। ऋचः सामानि यजुषि" ()-afa; चौन्‌ वेदान्‌ विदन्सोति तरिविदः, जिविदां सम्बन्धिनोऽध्ये- तारस्तैविदा स्ते यं मन्वभागस्गादि-रूपेण चिषिधमाडः तं गोपायेति योजना तजर चिविधानाख्क्‌साम-यलुषां व्यव- fad लक्षणं नास्ति, कुतः ? साङ्ग्थस्य दुष्यरिहरत्वात्‌ ; श्रध्या- पक-प्रसिशेष्वगेदादिषु पठितौ मन्तः'-दति fe aaa * ama, तच्च सङ्ीणंम्‌--““देवोवः सवितोत्पुनात्वच््छिदरेण wi: aa रश्मिभिः'-शत्ययं मन्त्रो युवे दे सम्यतिपत्रो यजुषां मध्ये पठितः, नच तस्य यजुषूयु मस्ति, तद्‌ ब्राह्मे Mears त्यक्तेन TTA त्वात्‌ ; एतत्‌ साम गायत्रा स्ते-इति प्रतिन्नाय किञ्चित्‌ साम यलु- ae इने कतम्‌;“श्र्तितमसि"(२)^अरच्यतमसि" प्राणसंशितमसि"-दति तोरि यजूषि wade समान्नातानि, (९) तथा गौवमानस्य साख

‰% तल्लच्षणमिति ae Bo पुस्तकयोः पाठः

बरह्म सनातनम्‌ | दुदोद यत्न-सिष्टयथे रग्‌-यजुः-खाम-त्तशम्‌" एति; खमरगोपि“दतिवेदा- खयस्वयो"दति | अथवा नायं चिन्ता-विषयः--रभ्यएवद् वेदेभ्य श्ाङ्धिरसेनाथवेशा पुरा wae: प्रथितच्तुथावेद इनि, अतरवो पप्र गन्वशन्नामानुरूपमभिधानम्थवेति ““खथवेङ्किरसः पुच्छ प्रतिष्ठा” इति तेतिरोय।दि-त्र ताङ्किरसेति विषु |

(९) रग्णयञुवंदस्य त्रा्चणभागोष-प्रथमाष्टक-ददितोयाध्यायस्य षदिंश्तितमं मन्त्रम्‌ |

(९) रुग्णयजुःखुंडितःयाः प्रथमारटक-षषाध्याय.पश्चमानुवाकार्े।

(९) तागोमाति er hemp” ठतीय-परप.ठक सुद ग् खण्डं द्रष्टव्यानि

सामवेदसंहिता |

WRT ऋचः सामवेदे समाम्रायन्ते ; तस्मातरास्ति लक्षण मिति चेत्‌--न, पादादौनामसंकौण-लच्षणत्वात्‌ ; “पादवबन्धेनार्थेन चोपता: ठत्तबहाः मन्ता; ऋचः" “गोतिरूपाः मन्त्राः सामानि @त्त-गीति-वजिततेन प्र्िष्टपठिताः मन्ता यजु षि'-दूतयुक्े क्वापि सङरः'*-२-५५-दूति (र)

aga way सामास्येति तदेव विशदौकर््तं सप्तमाध्यायसख दितोयपादे रघन्तरब्टो निरूपितः-‹“अतिदेश्यं विनिशेतु' कवतोषु रथन्तरम्‌ गायतौत्यग्‌ गानयुक्ञा शब्दार्घोगानमेव वा॥ इति चिन्ता गानयुक्ञा त्भिलित्यक्‌ प्रसिद्धितः लाघवा दतिदेशस्य योग्यल्ाचान्तिमोभवेत्‌ (१अ०)॥ इटमामायते- कवतौषु रथन्तरं गायति'-दति, “कया नञ्चिवश्राभुवदित्याद्या- स्िसरक् च; aaa ©), तास वामदेव्यं सामाध्ययनतः प्राषम्‌ (,तद्ाधितुं रथन्तरं साम ताखतिदिश्यते, ततरातिदेस्य स्वरूपं निशेतुं रथन्तर-शष्टायचिन्त्यते | गानविशेषयुक्ाभिलवाशूरनो- नुमदूतौयस्ग्‌ (*) रघन्तरमित्यु्यते, कुतः अध्येढ-प्रसिङ्धि-

(१) <arg मद्य-प्य-गोति-रचना-वय-भदातु वेद्‌ यित्वम्‌ |

(र) तथाहि- `कयानमिज्माभुवदिति कवत्यः"-द्ति ताण्डयत्राह्यश-पञ्चदश्- प्रपाठक-दग्रम-खण्डारश्मः। (तृचद्क्ानामादि-ग्रदशेन विधिरनादेणे'-इति (QR) लाद्यायन-स्मरकराट्‌ VV: | सुच उत्तराधिकस्य प्रथमप्रपाठकीय-दादश- WHET; तज कयानञितेति प्रथमा ऋक्‌, करवा स्त्योमदानामिति दितोया, अमोषलः सखनाभिति तोया

(९) ऊ-मान-गरन्ये तथेव पाठात्‌ तच्च तच प्रथमप्रपाटक- प्रथमाद्धीं य-पश्चमं साम।

(५) खा डन्दस्याशि कस्य तृतीयाध्याय-प्रथम-द श्त्या प्र थमा |

१० सामवेदसंहिता |

तः(\) रथन्तरं गोयतामिति केनचिदुक्ताः अध्येतारः खर-स्तोभ- विशेष gat * मभिलेत्यच पठन्ति, मतु खरस्तोभ मात्रम्‌; तस्मादु गान-विशिष्टायाकचोरघन्तर-गब्दाथेत्वमिति प्रापे, | AR स्रादि-विेषानुपूवींमाज्रखरूपरगच्षर व्यतिरिङ्ष यद्‌ गानं तदेव रघन्तरणब्दाथेः, कुतः ? लाघवात्‌, किञ्च॒ कवतौष्वद्च गानमतिदेष्टं योग्य नत्वेचस्तद्‌ योग्यतास्ति, कयानोऽभिले- त्यनयोकं चोयु गपदाधाराधेयभावेन पठितुमशक्षत्वात्‌; AMS गानविेषएव रथन्तर शब्दाधेः(२)”९-इति पुनरपि नवमाध्यायस्य हदितौयपाटे प्रधमाधिकरणस्य प्रथमवशंके सामशब्दस्य गान-माष्-वाचित्वं स्मारितम्‌- °“सामोक्षि-हदायुक्षौ गौताया खचि केवले गाने वा गान- एषेति waa सप्तमोदितम्‌ सामान्यवासौ सामशब्दो विशेष- वाचिनो SHRUTI गानमातरे TUM, तु गान विशिष्टायाख्चि-दत्ययं नियमः सप्तमस्य हितीयपादटे सिः, सोऽ वच्यमाश-विचारीपयोगितया aaa esha साम-शब्द-वाच्यस्य गानस्य खरूपख्ग रषु WETS: सप्तभिः स्वरैः अत्तरविकारादिभिख निष्याद्यते। क्रुष्टः प्रथमो feate

* सर-स्तोभ-युक्षेत्येव WS: Te Bo पुस्तकयोः |

(९) अरप्ण-प्रन्धे तथेव पाठात्‌। त्च तज दितोयप्रपाठकोयैकविंध्तितसं साम |

(र) कवतोषु रथन्तरम्‌, ऊष्म मामे संव्यर-पवेद््ान्निमं साम ; विदितचेतह sTawtafa मध्यन्दिनि। | a

सामवेदसहिता | ११

wile चतुथः पञ्चमः षष्ठ Fae सस-खराः८९), ते चावान्तर भरेबहधा भिन्नाः) खरस्य साम-निष्यादकत्वं छान्दोग्योपनिषदः waa प्रपाठके(रख ०) प्रश्रो्तराभ्यामामनन्ति- “स शिलकः शालावत्यञेकितायनं दास्भमुवाच-- wa! तवा एष्छानोति, wea frara— का aren गति रिति, खरद्ति शो वाच इति। aren खद्रथविद्यायां ace साम-सम्बन्धि-सर्वख-खा- tra शोभन-वशे-खथानौोयत्वं लामनन्ति(९)--““तस्य aa साख्नो यः ख" वेद, भवति शास्य खं, तस्य खर एव खम्‌,-इति, “ra शतस्य सासो यः सुवणः az, भवति शास्य सुवणे , तख सर एवश्चवखम्‌”-दति

अक्र-विकारादौोनान्तु साम-निष्पादकत्ब नवमाध्यायस्य हितौयपादे एव “शर्यैकलत्वाद्‌ विकल्पः स्यात्‌” (२७ सू०)-द्ये तस्य सपघ्माधिकरणगतस्य TAS व्याख्यानावसरे शवरस्वाभिना स्ट मुक्षम्‌-- “सामवेदे ava’ गोत्युपायाः, श्राह axa गोत्युपाया नाम उच्यते-- गोतिनौम क्रिया शाभ्यन्तर-प्रयदब्र-जन्धा, AT

(९) “नद्‌ योऽखो MEALS साम्बः खर सदेवा उपजीवन्ति, योऽवरोषां प्रथ we मनुष्याः, योदितोयखं मवाप रणो, setae प्रवो, यश्तुथेख्ल पितरोये TSI ACA, यः पञ्चमस्मदुर-र चांसि, योऽन्तालमोषधयो वनस्पतयो यच्ान्यज्जगत्‌ "- इति सामविधानम-त्राह्यश-प्रथमभ्रपाठ ates | नारद-श्िलादावेतद्‌-विेषो द्रषटयः।

(९) कोथमाश्यप्येवमेव, तथादि-सामविधानः-त्रा्यशस्य प्रथमप्रपाठकाद्यसष्ड -“यो el wae खयः सुवं वेद, खंच साग्रः सुवे भवति, खरो वाव साखःख तदेव चुक्शम्‌”-इति |

१२ सामवेदसंहिता |

विशेषाामभिषव्यच्िका, साम-गष्टाभिलप्या, सा नियत-प्रमाखणा, ऋचि waa ©), तस्सम्पादनार्थोऽयर्गक्षर विकारोविञ्चेषो विकषणशमभ्यासोविरामःस्तोभद्व्येवमादयः सवं सामवेदे (९) समामरायन्ते"-दइति तदिषये विचारो न्धायविस्तरेऽभि- हितः-- =“समुञ्चेया विकल्प्या वा विभवा गमोति-ङतवः | आखः प्रयोगग्रणादर्थकत्वाद्‌ विकल्पनम्‌ छान्दोग्ये तवल्का-

(१) तथाह्डि अर यत- एतस्य सान्न ऋगवास्थौनि, खरोमांसानि, लोभा लोमानि

दूति 'सामविधानः-त्राह्मणादखप्रपाठकाद्यखण्ड | (९९) मेयारष्णोोद्याभिधेयेषु चतुव गानपन्येषु, माहानामनादि-सामसु

तद्यथा |

“aq यादि वो तये surat इव्यदातये ९. निद्धोता सस्मि बदिषि”। (सा० Fe शप्र Wo १९०)

wa गानानि aife, तवाद्य गेयमानस्य प्रथमं साम तदेव पश्चतु तावत्‌-

“अओद्मायि। आयार बोयितोया रयि तो ae fa | शरणानो व्यदातो a RAS | तोया रयि र्द R <a x नायिद्ो तासार३। TRA वा रेदे४अ दोवा। दोर रेषो ९"

अव श्या्याखरादयोविछछताः+ "कोतये-द्ति बीजकात “गोयि'-दत्याद्यस्मात तोया-श्त्यादि विशिष्टः, ‘ar २यि'-दत्यायय शो faate:, न्तो या २यि'-द्त्येतस्योभयव पाटोऽभ्यासः, 'दव्यदातये'-दति वौजके दातो या-रयि'-द्त्यंषे खकारानम्नर ufafacra:, ‘fer-<fa मलकः “ला रयि'-इत्यंशः सोमः, स्धधिकत्वे सति "ऋ म्‌ विलक्ष वशः लोभः-ट्ति awqwara! सोभादयद्त्यादिपदान लोपागमादयो ae, तथाह्ि- ‘afefa-canry रफाञ्रवशं, मध्ये "रोवा दृत्यागमद्ध एव यथा- awafafem fanaa: सवच ध्येयः |

सामवेदसह्िता | १३

रादि #शाखा-भेदेषु विलक्षणशगोति-हेतवोऽचर-विकारादय Waa, ते सवं HACIA समुचेतव्याः; कुतः ? प्रयोगवचने सवषां परिग्छष्टोतत्वात्‌-- मेवम्‌, एकेक-शा खोक्ञेरेवाचर-विका- रारिभिरष्ययन-कालणएव गोति-खरूप-निष्यत्त स्तविष्यत्ति-ल्ष- सख प्रयोजनस्यैकत्वात्‌, प्रयोग-वचन-परिग्टदोताश्रपि ब्रौहि-यव- वद्‌ वहद्रथन्तरवश्च विकल्पन्ते" इति गोतिडतुषु स्तोभस्या- त्यन्तमप्रसिदहत्वात्तल्लत्तण तस्मिन्रवपाटे एकादणाधिकरणे चिन्ति- तम्‌-- “Sarre लक्षणं नास्ति fa वास्ति विवशता ्राधिक्यमप्यतिव्यां विशिष्टं लक्षणं भवेत्‌ तावद्‌ fava aay, वशं-विकारस्य विपरौत-वरेत्वेन स्तोभत्व-प्रसङ्गात्‌ ; अम्नश्रायाद्ौ (ङ प्र१.द१.१) त्यस्याखचि भ्रकारस्य स्थाने MAL wer गायन्ति “areata” इति.गे ०प्र१.सा१)। श्रधिको aa: सोभ इत्युक्तं सति, अभ्यासेऽतिव्याभिः ; पिवासोममिन्द्रमन्द- तुले त्येतस्याखचि ८९) eqaaacad गानकाले विरभ्य- स्तम्‌ (९) अ्रतोविकाराभ्यासयोरतिव्यामेनास्तिलिक्षणम्‌-इति चेत्‌- मैवम्‌, ““ अधिकत्वे सत्युग्विलच्चण-वणः स्तोभः""(९)-

Se ee ee ~ ~~~

‰# तलवकारादि-इति गो० सा० MS: |

(९) शन्योनामाच्धिं कस्य चतुथे.प्रपाठकोय-पञ्चम-खण्डाषटम्यासिति यावत्‌ |

(२) जेयमानस्य मप्रपाठकेकन्ि" लम सामनि द्रव्यम्‌ |

(९) तदेतरं वशोममावस्याभिग्रेतम्‌, तेन खाश्टारूपादि-नवजिष-वाय- कमे, हाउकारादि-पषद -पद लोभेष AAA | Towa ““खागालिः सुतिः सानं yeu: परिदेवनं प्रेषमन्वेषक दैव सि राष्डयानमेव च"-दति वाक्य्ोभ-भेद्‌ाः | ततर “खग

१४ सामवेदस {इता |

दूति विशिष्टस्य arena; लोकेऽपि सभायां fanaa केनोच्मानं प्रकताधौननग्वितं काल-सेप-मात्र-षेतुं wets स्तोभ इत्याचक्षते, तस्मादस्ति रक्षखम्‌”<-इति | waz विकार-स्तोभादिवत्‌ वश-लोपोऽपि क्विद्‌ गौति-रेतुभवति, तज्ञोप-विषयखच विचारो नवमाध्याये प्रथमपादस्याष्टादशाधिक- रणेऽभिहितः-- “cer गिरा विकल्पः स्वादुतेरेवा विभे- षतः। आद्ोमैवं बाध-पूवेभिरायाविहितत्वतः ज्योतिष्टोमे यते “यन्नायन्नोयेन स्त्वौत”-इति (१2। यज्नायन्चा- इत्यनेन शब्देन yar साम यच्रायन्नोयम्‌ (९), तस्याख्चि गिरा शब्दः पठते यन्ना am वो wea faa fra a दक्तषसे-दति (२) aa सामया योनिगान(५*)

गाव्योतिरमता अमम"-दति, “नमो च्राय नमोत्रपतये "--र्त्यादिः, “येदेवादेवाः दिवि- गदः, अनारिचसदः, पथिवोषदः"- रत्यादिः, “एतत्‌ fend forrews—xfa, “यदिन्द्रा यथालम्‌"-ष्ति, “समविशं दद दति, “faa ut देवामां समिदजख च्योतिराततनम"- दति, ““प्रजामतमजोजने"-इति "दोरकम्‌ मिराततनत्‌ समद्र समथ्वकुपत"- इति- श्त्येवमादयः ऋमेशोदाशायाः। पद्‌-ख्ोभ-विवरशन्त मन्त्र- WGC AIGA SHAN GS ; तदुदाररशानि तु apa ऽन्व बमनशरापि प्राप्नवानि safe) इमे मव वाक्षस्छोभाः पञ्चदश पदश्णाभाख ATTY अनाः सामसु, तत्रापर बज |

(९) ताष्डप्राद्यशाटमप्रपाठको यषष्टखष्डं तमेतत्‌ |

(8) एतश्च गेयमान-प्रथम-प्रपाठ कोय-दाविंश्तितमं साम |

(2) कन्ोनामाकिं क-प्रन्धं भथम-प्रपाठटक-प्रथमश्डष्ड प्रथमा |

(४) सानां योनिभूाः ऋचः बन्दसि चिक पन, तासां गानानि सामापर-

quate यत faa, लड्‌ यो निमामभित्याचक्षते, वेदाम, -वेयमामे, यमान मित्यपि

सामवेदसंहिता | १५

मधोयानाः wea गकारेण गायन्ति ‘afar गिरा दति; ब्राह्मणे ( तु गकार-लोप-पूवंकमाकार-यकारादिकं गानं विधोयते शेर क्त्वोहेयम्‌'-इति, भिरा-शब्दे गकार -लोपा दिराशब्दो भवति, इरायाः सम्बन्धि गानम्‌ tray, ताहश कत्वा प्रयोग-काले ARTA HAA: ; तत्र योनिगान-ब्राद्म- श्यो; समान-बलत्वेन विशेषाभावात्‌ विकल्पन प्रयोक्षव्यम्‌-इति ma, ब्रूमः- a गिरागिरेति ब्रूयाद्‌, यद्‌ गिरा गिरति ब्रूयाद्‌ आतानमेव तदुद्वाता fate (र)-इति गकार सहित-गाने बाधकसुक्षा गकार-रष्ितमिरा-पदं गयत्वेन विधीयते, तत्पदादैरिकारस्य गानाधेमाकारोयकारद्कार चेति ary वर्णान्‌ प्रयुश्ति, तत ˆ भायिरा-दत्ेव गातव्यम्‌” (२१०दइति तजरैवोपरितनाधिकारे किद्‌ विगेषिन्ति- तः-- १५०८ इरा-पदं गेयं स्याद्‌ गेयं वा गौत्यनुक्तितः गेयं गौयमानस्य स्याने पातात्‌ प्रगोयते ब्राह्मणेन विदहितद्राशब्दो गातव्यः, कुतः एैरभिति शब्देन गोतेरलुक्घन्तात्‌ ; पाणिनौयेन

तख्यापरमपरः भामधेयम्‌। तव वेद्‌ सासेत्यभिधानमधिकरकमालायामेवावलो क्ते | बेयमानमित्येलदभिषामं तु गेयमित्यस्यैवापभ शोऽलमीयते। गॐ.गेय-गाग-पुखलके मेवमागमित्येव लिखितं दते, कचित्‌ वेयमित्यपि ददानोग्नत-वेदिकासत्‌, “a इत्येव अवहरन्ति।

(९) Wie अष्ट म-प्रपाठकोय-षष्ठ -खण्ड |

(९) aaa खखष्ड

(द) जानतैतदभिजिति अगिनिष्टोम-साम, waaay दितोय-प्रपाटकौय- पदग्‌ | :

१६ araazafeat |

‘faqarfeatsn[ ५,२,६१ |-इति सूतेणेरा-शणष्टादण्‌ प्रत्वयोमत्व- aiat विद्दितः, तधासतोरापदोपेतं क्षल त्येतावानेवार्घो भवति; यदि प्रगोतेरा-पद्‌-सम्बन्धः afera विवच्येत, तदानोमाकारो यकार्कारोरेफश्राकार बैतेः पञ्चभिवरेर्निष्यब्रमायीरा-रूपं गीय- मानेरा-शष्द प्रातिपादिक भवति, तादृशात्‌ प्रातिपदिकात्‌ पाशिनोयेन ‘ware: [४,२,११४]'इति सूत्रेण ॒प्रत्ययान्तरे सति, अधिरोयं कलेति ब्राह्मण्पाठो भवेत्‌; तस्मात्र गेयम्‌- इति प्रापि, ब्रूमः-- tare गिरा-पदस्य स्थाने इरा पदं विधोयते-दति पदमात्रस्य बाधः, गानन्तु वाध्यते; किच्च विमुक्तादि [५,२,६१]-सूवरेणाण्‌-प्रत्पयेऽपि, पूर्वस्मात्‌ “मतौ छः स-सा्नो[५,२,५९ ] दति सूत्रात्‌ सामातुहत्तेरोर साभेत्यर्थो भवति, सामत्वं गोति-साध्यम्‌, यदा तु “तस्य विकारः [४,२,१३४]-दत्यस्मित्रथं अण्‌ प्रत्ययः, तदानोमिरायाविकार fa विग्रहे aula गानं लभ्यते ; तस्माद्‌ गातव्यम्‌”५९-दति बहुभिः प्रकारगानासकं यत्‌ साम-खरूपं निरूपितम्‌ तस्येव दे वता-स्त॒ति हेतुत्वं नवमाध्यायस्य दितोय-पादेऽमाधि- करणस्य प्रथम-वणंके निर्णोतम्‌-- \.“ऋक्सामाभ्यां विकल्पेन wife. arta वाचिमः। पुरेव मैवमङ्गिन्दा-साम-प्राशस्य- दर्भनात्‌ कचित्‌ कर्म-विशोभे सूयते -“ऋ चा स्तुवते, साचा स्तवते'-इति तव, पूवन्धायेन विकल्यः-दति चेत्‌- मेवम्‌, WE निन्दा-साम-प्रशंसयोवक्यणेषेऽवगमात्‌, “Te स्तुवते तदसुरा अन्ववायन्‌, यत्‌ साखा स्तवते तदसरानान्ववायन्‌, aaa विदान्‌ सान््रा स्त॒वोत -दत्युचं fafeat साम प्रशस्य लिपरतयये साम

सामवेदसंहिता | १७

विदितम्‌, तस्थाव्‌ areata wre’ fe (९)॥ तस्य सालः ऋच प्रति संस्क(रकत्वं तस्मिब्रेव पादे दितौयाधिकरणे निर्शीतम्‌-- “area प्रति मुख्यं स्याद्‌ गुणो वा वा्-पाठतः | मुख्यमभ्यसितुं पाठो गुणो गौताक्षरेः स्ततः रघन्सरं गाय तीत्यादौ यद्भानं विदितम्‌ तदेव साम-शब्दाधद्ति प्रतिपादितं सरितश्च, तदेतद्‌ गान ae प्रति प्रधान-कमं स्वात्‌, कुतः याग-प्रयोगाद्‌ बहिरध्वथन-कालेऽपि पठममानलवात्‌, राणक वेतु बौडहि-प्रोख्चणादिवद्‌ याग-मध्ये एव गानमनगुष्टीयेत, ततो बरिर्गानस्य विष्डजिदादिवत्‌ फलं कस्पनौोयम्‌ (९) मध्यज्ञा- लोन-गानं . तु प्रयाजादिवदारादुपकारकम्‌ (९; aware faa तु गुण-कर्म-इति ome, ब्रूमः-- तावद्‌ बहिः पाठः प्रधानकर्मत्वं कल्पयितुं शक्रोति “भूमिरथिक-शव्कोशटि-न्यायेन

वव

(६) भ्रायण्यैथातिराचानम्तरमनुये तु खक-रुन्नोदभयोरोवास्ति विधामम, पर नवापि मतौ भिन्दा गम्यते, तथाहि ताष्डा-चतुचे-तृतोये- “सामतो यकि, ऋचा एमरायन्िः--इति, सान्न TINTS रतः खख ज्ोकान्‌ यनि खमेम्‌, ऋष्वा तु- खभ नच्छनोऽपि यजमानाः पुनरामच्छन्ति-इति तदथः |

(९) यच फषविद्रेषो त्रु यते Twa TT, तव खमैः फलं ed, “ख स्मः सोम्‌ भ्रत्यवशि्ठः'-इ्ति मीमां सा-सिद्धान्तात्‌। तः “विश्वजिता यजेत"-दत्यज सः फलं युक्तया निरकायि ; तदद्‌ वापि तदुङ्कम्‌-- विनापि विधिना रल्लाभाव्र हि तदथेता कलप्यख, विधि-खामय्यौत्‌ खेविश्चजिदाटिवत्‌" |

(३). तथाच्ावधघेयम-- यामस्य कमेरूपत्नात wavy शयित्मात्‌ काललाकर-भावि- खमंदि-फल-साधनल्न' नो तपस्यते, खतः याग-ज्रिया-सरमाविमी काचिच्छक्िरप वमिति न्नोमांसदधेः SMU, सा यथा WHC भान्तष्वङ्गारेष Teta, कयेव we ऽपि यमे SHCA | फणापुवेस्‌, समदाया पूवम्‌, उत्प त्परवम्‌ . खङ्ग पूवेञधेति नाना विधम्‌. aa सत्रिपत्यारादिति-भेदात्‌ wigs द्विविधम्‌,

रे

१८ सामवेदसदहिता |

प्रयोग-पाटवाय गानाध्ययनोपपन्तेः (भूमिरथिको भूमौ रथमा लिषख्याभ्यास करोति, यथा वा art: Wan प्रयोग-पाटवं सम्पादयति, वदत्‌ )। नापि गुशकमत्वे प्रयोजनाभावात्‌ प्रधानकमंत्वमिति वाच्यम्‌, गानेन weet स्त॒ति- सन्भवात्‌ ; श्राज्येः स्तवते'-“पृष्ेः स्तवते'-दति स्स॒ति-विधानात्‌, तस्मादगाक्षराणां खरवषिशिष्टत्वाकाराभिव्यकतिषटं टं प्रयोजनमित्ध- दृ्टस्याकख्पनोयत्वाद्‌ गानं संस्कारकं ९९ दति Taare संस्कारकं गोत्यामकं यत्‌ साम तदेतदेकेकं छन्दोगा TARAS 'वेदसामः-नामके TATA, खहनामके Awa एकैकं सांम ठचेऽधीयते सोऽयमृषग्रन्यः तस्मित्रेव ae प्रथमाधिकरणस्य हितीयवणके विचारितः-- १५ प्रन्योऽपौङ्- भेयः पौरषेयोाऽथवाग्रिमः। बेदसाम-समानलत्वाद्‌ विधि-साधखतो- ऽन्तिमः afar ग्रन्थ सामगास्तवे ठे सामेकेकं गायन्ति सोऽयमृषग्रन्योमित्यो तु पुरुषेण निमितः, कुतः भनध्यायवजै- मेन का्सुरस्मरणेनाध्यापकानां वेदल-प्रसिषया वेदसाम-नाम क-योमि-ग्रन्य-सदृशत्वात्‌; इति सेत्‌-- मेवम्‌, अपौरूषेयत्वे दिधि- वयर -प्रसङ्कात्‌-- “यद्योन्धां तदु्षरयोर्गीयतिः-दति विधौयते

यानि ब्रग-देवता-संखार- हारो AAA STS TATU AA तड्ल्पत्यपूे-निष्य्तौ व्याभियन द्वारे फलापुवे, तानि सत्रिपत्योपकारकाकि, खवधातादीनि, चानितु SATA: फलापूरे-निष्यतो साच्च देव परियन्तं, तानि खआाराद्पकारकाश्ि, प्रयाजादोनि-दति। रवत्‌ समल जेमिमौय-दितीयाध्याय-हितोयाविकरशादौ Bi ZH ii

araacafeat | १८

श्रवमर्धः-- अपौरुषेयतेन सम्प्रतिपत्रे बेदसाम-नामक्नि war “कया निकर रा भुवत्‌-(९)ग्त्येतस्यां योन्यामेकस्याखषि aq वामदेव्य-नामकं (९) सामोपदिष्टं तदेवोश्षरयोकऋं चो: . कस्वा- सत्योमदानाम्‌' अभो षु खः wate (२ इत्यनयोः हितौय- ठतोययो्ग तव्यम्‌-इत्ययं विधिर्ग्रन्यस्य वेदत्वे व्यधेः स्वात्‌, 4वेदसाम'-वदध्ययनादेव तस्िचेः। उपरितनऋगये सा मोष्टस्य teat. साम-खरूपस्य तदाधारभ्रूतानां तिखणाखचां वैदलादनध्यायाः वज॑नौयाः, कर्शुरस्मरणं जोणंकूपारामादिष्विव विरकाल-व्यवधानादुपपन्रम्‌, ्र-ख्मरण-मूलेवाध्यापकानां बेदत्व- प्रसिदिः C— यधाबह्न चामध्यापकामहाब्रत-प्रयोग-प्रतिपाद्क माश्ठलायन-निमितं कव्य-सुजरमारण्येऽघोयमानाः पञ्चममारण्यक

(९) शम्दोमामा्चिकस् ९१्र०९ख० MWA! उत्तराधिकसम १४० (RT WHE

(Qj) पथम-प्रपाठके कयान-इत्यस्यामचि aife सामान्यालातानि ; हव eR WHA ATTA VTS, Wanye तथेवाग्नानात्‌ ; तथाहि वरोय-प्रयम-प्रपाठकोमविंणष्ड ““ वाचः सामनो | वामदेव महावामदेग्यं aT” -षवि। |

(६) उतरा कस्य ९० रस्‌ VR wet | अनयो गानमूद्न्धस् भथम- प्रपाठके पञ्चमं साम।

(8)--अवास्या्तरमनसन्धेयम्‌-- यदेतत प्रथमाध्याय-प्रथमपादाषटमाधिकरकम्‌ CHETAN THAN ATMA, परातम्‌। ATT STS AT स्यात्‌ ततोऽपोखषेयता" पति-“खध्ययन-सम्पृदाय-प्वशेकल्य सामाप्डी पपद्यते, कालिदासादि-पन्बेष तत्नतागे- सवसाने BIT Sas, तथा वेदस1ापि gery ततकर्नापलभ्येत, AITTS- wi, अतीवाक्षन-देतुः प्रतिकुख-तकं-पराइतः, तसरादपोरूपेयोवेदः"-दति तद्‌- गास्यामम्‌-- बेदोपौगषेयः BUSTIN WATT AE ऊषग्न्यस्ापौ द- गेवत-साषकेतन्यायेन कल-मभ्यस-मसो-सोदवत्‌ कथं Fafa? -रति |

२० सममकेदसहिता |

fafa षेदत्वेन व्यवहरन्ति, वहत्‌ ; तस्यापि बेदत्वमख्िति वाच्यम्‌, प्रथमारण्यकेन पुनरक्षत्वात्‌, अथेवाद-राहित्येन AWTS TEMAS; तस्मात्‌ पञ्चमारण्यकवदृहः (९) पौरुषेयः ; पोरुषेयस्व न्धाय-मूललवात्‌ यव्र॒वश्माण-ज्याय-विरोध- स्तदप्रमाणम्‌"\५-इति |

तवेव केचिद्‌ विथेषा-स्ततोय-चतुरधं-पञ्यम-षष्ठाधिकरणेवं वणकोपेतेविषारिताः ; तत्र; ढतौयाधिकरणम्‌-- * “गैः सामर्षं, aoe at werd तिखभिः श्तेः श्रशेमवं स्सुतेरंथे- रसि ward भवेत्‌ एकं साम ae ८९) क्रियते स्तोजियम्‌- दति, यूयते, तव धा विभक्तेषु सामांथेषु एकैको; एकेक- arate गातव्यः, कुतः एकस्य are तिखभिक्छंम्भिरनिंष्या- दनस्य वणात्‌ ; इति प्रसि, तरूमः-- स्तोजरियमिति स्तृतिनि- Weta कतस्य साख्नोविधोयते, तु सामांयानाम्‌ ; स्त॒ति- नाम गुण-कथन-परभेकं वाक्धम्‌, तच्च वाक्छभेकस्वाख्चि सम्य UH, ततः HAA साखा तद्‌ वाक्ष' Tens laf ward सामा- भ्यसनोयम्‌ ©), तथासति हितीय-ढतौययोक्चोस्तस्वैव are ्रावत्तमानतया सामान्तरत्वाभावाद्‌ ऋक्‌-्रय-निष्याद्यत्वमविर-

(१)--क्यनामेऽणयं are, Gi, Wr तन्रामाखरर-रेतुश, खाचाय्यं रकं

afa खयम्‌ 1 (₹)-श्चभिति “चि वे दभ्रपदादिलोपख शन्दसि"-इति बा-वचमात्‌

सिद्धम्‌ | | (९)-सामश्रन्देनाव.खरणोभादयरव OTE, तदाधाराां तिदुशमचां wee. UTE रऊ्मानस कद्यगमागद्य सवाव सामानि रतद्दारणशानि। .

araaeafeat | २१

इम्‌ ; तस्मात्‌ प्रत्य ara साम समापनोयम्‌”५५-इ्ति (४) चतुधाधिकरणम्‌-- ““fraqufed साम विषमासु समास वा थयेच्छानियमादग्यः शर-लेश्यापनुष्ये विषम-च्छन्दस्कासु सम- SATS वा rary खेच्छया साम गातव्यम्‌, इल्यभेवेतिनि- यामकस्य कस्यचिदभावात्‌; इति चेत्‌-- मेवम्‌, शर-ले श-प्रसङ्कस्य नियामकत्वात्‌ | watt ear, सेशोऽस्पत्वम्‌, “हि सायाम्‌ “लिग्‌- श्रलपीभाषेद सेतचातु-दय-दथनात्‌- यव्यधिक-च्छन्दस्कायां योनौ Was यथागन्‌ रद ते WaT aaa चेति, समेति,एमेति तिषृशामृचां समुदायः प्रथम-प्रपाठक-प्रथमाडष म-सूृक्ञाकलु.चः, AT WHC TS मामकं साम

ied ay खदगामद्छादिमम्‌, ary ete

“उचातारेदजातमन्धसाः FLAME | मिया १३दद्‌ा३ | Tay Wat | HERS aT | as

४५४

(ति प्रथमांशः) सन RINT! वरुणा Kael मं्रद्भियाः। वरिवो " वां इत्‌। परारदद- WAS! वार्‌ (इतिदिनीययांशः) एनावा९३ शानि wit! Detail नु षारदणाम्‌। सिषा संन्ताः। वना AVIS! वारे (इति ठतोयांशः ) सलोपे ३४५ इति साम-शष-सुचकीनिधनां्)

अवे ाधाराक्ां भेदेऽपि खर-प्ठोभादीनाममेदः स्फडम्‌॥

२२ सामवेदसद्िता.1

CUS साम, न्यून-च्छन्दस्कयोर्गीं येत, तदा साम-भागेनेव TATA रवशिष्ट-सामभागाखयाभावारिस्येत ; यदि योमेरप्यधिकच्छन्द्‌- स्कयोर्ग येत, तदा साग्नोऽख्पत्वादवथिष्टकऋ्म्भागः साम-रहितः स्यात्‌ ; TAY समान-च्छन्दस्काखेव mary Cry (९) पञ्चमाधिकरणे प्रथम-वणकम्‌-- \°““छन्द्सयो-रु्राखयोवा गौतेरिडोषनम्‌ अविशेषाद्‌ विकलः स्यादन्यः संज्ञा-वलित्वतः | सामगानाख्क्पाटाय हो Walt विद्येते, "छन्दः" ower चेति (९) तव, इन्दो नामके ग्रन्धं नानाविधानां Tet योनिभूता एवषेः# पठिताः ; sacra दचामकानि (८ wanf पठितानि (*) ; एककिस्ृचे छन्दोगता योन्धक्‌ प्रथमा, इतरे हे उत्तरे

‰# नानेवश्वः-द्ति Wego पाटः |

(९)-ाधारमूतेषु तिसृष्वृच्‌ यद्ेका माय मौच्छन्दस्का, दितोया रडतोच्छन्दस्का, WATT जमतोच्छन्दस्का CUTEST वा खात्‌, तडि सवेग्रोकर्प-माने व्याघातः war पयत, तः एकच्छन्दसकार्व fire: Qrerce पाद्या --दत्या्यः Sten प्राय व्येव उत्तरा चिं क-पन्वं समसास्परथाः |

(२)--ारशिकनत्त शब्दो पन्य-मध्य wri तः। योहि माधवः सामवेदस्य विवर - कारः पूवेतनः,तद्य मये वदिक-वहारे खारकिकल.तोयः | एषां वयाकामेब साधा- रश्मभिधाममाश्दिकट्ति |

` (९)-यथ्पि कथमिति «in लोकिकं लोकेषु त्युचसित्येव अवरश्‌, ` यक्तम्‌, परं स्क Ae योगरूडितया तद्भिप्रायेश तथाग्यवहरेऽपि नदोषः, THAT TT we oe

(४)- सव त्युचानि सक्कानोति प्रायोवादः, कचित्‌ कचित्‌ सक्त , चतः, TH, WZ, सप, Wal, मव. दभ, CHER, इादण च। तथाहि प्रथम प्रपाठक-दधितोयार ख. व्योड्रदि-सृह्णवये ET रव, चतुथ-प्रपाठक-दवितोयाइ प्रथमसुक् दाद च।

सामवेदसंहिता | 22

एव fet सति cengquan गायति, यदयन्धां तदु्षरयो tates दिविधे उभरं सम्भाविते, रथन्तर स्य- छन्दो ग्रे fantasy योनित्वेन पठिता, तस्याठपरि त्वामिरिष्टवा- महग्त्यादयः छडहदादि-सामरां योनयः पठिताः [२प्र०१ख०१ऋ०], उत्तरा-गन्यं अभित्वाशरेति ge (\) तस्या चरै नल्वावार भन्यदूयेषा [१,११,२] are: (९) कस्यप्ययोनिभूता पठिता ; तत्र॒ छन्दोग्रन्यापेश्लया सामान्तरयोर्योनौ दे रथन्तरस्य ख-योन्य॒त्तरे भवतः, उन्तरा-ग्रन्धापे क्षया ठच-गते हितौय-ढतौये खयोन्यु्रे भवतः, ततर विेष-नियामकाभावात्‌ ययोः कयोचि- दुत्तरयोर्गा नमिति चेत्‌-- मेवम्‌, उत्तरेति Fat सहसा aire भवति प्रतियोगि-निरपे ्चत्वात्‌, पूवं-पठितां योनिखचमपेशय यदु- Wie तदहिलम्बेन प्रतौयमानत्वाद्‌ दुर्बलम्‌, #टशमेवोन्तरात्व' इन्दसि पठितयोः ख-योन्यु्तर-भाविन्योः सामान्तर-योन्योर्ईयो- ऋचो, ठच-गतयोस्त॒ हितौय-ढतोययोरुत्तरात्व संश्रया वन्ति, अतस्तवोरेव गानम्‌; एवं सति पूवाधिकरणे निर्णत समाख Tage भवति ; किञ्च (९) ठचामकेषु Ty या प्रथमा

(१) प्रथम-प्रपाठ केकाद तमम्‌ |

(९) कस्यापि साब्-दइत्यन्बयः $ ल्वेत्यस्य गामं aaa कचिदुपलभ्यते, नालि तसु GLU पाठः-इत्याश्मयः |

(faerie गानम्रन्बयोद्धयोखदाधारभतयोख इयोपेन्ययोनाम- रेतु fafenfn; गजेदमपि बह्ृयम्‌-- संडिताग्रन्धयोः "ङूमयलवात्‌ extraary witaxf wera साधाररं माम, तवापि एकस उत्तरति fae खप- रशा acuracfa |

२४ सामषेदसदहिता |

योनिभूता aara छन्दो भ्रन्यस्य योनि-ग्रन्यः'-दति भ्रध्यापकानां समाख्या, इतरस्यतु ठच-सद्क-रूपस्य ग्रन्वस्योपरितनयोकऋचो नामधेये “उत्तरा-इति समाख्या ; एव Tat: कमाङ्गखमपंकं प्रकरणं, पश्चदटश-सप्ददि-स्तोभानां ठचेषेवोत्पसेः ; तस्ा- दु्षरा-गरनयस्थयोस्तरचगतयोहिंतय-ढतीययोरयमूहः०”९० इति हितौयवणेकम्‌-- \८..बे शोकेऽतिजगत्यौ ईहे waa wea ऽथवा gwar वादिमः साम्यान्रोत्तरालवंशुतेवलात्‌ ete TS चतुर्थेऽहनि व्रेयोक-नामकं साम [ata] विदितम्‌ (९), तच्च विश्वाः एतना [५प्र०१४स्‌०१ऋ०] इत्येतख्मामतिज- गत्यासुत्यव्रम्‌, तचिं at तस्यायोनेरुत्तरे दे quan "नेमि यन्तौत्यादिके (ate १४स्‌०२,३ऋ ° ] MAA, TT हषत्यावुपेश्छ तयोः सथाने दे उत्पत्तिसिद्े अ्रतिजगत्यौ uta तासु तिखषु गेयम्‌; तथा सति समासु गानं yaa निर्णोतमनुग्टद्चेत, “अति जगतोषु स्तुवन्ति -दति() शूयमाखम्‌ अतिजगतो-बडत्वम्‌ अन्था नोपपय्येतेति चेत्‌-- मेवम्‌, उन्तरयोर्गायतो्यक्ञस्य waa स्योत्तरा-यष्दस्याधोयमानयोषुहत्योमु Aaa, Bra बहत्व- लिष्कात्‌ समासु गानम्‌'-इति न्यायाच्च बलोयसी; यदे तदतिजगतौ- aya तदृठदत्यीः स्योकारेऽप्युपप्यते, एकविश-स्तोमस्यातर विहि-

(१९)-“चेष्णोकं ब्रद्ध-षाम सवति"-दति ताष्ड get eee ‘fata दुष्ट" साम ANTS, तद्‌ ब्रह्य-साम ब्रह्मः ala एल कायेम्‌'-इति agree |

(₹)-साष्ा GER दशम-खरड | “frome ferwnewcry जमतो- मतोत्य व्तेमानासु wey ‘rarera carey सुवन्मि" दति तद्भाष्यस्‌ |

„9

सामवेदसंदहिता। २५

aaa तत्‌-सि्दये प्रथमायाः अतिजगत्यांः सपक्लल्रावत्तंनौ- यलात्‌ ; तस्मात्‌ ama साभ दैह्यो रूइनोयम्‌\८-इति | षष्टधिकरंे प्रयम-वंशेङम्‌-- ९२ “रथन्तरे AH ग्राह्या WAT वायऽर्थवर्त्वतः | युन॑ःपदा-प्रसिदयादे+ रन्योर्थाऽन्यच वौच्ताम्‌ ददमाकाथेतं (९) वे हदद्रयन्तरभेकच्छन्दः यत्तयोः पवी हृतो ककुभवुत्तरे'-दति; चअथमर्धः-- बहद्रथन्तंरं तदेतत्‌ सामहयमितंर-सामंवदेकच्छन्दस्क भवति, Tara कारणणत्‌ तयोव दरथन्त र-साखोराखय-भूताख चु पूवी SEAT (९) च्छन्दस [२१५०१२स्‌ १ऋ० ] उत्तरे तुद ऋटंचौ(रप्र०९२स्‌० Cao] aga (९) gee, इतरेषां वार्मदव्यादि-सामजामा यये aa श्रव. शिताः तिखचछ चः एंकच्छन्दस्काः उत्त रा-ग्रन्ये ्रानाताः (५) संग्र विलेश-परिदहाराय “समासु गायेत्‌"-दति न्यायेन निर्णोताएव (५)

* पुनः पदात्‌ प्रसिद्धारेः-इति are go पाठः।

(१)- ताण्डवय सप्नम-प्रपाठकोय-सप्तम-खण्ड , पर तद fatea पाठ-भदः। (₹२),--षटविश्दक्षरा, रक खर-न्यनातिरेकौ वदिक-शन्दःपुन दोषमावदति, तथाच ताष्डा-पञ्चदग्-दादण्- “न Hage विराधयन्ति"-इति | | (R}—aareuract, खष्ादिभदातं न्य नातिरिक्ाक्चरा | (४)-प्रथमप्रपाठकं दारश्सक्रादयः। (\)--जभिनोय-नवमाध्याय-ददितोयपर्द-चतुथे धिकःरर्‌ | 8

२६. सामवैदसदह्िता |

इट तु वार्चनिक (\) विषमच्छन्दस्कासु गानमिति तन्न # रथन्त- रस्वाखयतया SIA समानरातः, किन्ति प्रगाथ स्तदाखयत्वेनाखातः (९) ; दाभ्याखग्भ्यां निष्यत्रलास्‌ हयो भवति, तयोख waters: “भभित्वाशरेत्य षा [११र०११स्‌०१ ऋऋ] प्रथमा, सा SHA ; ला वाभन्धोदिव्यदत्येषा [१ प्र०११सू०२ ° ]दितोया, सा पक्ति(२) च्छन्दस्का ; तथाच सति तां पक्िष्छन्द- स्कामपनोय तस्याः स्थाने दाथतयौ-गते (*) दे उत्पत्ति-ककुभो (*) ऋचो BAe, कुतः भषेवत्वात्‌,(९) Sarwar “agp AT’ इति वाद्येन रघन्तर-सास्ः Saat ककुभो वि नियुज्यमानयोः कङुबुत्पस्िरघेवतौ भवति, भ्न्यधा वयथ स्वात्‌, fare wre- ताया एकस्याः UH: स्वौ कारे सति ऋषो्योरेव लाभात्‌ एकं साम

aw-ufa Glo We पुस्तकयोनस्ति |

(XR) श्पूवा ewe ककुमावु्तरे-दति referee aaa निष्पद्रभिति धावत्‌।

(९)- प्रमथनं प्रमाथः, ुपदमेबेतशातुपयं स्फुटौ विष्यति |

(द)--चबारिश्दश्चरा, विष्टारादिभेदात्‌ न्यु मातिरिक्ना च।

(४)}-दभाचरचरश्का दाश्तयो df, तव मता कज्ं्त्वन उपरखिता, ते। दब्रतयोति पाठो भिशक्र-सम्मतः, तव सप्रम-पशच्चमान्त्य इष्टयः |

(४५)-अव रकां ify fiery ककुभो उत्पाखे, अत दमे उत्पत्ति-कङमा fared canta ऽपि उत्पक्नि-श्दतीत्यादौ |

(९)- खन्या प्रदशिता भ्रुतिरमथिकाख्यात्‌ `

सामवेदसंहिता २७

ठन क्रियते स्तोतियम्‌"-इति वचनं विरहेयत, तस्माद्रधन्तर- साचि agate weiaa (९) ; sata न्यायो हषस्ाम्‌न्धपि योजनोयः-दति प्रापे, ब्रूमः-- reared cate ककुब्‌ watt, तघाद्ि- “्रभित्वाशु रत्येषा weat प्रथमा स्लोजिया, तखामविक्लतायामेव रघन्तर गातव्यम्‌, ATTY चतुर्थं पादं पनरुपादायोत्तरस्वाः UH: Yale सष योजनोयम्‌, सेय मष्टाविंशत्यत्चरा त्रिपदा हितौया स्तोजिया, साचेका ककुप्‌ सम्प- दयते; तस्यां ककुभि चरमं we पंक्ञरष्तराशेन सष प्रग्रधय ठतीया स्तोविया arden, सा fedtar ककुप्‌ ware ; ATMS इयोक्चोरान्नातयोः ठच-निष्यत्तेमास्यलो- वषन-विरोधः। भखिंख ग्रथने पुनःपदाः-दति ओतोक्तिलिंङ्गम्‌, तथाच ख. यते- “एषा वे प्रतिष्ठिता हती या एुमःपदा तद्‌ यत्‌ पटं पुनरारभते तस्माद्‌ वकोमातरमभिहिकरोति' - इति, भ्यमर्घः-- या हशतो पुनःपदा भवति, gar प्रतिष्ठिता fer भवति; पदं WIS: पादः, सोऽप्यु-गम्तर-सम्पादनाय पुनःपठाति, ततः सा छहतौ पुनःपदा, Basen, तस्याः पादोवत्सः ; तवास्ति यस्माद्र ATW पादम्‌ उद्गाता YAU तस्मादु

(Qaeda मवति- “अभि ना भूर मोरमोदुर्‌ धारय dre) tare जगतः खं अमीशानमिन्द्र TANCE प्रयमा TTT, “नना वा अन्यो feat पार्थिवो जातो जतिष्यतो अश्चायको सधबन्चिनद्र बायिनो मयं तस्ता इवामद" इति दितौया ws पंङ्धिच्छन्दस्छा, were ऋचो दिमागः कर्तं न्यः,

तथाच ककुप्‌-कन्दख ऋचे सम्पद्य ते, तताशा fatter, अपरा तृतोया

x5 qiaatewteat | qairaracahrater हिमिति wee करोतौति। न्‌ केवलं fag way प्र्रथनं, किन्तु छन्देगानां प्रसिद्ाापि; ते शेवं स्मरन्ति ‘arg: प्रगायः'-दति। किञ्च प्रगाय-गब्दाघे-पयालोचनेनापि ग्रथनं गम्यते-- प्रकषण TET यच प्रगाथः, प्रकर्षो नाम श्राच्राताटक्पाठादाधिक्म्‌, तच्च पूर्वोक्ञ-रोत्या पादाभ्यास-पुरः सरख्गन्तदु-सम्पादने नोपजायते aaa we- “~ fe ~ = ~ aa, छिम्तहि प्रग्रथनेन इं उत्तरे ककुभो सम्पाद्य तासु fray द्घन्तरं गातव्यम्‌ (९), तथा हदद्पि (९), एवं सति dw: (१)-तथाख Gay तावम, ऊ्यगानद्यादिम साम | ९5५. र. ९२ र्‌ “चअभित्वागूरनोनुमोवा। दुगधादव्‌ भेन देशान | x र्‌ र्‌ मस्य जगतः। सुवारेश्टंशम्‌। आयिश नस्मरेयिः ओप द्रा | सुख्धुररे४षा | MATE चा उवा (इति प्रथमांशः) | र्‌ < TM वा। Af DIM त्वा वार अन्धोदिवियः। [५ R र्रर < नपारेरेथिवाः। ABTATATRsiTe | नायिव्यारेरे४ता। ९.५ ९१ ओवा चाउवा इति द्वितोया) नजोवा। तोनज- x #: निष्यते Sa मघवन्नि। द्रवारेरजिना.। मन्यन्त - ९. < ne क्वारेरेदा३े। वामारद्४दा। «=A दाउवा। (दति ठतोयांशः)

(९)--ऊद्ट्यगनयख्य प्रथमप्रपाठक पचमं साम |

सामवेदसंहिता | २९

पाठः सार्योभवति; wea कङुबुत्यत्ति-वैयग्यमिति शङ्नोयम्‌, वाचस्तोमे तदुपयोगात्‌ ; तस्माच कापि प्रग्रथने wae” ५८ दति fect वशकम्‌--““वोधाजये रौरवे हष्टत्योरानमोऽ- घवा | wad yaad पच्चौ षटि-लिङ्गमिदोच्यते wearer यते~'सोरव-बौधाये aya ठचे भवतः इति (९) अयमर्धः-- रोरव-त्रामकं किथित्‌ साम (र), तथा, यीधाजय-नामकम परम्‌ (९) ; तयी: साब हतौ चछन्दस्कस्त खयद्ति ; उत्तरा- ग्रे (५) तु तस्यः साम-दयस््रा्यएकः waa: wren: (५), तस्मिं प्रमाय ‘Gara: Meaney प्रथमा, सा डती ; दुहानरधदिंव्यभिति दितोया, सा तु fer; arta विष्टारप्रक्गिमपनौय तस्याः wa safes ऋचौ भरानेतव्ये (९) इति gaan: दद्तो-विष्टारपंल्योः प्र्रथन- विगरेषख दे हद्वाब्र्तरे सम्मादनोये-दइति रादान्तः। तत्रो we युक्ति; पूर्वन्यायेन gear लिङ्गं तेवमाज्नायते-षष्टि-

(\)--ष्टमेतत्‌ we] खद्म्रप्रपाठकोध-तृतीषकष्डं , पर Wenig पाठ- मेदः।

(२)--क्मान्‌द् प्रधमप्र प्राठकोय-डितोयं साम |

(र) अडहगानख प्रथमप्रपाठकोय-तुतोयं साम |

(४)-दयोः साजरकरव तुचः Ware, खर्लोमादि-मेदात्‌ वाम-मेदः, wae ता्डा-सत्नम-छतौय-विधानात्‌ प्रमाणम्‌, ऊद-प्रयमे दितीय-श्तोय-साम-द््ेनाच

(५) प्रथम-प्रपाठके खष्टम-खक्तादनन्तरम्‌ |

(()-रकद्रव दुल Teh प्ररोतयदत्य थैः, तथाव त्यचः GAA; सा - लिएधासोऽपि ठुकरः

Ro सामवेदसशिता

स्ि्टभोमाध्यन्दिनं सवनम्‌"-इति, यमर्थः रोरव-यौधाजयः नामके सामनौ माध्यन्दिने सवने waa, तस्मिंख सवने चिष्टप्‌-छन्दस्काक्छ वः षटिभिवन्तौति, शेयं ष्टि-संख्या wor Ta उपपद्यते तथाहि माध्यन्दिने सवने पवमान एकः (९), एषस्तोव्राणि चत्वारि (२) पवमाने alfa सज्ञानि (द)- “उच्चातेजातमित्येकं aaa, तत्र गायव्रस्तिखकऋवः (५); पनानःसोभेति fed ama, तश्च प्रगाधरूपम्‌, तजर पूर्वा (५) weat, saa (९) faerie; प्रतुद्रवपरि- कोश्मिति ठतोयं aaa, aw विष्टुभस्तिखः ()। षह स्तोत्रेषु “श्रभित्वाशूरति प्रगाधरुपं प्रथमं any aa पूवा (न) तौ, sua © विष्टारपक्िः; “कयानसिव्रद्ति दितीय, aa faa: गायत्राः (); "तंबोदस्मख्तीषष्टमिति aaa प्रगाधरूपं, aa aeatden (९५); (तरौभिर्व

(\)cetafare, तत्खरूपादिकमटठुपद" बच्छति |

(₹)- तानि सृक्षरूपाकि, ताष्डा-प्रथम-पपाठके दग्रम-परात्‌ Fahy fa | (९)--उन्राश्डिं क-प्रथम-प्र पाठकस्य्ा्टम-नवम-दषम-रूपाङि। (४)--“खश्ातेखा” ९, ““सनर्न्दरा "२, “रनाविश्चा"द-दति वि-प्रतीकाः |

(४५) “पुनानः सोमधारयेत्यादिः।

(१)-“दु हान उध्दिंबमित्यादिः |

(७) “श्रतुद्ब" ९, "खायुधःपवते"९, “अटषिविप्रः"६।

(८) “eft art NCAA TATT |

(९) “a ar at खन्योदिन्यः"-इत्याया।

(१०) “कयानञिवस्ा"६, “कस्त्वासत्योमद्‌ानाम्‌९, “श्रमीषरः" |

(WX) ^तंबोदखमतो"-इति बृ रतो, “aS सुदा".इति fe

araazafeat | Re

विदहमुमिति -प्रगाधरूयं aqua, तत्रापि awatdmt (१) | एवमन्यस्मिन्‌ सवने सप्त सुक्लानि (९) तेषु (₹) नव सामानि गेयानि ; wat an गायवमामशोयवं चेति इदे सामनौ (), हितौये रौरवं योधाजयं च, ठतौये भ्रोशनम्‌, चतुर्थ रघन्तरम्‌, पञ्चमे वामदेव्यम्‌, षष्ठे नौधसम्‌, TAA कालेयम्‌(५) | तवर, प्रथम-सुज्स्य साम-दय-निष्यत्तये दिराह्तावाखयभूता Wwe: षङ्गायव्रो-भवन्ति, पञ्चम-सक्ल-गता वामदेव्य-सामाखय-भूताः fra: ऋचः सप्तदश-स्तोम-सिचपधमावच्यमानाः सप्तदश मायव्राः-इत्येवं मिलित्वा त्रयोविंश्तिगयत्राः, we aw Teton प्रग्रथनेन aera भवति, तथा ससमेऽपि, तत्रोभयत्र सप्दश-स्तोमे सति चतुस्िशद्‌ हडत्योभवन्ति ;

गिण

(x) “act भिव "-दति बहतो, “नयं दुभा"-दूति पङ्कः

(९)- यथाव मध्यन्दिन-सवमे इमानि un सृह्णानि, तथैव भरातःसवनादावपि-

अन्यान्य-सृक्वानिः ताष्डादि-शासनादवमन्तब्धानि |

(द) प्रद्शितेषु सप्तम ONT |

(9)-- खल्व छचस्ैतच्ाम ware चे एतत्साम मातग्मित्यादिकम खरूपत शव avert fara, तथाडि- GUAM ATA TCA TAMIA AT” (Xe) इत्यादिक त्येकस्य विधायकम्‌

(4) -आमदोयवादि-कारेयानान्यद्ो सामानि ऊडमानारम्भ एव रकादिऋमेख anita; ara’ तु ante माम-मन्ये सम्पति समुपरभ्यते, परम्‌ ““उाते जातमन्ध- सोम"-इत्यादिक जद-मुखादलम्‌ AMAR, ततखत्‌ भारण्डादिकमिव मामय्न्या- ` तिरिङ्कमिति area पिच wert कवचिदेक कचिद्ध इत्येवं ‘ow ति-सृक्त-मलकानि दवाविंभ्रति-खामानि द्यम, परं तेषु Mya SIVA, मायतादि-्शम्‌, ताषजाद्यशादवमनमायम्‌। तथाहि, तव TSAI -“अष्टाचरा मायती नवमो free” -दत्येबमादिः |

रर सामवेदसंहिता |

दितीःय-सङ्ेऽपि प्रयेयनेन area at सम्पाद्य साम-दयाधथे मात्तौ we छंहत्योमवन्ति; चतुथ-सुक्ञे रथन्तर-सामार्धंः पूवे-वर्णकोक्ष-रौत्या प्रथने सतिं ककुमावु त्तरे भवतः ; प्रथ- मात्‌ खतःसिद-षहतो, तत्र सप्दशस्तोभे सति पञ्च weal CIN ककुभष waar; (तस्य स्तोमस्य विधायकं नाद्- सामेवमाजायते (९)-- "पखभ्याहिङ्रोति तिखभिः कथां एकया, पच्भ्योहिह्रोति एकया a तिरुभिः कथा, सप्तभ्योदहिषद्रोति एकयां सतिरभिः सतिखभिः दति (२), अयनर्थः-- war wafaar तहतो, wafer = कंकुभ।वियेवं विधस्त॒ सभि; पाये रावत्तंनोयः, प्रथभे पर्या्थे- fageat गातव्या, सक्तत्‌ way कङ्भौ; fede पथय aay छहतो, तिवारमनन्त रा कङ्प्‌ wae sala sats --सक्लद्‌ बहतो, विखिः agaifafa; feeafa ferro लसितं गानं कुपीदिययः ) तदेवं ठतोय-खक-व्यतिरिक्तेषु षटसु aay जयोविंशतिगोयतयः पञ्चेचत्(रिशद्‌ wean दादश ककुभः संम्पत्राः; तव ककुप्‌ श्रष्टाविंगत्यक्षरा, तस्यां MSM गायचो-पाद-दये योजिते चतुखत्वारि णत्यच्चरा Freq

(\}-ताष्प्यब्रा्यशस्य दितोय-प्रषाठक-सप्तम-छष्ठ ` (रो--षदश्णामख सप्नविष्ट तयो भवन्ति; दिषा द्णत्रा, four exh, SYA, भखा, सबैविलकच्षशा चति ; तचेषा Gra, अगोसरपपये सप्तति दश्चसप्त- चेति wenfaf विग्रहात्‌ दश्रसपतेत्यभिधान। wera समलं तवेव साद ष्ठ षु (८२)--वमेतम्‌ स्फ टं विधीयते ताण्ड, ड्‌ एते चोर्र जि के, गोयते AeA

araacafeat | 22

amaad ; अनया fear ereurat ककुभां विष्टपत्व-सम्प्रादनाय चतुवि गतिगोयक्रो-पादायोजनोयाः; वधासत्वष्टौ गायत्रीगताः, पञ्चदश गायचोऽवशिष्षन्त; तासां पद्चचलारि गत्‌ पादाः, तांच तावतोषु eeaty संयोज्य fren: सम्मादनोयाः, तत- एताः पञ्चचत्वारिंथत्‌, wey free: wed! ठतीये ae wnfanfea:-cad प्रग्रथन-पक्ते षर्टि-च्िष्टुभडस्रा-ग्रन्य समाख्नाताणएव लभ्यन्ते | उत्पस्ति-हहत्यानयने तु प्रकरणशाक्रा- तानां तावतौनामलाभात्‌ प्रक्षत-हानाप्रलत-कन्पने प्रसच्येया- ताम्‌। तस्मात्‌ जिष्टुभः षषटिरित्ये तदह हतौ-्र्रथनस्व लिङ्गम्‌ | प्रग्रघन-प्रकारसूबभिधोयति-- पुनानःसोभेत्यस्याबत्याखतुथ-पाद पुनरूपादाय दिरभ्यस्य 'दुटानउधदिव्यमित्यस्याविष्टारपडङनक्ः पूव- ¥a संयोजयेत्‌, सा बषटतौ भवति ; एतदौयं चतुधे' पादं हिरभ्य- खोत्तरा्ं योजयेत्‌, सापि weal भवति; ware योधाजय- रोरवयोः Teal उत्तरे प्रग्रथनौये एवं नौधस-कालेययोरपि दरष्ट्यम्‌"९* इति(९)॥ ठतोयवणकम्‌--\\““शयावाश्वांधोगवेऽगुष्टुवा नेये ग्रथ्यतेऽथवा पुरेव लिङ्गं जगतो चतुविं थति-कौत्तं नम्‌ | द्दमान्रायते-- पञ्चङन्दा्रावापः आभवः पवमानः सपसामा, गायत्र-संहिति गायत्रे SY भवतः, श्यावाश्वांधौगवे WIA Ts भवतः, Sue सफम्‌, ककुभि पोष्कलम्‌,कावमग्दय जगतोषु'-इति। श्यमर्धः-- afte ठतोय-सवने पवमानः भाभेव-संन्नकः, तस्मिन्‌ Te सूक्तानि, सप्त सामानि; 'खादिष्टया मदिष्टा'-दत्येकं खलम्‌

(रद्ध (८९) रतचिक्मोपेतैतत्‌-पृयै-ध्टायां भमान््‌ परित. सेवन faa

28 सामवेदसंहिता

(उ, ११्र, १५), तस्मिन्‌ गाय्रास्तिख्ट चः (९) तासु 'गायवं'८९) “शं fea’ (उ,१्र,८) चेति सामनौ (२); पुरोजिती वो अन्धसःः-दइति सान्तम्‌ (820,05), तवेकागुषटुबुत्तरे हे गायकौ (५), arg श्यावा्वम्‌ (ऊ, १प्र,११) “MATAR Ta (ऊ, ११्र, ११) चेति हे सामनी; “इन्द्रमच्छ FAT -दत्यपर BAF (ऊ, प्र,१८), तसिष्शिष्स्तिखः (५) तासु स्फः ara; ‘ara मधमस्म-दइति प्रगाघः (उ, प्र,१६); तस्मिन्‌ पूव ककुप, उत्तरा पक्ति; (९), तत्र "पौष्कलं' (ऊ,१प्र,९) साम; अरभिप्रियाणि पवते नोहित'-गत्यन्त्यं सुक्म्‌ (उ, ११्र,१९), तत्र तिखोजगत्यः (°) arg ‘ara’ (अॐ,१प्र,१३) साम एतेषां पञ्चानां मध्यं “पुरौजितोवः'-"पवखखः-इत्यनयोः amar. यद्यपि ददे छन्दसो, तयापि समासु गानं निष्यादयितुं प्रग्रथने aa सति एकमेव छन्दः सम्पद्यते, ततोगायतारुषटबश्िककुलमतौभिः पञ्च- च्छन्दा शआार्भव-पवमानोऽस्िन्‌ सवने अआवपनोयद्ति ; aa शुरो- जितीवः'-दत्यस्मिन्‌ सुक्ते श्यावाश्वमान्धो गवं समासु गातुमु्चर गायत्गावाज्नाति परित्यच्य हे उत्पत्यगुष्टभ। नेतव्येति पूवे पक्षः qaqa ue पुनरुपादाय & अनुष्टभो प्रग्रथनोये- इति THT: | तत्रोभयत्र पूरवै-वर्णक-दय-न्यायेन Berean fay तेवमाखा-

(९)-““खादिष्ठया"” ९, “THT ९, "वरिवोधातमो" ९। (२)--ताण्ड-बराष्यषस्याटम-प्रपाज्के चतुथेखष्डं विदितं साधारकं साङम्बरम्‌ | (र)-- अज प्रसारम्‌ ATR] TWAT तमम्‌, एवं पुरो शितीत्यादौ WATAT ATS | (४)--“पु रोणितौ" ९, “योषारया"” ९, “लन्द्‌ राध” |

(५)-“इनद्रसच्छ" “अय भरा” “अस्य TT २।

(१)- “प्ल” ९, “यस्य ते" ९, ““खतुप्रकेतो"

(<)--खभिप्रियाणि" ९, “आ यख" २, “तख २।

araace fear | १५

यते--“वतुर्विं तिजं गत्वस्ततोयसवनएका ककुबिति' शेयं स- ङ्ख्य प्र्रधन-पचे उपपद्यते | तघादह्ि- माय-संहितयोः सान्न waa गायत्रे ठचे दिरभ्यस्ते सति षट्‌ गायतः भवन्ति, चतु- विंश्त्यक्षरा गायती, अष्टाचत्वारिशथदक्षरा लगती (१), ततः wef: गायत्रौभिः तिस्नोजगत्यः भवन्ति, श्यावाश्वान्धोगवयो राखरयभूताः प्रग्रथिता, दिरभ्यस्ताः बडनुष्टुभोभवन्ति, ताभिख- तस्रोजगत्योभवन्ति, मिलिता सप्त जगत्यः waa! सफस्य पोष्कलस्य सामान्सरवसषचे मानं कर्स॑व्यम्‌, किन्तेकेकश्या fai तत्‌ कुतोऽवगम्यते state ककुभोति सप्तम्येकवच- नान्ताभ्यां विशेषविधानात्‌ (९)। अष्टाविश्रत्यच्तश्योरुणणिक्‌- ककुभरेका जगती गायतो-पादख सम्पद्यते, ककुभि मध्यमः पादो दादशाश्षरः, ठश्णिहि परः पादः- इति तयोभंदः | वावस्याखयभ्ूताः wefan तिख्ोजगत्यः-- इति मिलिता प्वमानेऽसित्रेकादश जगत्योभवन्ति, गायतरौ-पादखातिरिचखते | भराभवपवमानवत्ततोयसवने यज्नायन्नौय-स्तोत्रमेकमस्ति (९), तस्य चाययः 'यन्नायन्नावोअम्नये-इत्यसौ प्रगाधः (उ, प्र,२०); तक पूवा दतोः उत्तरा erie, तयोः प्रग्रथनेन ककभावत्तरे

(१) मानं ताष्ड-बोडणखं TTR 'वलमत्योयदादष्य्चराणि पदानि"- wate ; रवं सवज eG |

(र)- ताण्ड case “उग्विक्‌-ककुभावेतौ मवतः'-इत्यादि-पश्चखष्ड तत्‌ खम्‌ |

(र)- साष्डय-सप्तमख सप्तमश्वष्वारण्मे waite विदितम्‌ |

२६ araaeatea |

awa (1 तकरैकविंधस्तोमः तस्य विधायिका विषटुतिरेव- माजायते-- सप्तभ्यो fe करोति तिष्धभिः तिखभिः एकया, सपभ्यो हि करोति एकया तिभिः तिखभिः सप्तभ्यो fe करोति तिभिः एकया तिखभिः-इति (९) अयमथंः-- प्रथमायाः हष्त्यास्त्रिषु पर्यायेषु चिवारभेक- वार पुनस्तिवारमिति सप्त वह्त्यः, मध्यमाया: ककुभः प्रथम- दितौययोः catanfeafe: पाठः, अन्तये सत्‌, उ्तमायाः ककुभः रादौ सलत्‌, हितोय-छतोययोख्िस्िः, एवं चतुद ककुभः | तासु AHFY CCM मध्यम-पादाखतुदंग, तेषु सप पादाः सपसु SEAT योजनोयाः, ततः सप्त जगत्योभवन्ति, अवशिष्टाः ्र्टा्षराः ककुभामायपादाभ्रग्छपादाख, भिलिलवाष्टाविंशतिः, तेषु ष्ठिः पादैः एका जगतीत्यमेन कमेण चतुर्विं शतिपादे wae जगत्योभवन्ति; ये तु हादशथा्राः सप्षपादाः yawafirer: तेषु पवमान-गेषोऽष्टा्षरः पादोयोजनौयः, ककुभांगेष्वेष्व्टा- शरेषु चतुषु पादेषु चत्वाथश्तराणि योजनौयानि, ते दे जगत्यौ भवतः ; तदेवं यन्नायज्नोय-स्तोव्रे aden जगत्यः qatar: पवमान-गता एकादथेति चतुर्विं शतिजंगत्यः, चतुरच्र-वर्जिता खत्वारोष्टात्तर पादाः भिलित्वा water भवति waa लिङ्गन श्यावाश्वमान्धीगवं प्रग्रथित-ठचै गातव्यम्‌, तु तव्री-

(९)--एवमेव छल तद्‌ गीतं इश्यते ऊर-प्रथमख चतुद साम |

(९)-रुकविंश्स्तोमख सप्सभ्भिनो, wan, प्र तिष्ट. तिः, खन्ध चेति चतशोविष्तयः सन्ति, तजायायाः विधायकं वचनमिदम्‌ स्वेमेनत्‌ ताष्ठयख दितोय-प्रपाठकौय-चतु- देर-खष्ादि-खष्ड-चतु्ये Wee.

सामवेदसंहिता | 20

त्यत्नुष्टबानयनभिति खितम्‌ xf’ (\) ` चतुधेवणंकम्‌-- “चतुः शते प्रग्रथनर्चः पादस्य वाग्रिमः ठचे qaaat नेव्गन्धत्वस्य वर्णनात्‌ गवामयने TW साम fafeaq— ˆ अभिवर्तोब्रह्मसाम भवति"इति (९), aap waa’) “aq: शतमेन्द्राबादताः प्रगाथाः"-द्रति (५), चतुरुत्तर-णत-स्‌ख्याकाः इनद्रदेवताकाः HASLAM: ऋग्‌ दयामकाः, लेष्वेक-प्रगाथ- मते हे wean दितोय-प्रगाथ-गताभेकास्वं ware ठचे “अभि- वत्त'-नामकं साम गातव्यम्‌, तथा सत्याज्नातानामविक्षतानाभेव ति्धण्चां लाभात्‌ चस्य मुख्यत्वं भवति, पूर्वोक्ष-रोत्या पाद- mat तु विक्लतत्वादसुख्यस्तचः स्यात्‌-इति प्रपर, ब्रूमः-- wer * अन्धाः ऋचोभवन्ति तदेव साभेत्युचामन्धत्वमत

% ‘sayy -इत्येकणएव गो ° पुस्तकं |

(१)-स्फटमेतत्‌ ताष्डा्टम-पश्चमे “पु रोजितौ बो ware इति पद्य UTS पक्रमके, "तासु ऋआवाखमित्यादो, "अचैतदान्दोगबमित्यादो q |

(९)- प्रायश्तौयेऽङमि माध्यन्दिन-सवने angers सिमः ्-सतो व-निवक्नेकमेतत्‌ वंवोदखमृतौषदमिति योनो average तोये विदितम्‌, तच्च aware षह- पपाठक-ददितीयार्दीयं चतुद तमं साम |

(९) तभव चतुथेखष्डं त्स ष्ये तदेतत्‌ GS याद्धातम्‌ |

(४}-- रषपाठटस्‌, खायायन-सुजस्य दशम -परपाठक RASS दुष्यते, ताण्ड TIS TTY ACT बाडताः प्रमाया Tape “दति, तद्भाष्ये तु चतुःषतेत्या INTE, तच्च ति Swe |

at सामषेदसंहिता |

aaa (९) ae पौद-प्र्रथने सम्भवति, ऋक्‌.प्रप्रथने तु येयम्क्‌ पूर्वस्य SIAN FAIA ठशस्यादोत्यन्धलद्चः स्यात्‌ ; तस्मात्‌ पादस्य प्रग्रथनम्‌-दति”?९

aaa नवम-दशमयीोरधिकरणयोः ्रपर-विभेषो चिन्तितो | नवमाधिकरणम्‌-- \ध्“प्राद्रभावोयोनि-वशादुत्तरा-वशतोऽ- धवा गीत्यथलादादिमोऽग्ोवर्णभिव्यश्ञकत्वतः | “az योन्धां तदुत्षरयोगीयतिः-दति aad, तव॒ “(कयानशित्रभामु वत्‌"-दत्यसाग्योजिः ©), carafe (कथा "-शत्यक्षरहयमाद्यो भागः, “नि्रश्रामुवदित्यश्तरषट्‌ कं हितोयोभागः, तस्मिन्‌ भागे fedtarat घकषारस्योवरितनमिकार विलोप्य तस्य खाने राई भावमाख्राय गोतिनिष्पादिता; कस्त्वासत्योमदाना भित्यनन्तभौ-

* अधिकरणमाला-पुस्तके प्रायः सवज्र “श्रायौ-दलेवं यकार- मध्यपाठः | सूरे aera कचित्‌ तथा wees तदोजम्‌ ; पर “खकारः पुवेभागः दकार अक्षरभागः"-दत्यादि-बिरो षा दुपेष्छः सरति मन्यते ; AAT TST “शार Ke मोकारान्तः पाठः परिखष्छते, खध्ययन-सम्प्रदाया तथेव, UT कचिद्‌ माने यकार- masa चितः, तच्छुतलिखनादयायि-गङ्‌ डलिका-पवाड-मूरकमिति सक्यते |

(१)- तथाहि, ताण्डा-चतुथ-तीये- “खानं साम भवत्यन्योन्यः प्रमाथः"- इति, TMATY GAARA, WEEMS मवति, प्रगाथः प्रप्रणनीयलदायय- STA: Tae frawet भवति"-रति तर्‌-माष्यम्‌।

(९)- अन्द पन्वस्य दिनोय-प्रपाठक-षष्ट-खष्ड पञ्चमो | दयम पुमः उत्रा-प्न्धस् प्रथम-प्रपाटक-दाद -सक्क प्रथमा |

सामवेदसंहिता ३९

fara (९), तस्यां योनि-ज्यायेन चतुर्थाक्षरे तकारस्यी- परितनं यकारमोकारं लोपयित्वा तयोः स्थाने भाई-भावः काये: ; अभीषुणः' असावपरीस्तरा (२), तस्वामपि eqatat शकारस्योपरितनं सकार लोपयित्वा तस्य wa ar भावः कलव्यः (२) ; ware गोति-नाश-प्रसङ्ात्‌- इति प्राम, qa— नाव योनौ वणशौन्तरस्यागमः, किन्तर्िं१ विद्यमान एव चकारस्योपरितनः इकारः साम-प्रसिखया प्रक्तियया aw: waara भवति, तस्य सन्धाक्षरत्वात्‌, “ara: पूर्वभागः, ईकारः उत्तरभागः” ©), तावभौ frre गोयमानौ ark भावं प्रतिपद्येते; तथाच सामगाग्राहः ‘aw तालव्यमार भवतिः-दइति (५) तथा सत्यु्तरयोतुधोक्षरे नास्ति तालव्य

{९)-खत् रा-प्रन्धस्य ९० ९२८० ऋक्‌ | (२)--उक्रा-पन्बष्य We ९२स्‌* AT | < 8 र्‌ kg u

(र) तथाच-- 'काऽभया। ASSIA 3 आभुवात्‌' 8 < —zenfe प्रथमायारूपम्‌, एतस्मावमिष्ठमेव = “aTYRAT |

2 9 R सत्याहेदमारेदानाम्‌”-द्यादि हितोयाया रूपम्‌,-“आआऽ५मो

(1 पुणादसारेखोनाम्‌" इत्यादि ढतोयाया रूपं निषत्रम्‌ भषेत्‌,

परं ततरैवेष्टम्‌, ऊद-प्रथमस्य पञ्चम-साम-वि रोधात्‌ |

(4) स्पष्टम तम्‌ ATSC TSA महाभाष्ये

(५)- पुषय्धगादौ | अवरे दं तलम्‌ -पुवीक्तरयो दं योरेव प्चयोः प्रथमायाः खर्प सत्यप्यवि रोधे छोप-च्योः प्रकरश्-गत-विरोषः।

a

Bo सामवेदसंहिता |

इकारः Tearkare ana: (\) “nitge: सखोना मविता जरिढणाम्‌^दइत्येतखामुत्तरायां दादथा्चर-गतस्व रेफा स्योपरितनः इकारः पूवैवदाई-भवति (र) तथा सोऽयमार्-भावः SRA व्णाभिव्यष्कल्वादुल्तरा-गत-वशे-वशेन कर्तव्यः, गीत्व- त्वाभावेन योनि-क्रमे तेन विनापि मौतिविंनश्यति-इति९९॥ दथमाधिकरणम्‌--*९“स्तोभानोतप्रदि्वन्ते नागौतित्वेन वके वत्‌। wafer प्रदिश्यन्ते गोति-कालोपयोगतः वामदेव्य- area: योनौ दयोर्यीर्मध्ये भौकार-दयेन हो-शव्देन हायि शब्देन faust, स्तोभः एवमान्नातः “्रौऽरेष्टो हायि *(२)

श्रधिकरणलायाम्‌ “श्रौदोहायि-दति पाठः परं तच्च सम्यक, शरोकारदयेनेति पुव केः ; मान-प्रन्यष रक कारः प्रथम खरकः, अपरो हितोय-खरकः WET |

R द्‌ (९) wag— “AURA! सत्योदेमाश्दानाम्‌”--- इूत्यादिकमृह-प्रथमे चतुर्थानन्तरं खुतमविरुहम्‌ | R x र्‌ ४४. द्‌ (९) agua! सणाडेःसारेखोनाम्‌। विता- X RT X च्‌ जरायि णाम्‌” श्यादिकं रूपं, गौयते चेवमेवोष्ट-गायकेः

सामगेः (१,५) | (९) तथाडि dearer पश्चम-प्रपाठकस्य पञविंश्तितम साम बामदेग्यम्‌, “कया भखिजच्याभवदुती सदाटधः सखा कया विष्ठया टता"-दइति तख योनिभूता wa, धसाः THe कयेत्यादि, Te कयाश्चिष्ट येत्यादि, खनगयोरक्रे ख्ठोमोऽयं वरयते BY वामदेब-मान-श्रवश्नोपलम्यः, गय-पञ्चम | RTT |

सामवेदसंहिता | ४१.

इति; सोऽयं स्तोभः नोत्तरयोः (९) श्रतिदिष्यते, कतः ? भ्रगोतिलवात्‌ ; यद्योन्यां तदुक्तरयोगायतिः-इति गीति-माच मतिदिश्यते ; aa wears वर्णाः यधा मातिदिश्यन्ते तधा स्तोभाश्रपि-दइति प्रापे, ब्रूमः- स्वरोव्यं-विद्चषोविरामः tad गोत्युपयोगिल्वात्‌ यथातिदिश्यन्ते तथा स्तोभाष्पि गोति- क{ल-परि च्छेदकत्वादतिदिश्यन्ते"२५-इ्ति (९) अषटमाधिकरश-दितोय-वणंके NPAT गानाभाव-शङ्गा निवारिता “are नियमोनोत विद्यते वश्कुगपखितो | नाच््रानदयतो स्येव THATS तेरपि॥ कवित्‌ कमेविथेषे यते “श्रयं सदस्रमानवद्त्ये ततया इयनोयमुपतिषठते-दति (९) रसाम्‌ afeat-awa (*) समाम्नाता, प्रणेता गानग्रन्धे ५), ततो वड रुपस्धाने carafe गानं नियतं किन्तु विकस्यितम -इति प्रासे, भरूमः-- wera नियमो गाने, कुतः सामवेदे गानस्यैव WH तत्वात्‌, ऋचां संहिता-पाठोऽच्र गानायेव नद्याधारमन्तरेण गातुं waa | अधोच्येत-- श्रयंसष्टखेटक्‌-प्रतोक-पूवकेण वाक्येनोप- ` (-ग्व्ेवयमोषुरूरवीत्यगयोकयोः। =. ` (९२) तथाच--“कसू्यासत्यामदार्गां मंडदिष्टोमत्छदन्धसः"-इत्यडं चे-मरकस्य, “UN खुखिनामविता जरिटषाम्‌"- इृत्यड ेमलकख मानख्योपरिष्टात्‌ “दढा चिदा बजे Fy" LNT -म खक “MAMA "इत्यङ्‌ सरकस्य च॒ MAG पुरख्ठातव “ोऽो षाद -दत्यव ऋचतरव ऊद मान पथम THA सामनि

(९)- साष्डपपाठस्तवं बम--“अयं सुडखमानवरत्यतिच्छन्दसा खवनोयमुपतिष्न्े- इवि, ‘wa सङहखमानवदति ofrecer खतिच्छम्दसि ऋचि गोतेन मोरिति-मिघन बता खद्भातारः वय खाडवमौय उपतिष्ट ' -दति तद भाष्यम. (४प्र,९ख) |

(४)--शब्दोनामके पञ्चम-इितीय-शतौय-प्रथमानन्तरम्‌। |

(४)- जेयनामकं दादश-प्रथम सप्रविशत्यनकरम्‌ |

४२ स[मवेदसह्िता 1

खथान-विधानाद्‌ ATT प्रकर णात्‌ प्रबलत्वाहचेवोपसथामम्‌-दति, तब, प्रक्ञत-प्रगोत-मन्व-वाचिन्धा एतयेति सवं नाम-शुतेः प्रब- लतरत्वात्‌ 1 तस्मान्‌ प्रगौतयोरुपखानम्‌”९५-इति (*) पश्चदशाधिकरणादिषु fy wa-area चिन्तितम्‌ पञ्च दयाधिकरम्‌-- ९९.“हहद्रधन्तरे मेः सष वा व्यवस्थिते Te क्यात्‌ TET wa मिहं यादेव्यैवखितिः। ज्योतिष्टोमे विकस्नं पृष्ठस्तोत्रे * विहितम्‌ ^ हत्‌ ve भवति, रथन्तर पष्ठ भवति' इति तभ्रोभयच्र wat: gar:— हरति wears मनसा waz ध्यायेत्‌ (९), रथन्तरे प्रस्सयमाने सन्मौलयेत्‌- wae: (९), ते उभयत्र waa, एष्ट-सिहि-ल्तणस्व (*) कार्य॑स्ैकत्वात्‌- इति चेत्‌-- न, fata, साह्यं त्वरैलचषष्येन वदिति रधन्तरमिति हौ निभो नोपपद्ये- याताम्‌ ; किञ्योभय-धर्म-साहित्यं वि रुदम्‌--उशषेगेयं बलवद्‌- जयमिति हष्दर्म; (५) -नोचेगेयं बलवदहेयमिति रथध-

(विकलित प्रष्ठस्तोचम्‌ -इति Zito ato पुस्तकयोःपाठः |

(र२)- चुख्डषटद्यौ तदा GATT “खयं सोहा “<fa विदङ्गाता मायेच्धिषषम- भितरावम्‌ पेयातामिति। खन “we सदोाख-इति ayaa दाद ्-प्रपाठकौ- या्टाविंरतितम साः प्रतोकम. | |

(₹२)- तथाच, ताण्डा-सप्रम-सप्तमे--"“यद्रथन्सर sata THRAMETTT RTS -इत्यादि | |

(९)- तचौव रथमरधघमेादि TENTH “रथन्तरसुद्भातुखचुः प्रमधिसो- AGIA खोले स्‌" इत्यादि |

(५) खो दुग्ब रो -स्प्रेम-रूपख |

(४) “बलव मेय" वजुमेव cen प्रतयुद्‌रटकाति"-स्त्यादि (ता२-०,०)।

araazafear ४३

नर-घर्मः (६); तस््ादुभयोधं -व्यवतिष्ठन्ते"र^इति षोड- ्ाधिकरणम्‌-- \°“तयोधमौः ससृशचेया वा WITT | सिखानत्वाद्‌ भाष्वभ्राद्योविरोधाद्‌ वात्तिकेऽन्तिमः। बेश्य-स्तोभे warrant ws भवतिः -दरति (९) सूयते, तत्र कणु रथन्तराख्य- सालः (र) एष्ट-स्तो्र-साधनयोः प्राक्ततयोः हद्द्रधन्तरयोरभयोः खाने पतित्वादुभय-संवन्धि-धर्माः weer: ; ये तु विरा; ant. sada नोच गेयमित्यादयः ते विकल्यगन्ताम्‌ ; समुद्र ध्यान-निमौलनादौनां विरोधाभावात्‌, प्रकताविव निर्ण learns समुचय; इति भाष्यकारस्य (*) मतम्‌ ; विकस्पितयोरेव दयोः wa पतितल्वाद्‌ free धभे-खारस्याश्च franca yal तु age: इति वार्तिंक-कारस्य (५) मतम्‌ ; तज्ोभय्र त्षश्मत-विपशेतः yao उनेयः”९० सप्दथाधिकरणम्‌--९" ““हि-सामके इयोधमंसाह्यं' वा व्यव- खितिः। year BRAS धर्माणं सामगत्वतः। “गोखव उभे कुर्यात्‌ इत्यादिना गोखवादौ हष्द्रधन्तर-साम-दय-साधष्व wees विहितम्‌ तजर एषटस्तोत्रस्येकत्ेन धभं व्यवस्थायाः (९) असम्भवात्‌ त्यभयधमौः Hea, रघन्तरेऽप्युभय-

(र९)--“चिप्रं जेयं शेख TSS समय "-पत्यादि (ता-९,०) | (९) ताश्वग्राष्टादष्य-प्रपाठकोय-चतुथे-खष्डं |

(१)--ऊमानसख चलुखे-प्रथम-दतोयानन्तर- तद | (3)-(जमिनि-सजख faite arerg:) अवर-खामिनः। (४) (जे भिनि-पूब-ूनता-पूरयिवुः) मषङकमारिर्य (९)-उचेख्व-गोचेख्वादेः |

४४ सामवेदसदहिता |

धमः, इत्येवं सायमिति चेत्‌- मैवम्‌, awa प्-स्तोच- प्रयुक्ताः Wat: किन्तु साम-प्रयुक्षाः, ततः साग्मोरभेदात्‌ धर्माः व्यव- विष्ठन्ते"-दति व्यवखित-धर्मोपि ताभ्यां दष्द्रधन्तर-नामकाभ्यां सामभ्यां (९) निष्यनब्र-स्तोरस्य पृष्टमिति वेदिकं नामधेयम्‌ ; यथा व्रिहच्छब्दस्यार्था वेद-प्रसिद्ो ्ौतः aga जिहच्छब्दः प्रधमाध्यायस्य ठतोयपादे पञ्चमाधिकरणस्यान्तिमे वर्थके विचारितः--१८““लौकिकोवाक्छगो वार्थस्िवदादैः सम- त्वतः उभौ विष्यर्थवादेकवाक्षत्वादस्तिहान्तिमः \॥ ““जिठद्‌- अहिष्यवमानम्‌" (र) दति खतो तिदच्छब्दस्य aye लोक- सिच्ोऽ्ेः वाक्यथेषा टक्‌-जयामकेषु च्ेष्ववखितानां बहिष्यवमा- नामक-स्तोज्र-निष्यादन-्षमाग्णम्‌ उपास्मै गायतानरः (उ ewe १२,३स्‌०)-इत्यादौनाखचां नवकमधेः (९) ; त्र घमे-निंये वैदस्य vacate पद-पदार्थ-निणये लोक-वेदयोः समान-बलवत्‌- त्वात्‌ उभावचौ विकल्मेन ग्षटौतव्यौ, इतिचेत्‌-- मेवम्‌, सौकिकार्थ-खोकार-पक्ते विधि-वास्ये वैगुष्यमथः, अर्धवाद-वाक्ये स्तोत्रियाणम चां नवकम्‌, इत्येवं विष्यथवादयोर्वेयधिकर ष्था- टेकवाक्छत्व' स्यात्‌ ; अतः एकवाक्यलाय स्तोतियाशां मवक- भेव विधिवादे नियतो्धंः”९<॥ wae amiga प्रथमाध्याये चतु्धे-पादस्य ठतौयाधिकरणे-चित्रा शष्टवत्रिर्णी

(१)- ते सामन SPAM CETTE TRA, तज चाध “८ रथन्तर्टडत्‌" अपरं "बृदद्रथकरम्‌' |

(२)-ताष्छय-डहितोय-प्रपाठकखय चतुद -खष्ड |

(र) वाकधरेषश्चायं ‘eam रएकविंशख्यो तमा भवन्ति-इति (ता-९,९५) |

सामधैदसहिता | ४५

तम्‌-?"“यञ्चित्रया यजेतेति तदहो नाम वा भवेत्‌। चित्र Siege रूढेरम्नोषोमौयके wit! इयोविधौ वाक्ध-भेदी वेशिध्ये गोरवं ततः स्यान्नाम एष्टाज्य-बद्िष्यवमानेषु तत्‌ aa! Farrar यजेत पशुकाम शत्या्नायते, ay चित्राणब्टोनो- दिच्छब्दवद्योगिकः (९) किन्तु een विवत्वं ea चाभि- We, ततो पूर्वन्यायेन नामत्वम्‌, तथा सति wean मोयं पशुमालभेतेति-विहित-पश्‌-यागमव्र यजेतेत्यनेन पदे नानुख तस्मिन्‌ पशो चिन्रत-स्रोतल्व-गुणो विधौयते, इति प्रासे, बूमः-- चिच्रतवं wid चेति wah गुणौ, तयोविधाने ara faa, तथाचोक्तम्‌--श्राप्े कर्मणि नानेको विधातु शक्यते रुणः ware तु विधौयेरन्‌ * audio क-यत्रतः” दति रथ वाक्-भेद-परिदहाराय गुण-दय-विशिष्टं पु दरव्य-रूपं कारकं विधौयेत, तदा गौरवं स्यात्‌ ; तस्माचित्रा-शब्दः पूव- वत्‌ यजि-सामानाधिकरण्येन याग-नामधेय भवति, fad तस्य विलक्षण-द्रव्य-हारेशोपपद्यते-- “दधि मधु छतमापोधाना

_ * .विधौयन्ते-इति ate ato Gera पाठः |

(९) -खद्धिष्छब्दस्य योगिकलनेनेव मल शे-रशशा-भयाद्‌ . याम-नामधेयलम , werfe—“efgar qa पश्कामः”-इति seat we परति विधानं सं sft 4 ae- विधानं gaa, वाकषमेद्‌ापत्तः ; तत जद्धिदेत्यख खद्धिद्‌ वतेत्यथेः equate: अत्यनतर- सन्न रु चासशनोयः, तसमात्‌ उद्‌ भिन्रासकेन यामेन प्छ भावयेत्‌ -दत्येव, were साधुरित्ययं विचारो लेभिनि-पन्स् न्यायमा ङायाख प्रथमाध्याय-चतुथ- पादे खोगाशि-परमुति-मौ मां सा-प्वन्भेच स्फुटः | |

४६ सामवेदसंहिता |

स्त णडलास्स्स खट प्राजापत्यम्‌-इति दध्यादौनि विचिवाखि प्रदेय- द्रव्याणि षडामातानि' (५) तदेत चित्रा नामकस्य यागस्योत्प्ति- वाकम्‌, याग-खरूप-भूतयोः दध्यादि -द्रव्य-प्रजापति-देवतयोः अत्रोपदिश्यमानलात्‌ ; sare तस्य यागस्य ‘fra येत पशुकामः'-इत्येतत्‌ फलवाक्म्‌ एवं सति प्रकतार्थोलभ्येत, अम्नोषोमोय-प्वमुवादेन गुणविधाने प्रकत-शानाप्रछत-प्रक्षिये प्रसज्ययात।म्‌, ferry चागुवादकलत्वाङ्गोकाराग्म्‌ स्योवि- ध्वर्धोबाध्येत तस्माच्वि्रा-पद्‌ं नामधेयम्‌ (९) यथा चित्रा-शब्दे नामधेयत्वं तथा बहिष्यवमान-शब्दं आज्य-शब्द TEMS तत्‌- कमे-नामधेयत्वं योजनोयम्‌-- एवं fe अयते (९) “विषठद्‌-बहि- ष्पवमानम्‌, पञ्चदशान्धाञ्यामि, सप्तदशानि varia; इति we वाक्छ-वरयस्यार्धाविवियते-- सामगानासु्तरा-ग्रन्य TATA ha सूक्षान्यान्नातानि, त्र ‘Sarat गायता नरः'-इत्या्' सुकम्‌, (दविद्य तत्या ऋचा'-दति हितोयम्‌, "पवमानस्यते कव इति ठती यम्‌, ज्योतिष्टोमस्य प्रातःसवनागुष्ठामे तेषु fry any गायतं साम गातव्यम्‌ (*) तदिदं सू्ञ-्रय-गान-साध्य' स्तोत्रं बहदिष्यव

(९)- ताण्ड, षड्‌ विर ब्राद्यशे- Greet कर्‌ पषूब |

(२) चिवा-णग्दद्छ 9 ति-लिङ्गादनेक-द्रष-परकल न-उद्भिरदेति बाक्ष-साम्यस, यामख फलसम्बन्धं aware वाक्व भित, तद्‌-मयान्नामषेयता चेति सारम्‌

(९) ताष्डा-विंशतितमे |

(४)-तथादि-ताष्डय-षटसम नवस-द्म-कष्योः “CTS मायतानर दति". इत्यादिना ऋक्‌लरूपं TEM, UHR Tea “दमे बे रोका माबबर त्यर्‌ मेयम्‌”-इत्या- दिना तव सामादिकं यवस्थापितस्‌ |

सामवेदसंहिता | ४७

मानभिल्युख्चते (९) तज्रावख्ितानाख्चां पवमाना्थंतवाददहिः-सम्ब- ae, खलिदं स्तोत्रम्‌ इतर स्तोज्रवत्‌ सदोनामकस्व were मध्ये Meer: (९) स्तम्ब-शाखायाः सत्निधो प्रयु- च्यते किन्तु सदसोबहिःप्रसपंश्चिः प्रयुज्यते, (९) तस्य वहिष्यवमानस्य चिठव्रामकः स्तोमोभवति, तस्यच स्तोमस्य विधायकं ब्राद्मण-वाक्धमेवमान्नायते (*) fama fe करोति प्रमया four fe करोति मध्यमया, तिखभ्यो हिं करोति स॒ उत्तमयोद्यतौ fae विष्टतिरिति'। भ्रयम्धः- सूङ्ग-अय-पठितानां * नवानाङशां गानं निभिः पयायः कन्तव्यम्‌ तत्र प्रथम पाये fay ary भ्राद्यास्तिसख ऋचः, दितौये पर्य्याये मध्यमाः, Bila Tala चोत्तमाः; तिखभ्यदति ठतौया्थं पञ्चमो, fe करोति गायतौत्यघंः। स.यं यथे क्-प्रकारोपेता fae हत्‌-स्तोमस्य विष्टतिः ( स्तुति-प्रकार-विगेषः), अस्याः! विष्टते- शुद्यतो नाभेति, एवं परिवस्तिनौ-कुलायिनौति दे fret

ge “सूक्ञ-य-गतानाम्‌-इति पाठः गो पुस्तके Pp "तस्याः"-इ्ति पाठः गौ ° पुस्तके |

(१)-सदेतद्‌ मानं कचिद्‌ ars प्रेष्यते, उङ्गाषट-प्रयोमाष्य-याञ्िक- तु परिदुश्जते नियोग-मख |

(९) खोदुम्बरो-ख्शादिकनग समासत लाण्ड1-पचम-पश्चमे, whinge weiss कतीय-खष्डं “प्रजापतिं बभ्यश्यो ड्ग्य रोम च्छ, यति"-इत्यादिमा पषठनितम्‌ |

(१)-- तथाहि ताण्छद-षठस्य स्रम-खष्ड - “'वह्िष्यवमामं सपन्ि"-इत्यादि, श्यं WIHT Vegans सदः-सकाश्ाखात्यालं प्रतिसपंन्ति"-दूत्यादि तदु भाष्यम्‌ | रगायन-मवम-मवमे खव चेतत्‌-“बददिवेडिष्यमामः बोरम्‌”-इति |

(४) ताष्ड1-दितोौष-प्रपाठकारश्म-खष्ड-बय |

gc सामवैदसह्िता |

तयोः परिवत्तिन्येवमाम्रायते(\)-- fret fe करोति पराचौभिः, fren fe करोति पराचोभिः, fren fe करोति पराचोभिः, परिवत्तिंनौ विहतो विष्टुतिः-इति परा- Sift: अनुक्रमेणा्राताभिरित्य्धः। कुलायिन्धेवमान्नायते (र)-- “तिखग्या हिं करोति पराचोभिः; तिख्भ्योा हिं करोति या मध्यमा सा प्रथमा, या THAT AM मध्यमा, या प्रथमा सोत्तमा; feet हि करोति यो्तमा सा प्रथमा, या प्रथमा सा MAA, या मध्यमा सोश्तमा, कुलायिनो विहतो विष्टतिः"-दइति। अश्र प्रथम-चुे पाठ-क्रमणव, हितोये मध्यमो- सम-प्रथमाः, Sala तुत्तम-प्रथम-मध्यमाः-दत्येव व्यत्ययेन WAT: गातव्याः। तदिदं विष्टुति-चरयं विकल्पितं न्िहच्छब्दस्येशं स्नोम-खरूपमथः, तु वै गुण्यमिति पूर्वपादे निर्णीतम्‌ उत्त- Tuma afar, fang चत्वारि सज्ञान्याखा- atfa(®)— ‘sq अयाहिवोतये' (उ,११्र,४स्‌)-दत्या ` सक्तम्‌ -- श्रानोमित्रावरुणा' (उ,११्५,स्‌)-इ्ति हितोयम्‌-- “्राया- fe सुषुमादहित' (उ,१प्ररःख)-इति ठतीयम्‌- इनद्राम्नौ arta

(९)--परिवत्तिनो आवलि नीत्यथेः, यथा प्रथमे पथ्याये खनाहसाभिमानं वथो- भरयोरपि, खाष्ट्ति-माव-पयेवसायिलयात्‌ , ताष्ड-डितीय-दितीये स्पष्टम्‌ |

(९₹)- कुलायो नौं, whee farsa, तदथा व्यज-शशादि-भिमितम्‌, रवं अत्यास-युक्षाचः कुलायाः, तेख्दतो Fever wer विष तेः परिवतिनी प्रथमः पयायः ¦ दितोये पयाये पराचीभिः TUT SSS या मध्यमा सा प्राक्‌ TTY प्रथमा काया ; या प्रथमा Stra काया ; सुतीयल, पयायो निमद्‌-सिदधर्व यथावत्‌ कायेः we Taq समर" ara fetes तृ तोयणष्ड स-माष्चे |

(R)— eat विवरणं क्घमेवाव re यम्‌ |

सामवेदसंहिता ४९

सतम्‌" (उ,१्,२स्‌)-दइति चतुधेम्‌-- तन्धेतानि प्रातः-सवने मायव्र-साखरा मोयमानानि चत्वाभाओ-स्तोचाणोत्युखन्ते तति- awa सूयते-- यदाजिमौयुस्त दाज्यानामाव्यत्वम्‌"-ब्ति (९) | तेष्वाजव्ध-स्तौवेषु पञ्चदथ-नामकः स्तोमोभवति, तस्य स्तोमस्य विषटतिरवमाखायते-- "पञ्चभ्यो fe करोति a तिभिः एकया एकया, पञ्चभ्यो fe करोति una a तिरूभिः एकया, पञ्चभ्य fe करोति एकया एकया तिस- भिः'-ष्ति (र) एक ga’ जिरावर् नोयं, तव-प्रथमाठन्तौ प्रथ माया चस्िरभ्यासः-- हितोयाहत्तौ मध्यमायाः- ढतौया- हत्ताव्षमायाः-- सोऽयं पञ्चदश-स्तोमः (२) उक्ञेभ्य खतुभ्येः qa agua Whe माध्यन्दिन-पवमान-सूक्ञान्यााय aE चत्वारि सुक्तान्धाश्नातानि, तेषु-श्रमित्वाशूरनोनुमः- (३,११्र,१स्‌); इत्या म्‌-“कया नशि भ्रा भुवत्‌ (ठ,१्र,१२स्‌),' इति हितोयम्‌-- "तं वो दसखरख्तोषष्म्‌ (उ,११्र,१३) दति ठतो यम्‌-- (त ोभिर्वोविदहसम्‌ (उ१९,प्,१४)'-इति WE ए- तानि करमेण “रघन्तर'-(ज १-१सा) 'वामदेव्य'-(ज orm Wal) ‘ahaa (Ho १प्र६सा) ‘area’ (sto प्रसा) सामभिमोध्यन्दिनि- सवने गौयमानानि ष-स्तोत्राणौत्यष्यन्ते | स्पशेनात्‌ रष्टानौ- सेवं निरुकिर्द्र्व्या। तेषु way सप्दशस्तोमोभवति, तस्व

(९)--“"यदाजिमोयुखदाख्ानामाालम्‌"-दति ताष्डयपाठः (ता-०,२) | (९) माष्कय-जाद्यरख चतुथादि-खष्ड-वयेषु तिलो विद्टुतयः श्रयन्ते, arg श्य- माख्या, अव Ceara पेये पञ्च भवकोति पश्च पञचिनोत्याख्ायते। (2)- पश्दब-लो मस्‌, विदुनि-जयाक्मकनान्‌ विप्रकारः, तवायमाख्धप्रकारः॥

५० सामवेदसंहिता |

स्तोमस्य विष्टतिरवमास्नायते-- ‘awa हिं करोति तिभिः एकया wena, पञ्चभ्यो fe करोति एकया स॒ तिखमिः तिखभिः'-इति, wa प्रधमादन्तो प्रथमायाः we विरम्यासः -दितोयात्तौ मध्यमायाः-- ठतोयाहन्तो मध्यमोत्षमयोः- सोऽयं सप्तदश स्तोमः(९) wa तिष्वपि वाक्येषु चिषठठत्‌-पच्चदग- सप्तदश-शब्टाः गुण-विधायकत्वेन waar, यदि बदिष्यवमानाज्य- षष्ठ-णब्टाञ्रपि गुण-विधायकाः सख्यः, तदा प्रत्युदाहरणम्‌, FT इय-विधानाद्‌ वाक्यभेदः श्यात्‌ तस्माद्‌ बहिष्यवमानादि- शब्दाः स्तोज्र-नामधेयानि, aaa: eaters Frere गुशाः विधौयन्ते”९०-दति

उक्ञस्य एष्ठादि-स्तोजस्य प्रधान-कमेत्वं हितौयाध्यायस्व प्रध- ware पञ्चमाधिकरणे निर्णौतम्‌-२९८प्रउगं शंसतौत्यादौ Tt तोत प्रधानता। टृष्टाटेव खतिस्तेन गुणता सतोवर-शस््रयोः | qe स्तोति-शंस्योरीलोः ओताथे-वाधनम्‌। तेनादृष्टमुपे- त्यापि प्राधान्यं yaa मतम्‌। व्योतिष्टोम सूयते श्रडगं शंसति, fara शं सति", “aren स्तवते ष्ट: स्त॒वते'-इति ( प्रडग-निष्फेवस्य- शब्दौ शस्त्र-विशेष-नामनो, आच्य-एठ-गब्दौ तु व्याख्यातौ ) शअरप्रगौत-मन्त्-साध्या aft: we, प्रगोत-मन्त- साध्या स्तुतिः ray तयोः VATA Tat ; कुतः ? तुष-विमोकवहृष्टारध-लाभात्‌ (९) पठयममानेष॒ मन्वेषु॒अनु- सखरणेन देवता संस्कियते-दति प्राप, ब्रूमः-- तेषु भ्रतुखरणेन

(९)-- अवर यद्‌ Tae तत्‌ पुेमेवाभिडितम्‌ (२)- “लभ्यमाने फे दुं मादष-फल-कलश्‌ पना"-इति सिद्धान्तात्‌

सामवेदसंहिता | ५१

स्तोतव्यायाः देवतायाः WITT a: संबन्ध-कोसेनं स्तोबि-शंसति- धाल्यर्वाच्ोऽ्ः, यदि मन्व-वाक्षानि गुण-सम्बन्धाभिधान-पराणि, तदा धात्वोः मुख्याथे-लाभात्‌ चुतिरगुग्टदौता भविति ; यदा तु गुश-दारेणानुखरशोय-टेवता-खरूप-प्रकाशन-पराशि मन्त वाक्धानि स्यः, तदा धात्वोः मुख्यार्थो स्वात्‌, लोके हि देवद स्- waters: aa aie: प्रतीयते, तस्य वाक्षस्य गुण-दारेण देवदस्ष-खरूपोपलक्षणश-परतेन गुण-सम्बन्ध-परत्वात्‌; यदा तु Sa दत्त-खरूप-परता ˆ यखतुवं दौ तमानय-श्त्यादौ, AT स्तति- प्रतौतिः, तस्य चतुव द्‌-सम्बन्ध-दारे टेवदन्त-खरूप-परत्वेन गुण- सम्बन्ध-परत्वाभावात्‌ ; ततचाच्चैदेवं प्रकाशयेत्‌, षेद वं प्रकाश- trae विध्यवे-पवसानाद्‌ धाल्ोमैख्यार्थो बाध्येत; ततोधातु- शुतिमबाधितु ATA प्रधान-कमंत्वमभ्युपे तव्यम्‌ तज ष्टं प्रयोजनं नास्तौतिचेत्‌-ततोऽपूवं मस्त xfer (\)

aaa दितीय-पादे हादश्ाधिकरणे साम-विशेष-प्रयुक्षं कर्मा- न्तरत्वमभिदहितम्‌-- र““उक्ाभनिष्टुतभेतस्यवारवन्तोय-साम fer रेवतोष्ड्ु क्वेति चतं पश-फलापये। रेवत्यादिर्गुः कमं एथम्बा पूबेवद्‌ गुणः रेवती-वारवन्तोय-सम्बन्धास्यः Wwe. | Vest फल-कमेभ्यां waa वाक्य-भिब्रता तेनोक्-गुण-संयुक्लमन्यत्‌ कर्मोच्यते फले “तरिहदम्निष्टोमस्तस्य वायव्याख (ऋच एकविं थाम्निष्टोम-साम कछला) AWAIT ATA

(९)--बिष्बजिदादिवदित्या्नकः।

YR सामवेदसंहिता |

aaa (*)-carer स्रिधो aaa (र) एतस्यैव रेवतोषु वारवन्तौ- यमग्निराम साम कतवा पश-कामोद्येतेन AIA Kha WAT यमयेः-- अरभनिषटोमस्य विछति-रूपः किदैकाहोऽग्निष्ट ्रामकः, wea विहत्‌-स्तोम-यु्षतया विदिष्युखते, अग्नि्टा- मोकघादौनां सानां सोम-संखानां (९) मध्येऽग्निष्टाम-लंखा-ङूष- त्वादस्विा मद्त्यप्य॒खते प्रतो ढतोयसवने भ्राभेव-पवमान- स्योपरि ‘agama’ साम waa, तेन साखा अमििष्ोन- यागस्य समाप्यमानत्वादभ्निष्ठोम साभेत्युखते, तच्च प्रह्लतौ “यच्रा- AMA TAY LATTA TY (BL, ROT’ -२-३ ऋ) Waa 5 अस्मिंर्यम्निष्टुति ब्रहमवचंस-काभेन वायव्याखचु तत्‌ साम गात- व्यम्‌, तश्च प्रलताविवेकविंश-स्तोम-युक्कम्‌; wane तु “रेष तनः सधमादः -दत्यादिषु रेवतोष्व्चु (उ.प्र४,स्‌ ११,२-रकः) 'वारवन्तोयं' साम गायेदिति, तजर रेवतोमाख्चां वारवम्तौय- नामकेन सागरा यः सभ्वन्धः सोऽयं पशु-फलायाम्मि्टुति विधीयते, CAAA प्रकत-परामर्भकेनैतच्छष्देनान्य-व्यावत्तंकेनेवकारेख- चाम्निष्टुतः समर्प्यमाणत्वात्‌ ; यथा पूर्वाधिकरणे इन्द्रिय फलाय प्रकतेऽभ्निहोते दधि-गुशोविदितः (५) तदत्‌, इति

(९)- ताग साद्-स्नमे शर तमेतत्‌, परम. ` [त तखन सतदथ-यक्षे समेतम्‌, परम. ऋष्वादि-शनेत्य ग-पाटोः-

वाधिको च्यते, arse एव भ्‌ तेरभिगतोथो ऽयं तु eres, तिरिति गम्बते

(8) ताष्डय-सक्तदशाष्टमे |

(₹)- तथाहि-'“अथ सोमसंद्या, wferatat(s) seafaatat(s) खक्थः(र) षोड- (४) तिरावो(५) वाजपेया(ई) प्रोयं मः (0)"-xfa Great TB (४प्र०४०) | अव उक्थच्छादितवामावेऽपि ताण्ड तस्म वे.विडितलात्‌ उक्थादीनामिति कथमं ना सष्तम्‌ |

(४)- qe Perens spare” इति वावध रथेन, रदे विषयो शत्य ear दष्ाधिकररं रचितमच्ि |

सामवेदसंहिता | ५२

प्रासे, ब्रूमः-- विषमोदष्टान्तः, दभ्नोष्टोम-जलनकत्व शास्त्रेण वोघनोवं तस्य लोकतोऽवगन्तु TAA | फल-सम्बन्धः एक- गाख-बोध्यः इति तव वाक्षभदः, इहतु रेवत्यगाधारक- वारवन्तौय-सागरोऽग्निष्ट्‌-कमे-साधनत्वं फल-साधमलतं चेत्यभयस्व श्यासनेक-वोध्यत्वाद्‌ TACT Ae: ; तेन पश-फलकं Tite गुश-विशिष्ट-कममौन्तरमव्र विधौयते। wre? एव-कारख विधघोमान-कर्मौन्तर-विषयतया योलनीयौ'”२९-इति (५) | उन्तरस्मिंस्धिकरणे निधमन-विशेषा; काम्याः विचारिताः --र्दठुषटयब्र-खग-कामानां सौभरं स्तो्रमोरितं। निधनाद्यपि 1४५. हौषु्ग -दइति दष्टयादि-काभिनां फलान्तरं किं cere शहौषा- दौनासुतोदिते। सौभरे फल-संभिन्ने निधनं विनियम्यते | कलान्तरं चतुर्थक द्टि-कामाय vifaf! सौभरस्य फलं afediteaer विवचैते। नोक्तः दहष्टाव्र-कामानामन्धतव प्त्यभिन्रया। नियमेऽपि चतुयंषा तादधगौदुपपद्यते भयो sfeann यीऽब्रा्यकामो wera सोभरेश स्तुवत, सवं वे कामाः सौभरम्‌ इति ©) ware: ga: 'सोभरे'-इति पाठटोबड-पुस्तके |

परं सः GANGS, ताष्ड 1 तथा MATA | ‘aarara-<fa wad दश्यते, प्रायः सव इड | पर तत्र सम्यक, ताष्डा-ब्राद्यश्-पाठ-विरोधात | ante तवे वोतेत्यनकर सरव॑-दम्यखायो शोषित्गादिकं पठितम, नतु wean सव-इत्यादिकं पठित्वा ोजित्यादिकमशि | and न्वाविखप्ग्बोऽयसङ्तः waaay प्रथमान Ws: | (१)--रसस्मैयत्यादि-पवदभिंत-काकषे (९)- ताष्डााटमा्टमे |

५४ सामवेदसद्िता |

समान्नातं “होषिति हष्टिकामाय निधनं कुर्यात्‌, उगित्यत्ा्य- कामाय, ज-इति सखगकामाय'-इति “सौभरं नाम साम-विशेषं (९), निधनं नाम पञ्चभिः सप्तभि at (९) भागेरुपतस्य साम्नोऽन्तिमो भागः ©), तस्िबविधने शषादयो विशेषाः सोभर-साम-साध्यास्तोस्र-फलेभ्योठश्यादिभ्योऽन्यानि दष्टाः फलानि जनयितुं विधोयन्ते ; कुतः शोषादि-विधि-वाक्वे afe- कामायेत्यादिना चतुर्धी-खवणशात्‌ ; सा area (५ चयाशां शोषादौनां दष्टादि-काम-पुरुष-गेषत्वं गमयति, तच्छेषत्व परुषाभिलषित-फल-साधनत्वे सत्य्‌, पपय्यते (४) ; ततः सोभरस्व होषिति निधन-विशेषस्य फलभूते दे ठट भवतः, aqua

(XA SGT प्रथमप्रपाठकोय-बीडब्रतमम्‌

(२) सान Gratien sitar मेयः प्रलाः, दितौयो मामः ogre मेयः Txt तीयो भागः fawn मेयः WATT, चतुथा भामः GHANA मेयः उपद्रवः, पचमः सरवे यं गपद्‌ गेयः निषमाष्छः-दति weaning! केवाचिच्वये-नानारकम-काले स्वे ऋंलिम्‌भिः “ङम्‌"-दत्येवमशायं दिड्ारः, तमारम्य भिषममानान्त' यखमान-छत्यम्‌ Rea cat WTA Tale सामाङ्ब गण्यः ततः Tein सप्त-मक्तिवं

ere = = ८, ` "+` सामेन्युष्यते, मन््-ब्राद्यवस चवुयेप्रपाठकं साः पञ्चमह्धिकल सप्त-भक्तिकलवख्च

0 |

\ , ॥, 1 =

अयते, यज्नतलदौचायामुङ्गातृप्रयोमे TAILS |

(द) तदुक्कम “श्रलावस्तत उद्गौयः प्रतिडारोपदरबो तथा निधनं पञ्चमेत्याङ- fETC प्रश्वरव "व"-दति विवरश-रता माधबन।

(४)- “ताद्य चतुर्थी वाच्या"-इति कात्यायन-कारशात्‌।

(४)-वादरि-नामाचाय्यं मते क्रियायाः sewer मास्ति, व्र्-मुक-संस्कारोष्येव शेषत्व भिति तियमात्‌। जभिनि-नये तु roe शेषल्रमिति अस्मास्मेवाख्ि तदिति नियमाभावात्‌ ज्रियेत्यादेरपि ave वाधः; तथा च, तुतोबाध्यायस् प्रथमपाद ष्ेषाधिकारे चतुथे-पथम-षट-सूताकि--“कमेष्छपि जमिनिः wera! पषाथेलात्‌ पुष कमायेल्ात्‌"-इति |

सामबेदसंहिता | ५५

मेलनाख्हतो दषटिः। इति oa, प्रूमः-- सोभरविधौी यो ठ्यादि-कामः सएव होषादि-विधो प्रत्यभिन्नायते, ततः सौभ- TH फलब्रूता ये Tega तएव warfare ष्वनद्यन्ते इति फलान्तरम्‌ अधोच्येत नुतन-फलान्तराभावात्‌ हौषादौनां नानाशखाध्ययनादैव सौभरे प्राप्त्वादनथकोऽयं विधिः-¶्ति -- तत्र, फल-त्रय-कामानां जयाणामनियमेनेव शोषादिषु मध्ये यस्व ॒कस्यचिभ्रिधनस्य पापौ विधेनियमाधेत्वात्‌, area फलान्तराभाषेऽपि सोभर-वाक्मोक्ष-दष्टयादि-फल-साधने सौभरे होषादौनां नियम्यमानल्वादुपपव्यते ; तस्मादयं निधन-विशेष- नियमः विधिः”१९-इति tt

ठतोयाध्यायस्य ठतोय-पादे प्रथम-दितौयाधिकरणयोः साम- गाने उच्त्व-नोचल्व-धर्मौ विचारित तच प्रथमाधिकरणम्‌ -२““कन्तव्यसुचचैः सामगं भ्यासुपां यजुषेत्यमौ मन्ाणां वाघ वेदानां धर्मामन्छ-गतायतः विष्य देशे मन्त-वाचि-शब्दाः प्रज्ञाः ऋगादयः। West: समुत्यत्रदत्युपक्रम-वेद-गोः | ्रसंजात-विरोधोतस्तदशादुपसं दहते; नयने सति area धर्माणं वेद-गामिता॥ ज्योतिष्टोमे अूयते-- “उच्च ऋचा क्रियते, उ्पांश यजुषा, उच्च; सास्ना इति। as विधि-वाक्ष we वाचिनाख्गादि-शब्दानां प्रयोगाश्न््-धमौः उच्चेस्वादयः, तथासति agar: अध्वर्युणा प्रयुव्यमानाः अप्य चः उश्च रेव॒ पठितव्याः; इति चेत्‌-- मैवम्‌, असंजात-विरोधित्रेन प्रलमुपक्रममनुत्य तद शेनोपसं हारस्य ने तव्यतलात्‌। उपक्रमे हि वैद-शब्दः aai— "योषेदाभ्ररखज्यन्त, ware,

१६ सामेदसंहिता |

वायोयंशरवेदः, ्रादित्यात्‌ सामवेदः'-इति () wes उपक्रम-गत- वेदानुसारेश विष्य देश-गतानामप्युगादि-शब्दावां वैद-परत्व सत्यचोऽपि यजुवदोत्यन्नाः sats पठनोयाः नमुप- क्रमोऽथेवादत्वाद्‌ दुब॑लः, उपसंहारो विध्य दे शत्वात्‌ प्रबलः, दति चेत्‌-चाठम्‌ ! लब्धा नोहि विष्य हं थस्य ॒प्रावस्वम्‌, तु (२) प्रथमतोबुचुयत्पादकः उपक्रमः, तदानौमलब्भामकल्याच तस्य बाधकल्व, TAY वाक्मेकलाय तदविरोधेनेवामानं MUI; aaa सुपक्रमोपसं हारेकवाक्षता-बलेन निरयाद्‌ वाक्ष-विनिवो- गोऽयम्‌”९५-दइति हितोयाधिकरणम्‌--२५““य वे दमाधानं तदं गं साम तच्रकिम्‌। उश्ेरूपांश वा mage: भौघु-प्रहत्तितः उत्पत्तेविं नियोगोऽव्र प्रबलोनुखतिर्यतः। सुख्यस्याङ्गम कर्तव्या तस्माद्‌ गानसुर्पांशता | भाधानख्छार सु ख्यत्र गानस्य गुखताधवा | विनियोगस्व मुष्यत्यसुत्पसेगु शतास्बिह saat वामदे व्यादि-सामान्धङ्कत्येन विहितानि, तत्र॒ यद्यप्येतानि यलुवंद- गतस्याधानस्याङ्गानि तथापि ease तषामुत्पन्रत्वादुत्पसतेख wy बुचि-ेतुत्वात्‌ सामषैद-धमेंण गेयानोतिचेवत्‌-न, विनियोगस्व प्रबलत्वात्‌ ayae शतः-“यणएबं विदान्‌ वामदेव्यं गायति,-दति। गणेन हि सुख्यस्यानु सरणं न्धाव्यम्‌ कोगुणः १९ fa मुख्यम्‌ ? इति चेत्‌ भअव्रार्किल्ादाधानं मुख्यम्‌ साम-गानमंगतवेन गुणः ; तथा सति wa: शिरः-इत्यादयः

(\)- षद्‌ विंभ-ग्राह्मरख्य चतुथे-प्रथमेऽपीदं तर. यते, परः तत्‌ मलेबम चरकः ; नथा

CPW चतुथे प्रपाठकोय-सप्रद णए-खष्ड , तवापि पाठे भेदः | (3) पुाह्कमरुश्चात-बिरोधि्ब नेति wa स्फ डो भजिष्यति |

सामवेदसंहिता | ५७

आधानाङ्गमृताः मन्वा: यथोपा पठगन्ते, तवा सामान्धप्याघा- माणुसारेखशोपांश् गेयानि ; अधवा विनियोगोऽनुष्टापक-विधि ला्छख्य;, उत्पस्तिविधिरतधाविधल्वाद्‌ गुः; तस्मादज्र विनि- योग-वैदानुसारे णोपां् tara’ afer a

पञ्चमाध्यायस्य ठतोयपाटे चतुष-पश्चमाधिकरणयोः स्तोम- विचारः। तत्र चतुधाधिकरखम्‌--र^“स्तोमठदौ किमागन्तो मध्येऽन्ते वास्त मध्यतः। WATT ATA मध्यानुक्तेन मध्यमः | इदमान्नायते-- “एकविं थे नातिरातरेख प्रजा-कामं याजयेत्‌, Fre- areata, aafena प्रतिष्ठाकामम्‌-(९) इति aa wera बदिष्ठवमानस्तोजे तयस्तचा wafr—“curat गायतेत्यादिः (So Mo LA UAB) एकः--““दविद्य तत्यारुचत्यादिः (उ° शप्र०२सू०१।२।२ऋ) हितोयः-“पवमामस्य ते कवद्त्यादिः- (ख०प्र०२स्‌०१।२।२ऋ) ढतोयः; तेषु निषु cage गानेन व्रिहत्‌ स्तोमो भवति (९) aa पञ्चदथ-सपदथ-स्तामादोना- मिवाहन्तगानमस्ति, वह्िष्यवमानोविक्तावतिराते चोद केन प्राप्तः ©, aa विहत्‌-सतेमं बाधितुमेकविशादि-स्तामाः विहिताः, बहिष्यवमाने भ्राठत्तगानाभावात fay ठचेष्ववखि- ताभिनेवभिक्छम्‌भिरेकविंथ-स्ताम-पुरथाभावात्‌ तत-पुरणाय चत्वारस्त॒चाभ्रागमयितव्याः, जिखव-स्तोम-पूरणशाय षट्‌ ठचाः,

(र९)--रकविं्सर खरूपमेदादिकश्च areal दितोय-प्रपाठकं चतुदेष्यादिषु चतुषु कष्ठ च, विकवख तु तुतीय-प्रपाठकस्यास-खष्ड-दइये, wale परख तत्परखास्‌ खष्ड-यतुहये तम्‌ |

(₹)- ताष्डा-दितौय प्रपाठकाख्य-खष्ड' वय तत्‌-खरूपादिकं FAT | (द)--श्रृतिवद्‌ बिषटतिः करं अः'-दति वचनेनेति बावत्‌ अतिरातख विरति qe: |

Gq

भट सामवेदसंहिता |

Vater -स्सोम-पूर्णाया्टो वसाः; अरचाममनमं (९) Taft ure wed (र) तेषां चागन्तूनां मन्ताष्शं प्रालत-बहिष्यकं मान-मघे Oe: क्थः ares तद्थंभात्‌। दति प्रापि, जूमः- दादशाहे हि वथमेभेवैमाायते- स्तीतियादरूपौ st भवतः, ठषयुन्तस्तचाभधन्नि; तम रश्मय सेः" भलि (र) अथमर्वः-- प्राकता बंडिष्यवमान-गताना भयास शवानां सौोभिवोऽनुर्यपः प्वासशेति तौ नामानि, सन्न Sear र्शरूप-परथ्वासयोख्तचयोमेष्य wey: ara इति, मचेवमतिराधतै wa fete बथनमस्ति। तस्मात्‌ कस-करममबाधितुमागन्तूमामन्ते FAT! Tracey ria ereneraranrca® मध्ये ऽयाः पू्ववव्‌ wif यश्रस्येशयहथो मध्ये निवेशनम्‌ पूर्धादा्तेऽतिराे माध्वन्दिनाभेव-पवमानयीखोदंक-प्रापौ TTS बाधितुमेकविंशादि-विषद"स्तोमो वथनादगुष्टौयके, aa बहिष्यवमानंवहमागममं मवति किन्तु सामौगमेन स्तोम-परण मिति दशमे ५) ved, लस्य erat: साक: ochre भिवान्ते निवेशनात्‌ पठितानां carat मध्यं तस्ताभ-चंरमे we

(९)--अभिमाभिकरकेः “नु समो पि -इत्यादिना |

(द) साष्डेयकादन्न-बषट FENG)

(४)--तथाद्दि--““शष सनतो यज्ञो हौ रौ दि Stet eae वर्तः विष्त-पर्थदण्ते भ्रातः सवनम , eT LOL Gal साष्यन्दिनि garg, स्दरेकनिष्ते ततौर्थे शवेन"

दति arel-wivnatdea: | (५)-अ्िकरमाशाबाः |

सामवेदसह्िता | ५९

were! इति त्राते, ब्रूमः-“वौखि. वे यच्रश्नोदराशि WAN, तो, अनुष्टुप्‌ चाब्रद्नेवावपम्धतपएवोदपन्ति-द्ति हि विभेवश्राखायतें (\)। अयमथः otra frawa are अवा- घः (र) feat, सराय चोहापः(र), ताबुभावावापो erat गाय ऋपादिष्वेव नान्यत्रेति, “र्चा वे न्रातमन्धसः'-दूतयेष माध्य- न्दिनि-पवमानखादाव्तयः (ए.शप्रएस्‌ १।१।२ ऋ), ‘arfe SATE, (ह ,१प्र१४ू१।२।१ अ) भ्रर्भव-पवमानस्य, तावम Tee तसोरावापः, तु विष्टुप्‌-जगतो-ृन्दस्कयो Ta: सामावपनोयम्‌+५-इति तत्रव पश्चरशा- विकरे स्तोज-त्रिवार!- २“ एकस्तोभेऽन्धशष्टः स्वाद्‌ ay- wash वाभ्रिमः। शिढदन्धेव्बधेवादामान्धमातस्य सम्भवात्‌ भव्र॒पूर्वोदाषतोऽन्धेनेत्ययमन्ध-शब्दः (*) एक-स्तोमक्े क्रतौ कलते, हलः श्येवारेन तदबगमात्‌। श्यो 2 fares बचक्रतुमाप्रयते लं टौपयति, a: wer: सतं, यः wen; चच तं, यपकविं्टः स॒ तम्‌'-इलर्भवादः (४) शअस्या- ane. faecrequenrc: स्तोमाः (4) whan ada, तेषु

(ध)-साष्डा-सप्नम-ततौये KENT |

(RJ STATE: QT WT: |

(R)—SETT SGT: |

(8) पूणो Eee cee Rafe पक्चमाध्वाय-मुतोषृपाद-वतुदे मा- ककिर ater | अन्य-पम्द-वटितं तद्धिवाकषम्‌ arez-en-sea, तथाद्दि- “रष वाव जवनो कचानां रतेगाजिद्ायाण्ये अजति मं wea तजलोयते"-ईति |

(४५)--गा०९९१०९ख० |

(९)-जिश्त्‌र--पचदन्ःर- "्छादनद- रकिः |

go araaeafedt |

frat wnifrafred यं यन्रमाप्रोति विषठत्‌ स्तोमः a यज्नं दौपयति प्रका्यति सवेतोव्याप्नोतौति। स्तोमाग्तरस्वा wana विहतण्व सवेखिन्‌ यश्न-खरूपे व्याघ्ावयभेक-स्तोमकः क्रतुभेवति। एवं पञश्चदशादि-स्तोमव्यासिर्यीजनौया ।. तथा सत्य्थवादादेक-स्तोमकानाभेव वुदिखत्वात्‌ तणएवान्य्ब्देनो wat! एकस्तोमकाख षट्‌ रात्रादिष्वाखाताः निहदम्नि- anata पञ्चदडक्धो भवतोत्यादयः। तस्मात्‌ तदिषयो $न्ध-शब्देः इति प्राम, ब्रूमः तं दौपयतोत्य्र प्रकाश कत्वमातरसुच्यते, तश्च॒व्यापिमन्धरे सम्बन्धमात्रादप्य waa, तस्मात्‌ अरम्निष्टोम-प्रतियोगितया बड-स्तोमेक-स्तोम-साधारण- तेन यमाणस्यान्ध-शष्दस् सदो च-हेतलभावाव्‌ सवे-दिषयोऽय- मन्ध शब्दः“ -इति

सप्तमाध्यायस्य ठतौयपादे ठतौयाधिकरणे सवंष्ठातिदे- चिन्तितः-- ९८“ विश्वजित्‌ सव॑ण * किमनुवादौरधन्तरम्‌ Beat वा ससुश्चेयं यदा षाडहिकानि षट्‌ श्रतिदेश्यानि तव्राखोमारेन्द्रादि-चतण्ये। एषट-गब्दाच्चोदकेन waufae quar | समु्चयो वा विधये सवत्व बह्भपेच्चया तु हयो रतः wet पृष्ठानामतिदेशनम्‌ ‘fafa सवेष्ष्ठोभवति

% ‘“go?’-gfa टकारोपधःपाठ० गो ° Alo पुस्तकयोः |

दरव स्यभेनात्‌-दइति प्रदर्ित-विग्रहादपि र्वोपशभ्यते, परं तथापाठ- खाष्ठयत्ाद्धश युखकेषु चिदपि, कम किच्च तथापाठे जेमिनोयाविकरशमाशायाः षष्ट-बष्टपशचमे fafent ‘vee इषदेभे प्ते '-पत्यु्िवि रुष्य

सामधेदसहिता | ६१

इति aa (९) aa सवं-षृष्ट-शब्टोऽनुवादः, कुतः ? प्रा ami तधाहि- च्योतिष्टोभे माष्यन्दिनि-पवमानानन्तर भावौनि माहेन्द्रारीनि चत्वारि स्तोत्राणि सम्ति--“श्रभि ar शुर- नोजुमः'*(१,१ स्‌ )“कया Afar भा भुवत्‌" (११्,१२स्‌) (तवो दम तोषदम्‌"(१प्र,१ ख्‌) --(तरोभिर्वीविददसुम्‌' (११्र,१४्‌) Ay चतुषु aay तानि स्तोत्राणि सप्दशथ-सोमतामापाद्य teat) wafer ae विद्यमानानां तिदधणाखवां ब्राह्म सोक्क-विधानेन सप्तदणधाम्यासः सप्तदश-स्तोमः, तादृशेषु स्तो षु ए्ठ-शब्द्‌ः aaa “सप्तदशानि एष्ठानि'-इ्ति, तानि पृष्ठानि fare चिति चोदक-प्रा्ल्ात्‌ सवं ए्ट-गब्देनानृव्यन्ते देकः पचः रषन्तर एष्ठ-बहत्‌एष्टयोर्ज्या तिष्टोमे विकल्ितयोरिहापि we केन विकल्य-प्राप्तौ स्व-शब्देन समुशयोविधौयते, तथासत्वगुवाद- ata भविच्यति-इति दितौयः | स्वत्वं बहुषु सुख्य' तु इयोः, तस्मादनेन सबेष््ठ-शब्देन षट-सङख्याकानि एष्टान्यति- दिश्यन्ते, wee प्रतिदिनभेकेकं we विहितम्‌ तानि पृष्टानि षट्‌- रथन्तर-हद्‌-वेरूप-वैराज-शाक्षर-रेवत-सामभिः निष्याद्यानि (९)। यद्यपि विश्वजितरएकाहल्वाद्‌ च्योतिष्टोम- विछ्रतित्वभेव तु षडड-विक्षतित्वम्‌, तवापि सव-षटोक्ति-बलात्‌ तानि षर्‌ एष्टान्धतिदिश्यन्त xfer

(१)-ताष्य-नवम-तृतीये, परः तत्र नैवं पाठः | (२)--रथकराद इमे षेव उद्यममानजतानि |

९२ सामवेदसंहिता |

तवव दथमाधिकरणे खर-साम-बिकार-विन्ता- ५०८५ब विकारा विक्लारा वा खरसामादयो नहि! वैष्णव-ग्बायतो मैवमनन्धगति-लिक्गगतः गवामयन इयोमोस-बट्कयोर्मष्् (र) वसानं (९) yaaa प्रभानमूतभेकमशर्विं दते (र), त्रश्च दिवा-को््यमः, (*) तसात्‌ प्राचौनाख्य; Saran: अश्वि शेषाः ; तघ्ोपरिष्टादपि wa: खर-सामानः तदेतदभिपेत् nat (अभितोदित्राको शथे wa: खर-सामानः'-इति (४) तेष we (९)-सान्वायाय चप्तदश्-स्तोमादयौ wat: विदिताः (*), ware

(९)--गबामयनं माम arate, तच दिभिषम्‌, “aret arg मसु भुाखया- अन्त (ला-४-१-९)'-इन्यादि-जिदितम दण्माक-निष्यादय; “इमौ erent मासौ wert: सरमापरथामेति (ता-०-१-२)'-इत्यादधि-बि ङितं हाद श्-व्ा-ताथच्च, प्वेषविषो TE: afm |

(₹)--अशीत्युत्तरकतदिनानन्तरम्‌ |

(द)-तथाड्ि ताष्डा-चतुथेद बष्ट-परथमे-““विषवामेष wafiy’-crarfec |

(*)--ष्िाकीत्ये-जामक-लमकम्‌, तवाहि, साग्य-चनुरयेख -दादमे--“दिणा- Rear erat water cate त्व सान शभाजब''वाभाजम्‌' तत गप्र विद्ितम्‌- (MMT पवब्रानमुखे" -दत्यादिना, तव wy दवितोय-परपाटङ्गीय-दादन्तय-

माद्यं, विं्रतितमच्चाकप्रम

(L) तथाहि, ATT चतुध-प्पाठकोय-पश्चम-शष्ड - “जयः पुरात्‌ AE पर wry भक्नि -रतिब्रडर्विलेव नल्‌ rt, aie नृतोय-दादणे- “बयः खरसा- मानः, दिवाकोक्त मदः, जयः खरसामानः" इति सर-नामक-खामानि feat w= ते खरसामानः। af खरसामानि खआरङिकािंकल fete erat 'यव्नायथा पूं -दत्यखाम्‌ चि उत्पन्नानि अर्य-नुतोय-प्रपाठकोय-डितीयादं-नयमा- दौनिषड।

(९)-- प्राः नश्नोय-पावर-बिष्ेषाः |

(9) ATT YS TITS waa ap ee Vereen eee |

सामवेदसंहिता ६९

aa च.यते (९) “Te: weet दो खर-सामार्नी "इति तावेतावड विशेषो qatarat weeret विकारौ, ga: ! वेष्शव-समाम चात्‌,(रोयधावेष्यवशष्दो देवता-रूय-गुख-विधामेन मुखयहस्तितवा- स्या धमानतिदिशथति, तथा साम-विपिष-रप-गुश-विधायकाः खरसाम अन्दः | ईति प्रापे, ब्रूमः अनन्धमति-किद्ध-वशात्‌ TET मानो विकारौ मवतः, तथाहि--षड्डो दो खरसामानो-दइत्येवं योभ्वमष्टा उपन्यस्तः तजर CLAW कमेण “जिढत्‌“पश्चदयः'“सपत- ae went: भिखवः'.त्रवस्ति्ः"इत्येवं स्तोमषट्‌कं चोदकेन प्रा- म्‌, एव सखिते ढतौय-षष्ठ-दिबस-गतयोः ससदश-अयस्ि शयो we # विधाय, खपमाषटमयोरड्कोः सपदशस्तोमं किदवत्‌ aa, fry चरभिष्वःसु ससदग्य-खोम-मेरन्तयमवेवादेनाहवडति | धयत्‌

# wafe शयोर्थव्यत्वासम्‌'-इति संरकतविष्यालयपुस्तकपाठः।

(१)--विद्छति-याने।

अतिरलिदेष्णो frafc यत विगेषरूपमेव कशे शत्यो पठिते, इतरत्‌ खै कमोकारादेलिदिक्षणे खा गिद्ठतिः। चानिदेणः wanes fare ware fore rq) cnt Grete सक्माडमाध्वाथाग्वां ewer विचा- fray

(र)- Sagara इं कालनि, a कम. erciitew सुलोय पर पाठक-गस-दिती- वादं दाद सुकम्‌ US, Sway विंकरति-परवाठक-परधभायी योगविं्लितम.$ दिषीय कन्योनासगखिं कस्तं वषट-पपाडक-प्थमाद य-तृलोक-दव्सि-प arene re. कम्‌, अहनागस्छ विनि .कणारक परथमा डो य-विं ्लितमस | तरेतद्-दव-साल वडव विचारो न्वावमाराथामम वाध्याये बषठाधिकरणे मतः, तत्साम्बादित्यवः।

rt: सामवेदसंहिता |

wala सप्तदशमहः तत्‌ जयसि शखानमभिपयौ हरन्तिः-श्ति व्यत्यासविधिः, “याणां सप्तदथानामनवानतायाः*-दत्य्षवादः (*)। तवर ॒यय्यन्तयोरशोः+ सप्तदशस्तोमं खरसामशव्टोऽति- feta, तदा नेरन्तयंसुपपद्यते, नलन्यथा। तव्या Fae maa गुणः-विधिः किन्तु धमासामतिदे शकः५०८८.डइति दशमाध्यायस्य चतुवंपादे मवमाधिकरखम्‌ -- “ane शओोकादिनाज्धादि वाद्यः स्तुति-लिङ्कतः। देणसाखोविधौ भेदो वेभिष्याशु समुखः महाव्रते शूयते “श्लोकेन YT स्तात्‌ सदसः स्तवते, -अरु्ञोकेन पञात्‌"-इत्यादि (९) ay ज्ञोकानुन्ञोकादिनामकेः सामभिः (४ प्राक्लतान्धाज्य-एष्टादि- स्तो्-गतानि रघन्तर-वामटेव्याटि-नामकानि सामानि बाध्यानि,

# 'यद्यन्तयोरङोः-इति we fao Yo पाठः |

(१) werttente cag alee मवामयब-सब-प्रकरर्माद्यक-समाशोयने- जावमनान्धम |

(९) WSR TA Qa) लज नेयनागस्यकादभ्र-दितीयखास् सामभोौ MATTIAS, तयोम्‌ शन्दोपन्स पञ्चम-दितोद-प्रवमायां चतुर्थो wa

(९) खवादिपदास्‌ वङवयना तज छोकादखछोक-विधानानकर-अ तानि यामादौनि गोध्यानि। तव eine चतुथं -प्रपाठक-प्रथमादीं शतौय-द्लि-ज TEAC GATT COUTTS तोय-प्रथम-शतीयं सास "यामम्‌ किञ्च सन्दा कस पम -प्रपाठक-डितोयाद्ो य-प्रथम-प्रथमाय खष्युत्‌पत्न खअरष्डमानख -कतीय-प्रथम Wale साम “खअायः-संज्नकम, खपरम्‌ आरणिकाचि कस्य चतुथे-दति-जतायां इरित ga कोत्येतसा युत्पन्चम , अरष्यमानस््-पथम-प्रथम दाविंतितमस्‌- WAH साम |

सामवेदसंहिता | ६१

कृतः “सवते"-इति प्रकषति-लिङ्क-दर्थंनात्‌, प्रकतौ (९) भव्ये Qi, ws: स्तवेति yay! नेतत्‌ सारम्‌ fra खुतिमनुख देश-साम-गुखो विधोयते ? किं at गुणदयविथिष्टा सुतिः? नाद्यः, वाक्ध-भेदापत्तेः। feat तु काथ्मेदेन बाध्याभावात्‌ समुचय: VT take wera TENA कोत्ता- दि-साखः प्राक्तत-साम-बाधकत्वम्‌-- *९.“समुश्चोयेत कोला यहा प्राक्षत-वाधकम्‌ *। स्सुलयाभावादादिमोऽन्यो fay- प्रकरश-दयात्‌ विक्लति-विशेषे यते- को भवति काण्वं मवति-दति (९), तदेतत्‌ कोल्ादि-नामकं साम प्राक्तन सामां waghad, कतः प्राक्रतस्य स्तति-लिङ्कस्याभावैन कायक्या- भावात्‌ मेवम्‌, प्रकरणात्‌ Wawa सति ऋगक्षराभिव्यक्षि- सामध्य-ल्षश-प्राक्त-लिङ्केन कार्ये क्वावगमात्‌। ANTE ATH

* 'प्रलतिबाधकम्‌'-इति पाठः रा० पुस्तके |

(१)-प्रशटतियामे |

ay देयं स्मे प्रक कमोगारनेरपथेख उपदिश्छते सा safe! तव aife werner Phra सवेना कमाकरनिरपचा मरप्रुतिः, बतिपयेषयङगष wart चाय मे way afer Safe: अपचकोयों भवति से यसवा, acter, तव तिशो मूर प्रतयः, ताखाटमाध्वायख प्रथमपाद्‌ हतीयाचिकरशस्प fattqread विचारिताः

(९) ताष्ड1-गयोदग्र-नवमादौ | aut weafe मेवनामद षौडष-प्रथमा इङ षयोदश्रारोनि Afe सामानि; तेषामाधारममिः शन्दोपन्स् बट-दितोय- प्रथमाया fetter अक | `

६६ सामवेदसंहिता |

ay afew ॥एकादे Sarai: प्रक्लत-बाधकत्वम्‌- oy सवं-वाधकं सव॑भेक-इयाख क्षि तोऽचवा अविथेषा- दादिमोऽग्यणएकाच्य क्षि-विधेषतः तत्‌ gate’ कोन्ादि-साम- विषयः। wa, किं ‘ater साम प्राक्त सर्व-साम-निवर्सकम्‌, “काणुमपि तथेतये केकस्य सवे-निवत्तेकत्वसुच्यते ! भ्रारोखिदेक- वचनान्त-निदिष्टभेकस्य निवत्तंकं, दिवचनान्त-निर्दिं्टं दयोः, बहइवचनान्त-निदि्टानि aeary तज नियामकाभावादाख्यः ay: प्राप्रोति, एकादि-वचन-खूपा्णां शुतोनां नियामकत्वा- दन्यः पर्चोऽभ्यपेयः। तथाहि "कोक भवति' (र), "वसिष्टस्य जनिते भवतः (र) (क्रोख्चानि भवन्तिः (द)-इति निवन्तं केषु खुयमाणानि एक-दि-बहवचनानि faretat तखषःख्ावतव प्रत्यासत्या ोषयन्ति, fay ` एवं सति शबाधित-साम-विषय खोदकोऽलुग्डहौतोभवति, छकू-बाधे तु सवं चोदको निरुध्यते; तस्मा waar eh dw हादे स्तोम्यः प्रा्तत-बाधिका--**“स्तोमखयोव दाहो; प्राक्त; किं निवत्त ते

(९)- साष्डयसख तोयपचिकायां निभिन्म्द्रुयो' eat | कोत्छ-खरूपना खद जामद प्रथमप्रपाठक-दितीयादौ य-दशमं साम, तक लम्‌, उश्रािंकसय प्रणम दितौये ere ख़ ; कारू-खसरूपन aware प्रथम-परथमान्तयं साम, TH लन्‌, SHUG कख प्र थमख हितोये तीयं खङ्गम्‌ |

(DATEL RT | सरूपविवरकादिकन््‌ कमेव

(९)- ताष्डःोमविंशस तोये तत्‌ खरूपं गेयमानस्छ पषदशप्रपाठक-दितौया- देखखाम-नवमे सामनो + TROT MAT ऋक्‌ FERIA पच्चम-्रपाठ क-प्रथमा- चतुथे-दग्रत्यां Twat |

सामवेदसंहिता | ६७

TAT वाच्यः स्वात्‌ सामोत्यत्पयोगतः अहष्ावुपयोगाय mre निवत्तंकम्‌। awl पूर्वो पयोगित्वात्‌ ददौ तु निव सकम्‌ सन्ति ठरद-स्तोमकाः भरहद्द-स्तोमकाख विक्लति-रूपाः क्रतवः, तत्रोभयत्रापि यानि सामाग्धुपदिष्टानि तेरतिदिष्टानां wat faafe स्यात्‌, भन्धधा सामोत्पत्ति-वेयष्ययत्‌ दति पूवेप्ः। fate: wer’? a ॥योदथे era eet fated आावापः- “anf स्ताजरक्छवि aft <arer- वापस्योषतिः पवमानेषु गायश्ादिष्वेवोता विशेषतः | wet परिसरूख्यानादव wafa तदिधेः विध्यन्तरा- थेषरूपमपूवं' तदिधोयते भठद-स्तामकेषु प्राक्षतस्यातिदिष्टस्य साखखदापः, प्रत्यच्चोपदिष्टानामावापः, वद-स्तामकेष्वावापः ; इति fet पूर्वाधिकरणे ताबेतावावापोहापौ यस्मिन्‌ कसिं चित्‌ सावर यस्यां कस्याच्चिदचिस्वाताम्‌, gai? नियामका भावात्‌ ; इति yar | नो खलेतद्‌ युक्षम्‌, एव कारण प्रत-पवमान-व्यतिरिकेष्वाव्यादि-स्तात्र ष॒ गायजो-ढत्यगुष्टव्‌- व्तिरिज्ञाखश्श्रावापोहापयोः परिसरूख्यातलात i एवका- रच वमाञ्ञायते-जौणि वे यश्नस्योदराशि यद्‌ गायतौ हद MTEL च, WA वावपग्यतणएवोदयन्ति इति ननु माभूता मन्धत्रावापोदापो, विव्तित-देशेषु कथं प्राप्रुते {-इति चेत्‌- waa वाक्येन तदिधानात्‌-दति प्रापे ब्रूमः- नचायमधवादः, भनन्ध-गिषत्वात्‌ | नाप्यनुवादः श्रपूर्वाधलात्‌ तस्मात्‌ पवमाने- ष्वेव गायन्रादिषु ावापोदापौः५५ wala तु कणुरषन्तरं ख-योनाषैव-- “geared कण्रघन्तरं रथ-

és ` @raaeafect

न्तरस्येवयोनो किं ख-चोगादसाधिमः। चोदकस्यादिशमेग्ड हितीयोनाम-साम्यतः। अनद्नलाब्रातिदेशः ख-योने. पठित त्तः। वैश्यस्तोमे एषट-स्तोतर साम-विभेषोक्हितः- ‘are रथन्तर ws. भवतिः (५) fa, wet wees. wee यन्तर-सामनौ. विकस्यते, “लाभिदि. wares. (2० २-१-५२) इतोयखक्‌ हतो योनिः-- “रमि त्वा शूर (० २-९-५-१) इति रथन्तरस्य “पुनानः. सोम (2 ०५-१-३-१)इति aE रघन्तरस्य.। तजर. हहद्रषन्तरयोरन्धतरस्व साज्ञोयोनोः कखु- रधन्तरं गेयम्‌, कुतः.१ चोदक-पराषयोविं थेष-निवामकाभावात्‌ ।, UAT रघन्तरस्यैव. योनो मेवम्‌, कुतः रषन्तरेति-नाम-सास्बस घ्मातिदेयाघलेन नियामकत्कत्‌ (९)। नेद्‌ युक्तम्‌, we द्रषन्तर-साग्नोरेव प्रकताव्रङ्कतलवेन . विधानम्‌, न, तु तयोग्धोः, अतो नास्ति वयोः (९) अतिदेशतः.प्राभिः। तस्मात्‌ earn नेयमिति परिशिष्यते (५)। प्राभि सामगानासुसराब्न्थ- पाठादवगन्तव्या (५)। wat सतिखुत-हान्यखुत-करयभेः afi

(XR) साष्डा्टाद्ग्प्रपाठटकस्य षष्टखष्डं | तत॒खरूपम्‌ Gwar चतुथै-प्रथ- AS चतु साम ; तदाधारभूभिख्वृ VHC प्रथम-प्रथम-ष्टयाः प्रथमं खङ्गम्‌

(२)-प्रह्टतिवद्‌ विद्छतिः कल व्ये ति्राललादिति यावत्‌

(द)-नद्‌-योन्योः वर कदः STAT: खात्‌, यदि प्रहतियागे तयः w तिरू्पांगने a. विधानं, तयेति तयोर विदतावतिरेभः |

(४)- ख-योभो Gare सोमेत्यसख्छाखचि serene गेयम्‌, AY मेयनानख चलू- देश्प्रथमख्ोगविं लम साम कश्वरथकरष्षटन्‌, aie जद प्रसिहम्‌। `

(४)--उत्राप्रन्य-पाद्छ्‌ः वम्‌- अभित ति ९,१.११,९, aR २,९.६९.९.५ परनानः सोभेति LEC |

ज्ञामवेदसदहिता | ९८

wen wee तु कशरथन्तरं स्वकौययोरोवीष्तरयो- aR सन्देह-नि्यो पूववदेव्ये्तरयोऋ चोः।. योनि-त्यागः. WANA. च-अन्देनः कथनात्‌ “एकं साम ae कियक-दति इतिः कशुरधन्र-साखरः WN तवमाययः, AMT सयोनिः इतरे WAR) एवं Beate! तच" agua, Tareas अ्रतिदेश-प्रास्मविेषेण Sera मेयमित्छश्यः TY | नामः साम्बाद्रषन्तरोल्लरयोरेव भयमिति feala: पक्षः | WN ५. Breet साम हारकमक्त्वमङ्गोल्त्य चोदकप्राप्ता पक्त-बयोपन्यासः | योनि- वदु्तरयोर्भरन्य-पठितत्वात्‌ ख-योन्धुत्तरयोगयमिति ate. पत्तो रादान्तः। (२) ब्र्हद्रषन्तरोन्लरयोः' ख-योन्धत्तरयोवौः गीथ- ताम्‌, सवैधापि सख-योन्धक्‌ त्याग ऋगन्तर-परिग्रहञ्च समानः ; ` तथा खति चोद्टकोऽज्र प्रापकः-इति. (र) पूर्वपक्तिणोऽम्बधिका Wet! ECW समाजच्छन्दस्का नामे क््टेवत्यानाखवचां, Aa

a "ऋचः" -इतिं पाठः Te पुस्तकस्य |

Q)—qafeaceres विगरेषः कोविचारः-इति .दभेयति बृ दित्यादिना |

(९)-- अचर विध्दि खरादेमाख्ि. सामत्ममपितु खरादेरवेति पे सिद्धान्ति- तम्‌, तथाच पुनान-रति Swe दुान-दति दितीयायाखवि खद शमिति तृतोया- Tole क्कवरद्न्तर-मानकाले पुनान-दत्याखामृषं त्य जयत एवेति खूयोनित्याग WINNT मले.पतित.एव, एवश्च अपरामचमपि श्आध्ःरतया प्ररे मालि वेषम्ब- मिति श्द्मिवदद्‌ विद्धतिरिति. चोद्कबल्लात्‌ प्रतिमाने भ्‌, तख रथमरद्- तख योगौ अद ्ःधारमते.भविवग् -दति पच्छाश्ययः + |

So araazafear

प्रसिदः (९) ; भ्रतस्तद-दत्या प्रत्यया, चोदकः-पराषस्य बाधः- इति रादान्ताणयः इति”*°-दति |

पश्चम-पादस्य हितोयेऽधिकरणे तिुषित्यग्रिमस्तचोविव- चितः “-“ढचाद्यासु ढचेवाये तिरुष्वित्यच्यतेऽभ्रिमः। चिच्छन्द- स्वात्‌ ATA स्यात्‌ WATS ठचोऽखिलः एक-सङायास्ि-स- wrara व्यतिषङ्ग-विधानात्‌ “एकविक-नामकः' कचित्‌ क्रतुभं- वति, wed यते--“्रयैषणएकतिकस्तस्यैकस्यां बहिष्यवानं (९) तिखष॒होतुराज्यम्‌ (९) एकस्यां मे्रावरुणस्य (५) frag

(९) ताष्मादयौ |

(९)--शततखरूप' तदाधार-खरूपादिकख Te afer |

(र९)-““पानमावो अन्धसः"-इति कन्दोपरन्यद्ध दितोय-दितोय-दितोषे प्रथमा wa warrants Ate सामानि चतानि, तानि ae चतुथेद्वितीये बोड- retin 'बेतडव्य-मामकानि, ततराग्यमोकोनिधनं यद्‌ वेत तत्रात UNG, तिङषि- त्यक्ते» खपितु SMT प्रथम-रथमे च्‌.तमदादममोकोनिषनाष्मेव पराम्‌ , तदा WASTE, उक्तरापन्बद्य प्रथम -द्वितीये IGT, तव प्रथमा “पान्तमाो" इत्याद्या शन्दसि तेव, fetter ““पुरडतं पुडुतमित्याखा, तोया “weet” carat | इति प्रथम पर्याये शोतुराण्यल दितोयपयाये ““अयनारन्द्रसोभ"'-दति उशराग्रन्धद्य भ्रथम-दितोये पच्च Peas eae, तव तिसृषु मीतमुदपरन्यख wa दितीये हितौयं साम दैगोदाखाश्यस्‌ ema “दद्‌ दमन्नोजसा"-दति owe reefers नवमं gee, तव तिसृषु गोतमरप्न्बद्य-माषुच्छन्दसाख् साम। अव care ताष्डय-मवम-दितोयं wag |

(x —efe “प्रवद्नतरायमादनम्‌"-एति श्दोप्रनबस्य ददितोय-दितौय-डदितोय- ददितीया ऋक्‌, अस्यामुत्‌पद्रान्ति षड्‌ सामानि, तानि मोयनानद् चतुथं -दितोये ` खनविश्ादौनि, तव्र॒ तृतीय “near” wea ॒प्रणमपर्याये मेतावखश्ख अशि ““खातूमरन्रचभनन्‌"--एति exiuae दितोय दितोय तुतोये तुतोष we,

सामवेदसंहिता | ७१

ाद्मशाच्छ सिनः (९) एकस्वामश्छावाकस्व (९) freq माध्व- fen पवमानःः-षति। सन्ति प्रकतौ माध्वन्दिनि-पवमानस्व वयस चाः--उच्चा ते जातम्‌'-इत्ययं (ख, प्र,८स्‌,२।२ ऋ) प्रथमो- गायजोच्छन्दस्कः, पुनानः सोमः इत्ययं (उ,११र,९ सु,१।२।२ ऋ) दितोयोहठहतौ च्छन्दस्कः, “प्र तु दरवा'-इत्ययं (उ,१११,१०स्‌,१।२। श) ठतोयच्िष्टप्‌- छन्दसः एतदेवाभिप्रेत्य तम्‌, “तिश्छ-

असमामुत्पद्चानि waft खामाजि, ताभि मेयमागद्छ पश्चम-प्रथसे षोडद्दोनि तम तृतोधमाकुपारम्‌, लदेवाव हितीयपय्य ये मेजावरश्ख | wie “खआनेतानिषोदत एति कब्दोयन्बख दितोय-ददितीय-दितौये दणमो ऋक, area aang पठम-पथमे त्रत व्टेवातिथः-नामकं साम, तदेवा हितीये waa भैवावदशस् खर ware are | किञ्च "श्रवद्न्द्रायेत्याद्ा we सन्ति चौरा पन्ये, सन्ति तदाधारकानि मानानि तज्त्नामभिः प्रसिद्धानि aque, पर तान्य सरद्न्ते wWarfafa अवशात्‌ |

(९)--अस्ति “वयसुनातदिदथाः"- इति ्राप्न्बसय प्रथम feta तृतोयं aH, नभ SWATHS प्रथम-प्रथमान्त्य कादवनामकं साम, तदेवात्र पुथमपयाये। whe “अमिन टवमाद्ठुतः"--त्याश्याः SWC प्रथमद्वितीय सप्नमसूुक्ञा्मिका सुगवः, तबोडनानसख भ्रथम-~दितौये पच्चममा्षं माण्छ' साम, तदेवा दिलीयपयये। स्ति “योमेयोमेतवस्तरश” इत्याख्याः were प्रथम-ददिकीये रकादभ-खक्राफिकाणाचः, itera प्रथम-दितोये तं दभ्मं को्दगामकं साम, तदेवा तुतौयपयाये Vy |

(jefe ("इन््रायमदइने सुतस्‌" दति शन्दोम्रन्ध् ददितोय-दितीय- fete wat wa, खअस्यामत्‌पञ्चानि वोखि सामानि, तानि गेयमामख aay fetta सन्नविंश्त्यादीनि, तव, ततौयं ग्रौतकश्ाभिषं साम, तदेवात्र प्रथम-पयये। Nis “दं wey सुतमन्धः” इति दितोय-प्रथम-तुतीयायां दमो क्‌, WaT YT पद्वानि वीक “जार -नामकामि मेख्जनस्य सृतीय-हितीये रकविंश्त्यादौनि साभानि, चम्‌ तृतोषमिर दिलोय-पर्यये, aqua प्रथम-दितोखे बद्व मारमिति प्रथितवात्‌।

र्‌ सार्मवैर्दृसह्हिता |

न्दाभ्रावापोमाध्यन्दिनिः-ष्ति (\)। णवं संति wate माध्वन्दिनि-पवमाने तिष्टषिति ae aa aaret ठवाना- माद्यास्तिखः ऋचो ure? कि वा प्रधम-टच-स्ाः क्रम-पठि- afer: इति संशयः। aa भनिच्छन्दख्व--शुत्या प्रबलया eae पाठ-क्रमं बाधित्वा ware प्राद्नः-दवि प्रातं, अभिभोयते--यदेतव्‌ faeces तदेतत्‌ प्रातम्‌, तजर कन्द aire च-व्रयस्योपदिषटत्वात्‌। विक्ततावपि तख वमति दिष्टमिति चेत्‌- वाढम्‌ 1 अतएव ॒पाठ-क्रमोऽप्यतिदिष्टः, तथासति प्रक्रान्त-गायको-ढन्दस्कस्य-ठकचस्य समाप्तो सत्यां पञ्चाद्‌ Bee ze प्रथमायाः WHE प्रारक्वखरः ्ारश्भस्तिषु-दति विरिष-विध्मनेन बाध्यते; तस्मादाख स्तचोनिखिलोग्राद्चः”५" (९) ada धूगोनभेकस्याख्चि कर्संव्यम्‌--*८“ढचे स्याहचि वेकस्यां धूर्गनं mania ae अभेदि कस्यां शरुत्बाठसति-विधानतः एकजरिकएव क्रतौ व्यति-

अकि “ongiry vite’ —eir शन्दापन्बस शुखं -दितोये Tet प्रथमा ऋक्‌, अचरामतपन्नानि वीरि सामानि, लानि RANT द्रम-प्रथमे TATE WaT iia, wa gate “कौत स" -मासकं, तदेवान etter पये परकोयं wafer | अत सवे मायं AGATA ATYSH |

(\९)- तदेतत्‌ स्फ का्डासप्रमततीये, तथाहं “जिंभिख शन्दोनिः०- शत्यादि, “fafa: मायौ Frey बार तेरिति तद्नाष्यम्‌।

(९)- सव “उच्चातेजातमनग्धसः"-दत्यादिः प्रथमा, “Crest ययब्धवे ”-दति ददित (या, “श्माविखान्वयेख्ा"-दति meter ऋक्‌ | ATTA WATTS दार प्रथमच प्रथमं प्रसिडस्‌ विच्छन्डस्नत, विभिःपर्य येकपयग्यते ममेकस्ि्च were इति foarte: | 7

सामधैदसं शिता | ७३ वङगेेकस्य स्तोत्रे षु सम्पादयमानेषु यदूगीनं तत्‌ किं ठचे स्यात्‌ ! उपैकस्याख्चि १-इति संशय. तज Weaa ae भवेदिति प्रापि, ब्रूमः इरे कतिक क्रतौ एकस्याखचि धुर्गानं भवेत्‌, कुतः ! "हतं wy स्त्‌ वते'-इति भ्राठत्ति-विधानात्‌। ठचे गानेऽपि साखरस्विराठत्तिर्भष्ेत्‌ १९ न, wae: सखर,ति-विशेषण्तवात्‌ नुख-सद्धगत्तेन-परः पद-समुषः स्त॒ तिः, तश्च ऋगाठत्ति' विना freerg सिध्यति तस्मादेकस्य धूगानम्‌००५ wre सोम- हहिरागमाद्‌ भवेत्‌ - ४““स्तोम-ददिः किमभ्बासादागमादाग्रिमो यतः। काल्पपमओुतं मेवं सरूव्यावापादि-लिङ्गतः विह््- सोमकः क्रतुरेवमाखरायते, -“एकवि शेनातिराेस प्रजा-कामं याजयेत्‌, तिणमेनोजस्कामम्‌, श्रयसि गेन प्रतिष्टा-कामम्‌ wf. प्रलतिगतेभ्यः (५) चिहत्‌-पञ्चदगादिस्तोभेभ्यो विष्टा; एकविं श-्रिणव-वयन्ि ग-स्तोमाः (९), तेषु किं प्राह्णतानां (२ साश्नाम्‌ ज्रभ्यासाद्‌ हदि्भवति किं T सामान्तरागमात्‌ ef संशयः || Tae सामा THA कस्पयितुमशक्धत्वाद्‌. ्रभ्यासाद्‌ हदिः-इति प्रापे, ब्रूमः-- (*)-अभ्यासोऽपि साक्ाच्छ्‌तः, किन्ेकविंशादि-सरःख्या-

(१) प्रश्तियामोग्यो तिद्टोमादिः axe: |

(₹)-रषाजुपजनिः ताष्डा-षष्ठ fetta) अव ता-दभम-प्रथमस्य मानि वाक्यानि wants, तथादि-“आादित्यं रुवेकविंशस्यायतनस्‌" इत्यादि, “feta विकवस्ायतमम्‌ ”-रत्यादि, “देवता एव वयसि शस्यायतमस्‌ "-दत्यादि |

(द) प्रटतियानमतविषटद्‌ादि छोममखकानाम्‌ |

(SEH परस्तात्‌ पश्चमाष्याय-ततौयपाद-पषमाधिकरश्-याद्यामे” किमा

सामाममन खामपररमिकि दष्मेवच्छयते"-दति तदेवा खअभ्धासीपोत्यादिना aie | 2 @

O8 सामवेदसंहिता |

पूरणाय कल्पयते, Ween च॒ द्रव्य-गता, भि-दरवयेरोव पूते नत्वे कद्र व्याहत्या, नच््लत्एक-वटमानौय मह weet घटाः-इ्ति व्यवहरन्ति ; ततः स्तोमावयव-दरव्यगता सरूख्या तदवयवभूतानां wet पदाधानां भेदं गमयति, भेदः सामाग्तरागम-लिङ्कम्‌ ; अज्र शे वावपन्तोत्यावापोरेशेन देणविशेष-विधिरयर लिङ्गम्‌-- सामान्तरोत्पत्वथ मन्धकषिङ्कम्‌ ; तस्मादागमेम ठदहिः”५* (९) a

सप्तमे बहिष्यवमान-हदाहचभ्रागमः-५१५किं बहिष्यवमानद areal वाभिपूरष्म्‌। सान्न पूर्वोक्गितोमेवं सामेकत्व-परा- कूत्वतः प्रकतौ प्रातः सवने बहिष्यवमानस्म रविः स्तोमः, तस्य faafag हदो सत्यां पूर्वीक्ष-रोत्या सामान्तरागमे प्रापे, मूमः “एकं हि तत्र सामः-इति बहिष्यवमानं प्रत्य सामेकलतव मान्नायते, भतो सामाग्तरागमः सम्धवति। एवं तश्च भ्यासेन सडःख्या-पूरणमस्त्‌- इति, वाच्यम्‌, पराग्‌ बि ष्यवमानेन स्तुवन्ति-इति (९) पराक्‌-शब्देनाभ्यास-प्रतिषेधात्‌ ; तस्मा गागमः”५५॥

(\—arera दितौयप्रपाटक-चतुदेष्ादि-खष्डवयाशां तुतीयप्रपार्क-प्रण- मादि-सप्तखष्डामाच्च परिदनात्‌, अपि ““वहमानेष॒खोमेसु vere पायस प्रथमा THAT AeA, मध्यमावापस्ाम्‌, उमा परिवरा कचभाजावाप- स्थामम्‌"-इति लाखायन-सूजपयालोचनमात्‌, एष चिचारो भवेद्‌ बो धविषयोऽबिगदः।

(र)- घ्र frase, नेवम्‌, परमर्थत crea, तथाङि- “अम गा रतक्रोकाय asain यद्‌ बहिष्यवमानम्‌ vate शताभिः पराचोभिः ख्‌. वन्ति" -्यादिः, परा- खोभिहिष्यवमानोभिः ख्‌ वते" इन्यादि ताष्डा-षष्ामे

arated fear | OY

षषटपादस्यायेऽधिकरणे UH साम SA मेयम्‌-५९“सामेकस्यां चे वास्यादाद्यः खाध्वायवद्‌ भङत्‌ वचनाल्निष्-सयुक्लात्‌ Ga साम ठते भवेत्‌ पवमानाज्य-ष्ष्टादि-स्तोव्र षु यद्‌ विषितं रघन्तर-हदद -वेरूपादि-साम अध्ये तारः एकस्याख्च्यधीयते, तत्‌ किं स्तोजरप्रयोग-कालेऽप्य कस्याख्चि गेयम्‌ किं वा चे गेयम्‌ ?- दति संशयः (\) अध्वयनस्यानुष्टाना्धेतवाद. यथाध्ययनभेक- साख्चि साच: छतं तथेकस्यामेव साम गेयम्‌ * दूति पूर्वपक्षः

* “यथाध्ययनभेकस्वार्चि सामगेयम्‌”-द ति न्यून-पाठः गो° Wo पुस्तकयोः |

QQ) a9 दं तनम्‌--खखि दन्दोप्न्वख तृतोय-प्रथम-पशचम्यां प्रथमा wa wei गर्तं रथकारम्‌, तथ अरण्छमानख् दियोय-प्रयमे एकविं ्तितम' साम ; तथा बन्धो. Te तृतौय-प्रथम पचम्यां-दितीया ऋक्‌, wet मोतं बत्‌ तच्च Wong Payee सक्षविंतितमं साम; तथा ects मुतीय-दितोय-बतुथों ष्टो ऋक्‌, तस्यां नेदपसंज्कान्ब्टो सामानि, तत प्रयमम॒ खजोतै स्प, दितोयं अलवंरूपर्‌, qd दश्दोपश्रवेरूप पञ्च गिषगबेरूप' वा, ada षशणिवन वरूपम्‌, Uwe सप्रनिधमबरूपम्‌, wa खंटामिधनवेरूपम्‌, gaa ten बिषनवेरूपम, अष्टमम्‌ quaeua; ( अज सागमाषे यत्राद्यश्ख तृतीयप्रपाटका wee) तानि खरष्छमानद्यारक्म रव अतानि। रवम्‌ अखि oc पष प्रथम-प्रथमेकादभे TITS, तज गीतं रथन्तरम्‌, तडि ऊद्यनानद्यादिमं शम; तथा OUT दितोय-प्रथम-दाद प्रथमस्.चः, तव गौतं बृ रत्‌, तद्धि CTS पु यम-पुयमे Gwe साम ; नथा उशराम्न्यखय हितीय-दवितोयेकादगे पुथम शच, तव att ^(प्निधमं) नेरूपम्‌”, तद्धि ogra पथमे सप्तमं साम वदत रथकार मेमिति विदिते अरष्छगामे aa STANTS ATH TRV खित्‌ ऊद्यनाने तस॒ उलराप्रन्योयत्‌चवोगकं मातयभिति शद्ाखरूपः

रवं बृरद्येरूपयोरन्यव बोध्यम्‌

oq सामवेर्सहिता |

‘TEAL प्रमायाः ऋचः प्रस्तौति, इयचरशोलरयोः"-इति (र) fresy प्रस्तोत्रा गातव्य-भामो निरूप्यते, तदिदं awa लिङ्गम्‌--ऋक्‌साभेवावमिभुनो सम्भरबाव"-इत्यारौ ऋमदेवता- सासदेवतयोः संवार-खूपेषवादे Wasa ऋचौ प्र्याख्याय तिखः ऋचोऽङ्कोचकार, तदिदम्‌ भपर लिङ्कम्‌ ; ताभ्यां लिङ्गाभ्यासुपह'हिताद्‌ एकं साम Ze गोते स्तो यम्‌-इतिवचनात्‌ SS गातवब्यमिति" ५९॥ ४दहितीये खट क्‌-शम्दो मोलनावषिः-*र“खहं क-शब्दे shee किं स्यादङ्काह्िताधवा | मौलनावधितायोस्त॒ भिन्र-वाक्येन afte: | प्रतिगब्देनावधिर्हिं arent वाक्ध' भिद्यते। सत्येवं मोलनस्यापि विधिर्नोन्तिरयो भषेत्‌ स्ति रषन्तर-साश्नोयोनो “शरभित्वाशुर' -दइत्यस्माभचि SE TNT ‘Saas जगतः ae We” -‘wearata, () अस्ति चीद्वातुः कुता ठचे श्यन्तरे प्रस्तुयमाने सम्भौलयेत्‌ (ो-जैवमाहपूर्थिकः निपाठः; तवाहि--“पञ्वी व्र quent अडाचरेक

पथमा ऋचः पु लोत्य्टाशफांशत्‌ TATE » Eqecetrcate चोः पृष्लैवि दिपाद्‌ यजमागो यजमानमेव यद्ग ogy पतिषठापयति, पञ्चारे cence

वि |

पुतिङरति पार्‌ खन्‌ पञुगवदन्धे “इति ताष्डय-सपम-सप्रमाश्चोमाबः | (₹,- तद्‌यथा,

२९ RXR “भि त्वा WC नोनुमो दुम्‌धाद्रव धेनवः। श्र रर RRR VR ९. R WAALS 0 @ शानमस्यजगतः Ge शमोशानमिनद्रनस्थुषः"- दति ware तुतो य-प्रथम-पश्चम्थां प्रथमा कक , यमेव उचरापन्बद् प्रथम- पुयभेका दशस FATT! WAKE यद्‌ मोतं तदेक quae रकष com रम्‌, यदि ऊद्य-पथम-पुथमे मोतं ततृचमुरुकलात्‌ तच रथकरमिति अपदिश्षते

सामवेदसंहिता | Oo

wen प्रति वोखेत'शति (*) gar! aa daa! किं Ae अ्‌-गब्द्ारण-वोचणयोशङ्काङ्किभावोऽतर विधौयते किंवा विधौयमान-सग्धोलनावधितेन we क्‌-गब्दोशारणं निदिं्यते fai तच्र स्च्मोलन-वाक्ाद्‌ वोचश्-वाक्य भित्र ततोन मौलनावधिव्वेनान्षयः सम्भवतोति। किञ्च वौ्ेतेति fae ्र्योऽव्र विधायकः शरूयते, ततः खट SATS वो चणाङ्गम्‌, aed वा तदङ्कन्‌-इद्ाद्विभावोऽभ्युपेयः (र)। तथा सति सट क्‌-शब्दरहितयो ऋंचोर्मीथमाने रघन्तरेऽपि विहित-सन्नौ लनातुढनिः फलिष्यतीति gira! स्'शप्रतौत्यनेन कर्म परवचनीयेन (२) प्रतिशब्देन खट क्‌-णब्टोचारग्यस्य HA काला- वधित्बं ओोख्यते। चात्र भिव्र-वाक्धत्यम्‌, एक-वाक्धत्वसम्भ- वात्‌) तथाहि बिरोध-परिदहाराय खतणएव प्राप्तलाद्‌ वौक्चणं ` विधेयम्‌ तथा सति भ्रा क्‌-गब्दो्चारणात्‌ सश्ौलयेदितयेकं वाक सम्पदयते | एवं सत्यलरयोक्छवोर्मीलिन-विष्य where तौति cere’ (*)॥ ठतौये हद यन्तरयोदिन-भेरेन

(९)-- ता च्छ -सक्नम BUS | अख्छारव श्र तेः सश्भीखये दित्यन्त' नवमाष्याय-द्वितोय- पाद -पश्चद शाधि करश-दाद्यायां (४२४०) परव्लादुपन्यस्तमकद्‌ा |

(९)--खयमेवाङ्गाशिभावः गेषद्ेषोभावो-गु शजुशोमावसत्यु ते यद Tete कारं AWAIT LAW SSS ेष-रथक्चः; ALTE “रवः परार्थ लात्‌ (ल ९,९९.)

(९ —“qqwa मृताद्धानमामविषसाचु प्रतिपक्षः (९,४.९०) इति पाशि - fracas, अव रचय कम प्रवचनोय-सम्‌ नना, तथाच खद्‌ भब्द VTS NIG ac भिति मोयते तावसकालं सममीरनेम भाग्यमिति Tet: श्र तेरथेः सम्पश्यते |

(४ --परमवा्थं arey भाष्य-विरौधो wera प्रतोयते, बथाड्ि-- "तसन्‌ प॒ बृयमाने we 'सन्ौषेम्‌ भृङुशितं कुर्यात्‌, पुनः "खद्‌ a” खद. रमिति पदं मोय- ard ' पकिवोच्व' वलोकयत" -दनि (वा-०-९) |

ot सामवेदसंहिता |

प्रसोगः--*९“गावामयनिके * vet: wee प्रत्यष्ट दयं quart . चोत भवेत्‌ किञ्चित्‌ afefer! दन्द-गभ-बहव्रौरे राद्योऽग््येऽपि समोश्चसो। अन्धोन्ध-निरपे्षस्य चोदकादन्ति मोभवेत्‌। दादशाहे (९) ver: wees: (९) तत्र॒ FET HAS क्रमेय रथन्तर -हद्‌-वैरूप-वैराजं-शक्र-रेवतानि सा- मानि (२) विहितानि (*)। गवामयने (४) तु विह्तिरूपोयः

"“मावामायनिके" इत्यभयपददठदि पाठः गौ पुस्तके |

a

(९)- दादभाश्ठावद्‌ दविषः, सवाककोऽङोगाद्मकख् ; पनरपि पूत्येक इषा सशुढोगढख, यव कामग नाभावः चाद्य लदन्योदितीयः। सव्रादमकः Arey दश्म-ततोयखष्डादिना विदितः, संबत्शरसाध्यो we: | तव SUH सवन AUTH: SHUM, तं TMT सोमयामसखदिकामोऽत्यतिष्ठदिति स्फ गभ्‌ |

(*)- संबत्सरसाध्यद् Taare डौ ett भवतः अभिप्लवः पुरेति ; तव weeny मासि आाभिपुथिव-बड्ाः CATT, TER TEE: रकः, TG बडड-पश्चकेज्ि द्दिनानि भवन्ति स्पष्टमेतत्‌ ताष्ड-वतु्ये-प्रथम-खष्वादौ 1

(द)- पृष्यडहे याः छोजियाः सामानि च, तेषामखाङ्ृयाय gare विभिन्नानि Worf ताष्ड1-दष्माध्याय-ब्ट-शष्डागन्तर Teh: wa: Tahari, तव feria fer: aifaaret रूपाणि, ततश्िभिः सानां Surette विवेकः |

(४)--रतदाकाराः ङ्ानानस्य पुथम-पच्चम-सप्रम-दमम-पश्चदणारादण संख मानदशनादूबोध्याः |

(४)-गवामयननामकं orate, तच दिनि ; "मागो वा um ममास्त aret दण्द मादुः शएटङष्छजायन"-श्त्यायाश्छायिकया दश्मासनिवेनैरस्‌ ; तासां इादध्णु मास्दु wife पुाव्तेक"-र्त्या्चाकषायिकया द्वाद साखनिर्वत्मचच 5 चयते चेतत्‌ VHS ताष्डय-चतुथे-पुपाठकार्म-ख्ष्ठ तच अदनं यमस्ते वस--पायशौ- योऽतिरावः पुथममङः, agi पो दितीयमरः, उकथस्त तोमः नयोतिना-चतुच- मः, wraatfefa पञ्चममहः, wey तिरिति ष्टाः, एषरव wee: wiftrafe-

सामवेदसंहिता | ee.

एष्यः षडडः, तत्र at “Cer, षरषोहद्रधन्तरसाम,”-इति चोदक-प्रा्योः ष्टद्रघन्तरयोः पुनविंधानात्‌ बैरूपादि-निह- ततिः। ततः शिष्यमाणं हश्दरचन्तर साम्यं कि ware क्त- aq? fa वा कोषुचिदष्ःसु हत्‌, केषुचिद्रधन्तरम्‌ १-इति

woud ; रवं चतुभिराभिपु विकेखतुषि erie भवनि, ततः विरत्‌ -जोम-साध्यः CATE पश्चदणस्लोम-साध्यो दितोवारः, सप्दभ-खोम-साष्यल तौयमहः, रकविन-शोम- साणखतुथा डः, तिरुव-जोम-साध्यः मादः, cafe 'ग-स्ोम-साध्यः षष्ठाः, सोऽयं WE QeTowa ; Tifren hag free wayes: सहाख्ययोगे जि प्रद्‌दिनादमकरक we gor ददितौय-तृतोय-चतु्ं -पथम-मासाख् वमेव | षटमास्खायाटारम्‌- दिनानि आभिपुविकषडरवयाव्रकानि, उमविंष्त्याख्ःपुषटाः Teel चतुवि तिः, पदि बतितममरोऽभिखित्‌, ततलोकि दिनानि पुथमादि-खर-साम-तय-साष्यानि, Cae MATE: YTS, नि aay eS शष्डकम्‌। इतथ मन्दस्य पु वाड रणम्‌ NUTT माखानां पुथममासद् पृथममल. तौयसखरसामसाध्यम्‌, दितौयमडोदितौय- खरसामसाध्यम्‌, तृतीयमडः पुथम-खरसाम-साध्यम्‌, चतुथं मो विज्जिदारलम, (प्च- मादौनि षड दिनानि पुष्टय-संश्चकानि तव) वस्वि स्तोमसाध्य' पञ्चमः, विषव- Voi] TERT, एकविंशष्लोमसाधं सप्तमम्ः, VACUA UINTAAT:, पथ water वममदः, freagtwerd cE, ततोभिपु बाः षडडालयः-इत्य विरतिः, उम्विं्रतममष्ोमाव्रताण्छ, Afecarew चि अलमम्‌ दितौया- दिषु माख्चत्टये पथमदिगषटकं TEST ततः पुवोक्ञ-पुतिशोभेनाठुश्िताश्चलारः चाभिपविकाः कराः Wagga तुयोभिपूविकाः षडा पथमः, तथाचाष्टादग- दिनानि निष्यन्ानि.गोँडोमसाषसनविश्तितमम्‌,खायुशोस-साध्यं वि तितमम्‌ दम रातृददिवखादश् इति ति षत्‌। CATA RG | अनयो भाखषटकयोः सन्धा - नम्‌ GUHA AMA MCHA ATCT विद्धमानमदः विषुबन्ना- मकम्‌ , तदिदमेकषषटुर्र-ति द्‌-दिन-मिवेत्यं' मवामयमं ey ताण्डयस BATA चतुषेपरपाटकेन विद-तम ; विष्टतश्च ततः परः परः तदयं छौकः--“शतानितोरि vive विष्वा चतुथेक | पुक्षामि गग्यसतस्य सत त्यानि क्रमादि" |

Te सामवैटसहिता |

संशयः। TET रघन्तरश्च हष्द्रधन्धर ते सामनौ ae ति दन्द-गभिते बडरोहावितरेतरयोग ee साहिलत्य' प्रतीयते, ततः BAe सामदयम्‌- इति पूवं पचचः। ते समनो यस्याः -दर त्यजो द्न्धपदार्धत्वं तदा भवदुक्तभेव स्यत्‌, तु षडोऽन्ध पटाः ; तथासति षडे दयोः art: साहित्व' सिहान्तेऽपि समानम्‌। प्रकतौ स्मम्नोरन्योन्ध-निरपेश्षतवादिषशापि farcrsata ara. चोदकेनातिदिणश्यते। तस्मात्‌ केषुवचिदशःसु किञ्चित साम-द्ति रादान्तः”*५२॥ ॥पश्चमे सवं यघोहयदेथे एक्ञानि- "कि ware स्वांश ween योश्च वा ष्ठ-षब्दाव्‌ इृष्ठ-देपे वचनात्‌ तु व्यव-खितिः इदमान्रायते-“ किष्वगिंत्‌ ates: ft! wet षट्खवषःसु ANY Came ‘wee वेरूपम्‌-द्त्यादिभिः सामभिः ए्ट-स्तो्र, निष्यादितम्‌ तानि सवोशिष््-सामानि यस्मिन्‌ वि ष्वजिति सोऽयं wa-us:; aa arafe न-पवमान-मे्ावख- साकोरन्सरालभूते एष्ठस्तोवरेणे किं स्वणि इ्ट-सामानि काया fu? किंवा यथावचनं देथ-व्यवस्था ?-इति सयः | Te wT NARA ए्ठ-शष्देन US-2N प्रासे, वचनेन देश-विशेषोव्यवखाप्यति, वचनं दैवमास्नायते- "पवमाने रघन्तर करोत्याभवे हषव्मध्य- तराणि वैरूपं होतुः Ve वेरालं ब्रद्म-साम आक्र भेवावस- णस्य रे वतमच्छावाकस्य' -दति ; वचनं हि amare बलयः, तख देगविशेषो safer i षष्ठ वेरूप-वेराजे saris जिनः एष्ट-गते-५५““का ब्य द्‌ वैरूप-वे राजे उक्घ-षोडशिनोरुत। पे स्यात्‌ ऋतु-संयोगादाद्योन्सः एष्ठ-लिङ्गतः इदमाजनायते --“उकधो वैरूपसामै्कविंणः dest वैराजसामेति। तज

araazafeat |

लो eae वैरूपं" साम, कदु घोकृभिनि Ace ; "रूपं" साम यस्मिबरकचे क्रतो--वे राजं" साम यस्मिन्‌ घोडथिनि कतो- SHG कतु-सम्बन्धः प्रतौतेः। मेवम्‌ प्रतौ रथन्तरसाम हव्यम येवंविधस्य frewe एष्ठ-स्तोच्-विषयत्व-दशथनादज्रापि afaena we-faya ए-कर्थं aed वैराजं भवितुमर्हति ; त्रतु-सम्बन्धस्तयोः एष्ठ-दारेशोपपद्यते५५॥ सप्तमे विहदम्नि- ति स्तोमणए्व-\^“चिहठदग्निषटदित्येतत्‌ सवत्र स्तामएव वा | भायख्ेगुख्ख-वाचिलादन्य-साभेऽस्य ङूद्रितः। एवं यते- चिहदम्निष्ट दग्निष्टोमः'-दइति (१) किं विह्ठत्मभ्निषटुति क्रतौ सवषु साधनेषु संवध्यते किं वा स्तोम-मात्र-सम्बन्धि aq? चिहद्रव्जरित्यादौ free तैरास्ध-वाचित्व-दथेमादवापि तरतु-सखाधनेषु या WRT सूयते सा सवां विहत्वेन विव्रियते-दति me, मूमः यद्यपि जिदच्छब्दोऽवयव-प्रसिदया लोके tag qa, तथापि वेदे een स्ताम-वाचकः, विषठद्बद्िष्यवमानः vert स्तात्रियाणां नवानाखचामनुक्रमणेन स्तोम-विषयभेव विंहत्वम्‌५९ अष्टमे संसवादौ पष्ठत्वम्‌-५*““संसवादौो योरेव We यदा समुचितम्‌ एकं प्रकतिवद्‌ विश्वजिददग्धत्र चेतरम्‌ वचनाद्‌ विश्वजित्येते साखी स्तोचयोदयोः। नेहास्ति तत्‌ ृष्ठएव साहित्यं स्वात्‌ yaaa इदमाम्रायते- 'संसवठभे कुर्याद्‌, गोसवखउभे gate, श्रभिजिल्येकाहः उभे हद्रधरे कु्यात्‌-इति। किम हद्द्रधन्तरयोरेकं एष्ट-स्तुतो इतरदन्धस्तुतौ स्यात्‌ किं वा समुचितमुभयं षष्ठ-स्ततौ इति "= ena ny ea eae ae ११

TR सामवैेदसहिता |

संशयः | प्रतौ इवोिंकल््ितलवादेक्धिम्‌ प्रयोभे एकस्य Tee दन्यजरापि awe युक्षम्‌, तथा सत्यवशिष्टं समम खवेषट्ट-विष्ड- जिचायेन स्तोज्रान्तरे प्रयोश्व्यम्‌-दति. gare) ताटम्बचना भावेनाज्र ब्रिश्वलिद्‌. वैषम्यात्‌ प्रज्रतिवदु ner सति पुनर्धिभान- वेयष्यात्‌ सञ्च्यः-इति Sere"? 1 सप्तम-पादस्य षोड्गापिक्ररे हदडदु-यव-खादिषश्ः नियताः हष्द्‌-यव-ादिराख ,, विकल्पयाणियताखत विकस्य ओदक-पापेजियताः सदुः एनविधेः॥ कचिद्‌ वितो च.यते- छत्‌ ve भवतिः-दति, शैश्रातवौयेः च. यते-- यवमयो worm: tf, वाजपेये यते खादिरो युपोभवति" दूति; aa ह्द्रधन्तरयोः ब्रोहियदयोः खादिर-वेशवादौ गाश्च we- तौ विक्रस्िवल्यादजापि चोदकेन विकरिता इति चेत्‌-- न, ya विंधान-वेयष्यौत्‌। परिसंख्या तु दुष्टत्वात्‌ (९) न॒ ada तस्मात्रियताः। ater (\) तर्घावरिवस्सं ते,५८ अटस-प्रादस्य षष्टाधिक्ररण विप्र-गान (६) विकलिितम्‌--^< ““उन्रेयोद्रद्म-गान्रस्य मिषेधोविहितस्वतिः। विकखितीवा wait.

% “द्द्‌ यवः, खादिरख-इति पाठः या ° पुस्तके |

(९)- तदुह्ृम-“अ तार्थ॑ख परित्यामाद्खतार्थख SET! पुाप्रख बाघ. ` इत्येवं परिसुकष्ा तिद्‌ षका"-इनि। परिसक्छा-शकशग्त्‌ ete Gee. ताद <विधिरत्यनमपा ननौ fret पाकिके सुति लत चान्यत grat ufcuewy ति गोयते"-द्वि। (२)--रथन्तरख पुष्टलेमात्‌ Wye Tet yews तथानमिति aa | faq उङ्गाता, तत्‌कतु वामदेगाटि-सानां मानम |

wratedteat | ua fa attaGera aie: | विष्यन्धयतोऽस्तोजं ब्रह्मोहातां for dfa विंषयैक्याद विकंल्योऽश॑षोरभथि-ग्रहवग्मतः। प्ाधाने वामदेव्यादि-साखां गौनानि विहितानि, भांधानं एषैदभपंरमानीयतं -- “उपंवोता वा एतस्याम्मयौभवेन्ति, यस्था म्धापेये ब्रद्म-सामानि गायति-दति। ede: सा wer ब्रते; बिंगतांः कालं-विलम्बमर्म्तरेण परे स्यं इत्यर्थः | wan निन्दया ब्रह्मणः (९) साम-गान-मिषेंधठननीयते, fide उद्वातुविह्ितं वार्मदेव्यादि-साम-गानं स्तीति। नतु Te: arama (२) ततस्समिषेधोऽत्यंन्तमसम्भावित लाच्छगं-विंषौ णवद्न्यः, हि sary वा तर्देवधो वा सश्मावथितुं शक्ते, तथासति तादथेन कथं . तिः इति चेत्‌- वपोठंखेदवत्‌, इति ब्रूमः संश्रामनोवपामुदखिदत्‌-दत्यनंनात्य- न्तासम्धावितोर्थनै यथा प्राजापत्यस्य तपर स्य(र) sore विधि waa, तहत दतिः we ब्रुमः - नेदं वामदेव्यादि-साम- विधौनौं स्तोत्रं भवितुमष्ति, विधोनाौर्भनेकत्वन ख-सख-सचिधिं पठितैर्थवारैर्नि वा चल्ेनं तदंन्वयायोगात्‌। की ABS Qh—mgr यज्चीयच्छलिम्‌विभेषः, हि स्वेषामृद्गातूादौनामृनिजां कार्य दोषोप्र्भनकारो सर्वद्रष्टा | | (र)- ऋद्धा शद भायतंःद्ेवं विषे कंचिदप्यदर्मनात्‌ | | Qe शुङ्गः, रुच अजातशुङ्गः पतितथुक्गोभाः तथाहि-पताष्डा- चर्थे प्र चमे “ताः स्वेमव्राखमाघ्रबद्ठा UTS” गत्य भार्य --“ ताः पतितणुश्ः

मावः सर्व तं-भवमन्नाख्मदनीयमन्च पन्न वम, तां TTS पराः te PT! इनो" दूति

cy araaeafea |

are गतिः? इति देत्‌, उब्चते- ब्रह्म-गब्दोऽज विप्रल-जाति- हारेणोद्वातारं ब्रूते, यस्य गानं तञ्ित्रिषेधे सति विधि-निषे धाम्यामेक-विषयाभ्यामुदातुोनं विकल्याते oy एकादशथाध्यायस्य हितौय-पाद हादशेऽधिकरणे ब्रह्मसाम न्यत्‌ कार्षः--९*“पयेम्िकरये त्याग्रालश्भोब्रह्म-सामनि कम tq निषेध कर्मान्तर-विधिभेषेत्‌। किं वोत्कर्षोऽवभिषटख ्यारण्याक्िवदादिमः। अट्ट-वाक्य-भेदासेद्रेव्याभेदेन चान्तिमः। वाजपेये सपदश-प्राजापस्ान्‌ पशुम्‌ सञ्िगुते"-दति wea खू्ते-- “तान्‌ पयंम्निक्लतानुख,जति-दइति, श्रद्म-साच्याखभते शति, सप्तदशसु way पयम्निकरणेऽगु ्ठिते सत्बसरकाल- भावौ कमथेषः sawed निषिध्यते, अश्वमेधे ‘waif BATT WCET जतिः care क्मथेष-निषिधस प्रतिपब areata तधालेन सप्तदश पश्वः पर्यम्निकरणान्ताः Tar प्याः, भ्रालभतिना apenas कर्मान्तरम्‌-इति wi, ब्रूमः-कमोन्तरःविधो सप्दथ-जन्धादृ्टाद्‌ भित्र fafeced कल्प त, वाक्यभेद WATS, किञ्च "ब्रह्मसान्बयालभते'-इत्यज दरव्य-देवतयोरग्रवणात्‌ कमाौग्तर-विधिः सम्भवति (र) |

(१) बद्‌ तव्रस्‌- शब्दाकारम्‌ खभ्यासःर Peay wwe भरक्रियारै नामधेयम्‌९-इति षट कम -मेद्‌-रेलबः शखोकुवेषि After: | तथाहि, Shaws दितीय-दितोये sad बम--“अष्दाकरे कमेभेदः रुतातुवन्धवयात्‌ः-ट्ति | यजति, Melia, ददासोत्येवमादयो wee क्रिया्न्दाः यत्ते, तव सवेद भावयेत्‌इति wa प्रतीयते, रच्च मावबावाचकलां रे रकत्व ऽपि `" छताठबन्धलान्‌' अब्धादि धातु- रूपानुबन्धषृतमभेदात्‌ अब्दानरत्व खोकाये मेव, सत्येवं कमेमेदो्यागतः-दइति Ace,

सामवेदसदहिता | cy

THT पर्यम्निकरथानलन्तरभेव कार्यस्य सप्ट-पशूनामाल आदि-गेषस्य ब्रद्म-साम-काले उत्कर्षो विधौयते, तथासति भर्वप्रातः, पर्वम्निकरथानन्तर-भावि-कम-व्यापारोपरमखउस्षगं- यब्देनानुखते९* (९)

मन्व लच्षणमारभ्य ब्रह्मसामोतकषे-पयंन्तः पुव॑-मौमांसा तेः; दि-ष्टि-संख्याकेविं चारः सामवेदस्ब क्रतुषुपयोगो विख-

# जैभिनोयेः"-दति ato Yo UTS: |

wie san “डिरष्छमाव खाय ददाति ‘afwerfs अषोति-त्यादि बद्दा- इरशम्‌। तदेमन्रपाय नाक HEMET अपवादपादमत-विंग्रतितम-सृचाुसारोश समाधामम्‌। तदि GTR WRT केवले SANT: स्यात्‌"इति "केवलः PRATT, SHG ख्यात्‌" ay oH AE अतवादादिरूपः खोक भवति। कृतः ? ‘Ray (गरग्धमित्यु पश्र देवताया Whe wae इति सम्बन्धात्‌) गरवरेवतयोररवच्छात्‌-दति तदथः | अतरगोम्‌--शभोवं साधारणं Re देवता मानवं को रूपवन्तो ततो यानो fete ते ्यकृतया"-इति। `

(Q— wy fe— प्रजापतिर्देवता यद्य unt: प्राजापत्यः-इति afearn प्रातिपदिकं व्य्‌ त॒पाश्च पञ्चात्‌ तद्डिताणत-प्रातिपदिका्थख serefagantefne षोः करं-गङल-विक्वायाम्‌त्‌ पञ्च इमे दितीयाविभक्धि-बडव चने, तज प्रथमभाविन्या दितोवाबिभक्न रेव तावत्तददितोस्‌पर्षिेरायामग्बयो नालि, कुतः पञ्चादुभाबिनो Wry: ? रवं सति प्राजापत्येत्यनेन तहिताम्तप्रातिपदिकन एकपश्छग्रय- मेकरेबतोपेतं यागख् रूपं सम्पते, तादुशानां बङलाय कडवचनं ; Teale: श्रम इति निदिष्ते- तसाद GI कमेभेदः | सत्येवभेकसिम्‌ षष्टो दे VWs, डि पष. पञ्चन्रमाकांचति; wy रकम्‌ पो Se wae: पएठगर्थावगे यत त्ादुषटाथमभविष्यत्‌। विषारोऽय' जेमिनोय-डितोय-दितीय- विक्षतितमे सव्र (तद्भाष्ये) भाषितं waza |

८६ सामवेदसंहिता |

Bina: (९) अतः (९) स॒ प्रयोजनवत्वाहम्ब टादिवदेवावश् व्याख्यातव्यः

नन्वस्मिन्‌ wale त्रान्नख्मागस्य areata योम्बत्वेऽपि मन््रभागस्य व्याख्यान-योग्यतास्ति, तव्त्थीनां मन्ताशां गौति मावामर्कत्वात्‌-र्न खलु पद्‌-वाक्व-व्यतिरिक्षायां खरस्तोमादि साध्यां मौतौ क्िया-कारक-योजनांभिव्यङ्गयः क्िंदर्घाऽसि यस्याभिव्यक्तये भवता गोतिव्योख्यायेत यन्त खरादि-लचख विशेष-कथनेन गोति-व्याख्यानं तस्ूरवा चार्य (९) रेवै तत्त ल्तण-मन्त-ग्रहणेषुः सम्पादितम्‌-दइति aT त्वया यतितव्यम्‌, अतः कर्थं भवतः मन्धमागेःव्यास्यानेम्‌ ¢ भरते ने तार्वद गौति्निराथ्रया, wa ाधिर्तत्वात्‌ ; अतंएवं छन्टोगां उपनिषद्येवमामनन्ति- Tae ays साम गोयते-दति (*)गीत्याच्रवभताः teri area, तेवाखम्यजार्थवेणं

(wee. वेखम्‌-दभिितामामेषां दिषटटिसक ण्डा क-विष्वाराश safety तथा परः परः पाठदर्णगस्‌, प्रत्युत दते तव ote तेषां बड

विधविषयक-बङविचार-अबाय-हतं मिथो विभिच्र-रष-संस्ानम्‌। यदिव कचित्‌ कंचित्‌ चतु शां प्चानामधिकरकाभां बा सादित्यपङ्छ, परः तथा स्वेषाम्‌, ware. पादयधिकर श-अवायस्य तव तवावत स्फढरद््नात्‌ तथाच सामवेद -ऋतु-विषयक- विचार-सङप्छा-निडारे CATS तात्‌पयम्‌, मन्त्रलथकाद्‌ात्र्यसामो त्कर्ष भितिं कथनं ACHY परम्‌ |

(a) ware एव मन्विति योविवार wim: तमिदानौमपसं हरति |

(९) पुष्यसृव्रकारादिभिः

(४)--शन्दोग्य-प्रथमप्रपाठक-ष् शष्ट |

साग्रकेदस्चहिता | co

WE RATT मन्ब-विधिष्रखेन चनि ATA’) ; ऋगाब्नका- wy were िग्राकारकान्धयाभित्यङहयोऽ्योौ feat, सचक्रा AINA MATA: WHATS WH ay aes तु फथमाधगयरस्वं frites चतु- uifrnse firdio—aert senna ति Peres ase: | VT पूरोखाग-एषतारेख HTH | ATS त्रापि तज्ञ ग्मन्‌ GAT: FARCAT: | तद्‌-भाक्स्यः TAY EE बर्‌ ween: | wane त्ययं whee, ATES एरो- ama! त्वं उर विपुलता यथा भवति तथा प्रसर-इ्ति। एव- मादयो AMAT: यागप्रयोगें षृशाग्माःशाः अटृष्टमेव जनयन्ति, लर्षप्रकाशनाय ACMI, परोडाश-ग्रथन-लक्षणस्यार्थस्य ब्राह्मश-वाक्म नापि प्राप्तत्वात्‌ ('उरश्प्रथखेतिपुशाशं प्रथयति! इति हि ब्राह्मय-वाक्यम्‌) नैतद्‌ युक्षम्‌, अधे -परत्यायनस्य- छृष्ट- प्रयोजनसम्भवे सति कैवलाटृष्टस्य कल्ययितुमश्क्धत्वास्‌ः (९) THY दश्यमानार्थानुखरणभेव BWI BITTE TA, ACR ANAS TH रेवानुख्यर

(९) पूं मौमांायां fetes मन््विचारपरन्रमे faa सूजम्‌ wre मन्धभाजानां यत्र भामे we Tere विद्यते ware: ; दवं अरंबलेनेत्य विबजितमिति wrod स्फ्‌ टम्‌, waar “खभरिमोखे पुरो डतम्‌ TA खाद्‌ त्कम्‌, खच खात्‌ Wher: Taree पिभिः-दति ; तमाद्‌ यत पादता बवदा मन्त CATE CII खारम्‌ |

(९)- ANY CAAT फले दुष्टे माद्टफरुकख्पनाः |

ट्ट सामवेदसंहिता |

शोयमिति योनियमः तस्य cetera भ्रट प्रयोजन मस्त" ९९ अस्िव्रेवाधिकरणशे (९) मतान्तरे (र) पूर्वो्तर-पचावाड - ९९.“मन्धव्राद्मणयोयंहा कलशोविनियोजमे। मन्ध-लिङ्क- सिचार्थमनुवक्तौतरदु यतः। wa were fara fafa जाद्मण-वाक्वम्‌ wfrafrare स्यात्‌, बाक्धेम विनियोगे मन् लिङ्गं विवश्छेत-त्युभयोविरोधादप्रामाख्यं चोदनायाः-दति qare: (९)। नायं विरोधः, प्रबलेन लिङ्गेन विनियोम-सिदौ वाक्यस्यागुवादकत्वात्‌-श्तिरादान्तः"*९९॥

(र्ति ware भाष्वस्मावतरशिका समापना)

# ‘coral’ -afa ao वि ° yo पाठः |

(१) sere सि विषयवाक्षद् कधा दथिकररवपम्‌ |

(२,--णासौत्‌ कखन भडररय्यादि-मोर्माखा-ओवम-पन्ब-निभेतुः | याजपड्ति- प्रथयितुख मौमांखक-वरख wes प्रसिद्स्यान्ते वासो कान्पकुब जो ब्राद्यशः प्रभाकर नामकः ACN AST: we मतेनेति यावत्‌ | , भ्ाणिकनाथीय-प्रकरक पञ्चिका त्क तन्त ZACH

()--प्रमाण्ाभ्यायसङ्कत्या प्रामाण्याप्रामाण्यरव विचारोपय्ञ दति मुणोरा्टयः।

सामवेदसंहिता | Te.

(५) way areca: साम-योनि-भूताः we: संहिता war (र) छन्दोनामके समामाताः, ताः स्वीः we: आम्रात-क्रभेशेह व्याख्यायन्ते(९)

(५) न्व. तासां क्रतुषु raat Te विनियीगोऽस्ि ब्राहमख्न ave विनियुक्तानां सामरामाखवतया (५) तदुपयोगात्‌ तस्माद्‌ ऋम्दे र-व्याख्यानद्ूवेतदव्याख्यानि विशेत विनियोगोनाग्वेषणोयः

(६)। सामान्येन तु विनियोगो यद्यपि ब्रह्मयन्न(*)-विष-

योऽस्ति तघाप्यसौ aye वेदस्थैकएवैति नान्वेषण-प्रयासो sfeq(*) | नन्बेवमप्य चाभि ERT वतान्यवगन्तव्यानि, अन्यथा प्र्यवाय-प्रसङ्कात्‌; तथाच छन्दोगा भरामनन्ति- ‘ar = ar ala दिताषेय-छन्दोदेवतःब्राद्मणेन याजयति बाध्यापयति का स्थाणु

(\)- अथ पूमे-संडिता-मू ल-रूप-कन्दीनामाषिं कमावस्य माष्वखावतरङ्िका |

(९)--जक्क पुरस्तात सामगानां संडिताप्न्यो दो, तवाद्य शति fara |

(२)- तव न्रातय-विषयावारट-न चेत्यादि |

(४}--यदिच चजिटदादि- छमादकानादङूमाबारामपि नियोगो gad, परंन ता वः डन्दोम्रन्ध-पठिताः।

(४५)--श्राग्रयतामावं Safa ara: |

(ई)--परन्त, यथा Wa दोयानालिजाम्‌.पकाराय ऋगभाष्ये ऋचां प्रत्येकख विनियोगो ज्रापितः, तथा warafe इदं गानं तद्य तच विमियोगद्तिसान्नरां विनियोगः कथं भाषितः -दूति निदश्रकल्पः रच Se

(९)- ब्रह्मयन्नो बदपारायणः। तथाहि महः--

“quad ब्रद्मयन्नः पितृयज्चश, तपेश्म्‌ रोमोदेवो गरिम तो मुयश्नोऽतियि- THAR” (द Wo ०० छो °) GMINA नाध्ययनमपि ग्टद्यते जपोऽजत(०४) छो) एति बच्यमा त्वात्‌, खतोष्याप नमध्ययनच्च AEM -Ti तज Fa |

१२

i

९० सामवेदसहिता |

वदेति me at प्यति प्रवामौयते पापौयान्‌ भवति area मान्धस्य छन्दांसि were यो मन्तरं वेद सर्वमायुरेति चयान्‌ भवत्वयातयामानग्धस्य छन्दांसि भवन्ति, तस्मादेतानि मन्दं मन्ते विद्यात्‌-इति (९) रएवन्तहिं तासां कम-व्यत्यासेन wwe: (९) अप्यधौयमानल्वात्‌ (२) ASAT AT LRAT ष्ाटौग्धणानुसन्धेयानि (*) #

(QQeaitergee भ्रम कष्ठ कन्टोगरति तु erat ofa नाम |

(2) SESE WT दपर, GNIS, शद्भिन्रपरख तणाचान we दीवरिति चोष्यम्‌ 1

(९) खकोवसंड्ितापन्ब दति मेषः |

(रोगां न्दो anfe परणुषिदेषते aE प्रषिभिघने आरे धरेमतवो. WHGCST MATT खरव, TH ते भाषद्षारख , तद्म कथं गोह ? सत्यपि THT AU va, Tete, THATCH: |

सामवेदसंहिता | ८१ BCU: | —Sr sf icte—

अघ प्रघमप्रपाठके प्रघमारईः।

चरिः ओम्‌ +

(प ाम्नेयमेग्द्र पावमानमिति काण्ड-वरयामकोयोऽयं छन्दो- सहिता नामकः -ग्रन्वः सोऽयमारश्यकनाध्यायेन षट्‌-सर्ख्या- पूरकेण we बषड्भिरध्यायेरुपेतः (९) |

# वेदाध्ययनाध्यापनारण्म-सूचकभेतद्‌ वाक्यम्‌, वैदिक-सम्- दाव-सि्म्‌ श्रष्ययनारग्भावसानयोरोषारोशारणं मन्वादि- विहितख्च, तथाहि-- “ब्रह्मणः प्रणवं ङुथादादावन्ते सर्वदा |

“खवत्यनोङ्कतं aa परस्ताश्च विभ्ौखति"- इति मनु; २अ० 38 Zito |

(१) we waraforere किचि तरते |

(९)--सुंडिता-लचक' tray नेरक-परथमाष्याय-वतुर्थ -पाटादिखष्ठ- “परः सचिकषेः संडिता, पद्‌-प्रशटतिः संडिता, पदप्रतोनि सर्व चरर्नां पार्षदानिः-दति Ws भाष्ठम्‌--*परः saute "सच्रिकषेः' संद षः परस्पररर खराशां खराधिरूढानां aware, सा “संडिता-इ्यश्यते। सा afte पदग्रषटतिः संडिता' wa दिविध वरं बकि-- पदानां या wate सेयं पद्‌-प्रठनिः सहिता, विकार संडितातोदि पदानि sfweet, तस्मात्‌ संदितेव प्रतिः, विकारः पदानि-पत्येवजेके apt, अपर पुमः पद -प्रहूतिः संडिता' इति पदानि प्रटतियेखा खेयं पद-प्ररुतिरिति, किंकारशभ्‌ ! पदान्येव डि संशत्यमाना संहिता भवति, तस्मात्‌ पडान्य Tafa:

ER सामवेदसदहिता | [१मप्र०,१म We तव Was खण्ड(९) area! क्रभेणोदाद्रत्य(र) व्याख्याय म।

विकारः संडिता-इति। रवश्च wat “पद-प्रतोनि सर्ववरलास्‌ पार्षदानि' सवेषां चरलानां सर्वद्राखानराशामित्यरथेः ; कि! “पार्षदानि ख-चरण-परेव 2: प्रति. ग्ाखा-भिषतमेव यदावय प्रद जम-संदिता-खर-ल्रुम च्यते तानोमानि "पापै दानि प्रातिभाष्यानौत्यथेः ; wre किं तेवाम ! एति, उथते- तानि "पद-परशटतीनि te येषु सुरडितायाः safaaan fea तानोमानि पद-प्रतौनिः तेषामपि सशव समयः-दत्यभिप्रायः॥ शह भिम्यनरव urate: पटानां ्रटतिलम्‌ , हिताया विकारल्म्‌! उतवा विकारत्व पदानारू, safae संहितायाः १-इति ; werd हितायाः प्रतिं ere we fa कारशम्‌ ऊचाते मन्त्रो ्ामिगयख्छमानः मूेकण्मेन््दुषः शितधेवाभि्श्यते, awe: अलख हिताभेम वं मध्यापवः ROTA ब्रा्ला अधोयते जाध्येतारः। अपिज यत्त्र खद्दियेव विमि युजानं मन्त्राः, पदेः। यङि हि पदानि प्रृतिरभविष्यम्‌, wfeat wT मन्तो fare) TERT एव मध्य wees, त्राद्यणटाः Wee चाध्य तार, पदरेव विनियेन मन्त्राः कमसु त्वेतत्‌ सर्बमस्ति। तान्‌ रतेविरषः हेतुभिः dfeaa प्रति नं पदानोति पश्ामः"-इति संत्य पठिताः यवर war, सा संहितेति स्फ टाथः। श्यस्य हि सामवेदस्य चतारः where, तव वेद सामोह- मानमामकौ area दो wel, exoncfinal wife'acat et तद धारमतौ तज ढन्योनामके TAT काष्डवयाव्मक-ख शतान्य खध्यायाः WY वत्त का, GTC wife: ऋोडपतमिव च, षष्ठः ¦ तदयं wet ग्रन्थः बषडध्याया्मकः Bay | तचाव प्रथमेऽध्याये यावन्तो मन्त्रा विद्यन्ते ते समे एव खग्नितकुरयितु ` ऋतुष frase, ततसलत्रुमुदायः wed काष्डसित्युचःते, अग्रं ता खस्येति विग्रहे “सास्यदेवता-इत्यधिकारे “खगन ढक्‌"-रति अग्निशव्यात्‌ vasa बिरहते तथाङ्पं तथाविधं ey प्रतिपद्यते : एवं दितीयाद्यध्यायवयाव्मकमेन्र', पञ्चमाध्याया- ककं पावमानम्‌, षष्ठमारण्छकम्‌, VCO ऽधे7तव्यतया तस्य तथाविधं नामधेयम्‌ |

(१)- प्रथमाध्याये SSMS: सनि, तज प्रथमे दभर व) विद्यन्त |

(२)-न हि विवरण-गन्धष्छ दििड मन्तरप्रतीोकम,व-रभ नस पित्व कलः रत्‌न्लमन्त्- Us vq यथाक्रमम aaa Ul सुखबोधायति are: | |

Tc ORC Te ee ९३

अरग्नग्रायाषटोतयेषा(९) भरद्ाजेन टृष्टा(र)गायजौ (र) आ्राम्नयो(*) |

(१९) ननु arrqanrcer मायवौसामेव awa, तदुयोन्युमेव wet यघ्यातु यद्ृमिति चेत-म, तस्थाखत्तरा(६,६,६०,१) लले GATS ; ATTA fet स, लोकश्ाख्यो रलश्राखमादिति ध्ये यम्‌ |

(₹)-भरदाजादि नामधेय पडजादिवद्‌ योगरूढम्‌ लथाडि-वाजचखा- WY भरणाद्‌ भरद्वाजः, यष्टमर्सखय सेधा भरिया इति श्रियमे धः, भज नाद्‌ भृगुः” अते दमि रशस्‌- प्रजापतिना wate प्यक्रमग्नौ ऋतम्‌ ततोऽधिषि ष्वालार्या सषि दत्पद्वः, aura तसि व्रचिंधि awesome: सः (अकङ्किराः, अवग अङ्गा- रोष आतलुतौयः जि", वतं कम सि मत we दति (मदत्रतःः- इत्येवं नाना- रूपलात्‌ 'विरूपः"त्यादिकमभिधाम-मिर्वचनम्‌। स्फः टमेतत्‌ निरङ्ग-तृतोय-तृती- यान्ते तद्भाष्ये रतद्‌ कप्रयोग-फल' wares साचात्‌ पन्‌ शिष्येभ्योऽखा erat ददयो-दत्यथेः| तथाहि, निबक्गप्रथम षष्ट-वल विंदतितमे-“साच्ात्‌ SAINTS ऋषयो वभ वुः, तेऽवरोभ्योऽसाचात्‌कृतधमभ्य GS मन्त्रान्‌ VATE: षति। अच edger weary फलं We तद्यामभेल नाद लवात्‌ -दति, कषन्ति परिणामं प्यनि-दति षयः-इति त्रो तद्धाष्ये faera farce) “own वचेरभिप्रयि wate मन्तरद्षटयो भवन्ति-इति निरक्र-सप्तम-प्रथम-तीयेच | OTT वचेरित्यख कर्म कां सत.ति-निम्दाद्य्‌ तकु्टापकृटवो धके रित्यथेः

(र)- गीयन्ते war देवता अनयेति गायवौ, तदुक्तम्‌, नैरूह-सप्तम-रतौय - षट -'गायवौ गायतेः सत्‌ ति-कर्मशःषति सषा द्टाच्चरात्मकै सिभिः परादै निवद- wif, तत्परिस्फरस्‌ ढम्दो गन्थस्य दितीयखण्ठं कम्द्‌ः-दत्यधिकारे मायजा- मसवः-द्तयाय fier, तवव fram faraa aaa we Te नियताक्षणा दि.सचरिवेभ-रूपच्छद नात्‌, सथाद्दि as मेदक्रम ‘Exife शदनादिति।

(४)-खाग्नयी, नया war अणिनिर्दवोपास्य इत्यथः। तथाहि, निरक्र-सप्तम- We Tawa देबतायःमाथेपत्यि च्छन्‌ ata we तर्‌ बतः Vaan भवति"इति चाथ पत्यमधं पतर्भागस, मव्य देबपायाः प्रसादेन अर- मष weg पतिभेजिष्यासोत्याकारमित्यः।

£8 सामवैदसहिता। [१मप्र०) ta Te

Sr प्रथमा | ९२९ ९९ ₹? ९९

* STM याचि Nas SOMATA |

CR R

नि डोता ससि बद्दिषि Ag I

~ (९ te -

1) eh ओघा द। Sante वइतोया सतू तोया

TRC र. a -& es X

गृणानोर। TAT तोया ना हे “श्रम्ने अङ्गनादि-गुश-विशिष्ट ! (“Jaq “भायाहि' wares

varies! किमर्धम्‌ ‘ated’ (९) इविषां चर-पुरोाशा-

% इयमेव ऋक्‌ TUT के १,१,४,१,।

इमानित्रौखि भम्नभायाङौति प्रकतायाखश्त्पव्ानि गेय गानारभ्भे एव पठितानि, ane wergarg स्वाखेव ऋषु यथाक्रमसाम-श्ुतिः। तवर क्षचिदटेक क्चिद्वहनिख ; तेषां सृषिनिणेयं नामकौत्तं नच्च भआार्पेय-व्राद्मणान्वेषणेन लभ्यम्‌ तथाहि-- “गोतमस्य पक्षावभितः ware बर्हिष्यम्‌'--शति तदृडितोयखण्डारणग्े। तदिदं निष्यव्रम्‌-भस्यसाखः गोतम-

ऋषिः पक दत्यभिधानम्‌ |

(१)-तथाडि मेदक्म्‌--“अथातोऽतक्रभिष्यामोऽप्रिः थिव स्ममानस्ं प्रचलं STRAT ee: STUN वत्य aT भर शोयतेा गयति मवमानोक्रोपगों भवतोति खोख्ाष्टोविर्ग क्ापयति गखेडयति, विभ्य खाष्डयातेम्यो wre इति शाव- Ufa FCAT MTS दम्‌धादामोतात्‌ खरं तरकारमाद AAT * दहते बो. ACIS मा भवति | ऽ-४-१।

(२)-“मन्त्र टषेषपचममविदभृवीदाभ्य उदात्तः (पा०द,१,८६)"-दति दिन्‌ |

१मख०, ta wo] | omni: | ey

ux +4

२९। त्या बा९९४ BSA) शोर९४६ो ॥९॥ ei दर ४द 4

२* AT STATS | ANS | DUTT CATA, RATE 7: ˆ

रर uc नरोमासल्िन् दपि वर्दारदषारह४अरोवा मरोिषो१२४५६१॥

8. STU 8 8 mn oS श्‌ र्‌

af WTAE | वाधदूमयाद्‌। खषा नोदव्यदा- 7. ९२ „) १तादेये। निरोनार९४सा। त्पा९२४दबा३। TREY. a & ४द्षोश हाद ॥३॥ 4 दोनां भचणाय कौषशः सन्‌ ‘wera’ भस्माभिः स्त्थ- मानः (व्यत्ययेन कमेसि करु प्रत्ययः) gore किमर्थम्‌ “हव्यदा तै (९)। देवेभ्योहविः प्रदानाय wearer होता" देवाना- माद्राता सन्‌ ‘afefy sree <a “निषस्सि'(र) मिषोद- (सदेन्कान्दसः शपोलुक्‌) (र) nen * कश्यपऋषिः, बरहि्थम्‌ % मोतमक् षिः, प्च; (१) “अग (२,२.०९) दूत्यादिना किनि दातिः खिदति! (९)-“शन्दखिपरोऽपि"-दति दन्दद्मथिकारो aefeare (१,४,०२)-इति पाशि. सरणा शोतेति-पद-ववड्ितख्ापि भौत्यो पसम लम्‌ | (₹)--“खदिप्रमतिम्दः पः” -दत्यधिकारे “awe शन्दसि (२,४,४९)"-दइति तात्‌ |

<६ सामवेदसंहिता। [ta wo, ta Heo ल्ममने-द त्यस्या ऋष्वा दयाः पूववत्‌, सैषा feartar |

RR Ree 2 FRB RAAT AAMC दोता विश्व घाद Far: | BR ९९ ९२९९ देवेभिमानृषे जने २॥

४५४ शट stu ४४ ष्ट १५ त्वमप्रयज्ञानाम्‌। BATT | यज्नानांदोता। विश्वेषां दर्द

weer | देवैभार३ मा नुषेजना। ew

दो५द। डा ॥४॥

‘saa तवं ‘faut यन्नानाम्‌' अग्निषटोमात्यम्निष्टोमादोनां सम्बन्धो होताः होम-निष्यादन-नौलः (जाते स्ताष्टोलिकस्तन्‌) यदा ‘awa’ यषटव्यानां विश्वेषां" देवानां “होताः Seta | एवं VAS ‘AAT ANCA Ya यजमान-लक्षणे देवेभि (eredifrataara:) देवनभोलेकटे तिभिः ‘fea’. निहित

गारहपत्यादि-रूपे संख्थापितोभवसि। यषा देव रिबन्द्रादिभिरुक-ल्णः सन्‌ यन्नानां निष्यादरनाय यजमाने नियुक्तोसि ॥२॥

ee a + TART SAC कस्य ६,३,१४,१ | t विश्वमना ऋषिः, सोपण्यम्‌ |

CH Bo, 2a wo] |= wefan | £9

| अन्निन्दुतमित्येषा कणुपुजरेख भेधातिथिना दृष्टा, छन्दोदेवत पूववत्‌ Out SATE | ९९१९ अभिन्दं Batre होतारः विश्ववेदसम्‌ २९६९ BRU R

अस्य TH सुक्रतुम्‌ २॥द्‌

Rx RT UT

le UCI CG होतारारे्वि `

येदम्‌ अस्य यारइचा | आ। teeta

र्‌ x x AIAG | दडारेदेभा९४३। ओर३४१द्‌ डा ॥५॥ दूतम्‌" देवानां star विनियुक्षम्‌ ग्नि देवम्‌" वणो मे" स्तुतिभिष्टविभिः सम्भजामहे [we दूतत्वं तैत्निरौयकष समानस्नातम्‌-“श्रम्निव देवानां दूतश्रासोदुशनाकाव्योऽसुरा- लाम्‌-इति ] aera “होतारः साधदेवानामाद्नातारं (wae: साधुकारिणि wa’), ‘aye छन्दसि (६,१,२४)'-दइति सम्प्रसारणम्‌ ] विश्ववेदसं" वि्वानि वेत्तीति विश्ववेदाः, तम्‌

errata cowie २, १, ९, { मारह्ाजज्छेषिः, wee

(९) “खाक SSAA -सन्धाधकारिष शम्‌ (९, ९, १९४-९६४)। १२क

lool fa

3

ex सामवेदसंहिता। [शमप्र०, eae.

भरम्निहेज्रा णोत्येषा भरदाजेन दृष्टा, छन्दोटेवते पूर्ववत्‌, सेषा wae २९९१९ VL TRL irae sae द्रविणस्युविपन्यया। ६९ रर

समिद्धः WH WET is

[ वै केरञन्‌ (९) ] यदा, वैद इति धन-नाम(२) विश्वं सै वेदो धनं यस्य, तम्‌ [agaret fing संज्ञायाम्‌ (६,२,१० ६)'-दति(*) पूबेपदान्तोदात्ततम्‌] “we प्रवत्तं मानस्य are (५) Saga निष्पादकत्वेन भोभन-क्माणम्‌(९) [अधवा क्रतुरिति wer नाम () ] गओोभन-परन्नवा। तं तवां हशौमहे-दइति पूर्वश सम्बन्धः २॥ ठे

'द्रविशस्यः' द्रविणं धनं (९) स्तोटणामिच्छन्‌ [छन्द्सि पर-

-द्यभेव उत्तरा्चिकस्य ६, ७, १। `

(९)-बिदज्राने।

(र) धन-नामान्यु्तराष््टावि्तिः-रति Few he tel तव बददति चतुथस्‌ निचष्ड-दितोय-दब्रम-पाठात्‌।

(४)-"बड्रोरो प्रत्या पर्वपदम ९, २, १'-दत्य खापवारः।

(४)- बष्ो-निद्‌ शात्‌ परिसमाप्तमिति वाक्धग्देषः'-दति विवरम |

(र)--कम्मनामान्युत्षरारि षड्‌ विंशतिः-दइति ने ०६,१,१ | तवं कादद्यतमम्‌ नि९,९।

(७) -्रन्नानामानुग्र्राष्ेकाद्-द्ति मे० २, ए, wy लज पमम fae द, |

(९)-मे०२, ९, to सत्र afew प्रशविद्रतितमम fire ९, १०।

१म Wo, sat Fo | छन्दश्रा्चिकः €.

uc द्‌

I अग्निव at) Wea जार३४ ओच्ोवा। चारे ४नात्‌। द्रविणसयुविंपन्ययारे। ओयिसमिद्धाररेः गू

\ कायाडतः। इडारेदभा₹४३। ओर३४५द्‌। डा॥ el

R रर

11 अ्चिरौद्ोवा चायि चाणि जाङ्गादेना्‌ ओदो eas! द्रविणा३४स्य्‌ः। आओयिवोयिपन्ययां ₹। wars |

# दर RW BF ९९९९

धारशरर४अदोवा। AATBATRRVY:

Tg) safe जङ्गनात्‌। ओदोरोर३४ att :

्रविषम्यिं पन्यया | ओदोदोपर्धवा | समिद या। चओदौोरर४वा। aaron 8

च्छायां ara’): प्रातिपदिकेभ्यः इच्छायां कचि सुगागमः(*)]

यदा विलक्षणं घनं तदामनश्च्छव्रग्निः "विपन्यया" [पनतिः

re ee

1,11.111 चयाणामेषाम्‌ ओोतषंम्‌ नाम, ऋषिस्तदनुगतः कल्पाः | (२) कवघभप्रकरखस्र-वात्निकमेतत | (द)- 'दुरस्यद्र fave e wafa रिषण्यति ऽ, ४, ६, इति ख्व 'वपाच्छन्दसि BR, too’ दति खप्रत्ययख्च |

Lh

१८० सामवेदसहिता। [श्मप्र०, La Ao

WS ALAA SAAR दृष्टा, छन्दोदेवते पूववत्‌ सैषा पञ्चमो |

Dae) R WS वो अतिथिरसतृषे मिचमिव प्रियम्‌ ९९ ९९९२ श्र

MYTH वेद्यम्‌॥५॥

qe: (*)] went: क्रियमाणया wat स्तूयमानः सन्‌(५) वत्ाणि' बलेन जगतामावरकाशि Ta: प्रतौनि, तमांसि वा८९) ‘ara शशं न्तु [ इन्तेर्लुगन्ताल्ञिकरथ सेट (२,४,७) ] कोटशोऽग्निः ‘afae: समिदादिमिष विभिः सम्यम्दौपितः | sana “शुक्रः दौप्यमानः(°)। “आहतः हविभिंराइतः ४॥ ¢

दे श्रम्बे'(\)“वः' at [पूजां वडुबचन(९)] 'स्तुषे'(षस्तौभि,

४-्यभेव उत्तरां कस्य ५, १, १८,

(४)-- अच ति-कमारूडलर धातवखतुखल्वारिभत्‌-इति ९, ४, ९०। TTT षोडशतमम fate ३, te | |

(५४)- “वि wate विध्याः, विविधया सत्या, लतीया-निरदे जात्‌ णतः सच्चिति वाक्धशेषः'-टति विवररकारः |

(q)—earfe -कुशानि ata: wew-cfa fare |

()--्युक्र श्क्छवशः'-एति पि |

(९) .सम्बद्धयकवचनं दितौयेकवचनस्य स्याने ग्र्यम्‌'- इति fae |

(२- रक वचनं ogta मर.वा्मनि चश्चर'- इति शासन-मरशकमित्यथः, परं नेत्थमयर Vas |

(Qa नेदं कडादाने पद्‌-मध्यमपुखपै कवनम्‌, विमि! पञ्चमुख

१म ख०, ५मौ we] छन्दश्राचिकः। १०१ es

ace १९ { ८.१ = _ 1 प्रेष्ठं वाः। अतारेश्यिथोम्‌। स्तौषेमिचम्‌। दवप्रा 7, ` श्ट

स्वम्‌ | अदमायिराश्यादम्‌। नावारश्दाशर्यि। दा | eer Hell

st

7 प्रेष्ठवाः। area saree aa A 7 rae! दवारप्रारेद्याम्‌। ओहोऽश्यि। ai TARA! नारेद्वेर। TMABYATAT! AI voll `

11 प्रेष्ठं बोदाउ। अतिथायिम्‌ | स्तुषेमिचमिवप्रारेरे 7

र्‌ RF WR ९९९

याम्‌। Baas | रार्था९३४अद्ो वा। वेदियार४

पम्‌ ee NY पह्सवनारति बषः वम्‌ ओषः ्कीट्यम्‌ ? शरे” स्लोढणामस्माकं धन- LILI, अयाणाभेषाम्‌श्ना ऋषिः, रिषं नाम

छकारख्याढाने पदे उत्तमयुदषकवचमस्‌, इति fae | तथाडि ‘foasd wis १, ae केगोऽडारो २,२, ९४-दति Serena साधनौयम्‌।

¢

१०२ सामषेदसंहिता। [ew Wo, 0H Bo

a इत्येषा सुदोति-पुरुमोढ़ाभ्यां तयोरन्यतरेण वा SBT,

छृन्दोदेवते पूवेवत्‌ | सेवा wet | ९१६९ WR LR त्नं नो अग्रे मद्दोभिः पाडि विश्वस्या अरातेः | RE श्र श्र

उत द्विषोमल्येस्य ९॥ &

दानिन प्रियतमम्‌ ्रतिधिं सव रतिथिवत्युख्यम्‌ यदा [अत सातत्य-गमने | ऋतन्यञ्‌जोत्यादिना अरतेरिथिन्‌] सततं देवानां हविः प्रदातुं गच्छन्तम्‌ “मिवमिव' सखायमिव प्रियः स्तोतुः प्रोणन-करं “रथ a’(") रथमिव “Se” बैदोधनं घन- हितं लाभ-हेतु, यथा रथेन धनं लभते, तदत्‌, स्तो्तारोऽनेन धनं लभन्ते, ताृश-घन-लाभ-कारणम्‌

“छग्ने"-द्ति छन्दोगानाम्‌, mafia’ -xfer aearat पाठः॥५।द्‌

aa a ‘ay अस्मान्‌ ‘awa: पूजाभिः महदि्धनैरवा "पाहि wai कस्याः पाहि > ‘fewer: बद्ुविधात्‌ अरातेः

नास्तोयमु्तराशचि के |

(४)--श्रतिषेधार्थयः पुरस्तात्‌ # @ # उपमा्थीयड्परिष्टात्‌ = t,8,¢,-tf नखङ्कश्ासनाद्व TARAS अन्दः द्वायः। |

Hee, eww] दन्दभा्िंकः। १०३ ‘\ | एर्‌ WR श्र श्र ररर ,. / ¦ 41

1 तवज्नोया प्र AS | TE ET! स्या अरातेः

९.

उतादयाऽ९्यिषा ₹:। AVA! दडार्दभार४२। अओ३४३। डा॥ १२॥

17 area BE ATE! | TTR वोश्वा। SST रा HR आरातिः | उतादा९ Hare मनतरयार४ -

UT PULL

AVS | स्या९३४५ १२॥

श्रदातुः सकाशात्‌ अदानादा (\) पाहि ata मनं दत्वा ्रदातुरदानाद्ा सकाशादेत्य: यहा महोभिः (र) युकस्व- fafa योज्यम्‌ ‘ea’ अपिच ‘fea.’ देष्टः “मत्यंस्व' aula काशात्‌ पाहि अस्मभ्यं बलं Tala भावः। अधवा मरस्य हिषो- हेषाद्रसेति सम्बन्धः। शअ्ररातेरित्यस्य ्रदानादितिपक्े तत्रापि मत्वस्यादानादिति सम्बन्धनोयम्‌(९) gue

I साकमण्वऋ्छषिः, साभ्बगम्‌ | Il एव ऋषिः, ava ay | (९) अरातिः वुः, खोरिक्गनिरभो जात्यप्रचः, THAT Wasa: सकाभात्‌- दूति वि A (९)--केः ! सामथ्यौत्‌ area:-xfa fare |

()— faa cea लखमात्‌ प्राक्‌ “अप्निमु डा (क ०९,१,१,०-उ००,१,१९१९)-दतयेषा

a 7

/ 4 "

{+ ~

१०४ सामवेदसंहिता | [शम wo, १म अण

एश्मुिलेषा भरदाजेन दृष्टा, छन्दोदेवते पूववत्‌ | Ser सानौ |

९९९२९ TTR ९१९ ९२१९९१९ २९२ १९२ शु षु ब्रवाणि तेऽप्र इत्थेतरा गिरः | एमिर्ीस १९ Usa इन्दमिः॥ HO

रद |

7 शदयुषुरे wares तायि। अ्रदत्थेतरागा ? यिराः। एभारयिवं्ा। सयारेदेचार४यि zeae. चायि॥ १४॥

Il TOY Ha eration | अघ इलयेतराऽश्गोक्रा। रमिवीररश | सयाशार४३यि | दूररशमोरशामि

१५॥ हे “अग्ने “एहि sree ते" तुभ्यं aed "गिरः aan:

© TART उत्तराल्चिंकस्य १, १, २१, १। I Il अनयोवव्स ऋषिः, शौनःशेपम्‌ नाम SQUAT, दला तते THATS WHEE परापररूपेक afer et.

चि wit: ल.यते | wfuqer fea इति नन्तः qaat भवति, amt wa avifufcanfccas:, अथयमित्यभिनयेन दब्रंयतिः- इनि

५७ Hao cal we] छन्ट्‌प्रा्चिंकः। १०५

श्रा ते वल्षदत्येषा कणुगोतरेण IAA दृष्टा | छन्दोदेवते पूववत्‌ |

सेवा eum |

रर्‌ RX २६९ आरा ते वह्योमनोयमत्यरमाशिद्यधस्थान्‌ |

a र. ४१ नः र्‌ अग्रे ate कामये मिरा॥८॥

‘car (९) senate प्रकारेण (९) सु' (२) सुष्टु त्रवाणि' शत्या भास्वते ताः स्ततौः खृणित्य्धः ¦ ‘a’ (५) cera: “दतराः(५) असुरैः कताः, eat शणितिशेषः। [तघाच तब्राह्मणम्‌-- ''शअम्निरिष्येतरागिरदत्यसुव्धाह वा इतरागिरः'” इति] afa a आगतस्त्वं "एभिः" एतेः शरन्दुभिः" सोमैः ‘aire’ वस ॥७॥७

‘am. एतव्राना ऋषि; ‘a’ तव ‘wa.’ परमाश्चित्‌' उत्‌-

£ इयमेव SAHARA ४,२,१२,१ |

(९)- "इत्था: सत्यादत्यथः,-षति वि०। दृत्थत्यादम्त एव निष्क. -सतोये aay नामसु पठितः| |

(3) इत्भित्यग्थयस्य कान्दमभललोठे 'जिपातख् ९, २, १६१'-१ति Steere |

(९) मन्त “वु दति ^ सुः ८, २, १२१-दति ET रूपम्‌। एतच पादपुर- wrens प्रयुडक्रमिति विवररूमतम्‌ |

(४)--"उ'-दृत्येतद पादपु रक्ल-इति वि०-मतम्‌।

(४)-द्वैराः, सत्यतोऽन्याः असत्याः'-षति fare |

१४क,

१०६ सामबेदसहिता। [ew wo, eH Wo

४र दर at RR

To AD TAREE | मनोयमत्‌ | परमात्‌। चित्सधाररखात्‌ अग्रायित्वाडङःका३। मयो वा गाऽ५विरोश्हायि १६

४र४ैद Bt AT O47 11 aatararrad | Tareas | परमाशितसधया J ^ ) ~ + ` -- <

देयारेश््ोदया। अप्र त्वाङ्‌ कामय ॒रेयाररेदोदया | गिरा। इडार्दभा३४३। ओआर३४५द्‌ डा १७॥

कछष्टादपि “सधस्थात्‌ सशखानात्‌ satay (at यमत्‌ (र) a यमयति। केन साधनेन! शिराः qari शिष्टं (र) प्रत्यत्चक्लतम्‌ (५) “अग्ने ‘at कामये ade मनो मय्येव fararaifa wea | “lS कामये"-दति छन्दोगाः। “MTA कामये"-इति बह्व चाः, TAMA asf ८॥ द्द III इथोरेवानयोः काणुक्छषिः, अभिधानन्तु ऋषिनामारुगतमेव कल्यम्‌ | (९)- “सह तिष्ठनि यव देवाः सः ower खर्म उच्यते'-दइति वि. सरसो wal raat | (९२)-दन्दसि we ae लिढः'-इति ततोयाध्यायोयवचनाम्‌ UTE Se | (3) wa ateagq | (४)- विविधाः qwetuafn, परोषशताः t, vaweat: ९२, खाध्यास्िकाख द।

27 Wo, eat Zo | Senta: 209

~ ~ ~ © त्वामम्नद्त्येषा भरद्ाजन THT, छन्दोदेवते TIA | Sur weal | PTT LT RL WV LE त्वामग्ने पुष्करादध्यथर्वा निरमन्थत | शर रर ९२९

मुद्ध विश्वस वाघतः <

{र LRT ©

rh

1 STA पुष्काईरादधो | आथव्बा नायिः। अमा ˆ, ˆ

aaa मूर | वारष्श्यिश्वा। स्वो att वाऽपरनोरचायि ॥१८॥ 6

हे अग्नेः ‘saa? एतसन्‌ न्नकऋषिः ‘al पुष्करादधि' पुष्करे

@ नास्तोयमुन्तरार्धिंके | I वाधुगश्िः सुमित्र क्षिः |

तच प्रजमपुखषादि निर्देशेन परोखयेष fram पुव, यथा-खम्नि्टं ताकि ogee’ दूति पुरखाद्रता, रेव “खाते वतसोममो यमत्‌'-दति प्वंदल् ¦ खम्बुदयादि- fata यच देवः प्रत्य्ीरतोगुदधयते सा fatter, यथा--“अम्नच्यायाद्हि वोतये एति प्रथमा, TRAPS | Maas खोतव्यमधिषत्य खमियक्का सृतीया, यथा-- “अङमिदिपितुष्यरि धाम तद्य अग्र ow सूथड्वाजनि WORK LE Frere त्‌ CASA ACH तद्भाष्ये सप्नम-पथम-प्रथमादि बये |

tr

१०८ सामबेदसहिता। [१मप्र०, १अ० सेषा दशमी |

१९ ९. as ae ay विवखदाभरास्मभ्यम्‌तये मदे |

RAT र्द

ठेवो हसि नो इशे १०॥ १०

यष्कर-पण निरमन्यतं weet: सकाशादजनयत्‌। atten: व्यष्करात्‌? “Ae! सू्ैवचारकात्‌। 'विश्वस्य' wee जगतः 'वाघतः' वाहकात्‌ [“पुष्करपणं हि प्रजापतिभूमिमप्रयत्‌ तत्‌ Fence प्रथयत्‌-""इति अतेः भूमि सर्व्वजगतभाधा ङ्-भूलेति प॒ष्करपणेस्य सर्वं -जगहारकलत्वम्‌। अच पुष्कर-शब्ेन य॒ष्कर- पणंमभिधोयति, इत्येतच्च तेस्िरोयके विषखष्टमामातवम्‌-“त्वामम्ने प॒ष्करारधौोत्बाह, युष्करपण छे नसुपत्ुतमविन्दत्‌"-दति(\) < ae

ee - --- ~~ ---~---~---~---=-----~~--~ ~ ~~ ~ -=---~ ~~ Ba gg ae प्र

Qo इयमेव safes कस्य ९,१,६,१ |

(९)--विवरशकारस्त्वं षान्धयेव SER, सथा डि-““अजे तिहासमाखच्ते- सव भिदमन्धतमसमासोत्‌, खथ मातरिज्चा वायुः शाका सृकमग्रिमपश्त्‌ तम्‌ AY Te | waa ऋषिः तदेतदुश्यते- रे खघ्नं ! लाम्‌ पुष्करसित्यन्लरि कनाम ( नि०१,९६द)- लसत्‌, अधि श्ब्द “शधिषरो अमथको १,४,९द'-इति कखप्रवयनोयः पाद्पृररः। “निरमन्डत' विकरां सथितवाम्‌ कोडमादन्तरिकात्‌ ? उ्यते-“मु पाकृत्‌ | कस ¦ उश्यते-- “विशस sae “बुाषतः' ऋत्विङ्जामेतस्‌ ( मि ०२,१८,९ ) wae-

ew = 3 Wawa र्यम्‌ -अलि्छायजमानस च, ष्ठोनिर्देषात्‌ खथायेति TATE

इति |

e

/ Ao (+ «१ > RH खण, (owl we] ^^ छन्द्श्रा्धिकः | १०९

BIT ४५ TRA 8

1 ने विख्दाभरो। वादामि। असभ्यमूताऽसेयामि HS) ओऽ Tea! वादेष्दायि। दागिवोऽ१

पूर्वोक्तास चु बह्ुचानामसुद्रमशिका-म्नन्यं watery atte छषिद्न्दोटेवता योजिताः एव सुत्तराखखपि योज- नौोयाः५४ अग्ने विवखदिलेषा तु बह्वचेनौक्ाता, तथधाष्यस्याः छन्दोदेवते पूवेवदिखष्टे, ऋषिस्त॒ वामदेवदति म्नन्याग्तरादव- गतः (*)

हे aa’ त्वम्‌ “श्रस्मभ्यम्‌' अस्माकं (९) ae aad’ ava रथाय [अव रक्षणे-दति धातोः जति-युति-जुतोति (९) सत्रेण निपातितं रूपम्‌] “विवस्वत्‌ (र) खर्गादि-लोकेषु विशेषेण निवा- सस्य हेतुभूतमिदं कमं “श्राभर' सम्पादय [ऋ-ग्रहोभग्डन्दसौ

ति भतम्‌] fe यस्मात्‌ त्वं SAY अस्माकं ‘EH देना “देवः

योतमानः ‘“afe’i [उन्द्रादयोनास्माभिदृश्यन्ते, त्व तु गाप

—~——

णि

I वधुयश्वक्षिः अनूपो aT |

(०)-नेगेयादिग्रन्बात्‌

(Q—ware चलुर्थो २, २, ९९'-दसि कात्यायबदचनम्‌ |

(3) —eafwaftrarfrarfaefaain ae’ २, ए, ९७ |

(२)--“विवासनव त, तमसां विवासनकरम्‌, किमत्‌ ? सासथ्याम्‌ ज्यो fer: -c fates 1

rd 1 4 #5 es /

११० सामषेदसहिता | [श्म Wo, eH We

fen RI ais वाउदायि “its वाव सापि र्‌ र्‌

नार ओदो वा। इथे SQ ll ee Qe दूति प्रथमा दशति *।

त्वादिदैशेऽतिद्योतमानः ure दृश्यसे aarei विशेषेण प्रार्थयामहे -दत्यभिप्रायः ॥१ ०॥१०

॥५. facfar araaty प्रकाल ~ इति सायशा्ाय्य Awa सामबदा Waa ara भ्रथमस्प्ाध्यायस् प्रथमः GS: ||

~ ~ faaqaa Cm x @ He मह्‌.टषु षडधिकपुस्तकष vase (द्ति-र्त्येव पाठः ot afsasfa a, विवरश्ग्रन्धे ain ~ ~ तथेव | विवरशगन्धं “शत्य CUTE सायश-मते WETS OE! षड सृरनुरोष रवाभितः।

29 Bo, car we] |= wefan: | १११ wa हितोयसर्डे

सेयं प्रथमा | (आयुर्च्चाहिक्छेषिः) * Rt नमस्ते अग्म्रोजसे Daft देव Hea: | WV

९२९९६९६९

अगीरमिचमर्दंय १॥ ११

४४ uu १९ , 8 1 नमस्तौ ' ₹ोप्रायि। ओजसाहयि एणारन्ता२३४ 7, ˆ ` © 4 R UT T fae | THEA ₹। WAAR: | आर्मा९३४ ओष्दोवा | द? ९१९१९१९

चमदंयार३४५॥ १॥१९

क्षि

‘mer! Sa! “ते (\) तुभ्यं "नमोग्णन्ति" नमस्कार-शब्द-

00

११ Carafe कस्य ८,१,१२११ | : ee we l ऋषिरविदितः संवगानाम | # - दूत Ww खष्ठदये warm weed मोक्षिखितम्‌। तज wre देवताया प्रथमखष्डतो व्रैलचष्छाभावादकोत्तमं सगवस्ितम्‌, परमषिनामा

परक्डने केतुन परम्धते ; प्रत्युत तत्‌प्रका एव जचचितः इति विबरशगरन्यःद्‌ इतये सवव वेषटन-णिद्धाकाजतः कतः |

(१) षटेयकबचनमिदं दितोयेकब चनस् स्याने इड यस्‌'-रति वि ° |

११२ सार्भवेदसंहिता।. (शमप्र०, La He

ea ददिकीया। (वामटेवक्छषिः ।)

RN SX OR १. ९९ 2९९

AY दूतं वो विश्ववेदसधदव्यवाङममच्यं म्‌ |

१९ RR यजिष्ठ्श्ञसे गिर २॥ ९९

ofr thalak, porwr 4

we Y A रश

7, # 1.1 1 दूताडण्वोरे विश्ववेदसाम्‌। ₹व्यवादाम WATE 1

a

9 ~ गिरा viees थाम्‌। याजिष्ठम्‌। शं असेषृायि। गिरा।

1 A A

र्‌ | MTT | VST! डा We

मु्ारयन्ति। किमधंम्‌ “श्रोजसे' बलाय (र) 1 के१ “area? मनुष्याः (२) यजमानाः [ अतोऽहमपि ग्टणामोत्यथेः] त्वं ‘aa: बलेः (५) afr’ शतम्‌ Tea नाशय ११ १९

हे भग्ने! विष्ठवेदसं fant समस्तं वेदोधनं यस्यासौ fw वेदाः तम्‌, सवंविदं वा “हव्यवाई (*) देषेभ्योषदिषां वोढारम्‌ |

ee

१९ area के (3) —ehsixfa बराम्‌ पठितम्‌-जनि० २४९, ९। (द)-कं्ठिरिति areata, fae २, ८। (४)--*सेनेभयैर्वा'-दति fare (९)--«"वख् द, २, ९४-र्तिखिव : |

रये Wo, श्या Wo | छन्द राजिकः | - ११३ सषा तोया | (प्रयोगजऋषिः) |

YR २९२९८९२ उप त्वा जामयोगिरोदेदे शोडविष्कलः। 78

र्द शर

TATA अस्थिरन्‌ २॥ ९१ "पमर्स्यम्‌' अमरख-ध्ायं "यजिष्ठम्‌ अतिशयेन यष्टारं दूतं" देवानाम्‌ ‘ay लां गिरा स्त॒ति-रूपया वाचा ‘wae’ (९) यज मानीऽष्ं प्रसाघयामि वश्यामोत्यधः [ ऋच्छति; प्रसाधन-कब्धा (६,२,४)-इति यास्कः (९)।२॥ १९ ` रे अम्ने! “इविष्कुतः'(*)यजमानायं गिरः" (स्तुतयः जामयः” (र) aac देदिशतोः" (*) तव गुशान्‌ दिशनः ‘ar त्वाम्‌

WB द्यमुत्तराञ्िं कस्य ©, २, १४, १।

(र₹)--"मष्यमपुदवेकवचनमिदमृतम gare स्थाने दहस्‌-रति fae | (९)--यास्को निदह्नकारः | निषष्डो बैगमकाष्ड पत्र तिः।

(१) “हविषा याः क्रियन्त ताः दवि व्कृतः, कथम्पुमदविषा ताः न्यन्ते 1 wre fy प्रशिप्यमाशो बङ्धोमवन्ति प्रत्य चमेतत्‌-द्ति fate | (2)—facfan यन्ति walfe ताः fac awfaan’-cfa fae | (Q—arae: alam, ac Face मेमिन्यः! व्वाखाः-दति fate | (५)-“खत्ययै ददत्यः, कि caer? साम्याद्‌ षनम्‌'-दति वि० | (५) --ना"-दत्येतदु दितौ tae wale cere साने द्दढम्‌, तव"-द्ति वि. | १५क

११४ सामकैदसहिता। «= [ea mo, cw we

1 उपत्वाजा मवोर्गि। CaS: | दाविदो्

RT रद र्‌

तिशविब्कु। raise ₹:। बाबोराररे नो। BATE

धर १९९६९६९

खाऽ५यिरा९५९न्‌। अश्रारेगावारदे४५; RR AR

# द॒ द्‌ |, R |, > Tl उपत्वाजामाश्योगिराः। दाऽयिदिश। ताऽथिः। रर रश ४५

खवोरेव्कार३४ः। वायोरनादायिकाया। | WPA BSBA | डा AWW

उपतिष्ठन्ते वायोः (९ ‘sata’ (°) समोपे at ate: “भरखिरन्‌' (=) अरतिष्टब 2 0 १३ |

1 भम्‌ Il ओरौष्टौयम्‌

(६)--वाति मच्छतिः (क्वापाजिमिखदिसा्यद्मम्बडस (ख० t,t, ९) We!

STEAM, सवंथकखानन्टदाम्‌ प्रति AAT Chet वि०.।

(°)-.अगोक-ब्रब्दोसष्छ-ववतः-एति विण | (c)—‘waafy ae we fee: (२,५, ९) इति काश-सामान्द रख, ८परकाल्व

वायो (९, द, २९)-इति Gr पद्‌ यत्ययन द्य रम्‌ |

24 Zo, sal wo] छन्दमार्चिंकः। ११५ Ser erat | (मधष्छन्दकटषिः) RR ९.९९ ९९९ उप ary fae fea दोषा aes arse 4 ९९९९९१९२

नमोभर न्शमसि १४

ut I उपात्वारेक्ेदिबेदिवायि। दोषारवास्तारः।

TH AMAT तय भा TRRTTRVesa | eee UTI SRR H १४

श्र

^

‘wer वयम्‌" भरुष्ातारः "दिवे दिः प्रतिदिनं “Stet Te: (९) राज्रावहनि fear’ वध्या नमोभरन्तः नमस्कार aaa: ‘oy समौपे ‘at एमसि' त्रामागदामः [उप- wee निपात-खरः ९] “त्वाम हितौयायाः (८,१,२ १)'-दइति

१४ नास्तोयसु्तरा चि के I बेश्ामिचम्‌ |

(Q— atte राणे जान (fe 2, 6, द) wer खाच्छादकिता, रातो यः aa Siret तमांखाच्छाद्यति सदोषावण्ठा, we watere रे ‹दोषावशः ! ' दूति fixe |

(९)- ‘forwrer खाय दाशाः (६, १६) एति RTE |

११६ सामवेदसंहिता १मप्र०, १म Bo अथ पञ्चमो |

(शनः toate?) |

+; VLR 1 जराबोध तद्धिविडिढ fast fast afeyara | १९ ९६९ ₹९ RR

सामधशद्राय SMA ५१५

युभच्छब्दस्यागुदासस्ादेणः दोषा-णब्टोरावि-वाचौ (नि०- ,७,€) ` वस्तः-इत्यषवाष्वौ (नि १,९,१)। इन्दसमासे | RTA RATATAT दात्तः (९) सावैकाचद्रति धियोवि- afareeren (५) नमः-इति निपातः, (५) ; यदा, नविषयसखे- त्याद्युदासषः (। भरन्तदत्यव शपः पित्वात्‌ () शतुलंसावंधा तुकल्वाश्च (*) अ्रनुदासत्वे सति धातु-स्वरः (<) शिष्यते (\*)

QU इयसुत्तराच्चि कस्य ८, २,२, `

(९) का कोजपादयख (६, २, ए०)-इति पाडिनिखवम्‌ |

(8) —‘araarag तीयादि विमक्किः (९, १, (ce) -इति Ute |

(४)- तथाच निपातखर QTE दालः |

(¢)—‘afen षयस््मानिसन्नस्य (२, द)'-ष् ति wre |

(र}-“हषितावलदाको (९, ९, ४) -दति पा |

(८) ्ताश्चुदाभे किददपदेश्ाछसावधातकमतुदातमञिशोः (९, ९, १८१)". दति qe |

(€)--शधातोः (4, ९, १९१२)'-इ्ति पा०। अकोदा खात |

(९०)-सतिशिखरबशोयस्त्वमन्यत चिकररभ्यः'-दति नियमादिति भावः।

र्य We, wat we] ङन्दश्राखिंकः। ११७

| ee ae

1 जारा बोधा बोधार्‌। तदिविद्ायि। fata at श्ट

fate यश्चा९। TSA! स्तोमऽ° रुद्राय

SMAA ॥२५॥

४४

Il जराबोधोवा। नारिविहय। मिशायिवाप्‌ ^,

# देर

fast) यन्नियाया। सोमाऽ द्रारद्याऽ। हशोको३४५ Tl डा।२९॥ ९५

एमसौोति इदन्तोमसि (७,१,४६) -दत्यनेन इकारः; तिरः इति CY निघातः] ४॥।१४

हे (जराबोध जरया स्त्या बोध्यमानाम्ने ! “fat fa तत्तद्यज- मान-रूप-प्रजानुश्रहायैः ˆ यच्चियाय * यज्न-सम्बन्धयनुष्ठानसिष्यथ'

‘aq देवयजनं 'विविष्ढि प्रविश यजमानोपि “र्द्राय' क्रुरा- वाग्नये तुभ्यं EMH SUA समोचोनं स्तोत्रं करोतीति Qa: |

eS

I, Il ex&® जराबोधोये

( x) —* Fare fare: (ठ १, ९८)'-द्ति पाऽ |

Ih

~~ a

११२८ सामवेदसहिता। [शमप्र०ः १म Wo

अब्र, याखएवं व्याख्यातवान्‌-“जरास्तुतिः, अरतेः स्तति- MAU, agiaaar बोधथितरिति वा वहिविर्टिं तत्कर मनुष्वस्य यजमानाय स्तोमं Tara दथेनौयम्‌ इति? (१०,१८) | जराबोध, “जुष वयोहानो' भ्र तु सुत्यं; (९) | ““पिद्धिदारिम्बे- ऽङ्‌ (२,३,१० ४)" इत्यः प्रत्ययः, TASTY (४,१,४) , जरया स्तुत्या बोधोयस्यासो अराबोधः; Ter, जरया बोध्यते इति अरा- बोधः, कणि (र) भ्रामन्विताष्य्‌ दा्त्वम्‌ (९) fafrefe ‘fay प्रवेशने' लोटोहिः (१,४,८,७), बहलं छन्दसि (२,४,७६)'- इति शपः चुः, अ्रभ्यास-इलादिशेषो (६, १,४।७,४,९०) (हइ कल्‌भ्यो- VE: (६,४,८०) इति हिरादेशः, wa-Ta (८,२,२६।८,४,४१); यदा, विधु, व्यापावित्यस्य लो मध्यमेकवचने भ्रभ्यासस्य गुखा- भावः। विरे विपे, खवेकाचद्ति (६,१,१९९) चतुर्दा way! “अनुदात्तश्च (८, १,२,)-इत्या सरेडितागुदा्तत्वम्‌ (५) afsrara, “यश्रलििगभ्यां ब-खजो (४५,१,१ १)"-इति घः दथौकम्‌, ufaentatafa कोकान्‌ प्रत्ययः, निलादाद्यदात्तः (४)(०)५५ WY

(१)-निषष्टो तृतीयस् चतुद ev fren बडनकारपाढात |

(9)—"earw रिचकारक सथश्चामाम्‌ (९, ९, ९९) इति सूवात्‌।

(९) “खामग्न्ितख (ई, ६९८) -दति सूत |

(*)-- तख परमाम्‌ डितस्‌'-इति ९, २।

(uy —‘er Ferre fat are (६, ९, ९१०)'-दति gare |

(*)--“अन firersarewi—efe: gat vare—ex wife, ch fe पथवः; तं प्रत्युवाच--माडं जानामि CE छोतुम्‌, लमेव चेनं ख. होति तरेबद- तथा WY SUT! # रे Arey qa awee fates’ वेत्य

RI Go, estate] «=o weanfa a: | We Vw | (मेधातिचिक्छ षिः)

९९ ष्र्‌ २१९ २९ ९९१९९ ९९ प्रति Sata Hest मोपोथाय प्रच यसे | Nb Rr BLU र्‌

मर्द्धिरग्र यहि ॥१९

केर § RT TUE 1 प्रतित्याररे्‌ चारूमध्वराम्‌ | गोपीया याऽ | MIRA 7. £. ९६९९

Peseta | FRA | आग्रा आगदा। रोवा होऽ५ TH SH ROH VE

१९ नास्त्ौयसुत्तराचि के

I मारतम्‌ | आानासि, नाहम ; विविङिढः विष्णबा्नाणित्येतस्ये दं रूपम, wey धातः बेषदूति कसतामसु पाठात्‌ भाजां were, walfe aca wants करोत्यथ पि याप्यं cafe अम्बते, तत्‌ aidan: |. fara? ewa—fantan समुब्पद्छाथाय, ‘aware यश्रसम्पादिगोऽथाय “tre Stara wae “qwe7 MATE | अथवा रोदन frerejara अध्िरेवाव दद Sua, जराबोध इत्यपि WHC सम्कोधगम्‌। TTR! रे मदीयानराक्मन्‌ ! कुष किनात) of मनुष्धाक। यश्चसम्पादिनः wary जोम५"-दइति fae |

1]

१२० सामवषेदसहिता। [मप्र ca we अथ SHAT | (शनःशेपक्छषिः)।

? LR Re ₹९ ९९

अशः त्वा वारवन्तं वन्दध्या्प्मिनमोभिः॥

Rv Rr 8 VYTHTAACRTYTA © १७

[त्वच्छब्टः सवं नामस्तच्छब्द-पयायः] डे wae’ Taw ae: अङ्ग-वेकस्थ-र डितः ^त्यम्‌' तधा .वधं “चारम्‌ अध्वर ‘afer’ लच्छ(९) “योपोथाय' सोम-पानाय “प्र wae’ प्रकषण त्वं wae! तस्मा- दसिव्र्वरे तं मरुहिदंवथेषेः ae “आ गहि भ्रागण्छ [सेय- सग्यास्केनेवं व्याख्याता -““तं प्रति चासमध्वरं सोमं पानाय प्रणयसे सोऽग्नर्म aie: सहा गच्छ-दति (१०,२,१२) ५१६

अध्वराणां यश्चानां ‘wast तं" सम्नाट्‌ खरूपं खामिनमनिनि wi “नमोभिः स्ततिभिः "वन्दध्यै वन्दितुम्‌ (९) are इति

ee ee

१७ द्वसुत्तराचि कस्य ८, १, 9, १।

(र)--श्रतोत्पेष See कम rete: cha वि | eee mang waters sfeqayare:’ १, ४, ९०

(९)--'तुमय-ख, स्म, अस, सम्‌ कर, कखन्‌, ध्य, TWA, BW, awa WW, इष्य म्‌, तव, ATS, AAA: (९, ४, ¢)-TfA We

28 Bo, जमौ wo] छन्दश्रा्धि^कः। १२१

Rt १९ Lis [pat | TERRE नाता शओौरोरहेश्वा। 7; ie | १९९ श्र | Ut वारवन्तंवन्दध्या। WAT! शओोदहो९३४्वा। नमोभिः श्वम

सखाजन्ताम्‌। ATU! ओरङ््दोवा। | Wye डा॥ रर -

४४ ४४द्‌ ४२४ 8 र्‌ 1 अश्चन्नत्वावारवन्ताम्‌। वन्दध्या श्रग्नन्नमोभायिः।7 : . . श्ट - ₹? RE Vth LR vf बम्‌षाजम्‌। तमाध्वरादेओद्ोवा। TWTR RB ETE at

ओडो३९२। यारर४अद्ोवा | णा३४५म्‌ २८ 7 अजता PTET वारावार९४न्‌ताम्‌ , बन्दा- , `

wit ry ध्यारे३े४ दायि | श्ग्रायिन्नमा९४ | area TUT २३४ र्‌ शर

Wl! उद्कवारेश्शमोः। BATH! म्ताऽमध्वरा३े४ | रै (य्‌ ater ददार दायि जौरो२९९२४ णाम्‌

WT एियारहा। BISUTST Rou QO

ee ene ee 9 eee Seen न>

I, 7, 101 याशमेवषां भगःशनःगेषोवा ऋषिः वारवन्तोय नाभ | १६क,

१२२ सामषेदसद्िता «= [ea wo, cH

अथाष्टौ |

(wararaefa:) |

९६ रर ओवभुगुवच्छविमप्रवानवद्‌ाशवे।

९९९२९

अग्निरटसमुद्रवाससम्‌ १८

ओषः (९) भन्नेटं्टान्तंः 'वारवन्त› वालयुक्तम्‌ or a we भिव watt यथा वालैव्यधकान्‌ मशक-म्तिकादौन्‌ परि हरति तथा त्वमपि उ्वालाभिरसखमहिरोधिनः परिष्रसौ- त्यथः YO

‘aqua समुद्रमध्य-वतिनं वाडवं (९) “शिं wey अग्निम्‌ “Saga यथा Weary “अप्रवानवत्‌' यवा श्रप्रवानः, तधा “area (२) अ्रहमादयामि १८

———w

९८ नास्तौयसुसराचचि के (२)--“दच्छामर्ति बाक्वष्ेषः-द्ति Fate |

(१) खमुदद्त्य करिचच-माम (Faro १० द, १४) ततर निवाखोयस्यर खसुद्वाा, तं समद्‌ वाससम्‌, चकारिसनिगासमित्यथः; aq aTaT मसो wa निवसति खवा @ '-र्ति fae)

(२)- "बदल दन्दसि (€, ९, २४) -K fr ङः सम्यसारशम्‌ |

24 Go, tat wo] रन्दभ्ाशिकः। १२३

UT R है रर 1 Seater ओ्ायि। शूररेटचोम्‌। आन्नवान 7“. ' _ ५९१ _ . ५९६ LL TERMI वि STM) अग्रार्‌ यिश्टसमूरेससुत्रो। ९९ ।९ ९१९९९

दवाससारे९अबा२९४५ २१ | he ६९ kt 1 ओरवग्डगुवच्छचिम्‌ ए५५। श्एचोम्‌ आम्नवान 7; 2 ;.

{९ RRR 7 RRR ९२ rh rs TRIM | RASA! SU! अग्रायिरसादेम्‌।

१९ RRR

TARR | VAR द्रापवारर४अरोदोवा। ससाक्मेर९- ४५॥ २२ १८

| +

Cs ei wee et ewe nee wR OOO ROO MRO Om ५*०*०*०.*०..-.*--.०-०.*.*००*०*१*ननन्न्क् ००००५००० ०.०.*.*०.०.००.००००० ००००...

(प्रयोगऋषिः 1) RR ९६ WR VL etn अभ्िभिन्धानोमनसा fravaaa Ae: | 19 2 रे

अग्निमिन्धे विवसखभिः < १८

I wa ऋषिः,सामुद्र समुद्रस्य वासो वा। It Saree ऋषिः, सासुद्रः TAS वासोवा। १९ नास्तोयमुत्तराचि के

---~ y>

pee

१२४ सामषेदसिता। [शभप्र०,१मगअन,

अगिमिन्धानोमनसौ STATUTE Werews |

तमो | WRN रदोरदश्ियाः। आअग्ायम्‌।

ut २९९ १११९

fates awa | विवखभो९३४५;॥ २३॥ ९९

“मत्य :' मनु्योऽभ्निमिन्धानः are! प्रज्वलयन्‌ मभेसा रव खदधानः धियं कर्म (१) सचेत' काले भजेत ‘faery’ ऋत्विम्मिख ()aftaq एव इन्धे" व्रञ्वलयति

बह.चानाम्‌ Py इति पाठः we १८

५५५.५.*०***-*-****५.*.*.~*न**.***५~**.****~ ५००००००० **५*.**-५५*००००००५५१०१*५५०५*-५*.***०.५०*०५००००५०.*.०..*...५...--...

(qaraefa: ।) ९६२९ १९१९६

आआदित्प्रल्स्य रोतसोज्योतिः पश्यम्ति वासरम |

25 FB रे 2

परोयदिष्यने दिवि २० eo

1 अभिच्छषिः, ्रसङ्कम्‌ | ९० नास्तौयसु्तरा्ि के

(९)-घौरिति निषण्णो दितौय-~ग्रथैसे weary fdumamt srg, Batt मवसे प्रच्चानामसु षडभनरः षित्‌ | Ce चोरिति क्रानाम, मम्‌, सेत TU: छेत खमेतद्त्यथः"-द्ति वि |

(९)- तमसां विवासधितृभिशं विभिः. दति fae |

२वख०, १०मौक०] शन्दभाचिकः। १२५

8 र्द - x 1 आदित्‌प्रन्नाभस्् tae | ज्योतिः पश्यन्ति वासा 7 , श्श्द

राम्‌ | पराया दिष्यताद। दिषि। Ge ae i‘

RT UCT. शद ८९ f ओदो ओरहोवारे३४५दा वा २४॥ २० दति दितीया दशति `

परो दिविं' (५) दिवः परस्तात्‌ [ व्यत्ययेन सप्तमो (३,४,८८) | बहचानां दिवेति ठतौयान्तेन व्यत्ययः, दिवि खलोकस्योपरि] “यदः यदा श्रयं वैश्वानरोऽग्निः «| Galera इष्यते" ahaa “ग्रादित्‌' अनन्तरमेव (९) ‘cae’ विरन्तनस्य ‘tae गन्तुः [सेः गति-रेषणयोः, अ्रस्मात्‌ सुरौभ्यां qe वेत्यतुस॒न्‌ Gera यदा, रेतसदत्युदटकनाम (नि० १,१२,१६) रेतखिनउद कव तः, साम प्या कत्वर्घाोलश्यते] nares dataset "वासर" (द) नियामकं

I प्रजापतिक्छ षिः, निधनकामम्‌।

(९)-- अत्ययेन dfews, गप सकरिङ्क कत अम्‌; परम्‌ दृष्यते hea fafa खशोके-द्तिविर

(₹)--“खात्‌-द्त्‌-दवावपि पादप्रश-ईंति विर

()—‘areee: विविध्यं वशत ते, सर इति स्तम त्यथ रूपम्‌, विविधं यदु weft

soa tee 9०१.

के के © + Sf रामे गेय-गाने VAAN: WITS:

१२६ सामषेदसंहिता। [शम प्र०,१म अ.

वासरस्य निवास-तु भूत वा “व्योति ओोतमानं तेजः "पश्यन्ति' सवं जनाः [यदा वासरमित्यत्यन्तसंयोगे हितौया (२,३,५), WARE: उदयप्रशत्यास्तमयात्‌ ज्योतिः cates: “ससो; सामथ्यं (८,२,४४) इति विसं नौयस्व षत्वम्‌॥१०॥ Ro

इति सायां गिर शिते माधवोये स।मबेदार्थप्रकारे चन्दोग्याख्याने serge Fare: wa: 4

तद्‌ वासरम्‌ ; किम्पनस्तत्‌ तदेव सूयां व्धोतिः, तदि दिवा उन्श मच्छति urat BAT) अथवा वासर ana aq करोतोति शिच्‌, वाखरयति बासरथते, अथ वासरः ममथितु इत्यथः ; वै तं डि श्धोतिः मेषात्‌ बत्‌ eft प्रति उदकं नमति नयति ।--ये Tain जनाः, यच्च वासरम्‌, यच परम्‌ Tae दिनि, गतं पराश्खोद्- we सष्डन्धो'-ईति fae |

वख ta wo] छन्द्शाचि कः। १२७ अरघ sald Te

चेषा प्रथमा

(watraraz fas) ९९९ ९२ ९९ अग्नं वोवृधम्तमध्वराणां पुरूतमम्‌ LY RR = ९२ HRT AY सदस्वते २९ # .र & शद श्र I अपि वोव्रधान्ताम्‌। अआध्वराणाम्‌। Gea | | §

र्‌

TAT! आच्छारेना्र २९। SRA खा-

पतोश्डाई्‌

दर द्‌ bg

TL अग्नि वाईए। वृधन्ताम्‌ |. अध्वराणाम्‌ पुरनम-

मच्छारे ENT! नारदे सदाखा९४५ता९५९द्‌ | धतो २॥

& |

17 safe: | ओद्‌ | वृधारेदृन्ताम्‌। अध्वराणाम्‌ 7

९९ इवमु्तराचि कस्य ३, १, २०, १। I, IL, 1 इमानि areata सेन्धुकषितानि

१२८ सामवेदसंहिता | [ca Wo Caw अथ fraret | भरदाजक्छषिः |

किकी ९९ ९२ £ १९ अभ्रिसिग्म शोचिषा यसदिश्वन्यऽबरिणम रे

अग्न्नौवपसते रथिं ९९

९. द. रे रे

पुरूर्ताहमाम्‌। अच्छानपत)रद३४चाद्‌। | STURT ART WT डा॥ १२॥ ९९

श्रष्वराणाम्‌' अहिस्यानां बलिनां "नपृ at area’ बल-

वन्तं [ विभक्ञि-व्यत्ययः (१,४,९र) धन्त” ल्वालाभिरवंहेमानम्‌

“qeraa श्रतिशयेन agafa हे ऋलिलः वः युयम. wet (१) श्रभिगङ्कत,९) १।॥ ९१

san’ “afi तिग्मे न' ahaa शोचिषा तेजसा ‘fam’ 2। ON be नास्तोयसुत्तराशि के

(१)-^निषातश्य (१, द, १९२६) -१्ति दोष (3}—Sqeqcrata’ ayrat (टव कल्‌' वथ्यम्तम्‌ न्वः' त्वाम्‌ अग्निस ‘qwaa an जखवत्पुच-लाभाय QS’ आप्तम्‌ टृ च्छामि-दत्यथः बिन-सम्परतः +

र्यं खण, रथा ०] छन्दश्रा्चिकः। १२९ १२, 2S wk 1 आग्माओ्रोरहे्वा। तिग्मेनादेशा। चादषाश्रोारद 7, \ २. रर्‌ rh वा। यारसाच्रोरेरेधवा। वा दूश्ानिया | AUTRE Se

९र TR R (00

वा। अगमिनीर्वधसतेरयोरम्‌ art

| ५४ R १. STE! ST) तार्‌३४दग्मे' नाओोचा३९४ ^ १. , TH! यरःसारेदारर४द्श्ाम्‌। नियचारेइ४दणाम rT we

SAMAR ARGATRATRRS ओचीवा। रारेह्थोम्‌ ५॥

सवम्‌ विणम्‌" ग्रत्तार॒राच्सादिकं नियंसत्‌' (९) निन्त RT ्रतुसतरार-स्थाने राकारं कला “ATA” इति पठन्ति] श्रपिच "नः, अस्मभ्यमग्निः “रयि wa’ (२) aa’ ददातु +

“वंसते"-इति डन्दोगाः “वनते” इति वर चाः ARE

1, 11 अनयोष्टंर-इति नाम, ऋषिरविदितः |

(र) यच्डतेशंटि पश | (९)-निषष्टो दमौ य-दशमे -धमभामम पठितमष्टमल्‌ |

ROR,

८.

५/

श्रय सामवेदसंहिता [मप्र Ca He अथ इतोषा | भरद्ाजक्छषिः |

Bre २१९ ९९८ ₹? ररे रे अद्मिस्तिमम शोचिषा य्सदिश्चन्यऽचिणम |

अग्िर्नीवसते रयिं २॥ ९९

R १९

Gera | श्रच्छानप्तगर९४चाद्‌। सादाङडा |

ओकोव दोष STH २॥ ९९१

6 ~)

(अध्वराणाम्‌ ufgaratafeat aq’ बन्धं ‘aged’ बल- वन्तं [ विभक्षि-व्यत्ययः (१,४,९८) धन्त ' ज्वालाभिवशमानम्‌ -शुरतमम्‌' अ्रतिश्रयेन agate हे ऋविजः! वः युयम. ‘TET (९) श्रभिगद्त,) १५२९१

“प्रयम्‌ ्रभनि "तिग्मे a तोच्छेन श्योविषाः तेजसा ‘fae

~~ ~~~

¢

नास्तौयसुत्तराच्चि के | <

(१)--‹निपातस्थ (६१ २, १२६)-दति दोव (2}— चआष्वरालात ayrat 4 तमन वशेयन्तम Ca: त्वमि ‘aqaa 48

SAAT ज-लाभाय ‘WS WH A दच्छा(म-दत्य्थ जिर्नसग्यतः #

श्य ख०, रथा we] | eee a: १२९ १२.९१ ` x [Tras | निग्मेनादेशा। चादषाश्रोारेद्‌४ \ UR . 4 वा। यार्साञ्रोरदे५वा | वा इश्वानिया | चादणाञ्ा २३४

४५४ TVR

वा। अभ्निनार्वरसलेरयोरम्‌ ie

| चै ।, rt १.१ ( 7 ज्रोशा। ST तार३४दग्मे' नाशोचाहे४ ^, : १. , R Tl! यटसारेदारद४्शाम्‌। नियचार३४द णाम

RUT wt R

ARATE वारेदसारतारदओदोवा। TRA ५॥

सवम्‌ विणम्‌ अत्तार राच्चसादिक "नियंसत्‌' (१) fare [eT अ्रनुखार-स्थाने राकारं कलवा “ATA” इति पठन्ति] afte ‘a,’ अस्मभ्यमम्निः “रयिं धन (२) ‘aa’ ददातु

“वंसुने"-इ्ति छन्दोगाः | “वनने ति ART WR NRE

1, 11 saarecafa नाम, ऋषिरविदितः |

(१) यच्डतेखं टि शप्‌ | (९)-निषष्टो दितौय-दश्मे -धमभाभम्‌ पठितमषटम्‌ |

१७क,

/5 ofr, Aha ८८५, °

१३० सामवेदसंहिता [मप्र La Wo wu water (araeaaett:)

१२ रे २८१५ १९ श्र रर अग्ने ALT AATM देव युश्छनम्‌ | BUI VPUVL R

TAY बद्िरासदम्‌ २९

8 WATT UT

8 an | " ...¢ गा अध्नि्तिग्मेनशोचिषा। cet यःऽरसदिश्

न्यत्रिणारे म्‌। TAT अध्निनावधसतारेदर। इाहरार

SUAS RTE , a R . MASS? | मद्ार आरेद४सो। अयं

RR

MART! वयुच्ञारेर४नाम्‌। TAT | दि सा५दा९५६म्‌॥ ot

२३ नास्तोयमुत्तरािके | १० Ill इहवद्वामदैव्यम्‌ | I यामन्‌

श्य Go, श्या] | |= weife a: | १२१

SS Reet श्र चै pata es 11 अप्र॑मुडमचाऽ° असि | BTCA) STATS: 7, <. ९४ ट्र OT ०९९ २९

वयुनम्‌ | ARB! दयेथारहव दरा एसा दा९५९म्‌ ९६

र्‌ २८ ४र४र , TRL 1 STRATE अरइसाः। ` प्रतिसदेवरिषारहताः | 7 -. . ; ५१ १९ तपादृष्ारेद्दरा। जरौदारदशा३४९। ओ२९४१द६ डा॥९॥ ey

हे ww) we’ अस्मान्‌ geal a मान्‌ भ्रसि' प्रभूतो भवसि ‘ay त्वम्‌ श्रयः" गन्ता "देवयु" (\)देवानौ कामयितारं ‘aa’ यजमानं बदिः दर्भम्‌ (९)“असदम्‌' aw भासत्तुम्‌ (२) भ्रा wae’ (४) आगसि

9१. ८८ 9 ea” afer छन्दोगाः “ययोम्‌”-इति THAT: wR

Il इदमपियामम्‌ I रात्रम्‌ |

(१) रेवाम्‌ we मिच्छतोति wef "वधाच्छन्दसि (र, ए, १००-दति खः

(९), (९)--“बद्डिः--दितौयेकव्गमिदं स्म्य Sree साने दष्ट खम्‌, बद्दिषि। (वासदण्‌-रदमपि हितोयेकययनं चतुष्ये कवचगख सामे दम्‌, आसदे आसदम बमित्यके,-इति Faro |

(9)-“शम्दसि we we णिढः (8, ४, ६) -रति fer

१३२ araacafear | [pH Wo, १म We अथ wel (afasacfa: ) RR १९ रे शै अग्रे रशा णोञअधचसः प्रति G देव रोषतः |

RR

तपिषटेरजरोद ॥२४

owe! "नः अस्मान्‌ ‘Sea: पापात्‌ ‘car’ पाहि [संहितायां (१) दोषंन्कान्दसः(२)] अपिच ‘Sa’ दोतमानाम्ने ' श्रजरः' (९) जरा-रितरूव' "रोषतः हिंसतः py [संहितायां दौ्घंन्डादसः |] "तपिष्टे(*)' अतिशयेन तापकैस्तेजोभिः प्रति ' (५) wartye सेति सकारस्य संहितायां ‘ofa a -sfa षत्व (9 वद्धा: कुवन्ति Woy

er epee gn ee crc ee Pet <a -- eee

२४ नास्तौयसु्राशिके ie

(९)-“अम्ने रथाशोः-पत्यादो ऋक्पाढे |

(९)--“इपचोतणिडः (६, २, (wef सृते त्त रथाश्दूति warnfe “नख धातुस्ोद TY ८,४, २९)'-इति कान्दसम्‌ | |

(दे)-जराशतिः, सा यख कल अलेन विदल (ताम्‌ गाख्िकाम्‌)-दूति fae

(४) “अन्य षामपि HUA (१,२, १६९) इति ETS!

(४) “क-दति पाद्पुरशः-टति fae |

(१)-अनादिषटखापि "पवेषदात्‌ (८ & ६०९)'-१ति ware |

दव स्व०, ५मौ we] हन्द्मार्चिंकः। १२३ अथपश्चमने।

(wacersraz fa: )

१९१९२ SS R १२ अगन युङ्दवा हि ये तवाश्वासोदेव साधवः। 2S & | क, अर वदल्याशवः॥ ५॥ २५ vt Yat ee YT र्‌ 1 अद्र यूरेऽकसाहियेतवा। अग्णसोदेवसाधारहवाः। 7: ` t aw \ ACARI | तियाशारेरेवा३४३ः। आर९४५६्‌ | STH eo HRY

डे ‘ea दयोतमान ! ‘oat तानण्वान्‌ ‘qe’ sanz TH योजय [वह चास्तेनषिरौयाख विक्षरणश-प्रत्ययस्य लोपं War “गुच्छ -इति पठन्ति] ये ‘aa वदौयाः "साधवः साधकाः सुभौ- लावा ‘snare: (१) wae श्राशवः' क्िप्रगामिनः (२) ATH अलं wala त्वदौ यं रथं "वदन्ति" (२) 1

RY इयमु राचिकस्य ६,२,२०१ | I इयमपि राच्ोघ्रम्‌ | ।९)-^आराव्जसेरसक (0, ९, ४१ )'-दृत्यसुकि रूपम्‌ |

(९-नि० २, १४,.१६ (र)-कसासचि रोति पादपरशाथं : |

१२४ सामवैदसषिता। [मप्र ea qe

अव वष्ठी | (वशिष्टक्षिः) ? विश्पते Re RR नि लवा are विश्पते दयुमन्तं Sere वयम्‌

१९२

TACT ATA २९

- © 7८.04 1 नित्वा। MK न। feel वादूशपताई ga | र्‌ RTL RT

न्तम WIE! माष्वारश््याम। PAW! TAM

| Ok आओरश्वा। MATE AT Tce ९९ “Tae sf छन्दोगाः “वदन्ति मन्यवः"-इति वचाः ५॥ २५ “नच्य' ' उपगन्तव्य ! [ नच्चतिव्यधि कमी (९) ] “fasraa’ ` विशां पते! (९) carga’ सर्वर्यजमानैरमिडुत ! रे war? ९६ नास्तोयमुत्तरा्चि के १२ I Sanaa | |

(\)—farng -farttarerent आिकमं सु ‘are ९, इति पाठात्‌ (९)-निषष्ड,-दितोय-तलोखे मनष्यनामसु “विशः -इति ष्ट पदम्‌

र्य ख०, off we] छन्द्श्रार्िकः।' १३५

Sy सभ्नमो |

(विरूपचऋषिः)

९९ BR VLT श्ट RR BR

Tat दिवः agate: पुथिव्याञ्यम 2.) | ओ, अपारता्टसि जिन्वति © २७

मरिमजादो १९ _ रर _ I अत्रिमंद्ादोक्वककूत्‌। पातो र्मार्थोर्‌। विया 7.८ . ८. 8 अरयाम.। अपारे्रादता २। सिजिन्वारेदता४द्‌ | ओर३४५द६ | डा १२ २७

aaa दोिमन्तः सुवोर' कयाश-स्तोठकं (र) ar त्वौ वयं नि धोमदहे निहितवन्तः WAY वयम्‌” -इति रन्दोगाः। “देव Water बष्रचाः॥ dR | qtr देनानां अष्टः ‘fea? द्‌ लोकस्य “aga उच्छ्रितः

मा

२७ Taya कस्य ७, १, १६, 1 area |

(९),-“शोमनाः rr: पुरषाः ware: परिथारकत्ये vafaaiee We, तं सुवीरम्‌, WATS सम्ब इमित्यथ-इति वि० |

१२६ सामकषैदसदिता। [१मप्र०, em We wureat | (शनःओेपक्छपिः 0 + चर्ख २१ सनिंग ^ RTC LA दमम्‌ षु त्वमस्ाक्सनिं गायत्र FATT

१२९२९६१२ क्रे AN अग्ने देवेषु प्र वोचः॥ न्ट

# ₹२ |, \ TQ, 45 1 इममूषू। त्वमास्मारेद्श्काम.। सानो र्दद Rt \ TAT SSN | चन्नव्यारेहेसाम | WASTE! दाद्- ४९ ९९ 1 7 वार डा पषुप्रावोरेदेचा ३४९:। AREY डा REI ‘ahaa, "पतिः" श्रयम्‌' अग्निः “अप tafe’ (\) खावर- जङ्कमामकानि भूतानि “जिन्वति प्रीणयति vo

रे “्रमने' aq “श्रस्माकम्‌' अस्मसम्बन्धिनम्‌ [“अस्नभ्यम्‌"-इति

ल्ट TATU कस्य ॐ, १, ४, 1 सोमसाम | (६)--“खप दूत्य गारि्चनाम (नि ° 2, 8, ८) ; रोतर्त्य दकमाम (Fare ९, १९, १९); अनारिथद्य carta अनरि्स्य सारभताः अथमा पां Pathe रेतांसि सानो- wea: | `जिन्बतिः प्रोरथति कुत era! vaforn इतोषडि' समोर बति'- दति रतः दूति fate

28 खण, cat we] छन्दप्रार्धिकः ११७. अश्न मवम

(गोपवनक्छषिः) |

रे RR RAT रेर aT गोपवनोगिरा अनिष्ठदप्रं अङ्गिरः 19

९२

सपावकं AM वम < oe

वैत्तिरौयाः] इममूषुः (१) पुरोदेशेऽनुष्टौयमानमपि सनिः इविदीनं ware नवतर [“नवौयासम्‌'” इति तंिरोयाः] "गायत" स्तति- स्प॑वचोपि देवेषु देवानम्‌ अभे श्रवोचः” प्रबूहि (२)॥ केटः

दे “श्रम्ने ! A ‘ar ‘a 'गोपवनः' ऋषिः “गिराः wart जनि- एत्‌ जनयति वरैयति [स्तुयमाना हि देवता ake] arene

९९ नास्तोयसुत्तराशि के १३.

(र) धृति हावपि पादपुरशे'-द्ति fixe | "सुखः (८, १, १०९)-¶ति ware |

)— wert’ anfz, तस्य रूपम्‌ 'अम्दसि वबखनमरथिमथाम (९, २, ९७) एति शनि रूपम्‌ |

(2)- पवः तसि यो (४, ४, १२९) दति य-प्रत्यये नम लस्यातिशय्ये “नयां सम्‌ ; ‘Saw देबेभ्यदत्यथं | तथाच डे अग्नं ! पैः शतं ware लोम WUE परोडाश्ादिदामच्च देवेभ्यः “प्रवोचः' weve श्नापय.दत्ययी fae SATA: |

()—efaaer frre रूपम्‌ “अङ्गिरा aed fr: तख सन्योधनम, = wire | बरोरखितिरतोः ! असितपौतरसख् करैः! cad? दति fire)

Rca,

१३८ सामभेदसं हिता | [एम Wo, [a We अथ दशमो | (कामदेवक् षिः) | 2 RBRRVRANLX परि वाजपतिः कविरग्रिशव्याः न्धक्रमोत्‌

९९१९२

TUE STIG १० ३०

RRL ९१

< ff Lat त्वागोापा। वानेत्तगारेइश्द्रा। जनादृष्ठदा।

© Rk ग्रयारङ्गारहशद्राः। ATTA RBA | कोवा ओ९४

वा। श्रुषोधदवाम। दो र| डा॥१४॥२८

afer’ (१) waa गन्तः, अष्ठिरसां gat हे पावकं

शोधक ! गोपवनस्य “हवम्‌' ब्रष्टानं श्रुधि () zen “तं त्वा'-इति-"जंनिष्ठत्‌-द्ति छन्दोगाः, “यं त्वा'-इति

“जनिद्ठत्‌"-दइति वद्वा: We WR |

RD: i TT यनि a ~ -~

३० नास्तोयसुत्तराचि के | १४ I गौपवनम्‌ |

(र) G27 ya gBrata——(") (aa re पृषटषटम्यन्डन्दमि (९, ४, १०९)-१ति सिद्धम्‌

श्य Go, CUM we] ङन्दभ्रा्चिकः। १३२९ quart |

(क षवङ्टषिः |)

FRR ९२ RVR

उदु त्थ जातवेदसं देवं वदन्ति केतवः। «^ श्र रर ९२

दशे विञाय TAA ee NRL

BUX 8 1 पै रोदवाजा | पतादः कारवो | fata 7,’ श्‌ धर AHA | दधाररेत्‌। TREATS ATRTT 3 ९९२६९११९

निद्‌एपुषे९३४५॥ १५॥ ३०

वाजपतिः" वाजानामव्रानां (*) पतिः पालकः [परि वाजपतिः afafiers हि वाजानां पतिरिति ब्राह्मणम्‌ ] कविः क्रान्त दर्भौ मेधावौ का। ‘erea’ विद त्तवते यजमानाय ‘cafe रमखोयानि धनानि (दधत्‌ प्रयच्छन्‌ अग्निः 'हव्यानि' हवौएषि- ‘camry परिक्रामति ८४) व्याप्नोतोत्य्ैः १० Be ३९ नास्तोयसुत्तराचि के १५ I qaaatar वद्धुरोचि्वा ऋषिः, सूर्थसाम (र)--गजद्त्य च्रनामदु पलितम्‌ , frau -दिनोय-सम्नमे प्रथमानन्तरम |: (९) मेषाविबामनु दशमं कविरिति नि० ३, १५।

(१) दाशम्‌ Urea Were (६, ९, १२) दति सिम | (४)--“नोतवानित्यजः | कनप्रति ? सामण्यत-देवान'-इ्ति fae

१४० सामवेदसंहिता [१म, प्रण ka Wo

४६ © , 1 उदुल्यम्‌ शओशाद। जा। तवेरेदारेदश्साम र्रर < RT श्र

SATE तोकेलारेर्वाः। दारेदथगेादर | वाटृश्वायस्‌ | याम ओर्श्डोवा। शाधद। डा ॥१॥ ३२०

wa wal (९) शआराग्नेय-समाख्यानं कविशोगछ्न्तोति- बत्‌ (र) प्राशतङपदधातौतिवच्च (र) दृष्टव्यम्‌(“)

I अस्यापि सयं वश्ौवसुरोचिवां ऋषि, इदमपि सूर्यं साम

(Vat a, तथाप्यप्नि बोधनमिति we share प्रथमादि-मन्ताश- मभ्नि-पदोपेतलात्‌ तख प्राधान्धात्‌ भस्समवायात्‌ CaM agree तव इष्टाणमाडइ--

( र)-शोकिकदाकमेतत्‌। efreferaarg wey कजिकः प्राधान्य सम- वायात्‌ उपचारान्‌ अप्रधानानां डि सेनानां बथा wie प्रः तथा अवापौर्धये ; TEMA ANA तथैव ATER त्‌ तत्खानौप्यारयेव च। तत्सादचग्य aaa PUT परे See यैः"; तज चेयमलजरखा चा |

(द) वेदिक-दष्टाकमेतत | Were याधाने इटकोपधानविषिः। तदेवं ्र बते Crema उपदचाति" ; तव “खये पुणोभवख प्राशोमौवाषम "-दत्येकस्ड VATS were प्राश्द्ब्दो पेत ऽपि “"तत्खिहि-जाति-खारूप्य-परषं सा-मम-शिङृ-घमवायात्‌ (९ ४, १९)१-दति ञमि मि-शासमात प्राक-लशिङ्गक-त न्तर-समवेताः न्येऽपि sree a wera ; तथा चोक्ञम-““तस्सदि-जाति-सारुष्य-प्र सा-लिद्व-भ मभिः | षड्भिः स्वव ger मौके ततिः wenferan’-<fa |

१मख०, १रभौऋऋ०] डन्दभ्रार्चिकः। १४१

अथ दादश) (मेधातिषधिच्छषिः) श्रे ४१ रेट ९१२ कविमभ्रिसुप aie सत्यधर्माणमध्वरे | RL

दोवममोवचालनेम १२ हे

| Sara? waren: (“Saaten: [यहा, acme] “खयम्‌ सर्वस्य प्रेरकमादित्यम्‌“उदष्न्ति' ऊध्वं वन्ति" उ' इति पाद्‌-पूरणः। [sau—“faarataadar: कमोमिदिति" (९)] किमथेम > "िष्वाय' fred (°) स्ख भवनाय भे Fel यथा wa जनाः सूयं -पश्चन्ति aN वहन्तोत्य्थः | कौदृशं सूर्यम्‌ ? ‘a’ तं प्रसिदम्‌, "जातवेदसं" जातानां प्राणिनां वेदितारं, जात-प्रजन, जात-घनं वा, “देवं योतमानम्‌ [wa निरुक्षम्‌-'उदरन्ति जातवेदसं SAMA: केतवोरश्मयोवा सवषां भूतानां wears सुम्‌ (१२, २, ४)-इति ११॥ (८) BY

ae नास्तोयसश्षराश्चि के | १६

(४)- प्रन्ना-नामसु कतुरिति ईितोयम्‌ fate ३, ९।

(€)- खव मे दह्क-प्रथमाध्याय-डितीवपाद्‌-चतुदं श-खस्ड भिताचचरोषु vay BY, रम्‌, इत्‌, उत्‌-दति चलारः पद्‌ पुरशाः-दति AE: |

(5)-- ब्धे स्वा चतुथो दति fate |

(८.-'एकरबेद्‌ eta: विधा विभक्रभित्येवग्न -धल्वमविप्रतिकिडस'-इति वि० |

१४२ साभवेदसंहिता। [श्म wo, tam अथ watext|

(Fa यदोपोऽम्बरोषो कवाटठतश्राप्तोवा ऋषिः)

९२ २९१९२९९२

23 शन्नोटेबोरभिष्टयं WaT पोतये।

रख

शंयोरमिसखरवंन्तनः॥ ९३ दद iN ee ¢ R R awa द्‌, ,*,८4८ 1 कविमग्नोम उपा२३। सुरदा ररे |

Wap RRURT ह. श्र

सत्यधर्माणमध्वरे। SATA अभमोवचाताररना२४२म।

ABUT STN १७॥ हृ

in

शे स्तोटठसङ्क ! (९) ‘mare’ क्रतो अग्निम्‌ “उपस्तहि' उपेख,

स्तुति कोटटशम्‌? कवि" मेधाविनं सत्य -ध्मौणम्‌' सत्य-वचन-

रूपेण धमेणोपेतं (९) “देवः द्योतमानम्‌ “श्रमोवचातनम्‌ अरमोवानां हिंसकानां शत्रुणां वा घातकम्‌ २॥ हेर

३९ नास्तौयसुत्तरा्िं के ।१७ 1 वसुरोचिक्छ षिः, कावम्‌ |

(१)--“खअकरादनञ्चायं SU: | मदोयाकराह्मम्‌ |e fey faze 1 (९-- “सत्य कमारम'-द्ति fao |

CH Bo, eam we] छन्टश्मा्चिंकः। १४३

# द्‌ र्‌ | Re 1 श्न्नादेवीः | अभिष्टारेदेया३४द शन्नोाभवा AM 7, : / Ft तारेरेयादेष्टर। शंयोारमो। खव। तूरे। नारदे४। हैर द्‌ R STRAT | ऊरेषश्पा १८ © धरर 8 11 दवारा ३४द्‌ | शन्नोदवोः | अमिष्टयाद्‌ | Tate 7. ¥ रारद४द६ WAR! ANAT वादेदा २३४६ र॒ a १२ R 1४

MITC | सखवन्तनाः। WATS ATs | वारेदेशरोरावा | rt GRIT १८ BB

“नः” अस्माकं पापापनोद-हारे “शं' सुखं (९) भवन्तु Sa देव्यः आपः “श्रभिष्टये' (२) श्रस्मद्यन्नाय भवन्तु, यजन्नाङ्कभावाय भवन्तित्यर्धंः | श्रपिच, "नः" अस्प्रस्सम्बन्धिमे "पौतये' (₹ पानायच

ee

I, 1] अनयोः पाराबतिक्छेषिः, काशोतं कापोतं AT AAS वानाम |

(₹)--निषष्डो चुखनाममु अं दाद्‌ (र, ९)।

(९)-.अमषटये अभिनमाय, अपां हि किमभितोमनम्‌! सखा नादिमि गतपुमराठेबनम्‌ तदथम्‌ इति वि

(2,--“स्लामापापचोभागे (९, द, १४),-दति किमि रूपम्‌।

+

१४४ सामवेदसंहिता | [१मप्र०,१अ० अथ AER | (उशनाक्छषिः) `

कख नूनं पतेणसि घोयीजिन्सि सतयत ९९९२९९२

गोषाता यस्य ते गिरः Qe ॥8४

R „¢< 1 कसयानूरनार्म्‌। परीषारदेध्सो | भोजिना!

Re र्रर ut सिसत्यारश्धनाद्‌ गेषातायार२९। स्ाश्ताररश्याश- |

QT SLL MITT: २०॥ इहे

“शं सुखंभवन्त्‌। तथा, शम्‌ (*) उत्पन्नानां रोगाणां शमनम्‌ ‘av यापनम्‌ अरुत्यत्रानां एधक्षरणं कुन्तु अपि, "न": श्रस्माकम्‌ “af उपरि खवन्तु अत्यं सिश्चन्तु

“शत्रोभवन्त्‌," इति छन्दोगाः। ्रापोभवन्त्‌ "इति बहवाः तेलिरोयाञ्च ॥३॥ २२

BB नास्तोयसुत्तराचचि के ।१८

(४)-- शमनं अम्‌, यापमं यः अपनयनमित्यथेः, Fwaa प्रथतेक वयमे चतुरक WETS WF दषे; शमनाय, HA? साम्यात्‌ रोनाकाम्‌ ; Weary, wa? साम्याद्‌ भयानाम्‌ अभिचरन्‌" इति Fire |

RA Go, cat wo] छन्दश्रा्ि कः। १४१

RRR रर Srarcypatee Wael कस्छनूना ठम्‌पाहेतोण-

| रर

सि। ओदागदुऽकेवारशद। wel धियोजिन्वादेसी

हे सत्पते" सतां पते ! श्रम्ने ! Hay इदानीं कस्य "कौट शस्व मस्व "्परोशसि ब्रह्मणि (\) ‘faa’ watfe (९) “जिन्धसिः प्रोशयसि ae “ते तव॒ wafer: ‘fire’ waa: “मोषाता' गोसातौ (र) गवां लाभे भवन्तु खलु तस्मा तिष्ठसि ! अस्माकमिदारनौ गवेक्का प्र aaa at! हे रग्न ! त्भिदानौं कस्य कमणि प्रीशयसि कस्वापौत्यर्धः। शअ्रस्माकभेवं कमणि प्रोशये तिभाव (५)

I, 1 नयोः गीराङ्किरसोगोतमोवा ऋषिः, ममाञ्य नाम I

(९)--परीकसोलि बनाम fires सृतो य-प्रथमेऽहमम्‌।

(₹)--घीरिति कशनामख्‌ एकविं ्रतितमम्‌ भि २, १।

(२)--"कलियृलोत्यादिना (९५ ९, १९) foam) “सनोतेरनः (८, ९, १०८)-इति बलम्‌ |

(४)- “कमिति सुष्नाम (नि ९, ९, 0) तख सृखस्येत्यथः | “Ae निखषव | “पदी- शंसिः साम्येक वचनमिदं दितोथाशङवयनस्य स्थाने व्रह्म, TCE: TIC: | ‘faq: ser "जिन्वसि" प्रीशूथसि परयसि, पश्रा-सखाभ्ां acum efen: करौ Tae: “सत्‌ प्रतेः सतां wefan!) कख एनः प्रन्रा-सखेन पृरयसि। गोषाता यख्य ते fax’ गो-शब्देनाव सोमखश्थते, सातादत्सपि खनोतेः wus

१८ क,

ry

१४६ सामषेदसषह्िता [मप्र ea qo

रे ९५ र्र्‌ RRR x tt

रेसत्पतादइ। शशाद द्‌? Wael गाषाताय। | खानादेदगा पहरा ९५६ २१ ॥३४ इति ढतोया दशति |

(पररोणसि"-दइति "सत्पते" -दति छन्दोगाः ; “'परिणसः” ईति “ca” इति awa: ॥१४॥२४

इति सायणाचार्य -विरचिते माधवीये सामबेदा्थं प्रकार शन्दोगाख्ाने प्रथमस््याध्यायद्य तृतीयः we: ii

रूपम, समाम याः सम्भजन्ते ताः मोषाताः, सोमानां समभख्न्यः, ete: सड थाः चनो cee: | “यद्य' यजमानस्य ‘A’ तव aaah ‘fac: तयः सौभेन सद, ताभिः स्त्वां सखलोतीत्यथ १.दति fae |

श्यं qe, we] | eeafes: | १४७

यजच्नायश्चेति-खण्डेषु विकेष्व्टौ विंशतिः | ऋचोहहत्य (र) wet ग्यस्यक्ता तिखद्माकऋऋचः wise Wael प्र वित्यग्‌ ABTA: | अध्वजव्िति यपस्य स्ततिरम्नेरपोतराः (९) waren प्राणशव्रायादिति पृवमुदोरितम्‌ (२) | तदा तदा ऽभिधास्वन्ते ऋषयः FRAT क्रमात्‌

अथ चतुर्थं -खर्डे-- | Se प्रथमा | शंयुक्ंषिः। ९९१९ VL |, यन्ना यज्ञा वो ऋअग्रये गिरागिरा TAA! 24 ९९९१९१९९ Vere” श्र

प्र वयमग्छतं जातवेदसं प्रियं मिन्रं शरसिषम्‌ ॥.२॥ २५

ay outa कस्य १) १, २०, १।

(awh ofcaterey- रतिः Fo ०, ९, ८। wR पुरखात “मायवीसेव विषदां खतो चतुथेन पदेनाठ्‌ मोभवति' तथाच पर्ाङ्का अन वेव परिबदिष्ता इतो भवतौति तद्वेः | |

(8) Saree वोख्म्नये-इत्याये Gay, सच समि ऋचयोदण ; रनावोष्ध्धि- मित्यादि fatten, तवापि ew, दवोवोद्रविष्णीदादति तोयम्‌, तनाष्ौ; एवं fafwar अावि्रत्ययो ewa:, बडतीच्छन्दस्काः तज एमेति we-am ‘erent: Wise अक्‌, देवोवोद्विशोदेति-खष्व-गता प्रेलिति द्वितीया, टि afte,

१४८ सामबेदसंहिता। [शमप्रन (a wo

# श्र :. ५६ 1 यश्चायन्ना। वो rated! गिरार्गिरा३४। दा co १९ २.१ rt { श्र ` शादद। चाद सारेदे्साद्‌ | «MATRA STAT ता रद वेशदासा र्म.। प्रियम्मिजाम.। नशरसिषाम oft ९, श्र

या। ओदारा९९९५द्‌। डा २२

दर yur RR { RT २९१ :., 2 2 TLS हाद वेदेप्रयणदश्डिया गिरागिरा। १९.९२१ श्रर९ R

चारेद तसाद प्रप्रावयाम। अग्डतश्ञाई३े। तवेरेदा देर OR

९१ रेदधसाम। fafa) नश्सिषाम रएडिया , श्र ATETRRVYT | STH RA

हे स्तीतारः! “a” युयं ‘am am’) ai ay स्वेषु

I, 11 अनयोः भरदाजक्षिः, उपहवम्‌ |

एताशिलोवखं यित्वा अवजिषटाः war, तास fast प्रथमा मो, fatter व्रह्यरुस्ति-रवताका, न्त्या यपस्य त्याक्िकति-सफ गार्थः | (द)- पवस खलुत्यमित्येकच्ि ' शतम याण््यानावसर |

(१)- सुपां सशकप्वसव UTS BUTTS: (©, १, 2९)'-इति VHB |

«$ ww “w

“भित्यवीष्ष्योः (८, १; ४)-ति वीप्सायां दिवेवनम्‌ |

ध्यै Go, wat wo] छन्द्माचिःकः। १४९

or १९

ITT याज्चायाच्नारे | बो अ्रायारेद्‌ | गाद्रागादूरार। 7." ` | R चादखासारेर्‌। परप्राबायारेम्‌। अष्टन भूजाइ।

9

१, 8

तवेरेदारदे४साम्‌। MARTE EA] नाशरसारेर्‌ x

षा४दम्‌ ओर९४५द्‌। डा २४५

यागेषु eae प्रहाय sera’ ५९) गिरा गिरा' स्त॒तिरूपया वाचा स्तां कुरतेतिगेषः [“च-गब्टोभिवक्रमोवर्त्यञ्मात्परोद्र- टव्यः(ध) युयं स्तोत्रं कुरुत, वयमपि तमग्निं श्र प्र॒ शंसिषम्‌ [प्रसमुपोदः पादपूरणे (८,१,६०)'-इति प्रशब्दस्य हिरुक्तिः पाद- पूरलार्धा व्यत्ययेनेकवचनं (२,४,८८)। छान्दसोलुट्‌ (*) प्रथंसामः] कौदटशम्‌ ‘wad मरणरष्ितम्‌ 'जातषेदस जातानां वेदितारं जात-प्रभ्नानं जात-धनवा। ‘faa a सखि-

II] भरदाजचक्छषिः, श्रोषटौ गवम्‌ |

(९)-“क्रिया्थापपदस्य wife स्थानिनः (२, २, te) cfr कर्मश चतुथी ताचाप्रिमनुकृषयितु भित्यथः (द)--“व-अम्दः समुशयादेरथेखासम्भवात्‌ UTR TEC hi वि० | 9 ~ ~ AQ (v)—‘wefe oe ae fae: (द, ४, ९) धातव थानां सम्बन्ध सवकारृष्बेते।

१५० सामवेदसंहिता | [श्मप्र०,१म अर

रे 8 8 reuters :..2~ IV यज्ञाऽभय। नषिवोह्प्रायाद। गादरागिरा। चा § <

उदासषाेसाद। प्रप्रार्वयमग्डनम जातारहवा। ड-

, ९९ ML! Tea! प्रायन्धिचन्नशारएसिषा वा ९१९१.

३४५॥ २५॥ २५

भूतमिव प्रियमनुकूुलम्‌ [यदा व्यत्ययेन त्वमित्यस्य वसादेशः (३२,४,.९ ८) श्रम्नयदति कमणि चतुर्धी, क्रिया-ग्रहखमपि- waar, इति wee: सम्प्दानल्वात्‌ mee शिति (१) निपातचेदथे वर्तते | qua दचेदेहि-कब्धखः भ्रन्तर्भावित- स्यधौजञटि रूपम्‌ “चण्‌-योगा्निपातेयं ददिषन्त दति निघात- प्रतिषेधः (91 तन्रायम्थेः-- draw an इममम्िन गिरा want दक्षसे atafe चैत्‌ वयमपि भ्रखुतलादि-गुशकं तं प्रथसामः() ॥१॥ ३५

IV भरदाजक्षिः, यन्नायन्नौयम्‌

(४)-शूकारामुवन्धोपेतोयः खरवा जम द्यते इतिभावः |

(q)—*ferefere: (८, ९, र८)-इति निवाते srw “निपानयदयदिककविष दण कचिद्यवयक्कस्‌ (८, १, २०)-दइति निषेध दत्यथः |

(o)—*qua’, “जातवदस ', ‘ewe’ aga ‘eo: लाम ‘aya’ खथ्धिम यश्च यथ भ्रि्भिजभिव ‘fac प्रशं सिषम्‌' त्याभित्याणाहे'-षति नि °-सक्छतोऽः |

© © श्य स्व॒०, aw] wets a: | १५१ अथ दितोया |

भगेक्छषिः |

= ११९ ९२९ ९२९९९ पाडि ना अग्रएकया UT sea दिनोयया |

RU १९६१२

पादि गोमिंसिखमिर्र्जाम्पनेपाडि चतद्धमिर्वसो॥२।३६

< थर

1 पाडिनोरे्ग्रएकया | पाडियुत। हितायार्यार। पादिगोभिस्लिखभिः! DAMA पाडिचतो ३। रचोरेवा। भिर्वारेरेसा३४९८ आ२२४५६ |

डा ARAN

Sra? "नः" vara “एकया (९) ऋचा गिरा “पाह्ि'रच ‘ea अपिच ‘fatter’ (र) ऋचा पाहि पालय (तिभिः

` ` १६ Say कस्य 9, २, ४, १। 1 भरदाजकऋषिः, कात्तेयश्म्‌

(\i—eneewar, सृतीयामिदेभात्‌ खु तः एद्चिति वाकशेषः -दति Fae | ,९)--“यजञुलंचलया'-द्ति fit

4.८

१५ सामवेदसदिता। [१मप्र०,१म

रद्‌ R श्‌

पाचिनोज्मणकया ईर | पा xl St ता। ९१९२९ ४५४ \\ दितायादेया | पारासगापर४ a | ATES!

जौम्पाता | Srattreeet aTeeefeere | SATSAT

ओदोरारेदेवा AURRVAT " एदियाईदा ary डा २७॥

; erfeat Rect ५४ noe पानि अप्र कया३। Tees | दियुतदिमी

ux et रटे रे BUTT grat: पाडिगोरमिंलिटमिरूजाम्‌। पादेताद्‌ पादो

wg १९९९९११

हचादेताई४। डा ओवा मिवसो STTRRSYIRARE cafe: (©) स्ततिभिः ऊम्‌" शरजनानां (४) वलानां ¢) at

Il भरदाजक्रषिः, मामंधम्‌ | 117 भरदाजकऋषिः, कान्तीवे शम्‌ (द)- ऋग -यलेः-साम-लखलाभिः-टति Fao |

(2)-निषष्टो २, 0, सप्तद्श्ानगरः पठितम्‌ ऊके इति --निषण्टौ द्दितोय-मवमे वैक विंष्रतितमनूमिति।

8G ख०, देया we] «|= wreatfa ar: | १५३ अथ ततोया wate: *

Ree ft १२ १९२ कृद्भिरपरे अविभिः aw देव शाचिषा भरदाजे रर २१९९

समिधानायविंष्ठ रोवल्पावक टोदिडि ॥१॥ ३७ हे "पते! स्वामिन्‌ ! तथा ‘afe रे वसो !' (9 वासक ! wat! (चतभिः' (*) गोभिः धारि" wae

डे "देव !' दानादि-गुण-युक्त ! "यविष्ठ" युवतम ! “पावकः

wan! अग्न ! शुक्रेण निमलेन ‘afar तेजसा 'भरदाजे

po नास्तौयसृत्तराचचि के १८ .

` (₹)-“लप्तमलथ्च तद्‌ दुम्‌ - “वसो रे warns xf Fite |

()--ऋम्‌-यलः-साम-निमद्‌- श्चराभिः'-रतिवि०। oq निमदेन“डपांशु Tere’, दनि धर्म-पाथकद-अवरान्‌ निगदखलुर्थैः। गेदागां यिने साषनोये तु ween तमलमेव gare fafa तस्यापि cere a! सशवविचारौ मिनीय-दिगीषाध्याय-प्रथमः पाद-जत-पञ्चति धदादि-सप्न-मव्रामधिकरकमालारो ददितोय-प्रयम-योदभाधि" awe सुपरिस्फटः। श्रोचकशोरासादय''दष्मबद्दिदपरुदय'.खअग्रोदग्रोन्‌ विडर'-

WHINY, पर-सब्बोध नाथामन्त्राः निमदाः॥ \

+ -त॒णपाे राषेम्‌-दइति वि० 0 क्कः

१५४ सामबेदसहिता। [tA Wo, La

श्र UR

~: 0 ` बाङ्गोेरप्र अचिंभिा उ। श्रुक्रादणदेवशोचिषा

ACTS | दावाहृाद्‌। समिधानः। याविभि- we |

शिया९३। दावादृाद्‌ रोवाल्पो १वार९। STATUTE

का Safe | इडार्देभा३४३। अर३४५इ डा ॥२९॥ श्र < , ,:2 1 gerard | qaceweainfear भर- Sse RAT समिधानः। . याविष्टिया९२।

९. TLR Seat! रोवात्पार्वार2े। ओदेवा। कादोदिदि दडार्श्भा३४३। अरदद डा २० WO

srargtate (र) (समिधानः (९) समिष्यमानस्व हहहिः' nef: सजोभिः ‘a? wee “रवत्‌ (९ wage यथा भवति तां (दौदिदि' (°) sree

I, 11 अनयोः भरदाजच्छषिः, एत्रिनाम

(१९)- "भि द्जतिः-दूति वि,

(२)--.ताच्छिोऽयं चानस-इति fare |

(२)- “रयेमतो बलम (६, ९, ६४)-दति कात्यायन-बचनात्‌ सिद्धम्‌ | (४)- रोधिड्च्छान्टस-घातोः रूपमिदम्‌ |

ध्व खण, sulwe] छन्दश्राशचिंकः। १५५ we weet

afasafa: |

Rr RVR RR RR त्व अग्रे खानः प्रियासः सन्तु सूरयः। यन्तारोये RV ८९ श्ट श्र

मघवानो जनानामूवं' दयन्त गोनाम्‌॥ शट

“रेवत्‌ पावक" ति न्दोगाः। “वन्नः शुक दोदिदि द्युमत्‌ पावकं दति awa) ३॥ ३७

दे “war? “खाडइत' यजमानेः gets इत ! शत" (९) तव खरयः' Wear, स्तोतारः (९) श्रियासः' (२) प्रियाः “सन्तु भवन्तु किश्च |S मघवानः' घनवन्तः "यन्तारः" (५) प्रदातारः जनानाम्‌ ्रद्मदौयानाम्‌ "जवम्‌ सब्धूहम्‌ -गोनां' (५) गवां

हट नास्तौयसुत्तराि कषे २०

(१)-यु्मदः Tw षषटेकवचनद् “eat सृ-लक्‌-प्वसवणच्छ -याडाडपाषाजाष्डः (७, ९)"-इति भे-भावे “च्छन्दसि wewa ({, ९, ऽ०)"-इति ला-रेरे परस्पर रूपम्‌

(₹)--ठोतृ-ामदु frre -तृतोय-गोडगे षम्‌ |

()--खाङगरुर युक्‌ (०, १,४५०)-रत्य सुकि रूपम्‌

(४). विथिहेविभिखोदुबोद्धारः"-दति वि० |

Re पादाने (०, ९, RO} efi ठकि स्पम्‌।

42

१५६ सामवेदसंहिता [ra we, ta Ho

शद धर « Rr र्‌ TLR

- : ,८/ 1 लेारद्येखातद्दाउ। प्रियासः सन्तुसूरयः। यन्ता

nid R ut = BUT x रोाश्या९३४द मघवानाजना। नाम। अवं दयार St र्‌

Wl तगोानार्म। दडारेदभा४६। आर९५५द्‌ डा २९॥ BE | |

जवं (९) समूहं ‘cam’ प्रयछन्ति, ते तव प्रियाः सन्ति

ति पूषणानग्वयः() ‘Kaa ”-इति छन्दोगाः | “अर्वान्‌” बति-वद्न चाः ४॥ ३८

~~~ - ~ ककण 9 यपि

भारद्ाजक्षिः | ९२ Bye BWR BRR अपे जरितर्विं शपतिस्तपानोदेव Tae | प्रोषि

९९९ १२ BR

वान्‌ पते AUT MS दिवस्पायुदु रोणयुः॥ ५॥९८

I उरोराङ्किरसस्य साम | ३९ नास्तौयसुत्तराचि के २१

(१)--ऊयमिति नित्य-बडववनानतस्य TETRA कान्दसेक चमेऽभि ^वाष्डन्दसि (६, २, १०६)'-दति सुब्बन्धात्‌ पूरवेरूपाभावे सांडित-दौवं रूपम्‌ (९)--अस्मदीयानां गवां सरम्‌ -एवमग्बयेनाथः fae Gare |

su ख०, ut we] छन्दग्राचिकः। १५७ BY 1 अधैजरिलरविंश्यतिः। ओहदावा। एडिया। चाउ। 7.

ररर Ts १९ , तपानेदेर्वरक्षसः। अप्राषाश दवा रन्‌। ATH TATA |

पराता R 1 2 ATRL ARR | AAT: | TESA! शा R 8 8

aE! दुरोभणयुः। दोधह्‌ डा २२

8 ४र ४४ रए TUX ofc Cha (OK 11 अग्रजसितरविश्पतो;8। तारेद४पानोदेवर रसाः 17> १९ तापानोदेवर्तसो। अप्रोषोहवान्‌। एदपताद मादा RR Bo श्र ११९१९१९१ 2. रएंश्रारेरे्सो। ओदा Tare दिवस्यायुरद९५ः। RR ९९ ९२१६९१९९९९ Rk

WUT WHE! दुरोणयु?२४५:। AVA! ददा ३४३द्‌। ATRRBYT डा २२॥ ३८ हे “अग्ने ! देव !' ‘afta’ aa! (\)स्तुसेत्यघः | fasafa:’

प्रजानां (९) पालकः ‘cae’ राक्षसानां ‘aura: सन्तापकः

I, Il अनयोः गोतमच्छषिः, पौरूमहम्‌ नाम |

(९)--निषष्ट्‌तृतौय-चु tase fering ‘arcta'-xfa सक्तमम्‌ | (2 fate २, 8, ममुष्य-नामङु fart farsa |

/ ir

१५८ सामवदसहिता। [मप्र CH Wo अथ Tet | WAT | २१९२ १२९ WT ९२ १९२ अग्रे विवसखदुषसशिबरःराधो अमर्श | आदाशुषे R RRR BV VRVUR

जातवेदोवदा त्वमद्या देवाटडषब धः ९॥ ४० cafe’ हे ग्ढहपते' यजमान-खस्य पालकाम्ने | त्वम्‌ “अप्रो- भिवान्‌' यजमानस्य ब्टहमत्यजन्‌ ‘ae’ अतिशये पूज्योऽसि ‘fea.’ लोकस्य चायुः पाता दुरोणयुः' (४ यलमान- zee भिज्रयिता सव॑दा वर्तमानः vee! area महानसोत्यन्वयः (*)

सपान" “नपान"-द्तिपाटो “Tea”

“गद्दपतिः”-इति ५॥ ३९

~

esa! त्वम्‌ ‘saa: उपोदैवतायाः (९) सकाशात्‌,

४० उन्नराचि कस्य ९, १, ६, LI

(द) दुरो शः-दति मुङ-नाम (Fite ९, ४, ८), तद्‌ यद्‌ षति खदुरोश्थुः (The द, २, १९०'-दति fae |

(2) —‘ae विष्यतिः रा्चसाम्‌ नपानः महानसि, यञ्च खप्रोषिवाम्‌; यञ्च दिवष्यायुः, यञ्च दुरोश्यः, तं लां ewe! जरितः! देव! aqua! खोमोति we'-fre छतोऽन्बयः |

(१)--खषा-गामके देवते या भेघादुदकादि विवासयति सा वायवो wie रक्दिदेवतादु चतुःषष्ठिवमा ; यातु se: कानिकनणोरूपमिति निदक्रभणिदा,

ध्य Bo, धटो we] कन्दग्रा्चि'कः। १५९ १९९ R 1 अग्रेविवादाउ। खादेदूषाङ्साः। -चादवारहडा ", . ~` चै Xl राधोरेदादेद अमारलार्देश्या आदारशषे ९। रर ११५२

जातवेदः। वदातूर्वारम्‌ | आयार | alearaty

ac २९९९१९१६ ११९९१९१

` उषः। बूरधाररे४अचोवा। दुधेवस्‌९९४५॥ २४॥ # र्‌ ९९ र्रर दर $ II चपेविवखदुषालाः चिचर्राधोञ्मार्तिय 7. :

दर अदा रशुषेरे। जातवेदः। वद्ात्‌र्वा RAL अदाद

र्ा९। 2 apeTRRB TTT free

१९१९९९१

२३४५ २५॥ ४०

‘ora: (९) धनं ‘erage’ (२) हविर्दं ्तवते यजमानाय श्रावः (*)

I, Il अनयोः जामदम्नकऋ्षिः, मारव नाम |

सा सूय 1, श्य -स्य्रान-देषतासु सतौया ( Seve निदश्रपय्यालेःखनादनयः ; तवाया टकारष-यतु्थं -दादके; दितीया दाद्‌ ्र-प्रथम-पञ्चमे ) | (२)-षननामनु खटादश्षमस्‌-नि० ₹, Yo | (९)-निषष्डु-सृतीय-विषरे दाशति mang दितौयम्‌। दाश्चाभिति (९, १, ९२) सिषम्‌ खगम्‌, Te cael रूपमिदं दा्षे दति (४) वद्ाद्ति मन्त्र 'खचवोतसिडः (२, द, १६५) दति are: |

HA

१.६. सामवेदसंहिता lea Wo, १अ We अथ GAA |

णपा सिक्रंषिः |

१९९२ ९२९ BW R

Asal अलया वसोराधारसि चोदय अख BW रर RLU 2 RR RB Fk R WUE Be

रायसू्वमग्रेरथोरसि विदा गाधन्तु चे तु A: how Bo

श्रानोयप्रापय सोऽग्निविभिष्यते। wae’ मरण-रहित ! = (जातवेदः जातानां Sfea: ! aren राधः ? “विवखत्‌ fafare- निवासोपेतम्‌ ‘Fea’ मानाविधम्‌। fare Sra’ afar दिने उषर्बुधः" उषःकाले प्रबुहान्‌ देवानाव् (९ ४०

डे ‘aa’ वासक ! श्रम्ने ! ‘Row’ दशनौयस्बं “अत्या (९) रक्षया ae ‹राधांसि' घनानि ‘a. अस्मभ्यं “चोदयः प्रेरय ‘ce लोके परिटृश्यमानस्य “राधः' धनस्य त्वं “रघोः (र)

४९ उतराचचिं कस्य ८, १, ३,

(४)--खया-दइति (निपातस्य (ई, ३, ९४१)'-इति मन्त्र She: |

(QS Wr, mate, WT! राधः खरूपं विवखत्‌ तमां विवाखबकरम्‌ उषसः aud चित्र विचित्र पुण्य वा व्धोतिः, ख्यां उषबुषोदेवान्‌ engi eer. भामाय अद्ध लम्‌ WTEC था fae सुखतः |

(१)-- अवतेः रूपम्‌ ऊतियनोत्यादिमा सिद्धस्‌ | sere तृतोया (९, १, ९९) |

(९) रथीरिति twa: रूपम्‌, ररतिख गतिकमेसु पश्चविंभतितमः- भि° २, १४।

ध्यं ख०, ऽमो ऋ०] कन्द्ार्चिंकः। १६१

|, भर i - 1 त्वन्नारेदेि्र ऊत्या। वसोराधा। सिचोदाश्यार्द / ..' `

९, रर १९, आखखारार्देश्याः। AL: रथाइरासादेद बोदागा % २९ र्‌

र३४४ाम्‌। तचारेहेहाद। तना ओहशोवा शो Xl डा ॥२६।४९१

असिः रहिता नेता भवसि भतः कारात्‌ wana धनानि waar | श्रपिच “नः ware “तुचे [अपत्यनामेतत्‌ (नै०२,२,१) अपत्याय अपतन-रेतु-मूताय पुत्रान “गाधं प्रतिष्ठां (९) ‘a Few (र) "विदाः" ल्य () ४१

रिरि

1 भारदाजक्षिः, गाधम्‌ |

षं विष्ररशकारः-“रथो-षष्दः सारथि-वाचौ, प्ररकलत्बसामान्धात्‌ ari} we, प्रेरयिर्वाखि crargtaye:” |

(₹)-“नाष-भब्दोऽथ्मगायमद कमित्येवमादिष प्रथोजेष seq या भमिःपाद थोराश्रयल प्रतिप्चते, तदाः वाचकः; दद तु सनानसामान्यादा्रबखनाने TER इति Fae

(२)-““त-इति पाद्पुरशः"-दति वि०।

(४)--«“विदाः वेल्थ जागोदि, ज्रागेनाव दानं सच्छे, रेरोत्य्थः"-दति वि० |

© दूति ग्रामे गेय गाने प्रथमःप्रपाठकः ५१॥ RUHR

१६२ सामवेदसह्िता। {शम प्रण १म

अथान | -; (विरूपश्छषिः) रख BLUR १२ {/ त्वमित्सप्रथा अस्यग्र ATA: कविः। त्वां विप्रास ९१९२ समिधान ददिव विवासन्ति वेधसः ८॥ ४२ VT रेद्‌ “ad 1 हाउत्वमित्सप्रथाश्चसिद्ाउ। STAT | कताः | ® र्र॒ रूर mae! शदादोद। त्वांविप्रासः समिधा! RT

नादोदिवा३8ः। दादोद। आविवासादेद्धाद्ोर। तिवो Seva | UTYRTE ETE ९॥

९, oy 7 wage इशप्रादेथायासाद्‌। आरेे४सो |

- 1 '

१९ ररर R लाविप्रास र्र्‌ SAAT | छताःकवा१द्‌ः। कारेरे््वोः। त्वाविप्रासः

a Cpe Ye

डे “श्रम्ने'! ‘ara’ र्षक ! ‘sa’ (५) सत्यभूतः “कविः

I, 11 अनयोः गौतमम्‌ नाम | Be नास्तोयमुत्तराि के २२

(\)- ऋतमिति सत्यनाससु षष्ठम--नि° Bho |

श्येख०, स्मो्०] छन्दश्रार्धिंकः। १६२ अथ नवमो | (शनःगेपक्छषिः |

RRR ९९२ BL रे

नो अग्रवयोढधररयिम्पावकशरस्यम्‌। राखा

रा रर १९ समिधा। नादोदिवो। दारेदेद्रवाः। आविवासारेर्‌ z

चा तिवेधारेरसादे९३ः। RBS YT डा ॥२॥ ४२

क्रान्तप्र्ञः (९) शत्वमित्‌' (र) ata ‘ane’ (*) सवतः परः “श्रसि' भवसि & समिधानः समिध्यमान! ₹हे 'दोदिवः' erate: (*) ‘at? न्विप्रासः' («विप्राः मेधाविनः (°) विधातारः स्तोतारः “श्राविवासन्ति' () विचरन्ति ५४४१

(₹)- कविरिति सेंथावि-नामचु दशमम-- निर ₹, ९४ |

(द)-“ददिति पादपुरशः"वि० |

(९)-प्रथतेरपनि रूपम्‌ gfadte cae: «सप्रथाः ` स्वेतः पथः"-इति wo ९) Rg, 1

(४)--रोदिदामं तद्‌ fea caf मतुपि "शन्दसोरः (८, २, १९) -दति बन दोदिवत्‌, सख सम्बोधने “अलुवखो दःसब्वुदो शण्टसि (८, ९, १)दइति दलन रूपम्‌ ! “दानवम्‌ "-रति वि०।

(ई)-विभ्र इति सेधावि-नामच् प्रथमम्‌- नि ए, १४। Wafe (०, १, ४०) रूपम्‌ |

(6)- वेषः-अम्दो विधातु-पयायः प्रसिद्धः, विधातु-पद्‌ं मेधावि-गामसु व्रयोदषम्‌; इड ्ठोजथ-प्रविपादकः। “वेधसः मेधाविनः ऋलिलः".दूति fae |

(८)-आाविबाखतौति रिचरश-कर सु अगयम्‌-नि० ए, ५।

3

१६४ सामवेदसंहिता | |१मप्र०, (Ho

Be १६२ २९६२

चन नुपमते पुरूष्पुदपसूनोतो सुयशस्तरम्‌ ॥८॥४९्‌

RT eee र४५ ९२, ११९

` #‡ 1 आनोश्रदरैवयोवृधम्‌। ए३४। Taree ua र्र्‌ १९ © शद्‌ खाचनउपमाते श्र = 2 9 पावाककाशारसारेठयाम्‌। राशाचनउपमाते। Te

२९

QU! सुनादूतादकरेषाद। यशस्तराम्‌। Ty

ST WUT! STH ३॥४३

रम्ब ' ‘Grea’ शोधक' ‘agraw wee ata Te स्सवन्तं ‘Ta’ धनं ‘a’ अस्मभ्यम्‌ भ्राभरेति शेषः aTWaT ` रे “उपमाते ! उपाश्माक्मोपे मातिषटतमित्यपमातिः, डे ताश ! sre! (९) ‘a’ अस्मभ्यं “सुनोतो gata भोभन- नयमेन (९) पुरुस्छष्ट' agit aerate “सुयश्स्तरम्‌' भ्रत्यन्त- सखभूतं कौतिं-धनं ‘tra’ (९) देहि +

us नास्तोयसुष्तराचिं के २३ I अम्निक्छषिः, श्रायुः |

(१)--“खपमातिः खपमाता निमाता, तख सम्डोधमम्‌ , दह खपमाते ! श्ट! इत्यथैः | CASH भवति- Mae सदा, मेवा खभ्वं रो रस्ित्यथेः धनं रेरोत्यथ".इति fro | (₹)--“नीतिशब्दोमामे वचनः, लादि सुतया, सुनीत्या दुमाजेंर प्रतिप्रहादिमे- त्यर्थः" -इ्ति fare | (९)--रातिद्‌ाम-कर्मसु चतुथः नि, २०।

ध्वस्व०, com wo] छन्दादिंकः। १६५ अथ Cura | atufieta: | WN १२९९९ १९ RC हि RU योविश्वादयमेवर्हातार्मन्राजनानाम AITS bY

श्ट ९६१२ RT ९९११९ OAT FIAT प्रस्तामाय न्तग्रये १० ४४

staat

1 योविश्वारेदायतेवसू। होना दमद्रोर्‌। जना- नाम्‌। माधोर््नापार। )जापरयमानयदम। प्रस्तो माया९९। त्बोरेश्श्वा। भ्राधयोश्दार ॥५॥

il योवि्ादयनेमसूराउ। BAT? | मादे,

शब्द्‌ . x

जनानाम्‌। AAT ओवा। aTaTeatae चाप्र

WATT! BAT ओवा प्रास्तोर्माया९३। तुवो

a 8 ¥

Sagat | य्माधयार ete as Nae “सुयग्रस्तर"-खयश्स्तरम्‌"-दइति पाठौ ९।॥४३

४४ suf कस्य ॐ, ३, ५१। 1, 1 अनयोः अष्निक्छषिः, इरोनाम।

१६६ सामषेदसंहिता। Lew Wo, (a अण

x os Xs 1711 यविश्वादयतेवखोषदाश्रादा९ए। दातारमद्राजना RF RR &

र्नाम्‌। ओआदद्धा। आरामो जाप्रथ

$ ^) ९९

मानायसमाई ATS AT अदेदाईे३४। प्र्ारेश्माया

३। त्बोरदश्वा। प्राधयो्दाद्‌ ९॥

१दट श॒ र॒र

“{ 1४ यविश्वादयतेवसु९ए। दातामंद्राजनानाम्‌। मा

Teale Teel चाप्रथमान्यल्ञे। «Mae वा३९। ATT | दडारेदेभाद४२। अर९४१ ST Hol

ष्डाता' देवानामाद्ावा ‘ae,’ मादनः (५)यः safer विश्वा (र) सर्वाणि ‘ag’ (९) aafa धनानि जनानां (५) जनेभ्यः (दयते

Ill, 1V waa: अरग्नि्छषिः, देघेखवसंम्‌ |

()—afe’ वि-मोद-मद-खम्र-कान्ति-मतिष-दत्यद्य रूपम्‌। “मन्द्रः सत्यः < fa fae |

(2)—gut शजित्यादिमा (७, ९, ९) शस खाल रूपम्‌। (₹)--“रकवयननिदं बङवचमस्य स्ाने"-इति fa पर, “aut TEfata (७, ९१ ee) शसी क्यपि सिद्धयति |

(४) "वत्य बलं डन्दसि (६, ९, ९६) इति ष्टो | fae मते जनानां खत्यः- Caray: |

aH Wo, tar we] | weiter १६७

इति चतुर्थी दशति

प्रयङ्ति। aa ‘wa waa मधोः (५) a मद्करस्य सोमस्म्ेव प्रथमानि मुख्यानि ‘ar’ पात्राणि स्तोमाः स्तोत्राणि “प्रयन्ति wafer neon ४४

¢ facfea वये ~ AY ~ aera दति सावणशाचाय्य- माध वौये सामवेदाथप्रकारे शब्द ५, प्रथमद्याध्यायख चतुथः कणडः

अध पञ्चम-खर्- सेयं प्रथमा | (वामदेवऋषिः) १९२ श्र रर शश्र WTR LV z श्र Waal अग्मिन्नमसाजंनपातमाद्वे प्रियं 4S

रर्‌ ष्ष्र रेर ९२९२१६९

चेतिष्ठमरति्खध्वर विश्वस्य दूतमन्डतम.॥१॥ ४५

४५ उत्तराश्विकस्य १, २, १२ १।

(४) “दुष तिङ पपडलिङ्ग ति (२. ४, ९८) भाष्य-व वननान्‌, दद शिक्न-अत्ययेन सपम्‌ |

१६८ सामवेदसंहिता [मप्र tH We

ut Ag ९. र्‌ “र 1.6 1 रनावोश्रभिन्नामसा। ` ऊज्जानपा। तामा | १२ है

t Ae प्रायच्छ तिष्ठमरतिम | स॒बाध्वाश्रा रम विशा _ 1 स्याश्द्‌रे। एूखारेदभा२४३। च१२५५ द। डा॥८॥

, ररर RR ^

a A] Tl एनावोश्रद्मिन्नमसाशाउ। अजञ्जानपा। तामा

Bae शाउ। प्रायश्च तिष्ठमरतिम सुवाघ्वा९ र्‌ श्‌ g रार्देम VTS! TETeges! Wl ताम a a 3 खतम्‌। टडार्दभार४२। A TeRBYT डा Wek

| धरभ्रश्र ५. ४५४ श्र श्ट श्र शर (fo गा एनावोञअभ्निमेभनमसा। अज्जानपातमाशवे। १९ प्ररेश्याम.। चादतिष्ठम.। आरतिम. सुवाध्वा९ x X रार्म.। विश्वाख्याशद्‌र। ताममुतम.। दखतदभा

३४३। आर्द४५ Tl डा १०॥

I, Il अनयोः मोतमकऋ्षिः, श्रागम्नेयं ara |

ध्म Mo, एमा ऋ०] छन्दश्रािंकः। १६९

UX aT UC & श्र ए्ष्नावोअग्मिन्नमसोा। जानपोवा। तामाश्वे। श्‌

प्रारेशेयाम चादतिष्ठम। ceeds खध्वरम्‌ |

विश्वसार लासमतम | चओ९०५६ डा ॥११॥४५ |

‘aay (९) बलस्य “नपात ' gw “प्रियम्‌ अस्माक, “चेतिष्ठम्‌ (९) अतिश्रयेन wart प्रन्नातारं were वा। “रतिं मन्तारं स्वामिनं वा ee’ gay, fare’ सर्व॑ स्व यजमानस्व दूतम्‌" खतं नित्यम्‌ “afer ‘oar (९) एमेन "नमसा सरोत्रेण [ य्प्यव्ान्वादेणोनास्ि तथापि छान्दसलतवादिदं शब्दस्मैनादेणः |e स्तोतारः! "वः युषदधंम्‌ “arga’ (५) आद्रयामि ५१४१

III, [ए अनयोः मोतमच्ऋछषिः, wares ara

(१)- “कक्‌ ware, लख नपाल ` पौ वस्‌ ; कथं पुनरसौ अब्र पौनः! waite बं जायते, बशान््यनानरष जायते, वमग रद पो बलस्‌"-इति fre (रो--चेतदति प्रज्ा-गामस्‌ तृतीयस्‌, fire २, ९। अथवा "चितौ स्‌ ge खद, तचि (तृज्छन्दसि (४ ए, १११) -द्तीष्नि रूपम्‌ | (९)- सुपां सुखुमित्यादिना तृ तोयया खाल सूपस्‌ | (४)-सभ््रसारण्ं वाङूरकात्‌ ९; Bu!

२२क,

Yoo araaeafent! [eawe, (a Be

we featet | weet: | १९९२९९२९ १९९ Al, MI वनेषु माढषु VAN मन्तासदून्धत | अतचरा W न्धं वसि दविव्कृत आदिद्देवेषु राजसि ॥२।४९ st Tt श्र UAT -- 7 /‡ ` 1 शेषेवनाधरूषु मातुषू। साल्वामन्तासः। TITRE ew 8 R AE | आतंदरोशव्यवद सादर खवोरेष्कारे्श्लाः। RT XX अआदिद्‌षाद। षुराजार्दसादेश्देद। आर३९द्‌ ST ॥१२।४६

से “अग्ने “aay “माह्षु “सखपिषि' व्त॑से। तधा भूतं ‘ar at मर्तासः ATM? श्रध्व््वादयः मन्नेनोत्पाद्य “सभिन्धते'। ware awed “oer. भरनलसः सन्‌ “हविष्क तः' यजमानस्य ‘gar विः वषटलि' देवाम्‌ प्रति “aries” अन- wna "देवेषु" मध्ये “राजसि' gra (५)

४९ नाम्तोयसु्तराचिं छे ।२४ I गोतमच्छषिः, टेवराजम्‌।

(१(-ह (ग्रे ! यस्स “Was: अबलसः देवाम्‌ प्रति ew vie, "इविष्क तः

UR Ge, awe] | o wef a | १७१

qq waren सोभरिऋषठिः।

१२१ र्‌ १९ BR weft गातु वित्तम यसन ब्रतान्यादधुः। stg ^ शश्र श्र HA TAY नकन्तुनेागिरः २॥ ४७ Ru र्द

I अदर्चिं गातुविल्तमा६ए। यासिन्‌ व्रतानि यादधः। 7 /

र्द R SNF Hel WEAN तमारि यस्य वद्गनम्‌। अग्रा

R | इ्या। शचा। दुनोगिरः। (खारशेमा९९२९ चोर BUX lt डा॥ १२॥४७

BET”, “माजः"-द्ति पाठो “इव्यं”, “qa” इति २।४६

यस्मिन्‌” श्रग्नो “व्रतानि watfe (९) श्रादधुः' यजमानाः

BO SUIS कख ॐ, १, ११, १। I कश्रिकच्छषिः, माबि |

विषा सड क्िवमाकाः लोख "वदसि, देवेष राजसि q—anie’ मं “लाम्‌ नेव" खपत्थाय, “ATTY maa fara मतेषु ‘aay खदकेष खदकाथश्च सम्रिध्यते

इति वि०-सकातोऽः। भ्टेष-दति अपत्य-मामसु ष्टम्‌, नि < २, ९; बमेत्युदकनामसु ~ नवमम्‌, Fo १,१२।

(९)--त्र्मिति कमं -नामसु सतमम्‌, Fite २, ९।

१७२ सामबेदसहिता। [१मप्र०, em Mo

अथ चथथो मनुः प्राधेयते | १२९८ ९१९ १९२ ६१२९९२९ VN अगिरुकथे पुरोदितोग्रावाणाबर्दिरष्वरे | कचा ९९९९१९९

यामि मर्तो ब्रह्मणस्पते ठेवाञ्रवोवरेण्यम sive

्राहितवन्तः | ` "गातुवित्तमः" (२) भरतिथयेन मागाणां sar

सोम्निः “weft प्रादुरभूत्‌ किञ्च "सुजातं सम्यक्‌ प्रादुभतं अस्य ‘sae’ उन्तम-वणस्य ‘ata’ वयितार ‘afer ‘a’ अस्माकं ‘fay’ स्त्ति-रूपाः वाचः “उपो (९) very’ उप गच्छन्तु [नत्त गतावितिधातुः (५) #

“नकत्‌ नोगिरः”-इति छन्दोगाः “TAM नागिरः' -इति THAT WBS

————— Orr ae ण)

Uo aretiquerfe के २५

(₹)- मातुरिति पुथिवो-नामस्‌ षोडशम्‌, fret, ९। cw सात्स्ग्यात्‌- ATES aed भाष्यषटता | | feacwarce -“केमेरे शब्दे -इत्यश्य रूपम्‌, मातः wefan aia उषषारयिता, नं थो वेत्ति समातुवित, खअतिश्रयेन arafay मातुविक्तसः, सत.तीनामबारयितुरतिश्वेन वेश त्यये "|

()—“sy, उ, सु जयोपि पादपूरकाः"-दति fate |

(४)-- “नतिः याभिकमा"-दति वि०। तच्च याभिकमेसु दियोवम्‌, fae २, १८

५मख० wl we | wefan: | १७१

8 6 रर ९र श्र ? र्‌ 1 अद्चिरुक्थाद्‌ | पुरोदेदादताः। भ्रावाणोब fete 7 <, “.

शश्र <

CAE | ऋचायामिमर्तोब्रह्माणसाता Sz | | STRAT? SAAS: | वरोरेहश्वा। णाभयो दाद्‌ ९४॥

=< 4 RR पुरीव R 8 1 अ्रिर्क्थाच्रौोरोषाः्‌ | रद्वा हि 7 RT र्रररर

ताः। ब्रावाणणोब | हिरोवाओ्रौरेद्वा। जरा Wiest यामिमरूतोब्रह्माणस्पातां रद AAT RATS: वरो PRGA TUTTE ATT १५॥४८

उक्थे स्त च-शस््ामके “श्रष्वरे' हिसा-रहिते अ्रस्मिन्‌ यन्न “अ्ग्निः' पुरोहितः' यन्नात्यरतः satay शतिम्भिनिहितो- , ऽभूत्‌ तथा ग्रावाणः" सोमाभिषवाये पुरतोनिहिताः बहिः पुरतोनिद्ितम्‌ ्रासादितम्‌ | एवं सामग्रगं सत्या हे मरूतः एकोानप्ाशब्धरुदइखाः ! हे ब्रह्मणस्ते स्तोत्रस्य पालक! एतन्रामक ! टेव ! Sar’ द्ोतनादि-गुण-युक्षाडन्द्रादयः ! tq” वरथोयं भजनोयम्‌ “Wa र्षणम्‌ “WA सक्ष -ङूपया

1, 11 अनयोः वादु क्ध्य' नाम

१७४ सामवेदसंहिता | [ra Wo, CA Wo चथ TET | सुदोतिक्छषिः प॒रुमोढोवाष्कश्मोवा |

९१९२९६९ २९२९९६२ अग्रिमोडिष्रावसे गाथाभिः टशाचिषम्‌ अग्मि Re R Re Be ९९६९६९९२

राये FRAS BAA BETA किः ॥५॥४९

wan ‘a qua ‘afw मुरं याचामि (९) [याचतेलंटि र्पम्‌ वणलोपन्डादटसः (*]

“मर्तोाब्रह्मणस्यते देषाः”-इति त्रौ खामं तरिततेन छन्दोगाः पठन्ति | मर्तोवब्रह्मणस्यति देवान्‌"-दइति हितीयान्तत्वेन

वद्ध चाः॥ WS

हे पुरूमौढ त्वम्‌ (४) श्मिनिम्‌' ‘waa’ Tatra “Efe

स्तुहि 'गाघाभिः' [गायेति-वाङू्नाम (१,११.२६). मन्ष्पा

रोण भणण ययया

४८ नास्तोयसु्तराश्चि के ।२६

(₹)-यामीनि याश्चकमेचु हितोयमख्डि पठितम्‌ (नि° द, ९९), तददद eT यायतेरापायासः कथं लीरतट्ति चिग्नीधम्‌ |

(₹)- षड उकथे खध्वरे पुरोडितमपधि, प्रावार, बर, मरतः, बद्यशस्पतिः। अत TEST: खोकायेः |

(९)--^हे quite! aatarncrat ! -दति fare |

दम ख०, भमो wo] |= wreufe a: | १७१५

हर दष शरा श्र WAC

WS) गाथाभिः . श्र श्‌ |. THAT | आभ्निररायाद। GRATER TST | AAA Wwe) तयादच्छा२९४५टो९५६।

१२९ ९६९९९११

दाह्य २९४५ १६॥४९

भि्बाम्भिः] tea? “शोरभोचिषं' अयन-खभाव-रोचिषं (९) तक्षा राये' घनाय शडिष्व gaa’ (द)एन नरः wart यजमानाः (१) wafer way! तस्मात्‌ ‘getaa (४) मद्यम्‌ “afer” (१ त्वयाभिष्टतः सन्‌ “कर्दः” ae () प्रयच्छ लि्येवं gift: Wate ब्रूते

¢ LY)

1 greater |

(र)- “भीरः anfa, aifedt fir ; यापिनौ Sirians} भोरण्टोचिः, सं शीर. गोचिषम्‌, व्वापि-दौरभभिभित्यथे : | अथवा लठराकममा ा्रयकरोया दौभ्रियंख-रति frei “अतंशायिनमिति या wrthtfate वा" दति न° 8, २, ९४। atte wan- तेदेतिं मावः

- (९) -*अ क्च्दातम-इति fire | |

४) नरद्ति Wee asTeaTH चतुथ पदम, नि० २, "नरः GUEST वचनंभिदं (Fire २, ९, ९) हितोयेकषचनस स्ने द्यम्‌, गर गराकारण्‌,-इति fee |

(४) - "मनस दानस्ाथाय'-दति Faro |

(ई)--“खष्निः प्रथसेकवचगमिदः दितोरैकवनस् स्माने'-रनि fire |

(®)- किरति गम्टनामसु मवि शतिलमम्‌ face, 81 शदिः प्रथमैकवचम- भिदं चतु््यं कवचनस्य साने द्यम्‌, अदि षे रटश्खाथायेति याव॑त्‌'-द्ति fate |

१७६ सामवेदसहिता। [मप्र १म we wy wt! प्रसकशकषिः। `

Reet ae a, a | रथि अरत्‌कणे वद्किभिदे बेरग्रे सयावभिः। सो १९२ १९ ४९ रे

दतुबददिषिमिचेा अयं माप्रातर्यावभिरष्वरे ॥६॥

दशर

# a Wiel श्र २९४ | firs reat fete: | देषै-

प्रं मयावाभकमी | आसीदतुङिपिमिजोर्यापदेा

धद

्रातर्यार्इवा३े। भरद रारदेश्रोोवा | ST ॥१अप०

“अगिः सदोतये इर्दिति कन्दोगाः। अग्नि सुदीतये करदिति AWA ५१४८

रे शुत्‌कर्' अवण-समर्धौभ्यां webat ga! wa! श्रसमदौ यं वचनं afr (१) शृणु यः fara: Gee wel?’ श्रातयौवभिः' प्रातःकाल देव-यज नं गच्छदिः “देवैः सर्वेःसयावभिः'

yo नास्तौयसुत्तराचचि के २७ I काणे्रवसम्‌, प्रास्कण्वं वा |

(९)- “श were were दण्ट सि (९, ४, १०२) -एति WEE |

° ¢

Wa खर, ज्मो wo] छन्दश्राञ्चिकः। १७७

अथं सभ्नमो | सोभरिक्छषि | AT RT RRL ९९९२ प्ररैवीदासे Mea TRA मन्मना «| अतु

RXR RT रद RR रररे LR

मातरं एथिवो वि वाढते तस्थौनाकस्य शमंणि ॥०॥५९१

हैर दर ररर

1 प्रदेवोदासोग्ोः। देवद द्रोनमननना †। अनुमारे

्रवनोयाम्निना त्वया समान-गतिभिः wa: बहिमिः' देवः ae अध्वरे क्रतु-निमिन्ते "बर्हिषि दभ ‘arated’ उपविशतु

“असोत ae मिचोअरय॑मा पातर्यावभिरध्वरे"- ति छन्दोगा, “आसोदन्तु बददिषि मिचोञर्य॑मा प्रातया- वाणो अध्वरम्‌"-इति AWA ५५०

द्वः, दयोतमानः इन्द्रः परमेष्वरय -युक्षः (१) “देवोटासः' दिवो-

५९उतस्राचिंकस्य ©, १, ११, 2! I देवोदासम्‌। * ““मयमना-इति भ्रश्य खमध्य-पाटो पुस्तके गानग्रम्ये WARS प्रायः"मयाना"-दइति WAAAY एव पाटः। i —‘afefa वोढभिः देवैः अन्दं; खन्निभिः-दइति fre (१)- शरदि" परभै श्यं त्मा दौशादि केर भ्रत्यये रूपम | २३क.

<6 \

१७८ सामवेद सिता | [ra Wo, 2H Be अथाष्टमी | मेधातिधिमेष्यातिथिचोभादषौ [xatgteomta] |

Rk श्र श्र १९९९१ VRE र्द अध al अधवा^दिवोब्रदतोरोचनादधि।

RAT

ता। रं्रथिवींविवाव्रताद्‌। तस्ौनार्श्का। are

मंणि। इडारेठभाद४२। आर३४५६्‌ डा c= YQ दासेनाहयमानः “af (मातरः सवस्य लोकस्य धारलात्‌ पृथिवी माता, ताम्‌, एथिवोम्‌ ‘ary (प)प्र वि वाहते" देवान्‌ प्रति efaaic विषे प्रवतयति | यस्मारेनमम्नि दिवोदासः “मज्मना बलेन (₹ आजुहाव तस्मादयम्‌ अग्निः "नाकस्य' स्वगस्य मेरि ze () खायतन एव ‘ae तिष्ठत्‌ (५)

“अग््देव इन्रः"इति, “नाकस्य शर्मणः"-इति छन्दोगाः | “अथ्मिदे वार्ति “नाकस्य सामवि"-दइति

वह चाः Uae

“अधयमो"-इति अन्स्थ-मध्य-पाटो TEGAN |

(२)-- "अन्विति पाद्पृरकः-श्ति fao |

(दे)-मङ्मन ति atten बलनामतु पञश्च'बंशतितमम्‌ fae ९, ९।

(४)- अमति erry षोङगनमम्‌, free, ४। ww वि०-बेश्तीदधभ्नि सखन बलेन मेघान्‌ ध्रम्‌ पुथिवों an यति, waar प्रतिष्ठते च, जैव बेन गच्छती-

q e ~ e { ~

त्यथः, कपुनमेच्छति ! उच्यते- नाक nae quia safafs VY, श्लोक यदु wy तिन्‌ गच्छतोत्य थः” |

aia भरतो ar ae: पाद्पूरण्ःचर्वेतीड ATTA: |

WA Ge cal wo] छन्दग्राच्चिकः। १७९

रे रर शे WwW क. ध. 4 = अया FHS तन्वा गिरा ममा जाता सुक्रतो एण ॥८॥५२ है र्‌ ङ्‌

1 PRATT | धवादाश्दरवारः। बृदतोरो- ` TAMAR | आ। Ati Tee ।ता। वाडंखन-

द्‌ AU गाहूरार्ममा२। अआजातासी रौदोरेवा३४ RT टे १९९१९

चा हाउवारे। कनोएणा २३४५ ९८ Wye

डे न्द्र! अध अधुना (*)। जमः जमन्ति गच्छन्त्यस्या- भिति उमा एथिवो, (९) तस्याः सकाशात्‌ श्रधषवाः अपिवा भ्रन्तरिचात्‌ “हहतः, महतः रोचनात्‌ नशनैरदप्यमानाखूवगादा श्रागत्य अधि" पञ्चम्यधंनुवादो (९) ‘sar (*) अनया

ye नास्तौयमुष्तराशचि के ।२८ I सोक्रतवम्‌ % गान-ग्रन्े प्रायः सवतरैव 'अधया"-द्ति | waren एव पाठः | (१)- बे प्रायः च-घयो रकाम्‌, प्रय ष्यते धरटव वडव, TTA अथेत्ययें चष, यथमेत्यये घर्ति। अगन्लरम्‌, अधुगेत्य यश. पफररब्भः | (₹)--डमेति पथिबी-नामसु ततोयम fo x, 2 | (९)- “कथां अपरो अमथेको (१, 8, )\# दूति कनप्रवयनोय मतिषथ w-

भावात्‌ “जनिमन (८, १, ७० )*-दूति निघातो | (४)-शाबष्दसव्नादनादरेश्ाभाव रूपस्‌ |

१८० araacafear | [cH Wo, LH Ho

अथ नवमो | विष्वामिज्रऋषिः | Ce a Oe. BASSE RS १्र॒ श्र ry कायमानोावना त्वं AATSTHTAT: | तत्ते

छते निवर्तनं यरं Ret 8 अग्र प् षे निवत्तनं TET सन्निदा भुवः < WR

छट FU र्रर {~ I rad

rf £.““ 1 कायमानोभवनातुवाम्‌। यन्माहुरा। जागन्ना ₹? R yA 4

Seed: | नतन्तेश्नप्रे३। प्रमुषेदेददारद। निवा सार२४

"तन्वाः (*) तथा, विस्ततया “ममा मदोयया गिरा war ‘ate’

वदे भव। हे सुक्रतो! शोभनव्रकमेवन्द्रि! ‘oar (9

जातानख्मदौयान्‌ जनान्‌ भ्रभिलधितैः फलेरापूरय (°) Wye

(न 9

हे ‘ua’! ‘aa (\) वनानि काननानि ufaq काय-

ys नास्तौयसुत्तरा्चि के २<

(४)- .तन्बा woreufa fao |

(९)- जातेति सुर्पाषलुनित्यादिना (७, ६९) RUGS रूपम्‌ “जाता areata ममापत्यानिः-दति वि |

()- “ख प्रौरूयत्यथैः"-द्ति fae |

(९)-खुपामित्यात्वे (0, ९, Re) रूपम्‌ | aa aa वना वयवकाष्टामि- < fa fae |

ua खम, <्मो wo] इन्दआआि ae | १८१

4 ९९१ब्‌ र्‌ RT २९

ATH | ASMA! दाभुवा। आओङदोवा दोभट्‌। डा॥२०॥

RRR 7 एकाया। मानो। वनाललरेदेश्वाम ओह ^ ˆ :. ` Rg श्र RT तूरेदेश्वाम्‌। उद्वादाद्‌। ओडद्ो३१द। यन्माद्टरा RR ऽ२ SAARI: | आरदेश्पाः। उश्वादाई। अदष्दो २९९ र्‌ SUX ATMA! य्ाददरप्रटषादेद निवार्तार३४ a R नाम्‌। तारदेध्नाम उद्वादाई। ओदेदो३१द्‌। VAT AT {२ R ४५४ 5 MELATA दाभूरेरेध्वाः। ARRVAT | उद््वादा #र

Mery | AREA | BRT ॥२२।९६

मानः (९) कामयमानः ‘aq यस्म(कारणात्‌ तानि विहाय मादुः (र) मढभूता अपः" अजगन्‌' (°) भगम; गतवानसि |

I, Il अनयोः काण्वं नाम |

(र)-श्वायु पूजा निश्ामनयोरित्यस्य चकार ककारापत्या रूपम्‌-दति fae | «कायमान Wana: कामयमान इति वा” -दति Fo ४, २, १४। (₹,-“मातरदति भ्रथमा-वबवनान्तं नदौ-नामसु द्‌ ऋते, मि० ९, १६.९०

मातृरिति सुपां ठुख्नित्यादिना (9, १, २९)-सि पुवं सवणदौं रूपम्‌ |

(*)--बक् माने लुङ (२, ४, ९). QVM, प्रथम पुरषो बङवचन च्च यत्य येन |

१८२ सामवेदसंहिता | [ea wo, ta Wo

अथ zat |

ware: | दर २२९६९ #१ ९२ RRR नि त्वामग्न मनुदंे ज्योतिर्जनाय शश्वते। दोदेथ TR टे Bet WTA १९ १२

कणक्छतजातउक्ितियं नमस्यन्ति MSA: ॥१ ०॥५९४

रसम प्रविष्टलाच्छान्तोवन्ं से तत्‌ः तस्मात्‌ ते तव निवतनं नितरां ava aaa, तेन विनाभोलश्छते। सो ‘a we’ [त्यां केन्‌ प्रत्ययः (*] प्रच्छते स्यते कुतः? इत्यत आह | यत्‌ यस्यत्का रणात्‌ "दूरे (९) सन्‌' दूरे WEA वतेमा- मानस ‘Ce भसतम्बज्धिष्वरणोरूपषु wey “aya (%) समन्तात्‌ भवेः [ मवनत्‌ चषण-माज् णास्माकं समोपे भवसि, तस्मात्तव दृ रतोवत्तनम्‌ अस्मभ्यं रोचते ]॥ हाभुवः'"-इति 'खभवं"-इति पाठो < ys

‘saa!’ "ज्योतिः" प्रकाशरूपं “शश्वते (र) बडविधाय यज-

४४ नास्तोयसुत्तराचि के 120

(x)—“and षवे केन्‌ केन्यत्वनः ६, ४, १४१-दति खव (₹)-पदकारास्ति “दुः -दत्येवं पठन्ति (७)--य्ं माने Ge (९, ४, ०)।

(९)--भञ्रम्‌-दति weary ष्ठम्‌ निर, ९।

WA Wo, Coal We | न्द्‌ ्रा्चिंकः | १८९१

aga

द्‌ | I नित्वामथाई्‌ | नुदरस्धा! व्यातिजंना।, ``

१९ ® 9 याशश्चाताद। Stl STK यक णाक तजा |

R | १२ |. तजरक्तारेदृ४दताः। AMARA! तरेद्‌ क्रेर्श्ी R i! WAT 1 टारेञ्थ्याः॥ २२॥ Tc I] खोवाद्‌ नित्वामग्रमनुष्टधे। era sare { + Le,

जनायशश्चते। दाद्रदेश्थक। णाक्नजा९३। तज-

मानाय ‘aa?’ प्रजापतिः (र) fare देव-यजन-देशे स्थापितवान्‌ | रे aa’! त्वम्‌ ऋतजात" ऋतेन awa निमित्त-भूते नोत्पव shen हविभिंस्तपितः सन्‌ (९) कणु एतव्रामके weet मयि (दौदेध' (५) दौप्वानसि “यम्‌” अमिन ‘area: मनुष्याः arate नमस्क वन्ति त्वमिति पूर्व्रान्वथः ॥१ ०॥५९

44. ^ fe set 4 “14 I, 17 अनयोः मानवम्‌ ^ (र)-भयामथवा aay पिता'-द्त्यादि मेदक्गम्‌ (र, १, १५) ` ()—<‘sfer महानुपचचितः'- दति वि०। (४)- दोषिन्नोदपम्‌ |

य्य सामषेदसंहिता। [ea We, ta We

चथ रश्मी |

aera: | २२९९२ =z q च्‌ : नि त्वामग्न मनुदंधे ज्योतिर्जनाय wat दोदेथ १२ टे श१्दर WR १२

कणक्छतजातउक्ितायं नमस्यन्ति HSA: ॥१०॥५४

रसय परविष्टतवाच्छान्तोवन्तं से "तत्‌ तस्मात्‌ ^ते तव निवतेनं नितरां ava वर्तनं, तेन विनाशोलश्यते। सो “न wae’ [त्यां केन्‌ प्रत्ययः (५] awed awd! कुतः? इत्यत यत्‌" यस्मात्कारणात्‌ Ft (९) सन्‌' दरे ्रदृश्यतया वतेमा- ate ‘TY असास्तम्बस्धिष्वरणोरूपषु कारेषु “mya? (°) समन्तात्‌ भवेः [ मवनात्‌ चषण-माज णाखाकं समोपे भवसि, TAA दृ रतोव्तंनम्‌ अस्मभ्यं रोचते Jn “इहाभुवः"'-इति “अभव "इति पाठो < ।५्‌ |

हे ‘saa! “ज्योतिः प्रकाशरूपं “शण्वते' (र) बहुविधाय यज-

ys नास्तौयसुत्तराशचि के 12°

(४)-“छन्याथ तवे केम्‌ Saye: द, ४, १४१-दति खव (१)--पद कारास्लिष दुः ९-दत्येवं पठन्ति | (o)—aH मामे लं (8,8, ©) |

(१)--श्चत्‌-दति बङनामसु wou नि० १, ९।

ख०, १०्मोक्०] दन्टश्रा्चिंकः | १८३

I नित्वामग्ाद। नुर्दाह४४द। श्याति्भिना ae,

9 ® र्‌ याशश्वाताद्। Stl दाद्‌, य| णाङतजाद | . R | तजरलारेदेदताः। यन्नमस्याद। ATRT ARAVA R WAT STRSsAT २२ se द॒ uty Il are fraraqayed | eta ज्योाति- ` t |. 4,

WAIT | दाद्रदेश्थक। णाषनज९े। तऊ-

मानाय ‘ag? प्रजापतिः (र) निदघे' टेब-यजन-देशे स्थापितवान्‌ | हे wa’! त्वम्‌ wane ऋतेन aaa fafa yaaa उत्तितः इविर्भिंस्तपितः सन्‌ (९) कणौ 'एतव्रामके weet मयि 'दौदेध' (५) दौप्तवानसि ! “यम्‌ अग्निं कषटयः' मनुष्याः 'नमस्वन्ति' नम्क वन्ति त्वमिति पू््रान्वयः ॥१ nye

¢ eT ey Pe 4८" # go I, 11 waar. मानवम्‌ 1. (र)--"यामथवा aay पिताः-दत्यादि नेवह्नम्‌ (र, ९, ६५) ` (३)- "उष्ठितः मानुपचितः- दति वि०। (४)- दौ चिशोोदपम्‌ |

१८४ समिबेदसडहिता | [म Wo, १म Bo

| र्‌ Rg हर ब्‌ य॒ RATATAT | बत्नामारइस्या३े। तारदलर३४अहो + R ^ वा। ार्याः॥ २२ tye इति पश्चमौ दश्रति।

विरचिते arg ~ @ ~ दूति errerera- माध वौये सामवेद्ाथप्रकारे शन्दोग्याष्याने भ्रथमश्याध्या यद पञ्चमः खण्डः

1 07111 Ee OO 9 See) ele ae Oe OO Si Oe 9

श्रध षष्टे Zw सेयं प्रथमा |

वसिष्ट्रषिः |

R देवेवोद्रविणादाः पणां विवष्टासिचम उद्या RR १९ रर WRU

सिच्ध्वसुप वा पणध्वमादिदोटेव sired heyy

a ९.

yy SAU fs कस्य ©, १, १०।

© eB खभ, raw] रन्द््ा्िकः। १८१५ qe feria: |

TATSAUTSTS कणऋषिः।

RFR CER करर ३१९ रे RE रतु ब्रह्मणस्यतिः प्र दव्येत्‌ सुनृता अच्छा वीरं UT B 3 श्ररश्र. ®IT १२

46

I देवोदेवोदेद्रिषोदाः। पूर्णो विवद्वासिचम.। weary `

श्सिच्छा २। ष्वसुपवाएणष्वम wee! वश्यो.

शद श. . Al डारेदभा३४३। ओरद४५ह्‌। डा २४॥ धू

‘afaerer’ धनानां टाता (*) देवः afer’ “a? युभदौर्यां पर्षा हविष्रा आसि चम्‌ असिह्ां सुखं ‘frre’ कामयताम्‌ सतः ‘sews वाः सोमेन पात्रं ‘arm ar सोम [ वा- ब्दो CAMA! HAUT होढ-चमसं पूरयत च, भ्नये-

सोमं प्रयद्धत Yaa] ‘ates श्रनृत्तरमेव ‘ea: ufea:.

वः' garg ‘aed (*) वदति ~

“frag” विवष्टो-इ्ति पाठौ wy

US नास्तोयस॒त्तराचि के ।११ I अरग्निक्छषिः, द्रषिणम्‌ |

(९)- द्‌ विकंमिति धन-मासङु पञ्चर्विंतितमम्‌ ; fire २, ९०।

(९)- “ओते ग्ड ते'-टति fro श्योरते-एति साथश-मते weaeqa, frace-

अते AVA दत्य ख, परभ भथ.नयं रव शान्दसलं ACTH | 28H,

RTE सामभैदसंहिता। [ta we, ta We

श्रेर BL १२ BU

५र ५४ Rg

श्‌ 4.5 1 प्रतृब्रह्मणस्पतिः mera fat तुसूनुताह्‌ MCA Lesa नवं प। द्विराधा सारेरेम.। देवा

र्‌

SATRRBATA | नार्याश्श्दोवा। तूरद४ नाः WR ५॥५६

"्रह्मणस्मतिः'(१)देवः Wy भस्मानप्राप्रोतु | सृता" देवौ प्रिय-सत्य-भूता वाग्देवता प्रतु अस्मान्‌ ATG देवाः" aware त्यादयोदेवताः aC श्र निन्येषेण “द्रः प्रेरयन्तु। तं “aay” मनुधेभ्योहितं | "पडक्षिराधस'ब्राह्मणोक्ष-हदिषा पर्क्धा- दिभिः समद (९) aw प्रति अस्मान्‌ ‘wer अभिसमुख्य (२) "नयन्तु" प्रापयन्तु ॥५६

1 अग्निच्छषिः बाह स्मत्यम्‌ |

(९)- शत्रद् खन्न, तस्य पतिः खामो-दति fae |

(₹)--दिनारासं प्रातःखवनम्‌, feared माध्यन्दिनं सवनम्‌, veered HAR सवनम; रषा नाराश सषडक्तिः Uy रूपवसथ्यः, Thy सवनानि पश्‌रठुबन्धयः ; खषा gaaqqete: | रताभिः परूक्िभि, यः साध्यते तं परनह-राधैसम- दति सावः +

(द)- “खन्द ara म॒श्मावयितुम्‌'-इति वि.

€USe, देया wo] टन्दश्ा्ि'कः। pte: WS AT | (ऋषिः एव )

९८ ९१२१६२९ VL VT VUE श्र श्र me षु Wa तिष्ठा देवोन सविता। wT श्र रट १९ २९ १२ VR १२९ १२

वाजस् सनिता यदख्जिभिवाचद्धिविं इयाम ॥२॥५७

श्र ¥ १९ रर

I उर्ध्वं ऊषुणादेजतार३४याद्‌। तिष्ठादेवोनस्ि-?. : `

<< र्‌ र्‌ | ता। | GRRE! afr! यादश्जिभोर॥ a £ vx |

वाघाद्की | TAR ङयामारेदेषादे४ेद | ओ२३४५ Xl Wire nyo

= यूप! [ यदा, युपा्मक-दास-निष्ठाम्ने ! “नः”

अस्माकम्‌ ‘aaa’ crag ‘ag: (*) उव्रतः ‘fret (र)

yo नास्तौयसुसरा्चि के ।३२ I विष्ट ऋषिः thea: (१)-डषुकः-इति Ww षल WHS, १, १०९ ८, ४, ९९७ कछ, चु- दमौ Wee पादपूरशाथावित्यत्र arent | | (₹)-मन्त्र निष्ठा दत्यादकपाटः, तव qelafee: (९, ९, १२४)-पतयतो Shee

१९

~

11

श्त्८ सामवेदसदहिता। [श१मप्र०, cm He

अथ aga सोभरिक्टंषिः। शश्र रर BR ९२ प्र योाराये निनौषति मन्नायस्त वसो दाशत्‌ | AAT ९९६

VR अग्रउषवशरसिनं त्मना Aware ॥४।५८

तिष्ठ | सविता (१) 2a: “a यधा सूर्योदिवउक्रतस्तिष्ठति, तहत्‌ wa: उन्नतः सन्‌ "वाजस्य ware "सनिता" (*) दाता भवि ष्यसि ‘ae’ यस्मात्‌ कारणात्‌ “अच्छिभिः' ४) यज्ञेन युपमण्दि carafe: ag वहद्धिः wafer. oe fawarae’) wre दानाय at विरेभेणाद्रयामः, तस्मादब्रस्य दाता भवेति aT: न्वयः ॥५७

डे वसो" (र) वासकाम्न ! at ये" तव स्तोता शराय

yc नास्तौयसुश्षराि को ।२२

(र) -“यादित्योऽपि रुषितेतयुश्यते, तथाच--'देरषछस.पे ख्‌ लोवंम्‌ ददिर्यश.प ऋषिरिदं aw प्रोवाच तदभिवादिन्येषमे भवति"-इत्यादि Fo Xo, 8, | (४)--“खनितिखाभः, तस्मादियं area T शा श्वादेः (७, ९, ee समितयं छामायेत्यथः-दति fare | | (५)-“लदु-मश-प्रकाश् केज्छम्दोभिः'-दति वि० |

(१)--^इ वसो ¦ प्र्मशधनवम्‌ !-इति चि ° |

QB Go, भ्मौक०] ` छन्दभ्राचिकः। १८८. चथ पद्मो |

कणकऋ्षिः। १९९९ RVR RL?

प्रवय पुश्णां fant देवयतोनाम.। अग्निर £9

aa. tT I प्रयोरायाभइनिनोषताई्‌। §«6atirrdadreta ?- ` | सवोरार्श्न्धा। ताञअ्ग्रड। क्थशारसिनम त्मनासा

RVUT | सुपोषारद्दणार४दम्‌। ओर्‌ डा ॥२७॥१८ (1 ware ‘a निनोषति' प्रणतुमिच्छति(९) ‘a: aa. ae a तुभ्य ‘aug (२) watf प्रयष्टति। सः मनुष्यः 'उक्धथंसिनम्‌' उक्धानां (* शसा शंसितारम्‌ ‘ara’ (५) saat “सदख्रपोषिण' वद-धनम्‌ ‘ak’ yt a’ ae () “प्र योराये निनोषति'"~.प्रयं राये निनोषसति" पाठो wenye

I आद्भिरसक्छषिः, वंस्पथैसम |

(₹)“प्रकदर warert दिशि आवनोये ware नेतुमिच्छति'-इ ति fae (द)- दा्तोति array feataq fate ९. १०

(४- “उक्थानि atari तेषाम्‌"-द्ति वि ° |

(५) मन्त area trae: (९, ४, ९४१)'-द्त्यान अदि-लोपः | (९)--^तख्य पुंज बदासीत्यथः-इति fae |

१९० सामबेदसंहिता। «= [ea Wo tt He

Rr RL

TMM ATR TS यपसमिदन्य दन्ते ॥५॥५०

8 १९ षश र९९

Tie 1 पवाः। यह्‌ पुदर्देणाम विदन यतारेहेयि र्‌ R नाम.। अगिरसृक्तभिवंचाभिणीमारेशडाई्‌ यासा

हे ऋलिम्यजमानाः | द्देवयतौनाः देवान्‌ कामवमानानां (९) "पुरूणां" बहनां (र) "विशां (२) प्रजारूपाणां (५) वः" बुाकमनुग्र- चाय aw’ महान्तम्‌ (*) अग्निं सक्त भिः" सङ्षरूपेः "वचोभिः aren: प्र ठणो-मह” ५) रन्धं इत्‌ (६) भन्धेष्यषयः "यम्‌" एनमम्नि समिन्धते" सम्यग्दौपयन्ति तमभ्निभिति genres

“TUPI xfer, “waged छन्दोगाः Taare af “अन्यद च्छते"-इति THT: ५११५०

ye उत्तरां कस्य १, २, I शेतवाध्यम्‌ | (\)-- देवान्‌ ve fawwatter: प्रलाखाखाभित्यथः | "न WRT TA ©, ४, २६ इति इव्ाद्यभाकः | (२)-पुर-ब-प्यव-णन्दो निर (२,९,४) Weta! (2) यद्यपि बिदः'-इति मदुष्य-साधारर-गाचकः (नि ०२,२,९), परमि देवयतो- मामिति जौल-वडन-निरद भात्‌ fires प्रलारूपाकाभित्यथः | (४)--श्यकः'-इति weary जयोदद्मम्‌ fare द, (X)— ‘TETANY —arerae, किम्युगयाचामद् ! साम्थंदइमम्‌' एति fre ¦ (९)--शाबक-मते दच्छब्योऽयर्थः, निवरक-मये पाद्-पुरशायः।

Wye, ei wo] = wemfa'a: | १८१ अथ षष्टो | अमेनातकोलः स्तोति।

९९ ९९ श्र | ८८

Ree z waa: TaN हि सोभगस्य Tar १९१९ २९ ९११२९

खपत्यस्य गेामतदै शे चदथानाम्‌ ॥६॥९०

॥.

RATES RT| Ta | ra रदभाद४श्मोरद५५द्‌ |

| STH २८ We रेर_ (\ | 4 I अयमगिः gens) शआादूगेदिसौभगस्य :. ` - £ TAT ATU दवाङृद्दाद्‌। रायरैशखपत्य। स्यागा९मातारेहः। रिश can. 4

WAR UT दैगेदारेर्दवृदे। दावारेशा। चादथा-

नाम्‌ दडारेरेभारे४३। ओरेदेषर्‌ डा Re ॥६० ‘way यजनोयत्वेनाङ्क श्या निदिं श्यमानोग्निः “इवीय स्य" शोभन-सामर्थोपे तस्य सो भगस्य' त्वम्‌ शथे fe’ ईषे wa (१)

do न।स्तियसु्रा्िंके | २४ I मनाचऋ्छषिः, ere: |

(१) Sift पादपुरकः दति fae |

१९२ , सामवेदसदिता। [श्मप्र०, (aa | चथ Byatt | afa sata: |

९१ VBUTV UC

त्बमग्‌ एपतिरूबःदाता ATES | TAT ९९१९२९९ २९२९९ RR ९९

विश्ववार प्रचेता यसि यासि वायंम Nosy

४४ ४५४ र्‌ |

1 AM णदपताद्‌ः |. त्वरद्धतानाअध्वराद TY

शर रोभवसि [waa बलारोग्य-हेतुतया-सौभाग्ब-कारित्वात्‌] तथा "गोमतः गवादि-पश-युक्ञस्य खपत्यस्व' पोभनापत्पस्व qa! धनस्य ER LE, युचर-पश्व ब्युहेगेन क्रियभ(-कमं-फल- सम्पादकत्वेन AH fay | तथा एवम्‌ waren ठत्रहधानां [हननं हथः (९) ] शदरु-मूत-पाप-विनाथानामपि दरे" [त्वयि खम- पित-कर्मणामस्माकं लल्पुसादात्पप्र-शयोभवतोति तस्वापिखामो श्शदि"-इति “TAY, xfer पाठो ॥६०

[ऋ

दे 'अम्ने ! ‘ay भ्रस्माकम्‌ अध्वरे" aya “ग्डहपतिः' यज

मानोसिं। ‘a’ होता टेवानामाहतासि | @ विश्ववार सर्य

€Q नास्तोयमुत्तराचि के 24 1 अग्निबिसिष्टो वा ऋषिः, समन्तम्‌ |

(२)--"मपुंसके भावे करः (द, २, १९४)'-दति के, "तप -तमप्‌-तन-वनाञ्च (9, ९, १५५४१. इति तस्य नादे रूपम्‌!

ख०,ऽमोक् ° | कन्दभ्रा्िकः | १९३

रर रर, देर्‌ श्र र्ठेता वाद्‌ खवा। रप्रचाद्रताः। ऋ्हाह्वाददर | श्र

य। लाद्यारदसोदे। CATS ETT | चवारारेर्या₹े ४३म्‌ | ओर३४५द्‌ डा २०

8 8 8 श्‌ R Ll Raa) चाधपतोः। त्वरदोरेदश्ता। ATA -

, (4 R 1 रर राई त्वारम्पोररे४ता | २३४रा TACT: | ४र RAT ९११९९

ARTS | यारसा२६४अओदोवा। चवारियारे९४५म्‌ ॥२९॥

वरशोयाम्ने ! ‘a “पोताः एतन्रामकक्त्िगसि (१) श्रतः प्रचेताः" unafier ‘ama’ वरणोय हवि; ‘af यज वासि (र) च' रस्माकं धन प्रापय |

"यत्ति यासि च"-द्ति छन्दोगाः। “यत्ति वेषि च” इति वद्चाः ६१॥

Il वरुणक्छषिः,समन्तम्‌ |

(x) —‘srpafarat वा-इति fae | (र)--“यामोति याच्‌जा-कमेचु पटितलात्‌ (नि° २, १९ २) यातिरब्र याच्‌जा- ककि, लेट Tiss (२, 4,0, We He), याड याचल प्राथेयेत्यथेः-दति Fare |

२५क,

१८४ सामषेदसंहिता। [मप्र रबर

Urea | faarfaa: स्तोति। रद ९२९ Rt ay, TSA WAS देवं AMA ऊतये। अपा न्न-

र्‌ ९२९ RU २१९२९ Rw

पातर सुभगः सुदरसस सुप्रतूसतिमनेखसम्‌ ॥०॥९९

₹२ ४र ४४ TRE १२ 7, ॥,‰८ TO त्वमादेप्रे्टदापतोः। त्वद्ोतानोज्ध्वरे। त्वा तर, FT भर श्र ` ढेन्योता। Sheree A) वादहाई। वाद्रश्ववा \o शद, dit #र धर श्र रप्रचादताः | ४द। ओदो वाष्ाद्‌। यक्षा ies: दर्‌ STAT WTR

इयासा। चओ दो३९द्र BAT वादाद्‌ चवारार्ट्या-

BBVA! ARSVYT | डा २२॥९९

Sua! "सखायः सोमाज्यादि-शविः-प्रदानेनोपकारक- त्वात्‌ भिवाणि मत्तौसः' agen: ऋतिजोवयम्‌ “रपां नपातम्‌"

qe नास्तौयमुत्तरा्िके २१ 111 अस्यापि वरुणक्षिः, समन्तम्‌

(१)- पां नपातल, पां ayaa | कथं पुनरग्रे रपां पो बलम! waw Wee टचा aan, cea सकाशात्‌ निमे्यते ; रवबमप्र रणां utes

दह सख ०, स्मो we] ङन्दश्रालिकः | १९८५

R ¥

# र्‌ ब्‌ $ र्‌ 1 सखायसत्वा्रोद्ोदोदाई्‌। FTL मारद४दाद्‌ 17. .

श्र ₹. „ए देव TUES | सऊरतारे४याद्‌ | ३। 8 RR र्‌ ९२९ ® MYL भगौ AR MTRT! सूदरसाररेश्साम्‌ २९ ११२ मुप्रतूरर्तोम्‌। अनेदाररेसाद५२म्‌ | ABB | डा॥२२॥ ER

a

दूति प्रथमा रशति | got नप्तारं शुभग शोभन-धनयुक्कम्‌ | “सुद्‌ ससं' सुक- are (९) quate” (र) श्रोभन-प्रतर : सुखेन

गन्तव्यम्‌ “रने हसम्‌' (*) उपद्रव-रदहितम्‌। एतादशन्छाम्‌ gaa’ (५) र्चणाय "वहमंहे' (९) THAT ९२

विष्वं ल्ाधविये ~ @ ~ a ~ दति ओोसायशाचाय्य- WUT VAIS VATA भ्रथमस्याध्यायस्य TESS: |

Le

L वाखख-वेखानस ऋषिः, भ्राष््िग-दानवो वा | (२)- दंसः कले-गामसु TATA मि * २१९ |

(द)-तूवेति Feats: ( नि०२,९०,६९ ) BE प्रकर fefeard ‘aa aH इतति fate | |

(४)-“अमेदसम्‌ watery cha वि०। रः-दति ऋोधनामसु TEA नि०२,६९ |

(५)--.तुकबचनमिददं दितयेकवयनसख ena ब्रहट्यम्‌-इति वि० | ag: व्यं wad छन्दसि (२, द, ६द)-दति Ga तय साधकम्‌

(ई) --श्राथेयामः-इति वि |

^ %

सामवेदसंहिता Le AWorq Wo

खण्योराणुोतेति विष्टुभोद शपश्च अग्नित्ररोविराट्‌, चित्र-ष्मं स्तोममितिद्‌यचः | जागतोऽग्नेक्षः सर्वाः, पूष्णः शक्रन्तद्त्यसौ (*)

अथ सप्तम-खण्डे- सेयं प्रथमा श्यावा्वक्षिः वामदेवो वा।

९२

अआ TATA विषा मजंयध्वं

रर्‌ २९९

नि Brave गृपतिं दधिध्वम्‌ |

RR ६९ र्द १२९ इडस्यदे नमसा रातव्यरः

(*)-खाखखशोता इविषामजयष्यमित्यास कः सम्नमः खण्डः, अवोध्यग्िः समिथे त्याद्यपरः ; बव प्रथमे WHEN, द्वितीये wel ; तदित्‌ यमुभयोः eeatcern ऋचः सन्ति तजाड-- खाज डोता-दत्वाखोः इयोः खष्डयोः खग्नि्ररो-दति या सप्तमखष्ड- सान्ति wa,— सा विराट्‌-कन्दस्छा ; ये दमे चिव wight सप्नमखष्डख दितौय-चतुथ-- तं जगतौ-च्छन्दस्क , खथावभिषटाः पञ्चरष्र eq: निष्ट प्‌ -कन्दस्का: | किख; शक्र मेख्मन्यदिति खषहम-खण्डस्य तोया ऋक सोरी तदितराः समस्ताः शआा्रे्य दति Gere: |

en Bo, tat we] हछन्दभ्ाचचिकः, १९७

RX? RR RH RT

सपयंता यजत ARTA ॥६३

४र 9 २९१९ 1 जुददोता। विषामजञ्जेया रेध्वावार। नि- 7 8 चो तारङ्पतिन्दधा र्दध्वाउवा९९४। इडा३४स्यटाट्‌ | २१ x

नमसारातद्दाव्या LA | सापयंता। याजतम्पा २३ | स्ति

योवा। आभ्नो्ादर २४ ॥६२

डे ऋत्विजः ! (१) “अआ gata’ (९) अग्निमाद्यत fara विषाः «¬> S re “(8 हविषा ‘ast aera gaara (२) (डकारस्य जकार saree: (५) afta इडः इलायाः (*) ae’ उत्तरषेद्याम्‌

नास्तौयमुत्त राशिंक ३७ I श्यावाश्वम्‌ i

(१)--“ड wefan: ! मत्‌पुजादयोवा'-इ्ति fae |

(3) —arwtafer सम्परसाररे(४,६४,९४) रूपम्‌, ‘wie तुनु-दत्यादिमा (42,022) uta ara |

(र)--"मलंयध्वम्‌, श्योधयष्वस्‌; wana qe: Farry -<fa fae |

(४)--चुप्‌ ति ेत्यादिमा-(९,४,९८) ₹ल्‌-वक -व्यत्ययः-इनि भावः।

(४)--रा शब्दस पश्चम्यमम्‌ रकः-एति, डरयोरोक्याम्‌ दः चरतिः ; «व्राः पति-पुज-पार-पद्‌-पयस््ोषेषु-(८,९,५द)"-दति सले इड स्यदे-रति

१८८ सामकेदसहिता। [शमप्रञ२यब्र° wa द्विमोया |

arveal * ऋषिः T

ae: रेख RF ९६ RRR

4 चिच इच्छिशोस्तरुणस्य वक्षथो रख ९२१९२२९ २९ १९२ यो मातरावन्वेति धातवे। श्र रर RRR RR अनूधा यद्जोजनदधा चिदा ९२ RL रर RR ९२ ववक्तत्सद्या मदि TA चरन्‌ ues

इत्यधेः (९) "शोतार' देवानामाद्वातार “ग्टपति' गटर-पाल- कम्‌ ofa निदधिष्व निःशेषेण धारयध्वम्‌ किञ्च नमसा नमस्कारेण विषा वा युक्षम्‌ अतएव ‘Taga’ त्त-हविष्क' ‘cera’ यच्न-ग्टष्टाशां (°) मध्ये ‘ana यजनोयं पूजनौय- मग्निं सपयत' परिचरत ॥६३

a ed

# वाषंहव्येति पाठान्तरम्‌ (1)-“उपश्लतस्य वाषेम्‌-द्ति fate |

६४ नास्तोयसुत्तराश्चि के। २३८

()-“दडित्यत्र-माम (नि०२,७,१९) तेन चाच इविलेशणमन्र परि थ्यते, तख पदे वेद्याश्छ-सथराने इत्यर्थः" दति fae |

(७)--“पल्लयानि werfe (नि०द,४,९), तेषु ये निवसन्ति ते पशजाः, तेषाम्‌- दूति fae |

CNW 2 we] छन्दश्रार्चिंकः। gee. २९५

I ओद्‌ | चिचदच्छादशोरस्तरूणारदे | स्यादेवन्षथः।

द्‌ रेरणश४र र्‌

ATL नयामातारार्वनुवारेइद तोदधातवें। आट

<< © ब्‌ RT RUT R

अनूधायाद्जोजनारेकेत्‌। आङृधाविदा। ATT! वव-

: aT र्रर रन्साद्यो RAPER तियाद््वाधरा९५६न्‌। TOR ११९९१ अचर२४५ ll २५ il {u.» Meio ® ta (क ; (व # 1; -{* +`

whet

शिशोः firgapre ()। श्रतएव तरुणस्य (९) श्रम्न, ‘equ: (वक्तेरोणादिकोऽथस प्रत्ययः) efared (९) fear’ भाबय्यभूत मेव(*)। “यः” जातोग्निः मातरौ" सवस्य निर्मा सवस्य ASA द्यावाण्थिष्यावरण्छौवा श्वातकष (धेट पाने' तुम दूति (२,४,९) तवेन्‌ प्रत्ययः) wana safe’ गच्छति (xq, गतौ लटूयुपसगेश समासः ५) fafe चोदात्तवतौति

(९)--"ंसनौयदखय'-इति fae |

(२) --“तु गन-तरक्षयोरित्यस तङ पम्‌, खयन-समर्थख ; अथवा TACT युगः |

(९)--'वच्चथः awa ममनमित्यथैः,-इति fae |

(४) चिवरूति पुशि्ञोत्ययेनेति (२,४,९८) बोध्यम्‌ fra: gay ममन- तिति बिवरक-छदू-याद्धामम्‌ |

(५) «सड GAT (९,९४)'-इत्यज सेति योजविभामान्‌।

१७,

eae we [6 ५८“ cd

२०० सामबेदसंहिता। [१मप्र्य्य Wo

1 ae र्‌ धद 8u -- :. :८ 1 चिचारीए। ए३९१२९३४। शिशेसतरुणस्यव्तथः। [ ४५ 7 1 | x UT BUT wy: | दिरिहियाश्दाउ। ए३१२३४। नयामानरा

as BTR UT WT a RE

वन्वे निधातवे। तवे। fafefeareerst ए३१२३४। अनूषायदजीजनादधाविदा। विदा हिरिरियारा-

Bt McRae RB ४५

ए२१९३४। TAMU TAIT | ACT

दिदिरिया ईहा) वा। | aA २६ ॥९४

(८,१,७१) गतेनिघातः) “ग्रनुधाः” (wer बडव्रोहि-समासः(९), तस्मिन्‌, भ्रनूडस्वियामिष्टत्वात्‌ () warereear 1) प्रत्येक- विवक्षया एकवचनम्‌) ऊधोरहितः। श्रयं लोकोऽसो लोक ‘aq यदि एनमग्निम्‌ “अजौजमत्‌' जनयेत्‌ तहि स्तनपानाय गच्छतोति युक्तम्‌, तथा भवति, किन्तु दावाषथिव्यौ हि नि , ~ efaara bd सवषां कामदुधे खलु तथापि याति, तस्मादस्य इविवंहन विचिच्रम्‌। “श्रध चित्‌ः उत्यच्यनन्तरभेव सख्यः तदानीभेव

Ill इमे ऋतु-सामनो |

(९)-मजोऽखयथानां वो्रपदलो पः (९,९,२४)'-इति TATA | (०) -- "उधसोऽनङ्‌ (४,५,१६९)-ति सृजे लियाभित्युपसद्यानात्‌ |

Sa ख०,२या ०] छन्दश्राधिकः। २०९.

अथ तृतोया | छदद्‌ कथक्षिः | १२२६९ २९२२९१९

TS AWAIT HATH ९२९ VR adda ज्योतिषा संविशख | ९९१९ BR RR संवेशरनस्तन्वे इचार्रधि

BUR ₹२

प्रियो देवानां परमे जनिते # ६५

Whi महि महलम्‌ ‘gai’ (“geet भाग-कषचशौ (४,४,१२ ०)” इति कमणि यत्‌ प्रत्ययः] gear “चरन्‌. भाचरन्‌ श्रा ववचत्‌' देवान्‌ प्रति इवोँ्ावहति ६४

एतया Sezan वाजिनं नाम age मतं वदति शे मत- Ua! ‘a’ तव ‘vee (उपरि(र)ज्योतिषेति व्यमा शंत्वात्‌ waz शब्देन ज्योतिरभिधोयतं ) इदं ज्योतिरग्न्धाख्यम्‌, “एकम्‌ एको- शः, अतः ‘a’ तव देह-गताम्घंथेनवाश्चमग्निं “संविशस्व सङ्क- Sal तघापरः ‘a अ्रन्योपि ते' तव “एकं वायुाख्योऽ शः, तेनच प्राणवायु ख्येरनायेन ard वायु संवियखं (शरोरामिि-

९५ नास्तोयमुत्तराच्चि के 22 (९) सा रुव wat दवितोये पादे इति याबत्‌, R ER,

SS

२०२ araazafeat | |१मप्र, 2a Fol

/ RR ४० ९९४ I श्राद्धा | Wale | Beat: | उतर २९ द्‌ Rev र्र्‌ काम्‌। ठउतोषेना। ज्यातिषा। संविशखा। संवेशनाः। RUT २४५ R SS

तनुवे। चार्रधो। शओ्ाश्डा। were प्रियोदेवा। . र्‌

ATER ATQBRT जाद्नाधद्नाई५९द्‌ wordy,

wea: वाद्याम्नि-वायुीओैकत्वादं त्वमिति भावः ) तचा, तोयेन च्योतिषा' अआदित्यास्येन तेजसा waren संविश्रख (सूथगताम-चैतन्ययोरभेदादं त्वम्‌, “योऽह-सोऽसौ- “योऽसौ सोऽहः'-“सुथश्रामा जगतः"-दत्यादि-्ुतेः भानः स-प्रवैशो- qm:) ‘aa’ तनवे पुनः थरौर-ग्रहणाय “चासः कल्थाणोभूत्वा तस्मिन्‌ सूय (सवेश्षनः' सम्यक्‌ प्रवेष्टा ‘ufy भव atten श्रियः तेन ae प्रौयमाणः। atefa afar? ara’ Wa saa ‘afaa aaa ( “देवानां aq परमं जनिन

यत्‌ सूः”-इति हि अतिः (२) ॥३॥ ey

I याम कौल aT Wer: |

(3)—‘xe w तव ‘wa’ etfa: बेसुताख्म्‌, "परः! परम Sawer: (अ-इति पादपुर खः) ^ते' तव “श्कम्‌' आदित्याष्डम्‌। “त॒तोयेन ष्धोतिषा' oie गेन ware संविग्रख'। पुनः संविशामि? उच्यते, -खंवेनः लम्बे" संविग्नं खद्ित्धिति dia स्थानम, तसि्रिनयर्थः ; a तन्वः woe | dfn

श्म FO, gif ae] कन्द ग्रा्चिकः | २०२ अथ चतुधीं | कुव्छज्छषिः। RET २१९२ १२ Way सोममशेते जातवेदसे

PR RVR = R ९२ रथमिव सम्म्दमा मनोषया | RR १२९ भद्रा हि नः प्रमतिरस्य सरसद्‌-

रद्‌ द्‌ RX Al सख्ये मा रिषामा वयन्तव de

"अहते" पूज्याय ‘Mazes जातानामुत्पन्नानां वेदित जात- Was जात-घनाय वा AS मनोषया' निशितया gen शरमं स्तोमम्‌' एतत्‌ स्तोत्र “रथमिव यथा तत्ता Ta संस्करोति तथा, ‘eqn सम्यक्‌ पूजितं ga) re’ wa: “संसदि सम्भजने "नः" अस्माकं प्रमतिः" प्रष्टा बहिः भद्रा fe’ कल्याणो

nd

६९ उन्तराचिं कस्य ४,१,७,२ |

care: रथि ब्योमनोमव (भियः देवामाम्‌” पुमः भ्रिबः ! उच्यते, "परमे ~ cafe छन्यतेऽखिचि .

eau “जनितः fa अभिन' कं carey, तस्िचनित्यथः। अथवा

wars जनिवम्‌, परमे iM, र्लादो यठ्जन्म, तस्िचित्यर्थः"-इति fate |

(२) “सकारनिरभजमभा्ं :, अकार्णत-्पथेख gai अथा afery नमयति AES AAG उच्ारयामीत्येतदाश्ा खरे -दत्यथेः- इलि वि |

८८

` A ¢ 1 Yr

wf eS Re

२०४ सामवेदसहिता | [eH Wo रय ऋग अथ पञ्चमी | दयोभारदाज+* ऋषिः |

BRR BH २९९ TR

quld दिवो अरतिं पुथिव्या र्रर रर 1 इमादस्तोर४माम्‌। अरातिरह४ना | तावेदसे श्र रए रद्‌ शाद्‌ रथामोरेद्वा। सग्प्ाषेरदेश्मा। मानोः Rr # R | षया३। चोई। भद्रादोरेरेधनाः। प्रमातोरद्‌९रा PR UR रे रे स्यासरसदे३। शोद शअग्रादसारेदे४ख्याद्‌ मारादषा ¥ १२९१५

रह्मा वायन्तवारे। शारद४५द्‌ डा १८ ९९

aaa: खलु (९) भ्रतस्तया बुचया gas: | श्रम्ने !' (तव संस्थे अस्माक त्वया सह afea सति वयं ‘ar रिषाम(र) हिंसिता भवाम भस्मन्‌ THAT:

% भरद्वाजदति पाठान्तरम्‌ | I यन्नसारथिः, et: | (₹)- “हि यस्माद्यं | यस्मादु AR” wee a worae "उपरि -इति

wrens: | ‘safe.’ seer मतिः खनुप्रादिका ब्िरित्यथः-दूति वि० (₹)- रिष fearara-xfa रषतेः रूपम्‌ |

OF Boum Bo] छन्दश्रा्चिकः। २०५

RRR RRR

वैश्वानरब्डत जातमग्निम्‌

RR १९९ RR CR

कविर समुजमतिथिं जनाना-

RRR . RR मासन्नः पातं जनयन्त देवाः ५॥ ९७ -

‘aata’ भिरोभूतम्‌ कस्य ! fea? द्युलोकस्य, ‘often: प्रवितायाभूमेः श्ररतिं गन्तारम्‌ (९) यदा गन्तव्यं खामिनं वेश्वानर” विश्वेषां सवेषां नराणां सम्बन्िनम्‌ ‘ea’ ऋत- मिति सत्यस्य (९) awe वा नाम ( निमिन्तसप्तम्येषा (२) ) ऋत-निमित्तम्‌ ‘or’ आभिमुख्येन जातं (*) खुष्चादावत्‌- पत्रम्‌ “कविं क्रान्त-दभिंनम्‌ ‘wart’ सम्यग्राजमानं, यजमानानाम्‌ “अतिधिंः विरवंहनाय सततं गन्तारम्‌ यदा, श्रतिधिव्पूब्थम्‌ “रासन्‌” (*) (आसनि आसवं, हितीयायं amit) भरास्य-भूतम्‌ ( श्रभ्नि-लच्तेनास्येन fe देवा हवींषि

६७ उन्तराचिं कस्य ४,२,२,१ |

(९)--थिवोतः wat fe sewer श-लोकस्य गन्तार मित्यर्थः

(रो-नि° &,22,¢ |

(द)-'निमिक्तात्‌ कमे-योमे (9,8, 84) -xf वचनात्‌ |

(४)-“खा-इत्येष STATE स्याने | उपओतम्‌ प्र्दधमित्यथः-दति fare |

(४) पदन्न -पत्यादिनां (६१,६२) खस्य-मन्दद्यासन्‌, gui gefaanfean (७,१.९९) सक्तम्थालुक्‌

[५

4 = x ae Sg . ay"

ar if

Rog सामषेदसंहिता। [मप्र 2a Te

UC 8

tet २९ (९ Revere | नन्दारेद४द्वाः। अरतादूम्‌ Oe

Crt ९१६ Rak gar: | वैश्वानराम। कत्रा जातमद्नोम कविर दर र्‌

समाजमतिथायिम जनारेहनाम | आसन्नपा। चा

BAA! याद३९३। तादटाधरदवा९५६ः॥ Re

8T UT ₹९ 2 7 दोवाद। afer rem) वादेश्रर। ति Ret RT श्र

म्यथिव्याः। Tee | शर्या वैश्वानराम wera २०४४४.

जातमघ्नोम। दृोदयार। Teal weet जा

pata | यिच्छनानाम दरदोदयारे। Feat आसन्नः

९९४५. र्र्‌ पा। जादेव्नन यन्तदेवाः। टृ ादया९। KR aS uz द्‌ २६१९९९१

gyrate | १२३४५ ४० ९७

waa (र) ‘ara’ पातारं CHa यदा, Wea धारकम्‌ I

ीणणगणणरणणिणणगणणरणणणषगिणणीणथिषणयिीी

LIl केखानमरसयेभे |

(q)—warfe रेतरयादो श्र "यत “खग्ना वे शवाः-दत्यादिः। @ दूति प्रामे अय-नामे दितोयस्यादः प्रपाठकः॥

अम ख०,दटौक०] wena | २०७ | अथ षो | शख रद वि त्वदापो पवेतस्य पुष्ठा- Rx दुकूथेभिरग्रे जनयन्त SAT: | | CR ९९ तं at गिरः सुष्ट नयो वाजय- र्रर न्याजि न्न गिवंवाद्ो जिग्युरश्चाः ९८ एवं qe-fafae ॒वेश्वानराग्नि ‘a,’ अस्माकं सम्बन्धिनि यत्ते Sar स्तोतारऋ्छत्िजः ©) टेवाएव वा ‘sn जनयन्तः यश्चाभि- सुष्येनाजनयन्‌ अरण्योः सकाशाद्‌ उदपादयन्‌ ५॥ ६७

छे ‘ae! त्वत्‌" (५) त्वत्‌-सकाशात्‌ उक्थेभिः" (९) उक ware: यन्न हंविर्भिंख (र) "देवाः" स्तोतारः कामान्‌ भानः ‘ware विविधं जनयन्ति। aa दृष्टाम्ः--पवतस्य'

मेघस्य (*) ‘corey उपरि भागात्‌ “श्रापो म(*) रापः उदकानि

९८ नास्तौयसुश्राचिं के ४० (®) खुनिमन खौतारः निलोपि रेवा, eam | (१ पश्चम्यादड GH ०,१,२९ | (₹)--भिखरेखादेशो ९,१,१० | (₹)--उकव-अम्दः खोज रय रूढः, यज्नादायौपचारिकः | (४}-नि०६,१०.९। | (५)- न-्ब्दः उपरिषादुपमाथो बः नि ०९,२,९ |

८4.

०८ सामवेदसश्िता। [मप्र ०रयश्र०

| le wt oe fT au) वित्वत्‌। Bree आपोनपवेतसख g RUT R UST! उक्थेभिरग्रेजनयन्तदारेषहदवाः। त॑तवागिरः

दर सुष्टतयोवाजयारेहन्तो। आजिन्नगाद्वेवारेदारेः। जाये १, ur ९१९ ११११९

~ २३४५. Bl ग्युर्सा ३४ अदावा। अश्वा^३४५; ॥१॥

| i , ४५ रर 72 Ther ययाददिवोदाद। वित्वत्‌। आपो नपवं ९८४ TAGS! डा TNT दिवोशाद्‌ HATE! भिरा प्रजन यन्तदेवाः। Wl यया दिवो wl तं ।। : FR ४४ Re गिराः। सुष्टतयः। वाजयन्तो HT VATE! Rut दिवोद्ाई। SISA नगाद्रववारेश्ाडः। जाये३। ut र्‌ RF १९९५४

गयुर्रार्ट्छ्ोोवा अश्वार४५:॥

यधा, तदत्‌ अपिच, हे “गिवेवाः' गोभिः स्तति-रूपाभिः

1.11 अरनयोरभिधानमाश्वम्‌ रत वा

CNG, 9N Bo] wsenea २०९ अथ सप्तमो | वामदेवोत्रूते | कः. 2. Xx ९२९ VLU Bl वोराजानमध्वरस्य रुद्र

RRR ९२

Waite सत्ययजं रोदस्योः,

२९६१९२९ BR ९२९

अरिं पुरा तनयिन्नोरचिन्ना-

९९ VLR

हिरण्यङ्पमवसे AYA ६८ थाभ्भिवेहनोयागने ! भरदाजाः' ( स्तोतारः ‘a’ प्रसिह' “ay त्वां “वाजयन्ति' बलिनं (°) कुवं fai यहा, बवाजमव्र (*) मिच्छन्ति श्रपिच, लां सुष्टुतयः शोभन-स्तति-रूपाः गिरः वाचः नजिग्यःः जयन्ति वशोकुवन्ति। ततर टष्टान्ः- + 4 >

अश्वाः वादाः “आजिनब्र dara यथा win जयन्ति तहदित्यथेः ¦ ee

६८ नास्तीयमुत्तराचि"कं | ४१ (₹)-खद्यामरदाजष््टलात्‌ | (0) -मि०९,८,३ (८) -नि ०२,०.२। अक,

os

SQ

२१० सामवैदसहिता। [शमप्र०, 2a To

ec ४र दर BR ® oes 3x 1 श्रावोराजा। न॑मध्व। ` खोता TH स। त्ययजादम्‌। रोदसोयोः। Wig रा

२९ ९२.९४ R लनयि। त्रोरचिन्ात्‌। fT! Sl पाद्मव। सा

३४३द्‌। कादणुभध्ना ९५६्‌म्‌ २॥ ९९

हे ऋति म्यजमानाः ! “nace awe “राजानम्‌' चधि- पतिं “होतार देवानामाद्ातारं ‘ee’ (५) रोरूयमारं द्वन्त, शतून्‌ रोदयन्तं वा। यदा, “एषा वा घोरातनुयेहुदरशति रद्रामकम्‌। "रोदस्योः" वावा-एधिव्योः (र) “सत्ययल' सत्य- स्याब्रस्य (२) दातारम्‌। यहा सत्ययजं सत्येन हदिषा (*)

1 वामदेव्य Ue at |

(९)-खद्र इति निषण्टोख तोय-काष्कीय-तृतीथ -खष्डद्छ तुतीयं पदम्‌ “श्रो सतीति, खतो रोरूयमाणा त्रवतीति वा, Gears, यदरदन्‌ दख्छ॒सुग्रलभिति काठकम, यदरोदौक्तद्र द्र्य «xafata शारिग्रयिकभ"-दति Tews २०,१,६ “इद्र रोदनखभावकरम्‌। पाथिवोग्निः sehr awn करोति, मेख तोपि गजित-खक्शम्‌, ayat oe @ | अतोऽसो रोदन-क्रिया-योगात्‌ we saa दति fa |

(र)--नि०६,२०,४। 'दखावा-एयिवो-प्रदरु्चाज VENTS सवरेवामां यद्धारमः -tfa fae | ,

(र)-- नि ०९,७,२४। (४)- विलं weary mare: |

अमसख०, caw] छन्दभ्राचिकः। २११ अथाहमो | वसिष्टच्छषिः |

RW . ९२ RWW WT गन्धे राजा सम्येनमोभिः FR CR Bee ९२ यस्य प्रनोकमाड्नं घतेन |

१९९६९

नरोदव्येभिरीडते सबाध श्र WTR UR

अथिरग्रमुषसामश्रोचि ७०

देवान्‌ यलजन्तम्‌ यदा, सत्यस्यानन्द-लक्षशस्य संङ्मयितारं रोदस्योव्यौप्य वर्तमानम्‌ “हिरण्य-रूपं" सुवर्म-प्रभम्‌ णवं विधम्‌ “afer” "वः गुभाकम्‌ “श्रवसे रक्षणाय (तमयित्रः' aafaqeata: (*) सद्ाकस्मिकः, तत्‌ weme अचित्तात्‌" विच्यते चित्तं यस्िन्‌ तदचित्तम्‌, (चित्नोपलक्तित-सर्वन्द्रियोप- सष्टारो मरणमिति यावत्‌) तस्माख्मरणात्‌ ‘go’ प्रागेव “आ awe” यूयं समन्तादविभिरग्निं भजध्वम्‌ lho I ६८

Oo नास्तौयमु्तरा्धिंके | ४२

(४)-खमयिबरमघ-वाचकः प्रसिद्धः सच्छब्द-परोऽभमि-परद्ौपथारिकल्‌ यः | तथा विवरश-मये “शचिकात्‌' खखेतनात्‌ तनयिक्ोः मजित-लचलाच्छब्दात्‌ पुरा" were ferred’ वेदय बाकानमग्निम्‌-दत्याखथेः |

२१२ सामबेदसंहिता। [शमप्र०,२य श्र

रे Xt द्‌ ङ्‌ BT AUT ४४ `, 2.,५ 1 दन्धादे९२३४द्‌ | UTSRTSETS | राजासमयान | & 8 ४. WX मोमीरोमोः। ओमोः। यद्या३१२३४। Ws Ws BUT WT SIS प्रमोकमोषतङ्खः। तादनाश्नादना। आदना। र्‌ ct < sc इर & नरा ३९१९३४:। दाउचाउदाउ | व्येभिरोडतेस बाधा RT Lo द्‌ ब्‌ बाधाः। बाधाः। आग्मा३१२३४द्‌। दाउचाउष्ाउ। ९९२९९१९

अग्यमुषसाररमशाउ। वा३े। चो३४५॥ ४॥

2,2 Sree दोरोर। Shere नतकी -'

` नादमो्भोरः। ओभोर्‌ः। A यस्यप्रतिकमोडव FTN २। आदूनारे। आदना९। नरोशव्येभि

< t

x रोडतेसारवाधारेः। बाधारः। बाधारः। दोरोर।

tt रर्‌ ,

Sac! आग्रिरयमसुषसार्दमशाउ। वार। चो १९९९

२२४५॥ ५॥ ७०

117 इभे वेश्वज्यो तिषे |

ज्मख०,<मो्०] कन्द्ञ्राचिषकः। २१३ अथ नवमो रिभिरास्त्वाष्ऋषिः | ह्‌ ९१ RUT प्र कतुना TWAT या्यि रद Rt रा रोदसी वृषभोरोरवोनि

‘cr’ दोषः (°) “श्रथः arnt (९) हविषां पेरकोवा अग्निः" नमोभिः स्ततिभिः ae समिन्धे समिध्यते। "स्यः wa: प्रतीकं" रूपं (९) ‘gaa area’ भवति। "नरः" अस्मटोयाः "सबाधः" dfwer: सक््नात-वाधाः(*) “हव्येभिः' wal: साम्‌ डते स्त॒वन्ति। "सः" अग्नि “उषसाम्‌ श्रग्रम्‌' श्रा अभोचिः Stara ॥७०

अग्निः ‘away केतुना" प्रन्नानेन (९) ge सन्‌ श्रा इदान ‘trea’ द्यावाण्धिव्यौ श्रयातिः प्रकर्षेण गच्छरति।

(९)--यञ्चपि राजति राजतोत्येखय्यकम शो रूपम्‌ (नि०२,२१,४) भवितुं यक्त, परमिदो्रमोश्चर-वाचकापराय्य-म्द-व ARTA प्रसिद्धैव Ques |

(२)-नि०२,२९,९। खामिनः प्रेरकत्व' सम्भवत्येव |

(९)-श्रतीक, नाम सच वाः-दसि fire |

(४)--खबाथः ऋलिजः-इति वि०। य्न चेतत Ae निषष्ट-ततीया्टादब्-

पञ्चम-पद लात्‌ |

(१) -जि०९,९,२

२१४ सामवेदसंहिता | [शमप्र० २ेयश्र०

९२ RUT रर

दिवश्चिदन्तादुपमासुदान ट२ ९६९२ ९२९ SATA ASAT < ७९ RTL « 1 प्रकतुना | ब्ताया। तियघ्रादः दोददोवादेदोद्‌ ररर Ff ९९२

BUSA | TNA रवोताद react दिवश्चिदा | तादुपमाम उदानाय दोददोगाररोद

रर्‌ अपामुा खेमददिषो। aati शट्‌ दोवादा२१७।

१९६९९९१

qa) Sal दिवार३४५म्‌

fry, देवानामाद्वान-काले षभः” (र) xa “रोरवौतिः अत्यथं we करोति "दिवित्‌ अरन्तरिक्ष-लोकस्यापि अन्तात्‌ पथन्तात्‌ उपमाम्‌ ( उपभेत्यन्तिक-नाम २) fea समोपम्‌ उदानट' उदश्रते उ्वलनामनादित्यामनावखितः सन्‌ AE

७१ नास्तौयसुन्तराचि के ४२

(द)-'षभः वभिता- ईति fae | (४)--मि ०२,९६,९९ |

SN Bo, १०्मोऋ०] = wearer a २१५

qq zwar वसिष्ठचऋ्छषिः। भनि नरोदोधितिभिररण्यो

९९२९

Ty

11 दा। Wratrara | प्रारश््के | तना। Te ^

Rad

MAM: | चा। दाओओदोद्र। Tee) दसाट्‌

९९२ ९९४५४

THe | रोरवोति। RTL दाओदोद्‌ दीरेदध्वाः |

, ~ By

चिदा। तादद्प। मामुदानर्‌। etl ware

R . २४५

Resa | उपा। खेरमदि। पोवव्वा दा चा १९१९९१९९

अदो | वार्द्रीदोवा। Vel दिवार३४५म्‌ ॥०॥७१

ब्याप्तोति। भअय्रोतेव्यत्ययेन ware! तिपोहल्ड्यादि-

लोपः ‘sa? दष्िलक्षणानामुदकानाम्‌ ‘ore’ उपस्थाने

श्रन्तरि्े (°) वेद्यताकना महिषः, महान्‌ "ववै" वैते ॥८॥७१

I, ll इमे यामे, इन्द्रस्य

(४) -“आापरपगम्ध यत॒ तिष्ठन्ति, तदपामुपस्मन्तरिचम्‌, तसित्नित्य्ः-- ति Fae |

YT दाउष्ाउद्धाउ

२१६ सामबेदसहिता | [१मप्र०, २यश्र°

९. R ₹स्तथ्युतं जनयत प्रशस्तम्‌ ९२ ९९१२ STEN गरपतिमथव्युम्‌ १० ७४ ध्र Rt ९९ ओ, (आघ्नोम्‌। नराः। नराः। AT | ४५४ र्‌ 2 दोरधिति। भिररण्योः। ATS RTS TS | STRAT! युताम्‌ ^~ ₹२ २९९१ २९४ x x x च्यूताम्‌। च्यूताम्‌। जनय। तप्रशस्तम्‌। ATSRTSETS | ४४ ९९ ९९ ९९ २९६४५ SUE | दशाम्‌ दशाम्‌ ENT TET तिमथब्युम्‌

$ § $ हे १९१९९

खाउच्ाउद्दाउ। वा। ई९२४५॥

(नरः नेतारकऋ तिजः cn प्रकषण wa ‘gt ew’ दूरे दश्यमानं दूरे पश्यन्तं वा “गणपतिं werat पालकम्‌ “अथव्यु ( श्रर्वतिगेत्यधेः \ ) अ्रगमम्‌ अ्रतनवन्तवा ‘wera’ हस्तेन गतम्‌ हस्तेन जातम्‌, WT विद्यमानम vita: 'दौधितिभिः

OP SATA कस्य ६,१,१०,१।

# यदुक्तं पुरलात्‌ सप्तमख ढ-भाष्यरशमे (खभ्नित्ररोविरार' cfa तदि सात्‌ FER प्रमाशोकाय्यम्‌

| (९) -अथयेति-दति गति-कमसु मि०९,९४,९०। quatata Han are ४,२,५६। SHAT यकार-वकाराककः पराठ-भदः।

OF Jo, ? ° मो | छन्देश्राचिकः १.ॐ

@ २९ RR ' ५. Il दाउशाउदाउ। WMA! नराः। दोरधिति।ः, ˆ : RF Re UE र्‌ <x e ACC! Wl Gl शाउडाउाउ | शासा | ९९४ 8 STA) जनय तप्रशस्तम्‌। स्तम्‌। स्तम्‌ x< खाउष्ाउद्याउ। FUT! EAR DEI! May 1 $ 8 व्यूम्‌। BA हाउहाउदाउ। वा। दै १५१९९ t+ २३४५ Il <॥ ७२

इति दितोय-द्‌ शति i

धूलिभिः(२) ‘ara’ जनयन्ति [sta यास्कः-(र)““दौधितयो-

1.11 अनयोवसिढः प्रजापतिर्वा ऋषिः, राशिमरायं, मरायराशिनं वा स्फान्तिक्गरणं वा श्यावनंवा adefea at Cae वा नाम।

(र)-श्दोचितयः'-इति नि ०२५८ |

(र२)-याख-तेल सिम्‌ मन्त्र Snape’, ‘weredt, “अथय -दति we: पाठ. भेदाः परिखष्यन्ते। किञ्च अथय मिति नामेन याश्छातम्‌। याश्छासभेतदु रेवराज- COT, ATA, “अतेः aifa-afa-afa-cfrat खयि निषौति aware

REAR,

२१८ सामवेदसंहिता [शमप्र०, रेयश्रर

छःलयो-भवन्ति, धीयन्ते कञचख्रलो प्रत्यतराने भ्रम्निः समरला- वलायत इति वा, इस्तश्युतो हइस्त-प्रशयुत्या जनयन्त प्रयस्तं दूरे SUA रटष्टपतिमत नवन्तम्‌ (५,२,११)"-दइति १० HOR

विरचिते माधो J ~ ~ | दति सावराचाय्य- AWAY सामबेदाथप्रकाडे STAT RTA: प्रथमखाध्यायद्य CHAST:

4 ~ ^^ ५५०५५००५ ५००५१ *५*०*०*.****०*.*५*न*..*.*५.५.*.५.^०~.*५**००५*०५.५.५.*०.-...०.*.०..०.*.५.०.*.०.००.०.०.०.१.*१..*..००.*०.*.०..०...*.

रधं अटभ-खण्डे--

TART |

, बधञ्च गविटिरख erat

YR RR २२९ LVR

/n ATA: समिधा HATTA > ९९६१९ BR VBL R

परति धेनुमिवायलोमुषासम्‌

R ९९२ BRR १६२ रे

TST इव प्र AAS ETAT:

₹२ ९२ =. % a प्र भानवः सखते नाकमच्छ 08

© ७३ TATRA ८,२,१३०१ | धस्‌ -परत्ययो धातोः खथरादेश, रकार इत्संञ्कः अतनं गममं Wem wa) मन्थी यख लुक्‌, ममनवनामित्यध : |

~

SHY, eat we] | wie a २१९

चद्‌ र्र Ye 1 अबोधिमा | ्राटःसमिधा | जनारनाम्‌ aris 7, ;

Le

Cw Son AA इवायतोमुषासम्‌। «Beka | RAT रेर श्र ९२९९१६२

ञ्जिदानाः। प्रभानार्दवाः। ससृतेनाकमङ्क Tz र्‌

भा२४३। BWV | डा ॥१०॥ OB

श्रयम्‌ श्रम्निः' जनानाम्‌ अध्वयुदौनां समिधा'(९) समिधि “अबोधि' wath Safa’ श्रम्निहोजराघ धेत प्रति यथा ्रातबृध्यते तदद्‌ -आयतौम्‌' seat “उषासम्‌ (र) प्रति उषः काले Tae) रथ प्रबुदख्वाग्नेः “भानवः' रश्मयोञ्वालाः ‘am: महान्तः (९ वयां (*) शाखां प्रोजलिहानाः प्रोद्मयन्तोहच्चाद्व। यद्भामहान्तः प्रोखिषहानाः खाधिष्ठानं

I श्येनः प्रजापतिर्वा ऋषिः, श्येतं वा ययनं वा शायनं वा दौघौयुष्यं वा नाम।

(१)--.सनिग्धनेन'-दति Faro | (3)— "ar ष-पूवेसम निगमे (९१५,९)-इति Gat अनख्मरुदतिमते तेनेव दीष (९)--"पञ्चिकः१-दत्यधिकोभावाथेः परिटश्ते विवर ख-्रन्ं |

(४)- वर्यां, दितौ कवच्नमिदं पञ्चम्येकवयगसख खाने FUME; बयायाः- इत्यथेः-दति वि |

॥,

२२० सामवेदसंहिताः। «= _- [Ra Wo, RA Te अथ दितोया वतृसप्रिक्छषिः | २११९ १. प्र भूजयन्तं मदां विपोधां ह्र रेट RRR १२१ मरेरमूरं पुरान्दर्माणम | ९२ Bw श्र रश्र RW नयम्तङ्गोभिवनां धिय धां

र्द रेष

SCRA वर्मणा WAAR NAN ७४

तल्जन्तोभानवः नाकम्‌ अन्तरिक्षम्‌ (५) ‘we’ आआभिसुख्येन शप्र सस्रते" प्रसरन्ति "“सुखते"-“सिखतेः"-इति पाठौ en

हे स्तोतः ! त्म्‌ (जयन्तम्‌'(\) अरसुर-सेनानां जेतारं माः

७४ नास्तोयमुत्तराचिके | ४४

(४)-“नाकं सुलोकम्‌'-ईति वि०। arafufa fawet ferwrfere साथा- रखश-नामचु तोयम्‌ | “मृव्यायु-खयानः इति नैदह्नाटम-ाखनाद्‌ WATT Tash ख-सोक-परः सुभम्‌, अन्तरोच-परण्‌ रच्छ -रम्यम्‌

(१)--श्रत्यवं जयन्तमित्यनेन cater, मूः प्रथजेकवचममिदम्‌ fetta

अनस्य Wa द्रष्टयस्‌, भवं श्थिरोकं अगाम्‌, मूर परदद्मनायेम्‌ ata शोकान्‌ srang’-tfar fe |

© Cage, 2g wel = wearin: | २२९१

४४२४५ टे XRT UT RT AT

1 प्रभूजयन्ताम्‌। महादेथद०कपोधाम्‌। मूरेरमूर पुरां `

RR देर र्‌ TBAT दर्मम्‌ | नयार४२न्तङ्गोर्भिः। वनारेशधियन्धाः |

९१६९१९९१

SCA ATHUTE | दाउवा | warawfess yy ॥१९॥७४

महान्तं "विपोर्धाः (र) मेधाविनः (₹) walt ‘ae: मृटेरधि- हितानां परां शरौराशां ‘cate’ आदरेण र्तकम्‌ मू रम्‌ असूढमग्नि' “प्रभूः स्तोतु' प्रभव समर्घोभव गोभिः" स्ततिभिः “वनाः वननोयं सम्भजमोयं (नयन्त धनानि प्राप- यन्तं aaa कवच-स्थानोय-ज्वालयोपेतं “हरिग्मखं नः (५) हरित-वर-केशमयमिव “धनि” धार्यमाणं क्रियमाणं स्तोत्र यस्य तम्‌, प्रोशनकर-स्तोज्रं वा अ्रग्निसुदिश्य ‘fra’ परिचरण wi कर्म ‘ur विधेहि

"मरे." "मूरा "इति पाठौ॥ “नयन्तं गोर्भि्वना frat efter] न॒ वमेणा धनर्चिम्‌”-इति छन्दोगा, नयन्तोगभं वनां धियं धुेरि्सत्र नार्वाणं धनश्च॑म्‌”-इति

बदह्वाः ॥२॥७४

I पोषम |

(२)-बेपदति waaay (Faro 2, t, ९) तस्येदमादि-खत्भ, स-कलसंशः इविवद््‌ नादेषारयितारमः- इति वि०।

(३)-जिपदति निषदटो मेधावि-गामनु चतुदे्तमम |

(४)--इरिवुम्‌, अभु स््ामौय-इरित-वज-ग्वारा-समेतम्‌ शब्दः पाद्‌-पुररे दति Fao quate: |

२२२ सामवेदसंहिता | [१मप्र०, 2a Wo

wy दतोषा |

भरदाजक्षिः।

RF ९१९१९ Bree

TWA ते अन्यद्यजतं ते अन्यद्‌

रर १९२

विषु So अद्नो द्योरिवासि |

RFR RUE RU

feat fe माया अवसि खधावन्‌ २२ ९२१

भद्रा ते पूषन्नि रातिरस्तु २॥ ७५

ङे “पूषन्‌” ! a तव “शक्र शूक्तवणं म्‌ Ta एकमष्हभेवति बासरामकम्‌, तथा a तव सम्बन्धि यजतं [यजिरर सङ्गति करणे (९) ada] जनोयं प्रकाशेन सक्तमनौयं खतः we वशेम्‌ wary एकमहभंवति ware) इत्थं "विषु रूपे शक्त-छष्णतया नानारूपं “श्रमो तव महिना निष्यद्यते | यदा हे पूषन्‌ ! तदौयमन्यटूपं ‘ga निमंलं दिवसस्योत्या- दकम्‌, त्दरौयमन्यदेकं रूपं यजत" केवलं यजनोयं प्रकाशकं गाव्रेरूत्मादकम्‌। अतएव ‘fay ea’ विषम-रूपे हनो अष Ufa भवतः। अरोराश्रयोनिर्माे सृञचएव act

७५ नास्तोयसुसराचिके | ४५

(९)-- "वज, दवपरभा-सद्तिकरर-दानेष्‌'-दति wo उभक्पदिष्‌ |

FR Mo, रेया Wo] छन्दग्राचिकः। २२३

8 9 8 रर 1 भुर PARA विषुरूपे ae | अचनिसौ इवा्रसो। वादृश्रादहिमायाञ्रवसाद्‌ | AT . Ry Rey

खधारवान्‌। भद्राते। पू। were रानिरस्‌

तिराधसतुद्ाउवा १२॥ ७१

कथमस्य प्रसक्िरिति ? तत्राह, “योरिवासि' यघा arate: प्रकाशयिता तथा प्रकाशकीऽसि। कुतः? इत्यतग्राह,.- हे खधावन्‌ ray! (°) पुषन्‌ ! “विश्वा” सर्व्वाः ara: wm: fe यस्मात्‌ कारणाद्‌ श्रवसि' cafe, अतः कारणात्‌ लवं aay ष्व भवसौोत्यधंः तादृशस्व ‘A’ तव wer कल्याण "रातिः" दानम्‌ शह ware ‘re’ भवतु(९) | यास्कखूषार- “शक्रं तेऽन्यन्नोहितं तेऽन्ययजतं तेऽन्यद्यञ्नियं तेन्यहिषमङूपे ति wet are दोरिव चासि सर्व्वाशि प्रन्नानान्धवस्यन्रब्रवम्‌ (१२,२,६)" दूति a

“खधावन्‌"-“खधावः”(*) इति पाठौ

I क्रम्‌ |

(र२)-खधेत्यत्र-नामच्ु विंशतितमम्‌ (fate 2, ©, २०) |

(द)- धि ‘a खन्यत्‌"-दति पाठः, भ्रत्यागःपादमब्परे (६, ९, ११४)-द१ति शाधनोयः | aed} सु सब्बो बन्दसि (८, द, ९) .त्यादिमा सिद्धम्‌ |

Vb

२२४ सामवेदसंहिता | [ta Wo, रय Wo अथ चलुधों | विश्वामिवच्छषिः |

रे me ९९ RR द्डामप्रं पुरूदधसर सनि गोः रर ९्द्‌ शद्‌

श्र्चत्तमध खवमानाय साधः। श्ट KE रे रेख स्यान्नः समु सनयो विजावा Rk ९६२९

TM मे TAA AG oF Wie

1 दूडामग्राद्‌ | पुरुद्‌ा३ सपनो | PEA

ut R ष्ट माना। यसार२४४ा। स्यान्नसृनुस्तनयः। विनाऽ्वार | RX ४र

आग्रसाताई्‌। सुमा३४२। तोरः। भृतुषाउवा। स्मा

९११९

` २२४५६ १३ ७६

=e ‘sa ! पुरुदं सस' [ "दसः वेषः-- दति ( नि १२,१,३) क्म-नामसु पठितत्ताहसः-शब्दः कश्-वाचौ ] gefa बहनि

७६ नास्तोयमु्तरा्चिंके ४६ 1 aera |

न्ञजस्त०, ual we] |= eeafaal २२५

qu पञ्चमो; वक्प्रिक्रषिः# | Ka RX 2 २९ २९८ प्र शाता जाता महान्नभाविन्‌ Rw’ Rt २१८२ TIM सीदद्पां विवन्त t दं सांसि कब्मंशि यस्याः सा, तां बह-कर्म्माणं “गोः सनिं (\) गवादि-पशूनां सम्पादयित्रीं ‘cere’ (९) एतव्रामिकां गो -रूपां देवतां शशश्व्तमं' निरन्तरं “हवमानाय' यजमानाय aw साधः साधय | किञ्च "नः" अस्माकं सुगु" पुतः तनयः" पोः “सख्यात्‌ भवतु- दति a’ तव या शुमतिः' शोभना बुद्दिः सा "विजावा(र) अवन्ध्या सतो “श्रस्म '(*) अस्माकं भूतु") भवतु ७६ ‘a: afta, पाम्‌" [ भ्रन्तरिक्ष-नामेतत्‌ ( fat १,२.८) ]

* ‘aaah -इति fao पाठः!

(१)-“कन्दसि वम-सन-रश्िमथामस्‌ (8,2,%0)"-<fa इनि रूपम "वरदाने, . लस्य बकलवान्नामडपलश्चते; सनिं लाभं गोः-षति Fao |

(९) डामच्चमिति (far 2,9, १६) वि०। मकौडग्ममन्नम्‌ ? पुरर रुखजिति fac, waanwafa—wo नावश्च खस्य देरोत्यपिवि°

(₹)--विजाबेति तमय-विष्टषखमिति बि०-मतम | Tawa Ste पबा उथ्थले--“विजावाः विविधं जनयिता qarera, waa प्रकारक बंश्रस्याविष्छेद्‌ wrarea’-«fa fae

(४) पां TE जित्यादिना (0,t,R¢) विभक्तेः wand, “गेग्डन्दसि बर्‌ (९,१५००) दति सिद्धम्‌ |

(४)-विकराभावादिकं सवः > ङङकात्‌ (2,4,0%) |

२९क,

7

२२६ सामधषेदसंहिता। [१मप्र०रेयअ.

२९२ VV Ve रर

SNe धायीः सुते वयांसि

शश्र रर RT २९९

यन्ता वसूनि विधे तनूपाः ५॥ ७७ अन्तरिक्षस्य ‘ferry’ (\)विवत्तंनउसङ्ग वेद्यत-रूपे निषसोऽ- aq, सद्दा होताः यजमानानां होम-निष्यादकोजातः mga: wer, गुखः पुज्यः। “नभोवित्‌' wafers श्राता यतस्त त्रोत्पन्रः TANS TAT waa’ कषु सौदन्‌ [wea fara, नित्खरः (६,१,११७) ] श्रसोदत्‌' Fait प्रसोदति। “अपा- Ae मदिषा अणभ्‌णत'-दति हि निगमः(९) यदा, अपा- मयसाभित्यघः, कब्चणासुपस्य (१) उपस्थाने समौपे बेद्यासुक्ष- लक्षशः सन्‌ अधवा, way उदका नां(* fare मध्ये योऽ- भ्मि्ेविर्वोदुमसहमानो निगूढः सन 24: पुनः प्रार्थितः, उक्षविधः सन्‌ वेद्यां प्रसोदतिः सोऽग्निः (दधत्‌ eaifa धारयन्‌ सुधायो'(*) वेद्यां निदितोऽभूत्‌ हे स्तोतः। सोऽग्निः

© प्रतोखमुद्धितपुस्तके, भाव्ये धायि'-दति इखान्तपाठः।

७७ नास्तीयसु्षराचिं के ४७

(९) खाप यज विविध ama Pout fart: खकारिचलोकः- इति fare | (र२)-जेरहन-स्नमा्यायोय-सक्नमपादस्य सृतीये wa रतदिरेषो द्रवः | (द)--अपः-दति fato २,१,९ कञ-मामसु |

(४)-खापः-टति Foto ९,१२,५१ ठदक-नामसु |

(Wrage card पाढोमम्त्र | सज "म्द सि परोऽपि (१,४,८१)' इति भासन

प्मख०, भमो wel] छन्दश्रा्चिकः। २२७

BTU दर ९१२ र्‌ 1 प्रहोताजाताः। मददान्नभोविनरुषद्मारदसोदात्‌ ।7., 2 , - © र्र्‌ अपांविवन्तौदर | दधद्योरेदधा याद्‌ सुतेवयारसि- रे LTT यन्ताउ। वा। वासुनिविध tl तार। यारेदेश्ओओदोवा | ङ्‌ ११११९९१ तन्‌ पा र३४५; ॥१४॥

avatar र्शर रद t II THT | उद्वा माहा रेन्नाभोर 7) :

< ot e | वादृन्गषद्यासोददपांविवारेर्नद | weet इदा

विधते परिचरते ते' तुभ्यं "वर्यासि' श्रब्रानि ५) 'वसनि' धना- faa वन्ता नियमयिता wags किच, तनूपाः, (तन्वः"(९) पाता भवलितिशेषः

“FART” “AUST xfer पाटो “दधद्यो धायो सुते" इति छन्दोगाः, “द्धियो धायो सनते"-दति बह्नचा॥ ५॥ ७७

111 इमे काश्वपे | षात्‌ qe cet स्वापनं शकव-परम्‌ वि ०-सते तु “वायो' घारयिता इविबेश- नादि-कमंख.-इत्येकं दरमप्मि-चिभरेषशम्‌, सुते इत्येकं पदमभिषमे-दति तदथेः। पद्‌- कारलत “धाय, “तुते -दत्येवमेव fre द्‌ | (४)--बधः-दति नि० 2,0,¢ | | (१)-“तन्बादोनां छन्दसि बङकम्‌'-इति wee (६,४,८९) |

AAS araaedfeat | |= [tA Wo, 2a He Gy al!

वसिष्ठऋषिः।

९२ BUR

प्र सम्प्राजमसुरस्य प्रशस्त

९९९९९ ९२ पुप्सः छष्टोनाममु ATT | १९ ९२९९२ we १९ THAI प्र तवसस्कंतानि

FREI वन्दमाना faa ७८

Re as र्‌ STA RATS | ALTA वयाटसियन्तावसुरेरनो।

ददं SAT TAT! विधतायेे। तनृर्पारेशश्यौोवा | Gt ९९५११९१ विकते २२४५ ॥१५॥७७

“शरसुरस्य' बलवतः(*) Gay वौरस्य [पस्यमिति वयं मुच्यते(९) तथाच यास्कः “पुमान्‌ पुरुमना भवति पुंसतेवति] कष्टौनां

इद्र नास्सोयसुत्तरा्चिंके। ४८

(१)-श्राकवतः-इति वचि०। “खपुरिति प्राशूमाम" इति H08,8,¢ तेज AGH असुरः WATT रकाथेता प्रायः प्रसिद्धा | (₹)-पौखाजि-दति fate २,९१९९। `

cH Wo, est we] छन्दश्राधिंकः। २२८

२, ४५४ 1 FARIA | WIT | स्याप्रशस्ताम्‌। पसः? 2 र्‌ ४४

HSE नादेमनु। मादियस्या ई्रस्येवा३४रप्तव |

९२४ RUT ATU रेरर ; ut Well वन्ददाराबन्दमाना | विवाम४ STRAT |

वोरेश्ट्शाः १६ ७८

जनानाम्‌ रमु मा्यस्य' Were तवसः(९) बलवतः शरद्रस्येव'(२) aera: प्रशस्तम्‌ (*) उत्क्रष्टं समाजं सम्यग्राजमानं खरूपं wets |) तथा ‘aera’ (") वन्दनं ae: सतिः, agate ति-प्रसुखानि "वन्दमाना सव : waaratfa ‘ania’ कर्मासि प्र विवष्ट' प्रकषण कामयताम्‌ | प्रसम्प्राज्जमदरस्य प्रशस्तमः-इति छन्दोगाः ; प्रस- WA असुरस्य प्रशस्तिम्‌ -इ्ति aga) “वन्ददारा वन्दमानां विवष्टु”-इति दारं वन्दमानो विवक्मि

बति पाठी॥ ६॥७८

I छताचेराङ्किरसस्य साम |

(र)-सवः-दति भि ° ९,८,५ | पदमेतत्‌ “इम्दख-दत्यख्व विष्टेवकस्‌ |

(र)--.यथा wae रतानि दटव-वथदोनि waiie कश्चिद्‌ वदति, तददग्ररपि हतानि ante रविवेडमादौनि श्र वदत" sade सोति ईनि fre |

(४)--विवरक-शकतेऽसों दितौया ere, मथाचेदमपि पद जिन्दर-बभरेषणशम्‌ |

(५)-विवरब्-मते “बदद्वारा'-ष्ति पाठः। प्रत्यनेन वददित्यश्छ सम्बन्धः |

२१० सामषेदसंहिता। [ea te, RAW

अथ सङमो |

विश्वाभिक्रखषिः |

श्र LR

अरण्योमिंडितो जातवेदा

१२२९१ Xe ₹९९

गर्भद्वेत्सुभतो गभिणोभिः।

wed ९९८६९२९ दिवे दिबद्रयोजाग्रवह्धि-

HRT

शविकाद्धि HATCH: ito ti ७९

२.6, 1 शरणाः | निजाः ग। निारशद्मोः। fear cab irarvareadt

"जातवेदाः सवं-विषय-ज्नानवान्‌ “श्रयम्‌ afr: “श्ररख्योनिं fea दर्यज्ञाये नितरां खापितः। तज हृष्टान्तः-- "गभः इव -

Od नास्तोयमुत्तराचिंके ve 1 भरदाजस्य, प्रासाम्‌ |

तथाच, THEY प्रकर्षे खलोति स्वारा art बरकोयं (वन्दमाना वन्दमानं चन रि e ~ e ‘fare विविधं कामये-इत्यथः |

ES Bo, cal we | इन्द्रा्िकः। २३१ अथाहमो | areata: | oR शे सनादग्ने खणसि यातुधानान्‌ SO

२९ VR ९२ नत्वा रक्षारसि पृतनासु जिग्युः |

R ।। R 4 ut धर दार्‌ट्थ्वो। कादरेरशद्नोः। मनुष्येपमिरपनिः। efeare

STI दोपृद्‌। Throne

इति, यथा गर्भोगभिणौभिः सरोभिः Gua: ge waa तव्‌ | ताद शोऽभ्निः !हविषह्िः' सम्‌श्त-हविष्कः अतएव (जाग्यवन्धिः wate जागरूकः (मनुष्येभिः मनुष्यैरस्माभिः “दिवे दिवे प्रत्यहं स्तव्यम्‌ ‘ca: स्तति-रूपाभिर्गीभिः स्तोतव्यः(\)

सुग्डतोगभिंणोभिः"-इति, “चुधितोगर्मिणोषु"-इति पाठौ Wo oe

हे श्रम्ने' la ‘war चिरादेवारभ्य “यातुधानान्‌ कु-व्या- पारेण Jay HATS? क्रव्यादोमांस-भककान्‌ TTA ("eee

(१)- इड मन्त्र eee पाद्‌.पुरकाधेरवेति थाष्यातः।

(o)—xw किचित्‌ पाठोगदृग्ति ama, खखसोत्यारेर्यष्मानादग्येनात्‌। fae

२३२ सामवेदसंहिता [मप्र रयम.

१२ RL रे अनु द्र सड AUT कयादो

R

५९ माते रत्या मुक्षत टेग्यायाः॥ ८०

(a 1 अदा। वोरा वोरा सनाद | मसि

२,९२४ २९द्‌ Re यातुभानान्‌। नल्वारक्षा। सीरएत। नासुजिग्यः। Rt २१९२ VR ३४

र्‌ HATA | TUL रान्‌कयादाः | WT! वोरा

‘ew तेजसा walget किञ्च! तव सम्बन्धिनो Saran’

८० AMAA | ५०

~ अतव I अग्नेवश्वानरस्य , राक्षोघ्नम्‌

रशकारस्लसयेवं आाष्डामं तम्‌--हे wy” लं "करसि मारयसि “वातुषामाम्‌, रासन्‌ [ware प्रतिषेधो जिग्य cia सम्बन्धयितयः] ‘ar त्वां ‘cwife तमास" away (नि०२,११,९) “न fea? जयनतोत्यर्थः, सर्वदा खअपराखेता श्व, wat watfa—wyee’ | “स cra’ सह भताम्‌ मढान्‌ adie: | ‘ame’ कय HEM रफवकारयोन्कन्दमि THR कयूत्येतद्‌ भवति, तानि ये दन्ति ते कयादः, तान, मासस्य भग्ितृनित्यथः। किच्च ‘ar a “an: ₹ेतिर्वधः aq मांसम

‘aya अभच्यत दत्यथः ear: देवानां खभतायाः; सर्वदा देवैरन्वमामि- त्यथः"-द्ति।

CH yo, cat wo] ङन्दश्राचिकः। २३३ x तादा रष ९९ र्‌ NST | मा :। मुक्तत दा२४द६्‌ वोद्या धूया९५९॥ १८॥ ८० दति ठलोय-द शति i

देव्यात्‌ “Sar (*) “श्रायुघात्‌' ते बातुधानाः “मा सु्चत' Fat सा भूवन्‌ “कयादः”-“क्रव्यादः”-द्ति पाठौ = Go

इति चोसबशाचयाय्यं-विरखिते माधवोये सामवेदाथप्रकादे शन्टोग्धाष्डाने WANT ष्टम खण्डः &

००५०५७०० .५००..०..-* ene te er we * ** ** *५*५**न* ०५०५८००० ५*५.*०..००*०००..** ~न *५*-=**-*~** ~~~**** १० **

घोडशागुष्ट भोद्यग्नश्रोजिष्ठमिति खण्डयोः | सोमंराजाममिवेषा वेश्वदेवी ततः परा | स्त॒तिरङ्गिरसां शिष्टाः अागेग्यस्तं चतुदं (°) |

(₹)-देतिः--नि०९,२०,१। ऊनि-बुतोत्यादिना (९,९.८०) सिद्म्‌ |

(०)- खम्बो लिमाभरोत्यादि-नवेम-दशम-खष्डयोः TIA TWH, खजर षट-दतिं 6 uta faaza ~ षोडश we ofr) aa दगम-खष्ठारम्मक सोमंराजाममिति,. wer: जिश्ेदेवा देवताः, aceafea-aat रूतरेति, सा तु अङ्किरसां शतिः, तदितराः wares wife विग कः |

° क्क,

२१४ साभवेदसषिता। [rawe,7a te

Tq नवमे खण्ड -- सेयं प्रथमा |

गयविज्शेषिः |

१९९ ९९१६१ ९९१९२९१९ २९ अप्र ओजिष्ठमाभर दयुन्नमस्भ्यमश्निगो |

VR शश्र W VT २९१९ ९९ १२

प्रनो राये पनोयसे रत्सि वाजाय पन्थाम्‌ ८१

डे भर्ने “Mfrs (') बलबत्तमं ‘qe दोतते कटक-मुकु- टादि-रूपेख सर्व काशतेदति qa) धनम्‌ भरस्मभ्यम्‌ “पाभ आहर = “श्रभिगो ! अ्र्टत-गमन ! [अष्टतमप्रतिहतं गमनं यस्येति, wear अनिवारित गावोरष्मयोषस्येति वा, अध्िगुः(र), तस्य सम्बोधनं ₹े अध्रिगो] “पनौयसे' पनौयसा स्तोतव्येन “राये राया धनेन [सुपां सु शुगिति (०,१,३८) शे wea] ‘a? अस्मान्‌ प्रकषे योजय | 'वाजाय' अन्नस्य लाभाय “Taney”

८१ नाखीयसुत्तरार्चिं के ५९

(१)--खोजः-इति निषश्डो दितीय-गभमे weary sere पदम्‌ |

(२)-- खुम्‌ '-टति निषब्टो इिनौय-नबमे waaay व्ोदब्रतमम्‌। शसा- साख जनिजेत्यादिना खत-दोप्तावित्यश्ात्‌ गण TMT मकाराकादे निपात्यते

(२)-.अशटत-अन्दस्ातिभावः, जननं AY? xfer जिषद्ट,-भग्थिल्‌ रद्ि-नानसखकिं मो-षष्दः परिरूच्छयते, तथाददि-“गांयः'-दति fate १,४,९।

eng, एमा ०] छन्दश्राचिकः। २३२५ १९, रर २, 1 चआग्माश्रोरेदेछ्वा। अओजिष्ठारमा। भाराजओ्रोर्द४-.

र्‌ श्‌ वा। युखमख्भ्यमधिगोरे। WLI प्रानाश्रोरेर९वा। WUT ऽर्‌ | WRT दे रामेषनो PAI ओद | THAT ARAVA वाजायपन्धा CUAL

PVBYRH १८ il

श्र

र्‌ ९, | 94 Il ARTS) श्रोजि। छामार्भारा। शओररदोर२४7

शर 9 6 oe श्र re gaa भ्यामध्रीगा। ओदोर्दध्वा। प्रनोः CT र्‌ ९, १. रामे। पानोश्यासा। ओोरेर्वां रातयो सेवाजा ₹। यतेव iat = rt | ओआरेरेशवा | ५वर्शाद्‌ २० ८१ pas पन्वानम्‌ Tae, मनव्समोप-प्राति-खधनं मागं, ‘cfa’(*) वि- लिख कुवि त्वषः

“प्र नो रायै पनोयसे"-दइति छन्दोगाः; "प्र णो राया VGA xf awa १॥ ८२

1 इमे qe (Wee freed म्थादिः, दितो UTE THEE

२२६ सामवेदसंहिता [१मप्रण्रद Ho

| fr A, ~ >

¢ af

we faatar |

वामदेवऋषिः, भरदाजोवाहे स्यत्योवा

१२ VAS ६२ १९ रे यदि वोरो अनु ष्यादग्निमिन्धोत म्यः |

९२११२९२२

जुङढन्यमानुषक्‌ शक्रं भकीत देव्यम्‌ WER

रश्दर - a R a 3 शि 1 अदिवोरो अनब्यात्‌। ४रैद्४्या। आपि 8 र्‌ ., मिन्धोनमौ रोरेा३। चोरेरश्तियाः। आजर ; STA! व्यमारेनृरेदध्षाक्‌। WHA! खाद्‌ तदा ₹२ | ९१९९१९९१

WAT | वारश्रोरेदश्वा | ग्धा२२४५म्‌ २१॥

afe’ वदा ‘aw’ मनुष्यस्य Are?’ पुः “स्यात्‌ भवति, तदा सः ‘aa’ “अम्निमिन्धौतः श्राधानमादधौत gata किच्च | आगुषक्‌' अविच्छिन्नं यथा भवति तथा ‘wary’ “भा oR

८२ नास्तीयमुत्तरा्िं के | ५२ I बत्‌, श्राग्नेयम्‌ |

त्मख०, दया] कन्द्रा्िंकः। २२७

चथ water | इयोभरदाजचऋषिः | RUT ९९५९ र्ठ VW रर | त्वेषस्ते धूम ऋण्वति दिवि Aue श्रा ततः $2

R रेख रख Ree F BL

Fa fe ger त्वं छपा पावकं रोचसे २॥ ८३

are rei Wich ae aa I RAAT \ दिषिसंच्छुक्रारञ्ाताता (2

ufitqera जहोति। अपिच। ‘ea? देव-सम्बन्धि द्धे UE TS वा Weta’ भजेत सेवेतेत्यधे(५) २५

Sowa! ‘aw’ dee तेः तव (शक्रः शुक्गोनिर्मलः एभ्-वर्णोवा ‘wa: दिवि' अन्तरि श्रा ततः विस्तौणः “सन्‌ ऋष्ति' भधाना परिणतोगच्छति अपिच, रे पावक !'

नास्तोयसुत्तरा्चि © ८३ के ५२ I यामम्‌ (१)--'यदि' "मत्ये" श्यम्‌" area’ wages 'अआखङत्‌' खम्निस्‌ ‘catia’, तदि "गीर “सात्‌, कि Sal aay भ्षोत' रभेतेत्यथेः ; अन्विति पाद-प्रशः-- दति बि०-सम्मतोथः।

२२८ सामवेदसंहिता [शमप्र०) RA TO अथ चलुयो WIT श्र BLT

त्वर fe सेतवद्यशोप्रे frat Tare |

VR RU XC

af विचर्षणे अमो वसो gfe पुष्यसि vce

sett र्‌ vt

21 सृरोनशोशाड। बुमाटवाहेम्‌। कपापवाश्ाउ। करो चारदसादेदेद WRRBYT डा २२॥ ८३

शोधक ¦ ्रम्बे ! acre’ सूथं दव ‘aor () स्तोतव्बाभिसुखोकरख- समर्धेया Wat स्तयमानसख्वं ‘gay’ दौष्या (रोचसे fe प्रकाश्से खल्‌ “दिवि सन्‌-दइति, “दिवि षन्‌-ति पाठो(९)॥३॥८द्‌ Sasa’ G@ fe aw खल “चैतवत्‌' fafa: सयोऽप चयः तक्लम्बन्धि चैतं यु्क-काष्ट, तदयक् AN: Wa (नि०२,) विल शणं ‘aad’ अभिपतसि गसि तव इष्टान्तः-- भिः

८४ नास्तोयमुलरािं के ५४ (९)-शछपा-इति frre -ततोय-चगुगे खथति-कमेतु दादश पदम्‌, ततः

शुपाित्यादिना (२,९.२९) तृतोयायाशुक्‌ | (९)-“पुवपदात्‌ (८९०९०९१) -दति षल वेकस्पा्च सिददजेय |

en Sogw we] =o wentiee: | २१८

Te ४१ ४४8 | र्‌ I त्वदडिकैतवद्यशः। दयद्यादाद। शअप्रादमि ।7- ; : - 8 8 Tl नापल्यार्दशसाई। आश्रौरशडो। इयादाट्‌ छ, ey bad चा। षणेंस्रारेरश्वाः। आशरौर्दो (इया > श्‌ ६, | शे WE! ASSN! Fl VIKA! नापुष्यारेदे्सो ek ¥ rT eo TMV | दयाशा। रोधूद्‌। डा॥ २३॥ ८४

aa अषटरभिमानौ मितोदेवः(*) asa [ यदा चयद्ति गटह-माम (नि०३,४) केतवत्‌ a निवासकं हविलचणमन्रं तद्यक्षम्‌ यज- मान-ग्डश्ं feng युरुधाभिपतसि यदा पत्यतिरेय-कमौ, (नि०२,२१) शटणमन्र ‘ware’ - $थिषे ] अतः कारणात्‌ हे fae’ विशिषेण सवस्य get: "वसो" aware! a शवः" खवखोयमब्रम्‌ (नि ०२,७) अन्र-कायं-भूतां ‘gfe’ पुष्यसि व्ेयसि ४॥ ८9४

1 बैवाग्नेयम्‌ |

(९)-स खनरि्स्ः, Fem (१०,२,८-९) वायादिषु परिगकिलिलात्‌ | ‘Firat जमान्वागदति शरुवाशोमिबोदाधार श्थिकोसतसाम्‌ मिवः रटौरनिभिषाभिचह मिजापडयं धतव rey <i ऋक ANTEC |

ty Ae

22% 1 प्रातरग्नादूः पृररप्रियाः। fama ता२३।

२४० सामवैदसंहिता। [मप्र Ra Ho अथ पञ्चमो |

BM, ATTA: |

VBVRLT F RR a, 2 प्रातरभचिः पुरुप्रियो विशस्तवेतातिथिः।

९६९२ UH रर ९२

faa afqraae Wal मर्तास इन्धने ५॥८५

९१९ र्‌ र्‌

तिथाद्‌ः। बादर्याखीरन्‌ अमाेर्तार्‌याद्‌ ₹व्या

“युरूप्रियः' बहु-प्रियः "विशः" यजमाने धनस्य निवेशक: (२) ‘afafa’ यजमानानां wera प्रति [तिथिषु अ्भ्येतत्यतिचिः। तथाह यासकः--“श्रतिचिरभ्यतितो wera भवत्यभ्येति तिधिषु पर-कुलानोति पर-ग्डहाशोतिवा(४,१,५)' इति] एवं विधोऽभ्निः प्रातः aaa स्तयते ‘sae भ्रमरण-धमंके ‘afer’

cy नास्तोयसुत्तरा्चिं के ५५ * aa-ufa वि०्-पाठः।' 1 qeaw कोमुदस्यं ara |

()—fat, भ्रजमा-बङववनमिदं त॒तौया-वङव वनस्थ स्थाने दहम्‌, fire fir: धजमान-मरुषयेः; ‘ead रियं डय परयः wale विखमिः लयते-दति fae |

ea geewmt we] wens: | २४१ qq wet वसूयवश्राजरे या्छषयः |

श्र TR TRL aa यद्रािष्ठं read बु दशं विभावसो | Le 2 ९२ YW R

Alea त्वद्रविशूवद्याजा उदीरते ८६

RUE | मारे सदन्धारदता२५३द्‌ tee ४१ह। डा २४॥

wel विश्वे सबं “मतांसः' मर्ताः मनुष्याः “हव्यम्‌ ‘saa रौपवन्ति दधतद्त्यथः(९)

“विश्वे यस्मिन्नमन्यं शव्यं मर्तास इृन्धतेः"इति शन्दो- गः, “विश्वानि यो अमश्या Kan मर्तेषु रण्यति” इति बहचाः॥ ५॥८य्‌

वादिष्ट' बोदृतमं ‘aq’ स्तोत्र “तत्‌ wea’ क्रियते अतः ~ | ¢

हे "विभावसो (र)प्रभा-धनाग्ने ¦ ‘aed’ awa घनं “अश्च

Ce नास्तौयसु्तरा्धिं के ५६

. (र)-गिखे यद्िन-द्ति परस्ताद्‌ यच्डब्द-्रवशात्‌ cafes वे तच्छब्द ऽध्यायः | Teme wa वललोयश्वात्‌ wa दितीयोऽदं याष्यातव्यः'-इति feo cay Vfemnit fea मतसोरयमिन्धते, सोऽयं fre far: लवतरति भावार्थः |

(१)-- वगु धनं, तद्‌ ay विविधं भाति दौष्यते विभावनः | RCH,

RB सामकेदसहिता। [श१मप्र० 2a To

४दर शद 2.५ 1 यदादिष्टं तदा UATE बृ ददचेविभावार्रसाख |

श्र र्‌

ATH LATTA २। AKT | त्वदा रेश्जाः | उदोरारेरता

२४दद्‌ 1 ओरद४४द्‌ डा ॥२५॥

र्‌ | ४६४४द्‌ ष्‌

„2, 1६: 7 यदादिष्टं तदय्रये। यद्रादिष्ठोवा। तदश्षवादर

| र्‌ र्द R बृदारइ्चा farses मदिषारददवा त्वद्रयिः।

श्द् त्बद्रारेदेजाः। उदोरारेरतादशश्द। ओर२५५द्‌। डा #॥२६॥ र्‌

अखाभ्यं प्रयच्छ कवभस्यान्र-धन-प्रदाठेत्वमित्यपेचाग्रामाह-- यतः ‘aq ल्लः सकाशात्‌ ‘afew weal’) “रयिः धनम्‌ 'उदौरते' उडच्छण्ति(९) “इव-दति पाद्‌-पूरणशः(*) noe

LI अगमनिक्छषिः, aera य्मरि्ौये वा

(२)-मद्त्रामलु सङिषः-इति षष्टं पदम्‌ (नि ₹,९)।

(३)-“बदाजा'-दत्यख्य व्याखामि awe) frrcwarce ‘anfe’- Wee war सद धनम्‌ दति arene ‘agen लया ee अन्नानि इति arena | भाष्च-मये WE aA त्वत्तः सकाशात्‌ "वाजा" खनामि दत्यथेः THAT: |

(}— cree भवति--यस्ादभ्निना दशं wee लया सङ्गच्छते, यसा.

स्म qe, ज्मो we] = weurfe a | VBR | खव सद्नमो |

गोपवनक्छभिः, सप्रवभिर्वा |

१९ द? BUR RR विश्यो विंशो बो अतिथिं वाजयन्तः पुरुप्रियम्‌ | oy BV २९ RV Ve ९२९ UR

WG वो दुः वचः QE HT मन्मभिः ८७ 1 विोविशोडमवोरअतिथादम वाजयन्ताः। पू-7 ˆ , WMA! शअधिंवोरे। दुरारेर्याम्‌। दम्माई्‌

वार्चारेः। सूरदेश्षाद TNT! श्रद्वा ! Fa! Beate! ऋआरद्श्भाद रएडियाक््डा। द्ये

Yl डा ॥२७॥ ८9

डे ऋविग्यजमानाः ' ‘a’ ययं 'बाजयन्तः' अन्रमिच्छन्तः

८9 उज्षरा्िं कस ७,२,१२,१ |

I श्रम्निक्षिः, विद्योविशोयम्‌ te वा cfr दतेन WaT Eee) ( कथन्यनर्थनमन्नानि या Swear wud—‘afehty wa राखभाये7 तेनेव ew रङ्वते aufernt)-cir fare अतः wae fra ‘we रति eter |

sy

२४४ सामवेदसंहिता [श्मप्रण्रेव Go

अथाटमी। पुरुराचरे यज्छषिः | RT श्र BW ९२९१२ qweal fe भानवे ्ादेवायाग्रमे | er ररर RVR शर VR यं fara प्रशस्तये ATA दधिरे FT Wo Hee र्द श्र श्र # 4

~? 2, Taman हिभानारशेवाद्‌। आर्बादेवा।

font स्वस्याः प्रजायाः पुरू-प्रियं " बद्ुप्रियम्‌ “भतिथि' पूज्यम्‌ “ग्निः सुत्या परिचरतेतिशेषः अट a: Tae ea” wefery’) अग्निः "वचः सतुषे" स्तोमि ‘gee सुखस्य (र) लाभाय कैः साधनैः (मन्मभिः मननौयेः स्तोत्र; OO

यन्ते भानवे दौपिमते ‘qaqa ‘wey महत्‌ ‘aa: हवो-

cr नास्तौयमु्तरािंके | ५७

See? 9 ९, ° (x) qabt'-wewrera-cfa fate 8, 8,¢1 “Sa यश्च VVC मवम्‌

इति fae (१)--अषलः-दति निवष्ड-त तोक-षे Ge-ayg रकादशतमम्‌। | erareia

बटो-अवख-सामब्थर्‌ AT |

EHO, cw we] कन्दप्राशिकः। | २४१५

z , © र्‌ BMRA | ATA प्राशस्ताया रेद्‌ | | Aare

दार faite quatewe ॥२८॥

र्रर 11 दयो हिभाना शवर | आर्चादेवा | Baye : ,८

र्रर श. याद्‌ Vaal प्राशस्ताया रद मर्तासोद। धा- द्र रद द्‌ १९९

दरे्पूरा। ओषोवाहादेशौदोवा। वादृद्ा १९१९ ९९ | | ४५; २९ घट |

ङूपमवं(\) दोयते ‘fe अरतस्वमपि देवाय craarararaa वयः “Ty प्रयच्छ (मतौसः' agen: ‘ay afer मित्रंन सखायभिव ्रथस्तये (९) प्रक्ट-सृतये waren देवानम्निः स्तोतिति पुर” “दधिरे' पुरस्कवंति(९) a

“omega - “प्रशस्तिभिः” दति पाठौ घ्ट

17 जगं प्रजापतिचऋषिः, कनौनिके इं

(९)--' वयः'-दत्यन्न- नामसु इाविद्नतितमम्‌ fate 2,01

(₹)--श्रखये, उतु्यंकवचवममिदः ततोया-बङवचगख ant Fea , प्र्रखिभिः सतिभिः; सख वतदति वाक्व बः -दति वि |

(₹)-"पुरः' wert दिषि दधथिरे' धारयन खाइवगोवाद्ममेति वि०-सन्छोऽणेः |

२४६ सामवेदसहिता। [शमप्र०, 2a Go खथ नवमो | गोपवनऋ्छषिः | LR VULT VL Vw श्र अगगा TAC च्येठमग्रिमानवम्‌ |

१९ ate abs pee यः स्म FAIA बुदनोक इष्यते < ८९

¥ २९ KR x 1 अगव जादृरान्तादेमाम्‌ ्वादृठम परिमा - ९९

ARTA ARRON अुतवन्नारशाद। बारे दद आनोकयाई१उवाये३ न्त Wee

“इब्रहन्तमं' पापामामतिशयेन wart ‘sae’ प्रशस्यम्‌ “aT- aa aqe-weafaa, तेषां हित-कारिखम्‌(र) “अग्निम्‌ sare’ गन्ता ‘aa’ (gorda बहुवचनम्‌] अग्निः यः" रात्तः weg ‘gaaq नानि trata’) निमिं wee महान्‌ “अनोक

< नास्तोयसुच्तराचिकै yc I अवरि्छषिः, Tarren (१)- नवः ager’ fae 2,8, २० | ‘Wawra: तखापत्यण arey fe

मग्धनेन खम्निर्खन्यते, तेनासो खानवः, rea खानवम'-इति fae | (₹)-“जलमे माय ऋषिः- इति वि”

CHG, १०्मोऋ०] wens | २४७ खथ दद्मो | वामदेवः कश्चपोवा मारीषोमनु्वा वैवसख्तडभौवा |

R श्र en ९९१६१२९ VLU जातः परेण धमंणा ATR: THAT | R रेख १२ ९६२ श्र रर

पिता यत्‌ HVAT VATA: द्वा माता मनुः कविः॥१०॥ °

श्र x ९.९ R

1

¡ जातः परणारेधा। EET मणा। दृा। AT

ret योनिमिन्रखगक्छथयः। ATTA OT TET

व्वाला-समूहः सन्‌ ष्यते a wae भवत्‌। [लट्‌ FT (2,2, ११८) शति भूते लट] तमम्िमागतादइति समन्वयः एषं Baars भिक्षणायागतो गोपवमः wir’ स्तौति

9

अगन्म --“ओगम्म-दति पाटौ। न्यः स्म अत

qe ARTA eth: “ae acral

वृन्ना सा श्ननोकणधते"-गति बहवाः oe

८० नास्तौयसुत्तरा्धिं के ve 1 कश्यपस्य स्वयोनौन््रस् वा, wheat vee ar प्रिथम। |

२४८ सामवैदसहिता। [एमप्र०,रेयच्रण्

x

२, R श्र WaT TAT! योरदे्नोम्‌। योनिमिन्र ्वगक्छथः। a. २९२ दणि R पितायज्ञ॑श्यारेपा दा स्या्रार्‌। KUT | यरद्थ्नोम्‌

Lo द्‌ R योनिमिन्रश्गकछयः। शद्वामातामादेनः। इदा कवा- TULL

Tl दशा योर्द५नोम्‌। योनिमिद्धश्षगच्छथारे९४५ः

३१॥ ९०

दूति चतुथं-दशति॥

ङे “भग्ने! त्वं “परेश उत्क्रम धमशा (९) भ्राधानादि- कमणा जातः प्रादुभूतोसि। ae’ यः सद्भिः" यज्ञे वर्तन्त दूति waa: ऋतिजः, तेः we ‘saa: भुमि-सम्बन्धि-यन्ने वर्तसे [कश्यपस्याम्निरिव्येतयो; परस्पर विभक्ति-व्यत्वयः(९)] ‘aa! यस्वा

(९)- घमं इति यश्च-मामसु ware fare ₹, yo!

(र२)--जिवरक-पनदे तु यथा-विभङ्कि area Gera तथादि-- “वत्‌ यः afer, “क श्छपस्य' ऋषेः "पिताः पारयिता, “wer दिति सत्य-नाम (fate 8, to, २), तख धारयिता, "भाता रटि-प्रदान-दारोक eee जमतो निनोता, aa: sat अधिकारख भक्तया खभक्कतया बा, ‘ala’ मेधावी ; oe ele’ सड विग्धमाैद वैः ‘aera: wes प्रादुभेवति ; सोयम्‌ Wie उत्‌ ater कर्थसा “आतः ्ादुभूं तः | ति विबरश-निष्यन्नोर्थः।

# दूति ग्रामे गेय-गाने FEMA: प्रपाठकः २।

L9H Wo, (aT We] eeuifa कः। २४९

ग्ने: “कश्यपः "पिताः “खदा देवौ ‘ara’ ‘aq.’ “कविः नः

arma मेधावी वा [“'मनुववखतः स्तोतासौत्‌ सोऽभि

खजमानायाभौष्टं फलं प्र यकत” aaa सुचितमुपाख्यानं arw-

सान्तरे द्रष्टव्यम्‌ १० ८०

e चित्त any ~ Q ~ इति सयकाचाप्य-विरचिमंमा खामवेदाथप्रकाष्‌ VTA QA WAAR मवमखष्डः

wer ^ ^ = = ०० ५०. न= ००७००००० *०* ०५५०५ .*०५*.*१५५१.*.-.-**५*.५*.*.* © ^+. 6 yn ee ५००५०५५० १.०.-..१**००.~-

अध द्मे Ge सेथं प्रथमा | श्रम्निससापसश्षि*# |

रे ९२ १२ २? कः सामरः राजानं वरूणमग्रिमन्वारभामष् | 9/

१२९९९६९ BWW १९

alee Frey सूये ब्रह्माणं इृदस्पतिम्‌ १॥ ९१

छर etext ४५४ 2 t रष

“T ओम्‌। सोमर राजानं वरूणाम्‌ अप्रिमन्वारभामः

"वामदेवस्यार्षम्‌-इति fae | €Q मास्तौयसुत्तराचि के ९० © I बां स्मत्यम्‌ क्क्‌)

२५० सामवेदसंहिता | [tH Wo, 2a We

RF AER WATT आदित्ये विष्णरसूयम्‌। Tate शद्‌ र्‌ $ र्‌

खाद्‌ THTUTES ATs | शोवाङेाद THEVA पारेदथ्तोम्‌ WLR

राजानं (९) राजमानमोश्वर वा सोमं(९) 'वरुखं (९) चच अग्नि गोभिः" स्तुतिभिः 'अन्धारभामदे' Trendy आहया महे | तधा “शरादित्यम्‌" अदितेः पुव (*) “विष्णु (*) “सुर्यं "(९) श्रह्माण () हदस्पति"(-) श्रन्धारभामरे() १५८९१

(१९)-- राजानमिति सोममित्यादि ्ेषकम्‌ |

(२)--““चम्द्मसो वैतस वा “सोमं मन्यत ee रोमोसरूपविरे पैरो षथिखनद्रमा वा-इति Ho ११.९.६४ |

(र)-“बरको eater # # द्णिनुं गति मृमिम्‌ इत्यादि He १०,९,४-५ |

(४)-यद्षप्यादित्वः ख्य रति प्रसिद्धः ““खवंमादितेवम"-इति Tawa (१,१.१९) परभिद द्धयेभिति verre: अदितेः एत-विषेषद्ड इृडाठह्नसय वायो पेडकमित्याश्रयः, तथोक्तम्‌ त्व नेदक्ते- “अदितेः Gu # @ खअन्धासासपि रेवतानामादित्यप्रवादाः waaay wafen”-<fa | |

(४५)--“विन्ड सेवति © @ “दद जिब्ड विक्रमे" -इत्यादि Fe १२,९,८।

(९)-““्छयेः # @ उदुत्यं लातवदसम"-दत्यादि Fo १२,२,९-४।

(७)- “ब्रह्मा सर्व विद्धः, aa बेदिलुमदति"-दइति He ९,२,१२। मायं रैवत. काण्डं देवतासु परिमखितः। |

(८)- “स्यति इतः पाता"-दत्याईदिं To १०,१,१९१ |

(errata: | we मन्त चित्यप्तेजोमखर्‌ योमसय्यं न्द्ग्ह्मनान- यजमानेत्यषट मृ पा समं ध्वन्यतदूति बोध्यम्‌ |

\

श्म We, za We] कन्दश्रा्धिंकः। २५१

अथ farter | वामषेवोहयोः |

२९९ BUI Be श्र र्र्‌

इत एत उद्‌ारूडन्दिवः VST | YL

x

pas aT enafircat प्रभूजयो यथा पया द्यामरङ्गिरसा ययु: Wr ler

$ र्‌

1 आरोरद्ान्‌। २। इत एतऊऽरदारर डा ST! दिवः ,` ` बर

ृष्ठानोऽदेयाङ्रदा RA प्रभूजेयोयाऽरेथापाश्था उ:

ष्ट; ,

z रे यामङ्किराऽररोयाश्य्‌रः। शआरारोरेहान्‌र। श्रारेर।

R द्‌ R RR

१, रोर। शार३४। ओडोवा। ऊरषपा lee

एति अङ्किरसः "यधा ‘oq मागेणेव ‘at दिवं ध्र ययुः

wy. |) कोशाः भूव्जयः' [भव्बतिः पाक-कमो] हविषां पङ्लारः(९)। त्र दष्टान्तः--पधा मागण अना ग्रामादौन्‌

९र नास्तोयसु्तराचचिके। ६१ I आरुढ़ृवत्‌ आङ्किरसं यामं at!

(श- मेदं area साघु मन्वते, “भूः, अयः'-इत्येवं पद कार्ता वग्रद-द धनाम्‌, fe ववतेमूजं यद्तिरूपे भूः, जयः -त्येवमव पहः सम्भवति, नापि तद्घोन-खर-च्रतिः\ निषरककारख —‘a: श्थिवो at ये सहायौ राष्येमानुहामेन खितवन्तः ते'-दत्याइ |

२५२ सामवेदसंहिता | {LA We, 2A Wo wey zater |

एतस्याः कश्यपोऽसितोदेवलोवार

९.९९. २्‌ ९२९११ 0 राये श्रये मरे त्वा दानाय समिपोमदहि | २९६१२ २१९ ९१९ २९ रश

fem हि मे वुषन्द्ावा STATS एथिवो ३॥ ee

UT IT & द॒ 8

fe 7 राये waa त्वा। दानायसमिधोमारेश्‌ R Vl आदरो रशा २। AVI द्यावा रहोजां२।

% ® Tas ओरेद्ध्वा। AVANTE 2 kT i = © श्र र्‌ | 7 रायायारद्रमशत्वाहाउ। द्‌ानायसमिधोमार्र गच्छन्ति, तथा शतः WR सकाशात्‌ “उदार्न्‌ उद्गच्छन्‌ | गत्य ‘fea? खर्गस्य ‘serfs खानानि शरारुष्न्‌' प्राक्र- afer a ne

# "वामदेवस्याषंम्‌' इति वि° ८३ नास्सोयसु्तरार्धिके | ६२ 11 दमे श्रासिते।

20H Bo, sala] छन्दश्राचिकः। २५१ अथ चतुथी | भार्गडतिः सोमो वा ऋषिः# RF ९२९२ श् VWF RR KR दधन्वे वा Talay वोच Ewa वेर्‌ तत 74 २२१९९९१९ ९९९१९१९२ परि विश्वानि कान्या नेमिखक्रमिवाभुवत ९४ र्‌ RF ₹? श्र WC] ASTM ETAT मादेवादेदे४षान्‌ | द्यावा-

९१९ शोहेचा३े। यपोर४वा। थाधदवोई दाद्‌ es

‘aa! ‘ar at (मरे महतः “राये'(९) we दानाय दानार्घं समिधौमदि' वयं सम्यग्‌ दौपयामे | “हषम्‌ वषितः। mea (मतेः “होत्राय अग्निहोतार (९) श्यावाः

दिवं “इथिवौ wife’ aie २॥ eR

# ब्टक्मदस्यार्षम्‌"-इ्ति fae | ९४ नास्तीयसु्तरा्चिंके | ६२. (१)-“राये we इं आयते बहनो दररटये-इति feo | UTE शसः द-भावे रूप

मिति ध्वनितम्‌ |

(२)- “इवते तदिति eta शोमद्रयम ; wfrda तादर््य-चतुय्या, मरुतो शोम्ग्रयसार्थयत्यर्थः। रोम-पडरुचाज satarda, स्वासां दानादि-क्रिवाशां Seay प्रथखार्थ सेत्यथेः'-इति fare

२५४ सामवेदसंहिता [eance,reqe 8 $ ष्‌ = ` 4,5 1 दधन्बेवाभयदोमन्‌। बोचद्रहमीतिवे-रूतत्‌। पारि- षर 2 —e 1 विश्वार। निकाव्या। नादूमिश्क्रीवा। ‡९६४वा

२१९ भवात्‌। WAT! TT! डा ५।८९

‘av saat ‘ta’ एन यज्चम्‌ “रमु लस्तहत्य(९) "वत्‌ इविरादिकं “दधन्वे धारयत्यध्वयुदिः(९) यद्‌ ‘aw’ <iq 'अरनुवोचत्‌' अगुवक्षि होत्रादिः [अरवा अब्बित्येतयोज्धम्‌ ]। ‘aq wa ‘@e (९) ata कामयते जानाति वा war मुष्ठातुम्‌ अयमग्निः “विश्वानि watfe "काव्या"(*) काव्या- नि (कवयः भेधाविनचऋल्िजः तत्‌-सम्बन्धोनि कर्माणि ‘cay aq परिभवति खायत्तानि करोति व्याप्नोतीत्यर्धः। व्वार्पौ-

I arerata |

(x) —afar पाद्‌-पुरकः-दति वि०। म्‌, “wa grate पाद-परशो-दति fa |

(₹९)- “दधन्वे धारयति, waa धारणं स्वति Wa: कारखेनाय are wet wetted, किम्पुनः etafer: ! ewa-carie fare |

(2) —XW वेः, ड- रूतिरेदः ; उ-णम्ट Care: |

(९)-- चेः, मध्यमपुशषसयेकवयनमिदं प्रथमपुरुवेकययनख wre RTT; वद्धि लानानोत्यषेः।

(४)- आल सुपामित्यादिना। areata fa-awife हव्यानि a-ha fae +

YoU Qo, ५मो we] wena २५५ खथ ष्मो पायुक्ेषिः | १२९ VRQ १२ ९२९१६९२ प्रत्यग्रं चरसा दरः श्ररणादि विश्वतस्यरि |

द्‌ १२ RRR श्दकरेदट RH RT

AUT रसो बलं A वीर्यम्‌ ५॥ ८५

४५४द्‌ X ९४ Ww RN

1 WEG! WEI दरसाइरा६ए। श्ररणादिवार ~ “८

RR | र्‌ रर्‌ यातभानसर पोर RUE Tl WATesys | पारदश्यो। रे 4

बार्देलाम्‌ नियु्वोरश्धवारोरश्धयाम्‌ ६॥ ८१

टष्टान्तः-- नेमिः" वद्धिवं्टन-वलयः वक्रभिवः रथाङ्ग यथा aaa व्याप्नोति तदत्‌

“TEI दति "ब्रह्माणि" -इति a uray | “भुवद्‌ भवत्‌” दति ४॥ ५४

हे ‘aa! त्वं रसाः adita तेजसा क्रोधेन ari’)

८५ नास्तौयसुत्तरा्चिंके | ६४ 1 अगस्यच्छषिः, राक्तोप्नम्‌ |

(१)--निषष्टो-प्रथम-सकनदे खरत्‌ पयाये, दितीष-वयोदे ऋष पयाये चव्युभयन पाडात्‌ |

1

२५६ सामवेदसंहिता [{शमप्र०, रय अथ Wet | परस्कश ऋषिः |

१९२५४९२९ BR Wz’ 2 त्वमग्रे बस्रि शद्राध्ादिल्यार उत | शष्ठ RR R १२

यजा खध्नरश्जनं मनुजातं FATT ९॥ ८६

४४ शद

TAS, TRA SAME Tella! रद्राएआरे

दो। वियारडता। यजासुरेरवा। ध्वरश्ञनम्‌। मनुः

[तथाच यास्कः--हरोहरते््वो तिह रउच्यते-इति “यातुधानस्य रा्षसस्य हर” हरश-गोलं बलं “विश्वतः सर्वतः "परि गतं प्रति “खशाः नाशयेत्यधः। तथा, ‘cere’ रा्सस्व Sa? are’) निःभेषेण wa waters: | श्रटणाहि"-“प्टणीहि"- ति पाठौ | “ae न्यु ayaa विरज वोयम्‌”-दइति yw Ly

कर्मणि रन्‌ iad Cope? ‘aa त्वम्‌ ‘ae’ कमणि qarety ‘aq’! ‘ea

९६ नास्तौयमुत्तरािं ६५ I मानवम्‌ |

(९) -नन्यल्, wa कु वित्यथेः'-द्वि fre |

HM eww] छन्द ग्रा्धिकः। २५७

र्‌ १२९ र्‌ जाररेताम घतप्रषम टइडाररेभा४२। ओरे४ | |

धृदडा ०६ दरति पश्चम-द शतिः

अपिच (जनम्‌ भ्रन्यमयि दैवता-रूपं प्राणिनं(९) यज कोट शम्‌ ? स्वध्वर गोभन-याग-युक्क “मनुजा तं' मनुना प्रजापतिना उत्पा- fea “छ तप्रषः उदकस्य सेकार(९) यजति सम्बन्धः (२) ॥६॥ ८६

दति सायणाचाय्यै-विरचिते सामबेदाथेभ्रकाष्े रम्योन्याण्छामं प्रमख्ाध्या CTA: १०

———eeee ~~ >

(१)- प्राणोवायः, तदेकस्छानतया द्वन्त प्रानम्‌ श्ाकाश्रापरपयेरायं प्रजा- पति-देवमित्यथेः। «“बायुवेनद्रोयानरि ख्यः" दति fe Fama (०,२,१) ; प्रलापे जानतरिचद्यामेषु परिनरूनश्च we निषदट,-गष-क।ष्ठ-त तोष-खष्य ; आकाशो fe प्रजापतिरिति शवरख्ामिना Gama (१,२,१०)। Ware ऋचि वखारोनां सब खामेव देवगजानासृल्ञखः परिदते, प्रजापतेरद्नखएवाबणिष्टः उतेत्यनेन सरग दोत्यते। wud wads वयद ्रस्स्खपाकानां देवतामां यजन fafa wea |

(२)--चतमिन्बुदकख्य नाम, free प्रथम दादे तस्य MATA उद्क- सेचनच्च वायोः कभे,-तदुङ्क भगवता निरुक्ककारोण-“खयाख्य -कमं-रसालुप्रदामं, इव-वधः१-दत्या दि (0,2,8) “टज-वधो मेघ-वधः"-दूति तद्भा्यम्‌ | वायुरिन्दरञ्चाभिच्रः “वायेन्द्रोवेति SPST : ०,२,१)। वाधुरिग्द्रसेक एव यथा रलः करद्ति" तदना या

(द)-^शददं तत्वम्‌ -“वयच्िं्रहेवताः”-द्ति fe ाष्डयादि-,तिः, तव

----"-~ - -- - ---~ ---~

दूति RAPS प्रथम प्रपाठकः 22H,

1/

RAs सामवेदसहिता। [र्यप्रर्श्मन्र,

wwaregquafa ककभोऽष्टौ दश्रोश्णिहः | जन्नानः पावमानौ ख्ादुतस्येत्यदितेः स्ततिः। शिष्टाः षोडश चाम्नेय्यः समाख्या छत्रिणोति बत्‌(०) ve

अरथेकादग-खकष्छ-- सेयं प्रथमा | दौषतमाऋषिः |

RXR Rt शे र२ १२ RR पुर्‌ त्वा दाशिषबाङ्‌* वाचे रिरप्रं तव खिदा | R RR Le a | ९२

ASST शरण मद्स्य १॥ <७

me

*“दाश्वान्‌"-दतिपाटो awet faea-waaa(,2,75) |

—_—— 1 ce a

८७ नास्तोयमु्चरा्िं को ६६

“अष्टो वसवः, रकाद दद्राः, TEM आदित्याः, इन्द्रि दात्नि शत, serra frerafer भत्‌-सद्धया-पूरकः” त्यादि भाष्यम्‌ तेच सवं मह-लाताः, Toe “इति खल नाशो आसथा faut ent ये स्ख way fawe | मनोरदवा यश्चियासः"१-इ्ति wacter चरतिः (८,४,९०,२)। तत्‌ सव षज |

०)-पुर त्ना'-द्त्यादिरकादध्र-खष्ठः, TH Watan; “प्र लंरिष्टाय,-इत्यादि इर्‌ ण्ड तव weasel; WANT Wat: weyers अष्टादश ऋचः श्र यन्तं HIG दादथ-खष्डातमकाटो ककुप कम्दस्काः, एकाद ष्-खण्डाकाकास Shae ET किञ्च एकादश-खष्डोय-जज्ञानदूत्याद्या पञ्चमी पवमान-दवताका, acaeiea तर ता CASA ष्टो अदिति-देवताका, WATTS, खवः WTAE | TTT य- मन्त-सं ्रवेऽपि कथमद्याग्रं य-पवत्वः न॒ मच्यति ? इति श्डूगमपमोदयितुमाह,.- ‘eure कवि णोति oa’ एकत्र प्रधाने कविर cfs याने यथा, WHIT

११ सख०, १माऋ०] रुन्टभ्राचिकः। RUE.

as श्रश् ५४ 1 Wei त्वदाश्वार्वोचायेडह। आरोराग्माइ 7 / रर

र्रर afar) तोदस्येवशरणञ्ारश्डोद्र। मदाररदोयं

२९९१९९१ + ३। स्यो यारेरशरोदोवा। दै२३४५॥ ८॥ WENT T ४र AT $ ® ¥

7 पुर्त्वादाश्िवारवो। चे। आरोरारहश्ाद 77 ,

a et Racy शः

नावखवार२४दटा। तोदश्येवशर | णयोररश्डाई्‌। मा

asl Was! Atl यार्ह stare | २९ ४५॥ <॥

डे “अम्ब ' ! ‘ar त्वा ‘qe बह वोचे [यहा दाश्वानि- तिसम्बन्धः] पुत्र देहि, विन्त देहि- दत्याद्याशासनानि ब्रबोमौ- are: | किन्हष्णोम्‌ ? नेत्याह --यतः 'दाशिवान्‌ ' दाण्वान्‌(\) अभि- मतं विदं त्तवानस्ि, अलो वोचे, इतर-साधाग्येन gan: कथं ` दातब्यम्‌-दति मन्तव्यम्‌ यतः हे अग्नेः “तव स्विदा (र)

1,11 इमे तौदे, षतमसे ar |

Wey सेनासु कजित्वारोंपेर efret यागोति समाश्यानम्‌, तददित्यर्थः प्राधा- Watters नाग्रं योऽपि अचः जाग्र य्यः-इति aged -दति भावः|

(ए) -“दाश्कश्साङान्‌ Wary (६,१,१२)''-स्ति कसो भाङस्येन SIR!

(*) “सित्‌, अ-इयेनो रव-शम्दये रर्यो

२९० सामबेदसंहिता। {रर्यप्रग ca TO ४४४२ st 4,4) 7 पुशूत्नादाशिवार्वो। चे। चं। अराईरार ३४ रर WX | तावखारदष्दरदा। वोदास्यारर४दवा। शारा | णारेदश्या मादेाभस्या९५६। Wi १० # छर ust Rt "Ot Ed 77 पुर्त्वाइदाशिवार्वोचे | अरिर। OTE! नवा

R , ,

A R स्खाररण्ददा। तोरद्श्दा। स्यारेरेशद्रवा। राणा | र्‌ R रेष्ध्या | माराभस्या ९५६ १९ २९१ he =< = | र, श्र पर॒पुरुत्वारशदाशिवाप्वोचेःओा। खा TRE

2% WW AE

aeeeat | अरिरप्रेतवखिदा। wl ओदो

| WT LU RT eet) ओरद््वा | ATMA | डा WHA २९५९ ९११९९ 2

ओरेरथ्वा। Tl मदस्यार९४५॥ १२॥ co

betes areara ° $ # व्र ° पस्तके पञ्चेषु सामसु “वाङ्बोचे-दति स-ङूकारः पाठः

` LLIY,Y इमानि रैवतमसानि तौदानिवा।

गस्व०,रयाऋ०] - wenthsw | २६१

अथ डिमोया। विश्ामिवक्छषिः i SS. रद pees ष्‌ = रे प्र दाते Val वचोग्नयं भरता TET I IS श्र रर RUTH २११९

विपां ज्यातोपषि frat वेधसे २॥ <८ “अरिः'(२) तवेव wat सेवको (५) ‘age महतः “areq शित्त- कस्व सखामिनः(५) शशरणश्रा"(९) [“दव'--दत्यपमाये] तदा ko ze am गभ-दास(दिनियतोवन्तते तददशमपि। यस्मादेवं तस्मात्‌ श्रभिमतं बहु वोचे। त्वमपि तत्‌ wa Sele:

अचर निसक्रम्‌- “वड दाण्वांस्षामभिद्रयाम्यरि रमित्रगच्छते- रोश्वरोप्यरिरेतस्माटेव यदन्धटैवत्या श्रम्नावाहुतयोहयन्दूत्येत- दरैवमवद्यस्तोदस्येव UCT ATA तुदस्येव शरणेधि aes: (५,१.८)''- इति १॥ «७

' ot नास्तोयसुत्तरा्चिं | ६७

(द)-मिषष्ट,-तृतौय-पञ्चम-पटितस परिथरकश-क्भशः कव्डतरूपम्‌ उक्तच निख्क्रकारख -ऋच्छतेः'-दति ५४,९,८।

(s)\—aft: two wa’-cfa fae) war-xfar fawel forte-aafan दञ्र-पथापे हितों wae | निक्र-शतापुगक्नम्‌- रखरोष्यरिदति (४,१,८) |

(४५)- न्तोद-शग्दनाव ewe उच्यते इति Fate |

(९) रके, आरति We: WET तथेव दमात्‌ WIKRE पाद्‌-पूरये कदिन्नपि wea तदथाद्ंनात्‌ ; frum गये तयमा अष्यथः |

२६२ सामवेदसंहिता [रयप्र०,१्मश्रन चर शद

43 ` प्रहयोतेपू। वयं वचो। अ्मयारदेदभाः। रतानु-

इत्‌ विपाजज्योरहेती | षिबाये१। भारतारेद४अोद्ो

रर १९२११९९९ वा। वेरधसेररे५५॥ १२

दर्‌ uty ₹२ र्रर <s R

{ ` gerarerafad वचाः। अग्मये्भरतादेन्‌। चाः

रद्र ,

श्रेत्‌ विपाञ्ज्योताद्‌ Areva! ater! नार

348 1 WTRBYRTE RTE ॥१४॥ ९८

यजमानो Fare, प्रतिब्रते- हे ¥rarea:! ‘faut’ विप्रा शाम्‌ मेधाविनाम्‌ श्रध्वयुंदौना “्योतौषि' सत्‌कमोनु्टान-सम्पा- दानि तेजांसि ‘fra’ निमित्ततया कुवाय "वेधसे" जगतो विघाते ‘eta’ देवानामाद्वाजे “्रम्नये' “Gea” महत्‌ ‘Gar’ पुरा- . तनं ‘aq’ स्तोत-णस्रादिक वाक्यं श्र भरत'(*) सम्पादयत। ` नेत्ययं पाट्‌-पूरणः, श्रन्वयाभावात्‌। यहा वेधसे नः यथा

Ill अनयोः ्राखकषिः, प्रहितो नाम|.

(९- भरतेति इरते ूपम्‌ शुप्रहोभन्डन्डतोति वचनादस भलस्‌ ऋचि wae. त्वन्‌ "कचि तु-ल्‌ (€,६,९द२)'-द्त्यादि खनं तर्‌-ग्रकात

र्२जख०,३याक०] छन्दप्राश्चिकः। २६३ | अथ तृतोया |

गोतमच्रषिः। RR RR ९२ अग्रे वाजस्य गोमत ईशानः सदसा यदो |

९२ RVR

WA ददि जातवेदो AF AA: २॥८०

वेधाः जगदिधाता waa: आदित्याटोनि ज्योतींषि करोति . तइदिति प्रशब्दस्य “छन्दसि” “arafeara’sfa(’) भरते त्नेन सम्बन्धः २॥ नट |

हे ‘wearagl(*) बलस्व ya ! sree ! aa बद्ुभिर्मोभि qe "वाजस्य' wee शानः" शशवरस्वमसि, sa: “असेः Wary हे (जातवेदः' जात-धन! जातानां श्ेदितः' वा we ! महि' mya “aa: अव्र देहिः प्रयच्छ खापयेत्यर्धः। सष्सा- यहो-परांगवन्नावाद्‌.९) आआमन्वितस्य षष्यामन्ित() समदायो-

a

| ८८ उत्तराचचिकस्य 9,252 2,2 |

(२९) “कन्द्सि परोऽपि (2,8,60)"-<fa नात्‌ देन्दसीत्यधिकारे afar “wafearey (१,४,८२)"-इति aa रेति ward: |

(९)- निषण्टौ दितौय-नवमे बल-पयं येषु रुदः पदमष्टादशम्‌, तोय-दितीषे अपग्य-पथायेष यजः पदसेकाद ष्म |

(९)--“ हुवामन्तिते पराङ्गवत्‌. खरे (२,१,२)'इति सूनेशेति यावत्‌ |

(र) “बष्टमामन्तित-कारक बयनम्‌"'-दूति बचमं-हतं परिगशनं चावाभमस्ीरे- त्यभिग्रायः|

२६४ सामवेदसंहिता | [र्यप्र०, CaM

[

ett c RT RER e yp 7 अग्रेवाजाभरस्य। गोमतोवा। Fart: सा। च- RT RR RR ewe कैर RTT

MAIN | अस्ादृदेदि जातवेदोम Wey | अवा-

चओवा। भरूधियार्‌। शरदेडियारे४२। ओआ२४२५द्‌

we HTM UN _ : UTC स्र AT ATR ; 4. {~ Tagger asa मतोदोदाई्‌। ईशानः सा। y z ४र | BTR

दासोयारेदश्डो। आसमश्दाद्रदोरे। जात। AAT माररदोरे। -ATRVYAMEBTT eg Wee

fread (५) wa—guigafafa (92,22) सप्तम्याः शे आदेशः(*)

og देहि" “अस्ते Ufe-afa पाठी ॥३॥ ७८

17 <& अुधियेवा शुद्धा at ae aT सव्ये वा सामनो, अनयोः प्रजापतिक्छेषिः।

(४) -““खामन्तितख (८,१,१९८)१-इत्ययमाषटमिको निघातः | (५)-“ न्द सि (६,१.००). इत्या पीड WHAT |

श्ण we धयो ०] न्दम्रार्चिकः | २६५

अथ चतुथी विश्वामित्रऋषिः | ९९२ ९. ग्रे यजिष्ठो अध्वर देवान्‌ देवयते यज |

BUT Ww २२९२९ १९ Wat मन्द्रो वि राजस्यति fers: * १० ° ¥ ITT 1 अग्रेयजिष्टठो अध्वरारए। cat द्वयादतादया९! “^. 5.2 र्‌ जार। खवार्ोवा। दोतामद्धः। FATS Rae शर $

WI दोरवा। अतिखाररदधाद४२ः। अओर२४५६ डा १७॥

षे “अग्नेः ! ‘afas: यष्ट तमः ‘aq (अध्वर ay ‘aad’ (५)

“Da? -afa we पाठः “स्लिधः"-दति ग० पाठः

१०० नास्तोयमुत्तराचचि के ६८ Il प्रजापतिच्छषिः सदोनाम।

(१)- “न च्छम्दस्यपुव स्य (७,४.२५)'-द्ति दोषं -निपेधः, “रेवसुजयोर्जपि काठके (०,४,२८)” -दत्यद्यायमविषबः।

२४की,

, 10

f

२६६ araacafeat | [em Wo रव Fe अथ पञ्चमो |

जितक्छषिः |

R २९ र्रर २१द रश RT NU <3 HUTA: TA माठमि्भधामाशासत a t RR RR VR

अयं YA रयोणाञ्िकतदा 4 १०१

~ AR < ~~

1.८ TOD इयारणैरश्या। यजिष्ठो अध्वराद्‌ देवां देवयते २। BTR! याजा२। शोतार। ATR

धद |: २। विराजारसौ। are frees सोर ¥ | RUT ii १८॥

४५ ye gt रं TT , ,१, 14 Tra) चओवा। यजिष्ठो अध्वराद। देवां दा

र्‌ ९२९ र्‌ ब्‌ R PATA यातेश्याजारे। दोतारेश्रोवा | मद्रोषोररारर द्‌ ५२ ९९ ११११

जारेसारे३४अदोवा अतिख्िधार २४५; १८ १००

देवानामनश्कते यजमानाय द्देवान्‌ यजः तदर्ध यष्ट

१०९ नास्तौयमुरा्िंके ६< IVI] इमे efatra, अनयोरपि प्रजापतिं षिः |

१यख्‌०,५मो wo] | eas: | २९७

# < र्रर र. रे ¥

LAM खा। AAA | मधामारर४्ण।;...

9 , सतश्रायाद्‌ अयारघ्ररेरश्वाः। रयारेरदणाम.। चि WT R

AAI ATRSTRABBYRAT | WEBWAT २० १.१

aITatety देवाम्‌ पूजय। fag: “erat देवानामा- Wen मन्द्रः यजमानस्य मादयिता aa ‘fara? चपयिठन waa “अति श्रतिक्रम्य वि राजसि विथेषेण शोभसे vgn Yoo

‘wa सथिरोऽयमग्निः “atrai धनानाम्‌ श्राचिकेतत्‌ अस्यानुशासने जानाति सप्त सतत-सहनाभिः माभिः (९) हविमान-समर्धाभिजिं्ाभिः खाग्नि इविः-प्रेतोभिर्वा जिद्गा- भिः सह “जच्नानः' प्रादुभूतः सोगिः “Fai कर्मणो विधातारं सोम ‘fa सेवाथम्‌ “अनुशासत अनुशास्ति। [गास्सेलंटि अत्वथेना मनेपदम्‌ (२,४,८८) “age छन्दसि" ति(२,४,७३) शपो लः भवति] अन्वि च्छतत्यघः

“TRA: सप्तमा ठमिः-“जन्नानं सप्त मातरः" दति पाठो “चिकेतद"-“अचिकेतयद्‌"-इति ५॥ १०१

1 aerate, ्रातिध्यम्‌

(१)-“सक्न मातरः समनच्छन्दांसि अथवा सप शोगा: अथवा सप्त सोम-संखाः, नामिः-दति fae | `

Ay

२६९८ सामषेदसंङहिता। [१मप्र०,२्य Wo अथ Wel | इरिमिटिच्छेषिः।

Re BRT रैर १२

उत स्या ना दिवा मतिरदितिषत्यागमत. र्द RF रषट१२

सा शन्ताता मयस्करदपल्िधः+* १०२

BTU at

र. R= x | 1.1 1 उतस्यारनोदिवामतोः। आदितिष। लिया

र्‌ श्र रे 11 RR MAT LA | ATWANATA | मा। यः। कराओ्रोर२४

| वा। अपा४सिधाः। MYT डा॥२१॥ १०२

उतः श्रपिच स्याः सा पूर्वोक्ता मतिः मन्वो(*) मन्तव्या स्तोतव्या वा ्रदितिः (र) "ऊत्या" र्या साद ‘fear swefa "नः

* इड्‌ सवेतापिखधः"-.स्िधः"-खिधः"-दति पाठट-भेदः।

१०२ नास्तौयसुत्तराधिंकै | ° I अरदितिक्छेषिः, भ्रादित्यम्‌ |

(१) --मतिन्चयो-दति Fate |

(द) ee श्ये, रत्य-श्गोबङलमिति afc क्रिमि ered इखमम्‌, गण समासः; अदितिः सकल -प्रपञ्च-धाररटष्वदीना, खिद्यते इत्यथः अदि तिरदोने- त्यब भाष्यं खम्दखामो-यद्चपि गस -पुवेत्‌ खतेः किनि खति-खति-मा-खाभितोले रूपं सिध्यति, तथापि खतेनिन्यमपुवादथान्वयाच Se चये Tams ered रूपं दषटबम्‌ पथ चोक्त "न Sart माद्येत, खथानित्यः परोत इति "खदति

११९अख०,अमोक्०] कछन्दश्राचिंकः। २६८ अथ सप्रमो | इयोविंश्वमनावैयश्वऋ्षिः * |

९२९६ ९२२९ १२ R १२

Sfeur fe प्रमीव्यार° यजख जातवेदसम्‌

RR

चरि ya ATTA NOH १०३

अस्मान्‌ “अगमन्‌ BAY; WT आन्ताता शन्तातिः() शान्तिकरं ‘war सुखं(*) ‘at afefa 'करत्‌"(५) करोतु ‘faa! नाशकान्‌ वु ्ापगमयतु [च्िधिवोधनायः]

“Sq स्या““उत त्या"इति पाटो “सा शन्ताताः “सा शन्ताति -इति ६।९०२

# 'विश्वमनसआआषंम्‌'-द्त्येव fae | १०३ नास्तौयसुत्तरा्चिंके | Oe

दवमाताः-ष्ति वि०। रेतिहाखिकामां मते रेवमाता, नेरक्कानां मते अदोनादि- मुरः, Ware Tala: | “अदिति चारदितिरकरिचम्‌”-इति निषष्डु-भाष्यम्‌ | "अदि तिरदोगा देवमाता “दिति द1स्दितिरकारिश्चमदितिमाता सु fam Ta | fey gar अदितिः wan wiehrermafafre निलम्‌ "इत्यदि ेविंभूनिमाक eareuataraifer वा-इति ae ४,४,९९१--२४। ` (द) -“स्िवशनरिदस्य करो (४,४,१९४द्‌)'-ट्ति aectiifa fare miata रूपम्‌ | (४) --निषब्टो तोच-पच्चमं सुख-पय्याये मयरूत्यष्टमं पदम्‌ | (४)--रेगोरूपमिदम्‌ |

ae

२७० सामषेदसहिता। «= [pa He, 2AM

fr” <

RT ध्र रश्ण! gee

Ly ` दडादारेददिप्रनोवियाम.। याजखक्रा तवे ९९ ९, kz BR

SARA! चरिष्णुधू। ARAVA! DART! तार्‌

ओररधौदोवा चोरर४षाम.॥ २२ १०३

प्रतीव्यं way प्रतिगमन-शौोलम्‌(*) अग्निं [fe भवधारखे(र), भग्निभेव| ¶ैडिष्व' स्ततिभिः स्तत कुरु fary, Sequin’ सवत्र शरण-अील-धूम-व्वालम्‌ श्रग्टभोतभोचिषं (*) catfirc- प्रठत-दौिम्‌ (जातवैदसं' जातप्रश्र [यदा, जातानि भूतानि वेन्तौ- fa जातवैदाः,(*) तमम्निं(*) ‘aera’ हविर्भिः पूजय ९०३

1 वाकेजग्भम्‌ |

(१)-- माभू तनात्‌ खवेगतम्‌'-दइति Fate |

(र) “होति पादपुरश्ःप्ति वि०।

(द)-“इपशोमज्छन्दसि, ₹ख'-दति भल STH

(४)- “जातवेदाः, कस्मात? जातानि वेद्‌, जातानि aa विद्खंते जामे fre तदति बा, जातविको बा, जातधनोव, जालविदो गा, जातप्रज्ञानो ewan: पञ्चम- विन्दत, तच्जातवेदसो जातयेदस्वभिति ®% यमेव सोऽप्रिज।तवदाः"-इति Hee, ५,१--५। “रष साङाभाग्यात्‌ कमपुथक्लाद्भ्िरोव-एति तद्‌ भावाः

(४) surf जातवेदा wea, तथा ततव नरक “खातनेदसे चुनवाम'- इत्ययम्‌ दाडरशमुखेन arery—“qn किञ्चिदा प्ररं तव्जातवेदसानां स्नाने ग्ध सम मन्येत अयम वाश्िरिति प्येते Nt fae say दसा उश्जने$% अथासा- बादित्यः-- उदुत्यं जातवेदसभिति"-द्दमुक्रम्‌ |

RUM Ge, cal We] हन्दश्राचि a | २७१ worst |

WW २९५९२९२ २९६ ^

तस्य मायया चन रिपुरीशत म्यः |

2 ९१६२९२९ RR

यो अग्रये ददाश व्यदातये १०४

# 9 R Rx र्‌ | 8

1 नतनोवा। स्यारदश्मा। ययाचार्दना। रिपुरो- :

$ श्र

१९ R |

शोतमा३१अवा२२। तोरेरश्याः। योश्रप्रयेर्ददा R ४५४

शरव्यदोरद४्वा। ATHAVA २२॥ १०४

‘war? मनुष्यः "रिपुः" wa: [चनेति निपात-समुदायोऽप्यधे(१] (मायया wa’ माययापि(र) (तस्यः जनस्य "न दैगोत' oat भवति ‘a? जनः “व्यदातयेः हविषामादान-समघौय “भ्म्नये' सोजमानः (ददाश wala प्रयच्छति तस्य रिषन tote

इव्यदातय"-“इव्यदानिभिः"-दति पाठौ १०४

९०४ नास्तोयसुत्षरा्िंके | ७२

1 अगस्यकऋषिः, राक्षोघ्नम्‌ | | ^ (९) - “चन शब्दः TET Te: x fa Fae | | ^

(₹)- माथा भञ्चषा-इति Fre |

२७० सामषैदसहिता। [मप्र०, रयश्° ig TR १५ a

, 4.५ ` दडादारेददिप्रतोवियाम। arrest तवे

९९६९ ९, SNA! चरिष्णुधू। AWA! टृभाद तार्‌

WAAC | चोररछषाम.॥ २२ १०३

प्रतीव्यं way प्रतिगमन-शौोलम्‌(९) afer [हि' अवधारखे(र), अगम्निभेव| ‘Sfeer स्ततिभिः स्तुतं ge fare, “efor सवत्र षरण-गील-धूम-व्वालम्‌ “ithe (र) रच्षोभिर- प्रठत-दौिम्‌ “जातवेदस' जातप्रच्च [यदा, जातानि भुतानि वत्तौ ति जातवैदाः,(*) तमम्निं(*) ‘aera’ विभिः पूजव ९०३

T वाक्षजश्भम्‌ |

(2) —Swreraerarrey सुवेगतस्‌-दइति Fite |

(₹)- होति पादपरशः-दति fate |

(९)-हग्रशोमेज्न्दसि, रख इति wer Soe

(४)-- “जातवेदाः, कस्मात ? जातानि वेद्‌, जातानि aa विद्खंते जामे fre a tfa बा, जातविलो वा, जातथनोव, जातविद्यो गा, जातप्रज्ञानो wrens: owe. विन्दत, तब्ातमेदसो लातमेदस्वभिति #% व्ययमेव सोऽप्रिज।तवेदाः"-दति Fee, ४,६- “RW ATE कमेपृथक्लादध्रिरोव'-रति तदभावः |

(४)-सर्यपि जातवेद cya, तथा तवव नेरङ्ञ--“जातवेदसे चुनवाम”- इत्ययम्‌ दादरकमुखम वाष्डाय-““यस्‌ farcry तव्जातवद्सामां साने awe खम waa खयमे बाग्िरिति qaa wnt alae sat दसा Swase खथासा- नादित्यः-- उदुत्यं जातवेदखमिति"-द्दमुकस्‌ |

=

RON Go, cat We | erate कः २७१

अथामो | WW २९९२२९१ तस्य मायया चन रिपुरीशत Aa: | WY RE १२९६ २९ यो अग्मये ददाश व्यदातये = १०४ ug Rg Rx १९ र्‌ 1 नतोवा। स्याररश्मा। ययाचार्रना। रिपुरो- ~ ˆ : श्र $ र्द

R 6

MAA HRA! ARAVA | योश्प्रयेर्ददा R

शचव्यदोर्रध्वा। तारेद४ये २२॥ १०४

"मत्यः" मनुष्यः रिपुः" we: [चनेति निपात-समुदायोऽप्यधं(\] मायया wa’ माययापि(र) aa जनस्य tala’ ईश्वरो भवति | ‘a? जनः “हव्यदातयेः इविषामादान-समर्थाय “अग्नयः सोयजमानः ‘eer’ vata प्रयच्छति तस्य रिपुनं totes:

'इव्यदातये"-व्यदटातिभिः"-दति पाठौ ca ९०४

९०४ नास्तौयसुत्तरा्िंके | ७२ 1 अगसत्वक्छ षिः, राक्तोत्म्‌ |

(९)- “न अब्दः TIE TTS: दति fae | (श-ममाषमा प्रन्नवा-दति Fate |

9 «^ 9

ROR araazdfeat) [श्मप्रण्र्यञ्र° अथ मवनी। भारहाजजऋ्छषिः* |

PR ९८२९ BR VHRR

अप ल्यं वजिनधरिपुरस्तेनमग्र दुराध्यम्‌ | Re RRR

दविष्ठमस्य सत्यत HA DF < १०५

५४ रष ११११९ रे

! , + 1 अपत्यं oferta | रिपूम सेनारर४५म अप्रा

श्र Rul

C1 दूराधारद्यारश्म eae सत.। TTR

8

ATLA | सृ२४५गो९ दद्‌ २४॥ १०५

हे “अनने” a ‘a तं प्रसिद् (जिनं कुटिलं “रिपुः a. कारिणं ‘gue दुःखस्याध्यात्तारं दुष्टाभिप्रायम्‌ एवम्भूतं ‘Qa’ हिं सकं "दविष्ठ दूरतमम्‌ “अपास्य' wa चिप |अ्रसु. त्ेपणे- दूति धातुः] “सत्यते सतां पालयितः wet ¦ रस्माकं (सुग शोभनेन गन्तव्यं सुखं ate gel [अत्र सवेदेवामकस्याम्ने: स्तवनाद्‌ वेश्वदेवत्वम्‌(९) < १०४

e (ऋजिखनश्राषेम्‌'-दति वि ° | १०५ नास्तोयमुत्तराशिके | ७३ I सोमक्रतवं बहदाम्नेयोयं वा।

(१) -भ्विश्धे देवाः से are cher MAMTA (२४.१५) | "अनादि देवता-खिङ्न

११गख०, rom we] कन्द्राखिकः। २७३ अथ Twat | विष्ठमनाणएवषिः |

RHR ९२ रे विश्पते FEIT THA मे सोमस्य वोर R WRF FR RL

नि मायिनस्तपसा TARY TH १०॥ १०६

र्‌ < < श्र रे ,

0.

1 हाउन्रुषटयग्रनवस्य Fes! स्तोमास्य वाद्‌ ~

R धरर रर ९९

रविश्पताये२४। रशदोदाउदावा। निमायिनाः। तप

केर रद रद R ४र

सारार२४। रेशचाउदावा। क्षासारर४:। रेदो्ाउ-

4 YT र्‌ | a ९४.

WaT! Teas) PHATE AT BUT! डा ॥२५॥ १०६ इति प्रथम-दशनि

‘ar शवशां विनाशयितः ¦ बौयेवन्‌ ! वा "विश्पते" विशां पाल

यितः ! हे wet! ‘are’ cerat क्रियमाख्लाच्रूतनं ‘a aaa

१०६ नास्तौयमुत्तरा्चिं के | ७४ I श्रगस्यक्षिः, care |

Wate: Qa सवैसाधारखतबाद्‌ बड़-दवतो are: स्यात्‌" -दति Sacraragay (०,१,१) | WIP यलमप्यद्याव्या दतम्‌, ग्ना वेव सवे-देवताभिवाद्‌ात्‌ ; खत उक्त निदक्-माष्य-कारोख-“अग्निवि war cam इतिह विजयते, अशिव देवतानां भूयिष्ठ मातिति ख, खपरिप्रं प्रधानमामौति न्यायः; तक्षादाग्रयः मन्त्रः स्यात इति (७५१०४) |

३५क,

२६४ सामवैदसंहिता। [र्यप्र०, LAH

४रर ` र्रर्रशे -,। !{ अग्रवाजाभरस्य। गोमतोवा। दैशनःसा। a RT RR PR रर रैर र्रर

सोयद्ो। अस्नारदेडि जात्वेदोम दारे श्रवा-

R र्‌ षट आवा। afters एररडिया३४३। २४२५६

““ डा॥१५॥

[त ae UTX HURT रर ATR , 4, {< 7 अ्रेवाजस्य asa मतोदोदाई्‌ | ईशानः सा ¥ 2 ४र श्र

दासोयारेदश्डो। आस्मर्दादररदोरे। जात। वंदारः | मारेरदोर। श्रार२४५वोरईदाई्‌ १६ ८० fargarat (५) श्रस्मे- सुपांसुलुगिति (७,१,३८९) सप्तम्याः शआ्ररेशः(*)

“ag देहि" “अस्मे धेड्ि"-इति पाठी ॥२॥ ८५

नन माणक

111 <a खुधियेवा शुदा ar ae at aa at सामनो अनयोः प्रजापतिक्छेषिः |

(४) -““शामन्तितद्य (८,१,१९)”-दत्ययमाष्टमिको निघातः | (५)-^ न्कन्दभि (६,१.००) LATTA सरव्यम्‌ |

Cem wea wo] छन्दम्रार्चिंकः। २६५ अथ चतुथी | विश्वामिवच्छषिः |

२६६ VR रे रे

ग्रे यजिष्ठो अध्वर देवान्‌ देवयते यज | र्रर wz २२९२

ोता मन्धो वि राजस्यति सिधेः * ९००

ररर I ऋअग्रयजिष्ठो अध्वराईए। cat दवयारनादया९, $ ©

जार |

इखवारदश्ोवा। दातामन्रः। विराजा १सोर्‌।

११ a TANS! WAT! अतिखार२दधार४२ः। अरे२४५द्‌ | < डा eon हे “अमे ! यजिष्ठः" यष्ट तमः लम्‌ “अध्वरे यज्ञे aaa’ (१)

ee जानक

% “ay: -afa Ro UTS. | “Raw: -<fa No QTS 1

१०० नास्तीयमसुत्तराचि के | § I प्रजापतिक्छं षिः सदोनाम | (१) “arena (२,४,२४)'-दइति दोषे-निपेषः, “देगचमयोरशुभि कारके (०,४,९८)१-र्त्मस्याबमविषयः। २४क,

(4

` # 4i

ea zt tt oF 7g पा अ्ैया। att यजिष्ठो अध्वराद। eat eT

२६९६ सामवेदसहिता। [शमप्रन्रेव Te अथ पचमो |

facrazfa: |

R २९ १२२२९ र्रर जज्ञानः सप्त माठभिभंधामाशासंत श्रिये | BI २२९

अयं रुव रयोणाञ्िकेतदा ५॥ १०९

द्‌ |, श्र

A WSR) दया२४२रथ्या। यजिष्ठो अध्नराद्‌ t श्‌ देवां देवयते ₹। BTS याजा९। Hare | BTR

KT र्‌

२। विराजारेसौ। are तिया४अोदोवा ape.

| ©

SUT ee Il

१२ x श्‌ SATA | यातेश्याजा २। होतारञ्ओवा मन्द्रोषोरेराशर ४र र्‌ VRE ९६२ VEU द्‌

जारसार्दश्रो्ोवा। अतिक्िधार२४१५; १८ १००

देवानामनद्ते यजमानाय श्धेवान्‌ यजः तदर्ध यष्ट

१०१ नास्तौीयसुराचिंके। ge 17. इमे इविष्ठीने, अ्रनयोरपि प्रजापतिच्छं षिः |

CLUB, wat we] छन्दम्राखिकः। २६७

uz RT २, टे चै 1 जन्नानः सा। प्रमादभादईः। मधामाररश्शा।//- .“ ` ® ह: A सलश्रायाद्‌। अयार्र रेरश्वाः। रयारेददणाम.। चि Wt R

WAI | तारदाररश्ओष्ोवा | ऊरेद४पा २० १०१

व्जानम्नयादौन्‌ देवान्‌ पूजय। fag होता देवानामा- went मन्द्रः यजमानस्य मादयिता तवं ‘feu? क्षपयिठन्‌ way “afer अतिक्रम्य "वि राजसि विथेषेण शोभसे ॥४॥ ९००

‘wa. सखिरोऽयमम्निः “रयोशां धनानाम्‌ श्राविकेतत्‌ अस्यानुश्ासने जानाति (सप्त सस-सहृयाभिः "माभिः" (र) हविमीन-समर्धाभि्जिंदह्वाभिः arafa इविः-प्ररेतीभिवा जिद्ना- भिः सह जन्नानः" प्रादुभूतः सोग्निः भेधा' कर्मणो विधातारं सोमं ‘faa’ शेवाचम्‌ ‘samen’ wana [शास्तलटि व्यत्ययेनामनेपदम्‌ (२,४,८८) “aga छन्दसि" इति (२, 8,92) शपो लृ भवति] अन्विच्छ तौत्यघः

“जन्नानः सप्तमा SA? “SHYT सप्त मातरः "दति पाठो | “चिकेतद”-“अचिकेतयद्‌"-इति THAN QO

1 aerate, आतिथ्यम्‌

(१) “खक मातरः -सनच्छन्दांसि अथवा सप्त डोजाः अथवा सप्त सोम-सखाः, लामिः'-इ्ति fae |

ee,

२६८ सामवेदसहिता। «= [pa Wo, 2a Ho अथ Wz | इरिमिटिक्टेषिः।

RW VT WT BLU R

Ba श्या नो fear मतिरदितिषत्यागमत | र्द २९ टे ९२ ९९९९१९२

सा WATT मयस्कर दपल्िधः* १०२

BT at

रर , 1, 21 ` उतस्यारनोदिवामनोः। afer: तिया

श्र रे 8 RR MATRA | साशन्तादेता३। मा। यः। कराओ्रोर२४ ¥

वा। अपाभङिधाः। WIT डा॥२१९॥ १०६

‘sa’ श्रपिच स्याः सा पूर्वोक्ता मतिः मन्वो(\) मन्तव्या स्तोतव्या वा श्रदितिः"(*) ऊत्या रक्षया साै' fear अ्रहनि "नः"

----------

* इड सवेतरापिखधः-.स्तिधः-“खिधः-इति पाठ-भेदः।

१०२ नास्तौयमुत्तरा्िंके | ° I अदितिक्छंभिः, भादित्यम्‌ |

(१) (मतिना क'-दति Fae |

(९) -दौखं wa, ₹न्य-ख्वडोबङरमिति afc किनि ered खलम्‌, नण समासः; अदितिः सकल-प्रपश्च-धारणरव्यदौना, खिद्यते इत्यथः खदितिररोने- त्यव भाग्ये स्छम्दखामो- यद्यपि मख -पुवेत्‌ wa: fafa 'सति-खति-मा-स्वाभितोले सूपं सिध्यति, तथापि खतेनित्यमपुवा थोन्ब। ae चये CHI ered रूपं दटयम्‌ | योक्त "न संखार माद्रियेत, खथानित्यः परेत दति "अदिति

११ Wo, ऽमो We | Seats कः | २६८ अथ Brat | दयीर्विश्वमनावेयश्वकषिः * |

१२९ १९ ९२२९ १२ १९२

Sfeur हि प्रनोन्यार० यजख जातवेदसम्‌

R १९ RR

चरि भूममदमोतशोचिषम्‌, NON १०३

Wary “अगमत्‌' ्रागच्छतु ; Waray शन्ताता शम्तातिः(र) शान्तिकरं ‘aa’ सुखं(*) ‘at श्रदितिः करत्‌ (५) करोतु “सिधः' नाशकान्‌ शब चापगमयतु [खिधिबीधनाधः]

“SA स्या-“उत त्या"-इति पाटो “सा शन्ताताः “सा शन्ताति -दति ६।९०२

# 'विश्वमनसभ्राषंम्‌'-इत्येव fae | Qos नास्तौयमु्तरा्चिंके | ७?

देवमाता दति वि०। रेतिरास्कामां मते देवमाता, भेरक्रानां मते अदौोनादि- गरः, Ware प्रतिः | “अदिति दतारदितिरन्रि चम्‌" -इति निषष्ड-भाष्यम्‌ | "अदि facet देवमाता “शदिति सँरदितिरकरि शमदितिमाता पिताख Ta | चिद्वदेवा दितिः पञ्चजना अदिणिखातमदितिखं मलम्‌ "-इत्यदि तेविभूतिभाक् रजन्यदोनानोति वा-एति ने ° ४,४,९९-२४।

(३) -“शिजशनरिख्य कर (४,४,६४द)'-ट्ति हरोतोति fare तातिलि रूपम्‌ |

(8) --निषष्ो तौव-पचचमे सुख-पय्याये मयदत्य्टमं पदम्‌ |

(५)--लेगोरूपनिदम्‌।

AG?

२७० सामषेदसहिता। [१मप्र०, RA To

र्रर र्‌ क: "द: रर

, 1.1. 1 हैडादार्ददप्रनोवियाम याजखक्रा। तवे

९९६ ९, दसाररेम्‌। ACM AWA! टृभाइद्‌ तारे

#ैर र्‌

WWM | चोररेषाम.॥ २२ १०२

प्रतीष्य way प्रतिगमन-शोलम्‌(*) अजनि ['हि' अवधारशे(र), पम्निभेव| ‘Sheer स्ततिभिः wa कुर्‌ किच्च, -चरिष्णुधूमम्‌ | सवत्र षरण-गील-धूम-उ्वालम्‌ “Tafa (९) रत्तोभिर- प्रठत-दौिम्‌ जातवेदस" जातप्रभ् [यदा, जातानि भूतानि वे्तौ- ति जातवेदाः,(*) तमम्नि(*) aera’ हविर्भिः पूजय १०२

1 वाक्षजग्भम्‌ |

(१)--मङाभ्‌ तलात्‌ सवेगतस्‌'-इति Fite |

(२)-डौति org eesti Fate |

(द)--“इयशाभेज्न्दसि, खः-दति भल रूपम्‌।

(४)--““ जातवेदाः, कस्मात? जातानि वेद्‌, जातानि aa बिद्खते जामे विद्य a tia वा, जातविको वा, arent, जातविद्यो गा, जातप्रज्ञानो यतव्ञातः पञचन- विन्दत, eMac जातमेदस्वभिति ® ® व्ययमेव सोऽप्रिजातवेदाः"-इति Fee, ४,६--४। “रष मााभाम्धात्‌ कमेपृथक्लादध्रिरोव'-दति तदभावः |

(४)--सूर्यौपि जातवेदा द्युते, तथा त्वं मेरङ्ते--“आातवेदसे चुगवाम'- इत्ययम्‌ दार शमुखेन arene—“qu किञशचिदा ग्रसं तञ्जालवेदसानां at oar सम मन्येत अयम ग्रिरिति waa wnt ण्योतषौ जतन दसा SwAse दथासा- नादित्यः- उदुत्यं जातवेदखमिति"-र्दमुकस्‌ |

११ खर, cat we] छन्दभ्राचि काः। २७१ खथाहमो |

WRT २६.२९२

तस्य मायया चन रिपुरोशेत मर्यः | Sy

१९२९९ RR

यो अग्रये ददाश खव्यदातये = १०४

४४ | 4 Rr र्‌ १९

" ननोवा। स्याररश्मा। ययाचारेदना। रिपुर-!- :

| R | शद $ श्र शेतमार१अवार३। तोरेरश्याः। TATA TAT शदव्यदोररे४वा। ता२३४ये २२॥ १०४ "मव्य" मनुष्यः 'रिपुः' wa: [चनेति निपात-समुदायोऽप्य(९] Great wa’ मायथापि(९) "तस्यः जनस्य "न गोतः ईश्वरो भवति ‘a: जनः (इव्यदातयेः हविषामादान-समर्थाय “waa” योवजमानः (ददाश इवं षि प्रयच्छति तस्व figa totter: चव्यदातये"-“दव्यटातिभिः"-दति पाठौ ८॥ १०४

९०४ नास्तौयसुन्तरार्शिंके | ७२ 1 अगस्यक्छषिः, राक्षोघ्नम्‌ |

(१)- “चन ब्दः पाद्प्रकःदति Fae | (२)- (माबा प्रज्नवा'-दति Fre |

an

ROR सामवेदसंहिता। [मप्र Ra Ao अथ नवमी भारदाजऋ्हषिः* |

९२२९ *R Rw Te अप त्यं बजिनधरिपुधस्तेनमप्रे दुराध्यम्‌ | R RRR दविष्ठमस्य सत्यत AA सगम्‌ <॥ १०५

ट४ टे शर्‌ ११९१९२१ र्‌

` , „१. ok 1 अपत्यं वृजिनम्‌. | रिपूम स्तेनार३९५म. अप्रा

Rae RR C1 दूराधारश्यादेश्म दविष्ठमस सत.। TNR!

ATLA | सूरश्पगोर STE २४॥ १०५

~

“अने! @ ‘a तं प्रसिद्ध जिनं कुटिलं “रिपु a कारिणं ‘gor दुःखस्याध्यात्तारं दुष्टाभिप्रायम्‌ एवम्भूतं ‘aa’ हि सकं "दविष्ठ दूरतमम्‌ श्रपास्य' अरप चिप [असु चेपणे- दूति धातुः] हे “सत्यते wat पालितः अग्ने ¦ अस्माकं सुग' शोभनेन गन्तव्यं सुखं ‘ahr कुरु [अत्र सवेदेवामकस्याग्नः स्तवनाद्‌ वेश्वदेवत्वम्‌(९) < ९०४५

# (ऋजिखनश्राषंम्‌'-दति fae | १०५ नास्तोयमुन्तरािके | ७२ I सोमक्रतवं बहदाम्नेयोयं aq |

(१) -भविश्े देवाः सं देवाः'-इति MAMA (९२,४.५) | 'अनादिद-टेवता-खिङनी

११ ०, cowl we] छन्दभ्राचिकः। २७३ अथ Tua | विश्ठमनाएवषिः

क्क A = भा ष्ट यद्यं नवस्य मं स्तोमस्य वोर fara | WTR RL?

नि मायिनस्तपसा THAT TH १०॥ ९०६

az < < शेर रे ९.

Mb

1 इाउशरुष्यग्रनवस्य मेद्ाउ। are WI >

४रर ९९

रविश्पतायेर४। रदीदाउदावा। निमायिनाः। तप

दर रर द्‌ रर

सारार२४। रएशेष्दाउष्दावा। क्षासार२४:। TETRTs-

a | § र्‌ | 6 Me १४.

WaT | ददण्दे४ | PHATE RT | हापद्‌ डा ॥२५॥ १०६ दूति प्रथम-द शनि tt

वोर' waui विनाशयितः ¦ बौयवन्‌ ! वा "विश्पते" विशांपाल यितः! हे अग्ने! ‘are’ इदानीं क्रियमाणलान्रूतनं मे' मदौयं

९०६ नास्तोयमुत्तरा्ं के | ७४ 1 अगस्यक्षिः, राक्ोन्नम्‌ |

सम्बरराशिः श्यात स्वेसाधारणनाद्‌ बङ़-द वतो asa: स्यात्‌"इति देवराजयज्वा (७,१९,५) श्याग्र यत्मप्यस्याग्या दतम्‌, अग्ना वव सवे-द्‌वताभिवाद्‌ात्‌ ; Wa उक्त निदङ्कभाष्य-कारोश- “ग्निव सवादेवता द्तिह₹ विज्ञायते, खभ्रिवदवतानां मृचिष्ठ

afafa च, खपरिप्डं प्रधानमामौति न्यायः; तक्ादाग्रयः मन्तः स्यात

इति (5५१४) | RAR,

२७४ सामवेदसंहिता [श्मत्र० Ra Ho

‘are स्तोव्र-शस््रादिकं “wey wat भमायिनः' मायाविनः रक्षसः कम-विन्न-कारिशः, राक्षसान्‌ "तपसा तापकन तेजसा ‘face नितरां भस्मोकुर(९)। [गुष्टोति “जात्‌व्यादयञख(9,१, 2¢)-afa निपातितः(?); वकार-लोपज्डांदसः(२]

“तपसा” -तपुषा-दति पाठी ॥१०॥ १०६

दति सायशाश्ाग्यं -विरथिमे areata सामवे दाथप्रकाष्े अन्दोयाष्छाने प्रथमखाभ्यायद्छय CATE SS: ॥२९।

^ ५५५ १५५ * ~> ~ ५१ १५०१५००५ ०न १५५५५५५५. ०५५००००१ ५.०.५०१... ५१५५१ नन ^ = . ^= ००५०५

अघ दादश-खण्े-- सेयं प्रथमा |

प्रयोगोभागव्छषिः #

ok रर = * R रे eo प्र मरदिष्ठाय गायत Ward TEA ्रुकरशो चिषे R १९ R रे

उप सतुतासो अग्मये १॥ १०७

# “सोमरोराषेम्‌'^ दति वि० ९०७ SUT कस्य २,२,१७११ |

(१)-"मे' array ater बलेन “वोर!” "विशते ! wap! “मायिनः “cee: “तपसा “wey Fase नि दर टति वि°-निष्यब्रोऽम्बयः ; ce मते विभद्धि-बत्ययः|

(२)- अनन हि सूत्रेण खकार Leary विधोयते |

(९)- षकाराजमख तथेव |

WAM Go, Lal Wo | BUR! | २७१

श्र ९६८... ; I प्र Qoetaz छाय गायता। ऋतान्बेरे। ब्दते ` र्‌ र्‌ शृक्रारशे३। चाररथ्दषाद्‌। उपाशओौरशा। साता

र्‌ % र्‌ सारश्ारे। - WMIRBYATE TT ॥२६॥

8 | द्‌ 8 7 प्रसर दिष्टाय माधरयता | WAT RY २। बुदा; ^ . 1 तादश र२। क। शोचारेद्दषाद। उप। Ware $ ९९ वाद्‌ | VU TATRA | प्राभयाईादर Ro R 8 UX <x 4 र. ui प्र मरदिष्ठाय गा दया ३४दरैर९्या | Tawa

रे बृनिपएक्रशोर। WRI दवा रद््‌। TAT RT| उपा-

ररर र्‌

दष्ाद। स्तुतारदश्ा। साञअ्ग्रारर्या२४२द्‌। ओर२४

< ५।द्‌।डा॥२८॥

7 प्रमरडिष्ठोये, इन्द्रऋषिः | Ill प्रमरृहिष्ठौवम्‌ श्रासितं वा, इन्द्रो वसिष्ठो वा ऋषिः

२७९ सामषेदसंहिताः। [१मप्र०, रयम” अथ Ffaater | इयोः सौभरिज्छेषिः * |

We

Lae सो अग्रं तवोतिभिः सुवोराभिस्तरति वाजकमेमिः। "7 # “र x LTR 7 1114 TY प्र मदद्िष्ठाय गायता प्र मदिष्ठ वा। यागायत। र्‌ RT चद zt ऋलताररन्वार४द्‌। कृचतेश्यक्रा। चाददषाद्‌ st

दावार्ाद्‌। सतुतौदावारशार। सश्रार३४५द्‌ डा

२९ १०७ दाढतमाय “ऋताव "(र) aaa सत्यवते वा Wee AEA "शकर शोचिषे' दौष-तेजसे cea’ शर मायत' स्तोत्रं पठत (११५ १०७

x “सोभरिः"-इति वि ° पाठः | TY प्रमरहिष्टोयम्‌, इन्द्रऋषिः

(x) amie जये क्रः | “उपमम्ब ये कवन्ति^दत्यादि वि ° |

(२)-मंडतिदाम-कम, निष्ट लतीयाध्यायौोय-विंभतितम-खष्ड पाठात्‌। wera are तुज्छन्दसि (४,३.५९) -द्तौष्टनि रूपम्‌ |

(द) मतो (¶१,६,१८१)"-द्ति योम-बिभागादकारस्य दीधः।

(४- चि (ल.ताखो wae दति (१,१,११४) प्रतिभाव रूपम्‌ |

१२ Bo, 2a wo] छन्द्ग्रा्चिकः। 209

RRR RU रर

यस्य त्वद सख्यमाविथ १०८

I प्रासोारशाई। «RST तवा३१अवार२ 7. -

RTT २९ ष्य २, १२ नोरर्मोः। सुवोरामिस्तरतिवाजकममिः। TAT: 8 1 8 + |

डाः लारसा२२। स्यमोवा | वाधरथो इा१।२०५ १०८

डे “अग्ने ' ‘aa "उतिभिः" र्ताभिः सः यजमानः श्र तरति wata | aaa विथेष्यन्ते--“सुवोराभिः' गोभन-वौराः पुत्रादयो यासु, ताभिस्तधोक्काभिः वाजकर्मभिः वाजानामन्रानां बलानां वा कम THe याश्च, तादशीभिः। हे श्रम्नेः! “लं we यजमानस्य we सखित्व मित्रत्वम्‌ “आविधः(९) प्राप्रो- त्यथः, प्र तरतीति पूवंजान्वयः॥

“तरति वाजकर्ममिः"-“तिरते बाजभर्ममिः"-दति पाठौ “आविथः-“अ्रवर'-दति ॥२॥ Yor

१०८ उत्तराञ्च कस्य 22,20 | 1 वाजगभद्‌ वा वाजाग्दु वा वाजाभर्मीयं वा, भरदहाजक्छषिः।

(९)- ““डन्दसि we-qwe-fige: (२,४,६)'-इति कालसामान्ये fare

#

1 1

[

^

Ros | सामवेदसंहिता | [१मप्र०) RATe

Wa ततया | Rk र्र्‌ TR ९९२९६१९ TRAM AUT देवासो देवमरतिं दधग्विर |

FR वचा खव्यमृदिषे २॥ ९०९ ,

Bs 8 रररश्रद ,

}

~ 4.2) 1 तं गृरर्ब्ारया सुवणरोबा। देवासो देवमरारता

^: ® | ‘R इन्दधावा। ब्रा५योश्चाईर३े। श। न्वारदश्टरराद्‌। RT र्द $ R : R STATE | व्यमरद्ारे। ₹ादषार्रश्रोदावा। ऊः

९१९९९ = २२४५ २१॥ WT AT KT LU RRL LT तं RATS | देवासोदाद्‌ मरतारद RR § RT

TAL दधेन्वउरा। वा३। देरेदश्वा। चादा९३। . | + व्यमोवा। BTYTATE ATT २२॥ ब्‌ res x | 4 3 का तं मूहवाखोर्णाराम्‌। देवारेसोर्‌इ४दे वम-

१०८ उत्तराचिंकस्य ८,२,१११ | LIL] इमानि तोरि सौभराखि।

श्यशसख्ठ०,३याक्छ०] छन्द्राचधिंकः। २७९८.

R R | 8 RR TATRTA | दाररश्धा। न्वारधदराद | UTR RRB श्र , ६११११

ST] देवारतरारद्श्दा। व्यमूडशा५इ। षार३५५

9

२२॥ १०८

डे “म्तोतः' ! तं प्रसिदमग्नि "गृूैय सतहि [गधयतिः स्तति कमा (नि०२,१४,५] atenq—aut सवस्य नेतारं सव यजमानः कमांदौ ATT वा। Waar, wa प्रति हविषां नेता- रम्‌(*)। देवासः दौव्यम्ति स्त॒वन्तोति(९) दैवाकऋतिजः देवं

दानादि-गुण-युक्ञम्‌ sa सखामिनं, यदा, अ्रभिग्राप्तव्य(२) "दधन्विरे [धन्वन्ति गदन्ति] स्तुतादिभिः प्राषरबन्ति [धविगत्यथेः*] प्राप्य चुः,

तेनाभ्निना ‘aat रेवान्‌ [देवममुव्येत्यादिना(४) दियीया्यै वा

(१)-“खः', जरस्‌ इति थक पद-इथमिति पद-छत्‌-पाठात्‌ खर ग्रमेख खय अम्यते , विबरणकारखवमेय याच, तद्यथा, खः लप्नोपमभिरं zeae, aca दित्वभिवत्यथेः, (नर acrarce’-<fai खः, ऽभ्रिः-श्त्यादि माम-षटकं दिव आदित्यस्य साधारशम्‌, भिद-दितीयस नुतीय-षोडग डि तज प्रमाशम्‌। कवि auch शन्बमसमानपट्‌ऽपि शाम्दसम |

(२)-दोयतेः fae soe स्योऽस्ति गक-पाठादौ |

(१)--'खअरतिम लम तिम, पयाप्न-मति सव ज्ञमित्यथः ; अथवा देवान यलमानांख प्रति ममारम'-इ्ति fare |

(४)-निषष्टोदि तोय-षतुद शे पठितवान ‹द्धम्विरे, धारितवन्तः, स्थापित

-tfa fae | (४) -^दव-मनव्य-पुदष-पुर- मत्ये भ्यः |”

२८० सामवेदसंहिता [ध्मप्र०ञजरेयश्र अथ चतुथौ |

प्रयोगोभागवक्षिः, सोभरिः काशोवा*।

१२९१९ RQ

14 मा नो Swat अतिथिं Tacha: पु्प्रशस्त एषः

Rt

यः FRAT खध्वरः ११०

$ Rs 5

`}. गमा। atl इणोरेथाश्रतिधोरम्‌। वासृरार३४

नोः | पुरौदोवाश्चाई | प्रशोरहोवार्ा३े, सच्रोरर

ध्वा। आभ्दषोश्छाद्‌ २४॥ ११०

प्रत्ययः ‘war चस-पुरोडाशादि-लश्चणं हविः “श्रा afer’ अभि प्रापय [वेलिटि(९) यजादित्वात्‌ सम्प्रसारणम्‌(*) १०९

# “सोभरे राषेम्‌'-दइत्येव वि° | Wo नास्तौयसुत्त राच्चि के। ७५ \—fgea लेट (२,४,७)१। लिरूथेखावे sud, लोडर्थखच सण्येति भःष्य-

टता खभिप्रापयेति लोगे रूपं प्रतिपदं ena | (9)- 'बचि-खपि यजादीनां किति (९,१.५५)

१्२शख०, df we] emia कः। २८१

a ¥ दर ₹२४ ५४ र्‌ 11 मानोद्ाउ। शार२२४। णोथाञअ्जतिधिम्‌। वा/- : ।: WT VL RUT

FORME पुरोदाई। प्रशोरडा स्ता२३४एाः |

र्‌ ¥ PEMA | हाद डा wax nee

wiaa-wes ! a अस्मत्‌-सम्बन्धि-यन्ञे 'श्रतिधिम्‌' भति- भिवत्‌ प्रियम्‌ अभ्निम्‌ “मा eter’ भां हर कमभ्निम्‌ ? इत्यत- आह-- यः afer: सुोतीाः,.) we देवानामाद्वाता(९) 'सखष्वरः' शोभन-यज्चो भवति “एषः"(९) अग्निः Genre’ weft: स्ततः "वसुः (०) वासकञच भवति [तमिति पूवं ज्रान्वयः(४)

“मा SGM अतिथिम्‌ इति छन्दोगाः, मा दणोताम- तिथिः"-दति बह्मचाः॥ ४।.९१०

1,17 ware सौभरस्य सामनौ |

(२)- बाषठ-बडल-बनात (४,१.९४) कः सन््रसारशम्‌ |

(₹)--खन्दचापि ‘aay यज्ञानां होता ईत्यादौ (०२,१,१,२) ्धग्रङातत q ALE GAT वार्कः “अथास्य कस, wa | efenaerwaw देवतानाम" इत्यादि (९,९०१५)

(९) जतौ(ग्याण्प०) TAR Baa, मन्ता-दई्ति Fae |

(9) ष्यपि वसुद वविष्येषोऽचि vat पर मेड ae Owes WH: तस्म खान- क्वामावादसामञ्जस्ात्‌, खस्ति fe मेरुकरम्‌- "अभ्रिः उचिव)-ख्ानः(९,१,१) रति, "मध्वसाना वसवः(१२,४.८)' इत्यादि |

(४)-- "बः" (अतिथिल्‌ खतिथि-स्यामोयः, ‘aq’ प्र्रर-वनवाम वा, ‘gene’

2 ER,

Ao सामवेदसहिता। [2a Wo, wate

We पञ्चमो | विखणां सोभरिज्छेषिः। रर BR Rx BR tt भद्रो नो AAT SA भद्रा TT सुभग भद्रो अध्वरः RR एद श्र भद्रा उत प्रशस्तयः ५॥ ११९१ (4 रट र्रषश ~€: 1 मद्रा्नः। शद्‌ अग्निराङता९शए। भद्रारातादः। २९. , शद र्‌ q सुभगाभार | RIREMLIVT: | ARTHRAATR | प्रार

8 8

BUTS | स्ता३४५ये६ CTT २६ ॥१११

carga,’ इविर्भिस्तपिं तोऽग्निः “a? अस्माकं भद्रः" कल्या

भवतु दे ‘gaa’ शोभन-घनाम्ने ' भद्रा कल्याणो राति दानं अस्माकं भवतु, भद्रः were “अध्वरः ana भवतु ‘sa अपिच भद्राः were ‘req प्रशसाः

RATS भवन्तु ५॥ ११९

swaps ९११ कस्य 92,2052 | I देवानौकम्‌, पथो वा पक्धस्य ऋषिः | बडभिः स्लोतसुभिः खतः, Geta aac: “षः, मन्ता eee: लम्‌ a’ अस्माकमपि areata: सा ऋोस्सौः-इत्ययमथा वि०-सम्मतः | सखिनिषण्टर -दितीय-दादक्न ऋष SUG, एसतिख निषष्ट,-ततोय-तुदभे पडतो दक्षते |

Nye, lwo | wefan | Rte we वहो | RUT TV UT WT VLR यजिष्ठ at aqare देवं देवचा डोतारमम्यम। OY

Sf 8 RY 2 १.९ e

अस्य ANA सुक्रतुम्‌ ११२

श्र दर

1 याऽपजि। त्वा उवा देष्मदाद्‌ | देवं दववादडा- `

तारेदराम्‌। AAPA | आख्ययाश्नार२। स्ाररस्‌३। |

MTABYATE RTT VOM ११६

= श्रग्नं ! ‘afae यष्टतमं ‘at लां वहठमहे' बणौमरे सम्‌ भजामहे कटश त्वाम्‌ देवत्रा"(र) Fay मध्ये (देवम्‌ अति- शयेन दानादि-गुखम्‌ “होतार देवानामाद्भातारम्‌। श्रम 6. 9 6 9 ¢ 9 6 99 aq अविनाशिनम्‌ अरस्य ‘awe’ यागस्य ‘gag ge

कतर (९) ११२

११२ उत्तराच कास्य ERR I गौतमं साध्यं at | (१)- “निपात्य (६,१,१९९)' इति Te (९)-'षजिष्ट्‌, ‘Saar “देवम्‌, ‘wtarca, “Wawa ‘qaqa’ ‘an’ लाम्‌ UUAy प्रार्थवामरे ‘We’ TRONS ewe परिसमाप्ा्थमिति देषः। अथमथोः विवरशङृत्‌-स्मतः |

२८४ सामवेदसंहिता [Rate ta We अथ Gye |

OR. NUE: AES ee 2 PRR १२९१९१९. ` ,// URED STANT यान्ाल्ताश्ा सदमे fe fre शश्र एर देक रब

मन्यं जन्य दुग्धम्‌ ° 102

x 2 र्द z .

1. 1, # LAMAR WATT ऋकनासारदच्ा। सः

दारह्नाद कश्लिदजारशद्रणाम्‌। मान्यु्रनस्यदूरर

x $ XT

दा ठारदध्याम्‌। UPA TT HTT डा २८ NG हे श्रमं " “तत्‌ ‘Gay Te यभोवा आभरः अ्रच्मम्यमा्र

‘ay यदा “्रासदने' यच्च-ग्र sea कञ्चित्‌ कमपि “अतिखम्‌'

अत्तारं रा्षसादिकं 'सासाह' भअरत्य्थमभिभव तचा दृढा (\) -

दुधियं पाप-बर्ि(९) शत्रं ‘sme wal क्रोधं अभिभव,

तदेति पूव॑व्ान्वयः

“दूद्या'-“दूब्यम्‌"-दइति पाठौ १९३

cn tte RE + ~~~ Sn” =

ee

१९३ arettaqaata के ७६ ` I संवगः, जमदग्निक्छषिः | (१)--""तन्बाद्येनां अस्थि «een ({,४,८१)-इएति वचनात ofa, ercg-cy-

शोप STH | (९) ढा afew: पापथियः'-इति Fo ५,४,९९१।

RNS, cathe] न्दश्रािंकः। २८५

अथाहमी। विष्वमनाऋषिः |

RC रर ३१ RT BRR

यदा विंडपतिः शितः aay मनुषो fren |

Ws Rey Re दे

विश्वेदभिः प्रति रक्ताएसि सेधति ८॥ १९४

र्शर CRT रेर शद

I यद्राजरेदविश्पतिः शिताः। ata eae [7 -.

१९ २१२द्‌ RT ९९

frarcereem: | प्रतिरसा सिसेधता Seer:

WUT | डा ace ११९

इति दितीय-दशति “विश्पतिः विशां पतिः(१) पालयिता शितः हविभिंस्तोखयौ-

११४ नास्तोयमुन्तरा्चिके | ७७ TIAA, श्रगस्यऋषिः |

(९)--विडितिमनष्य-मामथाडि- मनुष्षमामान्यतराछि पवितिः २,२,८ reel fatten चतुथम्‌ VE विश्रः-इति तेषां पतिरोशचर $A

# इति ग्रामे गेय-गाने ठतीयस्ाङ्घ; प्रपारकः।

दति Toy

२८६ सामषेदसहिता। रयप्र०, kA] कतः(२) सोग्निः ‘gata.’ सृष्ट प्रोतः सन्‌ मनुषः" were “विथे' [fam निवेशने (तुण्प°] we “यद्वै (९) यदा खल्‌ वतते तदा- नोम्‌ शश्रम्निः' विश्ादव्‌' विश्ान्येव(*) तस्य बाधकानि रक्तांसि ‘nfa()faa धति' हिनस्ति [षिधु गत्यां(९) भौवादिकः] ; (ठ?-प्रसिद्ौ

“fan” “fafar’-<fa पाठौ ११४

रचिते wag ~ 9 ~ ~ इति सावराचाय्छं विरचिते माधवोये सामनेदायप्रकाभे दन्दोया्ड्याने प्रथमदखधाश्यायदख इद्‌ GS Lz

(dey तनुकरे (दि०प०) इव्यखेतद पम्‌, ऋतिः Peace, भितः dea शूत्यथः'-दइति वि ° |

(९)- a, उ- द्वावपि पाद-पूरशे |

(४)--विच्वा-षति “gut © शक्‌ (७,९,९९)"-पत्यादिमा We रूपम्‌ | श्दिति पादप्रःइति fae |

(x) —‘afa ब्दः पाद्‌-पुरशः-दइति Fae |

(4)—aaree सोयमिरह Fare: |

R°—M Go, १०मो्०] ST कः | २८9 वेदार्थस्य प्रकाशेन तमो ETE. निवारयन्‌ |

Gaal खतुरो देयाद्‌ विद्यातौधं महेश्वरः

~ e © दति जोमङ्गाजानि राज-परमेश्वर-वेदिक-मामं TUNE AACA EATS: साचाग्ध-धरग्धरोल सायर चाय विर चिते माषवोये-सामबेदाथे- THT WATT GIy य-पवंखि प्रथमोऽध्यायः ॥१॥

समाप्तम आग्रेयं पवं आग्रेय-काण्डं वा

दूति १म पवं

( सामवेदोय-मन्व-भाग-लभ्याः सन्ति यावन्तः अरभ्मि-दैवता मनाः तावन्त; सर्वएवेदेब cafe काण्डे वा दृश्यन्ते | )

यस्य निःश्वसितं वेदा यो बैदेभ्योऽखिलं जगत्‌ | निमंमे तमहं वन्दे विव्यातौधे-मरेश्रम्‌ १५

अथ हितोयाध्यायं आरभ्यते | पस्िब्रध्याये इन्द्रः wad %

अरघ प्रधम खण्ड -- सेयं प्रथमा | शंयुवाह स्पत्यऋषिः | १९ द्र रर १३ AGS तदो गाय सुते सचा पुरुदताय सत्वन। र्ठ दे ६११९

Taga शाकिने॥ ९२॥

# दत श्रारभ्य चतु्ौध्याय-गेष -पथन्तमध्याय-जयाककमेन्र awa पव्वं वेत्यश्यते |

न॑* .भरदाजस्याषंम्‌'-इति वि० |

safes HA ८,२,४,१ ।१

242,22] SUR: | ate

है RR Rk 4

A

3--~

I Sia) तद्दौदवा। गायार। सुमाद्‌ साररश्चा ` र्रर

पुरता यसात्वार्ना रद WaT! ₹ा। Wee

R १, हैर : TUR

गारदध्वादू। नारशारद्ओदावा। ए३। किनेर२४५

AeA

= “ग्ोतारः !” “वः” (°) ययम्‌ “सुते” अभिषते सोभे सति “gaya” बहुभियंजमानंराइताय “सत्वने” शवूरां arefaa [यदा धनानां afaa दात्रे ©] इन्द्राय “aq” स्तोत्रम्‌ “सचा'(९) ae संता भूता “गाय ' गायत “यत्‌” स्तो “शाकिने” (५) शक्तिमत इन्द्राय “a” सुखकरं भवति |

“Ta a” यथा गवे यवसं(४) सुखकर तहदित्यथंः(९)

(९) -द्वितोया-बङवखन मिद प्रथमे क-वचमस्यर स्थाने द्रणटयभ'-र्ति, “अन्तर्मम wari मेषः, मदोौयाकरात्मन्‌ ! -ष ति खन्वि० |

(२)-'सलने' षण दाने LAE TY, दाते लो तुम्यः-द्नि वि०।

(२) - “म्वा मह cae: care नेरुकरम्‌ ५,९।

(४)--शकनं शाकः शक्तिः |

यवम्‌ SWAG घाम Awe |

(3) —faace-aa "किमे -गवः'-इ्ति विशेष्य-विश्षक। तथाच--यथा कञ्चित शषौवलः शक्गिमते षभाय सुखकराः खतीखचारयति, ददिन्द्रख सुखकर ate. मार येत्यथ : सम्पन्नः |

29%,

२९०

॥। & ¢} f ("८

सामवेदसंहिता | [२प्र०१,२,१

# र्‌ TR

71 तद्वोगाया। चुलादसचार। पुडररदूतार४ |

शद ९९

चाद्ा३। यासत्वाररथ्नाद शंयङ्गारखवे। are | 8 चोर। इवोर२४। वा। काष्नोाईदादू ॥२॥ शद र्द

LIT तद्धा गायरतेसचा६ए। पुरूतायसत्ने। पुरू

र्श्ट 5

अता याप्तत्वाररना३९द्‌ शंयत्‌। गौवाञ्चारदेध्वा |

4 8 Rg

नाररशार२। BTS8yYTATE ATT Il 2 I

र्‌ ।। R ररर

, ; IV तद्वागायनेसचा९ए। पुरुषतायसत्वनाद्‌ शं [वि्‌ , यत्गाररवं। रे रदाश्ारदद्दो। नशारर। कारदना दर दर शे ९९१९१९१

रदध््नौदावा। १२३४५ We

LILLY “ae = मार्मौयिवे हे, aft ar anita Qe मार्गोयवंष्व, सर्व्वाणि at रौद्राणि सर्व्वाणिवा मार्गीय-

बाणि। शत्याषयकम्‌

VToR,2,2] Seas कः २९१

अथ feta |

सूभकसक्टषिः * |

१९ ९९ रे RRR २१९२६ VR

यस्ते FAyMTHAT Yara Az: | 146 १९२९९ RC

तेन नृनं मदेमदे: WRU

रि 8 | 1 यल्तेनूनाधरशतक्रताउ इन्दद्यन्नितमामारदाः।/7. , `

RTUT , $ ११९९१

AAPA | दाईमाहेडवार। देर२५५॥ ५॥ `

अव सोमः स्तृयते--

हे ““शतक्रतोःः-शतविधःप्रन्नान ' (२) हे “we!” (र)

# श्युतकल्षस्याधम्‌ इति वि I आश्वम्‌ |

(१)--ऋतुरिति frre -तृतोय-ग वम पञ्चम पदम्‌। (शतमिति बङनाम (गि०९,१,१०), ऋतुरपिकम.नाम (नि०२,९,९१९१) श्तं MAM यद्य शतक्रतुः, तख सम्बोधमं अतक्रतो ! TERA !-द्ति fae |

(२) -डइन्ड्ः खनारोचस्धर-दवः, “यो जातरव प्रथमे मनखाम्‌ देवो देवान्‌ क्रतुना - पदाम्‌षत्‌ | यद्य ष्माद्रोदसो अभ्यस्ता WTR मदा सजना दन्दः" -दूति wa सच arate ““वाय्वनद्रो वा अक्रिच-स््ानः (०,२,१)'-इति fe emg ; “वाय सिदरशेक श्व यथा इष्टः कठ"-दूति तदु-भाष्यम्‌ | “इनदरः दूरं इकरातोतिवेरां ददा

VER araaee fear | [२१० 2,258 We Satur | wae ware

९९१९९ RPRT BLT २१४२९

ee | गाव उपवदावटे AM THU रप्सु दा |

दययन्नितमः”(२) यशखितमः “यः मदः” [मान्नेनेति मदः सोमः] यः सोमः “aa” पुरा “त” त्वद्धंम्‌ अरस्माभिरभिषुतो fa “aa अ्रस्माभिदयमानेन सौभेन “ननम्‌ ददानम्‌ “मदे”(*) तत्पानेन मदे तव waa सति श्रस्मामपि watfeeraa त्वं मादय [ मदौ षं, भवान्तभीवित्यर्थः ““न्दसि बहलम्‌"-दइति शप्‌(५) रे

# हयतस्याषंम्‌ दति fo wars ware: |

तौति वेरां दधानौति act दारयतश्ति act धारथतद्ति वेन्बं मतामोति वा तद्‌ यदेनं प्रास समेन्धत तदि न्दर्येन्दत्यभिति जिञ्जायत ce करणा दित्या्रायश een नादित्यापमन्यव Tea वश्वथकलण wee wi टारयितावा द्रयिता वा यञ्चानाभः- इत्यादि HAMA १०,९८। “ररा शब्दे उपपदे द्‌ शातेदेषातेदारयतेधारयतेवा१-- इत्यादिः “दरामन्न तन GAAS तद्रतु-शेतुकं बरं Wea, तेन we-whea-qe- श्या तदाधार-भतो मेषः” इत्यादि देवराजः

(@)—ae otra, तन दोप्राथख, अबिश्रयेन दौक्तितमः इति वि ° |

(४)-- "मद्‌ सप्तम्यकवचनमिद्‌ नृतौयकवष्नख्य Bra HEM, मदेन ; ‘He: माथ सत्यथः"-द्ति Fae |

(४) -कण्दसि शणयजपि (२,१,८४)'-एतग्डम्दसि पद्‌ व्यत्ययो बङलम्‌ (९,६.८५) स्तो वङलंपदञ्च सङ्कलय्य कन्दसि बलमिति वचनम्‌ | वस्तुतोऽयमुपपरड-बत्ययः |

, २८०२, 2,3] छन्द प्रा्िकः | २९२

श्र श्र R

उभा कणा हिरण्यया ls

at 8 | र्‌ R ९.

a

1 गावः। रएगावाः। उपव। Sia: वरटा...

uxt RR

SBMA | ART मद्ोयाररधक्ञा। स्यरा३।

९.१ ue ,

ATTRA | प्सूर्दा उभाकारदध्णी

ब्‌ R 4

FETS शारदरारर्रोरावा | एयाररध्या ९॥

डे “यावः” घयेदुघाः ! (१) युयम्‌ “श्वरे "(९) waz महा- वोरं(९) प्रति “डप वद्‌” उपावत [वणं-व्यत्ययः (२,५,८८] उपा- गच्छत “are” घमे-यागस्व(१) साध न-भूते “रणदा"८९) THE श्रा रिष्ठोः wae [रिष्छोरश्विनोदातव्ये वा; यहा रपणं wea रप्‌ मन्वः, तेन मुदातव्ये ; अथवा षद ATG (भूा° श्रा०), रपा मन्वे क्षारणोये दोहनौये, शद्शे] गवाजयोः पयसौ

“Ser” महतौ (*) aga रपेचिते, wa उपावत [गो-शष्टो

उत्तरािं कस्य ०,३,१ Ge ।२

(१)--^ड-मावे (०,३.२२) TORT ({,१,००) सूपमिदम्‌। (२, --““ चमे खाज प्रधान-भूतं मडावोर-नामकमभ्मिस्‌"'-दति Fite | (९)-,(४)-- ददिवघनाथं एकवचनम्‌ (२,१.८४) |

२९४ सामवेदसंहिता | [२प्र०१,२,२्‌

श्‌ Il आद्‌ गारदहध्वाः' उपवारदा। वाराज्राररथ ९२१२ ५९ १९ Tl मरोयन्नस्यरपसुदा३२। शओाखरेरेध्भा। काणा ९९१९

ओररध्वा। हिरण्ययार३४५

अजाया अप्य्‌ पलक्षकः, भ्रजा-पयसोऽपि महावोरे श्रासेचनोय- त्वात्‌] अपिच re महावोरस्य “उभा'(४) “at” कणा(९) कणंखानौयौ दौ सको “हिरण्यया” feces सुवरं-रजत- मयावित्य्ंः(>)

“उपवदावरे"-इति warm: “उपावतावतम्‌ ”-दइति ABT URN

(४),- (ई) -- सधां सु-शं मित्यादिना (9,8,e¢) जालम्‌ |

(°)--"ऋत्य-वास्वप-वास्त्व-माष्यो-डिरणष्णयानि कन्दसि"' | ९१४,९७४ |

(=)—‘ata:’ < azlyt बाः! ‘waz waz भषम्‌ “ae CAT q qraryferat ‘sq’ उपमम्य ‘ae’ वदत | alex मेषम्‌ ? ‘sat wer दिरष्छया' उभौ करे हिरषमयो यख कोड्‌ दो खावादथियो ! "अश्वसा रप चदा ' सश्चसय रूपदे। चष मर्थ बिवरख-छत्‌सन्मतः |

RTR,2,8] STE कः २९५ अथ चतुथो |

इयोः Wanaara रषिः |

BUR २१९२ २९ ९२९ hy yr अरमश्वाय गायत BARA | ~ RY २९२९} a अरमिन्रस्य धासन ४॥ RR < धर्‌ 1 अरारे४म्‌ अश्वाय गायाईदता। अ्ूतक ^, ` र्‌ R र्‌

A

WATT HFT | आरषदेध्याम्‌। शारद | Zl द्राख्या-

| र, R XZ =. R ररधा। SMTA! सी। यारङ्श्श्रौदवा। २२

| 6 तौ ४४ ४४र र्‌ १९ 11 अरमश्चायगायता। रमश्चोवा। यागायत | AA ' . ` R

क। WR! WRN आरारङ्गाररध्वाद्‌।

श्ुतकचच ऋषि रामानभेव सम्बो धयति,*)- हे श्चुतकच्च' आत्मन्‌ |

111 straare

(९)- मेदं वि०-समतम्‌, ततर हि “ह quae तकचस्य सम पुज "इति

२९६ सामषेदसह्िता। | २प्र० १,३,५ अथ पञ्चमी |

TAHT: |

शर श्१्२ M9 तमिन्द्र वाजयामसि ae TAT इन्तवे

YT रे दे

वृषा वृषभो भुवत्‌ LY,

र्‌ रर (1

रमिन््रा२। दारा स्याधान्ना। ओदेदोवा। हा ut! Whee

“अरम्‌” wea “गायत [वचन-व्यत्ययः (३,१,८५] गाय गोतिं कुर्‌ किमयमिन्दरोदे येनस्तुतिस्तव्राङ--^“अष्ञाय" wee दौयमानायाश्वाय तदधम्‌ “श्रम्‌ wa गाय शन्द्र-विषयं स्तोत्र कुर्‌, तथा “गे” wat गाय. “see” इन्द्रकतंकाय “are” wera तदथच् “अरम्‌” vata wie; ग्टहादिकमिन्द्रः प्रय- च्छति, तस्मे गायेति [यदा इन्द्रस्येति कमणि ast, गवादि- लाभाधमिन्द्र स्तहि “श्रुतकक्ता--श्रुतकश्चः"-दति पाठो ४॥४

यजमानाग्राइुः-- “तम्‌ पूर्वोक्तलत्षणम्‌ “इन्द्रम्‌” वाजया-

SHUT AA ५,१,१०,१

२१०२,१,५] छन्दश्राचिं कः | २९७

२१ ०8र भर १९ रश्र

तमिन्राररवाजयामसि। aregat) यद्ान्ता- “ˆ २९

ARI सवार्षाश्वारइ। षभोरदश्वा। मृभरवाईा Theo

at र्‌ ¥ श्र t

ll तमिन्राररवाजयामसिष्ाउ माद्ेव्रचा। यदा ,/-~ . R 2 न्ता९वेर३। दावाद्‌ | सवार्षाश्वार३े। Waa ९, R ur द्‌ र्‌ शश १९

UW) TAT! भूरवारदशरदावा। Wl TTA

१९६१ २२४५ ११॥

मसि'(\) सौभेन स्तुतिभिवौजयामः वाजवन्त' gat, किमर्थम्‌ 2 “महे "(र) महान्तम्‌ “ware ®) अपावरकं Target ““हन्तवे"(*) इन्तुम्‌, सोमपानेन मत्तः स्त॒तिभिवा qa: सन्‌, ठवहत्यायाश्च,

1 तन्वः पार्थऋऋषिः। Il तन्वः पार्थो वा दावसुराद्विरसो वा ऋषिः। (९) --“वाजयति"-दति निष्ट, तुतीय-चतु हंग पञ्चच मरमं पदम्‌। “ent मसि (७,१ ४६)”-दति मसदूमाममे रूपम्‌ | (२),--(द)-दितोयाथं agen” (९,४,९८)। (४)- “तुमर्थ से Ga (द,४,९)१ -र्ति तवेन्‌ प्रत्ययः | र्कः,

२८८ सामवेदसंहिता | | २प्र०१,२१५

< Ft

To tte TIL तमिन्ध वाजयामसोईए। मदारचाद्र इचार- यन्तवे | TR TRV! ओमोवा। सदे १६५ at arate | ओरे। Kesar) शओ्रोमोवा। इष Are!

| | uxt द्‌ R ABH | ARVWATTW १२॥ र्द र्‌ x ४४. co, ओचोद्डवारशोद। तमिन्द्र वाजयाश्मसो श्र ९४ चओोदडवार्ोद। मेव ्ारयारदन्तवे। TRC

ट, ९९ XAT x

BUA सवार्षाररधनव्र॒ षभोभुवत्‌। इडारदभा

३। THT! शो५द। डा॥१२॥५

[वाजयामसि वाजवन्तं करोतोत्यधं तत्‌ करोतौति(*)णिच्‌“णावि- छवत्‌(९)'-इति शेरिष्ठवद्भावात्‌ “टेः (६,४,१५५)-इति टिलोपः,

rn een nn ge A TT AT

Ill वसिष्टक्छषिः, fast नाम TY afasazrfa: इडा वा ऋषयः, निवेष्वःसं्षारो ara!

(५)--“तत्‌ करोति तदाचष्ट "एति गरुष्छव्रम्‌ (६,१,२५४) | (९)- “प्रातिपदि काद्ानथं वलमि वश"-टएति म०(२,१,९५)।

२प०२,१,६ ] न्दभ्राचिकः | २९९ अथ षो | इन्द्र मातरोदेवजामवचऋ्षिकाः | १२९९९२९९ UR षर श्र त्वमिन्द्र बलादभि सदसो STATA: | M9

श्र शरदे बपेदसि रद्‌ त्वरसन्‌ वुषन्‌ TIAA Ue र्‌ 2 I खहाउत्वमिन्धा ।` बलादधि चखारखउषश्ाउ। ayer

रर र्‌ x R R र्‌ सोजा। ताश्रोर्जसादः। दारेखद्ाउ। त्वारसन्बृषा

र्‌ R R चर द्‌ २न्‌। डाठेउदाउ। इषायेरत्‌। शआररसारदश्ओष्ो वा। TH १४॥

"विकतोलुक्‌(५,३,६१५)'-दइति वचनान्मतुपो लक्‌] “ae” warat Gar दाता “सः इन्द्रः “aaa.” Wars स्तोढणां सोमस्य दाढशां घनादि-सेचको दाता(*) “भुवद्‌"(९) भवतु ५॥ धू

हे “om” “त्वम्‌” ^“सहसः"(९) परेषामभिभावकाद्‌

(४)-- "वषं शादु षमः'-दति भे०२,६,१। (!)-रेगेरूपम्‌। (१)-- "बड भवे, बन्दस््रभिभवायः, खतुम्‌'-एति Secreted |

२०० सामवेदसंहिता | (२प्र०१,२,६

४५ रद र्‌

८.17 11 त्वमिन्रबलादधो९ए। सदसोजा ताज्राशजसः।

RR RR RR

TAAL इयायोरेरश्वा | AMAA | दयारो

RRR RL R at द्‌

Zl दइयायोरदध्वा। वृषायेरत्‌। आरसाररेथोदो

R वा। ALU १५॥

४५र४ ४४ र्द “oo 7 त्वमिद्धबलादधिसदसाः। जातारः। ओजसा ४४र ४४र रेदछः। THER! त्वारसन्वृषादेश्न्‌। THIET I २९२९ Xt

बृषायेत्‌। आरसारदरओदोवा। १९३४ ce

9 ८८

"बलात्‌" “safe जातः" अ्रसि(९) [अधिः पञ्चम्य्थीनुवादकः | ह्रादि वध हेतु भूताद्‌ बलादेतोस््वं wart भवसौत्यथेः|

अपिच “strre:” ओरोजोनाम बल-हेतुः हदय-गतं 8a, तस्मा-

1.17 शायातानि atta |

Q)—wee लयि दश्छमानलात्‌ कारणालुपिघायिवद्य कायाशामिष्यमाश- ल्नात्‌'-द्ति fae |

२प०२१,७] न्टश्रािकः ` २०१

अथ सप्तमो |

गोषङ्गयण्वसक्तिनो षो चस्य(*) |

Ret र्द at रख aad यज्ञ द्रमवद्धयद्भमिं व्यवत्षयत्‌ | fat R ₹? BR

चक्राण अपश्रम्दिवि to

I WU >]

| ¥ 1 यश्चदृन्रमव्बा्यात्‌। यद्गूमिम्‌। व्या। a7

. ।। R R हर्ता र२४यात्‌। चारद४क्रा | णारर४ पाशम्दिवि। दर uxt द्‌ R

चक्राणञओओरर | पारेशारेद्थोदोवा | DLV lle oll दपि त्वं oratsfa(®) 1 हे “षन्‌” afer) “सन्‌” यष्ठः “aq” “षा इत्‌ असि" कामानां वषितेव भवसि(*) ९६

“यन्नः” यजमानेरुष्टोयमानो यागः “इन्द्र” देवम्‌ “अरवथै-

(°)-अखाक्छवः, उशर ख्या Gay: | दुगचसयेति स-यक्षारपांठोयुक्गः। उत्तरा्चिं कस्य ८,१,९,१ 8 1 इन्द्राण्या साम |

(६)--खोलजसद्ति were arena विवरशछता aaura—‘wisre: we Hee see ‘awe: अभिभावकात्‌ ‘aera’ “afesa:’-<fa fac | (४)-दिति पाद्‌-पूररः-दूति fae |

३०२ सामषेदसंहिता | [रप्र०१,२०८ अथ Wat |

१९ श्ल WwW २२९२९२९९

यदिन्द्रा यथा TAMA वख एक TA |

RR ए? ६२

स्तोता मे गोसखा स्यात

यत्‌” [सयते fe—a ve हविरलजुषतावोदधत ayers क्रतः-इति] इन्द्रः “aq’(’) यस्मात्‌ “भूमिम्‌ एधिर्वो (नि ° १,१,१९) “manag” द्टयादि-प्रदानेन विशेषे वन्त मानामकरोत्‌ | किङवेन्‌ “दिवि” अन्तरिते भषम्‌ “tras” उपेत्य शयानं (र) “चक्राखः”८२) कुवन्‌ [यदा आमनि समेतो वोर्य विशेषः रोपः, तमन्तरिक्ते कुवन्‌

= 39

रे “xm!” “यथा “त्वम्‌ “एकद्ूत्‌' एकणव केवलः “वख: (१) वसुनः धनस्य शिषे, एवम्‌ “omg” श्रपि “qe” यदि “Sty” एेष्ठव्ध -युज्ञः स्याम्‌ ।॥। तदानी “a” मम

उन्तरार्चिंकस्य €,२,६.,१।

(९) --"नपुंसकशिङ्मिदं पुं लिङ्गख्ाने द्रम्‌ 'दः” ‘afew चिवौम्‌" (अव- saa’ विवर्यति विवक्नितयाम्‌ वा अन्वरूपां करोतीत्यथेः "दति Fate

(2) —afera-ewe शब्दं कुवेम्‌'-ट्ति वि०।

(९) —* fae: कानग्वा (९,२,१९०९)* |

(१)--त्ययेन पुलजिङ्गः (२,४,९८), “metic gate वा वचनम्‌ (9,2,¢9)"- दूति कात्यायन-वच्चमात्‌ मुरभावख।

रुप ०२,१,८] छन्द श्रा्चिंकः | ३०३ ४४ 9४

I यदिद्धादं यथो। दीदोवादाद। तवाम्‌। &- 702

RT श्र

शोयवखश्री ₹। ङवाई डवाये। MLV स्तोना

CT १.

गगोपखोर। Bar| Balai सायाररत्‌। दो

Ww 2 ९१९१

PATRAS ओद्ोवा अप्रिरातारेरधः १८ ९५ रर्‌ ९१९ { Il आश्चौष्दोवादाद्‌ | यदिद्रादाम्‌। यथा त्वम्‌ ।? IT TRE WT T RT

WMI! आदर शोयवखश्ादकदत्‌। श्दोयेदो१।

R WRT स्तोतारभादगोरे। सखा९२। सा्यार

Wt ब्‌ २९६१९१११

VHT | प्एक्र्राद्तारद४५ः॥ १८ NE

“स्तोता” “गोसखा स्यात्‌” गोभिः सहितो भवेत्‌ [ईष्वरस्य तव

स्तोता जगतो इहेतोर्मो-सदहितो भरत्‌ ! अपितु भवेदेवेत्यभि

| Lit fe Boe AN

I, गोषुक्तम्‌ | 11 अ्रश्वसूक्नम्‌ |

ae:

in ९“

३०४ सामवेदसंहिता | [२प्र०१,२>८

नवमो | मेधातिथिराङ्धिरसऋ्षिः | र्‌ ९९ पन्धं पन्धमिद्यातार धावत मद्याय | ₹? ९२९ १२ सोमं वोराय शूराय We We ४४ Ac |

„८“ 1 पन्यम्बन्यमित्‌। सोताईराः। पन्यम्पन्यमित्लोश्ता

र्‌ , रर २९४५ BU | आ। धावत मदियाया। सोमं वो रार२।

यप्र रा५या६५६ ॥२०॥९

हे “Mare.” श्रभिषोतारोऽध्वथं वः! “मद्याय मादयितव्याय “aera” विक्रान्ताय “शूराय” शोय वते इन्द्राय ^पन्धम्‌ पन्धम्‌() दत्‌” सवत्र wate “सोमम्‌” “श्रा धावत” भ्रमि गमयत प्र “~ ©, यच्छतेत्यथः(र) ©

उत्तराञ्च कस्य ८,२,१,१ I गोरोवौतम्‌ | (१)-“पमति are (नि° ३,१४.१६) ‘farareafawre (८,९१२)'-इति

कात्यायमवलनाद्‌ दिव चनम्‌ | (२)--नवतेत्यर्थे'-दति fae |

२प०२,१,१०] छन्दश्राजचिकः | २०५ अथ दन्नमो। काशः प्रियमेधकऋ्छषिः# |

रे Rew शे RLU

ददं वसो सुतमन्धः पिना सु पृणमुद्रम | 14 # अनाभयिन्‌ ररिमा ते १०॥ १० ९९ १५र I इरदंवसाउ। सुनमारदधाः। पिवारसुपू। RR RR 8

मुदारररा२४म्‌। WATKAT ररोवा। मा-

9 UNITS २१॥ हे “aa” वासयितः! (र) इन्द्र! “दम्‌” पुरोवसमानं सुतम्‌” अभिषुतम्‌ “शरः अ्रन्रम्‌(र) सोमलक्षणम्‌ “पिबा (२), यथा “उदरम्‌” त्वदौयं जठर “g पणम्‌” अतिशयेन सम्मृणम्‌ भवति aware | हे “श्रनाभथिन्‌ !" [आ समन्ताद्‌ विभेत्याभयो, विभेतेरोणादिक इनिः, saat अनाभयौ तादश |] शे न्द्र!

# श्िधातिये राषम्‌-दइति वि | १० उन्तरािंकस्य १,२,८,१ 19 (१)--प्रश कधन वम्‌ दूति Fao | रे)-खन्धद्ति अन्रनामसु प्रथमम्‌ नि० 2,9 | (१)-'इचोतः (६,९.,१६५) इति Ste: २९

Rog | सामवेदसहिता | | 3H १,२,१

Keer ets २९ब्‌ र्‌ R

, ५. ,‰१ 7 इदारवसोसुतमन्धाः। पिबाख्रडप३े। णमरदा- | |. र्‌ © र्‌ ₹ह४राम्‌। ATR भा रयाद्रन्‌ TUR | चा. १्र ९१६९१९९

वा३। ATARBBY २२

sty 9

2,49 1 इदंवसोखतमन्धा९ए। पिबासपूर्णामुदरौ

रवा पिवाचुूणौसुदरौ BAT | अनाभादेयोन्‌।

RT

ररोमाता। ओआह्ोवा। TUT डा २३ १० इति ठनोय-द्‌ शति

ते” तुभ्य wee “ररिमा"(५) उक्षगुणं सोमं दद्यः [रा दाने, छान्दसो faz (*)॥ १० १०

इति सायथशच्याय्यं -वरचिते माधवोये सामवेदाथप्रकारे Eales दितौयाध्यायद्य प्रथमः खण्डः

LILI गाराखि।

(४)-- "तिरः (६,१,१द४)'- ति योगभागाद्‌ दौषः ४)-^कम्दसि लि्‌ ३, ९, १०४ |

२प०२,२.,१] छन्दश्रा्चिकः | ३०७ श्रध हितोये खण्ड- सयं प्रथमा | इयोः सूतक; Yaar वा ऋषिः | रच Rt & र्शर RT BAIN अ्रतामघं वषभन्नर्यापसम अस्तारमेषि सयं १॥ ९१ “A

= १९९. दे ९९

(~

1 उद्धेदभ्योवा। श्रूतामाररश्वाम्‌ वृषाभन्ना ; .-

® ¥ र्‌ र्द | रियारपारश्शसाम्‌। आरसा राररेमं षादररूरिया। 4 आओरद्ोवा। WT! डा॥२४॥ अस्मिन्‌ इच सूव्थरूप शन्द्रस्य स्तुतिः क्रियते----श्रसो वा रादित्य इन्द्रः"-इति हारिद्रविकम्‌ हे “aa!” [(\)दादशसु भानुषु इन्द्रोऽपि aaa पठितः, तस्मात्‌] ara,

stil |

QQ उत्तरा्िकस्य ६,२,४,१ ।८

aoa शसप्रवेतसे LIl Maw Wantage ar | (१।- नतु ‘araaest वा खअन्रिच-स््रानः खय खच स्थः (०,२,९)-दति ATH

fears कथमिन्द्रमययोरकाग्म्यमिति wai निराकुवन्रइ-दरादशखित्यादि। wifentg दादश, तव मानम--“अष्टो वसवः, CHIE रद्राः, दाद्ष खादित्या- ष्यारि ताण्ड -त्राह्मशादिकम्‌ २,१२।

३०८ सामवेदसंहिता | [२प्र०१,४,१

$ ~“o 7 ~ 7 उद्ंदमिग्रुतामाघाम्‌। इषभन्नयां डम्‌ १९ र्‌ पारषथसाम्‌। आसतादेडवा। रामाद्‌ वषिद्रदृश्वा | 8 |, TANS RTE BY It | 8 Le ee ४४ 8 | चे Bake 9 of गा उद्षेदभिन्रुतामचम्‌। इयदयाषाट्‌ | इषभन्नर्या। ₹९ रे : | 8 R चारद्ादेद्र। पारदे्साम्‌। ATSATRSATS | रारमा

ux र्द ९९१९९९९

रदथअ्ओाद्ोवा। षिखरियार२४५॥ २६ ११

सुवो, Fee! “ुतामघम्‌""(र) सव्वदां देवलेन विख्यात-

धनम्‌, अतएव “aunty” याचमानानां धन-विंतारं “नर्या

way” [नर-हितं नयम्‌] नर-हित-कर्माणम्‌ “oar (९)

दानशोण्डम्‌ ओदायवबन्तं एतादृशम्‌ “उदेषि” अरभितखदेषि

“eqq” अवधारणे, त्वमेव तस्य यन्न Gras उदतोऽसि eh प्रसिदो(*) ॥१९१

Ul विलम्बसोपणै शसप्रबेतस ar

(₹)-““खथो ऽतः (GURU) Ce बोनमामाद्‌ दोषः | (३)-.खलार, चेप्रार. शचूलाम्‌"दूति Fae | (3)—at’, ‘ta’ arate पादप्रशो'-रनि वि०।

Ro 2,22] छन्द श्रां कः | २०९ we हिलोषा |

TRAE RC ३१२ \ यदद्य कञ्च वु चदन्तुदगा अभि सूय | 24 सवन्तदिन्र ते वशं २॥ ९९ ९९ दर RU 1 यदद्यका५अबृबदहान्‌। उदगाअनिरार्दया 7, ` LR सावरम्‌। तादिन्द्रतायेर। BAL वा४५गो९दा दर २७ १२ श्र wae.)

“यद दयकश्चत्यदिते रवो Cal पुरन्दरम्‌ | ग्टशब्रपाषते for वश्य वा कुरुपे जगत्‌"-दति(९)

डे ““ठ व्रन्‌” हरस्य श्रपामावरकस्य मेघस्य दन्तः ! (१) हे

I शाकलम्‌ |

(x) —arerd warretert शौनकः, सूतिकारोऽप्यल्ि, alarm: ;सश्वस दृत्यबाल्लि URE ; इड तु कथ्यमानमिदं छतिवचनम्‌ |

(२)--चिडितमेतत सामविधानत्राद्यशे तथाशि-““'उदिते यदखकञअ एबरत्रित्या- कारं खस्य यनम” -द्ति Yo Aro Who wwe |

(3 —eaxfa fare} प्रथम-दशमे भेष-नामसु अष्टाविंशतितमम्‌ | ‘ea टरोतराच्छारमाथात्‌ "अमि-चमि-मिदि fer aa’ खसमाद्‌ बाडङलकादु भवति

३१० सामषेदसंहिता | [रप्र० १,४.३२ खथ ततीवा |

भरष्ाजकऋषिः।

Re cre द. ९२९ १२

(27 नयत्परावतः सुनोती Gaal यदुम्‌ |

B २१९ VR

TK सनो युवा AST HH YW

“qar” सृव्या केन्द्र ! (९) “say” अस्मिन्‌ दिने(र) “aq कञ्च" यत्‌ किञ्चित्‌ पदाथेजातम्‌ “अभि अभिमुखौल्लत्य “sem.” [इण्‌ गतो erat, तस्य लुङ्‌ गादेशः] उदयं प्रा्वानसि “तत्‌ wa” ugar “ते” तव॒ “an” वशवत्तिं खायत्त- मस्ति ॥२॥ ९२ |

a.” इन्द्रः “तुवं शं ag” एततसंज्नो राजानौ waa:

[1

च्छादयति सो wre aa) waa मति-कमैखः, corfe-afe-<anfear रक्‌ प्रत्ययः ; गच्छत्यसौ See मभः। बडतेवा wares, गङलकाम्‌ इति चका- CS तकारः वदते वषागु Ge | गद्या रवामो वरयोऽ्यथोाः'-दति देकराज- यज्वा | “We कम रसानुप्रदामं, टव-बधः-द्ति Ho 08,81 ea-way मेष- बधः*-इति तद्भाष्यम्‌ |

(र) -बिवरण-मते खये -दति ‘aut सुलमित्यादिना (०,९.९९) सोर्णुकि रूपम्‌ | डे eae we! “we ‘aa’ ‘aw fated “खमि खभिरच्डय “स्ये wa: उदगा; worefa प्रकाशयति aq’ wae "तेः तव धव ' वक्त तदूति-पषः-शृत्यथा वि °- aaa: |

(२)-.य-प्रडणं चाच प्रदगेनाथम्‌, सवकाङमित्यथे.*दति fae

२प०२,२,३] eaten: - २११

[

2

1 यञ्रादाड | आनाया सत्‌ आनायारइत्‌ पारार- (1 1

र्‌ , R वाररध्ताः। SAMAR! खनोतोत्‌र३। वाशंयारर४- : १९. UT.

SAL इन्द्रःसानारः। द्नद्रःसानाररः। यूर्वारद vr |, | SAT सारेरे्खा R= 8 | 8 | रर

Il यञ्मानयत्‌। परावा्ताः। Bata MTNA R & © & र्‌ R SH इन्द्रःसनोयुवारसादखा इन्द्रोरेदधश्राद। इई-

९,

रद R नद्रा्रीदोर२४। WIL) आदन्द्रोञ्। TTR यारद४ R

अद्ोवा। शर३४्द्राः २८॥ १३

दूरदेशे ufam “aatat’(’) gate शोभनेन नयनेन “परा- वत.” ware दूरदेश्ात्‌(₹) “array” च्रानौतवान्‌ “युवा तरुणः “सः इन्द्रः" “नः” अस्माकं “सस्ता ` भवतु 192

1711 आआभरदसवे |

व॑ सवरेदोद © (९)--“छुषां चुखुित्यादिना (०,१,९९) Tee: | (₹)- परावतः दति निषष्ु-तृतीय-सप्तवितमे CATE पञ्चमम्‌,

# ८1 / ०६, ५'

३१२ सामवेदसंहिता | [amo १,४,४ अथ चतुथी | TARA |

र्‌ RR ९९ RUE रद मा TRNAS: खरो अक्लघ्रायमत्‌ +। Re RR त्वायुजा THA तत्‌ 8

रे र्द 1 मान द्राभियादाईशाः। खरोत षुवाया- R RR Re x र्‌ रदेमार४त्‌। तुवाइध्युजा वनादमारेदता३४३्‌। BT

२२४५द्‌ डा २०॥

हे “we!” “श्रादिश्ः meer समन्तादायुधागन्यति- खजन्‌ “सुरः” [ख गतो (म्बा०प०] सव्वं सरणशौलः रासः “say” रातिषु() “नः” अस्माकम्‌ ? “्रभ्यायमत्‌"” श्रा athe सुख्येन “at नियन्ताऽऽगन्ता भवतु यद्यागन्ता चेत्‌ तदा

जानान कक

x “यमत इति qoWo पुस्तकयोः पाठः|

(२)-अक्रः tfa fame -प्रथम-नवमे राजि-नामखु चतुथन। 'राजि-प्रडर्याव e “9 ~ 2 प्रदं नाथेस्‌ मबकामित्यथः'-दति वि०।

ATR, 2,4] Seuss | २१२ अथ पमो |

अस्याः परस्या मधच्छन्दा ऋषिः 1

RR २२ Wz सानसि रयिः सजित्वानःः सदा स्म 2 ¢ ९२. BWR

वणि्ठमूतये भर * ५॥१५

at

Il मानारेश्रारदन्द्राभियादिशाः। खरोआआरेर्तू 7 -

x R

R घूआयारर्मात्‌। त्वायुजावनोरदो। Atel ay १९१९ ATE | ओरद्ोरद४५या९५९६। ए२। ययु २०५: We २१९४५ “तत्‌ ' र्चः “aren” wares वयं “वनेम” इन्याम [वथ क्थ fearat:, वन चेत्यव (म्वाण्प०) चटठितत्वाहिसार्थः

MUTA ATA ft पाठौ ४।९४ , --. "८

4) + ve vt जयया J mae

© WT’-<ft qo भा० पुस्तकयोः पाठः

11 तान्व इमे |

© दूति यामे गेय-गाने ठनोयः प्रपाटकः॥ Bo

२१४ araazafeat | [RW १,४,५

४र

74,4 Tait णन्द्रसा। नसिट्रयिम्‌। सजित्वानं

श्र र्‌ १९ TR VARNA! वाररर्षा। छामूतया३९उवाये | |

भाररष्या॥१॥

Bcd = द. र्शर

y पु

>, १, 17 शन्द्रसानसादूम। रयारद्म्‌। सजित्वानर्सदा-

साररशाम्‌। वाषोरिषामूरेर। तयोररध्वा। भाभ्रो

EWTE २॥ ९५

= ८८

we!” "ऊतये" भ्रस्मद्रत्षाथ म्‌(*) “रयिम्‌” घनम्‌ ““श्रा-

भरा?८९) आ्राहर, कौटश रयिम्‌ ? “सानसिम्‌, सम्भलनोयम्‌

“सजित्वानम्‌” समान-शत्र-जय-गौोलम्‌(*) [धनेन हि शूरान्‌ जयन्ते 9१ ©

त्यान्‌ सम्पाद्य शचवो 1 “सदासहम्‌” सववेदा शद्‌

शामभिभवन-डेतुम्‌ “वषिष्ठम्‌” श्रतिशणयेन हदम्‌ प्रभूत-

मित्यधः ५॥ १५

LIL इन्द्रो विश्ठाभित्रो वा ऋषिः ; रोहिकुलौय नाम

(१) - “ऊतये, तपखायः-ष्ति Fate |

(२)-भरा नि ““दअचोतखिडः (९,९,१२५)"-दत्यन्तदौषः। (द) --वम-षर Tam (rote) TTS रूपम्‌ |

(४) - सडभतानां शवर रां rach fare |

२प०२,२,६| छन्द श्राचिकः | ३१५

अथ षष्टो

१९ R : र्‌ Rw Br रि इद्र वयं AW TAA AAS | 43

१९२९ ९९१९२ ९९१२

युजं Tay वज्जिणम्‌ ६॥ १६

® 1 इन्दराम्‌ इन्र वाया रम. AT मदाधानारद्र। “८ ` R 7 8

TRA इन्द्रमर्भा सद्र | दवा | WATAT RT RE | य॒जाम्‌।

॥>।

युजं TARE षुवा षुवञ्चिणारर४्रम ओ२२२४५६। डा॥३॥

ot १९

IL मदा। महाधानारर्द। ओ्रीरदो। इद"

“वयम्‌” अनुष्टातारः “महाधने""(९) प्रभूत-घन-निमित्तम्‌(र) “इन्द्रम्‌” “हवामद्े”(२) ब्राह्यामः, “Ta” अभ के स्वस -

11 ere: सामन |

(१९)-“मदति सङ्का'रति वि° "मदाघमे-दति' fang -तृतोय-बोडञ सुङम- मामसु उनचलारि त्मम्‌ पद्म्‌ |

(२)--निसिन्त सप्तम्यर्थः, aafe दिपिम[मतिबदित्याणयः |

(RW: सम्प्रसारणे (५,१,९४) रुपम्‌

At }

२१६ सामवेदसंहिता | | २प्र०१,४,७ अथ सप्रमी। जिभोकऋषिः।

९९२ ९२९ RE २९२ अपिवत्‌ कद्रुवः सुतमिन्द्रः Teas | १५२ तज्राददिष्ट पौटस्यम. १७

9 र्‌

इङिवाला। Breese इन्द्रमभोद वा दवामा-

WAT AT MAN CEL waren चओरर

1 १९ ` वा। युजंवृचाद्‌ षृवा। षुवज्चिणारदम | भी

९१९ ९, ५४ SET इदिवाला | ओरेरथ्वा दरा ॥५॥ १६

ऽपि घने निमित्त-भूते सति(५) इन्द्र॑ wares कोटम्‌ cea? “युजं ”(५) सहकारिण [समाहितं वा] “sag” wry धन-लाभ- विरोधिषु uray तज्निवारणाय “विणं” वजोपेतम्‌ [महा- धन-शब्टो यद्यपि सङ्काम-वाचौ ama aewana faa- चितम्‌(९ 0 ९६

(४)--“खमेकः'-इति निषद्छ्‌, -तृतोय Fema दशमम्‌ (५)--“यच्चत दति यक्‌ सायः तम्‌ दत्यथेः'-दूति Fare | (ई) -दड विनिगमकं चिन्त्यम्‌ |

२प०२,२,७] छन्द प्रार्धिकः | २१७

1 अपिबत्‌ काद्रूदवःसुताम्‌ इन्द्रादो RT| सदारो २1... ^...

र्‌ |

र्‌ सखाबाशड्वेर। TARA WT शो र। इवा $ र₹ 8 2x1 fear सियाम। ओररदोवा। er डा॥५॥ १७

“ag.” “aga.” कटू नामकस्य ऋषेः सम्बधिनं(९) “सुतम्‌” अभिषुतं सोमम्‌ “पिबत्‌” पौतवान्‌ “avaare” सख बाद्भाख्यं waa’) wefafa शेषः “aa” तस्मित्रवसरे (°)

“पौंस्यम्‌” इन्द्रस ater “श्रा efee” दोप्यत(५)

'तचाददिष्ट-दति छन्दोगाः, “अचाददिष्ट-दति बहचाः 3 ९७

I इन्द्रऋषिः, सहस्रवाहवोयम्‌ |

(९)- लन्बादिनात रूपस्‌ | OR नाम कश्चपस् भाया, तखाः खभुतम्‌-दति |

(२,-स्खमिति बङनाम (fro २,१११९) sexta अवयव समदायख सम्बन्धात्‌ कशे उच्यते| BS FET: कारां यव तत्‌ eee सुव, तिम्‌ पोतवाम्‌ दत्यथेः-इति वि० |

(2) - "तज सज `इति वि ° |

(४)--खत्यथे curd aera card: ; केन ! सामर्थ्य ग्मन्त: -दति बि ° |

२१८ सामवेदसंहिता t [aqo १,४.८८

wu weal वसिष्टऋ्छषिः |

RR UE शद yy वयमिन्द्र त्ायवबोमि प्रनोनुमो वृषन्‌ |

$ ९१९

विद्वो त्वार्य नो वसो ॥८॥ ९८ _ ¦ ९१ शे श्र , #; 1 वयमा नदरा | TRA | यात्वाररश््रौद्ोवा ईद अभिप्रनोरनुमोवषन्‌। विद्वादत्वारे। स्यार्नार्टध्यो

R

BAT | ATHRVAT ध्र IL दाउवयमिन्द्रा त्वार यावारेः। अभिप्रनोनुमोर्‌ - X य॒ वार्षारेन्‌। ae eae WRI! वारे सारद

ut र्‌ CRT ९९१९ १११९

ASAT | असभ्यङ्गातुवि्तमा२२४५्‌

i

`को

र्‌ 49 771 वयमिन्द्र त्वायाइवाः। अभिप्रनोनुमोश्वार-

I छषतो मारुतस्य साम | Il भारदाजक्छषिः, अ्रदारङत्‌ | Ill yoefe:, दार त्‌ |

२प०२,२,९ | SETA: | २१९

R R |, nf षोन्‌। विब्लोढरेर्वा। ७रदश्डादई्‌। स्यनोवा५सो€ 3

| खाद्‌ ८॥ Ut UT चच IV बयामौदो। इन्द्रा। ल्वायारवाः। बऋभिप्रनो-77 ,

R

TART | विद्ञोतररथ्चाद्‌। स्यानोरदाद्‌ |

वसा। ओरदोवा। WT! डा॥<॥ Rk BT | § 9 च्चै R ददर ¢

वयामोौदोवादाद इन्द्रा त्वाओदोवादाद्‌ 7;

४8 R यावाः। आररेभो। प्रार्रनो आओआइन्‌मोवार्रषान्‌ ९,. भर

वारङदद्धो। तूररवारे। AURA ४्रौदोवा। वा

| 8 रथसो १० शट

हे षन्‌" कामानां वितः! “oe!” “त्वायवः” (१) त्वत्‌कामाः “aq” वासिष्ठाः लाम्‌ “ata नोमुमः'”(९) प्रकर्धेण waa) हे “वसो” वासयितः we! “अस्य"(र) इद्म्‌ “नः”

1४, मारुतस्य भरदाजस्य इभे अदारख्ती |

()— लां यष्ट मिच्छन्तदूति fang, कधचि, “न च्छन्दस्यपुजस्य (३,४.९५)-दतोतामाये, “मा च्छन्दसि (२,२,९७०)'-इति उ-प्रत्यये रूपम्‌ |

(२)- “खमि प्रमोठमः, wha प्रेति इावपि पाद-परशो त्यथ समः"-इूति fae |

(द)-- “खस्य सुतखख'-इति वि”

123

२२० सामधैद सहिता | [ २प्र०१,४९ अथ नवमो | इयोख्िभोकज्छषिः। =R aff र्‌ १९ ९९ RB LR RR aa ये fafa सुणन्तिः बङिरानुषक्‌ |

येषामि FB २९ UR द्रो युवा सखा We lite

अखटोयं स्तोत्र “नु” Fat) ““विहौ"() अवधारय QS

"ये" ऋषयः “श्रा घा"(९) भ्राभिमुख्येन खल “uf” can” Staaf “येषां” “gar” नित्य-तरुणः “न्द्रः “सचा” भवति(९) ते “भालुषक्‌" आनुपूय्यण(९) “वरटि” “ere far” १८

# “पस्लिणन्ति?-दति ख०ग ° पुस्तकयोः पाठः | “द्णएन्ति"-दति ए० पाटः |

१८ SUMS कस्य ५,२,२१,१ ^

(४)--चिप्रमिति निशक्र-दितोय-पश्चदभ भ्रथमम्‌ | “नु tfa पादपरक^एति fa * | (४) -“दचोतस्तिखः (९,१,९१४)'-दति दोषैः |

(९) -श्वा'-इति “निपातस्य (६,२,१द६२)''-इति दीचेः। “खा दत्येषमयेादायाम्‌ घ-द्ति पाद-परणः'दति fae

(२)--*लत्य-लोत-रशरेग wean सखिः, Tag त्यर्त्यथः'-दति वि |

(द)-्यानुषगिति नामानुपयस्य-दत्यादि द्रम्‌ ९१६,९९ |

२प०२.२,९। छन्द प्रिंकः | ३२१

VT < 8 | § | < I आघाये अधिमिन्धाताई। सुणन्तिबहिरानुषाक्‌।!} श्र श्र x 1

यंषामि द्रोयवादइदा | Wate! ऊवोर२४। ati Ary,

ERE ११॥ VW र्‌ ₹े R % Il अआआघायद्रद्ा। थिमाद्‌। धाताभ्मोररध्वा।ः. R ४५४ ९, 8 १२र४दा। खुणन्तिवर्डोररा। नूषाओररथ्वा Kew रर ¥ R

येषाम | आद न्द्राञ्रार्‌र९्वा | TRAV! युवा | युवार

सा२२४५खा९५६। दै ररणा ez #र॒ 111 जओदी्राघायाईए। Paar ओौदोरैरय - | RT ९१ वा। स्तर्णन्तिवरदररानषा। ओदोररथ्वा। येषामा

इनद्रा। MMA युवारे। सार्र्खा Fear

a €UTsl वा॥१२॥ १८

111, 11 रेष्पवादानि Gaerafa ar ४१क

17

३२२ # सामषेदसद्िता | [२प्र० %,8,%° अथ दन्रमो |

RB २८६२१८६ RRL RU श्र

fafaa fat अप दिषः परिबाधो THe wu: |

१९९ RAC रर

बसु WAST भर १० २०

| 8 ॥१ र्‌ : नै 1 मि। RTE वादश्राञ्रपा। RTA ATR

१९ R ४. श्र र्‌

वा। पाराश्रोरदध्वा। बाधोजशाद्‌ | ATS TATRA |

CIT TRRVTCUUL

वसुस्यारंन्तदाभरारं२४५ १४ २० इति चलु्े-द्‌शति

~ ८८ ०9) ee 186 = Dare =m? = Seer!” “fra.” wat: “feu” दष्टो; शन्रु-सेनाः caa(’) भिन्धि" विदारय “are” हिसितौः “aw” सकामान्‌

i ~~~ बब --~-~~~~~~-

« “'ज्ूद्ि'”-द्ति क-पाठः।

~ AN 23 I अहः tee सामारेभा वा tee Gere वा २० उत्तरा्िकस्य ४,१,९,१। १०

(९) Square तेः क्रियापदमध्याश्ियते, अपेत्य Wan: wate: «fa fae |

२प०२,३,१] SRT: ३२१ [सखधः” 'खधः- इति सङ्काम-नामसु पठितलवात्‌^९)] “परि ae) feenit ततः तासां “are” weatd “aq” प्रसि “ag? “श्रा aC अस्मभ्यम्‌ WT ETH Ro Qo

दूति सायखाचाये-विरचिते माधवोये सामवेदार्थ प्रकारे दन्दोग्याश्डयाने दितौयाध्यायस् fetta: खष्ठेः २॥

५१५१०११ = ७५५५ ५५५५५५१. ~ ~ +न ५,०५१.५ ~ १५०१ *५**** ~ ~= .^ ~~ *** „^^ +~ *****५**~**५५*५* ५५५५००५ ०००००००

अध ठतीय-खण्डे- सेयं प्रथमा |

RON fer:

RVR ९९ १६२९९ श्र र्र द्र डेव WE एषां कशा Way यददान्‌। ५8

RT श्र RL

नियामच्चिच्टश्ञते २९

(2) fan} दितीय-सप्दभे eae: -a fat उनविंष्एतितमं पदम, तत्‌ परसा

auta (द) -इचोत बति (१,१,१३४) दौषः |

“५

228 सामवेदसंहिता | [रप्र १,५.२ अथ दितोया | दयो स्तिगोकऋ्छषिः |

६९२९ दे २९६२

13 za त्वा fa Wad सखाय इन्द्र सोमिनः।

१२ VR BR

पुष्टावन्तो यथा TWA रर

रद्‌ ४र्‌ र्‌ दर RR

` ~; 0, + & 1 दूदेवारेदष्टणवणएषाम.। कशादस्त षुयार दा रदान्‌।

५४ $ श्र 8 R नियामच्खारचारण्टष्ञनाद नियामच्ादई्‌ चमारेश्ा

४र रर श्र

२३४ताद्‌ ण्डियारे्दोवा। रएियोदोर्‌। एदि AMT एरर्धो १५॥ र!

“oat” मरतां “हस्तेषु स्थिताः “कशाः” स-ख-वाहन- ताडन-ह तवः “यद्‌ वदान्‌"(९) यद्‌ वदन्ति ध्वनिं कुव्वेन्ति, तं ध्वनिम्‌ “sea” अत्रेव fear “णु (९) खृणोमि। ध्वनिविशेषः “यामम्‌”(र) सङ्काभे “faa” विविधं शौर्यं

I शेषम्‌ | | (९) aa बदा -दनि fac वदाम्‌-इ्ति शेटोरूपम्‌ | (2) 38a <fa fae | (a) "यान्ति येन arat रथः, तम्‌'-द्ति fao |

२प०२,२,२] SWS कः | २२५ < (८५ ^ ks! “ie ४/२, ४. दर ४.५।

1 इमउत्वाकिचि्तते। ए२। सखायाः। इन्द्रसोमा-ः

र२इनाः। डोददोवा। पुष्टावार्दन्ताः। दोदषोवा- | §

२९ 3 २। यथोरेरेध्वा। पाभशोददाद १६॥ २९

११

aaa") नितरामलङ्रोति [“ऋछष््रतिः प्रसाधन-कर्मी (६,४,२४) '-दति यास्कः(*) १॥ de

डे “oe! “an” at “सोमिनः” बरभिषुत-सोमाः“सखायः <a उ” खस्वस्मटोया जनाः “पुष्टावन्तः" (९) सन्भृत-पाशाः “यथा पम्‌” पश्मिव “fa aac” वि पश्यन्ति(९) ₹र

1 पौषम्‌

(४)-- “नि waa, नियमेन गमयति'-दूति fae | (४)- यदा एषां WaT कश्टाः वदन्ति, यदा एषां चिवः रथं सारथयो निय- मेन गमयन्ति, दा न्दः Tea स्थि मूयते- दूति विवरण-निष्यन्नोऽथेः।

(९) मनौ दोषः। “पोषक पुष्टम्‌, तदनः पुदटावन्तः, पौषणवन्न इत्यथैः |

(२)- “रतदुक्कम्‌ भवति--घाखडारिणो waa wat पण्ोखपंखाय परमया प्रत्या युक्काखलमेव Ty wa, vet निजः सोमबन्तः तेनेव सोमेन रदो. तेन त्पशार्थ' तवां पञ्चकोत्यर्थः' -दति fae |

A37

२२६ सामवेदसंहिता | | २प्र०१,५.२ अथ qatar |

qa काणक्षिः | १९ ९२९९ २९ १९

समस्य मन्यवे fast विश्वा नमन्त Her: | १९९९ १९ z

समुद्रायेव सिन्धवः

श्र

7 1, 4 1 समस्यामार। न्यावेविशाः। विश्वानामार्‌। ता

HVAT | समुद्राये २। वसिन्धाररवा२४२ः। ओर३-

४५द्‌।! डा॥१७॥ RR

“विशः” निविशन्त्यः(\) “विष्ठाः” wat: “area” प्रजाः “rea” इन्द्रस्य “मन्यवे” क्रोधाय [यदा मन्धुमंनन-साधनं स्तोत्रं तदर्थम्‌] “सं नमन्त” सम्यक्‌ खत एव नमन्ति प्रम्बीभवन्ति aa दृ्टान्ः- “समुद्राय va” यथा समुद्रम्‌ भअख्धिम्‌ प्रति “सिन्धवः” स्यन्दन-शगला नद्यः खयमेव नमन्ति तद्त्‌ We IRS

1 मरुतां संवेश्ौयम्‌, सिन्धषाम वा

(९)- यद्यपि विद्मष्ति ageara (fac) तथापि wea इत्यनेन पौनर्कृ- sexta क्रिया-निमिन geen! fave यातौ (1००) Tag रूपम्‌, स्ृति- निद्धविभिंख याप्नारः'-दति fae |

रप०२,२,४] छन्द प्राचिकः | are अथ अलुधो कुसोदौ काण्क्छषिः

RRR श्ट WTR र्द ee

देवानामिदवो मदत्तदा IMAG वयम

VR ९१२९६९६९

वृष्णामसम्यमूतयं a ४॥ २४

२२ 1 देवा नाम इदाश्रोरेरध्वा | ओवाभोर्दश्वा 177. R

R RAC ९. 8

मार३४दात्‌। ATTSUTL | माशाओओर्दथ्वा। वार-

a Re

द्याम TUT भ्यामाच्रोरेदध्वा। तार्‌

Bz ॥१८॥

हे देवाः ! “देवानां ख-तेजसा waar दौप्यमानानाम्‌ ४८ 16 ममि 4 rn ८6 मदत? e [ e a ८, इत्‌" एवाध (९) युखाकमेव “महत्‌ व्याप [मंहनौयं वा] “श्रवः पालनं यद्‌ विव्यते “तत्‌” “ष्णां” कामानां वषिद्धृणां qua

1,71 erfawa =

(1) —‘tfafa पाद्पुरशः-द्ति fao |

RAs सामबेदसहिता। [२प्र०१,५.,४

cS र॒र ९्दर 19 1 इादेवानामिदबोमदद्नाउ | ALTIUS | मा- R “९. ~न देवा२३४याम.। एेरदोरअरेदद दो इष्णामारेसना | ४र ९१९ २९९११९९ WIA Vs | तारेयारर४अीदोवा दविकतेर३४५ १८॥

र्‌ स, RAT ~ 7 eye ITT दबानामिदबोश्ाउमाडान्‌। ASTIUTE | ART R

र्‌ दइवारदयाम TUTE! आररस्मा। भ्यम्‌ -

#र र्‌ ९९१९९११९ ९२। तारयार्दथओदोवा। इविष्कले९३४५ २० WOU र्‌ ४५ ररेर |. IV ढेवानामिदवोमाहात्‌। तादावृणो मदाद्‌ वार र्‌ र्‌

याम्‌ वृष्णामाररस्मारे। भ्यम्‌.ररश्वा। ताभ्यो | 4

STEW RENE

wud तद्रक्षणं यजमानाः “वयम्‌” “श्रा agate” समन्तात्‌ सम्जामह(*)। fanaa? “Tenaga” “aaa” gana मस्मदधमिति साधारण्येनोक्तं तद्‌ विगिनशि-ऊतयदति, श्रस्माकं पालनायेति॥ ४॥ SB

HPV हाविष्कते ca

(8) —<wr fra द्येन प्राथयामः'-द्ति fae |

२प०२.२.५। न्द श्रा कः | ३२९ अथ पञ्चमो |

मेधातिथिः afer |

Re १२ : RB & सोमानां खरणं Rafe ब्रह्मणस्यते |

९२८ l

Raa श्रौशिजः॥ ५॥२५ रैर ठर २९९१९२१ र्‌ सोमादेनाएखरणाम.। Hae त्र। woe”

21 BRB! VARA RATTAN «AT

ie अरोरद्श्वा श्राभ्रदजोई दादर २२२५

डे “ब्रह्मणस्पते !” एतत्रामक देव !(९) तवं “लोमानाम्‌" श्रभिषघवस्य ware माम्‌ श्रमुष्टातार “ace” देवेषु प्रकाशन-

PY उत्त रा्चिंकस्य ६,२,१०,२। ११ I कात्तौवतम्‌।

(९) ज्रद्यशस्यतिरिनि free) रेवतकषाष्ड षिगकितो mama. चकि | नवे WC ब-स्ान-देवताठु Trey ewafafefe aaa friqarag? ‘ay. wafa: (चेवस्यपतिः' “बाल्ोष्यतिः' “वाचस्पतिः "वसोष्यलिः' रषामपि पञ्चानां सोदादरसं निवचनं प्रदजितम-- करद्यशस्पतिब्‌ wearer पारयिता वा -ग्त्यादि To १०,१,६९। WOE मन्त्रसेति तद्माष्यकारः we पति-पुव-पार-पद-पथ- खोषेष (८,९,४द)' -दति खलम्‌ |

82H

३२० सामवेदसंहिता | [प्र १,५५

चन्तम्‌(र) “aafe’(®) gel तत दृ्टान्तः--.कक्लोवन्तम्‌" एतन्रामकखषिम्‌ [इव-शब्टोऽव्राध्याहायः] कक्षीवान्‌ यथा देवेषु प्रसिदः तहदित्य्थः “यः” क्तवान्‌ “ओशिजः” उशिजः ga तभिधैवि पूव योजना कक्तौोवतोऽनुष्ठाढषु मुनिषु प्रसिदिस्सेत्तिरोयै रारायते-“एतं वे पर Meee: wt वानौधिजो TACT ओायसस््रसदस्यः Teg प्रजाकामा अचिन्वत"-इति। ऋगन्तरेऽप्युषित्व-कथनेन नुष्टाठत्व-प्रसिदिः qua—“ae कक्चोवान्रुषिरस्मि विप्रः इति तस्भादस्वानु- rent प्रति दृष्टान्तत्वं युक्षम्‌ मग््रोऽप्येवं यास्केनैव व्याख्यातः “सोमानां सोतार प्रकाशनवन्तं क्र ब्रह्मणस्पते ! wala भिव श्रोशिजः after कन्तावाश्नौथिजः उशिलः पुज, उशिक्‌ वष्टेः कान्तिकङ्चणोऽपि त्वयं मनुष्यकक्ष एवाभिप्रेतः स्यात्‌, तं सोमानं सोतारं मां प्रकाशनवन्तं ge ब्रह्मणस्पते | (६,२,१२)”-इ्ति अस्मिन्‌ aa सोममिति पदेन ब्रह्मणदति पदेन सूचितं meray तेस्तिरोया भरामनम्ति- “सोमं स्वरणमित्याह--सोमपौथमेवावरुग्धे, कणु ब्रह्मणस्त इत्या ब्रह्मवचेसमेकवावरुम्धे"-दइति ५॥ २५

#, निरक्त-कार-पाठस्त--“कच्यावान्‌”, “कच्यएव""-- इति स-यकारः | (२)- ख, शब्दोपतापयोः (भू1*प०) दत्येतख्खेतगर प्‌, षब्दथितारं Aare उष्ारवितार खोलार यष्टारञ्च त्यर्थः" -इति Fao (६) -विकरख्-अत्ययन षातृभाममेकाथेलेन बा STG |

२प०२,२,९] न्द्रा कः २३१

अव बटो | खअतकन्तक्रषिः १२ Bi UR RR THAT TVG नो TAC Baral: | ९९ BR १२ TSG शक्र आशिषम्‌ URE . १९ रर ©

1 बोधन्मनाः। ददारस्तृनारः। ARTY! रिया-.. ^ `

R २९९

„३ WRT: | Tessa! तुशकजा। शि।

धाम ओरहेडोवा BUT डा॥२२॥२६

wa परोचचक्षतः(९) “saw” are इन्ता “भूग्योसुतिः' (९) Tey देशेषु xara सोमा भ्रासुयन्ते अरभिषूयन्त इति तायः [यदा बहनि सोमादि-हवंषि, इन्द्राधेमासयन्ते इयन्तदूति aver: | “area: [बध अवगमने (ates), strafed त्‌ प्रत्ययः] यस्य मनः स्तोढणामभिमतं pat arate

1 ओषसम्‌।

(१।--खउक्क पुरद्छात्‌, (१०६ ४०) “विविधा wet भवन्ति परो चषटताः १, प्रत्य Bare, आध्याप्मिकषस् द, इत्यादि afew खयम्‌ |

UMA बङ-न।मधेयम्‌ ९१९१५) खस दुति-्ब्यो रस-वचनः AT रुमाजा- हतादुनो tia! तथाच भरि ख।तुतिथे्लसभूयासुतिः बङप्भस्ययेः-षतिवि० 1.

Auer

२२२ सामवेदसंहिता | [२प्र० १,४५.७

अथ सम्रमो | इ्यावाश्वऋषिः | Be R अद्य नो टेव सवितः TATA ATA: TATA | १९ ९६९२९

परा SUNT सुब © २७

aaten “इ द्‌ " (र) अवधारणे “नः ware बोधग्मना एव “ग्रस्त सर्ववदास्मदभोष्ठितानि savage: [यदा एतादश इन्द्रः aware af an भवत्विति]। fa ततः? “शक्रः” ama weeataaa we: ““प्राशिषम्‌" अरस्मदौयां स्तुतिम्‌ [arava वा] “orara’(*)

बोधन्मना-बोधिन्मना-दति पाठौ ६॥ ९६

रे “सवितः देव !” “नः” अस्मभ्यम्‌ “शरद्य” अस्मिन्‌ वामदिने “प्रजावत्‌” य्॒रादयुपेतं “सौभगं” wal) “arth”

(₹)-- दिति पाद-परकः-इ्ति बि |

(४)-'रतदुम्‌ मवति- यदहं प्राथयाभि, तच्छणोतु करः, TAT चबुदतुः बुद्धा सम्यादयतु"-द्वि fae |

(९)-- "सविता wafer: तस्य सन्बे.धनमम्‌ सजितः-दति fae, “सविता, wie प्रसविता” इत्यादि Hens १०,२,० “खादित्योऽपि सुवितोश्वते"-दत्यादि तत्रेव सदुसरखष्ठ |

(२)--भगमिति ननाम, wea wa gare, सुभगमेव सभमम खाथिक-

सहितः, wat घनमित्यथः।

२प०२,९,७] कन्दश्रािं कः | 222

# ४४२ रद्‌ ST दर

२९ 1 अद्यनोदेवसवितः। अओचोवा। eT

Te प्रजावारक्सा। वोःसौभगाम.। पराद्‌ ररेघा३। रो. , १९९ ११५९१५९

वादा भ्रियरसरदे०५वा६५९। दक्लारया२३४५॥२४।

RR रर RTL xT

Il अद्यारेध्नोदेवसा। विताः। wera वीः. .

श्र ४५ ५. , सौोभगाम.। Wage! अ्रियरसुबोवा। Ae! द्‌ २९२ ९२२ १५२ ९११९१९९ STRAY | ओदोवा | अस्मभ्यङ्गातुवित्तमार२४५म्‌॥२ ५२७ प्रेरय (९) “दुःष्वप्राम्‌(*) दुःखभप्न दुःखध्रवद्‌ दुःखकरं

दारिद्रय “परासुवः*(५) दूरे प्रेरय 9 २७

[म

I मरद्ाजस्य aay, दक्षणिधनं वा। Il भरहाजस्व मोत्तम्‌ |

(६)-“सावोः खम्धतुजानीद्डि-दति Fae |

(धो-अनिरटख कस्यचित्‌ eee: am, gay: तसम्‌ भवं दुखणुम्‌ “qe. पदात्‌ (८५९,१०९)''-दइति THAT |

(४)- षेति षु ITE (भाण्पर) TUM Ss रूपस्‌ दति Fae |

We

roy a

328 सामवेदसंहिता | [२प्र० १,५.८८ अथ अट मो | WATS: काण्ऋषि

2 FRU REA BV Be ९९ काऽस्य इषभो युवा तुविग्रोवो VTA: | र्द

ब्रह्मा कस्त सपयति रलः

bs मायू gas र्‌ श्र A, 2G 1 कूररश्वस्यवाधवृषमोगुवा। AAAS LT

र्‌

x नताः। ब्रह्माकादस्ताम रर्दोशआारडददो। स-

a र. पर्ग्याररता२४३द्‌। ओर २४५९ डा २६

४४ र्‌ © § श्र रे

| I] क्रुवाकुवा | स्यवृषादभोयु वा३। आओआ३४। इदो $ 4 Rit

xz त्विग्नोवोआरनानतारेः। Sze) दोडोट्‌।

“स्यः” सः“ षभः” वर्षिता “ga” नित्य-तरुणः ““तुविग्रोवः”

प्रहद-गरोवः(९) “अनानतः कदाचिदप्यनवनतः इन्द्रः “ar?”

(९)-- तु विप्रोबः, पुग्रीयः weitere: | कथमिन्द्रो बङप्रोवः ! swi— परमाकमखरूपत्वात्‌ खयतः पाङिपादान्तः सवतोऽचिष्ितेमखः, सबलः faa हके खेमारत्य लिष्ठतिः-इति वि०। तुवि-एति aware: fine २११२

२प०२,३,९] छन्दां कः | ३३५

अथ नवमी | aerate: | R x > दे ६.१ RF BUR उप इरे fCuy सङ्गमे नदीनाम AS #र र्‌ र्‌ २२९९१९१ ब्रह्मार२। कारस्तार२४अ होवा सपर््यतीर३४५ ॥२७॥ र्द TT 11 gaa Hawa THI a7 as रर्‌ < ( वि्योबोश्रनानताः। रेदोयेद्ो। ब्रह्माकस्तदसम्य- ररर uc Ai feast आरद। दियारश्रादोवा।

R | 4

ATLBVTB ॥२८॥ RS

HI वर्तंते ?-इति की जानातीव्यर्धः | “कः” “aw” स्तोता “तम्‌” इन्द्रः “सपय्यति"(९) पूजयति 2८९) nee

ee

[का

LILI भारहाजानि आषंभारि वा सेन्धक्ितानि वा

(x) —farray परिषरण-कमसु तीयम्‌ द,५।

(द)-- अस्यासि खषटवमदति ““खग्डन्द्सि बङुलम्‌(९,९,१६९)*-दइति ल्‌ परकतां निभिकलोषशत्य Ste: 1 oferty अनानत इति यपर (१,१,११४)दति प्रहटतिभावः। करेर्ति “अदात प्रञान्तामिपूजितयोः (८९,१९००)'.दति ए्तिर्लरा्य |

३२६ सामवेदसंहिता | [२प्र०१,५,९

Re VRE

भिया विप्रो अजायत < २८

kT

+, 1५4 1 उपष्राद्‌। गिराह्दणाम। सङ्ामचा।

दारदनाम.। भियाविप्रो। अजायता। अयाम र्‌ A

MART वा२३। ऊं३४पा re

१९ १९ ९४९२ ९२९, 7, 4, 8 ¢ 17 इदामीरदश्दाम ददामिदकम। . इदामोर |

` ४१ २९,

दाम उपशरगोदरादणाम ददामोरदश्दाम ९.२ ९२९१ Rk R ¥ Rg x ९. दरदामिदकम.। इदामोरदश्दाम्‌। सङ्गम चनारदाद ९, RR PU VV २९,

नाम इृदामोरदथ्दाम। इदामिदकम। इदामोर | 4 दाम भियाविप्रो खाहजायाता। ददामाभरददा६५

श्र र्द

TTS प्रद्‌ ३०॥ २८

““मिरौणां” पर्व्व॑तानाम्‌(*) “samt” carder प्रान्ते

TIL शाश्च araat |

(९)-"मिरोशम मेषामाम.'-द्ति fare निरिरिति मेष-नाम् Kate नि०९,१० |

२प०२,२,१ ०] छन्द भाविकः | ३३७ अथ ANA} |

दूरिमिठऋ्षिः# |

२२ RU रर्‌ १२

प्र स॒म्म्राजच्छषणोनामिद्रर सोता नव्यं TPA: | NY

९२ २२९ st नर FITS ALATA Wt १०॥ ३०

“aerat’ सरितां “aga” सङ्गमने ईटग्विधे 22 क्रियमा- णया “धिया” सतत्या(२) “विप्रः” मेधावौ९) इन्द्रः “अजायत (५) प्रादुभंवति, स्ततिं चोतुमिति शेषः(*) [गिरौणामित्य्र “नामन्य- तरस्याम्‌ (६, १.१७७)-इति नाम उदात्वम्‌(५)

"सङमे -.सङ्गथेः इ्तिपाटो॥€॥ २८

“उषं गोनां” मनुष्याणं wey’) “सम्बाजं” सम्यग्‌ राजमा-

(२)-- धिया प्रञ्नय-इ्ति fare | घीौरिति प्रज्ञा-नामस्‌ सप्नमम्‌ Wea fae २,९।

(दे)-- विप्रति मेधावि-नामप्‌ प्रथमम्‌ Fao १,९१ |

(४- कालसामान्ये प्रत्ययः (९,४,९)) मन्त्रे -विप्रोष्व्ायत दति प्रद्धति- भावो ऽपरे इति ।९,१,१९५४) |

(५)-“रतदुक्स्‌ भवति--यज प्रदे बरवो मेषाः, यज बह्ृद्कं, तच तेषां चोद्‌-

we पानाथम्‌ इत्यादि. fae | (१)-“चषश्यः'-दूति महुष्य-नामसु गवमम्‌ नि ०२,६। BQH

९३८ सामवेदसंहिता | [२प्र०१,५,१०

, ` + 46 1 प्रसम्ाजाम.। चाषा रणादूना रम | TERT रद | १९१ , RT १९ स्तोतारे। नव्यारङ्गारदेष्टूर्भौः। नारा RATA | |

8 8 SAAT | शा५द्ष्ठोईदाद्‌ ze tl

vuct A 21 1 RSET चार्षाणोरेनाम। अदरद्रारस्तो र्‌ x RATS

a

इता२। नव्यारङ्गारदध्टूरभः। नारमोई | ANT RATE

मर्दहा५दष्ठाम | BYE डा॥२२॥

नम्‌(र) [यदा मनुष्याणा मधौ श्रम्‌(*] “इन्द्रम्‌” हे स्तोतारः ! “प्र स्तोत (*) प्रकषण wa RETA ema.” स्ततिभिः“नव्ये ५५)

LIL वाषेन्धरे |

(3)—‘tisra’-xfat जलति-कमंम्‌ नि० २,९५ |

(द)-"राअति'-रति Urey -कमंस चलुथेम्‌ मि० ९,२२।

(४)- मुखभावो बाङलकान्‌। शचि दीघाको arate लिङ (६,२,१द४,) इति |

(४)- “नव्य नवतरम्‌ इति fae इह नये नोतेरूपम्‌। नौतीति अकं ति-कर्थम्‌ अटाद््मम्‌ Fao Bru |

२प०२,२,१०] कन्द ्राचिंकः | २२९ Vue ४५ ६२ RX F 111 PORTS | षणादेरध्नाम.। TATRA ` R ४५ swt ताहे। नव्यारङ्गारश्षर्भीः। नरनुषाडम्मराभरडि

RB १११९ प्रा दाउवा। छाररश्पम. ३३

४४ at रर << 8 LV प्रसम्भाजच्छषेणोनामिन्द्रपस्तोतान। व्यङ्गाददर्भोः 7’ १९ र॒र 8

दन्द्ररसीतानव्यक्गारहदभीं 28: | नरन्न षाम | माधद-

R ४दर

दिष्ठाम स्मे देरद्ोर। याररथ्योद्ोवा। Av-

९२.१९१

दोरष्ठाररधभ५म. २४॥ २०५

इति पश्चम-दशति we

ee

eee eee er 9 —— ~ -- ~ = --------- ~~~ - -- -*=- -~ ----- ~= ~~~ ~ == ~,

ILIV कुलस्य प्रस्तोको |

५५ BMS के दितीयस्याद्ः प्रपारकः। # दति ग्रामे गेय-गाने VTS: प्रपाटकः।

89 सामवेदसंहिता | [रप्र 0 २,१११

wa “नर” aa) “ृषाहम्‌ (9) णां शच -मनुव्या शाम्‌ श्रभिभवितारम्‌ “मंडिष्टम्‌"() दाठटतमम्‌ ॥१ ०॥३०

इति सायलाचार्य -विरचिते माधवोये सामवेदाथप्रकारे कन्दो ्ाष्याने दितोयाध्यायस्य शतोयःख्ष्डः

५५५०५०५० ०५०००५०१५*५१५०५१-१५५५.*५१५५०५००*०*१५५~- ~~“ ^~» १५५५५०१५ ५५१५१५.१०१०.***०*५.*-.*५.......,..

अध-चतुध खण्डे सयं प्रथमा | TART: ९९ १९ १९ Adi अपाद्‌ श््यन्धसःसुटसस्य प्र WAU: | टर

इृन्दोरिन्द्रौ यवाशिरः १॥ २९ “भिप्रौ"(*) (“fat इन्‌ नासिके वा(९)'] शोभन-हुः

~+

(q)—‘at नराकारम्‌ दति fae |

(७) “छन्दसि Te (२,२,९द)'.रति फो ^पुवेषदात्‌ (८,२,९०९)-दति षले कूपमिदम्‌ |

(८)-मंडत-द्ति दान-कमेस्‌ अन्त्यम्‌ मस्य चि “तुज्छम्दसि (४,२,४६)-दती- छनि रूपम्‌ |

(र) - प्रस्त fers wea fast |

(९) -श्तेतत्‌ TENA gear (Gee! कए गतो, wife-afe ate

२प०२,२,१] छन्द प्राखिकः। २४१

ax २१ : < 1 अपादुशो। प्रियन्धसाः। सुदन्ताररस्या। WaT? x < श्र R < x fou: | इन्दोरारड्न्द्राः। यवाश्राररदराः। रं। fe. gx ४र र्‌ ६९ २९ ९१११

ATT | डियाड४श्रौदोवा | ए२। ऊपा३१२२४५॥ १॥

# र्‌ 8

171 अपादृदशिप्रियन्धसाः। खुद कस्यप्रडोषिणाः। इन्दौ ८८ |

र्‌ 4

21 SYR BARAT आरषदरन्द्रो। यवाशादराः।

छर रद्‌ र्‌ ओ, Tl Beal दियारेऽअष्दोवा। Ys ऊपारे१- १९९६१९९ २२४५ ॥२१

[यदा शिप्राः शोषस्याः(र), सुशिरस्त्ाणः] सः “इन्द्रः एव “Tet 99 न्ड ~ रि

fire:”(*) प्रकषण देवान्‌ efaftren: “सुदक्षस्य ' एतव्रामकस्य

ऋभिः(५) सम्बन्धि “यवाशिरः” [ज्‌ पाके (क्रया ०उ०)ग्राङ्‌-पुबे-

LIL ओपगवे, सौखवसे वा अथमथे वा AEE वा सौमित्रे

वा शेखर्डिने वा | कि-खयि-स्यपि-तुपोति-रक्‌, बाङूलकात्‌ -शएब्दख भि-भावः; अन्न मन्भनं प्रतिवा सृप्र भवतः'-दूति देवर अयलु | |

(२) XW मामं यत्न-रुभ्यम्‌ भवितु मदति |

(४)-“जुरोतेदानार्थख दं रूपम्‌'-इति वि” |

(५)--“सु्, उन्याडितस् त्यथः'-द्ति Fae |

३४२ सामेदसहिता। [२प्र०२,१,२

wy fener | मेधा तिथि्छषिः। RX aS ९.११ AY bo द्मा त्वा पुरूवसो मि प्र नोनवगिंरः।

RIT BUR

गावो ATA धेनवः २॥ रर

कस्य “श्रपस्फृधेधामादृच्‌ः -इ्यादिना(९) धातोः शिरादेशः)" यवे-

ह्यमिितं() यवैः we umq “oat” सवत्र पात्रेषु ac

न्तम्‌ “अन्धसः (-) सोमलत्षखमत्रम्‌ “sag” अ्रपिवत्‌ “यहा- © 9 Rata

सोमस्य भागम्‌ इन्द्राधम्‌ परिकख्पितं सं अपिवत्‌।

“उ"-दत्यवधारणे Ue ३१

हे “Guam |” agua: “यदा वसवो यज्नाः.९) बडयच्च |

a ------- ~

“पुरूवसो -ष्ति Go To एण पुस्तकानां पाठः। २२ उत्तराचचिं कस्य 9, ३, १८, eI

i - ~ ~~~ ~~~ --~--~---~ ~~~ ^ 9 कक

(९)- “अपस्य धेयामानुचुरानृङख्ष्युयतित्याजत्रात-खितमाशि राभीक्ः”,(२११.९६ | (७) --*यव-ब्द मा यव-विकाराः ona owe, Afr यख यवा किरः | प्रथमा षष्टगथे द्रया aaah त्यर्थः | मन्धो माम ग्रहः सक्त. भिदं ते “सन्धिं सक्गमिरिति वचनाग्तरमवेचिलेत दुष्यते यवाभिरदति-दति fae | (८)--.सोमख्'-र्ति Fao |

(९)--द्ड माम यतम-खभ्यस्‌ |

२प०२,२,२,२] कन्द भाविकः | १४२ we तृतीया | गोतम्षिः*# |

र्ठ करर अचा गोरमन्वत नाम ASTI TA, 7 Ry. 8 UR

दूत्या चन्द्रमसो गरे २॥२३

1 दूमाउत्वा पु रवासा ₹उ। अभिप्रनोनव्‌ र्गा रर

इरारः। श्रद्‌! गावोवात्सारइम.। नाररेपे३। नारे४५ बो द्‌ हेर

इन्द्र ! “av” लाम्‌ “अभि” “car” अस्मदोयाः “गिरः” सततय प्रनोनवः” प्रकषण पुनः पुनः wafer प्राप्न वन्तोत्यर्धः। नौति रत व्यासिकमी"?। तत्र दृष्टातः “गावो aa a Waa” यथा धेनवः गावः We aaa aw शघ्रमभिगच्छन्ति तदत यद्वा, WHAT वाचः त्वाम्‌ श्रभिनोनवुः seater aaafea, यथा गावो बन्ममभिलच्य इहम्भा-रवं कुर्वन्ति तद्‌ २३

#--'गौतमस्याषम्‌ -xfa fae |

I aret ara |

२४४ सामवेदसंहिता) [२प्र०२,१,३

५४ रर UT x

4 1 आता दागोरमन्वताउवारर। BTATR CTT ना

मल्व्टरपोचियाऽवार२। दोवाररदोद। इत्या चन्द्रमसो R uc

DETSARA | शोवारङ््ोर। वाररध्ओदोवा | ऊर

रेषा ॥४॥

8 | RT AUC

¬, 1 इावात्रा। इागोरमन्वताउवार३े। दोदया२३ |

|, छा रऊवादू। नामत्वष्टरपोचियामियाउवाररचोवारर-, ,५. २१ब्‌ 71 दा रई्या। शत्थाचन्द्रमसोग्द्ाउवारर। VATA |

R ४र R , 8 खा रऊवार। यारर्थादोवा | ऊरडथ्पा ॥५॥२२ “अतरा(र) ह" अस्ित्रेव “at.” गन्तुः (९) “चन्द्रमसः” “ae” मण्डले “लषटः"*(*) एन सच्‌ त्रकस्य आदित्य सम्बन्ध “sate”

® ना लवष्टुरातिष्ये।

(२)--«निपातद्य (६,२.१९२)''-र्ति era: |

(द)-"गो-शन्येनेद VIA नाम आओआदित्य-रण्मिः, चन्द्रमसं प्रति मतः, Wequr चन्द्रमण्डलस्य, रग्छि प्रति गतः, ततः coed उथियां व्योत्ल्ञःरूषेख Saat सोऽव मो-भन्दं नोच्यत -द्ति fae

(४) -लष्ट दति पथि -ष्यान-द्‌वतासु अनरिस-स्थान-दवतास, -ख्यान-र्‌ बताम श्च Raw काः sacha मेरुक्रञ्च जिषपलच्यत, तद्यथा---““व्ष्टा WAH A स्ति

२प१०२,४,३] Senha कः |. २४५

रात्रो wafed gala यत “नाम'"(*) तदादिन्यरश्मयः “reat way अनेन प्रकारेण “waa” अ्रजानन्‌(७)। उदकमये we चन्द्र विम्बं सूथकिरणशाः प्रतिफलन्ति, तच प्रतिफलिताः किरणाः सथ्य यादशं wast लभन्ते, ता भीं चन्दरऽपि वत्त मानां लभन्त इत्यथः एतदुक्रम्‌ भवति- यद्रातावन्तर्ितं सोर तेजः तच्न्द्रमण्डलं प्रविश्याघ ने शं तमो निवा सव्वं प्रका- शयति; $ग्भूततेजसा युक्तः सव्य इन्द्रएव, दादशसादिल्येषु इन्द्रस्यापि परिगणितत्वात्‌। शतोऽष्टोरात्रयोः प्रकाशक इन्द्र एवेति maa: प्रतोयमानलवात्‌ इन्द्रो देवतेत्युपपन्रं भवति, शग्‌भूतस्य तेजस; तदाखयत्वेन चन्द्रमसः प्राधान्य-विवश्चया चान्द्रमस्यामिष्टो विनिघोगोऽप्यपपय्यते wa निर्क्तम्‌-- “स्रघाप्यस्ये कोरश्मिखन्द्रमसं प्रति daa तदतेनोपितव्य श्रादित्यतोस्य दोिभवतोति सुषुप्तः सूधरश्मिशन्द्रमा गन्धव दूत्यपि निगमोभवति सोऽपि mead अत्राह गोरमन्वतेति" (२,३,९) ; Mae गोः सममंषता दित्यरश्मयः ख-नामापोच्-

————

wan, लिष्येवा दोि-कर्मलः, सतवा स्यात करोति-कर्मलः eo अद्मिरिति शाक- परलिः"-दत्याटि प्रथमम्‌ (Fo ८,१,१९- १२) MT Bea षा भवतिः रत्यादि दितौयम (मै०१०,६,९- १०) | “त्वा Semel दुर्िलुन्डनं करोतोमानि waite भतान्यभि समागच्छन्ति यमस्य माता पय्यं Waal मतो जाया विवखतीं बना राव्रिरादित्यस्थादित्यदयेन्तद यते”-दति अन्त्यम्‌ (ने १२,१,६९) इड चान्त्य-याद्यात एव व्बष्टा Wye

(४)- "नाम नमन प्रब्होभावम' tfa Fao |

(६)- “शप्रशनप -विश्चमाम्थाल्‌ wate (५,९,१९९)'-द्ति इदमो विहवादि बा विहितोऽपि ara यत्ययेन प्र।तभतादिद्‌-शब्दाद्मि |

(*)- “अमन्वत, अतु मन्यन्त -द्ति Fao |

VSR

x x ६२ ^` 4. 7 यदिद्धोया। नायारेरेत्‌। उमोढेम्‌। उवा

३४६ सामवेटसहिता। [२प्र०२,१,४ अथ aye | भरदाजकऋषिः |

९२९९८६९२ BRAT श्र यदिन्द्रो अनयद्रितो TACT वृषन्तमः |

९२९९९ ९९९६२ तच पूषा HATA ३४

¥ रितोमद्ोरापाररः। SARA BAT वृषाड़षार। RR धरर ९२९२१२२ ९११९१९१ 2

तमा देशश डोवा तचपूषाभुवसचा२२४५

`. 7 यदिन्रोञ्नयद्रि्ाईए। मद्दोरापारः। मरो

मपचितमपगतमपहितमन्तदि तं a) (४,४,२ ५)“-इति॥२॥ ३२ “यद्‌” afe(’) “इनदरः” “aaa.” अतिशयेन वर्षिता इन्द्र

रति?” गच्छतोः(९) Cogy:” weat: “sq: हच्यदकानि “अन्‌- [Il पौषे।

(८)-निरक्पाटल,--“खमु चन्द्रमसो ZY -दत्यं्ेनाधिको Se | (१)--'यम्‌, मवस्यानस्‌'-दति वि ° | (९)- “रितः, मतः STH: सम्‌" दति fae |

रुप ०२,४,५] wena: | ३४७ अथ पञ्चमी

विन्दुः पूतदक्चोर वा ऋषिः |

५ॐ

१९९ ९९ २९ ९१९२ गोद्धंयति मरूतार श्रवस्यर्माता मघोनाम As)

९.९ RB

युक्ता बी रथानाम ५॥ रध

५२. ९, रापारदः। वाषे'ताररधमाः। तच्रापूषा३। परार ae ९५२११११ BAT | भुवतचा२२४५॥ ३४ © $

1 गौडंयाईए। तिमरूताइम्‌। अवाय्यर्मा३। ता

यत्‌**(२) इमं लोकं प्रापयति “aa” तदानौ(*) “gar? पोषको देवः(५) “सचा भुवत्‌ (९) इन्द्रस्य सष्टायो भवति हट

# “पूतद्त्षणः-द्ति fac ats: |

(र)--कारखामान्यं Se (६,४,१ |

(s)—‘aa तत्‌ ख्ानः-दति Fao |

(४)--असौ स््ामदेवतासु दशमो देवः, “ats पुष्यति तत्‌ पूणा भवति इत्यादि TAMA (१९,२,७ |

(६)-- चेति साथःन्ययस्‌, भवदिति लेटोरूपम्‌।

३१४८ सामषेदसंश्िता | [२प्र०२,१,५

9 RR १,

मघोररथ्नाम्‌। यक्तावह्छादः। रथा३। नारमार४

act द्‌ R SYST | WHRBVAT =

१९ st श्ट TK

, 2, # 7 गौह्वयतिमरुताकमे भ्रवसयुमारतामधोनारम्‌

२१ र्‌ ष्र्‌ x र्‌ उड्वाररदाई | युक्तावारेरन्होः। TEARS UTE | ९२२९

रथानाम्‌। अआरर्ोषा। HUT The ३५

“aera” धनवतां “मरूतां”(९)“माता'” निमौतौ “गौः१८२) एञ्चिरूपा [ahaa पयसो weal जाता इति खतः; गौमाष्य- भिका वाक्‌(र), तत्रैव मध्यमस्थाने मरुतामपि वत्तंनात्‌(५), तेषां

भन ee a --~- ~= ~~~ -

LIl श्यावाश्व |

(९)- मतो watle-ara-aefate: | तथा नेरक्स-““खथातोमभ्यसामा देवमशास्तषां मरतः प्रथमागामिनो भवन्ति, मर्तो भितराविष्णो वा मितरोचिनो वा ASAT As वा^-इत्यादि १९१,२,१९- |

२)- “गौय ष्याता aaa भवति 9 ® wae विधोयते, ख्ान्माध्यमिकां वाचं मन्यत” -रति TAMA ९९,६३,९।

(द) व्वतुधा हि वाचो वदन्ति परा पश्छको मध्यमा वेखरोति शाब्दिक-सिदधाक तव मोरिति माध्यभिक-वाचोऽभिधामम। वाकपरख्च न्भरिसभागित्बन परिगशितं fant, TEMG स¦ट्‌ादरणशं बशितम्‌ तद्यथा--“वागथषु विधौयते, तसखान्माध्य- भिकां we मन्यते, वार्‌ arena तद्या रषा भवति ‘agra बदेन्त्यविष्देत - नानि cet carat मिषसाद wari चतलोनदि क्ण ` ङुदुे wife afe- CUT परं जगाम (कक्‌ ९०,०,१०)'यद्‌ गाग वद्य विेतनानि अविन्नातानि"-इत्यादि ११.९.०७ “वागेषा माध्यजिका" -दत्यवमादि ९१,४,८।

(४)- नमो इति निघष्ट-र्‌वतकःष्ट मध्यमस्थानभागिष उनषटितमम पदम, ‘aan: -tfa aa qa aula quae |

2702,8,¢ | SUI: | ३४८ अथ Wt |

इयोः JAHRA एव सुकक्षो वा ऋषिः |

VR १९९ RRR

उप नो खरिभिः सुतं यादि मदार्नांपते। ~

१२ ९२

उप नो हरिभिः सुतम. ॥३६

8 र्र्‌ ₹?

I उपनोररदरिभिःसुनोवा। यादिमटारनाम्प at”

तत्‌ पुव्रत्वसुपचथते(५), सा] “धयति” सोमं पिवति [पषयति वा ख-पुतान्‌ मर्तः] किमिच्छन्तो “वस्यः” (६) रत्र कामय- wat! went? “रथानां मर्तां(ऽ) “afe:” एषतोभि वंडवाभिर्वोदढौ संयोजयिन्रौ सा “युक्ता” waa Waal TEM भवति ५॥ Ry

हे “मदानां aa” “माद्यन्छनेनेति मदः सोमः [.मदटोऽमुप-

२९ उत्तराचिं कस्य<,१,१०,१ १४

(५) -वेदिकाष्डायिकाट शतागान्वा्छानख अयथालात्‌ कल्पनावीोजलाद्ा | तदुक्रम तकंपादाभ्तिमे-'अखदु्कानताग्वा््यानम्‌ इत्यादि शवर स्वामिना भगवता ` मौभांसाचाय्य विष्टेषे तथान्बान्यरपि |

(ई) श्रवःशन्द कोत्तिर्यते तार्मिच्छति शरवद्यति, श्रवस्यमेः उप्रत्ययः ; (२,२,- १००) कोलिकाम दत्यर्थः,-इति वि० |

(*)-'कोद्‌भ्रानां पनमेरुताम वादौ ? उयते--'रथानां' रथसभावकानामित्यथेः-

३५० सामवेदसंहिता | [२प्र०२,१,६

९२२ ®

रद उपनोरे। दार्रोररेश्वा। राररेष्ट्भोः |

९९ %

सुताम। अरङ्दोवा। BT! डा॥१२॥

8४ ५४ =k

-, ५,11 TL उपनेदादादा रादरमोः। RAAT याचि

x श्र ee १, मदा। नाम्पाररताद्‌। उपानारदेशडछा। रारदभा धरर २९ २१९११११

VATA | सुतरुरयिष्ठार २४५; ११॥ ३६

सगे १.दति करणे qo प्रत्ययः] सोमानां स्वामिन्‌! इन्द्र! “eft fa.” [=n शतेन हरिभिरित्यादिषु बहनामण्वानां ya: अतापि WATTS META: | अश्ेः(\) सह “नः” अस्माकं यजने “सुतम्‌” अभिषुतम्‌ सोमम्‌ “उप याहि” तत्पानाधे शोपघ्रमागच्छ। युनः “उप नः“इत्यादुक्तिरादराथो g २६

171 प्रजापतेः सुत fasta सशोरयोष्ठोये वा

दूति feo, “रयो रडतेगति-कर्मशः-एति मै ०९,०,१९| तथाच मनराभित्यर्थो निष्यद्यते |

(९) -इन्द्राञचाः इरि-सञ्‌ काः, TETAS निषण्ड,:-‹डरिः इन्द्रख(९,१४११)'-इति

202, 8,9] Seu: | २५१

अथ BHAT | Re RT Re = दष्टा STA MSTA वुधन्तो AT | ^+

ewe x

अच्छरावन्टथमोजसा २७

य्‌ = R ९९ a _ 1 इष्टादवाः। आख्क्ताररेध्ता। TAT AT. .: ] er

ररधवारर्धराद्र। आच्छादवाभू थमेरेजा५सा६५६ |

Wal उदधिर्निधो: १२॥ ३७

(क्‌

“अध्वरे sata यन्न “sua” हविभिरिन्द्रं व्यन्तः शाः इष्टवन्तः याग aaa सप्सङख्याकाः “होताः” Wan “saraq’() सुत्याभिवसम्‌ “nee” ofa प्रति “strat” ख-तेजसा सदिताः “इन्द्रम्‌” “श्रख्क्तत'' arasra,®); यावदवग्छथ-समापि होत्रका यजन्तोति 19 139

I इष्टाहोत्रोयम्‌ ware वा श्रपांनिधि at

(१) प्रधानाङ्तिषु BATE अवभय-सञ जं कम करष्यते, तमित्यथः। (२)-- “ऋषिः श्वाकरोयाम्‌ ऋलत्ििजच्यार- दृष्टाः प्रियाः 'दानाः wan दति ₹ोताः WIBAY Tae, ताः “अम aa’ विजत ZULU: cha (ae |

१५२ सामषेदसंहिता। [२प्र०२,४८

Gaza | वसः काणुक्छषिः। Rg रेख शश्र phe a i AQS अद्दभिड्धि पितुस्यरि Tare जय्य |

RT

अदधखय्यंदूवाजनि इटः

रर AT

., 2, 1; 7 अदमिद्रा५दपितुष्यराई। मेधाग्ठतस्यजय्रद्दा २९ © RT R x = WEEE | इवार२४। दादोद्र। जनि। दादर & RT UT रर = १९९११ हाई ओदाओद्ेावा२३४५दाउ। वा १२ lee

“पितुः” (*) पालकस्य “ऋतस्य सत्यस्यापि तस्येन्द्रस्य ^“मे- धाम्‌” अनुश्रहालिकां विम्‌ “श्रम्‌ इत्‌" (९) अहमेव “परिज- यह” परिग्टहोतवानस्मि नान्यः “हि (९) यस्मात्‌ एव॒ तसात्‌ “re” “qa. दव अजनि" सूर्य्यो यथा प्रकाशमानः सन्‌ प्रादु-

भवति तथा अ्रहमजनिषम्‌ प्रादुरभूवम्‌ = We

~~ ------ ~ - ~~ eee

रट उत्तराचिकस्य 9,2,4,2 1 १५ I प्रजापतेः निधनकामम्‌ सिन्धषाम att

(९)--'पितः, कणस्य सकाशात्‌" दूति fare | (२), (२) - “दत्‌ fe द्वावपि पाद एरणौ -इति fa

दप०२,४,९ |] exufaa | ३५३ अथ नवमो | नः ओेपक्छषिः |

र्‌े RXR 1 रेवतोन्नैः सधमादशइन्द्र सन्तु तुविबाजाः। रे

AMAA < ३९

:

रेवतोरनाः। सधारमाररध्द्‌द्‌ शद्रान्द्सार 1,“

¥ el तुविवांरजाः। शूररमा। aT RAT भिमा-

| 8 रद्वा दा५दमाईदाद॥ १४॥ ३९ “सुमन्तः (२९) अच्रवन्तः वयं “याभिः” गोभिः “ata” gaa we” “सधमादे” अस्माभिः सह wage सति “नः” अस्माकं ता गावः “रेवतौः"(९) क्षोराज्यादि-धनवत्यः “तुविवाजाः” प्रभूतबलाञ्च(२) सन्तु” २८

© २८ उत्तराच कस्य ४,१,१४,१ 1 १६ I रेवत्यः वाजटावर्बो at |

(१)--चुरिति wa-arag wane नि०२,० | farcwarca “च्‌ अब्दं (Weds) wage कपम्‌ ; ब्दवन्तः, कौत्तिं वनाः दूत्या |

(२,-“्येर्मतो SGA ; ({,९,द४)'-द्ति वचनादि Cure ‘qui g शम्‌

(०,९.९९) tfa are: g | (९)-'तुषि-शब्द्‌ा es-aTH (नि ०,९१.६); THM TE वर-या्वौ (नि ०२,९,१)| ४५क,

२५४ सामवेदसंहिता | | २प्र०२,१,१० अथ eum |

Waray वामदेवो at aia: |

BLU रे सोमः पषा चेततर्विंश्वासार सुक्ितोनाम

2 F WRT BR

देवचा रण्योरिता १० Be

= Xt ९९ र्‌ ee शे . oe FS 7 सोमःपूषा। Taree) अयायेरेदश्वा वा ब॒ Ax RR . 9

दूश्रासा्रसुङिती। नाम | श्रयायोररध्वा। दादव-

“aay” (९) देषु “इष्यः रथाः “अहिं ता०(९) परोढा “सोमः"(र) तादृशः “पुषा सृथच(*) “विश्लासां' सव्वीसां ^“सुतध्ितौर्ना” [कियन्ति निवसन्तोति चितयः wer] शोभन-

1 सोमापोषम्‌ areata वा

(९)--देव-मक-पुरुष-पुर-मरभेभ्यो हितीयासम्नम्योर्व ङरसः-इति जा |

(२,--“रष्यः, अड्िता- एति शेदसतु पद्ग्रन्ध-विक द्वो विवर ख-विसङख | पदकारस्त्‌ रण्यो, fear-xad चिच्छेद ““रथ्योः, care नात यन्न उचते, रतम सि- कः, रव्योः रथस्य यच्रख यो बोढारो तो पस्मोयजमामावव रण्यावश्यते, तयोः, aae देवाम्‌ प्रति प्रापयिजोः परनौयभमामयोः ‘feat ददिवचनस्यायमाकारः fear” इवि fae |

(र)-अनरिच-स्थरो देवः, चन्द्रमाः ब्रटयमेतन्न SMA (११,१,४) |

(*--ख.-स्यान देवः, पोषं एष्यति war भवतिदत्यादि नै ०९२.२,५-७।

VT R40] weutaa: | ३५५ श्ट ईर ११

R 8 चारा२२1 यियोर्ाभदता ९५६) गावोरेश्श्वारद-

Re BY: १५॥ ४० इति प्रथम-दश्ति

चितौनां मनुष्धाशां सम्बन्योनि wtf were कतानि

“चेततः” जानौतः १०॥ Bo

शति साश्चर्यं -[वरचिते माधवोये साभवेदा चेप्रकारे रन्दोगाष्डयाने = दिनौयाष्यायख चतुथेः we:

~= ^ eS ~. ५**.**,५*****.५.*.*..०....१.०..*

अध पञ्चमे खणर्े-- यं प्रथमा | खुतकशक्रषधिः |

९१२१२२९२ BUC RW पान्तमावोश्न्धसदन्द्रमभिप्रगायत

BRR VL R

विश्वासादरशतक्रत्‌मरडिष्टश्चषं णोनाम el ४१

हे तिजः ! “वः” युयम्‌ “श्रन्धसः” सोमलच्षणम्‌ अन्नम्‌

४९ SUC AA १,२,१,१ १७

२५६ सामवेदसंहिता | [२प्र०२,२,१

| , ४र ४२र५द 8 ५४ ९९ ` ₹. र. र्‌ oO, /* 7 पान्तमावोञ्न्धसाः। इन्धामामि। प्रगायाता 1 8: २। शारद विश्वासाष्डम्‌। शताक्राठरम्‌। डा २९ 2 R दाद्‌ ALVIS! WI! TART! नारेरं

दर `

४श्रोषावा। उदेरद्पा १९

“श्रा पान्तम्‌” अाभिसुख्येन पिबन्तं [पा पाने (म्वा०्प०) area: शपोल्क्‌,(५)। “सब्बे विधयच्छन्दसि विकल्पान्ते"-दति ‘a लोकाव्यय" (२,२,६८पा०)-ग्ति षष्टो-प्रतिषधाभावः। ततो- ऽन्धसश्त्यत्र कक्षेकमंशोः" (२,३,६५पा०) इति षष्ठौ] सोम- माभिमुस्थेन पिवन्तम्‌ एताम्‌ “इन्द्रम्‌” “प्र गायत” प्रक- बणाभिष्टुत। कौषटशम्‌ ? “विश्वासाहम्‌” सर्वषां शभुष्ा- मभिभवितारम्‌ “स्वेषां भूतजातानां बा wares “शतक्रतुम्‌” - (र) बडइविधः-प्रन्नानं ^“बडविध-कर्माणं वा” “चषंणोनाम्‌""(र)

1 अध्य -वेतहव्यम्‌ |

(t} न्‌ खक गित्परकलामाबात्‌ पिवारेशाभावः।

(र)-"तस्‌'-दति wear द्मम्‌ front | “ऋतुः-दति ware Te- जश्‌ (नि ०,९)-कमे-नामस़ एकादशम्‌ नि ०२,९।

(२)--.चषेरूयो ager (नि ०२,९,९)। वो-वञवचनं चतुथ -बडवचनाय्‌, यजमान-सतुष्न्य इत्ये -दति fae |

RFR WL] छन्द्श्रा्चिकः | ३५७

Bt ४्र 8 द्‌

1पान्तमावोच्रन्धसः। TST) TAME We!

१२ 4 यतार। इदा। विश्वासाषरश्तारेक्रतूम। Te १५. २१९१

ALERTS| LAT षणारदनाम। दशारे

१९

BY १७॥

|

R TIT पाऽपन्तम.। अरवोरअन्धसाः। आद्द्राम-, , `

^ . भाई प्रगारेयारेर४ता। विश्रारसाररश्दाम।

|. ९२ दताक्रादतूम.। मध्चिष्ट्षं। WAR) नारमार२४-

बः १९९१९१९९

अोदोवा। ओरकार२४५; १८ ४१

मनुष्याणाम्‌ “मररदिष्ठम्‌ wre दाटठतम यषा यजमानानां यटव्यतवेन पूजनोयमिन्दर प्र गायतेति समन्वयः १॥ ४१

Il इहवद्दामदेव्यम्‌ | Ill जोकोनिधनं वेतषव्यम्‌ |

a

२५६ सामवेदसहिता | [२प्र०२,२.,१

# ut ४र४र ५४ RR ~ र. # , ९.,८* 1 पान्तमावोच्न्धसाः। इन्द्रामामि। प्रगायाता र्‌ : - २। Wee | क्श्वासाष्म्‌। शताक्राठरम्‌। डा BUTE | मर्डहादृष्ठचा३। CSW! TART! नार हैदर र्‌ ys OR

BATSTAT | उररद््पा १९

“श्रा पान्तम्‌" भराभिमुख्येन पिबन्तं [पा पाने (sates) छान्दसः शपोलुक्‌,(९)। सव्वं विधयच्छन्दसि विकल्पयन्ते"-द्ति “न लोकाव्यय" (२,३,६८ पा०)-इति षष्टोः-प्रतिषेधाभावः। ततो- ऽन्धसद्त्यत्र "कक्निकमं शोः” (२,३,६५पा०) दति षष्ठौ] सोम- माभिमुख्येम पिवन्तम्‌ एतादथम्‌ “इन्द्रम्‌” “प्र गायत” प्रक- wafer! कौदृशम्‌ “विग्वासाहम्‌" सर्वषां weer मभिभवितारम्‌ “सव्वं भूतजातानां वा” wares “egy” (९) बहविधःप्रन्नानं “बहविध-कमौशं वा" “चषंसौनाम्‌”(२)

1 भध्यंड-वेतहव्यम्‌ |

(र)- भव्‌ कि शिित्परकलामावात्‌ Frere scree: |

(र)--“रतम्‌-इति बनाम दशमम्‌ fron, | “ऋतुः-इति sea पच्च- लश्‌ (गि ०३,९)-कमे-नामङ्‌ एकादशम्‌ नि०९,१।

(२) .चषंर्यो ager: (जि ०२,९,९) ब्टो-बज्वचनं चतुचो.-बडवचनाय, यजमान-सतुष्ये्य Tare: -दति fae | |

२य०२.,५,१] Baan: | ३५०

et 8र धर र्र्‌

11पान्तमावोश्रन्धसः। इ्ा। इन्रमभाद। WI.

९२ र्‌ र्‌ यतार। LET विश्वासाषष्शतार्करतूम.। इदा १. BLL

मरुडारेदष्ठश्चा। इदा। षणारदनाम। ददार

११९

४५॥ १७॥

¥

R TIT पाऽ५न्तम भरवोरभन्धसाः। आदद्राम-;,

9 „ष 6 | र्‌ भाई प्रगारयारेदश्ता। विश्ारसारेशश्दाम र्‌ ९२ १९ 8 a

रताकराइतूम.। मरदिष्ट्षं। णायेर। ATLATRR-

दर १९६९१९९

अोदावा। ओरकार२४५ः c= ४१

मनुष्याणाम्‌ “मरशहिष्ठम्‌ धनस्य दाठतमं यदा यजमानानां यव्यत्वेन पुजनोयमिन्द्र प्र गायतेति समन्वयः १॥ ४९

1 इहवद्दामदेव्यम्‌ III जओकोनिधनं वेतहव्यम्‌

न्फ. ३, we च्‌

२५८ सामवेदसंहिता | [रप्र०२,२,२ अथ fetter वसिष्ठक्षिः | jf aa ९४ a ; | 4.2 TATRA TAY CAAA |

९९ Rr mad सखायःस २॥ ४२

} BTR 4.14 1 cate | यमादारेरथनाम.। प्रवारदन््रा। ९. २९, £ SS | ARAVA दार्नाम्‌। रा AT

ie

R र्‌

९२ २९, १९ THRE | यारदश्गा। याइता। WAT RATA

रद्र मापोररश्वा। भापवो्ाद्‌ १८

| |, ष्ट R g #

, : , 0 1 प्रवा रदृन्द्रा। भोरद्ो। यारदश्मा TATA २, द्‌ रार्अश्वा। अरदो यारदधगा। याइता। सखा

४२ उत्तराशिकस्य १,२,२,१ १८ 1 area सामनो।

ATR, WR] Buia a | ३५८

8 र्‌ 6 Rata! भरो मापोरेरथ्वा। आभ्वोई ¥ Bz ॥२०॥

$ 8 $

77 प्रवईैस्या। fear इन्रोईैर्या। इख्या या. ।, $ R

SQUAT! टदारनाम्‌। दरदेद्या। FRAT आश्चो २, 5

$ श्यया। दैरया। यारदश्गा। यारता। सखटैरेया $ र्‌ $ | fem) याःसोद्ैश्या। शैरया२। मापोरदश्वा। भा- Yale STE २१॥ an दः ५४ .

LV प्रवोद्ोवार। TREC! यारेरश्मा। दा र्‌ ९, नाम्‌ शरौद्दोवार। आश्रौदोवा। यारर्गा | र्‌ ॥: qx {ot र्‌ श्‌ % याइता। सखीदोवा | याःसीोवार। मापोर्देध्वा | WMTUATT RTT २२॥

र्र्‌ र्‌ | ९, प्रबोदारदा। aati इन्रोददा। अरदो:

11 रमौरौषिते। शात्धसाम

२६० सामबेदसहिता। [२प्र०२,२,२

R र्‌

X यारेदेध्मा। दाइनाम्‌। शरिदारदा। भरो २, 8 BANAT! MIN! यारदश्गा। यारता सखि

. ९2 द्‌ 4 दाद्दा। Wael! याःसोददा। भरोरे। मापो-

रर्वा। WATYSTS RTE ॥२२॥

४१५, 8 RT TT र. र्‌

, £, 4 VICE प्रवाः। CRT यमादार्नारम्‌।

x र्‌

श. दराददयश्वा। यगायाश्ना २। सखायाररःसोर। मा-

x 8 | पोरडश्वा। MYATT UTE २४॥ ४२

© “सखायः |” “वः” युयं “हययग्वाय '(९) हरि-नामकाश्वाय “array (९) सोमानां पात्र “न्द्रा “मादनं” मदकरं स्तो शप्र गायत प्र पठत WR WBE

VI गोरोवोतम्‌। सवाणि गाक्धसामानि, watfa वा गोरौषौतानि। (१)-- इरी इ.रतयसा अश्वो यस्यसः, Ta, tf fee, "इरी दन्द

इति Ho १,१५, RI (₹२)--“खतो ममिनकनिब्बनिपरखच' (२,२.७४) |

२प०२,५,२] Seu कः | २६१

तोया | मेधातिथिः ऋषिः प्रियमेध |

२२९२९ ९९९९ १२१९९ १९२

वयमुत्वातदिदर्थाटन्द्रत्वायन्तःसखायः। Any

₹? 2 bats कणएवाउक्ये ४३

1 वयवायाम.। | RRB! तादोदारदे्याः 1“; ` ˆ . ` ४४द R ¥

र्‌ इरत्वायन्तः। सखार्दहध्याः। कणएवा२१२२४ः। उक्ये-

भिजरन्त। रडियाशा। दोप्द्‌। डा २५॥

17 वयमृरत्वातदिदर्थाः। रदिदारद् | वयमुत्वातदि- २१ ९, R दथडइन्रत्वायन्तः सखार्हेयाः। काररश्णवाः। ` a १११९१ .

क्धाद। भिजीरदध्वा रन्तारया२२४५॥ २९ ४३

“न्द्र! “त्वायन्तः” त्वामामनद्च्छन्तः “सखायः” e ८८ 99 ८८ 099 दूविषयं [| समानख्यानाः(९) “वयम्‌” “afegut:” यत्‌ a स्तो

४३ उत्तरां कस्य १,२,२,१ १९ ना काणो <a

(९) -.बान-पत Taw: दति fao | ४६क

२६२ सामवेदसंहिता | [२प्र०२,२,४ अथ चतुथ खुतकश्षऋ्छषिः

९२९ RUT रेर RRR

इन्द्रायमदनेसुतम्परिष्टोभन्तुनोगिरः। R 2 2 ९९ अकंमचेन्तुकारवः ४४

४४२ ४५ 8 + < रर

` 4, 2. 1 इनद्रायमदनादू सुताम्‌। द्रनद्रायमदनेसुताम |

तदित्‌. agave: प्रयोजनं येषां, ताहथाः सन्तः(र) “त्वा” त्वाम्‌ wae’) Was! “Safa पादपूरणः “कणुः” कणु-गोजरोत्पन्राः wala gare “उक्थेभिः(*) cart: शस्तः “oat (") at स्तवन्ति(९) ४३

मदने “मा यतेः कनिपण” मदन-गोलाय “cara” तद्धे सृतम्‌” भ्रभिषुतं सोमं “नः” अरष्मदौयाः “गिरः” स्तति-लचषणा-

वाचः(९) “परिष्टोभन्तु ' ^स्तोभतिः स्तति-कमौ (नि ०३,१४,४)”

४४ उन्तरा्िं कस्य १,२,४,१। Re

(२)-उल्र-वाकय जरन्ते एति दथनात्‌ CUFT जरामङ दृत्यध्याडा :

(३-सा्रमिक-वङर- चनात्‌ भिरुपिसभ वः (०,१,११) | ,

(४)- जरति" शति शच ति-कभसु सप्तमं पटम्‌ Fak, ty |

(४)--चिवर्श-मते वयं कलाः HOH दत्टकदरमव याद्यान म्‌ ATT "कष्टाः, wea पुनाः, मेथातियि-परष्डतयः-दूति |

(\)- "गिरः लमथो fA ्टकतेः-ए्ति Freee

2702, 4,8 | छन्द प्राचिकः। २६३ ९१ ष्ट

परारष्टोर्दभा। तनोगिरो। अकमाररर्चा। त्कार

gates: | भः२२४५द्‌ डा २७॥

र्‌ ब्‌ रे रर्‌

Il agrees | ओदख्दरताम्‌। परिष्टो ।?.. ^

>

+ : भा। तुनोरदेाद | गादूरारः। परिष्टोभा। BAe

र्‌ £, -2 XT RUE) गादररारः। अर्कारेरेम भर्वाररेण्मी- र्‌ १९९१ Wa! Ul तुकाररवारइ्४ः॥ २८॥ ४५र ४४ र्‌ ut

IL] दृद्धायमदनेसुतम | इन्द्रायमोवा। STRATE रर श्‌ दताम्‌। परिष्टो भारर२। शखारदारे। तनोरगारर g र्‌ शर्‌

ध्राः। TRAST! दारदा तुकारारेरवा२४ः।

x WAU! डा २८ ४४

परितः सोमं स्त्वन्तु ततः “कारवः” स्ततिकारिणः स्तोता-

पाम

1.1 areata दमे नि इदं waaay |

1

२६४ सामबेदसंडिता। [२१्र०२,२,५ अथ पञ्चमी |

दूरिभिठचक्छषिः |

९१९२९ ९१९२ १९ २२८१ अयन्तदन्द्रसोमोनिपतोश्धिबद्दिषि २? श्ख RW

एदोमस्यद्रवापिव ५॥ ४५

RUT

+, 4, ~~ 1 अयन्तभ्ना। द्रसोमो। | erase Faget

Tze q श्र it TS! धोवरदाररश्दषो . आदू चोमस्यार३े। द्राप््वा at र्‌ इ४्अद्ोवा। पोरहेट्वा २०॥ CTT

:., ^ 17 अयन्तद्रन्द्रसोमाः। निपृतोअधिवाराद्षोर t रे ta’) “श्रकम्‌"(२) सव रचनोय सोमम्‌ “चन्त” पजयन्तु ॥४॥४४

` ₹े “इन्द्र!” “aA” तुभ्यं aay “श्रयं सोमः” “बर्हिषि अधि"

By उत्रा्चिकस्य १,२,५,१। ना इमे डेसोमितरे।

(२) "कारः" दति सलोतुनामसु तृतोयभ्‌ fro, eu |

(६)- “खक देवं सोमम्‌" दति वि० “qar देवो भवति, वरेनमशं न्यक मन्धो मवति, यद तेना न्यकंमन्नम्‌ भवत्यश्चति भतान्यका चो भवति स-टतः कटकिन््ा” इत्यादि Fo ५,१,५-९।

२प०२०५५| ढन्टआचिकः | २६१५

र्‌

चो रेदमास्या। RATATAT २। आद दोमस्याद्रवार९८वा

२२। परेर्वा २१॥

|, द४२

Ill ware सोध्मः। नारद्‌ पतो्धिवर्दि-.. ˆ

र्‌ २९ R एर

षो। निपूतोभधिबद्दारददषो। Cee! द्रवा

पाररे्धदवा€५९। रैररष्डा ३२४५ `

वेद्यामास्तो zal’) “जिषतः” नितरां दशापवित्रेण बोधितः अभिषवादि-संस्कारेः daa इत्यर्थः “xq” इदानोम्‌(र) “आस्य'"(९) इम सोम प्रति “एहि sere, श्रागत्य यत CHAR: सोमो इयते तं देश प्रति “za’’(") site गच्छ, तदन- न्तर तं सोमं “पिब” ५४५

III इहवदेवोदासम्‌ |

(९) (खधथिवद्दिषि qfga: उपरि'इति fare | |

(₹)-श्रेम्‌'-इति पद्‌-प्रश-दति वि०। निर्षकारोऽणाड -“पद-पूरणाख ` मिताच्रष्वनथेकाः कमोभिददिति' ९,१,१४ |

(द)- “अख सोमख ष्टो-निं मात्‌ खङ्गम्‌ -इति fee |

(४)- रुधि, उव- इति arafa गत्यये, ware भूयांसोयं 1: प्रतोयन्ते'- «fer fae |

२६६ सामभेदस हिता | [२प्र०२,२,६

अथ बष्ो | मधुच्छन्दा ऋषिः | R ₹२ ९१ ९१९९ RX = ae सुदपत्नुमूतयसुदुघामिवगोदु | ९२१ जुङमसिद्यविद्यवि it ४६ (~ ~-४ RX TRA TL RT = , , 1133 11 षडर पकृत्नुमूतयादू। सुदुघाम्‌। इवगा र्‌ र्‌ RUT 2 दुष्या३१वार२। ऊडश्पा | ARATESAT | faafaarar ९, ¥

उवार३। TBAT २३ lt

“PRIA गोभन-रूपोपेतस्य करमशः कर्तारम्‌ इन्द्रम्‌ “sag” भ्रस्मद्रक्षायथं “दखयविदयवि” प्रतिदिनं “जुहमसि"(र) श्राह्यामः आद्वाने दृष्टान्तः--“गोदुे"" eye “सुदुघाम्‌ दव" सुष्टु Day गामिव, यथा लोके गोर्यो दोग्धा तदथं तस्याभि

मुख्येन दोदनोयां ararwafer तदत्‌(९) वस्तोरित्यादिषु

४६ उ्तरा्चिंकस्य ४,१,१५,१। २२ I शाक्षरवणम्‌ |

(१)--मसष्गागमं (७,१,४९स्‌०) STH | (a) “erga भवति,- यथा मो-दोद-कमाथ' We रव मोद्‌ खनाथम We अति, तद्रत्‌-इति fao |

रेप ° २,५.६] हन्दभ्रा्िंकः। ३९७

# २१ a Ure 11 सुषचदादचाउ। पङ्त्तुम्‌ रताया सदुघाम्‌ ^, ˆ . १्२द्‌ TT RT र्द रे

इवगोरे। TIL WHIRL TTR Saree ara UAT! PARAL He

¥ < र्‌ IT] सुद्पकछलत्न्डम्‌ताररथ्याद्‌ | ओदसुरूपलत्नम्‌ १ता-८. , : -“ <x

MART ओदूसुदुधा्मिवागोशदुदारद RAAT

|, , |, affresh | रदी। जुङ्रमासोर। द्विद्या BT AT वोवोर३। Braver wrateeatt ws द्वो ९९९१९ ३२२४५ २५॥ Burt 8 र. २९१९ a

IV Geagq त्नूमुरतयाद सुदुघामोरे। बाग नामसु दयविद्यवोति हादशाहनाम।नौति पठितम्‌(९) wg uae

Il, area ILIV (az वैणवे वा trea |

(२)-अष्टमामानि दादश रति ag दक्त-परिगशनं, “वस्तोः -र्त दिषु द्वादशसु नामसु तद नुगतं (दखविद्यवि'-दति निषग्टो पःठतम्‌ इत्यथः | तथा ने खत TON ने मान्यत्तराङि दाद्‌, अदः कमात्‌ ? उपाइरनयसिन्‌ WH खि'"-इत्या{द्‌ २,६३.९८ |

RET सामवेदसंहिता | [२प्र०२,२,७

अथ सप्तमो | जिगोकक्टषिः# | १९९ #८ ^ अमित्वावषभासुनेसुतर्डजामिपोतये र्‌ २९२९ ठम्पाव्यज्नुद्धोमदम,. ४७ R ४५ Ve

दूराद सुदुघामा वागोरदुचाद्‌ BARATRT

सो। द्यार्दवोर। TTRVYAE RTT २९॥* ४६

हे “षभ !"(९) कामानां वर्भिंतरिन्द्र ! “av” ara’)

# ‘aurn-sfa वि ०-पाठः। करा a

YO उन्तराश्चिं कस्य १,२,७,१। २२

“वस्तोः९ WR ATR वासरस्‌४ खसराणि५ wo चुशिः८ दिमम्‌ द्विर० fza- Feary यविद्धवि९२१-दइति नि०९,९ |

(९) - ऋच eer इति Gat सु लुगिति (०,१.४९) We रूपर्‌

(९ -"दितोयेकवचनमिद चतुंकवचनखायं त्र्यम्‌" - एति न° तथाच cee बलस wae (२,द,६द)'-दति हि शर खम्‌

eee

+ दूति ATA गेय-गाने चतुथः प्रपाठकः ॥४॥

QTR Yo] eee कः | २६९

8 Ut x R र्‌ 1 ओम्‌। अभित्वाबृषभासुताद्‌ | Faves मिपाद-{ wR

तार्या रद्‌ ढम्यावार्याऽ२ भ्रुदारेश्खवायेर। मार

%

३४दाम १॥ < < = x रद Il अभित्वावृषभासुतेञ्नभ्यादाउ। त्वाव्ररषाभारस्‌- . र. , तारद। BALMS मिपादताश्यारद। ठम्पारो RU

वियारेदो। र्‌ दोमार्देदा३२४२म्‌। ओ२३४५द |

डा॥२। ४६र दर शर IIT अभित्वावृषभास॒ते। सुतरुडजोवा भिपोना-¡ ` `. रर Ax SARI GAS | पोतारदयाद चारदम्याे। र्‌ ९१९११९१

वारयारइअीदोवा। दोमदार२४५्‌ २॥ BO

सुते” सोमेऽभिषुते सति a “सुतम्‌” अभिषुतं dat “पौतये (९)

नाना आभानि fe सेन्धक्षितानि वा annie tia वा

(२) --“खागापाप मामे (२,६.९४) -इति किनि रूपम्‌ BOR

३७० सामवेदसंहिता | [२प्र०२,२,द

we Guat | कुंसोदक्षिः x |

R श्र PTR RR #८ 4 यदन्द्रचमसेधासोम्मृषुतेसुलः | We र्रर

पिबेदस्यत्वमोशिषे ४८

४५ ४र wR रर

{` /,# 1 याशोन््रार२। चमसेषुवाईैया। सोमश्चमषुतेसु- XR तः। सोमञ्चम्‌ ुनोदडरङताः। Oe azETE | WW | त्वमोशारेऽदषा२४द्‌ WTRBVT डा Xt श्र र्‌

Tl यद्रदचामा्सेषुवा। सोमशम्‌पुताश्रङ्रताः। सो

पनाय “अभिखजामि"(९) “ठम्प"(*) aa मद मदकरं सोमं “व्ययुहि'१(५) विशेषेण mgfe ॥४७

# ङुसोदौ-दति वि० |

LIL कौले, areas वा दाशवाजें वा।

(द)-खाभिमृषटेन ददामोत्यथैः-दति fate | (४)--कचि तम्या दलि दयः (९,२,१९५)-इति दीषेः। (५)-- ऋचि यन्नो दूति दौ पेम्डाम्दसः

ATR We] Sawa: | २७१

अथ नवमो | शनःेप ऋषिः | ९२९८२१२ योगेयोगेतवस्तरंवाजेवाजेवामदे। VIE १९ ९९२९९९९

सखायदृन्द्रमूतये < ४९

र्‌ WAAR षुरतादरद्रताः। TST पिबैदस्थोर?

४दाद्‌ | AAMT TAT eyez ५॥ ४८

oN

हे “xa! “A” त्वदथ “सुतः अभिषुतो यः “सोमः” “चमसे षु"”(९) एतत्रामकेषु पात्रेषु तथा “wag” [ चमन्ति(९) भच्यन्यतरेति] चम्बोग्रहाः तेषु “श्रा” aaa: श्रस्ि। “शरस्य "(९) तमेतं सोमं “aq” “पिब इत्‌” [इद्‌ वधार शे] पितैव | कथ मम सोम-पान-योम्यता तत्राह- हे इन्द्र! तम्‌ “ईशिषे तश्च त्वमोश्वरो भवसि wa; यत एवं ततः पिबेति समन्वयः [रश Geary (Home) लटि “दशः से (७,२,७७)” दूति इडा- गमः NBO |

“योग योगे” wast wan त्तत्कर्मोपक्रभे(९) “are वाजे”

8८ उत्तराच क्य १,२,११,१।२४

(?)-"षडवखनं, बङयस्म पचस ; sey aye खथधिषवशरू-फलकष "दूति विण (२)-- खं, कम, HA, VLA म्वा० Yo | (द)- “असय सोमस्य, w-fagura vagufafa viene’ tia fa |

(\,-- योगः निबोमः यापारः कमे टतबधादि, तिन सबस्िम्‌"-द्ति fao

ane A 1 1 + 7

३७२ सामवेदसह्िता। [रप्र०२,२,९. भ्रभ्रर्‌ र्‌ ४५४ meee ST र॒र -- योगेयोगेतबस्तराम वाजेवाजेषहवामश।

श्र

खायार्दैर। द्रमरदथ्वा। ATYAE TE

VT चैर रद्‌ v VW 5६ THK US

^ 7 योगेयोगेतवस्तादराम्‌। वाजेरवाजेरवा मद्र

१९ , होवार्ाद | साखा रयाईै९३। शोवारदाद्‌। द्रमूर२ हैर द्‌ तारयाररश्रौरोवा। ऊरड्थ्पा o <=. :& 0 LI] योगेयोगेतवादाउस्ताराम्‌। बाजेवाजे। खवा रर

स्मा्ाद्‌ | वाद्‌ ओहश्ोरर४्वा। साखायई

R टर रे द्रम्‌ रतायाद वाद WW! सखाया

११९९१९४

शवा रद | ओदोरद९५वी९४९ द्रमू२तयेर२४५ WE se

कमं-विघातिनि तस्मिन्‌ तस्मिन्‌ wea’) “areca” अति-

~ ~~ -~ -~ --+~-*~ ---*- ~~ -~------

जागा सोभेधानि, पूवेतिानि वा पौवतिथानि वा (२)-- अरे अत्रे इथिरुं तरे उपकर्पिते'-रति fae | ‘aver. इति frre} सदङ्नप्रास- MAG चल्वारिग्रमं पदम्‌ (२.१७) वाज'दूति निषण्टौ weary हितों पदञ्च २.५) |

२प०२,५,१०]] SCAG: | २५२ अथ दद्मो | मघच्छन्दा ऋषिः

WJ ९२११२ BUT We आत्वेलानिषोदतेन्द्रमभिप्रगायत |

१९२ RR

सखायःस्तोमवादसुः vo iyo +;

इति दितोय-दशति

श्र ४द्‌ ।।

श्‌ , 1 आतुर एतानि। षोदाईता। इनद्रमभाई्‌ ।{ . “. - रर र्द

प्रगायना। साखायःसोम। वा। WRT ववारदा

अयेन बलिनम्‌(९) “इन्द्रम्‌” “aaa” चार्थं “सखायः(*) afe- aq प्रिया वयं “हवामह श्राद्वयामः॥ < ४८

[तु we: सिप्रार्थो निपातः श्रतु at ra’(’) [इति

Yo SUMP कस्य १,२,१०,१। २५

I दवातिघं मेधातिथं att (द)--“लवः"-इति निषष्टो बर-नामसु पञ्चमं पदस (२.९) | (४) 'खुखायः' ऋलिजः !"-दति fae |

(१}-दूला-द्ति ऋचि निपात-लकको दोषः (६,२,१२९)।

१७४ सामवेदसंहिता | [२प्र०२,२,१

| श्र शद्‌ R र्‌ रइ४्साः। इयाद्‌ साखायःस्तोम। aT) ओरदो + 1 | §

BARS | शा२४५ सोक्दाद्‌ < ५०

हाभ्यामाङभ्यां मन्ते तु दइत-शब्दोऽभ्यसनोयः](९) हे “सखायः” ऋत्विजः ! चिप्रमस्मिन्‌ कमणि भ्रागच्डतागच्छत [दरार्थोऽ- wre] श्रागत्य “निषोदतः उपविशत “इन्द्रम्‌” “अभिप्र गायत" सर्वतः WHAT स्तत। BEM: सखायः “wraar- हसः” निहठत्‌-पञ्दशादि-स्तोमान्‌(९) अस्मिन्‌ कमंलि वदन्ति प्रापयन्ति १० ॥५०

दति सायलाचाय्यं -विरचिते माधवोये सामबेदाथेप्रकारे दन्दोग्याच्छाने ददितीयाध्यायस्य पञ्चमः खष्डः ४॥

(९)--उपसनातरोधात्‌ क्रियायाखावकममित्यथः।वियरण तु रक खा अर्थः ate:

(a) faut ava इति विष्टत्‌। एब पञ्चदगादयखलोमाः। तेच “fora wat डि तोति स-प्रथमया, तिसृभ्यो feectia स-मध्यमया, तिसम्यो दिह रोति रु उत्तम- योतो विष्टो विधुतिः"-द्त्यादि ताण्डमाखतु्रासमाद्भिगन्तब्धाः। are डि आअदितोयाध्यायारकततंःयःष्यायानो समसलमेतदु्सेष्व नियं श्रम्‌ तच विष्टत्‌र पञ्चदशःर सप्नद रः vafan:s जिलाववः५ wafer w¢—<fa प॒ष्टपषङ्डख we श्लोमाः way विडिताः। खअनन्र न्दोमानां agian चतवारि शः we- चत्वारि श्ःदे --श्ति चयस्तोमाः wafer: | <a सुहरनया नवखोमाः, तथाषाव ्ादिपदात्‌ CHANT TT: |

ATR, é2 | छन्द श्राखि कः | ३७५ अथय षषे खण्डे-- सयं परथमा। विश्वाभि WIG? | हरर श्र ६९

ददश्द्यन्वोजसासुतधराभानाग्पते।

RR VR पिबात्वारस्यगिवंणः॥ १॥ ५१

8 VR 1 इदाक्म। दियारनृओर्जासारे। इतरराधा ¡ YR 2 नाम्पाश्ला रद | पिबातुवस्यागिर्वाणार२४ः। पिना३९८्‌बा३। R ur R

सारगारेदश्ी दोवा | ATRAVUT १० “राधानां” धनानां (र) “पते” ! “गिवंणः' (९) गोभिः सतिभिर्वेननोय ! we! “steer” बलेनोपहितस्व' ““ददम्‌(र)

~~~ ery

ee

५१ SATS कस्व RSC | २६ I suifece AISA aq |

(.)—‘xra?-efa निषब्टो धम-मार्णु GAA पद्म (२,९०)।

(९'-जिवेलम-द्ति orn: अष्टः “भिवेखादेवा भवन्ति गोभि रोमं बमयन्ति| ‘ae’ fai लने ररत्‌'-इत्यपि निनमो भवति'इति HAMA, GRRE

(द) “मप सकशिङ्ग अत्यदेनः-द्ति वि तथाच इदम्‌ दममित्यथः! सायश-मते लयं “qui ुलुमित्यादिमा ततोयाया लुकि रूपम्‌

XQ fos ५५ श्र

9 4, इदधदिया्यदो | नृर्ोजारद््सा इतद-

शर्‌

eae

¢^

१७६ सामबैदस'हता | [२प्र०२,३,

रे

राधा। नाररम्‌। UTRavATZ पिबातुवस्यारर्‌। र्‌ वादाद्‌ वारद््णाः। रदियादडा। | HT STH ११॥ XT ₹१ र्‌

:, 1711 इूदश्द्यन्‌<ओजसा। सुतरराधा नाग्पातौ

{ डोवारदाई | पिबातुब warsatet) दोवारदाद

aa a भ्र पिवात्बौ STATS ET) स्यगायेरः। बारनाररश्रो ९९१६९९१

STAT \ घुतशतार९४५ १२ ५१

अतुः अने नानुक्रमे ेत्यथः “ear बलेन ग्रावभिः(") “सतम्‌ ` अभिष्टतं ‘Carey (५) द्म सोमं “नतु” fan ““पिव(९) हि (°)

nen YQ

Il आ्आङ्किरसं mre at |

Ill आङ्गिरसं werafaaraa प्राजापत्यः माधच्छन्दसवा। ४}--पा विषे रित्यथः निसङ्कम्‌ “्रावाशा इनोवा ब्टशडातवाम्रक्डा- तवा'?-दत्याटि तदच ग्टरहातरवापसखागः। (५ - “खस्य wet frenra एकदे भित्यथः'-द्ति Fao | (4) —wfq पिबा uf ara दति दोघः। (oy —Fe’ aa दावपि पादपरणण।

OG° 2g १२] weufaa: 299

अथ fener | मधुच्छन्दा ऋषिः Rr RT RVR Bey BUR AMS FIA: मदित्वमसतवञ्चिणे | Ail

WT WSU रर

दौन्नप्रथिनाशवः ५२

8 I Weert | पुरश्चनो। माश्दोरेत्वामार।. x हि tz क्‌ | fare! दयी रर्नाप्रारे। farrrareeatage:

ओ्रर२४५द्‌। डा १२॥

RF 4 |

IT मादादादन्द्राः। RTT ae | | ATRIA , RG

sent!) स्तुवीरदोरे। दवाजिणद्‌। दीनप्र।

अयम्‌ “om.” “महान्‌” शरौरेण Me: “परख गुणेस-

we ““पुरश्चनो"-इति पाठः Ho Wo Uo क०-प° ख०-प. दति षट्सु, विवरणसश्मतष परश्च नु-इति भाष्य-सम्मतः

पाठः, area कचिदपि। Bai,

३७८ सामषेदसहिता | [२प्र०२,३,२

yt 9

थिनाशवाररः | ateateesat) यिनौरदौ२। एवोवा।

WATT १४॥ .

bs रे , 1५.५४ TIL माः२दन्द्रा५ ICRA | मादित्वारशररेमा peas WV सवज्ाररेरदेदरणाई दोरनाद्ररेरदप्रा। यिनाशवा- + (०.८. 4 २२२४४:। ओर३४५द्‌ STW १५॥ ५२ ode

qae:, fry “afew” वजयुक्ताय “महित ` gate विविधमा- freq सर्वदा “we” [सखभ।व-सिदस्यापि we प्राधन- भेतत्‌,] fare “Cala” garasa “aa.” qaq(') इन्द्रस्य सेनारूपं “afea” vaaa पुत्थताम्‌--दइति गेषः(९) [war a- लोकः प्रभूतः एवमस्य सेना प्रभ्रूतास्त, | “नु' -शब्दो यद्यपि

LILI ararfe, प्रेयमेधानि at वेयश्यानि वा आश्ानि वा खद्ाढदमनानि at |

(x) Coca इति मिषष्डो बलनाम चतुर्थ म्‌ २,०। (र)-- अख्तित्य गुषच्यते-इति fre |

२१०२,६.२] न्द्रा्जिंकः | ३७८ अथ emer | wearer area ऋषिः | श्ट RT ९९१६९९९ र्द रद्‌ MPA RIA TTT | श्र रर

म्ाशस्तोदस्िणन २॥ ५३

चिप्र-नामसु(र) नु-मच्िल्यादिष्ठु पठितः(*) तथापि तदधंत्लास- way aquaria गटद्ोतः(*) weet लोके प्रतिषेधार्थं एव, खाध्वाये तु प्रतिषेधाथं उपमाधं चेति हिविधः ; यत्र पदे नान्वीयते, तस्मात्‌ पूव प्रयुज्यमानः प्रतिषेधार्थः, उपरिष्टात्‌- WMATA STATE: | तथा यास्क उदाहरति-““उभयमन्वध्यायं awe देवममसतेति प्रतिषेधार्थोयः पुरस्तादुपचारस्तस्य यत्‌ प्रतिषेधति, दुमेदासो सुरायाभिल्युपमार्थीय उपरिष्टादुष- चारस्तस्य येनोपमिमोते(*,९,९)* इति अत्रोपमा-वाचिनो य-शब्दस्योपरि प्रयुक्षत्वादुपमाथेः GRA २॥ ५२

Us उग्वरार्धिंकस्यं १,२,६११ | २७

(र) “चिप्र-मामान्युलराकि षङतिः | चिप्र कस्मात्‌ ! सङूचिभोविकषःः"इति = FEMA ३,२.१० |

(8) -निषग्टोदिंतीयःध्यायोय-चतु देशखष्छादममारम्‌ |

(५)--्याश्चग्यमेतत्‌ ? क्षास wa “तुदति विवरशहता तु यथा तख a’ Tae fence पाद्पुरकाथेदतयश्नम्‌ TE कलु मः, मद प्येवं केदः गर यते, तथाच मः महिनम्‌ WS इत्यताद्‌ ऽये कोवा are: इत्यपि गम्यते !! |

Zoo araazateat | [२प्र०२,२,

२९. र्‌ श. रर

1. fe 1 भातून्रा। द्रकुमाररन्ताम्‌। TETRA

र्‌ |, XT oR WIL: संग्रभाया। मचादस्तोरहेश्डाद TATRT-

णादना। ATARI शारस्तोर्दअद्ोवा। दरि

उना२३४५ १६ , ut र्‌ | a R

, | TLR द्रक्षमान्ताम्‌। चिचारङ्कारेहध्भाम R R | $ र्‌ हैर

ARTA | मारशारे। WTR होवा

VW श१९१९९

दक्तिणेना२२४५॥ १७॥

“rae” | “aereeay’(*) AW EAATF त्वम्‌ “तु (९) तदानोभेव “ay” रस्मभ्यं दातुः “शमन्त शब्दवन्तं स्तुत्यमि-

Lil मौरोषितें।

(९)-महांारो उण aura: खादिरं त॒तोये कवचनम्‌, तख ““दयाडिया- जिकारालामुपसद्धगागम्‌ (२,१९,६९)*-इतौ कारादे भः महता इस्त नेत्यथेः | (२)- षित्‌ इति “कचि तु-नु-व-मच-तख्‌-कु-जो सष्या शास्‌ (९,२,१द६)- नेन

ate: |

२प०२,९,३] छन्दश्राधिकः। २८९ st TU 8 | 1 Wr =

III WAT RAAT | चिचं्राभरसङ्गभारे ४, |

द्‌ # Rte

या Praga | ग्‌ WAL | भारडथ्या | Ter

मदादसोदन्तार्रदोद्‌ | चर दो वार्वा | णाभदनो

| 4 #

CUTE १८॥ छर द्‌ |

77 अआात्‌नइन्द्रक्तमाईन्ताम्‌। चिच ्राभरसङ्ग ATT | | RT oo Fray ea! Teel इरश्डा। भाररशथ्या। RT t COT! मदादस्तोदक्लाररोद। Bey! वादोरर-

ध्वा णाभदनोश्दाद्‌ re ५३

we: “fra” चायनौयं “ani’(®) wea [ग्रहणाहंः वा] धनं “gfata” wea “ot सङ्क,भाय(*) भ्राभिसुख्येन सङः हाण ३॥ भूर्‌

LILIV आपालवे णवे, वेणवे वा area ar STRUT RAT पारववे at

(q)—qaetfcfa wet रूपम्‌ | अभिषवादिमिः deere: संस तमित्यथेः। (५) --“डन्दसि शायजपि (२,४,९४)"-इति wey! इपरोरिति भवम्‌ |

ace सामवेद संहिता [रप्र०२,२,४

अथ चतुर्थीं |

प्रियमेध ऋषिः |

श्‌ रर्‌ RRR ९१२

अभिप्रगोपतिङ्गिरेन्द्रमचयथाविदं |

RR ९९२ खनुरसत्यस्यसत्यतिम्‌ ५४

275 Ue

pe La अमो। प्रगोद्पातिङ्गिरार। eae

~

ib

टद द्‌ x R ` R

a

१विद्‌ारद्‌ SPLATT! साल्यारहेष्डा। स्यार

ut R १९६९१९९९

रदध्ओद्ोवा पनोदृमेर२४५॥ २०॥

२९२

1 अभो watt प्रगो। पतिङ्किरा। इद्धाम्‌।

“गोपतिं” wat(’) खामिनम्‌ “इन्द्रम्‌” “अभि wa(*)”

= -- ~~

५४ उश्वरािंकस्य ७,१,१,१ 1 २८

ना wa: सामनौ।

(९,-.नोणब्दनाव stage -<fa fae (२) -'मध्यम-पुरषं STqaAAUATAY कवयनस्य सामे इष्टम, STS BET | अभिमष्छन खोमोत्यथः- इति far |

2402 ,¢,8] छन्दश्राचचि कः | RR

R ¥ ९६ धर दे AMBIT | BSBVA_| आर३४दविदादू ay टे 8 ५४ ऽर

सत्यस्यसा। 'दड्रम ओररध्वा। yl are

¥

STE ११॥ a १.९ 8 4 |. <x 7111 अमि प्रगोरे। पतिं गिरा। इन्धमच॑यथावि-?`

X 2 x STRAT | ख्नुरसत्या ३१२२ स्यसाभत्यतायिम.। Are

8

| सत्या ३१२३ | स्य सावा। AY! MATE W rz W ५४

fae”

“fa” wat प्रकषण पूजय “यथा fae’ (*) यथा area स्स॒त-प्रकरं जानाति [यथावा यागं प्रति गन्तव्यमिति जाना- ति] तथाऽ्चेति। कीोट्टशमिन्द्रम्‌ ? “सव्यस्य awe “सूनुम्‌” प॒रं(*) [तवामुरक्षताव्‌ सूनुरि युपचयते) “सत्यति” सतां यज- मानानां पालकम्‌ ४॥ ५४

IIL महागोरोवितम्‌ गोरीवितं वा।

(९) “कथं पुनः शोभि ! "यथा विदे" यथा जामामीत्यथेः'-इति fare | (४)-कथम्यनः सत्यखपुवः ? उच्यते - वे fag See ब्रह्म सत्यं तेन (गद्य-नामकेन

३८४ , सामधेदसंहिता | [२प्र०२,२ ५,

अथ पञ्चमौ। वामदेव ऋषिः | 1 Vw रर ६२९६९६९ VR VR कयानथिचञ्ाभवदूतोसदाढ़धःसखा | १९ कयाशचिष्टयावृता ५॥ UY - ut १९९ `

., > ^ 1 कयानञ्चो। चश्राशवरेवात्‌। ऊताद्रस। दा।

} ‘a R t 8 2

वाः सारदश्खा। कयाशार्चोरे। BTRAATR वा

| SBUMTE RTE २२॥

Ut र्‌ र्र्‌ x 2 #्र र्‌

` , .. ~ 7 era दोवादकयानिक्राभ्वरवार४्‌। WaT

0 ६८ e? # सथा “सदा धः" सर्वदा वदमान “चित्रः” चायनौोयः()

fa ५५ उत्तराचचिकस्य GURL | RE LIL वाचः araat | wim: यानि खवोषि gam area यक्मात्‌, तस्मात्‌ सत्य सनु: अथवा सत्यमन्र' दविरचणं तेन VHGA प्यायते वा, AHA VIS समुः'-द्ि fare |

(\—‘faa: fataa: TT av इति far

2702,¢,4] wesfaai: | ३७५

दर द्‌ र्‌ २९ रद्‌

दोवाजतोसदा | वधाः सारखा३४। Warr! Sars |

x R tx ax

कयाशचाद छया। वारेोरेरश्रोोवा | ऊर३-

BUT २४॥ हे 8 ut CRU TIT काऽभया AORTA ATA | तीसदाठर- {

९,

Wel खा। Be दो wT! कयारेरशचाद।

र्‌ र्‌ | § 7 a यौ Wi) BATS | ASV त्तार५दाई्‌ २५॥ ५५

¢ ११

fray इन्द्रः “कया ' “aat’(®) ऊत्या तपणन “a.” अस्मान्‌ १$ , ~ “श्रा waq’(*) श्राभिमुख्यन भवेत्‌ "“शविष्टया” प्रन्नावत्तमवा(*)

११

प्र्नासहित मनुष्टौोयमानेन “कया ठता" केन वर्तनेन RAAT

अ्रभिमुखो wag yyy

+

ai

Il] महावामदैव्य वामदेव्ब at |

(9)—“qut सुलुगित्यादिना (९,९,१९) पु सवं Ae |

(र) खेटो रूपम्‌

(४) —‘way-tfa निचच्छ] परञचानामसु अष्टमम्‌ पदम्‌ २,९ | शगचोति Wa Aa SER,

{rq सामवेदसंहिता | {रप्र०२,१,६ अथ बही |

Jaane ऋषिः। 8, rarefeareitatané १९ त्यसुबःसचासारंविश्वा सुगोर्ग्वायतर | 8 ९९

आश्यावयस्यूतये ५६

le 1 दयनरुवाः। सचासादारेम्‌। farang आश्या-

R Ag

तारम ATEN! वार्याररथ्यौ। tar सि १९१९९९१

FRA! येर२४५॥ २६॥

यजमानः स्तोतारं सम्बोध्याड(९)- हे -स्तोतः ! “सतासाह” [सत्रा शब्दो बह-वाचौ(९) | बह्कनामभिभवितारं [यहा wy ख-

५६ उत्तराचिकस्य८,१,१०,१- ऋभ्व दस्य ६,६,१६,२- ऊष्टगानस्य १२,२,४ |

(जि०२,१,२२) अतिशयेन wel, fest, तया अविहया, अतिश्य-कमेबत्या बान-जिय येत्यथेः,-द्ति fae | |

(९)--च्रतकसः पुव गोतमादड'-दति fao |

(₹)--निषष्टौ दादश पदनि बहवचकानि पठितानि (३,१) | तत्र सुबेव Vena |

२प०२,६,६] इन्दअ्चिंकः। ८७

¥ Ct | (<

Il ल्यारध्म उवःसचासाष्म Wear! ferar-

x १५.१९ र्द सुगीर्घायारेताम अर्या वारय सियीद्ो शेर रे , वार्‌ ताररध्योश दाद्‌ २७॥ ५६ बलेन सङ्गत्य जेतार (र) “aq.” युषदोयेषु “विश्वासु गोषु (५) सर्वेषु wig “अआआयतं'८५) विस्त तं [wae एव स्त ae तस्मात्‌ तेषु विततम्‌] “त्यम्‌ उ" [“ड'-इत्यवधार णे] ating “तये” Tercera ““आच्यावयसि” [re, we, ¥e- मतौ (्वार्रा०)] लदौयेः Ba: aw aft श्राभिसुख्येन गमय & ५५६

[मम

17 see सत्रासाहौये, अजितस्य ्राजिन्तौ वा

(द)- “सवा ब्दः सत्य-वचनः (नि०३,६०द)सद्‌ा शब्दपय्यायो बा खडि अभिभवे संखे Tato wie), खन सड अभिभवा्थः। सत्येन सर्वदा बा we ,शासभि भवितारस्‌'-दति fae |

(s)—‘aywl-asaqatag नृतोया-बङक्वभस्य खाने द्रव्यम्‌ | विश्वाभि नभिः सवाभिः ऋग्बजुःसाम-रूचखामि बागभिरित्यथैः'-- इति वि०।

(४)--“खायतं निवड खृतमित्य यः" -इति fae

ti

¡

श्८् सामवेदस हिता | [रप्र०२,३०० अथ GHA | मेधातिथि ऋषिः

१२२०९९२ BMT KTVU सदसस्यतिमङ्खतम्मियमिन्द्रस्यकाम्यम्‌ | ere सनिंमेधामयासिषम ५७

x © R LT 2 8

, 4, 1 सादा। सस्यताद्रमङ्गता ।. ओररेध्वा प्रायाश्चो-.

वः me ९९२ रेदथ्वा। TGR T | स्याकामार४५या९५दम | सनिग्मे SUT WW ९९५११९१

रधामयासिषार३४५म्‌ २८ ५७

“Sui” लब्धं “सदसस्यति (र) एतन्रामक देवम्‌(९) “sar सिषम्‌” प्रास्वानसि। कौदृशम्‌ “अह्ूतम्‌' अखयंकरम्‌ “इन्द्रस्य प्रियम्‌” [सोम-पानें सहचारित्वात्‌] “काम्यम्‌” कम नौयं “afa’(®) धनस्य दातारम्‌(*) ५७

WO ऋग्ब दस्य १,१,२५.१ | I वामदेव्यम्‌ (९)--"“बष्ठ्ाः पति-पुब त्यादिना (८,२,५२) Tare | (२)--नेषष्ड, -देवस-काष्ठ अ-परिगशितम्‌ | (२)--““डन्टसि वनेत्यादिना (2,2,29) इन (४)- खुद सस्पतिं' खदोनाम-यश्नग्टद-खामिगम्‌ ‘waa’ मडाकम्‌ "काम्यं ' कमनीय

र्प०२,६.८| wenifa कः | ३८९ अथास्यै |

बामदेव ऋषिः |

९६९९ ९४२ रय येतेपन्धाश्रधोदिवोयेभिर्श् | WE ९२ RXR

उतश्रोषन्तुनोभवः ८॥ ५८

ak ^ | 1 खाद्‌ आप्खदारेरण्साः। आआषदाररथ्काः। ८, ८. RECT १९० , ११९१९ ४:

येतेषन्धाअदेधोदिवार३४५:। शाद्‌ भाय STRAT: <x 9 ११९१९९१ R RR | येभिर्यश्चाश्मादूरयार२४५ः। हाद उताग्रोरदश्षा

at र्‌

तूनोररे। भूरवारर्री शवा Tega २८॥ ५८

हे इन्द्र ! “दिवः” gate “mn” श्रधस्तात्‌ “2”

% “fracas पाठो wearers | “व्यश्मम्‌"- इति पाठस्तु सक्गनहोत-समस्त-पुस्तकानाम्‌ | विवरकूकारख yoru शव, तथाच--'ञ्चम्‌ गेगिताञ्च win मित्यथेः-दूति

जद्‌-विवरलम्‌ |

I अश्िनोः साम |

fre’ बद राम्‌, wy”, "सनिं" मोः, मेषां' swe "अयार्षिम्‌' यचे-रषोया frace-gua: |

३८० सामषेदसंहिता | [२प्र०२,२८.,

Gy नवमो | yaaa ऋषिः # | PLR Veevere’ URANLAMACTAA TAA | १९ 2

यदिन्द्रषडयासिमः॥ < ५८ “qarr”(*) wart: मागः सन्ति, "पेभिः"०(२) वै मर्गे; “विष्वं” सवः जगत्‌ ““रेरयः” प्राप्तवानसि, ते मार्गाः यजमानेः सुयन्ता- fafa ओेषः। “उत” अपिच “a” अस्मदौयाः “शुवः"(२) भूमयः निवास-खानानि “शओोषन्तु"(*) यजमानाः तवदनुग्रहाच्छख्व- ma“) ४५८

# (सुकक्षस्याषंम्‌'-इति fae | Yd ऋम्ब दस्य ६,६,२६,३ |

(१९) -'रकवयननिदं asrqare भवति'-दति बि” |

(२)-भिसरेसाटे्ज्छन्ट सखि etwas भवति (७,१,१०) |

(९) -“कम्दस्यममयथा (६,४,८६) '-दगयुवद |

(४)-- fa सिप्पे (९,४,९४)-खूपम्‌ |

(५)--'ये' “से तब खमताः “पन्थाः Gane: (दिवः अधः अकरोच-रोके ‘ate’ चैः पथिभिः ary’ शोघ्रम्‌ Cee आगतवानसि। ‘sq’ अपिच ते. रत्य सुवः qe.

~ a uns # ° | i “2

यबे WTS Te "न Were तोः Aten’ ्टशोतु भवाम्‌--दत्ययमथा faace-

Ware: |

रपण २,६,८ | RR atte ar 1 ३८९१

ext r

I Raat | नच्राभारशरा३। आदषामूर्जाम्‌ ।\, ^ . ` -

Rk £ १९ 8 धर

शतक्रारहेता ATR | डा्यारदध््रो होवा |

6 +

R सोरेहनाः २०॥ ५९८

= “शतक्रतो” शत-विध-कर्मन्‌ ! [गत-प्रन्न ! वा] “om” | “ag we” कस्याणशतम(*) [सुखोत्पादकं वा| wa “a.” चस्म- भ्यम्‌ ^“प्राभर ८९) wares देहि, तथा “इषम्‌ खलम्‌ (र) अब्र रसं [यहा बलंवदब्रं(*) 2fe)], “नः श्रस्मान्‌ “ae”|*) यदि “मृडयासि” सुखयसि afe धनादिकं देहोति [मड सुद्डणठे (aate पर)] तस्य लेटि अ्रङ्स्याडागमः(९ # ५८

I wave भद्रम्‌।

(९)-खभ्धासेनातिशग्य wera |

(₹)-दर्तेभेवे रूपस्‌ आाडरोत्यथः।

(द) --“दषम्‌', ‘cara’ दु प्येते अन्ननामनौ (भि०२,०,१०-- ९८), खतः पौनर््य- प्रसङ्गात्‌ Seeley रस-बचगो LVS: Way Tay त्य्थः- दति fire |

(४) sa a निष्ट ब-नामसु स्कविंद्तितमस्‌ २,९।

(४) -'यन्‌' तुतोयाय। Wa लुक्‌, येग शद्रे रसेन Eafe’ स्वेदा सुखयसि, वय सोत्यथः-- दूति fare |

(€)-“रेगेडाो (२;४,९५)'!

३८० सामवेदसंहिता | [२प्र०२,२८.,

अथ नवनो। श्ुतक् ऋषिः* | PRR २९६९२१२९ 4 URANLTAM ATTA LTT १९ BLUR

यदिन्द्रग्डडयासिमः॥ < ५८ “qagr:”(*) waar: मार्गाः सन्ति, “येभिः"(९) यै मौर्गे; “विश्व” सर्वः जगत्‌ “रयः” प्राप्तवानसि, ते भागः यजमानेः स्त॒यन्ता- fafa wa: “उत” अपिच “नः” अ्रस्मदौयाः “भुवः"(२) भूमीः निवास-सखानानि “चोषन्तु"(*) यजमानाः त्वदनुग्रडाच्छख्व-

न्तु(*) ५८

© “सुकक्षस्याषंम्‌-इति fare | ५८ WTA &,६,२६,२ |

(१)--'रकवलनजिदं esrqare wafar’-cfer far

(२)-भिसरेसादेषज्डब्दसि बाङस्येन भवति (७,१,१०) |

(९) -““कम्दस्यभयथा (¢,8,5%)- Tyee |

(४) कदि foray (६,४.२४) रूपम्‌ |

(Q)— 2 “तेः तब खमताः ‘war’ पन्वानः “दिवः अधः अकरोच-ोके afi’ येः पथिभिः ‘ary’ wine “श्रयः आमतवानसि। ‘sa अपिच रत्य "मुवः We यये जश्ाण्छ-प्रदेे ‘a? अस्माकं तोः Atom’ इटशोतु भवाम--टत्ययसथा farce-

सन्तः |

| VWTo2,2,¢ | न्द प्राचिकः 1 BLL

RAT 8 ४५ 1 BATRA | TARTAR ATT | श्रादषामूरजाम्‌ ।४, ./ , ` ओ, ।, द्‌

श्तक्राररेतारड। यादिद्धाण्टु। डरेयारदश्रोदोवा | ष्‌ | सोरेषनाः २०॥ ५९

“शतक्रतो” शत-विध-कमंन्‌! [गत-प्रज्न ! वा] “oe” | “we भद्र” कस्यारतमं(\) [सुरीत्पादकं वा] wa “नः” अस्म भ्यम्‌ “श्राभर (र) सम्पादक देहि, तथा ““बषम्‌ खजम्‌”*(२) अत्र <a [यदा वलंवदव्रं(*) देहि], “नः” अस्मान्‌ “्यद्‌**) यदि “asafa’ खयि afe धनादिकं देति [खड सुद्धे (क्छा° पण०)] तस्य लेटि श्रङ्स्याडागमः(९) vend

I मोतमख्य wz

(१)--अभ्थासेनातिशय्य रच्यते |

(२)-इरतेभेने VTE शाररोत्यथः |

(९)-- दवम” ‘aera’ इं अप्येते खन्रनाभनी (नि०२,०,१०-- १८), खतः पौनरन्न- WONT ऊलंग्रन्दोऽव रस-बचनो द्रटयः Way रसश्च त्यर्थः- र्ति fie |

(४) उजं '-इति जिषच्डौः बख-नामसु रकविं तितम्‌ ९,९।

(४) -“यत्‌' Taba Wa लक्‌, येम अन्नेन रसेन "उड यसि' सवेद हुखयसि, आव सोत्य्थेः- दूति fare |

(ई)--“रेगेडाटौ (२,४,९४)' |

2EQ सामषेदसहिता। [२प्र०२,२,१० we zwat | fare az fa: |

^ RUT Yt २९९ 174 mferarar sede: frareraare: | २? ९९२

उतखराजोञ्श्विना १० °

दूति ठतोय-द शति : Rv BT HT BR 8 RT UT "1, ~। 1 अत्तिसोमोषरयपछतः। अ। | सोमो | ve ४४ अयरःसुतःपिबन्यस्यम रूतोरदष्ष्ाद उतखराधजो-

8

वा। salyXale STEW २१॥६०

“ra” पुरोवर्ती “arn” “gn” aweederarfir रभि wa: “afta” frat, तस्मात्‌ “re” अन्वादेशे एनं सुतं सोमं (८८ जः" [| ¢ aa a येनेत्य्ं 0

AUST” ST दौप्यमानाः सख-तेजसा नान्यटोयेनेत्यधः, ATEN:

# “पूतकच्चस्य सुकचचस्य वा cara «fa वि०। €o उत्तरा्चिंकश्य ८,१,८,१- ऋग्वेदस्य ६,६,२८,४ | I अभ्िनोःसाम, सोम-सामवा।

२प०२,७,१ | SETA! | 222 “मरुतः” urai(’) “faafer(*); “sa” ्रपिच श्रश्िना"(२) अश्विनेा सोमं प्रातः सवने पिबतः won go

दति सायक चार्य -विरचिते माधवोये सामवेदाथप्रकाश्नं दन्दोयाष्यानं दितोयाध्यामदख्य AT: खण्डः |

aq सप्तमे Gwe

. मेषा प्रथमा | दन्द्रमातरो देवजामय ऋषिकाः |

3 २९३९१९९ रेर्‌

ङ्खग्यन्तोरपस्युवर् ज्‌ जातमुपासते | Ay

१२ RVR

वन्वानासःसुवोयंम्‌ ६१

--- --~~ ~~~ ~~ -~----*~-~--- - - -----~ -- ---- ~~~ ~~~ ~ भा ना

६१ WAT ८,८,११,१।

(१)--प्रातद्ति जाने gate: ! (२)- लख्य Stee द्र्टयः, पिवन्‌ ।'-इति fare | (द, “अथात ख॒स्थाना Saal स्तासा मिनो 9# दा वाश्यिब्याषित्यक, खरो- रावा विव्येक, मय्याचनद्रससावित्येके, राजानो पुण्यता विदध तिर सिकाः" - इत्यादि मेरङ्कस्‌१२,१,१- २। ५० क, |

268 सामवेदसहिता। [२प्र०२,४,१ UT र्‌ 2 x _ X RT ! “^ T SR अपा रेस्धूवा रः। भाटृन््रश्ा तम्‌ a रे र्द र्‌

a WATLATAT RT | वन्वानाररसाः। सुबोरियारश्डवार२।

TH? il २२ ६९

“इढःखयन्तोः"(९) गच्छन्त्यः स्त॒त्यादिभिः ce urea: “Tae” अपः HANA CE. इन्द्रमातरः भस्य सूकस्य द्रश्यः(र) “जातं” प्रादुभूंतं तम्‌ “न्द्रम्‌ “उपासते” (९) परि- चरन्ति, “gata” शोभन-वौर्योपेतं धनं “वन्वानासः"(४)

तस्मात्‌ LET VAM भवन्ति

“वन्वानासः”-“भेजानासः"-दति पाठे १।६१

a - =~~----~ -~-- ----- ~~ --~

I त्वा्टसाम | “aret’-sfa UTS? |

(९)-"देङ्कते'-दति गतिकमसु ख्ोतितमम्‌ नि२,१४।

(3) —‘a लयः'-इति वि०।

(द)- "उपगम्य इन्द्र तस्यैव समोपे यलि रत्यथेः-टति बिः |

(४)--'बनु, खम इत्यस्येद रूपम्‌ याचमाना च्यक किं याचमानाः? उब्धसे- तन्येचन्दरस्य waa वोयगस्‌'-दति fae |

२प०२,७,२ | Beas: ३८५ we हितोषा गोधा ऋषिः

्९१द्‌ नकिदेवा^दनीमसिनक्या'योपयामसि। A

2

मन्त्तश्रुलश्चरामसि दर

९२९ ts - I नकिदेवाः। इनाद्‌ दनोमासारद्‌। मासीरया iy |

२१ § नकियायो पया। पयामासारद्‌। मासोरेया। मन्त- Rt र्‌ 4:

श्रुत्याम्‌ चरा | चरामासाख | मासीरेया २२॥ ६२ हे “Gar” इन्द्रादयः ! que विषये “a fa(*’) इनोमसि" किमपि हिख्मः(र) [मोर्‌ हिंसायां, क्ेयादिकः “मीनाति

EX WA TA ८,७,२२,७ |

* “नकिदवा"-इति, “नकिरायो"-दति ऋग्बेद्‌-पाठः | ५4 “HOHE "इति आखनुदात्त अरन्तोदाल्त्च ऋभ्बेद्‌- पाटः | 1 गोघधासाम। (१)-- “मति प्रतिषेधे, कोति निपातोऽनथेकः-दति fare |

(२)-- हे देवाः श्नमि, प्राखि-वधं कर्भ पञ्चादि-यामं कुमे इत्यथः -tfa वि०।

041

i

२८६ सामबेदसह्िता) [ रप्र ०२,४,२े we eater दध्यङूडनथवंण was |

2 १९ WTS VR ३१ दोषोभ्रागाद्र इङ्गायश्युमङ्गामन्नाथवष | ९३१९ VR RVR

सुदिदेवसवितारम्‌ १॥

४र भैर ¢ 2

1 दोषोच्ागात्‌। TARA बयुमद्गारदमान्‌। अथ-

fame (७,२,८१पा०)'-इति we, “seatrafa (७,१,४६ पा०)' Bait लोपनग्ङान्दसः। भकारः समुचये ।] “a fea “योपयामसि” योपय्यामः(र) अननुष्ठामे [अ्रन्धथानुषानेन वा] मोहयामः [युप विमोषने (चु ०्प०)]| किन्तर्हि: “aapger’ aay ara शरुते विभिवाक्-प्रतिपाखं यद्‌ युखट्विषयं क्(*) तव्‌ “चरामसि” आचरामः(*) अनुतिष्ठामः

“दूनोमसि"-“मिनीमसिः-दति पाठे ॥२॥ ६२

er ययानया, जा क-म

ge 'वामदेवस्याषेम्‌'-इति वि०-पाठः। I सवितुः साम।

(द)- free बरटः; यृप-निखननमपि कुलः, रदौषध्यादि-डिंसा- मपि कुमः-ट्ति वि०।

(*)--जयपा्डम्‌'-दूति fae |

(4) —‘sife-aqy कुर्मः, जपमेव कुं cae | उक्गश्च-“जणेत्ेव तु संसिद्ध

२प०२,७,३ | wai a २९८७

RT

aqui सदि। श्रौरष्टोर४द्‌। देवारम्‌। सवोवा

|,

ATYTIE RTE २४॥ ६२

डे “aexra’(') वहदाख्यस्य aren गात: ! ^दमदहामन्‌'(र) दौ स-गमन ! “श्राधर्वश(२) अधर्व ऋषि रपत्य (५) [ऋषिः स्वा- कानभेवामन्यते] त्व “दोषः'*(५) ऋत्विग्‌यजमानापराधेन यः कचिद्‌ दोषः “arm” श्रागच्छति तत्परिहाराधं “सवि- तार (५ प्रेरकम्‌ crane “Sa” “स्ति” [यदा “दोषः” दूषयति नाशयति लमांसोति, दुनोति उपतपति रक्तांसोति वा दोषः, सः सविता “श्रागात्‌", अतो हे ^श्राघवंस्‌ !" “wey” स्तोकं “गाय” तथा “गामन्‌” गायतौति गामा हे एवं विध ! स्वान्‌ ! “यमत्‌” दौपिमदन्यत्‌ स्तोचम्‌ उप गाय शिष्ठ (9) खनराद राधम्‌ ३॥ ६३

oe —_ ~ —_— --“

BIOS मात्र SUG, Fare बा FTA ANT Ser (मनुःदेख्य^)' -ष्तिः-द्ति Fao |

(१)-- "जाय खचारय'-दति fao |

(२)-- खमतां खर-सोषव-यक्कानां सान्नं मामन नातः, -द्त्य्यौ fao-geqa: |

(द)-- थव ति मेत्यथः, War गन्ता, यवा GUAT, AVG खोता खभतः, तेन ` खर आयनः, तद्य way ्याथवख ! मम वाम्‌ वद्य qua! इत्यथ afar वि०।

(४- “.अथवालोऽथम वमा गरव तिख्रतिकर्ा ae प्रतिषेधः" -दृत्यादि ९१,१८ |

(४)---ददोषा रातिः, इति weqee:-cfa वि०। पद-कारस््वव मव चिन्डेद- “रोषा, उ'-दति।

(१)- "रविता सवस्य प्रसविता" -दत्थादि भे०१०.३९ | “रुवित-टेबत्यच्च हत्‌ -दृलि बि०-ष्वनिः। |

(0) weTeda |

~

RAT araaealear | [२प्र०२,४,४

wa चतुर्थो प्रस्कण ऋषिः ३२ BWC CTR रद CASA अपृ््धाव्युच्छतिप्रियादिवः। १११ ११

स्तुषेवामश्िनाञ्र दत्‌ ॥* €४

ATT Ss tek OS 8

I रपोउषाः। आपर्विंया व्यच्छति डोवारदा्‌ |

श्र र्‌ २९

प्रियादारदद्वारषः। सुषारश्दवामारे। श्िनोरेर४बा

auteur २५॥

35

“qg,”"(’) एषेव अस्माभिः परिदृश्यमाना “प्रियाः सवषां प्रोतिरेतुः “agat’(’) gay मध्यरातादिकालेषु विद्यमाना

-~ ----- ee re ~

€8 SAS कस्य ८,३,७,१-ऋम्ब द्‌ स्य १,२,२ २.१ | I उषस साम। (१)- रषा, उ, उषाः'-एति पदकारः। feacwarte तथेव aren उकारः पार्परशः'-द्ति।

(२) -'यतः पबे नालि सा Waar, पव va Goat, खाथिकस्लददितः; प्रथमे त्यथः-इति Far |

*॥ दूति यामे गेये TARTS: प्रपाटकः

¢ २प०२,७१५| ween ifs a: | २८८ we qwati

गोतम ऋषिः

३१ RLU ae CRITA AT HRs AUTH, A: | १९२ BUT RE

जघाननवतीन्नेव ५॥ ६५

भवति किग्छिदानोम्तना “उषा”(२) उषो देवता “दिवः” द्य लोकस्व सकाशात्‌ ्रागत्य “व्युच्छति” तमो वर्जयति(*) है “श्रखिना” afer) (५) “at? gat “हदत्‌” प्रभूतं यथा भवति तधा “wea” स्तामि ६४

९५ SUC fa कस्य ३,१,८,१- ग्ब दस्य १,६,७,४।

(द) “उषाः, aura! उच्छतोति सत्या राज रपरः काल्या रषा भवति" दयादि नेगम-काष्डोयं TEMA (२,१८) पदशन्प्रतेऽवलम्बनौयम्‌ सायष-मते लु- “उषा, वष्टेः कान्नि--क्मलः, उच्छतरितरा माध्यमिका ; नस्या एषा भवति, -दत्यादि देग्त-काष्डोय Hany (१.५ ९) च्छम्‌ |

(४--खब्धति, खच्छिणिवासे, विवासुयति- किम्‌? सामथ्यं ta तमांसि; णकोति विबाखयितुम wat विवासमनाव उदितत्न wena, उदि तेत्यथेः' दति fae |

(4) -“खथातोख खाना दवताः। ararafaat प्रथमामामिनौ भवतः। ufwat यद्‌ wate we रसेनान्योज्यो तिषान्यः | ey tfeatfeateart: | तस्काव- शनो सावापुथियावित्यकं ऽडोरानावित्यक सृं 1चन्दममाविव्येके राजानो पष्रता- विलेनिशासिकाः, तयोः कालः ऊदमद राजात्‌ प्रकाशटोभावस्य्ातुबिटख्षमतुतमो भानो हि सभ्यमो ज्यातिमेग wife | तयोरेषा भवति-दत्यादि Hew. १--२।

ee

j Fa 4

Boo सामवेदसंहिता | [२प्र०२,४,५

र॒र s & शद La इद्रोदधोचोञस्छमभिरिया रेया gare ९. ® AT _ i, प्रतिष्कुतदया रद रेया जघा र। RR |

R यार३४। ओच्चोवा। ऊररश्पा A

an +S

४५ रद ` R Tl इद्रोदधादई। बचोभस्थार्र४भोः। वृचाणिया

अतर शाटपायनिन शतिष्टास माचस्मे-“श्राधवशस्य SETS जीवतो दशनेन अ्रसुराः पराबभूवः | भथ afar waa, wet: gut पृथिव्यभवत्‌ sarge ae ay ana सषि मन्विच्छन्‌, aa गत इति एयाव श्रव पप्रच्छ तत्रत्यान्‌-- दर किमस्य fafaq परिशिष्ठमङ्मस्ि ? इति, तस्राभ्रवोचन्‌-- अस्तयेतदाश्व' शोषं, येन शिरसा अश्विभ्यां मधुविद्यां प्रात्रवोत्‌, तत्त विद्मः तद्व्राभवदिति ; प॒नरिन्द्रोऽब्रवौत्‌- तदन्विच्छ- तेति तदा श्रन्धेषिषुः। तच्छयें शावत्यनुविदा oe, (य - णाव वे नाम कुरुक्ते्रस्य जघनां सरः स्यन्दते) तस शिर- सोऽ स्थिभिरिन्द्रो ऽसुरान्‌ अघानेति'(९)

ना लष्टुरातिथ्ये दे

(९)--विवरणशकारस्छं नमि तिडा समन्यथाचष्ट | तथाडहि--'कालषन्ना नाम WATT: | TEs Mga देवा द्रद्याणम्‌ पगम्यो क्वः भगवम्‌ | STAVES AWTS,

२प०२,७,१ | कन्दश्राचिंकः ४०१

र्रर र्द शर

प्रातिष्कताः। जघानारडना वतोन॑वा। ओरदोवा |

wy! डा॥२॥ ६५

अप्रतिष्कतः”(ः) पररप्रतिशब्दितः प्रतिकूल-शब्द-रद्ितः इन्द्रः" आधवेण्स्य “eure (२) warn ऋषेः अस्थभिः" पाश्वे-शिरः-सम्बधिभिरखिभिः “aadtaa” नव- सरःख्याका नवतः, दगोत्तरा ्रष्टश्त-सङ्ख्याकाः [८१०] [तथादहि-लोक-्रय-वत्तिनो रेवान्‌ जेतुम्‌ आदावाखरो माया faut सम्पद्यते, विविधा सा अ्रतीतानागत-वत्तमान-काल-भदेन तत्क्ाल-वस्तिनो aq पुनरपि प्रत्येकं विगुणिता भवति, एवं नव सम्पद्यन्ते, पुनरपि उत्साहादि-शक्ति-्रय-रूपे ण(*) tau सति

तेषां मारब्धोपायं विषतखेति , aa तालुवाच-दधौवि माम भविमु पन्य ्रत.ख Arce AT विधाखति | ते तच्छ खा TITHE तं दधौच मपगम्ब SHAT भगवम्‌ ! अखादीयान्यस्राणि wae षां पुरोधा अपरति, तानि रचख ततः ऋषिष्ठालुवाख--मम we प्रथिपध्वस्‌ तत carfef देवैः स-मरुदुगकः we भुजे sfeafa | पुमः काषेन देवाचुर-खङपामे पर्युपस्िते शत्य देवा ऊचुः- भगवन्‌ | तान्य ्रालि प्रयच्छखाखराकम्‌ ततन नोक्तम्‌-सानि -मे खोखानि, तानि पुमः प्रापनं अकधाति | ततः प्रजापति-मखा टेव खचुः--ममवम्‌ | प्रारु-त्यामं Fae | ति अला पुनः त्ख नेन प्राणत्यागः तस्य दधोचः खभूमैरस्यभिरिनदरो wafe sara’ -ष्ति।

(२)--°अप्रतिस्खलख्ितः'-दति वि०।

(e)—er मथवा मनुष्पिता दध्यङ्‌ धियमरनत"-द्ति (२,१६.०,१९) ण्षेदो य- Ware: UCTS: |

(४)-- प्रभा वो्धाडमन्त्राः WHATS: |

ARH,

४०२ सामबेदसंहिता। [ रेप्र०२,४१६ चथ वषो मधुच्छन्दा ऋषिः

S ३२ ९दर WR १२

(7 ददे दिमस्स्यन्धसोविश्वेभिःरीमपवेभिः

श्र र्द

मद्दारअभमिष्टिरोजसा ६॥ ee

# < १९

| श्र - + 1 इ्दरेदिमाशाउ। व्सोदभान्धारसाः। वादरशेभिः

सप्तविंशतिः सम्पति, पुनः सालिकादि-गुण-्रय-भदेन Wye सति wate अशौतिः सम्पद्यते, एवं चतुभिख्िके गुंकिताया मायाया दशसु दिश प्रसेक मवस्थाने सति नव नवतयः TATA; एवं विधं मायाङूपाणि] “anf” (५) भरावरकाख्ि war जातानि “जघानं हतवान्‌ ५॥ ६४५

हे “इन्द्र!” “एदि” अस्मिन्‌ क्मखि ures, ्रागत्य विष्व ११ ८८ “Prater.” सवः “सोमपर्वभिः"() सोमरसरूपेः “अन्धसः”

६६ ऋग्वेदस्य १,१,१७,१-यशुवेदस्य ३१,२५। I पोषम्‌ (४)--मपुखुकशिङ्मिदं व्यत्ययेन (२,१,९९)--जानिति।

(९)-श्पर्वा खि अवयवाः, सोमस पवार, तेः सोमपवभिः, तद्येमभिषतेः सोमा- aaa: -<fa fate

२५० 2,9, 0] wesifen: ` ४० अथ सप्रमी |

वामदेव ऋषिः |

षर रर ९२९ अलनटनदरबचरन्नसाकमड़* ATE | Ag}

३९ Rw ९९

महामदोमिङ्तिभिः ९७

१९४

AVN | ATTATRABAY: | महा ५९२ आरभारर- दर रं १२ ९९९६९

श्रौरोवा। शिरोजसार२४५॥ २॥ ६६ शअरन्धोभिः भ्रजैः(९) “afer” माद्य ष्टो भव, तत ऊद म्‌ “are सा” बलेन मान्‌ wer ““श्रभौष्टिः"*(९) शतुकामभिभविता भवेति शेषः [अष्टाविं ्ति(*)-सरूख्याकेषु वल-नामसु ‘ats ‘ara: -afa (नि०२,९) पठितम्‌ gn ६६

+ (अधम्‌ -इ्ति WATT: |

६७ ऋम्बेदस्य २,६,२७,१-भारण्गाने ४,२

(२)--““श्वन्ध इत्यत्र नाम -द्ति Heo ४,९। ` (९,--“आाभिभच्छेन यद्यो वा-इति Fre | (*)-.बख-मामान्यु ्राष्छा विति -इति मं ०६४८ |

४०४ सामबेदसंहिता। | [रप्र०२,४.८ Guiza | aa ऋषिः | 2 & RRT 2 १२ 0४ ८, ओओजस्तदस्यतिविषउभेयद्मवन्तयत्‌ | 33 8 TRARAITA = ईट रर ETAT UT Bl WT VT UT २९२९

- `: . £ DTT आती नटन््रगरचाररशडान्‌।

Re २९९ rc |.

HAHA | अगाररशो। ATARI माचार्न्मा

Sea भिदरेदध्वा। ताभद्रमोईदाद्‌ ९७

हे ““ठचरहन्‌ !"(*) ठज्राणां शतणां fran) इन्दर अस्मान्‌(९) प्रति ^^तु(९) चिप्रम्‌ आगच्छ, SOR!” “मदान्‌ प्रभूतः त्वम्‌ “महीभिः” महतोभिः “ऊतिभिः” रक्ताभिः we ‘cara? “ae” समोपम्‌ “at गहि आगच्छ ६७

Cone, 39

EX उत्तराचिकस्य ८,१,१२.२ | I इन्द्रस्य माया ~ (१)--.अथाखं कम-रसातुभ्रदानं SATA UT चका बखतिरिन्द्रकमव aqa’- इत्यादि Tawa ९,९.९० | (जवधो सेव-बधः"-इति TATE | (२)-“अस्माकम्‌'-इ्ति Fae | (२) - “चि तु, ^त्‌-द्ति era aaa | तव सृचम्‌--“ टचि तु-न्‌-ष-मसतद- कु नोरष्या शाम्‌ (ई,२,१द२।'-दति।

२०२,७.८] न्ट ्रा्चिकः। ४०५ र्‌ र्द 8 hd + | 71 दा। दाउवार। शओ्रोजस्तदस्यतिविषर२४ दा ` ; . R x 2 8 र्‌ षदाउवा | उभेयत्छमव्षया२२४त्‌ | दा शाउवा३ इन्द्र श्र ५४१११ खम रवरोद सोर₹४५॥ ५॥ Ee २९द्‌

Tl ओोजस्दाधस्यतिविषाद्‌ उभेयत्छमवत्तयादा१-{ ``

Ww र्‌ PUT ६१९९१९९१

LHRH: | चारर्माररऽ्ादोवा | वरोदसोर३४५॥९॥द६८

“Cre” इन्द्रस्य “aq? “tre.” qa’ “fafa” दिदीपे [लिष stat (दि०प०] “यत्‌” येन arerar waq “इन्द्रः” “any” ““रोदसौ द्यावाण्यिव्यौ “चमव"(९) “समवन्तं यत्‌” सम्यग्‌ वत्तेयति। यथा कित्‌ किञ्चित्‌ wa कदाचिद्‌ विस्तारयति कदाचित्‌ सरको चयति, एव तदधोने अभूता- मित्यघः(२) ८॥ ईट

117 इन्द्रस्य संवर्तस्य वा सां वत्तं

(१)- “चमे चरतेगाख तं भवतोति वा"इति अ०२,५। (र)--“वथा कित्‌ चमं वेष्टयति, तददिव्यर्थः-द्ति fae |

४०९ सामेद संहिता | [२प्र०२०४१९ wu मवम |

शनः गप ऋषिः |

१९६१९२९ Rt

1 अयमुतेसमतसिकपोतदवगभेधिम्‌

TAMAR ६८

¢ छर

रे :, ¡ 7 अ्रयाऽपसु। तारदसादेमानसादू। कापोतद्‌ ` ९१ x २९ | वगाभार्ोरम्‌। वाचारेस्ताश्ञोररेत्‌। नभोरेधवा | | TYME UTE €e

इन्द्र ! “श्रयम्‌ ड” waafa(’) दृश्यमानः सोमः “a” wen सम्पादितः यं सोमं “समतसि” सम्यक्‌ सातत्येन प्ाप्रोषि। तत्र दृटान्तः-- “कपोत इव" यथा कपोताख्यः पक्तौ

# (शूनः शेफ-दति fac-are: |

i

&€ TAT HS 9,2, CY LWT दस्य १,२,२८०४। 1 आङ्गिरसस्य शौनःपेपम्‌ यावन वा

~ e ~ (१)- सायश-मत FS QQ: | बिवरश्-मतं नु पाद-परबाय।

BTR, 9,00] ढन्दश्राचिकः। ४०७ अथ await | वातायन se ऋषिः ९१२९२३१ २९३९२ वातभावातुभेषजरशम्भुमयोभनो इदे AEY

प्रनञ्रायू रषिः तारिषत्‌ १० ७० इति चलुे-द्‌ शति

eth eT भ्र. , ` 1 बातञ्मावात्‌। भा५दषनजाम्‌। गब्ञुमयः। भृनो- रर

© , इदार३ण््‌। UTR) प्रनभायरषोरता। रिषात्‌।

GVW! इडा ७०

^ गभर्धीं (र) गभधारिणौ कपोती प्राप्रोति तदत्‌, “त्ित्‌"(र) wares कारणात्‌ “नः”(*) wala “ae?” “neg” प्राप्रोषि\॥ ९१६८

* ्रणञ्चायषिः-दति sea दौय-पाठः | ७० उ्षरा्धिंकस्य ९,३,११,१- ऋग्वे दस्य ८,८,४४,१ | 1 प्रनौचोनेड' काशोतम्‌ | (९)- भा धीयत wert सा गर्भषधिः, ताम्‌। (९) -'तम्मम wad वचः-द्ति, “चिदिति पादप्रलः-इ्ति fate | (४)--"बडवचनभिदमेकवचमसख ana xeaa’-cfa fae |

got सामदसहिता। [रप्र०२,४,१०

कद

““वातः”५९) वायुः(र) “नः अस्माकं “Ee” हदयाय(र)“.भेष- say’) श्रोषधम्‌ [उदकं वा] “न्रा वातु” रा गमयतु, ater तम्‌? “Tay रोग-शमनस्य भावयिदढ(५) “मयोभु मयसः सुखस्य भावयिदठ,(९ श्रपि “नः अस्माकम्‌ “org षि श्रता रिषत्‌” प्रवदयतु(%) १० ॥७०

दति greeter -विरचिते माधवोये सामवेराथेप्रकारे einer दितीयाध्यायस्य GAR: खण्डः ©

(१)- "वातो गतौति सतः" -दत्यादि Fo Ko १०.९४।

(QQ)—waftwat देवः। तथाहि-“वायुवनद्रोगाकरिचस्ानःदति te Zo ON) Sweat aurea देवताः, तारां वायः प्रथमामामौ wafa'-xfat to Zo Lo, | |

(९)--(इदरयद्य'-दति fac! रतच्रये ‘wale चतुथो (२,९,९२)-इति वचनादि चतुयोः |

(४)--“पय्यमित्यथः'-दति fae भेषज सिव्युद्क-माम खनचलारिशत्तमम्‌ पदम्‌ नि०९,९,१२।

(४-- भु सुखस्य मावयित्‌, carat सुखकरमित्यथः-दति वि०।

(१)-“कारञान्तरे सुखस्छ माययित्‌, खथवा मयो we तद्य मावयित"-इति fae | हमिति waaay (fron) ऊनविश्तितमं पटम्‌, मयष्ति तुं चथोर्क्मिति रकार्थयोरुभयोः कारभेदेन arena विवरश-सम््रतम्‌ |

(९) -- वात खावातु मैषश्यानि शसम, मयोभु नो इद्याय THEY चायुः" -इति नैसङ्ग-याष्डयागम्‌ दै, १०,९५।

२प०२,८,१] कन्द्श्राखिकः | Boe अरधा्टमे खण्ड- के सेषा प्रथमा | कण्व ऋषिः |

WT रर BUR TR ९... ~ र.

यरक्षन्तिप्रचेतसोवरूणोभिचोञअरथ मा Agen

४, १२ १२ किः+* सदभ्यतेजनः ७१ ४. BUT 1 यर्रसखन्तिप्रचेतसाः। वरूणोमिचोभर्याररमा न। |

, १९ ध्र ATLAS | MATAR | भ्यार्तारर४अादोवा R जार२४नाः < ७१

66 जन

प्रचतसः”*(*) प्रकषटक्नामयुक्राः वरुणादयो देवाः “यं” यज- मानं “cafe” “a? यजमानः “न कि दभ्यते; ` Fafa a हिंस्यते ७१

"नूचित्‌-दइति ऋग्बदोय-पाठः।

७१ ऋग्वेदस्य १,३,२२,१ | I alfaaa |

(९)- ष्र्टदज्ञानाः- वणः, सिवः, waar q-<fa fae | AQ,

४१० सामषेदसंशिता | [रप्र०५,२ अथ इितोया

aa ऋषिः |

RW BUT ९२ VT TTR’ ^../ गव्योषुणोयथापुराञख्चयोतरथया | र्‌ ६९ ARG ATTA ७२ wet ४र ४४ इर x oo 1९ 7 गब्योषुण्णेयथापुरा। अश्वयोतरथा यावरिवखा। R ष्‌ म। दो मार२। डोनाद््ाद्ोवा | उरद्श्पा १०॥ < 9 ij TL गव्योषुणोयथापुराद। भश्वयोश्त। रथारे। ` R २९१ R RF re #द या। वरिवारेस्या। मद्ो। मद्ोरनारर४अआदोवा। ९९१११ दे २३४५ ११ WOR

=> 6

ge’! “गव्योषु"(\) गव्या सु(र)-दति निपात-इय-

e “वरिवस्य ACTA -xfa ऋम्बदोय-पाठः | 7 मघोनाम्‌'-गइति fao UTS: |

OF WATA €,8,2,4 | LII श्यावाश्व

(१)--‹सुअषः'(८,९,९०७)-दति we |

(Q—s’ ‘gy द्वावपि पादपुरणो'-द्ति fae सायश-मते लु wae, दहि - त्यथा वरिवस्यति farina |

२प०२,८,२] छन्द्रा्चिंकः। ४११ समुदायस्व एकवड्ावेन निपातवद्भावात्‌(२) wafaacarar भावः(*) “नः'(*) अस्माक गवामिच्छया अस्माक गां दातु यथा परा” पूवम्‌ अस्मकं सम्बन्धि-यागे गवादि-दानाय(९) वरिव- स्वसि तदद्यापि qs “वरिवस्य"(°) afta) wae: | केवलं गविश्छथा किन्तु “अश्वया (<) अश्व-प्रदानेष्छया “sa” अपिच “रथया” रथेच्छया “awat’\’’) धनानां [कमणि षष्टो ],(\९) aerfa पूजाकराणि धनानि दानाय वरिवस्य परि-

षर BHAT २॥ ७२

-------- ~ ~ -~ ~ ~ +~ =

(९)--दुमदाय Uae इति खोकारादिति मावः, यथा तथा चेत्यादि

(४)--जिपात एकाजना (१,१,१४)-दति प्राप्तः रकाललाभावाच्र रुत इत्यथः |

(४)-“नः--दितौयाबजवखनमिद्‌ प्रथमाबङवचना्यं EMH | वय लां समरति बाक्व-ढ षः" -द्ति fae |

(€)-गोष्‌ सच्छा, मया ; TTY तृतौयेकवचने, तख gui सुलुगिति पवेखवस- She: | मया, waar मबिच्छयेत्यथेः |

(9)- चि ‘afcaen’-xfa farararey चेति (९,३,१३९) She: |

(}—afewafe: परिचरशौोयः, स्मात्‌ Mere TET, तस खाने gsi सुमति आकारः, afore | परिखरशीयेत्यथः-द्ति वि० |

(<)-खश्वबन्दात्‌ “@xfa परोष्छायामपि arg (२,१,८)'-ईति वचनात ककि, «ब च्छन्दखलपुवस्यं (0,8, 24)”-tfa taety योरभावे रूपम्‌ |

(१०)- "मघं Wa इविंणं तदयेषा afe ते मघवानः इविद्मको यजमानाः, तषाभमित्यधःः-इति fao 1

(१९-- अत्यये गेति (8,058) बोध्यम |

४१२ सामवेदसंहिता | [२प्र०२,५,२ अथ कतया | aa ऋषिः |

१९ BR ६१२ ३९१९९ ९५२ TATRAL RAM घुतन्दु UT ATTA RR ३९१६९२९ ३१९२

एन'ग्टतस्यपिष्णुषोः Oy

र्‌ श्र 6 2 ¦; Legare! द्रष्श्रयीघतन्दर्दा। भोरोरेार। 2 RT RR २९९१ WAT) ताआ्ारश्राररश्टूराम्‌। एनारध््डता३े। Tt ¥

रद्वा प्यभरषोईहाद्‌ १२॥ ७३.

~ cnr’)

ङे “ome: “A” तलदोयाः “sar” “पृश्रयः (प) we वशौ(र) गावः(९) “छतं” acestray(’) “एनाम्‌” “राशिः

ees

OF Wea दस्य ५,८,१२,४ | 1 शेखण्डिनम्‌

(१)- छन्न यः Ta: -षटति fae | २)- नाना वादत्यथः | Satie दितोय-प्रपाठक-दितोयाह-पञ्चदग खकीयं द्दितोयग्‌ arena सायसनेवानेन स्यष्टाभिड्ितलात्‌।

(द) -निषग्ौ तं ‘aha: -cfr दिव ्ारित्यखच साधारणं नाम ( नि०१,४,२ ) निसक्गेऽपि तथैव तथाङडि-“एञ्जिरादिन्यो मवति प्राश्चत एनं aw दूति fem संखष्टारसान तमस टा भासं ज्योतिषां सस्य टा भासेति; बाय दौः wa a ज्यातिभिं पुष्यष्टद्धिख'-दूति २,१८।

(४)-- हतमिति free) प्रथमद्रादण्टे उद्क-नामरसु दश्मम्‌।

२प०२,८,४] कन्टग्राचिकः | ४१३

अथ चतुथो खुतकक्त+ ऋषिः ३२ 8 VR ३११ RE अयाधियाचगव्ययापुरूणामन्पुशूषटत | Aes WT Re यत्सोमेसोमस्राभवः ७४ द्‌ | र्‌ wo

1 warhrarereteat पुरूणारे। मन्पूर३४८्‌

~

रम्‌”(*) आआशयणद्रव्य पयः(५) “दुत” gefe acafe कोटृष्यः पश्रयः? “ऋतस्य” सत्यस्य अरवितथस्य(*) इन्द्रस्य [यन्नस्य वा(*) ] “पिय्युषौः”(<) वधयिश्राः 008

, # 'सुकक्त'-दति fao पाठः।

७8 WTA ६,९,२४,२ | वेतदव्यम्‌

(४)-“खपस्प घयामामुचृरामङशिष्युर्तित्याग्रातातरितमाश्र राण तः (६१९,द६) a ग्रो पाके इत्यख निष्ठायां रूपम्‌ ““खाशिराव्रयणादाश्रपशाद्राःदति नेरक्गम्‌ ९,८। -

(₹)-खोममिनश्र यद्‌ दधि,तत्‌ असिरम्‌'-दति Pye |

(5)--“निषण्ट्‌ -ततोय-द मम-खष्डमिड मानम्‌ |

(८) -- निचण्ड -प्रथम-द्वाद्‌ ए-खष्डमिद मानम्‌ |

(₹)--“दितीया-प्रथमेकवचनारयैः-दति fae |

{१४ सामवेदसंहिता | [रप्र० २०५०४

ऽक WR ब॒ ईद रद्‌

ar Bat ARR RATATAT | ATTA त्र

AMLVAT | AYRE १३॥ ७४

+

“पुरुणामन्‌""(९)बद्विध-शक्र-दबहादि-नामोपे त(९)! [यदा बडु-स्ततिमन्‌ ! नमयति ae देवं वशं नयतौति नाम स्तोत्रम्‌ अत एव “पुरुष्टत” बहुभिरभिष्टतेन्दर ! “सौभे WA” Tel येषु सवषु सोमेषु लं “यद्‌ यदा(र) “श्रावः (*) तेषां पाना समन्तादभवः तदा वयं “war” waar") fem "“गव्ययाः गा भान शृच्छत्या(९) “धिा”(२) quer ger भवेम त्वयि सोमं पिबति सति aa गवादिगुक्ला भवेभेत्यषेः #

“आभुवः” “Ta -इति पाठौ ७४

(९) पुश्न्देा बवन: मिषष्ड्-ततोय-प्रथम-खष्ड तृलोय इति दशनात्‌ ‘qauaifafa :८,४,९) Faq

(९)--'पुरूलामन्‌ बङ्कन[ भजर wt ata: ! इत्यथः खथवा बडवा यजमाना परब्होभताः'-इति वि०।

(द)-“यत्‌- पर्चम्णा अज शुक्‌. THA’ Tha Fae |

(x) —‘ wrfuqra 4 मवसि'-दति faze

(५)--““खया'- अनया 5 'धिया-धौरिति प्रज्ञानम, swat लां aa tia ards: | अयवा Sicha कर्मनाम, अमेन aT कमला ; लां यजाम स्ति व) कपरेषः"-एति feo |

({) --“किमर् पुनः खम: ? उच्यते Tee मविच्छया इति ०।

(७)--घोरिति प्रज्जा-नामचु सप्त मस्‌(नि०२९८)कर-नामच रकविधतिमम्‌(नि०२,१) |

२प०२,८,५। wets: ४१५ अथ पञ्चमो | मधुच्छन्दा ऋषिः ₹२ १९ 2 t 2 ARTA ATAM ATA AAT TAT | ARG 2९२ FUR THIS धियावसुः ५॥ ७५ ax रद्‌ २९१९ g वाजञेभिव 7 र्‌ 7 7 पावकान्रैया | सराखाश्तोरे। Tl जि-; ˆ. ह्‌ रैर नाईवाश्तोर। यन्ञारङ्म्‌। वारष्टरदे४रोषोवा भिया

2११११ वन्द ?२४४५; १४ ७५ “qoaat’(') देवी “वाजेभिः” हविर्लस्षणेः wa िमित्त- aa. [wer यजमानेभ्यो दातव्य wa निमित्तभूतः] “नः” wala fay” “qe” कामयताम्‌ [कामयित्वा faaefa- AG) तथाचेतरोयारण्यकाग्डे WaT व्याख्यातम्‌-- यज्नं वद्दिति

७५ ऋम्बे दस्य १,१,६.३। I भारद्ाजम्‌

(९)--रखतीः-दति निषास्ट,-प्रथमख्य WEE मदौ नामचु-ण्कादरे वाङामदु Uwe) Ce मीदङ्गस--“सरसखलो wae weve देवतावख निगमा भवनि (९,२९)'-इत्वादि, खरखलो माध्यमिका aretha fae "बाम्थेष बिधीयते, तस्माम माध्यमिका वाचं सन्यनते-इति HEM (11,29) मानम्‌।

११६ सामवेदसंहिता | [-२प्र०२,५,६ अथ षष्टो | वामदेव ऋषिः | २९१ ९१दर रेर 2 WW कट्मन्नाडषोघादन््र सोमस्यतपयात्‌

२९ २९३ सनोवदन्याभरान्‌ ७६

यदाह, aw avfaaa तदाहेति] कौटभौ सरस्वतौ “पावका"(र) शोधयित्रौ “वाजिनोवतौ” अब्रवत्‌-क्रिगवतो “शिया वसुः” कमं-प्राप्य-धन-निमित्त-भूता [वाग्दे वतायास्तवा- विध-धन-निभिन्तत्वमे तरेयारख्य कार्ड शत्या व्याख्या तम्‌-“वन्न वष्ट धियावसुरिति ara धियावसुरिति] श्येनः, सोमः इत्यादिषु पञ्चविशति-सल्याकेषु देवता-विशेष-वाचिषु wey (सरमा, ‘acadt-sfa पठितम्‌ (९) una? यास्क एवं व्याचष्ट (ने०११,२६)--पावकानः सरस्तो AW वष्ट धियावसुः कग्रवसुरितिः॥ ५।७५

(२)-“पावकादोनां शम्दसि (७,२,९८)'-दति वचनादि cara: |

(३)- निषण्टो रेवतकाण्ड चतुथंखष्डाममारः ws इत्यारीमि षटजिशपदानि पठितानि, बव सरमेति सप्ररशं सरखमोत रादशम। तानि चपटदानि wufcws दरवता-वाचकानि, तथाहि नेरक्रम-- "अथातो मध्यख्याना रबताः'-षत्सादि-*सथा मरुद्धिः सदरोदलो-दत्यन्तम्‌ (१,१--१९,४०) |

२प०२,८,७] कन्दश्राञ्िकः। ४१७

अथ aya |

sfcfas™ ऋषिः |

रेषु ३२३ २३ भायादहिनुषुमादितदृन्रसोर्मपिबादमम्‌ | 144 ४५ ५४ रर १. . ~

1 कदमम्‌ SRAM! ARAFAT RAT} र्‌ १.ऽर्‌ श्र दन्द्ररसोम स्यतार्पाश्यारत्‌। सनोरवष्ड। नियाभा- `

Frat 8 १रा२त्‌। सानोरवशनि। आर२। भराउवा। A ₹२ xt

afeafwatzae १५॥ ७६

“नादुषोषु” [agasfa मनुष्यनाम नि०२,३,८] aee- सम्बन्धिनोषु प्रजासु,९) “कः” “द्मम्‌ इन्द्रम्‌” “सोमस्य सोमेन “may” तर्पयति प्रौखाति (९), “सः” नाइषौभिस्तपयितु मथक्छ इन्द्रः "नः" श्रस्माकं सम्बज्धि-यन्न am सन्‌ “aafa” धनानि “ary” श्राष्रत्‌ श्राहरत्वित्थः ७€

# ‘sfcfufc-sfa वि०-पाठः।

-------------~----= ~ a

es,

I अरुषस्व वेतहव्यस्य साम सौभर वा (१,--'जङप्र इति मनुष्यनाम, तेषु भवाः awiifastara: ज्याः नाष्य: | ताद ATBTTT अयराविष्टोमादिष क्रियाशित्यथेः। , (RS: मा मुक्ता न्वः पथति खमेव तपयामि इत्यभिप्रायः" -रति वि ° | ५२ का,

BUG ARASA SAT | [२प्र०२,५,७

९७ RRR LR

एदंबहिःसदोमम ७७

att

रे ५, 1 अायादिष्ड। पुमादाश्टतेर। षुमादाश्दतेर।

+ रे alread | पिबादमम्‌। पिबाभ्ारदमारेम्‌।

RT र्ब र्‌

एदम्बदादूः | सदोमाररमा३४३ | ओ९२४५द डा ॥१६॥७७

eum) त्वम्‌ “श्राया आगच्छ, वयं “A” aaa “सुषुमा दि "(९) सोममभि षतवन्तः खल्‌, तम्‌ “इमम्‌” अभिष्त “ori” त्व “पिव,” aca “ममः” मदौयम्‌ “cea” “बहिः "(९) वेयामास्तौणं' दभम्‌ “a(®) सदः" arate श्रभि निषौद्‌ 19199

७७ उत्तराच कश्य १,२,६,१- ऋग्वे दस्य ६,१,२२,१ | I सोभरम्‌

(९)- दषा इति स्पं शान्दपम्‌ अभिषलम care) डि न्दे रेतो.

Qa ष्णम: तद्मादामच्छे ते वि°-सण्मतोऽथः। bs ५) ९} ~ nas ~ ~ ~ ~ ~ © ()—“xe’, fe’ इं was सप्तम्य कवष्वमाक seq) सिम्‌ sivit! „© ee सि सि

ran बिः! उच्यते- 'सदः' इत्यपि साम्ये ase , एव्यम्‌ सर्सिममल भते वाद्य स्याने Taye” <hr Fao |

(a) —faac®-49 qr cay दुष मेत्यनेन सम्बध्यते

२१०२,८्८] न्द पाचिकः। ४१९ था हम | avafa: सत्यति ऋषिः |

१९ ३रश्॒ रर BBR ट९ ९.

APS MUTA yaa रस्याय म्‌ णः | 1 R रे | दराधर्धवरूणस्य ७८ = १२ 8 1 माद्‌ वाररेश््णम्‌। अवार्रल्‌। YOR २१ब्‌

श्चा स्या र्थमणः। दुराधारेर्षाम्‌। वरौरोर४। | | वा। णाभस्योई्ा्‌ tt eo tt

र्व

| Il मदिचीणामवरस्त्‌६ए। य॒क्तम्मिचस्यायंम्‌णाः। दुरः

धारेदर्षाम्‌। वरोदोर। ATR ण। PTR द्‌ श्र ३११६१

याररश्भौदोवा। TMT ओवारद४५ १८॥ OF

णण

+ "अवोऽस्तु-दति wea दौयः as: OC WATS ८,८,४४,१-यजुवं दस्य २,२१- TCA A 2 i Lil इने दे पाष्टोष्।

४२० maaeafeat | [२प्र०२,५,९

आथ नवमो | वस्स ऋषि, | ९९ N92 त्वावतःपुङ्वसोवयमिन्रप्रणनः। :{ 1 व्वावतोर। tet) पुरूवसोर। रोद ५, कीः BSR Rs

arc! वयमिन्दरारे। दौरशो३१द। प्रणेतादः। Sle

“खां aaret “fara” “श्रयम्‌ खः" “वरुखस्य'' “era? दोषम्‌.) अतणएव “दुराधर्षम्‌” अन्धे धंषितुं वाधितु ana “महि” महत्‌ “may” अवः दर्शम्‌ अस्माकम्‌ “we” [अवस्‌ इत्यत्र अवः शब्दस विसं नयस्य रेफादेशन्डान्दसः |

“MACs eft पाठौ ॥८॥ ७८

हे “पुरूवसो” agua: we: “प्रेतः क्रमणां पारं प्रकषण नेतः(\) ! “इन्द्र! “त्वन्ह शस्व [इन्द्समानस्याग्धस्या-

ee = ee ee =

* ‘aura -ufa routs: |

I arnam Yui ara at |

()—4q’-<fa wate frre -प्रण म-गवने दितीयल देत्‌ UT -wet दोपि वचन 'सोतत इति खतः-दति Tew (१,९)। fe’ निनाख-मत्याः | afer यत चियति तत्‌ ख.चम्‌ दुतरामानत दोक्चिमिति |

(२)--प्रलतः#ॐ अथवा प्रकर नतः बज. राम्‌-इति fae |

२प१०२,८,९] estas: | ४२१

WMATA CAT < ७८ इति पश्वम-द्‌ शति*

रर री

, sk Tact ससिस्थातारः। Peter! दरोणारम्‌ दर R

दो३१२२४५६।' डा १८॥ ७८

भावात्‌ तथेत्यथंः(१) | तव खभूताः “aay” “afe’(®) सखः |

हे “इरौखाम्‌” एतत्‌ सनज्कानामश्वानां(*) “खातः” अधि- (

हातः ! 9८ a pet (+

+ 4. 4 | (^ ^ 0 ५. ig & acted ८6 रसा = st इति सायशाचायं विरचिते मा OHA प्रकारे pees

Fattenarqenea: we: yx 4

नरया)

Od ऋग्व दस्य ९,४,१,१ |

(६।-लभिवदूति त्कावाम्‌। “य द्मदखमदोः OE वतुबवा्ःदति (४,१,९१) ware बतुपि, ^“परत्यथोत्तरपदवोशच ति" aren, “खा समेनाजः"-दइन्यान रूपम्‌। क्ख Bea: |

(2 मवति --नस्खद्‌ खापि बयं सोतारो भवामः, किम्पनस्तवे- वेति- षति fare

(३)--““इदन्ो मसि (९,१,४९)'१-दइति wearer: |

(४)- डरो इन्दख'-रति नि०१,१५,१। “ey: कस्मादन्नतेऽष्वानं मडाशगों भवतोति वा"-दत्यादि नै०२,९०।

ou हूति दितीयः प्रपाठकः २॥

BRR सामषेदसहिता। [रप्र०१,१,१

अरघ नवमे खण्डे- चेषा TERT | nara ऋषिः।

२९ उत्वामदन्तुसोमाः* क्रणुष्वराधोञद्रिवः। १. a,

अवब्रह्मदिषीजडि १॥ ८०.

श्र २१२ 1 उत्वामन्दन्तसोदोमाः। कणौदो। व्वरीरो। RT र्‌ gt

धाश्चद्रिवाः। अ। वन्रारष्मा। दिषारः। ETRE

Ye र्‌ Wows! जारदारदेशश्रीहोवा। ए२। ययुर ११९ ३४५; २०॥ °

ङे इन्द्र ! “a त्वाम्‌ “Mat.” “उत्‌""(२९) sens “मदन्तु

* स्तोमा "इति wear दयः पाठ SUC fe क-व्याख्थाां AIAN A A-WaA- WSs | = |

To SUA ६,१,२,१-ऋम्ब दस्य ६,४,४३.१ वामम्‌ |

(१-- उदिति पादप्रकः-द्त fae | 41 निममम्‌ “meq पोदः पाद्परशे (८,२,१) दति पाक्षिमि-सृजम्‌ |

२प१०२,९.,२ | eaten | ४२३ wy हितोका |

fasatfas wafer |

१६ रश खट ९२

गिबणपाडिनःस॒तंमधोद्ाराभिरज्यस। (2.

RRR TX

दरन्रत्वादातमिद्यशः॥ २॥ SY

४५ इर ४५ | % 8 I गिर्वणः पाडिनः सुतम्‌। गिवंणम्पा। fea) २९१९ द्‌ तारम्‌। मधोाराभिराद्ोर। ज्यासेर२। शाउवा। ४र॒ ee CRIATRAAT | तमायेरत्‌। यारशा रर दोवा

१९११९९१

WSMV २१॥ ८९ मादयन्तु हे “श्द्िवः*(र) वखं॑वन्‌ ! we! aaa ^राधः" wa) “क्रव्य (*) कुर प्रयच्छ किच्च “व्रह्म दिषः” ब्राद्मश- tele “aa जहि” विदारयेव्यर्थः४)1 १॥

——

0 2 7 ता

८१ ऋम्ब दस्य ३,३,२,१ | 1 आङ्किरसम्‌ हरिग्रौ निधनम्‌ |

(२)-“मतुबणोसब्बहो (८,९,१)"-दति सत्व रूपम्‌ | (१)--राषष्ति fore -हितोय-दश्रमे धमनामनु सप्तमम्‌ “राध इति धन- ~ 99 a

गाम. Try वन्त्य तन"-दूति न०४,४।

(४! ज्रिया-सामान्य-वचनो दानार्थी द्रष्टः, दहि धनभमित्यधः।

. ~ Qa. ~ ae

(i-—sreifa wat त्य च्येद eva! Waste अधोगभम्‌, नरकं मथत्यथः"-

इति fae |

॥1८

४२४ सामधेदस हिता | | ३प्र०१,१,२

अथ sara | वामटेव ऋषिः |

१२९६२ ६१५२९२९९ BUTLER?

सदावदरन्द्र ्चकशषदाउपोनुससपयंन्‌ |

१२९२९२७ BL R

ATVI TAS WR WS

“गिवंणः”(१९) गोभिः वाग्भिः स्तिभिः वननौय ! [तथा यास्कः--“गिवंणा ta भवति Rita वनयन्तौति' (ने०६, १४)] तादश! हे इन्द्र ! “नः २) श्रस्मदोयं ““सुतम्‌”(*) अभि षतम्‌ इमं सोमं “पाहि” faa") यतः “मधोः” मद्करख सोमस्य “धाराभिः' “sere” सिच्यसे हे “ce: “arr तम्‌ xq") त्वया शोधितं विशदौ क्तमेव “an.” waa‘) अस्मासु भषति ॥२॥८१

(१)--जिवणः इति साकाः। fac सख्‌तिङखरावाचः (मि०१.१९), ताभिःया वन्यते ewan निवेशाः, तद्य सम्ब घनम्‌- रे fade: |

(२),-(३)-सुलभिति werd fetta, विशे षश्च मधोरित्यस् वि ०-सम्पतम |

(४)-“नः-खस्माम्‌'-पाडि-रचख'-ए्ति Fae |

(५)- “इदिति पदप्‌रलःद्ति fae) “खथ ये sete ऽभिताच्रोषु पर्ष वाक्व-पूरश was fis, wercerg भितास्षरष्बमथेकाः-कमोमिद्दिति"ति म०२,९ |

(¢)— ‘au: -ट्ति निषष्डो प्रथम-द्ादशे उदकनामसु पशचपचाहकसम्यदम-- {दइतौय-सप्नमे खन्न-मामसु अनिमम्‌ तोयद शमे चन-नाभसु चयो विं तित मच |

२ष१०२,९,३| डन्दभ्रा्धिकः | ४२५ सादा। वदन्द्राहेः। च्छषादा। उपोसुसाईः। {`

R CRRT र्‌ 8

सापयन्यनद्‌वाररः। वरनारे४हेः। भ२४२। TIS TY

विन्द्रा९५६; २२॥ र्‌

हे ऋलिम्बजमानाः(*) ¦ “इन्द्रः "सद्‌" सवदा “a” बुन्‌ “अ चर्कृषत्‌” यज्नारुष्ठानाधंम्‌ way करमिच्छति कि कुर्वन्‌ ? “"उपीमु" gare समौप एव “समपयेयन्‌' पुनः पुनः ad वा सपय कुर्वन्‌ [दविर्भोक्ं मामाद्कयष्वमिति प्रार्थयमान Tae, श्रत एव qa देवानां यजमान-प्रदस्ष-हवि-रुपजौ- विल्वं रूयते-'दतो दानादि देवा ख्पजौवन्तोति] अतः अस्मल्प- aaa “इनदरः देवः शूरः” यजमानानां बाधक waa’) टर्‌

2 Cb mm 9? 66

I बेरूपम्‌

(.)—“qrarta qaataare-<fa fae | (२) SET सवेदा, "वः युप्राकम्‌, “CR Cee’ खत्यर्थं करोतु पुनः पएुगवा करोतु बरं पुष्टिं wa feces Stew जोवितम्‌। “खा, ‘a, “ख, “नुः -चलारों

पेते पद्‌.पुरकाः। 'ख' भन्दा यच्छनहमनारेख निराकाचितां भरतिपर्यते WT ग्वा -सब्नन्यो Tease यः| WUT कथं बरपुष्टा दोन करति! ‘quay’ सपय्येतिः परिखरकरूकमा au खपरिषादुष

wale: यथा कथित्‌ परिरम्‌ प्रोतिखस्पादयति तदत्‌ Afaneae- | | भक,

if}

४२६ सामबेदसं शिता | [२प्र०१,१,४

अथ चलुथीं | शतक ऋषिः | १९ ११९९ ९२ ्रात्वाविशन्लिन्दवःसमुद्रमिवसिन्धवः

bof

नत्वामिन्द्रातिरिच्यते tls ८३

ध. ~ x

1 आत्वाविशन्विन्दा्वाः। समुद्रमिवसिन्धवः। स-

र्‌

मुद्रमि। वसिन्धारडवाः। नत्वामिन्द्रातिरिच्यते।

१८ ५५ |. रे त्वामारशयिन्द्रा। तिरिच्ारेता्दयि। ओररधरं |,

डा॥२२॥ टद्‌

tre! “sea” खवन्तः ्रस्माभि दयमानाः सोमाः(*)

ee ne a

८३ SUAS ८,२,२,१--ऋग्व TA ६,९,१९.२-- HATA १४,२-१९-- साम | I आसितं fearara at | यतोत्यर्थः। देवः दानादि-गज-युक्गः, ‘ea: spafea:, "श्रः fem, “CR ईश्वर cae: दति fae | |

(१)--इ्म्द्‌ र्ति निवण्टो उदक.नामसु {१,१९) -यद्च-नामरु (Rte) दते |

२प०२,९५। न्द प्ा्िंकः | ४२७

अथ पद्मो | मधच्छन्दा ऋषिः | हे PVT ९११९२ VT इन्द्रमिङ्गायिनोडृददिद्रमकेमिरकिणः। tye

३१ रे

इन्द्रवाण्णोरनूषत ५॥

2 र्द छर

I इन्द्रमिद गाथिनोज्रशात्‌। इन्द्रामर्काड। भिर-7,?. `

“त्वा” त्वाम्‌ “श्राविशन्तु"। तव दृष्टान्तः “समुद्रम्‌ va सि- ` धवः" स्वन्दनशोला नद्यो(र) यथा समुद्रं जलाशय स्वेतः प्रवि- शन्ति तहत्‌ यत एवं तस्मात्‌ हे “ae! त्वां कञ्चिदपि देवः धनेन बलेन वा “न अतिरिच्यते” नातिरिक्ोऽस्ति [सामथ्यवान्‌ लन्ोधिको नास्तौत्यथः ४॥ टर

उग्तरा्चिंकस्य २,१,८,१-ऋग्ब दस्व १,१,१३,१- आरण्यगानःऽपि 8,22 | I वमस्य ree वा शरक; |

Way देवत-काष्ड fa aren, werfe— te रिन्धेरनन al-xanfe, “oranfa सपविंशति-देवता-ना मघेान्धलु क्रान्तानि मह्ना wfrtifq i तेषा ware इवि Sarisoaiftt तद्द्‌, -दत्यकम्‌ १०५४२ | दृह तु उद्कवत्‌ सरण ष्टौलः

सोमो zwei |

(२) —‘faara:’-< fa निषष्टोः नदो-नामनु रकवि्तितमम पदम्‌ t,t |

BVT | सामवेदसंहिता | [११० १,१,५

र्‌ 8

g |. श्‌ किंणाः। इन्द्रवाणो। Weel अनृभसता।

होपयि। डा॥२४॥ ८्४

“arferr:”(') गौयमान-साम-बुक्ञा उद्गातारः “cay इत्‌” इन्द्रमेव “ay” हृता ^त्वामिरिहवामहे-दत्यस्वा reat ठहनामकेन rer’) “wana” स्तुवन्ति “अकिखः” wia- डेतु-मन्तोपेता होतारः “रकं भिः” care मन्त रनृषत वे wafer भष्वयंवः ते “वारौ” वामभि यंखुरूपाभि “ry” अनषत। अका-शब्दस्य मन्ध-परत्वं aaa Ye) “wat मन्तो भवति यदनेनाचन्लौति(र) ५॥ ८४

NE ee

(र९)-माबादनि srerarerg दु ऋते free ct) जालानि orator. xfer ao |

(2) eee fe ware तृतोव-परथल पचम fetter 'लामिदिषबामड'-इति। अस्लामत्पन्नानि रुकादल सामानि। तज TEAS चतु भै-प्रथमे अते डे (२८२९) च्वारष्यामानख पथमे रकश (२९), fete रकम्‌ ,२२)- खडनानस् दावं ्तितके जयोदरं SHR! ति aT प्रथमे पञ्चमम्‌, MMT वस्‌, सृतौयदितौवे TARY, पश्चमे SER CHW CUT पञ्च तच खार्ड-गायख प्रवपा- ष्यायोयमेव वंहदिति wafer | माव्रसवाभे यकं ब्राद्यक |

()— “अक Sar भवति वरेनसेन्ति। wat wat मवति दमेव

wena wae fa भतानि। अकं इदो भवति oem: कडुक्च्छा" दति Rous |

२प० २,८.५६] wefan: | BRE

अथ बहो | TARA ऋषिः | १२९११ 2 २३१२ ३२ दन्द्रदषेदडातुन्भक्ष्यग्ड भुपरयिम्‌ | 14 रे वाजोददातुवाजिनम्‌ रभू

४५ BTA et

: a me a 1 इन्द्रश्षेददातुनः। areata | Wy | क्षणा ae

: २, श्र . श्र UX र्म ऋभरराररेध्याम वाजोददातुबारे। वाजो र्द

ददा। त्बोरश्थ्वा। जाप्मिनोशशायि॥२५॥ र्‌ IL इद्रदषेददाहना९ए। कभुशणम्ड | भृर१ररम र. 1

रीर्देम.। वारश्जा। ददारेउररे। AAT! जा

पूथिनोदायि quay

e ‘gaa -tcfa fao-ats: |

cy ऋम्ब TA ६,६,२०,४-ऊषहगानस्व ५,२,२५२६ LIl सोभिने।

४२० aTaaea fear: [रप्र ११११६

“qe.” एवमस्ममिः सुतः इष्टः सन्‌ “ऋभमुचसखम्‌?१(*) [ “वाषपूवंस्य(६,४,९ पा °)-बति दौर्घभावः] यागादि-कम-कर- णेन महान्तम्‌ [सवषां area ae सोधन्बनं वा(९) भ्रथवा ढतोय-सवने प्रजापति-सविन्रोमष्ये सोमपानेन मन्तं रयिं (र) दातार) ] “ऋ भुम्‌**(र) [सोम-पानेन awa विषाय देवत्व प्राप्तं ता गम्‌(*) | एतव्रामक देवं “a.” श्रस्मभ्यम्‌ “शश्षे' (>)

(८) WET: ति भ्न्नामलु द्रम्‌ नि०३,३ |

(८) -“ऋमुविभूवाजर्ति सुधन्वन आङ्किरमख्य वयः GT: wae: | तेषां gent नमाम्धां awafgaar भवन्ति, मध्यमेनः-दति >०११,१९ |

(७! ऋभरिति मेधावि-नामसु अष्टमं पदम्‌ जि०३,१५ देवतकाष्धेऽपि frrey GH CORN WAY दमम्‌ पदम्‌, तच बङुव्वनानम्‌ | तव चाचि मेदक्रल--“वटभवखरमान्तोति वेन भागोति वर्ते भवन्लोति बा” -दत्वादि -^“तद्‌- लहभोख बडङग्यनगेन चमसस्य data बहनि दकतयौष सक्नानि भवन्ति-- इत्यपि-““खादित्य-रमरयोऽप्भवजच्यन्त "इति rte |

(३)--"पुज-लचणं धनम्‌'-इति fas | “दरयिरिति धघन-नान, रातेदान-क्लः”- दति मे,४,१७।

(१)--रषरवाथा वि °-सुग्मतः |

(२) -ऋभम्‌ मधाविनम'-द्ति रथिभित्यस् farrey वि ° |

(४) -तदि मान खन्बे दोयो मन्त्ोऽयम्‌ “विद्धौ रमो तरक्षिलेन arent aire: सको ्वखलत्यमा नशः | सो धन्ना ऋभवः खरयचसः संवत्सरे समपब्यक सेतिभिः | (१,१०५४,५)१-इति | यार मेयमेव थाण्याता (शला कमाकि चिपुलेन बोडासो नेषा- feat गा HUTS: सन्तो ऽग्टतत्वमा गधिरे सौधन्वना ऋभवः SOWA वा स्रपु्ना बा स्बत्सरे wage धोतिभिः wufe:’ इति |

(©)—‘aqua-aqe दितीयार् द्र्टयम्‌ टषमच्रस-इ्ति feo) `

२प०२,९,७]| | ४२१ अथ सप्रमो। ग्टत्समद्‌ षिः(\) | ३२३ २३२२३२१९ VT

दन्द्रोभङ्गमदद्यममोषदपच वत्‌ |

रेख 2 WT AT

सरहिस्थिरोविचषंणिः ८६

mara (<) “ददातु प्रयच्छतु तथा “aril” वलवान्‌,\.) इन्द्रः “'वाजिनं” बलवन्त(*९) [वाज-नामानं,२) कनोयांसं वा- स्रातर सौधन्बनम्‌] भ्रस्माकमव्रलाभाय ददातु ॥६। TY

CC. 99

इन्द्रः” “aeq’ अधिकम्‌ “भय” साध्वसं [भय-कारगां

(मा या eee +

ऋग्बदस्य २,८,८,२ |

ee, ~~ = ~-- ~ -- -- -~-~ ---न

(<) --द्षमित्यन्र-मामसु चतुद म्‌ नि०२,९।

(१०)-भ्वाजोषे जवान्‌'-द्ति fate | वाजो इति निषण्डौ अश्च-नामसु FUR, १४। “पिस वाजो वेजनवान्‌ चपलमत तृखूंमण्तुतऽष्वानम्‌ इति तव मेबक्नम्‌ RR |

(११)-“वाखिनमञ्चनिति fac) बाजश्ग्यद्‌का.व्रनामसु ( नि०२,७ )-agra- नामनु ( नि०२,१७ ema | वाजिन दूति माग्तोऽखमामसु (नि०१,१४)-- Barry ( मे०२,२८ Tela वाजिन इति मोप्रधोऽदन्नः खुस्थ-देवतानामसु उपागम्‌ पदम, तच Hem -“"वाजिन" रत्यादि ^दवाञ्ा इति वा"-द्त्यन्तम्‌ १२,४४ |

(१२)- असन्‌ ve वाजदति नाम विद्यतेऽस्येति विप्रः परः माय रचिरतमम |

(१)-्टनमदोबहनुस्पातान्‌ दष्टा दृनद्रमनया कचा लोति'-दति Fao |

u ff fr

BRR स।मवेदसहि-ा | [शप्र०१,१.८ अयम | भरद्ाज wae |

रे १९ ९३१२

aef दूमाउत्वासुमेसुतेनसम्नेगिर्बोगिरः।

रे ३श् ९२

गाबोवह्यन्नधेनवः ८9 १.३ £ ne 1 I इन्द्रोञ्ङ्गा। मशद्वारर्याम Bie! पच श्यार्रवारत्‌। सडारेश्यिखखिरारः। विचोवा षाध

Mews ॥२७॥ SE cat] “ay” Fang “Saataq’” अभिनवति,(९) “श्रपचखवत्‌" श्रपच्यावयति [यहा श्रभोषद्‌ अभिभवद्‌ भय-कारसम्‌ अपश्या

वेत्‌] “fe” wary arcarg “a fac.” केनापि चालयितु- amen: “विचषं णिः”०.२) विश्वस्य get CE

ण्न ~ ~~~

* (संयोरा्षम्‌-दति fare | I इन्द्रस्य ्रभयङ्करम्‌ |

(र) -“खाभिम qa सोदत्‌, पल्‌प्ितम्‌'-इति fare | (९) -श्लत्‌ पदं चिकव दत्यादिष्यष्टसु पथ्यतिकमसु बम नि०३२,१९।

२प०२,९,९] कन्द प्राचिकः ४२३ अथं Aaa | wcerat ऋषिः |

२३२१९ RRR AT ९.९.९१ इन्द्रानुपूषणावयरसख्यायखस्तय | ory २९१

इवेमवाजसातये < WE

द्‌ . र्‌ I इमाउत्वा। सुतायिनुतायि। नसन्तान्दयिगो ˆ ` ` tz र्‌

% 38:1 वनः। गारेयिराः। गावोवार्च्छारम नधो 8 a

y रध्वा नाभवो्डायि॥२८॥ ८७

हे “गिर्व॑णः” मौभिवंननौयेन्द्र ! “शते सुते” Wa sfaga सति “sar.” अस्मटोयाः "गिरः" स्तुतयः “त्वा?” at “नन्त नते"(९) व्याघ्र वन्ति। “धेनवः(२) grey: “मावः न” गाव- इव, वच्छ यधा शोघ्रं(र) व्याघ्र, वन्ति तहत्‌(*) ८॥ ८७

i

CO MATH ४,८,२३,१ | I argtara | (१) —wefa’-<fa ‘ware’-<fa at anfaaag fat यप्द्म्‌ नि०२,१८ | (र) “अचिर प्रसृताः" -इति Fae | (३)--विवरशू-मते लल ein दाक मावोमेति। (४)-- अला रचि ‘3s’ -ट्ति पदप्रके साय रूसन्प्रतिखच | AAR,

= = i "+

4;

4 1 इन्द्रानुपू। षणावारदेयाम.। साख्धाय दवः

४२४ सामवेदसंहिता | [३प्र०१,१,९

4 रद्‌

% 8

R x |. स्तारश्यायि। शवे रमावार३। जसोरदेश्वा। ता योईदायि॥२९॥ र्टः

( इतरे तरयोगादििन्द्रपूषशब्दयोरुभयत्र दिवचनम्‌ ) “इन्द्रा पषणा"८९) देवो (र) “नु (र)अरद्य च(*)“वयम्‌'” ““सखस्तये सख्याय" शोभनाय सखिताय “वाजसातये '(*) वाजस्यात्रस्यं (aaa

वा) सातये सश्जनाय ““इुवेम"(९) आदयामः (स्तवामो- a’) we naa

Sens

I पोषम्‌

(९)-““देवताइन्देव (६,३,२९)-दति अनङि “सुपां सुलमित्यादिना (७,९,३९) दिवचनस्यात् रूपम |

(९)- द्ड मेरङ्रम- ““शथास्य safeatza:—wely: सोमो see: पषा दृडस्पति ब्रद्यशस्प्रतिः car: Fel विय्शवायः"?-ट्ति १,१० |

(2)- नु चिप्रम'-द्ति fac) fae -दितोय-पञ्चदश्-खर्डोऽच नियामकः |

8)—“He पुरां सदम रथोखशास"-टत्यतद्गाष्डयानमाड यास्कः--खदचपुराच सदनं रयोशाम'-द्ति ४,१७। तज इति दोषम्‌, “ऋचि तु-ल-ष-मच-तर-कुनोरथा शाम्‌ (६,६.१६९३)'-इति। इदमव yrearerafay नियामकम्‌ ।- नु इति तु बङथा निपातः तथाच नरक्कस- “लु इत्यषीऽनककमद्‌ | नु करिष्डतीतिरल- पदश। कथ डु रिष्यतौत्यदपुष्ट | मन्ेतदकाषौंदिति च। ware पमा मवति""दत्यादि ।१,४

(५ )--वाजसाविरिति सङ्कगमाथो रूढः (नि०,९७) | वाजमन्र बरा तख साति सलाभः रषोऽथा यौगिक | सातोति ww दाने tae waa “afaaaianfear (९,९.९७) fafa सिम्‌ |

(९)--सम्यसारं शान्दखम्‌ (९१९, ९१) |

(3) -- इयते, यति वा अश्वेति कपि पठयते मि०३११४।

२१०२,९,१०] कन्दश्राचिकः। ४२१५ अथ दद्मो |

वामदेव ऋषिः |

2 एर RTA रर्‌

नकिटरन्द्रश्त्वदक्नर†नञ्धायोअस्तिवर चन्‌ |

1 नक्मेव* AMAA १० ८८

इति प्रथमा-द शति श्र Ts 1 न। क्येनाकी | आयिन्द्रत्बदुज्नराम नञ्धायोरे।{

St LRT

R WUT रेडम चाररश्दान्‌। नक्धं

वंयाररथा | २डर४रेम ठर४५वोद हायि ॥२०॥ TE

डे “oaeq” ate नाशक ¦ “se! दन्द्रलोकऽपोति

“नकिरिद्ध'-इति, “रो-इति, “ज्याया"-इति ee “नकिरेवम्‌“-इति ऋबेरयपाठटः |

घ्< WMATA २,६,१८.,१ | 1 इन्द्राण्या, ata |

ifs

wv

2८4

४३६ सामवेदसंहिता | [ २प्र०१,२,१

शेषः “aq” aw “suc” उतक्षष्टतरः “afa(®) अस्ति", भवति wet “ज्यायान्‌ प्रशस्ततर(*) एकोऽपि नास्ति हे इन्द्र ! “a” लोके “यथा”(२) प्रसिद्धो भवसि तथाविध एकोऽपि "नकिरेवास्ति” नेव भवति (कथिदपि लोके श्रसटटशो नास्तौ- MTN १० noe

दति सायणाचार्य -विर चितं माधदोये सामवदार्थं प्रकाशे eterna डितोयाध्यायस्य मवमः खण्डः

Sic bee yee aoe ee ae Bh A A ae a Bee Se a te ep Reo RS, O82 8 ee Sa Lm OG eel ewe oe aes eee 49

WT दशमे We a मषा AGaT |

विशोक ऋषिः

RRR RT . RUE WR १२

तरणिंबोजनानान्त्र्दवाजस्यगोमतः।

# “विरूपस्याषम्‌ः-इति fae |

()- कि-दति fe कमित्यादिष, पठितम्‌ fone! तवर enn Conwafe पदानि शव॑ पदसमाग्नानाय'"-दति | नै ०२.१९ |

(१)--हृदडतरो वा'-दइति वि०। 7 ~ [न 99 ग्र (२,-- “यथेति कञापमा"-शूति ने०३,१५ तथाच मम कित श्वं सवापकार-

प्रः -इति विवरशृदुन्याष्छानं साधृतर मन्यते |

२प०२,१०,१ Sean: | ४२७

९२९२

समानमुप्रशरसिषम्‌ १॥ ८.”

रज्वा 8 x I :। जनारह्नाम चद वाजाङदा३।{. > श्र

स्यागोमारदृध्ताः। समानारदम्‌। प्रशाभरसिषाम

|

WAZST War do

छे अस्मदरौयाजनाः! “a” युष्माकं “जनानां पव्रपोत्रादौनां “तरिं (९) तारकम्‌ “ae” शत्रा तद fart “गोमतः” पश्ठमतः “वाजस्य” sare दातारं wey “समानम्‌ उ” साधारणमेव “शप्रशसिषम्‌ ८९) प्रका स्तौभि॥१॥८०

८० ऋग्वेदस्य ६,२,४७,२ | I श्यावाश्चं तारण AT |

(\)\—acfe’ शिप्रम्‌ दातार वा वि०-मतम्‌ | acfafcfa fans} सिप्रनामसु . उपाध पद्म्‌ RUM (र)--निषष्ड ततोय-चतु भे "शं सति'-षति खच तिकमतु पञ्चवि 'शतितमम्‌।

४३८ सामबेदसंहिताः। [रेप्र०१,२,२ ey fear ayer ऋषिः |

२२३ २२ १दर रर

2.८4 अद्टग्रभिन्द्रतेगिरःप्रतित्वामुटदासत |

१२ ३१ श्र

सजोषा+ उषभम्मतिम्‌ ८९

धि 4 5: ph et

Oo oe 1 अखय्माटृन्द्राईतेगिराः। MARAT २त्‌। अहा। र्‌ ) BAT | साश्जोरषावा २। षभार्म्यतिम बोर४५

Zl डा॥२२॥ ८५१

“ag! “a गिरः” त्वदीयाः aah: “wea” wear नस्मि। ता गिरः qasafad “at प्रति" “oeeraa’(’) SRG प्राप्न वन्‌ | तादशौर्भिंरस्त्रं “स जोषाः" (९) सेवितवानसि।

ee,

* “SSG -sfa ऋ्न्वेदौयः पाठः | ८९ WATT ११,१०,४ | I बेरूपम्‌

(१)--“खोराङ्‌ गतावित्यख रूपम्‌'-इति fae | (२)-'जषो प्रौति-सेबनयोरित्यस्यदं रूपम्‌ -इ्ति fio |

२१०२,१०,३| कन्दश्राशिंकः। ४३९ earar | वक्त Efe:

2 R 8 aa ae aa a: सुनोयोघासमल्यायंमरूतोयमयेमा | ^ ¢ R रख क्‌ मिचास्याशन््यदरुद्ः ९६

दरद Tsk रेश्र

I सुनोथोघाभ्समर्तियाः। यग्मर्तोरथमर्यमा मि- १र र्‌ २९२ Re WATE: | ऊ। Wl वादादेशउवारे। अति- ९११८१९९

दिषार२४५: २२ ८२

aed त्वाम्‌ “ami” कामानां वषितारं “afi” सोमस्य Wat, यजमानानां पालयितार वा, पाता वा पालयिता वेति" (१०,११) यास्केनोक्तलात्‌ ५९१

“सः “म्यः” मनुष्यः यजमानः “gare” सुयज्ञः (र) + “मिचःपा”-दति wea दौयः पाठः |

८२ Wa दस्य ६,४,१४। I सोमित्रम ater at

(१)- etre: gowe:-<f वि० समथ दति मिषष्टो oearag सप्रमम्‌ ३,८ |

४४० सामवेदसंहिता | [श्प्र०१,२,४ wa चतुथी | farstrean® ऋषि |

RVR ३२२९ VRE . WL

{८ यद्दोडावि*न्द्रयतस्थिरे यत्परिशाने पराग्टशम

(सुनयनो वा) भवति “a”-xfa प्रसिद्दो(र) exam कमित्या e—a” यजमानं “wea” देवाः() “पान्ति” रचन्ति “we e(°) शद्रोग्धारोमरतः। तथा “श्रयम्‌ अयं मा१८५) पाति

न्यु”? “नितः ११(९) पाति a एवं भवतोति #॥ 2 #॥ ५२

# “astra -<fa fao ata: |

(₹२)- tfa पाद्‌-पुरकः-इति fae |

(_)—weq शअब्दोबद्य :। fecere: (4,2) sare :(द;०)- ऋलिन्वाचकञ (Qt)! अनारोख-टेवमखेष्यपि wer अर्य -तथादि नेर्‌ - Cgurat मध्यस्य्ाना caret: | तेषां मरूतः प्रथमागामिनो भवन्ति मखतो भित. राविछे वा मितरोचिनो वा म्द्रवन्तोति वा"-इत्यादि |

(४)-अद्रदद्ति विशेषं पदम | cowofdaq सप्रम-दितोय-जयोदरेढ अग्रिनिरेषशलेन च.तम्‌- तस्येव षषट-ततोये कादश -डितीये मिज frees a wane कलय षठदधितोवे कष उरा कख तृतोयेक चते श-द्धितोषे-तृती- येक-बोडबर-तृतोये -तृतौय-दितौयोमविंभ-दितोये भात-वि्ेषषलेन--असाूषि त॒ मद्‌ विष्ेषरनेति |

(५) -अरोराचद्छ विभागकन्ना खा दित्यवि्रेषः (न ०९९,२९-भाष्य स्पष्टम्‌) |

(६)--अषरभिमानोदेवः अय मण्यादित्य विशेषः (ao \२,९९-माष्यस्पष्टस) |

२प०२,१०,४] छन्द ्राञ्चिंकः | ४४१

९९३ र्द २२८

वसुस्ादेन्तदाभर ८३

रर

7 ओशोवाओशोररध्वा। ओश्डा। यदोडावोर-;

ee, द्‌

दराहेयसिराई। भौ रोवा ग्रो दोररध्वा। Newt य-

रर RY रर ्य्शानेरपाहेराख्तम शओओडोवाओो दोररध्वा। ओ€- र्‌ x eT २४ श्र

हा वसुस्यारन्तारदाभर। ओदोवाओओोरड४वा |

| 8

+ MEST WTl डा॥ २४॥८२ “ce; तणा “ate” es परेः aafaqaurn

~~)

ay” wa पराभत ११ विन्धस्तं,(९) “यत्‌” | ८८ रधर सखय- मचक(र) परागतं, “aq? श्रपि “पशमे (*) विमश्षमे(?)

८३ उत्तरा्चिंकस्य ४,१,९,२ = BATH ९,४८.१५ I ara

(१,-"पराखतम्‌ सन्चतम्‌ संछा पितर्भित्यथेः -इति Fao | (२)--"पवेतादौ-दति fae

४)--न्परि शाम! -इति इकारमध्यपराठन्‌ परातिशाण्छानुशासमात्‌ कोथमेरब। (द -"कपादो इति वि०। onra tfa मेषमामलु सप्नमङ्ं (नि०१,\०)। ON

४४२ सामबेदसहिता। , [ २म १,२.५ अथ पच्चनी | gaw षिः |

Rie १. ~ ^ <~ शरुतं वोढत्रन्तमंप्रशङ् VITA RB २३९ अआशिषेराधसे AS ५॥८४

- द्‌ 2.35 1 अ्ताम। वोवृचषन्तमम one चर्षणार-

२,

ATA भग्रादूषारेशरा। धसेमहा। SRST

SUT! डा २५॥* ८४

wera, यद्‌ “वसु” “खार '' स्णोयं “aq” धनम्‌ श्रा भर ` WET ४.॥ ८२

oe MWA "दति wea Va: पाठः |

८४ WATT ६,६,२४,१ | I ओतम्‌।

* टूति ग्रामे गेये पश्चमः प्रपारकः

२प०२,१०,६] Benen: | ४४३

चथ चहो | वामदेव ऋषिः |

2 = चरगादन्द्र्वसेगमेमरत्वाव रे १९ रे नद्रश्रवसेगमेमश्एरत्वावतः। अरटशक्रपरोमणि ६॥५८५ रे श्र

1 अरन्तदद्रश्रवसंण। Fl गमादमपृएूरत्नावतादेः ५।

aa” विख्यातम्‌ “ह चहन्तमम्‌” भरतिश्ययेन awa इन्ता- ₹(९) ww” बलभूतं [Anant वा(र] warenfirs “चषणौन”

पाते संटि

मनुषाशां “a.” युभाकम्‌ “चाषे” [sara afe(*) उन्म

“अआश्िष "पाश ष''-दति TUS wn es

I च्ाभोषवम्‌ `

(\,- “इवो मेष xis मेङक्षाः। गाहपेऽसुर रत्येतिाखिकाः। wut ifawe भिभ्रीमायकेमेले ववे -कम area, तमोपमारथेन यदय भवनि"-दति GSR

(2)—‘ergifed ब्वलरम'-एति fae | अमिति मिषष्दै बरनामशु wa ग्यम्‌ (२.४)

(३) -"“शि्य Gz (2,8,0) पा० 1

Ns

४४४ सामवेदसंहिता | [२प्र०१,२६,

२? ,

खोवारष्ाद्‌ अरारशाशकरारर२। शोवारद्ाद्‌। पराः

दमाररणा२४३द्‌ WYERVYT डा Wey

fe faq प्रत्ययः,(*)*छन्द स्वपि श्यतेः -(६,४,७२,पा०) इत्याडा- गमः ; तमिन्द्रं स्त तिभिः प्रोणयित्वा quel प्रक or प्रयच्छानोत्यधंः] fara: “ae” महते “राधसे धनाय धनं TWA दातुम्‌

डे “qe” वोर! “इन्दर” ! “a” तव “खवसे”\९) aaah त्वदोयां कोसि खोतुम्‌ “wea” we पर्या यथा भवति तवा “गमेम"(९) प्रहत्ता भवेम “शक्रः शक्षियुतेनद्र ! “tam” amere(’) “परेमणि'*(*) परत्वे उत्कषंनिमित्षम्‌ “at” waa [त्वत्कौिंवदन्धस्यापि awe दैवस्य कौन्ति ` wee ars: cy

(४)- “सिव wee wife (३,९.६४) पा |

Qi—aqas वचनमिदं दितौ केकवचमस्य यें प्रम्‌ अवः अन्न सोमखधर faare:’-xfa वि० अव canary चतुर्थम्‌ नि०२,०।

(२)- "ममेम aaaa qarfaararae’-cfa fae |

(द) -“नस्खदुशख्ापि जवोममेम किम्पुमङवेवेत्यभिप्रावः-इति fae |

(८) -'कपुनदसाम? उखत- परमकि-परम्रशः ware are, तत ममते यममः परमा Vy: wfastafe: नब त्यथः, इति fa

EY णकाक

=o २प२२,१०,७] SCALAR: | ४४५

चथ anal | विशामि.) ऋषिः 2 ९२ १९२९ VR धानावन्तंकरम्भिणमपूपवन्तमुक्धिनम 4107

RR VUE

दन्द्रभरातज्ुषख्छनः ॥८६

ध्र ६३२३४ 1 धानावन्तङ्करम्मिणाम अपूपवन्तम्‌रक्योरेनाम 177, /

दन्द्राप्राररध्ताः। चओओरेद्डाद्‌। अषोवा। खाभ्नो %

CUTE ५८९

यजमानो ब्रते-- रे “न्द्र” ! “धानावन्त"' घाना षट-यवाः तदन्तं करिणं” aca द्धि-मिखाः aaa तहन्तम्‌ “श्रपुप-

CE ऋम्बे दस्य २,३,१७,१। I पोषम्‌

(१)-- “लवे तिहासमाचखत -विश्वामिव कविः gare: Taree पुणोडितो बभृव fafa: सवमिवः| सब्ब" ded ger were: | Gores: frre ga: पिजवनः पुनः स्प नोय-जयो a सित्रौभाव-जति ar carte; “fry WET(E,8 १९०)-इ्ति खाल waa! ww “est जायां मिचाजिनयो (१,२,१९९४) इति प्राप्नोऽकोदा शः “ofa प्रतिषेधो fart (९,२,१९५, इति aware तद्भाक्ख।

४४६ सामवेदसंहिता | [रप्र०१,२्८ ware | गोषु aera हषो # 2 ३१९२ १२४ १२ | अपाम्पनेननसु चेःशिरदन्द्रोदवर्सयः। Tp qe दव्य,

R शर MTU &

विश्वायद्जयस्पुधेः = ॥८७

श्र Tut Bus 2 (|

-7,/, 3 7 अपाम्पेनेननमुचेः। शिरद द्रोत्‌। wat १, धर

२रध्याः। बादश्वाररः। यारेदारर्४अौदोवा जयः ३१११९ स्पुधार२४५. २५८७ वन्तः सवनोय-पुरोडाथोपं तम्‌ “sahara” स्तोजिणं “नः” भख दौयमिमं सोमं “ae” सवने “जुषस्व” सेवस्व करग्भशब्दात्‌ तदस्यास्तरीत्यत इनिः तस्व प्रत्ययखखरः(९) प्रातः-स्वरादिष्वन्ती- दात्तलेन पठितत्वादन्तोदा्तः(९) ८६ |

खरा भिलेनद्रोऽखरान्‌ जित्वा नसुचिमसर यष्टोतु थाक

* ‘Mart वाष्वसञो वा-इति fac | See en eee eee se

८७ ऋग्ब दस्य £,%,04,2

1 इन्द्रस्य चखुरपवि |

(२)-- “खास (२.९, २)” KUTT दात्त cay: | = १9१ ~ श” (९)-““सरादिनिचातमयम्‌(१,९१२०) दति सब चाल-खरादिनकशे खर sgac

२प०२,१०,९] छम्दश्राचिकः | ४४७ अथ wat!

वामदेव ऋषिः |

३१२ ३९ ३२ रे

दमेनदन्द्रसोमाःसुतासोयेचसोत्वाः | VY

रे तेषांमन्खप्रभूवसो Wee

शि ^ शर

1 टमेतच्ा। Baral: | दोवारद्दोद्‌ | सुनासोयेर 7 ˆ ˆ

युध्यमान स्सेनासुरण awy, ग्डषोतमिन्द्रभेवमवो- चत्‌- “तवां विजामि रात्रावद्कि शष्फेणादरण चायुधेन यदि at ar हिंसोरिति, दन्दरस्तेन विरः सन्‌ ब्रहोरावयोः सन्धौ शकाद्र-विलचयेन फेनेन तस्य शिर fee; भ्रयमर्थऽस्यां प्रतिपाद्यते ।-- “इन्द्रः ल्म “sat Baa” वव्योभूतेन “नसु

;" असुरस्य “शिरः” ““उदवज्त यः” शरौ एदुद्रतमवसयः wes- कोरित्यथेः | कदेति चत्‌-“यद्‌” यदा “विष्ठाः” सवाः “ere: स्पद्ैमानाः श्रासुरोः सेनाः “are” जितवानसि। “इन्द्रो हवन्त VEU परास्य नमुचि मसुदं नालभत -दत्यादिकषमध्व यबाद्मणमनु सम्धेयम्‌ LO

ee re ame rr काक = =

1 सोमित्रम्‌।

श्रातर'-दति प्रातः शब्द a me: खच प्रकृति एवानोदा्तः। तज तथा बिभगणपाड दव निवामकः |

४४८ सामवेदसंहिता | [ ३प्र०१,२१११ अथ दशमी aay ऋषिः |

BRR FC

५/4 तुभ्यधसुतासःसोमाशसोणं बरिर्विभावसो |

स्तोढभ्यदन्द्रमुडय ° tie

२, 2 UT र्‌ र्‌ चासोतृररथवाः। केषाम. दहेद्‌ मात्खप्रमूरर 8

|, ` इथ्वा। वाभरसोश्डीद्‌ ४॥ ८८

रे “नदर! “ते” त्वदधम्‌ “बभे” पुरतो eet: सोमाः” "सुतासः" अभिषुताः “खे अन्धे सोमाः “सोलाः' दत जडं मभिषोतव्याः हे “प्रभूवसो(९) प्रभूतधनवबिन्द्र' “तेषाम्‌” अभिषृतानाम्‌ श्रभिषोतव्यानामथं “ace” wet भव ॥९॥ ल्ट

» “तुभ्य सोमाःसुता इमे" -इति, “मावद्ध"-इति ऋभ्व Sa: पाठः |

८८ ऋग्ब दस्य ६,६,२५,५ |

(१- प्रभः बज, TE WH, Wag प्रभवः | eid दोध॑ल्म्‌ (६,५,१९अब्रा०) तस्य VMAS रभवस ! प्रभूत-धन | TAY: |

YTOR, 20,20] Seaifean ४४८

8 4 AT «Ft 1 Mayers! सुतासःसोमाः। Mutarezey: 177, / x र्‌ FAT RANT | AAS! स्तोताङ्उवा३। भ्यञ्रा- 2 2 RT 1 द्रष्टद्ए्मौरोवा। डाररथयाः॥ ५॥ ९९ इति दितीय-द शति हे ““विभाषसो"(र) दौोपि-धन ! [दौसि-व्यापक ! वा(९) | wa! “qa” त्वदधं “सोमाः “सुतासः अभिषुताः नघा "बहिः? “ata” प्रसारितम(₹) अतः हे “बन्दर”! a afefa निषद्य सोमान पोत्वा “aa” रस्मभ्यं “मृडय उप दयां कुरु [यदा श्रस्मान्‌(*)सुखय ] क्रिया-ग्रहशं कत्ते व्यम्‌'-इति wat १०॥८५ दनि सायजाचाय-जिरिते माधवीये सामवेदार्थ प्रकारे कम्पोयाप्डाने दिवीयाभ्यायद्य दन्रमखष्डः॥९०॥

[भशि

I सो,मन्रम्‌।

(१)- (विविधं भाति Sai wa सः व्भिावसुशखय सम्बधनम्‌-₹ विभावसो ! <ta-wa! इत्यथः" -ष्ति fae | (२ वच" दति fred) दितोष-दभमे धन-नामलु बोङषम्‌ , प्रथम-पञ्चमे रश्मि नासु “वसवः -इति cue | (३)-- "बं खाद sew’ -tfa fae | (8 )}—waey माधवेनोकम्‌ “eat -asrqafag famlaaawqarara’—cfa | 4K,

४५० स।मवेदसंहिता,। [२प्र०१,२,१ श्रयेकादगे-खण्डे-- सये प्रथमा) Wai nuse ऋषिः |

३२ रे १२ ३९२ BRR 1 Lif WATE छविं* यथा वाजयन्तः शतक्रतुम | Rt

मरडिष्टरसिश्चदन्द्भिः १००

ut २१९ 74,6 7 आवद्न्द्राम। कछविंयथा। वाजयारन्ताः।

TAA! RofesreaeG | चायारेउवाडद्‌ दूर

BBA} १००

वाजयन्तः अवमिच्छन्तो(\) वयं शुनःगेपाः शे ऋति

ग्यजमानाः ! “वः gar सम्बन्धिनम्‌ “न्दरम्‌” ““दन्द्भिः"

« (शनशेफ-द्ति वि-पाठः। « (क्रिविं इति क-पाठः, wea दौय-पाठञ्च |

१०० WATT १,२,२८,१ I waa

(१)--पूजषन्तो वा fac मलम्‌ | वाज्मित्यनत्रनामद ददितोयम्‌ (नि०२,९)।

२प०२,११,२] इन्दश्राचिकः। ४५१

अथ fata | खुतकस ऋषिः | ९२ Rt YX 8 १? अतब्धिदिन्रनउपायाडिशनवाजया | ~

दूषासडसवाजया २॥ १०१

I अतश्बिदिद्रन्नउपाए। आयाहिश। नवाजारर 1; ^.

aa’) “आआसिश्चि" [वचन-व्यत्ययः (१,१,८५पा०) ] सव्वतः सिष्वामहे सपर्यामः। ated: “शतक्रतु त-स ख्याक-कर्मो- पेतम्‌(९) “afesa’ अतिशयेन aerate’)! Baa दृष्टान्तः “ofa aar’(®) [कतौ च्छेदने, waa छिद्यते खन्यते इति] afa: कषिः तां जलेन पूरयन्ति तहत्‌ १॥९००

१०९ ऋम्ब दस्व ६,६१६.५ | I aaa |

(a) —wonfarfar weave (नि ०२,११९) ऋलुरित्यपि कमं -नाम, (नि०२,१,११) बच्र-नामवा। वक्रं बज-वश्चं वेत्यथेः'-दति fae | कतुरिति निषण्टौ ete नवमे प्रज्ञा-नामखपि Cw |

(२)-“कति्केन दातारम्‌, war पथनौोयतमम' इति वि मंहते.द्ति दाब-कमसु अगध पदम्‌ (२,२०्नि०)--मडयति-इति खच्ति-कमनसु पञ्चभि शल मल तयोरन्यतरः तजनयोः “qapefe (५,३,५८)"-दतीहनि रूपस्‌ frace- कारख wea तु मदच्छन्यद्य |

(४) हविरिति कुप-माम (नि०२,२३८)। सरसापीष्यात्‌ अवाइकोपि कविर

2.८८

BYR araacafeat | | २प्र० 2,22 अथ छतोया |

जिशोक+ ऋषिः |

२३ १२ F © २३ RB Rr?

आबन्दंवृ चाददेजातः एच्छादिभ्मातरम.।

२१ १.

8 GBs इषारेथ्सष्धार। खवोररथ्वा। जाभ्योरा

दर ९०१

ङे “इन्द्र”! “अतञित्‌” wary द्युलोकादेव [यहा WaT च्छत्र-स्यानात्‌] “शतवाजया” (*) Wawa -बलयुक्गेन तधा “सख वाजया'' [ वाजोऽब्रम्‌ (नि०२.७) ] इख-सङःख्याकाव वताः agaraa “दषा"*,९) अत्र-रसेन Ye: सन्‌ “मः'' TATA "“उपायाहि" (र) अधिकमाभिसुख्ये नागच्छ ॥२॥ ९०१

~

(हशोक'-दति fao are: | # “‘Vafe-<fa wa cia: पाठः |

ad

ea | यथा-शन्द STAT Are (जि०,१९,२) खावाडकमिव @ | रतदुङ्ग ~ ® ~ ayaa

asfa-cm afen, आवारुकमद् केन सिति विभक्ति, तद्त्‌ लां इणदर ! सोमेन

fawra इत्येतदाश्षासदह'-इति fae | |

(२)-- शमिति बड-माम (नि०३,१,९.) वाजः Wa: (Ho ९,२८) बड्वेगो

याः सा WANTS; तथा बङ़-येगया Wing मत्या दति Fae | | (2) qa -दृत्यन्न-मामसु TATU नि २,९। (2) -- "समो पमागच्छ-टति fare |

VTR,VL,2] SAS कः | ४५३

र्द रद

कडग्राः कंद्प्टणिविर ॥२ १०२

धरर ® xx 1 आबुन्दन्बु। ARTS) दाद। ATARI 101 4. ~ R ९१९ र१९

विमारतारेदधराम्‌ कउच्याररःके। दाश्टिरोदडा

रदभा२४२। ओर डा ८॥ १०२

“जातः” उत्पव्रः(र) “न्रा” इन्द्रः “meq” इष्ट [तधा यास्कः--बन्द दृषुभवतोति"(९)] “ares” आदाय चेषम्‌ “sa”? उद्ुशं-बलाः(र) “a” के “quae” dae विश्रुता {दति खोयां “arax’(") “fa णएच्छात्‌'` sat-

q(t) WRN ९०

१०२ ऋम्बे दस्य ६,२,४२,४ | I ओ्रोषसम।

(x)—‘arraraee ति वि०-वाष्छाने किचिद्‌ विरषोऽथंः।

(२)--“बन्द्श्वभेवति, wet at fet बा भवदो वा भाखमानो द्रवतीति बा"-दूत्यादि ने १,९२.९२९

(९,--“खप्रखद्याः-द्ति Faro |

(x)-—‘arafewta wifefira’-<cfa fao | ““खदितिरदौना दवमाता".दति Wo ४,२२। “खदितिलारदितिरकारि्मदितिभाता सु पिताख ge! freee अदितिः पञ्चजना अदितिखतिम {दति निलम"'-दति we १,२१,४,४।

(५)- दन्दः खात श्व इष ARTS मातर इवान खपाः! Hy नरयन ानादि-कमतु fara? ce-facet: परिखयमिति बावत्‌ -दत्ये वाचाऽखखा farce Vu: |

४५४ सामवेदसंहिता | [mer 2,8, अथ चतुयो मेधातिचिक्छेषिः |

Rt रे रे a TIS क्यपदवा दे IATA YA |. 2 22 % 2

साध-+* HUTMATA १०३

4 uc 1 ठ़बदुक्यःदाईवामदाद | सारप्रीरकारार | लम्‌ | TATE साश्धारेः काण्वो र३। तमोररश्वा। वा५-

MERE < १०३

“तये (९) लोकस्य रणाय “स्प्रकर (९) प्रत-वाहु

काक

~~~ - -- ~ a

“साधुः '-दति ऋम्ब दौयः पाठः १०३ ऋग्वेदस्य ६१२०२१५ | I भारदहाजम्‌ |

(१) -“कतिरवनात "दति (Ho ५,३,)। ““ऊतिदतोत्यादिगा (३,१,९८०पा०)

सिद्धश्च

(२)- "करल we, ont मतौ। sel ate यस्य सप्रकरद्लः। उका रख्याकारापत्यारूपम | तं सप्रकरल्लम्‌ Tease’ fae ce विगधमं wa—wfe@ हि निषण्रो fara चतुथ बाह्-पयाये areal इलि सप्रमम्यदम, तथा

~ ~

२प०२,११,५| छन्द म्ाचिकः | ४५५

अथ twat |

गोतमऋषिः* |

5 a ie Bt

ऋजुनोलोनोवरुणोमित्रोमयतिबिदान्‌।

2

अयमाद्‌वः सजोषाः ५॥ १०४

[aca बाह कमणां प्रस्यातारौ (९९०) इति यास्क-वचनात्‌(१)

09

“श्रवसे” लोकस्य पालनाय “are” साधकं धन “arwat” कुवन्तं प्रयच्छन्त “ठवदुकथं(*) any इन्द्रम्‌ “हवामहे आ्रादयामः। [तथाच यास्कः--"ठवदुकथो awa वक्तव्य

मस्माउक्‌घमिति वा (६,४)'-दति 8 ५१०३ # शशओौनकस्याषंम्‌"दति fae |

९०४ ऋम्ब दस्य १,६,१७.१ | करख्लशब्दोऽदन्त चवेति किम्पुनदकारस्याकारापकतिकथनेनेति, fay अस्ति सपंति a तिकमेा (२,१४,७ fro) we सुप्त fared तकारख रफत्व कथमि afrafata | (द) -सतैव gs ब्दोऽपि area: | तथाहि -““स्रः सपात्‌" -दृत्यादि (९,

१९) | (४) डच्छम्य-इकार स्य वकारापस्यारूपम | उकथ-शन्दः लो भ-वखनः | हरत्‌

कथं यस्य टवदुकथः तं टवदुकथम्‌'-द्ति Fao |

४५६ सामबेदसरंहिता | [amo १,२,६

अथ चो | व्रद्मातिधि ऋषिः 2/4 दू रादिदेवयच्तोरुणण्सुरश्चितत | CT ४र५४र ४४ र्द !,/2 1 ऋजुनोतीनोवरुणः। दषा मिजोनयतिविदरा श्‌ 2 श्र र्‌ १९

VI | ददा भर्यंमादारदशवाद्‌ | TAT! सजोषाः ¥ SANTA शण्डा eo १०४

` अहरभिमानौ शेवः “मिवः”, “वरुणः” रात्राभिमानौ, fave wees “विदान्‌” नेतध्यसुत्तमं खानं जानन्‌ “a” अस्मान्‌ “ऋशुनोती"(९) ऋशुनौत्या ऋशु-नयनेन कोटिष्य-रहि- तेन गमनेन “मयति अभिमतं फलं प्रापयति तथा “aq.” wa werfefa: “सजोषाः” समान-प्रोतिः “meray” TET विभागस्य wat सुस श्रस्मागृल्लु-गमने नाभिमतं VA प्रापयतु |

“नयति"-“नयतुः-इ्ति पाठो ॥५॥ १०४

कय ग्गं

1 कोन्म्‌ |

(९)-“शज्रित्यप्यय भवति" -दत्यादि (Fe ९०२१) |

२प०२,११,६] छन्द ्रा्चिकः | ४५७

RW विभानु विश्वधाननत्‌ १०५ श्शर्र धर्‌ १९

1 दूरादीररदेवयरतमताः। AURA, !, `

र्‌ र्‌ इर र्‌

TART | शायातनत्‌। दडाररभा२४२। ओर३-

Buel डा॥ ११॥ १०५

“दूरात्‌” दूरतणएव विप्रकृष्टे एव नभसः प्राक्‌ प्रदेशे वर्त- माना ङ्ह '(९) “सतः (२) सतो xe समोपे विदयमाना “ca” समोपे विदमानेव -अरुणष्षः (२) आ्ररोचमानरूपा test

sat’) “यत्‌” यदा “afafeaq’ अर्षेतयत्‌ [शिता aw,

« “विश्वथा `, विश्वधा? इति पादौ

१०५ RATA ५,८,१,१ | 1 श्रोषसम्‌ |

(१) -धथियाम'-इ्ति वि० | (९.--्रशलान्‌ यजम-नाम'-दति fao | (२) -'खरुलङूपः इति fac (ख ः"- दति रूपनामनु सप्रमम्‌ (fo 2,9) एतदेव दिवरक arena निवामकम्‌। (४)-ख्थशम्भरषः। “cP cr: कालः".दति Fo २,१८। तत्जोलनत्‌ गभै- Leh,

8९- AAARA(EAT | [रप्र०१,१५.४

sara ्यन्तात्‌(*) ल्ङि we रूपम्‌ 'यदृहत्तान्‌ नित्यम्‌ ( ८,१,६६पा० ) दति निष।(तःप्रतिषेधः] तदा “arg” दोपि ^“विश्ठथा"(९) विश्वधा agfaai() “व्यतनत्‌” विस्तारयति [तनोतिन्धत्ययेन शप (१,१,८५पा०] I प्रातरनुवाके उषस्येन काण्डेन (१,२४,२) उषाः स्तृता सतौ प्रादुब॑भुव, F श्रश्विनौ ! शंसिष्यमाणम्‌ आश्विनं क्रतु योतु युवामपि ्रादु्भवत-दरत्य्वा- हारेण वाक्ये पूरणौयम्‌-) “सतः - “aay -afa पाटो १०५

=

धारण-श्रोरलात | TNE “es Te च्ातिषां च्योति रामाजिषः प्रकेतो अजनिष्ट विभ्बा यथा प्रसृता रुविलुः सवाय मेवाराव षे योनि area’ दूति Wo १,१६.८, १। “eae व्यातिषां च्योतिराममञचिवः पुकेतमं saa समजनि विभततमम्‌ यथा प्रसृता सवितुः प्रसवाय रातिरादिव्यस्येव' राजष योभि मरिचत्‌ स्यानम्‌" -<fa याख-छत weirenaa ““ल्लो-योनिरभियुत एनां गमेः०-इति Seay २,१९। RMT रग्नतौ१,९९.०८,२)-इत्यादि awe: ale fers)

()—ateaferae थत्ययेन, या saci! “पु रसाद्‌ यच्छन्द-म्‌ तेयाग्या- थेसम्बन्धस्तब्ड्दो ऽध्यारनगयः-दति वि०।

4 ।--^ प्रह पूरे विश्वमात थाल्च्छन्टसि ४,९,१११)"-इति थाहि रूपम्‌ |

(5) -खूद्‌-मम्द-तीत्र-लचखणटामित्यथेः |

(८/- -तथाच Vat -शश्रातर्थंजा विबोधयािना वे गच्छताम्‌ we सोमख पीतये (१,५,३,१)" -दृत्यादि ““परातर्या गिन विबोधय) श्विना विदामच्छता मस्य सोमख ware’ care यस्क-रतं तद्‌ याद््यानम्‌ “अश्विनो यद्‌ यङुवते ot रसनान्यो ज्यो तिषान्यः #तत्कावञ्चिनौ ावाथिया fae ऽशोराजा बित्येक खया चन्द्रमसा वियेके राजानो queat वित्येतिरासिकाः" इत्यादि Fo १२,१।

२प०२,११,७] eaten: | ५९

अथ Swat |

विश्वामित्रो जमदग्नि at ऋषिः। १९ 2 शर रेद्‌ आनोमिचावरुणावुनेगेव्यूति मु कतम्‌ | ab ८“

१९ मध्वारजाधसिसुक्रत्‌ १०६

श्र दर UT र्‌ रर दर्‌ 1 अानोमिचा। वरुणारे। ओदोवारदेध घत 7! ` ममू ४५ श्‌ LRT SC A) WAAL शओ्ोदोवारे। ATLANTA रर <x

. forge, अदोवा९। कतु दडाररभा२४२। ओर

४५द्‌। डा॥ १२ १०६

“gad” भोभन-कन्ाणो हे 'मिवावरलौ !” “नः अस्माकं तिं : ® + “गव्यूतिं (१) गवां ara गो-निवास-खानं “छतः (९) षर ण-

१०६ उन्तरा्चिंकस्व १,१,५,१--ऋम्बेदस्य BB GH | I भितावरणयोः संयोजनम्‌ |

(१)--भमावो यज चरन्ति मब्यतिशश्चते'-द्ति Fao |

(2)—eafafa wert रूपस्‌ | मथादि फकिभष्ये (७,१,९१५) “aura aire cafe Sta, तं wd काति ‘seefewe’: xia fae | fare} चोदक- ` नामसु दशमम्‌ १,१२।

8६० सामवेद सहिता | Waar | प्रस्कण(२) ऋषिः

९३२९२९९३ ९३ VB ६१

८.2.41 उदुत्येसुनवोगिरकाष्ठायन्ने Gees |

et ९९१२९ रद

AAT AAW AAT = १०७

[२प्र०१,२.८

साधनैः पयोभिः(२) “भरा उच्चतम” भ्रा समन्तात्‌ सिख्चतम्‌,

Wary ital: गाः प्रयच्छताभिति भावः।

रजांसि" (९)

पारलौकिकान्धस्मदावाससख्यानानि “मध्वा (*) मधरेश दुग्ध-रसेन सिञ्चतम्‌ [गव्युतिम्‌-गोयंतौ दन्दसि(६,१,१२ इपा० ]-इत्यवारेधः, मध्वा-सठे-विधौनां छन्दसि विकखितत्वादजमुमभावः॥ ७५ १०६

ee ee ee ee ee ee

* “हिर ्स्तृपस्याषंम्‌^दति fro “fecaet हिर स्मयः स्मूपोऽस्येति वा स्तृपः ख्यायतेः wera” इति Ho ५,३२

* ““जमेघद्नत"-इति waste: पाटः |

९०७ WATT १,३,१३,५।

(१) श्रखूलवः कलवस पुजः, करव-प्रसवोयथा पापस्‌"-इति Fe ३,९० |

()--“जोनपि लोकान्‌ इति Fae |

(४) "उद केम'-इति fae | मधु -एत्युदक-मामनचु एकादशम्‌ १,१२। (५) -“सुपरतिरूरूपप्रशशिङ्गनराशां कालरशरच्‌खरकणं ery) यत्ययमिन्छ- fa श्रा लरुदषां सोऽपि सिद्धयति बाङरकेनः-रति (२,९.८५) कात्याथम-वनात लिद्धग्यत्यये “refer कम्दसि वा वचनम्‌ are at चदपधायाः' - दति (0,2,€°)

कात्यायनोयन fa-cmara रूपमिति भावः|

२प०२, 2,5] छन्द ग्रा्धिंकः | ४६१

pas UT रर © 1 उदुल्यसूनाईवोगिराः। कष्टाय नाद्‌ षुवा 77. ८./- 2 RT रर rs

SATLAVAT | वा्राम्राररभोर। न्र्रेयार। ATRB- YATTRTT 22 U १०७

“a” ते प्रसहाः “गिरः सूनवः ara उत्पादकाः(१) मरुतः(र) [वायवो fe ताखयोष्ठादिषु सश्चरम्तो araqaie- यन्तो(२) “aay” स्वकेषु यागेषु वत्तं मानेषु सत्सु “काष्टाः” अपः (“आपोऽपि काष्ठा उच्यन्ते meat स्थिता भवन्तोति" (२,१५) यास्कः(*)] “उत्‌ उ” उत्कषकेव “अन्तत श्रतनिषवन्तः विस्तारितवन्तः। उदकं fae aera’ “वाखाः”८५)

I ऋतुषाम

(९)- eared: उत्पादक ti) अन चुनोतेः खलुरित्येव वोम |

(})—xaqg माङ्तो wa इति प्रसिद्धा।

()- तथाहि frrereqra—“qrea षडा समत्याथाम ममोयखक्क॒ विव war) समः कायाग्निमाहन्ति सप्ररयति मादतम्‌। मारतख रसि चरम्‌ सन्दर जनयते खरम्‌" -दत्यादि |

(४)-काष्ार्व्येवदनेकस्यापि सत्वख् नाम भवति | काह दिण्णो भवन्ति, कानवा सिला wafer) ater उपदिशो भवन्ति, इतरतर ऋराम्त्बा faret भवक्ि आदि व्या ऽपि काोखते, ऋआग्ला सजितोभयति | wreeatsfa कार्यते, meat खनो मवति। खापोऽपि कााउक, mise खला भवन्तोनि ख्ावराकराम्‌""-द्नि He २,११

(४) -““व्लासि aie sie (उ ००)" इत्यादिना WETS गानः रकि सिम्‌ |

as +

४६२ araazafeat | [amo १,३२.९

अथ नवमो |

मेधातिधिक्छषिः। RV १२ 3 शद्‌ र्र्‌ 2 दूद्‌ विष्णवि चक्रमेचेधामिदधेपदम्‌ | १२ 2 8

समूटनस्यपारःसुल" < १०८ इति दतोय-दशति

¥ रे

+ 1 इदा्मे। fame विचक्रार्दथ्माई। चाद हम्भारबोपताः गाः “श्रमिन्नु"(६) जान्वभिसुखं यधा भवति तथा यातमे"(*) गन्तु" प्रेरितवन्त इति शेषः(८)॥ १०७ * पांशुर"-इति ऋग्वे दौयो यजुवदौयञ्च पाठः। 'सवादा"-इत्यन्तेनाधिकश्च यजुवद |

moe > ----- eee

१०८ SUC कस्य ८,२,५,१ = ऋम्ब दस्य १,२,७,२ = यजुवंदस्य ५,१५ = अ्रथव-ब्राह्म शस्य १,१७ = जगा नस्व १४,७ I विष्णोः साम i

(६) - जातुन श्चः (४,५,१.३०)

(७)-- “तुम सन्‌ (३,४,९) Canta wae

(<)—ay ते ‘were’ खग्रद्य आपत्यभता “मङ्तः ‘fac’ मिं तश्चा are: "काष्टा टष्ट-लदणा अपः ‘aya’ निमित्-भतछ ‘Sara’ ag faarcafe lew wea? (वालाः' वासन-खभावकाः | कथ लिपि? 'अभिसु' खअभिनिपात्य- जानुनो मरुतो awe: | किमथ ! maa’ पथिको प्रति ममनाय। caer

विवरण-निष्यत्रः।

२प०२,११,९] छन्दश्मा्चिं फः | ४६३

R , धानि। दधाद्पाश्दारम। BALAI! ढाररमा। , ड्‌ दर द्‌ र्‌

स्यारपारर्श्योद्ोवा। WIL PAN १४॥ १०८

‘fagy:” जिविक्रमावतारधारो “ee” प्रतीयमान wa जगत्‌ उदिश्छ “Sur” fafa: ware: “पदं निदधे” खकौयं are प्रल्िप्तवान “se” विष्णोः “arga”’ पांसुरे ufaqa wears “समूढम्‌” इद जगत्‌ सम्पगन्तभरूतम्‌(*)। सेयमृरः यास्केनेवं व्याख्याता--^“# « विष्णु विशते atwa वी *# * यदिदं किञ्च तदिक्रमते विष्णुः, तिधा fara पदं जधाभावाय पृथिव्यामन्तरि्च दिबोति शाकपूणिः। समारोष्टणे विष्णुपदे गयशिरसीत्यौणवाभः। समूढमस्य पांसुरेप्यायमेन्तरिकै पदं श्यते। “श्रपिवोपमा्थेस्या पांसुल इव पदं दृश्यत इति | पांसवः पादः सूयन्त इति वा पत्राः गेरत इति ari पंसनौया भवन्तोति वा.(११,१८-१९)"इ्ति॥<। १०८

दूति मायशखाथाय्ये-विरचिते माधवोये सामवटाथप्रकाशे weaved दिलौोयाध्यायद्येकादशमखण्डः १९

(९) “we पादवयमपि “मभ्‌ढमद्य" वहेरिदं रूपरम मम्यक शापितम। "व्पांसुरे" watvatae दरव्यम, पांसुरद्व av). wan पांसुखत्व योगात vines siya! तेषां चया एथियां यत पद्‌ तत संमढम | थवा विब्कशरादित्यः। axe frame चधा भिदषे पदम्‌ safe’) मध्ये नमसः, अलङ्धिरो G12) चथवा चषा faa पटम--एथियामग्म1द्मना, wu- fre वंद्यतात्मना, fefo ्वादित्यारमना, ay पदवयमस्य समटढस् पांसुर Ta eH let Guar vacfata ay माहनाथेद्य रूपम ane च्छन्न यदद्य क्यनता- taal पदम तत Gas सच््छिन्रम ॥^-दति fao |

* + <च्यथ ufefaat भवति तदिग्ण मवति"-दृत्यादिभामेमाधिकलव |

@ © @ दूदव aa मन्त्र SEU: पठतः|

४६४ सामवेदसंहिता | [३प्र० १,४,१।

अरघ Tena सेषा प्रथमा |

मेधातिथि ऋषिः |

२९ शश्र र्द १९८ अतोहिमन्युवाविणधसुषुवारुसमुपेरय,+ | ९२ VU

WAT TSA १०८

ङ्‌ र्‌ xR .;+ 11 1 अतोदिमा। न्युषारवादणारम। सुषुवारसा इन्द्र! “मन्धषाविणं” क्रोधेन सोमं gaara’) “wt fe” अतिगच्छ, तथासिन्‌ देथे “सुषुव सं” सोमं सुन्वन्तम्‌(२)

» “SQW xfs, “ae रातम्‌”-इति ऋग्वे. दीय ar: |

१०८ ऋग्बे दस्य ६,२५.१ | I area

(\)— ane सोमख अभिषोतारम्‌ मेधातिथि ara प्रति दृति वि०। “मन्‌, -दति क्रोध-नामचु उपान्त्य पदम्‌ २,१३ मि” | aaa cha कान्ि-क्ेु नयोदष २,६ नि०। २)-खअङ्किः-पभतिमन्यमषिम्‌' -दूति fae |

२प०२,१२,२] कन्दश्च कः | ४६१५

अथ डितोया। वामदेव ऋषिः | २३१२ वचोदेवायग्छते कदुप्रचेतसेमदेवचोद | श्ट रर ३९ तदिष्यस्यवङ्गनम्‌ ११० R RT . WIE | BUTTE | अस्यरातारर्उ। FE at fx ATRAVBVAAT | पोरद्वा १५॥ १०८ ९४९४१४५२ ९२ धरर . 1 कदुप्रचेनसे। ABET! वार्दध्चो देवादाउ iy, ut ३२ २१९ वचोदेवा। यशस्याररनार५द ATTSvTfeats | Gay ४. 8

रध्वा UTYATE RTE १६॥ ११० “'उपेरय'" समौपे प्रेरय “we” यजमानस्य “रातौ awe दाने “सुतम्‌” अभिषुतं सोमं “पिव” ५१॥ ९०८

“ae” wea “waa (’) vae- mara "देवाय" दयोत-

1 काश्यपम्‌ areca att (?) --"चतः'-दूति भ्रज्ञ--नामसु लृतोयम्‌ ३,९ fi “^श्रचेताः ्रषटह-चेताः" इति ॐ. ने ° ८.५ |

५८क,

४६६ सामवेदसदिताः। [रप्र ° १,४,२ Gy श्तोया | भेधातिथि-प्रियमेधाहषो# |

2 aes Re २३ १द Xe नानिरिदसिनेत oe उकथश्चनशस्यमानंनागोरयिराचिकत। TR Rah RR VR

नग॑श्थनेङ्गोयमानम २॥ ११९

8 श्‌ द॒ र्‌

नः

Tit? 1 उक्छश्चनोषश्ाद्‌। श्ख्यमानम नागोरारर्योः।

नादि-गुण-युक्तायेन्द्राय “कदु (९) कुत्सितम्‌ अस्मदौयं “वचः' स्तोच-र्पं सुतं “शस्यते” यथा प्रशस्त भवति(९) देव स्तथधानुग्ट- हा तोत्यधः | “तदित्‌” तदव “we” यजमानस्य ˆ वदनं हि”(* प्रहठत्ति-साधनं WA v ११०

# भमेभातिथे राषम्‌ -दइत्येव fae

| . _ १११ उन्तराञिकस्य <,१,१५,२ = CATT 9,28 | I वाडंदुक्‌थम |

छ,

(२)- “कत्‌, किम उरस्यः पञ्चम्यः खत्‌ Wea, HHA ara’) "उ" एति पाद-परशः, Tha fae |

(2)- "द्यते sera इत्यथः'-इति fac | “सति'-दति wafaady पठत ३,१४ fae |

(9 Fe aera ‘aa’ उच्वा रितम्‌ वचनम्‌ ‘we! faq वनम्‌ efeacs तस्मादुशषारयेति वि० -स्न््सोऽथेः! waar fy ara ae वदते.द्ति aftr दाम्नः | |

२प०२,१२,२] कन्द श्चिकः। ४६७

ष्ट २१२ ,३ MPRA नगायारडेवाम्‌। गो। यमार्नार२४ ५द्‌ द्‌ ओदोवा। ऊररध्पा १७॥ ९९९

गायते WE) “श्रगोः”\९) श्रस्तेतुः,२) “अविः” अरिः [व्यत्ययेन यक्ारः(३,१,८५पा०) | चरः -बनद्र “Tana” ert पठयमानम्‌ “sae च" qaata “a चिकेत भ्रभिजा- नाति [faanra, छान्दसो लिट्‌ (2,8,00T¢) नेति सम्प्रत्यय] “a” सम्प्रति प्रस्तोत्रादिभि गीयमानं ` “गायत्रम्‌” गातव्यं साम(*) [यदा गायत्रा ख्यम्‌(५)] अचिकतित्येव | wa: कारणात्‌ वयमपि तमिन्द्रं Waray:

““नागोः-“अगोः"-दति, “रयिः"-“अरिः"-दइति

पाठो॥ ३» १११

et ~

(t)—awarfe-araa ard नाम-करकः" दति ने०२.५। मोरिति निषष्टा- ` वपि ata नामसु दश्यते, ve!

(२)-“अमोः'-्ति asa, कट वेदोयस्ततोऽज om, ce पुननागोरिति प्रतो- कम्‌ इतं युव्यते

( ३२)--“ना मः" कुर्म WAH शब्द ; गुः खगयक्कभाषो 5 FH गुः = खम्‌: = यक्कभावी, आनुः--म SHAT = नामुः। AT मामोः खन्धक्र-भाषिरू दूत्यथेः-द्ति fate |

(3) —“area’ मायतेः ल.ति कमलः" -द्ति ने° १,८ |

४}- तश्च मानं चतुष्‌, मान-गप्न्यषु नोपलभ्यते, परमधष्ययनारा गुङ-मुखादठु-

< रर र्दद

aaa | तदिदम्‌ oe ial, धोपाशो-२ | धिथोयोगः 9 | धो २९५२२५२ | BHI GTR | दायो Bey ncn War waza तु तराबिंकस्य av त. AT SMA EM प्रथमेति पठयते

४६८ सामवेदसंहिता | [३्र०१,४,४ अथ चतुथ विश्वामित्र ऋषिः |

१९९६२ ३१२३ १५२

4 ~ दृनरउकथमिमन्दिष्टठोवाजानाच्चवाजपतिः। 2

चरिर्बान्सुतानारसखा » ९९२

१९ -7,4,18 1 इन्द्र उक्थादू। भिमन्दाइष्ो२। asa , श्र ऽर !

च्वा। वाजपरतिः। UTR RAR ABFA तानारपस।

weer | दोद्‌। डा॥१८॥ ९१२

वाजानाम्‌"(९) श्रत्रानां मध्ये “वाजपतिः” उत्छषष्टाव्र-पतिः “हरिवान्‌” इरि नामकाण्ववान्‌ “इन्द्रः “उक्थेभिः” होढः Wa: (उक्ध-नामके at शस्त्रः) “मन्दि ठः” अतिशयेन ठकः सन्‌ ““सुलानाम्‌" अभिषृतानां Marat सखा" सखिवत्‌ प्रौति-करः सोमैः प्रौयत इत्यथेः(९) १९१९

# (वामदेवस्याषम्‌ इति वि ०.

¢ I वाहदुक्धम्‌ |

(.)—‘arafa araqers:’-<fa fae | (२)--अख चि ewe: पाद-परणशः सव -सम्प्रतः |

२्प०२,१२,५| छद्‌ प्रा कः | ४६९ अथ पञ्चमो | मेधातिधि-प्रियभेधः हषो | Ret 8 रर्‌ १९ महं अयाद्युपनः* सुत वाजेमिमाइंणोयथा +, RX २९१९२ मदापदवयवजानिः॥ ५॥ ११२

धट 9४ श्‌ शर र्‌ I अयादो। उपनःसुनम दोवारदाद्‌। वाजे 77 ,. ` रट श्र १९ र्‌ र्‌ रभिर्माइणोयथारःदोवारष्छाद्‌। मद्ा<द्वयवार३। दोवा- `! R att र्‌

उदारद जारनारर४ STAT | WAVSBAT ee १३

9

Sum! “a अ्रस्मदौयं “सुतम्‌” भ्रभिषठुतं सोमम्‌ “उप याहि” प्रत्यागच्छ, किच्च “वाजेभिः” अ्रन्धदौयेष्हंविरूपेरवैः “मा wataa:” मा डियस्व(९) तच दष्टान्तः- “युवजानिः"' यौ- वनपेता जाया यस्यासो युवजानिः [जायाया निरः(५,४,१ २४ पा०)-इति समामान्तः| “aera wa” प्रभुरिव ; यथा रूपवद्‌-

% qe rad x fat fao | + “Braves ha:.”-xfa घ-पाठः।

I की रम्‌

(१)- “रत्य GRAV aa “मा इकोयथाः' मा क्रोधङ्मः, मा गोषोरित्यथैः- ति feo) निधब्टो क्र ध्यति-कर्मसु इकोयत' दति STAG पट्‌ सगिश्यते २,१२ |

Boo सामवेदसंहिता | [amor se

चथ att | alent दुमिन्र ऋषिः# 2 2 2 AX RT FET ATR R22 “^ 4“ कदाव सोस्तोजध्द्यतश्राञ्वश्मशाररूधदयाः |

8 २. ३२३

दोरध॑धसतं वाताप्याय ११४.

1 | RT Ruz

fen 1 ओर कदोवसो। स्तोतारम्‌ दयं PERU ९,

ता्रा। BRA अवश्मशा। MUTT |

भार्ये चेतः प्रभुः अन्धामि नौपद्छियते किन्तु atta युवति प्रला-

गच्छति तहत्‌(.) ५॥ ९९३

“वस वासयितः.\)! इन्द्र! “स्तोत्रम्‌” wana

* fave सुमित्रस्य बाषम्‌'-इति fae | + “SQARIAMM -sfa ऋष्व दौयः पाठः |

ee tah ai ee ee

११४ Wa दस्य ८,५,२ ६११

. ति (> गकं . (2) —faracwarcfeqes gern चरयति--“ख यथा तर्षा भाच याः सोकऽप ~ ~ a = e ? रासे fe a wate, wear रोषोरित्यथः-दइ्ति।

(i— aera —tfa fa |

र्प०२,१२,६| छन्द ग्रा्चिंकः | BO?

RT R रर भो रदोशद्। टीघयसुनम वाता२४२। Msaryar BUA

Qe] ई२३४५॥ Re I

RR aT ety TL कदारध्चौदोवा। वसो। `स्तो वादम दर्यता | /, 24 8 Rr ४्र ९. अवा४। अद्ोवा। सशार। रुधादूर२४ ठर ar et वाः। टोरारेऽ्योदोवा। सुतारदम वाता२४३

पोरया५या६५६ re ११४

“ह्यते” कामयमानाय(९) कामयमानं at [क्रिया-ग्रहरं कर्त aL HAT waaay) “कदा कस्मिन्‌ काले `श्रवारुघत्‌* अवरोक्यति, अवरुध्य कदा “वाः” वारयिष्छति, ATEN: कालः कदास्माक सन्धविथतीत्याणास्तं, त्र दृष्टान्तः wre wafafa “srar’(®) कुल्या [लघो पमभेलत्‌] यथा करस्था तत उदकान्यवरुणदि wang वारयति ava | जिमुदिगश्यावरोध दति तज्राह- “दौर” मवन-चय-रूपेणायतं सुतम्‌” भ्रभिषतं सीमं प्रति किमर्धमिति तदाड--- वाता - =

ना इमे कौनते

(२)--श्यति'-दति कान्ति-कतु पाठात्‌ fro २,६ | (र) पा श्ए waar इति वा WIE A दृति वा"ष्त्यादि मै० ५,१२।

os

४७२ सामवेदसहिता | [प्र १,४,७ सभ्रमो। मेधातिथि ऋषिः

e १२ १२३१६ ६१ BRUT RC

, ब्राह्मणादिन््रराधसःपिबासोममतृररनु |

३२ श्र श्र

TATU ATA १९५

At १९ ब, t

~ 1.2 1 ब्राह्मणादो। द्रराधसाः। पिवासोमा रम छत्‌

RT 4 1

एरन्‌। तवेदाप्सारइ। ख्यारदमा३। सारश्भ्ती-

| 6 ६दाद्‌ २२॥ १९५

प्याय” [वातिनाप्यते अरघस्ता्निपात्यत इति] वाताप्य सुदकं तख प्रदानायेत्यथंः YW

ese! “ब्राह्मणात्‌ शंतिसम्ब धात्‌ “राधसः” धनः भूतात्‌ पात्रात्‌ ^ “सोमं “Fra”? किं कत्वा “कत्‌ रनु")

« “तवेद्धि तख्य-दति ऋषेदोयः पाठः |

११५ ऋभ्व दस्य १,१,२८,५ | 1 अरैसद्मनम |

(९) —“Ad rats समान-पट्‌ (८)२,९ नकारस्य ख्व साप्रमिक-क्डागम ( १.८) रूपम्‌ |

२१०२.१२.८] छन्दग्राचिंकः। 11

अथषहटभो | मेधातिषि ऋषिः | ९२ VR

वयं घातेञ्रपिस्मसिभस्तोनारदन्द्रगिवेणः | त्वन्नोजिन्बसोमपाः १९६

५४५द्‌ द्‌ रर र्र्‌

1 वयंचानेअपिखखार्‌। सतारदन्द्रगिर्वणाः। ववा प्र +

डं ~ अर्य

WAC! TAM TART! AAI मा श्च ध्र x ९९१९१९१९ a रपारदशचौदोवा | ए९। उपार२४५॥ २२११९ ` देवाननुङत्य ऋलतवोऽपि(९) पिबग्तित्यधः यस्मात्‌ “तव ve 3 सख्यम्‌ भ्रस्त॒तम्‌' ऋतुना मविच्छिन्रं तख्ाहतुभिः पानैः qarq(®) OW १११५ रे “fate.” गौभि्वेननौय ! “we! “ते” तवापि “वव चः

———

+“पिकाजि"-दइति wa टोयः पाठः |

~ ११६ WA TA ६,२०२.२ | 1 अंसग्रनम्‌ (Rear "नेद्‌ लप्ड' यष्-बद्य-शचकम्‌ चल तस्‌ अमाव न्यः सवेदा यदवः wea पिबेत्यथेः-रति fae | ६०्क,

——__—

४७४ सामषेदसं हिता | [रप्र०१,४,९

खथ नवमो | विष्वाभिन्ोगाथिनोभोपाद sear वा ऋषिः | १९ RVBlT VW ९? २? 8 १२ णनद्रपुक्तकासुचिन्नम्यम्तनूषुषेद्धिनः। ६२ ३९ सचाजिदुगपोरस्यम्‌ < ९१७

Xt ब्‌ <

,1,44 1 एद्रए्रसकासुचोईदे। SFMT | तनृषुरधादृूहाः

7 4 श्नार। साचाजिदु। अपौररेरएसियाउ। वा३। अरण्या २४ WLS

वयं खल्‌ “स्तोतारः” “स्मसि” खः भवामः। “सोमपाः”

०29 66 ०११

wae पातरिग्द्र! “लं” “मः” अस्मान्‌ “fora” प्रौश्यसि

९९१६

६६ 99

हे “इन्द्र”! “््ु"(९) ware “arg faq” कारूपि © Comp 9 9? = ¢6 99 es ae 6 ५.२ ८८ सहि 9११ नः" rere “तनूषु” अङ्ग “म्‌ श(*) बलम्‌ “शा Wig”

“~ ¢ $ # 'वामदेवस्याघम्‌"-इति fae |

I अरभोपादस्य ओदलस्य ara!

(९)--श्पुखौ सन्पके -पत्यस्येदं रूपम्‌, Swe यद्धं याग-कियायां TATA देवः

ससा पुक्‌, ATS TY साग-श्रियाखित्यथेः-दनि fae |

२प०२,१२,१०] न्दभ्राशिकः। me अथ TAT | खुतकक्त ऋषिः

PR १२ २३९३१ WW ३२

एवाद्यसिवोरयुरोवाश्रउतस्थिरः। | 32,

PRRTR EC

एवानेराध्यम्मनः १० ११८

इति चतु्थ-द्शति

चैर श्र

1 खारोदश्रसिवोरयः। शवाशूश्या रः। उतारकर 7

समन्तात्‌ स्थापय हे “उग्र” उद्ुल-बल ! इन्द्र! “सवा- लित्‌"(२) हादशाहादिभिः ga: जौयमानो वभीक्रियमाणः सन्‌ “Tieng (“aa हितं. फलम्‌ “or धेहि" प्रयच्छत्यथ; ves ९१७

९१८ उन्तरार्थिंक्षस्य २,१,१८,१ = BATS ६,९२०.२ = अगा मस्य 2,2 | I श्रामदौयवम्‌

(2)\—‘avaaa चनम-इति fac: मङ्शमिति लिचण्टो बल-नामसतु (२,९) चन- नामसु (२,१०) उभयव वब दशत

(२)- खडा wa wt org रूत्यथेः"-दति fare |

(४) -“वोखल्‌ वरम्‌ इति वि० ‘Ttenfa-<fa wemag. चतुनि'शति वमन्‌ २,९। |

४७६ सामवेदसदहिता | [रप्र०१.४,१०

र्‌ x bo R ¢ स्थिराः। आदू वातेरा। धियारदेन्माउ। बारेलाषं १११ ३४५ २५॥ १८

हे इन्द्र! a “वोरबुः"() वौराम्‌ युद-कमखि waar wy शन्तु कामयमानः “एव रसि” भवसि खलु “हि” प्रसि अतएव त्वं “YU” सामष्यंवानेव भवसि “sa” अपिच “खिर” Teme धयवान्‌ भवसि। [एकत्र स्थित्वैव -शशरुम्‌ सम्प्रहरसौ- त्यै; ।] एवं सति “ते” तव “मनः” “cna” स्ततिभिराराध- alana; यतोऽनेन मनसा त्व गवत्र-वधं weary चर्यादिकं करोषोति तत एव मन एव सवः स्सत्यभित्यवः ॥१ on ९९८

वेदार्धंस्य warts तमो ere’ निवारयन्‌ | मर्षा खतुरो देयाद्‌ वि्यातीषं महेश्वरः ॥'

इति सायणाचार्य -विरचिते माधवोये सामवदाथेप्रकादे कन्द]गाख्माने दि वीयाष्यायस्य ददः खण्डः Hon

इति ग्रोमङ्गाजधिराज.परमेखर-वेदिक-मार्म. भवतेक-तरो-बोर-बक्ञ-मृपाल- साचाग्-धुरन्धर सायरूाचाये विरचिते माधवीये सामवेदाष- प्रकाशे कन्दो न्याद्धाने Cees डितोयोऽष्यावः

[मीम

(९) "कप च्छन्दसि (२,२,१०७०)'' इति उः। aE Gare (0,0,84)"-18- Dred raray |

ae निःश्वसितं वेदा यो बेदेभ्योऽखिलं जगत्‌ निमे तमद्‌ वन्दे विद्यातौधं-मरेश्बरम्‌ २॥

अथ ठउतोयाध्याय शार्यते |

अस्िव्रध्यायेऽपिश्न््रः स्तृयते

चोऽशोति रभित्वेति,९) बहत्यः(९) सकला अपि | नहिवो(९) मारुतौ aa प्रमित्रायेति(*) संस्ततिः |

(९)--“अभिनाबरनोतुम'-दत्यारम्ध-- “विव चिथेव्यकाः way दशतु पठिताः |

(₹२)--वडतोच्छन्दस््नाः | अषटचववारि शद चरा वतौ, दन्दः-स भ-प्रसिद्धाः; अथर कड न्व नताया भिय दि-भावेन पादः प्यते-खाधिक्धंतुन दोषो वदिकानास्‌। “वदते afcatwra (९,१२)” रति नेशक्क-निवेयनम्‌ “नानो सेव निषदं सौं WIA TRAN fa ET, खत cate याख्डन--““खतुष्टबदुोभनात्‌”- एति \ Sur way चतुर्भिर शरः परिव हिता वडतौत्युखते |

(₹)-- डिवश्चरमश्चनः-दृत्यादि खमिनेति-प्रथम-खष्ड-मता नवमी |

(४)--श्रभिभावग्रायं भूकेर्त्यादि अम्‌ष्यष्विति-दतोष-खष्ड-गता eater सेयमा- ित्यानां sa fa: खादित्य-देवताकत्यथेः |

<+ 5

you सामवेदसंहिता | [प्र ° १,५,१

अष प्रधम ge सेषाप्रथमा | वसिष्ठ ऋषिः | 2 | | ३९ 2 अभित्वाश्टू रनोनुमोदुग्धाट्‌ू वधेनवः।

अदित्याना मथेन्द्राम्नोश्रपा(*) दिन्द्राग्नि-संस्ततिः | श्रण्डित्यक्ता शचोभिनः(९) कुष्टेमाउवाभिति यदा कदा(०) वारुणो स्याख्वष्टानो(>) ag-eaar | उषस्या na’) इत्येषा ब्रह्म बट्‌,”) सूये -संस्तवः | दूत्येकादश(*९) ताभ्योऽन्धा te कोनसप्ततिः

()— इन्दर ग्रोचपादियम्‌'-इत्यादि थोराजेति-पषम-खष्ड-मता भवस

(९)-- अवोभिः चोयस्‌ इत्यादि रतखलोति बट -खष्ड-गता पञ्चमो (कृषः कोवाः-दइत्यादि प्रत्य्द गत्यष्टम-खष्ड गता तृतोया “दमाखवान्दिविद्धये रत्यादि aaa we दितीषा | खासादकवयाशणं fea देवता sar कथिता वेदविद्धिरि त्यथः |

(9) --“बद्‌ाकदाचमोडव-दूत्यादि इतखतौति बह -खष्ड-मना बटौ |

(c)—warntee वचः- रत्यादि इमद्न्द्राये ति सप्नम-कष्ड-गता स्मौ |

(९) -प्रत्यश्चद च्च Cafe खटम-खष्छोषाद्या।

(po) —‘ngasitecacs-tatfe “गकिटमिम्यादि-दितोय-कष्डोव-ततोवा ¦ वख मदां सि cane "योरालेति-पश्चम-खष्ड-गत चतुखो ; त्र्य व्यथं मनः aft: त्ययं मनः एुये-सञ्ञवः सथर संख.तिः सूये-देवताक Tae: | |

(११९)--'नडिगोः-इत्छादि कथिता waren यथा-कयथित.दवताकाः, ane रकाद. म्बः WA अन्याः रकोगसप्रतिः Ca केवलेन्ध-देवताकाः इति इसदध्याये खरतानामभितिसङ्द्याकानारवां देवत-षड =

| ] erate ©. RT ३,१,१ कः | oe xt रर दै

दशानमस्यजगतःखडहं शमीशानमिन्द्र तस्यः

Rt ४.

1 अभित्वाशू। रनोनुमा रः | भोईनृरेमाः। आदु- ;;, श्र 5 ₹२ ` MATS वधादनवारः। ओडनारेवाः। WITT ATT १२ 4 १९ रर ‘4 जगतः। सुवादु श्म्‌। आदुरेशाम। अदशानमि WT

RAG | भाररे। BRI TRV! WRATH

१९ ९१११

सुषःसथुषार२४५;॥ २९

धर 2 शर ५४

IL अभित्वारशुरनोनुमाः। आदुग्धादव धाना ए, 1, 2“:

CR

रउवाः। भ्ादूशनमस्याजग। ताः। सुवर्‌ २२५-

र्‌ स्तरा्चिकस्य १११५१ १.१ = ऋग्ब दस्य ५३२,२१,१- WTC TS २,२१- २८ ४,२,२-१५- ५१० = ऊडगा- नस्य १२,१८-२२,१-१२ == उद्यगानस्य १,१-३,५--५, १५॥ |

LI] भरदाजस्याकों हौ ¢

४८० सामवेदसंहिता | [ २प्र० १,५,१

रर UC R र्‌

शाम्‌। शशानाररमो। द्रातस्छुषः। इडाररभा४२ | २२४४५द्‌। डा २७॥ !

~ mz (१) Cpa “grey” “sara.” जक्मस्य(२) “शशा

१9 & ¢6 ,११ चे © : ~

नम्‌” teat “ree.” खावरस्य चेशानम्‌ [इगानपदस्वा

हत्तिरादराघौ(९)] “खद गं" सर्वश *) “त्वा त्वां “agar ~ “~ en

ca waa” यथा अदुग्ध( धेनवः aC qa वत्तन्त-

तत्‌ सोम-पूशं-चमसत्वेन वत्तमाना वयम्‌) “aft

नोनुमः ेशमभिष्टमः॥१।१

[क Ee

(१) शुर ! विक्रान !-दति Fate |

(x) —farcwerce “खस जनतः" र्यं शख विरेष-याष्छाग कुवन्‌ "तच्छेषः Wace इति यख्य ANTICS TENN APTN GIG: त्या |

(९--विवरक-गये रकसेष्ान-पद अस्त्यनेन सम्बन्धः WITS तु TAIT अरमित्यथः |

(४)- खः चादित्यः तमिव यः पश्यति सः खद्‌ क| खादित्समिव ote naa ब्टारमित्यथैः इति fre “खरादित्यो भवति ; चु खरः, ULE: खतो रसां re at are च्योति्षां ख, तो भासेति er’ इति ने ०२.१४ | fare} fea wife. त्यख साधारणरनामसु ‘a:’-tfa प्रथमं Tea |

(५)--“अचिर.प्रसृता मावः VEE नो चन्त ; ताः बथा WTA Tee @wURe मनसा अद्कारादि्भिरभिनन्दनि तदत्‌ मरत्यथेः'-इति वि° |

२प०२.१,२ | छन्द प्राशिंकः | 8८

अथ डदितोया | भरदहाज ऋषि * | YT रद्‌ श्र श्र 2 त्वामिद्धिदवामदसात्मै+वाजस्यकारवः। |

१२ २१२९६२९ रेख १२

त्वाव चेधिन्द्रसत्यतिन्नररूवाङ्ाष्टाख्व॑तः

qt Vet र्द ` I लामिद्धो। खारमदे। Bri ओ्रौरशावाषाउ-ष्ा : 7४ % श्र द्‌ १९२ 4

वा३। BVI | सातोवाज। RAT RTS: |

दर श्र ओरदोवादाउवारे। ऊरे्पा। त्वाड़वादषुद्र। द्रसा = Tt रेत्यतिम्‌। atl ओर्दोवादाउवारे। ऊर्पा | १९ at a र॒र रए नरर्ांकाष्ठा | Sansa: | ओीरदोवादाउवार | श्‌

ऊहेरेदृश्पा २८॥

% “संयोराषम्‌~इति वि० (साता-इ्ति ऋम्बदोयः पाठः।

उत्तरािंकस्य२,१,१२,१ = ऋमेदस्य९,०,२०,१ = आर - , ९१क,

BTR | सामवेदसंहहता। [३प्र०१,५,२ ब॒ र्‌ 71,29 7 त्वामिदिदवामद्े। सातीवाजोवा। स्याकाश्रा , Te त्वाव जाट्‌ षुट्‌न्रसत्‌। पातिन्नाारः। वत्वा श्‌ |. श्‌ ° RAB सुञर्वाररतारे४दः। शओओ२२४५द्‌ | डा WEN? “कारवः स्तोतारो वयं “arse” sere “सातो सम्‌ भजने निमित्तभूते afa(’) “ce” ! “arfafe” त्वाभेव हवामहे” सतिभि शरयामहे & इन्द्र ! “सत्पतिं सतां पाल- यितार ओष्ठः at “नरो नेतारोऽन्येऽपि मनुष्याः “aay आवरकेषु way सक्र) “हवन्ते” आद्यन्ति भजनाधम्‌ श्रपि “श्रवंतः'" अश्वस्य (२) सम्बन्धि नोषु “काष्ठासु” TAT: WT तिष्ठति arg काष्ठासु संग्रामेषु (*) युख-कामा त्वा मेवाद्यन्ति अतो वयं त्ाभेवाहयाम CAA WRN

Wa प्र०२७-हि०२र्‌ =-ऊरे हा०१२-१७--ऊद्चे प्०५- ° ६-ठ०्डि०१-प०१६९--१७

1 इन्द्रस्य, भारदाजेद्े।

(१९)- “साति लाभः, तस्मादियं निभिक-सप्नमो-दत्यादि fare |

(२)-- यख भावेन भावरच्कस'-दइति चव सप्तमो। THAT BUA Gtafmarce मध्य स्तव्यम्‌ तथा TAT इनयेष इत्यथः |

(२;--“खव'-इति frre} खश्चमामसु TAT (१,१४) | "वं तः अतावित्यख जननर्वत्यादि बि^।

(४)--“काहाद्लब्दयन tfeawy ्ापठच्यन्त, तस्मादियं निभित्न-सप्नमी, 8 मिभिन-भूतादु। तदथं" तामाङ यकोत्यथेः अथव" -एव्याडि fae |

२प०२,१,२] इन्दग्मा्चिंकः | ४८३ अथ हतोया |

वालखिव्या ऋषयः # |

VW MTVU २२१२१ १? ३१२ VR अभिप्रवःसुराधसमिन्द्रमच॑यथाविदे। : १२३९२ १९२ १९२२ २२ ३१

योजरिढभ्यो मघवापुङ्‌क्सुःस्खेणेवशि क्ति 8

१द्‌ x R al

y I अभिप्रवाः। सुराधारदसाम। द्रम याथा-7.।,36

शद्‌ १विदा रः द्‌ | योजार४रित्‌ | भ्योमघवापर्१बाङ्र ly yee,

AT Tt TRL 2 TUS | खारद्ण्ण र२४भी CAT वशिसतीर४५॥२०॥ > . क: 3 Rr

TI अभाट्प्रवारेः। सुराधाररध्साम्‌। इद्रा-ण,/, ~

# "वामदेवस्याषम'-इ्ति वि |

दे SMUT HA २,१,१२,१ = कम्ब दस्य ६,४,१४,१ ~ अष-गानेऽतर चत्वारि सामानि ; दिण०्१-स०्हा०११-१५ अद्य गाने wee दितौय।इ.ज चत्वरि सामानि 9-१०

११-१२दइति।

III eraa 1

६८४ सामवेदसंहिता | [रप्र०१,५,२

५द् द्‌

मर्चार३। यारथारश्मौशोवा। बोरथ्दे। योजरि

VI UC ९२ दर्‌ रे R

उभ्योमघवारपुदूवसुः। TAT खेएेवा देशाय) क्षार

४२ दर र्‌ श्‌ १९ ६९१९१

तारहेश्मी्ोवा। सुभूरेतयेरर४५ २१

५४ द्‌ 2 RT BT R

(.2% ILL अभिप्रवःसुरा। waredrera! आद्द्मशवं |

श्ट २९१९ R

यथाविदार३४द्‌। Meet) योजरिटभ्यः। माघारर

A R १९१९ x 8

a

वा। पुरुर। वारेष्सूः। सदसत णादषादेशा | Sa

द्‌

३। क्वारेतारेश्ीदोवा वारदधसू २९॥

“पुरूवसुः” पश्डादि-धनोपेतः यज्रादि-वाषुस्वाहद्-निवासको वा “मघवान्‌” “यः” इन्द्रः “जरिदढभ्यः"' स्तोतुभ्चः(९) Tea

AN 99

qeaqua’ awea-aeenaa धनेनेव(९) “शिचति"(र)

{भभ

| स्यतम्‌ |

(९)-जरितेति लो तुगामसु हितीयं परम्‌ नि ०२११९ |

(२)-^वरलेखेव प्रकाररवेति वाक्वयेषः, बङभिः प्रकारेरित्यथः' -दृूति fae! (३)--भिचतीति दान-कलमु WTA पदम्‌ fog, ze |:

270 8, 2,8] छन्दथ्रा्चिकः | | ४८१ अथ Set | नोधा ce स्तोति।

१२ ६३१९३२९९ TR RUT श्र

तं SMITE वसोर्मन्दानमन्धसः। | | 4-6

R श्ट २९१२

अभिवल्संनखसरेषुधेनवदृन्द्र गौभिनेवामद्े

४४ 8 % रर UR

1 तंवः। एदास्नाम्‌। ऋतीषदम। दारद। 7,/.32.

पष्वादि-वहु-धनमस्मभ्य प्रयच्छतोत्यधः इन्द्रः “यधा fae” यथा श्रस्माभिविन्नायते तथा हे ऋविजः ! “वो” यूय (५) “सुरा धसं" शोभन-घनोपेतम्‌ “xm” परमे ष्यं युक्ञं॒टेवम्‌(*) “रभि” अआमिमुख्येन “ara” प्रकर्चे गार्चत(?॥ २॥

SUCH १,१,१२,१ = ऋभ्व दस्य ६,६.११,१ = HET नव सामानिप्र०्९-षणन्डिण्१४-त०५-ट्- चतु १०- सप ° ४-८--१७-ष्रष्टा ०१४ = ANIA चतुर्ध- दितौये नवममित्येकमस्याम्‌ |

I प्रजापतेः, नाविकम्‌ |

(४)-- वः त्वामिन्द्रमिति वि०-समतौऽथेः | (५)--“हमल्तजाः परमेश्व रत्व-नि मिनतन्द्र-गरग्द-वाश्थाः-ष्ति वरः | ()—sre-arw retteren वि०-सम्मतः।

४८६ सामबेदसंदिता | [३प्र०१,५,४

; १९९ र्‌ र्‌ . अरा | इदा वासोर्मन्दानमन्धसादः। ETRE भा RT TU Se

SHAT | इडा अभिवल्सन्रखसरषुभेनवा रः | दा रद्‌

र्‌ १९ LR STH | TAT) TRA! दारद। BTW

१२ श्र द्‌ ददा! MAT! | नारर४अरौदोवा ATT SLY he zi vs 8 चै

71, 3% IL तंवोरदारेस्ाख्टतौषडोवा बासोमन्दा न-

2 Bat ९९

मान्धाश्सा रः। आभिवत्ता२१२२४म्‌। नखसरे। षुधा-

इनाश्वारः। इन्द्राङ्गाशदभारिः। नवा३। मार२४५। 2 १९९६९९६९

दा २२४५द्‌ २४॥

2 ut B Bt RR ¥ |.

, IIL तंवोदस्मष्ठती षद्दाश्रारद्धवा | वासोमन्दा-

नमन्धासा रः। भाभिवल्सन्रखसरेषुधेशनावा Vi | भोदवा |

© Il अभीवर्सस्य इन्द्रस्य वा, श्रभोवत्तम्‌ Ill silane, भागम्‌

२प०३१,४] कन्दश्रािकः | ४८७

2 AC R १९९१ इन्द्र ङ्गा रर०द्र्भीः | नवामा२२४५ दा६५६ई भगारेयारर By २५॥ | 9 R ४५द्‌ RR र्‌ सोरम IV तंबोदसूष्टती। षष्दाहम्‌। वार२४। - | 1d be र्‌

न्दानम | धासाः। अभिवल्सन्नरखसरषरधादर | ATRIA: इद्र क्गी्भादनीरेवा | शदम्‌। इदम्‌ RAH! नवा-

R |, नवोरदृवा। ATURE RTT २९॥ veut V ताररम्‌। वोादस्नष्ठती। sre) | aara-V7,/,37 2 R र्‌ १२ न्दा। नाइेमान्धारसाः। भाररभी वाद्सन्न। सखस cs « गामिव UE] षृधनाररध्वाः। आरडदन्राम नवो

रेरश्वा -ATRRVT *॥ oi

IV श्रभोवक्षः। ` नोधसम्‌

ol दूति Ta गेय गने षषश्या्ं प्रपाठकः |

ha सामवषेदसद्िता [प्र १,५,४

हे ऋत्विग्यजमानाः ! “ea” दशं नोयम्‌(९) ““ऋतीषहम्‌" Waal वाधकाः Waa: तषा मभिभवितार (९) पुनः कौदृशं ! “वसोः” वासयितुदुः खस्य विवासयितुः (यहा, वसेः ort प्रति वसतः(२), ताष्टथस्य “अन्धसः” सोम-ल क्च णस्याव्रस्य(*) पानेन “मन्दान” मोद्मानं “वः” यष्टव्यत्ेन युखन्सम्बन्धिन तं तादे afar गोभिः स्तति-लक्षणामि afin: “रमि नवाम” (नु स्तवने, नु शब्दे) अभिष्टमः कुत्र “स्वसरेषु” [रर याखः (५,४)--“सखसराण्यषहानि wafer खयं सारोख्यपि वा स्वरादि. त्यो भवति एनानि सारयतोति सय-नेत॒केषु feaey,") वय मभिष्टुमः भ्रभितः शब्दथामः] त्र दष्टान्तः- "वत्ष a” यधा धेनवो ATTRA गावः खसरेषु (सृष्ट, श्रस्यन्ते प्रे धन्ते गावो- safa waufa गीोष्ठानि वेषु) aa मभिलश्य wate

तदहत्‌॥

(१)- तु TE उपशये -दत्यस्येदं रूपम्‌ ; उपदयितार जलाम्‌ -दति fae

(२ -- “ऋतयः सेनाः, मकल्वात्‌'-द्ति वि०।

(2) वि०-मते कचि rat मम्दामः-इति रोफ-शून्यः पाढः। Ware त्वे "वसो ! ्रष्सठधनवच्धिन्यथः। ‘a: त्वामिति are: तदभिमतः।

(४)-“अन्धः एतान्च-नाम, Warne मवति,-इत्यादि Foyt |

(४)- शखसरोषु यागग्टदषुः-द्ति fae) खसराशौति उटह-नाभमु द्मम्‌ नि०३,४।

ATOR, 2,4] wSeate a: | ` ८६ अथ Tua! कलिः प्रगाक्षिः*# | १९३ १९ २९६९ ९१२ तरोमिर्वाबिददसुमिन्द्रपसबाधतये | |

शश्र शेर १२ २९२१७२९ १२

बृद्धद्गायन्तःसुतसोममध्यरड्वेभरनक्नकारिफम ५॥५ + §

| १९ 1 Wa) तरो भादवाविद्‌३१उबा२३। ARABS) «Lj

| (st ष्ट > XR र्‌ इनदारदरसबाधतयरे। TUT! YRTSYS! वा २। एर द्‌ श्रद्‌ श्‌ RUT x

गायतःचुतसोमे WAC | ङवभाररराम्‌ | नाकारिशम दडारदेभा२४२। WAT! डा १॥ ४५ , IT तारो। भादूवाविद्‌ार१वा२३। वार३४सुम्‌। 4., %

LSS § WMT LK

CRIT AAA | ब्रषाङ्गाश्या २। ताःखतसोर |

# ‘arama -sfa बि०

SUTRA १,१,१४,१ = WT दस्य ६,४,४७(२०)१ ""'उ्ेऽस्यामषि सामनी प्र०ऽ--द्‌०१५।

1 लोशेदे। ९२्क,

४९० सामषेदसं{इता | [३१्र०१,५,५

ब॒ ररर Rk x

मे्ध्वराद्‌ वेभार्रराम नाकारिणम Tete

र्‌ भा२४२। ओर२४५द। डा

| र्‌ 2% गा तरोभिवाविददासुम। cara! इद्रप्स

< १२

बाधादेऊताश्याश्ड | THT बद्रायन्तःसुतसोमाः

ब.

माध्ना्रारद। BAK छवेभरन्नकारिणम.। WT

रदभा२४२। ओर३४५द STH २॥

४ब्‌ ब्‌ - , र्‌ :,4# IV तरोभिर्वोविदा्दासुम teva! R २१ श्र

रतारेदेध्याद्‌ | TTA TETAS! AH गायन्त

रेर श्र R xt

सुतसोमेञ्ध्वर। वे दोदभारर्राम नाकारिणम्‌।

५९ दइडाररभा२। ओर ३४५ डा ४॥

a ee

TIT धानाकम्‌। IV धानाकं च्क्ञककालेय वा।

2 प०२,१, 4 | कन्दभ्राचिकः | ae set V तरोरदेभिवा। विदाभदसम्‌। दध्सबारधाऊ- FT, 2, 5 R

$ श्तायाइद ओरध्वा। भोरर४वा। बद्गायन्तःतुत-

ऽर रे |

+ x सोरमाअध्वारा३दई्‌ | WV | WieVsay | डव दइभराम्‌। दे |. नाकारार२९दणाम WRAVAT | अार२४५२द्‌ | डा ॥५॥ 4 ऽर VI तरोभिवार। विदद्यार२४सुम्‌। TRVAFIZUTVT, 2, © क्‌ ^)

HATA eT WANA | WAIT बृत्रायन्तः

st % 9

GAAATHEAT UT ez | ओररोरवा। अीरदोरवा।

|. : डवाद्रभार्रारम | ओीरेदोरवा। ओरदोरेवा। नाका x

रिणम्‌। इडाररभा२४२। ओरद९५द्‌ डा

9 ध्र 8 रश RAT

शा तरोभारदबाविददतुम्‌। इन्द्रारसवा। waa-V7,2. |

V,VLVII कालेयानि Ria

८) ~ „^< Aust Nes eee Ae १. "१०...८ <>} ~; baad, ८, ~‡+ (1 ~

४९२ araceafear | [शप्र०१,५,५ g | $ Bat = याररद ब्रदद्गायार। ताररः। सुतसोमे घ्वा-

x ९.२ ¥ 8 RUT | ङवाद्रभरो वा्भीरध्वा | नकाप्रिणाम

8 Sur! We ny

ऋत्विजः ! “वः” यूयं “तरोभिः'” वेगवद्धिरण्ेरुपेतं वेगे- रेव a) “विददसु वेदय्दसु धन-वेदकम्‌ “sm” “सवाध” बाधा-सहिताः(र) “aay” रथाय “हत्‌” सामे तव्चसश्चकं “गायन्तः सन्तः परिचरतेति fe: कुचेत्य ते ? “सुतसोमे श्रभिषुत-सोमक्षे “Mat” ay सोम-यागे। we ace “ea” areata कमिव “भरं a” watt कुटुम्ब-पोषकं “कारिणं” ख-हित-करण-गीलं यथा, ख-हित-करणशायाद्रयन्ति षश्रादयः, तदत्‌) तथाभृतमिनद्र इवे इति ५११

(९)-'तरोभिः खआवोयेवं शेति वि० | तरति weary पञ्चमम्‌ |

(२)--'खबाधः acter: ऋलिजः-एति fae) सवाभ इति कटविद््‌-गामतु सामं पदम्‌ नि०१,१८। |

(द)--वि०-मये (भरेकारिवमिति पाठः। किच्च भरद्त्यख सङ्कामे इति, कारिकमित्यद्छ oyra-aifed, प्रतियोद्ारमित्यथेः। ऊवे-एति उतषम-पुडषेकवदमष प्रथम-पुरुषवबङवचनस्य्ा्यै | तथायोह्ः- "यथा सङ्गमे ster प्रतिहारं मता यन्न खादयति, ARTE यकीत्यथेः-दति भरेति free} सङ्गाम-मामणु

पद्चमनम्‌ TREX, १७ |

२प० २,१,६] wefan: | ४९३

अथ बटो | वसिष्ठ ऋषिः | ३९ 8 रे रहिषासतिवाजपुर 2 तरणिरिच्विषासतिवाजंपुरन्ध्यायुजा | 4४.

३९१२ १२ BR RM eT ३१९०

AACR RRA नमेगिरानेमिन्तष्टेवसुदूवम्‌* ॥९॥

6

8 VTL VL I acfada.| सिषारसाती। वाजांपुराम धि-7.1..४ १९ +९ २१२२१ रर्‌ ¬+ (4 यायुजा। AAW FERIA! नमगा- ऊ. र्ट ६\ ११११ + 2,६.८८ 7 दरा। नादमोरन्ताष्ट | वासुद्रुवारदश्धम ॥८॥ + Ted

R IL तरादाउ। पिरितौरषासति। ware RL वा, ५, q

जम्पुरम भियायुजी दोवारेदाद्‌ आवद पुरुड-

% “सुद्धम्‌ दति कपाटः |

उस्षरार्चिंकस्य २,२,१२,१ = ऋम्बे दस्य ५,३,२०१५= ऊहे feata उनविशतितममेकमिदह गानम्‌ |

1 tfax =

४९४ सामवेदसंहिता | [रप्र १,५,६

x ङ्‌ द्‌ तम नमादगादइरी। दोवार्दाद। नेमिन्तशेवाइ सि 8

सा। ओरेदोवादा३४अौदोवा | उप्‌ TREAT Het

४2 But "र 8 क॒ ४४ ct 8

1119 Il तरणिरिल्सिषा। सारतो वाज्य रन्ध्यायुजा

शद्‌ द्‌ < र्‌ = वाजम्बुरन्ध्यायुजा वभा रटे न्दार२४म पुरूडतन्नम | र्‌ | १९

WAT | AMIENS वसुद्ुबम्‌। इडारदभा-

३४३। ओर३४५द्‌ STH १०॥

४२ ३५ UT 1४तरणिरिल्सिषा तोर areas! जम्य रन्धिया | श्र x x bs

युजा TAY रन्ध्यायुजावः म्प रुतन्नमा रद गादरा २।

a Rk x 8 हा रऊऊवाद्‌। नेमिन्तष्ट वसोवा््ोरहेध्वा | TuarE RTE १९॥ “तरणिरि १८९) युादौ कमणि त्वरित एव पुमान्‌ “पुर-

~~~

IIL, IV were et (१)-तरशिरिति चिप्र-नामसु प्र्षविंश्तितमम्‌ नि०२,१५। cared: | fae-

सतत्‌ इत्‌ पादपूरणे

RT 2,29] छन्दश्राचि कः। ४९५

चथ सप्तमी |

मेधातिधि ऋषिः।

१२ ८१२३ २३ २९ द्‌

पिबासुतस्यरसिनोमत्खानदन्द्रगोमतः। ८२

१२९२३ k ३९२

‘2 आपिर गोधिसधमायेवधेरस्मारमवन्तुतेधियः ॥७॥७

४४

1 पिबादेसुतस्यरसिनाः। मत्खानदरद्रगोमतारेरदोद्‌ {` ˆ,

न्ध्या" महत्या धिया(९) “युजा सषाय-भूतया “वाजम्‌” vat “सिषासति” aaa “gega” बहुभि राइतम्‌ “og” “गिरा” स्त्या हे यजमानाः ! ` वः” गुदम्‌ “श्रा नमे” तम- faq gai तत्र दृष्टान्तः-“नेमिंः चक्रस्य वलयं “aga ओभन-दारु' “ava” यथा वदकिः दारु-नेमि मानमयते तददित्यथंः

SHURA ६,२,१६,१ = ऋग्वे दस्य ५,७,२५,६ = ्रस्याखुथार ण्यक प्रथमे चोखि सामानि १०--१५-- जहे पञ्च Wot ०१५ १६ षोन्डि०१२ ््टाण्डिण्१६॥

1 ष्ठम्‌

(१)--"पुरन्धा qagr-<fa fae |

- a

४९६ सामषेदसषिता। [ ३प्र° १,५.७

रर रर र्र्र

या। आपिनिबोधिसधमादेवरधारर्डोदया। अस्मां

| ररवा | तुतादधारेरया३४२ः। ओर३४५१ डा ॥१२॥

J

द्‌ 12 IL पिबासुतर्खखरसिनीशाउ मत्खानदद्रगोमारेतः। [a qT LTT TVR ,

हा सारदध्वा | आपिर्नाबोधिसधमादियेवारद्र दाभ-

| श्र Vw RR RABAT | शअस्ञारुभवन्तुनेधारयः। दाभारेडध्वा FP २४५ १२॥

(| | EE गा पिबातुतरसछ्रसिनोमन्खादहाउ। ate: | इन्द्रार

me ct tt गोमतारदः। दाउ। शआपि्नर्वो। पिसाधमार। १९२ ° ९, ३९ दियेवृधा२१। हाउ WATT! दा। तुते ४र ११९९

SMV थारश्४्ओरौद्धोवा। धियर२४५ १४॥ हे “दन्द” ! ““रसिनः” रसवतः “गोमतः” गो-विकारः पय

Il मौक्म्‌ TIL जमदन्नेः, site: |

२प० २,१,८] डन्दश्रा्चिंकः | ९.9

अथाषहमी

भग ऋषिः

R १९२ २ख RN

त्वद्य दिचेर वेविद्‌ाभगं वसुत्तये |

९१९६१ २र२ ३९३१

उद्वावृषखमघवच्चाविष्टयउदिन्द्राशमिष्टये

प्रभृतिभिः खपसदरव्ये कशस्य (१) “a” wade “सुतस्य” अभिषुतस्य (क्रिया-ग्रहणं कव्य मिति कमणः सस्प्रदानलाचतु- Wa षष्टो) ted सोमं(र) ““पिब"(१) पीत्वा “aqe” मत्तो भव श्रपि “auara’ सह मादयन्ति टैवा अक्रेति सधमाद्यो यन्नः तस्मिन्‌ सहमादयितव्ये यश्च त्वम्‌ “arf: भापयिता(*) "वन्धः सन्‌ “नः” अस्माकं “aw” वदनाय “बोधि” वोध्यख | “a” त्वदोयाः “धियः” बयः अनुग्रहामिकाः wary wea "अवन्तु Tayo “सधमाद्ये. सधमाद्यः” -दइति पाठौ

उत्तरा्चिकस्य ०,२३,४,१ = BATS ६,४,२ ` (१९),२ = ऊदे ए०१६- etfs oO =A Toes | --भोण्ब्दे नाव * * * उदकान्य च्यन्ते, तदतः तैमिं तरितस्येत्यथेः'-इति वि०। (९)--*सुतख्यामिषतस् सोमस्य, ष्टोम शात्‌ रकदे शमिति Tie. इतिं विर | (१)-- चि पिबा एति दौधान्तःपाठः “qretsafeaw: (९,२,१द५)१.दति दोषैः | (५)--“खापिः व्यानः -द्ति वि०। आपानः-दूति arfa-aag षम्‌ नि०,६८।

&२का;

^. ^

Ber सामषेदसदह्िता। [ame १,५८

= र्‌ र्द Plt 1 तुषारेरदोरेएडिचेरवादू विदाभगंवस्‌ yaar र्‌ $ RTL

२३४ उद्ावरषखमघावान | Cer गा रक्ष्टिपाद्‌।

ङ्‌ उदिन्द्राश्चमोवारभारेद४्वा | BTA RTE १५॥

शद्‌ र्‌

" न्क,

7 2,16 1 त्व्दद्यदिचेराईवाद विदाभगेवसन्ताश्यार३४। ut ९. र्‌

पुद्दावषख | मा५घवान शआदडियाई। गविद्टायारे

Ct उदिन्द्रारखरश्वमी। ओओई९म भरदध्वा sua

+ 8 ewe १९॥

= “om “a fe’ तवं खल सामर्थ्यादातेति wai अत “ule” sree आरागत्यच “चेरवे क्रमपराचारवते(र) मद्य “भगं भजनोयं धनं विदाः awe era किमथम्‌! "वसुत्तये" श्रस्माकं वसुदानाय हे “मघवन्‌ धनवद्वि्द्र|

"“गविष्टये*२) गाद्रच्छते waa “sera” श्रासिद्धख(र)

LIl araraafes =

(९-भ्वेरः चेतयिता, तस्मादियं तादयथ्यं चतुथः, चेरवे श्नातुर्म मति feo | (२)--द्ष च्छायामित्यश्यदं रूपस्‌ | (दोष सष अष्‌ सेवने-दत्यस्यद्‌ रूपम्‌।

270 ३,१,६ | Safa | BEE अथ मवमी | वसिष्ठः परोचेख ब्रूते (९) श्र श्र 8 रे BT श्र ९२ नदिवश्चरमश्चनवसिष्ठःपरिमधसमे। wad ९९२१६१९२ २२ 3 १९२ R १९ अस्माकमद्यमरूतःस॒तेसचा विश्वेपिब न्तुकामिनः Ne.

४४ नदिवारेश्वारमच्वना। वेदो वसिष्टःपरा- 7. 1,14/ एर ६३१९, दइमरटसाता रइ | अस्माकमद्यमर्तारः। सुतादसा २३४ ¥ २९ चा। वाद्रशवेदे्ोदह। freee) तुकार३े। मारद्रना द्‌ र्‌ रे १९११९ रदश्मीदोवा। जनितचार२४५म १७॥ Rg 2 8 % 11 नहिवञ्चरमम ware) वसिष्ठाः दोद्‌ 17, 2, /4 2T & We | परादमरसाताररथ्द | अस्माकमद्यमरूतः। सुता गाभितिशरेषः। तथा इन्द्र! “अश्वमिषटये” अश्वेषणावते मह्यम्‌ श्वन्‌ “उइाठष ल" भासिञ्चख(*) देहोत्ययः ८॥

/

| ~ 11 वसिष्ठस्य, जनित्र इ। (४) दिति उपस्गमम्थासात्‌ वाहषखति fargrarst |

(yj —afawarareata:’- cfa Fas |

Ps a

Yoo सामषेदसंहिता। [इप्र०१,५,१० अथ दशमो

प्रगाथः कारवऋ्छषिः।

शश्र Re १९२ BU R मा चिदन्यद्धिशर्सतसखायोमारिषण्यत। २९१ ₹२ ३९१२९२३} १२ ष्ए्र रेर३१ TR AAA तावृषणरसचासुतेमुदधरूकथाचश्ररसता१०।१० दूति पश्चम-द शति * 9 १९१ रर १. १९ इद साचा। वाद्रश्ेपिबन्तुकौरे। शोरश्ये२। ARTA ४ैदट R १११९१९१ | रेदेऽ्रोहोवा। जनोरतचरारदध्पम ec हे “मरतः”! “वसिहः'' एतव्रामा was “वः” qua मध्ये “चरमं wa” जघन्यमपि “a हि परिमंसते”(२) वजयिला स्तोति किन्तु सर्वानेव gang स्तौतीत्यथः “अद्य भ्रखिन्‌ दिने “्रस्माकम्‌"” भद्दी सुते” सोमे श्रभिपषुते सति मरुतः "कामिनः" सोमं कामयमानाः(ण) “faa” सबं “a’a सङ्गत्य “faqay” पानं कुन्तु | “पवन्त॒ “पिवन्तः दति पाठो५८।९

~ -----~ ~ ~~~----~~

>

१० उत्तराक्िंकस्य ६,१,५,१ = ऋग्वेदस्य ५,७,१ ०,१= HE ष०१५।

(२) -प्रथमपुखषेकवचनस्तमपुरुषसकषचनार्ये"-रति fre | (३)--/कामवन्तः ्रहावग्नो भूत्वा पिवन्त, इत्यथे; -इति fae)

------ -- - - ~+ ~ -~ ~~ ~ ----

* दूत ठतोयसय प्रयमाद्धं; ॥.

२प०३,१,१ ०] छन्द्प्राचचि कः | ५०१

a 4 1 माचिटन्यदोडाई | विशादसाता। सखाया रेद्दो ए! 2 ,/7 रे Xl ATM रादषाउवा। Wrarsat) इन्द्र मित्‌स्तोतावृषणण Wee! साचाउवा। सताउवा।

श्र R

TRAIT WA! चशा। ओदो वारोरदे्वा

~

खे “सखायः समानख्यानाः स्तोतारः(\) ! इन्द्र-स्तोत्राद्‌ "अन्यत्‌" स्ताः “at fafesaa” मेवोश्चारयत। “मा रिष- ख्यत” मा fefaarct waa! अन्यदौोय-स्तोतव.चारणेन aa

चोणा मा भवत “सुते अभिषुते सामे “aqua” कामानां

८८ 9?

वषिंतारम्‌ ““इन्द्रमित्‌” इन्द्रमेव हे प्रस्तोच्रादयः! “am

9 9

सह awh “ain” WT “उक्था a” Tafa शस्त्रा-

fa चेन्द्रःविषयाणि यूयं “मुहुः” पुगः पुनः “शंसत vere

यत १०॥ १० दूति ब्रोसाय शचा -विर-चते माधवोये सामवेदा्थप्रकारे इन्पयोयाव्यानं इदितोयाध्यायस्य प्रथमः Se:

ATAATE RTT ve ॥१०

= ~ Se We See it eg ee ee,

———— -- ee ~~ ~~~ ~ ~~~

A ¢ - 9 1 7तिध, दबातिथवः।

(१) -`प्रमःथ खदोवान्‌ षटप्िज wre ° ° ° हेमखायः whan: —<fa Fee | :

_

^ . SAN i: +>

५०२ aaa (ear! [ ३प्र०२,२,१ aq दितीय खर्ड-- Sur Weat | wiffia: yazan रषिः |

WUT FE ₹९ २४१२१६१२

नकिष्ट कर्मणानशद्य्चकारसदावधम्‌ |

२३ 8१९२३१९ २९१९२ बद र्द

दन्द्र AAG (AAA MARITAL S धष्णमोजसा ede

र्‌ gust ¥ रर रर 2,20 I नक्जिष्टा*कमंणानशात्‌। यश्चाकारा। सदावु RRC RL श्र धाररम्‌। सदावुधाम इन्रान्नया। WT क्र x ४: ३द्‌ मारर््बसारदेम तद्धम्वसाम Tela) wat

At

HATLS | ष्णमोजसार४२। ओर२४५द्‌। डा २०॥

3 4B sic ¥ R

of Il नकिष्टंकग्मणानशत्‌। sex! यश्चकारेण

a -----

nn नाा ामाः

९९ उन्तरा {च सस्य ४,२,८,१ = ऋग्वद स्य ६,५.८,२ = Ae Woe |

a I बखानसम्‌ | I Qeewaa way वा।

२प०३,२,१1 छन्ट्श्राचिकः। ५०२ wer , सदावृधाम | भदनदरा रन्नायार। शो वेखगृर्तडश्वासा

ठेर र्‌

रेम.। अधा रेो१, WRU] दाभ्नोवा*। ष्ण एर २१११९ मोजसा२२४५॥ २१॥ ११ “a” यजमान “कमणा” इननादि-व्यापारेण(९) ““नाकर्म- aq’ नेव(र) व्याप्नोति,२) यः “oe” “चकार” इन्द्रभेवानु- 9 (८. 99 A ८८ कुल “aw.” साधनः छतवान्‌ | कौटगमिन्दरम्‌ “सदाहधम्‌” “सर्वदा ata “fread” सर्वेः स्तत्यम्‌(*) “ऋम्बसः” were") “ओजसा” बलेन “age” अन्धे धषितु मकम्‌ | “gay” जत्र शां धषकम्‌

“धब्णमोज ता'-“धष्वोजसम्‌”-इति चपाठो॥१॥ ११

"षिण eee

(१)--"रत्याश्मकमन' इति fare | (२)-- "न wfaxe: पिद्ाचादिः'-द्ति Fao |

(९) श्वो ऽप्ययं मनिर्विं-पूगो द्रष्टः अना यीं त-स, foray’ इति

feo, *नञ्जत्‌-दति ाति-कमेसु खषटमम पदश्च 3,15 | (४)--“खब्वकरणं वधाय wera’ इति वि° (५)-ऋभक्ाः-दति मन्नाम दशमं पदम्‌ मिं०३,२।

दर

* “OTM Ba’ -xfet sears: |

ee

५०४ सामवेदसषहिता.। Roane

अथ feta Haram मेध्यतिधि cer:(’) परस्याथ wat | ae RB १९२९२ ९१९२ ९२ क) यज्तेचिद्मिथिषःपु राजकवभ्यश्राठदः |

१९ Rk २३१९२ २१.१९ १९९९२

सन्धातासस्तिमघवापुषवसुर्निष्कत्ता*व्ितंपुनः ॥२। १२

४४ 8 t 124% T यक्रताइदचिदभिश्िषाः। पुरा रेजात्र 2 | aa १९९ x २१

ठदारेः। WATS SIT सान्धारेतासार्म.। UAT

ऽर TUR Rk 8

ASAT: | दवारा ATRL Ua eA

act द्‌ R

दो ATS | दा९२४। ओदोवा | ऊरश्४पा २२॥

“a? इन्द्रः “Cafafaa.” अभिञ्जिषः अरभि्चेषणात्‌ सन्धान

# “TRA <hr कपाटः |

१२ WMT ५,०,१२,२।

I waa (१)-प्रमाथष््याषम्‌ | We मदाव),रस्याभिमशन मनमया war ्रियतेदति fel

२प० ३,२.२३ Seufe कः | ५०५

चथ तलौया(९)

Se ee ace oe भात्वासदखलमाशतंयुक्तारथदिरण्ययं 4: ९२ ९३ १२९९

ब्रह्मयुजोदर यदृन्द्रकंशिनोवदन्तुसोमपौ तये २॥ ९३

४र ₹२ १९ रे 7 TRE 1 भावासदा। समाशार्तारम। युक्तारथेष्ि-प्ा 222 < TRAY ब्रह्मायुश्जा रेः | दारयद्‌ | द्रकादशश्टनारः।

x |. #ैर र्‌

वदान्तूरशसोर२। मारपार३४अहोवा। तारेरेधये २२॥

द्रव्यात्‌ “ऋते चित्‌” विनापि(९ “seat Wana: सकाशात्‌

“श्राठदः” भ्रातदनात्‌ आरधिरनिख्रवण्ात्‌ “पुरा” पूर्वमेव

“सन्धि” सेन्धातव्यं “सन्धाता” संयोजयिता भवति “मघवा

धनवान्‌ “पुरूवसुः" बहु-धनः इन्द्रः “विकृत” fated तं qa.” “निष्कती'" संस्कत wafa(") ॥१९ |

(९)--अचापि ‘qarererie’-<fa fire 1

१३ उक्षराश्चिकस्य ६,२,५,१ = WAH ५,७,१४,४ = रारण्यके प्रथमे हाविश्वतितम्‌ = जहे स०१५--ब्रष्टां fore -व्रयोविण्ढ०रे।

1 भारदाजम्‌

(२)--ऋते wet, चिदिति पद्‌-प्रकः'इनि विर | (९) साकाख्चात्‌ तं बय लमदति बाकेवरेषः | 3%,

०.६ सामवेदसंहिता | [प्र०२,१,१

. ४र 4 १९ रद्‌ .:1* ज्ौदो्रात्वासाईश। समाशाश्तारहे्म दा Tees <x R RT WI युक्तारथेदिरण्यये। ब्रद्मायुश्जारेरः। शादो रे ९. Xl WAL! द्रकादशाशद्नारइः। दादोद्‌। वदा- रे

म्तूर्सोर३४। शाश ANS! ARAVA «= SE. | 4 बाईदचाडउवबा॥२१४॥

४र at ४द 9 शद R

` TT ज्रात्वासदसमाशतमा | यु क्तारथेदिरण्यये ब्र

a RR R

ायुजदरयदन्द्रकेदारद। शादनारंदेः। ETAT xR WT , वचन्तुसोमपौा३े। SAR! FMRC भारशध्वा ९१९११ | उर२४५॥ re | | RT BT UT १२ दरद्‌ रे 24 IV आत्वाससमा। शताम आआत्वासष्हा। SAT ^ - rc RC

~ श्रतम आश्र हियारदश्चाद्‌ | युक्तारथेदिरण्यये

II भारहाजम्‌, Hees ATI LILIV arcers |

२प० 3,2,2] छन्द प्रां कः | yoo

श. R १९ WATTS: | शआरददियारदशश्ाद। शारयद्‌। |e

R र्‌ R

| ।, र्‌ ATCT LCA: | आ!रददियारः BUTE | वदान्त्र॑सोा- |

2 UT. र्‌ g

२३। अ{रद्चियारर्दाद्‌। मपो तारस्या३४३द्‌

२२४५१ डा २९१३

डे “इन्दर” “ar” त्वां “ave” सरसर-सस्थाका wa wet war: “श्रा वदन्तु" भ्रा नयन्तु भरस्मद्यन्नम्‌ तथा “र्त ' गत-सड्‌ःख्याकाच भवदोया WAT स्वा पावदन्तु। (rate दावेव री(९) तथापि तदिभूतयोऽन्धेपि बषवोऽश्वाः वहति। ननु युगपदनेकेरण्व; कथं यातु शक्यते इत्यत we— “gat: sfa) “हिर्यये” हिरसमये सखणं-विकारे (हिरण्य शब्टादिकाराथ विहितस्य मयटः “ऋत्व्य aren त्यादौ मलोपो

निपात्यते(९) तादे) “ca” “युक्षाः'' सम्बद्ाः (बहना मश्वानां

wea रथे नियुक्ञत्वात्‌ बु गपदेव सवै Ue aay WaT

(2) -'डरो wre’ fir निचङ्क-्ासनात्‌ (१, ९४,१)। (३)-- "क वास्यए-ब सखव्य--इरण्ययानि WAT (९, ४, १५५४) |

4b

Yor सामवेदसंहिता | [२प्र०२,१,४ wa तुथो |

विश्वामित्रो aara(’) मिन्द्र areata |

१९ RU FR २९९६२

आमन्द्र रिन्द्रहरिभीग्यादिमयुररोमभिः।

१२ रख १२९१९६९

मात्वाकेविन्नियेमरिन्नपाशिनोतिधन्बेवता द्‌ दि॥ ४1१४

इति भावः) rem हरयः “ange.” ब्रह्मणा परिठदेनेन्दर यक्षाः (यदा ब्रद्मणाख्मदौयेन स्तोतेण अस्माभिदं त्तेन हविषा वा युक्ताः(५ “केशिनः” केथाः dara उपरि eda: सटाः Aden: किमथेमिनदरस्यावहनम्‌ ताह-“सोमपौत- ये”(५) सोम-पा नाय | यघाख्मदीयं सोमं पिबेत्‌ तधा आवदख्छि-

त्यथः॥ १३

()—werwet ऽ्यमनति क्रम्य, गथ नुरूएमित्यथः |

१४ THU AS ८,३,३,१ -ऋम्वेदस्य ३,३,९,१ = ष्टा" हि०१८-एकवि०५।

(४)- Wu, तेन निमिन-भूतम oer, YT विशं चखा ज्ख भच खाय मनं ये रथे frac अथवा Sines wy, तम जिमिश-मतेन cet, ब्रह्मधजः। अथवा ब्रह्मणा प्रजापतिना GSMA FY ब्रद्मवजः

दति fae (४)--“म-षो-रेत्यादिना ह्नि रूपम्‌ पोतिरिति |

20 2,2,8] weutem: | ५०९

द्‌ < रे x र्‌ र्‌ I अआमन्द्रोरा द्रदरिभादर्याडिमयुरादरोमाभारदः। पा 2.2}

8 ४. ब्‌ मात्वाकादूचीत्‌। नियेम रेरध्रौत्‌ नपाशिनाः। अति R at

MTT २। वता८्२३। आरद चाररे४भो हेवा | वारर

४याः २७॥

BT UTA श्र ९१२ Il आमन्द्र खिन्द्र। दाधरिभादरः। ५४ रर भादः। मात्वाकारडद चीत नादूयेम्‌रित.। नपाश्रारर-

4 t द्‌ 4 (‹ श्‌ दनाः भतादधाररन्वे। AAG! भारद्शार रथी ९१९११

SAT | वयेरभोर९४५:॥ २८॥

४र षद रर रब

ILL आमन्द्र रिद्ध। दा५रिमोः। यादिमयुररामभा-.८.14 उ। aR) मात्वा र। कचिन्नियेम्‌रिन्नपाशिनाञ्रो

~ १९द्‌ Ale | भाती र! धन्व वतारश््रावाररे। ररी २९॥

LILI] wa, वाल्रारि We |

247

४५१० araaeafear | [awoze,y

we पञ्चमी| गौतम wie | VW रर ३९१ RL? त्वमङ्गप्रशश्सिषोदेवः श्विष्ठमल्यम्‌ | RFT at २३ ९२ Rez

नत्वटन्योमघवन्नसिमडिनेन्द्ररवोभितेवचः ५। १५

डे “इन्द्र! “मन्द्रः” मादयिदढभिः(९) “मयुररोमभिः" मय र-रोम-सदटश-रोम-गुक्तैः “हरिभिः wae रुपेतस्वम्‌ “श्रा याहि" aw प्रत्यागच्छ | केचिद्पि लना; “a” स्वां “मा मिये- सुः" मा निय च्छन्तु(र) | गमन-प्रतिबन्धं मा कुवन्तु-इत्य भिप्रायः! aa दटृष्टाग्तः-“पाशिनो a पाशिनः इव, यथा पाशहस्ता व्याधाः पक्षिणं यच्छन्ति cea नियच्छन्तु किञ्च “धन्वे a’(*) यथा पान्याः धन्व weed शोप्रमतिगच्छन्ति aera: प्रतिबन्धकारिणस्तानतौत्य(५) thy “"एि' भा ग॑च्छ ९९

१५ उन्तरार्चिंकस्य ८,२,५.१ = ऋम्बेदख्य २,२,९,१- जरं अष्टा० हि०१९८--एकवि०५।

(२)- मन्दरखरैः ममीरख रोः. इति fae |

(३)--यमिरब वन्बनाथः |

(४)--घन्बेव, इव शब्दः उपसाथस्य्यासक्मवात्‌ पदपूरकः; धन्धत्यज qlee खलम द्रष्टव्यः; WHAT GANG, अथवा धन्वना wT अख विजित्य तान, इन्यादि fre (५) -अतोत्ययमपसमः। खपसमाख पुनरोवमातमकाः-- यच क्रियावाचो afqax तव विषमाः; यच प्रयुष्ते, तव स-साधनां Groans | चात क्रिया यासो Breese: प्रयच्छते, अतउपसमरवय क्रियां anfa खम)ःऽतीत्यस्यवातीत्य

व्यथो बाध्यः |

2702,2,4] Seales कः | ५१९१

४४ ४५४ RR I त्वमारेग्गाप्रशरसिषाः। दादवारः। शविष्टठमार२।४; 2.5 २९ y

तायाम+*। नत्वदन्धामघवारहेनारं। स्तिमारडादता।

र्‌ x र्‌ = MERA वा। Weer! मितीर२९्वा वाचो शाः

THRONE

(agafigqa@ianca(’) “Te” “शविष्ठ” ! हे बलवन्तम ! we ! “देवः” Grae “aa” मरण-घर्माणं त्वां wart

~

yee “प्रशं सिषः” सम्यगनेन स्त तमिति प्रशंस\९) डे “मघवन्‌”

धनवन्‌ “न्दर” ! “त्वदन्यः” त्वत्तोऽन्यः कथित्‌ “महिता सुख- यिता atfer श्रत: कारणात्‌ तुभ्य मिद स्तति- लक्षण “वसो? “^व्रवौमि" उच्चारयामि ५॥ ९५

[

* ` ताहेवाम्‌ -इ्ति ate as: |

1 get: ara, गौङ्वं at

(१)-सम्नोधमे इति यावत्‌ “we चिप्रस्‌"-दति fate | (२)--श्रशष्व' करौोषिः- इति fae |

४५१२ सामवेदसंहिता | (२प्०२,१६ we षष्ठि | वृमेध-पुरमेधाषौ (९)

VR BU Reet शरश १९ &

2 4 #- त्वमिद्धयथाश्चस्यजोघोशव सस्यतिः।

RX RGF ९६९९

त्ववृ्ाणिरस्यप्रतिन्येकटत्यवनुन्तश्चषंणोधुतिः॥९॥ १९

|

श्र | ,३। 1 ल्मिन्रा। यशाः। शअरसाई्‌। चजौषोशवसः। र्‌ रे OAS: | त्वेवु बाणोरद्सिया प्रतीनारएर्‌। ACTS द्‌ ४:

21 अनरशा१। AM! Feuressaterar धार

BAT Re

* “एकददनुत्ताचर्षनोधुता "इति TTS: | १६ उत्तरा्चिंकस्य ६,२,१२,१ = ऋष्वेदस्य ६,६, १२,५-- AE सण्दिण्१८्-षो०दि०ऽ-ष्रष्टा्डि०१४ = ae द०्१८।

1 इन्द्रस्य, यशःसाम।

(१)- पुरुमेथस खावेम्‌ waa free दते |

2909,2,2 | न्टश्राशिकः | ४५१२

UR RT १९

FT त्वमा डदन्द्रायशाभकसाद। BWANA | FEV ८. .

एर UWL

२४५ पारदथ्तोः। त्व॑वु बाणिदधस्यप्रतन्येकश्त्य | SI

र्‌ ध्र 8 a 8

अआनाच्ररहेध्वा | ATATATRRVAT | षणाभद्भुतोः

BT! डा॥ २२॥ 4X ~ 3. 9 | 2 DI दाउत्वमिन्द्रा। याशाभाररश्सोश। दाउ, ५. २१ MCA! बासस्यारदश्तोरईः WT! त्ववृ चा शष ११ MAA | शाड। प्रतोनाररए | कंदत्प ९२४७ ६।

| Rt | | at

WIS) अनुलारर४अा६ MIT! षारणाररभ्ीरा वा। धाररश्तीः॥ २२॥

हे “om: ““शवसस्मतिः”(९) बलस्य पालयिता “ऋजीष? I इन्द्रस्य ; aaa; VW AT! Il इन्द्रस्य; यशःसाम, समोचोन ar | (a) Caer पलिपुजपारस्यो भेषु (८,३,५३)"-एति बया अशक | &५की,

५१४ सामबेदसंद्िता। [amor ff

2 wT R as 711 दाउल्वमिन्रा am असि। er! दोय चदा $ शद < उद्ाउदाउ। ऋजोषोश वसस्यतिः। PT दोदर दोषं § 8 र्द र१९२

BB दाउद्ाउद्दाउ | त्व॑वु ्ाणिदरस्यप्रतीन्येकदत्यद् | us $ $ |, र्‌

C1 VE दाये३४। दाउद्ाउदाउड। अनन्तश्चष- Ms $

पोधुतिः। Wel Wl Val दाउदाउद्ाउ- २९६५११९१

वा। DIA दार ३४५; २४॥

९९१९९

..35 IV शोत्वमिन्रा। यशा्सि। Sat दोरर५

ऋजोषो अपाजितोऽभिषुतः सोमः, तहाम्‌(*) “ल “वश्यः (*) अशस्तो “afa” भवसि। कथमस्य यशस्वित्वम्‌ ? तदाह--“्रप्र- alta’ बलिभिरप्यप्रतिगतानि(५) “पुरु पुरूणि (“a छन्दसि- UW इन्द्रस्य; यगःसाम, प्राचोनं at IV योक्षस्रचम्‌ (द) --“यत्‌ RAR पुयमानस््रातिरि च्यते, लस्‌ जोषम्‌ ; मेन aa) कथं पुनरमो तेन wert ? sua शवमस्यतिः'-द्ति Fao | (8) कणां AUG दन्द्रटयम | (४)- प्रतिबन्धः कर शत्र वन्तोत्यथः |

RW 2,%,9] छन्द ्ाचिकः। ५१५ BHal | एतदादोनां तिष्धुणां मेध्यातिथि ऋविः*।

२. ६१९ ६१२ भऽकररदेर

दून्द्रमिहवतातयदन्द्र प्रयत्यध्वरे |

द॒ शद १... ९.११ ९१ छजौपषीशवरुस्यतिः। WIZ दोर३४५। त्वंवुचाणिः धन +? ११९६ ? दरस्यप्रतीन्येकद्रत्य रू | WAS रदर२४५। अनुत्त- १२९१६१५

अषेणोधतिः। दोयं३। रोररथ्वादाउवा। qaa-

१९१९९१९१

TREBY: WAL UE * बहुलम्‌ (६,१,१०) दति Hate) बहनि “earfar रांमि(९) “saa.” केनापि aia?) “चष्गोष्टनिः'' चर्षगीनां यज- मान-मनुष्णाणां,-) धारकः “एक इत्‌" अ-सहाय एव त्वं “हंसि? सम्‌ प्रहरसि श्रत एवास्य ययस्वित्वम्‌॥ ॥१६

> ~> -न~ ~= ~~~ ~~~ oe ~~ ~

watfafaftfa faco-ate: |

—_ ee ee ~~~ ~न eo = ek - ~ ~ ~ ---~ ~ +

(₹)- वाणि wagarfa, avexifa वार्ति fae) श्वद्ति संघनःमसु च्छषटाःवशतितस्ञ नि०१.१०।

(9)--"अन सः wafisa:’ ofa Fae |

(c)-—4u खयः -द{ति मनुष्यनामसु ष्टम wae नि० २, 2 |

me ~ = ~ ~ = ee

# \ दति याम गेध-गान षष्टः प्रपाठकः

११६ सामबैदसह्िता | [ शप्र २,९१.७

BUR TR RR

TERT वनिनोषवामशद्न्द्र धनस्य YTAA ॥०॥१७

४४ ठैर

Ri इन्द्रमिह्‌वता। aac इन्द्रपयतिवध्वार

श्‌ रद्‌ २९्द्‌

ह्राद श्राद्धा रम। समीकोवनिनोदवामारददादर

,

आद्न्दरारम। धानस्य्सोरेरध्वा। तारर४ये १॥१७

‘Sanaa’ 22: स्तोढभिः तायते विस्तायते इति देवता- तिवश्नः(९) तदबम्‌ ““इन्द्रमित्‌"” ^देेषु"” मध्ये इन्द्र मेव “ear ae’ शआदयामदहे “sna” यश्च॒ “प्रयतिः” प्रगच्छति उप-

~ |, ८६ ~99 के “en क्रान्ते सति इन्द्र ददामहे तथा “समोके” सम्यग्जाते wert यागे “वनिनः” स्मजमानाः(९) वयम्‌ इन्दरमेवाद्यामहे [यदा समोकमिति सङ्ग्राम नाम-(नि०२,१७,११) wate

~ WEVA il १७

९७ उत्तरा्िंकस्य ०,२,८,१ = CATT ५,०,२५,५ == ae एका ०दि०१२- वरयोविन्ढ०५ = जद दि०१५।

I यातसुचम्‌

(९)-देवताता-दति frre} array SHAH पदम्‌ 8,22 | (२) - “वनम उदकं TASTE, तेन तदकः सोमवनम्त.शत्यक्षःदति fae

70 ३,२,८] SUT e | ५१७ ware

दमाउत्वापु्वसोगिरोवड MATA |

४०२४ र्‌ दर ४५

1 दमाउत्वापुदवसोगिरः। २५। गिराः। apy

१्र२ WTR Vg

ठुयाममारेरे। पावकवणाः। प्रएचयोवीरेपा रम AL चाररश्दरताः। अभिसोमैरना २। sare

$ र्‌ | WRAL षता। भौददहावा। दापुर डा। २॥ 9 x = 11 इमाउत्वापुरूवसादाड ftrag’ TATE, र्द ee श्ट WR) LAMENT! ददारटेश्वा। पावकवणाःप्रु-

र्‌ .श्दरर

a

TEL इद्ादाचाद्‌। इदारेर्वा। विपञि। att

RU rt

भमित्तामः। ददादारोाद्‌। ददाररश्वा। अन२३। पारतारद्अौदेवा। ऊररथ्पा ३॥ ४३द ४रट शे

il इमाउत्वापुष्ध। वसारउ। गार३४द रोः ता ना वाव्राणि चीरि, वासिष्ठानि वां।

५१८ सामवेदसंहिता | [३प्र०२,१,८

> ४4 ₹९ 8 शद

पावकवणाःप्रचयोनिपञ्चितोऽभिस्तोमेरनृषत cee

टर ¦ 4 ष्र्‌ र्द

Saat: | ममा। ana wWaarfaafy t ता। A x र्‌ tt

ओङदा। भा्रीरदा। अभिस्ता्मरनारे। वाद्‌

S श्‌ ड्‌ eee

दाहेवा। GAT) MWA! Burl डा॥४॥ ९८

हे “qeam”’ aguag! “मम मदौयाः “sar” “fre? शस्त-रूपा ara’) “av at “वरन्तु” बर्हयन्तु तथा “पावकवर्णाः” अग्नि-समान-तेजस्काः अतएव “र चय.” wer “विपश्चितो” विदांसः उद्गातारश्च(र) “ata.” स्तोतव - दिष्यवमानाद्भिः(९) “श्रभ्यन्‌षत” त्वामभिष्टवन्ति (नु eat

कुटादिः ८॥ ९८ .

a ~ ee et wee --~---~---~- ^ een a -~ - ^ --~ -te

१८ उत्तराचिकस्य ७,३,१८,१ = ऋग्वेदस्य ५,७,२५,२ = ऊह दा०१०-ग्रष्टा०हि०५।

(१)-खअप्रगोन मन्त्रा Tae: |

(२)-विएश्ित्‌-दति निघण्टौ षोडशं Tees, ९५

(द, - प्रभोतमन्त्रैः ` "उपास्मै मायता नरः" -दत्येवमादिष we ताण््योक-प्कार- ग। यमाने: HVAT एव चरपेरित्य्थः। बद्िष्यवमानाद्भि रित्यादपदात्‌ “wT Laat (माध्यन्दिनिप्रवमानः'-दृत्यादयो BAA |

703,26] छन्दश्राशिंकः। .. ५१९ aaa |

२९३१८ र्द 2 2B x

उदुल्येमधुमत्तमागिरःस्तीमासईरते। ^ TS रे

सचाजितोधनस।अक्िततयोवाजयन्तोरथादव ॥९॥ Ve

> र्रर R ¥ 1 उदुत्येमा। धृमत्तमारर४। | TET TRREAT IV :. RT UT R साद्रैरताये। साचाजारेद५दताः। धानासार९४अ

RT रर RR

कोतोतयारदः। वाजायारड्छताः। TATE TYRATE- ५६ ५॥

8 R 11 उदुल्येमाभधुमत्तमाः। fircararrareece द्‌ श्र Tv

रद सचाजिताधना रसा | fra 2:1 बा

जयन्तारथा३१बा२३। दैरश्श्वा ६॥ ३९९११९९ ९8 इर ४५

111 चष्२३४५। उदुत्ये मधुम। तमोर४दाद्‌ ग! -\.

१९ उत्तराशिकस्य ६,१३६.१ 0

गा वासिषटयनि tf, रात्राणि वा।

५२० सामवेदसदहिटा। [३प्र०२,१,९.

a RR R ˆ TL दूरा रःसोमार। सश्र Tessa सचाजि- श्र WT ९९१९९११ 2 ९९१११ टर 2 र्‌ तोरेधनसाश्रकषितोतयार२४५ः। ८२२४५ | वाजयन्तोर- र्‌ श्‌ श्‌ RT ररर थाः। दूवोर४ दाद्‌ वाजयन्तोरथादू। वा। ओ- च. 8

रडोवा।. ST डा॥७॥ ९८

“a” ते प्रसहाः “मधमन्तमाः'* अतिशयेन मधरा: “fare” अप्रगोताः शस््र-रूपा are | “स्तोमासः” प्रगोतानि afea- वमानादौनि स्तोत्राणि “eer” we! arafeare- च्छन्ति oer प्रसरन्ति शर गतौ भादादिकः) तत्र दृष्टान्तः- “सज्राजितः” सदेव waq जयन्तः saya “धनसा” धनानि- सम्भजन्तः [वनु षणु सम्भता। “जन-सन-खन-क्रम-गमो विर्‌ (२२,९०)। “विड्‌ नोरनुनासिकः स्यात्‌ (५५५१) -दत्यात्वम्‌ “afer तोतयः' [चियो भावै निष्ठाया weed (९,५,९०)'-इति पर्यु दासादोषौभावः श्रतएव “fear state (=,९,५९)"-इति निष्टा नत्वाभावघ्च रचिताः ल्षयरहिताः जतयो रक्ता येषां ते तथोक्षाः] “वाजयन्तः” वाजमन्रमिच्छन्तः(*) [क्धचि-'नच्न्दस्य पुजस्येति(°,- ४.२) ¶ूत्व-दौर्घयोः प्रतिषेधः] एवं गुण्ण-विशिष्ट-रथाद्व, ते यथा विविध मितस्तत उत्तिष्ठन्ति तददुदौरत इत्यधेः ।॥ < १५

(१)-वाजयनाः Geren: ; अथवा वाजद््दो Fane: बेजवकः-दूति fre |

240 2,200] eeaifa कः | १२१ | अथं दशमो | देवातिथिः काण्व ऋषि; |

१२९ BV VWF VLC रेद्‌

यथामी रोभपाछृतं SIA त्यवेरिणम्‌ ae

४२ १९२ CIM ३१ २३९ शरे Bi ९२

पित्वेनंप्रपित्वेत्‌यमा गडिकणएवेषुसु सचापिब॥१०॥ २० इति प्रथम-द शति ९॥

2 wT ४दर AT र्‌ ९द्‌

I यथागीररयो्पाक्षताम। दष्यन्न नियवैरारइ्द-7 ¦ `

र्‌ द्‌ श्र दरे Ut

णाम्‌। आपित्वे नःप्रपित्व तृयमागार्दडी। कणवे रषु-

५द द्‌ Spel सारचारद्थअनौ डोवा पीरहेश्वा v ५४ RTT १९ 9 Il Srarareszat | याया। गौरो्रादपाकतम्‌, ` शद्‌ 9

3381 दादोद्‌। दष्यन्ने तियाइवादरिणम्‌। Wes!

री

२० उत्तराश्चिंकस्य ८,२,४,१ = WAT ५,७,२०,२ = WE श्रष्टा०हि०१८।

ना मौराङ्किरसस्य समनो दे; गौतमस्य aa ar | qi,

BRR सामवेद सं feat | | रप्र २,११०

रर < 5 8

STS AWRaadt त्व नःप्रपित्व तूयामा ९गदि | a द॒ Gs ४र॒ २४। दारो | कणवे रषुस२२। सारचारड्अदावा |

१९१९१९१९

पिबा २२४५ < ॥९०

“गौरः” गौर-ख्गः(९) “ढष्यन्‌” पिपासितः सन्‌ “om” श्रदिरुद्‌ काः (व्यत्ययेनेकव चनम्‌ | ऊटिद्मित्या दि ना(६, १,१७१) विभक्ते सदात्तत्रम्‌) “aa” सम्पगत्व क्तम्‌ इरिणं" निस्तसं तटाक-देश “वथा” येन प्रकारेण “श्रवेति'' ्रभिगच्छति (a शब्टोऽभिशब्द्स्याध) अभिमुखः सन्‌ शोघ्र गच्छति। तधा “srfaa’ बन्धत्व (९) “प्रपित्व” प्रापे सति, हे “इन्द्र oT त्व “a.” भ्रस्मान्‌ “ag” (ल्तिप्र-नारःतत्‌) शोघ्रम “श्रा गहि" आगच्छ श्रागत्य कण्वेषु कणव-पुचष्वस्मामु “सचा” सह एकःप्रयत्रेनेव विव्यमानं wa सोमं “सु” gx “faq’(®) १०॥ Qo

दति श्रोखायणाचाय्यं विरचिते माधवोये साम्बेदार्थप्रकारे शन्दोव्याष्याने

ततोधाध्यायद्य feria: wa: |

( १९)- गौरः गोर ग्मः faw: घो at’-tfa fae |

(3)—‘wifat श्चापानकाल्ते'-द्ति fac |

(Q) “कष्‌ GAT बङवचन मिदम्‌. तृतोया- WWIII WA, कष मघा- fafa cada ऋत्विग्‌ भिः सचा ae पिब सोमम्‌ ति fae | we cia fart सेधाविनामसु सप्रम ITA द,१६५।

2To2,2,2] wees: | ४२३ अथ ठतौये खण्डे सेषा भग ऋषिः SVR २२३९ शम्ध्यरषुशचोपतदृ x fatter fate: |

x द्‌

(41

Le,

1 शग्ध्यषु। शगचादपताद feaveat! विश्रामो.

ब्‌ रेरूतिभादः। भारटे्गाम्‌। नदित्वायशारसांवस्‌ं | रद्‌ CX

MVS | अनू२३। शृर्रारश्मोदावा। चरारम-

सोर२४५ १०॥

8

© २९. fA. | भगान्नारदो | त्वायशसाम्‌। वसूरदादूवादइद्‌ RA | १५ 4 अनुशरचरोवारच्रोर्दध्वा ATYRTT ATT lle ig ex ४भर द्‌ श्र रर्‌

ll शग्ध्यषुंशचो पताद्‌ शग्च्यषु। श्राचादूपते

~~~

LILI इन्द्रस्य; इहारयणानि, हासावणानिवातोनि।

ts. . र्‌ र्‌ IL शग्धयुष्वौदापहशचोपताई | आदन्द्रविश्वामि `

४२४ सामटेदसंहिता। [रेप्र०२,२,१

१९ ररर १९१२ ३२३९२ ९६१२

भगंनदहित्वायशसंबसुविदमनुशूरचरामसि ९१

५:

, च. श्रारदहिमारेरश्डाः। aT feat | feta: | आर

र्‌ 8 ददिमाररडाः। भागज्ञदित्वा यश्सम्‌। वसूविदम। आा- R 2 ¥

श्‌ R श्दहिमारेदे४चाः। अनुशु TRI | भार२द दिमाररथ्दाः।

Ure

चरामाररसा२९दद्‌ ARABAT 1 डा १२ ९१

डे ““शसोघते",९) ! “we” ! “शग्धि” (र) देश्नभिमतं “विश्वाभिः” सर्वाभिः ae “शूर ! “भगं a”(°) भाग्बमिव वथसं" anfad “वसुविदं” धनस्य wart “लवा” लाम्‌ “भ्रनुचरा मसि" परिचराम इत्यथः १॥ २१

२१ उत्तराशि कस्य ७,२,२,१ = WATT ६,४,२५,१८,५ = HS एका०१८ एका० हि अष्टा०्डि० ११॥

(१)--अचोति ware (fre २,१.२२) ® सर्वकमणां ष्योतिषोमादोना- सधिपतिभूत !-इति fare |

(₹)-म्धौति याच्‌माकमनु पञ्चमम्‌ fire ३, te |

(द)-- "न ष््द्‌ ठपरिष्टादुपमाथो'यः, खशुपमायथेख TING wala दति TE: Gee | पारम-सुदितं षमसित्य्थः-इति वि०।

२प०३,२,२] weenie x: | १२५

ph

we fata | रेभः काश्यप ऋषि रिन्द्रं प्राथेयते | १२३ २९९ रेकरेरह३ १९. | WMERAAA AC Tale WIL: | ify RT ङे I are देर्दथद्रा | ` म॒जारच्राभार्रा रः 1४. +. _ १.२ DUM | बीर्रसृररादूभाश्या रः WATT | |, © R x रमिन्मघवन्नस्याव््ाया२। याद्चारद्ाद्‌। त्वेव॒त्ताब- R WATTS | ओओ९२४५१। डा १२॥

ut शर ६. ,३ 11 यादन्द्रभुजभाभाश्राः। सुववार्य। Bsa इर दर

ररश्याः। दा। भीषोरेददा स्तोतारमादइत्‌। मा-

घवन्ना। स्यवारर्ारेरण्या। चा ओदौररशद्दा |:

RT

Rt यचत्वारेददत। UT) चओदो?३५दा। क्तवर्हार३- दषा ३४दः। ओर ३४५द्‌ डा १४॥

४र XBT श्र

IIL यादन्द्रभुजश्राभरः। THAR | सुवर्वार्च्-+, `

~~~

111 avarfa atfa

१२६ सामबेदसं{इता | [३प्र४२,२,२

2 रे २.९.९९ MATT AAA AAA यये TAT MHA eS र? र्र्‌ c

4 GI: | उद्वाररदाई्‌। सोताररमिमघवन्न। स्या-

|, रर t

aqefare | उडवारराद्‌। येचत्वारइदव उडवा-

र्दा क्तबर्दादरेदषा२४२ः। ोर२९५द | डा ॥११५॥

डे “am”! “asiq” सुखवान्‌ स्गेवान्वा(९) (raat eine: सब -पर्यायः(२) सवं भत-जातम्‌ WAT रएवोत्पत्रत्वात्‌ तद्ान्‌(र) ) एवं गुणसत्व' “an” यानि “भुजो भोक्तव्यानि धना- नि “agian” वलवङ्धयो wate: “ane” ्राहरः तान्‌ इत्वा आद्भतवानसि (ग्रष्टोरिति भकाराटेशः) wauwa ददे “मघवन्‌” ! धनवत्रिन्द्र ! “श्रस्य'' (श्रन्वादेशे रशादेशः) एतस्य Twas घनस्य दानेन “स्तोतारभित्‌'' तव स्तोचकारिणमभेव “aga” afanat कुर्‌ “ये च” wear यष्टारः “a” तदथ (*) amafes:” स्तोण-बह्िषो भवन्ति ata “aaa वध-

य॥२॥ ९२

PY ऋग्वेदस्य ६,६,२६१।

(१ )-खःशण्ड निषरटे) प्रथम-खतुथं दिवश्याटित्यख साधारश-नामसु प्रथमं पठितम्‌ खः सुखमिति तु प्रसिदम्‌ |

(२--खद्‌ श,-दृत्सव ThA तथव याष्यानात्‌ |

(द)-“खःशष्द चन-वष्वनः, तद्‌ यस्यासि way प्रथमक वचनमिर्‌ पञ्चमी बडवचनस्यान दण्यम ; खवद्य्यः धनवद्लः। aw पुनः खवदट्भ्यः! weqa— अतुरभ्यः सकाशटित्यथः-दृति fae |

(५)-ले.द्ति “यस्य मन भाव खम्‌ (२,६.६०)'-इति सप्तमो

2702,2,2 | न्द्रा कः | ११७ ।/ खय qatar जमद्‌म्निकेषिः |

२३२ ९२३२ VRRT

प्रमिचायप्रायंएमे सचथ्यब्टतावसो | ~

¥ 2 द्‌ 7 Ne _ a __ I प्रमित्रायप्रादाउ। आेर्यम्णाई्‌ | सचारदो ।;' . ` रर UT

fatto | Bar! आत्तावसाउ। .वरार्दडो। यि

रर Hel BAK TOMI DITA: | सोचा २५-

| RTRLT 4 QL) राज छवा | षुगायताई१उबा२२। ऊर्पा ॥१९॥

वेर

Il प्रमिवायप्रौदोवा। आर्यमण। ओीदोा३४३

र्द र्‌

SST! साचथ्यम्‌। तावासा। . ची रोद

VTS र्‌ ररर aT ौदीरवा। वार्थ्यवरूणेच्छ दियांवाचा। aie श्र $ र्‌ ३दर्‌ 2

हइष्ट्र। अदोरवा। स्तोचर्राजा। ओीदो२४्‌। दी

र्‌ द्‌ रे aT $ श्र

चोरवा। षगायाता। ओरदोर४इ दीरेवा३४३ | अओआर३४५। डा १॥

धू

प्रभिचायप्रायमणेवा। ओवा। साचथ्यम्‌ |+“. `

LILI वरूणस।(मानि तोखि।

१२८ सामवेदस षिता | [शप्र ०२,२,३

2 RF ९२२२ VR PLE रर

वङ्थ्येरवरुणेक्कन्द्य' वचःसो चरराजसुगायत URI

+ क. र्‌ R = |, ऋतावाश्सा LS ATRRE! थारेरयाद्‌। FATS ts दर रद्‌

श्‌ दायारडशादर वचोडश्रा। स्तोत्‌र्पराजतसुगायत | २4 स्तोररचाम्‌। राजसुगोर। Beye | वा। यापतो-

TVIT १८ WR

“~

रे “ऋतावसो'"(९) यन्न-धन ! “fara” “awa” सेवा “ea” यन्न-ग्ट हइ-भवम्‌ (र) अभिप्रायानुसारं वा “वचः” erat

N99

“se 3 प्रगायत" wart पठत “श्यस्य” प्रगायत “wea”

a “वद्श्यं१-दति ऋक्पाठः भत्राप्येव मेव वि ° सम्मतः |

२२ WATT ६,६,२६,१।

(१) -ऋचि तु तावको-द्ति पद्यं तो aw, ge बहुभूतो अद्य शत- पुः; ( ऋटतवसुरेव WATT: दान्दसं दोषं लम्‌ ) तख सम्बोषनम्‌ ऋनतावसो !-दइति

(९)--कर्दिति ग्टह-नामखु ऊनविंद्रतिमस्‌ पदम्‌ मि०ए,४) कन्दा ER: शब्देन खतिदच्यते, तस्यां wat भवमित्यथै!। fa पुनस्तत्‌ !. वयः वथनम्‌ सला ज-लच् णम्‌! -tfa वि०। Wa मानं-दन्दतर्षति कर्मसु पाठः (३,१४); `लोदट-नामसु शब्द. तिच (३,१९)।

© Fo 2,2,8 | छन्द राच्च कः | ५२९

अथ चतुथो |

मेधातिथिक्छविः |

pe ३२ maa १२ अभित्वापवंपौ NCTA: | ९३२२१ ३२

समोचोनासकूभवःसमखरन्तद्राश्णन्तपर्न्यम्‌ Nell २४

BR Bet ररर र्‌ ५. BT I अभित्वापुवेषोतये। अभित्वारपवपीतयाई इन्द्र- {` x XT § सोमेभोदरायवारः। भिरायाश्वारर्‌ः। ओमोहवा यन्न-ब्डहा वसख्यिते(र) वरुणे प्रगायत (प्रगायतेति बहुवचनं पूजाम्‌) एतदेव दशेति “राजसु” राजमानेषु मित्रादिषु स्तोत्र गायत पठत faaety sty रान्नः स्ततेति समुदाया धः ९३

हे “इन्द्रः ! “ायवो"(९) मनुष्याः स्तोतारः “स्तोमेभिः”

२४ SUPT कस्य ७,२,१,१ = ऋग्वे दस्य ५,७,२६,२ = MTR प्र०१३२--१४--ऊहे एका०१६-दहाविं vet

1 प्रजापतेः; वषट्‌ काररिघनम्‌।

(३)--वर्य्यमिति ग्टह-नामद्ु सप्तदशम्‌ पदम्‌ (नि०३.४) तदेवद्यँ नियामकम्‌ | विवरख.मते तु वरूथ्यं दति सप्तमो द्दितीयाथ, वरूथ्य' वरलोयम्‌। (१)-श्वायव दूति मरुष्य नामसु GHANA परदरमनि० ६, ६।

gon,

४५३० सामषेदसहिता | [२प्र०२,२.,8

र॒र सभोचोनासछभवःसादमाखरा र्न समाखाश्रारइन RTS R TART! रद्राए्णन्तरेपृिं या रम्‌ | तपूर्वाश्यारदम्‌

हे श्रोम्‌। भोर। वार२४। PAT ऊररध्पा ॥१८॥ १४ zara: “त्वामभि wafer किमथ ? “पूवपोतये'" सवभ्यो टे- वेभ्यः पूवे" प्रथमतणव सोमस्य पानाय (सवन-मुखे हि चमस- श्रन्द्रस्येव गणः शन्द्रस्यैव सोमो Baal तथा “aatdlara:” सङ्गताः “ऋभवः(९) प्रथम-वाचकेन शब्देन जयोऽप्यपल शन्ते ऋभुरवि- भ्बावाजत्येते (९) “समस्वरन्‌ त्वाभेव सम्यग्‌ Way (स्त WRT

(र₹)- ऋभवो सधाविन दति fac खव मानम्‌-जिषष्ो सधावि-नामद्ु ऋभ्‌- रिति पद-पाठः; (९,१५,८) |

(द)- ऋभव इनि पटे खलति fafed ने सङ्गम्‌ - प्रति -प्रत्यय-्ग्धम्‌, रेतिासिकम्‌, योगरूढिकशच | तथाहि “ऋभव उरमान्तोति वा, ऋतेन भाग्लोति वा, तेम भव- मीति वा (२,५,१५)१-दग्ये कम्‌ ("दभ्‌ विभ्वा वाङ इति सुधन्बग wires जयः पुजा बभूवु सेषां प्रथमोत्तमाभ्यां बङव्निगमा asf मध्यमेन, तदेतद मोख बङ- वचनन चमसस्य VSIA वह्नि दब्तयोषु Twila भवन्ति (२,४.१९ PTT ; Te माममयं Waa

“fe am तरणित्वेन वाघतो Hae: सन्तो WIAs AAT: | सोधन्वना ऋभवः सूरचक्षसः संवत्स॒रे सम पन्त धोतिभिः 0 (MoCo (eGo ५सू° ४मन्त्रः) ‘eat aife fesaa Hert सधाविनो a'awie: eat अग्टतनम्‌ खान-

_ 20 2,2,4] छन्दश्राचि कः | 3 ५२१ अथ पञ्चभी |

अस्याः परस्याख ZAA-JEART हापो(९) |

३९ ट्र ररर

प्रवद न्रायवदतिमरूतोब्रह्माचंत |

पतापयोः) “रुद्रा” (*) रुद्र-पुश्रा मरुतच(५) “पूव्यं ' पुरातनं ae त्वामेव “weer” श्रभ्यष्ट वन्‌ (ठत्र-वध-समये प्रर भगवो जङ्धि- AMSAT रूपया वाचा तवां AIA इत्यथः BB

-

fat सोधन्बमा wae: LSTA वा FTAA! A संवत्मरो Taran घोतिभिः'-षति यच्छ -शृतं ACHAT |

“ख दित्य-र्मयोऽप्य मव Sut (२,५,१९)".दति तु लनौयं Tema) अवापि मान-मस्तय मन्त्र

८५ | | ~ अगो WA यदसस्तना WE

azazawal नानु गच्छत |” (ऋ०९म०९२अ०५ ०११ मन्त्राः)

“गोद खादित्योऽगृहनोयण्तख्य यदखपय Ve gery भवथ तागदिड भव- येति"-द्ति याखछ-छत -मतद्‌-ग्ाष्डयानम्‌ |

तदन सायन भगवता रेतिद्धासिक नेसत्धमेयावलम्बगोक्ञ मेमस- प्रथस-वाचमेने त्यादि

(४)-*रोदन-खभावकाः लुत्यश्ारश-शीलार्यथः- रति fae |

(४)--- "मखतो मितराविखः'-दूति Fo 24,02 |

(2) —“qaaur खाकरीया ऋलतिख खड" रत्येकस्येकषं ce खो विवरण दश्यते,

५२२ araaeateat | [३प्र०२,२,५

२१ २९ २१९९८१२९ ९१९२

वु चरदनतिचृचदा तक्रूतुव च्च णशतपवेणा ॥-५॥ २५

४५४ ५४बद्‌ छर्‌ रद्‌

1, ।, 10 1 प्रव न्धायज़दते। प्रवाः। इन्द्रायाड़द्धार्नेर३ |

wT 5 १२ $ र्‌

AAMT | मरूतोन्रह्मार्मार्चा ९तारर। भमोरेका

R i 9 g

वृ चरूडाना fags चादार२। भमोरवा। शता

९, RR

तूः वारदशञ्च णशा२। दादा तपाभरनणा

SUZ! डा॥२०॥ २५

“39

षे “मर्तः” ! मितराविणः erare(’)! “wea” महते “वः स्त॒ल्य-स्तोढलत्व-लक्षणेन सम्बन्धेन युख्रदोयायेन्द्राय “aw”

२५ ऋग्वे दस्य ६,६,१२,२ = प्रारण्यके प्रथम-हितौये५-६ -ठतोये VYoO-2ez F I I षतो मारुतस्य साम। (२)- मरतां भितराविष्णे वा मशद्रवकोति वा'-द्ति नै २,४,१३ | “डे अस्तः!

मदोया ऋत्विजः -दति fae रह मानस fang -त॒तौया्टादमे कतिविङ्नामसु मरुतद्ति पद wea a Gis: |

२प० १,२,६] SEU: | ५२३

wayyy | ९२ 8 2 रे १२ वृदिद्दधायगायतमरूतोढ़चदन्तमम्‌ | 45¥ ९१९ २२९२ BLUR

येनज्यीतिरजनयन्‌नृताव्रधोदेवन्देवायजायवि Ug ॥९६

१९ R I साल्वादहिन्व। तिधादतादभीरः। नारद्‌ ' भार}; दरदं 2

३४। ओओदेावा। सरश्रवसेर। सत्वारिण। तिधा-

साम-लत्तषण स्तोत्र “प्राचत'" प्रोच्वारयत(र) ततौ “aaer

हचस्य मेघस्य (*) पापस्य वा हन्ता “शतक्रतुः” शत-विध-कमौ बहु-विघ-प्रन्नो वा TC MATT” शत-सषः ल्याक-धारेण THT एतन्रामकेनायधेन वा “ठतम्‌” अपामावरकं ठचाख्य मसुर(*) “हनति” यु्राभिरभिष्टतः सन्‌ wg (इन्तेलटग्ड़ागमः(९) ey

२६ CATA GE ,5°2 २,१ = आरण्यके Yo १६- fo fox | संखवसः, विखवसः, सत्यखवसः, खवसो aT | (९)-- त्र्य सोमरूशषरमन्म्‌ TST ENE SA दत्यथः'-इ्ति वि०। ब्रह्मति- नानाथ, श्धन्रनामसु quai (faqo 8,0, 24) |

(s)\—eanfa farey सेघनामरु अष्टाविं्रतितसम्‌ पदम्‌ १,१०। ()—wacefa fare} aang ऊनविं शमम पद्म २,१० |

(९)-.लगोऽडायौ (३,४,९४)”-इति पा” |

५२४ सामवेदसंहिता | [शप्र०२,२,६ #दर TATA: | तार भारर४। ओहावा। विश्वव- se Sei सात्वातत। क्तदरईतादभोरः। तार भार- 4c द्‌

381 SURAT! सत्यश्च वसेर ॥२१॥

; ,1, ot 7 सत्वा तिधादूताश्दमोषः। तादमों ₹।

x a

बददिन्द्रायारगायाश्तार। याता २। मर्तोव चारा

र्‌ न्ता्मारम्‌। तामा रम्‌। येनज् तिरजनयननृहेतावा-

दर रद्‌

१५ १, सात्वाशिश। तिघादूतादमोरः। तारद्र। ATR १९ १९१११९९

दोवा। श्रवसेर२५५॥२२॥ Ve

हे “मरुतः! रु शब्दे, मितं रुवन्तोति मरुतः इह मितभाषि- शः(\) स्तोतारः! “aaa” अतिशयेन पापविनाशन “a-

1 वाप्यानाम्‌, इन्द्रस्य वा |

(१)- "सस्तो मितराविणो वा, मितसोचिनो वा, महद्रवमीति वा'इ्ति नै ९,४.१२

270 2,2,9] Seals कः | ५२५ अथ eyai | वसिष्ठ कह षि* |

१९९२९२१६ VB ३६२९९६२३ LR

इन्दकतुन्नञ्राभरपितापुचभ्योयथा |

१९ २९ शर RT

frararafaaqexaaafinarsantacmare ॥०॥*७

eq” साम न्द्राय” इन्द्राध “aa” waste ay गानं

८८ 9) © बशेदेवा कुरत “ऋताहधः” ऋतस्य.सत्यस्य वा वधका विश्वेदेवाः श्रह्किरसो वा ऋषयः “देवाय'' योतमानायेन्द्राय “देवं” टेवन- भोल(र) “जाग्टवि” सर्वेषां जागरण-गौोलं(र) “ज्योतिः” सूर्यः "श्येन

येन” सान््राम्‌ “श्रजनयन्‌(र)* इृन्द्रायसुदपादयन्‌ TATA गाय- तेति u २६

# “जक्तिरिन्द्रमाह'-दति fae |

VO उन्तरा्चिंकस्य ६,२,६,१ = WAT ५,२,२१,६ = LO | o

(१९)--"कौदण पुनः तिरूपम्‌ उश्चारयामः !. उच्यत- देवं featar टतोयायं

द्रया, दवन सोमेन Taw | | (₹)-“अतिप्रोतिकरत्वे जागररूकरम्‌, अत्यन्तप्रोति करमित्यथः'-दति fae | (३)- (जनितवान्‌, आरोपितबानित्यथे?-इति Fao |

# ^~ 3

# aa

५२६ सामवेदसंहिता | [३प्र०२,२,७ [त रे९ ध. 17 1.49 ` SRT RT कतुन्नारे्ाभाश्या २। पिताः x . sar पुतरैमरयोयाश्या firerttest! ay. एर ,३ ४र सिन पुर्डतयामाध्नी २। MATRA | ज्योर्ताररश्ओरौः

PWT ट? १५११९

SAT अशोमदो ३४५ ॥२३॥ R UC R Vt [2% 1 इन््रक्रतुन्नञ्नाभरा। पितापुमियोयथा। शि श्र ATA! स्माशन पुर्ड। तयामाश्नोर।

रर

2] दोर। वाद्‌, ओरेदोरेहे४्वा। sara

र्‌ tT

SoM: | अशोमाररदा ३४३द्‌ | २२४५द्‌ | डा rs ll

२४ ४५ १९. ©

, “* गा इन्रकतुन्न्रा। भरा्नोर३४्वा पितापृरेचेभि

ध्र R ११६९९ ३र४ रर ४४

योयथा द२३९५। पितापुचेभियः। याथाररशदा

a ee ~~ Se

LILI वाप्यानाम्‌, इन्दस्यवा; संशानानि, ararfe, वासिष्टानि वा |

२प० 2,2,9] छन्द श्राखिकः ५२७

BUT sc Tl WAT! WMITAZFSRAAT! मानोर३४- 83a 8

a RX a खाद्‌ जोवाज्योतीः। अशोररथ्वा। AYRE RIE

Waal Vo

—_ कि,

छे “scm” “नः” gaa “क्रतु” कम at ward aT “sraq’ sareci श्रपिच। “यथा पिता gaz.” धनं प्रय च्छति तथा “नः” wana “faq” धनं देहि पुरत! बद्ुभिराहइतेन्द्र ! “यामनि” यच्च (र) “जोवा" वयं (९) “ज्योतिः” सूयम्‌(९) “श्रभौमदहि” प्रतिदिनं प्राप्रयामः। [यहा हे <a! भूतानि प्रकाशयितरिन्द्र! तथाच यास्कः-“शरन्द्रश्ा दश।तोति वेरं ददातौति, वेरा दधातौति, Act दारयत sfa, वैरां छारयतदूति Sea द्रवतोति, वेन्दो रमत इति, बैन्षे भूतानौति वा तद्यदेनं प्राणः wa: समै.षन्तदिद्र्ेन््रत् fafa विज्नायते" (१ ०,८)-इति(*) एवं गुण-विशिष्ट | परमा- मन्‌! लवं क्रतु ah सख-विषय-न्नानं वा नः अस्रभ्यम्‌ भाभ-

(९)--यान्ति देवा afer यमो ag | (2)— ‘Hat जोवन्ताो वयम्‌-दति वि ° | (९)--श्धोतिः ज्ञानम्‌'-र्ति fae |: [वि (४) - “इद्‌ करशू(दित्याप्रयणः। रदं दण्म।दित्योपमन्यवः। ced वेश्यं eae) र्च्छवृ्ां दारयिता वा, ब्रावयिता वा, द्रयिता यख्वन,म"-द्ति मे Zo ,८ |

goa,

५३६ सामषेदसहिता | [प्र०२,२,७

ae

23 1 इनद्रामौदा कतुन्नार््याभाश्यार। farsi रहो पु्रमीश्योयाश्या२। भिक्ाचरीदेदो। णो

° ष्र ,३ ue सिन पुर्डतयामाश्नी ₹। जीवाररः। ज्योर्ताररश्यो-

RMT ११११९

SAT | श्रशौमदो २३४५ ॥२३॥

RU Rw

,, 1, 7 इ््रकतूधन्नञ्नाभरा। पितापुचमियोयथा। शि

ere

MATRA | GEARS! तयामार्नोरे।

RT UC

21 Stel वाद ओरदो३९वा। जोवाज्यो

ष्र्‌ R

SEA: | अशौमाररदा३४३द्‌ ओओ२२४५द्‌ डा Re A

९४ ४५ 2९ 8 दर श्र , “2 TLL इद्रकतुन्नञ्रा। भराओोररध्वा पितापुश्चमि ४र R १९१९९९१ BST BRT ४४ a

योयथा Beeasyl पितापुतेभियः। याथाररशडा-

nt reese mee eo

eee

LILI वाप्यानाम्‌, इन्दस्यवा; संशानानि, ararfa, वासिष्टानिवा।

२प०३,२.७] छन्द श्रािंकः। ५३७

BUT .

Cl शारक्षाणोआ्ा। स्मादरन पुङूडतया। मानोर३४-

8

| ९१ 1 Wz! जोवाज्योतीः। अग्ोरदश्वा। ATURE UTE

॥२५॥ Vo

११ ८८ 9

हे “oe” “नः” were “क्रतु” कमे वाप्रन्नानं वा “saw आर afta: “यथा पिता yaw.” धम प्रय च्छति तथा “नः” wang’ “शिक्ष धनं fe दे “Gasa” बडुभिराइतेन्द्र ! “यामनि” यन्न (\) “ottar’ वयं (£) “ज्योतिः” सुयंम्‌(२) ““श्रगोमहि” प्रतिदिनं प्राप्रयामः। [aeri रे <a! भूतानि प्रकाशयितरिन्द्र! तथाच याखकः-“न्द्रद्रा सश तोति Act ददातोति, वरां दधातोति, बेरं दारयत इति, वरां धछारयतदति बैन्दके दरवतोति, बेन्दो रमत शति, Aw भूतानोति वा aaa प्राणः wa: wiaufexena fafa विज्ञायते" (१ ०,८)-इति(* एवं गुण-विशिष्ट |. परमा- मन्‌! त्वं क्रतुः कश्च सख-विषय-च्नानं वानः wey WT

(१)-यान्ति देवा afer यमो aw |

(२)--“जोवा जोवन्तो वयम्‌'-दइति वि °

(९)--श्धोतिः ज्ञानम्‌'-द्तति fare ।. |

(४)-- “इद्‌ करश्दित्याप्रयणशः। tz द्न।दित्यो पमन्यवः। दन्दते aay. wie) caret दारयिता वा, द्रावयिता वा, द्रथिता यग्वन,स-इति qe Zo ४,८ |

goa,

४८९८ सामवेदसंहिता | [दप्र०२,२,८

अथाहमः zara, | ९२९ ९९२ १२ os 1 - मानद्रन्दुपराव्णकमवानःसधमाद्य |

१९१९ र्ठ eee ce ९२ त्वस्नजतोत्वमिन्नश्राप्यंमानदन्द्पराद्रणठक्‌ रट

R र्‌

;: 14८ 7 मानद्रद्धा। परावाकर्णाक्‌। भवानः सधमाश्टौ < इयाद्‌ | त्वन्नऊतीत्वमिश्चापिदयाम मानदनदरपराव्‌-

श्‌

णारेशउवार रे अरध्या Ml RE ll

शट ४५ ४४द ९, शर २९१द्‌

AL) 77 मानदृद्भपरा। वृणाक्‌। मानदन्द्रा। परावा- राहरप्रयण्छेत्यषः। aa दृ्टान्तः- पिता yaa यथा लोके विद्यां wa वा प्रयच्छति तथा नोऽस्मभ्य शित्च विद्यां प्रयच्छ | डे प॒रुषत! बहइभिराहृतेन्द्र! यामनि सर्वेः प्राप्ये भ्रखिन्‌

प्रकते ब्रह्मणि जोवा वयं ज्योतिः पर च्योति रौमि सेवेम- fenon २७

रट ऋग्वेदस्य ६,६,२७,२ | 1 गच्िगस्य, भरच्निगस्यवा सामनोदे।

२प० १,२,८] छन्दश्रा्चिंकः | ४५१९

दऽ

रहणाक्‌। भवारनः साधमादारदयाद। eat

र्रर श्र

त्वमिन्ना रभापियाम्‌। मानाभारदृदन्द्रा। परावारहे

र्‌ |, $ णार्देक्‌। BTRVyT डा २७॥ रः

८८

इन्द्र"! “a.” हविषां प्रदाढन्‌ असनान्‌ “मा पराश मा afcaret: (वजो aaa रोधादिकः। afe रूपं) तदेवा लं नोऽस््ाकं “MTA” TE मादन-हेतुभूते यत्रे सोम-पानाय भव किञ्च हे “इन्द्र! नोऽस्मान्‌ तमेव “जतौ जत्या खा- पय यहा जती व्यत्ययेन wate लिचा निपातितः aa- area रच्धिता खल्‌ तथा “ल्मित्‌” (इदवधारणे) त्वमेव नोऽस्माकम्‌ “राप्यं (९) waa त्वेव बन्धुरित्यथेः भ्रतणएव

aa we: पराहणगिति गतार्धः॥

''सधमाद्येः “quale «ft ष्व पार WON रट

(१)--“ाद्यन्‌ शज्रातवमित्यथेः- दति fire |

2८१

५४० सामबेदसहिता | [ ३प्र०२,२,९

आथ Aaa |

मेधातिथिक्ं षिः-।

शद्‌ ३१९३ ६९ ३२११२ FAW MTA AAA ANAT HAST: |

RRR १२ ९२ १२ पविचस्यप्रखबणेषुवचदन परि स्तोतार आसते ॥८॥ २९

धद WBA 4 1 qapisargdrat | आपानव्‌ क्तवारददि- ९१९२१ RR २१ | २९१ घाउ। ARR! पविचस्या। प्रखवणाद षुवृ रार 8 १्द र्‌ . हान पारेहेरौ। सोतारः। भसार२४५ता९५६९। ११९१ श्राररे४पष्‌ २८॥

धर्‌ UT wey द्‌ दं & BTU 8 शर्‌ 11 गौडावा। वयङ्कत्वासुतावन्तः। भौदावा। ओरौ

१९

शाद्‌ अआपानव्बदिषः। पवाद वारस्या प्रवणे

२९ उत्तरार्चिंकस्य २,२,१२,१ = WATT ६,३,७,१ छह दि०१८्-चण०्ट-न०९-उन०्हि०9।

I आ्राष्‌-कार-णिधन काणम्‌ |

Il मदावे्टभम्‌

2902,2,¢ | erates: | ५४१

= oe चा श्र चोरा र॒र घुवा त्रिन्‌ इद | परिज्ञाता < र्‌ र, द्‌ २९ 2 = THAT) पराद्रसाइता। रञ्रासता। भौरदावा Syl डा ॥२८॥

ut 8

IIL ओदादादहादू्‌। Set) वायाम्‌। घारर४-7 -

RT

AT सतावारहेश्ताः। अपेनार३ब्‌ क्ताबहिषाः।

रर खाद Weare पावित्‌ारर्शस्या। प्राखावा | र्र्‌ १९ aa R र्‌ easy षुवतृान्‌ | TMT) आरेरश्रडो। पा- ` रि्तारर४ता | रञ्चारसाभताद५दद्‌ | भारदेधमो २० ४५४४६ 8 | 4 द्‌ एन्‌ TR IV वयह्ृन््वोष्छाद्‌ | सुतावन्तावा | आअपोनन्र। द्ध १९ VL रेर

वाा्दरषारेरः। दोवारेदादू पवित्रस्यप्रखवणे। षु-

jLl आभि-निधनं काणम्‌ | IV महावष्टभम्‌ |

"~

lth

YBR सामवेदसंहिता | [रप्र०२,२,१ अथ दद्मो | भरदाजकऋ्छषिः*।

३९ २३ शर WE BU २३६९१९२

यदिन्द्रनाड्षोध्राभाजो।न्‌म्णच्चकछछष्टिषु |

१९ R वाजीश्दाररन दोवारदाद पराद्‌ स्तोश्तार३ | दो-

र्‌ g WUC R

wR TORT TARR] सारतारेरश्ी होवा। दौरद४-

शाः Re

हे “aqaeq’ “ल्वा” at वयं “a” खलु “सुतवन्तः' (*) सोमममिषुतवन्तः ““श्रापोन"” आ्रापद्व wae मभिगच्छामः(र)। ‘ofa’ सोमस्य प्रस्रवणेषु ““हत्तबहिं षः” स्तोर्य-बहिषः

स्तोतार त्वां पर्युपासते we Ve

# -संयुराष-इ्ति fae | “ate भओजो"-दति ऋक्पाटः (९) टचि qareen-xfa दीः yw |

(₹)--“रतद्ुक्नम्‌ भवति। यथा खापः नदीनिकरेः STE दीपं ufcatay अयतिहने तदद्‌ बयं खोतारख लां vicar’ वअयवतिष्टा इत्यथेः"-इति fae |

२घ०३,३,१०] छन्द शिकः। ५४३

Re? RR CMT RT ALE WT

यदाप्चक्ितोनां AAT सम्‌रविश्ानिपो एसा le «Be इनि द्वितोय-द्‌शति

uct र्‌ ४४ शर

I ओओदाद्‌। यदिन्द्रना। षीष्वा। apne `

नामूर्णीरम्‌। wate घु रेरदौश्ाददोर। दा X = RAAT! यारदया रपाच्चा२। क्तितीनाम्‌। एरी रे x

९अआदईडी ₹। WAAC! Baa! रा। Te

रे “ce”: argaty [नहइषदति मनुष्यनाम नि०२.२,९] तत्छम्‌बन्धिनोषु(\) “क्रष्टिषु* (२) प्रजासु (आकारः ससुचये) यश्च “sre” बलं “gay? धनं विद्यते “यहा” aq “पञ्च' पञ्चानां “'सितौनां"(९) निषादपञ्चमाश्चत्वारो वर्णः पञ्च

३० WATT ४,७,२८,२ | I योष्टोगवम्‌ |

(१)- 'नङबट्ति मदुष्यमाम fro 2,2,¢, 59 भवो ASE, मुष्य-जातोया- स्ठाखावाकर-जातीयाभिप्र ता, ते यश्षरगन्धवादयः, तासु,-द्ति fae |

(₹२)-(शष्टिष wees @ (नि २,२,०)-दति fae |

(३)--जितब इत्यपि ageara (fre २२,९)। पश्च चते ferry कतमे Tag ! चलारो वणाः, free: पञ्चमः | |

५४१ सामवेदसंहिता | [३प्र०२,३,१

WAT | ARATE! साश्वां रगाशश्रा२।

श्र निपीरसि। या। रे रश्श्भाददोर। शारेअजवा

R “ux

२। यारी होवा ऊरेद४पा ॥१२॥ २०

सितय- तषां खभूतम्‌ “qa” दयोतमानमन्रं तसषवं way “sat” आहर प्रयच्छ तथा “सन्राः'(* महान्ति, “विश्वानि” सर्वाणि “cher पोस्यानि wera") wre मार १०॥ ३०

fa श्रोसायश्याय -विरचिते माधवीये सामवेदाथं-प्रकारे कन्दो यायाने तोयदयाध्यायद्य तृतीयः खष्डः॥

nO =~ श्रध चतु Ge.

खषा WaT |

भेधातिथिक्छषिः |

९२ UC RTI UR

सत्यमित्थावृषेदसिवुषजूतिन्नाविता |

(४)--भ्यद्यपि wane: waaay पठितः, सथाप)ड सवं दा-अन्द-प्रयोमे

SUS: | WITS सवदा इत्यथः | (४ “at द्यानि-द्ति निषब्टो बल-नामसु चतुविं'शतितम्‌ पदम्‌ (२,९)। घुपां- सुल गित्यादिना wa a Rl <fa |

२प० ३,४,१] छन्द भ्ाचिंकः। TTT

२९ ९१२२९६२९ RC’ १६२ RR

वृषाश्ाग्रश्टणिषेपरा वतिवुषेा्र्वावतिश्ुतः ३१

५४ Bt

8 दर I सल्यमित्धावृ। षाभ्टद्रदसाद। बुषजुतिनाविता-; /

a ~) - x वृषाद्यु्राश्टणिषा RE | पररावतादई्‌। वृषोरहे- z ,

र्‌ | AT) वतादरश्रुररताद्दः। अआर२४५द्‌ डा ॥२२॥ ee

हे “उग्र"उद्णन्द्र ! त्वं “सत्यम्‌” “इत्था” इत्थ “aaa” कामानां वधकएवासि। “वषजतिः"”(९) gata: daft: सोम-रसस्य सोढठभिश्वाहती “a.” अस्मान्‌ “अविता” स्चिता ` भवसि “वषाहि” सेचकणएव “ग़ ख्विषेः' यसे “परावति” gisfa(’) “aaa” कामानां खेचक एवासि “्रवावति'' समोपेऽपि “हषा” सेचक एव “शरुतः” raat

“अविता” “अबु तः"-“बति पाठौ a १५३

३९ WATS ६,२,८,६ = भ्रारण्यके °हि ०१८ |

I इन्द्रस्य ; ठषकम्‌ | (१)-'हषयुतिः--अूतिमं मनं 3 (जवति जं त्यथः)" ere मनं यख etstfa:’- | इति fae |

ol टूति ग्रामे गेय-गाने GSATS-THSe: 1 g CH,

५४६ सामवेदसंहिता | [शप्र०२,२,२ अथ feater Taw

९९ BB ९१९१२६१२

' ८. यच्छक्रासिपरावतियदवावतिव्‌ ae | अतल्वा- R भिं २९ RRR 8 गौभिदयगदिन्द्रकेशिभिःसतावा्राविवासति॥२॥ BR

3 ae Le” Sea Bs¢ Bt

>, 1 sta यच्छक्रारसोपरावती। areata | faarat-

RR 5 श्र मि शदारन अतादः। भोददोरवा। त्वागोनिदयुग- ar द्‌

R t दिनद्राकेश्थिभिरः। सखुतारद। वारुर्रार्दश्मोदो

VTS. १९ ६९१९११९१

We | विवारसतीर३४५॥ १॥

श्र HR 8B

` ^; TL यच्छकरामिपरावतियदोषाद्‌। रवावारेतादवृचाद्ा

३२ ऋम्य दस्य ६,९,२६,४ = WITH ठ०१-रद्तिदे।

LIl दति, sae वा

२प०३,४,२ |] हन्दश्राचिकः ५४७

रे RT x > Seva अतादेस्त्वागाई भादद्यगदि। द्राकेश | XT द्‌ दऽ

शिभारः। TNR वारश््ासदेऽनौदहोवा विवा- ९१११९

रसति२३४५॥ २५ इर

= “qm” wa-waa-qaa ! “ae” यदा “परावति” विप्रक्ष्टे दूरे दखलोक-देे ““श्रसि” विद्यसे रे “asawa” aa- स्य हन्तरिनद्र ! “ag” यदि an “्रवीवति” भ्रवाचोनें तखाद- स्तात्‌ fad तदपे चया समोपे देणेऽम्तरिज्चै भवसि तस्मादपि “ग्रतः” अस्माडलोकादा हे “इनदर! “युगत्‌'"(९) TTS, Sy, गतौ fafa “गमः क्षा” विति भ्रनुनासिक-लोपः। तुक्‌ “सुपां qafafa” भिसो लुक्‌ द्युलोकं प्रति गच्छद्भिः खभासा- सर्वतो गच्छद्धिः “केशिभिः” केशवदहिः हरिभिरिवखिताभिः hi.” “ला” at “सुतवान्‌ ` अभिषुत-सोम-वान्‌ यजमानः “afaatafa’ arate aw प्रति श्रागमयति। त्वामेते;

स्त्रः परिचरति वा(९)५२॥ हेर

(१)--ख मत्‌ दिप्रम्‌ दति वि०। मत्‌^दूति निषस्छमौ चिप्रनामसु वबोवि-

ब्रतितमम्‌ पदम्‌ (₹२, १४। (२)--^रेभष्वाद्मानमेव परोचरूपेरू प्रतिनिदिः शति रेभोनामाय्षिः परि-

चरतीत्यथः-इति [व° |

४५४८ समषेदसंशिता। [३१्र०२,२,२ waver | वच्छक्छषिः # |

९२२ १द WRC र्द रर

2८९ अभिवोवौरमन्धसोमदेषुगायगिरामश्ाविचेतसम्‌।

२३२९ २२२९६ CR

इद्रनामश्रूल्यशाकिनंवचोयथा देर रर ष्र्‌ 74.3 7 अभिबोवीरमन्धसाः। मदेषूरमायार। गिरा- | t १२.९६ ४५ श्र ATS | बीोचंतारेदश्साम्‌। इद्धन्नामा। AAMT |. PT १९१९११११ MIR | नारः ओडोबा। वचोऽपार३४५ २॥ दर दूयं पिपोलिकमध्या(९) avatfa बहवाः WTR पादो ANEMIA, AAAseracafa Facer [हे उद्वात्रादयः,

“व युयम्‌ (अधवा हे यजमानाः वो युष्माक) “हिताय “wares”

[णर

# ‘agata ऋषिः'-इति fao |

२२ Wa दस्य ६,४,२,४ | I कात्तयशं, कात्तवेणं वा |

(र२)--'पिपील्लिकमयत्योपमिकम्‌, पिपीलिका dea मेतिकरणः.-इति are: द्०१;, १९२।

© २प० 2,8,8| न्द प्राचिकः | ५४९ अथ aye रहाजजऋ्छषिः* |

९९२ RW RL इन्द्रचिधातुशरर्णन्तिवङ्थरखस्तये | ओ. RL 2 ९२

कदि यं च्छमघवद्भयबमदाश्चयावयादिदय मेभ्यः ॥४॥२९

९९१९ द्‌ २९

I इन्द्रचिधा५तुशरणाम्‌। जिवदथरसुवस्तयाद्‌ ` ,

सोमस्य “मदेषु” उत्पाद्यमानेषु wa “बौर” शत्रणां वौरथि- तारं “नाम Wat नामकं “विचेतसं * विगिष्ट-प्रन्नः ““शु- तयं” way Rae Wa’) | “शाकिनं थक्तिमन्तम्‌(*) Ley “ee? ! ^“महा”०८५) महत्या “गिरा” स्तत्या “वचो” arere-

# (सयुराषहट-द्ति fac | “खस्तिमत्‌”-दति wae पाठः |

२४ ऋम्ब दस्य ४,७,१८,४ | I इन्द्रस्य शरणम्‌ |

(द)--किबरणकार स्तवं वं याचट -- कमिव लद्ि ? उच्यते--“चत्यं व्यो वथाः लो भवं त्यं, वज्ञ; वचनम्‌। यथा कडित्‌ रलौ मवं वचनं सत्यायैलन सोति FEY ₹होत्यथः।

(४)--गकनं wre: क्तिः, सा varia, तम्‌।

(४५)--“मद्धः' इति faael AWMAZ प्रथमं पद्म्‌ २,२; सुपां सुलु भिन्यात्वं - पम्‌ |

४५५० सामबेदसंहिता। [३प्र०२,३,४

1 9 c

R efeaieaet | माघवङ्धपः। चामद्यारश्वा। या- | TMV! दुमेरभिया। Wawati WT STH ४॥ ३४

- 2 ~ ~ दौया “यथा” aa प्रकारेण प्रवत्तते गायत्रा विष्टभा at तवा “aya” गायत स्तति कुरुत ॥२॥ ददे

हे “नदर” ! “विधातु तिप्रकारं जिमूमिकं(९) “fra- sy” तरयाणां शोतातपवषौणां वारक(९) “ama” अविना- शाय “छदिः” efewq भआच्छादनःयुक्षम्‌ | एवं-गुख-विशिष्टं ‘grey’ we’). “aaayta’ मघं effaced धनं तद्डय- खास्मदोयेभ्यो यजमानेभ्यः “aw” wera “चः “प्रयच्छ afer भपिच। “एभ्यः सकाशात्‌ “fed” शन्रप्ररितं द्योतमान मायुधं (*) “यवय एधक्तुर २४

(२)-“धातुष्ब्देन रसा उद्यन्तं, अयो रसाः, देव-पित्‌-मनुष्योपभोम्धाः | अथवा धातवः, काम-क्रोष लोभादय सं ्विसक्घम्‌। अथवा सुवलं-रजत-माशिकैः fafa: धातुभिः aa यत भ्धिलु-शरणं ग्टडम'-द्ति Fao |

` (₹)- तश TY वब -इममष चन्दनागशकुद्सादिरूपम्‌ विवरण -सकालम्‌

(४)- कदि रिति यथपि weatad (fae ३,५४,१८) पठितम्‌, तथापि wee मित्यनेम पोनरल्नय प्रसङ्गात fRafaien eta, efeel freer frame CIS TAR! समृ, दोक्भिव्य्थ दति fae |

(४) “fea नइति बग-नामसु प्रथमं पदम्‌ (नि०२, २०) "दिष्दथ wonge’- दति fae |

२प०२,४,५] छन्दश्रालि कः | ५५१ `

अथ पञ्चमो |

कुमेधङ्छषिः# |

रे R र्र्‌ खआयन्तद्ूवखयं विश्वदिन्द्रस्यभक्तन | १८) १९ RW WAY २१६१२ aee रर वसूनिजातोजनिमान्योजसाप्रतिभागन्नदोधिमः) ॥५॥२५ ` {Ut

आयन्तोयम्‌। ्रायन्तदर वसु्रायाम्‌। fre

© श्रस्मरोयाजनाः ! “ara सूर्य” यथा समािता

“aa” भजन्ते तथा “gare” “विश्वत्‌” विश्ठान्येव

धनानि भक्षत” भजत यानि “वसनि” धनानि "जाते"

saa “जनिमानि जायमाने जनिष्यमाणे “stem” बलेन

करोति wat भागं पित्र भागमिव तानि धनानि “प्रति

द्टौधिमः” प्रतिधार्येभेति [यदा “यायन्तदूव खय ` यथा समा- * 'ठमेधसभ्राषंम्‌-दति fae |

“दोधिम"-द्यपि पाठः कचिदटन्पे दोय-पुस्तक out ,

eee

२५ SHUT ५,२१४.१ = ऋग्वे दस्य ६,७,२,१ HE प° दि०--१्द्‌'्दि०र~जच्ये दि०१६- १८ ठ. हि० |

I खायन्तौयम्‌ |

५५२ सामवेदसंहिता | [awe 22,4

|. श्र दृदिन्द्रा९। स्यभा रशत वासूनिजातोजनिमा र्द 6

र्‌ नियोजाश्सार। प्रतिभागन्नदीरेधिमः। प्राररती

RK श्र ४. Ret

भागान्नारदा। SA fears) Weevart Fez ९११९

४५॥ ५॥ रषु

चिता रश्मयः सुर्य मुपतिष्ठन्ते तथा “see” “fina” विश्वानि धनानि विभक्तमिच्छन्तः समाचिता मरूतः इन्द्रसुपतिष्ठत इति शेषः उपस्थाय W मरुतो ‘aafa’ उटक-लछ्खानि धनानि “na” जायमानाय “जनिमानि जनिष्यमाणशाय(१) aqera ‘sree’ वलेन “मश्षत(२)” fared | तत्र चास्माकंयो भागः तं “भागं” (नेति सम्ब्त्र्थे) प्रतो व्येषः श्रशुद्येतस्य स्थानि “Te: दौधिमः' वयमनुध्यायेम(₹) [तथाच यासकः- (ने ९८) “a- माचिताः सूयंमुपतिष्ठन्तेऽपिवोपमा्े wraa fut सुपतिष्ठन्त

(१)--“जासे -"जनिमानि' दे ऽप्य ते प्रथत कवभ अतुय्यं कवचनदख्य खाने द्र्य | जाताय, जनिष्यमाशाय मूतप्रामख्ाथाय दति fae | (₹२)-ष्योऽपययं मि विं -पुवो ere: | (९)-- "यथा कञ्चित्‌ पिस चार्थ साधारणस्य भानं ध्यायति, तददय सानि विभज्यमानानि उदकानि aque: -tfa fac |

© 29° 2,8,¢2 | छन्दश्राचि a: | ५५२ अथ षो | पुरुदम्मा ऋषिः |

RUC श्र

नसोमदेवच्मापतदिषन्दोर्घायोमच्यः। 24

१२ श्र रेर ९२३२ १२ ९६ ९२

एतम्बाचिद्यएतशोययोज तन्‌ द्रौ दरी श्य योजते ॥९॥२६

२४२ २४२५२

1 ANASTAL | WIRTZ | पारेरे४। तत्यनो fo

| §

द्‌ 9 वा। इषरदोरद। दीर्घादोर। योमन्तायारः। इति सर्वाणोन्द्रस्य धनानि विभच्यमाणशाः यथा घनानि विभ-

जति जाते जनिष्यमाणे चतं वय भ.गमनुध्यायामौजसा बले-

नति

"जनिमानि" “जनिमानः”इति पाठौ ५॥ By

© “दरोटृन्द्र"-दति व्यतिक्रमपाठघ ऋन्वेदोयः |

३६ ऋम्बेदस्य ६, ५,९,२ |

I area, arate at | का,

४४४ सामवेदसदहिता [रप्र° २१२,

रद र्‌

अदूतम्वाचित्‌। AMET AMSAT! ऊद.

. श्‌

पा। जतारद्‌। आद्न्द्रोर्डारौर। FARA जा #ैर॒ द्‌

५१ ९, स्तारेद्शअदोवा GRRAVAT Be

~

हे “दोघायो”! faa a. “ada” इन्द्राख्य-देव-रहि- तः “aa.” मरण-धमौ मनुष्यः “et” सवे (र) “tay”? अव “नापतत्‌” प्राप्रोति | "योमत्यः” यस्येन्द्रस्य “एतम्बाचित्‌” एत- qatar भवतोऽभिमत-देण-गमनाय सः “एतः” एतगो(र) ““बुजो जते” योजयति रथे, यज्न' गन्तुम्‌ (raat हरो युजो- जते स्तोतिस प्राप्रातोति समन्वयः।

“maa ata पाठो। “शतशः “एत शाः-इति पाठौ BF

(१)--सौभिति पदपूरशः-दूति fate | (२)-र्षभिति निषष्टो अच्रनामणु चतुद म॒ पदम्‌ (२, ०) | (१)--“ carer दृति निष्ट वश्वमामसु मवमस पटम्‌; “रतष्र-इमि दश्मम |

2702 8,9] See 1 ५१५५ अय onal |

कुभेध-पुरुमेधाठषो

TR TR १९६२९ १२ VLR

अनोविश्वासुषव्यमिन्र५*समसुभरषत |

BT २१

“८ ^^

, 1 आआनः। रएविश्वा। सुषाव्यारम। WeeRW 1, ^

र्‌ VR ९, R VR

सम GATA ऊरदध्पा। दाहाद्‌ ART- रर २१ २९

[र

णिसवना। निवृचदान्‌ परमारेज्याः। आचार

दाद्‌ षमा। ओरद्ोवा। Burl sie: ४ैर॒ द्‌ < | 8 II अआनोविश्वातुषटादाव्याम इन्द्रसमव्छभषतो | . qaTesq | णिसवना। निवृचष्धान्‌ | परमाररज्याः

Waar षमा। ओरदोवा। WTI डा॥र॥

Qt (द्‌ <

Ill आनोविश्वासुदाव्याम्‌। इन्द्राम्‌। समद्यभूषतः

जा GD

[पि

नव

* “व्यदून्द्र"-दइति wea eta: पाठः |

LILIII शाक्राणि वा, वासिष्ठानि वा, वेयण्वानि वा, रा

a

५५६ सामवेद संहिता | | ३प्र०२,२, 9

६९ २९ x उपब्रह्या णिसवनानिव चदनपरमज्याकसचोषम+ liso

8 STALE | शिस्वनानिव चद्न्‌। परामाश्ज्या रः | र्‌

ऋचोषाररेमा२४२। ओर२४५द्‌। डा ॥८॥ Bo

हे स्तोतारः; | “विश्वासु” walg श्रसुर-युदधेषु “हव्य” wa- दवे राम-रत्ताघ माद्वातव्यम्‌। एतादृशम्‌ “इन्द्रम्‌” खदिश्य “नः” रस्माकं यन्न “ब्रह्माणि स्तोत्राणि इवोरूपाख्त्रानि वा ‘sna waged Waal “हव्रहन्‌” हत्रस्यासुरस्य पापस्य वा हन्तः ! “परमन्यः” Fey शच्र-हननाधं परमा अविनश्वरा ज्या मौर्वं यस्य aaa | यदा परमान्‌ वलेन प्रक टान्‌ शज्रन्‌ जिनाति हिनस्तोति परमज्चाः हे “ऋ चोषम?(९) | स्ततिभि रभिसुखौकरणोयेन्द्र | एताट शसत्व' सवनानि प्रातः सव- नादौनि कणि ब्रह्माणि" स्तोचाणि ““डपभषतः'' waged!

“भृशतः "भु शतु"-दति पाठी “वु चद्न्‌ ""-“वुचद्ः" tfa ३७

- 'ऋचोषमः"-द्तयत्तराचचि क-व्याख्यायां सायणाचायः।

ao SUA HA ७,१,२,१ = ऋम्ब दस्य ६,६,१२,१ = HS द्‌०९-हा०२०।

श्वानि वा, शौलकानि वा, garfa at, qantas वा, ष्ष्ठा-

निवा, योक्रा्वानिवा, सोमसामानिवा इमानि atfe |

(१) eaten इति डि इच म्ब तावित्यद्छ रूपम्‌ |

२प०२,४.८् छन्ट्‌ रचि कः | ५५७

अथयाष्टमो। वसिष्ट रषिः * | रर्‌ ०८.९६ १९ tities ३२ तवेदिन्‌द्रावमं वसुतवंपुश्यसिमध्यमम्‌ | LI

र्द रद ३९ १९ ₹?२ टद UF सचाविश्वस्यपरमस्यराजसिनकिष्टा गोषुवृणवने uci a 8 र्‌ र्‌ 4 I तबेदिन्द्राधरवमंवसु। त्वपुव्यसिमध्यमम aa! ` द्‌ ।। ९९ UT ९२३ ae वारदृष्द्रश्वा। स्यापरमस््राजसि। नक्िष्टारेट्ध्गो १. 2. ` षृवुणवाररेतादू। शावादेदाद्‌। चदा। वादारश्डवा १९१९९ |

२२४५ १०॥ रट

“ag?! “अवमम्‌” sua ag सौसादिकं “ag” wail

C679

यदा भौमं वसु waa “Ada” तवेव “त्वं "त्वमेव “Waa”

‘dara: इन्द्रमाहः-दति fae |

QO ऋग्वेदस्य ५,२,२०१ = आरण्यके प्र०२०--२१- दि” ४--- |

1 प्रजापतेः, निधनकामम्‌ |

५५८ सामबेदसहिता।' [शप्र०२,२,^ अथ नवमो |

भेधातिथिमध्यातिथिख ऋषिः | १९२ रे RR Xt g ^ HATH दसिपुरूताचिदितेमनः।

१९ ६९९३१ अलधियुधखजकछृत पुरन्दरप्रगायचाञअ्गासिषुः ॥८॥३८

| धर ९२१ दाद ^ ,4../4 1 कयथा। कुबेदसा रद्‌ २। R श्र शद

BAVA | Fara! हितेमनार:। Wet

श्र

अदो ओरेदोररध्वा। we! ध्माख ? SHRM BNR! Bee! अरदोरेरश्वा

वसु रजतहिरण्यादिकम्‌ श्रान्तरित्तं वा ““पुष्यसि'* “विश्ठस्व'' सर्वस्य परमस्येत्तमस्यापि ware दिव्यस्य वा वसुनो “राजसि” ईशिषे “स्रा” सत्यमेव(\)। afta “at” लां “गोषु” नि- भित्तेषु “न कितव ष्वते" केऽपि वारयन्ति दष्ट

२८ ऋग्वेदस्य ५,७,११,२ |

1 इन्द्रस्य

(१)--सवा-ट्ति निषष्डो म॒त्यनामनतु तलोयं पद्म्‌ (६,१०) | “खवा सवंदटा'- द्तिवि०।

2408,8,¢] SAT कः ५५९

₹२ २२१ | ._ श् पुरन्दरा प्रगायाचारः। MarR! Were) ओौ- ९२९१९११४ 2 WET

रदोररे४वा | WM! ARTY ANAT | Ty

१९१९२९१

सारदे: ११॥

४४ 8 9 र्रर

11 कुवाङ्वा। यथा कुवेदसाद ऊवादर ओद-¡/,? `

९१६९९ श्र RTL दोर२४५। पुरुत्राचादून्‌। दितेमनाः। wares wt ११९११ रर रदो २२४५। अलर्षिंयू। ध्माखजकृत्‌। Bare चरौ ९६९१ र्रर रेोर२४५। पुरन्दरा प्रगायाचाः। war! ची- १९१९ RR at < रो२२४५। भगाई। सार्दरषरर४्मीदोवा। सुशा १९ १९१९९१९९

दसा २२४५; १२॥

रर

TIL क्रं यथकूरवाद्ूदारेरध्सो Gearhart दितः-

111 वसिष्टस्य वा ; प्रियाणि श्रीणि।

५६० स।मवेदसहिता | [३प्र०२,२,१०

अथ दद्ममो | कलिक्छेषिः Rue र्र्‌ meat वयमेनमिदाद्योपौ णम्‌। ‘3 g TATRA: | आलषिं युष्मराखजकृेत्‌ दाउवा। , र्‌ , x

पुरन्दारररा। प्रगायाचारः। WATER | aera र-

१९११९१९

रओष्ावा। सुर२४५ ea ll Be

हे “न्द्रः! “क्व कुत्र 22 “caw” गतवानसि पुरा “sq? कुत्र व! “alfa” भवसि verat cua? “qeatfafe” बहुषु fe “a” ada “aa.” सख्चरति “quraq’”’ ae- कुशल! “खजक्लत्‌” qea क्तः.) दे “पुरन्दर भ्रसुरा- wi पुरां दारथितर्हदनद्र! “Cafe” आगच्छ(९) “गायत्राः”*(९) गान-कुशला श्रस्रदौयाः स्तोतारः “प्रगासिषुः"" प्रगायन्ति स्तव- न्ति (श्रलर्षौँतये तत्‌ दाधल्य दौ(*निषात्यते < ३५

(१)- खजेः-दति निषष्टो मङ्जामनामसु ऊनचल्ारिश्रत्‌ पदम्‌ (२,१०)।

(र)--“खअलपंति'-द्ति निषन्त| गति-कमसु Twas (२,१४)।

(द)-*मन्त्राः-दति Fae |

(४,- दधिं दधति दर्बंषि वोमूतु afar ऽशष्ये ऽऽपमोफखात्‌ सं सनिष्यदत्‌ करिकरत्‌ कनिक्रदत्‌ भरिभत्‌ दविध्वतो दविद्धता तरिबतः सरोसृपतं alee मरव्यागनोननोति ( पा० Seige lt

२प०३,४,१०। SCT eT: | ५६९१

ate a a ९.९.९१. नः तस्माउश्द्यसवनेसुत *भरानृन ITAA ° Be

दति दतोय-दशति ३॥

AT द्‌

द्‌ I बयमेनाम्‌। आरददार्द४्मीष्ोवा ! दोर १९ र्रदर : t याः। अपोपेमेदवजि णम्‌। averewnare| waa 8 शर 8 र्द

नाद सृतम्भारा र। आनूनारदभू। षातश्रुते। इई-

डाररभा२४२। भआर२४५द्‌ डा १४॥

. 7 t Rw RT Il वयमेनाम | इदारद्ायाः। wWatele |B R RT

४,

Marri cl दावञ्चिणाम। नस्नाउवा। waa

“वय” यजमानाः “ua” वखिणं वच्व-यक्लमिन्द्र “rer” द्दटानीं। “ह्मः” श्वः अतोतेऽङ्कि। “ae” यत्राहगंे “qua”

* “-समनासुतम्‌ "दति छभ्वदौयः पाठः |

Qo उस्तराञ्िंकस्य ८,२,१३,७ = म्ब दस्य ४,४८(२१), R= ऊदे ao हि०५। | LIl seq, वसिष्ठस्य वा aaa | Oa,

५६२ मामवेदसहता। | ३प्र०२,५,१०

RT RT UC ष्र्‌ र्र्‌ नाद्‌ सृतम्भरा। आनौद्यो। ART षातश्रता ३९उवा२२। ऊदेश्पा १५॥ ४३४२ ४५ |

a

2.4% TIL वयमेनमिदा | दिय चरेरध्वा। इयाद्ाट्‌

दर ° एङ्‌

४. वेरो रइ अधीपेम दावजिणा रम Aqsa

शर्‌ सवनाद्‌ सूतम्भारार। रैद्या। भनुनाररथ्मू | RA र्‌ १९१९१९९१

घताश्र २२९५ ता६५६इ शरवारसार२४५द्‌ १६॥ Bo

्ाप्यथयाम(र) सोमेन “तस्माउ"तस्म!देव “qa aq “सवने

“सुतम्‌” अभिषुतं सोमं भर” हर अध्वयो! | “ननम | ~ ON

cera “सखुते"(९) सति “MUMIA अ्रलङ्रुल १० Yo

tia त्रोसायणाचाय्ं -विरचिते माधवीये सामवदार्थप्रकारे eared ततोयाध्यायख चतुथः खण्डः

% fi A 111 इदच्चन्द्रस्य वसिष्ठस्य वा वरूपम्‌।

(२)-पयायौषखोप्पाया vat विन्यस्य रूपम (२)-- “रत सप्तम्येकवचनभनिदं वतुण्यकवचनद्य साने ces, रतःय faqary त्यथः-द्ति fae | -

RHO 24,2] छन्दभ्रा्चिंकः | ५६३

अथ पञ्चमे खर्ड- zw खषा THAT | परुषन्म्रा ऋटषिः# |

iS रर्‌ रड ९९२ १२

योराजाचषंणोनांयातारथेभिरधिगुः | < ^: 2 RIC रब ॥. नाजयेषटयोडच विश्वासान्तरूतापरतना नांज्ेष्ठंयोडचष्ागरणे ४१ रर ४¶{४ ररर v5 1 योराजादेचषणादूनाम.। यातारथे। भिराभ्रा-? :` | _ RTS WITS | वाद्रश्रासाहेम। RATS ९२ , तर्तार। पात्तानारदध्नाम ज्यादरद्रयोवा। चा- £

+ 8

दागाररश्णाद्‌ | चचाभरगणाई | BUT डा॥ १७॥

* ‘Gara श्राषम्‌'-इति fae iia, 9) ~ “SP BY-xfa ऋम्बे दौयः पाठः

४९ उत्तरार्चिंकस्य ३,१,१५,१ = ऋन्बे दस्य ६,५,८,१ = we हि ° दि०१४-स०दि०9-श्र्०दि०१३।

I पोर्द्मनम्‌ i

५६४ सामवेदसंहिता | |दप्र०२,४.२

we दितोया ¦ भगंकऋषिः | १२९२ १२९ ६१२९ १२ यतदृन्रभयामदेततोनोज्रभयं Tile | श्र TUT ४. & ५. a रष

1 TL योराजाच षणाररद९्दनाम यातारथेभिर-

र्‌ रर रश दर र्‌

WIA: | विश्रासान्तहताएतनारदनाम SATRAE-

द...

छाम | योव जोवाहे्नोर२४वा | गाणां दाद ॥१८॥४१

"विश्वासाः" watat ““एतनानां सेनानां “तस्ता, तारकः न: Ao ने ८८.०१? ८6 ११ ° यख was: गुण गंरोयान्‌ “यः” “sae ga हतवान्‌ | C6 ११

+ Ae अभिकं . a “wae” सव रतिशयेन प्रशस्यम्‌ wit ae वा महाभाग

मिन्द्रं “गरे स्तामि५१॥ BY

Il प्राकषंम्‌ |

(१) —“afea-w Fara -eafirartn fern Fora-farrear fare g-@ -जाल,-तरूत्‌-तरूत

बसतु-वरूत्‌-बरव)-सुआङटिति-चरिति-वमित्यभिति (पा००।९।९४)"-इति सिद्धम्‌

AT, 42] weufaa: | ५६१५

१२ श्छ ९५९१९९९२ रेख एर Re

HAIN चग्धितवतंनऊतयेशविदिषोविग्टधोजदि ॥२॥४२

¥ र्‌ UST द्‌ र्‌

1 यतच्ाडदद्राभयामद्दाद। ततोनोभभयङ्गा रदी LS wt र्‌ मघवं दग्धितवतन्नजतारद्यादइ विद्ादषोररवो। मा

श्‌

STS इडारदृभार२४२। ओर२४५द्‌ डा ॥१८।४२

Sam’! “यतः” हिसकात्‌ “भयामहे” वयं “ततः” “a” अस्मभ्यम्‌ “अभय” “ata” gee “मघवन्‌” ! “शज्धि'”(\) wat भवसि “a.” अ्रस्मभ्यमभयं कन्तु “तव” “aaa” रक्त शाय “विजहि” “fea” sag टन्‌ “सथः” अस्महिंसकान्‌(*) “fa” afe(®) ॥२॥ ४२ “तिभिः” -दति ऋन्वेदौयः पाठः उत्तरा्चिकभाये स।(यण-सख््मतञ्च |

४२ उत्षराचिकस्य ५,२,१५,१ = ऋम्ब SAH ६,१,२४,४ = Ae Wo हि०१० | |

1 इन्द्रस्य ; अभयङ्करम्‌ |

(१)--अग्‌धि याम तव खभृतं तत्‌ अभयम'-एति fac | शम्‌धि'-इति faa} याचखाकमसु TYR WA (३,१९) |

(₹२)-मध इति सङ्गम-माम (नि०२,१७,२)) aw करोति, “aa करोति" इलि fea, मधयति-ष्यन्तात्‌ fafa रूपं साध्यम |

(९)--वत्यपसमनच्र तं होत्याण्याताभ्थासः |

५६६ सामवेदसं {इता | [२प्र०२,४,३

अथ तुतोया। द्रिभिटक्षि.#। ¢ रर्‌ १९ ea वास्तोष्यते ध्रु वास्थुणा CA AAT |

३२ ९२३९ श्र ९२९ ९६

द्र सुःपुराभेत्ताशश्वतोनामिन्द्रोमुनोनारसखा NE

२१९ . ५.,१६ 1 वास्तोष्यताद्‌ धरुवा स्थृणाभोरेरध्वा अध RF श्र ऽर \ Ses AAA ALA द्रप्सः पुराममेत्ताशश्वताररदनाम 8 ४, शू ऽर

आर३९द्राः। मुनौर। ना३१उबा२३। सार |

खा॥२०॥

दर ४र देर

ET वासतोष्यतेध्र वा | स्थुणारे। आर ४। Aaya |

x “द्रिभिरि इति विन्-पाठः “भत्तापुरा”-इति व्यतिक्रभेण पाठः ऋग्वे दौयः

४२ ऋग्वेदस्य ६, १,२४.२ |

1 कावष दह

Al»

२प०२,५.२। न्द्रा a: |

Bx &

म्यानाम द्रपसःपुरामभेत्ताशश्चतारददनाम अरर

रे द्‌ R

SRT मुनीर। नोरदेश्वा | सारहे्खा We ४३

हे “वास्तोष्यते"”(९) ग्टहपते ! “ara” रट हाधारभूतस्तन्ः

“शत्रवा(२) स्थिरा भवतु ' “सोम्यानां” drarera सोम-सम्पादिः- नां वास्माम्‌ ^श्रसत्रम्‌”(२) saad भ्रसोपलत्ितस्य Beas WUT ्रायक बलं भवतु। अपिच “ew.” दूवश-जौलः © fi 66 9.१

ara: तद्ान्‌ [्रगप्रादिव्ादच्‌ era.) “शश्वतीनां ८५) बह्खोनां “gua” श्रषुरपुणणां “भत्ता विदारयिता एव- wa: “oe.” “qatar” ऋषोणामस्माक “ag” भितरभूती

Hag i 2 0 ४३

Q)—arg ain qe वसते मिवारुकमं tae पाता वा पालयिता a-< fa fate Sore, rg |

(२, श्र.वा BA लुपोपममतत्‌ CAA | MAT WT ee ae WE WaT Wa WIA ATT त्वमात्रयभूत दूत्यथः'-दति fae | °

(३)--"शंखुजम्‌' एतदपि लुप्ोपमस्‌ शसवरमिव Wet धनुः कवचं at) यथा शव. wt ag पार्यत वातद्भत्‌ जेता पालयिता रेत्यथेः-दूति fa |

(४) --““अग्ादिग्य खच्‌ (५,२,.२७) "इति पा०।

(४)--"गरत्‌"-इति निषष्टौ बह्नामस पचमम पद्म्‌ (२११) |

yet araezafeat | [३प्र०२,४,४

अथ aga | जमदग्िक्छेषिः १२ १९ 2 Ah बए्मदारअभिस्‌य बडादित्यमशाए AAT |

SNR 4.१. ९९१९

AVG तोमदिमापनिष्टममडाः, SAA ST ey Ball ses 8 र्‌ रे र्‌ ., 4, 0% 1 बण्मदाररअसिसूरया। बाडादित्य। मशापभा- R = at श्र १सार३४्द्‌। मदस्तेसतोमदिमापनि। टारमा।

२९

दार वा२। मशोररध्वा। अा५सोईडाद्‌ ॥२२।8४

(wa शोनकः-“बरमहमिति टृष्टाकमुपतिशे् चौ जपन्‌ | वदब्रप्यकतां वाशोचाढृतेन लिप्यत”-इति) हे “सू” ! (ae

----=- et ee

# “SS. -cfa wea Sta: पाठः।

en ~~ “~

88 SATUS HA ९€,१,८,९ = Wa दस्य €,9,5,2 = आरष्क्े हि०१२ = AE एका०्ठ० ५- तयो० Bod = HH हि०१४।

I aaara |

OQ (१) qa: aw वा gaa ar सौते a” xfer निग्द०१२,१४ ‘ae दरथिता नाश्मयिता wai na’ -इति fao |

[

R703,4,4] न्द ्राचिकः | wee

अथ पञ्चमो। टेवातिधिच्छपिः। ९२ ९१२ २२ SY विकि अश्वोरथोरुङ्पदद्‌ गोमा्*यदिद्रतेसखा | wR RXV. Reet RT et

AT चभाजावयसा A AAS AAT ATT ॥५॥ ४५

केन्द्र ! त्व “Caer” तेजसाधिको “afe” “ae” सत्य(९) नै- लम्भिथ्येत्यथंः हे “arfea” रदिते; ga! (९)तवं “मान्‌” बले- नाप्यधिकः “safe” “ae” सत्यमेव “महो” महतः “सतो” भवतः “a” तव “महिमा” ava “पनिषटम'” area’) स्तोढठ- भिः स्तयते हे “देव” योतनादि-गुण-युक्ष ! खयं ! तं “महा” महत्वेन वोये णाप्यधिको “असि” भवसि संशयद्न्यर्धः | “पनिष्टम"-“पनस्यत-इति पाठौ ४४

% “गोमार्ददिन्र"-दति, “चन्द्रो -दति ऋग्वेदीयः पाटः |

BY WTA ५,७,३१,४ |

(१)--“वट्‌^-इति सप्यनामसु प्रथमं पदम मै ०३,१०।

(₹)-“श्ादिन्यः कमादादक्नेरसानादत्त मासं व्योतिषा मादोप्नो भासेति वादितेः Qa इतिवा east वद्धेतदषाभ्याननाये aera सूयं मादितेयमदितेः Wa) श्व मन्यासामपि देवतानासादित्यप्रवादा; श्ल तयो भवन्ति नद्‌ यथा" इत्यादि fae |

(९)-पनस्यति दति fae ; पणते प्रगते वा त्रो वांति--कर्मसु tifa ard पदम |

ऽर्क,

Lyy

—_

|

+

fa t*

2 Os

५७० alaazafeat | [रप्र ° २,४,५.

§

I wag! Grasses २त्‌। गोमारयदिं |

ब: 2A

द्रातेश्साखा२। आरात रभाजा २। वयसासचतसारर-

` दा।. चन्द्रादर्यारतीरे। सार्दभादम ऊरश्भ्पो-

| 4

Biz WR tt

4 द्‌ ब॒ ¥ AT रद्‌ = : ^ 7 अश्वौरथोसुरूपा ददेत्‌ गोमायदिन्रतेसखाउ-

रर x

ARISTA SRT LEAT आाचाभाजावयसासचतैसदा-

satesdtare aereiar | चददाूर्याश्ती | साभा-

र्‌ |, र्‌

मुप। इडाररभा२४३। ओर२४१५द्‌ डा Rs Ww By “इन्द्र” ! “ते” तव “सखा” मिन्रभूतः पुरुषः सश्वाादि-

गुण-विशिषटएव भवति (cee: प्रत्येक मभिसग्वध्यते) “अशो

इत्‌” वह भिरण्वेरपे तएव भवति कदाचिदश्वैविंयुण्यते “रथौ”

waarq भवति “geq:” शोभन-ङरूपः गोभनाक्यवणव

LIT वैश्वदेवे, भानुपे, aren वा द्मे Fi

गर्प०्२,५.,६ ] wefan: YS?

अथ wet) परुषन्मा wee: | र्ठ रर व. रर WRF यद्यावदद् तशत्ंशत MAA: | Lye

भवति “गोमानित्‌'” बद्वौभिर्गोभियक्तषएव भवति कदा- विदेते्वयुन्धतद््य्धंः। अपिच “खा भाजा” (arafafa धन- नाम(५) श(२) आरम्‌ wate whe प्राप्तव्यं शोभन धनं सम्भजता tena संयुक्तेन “वयसा” (अब्रनामैतत्‌(९) | अन्नेन सदा सवेदा “सचते” समेति सङ्ग च्छते | अतएव “चन्द्रः” सदैषामा्हाद्केः(*) स्तोत्र gat सन्‌ “aut” जन-सं सदम्‌

उपयाति" उपगच्छति ५॥ ४५

(x) —arafafe free} षन-नामतु we पदम (९,९०)। “श्वाजति'-दति मति कंस पठते (२,९४)। ्वादभिति fear) चिप्र यत्‌ सममजते तत्‌ Wears, तेन श्वावभाजा, चिप्र सम्मजतत्यथः-द्ति वि०। wy बयसत्यख विद्ेषखम्‌ |

(२)--श्ए-दति धिप्रनामसु पञ्चदशम्‌ ( नि ०२,१५ ) |

(द)--निषण्डो Waray "वयः", सुतः; छुतम्‌"-द्ति पद्वयं पाठ्मदेन सप्तमम्‌ पदम्‌ (२१०) |

(s)\— qaqa: कानिकमं यखम्दमनित्वख् भवति चासद्रमति, चिर रमति, qear पूवम्‌। चादरुचेभिपरोतस्य इति (Mo Kets) |

YOR सामबेदसंडिता। [शप्र ०२,४,

२१९ २९ २६९२६ १२२३६१२

नत्वावजि सदखरुसूर्याभनुनजातमष्टरोद सो ahve

रद्‌ RL TR

a * ~ 1 ROTATE RAAT MAMA: | न-

₹२ त्वावजि Wa र्या नू २। नाजा हतामार३। रो- 8

रद्वा | STURT UTE H २५॥ ४९

~

“ae”! “ते” तव प्रतिमानां “az” यदि “दयावः यलोकाः “aa” शत-सरख्याकाः स्यः तथापि नाञ्वन्ति(*) | उत” श्रपिच “भूमौ'' भूभ्यः तव मन्ति-प्रतिविम्बाय तं स्य तथापि नाय्रवन्वि। हे “विन्‌” ! “ar लां सखम्‌” अग- णिता श्रपि सूर्याः नागमुभवग्ति प्रकाशयन्तौत्यधः (न त्र सूर्यो भातौति अतेः) कि बना “जातम्‌ gages’ किश्िदनु “a अष्ट (९) नागते तथा “eal” खावाणथिव्यौ" ara a सवभ्योऽतिरिच्यतदत्यथः (“ज्यायान्‌ प्रधिष्या ज्यायानन्तरिक्ा- व्जयायान्दिवोज्यायाने ATA AT: -दइति श्रुतेः & ४६

४९ SUAS २१२१११११ = ऋग्वेदस्य ६,५,८,५- आरण्यक प्र०,१-२-२-६-५--६-ऽ- = ऊदे UTfao १८ =प्र-ऽ--प०१८-पर्डि०१-१८।

I वैरूपम्‌

(१)-अनुपदमव arerqararefa qe गेति wey मनखागीयोष्यते ara - वकोति।

(२)-- “चाटः, ‘we’, ‘ate’, “are:’-<fa पदखतुहयमव faust ग्यात्तिकमसु पञ्चममिति पाठभेद पठयते (२,१८)। aes farce "ना" वाम्‌ Taw |

रप 2,4,9] न्दश्राचधिकः।

अथ सप्तमौ | देवातिधिक्रषि।

९९९ड शक XT ९९४११ 2

यदि द्रप्रागपागुदङन्यम्बाहयसेनुभिः। 1 VW र्रर रर ee Searuatiaabadta सिमापुदनृषूनोअस्यानवेसिप्रशड़ ऊव शे ४७

४४ at ERK

1 यदिद्रप्रागपाक्‌। उदाक्‌ | न्यम्बाहयसेनृभारदः। ;..

इर इर २९ 9

सिमापु्धनृषृतोञज्। सियानवारद्‌ भासी प्रशा २। VATA ARAVA | वाभृशोदाद्‌ २९॥

द. < |. र्द र्‌

Tl यदिद्रप्ागपागृदादईगे। ares) «azar

“NN

इन्द्र” ! “ae” यदि “are” प्राच्यां दिशि वर्तमान

(सपम्यन्तादिकश्ष्दाहिहितस्य श्रस्तातेरञ्चेलगिति लक यदिवा "अपाक्‌" प्रतौच्वां दभि aware: यदि वा “see” उदीच्यां दिशि वत्तमानैः। यदा “am” नोच्यां दिथि श्रधस्ताहर्तमातैः (न्यधौचंति नेः प्रकति-खरत्वम्‌। उदान्त-खरितयोयं दति पर-

"=-------------- ~ - ae learn

89 उन्तरा चचिं कस्य ५५१११ 2,2 = Wa दस्य 459,23 0,8 = HE ४.२,१५ I

1 नेपातिचे दे।

५७४ सामवेदसंहिता। [शप्र२,४.८

Wasa | वसिष्ठजऋषिः | Sn oS श्र र्द कंस्तमिन्द्रत्वावस*वामत्यीदधषति | 1 ऽर Tt रद्द ओडः। प्रोरोरेरथ्दा। सिमारपुङूम्‌ ga Ts |

१०

सियानवेर। भाद्ाररथ्डा |. श्रसादप्राशा।

R 4 ww

डा। अओद्ाररशा। धारुर्दओद्ोवा। वारिद

शे २७ BO

स्यानुदात्तस्य खरितत्वम्‌। एवं भूतैः “afin” स्तोठभिसव' ““ह- यसे” ख-ख-कार्याथाहयसे (“सिम चेष्टे इसिमदति वे ओष्ठमा- VIKA’ वाजसनेयकम्‌) यद्यप्येवं बाहभिरायसे तथापि ““भ्रामवेः अनु-नाम-राजा(९) तस्य ga Tat | ‘qa’ aga “कृषूतः” कृभिस्तदौयैः स्तोढभिः प्रेरितः “afe” भवसि ce हित-करणे त्वां स्तोतारः प्रेरयन्तौत्यथः (पु प्रेरणे भस्माल्कमंसि निष्ठा data कमेणोति पूवैपदप्रछतिखरत्वम्‌ |) अपिर “प्रशं !*' प्रकर्षेण शरैयितरभिभवितरिन्द्र ! “तुवंओे” TARTS राजनि “षतः” कृमिः प्रेरितो भवसि॥ ३७

#

% “ANAS “इति wea दौयः पाठः |

(१)-- "अनव, दूति मतुष्यनामन्रु safiw पदम्‌ ( fae %,2) |

२प०२;५.,८ | exaifea | ५७५ द्‌ रर्‌ ३९ ₹? रेट श्र RT अदात *मघवान्पाये दिविबाजोवाज्सिषासति॥२॥ टः १९

1 कस्तमिनद्रा। त्वा रवासा २उ। आमर्येादधं

श्र

a शरह्वाद्ादतेर।. माघवनपा। रियाददाश्द्वो-

दर रर #र र्‌

वाजोवाजारम्‌। सिषार३। सारताररथचरौदो ` वा। ऊरररेश्पा॥२८॥ R 8 " <x ES TI कस्तमिद्धला। FTATSH! आर२४। मल्यादध .

१५ श्र

garg | शद्वाद्ादते २। माचवन्पा। रिया दादवा-

ee eee

+ “ARCA cla wa: पाठः

8G जत्तरा्चिकस्य ८,२,८,१ = WAT ५,२,१९,४ = HELLS !

LIl बतः कौसुदस्य aaa दे।

Pid

/

५७६ सामबेदसहिता।. [३प्र०२,४, अथ नवमी | भारहाजशऋषिः | ९२ श्र RT RVR इन्दराद्नो्पादियपूर्व्वागात्यदतोभ्यः

र्रर RW ३२२२९ १९१६१६२९ २१९२

हित्वाशिरोजिहयारारपच्चरवि्शत्पटान्यकरमोत ॥८॥४०८

४. | RT RT

आररथ्वा | ऊरेदश्पा। वाजोवाजा रेम्‌। AUTRE VOT ४;

ARATRAS ANAT | ऊरदृध्पा २८ टः

eam” वासक ! व्यापक! are “ce”! तं प्रसि at “a” मत्यः “श्रादघषति भाधषयेत्‌(\) हे “aw aq, “a” aga यः “mer? यया gm: सन्‌ “arent” हवि- सान्‌ यजमानो भवेत्‌ “पायं fefa” सौत्येऽहनि सः “वाजं'*(९) इविलं्षणमन्नं “सिषासति” दातुमिच्छति (२) ८॥ yt

# “axeta’-sfa वि०-पाटः।

-"------------- ~~~ -~-~-~-~~-~-~~--~-- ~.

४८ WA दस्य ४,८,२६,१।

(१)--“कः तं यजमानं इन्द्र ! €्वाबसौ' लभेव वसु धनं यस्य तायसः, त्वन fame: | Greed रषषतोत्याण्डातेन सम्बन्धयितम्यः wal: woe: we free आदधषति, अभिभवति ! कडित तमभिभवतोत्यथेः१-दति fae

(₹)-- वाजः दूति अब्रनामसु दितौयम्‌ पद ( fate २,७) |

(३)- वाजं अत्र सोमयानं करोतीत्यथेः'.द्ति fare |

रप ,२,५,९ | छन्द भ्राषिंकः | yoo

रर I इन्द्राप्रौ अपादियाईमे। पूर्वागा रेत्‌ पदतादभा-; . : १दर द्‌ ware: दित्वा्गिरोरजिहयारा। रापश्ारारत्‌।

चिधशत्यदा | नियाररे। क्रार्मारेदऽ््रौडोवा। ऊर

BUT ॥२०॥ ४८

“द्र न्द्राम्नो ! (९) “garg” पाद-रहिता “aq” उषाः(९) “पतिभ्यः पाद्‌-युक्ताभ्यः ` ^सुपाद्धयः'' प्रजाभ्यः “gat” प्रधम- भाविनो सती “arma” ्रागच्छति। तथाप्राशिनां “fara” “हित्वा” (२) त्यक्ता खय मशिरस्कापि जिया” प्राशिखया तदौ- येन वागिन्दरियेश(*) “यारपत्‌'' शशं शब्द्‌ gaat’) “acy एवं चर न्ती(€) उषाः जि शत्पदामि” अवयव-भतान्‌ fasare-

_ ee ee ---- --- - ~ - --- - --- ----~-

I वाचःसाम।

(१, द्रो वायुः सच, सत्रुडयरितो वे॒ताप्रि Cee, तथादि-“वायुवन्ो- वम्रिचख्यानः (Ho Ze. ९,५)'- एति "“अयेतानोन्द्रभक्षोन * * * ware we ® ® ® यथास Safanr दवाः Why: सोमो TH: (>° ३०९, to) vale ay

(२)- “उषाः WHT fl सत्यारावं रपरः BTS: (Fo He २,१९८)* vf)

(QQ)— fae आदित्यं विना, आदित्यादपि ca सु दितेत्यथेः' इति चि° |

(४)--“जिङ्ति वाङ्नाम ( fre ९, ११) लया, जिर्या बाचेत्येः' इति बि०।

- (४)--यदप्रे swe उद्यबेलायां ufwe: qe कुवन्ति तदुषस्परपचच्छंतेः दति fae | e

(₹)- "चरत, canta लोलिङ़ प्रति दष्टभ, qcay aifzated प्रति मच्छ नोत्यथे"- इति नि०।

७३कं,

yor सामषेदस feat | [२प्र०२,४,१० अथ ZA बालखिष्या्षयः# |

2... a १.

दद्रनेदोयणएदिदिभितमेधामिरूतिभिः।

BTUT दर But Rw

~ ~ a

vet) 1 इ्द्रने दोयरदि ect fara धा। fire x R x २९ र्‌ fafa: आशन्तारदमा। शन्तमाभिरभिष्टिमिः। आखा

र्‌ १९ 8 र्‌ द्‌ Raq खा ओर्ो२। पिभिरोर३४५द डा २१ सन्‌ “न्यक्रमोत्‌” एकेन दिवक्षेनातिक्रामति (एतच्च युवयोः कमति स्ततिः),

“feat शिरा", “हित्वा शिर” इति पाठौ “रार- पत्‌", “वाबद्द्‌ दति < Ve

शे “इन्द्र! “Aah.” “श्रन्तिकतममस्माकं यज्ञस्थानं “प- दिहि” आगच्छेव। काभिः साकमिति १? saa “मित मघाभिः परिमित-प्रस्षाभिः(*) “उतिभिः” cafe wet निभित-यन्नाभिमरुद्धिः awl हे “शन्तम” सुखतम ! “पन्तमाभिः"”

# मेधातिथेराषम्‌-इति fae |

e [ना ara, ana a ch =)

(.)—Sfaa: प्रचिक्नो मेधो ant org रृतिष ताः मितमेषाः, ताभिः awefer पालन मिभितभतः, यज्ञान्‌ पालमानि were सम्पाद्‌[यतुमित्यथेः- स्ति वि०।

RT02,4,2 | eenifan: | YSf

YR BK R १.९५. RR £. OR OES

अशन्तमश्न्तमाभिरमिष्टिभिराखापेखापिभिः॥ १० tye

ईति चतुर्थ -द्‌ शति i

४४ यर ४द्‌ ८५ 8 ४.४ ५द्‌ र्‌

IL इन्द्रन दोयशदि | eta) मितमे धा भिदति-; ..“

RT \9 भाद्रः। आशन्तमशन्तमा रभादईः। आभिष्टिभिः। .

z 3 रे ड्‌ खा रपाईखार२। UTS पिभिरोर२४५द्‌ डा २२ ॥५०

सुखतमाभिः “अभिष्टिभिः” atfafa: अरभिमताभिर्वा(र) भाग- च्छेति te (उपसगे चते ्योग्ब-क्रियाष्वादहारः) तथा हे “ara” | WATS बन्धु-भूत-सुख्डस् श्रापयितवां “सखापिभिः” बन्धभ्रूताभिः मुख्य प्रापयित्रिभिः “शअरभिष्टिभिः" अआ गच्छेति शेषः १० yo

fa साथशाचायय-विरचिते माधवोये सामवेदाथप्रकारे कन्दोग्याष्टयाने | तनोयाध्यासद्छ पञ्चमः SS ५४

YO WUT, €,8,2 2,8 |

(२)-"अआभिमष्छयन cert arg द्यताम्ता्रणिष्टयः tea इत्यथः, ताभिश्च निमि

ततमनाभिः are म॒म्पाद्यितु मित्यथःः.द्ति विर |

yoo araazafeat | [शप्र ०२,५., 2 प्रघषष्टे QE rn सषा प्रथन्ना। aaa fa:

BR ३१९ RR oe Sie 8९ इतजकोवोश्जर प्रशेतारमप्रडितम

शर रेर३ १२९२९९२ ङ्‌ र्‌

आश्एच्जेतारप दतारपरयोतममत्‌ न्तुथियाञ्धम्‌०॥ १५१५ ‘3 ४५ ९२ र्‌ 5,33 1 इतऊती Sessa अौरेदोरवा प्रचे- RF रे $ र्‌ र्‌ ब्‌ ` तारमप्राशोरताम। ओौररोदवा। भग्र तारारध-

. LS

R हादतारराम.। ओरद्ोरेवा। रथादतममत्‌र्ता२२४न््‌

, ue यिया३। वार्डाररश्ीदोवा AQ tart. रइ र्‌ ४. रदशर

11 इतऊतीवोभजाईराम्‌ प्रहतारमप्रितमुद्वारङे- # तुग्राहधम्‌ -इति We पाठः

४५१ ऋग्वेदस्य ०9, २७ |

LI] मोरौवोतेः प्रहितौहा। वासुके at cae

2992, €,2] sense: | yee ay इितोया |

वसिषछठक्टषिः |

WT RT 2 १२२८२ RUE Ve

मोषुत्वावाघतखनारेअसन्निरी रमन्‌ |

१९

WE भप्च्ेताररदादतारसुदवारश्डो | रथी

¥ #र॒ र्‌

मारम्‌ भत्‌त्तारे३४न्त्‌। faa! वारे्र्द्मौदा

TURE

वा। सतोदेषार२४५द्‌ २४॥ ५९

E wargtar जनाः! “वो यूयम्‌ “mat” जरा-रहितं “Wan” navi प्रेरकं “anfea” केनाप्यपरेषितं “ang” वेगवन्तं “जेतारं” MAT “rat गन्तारं “cata” रथिनां Se “wat” केनाप्यहि सितं “Gerry” उद कस्य(*)

9) बधयितारमिन्द्रम्‌ “ऊती” जन्ये cama “sa.” कुरत पुस

सतेति यावत्‌ १। ५९

ac A, Ss

(\)—quirefa खदकभाम eafanfaae नेषरट कम्‌ ( १,१२ ) बरषकपाठ-

सकूपमवखम्नाह प्रसोकमङ़ोरतम्‌, साम्मेदोयपटे qfaar tf wae |

2 Uy.

५८२ मामवेदसद्िता [२प्र०२, ४,

श, ~, ~ ३१ RB २३ रेद्‌ VF

आरान्नाद्रासधमादन्नभ्रागरोदवासन्नुपश्चधि ॥५२

bf RAT 1 मोषुत्वावा। घातारर४५;। ATRRVAT | आरे्- 9 R

सन्निरीरेरमन.। आराश्ताद्वा | साधमादारम ना-

दर x R

आगदहि। arrwararea_| ऊपश्र धि। इडाररभार-

del WaT! डा २५॥ #ैदर दर्‌ चै RT UT 11 मोषुत्वावाघतश्चनाईए | भरोअसमन्निरौरमा रन. |. ., रेरश्र शर VT OHM LT | अ। आरान्नादासधमादारम दा डे इन्द्र ! “ar लां “araaaa’ यजमाना(*) afa “sae” दर(९) “at निरौरमत्‌” नितरां मा रमयम्तु

99

अस्मत्तः “ATT

YR STUART ८,२,६,१ = ऋग्वेदस्य ५,२,१०,१ = ऊहे १५०१८ | LIT जाते

[न = [+ (७ = ())--वाघत इति मधाननामसु GAA नघण्ठक्म्‌ ए.२४। (२) - खार qa दति fae |

2H 0 2,¢,8] eeaifan: | yr

AD

We eaiar | afasain: | ९१२ ९२ ९३१९ VR सुनोतसोमपावनेसोममिन्द्ायवजिणे। १९ श्र. रर २२१ ३१९२ RAT AULT र्य

पचतापक्तोरवसे कछणुध्येमित्‌ एएन्नित्‌ पणते मयः Ways

९. रः R ४५ PARAS! Bel AMARWwa! WT

Re RX र्‌ वासौवाच्रोरदेध्वा। उपभ्रूररधा२४३द भर २४५६ |

डा॥२६॥* YR

्रतस्त्वम्‌ “चारात्तादा" द्रऽपि aware: “न” अस्मरौयं

“aware” ana) “safe” आगच्छ “इह वा" यत्रापि

वा “aq” विद्यमानः “orate” अरस्मदौयं स्तोत्र सुपण | “आआरान्तादा', “ATTA” इति पाठौ ॥२।६५२

~~ -~-“

५३ WT दस्य ५,२,१८,२ |

(९)-- "खड मान्ति यत देवताः सधमादो यज्ञः तं प्रति"द्ति fae |

ee ~ ~ ei ee ee

* दूति ग्रामे गेये सप्तमः प्रपाठकः

क) f foe,

५८४ सामवेदसंहिता [रप्र०२,५,२

शर 44 ओं सुनोतसोमपावनाई१। सोममिन्द्रार२। डोवा R र्र रब रदा यवज्ारदणणद | पचतापक्ताई रवसे | ध्वा

रे x AAT! पु। णान्‌। आद्रतयरदा णताईमा-

\ ररया२४दः। भार२४५द्‌ डा

४३द्‌ sat दर et 8

oft, 1 सुमेतसोमपा। आवनाभोाररध्वा rarer

शद्‌ = x हि . 9 _ सोममिन्द्रार। BIL SILA यावजिणा रद रर

पचतापक्तादरवसछ। णए्‌। ध्वार्मोरस्डाईर्‌। पु।

R

g णान्‌। अहृल्पृरेदा | णतादरमारंरयारण्दः। ओर३४५द}

STH RUS

डे मदौवाः पुरषाः ! “विणे” ववत “सोमपान्वे" सोमस्य पाते “इन्द्राय “ata” “सुनोत” अभिंषुणत “श्रवसे""-इन्द्र-

~न ~ =-=, ~~~ ne

नकन ee

LIl नीसैवोतेदे।

२प०२.१,४| छन्दश्राचिकः। १८५

अथ चतुथो | acersrafa: |

१९ २३ WW eT २२ ६९ २२

यः सचादाविचषणिरिद्धन्तशरङमददेवयम | 2496

३१२२९१६ RB 2

सदखमन्योतुविनृम्णसत्पतेभवासमल्सुनोवुधे ५४

2 देर 8 ४२४ ध्र

I यःसचाहदाविचषंणिः। इन्द्र ताररहमदेवयाम्‌ 7

न्तपयितु “amt.” amar एरोडाशारीन्‌ पचति “क्ष ` wfaq’ इन्दरप्रियकराणि कर्माणि कुरतेव | cat हि “मयः” wal’) “quiag” यजमानाय प्रयच्छन्रव “पणते” दवीषोति- ` Te ५३

यः ware “सवाहा महतां शत्रणां war ^विचर्षसोः? विग्रेषेण सबस्य द्रष्टा तमिन्द्रं वयं “इमहे” स्तति-पद twats ( उत्तराधः प्रत्यक्न-क्रतः(९) हे “सहस्रमन्योः' बहुविधं शत्र - a ५४ WATT ४,७,२७,३ |

I qrataq

(१)--मयद्ति सुखनामसु ‘ond Haw कम्‌ ३,९ |

(\)--“ताल्िविधा we: परोच रताः प्रत्य चताः खाध्या्विक्यख | तज परो च- Bat खवाभिनेामविभक्तिभि यन्त प्रथमपुरुष aaa * * * खथ प्रत्यचषछता

मध्यमपुरुषयोगास्तलमिति Gat स्वनाम्ना * थापि प्रयचहनारोतागो ष्क,

ute aranazafear | [१र०२,६,५

Sq पञ्चमी

पर्‌ च्छेप ऋषिः R RVR १.४ waa wise दिवानक्तन्दिशस्यतम्‌ | | ५९१३. र्‌ < an TX AGRA Mesa | सदखमन्धोतुविनम्णसत्पारर- र्‌ र्द १९ दर Re

ताद भवासार्दमा। ANTAL इडारेदेभार४९्‌ |

x ओर२४५द्‌। STH २॥ ५४ नाशाय AEA TEMA MTR! यदा मन्युः क्रतुः, खस्र-सङख्याकेः ऋतुभिः gare: = “तुविष्टमर ay wa’) ! “सत्पते” सतां पालयितरिन्दरे ! “समत” सङग्रामेषु(र) “नः ` sara “aw वदनाय “भवः

“सदसमन्धा", “सशसुमुष्क-दति पाठो ४8

'पुरच्पः-इति facutz: |

--- ~ -~ re rete mr ee ee ee मन --- कमणो कक

भवन्ति परोचषछतानि खोतयानि * * * qunafge उश्मपुरुषयःमा अहमिति वेतन सर्वं नाम्रा" इत्यादि To द०६,१--३।

(र)--'तक्नििक' were दूति वि°-रुखतोऽथः | तुकोति asmag faite

पद्म्‌ (fae ३११) (३)-- समत्सु —tfa oF taarag द्वाविंशतितमम्‌ पदभ नि१२,१९०) |

4 २प०३.६,५] ऋन्दश्रा्चि कः | ४५८७

शेर २३ श्ड ९२९२

मावाररानिरूपदसन्‌कदाचनासमद्रातिःकदाचन ॥५॥ Vy

1 शचोनिन्नाः५ शचोवस्‌। दिवानक्तन्दिशस्यताम्‌। ¡7 , '. र॒र ब्‌

मावारेम्‌। रातिर्पदसत्‌ कदा चना। आसना रत्‌।

९. 8

रातिःकदोरञध्वा चाधरनोहदाद॥४॥ yy

“gataa” ! (ofa कमं-नाम(९) भस्मदनुहितश्योति- छोमादि-कम-धनो ! (र) युवां “rdf.” wage: कमभि वागादिभिनिंमित्तमृतेः “fara” अहनि ual “दिश- स्यतं” विनतं अभिमतं दत्तमित्यथंः(२) sara हविः सर्वदा मस्यन्तं वा “at” gaat: “रातिः” दानं “areraa” ager याग-कालेऽपि श्र-याग-कालेऽपि “मोपदसत्‌” मोपक्षौणं भत्‌ (दमु उपश्षये। afe पुषादि-द्यतादौति चेर) केवलं qualaa, श्रपितु “sae” श्रस्माकमपि “ofa” eta इविरादि

-- ~~ pe

-- ---- ~~ ee a —— ee न"

५५ ऋग्ब TA RW! अश्विनोः साम।

(१,- आची इति कमनामनु दाविं्तितमं पदम्‌ (नि०द,९) |

(२)-<च्श्विनो fer fae | = feats ~A (३)- व्दति" दति दामकमतु Feta wee ( freee) | तद्यतद्र.्पस्‌ दिम

खन्तसिति |

i aaaeafeat | [२प्र०२,५,६ we ast बामदेवक्छषिः १२३२ १२२६१६२९ ९१ 2.४४ यदाकदाचमीदषेस्तोताजरेतमर्च्यः।

WW RT ६३१२९ RR ९९९६२ VLR

आदि दन्देतवर्णंविपागिराधर््तार विव्रतानाम्‌ ६॥ ५६ , at र्‌ R + ; `; 1८ 7 यदाकदा। चार्मारेइओदोवा | दूरर४े। सो

RC WT १९ ©

ताजरेतमत्तियारः | आदिद न्दे। तावर्णार२४म्‌ वि र्‌ श्र wc द्‌

पारश्गिरा। धार्तारांवौर३। त्रासतारद४अ होवा |

९९.१९१

नारम्‌ प्रदाने सव-विषयं era वा, च्रथिभ्यः “कदाचनः स्व्वीवस्थाया- मपि “मोपदसत्‌” उपक्लोण माभूत्‌ सवदा वत्तंताम्‌ Teale सवदा quate दद्याम्‌ युवामपि मदभिमतं सवंदादन्त faara: |

^दिशस्यत "द शस्यतम "-इति पटौ ५।५५

“मोड षे" -दति wea दौरोचारणम्‌ |

SE ee

1111 बसिष्ठस्य वासिष्ठस्यवा सफस्यवा, पाजस्यवा, पज wart; पजाणि alfa

ye | रपण २,६,६। हन्द आश्विक. | धट

द॒ Ff t

11 यदाकदाचमादाउ। दूषा दद्स्तोता २। SHUT ।;- ^

रर $

. aafaa: | आदिहन्दा। भी दीदा३। Beri ता-

द्‌ RT $

वारष्ररथ्णाम्‌। विपागिरा। धर््तारव्या। ओदीर-

र्‌ रे YT रेद्‌ ,

STs | VTL | व्रातानाम्‌। इडाररभा२४२। २२४५६ |

‘sT il tt

ड्‌

TI यदा४क। दाश्चमौ। दूषारइ। स्तोता

५,

|: HTL | तमात्तायारः। आद्‌ाददन्दाददइ तावार-

५. < Re Aira = < 2 रद्णाम्‌। विपा। factaraireavat | धर्त्ता र्य

a रै : qTareseat | व्रताधनाम्‌ | WT! डा॥ ys

“यदा कदा च" यस्मिन्‌ काले “alten” सेक्ते हविः-प्रदात्र

यजमानाय तस्य वागा “Aa मरग-घम “atta” सतति

५९ ° सामवेदसंहिता | [शप्र०२,५७ अथ aR)

मेष्यादियि ऋषिः*# |

रद ९९३ २१९१२

८“ १, 1 पादिगाअन्धसोमददन्रायमेध्यातिये।

MAHA “जरेत ary “शरादित्‌” भ्रनन्तरमेव afar: - काले cae “वरुणं” पापस्य arca(’) ““विव्रतानां विवि धानां anu’) “aah” धारकं वस्ण-नामानं देवं “fa” विशेषेण रचिकया “निरा” wat “aga” स्त.यात्‌। यदा यजमानाय FRAT स्तौति तदा वरुणमेव Bias: भवा “मोदे” भ्रभिमत-वभिन्रे aqua तत्‌ प्रोतये “यदा कदा च” यस्मिन्‌ किंचित्‌ काले स्त. त्वह “ams” rarer “ata” स्त्यात्‌) 1 “श्रादिदनन्तरमेव' यजमानोऽपि

39

उ्-लखणं wants “विपा गिरा” “वन्देत” नमस्कुग्बोत्‌

स्त याहा NYE

# “वत्सद्न्द्रमाद्' दति fae |

(९)- "वणः टशोतौति सतः त्यादि Feo १०, ३। (२)--श्रतम्‌-स{त कमं-मामनु SHH पदम्‌ (नि०२,१) | (a) जरतेः tft अचंति-कमेु सप्रमं पदम्‌ (नि०,१४)।

२प०३,६.७] SUA: | ५८९१

श्र रेरे २२ २९ ९९१९२ ३१ २१९२

TAHA SATA दिरण्ययद्‌ द्रो वजोदिरण्ययः ॥५७

टेर # 8 WAT शद

1 पाडिमाशा। धसोमारश्दाद्‌ अद्रद्रायमे।;` /

Sal

RT RTL :

भियातारेदेदयाद | यःसम्बिक्लोरियोयः। दादरण्या-

x यारः। आदृनद्रोवाहजौ। दिरोरेद्वा। ण्याप AERTS

र्द श्र ङ्‌ IT पा। BOTS गाभन्धसोमारेददादई्‌ | TERT

Pe श्ट os

श्र st १९ = यमे। भिवातारश्थाद। यःसश्िञ्लाररियोयः : बन्द्रायेति चतुर्येकवचन fae सम्बधेपकवचनस्व स्थाने द्रष्टव्यम्‌ हे “gay”! “भेष्थाति्थे ! मेधो ag तस्मिन्‌ मवी भेष्वः भेध्यच्ासो sfafwafa मेध्यातिथिः, तस्य सम्बोधनं भेष्यातिथे ! यज्ञे भव अतिथि-भूत इन्द्र ! “श्रन्धसः” पौतस्य

कस ~ -- ~~ ~~~ ----~-~--- ~

YO ऋम्ब दस्य ६,३,७,४ |

1.11 सौभरे दे।

५८२ सामवेदसंहिता, [ २प्र ०२५. थाश | भगक्षिः।

९२ १२ ३१९ ३२९ PRT दद | ~ {गिदव Vo Loy उभयदश्णव्चनद द्र ञ्रवागिदं वचः | / 4 ३२३१ १२ ATV १२

सचाच्यामघवात्सोमपतये धियाशविष्टआगमत्‌॥ २॥ ५८

rd

दादूरष्यायारः। आटृनद्रोवारजौर। दिरोरदध्वा |

WTYAME STE < ५७

सोमस्य “ae” सति तमस्मदोयाः “प्रजाः” “arfe” ware "यः" इन्द्रः “gay” अवयो: (९) “afira:” ख-रथे संमिखयिता “sal वजो fecwa.” हित-रमणोयः यस्य रथो fect हिरगमवः। “eat at fecwa इन्द्रो वजो दिरण्ययः”-दति ~ ta ~ sit = 9> छन्दोगाः “eae: सुते सचा वजौ रथो दिरण्ययः”- इति awa ५७

५८ उत्तराश्िंकस्य ५,१,१४,१ = ऋभ्बदस्य ६,४,२५(१८) = ऊदे ४,२,१ €-१ ,२,अ i

(\)- इरी इन्द्रस्य -इ्तिनि०९,९२५४,१।

२प २,६,८| Seas | ५९२

4 % St tT

I उभयर्श्णवच्चना€ए। आदनो रभ्वा गिदंवचा

{x RT ऽद

Wai] दोवाङेषाद सचाचियामघवारन्‌। सो। मा

8, 2 श्र

पारदाद्‌। तारेरथ्यादर। भियाशविष्ठाररेच्ोद

e गमात्‌। ओरर्ोवा। HUT डा॥१०॥ प्ट

“उभय” ware शस्रामक चोभय-विधम्‌(९) “ce aa’ “wan” waefaqe “om” “गूखवत्‌” शरोतु Jar “Aare” wara aw पूजयनग्या(र) “धिया” युक्तः सन्‌ “मघवान्‌ घनवानिन्द्रः “गविष्ठः” श्रतिशयेन बलवान्‌

“सोमपोतये” सोम-पानाय “आगमत्‌ भ्रागच्छतु \

“Haat sy’, “AAT xf पाठो usw ye

1 इन्द्रस्य, dana

9 ति 0 4 (२,--उभथंसत fa प्राथनाच्च-इतिवि°। (२)-.सदामत्या -दति fae |

७५ क,

+

५९४ सामवेदसंहिता | [३प्र०२,१५,९ “uy नवमो | अस्याः wary मेधातिधि-मध्यातिधौ Waly |

३९ ९१ २१९२ LR

yes मदेचनलत्वाद्धि†वःपराप्रर्कायदोयस

९४१२३ एर रर २२९१२

नसखायनायुतायवजिबोनशतायशतामघ < Wye

५२ र्‌ डे शद्‌

: 4.41 1 महहेचनोवा। त्वा्द्रारङष्दवाः। पराश्एु्वा +< ४४ BR १९ दर रे x यारदायासाइद। नस दसा३। यानायुला यवा- ४४ BTR

ARAN | नश। ताया३। शाररता३। मादे४भघो

EWE ११॥

४र WUT 9 र्‌

IL मङ्चादेनत्वाञ्नद्धिवाः। पाराप्रक्छा ARTA

# पप्रगायद्न्द्माष्ः-ष्ति fac |

।“त्वामद्धि-दति, "त्वाअद्ि"-दति,;“देयाम्‌“-दति q wea eta:

Yd We दस्य ¶,७,१०,५।

LIL सदस्रयुतोये ; प्रजापतेः aerfatta वा

२प०२,६,९ | न्द ्राचिकः। ५९५ ष्‌ @

TRE! नसदश्ला ₹। यनायुतायावजिवारः। नशा

x Ce

तारे्या। शतार३। मारघारद्श्ौडोवा। मदो

विरे ९॥ १२॥ ५०

= “श्रद्िवः"(९) .वजुबनचरिन्द्र ! (च नेति निपात-इय-समु- दायो विभज्च योजनौयः) “ae च” महतेऽपि “शुकाय weary नादं ai परादौयसे” विक्रौशमि ( ददातेरुत्तम- Gere करत्तंयव व्यत्ययेन रूपम्‌

6 a, परा श्रदरकाय दयाम्‌" इति बचा भ्रामनन्ति।

“वजिवः"(”) cree) “सहस्राय सष्सर-सरख्या- काय धनाय “च “quretaa” ““श्रयुताय” दशसहस्राय Wena परादीयस्षे। हे “शतामघव'* aguas ! “शताय”

A (agataaq) ्रपरिमिताय घनायचन परादौोवसेन विक्रौ- wig! उक्ग-सङूख्याकादनादपि ai परित्यजामि किन्तु बदुभिद्धं fafa: परिचरामोत्यधः venue

i ~> ++ ~ =

(१)--'अटि बः' | न्वजिवः.इति -ख सतुवमोमःसम्बनो त्वे रूपम्‌ |

५९ सामबेदसहिता। [प्र०२,५,१० अथ दशमो | ३१३२ ३९२ ORs स्याद न्द्रासिमपितुरूतवभात्रभश्ञतः

१९ ११९ २९१९२

माताचमंक्दयथःसमावसोवसुत्वनाय राधसे १० दति पश्चम-दशति ॥*

| BAT < - 8 R J 3 | (> 1 वस्यारडन्द्रासिमे। शाडपितः। उताभाररभ्तः। २१ रद्‌

MAMTA | वाश्रोरश्ट्वा। माताचामो। वाभोरर४ 9 वा। EAU] साहेमावासौ वा्रोरेर्वा। वसू हे न्द्र") त्व “मेः मदौयाव्‌ “पितुः जनक्षादपि “qaqa” वसौवान्‌ वसुमन्षरोऽसि। “sa” afaq अभुच्रतः” श्रपालयतो मम “arg: afta वसौयानधिकोऽसि। “वसो ! aware “मे” मदौया “माता च" तवं “ears मो" समानो सन्तो (पुमान्‌ च्ियेति घु सः शेषः) “agar”

go Wa दस्य ५,७,१ १.१ |

I were: aa!

« दूति ठतोयः प्रपाठकः

2702,9,2] eeaifae: | ५९८७

₹२

र्‌ 8 तानौ। वाभ्ओोरेदध्वा। यरोरदध्वा। धाधसोई-

TZ १२ Neo

29

(अचतिकमौयं)(*) मां पूजितं gee: किमथ ? “वसुत्वनाय व्यापनाय ““राधसे*(९) धनाय उभयोह्वाभायेत्यथधः १०॥ ६०

इति ऋखायराचाय्थं विरचिते साधये सामवेदाथं-प्रकारे रन्दोयान्डयाने कतौयस्याध्यायदखछ षः खष्डः

-- OO ee eee

अध सप्तमे खण्डे- ear प्रथमा |

afasata:

RT श्र Re ३९१९

दमदन्द्रायस॒न्बिरेसोमारोदध्याशिरः।

र्द ३२३ 2 BR

तारभामदायवन HHA NAT CAAT SAAT ॥१।६१

६१ ऋम्ब दस्य ५,३,१०,४ |

(१)- ^ शदयति', .कदयत' वा We fanny vafinfaad पदम्‌ fares ts | (२) अतर्भेकवचनमिदं ततोपेक वचनस् खान दृटयम्‌ इति fae

NA #

९८ सामवेदसंहिता | [BH १,९१.२ अथ हदितोया | वामटेवक्छषिः।

श्र ३१६२ ९२

दम न्द्रमदायतेसोमा्िकिचत्किथनः

RUT ररर १२९ १९

मधोःपपानडउपनोगिरःश्रणएराखस्तो चायगिवंणः॥२॥ ६र

i Ke 4% दर “> 1 द्रमारष्ड। Far द्रावसुन्वाईदराद। सोमा < रर र्द x

सोदध्याशिराः। तारुञ्ामद्‌ायवजदस्तपीतायाद्‌। द-

श्‌

TREC | भ्यांयारर्शो Fae) कार्ारदश्दरौ- x ५, STAT | BRETT १४॥

श्र र्‌

I मदृद्धापमदायताद्‌। सोमाशिकिन्रउक्थिनाः।

षे “Sarge! “दध्याशिरः दधि-मिखशाः “ch” “सोमासः सोमाः “इन्द्राय तुभ्य “aft” सुताबवभूवः। “तान्‌” सोमान्‌ “मदाय” aera “dtaa” पानाय “say” as -सदनम्‌ “श्रा” अभि “हरिभ्याम्‌” wana “श्राया श्रा गच्छ १॥ ६१

ee ee

ee "~~ ee ee ee,

, सौभरम्‌ 1 aaaza

२प० ३,७.१] हन्दभ्रािं कः | ५९९ GU eater | aufafa-aarfan wate |

wai वि्ठामित्र care: |

९९ $2 १२३९९ ११९२९८९२ त्वारे1कसवर्दुधारङ्वेगायच्वेपसम्‌। be

de

“SD |

मारो RATT नउपनोगिराःाण ? राखो

र्‌ |, ४: रदेचा। यगिवररणा३४३ः। भर२४५द। डा १५॥९२

हे “इन्द्र” ¦ “a” तव “मदाय” मदाधंम्‌ “उक्चिनः * स्तो्-युक्राः “sa” सोमाः “fafaa” शरायन्ते दृश्यन्ते (कित wit कमखि लिट्‌। शरयोरे-दति रेदत्यादेशः) fare “मधोः” मद्करस्य (कमणि wet) मदटकर सोमं “पपानः” अत्यथं पिवन्‌ अस्माक “भिर” aire SUT are “surg” सम्यक्‌ खण “fad” गोभिर्वननोय हे “इन्द्र” ! स्तोत्राय स्तो क्र मद्यं “राख” wits Se) + २। ६९

# “सोमाषम्‌"-इति वि ^त्व१"-इति ऋग्वदीयः पाठः |

LR,

(१)-“राति'.दति दानकमंसु चतुर्थ पदम्‌ भे०द.२० |

4 1 er *

goo araaea feat | [smo १,१,२

re 3. ~क. NR ORR RAR ३९१

नर धेनु सुदुघा मन्धामिषमुरूधरामर क्षतम्‌ les

४र २९ ऽर ऽष

I भात्बद्यासा६बद्‌ घाम्‌। वाद्‌ गारय चवेरपसम्‌।

WER SAA! सदुघाम्‌। Wl नियारेमार३९द्‌

% R

षाम्‌। SAMRAT | अरङ्ग ररा र४२म्‌ eRe

UTI BTN een es Wade धेनमु-खूपेण हष्टिरूपेख निरूपयन्‌ स्तोति

अव्य" इ्टानों “aq” धेमुरूपमिन्द्र मु" सिप्र “arg?” आये कीटं घेत" ? ““सबदुंघां” पयसोदोगपं “arent: पसं प्रशस्वबेगां “सुदुघां” esac want “ari” उक्ष विलक्षणां “उरुधारा” बहृद्कधारां “इषम्‌” एषशोवां ate (लिङ्गव्यत्ययः) एतद्ूपेण वत्तं मानं | “अर ङतं” sete पर्थ पसकारिकशं वेन्द्र चाह्वय २॥ ६२ |

ee ee = भे a eS = EN re ele ts ~~~

~~ ~~~ ~ + -= ~= --

—— ne ee

९२ WATT 459,204 |

1 ara: ara |

27° २,७,४] न्द मालिकः | ६०१ अथ चतुर्थो | नोधाक्छषिः।

२? २३ VR १२ ११२ , त्वा बदन्तोञद्रयोवरन्त इन्द्र बीडवः*। tT र्र्‌ RUT RTH ABR’ 3 UC र्द

यच्छिकसिखवतिमावतेवसुनकिष्टदामिनातिते ६९

हर्‌ धे R tx र्‌

I नल्वाब्द तोपैद्रया | वरन्तदद्रवीडाररवाः। `

AAA | सतुवतादमा २। वतेवस्‌ नक्ष्टाररदा `

मिनातारइद तार४३द्‌ अरे डा १७॥ es

डे इन्द्र! “षन्तो, बलेन महान्तः Gaus “वोडवः”(९) “यच्छि ्षखि" “स्तवते” “मावते” सवेतो eer अपि “श्रद्रयः” पवता; “a at “a वरन्ते” बकेन निवारयन्ति(र)। अनिवारशमेवोत्तराेन विहठशोति--स्तवतेः afer, स्तोच

* “वोलव-इति ऋम्बे Sta: एठः | ~ C8 Wa दस्य ६,६,११,२। I बादुक्‌चम्‌ (१)- वोडवष्त्यद्येगार्थ मठुपदं वच्यति cercfa | (र₹)-'डोऽपययं दणोलिवोरशथा दयः -इति fae

rt

|

६.२ सामवेदसंहिता [४प्र०१,१,५ अथ qe | मेधातिथिक्छषिः। wore “2 R ९२९ १्दर॒ wz सचापिषणादहयोदषे ae | कट्‌ वेदल्लतेसचापिबम्तद्भदयोदकषे | र्द श्र श्र रद्‌ B 2 8

अयं थःपुरोविभिनत्योजसामन्दानः TATA: ५॥ ey

६रद् ९९ ee १९

4.४ 1 कदैवेदा। सुतादसाश्चारे। पिवन्तहदायो! gaa ‘aad’ waema मादाय aa aq “ag” घनं ““चिच्चसि” ददासि() ते aa’) ataea “नकि? a कित्‌ “श्रा मिनाति" भ्राभिसुख्येन हिनस्ति | [मौल हिंखावां | भोनातेनिं गमे (७, २,८१) इति wea | मावते | युखदस्मदोः GES बतुब वाश्थ(५,१,६९) दति वतुप्‌ s

“शिक्षसि” “दित्धसि-इति पाठो ४॥ ६£

€Y SHURA ८,२,१५,१ = कम्पे दस्य ९२८,१= HS १६,२,२०-१८,२,९

I वाशम्‌

(९)-“शिलति'इति दागक्भंसु Wat पदम्‌ भे०९,९० > -्रसादनेति शषः-इति Fao |

490 3,9, 4] कन्दश्राधिंकः। ६०३

श्र

R र्‌ र्‌ दाधा ₹। भयंयःपुरोविभिनन्नाच्रोश्जासा २₹। मन्दाना

UC

ररःओोहे। प्रार्यारहे४्भोदोवा। धाररधसाः॥ १८॥ ६५

ते”(९) श्रभिषुते सोमे “सचा? ऋत्विग्भिः सष्ट(९) सोमं “पिबन्तम्‌” uafa “atte” afa a कोपि Sutera: ` “कत्‌” farat(®) “वयः” अब्र (५) “ew” arcafa(*) | “योऽयम्‌” we: “fam” हनुमान्‌(¶) “aaa.” सोमेन “मन्दान” मन्द मानः) “श्रोजसा” बलेन “पुरो(र)विभिन्नत्ति" ५॥ ey

(\} ‘Sa, सप्नन्येकवन मिदं दितोयेक वचनख स्थाने दवम्‌, सुतस्‌ अभि. तं सोमं, Gar मश्द्धिः सष, पिवक्स'-दति पवि०।

(२)- "मरुद्भिः सष" इति वि०।

(३)-- "कत्‌, प्रथमाया खयर, TAlaw: कोवा, WH इन्द्राय सनोऽन्यः'-इति fae |

(४)--'वथः दत्यन्रनामसु पाठाकरेण सप्नमं पदम्‌ Fo 2,01

(५)-- दषे ददा तोत्यथेः'-इ्ति वि०।

(ड) --“भिपी, इन्‌ मासिके वा, तद्वान्‌ निप्र रति Fao “fed शभू नाधिकेवा".दति fro ने०९,१७ |

(9) -मदो तुप्ताविव्यस्येदं रूपम्‌, तुष्यत्चित्यथेः।

(स) "पुरः, अरसुग्पुरः खमसुरदुगाकोत्यथेः-दति fae |

६०४ सामषेदसंइता | [४प्र०१,१,६ wy षष्टो | WU परस्याख aTaeawia: | #

१२ RRR २९१२३६१२

oy यदिन्द्र WAT aad श्थावयासदसस्यरि। दे ९२ रे ३९२ ८२९ असमा कमार्प्एग््रघवन्‌पुर्स्पुदं Teal BT TAM ie he ५४ रद्‌ x

of ig 1 यदिन्राररशासो अव्रताम्‌। श्यावयास। दार

` ` |

ATA AVS | अस्नाकामो वा३२। UTA Rg श. GRE ATRL वसाव्यायौ वार२३। धिवोरेर४

| वा। BTyA STE १८॥ ६६

षे “न्द्र” ! “ae” यस्मात्‌ कारणात्‌ “ata:”(*) चिक्चणो- यानां यन्नविरोधिनां fran तस्मात्‌ कारणात्‌ “सदसः” भरस्मद्याग-ग्ट स्य “परि” परितो वत्तंमानम्‌ “श्रत्रतम्‌” waate यागविरोधिनमित्यथः “यावय” qt निःसारय। sf

+ “तौर त्रवस्‌ अषम्‌"-द्ति Fao |

&€& आरण्यके 2,4—<E | 1 तौरखवसम्‌

(र९)--"शामयति'-इ्ति fae |

2,9,9] न्द्‌ श्रालिकः ६०५ अथ सप्तमो |

PR ९१६१९१२२ ५२१६९

तवष्टा नोदेव्यंवचःपनेन्यो ब्रह्मणस्यतिः

१२ WAL Re Vr १२९९१ २९२३६१२९

पुचैभाढमिरदितिनुपातुनोदष्टरन्त्रामणंवचः © ६७

९९१

I meres! नोदेवियम्‌। वचाः। पर्जन्धोब्रह्मण- र्रर

स्यारदेतोः। पुातुभिरदितिनुपातृरहनाः। दष्टारा-

श. RIA | मणंवाररेचाई३४२:। अ९३४५द डा roll Co

हे “मघवन्‌” धनवविन्दर | “graye” बहुभिः स्मह णोयम्‌ “रस्मा- कम्‌” अख्मदौयम्‌ “sig” सोमं “वसव्ये” aera निवासयोग्ये स्थाने “aft ata” अधिकं ata) awe या ग-विरोधिनो राच्षसादौव्रिःसाय सोमं witha: ed “त्वष्टा एतस्ल war रूपाभिमानौ देवः,९) “a.” wad I aretara |

(t)—‘aerefe' efa fae | Caer aden acta नेरक्ञास्तिषेवा खाद्‌ दीि- कमबस्त्वयते वो खात्‌ करोतिकर्मखः। * + * खग्निरिति शाकपुणिः".दृति नि दे ०२,९२-१४।

६०६ सामवेदसंहिता | [8प्र० १,१,७

वचः") पातु ब्रह्मणस्मतिः एतल्ल्‌श्नको मन्ताभिमानौ देवः(९) wate वचः पातु। किञ्च। “्रदितिनुः"(५ ASGWANA TAT वा Waa देवमाता a(*) “तेरा. ठभिः' wanta: afear “नः'(९) अस्माकं सखम्बधि “दुस्तर "(१

(2)—Saj देवानां भवं, वचः avy’, पठंन्यः'-दति वि०। शतन्नये रैशमित्यपि BAIA, “नः, WHA इत्येव सवेव BATA | (2) —angereafary शस्प्रतिः-इति वि०। “ogre: (Se) पाता वा पाङयिता वा त्यादि" नि°दे०४.१२-१३। षच पर्जन्यः wafer, rT = | 6 | ; “भ्रश्मास्यमवतं ब्रह्मणसपतिमध धारमभियमोजसाढ णत्‌ | | oe | gull 1 i तभेव fam पपिरे aed agara सिसिचुरुकमुद्रिणम्‌ ( ऋ०५मनण्रण्शय्स्‌०्१मनग्वः ) ““खन्नमवन्तमाखम्दनवन्सवातितं ATTACH TAS बरेमाम्बत्‌ A aa स्वे पिबन रश्मयः quent बद मं सड सिचचव्युतसमद्रिकरुदकवन्तम्‌" एति

USAT तदयाण्यानम्‌ | (४)- न्तु ef पादपरखः'-दति Fao | (४५)- “अदि तिरदौना देवमाता | 90 | रृत्यदितिविभूति ares एतान्दीनाः

जीति बा''-इति' fro नै ०४,२२-२९।। “श्रदितिद्यौरदिति रम्तरित्तमदिनिमौतासण्तिास Ya: far देवा अदितिः पच्च जना ufefasta मदि तिर्जनित्वम्‌ ( ऋ०्९मन्स््र०४सु०१०मन्वः)।'

(€)- मः wara’-tfa fae |

(o\—fahisraa {et जासकशम्‌, Te कवचनखस्ययने FTA दह

रात्‌ वामणात्‌ वचसः मकाश्ाद्‌नत्तलित्यर्थः-दृति fae |

270 ३,७.८८] कन्दथाखिकः | goo wureat | बालखिश्या was:* |

६९९१२९१९

कदाचनस्तरौीरसिनेन्द्रसश्चसिदाप्रएषे | 2 ^ Ae

रर ९६ ९९१२८ ९९२३२१६२

उपोपेनुमघबन्‌भूयदन्‌ तेदानं ATT ८॥ ६८

# र्‌ | 8 ह्र्‌ ह. I कदाचनास्ताक्ष्रौरसाद | नन्रासाररथ्ा। साद-* “` कम विरोभिभि aig aaa “जामाशं",*) cra “age” . चातु + nes

™“ (८

डे ‘Ce |*१ त्वं “कदाचन (\)*कदाचिदपि “स्त॒रीः?” feaar “नासि यदा स्तरौ्निंवन्त-प्रसवा गौ स्तथाविधो भवसि | सा यथा वस्राभावात्‌ we प्रति नागच्छति तथा करोघौत्ययः।

* -बासदेबद्छाव म'-इति fae |

६८ ऋटम्ब दस्य ९,४१८.२ = यजवद्‌स्य ३,२४-८,२। I afea: साम। (¢)}—aTaw Waywaafey वि०-सश्मतः।

(१)- गिवरश्मते “कद्‌, च, न' इति पड जयम्‌, अतरवोह्कम्‌ “न भब्द Sf खार्यं, कदा चिद्‌पि' |

९०८ सामधैदसं हिता t [emo eee

खथ नवमौ | मेष्यातिषिक्छषिः# | AC श्र २१२ R LR one य॒ङनन्ता+डितरचदन्तमदरोदृन्द्रपरावतः। 2 © २३ रे BU सर्वाचोनोमघवेत्छोमपोतयउय्य्छघ्र भिरामडि ke रद्र ४५ देर ४५ ९,

AULA! उपोपेन्ुमघवनभूयदत्‌ | CAFRA |

| दानन्दारर४द्वा WATRAVAT | श्याधलोई दादर ॥२१॥६८ किन्तु, “area” हविदौत्रे यजमानाय “wafe’(®) arse . अस्मान्‌ | डे “मघवन्‌” धनमवबिन्दरः ! “देवस्य दोतनादि-गुरः

कस्य तव भूयः प्रभूतं दानं “उपोपेत्‌ waa” (wae उपशब्दः

पूरणः) उपण््यत(९) एव अस्माभिः ea Kare: ९८

* quifafafcswte’-xfa fae | # “Qay -दत्यननुनासिकः पाठो बद्ध चाम्‌ |

६< ऋम्बे दस्य ५,७,२८,२ | (९)-“सश्चति मे तिकमेखु पठितः, तथापि दाश्छष इति सम्प्दानच्‌ तेदोनाधा-

दटटथः-दलि fao | 4 = क्ते fi 8 ~ ~ (९) उपप च्यते, उपेत्य भवति, याकत्‌ पूवं दानं नेव चीयते तावदेव ददार.

त्यथेः'-इति वि०।

रप २,७,९ | Sea sa | ६०९

1 अद्रदोर। wizfeers | यंच्वादिवारर्चारद्-।

2 ¢ १९ शर 2 5 देर

न्तम UIT] परावारतारद४ः। अर्वारेशचोनाः

श्र

माघवंस्लो मपादताश्यार३४ | उद्मा४घा इः |

1 8 धू भिरोरद४वा। गापदोईदाद्र २२॥ ६८

हे “ह व्रहन्तम !'” sa हतवान्‌ sae wanda oa इत- वान्‌ हब्रहन्तमः यथा प॒नर्नोत्तिष्ठति तथा हतवानित्यथः(र) (अनो नुट्‌ (८,२,१६) इति तमपो नुट्‌) Eaten) “हरो” ल्वदौ यावश्वो “qe” (हिरवधारणे) श्रामौये रथे योजयेव ¦ हे “मघवन्‌ !” धनवन्‌ “out” उड़णबलस् “सोमपोतये" सोमस्य ware’ (दासौभारादिलात्पूवपदप्रकतिखरत्वम्‌। (र)) “श्रवा चनो” ऽखरदभिमुखः “wate” ऋष्वे नौये “म॑ सदिः” are “परावतः” (दूरनामेतत्‌) दूरे वत्तमानात्‌ यलोकात्‌

“arte आगच्छ < ude

अआआजोगत्तं © 1 म्‌ | (९)- नोभे घस वा इकार्त्यि echt Fate (२;--मषष्ट ततीय षड विंशतिमं दम्‌ | OOF,

^~ ५.

६१० सामवेदसंहिता। ४प्र १,१,१०]

Gy ana | कुमेधक्छषिः श्र रद्‌ 2 (2८ त्वामिदाद्धोनरोपीष्यन्वजिन्भूणेयः। १२ ९२९६९३६९ RAT

सद्रन्द्रस्तोमवादसःद दश्चध्यपखसस्मागदि १० ७०

ce ur २९ `,“ 1 ल्वामिदा। Set दियोनरा६ए। अपादप्यनवा। ९९ रर

ञ्ागृन्भूर्णीरदथ्याः। सदन्द्रस्तोमवादसः। TUT |

डे “विन्‌!” इन्द्र! at “भयो” इविभरणशौला(१) “नर.” कर्मणां नेतारो यजमानाः(९) “ददा” अदय “ह्यः” पूव- qa’) “श्रपौष्यन्‌” सोममपाययन्‌(*) हे इन्द्र! त्व

a `

Te ““स्तोमवाचसाम्‌'-इति wears: |

७० TH कस्य २,१,१५,१ = WT दस्य ६,७.२,१ = टे २,४--१८,२;८ | I माधुच्छन्द्सम | ` ()—afarr a बेदिप्रदेगेकभकरसाथ भमखशोलाः-दति fae (2) —‘efanaeet मनुध्याः'-द्ति fac (३)- सव कालमित्यथेः। (*)-श्यायौ ओप्यायो ear Frage रूपम्‌ वर्दयग्तोत्यथेः-दूति fae

i च"

[ 9 "ग्ग

२प०३.८,१। Saya: | ELL

IT RT g RT RT रे श्र

SRNL उपाखासा। ओदोदध्वादा | रमा

गारेरदारध्टेद अरध्र डा ॥२२॥ Oe

“स्तोमवाडसः” (agra प्रथमा) स्तोमवाष्सां सोतवादकाना- aaa Waa “se” ay “Ate” wy “ससरं उष्टं च। (द्यौः खसराणौति (a ०९,५,१०) बहनामसु पाठात्‌) “Sate” उपा गच्छ १०॥ ७०

दति सायशाचायेय-विरचिते माधवोये सामवेदार्थप्रकाये शन्दोग्याष्डयाने THAN GHA: VS:

WAITER qw— au प्रथमा | दयोवसिष्ठकषिः। १९ RRS प्रतय ACMA SR दुदितादिवः। ans

१९८९ २९१२२२९९ २९१२

अपोमरौवणतेचक्तषातमोज्योतिष्कृणितिखनरो ॥७१

# “व्य श्छन्तो -दति ऋग्बदोयः पाठः, इहत्योपि सायण- सम्मतः पर क्रापि पुस्तक तथोपलभ्यते |

७? उत्तराचिकस्य १,२,१५,१ = ऋग्ब दस्य ५,६११.१ = HBR ERE १२-- १५ = ऊष्चे१,२-- ५.२

६१२ सामवेदसहिता। [प्र०१,२,१

२१ - रे ९२ - ९. oS

`: आयती। उक्या। इदा BTL इदहा। AZ दो

- रे.

रेतादिवारः। अदिवारः। अपो इडा। ओ। ददा

Tote १. ~ 9 मादौवृणते च। कषातमा रः। आतमारः। ज्योताद्‌ | ~ टे श्‌ 8 ~

TM] आदू TUT! छणो। तौरसुनरो २₹। waa

६३४२। ओ२३४५द्‌। डा ॥२४॥ Og

“श्रयत sare “व्यच्छन्दौ, तमांसि विवासयन्तो व्जयन्तौ “दिवो” द्लोकस्य aie’) “दुहिता” पु्रौ(९) एवंभूताउषाः “प्रत्यदर्िं" aa प्रतिदृश्यते (उडत पूरणः)

I उषसः |

(१)-- यद्यपि date सूर्य पयायः तथापि सवाक -खादि-पदख्य नत्पथायतयाद- स्यापि तत्नमच्चतम। तथयाश्ि-““खः, पन्जिः. नाकः, मोः, विष्टप्‌; मभः-इईति षट साधारणानि"-दति fate Foxe) “साधारणान्यत्तराशि षट्‌ दिवश्चादित्यसख च'इति

5 A यास्कष्टतं AAA Fo न०२,१९। Baa GEIS Wad Fates: NSA दय॒गन्दनचोपरचारात्‌ सुप्रहः। तदुक्तम्‌ “HAG स्थानः" Fo दे०१.५।

(२).-"यल)कं जायमानवचात दिवः <fear-cfa वि०। तरव प्रजापत्टपर-

पयेचस्छादि श्छ प्रतिदिन मृषमः पद्यात्‌ धावसानलात कन्यबलात्‌कारापवाद्‌ः।

२प० २,८,२] छन्द राच a: | ६१२ wa featar |

RR र? RvR = दमाउवान्दिविष्टयउस्‌ाचवन्तेश्रशिना 2 (^

eet १९२९ RB श्र

अर्यं वामङ़् वसेशचोवसूविशंविशदिगच्छथः ७२

uz 2

ङ्‌ I (माउवान्दिविष्टयारड४शषदो। उखादवन्ते अञ्चना ए“ ` ` ` -

सेषा “महो” महतो | यदा महो महत्तमो नैशं तमोन्धकारं (अरप खदति निपातदयसमुदायः। श्रपे त्यस्याय) “अपोहति” श्रपष्ठशोति | कथं ? “चक्षुषा” दशनेन एवं कत्वा “सूनरो” | जनानां ge vat’) “उषाः” “ज्योतिः” प्रकाशं “क्तणोति" करोति

“अपो मदो वणते चक्तषा “दति छन्दोगाः। अपो मि व्ययति चक्तषै-ग्ति THAT: १।॥७९

“gat.” ^दिविषुयः दिवमिच्छन्यः प्रजाः ऋतिजोपि

—~ ~ sn + =

७२ TUATHA १,२,१५,१ = ऋम्ब दस्य ५,५,२१,१ = आरण्यके ४,१,१५-- १६ = ऊहे २१,२,१ ° == ऊह्यं १,४-५,२ |

I श्रखिनोः ata!

(Q)— AAT नरः यम्याः सावकलवेन BT YAO, waa: लावकेनंरेः सम्बध्य त्यथः'-इति Fao |

६१४ araaea fear | [Bo 2,22 wy ama | afam वेवखताहषौ |

१२ RL

कुष्ठः कोवामश्िनातपानो देवामक्त्ं : |

"क रद्द अयं वामहे वसेशचौवखरर४्ए दौ विशंवि- Xt 8

शरदिगच्छथारऽ४ए दो। WUT! डा ॥२५॥ ७२

(उद्रतितु wal हे “श्रश्विना ofan’) set! वा सको !(र) “at” युवां ^हवन्ते' ` arwafa waag वसिष्टोपि हे “शचोवसू” कमेधनो ! “वां” युवां “waa” ऽस्मद्रत्तषणाय युव-

८. _ = १)

योस्तपणाय वा “अदे आद्रयामि। किमथ मेवं प्रजामण्यय

अपोत्यादरोक्षिरिति तच्राह। “विशविशं fe गच्छथः हि

wary सवाः स्त॒तिकर्जींः प्रजाः प्रति युवां गच्छघः खल्‌, तस्मा देव मुच्यत इति २॥७रे.

(९)- “अश्विनो यद्‌ WHAT सबं रसेनान्यो श्योतिषान्यः। we रश्विना- वित्यौरवामः। तत॒ कावभ्िनो खावापुथिया वित्येकेऽहोरावावित्यके सृयाचन्मखा- वित्येकं rena} quent faufaefear | तयोः are aq awa प्रकाद्नो- भावस््यातुविष्टच्ममतुत्षमोभागो fe मध्यमो ग्योति माग खादित्यः।''-इति a ₹,

q,% ° (२)-- उख fa मोनाम। BAIA चदं दयम्‌ TSI TT! बथा गात्रः खान्‌

चतकान्‌ वने कयः Aga’ इति far

रपण, 2 | RR ्आचिकः ` ६१५

Rx RUT रर BTR ९९१

न्रताबामश्नयाक्षयमाणोरश्एनेत्सुञ्ादन्यथा २॥७३

BM STU र्‌ 9 RT 6

1 बुष्ठःकोवामश्रिनाञ्रा तापानोदे वामर्तायाः३ `

र्‌ RX RT रे रे रे

WATS UTSVE | प्नतारेध्वामा१। आ्रायार। दोवारदा | १२ श्र १९१ २४६ कपादेश्माणाः। भारशृना३। VTATS AT RUE | 2 2 र्‌ AT द्‌

इतथार्थमुवाङत्‌। TATRA! यथाद४अअरौद्ोवा | ऊर-

¥

२४या Were ५२

“ofiaar’ अश्विनौ! हे देवा देवौ aaa! “at” युवां “कुष्ठः” को feat वत्तमानः “at” war: मरय-धमा- मनुष्यः स्तोता “aura.” तापनः प्रकाशको भवति इति wat क्िच्छक्र.यादित्ययं :। “ai? qaarcata “sora” (अर्न- श्ब्दादह्धिसो यादेयः(९) व्यापेरभिषवसाधनेरश्मभिः,९) “प्रता” इन्धमानेन भ्रभिषयमाशेन “श्रं एना” सोमेन यदा भस्मा-

I अशिनो; संयोजनम्‌ | (१)-“ुपां चणक पुर्वसवलाच्छं याङाङाच्याकः | (७,१.९९) (२)--“अन्नया aurea fae |

Ne

९८९ स(मवेदसंहिता | | ४प्र०१,२,४ अथ चतुथो | प्रसकणकषिः# `

२३ १९२९ रेड g

2/८ अयंवाधुमत्तमःसुतःसोमोदिविष्टषु

3१९ RF RUE RE

तमञ्चिनापिवतन्तिरो अन्दं धत्तदरलनानिदास्रुषे tow

| १२. ut ९१ Lo? Lael saan धमन्ताईमाः। सुतः - Bf

सोमासि Weel Wezel ओद्ा।

भिरभिषुतेन “war” युवामभिगच्छता “swat” सोमेन “agq- ATU” स्षोयमाणो यजमानः “ceayq” इत्थमेव भवति yaar सम्यो भवतोल्यधः | “area” यधा भ्रभिमतातब्ररसादिभिचक- वान्‌ राजादिरिव। यथा weet टदृषटान्तविषयो भवति

तददयमपि भवतौत्वथः ७३ | डे “ahaa” safest: “ai” युवयोः “दिविष्टिषु दिवण- aay यज्नेषु “aa” पुरोषर्तो सोमः “सुतो” भभिषुतः कौ-

© 'कुत्सस्य्राषेम्‌'-दइति वि०।

७8 Wa दस्य १,४,१,१ | 1. afm: ara |

२ष०३,८,५ | कन्द्भ्राञ्चिकः &१9

अथ पञ्चमो | भमेघधातिथि-मेष्यातिधौ ऋषोर | P १२ ३१२९ २१९१९ TTL अश्त्वासोमस्यगल्दयासदायाचनडच्जञ या | 2.4 BRUT रर ६द्‌ RT १२

भूरिं खगन्नसवनेषुचुकुधंकदे शानंनयाचिषत ty hoy

z

< $ र्‌ $ तामश्िनापिबतन्तिरोअङ्ियम भोरदा | ओर्ा२४।

दर ३द्‌ ओषा | धन्नाररार्न्ना२। ओरदा। भरदा३४। ओष्ा। ४द 3

निदारर२। शएरषाररश ओरी दोवा WERVAT २७॥ og

शः ? “मधम्तमः।” अतिशयेन माधय वान्‌ “तिरोश्रन्‌ष् (९) तिरोभूत पूवसिन्दिनेऽभिषुतं तं सोमं “fara” | “erga” विदंत्तवते यजमानाव “रत्नानि रमणौोयानि धनानि “at” प्रयच्छतं।

“fefafea”’ '"ह तावच "-दति पाटो ४॥ ७8

~~~ en ~ ---- को कि

# प्रमाथस्याषम्‌ दलि वि०।

“Al ’-<fal of “faa -इति wet Aa पाठ |

OY Wea दस्य ५,७,१३२,५। (१)-अडनिभवभ्‌ Wee | fact खन्द तृतीयखवनिकम्‌ | थवा तिर इति “STAM pe, भाङ्ग धानानि भवः | तिरो wom, तं तिरो अन्द्यम्‌ "इति fae OCR,

६१८ साभवेदसंहिता। | ४प्र° १,२,५

५४२ दर Lot ;:. 4. 1 आव्वासोमा। स्य गरूदारयारर्रौदोवा। सदा श्र Bo ,

रयाचन्नदश्जियार२ | YUTM VAT | ग्गन्नसवनेषुच-

दे “am”? “ar at “aaag” avy “arae’”“aee- aw’) गालनेन आस््ावशेन “on” जयशोलया स्त॒त्या (अतएव गिरेति बहन चाः पठन्ति(\) ) तया gat “ae” “aay” सवदा “याचन्‌” याचमानः सन्‌ “श्राचुक्लधं" मा चुक्रध क्रमोधयानि (at इति प्रतिबेधार्घः, निपातानामनेकार्धत्वात्‌। TAGs Ae A मालेत्यामनन्ति) बधो wera त्वयि क्रोधो जायते तं सोमगालनेन WaT चापनयामौखधंः | कौदृशं तां ! ‘gta’? भत्तौर (९) “खगं a” सिंहमिव भोमं (खामिनः we

I सोमसाम)

(१)--.जषदाः-दति STRATE चतुःपचचान्न TS कम्‌ (१,११)। जर्दा घम अयो wate गरुम मासु धोयते'-दति Hew (4,22) |

; | ‘rat विश्न्तिन्दव श्रागल्दा धमनो नाम्‌"-

(ऋ ८म०१अ०१स्‌०२०मन्त्ाचंः) arama घमनोनाम्‌- इतित ने गमम्‌ | माला खमस्य WELSH wey कूपडितमनका- ग्या्यामावसरे ‘stew मालनमेति यास्कश्च | (a) च्याशम्दोऽजमिवेचौत्यत निरेति बन्दुकपाठ रव मानम्‌ | (६)-'भमश्प्रोरम्‌-इति बि०।

रेप ०३,८,६ | हन्दश्रा्िंकः। ६१८ अथ Test | zatfafa*azfa: |

\ र्ठ ९२

अध्व्यद्रावयात्वधटसोममिद्धःपिपासति |

१२३९ BRT VV VL RR ` उपोनून युयुजेब्र षणाइरोभाचजगामश्र चा ७६

र्‌

LS द्र रे 1 AMA कटैश्रारेरनाम्‌। नायाचिषत्‌। दडाररभा

२४२। ओर२४५इ्‌। डा ॥२८॥ ७५

श्‌

1 अध्वयाद्रा५वयात॒वाम्‌। सोममिन्दारः। fear :

याचने लोकिकं ward दशंयति)- लोके कोवा पुरुष; “द शा- नम्‌” शेश्वर स्वामिनं "याचिषत्‌" याचेत ava fe a चते श्रतोऽहमपि at खामिनं याचे दति भावः॥ ५॥

हे “maar!” अध्वरस्य नेतस्त्व' “Ae” द्रावय उत्तरवेदि- लक्षणं खान MTT! यहा। रसामना दरवण-श्ौलं कुर्‌।

® “दवत्तातिथिरिति fao ma: |

O€ WATA ५,७,२२,१ |

1 भ्राजमायवम्‌ |

4) ? eae

६२० सामवेदसंहिता | [९ प्र १,२,७

अथ सप्नभी। |. , हयो सिष्टज्छषिः।

३२ ९२९८ ९२ ₹९ १२९

अमीषतस्तदाभरेद्धज्यायःकनोयसः

२३ VR ६१९२९९२

पुङवसुदिंमघवन्‌बभविथभरोभरोचशव्यः ° ७०

esc दर

ALAR | उपोरननं युय॒जेन्र। षाण्णर्दारोर।

श्‌ 4 ४.

AMV | मवृचद्धा। BAVA! चोद्‌ डा

२९ ७€

श्रभिषुणवित्यधेः | किं कारणमिति चेत्‌ “नदर: “पिपासति

सोमं पातु मिच्छति (त्वयैतत्कथमवगतमितिचेत्तज्राह-“वषला””

वर्दितारौ युवानौ वा। “हरो” saat “aa” अद “उपो युयु-

जे” उपगम्य सारथियाजितवान्‌ रथे “awe” ठतस्य इन्ता(र)

इन्द्र “OT TATA” श्रागतवान्‌ “उपोन्‌ नं” “STAR xh पाठो ७६

QO Wa TH ५,२.२१,४

(x) —'@Aal AIA इमा'-द्ति वि०।

र्प०३२,८,७|| SRR: | ६२१.

# द्‌ < < RUT

I अभोषतस्तदादाउ। भरा। इन्द्रज्चायः कनोया;

Rt x

रेरसाः। पुङ्वसुिंमघवन्बभूवारडइदथा भरादभार३

Cl चद्दव्यः। इडार्दभा२४२। ओर२४५द्‌। डा ३० 99

डे “ज्यायो” ज्यायचिन्द्र ! (५“्रामन्ितं पूवे मबिद्यमानवदि-

तौन्द्रपदस्यविद्यमानवद्ावात्‌ व्यायदत्यस्य सर्वतुदान्तलाभा- ..

वः। नकारस्य wal’) व्यत्ययेन जुमभावो वा(*) “कनोयसः” सतो मम “aa प्रसिदम्‌ “Marat” अ्म्याहर। रे “म aaq” धनवन्रिनद्र ! “पुरुवसुः' बहुभिर ननोयो “बभूविध”

29

असि “भरे भरः सदग्रामे(९) “च” “gan” हातव्यञ्च बभू- विध(*) “मघवन. बभूविथ'-इति छन्दोगाः ' मघवत्‌सना-

द्सि?-इति बहन चाः ७७

I समुद्रपरेयभेधम्‌ |

(१)- “दसो (८, २,१)-इति |

(२)--““त्ययो बम्‌ (२,९.८५)*-इति |

(३)-.भर' इति सङ्ग, मनामसु पञ्चम Faw कम्‌ (२,१७) | (४)--.रतदुक्र' मवति-यक्मान्‌ द्रः TAY तस्ादाभरेत्यथः'-दति fae |

re |

ERR सामबेदसहिता | [80 8,25

wureat | १९१ RRKT र्द UY दिद्रयावतस्वमे तावद दमीशोय | ९१९२ स्तोतारमिदधिषेरदावसोनपापत्वायर सिषं = ७८ २१ धर ५४ श्र UT <<

1 1 यदिद्द्रारेश्यावतसतुवाम्‌। एतावददमोशोया। र॒र र्‌ << $ सोनाराररमोत्‌। दोधिषे। रदावारसा रख नपापारर

वारौवं द्‌ | Beat | TRLVAT | साभदषोईशाद २१॥

रर,३४ ५. र्‌ ft

', ५५. TL यदिन्द्रयावतस्त्‌. वाम्‌। आदतारे | वादादेदामी।

रे “am” “ae” aat(’) “ara” धनस्य “ईशिषे” ^ए- तावत्‌” (षष्टालुक्‌(९) ) एतावतो ware “्रहटमोशोय"' ईश्वरो

ऽध SAT कस्य <,१,१२,१ = WA दस्य ५,३२,२०,३= HE २२,२ =A ५,२०--५,२२

LIl वेरूपे हे |

(९)-“यच्छन्दो यदिष्दस्छाय' दति वि०। (3 )— सुपां सुनगित्यादिना।

ATog Te] न्द श्राधिकः | ६२२ अथ NTT | aaaafa: | २३९२ र्द त्वमि प्रृल्ति्ठमिविश्रासिस्पृधः। १९ र्रर भर शाया२ऽ१२। स्तोतारामोरे२त्‌। दधिषेरदा वासा

रर

९२ सेर ५१ २उ। नापापात्वारं२। या र्वा। सा५-

EAU ३२ Or

भवेयम्‌ ₹े “रदावसो ! रदति ददाति वख्नौति रदवसुः(९) ताह हे इन्द्र ततोऽहमसख्मदौयं “स्तोतारम्‌” “ca दधिषे" धनप्रदानेन धारथेयमेव | “पापल्वायः' ्षौशत्वाय(*) “a र॑ सिषं दद्याम्‌ |

“स्तोतारमिदधिषेरदावसो नपापत्वायर सिषम्‌” -इति ena “दिधिषेयरदावसोनपापत्वायरासौय-दइति ANAT. ८॥

(९)-रदावसो इति दीषेमध्यपाठोऽखि वचि "दमो ऽत्ति" ९१९११२५,)१- इति तन्ाध्यम्‌ | (४)-- पापभबाय पापा्मानः'-दति Fae |

६२४ सामवेदसंहिता, [४प्र० १२,

२१ २१६१९ २३ १२ RR

अशसि दाजनिताव्‌ चतू#रसित्व तुयं तरुष्यतः < ७८

५४ 8 # द्‌ द्‌

` „५5 1 त्वमिन्द्रो्ाद। प्रतूतिष्बोवा। अभिविश्राः।

र्‌ < रे WATTATYRT ₹:। भशसिचाजनितावबु। | ATA RTT: | 4 8

ater | त्वां तर्यार। तरुष्यता Wewari दो-

UTI डा ॥३२२॥७५

~

“am! “a” “प्रतत्तिषु” सङ्ग्रामे षु(*) “विश्वाः ` wal: “स्पध” युदकारिणोः शज्रेनाः(र) ^ ्रभ्यसि” भ्रभिभवसि किश्च। शे “लय !' शत्रणां वाधक इन्द्र! त्वम्‌ “अशस्तिहा देत्रानामशस्तोनां हन्तासि “जनिता” wate: श्रशस्तोनां

* “frat -gafa पाठः areata दृष्यते | BUA कस्य ८,१,८,१ = ऋम्ब दस्य ६,०,२,५= TAR ८,१,२४ | ^ 1 वश्वदेवम्‌ | (१)- प्रकषंश तूर्य मन feaar यत, wafer: OETA |

(र) --स्यधः'-दति सङ्ग Tag ऊननि्तितमं Fee aq (2,9) | कर्वन्ति इति awed: कपि घः सङग.सकारिकोः सेनाः

RU>2,5,t0] छन्द भाषिकाः | ६२१ अथ टमो | AAT aE fae 1 `

TPT A AT र्ब श्ट र्द ; प्रयोरिरिक्भओ्रजसादिवःसदोभ्यस्यरि | - INL २१२ BY ९३१२३

नत्वाविव्याचरजदन्रपाथिवमतिविश्व॑वव्िथ[ १० Woe इति दितोय-द्शति।

जनयिता चासिं। “श्ववरतुः"() we wane हसिता चासि। “तरुष्यतः बाघकांख(*) बाधमानोसि ne 1 ७८

a = == Be = ~न ~: ~~ ~ - ^~

मे घसश्राघषमः ¢ # “मेधसग्राघम्‌”-दइति fae |

« “प्रिरिरिक्ष"-ग्ति | “दिवोजन्तभ्यस्यरि"-दति कं पाटाः। & “पा्थिवमनुखधांवव्िथ"-इति |

A ना `~ ~~~ ~~~ ar rennet

८० ऋग्वेदस्य ६,६,११,५।

(द)-तुरिति त॒यतेहि sree रूपम्‌ |

(४) -तर्ष्यतिबेधकमेा wae रूपम, तथाहि - ““बुष्यनि न्निकमा" ष्त्यारि “तदष्यतिरप्येव कमे ति Wem दु्यम्‌ ५,९। विवरककारश 'तरुषति्वं धक, नदषेतु fawefer दान्‌ त्यतः (Gat दम भिश्छन्ति तान) प्रतिशिसेत्यथेः,टति awe |

क,

६२६ सामषेदसङहिता | [४प्र० १,२,१०

ऽर्‌

| Atos 7 प्रयोरिरिक्षोजसाईए। दिवः सदोरभ्यस्यरि।

श्र OS रर §

त्वाविव्या। ओहोर्वा। चा। रजः। भौदोरवाद्‌

R

emt दपाथिवाम.। अतिवारददश्चाम वावक्तिथ। इडार-

३भा४३। अोर२४५६ डा २४।८०

हे “se!” यस्व “दिवो द्यलोकस्व “agra” खा-

नेभ्यः(९) परिपर्य नतेभ्यः “्रोजसा"बलेनेव “प्र रिरिचे" प्रका - तिरिक्षो भवसि(र) (रिचेलटि बहइलब्डन्दसोति ख: प्रत्यय खरः) किच्च इन्दर ! “पार्थिवं एथिव्यां भवं “रजो” लोकः “त्वा” at महता ख-शरीरेण “a विव्याच" व्याप्नोति (arat- एधिवोभ्यामपि स्वतः त्वं वलेन समर्घोऽसौव्यथः) एवम्भूतः त्वम्‌ अस्मान्‌ “विश्वम्‌” “शति अतिक्रम्य “ववि |

a >

I पुरोषम्‌।

(१)-- "दि व-खवयवभूूतानि सुदःस्थानानि तेभ्यः पञ्चमोनिह्‌ भात्‌ waite बाक्पष्ेषः'-दति fae |

(२)-“रिष डि खाथामित्यस्य मध्यमपुरष कवचने एतद्र.प, GY प्रकषर FYeet- त्यथः, कान eras नः-इ्ति feo |

शेय०२,८,१ | छन्दभ्राचिंकः & वोढमिच्छ(*) (वरः सवन्तस्व छान्दसेलिंटि रूपं मन्वत्वादाम- - भादः

इति त्रौसायशाचाय्यं -विरचिते माधवोये सामवदार्थःप्रकारे दन्दोयाश्चाने रतौयस्याभ्यावखाषटमः SG:

इति वाष्ं तमेन्द्रम्‌ (५) a

असाविदटेवभेकोनकरिगन्तासु Waray व्रिपदोक्षविराडन्याच्तरिष्टुभो ्टोध्व विं तिः(१) Dalry तासु ताश्छस्य स्तति रोषा त्यसुष्विति | aaa सहेन्द्रस्य गौ रिन्द्रापवंतेत्यपि(९) u

(९)--"ववधिथ-दति मशब्रामसु चतुद Tau कम्‌ (२,२) अतएव (महान्‌ भवसो त्यथः-इ्ति fae |

(१) -दन्दररेवता क। eeriqe<en vfay मन्त्रा सेषां प्रकरणं समाप्त मित्यर्थः

(१)-खघावि देवभिन्यारस्य कोखसेति wags एकजि' त्‌, तज खसावोत्या - रम्य ANGERS MANTA नवमखष्डादाका वा ऋचो द, ततः WARTS - इत्यारभ्य खषधोष्नित्यनाखतुथंद दाका दश्मखष्डाद्मका वा कयोः जव, ततः त्यसूष्वित्वारभ्य सजोवादित्यन्ताः WANA शकादश्खण्डादका बा wat देति owergiafa' त्‌ ताच wy प्रगोमहे-एति तु षोडग्तमा, {जिपद्‌ दषं विराट capt विषाद्विराट्‌ षन्दख्छा दूति carey: कथितेत्यर्थः। “अन्याः wal: इविद्यतिः wofiuae we जिषटभः। दति सम्पति बाष्माख्मानानाम्ां

-सष्क तः। |

(९)-रेनद्र-चवं -मतानानत TEETER सिदमेव, तासु CRT कश त्यमष्‌- tfa विशतितमा wa, रषा तच्छ awaannfafanie [तदार ae:

ATS: MET MTA: ( द०४,२०)'-माभ्वनिकसर्य् त्याङमध्म स्यान. समाना

ee

~~,

£5

42 anaes feat | [8 प्रं १,३.११

त्र नवमखण्डे-- rn Sal Waar | हयोवंसिष्टर्षिः |

द्‌ ३२९ करर CR ९१२ असाविदेवंगोकजोकमन्धोन्यस्मिन्निनद्रोजनुषेसुवोच | र्‌ WTR २१९३ १२

बओधामसित्वादर्य gas TATA AAAS TAS Mle LER

.. es ye 2 भू % I असौषोवारदाद। बीश्दध्दे। बाङ्गाक। जो

शेर a + कमन्धाः। ASTI ET | Peas} | Dora |

283 + gare | बाधो दावाइद्दाद्‌। ATRRVAT लाद्रि ' “sa” Da’) ““गोक्जोक” गोभिः संस्कृत aaa मिञित- मित्यधेः(९) “aaa? सोमङूप मन्रम्‌ “असावि अभिषुतम्‌ |

a मन

८९ ऋम्बेदस्य ५३,२,१ = रार च्छे BRE RE

I प्राकषम | atsferfcfa areata: ( 2०२,९९)] तिः; किच्च Soxenitfch extents war खपिव “इृन्द्रापवता'- दति षडविज्तितमा कटक इयमपि पवत बं सर Cay तिः केवलेन्द्रस्यत्य चः | (९)- ष्व ददितीयेकवचन मिदं षष्ठ कवचनस्य साने Fes, SAB CRG

इति fae | (२)-गो-णन्दं te गविकारं गयर्‌, जोकं मित्रस्‌ |

प° ३,८.१] न्ट्श्राचि कः | ६२९

२४ रर .

Rv Wars: | वाधीरावारद्ाद्‌। areeeea) RAAT!

र्‌ 8

सोर४३। मारदा५६१ु६५६॥ २५॥

x षर

3 11 area! आद्दहो। रएडिया ओररध्वा।; .

g ` a | 8 १९ 2 # We! असाषिदेवक्ञाकजोकारमान्धारः। भन्धाः। 2 x 2 v ₹. श्‌ TAT! भररथ्वा।. Wel न्यस्िचिच्धोजनुषेम्‌.२- १९ 2 2 2 बेचाईे। वाचा। वोचा। ओरेदध्वा। ETE! बो

< र्‌ 2 R

a

धामसित्वादर्यश्रारयाश्चरः। ATT यश्चा। भारे

| . द॒द ब्‌ ब्‌ #

४्वा। BIEL बेधानसोममन्धसेमारदादष्‌३२। W-

2 8 2 ४९ R =“ +

दषु एषुवा ओरदध्वा। शद अद्रो) TTT

Il faa: |

A 41

६१० सामवेदसंहिता | [8प्र०१,३.२्‌

अथ हितोया | र्‌ ९२२ 2 Vt रर RvR योनिष्टदन्रसदनेभकारितमानभिःपुर्ङतप्रयाहि। at रे ४ैदर द॒ रे १९६ १९१ एडिया। भाररश्वा दा२४। werat ६२२४५

२६॥ ८१

“gq” अयम्‌ (९) इन्द्रः" “afar” श्रभिषुते सोमरूपेऽन्धसि “जनुषा"*.४) स्वभावत एव “arate” नितरां सङ्गतो भवति) (उच समवाये) [श्रय ्रत्यच्तस्तुतिः(९)-हे “gaye !”(०) “ar” at Css ara: हविभिवा “वेधामसि” बोधयामः। “अन्धसः सोमस्य “मदेषु” “नो” war “स्तोमः <a बोध

TTS ८९ *

aa ae ११. "प्य

(३)- भिरक्न तु (दंम्‌-एति wager व्यवस्थितम्‌, तथादि- “आथ Wensa

ऽसिताररष WUT वाक्छपरणा च्धागच्छन्ति पट्परखाक्त मिताखरबष्बनम्थका कम्ी-

समिदिति" नै ०१,९। Wa रव thats पादपुरखः -tfa fae |

४)--'जलुषेति ततोयेकवच तमिद्‌ पश्म्यक्ख AA दयम्‌ पचमो-निदमा प्रतीति arene: जकन, प्रभति'-द्तिकि'।

(४)- “डवो उ्वान्‌' दति fae |

(९) बोधति मध्यसपुरषयोादित्यथः | तथाशि- “खथ प्रत्य चता मध्यमपुरुष योगान्वमिति चेतेन एवनाना"-इ्यादि नि००,९।

(9) eet इरिद्व' Sat यस्य, दे ATE ! |

~~~ ~

+ दूति अदं : प्रपाठकः

२प०३,९,२ | छन्द्श्राञ्चिंकः | ६३१

2 ९२ ३२ ९२ ATW VR ९१९९

असोयथानोवितावृधश्चिददोवसूनिममद सोमैः NER

, \ र. ३४

Lar: | Gael द्रारसद्‌। ना्रकारो।, रे 8 ATA नुभादः। पुरुह ताप्रयारौ। आसा 2 २, ९४ ५४

यथा। नोरे्रवि। तावृधश्चोत। दादाः। aH

र्‌ र्‌ द्‌ नीरमम | Tessa: | चादसो५मा९५६१्‌ lie

2 2 2

11 योनिष्टभाद। दसदनाई। Wal अकारं

९, २. Ret

रादतमानुभोः। हदोवा। पृ। Re ताप्रयादो।

29

“qe! तव “सदने ११ ^सदनाथं “Fay” स्थानम्‌ "अकारि" ₹े “पुरत” बदहुभिराडतेन्द्र ! “afi.” aafi- मङहिः(र) ara” योनिम्‌ “or प्रयाहि” “नोऽस्माकं “यथा

TY ऋग्बेदस्य ५,३२.८११ | Ill यमिनो इे। (९)- जननिः wfafan: दति fae |

^

६३२ सामवेदसंहिता | | प्र ०१,३.३

अथ Salat | गातु षिः# |

१२९ २२६२ 8 8 2 १२ २९२ BR रे

अट्‌ इंरु्षमष्टजोविखानित्वमणवान्बद्धानारुअरमृणः।

१३९ ९१२१] VWF 8 २११२९ Az

मद्दान्तमिद््रपवतंवियदःजद्भारा अवयदानवान्दन्‌ ॥९॥८र

रेर 2 at

Slat | आसोयथा नोअ्रविता। शोवा। वाररः।

२, र्शर ९१९२ Rue

चादूददोवष। BAT! नादममदः। चसोमेः। रो

¥ वा। Wert डा॥२॥ ८र “असः''भवसि। नोऽस्माकं “aufaq”’ दधे atara area: (“वु धेच इति बहवाः) तथा “aafa “eet” say देहि "सोमैः saree “Aaa” मादय च॥२॥ दरे

# “्टत्‌समटदो नाम ऋषिः इति fae |

~~~, ~~~ ~~ ~~ -~-~-~

८२ ऋनेदस्य४,१,२२,१!

२प ३,९.२३] इन्दश्याचिकः | ९२३

8५ $

SAT बदधानारश्नराम्णः। मदान्तार्दध्मी। द्रप

र्‌ R PRU Ret

वंतंवियादः। खजाडाररे्राः। WATT वारम्‌

श्‌ : चा३४३न्‌। ओरर४५दइ डा

११

eam)” “aq” “उम्‌” उब्छन्द्मानं मेव' “ददः” बिदारितवानसि तदनन्तर “खानि” मेघय्थोद्कनिगेमनहा- राि(\) “argent” विशेषण खट वानसि fare) “बदधानान्‌" “aya” उदकवतो मेषान्‌ “श्वरम्‌ शाः" ““विस्जयसि'" चारय- atad: (wa रम्‌णातिर्विंस्जनफम(९) ) ₹े इन्दर ! “यत्‌” यस्छं

(यदिति लिङ्कव्यत्ययः) “महान्तः प्रभूतं “ata” मेघं(₹) विठत-

(१)- आनि wrarsrfa खद्‌ काजिनमनजो खानोन्यथेः | (₹)--अन्यवर GARISH माधवः | (३)--पवेतभिति भेष-नामसु वमभ |

nog,

६२४ सामवेशसंडिता | [प्र०१,२.,३ ४५ ४५४ 8 ९द्‌

Il, अदह्‌ रुक्मदजाः। विखानि। त्वमणवान्‌बद्ध-

र्‌ २९ र्‌ Los Rh र्‌

धानारभरारदमष्ाः। मडशान्तमिद्रपवतंवियाररदयाः |

रद VST र्रर X Cg

SASS: | अवार्यदान। वार। Aseahey-

2९९१९

वा। दारद४५न्‌ ४॥ ८३ वानसि। “धारा” अपां “fa खजत्‌” wea विसजिंतवा- नसि | “यद्‌” यदा ““दानवान्‌'' दनोः gary यहा उदकस्य दान्‌ मेषान्‌ “श्रवन्‌” भ्रभिहतवानसि [अवर निरुक्तम्‌ - “SEN उत्ससुत्तडस्षर शादोतसद नाहोव्छन्दनादोनत्ते TATA सानि त्वमणवानर्णस्वत एतानित्यादि(*) ] 1

“वियद: SHR अवयहानवान "-“वियदः जो

विधारा अवदानवं इन - इति पाठौ ॥१२।८२

17 ओरुक्तये

(४)-- इत्यादि षदेनाख्यापरां शो पाद्यः, तथाहि-(रतागित्यस्यागन्तरम्‌) “anafe- कानसस्लयायान वाबध्यमानानरमणशाः। रमशातिः संयमनकम विसजेनकमलोा वा | मङाकसिन्द्र पवतं में यद्‌ यव शोयसजो sy धारा GaN दानवं दानः कमाकरूम"-दति।

प०३,८,४. कन्द ग्रा्चिकः &२५

अथ चतूर्थो | wut EN aware: |

8 S28 = 8 RL. सुध्राणासदृ्रस्तुमसित्वा सनिव्यन्तशित्सुविनृम्णवाजम्‌। 2८ RR र्रर WW ३१ ९६

MAAC Ad यश्यकोनातनात्मनासद्यामात्वोताः Ig les

४४ 8 228 RF R 1 खष्वाणासाः। दन्रस्त्‌। मसित्वा। सनिष्पः: ,. 8 ब्‌ ब्‌ द, न्तञिनच्तवि | Al म्णवाररथ्जाम्‌। Ba: | भरा 8 a द्‌ 8 8 | 1

Reza! सुवितं यस्यको। ना! तानात्माना सहि

या। मा३४२। तूरेवोभता ६५६; ५॥ द्‌ ३२ 8 IT ओरदोडद्ोद्‌। SWAT! णासाः। GY ` we!” “सुष्वा शासः" सोममभिषुतवन्तो वयं at “ममत मसि" स्तमः। हे ^तुविद्म्‌ण बहबल TENA वा इन्द्र! “ara” चरु-पुरोडाशादि-लच्षणमन्रः “सनिष्यन्तः' दत्तवन्तः सम्‌भक्तवन्तो वा वयं at स्तमः। यत एवं Wat हेतोः “नो cana’ “सुवितं” सृष्ट प्राप्तव्य शोभनं धनम्‌ “AAT” ्राहर प्रयच्छ | “ae” यद नमतिप्रियत्ेन “कोन” (कनेः कान्तिकमंणा

—~ ~~~

+ -- -- ---~-~-~- ~--- ~~~ ~ =

८४ ऋग्वेदस्य ८,८,८,१

LIL पाइ

६३१ araaee feat | [४प्र*१,३,४

RR ९;

मसित्वा। भौकदोदष्ोद्‌। साररथ्नो। व्यन्ता

ae र्‌ ९, Sea! नुम्‌णवाजाम्‌। ओदोरेरोद WRB 6 Fee नाः। भरा। सुवितारम्‌। यस्यकोना। आरो + | र्‌ शद

दोर्‌ ताररेना | त्मना सदया ATVs | FRAY. argue: Wen ८४

CZ रूपं पचादयच। WHITE Bada श्रोकारः | प्रथमेक- वचमस्याकारः) कामयमानो भवसि तदहनमाभरत्यथः(९) वयं “त्वोताः” त्वया रचिताः सन्तः “am” (घननामेतत्‌(९) विस्ततानि धनानि “कना”(९) रामना खयभेव अन्ध-नेरपच्छे- रेव “agra” (ay अभिभवे | धात॒नामनेकायं त्वात्‌) स्वतैप्रसा- दान्नभेमहि |

“सनिष्यन्तशितुविनम्फवाजम्‌”-दइति छन्दोगाः “सस्‌ वांसश्च"-दति बद्चाः।

“कोनातनात्मनासद्यामः-“.चाकम्त्मनातनासनुयामः afa पाटो us nay

(t)--fa पुनरमि waa? ata, gfreare ते कनाख कोना; | erece- त्वात FUT क_-भावः। TA कवचनद्य कन्दसलात्राद्‌देषः। कोनात्‌ | कुट्सिताद ऊनाच्च शजो रित्यथेः'-श्ति fa

२)- तनेति धननामसु ऊनवि शतितलं Taw कम्‌ २,१०। (९)--" "मन्त SISTA | CBr i दत्याद्ममखाकारलोपः।

रच ३,८,१ | eeuifaa: | €29 अथ Wea | SAYRE 2 ere २४ जग्र्याभ्तेदक्तिणमिन्र दत्तं बद यवोवसु पतेवशनाम्‌। विद्या ३१९ श्रे ९९२

दित्वांगोपतिर्पश्रगोनामस्मभ्य चिचंवुषणधरयिन्दाः॥५॥ ८५

"}

7

1 जग्रह्मातेदकिणमोहाशओनोष्ाशए। दद्रशाररस्ता-{ `; .

र्‌ ९५ | म्‌। वसूयवो वसृपार। AIT! नाम्‌। र्द क॒ Tl Stel हारए। विद्यादित्वा। गोपतौरम्‌। २३५ a WN | नाम्‌। श्रोर। Ml च्रे, शारेए। १. a ४. र्‌ MABE! चार वृष णधरयिम्‌। al stat

^ क; १. $ g र्‌

Wel Well रयादन्दारंडवा | WRIT!

RT UT रेर UT १९१९१ ४९९१६९९

रोरी दोवार२५। वा १९२४५ ol

[क पि ककि पी ee ----- 07

» “सहगो राम्‌" -दति बि०।

* “WW -sfa warts: पाठः |

८५ ऋग्वेदस्य ८,१,२११।

६२८ सामदसहिता [४प्र० १,३२.१

5 4 जगृद्धानिदक्िणम्‌ | चोद दोवादार्‌ | T दारङध्ताम्‌ वड्यवो। वसुपार। ATE! नौ पाओरर्धवा हाराद्‌ | विद्याद्दत्वा। गोपतीरं Hi WEAN नो! arateseat दाङ्दाड | असभ्य चखाद | चा३०द्‌ ष, णपरयिम्‌। a वाच्ोरर्वा।

ITT २९९९१९९१ Steel BRAT! ई२२४५॥

श्र २९८१२

og गा SER BS! Weel जग्रह्यातेदक्तिणम्‌ | | TUS SRST RA | शास्तारम्‌! दास्तारम्‌। वसूयवोर

द॒ वसुप। नवसूना रम्‌। सुना रम. सुना ea | fa-

WRT UT

द्ादित्रागोपतिम्‌। इरगोनारम्‌। गोनारम्‌। गो-

ना रम्‌। असम्यच्िचद्ष। णधरयाद्न्दा २। चार सया 1

न्दारः। अटृन्दारे। होई२। WER! WAR!

UT ३९१६९१९

वाररश्भौदोवा। ई२२४५॥ <

Ill das

RYo ३,९,५] Seaiia a: | eRe 8 भर॑द्‌ ४ैब 2 धर्‌ | $ TV arate writes आच्ौदोध्वा। भौ `:

र्‌ श॒ R XT रोद | MACE ओओररोवा | जण्द्या ताइ | दक्लिणारेम

९३ ४४ VTL

इन्द्र स्तम | ARMA द्रस्ताम वसूयवो | TIT |

९९, २४५ Rw

तादरवसूनाम्‌। वसुनाम वसु नाम्‌ विद्याित्वा गो २३४

पतौङम्‌। anal रगोनाम्‌। रगोनाम्‌।

₹२ ३४

8 | अस्मभ्यच्ाद। चाे०दष णररयिन्दाः। रयिन्दाः।

8 | § 8 UT 3 az 8 ut | रथिन्दाः। ATA! WANT! अज्रीदोदवा।

Meet! Mette अीरेरेषशोवा२४। ater १२२५ ९.॥

XT

V शाउदाउदाउ। Mi weal Ws

¥ “agaa”’! वसूनां धनानां arfafare ! “a” तव

रए aramfa afi ^

६३८ सामदसहिता [४प्र० १,३२,४

+ ^ aie ar a3 = “1.8 11 जगद्यातिदक्तिणम्‌। sheterarerc) इन्द्रा VTL

SIRI | ASAI! वसुपा३। AAI नौ

arareseat | दारदहाद्‌ faatfear) गोपतीरं

x. 4 म्‌। श्एरगो नौ! वा्रोर३४वा दारेदाद्‌ असभ्य SME) चाद०्बृष। Werther) Sti IAAT ध्वर्‌ २९५९१९९१ Steel STRTAT! ६२२५५॥ wT RCL? TIE RER) WER! VIR जण्ह्मातेदक्तिणम्‌ | TUS इृन्रदालारम्‌। शदासारम्‌। दास्तारम्‌। वस्‌ यवोर

ब॒

वसुप। तेवसूुना रम्‌ सूना रम सुनारम्‌। वि- ्ादिलागोपतिम्‌ GAARA गोनारम्‌! गो- नांरम्‌। असभ्य दष णएररयादन्दा २। आदू न्दयारः। अन्दर TT दोर दयार |

uxt < ३९९१९

वाररश्मौदोवा। २२४५ <

1 aang |

2,¢,4| Senife a: | ६२८ छै भद्‌ 8 (1 WT TV आग्रौदोद। arte) आभौदोष्वा। भो:

र्‌ = र्र्‌ रोद | WSBT | WLS | जग्रद्याताई | दक्तिणारम ९३ ४५ 8 9 x इन्द्र स्तम | KAMA द्रशस्ताम | वसुयवो | TIT | ४५ ९९द्‌ तादवसुनाम्‌। वसुनाम_। वसुनाम्‌ विद्याहित्वा गो ३४ ५४ पतौङम्‌। श्यरगोनाम्‌। रगोनाम्‌। रगोनाम्‌।

₹२ २९ ३४

8 ¥ WHRAQTE! चादे०वरष णएररयिन्दाः। रयिन्दाः।

४र out भर रथिन्दाः। आच्रौदोर्‌। WAT WT STAT It

ओरदोद। भौश्चोई। भीरेशदोवा३४। भदोवा ४८२४५। ९.

V QS! Wi wear Nis

~

¥ “aqua”! वसूनां धनानां arfafae ! “a” aa

पातर, बाशप्राकिबौणि। ^

Exo | araazafec | [४प्र० १,२,१

रे श्र र्‌ ४५ Wat) अग्रद्याताई। दिणारम्‌। ewe RTL Zea | द्रदस्ताम Teal! वतुपा३। ताद ३४ र्र्‌

वनाम बहलाम। वदनाम्‌ विद्यादहिला।

२३

he ४. गोपतीड्म | शएूरगोनाम। रगोनाम्‌। रगोनाम

र्‌ 4

8 | स्मभ्यच्छाद। चार० वृष णररथिंन्दाः। cheer: | | 8 र्‌ R STSUTSUTS | ओ। दोषवा ओ। दोषोबा।

च्‌ १११

STI WL SARL बारदे४। आओश्ोवा। ३९६०५॥ ११॥ त्प

“eferaq” इस्त (र) “वसूयवो " धनकामा वयं “TM” wT:

(१)- टि चखन्द्रख तजोरूपल्वात्‌ ₹स्ताद्यमाव eq सिद्धाकः वथाप्व चारोषि- तत्व समःचेयम पावादोनामखेतन-प्रसिद्धानामपि तथा सशति-दद्धेनात। तवाक are:—“eurfa पौडववनिषिदेरङगोः संख यना

ऋष्वात Ce Waray बाह | el | काशिरिते 9? यत ग्टभणा मघवन्‌ काशिरित्त wv

. eee यथो रतत्‌ पौरभविधिकतेरङनेः संश्‌ यन्त दत्यचेतनेगष्यपयेतर्‌ भवति "खमि" meter इरितेमि रामिः,'.दति “area तिः" इत्यादि Re Soro |

२० ३,८,६] न्दमाचिकः। ६४१ अथषष्ो |

वसिष्ठऋ्षिः |

३१५२३१९२ ध्र र्दरश१९ २९ zx

दनद्रंनरोनेमधिताश्वनीयत्पार्यायनजनधियस्ताः। 3/2

११२९१२१२ रषषर रर ९११९११९२ ष्रोन्‌षा ताश्चवमश्कामभ्ागोमतिव्रजेभजात्वनः॥ ९॥८६

Rey. 7 % _ ९१९ दरन्द्रन्नार३४यो | नमाघधारदृश्टता। दवन्ता-; ; ; .

: ।, 4

4 ^... 2 र२इद्‌। यत्यारारदेश्याः। AaTaNegvatz भिया-

(यथा ague अ्र्थिनोऽस्मभ्यमद्त्वा गन्तव्यमिति wei we न्ति तदत्‌) हे “शुर” विक्रान्तेन्द्र" ! त्वां “गोपति” (अत्र ठत्यह- frat स्वामित्वं बहुत्व प्रतिपाद्यते) agtat गवां गोपतिं “aq जानौोम अ्रतोऽखभ्य' “faa” gate “are” वेकं

~

“रयि(र)""धनः “ay.” ufe ५॥ cy

ee 9 = कन ~ ~ we ~ म» = - ~~ ~ = ~ "~

CE WT दस्य ५.३,११,१ = यजव दस्य २८,१ = WTR १,२,१- २-१४-१५ २,२,१-२-३--४--५-€--9 ४,१४--४,२,१-१४-१६--१९-२०-५,४-- ४७२,१९। `

1 मीरोवितम्‌

(२)- "रयिं गो-खललकं धनम्‌ इति वि०। ८्१की,

é araazafear (en 9 १, १६

हे R R x 2% स्तारदः। शूरोनारदेशर्षा ताश्रावारद्साः। चका- , % Rs मार आगोमारदेश्नो | ब्रजादूभारेरथ्जा लन्ना- र्‌ र्‌ १३ ११११

रेउवाङे। शएरे। उपार३४५* १२ SE

“ae” aa’) “arat.()” ga भरण-निमिष्भूतास्ताः ufaer: “far.” कमारि “युनजते” waerat तदा “aay” मेतारो “यज्ञानां” weararat वा “नेमधिता” नेमधितौ ay सङ्कामे वा (र) यमिन्द्र “eat” इयन्ति डे “इन्द्र !"सल “gre” ““गरषाता” कणां सम्भक्ता(*) “aad” बलस्य श्रवस्य (*)

= 99

वा “कामे ama काम्यमाने सति “गोमति” maa

"व्रजे" गोष्ठ “नो” अस्मान्‌ “as” भागिनः कुर्‌ “अवसञ्चकाम ` ' -“शवसद्चकाने ”- इति पाठौ ९।८६

ए, = -- tee ch = ~~~ न्क ~ £ ~ er ee ee

(१)- -"यत्‌ यसात -द्ति बि०।

(२)--"पाया. पालयितन्याः प्राक्नखाः'-द्ति fae,

(३)--नेमभितिः' सङ्ग म-मामद्ध बयो Tew कस्‌ (२,१९), Cw तु दश्छते ' विवरणकारस््‌, सङ्ग TATE रव SET |

(४)--(मुषाता--भरो weer, ऋलिमप्तरणाण wat सव्यक अवति aura oa) वन वक सकाक्गावित्यद्यदं रूपस्‌ AUT परख साम्ये कवचन WIZraw’ | मृषाता- नृषाता ay इृत्यथेः'-दतिबिर।

(#“-दविरंच णम्य थं; |

R792,2,2] न्दधराधिंकः। | ६४२ अथ aya | गोरिबोतक्षिः।

PR श्य RT रट१२ FPR ११२९ १२

वयःसुपर्णाउपसेद्रिद्म्मियमेधाशषयोनाधमानाः। ~"

११९३ १२९२ Venue रेर ३२ $ F ९१९१९ RR

अपध्वान्तमृणुदिपृदिन्वततुमुमुग्धारस्मान्निधयेवनद्धान्‌॥<॥८७

दं 7c

1 qayerers | BIT उपरेदुरादन्दम | प्रियमे- --- `

x - रे “बः Te

धाङक्षयोनाधमाररनाः | अपध्वान्तमृणदिपिं चा२्ञः।

वयो” गन्तारः() “gran.” सुपतना; आदित्य-र्रमयः “न्द्रम्‌” “sqae:” उपसब्राञ्रभवन्‌। कोशाः ? “प्रियमेषाः” प्रिययस्ाः(९) ऋषयो” दष्टारः (२) "नाथमानाः" प्रज्ञां वाच-

CQO Wass ८;२,४१५ | A 1 qeqaa | (?२)--"वयः पञ्िसटशाष्त्यथंः'-इति fae | (२,-सधद्ति यश्च-मासणु चतुर्थः मेघ कम्‌ tt91 प्रियमेधवद्चिषदित्यख Srerara st तु “प्रियमेधः प्रिया we Aw CATE यास्कः BUS) | (३)- कविरिति दवेकपमिति जैषण्ड-भाष्यादो;ः। "“साखस्हतधमाण wat

११ ~ a बभूवुः" -दृत्यादि नि० नं०१,२०।

६४४ सामषेदसदहिता) [४प्र०१,३,9

Ss ® ° aaa) wteslar! २९। समाउन्निध। येद-

8 .„ ४३२। वादबाभद्वा६५६न ce ८9

कन

मानाः(*) (याचनप्रकारखच्यते)- इन्द्र ¦ “ध्वान्तम्‌” अन्धकारम्‌ “अपोणंहि” परिहर (“श्रपध्वान्तमूरंोति येन तमसा प्राढतो मन्येत तख्मनसा गच्छेदपहेवास््रासदनप्यत १-द्त्येतरेयत्राह्म र- मवानुसन्धेयम्‌) “gfe” पूरय(*) “aye” तेजच(९) ““सुमुग्वि” मोचय “mary निधयेव garg? “निधा पाश्चा भवति पाश्या पाश-समृष्ः%)। पाश-समृहेन वहान्‌ यथा मुञ्चन्ति तदत्‌ (wa “वयो वैवइवचन मित्यादि निसक्त (८) दर्व्यम्‌

e ~A RK

(४।- नाधमानाः इत्यस्य याचमानाः इत्यथ Wat यासमेव मे ०४,१ | (५) -“पृद्धिपुग्यद्ति fare मे०४,६३।

~ a ११ ~ z (९) -“चचः Gla वा खष्ट वा"इति निनने०४द। (3, -' विधा पाश्चाभवति, य्विध.यत। पश्चा पाशरुमरः| पाशः WEA

9१ faqraara’-tfa fae ने०४,२।

~ a

(८) -भेगमकान्डोय ततो यखष्डम्‌ | | -

२प०३,९,८] छन्द्श्राचिकः। ` ६४१ पथाम | Crick AL Ae

VIG BIT रेद्‌ R रट IMT Re

नाकेतुप्रणंमुपयत्यतन्तरड द्‌ बनन्ता अभ्यचक्ततत्वा |

१९२ pia a ea i, ३९२९

चिर ण्थपन्ं वरुणस्यदुर्तयमस्ययोनो शकुनं भरण्यम्‌ ॥८॥ ८८

शरश

८2 = prt vo. #

7 भा्याम्‌। अयायम्‌। व्ीरदोडद। आदद्‌ ;: .

३१२९. at WR | नाकेसुपाणंमुपयात्यतन्ताम्‌। पतन्तम्‌। MST | 2 श्र

§ श्‌

Me! Bel श्रारयाम। भयायम। अरदो ig 8 $

el आर्द्‌। Wel इद्‌वेनान्तो ्रभ्यचा स्षतत्वा | 9 9

ततत्वौर। He! WR! Wei आरयाम

2 रद

R ्रयायम | ओौङ्दोड्द। आरद wei fer

SE -काा a ee

ट्ट sata wea <,२,१२,१ = ऋग्वेदस्य ८,9,८, = TTI ३,८,३ |

1 यामम्‌

९४६ सामवेदसहिता। [प्र०१,२, रर श्र१९ ण्यपाक्तवरुणास्यदृताम | स्यदूनम.। भौर्ोडद

इद

SARE! Wel Wears अयायम्‌ Weer

4 <

al WTEC! WR TAMARA gaye म्‌ |

२?

भेरण्यम Weal Wee! Wel भारः

Reet याम। अयायम Baer! आरद ॐऽ२।

R

ङ्‌ वाार१८बा२३। ए२। [दिवम ए३ दिवम ए३। ९१११

दिवम। wal दिवार३४५॥ es noe

षे “वेन !**(५) “a” at “wer हृदयेन मनसा “वेनन्तः” कामयमानाः स्तोतारः “नाके अन्तरिक्षे श्रभ्यचक्षत' अमि पश्यन्ति तदानीं त्वम्‌ उपगच्छसौति Re) कथं भूतं ! “gre” ओभन-पतनं “पतन्तं” अ्रन्सरिच्' गच्छन्तं। ".हिरस्यपश्च” हिर

याभ्यां wa मुपेतम्‌। “वरुणस्य” जलाभिमानिनो

(९)--वेमति'-दति काकिकमेप चतुये Tez कल, (2,4) अष तिके चदि. warfcsrnaa (8,02) |

पण ३,९,९] छन्द भाशिकः | ६४७ अथ नवमो | awafa नकुलो वा ऋषिः |

१९ ३१२९२ ३२३१९ २२२९१३१२ ३६२

ब्रह्मजन्नान प्रथमं पुरस्तादिसीमतःसुरुचावेनञ्रावः।

We ९१२ ३२९६ ९१९. २९ Br

सबुभ्रंपाउपमाभस्यविष्ठाःसतश्चयेोनिमसतस्चविवः॥८॥८० देवस्य(९) “ga” चारम्‌ “यमस्य” नियामकस्य वै्यताग्नेः, १) “योनो” स्थाने waite waftea “nga” पल्तिङ्पेण वर्त मानम्‌(*)। “arg” भतार हष्टि-दानादिना सवस्य जगतः urea") (सुरण धारण-पोषगयोः करादि: अरस्मादौणादिक प्रत्ययः ८॥ टः :

ee eee ee -- ~ ~~ ~ ~ ee ~ -~ line ~ - ee ~ --

अथववेद स्य ५,४,१।

(२)-- वर्षो सघ-वषंश-ेतु-मुनो वायु fate: ““वरुशो शलासोति सतः” -द्त्यारभ्य “efeaain भमिम्‌"-रव्यक्तन याखोङ्तः।

(३)--यमशब्दस्छ तु मियामकल ` योगाय -लभ्बम्‌ '"अग्रिरपि यमउश्धते fark oy, Ro)”-<fa “xatat wafer: (नि०्दे०४,२९)दइति यारूछोक्कः wa ताभ्रिलश्च लभ्यते ` वतोयो शश्निः रवयः ततोयस्यानो य॒लोकः, AM मृवारुपोऽप्ररिति लम्यते। warns विवरशूछत्‌ - "यमस्य योनो, यमः खाटित्यः, मस्य योनिः ख्यानं मण्डल, रोके यदा श्वादित्यमण्डल्लं सच wafaaa’-<fa |

| (४)-- "कुन शक्तं योनितः Wasa कन्त. समथ मित्यथः* इति fae |

(५)-- भरण्य, भृमयब्रोल मित्यथंः.दूति fae wea: -xfa चिप्रनाममु चतु

इ'अतमम TA कम्‌ RY |

ee |

६४६ सामवेदसहिता। [प्र०१,२,८ रर र्रर र्‌ श्‌ प्यपाक्तवरुणास्यदूताम | सख्यदूनम.। Wawa:

रद

SAE! Wel भार्याम अयायम्‌ Weer

4-< ब्‌ श्‌ <x

दद Wer Bl यमस्ययोनौशकनां भुरण म्‌ |

२?

भरण्यम.। Bae! WR! ऊर। भारः

र्रर

याम। भवायम। Wes! WRT Ber

ङ्‌ र्‌ R

र्‌ वाषा२९८बा२३। ए२। दवम. ए२। दिवम ए३।

र्‌ १९११

दिवम | wal दिवार३४५॥ es घ्टः

ष्टे वेन !* “ar लां “wer weaa मनसा “Gaa:”

०, (८

कामयमानाः स्तोतारः “नाक अन्तरि “saqaqqa’ अभि पश्यन्ति तदानीं लम्‌ उपगच्छ सौति Re) कथंभूतं ! “gre” ओभन-पतनं““पतन्तं" safer wera! “feceuy” हिर-

याभ्यां waa सुपेतम्‌। “वरुणस्य जलाभिमानिनो

(१)-"वेनति'-द्ति काकिकमेपु चतुथे Te कल, (२,६) wwireds 9 fe. खल्यारिशतमम्‌ (१,१४) |

रप. ३,९,९ | छन्द ग्राच्िकः | ६४० अथ न्वमो| awafa नकुलो वा ऋषिः।

१९ ३१२९२ ३२३१९ २९२३१२९ 5६

ब्रह्मजच्चान प्रथमं पुरस्तादिरीमतःसुरुचावेनश्रावः। 327

ee १२ SY Ae . RS RY

VAY पाउपमाभस्यविष्ठाःसतश्चयेानिमसतश्चविवः॥८॥८० देवस्य(र) “ga” wea! “यमस्य” नियामकस्य वेदय ताग्नेः१) ‘aan स्थाने रतिश्च अतरिक्ते “शकुन” पक्िरूपेण वत्त मानम्‌(*)। “ae” भर्तार हश्टि-दानादिना सवस्य जगतः area") (सुरण धारण-पोघगयोः कण्डादिः अस्मादौणादिक

उप्रत्ययः ॥८॥ ८८

re ~~~ ~~~ -- —— ---~ eee - ~ न्क 2 ¢ ase a पि es remem “tems

अयवबैरस्य ५,४,१।

(२)--वङ्णो मध-बषेक-रेतु-म॒तो वायु fare: “aut हशामोति सतः" -दत्यारभ्य Cefeafafa भूमिम्‌" -र्त्सनतम याखोक्तः। (३)--यमश्रष्यद्छ तु मियामकलव ' योमाथ-लंग्बम्‌ ““अप्मिरपि eased नि०रै०४. oy?-xfa “qatat afer: (नि०रै०४,२१) "दनि Welw: वेख ताश्रिलख भ्यते - वतीयो खद्नि-र्युक्तः ततोयस्यानो gate: तर्य: मृयारुपोऽप्ररिति ead | wavare विवरश्शत- "यमद योनो यमः खादित्यः, तस्य योनिः स्यानं मण्डलं @ ota यदा ादित्यमण्डल्ं तच यवस्ितम्‌-द्ति। ` (४)- शकुन wa योनितः अ्मसात्‌ क्त. समथ सित्यथः"दति fae | (५)-- भरण्य" भमयब्नोन्त fame: -xfa यि.) भुरण्छः-दति खिप्रनामसु घलु- CRARA नेषण्टकम्‌ २,१५।

—_—

7 a ' ‘ty

F) 4 ¢ 1 6 ४. |

est anazafeat | [४प्र०१३,€

4 रे

1 बह्मा त्रारेरह्मया। जच्चानंप्रथमंपुरासलात्‌

र्‌

2 faz) बाररदसी। मतःसुरुचोवनञओ्ावः। सब्‌

र्‌ ct x x

सारह्‌ AHATSTATHAANCST: | सताः। सार.

?

| 8 LJ R चयोनिमसतश्चवाई वा २४२: | ओर२४५द्‌ डा॥

१५॥ ६८

१३ ts { A

IT छवेराहेद BAswiez! दिषारया। ब्रह्मज

X २३४ श्र

Ml MWA! मपुरस्तात्‌ | विसीमताः। सुर्‌

२९३ २१. २१ २३

चः। वेनञ्ावाः। Bafa: | उपमाः। भअस्यबि-

= श्‌ yk

Bil सतञ्चयो। नोरमस। तश्चविवाः। डवेर्डा-

ad tT cen ee “Leaee ot sees? ~ ~~ ~ ee

Ill ऋलतसामनौ इ।

2702,¢,¢] SCS कः। ६४९

।, र्‌ , R AT 201 Baeeart fer षारः। आर२४। w- ? रे र्‌ SLU?

x aT | Ul ऋनमन्टतम. ए२। कतमणग्टता२२४५म्‌॥

leet ee

वेनो नाम afaq कमनोयो(र) waa: तथाच शाखान्तरे --"वेनस्तत्पश्यस्रित्यारभ्य गन्धर्वो नाम नित्याख्रातम्‌ |

सच “वेनः "पुरस्तात्‌" पूवं स्मिन काले “जन्नानम्‌” उत्पन्रम्‌ “aire” वा “aw बाद्मग-नातिरूपं(र) “प्रथमम्‌” आद्य-शरौ- wal अलोऽस्याः सर्वे द्ंग्यमानायाः “सुरुचः” शोभनायाः कान्तेः “आवो रसिंतंवान (वसुभेत्यनु्रश्सूचकः कथिदनु- करगशब्दः तथाविधं we सुखेनाभिव्यच्यन्‌ ब्राह्मण यरोर-महत्या ar योजितवानिव्येयेः) वैनः “वक्षाः” मूलं श्रन्तरिक्षवा aw: aa भवाः. भ्रस्योपमाः एतदौय-शरौर- कान्ति-सदशाः, आआदिल्य-प्रकागारि-रूपाः कान्तोः(र) “विष्ठाः” विशेषे स्थापितवान्‌ तथा “aaa” इदानौं विद्यमानस्य “gaara” भविष्यदूपतेदानौमविदमानस्य “योनिम्‌” उत्य- सकारणं निवास-स्थानं वा “विवः विहतेवान्‌ निष्यादितवा- नित्यः iene

(१)-- “बमो aaa: काज्तिकमकः"-दति नि ०२०४,१८। (२) --श्रद्य-शब्य नादित्याष्डय maa tha fae | (द) - बधाः दिशः" इति fae |

BQ,

aye सामकेदसह्िता। ४प्र०१,१,१.

खय दशमो, सुदो ऋषिः | अपव्रत माम्य ३९१२ $ Sa aS (१0 रव्यापुरतमान्यस्मे मदेवोरायतवसेतुराय |

९९ ९? १२ विरप्सिनि वजिशेशन्तमानिवचरुस्यस्म स्थविरायतस्ः ॥१०॥८०

पुति उतोय-दशति ३॥

९२ 8 ४५ र्‌

`, ५.1। 1 भपर्व्याश्रोदोदोद्धाद। geal afar

श्र x ९४ ४. :

देवरा याडतव मादतुराया। विरपशि। arz-

2 ac 2 देर ५४ RU वजिणे। शा३४३२०तमानि। वचा्सिया। सारद 9 ~ ८८

“agar” भपु्व्याणि पजरक्लतानि नूतनानि “पुरुतमानि"

बहतमानि “शन्तमानि मुखक्ततमानि “वचांसि” स्तति-

9) ८६ 9

सशूपाणि वाक्यानि “aa Tera aw aa तुः (तक्षतिः + 0 ~

करोतोत्यथं | gafa स्तोतार इति शेषः कौटशाय

व्क ~ न्क > ~ ~~ ~ ~ + ~~ -= ~ जन es ~ ~~ me ee ee we mw oe ~ ---- eee eee

८० Wa ST ४,७,४,१ |

1 वारवन्तोयम्‌ |

२प० १,१०| हन्दमा्चिकः aut

Rev 2 8 Ut

वि। रायतक्तुः। खविरायतक्तुः। स्थवि। रा३४२। १९९१ यारेता५क्त५६;। स्थविरायतक्तर२४५: १७॥ ८० मदे” महते “वौराय'' विविध-त्रणां मारयित्रे “aaa” तवखिने बलवते(९) “तुराय त्वरमाणाय ““विरष्छिनि" विशेषे स्तत्याय “afar वजुवते “सख्विराय' प्रहाय

दति गरीसायकाचाये-विरचिते माधवोये साममेदार्थ प्रकारे रन्दीग्याष्छयाने AMIS ATH: WS: < |;

(meee er ee oe ee ee

ee ee Qe

Ta दशमे Gwe सेषा ART: |

रस्याः परस्या Barwa: * |

१९३ ९१९२ RvR तष्टदौयान १९ १४९ वद्र धश्दम तोम ¶छष्णाद्‌ शभिःसदसु RWW BRR १२९२१२३६ ११ ९२

सावत्तमिद्रःशच्याधमन्तमपस्लोडितिंन्‌ AUT TT TH eee

तिरेफतानस्याषंम्‌'-इति fae | | “इयानः"इति, “कलेदितीनमणाञ्धत्त-दइति वेदीव पाठः | |

CQ म्ब दस्य €,6,238,2 |

eo A (१)-- लवः ति बद्लनाममु चतुथ ATS HH २३९.

६.५२ सामबेदसदिता। [ewe १,४.९१

z EY | x gis g

oe 1 आवद्राररष्पसाः। बाशश्एमाररष्तौम

१९९१ ४.

॥: तीर। छार२४५त शयानारदे४छ ` शोदाशा २३४

a र्‌ ११ \९१ र्‌ ध्र भोः साद्ारे। खार३४५द्‌ः। अवत्ताररश्मो ११९

द्रःशाचोरदे्या। भामा३। तारदश्रम भापःखोरह- | 4 ATC

ण्डो तिनुमारडछणाः। = भधारदरारर४ओडोवा

र्‌ ११९९

अधादेद्रार२४५; १८॥

rages = oe he ९९ र्‌ +

Il अवद्रषसाईए। भारशूमतौमतिक्कारेडत ई्या- 1S १.९ १९ ९४

TAM! द्‌ाशभिःसदखाररद। Taw: I

RRE RU ३९. et

शाचियाधमन्तारेदम.। अपाल्ञोहितीम। नमणार३।

अधाभ्ट्राद्ाधद। BT eee

1 शुरपविणो हइ

रप, ३,१०.१] wena: | ६५२

रे ८) श्र 1 अवद्रदध्ररश्टमतोम ओीषशोरष्टर। ओदो 7

डर डद 3<

वा। -श्ातीरष्ठात.। ओरदोरष्ड। भीदोवा।

२.२४ ५४ ३र र्‌

यानःलछष्णाः। Wawa | अीदोवा। दाश। भा 2 8 $ IR डर शद रे दःसदखेः। रेो४द्‌ Weta! आवत्तमिन्द्रः शर 8४र 8 4 ओरदोशष्द्र। च्ौदावा। शाचि। याधमन्ताम RT BT १२, रर

ओर दा२४द भौवा | warenfedta_ | भौरदा२४द्‌ |

RT णर . UT द्‌ ४: PUTA

ओदावा | नमारणारदशश्री दावा | अधारेद्रार२४५ः॥२०॥

३४ RT ४४ at र.

TL अवद्रस॒ञ्रधप्टुमतोम ए२। ओश्दाधवा। 7 7

र्ब RAT RU रर

भातार२४५दछा९१५९त दैयानःछष्णोद्‌ शभिःसद्सं ; |

र्‌ RF २३४ WIAA! Mi "द्रा ईेशचि। याधमन्ताम अप ध्र BUT ४९.१९.१९६

खलोदितिनृमणाः। ओवा अधद्रारेश्रा २२४५ २१ ॥८१

on a ee -~ ae ~ = ~ ~~~ ~~~ ~. +~. ~~ ~~ ~ ~ ह--- + oe a

fo (0 ` + ®+ ^ = 1 qaqa = | ere ee ; ; ; "pao a , Le {~^ ~ : 1 a! A ra ¢ (५ : ^ oa i 1 7 wot =i 1 4 ` @ 1 ^ : ae 4, so ^ + ~ . -

६५५ araazatear | [४प्र०१,४.१

(श्रत तहास माचक्तते--पुरा किल Al नामासुरः दश- सस्र-संख्याक THe: परितः सन्‌ अंशूमतीनामधेयाया नद्या स्तोरे श्रतिष्ठत्‌। तत्र तं aw सुदक-मध्ये सितम्‌ इन्द्रो हहस्पति-सहागच्छत्‌ Wits कष्ण तस्यानु चरा ae ष््ति-सहायो जघानेति चिदन्यधा वद्‌ न्ति | तेषां कथा-देतुः- दरष्सदत्येदक-कणोऽभिधोयते। सतु सोमः (द्रस्करेत्यादिषु- सोमपरवेनोक्गत्वात्‌(*) | एतत्पदमाचित्याष्ुः-

“ame तु देवेभ्यः सोमो ह्रभयादितः। नदो मंशमतो नाम अभ्यतिष्ठत कुरु प्रति | तं हस्तिने केन सोभ्ययासस्तत्र sar | योद्छमामः FIRS Wale विविधायुपैः।

दृषा तानागतान्‌ सोमः ख-वलेन व्यवखितः। मन्वानो saga जिघांसु मरिसेनया। ` व्यवसित धनुष्मन्तं a qara avafa: | मरुत्पतिं रयिं सोम प्रेहि देवान्‌ पुनविभो ! सोऽव्रवोन्रति तं शक्रः GE एव बलादइलो | Cela देवानादायतं पुन विधिवव्पुरा

Tt “A 4 क, © ae: पौत्वा दंत्यानां समरे नवतोनव |

ee ee ee ee

a : ; A = (१)-- मि ङ्क्रा वित्यथ्‌ तथाहि -"्रपस Sy ब्रह्मश ewe, पसः सभात.प्डानोखो

२८०२,१०,१। छन्दश्रा खकः |. ६५५

ATIC A AAS wa निगयति। एतद्नाषलेऽनाद्र. Wig भवति, wha: क्रमेण ऋचि वच्यते | तथाचास्य ऋचो- ऽवमथंः--

ew ga सरति गच्छतोति “द्रष्ठः"(ए्षोदरादिः) दुतं गच्छन्‌ “द्‌ शभिः Wee!” दशसहस-सङ्ख्याके रसुरेः “Tara.” यमानः “Ay” एतन्नामकोऽसुरः अशमतों नाम नदो मनु “w- वातिष्ठत्‌" ्रवतिष्ठते ततः “ren? ख-कमगा प्रज्ञाने षा(र) “धमम्‌” उद कस्यान्तरच्छसन्तम्‌ | यदा जगङ्गोतिकरं शब्द्‌ qari “a” कब्थासुर“मिन्द्रो"' मसड्धिः ae “श्रावत्‌” प्राप्नोत्‌ “अघः अनन्तर पञ्चात्‌ “A” RWI तस्यानुचरां हतवान्‌ ति वदति। “saw: sy मनो यस्व सः। यष्ा। कमं- “ay ऋलिच्च एकविं मनो यस्य awe. | तादयो भूत्वा “चोदति” (ज्ोहितिर्वधकर्मसु पठितः (नि Ho ३,१९) हिसित्रोः तस्य सेनाम्‌ “sae” (वरातिः afea-afa-aal | इन्द्रः ““अ्रपगमयत्‌” श्रवधीदित्ययथंः। तस्यानुचरान्‌ इत्वा

तम्‌ असुर इतवानित्यभिप्रायः॥ १॥ ८९

भवत | सवै देवा पुष्करो त्वाधारयन। पुरछरमन्तरोच्त पोषति भृतानि। ` खदकं पुष्करं प्रजाकरं पुजयितब्यम! र्दमपीतरत पुष्करमेतस्मादव पुष्कर वा पुष्य पुष्यतः" दति fate मै०४,१४॥

(₹२)-्योति कमामसु द्ाविंश्तितमं पद्म्‌ 'मे०२,१) प्रज्ञानामसु मव- मम्‌ (ने ०१,९)। |

६५१ सामवेदसंहिता | [श्प्र०१,४.२ अथ द्वितौया।

2 2 228 १९ ९२ श्य RT

24 वृ चस्यत्वाश्चसथादौषमाणाविश्व देवा अज्य सखायः |

Bey 2 BR VW Bi १२

मरश्द्धिरिन्द्रसख्यन्ते मरू्वथेमाविश्वाःपृतनाजयासि Nee

$ $ X “2,20 Tera) Steere | ओरेदार। हाई चस्यत्वा |

Re m2 २, ° आअसथात्‌। दैषमाणणः। विश दवाः। Wee: | येस- | ३द्‌ gt < खायाः। waar द्रारसखि। यन्ते्स्त्‌। we र्‌ र्‌ ATL | आ्रारपुन। नाजयासी। दा३। RETR १९१९९

BOUTS | शा३४। भोदोवा। भा भौरदोरर४५॥२२॥

९११९ 1 8 7 दो्येडे। ऋयायेद। चया। theresa र्‌ १. ~ ९२४ RUE

दाद्‌ चस्यत्वा। waa! ईषमाणः। विश्व

—— ——— ~~ th, A pete te

तस ऋग्वेदस्य €,€, 22,2 l

LI 8षतो मारुतस्य सामनौ इदे

RW ३,१०.२] छन्द श्रा शं कः | ६५७

९,३४ Rk रे

Z 2a: | WRI: | येमखायाः। मर्द्धिराई द्वार

2 वरय yy RUT x

सखि | Bate | अथमावाई SIA! नाज-

Re 5c

यासो MARI दयायेर। इया शओौदोरङेवा |

र्‌ रभ 4 १९१९१९११

चा२८। भदावा। अश्रौरदो, आभीरदो२४५॥

२२ AY

डे इन्द्र ! तव ये “fata.” प्राक्‌ सखायः ama सखित्व कि 1 ङुयौभेति भिबाण्यभवन्‌ सव देवाः “तत्रस्य ठवासुरस्य “aaa (उवसेरोशादिकोऽथप्रल्ययः ( , , )। सर्वान्‌ आग. च्छलो दृटा तेषां भौव्यतूपादनाय SAC: श्वास मकार्षोत्‌) होता 09? 9 e WAKA: सन्तः अतएव “देषमाणशाः”' aaa: waraarar: “av” त्वाम्‌ “Tag: सङ्गमे त्यक्शवन्तः | एवं सति हे इन्द्र | “मरुः “सख्य ' सखिभावः “a” तवास्तु 2 ae A ~~ awit परित्यजन्ति तः सहति “अध अनन्तरम्‌ “दमाः” विष्ठाः सवः “aaa.” शत्रसेनाः “जयासि ख-बलेनाभि- ८्रकाः

+ 4, 1

sai ~

{Xe सामवेदसहिता। [धैप्र०१,४,दे अथ SAT | हद्‌ कथक्छषिः |

BR RPL RT श्ट ROB १२

विधुन्दद्राणएधसमने बह्ृनांयु aT ACTA पलिताजगार |

३१२ ३१२९ VW] ३२९९ रर टेवस्यपश्यकाव्यंमहित्ाद्याममारसद्यःसमान्‌ ३॥ eB दः. २,

wie I वोधूम.। दद्रादद्रा। णारेधसम। नादबहू-

४. |

नाम। युवा। न्सानधसा। ATR पलि ats

४५ © र्‌ ₹३

गारा। देवा। Barat! श्यारकावि। aafe

भवसि(\) (अनेन aan तमिन्द्रमाह(९)। अत्र मन्त्र “इन्द्रो aaa हनिष्यन्‌दत्यादि एितरेय-ब्राह्मण मनुसन्धयम्‌ WRU CR

८२ उन्तराशिकस्म <,१,७.१ = करम्बदस्य ८,१,१९,५ अधवंवेदस्य १४,२६,९ |

(१)--'हचश्य' awe (क) Weary’ अमषरात्‌ मखत शब्दादे वत्यथेः "द्‌ बमा खाः” qeremn: ‘fade: स्वं देवाः “खणड; त्यक्ञवनाः, के ! उच्यतेऽप--.सख्ाखः ये लब सख्ोभृता खाखन्‌ ; केवले मं रद्धिः (ख) TOK! CM’ A तब WE’ TET रथ द्यः) -र्त्याद्.वि | ~

(क)- टचः इति मे्ट-नामप watfinfa पदम्‌ Fer, to |

(ख)- "सरतः faacifaat वा faactfeat बाः मडदबग्तोति बा"-द्त्यारि

निग्डे०५,१३ | (९)-- एष एव मन्त्रः प्रौराण्किवोपाद्याने बीजमिति ara: |

२पं०२,१०,२। इन्द श्रा्िकः। ६५९

® t 4 aT! आद्या ममाममा। रारसङि। arsys: | ¥

साउमा५ना६५९॥ २४

8 ११११ ९४. 4.

R > 1 ysl Weyl Bel द्रदे४५। fay- र्‌ 4 ९4 4 3३

दद्रा। णादेरसम। नादबह्ृनाम्‌। युवान्सा। २, ४५ १९१ ताईे°पलि। तीजगारा। देवश्यपा। श्यारकावि। ₹२ ३.४ ४, ४. 2 CRU wafer! द८४। Weyl wel eeeses

Vc 2 8

अद्याममा | Treaty: Tress! सारमाभना६५६॥

॥२५॥ ds

अनया कालात्मक इन्द्रः स्तृयते--““विधु" विधातारं सवस्य qere: कन्तीर (९) (fa-qat दधाति: करोत्यधं) तथा “समने (श्रनन मनः प्राणनं सम्य गनोपेते) सङ्गामे(९) “बहनां” शचं

LIl सोमसामनौ

(१,--'दि-प्रदानादिना उपरकरषेन सूवजमतः धारयितारम्‌) -दति fae | ^ | & (२)--'समनम्‌' इति सङ्गम MAT NSH Aes कम्‌२,१० |

, अ! ^ va

६९० सामबेदसहिता। [४य्र० १,४,४

अथ चतुर्थो | दयता नक्षि. |

> ९2९. 8: १. ? १२

Tey TET MAST AAAs AMAA: शच (THE

Rw RT Ue रेर २३ VR 2 RR

गृढेद्यावापुथिवीज्चन्वविन्दोविभमङ्गयोभेवनेभ्योर णन्धा,५८४

. $ “tN 9? दद्राण' द्रावकम्‌। इटकसामघ्यापेतमपि “युवान Gaz

पलितोजगार'"(९) निगिर तन्द्र-क्षपया | एव सुक्ल-लकलषग वद्य माग-लल्षणं “Zam” कालामकस्येन्द्रस्य “afear’ age- नोपेतं "काव्य" सामथ्ये (*) पश्य हे बहदुकथ | (ऋषिःखामान मामन्ा वदति-) तायो जरां प्रापोऽदख “ममार” स्रियते “aq? “muta: “समान” सम्यग्‌ जौवति ganas

प्रादुभवतौत्यथः(*) २॥ ८२

- ------* ------- eS ee

ooo

८४ ऋम्बद स्य ६,६,२५,१ |

(९) -भ्पललितः, Tiana दइत्यस्) पलखणम. एः खम जभार, गट तावित्र खख उसमपुरुषस्येकवचनभिदम्‌ सौ मीत्यथ. दति fao |

(3) 'कविमधादगे. तस्य भावः are कवित्व भित्यथः. Mew पुमः कचित्वम्‌ ? ख्यते मद्िन्वा मतम खमा डात्मानेत्ययेः'-टति fae |

(४)-याम्कस््विम मवं याचष्ट--“ “विधं ' विधमन. 'दद्‌ाख' दममश्श,स्तं यवां चन्द्रमस Waa areata fa fa a gt भिथतेस दिवा समदते a fur qa; wuraia—fay fawaaned ‘ear’ zaarlad ‘Qala महान्तः ‘araa, carat गिग्ति uray सिन राजिः सम्‌ दितत्याक्कमतिमाचष्ट “दनि न°

पु ०२०६८ |

रप 2,0 2,8] eeaifaa: | ६६९

५र 8 १९२२... शद्‌ .९

I ओओदोद्‌त्वाम दत्यत्सप्तभ्योजायमानारड्धः | चौ

( 8 द्‌ < 8 "^

Ss! aaa: शचरिद्रार२४। aha? |

श्र रे र्द द॒द 3

१९ रर खावापुथिवो अन्वविन्दार३४ः। ओदोदविभ्‌। मद्भयो-

x CTU ११११

मृवनेभ्योरणन्धा ९२४५; २६॥

PUM श्र रर ~ ~

11 @YRIZ| दल्मी व।ओरड४्व(। सप्रभ्योजायमा।

TR ११९९ नोवा३। ओवा२२४५। rarer | चभ्योवाउररध्वा | ९९२ 2 VU

अभवःग्रचरि। द्रोवार२। ओवा३४५। गगोदाट्‌ २. UU द्यावाच्रोरेदश्वा। परथिवीजन्ववि state श्रोवा२५।

र्र्‌ रे

विभहाद्‌। मद्भयोवाश्नोररध्वा। Waa) भ्योवारे।

२. १९१

्रोवा३४५। रणपन्धाः। BT) STURN ८४

----~ "~ ~ -~ ~~~ --- - as ee

—— ~

ना sear हे

६९२ सामवेदसहिटा। [emo १,४.४५

अथ Tua | वामदेवऋषिः |

श्ट WE १२ ९९२ १२ ३१ ९२

मेडिन्नत्वावजिणन्भुषटिमन्तम्पुरुधसार्नबुषभरसख्विरप्सुम्‌।

RMT BUR RIT AT ९१६२९९९२

करोष्ययंस्तरुषोदवस्युरिनदर युव ACHAT ५।९५

चे “न्द्र!” “ae a खलु “aq” तदेतत्‌ कम कतवानसिं | fa agua “जायमानः” लव प्रादुभवचेव ““अश्चभ्यः” थत्र - रहितेभ्यः “aa.” कष्णा-ह च्र-नमुचि-वराष्टारादिभ्यः सप्तभ्यो aaa, प्राणिभ्यः “aa: “रभवः” सप्तभ्यः पूयः थत्र शातधिता दारयिता waa: (सप्त यत्पुरःशमं-शार-दौदे्त इति fe निगमः) Waal सप्तभ्यःसप्त शोाट.प्रशतयवो Fras, तद्भे यज्ञेषु प्रादुमेवध्रैव कर्म-विश्क्षारिभ्यः शज रभवः। किञ्च, @un!a “ag संहते दयावापधिव्यौ qaterat ware ्रनुक्रमेण a “afae:” अलभथाः तथा “fayaqn’ महल युक्ेभ्यः “भुवनेभ्यो” लो केभ्यः “रशं” caw “ar” धारयसि

विदधासोत्यधः॥ ४॥ ८8

२प० ३,१०,५। कन्दश्राचिकः। ९६२

४४ ts. २९ [ asta नत्वावजिणममष्टिमारेरन्ताम gern

श्र र्‌ चद्‌ R धस्ानंवृषभरख्धिराररण्लम.। करोष्ययस्तरुषादू्दवारर- र्‌ . ९९ ४, at र्‌

Ql भङन््रययुक्तम। Tel चारणार्दश्यौरो-

र्‌ ६९.१९१

वा। गरृणोरषेर२४५॥ २८

4 छर ~ 4. 4 OF 8

IL डिन्नत्वा | वाहे जाद्‌ णम्मार्छद्‌

१२९ |

मौ। वा३२२४। ताम पुरादथ्ौो। धसां

वु। wage) areas) प्ल्म करा३४

Whe विश्र्यसत। रषादरदुवो। areas! et ९२ २९ ९, दनदराद्श्ोहा। YAR) वचारर। दारणाररे४

wx श्‌ द३१९१९१९

MRT | गणोषेर३४५॥ २८ ८५

LI afewa: सूथवचसः सामनौ दे

६६४ सामवेदसंहिता | | ४प्र०१,४,५

हे “न्द्र!” “दुवस्य: दुवः परिचरणं स्त॒त्यादि-लक्ल्(\) तदिच्छस्व' यतः “श्रयः” wily अ्रस्महिरोधिनः(९) “ae षो." (२) तारकान्‌ जेटनस्मान्‌ करोषि (get! weal: तरश स्वभावात्‌ | पच् हयेऽपि लिङ्ग-व्यत्ययः। ` अयः अरीनखाकं शचन्‌ करोषि उपत्तोणानिति शेषः) भरतः “मेडन” (भहिरिति- बड नाम) [ने०१,११,१८] माध्यमिकीं ह्टि-प्रदां वाचमिव तां यथाहच्चये' wafer तहत्‌(*) “त्वा” at “awe” wa मुच्चारयामि स्तोमि(*) कोटं त्वां ? "ह चदश" चस्यासुरस्य मेघस्य वडहन्तार | “व्यक्त (Oz, लोके वत्तंमानम्‌। “Qawali” Te ना मुदकानां धारकं(*) (ग्रहा वण-व्यत्ययः.)। पुरूणां बहनां दासयितार शत्रशां छषपयितार) षभ कामानां वषंञ्म्‌(<) “face” faced) शोन्द्रस्य रूपं कदा- चिदपि प्रतं भवति (wet! खराणां शत्रणां waa विघातिन

(१)--“दु नद त'-ट्ति परिचरख-कमेतु पषमं भवष्छकम २,५।

(२)-“अर्य'.इति इंश्वर-मामणु दवितीयं नषण्ण्‌ कम्‌ ९,९२। अतरव "अद. द्व र"-द{त वि०।

(२)--“तस्षमिति बधकम बघन सङ्गम) सतच्यत, सङ्ग मभित्यर्थः'-दति fae |

(५)- “खन्न को 7.- त्वथ द्यम्‌, वाग्मिन भित्यथेः'-इति Fao |

(५) QT मध्यमपुरुषेकवभमिदस उशमपुङवैषदथनेकस सदाने दसम tia fae | - =

(€)- दिवि ख.लोकं दिति faaafa इतिदः, aa |

(o)—‘qatfa धननाम, ware मिति धसे war इत्यद्यद्‌ रूपम्‌'-इति fae |

(८)--दसमानमित्येवं दकार्ब प्र{ठतय्ये चख्मानम्ति waive grey बत्य

(€)— "ae WE हषभः'-इत्य'दि ACHR ३०२,४२ |

4

२प०३,१०.६| areata कः | ६६५ अथ षष्टो वसिष्ठऋषिः |

१.२.२३. १.९.२९. ९.२ TTR BL VW १२

प्रवोमचदेमचेव्रधे भरध्वं प्रचेतसेप्रसुमनिंक्लणध्वं | 32

१२ 2 श्रद्द

विशःपूवौःप्रचरचषणिप्राः† ८६

ररे =

1 प्रवाः। मादेमद्ेवुधे। भराधृह्वाम प्रचाद-

क, रे

MATT! प्रासुमारद्ध्तीभ ATA दाभ्वारर- fara: ।) “वचि शं" वजवन्तम्‌ “रमन्त” अत्र णं भर्जन-

वन्त (<) ५॥ dey o “afery’-sfa, “चरा चषंणि प्राः" -दति at eta पाठः | |

८६ SUS HA <»१.०११.१ = अरण्ये दस्य ५,२१६.१ VITA ४,२,१२। (-“जरिष्णष्द निरामं, तामि चान बङननिखर रि परिग्रद्मक्त , तेः इनम्‌ "दूति fae | CBR,

7 fy १९ 4 + 1

ine

at

६६९ araaca feat | [४प्र० १,४.६

: र्‌

BENT: | पुरदवौं :। प्रचा। रारशे्चा। षणाद्‌

प्रा। ओ्रीरष्दावा। BUT! डा॥२२॥

९१९९ र्‌ IT दर८२४५ 1 प्रवामशादरमारेदणड बुधा२४२९। RR 2 ११९११ र्‌ भरारष्ेध्वाम HARRY प्रचतसाट्रप्रारद४८। 2 ९११९ z र्‌

मतार्ददम कणूररशध्वाम्‌। ्२२४५। विपु

xR 4 8

रवाद्‌ प्राररध्चा। रचा३४३। षणा रद्शदप्राः। परे

१९६१९ < १२११९९१

२३५। दाउदौ हवा | UTS! १२९४५ २९ ९९

वधेः"

शे श्रस्मदौयाः पुरुषाः! “वो” युयं “मह महतां

“99

धनानां atfya “ae” aga wera “प्रभरष्व सोमान्‌ प्रण यत “प्रचेतसे” प्रक्षटकन्नानाय इन्द्राय “सुमति” सष्टति

च(र) “ame” प्रकुरुत |

Lf अहे !

(U) —wart इत्यवेति wae: (मे ०२,१४.९०) Me: GT; शोभनां शति- भित्यथैः-दति fae |

VTo ZL 09] weafe कः | ६६७ अथ सत्नमो | विश्वामितषिः।

RVR २६१२८ We ञ१२२ १२ 224

Awa AA aa afer मकिन्नरेनृतमं वाजसातौ <“;

PTER_R<RRIUVTRIRAIUTA WU 2 २३१२

TAQ MYTHA समसमु्नतंडृचाणिसच्छितंधना नि+१।७॥ ९७

8 war Bat 8 FR व, 1, ea 1 भूरुनरङ्वेममघवानमिन्राम. | .अस्सिन्‌भरोन्‌त- a am | र्‌ ब. bs ef र्‌ मंवाचसारृदृताउ श्रण्वन्तमुयम्‌ तयसमार२्ु |

अथ प्रत्यच-स्तति;(र)। Sag: “चषणिप्राः(२) कामै; प्रजानां पूरयिता “gat.” हविषां पूरथिषौः “विशः war:

“प्रचर” अभिगच्छ de

# “धनानाम्‌-दति ऋबवदोयः पाठः।

८७ WATT २,२४.६ | I भारदहाजम्‌ |

(२)- प्रचरति मध्यसपुम्षथोगात | ।श)-चषगयथो मर्षः; ने ०२.४८

Th सामवेदसंहिता | [४्प्र९१,४,>

र्‌

a ae न्न। तंवारह्चीरे। दवारा णिसच्जितम्‌

| धनारेरनो३े। ₹रावारष्टार४दद्‌। ओर२४५द्‌। डा

३२ ८७

हे “se!” “array” वाजस्याब्रस्य साति लाभो यस्मिन्‌ सोऽयं वाजसातिः तस्मिन्‌ “रे” (विभ्रति अय-लच्छो मनेन Met इति भरः संग्रामः तस्मिन्‌) सङ्ग्रामे “qa” शूनम्‌ उक्षादेन प्रव.) “Aaa घनवन्तम्‌ अतएव “TR” निर- तिशये श्व सम्प “नु तमं" सवस्य जगलतोऽतिशयेन नेतार at “ean” कुशिकावयं यन्नाथे मावटयेमा तथा “ख सन्तम्‌” अस्माभिः क्रिघमाशां ofa णकन्तम्‌ “ou” शव ामुद्ु शे | “समल ' सङ्गामेष(\) “वज्राणि वुज्रोपलकितानि सर्वाणि र्षांसि “प्रनत ` हिसम्त “धनानि शत्र -सम्बन्धौनि सच्छितं सम्यग्ज- तारं लाम्‌ “HAG” रक्षणाय वय मावृदयेम LO

9 ci ` ~~~ --- -- -- ~ -- - --~-~ eee

(१)-'श्एन सुखं (ने०२,९,११), सुखकरमिन्द्र भिति वि°| (₹)-सुमर] एति aw मनामसु द्वाविंशनिदमं नैषर्ट कम्‌ २.१७ |

२प०३,१ ०.८] SQM: | ९९८

अथाषटमी | वसिष्ठ ऋषिः | ३९१९९ Rr ९९ STATE ATA AH मदयावसिष्ट 339°

Yt द्द्‌ ६९ 9.१९ Rie ey ek

अयोविश्वानिश्रवसाध्ततानोपश्रोतामदैवतोवचाधसि॥८॥८८

. र्द 2 $ र्‌ X र्‌ ee Ge eo 7 दिया Wart ओरडोरेवा। उदुब्रह्मा। we ३४ ₹९ Xe. <X

एर। तश्रवश्या। RAAT! येरमद। यावसिः

रर्‌ ( «(2 > ठे Stl आयाविश्चा। नोदृश्रव। सातताना। दिव- र्र्‌ $ ₹९ © 2 bn oS

या। War) ओीरदारेवा। उपश्राता। «aa

> 8

र्‌ ता३४। वाइचाभदसा६५६द्‌ २२ ९८

Se ~ ete _—- eee > --- --- ~ ~

* “Waqal’-afa wala: as!

८८ MUTT ५,३,७,१ = आरणक 8,2%,6-2e |

2. > I वश्वद वम्‌ |

334

De सामवेदसं हिता) [शप्र १,४८

मवमो।

गौरि वौ तिक [षिः।

ठे दर VTA UW रर LT ATA UE RT

चक्र यदस्याश्वा ATA AAS ACT |

‘sae श्रन्रच्छया(९) ब्रह्माणि" स्तोताखि हवींषि इन्द्राथेम्‌ “ween” सव ऋषय इति ओषः(उद्रतिपूरशः(९) हे वसिष्ठ ! त्वमपि “समय” an) “इन्द्र” “aya” gas हविषा पूजवय। अपिच “यद्रो “विश्वानि” भुवनानि “वसा” waa कौत्य वा ्राततानः सः `!ईवतः"(*) उपगमनवतो “a” मम “वचांसि स्त ति-रूपाणि areata उपश्रोता" भवतु ८॥ ds

(६)--त्रवोऽञ्नमिति ama TIT श्रवशोयाखि उतरुष्टानीत्यर्थः'-दति fae |

(र)- ये प्रत ऽय मिताखरषु Way वाक्यपू रखा गच्छन्ति, पदप्रकाशं भिताक्षरेष्बनर्थकाः कमोमि दितिः-दति Fox, |

(३)--'खमय wT Tawa यज्ज "-इ्ति faci ‘awa’ दति स्गार्नामडु जयोविंभ्तितमं Taw कम्‌ २,१९०७ |

(3 वलः Sera क्षि कर्मणः, एतद्रपः याक्निमतः, WTAE कदल्य quatre, उपत्रोता ! उच्यते-वखांसि, प्रथमा बज्जवचममिद्‌ं कवचन ख्याने FTG, वचसः वचनस्मत्यथः। यो विश्ानोति पुरष्ठायन्डन्दमध् इत्येव - वाक्षता योजयतव्या-्ति °| ‘tafe’ ‘cafe’ पाठभदेन आतषिकमह

प्रथमं AAW कम्‌ २,९८।

© २प०३,१०,९ ] SUAS कः | ६७१

क्‌ WRT BRT ९२ रश१्र WTB १!

पृथिव्यामतिषितं यदृधःपयोगोघदधा ओषधोषु॥ elle

चतथ -दशति

५४ - 8 ठं Rr UC bg So! cine

चक्र यदस्यापसुवानिषन्ताम उनातदस्नेमध्वि्च-

R ४: द्‌ २९१ काररद्यात परथिव्यामतिषितंयदृूररधाः। पयोगोररः “अस्य” इन्द्रस्य “ang? sre’) sag” अन्तरि “oy”

£ $ ~ © सवतो “निषत्त” निषखामासोखषहननाथम्‌ | “डतो” तत्‌

Ars

अपिच “aa” इन्द्राय “afaq” semafa(?) “चच्छयात्‌"

<€ WATT ८,२,४,२।

I प॒रोषम्‌ (©) “न्न चकते वौ चरते बा mae वा"-दति Fite त्रै ४,९७। (₹)-*खापः-दूति अकरौ्नामतु अष्टमं Fee aT १,४। (२)- श्ष्छन्दोप्य्थं। ‘aw इति उदकनामतु रकाद Fema १,९२। at:

दिति चि दीचेष्ठ कान्दसः।

334

६७. सामबेदसंहिता। [भप्र०१,४,९

wy मवमो।

गौरिवौतिक्षिः।

2 १द WV UT रर AT AUT श्र

चक्र यदस्याश्रा निषनसुतोतद स्मै ASE |

वस्या” श्रब्र च्छया(९) “ante maf इर्वींषि इन्द्रायम्‌ “उदरत' सव ऋषय इति शेषः(उद्तिपूरणः(९) ¥ वसिष्ठ ! त्वमपि “समय” an’) “इन्द्र” “aga” स्तोत्रं इविषा पूजय। श्रपिच “axa” “विश्वानि” भुवनानि “अवसा” waa कौत्यौ वा “व्राततानः सः “tam

कष

उपगमनवतो “a” मम वचांसि स्त. ति-रूपाणि वाक्ानि “satay भवतु ॥८॥ és

()--त्रवोऽन्रभिति दक्घम्‌ TAT श्रवकोयाखि उतृानीत्यर्थः'-इति fae |

(२)-'थ प्रहत ऽये मिताश्षरेषु TAT बाक्यपरखा आगच्छन्ति, TET भिताशरष्बनर्थकाः कमोमि दिति'-द्ति ने०६,९।

(३)--'खमये सद्ग गमस््ानोय यज्ज '-र्ति fae. ‘aaa’ दति सङ्ग THING जयोविंश्रतितमं Taw कम्‌ 7,00 |

(3) Cae: Saadifa कर्मणः, रतद्रपं यात्िमतः, WAT ETT TTT | कस्य qaaifaaa, उपश्राता ! उच्यते- वचांसि, प्रथमा बङवचममिद्‌ षह STITT साने द्रर्म्‌, वचसः वचनत यः यो awh पुरलायच्छन्दमध्ाहत्ेक- वाक्षता योजयतव्या-इ्ति °| ‘tute “fe पाठभदेन बातिकमदु

प्रथमं नेघग्ट कम्‌ २,१८।

© २प०३,१०,८ | Berita कः | ६७१

ङ्‌ प्र श्र BRT APRA श्र दे १९

पुथिव्यामतिषितंयदधःपयोगोषदधा चओषधौषु॥ <॥८८

चतुर्थं -द शति

५४६४ .५ an |

चक्र यदस्यापसुवानिषत्ताम उनोतदङमैमध्वि्च-

र्‌ द्‌ ९६१ कारेरद्यात परथिव्यामतिषिनंयदूररधाः। ga Tes. “अस्य इन्द्रस्य “ey? श्रायुधं(९) wag” अन्तरिते “शरा

£ सवतो “निषत्त” निषखामासो्े घ.हनना्घम्‌ “डतो तत

6% Ay 9 अपिच “wa” इन्द्राय “मध्वित्‌"” उद्कमपि(९) “चच्छयात्‌'

<€ WA दस्य ८,२,४,२। 1 परौषम्‌

(--““चक्र चकते वो चरते क्रामते वा"इति Fito मै,४,९७।

(t)—‘aTa’-tfa अकरौखनामनतु अष्टमं aoe कम्‌ ९,४।

(२) इ्छम्दोप्यथः (धु दति उद्कनामदु caren तरङ्गम्‌ १,१९। मध्यो दिति वि Sida कान्दसः |

,४ : 1

९.७ irs

& OR सामवेदसंहिता | [#प्र०१,५,१

Re AX. RS \

षू। अद्धाओमोषधोषु इडाररभा२४२। ओर २४५६

STF Qe ide वशं नयति। “qfesrra” ufafaa” अतिमित” fagqa qey.” उदकमस्ति तत्‌ “पये गोष्वोषधोषुच “area” ag

धांति < &€ xfa श्रौसाथणाचाय्यं -विरचिते areata सामषेदाथ-प्रकारे TAB SMITA दद्मः GS ९२०

अथधकादशण GE— सैषा प्रथमा | तायं पुतोऽरि्टनेमिक्छषिः | ६९९२३१२९ २९६२९ RLV ९९ १२ ‰/ त्यमूषुवाजिनन्देवजु त्सवा नं तस्तार रथानाम्‌ | ११२२ RRL

अरिर्धमिनोपृतनाजमाश्एपखस्तये AT ATT STAY नि

Ne दूतिग्याम गेयं अष्टमः प्रपाठकः i

+ “सुद्ावानम्‌”-दति ऋन्बेदोयः पाठः |

१०० ऋम्ब दस्य ८,८,२६.१ |

२प०३,११,१] छन्दभ्रा्चिकः | ९9२ धर रप ११९५ र्रर I भम्‌ त्यमूषु वाजि। ना२४५म्‌ देवजृतारे९-

एरर र्‌ ₹२ RB BH सदोवानन्ता। RATS) र्रथानाम्‌। अरि हे 2 Ret

BATRA! पएतनार४३जमाप्रएम्‌। BR याद्‌

ब॒ Fk

ताच्छयमिदा३४२। डरवापद्मा९५६॥ ॥९॥

0; ~ ¢ र॒र १२३२५ re Ut. Il यद यारदाद्‌ ल्यमषुवाजिनाे०देरवजुतम 1’

> ४४द्‌ श्‌ RT BTR A

द्यदया। शारटष्ट्‌। सश्ोवानन्ता। WATS I

३४४ रर्‌ R

Tela Taratewte | भरिष्टा३! नाद मो

; RF 2 3 ४४५द्‌ R ११९९९ 2004 | नाजमाशूम। दैध्यदया। दारे

२१ Fo x 8

SA! याद्‌ ताच्छ मिार४२। डदेवभदर मा६५९॥

WRU १००

1 ताच्यसामनौ = | cum,

६9४ सामवेदसष्िता। [४प्र०१,१५.,

“aq (१) प्रसिहभेव “ara” aga “que” (ठ च- षो walfe:(*) “सखस्तये” Gara “se” अस्मिन्‌ कर्मख्ि yaa’ भश माद्येमहि (“aga छन्दसौति (६,१,२४) ह्वयते सप्रसारण “लिदयाशिष्यद (२,१,८६)। यदा प्रथनाय fafe व्यत्ययेन शः(२,१.,८५) कोश “वाजिनम्‌” अद्रवन्त बलवन्त वा “देवज तं" देवे: deca प्रेरितं मज्‌ दति TAU, MAY धातुः; TAT ङ्घ पूवपद-प्रकषति-ख रत्वम्‌) [ यहा देवे: प्रोयमाणं तर्प्यमाणं यदाह यासकः-“जतिर्गतिः प्रोति- वो (र)देबजतं देवप्रौतं वैति] “सद्ोवानं” सषखन्त' (सहश शब्दा- इनिप्‌ मत्वर्धविः) बलवन्त वा। अतएव “रथानाम्‌” भ्रन्धदौ- यानां “तरुतार सङ्गामे तारकं यदहा। रहणगौला wat ष्म लोका रषाः(*) तान्‌ सोमाहरण-समये Me तरौ तार (यते हि- “एष शोमान्‌ लोकान्‌ सद्यस्तरतोति"" तरते स्तचि ““य्रसित-स्कभितेत्बादौ (9,2,28) serra निपात्यते) रिटनेमि" श्रहिंसित-रथं (यद्ा। नेमि नंमन-शौोल मायु धम्‌(५) अरि सितायुघम्‌। अधवा ऽपचारा स्ने जम्यशब्दः |

(१)- टचि ““त्यमूष्‌"-इति ““ frame (९,२,१२९) "इति दौषः)” सखः (=,2,0 ७)'*-दूति Wai

(₹)-तथाख ममादित्वात यख (४,१,१०४, ) |

(३)-तथाहि,- तद्‌ाखकसमदितमिद “तौर ऽन्तरि चे कियति, णम्य रख त्यश्णेतेवा aan भवति ‘way वाजिनं तं मशमन्रवम्त जतिम तिः प्रोतिव, देवतं देवम canta वा खडखम्न तारयितार रथाना मरिष्टममि पतनाजितमाश्म wea are fae इय मति”-इति द्‌ ०४,२८।

(४)--«“रथो tea तिकमखः fara वा स््याद्धिपरौतख्य रममाणो ऽसि fawaifa al Cad वा रसते वा"इति नि ०२.११ |

(४) -- "नेमिः". इति asrarag द्वितय नेषग्ट कस्‌ ९,९०।

e RT 3,282] weniger: | ६७१५ अथ दितीया | भरदाज ऋषि. |

₹? दट१६ ३२ ३६ २३ es 9 ie Os, चातारमिनद्रमवितारमिद्धधदवेदवेसुदवर्एरमिद्रम 752 हे रें RP BRE WVBR २२२३१२२

वेनु शक्र ! पु रुडतमिनद्रमिद पदविम घवावे त्विन्द्र: ॥२॥१०१

RT रर्‌

I चातारमिन्द्रमविता। रमीर३ण्द्राम। दवे दवे- "^ ,. GAN | रमोर्दण्द्राम। डवादनुशक्रपुरूड | afcena मेम जनकं) ““पुतनाजं' पतनाननां यजुतेनाना माजि- तारं प्रगमयितारं Sara (अरज गति-चेषणयोः। अस्मात्‌ किप्‌ | “'वलादावारधातुकेविकल्यद्ष्यते'* (२,४,५६वा ०) इति

वतच्तनात्‌ वौ-भावाभावः। यजते at डिप्रत्ययः) आश

शोघ्रगामिनम्‌॥ १॥ १००

# “गगस्याषंम्‌"“इति fae |

+ “यामि शक्रम्‌"-इति ऋन्वेदौयः पाठः | [0

QoQ ऋग्वेदस्य 8,9,2V |

I eau तातम्‌।

7

६७६ सामषेदसहिता। [्प्र० १,४५.२

अथ zara | वसुक्रो विमदो at ऋषिः। १२ ३२ ३९९ R ररे टे २९ १९

AMAR TAAL Ay CUT yTeys- efaqaTaTal

१२ RTT VU ३१९९ s- BRE A ९१९२९ र्ट रेर

TAA Avie YAS डधामुवदविसेनाभिभयमानोविराधेसा) ९१०२

© RUE

तमीरडगद्राम्‌। Weel AMT! मघवा। वार्‌

Bar| तरव ५दन््रा ९५६; २। १०९

NN)?

“्रातार” wpa: पालयितारम्‌ “ame” “हुवे” श्राह यामि। तथा “रविता” कामेस्तर्पयितार मिन्द्र arwarfa “आ दवे wa” सवेष्वाहवनेषु “सुवं” Taare war! “शुर” भौयवन्तं “शक्र” स्व॑कायषु ua “gaya” एुरुभि- बंहभिः पालनार्थं argaqi णवंविध मन्द्रम्‌ “orga” आ्आद्यामि। एव माहतो (मघवा धनवान्‌ “इन्द्रः” “xe”

८८ >

खरोवत्ति हविः “aq” भक्षयतु २॥ १०९१

x “रणष्यम्‌ -दति ऋन्वदौयः पाठः |

१०२ ऋग्वेदस्य ७,७,९,१ |

270 2,222] न्दप्रा्िकः। . ६७७

द्‌ R ` R ४:

I यजामदोवा। अद्रद्रवज्च। दस्ाररदणाम्‌। ˆ ` ट्र Re ४: श्ट

SOMA | «FARAH प्रश्मश्चुमिदेधवत्‌।

९५, २९

Bl ध्वाधाभुरदेश्वात्‌। faa) ना। भिभयमा-

ATS: | वारददरारे। धाद४५सोहदाद्‌ ॥४॥ QoQ

०2) (८

वयं “ge” “यनाम” सोमलक्षणहेविभिः gaara: | कोशं > “वजदकिणं" शभर-बधाय सततं “ae दत्तिणे हस्ते यस्य॒ तम्‌ “faaarat” रथ-वाहनादि-विविध-कमणां,९) “"हरोण(म्‌'” CAAT Hal मश्ठानां(र) “Tay”? श्रानेतारम्‌। See. सःमपानानन्तरं “्मश्रुमिः(?) खकोयेः ““दोधवत्‌ पुनः पनः ware: सन्‌ “ऊष्वेधाः” “fa yaq(’)” विशेषेण प्रादुभवति faa “सेनाभिः” मर्दादिभिः aaa: सेन्यः “भयमानः” way कम्बयन्‌ “राधसा” [हितोयाधं ata (द,१,८५) ]राधो धनं (वौत्युपसग-्ुते ्योग्ब.क्रियाष्याहारः) विदिध स्तोस्तुभ्यो ददाति 2 028

I वार्जातुरम्‌।

(१)- वि वं विष्य्य व्रतमिति कर्म WTAE SRA मेषगट,कम्‌ २,१ | (२)--“शरो इन्द्रस्य"-इति नेचण्ड कम्‌ LU, | (३)-- शसन्र भिः ततोया-बङवचनमिद्‌ दितोया-वङत्रचनख स्थाने FeV, W4- प्रडल" घात प्रददेनायेम, Vattaife aa खांदोधवतः'.दति fao | (3) भवदिति सेयोरूपम (२,४,० Faw २,५,९४)।

& अर सामवेदसंहिता [४प्र० १,५१.४ ` अथ चतुथ एत दादि-तिस्‌ शां वामदटेवक्षिः।

R vienna ९८९९९९२ VBL सचादणंदाधुषितुमरमिन्द्र मदामपारवषभरसवनम्‌।

BRUM WW १२ ९१ ९९१९२३९१ z

SATA चशसनिनोतवाजन्दातामघानिमधवासुराधापधा

१०२ द्‌ RT BTR

I gat) दणारेश्मौददोवा। दाधषिन्त। समि- र्‌ RU श्र VR 4

न्रा भोरेर्वा | मदामपारवृषभरसुषजाररम्‌। AT

रेयोररेध्‌। चारसनि। तोद। ताहेवाधजा९५

५१५

` ` ` ५८.८८“ रर र्ट श्र ११८२ ऽर १२९६१११९ 4)

aa दातामधानिमधघवारसुराधार २४५: ५॥

३४ श्र श्‌ श्र

Il सचादणंदाधृषिम्‌' तइ४देवमिन्रम्‌ मदा-

RTL ९१ ९९१

मपारवृषभरस॒वज्ाररम्‌। खन्तायोररथ्व्‌ | ा्दसति।

१०२ WaT २३५१२२२

ना एषतो areca सामनी |

>प०,११.,४ | छन्दश्रा्धिंकः ९७६.

र्द रर शर RU st

. | तो२४३। तारवाधूजा९५९म्‌ दातामघानिमघवार श्र 2९९९१

सुराधार३४५;॥ ९॥ ९.२

“सत्राहणं” बहनां ज्रां इन्तार(") “दाघुषिः' अतिशयेन घषं कम्‌ “ga” (qf प्रेरण-कम) शत्रणां प्रेरकं “महां” म्ान्तम्‌ “शरपारम्‌”” परिमाणं विनाश-रहितमित्यधः। “aaa” कामानां वषितारं | “gay”? शोभनेन वलं शोपेत- मिन्द्र ववं स्तोतारः स्तम इति गेषः। यः" इन्द्रो “aa” छव-नामान wget “हन्ता” हिंसिता भवति उतापिच। यः इनदरो “वाजम्‌” wa “सनिता? दाता भवति। “सुराधाः श्रोभन-धन-युक्तो यो wate: “मघानि” धनानि?) दाता भवति तमिन्द्र॑ wa इति पूवण सबन्धः (wa सवत्र ठत्न्त- लात्‌ “a लोकाव्ययेत्यादिना(२,२,६९) षष्टो-प्रतिषेधे सति दितौयेव भवति 8 0 ९०३

(१)-- "वा-शब्दः सदा-शब्द-पयेायः'-इति वि°। ‘ear इति सत्य-मामन्ु तृतौयं TUS कम्‌ १,१०। (२)-*भषस्‌"-दइति धन-नामसु प्रथमं नेषग्ट.कम्‌ २,१०

eT aradeafear | [४प्र १,५,५

अथ पञ्चमो १२ २२ २९१६२ १९ रे योनोवनुव्यन्नभिद्‌ातिमन्नउगणावामन्यमानस्तरोवा | 8 RE 2 BU ०९

क्िधोयधाशवसावातमिन्द्राभीव्यामवषमणसत्वोताः ॥५॥ १०४ ect ut Re I यनीवनुष्यन्नभिदा। तिमादेर्दथ्तौः। उगणा | 8 ब्‌ % र्‌ र्ट रद Tre

वामन्यमानसुरोर्वा। किधोयुधाशव सावातमारइद

श्‌ द.

र्‌ Rl अभादरव्यादमा। इृषामारेणादेः। ARRAY

| 8:। शओओर२४५द्‌ डा १०४

Sue! “यो “wal? मनुष्यः “मः” अस्मान्‌ “वनुष्न्‌' हन्तुमि च्छन्‌(९) “अभि दाति" चाभिमुख्येनागच्छति(९) योवा “मन्यमानः” भासमानं TE मन्यमानो मत्तः “उगणा वा” उतृन्नष्ट-

९०४ आरण्यकं ५,२,१४। I wraq i

(१)--“वनदुष्यन्‌ इकि-कमे-इति Fao | (3) 'अमिदाति wifragi a ददाति योऽप्ाकमदला अन्येभ्यो ददानोत्यषः. दति fae, ‘arfa-cfa erat gy प्रथमं Hae Ha ९,२०।

२प० २,११.६] emule कः | ६८१ अथ qe TASTE TS sa ९९९ एत्रयन्भी हवन्ते यंव बेषुकितयस्यडमानाययु क्र षुतुर यन्तो वर्त

XC VT 2 ९९ र्दरेरश् UT AC RRR TUT RC

Reg TACIT TAIT TH ae षिप्रासोबाजयन्तेसदद्रः॥६॥ १०५

Tat: उद्खगखाः (९) “तुरो (*)” हिसिव्रौ रस्मदौयाः प्रजाः श्रभि- गच्छति केन साधनेन हिसिष्यन्‌ ? “fowl” [चिः चयो waa क्रियते अनेनेति सिधिः ठतौयेकव चनस्य पूवेसवख- (५)] चयकरणेन युधा” आ्रायुधेन (९) “शवसा” aia बलेन वा ्ायाति। “atat.” त्वया रस्तिताः(७) “दषमणः” sar vara रन्तो वयं “aa” ““श्रभिष्याम” अभिभवेम(-)॥ ५॥ १०४

* “जुपज्‌म-इति सुद्वितपुस्तकपाठः सायणा चायधादि-छतख।

()--“उड AVAIL, उदगखाः GACT उच्यन्ते , aay भवति- योःऽ- खभ्यमरूपं द्त्वा बड मखबति जनेभ्यः कथयति aa मन्यमानः वाचा पृजयन्‌”-इति वि०। “खडि बङ-गामसु TH TEM (न° 2,2) |

(४)--“तुवतेवं कर्मर ( Fo २, १९ ) रतद्रपम्‌ ; वाच्वा पुन्‌ इदयेन fee समोत्यथः.दति fae

(५--“ छपा तु-लुक्‌-पुवं वणाच्छेमङाडपावाजालः (०,१,१९)।

(९) - य॒था UE waht faze |

(5)- (त्वषा उताः'-दति त्बोताः sar: रचिताः |

(८) -दत्येतदा राख इति भाव “निपातस्य (६,३,१ १६)"-दति मन्त रीरधः अभोष्याम «fa |

Sh,

337

gcR सामवेदसंहिता | [४१० १०५०६

भर्‌ १९२४ १९ रं I हाउयंञ्चेष्‌। स्तितियारः। स्यद्मानाः। धमा- aT नारेः। ` इरेद्थ्यदया। शाउययुक्तषु। तुरयार्‌े। २५ द४ t ax

तोवन्ताद दवन्तादेद। TVAVATAT «BISA

२३ ९०४ TAT! तारेडयम। TATA! उपयरा३न्‌ | UT R88 र्‌ Rs

दरइ४यद्या। दाउयंविप्रासाः। वारेजय। «ATTA

iy 5 ¥ न्राः। Tes. | इररध्य। दयाई्‌। | OUTST १११९१ | |

ZPosy

4 र्‌ < धै

Il यंयंया। दाउयंवृचेषु\ क्तितयादैः। Wear

rc रर्‌ Vs र्‌ < mee नाः धमानाः। यंयंवर०याम्‌ | यंयंया VTSIAMG |

९,९४५ श्र १६

त्रया३े। तोदवन्ताद। चवन्ते। यंय॑यर याम्‌

ED

LIl गात्तमदे = 1

न्प २,११,६। छन्द्श्राचिकः 1 gta

a2 द्‌ < x 8 R 8 ४४ SAA | दाउयर्रसा। तारउयम। पासुपव्मान्‌। R $ x x द्‌ र्‌ < उपय्छन्‌। यंयं यर०्याम्‌। यंयया। wersafaarar: 8 2 R ९, Ree १९ § वारजय। तादरसद्द्धाः। ATR: यंयंयरणग्याम्‌। PAULL |

य॑यचाई। चाउवा। ई२२४५॥ < १०५

(o)“aaq” वरकेषु युदेषु (र) “स्यैमानाः'' क्रोधयुक्लाः “सि तयोः मनुथाः(९) (क्षयन्ति निवसन्यत्रेति चितयो मनुष्याः)

“99

“qa” इन्द्रः “eat” श्राह्वयन्ति “युक्तेषु” wang आयुधेर्यक्ेषु सङ्कामेषु “qua” परस्परं हिसन्तो जनाः(९) यमाहयन्ति | “शूरसातौ शूराणां सन्जने(*) यमाह यन्ति युदजयाथंमिति fe) किख “sag” उदकानां “सातो” लाभे “यम्‌” “s-

(>)- वामदेव इन्द्रस्या तिमक्रतया इन्द्ररूप माख्ितः, अनरे wet इन्यमान wiv—y 2a fafa-xfa fae |

(Q)—eay way, रुकयेष्विति areg-ae:” cha fae |

(र२)-दितयद्ति मनुष्य-गामसु षष्ठ Fae wa २,२।

(३)- “तुरयनः त्वरमाशाः' दूति वि०। “afe:”-x<fa fanaa दादश TES कस्‌ (२,९५) तदे वेवं TTA Nae | |

(*-"शरमातो सच मे-द्ति fao | श्रसातो-षति TE, HAAG qufa an GW कम्‌ २,१७।

६८४ सामपेदसह्िता। [४ प्र ° १,५,

अश सत्नमो | विश्वामित्रः स्तौति।

2 RX रर BWW B १२ ` BRR

239 इन्द्रापवंता्रदतारथेनवामीरिष्ावदतर्सुवीराः

RV ९९ ९११२ १९ B श्र KTR १२

वौतरशव्यान्यध्वरोषुदेवावहंथाङ्गीभिंरिडयामदन्ताम्‌ ०।१०१

8 RT

4/7479 Tears) weet desert

asaq” दष्प्रदानाथ (४) यसुपगच्छन्ति आद्भयन्तोव्यर्ध;(९ | विप्रासो) विप्राः मेधाविनो यजमानाः a faze “वाजय- a) वाजिनं कुर्वन्ति विभि diet कुर्वन्ति ताथ चन्द्रः NE NQoY

I वेश्वामिवम्‌

१०६ TTA २,२११९.१ |

(५)--“छुषां wefafa (0,2,2¢) चतुष्या लक |

(€)-खपासपच्छ मन्‌--उप पुेस्याज मति-चेपख्यो ( ष्वा ° ) रित्यस्मिदं रूपम्‌ आपः समोपे यिन्‌ कारो खामच्छन्ति अपाशुपज्‌मा वाकाः; तस्मिन्‌ wr AANA | CTH TAUNTS मादु यनतोत्य मभिप्रायः,-इति वि°-खव नये “gu चुं शुक (७,१.९९) '-पत्यादिगा सपम्यकस शुक्‌

(5)--“शआखखसेरसुक्‌ (०,१,४०)” -दृत्यसुकि रूपस्‌ “fas:”-<fa भेधाजि-बामतु परथमं FIL कम्‌ UE |

(८)--“वा्यक qorafen’-xfar fare | वाजयतीति अच ति-कमेसु षट्जिष्- MH ATS कम्‌ २०९४ |

२प०३२,११,७] छन्दग्राचिकः | ६८५

र्‌ ut RT उवा३। ऊेध्पा। aatets, ere) दषश्रा- ut वदतर्दस॒वारदराउवा३। ऊद्ध्पा। वीतरू्ाउ। रद x ; RTS | व्यान्यध्वरोषुदारद्वाउवा३े। ऊरश्पा। RT

TATETS | UTA थाङ्गीभिंरिडयामदा°रताउवा३ | R BRVWT १०॥ १०१

“serdar [sxe पवेत च(र)] रेडन्द्रापवतौ ! “ae ता महता रथेनागत्य “वामो? वननोयाः(९) “gate” शोभन. पुव्रोपेताः “इषः” अन्नानि “श्रावदन्तम्‌” अख्मदघे' धारयन्त (र) प्रयच्छन्तमित्य्धंः। faqi हे देवा" देवौ द्योतमानौ! दे इन्द्रापर्वतौ ! “qty” अस््मत्‌-सम्बन्धि-यन्नेषु “हव्यानि इवन-योग्यानि पुरोडाशादौनि इर्वोषि “ata” भत्तयन्तम्‌ तथा “इडया wanfa caataa(’) “agen” waar युवां नमोभिः" स्ततिलक्षशाभि रख्दोयाभिर्वाग्मिः “agai” saat भवतौ १०६

(१)--*देवता द्द्‌ (९,२,२९)१-दत्यान, “THT TSA (२,९,३९)"-इत्याले STR

(२)-सम्भजनोया इत्य थः |

(६)--'व्यावषन्त मानयन्तः fafa वि०।

(४)- डा -दत्यग्र-नामसु ARN ATT कस्‌ २५० |

६८६ सामवेदसंहिता | [8H १५८ Wasa | शुक षिः# |

१९२ RRR LR RUT WH ४१

339 दन्द्रायमिरो afafaaaanl as: ATATrACATATA |

ब्‌ १२३ NU र्‌ योक्तेणेवचकरियोः शचौभिर्विधक्त स्तम्मएथिवोमुतद्याम्‌॥॥ श्य्‌ - , 4८ 1 हारे। eel इद्धायगाद्‌। रारेअनि। शौ द्‌ तसर्गाः। १। असाउ। Wars! इन्द्रायगादट्‌। रार ९४५ शद

अनि। शोतसर्गाः। २। कुवा कुवा eM

८४ x

Tawa! Maat: | ३। Waa! अयाम्‌। अपः

# शगिरिणोराषेम्‌^इति fae |

+ “प्रे रयं”--इ्ति wiagta: पाठः, “G1 CTIA -efa ऋग्वदौय-पद-पाठटः |

“चक्रिया"-इति ऋवेदौय-पाठः |

१०७ WATT ८,४,१४,४ |

1 सावित्रम्‌

२०२०१ 2,5 | छन्द श्राचिकः | ६८७

२४५४ र्‌ OT! areal रस्यबुत्रात्‌। अविद्‌ारेत्‌। अवि rt रे ९४

दत्‌। ओञअक्तेणाद। वादचक्रि। यीशचोभीः। ईदा

eee frame! भारष्थि। बो४२म्‌

र्‌ 8

अरेता५दया६१६म्‌ ११॥ १०७

Coma” very “शनिथितसरगौः" अतनक्तत-विसर्गौः उपर्युपरि वर्तमानाः (९) याः“गिरः'” waa: ताभिगीँ भि; “सग- ca” अन्तरित्तस्य(९) “aur” प्रदेशात्‌ “sq? उद्कानि(र) "प्रेरयत्‌" tafe यः इन्द्रः “oft.” कमेभिः(५) “ofa वोम्‌” “उत” अरपिच। “ai” दिवं “चक्रियो८५) रय- चक्राणि (९) “श्रक्चैणेव” यधा रथान्चेण तदत्‌ “विष्कक्‌” सर्वतः "तस्तम्भ Wey ९०७

(६९)- अनिभ्रितसमैाः- भ्त इति “णो agence cae निष्ठायां रूपम्‌ wa: Cam: स्नातः | fer: सुगा यासां साः farsa: वमूष्ठतः सङ्गः | fread afera-gat:, बबव्डोरित्यथः |

(2) —“aae:” इति अक रोत्त-नामसु चतुथं नेषण्ट, BARI

(2)—efe-erererfa |

(४)-भचोति कर्म-नामदु दाविभ्रतितमं Tee कम्‌ २,१।

(४) -^द्याडियाखिकारारामृपसष्ययानम्‌ (७,९,२९)*-इति दय -भावे, शिङ्-यत्यये (३,९.८५) ea चक्रियाविति।

(₹)- चक्रं इति डिवचनान्तेन area विवरखषता |

gcc 1मषेदसङह्िता। [४प्र०१,६,९ शयथ नयनो | वामदेवऋषिः |

रे RR RR

;,^/~ अआत्वासखायःसख्याववल्युस्तिरःपुखूचिदणवाच्छगम्याः†

RUT श्र १२ 8 शेर श्र

पितुर्मपातमादषोतवेधाश्रसिन्‌ कषयेप्रतरां!दौद्यानः ॥९॥१८

BT UT At छर २९ x

{{ 4, 1१ 1 आत्वासखायःसख्छयाववृ्युः। तिर पुरू चिदणवांज-

गाऽरम्धी | दौदोरवा। पितुनैपातमादधौतवाऽरषौ

« “वसुराष्-दति fae 1

+ ay चित्‌ सखायं स॒ख्या ववल्यां तिरः we चिद- शवं जगन्वान्‌"-इति कम्बेदौय-पाटः

+ “अभि क्षमि प्रतर-दति, “अधि शमि मतर्‌” दरति

च्व ऋम्बदौोय-पाठः |

१०८ WTA 9,4, ६,१।

J कुतो पएदवेरूपस्य साम |

RTO BLUE] कन्दभ्राचिकः। ६८८

दोरोरवा। अस्िनचय प्रतरान्दोदियाऽरनौ। चौदो-

` १३ १३१११. aT TAT RI ददार३४५॥ १२॥ ९१०८

हे इन्द्र ! “ar लां “सखायः स्तो तारः “सख्या” ससख्येन- सत तिभिरिव्यधंः ताभिः “ar aaa” अभिमुखं कुवन्ति | यत-

` “तिरः” तियंग्भूत्वा विस्तौणम्‌ “अणशवम्‌” श्रन्त- fea (\) “जगम्याः'” अगच्छः चिष््छब्दः कारणश-परः(र) [श्रथ परोत्तक्रतः(२)-- “वेधा” विधाता(*) इन्द्रः “faq. मदौयस्य “नपातं” aa मम प॒ज्रमित्यथः(५) 1 माद्धौत प्रयच्छतु

Q)—wqaday इन्यकरोच-नामसु ema, तथापि समुद्‌ षति त॒ ema रव (4,8) | |

(₹)- तथा ua रवं तद्द ब्रूम इति भावः। “शचिदित्येषोऽनक-कल ; अचायद्धिदिरद्‌ ब्रयादिति पुजायाम्‌,(# #%) द्धिचिदिव्युपमाये, कुरमाषांशि- दख्डरेत्यवकुत॒ सिते, ( * * *) ।१-ति नि०९,४।

(5)-“परोचछताः-- सुव।भिनाम विभद्धिभिष ज्यने प्रथमपुदषंख्ाष्यातख”-दइ्ति fro द° gk I |

(४)- वेषा Garay भवान्‌" इति fae “वेधः''-दति मेधावि-नामतु ष्ट Few - कम १.४२ |

(४) -^पितुरित्यन्र-नाम ; घाते at पिबते ar प्यायते ar’-<fa देवत-निरक्रम्‌ ९,२४॥ विवरशकारल. "पितुः, ‘a’, “णतम्‌'-द्ति पद्यं विख्डिद्य araeit नथादि--"पितुनं म-शब्द उपरिष्टादुपचारादुपमाथो यः, पितु रिव; घातं पा Tee. CUS “पुरक भावे ह; (२,४१११४ उ°)"-दति BATT एतद्र पस्‌, पातं रणम्‌ | यथा कञ्चित्‌ पितुः र्चणमाधत्त;, तदत्‌ भवानपि अस्माकम्‌ श्वादधोत दधानं करो लित्यथेः-द्ति।

COR,

६८० सामवेदसंहिता | |४प्र ° १,५.१०

Sra | गोतमचऋ्छषिः।

९,९.१९ RW BR ३१२

;#/ कोभद्ययं क्तं भुरिगाकतस्यथिमीवतोभामिनोदुङ णायून्‌

१९२ १९ Rte RT रट रष र्ट LU 2 आआसन्नेषामपसुवाशोमयोभन्यणएषांभव्यामणधत्‌ सजोवात्‌॥ of १०९ पञ्चम-द शति lls

at 1

23 1 aera धुरिगाकतस्याईए। शिमौवतोभामि-

td

x द्‌ दर दरे नोदु णार्र्युन्‌। आसन्नेषामपस्वाद्ोमयोररभूत्‌! रर्‌ x $ र्‌ र्‌ 4

यणएषाभुत्याम्‌ णधन्‌ सजाद्रवा रेउवा३। ऊरेध्पा॥१२॥१०९

aren: afaq “ल्ये" (९) निवास-भूूते यत्ने “प्रतरां” wae “दौ यानः'(%) तेजसा दौष्यमान इन्द्रः Ya ददातु < १०८

१०९ WATT १,६.८,१ I भ्रामहौयवम्‌

(६)-निवासार्थ-चि-घातो रूपमिदं शंयद्ति। (o}—aifust ea |

* इति चतु्थस्याडः प्रपाठकः

२प०२,११,१०| छन्द्ग्राचि कः | ९९१

“ga” अख्िन्‌ wate “ऋतस्य” यन्नस्य(\) गच्छत इन्द्र-सम्बन्धिनो रथस्य “aft? श्रश्ठ-वहन प्रदेशे “गाः गतिमः तोऽश्वान्‌(९) एषा मण्वानां सम्बन्धिनः प्रग्रडान्वा “शच्रासन्‌' भा स्वेन तच्छनितेन स्तोव्रेण “को gen” को नाम नियोक्षुं शक्नो fa(®) कोपौत्यर्धः। कौशा नश्वान्‌ “भिमोवतः” वौयं- कर्मो पे तान्‌(*) “afar” तेजसा युक्लान्‌ ५) “eee” परे दुःसहेन क्रोधेन युक्षान्‌ (हशोयतिः क्रध्यति-कमौ (ने०२, १२) “amare.” भाषः कमाणि(९) तेषु we वहन्तोति तान्‌(° “मयोभून्‌” मयसः सुखस्य भावपिद्धन्‌()। watarai सुखप्रदा नित्यघः “a” यजमानः “एषाम्‌” Lenrar warai “त्यां” भरणश-क्रियां रथ-वष्टन-क्रियां “ऋणधत्‌” समधयति स्तोतौति यावत्‌(<) “ae यजमानो “जवात्‌” जौवनवान्‌ भवेत्‌

(९)-- कतस्य सत्यस्य खवं गतस वा इ्ड्रसय'-इति वि०। (₹)-- नाः मो-ग्दमाव समय-योगात्‌ war उच्य ›-ट्ति fare | (९)-^खादित्य-जुति-करश्-दवार सति farce विष्टेषः। , (४)--“शिमो?-दति कमे-नामसु चतु विं ` शतितमं Fes कम्‌ २,९। (४)-भामिमः-शच. सां पुरः क्र इाम्‌'-दतिवि०। “भाममे"-दूति कर ध्यति-कम सु (ने०२,१२) पठित भित्येव तव era | (भामिनः कुल्िव-क्रोधाम्‌"-इ्ति Fao | (Q—“wa:”-<fa कम॑-मामनु प्रथमं Haw कस २,६। (ऽ)-- पसु निभित्-भलासु वन्ति ते खप्‌सुवारः, उदकस्य प्रातयितारः ; सान्‌'-इति fae | | (= —“aa,”-<fa मणख-नामसु सप्रभं THE कश्‌ (<)--ऋणधदिति marty” दृति पररिचरण-कमकलो रूपम्‌ ३५५

६८२ सामवैदसंहिता | [४प्र०१,५,१०

यदा “कः” इति प्रजापति रखते (“कोह बे नाम प्रजा- पति” रिति श्रुतेः ) “mae” awe “धरि” faate “गाः” केदरूपान्‌ वाभ्विशेषान्‌,**) “wa”? इदानीं “गुडक्के” संयोजयति कौदशान्‌ “ata” प्रतिपाद्यः ara fara mT “afaa” उच्न्वलान्‌ “दुह शायुन्‌” इणोयति रौनि-कमा हातु मगक्वान्‌ वेदाध्ययनस्य नित्यत्वात्‌ wat शब्दानां भ्राल-प्रतिपादकानाम्‌ “श्रासन्‌” ्रास्यानि मुखवदाकरभूतानित्यथः “org वाहः” say श्रन्तरिच्चे तदुपलस्िते स्वगं वहन्ति यजमानं प्रापयन्ति तान्‌। “मयोभून्‌” मयसः श्रध्ययन-प्रभवस्य सुख-साध्नस्वा- दृष्टस्य भावयिद्टन्‌ “यो” यजमानः “एषां” वचसां “wai” भरण -क्रियां “ऋणशधत्‌'” ऋदहिमतीः करोति “स जोवात्‌*(१९) सएव जीवति अन्ये TTA Lae:

“भ्ासन्नेषामप्‌ सवा दः"-इति, “अासन्निषुन्‌ खसः afer aratn १०९१९०८

इति चीसायखाचाय्यं विरचिते awa साम्वेदाथे-प्रकारे रु्दोयाण्छाने : ततोयश्याध्यायस्लेकादभः SG HH

A इति बटभमन्द्रम्‌

So

(१०)- “नोः -दति वारूनामस्‌ चतुर्थ Few कम्‌ १,११। (१९)-खेटि खाङ्ाममे रूपम्‌ (२,४.९५) |

२प०२,१२,१. SALSA | 22

इषाष्टाविंशति ऋचो arafaa WAT: (क) | यदोवदन्तो यनया स्तयन्ते atarsa fe (ख) देडितोऽगम्नि दधिक्रावा दधिक्रावणो इति war (ग) | वयचिदित्यषस्येयं ्देवोत्यमो इति (च)

ऋक्सामयोः स्तति च॑सामेव्येन्द्रोऽपरा चः (ङ) समाख्या प्राणभद्यायादिति पूवसुदौरितम्‌ (च)

(क)-- “जायन्ति ला" इृत्यारम्य^“ऋचंसामयजा AG’ -र्त्युमकाः द्‌ शत्रयाद्मका खष्टा- विशति चः खतटपकन्दस्ादत्यथः | सूति याष््यायमानाष्टादश्यु HUH A: |

(ख)- खव अष्टादशसु wa “यदौवदन्ती"-दति GWE ऋक, अनया मरतो देवताः Gan |

(a) —“afamrew:” tf दि crew ष्टक, Wal नया, दधिक्रावा मामकः अधिः, tfea aa: |

(3)—“aafea’-xfa fanfarat ऋक, इय, Swen उषोदेवताका “wal” «fa एकविंशतितमा wa वखदेवी wer, fryer देवनाः इत्यथः |

(e)—“eqera’-cfa खन्तिमा wa, खमया तु ऋक्‌-सामथःः देवतयोः लतिः प्रकाश्यते | पराः रतत्‌-पञ्चातिरिङ्काः जयोविंभति षट चः Sar wearer | दूति टेवस-सद्क तख |

(व)- मतु मरटादि-द्वतामामथां साहिव्येऽपयय vag रन्ति परशः कथ- मित्याद--सुमा्छा तु प्रा कभद्वयायात सिदयति, ater दते7ति मावः | aaa मोमंसा-शाक-प्सिडः | तथाहि, जेमिनो-सूृजम्‌--“ लत सिदि-जाति-सारूप्य-प्रंसा- भृम-शिङ्गसमवायात्‌ (१,४,१९) ।"-इति, तन्‌ सिद्यादि-दतुतो aye तति राश्रयलोयेति तदथः Ure He भटकारिकायाम्‌-““तत्सिदधि.जाति सारूपय-प्रशसा-शिङ्ग-मूमनिः we fu: Waa शब्दाना ate efa: प्रकङ्पिता ॥"-दति ; तथा (यं पुणोभवसख प्राणो lara: त्यस्य wees wae wena ऽपि लिङ्-समवाय हेतुतः तत सदचरिताः सव एव मन्त्रा aur तत्या प्राखभच्छब्द्‌ लच्यम्ते Wyea एव "प्रारभत उपद्धाति"-दत्यादि विधो-तचैवावापि यदोवरम्तोत्यादगेमा रद्र सिद्गकलाभावे

६८४ सामवेदसंहिता। ` [४प्र०२,१,१

अथ हादे GB zr सषा Waar | मधच्छन्दा जर षिः |

See रेट २९ र?

ou गायन्तित्वागायचिणोर्चन्यकंमकिंणः॥

Rt २२९३

बरह्माणस्वाशतक्रतउद्वरशमिवयेमिरे e १९०

एरर 2 ४, #1/ 1 गायारे१। तित्वा३१२३४। गाय चादेदणाः। R रे 4 श्‌ 2 अच्चा२१९। तिया ३१२३४। WAL काणः ब्रह्मा

8 र्‌ R R

३१। णरूवारे१२३४। शत क्रारताउ। उद्रा३९।

१९० उत्तरा्चिंकस्य ५,२,२३,१ = ऋग्वेदस्य १,११८.१ MRF ६,८-२२.,२,५--२२११--५।

Lll ओेखण्डिने इे।

ऽपि रेन््रसमृदाय-मध्य-पतितलेन इन्द्र-लिङ्ग-सादचय्यात्‌ nu tea fans पवसे. द्रव मचतञ्‌। fee . नेतदिड नृसनमु च्छते veifiaes पुरख्ादिनि खारितम्‌; AMT येकादग-खष्डारमे द्षटयम्‌ (ET oR Te) शजि-न्यायो ऽये wea, तु लोकिक त्येव वविष्टेषः, खतणएव माघवम “एकस्येव मन्त्रस्य पराखमत्व ऽपि शतिषणो गच्छन्तोति- जत्‌ तत्‌-सष्चरिताः मवे मन्त्राः AIAN A ITT (rate Stone ecy-xfa `

२५१०२,१२,१। छन्दाचिकः | ९९५

YN) ofe-Chalek =, Tha 2 | शमादे१२२४द वयाधहमिराई्‌ KUT! डा १५॥ `

धद रर २. a

IL गायन्तितवो ere गायानोरद्श्णाः। अचन्यके- /,

,4

र्‌ R ९, 3 {रि मारकोडिणाः। अर्चन्तियोरेदेशदा। कमाक्रारदश्णाः | २९ श्र < र्‌ द्‌ g | ब्रह्माणकू्वा शताशकराइतो | ब्रह्माणसू्बोरर४दाद्‌ | Rr % र्‌ र्‌ श्रताक्रारदध्ताउ। उद्ररशमिवयारदमोदरं। उदः 8 शमोरर४दाद वयाददूमा५द रा९५६द १५॥ et द॒ <

LILI गायन्तित्वागायतरिणश्रा। अचन्तय कमक . S.., 1 रद ण्णः | ABT TSA ASAT | शतक्राररताउ | Tay ˆ“

२. R 5

श्रमिवयाश्टमोररे। उद्रशाररेध्मो। वायारेउवारे। र्‌

7 उप्‌। ATSRATBYRTE १६॥ We

~

(८ १.७.८८ “शतक्रतो”व हकमन्‌ बह्ुप्रन्न वेन्द्र! “A at“arafaa(*)

IIT ओद्शोयम्‌

(९)--भायवं साम, तट्‌ येषामस्ति ag मायतिखः, उद्गातार इत्य थेः-दति fate | area leer सापिव्रमाखवि मोतं मायवः सरसङ्कस, मेय भवति तदन्याखपि ew,

६९८६ सामवेद्सदिता। [ ४प्र०२,१,

serrate: “गायन्ति” स्तवन्ति(९) | ““शअर्किखो” sqaeq- मन्तर(र)-युक्षा eat: “अङम्‌” अचैनीय मिन्द्र “अर्चन्ति” शस्र,*)-गत म॑न्द; प्रशंसन्ति “agra” ब्रहमप्रभृतयः Tat amar) | “an”? लाम्‌ “safax” vafa प्रापयन्ति aa दृ्टा्तः--“वं fara” यघा ante geen: भिस्पिनः प्रौढं वंशं wad कुवन्ति, यथा वा सश्माग-वत्तिनः पुत्राः wala कुलं waa कुवन्ति तदत्‌

एताखचं यास्कणएवं ष्या चरट-“मायन्ति त्वा गायत्रिणः प्राच- न्ति तेऽकं मङिणो ब्राह्मणा सवा शतक्रत उदोभिरे वंशमिव

वशो वनशयो भवति वननाच्छुयत इति षेति(५,४,) Nell ११०

MACAU AIFS मास aay प्रत्युत मानमा वस्येवेति तु ध्यं यम्‌! अत रव मौमांसा-न्वायमालायां wae प्रथमपादार fw wa—“afagni विनि- खेतु कवलोषु रथम्‌ गायतीत्युम्‌ मानयुक्घा ्ब्दायो मान मेव वा"-इन्यादि | मानादि लचशग्तु ताष्डा-ब्राद्यखादिग्योऽवमम्तद्यस्‌ ; सथाद, तदीय-बह-तृतीय- खण्डे “qerecr गायनी नवमो दिद्धारः-दइत्येव arfe |

(२)--मायतोत्यकं ति-कर्मसु दिलोयं Hae कम ए,१४।

(९)- “अका देवो भवति यदन ae fea | War मन्तो भवति षदनेनाच्व॑म्ि We. सन्न wae fa भूतानि। खक eet भवति सहसः कट्किन्ा"-इति fate To ५,४

(४)--प्रमोताप्रगीतमदन Gana fa arava, Vas. eae: er wa SHR “MATTE ATE सतेऽष्वरम्‌। अच्धपष्ठादिभिः ata wer. ATSC ATTA” Tha (रपु ०) |

(४)-- त्या दि बडबचनान्ता rey gaar’-<fa नियमात्‌ सदस्यादोनामपि ति भावः,

२प०२,१२,२| छन्दश्राचि a: | ९८७ ददितोषा | जेता माधच्छन्दसकऋषिः* २९ LR Rr? इन्द्र विश्वा अवोढ़षंसमुद्रव्यवसङ्गिरः। ९१९ २९ १९ VR

रथोतमदरथीनांवाजानाएसत्य तिं पतिम्‌ २॥ १९१

R x g इद्र विश्वाः। अवोरेवुधान्‌। सामुद्रन्या।.

x र॒र x चासङ्किराः। राथोतमाईे९उवा २।. रथादूनारम्‌। वा

शर्‌ |,

t जानारद्सात्‌ पातिंयतिम्‌। इडारहभा२४२। शरोर

२४५६ PSTN १७॥

२,३

te

aS 11, ओद fra: | अवी। वृधान्‌। सा्मूर `

[क 0 % यता नाम ऋषिः तस्ये दमाषम्‌'-इति वि० |

१११ उत्तराच कस्य २,१,१९,१ = ऋग्वेदस्य १,१,२१,१ = AGATA १२,५६--१५,६१ ~ एेतरेय-ब्राह्मणस्य ५,७ = ऊहे २,१२- ०, १-२१२,२-२१,२.२।

सट्क,

[क

५.

# `

iA, EL]

६९४८ सामभेरसंहिता | [४प्र०२,१.,४

g द्राव्यारे। TAH गिराः। राश्थारतामारम्‌।

x x TH नाम्‌। वाजारुना्सा सत्‌। पतिंपारदतीर४

श्‌ SAI नोरष्धद। STU ca

३४ VsT AL x

IIL, इन्द्र विश्वाभवोबुधन सम्‌द्रारेद्श्व्या चार-

RT

APT: | राधीतमारम्‌। अर) शारद ऊर।

श्र र्‌

रथादनाम्‌। वाजानारसारत WR) दा रद्‌

श्‌ g अर। AT AVA! Wess

STH ee fi

४४५ BUT x a ९९

IV इन्द्रविभ्राभवोवृधन रवाद्ाद्‌। समद्रा-

नागा गेखख्डिनानि atte IV qaareygy |

रप०२,१ २,२] कन्दपा्धिंकः 1 १९९

श्र र्‌ श्न्यार्‌। चसागाह्राररः। रएेयारश्शाद। रथाद

ध्र र्‌ TATRA | रथादूनारङ्म्‌। TARBALL ब्राजा- र्‌ शे श्र ALKA RA | पत्र पारतीरेम यार दा२४३१्‌ R

अ९२४५द्‌। डा॥२०॥ |

8 But STAT BT

V इद्र विश्वाअवीवुधन्नेयादी। eati समु- ८: `

~ द॒ रे FARR! गादराररः। areata RAST

1

ध्र x रथाद्ूतमरर। थादनारेरम रयारहत Reel

एर श्र

Tl वाजाना्शसत्पतिम पातीरहेम रेयार इत |

| श्रीररदोवा२४२। WRRVYT I डा २१॥

V उत्तरमादर्ध्टम्‌।

Sis araazafeat | [४१्र०२,१,२

र्‌ र्‌ Of “2. Vi, इयाद्‌ | दया२। - श्रोाग्नोद्ा। याद्‌

| 8 eae | WTA ET! याद्‌ HAR ATT

WTR

ret इन्द्र विश्चाः। walaalea_| समुद्रव्या

<<

चसंगादरा ₹ः। रथोतमम्‌। रथादना रम वाजा-

TL

नाधसात परतिंपामोरम। याद्‌ Kala! भा

Bat! CATE! Wael erste | Bers

|

# MUTT चोर६३४५६ | डा।॥२२॥

१२ २१ TUR R

VIL खयायेर। दयायेड। दया २२४५। Wye

रद्‌

BARAT | द्रंविश्राभवो वृधाइन्‌ UTR

ats <

` सुद्रव्यचसम। गिरारः। रार२२४। थोतमरटरथो

VI,VII महावश्लानिन्रे इ।

To 2,22, 2I semfsean: ` Qo?

अथ ततोया मौतमश्कटषिः | 2९ ९२२३९२९ १२ - दमे मिन्द्रत्ततग्यिबञ्ये छठममल्येमदम्‌। 344 र॒र ९४५ ९२

TATRA बार२४। जानारसत्यतिम.। पताडद्म्‌

१२ UTR ९११९ R

MTZ खयायं२। चया२२४५। ६२३४५ Sez

+

WETS! ₹होररध्५द। डा॥२२॥ १९१

“विश्वाः” सर्वाः “गिरः” waretar: waa: “इन्द्रम्‌” “अ- वौहघन्‌”(९) वर्दितवल्यः। कौटशमिन्द्रः “समुद्रव्यचसं",(२) समुद्र व्याप्तवन्त “cata? रथयुक्षानां योदणां मध्ये “रधौ. तमम्‌” अतिशयेन cage “वाजानाम्‌” wari “afar” सम्मा waferat पालकम्‌ १११

# गोतम -इति विण ata: |

(१)- “नित्यं eee (७,४१८)'-इति fe) (९) समद चस सम्‌द्‌ चसा समद्ख प्रा्चिरूच्यते सम्‌द्स्यव यचःप्रात्नि UG 8 समुद्‌ शचा, तं समुद्यचसु समदयाप्षिभित्यर्थः'-दति fae

७०२ साम्बेदसंडिता। | ४प्र०२,१.९

२९२ दकर्र १६ २६२३१६२

्रक्रस्यत्वाभ्यक्तरन्‌धारातस्यसादने २॥ १९२

२९ ATT

+ 2 1 दूममारइद्न्द्रा। TAR! TWeTaTeRsTtrey

६्र २९९९

वा। च्येष्ठममारतिंयग्मदम | WAT! स्यत्वाभौहेयार

X 8 रध र्‌ VT ऽद १९ VUE १९११

२। सार्रार३४अद्दोवा। धारारऋतस्यसादन २२४

श्‌ ५॥२४॥

२९८९ ५४ रर ९२

, . ` 1, ईइमभिन््रसुतपिबा। sesraari तिषब्मटा

gy gt

रम भीरोरङ्ध्वा। स्वतवाभ्य्रन 1 धा-

शद LT R at 8 सीदोरश््वा। WAT ATHRWAT! खसा ५दनाद। BYE) डा॥२५॥

१९१२ उत्तराचि कस्य २,१,२१,१ = ऋष्वे दस्य १,६,५,४ | = अदे २,१--२२,२,१०--२२,३।

2708222] इन्दश्राचिकः | ७०३ 3 8 रद्‌ [ओ IIL, दूममिन्द्राधसुतंपिवा | च्येष्ठमभाङ्तायम्मादा २. : र्‌ 4 म। Stet Wet Sate! MewRT! ४: st १9 है परक्रष्यत्वारभायच्छरारन। भौर SRI Ear) भौ | 7 2 SERRA | धाराश्छतार। ओर। Sel Bat

4 RX Cl भोरशोररथ्वा। स्यसादाररेना२४द्द्‌। ARB

धद | डा॥२६॥

४9 8४ 9 IV इममोरर। द्रसतंपिव। Semi wena „ष | TATRA शृएक्राश्यत्वा३। भियार्तार२४रान

|

धाराभोरश्ध्वा। आर्ता ्रोरदध्वा | ATTA शो

UE 1 STH RO H ११९

1५ # वसिष्ठस्य प्रियाणि warfz

७०४ araazaleat | [४प्र०२,१,४

अथ चतुचौ | . श्रतिकऋषिः। LRG १५४५. यदि्द्रचिचमदचना*स्तित्वादातमद्विवः। ९९१६२ RT

राधस्तन्नोविद इसउभयादख्टयाभर ११९

डे “om” “सुतम्‌'` ्रभिषुतं “ca” सोमं “पिब at en? “was” अतिशयेन प्रशस्य “ag” अमारक (सोम-पान-जन्धो मदो मदान्तरवकारको भवती. wa.) वथा “mae” awa सम्बन्धिनि “aga(')” हे वन्तमानस्व ““शुक्रस्य"(२) दौसस्यास्य सोमस्य “arm” “at

raw’) भ्राभिसुख्येन सश्चलन्ति त्वां ae waka:

गच्छन्तोत्वयः २॥ ११२

© मदकरं “WHA?

, ‘Cafe, चिच awa’ «fa THATS: |

So १९३ उत्तरा्िकस्य४.२१४,१ WA दस्य ४,२,१ ०,१ =

HEB, १८९-- २२१२११९ == ऊय ५०२१ | (१)- खदने ANGINA, धाराः, MITC अरन्‌ इति वि० -स्मतोऽथेः |

(२)- "करस्य, इएक्रसशन्नकख TA -tfa वि०। (३)--"खभि, “"खभिरमामे (२,१,९९)दत्येवं UTAH, प्रतिशब्द

समाभा: जां प्रति अश्रम्‌ चरितकनय; चरण्‌, काः धाराः" दति Fito |

२० १,१२,४] wenifaa: ` ७०

४.

I USRIVTE | faaarwates भार९४ | स्ति

Cat ४: f R at

TAT] WAAL) तमद्रादवारेरः। रा९३४। धस्तन्नो

विदा। RL वा। साउ। उभयाङा९२। स्तिया-

R u | उवा२४३२। ATABYTIE BT २८॥

| (५ १९ tet Il यदिन्द्रचिचमी दोवा। दार३४ना। भस्तिल्वादा- .

R |

१९, Xx तमोवारे। ओओवा। RIRBVTAT: | राधस्तन्नोविदो-

१२. \e

| # वारे। ओवा। वारेड्छसाउ उभयादस्तियोवार |

१२ ओवा३४२ भा३४५रो६्‌ ATT २९

LIl aac CER,

७०६ सामवेदसंहिता [४प्र०२,१.४

|,

२९ ^ Ti यदिद्रारड्चिच। मदशाररध्ना। अस्तार

रे x

TAIL MARTA | राधल्तान्नञा रः। विददसाड |

R 8 1 उभयाश्वार३। स्तारर्यादे। भार४५रोईाद्‌ २०॥

8४ | श्र र्‌

+, +, ^1 Tm यदिन्धवचिचमद्‌। wel अस्तौ! area:

मदविवः। राधस्तारशन्नाः। वोबोरे। ददसाउ। & ९. R VAL | स्तायाररे। ATRATTRSA ओर२९५६।

ST २१॥ ११२४

डे “अद्रिवो (९) serra) “चित्र चायनौयेन््र ! “बद्‌ दद्‌ “त्वादातं” त्वया दातव्य यद्‌ “राधो” धनम्‌ “दह” भमन्‌

1 भक्पारमनादेशम्‌ | II area

(१)--सलुवसो रिति (52,2) खत्वं रूपम्‌ |

+ दूति ग्रामे गेये नवमस्या ङ्गः प्रपाठकः

२प २,१२,५। wefan: | ७०९ अथ पद्मो |

तिरो ्राङ्िरिसऋषिः।

Rx र्द रेख RXR Ry

शर घोदवन्तिरञ्चयादरन्रयल्वा सपयं ति |

१९ ६१२

सुवोयस्यगोमतोरायस्पहिंमदारमसि ५॥ ९१४

लोके “मे” मम नास्ति awa हे “विदसो" लब्धधनेन्द्र !

Cay? श्रस्मभ्यम्‌ “उभया Fea’ (*) उभाभ्यां हस्ताभ्याम्‌ “च्रा-

भर” ATET aa निरक्-“ यदिन्द्र faa खायनौय मनोय धनमस्ति-

aq इह नास्तीति वेति द्रषटव्यम्‌(र) ११३

१९४ उत्तरािंकस्य २,२१८,१ = WT दस्य ६,६१०.५ Te 2,X%,9— 2 २५१४

(₹;ः--ात्वं (९,१,२९) ETH | | (१)- तथाच--““यदिग्ड चिव चायनोय, मडनोयं wrafe) यम्मद्ड माक्ीति

वा (वीखि मध्यमानि पदानि) aa नस्तद्‌ दतम्‌ | wien (अर्रिरादरात्येने- नापि वात्तेः स्थात्‌ तेखोमाद दूति fanaa राख शति घन नाम cy वम््- नेन) तन्रस्ल' विसधमोभाज्यां दस्तम्यामादर sat sway मवतः"-दति ४,४।

Oot सामवेदसंहिता | [४प्र०२,१.१ # a Z A 2, LR चावाररदावांरम। तिरश्चियाः।

२१ र्‌ $ $ र्‌ सुवो इद्रयाश्दरू्वा। सपौश्डो। यंतीदया स्य RR

दर AAA: | TATRA मडा८२६९। भसिया२४२।

ओओर२४५९६्‌ डा २॥

ee २१२१ २३९

4 7 शरचीदाङेवन्तिरशचियाः। meet सपयं- uct -

ताये सुबौ रिया स्यारइश्गो। माता रः। रा-

ATA S| शाद्ाद्‌। AMT! दो ५द्‌

BWR १९४ |

इन्द्र! यः “a” त्वां “सपति” (सपर-शब्दः(\) कगहादिः)

| LI तैरस्य 5 '

(Q—camdste’ -एति एरिवरण wag MAG Ree we ९.५

QTR, Lz] कन्श्श्राच्चिकः | Se wy षो | गोतमक्छषिः।

VR ३९ Ret 2 ?

असाविसोमदन्द्रनेशविष्ठधुष्णवा गदि | RWS BRR २२१६१

भतवाप्रणक्िन्द्रियररजःखर्योनरस्सिमिः॥ ११५

विभिः परिचरति तादृशस्य “तिर खया” एतन्रामकस्य ऋभिर्मम “gq” स्तृति “ुधि"(९) जण wary हे इन्द्र तवं “gat Sra” शोभनवीर्योपे तस्य या (AZ ya भवं ata) सुपुच- वतः | “गोमतः गवादि-पशमतः(९ 1 “मयो” घनस्य दानेन “ft? wary पूरय(५) wera ` कुत इत्यत ore त्वं “महान्‌” गुणाधिकः टेवानां Seq “safe” भवसि खल्‌ ९१६

a a ~~ --~----

१९१५ SUTRA १,२,२१,१ = WA दस्य GW = HE ३,१८,.--२२,२ ९८-२३,४ |

(र२)--“च-भ्‌-ख -दभ्यज्डन्दसि (१,४,१०२) -इति खिडम्‌ | मन्त्र तु ate: पाठः

og WY -<fa, “Matsa (९,१,२५)-दत्यव खत इत्य विवक्षया साध्यः | (९)-.गो-ब्द माज सोम उच्यते सोमवन्त श्त्यर्थः'-इति fae |

(४)- “पूषि ' दति याचा-कर्मसु षष्ट नेष्ट कम्‌ २,१८। “"भ-ग-खु-प्‌-र-रभ्य-

é जङन्दसि (९,४,१०२)''-इति सिद्धम्‌ “पृथि परय देरोति वा-दृति नि° मे०४,२।

७१० सामवेदसंहिता, [४प्र०२,१,३

aut टेर ५४४

I असाविसोमइन्द्रते। शाविष्ठार३४य्‌ | ष्णोदेमा-

. रेदं R a

MA | भत्वापुणारेश्डार। क्त ९० द्रारूदेध्याम रजाः। सुयौवा भरश््वा। नराध्स्सिभीः। दो भद्र

STU VU ९१५॥

Sane’) “ते” ae “ata? “असावि ' अभिषुतो. ऽभूत्‌ ₹े “पविष्ट” अतिशयेन बलवन्‌ ! saa “Tat” त्ख चर्षयितरिन्द्र ! “श्रा गहि""(\) देव-यजन-देश मा गच्छ भ्रागतच्च

eat “इन्द्रियं” सोम-पानेनोत्यत्रं प्रभूतं सामध्यम्‌(९) oy gam?) श्रा पूरयतु “रजः” भन्तरित्त(*) “chaser.” face: “सूर्यो a” यथा war पूरयति तदत्‌ £ ११५

I मद्ावेशवामिम्‌।

(९-“्वा शन्दसि (२,४.८८)''- इति सिम्‌ |

(२)--"दन्द्रिय, ware त-मत्वथमिदं दषटद्यम, इरग्द्रियवकम्‌, अविकलन्द्रिय- भित्यथेः-षति Fao |

(३)--पच सम्पके-दति दधाद रूपमिदम्‌, खथाकरखाव |

(४)-*रजसी -इति दावाप्थिवो-नामसु अष्टमं AAW कम्‌ २०२० खतरवाद विबरखछत्‌- -'रजः-भन्दो लोकवचन;। # * ®! यथा पथिकौो-लोक अन्त-

रोच-लोके सूथः'-ष्ति।

VW 2, 02,9] छन्द्रा्धिं कः | ORR

we सुप्नभो। कणो नोपातिथिग्छंषिः* | RR RXR २२२९१९२ . रएद्ध†"यादिदरिभिरूपकणवस्यसुष्टतिम्‌ | Ong

९२२९६ २१६ २९ १२११९२९

दिबो्मुष्यश्ासतोदिवंययदिवावसी ९१६

४र श्र VT २९३

1 एन्द्रारेयादिषरिभाद्रः | sarge स्यासुष्टर३४

ava! दिवोश्रमु३। व्याशासार३ ४ताः। दादवंयया

.

- 8 BUSAN | दारर्दवा३। वारश्धसोईाह्‌ ४॥

BsTUT R

Il सद्रयादिचरिमिः। उडवा दाद्‌ उपकणएवस्यस्‌-

# ‘“Sarfafacre’-xfa वि०। ft “Qaz’-afa ऋग्बेदोयः पाठः

९१६ उत्तराचिकस्य ९,११६.१ = ऋभ्व दस्य LE | LIT area

O22 araaeafeat | [४प्र०,२,१,७

sf ष्र॒ २.

तिम उड्वारेरेचाद दिवोष्मू्‌२। व्याशासारदे

३२

¥ g vat | दाटवंययाउ वा३। देररश्वा। TATWET I

WUT! डा॥ ५॥ ११६

हे “cag? “age” एतत्ामकस्व ऋभेः(९) “श्टति?८२) ओभनां स्ततिं प्रति “हरिभिः” wa: “उपायाहि" are | “fear” यलोकं [featara षष्टो(२,१,८५)] “aqa’”’ भरमुखि- विन्द्र “शासतः” शासति [विभक्षि-व्यत्ययः(,१,८५)] wa वयं सुखमासे शे “दिवावसो दौप्त-हविष्केन्द्र ' “द्वं” व्व “qa” युयं गच्छत (बहवचनं पूजायम्‌) |

यदा दहे “दिवावसो fear AAR “saa” Wa लोकं “gaa.” भासनं कुव॑न्तो युयं “fea” tay गच्छत (अत्र

बदब चनं पूजगथमित्यथः bo ९१६

ad

(१)-- करस्य सुति, श्‌ प्ोपममेवद्‌ ceqa—awe a fafaa’-cfa fac (3) “aa पदात्‌ (८,२,१०९)"-इति षलम्‌ |

२प०२,१२.८] छन्दश्रा्चि कः | ७१३

चथाष्टनी | अस्याः परस्या facat ऋषिः।

१२३२२ FW Ve ३१९

आत्वागिरोरथीरिवास्थःसुनेषुगिवंणः। $4]

RRR ९२ २३२८ ३२३१२

अभित्वासमन्‌षतगा वोवल्संनधेनवः * ११७

at oT 8 BT ५४र ऽर © $

I माल्वागाडद्रोरथोरसिवा। अश्य सुतेहेषूगिर्वाणा ,

< रे र्‌

इ:। ओरश्वा ओओरदश्वा। अभित्वा साहमान्‌ शषाता।

8 डे rx

ओख४वा। ओर४वा। गावोवारद्यारम्‌। नधोरर४्वा |

8 AYA १९७

99 ~ = “गिव णः” गौभिंवननौय हे इनदर ! “सुतेषु” सोमेषु अभिषु- तेषु सक “गिरः ' अस्माकं स्ततिलक्षणा वाचः “ar” त्वाम्‌

© “सुमन्‌ GA IY AAA” xfs ऋग्वे टौय-पाठः |

१९७ WMATA ६,६,२०,१।

I वैश्वामित्म्‌ Eom,

१४ सामबेदसंहिता। | ४प्र०२,१.€ अथ मवसे |

विश्वामिन्र ऋषिः |

२३ BR Be १२ BR २९६९

350 एतोन्विन््धशस्तवामभृए बधपएदनसान्ा |

३९ ३१.२९

US रुकथेवाव्ध्वा<सधपएहेराशोर्वाकमत्तु ॥८॥ ९१८

श्रा a7’) भिमुख्येन wie गच्छन्ति तिष्ठन्तोत्यथः तत्र दृष्टान्तः-“रथोरिव” यथा रथवान्‌ रथेन गच्छन्‌ वोरः प्राप्यः दें सिप्र गच्छति तदत्‌ किञ्च हे xm! श्रख्मटोया गिरः “त्वा” त्वाम्‌ “afa” we “समन्‌षत” सम्यक्‌ शब्दायन्ते waited: (नु स्तवने। कटादिः(९)। तस्य afe रूप) aa दृष्टान्तः--“वस्रन्र” यथा “धेनवः” प्रोति-युक्षा गमन- tet वा “गावः” aq मभिलश्य हन्भा-रवादि-शब्द कुवन्ति तदत्‌ १९७

» “विश्वमना are भ्राकोयान्‌ ऋविजः-दति वि |

Qo SATA EVEL = ऋग्वे दस्य ६,६.११,२ = HE ७,२,१२ | (१)-““बम्दसि we ae fas: ( द,४,९ )"-इति सावं कालिके fafe रूपम्‌ |

(२)-तथाच-- “गाङ कुडादिभ्योऽअ्‌ fewer (१,२,१)'-दति अस्ति खखतिख जिले गुशमावः फलम्‌ | |

२प०२,१२,५ छन्दश्रा्चिकः ` ७१५

धेरैर OB ४र र्‌

1 रतोन्विद्धदस्तवामा। पृएद्रष्रद्र नसारेरम्ना।

दर र्‌ रष

रुकयर्वावृध्वारेरेसाम गु रारदभोर | ater

RR | Va १५१९११९

ममा डौष्धोवा दर२४५॥ oll

Rk

Tl रतोन्विद््ररस्तवामा TEM सान्ना- 7 -

x श्र २। MUST: | वावारध्वरिरेयसाम शः

STM | TTT! इडाररभा४३। भ९३४५६

डा॥८॥ १९८

aafaera माचनत्तत- पुरा fant ठतादिकानसुरान्‌ इत्वा ब्रह्महत्यादि-दोषेणातमान मपरिशड मित्यमन्धत तदोषपरि- हाराय इन्द्र ऋषोनवोचत्‌---युयं waa मां युष्मदौयेन साजरा

I शदाश्ोयम्‌।

TT wergeriraca |

७१६ साभमवेदटसदह्िता | [४प्र०२.०१,९

शं कुरुतेति | तत स्ते शद्ात्पादकोन साच्ना शस्ते परि षद - मकारः Tareas यागादि-कर्मचि सोमादौनि-हर्वो षि urgfef | एषोऽ्ः भाटपायनक-ब्राद्मणे प्रतिपादितः-- Seat aT असुरान्‌ हत्वा पूत इवाभेध्यो भ्रमन्धत असो अका मयत Wars मासन्तं शदेन साखा स्युरिति ऋषीनव्रवौत्‌ wa भेति। ऋषयः सामा पश्यन्‌ तेनास्त्वन्‌ एतोच्न्द्रमिति तती वा इन्द्रः पूतः Wat मेध्यो भवदिति” | | तथाच wear चोऽयमधः--

ऋषयः परस्मर ब्रुबन्ति। “a” ज्िप्रम्‌(*) “एतो” भगच्छ- तेव waa “ge a” शहुगत्यादकेन aa | तथा शच: चि-डे तुभिः ““उक्थे-” wate “एषम्‌” waft कलवा “स्त वाम Wala ततः “साखा wet: Carrara” पाप-राहि- सेन वमानं “aes” gerarea: Ve: क्रियाविशेषैः “्ा- matey” भाश्रयणवान्‌(९) गव्यादिभिः संस्कत: सोमः ““मम- नत” इन्द्रः मादयतु (मायतेग्कान्दसः w(*)

strata” “Tre ara ata’ —afa पाठौ ॥८॥१९८

(१)--^"म-दति चिप्र-नासमु प्रथमं FUE कम्‌ ९,१५। (3)—‘stafafad दधि खाध्रिरमष्यते, तदु यखालि सः आशोर्वान'-इति fae | (१)--ददिनो याध्यायोव-बडल-क्चनात्‌ (२,४.०९) |

२य०३,१२,१ ०] छम्दश्राल्चि कः | ७१७

aq दशमो) WAS स्पत्य ऋषिः |

२३ Cz ३९९३६ ३२८ Pie Rea cera spa युमनवत्तमः।

३१९ २२८९६ 8

रोमःसुतःसदृरन्रतेऽस्तिखधापनेमदः १० १९८ प्रथम-दशति

AT द्‌ %

7 योरथिंवोरयादाउ | तारेद्माः | यदय॒म्नैदुन्नव- ^.

शद्‌ WMA | सोमःसुतःसभारर्ोद्‌ | FAT RT| अस्िखधा-

TATRA CAS | मदोरद४५द्‌ डा <

देर ३४दर ate ats

Il योरयिंवोरयि तमोरेरशचाद योदयने yaa:

# भ्योरयिवा इति निरनुखार -ऋग्वेदोय-पाठः।

११८ ऋग्वेद स्य ४,७, ६,१ = WILMA ३,२,१४।

111 रथिष्ठे |

७१८ सामवेदसद्िता 1 [ ४प्र०२,१.,१०

at 9 ४४ 3 R

तमोर्श्दाद। ANTAL द्रतीरदश्डाद। अ-

४४ दर

सिखधापते। मदोरड्श्डा। WYTl STH ee Ne

डे इन्द्र! “वः (वचन-व्यत्ययः-(२,१,८) तव परिचारकभ्यः

स्तोढभ्यः “यः सोमः “ca? घनं प्रयच्छतोति ओषः कौटशः ““रयिन्तमः” अतिशयेन रयिमान्‌ | यख “यमेः” दोतमानैयशो- भिः(९) “aawa” अतिशयेन यश्स्वौ “सखधापते = धाया भ्रब्रस्य(९) सोमलच्णस्य पालकेन्द्र ! “सोमः' ' अभिषतः सन “a” तव “मद्‌” मद करः “afer भवति १० ११८

वेदाधस्य प्रकाशेन तमोदादं त्रिवारयन्‌+# |

प॒मधांचतुरोदेयादि यातध मदेश्वरः दति श्रीमन्राजाधिराजपरमेश्वर वैदिकमाग पवश क-ग्री-वौर-वक्ष-भूपालं-सामाच्ध-

CITE सायकाचायय-विरच्िते माधवोये सामवेदार्थप्रकाये शन्दो- व्याष्छयानें ततोयाभ्यायख् STITH: SS WV A

(९)--च जेः सवनोय-पुरोडाखादिमिः"-दति Fao | (र२)-““खधा'-दति अन्न-नामसु सप्रदश्तमं THT कस्‌ २,७। “निरामयन्‌ इति To शा० Fo पाठः|

यस्य निःश्वसितं ter यो वैदेभ्योऽखिल जगत्‌ |

faut तमहं बन्दे विदातीथंमहे्वरम्‌ १॥

अथ चतुथाध्याय woe |

---*%®€<--

aa प्रथम-खर्ड- ङे Ba भयमा) भरदाजक्छषिः `

१२३ १२ UVR BUR

Tere पिधोषते विश्वानिविदुषेभर | ee

९६२९१३९२ ११९ अर ज्मायजगम्मयऽपञखादघ्वननरः ९९०

१२० उत्तराचिंकस्य ६,२,२,१ = ऋ्बेदस्य ४,०,१४१ = HS १०,१-१६,१-२ = HT VRE

७२० सामवेदसंहिता | [४प्र०२,२,१

रद्‌

ड्‌ < x र्‌ , 5 4८ 1 प्रत्यङैपिपादाड। आदूषारेताद। वाद्रश्वानि-

ऽर

वाद्‌ दृषेरदारदाडद। भारेरा। ACR MAT! या

९५९

र्‌ जारशा३। म्मारयाद। अपार२। आारदाररश्यी-

< ऽर १३१९१९९

होवा | घ्ने रनरार२४५; ve tt

ररर

7 भ्र रर tik प्रत्क्ेपीदपीषताद्‌। वाशानिवाई्‌। Saat

ऽर |

Wel Bie! AAT! याद़। Wale

R 5 8 ध्वनाररदोद्‌। नरा। ओरदोवा। FT! डा ॥१२॥

yur zz

ae | < | TIL were facts षतारद+ वारे९४्द। शानिः

LIl कौदमलबहिषे हे | “Il नानद्म।

AT 42,20] eeaife a: | OR?

चर R चै.

| र्‌ विदुषे। भारा। अरङ्गमायज। म्मयोररश्शाद

४४ & २९१

आपादा। घ्नोररथ्वा। ATTA WTR cz Ue

हे अध्वर्यो! “नरः” कमणि नेतस्व' “oa” इन्द्राय प्रति- भर ५१) प्रतिर सोमं प्रयच्छेत्यथः। कौदशायेन्द्राय ? “पिपौ षते" पातुभिच्छते(९) “विश्वानि सवखि tenfa “विदुषे” जानते “अरङ्गमाय पर्याप्त-गमनाय | “जग्मये यक्षेषु गमन- wera! “श्रप्ादघने" [दधि गति-कम(९) ] अपखाद्गम- amfaa | ~€ नाय Faw (नरः कृ-शब्दादतुष्यथ wel): ङसि ¥ ~ © = N ऋतो गुशन्छान्दस.*)) नरे कमलात्रेतर,९<)। अतएव बहवा

“अपश्च हुने नरे" इति चतुष्यन्ततेनामनन्ति ९९२०

(१)- भर्ति ““इपोर्भच्छम्दसि"-इति Tere इरतेमलेन रूपम्‌ अतो व्याच प्रति इरति।

(र)-प्रश-घमसादोनि प्ाव्रारोति शेषः|

(द)- निषब्टो ^द्ष्यति"-श्त्य गति-कमसु रकषष्टितमल्नेन पाठात्‌ (९,१४) |

(3)—“aquia बहलं डम्दसि (२,२,९२)"-इति Te |

(4)—“asa इन्द्‌ सि (७,३,९.,९)” -दति Io |

(९)-- "नरः प्रथमेकवखन मिद चतु्येक ववमस्य wa Fea, नराय agar- काराय-दृवि fae |

<१क,

2A सामवेदसहिता | [४प्र०२,२५२ अथ feta वामदेवः शाकपूलो वाशऋषिः।

२२९९ RRR १२ 2

:3 आनोषयोबयःशयं मदा न्तंमहरेष्टा महान्तं प्विनेष्ठाम्‌ |

2 Re ९२९. उद्य वचोञखपावधौः २॥ १२९ We | 6 रद्‌ R |

, 2.८ 7 भानोवयोवयःश्ाई्याम.। मडान्तङ्गहृरारर९दष्टा-

रर्‌ 8 ९९१ रे R

Wl मद्ान्तपूर्विनार२९्द छाम उद्यवार्रचाः। अ-

पादवाधधा ६५६: १४॥ १९१ = “aaa” (‘) मिन्रभूतिन्द्र ! “अयम्‌”” tenw ogra’ महत्‌प्रभूतं “aatei” fafe-qeret quart “नः” wa-

© ~ | वामदेवस्याषम्‌' इत्येव वि

१२१ AYITH ५,८ | 1 WRG तम्‌ |

(\)-मृे “वयः अयस्‌" -दति यद्‌ द्‌ आते, तज "ववद्य अयम "त्येवं केदः Heat was बध्यते। विवररूकारोक तु भाव किमपि arenas!

27° 8,2.2] weuien: | ७२३

चथ ततौषा |

प्रियभेधनच्छषिः |

३२९९६२११ २९२ १९ १९

आत्वारथ॑यथोतयेखन्नायवत्षयामसि |

९९३ ९२९६९९१

तुविकरर्िग्टतोष्मिन्द्र एशविष्टसत्यतिम्‌* ९९९ दोयं “वयः सोम-लचण aaaq(’) “ar” हर [उपसग-गरुतर्याम्य- क्रियाध्याष्ारः(९) ] sree “महान्ते” महत्‌-प्रभूतं “पविना पूवमादौ संसारे प्रव्तमानम्‌ “oy शुत्मिपासा-निमितन्तेन भयहरं “वचः” अस्मदोयं वचनं (“्रशनायापिषासेषश्ला उग्र वचः ति श्रुतेः ) “भपावधोः"" ्रपजहि, टैवत्वं प्रापये व्यधः (“तत्‌ प्राग्नोत्यशनायापिषासे निव्षते। वे देका safer

पिवन्ति" इति श्रुतेः ॥२।॥ १२१

+ “ZX शविष्ठ स॒त्प्ते”-दति ऋ्बेदोय-पाठः !

९२२ उत्तराच कस्य <, १,२.१ = RAM ६,५१,१ = HE २१,१८

(९)-वय दूति चुत एति अन्न-मामतत पाट-मेदेन VAG THT कम्‌ २,०।

(२)- “आनो वयो"-इति मूले अा-हत्यपसम-व्रव षान्‌ इराथाभरेति क्रिया अध्या

दायति wre: |

ey 4-

O28 araae’|d (ear | [शप्र 2,7 +

at र्‌ | R | ,

1 आलत्वारथंयथौदोवा | तायादखरद्४स्ना यवन्त

ब्‌ यामसित्विकूर्मोम्‌। Wesel | षम भादन्रा- ९९.

STATA | सत्या रर्ती३४३म। भो 2k Bux |

ST Neal

शद २४ UT ३२ AC ५४. २९

jie Tl आत्वारथंयथो। तयाद्‌ आलत्नारथाम यथो

रेद्‌

ताया! भोोरर४्वा। १२२४दा सुन््रायवत्तारेया- मौ ara SEM ETAT | त्विकूमिमृर्ता- दषम awe ओप दो ४वा। दृद्रपथवि- छारसात्यतिम | दो ओररोरर४ ५बा६५९ |

m

|. १२३४ CEN १२२

[मीम 30

117 कौरमलबर्हिंष्े

२प०४,१,४| छन्दश्राश्चिकः | ७२५ अथ aq | WAU; |

i २९ रे ९१२ शश्र रेद

सपूर्व्योमदोनांवैनःकतुभिरानजे। + अः

रे रर ३२ ९२११६२९ ९२९

यस्यदारामनुःपिता" दे वेषुधियञ्मानजे शरर `

हे ue! “लवाः at “madarafa’ आआवत्तयामः। किमघम्‌ “ऊतये” vara cra “सुखाय सुखाय च(९) |

¢ ~ किमिव? “ca am’ waa सुखाय चावन्तयन्ति तहत्‌ =

““शविष्ट”(९) बलवत्तमेन््र ! “तुविकूमि"" बइ-कर्मा श(२) “ऋत

tt “मनुष्यिता'?(क) -afa सायणाचाय-धृतपाठः, पाठञ्चः।

९२२ Wass ६,४,४१(२४)१ t

(९)-““हुखखरम्‌"-इति तुख-नामसु षोडश तमं Aes कम २,६ | (२)--समभ्धध्येक वचननमिदट्‌ दितोयकवचनख wir द्रष्टयम, शविष्ठम्‌ अतिश्रयेम agama -tfa वि०।

(९)-तुवौति बङ-माम (मे ०१,१,२), afl: कता ; बहनां एबवधादीनां कभेखां कोारण'-इनि fae

(क) “शमयसि arate डितयोः (८,२,९४)१-दति feet सल-विकरप-विधा- नात्‌ |

ORE सामवेदसंहिता | [४भ्र ०२.२४

VET R ४:

Vo , 1 सृपू््योमदोना्मे वेनःकढरभाद्ररानजेर। डा

ऽर्‌

etl Wesley! WER! यस्यदयारादमातुः ९२ 5. ९२ पितारे। दादा चओरदोरवा। आद्रदौ | STAG:

र्‌ ४: $ Ry

धा३। दारशाद। भोरदोरेवा। अद्रो २। यार ४, RF £ १११९१

२। नारंजार्द््ीदोवा | मधुम्‌ तार२४५; COM १२२

षम्‌” हिसकाना मभिभवितारं | “सत्यति” सतां पालकमिनध

त्वामिति समन्वयः २॥ १२२

“a” इन्द्रः(\) “gat सुख्यः(र) “महोनां” (९) geri यजमानानां “क्रतुभिः यज्ैनिमिन्तभूतैः “वेनः” कान्तः(*)

I मधसव्रिधनम्‌

(१)-- महष्यः"-दति वि०।

(२)-- पवयः प्रथम इत्यथेः-इति वि |

(३)- मामां घकारस्य इकारापत्तिज्दान्दसः, मघोनां मघवतां धनवतां we, वेनः कान्तः" दति fae |

(3) —@afa’-xfa कान्ति कमसु चतुथं नेष्ट, कम्‌ २,६।

रपम ४,१,१५। eenita a: 1 929

qu पञ्चमो | उ्यावाश्च आाकरेयक्छषिः* |

३१२ २१२ 2 २९२२

यदौवदन्त्याशवोधाजमानारथेघ्रा |

१२ RW २११९९

पिबन्तोमदिर मधुतचश्रवासिक्ृणखते ५॥ १२४ तेषां विः कामायमानः “raat” चरागवष्छति (५) “यस्य? wee “हारा” हाराणि प्राश्य पापानि “fra” कर्माणि देवेषु” एतेषु wa “faa” स्वंषां पालकः “aq.” ara’ प्रापयति [नजिः urfa-wat(S ]

ARAMA fat पाठो १९९

# वामदेवस्याषंम्‌-इति fae

(४)--खागजे इति अघ्चते रूपम्‌ “यक्लोकरोति'-षति fire |

(१)-निषष्टो ग्याक्ि-कभेसु Tet: पाठात्‌ (२,१८) | विवरर्कारख्लय माड-- qr -अलु यक्ि-मू चण-गतिप्‌ रत्येतख गत्य अनाशो त-्थस्य चेद्‌ रूपम्‌, गमयति उतपाद्यति इत्यथः रतद्ह्क भवति- यद्र यामदारभूतानि जधाना- दीनि याजबिषयाञ्च qe: सर्व gar इन्द्र उत्‌ पादयति प्रथमं यागं करोतीति समण्ठाथेः.दति।

+ 9} ५, 7 7)

७२८ सामवेदसंहिता | [४प्र०२,२,५

४५२४५ र्‌ ४५ ¥ 1 यदौवदंल्याथवः य। द्ययादो। ओवदता- रर्‌ आश्शावा रः। भ्ोद्रभाजमानारथाद्रषृश्वा२। भदपि- x ~~

बन्तोमदिराम्म्ार्धूर। WEI तचरश्रवारसिकोवारभार- 8

¥ | 8 द्वा। एवापतोश्दाद्‌ १८॥ १२४

हे चन्द्र! “यदि' यत्र यस्मिन्‌ यन्न “cag” भ्राजमानाः" दोप्यमानाः(*) “श्राणवः” चिप्र-गामिन सत्वटोया मरुतः “आर वहन्ति” | यत्र श्राभिमुख्येन ait प्रापयन्ति “aw तस्मिन्‌ यच्च “मदिरं” मदकरं “aw” उदकादि-रस-विशेषितं सोम-ल ण्ड aa वा “पिबन्तः “खवांसि" भ्त्रानि “arqaa’(*) afe-eret qatar | [यदा भ्रस्मिन्यन्च“्राजमानाः"दोप्यमानाः“ब्ा्वः' ओघ्रगामिनः “मदिर मदकरं “ay” सोमं “पिबन्तः पास्यन्त ऋचतिम्यजमानाः “cay सोम मावदन्ति “तत्र” तख्मिन्धच्च os

caaifa? अभिषवादि-कमंभिः प्रशस्तान्यत्रानि “are कुवन्ति ५॥ ९२९

I उषःसाम।

(१)--.माजमानाः रथेषु fran, सम्तद्ति वाक्येषः-ति fae | (२)- “छल्‌ ferret खाद्‌ रूपम, खथल करोतेरव अथवा fre रख-ग्यत्ययन रूपम्‌ (३,१.८५) |

27> 8,t,é] Senha: | ७२९ अथ बो | WRT yy १२९२ UR Rw WTI

त्यमुवो अप्रदणंश्णोषेशवसस्यतिम्‌ |

रे RF २३ VU ९९

इद्र विश्वासा इंनरपःशचिष्ठ विश्ववेदसम्‌ ॥९॥२९५

2 ४५र्‌ ge डे § र.

Tega Tet! हाररेणाम्‌ गृणौषेश्रव- ;: `

१२

सः। TATA WER RAAT! सहार्य

2२

१९९ २४। नारमोरद शविष्ठा ९२९०बौ शआवाइदोरर४।

y 8 4 वा। STURT RTE Wve Rey

ee a a ny a ee ee eee

% संधुरिति दन्ल्यादि-पाठो विवरणे + cat aufes विश्रचषंणिम्‌'-शत ऋबेेदौय-पाटः |

me ee eae et eee

९२५ WAT 8,9,04,8 |

1 भार्द्ाजम्‌ | ET,

O20 araacafeat | [४ प्र०२,२,७ qu sya |

वामदेव ऋषिः | श्र रेर 248 दधिक्रावणो्कारिषजिष्णोरश्स्सरवाजिनः र्‌ Ut <x v.26 1 treret दधिक्रावणोञ्रकारिषम्‌ sires a = waaaaa:: “at युष्रदथ “aq” तमेषेन््र “xara” स्तोमि [यहा “वो” युयं “aaa? स्तत वचन व्यत्ययः(१)] कौट शमिन्द्रम्‌ ? “श्रप्रहणं (९) श्रप्रहत्तारं भक्लाना मलुग्राहकं 1 “Raa” बलस्य“ पति" पालकं “विश्वासा द*(९) विश्वस्य an रभिभवितार “नर नेतार “शविष्ठं” यश्रादि- कर्म-ख्ितं(*)। “विश्ववेदसं” विष्वं वेदो धम(*) यासो विश्ववेदाः तम्‌ १२५

I दधिक्रावणम्‌ |

(९)-““ब्यत्ययो aswa (३,१.८६)१ इति| विवरशकारस्त्व वं arye—‘s: शता वित्य रूपम्‌, मध्यम-पुरुषेकवचनचो त्म पुखषेकग वमख स्रामे TUT ; स्लोमत्य्थः-रति |

(२)--.कनचित प्रकरं मद्रक्यम'-द्ति fae |

()-“जिच्वद् वसु-रागेः ((,४,१२८।१-दति सृजख्-बाति क-वचनात्‌ सापि दौषः।

(४)-- "अचो"... चि” पाठमेदेन कं -नामच्ु दाविंभतितमं Tere कम (२१) aa तिष्ठकमित्यथः i—“afare’-<fa विवरख-सगमतः पाठः, अतरव तत्र॒ “अविषह्‌ अतिभ्येम अद्रवकम्‌~र्ति याणातस्‌ | अव रतयन्न-मामन्ु gue डि निष्ो९,७।

(४)-““वेदः"-इति धम-मामदु चतुषे नेष्ट. कम्‌ (९,१०) |

२प१०४,१,७] न्द्श्राचिकः | ORL

RRR ९९१९

सुरभिनोमुखाकरत्प्रन*भायुरषितारिषत्‌ ॥७॥ १२६

श्ट

खाद्‌ | जिष्शोरश्रस्यवाजिनारहेशोई्‌ | तुरमिनोमुखाका-

र्रर

ररात्‌। WARRANT! अयुरेरेडो। धिताराररद-

र्‌ षार४्रत्‌। ओररश्धद। डा २०॥ १२६

दधिक्रावाऽभ्नि-विशेषः। चाश्वङूपः(र) “afer ेभ्यो- निलौयत wat रूपं लत्वा यदम्बेत्यतिष्ठदि" त्या दि भरध्यय-बराह्मय-

मनुसन्धयम्‌ |

# “प्रश'"- दति मृन्य-पाठः ऋन्बेदौयः

१२९ WAT २,७,१३,६

(\)-खच धाख्छः-- “दधिक्रावा इत्येतद्‌ दधत्‌ wraiths वा दधत्‌ ऋन्दतोति वा दधडदाकारो भवतोति वा। TEV देवताच निनसा भवन्ति (२,२०)"-इति। नद्य NUTS इयोरोव, तथा दि खश्च-रूप्खोदाइररम-

“STS वाजो ज्िपणि तु रण्यति यौवायां बदरो अपि-

O2z waazeafeat | [४प्र०२,२,ॐ

“दधिक्रावणो देवस्य स्वतिम्‌ “श्रकारिषं" करवासि “जिष्णोः” जयश्ौोलस्य “nae” agra “वाजिनो वेगवतः देवो “नो” ऽस्माकं “सुखा(२)” सुखानि चचुरादौनौन्दरियाि “सुरभौ” सुरभोणि “करत्‌” (२) करोतु “नो? ऽस्मभ्यम्‌ “रायु fa” “a तारिषत्‌” प्रवधैयन्तु (्र-ूरवस्ति रतिवेनाथं : WOH १२६

आसनि कत्‌" दधिक्रा भनु सन्त वीँलत्पथामद्धा र- स्यन्नापनोफणत्‌ ॥" (Ree BAe ४भ्र° THe ४ऋ०कक्‌)

cafe y वाजो Foray Gre मतु Ae मज ते ऽष्वानं भौवायां बहो ( परवा निरतेवे were वा wa वापि कच अआसनोति arena) | wg दधिका कड वा प्रज्ञां खअलुखमबोबत्‌ तनोतेः पूवंया प्रत्या निममः। पथा awe पथां कुटिलानि (पन्थाः पतते वा पञमे वा पन्वते वा) Wwiswa रापनोकरुदिति एषते खकरोतरशम्‌"-इति ARTE |

देवता दपखोदादरणनिदम्‌- “भा दधिक्राः शव॑सा पच्चं HEE a ज्योतिषा पर ताम YH: शतसाः seat TUE मध्वा समिमावचाएसि ॥” (wee ४म० OMe GES १० ऋक्‌)

“चखा तमोति द्चिक्राः अवसा बलेमापः sae व्योतिका मठष्य-खातानि संखसाः भत ठा वाजो -बेजनवामवें रणवामतसम्परुक, नो मधुनोदकेन वचनानौमा- नौति (मधु घमतेविपरोतद्छ)"-दति तद्‌ भाष्यम्‌

(x)—“aut सु-लमिति (७,१,२९)"-द्त्याले रूपम्‌ | (₹)-र्गे रूपम्‌ (३,४.७) |

२प०४,१.८] न्द च्राचिकः | ७२२ QUIT | जेता माधुष्न्टस ऋषिः |

WR UT रद

पुरांमिन्दयंवाकविरमितोजाअ्जायत।

२३ १९२६ vee ९६२९१२३ UR VR

इद्रोविश्वस्यकर्मणोधर््तावजचो पुरुष्टुतः १२७ दितीय-दशति २॥

2 ९३ ४र qT VBA

lyufaredarat att भमितीजाश्रजाया९-

श्‌ RR

SAT | आद्रद्रोविश्राद | स्याक्मीररछ्णाः WAT! वा-

ज्ौवाभ्ोरेद्वा | FSYB AT: | MYT डा ॥२१॥ १२७

अयम्‌ “इन्द्रः” उच्यमान-गुण-युक्षः “अजायत” Was: | कौ- दृग्गुखक इति ? तदुच्यते “पुरां "पुरा णां" far” भेत्ता “युवा” कदाचिदपि बलो-पलितादि-वाशैक्छ-रह्ितः। “कविः” erat ““अ्रभितोजाः "प्रभू त-बलः “विश्वकर्म शः“कतखस्य ज्योतिष्टो मादः

१२७ उत्षराचिकस्य ५,१,२०,१ = WATT १,१,२१०४ = HSE ५,१२-२२, २,२० 1 मारुतम्‌ |

354

t

©28 सामवेदसंहिता, [४प्र०२,२,१ “eat? पोषकः(९) “aot” यजमान-र्चणाध' सवदा TM “पुरुष्टुतः” बडइभिरहौत्रादिभि स्तत्तत्‌-कमंशि स्ततः १२७

दति श्रोसायशाचाथ्यं facfea माधवीये सामवेदाथे-प्रकाशे कन्दो Bayt चतुथेखाष्यायख प्रथमः खण्डः

See Te ee wwe wens ०००५५००५ ०००००००००००० ००००००० कनन नरन ०००५१००० ००००० ००५१०५५० ००५५५०० ००००००००५-१५५ + ५५५५५५५५ ५००८०५०५ ०००००५५ ०५०००००० ०००५५००५ ५०० ००१५८००० -^~*.“*-५

अध हितीय-खण्डे-

सना प्रथमा।

प्रियमेधा ऋषिः |

१९२ ९६२ ९१९९२३९९ १९ 2.८८ WARS Mia Tea aes ९९ २३९२ ९२९१

धियावोमेधसातयेपुरन्ध्याविवासति शय

* “मन्ददोरा"-दति ऋषेदौय-पाठः |

१२८ WATT ६,५५.१ |

© [| ॥३ e ~ (१)-- धका धारयिता, कथं Ty कमं शः 2 ्टयायततवात्‌, BEY द्दरायततवात्‌- इति fixe |

रप ०४,२,१] छन्द मरां कः | ७३५

1 प्रप्रबस्तिष्ट भमिषमोद ओ्दाईए। बन्ददीरा। यः, :.

$ IT रद

4 $ Beste! Bel ओोरद्दारए। भियावोमेधसा- र्‌ $ $ ₹? रे र्‌

श्तारयाद्र। AUT WWII! पुरान्धोरेया२।

Rv

विवेरश्ध्वा। साभरतोईाद्‌ २२॥ ९२८ हे अध्वयुीद्यः ! “वो” युयं [प्रथमां fedtan(')]“faed”

स्तोभ-त्रयोपे तम्‌(९) “षम्‌” अव्र (र) “aa” [aac प्र-शब्ट्‌ः

I वामदेव्यम्‌ |

(६)--“बः canara’ इति Fao |

(२)--साम-मन्त्रान्बितमित्यथेः खामसृ एव SHS! श्रवात्‌, तत्सम्पादमार्थं एव विकार-विद्धेष-विकर्षक-विरामाग्यास-खलोपागम-खोभादयः कियन्ते; अतरवेवं साम- विधानं ब्रार्मशम्‌-- “रतस्य साम्‌ ऋनवास्मीनि, खरो मांसानि, छोमा रोमानि" इति (९,१) Wt: जिविषः-प्रद-वाकयाचर-मेदा त्‌ | पद-शोभाः डाठ-कारादयः परश्च- दण, मन्त्रजाद्धरू-ढतोय-प्रपाठकोय-वयोदब्-ष्ड -परिगखिताः, शताख ते सवेख माम्‌- wa, विष्येषत चारण्ये बाक्धस्ोमाः पनराद्मम्नाादि-मेदान्नव, warfe— enue =e fa: sana परयः परिदेवनम्‌ | 94 मम्बेवखश्चव fc मव अटति, TATE Stor: a चताः खारण्छादो मोयनो | wWeleween frst म्‌ विर्चणल- fafa, तदुक्कम्‌ भाषमेन- “सोभ awa भाख्छि कि वाति विवशता ख्वाधिकय म्यतियाप्नः विभि शणं waa (८० रपा० ११ खधि०)*-दति तदुदाहर,

७३ सामवेदसंहिता | [Bue २,२,१

पूरगाः(४) ।] भरतेति शेषः उपसग -ग्ुते ्योग्य-क्रियाध्याद्ारः। कस्म 2 “aera यो वीरान्‌ स्तौति वन्ददोरः(५) aa eed” xara! [wea ्वर्य-कम ण(९) इट्‌ रूपम्‌ [a a?) फले ्टिभिवां उनत्तोतोन्दरिन्द्रः तस्म चेन्द्रो “वो” garg “भेधसातये” यन्न सम््रजनाय(>) “पुरन्‌ध्वा ` बड्ु-प्रज्न- या(<) “धिया कमणा(**) श्रा विवासति" परिचरति(*१)। भ्रभिमत-फल-योजनेन सत्‌करोतौत्यथः शर्ट

a -~ ~ -~~-~-----

सवजव aay, प्रायः सवं -सासष्बवेग्यङ्केपि नान्युङ्किः wea ऋचि गतं aa aa लजापि त्र यते तथादि--

VLR मेधसातये'-प्व मेधसा ता BATE -प्वादि |

(२)-““दइषम्‌”-द्यत्रनामस्‌ TARAS ने वषट कम्‌ २,७ ˆ

(४)--श्रसमपोदः पादपरर'-दति कम्दःशासना दित्यभिप्रायः।

(५)-“बौरो बौरयत्यभिवान्‌ saat स्याद मति-कर्मशो वौरयते वे इति थाख्छः(९,९)।

(q)—‘xfq परमश्य (भा० qe) |

(९)--“इम्द : xf उद्क-मामस चतुरण्टोतितमं He कम (१,१२)--यञ्च-मामस वयोदमतमम्‌ (२,१७)-देवतकाष्ड FEW चाविर्भाच देवतामाभ.घेष WeATG खान्तिमम्‌.तथाडि याचकः -“इन्द feared वौ ".इत्यारम्ध ^तेषासेलान्वडविभाञ् गनां सुनो तिच re :"-द्ति ४,४१--४२। |

(<)-“सेधः" दति ay-arrg qa नेषरट्‌ काम 2,10) विवरश्कारख्वे माड-- मेधसातये अपठितमपि यज्ञ-नामेतद्‌ जनम, चतु्यं वचमभिदं सप्तस्य कवचन ख- साने ब्रटयम्‌, मेधसालौ यशनं इत्यके.रति

(९)--“पुरस्धिः ast aaa: पुरन्विममः पुरखात्‌ खाने टूत्येकमिन्दर दत्व परम्‌, सवङकर्मतमः, पुरांच दारथिततमो वरूशरत्यपरम्‌, तं प्रश्रय छोलि -दति नि° नं ° gtk

(to)—° Wi”. <fa कम-नामखक विक्तितम Tee wa २,१।

(११)--^“जिबासति दति परिचरश-कमंसु दशसं Ta कम RY:

© रप०४,२,२। डन्दभ्राच्चिकः | ७३७ अथ इितीवा | वामदेव wie:* |

३१२ ९६ २१२२८६२ PRT १२९

कश्यपस्यसविंदौयावाहःसयुजाविति | 2८८

PTR २९१ २३२ श्र WSU ZR

ययोविंश्मपिव्रतंयन्नंघोरानिचाग्य २॥ १२८

१६

1 कश्यपस्यसुवविदा९ए। यावाह्ःस। यजावा९- ८; : `

४र टे

तीर३४। ययोरविं श्मपि। waa! aytitet: |

४द र्‌

निचारर। आरयारदश्भो होवा ऊररश्या a WR

पण्यतोति कश्यपः। “कश्यपः पश्वको भवतौ” तिचयुत्यन्तरम्‌ तस्व “augue” सर्वेन्नस्येन्द्रस्य सम्बन्धिनो “यौ? wat!

“say?” ‘(Farge सवम्‌ "शपि" ^ कार्म “oe? प्रति

oe “कश्यपस्याषंम्‌-इति वि |

१२८ आरारख्छगानस्य ४,१६.२० |

I काश्यपम्‌ | ERA,

01

eat alaazafeat | [४प्र०२,२,२े

wy ater | प्रियमेध ऋषिः |

१९ दे LR

अर्चतप्राचतानरःप्रियमेधा सोश्चर्चत |

यलनौय-देशं प्रतौयेवं “निचाय्य fafea “सयुजौ” (we युच्ाते-इति ) “स्वविंदः'” aa लब्धवन्तो “धौरा” जनाः राहुः.) |

अधवा कश्यपः" प्रजापतिः (“कश्यपोऽटमः agate लातीति” श्रुत्यन्तरात्‌) तस्य “alae.” सव पश्यतः “थौ” देवो “सयुजो सहचरो जना ary: बैदविद स्तो भित्रावर्खो (“rea मित्रो राजिव रुणः” ईतैतरेय-त्राह्मशम्‌ सवस्य कार्य स्व तयोरेवान्तभौवात्‌ (carat वा देवौ तयो रेव सव-निर्वह- कत्वात्‌) तदभिप्रारेय aa मेतावरसौ erent वेति qa- मभिहितम्‌ Vee

१२० ऋम्बेद स्य ९,५,६,३, |

(१)-विवरक-मते ख्विंद इति were awtgue frye, धोरा तिक दिवचम-ष्यानिकं बङकयनम्‌ ofa विशेषकम्‌ |

296 8,2,2] कन्दश्मा्चिकः। ७9३२९

९८ RR RH रद्‌ अचेन्तुपु जकाउतपुरमिद्‌*धष्णचत ९३

8 ₹९ ३५

I अ्च॑तप्रा्चतानारर्राः। प्रियमेधादसोरभर्चत : -

रर OY

अर्चन्तुपुररचारकाउत पुरमिद्वार२। ष्णएवादर्वाभता

६५६॥ २४॥ १३०

डे “नरः” कमेशां ने तारोऽष्वयदयः | ययं इन्द्रम्‌ “श्रत” पूजयत त्या “Tea” प्रकर्षेशार्चतिन्द्र मेव हे “प्रिवमेधासः |” प्रियमे ध-सम्बधिनस्तद्गोत्रा युयं श्रचतेनग््रम्‌ युच्रकाः घ्रा waaay! “sa” अपिच “gefaq” प॒रमेव(९) Seu मभिमतस्व पूरकं “Sey” धषणगौलं ताश भिन्दरम्‌

area’ | 2 १२०

* “धुर नदति wo पाठः|

A I प्रयमेधम्‌ i

()— च्छन्द TT RMTe, पुरमिव wR! यथा कित्‌ पुभान्‌ षण्ड दढम्‌

अभिभवन परकोयानां समानाम्‌ अव॑ति तद्दित्य्थः-इति वि०।

~ x

oye सामवेदसंहिता.। [४प्र०२,३.४ अथ चतुघो | मधुच्छन्दा ऋषिः |

1 eS शद ३.९ RB Ue. #; (3 SHURA TS न॑पुसनिघूषिधे^ | र्ट शेर BLUR रे १.२

शक्रोयथासुमेषुनो) रारण्पस्ेषुच १२९॥

# (4 wt } 4

4 1 उक्थमिन्द्रा | यशरसारहेयाम वाड नेषु Me | - २. रे १९ शद 2 घारददधाई शक्रोरेयारथारे। FAGRAVAT: | रार ९. WTRAT | खियाश्षु २२ाद४३। रो २२४५

ST NX NAR

+ “निः faw-xfa ऋ०- पाठः, इष्टापि सायण-छतः “EAA” इति -पाठः, जमंकद्वित-पाठञ |

९३९ WATT १,१०१.८ ५। I वाहदुक्षम्‌ |

२प०४,२.,५। wenifaa: | ७४१ आथ पश्चभो | प्रियमेध ऋषिः।

Re १२ 2१२ 2

विश्चानरस्यवस्यतिमनानतस्यश्वसः | 244

२२९१६१९ २१११

एवैशचच्षणोनाम्‌ती वेरथानाम ५॥ १२२

1 fear) सख्यवारस्पातीरम। भानानत।/^,:

ttf re ro सखशावाश्सारः। VAT | चर्षणारदनाम ऊरती |

इवादर। थार्दधनो चाद ॥२९॥

इन्द्राय" इन्द्राय “awa” छहि-साधन “ome” wer “श स्वम्‌” अखाभिः शसनौयम्‌, को शायेन्द्राय ? “ge निःषिषे" geet बहनां watt fawa-atfce | “शक्रः” wer “a” ऽ्दौयेषु “सुतेषु” gay “aerg स” सखित्वष्वपि “aay” चेन प्रकारे श“रारखत्‌" अतिशयेन शब्दः कुर्यात्‌ तथा शंस्य भिति पूवेवान्दथः। ( भरसदौयेन aay परितुष्ट इन्द्रः नो ऽस्माकं जान्‌ भ्रस्मस्सख्यानि वहुधा प्रशं सन्तित्यधः १३१

१२२ WTS ६,५.१,४ |

७४२ सामषेदसदिता। [प्र ०२,२,५

Re

R = ` £, li विश्वा३४। न्रस्यवोद्ोस्यातीम्‌। अनानता३।

waa ९१.२२२ श्र स्याशावाररथ्साः। THQI) चष्याररष्टनाम्‌। एर ९१

ती डवाईर। ATHRVATET ETT २७ १२२

“विश्वानरस्य” (\)विश्वान्‌ तन्‌ ATA TATA TTT age “sam” बलस्य “पतिं” स्वामिन fax “a.” (aa इृन्दर-सम्बन्धिनो मरुतोऽपि सद्त्यन्ते) हे मरुतः ! “वोः” Gera मित्य (यद्यपि ATR शब्दन नास्ति तथापि इति सामर्ष्या waa) para दष लौ नाम्‌” सैनिकानाम्‌ (र) “एवैः” णंमने(२) सद (यहा चेणोना मिन्द्रस्य सेना-रूपाशा वो gua गमनेरिति सामानाधिकरण्यम्‌) युष्वाकं “carat” “जतौ (५) ऊतिभि

LIl Saracea सामनौ

(१)- “रे संज्ञायाम्‌ (६,४,९९९)'-इति बि्वद्ाकारो दोषेः विश्चानर-पदख याख्छ-शतं area भिद वितं विखते-- “वैश्वानर, कादित्यारभ्य- “खयमेव सो- sfyaqract framed Sut च्योतिषी रतेन नामेयेन भजते"-द्त्यष्याख RATT न्वेकादद्-खष्डानि Reefer (न° र» १,२१९--११) |

(२)-“चषकय दति मदुष्य-नामद्े अष्टमं नेच्छ कम्‌ aR |

(Qi —ea रिति मति-कमेक रते रूपम्‌ (2,08,0R°)

(४)--“उलौ"-दूति पूवं सवकं दोघं (०,१,३९) रूपम्‌ “कतिर नात्‌" -इति are (४,३)। Bawa 'कतौ-ऊतये रकाय -दति Fao |

AT B,24,] छन्द्राचिंकः ४.२ अथय Wy: , भरषहाज ऋषिः।

BP १२ ३१ रर AW श्२१ १२

सघायस्ते दिवोनरोभियामन्तस्यशमतः+ |

RUT WII RW 2 रेख

WAH TAA ATT HL STATA ॥९॥ ९३३॥ गमनञ्च सह “इुवे”(५) ब्रायामि wat रयैगंन्ुमि मर्धि aS Ea इत्यथः

atl S यजमानाः! युषदौय-सैनिकानां रघा यदा प्रविशन्ति gaa way, तदानीं तेषां साषाग्यायेन््रं षै इत्यधेः(९) ५॥ VBR

a WIS यस्ते सु दानवे धिया मनः शशमने"-दति ऋ० Hala’ —sfa मद्ंन्य-पाठः awe |

१२३ WATS ९,५,१,५।

(४)--अन्र ङः सम्पुसारद्य कान्दसम्‌ (९,१,९५) |

(९)--“विद्ानर्पादित्यस्प्ानानतसख वसो AWA TSHTG कामे Cay रतव चष लनां मनुष्याशाभूत्या यथा रधाना मिन्द्र मिम SH इयामि'इति gre: (३०११०२१) |

७४४ सामवेदसंहिता | [४प्र०,२,२,६

RAT र्‌

2.99 ` सघायस्तादद। ए। दिबोनरहः। ए। fa-

श्र २. र्‌

यामर््तारे। स्यशमताईः। Tl ऊतादू सवृ ३।

rr R

श्र Rg इतोदिवारः ए। दिषो अराः ए। नातरति

R

दडारेदभाद४२। भोर४५द्‌ डा २८॥

| Eg र्‌

! 2, : ¢ 1 सघायस्ताद्‌ दिवोनराः। fraravate

\ ok Oe रर

TAA: | ऊतीसाब २। दतोदिवाः। द्िषोभारदा Ql नातरति। इडा २३२भा२४२। ATVs syst

डा २८ १३३

| - | “शमतः” कर्मानुष्ठानेन wee ठ्तस्य निज-मा गे-वतिन इत्यधेः “wae” मनुष्यस्य मध्ये [जात्येक-वचन(र)] “fear”

ee ee

111 शाकपूते दे 1

(१)-“जात्यपराद्ायामेकद्सिन्‌ बजवचेनमन्वतरखाम्‌"-दति We U,V UF Ts

208,26] छन्द ्राचिकः | ७४५

खोतनादिगुणक्ञस्य(९) “ते” तव “धिया कमणा स्तत्या() “az” मनुयः “सखा” स्तोता(*) भवति “a.” नरः “a” "हहतो" महतो “दिवो” awe तव सम्बन्धिन्धा “अतो "५) त्या रक्तया “fee” Faq “रहो a” ्राहनन-गोलं पापमिव

“तरति श्रतिक्रामति॥ १३२३ (२) -- दिव्‌, क्रोड़ा-विजिगो बा -अवहार-खंति-ल ति-मोद-मद-खभ्र-काभ्ति-गतिषुः -इति द° we) | ()-- धौः" दति कर्मनामसु एकवि ितमं नेषद्ट कम्‌ (२,१) एड Cae wa तिक्रियेत्यथः। | (*)-जत्य-म्तोतलच्टं sfeafay गद्यते मूर तु Ves “सधा -इत्येव पाठः; तव चदत्यनथेक “निपातस्य (६,१.१९१)"-एति दोधाज्ितच्च | परमि शदनौव चिव यत्‌ seta भाव्यष्टता कुत खासारितमिति। (४,-- वसवस दोर्चः (५,१.१९) | (ई) WS पापस अतएव कग वेद-प्रथम-मणष्डललामग त.पच्चदशागुवाकोष-दादन-

ERS VHT! WS Bey are:

é¢ {दा | (qa मर्यादाः कवयस्ततकषस्तासामेकामिदभ्यद Fer गान्‌" गात्‌") “सखैव FUE: ATT शासा मेका मप्यभिगच्छत्र am भवति ¡ Wat) मतरपारोडव,२) ABCA) Heals) तुरापान (५) दुष्क तख करमशः पुनः

पुमः सेवा(€) पातक नृतो ख(ॐ)भिति" दति ९,२७। EBA,

^

४९ सामवेदसंहिता | |४प्र०२,२.७ अथ सप्रभो। अति ऋषिः ६१९ 2 रे 2 Fz | विभीष्टशद्रद्रराधसोविभ्वीरातिःशतक्रतो | ९२ feat Rt र्‌ अथानो।विश्वचषंणदय ATTA AA ॥०॥ ९२४

४. द्‌ रर ऽर fk

64 1 बिभमोष्टदनद्रराधा्साः। विभौरारतिःशतन्रतो

रर

शता र्कराताउ। आअआथानोविश्वचषणे। आचा रेषणा

ie ae | ३९

दय जरसुद चमरहय चमादरदा५या६५९ २० ॥१२४

# “'उरोष्टइति, न॑''अधानो"-इति, धः यना "दति, Iqaa-sfaq J

> WAT: पाठाः |

१२४ WE ४,२,८११ |

I वरशान्याः aa |

२प० ४,२,८ | eaten: ९-१.7.) अथाष्टमी | TRY ऋषिः

२९१९ र्द

वयश्चित्तेपनविणोदिपाचतष्यादज fate | 367

हे “शतक्रतो” aga fers ! “विभोः” wegen “राधसो”

~

धनस्य “a” तव “afa.” दानं “fan” महतौ “aa” अतः

~ = कारणात्‌ हे ^विश्वचघंणे !"(\) सवस्य द्रष्टः “सुद्र कल्याण- दानेन्द्र (९) “नो” sana “aa”? धनं “aga” प्रयच्छ(२)

© ९३२४

et ee

^ “दविपश्चतुष्यदजनि"-इति ऋ्वेरोय-पाठटः |

~~ -~ ~~~ -~----- ER ---~ -~-~---~----~- ~+ [ रि emeneal

(९)-“विश्वषं खिः०-ति पश्छति-कर्मतु <i Hee कम्‌, ‘fear fa:”-<fa नवमम्‌ (२,९९) | इविषेति (० १म० <अतु^दस्‌ 8 WA ) मन््-याष्ट्यानावसर यासकञ्चपेखिरि तिपदस्य चायितेत्यथेमाड नथारहि-

“विषा जारो अपां पिपत्तिं पपुरिन रा पिता कुटस्य चषंणिः॥

'ङविषापां जरयिता fasta पपुरिरिति quifafaant at प्छतिनिममौ ati पिता रतस्य कमंण etfantfcen”-<fa (4,28) |

(2) “Gea, कल्या श-दामः१-गूत्येव ने ०९.१४

(3) --`"मंडत"^-दूति दान कममसु दशमं AAW कल्‌ २,२०।

Oger सामक्दसद्िता | ४प्र०२,३ so

९१९९८ श्र WF र्ट FEVER १९१९

SANTA तु्टरलुदिवोभन्तभ्यस्परि १३५

#ै 8 धेर श्र

1 वयश्चाहेदेपतचिणाः। हिपाच्चतुष्यादलुनायेर |

४४ रर्‌ द्‌

उषःप्रारान.। Wty! दिवोभ्ान्तं ez | भारेठेयारेः

पार४५रो्द्‌ २१ १२५

cS»

उषोटेवते “a” तव

दे “mata” (’) way “aq.” “MAA TATA TS “fear” aquifes “aqare”’ गवादिकं तथा “पतत्रिणः” पतत्रवन्तः cedar: “aafaq” पक्ति य(र) “दि वोश्रन्तेभ्यः” आकाश्प्रान्तेभ्यः “परि” उपरि नप्रारम्‌(९) प्रक्रषण गच्छन्ति (राव्रावश्वकारेणाभिभ्रूताः सवं

प्राखिनख्वदागमनानन्तरच्चे्टावन्तो भवन्तौत्यथः ९२५

१२५ Wace १,४,६,२ | 1 उषसम्‌

, (१)- “जं नो"-दइति उषोनानतु षट are कम्‌ ९,८। - (९)--"वयस्ित्‌, few दूव-प्म्दस्नायं , were-qfqure-cft fies we मते wafers दति नतु विरेषरूम्‌ पदम्‌ | (९) -जतिकमेशो ऋच्छतरूपम (Ro २११४,३५) |

२प०४,२,९ | कन्द आधिंकः | ७४९ अथ नवमे, आष्यस्विट*# ऋषिः(*) | शद रे ३२ रे २९ ₹? WMATA VARMA: चनं दिवः | 2८ 4.

PRTG FRR FRR २२

कदक्रानं कदग्टन^+काप्रलाकव्राद्धतिः < १३६

i ee

“aa: -tfa fao ats: |

i ee ee ee a Ep

“चिष्ारो "दति t “कदनृतम्‌"-इति + ASTI: पाठाः | t “Saal -डति @ |

a———J

१२६ Waa %,9,29,4 |

(०) दद्य-विवरल-प्न्ध दतिद्धास-इयम्‌, AQAA ऋषेः जयः पुजाः शकत-द्धित-तताङ्ति। ते यष्टकानाः UTA यजमानानष्टो गाः arate, Sfat चताः आयामो ग्ट जगमः। agent मेघा cera रेक परस्मिन्‌ कारे निषण्णो गबोदकः, ददे, दष्टा चोत्थाय भिमुखः सरखतो तौर सवतीष रातो बासायमानाः। मेषां wrerwerat ततः कूपे निके awa fafa ावकोरं पपात तस तव ख्ेवं मनः प्रादुरभत्‌- SAMA TTI VATA मम मृत्यु मश यसे ! तम्‌ कथ मिस eae सों पिबेयम्‌ ?-एति- खन लु पुनरेतद्‌ बेति- ere मन्यथा याचचते-रकल-दिता्बा सर्पा मावो लब्धा तेन YT तन रव्या लाभ्यां कूपे बोध aie cau) तामादाय सोमोऽयसिति मनसा fata यामे येम खन्यान्यपि याग-साधनानि मनसा सद्रूप शकरा अभिषवाग्रा्च वा तां बोध मभिषवान। अभिषत्य द्‌वानाजङाव। तदवा आहताः सक ाहान-

oye - मामवेदमहिता। [ ४प्र०२,२.<८

al शै देणे ae ec i: = veer 1 अमोयेदवाख्याना। मध्यञ्रारोचनेदिवाः) aa- tT © Ut

ऋताम | कदमात्ता रम काप्रत्नाव्माङ्कररती३४२ |

६२४५द्‌ डा २२॥ १२६

हे “Gar.” इन्द्रादयः “ये” ऽमो ययं “दिवा” Aaa सूय स्य.) “्रारो चने” दौिविषये “wer” भ्रतरिक्तलोकं “स्थ”

I Sarat af: 1

कारल aqua Sieg! बभवुः। तदु wala ware; ware दवालु- UG, ANS VG वते, तव AeA Cha) ततस्तं देवा TMA | सुतानाम- ताम्‌ qurgncarey Aes, पाय लब्धवांश्च--““खमौ ये Far: w’-xfa i

ta aafaere “सन्मासपनगधभितः"-द्ति मन््रव्याष्छानावसर यास्कोऽप्यवततार | ( चट०१म०१४ यदु ०९२ख्‌०्८्क्शक्‌ )

aufe “mM तपन्त्यभितः aa रिव पशं वः। मृषो a शि- श्रा व्यदन्ति मध्य सोतार ते शतक्रतो fai a अस्य रोदसी ॥'

“सम्तपज्ति मामभितः Bal Tear पश्वः कपपश्वो मूषिका इवाल्लानानि aaa wef) सखाङ्कभिधानं वा qifenifa यदग्तोति। समकचम्ति ara: | कामास्लोतार ते wamat) विसम दय रोदसी sate मख दयावापथिन्या-. fafa: faa qasafea जतत ew प्रतिबभो। तच mg faerefes afer माथामिन्र भवति) faaetvaat sue arts वा सङ्नछ्या-नामेवाभिप्रे स्यादे- कतो faa faa tfa वर्यां बभवः"दति ४,६।

(९.-- यद्यपि निघण्टावादित्यन।मसु स्वः" -दृत्यादि senna गणितं तथाप्यस्ति

२प०४,२,१०] छन्द श्रालिंकः | . ७५१ अथ Swat |

वामेव ऋषिः

4 चरसामयजामदेयाभ्यां कमी MATA LO / re VR ३१२९

वितेसद सिराजतोयश्चन्देबेषुवक्ततः ve १२७

ठतोय-द्‌ शति it

WAT (FTTH खाने) इत्यथः तेषां “ar” qara सम्बन्धि स्तोत्र-विषयं “aa” सत्यं “कत्‌” कस्मिन्देशे ana? “aad (न-कारस्य स्थाने मकारः) भ्रस्तं “aq” कुत्रास्ति ? “वो” युष दौया “war” पुराणौ “श्रतिः” “का” कौटभी quer दानं किमभूदितखथः (शटग्भ्‌त-दुःखानुभवैन मया पूवं मनुहितो | याग-समष्ो Fara प्राप्रोदित्यनुमभे(९) < १३६

““इः""पयाय-दि व्‌ शब्दद्यापि खादित्य-वायकलल, तथाहि यास्ढः-“खरादित्यो भवति खु खरलःसु दरः खतो came qat मासं feet खतो मारेति वैतेन qterrenran’-cfa २,९४ |

° ° ~ faara

(र२)--"रवदुक्क भवति | इत मन्न तदच aia कृषं , तत॒ कत्‌ Wee

सो माष्म्‌ विः, धानाः, कर्मः, पुरोडाशः, प्रतीवापः, पयस्यापरसुरग्रीषोमोयः TE: santa: रव मादिक इतम्‌ अतं क्षात्र विद्ते ?”-इति fae |

QYR सामवेदसंहिता | | 8प्र०२,२,१०

BT 2 द॒ FX

234 1 ऋचरसामयजा ae! याभ्यां कर्माणिक्रणवा

र्‌ R शद . र्‌ ताद्‌ वितेसदतिराजारेशेताः। यक्लंदारेडदवे a

घुवक्ततः। डाररभा२४३। ओरर४५द्‌ डा २२॥

2 ४१९५ घर ५४ इद RT

{, 1, 3" Il कचरसाङेमायजामदाई्‌ याभ्यां कर्मा णिका-

wR

Mare! णाताहेर्। बाईनेसद सिराजाश्ता-

4 ।, १९ ek ९। जातारः। यश्रांदा्टवेर। TAHA | EST

R R रेरभा२४२। WIVBBAT | डा ae १३७

9 कमाखि “याभ्याम्‌ ' ऋक्सामाभ्यां “कमाणि' स्र-स्तोव-प्रसुख्ठानि HVA? होतार उदहातारः कुव्वन्ति ताम्‌“ऋं' “aq ara” “यजामहे” वय पूजयामः “a” wart “सदसि ऋल्विकघ-

सदोमण्डपे

ae सदोमण्डपे “विराजतः” arrestee विेषेक प्रका-

{ना ऋक्सामनोः सामन |

२प०४,३,१] SVU: | ७५२ शयतः a waa देवते “देवेषु” इन्द्रादिषु “aq” ““वत्ततः” (२) प्रापयत: १३७ इति ग्रोसाथशाचाय्य-विरचिते माषवीोय साम्वदार्थ-प्रकारे =A खतु थेख्ाध्या बस्य दितोयः we:

दत्यागुष्टभमेनदरम्‌

सम्तयेकादश या विश्वाः yaar इति संमताः, ama en रोदस्योः स्ततिष्टतवतौ इति उभे यदिन्द्ररोदसी wera fa रितौरिता(क) a

(९)-प्रापशाथस्य वहते (म्बा०उभ०) रूप fare |

(क)--अमनारमिद्ध “विञ्ाःपतना"त्यारग्य प्रमण्डिने"-द्त्य काः चलुय-दबदा- काकाः OT eae कः सन्ति, तत्र “हतबतो'-दति नवमो कङ्‌ Cet खावा- पथिगयोः स्तिः, अन्याः ants: ; faw “उमे यदिन्द्ररोदसो"-दति HW we awry fe च्छन्दस्वाः अपरा जगत्यः दति रन्दो शेबत-सङ्कतः।

< भका,

O48 araacafeat | [४प्र०२,४,१ मघा प्रथमा) रभ ऋषिः* | RV ९१९ ९२१३६१२९ १२ १२३ VLR

विश्चाःए्लनाञ्जभिभ्‌ तरंनरः। सजु स्त तच्तुरि द्श्जजनुश्चराजस |

Te

2 १६२९ रे & RF श्र

रत्व VAM AN AAMAS ACHAT SAA १॥

yee

रर TAT > श्र

,१,५,:; 1 विश्चोदाद्‌। पएतनाअभिभ्‌। तरन्नराः। सज्‌ ~ १९ ९१२

स्ततकुराद द्रं ATT | चराजासो२३४दद््‌ | HATE |

^ “ढशोकस्यार्षम्‌"-इति Fao |

+ “ad” sfa ऋम्बेदीयः पाठः |

“क्रत्वा वरिष वर भासुर”--दति ऋन्वेदोयः, arae- MAUL भाष्ये

1 “श्रासुरिम्‌"-इ्ति ऋन्वेदौय-पाठः |

§ “"तवसु-इ्ति ग्ब दोवः पाठः |

© ~ : aa उत्तरा्चिकस्य २१११ 8,0 = ऋग्वद स्य &,६,२०१५ = HF २,२,१३

I बेगोकम्‌।

२प०४,२,१] कैन्दभ्राधिकः | ७५५

RT ACUTE | स्येमन्धारमृरइ४्योम Taree उय्- , 8 २२

मोररध्जौ। छन्तारारर्साम WIE तरा३४।

| 4 | 4 क्‌ ¥

खिनम्‌। MEAT श्ोददोरर४वा २५॥ श३८

“विश्डाः"सव्वः व्याप्ता बा'दतमाः” [ष्‌ व्यायामे (qoute) व्याप्रियन्त इति तनाः सेनाः(९) “नरो नेषा: “सल्‌” परस्पर सक्ताः सत्यः ^ अभिभूतरं aya मत्बधंमभिभवितारम्‌ “ca” “ततक्षुः” भ्ायुधादिभि सोश्वौ चक्रः भ्रायुधवन्तं चक्र्‌- रित्यथः [यदा एतना इति सङ्कामनाम (नि०२,१७.) व्याप्रियन्त अत्रेति “gaan.” aya: स्वानेव संग्रामानभिभावुक भिन्द “नरो” नेतारोऽन्ये स्तोतारः अन्योन्यं सङ्ताः स्तिमि shew म- ङर्बन्‌, [यदा aera दविः-प्रदानेन वीर्यवन्तं gaaitfa ।| किञ्च स्तोतारः“राजसे" [राजते स्तमथ Te प्रत्ययः(९)] ्रामनो विराजनाथ सास नमिन्द्रजजनु.(*) जनयामासु स्तोत्र-शस्तेः

(१)--““चतमाः"-ट्ति निषद्ौ मरुष्य-नामलु(२,६) SH TAHT G(R, Co) ऋते | (₹)--““'तुमथं सं-सन-ऽसन-कस-कसन-ऽध्य -GTW न्‌-कथच्य -कथ्यन्‌-ध्य -द्ष्यम्‌ तबे ATS -तवेमः (द,४,९)''-ए्ति Te | (३)--“ शम्दस्यन यथा (२,४,१९७)१-दति सिद्धम |

इति ग्रामे गेये नवमः प्रपा ठकः

1

७५६ araazateat | [४प्र०२,४,२ अथ fratar | gaz: गेलषि्छषिः# |

११६२९२८ VW १२ ९९२

अक्तेदधामिप्रथमायमन्यबेदन्यदृषयन्नयं विवेरपः

RPT १२२२९. ६२८१ ३१९ उभेयत्वारोदसोधावतामनुभ्यसान्तेश्रष मा त्यथिवीचि दद्विवः॥ २॥ १३८ Sas प्रादुरभावयत्धित्यथः। afta “ma” सखकौय- ठत्र-वधादि-कमंणे “at” ae “ख्ये मनि” (खिर-शब्दादिमनिच

४,१,१२२) स्थेय -युक्त स्थानि स्थितम्‌ “आसुरि यत्रणां मार यितारमिन्द्रम्‌ भ्रामनां घन-लभार्व' स्तोतारः waiter: | कोटटशम्‌ > “उग्रम्‌” उद्णवलम्‌ अतएव ““ग्रोजिष्ठम्‌” भ्रोज- खितमं “तरो” बलं तहन्तं “तरसि” सङ्कामे weary

बलवन्त देगवन्त वा॥२॥ श्त

# “Beara आषेम्‌”-इति Fre “यद्र चं नयं "इति ऋग्व दोयः UIs: | “यत्त्वा भवती रोदसौ अनु रजते शरटष्‌ म°”-इति

~ ऋभ्व दोयः WS: |

१२५८ WAT दस्य 65,42

270 8,2,2 | कन्दश्रा्चिकः | ७५७

टर्‌ I ओं अरत्तेरदोह्‌ | दधारदोर२४। मिप्रथमायम \, / . भर Hes १. VACHE अद्ादन्होदर यदाइदो?२४ | Was . 2 विवेः। worst: | उभेरद्दोदः। य्वारद्ीर२४। दर शर ५र ४५४४ RTR 2 रोदसीधावताम | अनअन ware! तेशरदो- ४दर २३४। कान्पुथिषोचिद्‌। द्विवोद्िवाः। द्विवच्रा। ५र र: ३९१११९९

अद्ोवा€। शाउवा। १२३४५ i

३२ 2 8 ४५ ४४

Il अत्ता३१द्‌ | दधा३१२२४। मिप्रथमायम | Wars - By 2 9 | § WAL | ASTRA यदहा२१२२४। BAITS | अपा- ४४ 8 RR Te BT भद WIT: | उभा ३ष१द्र। यत्वा३१२२४। रोद सौधावताम्‌। ४४४ 2 2 श्र रभ AVA भ्यसा३९त्‌ तेए२१२३४। आत्युथिवोचिद ४.

featfzar: | fears दिया्दछा। BUT! डा॥२॥

४. :

TL] अयोरहेश्वा अयायोरेरध्वा | TATE दा ४.५ &

रेदेश्धा। मिप्रथमायम न्यवाटृन्यवादई्‌ अयोरर४-

गा qafesh

७१८ सामधैदसहिता। [ 8प्र०२,४,२

¥ ¥ र्‌

बा। अधायोरडध्वा | श्राष्ठाने। यारर४द्‌ स्युन्नर्य विव | 2 8 8 au अपाञ्रपाः। अयोाररध्वा। अयायोररध्वा | ऊभाद्‌ | 8 रं छर ४९०४५ | Apel रोादसोधावताम अनूअन्‌। अयैारद४ Re 8 a et

वा। अयाधोरदध्वा भ्यासात.1 ATRFBTIY | ष्मा्पु ४४ 9 यिवोचिद। द्विषोद्रिवाः। fas arate | चा उवा द्विवई दार३द८९ २.॥ re Re &

LV दूथोरेदश्वा। दयायेरदे्वा THT x % णर्‌ दारर्था मिप्रथमायम न्यवाृन्यवाद दयोरेद

% carat 2 \ वा। दध्वा। आदान याररष्द्‌। YA

र्‌ ४५ ३२ टे FR: | WATT! TATRARAT इयायोरदश्वा | गर ४५४

HAE! Areas | रादसोधावताम.। WITT!

¥

TATLEBA TAATRRVAT | भ्यासात्‌ तारदे१६१द्‌

a

a

Ree ea --------~~----- ~

LILIV safaact a

२प०४,३,२] छन्द्‌ भ्राञ्चिकः। ७१५९

मात्य यिबोचिद | दविवाद्धिवा feast | अआ दावा |

esa | द्रिवद दार९८२९ ४॥

ब्‌

आरर्यादेम्‌। ares! दारड््धा। fag 1;

9 |: थमायम। न्यवाटन्यवाद आर्र्यारम.। भान्‌ | ४४५ 8५ मआरथ्ट्‌ स्यन्नय विवेः। अपाश्रपाः। आरदयारम्‌। | . BT BTL) यारशे४्लवा। रोदसौधावताम अन अन ४. , आररेयादम.। भ्यासात्‌। ताररे४यिश्‌.। कात्पुथि णर | # 9४ fee) द्विषेद्धिवाः। द्विवभा। Wend: दा. g १११९

उवा। द्विवेटेद्रिवार२४५: ५॥

VI waar: | arate! दधार१२३४। मिप्र `

४र ५.

थमायम। न्यवादून्यवाद्‌। अययारः। WT BTA १९ 4 , यदारे१२२४। Baa विवेः। भपाञ्रपाः। भयंयाहेः।

CUT र्‌ ४४ Bu

भाद यत्वा१२२४। रोदसौधावताम्‌ | अन्‌ अन्‌

V,VI महासावैतसे =

, , ८५८०८८५

न्त

७९० सामवेदसं{हता | [84° 2,8,2

x 4 अयं यारः। भ्यासात। तादूश्२१२२४। आत्पुथि- BT ४५ ५४ र्‌ द्‌

बीचिद। द्विवोद्धिवाः। द्विवच्ा। whee: दा

४: ११२१९१९

उवा द्विवाख२२५५॥

५र R VIL ओचोदोहाद्र। आत्ताद। दारर्धा। x मिप्राथारेदृष्मा यमन्यार३४्व। यमन्या रदेश्वाद्‌ a8 ४,

अद्ा२१२न्‌ | यार२४दा स्युन्नारोरदरे%्याम्‌। विवेरा- 22801 | विरा९ह४्ाः। उभा यार्‌र४ा रोदासीरेडश्धा वलीमारन व॑तामारश्धन्‌ | भ्यसा३६१्ता२३४ | कात्पुथोरद्ध्वो। विदद्रौरर- धवः | विदद्राररश्टवा faa | तदवा! खा- उवा Wel द्विव हा२२४५

VILL अत्ता्रोदोदोदादई्‌ | दधा३१२३४। मिप्रयमा-

¥ ५. =

यम न्यवादून्यवाद्‌ | अदाओ्रोदोदाई यदा२१२३२४ |

a can ema, an,

VIL VIL, agrreig = |

२४०४,३,२ 1 कन्द््रार्धिकः। Cat

१२ खुन्नयेविवेः। अपाञ्पाः। उभाच्रौदोदोदाद्‌ यत्वा-

द॒ stat ४४

३१२४४ रोदसोधावताम अम्‌ अन म्यसाचो

र्‌ ४ब 8

WaTers | ताद४३९२३४। arwfsdfaci द्वि-

४५ ४५ uct {

बोद्रिवाः। द्विवभ्रा। ओदोवाई। शाउवा। frae

१९१९२१९

रद्विवार५५; ॥१३८

~ 92)

‘afea.” वखवनव्रिन्द्र! “ते तव“मन्यषे"कीपाय तेजसे वा “प्रथमाय मुख्याय “खदधामि" खदहामादराति शयन्तदिषय- करोभि८९) “यत्‌” येन मन्धना “ew” क्मौण्यप्तपयितारम्‌ श्रसुरम्‌ “श्रन्‌” अवधो; (नयमिति क्रिया-विपेषणम्‌) नरहित यथा भवति तथा तेन हत्वा मघेनाठताः ““श्रपः' उदकानि

“faa. इमं लोकं प्रत्यागमयः (ad सन्यवद्त्यन्बयः) “यद्‌”

( ₹)- रत्‌ त्यं, ते तुभ्य, दधामि ददाभि-द्ति fas “रत्‌” -दूति सत्य-मामनु दितीयं Hae कम्‌ २,१० | cea,

OER सामवेदसदहिता। [४प्र २,४,१ तृतौया | वामटेव wie |

१२३ ९३ UL २३ १२ रउ हैर १९२२९९२

समेतविश्वाभोजसापतिंदिवोयणएकटङ्ध ;रतिथिजंनानाम्‌

RMT RW ९१२३ Ul Re ३२ RR

AA AAA NT TACT AT TACHA ॥२।१४.

=< 7 समाष्ाउ। आद्रतविश्वाग्ोजसा२। पतिमादः। शद |, दिवाररधः। BTR! यथ्राटूका्ट्ैरत भूर यदा “उभे” “Great” द्यावाण्यिव्यौ “av लाम्‌ “aqua ताम्‌” गच्छतां त्वदधौने भवत शइत्यथः। तदानीं “पथिवो चित्‌” थिवोत्यन्तरित्षनाम (नि० १,३,९) प्रथितं धिस्तौषं मन्तरिक्षमपि(र) ^“ शपात्‌ त्वदौयाइलात्‌(२) sara” विभेति [are भये (caro ute) पश्चम-लकारे(*) रूपम्‌] विभोः यात्‌ भयेन कम्पतष्त्यथ; १३५

(२)- खण्यथदिष्डष्दः) विवरशे त॒ पादपुरशाथेः किच "सखनरोो्-पषक् NEN- ada, जयोऽपि लोका इव्यर्थः" -रति विवरणे fasts:

(९)- “खम्‌ "दति बर-गामहु रकाद नेष्ट कम्‌ २,९।

(8) —@ahfa भावः। ware “लियं सेट (२,४,०)*- “सेये ऽडागो(३,४,९१) - “इतश्च शोपः TITY (२,४,८०)०-इति सूज-जयं विभेषेख सतं म्‌ |

रप० 8,2,2 | 7 Senta: | ७६

RT तिथिः। जनारशनारषम्‌। ETSI! सपूवियारः। | तनमा। जिगार्ददषारेश्न दाद तंवात्ता रर र्‌

प्न रः। अनुवाठृते। अये३। कयाउवा३ TW <

४२५ ४५४२४२५ श्र Il सुमेतविश्वा्रोजसापतिम एपातोम्‌। दिवया

ष्र्‌

SWI दोरचोरवाईदया। यश्मादका१$रत्‌।. भर

तिथिः। जनारद्ेनाम। दी र। ₹दीरेदोडवाईैरेया | WwW रे R र्‌

सपूविंषारः। नतनमा। जिगारेददषान्‌। शीर।

दौरदोरेवा। रैरया। तवार्ताश्नोरः। Weasel र्‌ Was! HABA! मदे १॥ ee

०४२५४ ४५४दर४दर४र्‌ wy

< 111 सुमेतविश्वाम्रोजसापतिम warata| दाद्‌ ."

2 $ 2 8 वाश्यारे। WRI दोरेदोरवा। ओमोवा TAT:

a ee ci a ~

I, 17 11 इन्द्रस्य प्रियाणि afa |

०६४ सामवेदस हता | [४प्र०२,१४.,२

tc रे जाश रत | भूरतिथिः। जनारदनाम भौर। शो रे

र्टोरा। ओमोवा। सपर्वार्यार्‌ः। नूतनमा।

र्‌

जिगारददषान। अगर। दोररोरवा। ओमोवा रर र्‌ 2

AaTANA | BAM! Wisi कयाउवा३ |

१. RUUUA

धर्म णेर२४५ ११॥ १४.

हे “विश्वाः” wat: प्रजाः ! “दिवः” खगस्य “street” बलेन- “ofa” खामिन मिन्द्र (\) “ata” स्तोत्रेख हविषा वा सम्यक्‌ प्राप्रत इन्द्रः “Ua” एक एव सन्‌ “जनानां यजमा- नामां “तिथिः” अतिथिवत्‌ प्रियो “ae” भवति “पष्य ; (र) षरातनः “a” इन्द्रः “श्राजिगोषन्त arta जेतु भिच्छन्त “नूतनम्‌” अद्यतनं स्तो तारं प्रति “एकदत्‌” cava वर्तनिम

सम्‌ ^श्रनुवाहते”() अनुवन्तेयति २॥ १४०

(१)--“ख लोक-परहथं चाव प्रदद्टन जम, बयाशा मपि शोकानां खामिन नित्यः, इति बि०। | (र) “पविः छत मिनि-वौ (४,४,१९३)५-दति यप्रत्यये रूपम्‌ | (९)- सावं कालिको fare (९,४,६)-“तूजाङोमादौनां Aarwrga (¢,t,9)"- | दति AVS fa fans: |

प०४,२,४] wena: | ७६ धथ चतुथ | सव्यश्राङ्धिरसक्टषिः* | ३१ ९३ ररे २३ ९९ १२ दमतद्रद्तवयपुरुष्टतयेत्वारभ्यचरामसिप्रभ्‌वसो | 373 र्ठ 8 १२१२२ ९९१२६१९२ रर

नदित्वद्न्योगिवणोगिरःसघत्क्तोणीरिवप्रतितङ््यंनोव

चः ॥४॥ १४१ र्‌ g og x

1 दूमेतभ्रा द्रतेववंपूड रृष्टूता २। येत्वारभ्यचरा-

मरसिप्रभ्‌ र्वासा रड। नहित्यदन्योगिर्वणोमिरा रःसा- शद घारत.। क्षोणीरिवप्रतितद््य॑नो रवाचारः। व्चाश्रो ¥ 3 रध्वा HT डा॥१२॥

Rt रे 1. इमतच्रा। द्रत वर्ंपूर। BAT यालाः.

राभ्यार। चारामसिप्रभू। वसाउ। नाशौ हत्वादा

# “सत्यस्याषम्‌-इ्ति fao | t “far ar य्य तद्वचः“इति wa दोयः पाठः!

१४९१ ऋग्वेद श्य १,४.१२२,४ LILI तैरूपाणित्रीणि।

७६ & सामकेदसहिता। [४ प्र ०,२,४,8.

रर _ AMMA: | TAAL Va ररादवा-

१९९२

र्र्‌ ` Ri प्रतितद्ध। र्यनीवारदचाररः। भो २२४४

डा १३२॥ र्र्‌ ४५ ४४ ०४ रद्‌ ष्‌ / i ~ r~ e ~ ~ „^ {४ TIL RATE RERAATTZTAR AT येत्वाराभ्या | wz २९३

चरामसौररप्रारभूवसाड नदित्वादा रन यगि

RRA एद द्‌

णेरेरेगीदरःसघत कोणोरिवा २। aftr ates

y 8 यंनोभवचाः। दोद। STW es NBR

“प्रभूवसो” myaua Fw) अतएव “पुरुष त" gefaag- faraara wa! “यः वयं “लाः लाम्‌ “area” भ्राखयतया

&८ > 66

बल” “apatrafa’(’) चरामः यागे वत्तीमहे। “a? द्मे वयन्ते तव waar = “fram” गौभिवंननौयेनद्र ! “agen”

ada. afaefa “गिरः wat: “a fe aaa’ a fe

(९)-“इदन्तोमखि (0, 0,36) af मस इमागमः।

‘2 To 8,3,4,] BCAA: ‘9g9

wy TEN |

विशखामिचस्तौति।

१२९३२२९ 2 PR VR RW RHR

चधेणोधुतंमघवानमुक्थ्या२५मिन्रगिरोब्‌ डती रभ्यनषत |

९२३१९ BWR २२१२३ VR

वावृधानपुर्हतरसुव्रक्तिभिरमत्य जरमाणन्दिषे

दिवे ॥५॥ १४२

RUT २१ र्‌ R

1 चषणोधुतरु्ाउ | मघवानमुक्थाररयाम्‌। इन्र ब्‌ RUT रे १९ 9 १० ङ्गिरोनुदतोरभ्यनूषाररता वाद्रधाना रम्‌ परहा प्राप्रोति अतस्तव “नोः ऽस्माकं aa” स्तति-लक्षणं “प्रति- इय ”(९) कामयस “क्षो गौरिव” यथा abit एयिवौ खकोयानि भूतजा तानि कामयते ४॥ १४१

, * “उक्थे इति Wear दयः पाटः

OE

I वाहंदुकघम्‌

१४२ म्ब दस्य ३,२,१५,१ = रार २,१-२-२ |

(९)-“इयति"-दति वषटि-पयाये दमं नेष्ट कस्‌ २;९ |

2 /

1

3. araazafeat | [8ब्र०२,४,

Rk

ररम सुवारक्तारर्ष्दमीः। अमा रुक्तियाम्‌। जर-

माणारदम्‌। दारददवे२। TTRVYTATS काद ॥१५॥१४९

“छदतोः” प्रथूताः “भिर,” ब्रसदोयाः स्तुति-लचच्षणा वाचः “चषणो्टतं" चकघणोनां मनुष्याणा(९) मभिमत-फल-प्रदानेन धारकं पोषकं [यहा आक्तषत्यनेन सर्वमिति चषंणि बलं(९)

° 9 ८८ rm) ba] aa waata R तहारक “मघवानम्‌” “sme” sae. शसः (ए) "वाहधानं” बल-घनादि-सम्पत्या ufaad ata “qesa”

बदुभिः wrafa राहकतम्‌ Copa” मरण-धर्भ-रहितं “सु-

हतिभिः" भोभन-स्त॒ति-वाकछैः “दिके दि“) uae “जर

are” स्तयमाणं तम्‌(५) इमम्‌ “इन्द्रम्‌” “अभ्यनूषत” (९) भ्रभितः

सवं WIG ५॥ १४२

——_ ~~

(१,- "“चषलयः"- इति भदुष्य-मामसु अष्टम FASTA 2,8 |

(२)-वोभिकाथं रष तु fas भ्यः, afe: “afar आादित्यः-द्ति श्च नु ०४.२४)

(२)--“उकथ्यः- इति प्रद्य-मामसतु UNA पदम्‌ BT |

(४)--“"ददिवे fea ceed मसृपाग्य Here कस्‌ ११९ |

(५)- "जगते" दत्य ंति-कमेसु सपनम TRE कम्‌

(<) -“नीति''दव्यण्यष तिक wate बमं नेष्ट कम्‌ Bre |

२प० 8,3,¢] इन्दग्रा्चिकः। ७६९. अथ षषे | कष्ण आ्राङ्धिरस Wise |

VR १९१९१९२३ १२ BR VR ९१

WHATS AA SIT LAA Aa ATS MATA वत 2

१२२२३ ९३२१३६२९ ९१९ २२१६२ २९१६२

परिघजम्तजनयोयथापतिंमयं नप्टुध्यंमघवानम्‌ तये ॥६।१४३

# द्‌ दर

1 अच्छावटनरग्मनयःसुवयुवारए। सप्रीचोविंश्वाउ- :

Lg शतीरन्‌रषाता२। परिघ्जन्ततजनयोयथा रपाती रम्‌ 2 र्‌

a म्यं न्नाररःष्रए | Val = Fa | नमृङ्ध्ओ्रीदोवा |

8 wUerc_r

तयार २२४५ १६॥

“HY ब्रामोयान्‌ ऋत्विज we—-sfa षि ° |

+ '्राच्छामः . दूति ऋवददौयौ पाटो

t “सविद:

१४२ ऋग्वेद श्य ७,८,२४.१ | LOM,

3७० सामवेदसंहिता | [४प्र०२,४,

४.४१ ४७ रद्‌?

IT sea | Tar! तयाः। सूवयु वारैः

AX WUT

सार३४। SATS) शतीः। आन्‌घता२२।

श्र श्य

| 1 पार२४। रिषजन्तज। नयाः। याथापतारे्ेद्रम्‌

४8 ५४ RT श्र

मार२४। Va | घवा। नामृतयारेश् वा

१९१९१९१

२३४५ १७॥ १४३

wor

~< 9 “स्वयुव”(९) सगण मिखयिव्राः “ard.” सङ्गताः विश्वा व्याप्ताः “उशतो.” कामयमानाः “मतयः” स्ततखेः(र)

“इन्द्रम्‌” ईैष्वरम्‌ “अच्छानषत अभिष्वन्ति(र) किच

ना srazea

(९)-ु मिश्रणेन योते रूपम्‌ ( अदा०प०) | विवरे तु खरम ' याः जन्‌ - भिच्छन्ि ताः waa: खम-गमम-ण्टोल्ला Cae: रतम्‌ सते इच्छत्ययं कयि “ववा च्छ- vefg (8,2,t0°)-xfa प्रत्यय खयः, तद्य WIHT रूपम्‌ |

(x) aera इति ^मन्यते"-इति सुतिकमेशो रूपम्‌ (fare ३, १४, BC) |

(९)-“अच्छ अभेः, चामुमिति भाकपिः" (Fe ५, २८ “निपान (९,३,१९९)"-द्ति ऋचि दौषः,

२प्र०४,२,७] कन्द श्राशिकः। | ७७१ चथ sya | | सव्यक्छषिः* |

RW ३१० ९६२३ ९३१९ 2 रे

अभित्यं मेषंपुरशतग्डम्मियमिन्द्र गौभिंमंद तावखोअणवम्‌। 376

२९ २९१२ Ber tt श्र श्र रर

यस्यद्यावोनविचरम्ति मानुषं! भजेमधदिष्ठमभिविप्र WAT ॥७॥ १४४ 4 ४र४४ &

I ममित्यारमोषंपुरह | तग्डग्मायास्म gaat “जनयो जायाः यथापति” watt “मय a” यथाच “gar we दोष-रडितं “मघवानं” धनवन्तम्‌ “जतये'” Tama “परिष्वजन्त wari [छान्दसो लोट(*)) तददिन््रः भे स्ततयः परिष्वजते

““परिष्रजन्त”-“परि्जते”-इति पाठौ १४२

« “afec नाम ऋषिः -इति fae | “Arqgar’-sfa weaeta: ars:

९८४४ WATT ११४०८०१

I सोमसाम।

(४) त्ययेनेति (३,१,८५) भावः “पूवेपदात्‌ ८,२,१०६)'-इ्ति Sag

DOR araazafeat | [ प्र०२,४,ॐ

ब्‌ १९ ददर

भादः मदतावखारभाणवम्‌। ओोरे४। | UTNE << १९ 9 र्‌ az यस्ययाबोनविचरन्तोदेमानुषम ANB! दारो Re भयर

भृजेमधदिष्ठमभिविप्रम्च॑त | दुरार। तिनादे्मौ होवा | R

BRBBAT १८॥ ९४४

Cae तं प्रसि “मेषं” waft: ata: [यहा yyy मेधातिथिं यजमानमिन्द्रो मेषरूपे शा गत्य तररीयं सोमं पपौ ऋषिस्सं मेष इत्यवोचत्‌ अरत vert मपि मेष इर विधोयते मेधातियेमेषे ति qe मन्पैकदेशस्व arene. रूप ब्राह्मणमेव माच्रायते-“मेधातिधिं ary मेषो भूला लष्टारेति” आगत्य सोमं ्रप्हटतवानित्य्थः ।] “qed” ae भिर्यजमाने राषद्ुतम्‌ “ऋग्मियम्‌ ८१) ऋर्मिविक्रियमाशं wea मानमिलधः war fe देवता विक्रियते ( यदा ऋगभिर्मीयते ऋम्मोः a) “वस्वो waa” धनाना मावासभूमिम्‌। एं wera इति गुणविशिष्ट fax हे स्तोतारः) “afar”

स्सतिभिः “श्रभिमदत'” श्राभिसुख्येन इषं प्रापयत “यस्य

a a

(१) वः Se, arf: यः लयते ऋम्‌मियः, तम्‌ कम्‌ भिदं @ fren

सत्य भित्यथः'-द्ति fae |

२प०४,३,८ | कन्दश्रा्चिं कः 992 अथाहमी | सब्यऋषिः# रख ९२ PRI श्रः VE ९९९ wx त्र तु्मेषंमयाखविंदरशतंयस्यतुभुवः+साकमोरने

ष्ट श्र २३ २९९ ष. 2 et

WAAAY CATS TIA ववृत्यामवसेसुव क्तिभिः lhe १४१५

।, ४र४

0

I त्यरडरमषम्महया। qaaizereal शतंयस्य ;

axa “कमश” मानुषं [जाव्येकवचनं(र)] "मानुषाणि" मनुष्याणां हितानि विचरन्ति” विशेषेण ana we दृटान्तः- “द्यावो न” यथा सुय स्य(र) रश्मयः सवषां हितकराः “भुजे भोगाय “afesq अतिथयेन wae “fad” मेषा- विनं()। तथाविघभिन्द्रम्‌ “श्रभ्यचत” भ्रभिपूजयत ९४४ # “सत्यस्याषेम्‌ अन्तरामन एवायं प्रेषः"इति वि | t “Qiq:-sfa waste: पाठः

१४५ WATS १,४,१२,१। 1 सोभरम्‌ |

(₹२)-“जत्याष्ायामेकस्तिन्‌ बङवचनमन्यतर स्वाम (१,९.५८). पा०।

(९)- षा ‹““खः”-टति दिवः watiwa माम (१,४,१९)- सौ रपि वथा अथवा द्य खलादादित्योऽपि सो रुते |

(४)--“विपः" दति मेषाभिमामद प्रथमं Te कम्‌ ate

७७४ सामवेदसहिता। [४प्र०२,४द

र्‌ र्‌ सुभृवःसाकारमादराश्ता VE अत्यन्नवाजरुदवनस्यारः

शेर

४८१ दा्यश्थारम BER ATTA! वसायर।

2 Vt

GRAVATT | MALIA ce १४१५

a” तं प्रसिद्ठं “ag” gait ae स्मधैमानं “स्विद्‌” स्वरादित्यो ata’) तस्य “afeart” wand वा। [यहा age अरणौयं धन तस्य लख्रयितारम्‌ |] एवं qufafaefirs षे waat ! “qaea” सम्यक्‌ पूजय “ae” इन्द्रस्य “तं” शतसंख्याकाः (९) “श्राव्या” प्रति श्रावत्तयामि। कौशं!

“ay” ““हवनस्यद” हवन समाह्वानं यागं वा प्रति वैगेन गच्छ.

(१)--निचष्डो साधारक मामु पठितत्वात्‌ (,8,%) | (₹)- तः पर fare wraqaa किञ्चित्‌ (सुभवः साकमीरते Cae arent) afer इश्यते विवरणे त्वस्या रवं ग्याष्यामम- त्यम" वम इण्टर , मेष मेषरू्पम्‌ aww we gern a तिभिः, ₹े मदौया ऋत्विजः! कोद शम्‌ इन्द्रम ? उभ्यते-- स्ववि दम (खःशब्दः खम पयाय विदल STATS: NTATST BT) way want चान वा ge | ¦ किम्‌ ! cea— na’ ae (तमिति बनाम (३,१,९) ‘gu: qufsaafa मददरा मैदुद्रहटयम्‌ बरवो VS] AEA, कं ! सामथ्यौत लोतारः, are’ सुमनः, ‘Ta प्रेरयन्ति, किञ्‌! साम्य्यात्‌ स्त तोः समृतोऽयं सत वनीत्यथेः। swat “अम्य अश्वमिव "वाजं हविर waaga, ‘Cree’ स्यन्दति मतिकम ्यारामं प्रति जकार, केन ? cowie’ हितोभेकवथममिदं तलौयेकवचनख् स्याने FET, परेव इन्द्रम “खाव्यम्‌, आवेयेधरित्येतदा्या सदे, किमथम्‌ ; उच्यते--' अवसे Trey, सोमेन “सुक्किभिः' gy, वजित-द]षाभिः | तिभिः"-षति |

4

2708, 2,2] छन्द म्रा चिकः | ७७१

अथ नवमो | भरदाज ऋषिः ११२३ १२ ६९९ ३२९२ ९२११२६१२ | घुतवतीमुवनानामभिभियोवो प्रथोमधुदुधेसुपेशसा | Be द॒ RE ६९१९९ ए? १९ ८२९६१९२ द्यावापुथिवीवरूणएस्यधमणाविष्कमिते्रजरभरि CAAT < १४६ ५. 8 RR wt ut २१९२

1 चतव। ताइदभुवनानाम्‌। अभिभरिया। उर्वी; : :

ङ्‌ bg xt र. ct र्‌ रर्‌ एनो मधुदुधेकुपे TMT द्यावाए़थिवोवरूणा | स्या

|, र्र्‌ श्र ,. धमणार३। खोड विष्काभाररते। आजर भूरि। R र्‌ 2 शद

राये३। तसाउवारे। wl इन्दुःसमुद्रमुविंयाविभा- RUE

तीर३४५॥ Re

५४५ र्‌ 9५ र्‌ द्‌ श्र र्‌

Il चतवतीभूवनानाम | भ(पदरश्रिया। उर्बाप्र्वौ

न्तम्‌ गमने दृष्टान्तः ““श्रत्यत्रवाज गमन-साघन मश्वमिव “मदय ' पूजय = ॥१४प्‌

१४९ ऋम्बेदस्य ५,१,१४,१। 11 वरूणशसामनौ दे

७.9९ सामवेदसंहिता | [४प्र०२४,९

र॒र WT

मधुदुषेसुपेशा रसा। द्यावापएथिवीवरूणा। स्याधर्मणा

॥) RUST श्र

बादरव्कमिताद्‌ अजरो रभूरि। राये३। तसाउवा३े

२९ VW श्र ११११

इन्द्‌ःससुद्र मुविं याविभातीर३४५॥ २१ १४६॥

“ararafaar’(*) ararefwan “gaaat’(’) दौषि- मत्यौ(र) उदकवल्यी(*) at भवत इति येषः (शुवनानां” भूतानाम्‌ “भरभिचिये" अमिशथ्रयण्णौये भवत इति सर्व बानु- सन्धेयम्‌, ““ठर्वी""(९) विस्तौशं' “एधो” बदूकाथशूपे प्रथिते च,

“naga” मधन उदकस्व दोगध्यौ(), “सुपे शसा”"(>) सुरूपे,

(९), (९) -पू्सबर्ं रूपम्‌ 0,2, |

(१)--^तेजो वे तम्‌ "इत्यादि -शुति रेवे वमर्थ निषामकम्‌ |

(४)--*वतम्‌"-पत्युदकनामत्‌ ददम HTS कम १,९२।

(४)- खाल रूपम्‌ ७,९,९९ |

(९)- 'ऊविं ति बनाम (8, 0,2) अवयवभुततवा्च THAT, ब्‌ वयवे Cher Fate |

(©)—‘eheree BTTa उदकं चरति, ufeafa उदकख इतुमूताया चाङति- लतुप्रदान-इारोक-रति गि०। “मध” -रत्य॒दक-नामनु रकाद तमं HTT कश्‌ (१,१२)।

(=)-“वेशः"दति सूप्रनामसु दमं AN कम्‌ (२,९) ¦ जौ -परत्वषस्या तव चू षम्‌ ७,१,१९ |

२प०४,२,१ ०] छन्दभ्रा्चिकः। 299 अथ दलमो। भमेधातिधि ऋषिः।

WETS fase: | ( षडव्रा्टास्तराः पादा, हौ चारं चां बधौमहे )

QU WVU १९

उभेयदिद्ररोद सौञ्पप्राथोषादव।

et 8 ९९ Re RR

AUTMA AVA AAT TAMA

R श्र Rk 2 kt

देवोजनिच्रपजोजनद्खद्राजनिचयजौजनत्‌॥ १० १४७

& ठर sts g

1 उभैयदिन्द्ररोदसाद। आर्दपा। प्राथडषा३श “aque” सवनियामकस्य(<)” धम शा” धारणे “विष्कभिते” पधक धारिते “ane” faa भरि रेतसा” बहु-रेतस्के ay- काय्य वा aaa: (Ta ATTY यावाष्धिव्योः स्तिः, प्रसङ्गाद्‌ वरुशस्सेति द्रष्टव्यम्‌ < ९४६

I नम्‌ ९४७ उक्षराधिकस्य ४,१,१८.१ ~ ८,७,२२,१ = WIT RRL = ऊश्च १,१८ |

(<)--वरशो मेष-खुचारुक-वायु-विरेष cafe देवत-काष्ठीय-नेसक्त-पयलोचमया मम्यते | विवरखहता तु "वरूणो मध्यमाः, सलि द्ध रव! -दत्यक्क EUR, |

oy)

et सामवेद संहिता | [४प्र०२,४,१०

RRR ?

वार३। FTA! मद्ान्तत्वामशादनाम्‌। watea

रे TUE

जश्णादे१उवाये२। नारेमा। देवीजनिजियाजी ts 7

जानारत्‌। ARIAT | Rae! TI

FATTY २२॥ WON

शे “xm!” “ou” “Creat” श्चावापुथिव्यो “aq’ यस्बम्‌ “at ana” ख-तेजसा भा पूरयसि [at ace series: (qo) छान्दसो fae(’)] “oat xa” यथा उषाः खभासखा aa जगङा पूरयति तदत्‌ “a” “महोनां” महतां देवानामपि महा न्तम्‌" नायकम्‌ “eae” मनु्याणामपि “ara” दश्वश्म्‌ “gea’”’ “त्वा” at “देवो 2aaaten(*) afaay’ साध- जनयिव्रौ (९ afefaC) “setter” अजनयत्‌ (जनेश्यन्तात्‌

गन याक

(१)-^शन्दसि fare (३,२,१०४)"-इति OTe |

(x) —‘enatfe-ae-amr-tft fro) बाखछल्वाद-- “देवो crear Ararat Q-earat भवतीति at at Va: er देवता-इति ७,१५। |

(१)-साधुकारिखि qettin (९,२,१६४)भावः।

(४)-“अदितिरदरोना रेवभाता०-दत्वादि नेरङ्गोक्ञ: (४,२२-११)।

२प०४,३,११1 eemifas: | e0e

WUsTEe | एषा गभंस्ाविश्यपनिषत्‌* | ९२ RLV ९२३२२ १२ ३१५२३ UR परमम्दिनेषितुमद्च॑तावचोयःछष्णगर्मानिरदन्नंजिश्वना। 2 ८; | RB २३१२३६२ ३९ 2 UR

अवस्यवोवृषणंवज्‌ दञ्निणंमरत्वन्तरसख्यायड्कवे-

महि 1 ॥११। १४८ इति चतुर्थ-द शति

ty श्‌ ¥ z oe 8 |

1 प्रमन्दाररेष्दने। पितुमदार्चारेतावचः। aa {` ^ : शकि चङि रूप मेतत्‌) यस्मादेषा जनयिन tea ya मनो- जनत्‌ WA कारणात्‌ सा “भद्राः werd प्रशस्ता जता [जनेख्छन्तात्‌ साधुकारिणि तृन्‌ (२,२,१३५) “जनिता मन्ते (६,४,५२')-इति इडादो शि-लोपो निपात्यते। “say (४.१५) "दति ङोप्‌ १० १४७ 9 Oe #* कु ्रामोयान्‌ प॒तान्‌ पोतरांशाह--”-इति वि० | “वामेति ऋश्ेदौयः पाठः

~ [

१४८ ऋग्वेदस्य १,७,१२,१ |

1 बेरूपम्‌

Ste aragzateat | [8 प्र०२,४,१९१

RT VR t

eae ष्णगभोनिर ननु जिना! अवस्यारद-

१२ RR % ४्वाः। इषणंवा। जाद शारशध््रणाम्‌ मारौवा्ोर

, दश्वा त्वन्तपसख्यायद्वापदमशाउ वा २३ १८ हे ऋतिजः ! “मन्दिने” स्ततिमते(*) स्तोतव्यायेश्राय “fag: aq’ हविलं्षशेनान्नेनोपेतं(९) “वचः” स्त॒तिलक्षणं वचनं “grea” प्रक सोश्चारयत “यः” इन्द्रः “ऋजिश्वना ' एतत्‌ संन्नकेन राजर्षिणा सख्या सहितः सन्‌ “क्ष्ण गभः" हृष्योनाम कथिदसुरः, तेन fafanaat agar ara: "निरन्‌ "नितरा मवधोत्‌ [कष्ण RUTH ATAU मनुत्पत्यधं गभि शो सतस्य भार्या अपि अ्वधौदित्यर्थः(९) ““श्रवस्यवः(*)” रचसे च्छवो वयं

“हषण "कामानां afaart anefad anges दस्िण-हस्तेन

(१९)--“मन्दते"-इ्ति STATE GEMM पदम्‌ ete! खच Te gaat मन्दतेः q ति-क्मणः # ® @ प्रांत मन्दिने faqage:”-tfa ४,९४।

(२)-पित्रित्यव्रनामसु षष्ठ पदम्‌ २,७ |

(३)--अन विवरख-कार-गा्यान qawercq, तथाहि-कब्नमंः- ष्डो. मेघः, तश्च मभभृता खापः, निरडद्विति (गत्यथाऽन्तखों त-षय्थेख cum: ) निनेभितवाम्‌ पातितवानित्यथः'-द्ति |

(४)-रचणाथावशशब्दात्‌ whe ' कपाच्छन्दसि (२,९,१००)'-दइति उ-प्तयद 9 पम |

270 8,8,2 | BRAG: | ८१

~~ 9 9 a $ Ca ~ उपेत “मरत्वन्तम्‌' इन्द्र “Wea” सख्यः may") “eaafe’”’ पअाद्यामः | ~ my “‘saate’-warae’-xfa पाठौ ११ १४८

इति त्रौसायलाचा्य -विरचिते माधवोये सामबदा्थ-प्रकाडे ec tarena चतुथस्याध्यायस्य तोयः Ges

a

इति जागतम्‌

—) o(—

अष्टा विंश्तिरिन्द्रेति सुख्याः(श्र) सप्दशोश्शिदहः | भद्या(क) SAT: कङ्भः(च) पिबेव्य्टादभौ विराट्‌(ट)॥

(४)-““सण्छुयं : (५,२,१३९)' दति कर्मक यः।

(ख)- रन्ति '“दनद्रतुतेष्‌१-द्त्यारभ्य “ATER MAM: CAVA अष्टाद्‌ष् WG HW: साम्पतं याण्यातु wae प्रधानाः |

(क)-- तत्र खाद्याः Gran “दृ न्द्रसुतव्नित्या रभ्य ““खपामवेत्याः sfany: yf Sql: |

(च) - ग्धाः दभ्‌ “OA TARY” ATC “वयमृत्व OAT: अन्तिमदशदा- WS दश WY: ककुप-कन्दस्क।ः|

(ट)- पिवेति “पिबा ata मिन्द्र दति दितोय-द्शद्न्तिमा ऋक तु विराट- exer) दरति ex: ag a

OR araaedfent | [ymox ue

तुच Arar waratarfaearfgeratce fer:(a) | आगन्त MA इत्येते मरुता (प) मिन्द्रदेवताः 1 wat ऋचो(य) ऽभिधोयन्ते wearers तत्र हि (श)

~ ५५५५५५११ ०५५०५५५ ०५५०५.*००००००.५.*.***०*०.०..*.**.*.*-.०.-*.-***.*.*०*.*.*.******.^*.**.---.-.--*.*^**

(+ ~“~ aa चतुथ ey Sut प्रथमा | नारद ऋषिः |

१९ ९६२११६२२ १२ BHT

ag] TX सुनेषुसोमेषुकरत्‌म्प NAT THAT

(त)-- “तुचे qare’-tfa पदी, “वर्था fe fa atat’-xfa Stent, ““अपामोगामपस्तिव'-इति ere wa—wfeae tre परिष्ेतिः सवतः WIA यथा MEM, खादित्य-देवताका care: |

(प)--““खामन्ता मा रिषण्यत -र्त्येक रि तिता ऋक. ““जावखिदवा"-एति चतु- विं मतितमा शक cad = मर्ह वतां कत त्यथा दूति शेषः |

(य),-- अन्याः अविद: वबोवि्ति कटवः इन्द्रदेवताः Her दृति यावत्‌ दृति देवत सङ्क तः।

()--आसामहाभिश्ययूचासृषयन्‌, लव लजेव या्छानमुेगेव अमिधोमनो कथित्‌ सारम्यते इत्यथः |

“ER” इमो ऋम्बदौोयो पादौ, “पुनौत'

सायण-क्तोत्तर-भाषे F |

276 8,8,2 | eeufen: ecg

५.२ २..९.१२.२.९ ९२

PASTAS रष्यभमदारहिंषः १४८

शश्र

1 इद्धा सुनेषुशोमे। षु MER Mi वादोई।

ऋतुम्युनोषउक्वियाम्‌। विद्वा दइर | सारदा शा-

र्‌

| रस्या। मदारशेदिषा२४३ः। भर२४५द६्‌। डा २४॥ RAT

eRe! WRN! सुतेषुसोमेषुकतपपु-

नोषञकथियाम्‌। विदादवाश्बार२। स्यदशस्या। ar.

४द १९९१९१९१

रशा्ि। षा९३४५॥ २५॥

se ^दसषसो”

इमो ऋन्वेदोदौ पाठौ ` aaa? bak ms

१४९ SHUT कस्व १,२,१२,१ = VACHE L, 9,2 = अरे १,२,१०--१९.,२ I

1 क्रोशम्‌

Il अनुक्रो्म्‌ |

Ory aradea feat! [ ४प्र०२,५.१

4 ag, ४५ wk

Ill इनद्रसुनेषुसोमषू। क्रतु र°पुनाद। Tale

RTL $ Rx R

याम्‌। facarete | Beat! मदारादषांरः।

g + मदा ररेददिषा३४३:। अ२४४५द्‌ डा २६ १४९॥

rn

हे “इन्द्र!” “Stig” सृतेष्वभिषुतेषु aa तान्‌ पौला mg”? कर्म-कन्षारं “om” स्तोतार उ(\) “gale” शोध- यसि(९) [यदा सोभेष्वभिषतेष caer (५) क्रतुः यागं ते: सोमे पुमे यजमानः पूतहारयसि] किमथ > “aaa” वहकख

eae’ बलस्य (*) “fae” लाभाय ताश “इन्द्रः” “महान्‌ fe” महान्‌ we (श्रत एवं कन्तु शक्रोतौति भावः १४९

III कौसम्‌।

(१)-ऋतुरिति कमनाम (२,१,९९)- उकश्यमिति स्त्रो वविष्टषख नाम, गोषा eu इड तक्ततकर्भरि wae इति भावः|

(२)-चिवर खकारख््यवे वं ग्या्ातम-- ऋतु प्रति पगोषे, पुबातिरव aaet sea: च्छतोत्यथेः। Wen प्रति गच्छेति ! उच्यते- उक्थ्यम्‌ प्रशख्यमधिजखमित्वः दति Carma तं पुमोषे-द्ति ““पव ते" care मति-कमंसु पठितस्य (जे०२,१४,१००) विकर ण-अत्ययेनरे,१,८८ रूपम्‌ fay उकष्यमिति प्रशस्य -नामसु (२,८,६)पडितद्ेति।

(2)- खत we उक्ष्यमिति कऋतुमित्यस्य वि्रेषखम्‌ ; उकथख सक्तानां सोम- सं म्यामामन्यतमम्‌, wah लागायन-सूजम्‌ “खथ सोमसंस्थाः, wfretatt) ऽय प्रिष्टोमो(र) उक्‌थः(९) षोड़श्च(४) तिरावो(५) वाजपे या(६) प्ोयोमः(७/'.एति (५१० 8@o) |

(५)-- दः" दति बल-नाममु जयोट्‌शतमं srg कमम्‌ ( ९,९ ) |

27° 8,9,2,] कन्दप्राचिं कः | ety featary

दयो गोषू हयश्वस्‌ क्त ATTA | ~

१२३ श्र रद ९९ BR

तसुञ्जमिप्रगायतपुरङ्ते पुरुष तम्‌ |

Xz र्‌ RT Ut

2. 1 दाडतमूवभो | प्रगायता। दाउ। पुूर२४-

+ कि, ४५१ ४,

Ry ATA पुरष्ट ताम्‌। Wel इद्रङ्गारद्श्र्भः।

` धर 3

९२ 8 R वादषाररमाडे४। दाउ faareetyateug दी-

| Raval २७॥

2st २९

५र MY II ताध्मूबमि | WT प्रगायताईट। पुषरूड३- `

^. 4

= Ghgat वाश्वसकौ वा waa waa श्राह इति fae |

ना Satara ९९क,

~

# 4

OtE ATARTa LEAT | [४्र०२,५.२

१२९ UC VRC र्द

इन्द्रकीरभिस्तविषमाविवासत ९५०

९१

ATA पुष्ट दतारम्‌। FEE Sway! दद्राङ्गौ

॥. &; 2

९, gate तवाद्ूषारमा विवासारतार२। विवारसा-

शर

|, र्‌ aya | भाद्रद्रादशम्‌। गोर्भाडदः। तविषम्‌।

१९ kB 8 १२१९९

विवारेरा३। AAT RABAT | Rey wR

# 8 Rate २९ र्‌ TIL तमूङ्अभिप्रगायता | Gel तम्प र्ट

_ |. o os Rt तारेम्‌। इन्द्रारग्गादर्भो रः afsareagar विवा-

छश चद

२२। सारतारश्थ्ौ दोवा। ओरङ्धकाः २८

१५० ऋग्वेदस्य ९,१,१७,१ |

Ill प्रहितः संयोजनम्‌

qo 8,8,2] कन्द्थ्रा्चिंकः | SL an] ४8 2% शेर धर R 2 र्‌

IV तमृद्भिप्रगायतेदाम्‌। Fel तम्प रेता- :

_ १. श्र टर्म द्‌ १९ RH अदृन््रङ्गीमिंसविषमा। विवासाश्तार। भा-

\ ९१९९६१९९ २१

इन्र क्रा र४५द्‌ भार२४१५दः। तवाद्षारदेमा३े। वा

र्‌ र्‌ RF १३१९११९ रवारर्ओदोवा। सतश्र२४५ २० १५०

“gaya”? बहभिराहतं “qeea” agit: wa “aq” तमेव we हे स्तोतारः! “afimaraa’ अभिसुखं wate स्त्वम्‌ एतदेव सखष्टयति--“'तविषः wera’) इद्र

“गोभिः” वाग्भिः “श्राविवासत'' परिचरत (९) १५०

IV ओकोनिधनम्‌।

(९)- “तविषः” -इति मदन्रामनतु सप्तमं ने घण्ट कम्‌ ३,१। (२)--“{[ववासति'' -इति परिचरश-कमसु निम प्रदम्‌३,५। |

Qc arnadzafeat | [४प्र०,२,५.२ अथ ठतोया |

९३ ९६२ 2 एर

तन्तेमद ङ्क NAAT FATA ea | रै रे ee | | उलोकरब्ममद्विवोदरि श्रियम्‌ ॥१५१

२१ 1 तन्तेपूमदम्‌। गरणोभमसि। इषा एष्य कुसा 2 RU x ALATA! उलोका। कछत्‌न्‌्मद्राई वोदारेदरोे। आआर४हेया२४३म्‌। आर ३४५द्‌ डा २१॥ Il ate | BE) मदङ्गणोमसोईए। Tae?! रे | चद ck णम्प्तुसाश्सादो रम्‌। उलोककृतनुमद्रिवोदाररौरः।

i: रिवाम्‌। भौरर्दीवा। SMT डा॥ २२॥

1 oeel

# “द्यु ' -दति wea दोय-पाठः, सायणक्ततोत्तरभाषे घ।

१५९१ उत्तराच्चिकस्य २,२,१८.,१ = Wa TA 6, १,१७.४ = अडर,२,६-८,१२-१९,१८।

[Fo 8,8,2 | कन्द्भ्रा्िकः | ote. ९१९२

५र्‌ ILL तन्तमदङ्कुणीमसौरेए। वृषाअरौरदो। ण-

ats 8 8 8 8

WL ुसासदौम्‌। GArMaeee | कर्तुमद्विवाः।

8 चरोरेरध्वा। BTYRTT STS २२॥

र॒ IV तन्तेमदाभङ्णोमसाद्‌ | वाषण | चुसासादेदो- \, ^ ˆ `

रे \ 2 ह-

SHI दोवारदाद्‌ उलोकाइकंरे। दोवारदा त्नुमा-

५वब र्‌ WTA

२२। द्रारशूवाररध्ओी होवा। ₹इरिश्रिया२३४५म्‌

२४॥ १५९१ Mle

हे “afea:” वच्ववनब्रिन्द्र! “a” लदौयं “a” “ae” सोम- पान-जनितं इष ““ग्टणोमसि” wala प्रशसामः (ग शब्दे च्यादिः “arelat ङसः (०,४,८ ०)" | म्तोमसि (७, १,४६)'-

9) ¢

afa मस दइकारागमः।) alten? “agw”’ व:षतार कामानां)

1.11, हारिवर्णीनि चत्वारि)

ee mS eens N,N i --- --- -

#) ति BB: प्रपाठकः

G0 सामवेदसंहिता | [४प्र०२,५.,४ अथ चतथ पवंतऋषिः | श्र श्र १२९१९१२, RVI’?

4४4 | aaa faz विष्ण वियद7घचिताप्रेय |

१२९१९ ९६१२९९१२ रर

यद्वामरुतयुमन्दसेसमिन्दुभिः १५२

laa यत्लोममिन्रविष्णवो। यद्वाघचितञ्मापियाः्‌ | र्द् | 6 ४ैदर रद्‌ यदामरस्‌ मारन्दासोर्दण्डाद सारमारद्थ्च्र होवा | श्‌ ९३१११९९ ए२। दूभोरर४५: ite i वरि सम्बक-जनितेष ग्रामष(*) | (श्रतएव azar: एत्‌ fafa पण्डन्ति। पत्सु समत्‌स्िति संग्रामनामसु (नि ०२,१७,.- २९-२ग)पठितम्‌। “सासहिं? (९) शच्रणामभिभवितार “ata aa” लोकस्य wares wet “eta” हरिभ्याम matte सेव्यम्‌। “उ” me: सवां समुचये grey वा॥२॥ १५९

१५२ WATT ६,१,४,१ | (१ ““प्र्च"-दू त्यस्य सङ्क मेष इत्यव मथ॑श्चत्‌ कथं तत॒ पभायेष पठितं निषर्टो ? qaqa विनिममकमावश्छकमित्याश-तर्षत्यारि wy पाडः मनाम “Tey” chet TEST (२,१०.९१) चरते तथा पाठो बण्डूचि, तदेव frewrafy ‘qa ’-<fa 4 वाठमदेन wy fafa भावः। (२) -तुजादित्वादरथासदोधः (६,१,७) |

२प० 88,8] हन्द भािंकः << {

LS GG < Il यक्छोममाधदृनर विष्णवाद्र यद्वाघाचित्राप्ता र्रर १...

याद यद्वामारर्तुमा। दासायेर। सार्मार२४-

द्‌

Wea) दरड््भोः॥ ४॥

ay ।: दर द्‌ TIL दाउदायत्सोममा | द्रारवारर्ौदोवा। ष्णा- \ . ˆ १९ ऽर्‌ st tz रेणवो यद्वारेघचितञ्रारप्निे। ARTHAGATRETT | दसारद। समाररष्ोयहे। दुभिरो BBB YT! डा॥२॥

RT R % IV ओौदोरश् शओओरदोरदध्वा। य्ोममीरेदरा ` ` 2 | टेर श्‌ 4 | उविष्णवाद। Steger! शओरशोर्रथ्वा। यद्वाघ- ररे षद चदताद्ाध्नियाई। HRT) Sega २३१५४. र्‌ ARTSY रमन्दसाद चओ ददद भीरो रदध्धवा-

११११

६५९। समिन्द्‌ भोर३४५ः॥ ४॥ १५२॥

"त णिक

LILULIV बेतानि चलारि

७९२

VES

सामषेदसंहिता। ome अल पञ्चमो | : > एतदादि तिद्धणां वि्ठमना बर्य॑श्वक्छषिः |

Re २९ एदुमधो*मेदिन्तर धसिच्वाध्र्थो अन्धसः |

8S दर RT RLU

रवाददिवौरस्तवतिसदाव्रधः ५॥ १५३

डे “ga!” ““विष्णवि"(९) fast सोमपानाथ मागत सति अन्यटोये यागे “az” यदि तेन faa are’ पिबसि “an” यदिवा “meat” sora’ “far” एतस्संश्नके राजो यल. माने सोमं पिबसि (ष तिपरणं) “यदा” यदि “मरु” सोमपानायागतेषु wa यन्न “मन्दसे” arafe तथाप्य

मेये + 4 9 रोयरेव “CH” सोमेः सम्बक माद १५२

* “Bear” नेद ५१ सिच्च वाध्वयाः द{त-बेटोय-पाठो

१५३ उत्तराचि'कस्य ८,२,१०,१ = WA दख ६,२,१८, = ऊ्टे १५,२,९ 1

(१)-- “खस्य मशः (0,2,% ०८)-* जसि (१ ०९)*-द्ति सूज Caaf wate वा aaa re शौ चद्पथायाः-इति कात्यायनोक्क fee ge: | farce तु af कवलनमिदं तृतयेकवचनद्य स्थाने Rea, स्योने qatar, Faogat Te ele

QA AA |

Ro 8,8,4] | Seas: ७८

Ite Yt श्र र्‌ 1 शदुमधोः। मदाररइन्तारदथराम्‌। सिच्ाध्वर्यो- , ; ॥: # . श्ररश्दय

अन्धसारः। धारदेश्साः। एवादिवीरसतवयारडई्‌ वा-

ररे४्ताद्‌ सदारवा ५६४६; ५॥

धर र्‌ :

I षदुमधो शोप्मदिम्तराम्‌ | सिवा दोर्‌ अध्वर्यो. ^, :. अन्धासारेः। आद्ूवाश्द्रहिवोर। रारलवनाई्‌। R UT % ata धा। MARAT! TUT डा॥ ६५९५२॥

हे “saat sace नेतः ऋतिक! “ad” () मदकरस्य “शअन्धसः"सोमलक्षणस्याब्रस्य “afeac” way are fraaa(*) सोमरसमेव आसिद्ध” शन्द्राथमभिशवैर(२)) [षद्‌ -षत्यव- घारणे(*] “ate.” समये: “सदाहधः” सर्वदा vfafiaé-

ना सुराधसे

(९-लिङ्गअत्ययन रूपम्‌ (३,१,८५) |

(२)- मदं कशत यद्यालि मदी खतिश्येन मदो, मदितरश्मस wfe- waa मदकरमित्यथः। we मते “मदिनर'"-द्ति नकार्ीन-दकाराज्वित-प्राठ शव बुध्यत |

(2)--प्रडथमसाद्‌ाविति aa: |

(3)—“ta’’-“e” इावपि पदपुरशौ tfa fae | CAG Th faareca weet: कमोमिद्दिति"-दति fare Fore |

१०० a,

DER सामबेदसहिता। [४प्र०२,५,६

चथ षष्टो। RF CR रर एन्दमिन्द्रायस््छितपिबातिसोम्यंमध्‌ |

tT रर सिचोदयति ३९ प्रराधारसिचोदयते*मदित्वना १५९ R 8 LESS

I रन्दुधऽमि द्राद्यारसिच्चता पिवारतिसोग्य-

र्द

tz AT) प्रराधारररसौ। चोदयतादमारदो लना

छीरदोवा। दो४द। Shon १५४॥

नोयः यदा सर्वदा सबलस्य वेको ऽयभेषेन्द्रः “स्तवते (*हि" स्तोतरशस्रादिभिः स्तयते खल (स्ततायेन्द्राय सोमो दातव्यः तस्मादासिञ्चेति समन्वयः ५॥ १५३

शे ऋतििजः! “न्दु” स्यन्द नशीलं() सोमम्‌ “इन्द्राय

* “राधसा चोदयाते"-दति ऋन्वेदौय-पाठः, सायशोयो- तरभाष्यं च। ९५४ उत्तराच कस्य ७,१,८,१ = ६,२,१०,२ = ऊहं १०,२,९। I मारुतम्‌ (४)--विकरश-गत्यये रूपम्‌ (8, 0,54) | (९)- यदद याखः-““दृन्टरिन्धे समभ वे ति(१०,५९,"-तदिरोनतत रूपमिष्टमिति

भावः। “उन्दौ क्लेदने (Ko प°) दमश्वादमावः सुतरां सखन्दनष्ोखमित्यचा भावाल्वभ्यन | |

3708, 89 wenfea: | ७९१ खथ UH |

२९ १२ ९६१२९३२ BLUR

एतोन्विद्र्पस्तवामसखायःस्तोम्यन्नरम्‌ | 297 RT 2 WT ' रट विचामम्यककदत ९५५ : ग्न्य ure Yee ` 1 एतोन्विद्धशस्तवाश्मा। साखायस्तोर। मियार४- | 4 श्र RT १९२

UR! नरमारृषटोर्योबिश्वाञ्रमि। स्तियाये द्‌ 2 १११९

कारईरदारदण्यीद्ोवा। WAVY ८॥ १५५॥

cara ““अआआसिच्चत' श्राभिमुख्येन प्रत्याक्षारयत (आयण द्रव्येण सेचनं कुरत तमभिषुणतेत्यघः) ततः “सोम्य (२) सोम- मयं “मध” मदकरं सोमरसं “पिबाति"(२) पिबतु what ava. “महित्वना” स्व-महतेनेव "राधांसि" अन्नानि स्तो-

“प्रचोदयत” प्रकषण चोदयतु १५४ |

१५५ ATH ६,२,१८,४। 1 वेश्वमनसम्‌

(२₹)--“सोममदति यः (*,४,९९०)”--“म्ये (४,४,१ ए८)"- दूति मयड्यं यः। (३)--खेटि (३,४,९)- बाङलकात्‌(३,१.२४) सिबभवे--स्तोलो पद्यापि वेक FeTRATA (३,४.९०) --अआड़ा गमे (३.,४,९४) SGA |

S22 सामवेदसंहिता | | ४प्र०२,५.८ अथाहमी saul:

= Sa GO १२ ९२३२

oe इनद्रायसामगायतविप्रा्य THATS

LR CR ९१

बरह्मछृते*विषशितेपनस्यवे १५६ 7 : १९ a 9,9 Lege मागायत। amas! हा र्‌ 9 .. ह. - धर तेबु चत्‌। ब्राह्मे ₹। विपार्हः। Were ब्‌ | १६१९९ डोवा पनस्यवेर३४५॥ हे “aera.” समानख्याना ferret ऋलिजः ! “नु” चिरम्‌ “ठतो” ` आगच्छतेव किमर्थ; तदाश- ““स्तोम्य'” gray “av” सर्वस्य नेतारं “तम्‌” इन्द्रः “सवांम” स्तोत्रं करवाम

इन्द्रः “UREA” एकाक असहायएव सम्‌ “विश्वाः” सर्वा;

"धमकन ते"-दति ऋग्वेदस्य, साय शोयोच्तरभाष्षः च।

१५६ SUAS २,२,२२; == WSS ६,अ११११ ~ We 2,20! |

oe a

रपण ४,४,८ | Senta: ॐ€

२२ | 8 17 RT

1 इद्धा३२४। यसाम। गायाईता। वाद्रप्राय- ^{.: .

9९ २९ १९

> hae इता२६५६ | FRQAVRTA बह्मकृत रविपञ्चि

$< डे दर द्‌

TV Was) पारनारड्शीच्ोवा। Mews leet

oe द्‌ र्‌ IIL चौरोषोद। ओदषोऽद | ओद२२४५बा६५९। \; ˆ ऽर श्र र्द XR sx श्र ९१ र्‌ (4

इनददारयसामगायत। विप्रारयबश्त कदत ब्द्युङ्-

सेरविपश्चिने२ | रौद | भोरषोरद | ओ२९२४

५वा६५६। RRL पनस्यवेरे२४५ ११॥ १५६

eer’) wate: “श्रम्यस्ति” अभिभवति तं स्तवामेति ओषः 3 १५१

डे setae: “विप्राय मेधाविने() “रहते” awa क्षः 9)

“~e ्ह्मकते" ब्रह्मणः wre") कजं ^ विपथिते” िदुभे “area”

(ता सोमिश्ाशि atte | (१)--“हटयः"-इति मनुष्य-नामसु सप्र ने घर्ट कम्‌ (2,2) |

(१)- “विप्रः-द्ति मेधावि-मामर्‌ प्रथमं ने वष्ट कम्‌ (३,१५)। (९)--“ग्रद्य -रत्यत्रनामसु चतुर्विं भतितमं ने घर कम्‌ (२,९) |

O65 सामवेदमद्िता। [४प्र०२,५,६

अथ नवमो | गोतमक्छबषिः।

र्ुञ३२३९१६\२ ३२३१२

2.4 यणएकट्‌दिदयनेवसुमन्तौयदाप्रएषे |

१२

Rr ईैषानोञ्प्रतिष्क्लदृ द्रोभङ्ग < १५७

9४ द्‌ द्‌

Ceo 1 यर्कदरदिदाद्दाउ। विद्यनाद वतुमाररेतता शि 0 TETAS दै शानोररा। प्रातिष्कुता३१उवा९३। 8

TLIVRT | अङ्गा। अीरदावा। MT! डा॥१२।

"T 2 rT २, IT याररष्ए। कारेदृष्ैत | वौदायारदश्ताई १२ १९ १५२, र्रर!

वासुमत्त ररेदारं। ATTY RAT भदशानोच।

9) (८

स्ततिमिच्छत (र) “इन्द्राय “aa” हद्त्रामक साम “नायत

पठत ॥८॥ १५६

en

~ १५७ SUUMAS ५,२२२.१ = ऋन्वेदस्य १,६,६१२.= रण्यं २,१४ == ऊदे ६,७ |

(द) --“पनस्यति "ति wifa-aag पश्चविंशतितमं Sew कं, तशा परत्य (३,२,१००) रूपस्‌ |

२प०४,४,९] न्द श्राचिकः। ७९८ र, `? ६. ९३ a

परतारेरद्ाद। व्क्रदश्ताः। अआडृद्धोभ्न। गार। र्‌

यारेद््द्ोवा ई२३४ब्दराः १३

4 <

ILI वणर्कददिद्‌ायाक्ताद्‌ वासुमरत्तायारदा SALT

2 दर रर्‌ RT

TWN | अदशानोञरप्रतिम्कृतः। TTT! नो ९९ R रर

- अप्रताद्‌। ARAVA | RTA गार्‌। या-

२२४अोष्टोवा। १रडशन्द्राः १४ १५७॥

८६.9११ क, 2.9

इन्द्रः “mea” एकणव “्दाशषे"(\) हविद्‌ तवति “aaa” मनुष्याय यजमानाय “वसु” धनं “बिद्यते” विभे- we ददाति [अङ्गेति लिप्र-नाम(र)] “श्रप्रतिष्कतः” परेरप्रति- शब्दितः [प्रति-क्ल-शब्द-रद्दित इत्यथः (र) ] Taya: “इन्द्रः” fang “शानः” ate जगतः rat भवति < १५७

~~~ cn a a Rn RE a

LILI] tagafa wf | (१)--'"दाञच्चान्‌ TBI] मौदांख (६,१,१९) | (२)-“खङ्गति चिप्रमामाशितमेवादितं भवति"-टति fae तै ०५,१७। (३) , वरणे (खूा०उ०)-द्ति SATA VTA |

Toe araazafear | [ ४प्र०२,५,१०

अथ टदज्मो। विश्लमना ऋषिः |

१२ ९६१६ रे र्ट ३१६२

390 VATA ATHY. ABARAT | 2RRW ९२ ९९२

MT AGUA १० १५८ पदचम-दशति i.

,;, 4“ 1 सखायाश्चाउ शिषारमरेदाउ ब्ह्मारेदन्द्रा

कि १९२९ x र्‌ र्‌ 9 | WIS | यवजिणाद। सूषजषूरेादर। वोनृतमार-

रद्‌

१५, रधा यधारदे। ष्णयार्वारेदशयौष्ोवा अर्द

BOT Weal

gut stu 8 ees cu. 7 सखायञ्राशिषाम। wi बद्यद्रयवजि-

e “अआाशिषामदधि"-दति wea दख

= ------- - ~~~ ----~- --- ~~~ 1

, १५८ We दस्य &१२१ 4,2 |

©

* इति चतुः प्रपाठकः

२प०५,१,१] कम्दश्राहिकः। ` ८०१

? 2

णोवा। आदैतोरवा३। दावाइद्ार। ms ma रर १९ BARA बोरोदाद। नार्तारमारे। दोवारेदा३े। a 4c १५९११

Sl ANTES णण्यारवारेदे४ओओदोवा। ६२२९५।१६॥

2 Ut at

TI] साश्खायः। अआशिषा। मारदादर। ब्रह्मे 7:

+ ईर्‌ R

Saya | BE! स्तुषऊषवोरेनात्तामा। यार

बर र.

BBY दाङदाद्‌। बानात्तौमा। यारदेष्ध। दा

४: 4

इदा ष्एवारद। Well ओदोवा। त्मघारेद IT > a द्‌

Tet sree श्रीदोवा। ऊ२२२४पा

१७॥ १५८

“qa” मित्रभूता हे wasn ! “विशे वज हम्ताये न्द्राय “ब्रह्म स्तोत्रम्‌ “अ शिषामद्” वयमःशास्रहे [यददा। ब्रह्म अस्माभि दायमानं हवोरूपमन्रम्‌ आशासः WT अनुः

-~ -~--~~-~ --- -- ~ ee ee ee

~ a

1, U1, ना teat नियानानिचौोणि। CoRR,

८० सामवेदसंहिता [भप्र° १,१,१

शिष्टौ (अदाग्प०)। व्यत्ययेनामनेपदम्‌(२,१,८५) अतएव 'स्आशिषामदिः-इति Tw श्रामनन्ति ) तत्र “a” सवषा भेव युाकमर्थाय “gaara” सवषां नेत तमाय यदा TES आयुधानां नेढतमाय “waa” saat धष्ण-शोलाय sa CATA WERT “BAA” YS स्तोमि(र) १० १४८

fa ब्रोखायलावाय्थैविरचिते माधवोये सामवेदाथै-प्रकारे कन्दो याष्याने चतुथस्याध्यायस्य TAS: Gs:

= 9५५५५०५५ १५५००५१० ११०५१५५० ०००००० ०००००००५ ०५००००००० ०५००००० - „.„-,*,.-... („न= ,„,„,,(,(,,(,(,(,(,(,(,,(..(..- .. .

अघ पञ्चमे खण्ड-

खषा प्रथना।

ware ऋषिः | = र्र्‌ Rr तदिको्वख्पमान्देवताते 4 गणतदि्तेशवउपमान्देवतातये* | RT ररर रैर

यद्करसिव्रचमोजसाशचो पते १५०

* “उपम भद्रा TRU रातयः” इति wastes: |

(!)-- चि “उषु"-द्ति “सुखः (८,२,९०७)'दूति षल EUG |

१५९८ WT दस्य ६,४,४०(२३).२ |

RTO 42,2 | छन्द ्राचिकः | ८०

¥ ,

1 दाउग्रणार्‌। तद्‌ाखद्न्दानाद्‌। शवारर१रदः। ` , -

₹२ RUT ९,

उपारमान्दे वतातयाद्‌। यद्खरसारेश्रवा। AAT

8 - aS #र द्‌

STAT! शची पते। अीरश्दोवारे४। Wear

&

| दय रदश्ोः १८॥ at Il gat तदा२४। ओदो५दइन्दतेशवाः। उप- ^

९.६९ RR र्‌

मान्दं बतातार्ट्या३५द यद्वारेश८सिवा। चमोजसा |

रभ ९९११

NTSMNI | तार२३४५द्‌ १९

ऽर्‌ ऽर्‌

ड्‌ ILL श्ेतदी दोदन्दतेशवाः। उपमान्दं रवतार- ',

< रेर॒ श्र र्‌ र्‌

R तये पमान्द वतातारश्याद्‌ | यद्रसिव्‌ चमो

1, प्रयखखत्‌, Il, श्रात्तारम्‌, IT प्रयखत्‌।

८०४ सामवेदसंहिता | | ५प्र०१,१,२

we faarar | भरवाज ऋषि. |

VIRB rxaTWrae ९२ Be?

यस्यत्च्छम्नर मदेदिवोदासायरन्धमन्‌+।

हि, rt 3 v

रुरेजसाउ वा३। शार२४चो। पार्डध्लार्‌। दो

२२४५द्‌। डा ॥२० १५९

99 (८ ~? a

“we! aa “‘awpan’ बलं “उपमाः afarai')

+ ~ €, ८४ = 9१ ^ 4्टेवतातये(")” यजमानाय ana वा(९) “wa स्तवे | “ae” यस्मात्‌ < “न्रा चोपते ।(*) “शत चम्‌(५)*› “श्रो सा" qua “हसि [तस्मात्‌ ते wat wou दति सम्बन्धः १। १५९

---- ~~~ ~ - ~~ Se

“रन्धयः” दति wea Fa: ws:

(१)- “उपमा -इत्यन्तिक-नामततु अनथ (नेयण्ट्‌ कस्‌ २,९९) ।--“सवं बललानारुपमा- iam खत्यन्तो त्ृष्टमित्यथः-द्ति fae |

(3) —“aagaray तातिल (8,8,(29)-<fa ere arfafa eae |

(३)--“देवताता"-द्ति यज्ञनामसु दषम AAW BA (६,१९७) |

(४}-शचोति कम-नाम नै ०२,१,६३) तस्य पतिः शचोपतिः, ae रुम्बोधनं २८ catqa | ज्योति्टोमादि-कमणामधिपति-मृतरत्य्थः -द्ति वि०।

aaa aaa दति वि०। “aa”: sia मघनाससु खष्ट{व शतितगभ नष, ,१,१०) |

२प०४,१,२ | | eaten: | Boy

र्र्‌ श्र रेव

अय्ससोमः तेसुतःपिब १६०

2 RR रे

1 Garay | त्यच्छारे१रदम। वरम मारेदाद्‌ ˆ :

RT RR

दिवो१। दासा३१९९३४। यर। धारयान्‌। अया-

~

RR 2 दशम ससो३१९२२४। मदै द्रारताद्‌। स्तता३१ः।

पिबाहे। चओारेदेश्वा ऊरदेश्पा २१

४. ब्‌ र्‌

Il यस्यल्यच्छापृम्बरग््दादइ | दिवोदासायरन्धयन्‌ ` ` `

४५ भरर

MAINS | AL! द्रताइद्र। सरतारर४चओद्धोवा |

+

पौर्वा २२॥

५. र्‌ 5 श्र २९

111 यस्यत्यारच्छाम्नरग्म्दाद्‌ | दिवोरदासायरन्धयन :

-- ~ --------- er ~ ~ ~

१६० WI दस्य ४,७,१५.१।

८०६ सामवेदसंहिता [५प्र०१,१.२

2) रे ४५ १२

WAIN! ALI RUN! YAR! पा

wT 2

रद वारदे४अदोवा। TRAVAT २२॥

५४ र्‌

?.24. IV याशखल्यत। दोह शम्बरग्मदाईए। fear

द॒द 4c

दासायरन्धयन्नयारसा रसो az द्रतार४। अो-

< R दे BAT! सुररेश्ताः। पिनोरे४५इ डा २४॥ १६०

दे “aR! “a” “qe” सोमस्य “ae” पानेन जनिति ea सति “शम्बरम्‌” sau) “दिवोदासाय रान्न “रन्धयन्‌” [रध दहिसा-संरादोः (दि०्प०) |] हन्ता भवसि [त्यदिति क्रिया विशेषणं (९) ] तत्‌ प्रसि यथा भवति तथा हे “इन्द्र” se apes

Cea” “सोमः” “a” a@ea “ga.” भभिषुतः। अत

एव (२) १६०

I, IL, ULV देवोदासानि चत्वारि!

(९) -“अब्बरम्‌"-दति निघण्टौ मे नामसु (१,१०)- उद क-नामसु (१,१२)- बल-नामसुच।(२,९, पठितम्‌| यसुरभित्यपि मेघ-नामसु{१,१०) द््ते aa a | (२)--'त्यच्छन्द gag: * * * तं weata’-sfa fae |

270402] छन्दश्राञखिकः। ८०७ अथ ततोया

नमेधऋ्षिः।

१२. 3 १२ णएद्रनोगधिप्रियन्सचाजिदगोद्या1 |

रेख १२ ष१्र रर

गिरिनेविशवतःपुथुः पति वः १६१

ध्र २१९

Tega: | गधिप्राररेया। साचाजित। wart:

ए"

दारर्या३४। गिरारेष्द्रनेवाद्‌। आअताःपाथुडः TH.

XT र्‌

रतारर४अोोत्रा। दौरदध्वाः २५॥

Il ee नोभ गधिप्राया। साचाजित। अगोद्दायी

* "प्रियः" इति, t “'दगोद्धाः?-दति, ऋम्बे Stat: UIST: | $ ““विश्वतस्युथुः"-दति च,

९६१ उत्तराच कस्य ५,१,१९,१ = कम्ब दस्य ६,७,१,४ = ऊदे ५,१२

ना साम्बत्त हे,

Get सामवेदसहिता। | ५प्र०१,१,४ अथ चतुथ] | ra) पवतक्छषिः |

९९ २९ १२ 9

यदन्द्रसोमपातमोमदः शविष्ठचे तति

२. ` २५.९२ ९२

येनादरसिन्यारत्रिण*न्तमीमद १६२

त्ती x १.५ Weal) गिराद्रनवौ Weal अतारहः। पार

५र ae | रश्मी दोवा पतिर्दिवार९॥ २९ १६१॥

~

दे “fra” wast प्रियतम ` हे “सत्राजित्‌” avai शत्रणां जेतः! डे “wile” तिरस्कत्ते मशक इन्द्र ! “गिरि” पर्वत श्व “"विश्वतः' सवतः “ga” waa: “faq.” Bie “fa”? aca a नोः sara “arafa’(’) श्रागच्छ।

१६१

# “asafaw’-sfa म्ब Sta: पाटः |

१६२ WITH ६०१,१,१

(१९) - “अदित (६,४,१०३) दूति दधिः |

© २प०४,५,४ | छन्द ग्राचिकः | Ted

Re २१ 2

1 यदृन्रसो। मापारतामाः। मटाःशवाद्‌। छचे- Oo : --

४र

नताद्‌ यादनाहदापसौ | नियत्रिणाम तारमोम। २१११९ दार२२९६५द्‌ २७॥ ९६२॥

हे “am!” “यः” तः “सोमपातमः अतिशयेन सोमस्य पाता हे “विष्ट” बलवत्तम ! [शव afa बलनाम (न०२,९,३) तखमादित्रन्ता(१) दातिशयनिक इष्टन्‌ (५,२,५५) विन्‌मतोर्लक्‌ टि- ara: (६,४,१५५)] kena! तस्य तव सोम-पान-जनितो यो “ae: Safa’ aaa जानाति [हतवधादौनि कार्य्याणि ae इत्यस्य चंततोत्यनेन सम्बन्धाद्‌ “यद त्ता्नित्यम्‌(८,१,६ ६)" दति निहन्यते | श्रथवे तदेक भेव वाक्धम्‌--ड TATA | सोमपातमः सोमस्य पातुतमो य्व Ag: सोमे मौदंयितंव्यस्तपयि- तव्यः सन्‌ चेतति | पुरुष-व्यत्ययः(२,१,८५) चेतसि सम्यग्‌ जाना- fai “मदोनुपसग (2,2,¢¢)-afa मदैः RAAT प्रत्ययः Faq” सोम-पान-जनितेन मदेन^“श्रतिणम्‌'"अत्तारं राच्तसादिक “frefa” fafeafea निकटं हिंसां प्रापयसि “a” मदं atee-

1 श्रात्तारम्‌।

(१)-पाञ्चमिक(५,२,१२२)-बडश-वचनाग्मलय fafa | FORA,

८१० सामवैदसहिता। (११०१,६१ Twat | ufcfase ऋषिः

१्द रेरे १उ २३१ रे ५१५ तुचैत्नाय† तत्ने द्राधीयश्ायुजोवसे | १९

भ्रादिल्यासःसमडसः) कणोतन ५॥ १६२

Rts UT ९९

Yop {१ 1 तुचेतुना यतादे्तषरदेश्नाः | द्राधोयारदेध्यः। मदोपेतं at वा “eae” [याख्ा-कर्मय(नि०३,१९.१.] याचा मदे [यदा। & गतौ देवादिकः(प०)। छान्दसो विकरश्ख लक्‌ (२,४,७३) यामहे उपगच्छामः स्तृतिभिः सम्भजामर TAT: WB ९६२

* “sfafafe’-xftt fac ata: |

“तुचे तनाय"

a ra Stat पाठो | t “Qa, |

९६९ WATS ९१,२८.२। I eratquy

॥। रप०४,५,१५] न्दस्रा्चिकः। ८११

र्रर १२१९ MATA ST | भादोरेल्यासा रः समदसाः.२। छ- x 9 2 ११६९

णोरता५। नाै२४५॥ २८ १९२

डे ““सुमहसाः. शोभन-ते जस्काः(९) हे “mfeure”

०.))

रदिते: पुताः! “ar” sana “तुचे” पुश्राय(र) “qata” [तनो- fea’) तनोति क्रुलमिति तुनः पौरः! उकारोपजन- ग्ान्दसः(*) भरत णव ae at स्तनाय'-इति पठन्ति) तस्मे तुनाय] fara च(५) “जौवसे,९)” जौोवनाय “grata” दोषेतमं तत्‌ प्रसिहम्‌ “my,” Waa “सु ae ^कशोतन्‌"

कुरुत ५॥ १६३

[णिग

(१)-भिबरश-गये awa दृति मड पलःय)मित्यख रूपम्‌ GACT तज ACT: सुपुखाः SUT कुदनेत्यथः'इति |

(2) - “तुक "-इ्त्यपत्य AAT प्रथमं Haw Wa (2,2) |

(१)- दुकि कित्वं “तजिपत्योग्डन्दसि (९,४,९९)"-इति उपधा-रोपः फलम खम. नारद तच उकारोपञनः |

(*)--उपञनोऽच वलं वद्धिः, wire इति भावः तव STMT वस्‌ |

(४) 'तमायेति WHA (FoR, tote) तक्छादियं MLS Tal, WAS areraaea,’-cia fae |

(र) - alee” इति “लम सेऽसे (९,४,९)" भित्यादिना सिम

८१२ सामवेदसंहिता, [५१्०१,१,६

अथवो) विश्वमना ऋषिः। रेद्‌ 9 रर Br वेत्थाडिनिक तीनां वज्‌ दस्तपरिवृजम्‌। 2 रे ९९१९२

अद्र ः¶्एन्ध्य्‌ :परिपदामिव १६४

ert yt 8 4 1 बेत्धारिनिच्छतीनाम वाजदस्तपरिव sat

BRT ETL म्‌ न्युःपरि। पदारेमाभदभी ६५९ २८ १६४

इदानो सषिरिन्द्र सम्बोध्याह- हे “anew” aaqa- wag! निज्छेतोनाम्‌” उपद्रशकारिणां र्सां (र) परिवजनं (हिरवधारणे) त्वभेव “वेत्थ” जानोषे। तत्र दृष्टान्तः अ्रह- रहरित्यादिः। “gay.” (अस्मिव्रदिते सति ब्राह्मणा arate क्म Wal Var भवन्तोति शोध न-हे तुताच्छष्य रादित्य आ- fea: “afcaerfaa’. परितः पदयमानानां यजमानानां [यदा

१६४ ऋम्ब दस्य ९,२,१९,२ |

I waa: ara |

(९)--‹निश्ट तिमत्यु-देवता, तखाः Saati प्ररत्तोनां सारराल्भिकानास्‌- दति fao | ae

२प०४,५.७| न्द ग्राशिंकः Ska अथ yyat | afcfaszin: |

WT WTA VF २२९२

अपामोवामपदधमपसेधतदुमतिम्‌। ¬ 4)

Bh. 8

आआदिद्यारोबुयो AAAI TA १९५

ठे Itt

I अपामीवामपा। खिधाम.। अपसेधतदुमारर- :, ८, :

<

र्‌ g AA | आदो रल्यासा रः | AMTTABTATSATE VAT |

STUART २० १९५॥

परितः पततां पञ्चिणां वजन ख-स्थान-त्यागम्‌] “रद प्रतिदिनं यथा वेति | उदिते सूये पक्तिः wena परित्यज्य स्वतो गच्छन्ति खल्‌ एवं Bate वलेन प्रकाशमाने सति शत्रवः खपुराख AAT पलायन्त इत्यधेः ९६४ | दे “श्रादित्यासः'” आदित्याः) “amat”? रोगम्‌ “अप सेधत अरस्मत्तोपगमयत। “fee” बाधक शच्च अपसेघत। १६५ WAT दस्य ६,१,२६,५। 1 अपामोवम्‌।

८१४ सामवेदसंहिता [५प्र० १,१.८ ween | afaw ऋषिः |

सोममिन ९२ ९९ १९ रे

24 ४.१. पिबा ACAI GUTTA TZ: |

२९९ १९२९१

MAT SAM Gaara = eee प्रथम-द्‌शति

“8 Lh शद c

» of 1 पिबा। सोममिनद्रमन्दतुत्वा २। यन्तेसुषावच-

R र्‌ रिथा। शारेदद्रौः। सोरेरतः। बाहभोदयारम। 2 AUT श्ट १११९१

सुयार्तारर्शभौहोवा नावा२२४५॥ २१

^दूमतिम्‌” रस्माकं दुःखस्य मन्तारञ्च weal भ्पिचद्े

श्रादित्याः ! “नो” ऽस्मान्‌ “Stee.” चापात्‌ “gataa’(’) एव करत ON १६५

१६९ उत्तराश्चिकस्य २,१,१३,१ WaT ५,९,५.१ = आरण्ये १,२,२० --११,२१-१,२ AF २२,२,१- = ऊष १,१०-- ४५२३ |

I बेराजम्‌

(९) --:न्तप्तनप्तनथन (७,१.४५) Chat तख तनादम ETE |

रपण ४,५,८| न्द भाचिकः 1 Ge yu

चै र्‌ , Tl हाउपिना। सोममिन्द्र। मा। दतुत्वार।;, :, ` `

श्ट

दत्वा यन्त सुषावषरिया। श्राश्ट्रौ रः। श्ाद्रौ रः।

ब॒ ब्‌ र्‌

BATRA | TAA: | सुयता३ः। नारंवारद

c ३११९९११

श्रोशोवा। १२२४५॥ २२ १६६॥

“am!” “सोम “faa” सोमः लां “मन्दतु” मादयतु हे “eam!” “a? त्वद्र्थं' “aa.” भभिषवकन्तः “वाभ्याम्‌ wat न” रग्मिभ्यामण्वद्व “gaa” शष्ट परिग्टहोतः(र) “श्रद्धिः"(९) arava “सोमं”. “जुषाव" १९६

विरचिते Teale “~, © ~ ~, ति aherqereray- माधगोये-खामवेदाधप्रकारे CLA GTT

चतु थेखाभ्यायख पञ्चम -खष्डः ५॥ , ¢ Il सोदेघतमसम्‌ | (:)}—ae पिवामि ewa— gan: qee:-xfa वि०।

(3) —wix: प्रथने कवयनमिदं नोवे डवचमस् साने yearn, अद्भिः अधि प्रावभिरित्यथः-दति fare |

८१६ सामवेदसंहिता | [५प्र०१,२,१

रथ षष्टे We Sut प्रथ॑मा | सौभरिऋषिः। RU रर २१० VLR ०१८ अभ्नाटव्योअनात्नमनापिरिन्द्रिजमुषासनादसि | ९२ VL

युधेदापित्वमिच्छषे १६७

ब॒ रे श्ट Vt = + ~ , :‡ 1 भभाटठव्यो५श्रनातुबाम्‌। -अनांपिराड्न्रार।

UU Hl नुषार। सना२४५्‌। भार्द्सो, Awe

पित्वमिच्छसे। युधा१॥ ३२ १६७ |

हे “wg त्वं “जनुषा” जन्मने “TES.” (“aq सपत्र (४,१,१४५)"-इति ब्यन्‌ प्रत्ययः) सपन्न-रहितः “श्रना” भनेतकः [“ऋलग्डन्देसि (५,४,१५८)''-दइति कपः प्रतिषेधः] अनियन्तुक rad: “safe” बन्ध-वजितख “सनादसि” चिरादेव भराट- | व्यादि-वजिलोऽसि aw त्वम्‌ “afta” बान्धवम्‌(१) “ce” १६७ उत्तरा्चिकस्य ६,२,४,१ = Wa TA ६,२,२,४ = WITH २,१६ = ऊश9,१० | I भ्रब्राढव्यम्‌।

(१)--“न्नातिलम्‌ -दति fae |

20 8,¢,2,] छन्दभ्राचिं कः | ८१७ अथ द्ितोया।

सोभरिक्छषिः।

१९४९१ हरर रर ३२९ ३१ २९

योन दमिदंपुराप्रबस्यश्रानिनायतसुवसतषै | ee

VR ९१२२१२९

सखायदृन्द्रमूतयं १९८

a

णर रश sf 1 येनोदाउ। ceva इदपुराररदाड। प्रवा।;:, र्‌ TAMARA | निना। निनायतसुवाररशाउ। ब्‌ - हः ` शद्‌ स्तृषाद। सखायभ्ाररचादई। द्रम तारेश्या२४२द्‌ |

: ओर४५द्‌ डा २४ द्‌ ४. $ Il योनाडददमिदंपुरा। योनददमिदार°पृरेरा। वस्यभानिना यतारमूङेवन्तृषादई्‌ निना यतारम्‌

इच्छसि aa “Tia -युेनेव(र) qe कुर्वत्रेव स्तोढणामधाय AST भवसोति॥ १॥ १६७.

१६८ ऋग्वे दस्य ६,२,२,४ | ना शार्करे (9) च्छन्द दह CATT: | १०२क,

uot araacea feat | [५प्र०,१,२,३ अथ ततया सोभरिक्छेषिः |

रे 2 ३१२

+ ८1 श्रागन्तामारिषष्यतप्र्ावानोमापसातःसमन्धवः। Rt र्‌ हठा चिष्यमयिष्छवः। १६८.

९१९ २१९ SAS षाद सखायारः। WRT! द्रेमृरताभयाई YET WRK HORE

“agra.” सर्मान-ख्याना © ऋलिग्यजमानाः | “वः” we “ou” पूवम्‌ “seq इदम्‌" दशनौोयतया विद्यमानं “वस्वः” aaa: (वसोरौयस्नोकारलोपन्ढान्दसः) प्रस्तं वसुनोऽख्मन्‌ “शप्राखिनाय' प्रकणानोतवान्‌ | “aq” तमेव धनानामाने- तारम्‌ इन्द्र “वो” युभाक धन-लाभाधम्‌ “aaa” THETA

~~~ RE, गण

+ “Slat -cfa, "+“स्िराचिन्नमयिष्शवः“-दति ०।

१६९ WATT ६,१,२६९,१ |

*॥ दूति ग्रामे गेये दशमः प्रपाठकः}

ATH, 4,2] eruifea: | ८१९

४र श्र + ee र्‌

1 श्राम्‌ आगन्ता। मारिषण्यारेदना प्राखा- 7 '

रर श्र रर 9

वानोमापय्थात्‌। सामन्यावा रः। इढाचीरेद्या३। मयोवा |

ष्णा पूवोर्‌ दाद्‌ १६५

हे “श्रखावानः” प्रखालारः प्रगन्लारो(*) “awa”: ८६ 39 ८८ 99/8 ~ आगन्त श्रस्मानागच्छन्त। “मारिषणख्यत'*(र) अनागममन

9 99

asarer हिसिषत। हे “समन्यवः” समान-तेजस्काः समान क्रोधाः! वा “egifaa(’)” eorafe पवतादौनि “wafers.” नियमयितत्वथौलाः ! निवमयितारः | “मापस्थात' sara मातिष्ठत श्रस्माखेवावतिष्ठष्व-

मित्यथेः २॥ १६८

I ठहत्‌कम्‌

(१)-*शव. शामृपरि Vere गन्तार इत्यथेः-इति fae (र }—“ Stag frags बण ति रिषष्छति (9,8,2¢)"-<fa सिद्धस | (२,- एड चिच्छन्दोऽपय्ः। '“विदित्येषोऽनेककम'"-द्त्यादि नै०९,५।

a + 5

८२०१ सामदेदटसदहिता | | [yo १,२४

अथ वतुथों सौभरि ऋषिः |

TRF SBR ३१२३९१९२

77 आयाद्ययमिन्दबेभपनेगोपतउवं रापतं |

8 सोमदसोमपते पिब ४॥ १७०

४द द्‌ २९

र्‌ Vi /, 2. 1 आया अयमिन्दवे। आपाररेताद्‌ |

R १९ डद

गोप

शर्‌ तउ रवाराश्पाताररदर। सोमाइम्‌। सोमपः

t 8 ४९ र्‌ R | पारताररश्श्रीष्दोवा। पौरदथ्वा

रर 8 रे |९ 4

-->- र्‌ रे र्‌

Gal Wl वेरारेशदारद। gears

—— ey [चवे ay ee ene re a ne Se

# “यादोमदन्दवो "दति वेदौ व-पाटः

१७० WMATA ६,२,९१२ |

रद

11 rate याङेमादृन्दारेवे। अश्वपतेगोः

ARAVA

ee nl

२प०४,९५ | कन्द ाचिंकाः। ८२१ अथ पञ्चमो

सोभरिऋषिः# |

५५

२. BUT ररर १२ त्वया दखिद्य जावयं प्रतिश्चसन्तेवृषभन्रवोमरि | 402 a g . 9 YT

WE! सो। Al Beeler! पारद्शद्वा। एदि

याईदा। MYT! TUN

2% 717 आयारद्ययमिन्दा्वाई्‌ | अश्वापाश्ता रद्‌ | गो ; ध. 4 8 ति पाताऊरे। वंरारपारदेधताद। सोमरसोमा२१। प- . रे

ATE पिबाहग्रोररध्वा ऊररध्पा। ऊपा १७०

N99

“saga” अश्वानां खामिन्‌ ! “गोपते” मवां पालयित; “sa- waa” सव-शस्याढया भूमिरुवरा तस्या; पते हे इन्द्र ! “TRA” दोप्राय तुभ्यम्‌ (aa सोमोभिषुत इति शेषः) तस्माद्‌ “त्रायाहि” सोमं प्रत्यागच्छ, sia “सोमपते हे इन्द्र! “सोमः

“faq? १७०

aT

“प्रयोगोनाम azfa.”-sfa fac |

TILT सौयवसानि afar.

TR सामवेदसंहिता | [amet १२०१

R श्ट WVU

सरस्येजनस्यगोमतः ५॥ YOR

Xk 9

1; 1 त्वयाहखीत्‌। यूजावयम्‌। ` प्रातिश्रासार।

| ओ; र्‌

ATTH ब्रुवोरमा हार४द। ALB! जानस््र-

+ 2

गोरदे्वा ATRBBAT: ॥५॥१७१

“gan” afaa: ! हे इन्द्र ! “गोमतः” गवादि-युक्लस्य जनस्व संख्ये” खाने यु (\) “श्वसन्तम्‌” wang प्रति क्रोधातिश- येन श्वास-कारिण wa “युजा”८९) weraa “aa खित्‌” त्वयेव खल(र) वयं “प्रति qatafe” प्रतिवचनं aa: निराकरि- च्ामष्ूत्यधः ५॥ YOR

[ ) वि . [दि वि वि भो मिम पीवर me

१७१ भ्रेदस्य ६,२,२,१ = यजुवेदस्य VL |

I घनुसाम।

(९) -'सुन्िष्ठन षव योडारः संख्यः सङ्गमः, afer संख "इति fre | (२₹)-यश्यत एति यक्‌ सहायः, तेन यजा | (३२)--शखिदयः oferta | 'खिदिति पदप्रशः' इति fae |

२प० ४,६,६| - न्द प्राज्चिकः | ८२३

खथ ष्टे | BRUT RTE १२ गाविद्रासमन्यवःसजाल्येनमङ्तः+सबन्धवः। “OF

2१९२ ३१९ BR

रिदने%ककुभोमिथः १७१

< RT UE

४द्‌ 1 गावशिट्धासादमन्यवाः। सजाल्येनमर्ूवःसवन्ध- } :. . २९ x & | वारदेषोद। रिश्नेकाकृदेभो। भिथा। Weer! 8 WaT! डा॥ ६॥ १७२

“समन्धवः” समान-तेजस्काः समान-क्रोधा वा हे मरुतः | “arafaa” गाव यु्रस्मातुभुताः(२) “सजात्ये न'” समान-जाति- # ‘areata सौभरेराषम्‌-इति fre | 3 i रिश्ते “मर्‌ तः"-इति t “रि शते"-दति ऋभ्व रे.सरभेदटेन TST |

१७२ WT दस्य ६,१४०.१ | I सवेशोयम्‌ | QR wanda afer उच्थन्भ | frase उपमायाम्‌ आदित्य- CRIT, © © ® च्ादित्यरष्मय इव सपे सदोक्नादत्यर्थ^-टति वि ¦ Care”-x far रभशििभनामद् TALS मे षष्ट. कर (2,4) |

7 es

ed

८२४ सामवेदसंहिता) [ ५प्र०१,२;७ wa सत्रमौ। waa मेधऋषिः |

९२९६१२३९ २९ ९९१

AATEC AAU UAH ATT |

°”?

aa एकस््राद्रजत इति(९) एवं “सबन्धवः” समाम-बन्धकाः सत्यः “ककुभो” दिशः(२) प्रा्यादि-दिगभागान्‌ प्राप्य “भिः” परसरं

"रिते" लिदन्ति (घति पूरकः LOR

“कृमेधस श्राषम्‌”-इति fare | t “भर्नोजो"-दति ग्ब दोय-पाठः, सायणौवोत्तर- भाष्ये च।

(२)-"सवे षां कथं समागजातिनम्‌ ? CHUA पभ: सकाश्टाष्लायमानलात्‌ दति fae | | (३)--ककुमः प्रधामसृताः, आदित्यरश्मयः, * ०.०, अथवा ककुमो fer, दिक्‌ near दिन्बासिनो यजमाम।शच्यक, ताम ओखादयन्ति उपञौवनीत्यद। कथमु पजोवन्ति ? उश्यते - मिथः सुदभृतादतयर्थः। अथवा भाव रब gaat VA, सजात्यः सपचाः पुव-पोज-भागादि-खदिताः'-दति fae | (४)--खज विवरक्रूत्‌--“खा-रत्युपसरम श्रते भरेत्याश्मात मगुरूष्यते, चामर बौर पुजम्‌ , Bet gaa? पृलनासं पृतना इति oe Taare, तदिन बव मभिभवितार भित्यर्थः-इति |

रय ०४,९;७] छन्दप्राचिकः। ८२५ 2 2 रे

आवोरपतनासदम्‌+ ०॥ १७९

ui शद

1 लन्ञदै। द्रश्नाभारररा। आजोनम्णम्‌। शात- ^, ८.

१२९ ¥

AUS! वोचर्षाररट्णाद्र भावोरपारेशारे। तारः

ड्‌ भर॒ रद | »

APRA TAT सारदेश्डाम्‌॥

8 शर्‌ R र॒रे 1 MARR अभारदेरा। श्राजोनुम्णम शात R १२९३ WT UC ac

AAS वीचणारदश्णाद। शआवौरार्रम्या। तना-

(न. TAA! MRNA! MT! डा १७९

डे “शतक्रतो” बहु-कमेन्‌ ! “विच णे” विविध-द्रष्टरिन््र “a” “नो” ऽस्मभ्यम्‌ “sara” बल “ave” wag “श्रा भरः

* .“पतनाषदम्‌”-इति sera दौयः पाटः

१७द उश्रा्चि कस्य ४,२,११,१ = BA दस्य ६,७,२,४ = HE ४,१८ | Ll srt १०४क,

TRE maazafear | [ 4m02,2,5

अथा्टमो | रेर २९२९ १२१९२ BRR 66 अधादोद्रगिर्वणडपत्वाकामश्मरेसद्ग्मद्

२९९१९ ३९

उदेवग्मन्त† उदभिः ८॥ १७४ ४५२ ¥ XY रेरर श्र 1, ; 1 अधाहिया। द्रगिरवारेरणाः। उपत्वाका। मै.

AVC! स्टग्मा रराद ऊद २। TATRA:

` BERANE! | इडाभ्मौः। Ty! Wied # दर र्‌ < १२९ .. 7 मधादोन्द्रगिर्वारणाः। उपत्वाका। मारमा wet) “att” वर्यो पेतं “एतनाखदह'” सेनानामभिभवितार

arg “ar? इया मष्ट इति भेषः(*) १७३

॥, क्ष्यसि

* “कामाग्मश्चःसष्ज्‌ मद्धे”इति wat दौय-फठः। ग†"“उदेबयन्त"-इति wea दौय-सायणोयोत्तरभाभे

१७४ SUIS HHT १,१,२२,१ = RAC ६,७,२,१ = अद १,१., = ०५२१८ |

२प०४,९.८] न्द्‌ ्राखधिकः | . ८२ 9 १९

BTR सादटग्मादा HT | ऊदृर्वाम्मार२। तथ्ावा।

|

ZYME STE ve

a oe ररर

III अधाद्ोन्द्रगिवणाईए। उपत्वाका। माद्‌श्मा-\! ˆ.

WAT! साखटम्मारेरे४दाद। उदौरेष्ो। asada |

३२ धरर १११११

WIR | तजरश्मौद्ोवा। दभौररे२३४५॥ ११ ॥१७४

डे “Haq” गोर्भिवंननौोयेन्द्र ! “अधा हि"). सम्प्रति “av at “ara” काम्य निमित्ते। [यद्वा। काम इति सुपां सु(०,१,२९) कामान्‌(र)] “Kae” या चामह (२) किच्च याचमानाः सन्तः “उपसखग्महे"” उप waa स्त्‌,तिभि

wit संयोजयाम इत्यथः तवर दष्टान्तमाह--““उदेव' यथो- `

11. ₹रेषिराणि तौरि।

(१)- "खघ इत्ययं प्द्पूरलः। waa way «fa fao |

(९)--“कामः-परयेकवचम fad दितोयेकवचनसख स््ाने दयम्‌, कामं काम- शब्दनाव काम्यमानलात्‌ VARGA कामं धनम्‌'-- दूति वि०।

(२)-- "डमर" -इति यादा-कमेसु प्रथमं Tae कम्‌ १,१९ |

ae |

TART सामवेदसंहिता | [ume et 2,2

शष aaa | ; इयोः सोभरिः!

र्‌ ९९२९ 2 8२ 8 tk

VMSA वयोयथाश्गोाश्रीनमधौमदिरविवक्षणे।

XLT अभित्वामिद्रनोनुमः ie १७५

र्‌ 9 र्‌ श्र RT

A Te 1 सादृष्ट्र। cada, योया्था। गेश्रा दूतेम

Rt | ४९ ४४ RB ९९९१ द्‌ धौमदिराद। वाडवक्ञ। णार२४५द अभिल्ामाः र्‌ 2 ११२१९१९

नद्रारन1३। न्‌३४५। मार२५४५;॥ २२

दकेन “raat (*) गच्छतः पुरषाः “उदभिः श्रश्छलिना उत्‌- facies: समोपख्धान्‌ ater deaf cefea |

WSHAY”-xfa Tea: पठन्ति ter १७४.

EN Ee nea et

« “aSy’-sfa wea eta: 5 स्वरे We: |

१७५ ऋग्बे दस्य 252,254 |

(५) --^न्दस्यभयथा (२.५,१९०)१-इति सिद्धम्‌|

27° 8,é,¢] छन्द ्रािकः ८२९ aT ४५ ४५ | TB Uz

Il सीदन्तस्ते वयः। यथा२। Tegel ओरीनेमधौम- ९; .“.

४५ RR 4

९. 2 2 दिराद्र। विवा३। agi क्तार्रश्णाद्‌। अभो

a ® $

2 शारद Alesvali द्रनेार। नूरर४माः। उ.

% RATERS | वा ez Noy

हे “इनदर!” “APRA” (खो पाके। Whaat दधि पय गोशब्देनोच्यते। तिन) दक्ना पयसा Na भिखिति “मदिरे” मदकरे “विवच्ते""(९) सखर्ग-प्रापण-शीक्ते त्वदीये “मधौ सोभ “alee” निवसन्तः। सदने ृष्टान्तः--“वयो- यधा पत्तिणो यधा एकत्र सङ्कोभय तिष्ठन्ति तदत्‌ सौदन्तो वयं ‘ary “श्रभि" श्राभिसमुख्येन “नोनुमः” पुनः पुनः wat at स्त॒ मः॥ < १७१५

17 सोदन्तोये दे

(९)-वक्रमिच्छते-दति fate |

+98

TP. alaaza feat | [प्र १,९०१०

अथ दश्मो। ९२२ १९ रख ९२ Re रे | © रनकञशिद्चरन्तावस्य वयमुत्वामपूव्य स्थ.रनकशचिद्धरन्तेावस्यवः।

वजिच्चित्र+ दवाम्े १० १७६ दवितोय-द शति

रर BTL रर

4, 1 वयमुत्वामपूनिया। स्थूरन्नकचिद्धरन्तअावस्यावा

RR x 8 रे

vee: | बजिन्‌। चिचारेम हारेरेवारे। मा३४५

% BIC CTT it es i

४४५४०४२५ ब.

7 वयमुल्वामपून्यस्धरन्नकञचिद्धरन्तः। ओवा डट्‌

र्‌ RRR १९९९ र्‌ दाद अवस्यावारद४५;। दारद्ादर। वजि च्िचारः

« “@sifaa’—sfa we सायणौोयोत्तर-भाष्ये

१७६ उत्तराश्चि कस्य १,१,२२०१ = WA TA ६,२.११ = ऊदे १,१८-२१,१०।

I पकथसाम। II aaa

२प०४,६,१०| कन्दभप्रा्चिंकः। ८२१

१९९१ २९ र्‌ ३४५म्‌। दाददाद वादे! मारदृष्डाद। उड्‌ | 4

ANTS | वा॥ १५।१७६

~

दे “वजिन्‌” वय-युक्त ! “quar” fay सवनेषु प्रादुभूत- त्वादभिनव ! “भरन्तः” daa cae पोषयन्तो वयं “Fay” चायनोयं fafawed वा “त्वामु” त्वामेव “श्रवस्यवः” अवो रक्तणमाकमनग्च्छन्तः सन्तः “वामहे” त्वामादयामः तत्र दृष्टान्तः--“खधृरं (९) यथा भरन्तो ब्रीद्यादिभिग्यहं परयन्तो जनाः “ख र" स्थलं गुणाधिकं “कञ्चित्‌” कचिन्प्रानवं यथा water तहत्‌ १० Oe

दति श्रौसायखाचाय्य-विरचिते माधवोये सामवेदाथप्रकारे कन्दोग्याष्डयानं चतुथस्याध्यायस्य षष्ठः खण्डः

दत्यो णिह काकुभम्‌॥

नषि णगि वायक a ASS

सखादोर्टादशख क्षु चरमा नतमित्यसो ! उपरिष्टादहत्यान्नाताः सप्तदश Temas)

a --~~

(९)- ख, ज्छन्दर्‌ श्तरवचनः" स्ति विवरश्कारः। आज समते “्यृरत्र"र्ति पाठः |

(क)-“खादोरिरथा"-दति ततौयदष्दारभ्य “नतमंडो"-दति चतुथंद त्यन्ि- मानता WHR छवः, तव ““नतम्‌" इति असौ अनिमा ऋक्‌ उपरिष्टाद्‌ च्डतो-

८३२ सामवेदसहिता। [ume १,२,१

चन्दरमानतमित्ये ते वेश्वदेव्यो(ख) प्रतोत्यसो | श्राश्िनो(ग) तिखभ्रागनेय्य श्रातेश्रम्नदधौ महि आगन नाम्नोन्ततमित्येता(घ) मरे नोरथ चौषसो।

सोमो भद्रव्रदत्येषा(च) frertereetfcar(e)

तजर सप्तमे खण्ड -

Sur प्रथमा | अआदितोगोतमोनामच्छषिः सम्परिकोत्ति a: |

₹२ ९९ १६२

+ 040 खादोरित्याविषूवतोमधीःपिबन्तिगोयंः

% “मध्वः”-इति wea टरौय-पाठः |

SST | अपराः SHAN वः THT Tig च्छन्दस्काः। रति दन्दः-सहतः।

(ख)- “खन्दरमा?-इति नवमौ, ५'नतम्‌” ति खष्टादण्यौ शते wet शरवो. अनयोः fay देवा देवताः |

(अ)--““परतिभ्रियतमं"- असौ दशमो ऋक्‌ आश्विनो अध्ि-देवताका |

(a) “snare dtafe’-xfa caret, “याग्नि म^-ति erent, चाद्रि माम"?-द्ति BASH रताः तिख ष्यः GY य्यः)

(ङ) “मदनो अय०-दति watt ऋक्‌ Whe उषोदेवताका |

(व)-“मद्‌' मो'-र्ति चतह शौ Kaya सोमौ सोम-रेवसाका |

(क)-जिष्टाः दम्‌ इवः न्द्राः इन्द्र-देवताकाः खदोरिताः मन्त्रदष्टिभिरित्यषः। -इ्तिदवत-सङकतः। |

२प०४,०,१)] दन्द भ्राचिकः। ८३३

श्र रेट ३१९३ २९२ 3 २३९२३ २९ यादइन्दरेणसयावरौवष्णमदन्तिशोभथा^वसखौरनुखराज्य- म्‌ १७७

४ैर ञ्य टेद BUNT RR

धर I खादोरित्थाविषू। वताहेः। मार३४। ofa `.

श्ट दर र्र्‌ R र्र्‌

बन्तिगो रियाः। यादन्दरण सयावारदरौः। इष्णा

tz

मद तिशोभाररथा। वखाद राश्‌ २। खाराजियम्‌ |

श्‌

इडाररभा२४३। ओरर४५इ६्‌। डा १९॥ १७७ “argh” खादुभूतस्य Taga “दधा विषूवतः” इत्थमनेन

प्रकारेण सवषु यत्तेषु व्याियुक्नस्य(\) “मधोः” मधुर-रसस्य

सोमस्य (‘feared कर्तव्यमिति" कमणः wera

aqua ष्टी) एवं विधं सोमं “गौर्यो गौरवर्ण गावः

He “श्ोभसे"-दति Go!

१७० SAU कस्य २,२,१५,१ = WAT CGE = आरण्य १,२,२१--२,८,१ ०--२,१५-- LONE

I यामम्‌

(१)--जिष्वत एति बिष्‌लृयाप्तावित्यद्य ( श्वा० Se) | Fea,

(न्नः

#410

८३४ सामवेदसाता | [भप्र०१,३,२

अथ दितोया | ३श्ठ 8 Ss १२ 2 ११५९ दूत्थाशिसोमदन्मदोानब्रह्मश्चकारवडनम्‌ |

tt श्र २३६२११२२ षविष्टवजिन्नाज साप्रथिव्यानिःशशासदिमचन्ननुख- राज्यम्‌ २॥ १७८

१९ शद

रदनाम शविष्ठव चिन्नोजाररसा एथिव्यानिः

“पिबन्ति” या गावः “au” कामाभिवषंकणेन्दरेण “सया- वरो ae aww: सत्यः “मदन्तिः इष्टा भवन्ति। ताः “इन्द्रो तस्य" सोमस्य (वेषं पिबन्तोत्यधः ““ओोभधाः'” [वचन- व्यत्ययः (२,१,८५)] इन्द्रेण सद शोभन्ते “Tah” पयः-प्रदानेन निषास-कारिष्यः(र) ता ara: “aur” स्वस्य ware TET राजल्वन्तद्‌ “Tq” ae अ्रवखिता इत्यथः १॥ YOO

ere ~>

* “मदोन्रह्मा-दति we |

१७८ उन्तराखि कस्य १,५,२९,१ |

()}—‘afeafa धन-नाम (नि०२,१९०,१५) धनवक्यः'- ति Fare |

RU ४,७,२] छन्दश्रा्चिकः। ८३५

x

शशाञअदिम्‌। अ्चानाश्न्‌र। खरोदोर। जियमो- २२४५द्‌ STU १७॥

rR ट्र ₹९

Il इन्धादिसोपधरमदग्मदाः। ब्ह्मचका Tagtes-\°

नाम्‌। शाकिष्ठाररेध्वा। जिन्नोजार२४सा। परथिव्या-

१२९ R 8 निःशश्रा्दिम्‌। अर्चारडोद अन्‌रडदो। खाराजिः

R यम्‌। इडारदेभा₹४३। भओर३४५इ डा १८॥१७८

हे “शविढ' अतिगयेन बलवन्‌ ! “वचिन्‌” anaferg ! “त्था हि” दृत्यम्‌ एव Waa श।सतरक्प्रकारेणेव(९) “सोमे” त्वथा wela सति “मदः” [मदेः स्तति-कमेणः(९)] स्तोता(*) “aga” तव ठडिकरं “am” era (५) “चकार अनेन कत- वान्‌ (इदिव्येतत्‌ पद-पूर णम्‌) ्रतस्वम्‌' ्रोजसा''बलेनपयिव्याः

ct

LIl waage aet |

(९ —fe शब्दो यस्मादयं ‘cen eae दति fac) “xrar’-cfa सत्य-

नामसु पञ्चमं AAW कम्‌ (३,१०) | (२)-“"मदति''-द्ति खच्चति-क्मसु ऊनचत्वारि शततम TAS HH २११४) |

(2: —“az सप्रमो चयं “ay भावेन waeawufafa, *** सोमे sqafeq-

a -tfa fao | (५) -- बह WRT माश्य-शरब्द-पयेायः | गःनम्ख परोच-स्पेण GANA

aan

८३६ सामवेदसंष्टता 1 14792, 2,2

अथ aatar | 8k 3 ९२ Ve श्र ar दद्र मदायवावृधेश्वसेव्रचद्ान भिः। रेड BVT रद RIT ATRL? तमिनदत्खाजिषूनि1मभेदवामदेसवाजेषुप्रनो- विषत्‌ १७८ सकाशात्‌(*) “अहिम्‌” आगत्य हन्तारं aa(9 “निःशशाः'” निःशेषेण शशाः(०) मा बध्वेति शासनं कत्वा पृथिव्याः सका- शात्रिरगमयग्त्यथः fa कुवन्‌ “खराज्य”” स्वस राज्य राजत्वम्‌ “aq” ल्य “भषन्‌” पूजयत्‌ स्ल-स्वाभित्वं प्रकटय- तरित्यथः १७८

# “गोतमस्याषम्‌"-दति वि०। mn i “वतेति RANI पाठः, उत्तराग्रग्ोय-सायसश- waz |

© ~ १७८ SHUT कस्य २,२,१४,१- कम्ब दस्य १,६१.१ = श्रार णय कं ३,१९ = ऊहे १९,२,४ = HW १,१२--१३। निदिशसि-गोतम-नामा ange: चकार करोति; किं! सामथ्यात्‌ शोच दति fae | (५)-- थिवोौत्यन्रिस्-नाम, wafcara’. इति fao | °पथिवी"-दति qaa- रिच-नामसु Way मेषण्टकम (१,३) | ()—wfea मेषम्‌. दष्टिमित्यथः'द्ति स्यष्टठसर fac) “अहिः इति मघ- मामसु रकविंतितमं saw कम्‌ (१,१०)। (७) “भ्ण TATA ate Te) दूत्य रूपस्‌, Wael तख च्यः

RGo 8,9,2 | छन्दश्राचिकः | ८३२७

र्‌

Eg x

8 र्‌ नभीः। तमिम्मदत्छवार। Stee ऊतिमभे दवा३ |

२९

माषद्र। सावा। जादूषुप्रनोररश्वा। ATTA BIE

१८

ut रर

४४ ब्‌ 1 इन्द्रोमदायवारे। वाद्राद। अवसेबत्रदा२।.. |

2 Il दद्रोमदाधयवाड़धाद। शवसेत्र चद्दान्‌भो-\ . ˆ ˆ

,

३४: \ ताम. LATRTR ROTATE छाउ SIRT |

tt ९२

Rt ऊतिमर्भेचवा१। मार्डाद सावा। जादषुप्रनोरर-

y 8

चै BAT | वा५इषोद VTE २०

ङ्‌ र्‌ 8 श्र 2 111 दृदद्धोमङाधयवाव्रधाद | WIT | चदा नृभिः :

१४९१ ११९१

STM | शओदोवार२४५। द८९२२४५। तमिन्म

a पी ———

1.1 आभौकेदे।

८२८ सामवैदसंहिता। [प्र १,२,३ ११९११

इ) त्सुवा रजिषु। आभ्रौर्ो। दोवा २२४५

RF ११९९१ र्रर रेर ९२२ 5

इ९२२४५। ऊनिमभं। दवा रमदे। आओोरदो

च. ११९९ ६३ १९११ र्द 8 an

अद्ोवार२४५।. द९२२४५। सवाजेषूप्रारनोरे। वा-

| 4 ३४५दषो& दाद्‌ ॥२१।

४५र ४५र दर दथ १९

Lo TV इन्द्रोमदायवाबुधे शवसेव | चद्ान्‌शभी रः तामि # 4

ae! त्तुाशजिपू३। ऊतीमारर्भार्‌ इवा रमा

र्‌ 8

खाद्‌ सवाजेषप्रारनोर२। ATSBYTATE ETT २२॥ Ys र्‌ .

RR V qaleqees | मदा। यवावुधेशवारसार३४

२5

$ R द्रञर। ara) Bret! आर। ओद्धोररश्वा |

रर्‌

$ नु भादः! तमिनरदत्खाजिपषूतिमारेदर्भोद्र | इवा चौ

LLLIV आभोशवे |

qe ४,७, | Beas: | BRE

` CCT Wa) WI! Wreessatl मदाद्‌ सवाजेषु

प्रना२। MYST अ३। भोदोरदध्वा वाभ

+ § TTT २२

"x

४1 इन्द्रो मदाय वावादुदरीद्‌। शवसेव्‌ : , ^

र्‌ ५द्‌ BT १९

चदानृभोद्‌ः। eset 'होवा। तामिन्मद। न्मु

ut र्‌

भ्रारजिष्‌र। दाउदो। gat; ऊतिमभं। चवा-

ONT दद्‌ CC TR

Mel चाउदो BA! सवाजेषुप्रारेनोरे। वा३४

UTA STE Vs

ACT

VIL ओडाद। इन्रोर४) मदाय। arareatz

श्‌ रद्‌ ध्र ४ब RT RX J

शवसन | चदान भीरः। भआउदी। दोवा। तामि

~

V, VL VII वाहदविराणि त्रीणि |

Tyo aaAazafeat | [uno १,३,३

^ RT रे. द॒श सुभा ९जिषू२। आउदौ रोवा ऊतिम $ रे

भाद्‌ | wat) दोरवा। माद्ारद्‌। सवाजेषप्रारनो

विषात्‌। भीररदोवा। Wu! डा २५॥ १७

‘qag” हचस्यावरकस्य afefatuag भेघस्यासुरस्य वा हन्ता) [यहा। भ्रावरकाणां (९) गजना हन्ता इन्द्रः मदाय eae "शवसे" बलाधच्च “तृभिः” awe नेतृभिः ऋत्विग्भिः “वाहे” स्तोज-शस््-रूपाभिः स्ततिभिः wafer बभृव स्तुता हि देवता प्रा्वला सतौ प्रवते ““तमित्‌'” तमेव इन्द्रं “महक” प्रभूतेषु “राजिषु” सङ्गामेष “ऊतोम्‌" अस्माकं रचकम्‌(२) “हवामहे” wrwarae तथा “तम्‌” इन्द्रम्‌ “शरभ” We

9

सङ्गमे “हवामहे” अ्रस्माभिराइतः “a” चेन्द्रः “वाजेषु” स्का मेषु “ar” ऽस्मान्‌ “प्राविषत्‌””(*) प्रावतु प्रकषण रछतु URW १७८

(१)-- "खनो मेष-एति Fear, बा्टोऽशुरदत्येतिराखिकाः; wat whee भि्रौभावकमंखो वषं कल जायत, तबोपसायेन Uxaes भवन्ि"-टति ere: (बि. Rte) |

(२)--५बिष्लं भर भवति विभतहवः आद्चिवानपववार। तद, वो ्योतेवा awa वा वर्धतेव। यदटणोत्‌ ay ewe टमलमिति विज्जायते"-(नि ०२.१७) ति यास्को दकि तरैरिध्यात्‌ |

(३) कतिम्‌, दितौवेकवखममिदं aa area साने रष्टय ; ar पालनाय'-द्ति वि०।

(४)-खअवते @ fe Saat

२प० 49,8] SRA कः। TBR

चतुयो * | २९२२२९२ LR ‘. ^ इनद्रतभ्यमिद दिवो नुत्तंवजिन्वोयम्‌। “८/4. श्र ३रेरद १२२८२ द२ B UT RTS R ४. 2 3 यद्धत्यं मायिनं ग्टगन्तवत्यन्मायया। वधोरचन्ननुख-

राज्यम्‌ ॥४॥ ९८०

wae

1 इनद््रतुभ्यमिदद्विवाईए। भनुन्तंवजिन्वीरियम्‌ id) ^.“ `

> J र्‌

यद्ाल्याश्म्ारे। «= ATTA BNA] तवा्याश्न्मार।

रर ह.

यायावधोः। अ्चानाश्न २। खाराजियम। इडारः

र्‌ x , रेभा२४३। ओ२२४५द्‌। डा २६॥ १८०

“मौत मस्याषम्‌-इति fae | ‘ANAT मायया”-दइति ऋ°

९८० Wa द्स्य १,५,२०,२ |

I खाराज्यम्‌ १०६क

v e a +~ 6 i

TBR सामवेदसंहिता | [५१्०१,३,५

wa पञ्चमो ® | १९ F रेख दिमतवजोनियरसते Gefen

~

[अद्विरिति मेषनाम (ने०१,१०,१)] हे “afgara” वाहन- रूप-मेष-युक(^) “वजिन्‌” वजवचिन्द्र ! “तुभ्यमित्‌”" तवेव [wera चतुधौ (र) | “वो” ening “अनुत्त श्‌ - भिरतिरस्क तम्‌ “ae’() येन वौग्यण wa “मायिनं' मायाविनं “an” ग-रूपमापव्र (*) “a” “वचम्‌” असुरं ^ त्वमपि areas “अवधौ” हतवानसि भतः कारणात्‌ तव

aa’ “यत्‌” तत्‌ ufaw भवति “चन्र सखराज्धमिति" पादोव्याख्यातः(९) ४॥ १८० a

# "गौतमस्याषम्‌"-इति fae |

()—wre: अभिषवः प्ावाखः, तः aay; अथवा whee, तेम इनायेन तद्धान्‌ ; थवा अदि वंलुखेग तद्धान्‌^-इति fae | (Sree चतुथो ति area (२,९,९२)०-इति कात्यायनीयोक्केरिति ATT | (a) —featar चाज तृतीयाथे दृटा, यत्ययेन (९१.८५) | (*)--“मगो मा्ट.्तिकम॑खो"-दति यास्कः(१,९०)। आतणव निरव मामेकोरं वेत्यक्घम्‌ | (४)-्छसुरर्त्य पि मेष-मामभ Tew कं TM ६११००२९ (€)-खयदित-पुवद्यामचोति भावः |

£ २प०५,७,५,] छन्द श्राचिकः | च्रे

९२१९ २३ १२ BLUE RTE z V RR

इद्रनुर्ण्दितेशबोदनो वर चश्जयाश्रपोर्चन्ननुखरा-

ज्यम्‌ ५॥ १८९१

ष्ट २, रे 1 प्रादयो २। अभीहिधुष्णदाओओर्दो। नाता रद्‌ ! ,

ब्‌ र. र. < वजोनियध्सयाओओरदो। भादन्रार। न्‌ म्‌णएरदिते-

र्‌ ब्‌ MAAN | WAT: | वुत्रश्ञयाभपाभौरेददो | आ-

द्‌ 2 .

चा रनान्‌२। खाराजियम इडारेरभा२४३। ओर

UT | डा RON १८१

डे “am!” “Sie”? प्रकषंण गच्छ “nif” शन्त

ara wea आभिसुस्येन प्राप्रहि। प्राप्य “शि

तान्‌ waa अभिभवति तव “वजो” “न fared” गचैभिः “99

a नियम्यते sufaeanfafcarn: | तथा “A” तव “ae aaa बलं “नुम्‌ण” aat पुरुषाणां नामकम्‌ भ्रभिभाषकम्‌ |

१८१ शमये दस्य १,५,२९,३ | I सबरेगोयम्‌।

ee |

८४४ सामवैदसहिता। | प्र०१,३,६ अथ षष्टो * |

६१९ Rr BPR २६२९ १२

wa: यदुदौरतञ्ाजयधुष्णवेधोयते TAHT |

R ९२ ₹?२३ रेख Rew ee १२

यच्वाःमटच्यतादरीकश्चनःकंबसौदघोसखरा९दन्र वसी दधः॥ ९॥ १८९

- द॒ 9 र्‌ 4 र्‌

“AOS 1 यदुदौरापतञ्राजयाः। धुष्णवेरधो arene: “हि” यस्मादेवं तस्मात्‌ “त्रम्‌” wat मेघं वा “ea” जहि। तदनन्तर तेन निरङ्डा “अपः” उदकानि “जयाः” जय, ठव इत्वा तनाहत Ara लभसत्यथः() | शिष्ट Wey yn १८९१

* “गोतमस्याषेम्‌'-इति fae |

“श्ना"-इति, # “युच्वा"इति ऋम्ब दोयो।

१८२ उत्तराच्च कस्य २,२,१४,३ = ऋम्ब दस्य १,६,१.२¦ == ऊहे १९.२,४ HM १,१,१--१२,२०-- LV

I सवेश्रोयम्‌

(६)-केचिदिदानौन्तना ऋगेषा पूवतनानां सेच-जल-इरखाय THRATAMT | वस्त तस्तद सत्‌, “ware व्यो तिषञ्च मिश्ोभावकमेयो वषं कम जायते, तनोपमा्येन यद्वा भवन्ति (fae २,१९)'-इत्यादिना शवमादौनां कलद्पिताथेलस्य स्यत्‌; ““खअसदुटलान्ताग्वाष्यानम' इत्यादि मौमांसा-सिद्धान्ताचे ति दिके |

२प०५,७, ६] ङन्द्ाचचिकः। TRY Xz र्‌ र्‌ ।, र्‌ नारम युच्वामद खुता३। VM! कर्पदनःकवसा-

श्र श्र र्‌

देउ STH | Wee ATRATRT वसोदारेदधार

४२:। ओआर३४५द डा २८ १८२

अत्रेदमाख्यानम्‌-रहगण-पुत्ो गोतमः कुरु-ख्च्नयानां cat पुरोहित ्रासौत्‌ | तेषां रान्नाम्यरे; सह युद्धे सति ऋषिरनेन TZ स्त त्वा स्रकोयानां जय प्राथेयामासेति। तस्व तत्‌ पुरोदितत्व वाजसनेथिभिरान्नातम्‌-- “गोतमो डवे राहगणः उभयेषां कुरु-ख्च्छयानां पुरोहित भ्रासोत्‌"-दति।

“यद्‌ यदा “arta” agar. “उदोरते" उद्रब्कन्ति उत्पद्यन्ते तदानीं “wa”? “wera” यो धृष्णुः धषयिता शत्र णां जेता भवति aa धौयते निधौयते जयतो घनं भवतीव्यर्घः। हे न्द्र)” त्वां ताद्येषु yey प्रहत्तेषु “मदच्य ता” शत्रणां "मदस्य" गवस्य चयावथितारो “हरो” लदोयावश्वौ(१) “qr” रथे लदौये योजय योजयित्वा “a” चिद्राजान aa परि- चरणमक्वंन्त' “हनः” न्याः “a” चन ait पररिचरन्त “वसौ धने “द्धः” खापयसि (श्रतो जयाजयौ तमेव ATT यितासि तस्मात्‌ रे इन्द्र! अस्मान्‌ अ्रस्मदोयान्‌ Ue: वसो धने “aay” खापय १८२

(९)- (इसे इन्द्र्य' इति नेषर्ट कम्‌ १,१५.१

८४६ सामवेदसंहिता) [uwot, 2,90 अथ सप्तमो ° |

२९१९ 2 ९२ ९१९

८/5 अक्षन्नमोमदन्त दयवप्रिया्धषत |

2 २९ ३२८ रर

अलोषतसखभानवोविप्रानविष्ठधामतीयोजाग्विनद्ध-

TET ॥०॥ ९८२ ९४२४५ RR Ta 4,09 1 अक्तन्नमोमद तद्ौे। आर२४। वप्रियाभधू ५४ ्२९र्‌ ९२द्‌ द्‌ र्‌ घता | अस्ताषतखभानवः। विप्रानारेहवौ। छाया- शद्‌ र्‌

रद्‌ ', मतौ। योजान्‌ देवाईइ्₹। द्रारतारडशैमी रावा APA Re १८३ हे “इन्द्र !” त्वया सान्यत्रानि “rey” यजमाना waren: war “श्रमोमदन्त fe” ear waa खलु “fran” aa: “sarge अ्रकम्पयन्‌ ्रतिशयित-रसाखादेन वक्ष aaa: शरोराणकम्पमयन तदनन्तर “खभानवः” खायन्तदौप्रयः

# ‘Wawa xfer fae |

(Ss ऋम्ब दस्य १,६,२.२ | 1 यामम्‌

रपण 49,5 | ङन्दश्रािकः। ८४७ SMTA? |

४१९ R<_RW १२३९

उपोषुश्टणुदो गिरोमघवन््ातथादव | Alb

९२९ २१६९ ९१२९२११२ ट्रेड WT zB

कद्‌ा!नःसूत्‌, तावतः ACTA LAT ALAM AKA १९

हरो १८४

०४३ देर ४४

1 उपोषुश्टणुदीगिरः। wel ओीरेदापवाऽ। मा- \,. ˆ “विप्राः” मेधाविनः ऋतिजः “नविष्ठया” अतिशयेन न्‌ृतनया “मतौ"(९) wat स्तत्या “wean? ्रस्तुवन्‌। अतः डे ee!” ते त्वदौयौ “हरो” एतत्‌सचन्नावश्वो “नु” सिप्र (९) “योज”

र्थे योजय १८३

# “गोततमस्याषंम्‌-इति fae “यदा-दति,{“आदू्थ"-इति ऋन्वेदौय-पादो

१८४ ऋग्वेदस्य १,६,३,२ | (१)-मतिः-इति “मन्यते-दति ति-कमनु पठितस्य रूपस्‌ (द,१४१२८ He) | AAU, “याडियाजौकारा खामुपपश्च्छानम्‌”-दति (७,१,२९) कातोय-वचना

रोकारः। (२)-“न्‌"दति चिप्रमामद खख नेषष्ट्‌.कम्‌ (2,04) |

cyt सामवेद्सहिता | [भप्र०१,८,२ शब १२९ RR

BATA! तथाच्राएट्टवारर४। कदाडधनःख.। नात्ता

रे Rc RR

वतः। करदद ` थायाश्साई९२९त्‌। योजारथनुवा

A ge 8 ५र

दद। द्रारतारेरण्ओौशवा। BTR ABT २० १८४

हे “Haag” waaay) “गिरः” ्रस्मदौोयाः स्ततौः “उपो उपव “quafe” उपगम्य सम्यक्‌ aq “aarsa’(’) पूर्वं यथाविधस्व' तददिपरोतो माभूः (अस्मासु पूवं यथा अनुग्रह वहि यक्त तधाविधएव भवेत्यथः) श्रपिच “नो” sara “सुटृता- aa.” (प्रियसत्यालिकावाक्‌ सुकृता) तया स्तति-रूपया वाचा- युकान्‌ “करः” करोषि। त्वमपि “RIAL अधयास एव नतदास्मे। भ्रस्माभिः प्रयुक्ताः स्ततौसूमपिस्तौकरोषौ यवः | अतो “इन्द्र”! “ते “ea” त्वदौयावण्वौ “नु” चिर ‘Na’ रथे योजय “कदा"यदेतिकर इत्यथः |

"करददथे"-दति, "करञआआदर्थ"इति पाठो ५८॥ १८४

(१)--'तथा, “ay विल्लारे (त ०,प०)"-द्त्ययेदं रूपम्‌, मा fant काषीः, मा विल्लम्बि्ठाः, Winnie त्यथः वेत्ययमुपमाथंः, अल्त्‌ Tae सम्य प्रयोग दति पद्परणः'-इ्ति fae |

240 8,9,¢,] Seas करः ८४९

खथ मवमो | चितच्छषिः। ३१२९ SUE een ees चन्र माञ्ष्वारन्तरा*सुपणाधावमेदिषि। 4AIY

१९२

नवो दिरण्यनेमयःपदविन्दन्तिबिद्य तोविक्त॑मे्स्य -

रोदसी < १८५

RUT रे RT ae 1 चन्द्रमाअाउवा | WaraTasat | सुपर्णोधाछ- . `

, र.

१्द्‌ < 2 atl वतेदिवि। नवोादिराउवा। एटनादमायाउवा

शद्‌

पदःविन्दाउवा। निविद्य ताः। विन्तम््रा्आउवा स्यरादा

ररसा२४२द्‌। ओञ्४५इ्‌ डा २१॥

४५ रद १९ र्‌ १९ र्रर

गा चन््रमाभ्रा। सुरच्रान्ताररा। खपर्णोधाव : ` :'

पः

«© “अषप शतरा”--इति ऋन्वेदौय-पाठः।

eee ee a eee oe

१८५ ऋग्वेदस्य (9,208 | OG)

a ~ .* tid oe!

Tye सामवेदसंहिता | ५्र०१,३२,९

३२ १. sc तारडद। दिविया। नवेारद्िर्यन मयःपदविन्द | १. z

1 तिविद्यूता ररध्दार | विन्तटशाद। मभार्डदा। स्य

शद्‌ र. रादारदेसारश्सा३४२द्‌। भ९२४५द डा २२

$ धै | रर र्‌.

11 SAUTE TAT | | BUTT! वताद्‌

दाश्दबो२। नवेर्िरस्छने मयः पदं विन्द तिवि- र्‌ Rt र्‌

द्य ताररः। MMC! मश्चाररशो। स्यरादारदसा-

२४द्‌। भरदे४५द्‌ डा २३ BUT RA IV चदद्रमाअष्तुवा। तरा। सुपर्णोधावतेदारशः Ti नवारदशोद्‌। डिरण्यनेमयःपदः विन्द तिवि

१. २९ a रो | ओ, घतारदः। AACR! मश्रारेददूशा। स्यरोर३। 8 XT र्‌ %

SARWAN शावा ऊरेरदण्पा २४॥

11 नेतानि ओणि,

२प०४,७,९ ] weuifen: | ८५१

चन्र दमेपेदमेनो 8 तेरा शरद a _ arava | भओ्वा। सुपर्णोधावते- ¦

९२.९१६ र्‌

दादवायेरे | VAULT डवा३४५द्‌ नवेारखागूरण्य-

२,११९.९ २१ नादमायाररः। वारदारदई। ऊवाहे४भ्द्‌। पद BR ९१९५१

बिन्दन्तिवादद्य.ताररेः। दोवाददोरद्र। ङवा९४५६। ze र्र्‌ ^ वि्गरो अस्यरोदासाये३। शोवारशोर। वारो ९। a :

४वा६५६। अरररेध्पा २५१८५

“se” प्रान्तरिश्वास(*) उदटकमये age “sar? मध्ये वर्षमानः “सुपर्थः” शोभन-पतनः [यदा सुप्शद्ति रश्मि नाम(न १,१., ५) ]सुषुम्णास्येन सयरश्मिना Tai. "चन्द्रमा (९) “fafa” द्युलोके “श्राघावते" srqaterary | एकेनव प्रकारेशं धावतेशौघ्र गच्छति ताष्शस्य चन्द्रमसः सम्बधिनः। F

SS

IV,V daw 1

a

(१)-““खापः"-दति अकरो -नाभसु अष्टमं Faw कम्‌ ( १,९)

(२--“चन्द्रमाश्चायन्द्रमति wat माता चान्द्र मानमस्ति ar; चन््रशन्बतेः - कान्ति-कसणखन्दनमित्यप्यस भवति चाव द्रमति चिर द्रति चेवं! पृवेम्‌। चाद चे विंपरोतद्य"-रति नि०दे०५.४।

८५२ सामबेदसंहिता | am १,२.१०

अथ दशमो | © अवस्यक्षिः १९४९१२९ २१९९१६९ ९१९२

` प्रतिप्रियतमधरथंवुषणवसुवादनम्‌ |

RRR ९६२

स्ोतावामञ्िनाठ़षिस्तोमेभिभषतिश्प्रतिमाध्योममशरतध

१२. दवम्‌ १०।१८६ ठतोय-द शति

“हिर ्यनेमयः" सुवण-सदटटण-पयन्ताः ! [यदा हित-रमणोय-(र) रान्ताः “विद्युतो” विद्योतमाना रश्मयः “al? Gara “पद्‌” पदस्थानोयम्‌ “au” “विन्दन्ति” मदौयानौन्द्रिथाणि quar हतत्वात्‌ Gua | Tacs नोचित तस्मात्‌ कूपात्‌ ATY AT तेल्यथः। aftr दहे “ed” द्यावापृथिव्यौ ! “मे” मदौ Coa (*) इद्‌ स्तोत्र “aa” जानीतम्‌ ne १८५

# “स्लोमेनप्रतिभ्‌ षति ofa ऋग्वेदो य-पाठः |

१८६ उत्तरािकस्य ८,२,१२,१ = WT दस्य ४,४,१५.१= ऊहे ११,१,३६ == A ४,१८। | |

()—“feca कस्मात शियितख्ायम्यमागमिति वा हियते जनाच्नमिति बा

हित-रमकषं भवतोति वा इदय.रमणं भवतौति वा दय॑तर्वा ख्यात्‌ प्रेपसा कणेः -इति नि०२,९।

(४)--“दितौयाय ष्टो-दति fae |

र्प०४,७,१०| SCT: | ८५२

g ४५४१५ , | >

1 प्रार२४। तिप्रियतमम। राथोम्‌। वार्षणव। ^: : - `

शद्‌ र. र्द दे. २. |:

सुवादारेरेनाम्‌। सोतावादमा३े श्विनारवाररश्षोः |

शद्‌ 2 RR श्र ~

STATE 21 षातिप्रारङ्तो। माध्वादमा- र्‌

मारे। ररताम्‌। WTRBYATE TT २६ ९८९५ दे “अश्विनौ!” (\)(एकः प्रति-शब्दोऽनुवाद्‌ः) “ai” युवयोः

५, a ; स्तोमे =, प्रियतम ` “ca” “स्तोता “ऋषिः "(“) भिः” स्तोमः

I लोम्‌

(९)-““अखिनो यद्‌ ayaa wa रस्नन्यो श्योतिषान्यः। wy cfaatfa- sate ater: लतकावखिनो सखावाश्यिन्यापित्यकेऽषशोराबावित्येके खया चन्द्रमसा वि- ae राजानो qwemfeafrefear: | सयोः कारृकध्वं सधेराचात्‌ प्रकाशौ भावदखछाुविकषमनुतमोमानो हि मध्यमो श्योतिभाग ओादित्यः'-दूति fac So ९; ९।

(२)--“ऋषि; अवस्य॒गान, आत्मानमेव परोच्रूपेण प्रथमपुरपेश-मिहि गति दूति fae |

al Tf WE: प्रपाठकः

८५४ सामवेदसहिता। [¶प्०१,४,१

“gfayufa” अलङ्करोति alten wie “are” फलानां __^~6 “99 * ष्टश्च वषितार। “quatea”(*) धनानां ares (Sew रघमागम नाय स्तोतोत्यथः) तस्मात्‌ रे “माध्वी ! मधुविय्ावेदितारौ(*)

“ma?” WYAA Qo i १८९ «fa ओओरायसशाचाम्येविरचिते माधवोये graded ser extern

चतु लद्छाध्यायस्य CH: GS:

अधाषटमे Ge

SU प्रथमा | aeqaata:* | ९६१ Safer ९१९२ 4/9 WAT SHEN AeA SATSITT RX ९२९२९२१२ शेर 2 शरै

यद्वस्यातेपनोयसौ समिदहोदयतिद्यवोषरस्तोढभ्य अभिर १॥१८७

# “वकस्याषंम्‌"-इति fae |

6 “A १८७ SUT कस्य 2,2,22,% = WA TSA ३,८,२२१४

== ऊष ३,१ ६-- १७,६। (९)- “बलु wae CA प्रापयते नौयत येग ग्ुवाइनल्लः बदुवानं षन

marca tia fac | (४)-"मधपुका-इ्तिवि०' '"दकारोमल्योवः-दति 9 fae

२प०४,८,१] कन्द प्राजिकः | ८५५

<

Wa भार२४। TATA | मादाइ। द्य मन्त

x २३ 2 र्‌

SATS WIR | अरमा ASTRA पानीरया-

२९ 5र द्रे

रश्ट्सौ। समिदहोरदय। ane! दयविया wate

स्तोश्तर भ्यारेर्रा२। भा३२४५रोटडाट्‌ १॥

द्द ४द x eM ५४

TT WUE | मारदादर | सुमन्तारेदेव्रजरम्‌ ^,“

१४९२४२९ seTy द्‌ BTR ४५ रऽ

र्‌ यद्वस्यातं पनोयसो। समिदहौदयताद्‌। देम्‌ चुम्‌। R x $ र्‌ TAWA! इषरस्तोतुभ्यारआआ। श्‌ दम्‌ ९७३म्‌। 2 WTRBYTIE ATE ९८७ डे “mat” देव ! “द्युमन्तम्‌” afr “अजरम्‌” TT

cS

© a’ “भ्रा” सवतः (शघोमहि""(*) दौपयामः। “यद” खलं

ना aaa 1

(1)- भरो दो care रूपप्‌ `

८५६ सामवेदसहिता। | ४प्र ०,१४.२

wy हितीया | विमद््षिः। LP आप्निनखवृक्तिमिष्ा तारत्वावणोमदे |

३६९२९९६२ १२ षट १२३ १९ VF

भरौ रभ्यावकशोचिषंविवोमदेयज्न षुस्तीणवदिषं

९२

विवश्षसे*॥ ८८

| श्रो R २३१९१ ५.4 दडा। geval! आथिन्नखव्रक्तिमीरः रद

gurl दाउ शीदोर्‌दवा। होतारन्ताव णौमर

Ca? तदोया “स्या” सा ““पनोयसौ" स्तव्यहो(९) “समिद्‌” दतिः ““दौदयति' दोप्यते “दयवि” यलोके किच्च “etree” sara “षम्‌? अन्रम्‌(९) “ATT आहर १॥ १८७

„, 'यन्नायस्तोणबर्दिं षेविवोमदे शोरम्पावकथो चिषं faqua’-<fa wa दीय-पाठः |

yar. ऋम्बद स्य 9,9,8,2 I उस्सेधम्‌ |

(3) —qea’ far अश ति-कमणो रूपम्‌ (ने* १,१९४.१२) | (द)- “दषम दूत्यन्र-मामतु TAR तमं पदम्‌ ( ने ° 8,0, ) J

RT08,5,2] कन्द ्राच्चिकः | Typo

११११ „३ श्र AT १६२. २२४५। दाउ श्रोदोदेध्वा। शौरपावकञ्ोचि- २२१ ९. „९ षम्‌। विवीमाररण्दाद। शाउ। ओदोरशवा TU श्र १९ ?९ ११११९ | यज्चाद्रषुस्तीणेविंषारदे४्५म ' YTS भौडोरश्वा |

श११२१

` विवश्चसेर२४५॥

श्र IT अचिन्नखवुक्तिमिखद्‌ दाद्‌ दोतारत्वावणौम- {7 ९२९१२ Ce RT VRE १२१९२ WUE UE शोरपावकशोविषमिष्दरशा३। ९१९ ईर VLR

wir! विबोमाररेध्दाद। यज्ञादषुस्तीणंबरिषमिशष yr ब्‌

We] WaT! वारद्वारश्ट््ोहोवा। कशार३९से ४॥ ९८्ट

डे अग्ने ! तव waa “faae”,') एतदाख्ये wat मयि “xa” सतिः प्रहस्ाम्ति (मेति amar) श्रातोवयमिदानो' “aq-

II निषेषम्‌

(१) - खद Re भाष्य्टतोगये "विमदे'-द्त्येव पाडः अथवा वः Ce श्यामं छतम्‌ विषरक-हत्रये “विवोमरे' इग्येव पाठः, तथाच- तज 'जिवः',-.सदे'-इति एषक बाच्छातम्‌।

Roc,

ff. ie ~

cys सामषेदसंडिता। | ५प्र०१,४,३

water

[4

AUAAT AIA |

३१९९ VB १९२३६ ९२ ३२ ९१ 2

मशनोश्रद्यबोधयोषोरायेदिवित्मती। 2 रे 2 MC WT SLU R यथाचिन्नोश्रवोधयःसत्यखरवसिवाय्ये सुजाते मश्च. सुनुते Nee

क्रिमिः" खयङ्कताभिः दोष-वर्जिंताभिः स्ततिभिः “era” देवानामाद्वातारं होम-निष्पादकं वा “अग्नि “aT लाम्‌^आ- wag” आभिसुख्यन समश्बजाम्षे। ated? “awg’ यागेषु “ettwafeny” आासादितबहिष्कम्‌। “Cathay? भ्रोषधाः दिषु सवत्रानुणायिनम्‌(र) “पावकभोविषं" शोधक-दोभिं(र)। विवच्चसे ` (महव्राम तत्‌) शे owe! त्वमपि महान्‌ भवसि। [यदा “fave” ane सम्बन्धिनः सोमस्य पान-जन्य-विविधः were “atatawiae” इति योज्यम्‌] “श्रोरम्पावकशोचिषंविवोमदेयज्ञेषुसीर्णवदिंषंविवक्ः से"-इति छन्दोगाः | “Use स्तौणेवदिपोविवोमदेशोरम्याः वकभोविषंविवक्षसे~दति बह चाः २॥ ९८८

ad उत्तराखि कस्य ८,२,११,१ = WT TA ४,४,२१,१ = HE ४,१७ | (२)--“खअलुष्टायिन सिति वा facafata वा"-दति fate tone | (९)--“"पावक-दोिस्‌"-इति नि* १०,९४।

२१०४,८,३ | छन्द मराञ्िकः। ८५९

रर & ut षष्ट 1 महडा३९द्‌। मरेनोषद्य। area) उपो--* ` <t राये दिवित्माररतो। यथाचोरेन्नाषेः। भ्रावोधा- -५ (4

RVI | सत्याश्रारवारे। सिवास्यारदथ्याद्‌। सु

४: 8 र्‌ ` जाताइषार। आररतुर। ना३९५र्तोई'डाद्‌ ५१८० “sq” अस्मिन्धागद्निं हे “ow.” omefa !(\) “fefa-

9)

मतो” टोभिमतौ(?) @ “ar” sarag “ae” महते “राये” धन- urea “बोधय” प्रन्नापय प्रकाशये त्यथः | सति प्रकाशे क्रतु-दारा दरव्यस्योपाजयितु गक्त्वात्‌ “याचित्‌” यथेव ya’ नोऽस्मान- तौतेषु रो 0 Nc बोधयः, श्रतौतेषु यथा बोधितवतौ तहद यापौत्यधः हे “सुजा- a (®) शोभनं जात जग्माविभावोयस्यास्तदृशि ! हे “श्रखसनरृते

I WIAA TAA ATA |

(4) fiat: परस्तात्‌, ख्दयात्‌ Fare यः are, तदाक्िका <a] ou: रेषी, Gas qa-<eieiafe awa ( Few दयम्‌ ) |

(९)-^दिवो efear- fir fae |

(द)- खव fe wttarece after: sar) तथाचोक्ञ' भगवता पतञ्चशिना waananate-seauie-fanafet—“ag भोज्छन्दयोगानां 'त्यम- यिराणायनोया श्यदंमेकारमदमोकारश्चाघोयते- सुजातेष्श्चसुन त*-दृत्यादि, “पाष बृतिरषा"-इत्यादि ऋचि “सुजाते ew-tara fe सन्भवभावल्‌ “Haar प।द्‌मग्यपर (६,१,१६९५४)*-दति Free |

e ^ « ¢ / \

Af

ee 4 (1 | ~

4

14k 2

tye सामवेदसंहिता | [amet 8,8

we Ue) विमदकऋ्छषिः।

UTTER VR १२९६ १२९२१ रद

भद्रत्नोषपिवातयमनोद समुतक्रतुम्‌ |

2 अथानसच्छेन्धसोषिभोमरेरकामा S श्र RR eae र्द बोनयवश्से faa- चसे it १८०

ysc

1 भद्रक्नोरर्चपिवातया। मनोर्द शाम्‌। अत-

g % शद We TL g

(cooks करारशधतूम्‌। आयाते सा। स्थेचन्धसादेः। वि

“RR १5ऽर UTS R र्‌

वोमार३४दाद्‌ रण्ारगाबारनय वसाय३। वार

R चद

दूवारश्थश्चीरोवा। क्ाररधसं | ९॥ १८० परियसत्यानिका स्ततिवाम्बस्याः सा हे ताहि दैवि !(*) “ara” ga ““सत्यखवसि"” मयि(*) भनुब्डहारुधः २५९८९

हे सोम! त्वं “Asawa “मनः “ag” were “प्राप चभ-सद्कल्प-लक्षयं “aaa” गमय (अस्माकं परः Bras

a “रणन्‌गानयवः-इति ऋन्बेदीयः पाटः | रि

१९० WATT ॐ,७,२,१ |

I पौषम्‌

(४) --“खच्चटेगते-खाटित्यमाषः इति fare | (५) -*सखत्यज्रवोनाम राजा बाच; -ट्ति बि.

२ष०४,८, ५४ छन्द््रा्चिकः। ८६१

अथ पञ्चमो | गोतमक्षिः। १९२ RVR र्द 2 8 Lr MAAC STATA MAM AAA Ne: | 423

२३१२३ २३ VT 3k १९ १२

चियकषडपाकयोनिं शिप्री इरिवां दधे दस्तयोर्बज्‌- मायसम्‌ NX NER

gfaaa:) तथां “ee” रदमपि सर्वव्यापिनमन्तरासानमपि(९) we” शुभ-कारित्व-ल्षणं प्रापय (अस्माकमन्तरान्नान Wa कारिणं कुवित्र्घः) “om” अपिच “ma” wart भद्र “शभा ध्यवसाय' wae प्रापय(शभाष्यवसायिम कुर्वि व्यधः) “sq” अनन्तर स्तोतारः “Aa” तव “aa” स्तव्य स्तोढले (र९)ज्य-यष्टत्व- way सखि-कमणि cantata te: तक दष्टा मतः-"“यवस are “रलाः“प्रोति-युल्ला गावो “न” Taxa (ता यथा प्रौतिं कवं ते तहत्‌ | कस्मिन्‌ सति ? “aaa.” सो मा स्यस्याब्रस्य सम्ब- fafa वस्तुनि “विमद” (९) विविध-सोम-जन्य-मद्‌-निभित्त सति | कस्मादेवं ! यस्माद्‌ “fare” महान्‌ भवसि ४॥ १८०

“वावृधे "दति ऋम् दस्य

१८१ ऋग्ब दस्य १,६.१४ |

(९)- रं waa «fa fae (x)—‘faatag'-cainere ‘faaz-cfy याद्धातम, ‘ay-cey याण््यानं @ fa ayrewa ?

+. 0 7 i , Rie,

८६२ सामवेदसंहिता | [५प्र०१,४,५

‘ct रेट

1 क्रत्वामदारअनुघधाईम | भीम्ावावरतादणाः

Vee

श्वारः। PTET: | ऊपाकारेषध्योः। निशिपरी X Xx 7 | र्‌ हिरोरेवादार्धा खद शस्तायोदर्व२। जमोरदध्वा ¥ |

AYRE RTT १८१॥

9११

“Rav कमणा waar वा “महान्‌” सर्वाधिकः “भौमः - 9 ८८ 99 Cums = WA भयहर इन्द्रः “अनुष्वध “aa ATA (He 3,9,

१७) | wurat [विभक्घषथेऽव्ययौोभावः(*) ] सोम लक्षणस्याश्रसख पाने सतीत्यथः। “शवः” अ्ालीयं बलं “श्राबाहते” wife

मुख्येन प्रावर्तयत्‌ तदनन्तरम्‌ “ऋष्ठो" दशं नौयः(र “शिपो'इनुमान्‌ नासिकावान्बा(च)। “हरिवान्‌” eft

भ्यामश्वाभ्यसुपेतः इन्द्रः “उपाकयोः' समौप-वसतिं नोषस्तयो

I ओषसम्‌ |

(१)--“खव्ययं विभक्ति-समोप-सखमदि-व्य इाथयाभावात्यथासश्परति-शब्द-प्रादुमावं पचाद्‌-योगपद्य-सादश्छ-सम्यत्ति-साकल्थान वचनेष "रति ( पा०२,१,९) खनेनेवेति भावः।

(२)-- “इष्यः "इति मश्न्नामसु WANG नं घष्ट कम्‌ (३,२) | (९)-- “° शश्र wa मासिकवा'दूति We १२,१७।

` २प०४,८,६] न्द प्राज्चिकः। ८६३ अथ et | aaa awia: |

रेर३२१२१२ ६२

सघातंवुषणररथमपितिष्ठातिगोविदम्‌ 424

एर र्र्‌ रे ९१६२ VR रे

TOT Ay area aay णेमिद्धाचिकेततियोजान्वि

१२

MART Weed

९४द ४५ 2% श्र ४द

1 सघातंवुषणम्‌। रथारृश्मौदोवा आअधितिष्ठा ;

र्द

तिगोबाशदा रम.। यःपा्एडा। रोयोरजार४- |२

D>»

aten(") “say अयोमयं वच्च “Pag”? सम्मदथं “निदधे निदधाति यापयति (सोम-पानेन we: प्रवलदन्द्रः त्र ai इन-

नाय TRIN र्हा तीत्यर्थः ५॥ १८१ * “गोतम -दति वि° पाठः| ९१८२ WATT ६,२.४।

I लोशम्‌

(४)-“उपाक"-दूति खन्िक-नामसु aya पदम्‌ (२,६\९).।

८६४ सामषेदसंहिता। | भप्र० १,४,७

खथ aga | agyawta: | RT १९ अर्चितंमन्येयोवसुरस्तयं यन्तिभेनव्‌ः | चै रे रख TAA ATT TAA STAT CT Sea आभर १९२ र्रर नाम्‌। Gufs! द्रा। चौकेतारदश्ती। योजानू र्‌ at

वा३४। द्रारतारद४भौ्ोवा। TARBALL १९९॥

“सघ।?(९) खखविन्दरः “aaw” कामाभिवषक “गोविदं गवां लग्भयितार(९) “रथम्‌” “अधितिष्ठाति" शथे रभे भ्रधि- तिष्टतु wed भवतु हे इन्द्र ! “यो” रध: ““हारियोखनं' एतकलन्नं धाना-मिचितं “qa” सोमेन ge “na” “fea तति” ज्ञापयति (तं waafafaefa पवंज्रान्वथः) भधितिष्ठाय "ते" ade “ea? wet धनु" fad “योज रषे योजय WLR

१९८३ उत्तराञ्च कस्य ८,२,१०,१ = ऋम्ब दस्य BTV ऊष BV !

(gear afer दो पाठः लव “निषा (९,२,१९९)".इति दोषे (२)-- मोविदं माः बन छम्यन्त दति Fare |

२० ४,८,७] कन्दश्रादिंकः। ८६

४रथट | र्‌ १२२ शे

अ्प्रिन्तारश्बरन्येयोवद्धः। अस्तंयंया२। तीधेना- \ : `

t

4. रे ४२ |

२३४वाः। अस्तमर्वारे। ताआ्मारशारेद४वाः। भसतन्नि

श्र षर

त्या३। सोवारजार२४१नाः। TAT SAN ASS UT- 8 षारदश्दा भ्याररभार२। ATAVYTIE TT < AYER “aq” aft “मन्यं” स्तोमि। “यः af “ag.” वासकः। ध्यम्‌" “nei” सवषां स्टदवदटाखयभूत(*) “waa गावः “यन्ति” गच्छन्ति प्रौ णयितुम्‌। “aera” carrey “waza.” अर णवन्तोऽष्वाः “अआआश्वः'(९) गोघ्रगामिनः after t तथा "नित्यास" नित्यप्रठत्ताः “वाजिनः” (₹) विलं ल्षणान्न- वन्तो यजमानाः “aad” ‘afer तम्‌ मन्य “ईषम्‌” wa

“स्तं Sw.” अस्मभ्यम्‌ “aA” आष्टर एति 9 १८३

I निषेधः ara |

(९--““खस्तम"-रति WATE पञ्चम नेघण्ट्‌ कम्‌ (2,8) |

(२) —owray:” “ung’-xfa दि लङ्गतेव पदं पाठमेदेन fare} इश्मते (२,१५.२९)

(३) -- "वेगवन्तः, -इ्ति fae | ioc,

Ts

८६६ सामवेदसंहिता [५प्र०१०४,८ WUT | अष्टोमुग्वामदेव्यऋषिः |

TPN UT RC १२

% 1. ATA AS Cea AAA A |

१९९ श्र we रश

QAI TARA मामिचेानयतिश्वसणाश्चतिदिषः ॥८॥ १८४

चतुथ-दशति a wsk 8 `, £, /2 1 नेतमरु्ोनदुरितम्‌ शैयदयादाद्‌ दादइवारेसो १२ < WT श्र रेष्टर

अष्टमर्तियमौ यदयारकाद। TATA TAA ATE

8?

यदूयारंरडाद्‌। मादबोनाया३। तिवारर२०५ण-

१९ ९१९९ VTL

६५६:। भतिदिषार२४५; १० १८४

डे “देवासः” देवाः ! [भाव्जसेरसुक्‌ (७,१,५०)] “A” मं

e ““नृयन्तिः--इति ऋन्वेदौयपाठः |

१८४ ऋम्बदस्य ८,०,१३२१

L गोराद्धिरसस्य साम।

२प०४,८,८] छन्द श्रावकः | ८९७

मनुष्यम्‌ “se.” पापं दुरितं ततृफलङूपं दुगं मनश्च “are’(’) प्राप्नोति (श्रग्रोतेलंकि, कलोभरगीति सिचोलोपः, अभावन्डा- ai) “saat? wey नियच्छति इति एतत्सन्नकोदैवः | (नयन्ति wary एते) “मिवः” (प्रमोतेः) वाता Sara मयति t “eau.” पापानां निवारको 24. “a” “नयति"। पते जयो देवाः “सजोषसः” सङ्गताः समानाः प्रोयमाणा वा भवन्तः “fea.” देष्टन्‌ अतिक्रम्य “य” स्तोतारं नयन्ति (प्रत्येक- विवक्षया एकवचनम्‌) तन्नाष्टेत्यन्वयः ॥८ १८४ इति भो सायशाचाय्यैविरचिते माधवीये सामयेदार्थं प्रकारे

चतुर्थद्याध्यायस्ाटमः Ws:

दूति पाडनक्तम्‌

PPPS .9.१ 1.17.1.1.1.1.11.11.11.111.1.1.1.1.1.11.11.1.111775577771757777751111177111111.1.1.1104.4/11911111111.1117177177771/1 पयसा ययय कायाज

परिप्रधन्वप्रभतिक्चवस्तिगद्ववम्ति(क) हि | एतासान्तु ऋषिच्छन्दोदेवतास्त TAR एथक्‌। AER सायशाय श(ख) त्र तत्र परिस्फटम्‌ ५.

(१)-““ अटः “ere”, “-दाद्" इति वा free) याधिकर्म पमं पदः पाढठमेदेन पठते (२,१८) |

(क)- तव, “परि प्रधन्बे ्द्रायेत्यादि ary’ प्रथमं दशत्‌, “विञ्तोंदावम्‌विञ्चतो" इत्यादि दशं द्वितीयस्‌, ““खचेत्यग्निः"-दत्यादि “न्दरो वि्वष्यराजतौत्य ' दण वुमीयभिति विवेकः |

(ख)--रणा पूवाचार्य-रेख-केरो serra परोचेख निर्दिषति सायकावाय खति।

wget साम्बेदसंडिता \ L4mor,ae अथ नवमखर्टे- ङे सषा प्रथमा) भ्राद्यानां षां ऋश-्रसदस्य सहिताठषो, पवमानो देवता ततादििपदा,*) |

२९१२९१९ a ae ee १र श्र

427 परिप्धन् न्धायसोमखादर्मिच्रायधष्णेभगाय ॥१॥ १५१

४४४६४ १र R

oy // 7 परिप्रधन्वा। इन्द्रायरोमाखा१दूर२४ः। दाद्‌

षर REI |

मिचाया। पृष्णेभार्दशडाद गारदृ्योई दाद्‌ ११॥ ४४०४५ a $ 8

I] परिप्रधन्वा | इन्द्रायसोमा। ओर | ओददधा।

१९५ उत्तराचिंकस्य ९,१,८,१ = WATT ७,५,२०,१= ऊहे ६,२०-१,५,१,५,१,९.,२,१ ०-- ०,<--१२,७--१४,४ १७,२,६--२१,१८ = AW ३,२,१४।

LIl इन्द्रस्य सङ्क्रमे

(o)—“afg: पचिनौ पश्चपदा"-र्ति देवतन्राह्मरानुश्ासनस्‌ (2,32) “पङ्क पञ्चपदा”-इति Hema (७५१२)! स्व Hay अाचरपदाभिप्रायेक, मायवा- Sea ay! TEAS ““गायवगरावसवः, wake मात्‌ व्बनो "रति freer quran चलारिंशद रा पड्भिः, CATT AGM पादमेकम्‌। साच बन्द wreraursata (ew) विविधा vercufg:, विष्टारपद्धिः, सुखारपड्भूः quis, पदपद्भिरिति गामरुचरूणोभे दान्‌ सेयं fer, पङ्‌ पङ्को नखे

रप ४,९,१] न्द्श्रा्िकः ८६९

र्‌ शर्‌ रे भर

खादुर्मिंचाया | Wee रदा पूष्णारऽदोवा

2 १११११ भगारयार?४५ १२॥

३२ गा परौरदोद प्रधार३४न्वा। इन्दराडेदो। य-

% RT RT R

सोरदधमा। खादुरे्दोद्‌ भिचारडश्या पृष्णेरे्ोद्‌

3 y het ठैर aT रे

भगारेहेघ्या पृष्णेभगाय। पूष्णे२४२। दा२४२ेद

२९१११११

भा रगाधया९५६। ए२। सुववनेर २४५ १२॥

४,

१२, IV दाहाद्‌ परिप्रारधान्वा | एररष्दिया .

< १९, 2

र्‌ र्‌ भ्र BUTE | WERE! इन्द्रायारसोमा। एररेङिया

र्‌ x

१२, WENT WA Aga ara | एरिया

lll खनिंधनरएसौहविषम्‌ IV सोहविषम्‌ |

4

^~

, ^^ beg

८७० सामधेदसं हिता | [Uo १,५१

श्र र्‌ cx

हाराद्‌ हारदाद्‌। पृष्एभादगावा। ररर

शे t Feat! दारशदा२४२द्‌। ओर२४५१ डा १४॥

| § १९ | Val ्यँपाते। पधन्वा। शवारशद। इद्धा

ष्‌ RT ष्‌ VATA | Wael खादुमिंचाया Wares

श्‌ इर eters 4 8 थ२। पृष्णीवाभ्रोरदेवा। भगाष्याड वा ॥१५।१८५ `

हे “सोम !” “सादु” खादुरसख्व' “waa” ““पूष्े"(\) “भगाय'"९) एतेभ्यो देवेभ्यः “afore” परितः may

प्रसर १५९१८५१५

V वारूनिधनश्सोषविषम्‌ |

()—“quy’’-xfr frrerenctweaarg wire we अकितम्‌ (४,९)। STATES याखः--अद्रश्जिपोषं एष्यति तत gar भवति^इति |

(९)-“भमभा दित्यः” -दति मे०२,१९ | “मगोवा्ातः (२,१९) TH कारः प्राग्‌ सपंशात्‌'-इति ने०९.११।

९प०४,८.२1 छन्द ्ा्चिकः | ८७१ qu fatter | जिपदा श्रगुष्टपपिपोलिकमध्या(*) |

RUT २९१९६९९ ३१२९१ १९ २९१

पयं धुप्रधन्बवाजसा तये ACT ATT IA: | ALS

१२९ Rt दिषस्तरध्याञ्जष्षयानदैरसे २॥ १८६ रब

1 पयु षुप॒धन्बावाजारसा। ताया WT) पारो : `. . wie | बृ जाणि। VA: | दादषस्तारा २। धि- शद यारद्‌। भर्णायारः। नारः। ईैरासारद।

र्‌ Gel रसा३४दद्‌ HTT! डा १६॥

PUT १९,

| § Tl gyi प्रधन्वावा३। जासाताररश्याद्‌ धरिव्‌ जाणिसल्षणिः। दिषास्तारेरा। भियाक्णयार्ना-

इई। इम Wasa ys १७॥

१९६ उत्तरां कस्य ९,१,०.१ = WATT ०,५,२२,१ = दहे २,१,७ | (०)-““पिपोखिका-पेखतेनतिकमेखः, पिपीडिकमष्येत्पोपमिकस्‌^-इति देवत

-ततमैयशष्ड | रतदव पाठमेदेन निङङ्कावपि, तद्यथा ."पिपीलिकमध्ये- त्वौपमिकं, पिपोखिका-पेङतेर्ग तिक वः"-इति (Ke 2,22) |

८७२ साम्बेदसंहिता। [ume eur

शर्‌ र॒र < x

4.8 गा प। aot) अघुपधन्वावाजसातयेपरिवचा

\ द्‌ c

णिसक्षणिर्वारडदषाः। तार्दरा। धियाद्णयानभः

शे 8

¥ ATS ATRRVAT TTURTA UTE १८ ॥१८९॥

हे “ara” सृष्ट “वाजसातये” अखभ्यमन्रदानायैव “aft wae” परितः wares [यहा “वाजसातये” ्रव्रलाभाय() wea प्रगच्छ ।] fare | “oafa.” सहन शौोलस्त्व “ratte” Way “ofe”’ गच्छ | azaraa—“a” अस्माकं “ऋ war’ (’) ऋणानां यापयिता विनाशयिता त्वं “few” शवुन्‌ “acy (*) avg waa “$रसे(*) परिगच्छसि। "इूरसे”- “दूयसे "इति पाठो २॥ १८६

LILI aranfa af |

(१)--“अन्रसभ्भजनाय -<fa fae

(x)—‘qewar-efa तु “सुपां सुखगित्या दिना (०,१.३९) सुपोऽवाचि साधितं अङ सुकर यथा कोम्या afad anufa |

()—ang’-efa “qua से समऽसेम्‌ "-दत्यादिनिा (३०४,९) सिद्धम्‌

(४)-- “इ रसे" -द्ति, fare) (२,१४)गति-कभं पु पठितस्य ‹-दत्ते"-इत्यस् ङि (९,४,७) खङ्ागमे (३,४.९४) SAAT |

ao

RT 8,2, 2 | छन्दा चिं कः ८७३ अथ 2a ar | feqer(*) |

१२ ३१ VRP VV ३२ १३९९ श्र श्र

पवखसोमम्दात्ससुद्रःपितादेवानांविश्चाभिधाम्‌ ॥२॥ १८७ 424

४५ १९ स्र ९२२२ ऽर

1 पवख सोमा। मादांत्यसुद्राः। पितादेरेवाना-,. :

2 भरर RUT ११११

RA वाददश्वारद्मो दावा। भिधामार२४५ १८५

yr रर , | 711 ओदारेवा। चओदोरेवा। भरारवारहेध्चौ., * : २र tT २१ RIT ST ATT

Beat | पवखसोाम। Aeiaye | पितादेरेवाना

रद्‌

विश्वाभिधामार२४' ओआदोध्वा भअ्ौदोडवा।

१११९१

अदोर्वार्देम दीवा VS! धर्मार२४५॥२०॥ १९७

© १८५ उत्तराच कस्य ५,१,१७,१ = WAZA ७; ५,२०, == ऊदे ५,१,८९-२१,२,८ | 1 धार्मसाम। Il aaa

(o)—fenar, vfgfefa शेषः, faaracenare Rem,

८७४ सामेदसहिता | [प्र ° १,४५.४

अथ चतुर्थो |

RW VR २२२ VUE रर

YY ¢ पवखसोममदेदत्तायाश्ोननिक्लोवाजोधनाय १९८

ux रा श्र _ श्र रर \:,;,21 1 ज्रौरार्दवा। ओदोरेवा। अद्ाक्वा। gaat: र्द १९ श्र श्र ऽर्‌

al मख्दक्षाय। भश्वोननिक्तः। वारजोधनारयष

डे “ara!” “ae” दषैभ्यो canada awagn: | “aga” समुन्दमः यस्मात्‌ ससुद्रवन्ति रसास्ताटशः(*) | “faa” सर्वेषां पालयिता(९) @ “देवानां” “विण्वा”(षे विश्वानि सर्वाश “ara’(*) धामानि अरोराख्ययिलच्य “aft पवस षरि-

चर २॥ १८७

१९८ उत्तराच कस्य ५०२,१८,१ = ऋम्ब दस्य ७,५.२०; १० = We ६,१,४ #

(१.--““खसुदुः--द्येतत्‌ पाथिवे खरु सन्दिद्यतं | समद्‌: कस्मात ? समद्‌ दु वन्यवन्स्रादापः, समिन्द्वगथ नमापः, समो दनोऽखिन्‌ भूतानि, समुष्दकोभक्तिः समुनन्नौति वा"इति नि०२,१० |

(९)--'“पिका- पाता वा पारषिता वा"इति नि०४,९१।.

(३)- खात रूपम्‌ (७,१,३९) |

(४)- शकि कपम्‌ (७,१;३९) f

२प०४,९,४] छन्दग्रार्चिंकः | ८७५

२२४। दो दोषा sierem चौ होरवा्‌र्४छरोर-

१२३६ ९६१११

aT) ual विधर्मार२४५॥ २१॥

४४ 8 र्‌

tz Il पवखसोमा। मदेदारस्षायार। शअश्नोननिक्तो- ¦ : :

WT र्‌ र्‌ १९९१९९१

२३। वाजा४। भोद्ोवा धनारेयार२४५॥ २२ १९८

हे “सोम!” “भरण्लोनः" श्रश्वः(१) va “am” वसतौवरीभि-

॥॥

रहिविंनिखिक्षः। “Caray” Arata (र) a “ae” महतिं

Cony” बलाय(र₹) “aaa” धनाधेश्च “Tae” ae

~

ae “कलेति पाठौ ४॥ १९८

d 1, विधम ara | Il waara

(()—ee—waryt अन्न तेऽष्वानं मङाश्मौ भवतोति a’-confc a, He २,२७।

(3) —Gaara खघ्रवान्‌ वा"इति वि० |

(2) “ew: -cfa बलमामसु WeteN Hae WH (२,९) 5

८७६ सामवे संहिता [भप्र०१,५५

अथ पञ्चमो |

१२ पविष्टचासदायापामुपद्छेकाविमंग

2 इन्द्‌ कविभगाय Wy nade

४४ 4 र्‌ द्‌

oe I द्द्‌: पविष्टा | चाररद्हेः। HATA! अपामुपाः R भ्रुर १११११ रदस्थाइद्‌। कारेवारेर४भीद्ोवा भगारयार२४५।

Rall १८० “arg.” कल्याणरूप; “कविः” क्रान्तप्रन्नः(*) “इन्द्‌ः” सोमः। “sara” उदकानाम्‌ “sue” उपस्थाने अन्तरि

।९। पवि वा “aera” मदाधम्‌। “भगाय भजनो याय(र) धना-

थच “पविष्ट” पवते (९) yn १८८

१८८ ऋम्ब दस्य 9, ५,२१,३ |

I भागम्‌।

(१)--'कविः मेधावी-दति वि | "कविः"-द्ति fara} लेघावि-नाममु end पद्म्‌ (३,१५)। “सेषावौ- कस्मात्‌ ! मया तद्वान्‌ भवति"-ट्ति, “ail मतो धौयते"-रति tame (२,१९) दरथच्चापि प्रतिपन्न कविः क्रानतपरन्नरति |

(र)-“भमोभजतेः? दति नि०१,७। fragt धननामखु cea भषति ` (२,१०.१०)। | |

(३)- पवि जातः! दूति fare |

२ष०४,९,६ | SUS कः | ८७ॐ ` खथ षष्ठो | तिपदा श्रनुष्टप्‌ पिपौलिकमध्या ऋषिदेवति yaad | १२ १९ २२१९२ - ३१.२९२ ve RR अनुद्धित्वासुतरसेममदामसिमद्देसमयं राज्ये | 432

९१२ ६१२ १२ वाजास्खभिपवमनप्रगादसं २००

१५ रर रेर LRT 7 1 अनु। अन्‌। ददत्वासुतरसोममदामसि। a 7: २१ . ्१्रर्र श्र

दामरायेर। माद साइश्मा। यंराज्यं | वा-

र्द श्र रर र्‌ a 2 8 जारुभभिपवमान | पवमाना प्रागादसा। Wee

8 वा। BAT | ४डा॥२४॥ २०० ` डे “ara!” “सुतम्‌” श्रभिषुतं “ar” at वयम्‌ “श्रनुमदा-

मसि (९) हि” श्रनुमदामः अनुक्रमेणाभिष्टमः खल = “पव-

२०० उत्तराचि कस्य ६,१,७.२ = WAC ७,५,२२,२ ऊदे ६,१,६८-१९८--९,२,८ = HT २,१,७ | I वाजिना्छ॑साम

(१;--““्दनोमसि (७,१,४६)१-इति मस इगागमे रूपस्‌ |

ट्र सामवेदसंहिता | [*ब्र०१,९,७ अथ सप्तमौ | वासिष्ठौ | दहिपदा भारतो

रक र्रर VR VR RVR TR VR र्‌

32 कर व्यक्तानरःसनीडा^सद्रस्यमर्याभथा"खश्वाः oll २०९

BUT 8

,2,27 1 कटैव्यापृक्ताः। नरःसादेनादडारः। GAT

2 we र्‌ र्‌ १११११

रद: | श्रारथारर४्भीदोवा। सुवाहेश्वार२४५; ॥२५॥ मान gaara aia! wa “मरे” महति “aqadrcred”(') महत्‌ समनु ale राज्यमनुपालयितुः “वाजान्‌ ”(२) शत्र

बलान्धभिलश्छ “प्रगाहसे' प्रगच्छसि i Roo ¢ “Aaa xf, 4“अधा"-इति ऋष्वेदौय-पाटौ

Red WET TA ५,४,२३,१ I few ara

(₹२)--*समय्यं राण्य farcry श्च '-दति fae | (₹)--“ वालान्‌ खन्नामिः-दति fae | वाजरत्य ्रनामच्ु (२,९,२) बनाम पाढमेदेन (२,९२) ते Ferrey

२प०४८. ,७] Sera: | cod

१२ ३द IT

: श्र wt रर I] करैर ४दवियक्ताः। नरा३४दःसनीडाः। श्द्र- \. ˆ .: `

WT TF z ११११

स्यमर्यारदः। भारथारेदेऽओहडोवा सुवारश्वार३४५;

Brad. १९ Ill काम वियार२। Ware) ara) uu श्‌ (4 % ४५

नाराः। VARI WATS WEST: | द्राः स्य

१९ | श. 8 मार२। श्रौवा३। WAR भाथा | सुवार३ | Wars t

BX

GAT | WTI STU RSM २०९

^

>~

व्यक्ताः" कान्तियुक्ाः “ac.” नेतारः “.सनौषाः'” BATA

~ दनशौलस्य “es नाकसः “द्रस्य” रोदनशौलस्य(९) एतश्चश्रकस्य “aa” wa-

It विक साम HIT faa साम।

(१)-“स्गो सेतोति खत रौख्यमारो दवतीति वा Cada | यशददता तभ्‌ दृद दद्लमिति कार्दम्‌ | वदरोदोत्‌ ARTE दद्लमिति हइारिबुविकम्‌ wate निर द०४१९ }

ute सामवेदसंहिता | [ ५प्र०१,५८

अथयाषएमो |

पदपङकिः(*) आम्नेयौ वामदेवऋषिः

६२९९ RY २३२३२ RB ३१ -८ 2 4 अग्रेतमद्याश्रनस्तोमैःकतुन्नभद्रटददिस्पुशम्‌। 2१ २२१२ | ै्यामातच्रो हः ९०२

Pea ee श्र £, 2६ 1 अप्रेतमाद्या। अश्वन्नस्तोमादः। कतुन्नारेभा- ; ` ₹२ AT र्‌

BRA) शादिस्यशाम्‌। ऋडयारमारमाररश्ओ्रौदोवा |

VAT ९११११

तस्मौदार२४दः २८

भ्यो हिताः(?%। श्रधापि “खश्वाः'' शोभनवादः “दमम्‌ एवश्र ताः(२) “a” भवन्ति? eatfamara ऋषिः(*) area शाहेति ।॥ २०९१

२०९ उत्तराशि कस्य ८,१,५,१ = कम्बो दस्य ३,५,१०.१ UYATH १५,४४--१७,७७ = HF २१,२,७ u

(*)--गायवो पादस सरैरसालयः पादाः RTA पद्‌ पङ UT

(२)--““सया- दूति मनुष्यनाम, मयादाभिधानं स्यात्‌"इति नि ०४,२।

(३)--“मिताचरेष्वनथकाः कमीमिद्धिति"-दूति (९,९) निङक्तवचचनादचे्‌ एमि ख्नथेकम विवरकमतम | *

(3) —“nefagatara’’—xfr Fite २,६१।

२ष० ४,९.८८] wefan: | ८८१

२३९ ५४ : शर

1 ऋ्ने। Wieser! समद्य। अश्वन्नस्तोमाद्ः ; :

१२९. t | कतुब्नारेभाद्रा eH | दादारओद्‌। WAR) WRT

र्‌ VW A ११११

माररधओरोवा | तश्रोहा२२४५॥ २८ २०२

हे “om!” “qe” अस्िचरहनि, aaafaarea: ne) werfe-araat “स्तोमः” स्तोच-समृहेः(र) “तं” ufaw त्वाम्‌ “ऋध्या म"(र) समद्ैयामः। ated त्वाम्‌ ? “ag a” वोढारमणश्बमिव तथा “हविषः” वाहइकम्‌। “क्रतु a” कर््तौरमिव उपकारिणमित्यधं;। तथा “भद्र” भजनौयम्‌(*) “दिष्य” weara(’) भरतिशयेन प्रियमित्यधः # ९०२

IIL आणि i

(९)-खोरेरिति अतेः कमानो येरित्यथेशु eH: पर are WITT, सकामतः, RANG TATE योनिमानमूरुकलेानादिव्ाभावात्‌ | (२)--वदिष्यव माबादिभिरित्यथः। (र)-मिषय्टौ परिषरक-कमेचु पठित कथो तौत्वस्छ रूपम्‌ (24,0) | (४) - भद्‌ दौक्स्‌'-दइति Fate | (५)- इदयं afer, Yea बा सुते"दूति वि० | TUG,

TTR सामवेदसंहिता | [५प्र° १,५,९ अथ मवमी | परखश्णिक वाजिनां afar

१९२९९ शद १९ श्र १२ ९२ RR

८25 भराविभमर्याश्रावाजंवाभिनोभम्मम्द बस्यसबितुःसवम्‌।

खरगेरभर्वम्तोजयत < Row शेर 4 श्रद्‌ ङ्‌ | 8 io gn 1 चआविम्मरदध््याः। भावाजंवाजिनो्नम्मान्‌। शर शरश o देवस्यस। वितुःसाररेध्वाम्‌। खर्गर्वाीर२४५न्ता-

t १११९१

९५६: जयतार२४५ Re २०३

“wor” मनुष्येभ्यो हिताः “safe” ˆ प्रकाशमाना: “वाजिनः” 2a-fastar:(*) वाजिम-भालज'(९) “सवितुः” प्रे रकस देवस्य(९) “सवम्‌” अ्रभिषोतव्यं “वाजम्‌” भरत्ररूपं सोमं ““म्मन्‌ अगमन्‌। ततो दे यजमानाः! “an” तधा “अर्व म्तः" भवं तोऽश्ान्‌ जयत < २०३

66

जयत

I वाजिनां ara |

()—anrferr इति frre} -देवत-थिभाने जि अमो ere: (4, ¢) Sqarraray’’ दति तश्च Wwe ( ९, २८। १०, BR) I (xan पथसि दधानति खा बञखदेयाभिचा, खअमिश्ा-निःखतं ag वाजिनम्‌ | (९)-““सविता सवद्य प्रपयिता"शत्यादि He १०, ATARI

RFe8,¢,00] wean: | ace दमो | रेष्वरयोधिं ष्णया ऋषयः दिपदा

RRR LU RVI १२९२

पवखसोमद्य MINNA YT ASIA ॥१०॥ २०४ 43

पष्छम-दशति ut ४४ 2 रे द्‌ १: I पवखसोमा। द्य जाररतसधारः। मादारषवौ ! : `

१९ रर नाम्‌। WAT) विंथोरर्भरद। डा॥ २१॥ २०४ हे “सोम!” “दको” [gat द्योतते, am ara वैति यास्कः (नि० मे०५,५)] waar यश्खौ att “सुधार” शोभन-घधारा-युज्घः “qe” पुरातनः “महान्‌” लम्‌ “aatat” “रोम्णा रोमभ्यः सकाशात्‌ “श्रु क्रमेश्च “पवस खर १० NH इति श्रीसायराचाय्य-विरचिते माधवोये सामबवेदा्थं-पकाङे रन्दो बाश्याने STRATEN TY नवमः GS

+ “मद्ामवोना"-दइति wala: |

२०४ ऋग्वेदस्य ७,५,२० |

I पवित्रम्‌

ग" दूति GATE: प्रपाटकः॥

tcg सामवेदसंहिता | [amo २,११

श्रध ema qa

a सवा प्रथमा Tet

९१६२९१६ १२६१२

/ 4 विश्वतोदावन्बिश्वतोनभाभरयंताविष्ठमीमरे १॥ २०१ 1, 21. 1 विञश्रतोचाउ। दावन्विश्वतोनाः। wet हा!

र्‌ ङ्‌ R रर

TVET! भा। भरा। भारेदरा। पील्वाशवि श्र % RTT शब्द 2 छमायि। Arar! Whereware रए दोये दौऽ१॥ २२॥ ४५४ द्‌ veut 8 र्‌ ।,

11 विश्वतोदावन्विश्वतोनश्चा। भरा। भारटेरा। २४ १२. UR यांत्वाशविष्ठमायिम। wi stewart! शोऽ१ह्‌ डा २२ २०१

हे “विष्ठतोदावन्‌” सवं तन्डेद नवन्‌(\) सर्वं दानवन्‌ वा(र)

cx! सत्वः “fawn” सवतः “नः” अस्मभ्यम्‌ अरमीषटम्‌“राभर"

LII आभरे =

(१)-शावन्धिति ‘at खवखण्डने'-द्त्यख सखूपमिति Shea इति urs: | (रो-दावचधिति ददातेरिति लकारे इति ara: |

VTe ९,१०,२] weufaant TCR wey इता Tet |

PWW २१६११ ९२९ ९९.

एषब्रह्मायङ्छत्वियद्‌ द्रोनामश्रुतो खणे २॥ २०९ 437

४५ R ९३२

1 एषाः। ब्राह्मयाया३९उवार३। ual त्वियश्ा \: ˆ : `

र्‌ र्‌ भाररयिद्राः। नामश्रुतादेरउवाररे। ए३। AOA २४॥

४५ ४५ t 4

र्‌ TL एषाएषाः। ब्राह्मा RATER | यच्छलियोवां , . a _ ष्र्‌ रे MAT आयिन्द्रा रभायिन्द्रा रः। नामश्रुतोवा | AAT

2 8

११ DUT Besar i शोऽधद। Whar

arec: faq “afasa’ अतिशयेन बलवन्त “यं” त्वाम्‌" fae” waite ararag(®) १।२०५

२०६ उन्तरा्चिंकस्य ९८,१,१,१ == ऊहे २१,१,८ | LII argue हे।

(2)-““देमदे"-दति STS wa प्रथमं HU कम्‌ (2,24) |

tcg सामवेदसंहिता [ume २,१.१

अथ दशमे Gay

मि सषा TAHT | Ter

९९२९९ ९६९११२९९ १२९१

7 विश्वतोदावन्बिश्वलोनभाभरयंत्वाश्रविष्ठमोमश १॥ Rey

, 1 विश्रतोहाउ। द्‌ावन्विश्वतोनाः। ait हा,

| रर श्‌ रर 4 ओरदश्डायि। TW भरा। भारेदरा। पौत्वाशवि श्र शद

छमायि। ATH! STRATE दये डोऽ१॥ २२॥

४५ Burt रे द्‌

11 बिश्चतोदावन्विश्वतोनश्चा। भरा। भारहेरा। शक १. याँलाशविष्ठमायिम। etl भोरदोवा। दोऽधट डा॥२२॥ २०५ डे “विश्वतोदावन्‌” सर्व तन्ङेद नवन्‌(\) way दानवम्‌ षा(?

बन्दर! सत्व “विश्वतः” सर्वतः “a.” अस्मभ्यम्‌ अमौषटम्‌^्रामर'

ce ee ee ना आभरे दे।

(२) दावच्रिति "दो खवखष्ठने रत्य रूपमिति Stes इति wis: | (र)--दाबच्धिति ददातेरिति alert एति माबः।

ATo <,१०,२] weenie att ८८४ we fader | tart RWW ३२११९१६ २६२ ३२९

एषव्रह्मायक्छत्वियदृन्रोनामश्रुतो एण २॥ २.९ 439

४५ tc 2 VR

TU | तब्राह्मायश्रा३१उबा९२। ए२। व्वियभ्रा ; ˆ -

र्‌ र्‌ र्‌ RRR भार्रयिद्राः। नामश्रुतारेश्उवार१। ए२। एणा

Has ll

४५ ४५

| र्‌ TT एषाएषाः। ब्राह्मा खब्राह्मार२। यच्छल्ियोवा .

र्‌ |. _ x . LES र्‌ ओवा | आयिन्द्रा eaters: | नामश्रुतोवा | ओषा

२९१ र्‌ 8

DOT! अङ्दोवा। शहोऽपद। Weare

अरहर! किच्च “शविष्ठम्‌"' अतिशयेन बलवन्त “यं” लाम्‌” ‘fae’ waite araag(®) १।२०५

२०६ उत्तराचिंकस्य ९,१,१,१ == ऊहे २१,१,८। LII वास्मन्दे दं

(३)-“"दंमहे"- दति याच णा-कमद् प्रथमं Hee कम्‌ (२१९) |

babar | araazafear | [ume 22,2

8 ४४ १२९

on gy TILE भ्रोवा। ब्रह्मायाः। रत्विया रः

`

R र्‌ र्‌ BRU! नादमा। अररेतो। ्णा।

9 भोरद्दोवा। दोऽप BTU ace

र्शर 2 : ५, TV अोदृाद४३। Waser | एषाब्राह्मा४३। वा- 4 as: | ऋतियाः। Baez | Bevel | इन्द्रोनामा

8 ५८ $ २४२अ्‌ ३४। तोषटणायि | भोरचा३४९। ४५६५९ |

र्‌ २९११११९

ए३। सुववं तं २२४५॥ २७॥

२८ UT RT UT

V wearer! arent इदद्धोनामौषो।

ररर

श्रूलोगणादश्डवा९३ अर्ध्पा २८॥ * २०६

TILIV,V कावष्याणि ati:

# दूति यामे गेये एकादश प्रपाठकः

प° ४,१०,३] न्द शिकः | cts | aaa चसदस्मर्छषिः I

६२११९ १९११९ १९२ श्ट ९११९१२३ १२

रह्माणदन्रःमशयन्तोर्करवडंयननयेदन्तवा ॥२। ९०७ 27

Vz ९.

I SHAN दाउखरता ब्रह्माण रः | TRAIL BW 7 . :

4

Be Seah Gunite मदयारेन्तार२९केः। अवा रद्यान्‌। WHIZ | तवार३-

v a °

= = i

रर CUR

४५यि। ६५६ शोकयता२२४५॥

we ४, i

1 ङाउ। भभो। खरता ब्रह्माणञ्नायिद्धा रम्‌

99

^“ त्वियः'" ऋतो वसन्तादि-समये भवः “ai” we: £"नाम- शतः” विश्रुतः “एषः” “ब्रह्मा” स्तोढणामभौषटस्य वद्यिता(१)

तमष्ं “WG” स्तौमि Hoe

, २०७ WATT ४,१२८.४ | 1 ज्रोके षदे

(१)- ब्रह्य ति efe-earfrae रूपमित्यमिप्र त्याक्घमेवम्‌।

^ ^

ccc araaed feat | [ute 2, 2,8 अथ चतुथं | Vet | १२९९९१९ २९१२३ ९१९१

TATA CTIA YH CTIA ASAT AA tell २०८

९१ र्‌ मद्या VAN | कैः, अव्या S| अयेन्तवार-

र१५य९५६। द्ोरशध्काः २.॥ २०७

“aga” ठज्राय(९) [क्रियाग्रहणं कल्तव्यमिति wae: wa दानत्वात्‌ इनन-क्रियायां ere. सम्प्रदानसंज्ञा] “saga” [qua शेऽेनिति (३,४,९) wa’) प्रत्ययः] हन्तुम्‌ “अर्के” अर्च. जोयैः स्तोभः मन्व इविर्लचषणेरज्रैवा ˆ महयन्तः" पूजयन्तः (*) “ogra.” ब्राह्म णाः “इन्द्रम्‌” wataq” atafa प्रोतं कुव्- AAG: २०७

« “Aa त्व"-इति ऋम्ब दस्य

(१)-“डय-दानवाय'-षति fae | निष्य्टो aang अद्िरिति रकविंष्ति- लम पदस, दवदति तु खहाविं रतितमम्‌ (१,१०) | |

(₹)- ऋचि "तवं", “ख'-दति Ga: |

(द)-- “ख रदेवोभवति यदेनमश्न्ति। war wet भवति वदनेगाशं च्लि अलम भवत्यद्ति भतानि। wat दचचोभवति टतः कटकिन्ा+-इति नि० ४, ४|

(*)--“मडयति^-रत्यवं ति-कमस पर्चति प्रशम Awe कम्‌ (९१४)

२प०४,१०,४] weenie a: 1 cue,

धर २5 २?

I हाउखरता। खरतखरारडता। आनवस्ते ; : Cz श्र rhs ws t रथम ायाताऽ१्‌ RRB: | हाउखरता | खरतखरा eS १? . \ g i Lg रेरता। ASTI दुरु 1 ताद्य मान्ताररेम्‌। डा- Rsk Q XT उखखरता | खरतख। रा रतारदशषष्टोवा | खराऽरेता

११९१ २२४५॥ १॥ २०८

हदन्द्र! “aaa.” बबुष्या(र) "ऋभवः" (२) “ते” तक्सभ्बन्धिमे “sara” वाहनाय(*) age “रथं (*) “aerg:” क्तवन्तः (५)

1 आनुज्ञोकम्‌

( )-खनवः-दति मलुष्ठ-नामसनवि अतितसमं नेष्ट कम्‌ ( ९१ ) |

(₹)--“ विभ्वावाजए्ति सुधन्वन खाङ्धिरसख्य तयः पुजा बभूवखोषां प्रथमोलमाभ्यां asafguar मवन्ति मध्यमन तदेतहभो बडवचमे चमसस्य खुखवेन इति may सृक्नानि भवन्ति| आदिन्यरजयोऽप्यभवख्यनो"-इति fro १९, ray

( )-“अ्लोगोडा (ऋ, €स, OWS, <स्‌, UN) इत्यादित तेर याङ्बनम्‌ |

(४)--“रथो इतेनेतिकमेशः farcatt खाष्िपरोतसख रममाखेऽखिखितोनि बा, रपते वा, रसते वा" इति fate ete |

(५ “awa ere करोति-कमखः”.इति भि०८, १९ | सादं काश्िक-खिरि STH (द,४,९ ) |

११२क;

Gee VARTA EAT | [४प्र०२,१,

Guat! रन्द्रो |

९११२९१३९ २९ २९१९ W RRR

YH शव्यदंमधरयौपिशेनकाममभतोदिनोतिनस्पृश-

द्रविम्‌ #५॥२०९

. > “+ ` भनौषोयि। शाम्पदाम.। मघ्रयाऽ१९९४ि।

feta | RTARTA रविमोरद०५, `

डा॥४॥२०८

हे “qeya’ बडइभिराइतेन्द्र ! “त्वष्टा” fawaat «9

त्वदौयं “वथ “श्धमन्त '” दौपिमम्तमकरोत्‌ ४॥ २०८

I अआरुञ्ञोकम्‌ | ( ¢)— “farm स्ख कतो इति fare २०,२४। तथाच watery तिः-

ara दावापुथिवो जनि चो पेरपि शद्‌ भुव नानि fr

नम्‌ द्य द(तरिषितेायजोयान्‌ दे वं लष्टारमि यसि विद्वान्‌” (We to We to अहुर Yo WE)

4

RT08,2 0,6] eurfe कः Gar अथ Tet | श्यं वेश्वदैवौ |

१९ २१९ UE २९ १६९२१ ९१९२१ ६९६९ TLR

सदटागावःप्एचयोविश्चधायसःसदादेवाभरोपसः ॥६॥ २९०

शश्र

R 1 सादा। गावःश्चयोविश्वधायाररसाः। | ate ~...

9 R 4

२४दा। SAAT ATRVBAT | पारेद्श्साः॥ ५॥ २९

““रयोषिशः”” रयिं धनं हविर चणं प्रेषयनम्तो जनाः श्चं" सुखं “पट"(९) सथानं “मधं” wa शभन्ते इति ita: | “अव्रतः” इन्द्-विषय-यागादि-कमं-रहितः(९) पुरुषः Zar दिकं “न हिनोति" प्राप्नोति, दातु सभा भवतीत्य; | meat “कामम्‌” भरभौषट “रयिं” रमणीयं घनं “न eae”) स्मृति ५॥२.८

“गावः” गन्तारः स्तोतारो ar(') “aera पर-रणादिभि-

I, ara ara!

( १)--“ज Ge, तख पदम्‌.-पम्यदम्‌' इति वि° ( )-भतसिति wei-areng owe Ree कम्‌ (२,१)। (₹)-ष्छभदिति रेो रूपस्‌ |

(१) -म्छन्ति, मतेाकारीनामकरशः"-एत्यादि दविविष-तदक्ति-दर्भन।दित्यमि-

FEL

८९२ | सामबेदसहिता | [४प्र०२,१,९ अथ सप्तमी | सम्यातच्षिः दिपात्‌। उषस्या |

१९ RR रर

4 ८2 भायादिवनसासशगावःसचन्तवत्तेनिंयदूधमिः 5 २११

|. शर्‌

“८८ 1 जओ्ौडहोरयि। wartti बनारसासद्दा। १९ १९० Cs गावःसच। तावर््ानौ र्म यात्‌। BWV धभिरोररः

४५द्‌ ST i |e Ul २११

रुपगच्छम्ति ते “wea” fare: “सदा” सवदा “fae: यदः” far धारयण्ति पुष्णन्तोति बिश्वधायसः awa: भवन्तो- व्यर्थः “eer” सर्वदा “देवाः” दानादि-गुश-युक्नः “अरेपसः” पाप-रहिताख(९) भवन्ति २९०

२९१ WATA ८,८,३०.१। I ars: साम।

gra: २,४ | अथवा मायः स्था दित्य-र वः ( Ho ९, ५, ९) अमेध्य ऽपि पतमानाः डाः | सधवा मावः खाचः, भूमि-गताः (ने © ९,९१.९, ) WAST बावः वाकः ( ने०१,११,४ ) ।- MTSE CAST: -Ciat वि |

( )--“अरोपखः- अ-रेपिताः अपापाः; रोपर्ति पाप-नाम' एति fae

न्दश्राखिं २प०४,१ ०.२] काः CER अथाहमी | ४९३ १द रर १२२९ रे ३२ १९

उपप्र्मधुमतिक्षियम्तःवुष्येमशरयिन्धीमद्ेतद द्र ॥८॥ २१२ 4H

8 ४४ ect चै 1. अरावा . उपप्रक्तमधुमतिकतियन्तः। atari a TC TRL पुष्येमरयिन्धामदतश्माररयिन्द्रा | GIT) वाश्रावा | BAT RT र्‌ |

ATRTRYSATRE | अदष्पा॥ © २१२ हे “om” “वनसा” वननौयेन टे जसा “aw साम्‌ ^ भ्रायाहि” भ्रागच्छ। उषसो वाहनभूताः गावः (९) “वत्तं नौं" रथं “सचन्त सेवन्त(*) wae रथेनायाहोलर्यः , “यत्‌ ` याः गावः “ऊधभिः” उपलत्तिताः प्रभूताः पौना gerd: |

ताः गावः इति सम्बन्धः २१९१

# "पुष्यन्ताः'-दति ऋब्वेदौयपाठः

२९९ उ्षराश्चि कस्य ४,१,२,४। I माधच्छन्दसम्‌ ( )--खच arent रब्‌मय Cae: ( मे ag) उपसखदयान्प रेव EWE `

लषु ATCT नोपचंयते | ( }- “भच See रेवमे ( भा० We)”

८८४ सामवेदलदङ्िता | [१्र०२,१,९ we weet |

१९२ ९२ TL 2 VLC शद शरे १९ शर

“८८ RTA AEA RTARTA AUNT: ॥९॥२९२

| |: श्‌ र्द |. ८, & 1 अरञ्चन्तिया। कम्मतःतुवारर्ाः। भसोभता- शष्ट

यि! BATA | येन्ाश्डवा३। अदश्पा ॥२१३ “ड इन्द्र" canadian! (९) त्वं “ayafa” माधर्योपेते Ce” रा-क क-न्यग्रोध-चमसे “ते” wee “eran” समोपे खिताः वयं “रयिं” रमलौयमज' “gan” पोषयेम किच्च at “aw? वयमनुध्वायेम ९१२ “खकः” शोभन-सोवाः(९ शोभनाव्रावा(९) “मरुतः” ee

२९६ SUS aH ४,१,२४ = ae २,२,१ 1

I माङतम्‌। ( )-“"दन्दतेै थ्य कं वः” इत्यादि नि ४,८। “ameter WATCH जिमितेन्-प्द-वाच्यः इति Tate ATT वरः ( )-* बद्धौ सनो मवति, azarae न्ति" इनि नि० ate ४, ४। (२ )--“अकंमन्रं भवति, अदंति भतानि"' इति fate ने ४,४। ( “अथातो मध्यस्य्ाना देवनकाः--- तेषां सतः प्रजमाभामिनो भवनि" त्यादि नि०६९.१३।

age ४,१०,१०] | wreurfea: | ८९१ | अथ Cua |

१९१२ ९१९ ९९ Ce Lo VAL RIATAG MATa TAT ANTE MIMS sil र्‌ Wate roll २९४ प्रथम-द शति

४8 t x |

र्‌ R I प्रवाः। waegrmgaeraarezat! वायि- ^

शर दर 8 २९

TAMAS LAT AT | याश्ञजोवा३। उप्‌ षाऽरतो४५-

श्‌

चायि॥ < २९४

“अकम्‌” अ्ंनोय(*)मिन्द्रम्‌ “र्वन्ति” eae fafa: “युवा? नित्य-तङूणः “aa.” विख्यातः “oe.” “श्रास्तोभति" तेषां सम्बन्धोनि शज्रजातान्ाभिमुख्येन हिनस्ति) < २९३

* “SATA fa fao ats |

२९४ Tua ४,१,२५- TAT BR Ro , I suit ara | ( )--* “का देवोभकति agree‘ fin” इति नि० Foy, 8 1 ( freee aerate area) नस्पथा--““अर्चेति पणबन्ति। ad? देवम्‌ , wee’ लियः, 'खकाः' ater “Grelafa’ wee ; जतः काष्छातः ear mee: | Stet? इन्दः"-एति।

‰# ‰^८

eS / i

८९६ सामवेदसहिता। [५प्र०२,२११

भथ चतुधखर्छ -- सेवा प्रथमा | १४३ र्र्‌ रेड “yt अच्ेत्यग्रिशिकिति*व्यवाड्‌ नसु†'मद्रथः 1१॥२९१

दे “विप्राः” मेधाविनः! (५) “ठच्रहन्तमाय'" अतिशयेन see emai, तस्म इन्द्राय “a” “ara”? स्तोत्र(*) “प्रगायतः ' प्रक- GQ पठत & eer! are: “a” स्तोत्र “qaqa Baa 1 oN २१४

ति सायशाथाय्यं-विरचिते माधवोये सामवेदाय vant etarenet अपुधस्याध्या यस्य दमः wae: १०५

a“ ofa शिकत" इति ऋग्बेदौ यपरे | + “इव्यवार्‌ सु”-इति

२१५ WATT ६,४,२७०५ |

(१ “विप्रः” इति मेषापि-माभक प्रथमं नैयक्कम्‌ ( ३,१५ ) | (२ )- “माथा” इति बाङ्ताम Wafer षष्ठ कल्‌ ( १,१९ ; +

3.9, ४, १, १. छन्दश्राचिकः | cé9S

५र

I अचेती। afq:: विकाररयितीरः। दारख्व्या;

UT RB RU

३। APSARA दोवा। सुमद्रथा २२४५; १०

Burt

Il मचेतिया। भ्रायिश्चाद्रकायितीर्दः। दो। दोपि `

१९१९९६९ x R र्‌

ओरदोर२४५। ₹व्याररे। वारडार२९ अीद्ोवा I

RB ११९११

ए२। सुमद्रथार२५५;: ११ २१ दव्यवाट'” हविषां वोढारं “fafata:” विशिष्ट-प्रज्नः(\) “सुमद्रतः' सृष्ट-हवियुं कञ-रघोऽग्निः “श्रचेति” Far सरवै.

सयते यहा [व्यत्ययेन wate प्रत्ययः (२,१,८१५)] हविः-

प्रदातारं यजमानं जानाति॥ १।॥ २९१५ TIl शाम्य इ।

( ) -““चिक्यत्‌'' इति पण्यति-क्मसु प्रथमं taza, तद्य रूपं चिकितिरिति, अथवा प्रञ्ना-नामसु पठितं “कतः"-दइ्ति तस्यैवेति |

११९२क,

Ger सामवेद संहिता | [५प्र०२,२,२ wa दितौया | वन्धक्छषिः | आ्राम्नेयौ |

TS RR RR RRR र्‌ करर

4८4४ अद्म लन्नो न्तमउतचाताशिवोभुवोभवद्च्यः ॥२॥ RE

sf

fi 1 शओओोग्रायि तन्नोरदेशा। इम्मार। तार्रे$्माः।

Vy ९२९९२ ९१२२ 8 & 9 उतचाताथिवोभुवः। शिवोभवारदः। वरोवा। थाऽ१५ यो्शायि॥१२॥

४र श्र ९२९२ TL wat) दोयि। ANA नोभन्तमा ३९ उवा R % RT | % २२। Bees ati arat Vt 232 8 at VWI ११२९ शिवोभुवा २३४५॥१३॥

© “Wal’-<fa ऋभ्व Sas: |

२१६ SUC कस्य ४,१,२२,१ = WATS 8, Geet AGT २,२५ WS HAF ३,२,१८-१२,२,१५।

1 aga TL were: t

२प० ४०११,२] SETH: | ८९९

WTR BUT 8 २६२२ १२ र्रर

Ill अग्नेत्‌ वन्नो्न्तमाः। उतच्रातािवोभबः। : ,

R र॒र | 8 वरा २३। WNW ररवा Msy ae

y हायि १४॥

र्‌ 8

IV wal Uhl BATT! तमाः। ऊता२।

§ , ९९ चारयि। ओरेदेषिशय। चातार। शिवा २४५।

भृरेरध्वाः १५॥ २९९

(+

हे “sq!” “age” वरणोयः सम्भजनौोयः। यदा | gear: यन्नग्टेवंतः(*) “a? “नः” श्रख्ाकम्‌ “अन्तमः” अन्तिकतमः "भवः भव “उतः अ्रपिच त्राताः रकः

“farq:?? सुखुकरख भव(र) ९२९६

III गृहः IV अत्य; |

(९) बङूथाभिति गडमामसु सप्रदं पदम्‌ नि° ३, ४। ( )-“शिवम्‌"-इति चुख-मामखद्टादण्ं Taw कम्‌ (१,९) ) ततो मलथी बाच. प्रत्यये Safata are: |

९०० | सामवेदसंहिता | [प्र ०२,२,२

अथ टतोया | AMAA | २२ २३२ a ३२ RRWR 449 भगोनचित्रोअभ्निमदोनान्दधानिरल्नम्‌ 2 २१७ tes 17 भागाः। afar अभिग्मदोररेनारम are ४र २९९ ९१११

री दे धाररेष्रीदावा। तिरल्ार२४५म्‌ १६

५४र्‌ 8 v (AAT TL भगोनचिचाः। अधमा दारडेनारेम दारधा- at र्‌ ९१९६११११

२३४अ दावा | ए२। निरलनाररे४५म्‌ १७॥ २१७

¢6

महोनां महताम्‌ मध्य “भगान qaga(’) “faz.”

चायनौयः५्‌) पूजनौयः “ater” यज्वनां ‘wa’? रमणौयं

धनं “quifa” धारयति प्रयच्छतौत्यथः.२) ३॥ २१७

| [णि | emp

=-=

1.1 सातनिके =i ( १--''भगमादित्यः" र्ति नं ३,११ | “न RE, उपरभाययो यउपरिष्टात" fa qo १,४।

(२)--चिचन्ट वानामितिमन्त्रयाद्धयानावसर एषर्वाय वदता BRA (१२,१६)। तदेवाच BETA मानम |

(२ - "दर्वि -द्त्यखय farawt ( ६.१८ ) याञ्चा-कर्मसु दश्ममेववमय AMT |

२्प० 82 2,8 | छन्द रिं कः | <€०१

चतुथो | एषा tet |

१९२३१६९२ PR R<W रेर३२२२९

विश्वस्यप्रस्तोभपुरोवासन्यदिेदननम २९८

SL Ss

1 विश्वस्या प्र्तभार। पुरोवासारन्‌। यदिवे-\

R R on

ह्रदा न्‌२२। नारेमाररश्जीदवा। WTR BE नाम्‌ १<॥

शौ 2 7 RR I यि। faget) प्र्ताभारे। qaerars

१९ 8 दायि। वासारन्‌। यदिवेद्या। नरर। नारमार्दछ ४र र्‌

्रौडावा। YTRBBAT १९ WERE (Gag सव्व स्य शचजातस्य “ada” प्रस्तोभति fea- स्तोल्यर्थ; “यदिवा” “se” यज्ञ “aad”? “qa(’) वासन्‌” पूव्वस्मिन्‌ देे वसन्‌ स्थितः wee aa प्रस्तोभ ऋलत्विग्मिः प्रकभ स्तयते [स्तोभतिस्त स्तति-कम(९) २१८

I waara i Il warara

(१ }—aafafa वितकदूति fae | (९)-स्तति-कमेखिद चतुथ daw कम्‌ (३,१४ ) I

450

£02 सामवदसंहिता। [५प्र०२,२,१ अथ पञ्चमो | सम्बत्तऋषिः। उपोदेवता। fever

६२ ६९ ६२९ VR 2

Hog उषाभयपख सुष्टमः*संवन्नं यतिवर्तनि्र सुजातता ॥५॥ २१८

र्‌ | °

, 1, £: 7 उषाश्रपा। खासुष्टारद४माः। संवा रसया तिवा

१३११ रर्तररध्नौम्‌। ARMM | २३। ATR १९६१ BY २० २१५

द्यम्‌ “our.” “ag?” भगिन्धाः राजेः(९) सम्बन्धि “तमः” “gaara” “श्रप संवत्तयति'" श्ामौयेन तेजसा अपगमयति। “सुजातता” सुजाततवं wat सुप्रकाशत्वं “वन्त [नं वत्त- यति रघ प्रापयति(९) २१५

# “SQqa:’-sfa ऋश्वदौयपाठः |

२९१०५ WHIT ८,८,२०,५। 1 उषसः साम

( )- खसा स-खसा, खेषु सोदलोति वा शति fate ११.१९ (२ )--खमसुः तमः, BE खसा भगिनोव अपसंवत्त बति वत्त निं राजि ace अनस्य सुजातता इति विवरणषटदुया यानम |

२प० ४,११,६] छन्दश्ना्चिकः ९०३

ey षो |

भोवनश्रात्थऋषिः RWG ९१९ १२ UR TATA TATA TORR खविश्ं चदेवाः २२० # थद 8 8 र्द

1 इमानुकम्मुऽ५बना | सौषधारयिमाउवा३े। ईढ- : `

RF RR R ४दा। इन्द्रखचवारयिश्वाउवा३। इंरेष्डा। चदेरे। वा R ACT

रयारद्श्भोदावा। वोरेदश्याः २१॥ २२.

दमाः" () इमानि परिषश्यमानानि “भवना”(९) भवनानि ल॒ fan’) “सोषधेम साधयामः waited: कमिति घूरकः(*) यदा इमानि सर्व्वाणि भूतजातानि tana’ “का” सच्ं८.) सोषधेम साधयतु (पुरुष-व्यत्ययः) “gary” “fay” सँ देवाञ स्तुत्या प्रौ ता इममर्थ' साधयन्तु i २९०

one eA.

* “सौषधा?-दति Wa दस्य, सायणोयोत्तरभाय-्त | ~ __ २९० उत्तरस्य ४,१,२२,१ = म्प दस्य ११५,१ ्रार- ष्यक २,२१-२२ WE १३२० | { भारहाजम्‌।

(९), (२)--रुरपाखलमगित्ययात्वे रूपम (©, १, ३९) |

(U—"S"-xfa चिप्र-मामन प्रथमं daz कम (२, १५) | (५।--भिताचरोव्वनर्थकाः कमीमिदिति"दति oo ११९ (*-“कम्‌"-इति सुख-नामसु अनिभ WA HH (३, ९) |

०४ सामवेदसदहिता। [422,29 चथ सप्नमो। कवषरेलषक्रषिः | दूयं वेश्वदेवौ |

३९३१२३३२ ३१२ ३९२

4८2 विस्रनयोयथापथाद्य नद्रतन्तुरातयः BV

४५ 8 rT 2

(1,00 1 feafaa लायारस्तायार्‌ः। यथापथाः।

२९१ bok

` आयिन्द्रार ATT VAI ATT V8 Bal ATS ya

wet

दायि २२ २९९

“न्द्र्‌!” “त्वत्‌” त्वत्तः सकागात्‌ “रातयः” दानानि “वि यन्तु" विविधं गच्छन्तु तच दृष्टा्टः-“पथः राजर्मागात्‌ द्रमागौ यन्ति तहत्‌(९) PRY

—x

२२१ SUT कस्य ९,१,२,२ = HAS २१,८

रातिसाम।

(१)--“^विख्‌, तय,” विविधाः Sara: सरणः मागाः “oR” “aa” बत्‌समीपं “ama”; ^ रातयः" दानानि विष्टे खण्ानि “अथवा! -दृत्यादि fae |

¬प ०४,११,८] इन्दश्राचिंकः | ९०१५ Waza | | भरदाज ऋषिः दिपदा |

श्र शै +र 8 LR

अयावाजन्द वहितधमनेम

१९२ ३१२ et र्‌

मदे मश्तदिमाःसुवो राः॥२८॥ ररर

act रद दर्‌ र्र्‌

I अ्रयावाजाम द्‌ाविवंहि तरसनमा। मद्‌- 3

TMT eA: | शतार९। दा यिमाररऽभोोवा |

१९ ११११

सुबोरेरा २२४५. ॥२१॥२२२

टेषैन

“gar” waat wet “देवहितं” टेवेन द्योतमाननन्द्रण दत्तम्‌(*) “वाजम्‌” wa “सनेम” वय ania! श्रपिच ““सुवौ राः” शोभ न-पुश्रोपेता वयं “शतहिमाः शत हेमन्तान्‌

“मदेम SUA ८। २९२

२९८ ऋग्वेदस्य ४,६.२५ | 1 भ(रददाजम्‌।

(१)-दितमिति “where त्यामे"-दत्य रूपमिति सम्भव aren दशत्रिति। ११४.

< ^

^ 4

> शल

+

क) /

£og सामबेदसहिता | [५प्र०२१,२,९

अथ नवमो | श्वटेवौ पआज्रेयक्षिः। इय बश्वदटेवो।

R > RUE रद्‌

अजामि जोवर्णःपिन्वनिडो

8 RF &

पोवरौमिषङण॒द्ोनदन्र॥ < RRR

xt 1.24 1 ऊर्ज्ना मिचोवरूणःपिन्वतारदयिडाः। पौवरौी-

my

2 मिषह्कणद्ोनभायिन्द्रार्डवा३। ऊरध्पा २४ ररर “ag! “fawn”, “वर्श, तच्च सवं ययं “(ऊजा रसेन बलेन oar’) सद्िताः “eer” श्रव्रानि(९) “पिन्वत sana सिश्चत प्रयच्छतेत्यथः। | पिन्व सेचने (sate Go ) धातूनामनेका्थंत्वादत्र waaay: ] fag: “aac”

प्रहहम्‌(र) “इषम्‌,” wa (४) “नः अस्माकं “argte(*)” कुङ्‌

देषटोत्यथः(९) le ररर

I शेषम्‌

(१)- .ऊव्वं। wy ृ्टिवा'-द्ति fare | (२)- "द्रा, दला, CYT AT "षत पाठमेदेनाद्व-मामनु Tema नेषष्ड- wa(toy) . (३)- पीवरौ -ख्य खलाम्‌-दइति Fao | (४)-इषमिति खब्र-नामसु चतुदश Faw कम्‌ (२, ©) | (५-५“वाच्छन्दसि (3, ४, ८८)"-द्ति देरपित्व-वेकष्िपकम्‌ | (€- “शद्ध कुर"-द्त्येव fate |

९प०४,११,१० weuife am: | 209 अथ दशमो

यमे कपदाष्टाक्तरा गायनो | वसिष्कषिः।

र्‌ न्दोविश्रस्यराजति १० २२४ 456 इति दितौय-दशति

Res at

I इन्द्रो४ विश्वस्यरा जनतिचोर२४५द्‌ डा ॥२५॥.? Il इन्द्रा रदोऽश्यि। वारयिश्वा। स्यरारेजति। ^. , /

होवारेरदो२२४५द्‌ डा २६॥ रर४

यतः कारणात्‌ “न्द्रः” “fare” ware “राजति tad भवति, अतः कारणात्‌ इन्द्र प्राधान्धेनाभिमुखोक्षत्यो- च्यते-इति पूवं णान्वयः(९) ty of २२४

ca ोसखायशाचार्ययं विरचिते सामबेदार्थप्रकागे शब्दोकाश्छामे SANITY काद शः खण्डः |

इति दपदमन्द्र समाप्तम्‌

117 बैराज et

(२)-५ इद्र” परमे्रः “विश्वस्य सर्वस्य राजति" Sort” Fite |

९० सामवेषटसङह्िता | [५प्र०२,३,१

विकद्रकेषु मुख्याः augue ्रारिरादिमा | AMAA सष्टसेतयथेन्द्रयाश्च पनस्तथा भम्निहोतारमिव्येषा भस्तख्रोषडयाङचा | खतस्नोऽत्यष्टयोऽभित्य तवल्यच्यमित्येषौ

मे दे भरतिशक्रयावष्टौ इत्येकजचिर प्रवोमदेऽतिजगतौ तमिन्द्रमिति ताष्टशो(क) सौरौ शयं सषस्रेति पावमानौ Barz | WANE AVA मारतो तु WAT अभियमिति सावित्रो स्वादाम्मेखम्निभित्यसौ। शिन्द्रोऽवथिष्टाशत्येव छन्द देवतनि ययः (ख)

(क)--'जिकदुकषु'-रति मुषा प्रथम यातु, तासु we, खव-खादिमा ऋक. “जिकटरकेषु"-दति fe: अदिच्छन्दछा | अय सक cfr fetter wa तु जनतो | अथ आनकारम्‌ ¦ “CRIT chr तोया ऋक तथा ‘ely etarce ch रषा मवमो ऋक, wa Shee’ रति Teal ऋक्‌, “अथार्य रति oA ऋक,-रति ETE we, wee ष्टिच्छन्दस्काः। 'चभित्यस'-दति wet vagy मयम्‌ -दइति eat चाविने ¢ farmed) यतिप्रहरोखन्दस्दे ; एके ware छ, wel weaned शव दमे caret) "वोम एति षो we अतिखगतो अतिलमतोच्छन्खा ; सतमिन्दरल्‌'-इति चतुथ we रवमपि ताडभ्तो खतिखमयेवेत्यथः |

(ख)---अयंरुहल'.रति fetter ऋङ्‌, सौरो सृ*.दवताका। 'अयारचा-एति VAM WE, रयन्‌ पावमानो पवमान देवताका। “तु श्रोषट्‌"-दति पञ्चमो कटक, amet षि देवाः war देवताः। श्रवोमहे-ए्तित vet क्‌, माङ्तो सङतो- ख्या: रवताः (अभियम्‌.टति अष्टमो ee, ofan सविढ-रेवताङा। Safad षति मवमे wa, असो WT et अध्रि-देवताका। स्यादिति सर्व सम्बध्यम्‌

२प०४,१२,१] SEAS कः | bod

TA हादशखग्ड-

लद AUT |

WHAT Wl: |

९. १.

चिकद्ुकेषुमददिषोयवाशिरन्तुविश्एव्मः 11

श्र र्र्‌ ९२ RX RR 2 स्तिम्प† सो ममपिनदिष्युनासुतं यथावशम | २९ ९२३६१ २९२ VLE सदम्ममादमदहिकमंकन्तषेमदासुरध nee es RIT श्र 3३ श्र | सेनरसश्वदे बादेवधसत्यदन्दःसत्यमिनद्रम ॥१।९२५

१२२९२

सोयिचिक | इकायि। पूरमदिषो। यवागिरम्‌

2

तुबिश्टकः। भोयितुम्पा ररे्यात्‌ | सोमाम.। अपिवाहे `

# “Aa "-दइति ऋभ्व दौय-खर-पाठः। “an —sfa wa Sta: सायणोयोन्तरभाष्य्ठतख। ¢ “quyayqa’-cfa wea दोय-ब चिह्कित-पाठः | q “सत्यमिन््र सत्यदन्दः”--इति ऋग्वे Staats: |

२२५ उत्तराच्चिकस्य ६,२,१८,१ = WATT २,६,२८,१ = उष २,२,१२--५,१,५--५,२,५।

I वाजिन्‌ |

E20 | सामवेदसंहिता [uwe २५१११ Vee ९५. ९द १५४ श्‌

fel ष्णुनातुतम्‌। यथावशम अयिसारैम

1 ?९१ १९९४द्‌ Ree ५४

ममा। दादेमहिक aad | wegen.) विसा

२२१२१२१ 8

द४यिनाम सञश्चात | देवोदेवाम सल्यदरन्दःसत्याऽ-

पमिन्दाउ। ATH RO Ney

“महिषः awry’) gan “तुविश.” वदु-वलः(र) “awarq(®)” यत्िद््रः “faaqay’ enfaatagfaanaayg wfity- विकेष्व हः सु(*) “सुतम्‌” श्रभि षतं “यवाशिरः” यवमयेः सक्कभिभि- चितम्‌ [sreqae खोल धातोः क्किपि “श्रास्मधेधामित्या- दिना,५) faa: शिरदत्यादेशः] तं सोमं “fagar’ सद(९) ““श्रपिबत्‌” “यथावशं .*)' gear यथा तं सोम मकामयत तधा अपिबत्‌ [वश कान्तो (so, पण) 1 “aga छन्दसौति (२,४,७३) शपोल्गभावः] “a.” ata: ara: “महाम्‌” महान्तम्‌ “seq”

(१)--^“मद्दिषः"-द्ति मदव्रामसु Gee Tee कस (2,2) |

(२)--तबौति ब-नामसु fadtd मेघष्टकम्‌ (२,१;) | शद्ममिति we-aay रकादग्रतमं HIS कम्‌ (२,९) |

(१) -विकरक-ग्त्यये रूपम्‌ | ‘wr प्रवान्‌ '- ति वि°

(४)-ख्टस्ति णदस्पष्चनौ टीप्‌ पनो दया (नपु ° use) |

(५)-““अपस्धेथामानचुरानृरु खिष्यपेतित्याजत्रा साधित मा शौरेः (६,९,१९ )” इति go!

(१)-विबरणं तु ^“विब्छे ना" कष्वयणा ख.भपतमित्सन्बधः।

(९-यथावङं यथः त्याम्‌ '-इ्ति fae

रप०४,१२,२] न्ट श्राचिकः | £22 अथ द्वितोया गोराङ्िरसचऋ्छषिः।

९२ ट२ ११ २१९ २१९२ रेख

अयरसष्सख्रमानवेहशःकवोनामातिर्ज्योतिविंधम्‌ |

१९९ RL शष्२३ ९२ ९२९ ९२ 3

ब्रननःसमौचोरुषसःसमेरयदरोपस.सचेतसः

RRR VR

खसरोमन्यमन्तश्ितागेः २२६

विस्तौणम्‌ “ty” एनम्‌ “न्द्रम्‌” “ame” अमाद्यत्‌,”) | किमथेम्‌ “मद्दि” महत्‌ हत्र-हननादि-लक्षणम्‌ “ah” कत्त” area’) | “सत्यः” न्द्र." ९०) खवम्‌ “ea.” दोप्यमानः “aaa: “aa” यथाघभूत' “टेव सोमं कामय- मानम्‌ “एनम्‌” “ae” “सत्‌, [ सशतिव्याि-क्मा(*९) ] SATAY १॥ REY

(८)--“न्दसि faz (९,२,१०४)-दति भूतसामान्ये fefe ममादेति भावः |

(९)-५तुमथ ससेन Sq कूमे (३,४.९)"इत्यादिमा सिद्धम्‌ |

(१०-इन्दुः सोमः।

(११)- “उद्माम द्‌ागवः ; सः OH, रम दामवं war eee हिखार्थः, crag दिखितव म्‌ ।--अथवा safe: सेवाथः सेवते'-द्ति fae | मिषग्टौ सश्चतिभेति- way दश्यते (२,१४) नतु या्षि-कगमु we बतिरेव ाभ्भिलेन पर्यवसलोत्य fare शोक्तमित्यबुनोवते |

4593

९१२

Mo

Cx

शषस्तः। 8 Ut

सःस॒चे |

BAIT (VAT | [५प्र०२,२२

x १९

-8 I qaquaqerefal e@arateseat:| इथाःक-

₹२ ?

वोनामतिर्ज्यो तिविंधारदध््मा। ब्रघ्राःसमायि। चो-

8 र्‌ 8

AAAACTSVATLA | ATS! शोवा३। पा

oS १९ श्‌

Tae: | खासरे। मन्यमाररन्ताः। FAA

१११

या९३९ होवा गोरर: २८

९१९ रर

Il अयरसदखमाना्वाः। हशाःकवौनाग्मतिर्ज्यो

Rt श्र

तिर्विधारक्मा। ब्रन्नाःसमायिचीर्षसः। समाविराऽ९-

र्‌ RT LR VRE रर्‌ g

ALVA भरेवा | BCAA Aaae: | खासर।

at द्‌

न्युमारडन्ताः। RAT चिताईे। गोररारदश्मीरो- `

९११९१९१

वार२४५ RE २२९

LIl गोराङ्किरसख् सामनोद।

२प०४,१२,२ | | exaifea: 1 | €१ ३०

सशखमानवः' सहस्र-सरःख्याका मनुष्याः(९) यस्य स, सहख-सङूख्या केर्मनुष्येरिवावस्यि तैर श्िभियु क्षः “en:” wat दशंनोयः(९) «“कवौनां” भेधाविनां स्वर्षां "मतिः" Wa: मननोयोवा “ford? fora ““ज्वोतिः' तेजः “aa” “ae.” aa:(*) “adr.” wee निखलाः(*) “saa” तमः-पाप-

०9)

[ 1 2 bf रहिताः “awae” समान-वित्ताः इमाः “उषसः” “समग्यत्‌।

सम्बक प्रेरयति ततः “स्वसरे” [दिवसमामेतत्‌ (नि, He १०९] दिवसे “aman.” a: mantst(¥)agreaa तेजखिनखन्द्र मः-

प्रतयः" गोः ्रादित्यस्य तेजसा “चिताः” ्रपचिताः भवन्छिति विगव-तेजस्का भवन्तोत्यधः [“afeansia गौर्च्यते (२,६)

-द्ति निदश्नम्‌ २॥ २२६

१) “अगव इति मतुष्यमासम्‌ ऊनविंशं Tae कम्‌ (९०२),

(२)-- "दशः द्ष्टा-रति Fae |

(३) -श्रध्रः महान्‌ wy सविता-द्वि Fao) “ay:”-<fa निधच्टौ-खश्वनाभस्‌ (१,१४) मडव्रामम्‌ (2,2) इते शप्र ब्रह्य, सविता वा महन्‌ वा इृत्य्रवोपरि- ` BIS (९,१११.९) खद्छयास्यते | agate, खाटित्यरूपिशाव्धितम्‌-इ्नि चोत्तरा MIG नेनेवाचा्येख AWSIWTT (6,2, 0%) |

(४)-- "सम्यक जाता' इति विर!

(४)- "कान्ति कासु TEE (नि०२,९) aaa’ cae कूपं avy रित्यभिप्रायः; न्द्‌ मन्तः दो रिबन्तः, अथवा कोषो मन्व : तदन्तः, इति te |

Cts,

“9

154

९१४ सामभदेसहिता | [५प्र०२,३,३

अथ तोया | पर च्छे पद्छषिः। १९९ २२३ श्र रर ३१२ RMR R एन्द्रयाश्युपनःपरावतानायमच्छाविदथानोवसत्यति- २९ १? ९१२ | रस्ताशराज वसत्यतिः। रे रेख ३२ १३९ र्‌ 3 CATA CAT AAA: सुतेश्ापुचासानपितर वाजसातय २९९ मरङिष्ठवाजसातये 2 ॥र२७ ४द४ दर VB ह्‌ I रद्याद्यपनाः। पारारवारर४ताः। नायमच्छा | R

विदथानायि। वासत्यारद४तीः। अस्तारारजेर। वास-

rt ४४ रर ४५ 8 २१ & FR

त्यारच्छतीः | खवामदेत्वाप्रयखन्ताः। तुतायिषुरेवा

BUTT पुजासोनापितरवा जामातारेरेश्यायि मरदायिष्टा R 8

३०वा९। जाररसा३। ATRBYATERTEA २० URRO

+ “रस्तं दति ग्ब STS पाठः

RO ऋग्वे दस्य २,१,१८११ I प्रयत्‌

RTo ४,१२,२] छन्दभ्राधिकः। ९.१५

Sox!” “परावतः” दूरदेशात्‌ खगं -ल्तणात्‌(९) असान्‌ “उपयाहि” भस्मस मोप प्रत्यागच्छ तत्र SETA “नायम्‌” श्रय पुरोवर्ती अग्निः “afirga:” खोमोवा [प्रस्त्‌- तल्लाचिर्दिश्यते ] सद्व | यथपि पुरस्तादुपचलाराव्रिषेधार्थीयो नकारः WAI, तथाप्यश्रौचिव्येनोपमार्थीयो Wea |। यदा। "परावतः a” द्रदेशादिव। [अद्यपि oy सब्वद्‌ा सन्निहितः, तथापि anteng दूरदेशादिव | afarq पचे यमिति विभक्ति व्यत्ययः ।] “way” इमं ठेवयजनदेशं “ree” अभि प्राप्तम्‌) आयाङोति ओेषः(₹)। तव दृ्टान्तः-- “सत्पतिं” सतां सव्वदा वत्तमानानागलिजाम्पालको यजमानव [“पत्यावैग्वय(६,२,- १८)*-इति पूर््यपद्प्रकषतिख्रत्वम्‌] त्वमपि यन्न-ग्टहा ण्या गच्छ | Get! सतां नक्षचाणाम्पतिः चन्द्रमाः, यथा ख-घाम स्थान- मागच्छति ata) “wear” [स्तं सुपश्राकारः (७,१,१९) अतएव बचा अस्तं राजेत्याममन्ति] भस्तं we") “राजेव” राजा यधा आगच्छति aeq fag “प्रयखन्तः' इविलेच्चशा- वन्तः यजमाना वयं “al तवा “gay” अभिषतेषु सोमेषु --आहवामहे" भाभिम्‌स्थे नादयामहे - आह्वानं दृशन्तः-

किं

(१)--“परावतः-दूति द्‌ र-नामखन्तिलं Hae HA (2,28) | (र)--““अच्छामेराप्त.सिति शाकपूणिः" दूति (नि ०५,२२)। (३)--"अच्छ wis’ विदधामि aratia यन्न-कम्परादिदति Fae | (3) —‘artaafaaata (42,9, 9¢) भावः |

(४ waa -tfa ZY नामसु पञ्चम MAW BH (2,8) J

ee |

` सामषेदसंहिता | [५प्र०२,२.४ we चतुर्थी |

रेभाकषिः। | श्र 2९१९२ ८८८. तमिन्द्रश्ाखवौमिमधवानसुद्र

2 रे सजादधानमप्रलिष्कत्शवारसि भरि

RUT श्र १३

et र्शर

Ro festa farsa aaa VVeUR

नाविश्रासुपथाक्षणेातूबजौ ररः

४४द्‌ श्‌ | शे I तमिद्धश्वोदवोमिमघवानाम ऊरदश्य्राम पुव्रासः”” gar “पितरं a” चपालक.जनकमिव तं यषा

“वाजं सातये" सङ्काम-प्रा्ठये aerate हविःस्लौकरणाय वा(९) आह यामः २२२७

ववक्तद्राये"-इति ऋभ्व Sta! पाठः |

WC ऋम्ब दस्य ६,६,१८,३। I weaqt

(c)—‘ara' th खच्न-नाभसु हितोयं नवच्ध कश्‌ (२,७) - “वाजे इति ogre नामसु FUTIAN TTS कम (२,१०)। GAY लाभः। तथाच WHA शालां

ere वा शाभायेति वा रत्यर्थं; फरितः। व्वाणेखातिः'- इति समदितपदनपि wy मायी weed निषष्डो तचेव |

२प० ४,१२,४] छन्दभ्राशिकः | ES

द्‌ + र, arerfa | दधानमप्रतारयिष्क्ररथ्नाम | खवाररधसायि।

g ¥ रर्‌

Yet | मददिष्टोगो्भिरा। चयार्न्नारदेथ्याः। वा

WT Ue

aTare | रायेदोयि। नोविश्वासुपार्रध्था wuts |

१. र॒र

तृ रवाररश्नी होवा अरहेऽपा Re NRE

“aq” पूवाक्तगणोपेतम्‌ “इन्द्र” “जोहवोमि" avig पुनः पनराद्यामि [इयतेरभ्यम्तस्य चेति सम्प्रसारणम्‌ ] ated? “मववानं'” मंहनोय-घनवन्तम्‌(९) “cua” उद्रण-वलं “सता” aa’) यामेव “यांसि” बलानि,९) “भूरि” भूरौणि “दधा- नम्‌” भरतएव “श्रप्रतिष्कत” गज्रुभिरप्रतिरोधनोयम्‌ श्राद्यामि | किच्च “महिष्ठः” पञ्यतमो दातुतमोवा “afwa:? awe: इनदरः “गोभिः” भ्रस्मदौयाभिः स्तुतिभिः “श्रा were” यन्नेष्वाभि- सख्येन ana [वत्ततेलिटि(*) पम्‌] ततो “वजो” वजुवन्‌ we: “राये” धनाथ “विश्वा सर्वाखयेव “सुपधा” qaraifa “क्ञशोतु'" करोतु | धमं aaa aaa प्राप्नोलित्यधेः ॥४।९२८

(१)-- "भवमिति जन-नामघेयम्‌, awa दानक कः, इति fire १,७। (२,--'खबा'-दति सत्य -नामसु तोयं नेष्ट, कम्‌ (8,00) |

(5) --“अरवांसि यशां खि खन्नानि'-इ्ति fae |

(४) -‘wxfa we रक. faz, cia पा» २.४,६।

९१८ सामवे रसंहिता | [५प्र०२,३,४ अथ पच्चमो | पुर च्छ पक षिः |

२९१२११९ २? ९१९२९ PURI श्ट ३९१

olf अ्तुत्राषरपुरोश्िधियादधञ्रानुल्यच्छदौरदिवयं

श्‌ 2 रे वृणोमशटृन्द्रवायु वलोम | ९२ z Rt ९.९ ९९ १९ BRE यद्धक्राणाविबखतेनाभासंन्दायनन्यस |

२३६२ RAT श्र १९९ श्छ द्‌ २३

अधप्रनृनमुपयन्तिभधोतयेादेवार श्रच्छा४यनधोतयः॥\॥२२९

RC ्रभिवादपे OS र्र्‌ . द्‌ i I अल्तुश्रोषाट्‌। gai डा Tew एर रे

1 © २, २२४बा भामुलयच्रदि | व्याम इणारदेशायि मा-

काक णर

e “away -tfa, |

“विवखति रति, Wa दौयपाठाः। { “.सन्दायिनव्यसो?-श्ति, | “परसूनुउपयन्तु-षति § “aep’-afa जमंन्‌मुद्वित-पाठः |

२९८ WA दस्य २,२२.१ I याज्नतुरम्‌

प° 8,22, 4] दन्द भ्रािकः | ९१९

¥

~ \ २२४ TATA! वृ्णेरमारदश्डापधि | VaR

र्‌ R र्‌ श्र १९ R

णाविवाऽस्वाठेतायि। नाभासन्दायना३। व्यासायि।

दर

अधप्रनूनमुपया। तिधौतायारदः। eT) भोरदोरद४-

बा। दायिवाऽ१अच्छाररे। दा। भोदेषोररध्वा |

११ नधोरेडध्वा ताऽ५योदायि २२॥२९९

we “पुरः” पुरतः satay ^्रम्निम्‌” श्राहवनोया- ख्यं(९) “धिया” प्रणय नादि-कमं शा(९) “ea” घारितवानस्ि। “त्यत्‌ * तत्‌ “ae” तादशं बलं (२) बलवम्तं वाऽग्निम्‌ यहा

(१)- यमव fate:—wfagurerd: पञ्चिम-विभागोय-प्राचोमबंश-नाम- यनद्नोय-वयाः afew दिशि धतुषाकारो यःऽश्रकुष्डः तव fara’s WE खणा- रिश्ते, cucat sat विते; पञिमथ्यां emarc कुण्डो मवति, तव atta मापत्य TYAS ; THU चतुष्कोख-कुष्डः, तब योऽग्निः सएव खाडइयनोय दत्य wa fa चापरावेदी ऋत्विकश्ारतः wat दभि ence} = परवेद ददितीयवेदोत्यथः। weres मभ्य भूमिर्न भिरित्युचाते. सजाध्वयुप्रतिरार्वोः काय्यं - कलापाः, नतु होतुहाम-सम्बन्भोऽप्रि-सम्बन्धोवा। तद्व “पुरः पञ्थिमवेदोनः पुरखात्‌, ‘concegt खब्यव हित-पर-कुणड चतुष्कोण त्रके efya खाडवनोयाष्यमित्यथः।

(₹२)-धोः' इति कमे-नामस रकविं्तितमं tew कम (२,१) | “धिया वध्या -इति feo |

(९)-आदंः'-दति बश-नामणु सप्तमं गे षण्ड कम्‌ (२,९) |

९२० सामवेदसंहिता | [५प्र०२,३,४

तच्छबैः aed मरतां awed बलं “दिव्यं” दिविभवं “a” faery “श्रा होमे wifuqea सभ्भजामष्े fag “न्द्र

“हो मरे” “प्रार्धया मरे | “यद” [सुपोलक (७,१,३९)] यः “विवस्वते” विवो इवौरूपं धनं तहते(*) “aaa” नवतराय यजमानाय “नाभा” नाभो भुम्यानाभिखाने देवयजने यदा वेदिरूपे(५) see नाभौ सवस्य फलस्य सम्बन्धके यने [““वन्न- माङ्ृभवनस्य नाभिः" तिरतः] “aera” सम्यक्‌ बध्वा fara: संयुज्य “क्राणा (9) धनादिकं wart भवतः| तौ adhere ति समन्वयः यस्मादेवं तच्छात्‌ “भ्रस्त” “-खोषट्‌'"(°) अस्याः; स्तते; wae भवतु [गीता भवतु वा मरतां गशोऽग्निवां ; इृन्द्रवायु पे प्रयेकापेलयेकवयनम | “qu” अनन्तरं “नः “aa” अद्मदौयानमि कर्मामि स्त॒न्यादि-रूपाणि(>) “way”

fi 99 नन्ति ~ fi fi cs उपयन्ति" प्रकर्षेण quraaer च्छन्ति। किच्च, “देवानच्छान

(४) --“विबखते दिदासमक्षते'.इति fae. विवस्ल दति निषष्डो मरुष्प-गामख W TMA (2,2) 1

(४)-खलरमेदो-नासक-वश्चाः मधयं भू-भाजे द्त्यथः।

(९)-- करारा कुवालाः१-इति नि ४,१९ ,

(o)—“qrnaafa agree, खम, alufefa दतुर्चरम, यजति दरस रेयजासदरति TSH, इर. ववटकारः, रषये सतदमाचगच्छन्दखः-एति सिर को qe ४; 8, Revel

(c)—“Wae:- chy fart अष शि-नामसु twa (२,५) “अहन रयः. ware? खप्रमामिन्यो भवकोति षाप्रकारिष्छो भवनति बाप्रसारिष्यो भगन्ोति area भवन्तोति anwar सवन्तोति वापि बाञ्यशनादेव सः" -इति fre २, ८।

२प० ४,१२.६] छन्दभ्राश्चि कः ९२१

चथ षष | एवयामर्हषिः।

‘Ss 4s. 83 8 प्रवामशमतयायन्तुविष्णवमर्त्वते ` ‰८.८.

९१९२ गिरिजारवयामर्न्‌ | YT WR ९५५६. ees R OSA. सुखादये तवसेभन्ददिष्टये- रे

धुनित्रतायशवसे २३० t हैर UST ५४ YT रै - 8

I प्रार३४। वोमरेमतयोयन्तुषिष्णवो। दायि. R श्र रर मरुत्वतारेयि। गिरिजा४ः। wreifa शवाया२े। अम्यादि-देवान्‌ अरभिसुख्येन पापतमिव “धौ तयः” अस्रदौयानि कर्माणि “उपयन्ति” तेषां समोपं प्रापयन्ति |

“MGA”, “AAS “इति “नव्यसे "",“नवसि if, “OP” प्रसुनम“-इति कमेण साख्राचख पाठर WYN VLE

(द 2 ~ « “Qasad’-cfa wea दौय-सखर-पाठटः |

२२० WAT दस्य B82 I I एवयामङतः सामः | ११९क,

ZR सामबैदसरहिता। [ute 2,2,8

श्‌ | % १२ & ATRIBVSGA_| ATMA प्रायज्नयावारएरयि | Saray RT र्द र्‌ र्‌

र्दश्यायि। तवसेभन्ददिष्टयं धुनायित्रारताईे | यार

र्‌ रद्‌

आररे४भोचोवा वाररध्से २१।२३०

प्रयन्तु" प्रगच्छन्तु" “गिरिजाः” गिरो atfa(’) निष्यत्राः “मतयः” स्ततयः। “ag” महते “au तुभ्य [वचनव्यत्ययः (२,१,८५)| “विष्णवे” व्याप्तायाम्‌(?) इन्द्राय विष्णवे वा(ग) “मसत्वते” मरुहिस्तदते कस्य स्ततयः ? दत्य खते--“एवया- मदत्‌" एतव्रामकस्य कषेः [षध्यालुक्‌ (७,१,२८) अधवाऽयम्षिः गिरिजाः स्ततेजंनयिता भवति] किञ्च, “प्रयन्तु” स्ततयः। कश? “अर्हाय” बलाय मारुताय (इतरकव' बल-विशेषखम्‌)

$

८६ 5) ae nasa” प्रकषण यष्टव्याय। “सुखादये शोभनाभरणाय(*)

(१)-५मोः"-इति frre वाङ्नामसु (१,९१) दृश्मते; तद्य URE “जिरि? xa waa तु जिराविति, तदबत्यपाटोिपिकरप्रमाद्‌रव च्छते | farce त॒ मिरिजा--इदय जाता, यज्जाता वा'-दृत्य॒क्तम्‌।

(२)- “खश यद्‌ विषितो भवति मद्‌ विग्य भवति। चिय्डविषने वौ बन्नोने वा९-दृत्यादि fare १२,९८। fara mraifaaei< पदं fare fefa, खत उच्ते-- विब्धवे ararafa | ` |

()-विव्थ्‌,-नासकेन्दराय-इति jaw; इन्द्रः विब्णा.रिति पयायेति are शह a मानं निष्ट fen guere ह्वादभरादित्येषु उभयोरेव परिगखनम्‌ |

(४}- सुखादये सदाय सुखप्रदाय -इ्ति fee |

२प० ४,१२,७] कन्द्श्राञजिक' | €22

चथ सप्तमो।

्आनांनतः पारच्छेपिक्षिः।

१२ श्ट रे रख R . अयारचादरिषयापुनानोविश्वादेषाध्सि YEE - ९१ २९१२ तरतिसयुम्बमिः*सूरोनसयुम्बभिः | ९२ २९ शद Ww धाराप्रष्ठस्य†राचतेपनानोञ्रूषेाष्दरिः | २३ १२९१र॒रर ३९

विश्वायद्र.पापरियास्युक् {भिःसप्तास्येमिच्छ कमिः॥<॥२६९१ [सखादिराभरश-विशेषः “हस्तेषु खादिख ace aeu”-sfa, “सेषु ऋषयः पततु खादयति श्रुतेः] “तवसे” बल- वते। “भन्ददिष्टये” स्ततिरूपा(५) xfede तत्‌ भन्ददिष्टिः, > 99 ( e तस्मे “धनित्रताय” मेघानां चालनं कश्च यस्य, ताद थाय(९) “शवे” गमनर्वते २६०

% “खयुम्बभिः"-दति, “सुतस्य "-इति, ऋग्वे दौोय-पाठाः | “यात्युक्तं'-इति च,

२२१ उत्तराचिंकस्य ७,२,१०,१ = ऋग्ब दस्य ७,५,२४,१ WITH २,२०--६,२ = HF ,२,३ = अद्यं २,१२।

(x) “rei” निषण्ो @ लिकमसु (३,१४) दभ्रं नादित्यभिप्रायः | (€) -“कर्िपतकमं।यम्‌दति वि०। “धनि # # मेषम्‌"-इति fate Ze ४,९२

९२४ सामवेदसंडिता।

[ute २,२,७ 1 * ६. २४ १्र ,““: 1 भरायाः। SAT इरि। प्यापुनानाः। विश्वा ९३४ श्र षाएसितरतीरेरेसादयुग्भिः। करोररनार। TRA WX ४अओहोवा | म्बार९४मोः २४॥ # RR UT | 1028 TD अयार्चाषरिण्या। ara: विश्वादारेरयिषा। श्र

aT सायितर। SR वारद्ारयि। सायुरम्बारश्ध्मीः।

शद सृराररना। सयुरग्वाऽभभा९५६यिः॥ २५॥

& देर देर UT

STU Tey 117 wareereftean पुडेर४। नानोविश्चा्ईषा।

सायितरति। सायुम्बामो रेः |

\ छरोनारे। सायूरः g ¥ छर्‌ UT R ~ ₹९ ९१ TRV: | धारापूष्ठा। स्यारो रचतायि। पुना

$ रः

नो्रारे। ङषोहारेरध्रौः। विश्वायदू 1. पापरिवा

1. विषमाणानि atfe :

रप ४, १२, ७] कन्दश्राल्किः। - ERY 9 १. - `, R साककाभोरः। सप्रासोदये भाररयिराे। का २४५

मोईायि २९॥ २३९

“gara:” पुयमानः सोमः “efcer” इरितवणंया “aa” अनया “ear” रोचमानया धारया “विश्वा” सवाणि"” “दे ष्रांसि" tafe रक्तांसि “acfa” विनाशयति। aa टष्टान्तः- “सूरीन” यथा सूः “सयु वभिः we युक्ते रश्मिभिः तमांसि हिनस्ति तहत्‌ (सयुम्बभिरिति हदिरुक्तिरादराधा)। aati’ धारया YR सोमो युकषेस्तेजोभिः we रशथांसि तरति aa ` “पृष्ठस्य” (षह इति धारक उच्यते) जगतो धारकस्य सोमस्य पतन्तौ धारा “रोचते” दौप्यते | gata,” gaara: “हरिः”

इरितवणंः सोमः “wea.” भ्रारोचमानो aafa(’) 1 “ae”?

यः सोमः “aarefa:” रसाहरणण्ौलास्येः(र) “ऋक्षभिः”

(९)-“अरुवम्‌"-एति सूप-गामसु THEN Hew कल (३,९)। ^अदवः'१-एति अश्च-मामस्‌ cea (नि १,६४,१७) |

(२)--“सप्तामादित्यरश्‌ मोनथमादित्योभिरति"-षत्यादि fate ett) स्न च्छन्दांसि खास्यमूतानि येषागलिनां ते सक्नाख्छाः तेः सप्नाख्येभिः। थवा सप्त वषट- कारिं होतारः सप्राख्यानि on षोमसंख्ाः सप्नास्यानि ताभिः! -एति fae |

९२६ सामबेदसदहिता। [awe 22,5 थाम | मक्षुलऋषिः। VF २११ VW AT hPa, ८८ 4 अभित्यन्देवरसवितारमोण्याःकविक्रत्‌ १९ ९२ ९२ Bz ९२९२ मर्चामिसत्यसवररल्नधामभिप्रिवम्मतिम्‌+।

र्ठ VT रर 8

उद्भुयस्यामतिर्भाभरदिद्युतत्सवौमनि

९२ BLUR दिरण्यपाणिरमिमो तसुक्रतुःछपाखः २३२

txt ४९८१५ | Lei g

. /, 2 ¢ 1 अभिल्यन्देवरसवितारम्‌। theteraretfa भोणा | ९११९ रदश्योः। कविक्राररध्तूम.। भार्ामोरेदध्सा TT स्ततिमडिः, ऋक्ष भिस्तेनोभिः,९) “विश्वा” faenfa सवखि “earfa” “परियाति? परितोव्याप्नोति(*) “प्रस्य “सुतस्य इति सान ऋचः पाठो © ॥९३१

« “सतिं कबिम"-दति यजः-प्रातिशाख्य-पाठः

VRP AYATS ४,२५.= ग्रथवं वेदस्य १,४२ |

सवितुः ata | (९)-“चटकमिः छलिम्‌भिः'-दति वि०। “चा'-दूति रू न-नाससु दषते

(नि° ३१ २४, ४) I (४)--यश्चपि यातिः प्रति तोगत्यथः, पर परिसाङचय्ात्‌ परितो ममनं कथयति

सतरामिड व्यारयथेः।

RTo ४,१२.८] हन्दश्राचचि कः। ९२७ R | श्र 2 2 u ATARAVOTT | त्रधामारडथमो | प्रियम्मार्द्तीम | TUT रर

ATTRA VETS ऊर््वाया९३४स्य | भमातीर-

रर UT RT

peat: | अदिद्यूतान्‌। सवोमार्रनो BATT बारेशदाउ खाटूरण्यारेषट्या | णोरामीररथमो |

२१ श्व श्र र्र्‌ UWL VY

AMARA: | भदा शेवार९४५दाउ | वा एत

RUC

कपासुवा९२४५:॥ २७ २३२

सवितार” Trai’) “2a” वाग्व्यापारेर “रमि भ्र्चामि"

(१)--““खविता सवस्य प्रखविता" इति fae १०, ३१। “(तख कारौ यदा दयौर परततमस्छाकोरंरश्जिमंवति"इति नि दे° ९, १२।

“afam यन्त्रः थिवोम.रम्णा दस्कम्मनेस विताद्यामदश्‌दत्‌ अश्वमिवाधुक्षद्कनि मन्तरि

HAM बद्ध सवितासमुद्रम्‌ 1”

tft ea दीयदध्रभमष्डलेकादशसे aR प्रथमा WTS याख-छतं are. भम्‌-^“सविता यन्त्रः पयवीमरमथदमारभरेऽकरिके, सविता द्या मदद श्ब-

€2c सामवैदसंहिता। [uwo २,३,८

सवतः पूजयामि | atte? “afar” क्रान्त-परभ्न(र९) “war a अवितवःरेरम्‌ “र्मा” रमणोयानां धनानां दाता- रम्‌(९) ““श्रभिप्रियं ada: प्रोति-युक्ञम्‌। “मति?” मननौयं स्तत्यम्‌ “ae” सवितुः “भा” sft: “onal”? saat सतौ “erate” ावापुथिष्योः(*)। “अदि तत्‌” अतिशयेन faa! यस्व सवितुः “सवोमनि" waa सति(*) “mafa:” स्वेषां कान्तिः,९) भदिष्यतत्‌ अशं प्रकाग्ते। सः “सुक्रतुः शभनकम “feceufe:” हिरण्य-इस्तः सविता देवः Caa(’)” कपया “ae”? खगे fafa सति “मिमीत '' “ca? सोमम्‌ इयत्तया मितवान्‌ | यहा सखः स्वस्या कपया awe निरमिमोत रहर

अिवाधदनिमण्लरिचे मेषं wena weaqd रति बा त्वरमारूदति विता खमदितारमिति | say मध्यमा देवमव्चत | खादित्योऽपि सवितं अते इत्यादि | (२)--“कविः ऋगकदद्नोभवति कवते वाति निर १२.,६९३। कविरिति निषष्डो मेध।विमामतुच दशमं पदम्‌ (३,१५४) ऋतुरिति ware (मै०२,९) प्रञ्जागाम (ने०९,९)। तरव भमेधावि-कनकम्‌' इति fae | (र) carrer रमशोषानां धनानां दाततमम्‌"-रति ऋनवेदोव प्रथमं arent UTS: Torr | (४) -“योष्ो०-रति खावापुथिवोबामतु THIN AOE BH 8,20 | (५)--“खबोमनि प्रे" रति जि ०९, | (९)--“खमतिरमामवो भतिराद्षमयौ"-दत्थादि fo ९,१२। विवर खेऽप्येवमेव | (9)-- ततौया विभ शकि ,७,१,३९) कूपमिदं wafer |

९० ४,१ २,९ | केन्दमाचि कः | ERE | अथ नवमो | पर्च्छेपकऋषिः। षर शुर १२.९.१२ दष्र अगरिशदातारमन्येदाखन्तंवसाःजषनु ` AOS ae R AR १९९९१ vine सदसाजालवेद्‌ स॒ विप्र नजा तबे दसम

१९९१९२९ ९२१३२६१९ ३९३२

यऊडयाखध्वरादेषदेवाच्याक्छपा |

३२९३१ ९१२९१६२

चुतस्यविाष्टिमनु शुक्रशोचिष्राजु्ानस्य। सपिंषः॥<॥ २२४

St I अभ्निरदोता। रग्मन्धेरदाखन्तम्‌। चओौेवार १२. १९ 1 २२ $ १२ वासेःसृरर४न्‌म्‌। सदसोजादेतावेऽश्दासा रम्‌। विप्र २९९२ BAT BRAT तवेरदारेछसाम्‌। यजर््खाऽश्यार। TLV, ररर रर

सुवाध्वाऽ१राऽरः केवोदेवा Weatal चियात्कापा

रः

e “वसुः ""-दति, “मनुवष्टिशोचिषाज्ह्ानस्य-दति ऋग्वदोय-पाठटः |

२३२ GUTH <,१,१८,१ = ऋग्वेदस्य २,१,१२,१ = यजवंदस्य १५,४७० = ऊद ६,२,४ ११७क,

22 : सामबेद्सहिता i [ude 2,2,2 श्ट 2 चतोवा | स्यविभारेष्टिम्‌। असुश्ु्रशा | ओर्वाचिषः।

शद्‌ र्‌ द्‌

OTLB TAT 1. भरवार पारयिषारश्थ्ौदो

अरेहध्पा ३८॥ se दर str ४५द्‌ ,।, २१ 7 अप्रिददोतारग्बन्ये। दा२२४। खन्तंवसोःसूनुम्‌। ऽर VR र्‌ $ र्‌ ससोजारेतावेऽश्दासा रम्‌ विप्रन्नजास्तावेऽश्दासा रे oe TUT ST LR : म्‌1 यजं यारसुवध्वारारः। SASATSATATSLAT २।

९१९ रद

घु तास्यिथाष्टिमनु्ए। क्रथोऽश्चिषारः। भाजृह्ारं

ना३। साररसारं। पा४५यिषोश्दायि २९

२३९४४

TIT अद्ावोदारदश्वाः। 31 भष्टपती प्रतिददती |

रद्‌ , रेर रर

Ufa | तारम्मादेन्यशेदाखन्तम्‌ | वसोः। सूनुर

x 8 शरश x | 8 ९९४

सद सो HAs बेदसम्‌। विप्राम्‌। नजाहता३ वेदसम्‌।

17 भारदाजे | TIT wang साम

2To ४,१२,९। Senha कः ERC १५९. १९४ २२१ श्र र्द RUT ऊर्ध्वयार्धदेवध्वरः। देवा देवारचौष्या क्षपा

रेर ९५ WT श्र

Fa स्यविथाष्टि मनृशूरक्रारेशोचिषः। भाज्‌ | कानार

8 २९

स्यारसपिंषः अदावोद्दार३ वाः। vl BEM

२९ §४

प्रतिददाऽ५ता९५६यि। ws) विश्वरसमत्रिण cq! २।

१२ ९९ ११९९

| विश्वर्समचिषं ददारप४५ sell

IV ्यग्रथिः। afaeedt) खाउद्ोर४दाउ। afq

रश a or oe | रद्‌ < डो तारग्माउन्येरदाखन्तम्‌। वसोः। SALTASH रेर्‌ RX र्‌ RT TU +

तारवेदसम्‌। विप्राम्‌। नजारेतादवेदसम्‌। | ध्वया

8४४ रर श्र ९९३ RN

रख रेवध्वरः। दवो देवारचोरयाङ्ृपा | घता wale

8 wT रर रर BY

भाष्टिमतुशूरक्रारशोचिषः। भाज्‌ | इानादस्यारेसर्पिंषः।

९१९८०४७ R

ल्यग्रायिः | प्रतिददतो। Srseisyetst ati ए३।

IV waa साम।

८.94

€३२ ` सामवेदसहिता। [umo २,३,९

१९ ९५.

fray समविणन्देच शदे विश्वःव्यतनिणन्द च्च ए३।

x RR १११९ विश्च न्धन्रिन्डंडा २३४५ ४१॥ २३३

“afa” स्वासां देवसेनानामयख्यम्‌ यन्ेष्वय्र' नोयमानं वा(५) “होतारं?,२) warara प्रति देवानामाद्कातांरम्‌। यहा षाम -निष्यादकं(र) होतार ['“लुहोतेश्छातितयौर्यवाभः (७,१५)-दइति यास्क-वचनात्‌। “श्रग्निमद्य होतारमहणशोतेति श्ुतेः। “अम्निमिम्नश्रावेति wat रादाठत्व प्रसिदम्‌ i afd Wat मन्ध waa प्रतिविशेषणं मन्ये इति सम्बन्धः यदा याग-निष्यत्तेर बोपलस्तितत्वादेतदैव विधेय-विथेषसखम्‌। इतराखि वच्यमाश-विेषणानि स्तति-पराणि] “दास्वन्तम्‌” अतिशयेन

# ® ¢ | =, ~ e दानवन्त,.) “war: प्रशस्यस्य (*) सवां “सहसः सनुम्‌” बलस्य

(१) “अश्रिः कसमात्‌ ? खग्रशोभवति खगं oxy प्रशये"-इति नि०९,१४।

(२)-सम्यखारणं ABTA (१,१,द४)।

(९)-- हो मनिष्यादकलवरूपकत त्ख्य Ty रपि खन्यथातपपततेः अतएव मामा “काठः पचति xara दाङतमिति दिक्‌ |

(४)--दामकमनु दासुतेदे् नात्‌ (ने०२,२०,२) |

(५)-"वखोः षनख दाखन्तम्‌^टति Fite |

२प०४,१२.९] छन्दश्राशि कः . £22

qaafer (9) [मन्यन-काले बलेन मध्यमान उत्ययत इति तत्‌- | qaaquaaa “जा तवेद्सः› जातानां afeart जातप्रन्न जात- wa at [जातकेदः शब्दो यास्केन बहुधा निरङक्घः.°)] अग्नर्जात- वेदसे दृष्टान्तः “विप्र a” जातबेदसच््नातविद्य awa ब्राद्यणमिष, तं यथा ag मन्यते aut त्वामपि स्तौमोत्ययः। उल्ल-गुण-विशिष्टो यो देवः “Uae.” शोभन-यक्नवान्‌ यन्न सस्यक्‌ faaeq “ऊध्वं या” sana उनल्‌क्तष्टया “देवाच्या” देवान्‌ पूजयन्त्या देवान्‌ प्रत्यक्तया वा (क्षपा) छया सामध्य-ल्तणया [“देवान्‌ प्रत्यक्षया कपे ति(६,२८) यास्कः] तेभ्यो हविवंहन-वुध्या युक्तः सन्‌ “शक्रशोचिषः” दीप्त-तेजस्कस्य “श्रालुद्वानस्य'

भ्रा समन्ताद्‌ हयमानस्य “सपिषः सरणश-गौोलस्य छतस्य,<)

(९)--“सद्धः"-दइति Sema सप्रदभं Faw कम्‌ (२,९) ““स्नुः"-द्ति तु पत्यमामस्‌ FH AIL कम्‌ (२,९) |

()-“'जातवेदाः कस्मात्‌ ! सातानि वेद, जातानि वैनं विदुः, जाते जाते fagacfa वा, जातविको वा, जातधनो, जातविद्यो वा, sangre यत्तव्जातः पशूनविन्दतेति तच्ातवेदसो जातवेदसमिति ब्राह्मणम्‌ तसात्‌ खव नुतून्‌ पश्वो- ऽग्रिममि सपन्नोति च-इत्यादि नि००,९। “यल्‌ Sm भजते यक्त हविनिं रूपे ऽयमेव . सोऽप्रिजतवेदा निपातमेवेत उन्नरे व्योतिषो wa नामधेयेन भञते१-इत्यादि मि०,२० | ““जातवद्सम्‌ *** कमन्यमादित्यादेवमवच्छत्‌"-द्त्यादि नि०१२,१५

(८)--रूपेनि पाक्य शबित्यद्य ततीयेकं खाकारान्त-रूपम्‌, छप शब्दोऽपि छपायेः। अतरवोक्' यछ न~“ छप्‌ छपतेवेा कङ्पतेवो"-दूति (¢,5) |

(€)--““सृपरः सपंरादिदमपीतरत्‌ सूप्रम्‌, रतक्तादेव सपिवा तें वा"दनि नि०६,१७।

९३४ सामवेदसदहिता। [प्र 2,3, 20

अथ aay | ग्टत्षमदऋषिः।

PWT WTI Ue २२९ F २९९ x 466 ara रुपो तदन्रपथमम् न्यन्दिविप्रवाच्,तम्‌ १२१२९९१९ २३ १२ २९१९ ९१९२९११३ योदेवस्यशंवसाप्रारिणा्चसुरिणन्नपः*। 8 १९९९९९१२ ट्र श्र भुवो†विश्वमभ्थदेवमोजसाविदेद्‌ए

Rr Rt रर्‌ शतक्ुविदेदिषम्‌# ° २३४ दति इतौय--द शति विलापनेन दोषस्याज्थस्य “frarfe” विशेषे भ्राजमगु खय- मपि agra “afe”\**) कामयते खौकरोतीत्यर्ः।

“वसोाः"-“वसुम्‌”-दति UI We: urat २२३

* असुरिणन्नपः"-इति, | p “भवद्‌ दति, | ` ऋम्बदटोय-पाठाः। “विदादिषम्‌” एति |

२९४ WATT २,९,२८,४।

Rosia fe कानि-असु थलं नेष्टम्‌ (२,९) mae सगु बहोति। ° , |

२प० ४,१२,१०] went a. | ९३५

XR ~ aS _ 1 तारद्वल्यन्नाऽप्ररियं FATS अप इन्रारे। प्रथमं; .

2 चै रर्‌ Re ३४ रर रद

get वियन्दिवि प्रवा चियं छतम्‌ यो देवास्या |

ge ९५ १२ ४:

शवसाप्रारे। रिणा wet रिणन्नपः। भुवो विश्रारम्‌।

दरर्र ,४दर र्रर ९२, Ff

अभ्यदारयि वमोजसा विदेदूजंम्‌। शताकराररेध्तुः।

विद्‌ाऽ५यिदिषाड। वा ४२ ॥* २९९

“sa.” सर्वेषां नतंयितः प्रबत्तयितः हे “न्द्र ! “aq” aca हितकरम्‌ “प्रथम” प्रसमं (“प्रथमं प्रतमम्‌'“-इ्ति (९) बास्कः) “पूव्य पूव्व॑-काल-भवं त्वथा छतं “aa” “ae” तदपः- दिवि" खगलोके “ware” 24: प्रकषण ब्व्य स्राधनौय- भित्यथः किन्तत्‌ ? “देवस्य” विजि मोषो “असुरस्य” “<q” wg प्राणं “faq” हिंसन्‌ त्वम्‌ “aa.” उदकानि तेन निस्‌- हानि (रिणः tra) - इति यदेतत्‌ क्च तस्पृवा्मिति-

I रेष साम।

(\)-“परथम इनि मु्.माम, प्रतमो भवति"-दति याखः (२,२२)।

# दति ATA गेयगाने दादरा; प्रपाठकः

९३६ aTaaeufeat | [भप्र० २,२,१० समन्वयः | परोत्ष-निद्‌ विशिष्टः “सः” we: “fam” व्याप्तम्‌ “अदेव” तमोरूपम्‌ ““श्रमुरम्‌” “aera” बलेन “अभि भवत्‌(र)” अ्भिभवतु किच्च “आ्तक्रतुः” इन्द्रः “.जजंम्‌” बलं “विदत्‌” लम्भयेत्‌ “रषं” हविलचषणमन्रं विच [face साभ (Fo उ०) ]॥

“यो '-“यद्‌"-इति, “विदेद्‌” विद्‌ा"-इ्ति ara ऋचः पाठो १० २२४९११८ =२५२ `

वेदा्धस्य प्रकाशेन तमो हाहं निवारयन्‌ | 9 तीर्थं ~ पुमर्थाशतुरो रेयादिद्या-तोय-मरेष्वरः ४॥ दूति गरीमद्वाजाथिराज-परमेश्वर-वेदिकममंप्रगशक-ग्रीवोगवुक्ष-म पाल साब्ाच्छधुर नरक सायण्ाचार्क विरचितं माधवीये सामवेदाथेप्रकाद्र Sl ASA

दारच ख्ष्डः॥१२॥

रै समाङ्नख्चतुथो ऽध्यायः

समाप्तम रेन्द्रम. पव॑ Vary ar

` दूति दितोयं पर्वं `

(र-मुबदिति Gat रूपम्‌ (fee whe बे 2),