BIBLIOTHECA INDICA ; A
COLLECTION OF ORIENTAL WORKS PUBLISHED UNDER THE SUPERINTENDENCE OF THE
ASIATIC SOCIETY OF BENGAL.
NEW SERIES,
Nos. 339, 340, 342, 347, 348, 351, and 355 ?
Sama Veda ॐ ५11119४. - WITH THE COMMENTARY OF 84 १५१4 ACHA‘RYA., EDITED BY SATYAVRATA SA‘MAS‘RAMI,
EDITOR OF THE HINDU COMMENTATOR.
VOL. III.
CALCUTTA.
/ PBINTED BY N, इ. Sincar, 47 THE GANES A PRESS.
1876,
सामवेदसंहिता,
भगवल्यायणाशाय्यविरवित-भाष्य-सदडिता। ग्लौ बङ्गदेशोयासियारोक्समाजाभ्यथेनया
—_——000——
अधौतवेद-“प्रबकम्ननन्दि नो"-सम्पाद्केन
ओसल्यव्रतसामश्रमिभद्ाषार्यण
वङ्कसामगेन डोकिता यथावसरं शोचिता च।
—_——000—— ठतोयो भागः उक्षरा्िंकः
प्रथमादि-प्रपाठकवतयामकः ॥ कलिकाता Tana fea: |
धकाः KERN!
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॥ मन््ाणामकारादिक्रमेण TAY ॥
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भन्तप्रतौकम्
अग्बच्धायाद्धि (९, १,४१६ == उ °) खप्रिवोडवनाः ( ३, ६; २०; १ = उ २, ९, २०--€, ९, १) अम्निनाभ्मिः (२, 2,4, १ = उ ०) oe wforga (९, १,६, ९ = Fo) wfsafiwttafa ( २,१,९, २ = उ ०) Wr at (२,१,९, १३ -= छ 0) खन्डाकोनम् (१,१.९२ = ख ert, ta) अच्छासशुब्रम् (१, १, ३, ९ = उ २१६५ UR) WATT ( ९, २,३, २ = ख °) अचादनोर् (९, 0,58 = उ ०) GACT (३, % २०२ = ख ३, १, १५४५-८) २,५) ,.., SMITH (१, १, २६, १ = उ १, ९, १७ १०, २८) a. wurfwart (२, %,2% 8 = Fo) waartiad! (३, २, ९, j= Fo)
डप्त्नसोकसी ( १, ९२) १९ ९ = ख १) र् €) ove ee WHIMTATH (2,0, १२, ए = उ AYU १--४--9, २, CRUE, ९,२- to, t, १९ ९१; १, १४ ) 99 9 ee
WIV ( २, २, ११, ९ = उ, अषासोम ) अभिमाय (4,2, 2,% = उ °) whadawa (१, १, १, २ = उ ९६, १,१९) अमित्वाहटषभा ( ६, % ९, १ = Ft, २५)
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अनतरपरतोकम्
अभितवाधूर (९, १, ११५९ = उ ९२० १११९० २२, १,९.२९ ९, १२)
च्यमि्यक्ञ (३, ९, ९७, १ = उ ३, ९४ ११-५११,१- ९११६९ १४, २, १४-१९, १, १६) : a
असिदोकानि ( १, १, १९, २ = छ, प्रसोमाराजिपञ्वितो )
खभमिप्रवः ( २, १, १३, १ = उ ९, १ UH ९, OAM ११--१५)
खनिपरियाणि (१, १, १९, १ = ख ९०१ १९-९०४ २--१४, १११८
१९, १, १५१९, ९, १४) oe sie अभिन्र्योर् ( २,२, १४१ ९ = उ २, १, २००, UMHS HO १५, १, LEVEY VO, १, LORE) =^ खमित्रतानि ( १, २, ९०, ६ = उ ३, १; १५--०८, BH) a
अभिषोमासजाययः (२, २, ९१ LH उ २, १०१४ १४४, २, 9 ८--९-१०-- ११-१२-०; १; ११३०» २, १४- १४१६-८, ११ १९- ९ €~) ९२, १८-९€, २५ १४- |
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१४, २, ४-०-१९, २, २-२-९०, BOAT
९१-१०-९२, २, १० ) dive vs WATT (GUE ९ = उ १, १, ५१० १८) sa WUT TTA (2, % 8,8 = FO) es bee GUTTA ( १, १, २०, ९ = ख २, ९१ WT“ G ९, ९९ ) १११ wasifaaraey (६, १,०, (= उ ०) $ vate qufararafa ( १, १, ९०; ६ = उ ९१ २, ९०- GUM ) sas qufasarfafasfa ( १५२, १९६० ३ = उ, WAIT ) sue अयंसयो (१, ९, ४१ ६ = उ ° ) ee ass ध यसूय ( १,२,१६, ९ = ख, THAT ) oss - wane, ( १, २,४,१, = उ १, २, MET) © क
चयत्णमागउणसो (२, १, १०, ३ = उ ९, ९, १०--९, १,४-१९ १,१९०) अय्पूषारथिर् (२११, १६० ९ = BYU EMEA ९-१९, २, to
WITT TH षम् ROAR, १ ९--१५, १, १९-१४-१९, १०-- . be ४ | , १०९५-८ 8, 2, ९) = , = 6 १४५ qurfant (२, ९, te, २ = उ, इषा पवख ) sis ९१४ GIUATS ( १; १, १० २ = उ, इण्डमच्छतुता ) ०५ * १९९ अयापवखदेवथु र् (2, २,२९,६ = ख १, २, १९-१७-4९, २, ९४-१९-९२, २) २८९ अरूडचतुषसः ( २, २,. १९ ९ == FO, ९, L— Lz, २, २--१४, १; 0) ४६२ ष सोम्युभ्तमी ( १, २, ११, १ == र ३, १, १--4-०--<- ०, २, १- 2 --९ २, URLS, २, १-२०, ९, १९-१०-२० २, १). ९१४ वद्य तानः ( १, १, १९, ९ = छ, अनित्रियाङपिवते ) ... sat १९७ wutramat (२, १,१, ९२ = Ye) ००७ wae ०* २९८ असथिं करां (१,१,१८,९ = छ १,२,१५--०,१,९- ९५१, ४--१५५ २, ६१) ५९९ सा विसीमदन्द्र (९, २, ९९, ९ = उ ३, १, १८- १२, २,९८ + २९, % W— 2A, १, $ ) oe sb =+ ६८९ WITH UT (१, २, १९, १ = उ १, १,१९-०, २, WG १९, ४- - २० २, २) soa dee seg ae ६४९ आसिद्िकैगैर (३, ९, १४, २-१९, २, ४ ) se a | ६५१ अस्म प्रवा सहन (१; १, १९, १ = ख ९, १, ९-९, ९-१, CO, a UB, १, १९-२०-१४, ९, १-२-९४ ) २४९ स्मदिन्दरीमदेष्वा ( १, १, १०, १ = उ, CHANT ) ... as १९९ wrarang ( १; ९ tt, ? == च १,९,९) aie bee ९९० श्थातिष्ठदश्रदन् (९; २, २९, ९ = उ १, ९, १८-- १२, ९, १८-२९, १; ४) ८८४ TPG LUSCH TUL) =. == २९९ च्छातेष्वद्ररधो मडि ( १, ३, २६, १ = ख १, ९, १९--१०,९, ९) ... ९६०९ आतेखम्नद्था (१, २, WV = FR १,१६९- ९०१९) =. ९०९ खालात्रह्मवजा (t,t, < २ = छ °) bee si oe १८ आालेतानिषोदत- (१, २,.१० १ = छ १०२८) ,. ** २९४
[ ध ]
HA SA GEWSUTT (2,%% २२०८ ०) he oe 3, arateat ( ९ २, VW, य FY, ३, १४११; १५ १० ) ee
स्वारौ ग्नितख्छ (९, २, २९, UH ख १,२, १४-१९, ६, WO) ee
श्यादौ मश्व' (१, VRB, == ख ६, १,१०--,२,१९-१९११,४- ९०, ९, २)
शआनर्न्दो ( २,२,२, = FO) < se ee खनःसोनखहो (९, २, % RHF) ae we arfifaaracat (t,%% १ = ख 0) .. se a श्ापप्राथ &, % ११ २ = FN,’ WE) tee ००७ खआपवमानसुष्तिं ( ९, १४, ₹ = Thy ९, १०--१९ २, १०) शआपवखमष्दोम् ( १, १, ६४ = Fo) a bai ९ शआआपवखद्धवोयेन् ( २, ९, ४, ९ ख ० ) ve oe आयाद्िच्ठषुमा (२,१,९१ ese). 5४ sis TAT PTTTTE (१, १,९२, २ = ख ९२, ९, LTHVY ९, ११-१२-११) वंसते (२,२,१०२ ~र, २,५) > ~ a QT TATTT (३, २, १४, २ ~ छ ९, १, ९१-५,१ EHS GT WR
१४. ९, १४- १९, १, १९) i ee $ शआाविवासन् (२, t, ४, ५ = उ °) see ves ove STH (8% (= ख 0) ००५ sss sie आखयेतो TSH AT (१, २, २०; २ = उ, प्रसीमदेववौसये ) ध श्च्छनिदेवाः (१,२ ३,९ == FU we) = ° र CUMS (२, १,८२ = Fe) + 5% 9 RWG (९१२, ८६ य्ग् ख ६, २९) ,,, ss es CRW ( १, २, ९, १ = FAW ०)
इष्ड रिन्द्रायपवते ( २, २, ९४, २२० SUR, १-८४-9, ९१ २०- € १,५८--
१५, २, १-२-६९, १, Ve, ६, १२-‡९- २९ २१९) दग्डुवेजोपवते (९, २, ९०, १९ = उ ६, १, ६५- ८९६४६) ie इन््रोयथातम ( १, ९; ४, ९ = Se ) „^ „१ ०*
मन््प्रतौकम् । शम् इम्दोयदद्विभिः (१, ९२, ३, ४ == उ 0 ) ष sy ४९५ CRUE ( ९, १, ८, २ = ठ 0) a ee ५९ Roe THT (8,3 8 == ख ९, १,१८) st bs ree CH विश्वा खयम् (२, ९, १९, १ = ख २, १, ९२9, १,११,.--२१,१, og. ₹--₹, ३ ) a bis a ie ९६४ षन्द्रजटर (२, १, ९२, २ = Fa, t, 2) ce se ६५८७ weave ( ९, १, ९१; t == उ ३,१, २) es si UTR Ca TH (९, t, UH, २ = उ २, २, १५.-ॐ, २, O— 2G, २, १९) ४४९ इन्द्रम पिद्धविच्छदा (१, १, ०, ₹ = उ0) oi i १९ दृन्द्रमच्छत्तुता (१, ९, १७, १ == ख ९, १, ०-१०, १९, १६- ११, १, १०- oe ty ty LO—€, १, १०.- €, २, ८--९, ९, २०--१०, २, १- ००४
LR ९, १०-१९, १, १--१४, १, ११--१४, १, १७) . १९१ wafarifant (२, ९,८, १ = oe) ts ०८ शन्द्रमिहरो (९, २, २९, R= FU, U— १९, २,१८-२१९, २,१८- a ९३, १, 8 ) a oa 46 wi १८४ इण््वालेषु (२, १५८, ३ = FO) ss er ais ९०९ THTAT ( ६,२१९९, १ = उ १, ३, १०-!९,१,२) os २११ दृन्डस्तराषाण्िग्रो ( २, १, २९, = TA, १, २) we i ४८१ इन्द्राग्नोख्ामतं (१, १, ७, १ = ख °) छ ie १९ इ्द्रारनौजरितुः (१, १, ०, te se) ९० warettyat (१, २,१०, १ uo) ,,, Se ‘a ९१२ CREAT ( २, १, २९, ३ = ख १, १, १--२२, २, १०--९१, १, ९२) ४५५८ इण्डायमद्ने ( १, ९,४, ९ = उ१,२,१) ss ae २०४ इण्ड्रा्यसाम (३, २,१९२,१ = खछ३,१, 0) * * ini ९८१ इण्टर खग्ना ( २, १,९१ = उ 0) = re ध ९१९१ इन्द्रं WT (२,२, १ =o) ००७ vee vee १९९
CREM (३,१,८१ == उ ०) a x ५०९
मन्तप्रलोकम् शठम् दन्दो रोधाय ( र, ११ ८9 ४ = so ) eee i ane ९१० इण्द्रोमदायवाष्टधे ( १, २, १४, १९ = ॐ १९, २, ४) क ९६२१ इममिन्दचुतं (२, ९, WL, १ = ख १, ९, (HAY २, १७-२९० २, १) ४७७ इमाख्वारिविद्श (९, २, १४, १ = उ २११२, १-१९-१९ °. ९४४ इथं वामस्य (९, १, ९ १ == 90) 93 ०० on ; ४११ दूमभोकाय ( १, २, ११, २ = उ अषासोम ) ह र ६१९ इषे्रवख ( २, ३, ४११ = ख ०) ee ee i १८३ Cwaratyeied (१, २, ०, १ = छ १,९,५) ses इ ९९९ शै्ानष्मा (२, २, १, ९ = उ ८, ९, ०-२३, १, १८) a ४८८ खद्माविधनिना ( २, ९,७, २ = Fo) os ०० १९९ खशतेजातम् (१११ ८, १ = ख ९, १, UHV १९- €, ९ So ध
©, १, १२--८, Wy १९- १०, ९, १०-११-?१,१,१४- १२ १) १-२-१२ २, €~ १२, ९, १०१४, ९, ३-४- U— UE, ९, १९- १९, ९, UR, २०, १, {-ऽ-<-<€-
RO, २, LE— २२, १, ४) vee rT as RR खतनोगोविद् (९, २,५, ९ == FO) a, ध ss ६०९ खउत्तिष्टत्रोजसा ( ३) २९९ =e) see sae ae ६१० wy खियाःसृजते ( १, ९११४१ ९ = TU ९-९२-९५ ) ves २.४१ खपितस्य (१, २, tS २ = ख ATEN) ००. nee ९४० STAT HAMAS ( १, १, ९९, ९ == उ १, ९,१९-- ९१११ १०) nee १८७ wafer EA (१, २, ९८ १ = उ ९० १, UNS ९, ११-९१, १, TN) २९९ खपारो ( १, १, १, L— Ny BH १८ ९ = उ ९१, ९, ११-९, १०४ sous
१९, २, ११- VU, १, २-११) aoe ae soe BIRGER उपोषुलातम् ( १,२१८.१९ = उ ६, १, ५-१९०२,११- ९१, १०२११ २९१ उभयतःपवभानस्छ ( १, १, १, २ = उ ८, २, २) =< ee ४८0
CENT ( ब ty ४.) R === ° ) nee 9९१ ore १९६
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ऋत स्मनिङकापवत ( २,१, १९, २ = उ खभिप्रिथाखिपवते) ऋते नमिव्रावङ्शा (२,२,९,२ = Be) WAG areal ( २, १, ०, २ छ = ०)
mdqqienrem (२,१, 9 २ = Fe) os oe ४ टधकसोम ( १, १, २, B= उ ९१, १, १९) i 4 wfafas: ( १, १, १०, ९ = Ft, ty ४-१९ ६, ९) oe ध रते्वसप्रम् ( २,९, १, १ = उ ०) = ६ oe रना विश्वान्बर्व खा ( ९. ',7, २ = उ उबतेजा ) ` ,,, ६ रनावोख्ध्चि ( १, २, १९, १ = उ २१, २, ८-२१, ९ ११-२१९ २, १४) एवामःशोमपरि (२, २, १० ३ = FY, ty ९७ ) ष ०५ एवा पवबखमदिरो ( २, १, १२, ९ = उ २, १, २-९०, UE) sie एवारातिस (२, १, ६८, VHT Vy Us CLAN BW V) a3
शवाचासिपीर्यर् ( १, ९, १८ FH उ ९१ ११९-९२९,२,९) रषप्रम्मेनलम्मना ( t, %, 09, ६ we Bo) CIA नभग्मना (%, % १७, २ = FO) रद्युषु्रवाणि ( १, १०२१, FS] उ १; ९, UM VA,_-& VR ) 9०१ भे सुखन्द्र( ३, २, VL, RH ठ, ९, २९, V— VL ११- १०, १, ९)
wafers व्वा ( ९, % ६२, & = उ ३, १, १८--४, १, ८-९-१९, ९ 9)
Walaa (१, १०१२) १९ = TF, १, ४,- ९०, ९८) ०५५ कवोगोभिवावर्खा (२, २, ९ ९८७८०) ce. ` WTA (१, १, १२, २ = उ १, १, ५--६०; १, ८) oe छक्वकवरिवो (२, % %, 8 = Bo) vr bs ४ केतुद्ुखन्दियस् (९, २,२, र उ०) ... ss Be
MEI (2% ४, ७ = Te) (६ Be be
मन्नप्रतोकम
ग्टशानाजमदग्रिना ( १, १,५, ९ =e) sie ह मोषिग्पवद् (९, २, १, १ = उ ८, २, ऽ9- २३, १, LE) =+ aferg व्र ( २, १, १४०२ = ठ °) ee ee mata (३, २, २, ९ = उ ०) शा । जनद्मनोपा (३, १, ६, १ = ख १९, ९, १५) 4 क
ANH (१, १, ९३, १९ = उ १, १, ६- द, २,१४-१२११,५- १६; ९, S—UB, १, १०--२१, ९, B— Vy ६, €--२११ ११७ RYU Ls ) es ee ४ तदश्याचिश् (२, २, १८, १८ ख २, ९ ES ९, ११- १९, ९, १९) लनो मदं (२, २, १८, CHT २, २, CSU UTNE, १,१९) तन्ते यव॑ंयथा ( ९, ९, ८, ९ = उ ११९, ६) सक्त्वाधकार (२, १, १0०, ९= ख इषापवख ) ००७ ee AVATHTETEA ( २,२० १० १ = BO) ° =^ oe avarefafec (%,%, 8 T= Se) - as ads लन्डुरोषममोंगरः ( १, १, १८५ ९ = ठ पुरोजितीवो ) wutafay ( २,९, १६, ९ == उठ 9, र, १\-१२, २, ए-- १५; १,९)
लजृष्टवाम ( २, २, १९०१९ = छ ९१ ९, ०१९११ १४ ) ss लजङवेवाखसातय ( १, २, १२,९ = छ १,२, १०-१९.१,२) `` acfafefgurafa (२, २, ११९, १ = ठ २, १, १९) ,., ss सरश (BUG ९ = र अभिसोमासच्चायवः ) = ह त्तोभिी ( १, १, १४, १ = उ १, १, ०-१०, १, १५) ce aafaat (३, ९, ०५६ == FO) ose ०७ ००७ wearer (३, १, ११, २ = उ तबार्सोम ) bas ॥
लवाशंसोम (३, १, १९ ९ == उ ९ ३, L— LOM Uy US ९ १, १०-- €, २, १४--१३१ २; १-२-१९ २, १४ १९-१७-१८- १९ २, १-२० १, ९४-१५-१९) ° `
TTT लाखद्यगमघा ( २, २, १४५ १३ = छ te, ६, ४) ताखस्छपव्नतायुवः ( % ९, ९४, २ = १०४१, ४) ००७ oe
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Wy १, १९--२०, १, १०--१६ ) oe ies वम्बेनासुवना (२, १५१०९८८ ०) ००५ ००५ ००५ चिकटर् केषुचेतनं (१, २, ४, २, = छ १, २५१) । vee Wifafare ( २, % १८, ३ = छ MET) ** १०५ SURG (३, २, ४,६ = Fo) .. at इ
ब समुद्विषा (2%, %,%, % = Ss ०.) ie is ie न'रोभनुभादगः ( ९, २, & = FO) a - ज खोमपरिखव (९, %,¢ १२ == G0) ag oe WANMRT ( २, १, १०, १ = उ २, २, १९- ५, PEGG UE
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ताभिद्धिषवाभद्ं (२, १, १२११ = छ °)
दजिष्युतत्याङ्खा ( १, ९, % १ = उ ९१, १, ६२ ) = = ZUASUT (९, ९, ९ २ = YN ) + ~ दुङानःपरन्नसित् (१, % te R= Te) °°
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मकि द्रथौतरी (१, १, ९१, २ = ख १, १, १--२९, &y १० २९, १, ९)
मधं मन्द् ( १, २, ९, २ = छं १, १, 20) eee ०
गला्वां HAT ( १, १, १९, २ = ख ६९, ६, १९२२, १, १- २२, १, १२) गदु तिद्रविकोदेषु (२,२९१.२ = उ २५१०१९८) oe ग्थंदुभा ( १, १, १४, २ = ख १, Uy 9-2, १,१६) .. नङितेपजंम् (१, ९,२१०.९२ = ख, ९, WHA १९) afer (१,२० ९० ९ == ख १५९, ४) ‘as tee MATTE G (९, १, १९, ९ = उ ९,२, १२९२, २, ११ १२-१९)
नृरभिधातः( १, २८, २८७१, %, ६) (६ ses afagarer ( २, २, ९, ₹ = उ अभिखोमासख्चायवेः ) ` ने faqafon (३9 १, १४, % = ड ११ २, १९)
ufcarwaqwar (३, १, १, ९ न= Be) | en परिप्रिवादिगः (९,१, UG == FYB UWB, % ८-!५,२, १०-
१६१ ९, १६--२०) १, १७) परिषिश्वानि (8, %, ४, ३ = उ 0) परिष्कुदवन् ( १, १, ४५२ = उ ° ) ae i . पमतेडथंो ( १, २, ९९, २ = उ अथापवखदेवयु ) पवभागविवा ( १, १,१०, ९ = ख २, २,८- ९५, २, ९१९, २, ९) पवबाभरसख्छव (२, १० २, २ = उ द, १, to)
[ ट ] मन््रप्रतीकम्
पवयानखथाङख्खा ( ३ १,४, ९ = छ ५, १, Lo— ee, & १०) धवमानस्यतेकये ( १, १, १, १ == ख ९१, १,१३) ००१ पवमानद्यतेग्सो ( ३, १, २, ९ = TE, १, to) ०५ पवमानस्य वयं ( ९, १, ५, १ = छ 0 ) पवमानखविश्ववित् (२, २,२ १ = Fe) | पवमानो खव्ौजमद् ( १, १, २, ९ = ख १, १, te) पवखदचसा्थमो ( १, १,१०, ९ = छ ९, ९, ८--९४, २ ९-!९, ९, १ ) पवखमधमन्म (१, १, १९१ ९ = उ १, १९२ GEHL, १०५ १, H—UE, १, ४--- $ ९; ८-९, २, O— LO, BY A— १९, ९२, १८) ५ Wea ( २, १, १, १ = ख ० )
पवखवाजसातये ( १, ९, १९, १ = ख १, ९, TRUS, १, १--२, ९- १५ ९, १९--२०-११९--१९, १, १०--९, ९--२०, २, १- ` २१,२१९-२९, १९१२) qaafraaie ( १, १, ३, ५ = ख 0 ) पवसखषवरकम (२, २,११९ = Te) | WRT (२,१,९,९ = To) Ufaaat farm’ (२, २, 1G १ = छ ७, २, १-- १९, २, २-१५, & 0) area भिना ( १,१,८, १ = ०) GTMATAT (१, २, १, १ = छ १, १, १८) oe < पिबाखोमभिन्द्र ( ९, १ ६३,.१ = उ २९, ९ ११९) ,,, ००. पनानःसोमषारया ( १, १, ९, १ = ख १, ९, २-३२-९, २०--२,१,१-
8, ९, ४--४--{- ९, ९, ९१-! २-९२-२, २-८, २,१९-!४-
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॥ द नमः सामवेदाय ॥
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॥ उन्तरािकः ॥
॥ अथं भाष्यावतर्खिका |
ATMA: सुमनसः सर्वाधथौना सुपक्रमे | यं नत्वा BARAT: Qa नमामि गजाननम्॥ १॥ यस्य निश्वसित tar यो बैदेभ्योऽखिल जगत्- निममे, ane बन्दे विद्या तीर्ध-महेण्बरम् ॥ २ ॥ . तत्कटाक्चेण तद्रूप दधद् वुक्षमहोपतिः। SAT सयणाचायं AIA प्रकाश्ने॥ ३॥ ये पुवोत्तरमोमांे ते व्यासख्यायातिसङ्ग.ात् । कपालुः सायणाचार्यो वेदाथ वक्त सुद्यतः॥ ४ ॥ व्याख्याताहम्यजवदौ सामवेदेऽपि संहिता | छन्दोभिधाभूद् व्याख्याता व्याख्यास्यव्युत्तराभिधाम् ॥५॥ कन्दसेकेकशोऽधौता ऋचः सामीडवाय हि | स्तो म-निष्यत्तये TAAL तराया ATA #॥ ९ ॥ ° wef qari कप्य एककः we: WHAT, सङ्गति ममपेच्येति भावः; तव TARA प्रयोजनम्, सामोडधवस्तु ween खचि भवितव्य एव ; परः सोम- निष्यतिलत, तथा न मवेत् खत दृ उत्तरायां MAT इक् व्यप्र पाणि खधोयनो ।
१ )
र् सामवेदसंहिता | [भाषा
स्तो मशब्देनोत्पत्तिषु सोमयागेषु प्रयुज्यमानाच्तरिठत्पच्च- दश्ादयोऽभिधौयन्ते। sara ते्तिरौीयकाः प्रञ्नोत्तराभ्या मिद मामनल्ति। तदादुः- “कतमा ara तानि ज्योतींषि य एतस्य स्तोमा दति ? जिहत्पश्चदशः सप्तदश एकविशथ एतानि वाव तानि ज्योतौति यएतसख स्तोमाः इति। छन्दोगा चित दादि-स्तोमानां खरूपं ब्राह्मण-हितोय-ठतोययोरध्याययोः * बहधा समामनन्ति | ते च वहभिरवान्तररूपोपेताः समालराताः स्तोमा नवसङ्याकास्तेषु पूवाकालिठदादयखत्वारः विखव- व्रयस्जिभौ चिनवसङ्मोपेतः स्तोमस््रिणवद्व्यु्चते । छन्दोमना- मका स्तोमास््रयस्तेषु चतुविशाख्यस्तोमः प्रथमः । गायतो च्छन्द्- सा चतुविंशत्यक्षरोपेतेन मोयतद्ति छन्दोमः। चतुस्िंशघला- fcaten हितीयः। स च व्रषटुप् छन्दसा मोयते । अष्टाचलारि शाख्यच्ितौयः । सोऽपि जगतीच्छन्दसा मोयते॥ नन्वधये इयामातलक्षणोपे तेम्यस््िहदादिभ्याऽ्टादश-नवदगादि-नामका बहवः स्तोमा विद्यन्ते । तथाच तेत्तिरोयकाः केषुचिदिष्ट- कोपधान-मन्त्ेषु देवतावद्पे टकात्व-विवक्षया तान् स्ामा- नामनन्ति-“श्राणास््रिहद्वान्तः पच्चदगो व्योम सप्तदशः) प्रत- सिरष्टादशस्तपो नवद णोऽभिवऽत्तस्छविशो धरण एकविंशो at हाविशः सम्भरणस्रयोविशो योनिशतुविंशो गर्भः पञ्चविश्र भोजस्तिणवः कतुरेकविभो awe विषटपखतुच््रिभो नाकष्षट् जिं भोऽभिवत्ताऽ्चलवारि यः इति । रएवन्तहिं wea बहनि
® ताष्डम हाब्राद्यख्स्यति |
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स्तोमान्तराणि तेषां लक्षणानि | ब्राह्मणान्तरानुसारेण सच कारेव्यत्यादितानि॥ तेच स्तोमाः स्वेऽप्याच्यष्ष्टादि-स्तोजे- wager: “पञ्चदशान्याज्धानि, सप्तदशानि पृष्ठानि -इत्यादि- खतिभ्यः स्तोम-विषयाः स्सो ्विषयास्तत्रिष्यादक-साम-विषया ख | waste विषारा असखयाभिन्डन्दोव्याख्यानावतारषैलायथा भेव जेमिनीयान्धधिकरणान्युदा त्य प्रदधिं ताः +0 किं बहना “एकं साम तुचे क्रियते स्तोजियम्””†--शत्यादि-वचनेः स्तो ्रनिष्याद्- ae सानरस्तचप्रगाधादि-रूपाणि खलान्धा गरबत्वे न्तरा स्ये संदहिता-ग्रन्ये समान्नातानि। स च aa एकविंशति-सहपाते-
रध्याये Waa ४ ।॥
.* १५० Ro Jo— No Yo व्रहटबम्।
† बहयोऽद्यार्थः ९भा० २० पृषे ।
‡ मृलपृखकस्य q अध्यायसद्या मेव eed, पर मसि तव प्रव्य्यायद्ाद- ध्यायः खष्यायदयेऽदाध्यायदयन्च, Vert च तथा, विवरणाद् वप्येव मेव । खायश्मते त खर्ाष्यायानङ्खौकारसतदधेकविंश्तिन चरभमिति। ऋष्ययेति यवडारञ्च साय- ` सौय रय, वसत्, मः सामवेदे प्रपाठकयवदहाररव सवं मुख पुरुक-पददएव्तक-नानपुरकादो विबरश्कारमते च प्रसिद्धः|
ह सामवेरसंहिता। [१प्र०१अग्१सु०१,२।
तच, प्रथमाध्यायस्य प्रचमसख ण्ह , # MUAY तुचे, येयमक् प्रथमा सेव सानायते- ३ ९९ १९ र उपासमेगायतानरःपवमानायेन्दवे । र र = x रर् ५ अमिद वारद्यक्तते Wee ue डे “au” नेतारः! awe, “देवान्” इन्दादौन् “ahs waa” आभिमुख्येन ae मिच्छे “पवमानाय” चरते “wei” अभिषुयमाणाय “sea” मोमाय “डप गायत” उपगानं कुरत ॥ १ ॥ रथ हितोया। R ९६ १२१ Nee RT अभिनमधुनापयेथर्वाणोभरशिश्रयुः। ध ah Me श रे द वन्दवायद TT: ॥२ ॥
हे सोम! “A” तव “टेव” देवनभौलं “Vag.” देव-कामं रसं 4 ““टेवाय देवनश्योलायेन्द्राय “मधुना ¶ “aa:” गव्येन @ Wa Te खष्ड-ववडारोऽपि सायशेनाविष्कुतः । न थमेव ऋक नेव प्रपाठके द्दितीया ड ऽपि दृश्मते (१८, 2) | ‡ देवयुः देवान् uate यः सोमेन स शवय्ः--दति fee) "देवथयः,--रति wefe Crag अरं Faz कम् (९, १८) | ¶ सधमा खादुना- स्ति fae |
१अ०१खु०१स०२] sucfa a: | धू
पयसा % “श्र्वः” ऋषयः fp भप्रभ्यिश्रयुः” भ्रभ्यशि पन्
© © समकुववित्यथः ४ ॥२॥ अष Zarar |
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श्ररराजन्नोषधोभ्थः॥ २॥ ११ कहे “crear” दोप्यमान aa! “ar” प्रसिहसत्व' “ay”
श्रस्माकं $ “गवे” | “SP ga “पवस्व” चर + “sata”
@ पथः प्रथमेकवचनमिदः तृतोयेकवचयगदय स्याने seen) पयसा सोम fare कुवेन्तिः- र्ति fae |
+ “सोममित्रशं कुवनि के? अथवाशः लिः | wear wear ara चिः wrartart qanlarrenrd - रे ware: इति fao |
‡ “खभौत्यय aver: अभ्ि्रय रित्याद्डा तेन सद सम्बन्धयिसयः। Safir = wiarea a तव अशि प्रयु: मित्रं छतवन्तः'- दूति fae |
¶ एताखिलक्टयः- शशन्वेदे €; ऽ, ३९ UR अधि दष्क । खसा खषि- eens — afer: काश्चपो देवो वा" एति aia ae] देवत-सन्देष्येऽपि यशा- “उत्तरासु CURTIS Aaa: | YATE AT VATE ITS जय- au: | सोम्धाःख्सोमः घाथिवः"--द्ति दवत-नै०।॥
§ ‘a. खखभ्यस्'- दति fae |
|| “खलुथेपक वचन् बव वन ara व्रम् | गोभ्यो बङभ्यः'--एति fae ।
+ ‘qwe शराध्यख'-- दति fae |
é सामवेदसंहिता (प्र०११५०्१स्०३।
पत्राय we “शं” पवश “Tad” अश्वाय ¶ च “a” पवख ‘gaan.’ च धुः शम्पवस्व॥ २॥१ ध ४ ३ BS 8 2 Ut ॥ AMARA ॥ उपाऽ५स्मे। गारेयारेताना
५ २ ९ २ र् : र् . र र
राः। पारवामाइना। यारेह्ा। Safa) दावा
१ _ रर „ ३२ १ २ र्र् यि। आभिढवार्दयारक्षताउ॥ ते (१।॥ आआ। भितं २ ९ ₹ र श् र् श् श् ९.
मा। धूरेनापादयाः। आथारेर्वा। णोभाररेशा।
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marta आयय; | दायिवन्देवायदारयिवयाउ ॥ यु(र)॥ R श र् र् , श्र साः। नपवा। खारंशाङ्ारवायि। शच्ारना। य र् श र र् t र् र् श्रारेश्मा। SAA ately शारराजन्नोषधा
५९ रे रयिभ्यञ्माख (3) ce The
* इ नाय सुख उलिविमलनायः- इति fae |
¶ "ग सवते यजमानलनायः- इति वि०। { .खोषधौभ्यः त्रो हि-ग्रव-तिल-माषादिम्ः'- एति बि०। ¶ खामेदम् इगानस्येकरविश्पपाठक-पथम ड दोकादजम् ।
१अ०१ख॒०२सू०१,२] wacfaa: | ©
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सोमाःप्रुक्रागवाशिरः॥ १ ॥
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गवाशिराः भवन्ति गव्येन पयसा fafaar भवन्ति श्त्यथंः* ten
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सोटन्तोवनुषोयथा॥ २ ॥ “arm” बलवान् सोमः “Safa.” प्रेरकंः स्ताठमिः ^ “हिन्वान” स्तोत्रैः खय माणः “fea”? भ्रभोटकारी सन् “वाजं” यागाख्य युम् “श्रा भ्रक्रमोत्” अ्राक्रामति। aa दृष्टान्तः
° ^दइ्विय् तत्या देदौप्यमानय ser) परिष्टोभन्या परि saan otra पुनः पुनः STS MATS: GGA | छपा कान्ध | सोमाः YT WATT: | BY Ware भवन्ति? aac wwe कायंबदुपचारः atwtafacs: वाशिरः ferra ५*- इति वि०।
† CASAC WANT प्ेरकम्”-दति Ho We २,९,५,१ सा" बयम्
(१भा० ५८१प० ) |
ट सामवेदसंहिता) | १प्र०१अ०२सु०२।
यथा “वनुषः” ward भट।; > “सोदन्तः'' यु प्रविशन्तः ड £ ˆ आक्रामन्ति astzaa: 4 ॥२॥ शरध ठतोया।
९१९ ९२ ३ १२ 2 ९ RU २
ऋधकसोमखस्तये सच्म्मानोदिवाकवे |
१२३ १ १ ३ RS पवखसूर्योहशे We 4 Sara” ! aa” क्रान्तदधिन् ! ae.” सुवोयः ¶ त्र “ऋ थक्” प्र वत् । तथाच यास्कः--“ऋषधगिति पुथगभाव-
स्यानुप्रवचनं भवत्य थाप्युभ्रोत्यये twa (fate Fo ४, २५)'-
* ‹'बलुष्यति"- एति ऋध्यतिक्मंसु Wea नेघयट् कम् २.१२ | “बरुष्यति- सं ग्लिकभामवगतसंस्कारपेमर्वाति 'वलुयामवनुष्यत' त्यपि निगमो भवति? त्यादि fates Fou, २।
+ ‘fea Ream: Waar wa! कैः safer? CWRU TE faafe: SST) WTR उपसनः। खक्रमोटित्याद््यातेन सम्बन्धयितग्यः श्ा.ममुष्टेन क्रमोत् वालं वाजो THAN, प्श्यपुरोडाभादि-लथरुख्याच्रख way अथवा वालं परोकरद्रम Write sta) कथमाक्रमौत् १ शोदमोवतषोयथा। slew: खधविश्रनः age मनुष्यः एकवचनमिद् बङवचमदखय स्याने द्रष््म्। TAT: aoa: उच्यन्ते | यथा उप्रविष्रको मत्या: खासन माक्रमन्ति तदत् ब्रोक्कलमर uta: —tfa fac |
{ ऋ> Boo, १, ४१, eeu! we " कश्यपो ate: ” दति wfeae | न्दोदेवते पूववत् |
¶ ‘qa: इमे, सृं ( इव शब्द मादयते। TH KATE यथा सृषं उदेति विश्वश्च जगतो दषम य तदत. नमपि पवदेत्यभिप्राथः'- इति fo |
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Kal “सच्नम्मानः" सङ्कच्छमानः “aaa en” दशं नाय “दिवा” दिवः विभक्िव्यत्यय# ॥ ˆ पवख “ल र'--“दित्रा- कवे" -“दिवाकविः**- इति पादौ ॥ ३॥ २
४ ३ 8 R र v ॥ यश्नायश्नोयम्॥ दवाऽ५यिदय्,। तारतीर्याङ्चा |
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ष र ९ rt १ देभायिदारेयिताः। भावार्जम। बाजारर्या। ज
९ ९ १ र ९ ,६२ १ aa | क्रारमौत्। सायिदन्तोवनुषोर्यथाउ ॥ था(र)
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° ‘fear कवे अरन्यषनि हे मेधाविन् ! '--द्ति fae | + Ho ATo WL Hel Go lr Go |
( २ )
ge araazafeat । [१प्र०१अ.०३सु०१)
ठतोय-दचे- प्रथमा |
रे i श 2 8 १९ पवमानस्यतेकव AACA TAY |
१ . ९९९ Vz अरववम्तोनखरवस्यवः ॥ १॥
माजेनप्रसङ्गादाह- हे “कवे” क्रान्सप्रञ्च ! हे “वाजिन्” अन्तवन् सोम ! “पवमानस्य” द्श्ापवित्रेण पूयमानस्य “a” तव “ant.” खज्धन्ते इति सगां धाराः *। कीदृश्यः? “अवस्यव.” [ “छन्दसि परेच्छायां ary (२,१,८्वा ०] wea मन्न कामयमानास्वदौया धारा ^“भ्रङक्षत"' विजन्ति निर्णच्छन्ती- व्यैः । तच CSTR — “MAT न” यथा Wary मन्दुरातो निगं- च्छन्ति तहत् offerte? | mained चाज धा-
रा-बाह श्यम् ५१॥ we हितीवा ।
९३ १२ ३६३ १९२१९२९११् अच्छा कोगम््धुश्चुतमडय वारो अव्यये | १२ ११२ अवा वशम्नधोतयः॥ २ ॥ धारानिगमनप्रसङ्गादभिषोयते--“मशुवुतं” मधुररसस् ावयितार areas “कोश” द्रोणकलशम् “अच्छ” अभि-
* “सोः उदकस्य खन्योग्धर्का यः सङ्काताः- षति fae | † ‘oie: यजसानमाः'--दईति fate |
१अ०१ख०२स्*२] खउषरा्िकः। १९
were “aaa” अवि-खभरूतं “वारे” are दथापविे “ed” सोमाः ऋतिहिरभिरण्यन्ते [खजेः atte faeriret भव- न्तौति टेरमादेषः] । किच । “daa” [अङ्कलि नामैतत् + धयन्ति पिबन्ल्याभिरिति] असखदौख शरक लयः “अवावशन्त” तान् सोमान् न पुनः एम्माजनाधः कामयन्तेर्धूः॥ २॥
श्रथ Sala |
१ र RW ९२ ९ ९ ९६२३१९२
अच्कासमुद्रमिन्दवोसङ्गावोनधेनवः। १९ ९३२९२१९२ VR अग्मन्नुतस्ययोनिमा ॥ २॥ ३१ ^“बन्द्वः” Wom: सोमाः “age” सोमाना मेकत्रैव सषुः- मनख्ानं द्रोकलशम् “अच्छ अभि गच्छन्ति। ay cera: --^घे नवः” पयः-प्रदानेन जनानां प्रौ णयित्रमो नवप्रसूतिका गावः “re” WE यथा श्रभि गच्छन्तोति तदत् §। किचत
@ (यच्छतम्, रति निर |
+ “.चोतयः”--दति aw featag उप्तम Taw कम् २, ५।
‡ aire: wife: बुद्धिः बुद्धिमतः सोमाः। अथवा अवावशन्त कामयन्, क Vice wefan, किं कामना ? सोमख पावमं दो कलगसमञ्च'--रति fee |
q Wo वे०9, २, ८ ५--<९,१,९। कट '(बेखानखा अङ्किरसः५४--द्ति
wa we |
§ ‘quay 2 WS मायो म पेनवः। खस्तमनकारे गावोन भब्द खपरिष्टा
१२ araaedfeat | [प्र०्१अ०र२स्०३।
सोमाः “ऋतस्य योनि” wayne avae योनिं खानम् “a” शरम्मन्” श्राभिसुस्येन गच्छन्ति, [गमेलुङि सिचो afs
उपधालोपः VANS
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॥ यन्ञायन्नोयम् ॥ पवाऽभ५मा। नारेस्यारेतेकावायि। र् x र् र् श र श र 2 वादजायिन्सादगाः। WTRVAT | म््ायि। Bears श x Z RR R र् > On आवन्तोनश्रवारेस्यवाड ॥ ATONBT! च्छाकोशाम। RF १९ २ र , श ब् x
मारधूशूरताम् । असार्म । UCVVaT | ऊ मायि
व्यादेयायि। अवावशन्तधारेयितयाउ ॥ या(र)आ ।
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HAS | द्रारमायिन्दारेवाः। अस्तारङ्गा। Fare
र् दधे। Bafa नारवाः। भआग्मन्नृतस्ययोरेनिमाउ | ५१९११ |
वा३२४५.३) ॥ १२ fr ॥ [१.३
Sway: मावः द्व Uae: यथा Ware वत्यानतियन्ति We- दृढाः इति Fao |
* ‘aa awe प्रजापते वा-इति fare |
{ He गा० २९ प्रः t Ge १३ सा०।
UMo i Wo Iwo 2 | उत्तराचिकः । १
इति Water उम्तराग्रन्यस्य प्रधमस्याध्यायस्य प्रथमः खण्डः ee ॥
e ‘utfactfaa बहिष्यवमानं समाप्तम्'-ष्ति पिर | “तडिद् सूृक्रवय- arena ata बद्िष्यवमानमित्युश्खते, तवावस्डिताना मां पवमानाथत्वाद् बद्धिःसम्बग्धा्च'-ट्तिमो० Zo Bo Woe खध्या० ४्पा० ३ अधि०| न wefere स्तो चम् टइतरल्लो चवत् सदोनामकस्य मण्डपस्य मध्य ओोटुग्ब्ाः सम्न्ाखायाः सन्निधो प्रयुज्यते किन्त, सदसो वदः प्रसपद्धिः waa) “बदिष्यवमान-नाम वेदो, यच खिले तदद्िष्यवमाननामनवक् -साष्य-विवच्वामलोमपाठप् वेकं माजं नं भवति ; "सातु उद्ग्बेध्ानामश्ाललाकमेत-सदमण्डपात् प्रिमद्याः प्राचोनवंब्ानामग्ालाकमेते- शिकवेर्दरती विद्यते, ख्य च बदह्िष्यवमामस्य प्रछतिथाजऽग्निोमादो जिष्टत्ना- मकः स्तोमो भवति, रतद्धिधायकं anger ताष्डादितौयप्रपाठकारनभो एव षन्डययाकमकं द् टव्यम्--“तिदभ्यो दङरोतोत्यादि'। wa च विष्टुतिवयमल्ि उद्यतौ, परिवर्तिनौ, कुलायिनीलि; ary aaa wer | विषटतियागऽति- र।वाद्वबेव रकबिं्रादि-खछलोमा विदिताः «fearar चाच wena भावात् त्रिष त॒चेष्ववद्थिताभिने वसिश्छैजिभरोकविं्लोमपरखाभावात् तत्पुरणाय चनारस्तचा खगमयिताः, निणवस्लोमपरशाय षट तथाः, जयलिध्तस्तोमपरणाय चारो तुचाः। चागमनं च मानम-““जोषि डवे यन्नस्योदराङि माय" इत्यादि ताख्डय-सप्रम-तृतोये द्यम् । आओगन्तूनाञ्च तासा मन्ते fata: दादा त मध्ये शव fate तदिचारञ्च मोमांसाधिकरणमाायाः waaay चतुथे दषटयः। प्राटतानां बदिष्यवमानगतानां चयाशां तृचानां स्तो वियोऽनुरूपः पयासखति था wa Wife नामानि। च मनम् areas “atfa यादर्पौ मचौ भवतः" दृत्यादि। मवामयनादिष gay oa चतुभिंरामिञ्जविकेः खलुविं त्यानि भवन्ति तत रकन पष्टयाषडुरुन मासः पयते, तज प्रथमा जिष्टनस्तोमसाध्यः Sate स्तोमः पठा इत्यप्यश्यत। किरेदमकषषटाधिकविश्त- दिनसाष्य ण सज ष-पश्चविंशदिमे, पञ्चपञ्चार्ग्हिन, प्रधाद्रोतिदिन, पश्चदग्राधिक- wana faq, पञशचचत्वारि्ष्दधिकशतदिने, ऊनसप्नत्यधिकशतदिने, मवत्यभिक- भतदिमे. catanifuafanafed, waqaifiucfuafenafar, रकसप्तत्य-
28 सामवेदसहिता । [१्र०१अ०४स्०१,२। दितोयखण्डे,
प्रघमटचे--प्रथमा।
RR १२ Se Se अग्रभायाहिबो तये ग्रणानोहव्यद्ातये |
१ र्र् ९ १ 2 निदोतासद्सिनदिषि ॥ १ *॥ = “na”? अद्गनादिगुणविशिष्ट ! aq “श्रायाहि" अस्मद् aw AAAS | किमघम् ? “ataa’ हविषां षरुपरोडाशादोनां भक्षणाय । alem सन् ? “ware” अस्माभिः स्तुयमानः [व्यत्ययेन कर्मणि करढ-प्रत्ययः ]। gay किमर्थम् ? “हव्यदा- aa” देवेभ्यो हविःप्रदानाय। भरागत्य ष “होता” देवाना ararat सन् “afefa’ areata ca “faufe” निषोद् [सदेः छान्दसः शपो लुक्॥१॥ श्रथ हितोया।
१ ₹ २? ९१९२ ९१९९
तन्ला समिद्धिरङ्किरोधुतेनवद्धयामसि ।
श १९ ९ बृहच्छो सायविष्ठय ॥ २ + ॥
धिकद्ि्तदिमे, रकाधिकविष्ततमे च fea विनियुग्छते- शति दिक् fara,
AGT चतुथेप्रपाठकादिक |. @ We Go 2%, % २ ( १भा०९४प्०) = We Fo ४, ५,२९,४।
+ य° Fo २, द = We Fo ४, ५. RA, VI
अरण्य सवण०्१ सुण ३ | उ्तराचिकः | १५
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ड “aire” spmrfequya! afece: Ga वा भग्ने ! “त” पूवेशगुणं “ar” at “afafe.” समिन्ध न-हेतुमि दारुभिः “eda”? भव्येन च “atgrafa”’ व्यामः । amt
“यविष्ठ” युवतमाग्ने ! #* “वहत्” महत् we “शोच Stag ॥२॥
अथ Satay |
१२१२१९२१ ३९ २ सनःपुथुश्वायग्यमच्छादेवविवाससि।
९१२९ Reg
नृददय्मतुवोर्यम.॥ २१ ॥ ४ ४
हे “डेव योतमानामने ! स पूर्वोक्तगुणस्तं “qu” विस्तरः “waa” TANS प्रशस्यं “wea” महत् “Eats” शोभन- वौयापेतं धनं “a.” भस्मान्¶ृ “अच्छ § “विवाससि” श्रभि- गमय + । भत्र वाजसनेयकम्-“शअच्छछादटेवविवाससौति तन्नो म्निमयेव्येवे तदाहेति ॥ २॥ ४
* (विषः खतिश्रयेन weary —tfa वि |
+ Wo fe 8५५, २३, २ | { इ्दमाभ्रय area
¶ “मः खखाभयम्- इति वि०। § “च्छ era a'—xfa Fao | + farefe, ०» fa actin—xfa fae |
९६ सामबेदसंहिता। [१प्र०१अ०१५स्०१,२)
दिदोयदचे- प्रथमा | ९ a R = ss अनोमिचावरूणाघनेगंग्यूतिमुस्षतम |
₹ ३ १२९
मध्वारजारसिमुक्रतू ॥ १ * ॥ | “gaa” suaaara, हे “fararaeay” । “as? Tat कम् “गव्यति” गवां art गोनिवासख्वानं ga.” लरणसाधनेः पयोभिरदकेः “श्रा saa” समन्तात् सिख्धतम् | were दग्धः गाः प्रयच्छत मित्यर्थः । किष “मध्वा” मधुरेण सुरसेन “रजा fa” पारलौकिकानि भ्रसखरदावासखयानानि “सिद्धतम् ॥ १॥ भथ दितोया ।
8 १९ 2 3 १ RR रर उर्श्ररसानमोवृधामड्ाद सस्राजयः | ३ ९ द्राचिष्ठाभिःष्टचिव्रता ॥ २4 ॥ "शचिन्रता" परि शकम योः हे भितावरसौ । “उरगं सा" उर्मि; बहुभिः¶ शंसनोयौ | यदात्र eT: WH ययोस्तो |
i ae @ He THe % % ९, ० ( Wile BAe Yo p= We ०२४. १९०४
+ We Fo 2 B ११, CI t (हे श्चिव्रतो ` एचियेख्या मये क्ियमार्ं कमं मवति तौ चित्तो सत्यत्रतौ
दति fao | q “उड'- एति बङनामखाद HAZ कम् ९, ९।
१९अ्र०२ख०२स्०२] उत्तरा्चिकः | १७
“"नमोहधा? नमसा इविलखशेनात्रेन SIT वा वधैमानौ | “gifaorta: ’ अत्यन्तदौषस्तुतिलचशाभियुक्ञो युवां “eae” दक्षते समधा भवत्यनेनेति दक्ष धनं बलं वा aat “as” महत्वेन “राजघः” fara bun
अथ Sarat |
Q ९२ १९ zt ₹ ९९२ गरुणानाजमदभ्रिनायोनाढ़तस्य सीदतम् । ३ ९ र्र्
पातरसोमवृतावधा Wa Ty § डे भितावर्णौ! “जमदम्निना” waaraaa मरशर्षिणा यहा जमदम्निंना प्रज्वलिताजिना विष्ठाभिन्रण “्टशानाः स्तयमानो युवां “ऋ तस्य” awa "योनो" देवयजनाख्यं SH “सीद तं” उपविशत “waraur’ ऋतस्य कर्मफलस्य वदयि-
तारौ gat + “सोम “पातम्” अस्माभिरभिषुतम् सोमं पिबतम् ॥ २॥५
° "नमक्छारेव at रति fire |
+ (दस्य ऋषेः अथवा दचो यजमान उच्यते तस्य यजमानस्य बोन दौप्यमानेन —tfa foo, xu cis बरगमु बथोदभं नेषष्डटकल् २,९।
‡ “राजथः दोप्ययः-षति fare |
T न्वेद, ४) ११९, ७। § te नेजावरर ATT |
+ "ऋताबृघो oa बिंतो- र्ति fare
( १ )
१८ सामवेदसंहिता [श्र०१अ०६सू०१,२।
sara ठषे- प्रथमा | १ 8 श्छ श२१ २ २ १९१९२१२ भायाहिसुषुमादितदृद्रसोमग्पिबादमम। WA’ २९ २२९ एदम्नददिःसदो मम ॥ १ # हे “ae” ! त्वम् “आ याहि" भख यन्न प्रत्यागच्छ, वयं “A” त्वद्य “agat हि” सोम मभिषुतवन्तः खल तम् “इम्” अभिषुतं सोमं तवं “पिब acy “मम यमिदं “aft.” वेद्या area’ दभम् "शभरा सदः" arate भमि निषौद्॥ १॥ शरध दितोया।
१९ र ९ २१९९९ १२ TATA युजादरोवदतामिद्भकंशिना । ९१९१९ STAM UGA VS ॥ २ † ॥ हे न्द्र" ! “ब्रह्मयुजा ब्रह्मणा मन्ते युल्यमानौ “केथिना" केशिनो केथवन्तो “ect” हरणगीलो वा wet “ला” लाम् “श्रवहताम्” अमि प्रापयताम् । त्वं चाख्म यन्न सुपेत्य “नः” WaT ब्रह्माणि" स्तोत्राणि “ण सम्यक् चित्ते धारय५२॥
@ We We ९,२०४०( eae Blo Te = To ६; % ९२, १। ¶ Wo qe ९; १; ९२९२; २।
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१अ,२ख०४स्०१] उत्तरार्छिंकः। १९
अध टठटतोया।
१ 2 १३२१९१६ २९९९ १९ १? र बरह्माणल्वायुजावयधसोमपामिद्धसोमिनः। ९ १ २
सुतावन्तोंहवामडे ॥ ३ *॥ ई +P
हे “न्द्र” “ANTE.” ब्राह्मणा वयं तलां “Arg” योग्येन AIT “हवामहे” आघ्नयामहे। कथम्भूतम् ? “सोमपा” सोमस्य पातारम् | Lear वयं “सोमिनः” सोमयुक्षाः“सुतावन्तः” भभिषुतेः सोमेर्पेताः ॥ ब्रह्माणस्त्वायुजावयं " -"ब्रह्माणस्वा- वयं युजा" इति पाठौ wu
चतुचं ठचे-प्रथमा। १९. ९ १ श २३ चुत्कोमि्भोवर १.९ TRIM A TATA PH aa ष्यम् । ९१२ ९९१९१९९ |
अस्यपातन्धियेषिता ॥ १ $ । waufiag “xr” ¶ देवो § “सुतम्” अभिषवा-
© we Fo Gt, WV! † इद् मेन्द्र माग्धम् ।
‡ अ०बे° ©, ११ =° qo १,१, १९१,१। Wo (“वि्वाभिनो गाधिनः" - इति ऋषि-ने । द° ‘ga रे न््राप्रम्--ट्ति देव-गे० । क गायतो | TATA UCT इयोः |
¶ Bo We 2,2 8, €, = WIA, १, ७,११.१ ०२ ८२९,२९,द८ ^~ ९९, ८, = ९, १,९० ९ - २०९०१० १ एति खा चु gad “cgi |
¢ "अथास Safran Gr: —whe सोमो tee: पूषा बुरषाति व॑द्मयसपतिः पवतः BT fre tre" — एति निद, Ko १, to! |
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२० सामवेदसंहिता [प्र०१अ०७स्*२।
दिभिः संस्कारः संस्कृतम् भ्रतएव “ate” बर णौयं सन्प्रज- नोय भिमं सोम प्रति “गोभिः'` रस्मदोयाभिवाग्भिराइती सन्तौ “नभः” नभसः Baten खा नात् “सगतम” अगच्छतम् | भागस्य «faa अस्माभिः क्रियमाेन कर्मणा "दूषिता दषितो प्रेरित युवाम् “we”? इमं सोमं “ara” पिबतं । यदा “धिया अस्मदौयया बुद्धया इषितो प्राप्तो * रसदा Wheat युवा भिमं सोमं पिबतम् ॥ १ ॥
शरध featar |
१ RRQ २९१६९ VLR
दन्रा्ोजरितःसचायश्नोजिगातिचेतनः
RT र RR RR अयापातमिमरसुतम् । at ॥
ager “afeq” स्तोतु: “सचाः' aatfeerae- प्राप्तौ सद्ायग्रूतौ “यन्नः च्योतिष्टोमादि-यन्न-साघनभूतञ्चतनः इन्द्रियाणां चेतयिता भ्राष्छायनकारो सत्रसौ सोमः “जिगाति युवा मभिगच्छतिषृ। “भया” अच्छदरौयया खतिलच्च णया भनया वाचा आहतौ सन्तौ युवां "शतम्" भ्रभिषवादि-संस्कारोपेतम् “ea” “पातं” पिबतम् ॥ २॥
# “दवता एषु इच्छायाम् दच्छग्या"--टति वि | + We Fea, १५१९, २। t ‘afc: atgq: खङ्गाः" दति fae | ¶ ‘fernfa बायति चेतनः प्ोपमान भिदं चेतम इवः इति पि०।
AN १अ०२य्०४स्०२] उत्तरा्चिकः। २१ भध Sarat |
Re ee RR: Ee नद मग्मिङ्कविच्छदा यन्नस्य ज ayy | ए ९९९ ? २
नासो मस्ये दटठम्पताम ॥ २*॥ ६ ^
‘Ire’ wana सोमस्य “sa” जूतिः प्रेरणं सोमस्तावव्यजमान प्रेरयति | साधन मुपलभ्य तत् साध्यं क्रतौ यजमानः प्रवत्तेतदति हि तस्य प्रेरकत्वम् । तया प्रेरणरूपतया जत्या ¢ प्ररितोऽ्ं स्तोता “कविच्छदा” कवौनां स्तोटुणा सुतितफल-प्रदाने नोपच्छन्दको इन्द्र मम्नि च युवां “aw” gar- जेत भागतौ च ताविन्दराम्नी “ce” waa अस्मिन् कमंणि “सोमस्य” सोमेन सोमयागेन “await”? ठष्यताम् ॥ १॥ ७
दति सामबेदार्ध॑प्रकाओे उन्तराग्रन्धस्य प्रथमस्याध्यायस्य
हितीयः खण्डःषा uri
@ Wo ये०.२, ९, ११, ९।
+ दृद मेन््राग्र area! रातः सवनं खमाप्रल्- इति वि |
‡ मुत्वा wfaear नि सित्तभूतथा'- दति fae |
¶ “तान्देतानि प्रातःखवने मायबसाग्बा गोयमानामि चलाथार्यशोवाणो त्यु ष्वमो'- एति Hho द° So Ge < खध्या० ४ पार १ अधि० | यदालिमौयखद्ाण्याना माच्यनम्- र्ति चेतचधिवंचनम् Alo ब्रा 8, Rl CTSA पच्चदद्ममामकः stat भवलि; तददिणायकं ange ave स, "पचन्योरिद्रोति'- इत्यादि ( २,४
RR सामवेदसंहिता [प्प्र०१अण््सघ्०१,९)।
ठकतोयखर्डस्य, प्रधमदट्च- प्रथमा |
RC २ ९ ६१ रर ९ १९ रद उञ्चातेजातमन्धसोदिविसङ्ुम्यादद | R tt ९ २१९१२
उग्रम मदहिश्रवः ॥ ९ «il Saal ‘a’ तव सम्बन्धिनः “qa” रसस्य “ser” उपरि “जातं” aa अपिच “दिवि" qa “सत्” तव सम्वन्धि ग्मम्” oye “गम” सुखं “afe” महत् । “वः” अत्र “भूमि” भूमिष्ठं ¦ यजमाने: “श्रा ददे” आदौयते ॥ दिविखद्"- fefaag’—xfa arate अध हितौया।
९११९ ९९१२११२९ ११ र
WACK TIAA वर्णायमर्द्धाः।
४-९ ) तजंवेतद् बिद्ुतिभयश्च परिस्ए.डम्। शोभोऽयं forte पृष्ठा caret few सेषु षड पिंश्तितमे दिनि, षटप्चाश्रभमे दिने, बडद्ोतिदिने, षोडषाधिकद्तदिने, बदचतवारििदधिकश्तदिने, सपतत्यथिकद्मतदिनि, कमनवत्यधिकद्मतदिने, दशाधिक fanned, चलारिं्रदविकष्रतदिगे, सप्तत्यधिकददिश्रतदिमे, fauna च दिने विभजियश्यते | farce ताष्डय-चतुयंप्रपार्कादिके |
+ Wo Wo, % 8) U(% Ale we) = We Fo ॐ, १, re, ५। we “Gale: खाद्धिःरसः- इति ऋषिने०। Ro “पवमानः सोमः'- एति Tr-F क, AIR | एवमेवा नोत्तर इयोः ॥ ददानो माध्यन्दिनि: पवमानः | गायनौ बडडतो faa faa शन्दांसि। पुष्कलोऽप्रिर्वामरोयबोऽत्रिरदरिग््रीयधाञौवखद्मनाःकाथ इति खावाशि। सोमः शोतदेवता साम-देवता विखरया प्रोष्वनते ,-- इति fae
१अ०२ख्० १स्०२,२}] secrfa as: | २३
१९ श्र
वरिवो वित्परिखब ॥ २ ५ ॥
सोम “वरिवोवित्” धनस्य warm: पवमानः ^ “न wera $ “यज्यवे” averagq “न्द्राय “agua” च “wena.” च “परि qa” धारया चर ६॥२॥
wa aatar |
१९१ रर १२७ RR ३१९ २
एनाविश्वान्ययंभाद्य ख्नानिमानुषाणाम |
सिषासन्तोवनामद्े ॥ ३ ee ॥ ८ pp
“मानुषाणां” मनुच्याणां लब्व्यानि “दनाः एनानि ` विष्ठाः “विश्वानि सर्वाणि “द्य ज्रानियन्नसाधनानि धनानि ड सोम ` त्वत्प्रसादात् “श्रा भ्राभिमुख्येन “cai’ad भमि
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गच्छन्तः वयं “feared” aaa मिच्छन्तख्च * “वना महे” लां सम्भजा महे † ॥३॥ द
az र टर् ५ Rt ॥ अमदोयवम् ॥ उश्चातारदजातमन्धसाः। दिवा ९ श र १ RR TAU | मियाररेददाद । उगृरणर्मा। मारे ५ २ ठर ५ १२९ TAUNTS | वाह ॥८९) सनभ्ा३द६नदाययज्छवाद । FHUT र @ yt hate! म्रेदद्धियाः। वरिवोवादरत्। परारददख रर र ४र ४ २९ १ र वाउ । MANS) एनावादेद शानिभयंभा। द्य खानाऽशद रर २ ९ ATS | नुषारदेणाम. | सिषासन्ताः। TATRRATT | RT .* १९१९१ बा३। स्तो षेर२४५(२) ॥ ९ ४ ॥ [९]
४३ < ४ २९५
॥ TAROT उच्चाऽ५ते। जादेतमन्धसाः
दािोसद्मू। मियादाश्टेर्द। होवारषायि। उग्मार
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ररेवा२४२: ॥(१) सनाभ्ायिद्धा । ययाज्यावायि। वर्णा १ 9 र्
य। मार्द्गाररयाः। बरायिवोकोत्। परिश्वाररवा २४ ९ श २ द 4
२॥(२) एनावायिश्वा। निभार्ययाभां। gaat) न्
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इारेउवा२०४२। आ३४५बोरहायि (2) साररधनदन्रा५ |
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४ १३ २, द, ४ १ वौत्। पारा४्उवा२४३। खाई५वोईङायि ॥(र) भा९२४ रट RR > यिनाविश्वा५। नियोशोर्याभा । दयुम्नानिमानृश्षादणा २४ ५ $ र्
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नारडध्यिमा। नृषाश्णारम । सिषाररे। सम्तार४
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॥ सचासाङौयम ॥ उश्चा३४। तेजातमन्धसः।
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मर्द्भारयाः। वारेरायि। वोरदवीत। परौरशो। `
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सारदेन्ता । वनोरेष्ो । . वादहारेध्यि। aresswie
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सायिषारेउवा। सन्ताः। वनोर्दध्वा। ATURE AT fale) tee † ॥ (७) | 7 १९ TUE ९१९ ९१
॥ शाक्रवणंम.॥ उश्चा । तेजातमन्धसाः। दिवि
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॥ जराबोधोयम् ॥ उश्चातेजोवा। तामन्धसाः।
२ ९ ९ © ९ र दिबायिसारषहेदभ्। मियादादायि। उय्रारशणारमरः ४ ५ RR र् ६ २ \ मा। fe श्रवो४५१। डा ॥(₹) सनडन्द्रोवा । याय २९ २१ र् ए र ज्यवायि। वष्णाररया। मर्ब्गायाः। वरायिवोश्व 8 | र द्
रत्या | रि । खवो२४५१। डा UCR) एनाविश्रोवा । ना Ped De eee ee ee
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९ ९ , ९ ९ हारयि। तामारन्धारड्४साः। दिविसद्भूमियाश्दा३
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यार्ज्याररश्वायि। वक्णायमदशदभाश्याः। वरिवो
५, ९ र ४ ५४ ४ | ze रउ४्वौत्। ओमो३े। परोवा | STU TT STAG UR) eT x = द् र् ट र 1 | दावेनाविश्वा। दारे, WAT) नाच्रारर्ग्यारेद४भा |
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॥ गीषृक्तम्॥ उच्ातेजातमौ । हौदोवादायि। R धसाः। दिविसद्भूमियोर। वायि । sarefa
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g |: P 8 wT यि। श्रावारेरः। दोर्वार२४गअओदोवा (2) सनदन्द्राय x ब x त श x २ यौ। दीहोवादायि। ज्यवायि। वर्णायमरौर।
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वायि । वारयि । दभायारः। वरिवोवित्पसैर। श र र् Safe! वारयि । are शहोरवार३४अीदो
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वा WR) एनाविश्वानियौ । हौदोवाडा । यंभा । दयुम्ना निमातुषोरे। वायि । श्वारयि। षाणारम ।
१ ङ रर g |, सिषासन्तोवनोरे। waft) वारयि। माहाररयि। YT र RF १९ र २३२११११
होरवाररश्योदोवा । अग्निराइता२२४५;(३) ॥ २५॥ [१९१] 2 श ५५१ र श
॥ खारसन्धुक्तितम ॥ उच्चातेजातमन्धासाः। दा
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२२ सामबेद्संहिता। (ot aoc mg |
र ९ रर ब र श धिविकदभू। fant: दोवाइदायि। ऊग्रारप श ₹२ ? ५ 8 ४ र ब् शारीर! मदोरदे्वा । आपवोईदायि ॥(१) TART
श x X रर x रब < र ययज्यावायि। वारुणाय । मद्दभायी । Far
x ५4 ९ R ४ ४ ५ fa वारारयिवोषोररत्। परोरदध्वा। सखापवोईहा र्रर र् र. = 8 x यि ॥(र) एनाविश्वानिञर््या्रा | द्य म्नानिमा । नृषाणौ ।
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RASA | सायिषारसान्तारदरः। वनाररेध्वा। मा
पद्धोददायि(र) ॥ ७ #॥ [१२) २ रर ९ र wk 48
॥ रेडसोपणम ॥ उश्चातेजोवा। तामन्धा २२४
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१२ ९ 9 _8 ३ साः। दिवायिसदभ्। भमियारदारडध्दायि। BR
4 ट ४ ग्राम् । शारा । मादिश्वा। भौरषोवा॥.१सन २१९ २र ९ ॐ र द्रौवा। यायज्ारद्ध्वायि । वद्णाया । - ASRTAT १ र १ z
रइध्याः। वार्रयि। बोरदवौत्। पारिखवा। भौ
१» Ho Mo १.९प्र० Wo So |
१अ०२स ०१२७१] swcifea: | ११ रद ४ २ १ रोवा ॥(२) रनाविश्रोवा। नाभर्यारदश्ा। य॒क्ना
र 8 Fat नृरषारेर्शणाम | सारयिषा। ATR RAAT: १ Xe वानामदा | भोहदोवा | VE | BZ) ॥ १०५॥ [१२] RT शद ॥ सुङ्पोत्तरम A Teas. TAT! तम RT १
न्धासारः। दिविसदभोषोर। दया। मियादादार वि। उग्ररशर्ग्ो्टोर | इया । महिश्राररेवाद०दः Me) २ 2%
सनद्रन्द्रौशोर
ध श २ १ श्र |. र। इया । मर्दभायारः। वरिबोबोदोर। इया ।
श २ १ १९ दया । ययज्ावार्यि। वरुणायौदो
९१ २ र्रर १ १ ९ १ परिखार देवा२४२ we) एमाविश्वौद्ोर। दया । Fret
श॒ 2 ।। १ Iz | यश्नानिमीष्टोर। दथा। नुषाणारम । fa Rt
षासन्तोद्ोर। TAT! वनामाररेद्दा३४दयि। ओर पृष । डा (३)॥ ३ †॥ [१४]
*ख०जा* १२० १० १०्सा.। t Go Ale १४१० Ue १षा०।
( ५ )
१४ सामवैद्शंडिता । [१प्र०१अर८्स्०१।
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॥ अदारङत् ॥ WTSI | तमा RATATR: |
. < र् . १ , दिबिसदभृमिया रेदादा रयि | sareyarate | महि। bY ATC
आरवारश्श्योशोवा U2) दाडसनदन्द्रा | TIT VTAT | इवि । बद्णायमङ्् रद्भाया २:। वरा रयिषोषो२त्।
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परि । खारवारष्ट्यौ डोवा ॥(र) दावेनाविश्चा । निचा १ १ रट र १ १
रर्याभारे। द्य न्ानिमानरषाणारम। सिषारसा
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MTR | वना। मारडारदओरोहोवा। असभ्यङ्गाह
१२. ९ ११११
विन्नमा९३४५म (a) ॥ ४ * ॥ [१५]
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श ॥ इडामारसंशारः॥ भौीरोयिशवारहोयि। ख
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च्ातजादेतादेमन्धसः। दिविसद भृमोर्याददायि । २ श च श १९ दे
SMTA । AAA | TSHR W(X) सनटन्द्रार ४ २ ५ 8
TRAIT | वरुणायादेमारशदभियः। वरोयिवोर१
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१अ०१य्द०१स्०१२] उलतराचिकाः। ३१
४ FF RAE Bal । परिखव । Taree ७.९) एनाविश्वारनोरेभय्येभा। श < ४ RT AUT द्य जानिमारनरषाणाम। sretfaearsetia! सिषा R च VAT शद श
सारेहेन्ताः। वनामरे। इडारेरभार। TNT
ST We) ॥ ५*॥ [१६] & श्र द श्र्
AWA उश्चाते। जातमन्धारसाः।
१ a दाविविसदभ्३। मायारटारड्टायि। उय्याशा१ १ २१ मर । महादेयि। आररृध्वोदायि (9) सनद । द्रा x R ५
TARTANA | वारुणाया३े। मार्रेदभारेदश्याः।
t श , vz ४ ५ ge वरायिवोर्वोरत्। परादयि। areasatewrfa ॥८२) ए
श्ट र श १ ४१ Malt | CWI) द्य जानोर। मानृरषार % १ द् श
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© Geo Ate ११५५० (Wo vere | ; =e T Ge Alo १९० (Go erate |
2.६ सामवेदसंडिता। (प्र०१अ० प्सण्रे t | । कि ९ ४ R x ॥ सौमिजम ॥ उच्ातेजातमन्धसादेए। दिविस
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द्भूमि। भार१२३। दृदारथ्ययि। BTA! श
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र् यज्यवा३ए। वर्णायम । ङ र२१२२। दभियाश४देः ,
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चि N(R) एनाविश्वान्यय्ये मारेए | द्य ATAAT । न् २१२३ । षाणादश्यम । सारश्यिषा। सन्नारेश्रोर३। वनो
बा। माप्दोदहायि(2)॥ ६ #॥ [श१८) । श श् र श् HVAT ॥ VAT! एडश्ा। तजातम । आ ४र र् ध १। जारमारदेभीदोवा। धारेश्टसाः। दिवाथिसा ४ RR । २३४द्भ्। MATA मारयारर४अहोवा | दारददे । g |, UCT
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५ १२ श र् ब् छार२४वाः MY) सनः। एसानाः। दृद्धाय । या ३। ह् ATT २ श % यारव्याररश्चोष्ोवा। ज्यारदेष्षे। बद्णारह्या ।
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रर्थ्वौत्। पराहेयि । पारराररशअो दोषा। खा२३४बा॥(र) १ शे R yr द एना । warfare | विश्वानि। भदे । नारभारहेश्ीहो ३ RT र वा। यौररश्मा । द्य. खारुदनो । मान्३। मारेनुरद४ चर र् |, RR arerat | षाररध्णाम । सिषासारश्श्न्ताः। वना३ | 2 ४र र वारनारदशअओदोवा। मा२३४द(२) ॥ ७ *॥ [१८]
॥ धुरासाकमश्चम ॥ उचचातेजा३। दोरेषो२१।
तमन्धसादेः। देरदोर९यि। दिविसद्भ्२। weet © 2 § %
३१ये। भियादटादयि। शोरदोर१यि । उरशा
Qt शौर्टोरश्यि। मदिश्रवाईः। शौर्ो२१२२४५१ ।
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डा ॥(९) सनन्द । tare wave राधि । wt aereef । यसपायाड्। श करोरशये । सरद भिया 8 | Satie vfa । वरिवोषोरन् । Steere प रिताः । दोररो२९२२४५१। डा NR) नावि रज ३९। निभ्य॑भा३ | नरो । यानि मा३। शोरो२य । नुषाणारम् । SRL
श् र् $ ४ इ दे s श सिषासन्तादः। शोहदोदश्यि । वनामशा३। शदे ९१२द४५द। डा(द) ॥ ८ * ॥ [Re]
९१२ र् WTL र् ९ ॥ विलम्बसौपणेम ॥ उश्चातेजातमन्धसः। ईय ४ 8 ४र Ut र द्यादायि। दिविसद्भूमिया शरदाशयि । Fees १ र 8 ut र् दायि। ऊयार्डवा२। शरर््रीरमोहोवा। महि „९ ११११ ११९१२२१ शेर १९१ ९
अवार२४५:॥(९) सनटृन्द्राययज्यवे। LALAT ATS
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ROMA | वनामहार२४५यि(३) ॥ < *॥ [२९। a = ॥ मार्गोयवाद्यम ॥ उद्चदोवा। तेजार। तमा
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दार । ययाज्याररश्वायि। वरुणाय । मङ्द्भा१ ष्र्
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Wt T R ११९१ र्रर १ र ररारर्मोदोवा। ए२। खवार२४५॥८२) एनोदोवा | ह १ र द् Vz वायिश्वार। निभ्ार्याररश्मा। दय ्नानिमा। sare ९ arent तिषा। ety भीरदायि। सार३४न्नाः । दर द् बारनार२४अो दोवा। Tol महा २३४५यि(२)॥ १४५॥[२२] 2 इ श्र ॥ एडकोत्छम ॥ सनादोनद्धा२। ययज्यवईया | १ र्द t R Y श्र ट ङ् १ वरूणायमरद्भियः। वारुणाय । मर्द्भारदयाः। वा र 1 १ र शे १ R t रादेयिायि। वोवोश्द्ायि। परिखारेश्वा२४३। भो ९२४५९ । डा(र) ॥ ४ † ॥ [२९] ररर श् € द् १दर र ॥ सोमित्रम.॥ रएनाविश्वान्यय्य भारए। बयु्नानि शद् ब॒ श श ९
मा। नूर२१२२। षाणाश््रम। सारेदयिषा। सन्ना
९ ४ ५ ४ ५ QBs | वनोवा। मापोश्डायि(३) ॥ १८४ ॥[२४] ८
* Ho lo Reve २० १४सा*| + Heo Mo Reo १० ४सा०। Featoen ऋथोजानमेतत् । ‡ Go mle १९० two र्रसा० | तलौष्ा इचोमागजेतत् |
@ १अ०२खु*२स्०१] उत्तराचचिकः। se
feata-gqaea warax प्रथमा-
र ९१ २९} १९ रे
पुनानःसोमधारयापोवसानोभर्ष॑सि।
१ २१९६ १ WALA २१ ९ ९९ २९१ र
अारत्रधायोनिग्तस्यसो दस्युल्योदे बोदिरण्ययः ॥ ११ ॥
ह सोम! “पुनानः” पूयमानस््वम् “aw” उदकानि वसतौ वथ्धाद्यानि “वसानः ्राच्छादयन् “धारया” “अर्षसि पवित्र गच्छसि, ततो “caar’ carat cattararararat दाता च “ऋतस्य सत्यभूतस्य यत्नस्य “योनिं” खानम् ासोदसि"। कौोटटशस्वम् 2 “उत्सः” प्रस्यन्दनशीलः देवः द्ोतमानः ““हिरस्ययः” हिरयमयः स॒वर्सोत्प- fawra faa: ॥
“sairea,”—“saniea’—vfa पाटौ ॥ १ ॥
@ “nets प्रथनं यजसप्रगाथः। प्रकर्षो माम खानता ेक्पाटा दाधिकम्" — aft Me द° we €, ३ ९ खधि° वर्क माघवग्याएयायाम् । रष च प्रगायः-- पादाभ्यास-पुरःखर खमनारसम्यादनेनो TNT | खज च “पुनःपदा” इति Tats fer) तथाच श्रयते ae तृतौये “रषा व प्रतिष्ठिता बृहती या पुनः षदा नद् यत् पदं पुनरारभते TNE बल्यो मातर मभिरिडरोति"- इति| weard:— या बतो पुमः पदा भवति, सषा प्रतिष्ठिता स्थिरा भवति; पदं चतुथः पादः सो ऽपयमन्तर-सम्याद्माय पुमः पठयते, ततः सा वृतौ पुमः पदा ; सेय म् ङ्माता, नद्याः पादो ae; तथा सुति यख्मादव चतुर्थपाद सुद्राता पुनरारभते aT बत्ो मातर मभि ate fy fate ब्द करोतौति।
T Wo We ९०१०३१९ ( रभा० ०० Jo wo Te ०,४,१२,४। wo वदती fe |e a a7!
४२ सामवेदसंहिता ([श्प्रए्रन्श्चू०२)।
अथ दितौया।
३ ९२ ९३ १२ १२९२६११९ २ ९६२११९१९
दुष्ानऊधि वयम्मधुप्रियम्म्रन्नसधसखमासदत्।
१ LR ९९१९२९१९ ९९३१ १९ र
OTS IAAT ष सिनभिदौतो विचक्षणः ॥ २५ ॥८ +
“oy” मदकरं ४ “fra? प्रोणनकारि q “दिव्य दिषि- भवम् “ora: सोमवज्ञो-लक्षणं ““दु्ानः” पवमानः § सोमो- देवः “प्रन पुरातनं “aww” सह तिष्ठव्यतेति सधय खान wafers | ““भाखदत्” भासौदति [सदेलंङि रूपं ] तदनन्तरम् "NTT कर्मणा प्रष्टव्यः “धरणं कमणो धारयितारं यजमानं “वाजो” भव्रवान्## सन् ह सोम त्वम् - “भषसि” तस्मे wa दातु मतिगच्छसि। wen: ; aft कमेनेढभिक्रलिग्भिः “ita” अदाभ्यग्रहे परिथोधितः
9 We चे००,५,१२,१९। + इदः साध्यन्दिनिपवमानं दितोषम् ।
‡ "मध are सोभा्छम्'--इति बि०।
¶ ‘fai देवमहष्यालास्'- रति fae |
§ "दुहानः SMA! ऊधः GWE: Ter ENTE! अथवा ऊथजदकं यत नियते सोमण्सखछ Sara तद् दुद्यते'- दति fae |
॥ (वधस्य ara ग्रोककर्बाख्छाम्- इति fare |
०» खन्रशाय- सोमः, TE, TH, जानाः, STH, प्रणादः, प्रतोवापः, पव- स्येति |
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र. 4 Ct < ॥ रोरवम्॥ पुनानःसोमारेधारारदेण्या। भाषो ब् द॒ र् वसानो अ्रषेश्यारल्नधायोनिण्ठतस्यसारश्दसाद। ओदा १ र श्र SGT | उत्योदेवोदिराररदाई। ओदाङेडवा । War । शद् श॒ र दर् र
भोरदोषा ॥(१) उक्लादं बोडारदरष्यारशथ्याः | WHS वोदिरप्ययोदु्ानजधिं वियम्मधरप्रियाम.। ओओ दारे
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॥ शेडमायास्यम् ॥ भआयिपुना। नाःसो। मधार या। भापोवसा३े१। नोंअरसो। भारल्नधा३१ः। योनिना | खसौदसो ऊतोरेवा२९। दरगार श्यार४ः ॥(र) आखः | दायिवो | दिरष्डवाः। अ
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॥ चरिणिधनमायास्यम ॥ पुनानःसोमधादाउद्ोवा |
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॥ कण्वरथन्तरम् ॥ पूनानःसोमधारया। भपोवसा।
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परात्नरस। UT) West! मोरर्ध्वा। साभ्दो
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१अ०१ख०२स्०१,२] छलराचिकः। ४९ ४ र Bvt WO Bux शे ॥ दिनिधनेमायास्यम्* ॥ पुंनानःसोमधारया । १३।
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माधूरेषा। Waste! परीरदे8्याम.। प्रत्ना भौरदो ।
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एययः। उत्सः। देवाइ्योहोवा। हिरण्ययाऽर |
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प्रनएसधसखमासदत्। प्रननम्। सधादेऽ्ौदोवा! ख
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॥ यन्ञायन्नौयम । पुमाऽ५नः। सोरेमारधाराबा । १ श 1 ६९ रे आआपोवसा। गोरबाषदिसौ। भारा रत्मधायोनिग्छ । ¦ १ १. ९ ९ ६२२ रद् Teg! Safar दारसायि । जअल्योदवोदिरा
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प्रात्नसचखमाल्सदाउ ॥(रःप्रात्नाम्। साधा । CATR श
मासाशटटान्। भापारच्छयन्धङ्णम्। वाजारद्या।
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१ र १.२ र् „२ „ Safa, wma नुभिर्यौनोविषारेचष्छाः। वा TUL २४५ (३) Hered [९। । निषे x x ct १.१८
॥ निषेधम् ॥ पुनानःसोमारधारक । पोक्सा ।
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AMAIA! दशर आरारत्नाधाः। शौरर
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ह्योदेदायिवाः। WTSTRAV AT | दिरार्ारयः६५६;॥(१) rae ct | SANSA MAA: | उन्ोदेवो । हिरण्यया रः ६ १९९ ९ 8 ४ ४ इदा२। दूदारनाऊ। इादोररश्हा । धादि वियम् \. ₹ १ क् र. रे. ट ae
मधुप्रारदयाम्। इद्ा३े। प्रात्नाहेसाधा। इादोररे ४ ९ २ 9 |
श्चा ! स्थमारसापरदा९५६त् ॥(२) प्रत्नरसचस्थारेमासदए
श ॐ. १ र् १ । १ 2
त्। प्रत्नारसधा । स्थमासदटार्। रद्र! AE 2 ४ ५ ९. ह ५ t ९१ ९ र UTR दादोरदण्डा। धारुणंवा। जियर्षा
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॥ समन्तम् ॥ पुनानःसोमधारया। भपोवसानोज्
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दायि। दिरण्यारदयार४ः॥ 2) उन्सादेबोहिरण्ययाः।
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tT et २१ ९ श्र र र | मासदात. | प्रन्नदसघास्यनासदात् । आपच्छारेरयाम् |
१. vet श र | RC 2 श्र र ,. श धारुणंवाजियार्षासा। चओदोदशवादायि। नु । भायि
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५४ सामवेदसंहिता [ene emoegqer 26 ९ १२ २ | १ र १ दरौररताहेः। शोवारे्ायि । विचक्षाररणारे४ः। भो २९४५६ । डा (२) ॥ २ * ॥ [११] 8 ४ भ शद श ॥ अमोवर्तेम् ॥ पुनारेनारःसोमधारयोवा। भापोव नोभारषौरसा रयि । मारत्नधा३१२२४ः। योनि ४ ५४ 2 2 z १ र क QR 2 मरत । श्यसायिदाश्सा रयि। उत्सोदाश्यिवारः। हिरा श श १९ t |, 4 8 द 8 | ४ धै हप्या२२४५। ARS: Ng) उत्सोदेरवोऽदिरण्ययोवा ।
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ऊत्सोदेवः। हिराच्याश्या रः। दृ दानदे९१२२४। भ ४ ५ ११९९ ९ १
दिवियम.। मधुप्रार्यारम.। HAMLIN! सष
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६१२द४म्.। धर्णंवा। जियार्षाश्सार्यि। नृभावि
Mer: | विचार । शा९३४५। णा२२०५.८द)॥१२१॥१२]
@ Ke Alo CIO शखर रसार। + Ge Ale CRo wTeo cave |
© १अ०्३यअ०२स०१,२)] sacfam: | ५५
५ ॐ २ ४ ५ १ श Wala ॥ उन्सोरदेरवोऽदिरण्ययोवा। उत्सो x १ श १ द् x % भरि ४ देवः। हिराण्छाश्यारः। दुहामऊर२१२३४। वि १ १९ [र ९ ९ वम् । मधुप्रार्या रम (र) प्रत्नारसार्धार । स्थमा३। १९९११ सारद४५। STB yA (BW १४ *॥ [१३। | z 84 ठर % २ १ ॥ महाकालेयम् ॥ पृत्नधसारधस्यमासदप्। पत्ना श्र ₹ ९ र्द श श् x दसधा | स्थमासदारेइत्। भापद्छियाम । धार २४ |
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शंवाजिय । षारसायि। नभाविर्खौतौ । वादश्ट्ो
देश्वा। विचाभसणाः। खोद । डा(३)॥ १५१ ॥ (१४) १ श्र र श्र ४१४ ॥ वासिष्ठम् ॥ उत््ोदेवोडिर । पएययाओो। रद्वा । बट ॒शरर् इयादायि । वेशो रयि । उष्योदेवोहिराण्याश्यारेः। ९ द् $s शै ॥
दुहानजधदि faa । मधूप्रार्या रम । दैदेया॥(९) Ter
Ho Ale He १०१४० | + Ge Are Che He euete|
५६ सामवेदसंहिता । [१प्र०१अ् ८स्०१.२।
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धसाररऽधा । स्थमा तार२४५द्ा ६५९६्। «WATS TRA
Tz पयि 3) cee n [१५] १ रं र १ र
॥ मदवैम्मम ॥ पुनानःसोदायि। मधारयोवा । श
आपोवता। नोभार्षाश्सारश्यि। शोवाहेदायि। श्रा श x र १ 2 रत्नधायोनिमत। स्यसायिदार्साररयि। «Frater
क् श R १ र र् . far उक्सोटाश्यिवारदः। होवाङददायि। fect ण्या ut र १ ररश्रर ; १ 2 स्यारर४अ होवा ॥ (९? उद्योदेवो दायि। हिर ण्ययोवा,। १ र रेद् ६ ९ र < उ्योदेवः। हिराण्याश्यार्दः। wraTaw ger
१२ १९ t z नधि fara -मधुप्रार्यारदम । चोवारेडामि। प्र
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AUNTS! शहोवारडा। सुथमा। सारंदारशछ
at र् र १ ९ रद् ९ रे ९ सोरोवा Ne) पुनरधो दायि। स्थमासदोवः। पा १ र
र् १ ₹ & ct AAT । स्थमासाश्दारइत्। दोवारहायि। ery अ
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१अ०३ख०२सु०१,२] उत्तरा्चिंकः। ४७
च्छन्धरूणवा। जिया्षौश्यारहयि। शोषारशायि। म्
भाविद्रौर्तारगः। शोवारदायि। विच । wean र दं SWEAT । Agent: (३)॥ १२ *॥ [१६] ४ रं रे ध्र ५ ४र ५ ९ ९२ |
॥ कालेयमः†+ ॥ पुनतनार॑ःसीमंधास्या। पीवसा ।
शद ९९१
RT B । 4 श ९ नोभवंसाररभि। आरत्नधारः। योर२४। निम॒लस्य ax श् eX १ श cr बौ ५ । 4 + 1 8 MX दारसायि। जउच्ोटेवो। वाररमोरथ्वा। fe
राभक्याः Kg) उदोदारयिवोदिरण्यमः | seat दिरणययार दुशानजर | धारर४ः। दिवियन्मधु । पा्वाम beet करण्डा । खमा५ सदात् ॥.र) ृष्नसादषस्यमासदात् । पुत्नापसा । ₹ स्ट ९, र्.९ श्ट स
सथाम््रसदारेदेत्। भापुच्ियार्म | ATR! RGA
° Ho Alo Uae Uwe ररसार। + ^"डाकारुवम् "- इति Wo get
( ८ ).
५.८ सामवेदसंहिता | [ शप्र०्१अण्श्सूु०१,२॥.
४ ९ ९ १ द्र २५ २ ५ जिय। षारेसायि। नभाविदौतौ। वा३४रशअररेश्वा ।
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विचा५स्षणाः। दशो५१। डा(३)॥ १२ ५॥ [१७]
व BCR एर 3दर४४र र श ॥ वषरकारणिधनम्॥ पुनानःसोमधारया । पुनाना ध्र ४४दर ५ रर र र ऽ १७
दःसोंमधारया। अपोवसानोर्राषसारयि। नो्ार्षा
tT $ c ब॒ ब् श्साररयि। -ओमोरवा। भरम्नधायोनिमतस्यारसायि
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दसारयि। स्यसाविद्ा्सार्दयि। ओआमोदवा । wat
| कि ९ १.9 | र ९ रे र ट्ःवोोेराण्यश्या र | हिराप्याश्याररः। भोम्। ओर । “zt द्
वा२३४। भोषटोवा ॥ ऊरेश्छ्पा(९)॥ २० † ॥ १८]
| ध र् शे ब र् ' ॥ दैर्चश्रवसम.॥ पुनानःसोमधारयाश्रोशाभ्ोषारे । दर रर ब Ul अपोवसानोश्चषंसि। Weert भोरशा२९३४। दर ९ ₹ र च १ र R ६. आराशथ्ल्नधाः। भ्रानिम्। तस्यासोदसायि। ओह @ He AlO १११०११० १्षघा०। T He Ale १६०१० (Go Rewso |
© YWoxMorgqo?,2 | उत्तराचिकः | ५९
श S x र १ शे द्र र् R = ४ Sl ओओरेष्ा ३९२४। उत्योदेथ्देवादः। दिरो३४वा | शर् द पयायो UTA (2) उत्ोदेवोदिरण्ययभोहा श्रो २९। श्र श्दट २ डे $ रर् ९ 2
उद्योदे वोहिरण्ययः। Weert भोरशाए२४। TT
दध्न । धाह वि । -यग््राधुप्रियाम.। आरहा। भो ९२ ३ श ३९२ ` ९ ५. ४ दृ्ा३९२४ | पृल्ार४८सधा३। स्थमोररश्वा । सा५। ब॒ श इ . र दोईहायि ND) पुल्रदसधस्थमासदोदहाभोशरेए। Tale VU VUE र दर दे
सधस्थमासदत् । WNT! ओरदा३९२४। भापा३४ च्छियाम। धारुणम। वाजायर्षसायि। wee) & र २ २ श्र २.१ ५ ५ अोरद्ा३८२४। नुभाद्यिर्ौतादः। विचोररध्वां । का
=, | gure wifa(a) ॥ १६ ‰ ॥ [१९] | RR ४ ४
॥ मेधातिथम ॥ पुनामःसोषायि। मधाहेराथा।
अपोवारदोश्यि। साच्रीरदो। नाश्राउवा। षासा
© Heo Alo १११० eGo १९०.
qo सामवेदसंहिता, [emo re meegqen,2 i
र द इ र् क् १ र g उवा । भोरल्लभायोनिमृताबौरेडो। VASAT | दा 1 १ र wates ९ R g बैर श श्र साउवा। उव्सोदब्ाज्रीरेदो। fei where ar
च ररर a HWRWwWIT | प्याभयोरहायि ng) Btearetfa t
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रारेण्यायाः। SRMATRATAL बाश्नौरदो । इयि
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भौदो। वाशोररभ्वा। साभदोईायि WR) Tare aay
Tita | स्थमारसादात् | पृनरतारदोश्यि। शाश्रौ १ र १ | शद
दो । स्थामाडवा। सादाखवा | भापुच्छयन्धङ्ंवा ।
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2 4 १ श्ट श श्द् 8 चै ati बिचा। भश! वादोरेद््वा। साभणोश्डा यि(2) ॥ ७ ५ ॥ [Re]
° He Mo १३१० LGo ऽछार।
१अ०३य्व॒०२सू०१,२] safes: |. at
| ९ र द॒ द १९ ९ ॥ वरुणसाम ॥ पुनानःसोमधारयोवा। «start १ र श्ष् © ९ Pk श् भरापोवक्षा। नोभाषौश्वारयि। भारश्रा। ates tx १ श a योनिमत। खसाररचयि। aww var र्दद २९ रे ब् देवोदिर्ययः। ऊररल्याः। टायिवोदिरौर। रोर २ शर र्द Pash वा । प्याभयो& दायि ॥(१)उत्घोढेवोदिरण्ययोवा । श्र XX ४: भोवा। ऊत्सोदं वः। हिराख्याश्यारः। Feet ९ $ नाररऊ। धद वियम.। मधूररेायि। पियाहेमा । श २१२ र R . श्
प्रर सध॑स्थमासदत्। प्ारश्न्नाम.। साधस्थमोऽ ।
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१६ रे १ 8 x श् १ रे सदोवा। ओवा। Tawa | स्थमासाश्दारत्। ९ R १९ द | र् ts भाररपा। HURST । धरणंवाजियारशेडा। षसा
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हेषा। न॒मिर्खौतोषिचक्षणः। नुरदेभोः। धीतोवि नोह । हो३१२२४। वा । साभ५णोईशायि (र) ॥ १८५॥[२९]
० He जा० १३० १० reals |
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र्र् © द् श् द ॥ वेय श्वम ॥ पुनानःसोमधारयादेए। अपोवसा र x श १्र श्र र २१ नोशअषेसारशर्यि। दोवारेच्ायि। भारन्नधायोनिमृता
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॥ वषरकारणिधनम ॥ Saale: | उ
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व्छोदाशयिवो दिरण्ययाः। उल्सोदेबोशेदराण्ययारः। हि
TIME: । अमोरा । दुहा नऊधदि वियग्मारभु पियारम । मधपाश्यारदम | भोमोर्वा ॥(२) Tava भत्यारमासदा रत् । स्थमासाश्दारसत्। wal श्रो
। ` वार२४। भरोवा । अरर४पा(२) ॥ १९1 ॥२३]
8 र र ४ , श दर ee
॥ एञ्चि ॥ पुनानारहेःसोमधारयादाउ। अपोवसा
, * He ale १११० रेण were | T Se Ale १९१० Wo ९६सा०।
fx १अ०२यख०र॑ख्१,२]) उत्तरार्चिंकः। ६२
श॒ १९ २ श्र
नोभर्ष॑सि। अराल्नारघाररः। दोवाडदायि। योनि म॒त। स्मसाविटार्साररयि। होवारेदायि। उत्सो
र् १ र ° R र् र दाश्यिवारईः। wratawifa दहायिरण्ययः। इडा R शद् Bx RT ररर x. VRQ) GHATS UIA चाउ। उल्सोद् TA १ र १ र WIA | दुदानाशडरर | दोवारेदायि । धि वियम । १ रे र् , मधुपााश्यारेहेम । दोवादरेशायि। पत्नारसा९धार३। ९ ₹ , १ र २१ | चोवारदा। स्थामासदत् । दडाररे ॥८२) पृत्नादसारह 8 | a ९१ ११९ २ श्र Bo श्र
धस्थमासदद्ाउ । पुत्नसधस्थमासदत्। आपा यारदम.। खोवाश्डायि। धार्णंवा। जियार्षौश्सा
| १ २ नां ४: , १ R ९ 8 रश्च । शायि। नभायिदधौर ताररः। State z र १ ९ १ | हायि । वायिचकच्णः। दडारदभा३४२। भोर२५५६। STB) ॥ ३*॥ [२४]
@ He Alo WARS खर देसा०।
६४ सामवेदसंहिता । [१प्र०्१अ०८सु०१,२।
र ङ्् c < < ॥ आमो शवोत्तरम ॥ पुनानःसोमधार्याए। ए। < stu ॐ. रे 5 ¥ २ २ १ <
अपोवसारनो श्रषेसाथि। आरश्ध्रा। शारदा त्न
x रे ९। ४ र योनिमृतस्ासौरदसायि। BRITE शाराव । RTT र्
द्थिवोडिरोर३४्वा | WTVAL THA ug) उन्सोदेवोहिर
र र् et 2 ॐ । १ र्
UIT! Vl उतसोदेवोडदायिरप्ययाः | दृर्रश्डा | दा
५ % र् awl नधि वियश््माधुपूयम.। प्ाररश्त्नाम । हा ® ९. ₹ ९ ५ ४ % | १ QUA | साधस्थमोरडध्वा । साभ्दोदायि ॥(९) Geary
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सधस्थमासददे । ए। पुल्नरसधारस्थामाश्वदात्। भा
५ र ॥ < श्
रण्या । UAE! श्यन्धरुणम्व जायर्षासायि। न्हरे३
४ र bY । १ र २ १ । | ४ ४मोः। हारेडायि। धीतोषिचोरथ्वा। शाभणोर दायि.) ॥ ४ *॥ [२५।
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१अ०२यख्०२ सू०१,२] उ्तराधिंकः । ९५
२ र १ श्र र रर दर १ ५ पोरमुद्गम् ॥ पुनानःसोमधारया। भौशोवा। ए र्र्
c 1 fear wei अपोवसा र्नोषभषेसि। भारान्नाश्धा ध ट र् श ४ १ ५ R र₹ः:1 योनिगष्तारे। श्ासायिदाररसायि। उको ।
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दायिवोवाभोरेदछ्वा | wrawnfa । हदिराभ्ण्ययाः HQ) VT Wee ९ १९ z दर ण २२ र उत्छोदेबाहिराययः। शओओहोवा। रडिषा। erst
X xx १९ १ र् । ओ र् SRHSAT रडिरष्ययः। दाना २। धारि वियाइम् । १ श ष्टे | ९ ¥ माधप्राररथ्याम् | प्रन्नाम । साधोवांओरेद्वा । et
र् 8 १९९ २१९२ श्र र र्
QU 1 स्थमा५सदात् ॥२) प्रल्रसधस्थमासदत । ची
t २ र १ TVR दावा। एडिया। दाउ। प्रल्नदसधा रश्थमासटत । १ श श ५.
ATTRA । धारुणंवा३। जाय्षाररधसायि । नभाविः। धोतौवाभोरहेध्वा। हारषायि । fre
णाः। देा५दै। STS) Wee *॥ [२६] * Bo Wo १९प्र० (Go ole |
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& € सामबेदसशिता। [१प्रण्१अग्८्सु०*१,१।
9 र् र हैर Yt 8 ॥ आष्कारणिधनं काएवम् ॥ पुनानारःरोमऽधार | ९ १९ रर र ब॒ १ र १ या। BGA! नाभारदषंसाउ। वाइरे। भार शे ९ रर, ३ ४५ ररर बधाः। योनिष्टता । स्खसोदा२र३४सायि । eae: श्र रर x aT शे णर् द बोहि । रण्यारर४५या९५६; ॥(९) उद्योदारयिवेोदहिऽर ४ ४ १ र र्द WT | अत्सोदेवः। हिरारेदेएययाड । वाइर। द् श्र र १.३ BL २१ ¥ Fas | धि वियाम । मधुप्राररध्याम् । प्ार्रल्ना १ श श्र Al सधखम.। आसार२०५दा९५६९त ile) प्र्नरसा 8 भर & ५४ \ श् १ R , देधस्थऽमासद्ात । प्राल्नरसध। खमाररसटाउ। वा र १२ १ १९४ ५४ १२। आण्च्छियाम । धरूणंवा। जियर्षारशश्सायि।
श्र दं 2 ११ ररभोः। धौतोवि। चक्तार२४५णा९५९;। भर ११ । ४५्३)॥ ११ * ॥ [२७]
१ रद | ओ § g ॥ सोमसाम ॥ पुनानःसो रमधारया। भापोरवा
# Ho Ale १अ्१्० (Wo go | † “बदतोरोमः०--दति we ge |
१अ०रख०२सू०१,२] उलतरार्चिंकः। 4s Se es नोषरषसी ४ : ४
ATR | । श्यारारन्नाधारः। योनिमार्न
श्र १५ १ J
२। खसोदसो । ऊत्घो र्दायिवा रः । हिरण्यारश्यां
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Bez ॥() उल्छोढेवा रदिरप्ययाः। अद्यो रदायिबो २।
दिरण्ययाः। दृदारनाऊर। चदहिवायारम। ay शर् र
प्रियाम.। प्रान्ना ₹ऽ साधा २। खमासाररदा२९२त् ॥(२)
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TALIA रस्थमासदात । TANT RATT | खमा
१ . |. सदात् । भापारे्छयां र्म । धर्णांवा२। जियषं | १
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२३४५६ । BT (3) Wee FN (रट) ९२१ रर १
॥ TESTA पुनानःसोम। धाररया। पो
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वसानो्र्षारेरसायि। भरल्नाधारः। योनिमा्ता ₹। VRC! waters feces या ३४
@ Go Alo Loyo १अ० १९सा०।
qx सामवेदसंहिता | [१्०१अ०९ स्०१,२। WT WT AT र g दर र २१९ १ उकछोदेबोडि। रारण्ययाः। ware बाद्धिर र १ २९ पयारस्याः। दृदाश्ना्र। धादहिवायारम.। मधु २ . श्र ४:
प्रियाम.। प्र्न्सारदेधा। खमा साररद्1२४२् ॥(र)
२९१ २१ ९ | र १ २ श्र प्रनसधस्म । भार्सदात. । प्रल्नपरसधस्थमाखाररं
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दात् । भपुच्छायारम.। धारूणांवा र। जियषेसा र १ 3 यि। afreteae: | framregargez: | अओू३४५६।
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४४ F देर ४ TH R = x = NBA पुनारेनःसोमर एया । SUTTER a र्रर ब॒ श x
ष साररयिद्धादईया। आरब्नधार निगटतस्यसोदसारहेविः
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SHS वादिरष्ययाः। GS बोददिरण्ययारहदाईया |
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दु्ानऊ धिं AAAI RATATAT । प्रलनरसाररधा ।
ग Fo गा०१च्प्र* १अ० Valo |
१अ०२ख०२स्०१,२] safes | १८
शद् ४ 8 र, 2 ४ र ४ खयमासाररटार४२त ॥८२) प्रत्नाररदसधस्यमासदात | | 8 |. श्र
प्नरसधंस्थमासदाररद् दया | श्राप्रच्छयन्धरप वाजियष साररयिषादया। नृमिर्ोरिरेताः। विचक्ताररेणा ३४३ः। .
आरेदेश्पषै। डा (२) ॥२० ४॥ [Re]
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॥ कौरपलबर्दिषम ॥ पुनादेनाडेःसोमधारया। अ
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GAATATAT SATATR ABT | आरत्नधायोनिमान्ना । श
श शद् | शि स © र् |. छायि। स्यारसोदसायि। wae afecarestzee
वा । या५योरदोयि ॥८९) उत्छोरदारविवोहिरण्यया | ett द | ९ ९ रे
SRS वोहिरारेष्यायार३४ः। दुानऊधदि वायाम् ।
Veal मारधुप्रियाम । प्रत्नसधस्यमो वारभो९९
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वा। सादोश्दाथि॥(र प्रनादेसारधस्थमासदात । x १ 2 <x
प्रतनरसधस्थमा रसादारदे४्न । भापु्छयन्धर्णांवा | शि
© Geo Ale १८० १यअ्०्२०्सा०।
ॐ सामवेदसंहिता [श्प्रण्१्यण्९स्०१,२)
॥ १ द ड् ₹९ १ GA आरेयषंसायि। नृमिद्यौतोविचोवादभोरर४ | ॥
8 8 वा। BTYUTS TAY (a) Were *॥ [३९] रर् १ र 7 र ॥ वाशम.॥ पुनानःसो। मधारार्या २। ate
द॒ र रे श्र < ९ सानोभ्रारषौश्सा रेयि। भारलन्नधायोनिष्टतस्यसायिदाश्सा
शद् 1 भैर र् रयि। उन्सदारशयिवाईः। हारथिरारर०ओदोवा | R ५ र्शर र. च्याररध्णाः ॥(१) SIT वाः। हिराण्याश्याश्या रः । र रद
BSE वाहिराण्याश्या ₹ः। दु्ानऊधदि वियन्बधूप्राश्या
< श रम । प्रननरसारश्धा३। स्थारेमाररश्मौदोवा। सा ५ १ र . रह्दात ॥(२) TACIT | स्थमासारटा र्त । प्रत्नद
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सधस्थमासाश्टारत । अ्च्छगन्धरुणंवाजियार्षाश्सा२
fri नुमिर्रिरेतारः। वारेयिचाररश्मौहोवा। क्षा ४
राः.) ॥ २ 1 ॥ [२९
o Fo Alo १८्प्र० (अर WGo | T He Alo १य्प्र° xGo VYfo |
१अ०२ख०२सु०१,२] Sasa! | St
Ret y र ट ४र ४ ४ ॥ माधुच्छन्दसम ॥ पुनानःसो। हो! मधारयाईए। ९१२ १ र्र् | Tee १२ अपोवसा । नो अर्षारे३धसायि। भरल्नधायोनिष्टत । दद्
खसायिदासा। ओडोरेध्वादायि। उद्छोटायिवा |
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भोहोरध्वादायि। हिरण्यार्दयार४२ः। ओ२२४५१ । डा (१॥२०५॥ [3B]
1 2s र ४ ५ ॥ गोरोवितम † ॥ उत्सः। Saal दिरण्ययाः a Og उत्घोदवाहिरणययारदः। दृहानऊ२१२२। धिं faa १
धूषप्रियाम.। प्रात्नरसधा३१२३। खमोवा। साभदो
A | ददायि.) ॥ १२ ४॥ [3s] | रर र॒ र र र
॥ उभयतस्तोभं गोतमम ॥ दाउपुनानःसोमधारया
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© श्र 2 हाउ। आपोवसा। नोभ्राषेसारदश्यि। हाहोयि।
*+ऊ०जा० १९० Lwe ९०सा०। T “सहागो रौ षितम्''--इति Go पुर |
‡ Ge Alo १९० Wo १२सा०|
OR araazateat: (पप्र ०१अ०९स्०१,२।
Tr Ct wz १ र ek ङ RT शे श मारत्नधायोानिग्टतास्यासोदसादेश्यि। eral ऊ RT र
ल्लोदायिवारः। wretat हिरोररश्वा। याभय । 8 श् ब॒ र् द रद
हायि ॥(९? शाउक्छोादेबेाडिरण्ययोषहाड। RETNA: ९ ॐ दर UTR tz
हिराप्ययाररः। दाषायि। दुष्टानऊधहि वियम् ।
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माधुप्रियाश्म । STRAT प्रात्नर्साधार२४। हाद
३, खमेरदेश्वा। साधरदोरदायि UR) TSAR ॥ ९ ९ ॐ
x सधस्यमासदश्वाड । प्राह्नरसध। खमासदटारदहेध्त ।
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खाशायि। भाषएच्छयन्धरूणवा। जायषेसार्यि। दा दायि। नृभिद्ौतादेधः। शाोरे। विचोररश्वा ।
aqua ete (3) hee *॥ [२५
RAC ध्र At ॥ दिदिद्कारं बामदेव्यम ॥ पुनानाररःसोमधारया | १५ र श् VET र
MANTA TT ATAU AAALAC | SAM
ॐ He Alo ReHe ॐ 0) १९८० |
PHO RMRGol,2] उत्तरा्चिकः। शै
ट ४4 १ रद द RET ४ । र. २। दाररसायि। उशस्योदेकाऽहिरोदोर। sare श २.५ ४ ४ ११द् धर ५ एयया। ओीरेदावा ul) उष्ादारजञ्यिवोदहिरण्ययाः। १ र र र 8 ware वेदिरण्ययेदुहानऊधहिं विमराग्मधौ दो | डमा र् . Rl प्रार्श्याम् । प्रत्मदसधास्यमी दोर२। डम्प्रा२। श ४ ४ र 8 भर् Mata | ओीर्दष्टोवा ॥(२) प्रत्नरसारदेधस्थमासदात । z ब् २ शद र प्रात्नरसधस्थमासद दापच्छयन्धरुण वाऽजियौ होर | SAT
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२। षारश्सायि। नृभिर्खोतोऽविचौदोरे। म्मा t
रुणा । ओरशोवा। WUE! डः (३) ॥ १५५॥ [३६] x ४ र र धर ४ ४र ४ ९ ररे रद् ॥ दगतम.॥ पुनानारःसोमधारया। भापोवसा।
श्र र (ct क्
श १ र ५ नाश्रार्षारश्सारयि। आरा३। रदोरषोरवा । त्नधायो
निष्ठतस्यामोश्डमा रयि | उत्सोरड। दारेयिवाररश्भौ | | ११ ५र्
ब् र् Sat! ए२। हिरा रण्यय।र९४५: ॥(९ Tate Tafa
ॐ ऊः Mio Veg S| १५सा०।
( १० )
SB amaze eat | [ewe QWoungqe?, zi
४र४ ४ ५ श॒ र्
वाडहिरष्ययाः। ऊम्सोदेवः। दिराण्छाश्यारः। TEI |
STOTT | मजधडि वियम््ाधुप्राया रम । WALA | ह भरर ष १ ६९१११ सारभारदेयोष्ावा। Wl स्थमा रसदार३४५त ॥(र) २ ४ ५ द % ९ र् १९ र प्रनरसारधस्थमासदात् | MALAY | स्थमासाश्दा श्र र SAL WIT शहौश्डोरवा। च्छयन्धसणं वाजायर्षा ATT सारयि। नृभारदविः। धौरेतारद््भोडोवा। १३। ११६१९ विचा र्कणार२४५; (३) ॥ १९ *॥ [३७] ^ ९ र १ श्र र A १ ॥ भवपुष्याखंम ५ पुमानःसोमधारया। इवे २३। ee PITT ९१२ ब
अपोवसानोभषसि । BAe भारत्नधायोनिमुनस्सो
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दसि। ईवर२। उत्सोद शोहिरण्ययः। ZIV ॥८१)
र WUT २९१९२ ९ द Wee ९१ २
उत्सोद् बादहिरण्ययः। BALI «years वोहिरण्ययः। २ र १ शर
ॐवर२। दु दानजधहि व्यम्मधुप्रियम | इवे २३ । प्रत्न व 9
@ He Alo Rome रेख १९सा०।
१अर०२ख०२स्०१,२] उत्तरार्चिकः। १
२११ श्ट 2 १ wT १ ११५०२ १९ ,. ९ ` सधस्थमासदत । WALI! आपुच्छप्रन्धरणीवाज्यष सि । >्द १२९२१९१९ zx ware! मुभिरौनोविचक्णः। KF) डवे ९३ । #र द ९९९ रद्
SATA! esl भोशोवा। भरक्योडेवामांरपर
९११९१९९
मेवियोरमारदश्पन (द) ॥ १०५॥ [इट]
ई र् ॥ दयौतानम.॥ हा३२। lew! श्रादेडार।
४: र. र, + १९, १ ४. रट श हायि। उत्सोदं वोर। इिरण्यारर४याः | seats वा
RXR दिरण्यारदेश्याः। दु्ानऊषेहि वियारम.। ay र ४ १ Rr ३ % र् ' OTRAVATA | प्रष्नरसधारः। स्थमासार३४दात । शा र र् । WITS! भोद्ा२। esr ओशोवा। भा १६९६१
१ दा २४५८२) ॥ < † ॥ (Rel
SAT wet ४. ४ भ
¢ नोधसम ॥ ऊरर४्त । सोद बेादिर । च्यायाः।
° = ATo oo रख १७सा०। † Go ayo ero एख० ससार
७8 सामवैदसंहिता। [१प्र०१अ.<सू*१,२।
x a ६ र १९ र र १ २ ट ३ BATS AT | दादेयिराण्यादयाः। दूररद्ा | नाऊधः। ११९२ ४ \ र श
दिवि। याम् । माधुप्रारदेध्याम । प्राररत्नाम । सा ४
WMATA | सारेदृ४दात (र) ॥ ५५ ॥ [४०]
३४दर TAT ४५४ at ४ैद ५ NAAN उत्सद् वोदिर । ष्ययारेदध्मौचोवा । १ र श्र | रद् १ र
WNT | दिराएययार२४ः) ओरंहा TITAR
1 ९ ट ५
धः। दायिवारेरेयाम । AYR । प्राररश्याम.। प्रत्न द &
सधास्थादमा। ङम्मायि। सारदारदश्मीहोवा। वा
₹२२४य्/र) orn Ese] र्रर ॥ कंण्ठशदत A Segara! मधाराश्यार ९ र र र द् ` र
esl चादोयि। भापोवसानोभषं सि आआरात्नाश्धा २९४: दादोयि । यानित । - स्यसायिदाश्सारद४
ॐ Fo Ayo रएप्र° LG yore | F HO नार A> (Go SRTo |
१अ०३यख०२सू०१,२] चत्तराचिकः। ॐ
gt र श्र र R fat शखाशोयि। उत्सोदाश्यिवारद४ः। era हि
र ष ५. रर र
Tel पयाररश्थ्याः।. उड्वाईदाउ। ATA) Wet
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उत्सोद् TAT हिराप्याश्यारहेटः ! दाषोयि । ऊत्सो
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द बोहिरप्ययः। दुदानाऊर२४। WET! yrfEfa
१ एर By १९८ et यम्। मधूप्रार्यारश्ध्म्। दादायि। ददान, RT २
९ र् २. धर्हीयिवाश्यारेदश्म । हादोयि। मधुप्राश्याररध्म ।
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SGT | प्रत्नादसाश्धार२४ | WIT स्थमा३ सा
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२४४्दात। उड्वादछाउ। AU भनी दो प्रननरसधा
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२९। स्थमासाशटाश्दारेदेशत । BTML प्रात्नदसध स्थमासदत । आपर््छश्याररध्म । शडायि। धार् ४ x १ २ RT ९ १ र
एवा । जियार्षाशसार२४यि । हादेायि। आपुच्छयम ।
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१ र् WEITZ | दादायि। जियार्ष्पश्सारश्थ्यि ।
et सामवेदसंहिता [श्प्रण्१अन०्१ न्सु०्१।
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डारायि। नभाविद्रताररधः। weet! fate t
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शारर४णाः। THATE RTS | वा (३) ॥ ८ * ॥ [४९] € दतौय-ढकचे- प्रथमा)
१९ श्रश्९्श्२े ९ १२३१९ ९ ३ F ? शर er
्तुद्रवपरिको शन्निषोदनुभिःपुनानोषभिवाजमषं ।
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अश्न्नत्वा बाजिनंमजैयन्तोच्छावशोरि शनाभिनेयमिि ile Pit
Saal “तु” चिप्र “cea” way प्रकषेषागच्छ। गत्वा च “arr” द्रोणकलशं “aft निषीद" fawet भव। “aia.” नेढनिः “gata.” पूयमानः सन् “ary” wai इवौ- eu लम् “sae” अभिगच्छ । “वाजिनं' बलवन्त “oa म” wefaa तं यथा माजयन्ति। तदहाजिनं at “मर्जयन्तः”
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शोधयन्तः श्रष्वयु-प्रसुखा तिजः “वहिः” “अच्छ अरख्मदौयं ag uf “cafe” रशनावदाथ ताभिरक्लौभिः ^“न्-
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शअ०३ख०्३सुर] उन्तराशिकः। oe sy featat |
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खायुधःपवनेदेवदन्दुरशस्तिदाव्रजनार चमाणः।
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fare वानाच््निता सुदक्षो
९ २ ३ २ ३१२
विष्टभ्मोदिवोधरूणःपथिव्याः ॥ २ ५॥
“स्वायुधः” ओभनायुधः p “इन्द्ः” “sai” देवः “पवते सख टेव: “sufferer” care q “ana हजनानि उपद्र afe परिद्रत्यति शेषः, “रक्षमाणः'* § “पिता” “पालकः” ‘Sarat’ “तथा “जनिताः उत्पादकः “gee,” णोभन-बलः “दिवः” “fazer” विशेषेण स्तश्नयिता “पुधिव्याः'' च "धर-
De
शः" धारकः ||। एवं महानुभावः पवते । “asta” —“aaq -इति atari
» wo वं००, ३, २२, २।
+ “खायः सि-खदम-परद्-प्रासाद्भिरायधेः खायधः। अथवा वख-खव Re प्मृतिभिधश्चायथे wigw:’ - एति fae
‡ “पवते पथते दूति fae |
¶ ‘anfeur अन्ररुयः aaa: | अथवा ang वाः eats बा कमाखि द कुवेक्ि तेषां war —tfa fao |
§ “श्जमा CWA: | Tart wa खथवा वृजनं विष्यद्ं Had कम AAT cwale.’—tfa fae |
| Wavate aga—“eat masfa: सम्बगादित्य aifava | wfear waraa बहि, OCH ततः प्रणाः (LHe ऽ4खो० )"-ष्ति।
te सामवेदसंहिता [१प्र०्१अ२१०स्०२।
अथ ठतोया।
९९ TR RUT WT RMT WII BLU रे
चरपिर्विंप्रःपुरणताजनानाश्ठमुरद्ोरि उशना काव्येन |
१ शद ११ २ ९१२
सचिद्दिषेदनिहितंयदा सामयी
x २ 2 ? ५, UR
च्याऽरङ् दान्नामगोनाम् ॥ २ % ॥ १०
“ऋषिः तोद्द्रियद्रष्टा 4 “विप्रः मेधावो “पुरणता परतो गन्ता “जनानां” मनुष्याणां “way.” उक्भासमानः फ “wo”? धोमान् ¶ “svar.” एतत्रामकः ऋषिः a: “सवित्”
स एव § “काव्यन" स्तोत्रेण “fade” avai किमिति!
* We Fe 9, ?,२९, ९ | + `"साकातृरृतधलाख ऋषयो बभगसे.वरग्येऽषखत्कतचभख्व उपदेगेन Ara USUI गायन्तोऽवरो गिखमप्रखय्मं cy समाक्रासिव Few वेदा wifa qd विमं भिङ्मं woafafa वा रतावनः समानकमारूो घातवः"- दति zx fq म० 2, 20] ‡ qe एता जनानाम । पुरतः wan एति ata: खथवा पुरतः स्मा-भमाना मेता | कऋभविभ्ःः- स्ति बि०। ग "थोर े१सम्यनच्नः'--इ्ति fare | § चित we: च शब्द््यायं seq —rtfa feo: “चि-दत्यषोऽनेककना-- ह ° ~ fafz ~ wiarufefeg aaifafa पृजायाम्। ° ° ° | दथिचिदित्युपमाथं। कुर्माषं खिदाररोत्यवकुष्िते। ° ° ° ।"- षति free Hot, vy
१अ्दयख्०३सु०१,२३] « sUcrfea | ६१.
उच्चते । “प्रासां” “गोनां” गवां सम्बन्धि “aq” “अपोच्यमः [ भ्रन्तहितनामेतत् >) wafea “ara” नामक मुदकं पयो- लचणम् । कोषटशम् ? “gu” गोपनोयम् + ३५१०
१ र . x श ॥ ओशनम¶ Nora! द्रवापरिकोाश्ाम। fate
९ ९ २ ९ १ १९ ३४५ , दा। नुभाद्रःपुना। aaah वाजमर्ष अश्वल श॒ र् RT ट र २१९ र
SATA | जव रेदन्ताः। अष्छावर्डाईः | रशना | श श भारध्देदः। नारयापन्ताद५६९६॥९) WAT TAT
१ ₹ १ १११९९ ९३४ ASI । वदैरन्दः। अशास्िषशा। Tat! रसमा । ॥ श्र रद श्र |.
Wi पितादेवानच्निता। geese: विष्टर
श दाद । बोरधर्। णा३४६ः। पारर्थाऽ१ व्या ५९ ॥(२)
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९१२ अभित्वाश्एरनोनुमोदुग्धादवधेनवः।
९ ₹ श्र VW श २९९१९१९२ इशानमस्जगतःखहे शमो श्रानमि तस्युषः ॥ ११॥ हे “qu” विक्रान्तेनद्र “a? लाम् “aft नोनुमः” वयं खथ मभिष्टमः । aw दटान्तः-“ बदुग्धा इव धेनवः” aeanaerer “a > € ; + मावः WILT वस्सान प्रति wares कुवन्ति तहत् वयं समः
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“इवामद्े' भाद्यामः॥ २५११
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प्रन्नावत्तमया प्रन्नासहितातुह्ठीयमानेन। “कयाहठता १- केन
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Ua | सवेदेवत्यं वामदे वा ; यत्कवतीषु तेन nonce, कोड प्रजापनिः। अयदनिसकरासु तेन प्राजापत्यं, खनिदक्ोद्ि प्रजापतिः; थद् mene तेनाग्ने यं MIN WT: ; TIT wee तेनैन्द्रम;- रवं eta बामदयम'- एति fac vaaqiatuca |
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छम । SRwaTA | शाताश्डवा। भवा । सियोर
दश्वा। नाभयोईहायि॥८*॥ [र] १२ अष WATERY ठतौय सूक्ते प्रवमा | ९९ ९९ ९९२९९१२ १ द eK AR HAAN बसोम॑न्दानमन्धसः । 2 RR शर् श ९९१ VR अभिवस्सन्नखसरषुधं नवदन्द्रङ्ोभिनं वामहे ॥ १ † ॥ नोधा नाम ऋषिरिन्द्रं सौति । डे ऋलिम्बजमानाः, "दस quate “ऋतीषहम्” ऋतयो बाधकाः awa: तेषा मभिभवि तारं ; पनः कौथम् ? “वसोः” वासथितुदु खस्य विवासयितुरमि- वारयितुः ; यदा वसोः पां निवसतः fee ताषहशख्यान्धसः सोम-लचणशस्याचस्य पानेन “मन्दानः Wears मोदमानं “वः” यटग्यतवेन quran तं wren मिन्द्र “गोभिः” efrere- च्ामिरवाग्भिः “वामहे” [ज स्तवने, weg वा] अमिद्टुमः। ge भति “ata” | (अचर यास्कः-“खसराखडषानि खयं सारौ अपिवा खरशारित्यो भवति स एताति सारयतीति] ( निर He ५, ४ ) सृव-नेढकेषु दिवसेषु वयम् “अभिष्टुमः अभितः ० ख0 ना० ote शख. CUTe |
1 क Weg, tbe (एमा० मा पर) Wo Fed, Get) Ate
writen Gia) रन्द्रो देवता ।
८२ सामेदसंहिता। [१प्र०१अ०१३स्०२।
शब्ट्यामः Aa दृहान्तः- “वच्छं a” यथा धेनवो मव-प्रसृतिका गावः स्रसरषु सृष्ट अस्यन्ते प्रेयन्ते गावोऽअेति स्वसराणि गमो- छनि ag am मभिलच्य शब्ट्यन्ति तहत् ॥ १॥
अध हितोया। श 2 २९ RR र ३ ९ र १ १र WAR 2
दयक्तपसुद्ा नुन्तविषोभिनावृतङ्गिरिन्नपुरुभोजसम | १२ ३९ रे १ ve १ १ २ ९९१९ रर लमन्तवाजारशतिनरसदखिणंमस्गोमन्तमोम ३।२५।१२५ “aa दौतिमन्तं ॒निवास्श्वानम् sfaufaaeifa भि- wa! यदा, ae दिवि ane fea निवसन्त' ““सुदानु"" शोभन-दानं ““तविर्,भिः" qe meaq areata । पुनः wera? “पुरुमजसं"” सोमादि-हविः-प्रदानेन बडुभियं जमाने भ जथितव्यम् | यहा, बहनां पालयितारम् wag “gaa” [ट् चु wa ] गब्दवन्तम् waa पुत्रादिकं aed; स्तोत्रादौनि कुर्वाणं «शतिनं सषटस्िणं” गत-सषश्स्र-सह्याक-धन-युल्ल caiman” गवादि-युक् “वाजम्” भव्र “मक्त शोत्र “eae” या चाम | यदा, पवाहो वाज-विशेषणत्वेन योजनोयः-- vale गोभन-दान-योग्यः aaifega बहुभिः पुतरभिजादिभि- भोक्तव्य-णब्दा दि-युक्तम् रवम् इन्द्र याचामहे इति ॥२॥१३
° Wo Fo ६, ६, २, २। + खम नौधसं Ural
‡ (सजिषौभिरारतम्। लव शवं दूति बरमाम, बरुवद्धिः खखायेरातम् । अथवा तविषो भः सोतुभिष्डङ्धिः मनुष्यजातिभिरातम्-- दति चि ° |
¶ गिरिं न quater aa उपरि्ादुपचारतादुपमाथोयः, निरि भिव बङभोख्यम् । acy पवते बञ्जभोजन -तणका् न्य् .पञजोवन्ति' खथवा जिरि. संधः तं सवे" लमदुपजोवति- इति fare |
१अ०४ख०३सु०१.,२] उत्तराचिकः। ९
र ४४ ५ द ४ § ॥ नोधसम ॥ तर्द्म । वोदस्ष्टतो । Brera | ‘ | १९
TAHT | नाक््मान्धारेसाः। BRAT | बात्सन्न।
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भायिराबारेदर्ाम। गारदेयिरौम.। नपुर्भोरेर४्वा | ४ र
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श् RP १११९ R ४
वा३। मा२९४५। दार२४५यि ND) इन्दरारङ्गादविर्मिं
न्नवामदहोवा। श्राविद्रगोभिः। नवामाश्डारयि! द SLT ALS | —_- निरावाश्ता त्म | मि रायिन्नाश्र। रूमोर२े। जा९२४५। सारद्म Ne} गिराशयिन्नासपुरुमोजसोवा। गायिरिन्नपु । रुभोजा९
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सारम । कूमन्तवार१२३४। जरश्तिनम । सदा
छार्थिणार्म । मसुगोश्मार। तमादेवि। मारक ९१९१९ ४५। दारदहे४५यि ॥ १४५॥ [र]
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॥ जनिचाद्यम ॥ तंबोदारसनऽख तोषष्टाम । डवे | १ द् cal c z |: . RU TAA न्दानमान्धार्सारः। भभिवत्सन्नख
* Ho Ho (He Yo Late |
१अ०४य्ब्.रस्० ११२] satya: | ९१
१. ३ | १ २ १ ९ सरारवि। पषुधायिमारश्थ्वाः। डइन््राहेःडोयि। मी ॥ 1 १ Xx aiefret नवा। मारहारश्श्भौशोव।!॥९) TET
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दविर्भिज्ञवामशायि। ङवेषशोरयि। इद्धगीर्भिर्भवामा र . ९११, श श्डारयि। दद्यसषरसुदासुन्तविषारयि। भिरावारद४
४ १ र १ २ ९ ९ श्र \ wie गिरादेयि्दोयि। नपृदशो। रुभो। जार 2 ४र द suet ५ १
सारर्भोहोवा ॥(२) गिरिज्नारेषुरुभोजसाम । wa x Va गिरिज्नपुङूभो जसा रम । शुमन्तंवाज९ १२, श ५ १२ १ x शरतिनारम । सशाखारडध्यिणाम । मक्षरशोयि। मो |; र द
माषशो | तमो) मारशारेदेश्मौहोवा। जमिजार३
४५म ॥५५॥ [8] द रे 4 रर १ NETRA संवोदसममतोषदाम । वसो
द २ ९ रर श्र र
मेन्दानमन्धारदेसाः। अभिवटसन्नखसरेषुधेनाररवाः।
@ Geo Ale Qe (Go Uae |
< & सामवेदसंहिता | [१प्र०१अ०१२सं०१,२)
श्र २ दं र दच्रङ्गारदेयिर्भारेयिः। are वामारश्मौदोवा। शा १११९१ ९२४५यि ny) इद्गोभिन्नं वामदाधि। इन्रगोभिंज्ञवा
र॒रे र्द Meals | य॒ खरसुदानुन्तविषोभिरावाररन्ताम । गि
act ९ ut द् १९१९१
रिन्नाररेप्३। र । भोजारध्ओ्ौहोवा । सा९२०५म् ॥(र)
२ र श र ९ RUT x
गिरिन्नपुरूभोजसाम । गिरिन्नपुरुभोजाररसाम । क्त
x र ९ मन्तवाजरशतिनरसषखाररयिणाम । मकषुगोररमा३ |
RT 2 Xt < ११११ तारम । हंमारश्भौहोवा। शहा२३४५यि ॥ ८ * ॥ 3 Bt 2 ४ ४र् ३ र ४ चद
॥ जनितो चरम ॥ तवोदस्ममुतो । षचादेम । वसो द ट ब् © ञ् vat Sift शोवि। दानामन्धापारदे्टः। अभि ४ शै Bye १ 2 बन्सन्नखप्तरे। षुधारेयिनावाः। wfaRR Maat |
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षहोदश्यि। Arperezstsrar ॥(९ इन्र ्ीर्भिन्नवा । मशारयि। इन्द्रङ्ञायि। wife. शोयि! भिर्ावा
* Ho ATe Ae (Go Spo |
CHOSTo 2H 2,2 | उच्तर (च क; | € ॐ
श् ४ श्र ४ ३ ४ YT र ४ च श्माडहार९४यि | दय र्थसुटानुन्तविषौ | भिरारवान्नाम । चैर् र्
गायिरिन्नपुरभो३ | दोश | जारसाररध्भो होवा ॥(२)
४ ३ ४५ द् गिरिन्नषुरूभो। जसारम । गिरिन्ना। चोयि। tha BR BRT १ ४ ४ 2 श पुङ्भोश्जासार४म । सुमन्तं वाज<शतिनम । सारे १ र र्द खायिणाम । माक्षगोमन्तमौरे। शो३९्यि। मारा र १९१९१ रदधभोद्दोवा। जनोरचा२२४५म् (२) ॥ १० *॥ (yl 8 Xt ४ ५.
॥ सौोभरम ॥ त॑वोरदारेस्माऽग्टतोषदोवा। ART < न्दानमन्धसोभिवन्यन्नखसा ररायिषुधाररे। दोयि। ना
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ररध्वाः। TERN: | नवारष्ादेयि। मारद्टार३४ भैर द्
WITAT Ng) टन्द्रारङ्गारवयिर्भिन्न॑वामद्ोवा। इन्द्रौ
भिन॑वामदेदय ्तपसुद्ानुन्तवा रयिषायिभिरार३। दो । ९ ५ t § २ | १.५ 3 वारदशत्तम | गिरिन्नपु i रूभोख्दारयि। जारसार
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इ४अो डोवा ॥(२) गिरादेविन्नारपुरुभोजसोवा | गिरि
न्रपुरुभोजसं सुमन्तं वाजधशता र्यिनारसद्ार्द। शो । | ९ १ र <
छारेरेऽयिणाम | मस्गोम । न्तमारेहाठेयि। ATLET uct रद ९१११९
रेऽद्धोवा । ऊर२२४५ (२) ॥ ४ eH [६] # र श ४ दर ४ ५ ॥ भाष्कारणिधनं काण्वम ॥ तं वोदारस्डऽनोषडा १ र रर् g १२ १ म.। वासोग्मन्दा। नमारेरन्धसाउ । वारर | अरभिवत्साम्।
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नखसरायिं। षुधेनारदेष्वाः। भारहयिन्द्राम्। गर्भ
न्नं। वामार२४५हा९५९यि ue) इन्द्रङ्ारयिर्भिन्नं र ४ ४ वामशायि। भायिन्द्रङ्गोभिंः। नवारदमहाउ | वारर ।
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दय् चरचुटा । नुन्तविषायि । = rcaresenta ।
च १ इ श्श् गारेष्यियोम । age भोजार२२४५ सा९५९म ॥(र) | २ ४ ४ me |
` गिरिज्नार्षुरूऽभोजसाम । गायिरिन्नपु। रूभोरेदजसा
@ He ATo २१अग CGo syio:
१अ०्४ख ०३ सू०१,२] surfs: | ee १२ ९ क् ९ र १ Sl TR! Raa जशतिनाम । सदसा
| ६ श् 5 शे रदध्यिणाम । ` माररक््। गोमन्तम । ईमारेरण्भदा be ६५६यि । भार२४५त् (३) ॥ ८ ५ ॥ [७] रट ४४५ द ॥ कङुबृत्तरनोधसम ॥ तारेदे४्म । बोदस्मन्ठी । ४ ५ र °्र ९
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र् , र् z रेटा। नृरदरन्ता। वि। षायि। भायिरावार्रध््नाम ।
श र् ६९ ९१ ५ % गारदेयिरौम । नपुरुभोररश्वा। जाररध्साम् ॥(२)
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श ४ शर | र १९ र गारश्वि। रिन्नपुरुभों । जासाम । कषरमान्तारवा । 1
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१ A जारहधशा। ति। ATA साषख्रारद्यिणाम । मा
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९ ५ RAY | गोमन्तमोर्दध्वा । मा९३९८(२)॥ १७५॥ [८]
९.१ र् UC ॥ वा ङिनधिनं कोच्चम ॥ तंबोदास्नादेशररध्म । कती ।
8 2 र ष : र् ९ | द 2 र षारेम । ACT 21322381 नम । Wate) अ २ 3 ४ ४र् श 2 र २ १
भोवात्सार१२२५म.। नखसरषुधे | नवहेः। इन््राङ्गा यिभा३९२दयिः। नवापरमद्ाउ॥(१) इन्दराङ्गायिभ{इ
at श र ९१९ र २ रक्थ्यिः। नवा। aerial इन्दर क्ीभारश्ररध्यिः। धर २ र ९ 8 र् रे But मवा। महादवि। द ्ा्सुदा२१२२४। मुन्तविषो x
र = 2 रे ४ भिरा। Tater) गिरायिन्नाप्३१२३। | सभो५जसा
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गिरिन्नपू २१२२४) रूभो। जसारम.। Tartar
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~ च्वतुध प्रगथे-प्रयमा॥ ९ ९१२१९ १२ ११ २३६१९ तरोभिर्वोविददइसुमिन्द्रपसबाधजतयं | RRC श्र ९९ २ २९९२८ RE VR १ र
बृदद्रायन्तः सुतसोमे अध्वर वेभरन्नकारिणम् ॥ ९† ॥ हे ऋविजः! “ यु “^तरोभिः” बैग रद्वैरुपेतं at रेववा “विद्दसु” Beara धनाषेदकम् “इन्द्र” “सबाधः” बाधासहिताः “aad” रक्षणाय “वुहदायन्तः बुहव्सज्श्नका साम गायन्तः सन्तः परिचरनेति शेषः। ga? इति, तदुच्यते--“सुतसःमे” श्रभिषुत-सोमके “mat” ay सोम- यागे; wey म्सोता युखदथ “ga आद्याभि। कमिव? “भरं न” भरं watt कुटुम्बपोषकं “afta” खदित-करण- wre यथा ` स्वदहित-करणायाह्वयन्ति पुश्रादयस्तहत्, तथा भूत मिन्द्र wena en su featar |
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WT श र WIRY श रेड 8 १९ ध्र at नयन्दुघ्रावरन्तेनस्थिरामुरोमदे षुशिप्रमन्धसः। FR ९२ ९ ९ 2 शश्र श्र श२३ररश्द यभ्राहत्याशशमानायतुन्तेदाताजरि चउक्ययम् ॥२१।१४१ @ Ho जाण्ररप्रन एचन्?ठ्सा०।
T We We ९, ९, ५, ५ ( १भा० Bee To =^ वे* €; 8, 89, 0 ‡ We Fe €; ४, ९०, २। © “ay aay साम"- एति Fao |
१०२ सामबेदसहिता। [११०१अ-१४स्०२।
“थिर” ओोमन-हनुकं जोभन-नासिकं वा (“fad इनुनासिके at (१,१९)- इति यास्कः] “aq” we’ “eu” दुद राः श्रसुरा- दयः “a वरन्त" सङ्कामेन वारयन्ति, तधा “सिराः” देवाः “aq” वरन्ते, किञ्च “सुरः” acuta मनुष्याः न वरन्ते, “a.” च इन्द्रः “नसः सोमलक्षणस्याव्रस्य “ae” aera सोमपान- जनिताय “area’t, “चश्मा नाय" शंसमानाय्थुः “gaa” अभिषवं gaa “afta” स्तोत्रे चवा “दाता” भवति। किम् १ “oer” Wai धनम् {, तं इवे इति पुष सम्बन्धः ॥
“मदेषुभिप्र"-“मदेखुथिप्रम्" "दति षकार-सकारौ पाठो॥ २५९४
° सरटे “अदेव्निपरम्”- इति संडिसापाठः, तज सायकेन ‘ae’ शत्येकं पदं fear सुभिप्रभिति fertd खोषटत मत रव ‘ae’ मदाय, सुणि गोभगदनुक मित्यादि यायाम् | farcwarea, “ade” इति fear भिप्रमिति इितौयं चिच्छेद , तथाद्ि - मदेषु मदनोयेष vay सच्निधानभूतेषु, सच्चिधाग-सप्नम्ये षा, थवा मदेषु पुरत)ऽवस्छितेष्'- इति feo | पदकारहृत-पदपाढोऽपि विवरष- कार-नय-पोषकः।
+ संहितापाठ, जाटत्या- दति, सच “aretsafae: ( ९, 2, १३५, tfa दौषः wea खादर रनेत्यथंः।
t, ¶ बेदिकौ शति, feu भवति, adder: सोतं नन्तो, तथा चाव अप्रगौत मन्त्राकक-अजेः खति Rare: sary उच्चते, तख ; किच प्रमोतमन्तरादमक- SA: श्.तिकारो खोता, तख चेति विवेकः ।
§ ‘saat नाम कतुः, waa; खथवा उकथ्यानि सामान aa: सजत SSH, तमकथ्य-सासगका ऋतु मित्यर्थः इतिवि. |
<TosmMosyo 2,2] उप्तराचिकः 1 १०२
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॥ मराकालेयम ॥ तरोभारदर्बोषिददद्म | इन्द्रा,
he | र RC २ १ RR र र श ३ खवा | ARATE | बृ दन यारं । तारेरथः। सन ४र द् श् श् श
2 शे ९ ५ 8 SAT! EBT BATA | TIT VT! न | ५ द ₹ ४९ ठट ४ ₹ १९ २ काऽधरिणाम.॥*९) जवेभाररन्नकारिणाम । sar ।, श्र रे ९ १९१ रे |. राम । नकारिणाररेम । नयन्दुप्रारः। Tease | रन्त 2 ४७४द् श् श् श र | नखिराः। ARTEL मदाद्रषुशौ । वारध्देभोरध्वा।
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8 प्रमाऽभन्धसाः NR) मदेषुरेशादप्रमन्धसाः। मदद्रषुशा
२९१२ र्र् श १ द्र द् | प्रमन्धसाररः। यञ्माहल्यार२े। शार२४। शमाना 8 १ ९ १दर॒ ३ र | ४ 3
यसु । ARATE दाताजरौ। वाष्ध्दभोरश्वा। च अऽ५विधियाम । दोऽ५द। डा(३)॥ ऽ *॥ [१]
रद् श॒ रश ft र ॥ वारवन्तीयोत्तरम॥ तरोभिर्वाश्रीदोषायि। वा
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११४ सामवेदसंडिता। [Wet to (ean? |
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fazareesen | इनद्रसबाधकतायोरेहेषडायि। श र र॒ र २ श्र ut १९ ५
द्गायन्तःसुतसोमे अध्वा३४। ओहोवा। इद्ाररश्डया
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यादा (2) इतेभराभोषोहायि । नाकारारहे्यिणाम् |
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इवेभरन्नकारायिणोरर४ हायि | नयन्दधावरन्तेनस्थिराम ददर थर ५ a
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मदेष् । शायिप्रमन्धा२8। ओदोवा। इहार्दश्डायि ।
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` अओदो३१२९४। साः। रडियारहा ng) मदेषुशाच्रीदो
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हायि । प्रामन्धारेश्थसाः। मरेषुशिप्रमन्धासोरेदेऽायि |
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१अ०१५य्०१सु०१] उत्तरार्चिकः। १०५
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वा। द्रदाररश्डायि। ओ होह१२३४। याम.। ae
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र् ३ t 2 ३ CR 8 ९ ₹ ३ खादिष्ठयामदिष्टयापवसख्वसोमधारया |
१ २ RR २ श 2 8 दून्द्रायपातवेसुतः॥ १ git
ड “साम “न्द्राय "पातवे" arg “ga:” भभिषुतः a “खादिष्टया'' खादुतमया “मदिष्ठया अतिश्येन मादयथिन्रया
“arcar’ "पवस ` स्र ॥ ew
@ He ATO Lome १० ware |
+ ददानौ मावः cea) तव wefe शब्दांसि-मायतौकङ्ुवव्णिम- बुष्टब जमतोति कन्दांसखि। पुष्कखोऽच्रः सुहितः शफः श्यावाश्वः खन्धीगवे इत्या Sif. सोमः सोचदेवता। रामदेवता नोच्यते विखलरभयत्'- र्ति fae |
+ ‘omy माध्यन्दिनि: पवमानः'- दूति बि
J Wo Go ४; ९) ४, २ (र्मा €पुग ~र Fo 5 8, 4, १।
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१०६ सामवैदसंङिता। [ewe tree ume’ eI पथ featat
SB a cetera UCN TATE | १ ९९१९६६५ १ 8 द्रोणेसधसथमासदत ॥२*॥ ne” रक्षसां न्ता “faaaufe:.” विष्ठस्य ger सोमः “mea” अयसा fecea ते [ तषा च खरुयते-- “इिरण्यपाशिरभिषुणोति"--दति ] “are द्रोणकलशेन पअधिषवण-फलकाभ्यां ary “awe awenat “arta” अभिषवख्यानम् “mareey” भाभिसख्येनासौदति ॥ "“सबोरते”--“भयोडत,““दोखे "दुला" इति च पाठी ॥२। श्रध ठतोया। R १ र १९ श १ Ck वरिवोधानमो्भुवोमधदिष्ठोगजदन्तमः। RR १२ १९ १ २
, पर्षि राधोमघोनाम ॥ ₹ ४ ॥ ९५
* me Xe ©, 0, ६९, २।
† सोमाभिषवे प्रथमं तावत् gee x एत्याकारः फरकदवयं Brea, तद्- परि छष्डयुगचमं fog aa सोमोऽभिष्यते। ये अचिठत्व सूयते खोस कलिय भिः, ते अविषये, अजिषयखे च ते Gee, ताभ्याम् ; खतिषवक्गामक-फल- काण्वा fare: | ख्शोगखचकेवं तलोया |
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ड सोमं! ल "दरिवोधातवमः” अतिशयेन धनानां eras “aa.” भव pf [ वेदः, "वरिवः" इति धननाम ( निष ०२, १०.४.१९) wary] “महिष्ठः” दाढतमख भव [ स्वदत wired इत्यपुनङतिः ] “ह चडइन्तमः” भतिशयेन शवां हन्ता च भव । fay “मघोर्मा धनवतां शज्रणां ¢ “ey.” wary “"पतिं"” अस्मभ्यम् प्रयच्छ {॥
भुवः" -भवः- इति पाठौ ५ ३ ॥ १५
ष्य ९२ ;
॥ सरहितम. ॥ खादिष्ठयाम । erergari पवा
२। खारश्सो। मधारराया। भारह्दन्द्रा। यार १ é २ ९्र शद
पा। तबारईे। डाडवाह। ङरड४्ताः ue) रक्लोदा विश्च। चारणाः अभारद। योरेदनोम ।
t t ९ ९ ® अयो रदाताद् । AT सारधा। ख्मा२३। ° afer: wfcsi भवः We: © ग् पमे, पामतमः। रकः पनभूतः, te पावत, शम्यः पानतसः । श्वर्थवा धाता दाता, ख्यापिता वोः इति fate | + “qu मृराकलः.-दतिः fae | : ‡ ‘afew: ल इनोवतसः'--दति fie. | q जंवोनां trent वेला गीनाम्-- दति fio § कविं वरि विखते'-- इति fee ।
१०८ सामवेदसंहिता | [११०१अ०१५स्०१,२.,३) । “= द: * ४ र र्ट दाउवाहे। सार२३२४दात॥ वरिवोधात। मो
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₹ भुवाः। मधडारद। छीरश्वा। जदा रन्तामाः। | श १ श पाररर्षो। रारधो। माररे। दाउवा३। घो
| नाम (३) ॥ ८ * ॥ [१ ४ २३६
॥ Gente ॥ खादाऽ५यिष्ठ । यारेमदिष्टया ।
१ श्र \ र् पावखसो। मधाराध्यारहे। दोवारहायि। इन्द्राय
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श्पार३। दोवादेष्धा। तवे। सुरतारदेऽ्ी दोव ॥(९) रक्लोऽभदा। वारयिश्वचषंणायिः। आभियोनिम । ओ
१२ १ २ र ११ श योदार्तारेरयि। शोवाङ्डायि। द्रोणे सार्धार। ९ ₹ र ४ैदट र्
चोवारहा। खमा। सारदाररश्चीदोवा ॥(र) वराऽ
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परयिवः। धादेलमोभुवाः। मार्ददष्ठोबु। चडान्ता९
१ के श् श श् १ श माररेः। दोवाइद्ायि। पर्षीयिराश्णाररः। दोबार
@ He Alo प्रज cq@e cage,
१अ०५ख्०१स्०१९.,२,३] उत्तरार्चिकः। १०९
९ _ १ १ भर १ ५ चायि। मघोर। नाररध्मौदोवा। दरदाः (2) ॥ २० * ॥ [२] ष २ Xt २. ॥ जराबोधोयम ॥ खादिष्टयोवा। मादिष्ठया। प श दर ४ भद् वाखाररसो। मधाराया। इद्धायाश्पाररताऽ। वे।
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सुतो४५६। BTN) र्चो दावोवा । saree णायिः
अभावयियोरदनोम.। अयोदातायि। द्रोणेमाश्धाररेस्था NK १ रे ९ र १ रे
Al Ml सदोई४५६। डा॥(र) बवरिबोधौवा।
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तामोभुवाः। मरहायिष्ठोररवा। चदन्तामाः। पर्षा
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विराशधाररः। Al घोनो३४५१। San १०१। [६]
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॥ शहाविष्कृतम ॥ खादिष्ठयामदादाउष्टाया । पव
र ब् g |. र् खसो । मधाराररया। इन्द्रार्डो१। यारदपा। त ४ैर॒ द् द र्
शद वे। खरतारर२४अौहोवा ॥९?) रकोदाविश्वचाशाटर्षा
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११० सामभेदलहहता [१प्र०्१अ०१५ख्०१,२,२।
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णायिः। अभियोनायिम । भयोहारुश्ताि। द्रौणे UTC
चोश्ये। साररधा। खमा। सारदाररमोौषहोवा (2)
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afcarmaarersaar: | aefesrati चद्नम्तारर
| वि मारदमाः। परषीरडोश्यि। राररधाः। मघोर। दर दश् १९११२१९
नारर४्भौ दोवा । विष्कतेर२४५ (३)॥ ७ * ॥ [४]
शर् ₹ द ९ Rt ॥ दक्षणिधनं मोक्षम ॥ खादिष्ठयामदिष्ठया। भौ शद ९, शद
SN ददश्चधायि। पवखार्रसो । मधारया | इन्द्रा ड ATLANTA | दोवाश्डा। नवे सृर४५ता ९५६; ॥(१) i १९२१ १ RT रेद् १ रकोष्ाविश्वचर्षणिः। Veta geo अभि र् १ शे योररनीम । अयोदतायि । द्रोणेसाररधारे। Wear र् LS CT et रेद् REIL स्थमासार२४५द्ा६५९त ॥८९) वरिवोधातमो UT शेर १
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\Wouwo ° Fo ,2,2] उनराचिकः । ११९१ | R र १ र र |: जशन्तमाः। पर्षिराररधारः। होबषेहायि। मघो
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९₹२४५ना६४६म । दक्रया २३४५ द) ॥ ४ ५॥ [५] | १्रट २ रट १ x श ॥ गौषुक्तम ॥ खादिष्ठयामदौ । दौदोवादायि । १ र १ १ १ wart wage: gata: वारयि । रा १ रश वांरे। दइन्द्रायपातषौरे। wafer sara
९ ६२९२९ १९ १
ताररः। शोश्वार२३२४भीद्ोशा। अभरिराङता २३ Bye e Pu [६]
BGS रकोषावौहोर। a शचर्षा चारयिः। अभिथोनोदोर। इया । अयोहातारयि \ PUTA | दा , शमासार्इदा ३४२ । sine 2९५१ । डा(२) ॥ १९ $19]
० UO आर We Yo BUTE | ¶ We Ato Layo Leo Lae | { अर Ale ररपण YGo ६दया०।
११२ सामवेदसंहिता | [११्०१अ*१५स्०१,२,२।
“at 2 «st ४ २ ९ १ श ॥ कास्ौवन्तम ॥ खादिषश्टारयामदिष्टया। wre द् ९ $ शद र 4
सो। मधारया३। भ्रो३४। दादायि। इन्दरायाररपा । RT र TRS भौडोरदध्वा। सूभतोदःयि ॥९ रणो
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हरवि णायिः। चभावियोनिम् | भयोदतारेयि । श्रो२४। ाशेयि। द्रोेसारश्धा | सखमोद्दोयि।
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चीषहोरडध्वा। ATA NTA ॥(₹२ वरिबोरेधातमो र् । ९९१ र १ Ss
भुवाः। मण्ापिष्ठोव्र। चडन्तमारः। भर ।
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श्वा । दयो५नोईदायि(2) ॥ १५५॥ [८] | ९ € श् ४३ ५, ॥ भासम ॥ खादि। छाशयामा। gar दायि § शद् RT 2 १ Brae! पावखसो। Al weer area; र श् द द्
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१अ०५य्द्०१स्०१,२,३] उत्तरा्चिंकः। ११३
४ र ४९ US Tet शाहेवायि। आा। ईया। वचार्षाश्णारेयिः। श ९ र्र् श्र र् भाभियोनिम। अ। यीरेचो। वादायि। शतारं wt द् श दर RR far द्रीणेररे। सारधार्डध्यौखोवा। खमासदा US ४ ५४ श् UAW) वरि वोरधा। ता। इया। मोमूर्वारः। र्द डर RT R १ मारद्िष्टाव् । च । Steet arene तमारः। पर्षा हिर दं ९ xT र रदवि। रारधाररण्मौहोवा | मधोनाम्(२) ॥ १६५॥<] र्र् < ॥ शे शंवम ॥ खादिष्ठयामदेष्षाया। पवखसोमधा र्र् ४
रया। इनद्दरायारेञ्श्पा। तवारेयिष्ट५ता९५६; ॥(९)
९ श॒ र ९ शे १ र = ४ रक्तोद्ाविश्चचर्षाणायिः। अभियोनिमयोदताधि। द्रौ
श्र | ९ २ 8 ९ x ब् णसारेदध्धा। सख्थमारसा५द्ा६५६त wR) वरिवोधात २ ९. %
< | । ana: | मरदिष्टोवउ इन्तमाः। पषिरारदर्श्धाः
₹ 8 मारेघोभनाई५दम. (ड) ॥ १८ † ॥ [१०] * Ho Blo १०१० १अ० १९सा०। † Ho Ao edo रथ० १८्सा०|
( १५ )
११४ सामबेदसंहिता | [१प्र०१अ०१५स्०१,२,३।
© शद ४ NAG mau आश्रोदोवाहायि। खादिष्ठया। म र्द, रर <
दायि। छया। रश्डेयेहो९। पावखसोमधारया 1 शे WAN | भारयि। भायिन्द्रारथापार। aT सू
४ द् १९६ र र ९९६१९१९१
रतारेदेऽभोष्ोवा। भ्एक्रश्चाङतार२४५; (2) ॥.२ ०५॥[११] ॥ सचासाहोयम् ॥ वरारश्यि । बोधातमोभवः।
+ | ९ |, x g , SI मररिष्ठोडृवदन्तारेमाः। wears रा र १ 3 रेष Rt 2 रदधाः। मोषा । वाहेश्यि। चोरेदध्नाश्शा faa) ॥ ९ † ॥ १२]
द् द ॥ खारकोत्छम् ‡॥ खादौद्िष्ठार२। यामदिष्ठयाई | २ र शर श्र १ २ श् शद `धा। पवखसोमधारया। पावदखसो । मधाराररया। र १ र
भायिद्धारहा। यापादेहा । तवेसुरहतार४३ः॥८) रशो ९ र रट श्र Peres! विश्वषषेणिरोया। अभियोनिमयोते। भा @ Go मार YoHe एषचन्रेन्साम। † KO Ate १११० cWe Cute | ‡ "रेरकोन्छम्'- रति wo पु०।
१अ०५०२सु*१] उत्तराचिकः । ११५
श्र tc श् . Py र् १ र भियोनिम। भयोहारर्तायि। द्रोणेदेदायि। साधा z श्र शर श्र ९
दहा। खमासारेददादैषटरत ॥₹) TASS! धा
तमोभुवद्रेया। मधदिष्ठोक़ृजडन्तमः। माएदिष्ठोव् । श श् १ शे | १ ९ श् १
चद्न्तारदमाः। पारषारयिदायि। राधोरशायि। मघो श् t
RRA । अोर२४५द | डा (३) ॥ २० w ॥[१३।१५
अथ प्रगायसूपे दितौय-सुके-
प्रथमा | १२९१२ ९१९ रे R १३ ९१२ पवखमधुमन्तमदृन्दायसोमक्रहुविन्नमोमदः।
१९ ३१ २१९१९
मदिद्यसतमोमदः ॥ ९ † ॥ हे “ara!” “मधुमन्तमः” अतिशयेन माधुर्योपितश्लम् “ogra” wera मदः” मद्करः सन् “पवस” wet wre? “Mafra.” अत्यन्तं प्रन्नायाः कर्मणो वा लश्भकः, “afe” मंहनोयः “arqaa:” अत्यन्तं दीप्तः “मदः” मद्- TA wee
० He Me RHOLWe ९० सा०। † Wo Te ९२४, १ (रमार १९१०} =क्र Fe ९, ५,१७,१९।
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११६ सामधेदसदहिता। [१प्र०.अ०१६स्*१,२।
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RBV ९३२१ ३ २३२२ २ १२ TMA GATT बभोडषायतेस्यपोत्वाखविंदः। R ३९१९२ 8H RT 8 RT १ 2 ३१२
समुप्रकेतोभ्रभ्यकमोदिषोच्छावाजन्नेतशः॥ २ *॥ १६ “वषभः” कामानां awa इन्द्रः, हे ata! “यस्य यं at “पीत्वा” “वृष्यते” वुषभ दवाचरति , farg “सखविदः'' स्वे जानतः “ae” तव † “पीला” पाने सति “q प्रकेतः Maas 4 “सः” इन्द्रः ठषभः TATA अत्रानि ^अभ्यक्रमोत्" अभिक्रामति। तत्र दृष्टान्तः--"नः' “एतशः [--दत्यश्नाम ( निष १, १४, १०) ] यथा भः “वाजं सङ्गामम् अभि गच्छति तदत् ॥
“ख विदः" “खटं गः'- दति पाठौ कृ ॥२॥ १६
१९ र ४ ४ २ श | ॥ ९ र रे ॥ सफम ॥ पवखवादमध्। AMAL इन्द्राय rt 2 ४ ४ २१ सौमार। करतुबादत्तारमोरे। मारेरदणदाः। AVTE । २ ९ श ४ ४.
दयु्तातादमो३। मा३४५दोई हाद ॥(९} मिद्य saa ।
@ We Fo 9, ४, १०, २। + ‘ame सोमश्चः- ति चि | t (चुप्रकंतः सुग्टद्धःः- इति वि०। ¶ “पोता? दति “अवं तः" == इति, “खद तः"- इति च RTT |
१अ०५ख०२सु*१,२] safe as ११७ ¥ Rg १ रर . . . २ 9४
मोमारेर$दाः। यस्छनपाद्रवाः२। वुषभोवारर्षा३ ।
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यार्रदऽतादई। WHAT । पीोत्बाङ्रवारः। बादेश्धरददो
४र५ ४ २१९
QUEM) अस्यपोशतवासु। वर्वारहेष्डदाः। ससुप्र
५ काटदूतोर। अभियाकरारेमौरत। आ३२३४दषाः | ₹ १ x २ ४ 2 ४ भच्छा । वाजान्ना३९२। ता३४५गो& हाद (२) ॥ ee ॥[१]
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॥ गद्ुसाम ॥ पक्क । TRl धुमा । AAT | < x R rt ₹ इन्दरायसोसक्रतुवित्तमोमारश्दाः। मारी रद्य AR? | wt ५ ४ ४ | तरोरद्थ्वा। ANTS UTA (९) ९ PW [र]
VR tx १ ॥ शद्ग ॥ पबखमा। एर। MATL नमाः।
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इद्राबसोमकतुवि्षमोमारदटाः। ATHY RT ATR तमोंरदे्व । माभदोदयि ॥(९) मदिद्य खा। एर।
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११६ सामषिदसहिता | [eter ast ६स्ु०१,२।
१ ₹२ ९ ४ 8 ५ स्या रपायिलत्वार२। सवोररण्वा । वाध्रविदोई डयि ॥(र) Vw’ ME र्द by अस्यपोत्वा। Tei सुवाः। विदाः। ससुप्रकेतोश्च R रे ९ भियक्रमोदा रदेयिषाः। अच्छा रवाजारदम । नभोर३४ ४ 8 ध aT! aruntewtfa(a) we ५ ॥ [३] श र ५ ॥ SATAN ॥ पवा३४। SATA: | श्रो | ॥ १ < < < 4 श वा । इन्द्रायसोमकत् विक्नमोमारदाः। मारशायि। ९ १ $ श्र, श्र १ x दय ररला। AAI वाहा९३ि। ATRavele श शे xc a | दायि NQ) महारेयि। दय रतमोमदः। «Mears ९ Tt Ss ABANATATNTAA रतायि। TVA gTeaka $ त्वा। सखुवौरश्डो। वाष्ारदयि। वारडध्यिदोरशा 2 रे << रवि 9 ५ १ fae) Sasi eras Wears ag
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तारर४गशोईखा वि(2) ॥ ऽ *॥ [४] | रर र ॥ इडानारसङ्गरम ॥ भोष्टोयिड्धवारशोयि । पष ४ २ २५ २ 8 ४ रेरर४ खमारधू ३ेमन्षमः। इन्द्रायसोमक्रत्बादेयिन्तादेमोमद्ः। श्दरर् ४ oe ` ओहोयिधवारशोयि। मदायिद्य even तमोमदः । श इडाररभा३। रडोडा। BVT Tat a [५] रे ४४ ४ ५ RF १ २९१ ॥ कालेयम् ॥ पवखारमधूमत्तमाः। इद्रायसो | र र् |. ४ 1 श्
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मशायिद्य् शो । वारधर्मोदेध्वा। तमोभमदाः॥९) म Best 8 hs १ र्
दद्य दकतमोमदाः। यस्यतेपायि । त्वार । FTI
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१२० सामवेदसंहिता । [१प्र०१अ०१६ख्ं०१,१। BT a 9४ अोर४वा। सुवाभविदाः॥(२) भस्यपोरत्वासुवविंदाः।
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समुप्रकायि | तोरदे। अभारयि। आर२४। कमोत । RT र ५
आदेयिषाः। अच्छावाजो । वारछोरध्वा। नए५त
STAT STS) ae tt [६] श ५ R च ॥ चावनम ॥ पवार३४। सखम धमाररश््मा + | x a g ४ र् र &:। ws आधविद्धायाररश्सो | मक्रत्वितमोमा
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५ १ र र २ दोरश्श्ायि। मदायिद्य.इक्ता२। तामाररेदादे३यि | x ४५ च मारदृ४दोईदायि(१) ts > ॥ Co]
१ श ॥ प्रतो Tse ॥ पवखमध। मारनत्तमाः। र्र् श्र र
आयिद्धायसोमक्रतुवित । तमोमदाररः। area
मिद्य ातादेमाः। मदा । Mawar ne) मदिबयुक्तत। र्रर T
मो रमदाः। ATMA ATT: । वुषायतारदश्यि |
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१६अ०५ख०२स्०१] उत्तराचिकः। १२१
RT र ९ र ₹ ९ . ९ ९ ४ ५ चादोयि। भष्टपोलारवाः। विदा । Bestar Ue) २१ रेर र्रर द द अस्यपोत्वासु। वारविदाः। सासुप्रकोतोषभिय। का श्र र १ र ङ २ श मायिदिषार४ः। हाशेयि । अच्छावाजान्नाञ्ए। त
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“शुषे -“शरुष्टि"- इति पयो ॥ १॥
wa fedtar : Rr शद ३ र आपयन्मररायस्पनसिरिन्द्रा यपवनतेसुतः। ११९ ®t श सोमोजेचस्यपे ततियथाबिदे ॥२५॥
“ama” agra “arafa:” भजनौयः¶ शतः” अभिषुतः “wa” “सोमः” “gare “पवते” चरति weifey चरति | ततः सोमः “Gwe” [ “शक्रियाग्रहशं कत्तव्यम् ( १,२, श७५वा ०)" एति कमणः सम्पदान-सभृत्ना, चतुय षष्ठौ (२, ३, १६) ] sate fae “चेतति जानाति। “aay” we: “fae” लो केन्नायते तथा जानाति॥२॥
@ वर We ,४,९,२ | t ‘orate: खाषदिता- स्ति fae)
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पथय दनोया।
श रेख ९ दश ₹ ३ अस्येदिनद्रोमद घा्याभङ्भणातिसानसिम । १२ FU? १९९ श र वञ्जश्ववुषणम्भरव्मपएसुजित ॥ १ * ॥ १७ “way” we सोमस्येव मदेषु" " स्तेषु “सानसि” ह नौं ॥ ०१ ५ सवः सम्मजनौयफु “प्रभ” welaat धनुः “ग्टभणातिः" weifa [द््होभंन्कन्दसि'"- इति भलम् ] fag “अप्सु- जित्” eae swe Sarg) यहा, -भापद्त्यन्तरिलनाम (जिघ०१,३,८) भनग्तरि्े भिनामकस्य जेता “इन्द्रः” “gee व्पितारं “ay च खकौय argu “auc” सम्विभस् [विभत्तरहागमः॥ ब्टभ्णाति”--“्डज्नोत- इति पाठी ॥ १॥ १७
Yt रे ४ 8 J । 4 ॥ पोव्कलम ॥ CRAB Aes 8 ate! ९९२९१ २, १ ५ ९१ र ॐ -
वुषाणया। ठदारारेदश्याः। शष्टादजाता। सदर
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¶ 5 विवरणकारस्त, यथागतं एमपदुजित्'--एव्येव पद् बद्यातवान्, नतु मिति अरदित्याद्ातेन आप णिदिति पृथनिति। तथादि- तमप् शित् wer भेष wat —tfa |
१२४ सामेदसंदिता। [१प्र०१अर०१०सु० 2,2, 21
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न्दार२३४५वा६५ €; सुवविदार२२४१५॥१) च
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AMET यथाविद २२४५॥८२ श्रस्येदोश्द्धोम। दा ३ ५ RT १ २ gt x श | ९
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॥ सुन्ञानम.॥ TART सुतादूमायि। वृषणं
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यारे। AAT | श्रुष्टे जातार। सदई। Tea र द् ११११ इश्रीष्ोवा। सुवर्विंदएरेडपार२४५ (९) ॥ ° + ॥ [र] रे , t< c ॥ रोहितकुलोयाद्यम् ॥ LRART स॒ताद्रमे। ` २१९ र ट रे श R
वषणंयन्तु CAAT HMA | BLE | दावःसुवा३९
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ङ -धा । ्माभङ्ग.भ्एतिसानसिंवज्चश्चाररेवा। धाररणाम |
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यिः। इनद्रायापार२। वतेसुताः। सोमोजायिचार२।
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स्यचे। तारेताररअहोवा। यथाविदण्२ ॥(२ Wa रर |
दिद्धाः। मदेषुवा। a UTR! तिसानसायि
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१२९ सामवेदसंहिता | [eel Mo CLG Wr ष् R ट र श् धद र् Hl वज्जच्वार। षणम् । भाररार३४अोहोवा । १ १११९१ समप्सुजिदे देडपारद४५ ह) ॥ ८ * ॥ [४]
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॥ प्रुष्यम_॥ इईद्रमश्छारड। ताश्मोवा । बुषा
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दाउवा। अधिया २ ॥९) शयम्भरारय। सामसोवा ।
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TRA वतेसनाः। सोमोऊचस्यचेततिय | था२३।
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ferent fear ne) अस्येदिन्द्रो रम । देषुवोवा ।
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UTTAR AUT! तिसानसायिम.। वज्श्च वृषणम्भरत्छम । र ष्ट १ ९ भररे। प्सुजाउवा। श्रुधियार। ए२९िया३४९।
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॥ ेडमायाख्यम ॥ आदन्द्राम । STRAT सुता
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WAG? 2,2) Bafa: | १२७ aa शद दमायि। ATMA! तुहरयाः। STAs! जा
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ता । सादन्दवाड१ः। स॒ ववारहेयिदा ३४३८९ ॥ १९ † ॥६]
र् र् ॥ ौपगवाद्यम LRAT सुताद मायि । वृष | 4 श्र र् श
Wiest | ALAA जाता सदन्दारद्वाः। सुव
क्दयिदाः nq) WTA । यसानसायिः। इन्द्राया र॒र र्द र्
रशा । वतेसतःसोमोजैचा । स्यवेतारदेतायि। यथा बार्रयिद्ायि ue) भब्मेदिन्द्राः। मदेषुवा। TTT
R x श R zeta, तिसानसिंबज्चश्चवा । षेणम्भारदेरात । स ५ ब् मष्डर्दजीत । े। हियारयि। fearassitear x १ र १११९ ९२। उपा२१२३४५ (३) ॥ १ ५ ॥ .७] श र
॥ देबोदासम.॥ इन्द्रा९१म । भच्छाद३१२२४। सु
AT: | अदेयिमायि । इषाह१। णं यादे१२२४। तुद ।
५ (io Ale LOMO VWe पलवार ` पक. Molen स्र tee ovo १अ० (ele | † He Ho pono wwe CUle |
१२ सामवेदसंहिता) [१प्र०१अ०६७स्०१.२.,२।
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रारेयाः। अ्टारश्यि। जाता३श्१्द४। सद। दार
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वाः। सुवार२१। विदारः। ओआरदृश्वा ue) ATR’ ३ शे र र्
म । AUTRE यसा। नादेसायिः। इन्द्रा३९।
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TUTE Ves | ATL BRAT | सोमोई१। जेता ४ भैर र
९३४ । WT) तारेतायि। यथा३९। विदाइ। श्री
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२ठे४्वा WR) MAA । इन्द्रोर१२३४। मदे । FRAT | RT र धर् : र, ग्राभादेश्म । शम् णा२१९२४। तिसा । नारेसायिम् ।
९ र ९ श ५ 1 R ट दे वज्चारश्म । चवार१९३४। षणम । भारेरात। समा
३९। WAAL भोर३४वा । ऊर३९पा(द) ॥१०५॥[८] र् < शब्
॥ विशोविभीयम ॥ इन्द्रमच्छटम | खरेताईमा । ह. ‹ R |, द् ।
यि। वादर्षाणीरेया। तुर। यःख्ररृष्टायि। Sar र् x “OR । x ह् x,
यि। जारता३। सारद्श्टदायि। श्रो। saat
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१अ्र०५खु०२स्०१,२,२] उत्तराश्िकः | १२९
४ R ९ र ए दार्रेथ्वाः। BAMA सुरवारः। वाररध्यिदाः Vz | ९ R रर् QA ॥( अयम्भराङम्। यादेसानसायिः। अ
र रेविन्द्रायारपा। वतेसु। तःसोरदमाः। ङम््ायि । र् R R 2
जायि वारे। स्यारदश्चेचायि। Ws वायि। ता ररछतायि। Bafa, यारथा३। वारदश्यिदाथि ।
श् ¥ र eS न्द्रो द् रर १ र
एिवाईचा Ne) भ्येदिन्द्रो मारे षुवा। MNF ९ द
Wo विसान। सिंवारेरेञ्चाम। sanfai are
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वा२। षारेरश्णर्हायि। अो। वायि। भार४
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५ श र ए AT रात । SANT! साइमा२। श्ुरदध्जोत । Ufa
| 8 fati दो५६। डा ॥ १*॥ [८] gt ut I ॥ साश्रङक्तम ॥ Wreaearerfs ईन्द्रमच्छा। र्रश्देदर९ सुताः। ईमे। Vee वार्षणंयन्तुदरयःश्रष्टा ° Ho मार We We wero |
( १७ )
१३० सामबेदसंहिता | [शप्र ०१अ०१७स्० १,२.३२)
र् र र ३२२ | यिजाता। श्दीयेद्ो१। wer साच्रारयिन्दावा R धरर ११९ र २ ३
₹रः\ Tal वारयिदारर्मौहोवा। शृएकाडता
१११९१ २२४५: (१) ॥ १० * ॥ [१०] RR ९ TVX १ जराबोभोयम ॥ इन्द्रमच्छावा। खलादमायि। -३९ शे र शद बृषाणाररया। तुरयः रेजाता। सभ्ायिन्दाश्वारदः ५. र् 54 Ql वः। बिदो४५र। Stu) भयम्भरोषा । या र २ | < wT TUX सानसाधिः। इन्द्रायाररपा। बतसुतःसोमोजेा। स्यं द् चायितारतपर्दयिया। था। विदो०५द । डा He) अ र् १ रर र्र् ९ स्येदिन्द्रौवा। मादेषुवा | ्राभाङ्गारर४म् णा । तिसान ४ | |
FTG AIT | षणाभ्माश्रारदत्साम । अ । पुजो५ S1 डा(२॥ ११ † ॥ [ee]
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१अण्१य्ु०४स्०१] उत्तराचिकः। १२१
र छ श २९ RT तादमायि । वृषणं यन्तु ECA ae: | शुष्टादे४्यिजा र ४ ५ ९१६९१ ५
ता। सदन्दवाः। Feats दा९२४५;॥९) अयम् ।
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भरा२४। शओ्दोभयसानसायिः। इन्द्रायपवतेष् VAT श्र रे RT 2 २ ४९५ सोमोरेध्जेवा। स्यचेतताधि। यारथावि। दा
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२३४५यि ॥२) असमेत । इन्द्रो२४। चअीहोभमदेषुवा ।
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ाभङ्गभृणातिसानाररसारेयिम.। वज् ३४अववा। षण क RAL
ATA सारमप्सु | जोर२४५्(३) ॥ to *॥[१२।१७
श्रध चतुथसाक्त प्रथमा ॥
१.१ रे ~ २ ert र । ज, x धुरोाजितोषेाअन्धसःसुतायमाद यन्नवे । २९१९ २ ३१ र देक रर्
अपश्चानश्रथिष्टनसखायोदौघंजिहयम ॥ ९ † ॥ ड “सखायः सखिभताः समानख्यानावा हे स्तोतारः Claw? aq “qafaa”’ [ पूव्रसवणंदौघः ( 3, १ ३८ ) | पुरः-
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१९२ सामवेदसंहिता [CA We CCH LRA
खित-जयस्य “ware.” भ्रदनोयस्य सोमख खभूताय “gata” भ्रभिषुताय “arefaaa” naa मदकराय रसाय “दौषे- farar” drat frst यस्य सः [ “etary च छन्दसि ( ४, १, ५८)''- षति ङोषन्तत्वेन निपातितः] ated खानम् “sq खधिष्टन" Waa WTI, यथा श्वा Waal a सृत सोमं न लिद्न्ति तधा wet: ॥ १ ॥
श्रथ दहितोया।
रर ३१२ ९१९ २ RR
योधारयापावकयापरिप्रस्यन्दनेसुतः
२९ ३९२३ रर
इन्दु रश्चोनक्तत्व्यः ॥ २ * ॥
“सुतः” अभिषुतः “acer” [ छलत्वौति कमंनाम ( निष०२, १,२०) | कमंणि arya: > इन्दः सोमः “पावकया” पापानां शोधयित्मया “धारया “परि प्रस्यन्दते परितः acfa कथमिव ? “sala” यथा wet वैगेन प्रगच्छति तत् ॥ २॥
भर ठतोया |
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लन्दुरोषमभोनरःसोमंविश्वाच्याधिया।
१ २९९ R यन्नायसन्लद्रयः॥२५॥ टः | Ra ee @ ऋ०्वे००,५,९,९। + ‘aaa: तिवान् रगवानित्यर्थः- एति fae ।
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१अ०५ख०४स्०१,२.,२] उत्तरार्चिकः। १२३
“नरः” कमनेतार ऋलिजः “दुर षं"* [रोषतिर्दिंसार्घस्य (rato Go) रेफलोपे दौर्षाभावे, भोषतेर्दाहार्थस्य (sare qo) वा घलि रूपमिति, सन्देहादनवग्रहः] “ae” बधं दुह वा सोमम् “भि ल्य “विश्वाच्या सर्वान् aratafearr, कामान् प्रापयथिव्याण “धिया” aw “ama” यच्चाधम् “अद्रयः सन्तु" अ्रदारणयुका्ुः भवन्तु ॥
9? ८८
ˆ यन्नायसन्तद्रयः' - यन्न हिन्वन््द्विभिः""--दति पाठौ ॥२।॥१८
३ 8 ? ४ र ५ ₹२ ४ ॥ शावाश्चम.॥ पुरा३१। जौ । वोञ्। धासः ।
र् र् श् ४ । र. YT एदिया। St तायमादा। यि । न्नवा रद । एडियार। श्र र् र्र् अपश्ानार्श्रारेथो३। षारदध्ना। रेदारद। डि Tet र
यार। सखायोदादघारंजो३। ङा३४५यो६ दाइ ॥८१) 2 रे २ द 4 सखा२९। योरदो। aft हारयम । शडिया।
र <x रे ,
‹ द् |: at) धारयापा। व। कयार। रिया २। परिप्र
° “दुरोषम् खतोवमित्यर्थःः- दूति fae | { ‘fasarar विश्वनामिन्धा- इति fae | ‡ “अद्रयः मेषाः edema, अथवा अत्रयः अभिषवगुन् शः, दूति fare |
१३४ सामवेदसंहिता । [१प्र०१अ-१८्स्० १,२,२।
२ 8४ | शश
स्यान्दारता३द । खररछ्ताः। WaT ec शएडियारे। \ : 8 र
इन्दुरशचोनारकारे। त्वा२४५यो९ हाद ॥(र) ERG ।
र 8 4 २ ४ ५ , र
Bat! नक्त । Aw! श्डिया। ताम । दुरो
र् श र ब् x श् ४
षमा। भी। नरारः। रएियार। सोमंविश्वाचोरया
५ र् र र र
धारेड्थ्या । शेदा रद । रिया २। यज्चायसान्त BAS | द्रा३४५यो ईदा (र) ॥ ११५ ॥ [१]
शद् ब् श् र् ॥ मान्धोगवम.॥ पुरोजितीवोश्धासाः। सुताय ।
श र ३२ ९
मादार्देया। इम्मा २१५२। न्वे भपश्चानसश्रथिष्टनार्
१११९ ९ |
२४५। साखार्डवा। यो रदो । घारदेजो । हियाम ।
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MRA NQ) सखायोदीर्धजाऽश्विहायाम.। योधा ष् र १९ र १ श्र RR
TL यापाररवा | BAUS | कयापरिप्रस्यन्दत सुताः |
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श्रादन्दार्डवा। आरश्चो। नारर्का। लिया । ओ
>+ Fo Alo LHe १० १६सा०।
१अ०५ख०४स्०१,२,२] उत्तरार्बिकः। १२५
४ ५ ९ x 2 R bg RV) इन्दुरश्चोनकाऽश्वायाः। तम्दुरो । षमा र र श्र र्द १ रे RV SMW नरःसोमंविश्वावियाधियाऽ१।
श् र् श् R | 9 ५
AMS! ALY) BAT RAL Weway
होऽ५दइ। STD a १२ † ॥ [र] BRT ४ ute
॥ नानन्दम ॥ पुरोजितोवोभ। ware: | Eg |
द ४ द् RB ९२४ ५
तायमादयि। arate अपश्वान्श्नयि | wares
४ ete ५
१ र ४चायि। samara! नोरदश्डायि। साखा
१ र ९ १ ut ~ x योटो। चधजोंररथ्वा । wraateefr ॥(९ सखायोदी
श्रद् ४ ५. घजि। हियादेम । atest धारयापाव । काया। 8४९०४ ut 8 परिप्रखन्दते। Batreverlat oftaered । सुतो
१ ९१ ९ x ४ 8
२२४द८दायि। आयिन्दूराश्चाः। नकोरदेश्वा। AT
† He Alo (Ho 1० १२सा०।
१ ६ सामवेद्सहिता | [१प्र०्१अ०्१च्स्०१,२,३२।
१४९ By ९ २ x UATE wT 2) इन्दुरश्चोनक्त । व्ियारेः। तारद्म । ष् ४ ५ दर ४२ णर ५ र दुरोषमभो । नाराः। सोमंविश्वाचिया। धियोरर्श्डा at ४ ५र श र
यि। सोम विश्वाचिया। धियोररश्दायि। यान्नायास्।
तुबोरश्श्वा। द्राभयोंईदायि(३) ॥ १८ *॥ [३]
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॥ गोरौवितम. † ॥ पुरः। जितारयि । वोभन्धसाः सूमायमाद विवार २यि। आपश्चामा३१२२म। अथा ५यिष्टना t साखायोदार१२३बि | घजोवा । eat दायि ॥९) सखा। योदादेयि । निङ्धयाम । ara रयापावकयार । पारिपर्या३१२३ । दता ५यिसुताः।
, ९ 8 ४ ४ ४ आयिन्दुरश्चा ३१२३ः। नकोवा। त्वाभयोईहायि ॥(र)
इन्दुः । THA नक्ृवियाः। तन्दुरोषमभोनरार३ः।
TR म ID —_— memento
@ He ao We एअ. cere, «= t 'मदानोरौवितम्- दति खर पु*
१यअर०५खग्४सू° ,२,३ | उ्षराश्चिकः। १९७
र्
श ॥ 4 8 १ र सोम विश्वार१२२। चियाधधिया । याज्नायसा३१२९।
3 + | 8 ध तुवोवा। द्राभ्योश्दायि.२)॥ १३५॥ [४] Re t= द u
॥ कात्तयश्म ॥ पुरोदादाउ। जाररध्यिनी। बो
श ध ४ ४
STMT! धासाः। स॒ताभ्रीरशोर। arate |
११ र र र् Bisa । दविन्नवे २। उपा। अपश्चानर्श्रथाशयिष्टा
। श ९ ४ ४ ५ र् रेना। सखाभौदोरे। Aare हइाउवा। घज ९१९१९११ र र डिगम । उपार९४५ ॥९) सखादाहाउ । योरर्दी ।
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BTM | इयाम । योधाभौरहो२। राया |
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र् खाउवा। पावकया २ उपा। परिप्रस्यन्दताश्यिष्
॥:
१ र र ४ ५ ५ र् ताः। इन्दृरोरदोरयि। अश्वाः दाउवा। नक
श ९१९१९११ १
frat: | उपार२४५॥(२) दन्द दाउ । भारेऽध्श्चाः।
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१३८ सामवेदसंहिता | [emo ११०१ प्सु०१,२,३)
ee 8 र् 8 र २१९ 9 २ ट भ्र नकारो! त्वायाः। aR! रोषादम । रर् र् ९२ . श्र सोमं द र् : इाठवा। WATE! उपा। सोमंविश्वाचियाश्धा रे है ४ ९ 2
देया। यन्ना थरेष्ोरे। यासा६। शाउवा । AIA: |
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Nada चेचम ॥ पुरोजिता। दायि । बोन्ध ¥ | ९ र. र श रे द् ध सकए । सुतारयमार। दयार२४५यि। नारदेवे। १९२९द् ९ ९९११९११ . र अपञ्रानश्नयिष्टना२२४५। सखायोर्ददौ । चजिष्टार
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योधा ररथार। पावा३४५। कार्या । परिप्रस्यन्द
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इन्दुरश्चाः। दो । नक्रत्वियाईए। तान्द् रेयेषारम |
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१अ०१ख०४च्०१,२,२] उसराचचिकः। ११२९ RR श् ४ {Tc aid RUT श्र VR अभा२४५यि। ATRSBTT: | विश्ाचियाधिया९।
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कार्या । परिप्रश्यन्दतं सुताः | इन्द्रश्चाः। AH १९९२९ १ ९
त्वाररेयार४्देः MR) दइन्दुरश्चोनकृवियाः। ATT TT
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रम_। अभार्य । नाररशराः। सोमंनिश्रावियाधि
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या९। यज्नायसा। तुबद्रार्वा२४२ः। ओरद४५द ।
डा(२) ॥ १०॥ [७]
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१४० सामवेरसंडिता। [eto mech qor,2,3 I
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॥ मधुश पर्निधनम ॥ पुरोजितीवोभन्धसषा२९। सुता
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Rl अपश्वानादरश्रायिष्टना२। दारहा। ओरेहोरे र र १ र र ९ र् र ई atl भयिेर। साखायोदा३। wewfri भौ We र् इदोरवा। यिद्ौर। aft) ङारयारेद्रीदो et द श द् ऽर श श
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२। दारा । ओहदोरवां। भायिरीर। परिप्र्यां श र ९ र ची २ र श ञे
` शन्दातेसुतादः। दार्दा। ओरदोरवा। श्रायिशे₹। १९. श ₹९ ९. gs २ र ९ भायि
भायिन्दुरश्चारः। हारहायि। ओरदोखा। आयि
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१अ०५ख्० ४ दु ° १,२,२] sues: , १४१ ४ 4 र् $ ४१ | श् श १ < | श् wizet i भोरशोदवां। भायिशेर। याज्नाथसा२। R र § | श \ Be. ट दाङदायि। चओदोरेवा । भायिशेर। aa zt
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॥ यश्ञायश्चीयम ॥ पुरोऽभ५जि। ताहेयिवोदभन्धा ५ शर् ९ २ . Xt साः। खतायमीौ । दारवायित्नादबे। ITA Ay
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१४२ ,. सामवेदसंहिता | [१्०१अब०्१य८्य्-१,२,१। शष्ट AT ९ २ १९१ ॥ बृ इटाप्रेयम ॥ पुरोजितोवोअन्थसः। ईेय्ईयादा
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सखायोदीर्षजिङ्ियम । टंयदयाशायि। योधार।
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Sua) आश्रीरणडो । दया NR) TETRA र् १२१ R z लियः। शैयदैयादायि। तन्दुरो। षाम। भाभावि
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रेद् ट A x ॥ ओदलम ॥ पुरोजितायि। वो्ाट्न्धसाः। सु
ह्र र १ २ श च चि १२ र १ तावमा३। दायिन्नारदध्वायि। भअपश्चानाम । श्रथा । ओ 8९
रयिष्टना। सखायोरदेदो२। घारश्जारयि। २४५
योर्शायि ॥९) सखायोदायि। चाजा रयिह्ियाम ।
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योधारया३। पावकाररश्या। fiat) दातार
4 श १ 2 t 8 R विसुताः। इन्दुराररश्वाईेः। नारेरेका३। त्वा३४५यो १ र रे
QIN) ETM नाकारत्वियाः। तम्दुरोषा
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१४४ सामवेदसंहिता | [११्र०१अ०१य्स्०१,९,३। १ र्शर Rg र ४
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श्रायिसखा। योदायि। प्रजद्ियाम । योधारया३१।
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QU | नक्षतलाररया३४३ ॥८२) अदन्दूः। TAT न
„ afaat: | तान्दरोषा३श्म । अमोनराः। सोमंविश्वा
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चियाधिया। यान्नायसा३९। हवद्रारेदयार४३ः।
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* Go Ale LOH १दअ० ३स्ार| + Ho Alo YoHe (Go IGfo |
6 १अ०५दख०४सु०१,२,२) उत्तराचिकः। १४१५
श र् ब र १ २ ॥ निषेधम ॥ पुरोजितोबोरअन्धसाः। सुतायमा।
१ र ४ | दयिन्नवारयि। इहा२। भापारश्वानाम। दाचोरर् a र् x र १ २. १ र ४ भ
्हा। शथिष्टार्रना। ददा२। साखाहेयोटायि।
र ४ ४ ९ रे ४ श॒ ब षदारोररश्दा। घजाइयिदापया६५ क्म ॥९ सखायो दर १२१ रर ९ र दोर्घारजिदियाम । योधारया । पावकया ₹। Tee! १ र ४ ४ a RT र र्
पारादयिप्रास्या। दाहोरेदष्दा। दते ररताः। इदा gt र ४ ५ ५ 8 आयिन्दूदराश्वाः। दादोरदृषहा। नकारर््वा५ RT १ या९५६; MQ) ईन्दुरश्चानारछ वियाः। तन्दुरोषाम । रद् १ प अभोनरारः। TATA! सोमार वायिंश्वा। Were ४. ९ र १ १ १२१ ९ र? ४ 3 Si) चियाधार्द्या। Teel यान्नारयासा। शहाहो % ९२ 8 ९ १११९१ VIBE । तवादे द्राभया ६५६; । द २२४५ (8) ॥ ६ * ॥ [१२] १२ १९ र ऽर् ॥ आनुपवाध्यृश्चम ॥ पुराःषुराः। जितीवोरे्रा 9 Be Alo Ue १ Calo | |
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१४६ सामवेदसदिता | [११०१ अ ० Lo १,२.२१
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RAR सूतायमा। दयायिन्नाश्वारयि। आपा रवि। भापारश्वानारम । अ्रथिष्ठारदना। सखायो
र् sf ४ र् a १९ ९ Bete घारदजाहेयि। ङा३४५योईशायि ॥(९) सखा र र र <
सखा। योदोर्घारेजायिहाश्यारम. । योधारया। पा
वाकार्यार। पारारयिप्रास्यार। दतेसुर्दताः। इ २९ र . 8
श | ्दूरादश्वारः। ATRRATS | त्वा३४५यो६हायि ॥(र) ९९ । १ र < १ २ _ . शद् egies: | अश्चोनाइकाच्वौ श्या रः। तान्दुरोषम ।
श र् \ R श्र अभायिनाश्यारः। सोमारंवायिश्रारे। चियाधार३ , ₹ २
। 4 8 ९। “ या। यज्नायारेसा३े। BRITA Flesyalewrfaca
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॥ बेतद्न्यमोकोनिधनम. ॥ पू्रोजि। -तायिवो 8 ४ १ श् श
दभन्धसाः। सतायमा । दयारयिन्नारेशेष्वायि |
{Oe मार १९१० रयन ११सा० |
१अ०५ख्०४स्०१,२,२] SUA कः । १8७
५ र ₹ र ९ र wT पारेश्चारहेध्नाम | श्रादथायिष्टारना। साखार्योदौषं । छर द
जायि। ङार्याररध्योदोषा ॥८९) सएभखायः। दा
¥ देयिर्षारजिश्िवाम । योधारया। पावार्कारश्ध्या |: श + ४, । ९ ९ १ २ २ १ २१२२ परारयिप्रार्स्या।. दारेतायिसहेताः। भयिन्दुरो. art
न। का। त्वारयाररशभौोवा Ne) ATsufsege ।
श्रोरनाइछछृलियाः। तान्दुरोषाम | अभारयिना९३४
५ ५ २ १ श ९ द् राः। सोमार बारे्यिश्रा। चारयाधादया। याना uct द
यसन्तु । आ । RRA २३२४ WAT Wares
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- Bure) Here ॥ [११५]
॥ सोमसाम ॥ पुरोजिता रयिवोभन्धसा;। सृता. श यामार। दयिन्नबायि। शआपारश्चानारम। अर्थि
्टना। साखा र्योदारयि। धंजिहारदयादृ४रम ie)’
@ Go Mle elms एर weg: † "बरत्सोम साम'--ष्तिखन्पुर।
१४८ सामवेदसंहिता । [१प्र०१अ०१८स्०१,२,९।
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श द॒ द् x सखायोदा eaafatseara । योधाररायारे। पाव
ह कया। पारारयिप्रास्यार। दतेसुताः। wf? ९ gt रे
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राश्वा रः। नञछत्वाररया२४२ः ॥(२) इन्दुरश्वो रनकछ्षति-
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याः। तान्द् रेरोषौ रम.। अभोनराः। सोमार्वा शर (4 श्
विश्वार। चियाधिया। यान्नार्यासार। तुबद्रारदे
९, १ यार्रः। ओआर३४१द। डा (२) ॥ १३ ५ ॥ [१६] R | ४ ॥ चासदखवम.॥ पूरर४ । रः। जितावि। वों १ र ५ WLR अन्धसाररः। सू२२४। ता। यमा। दायिन्नवा रे
© ५ ` श्र 2
fal भार२४। प। चानाम । श्राथिष्टनारर३। सार
३४। खा | योदायि। घाजिङ्कियारमाउ॥(? सा RT १
२९४। खा। योदायि। घाजिष्ियारङम । योर३४।
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धा। रया। पावर्कयारर। पार२४। रि। प्रस्या।
T He नाऽ २२१० wGe १३ ०।
१अ०५ख०४सु*१,२,२] THe a । १४९
RT AT = टाततुताररेः। भाररेष्यि। दुः। भश्वाः। aR
र ५ RT AT
व्विवारेहैः। तारेद्म । Tt रोषाम। आभोनरा 4 RT UC areas मम । fart चोयाधियाररे। या | 8 ५ RT + 1 ११११
२२४ । च्चा । यसा । SARATAYT | वा२२४५(२)॥१ ४५॥ १] BAC But Tt 2 र् ४
॥ जनिचोत्तरम.॥ पुरोजितोवोभ। धसारः। सु
र ५ श ब् | 3 ताया। शोयि। wit! मादाविन्नावारदश्यि। अ ४५द् RR ४ ५ १ र ररर ऽर श् पश्ानम । श्रयारेयिष्टाना । साखायोदीर्धजौ२। दो ATT BT भरर ३१यि। इारयारेहध्मीषटोवा ॥८१) सखायोदीर्घजि। ST दर ४ हियारेम. । योधारा। होयि। २। यापावकायार३४ ९४५ ९ 8 ४ ५ २ VAT ऽर् परिप्रसख्। द तारयिष्ठताः। आयिन्दुरशचोनकौ। हो Ut द ३४ र ५ ह २१। त्वार्यार३४अद्ोवा ॥(र) इन्दरश्रोनक्तं fa 1
Ure: | तन्दु रे । Wis eth षामाभीश्नारारर
@ He ना? १२प्र* Ye १४सा०।
१५५ सामवेदसंहिता | [१प्र०१अ०१य८्सु०१,२,२,.
दर ४ ४ र् श र ४ ४ १ र र gi) सोर्म॑विश्वा। विथारधाया। याश्नायसन्तुवोरे । ५ब. द्
WSU द्वारया२३४ ओहोवा। Fils aes
४५म् (2) ॥ ९ * ॥ [१८] ८ र BT UT ४ । ^ ॥ जागतर्सोमसाम ॥ पुरोजा ३ यितोवोभन्धसाः। रर 2 र् ९ द् सुतायामा२। दायायिल्नवे। sree! खादोयि।
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पश्चानरश्रारथायिष्टन। ओ । arefa, सखायो
दौर्धजिष्कियम्। दुरार। तिनाश््यदोवा ug) स
uti ४ र १ ®
खायोर्दौर्घजिदियाम । योधाराया २। पावाकया Ses] दादोयि। परिप्रस्न्दादेतायिततः। भो । RT रे र् x १ ९, चैष STU इन्द रशोनकृत्वियः। दुरा | तिनाडध्शरो
(+ ४९२४४ - भ
STAT ॥(र) इन्द्. रारश्रोनह्लवियाः। तन्दु रोषारेम । अआभायिनरः। भो३४ । areal यश्चायसन्तवद्रयः |
९ र र् SUR तिनादेश्मो्ोवा। उरइ्देपा(₹)॥ ९†॥ [१८]
* Go ATo (ae (Go दसा T Ho Ale Lave eGo दसा०।
१अ०५ख०४स्० १,२.२३] उन्तरार्जिकः। १५९१
२ wx TT १२ १
Nana aa > ॥ पुरोजितीवोअन्धमाः। सु
कि ॥ शर रे ९ २ र र तायमादयित्नाररवायि । अपश्वानर्नथिष्टाररना | स श्र 2 ४द द १ ११९११
स्वायोरेहदोर। ATR! जिद्धाङ्शअौीचदोवा। या२२४५ UT रेरर १ र॒ श ररर२१९ म ॥(९) सखायो दोधेजिदियाम। योधारयापावकार १ RIT १ ९ | देया । परिप्रन्दतेषरेरताः। इन्दुरारश्श्ारः। नाः ३ १ धरर ९ १९११ १२ १२्र२१९ छत्वारेश्यी दोवा। - या ९२५: ॥(२) इन्द Ta त्व । 4 < RU x याः। तब्द् रोषमभोनाररराः। सोमंबिश्वाचियाधार३
z र् श् & रे धर र
या। यन्नायाररसाई। दछर। अद्राहऽौदोवा। या ९९१९९६१ २३४५८३६) ॥ २4 ॥ [Re]
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॥ ाकूपारमं ॥ पुरोजारदई॑नोवः। अन्धारद४साः खता र्यमा। दयित्नवायि। भपश्वाना रम । शुथिषट
९९ १९ १ ४ 4 ना। सखायोदौर९। घाररजाह्यि। srgeyateer
@ TEM: WET TT — एति Wo पुर | † Se माऽ (EHO ?ख० इसा०।
१५२ सामवेदसंहिता | [१्०१अ०१य्सु०१,२.,२।
ध्र २ दे % Yt fay) सखायोहेदौघं । जिारदश्याम । ature श रर श् ब र र रया। पावकया । परिप्राश्छार२। दतेतुताः। इन्द, ।, % R 8 राश्वाररः नाररकार। ATRVAtle BTA ॥(९) दन्द
४र४ २ 8 ४ श्र रर् १ TOMA । कत्वारर्याः। तन्द् ररोषाम । अभोनरा दर् १ ट
सोमंवायिश्वा२। चियाधिया। -यन्नायासार१। दर
8 R । क दवारे द्रारे४५योईदायि(र) ॥ ८ ‰॥ (२१)
र र टेर ut ४ ५ २१ २९१
NATHAN पुरोजारयितोबो अन्धसाः। सुतायमा
३ ९ ९ ४ VR ue र ११९९
bl दया२४५१यि। त्ना२३४बे। अपश्वानरुशयिष्टनाररे १९ १ ₹ Rk | । १ 2
४५। साखाभोरेदेध्वा। योदामोररछवा। घजाभयि u ४र ५ ४ ४ र्र् १२१९
दियाम ॥(९) सखायोरदौ घंजिदियाम । योधारयारे ।
देर ९ R ¥ R १ रेर,९२
पावा३४५। काररथ्या । परिग्रषयन्दनेसुताशः। श्रायि ९ १ २ र ५
२ OR । ४ न्दा भोरेरश्वा। STATA RABAT) नकाभत्तवि
* Ho Ale १९१० UGe व्सार।
१०५० ४सू०१,२,१] उत्तराञ्चिंकः। १५१
+ २ ध्र ५ ४ ४. २ १ श्र १ श् याः NR) इन्दु रारेश्वोनक्कवियाः। तन्दुरोषारम.। अ श्र kt भा४५यि। नारद्राः। सोविश्वाचिया। fare २, ३ ५ १ ९ ५
यान्नाओ्रोररध्वा। यासाओ्रोररध्वा। तुवा ५ AT
satus! डा (२)॥ < *५॥ [२९] ₹ र् र
॥ सुलककालेयम ॥ पुरोजितोवोश्न्धासाः। खता
, श
, यमा३। दवयारयिन्नः३द४्वायि। अपा। अपार । र 8 ११९११
वार२। श्वानर्श्नथिष्टना९२४५। सखादोयियोरददौ |
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धाजिङ्कियम । इडा २२८) सखायोदोधंजा १ fast | क 8 94 R ५
याम । योधारयाहे। पावारेकारदश्या। परायि।
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परार१ । ATR प्रस्यन्दनेतुना९:। TFTUTATHB
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A) नाङ्घलियः। इडाररे॥(२) इन्दर ोनकाश््नौ
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याः। तन्दुरोषारम.। अभारविनाररध्राः । सोमाम |
© Ge Alo Leno १यअ० र्सा०।
( २० )
१५४ सामवेदसंदिता। [१प्०१०्१स्सु० १,२,३।
Xx २ 8k सोमा३१३। वार। विश्वाकियाधियार९। यज्ञाषोयि ९ १ | १ |
|. ARS | BARA इडार्रभादे०द। भोर । डा (र)॥ ९ *॥ [२२]
॥ कोच्चाद्यम ॥ पुरोजितौोयि | वोअन्धसाः
श्र सुतायमाई३। दायारयिन्ना५वा९५९यि ne) अपश्चानौ र्र् | । षो । आ्आायिष्टना। सखायोदा३यि। घाजारेयिडाभया । श्र wT श्र १ WT TC ६५९म ॥(९) सखायोदौदो। धाजिद्ियाम । योधा १ र 8 TZ 1 पावारकाभया६५९। परिप्रस्योद्ो। दातेख ताः। इन्दुर्ोरे। नाकाररत्वाभया९५६॥ (र) दन्द १ र् श्र १ र् x १ श रश्चौदो। नाक्ृवियाः। तन्दुरोषादेम । भाभाशयि 8 श्र हम १९ र WT UT ट द् नाभरा६५६ः। सोमंविश्रोदो। चौयाधिवा। यजनाय
१९२९ 9
BAL तृवारद्रा५वा९५६ः (३) ॥ ३ *॥ [VV]
कण नार १९१० रेख. CRTs | T Go मार १७. १अ० रसा०।
१अ०५ख०४स्०१,२,२] SuTree | TU
aT ६ रेद्, Ars ४ RC २९
॥ मौतमम ॥ पुरोजितीवोच्रन्धसाः। सुतायमा।
x Ac र दविन्नवार्यि। भपा। भौदोरहेण्वा। श्ानध्श्नयि ९९१९१ RR ४ ना२२४५। सखा। श्रौशोरर४वा योदा। ओशो BT देररेर RU ररश्वा। asTufafeara ug) wararerafefear श्र १२९९ म। योधारया। पावकयारे। परा। भौशोररश्वा । १ २९२९२ ट ९ ४ ९ 8 gt ्रसयन्दतेसुतारः। इन्दा। भौडोररध्वा | अशा । भी
रर, ३०४ ५४
SWAT नकाभविियाः ॥(२) इन्दुरशोनछलियाः
२ ६ रर शर र टद
तन्दूरोषाम । अभमीनरारः। सोमा । भौदोरशध्वा ।
ररर WT ९ र
विश्वावियाभिया१। यश्ना। teresa यसा। अ दोररधवा | त्वाधद्रयाः । MAE डा (र) ॥ ४५५[२५)
। शेः द्र x g ॥ आचेयम ॥ पुरोजितायि । areaezan: | = द॒ Veer २ १ R
तायमा। दयिन्नारेखवायि। जपश्चानम। ्राथिष्टा
@ He ATO He eGo vars |
१५६ सामबेदसरिता | [१प्र०१अ०?८स्०१,२,३।
श र् bs 8 % 8 धर ना२। सखायोर्दोरे। घजोवा। ङाभयोईचायि ॥.?) शद र् र्ठद र र र र्द र् सखायोटायि। चजिहारेदेयाम | योधारयापा। व Rt ९ g St रे रे कार्या । परिप्रख। दातेडनारः। इन्दूरश्श्वारः। a
8 8 | § र् । भकोवा । त्वापरयोद दायि WR) इन्द्रश्वाः। नकछृत्वारर
९ रर ९ दः # र्र् x याः। तान्दुरोषम् । भभोनारद्राः। सोभविश्रा । श्र , २ ९
चायाधाया २। यन्नायारसार२। त्बोवा। द्राभयो्डा वि (२) ॥ १७ * ॥ [२६] रर श्र ॥ ¶एद्ाश्द्धोयाद्यम ॥ पुरोजितौवोअन्धारसाः। सु
R र्
श्द्् R : g तायमा। दयि। त्नावारयि। आअपाश्वारनारम |
१ , १९ ५ ९१२ a १ _ श शअरथारयिष्टारेर््ना। सखायोररेदी। घाजिषशियम । T rx
TVR Q) Waratelefsreraaray । योधारया ।
पाव। कायारे। परायिप्रारस्ाे। दतार्यिदछ २३४
* Go Ale come rqe ogre |
© १अ्र०४स््० ४सु०१,२,३] उकराचिकः। १५अॐ
¥ ९ १ र ९ र् १ | र् ताः। इन्दुरारडश्वाः। नाछृत्वियः। इंडा२२॥८९) इन्द् x R १ रर रश्रोनकछलत्वाइयाः। तन्दूरोषाम । अभी । नारारः। ५ RUT 2 सोमांवाश्यिशखा३। Prareeregeat । यज्ञायारेरसा |
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FARA: | इडार्दभा२४२। भोर२४५ ।डा(२॥१८५।[२७]
५ ९ र र् ॥ दिरग्धस्तत्वा्ोसाम ॥ पुरः। जिताइ्यि। शा३ ` श्ट १ AT ९ ९ चायि। वोभन्धासारद४ः। सता । यमा३। शर्ट । Rr १ RT रे ९ र R दवित्नावारद्यि। भप। ATTRA डर्डा। अ ₹ १ धर् RT रे र ९ 8
थिष्टाना२३४। सखा। योदा३। शहार्हायि। घजाईे
थ् RT 2 WRB बा। शाधयोईहायि॥९ संखा । योदा३। र् ₹ २ १ Tar R 2 wrawfal धजिदायाररध्म । योधा। रया । we श् श्रर१ च र र R Wl पाव्रकायारर। परि। ANZ! दष्शा। द शरण R र
तङ्ताररटः | इन्दुः। WATS! शारदा । नकारशो eee
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१५६ सामवेदसंहिता ॥ [प्र १अ०१त्ख०१.२.२।
५५ 9 । ५ 2 रे BAB वा। त्वाभयोरई॑दायि NR) इन्दुः । Wares t
रे १९२९ ५ दर र र 4 खारा । नकछलत्वायार४ः। तन्द्। रोषारम । BTR १ RT १ < ४ ९ 8 अमोनारा२२४ः। सोमम । विश्वा । weet RT ९ at RR र ९
चियाधायार२४। AQT! यसार। दारष्टा। Aas
होर२४। वा। द्राभयोश्हायि(2)॥ १२५॥ (RE)
ष्र र्रर १ ॥ आशनिधनलत्वाटोसाम ॥ पुरोजितीबोभन्धसः। खु २5 <s १ © ATES | यमाहेदायिन्नावारयि। TAaTRel! दया
at र रयित्नारदश्वायि। भपश्वानारेधश्राथिष्टानार। आना ब् दऽ १९ 9
दरुहो । दथारयिष्टारश्थ्ना । सखायोदोहेघाजिशाया
RAL सखारदोयि। योदोरदे४दायि। घारजार
ut द श् १११११ १ र ect ्रीदावा। हियारमार२४५॥१९) सखायोटौ्धंजिहि 2 श्र RS Ts ९ 9 3 र
यम । योधीद्ाड। रयाशपावकायार। रयारडो।
ॐ He Ale Rone rWGo १२० |
१अ०१९सु०४स्०१,२,३] उत्तराच्िकः । .. १५८
५ १ RR , OTaTRATRVAT | परिप्रस्याडन्दातेडतारः । प्रस्यादषहो | @ र Ts १ ॐ दतारयिखठररताः। इन्दुरश्रो ेनाक्षत्वायारः 1 इन्दू
at र् aU | अश्वोर्ददायि। ना रकारेरध्ओीदोवा। fa १९ ११११ ९ २१२२१ र ९ यारअा२२४५ ॥(र) TWETAAR Aa: | तन्दृद्दाड । रो TS १ २ षाद्मभोश्नारार्। रोषाररदोयि । अभारयिना९३ “ र्द ss १ ऽर् ४्राः। सोमंविश्वारेचायाधायार। विश्वारदोयि। चि „ द ४५ . ९ १७ cy s यारधाररथ्या। यन्नायसारन्त्वद्रायारः। यन्नाडदो ड ¥ १. 8 ४द द् R र वि। यसोरदशदा। ट्रवारर्मौद्ोवा। द्रयारे्ा १११९१ २२४५२) ॥ १२४ ॥ [RE] श्र र NAAN सखायोदायि। सखायोदायि | ate श रर र् ९ : दयाम । योधाराया२। पावकया । परिप्रास्या २ । श
|, 2 ओन्दाताश्यिदधता S: | चओडन्दुराररेश्चाः। नाछलियः।
. R R इ डारदभा२४२। ओर२४५६ STS) ॥ १ † ॥ [Re]
* Bo Ale RIO We Alo | T He Alo wwe Go Late |
१६० सामवेदसंहिता | [१प्र०१अ०१८स्०१,२,१।
४ 8 8 श् कङुबत्तरं थक्नायन्नोयम.॥ . पुरोऽपजि। तारयिबोड
8 ५ ङ् श् श श् १ |
अन्धासाः। इछतायमा। दारेयायित्नारे। अपार ब् श ॥ 4 १६ र श
atl नरश्रारदथा। Bafa Slew साखायो bs a” १ र श्र २
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टोषेजारयिह्कियाड Ng) यांयाः। धारया। पारा २ श् श १ श zg
काडया। परारयिप्र। स्यन्दारदेता। ङम्मायि। ख ९ ९ र 4 ९ १ ९ दताः। अायिन्दुरश्रो नकारत्वियाउ ॥.₹ यास्ताम ।
१८२ र |, र र् १ दुरोषाम.। आरभायिनारेराः। सोमांरवि। aren
R । र् ws < RR रदेया। म्मायि । धेया । यान्नायसन्तु वारद्रया
१९१ उ। avy) We ‰॥ [२९। | eet ४ दर रश ४ ॥ अभ्या ाक्रूपारम ॥ पुरोजितोवो भ्रन्धसः । परद < एर र
रोजितौदोभयिवोभन्धसाः। सुतायमादविन्नवे | Se |
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तायमोदो५दयिल्लवायि। अपश्वानःश्रथिष्टनम। wT
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१९अ०५०४सु०१,२,२] उकत्तर।चिकः। १९१ श र ४ Ro र र रोर्घजिङ्धिपम % २२४। पञ्ानो दोभश्रयिष्टना । सखायो दौर्घजिश्ियम । ष् द रद रे ४ । श द्. सा२२४। खायोदो डोज | ङाधयोश्हायि ॥(१) सखा
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योदोधेजिडियम । सा९२४। खायोदौहो५र्वजिश्िया ST श थे श द्
म_। योधारयापावकया। योर३४। धारयौशोभपा ४ ९ ४ ९ 8 द॒ ४
वकया । प॑रिप्रष्न्दतेसुतः। oes) रिप्रष्यौहो५न्द
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तेतुताः। इन्द्र श्ोनक्ृल्ियः। आरदध्यि। दुरश्चौ
३०४ ९६ ४ x Sas त्वाभवोईदायि॥.र) दन्दुरश्चोनक्षतियः। Re Re र ५ सारेरे४यि । Stara: | तन्दुरोषमभोनरः। ४३ द ४ तारद्म ।. दुरोषौहोअभौनराः। सोमंविञ्राच्याभि
या। सोर२४। मंविश्रौहोभवियाधिया। यन्नायसन्त
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५ 8 x ४ ry द्रयः। यारर४। चन्नाप्रसौशो५न्तुव। द्राधरयोदडा
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१६२ सामबेदसंदिता। [१प्र*१अ०१य८्स्०१,२.३।
Bete Ut द et छर ५ ॥ श्येतम ॥ पुरोजितोवोभ । धसारध्ओओदाषा। स् दरे र् . तायमा। दयायिल्नवारर्ध्यि। भोषशा। wl पाश्चा र् , रद्
र्नाम । BALA Besa Taratarfaats
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जा। SAMA! डारयाररऽअदोवा.र) ॥ ऽ © wel र द् ॥ नीधसम ॥ ` पु९२४। रोजितीबोष । धासाः R rt 2 श र 4 र् ष्र्
सुतायमा | दाहेयायित्नादेवे | भार्रपा। आरा । नाम । ह
शयिष्टा रदेधना। सार्रेखा | योदौषं जोरदश्वा। डो ररयाम (१ Neg [38]
१ x १ श्र . ॥ मदादै्धतमसम्॥ ETS: | जायितौ । बो । अन्ध र् ‹ र् १ c x
Ge: | अन्धसाः। त॒तायमादयित्नवे भपश्चानरुथा
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हारयारदध्ौषोवा ॥(९) WISTS! योदौ। चा ।
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स्यन्दतायि | grate | सूताः । VST ओओोनका २। आनकारे। लार्यार्९४बअौदोवा WR) हाविन्दूः । we । ना। होवियारः। कछवियाः। तम्दुरोषम मोनरस्सोमंविश्ाचिया। धाश्यार। धाया९। य्न
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दै २२४५८३२) ॥ १२ *॥ [३५] १२ श श॒ रेर ॥ मरायम. ॥ पराः। जायितोवोभन्धसः। सः। सः। १ र x
सृता। यमा। दयित्नवेअपश्वानरशुथिष्टननन। सा
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पावकयापरिप्रषटन्दतेसुतः। तः। तः। We अ
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१९४ सामवेदसंहिता | [श्प्रण्१श्रग्१स्स्०१,२,३॥
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धसः। सुतायमा। ei fread यिलवे। fae
श् < Rs श बे। अ्रपश्चानम । श्रा। यिष्टन। यिष्टन। यिष्टन।
सखायोदो | धा । fafeaa_. नजिह्िवम । fate द द द २७ १ यम ॥(१) सखायोदौ। घा । जिङ्ियम । जिरि
द॒ र् < ९७ g < यम । जिङियिम.। योधारया । पा। THAT! बक < < R$ शद् स = या। वकया। afi att तेसुतः। ATT! त
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श्रय पच्चमसृक्-
WaT | ९ ९१९१ ९ ९९९ अभिप्रियाणिपवतेचनोदितो १ २ RV ९१६१२ नामानियष्ोभधियेषुवधेते | श्र ६१९ १ड ३ Way way wale २१९१२ रथंविष्श्चमर्ददिचकषणः॥ १ †+ ॥ ` „= Bo ATe २१९१० १अ० रसा. | । न र्ण्खा० ६, २, ९, १ (२भा० १७१ पर ) = Wo Fo 9, २, १९, १।
१६९९ सामवेदसंहिता [प्र०१अ०१९स्०श।
(च नोहितः'” [चन इत्यब्रनाम, चायतेरसुनि चन इत्यौशा- दिक-सूज्ैण निपातितः चने vara हितः, यदा भाहितान्रः सोमः प्रियाणि" जगतः प्रौणथिदुरि “नामानि नमन- भौलानि, तान्युदकानि “श्रभि पवते” अभितः करोति। “Sy” भरन्तरिक्ख्धितेषु उदकेषु “aw: मद्टानय सोमः “भधि- aed”? अधिकं प्रहद्चो भवदि, अपां मध्यं सोमो वसति खल् । ततः “aeq” महान् सोमः “बतः” महतः परिठस्य ‘qhea” विष्वञ्च” विष्वग् गमनम् “अधि रथम्” उपरि रघं “वि चन्तणः'' we fazer “श्रत्” भारोहति “am प्रास्ताहतिः सम्यगादित्य सुपति ठते ( मनु ° रअ्र०६ योग)” sfauen
we दितौया। १९६२९ ९६ रे श् १२ ३ . चरतस्यजि््ा पवतेमधुप्रियं
३१९ रर ष्२े ३१ श्र
वक्तापतिदिंयोश्रस्यामदाभ्यः |
९ ९१९२९ २
दधातिपुच पिनोरपोश्याऽरेन्नाम-
९९१६९ ९ ९६२९ ९२
ठतौोयमधिराचनन्दिवः ॥ २ *॥
@ Wo He ०; २, WRI
१अ०५ख०५स्०३] swefaa | १९
“gaa” सत्वमुतस्य यत्नस्य “fawn” सुखत्वेन जिह्वा स्थानौयः सोमः “fra” प्रियकरं “मधु” मदकरं रसं * पवतेः" wef! कोशः? “amr” शब्दक्लत् ; यषा, स्तोमिः क्रियमाणाः waa साधौयस्व इति प्रति्रवशस्व कर्षौ “अस्या धियः” एतस्य aaa “पतिः” पालयिता “अदाभ्यः रप्षोभिदिसितु ane: “gal? यजमानः “fra” पिता माता उभयोः † “satay” अन्तहितं यत् “नाम तौ न जानते नाम कर्मवेलायां तस्मात्तयोरपरित्रायमानं “fea:” gana “रो चनं" Saar “ad” नाम सोभेऽभिषूयमाण हिरषमयेति “afy दधाति" saat घार्यति ; “aat-ara- इारिक-नाख्नौ प्रभाष्य सोमयाजो ada मस्य ata’—rfa भगवता बोधायनेनोक्षम् ॥ “श्रधिरोचमम्--““अधिरोचने'- षति पाठौ ॥२॥
रथ ठतोया।
९ 2 १ रट १ श अवद्य॒तानःकलशारअचिक्रद
१९ ९ श्श्ख ३१ २९१ र
न्रुभिर्येमाणःकं शभादिरएये ।
° मधु खादुतमं द््बम- इति fae | † (मानापिजोनाम, waar मातापित्रोः पृथिदन्तरिचयोः- एति fae ।
१९८ सामवेदसहिता। [शप्रण्१अण०्१९्य्*र२।
8२ हट १२ ९१९ इ १ अभो WAS Tea अनूषताधि १२१९२२९ ९२९ तरिपष्ठडषसो विराजसि ॥ ३ # ॥ १८ “द्युतानः” [qaetat (tate sto) ] दौप्यमानो “afin”
कमनेढभिक्तिग्भिः “हिरण्यये” हिरणमयकोओे अधिषवग्ट- ware; तस्य हिरख्मयत्वं “हिरण्यपाणिरभिषुणोति“- दति हिर स्य-सभ्बन्धात् ; तादे “arn” “Qarai” [area कश्मणि लिटि arafa रूपम्] नियम्यमानः सोमः † “कल- शान्" द्रोणाभिधान् प्रति “अवाचिक्रदत्" भवक्रदति शब्दा यते । ततः “ऋ तस्य" सत्यभूतस्य ane “दोहनाः” दोग्धार ऋत्िजः “sa” सोमम् “भभ्यनूषत” अभिष्टुवन्ति [ “ग्रावाणो वसा ऋलिजो दुन्ति"--इति तेत्तिरौयक-बराह्मये एषां daa मभिहितम् ] “तिष्ठ” जौणि सवनानि ताग्धेव पुष्टानि यस स॒ तथोक्तः { fay च सवनेषु सोमस्य विद्यमानत्वात् । चिवक्ादित्वाद त्तरपदान्तोदात्तत्म् | € सोम! तादशस््वम् “उषसः अ्रधि" यागाहनि “विराजसि” [ “भधिग्ोडःखासाम्
° We वे० ७; २, ३९१ ९। + ‘Gar: खुयमानः-- र्ति Fao | ‘fare: fagra जिलोकावद्यानः ; अथवा विपः कछ्यनःसामनिः ; अथवा विभिग दरे खवनेश!'- इति वि०।
& १अ*५ख०१५स्०१,२.,३] उस्षराशचिकः | १६९
( १,४,४१ )"—sfa हितौया ] तेष्वदस्छ विषेण दोप्यसे । यहा राजिरन्तर्णोतश्यधंः ; अहानि प्रकाशयसि ॥ ` येमा णः" -'येमान"- इति, “श्रभोच्छतस्यः भौमतस्य
—<fa, “विराजसि"“-“विराजति- इति पाठाः ॥ 2 ॥ १८ R tt
UATARs ॥ अभ्यावा। प्रियाणिपवनाई। warer
| .". , र्रर । इता रः। नामानियद्धोभधियाई । gaalarer |) आ ४ भ
ख्यंस्यनृहते। बृहन्नापोर। राथारं वादृश्वा | चम्
। १ ९. ४ ९ । WRAL ATE STRAT SAUTE NS: MQ) ऋनेवा । स्यजि र ₹ ९ १८२ इ ! चापवतादू।* मधुप्राया र्म.। वक्तापतिडियेभस्माः। RT १
Ro र अद्ाभायारः। दधातिपुच्चःपित्राः। अपोचायारशरम ।
१ 2 ४ ५ ४
नामारतान्नों। यमधादरोार३। चानारन्दाऽ५यिवा६५
TUR) भवावा। ब्युतानःकलशा९। अचिक्रादार
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त. नृभि्यंमाण कोाशच्चा। fecenarert ware
° खारकावम्"- दति we qo | ( २२ )
१७१ anaes fear | [११्०९अ०८१२ सू०१,२,२। र श्र १. ye. ४ ४ २ १ ARSTRAT | अनृषातारर। भाधौदेचाशूपा । STAT
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2 8 सोर२। वाद रारेजाऽ५सा९५६९६ (द) ॥ १३ wt (९)
॥ रेडकाबम ॥ २५। अभिप्रिया+ । पिपवतायि।
3 ४ रं & 8 धष श् | र शद छ 9
२५। चनोहिताः। wi नामानियार। Craft
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Wa) Wal विचक्षणाः ॥(१) ऋतद्यजारयिः। इ % 8 8 8 ४ र ४ पवतायि। wl मधुप्रियाम.। ए५। वक्रापतारेयिः। शर् % 8 sc & 8 ४ र ४ ५ धियाषस्याः। ए५1 अदाभियाः। २५। दधातिप्रत.। Rv ५ ४ ४ द ५४ ४द जअःपिषोः। ए५) अपोचियाम । ए५। नामदतार
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+ ` ३ ४ ४ ¥ । ५ Ae | नःकलशा८। १५। अचिक्रदात । Tl ननि श र ४
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ueys 4 eta ॥ वेखानसम.॥ अमिपोश्याणिपवतायि ante श्द श्ट २ १ साः। मामानियार३। शोश्रधियायि। इवाडतायि । WT RV = श १९१३६ ९ भासूरिया। स्व, एइता२२। शृदन्रधायि। रथादि श १९१९१९१ % BT) वमर्द्ारेदत । विचश्चणा ३४२: ॥८९) WATER Bouts ४ ९१९ ₹ ९ १ श्र र ९ Rt
जिद्धापवतायि। मधूप्रियाम.। वक्तापताररयिः। धियो
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अस्याः। आअटाभियाः। दधातिपम । चःपा रयिचोररः।
* Ke Ale ९१" UGo रेषा. |
१५२ सामेदसंडिता । [१प्र०१अर० १८स्०१,२,२।
९१९२ २ र १ ९१ At = द. भपोचियाम। नामादढतायि। यमधिरोा२२। चखनन्दि र ४ २ stags ४. : Rk R श १९
वार४रः ॥(र) अवद्युरतानःकलश्ान । भचायिक्रदात् ।
TL शेर ९ ` १ ९२ १ ९३२९ न् भिमार३। warn दिरा्ययायि। waite ९ > ए ९९ २ ^ x १ 1
ता। सख्या रदनारहैः। अन् षता । अधायित्रिपा।
९२ १ ₹२ द ?
उषसो २९। विराजसा asa fa BWreeeyke डा(२)॥ १८५॥ [३]
व on = ४३ ` ४ १ ४ ` ॥ यन्नायन्नोयम ॥ भअभाऽभयिप्रि। यारणारेयिपव ५. ९ र x र॒र x | ₹ 2 तायि। चाऽनोदितानामानियाद्ोश्रधियायि। ya र् र rc . 9 षः र् बारेतायि । . भास् रयस्यनृदतेृन्न । भिरारदेथाम । ९ ९ ९ ९ „ ९ २ १ Satta । वारयिश्वा। च। मर्ददिचारशषणाउ ॥.९) णा
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|: | 4 इ ^ र् Lg ? आ । तस्यजिद्ापवतेमधुप्रियं वक्कापतिर्हिंयोञ्रस्याः। आ
° Ho Alo १४प्र० १यअ० र्ल्सा०।
© १अर०५यख०५सु०१,२,३] SH Ufa: | १७३ ९ शे श्
१ १ द र दाभाश्याः। दधा रतिपुच्ःपिचरीरपोचि। यन्नार्
२ ९ ९ १ र क मा। Safa तारा । arafatramefears ॥(र) ९ शे १ <=
वाभा | AAT HAT UAE ATT काशमा | wefan | अभो रूलस्छदेडनाभन् ष । त
९ १ ९ १ ५ र ,९ भारेरधा। Safa जारयिपा। छाउषसोविरार्ज ९ „११११
माउ। वार२४५ (२) ॥ १५ *॥ [४]
१ २ १ १ , ॥ वेधुतवासिष्ठम ॥ अभिप्रियाणौर। प। वतारयि ।
R धै PTEUT ₹२ ९ चनोषारेरश्यिताः। नामानियादोर। अ। भियार RRR ५ TUT FL fal gagikaemfat भासूरियास्यार। ब्, wat ९ zR ¥ २१९ ९
२। बृषन्नारश्श्धायि। रथंविघा्चार्म। Wl र्दा
रेत । विचार्ता५णा९ ५ ई: ॥८९) कऋतस्यजायिष्ठा २।
@ Ho Ale १६१, १अ० १४सा०।
१४४ सामवेदसंहिता i [१प्र०१अ०१८सु०१,२.,३। 4 RRR ४ २१ १ ? प। वलार्यि। मधुप्राररध्याम । वक्तापतायिन्ञौ ₹।
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यः। SAR | अदाभाररथ्याः। TUTAATAT: |
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far चोरः । भपायिचारदरध्याम.। नामहतायिया ₹
९ Hi अ। fatter चनाइन्दाभ्यिवा६५६ः॥८२) भ
१ ९ ९ 8 | AQATATR: | Al लशा्रे। भ्ायिक्रारर४्दात |
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नृभियमाणारः। को TRI दिरण्यारर8्यायि ।
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अभोखतास्यार। दो । इनारः। अन् षारदेश्ना IT
धिचिपाष्ठ ₹:। उ । षसोर१। विराजा ५ सा ९ ५६ fas) ॥ १४ * ॥ [५]
इति सामवेदाधै-प्रकाओे Suture प्रथमस्याध्वायस् Twa: खण्डः †¶॥ ५॥
© Go alo १९० १अ० UBIO! 1 ‘Sw Waa’ — दति fae)
१अ०५ख०६स्०१] उत्तरा्चिक | भथ षरे GS, TARGA प्रगाये- प्रधमा |
९१९ रे १९ र ९९१९ २ ९९२
यश्चायन्नावाभग्रये गिरागिराषद रसे । १२९२९१२९ १९ १२ RR ९१ र्द
्रप्रयमग्टतश्ातवेद A Ae AAT FATA Ie Hl हे स्तोतारः! “वः” युयं “aman” ak aw सब्बषु यागेषु “दक्षसे अग्नये" veered “गिरा गिराः स्त॒तिरूपया वाचावाचा स्तोत्र कुरुतेति Ta: । च शब्दो firma वः-शत्य- स्मात् परो द्रषटव्यः। यूयं “a” स्तोत्र geal “वयम् ` अपि ` शप्रप्रथंसिषम्" [“श्रसमुपोदः पादपूरणे ( ८, १, ९० )""- इति प्र-ब्दस्य दिरिः पादपुर णाधां ; व्यत्ययेनेकवचनम् ( १, ४, श्ट); चान्दसोलुक् (७, १, ३८) ] aware कौटशम् ? “waa” मरशरहितं “जातवेदसम्” जातानां बेदितारं जात- प्रशं जातधन वा “faw a” सखिभूतमिव “प्रियम्” भनु कुलम् । यदा, व्यत्ययेन (३, ४, ec) तमिव्यस्य amen: ; अम्नय इति च atte चतुर्धा, “क्रियाग्रहणं कव्यम्" ate: सम्प्रदामत्वात् ; ewes चरिति निपातः, चेदयं waa; दशस इति च ewafwartra: (tate ute ) अन्त
@ We Got, 8, 8,0 ( ६मा० ६४० YO) = Wo Fo 4,5, t, 0 अम्ि- TMMATATY a: Stazen’—cfa fre |
१७६ सामवैदखंशिता । [१प्र०११०२ण०्स्०२।
भीषितस्छर्षाक्षङि रूपम् ; चणश्-योगात् “निपातेगदयदि इन्त ° (t,t, २० )”- इति निषात-प्रतिषेधः। awa मर्धः-हे qa त्व यन्न यन्न द्म ममि गिरागिरा स्त्या स्तत्या ष दत्से च॒ वद्ैयसिः चेत् ` वथमपि ˆ भरखतत्वादिशुणक a प्रशंसामः॥ १॥ `
। , भय हितौया।.
९ र PTR. VP ALT WTAee रर श १२२
ऊञ्नोनपात्धसदिनायमस्मय हश मडव्यदातये |
९९१९ ९ RUT २२३२९८२९ २९१९१९२ YAH GAA AG धडतजातातन् नाम ॥२५॥२०१
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१अ०६ख०१सु०१,२] उत्तराचिवःः। ` १७५ तम् “sa” अपिच (तनूनाम् तनयाना मस्मत्पुताणाच्च
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१९८ सामवेदसंहिता | [१्०१अ०२०्*१,२।
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१अ०६ख०१सु०१,२] उत्तराशिकः। १७९
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१अ०६ख०रस्०१] उत्तरा्धिकः। १८३
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“aa वोनि"-“.तत्रासदः” इति पाठौ ॥२॥ wa ठतोया |
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१ wo Fo ४, ५, २४, २। T wo Go ४, ५४, २४, ३। ‡ विवरशनये “पृतस्*- षति पाठः। तरव पूतं पावनादमकम्*-दति
ग्धाष्या तम्।
१अ०९ख०२स्*१,२,२] उत्तराचिकः। १८५
Sar दश्ममामध्यः करोतु ह “नेमानां पते" नेमशबष्टो- ऽल्यवाचो, मगुष्या्णां मध्ये कतिपयानां यजमानानां # पते पालक! “qa” श्रतः कारणात् “ea.” [दुवस्यतिः परिचरण- कर्मा (निघ ३, ५, ५) ] अखाभिर्यजमानेः ad परिषर्ं “वनवसे” सम्भजस्व ॥ Q ॥ २१ ‘ yr र २ ४र ४ ४ gt श् ॥ साकमश्चम ॥ TYTAAATATETATE | अग्र्ये श रर श AUT REE: | WAT RTART । सयाररहा २४दद् । दू » ४ $ २ 8 श॒ ५४ ५ श र्भोरहाई। य चक्श्वचतेमा्नाः। दकन्दधसउन्ना x र tz © R र स्याम । तचा रयानाईम.। कशणाररहारेथडद् । वार् ५ ५ ५ रे ४र ५ ५ १९ र् सोई हाई (a) नदितादेदपूर्तमकाईदपात । | AT ब॒ र श र् श |,
मानाम्पा SATE | अथा रदुवाः। वना ररेदा३४३द् । वा
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धैसदन्दू२८। भौहोषा। दहारश्श्ायि। भीषशोर१र भोः। fener ag यचङ्ुवाभीशोषायि।
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१अ०६सु०शस्०१,२] wowfsa: | १८ॐ
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प्रयंमा | ३१९१९ ९ २ शख २१९२ ९१२ TATA AHURA SHCA | ९ ई ९ १ र
वजिश्ित्रदबामदे ॥ १ *॥
रे “agai” fay सवने वु प्राुभू तत्वा दभिनव ! रे “बलिन्” वजवचिन्द्र ! “भरन्तः सोमलचरेररखवां पोषयन्तः “वयम् ' “faq” qaata विविधरूपं वा “तलासु mata “अवस्यवः र्ण मामन LSM सन्तः “हवामहे aware: aa दृान्तः-“खटृर a” यधा भरन्तः तरौद्मादिभिग्डंहं परवन्तो जनानां स्थर Be गुणाधिकं “कच्चित्” कद्ित् पुरषं यथाद्यन्ति तत् |
“वजिन्”-“वाजः"- इति पाठो ॥ १॥
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उपत्वाकमेन्रूतये खनोयु बोग्र्क्रामयोभुषत. |
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त्वामिद्धयवितारंवब्रम र TSI ATA A ॥२†॥२२
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१८ सामबेदसंहिता। [१प्रण२ब्रन्२र्सु० 2,2 1
प्रथमपादः प्र्यचचक्ततः। हे “दर्दर! “कर्मन्” अग्नि्टो- मादि कमणि * “अतये” crud “a” लाम् “उप” गच्छामः" । दितोयः पादः परोश्चक्ततः । “यः” इन्द्रः “षत्” धुष्णोति शतुनभिभवति [“जि धुषा प्रागल्भ्ये (ate पर), “aga छन्दसि ( २, 8, ७३ ) "इति शप्रत्ययः] “युवा” तरुणः “उग्रः” SEU: स इनदरः “न अस्मान् प्रति “चक्राम” ATT “EG; यद्वा, चक्राम श्रस्मानुक्छादयुकान करोतु [क्रमतेः सर्गं व्यत्ययेन. परसरौपदम् ]॥ परोऽदैचः प्रत्यक्षक्लतः। “सखायः” समानदख्याना वन्धुभरूता बा वयं “सानसि” [“वनषण qual (ayo प°] सम्भरजनौयम् “अवितारं सवस्य रचितारं “त्वामित्” aaa “वहम” दणोनह . सम्रजामहे । “fe” प्रसिद्धौ [हि-प्रयोगादनिषातः ( <, १, २४) UR UR
श् ४ धर ४ ४ रर् १ ॥ सौभरम ॥ वयारेमूरत्वामपुविं योवा । WTA 2 १९ ॐ ४ चिद्व रारन्ता अरषा२२। हो । स्यारेदृध्वाः | वचिश्ि्रम । द् t q ५र द् र्
WAM | मारशारर०अ्नौ डोवा ॥८९) वचारा
8 +. i ४ ५४ श < " x 7 श ॐ LAUTAN | उपत्वाकम्मन्नुतारयादूसना २ रेः | ९ श ५ १ श $ ९ ध. 3 ‘STK ARWAT उग्र्क्रा। मयोरषारद् । धार @ (वरयाम् , SUE: Swed तख सम्बोधनं इं कन्, - र्ति वि । { "हषः, समौपे खिला - एति fae ।
१अ्र०९ख०शस्०१,२] उन्तराचिकः। १८८
ध्र र् z ४ द॒ ४ ५ षाररश्मौ डोवा ॥८९) उग्रारश्चारक्रामयोधुषोवा । त्वा R ५ १९ र् मिध्यविता ररांववार२। STi मारद्श्हाई । सखाय § R az र् श १ र Cl द्रसारदाष्ट। नारसार३४ श्रोदोवा। Wee १९९
8 ५८३) ॥ १९ * ॥ [१
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चिद्गराररे। तादेः । भअरा२३४। व । स्यादृवाः। TAT
यिन्वितौ । बा ३४३ भोर्वा। दवाभमद्ायि ॥(१) व
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1 ? + | 8 श् धर ४ छ रेऽदओखध्वा। मयोभधषात (2) उयश्ारक्रामयो । , २ १९ रे धुषात । त्वामिङ्खायि। अविताररे। राइम। aT र् ? g
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१९० स्प्रमषेदखंडिता । [श१्र०१अअ्र०२२सु०१.२।
अघ चतुधेढचे- प्रथमा ।
२ RH रेद् cote Ss TRAE ९९ ९ श्रधाहोद्रगिवंणउपत्वाकामद्मद ISAS । RR ३2९ २९१९२ २
उदे बम्मन्तडदभिः ॥ ९ *॥
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“suite” सम्प्रति हि “ar” at कामे मवम् “Kae” । यदा, “ara”? कामान् कमनोयान् स्तोमान्
काम afwafaa-
“Sodas” उपङजामः लां प्रापयाम इत्यधेः । तन STAT माह- “उदेव” यथा उदकेन ^“म्मन्तः गच्छन्तः पुरुषाः "उदभिः" अश्नलिनोत्चचिप्योदकेः GANTT पुरुषान् क्रोडार्थं ७ € संख्जति तददित्यथः ॥ ८८ oe >? _66 9 9 poe ति कामद्महेसखग्महे”-“कामा खअदस्छखउमद्'- इति च पाठाः। ““उद्ेवग्मन्तः""-““उदटेवयन्तः"--इति च पाठो ॥ १॥
श्रथ featar | १ 1 TRU VLE १२ भवडन्तिग्ुरब्रह्माणि।
ह् श र् १२ र नादृध्वारुसञ्िदद्िबोदिवेदिवे॥२ 4 ॥
० we wre ४, १, २,८८.१ ८२९ Jo ) = We Ge €, ॐ २; १। + We ब०६,०२ २।
१अ०्६ख०४स्०३] warifem: | १८१
डे “भरद्विवः” वजिन् ! “शूर इद्र! “वाणं” यधोदक- मुदकखानं “यव्याभिःः adi: [“अ्रवनयः, 'यब्या-इति ( निघ ° १,१३, १-२) नदौनामसु पाठात्] “वशन्ति” वयन्ति, तथा “ब्रह्माणि” स्तोतव: * “वाहष्वांसं” “चित्” यथा निङ- ` दकं देशं aati: लथा न किन्तु प्रहदमेव “ला” at “feafea” wae वयन्ति स्तोतारः ॥ २॥
अघ Sarat |
१६९२९ ९११३११६ ९६९ १ REV
युच्जन्तिहरोद्रषिरस्यगाथयोरौरथउरूयुगेवचोयुजा |
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TRACTS ॥ ३ †॥ २९४
“ace” गमनशओोलख्येन्द्रस्य “saga” मष्टायुगे “ou” wefa “cu” “omar” wea arvaum “aga qa ea युज्यमानो “खविदा” ante मिन्द्रस्य खानं जानन्तौ “ea” wanna “गाथया” q स्तोषरेण
स्तोतारः “चुष्छन्ति'" सयोजयन्ति॥
° श्रह्चाणि अन्नानि, afequenf वा, शोन-अखाि aafe बा-इति fao |
न We Fo ¢, 0, 3,281 { “wa नानधस्"- इति fae |
4 भावव, Cavey बव चनख्त साने द्यम्, मायामिः- दूति fare |
१९२ सामवेदसंहिता [१प्र०१अ०२३ सू०१,२,३।
“उरयुगेवसोयुजादनद्रस्यधाहा सखर्विदा"--“इनद्रवाहा वचोयुजा” —xfa पाठौ 12 1 RB
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॥ नामा धम ॥ अधारोद्धगिवणारए । उपात्वादेका ।
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३४मोः। «UATE RT NY) वाषीत्वायव्यामोररे। वर्ह र्
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SUT! दा२४। Wear भराञ्चौरशहो२३
४ ५॥८‰॥ [र] ९३ ति सामवेदाथ-प्रकाओे उस्षराग्रन्यस्य प्रथमस्याध्यायस्य qs: खण्डः f ।
eo खान alo १०१० We Gyto | † ‘afeata उक्थखोक्तः। Veal चब्रहयर-समान्नायन ऋम्-समानायेन arafer: | carat afacrat ame —tfa fro |
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१९४ सामश्रैदसद्ित्। Awe प्रकाशेन तमो ere निवारयम् 1 य॒मा बतुरोरेवाद् विद्यातोव-मदेग्वरः ॥ ११४
॥ इृयुत्तराचिके प्रथमस्याह्ं -प्रपाटकः 7
‘fa यौमद्राजाधिराज-परमेश्वर-वेदिकमार्मप्रवत्तक- यौवौरवुकष-भूपाल-सास्बाज्य-धूरन्धरेण सायणा- area विरचिते माधवीये सामवेदाव- अकारे SHUT प्रथमोऽध्यायः ॥
© मृत लवा पाकः सात, मतु परपाढकः; विबरर ह्धतेऽपि ase ।
यस्य निश्वसित ter यो वैदेभ्योऽखिलं जगत् ।. निमे, ane वन्दे वि्यातौर्घ-महे श्रम् ॥ १॥
॥ अद दितोयाध्याय आरभ्यं ॥ 1 तव, पान्तमाव इति प्रथम-खण्डे- ढचामके प्रथमे सूक, प्रथमा |
रु दए२ ९ १५९ ९१२९ श्र श्र
पान्तमाबोख्न्धसरग्धमभिप्रगायत !
र £ ₹९ ९१२९१ र
निश्वासादरश्तकतमाधडिष्ठ-चषणोनाम ॥ ९५॥
चे ऋत्विजः ! “a” युषरोयं “अन्धसः सोमलतयमन्र' “श्रा पान्तम्” भाभिमुख्येन पिबन्तं [पा पाने (म्बा षर); wea: शपोलुक् (2, 8, ७२ ) ; “सवं विधयन्डन्दसि विक- स्पप्न्ते--दइति “न लोकषाव्यय (२, ३. ६५)--एतिष्ठीः प्रतिषेधाभावः; ततोऽखखस इत्यस्य “कत्ते कमणो; (२, १२,
° We Wo २९, ९२, १८ ६भार १५५ Uo) = We Fe €, ९१५९६
१८६ सामवैदसंहिता 1 [शप्र०रे्र°१स्०१,२।
६५) - इति ष्ठो। ष्टो] सोम माभिसुख्येन पिबन्त मेतादशम् “न्द्रम्” “अभि प्रगायत प्रकषण afred | ater? ^विश्वासाष्ट" सवां शचणामभिभवितारं सवषां भूतजातानां वा, अतएव “शतक्रतुं बदुविधप्र्नान बडुविध- कर्माणं वा “चषंणोनां” मनुष्याणां “मदिष्ठ” धनस्य दाढठतमम्। यदा, यजमानानां य्टव्यलेन पूजनीय मिन्द्र भगायतेत्ययंः ॥ १॥ शरध हितौया।
J १२ ११९ € २ १२ पुरश्तम्पुरुषट तङ्गाथान्याऽरऽदसनश्चनम । २९१९ र
इ््रद्तित्रवोतन ॥ २*॥ हे ऋलिग्यजमानाः ! “पुरुढतं”” ayy बहुभि राहृतं “aga? agit: स्तोत्रणस्रादिभिः स्त॒त मतणएव “area” गानयोम्यं गातव्यं “सनत” सनातनया प्रसिदम्,यँः एवंविधं देवम् “canta” युयं “न्रवोतन' हुबौष्वम् [श्रम् व्यक्तायां वाचि ( भ्रदा० Bo )-इत्यस्य afe व्यत्ययेन ( 2, ४,८८)
ध्वमस्तमबादेशः, श्रतणएव गुणः ॥ २॥
° wo Fog, ९, १५, २.
+ 'जाथानि जोच-शक सन््रालि, ताभिः नोयते यः स arg: तं नाथान्वम्'-- दूति fao |
‡ सनण्ष्द; सडावाचो, सदेव पिभ तम् - ति fae |
८
२अर०१ख्०१स्० १,२.९१] उक्षरार्चिकः। १८ ॐ
श्रध ढतोया | ९९९९१९२ ३१९ र ३ श्र रर् ¦ ओ 1 इ द्ररन्नोमहोनान्दातावाजानान्ुतुः । Rt २९९ १९ मदारुअभिन्नायमत ॥ २५॥ ९ “sag” पूवोक्तलच्षण इन्द्रएव “a” weet “महोनां मघोनां धनवतां पण्ठादि-लत्षण-धन-युक्ञानां “वाजानाम्” अत्रानां “दाता भवतु । कोटम् ? “ag.” [ “दिखदयोःक् पौ --दति aaa, छ खम्डन्दसः] wie नत्तयिता" ; यदा [2 नये, (क्रया ate wo) श्रोशादिक-तु-प्रत्ययः, धातोः कस्तन्डान्दसः] maar गवादिनेता; अतएव “महान्” स इन्द्रः “afira” भभिगत-जानुकम् भ्रस््भ्यम् “खा यम त्” भायच्छतु eg! यदा स इन्द्रः श्रभिन्रु भ्रष्मदभिसुख मागच्छत श्नं खद्स्तयोः परिष्य््य way नयतु,-धनं ग्टहोत्वा wane ददालिव्यर्थः ॥ “मघो नाम्”-^मद्ोनाम्'"- इति पाटो ॥ १।१
R 8 र ॥ वेतडनव्यमोकोनिधनम ॥ पाऽभन्तम.। आहवो ४ ५ ष्ट 9 ,१ ५ १
SATA: | WTR । प्रगारयाररृ्ता। विश्वा
ॐ We Fo €, ९; ९५, ३।
+ ng: नुम्योडितः-- सति fro |
‡ “भिश्च समस्य श्नाताः- इति fare |
¶ “खायभत्- यम् बन्धने, सं" जगन् कमं सवे पायनं जनाति -एति fe J
१९८ सामषेद्संडहिता। [ध्प्रग्रेश्रन्र्सु*१॥
„ भर ९ १ रे र १ ९ १, श रसाररे४दाम | शादेताक्रारेलम ।॥ Alea + । | 3 ५द द् | ४ र.
णाद् । नारमाररे४भोडदोवा॥(९ MRR ताद्म्यर
४ ५४ १ र् R ४, शद ESATA । TERATA | FEB रदृश्ताम । गाथा
४ २ © रे रे श र १ रे श रनारेरथ्याम.। सारनाख्र इताम.। TEAR) वा भर र् Zi तारनारेरश्मी दौवा ॥(र) आऽ५इनरह्त । नोर
२ ४ ५४ ₹ ४ yc
माइदोनाम । भाद्रद्रदन्नो। मार्शोरेरष्नाम । दाः „ १ ५ ९२ २ ९ १ रेर १ ९ tx तारवाररण्जा। नारश्न्ारनः। मादारबभिन्नु। भा ।
ATT १६१९१
यारमाररध्च्रीद्ोवा। ओऽकारर२४५;॥ १८५॥ [१
` श्रध हितौयढचे, प्रथमा ।
९१९१९ ९१९ २३ ११ प्रवद् द्ावमादनददयश्ावगायत |
१९ Re र द सखायःसोमपाव् ॥ १4 ॥
© qo Alo He १० AUTH | † We GY २२२(१मा० WSs aewe He B UH CI
RMo LWorgqor | उत्तराविकः 1 | १९९
हे “सखायः” सोलारः ! “वः” qa “Ceara” इरिनाम- काश्लोपे ताय “Meare” सोमानां ae “area”? मदकरं WAHL GH प्रगायत ॥ ११ sa featar |
रख „ ९ १ ९१९ ९ ९२१९९ ३६६२ शरस दुक्यरसुदानवउतद्य ंयथानरः।
३ ० चरमा सत्यराधसे ॥ २४ ॥
“sa” अपिच हे wat: “geraa”
“सत्यराधसे” qaurmaaiap “saa” Was “यथा नरः” waaay ¶ “aa” a: साधनभूतं स्तोत्र शसति,
तदत् ब्मपि शस" sata! इदिति पूरणः$। वय
शोभन-टानाय
मपि “aaa” स्तोत्र करवाम॥२॥
Owe Fou, ३, १५, २|
+ "सत्यराधसे--राधः WN घनं वा, VT | सत्याच्नाय, सत्यघनाय, सत्य याय वा-इति fae |
‡ (डकथं-उकथानि सामानि, | उद्धातः! माद्र सामानि। wea Sey WATS AER Ue! रकवचमं nates, उद्यजाति गख ।-- «fa fao!
¶ qe नरः- यया मठष्याः। TANT षष्ठो स्ने व्रटया यथा मरुष्यख afer: ज्िथते--दति fae |
§ qe ये प्ररत se sfaarece TET वाक्यपुररा आमब्डनि पदपूरण मितत अरेधवनर्थं काः कशो मिटहिनि""- इति निड० Fo १, ९ ।
Voe सामवेदसंहिता | [ ewonmoar° Wo ४४२४२ l
Ty satat t १ र RWG ९ १ रे AALS TATRA MAHAL | श १ ३ १२
त्वरदिरण्यय वेसो ॥ २५॥२ 4 दे “awe! “a” “नः” ware “वाजयुः” अव्रक्ञामो भव | डे “mamma बडविध-कम्वननिन्द्र! ४ "ल्व" “नः अस्माक Cra.” गोकामो wal & भवसोः वासयितरिन्द्र- त्वं हिरण्ययुः” हिरण कामोऽपि भव । [ छन्दसि परे चछायामपि ema (ate २, ३, ८ ) - इति क्यच् ॥३।२९
क, ५ १ ॥ शाच््यम ॥ प्रवदन्द्रार। यमादारेरध्नाम । प्रवा द ५ २ र
VERT) Dee याररध्मा। दारनाम। इरा
र ४, ४. २ र ०4
श 2 RMT भोदेहो। यारदश्गा। यारता। Tare |, me 2 र् श । 8 ४ y ATI ANIL ATATRRVAT भाऽधवुकदा
g ९२ ए । र
TQ) शरस दुक्यारम । सुदानारदृश्वाद । शरसा
#@ Wo Foy, २, WH, RI + 'नोरौवितेः सदेवार्॑म्'-एनि fire | ‡ qratt—esie: ऋतुभिरिटवाम् यः स भतक्रतुः। अथवा कतुरिति कंनाम प्र्नानाम बा, बदरी बङपरन्नोवा'-दति वि |
२अ०१ख्०२य्०१] suawfeas २०१
R र् - दे इ ५ २ ९ Rs! ओरदोई। Swett Mar छ = १ रे ३ ५ २ र R तार्दयुक्ता। Wes यारेरश्था। awe च
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A रे. श g चर HAI A Wesel त्यारोररध्वा। धाऽभसोष्दा
९ 4 v8 ५ १ १ TNR) TIAA । इवाजारर४य्ः। तुवा रन्नभा । रे श ४ ९ र , R
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ar र् १ फ़ QUIT शाररेध्न। क्रादेताउ। AaTeefer ची ९ ् ४ ४ „ ५. | | UTS | प्यायोरद्श्वा । ATSUATT ATR) ee see भथ दतौयदटचे, प्रथमा |
२९१९९ ९ ६२२१ ९१९३ ९९ १२
TAHA ASAT RATATAT: |
११९ ३ ₹ ३१२
कणएवाउक्थेभिजरम्ते ॥ १ † ॥ दे “se!” “ara” त्वामामनद्च्छन्तः “सखायः”
समानस्याना वयं “तदिदर्था?” यददिषयं स्तोत्रं तत्तदित्, तदैवार्घः
‡+ He Ale शप्र एयर र्र्ला०। † चण We २०२, २, द् ( १० ८३० प०) ह्र Fe ५,९, २०,१।
२९ )
२०२ सामषेदसहिता। [wre RWoR Gor |
प्रयोजनं येषां ; तादृशाः सन्तः “ar” at “जरामद्” eae । “उ” इति पुरणः । “area.” कण्वगोद्रोत्यव्राः भ्रस्दौयाः gaizaa “उक्थेभिः” oar: aa: “जरन्ते at wafer ५ १॥ wa दितोया। १२९ १दर्र १२१६ ९ ३१ नघेमन्यदापपनवजिन्नपसोनविष्टो । रेड दर १ र तवेदु स्तोमेश्चिकीत ॥ २ * ॥ हे “अजिन्” वजुवबिन्द्र ! “aoe.” wafer: ata “aq” सम्बन्धिनि “नविष्टौ” afwaa यागे quarts Cay’ त्वदहिषयादग्धत् wa “नषेम्”¶ नेव “श्रापपन्” अभिष्टोमि [ पनतेः स्त॒तिकश्मणः (sate ato) oma शलि रूपम्] ; “ade” तवेव “स्तोमे: स्तोमं wha “चिकेत” अभि जानामि || लामेव सवेदा स्तोमौत्य्धः॥ २॥
9 Be वे०५, % २०,२।
† “qrg”—tfa wana प्रथमं नेषब्ट कस् (र, Ud!
‡ “तव-बषष्वा fertare azar ato ° ° चिकेत- इति fae । ¶ न, 4, ए्स'- र्ति aaa उपसमःः- दति fate |
§ 'व्लोनीः-कलुभिःः- शति fae |
| “चिकेत--चेतनां क्कः इति Fao ।
२अ०१ख०३स्० १,२,१] उत्तराञ्चिकः। २०३
अघ ठतोया।
९१९ ९३१९ ९ VAR LT
इश्छन्तिरेवाःसुचन्तन्नखभ्ना यस्पृयन्ति । १ ३६२ RUN यन्तिप्रमादमतन्राः॥ २५॥३१ “gai” सोमामिषवं gaa यजमानं “देवाः इन्द्रादयः wa “इ च्छन्ति” रच्चितुम्, “स्नाय न स्पृहयन्ति सभ्रावस्थान्तख्व सन्बतो नेच्छन्ति सवेदा प्रव इमेव grated: [सगे रोषितः (१,४, १९)" इति कनि agit; wekwrat चरादि ददन्तः] waa मतः कारणात् “Nat: अनलसा देवाः “sare” प्रकषण each तदौयं सोमं “वन्ति मन्न ्ाञ्ुवन्ति॥२॥ ३ . 1 2 BF ४ १९ ॥ काएवम. ॥ बयम्रत्वातदिद्थीः। श्डिहार श् १ R R
वयमुत्वातदि दर्थाईन्द्रलायन्तःसखाररेयाः। कार « ९ ९ % २४प्वाः। Gl क्याद् । भिञ्जरिडध्वा। रन्तादया
११११९ रर ४ र ५
२३४५ ॥(१) नघेमारेन्यदापपना । रेदिहारद। aa eo बृह० Fe ४,९, Fo, RI + MUS ETH! करवस्याषंम्- ति fixe | t श्रमाद्--मदमोद नप्ता वित्य दं पम् | प्रक्पेखतप्यम्- दति fae |
२०४ सामवेदसंहिता [्प्रन्र्अ्रण्४्सु०त१।
दर RR श् ष y मन्यदापपनवजिन्नपसोनवारडदष्टाड। ATR ३४बेत। < र्रर ४ रर् १११९ 2k
Bl RVI मंशोररध्वा। RATS AT Ss 8 yx (2) + र st ङ् ४ शद ‹
इच्छन्ता रेदद वाःसुन्वन्ताम | रहिचा रद | इच्छन्तिदेवाः
< २९१ 8 ९ . x
सुन्वन्तन्नख्रायस्य॒दयाररन्तो। यारेडध्न्तो । प्रा। मा। श | 8 र ११११
TATRRVAT । तन्द्राइया २३२४५८२) ॥ २० * ॥ [१] २
¢ ^ श्रय चतुधटचे, प्रथमा |
RecN Re aie ग्द्रायमदनं सुतम्परिष्टाभन्तुनोगिरः | RRR R १२
अकमचन्तुकारवः ॥ १ † ॥ aga” [मादयतेः (feo, ae) क्निप् ] भदनगोलाय “न्द्राय” तदथं “ga” सोम “a.” अरस्मदौयाः “गिरः” स्तति-
८८
लक्षणा वाचः परिष्टोभन्तु [ स्तोभतिः स्तृतिकख्मा ( निघ° ३, १४, ४)] सोमं स्तवन्तु। ततः “कारवः” स्ततिकारिणः स्तोतार श्च “शरक” सवेर्च॑नीयं सोमम् “Way” पूजयन्तु॥ ११
@ He Flo tHe rGo Ye Bo | THe We २,९,२,४ (गभार १९२९ पुनो Bo GG US 8 |
We १ ख ° ४सख०२,२] उ्राशिकः ॥ २.०५
sq featat |
२ ९२९ ९९९९१२९ WWW १२
यस्जिन्विश्चा ्धिञ्रियोरणन्तिसप्रसर्सदः।
Rk eye
दण्द्र८सुतेहवामद्े ॥२*॥
“afar”? इन्द्रे “विष्वा सर्वाः “खिवः' कान्तयः “af” अधिक भवन्ति भ्रतिगयेन तेजघ्वोत्यथः"। किञ्च “an” सप्तसहयाकाः “सं सद्" सम्यग् aay कर्यकरणार्थः सोदन्तोति सपदो Saar यस्मिन् “cafe” सोमप्रदानार्थं रमन्त; mer यं mater स्त॒षन्ति, तं पुवाक्रलक्षणम् “इन्द्र ” “ga” सोामेऽभिषुते सति हवाम्दहः वय सोमपानायाद्यामः॥ २ 4 |
44 Sarat |
९ र १९१९९ १ १ V_ १९१९२
चिकंदुकेषुचेतनन्देवासोयश्रमन्नत |
श र्र् ६ R १२ तमिद्डन्तुनोगिरः॥२१॥४§
, ° ऋच वे० ६, ६,१०,५। | + ‘afafag:—a खधिचिताः aga: —vfa fae | { ‘ynduc:—enfaar: ; GQ उद्वातारः, Cal, Faraqs:, ब्राद्णाच्छसि, Was: —vwa कऋत्विजः'- दति fae | , ¶ ० ये०.६, ९, १९, १। $ “खव aay साम'--दति Fao |
२०६ सामवेदसंहिता । [१प्र०२अ०४च्०१,२,३ ।
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देवासः” देवाः इृनदराद्वः “faaxey” भाभिश्जविके- ष्वहःसु स्योतिरभारायुरिति विकद्रकाः, # ततु “चेतन [ चिती सज जन्नाने (म्बा, पर) | चेतन्तिजानन्ति waa स्व गदि कमिति चेतनो न्नःनसाघनो यन्नः तम् “waa” अतन्वत स्वे: @: waft: wade विस्तारितवन्तः [ag विस्तारे (aate, उ० ) लङकि “aga छन्दसि (2 ४, ७९) दति विकरणस्य लक्, “तनिपत्योन्कन्द ( €, ४, <€ )--इति
उपधालोपः “तमित्'' तमेव यन्न “a.” अस्माक “गिरः” स्ति-
$ (€
BAU वाचः “वरचन्तु' वदैयन्तु॥९॥ ४. १ दर ९ रर zu । जि 4 १ ९ ॥ शोतकस्षम् ॥ इन्द्रायमदनेसुनम । इनद्रायमोवा । श श रे १ र्र् ae श् श
दारेनायिद्धदताम । परिष्टो । भार१। हार्दा३। १ „९ ५ १ श ९ श श्र ठनो रगारइ्दराः। भामश्कारे। TVA तुका
१ ङ श
रारेरवा२४३ ॥( यस्िन्विश्वाभधिशचियः। यस्मिन्विश्वं
° च्योतिमारायरितौति चतु्े-षञ्चम-ब्टामा afwafeern मां गानां MAMA | अलि मवामयनगादिकं सतम् ; तश, रकवष्टय लरतिष्तदिनिनिर्वत्ये भयति। तच, प्रायकौयोऽतिराचनाम प्रथममहः, चतुविं' मनाम दितीयमङः, ठकथ- नाम ततोयम् : warfaat® WRUAT:, खारा WWARRT:, wroeirinfchraras अष्टमः, एतान्येव षडडानि खाभिञ्तविकान्यु्वक ; तेष्वेव अेषा्डदानि चतुथादोनि Ate निकद्रकाशोति।
RTL BJo BHo 22,2] SUTifa a: | Roe
R श ₹ र् श श् श ©. 3 वा। भरधायित्रार्याः। रणन्ति। Bree | Wt
|, ५ 1 |) , ध श र् २। MATAR RST: | आटन्द्ररचते३। हरहा tt र् र्ट १९२ यि। खवामारेरहा३४२यि ॥(र) दकदुके षुचेतनम ५ | R LTT २ t
ठ †कङ्कोवा | षूरचायितारेनाम । देवासः। ares |
९ ९ ति चारदा२। न्रामारनारेर्ता। तामिदरा२। ere
x
डा । तुनोगारेरयिरा२४२ः | aTeagur । डा २०॥११॥[१)४
इति सामवेदार्थ-प्रकाथे उन्तराग्रन्यस्य हितोयस्याभ्यायस्य प्रथमः | खच्छः ea
^ ~ ^ - ० † “fa"—_exfa we Yo au: | ‡ Ge Alo Wo १यअ्० १सा०। ¶ “उक्तः प्रवमपय्दावः'- दति fae |
२०८ सामधेदसदिता | [११्०२अ०५स्०१,२। शू दितोयख ण्ड सय.;-
प्रथम-ठचे, प्रथमा |
९१९ 2 ९ र द x २९१२ अयन्तटम्द्रसोमोनिपरलोभधिनदिषि।
१२ ९ ण्ठ R LR
एदोमस्यद्रवापिब ॥ ९ TN See “a” qa त्वदथम् “ad सोमः
” “बर्हिषि अधि" Gaara दभं “faga:” faactt दशापवित्रेण शोधितः भ्रभिषवादिसंस्कारेः संस्कत दत्यथः। “ka इदा- aq “शरस्य इमं सोमं प्रति “afe’? भागच्छ। भरागत्य च यच रसातमकः सोमो इयते त देशं “afega” भोपर गच्छ, तदनन्तर सोम “fawn eu | |
sa featat |
R २३ १ र 2 शद् र्द = ६ शाविगोशाचिपूजनाय्रणा यते तुतः ।
१ ₹ ९१२ ATATSATRAG ॥ २४ ॥
Corfe? [ शाचयः शक्ता गावो Tara थाचिगुः; वदा, we व्यक्ञायां वाचि (म्वा०.रा०) , ्रस्ादोणादिक इस् प्रत्ययः]
„ Sat मध्यमोऽभिधोयतः-द्ति Fae | † श०्या०२, ९२, ५ (LATS AEUTO J=We Fog, ९, ९४ VI ‡ We Fog १,२४, २।
२अण्२ेखु०१स्०३] उत्त राचिं कः | २०९
शाचयः AMT: प्रख्याता गावो रश्मयो वा aa arey ! # डे “श्ाचिपूजनः' [ पूज्यतेऽनेनेति पूजनम् ] स्तोवादि-प्रख्यात- पूजन! p “a” तव “रणाय रमणाय सुखजननाय “wa” सोमः “ga” अभिषुतः; भतः कारणात् हे “श्राखण्डल” शन्रुलामाखर्डयितः इन्द्र! 4 “gaa” प्रकष्टाभिः स्ततिभिः
राहयसे। इत ware दमं सोमं पिबेन्यथेः॥२॥ श्रध ठकतीया। र a 7 2 & R 2१९ र यन्तेशटङ्गढ़ृषोणएपात्प्रणपात्कुण्डपाग्यः | शद् ३ wt kt Oy MA WA TU YS ड ““गङहषो शपात्” [area कचित् ऋषिः तस्य चेन्द्रः स्रयमेव पुश्रतया जन्न-श्वयाख्यायिका। नपादित्य- पत्यनाम ] € गङ्ठष-पुत्र! [खणन्ति feaanfa गृङ्ाशि- रञ्मयः, तेर्वषतीति ग्हडादित्यः, तस्य न पातयित: aaa ऽवसथानेऽवस्थापयितः ! । “सुबामन्विते (२, १, 2)’ -इति षष्ठयम्तस्य पराद्गवड्ाषेनामन्तितानुप्रकेणात् समुदायस्या्टमिकं
oman कर्मनाम; safe प्रयुक्त गावः प्रदौयक यद्य अतो xifqa:’— tfa वि०।
† sofeqerr—aafe yeaa wifagert'—tfa fae |
+ ^ सआाखूष्डलः-रन्द्रख नामेतत्--इत fao 1
श We Feo ९, %, Ww, ३।
§ ‘aa देवोदाखो डू सद्मनो । रेगोरासमरोने, Sty सद्मनं सब CATT | —tfa fae 1
( x9 )
२१० | सामवेदसंहिता | [११०२ ्र०५सू्०१,२,.१।
सर्वीनुटात्तत्म्। ken! ] हे इन्द्र! “a” तव सम्बन्धि “quate” प्रकषण नपातयिता रचिता, “कुर्डपाय्यः” [कुण्डे waa श्रस्मिन् सोम इति कुण्डपाय्यः क्रतुविगेषः। “क्रतौ कुण्डपाय्य-सल्चाण्यौ (३, १, १३०)-इति पिबतेरधिकरणं यत्- प्रत्ययो बुगागमख् निपाल्यत--एतत्लन्नो यः] क्रतुरस्ति ; “श्र स्मिन्” कुर्डपाय्य-क्रतौ “मनः” खान्त रानि ew” ्रभितो वहेमानाः कुरडपायिनामान ऋषयः पुरा निदधिरे सम्यक् atast aquafeaaa इत्यथः । [ carafe “aunt ( ९, ४, ऽ६)"--दतिरे-भावः*॥३॥ ५ BR ४ क् + ९ र. ॥ राचिदेवोदासम + ॥ अयन्तदन्द्रसोऽध्मः। नार्
दभर ४ भ ४ ५
oft पतो्धिबर्िषी। निपरतों अरधिवदा २३ fast
श्र शेदोयिमारदस्या। द्रवापाररेश्५यिवा९५६ ule) शावि ब॒ देर ४५२ २ १ ux र ४५
TMA! जना२। WWI AQTUTATTAT: |
„ मेवं चष्ट विवरशकार-साधवः--यः" “ते तव डे सौम! “पात्” a पिबति तद्य enon; “प्रपात्" प्रणिपत्य sear पात्यः | ककुष्डपाय्यः ॐ ana » ~ आज कुष्डाखमसाः wosfred तः पीयते कुण्डपाय्यः । अथव तामेन्द्र-विरेव- खानि। wrata दवः प्रषागभतो मोः, लादय CH; AW Ys प्रकषण सोमपानं कर्पयति कुष्डाकारोखमसेरितरोख । नि खदन् दभ) नि-श्ब्दो away RUS: HGH यजमान EH धारयति इन्द्रः Maly समः खनुद्रडाय?-द्ति। + 'रातौडङबदेगोदाखल-- र्ति Go ge पाठः।
QW A™Wo 2 O?,2 2] उत्तरािकः। २११
९९ र ध्र र १ १ षर अयरःरणायतेखररताः। भअाखण्डाररला । प्रह्यार२४५ ९४२५ ३२ ९ ।
सा९५६यि WR) यस्तेष्टङ्गडृषः। नपा३ेत । प्रार३४।
द् र ४५४ १ र र्रर र् i WITH SUA: | प्रणपत्कुषड ITATRRaT: | निय ९ tz
West घ्रामार२४५ना६५६ ईर
ह ४ दा२)॥२५॥ [९। Vt. ~ दर र \
॥ BNA सद्यनम ॥ अयन्तद्न्द्रंसोमः। उवादायि।
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निपूनोअधिबद्दिष्युवाररदोयि। निप तोञअ्जधिवदिष्युवारर
होयि। श्रायिद्दोमस्या। द्रावापार२४५यिबा६५९ ॥) दर रर श्र रेर x श 4 र् ब् शाचिगो शाचिपूजन | उवादायि। अयरुरणायतेसुत |. र र र द उवाररदोयि। (वारर) । आखण्डला। प्राङ्भयार२२४५ ष्र् र < ९ र सा९५६यि 2) यक्तुष्रटङ्गव षो णपात | उवादायि । प्रण ङ् १
UR STATA । (वारर)। नायस्सिन्दा।
© क०्गा०्श्प्रण् र्खअण्र्सा,
१२ सामकेदसंह्िता। [१्र०२अर९स्०१.,२।
र् १ ९ १्दर ₹ RR
१ 2 ध्राभ्रामारर४५ना६५६;। सुवक्तिभिन मादनम्भर VgAT १९३) ॥ २ *५॥ (२) ५
sq हितोयदच, प्रथमा।
एर RE ट १५२ ९२८ श्र WC भातठनइन्द्रसमन्तच्ित्रङ AAAS यभाय | R रर रर
AVIAN SATA ॥ १ Pht
Saal’ त्वं “महाहस्तो agemay, तदानोभेव
. °9) e €, 099
“नः” ्रस्मदथंः “qa” शब्दवन्तं स्त॒त्यमित्यथः । “faa” > -¬१9
: ९ i चायनोयं “art” ग्राहकं ग्रहणाद् वा धनं “efadga” waa
“a” चिप्र “ar ayaa? आभिमुख्येन सङ्गृहाण ॥ १॥
भध हितौया। R श्र रद २ श १ ॐ ट २ विद्माहितलातुविकमिन्तुविदेष्एन्तुबोमघम् | ड् र शद्
तूबिमाचमवोभिः॥ रथ ॥
© We Alo He RWo ३सा०। † We Wo %, % RR भा. ROC Yo we Fo ९, ४, १७, १।
‡ qo Fe q, 4, 29, २।
RA VBoR Fo fx, 2 | suuUfen: ॥ ALR
erm! “ar at “fag fer जानौमः gal कौट- गम् ?-दति, “तुविकूमि' बहुकग्माण, « “qfateqy” qgaea, † ^तुविमघ” बहुधनं ^तुविमाच”” aguaraq
039
“अवोभिः” cad युक्तम् ॥ २॥
अथटठतोया। श्र ३ tt रर ३ १ 2 नहित्वा प्रदे वानमरत्त सोदित्सन्तम | R श्व ३ १९ र भो मन्नगांवारयन्ते ॥ २ gee डे “शर!” “fea” ट्ातुभिच्छन्तं “त्वा at “देवाः” “a fe वारयन्ते न निवारयन्ति खल् ; तथा ^“मत्तासः' मनुष्या aaa वारयन्त “भोम न गां” भयजनकं ea aaa ag प्रहत्तमिव, a यधा वारपितुं न श्कुवन्ति तदत् ॥ २॥६
TT VL र र्
॥ आकप्रारम § ॥ MAAC द्रत्तुमारन्ताम.। चि
° ‘afagfal त॒विशब्दो बडवा्ो, afeimer सनुष्यवाचो करमेवाचो षा दति वि०। “qfav—xfa निषष्डो asarag (दितौयं पदम् (३,१)। कृन्मि- न्दत् ASTANA कममनामहुवापठितोनवच्छतं।
+ (लुविरेष्य-देष्ण दानं षडद्ानम्- दूति fao |
‡ WO वे० ९१५, 29,21
¶ “खवाक्पारंसाम। आकूपाराङकिरिसोगोभाच आम् स्ति Fao |
§ “राचाकूपारल-स्ति Go पु ute: |
२१४ सामवेरसंडिता। [१प्र०६अ*६सु © 2,2,2 | ९ ब् | २ ९ ब चङ याभरसङ्ग भारया। चि चङ याभषसम । । भोर
रद १ होयि। भार्रध्या। र्दोयि। मदादसतोरक्तारेरदो र्द 2 fay ओदो! वादोर्दश्वा। णाऽ५यिनोईदायि u(y) Ve ब् विद्माहित्वातुवि । कृर्मींभ.। तुविदेष्णन्तुवोमा रेघाम् |
RUT
afaturgi atl ओरदोयि। मार३४ाम। 2
दोयि। तुविमात्रमारश्दोयि। भ्रौदो। arene:
४ ह 7 ४ , र र् र्
ध्वा। वोऽभमोईदायि ue) नदिताश्रूर। दारि
र् ९ र् = र र् रे
वाः। ` नमर्ता सोदिष्षारन्ताम । नमर्तासः। दा। it RT १
Seal त्सार३९न्ताम.। णेदोयि। भोमन्नगांवारार
रर १
२दोयि। ओआो। बाहयोरर्ध्वा। याऽ५न्तोक
दायि(र) ॥ ४ ५॥ [९] ६
* So गार प्रण PW Batol
RHOVRMORGe?,2] Bafa: | २१५
अथय ठतोयदटचे, प्रथमा।
९ १ रे ३९८३ ९ र १ र रमित्वावरषभासुते सुतशखजाभिपो तये | Re ९ जा, म्पाव्य्नहोमदम ॥ १ ५॥ दे “saa Sax! “ar ai "सुते" सोमेऽभिषुते सति “सुतम्” ्रभिषुतं सोम “aaa” पानाय “afitestfa” | ‘ea’ तुष्य । “मद्” मद्कर सोम “arafe” च॥१॥
रथ featat |
९ ९९१ २१६२३ २३६२२ ३१ ९
माल्वाम्राभविष्यवोमोपहखानभादभन । ९ र ३ १ र माकौ ब्रह्मदिषंबनः॥ २ + ॥ ere: “a” at “मूराः” मुखा मूढाः, मतुच्याणाम्ः “प्रविष्यवः पालनकामाः “ar दभन्” मा हिसन्तु। “उपः aia.” उप्षसनपराख “mn” भवन्तु । “agfea” ब्राह्मणानां wert “माकौ वनः” मा भजेथाः ¢ ॥
“ब्रह्य दिषं"”-“(ब्र्मदिषः"- इति पाठौ uz i
@ WO To %, % २, 9 (१भा० ९२८ Jo = Wo Fo €, १, ४९, ९। † Wo Foe, ३, 4g, 21 ‡ खअद्मपरिवारमावाखामिति भावः। ¶ “वनः--यखपि वनतिः स्ति-कमा away wat द्रष्टः; मा यश्न
स्म ्यताम.'--ष्ति fao |
२१६ सामवेदसंहिता । [शप्र०२्र० ऽस््०१,०,२। अरय Sarat |
९२९९ १९ र 4 A |; ९ ९ श् द चत्वागोपरोणसम््ह मन्दन्तु राधसे। १२ ९ श्र we
सरोगोरोयथापिब exo +
ere! “ar त्वाम् “se” श्रस्मिन् यन्न “गोपरौणसं”
€. _ 29 > १2
गव्येन पवसा सभ्यं सोमं 4 “ae” महते “राधसे wara q “मन्दन्तु " मनुष्या मादयन्तु त्वञ्च सोमं “aur “गोरः'' aa: सरः” § पिबति, तथा “faa” | 0
"परौ गसं'"-"पलेणपाः- दति पाठौ ॥२॥ ७
२९ रेर् र श्र र् १ ९
WANA भभित्वावरषभासुते। सुतर ज्ोवा ।
द २ x रर श्र र, ‹ मिपोतायारयि। सुतरुजामि। पीतारेर्यायि । चा
„ We ये०९, ३, ४९, ४। + ‘wa wed साम--दति fao |
‡ ‘Mmutheqa—arme: परि समन्तात् नौयन् दिशा yea apices इन्द्रःः- इति Fao |
¶ wee—cw: wa stages तस्मिन सच्िधानभत ste —tfa वि०।
§ ‘ac: ecw war —tia वि०। “सरः"--इति farawz} उदटकनामसु ख fauna पदम् (१, १२)।
| ane: यथापिब-तथाच sige ~“alcaat Cw WW खरष्यादाजानं faafa’’—<fa —<@ fae |
२अ०यस्०्४सु०१] sacfwas २१७
९ दः १९९९१११
VIANA | वारया र२४ोदोवा । श्रुचोमदारर४५म ॥९)
श्र र श्ट श्र २१ शर् ९ श॒ 4 मात्वाम् राभविष्यवः। मोपदखोवा। नचआादाभारन । oe ae Oe OS शद् श् |, मोपदखानः। भादारहेभान् । मारेदकीम । ब्रा श धर ङ् TF ९३६१९१११ २१ MUI शद मा रर४अओदोवा। दिषवनार२४५; We) इत्वागोपरो xc १ श क॒ श्र शसम । ACHAT | तुराधासा रयि । मददेमन्दन्तु | शद YT TC
राधारेदेसायि। सारदरारः। गोरेराररऽमौोवा | RT १९ ११९११ यथापिवा२९४५८(३) ॥ ५ * ॥ [१] © अथ चतुधंढचे प्रथमा | 2१९ eae RS Re ददं वसोखतमन्धःपिवासुपृणमुदरम । te ers |
अनाभयिनृरिमाते ॥ ९ †॥
हे “वसो” वासयितरिन्द्र! “ce” पुरोवत्तमानं “सुतम्”
29
अभिषुतम् “san” wa सेःमलस्षणं “पिब''। यथा--^उद्रं
© Ge Ale tHe RG “Rate | † WO We २,१, ३११० (रमार ०५ To ) = न Fo ६, ०,१०,९।
( ac )
rec सामवेदसंहिता। [शप्रण्रे्रन्स्सु०२।
“aa” जठरं “सुपृषम्'” अतिशयेन wat’ भवति तभे त्य्घः। ईह “अनाभयिन्” [at समन्ताद् बिभेति-द्त्याभवी; विभेतेरोशादिक इनिः; न wea भनाभयौ तादश! ] डे इन्द्र ! “ते” तुभ्यं त्वदयं “रिम उक्ल सोमं दद्मः [रादाने (अदा०, प) छन्दसो (१,२,१०५) faze se featat | ३९१ ९१९८७ ३१ र नृमिर्डोतःखतोभश्नेरव्या वारैःपरिपृतः रद ९३६ १ १ श अश्चोननिक्रोनदौषु ॥२*॥
“कृमिः” अध्वरस्य नेतृभिः ऋतिम्भिः ““धोतः'” aera पनयनेन शोषितः [ यदा ; धौतः धुतः भ्रातः, भरदाभ्वग्रहे॑ः आआधूननेन संस्कृतः, तदनन्तरम् “wT.” अन्मभि्रावभिः करण- भृतः “सुतः” अष्वयुभिष्टतवः ततः ‹““अव्यावारेः ufaaq:
@ We Fo ४९) १५०, २।
† पदः टडोगणोलं vena! ते च mre ecg, माध्यन्दिने wat wate, ततौ य सवने लादित्वादवः। किेतदतिरिक्वाः Styanfe-cafeay frawre समि wwe: षोडदोत्यादवः। लन्धवोतिरिक्न खेकोऽदाम्धमामकः; खच ofealeat पाने Wye रोतरुशिन. Wye frunareqaray नोव afsifee: ोमरुताः प्रिष्याग्नये लेत्वादिविभि tar: ऋणे उर इते विदितद्धेतत् कात्यायनेन ““खदाभ्य' प्टकात्याखिच्व निपाभ्बाः पामे तद्िंशुन्धों जोगेध्ुनवधायाग्ये त्वा गायतच्छन्दलिति ( Go ate c, ४७) प्रतिमन्त्र area: साविषत् ( १२, ५, १९-१५ )"- aha |
AT oRBo Vo? | sutifem: । rte तब्म्बन्धिभिः are: “षरिपुतः' शोधितः, दशणापविन्रस्यं नाभि-
पततया wateaar fe सोमः परिपयतं ; तदुक्षम् भगवता
WIA A—“Garyarant यजमानाय प्रथच्छति at शकटे दशथापविभ्रस्य माभिं कुरते शक्त ल्यः afta मोतं भवति-- इति #1 “aety” नद्नाखण्सु f “ata” mara “faa.” fafde: wifta: ४; यथा भपसु wat भण्वः अपनतमलः सन् दीप्तो भवति, एव वसतोवर्याख्याभिरद्धिरभि- ga: सोमो Shit भवतीव्य्ैः। टो यः सोमः “तन्तेयवम्” -श्व्बसरया सम्बन्धः # , “धौतः"-शधूतःः-इति पाटो ॥ २॥ शध ठंतोग।
९९९२९ ९ २ ९ १९ 2
तन्तेयवंयथागोभिःखादुमकमशरोणन्तः।
१ ९९ १ ९ RVR
इन्द्रतनासिन्त्सधमादे॥ २ ¶॥८ § न्तं” पर्वौकषगुणं सोमं हे इन्द्र ! “A aga’ “ववं यचा” यवमयं लवनोय-पुरोडा मिव “गोभिः” गवि भवेः ator:
© खट तत् sae यखवोाजसनयि-ठंदितायां सप्रमाखव्यायबतुढये । + "जदोष--खनिकरशमृताच'--रति विर | ‡ "जिक्ः-खतः'--दति fae ।
J we Got, ॐ) १९) &! § ‘qa mc ara —tfer fae ।
२२०. सामवेदसहिता | [eworwocaer 2.9 t
अपणशद्रव्येः “Ree.” मियोक्वन्तः “are” caaarare- ` नोयम् “sah? अकाम # (adage “मन्ते घम (२, ४,८०)”- षति Cag] | यस्मादेव weary हे “इन्द्र! “ar” at तादशं सोमं पातुम् “अस्मिन्” वर्तमाने “aware” सष्टमादने AT आदयाभमौति येषः॥३॥ द्द्
श् ब् Rg ङ् Ts १
॥ गारम ॥ LAM Baas पिनासुपर्ण्णा
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मुदरी । दोदेवा। पिबासुपर्णीसुदरौ । शेदेवा । आ
RT १
नाभादयीन्। ररिमाता । शओीर्ोवा ॥(१) न भिडँ
र श श ऽ १ अरश्र्
तःसुतोच्श्रारयिरे। भव्यावारैरेःपारिपतो। रोरेवा
१ र द द ७ र रशे ष
अव्यावारेःपारिपती। Weal आआश्रोनाश्नी क्रो
श्र ९ 1
ANG MATA NS) तन्तेवयं यथागोभोदरे। खा
१ श्र रेद् Ot र्द
दुमकादे्मश्रोणन्तौ | Cal खादुमकस् शरोणन्तो t
© “अवं यथा मोभिः खादम् sy aren) मोभि रिति तुतौवा-वजवयनं waa we wa दवम् । भोग्यः यवं वथा, aha: खादुमृत्पा्यागयति लइत् तथापि सोमम् wae करवाल । Ten: wen, अथवा ०० ०।-- इति fao |
RWeAWor Fo १] | sutfaa: ॥ २२६१
| 4 श् ट शर ९ ₹ोरवा। MFR) सभमादा। Tee
खोऽ५१। डा॥९१*।॥ [१८
© ` इति सामवेदाघ-प्रक।ओे suture प्रथमस्याध्यायस्य हितोयः खण्डः ॥२॥
कि, श्रथ तृतोय-खर्ड -- प्रथमतुचे, प्रथमा |
शश्र र्द श१ र
ददरद्धान्बोजसासुनरराधानाम्पते। २३ श
पिबात्वाऽरस्यगिवणः॥ १ TI
™~ 6
€ 6
डे “राधानां पते” धनानां खामिन् ! ^“गिवखः" गोभिः
स्ततिभिः वननोय ! Bam! “stax” बलेनावहितः त्रम् ॐ
“इद्म् अनु" अने नानुक्रमेण उदे ानुक्रमेशेत्ययेः ; “सुतम्
अभिषुतम् “we” इमं सोमं “नु” सिप्र “पिबहि" vee vere OO @ He Ale (He शय. Cyto! † Ko Go % 7B U (एभार ROLTs awe To, ९, १९, ५।
ARR सामवेदसंहिता | [eT Aol YoR,z
‘aa fealar |
रे ट १९९ ९ UE se as VT LH VT यस्तेषनुखधामसत्सु^नियच्छतम्बम |
९ 2 AAAANRI ae ॥ २ ॥
ein! “a” aga “यः” सोमः “au भव्रम् Coq” सत्य waft: अभिषुतः “aay” भवेत् [ wee- टडागमः। aguatata निघातः (८,१.९६ ), WITT दातवे धातुम्बरः (६,१,१९२) J “सृते” तसन् सोमं “aq”? ¢ स्वकौोयं शरोर “नियच्छ” प्रेरय “सः सोमः हे “सोम्य” सोमाह ¶ ! “at” लां “aaa” माद्यतु ue | शरध ठतीया।
९ रेख ९१९२१ ९९
प्रते ्श्रोतक्च्योःप्रद्न्रह्मणाशिरः
RF ९२ VT श प्रनाहृश्रराधसा॥२३॥९॥
““सोम्यम्"-- दति ऋ-पाठः । † Wo Te १, २, UG ९। { “qexeuar ( ९, 8, ८९ }'- इति खचस्यन Camriat दन्दसि बङलम् —tfa बाभिकवजनेनो वको वेकरिपकल्वं बीध्यम् | ¶ “सोग्ब-खोमानां खाभिन् पते! इति fro | “सोननरति बः (४४, ११७ )"कान्दसो थोऽज सायखमत सङ्गच्छते | § we बे ९, ३.९९, ७ । | “wa अनसाद्चिषमं uta’ —tfa fae t
VAo®MBol Ho? 2,2] surfaa: | २९२
० (6
इन्द्र!" “सः” सोमः “a”? तव “qe” कुत्ते सभयो aan, “ang प्रकषण व्याप्रोतु [wy व्याप्ता faaa (खा०श्रा° ) Mf व्यत्ययेन परखेपदम् ( 2,t,c4 ) निघातः ( ८,१,७० }) | तथा ब्रह्मणा स्तोवेण सहितः # म सोमः “धिर” शरोरम् [ भ्रवयविना अवयवो awa) तच्छरीरं प्राप्रोतु। हे “शूर fama: “राधसा'” धनेन निभिन्तेम तव “are”? अपि प्राप्नोतु ॥
गाधसाः"-"राघधसः””- एति Tar Re
1 शद् |. ॥ धुत क्निधनम.॥ इदर्दन.रश्रोजसा। Tay z PL 6 र 2 १ र १ राधा। नाम्याती। दोवाङ्दायि। fea) war र्द | व R १ et ` ब् R यिर्बाणो। शोवारद्ायि। पिबात॒वौ। शदोवाडद्ा। az <
स्यगायिः। वारेनाररशरौडोवा ॥(९) यस्ते अनुखादृधा
मसात । सुतायिनिय। च्छृतानुवमो। होवारेदायि।
° श्यशा खङ्ग न, fare: ; अथवा AQT afaquwey FAT: 1 0-0 °| Smece, Mites ol aga भवति समकात् मदौयेन ey — इति fae | |
४२४ सामबेदसहिता। [एप्रण्२अण्१ग्सु०१।
. श् १ 9९ # ष र श yt सत्वामम। aataratt होवारदायि। स॒त्वांममौ |
R र् R भर द् शर् होवारहा। तुसो। मारयारर२४अोदोवा ॥) GAA
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श्रोढञ्कुश्चियोः। प्रायिन्द्रत्र। warms eta
` र R श् १ रर <
R र्टायि। प्रबाह्कश्ु। रराधासो। शहोवारदायि। प्र
रर < र ४ at द्
TRA | शोवाइद्धा। ररा। STRAT RBA ETAT । र् ९ ३११११ घुतश्ु "ता र६४ wiz) ॥ ऽ # ॥ [१] <
पव दितोय-ठचे, waar |
श्ड ३ १९९ १९१२ PUT रेद्
आत्वे तानिषोदतेन्द्रमभिप्रगायत।
१ २३६१ श. सखायस्तोमवा दसः ॥ १ PM
"तु" [-शब्दः faarat निपातः, sear माभ्याम् एतमिति
शण्टोऽभ्यसनोयः]। हे “सखायः ' wlan! fara अ्रसिन्
@ Bo मा० Cho २० ogle | + Wo Ge & z% % १० ( रभा० ROR Jo =Me Fo १,१,१९१।
RWoVBPoxgor] उच्तरा्चिकः। २२५
mate area भागच्छत [ श्रादरार्घोऽभ्यासः]। भ्रागत्य च “fated” उपविग्रत । उषविश्य च “इन्द्रम्” “अभिप्रगा- यत” सर्वतः प्रकषण Qa Slew: सखायः १ ““स्तोमवा- ea.” तिवत्पच्चद ादिस्तोमानस्मिन् wate वदन्ति प्रापयन्तौ- ति ॥ [““अत्तिं-सत-सु-इ-ड ए-सि-चु-भा-या-वा-पदि-य्ति-नौभ्यो मन् (उ०,१,११०७)'- इति स्तौतेमन्-प्रत्ययान्तः स्तोमशब्टो निलादा्य दात्तः (६,१,१८< ७) | स्तोमं वहन्तौति स्तोमवाषसः “वहि-हा-धाल्-ठभ्यग्कनग्दसि"-दत्यसुन् प्रत्ययः, त्र रिदित्य- गुठत्त “aa ॒ उपधायाः (७,२,११६)""-दव्युपधाया afe: ; कद्त्तरपद्प्रकतिखरत्वे (६, २, १३९) प्रपि “गतिकारकयोरपि qavenafracay ( उ०, 8, २२६ )"- श्त्योशदिकखनात् समासब्राद्य॒दात्तः ॥ ६ ॥
अथ दितौया।
2 १२ Vee श्र १ २
पुङ्तमम्पुरूणामोश्रान' TATA, |
९ ९ = ११२ ९ ९ दन्द्रधसामसचासुत WR x ll
Taare qn ~ ५9 सखायोऽभिप्रमायतेति पदष्टयमन्रानुवत्ततें । ह “सखायः' ऋविजः | “ara” aa सर्वँ WE यदा सचा परस्रसमवायेन
० we Fo १; ९; १९ २। ( 22 )
२६ सामवेदसंहिता [१प्र्रेअ्र०्१०्सु०२।
N99
“यते” अभिषुते सोमे प्रस्त सति “इन्द्रम्,” अभिप्रमायत । कोटगमिन्द्रम् १ “पुरूतमं” पुरून् बहन् शत्रुन् तामयति ग्लापयतीति Gea: [तसमु ग्लानो (दि०.प०)-द्ति wrare- न्तात् पचादयचि वचित्वादन्तोदात्तऽपि (६, १, १९३) छद््षरपद्- wafaat (९, २, १२ ) बाधित्वा “परादिन्छन्दसि agen (६, २, १९८८) -इत्युत्तरपदाय्यदा्त्वम् J, “पुरूणां” बहनां “वायं” वरणौयानां धनानाम्" “tart” खामिनम् ॥२॥
थध ठतोया।
१९ ९ २ २९ १९१६२१३१ र्द सघानोयोगभाभुवत्घराये GTA | ९१ १९ २९ १९ wet गमद्ाजभिरासनः॥२१॥१०¶ च-शब्दोऽवधार णार्घोनिपातः,§ सें स्त च्छब्देः सम्बध्यते | "सघ स एवेन्द्र पवमन्तोक्षगुणविशिष्टः “a. अस्माक || “योगे” पूरव॑मप्रा्पुरुषाधंस्य wae oT भुवत्” भ्राभिसुख्येन
° नेन Yt eq सक्य-अब्दस्यवाखुदानो fagqua, waa पटितबार्निक- atlanta सर्ब cediews: कद्प्यके। aae—“aufey quar qarererfa twas Facey ean BA बडतमतः?-- इति |
+ “वायाशाम् रखदकामास्'--ष्ति fae!
f we Fo १, १, १९, ३।
q ‘qa रेवातिथं gra'—tfa fae)
§ “व-र्ति qegrar—cic feet
॥ नः- अभ्यम् - दति fae |
*° 'आजे-वय देवता yeah असो uta: aay’ —tfa fre |
२अ०१ख०२स्०१,२,१] sactifea: | २२७
भवतु yeaa साधयलित्र्धः [ भवते uifafe परती “faerfaae ( २, १, ८६ )"--गृन्यः प्रत्ययः, तस्य feaa यशाभावात् उवङदेशः ], स एव “रायै” धनाधेम् “श्रासु- वत्" अभवतु; स एव “धुरन्ध्या” योषिल्या # भुवत् [ यदा, बहविधायां बुदावामुवत् .““पुरन्धिबहधौः”- शति यास्कः ( ६, १२)] सएव “ara,” 2a: aa: सह “नः” अस्मान् + “श्रागमत्” भागच्छतु [ गमेलंट् तिप्, “दतश्चलोषः परस पटेषु (३, ४, ८ )"--इति cava, “बहुलं छन्दसि ( २, 8,92)’ —afa शपोखक्, “लेटोडाटो (३, 8,28 )” -इत्थड(गमः, आागमान्रनुदात्ताः इति तस्यानु दा त्त्तले धातु-
सवरएव ( ६, १, १६२ ) शिष्यते ॥ २ ॥ १०
श् “ ॥ टेवातिथम ॥ भाद्२४। एतानि। षोदाईता। श् t RT १ र्र् दृन्द्रमभावि। प्रगायता। साखायस्तोम। atl चओ R ¦ ॥ शद yz
ददो! ववारहारट्साः। इयाय) साखायःसोम |
R र् र क् वा Staal) इम्प्रार३। दार४५सोददायि ॥(र)
° प्पुरन्धा-रण्या--एूति fro “grist sites: पुरन्विर्ममः पुरखानस्या- mare Cais fag CUNT स बडढमतमः पुरा द्ारथितृतनो बण इत्यपरम”-- इति faqe te ९, ९९।
† .नः--खसम्यम'- इति fae ।
२९८ सामबेदसंहिता। [शप्र ०२अ०११स्०१।
RR | ५ ५ र्शर १९ x rc पु२४। तम्पु। secure रदेशार्नवा। रिवाणा ९ श्र ATL १ , 28 म। इन्द्र॑सोमेस। चा। Masti बवारशर १्ररर१९ ३ ४्तायि। waa: इन्द्रसोमेस। al ast श रे र् SAR? | २४५ तोदायि ॥२) सघा२४। नोयोगे । yt ५ र् श्श् रे | २ १२ LT १
भाभूद्वात । सरायेसाः। पुरन्धिया । WARTS: | श Rk
९ a ST BBE ववारेसारषहेटनाः। दयायि। गम
१्रदर १
दाजेभिः। भा। WRI जम्मा ३ सा३४५
नोईहायि()॥ ८ *॥ [९] Qe
रथ ठतोयदटकचे, प्रथमा |
ट १२३९१
योगेयोगे तवस्तरःबाजंवाजे CATA | १२ PRR RNR a सखायद्रन्द्रमृतय ॥ १ †॥ = Ho Alo १" eGo Kayo | † We Wok, % VE (मा Loe Yo नवर Hott, ts = wo Fez, ९, १९, VI
VMoRMoRgor] wsurtifaa २२८
“योगयोगे” wat प्रवेशे तत्त तृकर्मोपक्रमे [ युजिर् योगे ( स०ः उ० ) “लख (३२, ४, १२९१ )”-इति wa, “चजोः कुषिख्यतोः (9, २, 42)’—sfa gaa, घलोजिवा दादुदात्त- त्वम् (९, २, १८७); “नित्यवोष्ठयोः (८, १, ४ )"- षति वौष्ठायां feata सति, आन्रेडितानुदात्तम् (८, १,१) ] “वाजे वाजे" कमंविघ(तिनि afaq सङ्घामे “तवस्तरं'” भ्रतिशयेन बलिनम् “oma” “aaa”? रक्ताय “aera.” सड्िवत् प्रियाः वयं “Salas” भाद्गयामः५॥ १ ॥
अध featat |
१९२९१ र ९ १२ BRKT Vt
अनुप्रननस्योकसोद्धवेत्विप्रतिन्नरम ।
२३१९ BW ९२
यन्तेपूबेम्पिता वे ॥ २ † ॥
° कात्यायनेन त्वं भन्त्रो ऽ'ग्रचयनेऽजा भिमन्त्रे नियुक्तः (१९, २,९०) AIT व arvert quay गायनो Wa AIFS, खजं मन्त्रयते । "सखायः" परस्प्ररसष्टयं wat ऋलिग्यजमाना वयम् “इन्द्रम्” इन्द्रियवणतं dian समिन्द्रियप्रदं वा खम्. “ऊतय खवनं य रचराय “इवामदे'' ख्ाङयामः कः शपि सम्प्रठारशम् (६,१; ३४ )। छ सति? "वाजे-वाजे" qneq मनुष्याणं देवानाञ्च दानमथ सति तत्दन्न- aifafafan’ ai fea anna? ^योमे-योगे age” युज्यत अटु्टोयत रति योज; कमं, लिन् anqadfe asec weancagiwany) तव दूति वलन।म ( निष० २,९, ४) तवीबरमद्याश्ौति तवखौ । खखरायत्य ना विन् (५,२, १२१ )। War तवसो तवक्षप्ख्म् अतिशये तरप विन्मतोलु मति (५, ९; ९५) लरपि विनोलुक् 0- र्ति ॥
T ऋणबे० १,९, २९ UI
२३० सामषेदसंहिता | [?प्र०२अ०११स्.*३।
‘Tae’ quate “Daa” स्थानस्य aera * सकाशात् “तुवि प्रतिं” बह्कन् यजमानान् प्रतिगन्तारम्† [अत्र प्रतिशब्दो भोमसेनो भोमदूतिवत् प्रतिगन्तु-शब्दं लक्षयित्वा ag age ल चयति, wa: प्रति प्रतिनिधि-प्रतिदानयोरिति- वत् सत्वबचनतवेनानिपातत्वादनवायल्े “भूरणगु णेत्यादिना (२,२,९१) न षष्टो-समास-निषेधः]। “नर yee fama “aqya” अनुक्रमेण कार्मस्वाह्वयामि [ द्वेजालिटि “aga छन्दसि (६, १, 28 )’—ufa पूववत् | सभ्प्रसारण्-पर पूवत दिवचन-प्रकररे "छन्दसि ar( 4, t, १ वा०)“- दति वज्ञा्यमिति हिवचनाभावः। “यडत्तयोगादनिषातः ( ८, १, ९९) ]। “a? “a” warfare पिता wast जनकः “पर्व” पुरा खकोयानुष्टानकाले “इव” WHAM, तमाद्गया- मौति Garage wR
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र ९२९१२ ९ १२ ९
अआघागमद्यदिश्रवत्सदसिणोमिङतिभिः।
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वाजेभिर्पनोदवम ॥२¶१॥ ९१
° ओकसः ग्टषख, VRE, BRA वा-इति Fao |
+ तुविप्रतिं-तुविपुविति बनाम, बड्प्रतिम , प्रतिशब्दे नाज अजनो ब्टद्यन्त , wena मिन्द्रम् ?-द्ति ae |
t ‘dau पिता छवे-खन्तराद्मनसायम् हे actarnciagy | acy डवे) यंते तव Tana काले त्दोयः पिता खाहयत ।'-ट्ति fae
G we Foy, ९, २८; ४ | § ‘wa glav ora’—cfit fae
२अ्०श्ख्०३सु०१,२,१] TU: २११
“यदि वत्” यदयमिन्दरो “मः wale “eax” श्राद्वानं खणयात्, तदानीं स्वयमेव “सहस्िणोभिः ऊतिभिः" weft: पालनेः “वाजेभिः” waa “oa” ama “राच WIAs CAATAT” WAST ॥ २ ॥ ९१
श्र र रर tt ९ 2 १ र
॥ सोमेधम ॥ योगेयोगेतवादाउस्ताराम । वाज
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वाजे। इवा रमाषहायि। शवायि। भौरदोरहे्वा। १९ श्ट १
साखायद। द्रम् रतायायि। ङवायि। शओोददोरर४ x द ररे ९
वा। VSIA! शवा रयि। भओरोर२४५वा९५६ |
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द्रम् दतयेरट४५ ॥(१) अनुप्रत्रस्योहाडकासाः। KAT
| 4 fai पृतारयिन्नाराम.। वायि। भीर्दोरह्वा । १२२ UTR |: यान्तेपूवेम.। पितारेवायि। डवायि। भोरदोर९४ ४ RT WT वा। यन्त पूर्वाम । वारयि । भोरेह२३४५बा६९५६।
र् १११ १ श्र इ ब र् १ र
पितादेडषे २३४ ५॥८२) भघागमद्यटौशाउश्रावात |
० शा चा इति पदप्रणो'- रति fac) मन्तरं ““वा१- दूति दौर्घ॑पाठः। तच ^°निपातस् च (९, ९, १३९ )*- दति दौषः,
२३२ सामेदसहिता। [११्र०१अ०१२स्०१।
१ श्र १ ₹ . साधि । भिद रतायिभायिः। वायि । ओशो
। । १ र्द
रद्वा । वाजेभिर् । पनो र्दावाम। वायि । ओ ५ र र ९ ९ रदोररेथ्वा । ATS । डवा रयि । भौररोर२४५ १ १११९ वा६५६। पनोरंहवार२४५म. (२) ॥ < ५ ॥ [१। ९१ श्रथ चतुधटचे, प्रथमा | १२९२९३९ २२१९९ शक शद द्रसनेषुसोमेषुकरतम्पुनोषडक्थयम, | ९२९२३९२ BR विदे वधस्यद चस्यमहा्ददिषः ॥ ११॥
"सोमेषु" “aay अभि पुतेषु wae “रन्द्र! व तान् पोता “क्रतु मणां RUT “SRA स्तोतार “gaya” भोधयसि। यहा सोमेष्वभिषुतेषु उक्ण्या ख्यं “क्रतु यागं तैः सोमैः पुनीषे यजमानेः पूतं कारयसि। किमयम् ! Care” वैकस्य “eae” बलस्य “विदे” लाभाय (सः area’ “महान” “fe” खल ; Ward AT शक्रोषोव्यधः
नदनद्रसुतेषुः-“इनद्रःसुतेषु"-- इति, “gala “gatte” दति, ““दक्तस्यमडहाध्डिषः"-- “द चसोमहान्दिषः -दइति च पाटो॥१॥
@ we गार CHO ~Weo gle | † we Ge B, % ¥ १८ ९ भा० ७८९ Yo) = We ae €,%, 9%!
र्अण्श्ख,४स्०२ उत्तराचि कः | 222
sa हिदीया।
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सप्रथमेव्योमनिदेवानासदनेव्रधः |
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सुपारः सुश्रवस्तमःसमण्स॒जित ॥ २५ ॥
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“a.” oe: “qua” प्रथिते fade मुख्ये at “व्योमनि विशेषेण can च “Qarat” “aza”’ dizaafar- fafa सदनं खानं खर्गख्यं तच धः खितः सन् “aw” यज- मानानां atfaat च भवति । तथा “सुपारः” ge पारथिता mice सम्यक् परिसमापयिता q “सुश्रवस्तमः” श्रतिगयेन श्योभनं whist योवा यस्व स तथोक्तः, “समपसुजित्” सम्यक् अष्दकेषु way सस्, यत् तहिषातनो वजादेजता ; यहा, अप इत्यन्तरिस्षनाम (fargo १, १, ८) wafer वत्तमा- नानामसुराणां जेता § ay इवे इत्यत्तरत्र सम्बन्धः ॥ २॥
® wo व° ¢, ९,७,२।
† ‘wea खपे'- दति वि०।
t ‘carat सदमे qua ay’ —xfa fae |
¶ ‘usa Waa ष्ट. यः सः पुपारः- एति Fao |
§ 'समपसुजित्- सङ्गमेषु sar—tfa fae “समत्तु"--दूति सुडमम- मामनु जिषष्डो इष्यते (२, to, २९) तदेव पाठमेदात्. समपपु-दत्येवाज विवरक- शद्ानयः।
( ३° )
२१४ सामवेदसद्िता 1 [११०२५ ०१२सु०१,२,१।
अथ SAAT | १९९ ६१ ९ २३ १२ ९ ९ AQ SAA HA AAA AAT | १२ . १९ रर श ९१९ २.९२
भवानःसुन्नेमन्तमःसस्वावुधे ॥ २५॥ १२ 4
“ag” पूर्वोक्षगु गमेव “शमि णं” बलवन्तम् “ae? वाज- Waa” बलाना मन्रानांवा साति लौभो यस्मिन् areata “भराय” सङ्ामाय ; यहा, [ पियन्त तस्मिन् हर्वीषौति भरो यज्ञः, प्रायेण सङ्गमनामानि यज्ननामत्वेन च दृश्यन्ते ] भराय ama “हषे” आह्यामि। हे बन्दर! त्वं “qa” सुखे धने वा लिखिते सति Sa” अस्माकम् “अन्तमः” अन्तिकषतमः ufaazaa भव [ तमेतादेखेति रन्तिकशब्टस्यतादि लोपः]; “aa” वर नाधेञ्च “सखा” समानस्यानो मिन्रभृतो भव ॥
“तसुदवे'”--“तसुद् - इति पाटो ॥१॥९२ र द LR : ॥ कोत्सम ॥ इन्द्र सतेषुसोमेष । कत रम्पुनायि। ष
₹ र १ र् ट उक्थियाम.। विदेवार्खार। TWAT! मदाशा _ र् र् ct विषारः। महारररदिषा३४दः ॥(९) सपृथमेवियोमा
e We qe q, १,७१२। + "खव कौत्य सामः इति fae |
२अ०२ख०४सू०१,२,३] SUTIPTH | २३५
tz ष्र् VTL शद ९
नो। देवार्नारसा। TATU | सुपाराःसुर। शर
AGA: | समपूजो LAL समाररप्तुजो३४२त >) R | श 8 र ९ ९ ट र् R तम्नुद्वेवाजसातायायि। इन्द्रा रभरा। aaa
र् < x २ र १
१ भवानाह र Maa: | सखावाङ्गारथि। स ड ft श g १ स्वाव दी रयि। सखारश्वधाद४३यि। ओर २४ ut
डा(३)॥ १० HU [2] श PUT श्र ATL ॥ उदरओौयम्॥ इन्द्र सुनेषु सोमेषा। क्रतुम्पनोषउक्या ` र् रे र् रदयाम । विदारेष्टोश्यि। oateeet श्यदाश्क्ार z र, 8 ४ ४ § र् स्या। मद्ारुदारध्विषाः। मादारेउवारे। उप् । १ BUTT २९ ब्र र हाऽरयिषो३५ दायि u(e) सपथमेव्योमनिया । देवाना १ ९ श् BAMA: | सुपारदो९। TRS खवाश्ता
R ५ १ $ र् R 4
र BAL | समष्ठररेध्जीत । सामादेउवा३े। उप् । ण्ड
Bo Alo wo २० १०सा०।
२१६ सामवेदसहिता। १प्०२अ०१२स्०१।
१ ररर श्र ब्
ऽर्जो३५ दायि ॥(र) तसुङवेवाजसातयन्रा। LRAT
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श यश्णुक्ाररयिणणम । भवारदो१ «TRB! से र ङ् < 8 १ $ 1 श्न्तारमाः। सखावा Vas aif साखाङ्डवा३े।
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उप्। बाररेद्ीरि५चायि(द) ॥ २ *॥ [र] १९
शति सामवेदाथ-प्रकाये उत्तराग्रन्यस्य दितौयसयाध्यायस्य
ढतोय-खण्डः ॥ 2 ॥
“oe ~ ~ श्रय चतुय Ww, प्रगाधरूप- प्रथमम् कग, प्रथमा |
९१९ VB 2 १ रेरे १ र ११२९
एनावोअधिन्नमसोर्जोनपातमाड्के |
₹ 2 २ ३ 9 र्र् ९ २९९ र
प्रयच्छे तिष्ठमरतिधखध्वरं विश्वस्यदूतमण्डतम ॥ १ † ॥
© He मा० weve rWeo रसा T We Gre ९, ११५, ९ (९ भार १९६० To) = Wo qed, & Vt, 2 I ‘certl सन्निवङ्गखः, oy क-दवत्यः खःप्मरश्जिनाविति'- इति fae |
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२अ०्४ख॒०१सु०१,२] उसराचिकः ॥ २२.
“aa.” बलस्य “नपातं” [ नपादित्यपत्वनाम ( निघ०२, 202) ] पुत्रं "प्रियम्" भख्ाकम् “चेतिष्ठम् भरति- MAA WATT waa वा “aefa” गन्तारं स्वाभिनंवा Ca’ शोभन यन्नः “fae” सर्वस्य यजमानस्य “दूतम्”
¢
aaa” नित्यम् “afta? “एना” एतेन “नमसा” स्तोजेण दे ऋत्विग्यजमानाः ! “a.” युखदथम् Sarge” आ्राहयाभि\१॥
श्रथ हितोया)
६९२ ९९२९ १ ९२ श्व रेद्
सयोजने अर्षा विश्वभोजसा सदुद्रवत्खा SA: १ २३२ BWR LR २ १ ? XR AA AAMT शमोव्रष्टनान्देवपराधोजनानाम् MAIL
“a? oafia: “अरुषा आ्रारोचमानो “विश्वभोजसा" विष्वस्य पालयितारा वश्लो “योजते सखकोये रथे “युनक्त" (azar, ““विष्वभोजसा' विश्वस्य caaq “agar” भ्रारोचमा- नेन तेजसा “योजते” भयुज्यत]। तदनन्तरं यः afi: Carga.” स्तोढभिः ge भ्रातः सन् “दुद्रवत्” श्रानेतुं देवान् प्रति भृगंद्रवतु गच्छतु) कोटः ? सुब्रह्मा शोभनस्तृतिकः भोभनावोवा “aw.” aga “सुगमो शोभनकती च भवति; ततः “वसूनां वास्कानां “जनानां” यजमानानां wafer “राधः” हविलक्तणं धन “2a” द्योतप्ान aferaia गच्छ-
fafasta: ४ २॥ १३
° कण वे०५,२,२८१.२। 7 (खम वबारवकोयम- cia far |
२३८ सामवेदसंहिता । [११्०२अ०११स्०१,२,३।
१२ रद रद ce श ॥ वारवन्तोयम ॥ एनावोच् । भौददोदायि। भ्रा
५ श्र र् < यिन्नामारदध्सा। ऊञ्जोनपातमाडवोरइ४ायि। प्रिय रर ४ १ शे च्वेनिष्ठमरतिधसवध्वारे। ब्रोहोवा। Taree eta २ श ५ ९२१२ १ © रर ५
उड्वारइराम | विश्वस्य । दूतममा३४। भौहोवा। RT 2
इ हारडेश्हायि। ओषो३१२३६। ताम । रएडिया€ द र १
हा ॥(१) विश्रयी दोहायि । तामामारद्नाम |
२१ RT ण्ट ४
BATRA । ते्रुषाविश्वभोजा२४। Wear |
र ४; ¥ ९२१९ १ ॐ TR
इ दारेश्ट्ायि। THATRAVAT | सदुद्र । वाल्सुबाह श्र र ५ RT र
ओ डोवा । इदाररदायि। भो होर१९३४। ताः र एहिया६दा N(R) ससुद्रवाभोषशोशायि। GATALVVAT: | ९ ९ ४ श्र sty सुब्राह्मारेरशडायि। यज्नःसुशरमवस्२४। सीषोवा । wR ५ #: ४ ५ २९९ शेर् १
द दारर४चायि । उड्वाररे४नाम् । देवध्ण। भोज
RW VBo l Bol, 2,2 | उन्तराधिकः ' २२८
ना३४ | सोवा । ई दारदेशायि। ओहो२१९२४। नाम | रिया दा(२) ॥ ८* ॥ [१]
॥ म्ावामदेव्यम + ॥ आऽपथिना । atneatefirs भचा । च । जोनयातमाङेपियश्चतिष्ठमरतिरुस वध्व | राम। भोरर्दोहायि। fens । नमो । SAT माऽरत्त३५दायि ॥(९) बाऽ५यिञ्च । खद्डना
४ ५ १ र र श्र ९
BRAT! साः। योजनेशषाविश्वभोज। सा।
भोरशोदहायि। सदु ररद्रवात। सवीहोरे। sane 8 R et ५ ऽतो दायि WR) ATYST । द्रवारसृहवाङताः।
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Zl ब्रह्मायन्नःतुशमोवस । नाम । चौर्होदायि। टेवारेररराधाः। जनौडोरे। ङग्मारे। नाऽ्मा२१५ ष्
हायि ॥ १९४॥ [र)
ene ° Hc ATO WLM सअ cay. | † ‘maaq—tfa So yo wis: | { Re Are २१ we UL ETE |
४० सामवेदसंहिता [१प्र०२अ०१४स्०१। १२ बे रर शद ॥ अध्यम ॥ एनावोओआ रिम | नमसोवा। wsaf
RX २९ र २९१ VV RE ९ रे
agri तमाद्धवायि। प्रियच्चेतिष्ठमरतिरुखध्वरं विश्व २ र 2
स्यदूतम । WRI ठताउवा। श्रधियार॥(? विं
श र श्र २९ ९२ र२र १
श्यद् रतम | Waal! सयोजने। अरूषावायि ।
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अभोजपासन्दृद्रवल्मु। BWR! डताउवा । श्रधिया ष x श VU RTL र् २॥१) सदुद्रवा रद्यु । BSAA! सुब्रह्माया । नज्ञः
RRR TART TN दररेर १ . रे
सुशमायि। वसुनःन्देवधराधोज। नाररे। नाउवा। rc
शरभियार॥ १४*॥ [३]९दे
अरय दितोय-प्रगाथे-
प्रथमा । १२९ १९ र 22 ३ ९ प्रतु अट ग्या यत्य् Sas BS aA Sa: ९२३ १९२ 89१२ 1}
अपोमद्ोवरणते चक्तुषातमोज्योतिष्कुणो ATS TT ॥ १ †॥
° He गार २११५० १अन र१४सा०। { We खा०४,१, २, १ (tale (११ To =—we Fe ५९ UI
२अ०४य््०२सू०२] उत्तराचिकः। २४९१
Caan’? श्रागच्छतो “उच्छन्ती तमांसि विवासयन्तो वजेयन्तौ “दिवः” दयु लोकस्य स॒ थस्य वा “दुहिता git, एव- ग्धूता उषाः “प्रति अदिं? सर्वेः प्रति gaa; “ड'"- इति पूरः; सेषा “ag” महत् “तम” Anaad “चक्षषा” दर्थनेन “प्रप [- इति निपातय समुदायः waar | “awa” निवारयति । एवं war “सुनरो” जनानां सृष्ट नेत्री उषाः “ज्योतिः” प्रकाश्यं "क्षणोति" करोति ॥
^“ठ णते चक्षषा”-“व्ययतिचच्चुष”--दइति पाटो॥१॥
अघ दितोया।
२९१२ वक ९ र रर मनि उदुखियाःखटजत खयं स्सचाउद्यन्नत्त चमचिं वत |
१ MARR २४१२ ९२१९ १ ९
तबेदुषोन्युषिदधयेस्यचसम्मक्तं गमेमहि ॥ २ * ॥ १४ +
“सूयः” सवस्य प्रेरकश्रादित्यः “shan” र ग्मन् “सचा” सह युगपदेव “sama” उद्रमयति। तधा “उद्यत्” उद्न- च्छत् प्रादुभेवन् “aaa” नभसि दश्यमानं ग्रहनचचादिकम् “sfgaq’ दौसिमत् करोति ; [सौरेण तेजसा fe नक्त चन्द्रप्भृटणां wah मासन्ते", “age: सूयंरस्मिबन्द्रमा गन्धर्वः” इति fe निगमान्तरम् । way सति ₹हे “उषः
“We वे° ५०६, १, २। † नयोदश्रख्धक्ते यत्रामखामानि दइृ्ापितन्गाभान्बेव।
( २१ )
२४२ सामवेदसंहिता [प्र०शअ०१४स्०१,९। उभोदेवतं | “aa” “ater” च “व्यभि” विवासन प्रकाशने सुति “भक्तेन” waa “सङ्गमेमहि'” वयं गच्छेमहि । “दत्""-गब्द्ः पूरकः 8२॥ १४
२ रर ९९ „ 8 ॥ वारवन्तोयम् ॥ प्रतयुवदाच्नी दोदायि। शी ्आयारर४
¥ 2 x दर ९ ५ tc ब तायि। उच्छन्तोदुहितादायिवोरेद्ायि। wht द॒ र RT ध्र ५ ९३ च बृष्ते चकुषाता२४। Weta cesses vs : ५ र १ रे RT र ४ वारदेश्माः। ज्योतिष्क! णोति ना३२४। भौचोवा।
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इ्ारर्डायि। ओदोर१२२४। रायि। एदियाई
चा ॥() ज्योतिम्कणोचोहोायि। तायिसु नारदृशरा
२१ 4 श्र रश 2 qf fal उदू खोरेदेश्दा। aesaa रियःसा२४। at ठेर ५ १ ३ ₹ र ५ ९१२ होवा। दहाररेथदायि। उड्वार8४चा। उद्यन्न। ९ ® शर st ४
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१२३४। वात.। रिया चा ॥₹) उद्यन्नसाभोशादा
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R ¥. २१ rT wt fal चामर्चाररधयिवात । aageesetfa षोवियु
x ९ at st & १ % बिस frames | ओदोवा । इई दारदश्डायि। उड् ङ् ५ २ १९ At १ 9 र र टर धर ४. | ९
वाररध्वा। AAR) नागमे मा२४। wera RT र
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हा(३)॥ < ५॥ [९] | ४ र छर ४ ॥ वामदे न्यम् ॥ प्राऽ१त्यु | अद्ारणारेभायतायि। Fi
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च्छन्तीद्दितादिवो अपोमदोडृणुते चचुषात | मा। ओर् Wa! ज्योताररयिष्कणो। fase sa
१ 4 g 8 R २। माऽररोरधायि ug) ज्योऽपतिः। कछणोरेता रयि छर ४ र् २ १ र्
स नरायि। wal उख्ियाःडजतेस रियस्साचा। भो
STE! उद्यार्दन्नसा। «BATA म्मा २।
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९ ‘ १ द खि चाऽरयिवोदृषहायि Ue) ॐऽ५द्यत.। नक्तारेचारेम्चिवात ।
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२४४ सामबेदसद्िता। [शप्र०२अ०१४सु०१,२।
t he < x २९ १ र् © 8 ता। asaiaqfaa रियस्य। चा। आरेहोदायि । श
र् २, र् १ १ AYA ATL «MALS BA’ माऽरशो२५
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१ द १ ₹ १ ॥ अुध्यम् ॥ पृत्युवदा रेशिं । भायतोवा । उच्छ रर ९ २२र २९ र २ द एर ९ ९रर्र्द te
alg । दितादिवाः। अपोमद्योबृणते चकषातमोज्यो
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तिष्क णोति। Best नराउवा। श्रधिया२॥९) ९२१ ₹ १९ RR RC
ज्योतिष्क णो रति। सु नरोवा। उदुक्ियाः (esa
दर ९१ a रियिःसचाउद्यन्नक्तच्रम । atest विवाडवा। ९१२२१ श्रूषिया२॥ उद्यन्नक्ता रचम.। अविं वोवा। तवेदुषो + VAT RL र १
वियषिसु | रियस्यचसभ्मक्तं नग। माररयि। aes
वा। अधियार(३)।॥१५॥ [२] ९४
# Ho Alo २९प्र* YWo Volo | DF He Alo ३१प्र २अ० १५ Go |
२श्र०४खु० ३सू०१,२] salsa | २४१
अरय तुतौये प्रगाये-
WAHT | ९१९ २ ४ ९२ ९१९ १ दूमाउवान्दिविष्टयरखादवन्ते मश्चिना । RRR ३ ९ ३ १९२ R ce © 6
RAATASA A Walaa विशं विश~+दिगच्छथः ॥ १ * ॥
(इमाः “दिविष्टय दिवभिच्छन्त्यः प्रजा ऋतिजोऽपि “3 दूति aia; = “अश्विना!” “seu” araat var ar a”? areata “aa” स्तोतापि ङ “शचोवसो” area |
N99
“ar युवाम् wag
“eq श्रख्मद्र्तणाय युवयोस्तपणाय वा “aR” अ{दामि। fara? एवं प्रजा चपि, ज्रवमपौत्यादरोकति- रिति “विशं fast fe गच्छथः” सवः स्ततिकर्चीः प्रजाः प्रति
युवां गच्छतः खलु, तस्मादेवसुखत इति we
श्रधदितीया। PPR १६ ९ ३१ २ (+ Oe oak युवच्चन्तन्ददथुर्भजनन्नराचोदेथारसूनृतावते | RW १ RCW V<URW ३ १२९ 2% ek
अर्वायथरःसमनसानियच्छतम्पिवतदसोग्यन्मध्॥२॥१५४
@ Ho WO 8, ९, २२ (LHe CAT Pwo वे०५,५,२१,१९।
† We वे° ४, ५, २१, २। t नयोर्ण्-चतुद्शखकयोर्यन्रामानि सामानि] awa तव्रामान्येव |
२४६ सामवेदसदहिता | [१प्र०२अ०११५सु० १.२
हे “नरा” नतारावख्िनो ! “qa” युवां “faa” चायनीयं “भोजन” धनं “ददुः” धारयेथे, तदनं “सुढृतावते” स्तति- मते Wa “Mea” प्रेरयतम्, «aca “समनसा समान- aaa सन्तो “रधं, युवयोः सम्बन्धिनम् “अर्वाग् warefir- सुखं “नियन्त” नियमतम्, तथा छत्वा “सोम्य” सोमसम्ब- शिनं “arg” मधुरसच्च f “पिक्तम्' ५२११५
र्र् द॒ द ॥ वारवन्तीयम् ॥ इमाउवाच्रीहोद्ायि।! टायिविष्टार ५ र् रध्याः | उखादवन्ते मश्वाथिनोरश्श्डदायि। भयं वाम RT थर ४ १३ rt अवसेशचोवा२४ | भीषहोवा। इदार्रण्डायि। उड ९ २१९ र R ? RU ४द ४ aiessa | fra शारदिगच्छा२४। दावा । | RT २ 4 द हाररशदायि। भरी हो३१९२४। थाः । एदिया९ दा he)
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विशंबिशारीदादायि। हायिगच्छाररध्याः। यवाच्वा
@ ्वोदेथां खनुतावते-णएवं चोदनां कुरुतां यथा gam बयं मवे |’ — दति वि०।
† ‘ote मध-णोमे भवं खादुद्रयम्- दति fae “मये च (४, ४, १९८) —tfa पा०। “सोमणन्दायः grange) ete मध सोममबमित्यथः॥"- ति च तवर aifaa: |
© VAoSMoszgor?,x | ख्तराचिकः। | २४७
श्र Bt ४ २३४यिद्ायि | चन्ददयुर्भोजनन्ना२४। ओहोवा। दद्दा २ श ॥ १ RT UT AT VHT z VAATfF | THATHSVT । चोढेथाम । खनुतावारे४। डर रै ञ्ड र NCAT | इडाररश्डायि | चरी दो३१९३४। तायि । एदि RTT र द र ९
याईदा॥(र) चोदेथा्सुभओदोद्ायि। नार्तावारदेऽतायि।
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अर्वाय्मा९९४८ा । थरसमनसानियच्छा२४। भोषोवा ।
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र शद ॥ अर्थम् ॥ इमाउवा रन्दि। विषटयोवा। उखा ९१ श्र ३२ २ १ २ श्र र श्र WAT २२१ र
Wall तेअश्चिना। अयवामहवसेशचोवश्विशं विश ~
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QVTOUBwgr] उत्तरा्दिकः। २४९ ९२९
समनसा । नियश्छतम्पिबतषसोमि। यारेञम । मघा उवा। श्रूषियारे। एररदिया १४३। भोर२४५६। डा॥१९५॥ [३] १५
दति सामवैदाधै-प्रकाओे उत्तराग्रन्यस्व हितौयस्याष्यायस्छ SI Twp ॥ ४ a
पथ पद्यम-खरड - अस्य प्रेति नवचवसृ्ते , प्रघमा | PVA ६१९ ९१९२ ३१२ अद्दप्ा मतुय॒तधपएक्रन्ददु ङ अयः ।
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ora” सोमस्य “wert”? पुरातना “aa” alaarat तनुम् “अनु “wag” ala “azaat’ परभिलबितस्यापरि-
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† (खमा afar) Wa बोडडिकोऽतिरावो ब्रह्मरु-समानजयेऽथ कटक्समा काये न तथा कक्पकारः छत्रसो च्छोतिष्टोमोऽतिरानः wefua: | तथा च wew- कारः-खतिराव्रो ०० ०-इति fae |
‡ ‘cara इादश्रादसर प्रथममडसस्छ बदिष्यवमानम्'- दति fae |
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( ३२ )
2 yo सामषेदसंदिता। [१प्र०२अ०१६स्ु०१।
fara फलस्य दातारम् “ऋषिम्” अतौद्दरियकश्चफल-
9 e ५ ww द्रष्टारं “पयः” पातव्यं #* “aga” कवयः f “दुक” दुहन्ति ॥१॥
» ववयः--चोरम्'--दति वि०।
† “रयः खराकाराः'- दति fae |
‡ Wa सङ्ोधरः--“जायबावत्ारदहा. गोऽग्निपयोदेवत्या। werd: sat चिरनानकाश्लभवां दनम दौभ्भिमतुडव्य | खयः नालि डौयंषामौटभ्। कल्वारङडिता दोग्धारः wit गां श्टक्र we पयो Rae caret) दुरे इरयो रेष्ति TW Ty) इषगतो। षति दोदनख्छाने . मच्छैतोति ऋषणिनाः। at शोमाथे दुग्धवन्तः। सायं दोडनकारेऽग्निध्रकाथामावे ower पवो ममो पति- व्यतोति wea दोग्धकां छन्ना मवति । सत्यामग्िदोत्ो खन्द तुदयाल्ञ ाभा- वादयो दोग्धारः । fare सरखूाम् । बोऽककन्ंि। सदशसरु्या- कानि safe स्यति समापयति चौरदभ्याव्यरुविःप्रदानेनेति सुरुखसा ताम् | खत faq! तदाखा वोऽथानरम्। गग्प्ररतयाग्निो रद्य श्रयते । ताम wha रभिदध्यो मिथन्यऽनया स्यामिति त।समननभव aat <a प्रासि्चत्तत्पयोऽभवदिव्या- दि (२,२,४,१४) | तदभिप्रायमषा इ्वदति । Weg मावः नाखि steer यासां ता स्यः QVM Ga: प्रष्टा इत्यथः । मचिनो fe wads अयो aratsaiq: मलं चिरकनोमाद्मातुषक्ां ad दों एकर ETE arte पयो Ea दुदुहे ददन्ति win wfam श्क्ररूपेर font खकान्तिभेव मायो दुगधसूपेर खरको- त्यथः | aweurafeafa विगेषणदयं पयषः। ewe सनोति सष्खसाणम्। चातु मास्ैपश्सोमानां सन्मक्ठारम। परतवमाषंम् । जनसनखनक्रमगमो विति faanaa विडनोरनुमाखिकस्प्मादित्याकार Fare सशखसा दति रूपम । सथा fe बदरम् । मवि anata cee पययुपचयते। सा Karam डष्कारोत्यपक्रम्ब तेदेवा विदाश्क्ररोष सामो feat इत्यादिमा प्न्बनमोभिर्दिंदणेषद्टर्ति प्रत्यपादि । यद्धा सुदकसाखषिमिति विभङ्किखिङ्गचनयत्येन खय tag निष्ट अकदयम्। किष्ूता अय. Wee ऋषयः । पूथवद्या वा रैनि ।
RAeugor gor] उन्तरा्चिकः। २५६ भथ हितोषा।
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अयरद्टयंदवोपहगयरसरारसिधावति। ४२९२२३९ दर रेर सृप्तप्रवतञ्मादि वम् ॥ २५॥
“भयं ' सोमः “aa द्व" यथा सूयः सर्वस्व लोकस्वोपद्र्, तथा कन्णाम् “saga” sage; भफिचि “श्रय सोमः “सरांसि वियत् उक्थपाताणि [इति केचिद् वदन्ति, परेतु रिशदहोराव्राणि सरांसोति], तानि “धावति प्रति गच्छति [तथाच यास्कः“ "तबे तद् afew वेदयन्ते तिंणदुक्व- पात्रारि, माध्यन्दिने सवने एङदेवतानि, तन्येतस्मिन् काल एकेन प्रतिधानेन पिबन्ति, तान्यत्र सरांस्य यन्त - त्रिं गद- परपचस्याष्टोरात्राः तिंशत् पूवपचसयेति mam: (५, ११) slat ]। श्रपिषायं सोमः “द्वम्” श्रधिद्ठत्य “सप्त waa”
सप्त नटोरातिष्ठतिथः।॥२॥
9 We वे०, १, २; २।
+ “aa रताखान्द्रमस्य खआमानिन्वे aay भवन्ति रग्मयश्ला खपरपच्चे पिबन्ति । थापि निगमो मवति यभदितिमःकतयः पिबति सं wade ाप्यायन्ति। लथापि नजिममो भवति। ययादेवा Wagar qamnia’—cia च तच्छटाभः।
‡ qa प्रवत-ख छकान् परवत । अथव सप्त बन्दांवि'-ष्ति fae |
AR सामवेदसंहिता | [१०२ भ०१९स्०१,२.३।
घ Sata | Bet WT WT RT ALR अय बिश्वानितिष्ठतिपुनानोश्ुवनोपरि । ९ २ दद् रर
सोमोदेबोनस S: ॥ २५॥ १६ †
“पुनानः” पूयमानः “श्रयं “सोमः” “विश्वानि सर्षाणि भुवना" भुवनानि सवषां भुवनानाम् परि” “तिष्ठति” | aa दृ्टान्तमाह- देवो न सूयः” यथा सर्य 2@q: सर्वेषां भु उनानामुपरि तिष्ठति awza सोमोऽपौत्यथः ॥ ३॥ ee
इ. २. श्
॥ सचासादोयम. ॥ अस्या२५। पृल्नामनुद्युनम । ५ ५ १ र १ ए Wea! श्एकन्दु दे अद्दारयाः। पारयाः। सार : र्ब RT २
। खसोरेदो वादाटे४२ि। भारङ्ध्षौरदायि ॥
(१) WRAL सु य्य दवोपहक् । Meaty way र् हि ए x ९ ऽ
सरारसिधावा रतायि। सारप्ता। पाररवा। तभौ र्ब शद रे
शो ।. वादा ३४२यि। टारष्ण्यिवोकहायि ue) अया We Fo ९ %, 2%, QI
† म्रत्येनदन्त सेव ste awe, विवरकादि- सेयमेव । ‘om: sent. ग्यायः'- दति fae |
२अ०५खु०६सु०१,२,१] उन्तरा्चिंकः, २५३
र ५४ ५ rc र द्म । विश्वानितिष्ठति। steatt पुनानोभ्वनो १ र, र
। g श् पाररायि। सोरमो। दारदयिवाः। नपोरदो। वा
९ १ ४५४ ५ । हादेधयि । राररध्योदं दायि.) ॥ < ५ ॥ [९]
र् ४ ४ ॥ आमद्ोयवम ॥ अस्यप्रारेन्नामनुद्यताम । श्रु ९ & श्र zg १९ ९१
करान्दूरद्र२। ऋ आररद्याः। TEAR खसा९३ a ९ ४ भर
AAS! AMZN) अथस रय्य इवोपटकं। अयशसा
श् र् १२ ९१ रया २। सिधाररवतायि। सप्तप्रवा। तभ्राररदिवाड। ४ & टर ५ Xt र
ate We) अयं वारयिश्वानितिष्ठनायि | पुनानोश्भ२। व च॒ १ श्र नोररपरायि। सोमोदेवाः। नस रररियाउ। बा३। रेर ११११ स्तोषे २४५ (३) ॥ २ † ॥ |] ° र १ र |. २ 2 ॥ जराबोधोयम ॥ अस्य प्रन्नोवा। श्रानुद्य ताम । ९ १ ९ र र ४ he ह
WARE | च याःसाश्दारेरेखा। साम। wa
@ Go Alo cHe (Wo र्सा० t Ho गाः eyo ९अ० aero |
२५४ सामवेदसंहिता। [प्र२अर०१६स्०१,२,३)।
र र १९ OR १ TTR ४१५६। डा॥(९) यरसुर्ययवा। भायिवोपदहक् | २ १ x
| द॒ ९ र ४ AMAT | स्िधावातायि। सप्राप्राश्वारश्ताः।
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र रे ९ १ ९ च आ। दिवोरे५६। डा ॥(र भयं बिश्वोवा । नायि
त र र र् दर ९ श् रे तष्ठतायि पुनानोरदेभ्। वनोपारायि। सोमोदा Kg 2 र
यिवारेदना। Bl रियो३४५दइ्। STB) Wee & N13)
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॥ हाविग्मतम. ॥ हावसख्यप्रल्ामनुद्यतर दाउ । WAH
: १ २ R 8 ९ श rea) इ अद्वाररथ्याः। रएेरो१बारयिदो।
२ र ४२ र् ALAA | खसाम। श्ारर्षाररेऽ्मोद्ोवा ॥८९) डा . . वय्य्यैद बोपदग्धाउ। अयरसरा३। Wares
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R etefaatess aera ॥(र) हावयंविश्ानितिष्ठतिदधाउ ।
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पुनानोभ्र२। वानोपारर््रायि । ररेहोश्भाररविद्ो ।
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२अ०१य््०१सु०१,२.२] उत्तराचिकः। २५५
ATT सोमोदारयिवाः। TRL रात्यारर४्भीदोवा । वि २९११९ यनि९२४५॥ = *॥ [४] २ १ २९९ g g
WATT ॥ अस्यप्रन्नाम | नुद्य.उताम् । र् य ~ ५. ९ २ र प्रक्रन्ददूरे। ऋ आरद्टारदश्याः। पयाःसाश्डार। ए श . ५
BABA | भारदध्षीददापि॥१ अयरखणेः। zat
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पा्क्। भायसरारे। स्ायिधारवाररध्तायि। स
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्ाप्रोश्वार। त्भारे। दाररध्यिवोईदायि ne अपं rT TR R
विश्वानि। तिघ्राश्तायि। पनानोभूर। वानोर्पारर
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्रायि। सोमोदाश्यिवारः। ASE l रारदध्योददा वि॥ १८ †॥ [५]
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॥ मार्गीयवाद्यम ॥ भस्योहोवा। प्रान्नारम्। अ
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नृद्य,२२४ताम. | Hess । BARRA: | पवः।
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५६ सामवेदसंशिता। [षप्र०श्अ०१६सु*१,२,३।
g ड र ङ् Meal सारदा । सार्सारर्यौदो श् श १११९१ |. वा। Yat रषाररश्५यिम. ॥) अवीदचोवा । 2१ ३ । ९ et शद् | ओ, ययारः। इवोपाररण्टक्। अयरसरा। सिधाबाश्तार ५ „९ fat सप्त दा। भ्रोरदोयि। प्रारर्ध्वा। तारा ४र द २२४अी दोषा। ए२। दिवा२२४५म ue) भरोयोौष्टोवा । १ TR
वायिश्चार्। नितायिष्टारद्श्तायि । gary बनो
पाश्यारयि। सोमः। Bt Beasts दाररध्यि । 6 श R uz द १ ९
वाः। नार्स.२३४ Metal Cel रिया२३
४ yng) ॥ २० # ॥ [६] R < र् , ॥ सौमिचम ॥ अयस्यप्रनामनुद्य् तादमे । श्कन्दु द र् श र् SHI भरार२१४२२। यादः । पारर्याः। सहा
१ 8 ध 8 ४. 2 ब् रभ्ोर२। खसोवा। अाभर्षीईहायि 02) भरयरटम ये
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२अर०१५स०१य्०१,२,१] उ्तरार्चिकः। ,. ९१५
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४ ॥ 1 < Rg eure ug) अयं विश्वानितिष्ठता३ए। पुनानोभुव । R श 1 ब् ९ नो ₹१९९३। पराश्थ्दयि। सौोरश्माः। देवारेभोर
४ ou ४ a Bl TEA! राभ५योशडायि(र) ॥ १ *॥ [७] १ श श 1
। । 8 ॥ शेरतम ।॥ भस्य । एभास्या। geal न३।
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ध्वीम.॥(₹) भयम.। एभायाम। Bact at
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Rye सामवेदसंहिता । [१्०२अ ०१९स्०१,२,३।
५ at द् मिधादे। सारबिधाञ्दश्मो दौवा । वारशती । २. ३ ४. हर ट ह UT र R
सं्नाप्राररश्वा। AMA! तारमरारद्श्यैददोवा। दौ
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ररधवाम ॥(२) अयम । ए्यायाभ । विश्रानि। ता
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इयि। नारयितारर्ादोवा। छाररश्तो। पुनानो
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PRA । वनोर। वारनोरदश्यादोवा। पार्स ।
समं j er १. ४ भरर दारेश्यिवाः। ATR) नास २३४ अददा | 2 ¥ रोरेदश्याः॥ २ *॥ [८] g र् $ र ॥ धुरासाकमश्रम.॥ भश्प्रल्नारम । दोरदो३९यि । र $ zg र् $ शे अनुद्य ताद्म | Veena: श्एकन्ददूरे। weer $
< § र् R ३१। दं ्रश्यारः। चदोेरोरशयि! पयःसशा३। हौ
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२्र०५सु०१सु०१,२.,१] sans: | RHE ९ र रे $ र् ब॒ र $ र् अयदसू्यरः । हौरृरो३१यि। दवोपहुरक्। शोदद्ो
श् ई ₹ x | 4 aut fal अयरसरा२। शोरदो१। सिधावताड
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र् § श x र् दिवारम । शोरदो३१२२४५१। डा ॥(२ भयं विश्वा३। ९ द् द र
Weta! नितिष्ठतारयि ! हौददोयि । पुनानोभू ₹। ौरेदो३९। वनोपरारथि। डौरदोर९यि । मो
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पुनानोभुवनो। इाश्शारयि। पारर्ध्रामि। सोमार
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४ ५४॥ ve ॥ [१०] १९ अथ agar । ९९९२९११९ ११९९१२९ 8 र
VIVA मजनम्मनादे वोदेवेभ्यःसुतः ।
१९ ९१२
इरिःपविचेश्षंति ॥ ११ ॥
° He Alo Cale Wo ४सा०। † मूरलियं weengae प्रथमा, fercwfearaaas । तवेवानोशरव
बोध्यम् । ‡ इभं व वैमः Tee पञ्चत -दितौ य-दितौव-गवमे | we Tee, ©, ११, ४।
२अर०१५ख्०१स्०५,६] Bucs as Ret
“efes” efcare: “Ga” योतमानः “aw” सोमः “waa” yuaa “जन्मना” जननेन # “दषेभ्यः earl “सुतः” श्रभिषुतः खन् “पविते” “षति” भारोचते ॥ ४॥
श्रथ पञ्चमो | Sey LAS oe एषप्रत्नेनमन्मना S वोदे बेभ्यस्यरि । R शद an कह afafaquarad ॥ २॥
“Waa” quia “aaa” साधनेन aia ae दति Rap “देवः” द्योतमानः “एषः” सोमः “Va” Sarg’ “कविः” aur सन् “fare” Aafia यजमानेन waar “afcaraw”’ परिवदते ॥ ५॥
परथ WET । 8 RR UC ९२३९९ १ दुदानःप्रल्मित्ययःपविचं परिषिश्यस |
१९ २ ३ १ र्
कन्दन्देवाअजोजनः ॥ २ ¶ ॥ १७
° (जग्ना-कमंरा, नावा इति fae |
+ 'मन्नना-मग्म बमभिधोषते, बरेन'- इति fae |
‡ ae तवे तद्कमेब ence owe, विवरथादि-नयेऽप्ये व मेव । ¶ We Fo ६, ८, २२, ४।
Rez सामबेदसंडित । [शप्र oxqorcayez }
“परव्रमित्” षुराखमेव “पयः” रसं # “दुहानः” इ सोम ! पवित्रे परिषिखसे। हे सोम! तवं “क्रन्दन्” we कुवन् “देवान्” carey “अजोजनः'” स्वसमोपे जनयति । aa
स;मोऽभिषुते तजर देवा नियतं प्रादुभेवन्तौत्यथेः ॥
“अजोजनः"-“श्रजोजनत्”- इति पाठो ¶ ॥ gt १७ अथ सप्तमो धुः ।
१९ VTE PERT VR Ve. उपिक्लापतखषोभियसमाधेडिश चने ।
VR RR ३ ९
पवमानविदारयिम ॥ ९ ol
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डे “पवमान सोम ! “safaa”’ तवं समौपे Ft! कान् ? “उपतस्णुष” उपक्रम्य खितानख्दभिमतानिन्ययेः । “arg” mag wafectag “भियसं” भयम् “arate” कुरु जय । किञ्च तेषां weet “रथिं” धनं “विदाः” § ward विदि
दे होत्यथः ॥ ७ ॥
* (प्रय---शादुः्र्यम्, अथवा पय Sea WIC वा- स्ति वि |
न ५विन्यस्''-““निष्यते"- इत्यपि पाठभदः।
t मष्ट लियमष्टादसुक्तस्य प्रथमा, विबरख्छादिमतेऽ्येव Hat तयेवातोत्ररज धोध्यस् 1
7 wo qo ९, ८, ९; ५।
§ “विद्ते, भिद् लाभ, विदसन्तःयामित्यस्मेदं रूपम् --षएति Fe |
२अ०५द्०१्०८,९] छस्षराधिकः। २९१
अथय अष्टमो-नमस्योक्लोः प्रतीकमेव AAA “sary: जातमसुरम्“"-- शति, “उणाख्यैगायतामरः"- दति च॥
तेष्व्टमो WANA, भाब्राता- २३ २३१ ९३६३९३१ २ a RT उपोषुनानमपु र(गोभिभ क्गब्परिष्कतम. । १ २ ९ १ रे ~ : ~ इन्दुन्देवाश्चयासिषठुः) ॥ २ † ॥ “जातं” सम्यक् प्रादुभेतम् “श्रसरम्"” वसतोवरोभिः अहिः ~ e ॥ 1 | be 0)? ¢ aed “भङ्ग” शत्रणां भच्छकं “गोभिः” गोविकरेः पयोभिः ““परिष्कतम्'” wag संसक्तम् “ce” सोमं “ar” wares 6 | क “oO ON ‘2 उप 6 —tfa निपातद्यसमुदरायः उपेत्यस्याथ वत्तत ws “SI अयासिषुः" उपागच्छन्ति॥ ट)
नवमोत्वेव मन्य MATa — २ ९ LR ६ १९९२ उपास्मैगायतानरः(पवमानायेन्दवे । 2 822 रर
अभिदेवा्दूयक्तते) ॥ २ ¶॥ ९८
° यग पञ्चमे tf बोध्यम्। परमाश्यमेतन्--भविष्यत्पाडस्य पूवं म्रनौक- awefafa |
† Wo WHOS %, ty t ( Re Be Go )— GATT Y, % Vey L— WO Fo @, १२०१ ९२।
‡ उकत्तराप्रन्थारण्म शव ।
¶ अभव १,१,१५१ ( र्भार भ्य) वेण ९, ०, Re, I
६४ सामवेदसंहिता । [१प्र०२अ्र०१८्सु०१,२.३।
डे “नरः” नेतारः ! awe “देवान्” erate “अभि द्यक्तते आाभिसुख्थेन यष्ट मिच्छति यजमानाय aca “wa” अरभिषुयमाणाय “sea” सोमाय “oa गायतः" उपमान कुरुत ॥ ९ ॥ १८ | १ र RT १
॥ अध्यम् ॥ उपोषुजा रतम । भप्त रोवा। गोभि
९ ₹ 2k WT UC
भङ्ाम । परिष्क ताम । इन्द्देवाभ्र । यारेद। सि
षाडवः । श्रभिया ₹ ॥१) तमिददरी रन्तु । नोगिरी
९ 2 ९३९ ९९
वा। बच्धटसधशायि। श्ररोरिवा। यदनद्रष्यद। टा
g र्द्म । सनाडवा। श्रूधिया २ MR) भर्षानःसोरम।
₹९ श्ट ९१
शङ्गवोवा। Yar प्य षीमिषाम। agieq
द्रम । अरे३। क्थियाऽर्वा । शधियार। wefer : ~ ©
२४३। श्रोर२४५द। डा॥ ५०॥ [2]
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॥ प्रतीचोनेडद्काश्वे ¦ ॥ उपोषुजातम । भारत
* Se जार (He YWO Wo |
२्अ० ५० Fol —e } SU aR 1 २६५. ९. ९ ४ १ 8 देर शे राम.। गोभिभक्गम.। परायिष्क तारेरध्म । इदो |. | 8 2 शे श 8 चै यि। cesarean: पिष् । SY 2 & WAL (2) ‹ ‰ g R 4 तमिद्रद्न्तु। नोरगिराः। वात्छरुसधथि। श्वरायि 9 ` श्रे श र् z रिवारर४। दाहोयि। यदद्रस्यादारर्हाम । सनायिः। ४ ४ र शङ श ^ । 4 श्नोरर्ोवा॥८२) भर्षानःसोम। शारङ्कवायि। धू
९ १ ® क्र र् १९ ५ चसवपि। प्युषायिमिषाररध्म । इादोधि। वदास मूद्रा श् १ र ४ ५ ४ ४. | दमू। fart चओरदोवा। ईडा(२) ॥ ११॥ [र] 8 R र् 8 R ध्र ४ ॥ यश्चायज्नोयम् ॥ SUSUR । गारयाहेतानाराः। 2 ९ २ : R र् ; र् र पारेवामारना। aT RAAT Rafa दारवापि। g र्द र डर ए र् द् र् अभिदे वादयारक्तताड UAT भितेमा। धू १२ श १ श्र श : t AMAT | आथा RAT णोभारर्श। | Safir - ₹ र । र॒र ^ aR १ २ 4 ag: | दायिवन्दे बायद्ार्विवयाउ॥ यू(र)साः । नः
( १४ )
२१६ सामवेदसंहिता । (१प्र,२अण०१८सु* १,२,१।
१ र शर
पवा। खारशाङ्गारवायि। अच्छारना। यथ्ारेरमा।
ganfa: बौरतायि। शारूराजन्नोषधारविभ्यश्राड ।
# ११*॥ [६] ९९ र श् च xX ॥ सफम.॥ उपशोरकाप। तसखुरेदवाः । भिवा श् ९ 8
सारम । आधाविशेदेशा३। जाशरर््वायि । पवा । मानाभोददाहेः। TRV हायि ॥२ † ॥ [४] १८
दति सामवेदाष-प्रकाये ठत्तरागरन्वख दितौयस्याध्वायस पञ्चमः WBC gs
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@ He ATO WwHe YWGeo LClUle p T He ATo ९११० एअर Wage |
{ शथमस।कोवदिष्ठवमावसुह्ठम्। कृत् षो मिक मदः amaiifestaam । जिख बदिष्यकमानल्- एति fare |
© २अ०६य््०्१य्०१,२] safest २६९७ uz oy e— WAATS, प्रथमा ।
परसोभासोनिपञचितोपोनयन्तजमयः Ta चे ९ श
यनानिमङदिषादूव ॥ ११ ॥
“faafaa:” मेधाविनः “aaa” veer: “सोमासः” सीमाः “qa.” वसतौवयष्छाः“प्र waar” प्राच वन्ति । तत्र ट्टान्तः-- “वनानि महिषा इष" यवा प्रहा खगा वनानि ary afer agg ॥
"शअपोनयन्ते -“autaafer’—efa पाठी ॥ १॥
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चाजङ्गोमन्मस्षरन ॥ २१ ॥
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° नददानो ` माष्वन्दिगः पवमानो बह्वः सच fae उकः) स च.रुयते- असोलास एूति-- इति fio |
fe खा०५४,२, ५.२ ( Wate ११०) कर वे० ९१८ RY I
‡ wo बे० ९, ८, RY १।
२६९८ सामवेदसदहिता ॥ [शप्रन्रेश्मन १९ सु०।
“ofa” acaifa ta: अभि शब्टसते सरचित-क्रियाध्या- हारः। किम्परति१ द्रोशानि" द्रोणकलशान् * [ यद्यपि दरेणकलगएकएव तथापि तत्पधान्यादितरा्यपि पात्राणि Auta । श्रयते कक्ि्रेव gar वद््वचनम् । के “aaa.” बभ्रवः सोमाः “gan” दौपाः। केन प्रकारेण ? "धारयथा" धाराकारेण। कस्म प्रयोजनाय? Pur |
अथ Salat |
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सुताट् द्रायवायषेवरशूणायमर्ड्ाः।
९९४
सोमाभषेन्तुविष्णवे WR ४॥९१८¶
“सुताः” श्रभिषुताः सोमाः इन्द्रादिदेवार्धम् “sag” गच्छन्तु; ॥
"“ अरषंन्तु.-“अषंन्ति- दति ust ॥ ३२ ॥ १५
+ 'दोशानि-दोखकलम सम्बन्यानि प्रड-षमसदोनि wate, तानि'- इति fao |
+ परवाग्बयः। | , ‡ ऋ वे०९, ८, RI
¶ "अच मायतौ' भवति'- शति वि०। 5 Ua aimee:
२अ०६ख०१य्०१,२,२ उतस्षराचिक्रः। VES | # १ र “2 ९ श्र ` ॥.आश्वम * ॥ अभिद्रोणा रमिब्रवाः। शएुक्राङ्टतस्य श ९२१२ ९ 3 श् घारारया। वाजङ्गोमार रे न्ताम। अक्तषार्उवाषश्।, ११११ ॥ दा२२९४५न (२) Wee ॥ [१] $ 8३ र ॥ सोमसाम DART यवायवायि। are
१९ २ १३२ १ ५ ५
णायारमाद्। रद्ियाः। सोमा्रार्षा४। हाउ । तु वाभ्यिष्णएवायि। Sst डा(३)॥ १२ ¶॥ LI
र र । श १ ,
॥ ्राञ्चम.॥ प्रसोमासो रविपञश्चिताः। अपोनयन्त
१ श्र ११
ऊना रयाः। बनानिमाररदो। षादेउवा२। TRS
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४५॥१) अभिद्रोणा रनिबभधवाः । श्एक्राङ्तसखयधारा ¦
7 ६. -श९र एद् ९ १९ 4 ९ ।
रया। वाजङ्गोमारेरन्ताम.। आक्षार्उवारे। रार ११९१ ९ र
< २८५न WR) स॒ताद्र द्रा रयवायवायि | वरूणायमर्द्गा
* ““ाश्वद्धक्कम्”- इति Go Jo gis: | 1 Seo ato एप २अ. २१सा०। ‡ “जायवोशेमसाम"- दति Go ge ura) ¶ कर्मार the ९अ० १२सा०।
29० सामवेदसंहिता । [११०२०१९ सु०१,२,१२।
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याः। GAT TATA बाविष्णारउबाड। ATR?
४५यि.३) ex * ॥ [३]
१ र 'श्रर्र ॥ आग्ूए़भागवम ॥ प्रसोमासोवि । पञश्चाहेयिताः। श्र र् 4 t
आपोनयार। ताअरर््ाररश्याः। बनाना१यिमार।
बे ९ ९९ र हिषारः। भारर्ण्यिवोरशयि॥(९) भभिद्रोणानि। श् श् १ र् श् १ ह ¥ श्र PAULA: | शटुकाकता२। श्छफधार्रारष््या। बाजा ९ शद् c क्रोश्मार। तमाई। कसारद्रोशदायि॥ Tare
रद र् १ ब र ; श् च
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य। वायाहेवायि। वारुणायाए। ATSRATR AAT: |
श्र श 4 ह र १ | | AVATAR! TATRAA । ष्णा ररण्वोद चायि(२)॥९१॥[६] द FQ र ।, ॥ जराबोभोयम ॥ प्रसोमारोवा। वायिपञश्चिताः। wat ॥ १ art
नारेश्या। तजर्मीयाः। वनाना्विमारदष्टावि । षाः।
@ He Alo E> श्व" र्रशा०।
+ He Alo Re VGo LUGieo |
शय०६य्,१य्०१,२,२] ences: | २७१
शरे श् ब॒ et 2 |, ₹ श दवोदे४५दै। डा ॥(९) अभिद्रोयोवा । नायिबभवाः। २ ९ Tt < ४ WATT । सयधाराया। बाजाङ्गोश्मारहेन्ताम । , २ ९ ९ | १ शर र् Wl शरो४५६। डा ॥(र) सुताद्रद्रोवा। यावाय . ९ १ ब् 2 बायि। वङ्णार्रया। मर्द्भायाः। सोमामार्ध्षा 8 4
VAM वि। MATRA! डा.३)॥ १२ ५॥ [५। १ श्र ३ शे श ॥ सोमसाम ॥ प्रसोमासाः। विर्पाञ्चिताः। भापो 2 श wit १९ १ ९ ५ नायारन्तारयि, :। वानानायिमा३४। erst 8 १ श्र „९१९ १ हषा दवा ue) अभायिद्रोणा। fanaa: | IIHT २ ९ TAR t १ ५ ्ात्तारख्यार। धारया । वाजाङ्गोमार। शाउ।
g t श „ ६२ १ TAMIA ॥(२) स॒तादृन्द्रा । यवायवायि। are
g R ९५ € र १ ? 8 ४ शायारेमार। RAT arate) हाउ । तु वाध्यिष्णवायि। Set ae) nee eh [६]
क ~ अ* नाश १४१० १अ० रेखा । † “मायचौसोमषाम"- दति Wo Yo aw: | ‡ Se Me १४१० १० ९१सा.
ROR सामभैदसदहिता। CWeV Mole Bet 2%, 2 ' ब शर् बद ॥ रौदितङ्लोयम*॥ प्रसोमासोविपाः। चिता रः।
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अपोनयन्तजम््ारर्याः। वाना र्नायिमा२₹ t दिषो । ब॒ रेद् १
seat) भाभ्यिवोरहायि uy) अभिद्रोणानिवा। भवा १ र २ tt ४ च
रः। श्रएुक्राकतस्यधारार३ेया। वाजारेङ्गोमा२३। Rt । | - श श्र रर . १
तमोरख्ध्वा। TUT ई हायि WR) सुताडई्द्रायवा।
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यवारेयि। वरूणायमर्द्ाररेयाः । सोमा रेार्षार३। तुबोरदश्वा। प्णाभ्वोईदायि॥ १४ † ॥ [७]
ग TT ९ ९ ९ , १२ ॥ मार्मोयवाद्यम ॥ प्रसोदोवा। arate विषा ६ ५ VT R १ र १२ दारद्थयिताः। अपोनय। तजरमीश्यारः। वना। र् श् ह । ५ x ¢ g ¥ च्ररहोयि। नारदश्यिमा। हारेयिषारद्श्भो
<x ४: । १९ ११११ Sat) Vel इवार२२४५।८९) : अभोदोवा । द्रोणा १ रद र १ र
२। निबााररृध्वाः। एक्राक्त। स्याधाश्रायार |
कि ee et are * COfga कुरोयोत्तरम्"- षति Gegeais: | 1 Se Ate (४१० WM Us Slo |
VWo FHL Ho W,2,2] suacfan | | २७ शश
TAAL Tt भोरद्ोयि। गोरदेश्मा । तारमाः हैर र R ट ११९१२ र र १ र द्री डवा । URL क्षरार२४५न MC) सुती दोवा । २ 8 , १ र्र् साविन्द्रारे। यवायार्देध्वायि। वरूणाय । ASATY
श्र द यारः। सोमाः। हा। भहेदोयि। आररश्षी। R र द्
रवारर्मौशोवा । २२ ष्णवार२४१५यि (३)॥ ११५॥[८]
॥ भाभीकम ॥ प्रारर्सोमासो५ । विपौङोश्चायि १ १ द् श् र् ताः। भअपोनयन्तजश्म्मारयाः। बनाना २३४ यिमा। Rg चायिषारेउवा२४२। आ३९५यिवोशहायि ॥९) आर x «8s ५ १ र ₹ श भिद्रोणा५। निबोदोभावाः। श्एक्रातस्यधारश्राश्या।
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ATH? ३४ मा। तामारेडवा२४३। क्ा९४५रो६हा
वि (₹)॥ १५१ ॥ {<| द द ९ 8 र ९३
॥ रेडसौषपम ॥ प्रसामासावा। वायिपश्चारदध्यि
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२५४ सामैदसदह्िता। [१प्र०२अ०२१्सू०१।
¥ ९१९ VBA ॐ
ताः। अपोनया। तऊरन्मीरदेष्याः। वारना। मा
रुङ्यिमा। हायिषाद्रवा। ओर्टोवा ॥(१) अभिद्रोणो ट RR ४ १ २ १ © R
वा। नायिवथाररथ्वाः। भ्णुक्राच्छता। खयधार्राररं .
ध्या । वारजाम1 गारकेमा। तामक्षरान। ओर्
४ ५ ॥ ओ 8 ९ र १ 2 8 ४ २१
SEAT N(R) सुताद्द्रोवा। याव्रायारेरथ्वायि। बर्
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WAT ASAI | सर्माः। भार्रेषा।
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ठविष्णवा | भोरदावा । STU । डा (२)॥१ ९४ ॥१०]१< अघ प्रगाधामके- दितौयसूङ्े, प्रथमा |
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प्रसोमदेववीतये fA Yaa agar |
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अरशरोःपयसामदिरोनजा्विरच्छाकाशम्मधखतम Mle
@ Ho Ale १८्प्र० YWo wale | T Wo HOG & 8 ४ ( रमाण तपुर awe He ०५५१६४९
शअ०६ख०रेसु०२] SHUG: | २७५
हे “सोम !" लवं “देववौतये" देवामां पानाय तदघंम् “खणे- साः वसतोवर्याख्येन प्रपिष्य प्राप्यायसे । तत्र दृष्टान्तः- “सिन्धः a” अथा सिन्धुः उदकेन प्रपिष्य प्रप्यायते तद् [प्वायते- लिटि “लिडाडोख(६,१,२९)--इति पौ-भावः], aa “मदिरो न” मदकरः सुरादिरिव “जाग्टविः” जःगरणथौोलः। यदा, नेति सम्प्रतयथ। set मदकरो जागरणशौखस््यम् । अंशोः" लताखर्डस्य “पयसा रसेन “arya” मधर-रसस्य चछारयितारं “ata” द्रोणकलशम् “see” भ्रमि गच्छसि ॥ १५
श्रथ हितोया।
१ रे a yz a |: Ms ९ ३ १ ४४२ आयतो भञ्जन अत्कं अव्यत्प्रियःषमुनंमज्यः। २९ २१९९६९९ २१द् र्द
तमोरदिन्वन्त्यपसयथारथन्नदो्रागभसयोः ॥ २५॥ २०
“saa” सपद णोयः “faa.” प्रोणयिता “aqa’ सनुरिव “~ 9)
“qari? areata: “aaa” ware: ¢ सोमः “wea wy विचित्रे q “श्रा saa” wraafa “an” “इम् $
@ We Fo ७,४,१४; ३।
t ‘wa योषाजयं ata’ —tfa fae ;
‡ "अशु मः--तखखवरंः। “रतानि saarig खोमप्रतिनिषो” ware. ज शत्यु्कम्'--इति fae ।
¶ ‘qeua—fan, सोमप्रखाल्िते"- इति fao |
§ “वन् द्म्- दति पदपूरशः- इति fare ।
२७९ सामषेदसदहिता | [१प्र०२अ०२०य्०१,२।
एमं सोमम् अङ्कन्यः “agty” नदमानाञ्च वसतौवरौषु
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“गभ्यो.” वाद्धाः “a” भिमुख्येन “हिन्वन्ति प्रेरयन्ति ।
99
तव दृष्टान्तः- “अपसः am” बैगवन्त्ः शराः नाः “रच सङ ग्रामेषु प्रेरयन्ति तदत् ॥
© द् | “रजु नः”-“ग्रजन"- इति पाठौ ॥२॥२.
९ 2 g 8 , ९, ॥ योधाजयम ॥ प्रसेा३१। मादेदे। ब। वायि ३ ५ १ र १ श ९ ` तारदध्यायि। साधिन्धृहेः। नपारेयि! प्येभा४५। ९ ¥ र् ९ २ ९ र्द र् MRA! अटशाःपया। सा। मदिरार। नजा R ५ र् 2 रे २४५। ग्ररेदेध्वोः। WTR I काशारम । मध्२४५। v भै 2 र ४ । ४ श BRAVA) WRI AMAL Al YAR ४ र शद श र ४, दथनाम । श्राच्छा३। काशार्म। AWRY! खर R श्र ? ९ ९ र् ब RT र् रताम् । भादायंता। भ। जुनाभारे। HU ३ ५ ९ ए. 3 RR ४५। व्यारदेश्ना । प्रियारः। GAR! नमा३४५। ४ .. ४ . शे
3 ¥ ९ R J 3 जोररध्याः॥(र) प्रिया! । TAB Al माना
२अ्र०६ख०२सु०१,२] Tafa: | R99
| १ र ष्र् Re श PABA | प्रायारः। खन् र:। नमा३४५। जोर३४ | | ९. २ १ श् |. र श श याः। तमायिरूहिन्वा। fal waste) यथा२४५। 2 ५ ९ १ , श
रारेडध्थाम | नदारयि। षवार। गभा३४५। सो
रर४्याः(३) ॥ १२ ५ ॥ [१] ४३ ५ 8 Vt Rk Nasu ॥ प्रसाध्म। दाश्यिववो। तयाडयि। ४ ५ ९ र १ ९ १ र ₹ . सायिन्धः। नपायि। arate; श्रारशोःपया ष्ट „१ ५ र श 2। सामारुदारइश्यिराः। नजा । ए्वोवाभोरडेवा। < श्र २ तीव 8 % 8 BS! AMAT ATA! मधूप््ुताम।॥(९) भ 2३ भर 8 ५ १ ९ ४ ५ श्र HAT | TAL! ख् तारम.। अच्छा । कशाम् । १ र क, + ५ र मधृखच तादम। WEA | अजु रेन ६द्४अा | त्वी र 3 S| व्यजञोवाञ्रारेदश्वा। प्रियः। ङनोवाभ्नाररश्वा। ge uc ९ ५
नभाभजियाः we) faare:a: नश्न्नम। जिया३ः।
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29c araazafeat! [शप्र०२अण०्२०्स्०१,२।
४ | श्र १ ९ र पायाः। पायाः। Sas! नमा््जायादः। smite ५ x
९ ९१ , ea ferqi2 तिवारपारदध्साः। यथा । रथौवाश्नौरर ४ श १९ , ३ ५ ४ ४ BAT! नदौ । षुवोबाभोररण्वा। गमाभस्ियोः। शो
UT! डा (AN १३५॥ [२] | 4 ४ द ठि ।
॥ भभीवत्तः ॥ प्रसोरेमार्देववोतयावा । सायिन्ध | R श्र AMT प्ये्रार्णाश्सार२। भारुशोःपया ३९१९९२५ सा ४५ २९१ RR मदिरः। ATT श्वो ₹:। भच्छाकोशशारेम। AY
ट १ १२९१९११ खु२२४५। तार२२४५म (१)॥१६ TH [३] ४ द RR BTU Bt भ ॥ गौगवम ॥ प्रसेामाददेववोतयायि । सायिन्धू रः | १ र रश नपि्येमा३। णासा। भररशोःपयसामंदारश्यिरोर | ९२ ४ ४ :
शद् 2 श ४ ४ नजारश्वोः। श्रदणोःपयसामदिरः। नजाश्वोः।
@ Ho Alo {त्र २अ० १३सा०। + We Ale Ho (Ho eagle |
२अ०८ख०२स्०१,२] उश्तरा्चिंकः। we
९ © श्र R श श रू ४
भाच्छाको। MTL WRT मधेरेदथ्वा। Bye
ईहायि(१)॥ row [8] VTL T रष NITRITE † ॥ प्रसामदेववोतयायि । सि रर ररः ya पिये भर्णाररसा। अरशोपयसामदि रोनजाग्, रर र् tx र श २ र र्
बोः। भच्छाकोररशारेम। मार। WYATT |
१११९१ ALISA (2) ॥ १८ ४॥ Cal ५ द ९ ४श्५४र ५
R ॥ गोङ्गवम ॥ पृसेमारदे वबोतयायि। सायिन्ध्
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Vl नपिष्य आदे, णासा। अध्शा.पयसामदाश्दयि
Bj OF RR ४ ४ २ tt श् |
TIR| AMET: | अशेःपयसामदिरः। नजा
ट र् रेद् . Bay भाष्छाको। श्ा। Beet मधोररश्वा। a uy ४
चुभतोईडायि ॥(१) WRAY AAT । आच्छा
श्र ट र ¥ RT १ <
₹२। कों शम्मध्र। ख ताम । area तोभञ्जुनो२ह
* Goats सपरन रवर route | t “पदानद्दाश्डदोयम्”- इति Wego पाठः ‡ Ye माण रपर RWo १८ To |
Rete सामवेदसंहिता [१प्रण२अरन्२ण्सु०१,२।
१ , व २ ४ ५ RTL द द द अ।२। MASAI | आयं ती रञ्ज् ATT
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२ ४ ४ ४ श वा। जाधयोाश्डायि॥.र) पियःखरयुन्नंमजञियाः। पा wT ३ ९ ४ ५ रद्
यारः। SPAARl जाग्राः। नमीऽदिन्वन्त्यपाररं श १ र ४ ५ RU
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स्ताप्योश्दायि.रे) ॥ १७ ५ ॥ [६] यौधाजये RR g fe | १ ॥ योधाजये तारान्तम. ॥ THAR ATI व ।
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॥ देगतम ॥ पृसोमाइृदेवबोतयायि | ways far णेच्रार्णासार। भरशोरः। होरडोरेवा। पय
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ATR सामवेदसंहिता [११्०श्अ०२०्सु*१,२॥ र X 38 ९१ ५ र् WAT! ए९। मध् रश्चुतार२४५म iQ) अच्छा कोड ४ ५ ४ |, १ इ रर रेशम्मधुख् ताम | अआच्छाकोशंम. | ALS VARA
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नमाञ्नश्यारः। तमाश्यिम । ौरदोरवा। fee रु OR १ Ca oS ग्यपसोययाराश्थारम्.। नदाररयि । पृरवारइशश्रौ
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॥ पौर्हन्मनम ॥ प्रसोमाददेववोतयायि। सापि
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१९ ₹? र ९
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२अ०६ख०२सु०१,२] उत्तराचिकः। | २८३ र शर १ ९ शे ५ 8 TRINA | माधुखुररछताम. । AWA, ॥.
४ र र् ४ ५४ ५ x श x ए WRT ATA । ATTRA! मध. i , 1 द १३ < तारम | BATRA) अदखतः। VT) जनो ९ श ९ ६१ & श ४ । रर WL HAMM! त्कअव्यारेर४्ता। प्रायःसुन्; ।
९ ₹ 8 9 २ ४ ५
नमाञ्जौरदध्याः। नमा५ज्जिंयाः॥.२) faa रनुन्र
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मज्जियाः। प्रायःसुनुः। नमाञ्जोश्यारः। जायारः
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रारेदध्थाम । नादोषठुवा । गभस्ताररश्योः। गना ५८्ियोः। Suri डा(३)॥ १३ ५॥ [<] | द् < ware _ र १
॥ छहारायणम ॥ प्रसोमदौदा रयिषवोतयायि। सा
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दद्ध सामवेदसंहिता । [emer ५०२०्०१,२। भै श १ द् = RF ९ । STAT! DSR अच्छाकोाशम्मधोवाक्भोररवा। १
ख तोईहायि ng) अच्छाकोशोष्ो रयिमधश्च ताम् । भा
< < च्छाकोगरस्मधश्च तम.। आडार्यारेतो। अज्जं Tar © ₹ रे ६
‹ x २ | । १ HAT QATAR प्रियःङनुन्नं मोवाहेभोररथ्वा | 8 ४ ‹ श र । g STAC We) भ्रियःनोदो रयिनमभ्जिंयाः। प्रा < ष श ९ श यःसृनुन्नंमज्जिंयः। तमायिरहादयिन्ना। तियपसो | ९ हवि १ ९रु र ९ ९ ५ TMA । राथा रम् । नदोषुवागभोवारभोररभवा।
BUA TAA) ॥ १४ *॥ [१०]
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॥ दिदिङ्ारंवामदेन्यम ॥ प्रमोमारेरढेबबीतयायि।
सायिन् ननपिप्यभ्रणसाधगोः पयसामदि रोऽनजौदे ३।
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ङम्मा २। Deal | भच्छकोशामाधौदोरे। ममा ee ee ee
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६ & श्र श १ र रे WATE! HATS) Meat प्रियस्डलुन्नमौ S21 SaTet जिया। ओङ्ोवा ॥(२) प्रियःछर 8 | z < x दनुर्नमज्जिंयाः.। प्रायः लुरननमर्जिंयसतमीःडिन्बन्त्यपसो
श्र २ श्र STATA न्म्रारे। रारेदथाम । नरैषुवाऽगभो चोर। Sane frie: Tessa षोभ $1 डा(२॥ १७५ ॥ [१९]
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२९ ॥ कएवरथतरः ॥ प्रा सोमदेववोतयायि। सिन्धुन्नं
R १ 2 श् | 8 । 8 x ब् 4 पायि। ष्येरभार्णीरसा | sontqaaafecasra
Xe VAT र TALUS | अच्श्ाकोरर४शाम । मधारश्डवारर | ङ् ₹ ९ २ WT र १२ र १९ र ₹ श्र
ए२। ख तमा 02) आच्छाकोशग्मधुशुताम.। अच्छा
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२८६ सामवेदसंहिता {११्०९्अ०९१स्०१।
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श ष् c < कोशम.। मारधशुदेताम.। भदग्यैतो भजु नोभत्कं
र < c शन्यतार३९२द । भारशाय्यौरेतो। WAT
ut ₹ ९ ४ श् श् व्यतारड४शे | पियःस्२२४न् : | ममा२१बा२२ | ए३। श्र श्र र ९ २ १ र श्र द्
जियश्रा ॥.२) प्रायःसुनुन्नंमजिंयाः। प्रिवःसून.:। ना
x भर र देमा्ज्जारयाः। तमोपदिन्बन्त्यपसोयथारडछमैषौ । ता
1 १ २ XC
देमायिरुहारविन्वा। तियपसोयथारथाररध्मेदो | नदौ
५ ९ १ RT २
GRAVA । गभारश्डवा२३। Te | स्तिवोवा ॥९५ १२.२०
अथ ततोयतचे, Pf प्रथमा |
x रर् ९ २६ १९ ९ 2
प्रसोमासोमद् च्युतः खवसेनोमघोनाम |
BR ११९२
सुताविदथेभक्रमुः ॥ १ ४॥
© खर Ale र२प्र* YGo CVlo | t 'उक्नो माध्यन्दिमिः पवमानः, Saf गायचाशि ० ००। | Wie पवमानो ane: तस्य च्योतिद्धोमवत् कन्दांसि सानाञ्चाष नामधयेरिवोवाते--इति fae |
{ Wo We ४,२, १ ( एमा Rego Dawe Fe ९, ८, २२, CI
IMO QGo स्०२,२. उत्तरा खिं कः । १9
“सोमासः” सोमाः “agen” मदय्ाविशः “सुताः” अनिषुताः सन्तः “faca” aw “await” शविद्मतां नः" अस्माकं “अवसे अरव्राय कोत्तयेवा “a अक्रमुः" प्र गच्छन्ति॥
“मघोनां” -' "मघोनः" दति पाटी ue
श्रध हितोया। RB ९ Rae ९ रादौर श्टसोयथागण विश्वस्या विबश्न््तिम । R 2 रद् श्मत्येनगोभि रज्यते ॥ २ *॥
“aq” अपिच “faq” ` श्रयं सोमः “हसो यथा” “गणं
waay सखगतिविशेषेण aaa वा प्रविशति, तहइत् “विश्वस्य”
३ ८८ Cage 9? l= ॥ 6८ मो 9 9 सवस्य स्तोढजनस्य “मति” स्त.त afe वा “गोवत् वशं aaa; सच सोमः “अत्यो न अण्व दव “गोभिः” गवब्येरदवे al “aeaa” सिच्यते सि ग्धौोक्रियते॥२॥
29 € ॐ
अथ Sarat |
ye oe कोहि e ९ आदोन्तितस्यपोषणोहरिशडिन्वन्त्यद्रिभिः। २२९ १ र ह १९ रे.
द्रन्दुमिनद्रायपौीतये ॥ १ ४॥ ९१
° me Jog, ८, २२, 2 |
+ ‘Wq:—vwrfaeu:’ —xfa fao |
‡ we वे० ९, ८, 8) खअचवच्पुनः५,२,४,२)। परः तच तु “wala aq” - डति Ts: | |
Aca सामवेदसंहिता । [१्०२अ०२१य्०१.२.,२)
“आत्” अपिच “म्” पमं "इरि" हरितवखम् “¶न्दुम्” सोमं “चितस्य wa "योषणः" # शङ्गलयः “बद्विनिः'' ग्रावभिः “हिन्वन्ति” । किमर्धम् १ इन्द्राय इन्द्रस्य “aaa”
पानायैम्।॥ ३॥ २१
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॥ सुरुहितम ॥ प्रसोमासोम । दारच्यताः। आ
gt वार। शार ३यिनो। मारघोनाम। Tear १ ot र्
वार्यिदा। ध्भारर२। हाउवारे। AT Vas
| ‹ मू: (९)॥ १४१॥ 1१. ह १ र RES UT ४९ 4 ॥ श्राप्भागवम.॥ प्रसोमासोम। दच्यूरेताः। ९ रर् ५५.९२ ४ १ 2 ^ TARAS मारघोरदे्नाम | तुतावाश्यि। STR I दर ९
HANS | काररश्मोद्दायि(।॥२० $F N(R] VW
@ ‘ave:—afana, farennic; ऋत्विजः; दति fA | + Go मा० शप्र RWo १४सा०। ‡ He मा० wre cM Rogie |
RH Wes vote] उत्तराचिकः। १८९.
अयेकञ्चं चतु्धसङ्े^--प्रथमा |
३ १ र १ R RR अयापवखद बय रभन्पयं भिविश्वतः | २३ १ र
TATA ATT ॥ १ ॥ +
डे सोम! “देवयुः” देवान् कामयमानः त्वम् “श्या अनया धारयथा “aaa” Ati. ततः “रेभन्” शब्दायमानः “afaa” “विश्वतः” “पयं fa” परिगच्छसि । अनन्तरं “मघो मदकरस्य तव “aren.” भ्राकोयाः “Tema” स्यन्ते ॥
श्र दितीय-ठतोय-पादौ व्यत्ययेन ४ पाटो ue a > नि [प् अ्रथकच्च पद्यमे- प्रथमा ¶ृ।
श २ Rw ३ २९१९१६२ RL ९
पवतेचर्यतोषरिरतिशरा्सिरध्द्या।
दक रेर १२१ २ ९६ THU?
अभ्य सोटमभ्योवौ रवद्यशः ॥ २ ॥ §
° मूल) WAG, पदकारमये, विवरे चेदमपि aw तुचं; तथाचेद्मेव स्क्मस्य प्रपाटकदयाक्यमिति। |
न Wo वे० ७, ४, Ut, ४।
t AUS --"खयापवखदवयुमेधोधाराखश्चत | रेभन्पथंधिविश्वतः"-- दति
me TS: | ¶ भूखलादिमते farawa दाविति ome दितोयेति |
§ Wo खा०९, २ ३,११८.२० Ro Yo) = We FOO, HUG Vl ( ३७ )
६९१ साभेदसंडहिता। [११०२२१० २२सू्०२।
“इयतः” स्मृषटशौयः “हरि!” हरितवखे; सोमः “Cw” ढतौयाया श्राकारः साधुषेणेन “वरांसि कुटिलानि wast पविग्राणि “अरति पवते" wetter गच्छति । किं get? स्तोठभ्यः “area? पुजयुक्घं “यथः” “अभ्यषन्” अभिगमयन् पवते ४ २४
22 शपे ~ अथयकञ्चं WSs Weary * |
९ २ 8 ex WTB 2 १९२२१ ee प्रसुन्वानायान्धसोमर्न्नोनवष्टतदष्वः।
TT ₹ ९९ श VRC रद्
भपश्वानमराधसध्हतामखन्नभृगवः We † ॥ २ ॥ इति प्रथमः प्रपाठकः ॥
“qarara” (ware चतुर्थी (२,२,६२वा०)] warner afi षयमाणस्य “MAG” अदनोयस्य सोमस्य “aq” प्रसि aq,” वचनं घोषं “मर्तः मारकः कमे विघ्नरकारौ “a प्र बट न भजतां न awfafa यावत् । तथा हे स्तोतारः ! “अराधसं” साघक- कार्म-रहितं “maa? “aoe? | oat दष्टान्तः-- “मस्व a” यथा परा भ्रपराह मखम् रएतन्रामान “ara.” भपदतवन्तः तधा भरपशतेत्य्थः ॥
“प्रसुन्वानाय-^ सुन्वानस्य", “वष्ट”-.!ह तदति पादौ ॥१५२२ ° मूरादिनये लिवयक् दइाविंग्ति-खहद् तुतोयेति । † Ro We ¢,% te (रमा १९६८पु० ome Foe, ५,९२.१८ अनं. aural पुनः ९, २, ३; ९।
[रि
२अ०्द९ख्ु०५,६सु०१;१;] उश्राचचिकः। REL
| १ RT 2
UWE ॥ पव । तेडा३४। ओहोभय्यतोहगा
चिः। अतिहृरा्॑सिर। दारेहेया२४। aati स्तो ४ ४ १ ९९१९ HAAN | रारवद्य। शार२५४५;(३) ॥ १९ ५ ॥ [१ श्र र ४ ४ श ॥ गोरोविवम्॥ Wel WAZ! Aware म
। ब र ४
तीनिवष्टतदचारेहः। अप्वा ना२१रहम्। भराभधसा ९ x र , ॐ ४ ४ । % म.। दातामखादेशररम्। नभोवा। गाभ्वोदंदायि ॥ (३)॥ १७ † ॥ [र] = रर् a सोडराि ९ श ॥ सुज्ञानम TART) य्य॑तोहरायिः। भजि | श र् |: श् wei सिर्द्िया। अभियार्षा२। स्तोत्। 4 १ ११८११
Sates MEAT । रवद्यशयरउपा२२४५(२)॥९५.४॥[२)
ATM पवतेष्ा। यंतोदारदरार४यिः |
© Ho ATo १६प्र० YGo (gayle | T Se Alo (HO २० Lolo | ‡ mle Alo GHe २. WATT |
२९२ araazafeat | [प्र ०२अ्र०२२सु० १,२,२।
र् < र् र् < < afsrett | सिररुहारेरया३४। अभियर्षा । स्तोत्भ्यो द रद्
NAC ARI Messi ओहोवा। Weezy
पा(र)॥१९*॥ [४] २१२ ४१५ R
॥ पौष्कलम् Tae eA । तोदा २ ३४रायिः।
२ १२१ ध २ १
अतिह्ृरा। सायिरशडाररण्या। अभाभरषा। ala | २९ १९३२ ११११ रभ्योर३४५वाई५६यि। रबद्यशा २२४५; ॥ २ † ॥ [WR ति सामवेदाथप्रकाओे उ्तराग्रन्यस्य हितीयस्याध्यायस्य षष्टः खर्डःधुः ॥ q ॥ वेदाघस्य प्रकाशेन तमो BIE निवारथन् | समर्घं बतुरोदेयाद् विद्यातौध-महेण्डरः ॥ १ ॥
इति ओौमद्राजाधिराज-परमेश्वर-वैदिकमां प्रवत्तं क- खोवोर-वक्क-भपाल-सास्ाज्य-धरन्धरेण सायणा- चाय्यण विरचिते माधवोये सामषेदाथ- प्राये sutra हितोयोऽध्यायः¶ा ॥
° Ho Alo {Ho सश. १६सा०।
Tb Fo Alo eho चण रसा |
t ‘faecgifad प्रथममरः समाप्तम्" इति fae |
¶ “समाप्त प्रथमः प्रपाठकः'- इति fro मृादिसवंसमातश्चं तदिति षम्।
यस्य fagfad Fer यो बैदेभ्योऽखिलं जगत् | fata, तमहं वन्दे विद्यातौथ-महेखरम् ॥ १ ॥
॥ भथ त॒तोयोऽध्यायः आरभ्यते *॥ aa,
पवस्वा चड्ूति पञ्चत चातके TIAGwW —
प्रथमटचे- प्रथमा।
१२ २ १ ९ ३१दर WV २२११ र
पवखबाचो खभियःसोमचिचाभिष्तिभिः।
९९ श्र ३ ९ रे
अभिविश्वानिकाव्या we tt
€ “aa!” “afaa” genre तं “fafa” पूज Raq “ऊतिभिः cada: ae “are” अस्मदीयाः War:
@ “ददानो दितोयमररारभ्यते fadtay suse: | पश्चदलस्तौमिकं feria महः इति fate |
+ We Fo 9%, २८, UI
} ‘wive: serryar’—xfa वि०। अभ्रिय weed arevat भमवाम् याख्छः- “खग्रममने मेति वाप्रगरणेमति वाग्रसम्पादिन षति वा| खपिवाप्रमित्ये- तदमर्थंकमुपबन्भमाददौत”--टति ९, १५। | 7
¶ सविचारः विविवाभिः नानाप्रकारैःः- दति fae |
२९४ सामबेदसहिता। [२१्०्१य०्१स्०२,२)
प्रति “aaa”! ([ उक्षराद sma fareafa— ] “foatfa” सवखि “काव्या” काव्यानि स्त॒त्यान्मक्ानि वाक्षानि “af? पवखेति ॥ १ ॥
sa हितौया |
१९ २९ १९ शश २ र KTILR
त्वरसमुद्धिया अपोथियोवाचदैरयन्।
१ 8 पवखविश्वच्षंणे ॥ २॥ * डे “विश्चर्ष ये” सर्वस्य दष्टः सोम! “fam” qe: लं “वाचः” Pp “शैरयन्” प्रेरयन् “समुद्रियाः” भान्तरिक्षाखिुः “sq: seating “पवस धारया चर ॥ “विश्व चे फे” -“विश्वमेजयः- इति छन्दोग-बह्वानां पाटो।॥२॥ अध ततोया | रे श्र र्द
तुभ्येमाभुवनाकबेमदिन्नेसोमतस्िरे | १२ VU तुभ्यन्धावन्तिधेनवः we ६॥ ९ ° we वे, 9, १, २९, १। † “पियो गाचः- प्रधानमृताः ऋम्यलुःषामरूवषाःः- एति fae | ‡ “समुद्रः --इत्यन्रि्चनामचु ferret पञ्चदशं पदम् (१,१)। ¶ ‘eqfeqr खपः- समुद्रं भवाः खापः समुद्विषाः। दोख्कबः खमुद्रः'- इति fae 1 | § Wo Fo 9, ९; ९९; ९।
eMorqorgqer] उत्तरा्चिंकः, २९५
हे “aa” क्रान्तकर्मान् सोम ! “तुभ्यं” तव “afea” “sar”? इमानि “भुवना?” भुवनानि “तस्थिरे तिष्टन्ति aaa खरस्कवं aera: । किच “धेनवः wang faa: देवानां हविःप्रदानेन प्रोणयिवयो गावः # “तुभ्यं” त्वदर्धमेव श्राशिरं nae मेः- दति “धावन्ति आगच्छन्ति ॥
श्वावन्तिधेनवःः?--इति छन्दोगाः, ““भर्थन्तिपेनवः'- इति TET. URN
अथ दितोयतृचे- प्रथमा ।
९१२९ RRR २९२९ VL?
पवखेन्दोड़षासुतःकभो नोयशसोजने ।
द. ९. 1...
विश्वाञअ्पदिषोजदि॥ १॥ ^
ड न्दो” सोम! “सुतः भ्रभिषुतः “उषाः कामानां वधितला “aaa” धारया चर “जनेः जनपदे “नः अस्मान् ‘ara: anfaa: “कधि कुर ; “विश्वा” विश्वान् सर्वान् “fra” देन् णवन् “safe” मारय च ॥ १ ॥
® .चेनवः--जावः। अथवा धेनव खादित्यरशमयः- इति feo! T We WOW, % ४५ ९ ( Wile ९२७ ) = We Foo, १, २९, ३।
२९६ सामवेदसंहिता । [रप्र १्र०२स्०२,३। श्रध दितोया।
१९ me ए. ९ 2९. ~र RR
AACR AIAH TP ATA: | १ र ३ १२९२९ तवेन्दोदय॒ग्नउन्तमे ॥ २ ॥ *
हे “शन्दो सोम! “भस्य fp भस्मन् यागे वत्तमानस्य “a” तव “सख्ये” सखित्वे सति वयं स्तोतारः “तव” लदौये “उत्तमे चेष्ट “qa” wa तिः प्राप्ताः [ तथाच यास्कः “यन्नः दोततेयंशो ava वा (fags न० ५, ५)--इति ] “पुतन्यतः'” युदमितः waa b “arama”? अ्रनिभवेम भ ॥ दितौय-ततौयपादौ व्यत्ययेन याठो॥२॥ wa तृतोया | १ २ BLE रद् RF ३ र ३ १ > यातेभोमान्यायधातिम्मानिसन्तिधूवंएो ।
R रक्षासमस्यनोनिदः॥ २ ६॥
* wo 40 ९, १, ९३, ४। † भृरपाठ्खु “यस्यति; विवरकूहतापि तथेव Mera, पदपरन्ब -मान-
प्रन्धादाब्पि तथेव 74a | ‡ "पतन्यतः--पतनाः सेनाः, ताभिथ थाग्यप् सिताः वौरपुरवाःः- इति
वि०। “waan:’—xfa सङ्गामनामनतु निषब्टौ अष्टादशं पदम् (२, tol ¶ .सासद्चाम-सखम'-टति fae § ऋ0 qe ©, %, २३, ४.;।
२अर०१ख०२स्०१। उत्तरा्िकः। LO
~
हे “सोम!” “a” aa “या” यानि “भौमानि तूर्ण भयङ्रायि “तिग्मानि तौक्षणानि “mga” भ्रायुधानि # “र्व शे” शच्रवधाथे सन्ति a “aga: “समस्य ae
matt: “निदः” निन्दायं “a.” अस्मान् “Ta”? पालय (२५ र
अथ तोयत्चे-प्र्घमा
0. ९.1९ इषासोमययमारअसिवृषादेववुषव्र तः | २९९ १
वुषाधम्म्ी णिदश्निष ॥ १ ॥ ४
क स्
ean! "हषा कामानां वधिंता लं “दुमान्'' दीषि- मान् “रसि” । अपिच ह “2a” दयोतमान सोम! “aay” त्वं “हषव्रतः” वषेणगोलक्मासि। fay हे सोम! “ser” त्वं “धर्मीणि" देवानां मनुष्याणाच्च हितानि करसाखि “efaa” धारयसि ॥
““द्ष्रिषे”-“"दधिषेः'- इति पाठो॥१॥
° ‘nag िप्रासतोमरादौोनि-श्ति fae | + ‘faz:--faaci cufa निदः, तद्य सम्बोधनं faa: —tia fae |
t Bo Wo इ ई, १; २, ८ (२्भा० ९३ Fo ) = Bo do 9, ९१, ad, १।
( २८ )
Re सामवेदसंहिता ) (RW tH QHR,2 |
अध हितौया। १२ Re ९ क कि: ९१९१९२९ RR वुष्णस्तेवुष्णय्ररशवोवृषावनंवुषासुतः। WT श्र श्शद रद् सल्व॑वृषन्दषेदसि ॥ २ Ws ~ 6 %» 0 | ८ 29 व ५॥ 2 ह “aaa” कामानां aga ara! “aut.” afaq: 4 “a” तव “aa.” बलं धः “war” वषंणशोलं भवति “ad” तव भजनमपि, “वषा” agente “सुतः ्रभिषुतः तव ०83 ~ ॐ ¢ रसोऽपि “sar? वषेणभौलः “सत्वं “हषे दसि” वष णशोल एवासि भवसि ॥ “सुतोमदः" इति, “सल्ंसत्यम्"- दति च पाठो ॥२॥
श्रथ तृतोया |
र ९ ९९ RAR NLT RTI श्र रद अश्चोनचक्रदोवुषासङ्गादन्दोसमवं तः ।
१२ ३९ श्र रेद्
विनोरायेदुरोव्रधि ॥२१॥३
डे ‘qa’ सोम ! “हषा” त्वं “aga” waca “qgae:”
?
सडन्दसे। अपिच “गाः” पशून् “अवतः” wate wang’ © we go 9, १, १९, २।
+ ‘emt! -टष सेखने (sate पर० ) रुखन-खमथेखय ते- षति fae |
+ वः" दूति बल्नामनु जिषब्टो aaty पदम् (२, ९) |
q We Fe ०, १, ३८, ३।
३अ०१ख०४सु०१,२] उत्तराधिंकः | २९९
सम्प्रयच्छसौति at: किच “नः wert # “राधे धनाय दुरः" erufe “विधि” विहठतानि ge ve a3
भव चतुधतचे-प्रधमा ।
PR © २३ ९१९ ९३१९ ९
PATTAYA MATA |
१२ १९९१९. र
पवमानखदे शम् ॥ १॥ "+
हे सोम! लवं “हषासि fe’ अभिमत-फलानां वभिता भवसि खलु । तस्मात् ह “पवमानः पूयमान वा सोम! खट शं” सवस्य [ate वा ] द्रष्टारं [ खवँ Qagesi ar] “aga” तेजसा “qari” दीतिमन्तम् अतिश्रथेन तेजखिन- fare: [ स्त॒तिमन्तं वा ], “ला” atad “हवामह” यज्ञेषु आद्यामहे ॥ १॥
श्रध हितीया) ९ 2 2 ९ १२ ट १ Rk र यदद्धिःपरिषिच्यसेमण्टेज्यमामश्रायमिः। ९ ९९१९ १९१
दरोणेसधस्थमश्नुषे ॥ २ ॥ $
° "नः-अकभ्म्'-- दति fire 5 1 We खा० ५०२०५, ४(र्भागश्दपु०) = We Fo 0, 2,2, BI J WoF OBL!
२०० सामवेदसंहिता ॥ [रप्र १अ०४स्००२
हे सोम! त्वम् “maf” मनुष्ये: # ऋतिर्भिः “सज्य - मानः” भरतिश्रथेन भोध्यमानः सन् “ufx:” वसतीवयाख्याभिः “ae” wer “परि सिच्यसे" परितः सि्मानो भवसि, aerat Aq’ द्रोणकलशेन zwar: सन् “ave” सह तिष्टग्यत्रेति
N99)
Bie खानं ग्रड्चमसादिकम् “age” व्याप्रोषि॥
“सज्यमानमायुभिः"-.'डज्यमानो गभस्योः”- इति, “era’- “gq —sfa च पाटौ॥२॥ ।
अयत् लोया |
१ र ३२ २१९ रे
ATTA TN AGATA STS: |
Re F ३ १५२
retlaccatafe ॥ १ † ॥ ४
डे ““खायुध” | यज्ञ स्फय-कपालादोनि दशायुधानि-दइत्यभि- धौयन्ते, शोभनानि तानि यस्य स तथोक्घः। यदा धनुरादीन्धा- युधानि यस्य सः, तादय = सोम ! लं “मन्दमानः'' मोदमानः सन् [ भरन्तर्णीतस्यर्धः ] देवान् स्वयं मादयन् ss “सवौय शोभनवीर्यो पेतं पु्रादिकमस्राकम् “भ्रा पवस” पवतिर्गल्यथेः, श्रा प्रापय । किश्चटेड्न्दो! ग्रहेषु चमसेषु TAU सोम!
* “यवः, इति fang) मवुष्यनामसु सप्तदशं पदम् (२९) T Wo Fo 9, ९, ९, ५। † (मम्दमानः--शोध्यभानः तप्यमानो बाः-दति fae |
३२अ०१ख०५स्०१,२] उत्तरा्चिकः। २०१
"दह उ” way, waa यन्न ^सु wae” सुष्टु + आगच्छ ॥ २॥ ४
अघ पश्चमतुचे- प्रथमा ।
१९२९ iis ३९२९१९२ 8 2 पवमानस्यतेवयम्यविचमभ्युन्दतः। रर
ड् (4 सुखित्वमाव्रणोमद्े ॥ १ is
हे सोम ! “पविन्रम् भ्रभ्यन्दतः” पवित्रमभिदयतः ¶ “पव
८६ 92 9१9
मानस्य" aaa “a” तव “सखित्वं” wer वथम् अरमहोयवः
श्राङ्किरसाः स्तोतारः “श्रा ठणोमहे" प्राधयामरे ॥ १॥ अध दितोया।
१२३११२१९ १ २२१२९१६ ९
येतेपविज्रमूमयोमिक्ञरन्तिधारया।
श 2 तेमिनेःसोमण्डडय ॥ २ ॥ §
Sara: “a” aa “a” ऊयः ace: || “afaa’”
+न ‘3, g—tfa द्वावपि पदपरणो.- एति fac 1 ‡ Wo Fo, १, १८, ४। ¶ 'खभ्य॒न्दतः--खाद्र ' कुव म दति fae | “ § wo Fo ०; १, tc, WI | 'ऊभ॑यः-तङोयाः, सोमसङ्काताः - इति fao |
३०२ | सामवेदसंहिता | [गप्रण्१अ०५स्०२।
“धारया” “प्रमि चरन्ति" तेभिः तेः afafin “नः rary “sea” सुखय ॥ २ i
अघ तृतौया ।
१२ १ धर WT ट ९ १२९ १ र
सनःपुनानभ्राभररयिंवोरवतोमिषम् ।
९ १९ ९
दै शानःसोमविश्वतः ॥ २ *॥ ५
शे सोम! “विश्वतः we जगतः “tara” ईष्वरः “a” अभिषुतः “पुनानः” पूयमानः लं “नः” अस्मभ्यं “रयि” धनं "वीरवतीं 99 एुवाद्युपेतम् “saq” ep तम् Cera”
अरहर ॥२॥ पु
दरति सामवैदाधप्रकाशे उत्तराग्रन्यस्य तृ तौयस्याध्यायस्य प्रथमः खण्डः Fue il
-~-----000 ~~
@ We Fo 0, 2, १९, ६। + “दषं - टष्टिमन् वा-इति fao 1 ‡ ‘ow बह्िष्यवमानम्--ट्ति बि०।
३अ०२ख०.सू०१,२| उत्तराच्िकः। ३०३ अध दितोयखण्ड + प्रबमतचे- प्रथमा, १ RF Ve a ध १ 2 १२ अ्निन्दुतंवणोमदे होतारः विश्ववेदसम. | ९९३१९ ३१९. अस्ययन्नस्यमुकतुम् ॥ १॥ %
[ WS AAA AAAS afacaarn® समानरा- ai —‘afergarat दूत श्रासौदु्नाकाव्योऽसुराणाम्'--इति | तां देवं “दूतम्”. भग्निम् भरस्िन् कश्चणि ठणोमरे भजामः। कौशं “होतार” दैवानामाद्वातार “विश्ववेदसं” सवेधनोपेतं [ बडत्रोष्टो fart सञून्नायाम् ( ९, २, १०६)- sfa पूवपटान्तोदात्तत्वम् | “og” प्रवत्तमानस्य asa निदा- aaa “सुक्रतु गोभन-क्मौणं शोभन-प्रन्नवा।॥१॥
भष fectar | ३१ २ शे र ट. १९२ अगिमग्नि्दवोमभिःसदादवन्तविशपतिम्। ।, ९ 2 १ 8
इव्यवादम्पुर्प्रियम.॥ २॥ थ
° ^्दानोसच्धानि'- दति fao | T Wo Got, ९११२ (१भा० COTO) = We ३०१, १, RW UI t wo Fo 8, %, 22, 2 | ।
३०४ सामकेदसंहिता। [रेप्र०१अ०६स्०१,२।
[ य द्यप्यग्निः खरूपे रेक एव तथापि प्रयोगभेदादावनो- यादिस्थानभेदादा बहविधलत्व मभिप्रेत्य ] “afeaq—ufaq’— efa dara “हवीमभिः आ्आद्वानकरणेमन्त्ः “सदा हवन्त” निरन्तरमनुष्ठातार श्रावयन्ति #। कौटयम् १ “विशपति विशां प्रजानां Prarelat पालकं ““इव्यवाद्ध" यजमान-समपि- तस्य हविषः देवान् प्रति वोढारम् अतएव “gefaa” बहनां देवानां प्रोत्याखख्दम् ॥ [अग्निमग्निम्-“नित्यवोष्छयोः (८, १, ४ )"--इति वौष्छायां हिभावः; “तस्य परमाम्रेडितम् (८, १,२ )"--इन्य॒त्तरस्य आन्न डित-सस्न्नायाम् ““्रनुदात्तच्च (८, १९, २ )"-इत्यनुदात्तत्म्। दवोमभिः- हेज. स्प्ायां we च (म्बा०, उभ०); श्राह्वानकरणभूतेषु aay खव्यापार- aay कत्तत्वविवक्षया ““श्रन्येम्योऽपि दण्यन्ते( २, २, ७५ )“--दति कत्तंरि मनिन्; तस्य छान्दस ईडागमः ; aga दन्दसि (६, १, ३४)" - इति धातोः सम्प्रसारणम् ; az yaa; गुणावादेशौ ; निचादाययुदात्तललं ( ९, १, १८ ) । सदा-“सर्वेकान्येत्यादिना (५, ३, १५) सवशब्दाहाप्रत्ययः “सवस्य सोऽन्यतरस्याम् (4, 2, ६ )ः-इति सभावः; व्यत्य- येनाद्युदात्तत्वम् (३, १, ८५ )। हवन्त-द्वेलो लट we अन्तादेशः ( ७,१,३ ) ; टेरे भावण्डान्दसः (६4, 3, ७9६) शपि “aga छन्दसि ( ६, ९, २४ )“-- इति सम्प्रसारणम् , “fae-
° 'इवोमभिः-खोतबेः सदा wan: Gea; यानि शोतयानि इर्वोषि, नैः पुरतोऽवस्थितैः सटाकयने इति fae
© ३अ०२ख्०रसु०१] उत्तराच्चिकः। ३०५
fare: (८, १, २८ ) इति निघातः) विभूपतिं-“पल्याबे-
saa ( ६, २, १८ )“-इति पूर्वपदप्रक्षतिखरे प्राप्ते, “परादि-
म्डन्दसि ( ६, २, tee )“-इत्य॒त्तरपदाददा्तत्वम् । व्य
वाषम्--वद् प्रापणे ( भ्वा०, उभ ० ), “awa (२, २, ६४ )"
—tfa रवि प्रत्ययः ; कछदुत्तरप्रक्षतिखरत्वम् ( ६, २, १३८ , |
पुरूणां प्रियं-समासान्तोदात्षतवम् (=, १, २२१ )॥२॥ रघ ठतौया।
१२ श 2१ र ह २३ १२ अग्रदेवाधद्रहावषजन्ना नोंवुक्तबद्िषं | २ 8 ३१९२ असिष्ो तानईैडयः ॥ १२ ५ ॥ ६ † डे “aa!” “era's अरण्योरत्यव्रः तं ठकल्तबहिषे श्रास्तरणाथ' fea न बह्दिषा gma! तं "यजमान aqae- तुम् “इह” कमि efaas @arare—“a” श्रखदथंः “Mav? देवानामाह्वाता लम् “kena” स्तुत्यो भवसि 12 0k हितौयतचेष--प्रथमा। २३६१९ ९ 8 १२३ मिच॑वयरुषवामशवरूणरसोमपोतये | ₹ ३ २९९६२ याजातापूतदक्सा ॥ १॥ §
„ We TOR, LA! + “Cardy arqqma’—rtfa fae | ‡ जन्नानः-जायमाम,. खथवा यजमानः+ दति fate | ¶ ‘xarat मैनावसशमुब्धते- ट्ति fao | खग्यभिति xa: |
§ य° Fo १३, d= Wo Fo १, २, ८ ४।
( Re )
Reg aradedfeat ! [गप्र०१अ०७स्०३)
99
“वयम्” अनुष्ठातोरः “सोमपीतये” * सोमपानां [ “'हासौभारादिलात् पूवपदप्रक्तिखरत्वम् ] “faw” “age” च उभावाह्रयामः। कौटशावभो ? “या जाता वौ जातो सन्तौ प्रदेशं प्रादुभवन्तौ, “पूतद चसा” अषबलौ fl [ ger. पवने ( mite, उभ०) ; “निष्ठा (३,२, १०२ )- इति लः, खकः किति (७9, 2; ११ )7- दति शट् प्रतिषेधः। पल TAT ययोस्तौ “बडत्रोडो aera ( ६, २, १)? इति gare प्रक्लतिखरत्वम् ॥
धयाजाताः-^“जन्नाना”- इति पादी ne a :
अथ featar | ३९१९ ९६१२१२९९ १ २३ ९१ ऋतेनयावतावुधावुतस््ज्यो तिषस्यती । र श दर रश तामिचावकूणणाद्धषे ॥ २ ४ ॥
“यो” भिश्रावसुणो “aia” सत्यवचनेनवु यलजमानानुगद़्- ` कारिणा “aaa” ऋतमवश्यम्भावितया सत्यं कमफलं तस्य वैको “saa” सत्यस्य प्रशस्तस्य “ज्योतिषः"` ware “पतो?
पालको § [ श्रुत्यन्तरे भिश्रावरणयोरदिति-पुव्रतेन yaar
@ “aa हवेषपचममविद्भुवोरा उदातः" दति षा०९।१।९९। † “पृतदचा-पूतत्वे ग ewes च सम्पन्ना" दति fare |
t wo Ft, २, ८,५।
¶ (कतेन यश्नेन- षति fae |
§ “ग्योतिषः aera apace वा पतौो- इति fare |
VWoVBen qo] satifea 1 श्०ॐ
डादशारिवेष्यन्तभ् aaa wife: पालकत्वं युक्घम्, Bane च अष्टो gare भदितेरि्यपक्रम्य fava aqua aifen- माच्ातम् तौ मिवावङ्णौ | तथाविधं ्ावरुणेः “gut ge- भिति(9, १, ९८ ) पूवंसवणेदोषे भाकारः ] “इषे” भाङ्ग afar [देच भामनेपदोत्तमपुरुषेकवचमे सम्प्रसारणे (६, १, १४) THEW च (६, १, १०८) “वहुलं छन्दसि (२, 8, 9१ )”- इति शपोलुक् ; टेरो्छम् ( ३, ४, 22); “गु ara “किरूति च ( १,१,५ )'-- इति प्रतिषेधः ; उव - em: ( €, 8, 09); “firefre: ( ८, ९, २८ )"-इति निषातः ॥२॥
अध ठता ।
९९ श R शद द्
वङ्णःप्राविताभुवन्मिचोविश्वामिङ्तिभिः।
ष्र् ९१२
ATATA GUAT. ॥ २ ॥७
अयं “aga” 2a: पस्माकं श्राविता भुवत्” प्रकषण दथज्ञो भवतु । “faw” च “विश्लाभिः जतिभिः'' स्वाभिः प्राविता भुवत् । तावुभावपि “ae” अस्मान् “सुराधसः” प्रभूतधनयुक्षान् “करता gaara! [ डस् करणे ( उभ °) Trae, लोटस्तस्, तसस्ताम्, WRU णप्, गुशोरपरलत्वम्,
4 We वे 45% 5, 5
३०८ सामवेदसंहिता [२प्र०१अ०्८स्०१
शपः पिस्वादनुदा सत्वम् (२, १, ४); तिङ लसावेधातुक- स्वरेण ( ९, १, १८६ ) धातुखरं (2.2, १६२ ) शिश्बते Agno इनद्रमिहाथिनद्रति wad ढतीयं सलाम् # तन्र प्रथमा | २ ९२९९ ५९३१९ War २१९१ इन्द्रमिद्भाथिनोनृश्दिन्द्रमकमिरकिणः। RF ९ ९ ९ दन्द्रंवाणोर नूषत ॥ १ † ॥
गाधिनः” गोयमान-सामयुक्ता sei “gefaq’’ इन्द्रमेव “qea’ “‘arfafewaray ( gomez, १, ५०२) -दत्यस्याख््य, waa बुन्नामकेन (भार Are १, १, २७) साचा “wana” स्तृतवन्तः | [श स्ततो (तुप) + “सोनः (९, १, ६५ )”- दति aaa; afe व्यत्ययेनामनेपदम् ( १, १ ८५); We दादेशः (ॐ, १, 4); सिच इडभावः उकारस्य दौधेत्वं कान्दम् ( ६, १, १२९) ; धातोः कटा- fearq सिचो feet न (६, > १) गुणाभावः (१, १, ५) J eau” भ्रचन-हेतु-मन््ोपेता होतारः “waht” उकथ- ख्पेर्मन्तैरनषत। ये त्ववशिष्टा अध्वर्यवः ते “ard.” वाग्भिः" यजरूपाभिः इन्द्रम् अनूषत [ Waa मन्परत्व यास्क aaa (५, ४ ) “अर्कोमग््ोयदनेनाञ्चन्तोतिः]॥१॥
‘e न्द्रमाच्यमिदम्-इति Fao | t we Ge २, % ९,५( WHlo BD To) = we Fo kik, ULI
शअ्र०२ख्०शेस्०२,२] उत्तरा्चिकः, १०९
au हितोया।
र २२९ ९ २३ १ २९९१९ २३१ रे
इन्द्रश द्यो स्सचासम्मिक्लभावचोयजा।
१९ ९९१९ ९३ १ २ इन्द्रोवञ्चोदिरण्ययः ॥ २ * ॥
“gerq” दृन्द्रएव “हर्योः” इरिनामकयोरण्वयोः “सचा?” we युगपत् “ar afarg:” सवतः सम्यक् भिययिता। कौ- wea: ? “वचोयुजा इन्द्रस्य वचनमात्रेण रथे युज्यमानयो; सगिचितयोरित्यथः । श्रथम् “इन्द्रः” “वजो” gage: “fer पयय: सर्वाभरणभूषितष्रत्यर्धः॥ २॥
भध तृतौया । २ ३ 2k a ९ ९ र वृन्द्रवाजषनोवमदखप्रधनेष च | ३१९ ९१६ २३ श् उग्रउय्रामिष्धतिभिः we ti
शे “xg!” “oa” शवुभिरप्रष्टष्यः त्वम् “उग्राभिः श्रप्र्टव्याभिः “ऊतिभिः” श्रस्मदृदेष्यपरपन्तामिः “ars” युचेषु sae”? TAIT ‘gra’ TWio तथा सहस्रप्रधनेषु ष्ठु?? ससर-सङ्याक-गजाश्डादि-लाभयुक्तेषु महायुदेष्वपि cays ॥
० Wo We प०१.२,९ (रभा० REO Te ) = MO Fo १, १,१३,२। † Wo Wo To १,२, 8 ( र्भा० २८८१.) = We Fo t,t, 0a, 2)
२१० सामवेदसंहिता। [२प्र०१मन्टसु०४। अध चतुर्घो।
श २९ UE et
इन्द्रोरौर्घषायचससभा सयं दरोश्यदहिवि।
र्ठ ९९ श
विगोभिरद्विमेरयत्॥ es easy
way “om.” “Stata” प्रोढाय निरन्तराय “वससे” दथेनाय “दिवि” genre “सूं मा रोहयत्” gu sarees जगति यदापादितं तमम्तवरिवारकेन प्राशिनां दरटिसिष्य्धम् wifes ane खयापितवानिव्य्थः। सच सूः “गोभिः” खव ज्ञोय-रभ्जिभिः “अद्विम्"” मेषम् “aay” fant दर्थनावः प्रेरितवान् प्रकाशितवामित्यधः [ wera wees “गोभिः” अदि” मेषः “व्येरयन्” विशेषे प्रेरित- वान् । पश्चद् श-सङ्पाकषु रन्जि-नामसु ‘Sea’ (१) “किरणाः, (२) ‘ara: (१)- इति पठन्ति ( fare १,५),
$ ८८
जलेनिनित्तभूत विंशक्ङख्याकेषु waarag "ब्रद्विः'() श्रावा(२)- इति afs- तम् (fame १,१०)१४।८्
@ We Fe १, १,१९, ४। † "ददानोमेन््राम्न माच्म्'- दूति fate |
२अ०२य०४सू०१,२] उत्तराचिंकः। २१९
भव तचाष्षके चतुथ सुङ्ञे- प्रवमा | १२ ९ १र श्ट Ve शश ewe श्र इन्र WUTARTY WUT MATATHS | ३ ट श्ट ALR भियाधेनाअवस्यवः ॥ १ ५॥ अवस्यवः” र्षणकामाः वयम् “इन्द्र” BR “waa” अग्नो च “बुत्” wee ata ^` “नमः” इविर्लच्त यमच “gafe” quai स्तुतिश्च ¶ “भारोरयामहे” भरे रयामः। तथाच “धिया” कमा युक्ता § “षेनाः” | [ वारनामैतत् ( fawe १, ११, ३८ )] स्त॒तिरूपा वाच अभिप्रेरयामः॥ en
अथ हितीया |
द् ९९९१२ ९ र श्र ९१९
तादहिशश्चन्तडतद्व्याविप्रासजतये | 8 र Be ९ बाती सबाधोवाजसातये ॥ २ ५* ॥
@ Wo Feu, ९, १९५ ४।
T बृरत्-मखत्"- दति fae |
‡ -नमः--बमख्छाणरम्- दति fare |
¶ ‘etfa—atent रक्तिं वरकम्- इनि fro
§ “शिवा बद्धया-टति Fite | ^योः- इति कमेनामन्ु fare} wafanfa- सम पदम् (२,९)।
| शवेनाः- चे पाने ( wate Yo ), पामसमधाःः- इति fare |
oe Ro वे¶ ४०९ ९७,५।
३१२ सामवेदसंहिता [श्प्रन्१अन०्८सू*३।
ता fe” तौ wae werat “maar” बह्वः “विप्रासः” मेधाविनः जनाः “aaa” रक्षणाय “ran ~ a“ अनेन प्रकारेण “fea” wafer) तथा “सबाधः” समानं
N39
परस्मर बाध्यमाना जनाः “वाजसातये” अव्रसातये अन्रलाभाव ताविन्द्राम्नौ इते । यदा 'वाजसातिः- दति सरूग्रामनाम
( fargo २, १७, ३६, सर ग्रामायेम् ॥ २ ॥
अथ ततौया ।
₹२ ९९२९१९१२
तावाङ्को भिं विं पन्यवःप्रयखन्तो दवारम ।
९९ श Be र मधसातासनिष्यवः tie pied “uaa.” स्तो नमिच्छन्तः “saan” विलं च्षणेनाब्र - नेपेताः ४ "सनिष्यवः" सनिं wana इच्छन्तः वयं “मेध-
साता मेधानां यागानां ¶ “सातौ सभ्यजने निमित्तभूते
° (कोति यक्ादथ'- इति fae |
+ Wo Fey, €, (0, € 1
‡ ‘Neen: —wate यजमान उ्टहान् प्रति मच्छनकःः- र्ति fae | ¶ «सथः दूति faut यश्चनामसु चतुथं पदम् (१, to)!
aqorwmergot ] «= swofea ate
सति रे इन्द्राग्नो) "ता" तौ “ai” युवां “aN fa” स्ततिभिः “Saray” ॥ “विपन्यवः'"-“विपन्यवे--इति पाठौ ॥ ३॥ ©
दति सामधेदाधप्रकाओे उत्तराग्न्ख ठतीयस्याध्यायस्य feata खण्डः #॥२॥
| |
वषापवसखेति दतोयखण्ड p—
प्रयमतचे-प्रथमा | श ₹ R १२ ९१९ ४ ष शे वुषापवखधारयामर्त्वतेचमत्सरः।
९९ १९ RU २ विश्वादधानशओ्रोजसा ॥ १ १॥ डे सोम! त्वं “हषा स्तोतृखामभिमत-फलस्य wa: सन् Cara’ aera “are” द्रोणकलशमा गच्छ [ पवतिगेति- कामौ (fats २, १४, १०८ ) जागतस्ब यदा अस्माभिः इन्द्राय Stud तदा “मरुत्वते” aera मतो यस्य रन्ति wat इन्द्राय “amt.” मदकरख भव । wen १? “विश्वा विश्वानि aaife: व्याप्तानि वा धनानि “aaa” श्रामोयेन बलम न + (Sw प्रातःसवमम्'- इति वि०| + ‘carl माध्यन्डिनं सवममभिधीयते- दति fre | { Wo Wo ¥, %, ४, ३( एभान १०४०) We Ho 9, %, % ४।
( ४० )
११४ सामवेदसंहिता । [रेप्र०१अ०१०य्.श)
qa: सन् स्तोतम्बः तानि “दधानः” प्रयच्छस्व मादविता भवेति समन्वयः ॥ १ ॥ we हितोया। १ ₹? श १२९ २ tk Ret श तन्ल्ाधर्तारमोण्योऽरऽष्यवमानखडं शम् । श TT WW BLUR हिन्वेवाजेषुवाजिनम् 2 # ॥ हे “पवमान पूयमान gara वा सोम! “sire” [ खावाण्धिवो नामेतत् ( निम ४, ३० ex) |] सयोः “quit” धारकम् मतव “aed” सर्वस्व स्येव द्रष्टारं, wa दव्य वा। “शवाजिनं'' बलवन्तं तं पूर्वाकगुं afawy “at” at “वाजेषु” सङ्काभेषु त्वांप्रेरयामि [ wer “वाजेषु” विषयेषु त्ेरयामि, waza प्रयज ae: ण" ॥ २।
अध Sarat | RR ९ २ VAT ९१९ ९१९
अयाविश्नोविपानयाशरिःपवखधारया।
₹ ९ १ ९
युजंवाजेषुचोदय ॥ ९ ४॥१०¶
© we Fe 5, २, 2, ९१।
t ‘sie —erg | वाति fae |
$ we Foe, २, ९ \
q ‘te alwre’ era’ —cfer मि. ardafaain:—<iq च Fao |
शषा, खथिकररमृतेषु । गाथिनं quasi faye
न्वोक्ता-पमृमौनि सामानि तेषां are
। २अ०१यख््०१स्०१,२,२] उत्तराचिकः। ११५
हे “पवमान” सोम ! “अया” g [ भरव पय गतो ( «te, wre ) पचाद्यच(३, १, eas), तोयया भकारः (9, १, ३९ ) ] कर्माधमितस्ततो च्छन्तीभिः “विपा [ विप प्रेरणे (qo, ठभ ° ) wataent प्रेरयन्तोति विपा we aa! णएक- वचनं छान्दसं प्रत्येक-विवच्चया वा] रताभिमेदौवाभिरङ्घ निभिः “चितः” जातः निगंतः अमिषुतः “हरिः” इरितवणः लवं “धारया” सखन्ततया “aaa” दरोखकलशं ग्रहां aa! किख “qa” + सख्खायम् इन्द्रः “वाजेषु” सङ्काभेषु $ “चोदय, teat वदास्माभिरिन््राधः सोमा दोयन्ते तदानौमिन््रः सतुलयानेन we: सन् wry walla: ॥ २॥१०
श्र | x १ ॥ यौक्ताशम्॥ भोदोहोदायि। इषा। पवखा३ १ १ १ „श र् १ © | धाराया३। माङ्रत्वारेदेश्तायि। भोयि। चमार३। श्र १ र्
‹ a R % १ श । 4 : TATRATRASTT: | शओओहोदोदायि। feat) दधार ॥ a ९, श ATX XT १ ९
ALVA । जासाररश्श्रोष्ोवा ॥(९? अोदोदोष्ायि।
१ र ५
x १ ९ १९ , ९ WAT । धत्चरारमोणायोदः। पावापर्मारय२४्ना।
° (सवा यनया जिका विस पारूयिच्या'- दति fae | + वञं-वोगम्'- दते fae | | ‡ “वाजेषु-खद्गषु- इति fae)
२११९ सामवेदसंहिता | [रप्र०१अञ१०स्०१,२.,२।
श्र ९
ओयि। सुवार३। सुवा रइ४शाम्। भोरोहोदा यि। डिन्वायि। वाजारयिषुरेध्वा। जायिनार२४ <= at Rt aw र् १२ = | च्रौद्ोवा ॥(२) ओदोशोषायि। अया। चित्तवोरपा ९ ए , ९ ¥ ९ ॐ
नाया३। शारारयिः। पाररश्वा। ओओ। खधारर। ९ ,8 ५ ९र १ ९ १९ श
खधाररारखथ्या। ओदोषटोडायि। युजाम् । बाजारयि 2 ५ ९। R ex इ ॥ 1 2 ष्,२३४चो। टाया २३४ Bread | ओयि। ज्वर्
९ भा(३)॥ १८५॥ [१
श र् १ र ॥ सन्तनि ॥ FATSTS | पावखधारश्डवार३ । रा ४ २९ ९ ९ ९ श र
रर्या। मर्त्बतचमव्यरारः। विश्वाषटाड। ` दाधानं १ र १९ १दर शेर Ut श्रोरञ्राउवार३। HTRAVAT ॥८१) तन्त्वाध्तारमोखूयो
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पवमानसुव्रह शार२४५म.। feeders t वाजेषं वार
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इरिःपवखभारयार२४५। यजारशाउ। वाजेषुचोरेभ।!
¥ उवाररे। VTPRVAT(Z) We ४॥ [२ शद् १ 2 श ॥ रेखसोपणम् ॥ वषाप्वोवा। खाधारारश्श्या । २२२९ ' 9 मङ्त्वतायि । चमारल्षाररथ्राः। वारयिश्वा। दार र १ श्द । 4 2 रधा। ATATHAT भौरा ॥८९) तन्त्ाधर्तोवा। ९ ₹ डे 8 Rw’ wz k ॐ रामोणाररध्योः। पवामाना। BATHE २३४ MAI १ रश हा रयिन्वं । वाररजायि । षं वाजिनाम् । अौरदोवा॥८२) र्र् । $ श् | २९१ Rk अयाज्न्ताका। वायिपानार३४या। दराधिःपवा। ॐ Q । । | रेट १
खधारराररश््या। यु रजाम्। वाररेजायि । षन्ोदवया।
प्नोरद्ोवा। शो । डा(२) ॥२ + ॥ [३]
श्र १९२११ ॥ रोहितकुलोयोत्तरम्॥ वापवशधा। रया२। |. TRL र ट
मङ्त्वतचमल्छाररेराः। वायिश्ा र्दाधा२३। नश्रोर३४
° Go Alo Bho खर pale | † He Alo eye एअर Vale |
९१८ araazafeat | [रप्र०१अ०१०सु०१,२,१)
९ 8 = ५ . ~ द षः १. श् aT) जाभ्मार्शायि॥(९) तन्त्वाधन्नारमो। णयो ९ र रेः। पवमानसुवहं ONT Wierd रवाजाररवि। १९ श्र शरे र रे घ्रवोररथवा। जाधयिमोईषायि ne) श्रवाचित्ताविपा। श श्द् ब.
र नयार। इरिःपवखधाराररेया। युजा रवाजारेश्यि ।
a
घ्षोररध्वा | TVA wae) We # ॥[४] ety 8 भ्र १२ ॥ भामदोयवम्॥ वृषोपादवखधारया। ASAT? WZ १ जआरयि। marae: | विश्रादधा। नश्रोरशेजसा a द् र् Bt । Sl वा३॥९) - तन्त्वाधारक्ारमाणियोः। पवामा ‹ ह ५ WT ATU नार२। warezeaTat हिन्ववाजायि। gare = ¥ Bt र् fast aan) शरयाचारयि्चाविपानया । दरा १९ रर श यिःपाश्वार। खधारश्रया । युजंवाजायि। TAR
रश ११९१
इद याउ। वा३। स्तोष २२४५४८३) ॥ १ + ॥ [५]
* Go Alo ४१० (Wo gate + Go Ale He go Caro |
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v
शअ०१ख्०१स्र०१,२,१] suse: ११८९
7 ५ रद् 8 2 र् g NUT ॥ हाउवृषापवखधारयाहाउ। मस २ ३ र् | श .. त्वताशयि । बामत्घारदशराः। रेरा २३ fats ` श् र र् 2 बिश्वादारधा। नभो! जार्सार२४ BTR (2) इ र १ ९
इाउनन्त्वाधन्तीरमेाण्योर्ाउ । पवमाना । . सबं २२ BATA रशेरदाश्रारदयिदो। हिन्वेवारजायि। ष
द ५ 8 धरर -श्र र व श.
atl जारयिनारेद४भौषावा ॥(२) दावयाचिन्नोविपान , eg RE ROR
याहाउ। हरिःपबा३। खाधारारद्ध्या। शरदोर्भा
रेवि । युजांवादजायि। षुचो। दारयारदश्भोरा
१९१११९१
(वा। इविकतर२४५(२) ॥ १ *॥ [६]
NIPRINT. वषाभ्रौदाराद्धायि। पवाद
१ रश R
खाधाश्यायाई। ATSReaTezvatia | FATS | भायि ।
qaTegTe see: | विश्ाभोषोदोदायि। दधारना
@ HO Alo one Wo eve |
४२० Braga leat । [ग्१्र०१अ०१०्द्०१,२.२।
| श 1 3 ५द् x १ द॒ रे १ दारे RABAT | जारसर्दध्मो दावा ॥(९) AAT HTT ST २५ १ र ५
हायि। धक्षाररामार्णायोईेः। पावारमार३४ना।
सुवा२। ओयि। सुवारहं २३४ शाम्। दिन्धाभोर।
शाहायि। वाजारयिषूरशटवा । जारयिनारदध्भोहा
x3 et वा॥(र) waratereretar चिक्नारेवायिपाश्ना R „९ १ °
या३। हारारयिःपारद्श्वा। खभारे। ओआ। खधा
ररारश्ध्या। युजाओ्रौहोदोहायि। वाजारयिषु २३४ श्र र
R चो। दाश्या२३४भोरोषा। Wal ज्र२३४
ara) ॥ २ *॥ [७] . R ष ९ , ॥ आजिगम् ॥ इषापावा । खंधाराया। ART RC १ ॐ रे र् र् z ते। चामत्छारदराः। विश्वाद्ाधा | नश्रोजारेरेसाे
९ रर् {oe
४३ ॥(९) aararat) रमोणायीः। पवमान । व त
FEAT,
@ Ho Ajo One १यअ० Ryle!
९अ्र०२ख्०१सु०१,२,१] sai war: | १२९१
क र द R ह रर्थाम्। हिन्वेवाजायि । षुवाजाररेयिनारे४३म् ॥(२) १ र् R र श र् १ २ marae: विपानाया। हरिःपव। खाधाश्ार २ १ ९. a र १ र्या । युजावाजायि। षुचोदारेद्या३४३। भोः्३४५
६। Sie) ॥ १४ ॥ [८]
र र x र् ४९ रभ ॥ खारसीपर्म् ॥ वृषापवखधाराहेया। मर्तवतेच ब् . श् ४ |, र्
मा। SAL wrasse: वायिश्वार्डवा। दधा।
२ । 8 ५ ९ र x ब् TMV | SAYRE CLT ॥(१) तन्त्वाधकषारमोणा aeuxr श ९ ५ १ देयादेयोः । पवमानसुवा। SAI हरर््शास्। हायि ४: २ र्शर २१ न्वारेउवा । वाजे । षुवोरेदध्वा। जाभयिनोरहायि ॥(९) १९ दर र ? ४ ३४ भर १ R अयाचिक्ताविपानास्या। दरिःप्वखधा। Sal. रार
५ १९ र् Tree ₹२ 2 ५ 9
देध्या। युजा A SAT वाजे। षुचोरेद्श्वा। दा५
¥ METAR) ॥ १५ † ॥ [८] ° Yo Alo ११प्रण ewWo १४० | T ऊण Ale १११० रख १५४सा०।
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१२२ सामवेदसंहिता । [२प्र०१अ०१०्०१,२,३।
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॥ GST इषापवौरोरे। श्या। MTT
MIR 1 AMAA! इया । चमत्धाशरः। विश्वा aos दधौडोर। दया। नोजाररेसा२ ४ ३॥८१) वतन्त्वा
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WATER 1 XAT! रमाणायारः पवमानीषोर। श २ 2% SUE
CAT) सुवं ्रारम । feeaastetet ai षु tc & ९द् ९ : १ वाजारेद्थिना ३४ ३म् ॥(२) अयाचितो २। दथा ।
२ र १ विपानायार। शरिःपकवोशोर। इया । खधारायार।
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यजंवाजोहार। LAT ष्चोदार्दया३४२। भो २३
४५१ै। STZ) ॥ १८ *॥ [९०] श्र <x , ॥ कषभःपावमानम् ॥ दाहाउव्रृषापवा | STZ 1 डा १ „ ३ ५ १ र ९ २ र देवि । खाधाररा२२४या। मर्त्वतेचमाश्छारेराः। द॒ 8 a १ शे ४ 8 ४ । विश्वादारद्थ्धा। als! Talat! जाभरसोश्शा
© Ho Mo (che १यअ० १८्सा०।
३अ०३ख०१स्०१,२,१] उत्तरा्चिंकः। ३२३
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fang) रामोर्णारश्ण्योः । पवमानसुवाशड'दथाम। र, श ५ १२९ ४ ५. 8
हिन्बवारषण्जायि। भोमो। षुवोवा । जाभरविनो&
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हायि ५?) खहादाक्याचिन्नाः। wel हारवि। वा यिपारनारेषथ्या। इरिःपवखधा१रावा | AHA |, १ र 8 ¥ 8 y
जायि। भोमो३। षुचोवा। दाप्यौ दायि ३)॥१८५५९९]
Vee ९२१२९ श्र १ रर 2 ॥ दरिग्रोनिधमम् ॥ वुषापवदछधारया । बुषापवा । c TRL Rs खधारथार। महत्वतेश्वमाशोर। शछाराररः। We ४ ब वा। विश्वादारश्धा। नभो । जारसाररश्योहोवा ॥(९) १ इ ९ श्ट्रश्द श्र t र्द AAT UTA UAT: | तन्लाधन्वा । रमोाशियो रः | १ श १ gt पवमानसुवाहोर। हश्रारेहम्। हाउवा। = feeaat Ww द रदेजाथि। षुवा। जआरयि। नारर्श्मौषोवा॥(र) ख
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याचिक्लादिपानया। अयाचिश्वाः। विपानयार। रि
* Go Alo (CHO १अ० १९सा०।
१२४ सामवेदसंहिता | (रप्र०१अ०१०य्०१,२,१।
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ट 2 १ र् पवखधाद्ार। रायार२३।. दाउवा। यजवाररजा यि षचो। दारया२६३४अोदोवा। इरोरथीरर
४ ५:(२)॥ १९ *॥ [QR]
श्र १९
॥ गौषुक्तम् ॥ वृषापवस्वधो । STRAT ETA | रवा ।
मक्त्वतेचमै ₹२। वायि। वारयि WTR वि श् श श रादधानभ्ौर। वायि। वारयि । जासा २६३।
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SATA दोवा ॥(९) . तम्बाधत्तरमो । STRAT
हायि! feat: पवमानसुवौरे। . डवायि । sare |. R be x an att gt
fa दृशा र्म । दिन्वेवाजेषुवो २। वायि । sat
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रयि। जासा२३। शो रवारदेऽओदोवा ॥(र अया
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चित्ताविपौ । दोदोवाहायि। नया । दरिःपवखधो
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ey wath, वारयि । राया २। युजंवाजेषु
@ Ho Alo Yome (Go एखा०।
२अ०२ ख०२स्०१] waufsa २२५
_ १ . ९ ९, ९ WR Safa वारेयि। दाया ३। दारवार
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द्ओ्ोवा। भ्निराडता२२४५:(३) ॥ < ५ ॥ [१३] qx द | | ॥ शाकलम् ॥ वुषापवा रखधारया । AQAA TAT १९ र र१ |, २ .
RU वाविश्वार्। दाधानभोर३। म् । जार
BY ATTRA ॥(१) तन्त्वाधश्ञा ररमोणियोः । पवमान २ १ ९ \
सुबद्टर देशाम्। दायिन्वे २। बाजेषुवा २२। BAI
जा३४५यिनाईहायि ue) अयाचिन्ा र्विपानया । श २ १ र् दरद् ट
रिःपवस्वधारारश्या। यजा रम्। वाजेषुचोर२। म् ।
दारध्टेयोददायि(ड) ॥ ९” † ॥ [१४] १. भथ दितोयठचे- प्रथमा |
२३ १९ र Re 8 वबुषाशोणोचखभिकनिक्रदद्रा श २ 2 र
नदयन्नेपिपुथिवोमुतद्याम् |
° कण Alo २५प्र* रख रसा०। T HO Ale Royo रेचखन्१२०्सा०।
२२६ सामषेदसंहिता | [२१्०१०११स्०१,२।
१ र त R tt षर १ ९ इ द्रस्मेवबगर राश्टण्वश्राजी ९९ १२ R ९
प्रचोदयन्नर्ष सिबाणमेमाम् ॥ १ *॥ शोणः” शोणवस्व : <p “aa” किद् aaa: “ar.” पशून् “अभि” ल्य “कनिक्रदत्” ¢ शब्द करोति [ एवं “गाः” स्ततो “अभि कनिक्रदत्” अमिश्ब्दायमानः ]। तदेवाह- “agaa” शब्दमुत्पादयन् हे सोम ! लं ““एचिवोम्" “sa” भ्रपिच “द्याम्” एतो लोको “एषि” गच्छसि । fare “वम्नुः [am वानामेतत् ( निघ० १, ११, २५) तस्य] aR (11 27 ८८ 99 (1: Ay, © शब्दः “STS सङ्क TA “KRG”? La इव “TVA” सवः णः “प्रचेतन” क ८८4१० maa । ततः (प्रचेतयम् sara सवषां प्रन्रापयन् “sat “वाचम् “safe”? समन्तादागमवसि oe: wera TUT ॥ १ ॥ श्रथ हितोया। RX ९ १९९१९९९ र साय्यःपयसापिन्वमान
९१९ Re २३ ट र
Tae षिमधुमन्तमधश्एुम् |
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° We Tod, ४, U2, ₹। † ‘ate:—asre:’—tfa fae | ‡ “rafal -दरत्ति.-दडंविं--बोभूतु-तेतिक्ते-ऽशष्यं 1-sottoey--seferray करित्रत्-कनिक्रदद्-भरिधद् -द् रिष्यते -द्बिद्धतत्-तरिजतः- षरीखपतं--वरोषवम्. मब व्या-ऽऽगनोगनोति च (९, ४, ९५)" ति पाङिनिकरकान् we aie Gece
श्रण्श्खण्२ेसु०२] उत्षरा्चिंकः। are
Cz 2 ९ शे श १९
पवमानसन्तनिमेषिृण
श्र ३ १९ न्निन्दायसोमपरिषिच्यमानः॥ २ *॥ सोम! “रसाय्यः” [ रसेरोणादिक आय्य-प्रत्ययः (उ, १, ९६) | werent “पयसा? “पिन्वमानः” wey “ua” ““मधुमम्तं” माधूर्व्योपतम् “श्रम्” रसभावम् “ofa” प्राप्नोषि (“styazvarn aafa’—afa यास्कः ( fate , )]। अनेन सोमरसोऽभिधौयते। fae = aa! “परिषिच्यमानः” afk: afcfant ade’ “पवमानः” पवित्र पयमानः सन् “सन्ति” [ aq विस्तारे ( त०, Ge) eae: ] सन्ततां धारां “awaq” कुवन् “इन्द्राय इन्द्राथम् “एषि गच्छसि ॥ २॥ ma qatar | Bry १ द at क श्वापवस्वमदिरोमदायो ११९१९१२ ९१ दय्याभस्यममयन्वधसम् | ९९९२१६२ ११९ परिक्शेम्भरमाणोरूगरम्तं
४१२ ९१२
गव्यर्नोभिषं परिसोमसिक्कः ॥ २ ५। १९
दिवं बनमम्बास्ख त्वाभावो निमाममश्च । we wa “exfe लरूररूश्िटः ( १, ४, ९ )*- इति धानं -सम्बन्धमामे सावकाशिकः। @ Wo Foo, ४, १६९, ४। + “रसाय्यः रसवाम्ः- दति बि०। t wo @o 6, ४, १९, & ।
Qrc सामवेदसंहिता | [रेप्र०१अ०११स्०१,२,१)।
हे सोम! “मदिरः' agat त्वम् “उद्य्ाभस्य" « [ “क्रिया ग्रहणं कत्त व्यम्""--इति कमणः सस्मदानसज न्रा । aqaa बइलमिति षष्टो | उदग्राभम् उदकग्राहिणं भेघं “नम- aq” aera प्रद्रौङु्वेन्। कौटटणम् ? “queap ठत्रवधेन प्रखवन्तम् “wera” मदायेमेव “uae” aaa acl किष “quan” भ्रारोखमानं श्वेतं “aq” “परि भरमाणः” परितो बिभ्रत् “faa.” पवित्रे सिश्यमानः त्व गव्ययुः" sara aT sama “पये षि” परि गच्छ ॥ |
“वधल ”-“वधल्ेः"- इति पाठो । २।। ९९
RT रद ३ र ॥ इ दवद्वासिष्ठम्॥ wretarers दोयि। rer शद द् ९३ ४५. वृषाशोणो | भभमिक। निक्रदद्गाः। नदयन्नायि। षौ ९९४५ ar RR ३ पुथि। वोमुतद्यौम्। इद्रस्येवा। वद्मुरा। wus ४. ४ ९९ब् र् 8
भाजाउ। प्रचोदयान्। भषंसि। वाद । चामा २१ < र ९ 8 ५ विमा ९५९म् ng) रसायियाः। waar पिन्वसा
५ रर १ ९ ९९४ ५ ९९ द्
नाः। शैरयन्नायिषीडमध् | मन्तमरशूम्। पवमाना ।
° 'उद्प्ाभद्य-जदक-सश्वातद्छ वधल स्, उदकसरू घातस्य बधः येन क्रियते भवति परिगनः सोमेन स बधल्ल :"- दति वि०। + मन्त्रं तु प्रायो वधेऽनथस्यमवकारादिड^ ते |
RAOVRMoRr Ge? >, 2] Bafa si: | ३२९.
२ ९ र ke ५ २ श्र
सम्तमिम्। एषिकछषण्वान्। reais मादपरि। षा र श्र शव
३४२यि। च्यारमा५ना९५६;॥.२) रएवापवा । स्वार
२ 3 ४ ५ २१ शइ 1 x रे श 2
मदि। रोमदाया। उदय्याभा। स्या३नम। aay | a a R28 ५ RT VT @ai परिवर्णाम्। भरमा। णोश्श्न्ताम्। भौहो R र , र १ द ,
वादाङ्दोयि। cel गब्ुन्नोभा। षाहपरि। सोर
ष 8 ४२। मापरसाभ्विक्ता५९ः(३) ॥ २ * ॥ [९]
॥ पाथम् ॥ ओरहो$ोयि । gaat । अभिक ।
RRs ५ निक्रदद्भाः। नदयन्नावि। ीरपुथि। वीमुतद्याम् । : ब् ९१९ द् २९९ ४ ५ RT १
SUM | AT! श्टण्वञ्राजाउ। प्रचोदयान्। आ
घंसि। वार४३। Weary यिमा९५९म ॥() रसायि
श्र र् ९ ४ ¥ RT 2 याः। पयसा। पिन्वमानाः। शैरयन्नायि। Paar र ट ४ 4% R wt २१ ९९२४ ५
AMAT! पवमाना । Baa uaa
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( ४२ )
926 सामवेदसंहिता t [2m ०१शअर०१२स्* 0,22 |
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TRIGA! मादेपरि। षारष्ययि | | ATZATUATE । रर र 2 २२३ ४ 9
५६: We) एवापवा। स्वारेमदि । रोमदाया । उद
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TAT स्ारेनम। यन्वध्लूम् । षरिवणाम्। भर < R28 ५ , र् = र् शद् मा। णोरूशताम्। Weve गव्यर्नोभा। र् ९ र् २ 8 घारेपरि | सो३४३ 1 मारसा५यिक्ता९५९(२) ॥ ९५॥[२) दति सामवेदाधपकाे उत्तराग्रन्यस्य त् तौ यस्याध्यायस्य टैतोयः खण्डः Pug
oD पयकेनिकच्स)
रथ चतुथं खण्डे धुः प्रमाधरूपे-- प्रथमसूके- प्रथमा । र्द श र शद् 2 १९ त्वामि्दवामदसातोवाजस्यकारवः।
९ ३९१ २३१२ ३२९११ ९ १ १
वायु चेघिनद्रसत्यतिन्नरल्वाद्काष्ठा स्ववेतः ॥ १ ¶ ॥
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‡ ‘arsufacta देवता परिभाषा erat सैवावापि"" दति fao: GF We Glo ९, १, ५, २ ( १०४८१ we lwo Fo B, 9, १७ १ ।
रेश्र०४ख॒*१सु०२] उत्तरां. । ३३१
Cara” स्तोतारो वयं “वाजस्य wag “सातो” war जने निमित्तभूते सनि, हे “sm!” “ary इत् fe” लामेव “garage” स्ततिभिराद्कयामहे । हे इन्द्र! “सत्पतिं” सतां पालयितारं as at “नरः” अन्येऽपि agar शदरेषु" आवरकेषु way wa “हवन्ते” areata, AMAA | afaa “ada.” sae सम्बन्धिनोषु “काष्ठासु” यथा we: mien तिष्ठति तासु “area” सङ्गमेषु गुदकामाच aT
Bawa, Wil वयं त्ामेकाह्याम इत्यथः ॥
'"सातौ”-"साताः- इति पाटो ॥ १५
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WTEET 2 २? ९१९ BRR र सत्न्नश्चि ववज्जदस्तध W यामदस्तवानो अद्रिवः ।
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गामश्चररण्यमिद्धसद्भिरसचरा बाजन्नजिम्यषे ॥२५॥ १२
दे “तिज” चायनोय ! “Career” बजुबाहो ! “afga:” वजवत् ¶ [ यद्वा श्राहणात्यनेनेत्यद्विरथनिस्तदत् । Taya हे इन्द्र! “ष्णुयाः” wy: maui घषयिता fb “महः” महान्
~ * we qo ४, 9, २७ 21 † “खद्धिवः--वजुवन् । अथवा खद्रयः प्ताः । अथवा अभिषवप्रान् खः |
ते afza’—tfa fas) खत “aqaey © eat न्दसि (5, 2, 0)’ tf
इत्वम् | ‡ ‘wma -धारखण्ोखया बा प्रज्ञया av — fa fae |
VBR सामषेदसंहिता। (RT १्र०१२स्०१,२।
स ताद्गस्व "स्तवानः भरस्माभिः स्त्वमानः सन् “गाम्” “qq” रघवाहम् “aa” च “a किर सम्यक् प्रयच्छ । “fara” जितवते पुरुषाय भोगार्थं “aw? महत् प्रमृतं * ce e 99 ~ Ge
asia” अ्रश्लमिव यथा aaa जितवते भोगाघ बड प्रय च्छसि तदत् Pu zh १२
२ र द॒ र ९ र र: 8 ॥ वारवन्तोयम् ॥ त्वामिदा दो दायि । दावामा२३ द् द॒ ब sulfa! सतोबाजस्यकारावोररे४दायि। ल्वांडच्र धि टेर र ५४ १ 2 र् द्र सत्यतिन्ना२४। भोदोवा। इदारर्श्डायि। vse R ५ RUT x १ 9 RT ४द ५ वारर्राः। त्बाङ्गा । छासुश्र्वा ३२४। ओदोवा। | RT र | इ दाररधडायि । भीदो२१९६४। ताः । रडियार्हा 12) २ र द < र तुबाद्धामोदोदायि। सुअर्वारेरृश्ताः। सत्वान्नार ३ ४ टेर धद ४ १३ हायि। विचवज्चदस्तधष्ण२४। चओ्दोवा। इडा२२४
५ ९ ३ ५ RU RL ८ 86x दायि। उद्कवार३४या। AW वानोबद्रा 2 vt ° ‘gai—yar—tfa fact † 'वाजम्--अनत्रम्। न जिग्युषे-न nx उपमायोौ थः, यथा fered; aaa. शौय afeta यथा धमम्न्पद्यते तदत् BHT दरोत्यथेः।
श्म्र०ध्स्व॒०१स्०१,२] उत्तरार्िंकः) २२२
RT एर भ्र श्र र
MEAT | इहार२३४दायि। ओहो१२२४। वाः।
एहियाईहा ॥(र) मदस्तवाभ्ओोदोदायि। नोभद्रा २३४ | श्र ट
यिवाः। गामाश्वारइ४ज्हायि। रथयमिन्द्रसद्भा २४।
र ४र ४ १९ र् 8 २ शश रेद्
Baal | इदाररश्डायि । उज्वाररण्या। सचावा।
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जान्नजिम्धू२४। चओ दोवा। इ दारडछायि। ओदो
१२२४ | षायि । रियः दा। होदरं । Bg) Ne २५॥१।
रर दर् < ९ र ॥ कणए्वञ्हत्॥ भौ द्ोत्वामिद्भाहए । खवामाश्दा र॒र १ र रर र
र्ध्यि। हष्ोयि। सातौवाजस्यकारषः। त्वांवा टर चरर४। हाहोयि । षुडृन्द्रसत्। पतायिन्नाश्यारशः |
RT र AT 8 7
STE | त्वाङ्गाश्ार२४। दाद्ो। सु्ा३। वां
४ रर् दर र र VAT: | उडवाईदाउ। वा ॥(९) भी दोत्वाङ्ाष्टा र १२
२९। सुञ्रावाश्तार२४ः। दाहोयि। सात्वन्नशि । च
© He गा० र्रप" TH र्द्साः- |
१२४ साम्रिदसंदिता। [र्प्र०१अ०२२३स्०१।
१ र ` RE र | १ र श्द॒रे
वाजाश्चा२३४। दाद्ो। सतधाष्ण श्यार२०। दादी १ र et 2 RT शे
यि। महास्ताश्वारर४। दादो। नोआआदे। -RTREB ५ 4 Rt ब्
यिवाः। उद्वा६दाड। वा ॥(९) ओदोमदस्तवा२९ t
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नोओआद्राश्यिवाररः। दादोयि। गामश्रुवम् । रथा
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वियाश्मार२४। Beart द्रसाङ्काश्विरार२४। हा
श्र २ 2 8 |.
St सचावाश्जार्दथ्म्। दादो। नजारवि। ग्यू ५ + | ररश्षायि। उटृवाई हाउ । als) ॥ १७ * ॥ [२। १२ श्रथ fediaaa प्रगाथ- waar!
९ ww eI ११६१ १ ९ Rez १ रे | अभिप्रवःसुराधप्तमिन्द्रमच्चे यथाविद् | १२ ९१२ ९९१६९ ९१९२ ३९ र ₹ १९ 2 योजरिढभ्योमघवापुरूवसुरुस दखेणेवशि क्ति ॥ ९ ‡ ॥ ,पुरुवसुः पश्वाद्बिहषनोपतः, यच्रबाइस्यात् agfa वासको वा “away? धनवान् “यः” इन्द्र “afcaw:”’
@ Ho Mo Veo LG? Los! | ‡ qo Ue & 2% १५, २( LATO BER Zo Jaw fo € ४, 08,8!
RJoRBorgor] wartifag: | ३३१५
Wid अस्मभ्यं (सतसरेगेव” सहस सदह ।केन धनेनेव “शिचति"” [ गिक्षतिदौनकमां (निघ०३,२०,८ ) ], प्वादि. बड धनम् WW प्रयच्छतोत्यथः। ow gE: “qurfae” gar- स्माभिविंन्नायते तथा ह ऋलिजः) “व” युं “aurea” भोभनधनोपेतम् “इन्द्रम्” taeda देवम् “अभिः? अ्राभि- मुख्येन “प्र अच्च” प्रकषणार्चत ॥.१॥
3a दहितोया। तानोकेवप्रसि २ 2 PRL ९३ १२९ शतान।कंवप्रजिगातिधुष्ण.यादन्तिव् बाणिद पे ।
१९१२९९१२ श्र ह ११ 2
१२ गिरेखिवप्ररसाअस्यपिन्विरेद चाणिपुरुभोजसः ॥ २४ NSP
“eq &£ wy: धर्पणगोलः पुरुषः “शतानोकेव" यथा थतसङ्कयाकानि त्रुसेन्यानि “प्रजिगाति'” sand प्रक- ay गच्छति, तदत् ; इन्द्रः “erga” यजमानाधः “ठच्राखि यज्ञविघातकान् गतुन् प्र जिगाति ततस्तान् “हन्ति” । किख “परूभोज सः" बडइधनस्य “sa” gee सम्बन्पोनि “zatfa” दत्तानि घनानि “a पिन्विरे” यजमानार्धः nage वत्तन्ते। तत्र दृष्टान्तः-- “गिरेरिव” यथा गरे; सकाशात् रसाः” उद्क।नि पिन्विरे प्रवर्तन्ते तहत्॥ २॥ १३
व
“ We वे ९; ४, ९४, २।
[र
† वामदेव, Sareea साम। श्न, ब्रह्मषामः--दूति fae | ‡ धग्णया-धाररूखभावया'-- दति fae |
२२९६ सामबेदसंहिता [रप्र०१अ्र०१२सु०१,२1
४ 2 ४ ५ द् ट र ca | ॥ श्येतम् BTA! WALZ ys Wear श र् ह t 9 ५ ५ श् अआयिन्रमच। यथाविद्ारेर्ण्यि। ओद्दा। योजरि २ श १ 1 . र | २१ र तुभ्यः। माघाररवा । TSR) बारर४सः। सहसेणा र् र १ ut र् यिवारशा। Saris) ate are ३४ Bear nly) ४ 2 ब ४२४ 2 8 RT eT ४ |, शब ङ् 4 सख णेवशि | तारे४दावा। APT! वशा | ९ र्ट द॒ eT 4 विक्ततारदध्यि। Seat शतानोकेव। प्राजा र % . यिगा। लिधार। wees atl इन्तिवराणोश्दा। wt इ 8 280 BU Safa: ृएरषार२४ ओर होवा wa) तिवचाणिदा | 2 र टरथण्र ५४ शर षारऽच्रीहोवा। दान्तिडचा। णिटाश्रुषाररे४यि। ४ र्द र श र् श
्ओद्हा। गिरेखिवप्र। रासार्दच्रा। ware fre
न्वारहृध्यिरायि। कचाणिपदधरभो। न्मयि । जारं दर द
सार३४अ डोवा । वार३४््(२) ॥ ९५ ॥ [१]
° Gio AO रप्र Yo ३सा०।
३अ०४ख्०२सु०१,२] उषरा्धिकः। ` ३१७
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NATTA: ॥ अभाहेयिप्रा ३ वःसुराधसोवा। भ
विन्द्रमश्च । यथावा १ विदा रेयि। योजरितृ९१२३४। RT ४ ot २१९ रे
र RR MATT | पुषवाश्डरः। Aeraearefsal वशा |
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श fi wey) जार्२४५यि ॥१) सदारखे रणेऽव
५ ४ ५ १ श्र र १ र . LS शिक्तोवा। साशखेणे। वशायिक्ाश्तारयि। शाता | 8 ut २१२ R
नोकादश्रेरथ्यि। वप्रजिगा। तिधाणंश्यार। न्ता ९ १२९१ यिवा९च २। णिदार। श२२४५। षारड५यि ॥(२) र् XT दन्तारयिवारेत्राणि दाष्षोवा। हान्तिवत्रा। fazisg २ Bh ५ २ १
र्षा रयि । गायिर रिवा२१२२४ । प्ररसाअ् । स्यपायिन्वा १
यिरारयि। दत्राणा१्यिपृ ₹। रूभो २। जा२३४५।
३११९१६९ सार२४५:(३) ॥ ऽ *॥ (र) ४ ३ ४ भर ३२ BHT ५
॥ श्ये तनोधसम्॥ अभिप्रवःसुरा । धसाइषभ्रौदोवा।
© Ho गा० प्रर (Yo श्खा०।
( ४३ )
रेट सामवेदसंहिता [२प्र०१अ०१२सु०१,९।
. रे १ ॐ ५ ५ ॥ 8 भरायिन्द्रमचं | यथाविटाररध्ये, West) यो२३ श् Cr श २ ३ ५ g TMA: | AT) Al TEAR | सारे z ९ TR १ ५ ड ४ ३ शट sty डा । स्र णेवशोरर्वा । सारेदध्लो ॥(१) Wea ण वि । 2 2 eT श्र ५ 2 RTT R सतारश्चीषोवा। ACE । ata २३४ fat १ श १ द् र १९ र le! शार्रता। नोकेव । प्रजि। गा। तायि र ३ ५ भाष्ण RABAT) हदाररेन्तायि । वार्नाणिदोर३४वा)। ४, 2 ४ RT ४ ut sT3Ty ररद्षे ॥.र₹) EPATAT WNT! Wats 8 ओषोवा । । ओ व शान्तिवचा शिदाग्रुषारर्ण्यि। ओदहा। गारेरयि x र् १ र . रः। आयिव। प्रर। साः। AT स्यापिन्वार २४ fac
श ५
fai दार्दका। णायिपुरूभोर३४वा। जा२३४
+ | साः(२) ॥ ११ *॥ [३] RX र चद
॥ वाडनिधनं करीच्चम् ॥ अभायिग्रावा३१९३४;। सुरा ।
# Ho गा० WWe LGo ११ा*।
द०४य०२स्०१,२] उत्षरा्िकः। ३१८
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धसारेम्। इन्रमर्चा३१२३४। यथा । faetefa योजा
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वशि। कतादेयि। wea णारेरट्यि । वशि । wat
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दयि। शतानोकार१२ख४यि। वप्रजिगानिध। ष्णया
९ ९.
३। चन्तायिवाता २१९३ fetus ॥(र) इन्ता
ut २ र यिवाबाइ१२३२४। णि। ati श्रषारेयि। न्तिवचा २१२३४। farts श्एुषाइयि। गिरे रायिवा२१२३४।
2 ४र ५ ९ रे
प्रर साभस्यपि। न्विरारेयिद् जाणायिप् ३१९३ TTA
ATS 1 वा॥.२) ॥ १५॥ (8) १३
* He Ale २ १प्र० १अ० ५सा०।
३४० सामकषेदसंहिता। [रेप्रज१अ०१४सु०१,२।
श्रथ लतीयप्रगाये- प्रथमा |
₹९ RKC रर् ९ ९ र त्वामिदा द्यो नरोपोप्यन्वजिन्भृणैयः | १२२ ६ १२९८२ ९११९६१९
सद्र स्तोमवा दसद EAA पखसरमागहि ॥ १५ ॥
ङ “वजन्” वजुवभिनदर ! यं “त्वाम्” “ada:” हवि्मेरण- wat “नरः” कमणां नेतारो यजमानाः “eer? अद्य “छः qaqa “aaa” सोममपाययन्। हे इन्द्र! “qa स्तोमवाहसः" स्तोत्रवाषहकस्य मम स्तोचम् “ce”? zy “शुधि” ay “ससर” wee [ “दुरयः” (८) “ख सराणि०(१ o)—afa (fawo 2,8) weatag पाठात् ] “surafe”’ wares ॥
ˆ स्तोमवाहसः" --इति छन्दोगाः, ^स्तोमवाहसाम्”†+-- इति TERT ae
ay डहितोया। 2 9 र ४, 2 १? र खासुशिप्रिन्दरिवसतमोमदेत्वयाभ्षन्तिवेधसः। ९३१२ ३१ २९ VLR
तवश्रवारसयुपमान्युक्थयत्ततेधिद्धगिवेणः ॥ २४ ॥ १४
^ Wo We ४, १, १, १० ( १भा० ६१० We ) We Fo €,७, ३,१। † Wer शन्यखिक वयाष्छावसर (अकाकम्'-ट्ति बङयचनान्तः STH | ‡ ऋण Fo ¢,8, 8, 81
Bo VBMoI°Ao?,2 | उन्तराचिकः | २४६१
हे “ofafiq’ शोभनहनो ! “हरिवः इहर्निामकाश्ो- पेतः!” “गिर्वणः” गौभिंर्वननोयेन्द्र! “लया afa “Aaa” परिचारकाः “at भूषन्ति" « श्राभवन्ति, “मत्स सोमेन मादय ्रालानम् किच्च “ag” त्वा वयम् “fae” याचामहे | fa वाच्यम्? इत्यताह-“सुतेषु” सोमेषु भ्रभिषुतेषु wa “लवः” “श्रवांसि” safa > “उपमानि? उपमानभूतानि, हे “saw” प्रशस्य ! ध तव प्रसादात् सन्तिति॥
सशिप्रिन्”-“सथिप्र"- इति पाठौ ॥ २॥ १४
र ४ ut र् २ धर
॥ माधच्छन्दसम् qi त्वामिदा । दोयि। दियोन ५ ४ ₹ 2 ९ श wee! अपायिष्यन्ा। जायिन्भूर्णार३ण्याः। स
र श्र श्र aT 2 हर र इन्द्रस्तोमवादसः। इहाश्रूधा। ओदो ३२४ बाहायि। शद दे . ३ R शर
उपास्वासा | भौ दोउध्वादा। रमागाररदार४ट्यि ॥(? ३२०४५ द र set ५ ५४ ९ ९ Re
उपष्वसा। STI रमागदो्ए । उपास्वसा। रामा
श् गार३४दो। मश्रासुशिप्रिन्दरिवः। aarfaarer
© ‘grat कुवेज्ति-इति fao |
† “satfa—vwarfa qaifa वा-इति fao | { उक्या-उक्यैः सभ्नजनोवैः- दति fao | ¶ 'माधच्छन्दसं सामाच्छावाकद्यः- दूति Fao |
जयया
१४२ साम्बेदसहिता। [रप्र०१अ०१४स्.*१,२]
रः ३ AT ९ RT रे RT 2
ओ दोरेश्वादायि। त्वयाभूषा। White 8 aren ति tr र RUT TT ९, ९४दर ५ ५ वेधाररसाररः MR) त्वयाभृषा। दो । तिषवेधसाईए । > १ श्र १ ₹. 8 | १२९ द् श्र र त्वयाभषा। तिवेधारर४साः। तवश्रवारस्यपमा। fa , र 22 रे at भ्र यक्याया। भौदो २ ३४बाहायि। सुतायिषवा। चौ र हेद् र
दोटध्वाहावि। द्रगिवर्रणा ३४२: श्रोर३ ४५१।
डा (3) ॥ ४ *।॥ [१]
र शश्र द ४1 श
॥ मानवोत्तरम् Sas | व्वामिदाद्यानरः। चो रे द १७ र्
बायि। भापोप्यन्बचिन्भृणंयः। eText । मावा ९ 9 ४, ५ ₹ १ र १ 4
WHS | इहाररर४खृधायि | उपाखारेरसारे | रार
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TRV दोवा। गार३४दो ॥(१) दोवायि। उपस्व
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सरमागदडि । sraifai ऊपस्वसरमागडि | area + | २
शि। प्राथिन्दरिवाह१ः। नमारयिमारडश्हायि। त्वया
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VAouWol Aor] उत्तराञ्िंकः। [र २३४३
3 47 द् WMVVegg ll तारेयिवेरर४््री दोवा। धा२३४ साः॥(र) द रेरे रर ९२ श र्ब होवायि। त्वयाभषन्तिवेधमः। दोवायि। त्वायाभष € ९ र १ ७ ? न्तिबेधसः। तावश्रवा। साउपमा२१। निय रक्थार२४ % र १ र र् 2
या। सुताविषुररवारेवि । द्रारगारर४ओ दोषा | वार |
२३९; (३)। * ॥ [ २ ] १४ इति साम्बेदाथप्रकाओे उत्तराग्रन्यस्य छतोधाध्यायस्य
© चतुः खर्छःग il ४॥
पशचमत णर्डषुः- प्रथमटठच--प्रधमा। २९ श श १२ ९ me ३ १ ९ यस्तेमदोवरे ण्यसेनापवस्वान्धसा | R x 2 २
देवावोरघशसद्दा ॥ ११॥
* He Alo १त्प्र* रद्ध? त्सा |
+ ‘em माध्यन्दिनं सवनम्'-इ्तिवि°।
{ “शतोयसवनमभिधौयते'- षति fare |
4 Wo Glo ५, २४, ४ ( रभा० १४ ZO )= इट doc, ९, २९, ४।
२४४ सामबेदसंद्िता। [रप्र०१अ०१५स्०२।
हे सोम ! “ते” तव “Sarat.” देवकामः “अचशसहा
राक्षसानां इन्ता “वरेष्यः' सववरणोयः “मदः” AKT: © रसः विद्यते, “ते न" “aaa” अद्नौोयेन “पवख'” चर ॥ १॥
अध दितीया।
१ २३१९९ VR २ ३९६९ ₹९ १ १९
जप्नि$ममिचियधः सस्िर्बाजन्दिवे fea |
१ २ ३१९ & गोषातिरश्चसाञ्सि ॥२५॥ हे सोम! त्वम् “afafag” अभित्रभवं ` “aa” शत्र, Cafe. असि" हन्ता भवसि। किख “दिवे fea’ प्रतिदिनं “at” 9 weara “afa” awanfaq! श्रपिच ‘nafa” wat सातिर्दातासि, “waar” अश्वानां दाता चासि। “मोषातिः"-“मोषाड- इति पाटो ॥२॥
„+ Wo Fo, १, २१ ५। tefafagau—wfawad arn rca’ —fa fae | ‡ भ्वाजमिति faddarerq, wares wat zea ; WHE qna—tia fae q 'सुलिः-साधनखभावः'- दति बि०। |
र२१५०५ख०२स्०१ | उ्सरािकः | ३४५
अध ततोया।
र २१ र RF २९१३ १
सम्िक्लो भरूषोभुवःदपस्थाभिर्नघेनुभिः। BSS यनोनयोनिमा ॥ २*॥ १५4
हे सोम! लं “सपख्याभिः” शोभनोपसानाभिः “चेनुभिः” गोभिः [ Whaat: पयोभिरिन्यर्थः ] “afara:” सम्िधितः श्येनः a” यथाश्यनः शोघ्रमागत्य स्थानमासीदति तदत् “afta खकोयं स्थानम् “श्रासोदन्", “a” [दति wa- aa] ददानोम् “wan: मुवः” आारोचमानो aa
“sas -“ aa’ —efa वा पाटो ॥ २ ॥ १५
अथ दितौयठचे--प्रथमा ।
२९९९ ३२ ३ १२ अयम्पृषारयिभेगस्सोमःपुनानोभषंति । १३९१९ २९१२ रेक WA १ ९ ३ रे
पतिवि श्वस्यभुमनोग्यस्यद्रोद सोडमे ॥ ९ ४ ॥
“पूषा” पोषकः सवषां “भगः” भजनौयः “रयिः” धनहतुः “sa” सोमः “पुनानः” पवित्रे पूयमानः सन् “र्पति” कलग-
° We वे० ८, १,२२,१। न “क्का area} —xia fae | $ We Go ६५२, १, २ ( रभा० १५९८९८० ) ० Fe 9, ५,२,२।
( ४४ )
२४६ सामवेदसंहिता। (रेप्र०१अ०१६स्०२।
मभिगच्छति । तथा “विश्वस्य” ate “भूमनः” भूतजातस्य “प्रतिः” पालयिता “सोमः” “sa रोदसो" urarefasn + om ~ © “व्यख्यत्” सतेजसा प्रकाशयति । अनेन लोकदयवत्ति a खचितम्॥ १॥ sa हितौया। १ २ VU र RR ९१९९२१२
ससुप्रियाअनूषतगावोमदायधु्यः |
१९ २ RAT रद 2 ट R
MATA AVIA पथःपवमानासदन्दवः ॥ २ «lt
“Rar” प्रियतमा; “aa.” wearer, [ यदा “We gana: स्तोमि', "अ पुरस्तात् wifa—sfa acat dt- मानाः ] “गावः” स्त॒ति-लरचणा वाचः ¶ “agra” सोमस्य aga “समनुषत” dwafer ; “छ प्रसिष्ठो ¢ [यहा गावो धेनवः सोमस्य मदाय शब्दायन्ते ]। ततः “पवमानासः' पूयमानाः “इन्दवः” Sar “सोमासः” सोमाः पथः मागोन् “qual” चर णाथ" कुर्वन्ति ॥ २ ॥ ° We वे० ७, ५, २, ३ |
+ “मावः-° ° न्मोसकावानिचोराणिउद्कानिवा- षति fae | ‡ 'उ-दइति qqare: —cfa fre |
श्र०५ख०२स्०१,२,२] उत्तराचिंकः। ३४.७
Sq Saat |
१ VT AUT रर १२ ३ १९ रे
यश्रोजिष्ठसलमाभरपवमानश्रवाय्म् | १ र्र् “oe en Ee त यःपश्चचषंणो रभिरयिं येनवनामड ॥ ३२ ५ ॥ १६ † ‘mfas:’ श्रोजखितमः “यः” aaa रसोऽस्ति a “mara” खवणोयं रसम् “sae” अ्रखभ्यमाषर । किच्च “a.” रसः “पञ्च watt” पञ्चजनान् निषादपञ्चमान् चतुरोा- autq “ata तिष्ठति" । श्रपिच “Qa” रसेन वयं “रयिं” धनं च “वनाम” सम्भजामषे ष [ यद्वायेन at रयिं याचा- महे ] तमाभर॥ ३। १६ ४ ५ षर सो
५ इर र | ॥ गौचेवितम्$॥ अयम् । पूषा २। रविर्मगाः। सं
र॒र ९ ^ : मःपुनानेभषंतारदयि । पातिविंश्वा३९२२। BAVA श ९ 8 % ४
५ माः। वायस्य द्रोर१२३। दसोवा | Waite wha 1(2)
॥ ८ | ॥ [९।
° कर वे००,५,२,४। + “ब्पोनिटोमो कक्बष्णिडो?- र्ति fae | t "पशचचषसोः-चषक्योमतुष्याः। aacdaefaa:, पञ्चमा यजमान. | q ‘cfa—aqa da वनामर-येन सोमेन saa रथि धनं awa: | वनति य॑खपि gad wera लाभाय zea—xfa वि०। § rere fara’ —xfa Wo To | | Heo Ato wre Go caro |
३४८ सामवेदसदहिता। [रप्र०१अ०१९सु०१,२.३।
४ 8 ४श्चद र ॥ तुतीयं कोश्चम् ॥ अयम्पूषा। ST रयिर्भगा ६ ४ १ g ध 2 2
Ul सोमा रःपुनारे। नभा३४५। षारडध्तो। पतिविं
PWT २११९१ RF ९ ष्र् 1 MATA LY: | वियख्यारदद्रो। दसोऊरदभा२४
३४ ५ र २ et ५ 9
रयि ॥.१) समुप्रियाः। दो। अनषता ६ ए। mare १ , RR R ५ tT र २ र, ९ AIR! AMA! षारहे्याः। सोमासुःछणएवतेप रे २९ R र् ३४ब्
था९१;। पवमारहना। सडन्दाररवा२४३ः ॥(२) यश्ो
। ॥ "4 ९ ४्र ५ ५ g २ श जिष्ठाः। SY) तमाभणरए। TAT beatae । श्रवा | षे ॐ २४५। योरहेथ्याम्। यथपश्चच्षंणोरभोऽ१। रयिंयार R श्र
RAAT | वनामारडदा २४२ यि। ओर२४५१। डा ।(२) ॥ < ‰ ॥ [र]
५ RT रे 9 यि र्
॥ गोरौवितम्† ॥ अयम् । पषा३। रयि्भगाः। सो
र द ए र् ४ मःपुनानेअषेताररेयि । पातिरविश्वाे९२३ । RYT | कि oe
° Ho Me रार १अन्ल्सा,। =F “मगो रोवितम्ः- एति We ge ।
३अ०५स०२सु०१,२,१] उत्तराचिंकः। १४८
, र् 8 ४ 8 ¥ वायख्यद्रो २१२२ TATATL WY Ares erfa nly) ध द ५ रर < समु। प्रियारः। अनृषता 1 गावोमदायधुष्यारदः।
र् र् श र रे सोमासःका३१२२। एवताभयिपथाः। पावमाना३१२३।
3 र ४ र् wart दा५वोईहायि ne) यभो । जिष्टाडः। तमा
| १ TF ङ् (4 भरा। पवमानश्रवायियाररम्। याःपश्वचा२९१९२२।
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8 g <= र 8 षणाभयिरभायि। रायिंयेनाई१२२। बनेावा। मा५
Wie atfa(z) we #0 [३] 2 र 2 र I श् 8
॥ श्लावाश्चम् ॥ अ यादे१्म् । THAT | रयिः | भारेगः। श : pen र् , व र + हडिया। सो। मःपुनाना। ai षतारयि। Ue ४ श्र च
या२। पति्विश्वास्यारेभू३। मारदेश्नाः। शेदारयि।
श्या २। बियख्यद्रोदारसोरे। ऊर९५भोईदायि 1,9) Bt at ५ .
सम्२९। प्रोरयाः। अन्। षाइत। डया । ar
° Ge Alo ० प्र० (Geo टसा०।
३५० सामवेदसंहिता । [रप्र०१अअ्र०१ ६ सू०१,२,३ |
ब c र र् र् द ९ वोमदाया। घु। WATR श्ियार। सोमासःका शश श्र एवादेताहेयि। पारेदश्याः। रे्ा रयि । रएदिया २। र् र् RR पवमानासार्मारयि। eTeguareatfa ue) यभो र् uz ४ 1 श १। जाशयिष्ठः। तमा। भारर। ण्या पा। ब
रद श : x
मानश्रा | वा । यियारम्। रशिया २। यःपञ्चचार्षार
णोरः। आर३४भायि। र्द्ारयि। ण्या २। रयिं र्ब र 9४ येनावारना२। ATPBBYTE CHAS) । cow Wl [४] > Sa HR CO १ < ॥ आसिताद्यम्॥ अयम्प्र षारयायिः। wat: सो र मःपुनानोभर्षीरदतायि । पाता रयिश्वार। स्यभूमनाः। 8 4 वायारख्याद्रो S| TATATRWTRRVAT | HYATERT X RUT Fi 2% « Tt ब् यि ॥१) समुप्रियाअ्न्। घता। गाबोमदायघुधाररे श् १ | र ट याः। समारसाःकार। एवतेपथाः। पावारमाना
° Bo Alo १९१५० RGe १००
्र०५खु०२सु०१,२,२] saufsa: | ३५१
१ र १ ४. ४ ५ श्र Ql सश्चोवारेभोरेरेध्वा। द्ाभ५वोदायि ॥(२) यभो श x ब् र र
र जिष्टस्तमा । भरा पवमानश्रवाच्रारदेयाम्। यापा
र् ‹ श श्च्वाचार। षणोरभायि। रायोरयायिनारे। वनो
र x ¥ 8 + 8 वाङश्रोरद्वा। ATA RTT RTPA) ॥ २० a [५] २ = ब द ध्र TL
॥ निषेधम्+ ॥ अयम्पर षारा २ यिभंगाः। सोमाःपुना । र् ५ ने।अषेतारयि। TTS पाताइयिवायिश्वा । हाडा ४ र र र् १ २ १ २ | 8 | रशा । स्यनुमाररनाः। इहा ३। वाया ३ MFT । ९ 8 ५ श २ ४ दाषहोररथ्डा। दसोरऊ५भा६५६यि ॥९ समुप्रियाज्रा र T ATLL ९ १ , १२ ३ नृषता। गावोमदा। AATATR 1 इदहा३। AT र ४ ५४ R 8 ५ ॥ RT र् १ ९ माहेसाःका। दहादारदछहा। एवतेपाररेथाः। TETRA १२ ४ ५ २ र ४ 2 र ४ पावारेमाना। BRT RIB! संजारयिन्दाभवा € रर् VT RTA zc
५६; ॥(र) यञ्ाजिष्टस्ताहेमाभरा । पवामाना | अवा
© Ho नार LHe एखन Wolo † 'निश्थः-द्ति qo go |
३५२ सामवेदसंहिता | [रप्र०१अर०१६स्०१,२.३।
१२ १ र ट ४ . R ५ AMS! इदा ३। याःपादृश्वाचा। दारोररण्डा। २ र ट 1 षणौीरारइ४भायि। TAZ! रायोरेयायिना। wee % ३ रे ४ Re १
BURAB UT! वनाश््माभदा६५६यि। Tez
४ 4(3) 02 * ॥ [६]
४ ३ ४ ।। ॥ यन्नायन्नोयम् ॥ अयाऽ५्् । षाइरारयिर्भागाः ।. R र १ र र श 7 ४. सोमःपुना। मोडआर्षारेतायि । पता रयिवि। swat
र् श र् र् x x ३ RRA | SANT) माहेनाः । वायस्यद्रोदसो २ उभा | द॒ र < र् Su) wire उगप्रियाअन्षतगाबोमदा। या ९ श र् श BATRA: | सोमासः! छएवाररेता | Bafa ।
र् R १ इ द ९ ९ र
पारथाः। पावमानासश्ारयिन्दबाउ॥(२) वायाः। अओ.
र , ९ इ १ १ १
जिष्ठस्तमभरपवमाना । ATZAT STATA | यःपा रश्च ।
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° BO गार १३१० ?खन्रेसा०।
१अ०५ख०२स्०१,२,१] उत्तराचिकः! VAR
A ट २९ र ट र् चर्षणाररणा। डम््ायि। अरभायि। रायिंयेनवनार् २ रे १ ABTS | ATRBY(R) ॥ १२ *॥ [9]
९१६२२९२ AT yk र १ रे
॥ यदवाि्टोयम् ॥ भयम्पषारयिमंगः। अयम्पूषोवा | श < र ब् रयिभंगाः। सोमःपूरदेना । नोअष॑तायि । पतिर्वाररं
र् Iz र् शद् र् यिश्वा। स्यभूमनाः। वियख्यारइ्द्रो । दसौीजर्रभार ई श R rt RT शर् ४२यि ॥(९) सप्ुप्रिया्नूषत । समुप्रियोवा । अनुष
र्् र् << र ता। गावोमारश्दा। यघष्रयाः। सोमासाररेःका। १२ ९ १ २, t WAIT: | पवमार्दना। सद्न्दाररवा२४दः WR) य < ९ ९ Ee ॥
ओजिष्टस्तमाभर । यभ्मोजिष्टोवा। तमाभरा। पवमा
Ac
g र् श्र ररना। श्रवायियाम्। यःपच्चाररचा। षणोरभायि । २ शद २, १ रयिं यारदयिना । वनामारदा ३४२यि। आर २४५६ ।
डा (anes ॥ (a) | ° He Alo Luho ro UVsle | T Hie Alo Reo LWo Loge |
( ४५ )
१५४ सामवेदसंहिता | (299 2% td Ho १,२.९१)
% ९.९ रर्
॥ त्रौखाद्यम् ॥ भयम्पपोदो। रायि्भगाः मःपुना३। नोभारर्षा५ताई uefa, पतिविश्रोष्ो।
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खाभमनाः। वियख्यद्रोर। दासोरॐ५भा६५९यि ॥(२९) VT शद शद द् 8
समुप्रियौद्ो। आनूषता। गावोमदा२। याघादर्षा५
र्रर १ रद रर शद श् <
MEAT! | सोमासःकौष्टो। एवातेपथाः। TaATATS ।
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साघारयिन्दा५बा६५९ः ॥(२ यभोजिष्ठौरा । तामाम
र् < १ 2 #8 1
रा। पवमानारे। आवारेाभया९५९म्। यःपञ्चचौ
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घाणौरभायि। रयिंयेना। वानारमा५हा६५ &यि (३)॥ १७ * ॥ [€] R WTR ४द । ॥ एेडकौत्सम् ॥ अयरचोपू२३। षारयिभेगरैया । शर् र इ शद् 1
सोमःपु नानोञ्र्षतिं। पातिविंश्च। खममाररनाः। वा
R AAT | TSE TATHLAATAVAA Ug) स ihe tl Saisie ch Sa mie a
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२अ०१््०९सू० १,९.९१ ewufan t ३५५
ष॒ RR 4 VT १ २९ र ह मद्धिप्रोर२। याभनूषतदैया । गावोमदायघुघयः। सो
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ATS । एवतेपाररथाः। पावारडा। मानाहृद्ा | 9 RT WT १ सश्न्दाररेवाररः MR) यभो होजारश्यि। छस्तमाभर a ९ र्द र र \
दया । पवमानश्रवायियम्। याःपश्चच। षणोरा २8 भायि। रायोरेरहायि। यायिनारायि। azarae दशार०३यि | atau । डा (Qn ५*॥ [Qe]
a मधुखुयन्निधनम् ॥ भयम्पष। रविर्भगारए | समु नारनोभर्षतारयि । शारा। भौरदो२ वा। आयि WR पतिर्िखारयामूमनारः eee | सौरो रषा। आविदो२। वायस्यद्रोरे। दारदायि | शो इदोरवा। भविद्ोर। दसो। ऊरभार ३४ मोदो
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वा ॥(९ समुप्रियाञ्ननृषता | गावोमदारयाघुष्वयारेः।
@ Ho Ale २०१५ १अ० We |
२५६ सामवेदसंहिता | [रप्र०१अ्र०१६स्०१.२,२
९ र $ २ रे १ wt १
BRUT भऽदोरवा। अविदो ₹। सोमासःकृरेएवा
$ र् र् र $ र र् | 7 श.
तेपथारः। SINT) ओडदोइवा। wfaerei पा R
| वमाना२। शारहायि। ओरदोरवा। भयिशेर।
g at ब् सद् । दारवारडश्रोदोवा ne) यभ्ोजिष्टस्तमाभरा | र र् २ द् र
३ए। प्वमानारेश्रावायियाइम्। weet; weds
र् २. वा। आयिद्ोर। यःप्चचारर्षाणोरभारयि। ets
ब र र
चा। भोरदोरवा। आयिष्ौर। राथियेना३ t. दा
awit teeta! भायिद्ीर। वना। मारा ४ = १ २११९१ ररी दोवा। मधुखुपतार२४५(३) ॥ १८ + ॥ [१९]
षर ब्
॥ RUDE ॥ आओ दो भयम्पूषारेए। रयायिभाश्गाः ४६। हाहोयि। सोमःपुनानोअषेति । पतायिर्वाश्यि §्र॒रे १ ९
शा२२४। हा दास्यभूमाश्नारदथः। हादोयि। वियाख्या
क He Ale रे०्र* २० १८्सा०।
२अ०५ख०२सु०१,२,२] उत्तरार्चिंकः। ३५७
र्द रे श््रोरड४। दादो। दसो३। ऊरेर४्भायि। उद्धवा श्र ब्
ईहाउ। वा ॥(९) चओौहोसमुप्रिया३ए। अन्षा९ताः
aT र र AT र
३४। erate गावोमदायघुध्यः। सोमासाश्ःकार
रर ९ १ RB हादा। एव॒तायिपाश्यारहेटः। डउाहोयि । पवा ९ RT FR ९ रे र ५ ATLAS । दादा। सभ्रारयि। दारर्श्वाः। उ
रर र
वाईहाउ। AN) भौदोयच्मोजिष्टारए। agen
RT २ र् श्रा२३४। दादोयि। पावमानश्रवायियम्। यःपाच्चा RT 2 ट
श्चाररे४। हादा। षणाविराश्भारटेश्यि। हादोयि
र रयायिं याश्यिनार२३४। हदो । वना३। माररश्दायि | च ४ उड्वार्दाउ। वा(२)॥ < *। [१२] ge
रथ ठतौयत्च- प्रथमा | १ र 9 ? २ वृषामतोनाम्पवतेविचक्षण
t र रर ३ २.
सामाअन्हाम्प्रतरोतोषसाम्दिवः
ह Se Gas eeeen Bo Alo २९१० We €सा०|
९५८ सामषेदसहिता। [शप्र ०१०१७०१
ह श्र रब RvR
प्राणा सिन्धनाङन्लशारअषिक्रद १२९ १ १ ९१ २३९ ९ दिन््रस्यङारद्या विशग्मनोषिभिः ॥ १ *॥ wa “ata? "पवते"? sfaqad । @lew: सोमः ? “मतोनां” मतयः स्तोतारः तेषां “aa”? वषेकः, “कामानां “विचक्षणः ' विद्रष्टा, “श्रह्णाम्” उषसां “दिवः” लोकस्य ादित्यस्यवा “anata” प्रवैयिता fare “सिन्धूनां स्यन्द मानानाम् उदकानां प्राणाः प्रणयिता चेष्टयिता [ भनितेः (wate vo ) शानचि, “बहलं छन्दसि (२, 8, 03 )”— शति शन्विकरणस्य लुक्, सुपां सुलगि्याकारः (9, १, ३८ ) J “कलशान्” “अचिक्रदत्” शब्दं करोति प्रवेष्टम्। किं कुवन्? “gee” ““इाहि ” हदयम् “शराविन्” प्रविशन् “मनोषिभिः” मनसद्षितुभिः स्ततिभिः स्तत इति शेषः । व्यवहित मपि मनीषिभिरित्य तत् पवतदत्यनेन सम्बध्यते ॥ aga “अहः? दति, “उषसाम्” -^उषसः"-- दति, प्राणाः“ क्राणा-दरति, “अचिक्रद्त्"-““प्रवोवशत्"- दति
ष्व AIST: il 2 ti
© Wo Gee, १२, २, ९ ( रभा० १८५ Yo )oWe Fo 2 द) १४, ४।
३अ्र०५ख्०१सु०२] उत्तराचिकः। २५८
श्रध featat |
ह १ र ot ४. 2 2 व मनौ षिभिःपवतेपुव्यव्कविःन् - र श्श्ख टे ९ रे
भियं तःपरिकोशाअसिष्यदत् |
३२३ १९ २९१९९६९२ VR
चितस्यनामजनयन्मधु्तर-
१ रे RR १ १ २११२
न्निद्रस्यवायु एसखयायवद्यन॥ Rt ॥
रयं सोमः “मनौषिभिः” मेधाविभिः श्र्वयादिभिः “पवते” पयते । यदा aa मनोषिभि्हाराभिः “aaa” चरति । ` कौटशोऽयम् 2 “aan” पुराणः “कविः” Raat रभिः?” नेतृभिः ष्वयोदिभिः “यतः” सन् “कोशान्” कलान् प्रास “परि ufaseq”’ परितः wea सखरवति। “त्रितस्य fay wag लोकेषु विस्ततस्य “cee” यजमानस्य सम्बन्धि “ara” नामकमुदकं “जनयन्” उत्पादयन् “मधु” मधुरं रसं “Ata” चरति । किं कुवन् १ इन्द्रस्य “सख्याय afeara “वायु” “ataq” प्रह्' कुवन् ॥ | ““असिष्यदत्"-“अचिक्रदत्”- इति पाटो, “युवां” -““ दति च, “वर्चैयन्”--कत्तवे”--द्ति च ॥ २॥
वायोः
@ “qe: कवि"- र्ति ae ais: |) 1 षद, वे 9, ३; te, १।
२९० सामवेदसंदिता। [रेप्र०१अ०१०स्०३। श्रध तृतौया ।
१९९१९ २३२३ च = अयम्पुनानउषपाभरोाचय
र्द रेद् ६ ९२ Ay AA MATA AAT | ९२८ ९९२ २ २९ TR
अयन्तिःसप्रदुदुहानभाशिरधं
१ र् ९ ९ र = १ २ RR
सोामददेपवतेचाशरूमत्सरः ॥ २ 2 ॥ LOT
Cor”? सोमः “पुनानः पमानः “उषसः” “श्रो चयत् Saaz! श्रयं “faa” स्यन्दमानेभ्यः वसतौवरोभ्यः
“अभवत्” समदो भवति । “उ'--इति पूरणः। कोटशो- ऽयम् ? ““लोकक्लत्”' लोकानां कत्ता [वषक्च्वाद्रे तोधारकलाश्चास्य लोकलच्वम् ]। “aa” सोमः “चिःसप्त" एकविंशति गाः ¢ ऋखखन “्रािर्” “ceera:” दुद्ानः [ दोहस्य प्रयोज- कत्वात् Hava: ] “मन्सरः” मदकरः “are” रमणोयं “पवते सरति | -किमयम् ? “ee” दयाय इदय-गमनाय ॥
““श्ररोचयत्"-“विरो चयत्”- इति पाठो ॥ १॥ १७
० wo Fo 0, ३, १६, RI † ‘ara साम'--इति वि०। ‡ 'खमदरेभ्यो वा--द्त्य धिकं वि०। q "प्रतिसवनं सप्तसक्त गावः ° 0’ —xfa fac |
२अ०५ख्०३स्०१,२,९] उत्तराचिकः। २९१
१ < र ॥ यामम् ॥ आस्यि। इया । वृषामतायिना्म्य २२५ श्र र वतारदयि । वारेयिचक्णः । सोमोङृाम्प्रतरोतोर २। ४ रेश ३ ४ RTT 8 e षारेखान्दिवः। प्राणासिन्धूनारदइलगा्र३। ATs fF ९५ HCA! इन्द्रश्यहादि याविशारदन्। मनारयिषाभ्यिभा 8 २३ ४ ६५६यिः ॥(९) मनोषिभायिःपबतेपु रर । वौ र यःकवि। ४ ₹? ९५४ नृभिय्येताःपरिकोशार९२। अरसिष्यदत्। चितस्यना % ४ २९६५ x मजनयाररन्। ARYA! इन्द्रस्य बायुरसखियार ॥ 4 8 z ॥२।
३। यवादर्खा५या६५६न् WR) WAMATAGTAT 22 | ४ श्र षर ४ Re अदेरोचयत्। अयरसिन्धृभ्यो९अभवार३त्। Beet ३५ . 8 रर ह ४ . HAL! अयन्विस्साप्रदद् eles! Asafa भा
fal इया । सोमादायिपवतेचा२३। रुमाहेह्सा
५रा६५६.(२)॥ १० *॥ [१]
° Ho eo (Yo १००
( ४६ )
१६२ सामवेष्टसंडिता। [रेप्र०१य०१७सु०१,२.,३। शद ९ ॥ णेडयामम् ॥ इषामातो९३। नाम्पवातार३ यि ।
रद र १
ua) विचक्षणए२। समो माह्ार्म्। प्रतरायितारं
र् रर इर र
Bl Rel उषसान्दिवश२। प्राणासायिन्धुर३े। नाद्धं
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ATMA! Wl BATS २। दन्द्रस्या्ार३। ₹ र् ९ z रर् श्रद् दियावायिश्रार३न्। ए३। मनोषिभिरे२४२॥९ मनो ।; २ 2 र् श्
षाविभार्देयिः। पवतायिपुर३। eal रविंयःकविरे३।
श् ।, श् ।\ श् र् नृभिर्यातारदः। परिकोश्ा 221 १३। असिष्यददे
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x el fama! मजनायार३न्। Wl मधुक
र् श र श 1 THEI इन्द्रस्यावार९३२। युध्ससखोयारर। Wi यव ९ |:
g | र् STW MR) श्रयम्पूना९२। नउषासारदः। wt र सी चये ९२ १ श्र १ | अरो चयदेर। भयरसायिन्धूर२३। भ्योभभावार त्।
र् < र् ट २ 2 १२। उलोकछृदे२। अयन्त्रायिःसार३। प्रदु् दा ९३ ।
aWyougo 2H 0,252] उक्षराखि श; । REQ
ए२। नश्राशिरमे३। सेमेदार्हा २३ fai wars चा२२। ए२। रुमत्षरश्२४३। ओ २३४५ । डा (३) ॥ ॥ ५* ॥ [र्]
॥ यन्ञायन्नीयम्। Taya! ताशयिना्पवतायि वायिचक्षणःसोमोब््हाम्पु तरोतो । षारसान्दारेयिवाः। राफा रसिन्धृनाद्लभाएभचिकर । ददार्दयिन्द्रा | 2 aft स्याष्द्ा। दोयाविशन्भना २ यिषिभाउ॥(१) माबि । नोषिभिःपवतिू्यः कवित भिरवतःपरिको्रार । ारतायिव्याशदात्। चिता श्यनामजनयनमधु च | Tal
९ t २ २ १ र , र्शयिन्द्रा । डभ्मायि। स्यारेवा । युरसखियायवार
रे १ ९ १ र a र SAS WR) याना। यम्पुनानडउषसोभ्ररोचयदयरसि
न्धुभ्योभभवात्। ऊरेलोका ३ | भयाःन्तिःसप्तदुद्
° He Ajo शर (Wo VST |
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३६९४ सामवेदसहिता | [रप्र०१अ०१७स्०१.२,३।
< र् र् . श् रे हानि । र्सोरेदमाः। Saft we दायि) श रर RR ११११
पावतचार्मारद्छराड। वा२३४५८३) ॥ १७४॥ (३) ९७ |
दूति सामषेदाधेप्रकाओे उत्तराग्रन्यस्य ठतोवस्याध्यायस्य Waa: Gwin ५ ॥
waeifa-we खर्छ ध:- प्रथमतचे- प्रथमा ।
.2 १ रर् ३९ ९१ २२ ३ २ एवा दयसिवीरयर वा प्ररउतस्धिरः । ३२९ ₹ २ १९ एवातेराध्यम््ननः ॥ १ aN डे इद्र! a “Cateye” वौरान् युश-कमंणि समान Waa न्तु कामयमानः “एव श्रसि"भवसि खल | “fe” ufaer तएव त्वं “शूरः” सामध्यवान् “रवः भवसि। “ठतः . श्रपिच “सिरः” agra धंयवान् भवसि, एकत्र स्थित्वेव शच॒न् सस्प्रहरसोत्यथः । णवं सति “तं” तव “मनः” “are”
* He Alo १९१० १० woglo |
‡ 'अज्चायन्नोयमग्नि्ोमसाम। रदूसाकमुकय्यम् । varie sated दितोयम्क्य्यम्'--इति वि° अवति wa: | |
¶ Wo Wo 2, % 8, ६० (रभा ४७४० ) Wo Hog, €, २० २३।
२अर०६ख०१स्०२] eutifan: ३९५
स्ततिभिः भ्राराधनोयम् “एव । यतोऽनेन मनसा त्वं शजबधं ~ ° Ar wena walfea करोषौति तव मन एव सवः स्त्य
भित्यथः + १॥
श्रध हितोया।
३ FR १ र R = १९ १ ९ एवारातिल्तुवोमघविशेमिर्खायिघी तुभिः। १ ९ १९९२९ -
अधाविदिन्द्रनस्सचा ॥ २५ ॥
क्ष
हे “तुविमघ !” [तुविरिति ae-ara (निघ०२,१,१)] ay- धन इन्द्र! “fart” सर्वेः “area” atures: [ यहा, देवानां efactaa पोषयिढभिः सर्वेः यजमानै; ] तव “रातिः” गवाश्वादि-दानं “धायि autaa एव [ दधातिलङिः कर्मणि खूपम् ] । “चित्” एवार्थेन॑ः “qa भनन्तरमेव हे we! एवविधस्व “नः” अस्माकं यष्टुखामपि “garg धनादि-दा- नेन कम-सदहायो भव ॥
““दून्दरनस्सवा"--““दन्द्रमेसवाः- दति पाठौ ॥२॥
@ We Fog, ६, २०,१।
1, ‡ wer faq—xfr we पुरखः- र्ति वि०। सायखमतेतु अधेत्यब्बय मथेत्यय, “foray च (९,३,१३९)- एति दों वति “खधा"- इति |
¶ ‘waa gar gar—xafwa fac |
३९६ सामवेदसद्धिता। [रप्र०१अ०१८स्०३।
श्रथ ठतौया। र्ठ € १ ₹२ BLUE र्द मोषुत्रह्मं बतन्द्रय॒भुवोवाजानाम्पते । १ ९९२ १६९२ मन्खासुतस्यगोमतः ॥ २ *॥ १८
०99
हे “वाजानाम्यते” wararaa |! बलानां a, & we! ‘agg. > निष्कारणं निहत्तकर्मवस्वादानस्ययुक्षः “aga” ATWUT @ “ATS षु भुवः FS AT wea, सर्वं दाख्मत्-क्म- दरतो भवेत्वाशासनम् q । तरैवाह-““सुतसख्य" भभिषुतस्य, ततः “गोमतः” गव्येन चोरेण दघ्ना वा मिखणवतः सोमस Was “Wee” माद्य WET भव ॥ २१५९८
भरर 8 Xt श्र श ॥ उक्थामद्ोयवम् ॥ रवादो २ असिवोरय्ः। एवा रे श । श र्रर ९ TRU’ 1 उतारेह्सिराः। भयिवातेरा। धवा भद्र २ ४ <x
VMAS | ABU) एवारारतिसतुवोमघा। fara
o We He ६, €, २०, 81
† “ख "दति पदपूरखो । मा दति प्रतिषेषः, mpg fcarenta सम्बन्ध- वितथः ; मा wea: area कुरु-इति fae |
‡ “au वाजानां aati अन्नानां wrt fart सुषप डक MANNY स्वेषां खोकानां पते- इति fae |
¶ ewe) खअसादचि ब्राद्यणानामारुख-सभमावो वकि तः।
8 Ho gWe lo १,२,२ उत्तराधिकः | चै. .9
१ रेर र यिभाश्यिद्रर। यिधार ३ तभायिः। अघाचिदायि। २९ दर ५ द्रनारेरःसचाउ | वार WR) मोषुत्रारद्य वतन्द्युः २१९ ९ १ श भुवोवाश्जा २। नाररम्यतायि । मान्खात॒ता। स्यगो र, tree रदमताड। Al स्तीषे २२५८२) ॥ ११ *॥ [१] 14 ४ AT ४ ५ ॥ सोभरम् ॥ एवारेोरश्रसिवोरयोवा। रएवाशू र ९ ® R श्रद्
राउतार३। शो। सारेश्छयिराः। एवातेरा। भिया
श UC र् Xt
हेएशारयि। ARAVA ॥(१) एवारेरा हेति
४ ४
सतुवोमघोवा। विञ्रेभारयिद्रायिधा९। चो। वृर `
द्भायिः। भधादिदि। द्रनारहादयि। सारचारह्
रर् र् #र ४ ₹ र ५ ४ ४ ९१२
ओषोवा ॥(र) मोषृरेबराइष्ौ बतन्द्रयोवा। सुवोवाः R
श् |, ध १ र् जानाररेम्। Fl पारटृश्तायि। मत्खासत। ख
* He Ale WHO १अ०११या०।
१९८ सामवेदसहिता। [श्प्र०१अ०१य८्स्०१,२,३।
#दर र् १९ ९१९ ९ ९
गोङ्ष्यि। मारता २३२४ WAT! Bee sy
(२)॥ २ #॥ [२] १८ दितोयत्चे-प्रषमा ।
९ ९ र 2९ ₹? RVR
द्र विश्वाषवोधन्तमुद्रव्यचसङ्िरः। ` 2९ 8 (a त Wee 4 रथोतमररथी नांवाजानादसत्यतिम्पतिम् wet ॥ “विष्ठाः” wat: “गिरः” भखदोयाः स्त॒तयः “द्रम्” “अ्रवो- gua” व्धितवत्यः [ हधेखिंचि ufe “ठऋत् ( ७, ४, ©)” -इ्त्यनुह्ठत्तो “नित्य छन्दसि (9, ४, ८ )*- षति ऋकारस्य ऋकार-विधानात् लघुपधगुशाभावः, निषातखरः.(८,.१ २८ )] कोटशभिन्द्रम् १ “समुद्रव्यचसं समुद्रवद् area, “Talat” रथ-युक्तानां योदणां wa ^“रघोतमम्”” finde रथ युक्त, “वाजानाम्'” warat “पतिं” खामिनं, “सत्पतिं” सरतां war वर्तिनां पालकं [“पत्यावेश्वये ( ६०२, १८ )"--इति पृर्वपदप्रक-
तिखवरत्वम् Jue a
B HO गार WHo Go xgfe | † Be Glo z, % १०२ ( tae ६९७ To Powe Fok, %, rt, eI
RYotMor ger] उन्तराश्विकः | २६९ श्रध featat |
२ ९ २ २ ₹? ९ १ र
स॒ख्येतट् द्रवाजिनोमाभेमशवसस्यते |
₹२ ३ ९ BW श १ २२१२
त्वामभिप्रनोनुमोजेतारमपराजितम् ॥ २ ५ ॥
छे “शवसस्पते” > बलस्य पालकेन्द्र ! “A” तव “ae” अनुग्रहप्रयुक्ष सखिले वर्तमाना वयं “वाजिनः” श्रववन्तः भूत्वा “मा भेम” wal भोति प्राप्तामा भूम । भरतः “लाम्” श्रभयहेतुम् “aft प्र नोनुमः” सवंत: प्रकरै qa: [ श स्ततो ( भदा०, Go ), “ata: (६, १, ६५ )”- इति नलम्, यशोेलुक् ( २, ४, ७४ ), प्रत्ययलच्चणेन ( ९, १, er), “सन्यङोः ( é, १, € )"-दइति feata:, “गुखो ISAM: ( ७, ४, ८२ )"-- इभ्यासस्व गुणः, प्रत्ययलक्षणेन धरातुसस॒न्नायां ( १, १, १२ ) लटोमस् (र, ४, et), werfeaxrarq WAH ( २, 8, ७२)]। ated am, “aa” aty sate भ्रपरा- जितं aft पराजय-रहितम् ॥
“प्रनोनुमः'-“प्रणोनमुमः--इति पाठौ ॥ २॥ स
ॐ We Fok, १, २१,२। + ‘aaa यष्सोवाधिपतः - इति वि०।
( ४७ )
RLe सामवेदसंहिता (२प्र०१अ०१९स्०*१। अथ ततोया ।
RUT रेर ३२९ १ ९ ३११
पवा RATATAT STAT: |
Ret RTA र १९२९ १ ₹ ३२९
यदाषाजस्यगोमतस्तोतुभ्योमरइतेमघम् ॥ २ + ॥ १९
॥ इति दितोयस्याडः प्रपाटकः॥
“cea” सम्बधिन्यः “रातयः” धन-दामानि पूर्वीः" अनादि-काल-सिहाः, भअ्रखेन्द्रस्य सवदा Tew धमदानमेव स्वभाव शूतयः; एवं सति इदानोन्तमोऽपि यजमानः “ema.” ऋत्वि गृभ्यः “गोमतः” गो. सहितस्य "वाजस्य" wae wala “मघं” धनं “ae” “महते दसिशारूपेण ददाति, तदान “रातयः” बह-धम-दा न-पुबकाणोन्द्रस्वाम-विष- याणि <aufa “a वि दस्यन्ति विषेश नोप्यन्ते |
[ “यदा” वदिति पाठो | “ong 29 ay 99 “Fray” -शत्यादिष्व्टाविं शति-सङ्कयाकेषु धननामसु ( निष० 2, १०) wage: पठितः। “दाति -“दाश्ति"-दरत्यादिष दशसु
दानकर्मसु “मंहत"- इति पठितम् ( निघ १, 20, १०)। पर्वीः--पुरु- शब्दस्य “वोतोगुषववनात् (४, १, ४४) इति eq, श्रादयस्याकारस्य दौघग्कान्दसः, जसि “दौघौस्जसिष ( ६, १, १०५ )- इति निषेधं arfaar “at छन्दसि (९, १, १०६ )- इति पूैसवसं ge लम्, SIS: प्रत्ययखरेणोदातस
° mo वे ° ६,१, 8,8 † (खाहादषटकमय्यम्- दति विर |
३अ०६ख०२सु०१,२,१] उत्तराचिकः। ३७१
aq) मंहते-- शपः पित्वादनुदात्तत्वम्, तिङ ल-सावधातुक- स्वरेण ,‘faefae: (र, १,२८ )"- षति निघातो न भवति “निपातय ्चदिषन्त (८,१,१०)'-- दति निषेधात् ५२५१०
१ ९ रर
॥ बाष्टाद्षटाद्यम्॥ इन्द्र farsa Var र् १ श हायि। समुद्राऽश्व्यार। चसाङ्गाश्यिरारदेः। रेया
र १ र् १ श्र ररायि। ग्थाविताश्मारम्। रथायिनार्देम् । Vat ₹ ` र १ | १ रर्ःयि। बाजानारदसा रत्। पतायिम्पाश्तोररम् ।
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शेयारश्दा२४३यि ue) सख्य तट् द बाजिनः। Varar यि। माभायिमाश्णार। वसास्या१ताष्दयि। Tarp
र १२ १ 8 tc रदायि। तूबामाश्मीरे! Walaeates: | Vat 23 Ce R हायि। जेताराश्मार। पराजाश्यितारदरेम्। Tare
रर र्ट १ र? र
हे्टा२४३यि ne) पर्वीरिग्द्रस्यरातयः। श्यादायि। न
श् र वायिदाश्छारे। तियुताश्यारदः । Varese arta श्र र
यदावाश्जार। स्यगोमार्तारदेः। Ware 2 दायि,
२०२ सामवेदसंहिता | [रप्र०१अ०१९स्०१,२.,२।
र १ २ x र शर् र्
स्तोतृभ्योश्मा २। इतायिमाश्वाहहेम्। रेयारेददा २४
; देयि। भर२४५६। डा(२) ॥ १२ ‰॥ [१] १२ १९ RE द र् श्र शद ॥ आष्टादरष्टोत्तरम् ॥ इन्द्र विश्वा अवीद्रधन्ने यादी । श् ९ ट र . र्द Beat समुद्रव्यचसम्। Maas! णेया २३त्। : र र ॥ र् ट द् ओरडदोवा। रथायितमरुर। थायिनाररम्। रेया र् र शर श श्र १ ९ २३त्। ओर्ददोवा। वाजानारः पत्यतिम्। पाती र ९ R WTR इम । शेयार३त्। ओर्रदोवा२४२ ie) सख्यं तइन्द्र
र ९ २ १२रेरशर् x र् ट्र र र ;
वाजिनशेयादौ। दोदवा । मामेम्रावसः। पातारं 2 द॒ ₹ १२२ १२ र |,
fa, शेयाररत्। अौरञ्डोवा। त्वामभिप्रनो। नमा ब र RET र १ श्र १
शेयाररत। BWieswlal | जेतारमपरा। जा | RC IX यितारइत्। Tare BWeReetaess ne) Taf ९ र ९ १ररेरश्र ९ ex
ज्द्रश्यरातयश्यादौ | दोरवा। नबिदस्यन्तिय। ता
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३अ्र०६ख०२सु० 2,2,2] Sacifa कः | २७१
| १ द् ९ द यार३ः। रशेयारठेत्। ओरश्चोवा। यदावाजस्यगो । श ९ रर ।
MATRA | Vara ओररशोवा। स्तोनम्धोमं
रर् श
WA! ATTRA! श्यार३त्। ओ्रीररदोवार ४ ३।
मोरुद४५दे। डा(२)॥ १९ * ॥ [र] श टर ५ छद ५ ९१९९ ॥ कालेयम् ॥ इन्द्र वदेयिश्वाश्चवोवुधान्। BAX १ RR श ९ . ४ व्या। Bayes! रथादेयि। नार ३४। मदर।
र् श्र ५ 1 थायिनाम्। वाजानारुसौ। वाइ४दअोडध्वा । पता र २ ४५ ४द् 1 श्ट १ ५ यिम्यतायिम् (a) सख्यं तारदन्द्रबाजिनाः। माभा १.९.9१
raat वसस्यतारेरयि । aaa) areas भि
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GAT | नूरमाः। जेतारमो। वादृश्ङेमोरध्वा । परा
४ च ड भ ९ १ zg y जिताम्॥(२ पर्वरारयिन्द्रस्यरातयाः। नवायिद R ९३२ २१
ferqaates: | यद्ा३। वा९२४। जस्यगो |
@ Ho गा” उप्र" VS ११सा०। † 'मरङाकालयम्'-- इति Go Jo |
२७४ सामवेदसंहिता । (रेप्रण्१अ०१९स्०१,२,२।
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TSA: | स्तोतभ्योमौ । वाडश्ह्भोरेध्वा । तायि मघाम्। BYR! डा) ॥ २ *॥ [३]
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॥ मार्मधम् ॥ इन्र विश्वा ञअवीव्रधारने। स।म्। द्र
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atl चसाङ्गाह्यिराः। रथारयितारश्थ्माम्। रथा
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यिनाम्। भोहोदोर्ण्वा। वाररध्जाहायि। नाद
साल्पाता। भौरौदोर्दध्वा। पारहेश्नोम्। णएडिया ५ २ द c R x
र् EVN) सख्य तद्रन्द्रवाजिनारेए। मा। भायि। at
श १ २९ ९
Wl वतास्पारतायि। तुवाहेमारद््भो। प्रनोनृभा।
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BMBSTLAVAT | जारद्यितषायि। रमापारा। भो
Steteesat) जारेरे४्यिताम्। रिया € दा ॥(२)
र्रर र् पर्वीरिन्द्रस्यरातयारए। at वावि। <i स्याति १२ श् । | { | § २ १ J शश श
BATA | यदारवारर््जा। स्यगोमाता। ATT
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०0 GTS ९२१० CQ? QBAle |
२अ०९६ख०२्स्०१,२.,२। उक्तराचिकः i 294
५ श ४ द् 2 a टर Segal स्तोररशतृद्ायि । भ्योमारदाता। AW ४ ut ५ ४
x t दौदोररेवा। मारहेण्वाम । Ufearears Wz!
BTR) Nk *॥ (४) १९
दूति सामवेदष्यप्रकाशे उत्तराग्रनयस्य ततोयस्याध्यायस्य
षष्ठ; Vw Pug
वेदार्थस्य प्रकाशेन तमो ee निवारयन् ।
घुमधांखतुरो देयाद् विद्यातोध-मदेष्ठरः ॥ २ ॥
इति ओौमद्राजाधिराज-परमेश्वर-वैदिकमार्गप्रवत्तंक- खओोवोर-वुक्ष-भूपाल-साम््ा्य-धुरन्धरेण सायशा- rae विरचिते माधवोये सामषेदार्ष- प्रकाशे उत्षराग्रगये ढतीयोऽध्यायः % 0
रक
* Go me tae ewe RTO, ति दितीयमदहःः-- ति fac | ‡ “wa fertorisseré gar’ इत्येव मृख-पद्-विवरशादि-सम्प्तः म तु “aatay” नापि “mara” —xfa |
यस्य निश्वसित aer यो षैदेभ्योऽखिलं जगत् | निमे, तमहं वन्दे विदयातौय-मदेश्वरम् ५ २॥
॥ अथ चतुयाऽध्याय आरभ्यते» ॥
तव,
शा प्रथम-खर्ड- एतेश्ररग्रमिति प्रथमतुचे- प्रथमा |
- ११९९ BL २ ९२ ९९१२६९२९
एत अषग्रमिन्दवस्तिरःपवि चमा शवः |
rR ९ १ द्
विश्वान्यभिसौभगा ॥ ११ ॥
“fac: पविभः तियंग गच्छन्तं द्गापवितव' प्रति Sawa” शोत्रगामिनः “aa” पवमाना “czas” सोमाः “fafa” waite "सौभगा" सौभगानि घनानि बृ “afa”
ae “अद्ग्रम्”” ऋलिम्भिः न्यन्ते ॥ ९॥
° ‘Caray कतषेयमदरारभ्यते'-- षति fae | न Wo Fo ७,१, ९४, १। + (तिरः=खधः'- इति वि०। थ् ‘fawfa अभिसोभना- विश्वानि स्वाच्यभिदभाग्यामि- इति Fao |
४अ०१ख०१स्०२,३] उत्तराच्िकः | gee sq हितौया।
t ३९३९२९२९ ९ ९ २३ १२
विघ्नन्तोदुरितापुरुसुगातोका य बाजिनः
१ ₹? श VR ९९ HATHA HT अवतः ॥ २४ ॥
“वाजिनः” बलवन्तः सोमाः “पुर” बहनि “दुरिता दुरितानि “fa war.” fatwa ara: “तोकाय रस्माकं quae “am”? अतिसुखरूपाणि wafaq “प्रवतः adie 66 99 = ८६ 099 € °
कमनाःः Waal खथमेव ““क्ष्वन्तः ददत इत्यधः | wiafsu: wert दूति पूवण सम्बन्धः ॥
"कना'+-“तना"इति-- ति पाठौ, “aaa “aaa? — इतिच ॥२॥
रथ qatar
2 २ ९१२३२ UH RC
छण्वम्नो वरिबोगवेभ्यषं न्तिसुष्टतिम् ।
VP RCE ९ १९१२९
दडामस्भ्यदसंयतम् ॥ २ § ug
@ WoFe 9, १, २४, २।
† ‹वाजिनः--खन्रवन्तः'- इति fae |
i, ¶ृ (्दुमातोकाय-मश्छाय gata’ —xfa fae | § We qo 9, १, w, 21
( ४८ )
३७८ सामवेदसहिता। [२प्२्अ०गसु०१ |
सोमाः अस्माक “गवे “अस्मभ्यं च “gaa” यदस्मात् संयच्छति । तद् “वरिवः” धनम् “इडाम्” wag “क्यवन्तः" yaar: “gefay’ waetat शोभनां स्॒तिम् * “aafay? आभिमुख्येन गच्छन्ति॥ २॥९
अथ हितौयतचें- प्रथमा | १ २ श १ र ९१९९ RWC श्द राजामेधाभिरोयतेपवमानोमनावधि। ee रे १९ अन्तरिक्तेणयातवे ॥ ९ † ॥
"मनो भ्रधि” मनुष्ये यागं gate सतिः । यदा मनावधि मनुमन्तव्यो यज्ञस्तस्मिन् “पवमानः” पूयमानः पुनानो at “राजा” [ राज-शब्दे न सोमोऽभिधोयते “सोमं राजानमलर्वन् (यण मा० २८; २ )- इत्यादिषु evar स राला] सोमः “मेधाभिः” स्तुतिभिः ae “दयते गच्छति । ga? Comfrey’ आ्आकाशमागंण द्रोणकलशं प्रति “यातवे"यातुम् । द्रोशाभिगमन-कालेहि स्तोतभिः wat खलु ॥ १ ॥
© ‘qu fa —qua लतिम्- दूति fae |
+ we tos, २,४, १ ।
‡ "मम @fa—age जमाने निमित्मूते'--हनि fro |
¶ "मेषाभिः रयते--दलिग यजमानानां प्रजाभिः- रति fre |
WoL Bo°ygor 2] suacfexni | १७८
अथ हितोया | १ श श ९ श् १ २१ 8 आनस्सोमसशेज वोद्पन्नवचें सेभर | श ९९९९९
सुष्वाणोटेववोतये ॥२५॥
शे “ata!” “Qaalaa” शवानां पानाय देवानां कामाय वा ^ “gary.” अभिषुतो बा a “ae.” शचरभिभेवन- समथ बलं “जवः” [ जु-श्ति गव्यः ४ J maa प्रति थोघ्र- गमनं ¶ यदा सवतो गममभौलं वलं। fae [ “नइति ura ६] “awa” [वश दौप्तो (ate, ate) दीप्य Waa प्रका- शनाय Say “a.” अस्मभ्यम् “श्रा भर" VIET प्रयच्छ ॥ २॥
अध ततौया ।.
र र श्२२९ Ve र
पानदन्दोशातम्िनङ्वाम्पोष खश्चयम |
श १२ Rg?
वदाभगक्निमृतये ॥ २ |॥ २
° we Fe ॐ, २, 8,8) + ‘Saving ° ० o—arat दानाय भचशाय वा--द्ति वि०।
‡ fret मतिकेडे पशो्रष्णतभले ग पठितम् ( २, १४) ।
¶,§ (जुवः रूपल् । न-न KE उपमथोयः रूपमिवः- एति बि, । 1 we Fe 6, % 8, २।
३८५ सामवेदसंशिता। [रप्र०२अअ्र०३्०१।
~
=e “car” पात्रेषु acuta ! दौोपनभौल ! वा हे सोम! “qaftad’ ® शतसदस्रसहयाकाभिः गीर्भिः युकं “गवां पोषं” गवादौोनां ofeata “ann” शोभनाश्-सङ्क-सड्ितं. “भगत्तिः भगदक्तिं भजनोय-धन-दानच्च + “aaa” रक्षणाय “नः” अखाकम् “श्राव” प्रापय । गवादौखतेषां afe vase - wae 7 Fane तन्लाङृम्णानोति TES a सृश्चम्, aa प्रथमा । १९ ९ ९३ १२९ RLU ९२९ ९१९ तम्त्वानम्णानिनिथतरसधये पुमडहोदिवः । १ श ३ १ 2 चार्रसुोत्ययेमदे ॥ १ ४ ॥
“म्ोदिवः” महतोद्यलोकस्य¶ “सधस्थेषु” सस्थानेषु tea, “asurfa” धनानि § “fara” भ्रख्मद्र्ध' धारयन्तं “चार” कल्याणं || हे सोम! “a” aed पवमान-ल्लणं “ल्वा” wi “सुह्लत्ययाःः शोभन-क्रियया “tae” धनानि BATHS HE ॥ १ ॥
7 + पऋवातम्िनं -अवसश्कयातम्-इ्निषि०।॥ + (भमल्तिं--भोभमामप्रतिपक्निम्'-- दति fae |
‡ mo qe ९, 2, 4, tI
¶ ‘avetfce:—ournra’—tfa fate |
§ ‘aquifa—waria बलानि वा-इति fae t || ‘are’ —utwarey—xfa fac |
@@ “Cae — एति वाच् माकमतु rae! THE पदम् ( ९, १९) ।
४म०१स०हसु०२,.१३] surfaa: | ace
अध हितीया। RR LX श्ट ३ १ र ९ १ VIMY UA क च्या मद्िव्रितम्मदम्। १ श् RT ९ १ २ शतम्पुरोर्र् शणिम् ॥ २५ ॥ हे सोम ! “संहक्षटष्णु” daar: सल्किव्राः van धर्मणश- Wear: शत्रवो येनासो संदक्तषटष्णुः, तम् >, “say” sae प्रशस्यम्, & “agrafead” महोय-बहु-कार्माण, ¶ “qe” मदकरं “aa” बहनि “gz.” wae पुराणि “सरुषि” विनागययन्तम् ; तवां धनानाम् ईमहे इति § सम्बन्धः ॥ २॥
अध ठतोया।
१२ 2 ९ र्करेर ११ र
अत्त्वारयिरभ्ययद्राजान्सुक्रतोदिवः।
९ १९ २९१
सुपर्णोभव्यथोभरत्॥ २ | tt
° We Fo, १, ५, ९२।
+ ‘demu म्-खअतिष्येन संवसक, wa चाररू्मकम'- दति fae |
} “उक्थ्यम् —equifa खोताङि यव विखखने ख उक्थ्यः, तम् उक्थ्य Way इति वि०।
q ‘avrafqai—aefa महामा" saay कमे area, स afena:, तं afte वरतम्'--इति fae । भदथ ब्दहयश्् तेर तिमर मम्बतद्ति भावः।
§ qaufe wae
| wote o,t,u,al “cfaafaca’—xcfa qa ga: |
QTR maazafedt | [रप्र*रश्र*रेसू०४ ।
डे “सुक्रतो” शोभनकम्धन् * पवमान सोम! “रथिः” रयिम् धनम्प्रति “afa wae’ ft भभिगमयति “राजान” $ “त्वा” ary “sa: fea” असमुमात् द॒लोकात् “wert” व्यवा- रहितः “सुपस: श्येनवत् ¶ “भरत् भरादरत्। तथाच खयते--श्रादाय श्येनोभ्रभरत् सोमम् ( Ato ato }- इति “न्नव्यधो"-“अव्यधिः"- इति पाटो ॥ ३॥ अथ Aquat |
९ १९२९ ९९ र्रर ९१
अधादिन्वानदन्द्रियश्ञयायोमहित्वमानश | अभिरिकदिचर्ष पिः ॥ ४ ६॥
"अधाः अघ “Ferre शिः” कमर्णां विद्रष्टा || “भिरि छत्” यजमानानाम् भभोषट-फलस्य wat सोमः+#+ “दन्द्यं aata फल न “fear” प्रेरयन् ““ज्यायः" प्रशस्यतरं “afea” agaq “ara” प्राप्नोति us a
° 'सुक्रतो-चुकतु' ोभनकमे- इति fae ।
t 'खयत्-खागयण्ड'--इति fae |
‡ “एलान--खोमम्- रति fate |
7 (दुपरंः-पश्लौभूला--द्ति fae |
§ Wo Ae 0, %, 4,8 |
| “विचधं फिः--विविधामां पुदषाशां erat —xfir fio |
०* afufemq—wfafe: स्डभानः सं यः करोति सख अभिि्त्- इति fro! 1+ दष्डियस्- इन्द्रस रूपं सोमम्-- इति fae |
tt 'आागरे-अश्पयप्नो- एति ae |
४अ०१ख्०४सु०१] उ्चराधिकः | QTR
अथ पञ्चमो |
श्र २९९ २ १ श्र ` ९ १२
PHASES साधारण्रजस्तुरम् ।
श ९२९ VU
गोपाण्टतस्यविभरत् ॥ ५५॥ ३
‘aaa’ † उदकस्य प्रेरकम् “ऋतस्य यज्ञस्य “गोपां गोपयितारथ ““विश्डस्म' स ain’ faa ¢q साधारणम् इत्” समानम् § भावसन्त सोमं “fa” aat | श्येनो “भरत्” खगोदारत् ॥ ५।॥ ३
अध ठ चाके WATER प्रथमा |
९१२ ९१२९ BLUR ९ ९
दूषेपवखधारयाष्टश्यमानोमनोषिभिः।
१ RAL
इन्दोरूचाभिगादडि॥ १*१५॥
° कर वे० 2, १,४,५। ^“विश्वस्मारस्ख०- दति खर gous! “विश्च witee’’—xfa Go wes: |
† 'र्जल्.र--रलः-संयह्नम्'- दति fae |
‡ .मोपां-जतबाध्वानसंयुतम्'- ति fae |
¶ु 'खहप्-सः waive, TX दभनाय- दूति fae |
§ ‘xa—nfer पड्पूरकः"--ट्ति fae |
| 'विः-मचकशोयम्'- दति fare ।
@9 We WG, १२, ९ (रभा. Ev To ) HWe Fo ०१, 8c, By
ae
१८४ सामवेदसंहिता [२प्र२अ०४स्०२,३)।
दे न्द्र" सोम! “मनोषिभिः'” ऋलिग्भिः “aera” शोध्यमानः तलम् “दषे” भस्माकमनवाय “धारया” “पबसर” चर । “quay” रोचमानेनान्धसा “an” पशून् “भोहि अभि- गच्छ ॥ १ ॥ भथ featar ।
१ MVR पुनानोवरिवस्कष्यच्जश्जनायगिर्वणः १९२ ₹ ९ ९ १९ दरोखजानश्राशिरम् ॥ २५॥ हे “गिवणः” गोर्भिर्वननौय ! “हरे” इदितवर्य॑न्षोम ! “fae? tf at प्रति “aoa” fagerara “पुनानः” पूयमानः “aaa”? ४ जना्थैः “वरिवः” ¶ धनम् “aan” ६ wag “afa? कुर ॥ २॥ we बतोया।
९ ₹ ९ ९ १२
पुनानोदेषवोतयदरनद्रस्ययाहिनिष्कृतम् । दय तानोवाजिभिदितः॥ २|॥ ४
* we Fo 3, १, ३८, ४।
† ‘aifaxc—wre cfa वा-इति fare | ‡ “जम।य-यजमामाथम्'- र्ति fare |
q ‘afcu:—afcrn’—tfa fae |
§ "कजम्-खन्र Bet te a — cH fae | ॥ Wo Fo €, १, ३८) ४ ।
ध्थण्रस०्१्सू-१] उस्षराचिंकः। २८५
हे सोम! “वाजिभिः इविलच्तयाब्रयुक्षेयं जमानेः ae, “दय तानः” दौप्यनानः “देववोतये'" aware “पुनानः” पूयमानः
““feq:” हितकरः ५) त्वम् “Tee” “निष्कतं” स्यान “safe” TE ॥
“हितः”. यतः इति पाटो ॥३॥ ४
दति सामबेदार्थप्रकाे उस्राग्रन्स्य चतुर्धस्याप्यायस्य प्रधमः BW Hue ii
हितोय-खण्डबा- WAASA—UAAT |
2 २ ३ LR र्र् व अिना्चिः समिध्यते कविग् हपतियु वा । R % शक रश्व
इव्यवाङ्ज् स्यः ॥ १ $ ॥
* afafa—amare gcusenufe-awaw, ayaa ते वाजिनः ऋति ग्यजमानाः वै वाजिभिः ; खथवा वाजसनेयैः वाजिभिः खध्वय् भिः-एति Fao |
+ ‘fea:—fafea: स्थापित इत्यथेः--दति वि०।
+ "बह्दिष्पवमानमुक्कम्'- इति वि०।
¶ -स्दश्लोभिकं Genre) दृदानोमाच्यानि | आप्र यम्- दति बि०।
§ Wo Fo ९, १, २९, € ।
( ४९ )
4
१८६ araaezdfeat: [२प्र०्२अ०५सु०२।
“afa;” प्राहवनोयाख्यः afaq प्रच्तिप्यमा शेन ‘afer’ निमन्यन-प्रणोतेन वा सह “समिध्यते सम्यग् shade | alemsfea: ? “कविः” मेधावौो “aeafa:” यजमान-ब्टडस्य पालकः “ga” नित्य-तरूणः “इव्यवाट्” हविषोवोढा [ वहतेः “aga (३, २, ६४)" - दति र्वि-प्रत्ययः; खिादुपधा- हिः (७) २, ११५) "गतिकारकोपपदात् aq (६,२,११९)- इत्य सर-पद-प्रज्ञति-खरत्वम् | “awe.” जृष्करूपेण सुखेन gat [ wat पनयेति oe: “ga. ज्ञ वश्च (उ०, २, ९१ )” —fa क्किप्; तसखत्रियोगाद् (३, २, १७८ are) दौषेख; aang fate; waa ; प्रातिपदिक-म्बरेषशान्तो- are: (फि०१, १) ; See यस्येति वडत्रोहौ पूवेपद्-प्रकति- स्सरत्वेन स एव शिष्यते (८, २, १); येष-निपातः; यणादेशे "“उदात्चसखरितयोयं शः खरि तोऽनुदा स्य ( ८, २, ४ )”- श्त्या- कारः सरितः Jue n
अध featat |
रद ९१९ रे R ९ २? श १ र Away च वष्यतिद तन्देवसपय्यनि।
१ श RU?
तस्य्मप्राविताभव ॥ २ #॥
® wferaifg: समिष्यते-खम्नोनां वेवेत्याशोन्याकरोति। तेन निमेथ्याग्निना afer: समिष्यते gama: —xfa Fao | + लङ खः- अद्यते WAVY Ass) अथ wei feo waqa fmaa | Qual जङ्नामना WA wean GH 8 wea: —tfa बि०। ‡ We FOX, %, २३५ VI
BTORDo 2Gog | Sauifan: 7 | ars
हे “ma!” “Sar” “a” “हविष्पतिः यजमानः “ea” “arg” “anata” * परिचरति । तस्व यजमानस्य “प्राविता “भव स्मः sa tant wat [ waa इति विः ““भ्रञचि-शचि (उ ०,२,१० 9)'"--दरत्यादिना इसिः, प्रत्यय- MCU CHIT seta: (३, १,१); fas: पतिः इविष्यतिः, “नित्यं समाशेऽमुत्तरपदस्थस्य ( ८, २, ४५) एति waa, “पत्यावैश्वय ( ९ २, १८ )*—sfa पवेपद-प्रक्षतिखरत्वम् | सपर्यं ति-सपर-शब्दात् “कण्डादिभ्यो यक् (२, १, २७ )"- इति यक्, धातुप्रकरणात् गुणप्रतिषेधाद्यधात् यकः farare सपरगब्द्सख धातुत्वास्षतोविहितस्य यक भारधातुकत्वे सति, ‹“श्रतोलोपः(६,४,४८)7- इति लोपः, सनाद्यन्ता धातवः (2,2, ९२)"-इति धातुसयच्रायां faa, “कत्तरि प् (२,१.९८), तस्मिन् पूवस्य ^्रतोरुणे ( ६, १, ९६ )”--इति परपूषत्वम्, यकः प्रत्यय-स्वरे णो दा सत्वम् ( ३, १, ३), शपा सहः एकादेशस्य “एकादेणखदात्त० ( ८, २, ५, *-श्त्युटासत्म्, . “निरतिः (८, २, २८ )—ufa निघातो न भवति “यदुत्तातरितयम् (८,
१, ९९ )’—afa प्रतिषेधात् je Rn
ay ठतोया |
२ ९१९१२ Re ङ् 2 १? ९
योरग्निन्देववोतये हविसा विवासति |
९ ९ तस्मेपावकण्ठडय ॥ २ † ॥ ५ @ “saufa’—tfa परिचररूकपु तोय नैषष्ड.कम् ( ३; ५)।
† WOH १, १, WV!
gcc सामवेदसंहिता। [रेप्र०२अ०५स्०*र।
“efamrq” feat “यः” यजमानः “देववीतये” Sarat efad चणेतुयागायम् “afera” “श्राविवासति” war समोपे fatuwaa परिषर्यां करोति *। हे “पावक wet! “तस्मे” aea”’ तं यजमानं सुखय । { टेववोतये- “वौ afa- प्रजन-काम्यशन-खादनिषु ( भअदा०, He )-इत्यस्माट्श- नाथौत् faq, देवानां वोति afaq यागे स टेववोतिः, “ay aw पुव पद्-परकतिखरत्वम्, “ नब्विष्स्यानिसन्तख् ( फि", २, १)" इति प्युदासाविः-गब्दोदात्तः, मतुपः स्वाठुदान्त- त्वात् स एव शिष्यते ्राविवासति-वा गति-गन्धनयोः ( अदा० प° )--प्रस्मादम्स्भावित-्यर्धादागमयितुभिच्छतोव्यघ ` सन्, आ द्ानेश्छा ; परिचर्यायां पयं वस्वतौति विवासूति-शष्दः परिष्यीथें निघण्टौ ( ३, ५, १०) पठितः, feata:, अभ्यासस्य सवः ( 3, ४, ५८ ), “सन्यतः (9 ४, ७८ }- इति इत्वम्, “स्नित्यादिर्निंत्यम् (६, १, १८७ )*-शव्यायय॒दाच्तलम्, “fae तिङः ( ८, १, रे }”- इति निघातो न भवति “apenfa- त्यम् (८, १, ६६ }”- इति प्रतिभेधात्, “fafe चोदात्षवतो (८, १, oe "caret “सहसुपेत्य्र (२, १, ४ ) सरति योगविभागादाङस्तिखन ae aware समासान्तोदा्चले प्रा (८, १, 222 ) “aafewefa बहुलम् ( ६, २, १९८) - शत्य्षर-पदा ष्य GAA | तस्मै “fare क्लेव्यम् (२, ३, १३वा० )- दति सम््रदानलत्वाशचतुर्धी ५ any
* -च्याविवासनि-रौपयति'- दति वि०। † ‘ag पाक्क--चलतुष्येषा दितोया-ख्ाने भवति, तं फावकम्- दति कि०।
$श्रण्रेखण्र्सु०१] उत्तरा्चिकः | २८८
aq हितोयठचश- प्रधमा।
१ ९ ९२.२१९ १९१२ ९ र
मिचरडवेपृतदक्ंवरूणच्चरिशादसम्। १२९९ ₹ ३ १ र । धिवद्धःताचोरसाधन्ता ॥ १ ¶† ॥
अहमस्मिन् कम्पि हविः-प्रदानाय “पूतदक्त" é ufaa- वलं “faa” “हुवे stsafa [ wad: “व इलब्छन्दसि ( २, ४, ७१ )""--दइति शपोलकि सति “न्नः सम्प्रसारणम् ( ९, १, ३२ )”--द्रत्यनुहत्तो ‘aga छन्दसि (९, १,१४ )"---द्ति सम्प्रारणे saeien:, “faefae: ( ८, १, २८)'--इ्ति निघातः | । तधा “रिशादसं' रिथानां डिसकानाम् श्रदसम- area “वरुणश्च” इवे । कोटशो भित्रावसणो 2 “garat’§ छतमुदकमख्चति भमिं प्रापयति या धौ येन aa तां wart “धियम्” “साधन्ता” साधयन्तो || [ “राध साध संजि
* (जेजावरुरमाण्धम्'- इति fao |
+ Yo Fo Rx, ४७ = WO Fo १, १, ४, VI
‡ “पृतदच- पतं aw, दकं ष्टोघ्रम्"- एति वि०।
q रिशादसं-श्त,खां हिसकम्'- दति वि०।
§ “तार्जो--“वतमरकं तख प्रदामसुमथाम्'- दति Fao |
| avtaceqafaat बाच - द aweeted जायवो «rer लिङक्न- रेवत्या faw aewery sa च्ाङयाभि। कोशम्? पृतदचम् qa षविव सदाचार दशयति धन-पुजादिभिवइयति पुतद्षखम् दचक््य्योरित्यस्राखिजनतात् कमंष्छस् । रिप्नादस्म रिणन्ति डि सकि रिशा दुष्टाः तान् समन!हसति माश्छति रिशादसः तम् fea हिसायाम् दस उपः। | Taft Ment
३८० सामबैदसंहिता। [श्प्रण्ेभ्र०९स्*र।
(दि०.प०)'-्ूत्यस्मादन्तभावित्य्था्नटः wet (६१; १६१); ` बाधित्वा व्यत्ययेन ( २,१.८५ ) प्, अ्रदुपदेशलवात् उपरि शठ प्रत्ययस्य ल-सावधातुकानुटात्तत्वम्, दितौयादिवच- नस्य शप “aqerm सुप्पितो ( २,१,४ )”-दइत्यमुटात्तत्व, "धातोः ( €, १, १९२ )*--दति धातुसखर एव fired, “gui STH (७, १, ३<८)'-दत्यादिना विभ्गेराकारादेशः vee
अध हितौया। ३ १९ ऋते नमि चावर्णाड़ताबृधाडतस्पुशा | eek ट १ रे = AASEAMATATS ॥ २ * il = “fasaan:” [ fawa ceva fa मित्रावरुणौ “देवता we च ( ६, ३, २९ )"“- दति पू्पदस्यानडादेथः, तामौ ] युवां “mq” प्रवन्तमानमिमं सोमयागम् “श्राणा mre ara वन्तो | “छन्दसि we we-faz: (2,8,@)” दति वमाने लिट्, मुडभावग्डान्दसः ]। केन ? “ऋतेन” अवश्यग्भावितया सत्येन फलेन अस्मभ्यं फलं दातुमित्यधः । कौटभौ युवाम् ? “कऋताहधो" [ 'ऋतमिल्युदक-नाम ( fade १, १२, ६), सत्यं वा aw वा-इति यास्कः | उदकादोना-
= ~ ~~ ee -~~ बुमौ ? शिवं कमं साधना साधयन्तो | कोड गो धियम् ? erat Carat दयते
यन तस'-दइ्ति।
° mo dot, १४, २।
+ ‘gafaaxama’—ta ne दितो य-पष्विंभे, सत्ये वा aw वा- षति तु ageratin इति विवकः।
STO Yo Ro 2 | उक्तराचिकः । ३८१
मन्यतमस्य वदैयितारो। अतएव ऋ तस्याः उट्कादौन् स्फशन्तोः। BET क्रतुम् 2 “weary” श्रङ्गैरपाङ्गेवाति- प्रोदम्॥र॥ ध ठतोया। ९१२ 8९ रर ९९१२३१९२ कबोनोमिज्रावरूणात्विजाताउर् त्तया | १ र् = १ र दखन्दधातेभपस्तम् ॥ २ sig “fawaam” भित्रावरुणो एतो देवो "नः" स्माकं ‘aq’ बलम् “aoe Gg कमं च “दधाते पोषयतः, कौटभौ ? “may? मेधाविनो, “afa-arm” तुविजातौ बहनासुपकारक- तया समुत्पत्रौ, “उस्लया"” ag निवासो [ भिवावरुणो-मिश्र- शब्द; प्रातिपदिक-सखरेणाग्सोदान्तः (फि १; १); वरुण-शब्टो नित्खरेशदय॒दात्तः (4, १, १८७) । तुविजातो-बह्ना- मुपकारकतया तस्छम्बश्वित्वेन जाता विति षष्टौखमासे समासा- न्तोदास्षलम् (८, १, 222), चतुर्धोसमासे हि “क्त च (६, x, ४४)" इति कचित् पूवपद प्रतिस्वरः स्यात् । उरूणां बहनां तयो sauar, ‘fa निवास-गत्योः (qo qo )-इति धातोः सियन्यस्मिच्धिति चय इत्यधिकरणे एव श्रच् प्रत्ययान्तस्य “faa:
` * (ऋतारधो- तमत्रं तदु वहतः -इति Pao | + “खम्नि्टीमादिकम्'-ए्ति fao | t wo Go 8, १, ४, ४। ¶ 'खपसु-घनम्'- इति fro |
२८२ सामवेदसहिता । (रप्र०२भण०्ञ्सू०१।
(६, १, १९३ )"-इत्यन्तोदाच्चवे प्राप्ते “an निवासे ( ९, १, २०१ )* garage विहितम्, समासे तु “समासस्व (रु, ९, २२२ )*-त्यन्तोदात्तत्वं वाधित्वा क्रङ्त्तरप्रकतति- स्वरेण (६, २, १२८) प्राप्तमुत्तरपदाद्युदात्तत्वम् यद्यपि धाथादि-खरे शान्तोदास्षवेन बाध्यते तथापि ^परादिग्डन्दसि बहुलम् (९, ३, १८८ )"--दव्यत्तरयदाद्युदा्त्व द्रव्यम् | दक्तः--दश्षतेरसाहकमरो भिच।द।दुटात्तः (९, १, १८७ ) । Nad फलमनेनेत्यथः कमे, “मापः कमौख्यायां eat नुट् च वा(उ० ४, १०९ दी° त° )*--दत्यनब्रन्तस्य अपसस्पारेदत्यादो निवा ( ६; १, १८७) दायुदात्तस्यपस्-शब्दस्यात्र व्यत्ययेन प्र्ययाद्यु दास्तत्वम् (२,१,२)]॥२॥६ भध ठ तोयढचे*--प्रधमा |
१९ 2? १९ शद दून्द्रेणसधदिहक्तससच्लम्मानो मविभ्यषा | १ १९९ १९ ह मन्दुसमानवचंसा ॥ १ † ॥
१ ८८
हे मरह ! त्वम् “Kew “aaa” TAT:
° ० © “qua fe” सम्यग् cag: खलु, अवश्यमस्माभिद्र्टव्य-
° ‘CRATER —fa Fao | T Wo Hot, १, १२; २।
© ४अरग्२ेखण्श्सु०१] उश्लराचिकः। ९२
fart: #1 कौथेनेन्द्रेण ? “श्रमिभ्युषा'' भोति-रहितेन कौटशाविन्द्रमर्णो ? “we” नित्य-प्रञुदितो, † “समान- वचसा” gee [ पुरा कदाचित् हव्र-बध-दशायाम् इन्द्रस्य सखायः wa देवा हव्र-ष्वासेनापसारितास्तदानोमिनद््रस्य ठत्र- सम्बन्धि-सकल-सेना-जयाघ' wate: wea भूतःः--सोऽयमर्थे “त्रस्यश्वसधाय (Bo We ४, ९, ४,२, ६५६ ए० )"-दति मन्वे Teele: ; न्द्रो वे ae इनिष्यन्'- इति ane (ता) प्रपञ्चित ; इन्द्रशब्दः परमेश्वयंवन्तं ATE णच्ाभिधन्त, तदानौ- भिन्दरस्य सम्बोधनं वहिरेवाध्याइत्तव्यम् । तथाचेयमक् यास्क नेवं व्यास्याता-- “इन्द्रेण हि सन्द्श्यसे सङ्कच्छमानोऽबिभ्युषा गयेन we मदिष्णू युवां खयोऽपि वा मन्दुना तनेति स्यात्, समानवचसेेतेन व्याख्यातम् (४, १२) इति । सन्द्स्षसे- amma: “टथेखेति वक्तव्यम् (ॐ, १, ७ ae )""- शत्यामने- पदम्, em: “faew लेट् (३, ४, © )-- दति प्राथनायां az, थासस्से ( ३, ४, ८० ), “Metseist ( ३, 8, 8 }) "--दतयद्(- गमः, ““सिग्बडलं लेटि (2, १, ६४ )”----इति सिप्, “सूत्रा पूवको विधिरनित्यः (प° To <र)'?- दति गुणाभावः, व्रा दिना (८, २, २६ ) षल्म्, “ter कः ति (८,२, ४१)
@ 'द्म्दुशसं fe cus arena दति वाक्छशेषः। अथवा अत्ययेन are न्ियते-मबदुप्रेम wae इन्द्रः । अथवा आदित्य रनदरोऽभिषोयते, wearer दश्िमणास्तंः SETI | अथवा रन्द्र Via Gala GH way’ — ala Fao 1 |
+ "न्द. -परदन-खम वेन"-दति Fao |
( ५० )
223 araaedfeat: ({रप्र०२अ०७स्*१।
षति naa, “श्रादे ्-प्रत्यययोः (८, ३, &€ )—sfa fan: षत्वम्, वष्ल-प्र हणात् faa: परस्ताच्छबपि भवति, fart व्यव- धानात् पश्यादेभो न भवति, शपः पि्वादनुरात्वम् (२, १, ४ ), SUTS ल-सार्व धातुकामुदासत्वम् ( ६, १, १८६), WT स्वर एष॒ शिष्यते (९, १, १६२), हि-शब्द-योगात् “fae- fare: (८, १, २८ )’—ufa निघातो न भवति “fe a (र, ९, ३४ }- इति प्रतिषेधात् । सच्म्मानः--गमेः सम्पृवोत् छन्दसि लललिटः (2, ४, ¢)”—xfa वत्तंमाने fae, “समोगम्पच्छि० ( १, ३, २९ )""-डइत्यामनेपद-विधानात् लिटः कानजादेशः (३, २, १०६), feala: (4g 2 =), eaife-Qu: (७, ४, ६०), श्रभ्यासस्व चत्वम् (७, ४, ६१); “गमहन ° ( ६, 8) <€ ८)" -दव्यपधा-लोपः, कानचचिच्वा- दन्तोदा्षत्वम्, गति-समासे (२, २, १८), कदुत्तरपदप्रकति- सखरत्वम् ( ६, २, १२९ )। भ्रबिभ्य॒षा- “चि भौ भये ( ज॒, ue ), पूर्ववक्तिट् ( ३, ४, ६), “शेषात् कक्षरि० ( १, १, or)” —vfa परस्मेपदम्, “aga (2, २, १०७)'- ति लिटः कसुरादेशः, तस्य fears गुणाभावः ( १, १, ५), अभ्यासस्य स-जगत्वे (9, ४, ६< )-( ८, ४, ५४) क्रादिनियमात् amare (७, २, १३) “वखेकाजाहइसाम् (9, २, ९० )’— इति नियमात् निवत्तते नलसमासे ढतौयैकव चमे ware “वसोः सम्प्रसारणम् (६, १, CQL)’ इति वकारस्य उकारा- देशः, “सम्प्रसारणाञ्च (a, १, ६०८ )"-षति पुवेरूपत्व
बाधिलला “एरनेकाच (६, 8, ८२)*- इति यणादेः, warq-
BWMOVRBod Aor | उतलराचिकः । Ree
पृवेपदप्रकतिखरत्वम् ( ६ २, १९८ ), पूवण सह संहिताया मोकारस्य “एषः पदान्तादति (९, १, १०९) - इति at रूपत्वे प्राप्त “amar: पादमव्यपरे ( ६, १, ११५)“ षति प्रकतिभावः । we— ae स्तति-मोद-मद्-खप्र-कान्ति-गतिषु ( rato, ्रा०,), “afeat नुम् arat: (9, १, ८५ )-इति नुमागमः, ofcagqgam ˆखर-गद्-पोयु-नौसङ्ग-लिगु (so १, ag )""-- दत्य बाविभक्तिकि-निरंथाहन्तेङ्रितिवहात्वन्तरादपि कुरित्यक्तम्, प्रत्ययखरे णान्तोदासः (२, १, 2), हिवचने सो “प्रथमयोः पर्व सवख: (६, ९, १०४), ठढतोयेकवचने च “gut सु-लुक्० (9, ९, ३९)“-दत्यादिना पूवंसवणदौर्धेत्वम्, समानं वर्चो ययोरिति बा यस्येति वडव्रोहिः, हिवचने “gut सु-लुक् ° (९ १, ३९ )"”--द्त्याक्तारः, समान-पदस्य प्रातिपदिकशान्तो- दा्षत्वम् (fie १, १), बडत्रोहो पूवेपद-प्रकति-खरेण (८, २, १), तदेवावथिष्यते nel
अध हितोया। ‹ Wee १२९ १९९ 3 | भाद दखध। मनुपुनगं भ॑त्वमेरिर |
VR ३ ९२ १२ दधानानामयन्नियम् ॥ २५॥ श्रहेत्यवधारणार्धः ]। “रात् we’ वषौर्नोरनन्तरमेव ““सखधामनु" इतःपरं जनिष्यमाणमन्रमुदक वा NAAT महतो
e WO Fo १ १; १९; ४। + “euch चड्ष्तिच विजिगप्राथो पौ Ise GHIA | खवमरेदं करो लथमिदं इ करिद्यतोति?--ए्ति निद० १,
३८ & सामवेदसहिता । (रप्र०२अ्र०७स्*२।
देवाः “पुनः गभत्वम् श्रा रिरे” भेष-म्ये जातस्य गभीकारं भ्रेरितवन्तः# [ प्रतिसंवस्छर मेवं कु्वन्तोति दभंयितु पुनः शब्दः प्रयुक्षः]। कौशा मरतः ? “afsa” ame "नामः “दधानाः” धारयन्तः । [ सप्तसु गणेषु मरतामोहक् वाताना- मोहक चेत्यादोनि यज्न-योम्यानि नामान्धन्यवास््रातानि | “saa: शत्या दिष्वष्टाविं शति-सङ्कयाकेष्वब्रनामसु “उक् '' (१५),“रसः'' ( १६ ), “au” ( १७ )—sfa पठितम्, ( fame २, ©) “og. शत्यादिषेकगत-सङ्गपकेषुदक-नामसु च “Aan” (eq), “aa” (es), “racy ( et )—sfa पठितम् (fame १, १२ )। “श्रात्""-“श्रह"”-निपातावाद्युदासो (फि° ४, १२ )। खधा-ख' लोकं दधाति पुष्णातीति aa, “श्रातोऽनुपसगकः ( २, २० २), कदु ्तरप्रकतिखरत्वम् ( ६, २, Me)! अनु-पुनः-शब्दो निपातावाद्युदात्तो ( फिर, ४, १२ )। गर्भस्य भावो गर्भत्वं प्रत्ययस्वरः (३, १, 2)! एरिरे--न्तभोवितस्छधोत् ‘eq गतो ( were, प० )-श्त्य- स्मादनुदान्तेतः परस्य लिटो भस्य sty, frereaitern: (६, ` १, १६२), “सह सुपा (२, ₹, ४ )'"-- इत्यत्र “ga” योगविभा- areret aw तिकः “समासस्य (८, १, २२१ )“--शत्यन्तोदा- सत्वम्, “Cee गुरमतोदृच्छः (२, १, २९ )"-दत्याम् न भवति मन्त्वात् † श्रह-गब्द-यो गाबिघ्ाताभावः “तु-पश्च- ` > eric SIG, सविता ख गच्छानि, & प्नरणमिते रुषितरि
aia यातिः- दति fao | + “कास्प्रत्यथादामसन्न्रं fefe (2,2, १५ )*--एति aaifey waa — इत्युत शिति भावः।
४अभ२ख्०रेसु०३] उ्सराचिकः। ३८. ॐ
प्रश्यतादेः पूजायात् (८,१.३८) इति निषेधात् । दधाना-- शानचचित्वादन्तोद्। ले प्रासे ( ६, १, १६२ ) “अरभ्यस्ताना- मादिः (६, २, १८९ )"-इत्याद्यदा्तलवत् । यज्नमषति afe- यम्, ““यश्नलििगभ्यां ewe ( १, १, ०१ } "दति घप्रत्ययः ^ श्रायत्नेयोनौयियः फ-उ-ख-छ-घां प्रत्ययादौनाम् (७,१,२ )- इतोयादेशः प्रत्ययस्वरेण दकार उदात्तः (१, १,२)]५२॥ रध ठतोया | ह २ १ १ ९
as चिदारूजन्नमिगु दाचिदिन्द्रवह्किभिः ।
१२ ३ ९ 2 १९ र
अविन्दडखिया श्नु ॥ २४॥ ७
अस्ति किञ्िदुपाख्यानम्-“पशिभिदेवलोकाद् गावोऽपद्ताः
श्रन्धकारे प्रचिप्राः aa Ax: सहाजयत'- दति | एतञ्च वह्कचानुक्रमणिकायां सचितम्--“परिभिरमुरेनिंगृढा गा THE सरसादेत wR परेषिता ता ऋग्भिः पणयोऽमितौ- यन्तः प्रोचुः” इति । मन्ान्तरोऽपि दृष्टान्ततया सूचितम्- “faqur भ्रापः पणिनेव गावः“ इति) तदेव उपाख्यान मभि- ्रेत्योच्यते- हे “ame,” “ate चित्” हढमपि दुग मखानम् “srenafa.” ४ श्रभिभच्ञद्भिः "वद्भिः" वोढुभिः waa ° WO वे0 १, ११९९, ४ । † ‘faq—efa पदपूरशः। ate अकरिथे खितः'- र्ति विर ।
‡ “खना रि चे fern जनच्छ। षयन्ति खादरजल्रवः - दति fae | q ददनाह्मकरश्िभिः--एतिविर।
२८८ सामषेदसंहिता । [श्प्र०२अ०ञसु०र।
Aa समर्थः मरुद्भिः सहितस्व' “गा चित्” qerarafy स्थापिता “ofan” गाः “अन्वविन्दः p भन्विष्य लब्धवा- नसि। [ “ater” (१), “पाजः (२)-इत्याटिष्वष्टाविशति- सङ्कयाकेषु बल-नामसु “दचः”(१३) “वोलु"(१४) “व्रम्” (१५)-ष्ति पठितम् । ( ८, €) नव-सङ्कवाकेषु गो-नामसु ^शश्रन्नाा"(१), “उस्राः, (२), “oferar”’ (३)- इति पठितम् निघ (२, १९६ )। वोड प्रातिपदिक-शखरः (fire १,१)। चित्-ादिरुदान्तः । areca भिः-“र्जो aE ( तु° प ) दूत्यख्माद्ाणादिकः FAA प्रत्ययः, fare (१, १,५) गुणाभावः, चिख्वादन्तोदान्तत्वम् ( ९, १, १६) समासे कदु त्तर पदप्रकतिसखरत्वश्च (६,२, tee)! Geran डादेशः (9, १, ३९ ), “ग्रामादौनाच्च ( फि० २, १५ )*-तयायु- दात्तः। वह्किभिः-“वदहि-प्रि-य-शरु-म्ला-डा-तरिभ्योनिः (उ ०४, ४५१)”- दति नि-प्रत्य यः, निच्वादादयुदात्तः। अविन्दः-शेसमुचा दोनाम् (७, १, १८ दति मुमागमः, लुः-लछ-लखः चड़ दात्तः ( ९, ४, ७१ )। वसन्तोति उच्चिथाः वसोः क्तरि यक् प्रत्ययः, षत्वाभावच बाइलकाद्हनौयः ( ३, १, ८५), उक fe ‘aa पदाधविशेष सुक्क प्रत्ययतः प्रकतेख तद् म्राद्यम् (३, १, ८५ भा० )-इति, इकारः प्रत्ययखरेशान्तोदात्तः (३, १ २)५२॥७
_ 0 ‘sfeqr—eaqifeacma:—tfa fao | ` † (अविन्द बिदन्नाने ( खदा, प° )- इ्यसमेदं रूपम्--इति, “ea —wragiiw इति चवि |
४म०२ख०४स्०१] उ्षराच्चिकः। १९९
श्रय चतुथं ठचे% प्रथमा । १९१३१९९६ ९११९ ररश्२९२९ ताडवेययोरिदम्यञ् विश्वम्पुराकतम् । र्. १ श्र इ द्ाग्रीनमडं तः ॥ ९" ॥
“ay” तो तादृशो ^इन्द्राम्नो"' “ea” area “ययोः” sare: “पुरा” पूबेखिन् काले “कुतः” “विश्व” सवम् “द्” uaterg कौ्तिंतं वीयं" “पग्र” पन्यते ऋषिभिः स्तूयते; ता- facial इषे Lua: | तौ wera न “ata:” [ महेतिः fearaat (निघ०र, १९, १४)] स्तोतन् afer: | भरतो ऽस्मान् ्राइतौ रचतामिति भावः॥ १॥
अथ दितोया |
Vee २३ ३ ९२ १ र 2 उद्माविघनिनाण्धटन्द्राग्रोदवामदे। ९ २ श ९१२
तानोशडा तदहे ॥ २१ ॥'
“say” sut उदन -वलो तएव “मधः” श्चरन् “fae निता" विचनितौ विशेषेण इतवन्तौ “sare” “हवामह
आरहयामहे। तो Sere “Sen” अस्मिन् सङ्गामे “नः ® र न्द्राम्नमाग्धम्'-- इति fae । + Wo वे० ४, ८, २९७, ४ |
‡ Wo Ho ४, ८, ९०, ५।
Yoo सामबेदसंहिता। [रेप्र्रेअन्प्सू०३।
sag “aera” सुखयताम् [ यदा ख्डातिः उपदयाकमा ; नोऽस्माकं BSA; उपदया कुरुताम् ] ॥२॥ रथ Salar |
8 = र RT दश शद् खथोव चाण्यार्य्याचथो दासानिसत्यतो । ट रेख १२ ३१२
हथोवषिश्चाञ्पदिषः ॥ ३५॥ ८
= दन्द्राम्नो! “srr” आर्यैः कमानृष्टाठभिः क्तानि "चाणि" उपद्रवजातानि “ea:” feet तथा “सत्यतो सतां पालयितारौ सन्तौ “दासानि दासाः क्मदहौनाः शव्रवः, ते; तानि चोपद्रवजा तानि wat रपि च “विश्वाः” सवः “fea.” Set: waar: प्रजाः “aa हथः” विना्यथः ्रतोऽखमाकमप्येव मेव Haat सिति भावः॥
“हथः” -““ हनः" दति पाठो ne ae
दूति सामबेदाधप्रकाे उत्तराग्रन्यस्य ठतीवस्याध्यायस्व दितोयः खण्डः Pug
ES Ga SD
क Wo a0 8, ८) २८ १ ॥ + ष्दासानि-यादादौनि रखः-पिशाचादोनि'-ए्नि fre | t ‘om प्रातःसदनम्-इ्ति fae |
श्र०४ख-१स्०१] उत्तराचिकः। ४०१
my ठतोयखण्डेभे प्रथमतचे- प्रथमा | ९ ९ रर् १९११२२२२ २९१२ अभिसोमासमायवःपवन्तेमद्यन््रदम् । श्र ३१९९ 8 १२ ३ १ रे ₹ समुद्र्याधिविष्टपेमनोषिणोमल्सरा सोमदच्यतः॥ ९ + ॥ श्रावः गमन-शोलाः “सोमासः” सोमाः “ag” az- करं मदम् Ge रसम् “श्रभियवन्ते'' अभितो निर्ममयन्ति। कुतरेत्यच्यते “समुद्रस्य श्रन्सरिश्चस्य “श्रषिविष्टपे” अधिकं समुच्छिते पविक्रे यदा समुद्रस्य यस्मात् समुदुद्रवन्ति रसान्तस्य कलशस्य “श्रि” उपरि “विष्टपे” ara पवित्रे निर्गमयन्ति | alent: ९ “मनोषिणः' मनस &शितारो “aaa” मदकराः “Aza a.” मदखाविणः ॥ “विष्टपे"-“विष्टपि"- इति पाठो, “acea:”-“afae:” ति च॥ १॥ अव्र हिंतोया। १९ RY x ९ ₹९ ९१ २९६९३२९३ २ ACSA RATA णाराजाद TAA, इत् । VCR PR २१२ ११९ २१ १२ ९९२२१२२ WOT ALTAR AUT Sa AAT त् ॥२१॥
‘cart भाष्यन्दिनं वनम खते। estat --गायवो-वेटव्माद्रोनि सामानि, ora नामत खाषयमङ्कमः--ए्ति [Fol T Bo Gio €, %, 2,5 ( wale €4पर )ज्इ० Fo ७, ४,१४, BI t Wo Goo, 4, i, ti “safea?’—efa aq ist
( ५१ )
BoR सामभेदसंहिता। [amon woe qo 8 |
“qaara:” पूयमानः “देवः” ataara: “हहत्” wa- न्तम् # “Maa? सत्यश्मतः fp “राजा सोमः “समुद्रम्” अन्त fed wad वा “जमिका' धारया $ “तरत्” तरति “हि aa”? प्रेयमाशः। “ऋ तम्बहत्ः We सत्यभूतः सख सोमः “wae ave” भिश्रावरूणयोः “ara” धारणाध “a भर्षा प्राषेति प्रकर्षेण गच्छति १ ॥
“अषौ '-“सपेन्'-इति पादौ ॥२॥ परध अध्यास्यारूपा TAT |
षे २९२१९ २ ३१ WT VW २९ Re
नृभियेमाणो ह्येलोविचक्षणोराजादेवःसमुद्रयः॥ २६॥ ९
“afa:” कम-नेठभिः ऋविग्भिः “ये मानः” नियम्यमानः “य तः” Geta “विचः” विद्रष्टा “देवः” दौप्यमानः “agar.” अन्तरिके भवः | “राजा” सोमः were पवते इति ओेषः ॥
“Qara:
ॐ)
“Sara.” इति asin zie
* “बृहत्--मडइत् थवा बुदत्याम-इति fae
+ “ऋतं- सत्यम् waa प्रलापतिः यञ्च' बा- दूति fae |
‡ -करमिका-उदकसङ्कातेन'--एति fre |
¶ ‘qui—zer—xfa वि०।
§ We खा. ९१, ४, २९ ( रेभा ११२० we Fe ०, ४, १९, ४।
| “खमुद्रः"--रत्यकरिच-नामच WHR मेषष्ट कम् ( १,२ ) 1 ^समद्रयः- VARIAN: — दति Fee |
SURG {स्० ९,२.१९] उस्तराचिकः। ४०
१९ १९ रट Te TUR पौरमद्गम्॥ अभिसोमासश्रायवः। भोष्टोवा । | कि | र R
MAT हाउ । THAT रदियग्बदम्। TART ९ ६ ~ ६
स्या २। धायिविष्टपाशयि | मानौषारेरश्यिणाः | मद्या ।
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हेट्वा। ददेषायि। मदा५य्ध् ताः Ng)
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मल्छरासोमदश्य तः। WAT! Wea ws म
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ऊररारदश्विणा। राजा । टायिवोवाच्रोरद्वा। डा श्र र SE SO दायि | च्ताभम्बृहात् WR) राजादेवङ्छतम्नृहत्। चओ श॒ Ute wR ६ खोवा। शडिया। HTS) राजादेवा रक्टतम्बु त् । अर g ४
षामाश्यिच्रा २। सयावरुणा३। स्याध््राररश्णा। प्र ङ् गानौवीसोर श ४ रे । ४ wife | रे४वा। हडादेष्टायि। खता
STA SUT a2) ॥ १४ *॥ [१]
@ FH? मार WHO १अ०१४या०।
४०४ सामवेदसंहिता | (रेप्ररेश्रग््स्० १,२.१३)
॥ उभयतःस्तोमं गोतमम्॥ दावभिसोमासभ्रायवो
द १ 8 र ९
दाउ | पावन्तेम। दियाग्मटाररथ्म्। हशशोयि। १ र् ९१२ RT र मुद्रस्याधिविष्टपे। मानोषिणा२४ः। wets arg RT 2 Xe TTY: | WTA | मदोरशेट्वा। आभ लोर्दायि ॥(१) र र र १ र्र १.७.
हाउमल्छरासोमद खुतोदाड। मात्सरासः। ` मदाय । एर र श रर १ ङ् ला२३४1 डदोयि। तर््ससुद्रम्पवमा। नाऊग्मि RT श णा४। दादोयि। राजादायिवा३४ः। दादेव t र ९ ४ शब् कऋतोररथ्वा। VATE हायि ॥(२) शाउराजादेवच्छत १ ड Re © र द् ग्ुषद्राउ । राजादवः। चताम्बृहार३४त्। चाष्टोवि। १ र ९९१६ ९१९ शर र अषामिजस्यवरुण। स्याधर्मणा २९४। दादोयि। प्रा
RT र
दिन्वानाधः। दादोर्वि। लोरदश्वा। qu दो € aTfa(s) ॥ १५*। [२]
@ Fo Me ९१० (Wo ware |
४अ०३ख्०१सु०१,२,३] उत्तरािकः। ४०५
२ ९ छर चैर ॥ दिदिद्धार॑वामदेव्यम् ॥ अभिसोरेदमासञ्मायवाः। Rat 2 पाऽवन्ते मघम्मदरसमुद्रस्याधिविष्टपाऽयिमनी दो२। ॐ ङ् TR | षारर्विणाः। मद्छरासोमदी दोरे। BAT | । कि, । 4 ऽ ता। META ॥१) मल्छरा २३ सोमदच्यताः। १ ब॒ द् र रे माद्रासेमदच्य.तम्तरत्ससुद्रम्पवमाऽन्ोरार्। SAT शर. रद x द ₹ 4 २। मारदपिणा। राजादेवाऽूती दा२। Bares श Ee ४. VT UT 8 | § TUT ओरश्चावा ॥(२) राजादा २ ए यिव्छतम्ब् १ << R wet र SLI राऽजादेवच्छतम्ब दादर्षामिचस्यवरूणाऽस्यधोष्ो३।
XR ` < २ श्र २
SA?! माररणा। प्रहिन्वानाऽऋतौरा३। इम्मा
२। श्ात्। भोररहोवा । STAT t Sls) Wt ७ ५ ॥ [३] १ दर 2 ॥ गायनाश्च म्॥ आभो। सोमासञ्आ९उवा२३। १ रर १ २१ ९१२२ र् १
यारदृभ्वाः। पवन्त मदियम्मदरसमुद्राभिविष्टपेमनोषि
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Boe सामवेदसंहिता । [ame eWeek सू०१,२,२।
९१११९१९ ९१ र ; २ t ४ १ णा२३४१५;। ATTA: | मद्र। S VAs | च्यु १६९११ ६ 2 ६९ तारड४५: ॥(१) माद्या । रासामदा३श्डवा २३। ४ ® श्र र र १२१९ =z R शद् द Blea: | AAU STATS तस्तरत्समुद्रम्यवमा नग ९१९११ रश १ र 3 R 8 णा२२६५। राजादार्यिवारः। WAT RA BS RAAT १ ११११ XT १ श वृषहार२४५त् WR) राजा। दायिवच्छतार१उवार ४ र्द दर्श TTI ९ र र्१२९ UV ९ ३। ब ९३ ४ात्।. राजाटेवक्छतमब् ददर्षामिनरस्यवरूण
३९१९९११ ९ १ स्यध््मणार२२४५। प्रडायिन्बार्नारः। तारम् । ¥ १९ ११११ रेदवाढ । ब शार२४५त(३) ॥ ८ # ॥ (४) 2 छट थर च ९ श्र ॥ चौरशन्भनम् ॥ अभिसारमासभायवाः। पावन्ते १ श र्
Hy दियाग््रा्टारम्। मादारम्। सासुद्रस्या। धा
यि। विष्टपाइयि। विष्टपारेयि। मानोषारद्थ्यिणाः।
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8 AVACTAT | मादश्यरदश्नाः। AST Y MAT: (2)
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मल रासः। ATH AATH 1 श्य तारः। तारत्समु । g १ र 8
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ष्ट ४४ ०४५४ १ CTR
Sea AES UT | राजादेवः। ऋतांवृशहारत्। भा
atta! स्या। वरुणा२। aque! स्याधर्मा २ 2
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ध्ण । प्रादिन्वानाः। भार्वृर्दश्डात्। ता५म्बहा
हो५इं। Sa) he wn fy]
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॥ च्गतम् ॥ अभिसादेमासभायवाः। पावन्तेम।
fear! समू३। रौदोरेवा। दरस्याभिषि
भद द् षयेमानो९ पिशा २ः। ETRE | रारसारेहेश्भौ दावा | ९ ३१११९ ५९५४
RU मदा रुतार२४५ः॥९) मत्सराहेसोमदच्य् ताः
g रर १ ॐ
मात्सरासः। मदाश्यूए्तारः। तरा३त्। See sar । न |
@ Ge Alo eye eGo हसार।
gor सामवेदसंहिता | [रेप्र०२अअ्र०८ सू० १,२.३२) १ का । श्र १, =? सम् द्रम्पवमानाऊश्मिंणा २। राजान्रे। दारयिवार३ दर् ३१६९१९९१ रद BATA! TZ) ऋता रम्ब दार३४५त् ue) राजा
९ ४४ ४ ५ १ र र्द १ २
दारहेयिवकतंवदात्। Tosa: | WAY दा रन् । R २ $ र् र् श mata! हौ ३। St ३वा। मिचस्यवरूणस्याधर्माणा २।
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प्रदार्दयि। न्वारनार्दे्मौ दोवा। ण३। इतारम्ब हा ११२११ VBA.) ॥ १० * ॥ [६] १ रर दर ९ ॥ दारायणम् ॥ अभितोमोदा रयिसश्मायवाः। पा < र र \ र् वन्तेमद्यम्मदम्। समद्रारेस्या। धिविष्टपायि। मना र् च \ << २ ४ दद्ायि। षायिणारः। मत्सरासोमदोवादे्रोरेदध्वा ।
४ FI र र् Rr च्य तोददायि ॥(१) HUTA ATS, ताः। मा
ब्र र् R R ल्सरासामदच्युतः। तरात्सारम्। द्रपवमा । AZ श्र र श ५ ४
शा, मायिणार२। राजादेवच्छतोवारेश्रोरदश्वा। ब
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ह्र०३ेख०१सु०१,२.३) उत्त राञ्चिंकः। Boe.
१९ रर ५ होट्दायि ॥(र) राजादेवोद्ो ewig el राजादेः र् TATE! अर्षामा २ यिजा। स्यवरुणा। saa
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र < g NWS ॥ अभिसोमा। सश्रारश्वार३। या ५ १ ररर २९३११११ < रञ्थवाः। पवन्तमदियग््दा२२४५म् | पवन्तमा। fe | २२ १ र Rw ररर या३१उवा२३। मार्रथ्दाम्। समृद्रस्याधिविष्टपेमनो १२११९१९
पिणारद४५:। समुद्रस्या। falar att पेमनाईश्छ
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बृरेरश्ात्। राजादेवकतब हा९त्। राजादेवाः।
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५ १ रर १९१९ २ धारेश्डवाररे। मा २ Awa! प्रिन्वानक्तंब् चार् । ९ र ४ प्रडिन्वानाः। ऋतार२१बा२२। ब्,रर४दात्(३) ॥१२५॥[८) ब र् x
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४१२ सामवेदसंहिता | [रेप्र०२भ्र*्९स्०१,२,२)
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४ ४ 4 त ३९। स्यधाररमाररशणा । प्रहा यिन्वाररनारः। भारा हद ठ् VATA | ब २३४८ात्(३) ॥ १४ el [१०] ९२ शद | 8 ॥ सानपवाध्यश्म् ॥ भरमोभभो । सोमासारभाया
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श्वारः। पावन्तम। दियाम्मारटार्म्। समर
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रारोमारदाच्यश्तारः। तारारन्साम्र) द्रपवमान AS र् 8
अम्रारेदयिणा। राजादारेयिवारः । ऋ २२ त्तारम्।
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४अ०२ख०१स्०१,२,२] उत्तरार्चिं कः, ४१३
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र र् र् ATR) स्यवरूणस्यधर्मारर्णा । प्रायिन्वा ₹ ना ३:। श ४ आरर्षारेम। ब,२४५दोईदायि() ey lee] ४ 8 र श्र ५ र र् र् ॥ वाम्रम्॥ अभिसोमासभा। दारद्ारयि। यार x +)
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8१४ सामवेदसंहिता । [रप्र ०२०८ सु*१,२;,३।
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बृ२३४। WERT राजादोरयि । देवाशोर। भा
श र g ५ भंव हा रत्। भआर्षामिज्। स्यधाउवा३। ॐ३४ पा। _ श र 7 R 4% ATR! प्राहारयिन्वानारः। ऋतम । TLATRRe at र् श्रोषोवा । ऊरर४्पा(३) ॥ १९॥ [१२]
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॥ अभोवत्तम्॥ भभारेयिसोरेमाऽसभायवोवा। पा
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वन्तम। दियाग््राश्दा इम । सासुद्रस्या२१२३४। fy
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विष्टपे। मनायिषाश्यिणा रः । मरपाराश्छारः। मदा ९१९१६१९९ २। चय् २२४५। ता२२४५८१) ॥ १६*॥ [१३] = ¥ २ ४र ५ ४ ५. ₹ १ RT 2 ॥ कालेयम्†॥ मत्सरारसोमदच्युताः। मल्सारासो | २९२ १ ९९ र १ । णर र् मद्च्युतारदः।. तरत्सम्२३। द्रा९३४म् । पवमान |
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मदियाकम्। मादाम्। समुद्रस्याधिविष्टारेरपा रयि।
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५ |. र्र् . र र् faa मात्सरा। सा। भीरदो। मदोररे४वा । ¥ शे BTUs ५ .
युतो हायि ॥-? मत्सरारेसोमदच्यताः। मात्सा२।
ष्रर ३ २ ४ ४ १ ₹ ४ ४. ९२ रासोमद्ा२। SAAT | तरत्समुद्रम्प वाररमाई३। नज % x ब् १२ ॐ | ,
zai ferent । तरत्ससुद्रस्पवमा | नजरर्मायिणा। रा
र् श्र R जादे। वा। ओीररो। ऋतोरक्ध्वा। बभरो्डा UT र ए ४ yt 1 १ १्दर र fan) राजाद्ारयिवक्छतंब हात्। राजा२। देवक ९ ४ ६ wT VU १ ९६ १ 1 २
TRA Te! भषामिन्रश्यवद्धररणार। Wee
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४१६ ` सामवेदसंहिता । [प्र ०१अ०९स्०१,२,३।
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॥ भारद्ाजम.॥ अभिसोमा। सश्चायार९ ATR: |
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पावन्त मद्यग्मदम्। समूद्रार्स्यार। धायिविष्टपे। नायिषाश्यिणारेः। मन्सारारसाररः। मारदारदे्रौ
< 8 ५ STAT च्य॒ररे४ताः(१) ॥ १५ † ॥ [१९ र १ र ९२ ४ ५ ॥ मे्ातिथम्॥ अभिसोमोषचायि। सभ्रारयावाः १ ₹
पवन्तारृदो१्यि। ATM । दायाउवा। मादाउ
वा। समुद्रस्याधिविष्टपाओरेहो । मानाउवा। षा
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यिणाउवा। मत्सरासाओ्रौरष्दो। AST Brett वा ce २
होरध्वा। च्थूपरतोरहायि॥(? मत्सरासोहायि। म
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दारच्युताः। मत्सरा RATT । साओ्रौरष्टो। मादा =-=
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४्र०्२खु०१स्०१,२,३] Sutifan | ४१अ
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हायि। इतारम्नहात्। राजादार्दोश्यि । avails
९ ९ र Sli आरन्नाउवा। बद्ाउवा। अरष्पमिचरस्यवर्णा
2 १ र रे श् ङ् श सौरहो। श्ाधाउवा। माणाउवा। प्रहिन्वानाभ्रौरं 1.1
र | रर र ब ¥ ५ ST MAT WSL वादोरेदे्वा। . बभ्दोश्ा
fara) ॥ ६*‡ ॥ [१७] ४ ३ द रच र ४५ देर ए ॥ उत्सपेधम. † ॥ श्रभिसोमासञ्रायवः। पव। तेमा er sty 2 १ रे इधच्री दोवा। दियग्मदारम.। दारेश्डवा९३ । Tas “ Re ४ uc 8 ati समदद्र्या। आडदोवाद्ायि। धायिविष्टपायि।
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भनोषायिणाः। VALE | ऊरध्पा। मल्साइरा © Ho गार शप्र Aq care न न्डसडष-स्तिक० पृण
( ५९३ )
४९१८ सामवेदसहिता | [Ao VAL o 2,2,2 |
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सः। भौषोवायि। मदारश्यू५ता६५९ः॥(१) मत्सरा
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सोमदच्युतः। HA) रासा३९अहदोवा । ATYATS
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ऊरश्पा। राजारदेवः। भौरोवाहायि। wares श्दरश्र र ३४३४ ५ श् र श्र र्
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उशर्ीद्ावा। कर्त॑ब हाऽरत्। दारेश्डवा२२। Wee + क Wx ४ ५ १ १ ष् | walafaati भोदोवादायि। स्यावरुणा । ख्य ९ शद् ५ २ ux
धर्माणा । दारश्डवाररे। ऊदश्पा। प्रहादेयिन्वानः
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जाद वच्छतंब VT! भरदा । ओरषहा२९२४। अर्षा
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इदा२०२४। प्रडा३४यिन्वानारः। कऋतोरेरध्वा । ब्,
५ दोददायि(₹) ॥ ५५॥ [२१] : ९ १ र रे ॥ सन्तनि ॥ WATS) सोमासञआ्रारेश्डवा २ ३। ४ १ ररर ९ ब् २१ द शब् यारदृवाः। पवन्ते मदिय्मद ray द्रस्याधिविष्टपेमनो १९ १११९१ श् १ र ३ पिणार३४४ः। मत्सादाउ । रासोमदादेशडवा २ ३।
९ श्र र र र २ tT TR र
च्य श्२४ताः॥(१) AATATATS, MAG TAN ATS, a
ज रर र ११९६९१९ शद र् स्तर्ससुद्रम्यवमानऊग्बिणार३९५। राजादाउ। दा र्रर RTL 2
यिवकताइ१्डवा९३ । TRAVUTL ॥(र) राजादेवच्छतं REVS र रश्र१२१ ९१६ र २१९१ २ र १२१९२११ ब चद्राजाद् TWAT दर्णा मिचस्यवरणस्यधम्म TAY |
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Waele | समुद्रस्याधिविष्टपेमनो | षा यिणारदः। at
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VA ओरइोवा। मल्सरासोमद। चतारः,
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॥ २ *॥ [22] ब < ॥ भाभोशवोत्तरम् ॥ अभिसोभासञ्!यवए। ए। पव ९ ७ ? ङ् | ९ र् र १ र् |
न्त माहृदायग्मरादम् । सार२७म्। हादृद्दा। द्रस्याभिं
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विष्टपेमानोश्षिणाः। मारदध्तषा। wees: रासो
मदोरदध्वा। च ५तोई हायि ॥(१) मत्छरासोमदश्यत र $र १७ र ४, a र Ul Ul मल्छरासोरमादचख,तः। वतारष्४्यात्। दारं ५
हायि। समूद्रम्पवमानाश््मिंणा। रारद्ध्जा। शा
© He Ale (EHO रेख Ve |
४२४ सामवेदसंहिता । | रेप्रण्२श्र"९स्०१,२,३।
र १ ९१ ५ 8 4 २ डायि। दायिवच्छतोरर्ध्वा। बभष्टो € हायि ne) रर द द ब॒ र श् ६ ९ राजाद बकतंब दे । ए। राजाद AAMT HET र a ३ र् ध आरर्षा। खा इ हायि। मिचस्यवरूणस्या धम्माणा |
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प्रारेदध्डायि। हार्टायि । न्वानकतोरेर्वा। 14.
दो$दायि(द) ॥ २ * ॥ (es!
1 ४द UT By g ॥ आष्कारनिधनम्+ ॥ अभिसोरेमा सऽअयवाः | पः रर् R १. Ree र वन्तम। दियारहइम्मदाउ। वा३२। समुद्रस्या। धि ९९९१ ररर ४: श्प दइर २ विष्टपायि। मनोषारदश्यिणाः। areal रासोम। २ र “3s 4 १ रेद् TY २२४५ता६९५६: ॥(£मत्घरारसोमऽद य् ताः | ATT श R १ रे 2k RF २ र
सः। ASRZBATS | बा२३। ACPA! द्रम्पव
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२२४५ा६५९त् ॥(२) राजादारेयिवकऽ As, हात् । राजा
o FOAM Lene १अ० Vato | T "अल्कारङिधनं कास्वम्"- र्ति खर पुर |
BM VMoRGL 2] Taian | ४२१५
RT ९ र एर ₹ १ ₹ २ द् वः। ऋतारदन्.हाउ। वबारर। अर्षामिचा । wa ₹ ९ ९९१ ५ श र IT श रुणा । स्य्धम्मार२४०४ । प्रारेषष्टायि । न्वानकछ । तं ९१९९१९९१ ब् २४१ दा९५६त्। भारर४५् (३) ॥ Re ॥ [२४] R दर ठे | ॥ मानवाद्यम् ॥ अभिसोमा | सभ्रायारेरश्वाः। २। श श्प श र द्
पावन्तम। दियाब्माश्टारम्। सम्। Bl द्रस्या। ^ ५ १२ र ए
भायिविष्टपारयि। मनारयिषारश्यिणाः। मत्सरासा
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२३:। मारदार३४अोदोवा । RRS ताः॥(१) मक x R ५ ९... ५ १ रर रासाः। मद चयूररताः। मदा्ुदेशताः। मात्छरा ९ श ट र ९ 9 र
सः। मदाच्युष्तारः। त। Wl समु। द्राम्पवमा
५ WT रेररश ट 21 नजर्म्मरश्श्यिणा। राजाद् वार्रः। भर्ता चद र् ह | र CT
रर४अओदोवा। TEVA) «WHS वाः । कतं
३ ५ २ „९ ४ १ र रेर १२
व प्दश्दात् । ` ऋता ररश्हात्। राजादं वः। ऋताव
ॐ ऊ०्गा० (Fo YWYo रसा |
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श 1 4 १ रे श श्डारत्। भ) at मिच। Bl aura: But a १९२ र L
„ श e प श् uct द रम्मीरेर्णा । प्रहिन्वानाररः। ार्नाररधश्रौ होवा ।
श ५ न् २द४९दात्(२) ॥ १ * ॥ [Ry] र्द ९ र्र् १ रे Naas ॥ जअभिसोमोशायि। सञ्ायवोवा। द् z arama दियाग्मार्दाररम्। शोवाश्डायि समु ९ श र१द् २९ र
इष्याधिविष्टपे। मनायिषा १ विणार्दः। शोवारश
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राजादाश्विवारदः। शोवारेशायि। कऋतम्। ब रार् छर ह
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४अ०श्ख०२य्.१] उत्तरा्थिकः! ` | ४२ॐ ष शर् । क, जाद् वः। तां व ?दारङत्। होवारदायि। भर्षामि
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रर् faararetcafanats 2 Rt कतस्प्धोतिम््रह्मणोमनोषाम् । ९२ श ९ २ eR गाबोयन्तिगोपतिम्पुच्छमानाः र् RRs | सोम॑यन्तिमतयोवावश्रानाः ॥ ११ “afe:” वोढा यजमानः “तिखोवाचः' ऋम्बज्ःसामा- निकाः qt: प्रेरयति । तथा “mre” awe “धौति” धारयित्रीं “ane.” परिढठढस्य सोमस्य “atti” मनस शिनीं कल्याणीं वाचं प्रेरयति । किच्च “गोपति” ani यधा गावोऽभिगच्छन्ति तदत् गवां खामिन सोमं “aras” = Ko जार २२१० ~zGe Cogye | ने Ho Ue G २, Ly ९ (रभार ११९प् ०) mae Fo ©, 8, १९ ६४।
gre araazafeat । [2m T2e oor
"पृच्छमानाः" pea: सत्यः यन्ति aarat faafaqy रभिगच्छन्ति। तथा “arvana” कामयमानाः मतयः
maa “सोमः “afer”? स्तोतुमभिगच्छन्ति॥१॥
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सोमङ्गावोधेनवोकबश्णनाः
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सोमंविप्रामतिभिः पच्छमानाः !
१ रे 2 र ३१ २ ३
सामःखतच्यतेपयमानः २९३२ २ VR सोमेअर्कास्तिष्टभःसन्नवन्ते ॥ २४ ॥
“gaa.” sp प्रौणयिव्रो “ara.” “सोमं”? “वाक्शाना$” कामयमाना भवन्ति, “विप्राः मेधाविनः स्तोतारः & “सोमं” "मतिभिः" स्तुतिभिः q “gear” taal भवन्ति “सुतः” अभिषुतः “सोमः” “पूयमानः” ऋतिग्भिः “ऋच्यते”
@ Wo Fo 9, 8, १७, ४।
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‡ ‘faur—argat:, ० ° waa fan खादित्यरश्चयःः-द्ति fas q .मतिभिः-प्रन्नाभिःः--श्ति fae |
BMTVMorgor| उत्तरार्बिकः। ४२९
चरति #। तथा “विषमः चिष्टुनूपाः † “श्रकोः” अस्माभिः क्रियमाणा एते aa "सोमे “aaa” सङ्गच्छन्ते ॥ “सोसस्मुतक्छयतपूयमानः”- दति छन्दोगाः, “सोमःसुतः पूयतेभ्रज्यमानः'? द्रति SWAT: ॥ २५ अरय टलौया। 2 १२२ ₹२ १ ? 2 क एवानःसोमपरिषिच्यमान
१ २ RR 2 8
अपवखप् यमानःखम्ति ।
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इन्द्रमाविशञ्रदतामद् न
३२.९१२ ३ ९९१२९
वद्धंयावाचच््ञनयापुरन्धिम् ॥ २१॥ १०
से “सोम!” “परिषिचयमानः' परितः पात्रेषु सिखय-
मानः पूयमानः लं “मः एवाः श्रस्माकमेव “afer ¶ परविनाश्म् श्रा पवस प्रापय । fay “agar” महता “मदेन मदट्कर रसेन शरदम् “इन्द्रम् श्राविश्य प्रविश। तथा “ata” “वाचं स्तति-लक्षणां § ufasi ga! किञ्च
* ged—earq गतौ । गच्छि - रति fae |
+ “जि प्कन्दस्काः अथवा जिष्ट.भः वरयो frat खोभयन्त'- शति fae | tm वे०७,४,६८,१। प्रवेख"- दूति धतत पाठः।
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§ (बाचम्-षग्यजःमामङचणम्'- दति fae |
8३० सामवेदसंहिता । [ग्प्र्रेमण्१०्स्*१,२,९१)
“पुरन्धिं” बहधियं aware “जनया † भस्मभ्यमुत्यादय । वाक्षभेदादमिषातः ४ ॥ १॥ १०
| |. र् १ २ शद ॥ सङ्कोशम्॥ दायि। शो। दादेदोवि। तिरो वाचा, Fat | a । waennfat ate
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TAR । णोमनोषाम्। गावोयन्तायि। गो ३ पतिम् । २९ ४ ५ रर १ तं २ र ९ पृच्छमानाः। सोमंयन्तायि। मतयः। बा३४३। वा श्र ९ र 3821 वाश्श्ा५ना६५६:॥८२) सोमङ्गावो । भैरेनवः २९४ ५ रर १ ९ ४ ९ वावश्रानाः। सोमंविप्राः। मतिभिः। पच्छमानाः। श्र १ ९ द् ४ ५ श्र UC AACA | Weal पयमानाः। सोमेश्र्काः। » १ ‹ ॥ 4 श्दरर
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† “द मनां रवेत्धादो ase शान्दसं दोवेत्म् । लाच -“रवा'- रत्व च “faq अ ( ९, २, ११९ )"- एति दोषः, “वडवा"-“जनवा"--दम्यनवोक् Ceretsnfa ङः ( ९, २, २१५ )"- रत्य व “fre: एति, ataferrarglel: |
‡ “fawiaw: (८, १, २८ )*"-इति ब्राग निषातः ““अन्दखजेकनपि साकार अम् (८, १, १५ )"-- इति NEMS
SUeswWeegqoe] खसरार्धिकः। ४११
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याध । पूरेराभधा६५६बिम्(२) ॥ १७ ०॥ [१] १.
८ © इति सामवेदाथप्रकाये उसरायन्यस्य चतुर्धस्वाध्यायस्य Sata: खण्डः pug ॥
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अव चतुधखण्ड, थ प्रगाधरूपे- Waa -प्रघमा | शद् श श्र VR रेर VR यद्यावदृनद्रतेशतशतम्भमोरस्युः |
१ र २९ VW ९११९११२९ १२
नत्वावजजिम्घदखपसर्ग्याभसुनजातमष्टरोदसी ॥ १ § tt
* So ale We १०१०० † "लको माध्यम्दिनःः-टूति fae |
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तव प्रतिमानां" “ae” यदि “ara:”” “स्युः” तथापि ara afer | “sa” अपिच “aun.” wa: “a” तव मूत्ति-प्रतिविम्बाय “qa” स्वः तथापि “a waafea! हे “वजिन्” “ar” लाम् “age” “सुर्य” safuat भ्रपि सूर्याः “a? “aq” भवन्ति न प्रकाशयन्तौल्यधः | “न aa सूर्यो भाति (द् ०उप०)” —sfa श्युतेः। fa बहना जातं yaqaua किचित् त्वामनु “are” नाश्रुते तथा “रोदसो” दावाष्थिव्यौ नाञ्रवाते सव- भ्योऽतिरिश्यषे इत्यथः । “ज्यायान् एथिव्या ज्वायानन्तरिक्ताटु दिवो ज्यायानेभ्यो लोकेभ्यः इति (eo Bae) Fas ॥ १॥ sa featar t a १ श्र ट १२ ३१९२ अपप्रायमदिनाठ्ृष्णयावृषन्विश्वाशवि्शवसा | द ९ र् श ९ र ११ रर ३ १९ BR १ ZR अलाटसअ्जपमघब्रन्गोमतित्रनेवज्जिच्चि वाभिष्हनिभिः॥ २५११ हे ““वषन्° शरभिमतवषंकेन्द्र ! तम् “at पप्राथ भ्रा पूर- यसि व्याप्नोषि कानि? “विश्वा” सर्व्वाणि “awar’ वषं काणि बलानि शत्र -सम्बन्पौनि। केन साधनेन १ “महिना” महता “शवसा aaa सख्ोयेन अ्रधवा दष्णेपत्येतच्छवो विशेष- aq! तथा सति भ्रभिमतवषेकेण महता बलेन ्रसखमदोयानि बलानि. पूरयसीव्यर्धः। अथ तथाक्तत्वा हे “अविष्ठ” बल-
a cee ९, ९ |.
४अ०्४य्द०१षु०१,२] उत्तरार्चिंकः। ४३३
वत्तम ! “गोमति” बहभिः गोभियक्ष “व्रजे” शत् -सम्बन्धि-
निभित्ते सति “sar? “aa” cq शे ("मघवन् धनवन् ! 9 ~ ; x “वजिन्” aqgae! केः साधनेः ? “चित्राभिः” नानाविधः
“ऊतिभिः” रक्षरेरिति ॥ २॥
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॥ महवेष्टम्भम् ॥ यद्यावभोशायि। द्रतेश्रतोवा। श RTT
तम्भूमोः। SATS ALR: | होवाशहायि। नत्वा
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ष्णियावार्षीररन्। दोवाहे्टायि । विश्राशाश्वा ९३ ।
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खोवारशा। छश। वारसार्दश्च्रीहोवा ॥(२) विश्वा
शवोद्धायि। छशसोवा। वायिश्वाशवि । श्रावाश्वा ( ५५)
४३४ araazafear | (२प्र०२अ्०१३स्०१।
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र् १९ र , श् ब्रार्जारर्यि। शोवारडायि । बवज्चायिच्चाश्यिचा २३। र द
दीवा २चायि। feet तारयिभार२२४ भोदोवा॥
॥ १९८ * ॥ [१] ११
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AAAS TA रापो नंवृ्लजदिषः।
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पविच॑स्यप्रखवणोषुव चदन्परिस्तोतारमासते ॥ १४ ॥
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हनन्” इन्द्र ! “Car” त्वाम् “वयं च वय खल् “ge वन्तः “sig: a” चाप va प्रवणशमभिगच्छामः। “पवित्रस्य सोभानां waaay “दक्षबदिषः” areafea: race at
© ~ पयुपासत॥ १॥
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४अ०४ख०रेसू०२] suite: | रेभ अघ हितोया |
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हे “वसो वासयितरिन्द्र ! † “ar’ at “सुते” ्रभिषुते सोमे “निरेके” निगमे “उक्थिनः” q “नरः” नेतारः ” wera §। श्रपिचेन्द्रः “qa” सोमं प्रति aaa.” aaq “ala” सभूत-शब्दौ दव || “वंसगः
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@Wo Fo €, ३, 9 २ । ''ममदिन्दरः'- दूति ao पाठः «VIVE. सब्मतख्च | ।
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४३६ सामवेदसंहिता । [२प्र०२अ०१२स्ु* १,२,२।
अध qatar | १९ ₹ १९ ₹ ९ देर रे को कण्वे भिध सर्लिणम्। RL र र्
पिशङ्गङ्पन्मरघवन्विचषणेमक्तगोमन्तमोमदे ॥ ३*॥ षर
ष “ष्णो ware ! † “Caaf,” कण्वान् मेधाविनः स्तोतन् अनुिच्य [ विभश्ि-व्यत्ययः (३, १, ८५) ] “सहस्िशं सहस्र-सङ्घयाकं “वाजम्” “शादि ” प्रयच्छसि । © “मघवन् नवन् | "विचधः विद्रष्टरिन्द्र ! & “षत्” we “पिशङ्ग wa” ¶ “गोमन्तम्” वाजं § “मक” गोत्रम् | “Kae” याचामहे, त्वामिति ओषः ५२१२
९२१९ २ ङ् ६. 8
॥ मदवेषटभ्मम् ॥ वय ङत्वोदायि। सुतावन्तोवा । ९ TR
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† चवब्णो-धारषष्टोख !- रति fare |
‡ “विषर्षखे-विविधाखचषशयः पुरुवाः यश्य स fravfe:, अथवा विखख द्रष्टा-ष्ति fare |
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॥ wq—awelen—ta fae: “fare च (6 & १९९ )"- इ्तिदोषंः।
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यिस्तोश्तारर। दोवाश्डा। THT! सारेतारर्श्भौ
4 २९१ शद १ श ९ ₹? बं होवा (2?) खरन्तित्वोदायि। सुतेनरोवा। वासोनि wT र १
रं । कक्यायिनारेदेः। eats हायि। कदासुत
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ATTA । कश्मागार्माररः। दोषारषशायि। इन्द्र, र् द् खाश्ब्दौरेर। WAST! वव। सारगार। भी क, x र १? र श
Sat ue) कण्वं निर्दा । ष्ण वाधुषोवा । वाजन्द
fei सदाखाश्यिणाररम्। रखोवा२ डायि। fore श्र ९ र ९ र १ खपम््रघवन्। विचार्षा १णाररेयि । - दोवारदायि । मक्त
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g_Qc सामवेदसंहिता | [रप्र०२अ०१२सू०१,२,१।
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आआररथ्यिष्ो। आयिन्द्राखाररधन्दो। ववारसाभगा
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५ ९ ,१९ ५ ॥ दध्या । ष्णावाधारद्षात्। वाजन्दारश्श्षो' । सा
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8S । पम््माघारध्वान्। वोचषंणायि। Terai a ररध्विटो। माक्षगोरेरध्मा | तमादेयिमापदा ६५६
ङ् ४ यि । आरर४भो(२) ॥ ८ *॥ [२] २ ४ भरर ५ ५ श्र ॥ अभोवन्षम्† ॥ वयादङ्खगइत्वासुतावन्तोवा । wat र् ४ aa) क्तनार्दाश्यिषारः। पाविचस्यार१२३ ४। प्रखंव
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२१ २ १ रे „+ ९ Wl पुवार्बाश्दारन्। परायिसो १तार२। रभा३।
२९१९१९९ ५ ४ र ४ भर ४ ५ सा२२४५। तार ३४यि (2) खराइन्तादेयित्वा तुतेनरोवा | शद रद् १ Rk ९ र्
बासानिरे। कजक्थाश्यिना रेः | कादासुता ३१२३४म्। ९ द ४ भद २९ १९ २ २ विषाणभो। कथ्मागाश्मारः। इन्द्राखाश्ब्टोर। ववा
१ ६११११ ५४ ९ ४. भर
सा९३४५। गारर०५: WR) कण्वं रभारयिधेष्णवा
४ ५ |, र ook OR धुषोवा। वाजन्दषि । स्ाल्लाश्यिणारम्। पायिशङ्ग ड ४५ २९
२९२३४ । TAAL! विचार्षार्णा रयि | मन्तो
* Ho Alo ४प्र* (Yo ल्सा०। C@aay ४ —tfa Wo Jo |
२४० araazafear | [२प्र०२अ०१२स्०१ |
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मार | TATRA । मार२४५। दार ३४५यि(र) ॥ ९५॥[३]
१२ श्रथ प्र गाधरूप ठतो यसूक्ग प्रथमा । १२३ १२ ३२९१९ र तरणिरित्िषासतिवाजम्पुरन्ध्यायुजा । २ ३९२ ११९२ ६१९३ १ रेरश्१ 2 ्रावदृन्द्रम्परुडतन्नमेगिरानेमिन्तटे वसुद्र वम् ॥ १ ४ ॥ “acfafeq’ युहादौ कमणि त्वरितणएव पुमान् “gear” महत्या धिया “युजा” सहायभ्तया “वाजम्” wa “सिषासति सश्चजते, “gaya” aghragaq “इन्द्रम्” “fac” wart डे यजमानाः “वः” gueaq wey “श्रा ak” भानतमभि- सुखं कुवं। az द्टाम्ः--^्नमि” चक्रस्य वलयम "सुहवं शोभनदार “aga” यथा वैकि: दार्-नेमिमानमयते तदि ay ॥१॥
* So Mo €प्र० १अ„ ¶सा०।
+ श्लेप्वमण्छावाकं सामः- दति fro |
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४भ०४ख०रस्०१,२| saciya: ४४१ अधदितौया। , १२४ RR "क ध रथिनं age far विशोदेषुशश्यतेनखधन्तशरयिर्न थत्
श ९ ९ १६ ९ ट २३१९९ a र RT ३ र
सुगक्तिरिन्मघवन् peerage व्णंयत्प दिवि ॥ tw Te
“द्रविगोदेषु” धनदाढषु पुरुषेषु “gefa:” भ्रसमौचीना स्त॒तिः “a शस्यते” माभिधोयते ' किच्च “स्रेधन्तं” हिसन्तं धमदाढविषरय-स्तत्यादि-कर्मा खघ ङुरवम्तमित्यधैः, urd जनं “ofa? धनं “न नथत्'' न व्याप्रोति। तथाह “मघवन्” wafer: “पाय दिवि" aa दिवसे p “मावते” aa दयाय स्तो “ट्ख” दातव्यं “यत् waafer तत् “तुभ्य ae: सकाजात् “सुशक्गिरित्” शोभन-स्ततिकणष स्तोता लंभतं इति शेषः ॥
“age तिद्रं विणोदे षु शस्यते” दति छन्दोगाः, “agwat मर्च्योविन्दतेवसु'” द्रति बहवाः ॥२॥ शरे
रे र ५ R ॥ रौरवम् ॥ तरणिरित्ारयिषासारहेष्ती । वाऽजम्पु र॒ द ब १ ₹ x
५ RR रन्ध्यायुजावड न्द्रम्पुर्दृतन्नमारयिगिरा। भोहारखवा |
* We dou, २, २९, १। { ‘ard दिवि-पारशौये खखोके- एति fate |
( ५६ )
४४२ सामवेदसंहिता | [२प्र०२अ०१३स्०१,२ । ष नै र ष्र् = ९ R नेमिन्तष्ट वसुररहाई । नेमिन्तष्टं TATeesaTE । AT
र् र १ ४ x
रर् BVT | FAA Waar नेनिन्तष्ट वा
१ ५ ट ङ् ब् ३ सुद्र, र३४वाम्। नायिमिन्तष्टं वसुर् वन्नदुष्ट तिद्रं विणो र gat ९ १ ९ १२ $ देषुशारस्यतायि। शओओादेडवा। नस्त धन्ताररयार३
\ ४
५4 १ ९ र ५ यिर्दायि। भोडारेउवा। नशत्। भीरहेदावा ॥(र)
। ओ < . 2 १ र् नख्ेधन्तपरारयिन्नौर३४शात्। नाऽ भन्तर^रयिन्नं शस् १ 8 र ` श्र
ARR x र , शक्ति रिमघवन्तुभ्यम्भा रवतायि। भद्ारेउवा। दृष्ण
र् ९ १ र र र र यत्यारियाररयिष्टायि । ओदाङ्डवा। दिवा । ats ¥ 8
डे STAT | STAT डा(२)॥ १८ *॥ [१] १३
इति सामवेदाधंप्रकाओे उत्तराग्रन्यस्य चतुधंस्याध्यायस्य चतुथं: Ww: Pug i
* Go Mle We (Wo १८सा०। † ‘Sm माध्यन्दिनं warn’ —cfa fae |
४अ०५ख॒०१सू०१,२] उत्तराचिकः। ४४३
अथ पञ्चमे खण्डे प्रथमटठचे- प्रथमा |
२ रष ११९ २ ११२९ विखोवाचडउदोरतेगाबोमिमन्तिधेनवः VT Re रे
रिरो तिकनिक्रदत् it ११ ॥
तिस्रोवाचः'' ऋगादिभेदेन ““उदौरते” प्रोदायन्ति ऋत्विजः । “धेनवः” ्रागिरेण प्रौ णयित्रयो “गावः” “मिमन्ति” शब्दायन्ति दोहायम्, “ele.” हरि तवर; सोम “कनिक्रदत्” शब्द कुर्वन् “एति” गच्छति द्रोणकलशम् ॥ १॥
aa हितौया। R र रर ३२ ३ १२२ UVR अभित्रह्मीरनषतयङ्ोक्छतसखयमातरः।
३ १ ९ दः
AMAA AS ATA ॥ २१ ॥ “agit:” ब्राद्यण-प्रेरिताः¶ृ “ag: aga: (‘aw ’—efa
awara ( faqo2, 2, १२) ] “ऋतस्य' ane “मातरः?”
* “दानो तृतोयसवनमारभत'- दूति वि०। "पाटो ara’—tfia fao | + श्०्खा०५,२,४, ४५८२ भा०१६) = We वे०६,८,२३, ४।
{ We Fo ६, 5, 29,41
¶ AG: — aga at याः VT ताजी षति fae |
४४४ सामवेदसंहिता [रेप्रण्र्मण्१४सृ००९। faater: स्त॒तयः# “दिवः” च॒लोकात्न' “fay” शिशटखानौयं सोमम् “मजंयन्तोः”' पाुवयन्तोः “Maqaa” स्तवन्ति [तृतोय- च्याभितोदिषि सोमघासौदित्यादि ga: a-faga aw ] ॥
€ ae “मजयन्तौः”-".ममेज्यन्तेः- इति Uist a A
अथ तनौवा । ४ १९ FRR ३ श 2 १ रे 2 ३ १ रे रायःसमुद्रारश्चत्रोसूभ्यधसोमविश्वतः | र 2 ? र
अआआप्रवस्वसष्दस्िणः ॥ ३ ¶ ॥ १४ “रायः” waa सम्बस्िनख “चतुरः समुद्रान् afa- ¢ ८ »” auife-wa-quifaaa: | arent समुद्रान् “अस्मभ्यम् ™“ (6 99 ¢ + € ९ ’ wata हे “ara!” “fama” सवतः “at पवस्व” । तधा “agfera:” § चरपरिमितान् कामान् arya wae [सतुः- समुद्रस्य धन-विेष प्रापे तश्ध्यगत-घन-भूमि-खामित्वमन्तरेखा सम्भवात् चतुस्समुद्र-सहित-भूमण्डल-सखामित्वमेवा शस्तं यज- ara: | 2 ॥ १४ ॐ (मातरः जेनवः खादित्यरमयोवा खापोवा- इति fae | + ‘fea —q Stara सुकाण्ात्'-इ्ति fae | t ‘fax चंसगोयं सोमम्- दति fao |
THe Go ९, ८ RAE | § खचकर. सदवमक्मिता'-द्तिदिर।
४्र०,५ख्०१स्* १,२.१९] sucfaa: | ४४५
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॥ पाष्ठोरम् ॥ तिखावाचा रउदोरतसावि। गावा
मिम्रन्िधेनवः। दरिरारशयितौ । कनौ २। ङषायि । CRA | कारदारभधौ रावा ॥(र) अभिब्श्मा रवि रनृषता। यज्ोश्टेतस्यमातरः। मख्जयारश्कोः। दिवौ २। वायि । ₹रारवा३। ारविारश्छच्ौ दावा N(R)
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रायःसम रद्रा्थतुराः। अस्मभ्यदसोामविश्चताः। बा
` पवारदखा। AR वायि। eas खारयि
R र् < क्श ९ द् १ ३११११ शाररश्मोदावा | VTHTAT | ओवार२४५॥ २०५ ॥ [१] । र् ४ २ श्दर५
॥ सु ल्कवेषटम्भम् ॥ तिचखाऽ५वा । चादेउदौरतायि ।
श गाबेमिम। तिधाविताश्वाररः। शदावारशडायि। हरा
र् (4 र् र् 4 ९ यिराश्यितोर2। हावादेदायि। कनि । करारदार३४ र् द् 8 २ ३९४
BST ॥(?) अभाऽ५यित्र। हाहेयिरन्षता । याहो
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४४६ सामवेद्मददिता। [श्प्र०२अ०१४स्० १,२.,३२।
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र् | ॐ vez | डावारदायि। दिवः। शारविश्ारुदश्मो < र् ३ 8 aq २४ श दावा ॥(२) रायाऽ५सम्। ऊरद्राध्खत्राः। आस्म र र् R र ९ २ र श्र Wa मवायिश्वाश्तारदः। दावाइदायि। war र १९ २ २ ९ ह ३ ur वार्खा२३। दावारहायि। सद। arefsaesst <x ड ध दावा। दौरड४शाः.२) ॥ १६ *॥ [र
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॥ सारडितम ॥ तिखोवाचडत्। भरयिरतायि। र mare | मारदयिमा। तिघार्यिनावाः। weet: |
a 9 र ५ आरयितायि। HATES | हाडवा३। कराररण्दात्॥.) २९ र रर् र ध श ४4 अभिब्रह्मीर। न्रषता। यड्ारेयिः । आरङ्त । R श ॐ स्यमा रताराः। माररेज्ना। यारन्तायिः। दिवार
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२:। दाउवा३। शरदृध्यिष्रम् ॥८र₹) रायःसमुद्रान्।
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४्र०५सख०१स्०१,२,१] उक्तराचिकः। ४४७
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खोर३४९णाः(३) ॥ ७ *॥ [३)
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॥ शेडसेग्धूकितम् ॥ तिखोवाचो। इायि। sey
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रारइतायि। गावोमिमन्तिधाश्यिनास्वाः। दरिरंतो
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वा ॥(१) अभिब्रह्मो। हायि। अनृषारेडता। यङ्क
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चतस्यमाश्ताइगाः। मच्नयन्तोरर्हायि। दायिवाई
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यि। ATMA: | अस्नम्यरसोमावार्यिश्वाइताः।
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वा। St) डा(३)॥१८ +t [४]
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४५८ सामवेदसंहिता । [र२प्र०२अ०१४स्०१,२,३।
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॥ गायजयोशनम् ॥ तिख्छोवाचाः । उदौरारदेला १. इ. fai गावोमिम। तिधेनारश्वाः। शरघ्यिरारेयितारे
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भिन्रह्यायिः। अन्षारेरता । याको + -रयमाता
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अखभ्यपसो। मविश्वारहताः। आपावारखा३े। साहा ररे्ाङ३यि । सुारदश्यिणाशहायि(द) ॥ १० * ॥ (५। र्र् % २९६ र र् ॥ वेङ्पम्+' ॥ तिसुोवारद्चाः। उदाविरारेताेवि।
ष्ट , ३ ५ १ र १ गावोरमारहयिमा। ताविषैर्नावारः। WTA: | act र् २ १९१९९१९१
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४अर०५ख०२्स्०१] sucifea: । ४४९ ut ब् १९ श श्तारारः। ARI यन्तारेश्मौहोवा । दिवः
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सरारभ्ारेदष्टसा। माविश्वातारः | भाधार३। TAT
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स॒तासोमधुमभमाःसोमाद द्रायमन्दिनः | ९ १ रे ११ र ₹ १ र
पविच्वन्तो्रक्षरन्दवान्गच्छन्तुवामदाः॥ १ fe ॥
“मधुमत्तमाः” श्रतिशयेन माधुर्योपिताः ्रतएव “मन्दिनः” मदकराः “सुतास.” श्रभिषुताः सोमाः “पवित्रवन्तः पवित्र वर्तमानाः सन्तः “न्द्राय wer “अरन्” Wag च्रन्ति। रच प्रलचत्तक्ततः-- वः युष्माक मदाः मदहेतव रसाः "देवान्" शन्द्रादौन् “गच्छन्तु” nee
@ He Ajo २१०१० LGYo Urge | + ‘ate eta’ —tfa fao | $ We Glog, % १, २ ( WTO ११४प्०) = Me Goo ४, ier
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४१५. सामवेदसंहिता । ]रेप्र०२अ०१५य्०२,३।
अध दितौया। २३ wr ११२९ १ ₹ इन्द्रि द्ायपवतदतिदे वासोशन्रुबन्। २ १ RT २३९ १९९ १ र
वाचस्यतिमं SATAN ATA: Ut © ॥
“ge.” सोमः “oma” ware “aaa”? कले चरति “दति” “देवासः” स्त॒तिकारिणः स्तोतारः “wqaq” वदन्ति; यदा स्तोतार एवं हुवन्ति तदानीं “are.” qa: “पतिः” पालयिता † यहा शब्दस्य eral sam meta मान इत्यः, ता्टशः सोमः “aged” स॒तिभिः पूजाभिच्छति [ लालस्लायां सृगागामः]। कौटशः ९ “भ्ोजसः” वलवतः “frre” सवस्य “Kara.” प्रभुः ॥
“श्रोजसः""-“भोजसा- इति पाठो ॥२॥
श्र salar |
Ret र सषखधारःपवतेसमुद्रोवाचमैङ्कयः। Re 2 2
सोमस्यतीरयोणाएसखेन्द्रस्यदिवेदिवे ॥ २ Vy
* wo वे० 8, ४, १, ५। † awofa: —wrrer सामरचकामभ्यो aa: पतिःः- दति fae | t Wo वे० 0, 4, २, ९।
४अ०५ख०२स्०१,२,१] SUT sw: | ४५१
^सष्स्रधारः” बदविध-धारोपतः “सोमः” “aaa” छरति । कौटशः ? “मुद्रः” सपुद्रवन्ति “रसा” रस-ख्थानोयः “arnitea:” [ते स्यन्तस्य सुप्युपपदे खथ प्रत्ययः] सतीनां प्रेरयिता * “cara?” धनानां “afa:” प्रभुः [यहा “catm” हविषोदातुर्णां यजमानानां ¶ “पतिः पालयिता ] “दिषै- fea” प्रत्यहम् “cee” “ag” मित्रभूतः सीमः पवते ॥
“सोमखतिः"-“सोमःपतिः-- इति ast + ३ । ९५
श्र. ५ ॥ गौरोबितम्४ ॥ सुता। सोमारे। WATT:
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सोम्रादरन्द्रायमन्दिनारदः। पाविज्रबा३१२३। AT ATU
रान्। टायिवान्गच्छा३१२३। तुबोवा। माध्दो्डा ट र र द्
वि ॥(१) इन्दुः इन्द्रा३। ययवतायि । इतिदवाघ्ो
अनब्रुवाररन्। वाचस्यतार१रहेयिः। भमखाभ्स्तायि । |: ब र 8 & ¥ १
वायिश्वष्य शा२१२२। नभोवा। जाभ्सो ६ शहायि॥(र)
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सह । AMI! रःपवतायि । समुद्रोषाषमोङ्ख्यारदः। * ¶वाचनोरूख्यः-बब्द् कुर्वन्त्यः - र्ति fae |
+ ‘ata: पतिः केषाम् ? Cee चर-पुरोजशादि-लखशानां धनानान् अथवा wana —tia fact t Carat fag” —afa Wo Jo |
४५२ waded feat | [रप्र२अ०१५स्०१,२,२ I = R १९ द र सोमस्यता३१ररयिः। रया५यिणाम्। साखन्द्रस्या ३१९३ |
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र इ द् रे ॥ ठतन्त्वाष्टौसाम ॥ च॒तासोमा। धुमा ३ AAT: | श्र र ९ रे ९९ र र ९ सोमाइन्द्राेयमा२। ए२। feast पवायिचवादेन्तो र RRR ट
21 ३ Atal द्ायिवान्गच्ारन्तुवारः। ए३।
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मदाभा।(९) इन्दुरिन्द्र । यपारवता यिदेवारसो ३।
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ari विश्चाख्येशारनश्रोर। wt जसथा॥८र) ae R
खधा। रःपादेवतायि । समुद्रोषारचमा ३ fai wee ९९ ९ श्र र व aaa सोमास्यतारयिरयाद्यि। wel णार मा। > ९ श सखेन्द्रस्यारदिवबारेयि। ए२। दिवमा ड) ॥ ४ †॥ [र] र र्. र् र द
॥ आन्धोगवम् ॥ सुतासोामधुमारत्नामाः। सोमाद् ।
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द्रायाररमा। SAM टदिनःपविच्रवन्तोअक्षरार
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२४१५न्। दायिवारेडवा। गारेच्छा । Asal | मदा।
सोरद्ोवा uy) इन्दुरिन्रायपाश्वातायि। इतिदे। वा
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AAT । डग्भ्रा २९५२। ब्रुवन्वाचस्यतिमखस्यतार२३४
र भ५वि। वायिश्वाह्डवा। स्यारविशा। नार्ङ्मो । ज
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द्रः। वाचाररमा। SAMRU! खयःसोमस्यतोर
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योणाश्म्। साखारेडवा। द्रारस्या। दा ३ faa
दिवा। aviary शोभ । डा(२)॥ २० ef (१)
श र् र् 2 रे ९ ॥ SCAT ATA ॥ सद्मधारद्ा। रःपवातार , इ रे 2 Rr ९ र्
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र १ श्र २ ९, १९ दायि। रयायिणारम्। सखेन्द्रस्यारहायि । fare
र. | ४ | हो२२४। वा। टाधयिवोश्हावि(2)॥ ८ ett [२] - १ रश र र् Rr ९ ॥ खारत्वाष्टौ ताम ॥ सुतासोमारद्ा। धमनत्तामा Xt र ॥ 1 १२ १ Ql सोमादन्द्रारहा। यमन्दायिनारः। पविच्रवा३ श् eT zr श्र 2 श् | क, x तोभक्तारारन्। देबान्गच्छारडा। ATTSST2 , ९२ ३४। वा। मा५दोईशायि ne) इन्दुरिन्दरारडा । यप र २९२९१ ac
वात।रेयि। इतिदेवाङे्ा। सोभब्रूवारन्। वाचस्य
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atafaetfa मखरस्यातारयि। विश्वस्य शारदा ।
रोरष्टोर२४। Al HMM Ufa ॥(२) सृहसधा २
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हा । रःपवातारयि। समद्रोवारेष्ा। चमौङ्काया २।
सोमस्यताश्यिद्ायि। रयायिणण रम्। सखेन्द्रस्यारडा ९२ १ ५ ४ | १
fa दिवारहो२२४। वा । दाभयिवोईडादई (रे) ue PUL)
o KO मा CHO (Wo त्सार। T Ho Alo १५१० रख एा०॥
४अ०१ख०२स्०१,२,१] उत्षरार्धिंकः । ४५५ uc aT ९
॥ दिरभ्य ्वाष्टयोसाम ॥ सुता। सोमा३। दडा३
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OWL धुमत्तामाररधः। सोमाः। ze दार ।
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यमन्दायिनाररः। ofa वार शरश । तोमर
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कषारार्रेधन् । देवान्। गच्का२। WTR! तुवोर
|: ५ 8 WWI वा। सा५दाईायि॥९) इन्द्ः । इन्द्रा
₹२ २, ९२१ aT 2 र Rl BR यपवातारदष्यि। xf) देवा३। wT ९ ATT र ५ १२ SRT! साभनव्रुवारेठथ्न्। वाचः। पताइयिः। era RT रे
दायि। मखस्यातारडध्यि। विश्च। स्येशा३। we
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नभोरेदोर२४। बा। जाभसोहशायि॥(र) स
१२ र २, १ ₹ १ Bl Awl दारेा । रःपवाता३३४यि। aq QT 2 र श श्ट ९ र ५ ९ र द्रोवा२े। TRE चमोङ्कायार३४ः। सोमः। पता `
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fai शारेहायि। रयायिणाररध्म्। सखे। द्रस्य
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षा[यि(र) ॥ २ ‰ ॥ [४] RF UT रर १ R
॥ weaTelara ॥ सुतासोमधमत्तमाः। सोमा
4 २९१९ २ द रददनद्रार । यमादे४५। दौररे४नाः। पविचवन्ताञ्
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UIRBBA LSAT MRT! तुवोमारदेदा २ ४ RM) ११२९ र २ aq
इन्द्रि द्रायपवतायि । आयिता रुयिदेवार। सों आ्रा३४
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५। ब्र रदेध्वान्। वाचस्यतिगरौखस्यतारद्ध्भयि। fa
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यि। साम् रटद्रौवार। चमा३४५यि | खाररे४्याः। सो
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मस्यतोरयोणाश्म्। सखेन्द्रस्मा। दिवेदारेदेयिवा२५२
चि। भओर२४५६(२)॥ ९ † ॥ [७] uz ४ ५४ ४ ४ श्र ९ 2 ट,
॥ साघ्रम्॥ सुतासोरसाऽधुमत्तमाः। ATATERT ।
© He Ale We रख. Vale | ¶ He Ale (eve Wo Wate |
४अ*५ख॒०२सु०१,२,२] SUA: | ४५७
8 रे ५ २१ रर ११११९११९ यमा३४५। दौररधनाः। पविचवन्तोभक्षरा२२४५न् | | दाथिवाभोर२४१५वा। गाच्छा ्रोररे४वा | तुवोभमदाः (2) x ss ४ 9 ५ २ १ र्र् ९ a श्र र इन्द रारयिन्द्रायपवतायि। इतायिदेवार। सोञ्रारे४५। ॥ च रर १ ९ १ , ब्र २२४बान्। वाचस्पतिम्म् खस्यतार२३४५यि । TTA ३ ५ ५ अररध्वा । स्यायिषां ्रोरइध्वा। नभो ५ STAT: ॥(र) ५ २ es ४४ ५ २१२२१ सदमुधारःप्वतायि। सभुद्रोबारे। चमा२४१५यि। WW र ररर र खारद४याः। सोमस्पतोरयिणार्म्। साखाओ २३४
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atl grea दिवभ५दिवायि। wut
डा (३) ॥ १२ HH [८ ३ ९ र् ४ ५ र ॥ श्यावाश्चम् ॥ सुना३१९। सोरमाऽ । धुम । ता३ # ५ श ब ब् 2 र. Hi ufeati ati मादृनद्राया। at दिनारः।
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एदिया २। पवि चवान्तोरे्ा२। Wet । रदा
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yx दर दर १ fal रएडिया २। देवान् गाच्छान्तरवोडे। मा२४५दो$ 8 $ ५ र् ४र् दायि ng) दन्दूर१ः। आरयिन्दरा। यप। area XC एदिया। अयि। तिदेवासो। Wi ब्रूवारम्। र रद
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श्र १ र ४ र हारेयि। णएडिया २। विश्वस्य शानादे्ओो३। जा३४५
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श्वारेदन्। दोवारदायि। वाचस्यतिः। मखास्या
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x रःपवतोवा। सासुद्रोवा। चमायिङ्कुाश्यारदः। शो वादष्टायि। fet दारयिवारड्ध्मौष्ोवा। दौर
+ ॥ शाः(२)॥ ११५॥ [१०] १५ अध ठतोधटषेन- प्रघमा | RL ९ पविजनो १२ च fran gaa
१ RT ९६२
परञुगा चाणिपरये षिबिश्वतः।
ODO ATo २२०५०२० ११ा०। 1 .खरिष' साम--दति fae |
४६० सामवेदसंहिता | [रप्र०२अ०१६सू्०१,२। १२ श्छ ९११९ अतप्ततनृन्नतदामोभनञ्नते २ ११९ ९८१९१ रर ठ तासद दहन्तः सन्तदकाश्रन् ll cell.
डे “ब्रह्मणस्ते awa खामिन् सोम! “a” “afaa”’ भोधकमङ्क “विततं” सवव विस्त॒तम् । सः “प्रभुः” प्रभविता
a “apufe”’ पातुरङ्गानि “cafe” परिगच्छसि ““विश्वतः”
४५ ८८ 93 सव तस्तव तत् पवित्रम् ^्रतप्ततनूः” पयोत्रतादिना भसन्तस-
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गाः “प्रामः” परिपकः “awa” न व्याप्नोति। “ज ata: इत्” “खता एव परिपक्षाएव “agar.” यागं निव न्तः
“aay? पवित्रम् 'समाशतः व्याघ्र वन्ति ॥
सम्तदटायत'--“ तस्मात इति पाठो ae il
अध हितोया।
१२ ३९ २२१९ 2 र? श
तपोष्यविच विततन्दिवश्यदे
२२३ रेक रद
SAT अस्यतन्तवोव्यस्िरन् |
° He Geog, % % UR (रमार LEE To) = Fo तरार १, W=We Fe 9, ३; 5,8 |
४अ्र०५स्०रसू०र] उत्तरालिंकः। ४६१
१२ ३१९ २३ ९ र
अवन्त्यस्यपवितारमाशवो
३२ ९९ रर् १२
दिवःपष्ठमधिरोन्तितेजसा ॥ २ *॥
Caan”? ¶† aqui तापकस्य सामस्य “पवि” गोधक- ag “दिवस्पदे” व्यलोकस्योत्थिते स्थाने “विततं” विस्तृतम् [ “ततीयस्यामितो दिवि सोम wag’ —sfa ब्राह्मखम् | Ce? “तन्तवः” श्रं वः धू “ade” दोप्यमानाः “afe- रन्” विविधं तिष्टन्ति पृथिव्यां efatra वा “aa” सोमस्य Cerra.” शओोघ्रगामिनः रसाः “पवितार पावयितारं यज- मानम् “wafer”? Tafa होमहारा पञचादुता “दिवः खलो- कस्य “Ge” प्ष्टभागम् उव्रतदेशम् “तेजसा” खप्रकाशेन साच “ञ्रधिरोदन्ति" श्रारोहणं कुवन्ति ॥
rel म्तः*-“श्नोचन्तः"- इति पाटो, ““अधिरोषन्तितेजसा"-
““श्धितिष्ठन्तिचितसा-इति पाठौ ॥ २ ॥ OT
ewe Fe 0, 8,5, 2! + ‘Saat: —tfa fao | + qa दक्ापविवरश्य ana: — tia fae |
४९२ सामवेदसंहिता | [रेप्र०२अ०१६स्०२।
अरघ ठतोया। VR RRR VR RX अङ्रुचदुषसःपृश्रिरथिय ९९ र RX? वि ९२ उक्षा्मिमेतिरभुं वनेष् वाजयुः |
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मायाविनोम्िरे ्स्यमायया
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नृचक्तसःपितरोगरभ॑मादधुः ॥ ३ en १६ `
“उषसः” सम्बन्धि “एः भादित्यः [ ^“एच्रिरादित्यो भवति urna एनं वशे दति निक्तम् (२, १४) ] ^ अग्रियः मुख्यः सोऽयं “weauq” रोचयति। स “sar” जलस्य Qa “भुवनेषु” मूतजातेषु “मिमेति” भिनोति उदकं प्रचिपतौत्यधंः। “वाजयुः” > तेषामव्रभिच्छन् “arar- विनः” माया प्रन्ना aga: देवा “मरस्य सोमस्य “मायया” ovat “ममिरे” निर्मितवन्तः, सोमस्यै वो क्रां यपा नबला wear दयः ख-सख-व्यापारेण जगत् ख्जन्तौत्यधः। तथा “we” मायया “aaaa:” sat get “पितरः पालक्रा देवाः अङ्किरसः पितरो वा गभम्” “srew” धारयन्ति Treaty Ti भ्रव सूर्यामकः सोमः स्तयते। सबरश्मानुगमाधौन-
0 WO Fo 9, ३, ८, ३ ।
+ (बाय --वालसत्र afew: अथवा TAG: बाजाद्ः WaT ayaa: qa- ara’ —tfar fae |
४अ०५ख०२स्०१,२,१] SATS | ४९३
वदै ना्न्द्रस्य भरयमुषसः एञ्िः सविता अरूकुचत् रोचते रोच
यति वासवं fae’ समानं तत्सम्बन्धिनः कृचक्सः करणां दृष्टाः ©
पितरो जगद्र्षका रश्मयो गभमादधः ह्म् |
““मिमेतिमुवनेषु"-“विभन्तिमुवनानि'- इति पाठौ ran ९६
६ र
शर् १ ब् R |. ॥ खारसाम ॥ पवोष्ोवा। चन्तं वितत॑ब्रा । gue
| $ श॒ र् x श सारयि। प्रभुर्गाचाणिपरियायि । भिविश्राता र 2 १ र ४ # ? शद ₹ 2 AAA | नर्त्रातारख्ष्टा। रो। मोभाश्ज २२४ र् तायि। दोरयि। शाश्ारसाईत्। वाषशन्तोरश्ःसा |
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Stl तदारथा५ता६५६॥.९? तपौहोवा। पवित्रवित ताम्। दिवस्यादा रयि। अशचैन्तोश्रस््यतन्तवो faa
१ ९१२ ४ ५ २ , ५ खायिरार३न्। आवारकोया । स्यापावौ २३४ता। : ५ १ ९। R
५ र् ६ ९ ४ ४ दा। रमाल्सारेदध्वाः । दोदयि। दायिवारःपाष्ठाम्।
र श ४ ९, _ ९१९ ४ भाधोरोरेदश्डा। हो। तितारयिजाभ्सा ६ ५६॥(२) द ९ र
अरोौरोवा। रुचदुषसःपा। श्रिरग्राया रः । उक्तामि
४ ९४ सामबेदसहिता। [र२प्र०२अर०१६ख्०१,२,३।
र ङ १ २ 8 ¥ मेतिभवनायि। षृवाजायुर्दः। मायारवायिनो। मा ९ ₹. श ४
मोररदेश्भा। BTL स्यमायारदध्या। हदोरेयि। ना
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खाठक्तासाः। पायितारोरद्ध्गा। डहा। भमारदाभय ६५६..३)॥ १ sx ॥ [९] ९१९ R |, ॥ कावम् ॥ पवोवा । चन्त वितर्त॑त्रा । But . द॒ द ४: . तारेयि। प्रभुम्गात्राणिपरियायि। षिविश्वातार्ः।
ट x x श १ र ४ ५ अतप्ततन्न्नंतदा। ATTRA! शारत्तादेसाईैत्। ₹ १ १ २ ४
वदन्ताःसाररम्। तादारेशा५ताई५६॥८९) तपोवा।
पविच॑वितताम्। दिवस्पादा रयि। waite
₹ र १
वो । वियस्ायिरारन्। अवन्त्यस्यपविता । carat
qe. | दायिवारःपार्टाम्। अधिरोहार्२ तायि x
| द॒ ₹ र् तारयिजा५साई५६ ॥१) अरोवा। र्चद्षसभ्पा । श्रि
* उर Aloofe श्चख० १सुा०।
BAUM RGR 2] उत्तरा्चिकः। ४६५
ट १ द बर | २ र ९ wate: | उक्लामिमेतिभुवनायि । षुवाजाय् रः | , शरद् * इङ् {¢ , sf 88 मायाविनोममिरअआ। स्यमायायार२ | नाच्चारक्षासाः।
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forties | ATATR TTA ६५९:(२) ॥ २ * ॥ [र]
४ ५ ॥ यन्नायज्ञोयम् ॥ पवाऽ५यित्रम् । तादेयिवारयिततंत्र। ९ र र र ९ १९ ९ र ह्याणस्पतेप्रसुर्गाचाणि। परियायि । षोदवायिश्ारताः। श x < tt t अतारप्रतन्न्नंतदामोशच्रश्न् | तेशारेङत्ता। ङम्म्ायि । २ ₹ |. १९ ₹ शद् Ase बाहन्तःसन्तदारेशनाउ a) ताना । पोष्य
र । विचर विततन्दिवस्पदे न्ता अस्यतन्तवो। वारयाख्थाडेयि
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ब ब् श् रान। अवारन्त्यस्यपवितारमाश। वोदा २२ यिवाः।
ट #: ९ १5 < 4, ३ र Saft) atest आधिरोदन्तिनारे-यजसाउ ॥(र)
१ २ श्र | साञ्रा। द्रुचद्षपःपर्रिरथियउक्लामिमेतिभुवनायि । २ १९९ र श्र ध ॥ द् षूरवाजारय्ः। माया रविनोममिरअष्यमाय् । यानार
( ५८ )
४६६ सामवेदसंहिता | [रप्र०२र०१७स्*१।
र , ९ रे १ x पायितरोगर्ममार ५ ९९ aut इम्मायि। खारसाः। दभा २९१९१
Si बा३४५८२) ॥ १ *॥ [र] १९६
© दूति सामबेदाधेप्रकाये उत्तराग्रयस्य घतुधस्याध्यायस्य पञ्चमः खण्डः † ५ ५॥
SON Wy as Gwe प्रथमसूक्र-प्रगाये-
श र्र् Ree ९२९३१ १? 2 क प्रमश्दिष्ठायगायतताव् Tea AMA |
8 १ २ ९१९२९
उप्तुतासोञ्प्नय ॥ १ ¶ ॥
ड “उपस्तृतासः'” उपस्तोतारः ! युय “मरिष्टाय” दातत- माय “ऋतावृने” ward awed वा “बृहते” मते “शुक्रशोचिषे” टोपते जसे “sae” "प्र गायत ata’
पठत tie al
BO ATO WMO १० १सा०। + ‘aqragraafqeta साम'--द्ति वि० ।
‡ “श्दानोमक्थानि सवन्तिः- दति वि° |
¶ रश. Geo २, १२६८ १ Alo Os प०) = We Fo ९; ०, ९४, 21
४०९ख०१य्०२] उत्तरा्िंकः। ४९७
अथ featar |
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कुबिन्नो्स्यसुमतिभवोयस्यच्छवाजेभिरागमत्॥ २*॥१७
“मघवा” धनवान् “युरो अव्रवान् awat ar! [तथाच यास्कः-““यसर' दोतवे dares वा (५ ५)” दति “समिरः'' सम्यग् ata: “arga:” आभिमुख्येन इतः afer: Carag’ पुच्रवत् “aa” यशस्करम् WaT “Aaa” यज- मानेभ्य a प्रयच्छति तस्य “ae” wet: “aataat”’ अस्मासु श्रतिशयेन भवितु योग्या “gafa:” श्रगुग्रह-बहिः ‘ sara “ae? प्रति “वाजमिः sa: सह "कुवित् ag- सलिलम् t+ [ कुविदिति बहइ-नाम (fame ३,१, 22) | “aad WTS ॥
Cataar’-“adrrat”’ —xfa पाटो॥२॥ १९७ |
र ४र भरर ४ ॥ प्रमरुदिष्ठोयम् ॥ प्रमर॑दारयिष्टायगायता । ऋ ४ २९
तावे ₹। इषतेश्क्रारशोरे। चारेहेश्यिषायि । उपा
० We Fo ९; 9, १४ ४ |
+ "कुनित्-कदाचनः-द्ति fae |
४९८ सामषेद्संहिता। [रप्रण्२न्र०!पव्खु०१।
z 2 |. र् 8 र् | § ओरहो। स्तोतासोरञ्ा३ । भ्रा३४५यो € दायि ॥(९) | R st द भर | श्र र << उपरहरतासोभ्ग्रयायि | अआवरुसाता रयि । मघवाना र 9 ¥ २९ 2 यिरारवारत्। यारददशाः। warsteet । धोद मनौ XZ देया३। ReeuAleerla ue) Vfagreqelasar: | ₹९ १ कुवायिन्नो २। अस्य सुमतातिर्भारवो३। यार३४सायि। रे et रे र
RANT | वाजायिभीररा३। गा३४५मोर् दायि(द) ॥
॥ ५५ ॥ [१] १७ श्रथ हितौ यठचन॑ः-प्रथमा। । @
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तन्त ATH, णोमसिड़ृषणम्पुत्तसा सदम् ।
ङ् २ २ tz उलोकषछललरमद्रिबोदरिश्रियम् ॥ १ ‡॥
दे “ग्द्विवः” वजृबन् cy | “ते” तदीयं तं “ae” सौम- पान-जनितं ea ““ग्टणोमसि” waite: utara: [ “ग्ट शब्दे"
0० RO Alo FLUO WGo UGTo | + ‘eifcrd’ era’ —xfa fae | { We Ge 8, % 4, 2 (भाग OGG Te ) = Bo Fo €, १,९७, ४
BToemoRge] उत्तरार्चिंकः। ४९९.
क्यादिः “aretat wa: (©, ४, =°)", ^ दन्तोमसि (७, १, ४६) इति मसदूगागमः]। कोशम् ? “aaa” वधितार कामानां “ge” ए॒तनासु सदःग्रामेषु ^सासह्हि” gay श्रभि- भवितार “लोकक्लन्र ” लोकस्य स्थानस्य wat हरिश्ियं “ हरिभ्याम्" अरष्वाभ्यां “agate” सेव्यम् (“sa . एषः समुच्चये पादपूरणे वा | ण्रत्त”-“पृत्त'--दतिपाटौ॥१॥ श्रथ हितोया। 22 १ २ ३२ ३९२ = ३ १९ र ~~ it ५ द faq ये नज्यो तौरुष्यायवेमनवे मनवे चविबे दिथ ।
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मन्दानोभस्यबददिषोविराजसि tt x *
डे ce! “Ba” wilde मदेन “aaa” ak- याय + “aaa” विवस्वतः पत्राय च “ज्योतींषि aatetia aafefucaafa तदा रोण “विवेदिथ भ्रलम्भय प्रन्नापित- वान् प्रकाितवानसीत्य्थः ; तेन मदेन “मन्दान” मोद्मान- स्वम् “अस्य बर्हिषः” दस्य ana “विराजसि” विशेषेण
न ठि मो ~*~ 3। © ~
aaa [aerweafa ठतोयाथ षष्ठो, wa बर्हिषा wea मटेन gue विराजसि विशेषेण दोप्यसे॥२॥
° wore ६, ११ to, 2! ¢ "खाये -यजमानाय--द्ति fao |
३ ७० सामषेदसंड्िता। [रप्रण्रेअ्ण्१८्स्०१,२,२। अथ aatar |
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तदब्याचिन्नउकंयिनोनुष्टवन्तिपवेथा i Rr zk १ ९ र् ` वृषपन्नीरयोजयादिबेदिवें ॥ २ * ॥ १८ Sve) “ते” aaa “aq” प्रसि बलं ^श्रद्याचित्" न॑" अथापि क “gam” q yafaq काले इव “उक्थिनः” ufay. स्तोतारः “aqe afer’ MAN प्रशसन्ति। aa
। € € । | Caqqal.” हषा ava पजन्धाः पतिर्यासां atewt: “a “fafea” प्रतिदिवसं “aa” § स्वायत्त कुर ॥ ३५८
१ र् ब॒ र 8 ॥ दारिवर्णम् ॥ तन्तेमदारश्णोमसाधि । चार्षं
९ र र् १९ र् र् R t र् Tl AANA! शोवादेहायि । उलोकारृछरे।
डोवाद्हा। BA द्वारयिवारद्छमौदोवा। इरि
° Mo Fog, १, १८, १।
+ «निपातस्य च ( ९, २, १९९ }"- र्ति fae |
‡ ‘feq—xfa पदपरख _—<fa fae
q “fase we: (४,२,.९०)-ष्तिथा।
§ wad अयति CST: ततर RTA Afae (९) २, १२४४० एति द।च' |
४अ०६ख०्रेसु०१,२,२] उत्तरािंकः। ४ ७१
श १९१९ ब.
Paarezeyt ॥८९) य नज्योता रेयिषिभ्रापवायि। मा
ara विवायिदोरेथारे। staat! मन्दानो ३ १ ₹९ Ww र
Wel शोवाददा। सयव । हारयिषार्द्धौषोवा ।
RT १११९
विराजसार २४५यि॥२ नदद्याचा रविभषउक्थिनाः। श् ९२ र ए ₹ २
अआनुष्ट व । तिपूर्वारथारे | दावाष््ायि। auroral: |
१२ र चैट द्
Wats wal Wal जारेयाररध्मोदोवा। दिवे
१११९१
दिवार३४५यि८(२) ॥ ९ ५ ॥ [१] र त ९ ५ र aA ATTA | गार्णायिमारदश्सायि। se
दर् ४र ५. षाणारदेऽर्दायि। पुत्तुसासहिमुलोकाह४। Sear RR a र् R ५ 2 १ ९ द दाररश्डायि। Twas! न्न मद्धि। वोषरिश्रा
श्र 8t ४ १ 2 REL भोहोवा। दरहारश्छदायि। ओहो३१२९४।
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र १ र याम्। शडियाई दा ॥(९) येनज्योता। श्रोदाचायि। 1
० उन्मा" Who Ge Cayo,
YOR सामवेद्सहिता। [27 oR WoL THo 2,2,2 1
४. ४ र ९ । x x षोभायार्दश्वायि। मनावाररृषटरदायि। चविवेदिथम र श शद णर ४ १ ३ ५ र ४, न्दाना३४। भीदोवा। इदार२४डायि। उड वा२३४ 1 re ९ © इ र रर थर ४ १९
aT! wate षोविराजा३४। अीहोवा। Tepe
श्र र ut ५ हायि। भी दो२१९२४। सायि। । शहियाईहा (2) र् र्द इर ९ र ५ ९९९ ATI AAAS | ताउच्छाररेष्टडनाः। WAT | |. श्र र १ १ । ४हा । वन्तिपूर्वेथाडृषपा२४ । भोदोवा। दइ हारेद्डा VT wT १ STR fa, उद्खवार्दथ्ननीः। अपोज। यादिषबेदा४। भी ४्र ५ १ श ५ दर ९ भ
tat | इदाररष्दायि। Wels: ara ए
featest(s) ॥ १२ 1 ॥ LR)
8 श् ४ भर ४ ५ 2 ॥ सौभरम् ॥ तन्तायिमाईद्ङ्णोम पावा । इषणं श a श GTA रदायिमुलेररे। डा । BRR! न.मद्वि श् acts ut 8
वः। शराङेयिद्धारयि। ARAVA UQ) येना
० Ho मा० १२१० (Go RGlo |
४अण०६ख० ३सु०१| उत्तराशिकः | B92
₹२ ४ ५र ४ ५ १ 9 रेज्योइतीरषि्रयवोवा । मनबेचविवेदा रयिथामन्दा श श ५ २२। हा। नोरर्मा । स्यवहिंषः। विराहेषाहेयि । १ , ३ ४र र ५ 8 रे ४ ५ ४ ५
जारसारड४ओ्री दावा (2) तदारदयारचिन्नउक्थिने।वा । 4 x १ 9 9 a ध | STE वन्तिपूर्वा रथाबुषार२। Wil Weve: | अ
र द 5 8 १, ॐ धर ॐ पोजया। feaaerefat दारयिवारदध्श्ौरोवा। ऊ ११९१९१९ २४५८२) ॥ १८ * ॥ १८ श्रथ ठतौयतचेग-प्रयमा । 2 ९ रेर ३ रेख R ९ र Re र श्रध दवन्तिर च्या दयस्वासपयेति । ९९ २ ११ र ३ ९ २ BNF MMAATT ARAM AST ॥ १४ ॥ षे इन्द्र! यः “ar त्वां “सपति” ( सपरशब्दः कर्ादिःषा efafa: परिचरति। तादृशस्य “तिरश; एतन्राम- कस्य ऋषेमम “ea” स्त॒तिभिस्बददिषयमाह्ानं “श्रुधि” खण,
० BO ATO १९प्र° १० १८सा०। + 'न्ैरख्च कमीयसकथाम्'-- दति वि०।
‡ We Wo ४, २, १,५ ( 908 Yo ) = Wo Fe €, ६, 20, 4 |
¶ खतः “as 1दिभ्यो यक् (8, १, २० )”- एति यकि रूपमिति ara: |
( ६० )
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४७४. सामक्ेदसंहिता। [रप्र०२अ०्१८स्०२)।
श्युत्वा चष्धे te! तवं “Grae” शोमनै-वौर्योपेतस्य ¶ ak, वौरे पुत्र भवं ald’, yaaa?) “गोमतः” , गवादि-पशुमतः “qa.” धनस्य दानेन waa “ote? पूर एतस्ामधय छतश्त्यतश्राहइ-लं “महान गुणाधिकः अष्ठश्च “uafa’ भवसि खल ॥ १ ॥ |
aq हितोया।
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ARATE ANAA HCA TAL | १.९ ९१ २९ १९ ९ ९१२१ १२ |
चिकिविग्मनसन्धियम्प्रल्लाखतस्यपिष्यषोम्॥ २ © i ce!” “ay? यजमानः “adel”? नवतरां ¶ gage: क्रियमाण्तया “मन्द्रा” मदकरो “fat” afa- awa वाच “a” aay “asilaagq”’ उद्पौपदत् अकार्षौ- दित्यधः। aa “स्तोत्र a “nai” पुरातनोम् फ “ऋतस्य” सत्यस्य wafer [ यहा ठतोयाथं wet (३, 2,42) ] सत्येन “पिष्यर्षो” seat [“सिलडगलोख ( ९, १, २८ )”—sfa प्यायते; पो-भावः ] तादश! “fafafaq मनसं” [ ‘fara ज्ञाने क्षसो रूपम्, भराकारस्येकारण्डान्दसः | fafaaifa च्रानानि
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* WF GG २०, ९।
+ नवोयसौ--नवतरां दुपद वशं लरोदाररण्यक्नाम्”- रति fae |
‡ “ऋम्यज्ःसामरचराम्'- इति वि०।
¶ ‘wag पिण्ुषौ- इतो ae: अथवा तमत्रम् अथवा ऋतः प्रजापतिः अथवा बतं सत्यं पर ब्रह्य, Te fae पोषकसमथाम्- इति fito |
४अ०६ख०२सु०२] उ्रार्चिकः । Boy
सवषां छदयानि ययेति अभयेद्धियमा णं aaa रक्षणं तत् सवेषां edd प्रज्ञापयतोति । ततः अतोष्द्रिवाधदशिकं “धिय”
ल्दोयं THUS कम तख कुरु ॥ ( 6 यस्त न्द्र-“इन्द यस्ते ”--इति व्यत्ययेन पाठो ॥२ ॥
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तमुष्टवामयङ्गिरद द्मुक्थयानिवावुधुः | | ४1 ुरग्यस्मपोस्या सिपानन्तोवना म RON ॥ इति fala: प्रपागकः॥. .^ ,. . ऋषयः “तम्” परस रम {इत gateway "€ दूत्यव- धारणे aaa “इन्द्रम्” “स्तवामः' स्ततिभिः qa: “aq इनदरः “गिरः wart aaa: “saenfa” शस्रापि च “वाधः” wratay तं स्त्मः ; ततो वयम् “अस्व” द्रस्य “रूष” बहनि “पोस्याशि" वौयाणि “fewrem:” [ “वण SUM TNSAATA रास्व छते रूपं, “सनोतेरनः ( ८, ३, १०८)“ दति ate fara षत्वम् aria, वोयौखि सम्बक्मिच्छन्तः
सन्तो “aarae” तमिन्द्र॑ स्त, तिभिः'सख्रजामहे ॥ २ ॥
* Wo He ६, €, ३१, ९।
४७६ सामवेदसंहिता [रप्र०्२अ०१९सु०१,२.,३। ५ द् ₹ 8 ५ ४ । § ze रे र
॥ तेरख्म्॥ अधी दादवन्तिरञ्चियाः। इन्द्रायलत्वा ।
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aqaaresefa | aati रिया। द्यारद्ध्मो। मा
श रे २ र ४ । तारः। रायास्य द्रे । चारदायि। महा५स्असो ॥(९) ४५ et र शद यस्तभादयिन्द्रनवोयसायिम्। गिराग्मन्द्राम्। अजौ ५ ट
र १ ५ 3 जनार२४त्। चिकि। faa नारदरथ्साम्। Aa
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मा३४। ओदोवा। इषशारङश्डायि। उडवारड्धनाः। XT रेद् ६ 9 र ९ श्र र ४ LR
रायस्प्। धायिमहारभा३४। भौहोवा। TTR RE
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तास्यपि्य.३४। भोद्दोवा। द दारद४चायि। ओदो
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agri प्रकाओेन तमो ere निवारयन् | पमां खतुरो रेयाद् विद्या तौध-महेश्ठरः ॥ ४ ॥
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बति च्रोमद्राजाधिराज-परमेश्बर-वैदिकमागंप्रवत्तंक- खौवोरबुक्ष-भूपाल-सास््राज्य-धुरन्धरेण सायणा- <€ ~ e aray विरचिते माधवोये aragera-
WAIT SUIT चतुर्घोऽध्यायः ४ ॥
@ Heo मान ११० १० १४दा०। + 'तृतोयमदः care: इति fae । ; + डितोकख प्रपाठकः gain: — दति fae मूश-पदकारादि-कतङ ति-जम् +
यस्य fagfad ter यो बेदेभ्योऽखिलं जगत् । fraud, तमं वन्दे विद्यातौधे-मरेश्वरम् ॥ ५॥
॥ भथ पच्चमाध्यायः आरभ्यते ॥ aa, °
प्रथमे खण्ड प्रतश्राश्चिनोरितिन st प्रधमं aaa, aq प्रथमा- ९ ६ २ २ ॐ
प्रतश्माश्िनौःपवमानपेनवो
2 १ ₹ १ ९ ९ दिग्याश्र्धय्यन्पयसाधरोमणि। द ररर ग प्रान्तरि्शात्स्थाविरोसते अध क्षत = ९.९ १ ₹ ९ र येत्वाब्ठजन्तयुषिषाणवेधसः ॥ ९ + ॥ शे “पवमान सोम! “a”? तव “arfiadt:” व्याप्ताः [*अभु व्यासो ( ate we) त्ादौशादिका विनिः, ततोऽर्, व्यत्ययेनाद्यदासः] “धेनवः” प्रो णयः ` दिष्याः” दिवि भवाः
@ "खथ चतुरयद्ध'इरारभ्यते = fertefeca: | प्रलच्छन्दाः प्रथमस्िरावः । watnca दन्दांसि य. न्ति जमत्यः प्रतिपदः, जमतो-खयाने fae, जिह्मं जा प्रजाःः- दति fae |
† “श्वा aque प्रतिपत्"--नि वि०।
‡ me Fe 9, ३,१९,४।
Bro सामषेदसंहिता । [शप्र०१अ०२१स्०२।
दिवः पतन्छो धाराः “पयसा युक्ताः # “धरोमणि धारके द्रो णकलणे¶ “a श्रग्रन्"' गच्छन्ति “येः “Sara.” विधातारः ऋतिजः हे सोम ! “ऋषिषाण' ऋषिभिः waar “ar” त्वाम् ^“सजन्ति'” भ्रभिषृणवन्ति, “a” वेधसः “स्थाविरौः" स्थविरा धाराः “्रन्तरि्तात्'” सकाशात प्र wea” पावर प्रति wafer ॥ “धे नवै"-“धोजुवो'- इति पाठौ, प्राम्तरिधातस्थावि- रौ स्तेबर्क्षत^-“प्रातक् षयःख्थाविरोरङ्तत'"- दतिष॥ १॥ wa हितोया। R ₹९ ३ ९२ ३ ९ र उभयतःपवमानस्यरश्मयो
2 ९ ९३ शर रेर 2 रे एवस्यसतःपरियन्तिके तवः। १२३२३ १ VW १९२ ३ यदौपवि क्र अधिग्टज्यतेष्रिः RF ९ शर WRU eR सन्तानियोनौकलशे षुसोदति ॥ २ ¶॥ “पवमानस्य” पूयमानस्य श्रवस्य" स्बयमविचलितस्य '°सतः'' विच्यमानस्य सोमस्य “Raa: प्रन्नापका रश्मयः “ठभ aa.” saarqaa “परि यन्ति परितो गच्छन्ति अभिषव- ० “पया -तुतौपैकचनमिं प्रणमागवचतदछ सने द्रम् पांषिः--इनि fao | + ‘acvrafe—aw’—xfa fac | { canfac: fac: Ga a स्थविरौवा ara: रथः दति fae | ¶ Wo He 9३, १९१, 81
UMe le Wel qoa] ठसषरा्धिंकः। ४८१
समये एवं भवति । “यदि” यदा “विक्र, दथापविन्र “eft.” हरितवर्णोऽयं सोमः “मधि मृज्यते" तदानीं “सत्ता? सद नग्ौलोऽयं “योनौ योनिषु स्थानेषु “Hany” द्रोणकल- शादिषु पाच षु ““निषौदति" निषखो भवति ॥
“योनो” “योना इति च पाटौ॥२॥
श्रथ ठतोया। १९ ९३९ २
विश्वाधामानिविश्वचक्षकम्वस
२१९९ VUNT AT
प्रभोष्टसतःपरियग्तिकेनवः g १२ ; 2 व्यानशोपवसेसोमधर्मणा
FT ९१२ १९१२
© पतिविश्स्यरेवनस्यराजसि ॥ १ ४ ॥ ९ ङे ‘“faaum” सर्वस्य द्रष्टः! सोम)! प्रभोः" परि- हठस्य “aa” “a” तव “ऋभवसः" “{ऋभवा?- दति ae शामन महान्तः “कतवः” रश्मयः “विश्वा” विश्वानि सर्वाशि
‘afer अधि -सप्म्येक-वचनमिद awal कवयनख खाने uaa, पविचा- <fu'—xfa fae ‘fract थोनिनियोनिः, खवा गोः fern पविनस्् योबिर्गिबोनिः, सच्छिन् नियोनो'- रति fic | We Foo, ३; १९२, ५ । ५ सअश्षमतेऽद्;पदं निषष्टेा awnrag (३, ९) पाठमेदेन पटयते। विबरष्- ` कारण, इभ्वसः-प्रभववस्य'- इति बाच |
( ९१ )
BTR सामवेदसंहिता। [शप्र०१अ०१य्० १,२.२१ |
Cornfa” तेजः-शानानि देव-ोराणि “afcafer” परितो गच्छन्ति प्रकाशयन्तौत्य्षैः। रे “सोम!” “ari” व्यापन tee “wae? धारकेख रसनिष्यन्देन "पवसे" yas । faq “‘faaa qare” “afa:” arnt त्वं “राजसि tea भवसि ॥
^प्रभोरे सतःपरियग्ति""-“प्रभोस्तेसतःपरिवन्ति”-- इति पाठौ, “arpn’—“arafa’—efa, “चम शा-.धर्मभिः” -ष्तिषख॥३५१
RRR ५४. श्र 8
॥ लोशाद्यम् ॥ TAGE! नौःपवमारर। नाशं
४ e we ६५ ४ देर ३५ शद्
नवः। दिव्या । शनन्पयसार९। धभाश्रौमषि। प्रा
8 ९ १५४ शर WTR
नारिकात्। WAI २३२। आदेडकत । Fara
a श ^ जआा। तिक्रषिषारर। णवारयिधा५बा९५६; ॥(? उभ
av ‹ < | र ९ ५ Rees | यतः | पवमानारर। स्यादर्यः | WaT तः ४ wea ९ wee g
परियारश। तीरेकेतवः। यदौपवि। बेअधिमा९३।
° fag wratfa—faretfa स्लाणानि अन्धानि नामानि बा--टति fee) + ‘crafe—etae बोनस बा- इति fee |
UTOLCMorqgor] उत्तराधिकः | VER
8 देद १४ शश्र 2 ४. ब्ादेतेदरिः। सन्नानियो। नोकलशारेय। gare श रद GUT चिदाभता६५ यि we) विश्राधामा। निविश्चचा 23; 8 रे 8 भ FL | 8 oo शचआरशम्वसः। MISA! तःपरिया२३। तोरेकतवः। श श्र QUT ४ शश्र १ २ 2 ४
वियानभो। पवसेसोरर। मारधमणा। पति्बिशा।
९ ₹२ ५ स्य्शुवनारर। श्यरादजा५सा९५६यि(३)॥२५॥१]
अध हितोयठचे--प्रधमा।
१९ ९१द we १९.
पवमानोषभोजनदिवशिचमनकतम्।
९९२
ज्यो तिवेश्वानर॑कृदत् ॥ १ Te
“पवमानः पूयमानः सोमः “हहत्” महत् “वेष्वानदं” वेष्वानराख्यं “ज्योतिः” we: “दिवः” द्युलोकस्य “fav” fafea “aug a” अशनिमिव “श्रजोजनत्” अजनयत् + १ ॥
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© Go Ae Kyo सेखण्रेषा०। T MOMS ४, UU, S( We RC To we Me ९, १, UY, 0 I
४८४ सामवेदसंहिता | [२प्र०१अअ०२स्०२,३।
शरध fratar | ~ १ २९२९६१९ ` ९२. पवमानरसस्तवमदाराजन्नद्च्छ सिजन्नदुच्छ म्: । रं २
विवारमनव्यमषेति ॥ २ = I षे. “.राजन्” दौप्यमान ! “पवमान पूयमान ! ` सोम! तव” wea: “मदः” मदकरः ““अदुच्छनः रक्तोव्जिंतः
रसः" “अव्यम्” अ्रविमय “Cat's वालं दशापविन्रम् “वि भषति" अभिगच्छति ॥
पवमानरसस्तवः"-“पवमानस्यतरसः'- इति पाठौ ॥२।
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अघ ठतीया। १ 2 २ ३९९ VLR | पवमानस्यतेरसोद रोविराजतिद्युमान्। श २ ९ रेरश्.२ .. ज्योतिविश्व्खदेशे ॥ ३ ¶ ॥ २ हे सोम ! “पवमानस्य” “ते” त्दोधः “रसः” “ee” § “दमान्” दौिमान्| ““वि राजति" प्रकाशते*# । न केवलं
© me Feo ७, १, २९, 2 |
1 (दुष्छुनः Seam, न Ewa: खदुच्छनः- दति fae |
} ‘fart—fa-quicy w, ATT = OI — fa वि° ।
¶ We Feo, t, aI
$ दथः wheat, wea cecwefmaran: कमे- एति fre | ॥ ख माम् ख जोकवान्'- र्ति fae |
°° “विभिष दोपते सोभते बा--दवि fae |
५अ०१ख्०२्सूु०१,२,३)] उसरार्चिकः। ety
स्वयमेव प्रकाश्यते किन्तु “faa” ane *““खः” सवे “onfa:”
तेजः “टे” द्रष्ट" करोतोति ओषः" ॥ पवमानस्यते रसः” -“पवमानरसस्तव?- इति पाटो ugie
१ रेर द ॥ सरडितम ॥ पवमानो । जा रयिजनात्। fz र् वारः। चारहेयिचाम्। नतारन्याढम.। ज्योररतोः। श 9. र ४
वारयिश्वा। नराररम्। दाउवारे । बरेद्हात् (a) १ श्र |. श् र् |. पवमानर। सारेस्तवा। मदोर। राररेजान्। श्र
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ELBA वारदरेयिवा। रारमा। व्यमा२३। श् ५ १९ र्द | x खाडवा२। षारेर४नो WS) पवमानस्य । ता रयिरसाः।
SAV) वारदेयिरा । जता रयिद्य मान्। ज्यो ३ शे श SY
a वा रयिश्वाम्। सुवाररे। दाउवा २। Fes +
(3) Were ॥ [2]
० ‘faq’ gaa - डति fao |
† जद मे- खमेसखलोकश्य aware ; न केवरू खनं शोकस्ध, सवं द्धं जगतो दग्रता- सेत्यथेः'- इति fae |
$ Ho Alo १२१० १अ० Le |
Brg सामवेदसंहिता | [श्प्रण१अ०२सु०१,९,३।
2 द १ ३ १ श wR ॥ जराबोधौयम्॥ पवमानोवा। भोजनात् । 2 शे दे श ष् 4 दिवाश्चारद्यिचाम्। नतन्यातुम्। अ्योताविर्बाश्वि ws | १ शे श १ ₹ रशना । रम। कृषो २४५६१ । डा ॥(? पवमानोवा । . 2 8 8 ९ र् रासस्तवा। मदोरारर्जान्। अदुच्छनाः। विवारा श्मारश््याम्। अ। षतो३४५द। डा ॥(२ पवमानो ॥ 1 । ९ = श Rt र 4 वा। स्यातेरसाः। दक्लोवाररयिरा। जतिद्यु मान् । < 2 ४६ 4 emt ज्योतायिर्वा १ विश्वा ages! वः। दशो ४५६, डा(३) ॥ ८ *॥ [र] 9 ₹ र् द् ॥ ौपगवोन्तरम् ॥ पवमादनोभजोजनात। दिवि aaa! sate: Rt Saree fir a ४ ॐ ॐ &
वारश्यि्चा। ALEC MY) पवमादेनरसस्तवा। मदो
राजन्नद्च्छ माः। विधौर। NVR) SHR! रा
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५१०१ख.०३य्०१] wwafes:s ४८७
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। । । { १ 2 ४ 4 श्ध्मा । व्यमर्षातायि ॥(र) पवमादनस्यतेरसा; | zat x रद श विराजतिद्य् माम्। च्योतौर। NTR) sate चि।
र ५ R ५ R x ट र् वारेश्यिश्वाम् ! शुवहु शायि। Bi दारेएर२। हिया at द X र् १९१९ द४अोददोवा । ए२। उपा३१२३४५८२) Ne oN [२२ अथ प्रयहावदति wee ढतोयं सूशम्,
aa प्रचमा। शख ९ १ रद् a RRR 8 VR HARTA TATA ST THAR TAR: ।
१९ शे २८ १२९ AA AMAIA ॥ १ fl
“aq” ञे भभिषुताः सोमाः “गावः a” खदकानौव [तानि यथा quae: पतन्ति तदत् ; गाव एव बोपमौयन्ते, ता यथा स्व गोष्ठ प्रत्याश गच्छन्ति तहत् ; waar गावः स्ुतिवचमाः यषा wet प्रति fat प्राप्रवन्ति तदत्), “ava.” चिप्राः, “Sar” ere: “अयासः” अयाः गमनगोलाः, “wer” aq- वथम् “quae” waaet ad “न्रम्तः'' विनाशयन्तः, tener ये सोमाः “a अक्रमुः" at wa दति ओेषः॥
^बत्”-.ओ"-- इति पाठो ॥१॥
@ Ge Ale १८० (Wo Care |
T Wo Ge ९०१, १, & (भार Voge lowe Fo ¢,<, ११, ६
हट्ट सामवेदसदिता। [३१्र०१अ०२स्*२.,२) श्रथ हितोया। R १९ ९९९ ३९२ श FT et सुवितस्यवनामदति सेतुन्दुराच्यम् | ३ F RYE २ ९२ साद्यामदस्य॒मव्रतम्॥ २*॥
(सुवितस्य † शोभनं प्राप्तस्य सोमस्य सम्बन्धिनम् “afa- सेतुम्" र्लोविषयं वन्धनं “वनामहे""¶ सोमकर्तक casi बन्धनं स्तमद्त्यथः। कोटम् ? “gure” दुष्यापणौयम् § किच्छ “aaayq’ यन्नादि-कम-रहित “ee” | शत्र “anna अभिभवेम ॥
““दुराय्यं-““दुराव्य”“साद्याम '-.साद्वांस''--इति पाठाः॥२॥
wa ढतोया | in sien RUC ex ₹ ९१९ qua :पवमानस्यग्रखिणः। १९ र चरन्तिविद्य तोदिवि ॥ २३ wx | “ogug”? शूयते । कः ? “स्वनः” । किमिव? “ae.”
० WF ६, ८, ९१,९। “मनाम्ङे"- इति ख तव कचित् Ts: | + 'दुवितद्-खभिषुतद्ध'- इति fac |
t "अतिसेतु —aa Tet wal अतिशरहधानतवयाः- दति fae |
¶ canta: qfaaat, w fet कुर्मःः- इति fire |
§ ‘gua -दुबरयम्, खथवा दुराप दुससाष्ठम्""- रति fae । || श्रत-वितम्'- रति Fate |
** me Fog, 5, ९१, UI
५अ०१य्०३ेसु०*४| उत्तरार्बिकः। ४८९.
४५ वर्णस्य Bars | तस्य यथा महान् BA: यूयते तदत् प्रभत- ५१ an रस-पात-समये शयते || awe waa इति? ane—“aza- मानस्य” पूयमानस्य “afew” बलवतः aaa “विद्यत; # । दोप्रयः# “fafa” श्रन्तरिक्ते चरन्ति ॥ ३ ॥ अध्य aqua |
१ र ३श्ड 2 १ vr
MITA मिषङ्गोमदिन्दोदिरण्यवत् ।
3 र 2 SATHANA ॥ ४ † ॥ दे “न्दो 1" “सोम !” अरमिषुतः त्व “महम् इषम्” AW दतम् “श्रा पवस्व" bi कोटम् अरव्रम्? “गोमद्” गोभि- युक्षम्, “हिरण्यवत्” सुवर्णोपे तम्, “श्रष्लवत्” श्र्लोपेतम्,
“वौरवत्” Gaga ॥ ८८ ay ११.६॥ ५ 99 टो श्रश्लवस्सो मबोरवत्' -“अश्ठावहाजवस्तृतः"- इति पाटठो॥४॥
© "विद्ुतः- विद्यत्संयज्रख'- इति वि०। T We वं० €. ८, ३१, ४। | ‡ “खापबल महोमिषम् भिषग wae मङोभिषम् सरलोनिषं वषटिमन्न
वा-दति fae |
( ६२ )
€ ० सामवेदसंहिता {शप्र ०१अ्र०२सु० wel
अध पञ्चमो |
१९ ew २३ ९ रर पवखविश्रच्षणश्चामहोरोद सो पृण | ९ र्ठ 5२३ १९ २
उषाःसूर्योनरस्सिमिः॥ ५५॥ हे “विष्ठचघगयेः' विश्वस्य द्रष्टः सोम! स a “cae” शर रसम् तथा छत्वा तेन रसेन “महो”¶ “Creat” द्यावाण्विव्धौ ‘ar ga” आ पूरय। “उषाः” उषसः [एकदेश वाचिनोषः-गब्देनाहान्यपनच्छन्ते ततुप्राधान्धात् ] श्रहानि “रन्िमिः" “aata” Tata ॥
me ¢ त “"पव स्व विश्व चष ये'"-"पवस्रविश्वचषं ए" इति पाटो uy i
अध ast}
१ र ROR ^. - १. ९ 2९९
परिनःशमेयन्त्याधारयासोमविश्वतः।
१२९६१०९४ UR
सरार सेव विष्टपम् ॥ ६ FUT डे सोम! “a” wan’ “Tara” सुखयन्त्या WATT “aaa” aaa “परि सरा” परिसर परिचर | “रसेव”
* mo 40 ६, ८, ३१, ५।
+ 'मशो-मरतो'- दति fac मडन्यौदत्यथः।
t No ब ० ६, ८, ३१, € ।
¶ "शकयमया-शम-तुष्ठ, तदु भावयनध। नौरया!- इति Fao |
श्र०्रख०्श्सु०-१] www: t ४८१
रसेनेव “विष्टपं भूलोक [यदा रसा नदौ ara at प्रवशङूपमिव | ॥
"परिनः'~-परिणः"- दति aay ६॥३
fa सामवेदाये-प्रकाे उत्तराग्रन्स्य पञ्चमाध्यायस्य
प्रथन. खण्डः ue il
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34 हितौय ga — TBA षडचं प्रथमं सक्तम्, तव प्रथमा । 4 x
९ १ र १२ ३०३ १ रे
आश्र षेबह्मतेपरिप्रिये णधान्ना । १ रे ek श ९२ य चद् वाद् तित्रवन् ॥ १.4 ॥ हे “wean” महामते सोम! “fade” देवानां
प्रियतमेन “ara” शरौरण ¶ “धारया त्राः" WH: सन्
° “विष्टपं wa लोकम्+--टति Fao |
† We Fe ९५ ८, २८९। “ब्र बन् "र्ति मन्पाठः, WAT च कचित् पादः। ‡ ‘awna—uayare —tch fae
q ‘afchaw—afe gang frag धना free खनेम'- इति विण।
४९२ सामभेदसहिता। [२प्र०१अ०४सु०२,१।
© 6 9 ~ 6 “पय षे” परि गच्छ, “aa” “देवाः” इन्द्रादयः वरन्ते “इति”
५ व्रवन्” उच्चारयन्, तं देशं गच्छामौति हुवच्नित्यथः ॥ १ ॥
अध दितोया। R श्र रेर १९२ ९९१२ परिष्कंण्ठन्ननिष्क तश्जनाययातयन्निषः । 22% १ ९ रेद् बृष्टिन्दिवःपरिखव ॥ २ *॥
“afrqay’ श्रसंस्कतम् † यजमाने खान वा “afc ष्क्णवन्” dea “aaa? “दषः, warfa “यातयन्” निगंमयन् “fea.” waftarg “afe’q “परि खव” ॥ २॥
शरध ठतोया।
३ रख RW श्र By ९ VR?
भयरसयो दिवस्यरिरघु यामापविच्रभा ।
₹ ९ ९
१ रर सिन्धोषर्म्ाव्यक्तरत् ॥ २ ६॥ ` “a? “अय” सोमः “aft ov’ सिषच्छमानः (—xfa
+ me 40 6,5, २९, 2 1 *
+ "अनिष्क तम्- Tae म निष्कुतम् —xfa वि०। इष लेत विनयमथ wee खाभिमुष् कुतो रन्यतदति ।
{ यातयन् -- प्रापयन् —xfa Fae |
¶ afza-qe तं “एरिम्"- एति पाठः इन्व aia तथा,
§ we बे €; ८, २९, ३।
UMoROL AT | उत्तशार्चिंकः | BE2
ओषः # ] “fan.” जलस्य p “जमो ४ saat सद्गते “fa अचरन्” विविधं च्षरति। सद््यक्तम्, कः? दत्याष-- “a.” “'दिवखरि” द्युलोकस्योपरि “रघुयामा” लघुगमनः बृ Sana, सोयमिति सम्बन्धः ॥ २॥ | रच चतुर्थो ९९२ ९२९ रेख ९ ९ ३ १ र सुतरएतिपविचभ्राविषिन्दधानश्रोजसा ।
et रे ९ १९२
विचक्ञाणोविरोचयन्॥ ४ ६॥
सुतः” अभिषुतः सन् “पविते दशापवित्र [ “भरा” --इत्यनर्थकः ] “stra” बलेन “गोत्रम्” “एति गच्छति | कौटशः सन् १ “fafa” aft “दधानः” धारयन्, “विच- साणः' सर्व पश्यन, | “विरोचयन्” दौपयंखच ; फिम् ? देवा निति शेषः ॥ ४॥
८६
* “वविने-खअधिकरश-सप्म्यना ; ufad अधिकरश्मूते। खा-र्त्ययमुपसगेः अच्चरदित्याद्यातेन eatery: ; चा qwaca’—xfa fae ।
+ “सिन्ोः- सद्र नदोनाखोदकष्य वा'- दूति fac | ।
+ ety: सङ्काताःः- इति faci ear cfr qfanze aii wufafa सुपो wen टि-लापे रूपम्।
¶ ‘Comet रु वाचो"- र्ति fae |
§ wo य° ९, ८, २९, ४।
| ‘faqwre:—fafew wana: खय वा few जनत् पश्छमानः'- दति वि०।
४९४ सामवेदसंहिता [श्प्र०१अ०्२सू०५,६)।
शरध चच्चमो | s ९ रे 8 ₹ ट १ २ ३ ९२ FR आविवासन्परावतो्रथोभर्वावतःसुतः। १ श ड १९ ९
१नरायसिच्यतमधु ॥ ५५॥ ¢ 9 > ep “sa” अ्भिषुतः सोमः “परावलः' [ दूरनामतत् † | द्रस्थान् Con’ ध श्रपिच “natan:” अन्तिकस्यां् ष रि \y देवान् “at विवासन्” cea परिरत्षगायेत्यथः । “इन्द्राय waren “ame” मर्षुसटशः सोमः “fea” ५॥ अथ षष्ठो |
श् १२ RX 2 * ह १ शे समोचोनाभन्षतदरिधदिन्वन्यद्रिमिः । र 2 ९ रे 3 १? २ इन्द्मिन््रायपो तये ॥ ६ ६ ॥ ४ ““समोचौ नाः” सम्यगच्िताः सङ्गताः स्तोतारः | “wa- षत” स्तुवन्ति किञ्च सोमं “हरिः हरितवणं' “fafa”
* me Go ६, ८, २९८, ५।
† “परावतः इति freee) ततोध-बड विंग दुरनामचु पञ्चमत्वं न TST | + “खथ o'—tfa fae |
€ efus नामसु “खव केटति पाठात् ( निर 2, 86,5) I
§ ऋ वे० ९, ८, २९, ९। “योनावृनस्यसोदत“-एति तव तनोः UTE: | q 'सभौोचोनाः-खासन्नव्िनःः-द्तिषि°।
umerwmorget] sacifera: | ४०५
ge, प्रेरयन्ति गमयन्ति “afefa:” atafa: 1 किमथ हिन्वन्ति? Cee” सोमम् “sma” इन्द्रस्य “"पौतये” पानाय ॥ gu ४
रथ ठचात्के हितोयसूङ्ञ-प्रथमा। ९२९ ९२६१२१६ ९६ ३ 2 RAR ९ हिन्वन्तिसुरमुखयःखसारोजामयस्यतिम् | Rt र्द € ९२
मद्धामिन्दुग्महोय वः ॥ १५॥
9 Sar fi ° . 6 उख्य कमथ नवसब््यः सवत WaT इत्यध)
८६
"जामयः" एकस्याः पाणेः उत्पन्रत्वात् परस्पर बन्धभूताः, “स्वसारः” [ रङ्ग लि-नामेतत् ( निघ २, ५ {३} 8B कमसु प्रथन्ते ऋल्िग्भिरिलति स्वसारः | शर लयः, “महौ- युवः” सोमाभिषवं कामयमानाः सन्तः “at” सुवौ्यं' [ नोभे पोते Me भवतीति ; शोभनं वौयं कारणं वा, सर्वेषां wala भरेरकं वा, ताम् ] “पतिम्” सवस्य खावर-जहृम-जा तस्य स्वामिने, ware देवाथमिन्यतेऽतणएव “महाम्” देवेभ्यो दौय- मानत्वेन महान्तं HET वा “LER” ग्रहेषु स्यन्दमानं सोमं “दिनन्ति” पर रबन्ति (“हिवि परोति-मत्योः (ate ge)” efi धातोरेतद्रूपं arfe | pur
* me Ho ७, ०,१,१।
† "डन्बनिति सुरम खखयः = रेवयन्ति यम् श्ादित्यरश्मयः। खसारः जामयः पतिम् = ware भनिन्दः आभ्यः खादितत्यरश्मयः; यथा परस्पर भमिन्पः एकस्यैव an: waging सेवां कुवेन्ति, तददा दित्य -र्मयः खरमहमिकया खादित्यं सेव-
fai रव, मडानिन्दुकहोय वः = afearnfawau: सोमरश्मसः उदकानि बा'- fxm fae |
४८६ सामवेदसंहिता [श्प्र०्१अग्५सु०२,३।
अध featar । १९ ९१९६९१९१ ९ १९ रे ववमानर्चार्चादवद dw Ad. |
₹२ ९ ९९ ९ २ विश्वावसून्याविश्च ॥२*॥
“~
डे “पवमान दशापविन्रणपुयमान ! [यहा पुनान शद |) सोम! “waraar”’ (“ea hm (म्बा० Ate )] सवश तेजस। ड “Ba” ` दष्यमान! “Baw” ara “ga.” भ्रमभिषुतः त्वं “विश्वा” व्याप्तानि स्वणि बनि “वसनि'' warfa “at fan” श्रमात् प्रापय [ यदा सर्वाणि “वसृनि" वासखानानि aeraifat “arfan” समन्तात् प्रविश ॥
“देषैभ्यसमतः”-“ देवेभ्यस्परि” इति पाठौ wR ॥
अघ ठतोया।
R श २९२ ३ २ 9 १२ अआपवमःनतुष्ट तिंवृशटिन्दवेभ्योदुबः। ९९२ 2 १ र
दूषेपवखप्तंयतम ॥ २ ४॥ ५
डे “पवमान” पूयमान! पुनान! वासोम! “gefa’ q
* ऋण Fo ०, २,१,२।
+ यद-चमसादौनि यज्नौयपावाक्ोति चावत्।
+ wo Go ७,९, १, 8! |
¶ ‘ge ति-प्योभनां ल्.तिम् प्रापयमावां -दरति feo |
eo ५अर०्२ख०र्सू्० 2,22] उत्तराच्चिकः। ४८9
श्ोमनस्तति-युक्लां “afe” देवेभ्यः” देवानां "दुवः [ “सुपां सुलक् (9, १, ३९ )"”--इति चतुष्यां लुक् ] दुवसे परि चरणाय" “at पवस्व भ्रा गमय त्वम् [यथा मदौयया want तष्टिभिवति तथा कर्विंत्य्धैः] किच्च अस्माकम् “दषे” way “संयतं सम्यगस्मान सष्ृनच्छतोति afe करु [यदा दुवः” परिचयो मभिलश्छ क्रियमाणां “gefa” sta fa
रूपां afe age: स्त तिमिव्यथेः, एतां देवेभ्यः प्रापय ]॥ ३।५
॥ विशोविशोयम् ॥ रन्वाद्धम्। तारेयिस्। रार
१९ २ २ 9 &T श रे .
AMAT: | BATT! जामारह्याः। Safa पा
हेतारेयिम्। मारशदारायि। ati जवायि। ई
र्द४न्दूम्। BMA AWS! Areva uy
५ ९२ रर 2 १५२ ९ ररर
यादा ॥? पवाह्कम्मादना | SAAS | देवद |
‘ ९ १ . २ २ १ वायिभारेख्याः। Safa! सूरता हेः । वारदृध्यि * ष्दुवः- दुरात् खलोकात्- दूति fae † “दुब्द्यति"- स्ति परिषखरक-कर्मसु पञ्चमं Faw aq (९,५)। \ “संखतं-सम्ह नियतम् - र्ति fae
( (२ )
Ber सामवेदसंहिता । [ene ११०५८०१,२.२।
द् ५४ 2 ड काति g । । र र् TATRA | wT | afesvaql Bari नौ + र्द रर
रेया२े। वारेदृध्विशा । शएडियाईदा ॥(र) ATTRA! वारेमा । नारसृष्ट.उतोम्। Beet वायिभाररथाः
SATA! Fare भारद्शयिषे दायि । wi डवा 1 ५ x ९ रे z
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र्दद । ४ ॥ रेडानारुसङ्गारम्+॥ ओडहोयिडवादेशोयि। हि ४ २९५ रद र ४ रे ५ श ग्नन्तिसुरेरारमुखयः। खसारोजारेमारयस्पतिम्। म शे ट ५ RAT bg हामाररध्यिन्दूम । मद्ोयुबः। इडाररे॥.१) पवमा ४ शश् श्र ४ 2 ३ ५ R नादेषरेचारुचा। देवदेद्षेरभ्यःसुतः। विश्वावाररसू। र्द शे श्द् ४ रे ४ नियाविश। FSIS Ne) शआ्रापवमारनाइसुष्ट तिम्। ४ रेर १९५
बृष्टिन्देदषेश्भ्योद्बः। ओदोयिडधवाइदोयि । इषायि
# खर MOUs १ ख०्२०्या, । 1 ^ ्डानाख्कारः'--ट्तिख्ग्पाडः।
५अ०३ख०१स्० १] उत्राधिंकः। | BEE
हः ४ २१९२ 4 र्
पारेश्श्वा। BRAM! इडाररभा३। Test! BW
ut 1 Ba) tee Fu [२।५
aff सामवेदं प्राये उत्तराग्रन्वस्य waa हितोय खण्ड ॥२॥
अध ठतीयखर्ड.थुः प्रथमटठच- प्रधमा |
te १ tz 8 १ रे जनस्यगोपाअ्जजनिष्टजागरवि RR 2१ र श २३६९ रप्मिःसुदक्लःसुवितायनन्यपे। Rez ३ 9 र ९ १ ३ चुतप्रनोकोड्हतादिविस्पुशा RW श्र ९? ३ श्
द्य मदिभातिभरतेभ्धःप्एचिः We a “ज नस्य" § “गोपा” गोपयिता रचिता, = “areafa:”
* qe जा रश्प्रः WWe Leute |
† ‘wa बद्धिष्यवमाबमे कवि कको fray --एति fae | ‡ शदानोमाब्थानि बक्गथानि'-इति fae
YF wo Fo 8, १; ठ, १८्य्व० य° १५, २७।
§ “नख --यजनलानद्य'- दति fao |
yoo alaaee (eat! [३प्र०१अ०९सू०१।
श्रो ae जागरणगोलः सदा प्रवद्वः, “सुदक्षः” सुबलः सवः ज्ञाघनौयः
बलः, सः “afer” “नव्यसे” नवतराय “सुविताय
लोकानां कष्याणाय “श्रजनिष्ट" जातः। ततः “छृत-प्रलोकः'" waa प्रज्वलिताङ्गः, wea” महता “fefawm” aera ma वता तेजसा यक्षः, “wie” शः, एवंविधोऽग्निः “भर त्यः” ऋतिग्भ्यः cae th “aay” दौभिमत् यथा भवति
तथा "भातिः प्रकाणतेषु ॥ १॥
* ““सुविताय-यजमानलनाय अभिषवकक ये- र्ति fae |
† ‘aca: ager: कटतिओो ग्रद्यक, तभ्यःः-द्ति fae) "भरताः“-ष्ति अहतिविङ्नामसु प्रथमं tae कम् ( १, १८) ।
tare वि-णब्दो arena: gree, विवरशकारख्वार-- [व विविधम्" इति ।
¶ खव मरौधरययाद्या यथा-^योऽम्निभरसेभ्यः ऋलिम्भ्यः सकाश्ादजनजिषह ora: तेथितल्वाश भ्यो जात wed) भरता दूति wfae नामनु पठिनम्। {किमथ sa) Fay नवोषसे मवतराय दु[वताय सुताय प्रसृताय कमे Tay qafegiaa खाषः अभिनवं गवोयसख रोप ere: | सोऽग्निदिविसुशा खरोक- खध्िना गुरुता गवा्ासमूदधेन द सत्काकिमद्यधा तथा स्माति विविधं Sua .वगरटश्ोऽग्निः † nay यजमानस्य गोपाः गोपायति caatfa गोपाः fay शोपोगयोलि ate जाग्टविः gaia wife सावधानः। we: शोभनो रच उत्पादे sy waguet a) wane: तं प्रतौके मखे ae लिः we wate इवोंवि भच्यन्रपि उखश्छि्टठोनखात.शोधकीवा॥ "-इति।
५अन०२ख०१स्०२] उत्तराचचिंकः। Lot
sa दितोया। १९ RR १? २ ३१ २ PE त्वामग्न अङ्किरसोगुदाहित र्र् ३९ रर मन्वविन्दज्छिथियाणंनेवने | | ओ ३ tk ३९ २३ णद सजायसेमथ्यमानःसदोमह
र्रर १२ ३ VLR
स्वामाङ्ःस्दसस्युच्रमङ्किरः ॥ २ «I
डे “mea? “ofgte:” p—uaatant ऋषयः “गुहा” गुहायां “fea” निदितं निगृढं ““वनेवने" हके “शिश्ियाणम्" श्राचितम् “लाम्” “अन्वविन्दन् * saul “wey” महता “सदः” सहसा बलेन युक्तः “सः” त्वं “मच्यमानः" “जायसे” हे “अद्किरः"¶ अङ्गिरसां प्रललतिभूत ! लां “सहस
way” राहुः ॥२॥
* qe Fo 8, t, ३, ९ = Go ae १५, २८।
t+ (खङ्गानां रसभूताःः-द्तिविण०।
‡ “खन्वविन्दन्--वद्ज्ञःने, विदलमे, विद्ससायाम्'- दूति वि०।
¶ “अङ्गिरा जाटरोऽग्रिः- दति विण।
§ खन मर घ-व्याष्या यथा- ^ = खगन ! efece: खअङ्किरोवंभीद्धवा षयस्व न्बविन्दन् रूभिरे अन्ब्यप्रापुरत्यथः। किश्मतंलवां? गुहा गुहायां faqs vad fen famacy प्रवष्टमित्यथः। खअग्मिदयम्य उद्क्रामत्पोऽप आविशदित्याष ma: | सुपां gefafa गृाशब्दात्पप्रमोलोपः। & wy ! gaae af वनेवने fafan गानावनस्पतिषु चितमङ्किररुेऽन्बविन्दन् । नित्यवौप्सयोँरिति वनेपदख्य
५०२ सामवेदसंहिता | [२प्र०१अ०६स्०३।
अथ ठतोया।
३९ २९१२१९३२ १ र यन्नस्यकं तुरप्रथमम्पुरोदित Q र्ट र्र् Rw रद् मग्िन्नरस्सिषधस्ये समिन्धत | १ शे ९२३२९३९ २३२ R द्द्रेणदेवेः परथधसबरिंषि
WT शरश रेर ९१२
सोदव्रिशटोतायजथायसुक्रतुः ॥ २५॥ €
“aq,” कमं णां नेतारः ऋतिजः “awe” यागस्य “aq” ayia “पुरोहितं” यजमानः परस्छतम् “saw” “देवैः “सरं” हवानां तेषां मान्यत्वात् समान-रथम् “भ्रमन “तिष- धये” तिख्याने विद्ारप्रदेथे “aaa” “afaaa’ सम्यग् दौपयन्ति। ततः “सुक्रतुः” शोभन-कमी “होता” देकना-
arerat “सः” afer: “विवि afeam afaq खाने
feaq! wad: wate ese दन्दलोति weg: दिलंच। यं arafecet sere ख व्व जायसेऽघुनाप्यरशिभ्य SATE! BEC? ACE AAT Tea SCS बरन मण्यमानः। मरत्यदः-णब्दाभ्यां कतोयाखोपः। HAMA enV cae: । र खङ्किरः wt | तरव ससो बरख पुवः arate: बद्न्ति सुगवः gan मन्बना ववायमानलाद् पुवः setae: a — इति |
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‘arya’ awa “fatten” adleq प्रतिहठितो भवदिति यावत् ५ ““समिन्धते"-“समोषिरे"- षति aati ging
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वारेयिः। अपधिःसुटक्तःसुविता। यनव्यासारयि। च (1 + 4
र द ९ g १ शे र् तप्रतोकोञ्रदता। दि वि्पुशार३। द्यमारद्ायिभा | ति |. १ र 8 ९९१ भरातारदेयि। भायदेःप्ए५ चा६५६यिः ॥? qatar x et १ . र भग्र भङ्गिरसो। AMAA भअन्वविन्दञ्छिश्िया
र् by १ र् = र् ९ णाम । बनेवानारयि। सजायसेमध्यमानाः। सु र 8 re ४ ५ र १ १ र
खोमाशार३त्। AATRATH | ATAU चामा 8 २ ब् । रधगा५यिरा६ Yes ue) Barta! खकोतुम्प्रथमाम् | cxf शर 2 R पुरोषटायितारम.। पुरोहायिता रेम.। अपि्नरस्तिष द् . १ र BE uefa: समिन्धाताश्यि। इन्द्र णदेवैःसरथाम्।
* (यजथाय -सजग-क्रियायाः aw रे'- इति वि०।
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५०४ साम्वेद्सहिता। [श्प्र०१अ्रग्ञ्सू०१। २ श x ९ ४६ ४ रर ९ सबहायिषारयि। सायिदारन्नायिदो । तायजाथारे३ ।
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यासुरक्रा५त्६५६(२)॥ १५५॥ [१] &
श्रथ हितोयटढचेः प्रथमा |
३ १२ ११२ रर् अयं वाम्मितावर्णातुतःसोमकताबधा | रख ६१२९३ १
ममेटिष्श्रतरदवम ॥ ९ #॥
हे ‘wag’ ऋतस्य सत्यस्य awa वा akaiq!
“fanaa” & मित्रावरुणौ ! “ai” युवाभ्याम् “aq” “सोमः” “gay” अभिषृतः। यस््ादेवं तस्मात् “ce” ahaa aq “मेत्” मदौ यमेव “हवम्” श्राद्वानं “रुतं”
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MYA ॥ १॥
* He Mle १९१० (Go Ware |
+ ‘taraqqaray’—tfa fao |
‡ We Fo २,८ 8, ४।
q (तावा इतो यज्ञः, तेन बदंयिताते quar wang तेन ata warest —tfa fac) निषण्टो त॒ wafafa यश्जनामतु(१,१९); धननामसु (2, te ); खद्कमामसु (2%, १२ ), सत्यनामस् (2% to) च ema Ut नतत्रनामम् |
§ "मम दत्-पत्-इूति प्रद-पुरशः । KW मदोये oN —cfa वि०।
AT VAR L] swerfew: t ४५०५
au हितोया।
१९ ९ VR aT. SS राजामाबनमिद SY FATA |
९ र. सदखस्थुणश्राशाते ॥ २ ५ ॥
“राजानो” श्वरो Gaara वा “aafirger” + अनभिहोग्धारो यौ fread श्रुवे" fat “suk” उतकट “सहस्रस्य” “घदसि'¶ स्थाने “श्रते उपवित: [तावागच्छ तामिति ओेषः] ne ॥
भव qatar | २९१९१९१९ RUT रर १४ तासम्राजाघुताचतोभादित्यादासुनस्यतौ । १२९९१९३
सचेते अननवहृरम् ॥ ३ § ७
> १ : “area” सम्राजो आ्रान्चयव स्वेषां Ware, “gargayr” हता || [ “avtafeayararre’’—sfa मन्वान्तरात्, ]
mote २,८.०५) “खासाते"-इति तब GIs: |
न नअटोडकनारौ'-- इति वि०।
‡ "खडकख्डून- स्यु खानां सडक बद्िन्'-- रत्यादि वि० |
¶ 'खदोनाभभष्डपे टति वावत् |
§ WO Fo २१ ८४८, १।
| “दता हतो-श्तेन erat: * * * भरोरहदधिवियोभवति * “एति fae |
( qs )
५०६ सामबेदसंहिता। [श्प्रण्१अग्य्सू०१।
“प्रादित्य( afet: gt, “rare ‘aaa.’ ware
देवस्य at "पती' खामिनो,* “ता तो भि्रावरूणो “aa
ayy’ श्रकुटिलं यजमाने “सचेते xfer सेते ॥ ३ ॥ ७ अथ ठतोय-दषेण- प्रथमा । ` १ श श रे ३ १ शष Ue दम्द्रोदधोचोश्रस्धमिञ् चाण्यप्रतिष्क A: |
: 2X रे श१्र x जघाननवतोनेव ¶ ॥ १ ६॥
[we शाटायनिन इतिष्ासमाचसते--“प्राधवं णस्य दधौची लोवतो दशनेन भ्रसुराः पराबभूवुः। wa तच्िन् खगेवे सति असुरः पुण एधिव्यभवत् | अथेन्द्रसरसुरेः TE योम शक्तवं- स्तख्षिमन्विश्छन् ait गत इति wart! अध पप्रच्छ at त्याम्-नेह किमस्य fafeq परिथिष्टमङ्गमस्ि 9’ —cfa ; तस्मा वोचन्- ‘qe aia शोषं, सेन fircer अन्िभ्यां मधुविदयां प्रात्रवोत्, तत्तु न विद्वः यज्राभवत्-इति। पन
* (द्ातुमस्पतो-दान-कम् ख खजमानाय'- इति वि०।
† “अनवकर--यश्चम्'- इति fare |
‡ ररेग्द्माग्यम्'- दति fre) ¶ “eto ar’—tfa we ge पाठः| § Wo Wo २, २, ४, ५ ( LTO ३९९ WO) = We वे०९,९, ०, ₹।
५अ०२८्०्श्सू०१] surfs: | Yoo
रिन्द्रोऽब्रवोत्-'तदमन्विच्छतः-इति। तहान्वेधिषुस्तच्छयंा- RAAT TH: । शय शाव वे नाम FTAA जघनां सरः | wea! ae शिरसोऽखिभिरिन्द्रोऽस्रान् जघान"-- एति ॥] “श्रप्रतिष्कतः” परेरप्रतिशष्दितः प्रतिकूल-गब्ट-रहितः नदर पाथवणस्य ““दधोचः-एतस्ससृन्नरकस्य ऋषेः ^“अखयमिः'” une -गिरः-सम्बन्विभिरख्िभिः “aadttaa” नवसर्ख्याका नवतौ; TMU श्र्टयतसदद्मकाः (cto) | aarfe— लोकवतरयवक्तिनो देवान् जतु मादावासुरो माया विधा सम्ब- त्यते ; विविथा सा भ्रतीतानागतवन्तमान-कालमेरेन Aare बर्सिंनो जेतुं पनरपि प्रयेकं fagfuar भवति-णएवं नष सम्पदान्ते , पुनरपि उत्ताहादि-गक्ति-वय-सूपेण qq सति सप्तविंशतिः - सम्पद्यते ; ga: सालिकादि-गुणभयभेटेन faq सति एकोस्षरा ्रथोतिः सम्पद्यत ;--एवं चतुर्भिखिकेगुशि- . ताया मायाया ee दि प्रत्येकमवस्थाने सति नवनवतयः सम्पद्यन्ते । एवविधमाथारूपाणि ] “anfe” भ्रावरकाश्यसुर लातानि “ara” gaara) दधौचः--दधि wealfa car, अतेः ऋतिविगित्यादिना (२, २, ५८ ) किन्, wfafgat- fafa ( ९, ४, २४) ग-लोपः, षष्ठेकव चने “Ut ( ५,४ १३८ )”-इन्यकारलोपे चाविति (९, ३, १२८ ) दोषत्वम्, सद्ा सनिष्ठस्तिष्ठरण विभक्वदासषल-विधानेन तदाप्यते |
you aratzafeat | [श्प्रण्श्यनण्त्सू-र।
अरखभिः-“छन्दस्वपि cmt ( ७ १, ०4)" इति भन- |
लादावपि भखि-शन्दस्या गहदेशः मचोदासः] ॥ १२॥ अध हितीया।
३१९ श््श्र्ख ९ १२३ १२
द्च्छन्नश्चस्ययच्छिरःपवेते पितम् । १९ 2 १९ रे तदिद श्छयं णावनि ॥ २ *॥
“पवतेषु" पर्ववद्म गिरिषु अपचितम् श्रय गत्व खितम् “nag” भ्रश्व-सम्बन्धिनो दधोचः “aq’ “fac.” “ceeq’ Cal Tia, “ययं बावति" एतब्षञन्नके acfap “aq” थिरः “विदत् अन्नासौत् ] ‘sat, तदात्व, तदौये; अखिभिः. भायि जवानः- इति पूवस्वाखचि सम्बन्धः ४ शच्छन्--दष् श्च्छायां तुदादिलाच्छपरत्ययः। freq— ttgfe व्यत्ययेन च रदः | पयं शावति-यणा-नामानो देथास्तषामदूर- भवः सरः शयं यावत् ; मध्वादिषु wae पाठाव् “मध्वादिभ्यख ( ४, २, ८4 )“--द्ति चातुर्थिको मतुप, “सनृच्ायाम् (८, २, ११ )*- इति मतुपो वल्कम्, मतो बह्रचोऽनजिरादोनाम् (६ १, ११८ —xftr दौषः ५२॥
* wo वे १, ९, ०, ४। † ‘waerafr—aw कमवति,--दति fae |
AW RToRTR] | ख्तरा्चिकः | ५० ९
अथ qatar
श्छ श ९ BR ३९१९२ LH Ut
अचाइगोरमग्बतनामत्वष्ट रपोश्यम् |
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इत्याचन्द्रमसोग्रदे ॥ १५॥ ८
नेः 9
“sng ufaaa “गोः गन्तुः “चन्द्रमसः” “ae मण्डले “तलष्टः” daa भ्रादित्यस्य सम्बन्धि “ata” राषावन्तर्छितं wale यत् “are” तदादित्यरश्मयः “इरया” Seana प्रकारेण “श्रमन्बत भजानन् [ उदकमये खष्डे चन्द्विब्बे सूयं-किरणाः प्रतिफलन्ति, तच्र प्रतिफलिताः किरणाः wa याट went लमन्ते तारो चन्द्रऽपि वत्तमानां लभन्त rai! 'एतदुकश्यवति--यद्रात्रावन्तद्ितं सौरं तेजस्तचन्द्र- मण्डलं प्रविश्य अ्रहनीव ai तमो निवायं सर्व प्रकाशयति ; $टगभूत-ते जसा ga: सूयचेन्द्ररव, हाद यसादियेषु इन्द्रस्यापि परिगणितत्ात्। भतोऽहोरात्योः प्रकाशक इन्दरएवेति we- wa: प्रतौयमानल्।दिन्द्रोदेवतेत्येतदुपपन्र' भवति। wt निरल्लम्--प्रधाप्यस्येको रभ्मिखन्द्रमसं प्रति grad तदेतेनोपे- चितव्यमादित्यतो;स्व दौपि्मैवतौति ; सुषम् शः सृयरश्मि- चन्द्रमा गन्धवः"--शूत्यपि निगमो भवति ; सोऽपि गोरचते-
* अण Wo 8, %, 0, & (र्भा ० BBR Vo) = क Fe १,९)७४।
५१९० सामवेदसंहिता [३प्रन््न्ट्सु०१।
“भत्राहगोर मन्वत -- दति (२, ६, ) । “wee गोः सममं सतादित्यरण्मयः खनामापौच्यमपगतमपचितमपिहितमन्तहिंतं at (8,24 )"—fau waaqa—aq wadtua ( ao, भ्रा) । भपोय्म्-भ्रपपरवाच्धिनोते निपातनाद् यत्, अतणबा- भिमतरूपसिहिः; यदा भपिपुवादश्तेः “ऋतिविग् ( १, २, ५९ )-द्त्यदिनिा क्तिन्, “अनिदिताम् ( 4, 8, २४)- दति aaa, श्रपिगते निगति भवमपौच्यम् “भवै न्सि (४, ४, ११०) ति aq, “aa: (६, ४, ११८)" इ्त्य- कारलोपे “at (६, ३, १२८) इति दौत्वम् ; ‘wien प्रकाशः- इति भट्भास्करमिखः। इत्था-द्दम्-शब्टाचच “ar हतो च छन्दसि (५, ३,२९)- इति प्रकारवचने णा प्रत्ययः ; यदि तच्र॑द्-शब्दोनानुवत्तते तदानौम् “इ्दमखयमुः (५ २, २४) - इति ag: प्रत्यय ; “षव्ययादाप्-सुपः (२, ४, स्र)" —sfa qaqa बाधित्वा “act स-लुक्( 9, १, ३९ ) "इत्यादिना eres: | चन्द्रमसः--चन्दमाङ्ञादन fama निभिमोते- इति wear: “जन्द्रमोडित् (go, ४, २२७ )”--इत्यसि-प्रत्यग्रः; दासौभारादिषु प्रटितलात् पुव- पदप्रशतिखरत्वम् ; carey “-स्फायितच्ि ( › , )’—xen-
दिना रक्-प्रल्ययान्तत्वादग्तोदात्तम् ॥३॥
ALWo’Ge ४स् ० १,२| ठ्तराशि कः । Ure अथ चतुधठचे- प्रथमा । ११९२९ ९ शर २ १९ दूयंवामस्यमनदन्दराय्मीपु््यस्तुतिः | 2 र ₹ १९ र sate fefcarsifat ॥ ९ *॥ हे “दनद्राग्नौ ! “यं” “care तिः" gat स्ततिः gat स्त तिः† कस्य सम्बन्धिनो? “aaah wig: Tay वसिष्ठात् “al” युवाभ्यां युवयोरयम् ““श्रथरात्” Faq “afe- fa” awt सतौ “safe” प्रादुभूताशु, तां yaaa सम्बन्धः ॥ १ ॥ अघ हितोया। 2 १ व ee प्टणनश्छरितुरवमिद्धाग्नोवननङ्किरः। ९ १९९ Vee
द्शानापिष्यतन्धियः॥ २ ६॥ ड "दइृन्टरारनो [११ “जरितुः” स्तोतुः शवम् Wea युवां
* क FO ५; ९, १७, १ । |
† ‘qa शुतिः- पु प्रथमतरा शतिः स्वां सत्यानां प्रथमतरे इन्द्राग्नये-शुत्यौ दति fae |
{ ‘aah: WET वलाः दति fate |
¶ “बला wary सकाद्रात् इिङत्पद्यते, त इदिन्द्र ग्नोभ्यां सकाशात् बम् तप्यते —tfa fao | |
§ we Fo ४, ९, १० २।
ALR सामवेदसंहिता । [श्प्रण्१ण्श्सु०रे। ayaa! श्रुत्वा च “गिरः” तदौयाः Bat: “वनतं” सब्ब जतम् । तथा “दशाना” teat युवां “धियः अरुष्ठितानि कमश ““पिष्यतं” aa : wer: पुरयताम् ॥२॥
पथ Sata |
९ ९९१ र् ९१ 9 ह शद्
भापापत्वायनोनरेन्द्रा्मीमाभिश्रस्तये । १ श | षे र मानोरीरधतन्निदे.॥ ११५॥०५
डे “नरा” नेतारौ ! इन्द्राग्नौ ! “ae” wang “पाथत्वाख'' होमभावाय “मा रौधतम्" मा वश्च नयतम्, तथा “afumea” waft छतप्याभिषंसनाय मा रोरधतम्, तवा “fay q निन्दकाय मा रौरधतं मा वथोकुरतम् ५२५८
इति सामवेदार्धप्रका ये SUI WHS तोयः खण्डः६॥ २ ॥
* ao We ५, €, 09, ९।
+ “पाषल्वा्--पापवुदय'- दति Fae |
+ ‘ar रोधम् - शिखावान् ; at हिंखताम्'-एति fide | मू “निरे नितं Chew बद्धम् चसो fare’ —cfir feo |
§ ‘em’ प्रावः-खवनल्'- एति feo |
५अ०४्स०१स्०१,२] उसरा्धिकः। ५१९
अरय चतुर्धंखण्ड + प्रथमटचे- प्रथमा | १९२ २९१ र १२ ९१९ TASS ्षसाधनोदेबेभ्यःपोतये† इर । ९१ BF ६९९९९ मर्ह्योवायवेमदः ॥ १ ४॥ डे “हर” हरितवर्णं ! पापत्तं वा सोम ! “दसषसाधनः" Ca वलं तस्य साधनो “मदः” मदकर्च त्व ˆपवसख'' ATI किम्धम् १ “2a.” इन्द्रादिभ्यः "पीतये" पानाय, तथा “agen” (वायवे च पौतये पवस्व ॥ १॥ aq falar २९ १ १९२ रेड ३ ९२३२ सन्दवेःशोभतेवुषाकविर्यानावधिप्रियः १२ ९ ९ र पवमानोषदाभ्यः॥२¶१॥ “sa” सोमः “सं योभते” “a.” सह । atem: सोमः ? “sur aga, “कविः'” क्रान्तदर्थो, “योनो स्थाने सौय “अधि” अधिषितः “faa.” प्रियोभूतः सवषां [यहा प्रीणयिता]
* ‘carat माध्यम्दिमसवनमश्तेः- इति fae |
+ (देवेभ्यष्पौतये"-रतकण् Je पाठः|
f We wre ५,२,४,८( रेभा २४९०) = we HOG, 5, १५, १।
¶ Wo FS १५,२।. “पवमानोखङान्बः''- दूति सखे “हव ङादेववोममः'” ` -इति ण्-पाठः,
§ ‘stay खधि-सपम्पेकवचनमिदं दितोयेकवचने द्रश्यस्। योमिम् अधि — fn fae |
( ६५ )
५१४ सामवेदसंहिता । [३प्र०१अ०१्य्*३।.
“"पवमानः'' सरन् “अदाभ्यः ेनाप्यहिंसितखच भवति अतएव सोमः सं शोभते ।॥२॥ ; wa तृतीया | २ 22 श र ys श९ रे पवमानधभियादितो.देऽभियोनिद्धनिक्रदत् | १ रे १ ९ रर् धर्मणावाय् मारदः॥ २५॥ १० = “पवमान सोम! “धिया कर्णा भरस्महयापारेण अहल्या att “हितः” छतः सन् “कनिक्रदत्” शब्द क्वन् "निं" खानं “दरो कलग” ख “अमि wee.” आभिमुख्येन पारोशं कुरु प्रविथेत्यथैः। तदेवाह--“धन्धणा” कन्यणा “वायु” वायुसम्बन्धिपावमित्ययंः, तदारटः प्रविश ॥
“भ्रारषहः.“ आविश? दति पाठो ॥ ३॥१०
श्र RTC ॥ निधनकामम् ॥ पबखढदा रक्तसाधनाः। देवेभ्यः १ द् aaa ears | मस्द्योवा। पवारष्ध्यि। हादोयि।
द्
मदाः। शोयि। 21 मदः। हेयि। २। मदः। eta:
° Wo FOE, ८, १५, २। † ‘fear wer’ —cfa fae |
AT ४ख०१सू०१,२,१] उत्तरा्चिकः। ५११. श्र १९ श्ट द ११९११ मोहो ओओरोवा२२४५दाउ ॥(९? सन्देवैःशो रभतेव
Ry १ रश ॐ
कविर्योनावधिप्रियाः। पवमानाः। भदार३४।
wreifa भिया; । हायि शोवि। भिय। wife
२। Aras) दोयि। २। ओरोभ्ोहोवार३४५ दाउ ॥२)
१९ र र ९ द. ek
पवमाना-रधियादिताः। भभियोनिद्धनिक्रदात्। धम
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णावा। युमार२३४। दहोयि। रुहाः wa: श्र UT AC १ 1
Siri eel शोयि। २। ओद्ोभौद्ोवा २२४५
BTS । A(R) WS FUL) Pr श् 1 ॥ सचासाहोयम् ॥ प्वा३४। खटक्साधनः। भो | | शर् < ्वा। देषेभ्यःपौतयेदाररायि। aress द्ोरंडवा ।
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TAG | वाद्ा४३यि। मारेरथदोईदायि ny सन्द ३४। बैः्नोभतेवुषा। भोईवा। कवियोनिावभिप्रार
* Ho Ale २१५० १यअ०्८ा०।
५१९ सामवेदसंहिता | [१प्र०१अ०१०सू०१,२,।
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याः। पारवा। मारइनाः। शअदौकेष्टो। वाहटा३४३ fal भाररश्योद्हछायि॥.र) gatas! मानधियाहि
। € ‰ o- 2 X ट ट भोईवा। भमियोनिद्धनिक्रार्दात्। धार्म । ९ $ रेद् शश रे | १
णारदवा। YALA वाहाए४२यि । ९२४ वि) ॥ < *॥ [र)
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॥ त्वाष्टगोसाम ॥ पवखदा। कसारधाना । दा
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यिवेभ्यपो। तयायिषा्रारेयि। मरुट्ोरश्वा। यवे र न १
ASTRA MQ) HARM भता रयिवार्षारे।
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काविर्योनौ । शअधायिप्राश्यार्ः। पवमारेनाः। अदा मियारशडवारर MR) पवमाना। धिया eee: |
. श्र १. ९ ए र
अआभियोनिम्। कनायिक्राश्दा २त्। BHU हे aT | श् ९ रे
_युमारुहारेश्डबार३। वुधे१(३) ॥ १ † ॥ [३] १०
* छन Ho १५० wwe cute, त Wee) न weaeune ewer We ६९१. २अ० १ सा०।
४अ०४ख०रेस०१] उत्सराशचिकः। urs
अरघ प्रगाधसूपे दितीयसूक्ञे--
प्रर्माः १९ १ र् १ 8 र तवादध्सोमरारणसख्यटृन्दोदि बेदिवे। १ १ १९१ २ श्र रर ३ श्छ Ve
पुङ्णिबभो निचरन्तिमामवर्पारपएरतिताप्ददि ॥ १५॥
डे “ger”? स्यन्दमान-सोम ! “aa” “we” सखि-कमणि. we” “feafea” wae “रारण रभे [ रणेलिंरि उत्तमे णलि रूपम् ]।. ₹े “बभ्रो” ब्रभ्रवण-सोम “पुरूणि” बहनि रक्षसि “मां” तव सख्यं खित “fa wa चरन्ति” aaa . चरन्ति बाधन्ते! ये मां बाधन्ते तान् “afar” “afa ददिः wala गच्छ Telia यावत् ॥ १॥
८६
sa हितोया | ९ ९९ VTA RLM ९ ९९ ९ १९९९ १२९ तवाडन्नक्तमुतसोमतेदिवाद् दानोवसरऊर्धेनि । Re शर ९ र RL VALTER
घुणातपन्तमतिसर्यपरःशकुनादईवपप्निम ॥ २ † ॥ ११
हे “Ear” बभ्ुवणं-सोम ! “उत” अपिच “नक्तम” “sa” अपिच “fear” agitraat: “wena” aera ४ “aa”
* Wo Go ¢, १, २, ९ (रभा ९१९०) = We Fe Sv, १४, ४।
+ Wo वे, ७, ५, १६.६।
‡ सष्छयेति ऋम्बेदोयपाठमवखण्येानं wield बलतः सामवदोय-पाड्ल ““इ्डानः'"-- दति |
५१८ सामबेदसंहिता। [ate RH LAL? |
“उधनि" समीपे # “ae” रमे-दति fe “a” वय “णा” dren “aver” उवलन्त' “परः” परश्यानख्यितं “qa” aera त्वाम् ^" “afa faa” aa fea लां प्राप्तमतिपतेम | कथमिव ? शङ्नाद्व यथा सुपर्णीदयः ufaa: सूयंमति- गच्छन्ति तत् पः [ पतृरगतौ, wareree लिटि ` तनि- पत्योन्कन्दसि ( ६, ४, <^ )--द्त् पघधालोपः ॥
“दुहानः” --“सख्यायः-इ्ति पाटो । ९ + १
श्र र्द रद WAT Ue ॥ आ्टादटौत्तरम् ॥ तवाह्सोमरारणंरेयादी ।
x १ श
; र् र् . श्र दोषवा । सख्यटृन्दोदिवे। दायिवे ₹ ३। Brew र द R श्रु श र ₹ २ c 4
सी रर्दोवा। पुणिबधोनिचरन्तिमाम्। आवार |
शद् 4 © रे र्र् ९ र् zt
शयार३त्। Westar: परिपीररतितान्। भायि
शद् श ९ & श 3 ९ WAT! ण्याररत्। रीर रेहोवा२४२॥(१) परिधोर
RW २ ?रश्रश्र
श् श् शर् ९ र् रतिता्दृह्िशेयादो। (waa परिषोध्रतितान्।
° ‘eufa—anrafaary द्रोखकशटषे- इति fare |
+ "परःसथम्-मुयादपि परतः'-- दति fao |
¢ ‘am मवति-सष्े वयं खिताः पुरूशि यजमानङुखानि त्वा सपच्चराभः, शव मपयरमाशाः WHATCT Uta’ - इति बि०।
५अ०४सद्*२स्०१,२] उस रां कः | ५१८
| ब. रे १२२१
अयिषटारेरयि। श्यारेदेत। भौररदोवा । तवाचन्न २९ द wt
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क् र श्र २ द वा। दुदानोबभ। धानोर३। रेयार३त्। wee र UT र १९२२ र्ररर र्द
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दुदानोबधऊ । TARR रेयार३त्। भोरर्ोवा । श्र र १९२१२ र
घुणातपन्तमतिदरियम्। पारारदः। रेयाररेत्। चरी
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४५२० सामवेदसंहिता | [प्रण १अ०६१स्०१.२)
र र १ र २, रतिताश्ददिए। wi परिधोधररारेतायिताश््ददायि। ह ` | श्
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दइ र् ९ र हायि ॥(२) दुषटानोबभरऊधनिए। ए। दुदानोनारेथाज a श x ध धनायि। घार्दध्णा । हार दा। तपन्तमतिसुराय र ह % २९ a
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॥ खःपष्ठम्+ ॥ TATRA! शरौ दोभमरारणा |
सख्यारन्दो४। ओ डोभदिषेदिवायि। पुशटरणिवा३ ४भोहोध्ोनिचरा। श्रो । नारविमाररभ्यौ होवा । सा रद्वा । HLT । HLT | aftaten 3 तार्यितापर्ड्ौहोवा | Teaser ul परारेथिधोरः
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५२२ | सामषेदसहिता 1 | रप्र* १अ०्११सु२१,२।
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४भ्रण्डन्रस्०१,२] उत्तरा्चिंकः, ५२१ श्र 2 शद sty श १ नोबारश्मोहोवा । भ्रऊधनाऽरयि । हारश्वार३। ऊ
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सोडोवाहायि। वपारप्राभ्यिमा५९। ऊर९४५८२) ॥
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॥ जनिचाद्यम्॥ परिधारविरातिताष्टदायि। ड . वेषो रयि। परिपीररनिताध््ा विदा रयि । तवाहन्न
4 Ry ९ ५ १२ र । 8 ्रमुतसोर। मतायिदारड्यिवा। दुदाड्शोयि। नो ₹९ 2% VUet ४र र २ १९ TIA! ऊ । धारनाररध्भोषोबा । जमिज्ारर १९१ रदृ्टषम्(र) ॥ १४ † ॥ [६]
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॥ समन्तम् ॥ तवादध्सोमरारणा। सख्यदृन्दोऽदि
rc वेदिवायि। पुरूणारेरयिना । भरोनिचर । तिमामा
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४५२४ सामवेदसंहिता । [श्प्रण्१अ्११्११,२।
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र् ९ र्द ोवारहायि। तितार्भारेविशा२४३यि ne) परिभोः ₹ श्ट र % tt दरतितारदहथि। परिषौरराऽतिताष्टहावि। तवा श्र शे शारःन्ना। क्तामुवसो। मतायिदायिवा। ates देर र र् श्र वादायि। दु। चदानोरर्वा३। शोवारदा। यधा । र द॒ ररे UTE ब॒ ब रदेनारेष्ययि Ne) दुहानोब्ऊ्धनायि । दुहानोवा, र शद ख ऊधनाब्नि। चशातारड्पा । तामतिख। रियाम्पा
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५अ०४य०२स्०१,२] उन्तरा्चिकः, ५२५
५ २१ VL रर् दोरदवे। पुङूणिवा । भो । निषरार२। तिमारध्म्। ९ श श्रारेरध्वा। परारयि। धायिषरार। तिना२४५ । श रे
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आरेदथ्विदायि । mae) Mee! तिता९२४५। 4 ९१९२१
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भ्यि। दौरद्वा। दुहार। नोवार । भ२४५। भरारर५नो ॥२) दुवा२१। ate सो। are नावि। दरार | नोवार। भञदे४५। धार३४नौ । quran नम्! अतिसूर। रिवा३४५म्। पार ५
र ९ RR श ध्राः। शकूरे। नाश्रारयि। वपा५। Meas
¥ मा(३)॥२*॥ (ट) OER eC eet ५ t
॥ पौर्न्मनम् ॥ तवादार्दसोमरारणा। साख्य
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१५२६ सामवेदसंहिता | [शप्र०१अ०११स्०१,२
श्न्दो। दिवायिदाश्यिवारयि। afaarefarefa
a) ar) निचरा२। निचरा३। तायिमामाररध्वा ।
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पारिषोध्रा) तावितारभारदथ्यिशहायि। तिताए५द्
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दूदानोबा। अाजधारेरृश्नायि। ws ५ धनायि a>)
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धानारयि। घार्णातप। ताम । भतिसु३े। आअतिस्
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मा। बपाभरक्निमा। शहोधदरे। डा.ह)॥ even [€] ४ श॒ र BT ust ५ R र्र्
॥ इ गतम् ॥ तवबादारश्सोमरारणा। साख्यदन्दो।
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५अ०४ख०२सु०१,२] BaTifa sw: | ५२७ ‹ र् र 8 हे | § 2 शे . दिवायिदार्यिषारयि। geal शदोरदोरवा। णिव
र र १ १, १ पीनिचरन्ताविमाश्मवार। परार्टेयि। धारेयिध्सर - भ्र , ३ ११११
द४अहोवा। ए३। तितारददहारदेश्भयि ॥९ परि `
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भाहयिशराऽतिताष्टहायि। पारिधीटर। तिता््रा
श्विद्ारयि। तवा३। शोदद्ारवा। भदन्नक्तमुतसो ४ र् मातेश्दिवांर। दुशार३। नोरनारद्श्ौ होवा | ए३। x ९१९१९९१ ४ श 2 Best ४ १ सज रधनारर्५यि ॥(र) दुहानोेबग्नऊधनायि। दू
दर र्द १
RTA) भ्रऊधार्नारयि। Tae! शोर्दोरेवा। x ® ४, तपन्तमतिुरायम्पारा ₹:। शकू२२। नारमाररथश्रौ
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SIN Wl वपा रेतिमार२४५३२) ॥ १९ FU: [Re] र र् छर ४ छद ४ J
॥ गोङ्गवम् ॥ तवाददिएसोमरारणा। साख्या
fa, इन्दोदिवेे। दायिवायि। पुरूणिबभो निच्ार२
# ऊ बा० १९१० २अ० (elo |
Ye सामवेदसंहिता [२्र०१अ०११स्*१,२। शरे २ ५ २१ब ॐ रार। तिमाइमावा। पुंङ्णिबो निचर। निंमादमा | at) पारिधोन्। art Masti तितोंर १४बवा। ४५ ५ BX आभयिष्ोर्दायि॥९) परिधादयिररातितंषटद् श्ायि।
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पाशेर। पोरुरतिताश५। wife: तवादन्न a ९९ ४ । Vx र क सुताररसोर। मतारयिदायिवा। तवाहन्क्तसु तसो ।
९९ 8 ४ १ र ९ १ र श. १ मतादेयिदायिवा। gear बा। भरोरेशो। अचो
५ 2 ४ ध्र ५ रदेध्वा। धाधनोईदायि UR) दुदानोरेवसखजधनायि। श र श ९ र श्र
SAV नोबभरदे। धानायि । चुणातपन्तमतारर् १, ४ x ३२ ४४ faa. रियादेपाराः। घुणातंपन्तिसु। रियारेपाराः।
श रर् MAU | ATL भौरेशो। वपोररेट्वा। प्ताभरधिमो
TUFTS) M १७॥ [१९]
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५अ०४ख०२स्०१,द] उ्सरा्चिकः। ५२८
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॥ दिनिधनमायास्यम्॥ तवाशधसोमरारण । ए३।
2 8 (4 R . ५ ९ रे आओरदो५वाऽऽ। साख्याइयि । eater दिवा२४५यि। १९ VIER ६ र २ १
टारेविवार२४५यि । wefaari भोनिचरा। तायि
मारेभा। भोदद्ोर। श्ारदध्वा। TTT BTL १९९१९९१
धाविररार। तिता३४५। भादविदारद४५यि ॥(९) ४ Rat ४ 8
परिधोररतितारदहि। ए२। भौदष्टोभवाऽऽ। पातै
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३। धोररार। तिता८३४५। अादयिष्धा९३४५यि । १९ ११ R
तावान्ना। क्रामुतसो। मातार्भा। भरौरशोर।
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SRA इदाओश्चो । नोवा २। भेऊ ३४५।
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धारेनारे२४५यि ue) दुानोवभ्र ऊधनि। wi ste ९ र
होधवाऽऽ। FATAL नोबार। मरद५यि। धा
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wag तामतिस्। रायारभा। भीर्टो। पा ५ € )
Ure सामवेदसंहिता [श्प्र०१अ०११स्०१,२।
५ १.९. र रड्राः। शकृद्रीठ्दडो। नाञ्रारयि। वपा२४५। प्रा १ १११९
दयिमा२२४५.२) ॥ १८५॥ [१२]
छेद § v १ १९ शर्
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दिवेदिवे । पुष्णाशयिबा२३। दवारा । भोनिचर । ति १ र ae: र् १ र् मामाश्वारर1 दोवारदायि। परायिधाश्यि्रार३ 1
रट ९ श ९ १
१९ २ र ९ शोवारद्ायि। तायितागदडि। इडाररभा२४३। श्रो
९२४५६ । डा.) ॥ १ + । [१३] १ wee र्द श ॥ भर्व पुष्पाद्यम् ॥ तवाहरसोमरारण | | BAR! द RT श्य र्द र्द ₹ र् ९ सख्यटृन्दोदिवेःदवे। वे २२। पुणिबथोमिचरन्ति द् ॐ २ शद र्द र मामव। वेर । परिधोधरतिताध्द हि । डवे९३ Hg) x» श i “९ श्र २ श्र र परिधो्रतिता्ददि। वेस, परिधोपरतिताषद Y ATL PUT VO ULM १
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देवाना RA! परमेवियोर्मार२४५न्(३) ॥ १४ * ॥[१४] ८ १२२१ ध tc ॥ बादेदुक्ययम् ॥ तवादध्सोम । राररणा। Vey श रे श्द १ 9 ` इन्दोदिवे दारयिवा य । पृषश्णायिवा २, भोनिचरा ब् rt Ri तिमामवा । परिधाररयिररा। नितारभारेयि १ च्य ५१ खार४्रयि ॥१ परिधीद्रति। तारषटददायि। परि ट शद् धोररतितारग्रारेरयिद्ायि । तावाश्डान्ना २। WTF र र र तासोर। मतेदिबा। दुषानोररवा । म्र ऊधारदेना RT UTAC
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॥ माण्डवम् ॥ तवादश्सोमराराणा। सख्यदृन्दो
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दिषेदिवे। पुषणाश्यिवा २। भौनिचर। तिमामाश्वा २। परिधाररेयिषरा । विताम्। आरयिहारदृश्मौ ब् ९ र =< 1 श् । श्र र wari?) परिपोरुरतितारुश्राविष्टायि। परिषोररति
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TM) दु ङानोबभुकधानायि। दुानोबभुखधमि। श्र
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शरध ठतोय-ल्चे- प्रथमा । १ श्ख ॐ : पुनानो अक्रमो दभि Segre fared fea: |
९ ₹ ट १२३ १ प्ुम्मन्तिविप्रन्धोतिभिः॥ १ tit -षनानः” पूयमानः “वि चषंणिः” विद्रष्टा सोमः ““विष्ड? सर्वान् “aa.” हिसजान् वुन् “ait wate” अतिक्रान्त वान्, तं “विप्र” मेधाविनं “fafa” कर्मभिरभिषवादिभिः ख्लुतिभिवा “guia” दौपयन्ति Tas fer ॥१॥ अधदितोया।
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सायोनिमरुणोरह्रमदिन््योवषासतम |
घ्र बेसदसिसौदत् ॥ २ ४॥
भयम् "भरुः" भरररवणः सोमः “योनिं” खानं द्रोण- कलम् ` अहत्” आारोहति, ततो “हवा कामानां
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५२४ सामवेदसंहिता | [श्प्रण्१अग्१ रसू १,२,३।
“इन्द्रः” “सुतम्” afaga सोमं “Tag” मच्छति, गत्वा “wa सदसि” fat ura द्युलोकस्य “alefa’s निवसति ॥ ““इन्द्रोहषासुतम्"- “इन्द्र ठषास॒ुतः”- दति पाठो ॥२॥ श्रध ततोया |
१९ ३ ३ ९ २ 2 CE श
न् नोरयिग््मदा मिन्दोखभ्यधसोमविश्वतः। १ & १ ९ र भापवखसदस्िणएम् ॥ १ † ॥ ९२
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डे ‘mal’ ब्रभिषुतस्त्वं दहे “aa
नः” अस्मभ्यम् a” fan “महां” महान्तं “सहसि णम्” य श्रसङ्कपातं “fa”
धनं “fara.” “ar aaa” waa: परिखव Ru १२
१ रे | 8 ct ॥ सच्रासारोयम्॥ पुना३४। नोभक्रमोदभि।
४ % ९ र् c _ ट x ओध्वा। विश्वाष्ठधोविचर्षा रणायिः। Wel ता
र् १९ ऽ RE शद र (९ 8 ररयिवो । प्रन्पीरदो। वा दाहेध्रेयि। तारदध्यिमोई | १ शर् र ॥ 4 | ९ | १ a हायि ॥(? Tatas | निमरूणोर्दत्। रवा । गम
x x १ R श् ९ $ दिन्दरोडृषास् रताम्। ्ररवे। सार्दा। सिसौ र । 'खौदति'ः- इति करन्द दोय पाठ मृष्पाठत् "सेद् तु"- «fa
† Wo बेर द, ८ १०, ३। + (वलिं -सडथसन्धितम्'- एति fae |
४अ०्४ख०्दसू०१,२,१] Sucifaa: | ५११५
र्द RT 2 RT र
Wl aretasafa । दारर४तोईायि॥(२) ननोर२४।
२४। रयिग््मदामिन्द। भोऽवा। अस्मभ्यरसोमविश्वा १ १९ Re श्र ९
RAT | आरपा। वार्र्खा। सद्ोरृहो । वादार
ध्टेयि । खारदृध्विणोरदायि() ॥ १२ ou [१
श
९ श्र , ९९, ९ ५ ॥ यामम् ॥ पुनानोभा९। क्रमोदारेरष्मौ। वि
र : ९२, ५ १ atau! विचर्षारदे्णायिः। भ्एभ्मतिवाररयि । प्र र् 8 % ९ 8 न्धाडयिताधयिभा६५६यिः ue) भायोनिमार । ware |, २ 8 % श य रदेशदात्। गमदिन्द्रोर। इषापुरद््नाम्। WIAA ‘ct © दार३। सिसादयिदाधता९५६उ ॥२) नुनोरयाभ्यि | श श ek a श ९२ म्। महामारेद्यिन्दो । भअसभ्यरसोर । मविश्वा २२ ow श्र
Bat: | भापवखार२३। सशहारखाभ्यिणा६ ५
€ AZ) Ween [२]
* Ge Ale We YWO ?२णा०। + He Alo २३अ० २अ० १९७ा०।
५३६ सामवेदसंहिता ।[३१्र०१अ०१२सु०१,२,३।
४ द ats दर 8 RT र 8 ॥ यामोत्तरम् ॥ पुनानो अक्रमौदमि। | Sterest ध 2 र द 8 8 श्ट ९ ® 8 श्
wi विश्वागधोविचषंणिः। भोरारभोदा _
RT र areafafa | प्रन्धादेयिताधविभाई५द्यिः॥(९) श्रायो ९४ र ४५ श्र २ ४ ९४ ९ ४र WUE
निमरुणोरुदत्। भोहाङभोद्ा। गमदि द्रोडषासुतम् ।
श्र शे ४ | ग Ut ९ शे | । AMIN | घ्र॑वेषाररदो। तिसारबिदा५ता६५ श्र at ४ ९्द ४ ५४ शर दे ४ 6 शे
दंड ॥(२) नृनोरयिं मदामिन्द । Teeter we ॥ ९ श ४ ४ श्र र ४ भ श्ट र %
भ्यरसामविश्तः। भादाञ्ओदा। WaT e 3 | qatzarufaareueda) ॥ १२ *॥ [2]
, श्र र ९ शश ॥ गोराङ्गिरसस् साम॥ आष्टायिद्ृरवारइयि। ऊव R र॒र 8 शब् ३ Y श शे y
Ul पुनानेाभ्ादक्रारमोदभि। विश्वामभोरचर्षणिः।
९ ९ २ ४ wwafafa । प्रन्धारेयिताधयिभा६५९यिः ॥९? erat
निमार्दषासइत् । गमदिन्द्रोहेवारर्षाततम् । भ्रव
° He Ale Wo VQo ९२शा०।
५अ०५ख०१स्०१| swefaa | ५३२७ श्रद्
संद । सिसारयिद्ा५ताई३९उ We) ननोारयारेथिमा३
र्ट श शर श „_ ४ ९९१५ <<
etfaret| अस्मभ्यरसोारभारविश्चतः। wretfai x
RRR x
रेवाररेयि । SAU! आपवख । सदारेखाभयिणा ई y
€ म्(२) ॥ १३ * ॥ [४] १२ दूति सामबेदा्धप्रकाओे उत्तराग्रनयस्य पच्चमस्थाध्यार्यस्यं तुयं खु गह ° ¶ ॥ ४ ॥ अथय पञ्चम-खग्डरयः प्रथमटठचे- NAAT | २९९ १ र ३ १९ ३१२ ६१ रे पिबा सोममिन्द्रमन्दतुत्वायन्ते सुषावदय ats: |
९९९३ ₹ ई १२ ९ १ २
SITU डभ्यारसुयतेानावा ॥ १ ¶॥ हे “ce!” “सोमं” “पिब, स सोमः “ल्वा ary “मन्दतु” मादयतु, & “waa” इरि सज जकाण्ठवन् ! इन्द्र !
# Ge Ace द्रण २० १३१ न्द
‘Sgt माष्यल्दिनः पवमामः'- दति fac | ‡ दानो" qurg. wat विराजं ge’ wafer) खत मन्बमम् इतिवि । १ दर Wok, १, १, ८ ( १० Sie Yo ) = ०५,४,४;९।
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४३८ % सामवेदसंहिता [श्प्रण्१य०१३सू०२.,३।
“ते” wea “ar” अभिषवकन्तंः “वाभ्याम्?” “अर्वा? tiara “gan” ge परिष्डहौतः “ufg:” ara “a” सोमं “qua” अभिषवं करोषि, स wefafa पूवे सम्बन्धः We | :
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यस्ेमदयज्यश्चार्ूरस्तियेनव चाणिषयश्रष्रसि | tr शड् सत्वामिन्द्रप्रभवसाममन्न् ॥ २*॥ हे “हर्य श्व !? “gay! “a” तव “युज्यः” योग्यः “are,” समौचौनः “ae.” मद्करः “यः सोमः “afer” विद्यते “Qa” च पोतेन Maa “aufa”’ अआवरकादोनि crear दौनि “हसि, हे “cure” प्रभूतधन we) “ar” at San? सोमः “aeq”’ मादयतु ॥२॥ अथ ठतोया। २ ९ १२ omer’ aS es ee बाधासुमेमघवन्वा चमेमां यान्ते वसिष्ठाभश्चतिप्रशस्तिम्। ३ र रर Rt र दूमाब्रह्मसधमादे जघस ॥ २ † ॥ १३ हे “मघवन्, em! “ते” तव “यस्ति” ुिरूयां “व वाचं “afas:” नामिः “अश्चति' वहति, “cai” वसिष्ठस्य
* wo Foy, ९; ४, VI T mo fo 4%, 9, ४, 21
५०५० CFVR) उत्तरचिकः। ५३२९
सम्बन्धिनौ वाचं “g arate” ge ्रभिबुध्यस किञ्च “दमा”
saa “aw’ ब्रह्माणि इवोरूपाणयत्रानि # “सधमादे ay “oma” सेवस्व ॥ ३ ॥ १३
, र Rt ॐ . ॥ देघ॑तमसम्॥ दाडपिवा। सोममिन्द्र। art र १ द ब् दतुत्वा । यन्ते तुषावदरिया। आाष्रौरः। आद्रो र! द॒ ९ बद् x
सोतर्बा्नम्थाम्। GaAs: सुयताः। नार्वा s
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४ ओ डोवा ॥८?) दाउयास्तायि। मादोय जियः। चा ।
स्रस्तादयि। स्रस्तायि । येनवृचाणिद्यंश्चा । खा १ | षर इ ~ `
ध्सारेयि। दारुसारेयि | सत्वामिन्द्रा । प्रभवसार
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Sl भृवसारउ। ममारन्त्२२४अदोावा ॥(र) wreat
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धा। सूममघवन्। बा। चमेमाहेम्। चमेमाम्।
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५ र यान्तेवत्तिष्ठञ्रचतिप्रा। शाश्स्तारयिम। WT
* अथवा ब्रह्माणि चं faqeaqufa—rfa fae |
४५४० सामवेदसंहिता 1 [२प्र०१अ०१३सु०१,२.,३२।
र रे रयिम । cama । सभधमादारयि। पमादारनिः। भैर TF जषारखा ररश्ोषहोवा(२) ॥ १५॥ [१ | शद् ब् ब् . र इ १ ॥ मरायम् ॥ दा उहाउदहाउ। पायिबा। सोमाम् । 2 ब् < < ह, «2 | $ दन्द्र। मन्दतुत्वा। atl ari यान्तायि। Bar र् <: 2 रर वद्य्येश्वाद्विः। द्रिः। fei Atal are: भ्या ङ ड् द
सुयतानावा। ati are) यास्तायि। मटो। य
जियशार्रस्ति। fat fal यायिना। gar. fa xX
watofa far fai सालाम्। इन्द्रा aa
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AMAA! तु Ane बोधा। सुमायि। मघवन्। शद र द् श् < १ र
बा चमेमाम्। माम्। माम्। यान्तायि। वप्तायि।
द र छो भद्वंतिप्रशस्तिम्। faa स्तिम्। अयिमा । १ ९१९ र रेर ।
Bl सधमा । देजुषख । ख । ख(२) ॥ १ 1 ॥ [२] १३
we He मार WHe २. Cate | T ऊर aAle २९१० Wo Ge |
© ४अ०५ख०रेस्०१ sue a: । ५४९१
अथ दितोयटठचे- ^प्रथमा।
१ RR ९२९३११६२ विश्राःपुतनाञअ्रभिभूतरन्नरः
११६ ₹ & र 1 3.3. ९१ सजुम्ततक्तरिद्रश्ञजनुश्वराजसे। ३६१६२६९ २३ १२१ ९ Maa Ag Ary तोय ज्य ३१२ B VR
मोजिष्टन्तरसन्तरखिनम् ॥ १ Pl
“विश्वाः” सर्वाः व्याप्ता वा “aaar:” [ णर. area (qo, भ्रा ); व्याप्रियन्ते इति gaat: ] tan परस्परं ara: सत्यः “श्रभिभूतरम्” [त्र ्ामित्यथेः] भ्रभिभवितारम् “इन्द्रम्” “are.” आगुधादिभिः Tete: श्रायुधवन्तम- mag चक्र रित्यथेः [ यहा एतना इति aera नाम (निष. 2, १७, १८) ; व्याप्रियन्ते safe पृतनाः wearer, सर्वा नेव सङ्क1मानभिभावुकभिन्दरः “नरः” नेतारः स्तोतारः अन्योन्यं सङ्गताः स्तुतिभिः तोच्णमङ्कवन्, सुतोऽतिबलवान् भवतीति। यदा यष्टारो हविः-प्र्ानेन daa’ कुर्वन्तीति ] faa स्तोतारः “राजसे” [ राजतेः qua रसे प्रत्यय; ( 2, ४, € ) 1 art faced’ प्रकाशने सु्यौमानमिन््र Cag? जनयामासुः WMa-Ta: Bay प्रादुरभावयनत्रि-
° "बासदेथम् । Saeed सात। fants wqera’—xfa fae | न We Vo 8, २,४, १, ( पभा ७५५४० ) == We Fe g, z, 2, ५।
४९२ । सामधेदसंहिता। [amo (Wel saer i
व्यधः । fae “ma” ईटयमिन्द्रम् “आसुरम्” शत शामाभि सुख्यन मारयितारम् “खयम् खङ्ूणशवलम् अतएव “श्रोजिष्टम् श्रोजखितमं “तरसं” uae “तरज्विनं” सष्ाभे wa बधा वे गवन्त बलवन्तं वा एवग्भतमिन्द् धनध स्तवन्ति ॥
^“क्रत्ववरेखे मनि"”-'क्रत्वावरिष्ठवर"”-इ्तिपाटो॥१।
अध दितोया।
RR ९ ९ ९ 5 ९ र्द
नेमिन्नमन्तिष्वत्तसामषं विप्रा्भिखर।
१ श्प १९ २2 RB २१९१ श्
सुटो तयोवोभ्रद्र दो पिकणेतरशिनःसग्डक्वभिः॥ २ ‰ ॥
“नेमिम्” [ अरान् यथा नेभिर्व्यीप्नोति तहदन्द्र सव व्याप्नते aed] नमनगोलमिन्द्र “aaa” दशनमा vat “fant.” मेधाविनः & “afar” ब अभिस्वरख गोताय स्तोत्राय इन्द्रविषयं स्तोत्रं कतत मित्य्घः “नमन्ति” नमस्व न्ति । mena? “मेषम्” इन्द्रो मेषोभूत्वा मेधातिधिं खगं मनयत् तस्मात् मेधातिथेमंषभूतमिति यावत् । इदानों यजमानः स्तोतनाह-भ्रपिच षे स्तोतारः! “सुदौतयः” गोभनदौष्यः
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+ ‘aqu दष्िसूव र इति fae |
‡ ‘fast: ब्राह्मशाःः- दति fae |
¶ ‘afuat—wfiact asefar अभिखरे यञ्च '- ति fae
५अ०१५द्ब्० र्सू° a] SUUSR: | ५४२
गदु हः" कस्याप्यद्र धारः “वः युयं [ छन्दसो eared: |
तरस्विनः” Hag VAY a त्वरायुकाः सन्तः इन्द्रस्य “कणेः खोच-समोये “ata,” अर्नयुक्रेमेन्तः * [ यदा ऋचो agit येषु सन्ति तेः स्तोतरादिभिः ] संस्ततः इन्द्रो यथा यु्मदौयानि स्तोज्रादोनि शृणोति तथा सम्यगभिषटतेय्ः ॥
^श्रभिस्वरे”-“श्रभिस्वरा”- दति पाठो ॥२॥ भय ठतोया।
१२९३ १ RB र? रे १ र Bt 2 सभु रेभासो अखरन्निन्ररसोमस्यपोतये | RT ६१० ६२१२१२९ १ २१९९ १२ शवःपतियं दोवभेधतव्रताद्योजसासमतिभिः॥ २ +P ॥ १४ “cara” [रश we ( म्वा° Bo ) शब्दयितारः स्तोतारः [ यदा, “ara” कश्यप-पुचा र्भाः एतत्रामका ऋषयः | “इन्द्रम् ठ” द्न्द्रमेव “aude p wanda समस्त॒वन् । faa? “सोमस्य पौतये" सोमपानाय “यद् यदा “खष्यतिः स्वगस्य पालयिता धनस्य wal वा शद्रः “aa” यजमानादिवश्नाय भवति, तदा “aaa.” छत-कमन्द्रः
® ‘weft: —wraet: grate,’ —xfa वि०। † we Fog, ९, २८, १। '"्यदोम्''- दति च ऋर०-प्राढ। { 'अखरन्-सालभिमायन्ति- दति वि ।
५४४ सामवेदसंहिता । [श्प्रण्१अ०१४सु०१,२,३।
“ओजसा” बनेन “ऊतिभिः मरेदिः पालनेख वा सह सङ्क च्छते ; स्ततिभिर्बलं मद्भिः career भवतौत्यर्घः* ॥ समु""-“समोम्”- इति पाठो, “खष्मतिः”-“खपं तिम्” —afa च॥ २॥ १४ रर् श्र ओ
॥ चेशोकम्॥ क्श्ादहायि। gaara) aca
श १९ र ९ र् R ₹ श १ |
राः। सज् स्ततसखुरायिद्ध श्जजन्ः। चराजासोरडथदा
२ AX द् ne a ¥ far क्रतवोदोयि। वरोदोयि। स्ेमन्यारमुर्रध्रौम्। २१ ९९ ५ र ^ 8 ५ ४ उतोशायि। उय्मारर््जो। छन्तारारेद्साम्। शो
रद ९ fa) तरा३४। खिनम्। शओ्रो$्वा॥(? नेमोद्ायि। 2९२९ र्र् नाम । तिचक्तप्ता। मेषंविप्राः। भअभिखारोरशेणा शद् x oe * | रे fa, सीदायि। दौशायि। तयेोरवाररथ््ा। इ ५ र्
श zt + | ड् हे
दादडायि। मपायिकारद््णं। तारखोररथ्नाः। शो ९ | ५ ५ २१
fai समृर४। wit | Tear aH) समोहायि।
° खन् सम् ठ-षति पदपुरकशः- र्ति fat |
५अ०५ख०३स्०१] उत्तराच्चिकः। ५४१५
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| wc x 1 3 ४ guitar area: ater पतारयिर्थ्यार३४दौ | २ र २ १ ५ ९ 3 4 २
कृधोद्धायि। धतत्रारद्श्नाः। हियेजारषष्सा। दा
ट रे ५ ५ ९। 8 fai. ayes, तिभिः। ओवा अायिदौर ३४
॥
ध वा (&)॥१२*॥ [११ अथ प्रगाधरूपे ठतोवसूक् ¶-- प्रथमा |
श र 2 श्छ ३ १२ ३१२ योराजाच्धणौनांयातारथेभिरच्निगुः । १ र. र ९ Re 2 रश ९२२२३ र विश्रासान्तरुतापुतनानाच्ेयष्ठंयोड़चद्ाणणे ॥ १ # ॥ “a” इन्द्रः “quttat मनुष्याणां “राजा arat, “cafe.” रये; “Cara” भागन्ता च, ^श्रधिगुः” अ्रष्टतगमनो sai, “विश्वासां' “पृतनानां? सेनानां “agar” तारकः, “यः” च “ब्रा aa इतवान्, “sae” गुरो व्चायांसं
तं agiarafad “wy” स्तोमि॥ १॥
* कण Alo Says २० १३0० | † "मरदालद्य पश्नाच्छावाक साम-द्तिविर। t Wo Go ३, २,४,९(१भा० ५९३९० ) = We Fe €,५,८,९।
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५४६ ` सामवेदसंहिता | [२प्र०१अ,१५यु०२।
श्रथ हितोया। ३ 2 र् १२१२९१२ VL रहनमन्नवसेयसदितामिधरर द दन्त प्रम्भपुरुषन्मन्नवसेयस्यदिताविधन्नरि | १२९२९२९२ 2 ९२ ३ २ Ve शद
CATH: AAT PMA TACT SATA: HR ॥ १५
हे “quenq’ ऋषे fp तलं “तम्” “इन्द्र” “शुष्य, o हविःप्रदानादिना wee a! किमर्धम् ? “wae? . cq शायना। waar खात्नानं सम्बोध्य attfa—“aq” सवे “विधन्तेरि” विधारके इनदरो “fen” § हिलम् afer, --ओरग्युमनोग्य॒म् [तव शज्रन् ₹दन्तुमुग्रलं, तद्गु प्रहाय अ्रनु्रह- खेति taafe]; तत्रोम्रय enafa—“ena:” cata: “महाम्” प्रभृतः “aa.” “eat न सूयः" योतमानः qa ष्व
खितः, “स्तेनः करेण “प्रति धायि” प्रतिजिहतो भवति || ॥
* wo वे० ६, ४, ८, २।
† पुखडग्मम् -पुरुडन्धा wae We तु चद सज् ज्ञानं परोचतव' aitfer’ —tfa fae |
t s~a—aa’ ewann’—tfa fae |
q ‘owita areqwe:—tfa fae |
§ ‘fam, दितः, can:—efa ऋषयः ; तेषां मध्यं feat:’—efir feo |
॥ "इसन wee nfrrfa—wea aeter Te: परति षेद पाने खवं- atfeat sta रसं ष्योशितादि fram’ —cfir fae ।
५अ०५द््०्सं०१,२] swag: ` ४७
“हस्तेम^-'“हस्तायः- शति पादो, “मशान्दे व"--“"मदोदेवः” —<fa wena ney |
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॥ पुञ्नि ॥ योाराजारदचषंणोनारदाड। यातारथे
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चद्ागुणेहाउ। व्ये्ठंयोव चहाण्णे। इन्दरान्ता WIT?
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९ x बाय । यस्याद्वा्विताररे। दावाहृषहायि। वायि
र R र ९ ut ह च WAAC इडा २ ३॥८९) यस्यदोररेताविधर्भरि हाउ | १ ष्ट २ १
यस्सदिताविधत्तरि । इस्तायिनाश्वाररे। ₹रावाङ्दा।
safer! यिदार्थार्तारदः। दवाङ्दायि। मड।
* ^मडोदिव''- एति a we ws: |
५४८ सामवेदसंहिता । [३१्र०१अ०१५स्०१,२।
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न्दाश्यिवारइः। दोवाइदायि। नासूरियः। TTR
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४ 2 ४ भर ४ ५ १९ रर ॥ अमोवन्तम् । योरारजारचषेणीनोवा | यातार र श श४४द् थे । भिराधाश्यिग रः | वाविश्वासा३१२२४म् । तर्ता। ॥. “2 द. -९ श्र ९ र a ड र |.
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ज्यायिष्ठयोव्। चदाश्गाश्णा रयि । भयिन्न्तपशु३१
२ ४५ २ १९ र Vw ART! न्नावार्सारयि । यस्यादाश्यिता २२ श २ ११२९१ ५ ठै
९। विधारे । तार२९५। राररश्यि WR) यश्यारद्यायि (1 | 6 8 ५
ताविधक्तरोवा। याख्यद्धिता। विधार््तश्ारेवि । दा
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॥ ७ # ॥ [र| ४र र > wy ४ ५ २९ ॥ जनिचाद्यम ॥ योराजारेचषंणायिनाम। ya श्र र १ र द ोरयि। यातारथेभिराधाश्यिग रः । विश्वासान्त् ३ रे ३ + श्र र तार । पुतानारदेध्नाम्। ज्य छाहेरद्ोयि। योवा र् र् wet! Basel! चदडा। गारणा२३४अौदो az ४ ५ ae | 8
que) ज्यष्टायो दे वृचदाणणायि। sae
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ज्यं छ योत्र चद्ागा १ णा रयि । इन्द्रन्तदप्ग्भ पुस्दार। ९ ९ 8 ५
न्मन्नावाररथ्सायि। यथ्यारदोयि। दितारेदोयि।
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faq| तारराररश्योडहोवा ue) यस्यदहोरताविधन्तरा
यि। वेदोरेयि। यश्यहिताविधात्ताररा रयि । हस्ते
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} ९२ ९ नवज्चःप्रतिधार।` यिदार्शरदृ्ताः। मदाेन्डोयि।
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५१५० सामवेदसंहिता । [श्प्रण्१अ०१९म्०१।
cz ९ ९१२ र द् ₹ १ १ १ TATAA | AT) रार्यारश्मोदोवा M(B) अनिचार र १९१
Bua ॥ १२ *॥[३।१५ इति सामबेदाधप्रकाथे उक्र ग्रन्धस्व पञ्चमस्याध्याधस्य
पद्मः SB: fay i
~ ~ ~ पथ षष्ट खण्ड ४, wast — प्रमा |
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परिप्रियादिवःकविर्वयारसिनप्तयोडितः।
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खानेर्यातिकविक्ररः ॥ १ ६ ॥
""कविः*' Sarat “कविक्रतुः” क्रान्त-प्रननः क्रान्त-कमां Cony अधिषवशफलकयो; “fea.” निहितः सोमः “दिवः” द्युलोकस्य “परि प्रिया" प्रति प्रियाणि “aatfa”’ ara: ॥
"“स्वानैः'-“सुवानः- इति पाठो neu
© mo are tewo २अ. १६या०। f ‘om माध्यन्दिनं सवनम् र्ति fees ‡ ‘yaimtaraaqua—xfa fro: 4 catered gta’ —tfa fae | § wo Wie ५,२,४, Le ( दभा. २९) = We Me ९००, VW UI
AWe §Go (Ho2,2] उत्तरानिंकः | ५५९१
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ससूनुर्मो तरा श्रचिज्नातोजातेभ्ररोचयत् | ३९ ९ १? 2 Bre । मदान्मरोकतावधा ॥ २ «Il
“ara.” sare: “शविः” † fage: aera हवि र्लमः “a” सोमाख्यः “सुनुः” पुवः “म्ौ'' महत्यो “ऋताहधा'" ४ ase atfaat “जाते” विश्वस्य जनयित्रौ “मातरा” आनो मातरौ द्ावाण्यिव्यो “अरोचयत्: रोचयति दोधयति ॥२॥
अथ ठतोवा।
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्रप्रयायपन्धसेजना यजुष्टो अदर शः ।
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बीत्यर्षेपनिष्टये ॥ २ ¶ ॥ १९
डे सोम! प्र प्र" अत्यन्तं “लयाय तव faare-wara
~, (८
Cage.” We aera “qaa”’ aia “wary” मनुष्याय
> क०चे०९,०,३२,२। | oT Safe eta’ —tfe fae ‡ "तारा सो यज्ञः तेन wea: तारणो wea द मन्न तेन बद ते-- हति वि०। | wo व० ६, 9, ९१; VI
५५२ सामबेदसषिता। [३प्र०१अ०१६सूु० 2,2,2 1
“fa aa wag “ae.” पर्याप्तः a “afasa’s स्तवे मर” ay प्रति गच्छ ॥ aze-“age’—efa पाठो, “पनिषटये'"--“च a-
छया" इति च ॥३ ॥ १६ ध श् श । ॥ र्णा यवोत्तरम् ॥ परिप्रिया रदिवःकवायिः। व त र् ९१९ र द fe 4 < arin R या रहोश्वा्सिनप्तयोवोदिंताः । परसो |
श र १२ श 7 $ $ डे R वा। erat) दोवा। वारयि। दैरेया। कविक्र
१९, धर र तोर। यारडश््ीहोवा॥: सूनुर रतराश्एचायिः, < © wet UF र्शर श् >
जाता रहो्वाजातेश्रोवो चयात्। AETATRael । इ श रे द शे
बा। चोवा। २। वारयि। Fears कऋतावृभीर।
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यार ओ होवा WR) WAIT रयपन्यसायि। STAT Vet
ब. < RF ९ ॥ १ र
१वायजष्टोवोञद्रुदाः। वोतियारेदेर्षा | डवा । Saw
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° मततिः afaaal ( fargo 8, ve, १९), शति fae |
५अ०६ख०१सु०१,२,१] TUUfaw t ५५२
द दं २। वा र्यि। शर्या । पनिष्टयोर। areaeatel शे १११११
TIMP RUA) ॥ १५५॥ [१]
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॥ ओर्णायवाद्यम् ॥ परिप्रियादिवःकावीः। वयाधः
सिनक्तयोहिताः। खानेर्यारइतो । आयार। इया Vt द रईैरया। कविक्रतोर। ATR ABET A) ससुतु ब् र ९ र शरश इ ब् MATIN: । जातोजातेञ्ररोचयात्। | WEPAT २३ र दो। आयार! इयारष्ैर्या। कतावृधोर। यार ४दर द र् 8 १ 2 १ ९ र् इधअओोवा ॥(२ प्रप्रक्यायपन्धासायि । HAART श्र र् श J $ र् अद्र डाः। वोतियारदर्षा। भाया२। इया २१३ । ३ RR, 3 Yt द ८११९१
पनिष्टयोर । यारे होवा । ई २३४५८) Ne † ॥[र] ॥ बृदद्धारद्याजम् ॥ परिग्रिया। दिवःकवायिः।
x र. श्र x र R वयारुसारशयिना | ्विवोहिताः । खानै्यारेशतायि |
न ete ° Zio Alo Wo रश्चण० १५सुख। T Se Alo अश्र" रवं" Cato |
( ७ )
५५४. सामबेदसंहिता ! [धप्र०१अ०१९स्०१,२.२।
2 र रे १ र् t % ब् ओीरदावा। काविक्रतुः। cel?) AAR शद र॒र र शद् mat तराग्रएचाथिः। जानोजारइते। अरोचयात्। x र् x र ce ९ र रे |. मयान्मारदहो | आ । BANAT आन्नौब़ृधं । इडार
. श R xc र् < QR) प्रप्रक्चया। यपन्यसायि। जनायारेरेज्। टो श x र a र © 8 |: Set! वीतियारदर्षा। wi Wasa पानि र्र् x र् SA | एडारइभार३४३। ओर२४५३ | STR) ॥ १० * ॥[३)
4 शद् VL ॥ गोषुक्तम् ॥ परिप्रियादिवौ। दोददोवाद्ायि, श ब् र ट | कवायिः। वथारसिनश्रियौर। वायि। डवा रवि । १ ` श्र । र | शायितारः। खानेरययातिकवो र२। वायि sare } 8 १ र र ्
fal mazes) दारवाररश्मोरावा । अभरिराडता २२४५९) ॥ ११ PUL)
र् ब् र ॥ द निधनस्मागोयवम् ॥ परिप्रियादिवःकवाहेयिर |
@ Ho Alo (Ho WHe Wao | T Go Me ewe १अ.११सां०।
५अ०६ख०२सु०१,२,२] उस्षरार्िकः । ५५५
वयाएसिनकषयोहिताः | erstanisoarfi । Www
रश्यिशो। कवि। कारढरशध्ौरावा N(2) समनु
मतराष्ाङप । जातोजातेशररोचयात् महाशना ९३
Bi शिरदाश्माररयिष्ो। wary atéatequatet ९ ९९८ र
TW) प्रपरक्षयायपन्यसा २ ए। जनायजु टो दुहा: ।
र र २ १ ५ 8 वोतियारदर्षा । शेरदाश्माररयिद्ौ। पनि। sear ut द ९१९११९१
VMSA । ई२३४५८२)॥ to # [५] १९
सथ प्रगाये हितौयसक्त †--
प्रथमा र् ` 9 १२११२ १२ ३ १ 2 त्वरदयारेङ्गदेव्यपवमानजनिमानिद्यमन्नमः। श् १२ श १९ रे
अग्डतत्वायघोषंयन्॥ ९ eb ॥
हे “पवमान” पूयमान ! “ear” देवसम्बन्धि सोम ! “यम-
© Go Ble ROHS १अ० Youre | † “वामदे Gea सास'-- इति fao | ‡ Wo We ९, २४९ २भा० २३५ ge) = We Foo 4, 20, 2 |
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५१५६ सामवेदसंहिता | [श्प्र०११र०१७सु०२।
नमः” श्रतिशभरेन दौपिमान् “al fe” त्वभव “शङ्क” चिप्र
““घोषयन्"” शब्दयन् शब्द' कुवन् “जनिमानि” देवसम्बन्धोनि
waar “Tara” श्रमरणाय ्रागच्छेति शेषः ॥ “.रेव्य-“दैव्या"--दति पाटो, “शधघोषयन्”'-“घोषः'”- इति
Then
अघ featat |
२८ १९ ३९६२ ३ W FL? ३ 2
येनानवम्बादध्यङ्पोनुं*तेये नबिप्रासभ्रापिरे |
३१९२ ९२९१२१३ ९९९९१२९६ १२ STATA अम तस्यचारंणोयेनश्रवारस्या शत ॥२†॥१७
“नवस्व नवनौोय-गतिः यदा नवभिमसेः सतरस्वानु- छानात् “दध्यङ ”--एतच्रामकः safe: “Aa” सोमेन परि facagatat हारम् marae’ > श्रपच्चछछादयति विक्ठतम- कार्षीत् ““विप्रासः'' तव् सुख्याः सवे मेधाबिनोऽङ्गिरसः “येन” च सोभेन “afar” तेरपष्ता गाः श्राप बन् किच्च “देवानाम्”! इन्द्राटौनां “qa” सुखं aaa waa सति “चारुणः कस्या-
णस्य ‘qaqa’ उदकस्य सम्बन्धोनि खवांसिः अन्नानि
° ot” —<fa Ho Yo Wis: | † WoT ७, ५, १७, २। + ‹नवग्बा-नवा may यद्य असो नवग्बा"--दति वि०।
३श्र०६ख०२सू०१,२] उत्तरा्चिंकः। ५५७ “येन च सोमेन यजमानाः “आशत VATA लभन्त; स ) च्छेति =< ल्व देवानाममरणायाग पूवण सम्बन्धः ॥ नवग्वा"-“नवमग्बोः-- दति पाठो, “्रा्त-.श्रानशुः" -इति च ।। rie
१९ २ 2 ९ द् र्
॥ बहत्कम्॥ ATW! अङ्गटैवारेरया। पाव
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मानजनिमानि। द्य मनामा ₹:। अमान्नाहेत्वा२। य
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घोवा। षाप्योरदायि॥(९) अन्ता । लायधोषार३
र x RT ९ श्र R यान्। यायिनानवग्वादध्यङ् | आआपोश्णंतारयि। येना
श् शद रश वाश्यिप्रा२। सञ्यावा। पाभयिरोईदायि॥र२ येनवो। श्र श्र १ श रर श्र २१९. १
प्रासअ्रापाररयिरायि। दायिवानारसुन्नं अष्टत। सखा
श्र २ श् ४ । € 8 ४ चारङ्णारः। येनाश्रारवा। सियोवा। शाभ्तोश्दा
fa(z) ॥ १६ *॥[९)
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५५८ सामषेदसहिता। [३प्र०१अ०१७स्० १,२ |
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NEAT त्वरदङ्गदेवार्या। पवमानज ४ ५र र् ४२ ५ १९ र र् निमानिद्यमा। SAI ताररध्माः। भामा र२उवा। ङ श्र ताल्वा । ई यद्योरेश्ध्वा। षाधयो € दायि ॥() अन्त ब॒ € 1 aT st gst ४ AT a 8 ATAU! ये नानवम्बादध्यङ्ङ्पो | SAl णू
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रेदश्तायि। यायिनाङ्डवा।. विप्रा। सशओररेदृश्वा ।
र 8 ब् पाभ्यिरोछायि॥(र) येनविप्रासञ्रापादविरायि। दे RT Bt ee es g ९ ५ x 2 atta ASAI | SAI दरदेश्णाः। यायिना
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उवा । अरवा । सियोररृश्वा । शाभतोरहायि(२)।॥९९१॥[र]
१२
॥ शाद्धम+॥ तु वरुहिया । ees गदा। विया । पवमानजनिमानिमानिदयुमत्ताररेमाः । TAT RATT
ॐ ९ ५. ४ ५ १९ RUE Vel यघोररथ्वा । षाधयोददायि ue) Weaver ङ् SS
. < रे UV यचो । षयान्। येनानवम्बादश्यङ्पोणरडतायि |
७ कर्जा ५१० Wore Bet - ङ्क" दूति खर पुण्पाठः।
UMe gWJorFo १,२ | उत्रा्चिंकः ॥ ; | ५५९ . 7 १९ ९ ५ u ४ ५ यायिना रवायिप्रार२। स्ओरदश्वा। TART wT
४ ९ श्र . ; र् oe x वि ue) यनविप्रा। wei सभा। पिरायि। देवा is र् २ UX र
MALT अग्डतस्यचाद्रेरणाः। यायिना रश्रावार२ । fa
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योररे्वा। शा१तोरहायि(₹े) ॥ १८ *॥ [३]
ट रे ब | 8 ॥ सचासादोयम् ॥ Aaa दियङ्गदेबिय । भो
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x 4 gt €ql पवमनजनिमानिद्यमन्तारमाः। ATeat | AT र् ९ $ र्र् RT ९
ररत्वा । यद्ीरदो। वाहाहेधटेयि। षार३४ यो ई हा
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Fane) अमा३४। ताल्वायघोषयन्। ओद्वा। येना
: र नवन्वादध्यडङ्पोणु र्तायि | या रेयिना। बारश्ेयिप्रा। 9 - RT ९ र । ५ सौरो । वाडारध्ययि। पारऽधयिरोईदायि ॥(र) श्र र ४ रद्र <
येना२४। वबिप्रासआपिर। wreati saatyga
* He Alo ११५० YWo LSGle |
५६० सामवेदसंहिता । [श्प्र०१अ०१८स्०१,२।
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श र १ 8 अग्डतस्यचाङ्् रणाः। या रयिना। Tears सियो
Uy द र र ५
| 8 दो । वादाद४२ेयि। शार्रेश्तारशायि(३) ॥ १२ ५ ५४१७ शरध ठतोयटचे- प्रथमा। ९२९ 8२ BW ९२ ९१२ सोामःपुनानऊर््भिणाव्यंवार विधावति । १ > ९९ BW ३ १ २ अग्रेवाचःपवमानःकनिक्रदत्॥ १ ‡॥ “पुनानः” qrata: “सोमः” “afer” daa धारया “gaa” अवैः सम्बन्धिनं “वालं " पवित्र “fa धावति” विविधं गच्छति। कौटशः सोम; ? “पवमानः” पूतः “वाचः” wre “aq” “कनिक्रदत्” पुनः पुनः शब्द कुवन् विधावति ॥ “अव्यम्” “अव्ये” इति पाठो ॥ १॥ aa दितोया। 3 १ रे १ २९२९३६१९ ९३११९ धोमिग्टेजन्तिवाजिनंवनेक्रीडन्तमलयविम् | ९१६ २३२३१९९८ VR अभिचिपुष्ठम्मतयःसमसखरन्॥२ ¶ ॥ “वाजिनं” बलवन्तं वा “aaala” वसतौवर्थाख्यं उदके
* Go ate pene अ १२ा०। † (खातोषादोयं खां इति fac | ‡ We Gog २०२, ७ (भाग WUE To ) = Me Fo a, to, al
1 Wo qo ५,५, U8
५०६ख०३स्०३] उस्षराचिं कः | ५९१
“grea” agreatay “अलयविम्'” [ aires तद्रोमक्ततं पवित्रमभिधौयते] अरतिक्राम्त-पविज्र' सोमस् ऋत्विजः ““धोभिः”" स्ततिभिः * “सजन्ति” शोधयन्ति [ यदा, धौभिः--व णंलोप- ग्ढान्दसः, धोतिभिः अङ्क लोभिः जन्ति ] किच्च “free” [ ओणि पवित्राणि द्रोणएकलशाधवनो वपूतडदामकानि पाश्राखि स्छशतोति Tf सवनानिवा aati स aula: तम् | सोम “मतयः” स्तुतयः “श्रनि समखरन्” अभितः सस्त- वन्तौति ॥ “मृ जन्ति" “हिन्वन्ति"--दति पाठौ ॥२॥
अघ saat | १ 2 RL र RR १ श्छ ६९२२ असज्निं कलशारअभिमोदूं त्रि वाजयुः | ट RT RL FR
पुनाभोवा चश्छनयन्नसिष्यदत् ॥ at ॥ १८
“वाजयुः” यजमानानामब्रमिष्छन् “मोढान्” सेला
स सोमः कलशान्” “aft” लश्य, waite “cafa” भ्रख- © ©
wal aa दृष्टान्तः-“सत्तिनः यथा सपणगोलोऽः ¢
~ न ८८ 9१ सोमं
सरग्रामे waa तहत् । ततः “पुनानः * पूयमानः सोमं
° wife: बद्धिभिःः- दति चि०। t wee Fou, 4, tt, 21 t ‘ate म् बवाम्'-द्ति वि०।
¶ “सर्चिमे-सत्तिरश्मोऽभिषोयते- षति वि०। “of —tfa भिषष्टाबश्च-
नामसु पञ्चम पदम् ( १, १४; ) |
( ७१ )
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१५६२ सामवेदसंहिता | [श्प्र०१अ०१८स्०१,२,२।
“वाचं” शब्द “जनयन्” उत्पादयन् “भ्रसिष्यदत्” पात्र ष स्यन्दते ॥ | “aera” ater —<fa urat ॥ ॥ Ya
Tey ut 4 ॥ आतोषादोयम्॥ सोमःपुना। डहो। Afar श र qui भव्यंवारविधाश्वाडेती । ग्रे वार२४५। ATS १९१९ २९ र् . डे ४र र र् ३४५। पवमार्दनारः। कारनारशथ्मौ रावा । ` करद् 2 ९ ९१९१ डद ४४ र Q ४द् देर२४५॥९) धोभिमजा।. शो। तिवाजिना्मे। १ शर द वनेक्रीडन्तमारत्यारवायिम्। अभिंचार३४५यि। पार ९१९९१ र १ र् श रर् र् ३४५। ृ्तारदयारः। सारमारेहेऽ्मौहोवा । खर ९११६१ ट ४ ४ R st 2 |
AVY) Wafers दो । Bw ।
tt द ९१९११९६ र् मोदृान्सिन्नंवाश्जायुः। पुनानोर३४५वा२२४५। च र् ५र् र् २ Beer
जनाररेया२न्। भारसा २३४ भौरोवा। BES रर १९
४५ (Bes FH [१
@ He Ale BWe २अ०१७८ा०।
५श्र० ६ ३स्०१,२,२] Bafa: | ५९४
रर् दर 2 र R NOM ॥ सोमःपुना। नऊग्भिणा। wear र् ९ ।, रार्म्। विधावतायि। भग्रवाचारः। पव। मार भश र् नारद्४मोदोवा। कनिकददेर॥.९ धौभिम जा । ति RT ९ वाजिनाम्। वनेक्रायिडार। तमल्यवबायिम्। असि र् द चायिपार्। Bal ARRAN! समखरनन रब द ३॥८२ भसच्जिका। रशारअभायि। मोढान््ाप्ना र र् १ यिः। नवाजयुः। पुनानोवार। AHL ASAT? 2 at रद् VU UL ४अोदोवा। शअसिष्यददेश्डपार३४५ (ayn ८ *॥ [र] ब ॥ ष्यम् ॥ सोमःपुनारनः। Bla! भव्य RT र ९ र्रर९ र श्र र्र् x
वाराम्। विधावतायि | अग्र वाचःपवमानःक । नार
र् शर् श्र यि, क्रदाउवा। afer ng) भौमिम् जारेन्ति। ९१२२२१९ ९१९ ।
वाजिनोवा। वबनेक्रोडा। तमल्यवायिम्। भभिजिपष्ठ
* He Alo अप्रणर्खनर्श्सार।
५९४ सामवेदसंहिता | [३प्र०१अ०१८स्०१,२,३।
२१९९ ९ र् श्र ATTA | TRA खराउवा। श्रूधिया ₹॥९) WUT १
असञ्जिका रल । शार्मभोवा ।` मीटाद्यप्तायिः। न
RT Re रद श्र द् र १२१
TH: | पुनानोवाचच्ञनयन्न। सारे दयि ष्यदाउ अधियार। शरेरहिया३४३। भो२३२४५६।
डा (३)॥ 8 * ॥ [३] रर १
॥ क्रोशम्॥ सोमाः। पुनानानऊम्मि। णा दो
Se Ht वाशोयि। अव्यवारःविधावतायि। भया
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र. यिवाश्वारदः। पादवामारेनाः। कनार्रयिक्रद २४२ द् ‹ ane Wa मृजन्तिवाजि। नम्। HER 1 RT 2 = ब् ९९ र Hi aes वनेक्रीडन्तमल्यायिम्। अभायित्रार
र ९ 2 ९ ट ९ यिपारर। शारग्प्रातार्याः। समाररेख्ठरा२४३न् (2) श्द््
॥ ओ. aa) जिकलशाध्। fat दोहर शे। वा
@ amo Ale He REO syle |
५अ०६ख्०४स्०१ उत्तरा्चिकः। ५९५
, द॒ र सिस द २१ र २ wife | मौदात्सत्निननंवाजयुः। पुनानोश्वार। az. १ र र
. ‘2 श च्ञानारयान्। असाररविष्यदा३४३त्। ओ२२४५दं |
डा (BW re # [४। १८ अघ चतुघटचेगः --प्रधमा |
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सोमःपवतेजनिनामतोना
RRR ९९ २१९२२१२ ३ ९
नितादिवोजनितापुथिव्याः |
जगि ) marae नितासृसय
जनितेन्द्रश्यजनिनोतविष्णोः॥ १ ४ ॥
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“सोमः” श्रभिषूयमाणः “ara” पाज घ् चरति । कोटः? "सतीन qitat [ यदा, मननौयानां ] “जिता” जनयिता, [ “जनिता wat ( १, ४, ५३ }"-- इति निपातनाशिलोपः |
faq “दिवः यलोकस्य “जनिता प्रादु्भौवयिता, तथा
© Go जार CUNO VGO Use | † ‘argh’ साम रोमस्ायं खतिः- एति वि०। t+ we GTe ६१४२५ (२ भा० ११०४० ) == Be Fe, ४, ६, ५।
५९६ सामवेदसहिता। शप्रण््मन LETeR I
६८. =, न 92
“qfaan:” “जनिता, “se जनिताः प्रकाशयिता, ‘qora” सर्वस्य परेरकस्यादित्यस्य “afaa’, “cee” “जनिता तेन मदस्य जनयिता- “sa” अपिष्ठ “fae.” व्यापक्षस्य “जनिताः जनयिता ;ः-एतच्छव सोमेऽभि षृयमाख
भवतोति ॥ १॥ ay हितोया।
९२ २ १९ ६ ₹ Fz र
ABTS ATA A: HAT
₹ १९९ RRR ९ रे
स्टषिवि प्राणग्हिषोमुगाणाम् ।
रर ° 3 RL
१्येनोखधाणारखधितिवनाना
१ ₹ ९२११२ ९१२९
सोमःपविच्रमत्येतिरेभन्॥ +a “सोमः” एवंरूपो भवति- “देवानां” स्तोवकारिश मत्िजां “am” ब्रह्मा ख्यलिं कशया नौयो भवति [यहा, “Sarat” व्योतमानानानजिन्द्रादौनां ब्रह्मा" राजा भवति] तथा “कवोनां” कान्त-प्रन्नानां “पदवोः'” [ख्बलन्ति पदानि साधुत्वेन यो योजयति स पदवौः, वौ गल्यादिष् (sete, उभ० )-शस्ेतख्णत् क्किपि
\ “द वोष्कोयौना''- इति Wo Te पाडः) ¶ ऋ बे ९ 8, % ₹।
Uo (Gosqe 2 | उग्सरािंकः । ues
रूपम् |, तथा “विप्राणा मेधाविनां wear “ऋषिः” भवति [ यः परोच्चं पश्यति सं ऋषिः ‘pe fire भ॑नात् ( fade 2, ११ )’—xfa, ] “aarai”? “महिषो भवति afearen बलवान् राजा भवति तथा “घ्राण” परचिविधेषाणां “येन” शंसनोयः पर्चिराजो भवति, “aarat’ [ aafafe araat ] हिंसकानां Searat wa “सखधितिः'--एतन्रामकन्लेदको- ऽसि । wamara: सोमः “रेभन्” शब्दायमानः wa “पवि- त्म्” जणोस्तुकेन क्तम् “safe” ्रतिगच्छति #॥२॥
° वाड वाख. “ब्रद्यादेवानाभित्येष fe त्र्या भवति देवाना garewer- मादित्यरश्मोनां west: कवेनाभिन्येष डि पदं वेति कवोनां कवोयमागाना मादित्य सोना wfefanterfaay fe ऋरषिशो भवति fasret यापमगकमंकामादित्य- cant मद्दिषो उमाखासित्येष fe awry मवति दमगाशां मामंश्कम खा मादित्य दश्मोनां Wat स्रालामिति न खादित्यी भवति श्यायतेनतिकमेशोग्रभ खादित्यो भवति ग्टध्यते ख्यामकमंखो यत रतरिंख्ि्ठति ख वितिवनानामित्येष fe खयं कमा- wifxat wai वनानां वननकर्मशामादित्यरश्नोनां सोमः पविवमत्येतिरोभशधित्येषद्डि पविजःर्मौनामत्येति quart एष एवै सन्धं मलरमित्यषिद वतमथाऽध्याद्म' ज्या देवा- भाभित्यथमपि mg भवति देवानां रेवगकमंकामिन्द्रिथाशां पदवोः कवोनामित्यथनपि
पदं वेति कवोनां कवोयभानानामिन्द्िथाकादविषिप्राशामित्यथमण्यूनिखो भवति विप्राशा व्यापगकमेदाजिष्डरियालां मड्िषो ऋमाकाभित्ययनपि aq भवति waret मार्मक- कमशामिन्द्रियाशां wat zirefafa पेन wan भवति. आयमेन्नान-क्मणशो ग्टभाकौण्डरियाकि wwagqa-saet यत wafafesin खवथितिवंनानामित्यथमपि खयंकमाण््ाद्मनि aw वनानां वननकमेचठामिन्द्रिथाशां सोमः पवि बभव्येति रभ त्रत्यय- सपि पविजरमिन्दरिसाछत्येति ल्.वमागोऽयमे 3 तत्खषे नुमवत्या कनति are ॥ "--एति जि० प० ९, ta! |
५६८ सामवेदसंहिता | [रप्र०१अ०१९८स्०३१।
अथ ठता |
३ २ & Fz
प्राषो बिपदाचजग्मि सिन्ध
्भिरस्लोमान्पवमानोमनीषाः।
९ R xx १९१९ २९! अन्तःपण्यन्वजनेमावराश्था
Rt श्र र तिष्ठतिवषभोगोषुजानन् ॥ २ ^ ॥ १८
‹'्ववमानः'› सोमः “मनोषाः” aaakfaar wear ay “प्रावोविपत्" प्रकरेण विपयति ¶†# प्रेरयति “सिन्ध स्यन्द्- मान-नदौव “वाचः शब्दस्य “afa a” ae यथा प्रेरयति तदत् । fry “षभः” कामानासुदकानां वा वेकः सोमः “अन्तः” अन्तर्हितं tetera & “ora” “orca” gaa: वारयितुमशक्छानि “Tat हजना भु इमानि बलानि “ तिष्ठति" भासौदति। कि ङुवन् ? “गोषु जानन्” § गवां जयाय जानानः सन् परवलानि प्रविशति ॥
°स्तोमान्"~““म्तोमः”-- इति पाठो " २५ १८ —wwetenet, ft drew * व्क. yu’ —tfar fae | q ‘carat wnmifa fezifa nttcraferaria’—xfa fae |
§ "ओष जानन् -मोष्देन रायः a एव eit WA; वभो बबिता; नोष् WTS TETY जनन्'- दत fae
४५अ०६ख०४सु०१,२,३] उत्तराञ्चिकः। | yee
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॥ महावाल्यप्रम् i चाखषशाउशाउ। Bi wet R र atl Wi डोष्दोवा। सोामःपवा। तेऽजनि। ता, रर र॒र र॒र श्र a" aaa | RAAT मतोनाम्। जनितादायि।
Rk श् x ङ् < बोऽजनि। ansqfaan: | पुथिव्याः। पथिव्याः । ₹ १९ श
ब् निताग्रायिः। जनिता। स.रियस्या। रियस्या। 21
< जनितेद्रा । स्याऽजनि। तोऽतविष्णोः। तविष्णैः। २। र्द द्
९ १ र र र् द र् AMSAT! नाभ्यद। वीःकवींनाम्। कवीनाम
< द् १ २ १ ९ र रश कवीनाम्। ऋषिर्विंत्रा। urate) पोऽमुगाणाम् । « < र श्र गमुगाणाम । २। श्यनोण Yl Urvefal तिवंना
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नाम्। बनानाम । 21 सोमःपबायि। चाऽमति। ए
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तिरेभन्। तिरेभन्। 2 प्रावोविपात्। aaa
faatay: | नसिन्धुः | नृसिन्धः। ACMA |
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५७० सामवेदसंहिता | [२प्र०१अ०१९स्०१,२,२।
२१ द् पवमा। नोऽमनोषपः! मनोषाः। २। अन्तःपश्यान्। र्र्
aga) माऽवराणो । acral: २। भातिष्टतायि। १ Rg रद्
वषभः । गोऽषुजान्न्। षजानन्। Vt TS ३।
a Vl दोदोवा। २। अ, Vi Wel वार र रद् Rk SHEA | TVBBy (२)॥ १८ #0 [१
९्र १ रेर १
४१ ॥ जनिच्राद्यम् ॥ शउजनत्। सोमःपवा। ते
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जेनि। तामतोनाम्। जनितादायि। बोरेजनि। ता
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पुथिव्याः। जनिताग्रायिः। जनिता। रियस्ा ।
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जनितेद्रा। स्छारेजनि। तोर४्द। तारवाभयिष्णोईप ९ श्र रश डे ४ ५. 2
Cu) ब्रह्मादेवा। नारेपद । बोःकबोनाम्। &
ट ४ ५ WT श्र षिविप्रा। णारग्मडि। षोष्टगाणाम्। Wary णा
२९४ ५४ रर १
रेरखधि । तिवनानाम्। सोमःपवायि। areata
* Ho Ate रप्र" रेखण० १९या०।
१अ०६ख्०४स्०१,१,२] उत्तराचिकः। ५७१
र , ₹२९ श्र UT आ्२यि। तौरराभविभा९५९न्॥(र) प्रावीविपात्।
९ ३ ४५ Rw Tt वा ९ च। मिन्नसिधूः। गिरस्सोमान्। पवमा । ९९४५ २ १ २२१२र २३९४५ श्र
नोमनोषाः। भन्तःपश्यान्। वजने। मावराणो। हा
१ रर १ उजनत्। भअतिष्टतायि। इषभः। गो ३४३। ge
जाभना९५६न्(२)॥ १ *॥ [र] ध्र 8 र 8 ॥ यज्ञायश्नीयम् ॥ सोमाऽ५;प। वाङेतारयिजनि
¥ १ र र ङ् ४ २९ ९ र ता। मन्तोनाश्जनितादिवोजनायि। ताहेपा्थां २ यि श्र र्
॥ व्याः। जना रेयिताग्न च्छेनि। तासूरदरौ। safe
९ आनिरेनदर्जनिपोताः १ ASU | तेनद्रस्यजनितोतारविष्णाड ॥(१) aut श्र UT द Al दयादेवानांपदवीःकवोनाष्षिर्विप्राणग्हायि। षो १ र ङ्
दमाम्गारेणाम.। श्येनो रष्घ्राणारखधिविवीनाना२ड९।
सो। Sas) area वायिषमल्यैता ₹ fate
# So Alo SHO YGo Lalo |
YOR सामवेदसंहिता [anor were get,2,2 |
९ र शर् x ङ् र् < भाग्प्रा। वोविपद्राचक्ग्ि नसिन्धुगिरस्स्तोमान्यवमा | ९ र॒र x
र १ र < नोरेमानारेविषाः। अन्ता रःपश्यन्त्रनने मात्र | राणा
₹ श x ररेभा। Safa तारयिष्ठा । तायिवुषभोगोषुर RT र १६६१
जानाड। वा३२४५८२) ॥ १० * ॥ [३]
XT र \ रर =
॥ श्यावाश्चम ॥ सोमःपवा। तेजनितामतार्वि
ASA! जनितादिवोजनिताष्टथा रेयिव्याडवा ९२३४।
R र देर र १९ Creer र्द ९ जनारेश्यिताप्र:। जनिनतासरिधाख्या ९। जाबितन्द्रा। zr १ १ र्र्
स्माजनितारर। तोवा। बा\म्रिष्णाईहावि ॥(१) द श्र १ . द् दवा। नास्यदबोःकैवा eases | ऋषिवि प्राणां
RT २ RR शद्
< मददिषोमुगा रणावा २२४। श्छनोदधन्ना। Tee
॥ २ ९ ९ ९ २ 2k धितिवेनानारेम्। सोमःपवामि । चामतिया२४बि। RT १
तोवा। राभयिभोईदायि॥(र प्रावोब्रिपात्। वाब `
@ Fe Ae रेदप्रण्१यअ्०्१०्सा०।
५अ०जख०१स्०१] उत्तराचचिंकः' ५७२
tT (4 | ब॒ श् =< win aarefaensare i गिरसस्तोमान्यवमानोमना R र 2 र १ TEV?’
र्यिषादवा२२४। भन्तारेशःपश्यान् । वृजनेमावराण र्द ९ ४ | 8
eft आतिष्ठतायि। वाषभोगोरर। पोवा। जा
AE UTA (२)॥ १६ *॥ [४] १८ दति सामषेदार्धप्रकाे उत्तरा ग्रन्धस्य पश्चमस्याध्यायस्य षष्ठः खण्डः ५ & ॥
अथ ठचत्रयामके सप्तमे खण्डेः, प्रघमदटढचेषु- प्रथमा |
९ १२९८९२२९ इ १ र १९६९
सधि वोवुधन्तमघ्वराणाम्पु तमम् |
२९ ९९९१ ९
WRAY TIAA ॥ १६॥
० Go ATO ९ श्र १ख०१९१सा०।
+ अन्नायन्नो यमम्निटोमौं साम'- इति fae |
‡ शदानौमुक्थानि'- इति चि. |
¶ ‘stoi ब्रह्मसाम afewe प्रियतम मब्डावाकसाम'- दनि fac | 9 Wo Wo t,t, ३, १ (भा० १२७४०) = WO Foo, 9, १०, at
५.७४ सामवेदसंहिता । [२०प्र०१अ०२०सु०२,२)
अध्वराणाम्” प्रहिंस्यानां बलिनां “ar” बन्ध “ayaa बलवन्तं [ विभक्धिव्यत्ययः ( ३, १, ८५) ] “aut” ज्वालाभि- वमानं “पुरूतमम्” अति चयेन कहममिनिं हे ऋत्ििजः ! “a” युयम् “ee” अभिगच्छत | उपसगं ुतेर्यो यक्रियाष्याहारः ॥१॥ रध हितोया।
Re शर ३ २९१६ ९ १९२९१११ २
अय यथानभासुवत्वष्टाङ्पैवतश्छा । ९२८ FR LR
अद्यक्रत्लावश्रदतः li २*॥
“अयम्” aft: “a” भरख्यान् “oe” विकर्तब्यानि “eda तष्टा ङ्पाणि वैकिरिव “यथा? येन प्रकारेण “श्रा भुवत्” भा भवति प्राप्रोति, तथेनमग्निमभिगच्छतेत्व्ंः। किच्च वयम् “se” भग्ने: “(क्रत्वा † प्रज्ञानेन aM: “वशथखतः'” यथखन्तो $ भवामेति ta: ॥ २
wa Sarat |
WT HRT 2 २३२११२९
अयं विश्वा्रभिशियोभ्रिहं बेषुपत्यते । सावाभैरुपनोगमत् ॥ ३१ ॥ २०
° He 0, ©, १०, ₹।
† (ला-तुतोयैषा षहो-ख्याने दर्वा कतो सति fae | t "यद्यतो यक्सा सम्पत्रस'--दतिं fre |
J wo Fo ०, ५,१०४।
UAT LGR) उलतरा्थिकः। ` ५७१५ मनुष्याणां “विश्वाः” wat: “faa? सम्पदः #* “दटेषेषुः' देवानां मध्ये यः “aay अग्निः ‰श्रभिगच्छति, सः अग्निः
A.»
“a? अस्मानपि "वाजः" wa: “उपागमत्” डपागण्छतु॥२।॥२०
र < १ 8 ॥ खारसेन्धुकितम.॥ अग्नि वोढ़ृधान्ताम् । अध्व
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राणाम । पुतामो | दोवारदायि ' आच्छा ary २३।
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सष्टोररथ्वा । खा५तो ईडायि॥(९ र्यं यथानशभाभवात्।
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त्वाष्टाद्पे। वताक्तायो। शोवाङ्दायि। शआस्यारकरा
त्वार३े। यशोरदेध्वा। खाभतोईहायि ne) wis
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आआमरभिश्रायाः। आग्धिहवे। षुपात्यानो। डोवारद्ा
॥ क, |
यि। भावारजायिङ्र२। पनोरेदश्वा। गाभमोरहा fa (३।२० ४ ॥ [१]
* 'खमिचियः-अभिश्रयकरमासखम्बनं सवं ्छाम्बनानिः-- इति वि०।
+ ‘afer देवेष भवति यदा अरखिभ्धां पत्यते। पत्यत इति शबग्दसः प्रबोगो न दोषः एति fae |
‡ Ho Alo रप्र Wo Rowe |
woe , मामकेदसंहिता | [३प्र*१अ०२०स्०१२.२।
॥ सचाकसाहियम् ॥ अपरा २४ faa See ।
च श द॒ दर . द :
HEA | शध्वराणाम्पुरूता रमाम्। भारच्छा। ना
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RAH, । WHR! वाहादेह्यि। खाररश्तोदडा
fang) अया ३४म्। यथानञ्राभुवत्। ओंवा ।
र रर १ र्
तवष्टाष्धपेवतक्तास्या। भारस्या। क्रार्रत्वा। वोर रष QT र 2 र दष्टो । वाद्ाडधरयि । खारदेश्तोददायि ॥(र) अया ३४म्। विश्वामिश्रियः। wtear | afye वेषुपलया
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रतायि। भारवा। जारश् । TA ATL वा
ार्टयि । गाररश्मोईडा यि() ॥ ११ ५ ॥ [२] Re
# Ho Ale (प्रण २अ्० CLSlo |
५अ०ञ्ख०्रसू०१,२] surfs aw: | yoo -
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९१ र ९९२९६ FIL RI FR?
इममिन्द्र सनम्पिबश्येष्ठममनच्थम्मदम।
श १ र RANT १ RF ३ ९३९ १६ र
प्ूएकस्यत्वाभ्यक्तरन्धाराकतस्य सादने ॥ १ ५॥
षे “am” “gaa” ्रभिषुतम् “ca”? सोमं “fra atE- शम् ? “aeR” श्र तिशयेन प्रशस्यं “ae” मदकरम् “श्रमच्येम्” भमारकम् [सोमपान-जन्यो मदो मदान्तरवत् मारको न भवः तौत्यथेः| तथा “wae” awe सम्बन्धिनि “area” we वन्त- मानाः “शक्रस्य” gaara सोमस्य “धाराः “ara” “श्रत्त- रन्” श्राभिमुख्येन सञ्चलन्ति at प्रास् स्वयमेवा-गच्छन्तौत्यथेः [ज्येष्ठ -प्रशस्य-शब्टादियसुनि “ल्य च (५,३.६१) एति छ्यादेशः। भक्तरन्--क्षर सञश्चलमे (म्बा०, पण) छान्दसो लङ्क (३, ४, ९)॥१॥
अथ हितोया।
२३ WR ३९ FF २ ११२
नकिष्टद्रथौ तरोदरोयदिः्द्रयच्छ a |
PRT २९ २९२९ १९
नकिष्ठानुमञ्मनानकिःखश्च्रानशे ॥ २ †॥
* we GTO ४,२, ११ (१भा० ००२ ४० Re Ho १३९४; ४। T ऋ बे० ६; ९१९, ९।
( ७३ )
1, सामैदसद्िता। [शप्रण्१अ०२१६्०३।
हे “oe!” “ag” यस्मात् लं “'हरौ"--एतस्स्न्रावष्यः®
यच्छसे” wa योजयसि, aay “त्वत्” ans: कचित् “atau” अतिशयेन रथवाम् “नकिः नास्ति (wa- घाम गण्वयुक्षरथाभावात्] “ला” ताम् “a4” ae “ara” [बलनामेतत् (निघ २, ९, २९) ] बलेन सथोऽपि “न किः” wafer “खण्ठः” strate “नकिः qrat” a og [ome बलाश्वयोरसाधारणत्वात् इन््रसषटयो बलवान् wWe- वान् ] लोके क्िदपि नास्तौत्यथः [न fayq—‘querary ष्वन्तः पादम् (८, ११३) एति षत्वम् रथोतरः- अतिशयेन रयो; तरपि “ईद्रयिनः"- इति ्कारान्तादेशः। यच्छसे-यमेव्यैत्ययेनामनेपदम् | SM — AYA CTT AT दसोल्य सर-पदाय्युदास्षश्च । WIAR—“winera (७,४,७२)" -श्ति WASTE NTH AS ॥ २॥
अथ aarat |
१ ९ श १२ R ९
इन्द्रायनुनमचं तोक्यानिचब्रवो तन ।
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सुताश्रमन्सुरिन्दवोज्च BHAGAT: ॥ ३ + We
* “ery दण्ड ^- दति ने वद्ध कम् १,१४,१। T ae बे०,१९,९. ४,४. ॥
४प्र०अय्व॒०रसु०१,२,२] रउस्तराचिकः। ४७२
डे ऋविजः ! “न्द्राय “aa” प्रम्" “aaa” पूजनं Stal एतदेव सखषटोक्रियते- “उक्थानि अप्रगोत-मन्त- साध्यानि शस्त्राणि स्तोत्राणि च “attaa’ gal “gan” अभिषुताः इन्दवः" सोमाः त्वाम् “saa” आगत मिन्द्र मत्त कुर्वन्तु, अनन्तर “ae” प्रशस्यतमं “सदः” avfaa बलव- न्तम् तमिन्द्रः नमस्यत नमस्कुरुत [ब्रवौतन-त्रवौते लोटि ““तस्तनततनवना ख (9, १,४५)- इति तमबादयः | अ्रमल्ु-मरदौ WH Flows ) छान्दसः प्रायंनायां लः, भ्रागमानुथासनस्या- नित्यलवादिड्भावः। नमस्यत-“नमोवरिवञि्रडः (२,१,१९) शति wei सहः-““युगकारेकाररेफाच वक्तब्याः-दइति AAMT लुक्॥ VU
₹ १ ठै ४ $ च
॥ वसिद्ठप्रियम् ॥ इममोर२। द्रसुतम्पिव । ज्येष्ठा | ® 2 6 ष् | म्। अमारे््तायन््ादारम्। शुक्ताख्यत्वा। भिया % ४ १९१ ₹ श ५ २ श ५ QTV । धाराभोरट्श्वा। आरा भोररथ्वा।
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स्यसाभदनायि ॥.१ नकिष्ट र२। वद्रथोतरः। wea श
यदोदृन्द्रायच्छासाटयि। नकायिष्टवार। नुमारश्मार४
+ (्नकराङेनि चतबोः fetal zea, रनदरम्'- इति fae | + ‘oat निखितम्'- दति feo
Ute सामवेदसदहिता। [श्प्र०१अ०२१घ्० १,२,१।
५ १९१ ९ | ५ १९३ ५ . ४
ना नाकाञओोरदथ्वा। सूवाभोररेध्वा। आश्राभनशा
१द् र ५, ४ ४ ग् १ यि NR) इन््राया९३ । नूनमश्च । तोक्धा । निचारत्रावो . र १ श ५ श
तानार। सुताञ्नमा२। BORAT nla ¥ १ 2 श ४ ४ 8
२ 8 Sraleszal | नामाओोर्च्छ्वा। सखयताभ्सदाः। et ५१९। डा(३)॥ con [१)
श र् र श् ॥ आअआसिताद्यम् ॥ इममिन्धसुताम्। पिवा। ज्येष्ठम afta च १ म्मारददाम्। शक्रा रस्यालार२। ATTA] | श र १ ५ ४ @ धारारशआ्नार। YAATSATLWwAT! दाभनोहदा । १९ ₹? १९१ ष् द् यि we) नकिष्वाद्रथायि । तरो । इरोयदि द्र यच्छारेरेसा ` श , g far नाकारयिष्टेवा२। नुमञ्मना। नाका रयिसूवा १९ RX R a ४ u १९ श २। शश्मोवारभोरदश्वा। नाभ्शोर्हायि॥ इदा
VTL ब् < र् ए यनूनमा। चता। उक्धानिचत्रवोतारद्ना। सूता
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५अ०जय्ब०२च्०१,२,३] उत्तराच कः | ५८१ |. . |, . श wale व्यरिन्दवाः। ज्यायिष्ठारन्नामारे। wat R g + 8 ५
ATS ARVA | खाभदोदंहायि() ॥ १७५॥ [र]
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॥ गौरोवितम् TAL इन्रार। सुतम्यिवा। = © : प ह । SSAA MPAA | शकस्यता३१२३ । भिया५च
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रान्। धाराश्ता३१९३ | स्यसोवा । दाभनोशदायि ig)
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ट र् ॐ . ररयि। नाकिष्टवा३१२९। नुमा५ञमना। नाकिसुवा
४ र् ह र २१२३। शभोवा । ना५शोईहायि ue) इद्धा । यन्३। ब् श्
ATTA! उक्थानित्रवोननार३। सूता्मा३१२२ |
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तुरोप्रदवाः। ज्यायिष्ठन्नमा३१२२। स्यतोवा। सा५ ४
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© Ko Alo र२१्र* शख wosio | T Ho Ale Wo (Go wzglo|
१८२ सामवेदसहिता । [शप्र०१अ०२२स्*१।
अथ ठतोयदढच- प्रथमा |
१९ ९१६९२९९१ रे 2 ९२ इन्द्रजुषसखप्रवद्दा यादि्रहरिह | १ ९ ९९२१९९११ र्र् 2 रष्क ११ R
पिबासुतस्यमनिन्नं मधोश्च कानश्चार्मदाय ॥ १॥ यानि मया हर्वींषि euifa तानि “प्र वद” “श्रा याहि arr “शूर वोयेवन् ! उप र्गा चरा शि-" “हरि [अथवा इरितवणी हया यस्य स॒ हरिदयः, तस्य सम्बोधनं क्रियते-हे रिह ! छान्दसो यकारलोपः] “पिबा” “qae” सोमस्य उप-. सगौ्राणि-“मतिनंमथोखकानः „ ares” शोभनः “aera”
भक्षणाय ॥१॥
° ष्ूदानौ चतुयैःडमि Wert भवति। तद्य wear: मदान् विचारः दृषदद सख समभवता नित्यारभ्य मदान् fray facrretqa: aafe'e- ewafe qa भवन्ति। तमुपसृत्य परवहादौनि उवसगा्राकि निरूपतं । तथा सति आदिश्रयाशं पादानां Wife तोखि उपखबा्राणि पादाकष् भवनि'- षति fao raw—
- प्रथमष्दिं — “sere”, “efcw?, afert” —e fer मव, fer tatey — “rare”, “festa” “ea” इति नव, ठतौयचि- “Faata” “afer” agar” एति मव, fee mente चतुथेपदादौ च “मधोर्खकान"- एति सप्त, सदित्थ opera अतसि दपसमाशराखि सम्ययन्त | आब चं seh” Sarat —taay frag eta a wy वडविचारश सम्पादितम् ॥ + “aretenfaw: (९ २ ११५ }"-एति दोषं :।
४अ०ञ्ख०३सू०२,३] उत्तरार्धिकः। ura अथय featar
१९९१९११२ १२२९९९१६ २ 2 र
इन्द्रजठरननवयन्नपुणखमधीदि बोन ।
श २९२२ ९ १२ ९ १२९ ए १ र
भस्यसुतस्यखाऽरऽनापत्वामदार्सुवाचो अश्युः ॥ २ ॥
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Saag!” “जठरम्” उदरं “नव्यं a” नवतरं “Twa” que “मधोः मधुरस्य “दिवो a” “se” सोमस्य “gaa” भि ८८. ~ 09) SN 66 ” ata wiugae “aq” सखगस्येव “sa ल्वा” उप समोपे लाम् “मदाः” “gare.” शोभनवाचः “span” स्थितवन्तः ५२ ॥
अथ Sarat | ९ 8 2 रे ew ee eee द नद्रह्तुराषापमिजोनजघानद़च'यतिन ।
BRIAR ९२९१९१२ 2 ९१९१९ ९
विभेदबलम्भुगृन्नंससारेशचृन्मदेसोमस्् ॥ २ ॥ रर
“a: तुराषाट्” [तुरि सौदतियःसः तुराषाट्] “मितो a” faa इव “जघान” “ad? wa’ “afaa’—eugal- चराणि “fate” faa “वलं” बलोनाम दानवस्त बलं “अगुनं” जोणि चख पदान्तेषु ठपसर्गा्तराखि भवन्ति “ware” सहितवान् “aya” “मदे” way छते सोमस्य तथाच निविदापदे विहतस्य षोशिनः। we a2 जरित इत्यारभ्य बहनि वोययुक्तानि कर्मी खि ॥ ३ ॥ BR
“ canta बाद्ानं विवरखहत् रतान् कृतमेबेति गाबयोिंडेषः।
` ५८४ araaeafear | |[श्प्रग्१अण०२श्सु१,२.३।
ॐ Y शद्
॥ गौरौवितम्* ॥ इन्द्र । TTR! ANT श्रा
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8 । ॥ 8 | ऽ ५मधोः। बवाकानखा३१२२। स्मवा। STUART
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# 8 fa.) इन्द्र । Stel THAT! पणखमधोदिं
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|, वोना२३। अस्यसुता३९२३। स्यखर््राभपा। त्वाम इ शे 8 दाःसूदश्रहे। वाचोवा | WTYLE STS ॥(२) इन्द्रः। धर् ४द्
तरार । षाण्िराना। जघानवु चर यतिन्नौर३। बावि
र् १ << 8 ब्
ब् भेदवाह१२२। लंभुगन्ना५ससा। चखेशवन्मा३१२३। दे
सोवा। ATV VAS) WR † ॥ [१1२२ दूति सामवेदार्धप्रकाओे उत्तराग्रन्यस्य पञ्चमस्याध्यायस्य सप्तमः खण्डः non
५ “नौरोवौतम्"--एति Bo Jo पाठः) { He Alo We (Go r2Gle |
५अ०७८्द्०३सू०१,२,२] उस्तरार्धिंकः। ५८१
धेदाथंस्य प्रकाथेन तमो हाई निवारयन् | षमथांतुरो देयाद् विब्यातीधे-महेष्वर्ः॥ ५ ॥
॥ दति ठतोयस्यादः-प्रपाठकः+॥
दति ग्रौमद्राजाधिराज-परभमेश्वर-वेदिकमागप्रवर्तक- खोवोरबुकष-भूपाल-सास््ाज्य-घुरन्धरेण सायणा- चार्येण विरते माधवीये सामवैदाध-
प्रकाओे उल्राग्रये पच्चमोऽध्यायः॥
© श्टति तृतौय-परपाठकद्य पथमादंः। WEA: परिसा" एति Fao) ( ७४ ) |
यस्य faufad ter यो बेदेभ्योऽखिलं जगत् | faa तमहं वन्दं विव्यातौध-महेग्वरम् ॥ ९ ॥
॥ अथ षष्ठोऽध्याय मारभ्यते I a4, गोवित्पवखेलि प्रथमे खण्ड —
प्रथमा |
२ ९ २९
गोवित्यवखवसुविद्दिरण्यवि
१९१९ Ve २२९१६२९ द्र तोधाइन्दोभ्ुवनेपिंतः २ 8 १ २ 8 29 त्वसुवो रो अरसिसोमविश्वविन्त- १ शश १२ श्र रेद् न्त्वानरडपगिरेम आसते ॥ १ † ॥ द “ce” सोम ! तं “cae” ae कोटस “जो वित्"¶ गवां लब्धः, “वसुवित्"”§ धनस्य लग्रः," हिरख
° ‘carat पच्चममहद्यते'--इति Zo!
† Wo So 0,2, Ue, ४।
‡ ‘wae पूयख'- रति fae |
¶ ‘atfaq—arey य्य fren ख गोवित्'--ष्ति Faro | § agfaq—ag ww तेन ae —tia fro
६अअ्र०१ख०१सु०२] उ्षरा्चिकः। धट
faq's हिरण्यस्य aaa, “Care” रेतखदक तस्य धातो. बधीनां यदा रेतः प्रजनन-सामघा' तस्य धारयिता “भुवनेषु” उदकेषु “शर्धतः; भी सोम! कौटशस्व ! “सुवोरोऽसि" भोभनवीर्योऽसि भवसीति, “विश्ववित्” सर्वस्य वेलासि।
यस्मादेव तस्मात् aed “त्वा” लाम् “शमे “मरः नेतारः
“N99
“farcry” WAIT “saTaq gq ॥
“ace”-fant:’ —“afa arate ti
अय fealat |
३ १ शे 8 Rk 2 तवनरुचक्लाञ्रमिसोमविश्वतः १ 2 ४ 2 श्र शद्
पवमानबुषभताविधावसि |
११९ Brea eer ह ९१ सनःपवसखवब सुमडिरण्यवद्वय ५ २ 8 १२ १ १९ र
स्यामभुवनेष् जवसे ॥ २ ६॥
@ -दिरण्यवित्- -दिरष्यविधिष्ट वसु"-दति fro |
+ 'सुवौरः--ष्योभनकेरः--ति fz |
t a@c—wrast.’—tfa fao |
q ‘eqega—oa समोपे far wrad, समौपे उपविष्ष निरा ख, freewet aver इमे ered ofa arer’-—chy fac |
§ we Fo 9, ३, १९; By I
gcc सामवेदसंहिता [श३प्रभ्रेमर्१सू्०३।
भो “सोम ! ” ख “finan” सर्वतः सवषु “quay”? “चचा असि" vat दरष्टा भवसि ।. हे “पवमान” पुनान सोम ! “saa” wat वषेक ! “वाः” wa “वि धावसि” विविधं गच्छसि, स त्व “नः” अस्माक “पवस्व ' चर किख “वसुमत्” बडुमिवद्धभिवासकीर्गवा दि द्र्य क्ञ, तथा “हिर ष्यवत्"” weft: हिरण्यय wii saw वसुभिहिरण्छोय amt: “aay” लोकेषु “mae” जोधितु प्रभवः “ara” waa
रथ salar |
हे २ UC Vw Re शे देशानदमाभवनानिशैयस
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युजानःन्दो रितः TI: ॥
१ शे र ९ रे र श्छ 8 AT RAAT AYA TAA १२११२ ere
सतवत्रतेसोमतिषठन्तुकष्टयः॥ १२ ¶ ॥ १ डे “इन्दो” सोम ! "देशान: wie खामौ त्वम् “ear” इमानि . “मुवनानि'§ भूतजातानि “tae” गच्छसि (te
* भ्मुवनेषु- भवनानि चतु भ'- र्ति fare । + नृचक्षाः नृरां चचम्तः'- रति वि०।
t 'नः- खखमभ्यम्- इति fae |
¶ Wo व° ७, १,१९,२।
§ 'ुग्णानि-चतदब-एति fare |
He Hol Bol,2,2] suufes: ॥ ४९.
गतो (feo wre ), “दिवादिभ्यः श्यन् (२,१,६९)-दति श्यन् ]। किष्ुवन् ? “इरितः” हरितव णौ; ““मुपर्छ” सुपत- ना््ाश्वा रथय जानः” योजयन्, “ताः "ETE: “ते” तव सम्ब- ज्धिन्धः“मधुमत्" माधुर्योप ततं Sa “पयः"उदकं “चरन्तु हे सोम! तव “व्रते"कमंणि तिष्ठन्तु “कषटयः'+* aqar: wa ईयसे" -“वोयसे"- इति पाठो॥२॥ 2 seg ४ 2 ४ द
॥ दिरभ्यस्तं लोशोत्षरम ॥ गोवित्यवखवसविङ्धिर।
९११११ RT र
एयवायित्। प्यवार३४५यित्। रोतो३१९३४। weet
१ ₹ ९ र र रद yaa पिताःपिताः। तुवा३९२१४म्। सवीरोभसि R रे
सोमविं । श्वायिच्छवायित्। anaes नरप
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fac मश्रारसाभता६५६यि nq) aqaarafadt
मवि। aA । अतारर९५;। पवार१२२४। मानवुष . १९ १ र 2 रे ® भताविधा। वसायिवसायि। सना३१२३४:। पवखव अर RES ९९ श्र र तुमद्िर। प्यवाण्टवात् । वयाे१९३४म् । स्यामभुवने । 8 धेर TRB AT BUT Sorefreramgyef@ ॥(र = रशानदमाभुवनानिर ।
* “हषटयः- कवय : पण्डिताः मेधाविनः" इति fae |
wee araateafert! [श्प्रग्रेअण्सु०१,२,३)
१९१११९१ श र यसायि। यसार४५यि। युजा१२३४ । नटन्दौ रित १ 2 श र. श्र शे सुप। णियाणियाः । तास्तार९२३४ि। क्षरन्तु मधु १२ १९ > श र श्रद्
AAT! पयाःपयाः। तवाई३९२३४। व्रतेसोमतिष्ठ |
त्कार्टा५या९५६९३'॥ ० *॥ [१] रर ९ श ९२१ ॥ श्येनम् ॥ गोवित्पवखवसुवाथित्। शाररेयिरा । श्र र 8 ९ Wag तोरेभाउवा२। धाद्या | दोभवनेषुबार्पायि श्र 8 ताः। व्वशसीहडो। atfacrwarsesares it सोम ९ भा। विश्ववित्तन्वानाररारः। sated गायिरेम ९ R RR ९ २१ रद रे श्रार१वा२२। ए२। AAT le?) त्वन्न चक्षाञ्सि शद एर सो। मारेरवायि। श्वातःपवारश्डवारर। मानमा । <
वृषभताविधावासायि। «AAAI | पावखवा३१९८बा ९ 8 र
२२। सुमदा। दिरण्यवदयारस्याश्मा २। wate
° Ge Alo न्प्र" रख. agio |
५अ०१ख.रसु०१] उक्लरा्िकः | yee
१ द् र RRR त र UIT ATPATTSTISYSATRS | ए२। वसञ्रारे२॥(२) इ शानदमा ₹ १ R १९ र ९ श्र श र
WIM | AST । यासेयजारशउवार३। नादया । Xz ई \ दोहरितःसुपार्णायाः। तास्तौश््ो । क्तारन्तुमा३१८बा २९ श श एर $ 2 २३। धूमदा । घतम्ययस्तवाब्राश्तारयि । सोमौरदो ।
९ २९ ९
सायिष्ठन्तुका३१उषा२३। VI | एयञ्मा२९८३।।६८५॥ [VQ aq हितोयटचे- प्रथमा)
Rk 2 १ र पवमानस्यविश्ववि्मतेसर्गाभश्टत्तत | १ र श्र ट १२
सूयं स्ये वनरश्छयः ॥ ९ † ॥
= “विश्ववित्” विश्वस्य द्रष्टः सोम ¦ “पवमानस्य ATA: । >, 49 ® €€
ते" तव “सगः” खजामाना धारः सुयस्य किरणा wa प्रकाशमानः “a’—sfa way |
सयस्येव cea.”
इृदानो “maa” प्राखज्यन्त ॥ ६॥
@ He Alo waste (Go Coure | + Wo 40%, १, ३७, २। + 'समाः-ङष्टवः उदकसङ्काताःः- दति fao |
YER armaeafeat: [ame yworget |
aa featar |
९ ९९ ₹ श्छ ९१२ ९१ र
केतुः एन्दिवस्यरिविश्ापाभ्य॑सि ।
श १ शे VAS AAT TT he *॥ Sata! “aqz’ > समुद द्रवन्ति यस्ाद्रसाः स समुद्रः स लवं “केतुः ward “कगवन्” कुवन् अस्माकं “far रूपा" विश्वानि earfa “fea’q wafeary “भ्रभ्यषसि'”§ अमि पवसे “faa” नानाविधानि च धनानि अस्मभ्यं प्रयच्छसि ॥२॥ अथ द्रतोया।
| 8 Rez Re १ र जन्ञानोवाचमिष्यस्पवमानविधमथि।
१९ ३ UE र्द कन्दन्देबोनसु्ं; ॥ २ | २ डे "पवमान" सोम! “देवः म सूयं; Daa: सूयव “rata” प्रादुर्भूत “विधमंखि"” विधारके%% दथापविभे “eq” ध्वनम् “वा चम्” शब्दम् “safe” प्रेरयसि ॥
* qo देर, १, 29,85
+ “भद्रः--खमुद्रमूमल्वम्- इति वि०।
$ Sigua’: तम्--एति (ae |
q ‘feraf—a gisatafc—tia fae |
§ ‘aN fo—eifeqal sa रचसि- दति पि०। || We Fo 9, ९, 20, ४।
4५ ‘fawyfe—fafaq कमेखि'- एति fao |
९अ०१ख०३सु०१,२| safes: | ५९३ “जच्नानः”-“हिन्वानः' —afa oral, “area? “sear — इति quan? प्रसोमासदति aay ठ तौयं सक्तम् ;
ad, प्ररमा i ९ १? र 2९ र प्रसोमासोञओ्धन्विषुःपवमाना सटन्दवः।
२ 3 १ PUTA ATTA ॥ १ * ॥ ^पवमानासः"” पूयमानाः “इन्दवः” दौप्ताः “सोसासः' सोमाः “प्राधन्विषुः” [धन्वति गंतिकमौ (निष २,१४.९४) ] प्रगच्छन्ति faa “योणानाः' गोभिः खयमाणः “sag” वसतीवरीषुथुः “saa” गच्छन्ति [ व्रज व्रजो गतौ (्बा०,प०)] सम्पच्छा भवन्तोत्ययः Cam? -"“खजन्त"”--इति पाठो ॥ १।
अच हितोया।
श tt शर् ३ श३ १९२३ रे अमिगावोषधन्विषरापोनप्रबतायतोः। श qr रेद्
धुनानादन्द्रमाश्रत We git
ॐ we Wo ६, ८, १४, १। + "अशानाः-ग्रोरगं मिश्रणं, मिश्रायमा णाः'--इति fae | ‡ "अप चु-सपम्ा बडवचनमिदं तृतोया-बडवचमसञ साने ENT, afg:—tfa fae}. ¶ we 406, 5, 08 Uh ( ७५ )
wes araaedfgar । [ander Wo HOR, 8
‘na? गमनशीलाः# “wea” सोमाः “af we frag.” दश्ापविव्रमभिगच्छन्ति। किमिव 2 “ona” प्रवकः वता देशेन “aah” गच्छन्यः “श्रापः a.” आपदव Tf, TAIT “gaia”? “इन्द्र” प्रणोयितुम् ATTA व्याप्र वन् ॥२॥
अघदतौवा।
zt श्र ११९ श
प्रपवमानधन्बसिसोमेन्द्राबमादनः |
१ ९९ १द्
मृभियं तोकिनोयसे ॥ २४ ॥ ड “पवमानः सोम ! “sara” wee “मादनः” arefaat ५ ““प्रधन्वसि" प्रगच्छसि पविच्रम्। तदेवाङ--“कभिः'” waht ऋंलिग्धिः “यतः” सष्ौतः र ^“विनौचसे"8 हविश्चानात्|
“माद्नः--“पातते- इति पाठो ॥श ॥
9 जावः--खादित्यरश्छथः उढकानि सोमरसा जावख्'--इति विर |
+ quite awe SoHE घः STEN “प्रवता यतोः” वथा Tee चाषो avafen तद्त् सोमेन अभिषूयमारेन मावो चन-घाम्ब-देवताख्च प्रवरा भवनि, तख पुनाना caer — दूति fro!
t qe Fog, ८, १४, ९।
¶ "वसः मियतः संयत इति rag, खथवा सस् बन्धने waite: लोजवद- नेनः- इति Fao |
§ “विनौयसे--विविध Mae’ —tfa fae
| weet पव मान प्रधन्बसि rat अतीन्द्पानाव तद्वेः इविभोभात् विभौषरे
दूति न्व SSRI STS |
९अ०१२८.०शच०४,५] THU | ५०१५
मघ चतुरी | ९९ श्रर्र ९२९१२ Ve २ दन्दोयदद्विभिःखतःपविचम्प्रिदौयसे।
१९ १९ war र अरमिन्द्रस्यधास्रे ॥ ४ *॥ डे “दन्दो” ल “ag” यदा “afefa:” arafa: “बुवः अभिवृतः “afaa’” दशापविव 4 “परि दौयसे" परिगच्छसौ- ae | तदा “gare” “area”? खानाव धारकायोद्राथवा Say” पयोऽसि ॥ “"परिदौवसे'"--““परिधावसि'- इति पाटौ॥ ४, परध पश्मो |
हे ९१ २३ UX तवदसोमनुभादनःपवखच्ष॑योधुतिः। ₹ ee ₹ श ९ R UMA IAAT: ॥ ५ ४ ॥
हे “सोम |” “saree: मुखां मादविता “चष शौष्टतिः” wadifa: afafia: प्रजाभिः wae “पवस” “a” त्वं ‘afe:” शदः “aqara:” wag स पवस ति समन्बयः #
“ख णोति” -“खषणोमदह "-- ति पटौ ॥ ५॥
* Woo ६, ८, tz, ४।
† “वविवः परिदौवसे-ददितोयैकवचमभिदं वष्ट कवचन खमे द्र्टयम् ufaaatufc दौयखे'-- दति वि०।
‡ wo We ६, ८, १४, ५।
¶ “अन् माद्ः-- वख पञ्चात् देवता माख्यक स खनुमाद्धः- दति fae |
५९६ सामवेदसंहिता । [प्र०२अ०१स्०६,०)
Ta qet |
९. श ९९९ ९ १ ₹ CLR
पवखडचशन्तमउकथ भिरनुमाद्यः। २ : द॒ र्द
प्चिःपावको अङ्भतः ॥ ge ॥ डे सोम) “guema:” wy णामतिश्चयेन हन्ता लं “पवस” me! कौटशस्वम् ? “ङक्येभिः” wer: “aque” era: “sia” wep “पावकः” were ahah aga’
ARTI, एवं महानुभावः पवस्व ॥ “ठवहन्तमः"- “ह ब्रहन्तमः?--इति पाठो ॥ € ॥
अथ सप्तमो | ९१२ Vl २ शरद र पूरुचिःपावकड्च्यतसोमःसुतःसमधमान्। ड १ रे
द वावोरघश्ध्सद्धा ॥ 9 § ॥ ३ | ga अभिषतः.मधमान्" माधुर्या पतः “सः सोमः “शचः wa we: “पावकः” Muara sea तथा “देवावौः” दैवाना-
@ qe Weg, ८, १२४, ६।
+ ‘ghq:—ata.’—tfa fao |
‡ 'पावकः- पावन ware: —tfa fae |
q ‘Wh: — STE: mat डिनोयःः-इति fares § we ae { ८, ts, 0)
Cworgorqoe|] ठउत्तराचिंकः। ५९७
मविता तपयितार “अरघससष्ा we पापं शंसतीत्यचशसा
असुरा स्तषां शन्तेति चोच्यते ॥ “शतःसमधुमान्"-““सुतस्वमध्वः"?- इति पाठौ ॥ऽ॥३
© इति सामकेदाधप्रकाये sutra षष्ठस्याध्यायस्य प्रयमः खण्डः ॥ १ ॥
भध हितोय-खक्छे- प्रकविरिति are प्रथमं सुकम्; तजर, WHAT | ९ ९९१२ ९२९१ १२
प्रकविर्देववोतयेव्यावारंभिरव्यत ।
९ १ रर RUT श्र
साङानिश्वाभमभिस्पृधः ner
“afa.” Sart सोमः ““देवतौतये'' देवामां पानाय “wear वारेभिः” अविसम्बन्धिभिः वाले; दशापवित्रे ण॒ “aaa” sara प्राप्यते, “साद्भान्” गन्रां साढा सोमः “fara; खधः" सर्वान् सङ्कामान् हिंसकान् वा भ्रभिभवतोति ओेषः ॥
“भव्यावारेभिरव्यत"-““परव्योवारेभिरषति*- इति पाठौ ॥ १ ॥
° देवयोः देवानां भचलमूतः'- दूति fa | † Wo व° ६, ८ १०,२। ‡ 'खाङान्--साथन-खमावः- दति fate ।
yer armazefeat । [gwen western i we हितोवा ।
९दर श्र 2 2 र Re २ ₹ १९
सडिक्माजरितम्थमावाजङ्गोमन्लमिन्धति |
tz ६ ९
पवमानःसदक्िणम् ॥ २ * ॥ “a fe wr” स खल “पवमाणः' सोमः “जरिढम्यः" स्तोठभ्यः “गोमन्तं” ““बडइभिर्गोभियुं ल “सहस्िख' सहसर-सहयाक गः "वाजम्?" अतरम् “err” wifiqara “इन्व ति व्याप्रोति wa- च्छ तीत्वथ; ॥ २ ॥ |
अध ठतोया |
१९१९ ९ ९ १ र i
परिविश्वानिखेतसागन्यसेपवकसेमती |
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सनःसोमःश्रवोविदः॥ १ ४॥
शे “सोम!” a aaa’ खौयेनास्मदगुकशेन feta “विष्डानि" सवांणि धनानि “मतौ” मत्या अखत्सुत्या
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“gma” दशापवित्रेण शोधष्यसे। ततः “पवसे” रसं ache |
° mo वे० ६, ८, ९०, VI † “खरखिकं -पघडख-पोषर-समथेम्ः- इति fae | ‡ Wo de ९०८ YO, ३। %
९१०२७ ०१य्०४,१] छत्तराचचि कः | १९९ `
wae: “a.” तवं “नः” भस्मभ्य खवः" भन्न “विदः खेष्टोति शेषः ॥ | “मच्धसे'" -खशसे"- इति पाटो ॥ 2 waaay । श्वरे २११९ AUNT Aw दर् WAG UTM AAT Y TAA! १९९ श १३ et र
दषरस्तोढभ्य्माभर ॥ ४ ४॥
० ६6 9 $ 0 ४ ४ ema 1? त्व ^ EUs यशः "महती कोत्तिम् ‘ अभ्यर्ष ' अमि- गमय, “Hare” इविद्मद्वयः ग॒ अस्मभ्यं “घ्र वं”ई रथिं “wa” च भभ्यप। किञ्च “दषम्” wall “स्तोठम्यः” असभ्यम् STAT TET ।॥ ४ ॥
अथ पञ्चमो | ext ver ९९११ श. त्वराजे वसुव्रतोगिरःसोमाविषेशिथ।
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पुनानोवङष, त ॥ ५ tt ॥
* (अवः खन वला वा-इति fae |
† “बिदः-विष qr, fequrerd, विद् सायाम् । अकालाभकरः'-इति वि०। ‡ We वे० €, ८, to, ४।
q ‘aargrt बलमानेभ्वः- इति fao |
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॥ “इषम् war fe ar —tfa fae)
०* "खो तम्यः enw: — इति fao | tT Wo वे० ९, Sto, ay
Goo सामबेदसहिता। [x aexte sao {,०.१।
डे “as” aweate: ! “aaa ’e “aa!” “gaa” सुकमां “पुनानः @ “राजा a” “गिरः"'रख्मदौोयाः “स्ततः “श्रावि- afaq” श्राविश्सि॥ yn
अथ el |
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सर्वान्दिरण्सुदुटरोष्टज्यमानोगभस्लयोः।
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सोमश्चम्षसोदति ॥ ९ + ॥ a” सोमः Cafe.” यन्नादेर्वोढा “oe अन्तरिक्षे वत्तमानः “eeu दुःखेन . अन्येम्तरणोयः “ज्यमानः'' Wear: nea” हस्तयोः wan सन् “way” पात्रेषु “"सोदति"¶ु ॥ en रथ सप्तमो
RP RIT शर ३९९१
क्रीडमेखोनमरुचयःपविचधसोमगच्छ सि ।
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SUMMA सुवोय्येम् ॥ ७ ६॥ ४
° “ख दतच्यम् तप, व' --ति feo |
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¶ “चमूषु सौदति-भचकोेयेषु तिष्ति'- दति fae t
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. ° fa * ९अ्रन्रेख*रसू०१] उत्तरा्चिकः। १०१
डे “सोम !” “aie, क्रोडन-गौलस्ब' “मं इय ः** [मं इति- दानकमां ( निच०२,२०,१० ) दानेष्ुः “मखो म दाममिव “पविः” “गच्छसि” । fa कवन् १ “Ent” स्ततिकचचं 0. त J चके ष्व “gata? शोभन-वोयं' “दधत्” प्रयच्छन् ॥ ७॥ ४ wa यवंयवमिति चत्ऋवं दितोयं सूक्त; तजर, प्रथमा!
११९ , २ १९२ ३१२३९१२
यवं ATH AMAT GSR SA Cae |
2 ९ र विश्वाचसोमसौभगा ॥ ९ ॥ ङे “सोमः! त्वं “नः अस्मभ्यम् “वु पुटम्" अत्यन्तः बहलं “यवंयवं” एनःपुनधुं तं रसम् “ware” अनब्ररूपया धारया “afeera” चर [तच प्राथयितुस्तृष्ययात्यन्त' पोडितलवात् “ज्वा च ( ८,१,१०)- दति दि्भावः। भ्रावाधनमाबाधः पडा प्रथो घर्मो नाभिघे यधमं इलयुकषम् ] । अपिच “विष्वा विष्ठानि “सोभमगा'§ सौभगानि धनानि परिस्रव असभ्यः
प्रयच्छे BA: Ue a बब @ मंदयुः-पूजयुः खथवा सयः पुलाकारः- षति वि०।
† Wo qo 8, १, १२१ RI + भ्परिखवसामान्वा पष्ठिः चमघान्यादिना anfaa} पुटि dafaar-
fear —tfa fae | ¶ "यवं--खभ्थासे भवामः NVA | यवं wiafandt बर्{रोररेभ्यो डत
waa ’—cfa fae § “सुपा gat (9, ११ ge)" — tala ङ्प्रम् |
( ७६ )
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oR सामवेदसंहिता [aaoaqe ५स्०२,२ ।
sy हितोया। ९९ २६२९२ ९१२ र ee
इन्दोयथातवस्तवोयथातेजातमन्धसः। २९ ९ २ 8 निर्वद्िषिप्रियं सदः ॥ २५॥ हे “दन्दः सोम ¦ “aaa.” अत्ररूपस्य “aq” सम्बमौ “स्तवः'” स्तवनं Map तथा“ ते"तव “यधा जातं” यथा प्रादु- भूतमस्ति, तधा लवं “प्रिये” wafaafe “aiefe” away “fa सदः निषस्षो wai 2 i wy aalat | १२९ ९२ शर्ट रद १ १ रे उतनोगोविदश्रवित्पवखसोमान्धसा | ९२. 2 र रे मकच्ततमेभिरहमिः ॥ २१ ॥ Coq’ afag दहे “सोम ! '” “नः § अस्माक “गोविव्ः गो ne: “wafaq’ wares dee “aqaafa” weaaa अतिशयेन ata: “ब्रहभिः'" श्रहोमिदतुभिः “saan पवस्व”
अदरू्पया घारयाप्तर॥२॥ ° (लव खवः [क्रियते खो न-गस्नाककः' --दति बि | † Wo Fo, t, t®% VI + faq —farrcra’— दति बि०। 4 मः-अचन्यम्'- स्ति fae ६ we Ao, १, १२, २। \ “जोवित्-गोमान्ः- इति fae @^ “खग्वित् - esata’ —tfa fae |
EWRTVWot] Saf sx: | ६०३
भथ चतुर्धो।
2 ₹ € र RT VR १२३९ श
योजिनातिनजो यतेहन्तिशच wala |
१९ सपवख Iwasa ॥ ४ *॥ ५ दे “avafagq’ भसहयरात-णव्रणां जतः ! ¶ dra! “यः भवान् “जिनाति""शवन् जयति खयं wa भिः “न जोयते" प्रका- रान्तरण॒तदेवाह-“शत्रुमभौत्य“स्यमेव शच्रमागत्य “हन्ति किन्तु तेन न न्ते शति गेषः। wag: स त्वं धारया शर ॥४॥ ५
अघ Sama alarm -- प्रथमा |
२ र १ र RR tc रब 2 2 2 यास्तं धारामधुश्चु IANS ्रमिन्दजतये | १ श श २९१ रे लामिःपवि चमासदः ॥ १ ४ ॥ a wey सोम ! “aaa “Ayal तः"म्धृर-रसस्य खोत- fran: “av”? “aren” “aaa” सच्तणाय “aaa” व्यन्त "ताभिः" धाराभिः लवं “afsan’g “श्रासदः'" orale ue
* We FOO, १, १२, ५।
† “ख पवख सङकजित् पसडखारां जेताः- दति fae | ‡ Woe ©, १, २५, VI
¶ "निज -दश्ापविचम्'- दति fae |
६१४ सामवेदसहिता। [शप्र०रअर९स*२,९। we हितौया।
११९९९ रेर १ ९
सोग्र्ेन्द्रायधोतये तिरोवाराण्यव्यया |
९९९९ RW VR
STATE AT ॥ २ *॥
डे सोम। “सः” अभिषुतः त्वम् “व्यया अविमयानि “arate” वालानि “तिरः” तिर्कर्वम् “ware” awe “योनिं” acer दशथापनिचम् “ate? च्ाभिमुख्येन उपविशन् “cera see “Alaa” पानाव “aa” चर ॥
“"कऋहतस्यसोनिमासौद न्” -“योनावनेषु- दति पाठौ ॥२४
अवं Salat |
९ ९१२९ १ र
त्ररुसोमपरिखवखा दि छोच्ङ्गिरोभ्यः।
९१ शर् दृद
वरिवो विहूतम्पययः॥ ३ † ॥ ९ € ‘ota † 99 “aifes: ॐ खादुतमः “वरिवोवित्" अदय दभिलषितस्य धनस्य लम्भकख त्वम् -शङ्किरोभ्यः भङ्किरसा-
bd Te qo 8, १३ २४, & | J WO Fo S, १, २४; ४।
‡ शवरिबोवित्-दरिवःन्-बरिहः, वित्=मच्चः'--एति विर |
९अ०श्ख०१स्०१] उत्तराच्िकः। ६०५
मधाव “छतं"दोपं† “aa.” चौरवत् सारमूतं रसं “परिखव'” ufcaz ॥ “ल सोमः-“ल्वमिन्दो'' -इति पाठौ ॥२५६॥ इति सामबेदाधं प्रका उत्तराग्रन्यस्य षष्ठस्याध्यायस्य दितौोयः खण्डः धुः ॥ २॥ |
अथ ठतोय-खष्डेन- प्रघम-त्ट षे, प्रथमा |
१९ CR WR १२९
तवश्रियोवष्यख्येवविद्युतो
एद इ ९१९ १९९९
ग्रे धिकिनचरउषसामिबेतयः।
ष्ट रेर ९१२९ १२ श यदोषधोरभिद् टावनानिषच १९६१ TVW ९२९१९१२ परि खयच्चिनुषे अन्नमासनि ॥ १ si “wan.” अङ्गना दि-गुण-युक्षस्य “तव” “श्रियः” रभ्मि-
2)
aaa विद्रूतयः“ चिकि "प्रजायन्ते । तत्र ्टान्तः--“'व्षस्येव|
५ ` * -बङ्किरोग्यः--अङ्गिरो नाम देवा wis — रमि बि. ` नाम Kare wis’ — दति विर | T Saerarerg”—xfa म्व दोययास्ा | ‡ ‘ow वदिष्यबभानं। जिखवं सोभिकच्च तत् । wane --दूति fio) ¶ 'ददागोमान्धानि; खाग्रेयस्मयममाज्यम्'--इति fae । § we बे ८, ४, २० ५। 78 तु “ष्यस्व ,, -दति स-बकारः Fe |
६०९६ सामवेदसंहिता । [श्र०१२अन०असू*र ।
विद्य॒तः यथा वर्धितुमंघस्य सम्बश्धिन्यो fram, “उषसाभि- aaa” यथा चोषसाम् ‘Waa: गमनशौलाः व्याप्ताः प्रकाशाः प्रज्ञायन्ते, तहदित्यथेः । कदेत्य बराह--“ यद्" “यदा” त्वम् “प्रोष aferaran "वनानि" अरण्यानि च अभिखष्ठो we: दग्धं विष्टः सन् “wag” लना “चासन् ' भाखे मुखे “भ्व्रम्""अदनोयं स्थावर-लक्षणं “परि चिनुषे" परिक्तिपसौत्यं थः ॥
“विच्युतोग्ने :""- “विच्य तिरा” दति, “खसा बरकेतवः- “उषसाभिषेतयः-- इति पाठौ ॥ १॥
अध fectar | ९ र्ठ € ११ बातोपजृतद्षितोवथारअसु
ews ३ १ २ श LR
दषुयद न्नावेविषद्वितिष्टसे |
१९ 8 ट र 22 शष
MATA रथ्ये ऽ२ऽयथापुथक्
९ २ = १ ९१९१ श १९ WVU अजरस्यधन्षतः ॥२*॥
हे “म्न ! ” लवं “यद्""यदा “वातोपजु तः” वायुना कम्पितः ‘anq” कान्तान् वनस्पतोन् “भ्रमु प्रति “aq” fang
* wo Foc, ४, et, २। † "बातीपन.तः--वातयुङ्कः-द्ति fae |
९अ०२ख०१स्०३] उत्तराचिंकः। ६०७
“दूषितः प्र षितख# सन “अत्रा wafa अदनोयानि वनस्पत्यादीनि स्थावराणि “Siang” व्याघ्र वन् “वितिष्ठसे इतस्ततो गच्छति, तदानोम् “भ्रजरस्य” जरा-रहितस्य “na: दडतः“ ते” तव “auifa’p तेजांसि “यथा” “ca.” रथिनः तहत् “श्रा van” एय गायन्त गच्छन्ति ॥
“अजर स्यः-अजराणि?- इति पाटो ॥२॥
अथ sara |
3 १ ३९२ ९१९ र मेधाकारविदथस्यप्रसाधन
Ret RC १२ R र
मग्निएच्ोतारम्यरिभतरम्यतिम् |
श्र श्र २१९ ९ २७
त्नामर्भस्यष्दविषःसमानमित्वां
९ ९ ९ RR
मद्ोवणतेनान्यन्त्॥ VF ॥ ७
Crane” प्रज्ञायाः क्षीरं “विदथस्य” awe “प्रसा- धनम्” प्रकषण साधकं “होतार देवानामाद्कातार “परिभू-
© 665599
aca’ श्रतिश्येन Waa मभिभवितार “ofa” मन्तारं “a "वाम्" “अग्निम्” wefan द णौमष्- दति शेषः
# |
¢ \“afag’ त्वामेव “sig” असपस्यास्य “हविष;
प ०"दषितः- रषु इच्छायाम्, रच्छ.संगुक्न र्ति fae | + sqaife—werfa’—tiat fae | { we dec, #84, 81
६०८ सामवेदसंहिता | [arerqocyey |
परोडाशादिकस्य भक्तशाधमिति ओेषः। “समानमित्” ata ऋत्विजः “छ णते" mare “ay.” wea: सोमामकस्य हविषः Wee त्वामेव ठते “त्वत्” त्वत्तः “न्धम्” अतिरिक्त देवं “a” णते ॥
“परिभतर'-“परिम्भतमम्"-- इति इन्दोगबद्न चानां पाटो, ““त्वामभस्यश विषः" -“तमिदम हविषि" इति, “rare” “afaarer —cfa qo and
aq हितोय-ढष- प्रधमा।
8 १ २ RUE श्र LR
पुरुणाचि्यस्त्यवोन्नंवांवरूण |
RF Ret र 2 श
मि चवरसिवारुतुमतिम ॥ १ *॥
हे भि्रावरुखो ! “ai? युवयोः “gear” [प्रवमा ठतौया (१,१,८५ )¶ gaa we ठर बद्तरम् अधवा पुरु च तदुड @ yes] अत्यन्तं वबदतरमित्यथः, ताक “aa” रर “aa” निखयेन “afer fe” [हि few; चिदिति पूरकः. डे “वर्ण!” हे “निच!” “वां” युवयोः “सुमतिम्” अनुग्रह बद्धिम् “Cafes सम्भमजेयम् ॥ १॥
० me fe ४,३,८, 8 † ^ अज सोः चुपांतलमित्याकारः"- रति ० -याद्ञा | t "वंसि-बाखबखि'- इति fae |
EMO ARAo AOR, 2,] उत्तरा्चिंकः। ९०९
अध हितीया। ९ ९ १९२ & १ Ret 8 तावारसम्यगद्र हृएेषमण्यामधामच |
९१२
वयंवाग्मिजास्याम ॥ २५॥
₹े “श्रहुहाणा” हे अद्रोग्धारौ ! “a” तौ afawl “at” युवां सम्यक् Wasa शेषः । स्तोतारः “वयम्” “इषम्” भत्र “धाम च श्राधारम् “sata” प्राप्नुयाम । ह “मित्राः मिश्रावरुणो ! “वां” स्तोतारो वयं “स्यामः, ata want इति शेषः, युवाभ्यां सभूता वा स्वाम ॥ |
Carya’-“araa’—sfa पाठौ, “faar’-“aar’—xfa व ॥ २ ॥
रध aarat |
९ १ र ९९ RRL
पातन्नोमिनापायभिर्तचायेथारसुजा जा |
९२ र ९१९२ ९९ २
साद्यामदस्युन्तनुभिः॥ ३१ us डे “मिवा मिव्रावङ्णो देवो gat मः" अस्मान् “arg ft.”
cae: “पातं रक्षतम् । “उत” भरपिच “gar” mata
# We oH, 4,5, RI † We ae ४; ४३८, QI
( ॐ )
९६११ सामवेदसंहिता | [रप्र०२अ०८सू०६।
ava “aa” पालयेधाम् [दृष्टप्राघ्ानिष्ट-परिडार.भेदेन भेदः --स्तोत्रादि-वेकल्पाच्छव्रोवा ब्राधेधाम् अभिमत-प्रापसेन रचत- fama: | । वयन “तनूभिः # सुरादिभिः सहिताः खौये- रद्वा "दयस्युन्” णतृन् “agra” अभिभवेम ॥ “भिरा -“स्द्रा--दति पाठौ, “ब्रायेधाः-^तायेताम्" - इति, “ama’—“qata’—sfa च ॥ ३॥ ८ अथ ठतोय-ठचे p— ` प्रधमा। 8२ ९१ २ २९३९९ श् उच्तिष्ठन्नोजसासद्पोत्वाशिप्े अवेपयः ९१९९१
सोममिन्द्र चम् सुतम् ॥ ९४ ॥
छ “द्र” लं “वीत्वा “श्रो जसा” बलेन “ae” “उत्तिष्ठन्” “fan”? ea “'श्केपयः' waa: मदाषेशादिति भावः। किं Rat? “qa” चम्बो रधिषव ण-फलकयोः “सुतम्” भ्रभिषुतम् “सोमम्” ॥
“qrar’-“‘arar’—efa पाठौ ॥ १॥
ग ररश्रमाष्यम्'- इति fre ।
+ Go Foc, ९९ = We Bo ६, ४, २८, BI ;
¶ ‘ofreq—wtera खड Rew उत्थानं gel Sti fre, पीला श्रे
eqerfet च सत्तः सम् अवेपयः दति पि०।
६अ०२ख०३स्०२,३] उन्तरािकः | are अष feta |
१२९ १९ र Rw र्द असुत्वारोदसौऽउभेस्यदं मानमददेताम् | ९९९९९१९ TRACY TAA: ll २४ It हे Catara” गव्रभिः सह aalgate cg ! “av”? लाम् “oy” ल्य “ou trea’ sa रपि ararefaan “मैत weary “ag” यदा “दस्यु्टा भवः" शवां wan भवसि, wet मदटेतामिति सम्बन्धः ॥ ““सय्ैमानमदेतां”-''क्षष्यमाणमक्पे ताम्?'--इति पाठो ॥९॥
शरध ठतौया। ९ TRL र Rw रद Rte. वाचमष्टापदोमदन्नवखक्तिष्डतावधम् |
९९ १ २ देकरेर
दून्द्रात्यरितन्बम्ममे ॥ ३ ॥ ५
“eagle” र्टाभिर्दिम्मिविदिग्मिषाटापदी, tt “नवस्रक्तिम्'” उपरिखितेनादित्येन मवसखक्तिम् शरास feg व्याप्तामि-
# कण वे द, ४, २८, ५ । ¶ We Fog, ५, २९, १। { "्टापदौम्--चलारो वेदा. nrerfe च खष्टापदानि'- दति fae |
६१२ सामवेदसंहिता) [श्र०२अ०१०स्०१।
wee, “ऋताहधं" awe afe geait > “are” सति- म्यी, afeguing “तन्वः तन् न्युनां सतोम् ¶ “ग्रहम्” “aft aa” म्धनेयसां करोमीत्यबः§। कात्स्न्धन SET स्तत्या विषयोकतु मश्यक्छत्वादितिभावः॥ ऋताहधम्'^-“कऋताखग्रम्"- इति पाठी ॥ १॥ ८
अथ चतुध-ढचे |— प्रघमा।
१२ श BR श्र
दृन्दाप्नोय वामिमेऽदेमिस्तोमाश्नुषत ।
पिबत्शन्भुवासुतम् ॥ १५५ ॥
रे “caret!” “युवाम्” “दमे” “स्तोमाः” स्तोतारः¶¶ "अभ्यन्षत' ्रनिटवन्ति । हे “शम्भ वाः सुखस्य मावयितारा विद््राम्नौ “शतम्” भभिषुतम् अखदौयं सौमं “पिबतम्” ॥ १ ॥
© “नवकमय eae ` कोशाः ताः afer: wet गव अथवा rete जिषत्रोभिकम्'- इति fae |
† “आताटवम्-- ऋतौ ow अथवा wa सन्न तं वदेयतीति warewa’-cfar fare |
‡ श्रत् परि-ख्परि --इति चि० |
¶ ‘aa शरोर्- दति fae ।
§ “ममे-भिगोति"--इ्ति वि०।
॥ “र श््राग्नमाण्यम्”--शूति faze |
*# we ठे० ४,८, २४, |
tt (कोमाजिदटतचदादवः'- इति fie |
१अ०३ख०४स्०१,३] उसराचिकः | ६१९
अथय दितोया। ३ १ ९? ३ १२ ९ LZR याबारसन्तिधुरुस्यु्ोनियु ANTI AT |
१ २३२ BL र
TRIGA ॥ २*॥
हे “नरा” नेतारौ ! “ware ” “ai? gan: सवभता “geaw” परूमिबहइभिः सष णोयाः+ “era” इर्वोषि quad यजमानाधम् saa “नियुतः ser: “सन्ति” & इन्द्राम्नो ! “ताभिः “frafe” ae “arraq’ भाग च्छतम्॥२॥
अध Saar | २ 2 १ श । क, ताभिरागच्छतन्नरोपेद र् R82 TYMAAVATA |
१२ 8
दृन्द्राप्रीसोमपीतये ॥ aq it १०
षे “नरा” नेताराविन्द्राग्नौ ! [ सूयतेऽभिखयतश्ति सवन सोमः] “xg सवनम्” इमं सोमं “सुतम्” अभिषुतम् “oq”
# wo वे0४,८, २४, १।
+ “पर्णा पदस्य दौ वभिः स्य रयोयो'- दति fio |
‡ ‘afa—asrenfad दिवचनश्य ख्याने zeae, खलः'- इति वि०। J Wo Fo ४, ८, २४, ४।
8 शं प्रातःखवनं चतं सीमम्'--टति fate |
६१४ सामबेदसङिता | [२प्र०्२अ०११स्०१।
प्रतिक [यदा, द् प्रातःसवनम् उप अस्मिन् सवने सुतमभिषुतं सोमं प्रति] “ताभिः नियुद्धिःग ्रागच्छतम्। किम्ेम् ९ “सोमपौ तथे" श्रस्य सोमस्य पानाथम् ॥ ३ 1 १० sfa सामकेदार्ध-प्रकापे उत्तराग्रन्यस्य षष्ठस्याध्यायस्य तीयः खण्डःुः ॥ २ ॥
भथ चतुर्घ-ख्ड ¶, प्रवम-ठचे-- प्रथमा |
३२१९ २९ श्र रर ९९२
अर्षा षोमद्यमन्तमोभिद्रोणानिरोरूबत्
९ र RRR
सीदन्योनोवनेश्रा ॥ १६॥ हे “ata” पवमान ! “aren.” अतिशयेन दौपिमान् “वनेषु अरण्येषु wal “योनौ” ¦! खकारण-मूते पर्वं तादि-
# “छप -समीपे, - दति fae | + ताभिः तुतोया-बवचन मिद, wifew अत्ययेन तेः पानेः,- इति वि०। “नियुतो वायोः दति च fare ९, tu, १० | { “उक प्रातःखवनम्'-- दति fate | ¶ “ददानो माध्यण्दिने सवन ममिधौयतेः-- दति fae | § We ०९, ty २, ७ ( रेभा० ER Wo ) = We Fe ९२ ४,४। ॥ वषु-उदकेषु"- दति fae |
ईअन्४खु०१स्०२। उत्तराचिकः। ६२५
wat» “भरासौदन्'' सवतो गच्छस्व “दरो चानि” [प्रयोग- बा्ल्यापक्षमेतत् वहुवचनम् ] द्रोणकलशान्† “अभि” ल्य ““रो स्वत्” पुनः पुनः खश वा शब्द" कुवन् “भर्षा” & अगच्छ दशापविव्रमध्यात्रिगतः सोमः भअविच्छित्र-धारयां द्रोणकलथे पतन् शब्दं करोति खल् ॥ | | “यो नोवनेष्वा-“श्येनोमयोनिम।""- इति पाटो॥ १॥ श्रध fecatar |
QUT RT VW VAL २१९ अष्याटन्द्रायवायव्वद्णायमसर्दडयः |
१ | ३१ र
सोमाञ्षन्तु विष्णवे ॥ २१ ॥
“mgr? वसतौवरौ-नामधेयानामपां सम्भक्तारः [ वनषण want (म्धा, पर) ; “लनसनेति ( २१२१६, ) faz, भातवं विड्- वनोरिति (६,४,४१, ) wean) “सोमाः” sya?” द्रोण कलश्मागच्छन्तु। किमथम् ? “न्द्राय सवंदेवानां प्रथमत एव इन्द्रः सोमान् पिबति, तस्मात् तदनु aqua: तस्मै च Carag”, तदनन्तरं वरुणः सोमान् पिवति aa च “वरुणाय”, ततो “मरुद्ाः” एतन्नामक्षेभ्यो देवेभ्यः, ““धिष्णवे” सवजगद्-
© च्योनो-दरोकणरे'- ति fro | + द्द्रोरानि-द्रौरकर्सम्बन्धानि पावाखिः- षति fae | ‡ “arPoarfaw: ( ६,९,११५ )"- रति Ste:
Camo Fo 9, २, ४, १।
६१६ सामवेदसंहिता [श्प्र०्२अ०्११स्०२)
व्यपिने एतन्रामकाय देवाय च,ः-एतेभ्यः सवभ्यः सोमा शागच्छन्तित्यथैः ॥ . ५ “सोमा अ्रषन्तु'"- “सोमो ्रषति"- इति पादौ ॥२॥
भथ ठतोया | १२९ १ २१ १९९१९ १२९ R १९२ दूषन्तोकायनोदधदसखूभ्यरसोम विश्वतः 1 च - १ १९ २
अआपवस्वसदखिणम् ॥ ३५ ॥ ११
डे “सोम! त्व' “a” अस्माकं “ara” † gaa “caq” wa “que” विदधत् प्रयच्छन् “सहसि सदस्- wena धनं “finan.” सर्वतः “भस्मभ्य” च “TUT oT प्रापय WHIM पुत्राय च भरत्र-धंनादिकं Maa: ॥ ३॥ 2
१ ९ र् ९ श १ दर tt
॥ शाकलम्॥ अर्षासोमा रद्युमत्षमाः। भभिद्रोणा र xx र् |, eT RR ; निरोद्धरदवात्। सायिदार्न्। योनोवना ९२यि। १ ९ ४ tc Rk BA Fasyatawity ue) TAS रयवायषायि।
< २१ श् श R = 4 वरुणायमसद्गाररयाः। सोमारः। भाषंन्तु वारयि ।
See ee णयं
@ We To ७,२५.९; | + ‘gure पौकाय'- दति fare ।
६अ०४ख०१स्०१,२,१] उत्तसाचिकः। ९१७
श श | ४ १, = र
BAL ष्णा ९४५ वोदशायि ne) दइषन्तोका रधनोद |. र ₹ १ र् '
धात्। भस्नभ्यसोमविश्वाररताः । अपार। वाख
२९
BUI! इम्। खा३४५ यिणोदं दायि (३) ॥ ee a [१]
श्र रद् र ९ र
॥ वाशम् ॥ अर्षासोमा । दयमान्तारमाः। अभि
द्रो। णा। निरोरदररेथ्वात्। साथिदन्धेानारेउ । $ श १ श uxt र
TSM | AT ष्रवाररध्ओ्रोदहोवा ॥(९) अअ्यादन्द्रा | १ २ १ ree t १ यवायाश्वायि। AUT या। ASAI: | सो
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माश्रषाे। श्या । ala t ण्णारवारदशभो दोषा (a) TAMA! यनोदारेधात्। भसमभ्यम्। All मवा
4 श् ५ . र $ 8 श श्यिश्वारेदेध्ताः। आपवखा३। Tea! Tel खा at र्
रयिण्ारर्छमोहोवा। ऊदेर२४पा.) ॥ et ॥ [९]
॥ सन्नि ॥ waters! सोमद्यमा २१उबा२३। ® Go Ale We (Go Wo | { Heo Alo We iGo sare |
( ऽर )
९१८ सामवेदसंहिता | [gwen Wo tHe १,२.२३
TW शर ६ १११११ ताररछमाः। अभिद्रोणानिरोर्वारड४्५त्। सोदान्हा ४ १ tt उ। योनौबनारे१वारशयि । प्रुश२४बा ॥( WAT द॒ द् १२९ र्द १९ ९९ ११६९९ श्र दृनद्रायवायवे वरुण्रायमर्द्भियार २४५:। सोमाचा | १ श्र AE
आर्घन्तु वा३श्डवारदटेयि। ष्णाररेधवे ॥(९) इषन्तवेका
रर् १ २ १ रद १९९९११९ शद् र ष
यनोदधदसमभ्यरसोमविश्चतार२४५: 1 भअापादाड । वा
श , सखस्ाशश्डवार२। शोरेर४णाम् (३) ॥ १२५ tt [३] ‘ श ४4 दरं श २९ ॥ शाक्ररवणंम् ॥ भायिषार्। तोकायनोदषीत् | २ t ब १३ । र असभ्यम् | सोमवा रयि । अतारश्डवारर२। Was
४. श्र t
GT) भापवाररेखा। सचखिणारमाउका९२। ॐ
२४पा(३) ॥ १९ ॥ [४] श् १ शर २९१ २
॥ जराबोधोयोत्तरम्॥ इषन्तोकोवा । यानोदधान् | अस्ना
[णि
# wo मार OFo RWo १२सा०। † He Are ११५० CGO leare |
EMoVBorge? | उत्तरा कः † ६१९
४4 8 । §
c | 1 < भ्यार्दसो । मविश्वाताः। अआपाषाश्खारदसा। द । ३ र खिणो२४५६। डा) ॥ ९५५॥ [५५
९ र LR १९ — ॥ मार्गोविवम् ॥ अपसौदावा। आयिष्रार। य
|, १ रेद् rc द
वयार्दध्वायि। वहणाय । मर्द्वाश्यारः। सोमाः |
१. ४९ भरद्
ओहेदोयि। भरदध्षा। लठरवार्द्मोडोवा |
१ १९१११
ए२। ष्णवा२२४५धि (२) ॥ २१ ॥ (4) ९१
TY प्रनाधरूपे दितोयसृक्ञे-
प्रथमा ॥ २ ६२९ २ १९ सोभखघ्राणःसोत्भिरधिष्णभिरवोनाम् । र १९ १ १९ २ ट ६ र RR
मैवहरितायातिधारयामन्द्रयावातिघारया ॥ १४ ॥
@ Ho ATO १११्* (Ge १५सा०। न Go Avo १९१. YGO VSTe | t Wo Wo GU, १, ५ ( le ठ्प्पुर ) रकण Foo, ५, UY 2
६२१ सामैदसदिता। [३प्र०२अ०१२सू०२।
“arafa;” ufirraf: wfafar “ara” s अभिषवः माणः सोमः” “भवौनां" “aha [“.मांस्मत्चमामुपसख्या- नम् ( ६,१.६१ )- इति सानु-गव्दस्य खु-भावः ] समुचिते. ata: पविन्रौ; “श्रधि याति" धिकं गच्छति । “उ इति प्रसिद्धौ । “अश्या va” वड्वया va “हरिता” ₹हरित-बखया धारया “याति” “मन्द्रया” मदकारिष्या grenawafy- गच्छति ॥
““उष्वा शः-उघवाणः""-- इति पाठो ॥ १॥
अथ हितोया।
। १ २ BL
WAG MANA ATA PATAT: |
2 २७ ९९१२९ १ tt
समुद्भन्नसंवरणान्धग्मन्मन्दोमदायतो शते ॥ २४ ॥ १९ “गोमान्” waa: सोमः “aaa” निमे देथे¶ृ कले "गोभिः" गोर्विकारः सीरादिभिः § सह “oe” चरन्ति ।
० षटि तु “are एति मुदं्य-वकार-वकारोपेतः चयते । तच “ge पदात् (८, १, १०६)'"- षति षत्वम् पतरं खलश्च |
+ “बश् भिः'--दूति मूडष्छपाटो ऋचि, “qa gary (८, ३, १०९) "—tine तज Sa: |
‡ 'खमुपे- उक्षः प्ररेघ्े"-दति चि०।
§ "नोभिः-जदक-सङ्खातेः मोभिव'-- इति fo
GMOVBoR°GTe f, 2,2] suufa कः। ६९१
तदैवोष्यते--““सः” सोमः भाममोभिख्र णाघ' “दुग्धामिः गोभिः" ae “wer” चरति [ चरतेखुडि रूपम् ] । किच्च “समुद्र a” aa ससद्रमुदकानि गच्छन्ति तदत् “संवरणानि" aurea यानि रसरूपाणि sarfae द्रोणकलशम् “aay” गच्छन्ति [ मेलि. ख लकि रूपम् ] fag “at” went: सोमः “agra” were “aaa इन्धते भमिषूयते [ तोति. ब धकमां ( निष ° २०१९,२८) ] ॥ २।१९
RT १९ RU zR
| 8 ॥ मानवोत्तरम् ॥ दोवायि। सोमडक्राणःसोढभिः। १ at खोवायि। भाधिष्णभिरषीनाम्। भाश्वयेव। हारिता ® श . १९ र श् या३१। तिधा्रारेदे्या। मन्द्रायारेषध्या३। वार ut र् १ १ र्द यिधारदेश्च्रोदौवा। रारश्ध्या। शोवायि। मन्द्रया श्र रेद् « श यातिधार्या। दोवायि। मन्द्रयायातिधार्या। भा OT रेद् ९ शद श श्र १ नूपे। गोमान्गोदे१। भारयिरारदश्ताः। LT ERE | शि ९
ग्धाटे। भारयिरार्देश्ीषोवा। आर ३४ खाः॥(२)
'छंवरश्ानि-उदकानि'- इति वि०। + ‘atnai—aqfa erat यापयति'--द्नि fro
ष्णि जसम
६२२ सामवेदसंहिता । [२प्र०२अ०१२स्*१,२.,२।
TT TA क ष॒ , होवायि। सोमोदुग्धाभिरक्ाः। दोवायि। सोमोदु < © श १९ ०9 8 म्धामिरक्ताः। सामुद्रन्न। सावरण्ा३१। नियारश्रार२
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४ग्मान्। मन्दायिमारदेटा३। यार्तोर३४अौषोवा ।
श्रार२४त.२) ॥ Ye WL] १ 2 शर र c
॥ भानूपन्ध्युश्वम् ॥ सोमाःसोमाः। उष्वाण्ारःसोत्
aye) भाधिष्णभिः। आवाश्यिनारम्। wen र दर ङ २१्र॒ ` र . श
g रेयेवार२। खरितायातिधाराररया। मन्द्रायाइया३।
|. ४ र् ARAL | रा३४५यो९हायि ॥(९) मन्द्रामन्द्रा। या x १९ ९ a र्र् र् १ श
यातोडेधाराए्या २। मान्द्रयाया। तिधाराश्यार।
आन् रपेगो | मान्यो भिरारशा । सोमोदृहम्धाद् | MAAS TMV ATs le) सोमा सोमा ।
१ श्र द र्
दुग्धादेभायिराश्लारेः। सौमोदुग्धा। भायिराश्ला
* He Alo VCH १यअ> ५सा०।
९अ०४ख०२स्०१,२,२। उत्तराचि कः | ९१२१
। र २१ #1 श रः। सामदद्रान्नार। संवरणानियारटेग्मान्। मन्दा विमाश्दाई। यारदतोहे। शा२४५तो ९ Tale wae tf]
रश ih र ध्र
NATH ॥ WATAUGA) दारेदाशेयि । तर
eel भिनस्तुभोवा। भधादोरयि। ष्णएभायि्ोर।
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सपमवाश्यिना रम्। भाश्चयेव। दरायिताया । तिधा 2 8 x . , उवा | BRAVA । TATR । मान्द्रारयायार | ax द् ४ 3 BT Ut <
तिधा। TRATRas ओहोवा We) AeaTaTfere ।
दारदाश्यि। रा२३४। यारयोवा। मान्द्रादोरयि। १ रर द १
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ATTA । ऊरश्पा। WIS ।. सोमो रदूग्धा रमि
9 द् RT थर देर BAT र्
रार॑। ला२३४ भोद्ोवा ॥(र). सोमोदुगधाभिरा । दा
* Hello we (Go (सा०।
€28 सामवेदसंहिता, [श१्र०२अ०१२स्*१,२,१ i
श ६ # 8 ४ wt देयि। आआ२३४। क्ताःकोवा । सोमोष्ोरेयि ।
१ ९ श SATA! भायिराश्हारः। सासुद्रन्न। संवारा sf १ ९ णा । नियाउवाह। ऊरश्पा। अग्मारन्। मानदो
az द्
रेमादा२। यतो। शारतारर्ओोदोवा। अ३२३४ ` पा(ड)॥ ऽ*॥ [३]
शद a £
॥ भग्रेस्विणिधनम् ॥ Aras | एःसोतुरेरट्भीः | ९१ ९ “ 2 warfare भिरारशडवा२३। बोरदधनाम्। अशायेरे
| ९ १ Ce श | 4 ॥ 4 ३४वा । रितायातिधाईश्डवार३। रारद्ध्या। मा 2 श ५ R | ४ नद्रायारश्ण्या। तिधाइश्डवार३ । ` रा २.३४ या ND R x ¥ ९९ cc श
मन्द्रयाया। तायिधाराररृश्या। मन्द्रथायातिधारे१्ख बा२३। Waar I UPR मान्गोभिरार१
उवार३। ATRAVAT |, सोमोदूररषग्धा। भिरा३१
* Ho Alo ध्र १अ० ऽसा०।
९अ०४ख्२२स्०१,२,२] उलराधिकः | -९११
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उवार३। WTR: ॥₹) सोमोदुग्धा । भाविरार
श्ट १द९ र् ४ ४ाः। सोमोदुग्धाभिरा३९उवा२२। आरर४क्ताः र“. ३ ४. २ १ x
सामद्राररेश्न्ना। संवरणानिया२१वार३। भार२४ । र् ५ ग्मान्। मान्दौमारद्थ्दा। यतोदेभाउवारदे।
ै २३४ते.३) ॥ ८५ ॥ [४] श् | | art 8B .Y
१ ` ॥भभोवैः॥ मन्दरारेयाइयाऽतिधारयोवा। . माद्र
ररर १ श
याया। तिधाराश्या२। आनूपेगोई१९३४। मान्गो ।
भायिराश््ारः। ATT TTR | भिरा३। भा९२४.
९ १११९१
५। सा२२४४८२) ॥ २१॥ [५] ~ #र द॒ 2 ४र ५४ ५ WT १९ TVA ॥ कालेयम Ut सोमोदूरग्धाभिर क्ताः । सोमोद्ग्धा ।
१९ २९ र a Reet ५ भिरक्ताररः। VARATZ | ATVBBA वरणानि। * Ge Ale द्र" LWO CEs | | ` + He Ale घप्र YWe ९सा०। t “qwermreqa’—uft ख. पुणपाडः| ( ee )
९२६ सामषेद संहिता | [श्प्र०२अ०१२स्*१,२,३।
2 श १ RR ९ ५ ४ आरग्मान्। मन्दायिमदी । वाद्र्मोरध्वा । यतो
mata! Sut) डा(र)॥ ४*॥ [द्]
र < <k a
॥ मानवाद्यम्॥ मनद्भयाया। तिधाराररे्या ।
|. शद ष १९ र लायिधारार३४या। माद्रयाया। तिधाराश्यार२। श्र रेष १ शष ¥ १ र्द
अ। न्। पे । गोमान्गो। भारेविरारद्थ्ताः। सोमो
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दुग्धारइ। भारेयिरारेद्मौ होवा । आरेदश्चाः(र) | ॥ १३१ NLS)
९९ द् द् <x व श् ॥ आप्रस्तिणिधनम्॥ अनुपेगो। मान्गोभाविरा RU शर x PAT: | सोमोदुग्धाभिरा३१उवा२३। अारद४स्ताः। र् द ४ १६ र श साम्द्राररथ्न्ना। संबरणानियाईश्वार२। ATVI श
ग्मान्। मान्दोमारदध्दा । यतोरेषाडवार३। शार
। ३४ से(२) ॥ १४ ॥ [£]
* Mo Ayo CHO zGe vate | + We Alo CHo zWe १२स।०। म We Alo ६शप्र* रेख. VGle |
(Ho BMoRTL RR] owefsa: | ९२७
az श ॥ वेष्वाद्यम् ॥ VAST! एःसो रेतृभाविः | त
श १ द॒श < भिः। अभिष्णभिरार्वौनाम्। - वोनाम्। अश्वयेव << रितायातिधा रेरया । रया । मनद्धयायातिधी ररयार९। ४ र् रार। यार२। BATA) AKAN! निधार
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TAT रया मन्धयायातिधार्र्या। रया। अनुप
गोमान्गोभिरारक्षाः। AT | सोमोदुग्धाभिरा RATA: | at द् रद द
TRI Byes) भद्ोवा। सोमोदृग्धा। भि
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areas! भोद्ोवा NR) सोमोदुग्धा। भिरा राः S| सोमोदुग्धाभिरारक्षाः। स्षाः। समुद्रन्नसवर x x श श.
शानियौ डमान्। ग्गन्। मन्दोमदायतो रशतारेयि |
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र ष NAMATH ॥ सोमः। सोमाः। उष्वाणःसोत्
९ भिः। अधायिष्ण दभायिः। arsiteet बवाथिनार र॒र ९
म्। भश्वयेवदरितायातिधार्रारया। मन्द्रासौर्ो |
यायातिधोरदे्वा। रा५योईशायि(?॥ ree hl [१] श्र z रर ॥ यौक्तखचम्॥ सोमउघ्ाणःसो। तभायिः। a. ९६९ ९ १ रर २. firm भिरवारेदयिनाम्। arate’) येवदरितायाति श् र CT ₹ ९ a धारारेहेया। मानद्धार। यायातिधीरेरध्वा। रार३४ ५ RU TRE १ र द VI a?) मद्धयायातिधा। रया। मनद्रयायातिभारा R र्रर शर र रक्या। भान्२। पेगोमान्गोभिरारदक्ाः। सोमा ४ श्र AC Qi) दृग्धाभिरोररध्वा। | WAV ॥(२) सोमोदु श्र २ १ द द् च॒ RR ग्धाभिरा। क्षाः। सोमोदुग्धाभिराररसाः। साम् | इर ₹ t R RC Ve
द्रत्नसंवरणानियारेरग्मान्। मान्दौर। माढायतोर२४
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# छ. मा. ३०१० [Wo श०या०। + Go ATo २०१० VGe Lge |
© ९५०४० १स्०१,२] Sweet ९२९
wea ठतौय-ठढचे- प्रथमा | १ ९ ह ९ ६ WT ३ १ . श्२ष९१९२ यत्सोमचिचमुक्ययन्दिव्यम्पाथिवं वसु | १९ RUE | श्र तन्नःपुनानश्राभर ॥ १५ ॥ डे “सोम !” “यत्” “चिच” चायनौयम् “उक्ष्यम्” स्तत्य' “दिव्यं” दिवि भवं “पाथिवं” एचिवौ-सम्बन्ध्च यत् gg” धनमस्ति ay त्" “नन. श सम्यम् (“पुनानः पूयमानः सन् “ATA” श्राहर ॥ १ ॥ अध दितौया । ee शष्ट श्र ९२३११९९ ९१
बृषापुनानभायुरषिस्तनयन्नधिबिषि ।
२ ९ श्छ १ श
दरिःसन्योनिमासदः ॥ २४ tt डे सीम! “प्रायं षि यजमामादौनाख्त्विजां जौोवितकालान् पुनानः” दान् कुवन् “हषा” कामानां वषेकसूव' “स्तनयन्” शब्द् कुवन् “अधि afefe’ [ भधौति सपतम्यधानुवादौ ] आसती दभ “हरिः सन्” शहरितवणखंः सन् “योनिं” amd शवानम्न “mae” भासोद् ॥ ।
† ‘eau -नामरूपम्'--टति fae |
* क १। 7 ‘atid —z tomer — एति fao |
{ We @ q, Fe, ६।
Qe सामवेदसंहिता | [awe x Woe 202,22 |
‘erry fasta sg” —xfer ars? Cmtye: -“aqye- दत्?*- इतिच ॥२॥ अघ ठतौया।
Wt रर 32 १ | ९ १ र य॒वरःदिखःसखःपतोटन्द्रसोमगोपतौ | ९ १ १९ Rk दे श्ानापियतन्धियः ॥ re ॥ १९ चे “सोम !” त्वम् “cme” युवं fe” युवां खश “eat” सर्वस्य खामिनौ “स्थः” ware) तथा “गोपती” गवां पलको कैः “fara” ईश्वरो सन्तो “धियः” wads awatfad “पिष्यतम् › प्याययतमू i “शुवंहिखयःखः पतो" -““युषंडिखःसपतौ"-इति पाठौ ॥ २१२
र् १ र १ र ॥ शवम् ॥ यत्सोमविचमुक्यायाम्। feanafy २ ९ | | श र 8 ब् AAT! तन्नःपुरदेध्ना | नभादेभाध्रा६५६॥८९) इषा c © १
पुनानभायुरुषी | स्तनयन्नधिबरिषायि । eca4pe
Re ४
न्यो । निमारेसा५द्ा६५६: ॥२ युवरडिख्ःसुव
9 We वे° ६१८, ९, २।
+ (नोपतौ - नवां पतौ, उदकानामादित्यर्मोनां वा-इति feo ‡ ‘fwo:—aea’—tfa वि० |
¶ “पिष्यतं--पारूयतम्'-- इति fae |
QWougerger] उस्सरार्धिंकः। ६२१
WUT
तौ। इन्द्र्सोमगोपतायि। ईशानाररेश्पो। war
हन्धाभया९५६:(२) ॥ ew ॥ [१। १३
© इति सामबेदाधप्रकाओे sata wade खतुर्घः खरः" ॥ ४ ॥
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अध WEA Gy प्रथम-ठचे- NAAT I १ टे १ ae र QR YX शद दृनद्रोमदायवाब्भे शवसे ACTA: | श्छ €? र R BRU तमिम्भरत्खाजिषूतिमभ इवा मदे
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सवाजेषुप्रनो विषत् ॥ ११॥
* Ge Ale देप्र* १. CUT? |
¢t ‘sa anafen: पवमानः'-- दति fro |
eatsrne frercewa we wet: Re aM रव TET: | rie — (ददानो इष्टानि भवभ्लि, नतर weaisefa wed: इह भवति ता ow ; - षन्दा- Qenangefa परिभाषासिद्धानि “विदा भववन्” ety: a मधवन् --दत्यादि | सव सेतत्रये उ्राग्रन्धीयर्व मणानाजााकिकः नतु प्रन्थानरच्छन्दखादिकपरिणिह- भूतः, परमेनदलीव चिवः AVIRA तथाल AWA |
t ‘ane fect बद्यसाम'- इति fare |
¶ We Woe, १, २,२ (Care ८१९६६९०) = we Fo १, ST
६२ सामधेदसंहिता । [शप्र०२अ०१४अ्०६१।
“sag हचरस्यावरकस्य ठटि-निरीधकस्व areca वा ear! यदा, आवरकार्था शश णां हन्ता, “इन्द्रः “aera” इर्षा ` “qaqa” [बल नामैतत् (निष ० २,९,२) बलार्धं ख “तृभिः ane नेठमिः afafia: “ae” स्तोच-गस््न-रूपाभिः स्ततिभिः wafeet aaa!) स्तत्या हि देवता प्रास-बला सतौ wate | “तम् इत्” तमेषेन्द्रम् “aya” प्रभूतेषु “आजिषु” सङ्कामेषु
"उति" cat कुर्वन्तमितिगेषः “हवा महे” war रचलाय wiwarag । { “sa” अपिच “ka” एनम् रखवन्भूतमिन्द्रम्*] “qa” अल्पे aga हवामहे अ्रस्ाभिराहतः सचेन्द्र: ““वाजेषु" सद्कामेषु “नः अस्मान् “श्राविषत्"” प्रावतु परकषेख Tay ॥ [ ““उतिमभे"-“उतेमभे""- इति wat ॥ वाठसे- वेः wate faz तुजादिलादभ्यासस्य दीघत्वम् । दभिः-“सावे काच (६,१,१९८)'- इति प्राप्तस्य fare दात्तत्वस्य ““टृचान्धतरस्वां (६,१,१८४)'- इति प्रतिेषः। हवामहे-हइयतेलटि “रः (६,१,२३)”-शत्यनुढ सो “वहुलब्डन्दसि (९, १, 28 )"--दइति सम्प्रसारणम् , शपि गुणावादेशौ अविशत्-अवरचणे (म्बा०,प०) लेयडागमः, “cae लोपः (२, ४, ८ )—sfa -ष्कारलोपः, “सग्बदलं लेटि ( २,१,१४ )- इति faq, तस्वाईैधातुकत्वात् बलादिलत्षण षट् lute |
* ल्व रोय-पाठभरुसु येद SST |
+ षर चिवमेतत्-- “सं डितावाममभ्धासड्य खन्येषामपिरष्मतरति Khia । ger. दिनेडितूरुखान दति बत् पदकार दोषेः रयेत "इति न्वे द्-ाष्छावणरोऽवणेय WTS: |
१० ५ख०्१६्०२| owefea: | ६२३
अध हितोया।
१९१९९९७ असिदिवोरमेन्योसिभरिपराददिः। १ ९ श ९१९१ ट १र श्र असिदथस्यचषटधो यजमानाय Rat MTVU ek |
गिस्षसिपुम्बते भूरितेवततु ॥ २५॥
डे “वोर!” शच्र-सेपण-कुयलेग््र! त्व “सेन्यः भसि" Saret भवसि, त्वमेकोऽपि Barge भवसीत्यधेः। “हि यस्मादेवं तस्मात् प्रभूतं weet धनं “पराददिः” परादाता wet wage यथा भवति तवा भ्रादाता “safe” भवसि “saa faq’ waa AAATT MAG तव स्तोतुः§ “ou.” वरैयितासि, तथा “यजमानाय यागं कुर्वते “gan” सोमाभिषवं कुवते परषाय “fafa” qafad धनं ददासि [ यिक्षतिदानकमां (निष०१,२०,८) ] यस्मात् "ते तव aq” @ Wot १,९, el |
† विवरक्-नये Atay’ — इत्यक पदम्, खत एवैवं याद््यानम्-'वोरसेन्यः-
| ३ वीराः सेन्या यख Set Moa’ — षति | परञतत् Teo CER, तण “गौर । XXX स San — che िद-खरयोदंग्यमास् ।
‡ ‘wife wea ce:'—cfat fae 7 “द्भम्”-- इति fragt atiog दितौये xemag अषममिति SWATH | § दमस्य ध्व eae’ — इति fae
( ८० )
६२४ सामश्िदषंद्िता। [Quer Moe sao?!
wa “aft” aga wad धनं विद्यते तस्मात् ददासोति ara; ॥ [पराददिः ड ere, दाने (Geto उ °) “श्राहगमहन अन (२,२,१७१)- दति कि-प्र्ययः; fare crate दिवं चने ऋ सत्वम्, “श्रातो लोप इटि ख (६,४,१ ४)" इलयाकारलोपः । SWART वित श्यौ दिमुपध-लश्चणः कः । सुन्वते- “शतुरनुमः (६,१,१०३)- इति विमततरदात्ततवम् mau अघ ठत्तौोया। १.९ १९२. ९९ २. RL
TSSTA WIAA US धोयतेधनम्।
९ t १९ २ ९ ₹ ३ गे १९ १ शद
येङ्च्वामदश्युतारोकरदेनःकौवसौ
१ TAR दधोऽस्नारशन्द्रवसोदधः ॥ २५॥ १ (भरषदमाद्यानम्-रहूगश-पुन्रो गोतमः कुर-खच्लयानात ust पुरोहित भ्रासौत्, तेषां रान्नां परेः सष यु सति स ऋषिः भनेन सूज्ञेन इन्द्र' war खकोयानां जय प्राधयामासः- uf तस्व ष तत्परोहितलं वाजसनयिभिराज्नातम्--“गोत मोह वे रागण उभयेषां कुरु-ख्क्छयानां पुरोहित भ्रासोत् इति । ] “aq? यदा “Corea: ae माः “उदौरते"” उदच्छन्ति उत्पद्यन्ते तदानी “an? धनं “gua” यो च्छः घषंयिता
9 Wo We ¥, र, & ९ (१भा० ८४४४०) = WO ८० ९, ९; १,९। +, ‡ “सञ्जयार्मा"- दति co wo Jo TB! |
€ Wo UG 0 Go 22,2] उसरार्चिकः । ६२५
शत्रणां जेता भवति तस्म “ahaa” निधीयते, जयतो धनं भवतौत्यथः। हे इन्द्र a’ arty gay प्रदत्तेषु “agua शत्रणां मदस्य wee अवयितारो हरौ" agar “ay” ख-रथे aaa, योजयित्वा च कञिद्(जानं तव परिवरणम- gaat “ear” war: कच्चन त्वां परि चरन्त शवसो” वसुनि धने “ea” waa [ उदौरते-दरमतौ (भा) षादा- दिकः, “्रतुदात्तेख ल्नसार्वघातुकानुदात्तत्वं (६,१,१८६) धातु- equa faua, “यहत्ताचित्यम् (८,१,६९ )"- इति जिक्रात- प्रतिषेधः । war-—“gat सुलुक् ( ७,१,३५ )"-- इति डादेशः । युच्चा- युजिर् योगे (eo उभ ०), श्रन्तर्भावित-खर्घाज्ञोटि “ब इलब्छन्दसि (२.,४,०२)- इति विकरणस्य लक्, “ard- safer]e: (६,२,१२५)''- इति संहितायां दौीर्षत्वम् । ₹इनः- इन्तेलटि सिप्यडागमः, gaa दधव चाधप्रतौतिः “चादिलोपे विभाषा (८,१,१३)- दति प्र धमावास्तिङविभक्तेनिघात- प्रतिषेधः | वसौ-लिङ्-व्यत्ययः, दषः-दध धारणे (म्वाण्श्रा०)
लेटि व्यत्ययेन परस्मपदम् ॥ २ । १४ १ र १ र र | ॥ सम्तनि॥ इद्रोदाउ। मादायवाहेश्उवार३। १ रर् rx ₹९ १ रर १२२१ TR
वारं । शव सेकृचद्ानुभिस्तमिन्महत्खाजिषूतिमभें
द॒ ट १९११ ₹
AASB) सवा दाउ । जायिषुप्नोशाउवार३।
६२६ सामवैदसंहिता। [३प्र,२अन्१ण०्य्०१।
। ४ १ 2 १ CVU WUE LTC TL
वारष्ण्यिषात् ny) भरसिडिवोरपैन्योसिभूरिपरादटदिर श्र शेर ष् । ११ सिदसश्चिद्धीयजमानायश्रि्षसार२२४५यि । सुन्वा । श,
उ। तायिभूरितारश्डवारेशयि। awe) यद् XC RT १ र १ १ TART UC ९ ९१द् १९१ शेर LWT टीरतश्राजयोध ष्णवेधोयतेधनंयङ्च्वामदश्युतादरौक्ंड ११९ श ९ ९६९११९१ श
नःक॑वसोदधार२०४:। WATS । आयिन्द्रवसा३१७
वार३। दारदाः (२) ॥ ४५ ॥ [१] १ ay fedta-aatT— Wart!
8 ९ श ९१ रे खादो रित्थाबिषू वतो शक रेद मधोःपिबन्तिमौरयः । ९ at ३ १९ श श यादृन्टरेणसयावबरौ १७४१९ ९ ९९ कष्णामदन्तिशोभया ९ ९६९ ९१९ zv वखो रलुखराज्यम् ॥ १४ ॥ © Go Tle Lene BGO ठसा०। + 'रायोवाओयमच्छःवाकसाम'-इति firo | { Wo GTO, t, ३, &( १भा० ८१२७० ) = We FON, gg, 4 |
९अ०५ख०रेसु०.१] |= a Tafa: १२७
खादी" खादुभतस्य रसयुक्षस्य “इत्वा विषुवतः” xa मनेन प्रकारेख सर्वयश्नषु व्यासियुक्णस्य “मध्वः मधोः aye tae सोमस्य “क्रियाग्रहणं कन्त व्यम् (१,४.१२ are)’ इति May: सम्पदानलात् aqua wit: एवंविधः सोमं "गौर्यः गौरवर्ण ara: पिवम्ति। या गावः “stare” [वचन-व्यत्ययः] इन्द्रे श सडह शोभन्ते “ea कामाभिवषनेन्दरे श “Sarath,” ae arent गच्छन्त्यः सत्यः “मदन्ति इष्टा भवन्ति | ता इन्दरपौतख् सोमस येषं पिबन्तोत्यष;। “aah.” पयः- प्रदानेन निवासकारिष्डः ता गावः “सख राज्य” ware यत् “‘qreq” राजत्व तदनु शच्या वख्िताश्ति ta: ॥ [ विधूवतः-- fave व्याप्तौ (शु उभ ०) अस्मादोखादिकः कुप्रत्ययः ततो मतुप् स्यनु भ्यां मतुप् (६,१,१७६)'- इति मतुप उद्ासल्वम्, “भन्येषामपि हश्यते ( ६,१,१३० )"- इति संहितायां दौघः, व्यत्ययेन aay) मूध्वः-- “जसादिषु छन्दसि वा वचनम् ( १,४,७ )"—afa “चेडिःति (७,१,१११ )"-इति गुशा- भावै यणादेशः । गोयः--^पिहौ रादिम्य च ( ४,१,४१ )"—xfa ey, जसि cet “serraftadaw: ( ८,२,४ )’— इति परस्यानुदा्षस्य aferaqi सयावलैः- या प्रापे (शरदा प°) “श्रातोमनिन् (१,२,७४) - इति वनिप् वनोरच ( ४,९१.७)" इति Graal मदन्ति-मदौ इषं (दिण्पर), श्यनि प्रापे व्यत्ययेन ( ३,१,८५ ) शप् । वसखोः-“वस निवासे (ग्वार्प)गस॒ जलहि ( उ०,१,१० }"- इत्यादिना वसे स्प्रत्वयः, “धान्यं नित् ( उ ०१,९ )”--रत्यनुहत्त राय्यु दात्तलम, “वोतो
qx सामवेदसंहिता [३प्र०२अ०११५२्०२।
गुणवचनात् ( ४,१,४४ )”--ब्रत्यव “गुकवचनात् Slat काचम् (४, १, ४४ ate )"- गतिवचनात् ager ङोषि यखार्शः, जसि “arate (६,१,१ ०६) —vfaq पवसवक- दोघत्वम् । AUT -“भरकमधारये TV ( ६,२,२ ० )” -श्व्यस्षरपदाददात्तत्वम् | ॥ १॥
अथ featar | ९ श १ ९९६ १९ श् ताअ्रख्यपशनायुवःसोमरओणन्तिपश्नयः। श रट रद Sets ९ १९ १३ प्रियन्द्रस्यधेनवोवञ्चशडिग्वन्ति सायकं xy ९ १ Ret Rk वखो रनुसखराज्यम् ॥ २५॥
` “ताः” gate? “re” wee “ए्नायुवः” wnta- कामा; THA! ATAU गावः wT पातव्यं “सोमं पयसा “alate” भियोङुवन्ति, “cre” “प्रियाः” प्रोतिडतु- age; “ताः” “धेनवः “सायकं” चूणामन्तकारकं¶ृ “qe” श्ायुघं “हिन्वन्ति” way प्रेरयन्ति इन्द्रो यथा तषु वजु' प्रेर- यति तथेन्द्रस्य मदसुत्यादयन्तोत्यधेः | अन्यत् पूववत् ॥ [ हिन्धन्ति
@ Wome १, ९, 9, |
+ (ताः--खेनव.- दति वि०।
{ शन्नयः--मावः - इति वि०।
¶ 'सायकं-घ्रकलमृतं चेपणोयम्'-दइति fae |
९अ०५ख््०२सु०२ ] swefea: € ३९
हिवि प्रीणनाथ : (ato ae), ददि्वःचरुम् । सायकं-घो wae कर्मणि (दि० पर), WANA युगागमः॥ २॥ अथ ठतोया। PPV Tate. श ९ १९९ तामस्यनमसासद्दःस्येन्तिप्रचेतसः। Re ९ Re ९९१
व्रतान्यस्यसश्चिर पुरूणिपवं
९ २९ १२९ १ २
चिन्तये वसखवोरलुखराज्यम् ॥ २ ५॥ १५
93
"प्रचेतसः'” uncrarat: “an” गावः “अस्य इन्द्रस्य
“qe: बलं “नमसा” खक्रोयेन पयोशरूपे णान्र म “सपय न्ति” परिचरन्ति “पुरूणि” बहनि “se” इन्द्रस्य “व्रतानि” शच - वधादि-रूपाणि वौये-कमौणि “सिरे” सेविरे श्रातव्यतया cara: किम्धैम् ? “पूवे चित्तये” युयु्मूनां शभु णां पूवभेव ्रज्ञापनाय" [Waa युध्यमाना हव्रादयः सव मरणं प्रासाः किम wate: प्राणाख्यजन्त इति तेषां बोधनायेत्यथः | अन्य- सपर्दवत् ॥ पूवचि्ये-चितौ सज ज्नानं (sate पर), भवे
किन्, मर्हधादिलात् प्रव पदान्तोदात्ततवम् ॥ ३ ॥ ९५ ah
* wo Ho १, ९, ©, २। + ‘qa-fana—qe-rerzara’—tfa fae |
९४० सामवेदसंहिता | [शब्रश्रेअ०्११सु०१,२,१।
year ४ श्ट 8५९ ९ श्ट ४
॥ श्येतम्॥ खादोरित्थाविषू। वतादे४अहौवा । ९ र शे १९ ® श्र श | माधोःपिब। तिगौरियारश्टः। भोईा। यादन्द्र श्र₹॒रश्द BANANA । ष्णोमारहदा। तिशोरे।. भारद४्या ॥(९) श्ट 8 eB Ut श र् शर र THAI! य॒ वाश्नोहोबा। Aaya |
। ॥ ९१ ITU RE 2
gars: | West! प्रियाहन्द्रस्यधेनवोव। Ale
च श्र ४ OR खारेरेयिन्वा। तिसार। यारेष्ट्काम् ॥(२) ATA BAT १ र इद ut ४ e
मसा। Wersswrerat: सापय्येन्ति। gefaaa
५ र्द
२२४:। aT) बतान्यस्यसशिरप् । ङणाररेयिपु | ह् 4 १ ९् ९ शे . वर्चरियि। ताररध्यायि। वखोरनुखादेरा। डम्भायि । भर क्
जारयारइ$ओदोवा । वार३४् (३) ॥ ४ * ॥ [१] १५ इति सामवषेदाचप्रकाे उ्तराग्रन्स्य षषस्याध्यायस्य पञ्चमः खर्छ. ॥ ५॥
* Go alo tone tWo ४ सा1० | T ‘Sw माध्यन्दिनं सवनम्'- दूति fao |
९्र०९ख०१स्०१,२] उत्तराचिकः। १४१
भथ षष्ठे खर्छ,‡ प्रथमटठचे-
प्रघमा। १ 2 8 Neg ee एर रर ३ शै । भसाव्य^प्ररमदायाप्सदन्लोगिरि्ठाः। 8 रेख 2१ र
श्ये नो नयोनिमासदत्॥ १ † ॥ “fafeer.” पवेत-जातः “sig.” सोमः “मदाय aera “safe” अभिषुतः “wg” वसतौवरौषु “दः प्रहचख भवति। fae “श्येनो a” यथा wa: पक्षौ वैगेनागत्य
ख्धानमासोदति aged सोमः “योनिं” wate खानम् “are दत्" भ्रासौदति। १॥
sy fratar |
१ श्र र्र कः ९ २ ३ १दर रर २ प्रु्मन्धोदेववातमष्सुधोतन्नुमिःसुतम् | ९ २ १ ९९३ खदन्तिगावःपयोभिः॥ २ ४॥ यत् “देववात” देवेः प्राधित¶ “रभ” भोभनम् “अर्धः” saaed “भिः” नेढभिः “सुतम्” अभिषुतम् “og”
* दानो तुतोय-सवनमु अत'-इूति वि०।
T कण Woy, २, ४, 0 ( WTO १९४० ) ऋण Fo ऽ) १, २४, ४। { we Go 9, ९, २४, \।
¶ देववातं-देवानां भमच्यौयम्'-दति fae |
( ८१ )
९४२ सामवेदसंहिता ।॥ {रप्र०्२अ्र०्१६स्०२।
बसतौवसरषु “aa” शोषितं सोमं “गावः पशवः “gatfa:” आभर, “acta” खादयन्ति u "्ौतंसुतं"-“धतःसुतः- इति पाटो ॥ १॥ अथ Sarat | २ ६ २६१ WAL र श ९२९ आरोमश्न्नदे तारमष्एश्यभन्नग्टताय | २९९ R ११ मघोरसथ्सधमादे ॥ २ *॥ ९६ aap अनन्तरं “हतार” परेरकम्थः “tag एनं Car” मधुरस्य सोमस्य “Ta” “सधमादे ' यन्न ‘Taare श्रमरणाय “angay ऋत्विजः Wala | Aa eel ag a” यथा प्रेरका Ta सङ्गमे शोभयन्ति तदत् # 'हेतार-“डहे तारः" इति पाठो, “मधो ""-.'मध्वः'- दूति च ॥ ३ ॥ १६
a सन्तनि ॥ ATES) वायापशु्मीरेरउवार३। र श ६२
दारदेश्या | अष्सुदक्ोगिरिष्ठा । श्येनोषहाउ। ना
योनिमा ३९१८बा२३। सार ४ टात् ॥(१) Waa ae SS _ _ _ ------------
# qo Zo ०, १, २४, ९। †, ¶ ‘ara’ - "दम् — te तायपसमो'- दति वि" ‡ “इतार--शीप्रगासिनम्--इति वि०।
4% ET १स्०१,२,२] उत्तरा्धिंकः, ९४१
रर र रर VW १९१ २ ३२ R
मन्धोदेववातमपसधोतन्नमोःचताश्म्। खदाशउ । ता
श्रर्र २
यिगावःपाई१उवार३। योर्दध्भोः ॥(र) भादौमश्वन्न SR UT र WT १११११ ९
SATAN | मधोर्शउ । रास ९ ५ स दाधारेश्डवार१। ATRVBS(B) ॥ १० # ॥ [९] १९ र R ॥ गोषृक्तम् ॥ ata रहौहोवाद्ायि। रट | RT x x
दाया। अ्युदन्लोगिरो S | इवायि। Savas । Bre:
cre
श्येनोनयोनिमीर। वायि । डना रयि । सादारस्त्। WATT ॥(? प्थमन्धोदेवौ। दोदोवाद्
९१२ वि। बाताम्। अणुधोतन्नभौरे। बायि। वा g रयि। सतारम्। खदन्तिगावःपौ २। वायि । ड 4c र्
वारयि। योभारश्यिः। शोर्वार२२४ ओदोवा॥(र)
श्र र्रर १२१२ <
aaa! wears ताराम्। BWI
© we Alo ११० {Wo Xo Bo |
९४४ सामवेदसंहिता | [श्प्रण्रे्न०' ६सू०१,२,२।
श् 2 श x १ द् भचमो २। वायि। वारेयि। तायार। मधोर
९ ह १. Baw! डवबावि । Bares मादा २३यि। ४ श् ९९२ २९१९ ११११ SALVA AAT | अधिराता२२४५:(२)॥ १८५ aL]
१ © ९
॥ शेड न्ध सितम् ॥ श्सान्यरशो। हायि, मद् रश्या। अर्य रक्तोगाश्यिरादेयिष्टाः । शे नोनयोर२४
a | र् श् १ ४ च हायि। नायिमारश्ायि। ger) आओरश्दोवा ie) श्र
wade wf, देववारुश्ताम्। wala
afrqana खदन्तिगो रदेश्दायि । वाःपाडेशावि। CRE LU R
योभायिः। ओओर्दृहोवा ॥ (र) आदौमश्चो । हायि!
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देतारदराम्। अश्श्यभत्रमाश््ौस्या । AWITATRe १ ९ श्
४. ४ 4 sulfa i साधादेायि। मादा। भोरंडोबा। aad Sa) ॥ ४ pa [३]
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क र ह वं > ॥ अध्य डरसोमसाम ॥ असाव्यरश्ग्छेदाया 2 ए।
९ र् | र्ब १२ RS १ WTAE: | श्येनोनयार । दायि, नायि र् १ ९ र र र १ र मावा | सादाउवारे Ue) श्ु्रमन्धेद् वबाताहमे | R श् Rk 1 श अप्तुधौतन्नुमिःसुताम्। खदन्तिगार२। हायि। वाः । र द् २ पाउवा। योभाउवा३ ॥(२) भादौमश् त्रदे ताराइमे ।
aE र् ९१२ १
अशूश्युभन्नष्डताया। मधोरसाररम्। दायि। साधा
१ 2 उवा। ATSTSATR | ऊडर२९पा(३) ॥ २ # ॥ [४] ९९ अध प्रगाधरूपे दितौ य-सूक- प्रथमा | ३२. २ शे रेख 2 ९२ भिद्य म्नम्ब्शद्यशदूषस्यतेदि दोदिदेवदेवयम् | ्र॒ रेर ९९१९१ विको श््ध्यमंयव ॥ १ ४॥ हे “इषस्पते” saw पते! “Ga!” स्तोतव्य सोम! “ga” gana “eeq” प्रभूतं “यशः” भ्त्ररूपं “देवयु” ® GO ATO २०१० YGo RYTo | † श्थावमं gia’ —xfa fae | ‡ WoWo ९ % 8, २ (रभा ९२९१० )=WO बे००,४, १८,४।
६४६ सामवेदसंहिता | [२प्र०२अन०१०म्०२)।
देवान् कामयमानं हविलंच्तणं तवदौयं रसम् “रमि दौदिहि" sana भाभिसुस्येन प्रकाशय प्रयच्छेत्यधेः । [वहा,₹े सोम! बशो ऽव दे वपु" देवानिच्छन्तं यजमानमभिलख् प्रकाशय | आमन्वित- स्य! विय मानवेन (८,१,१९) पादादित्वादनिषातः। किञ्च “म यमम्” भअन्तरिक्ष-स्वितं “कोशं” मेघं “वियव” ह्यथ `
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बृष्टिन्दिवःपवखेतिमपोजिन्न्गविष्टयेधियः ॥ २ ^ ९७
डे “gen” भोभन-बल ! Caan” अधिषवण फलकयोः “सुतः”? श्रभिषुतः त्वं “वद्धिः न fasafa:” सवीखां प्रजानां fer राजेव “fant” प्रजानां ager ay OST वयस WATS कलगश्मापवस् [ वचेर्गत्यर्थस्य व्यत्ययेन श्यनि रूपम् ! किञ्च त्वम “mas” WOT उदकादौगां “ofa” arat गतिं afe “दिवः ख लोकात् “aca” कुर । किं कुर्वन् ? “गविष्टये” गामासलन wed यजमानाय “धियः कमणि “faq” प्रेरयन् ॥
“अपोजिन्वन्"-भ्रपाच्िन्व--द्रति पाठौ ॥२॥ १७
® wo fo 9; ५, १८, ५ ।
Qo 4 GoR°Me १.२ उत्तरादिकः | ६४७ R ४ 8 ॥ धावनम् ॥ अभारेरध्यि। DAA बुद्धार२४ ५ ५ R ३ ५. र॒र र द्यशाईः। हाउ । आयिषल्याररश्ता-य। दिदोदहिदेव be ९ ९ १ SAAR | वायिकोशार्मार। ध्यामारर्ध रे \ ¥ € R ¥ हारे४२यि | Aeesatesifa ne) faatesel Wat q ४ ५. र र 9 ३
ध्यमारद्युवा । HIS! आवच्यारदश्खा। ATT र श ५ \ २ र ष चमुवो.खतोररेशहायि । वायिशांवारङ्कारेयिः। नवार र र ५ ५ R चादेधरेयि | WAR 28 तोईदायि ॥८र) विशाररधम् | ५ ४ ५ ५ र र् | afe: | नवारध्यिशपनौोईः। दाउ । वार्टिन्दारड्४्यि
¥ 2 द ९ ५ १ ९ र् वाः। प्वख्रोतिमापोरदधडायि | जायिन्वान्गारवारेयि। श x ५ ५
टायारेददा२४९यि। धाररश्योईदायि,३)॥ ११ *॥ [१]
4 ?
र र् । ॥ रेषिरम् ॥ अभिद्य जम्ब दद्यारेशाः | आयिषस्य
c १ १ २ | १ ते। दायिदौश्डायिदेर्। वादाश्यिवायूरेम्। वायि
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exc सामवेदसंहिता) [शप्र०२अ्र०१७स्०१,२ ।
९ ` ४ । छि (| ¥ २ र् AVATARS | ध्यमोवा । युभवोईदायि (a) frat x a. | R ९ 9 2
परममध्यमंयुरेवा। WATS! ATATAR! Aste: R ४ ४ ४ सतारः। वायिशाश्वाङ्वारशयिः। नवोवा। श्याभलो ४ et र् R R द्हायि॥र) वि्गावङ्किन्नविशप्राडतीः। बाष्टिन्दिवः। १ ॐ पावखारोर। तायिमाश्पारः। जायिन्वाश्गावाररे fa, शटयोवा। धापयोईदायि(द) te ot (र) । ९ ९ २ ४ ५४ RR ५ रे ९ ॥ सफम् ॥ अनिद्य Sey । शद्याररेश्शाः। दष ९१ रर ९ २ ९. R ¥ wma दौदिदायिवाइदारयि। वार३९यम् ।
¢ द R र् श् ५ विक्षो | शम््ाध्यारमारम्। य्२४५बो दहा यि(?॥ १२११३]
३ ४ ४ द ४ ५ ॥ वाचःसाम ॥ अभिद्यम्नाम्। दायि। बदहद्यश्ा १ र शे
du, आयिषस्पते। दायिदोर्हायिदे २) वादेवयुम् |
नी भीम
* Go गा० ufo (Wo १९०) † Ho गा. ₹प्र० १अ०१२सा०।
९अ०६ख०३स्०९] उत्तराचिंकः। ६४९६
१ ध १ ४ ` ९ + ४ वायिकोश्शाम्मार। ` ध्याररमारेम्। ARV Y ATE UT
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प्राणाशिषृएग्रदोनादिन्वन्नृतस्यदोधितिम. ।
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विश्वापरिप्रियाभुवदधदिता ॥ ९ †॥
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अध हितोया।
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उपतितस्यपाष्योऽरऽरभक्तयद् हापदम् ।
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‘aaa एतवा मकस्य ऋषेस्तोतुमंम यज्ञ “Aer” qerat efauta वन्त मानयोः “पायोः? पोषणवद्ुढयोः अधिषवख- फलकयोः “"पदठ""खानं सोमः “यत्” यदा “डप wam’ सम भजत । “अध” अनन्तरं “awe” “धामभिः” च area: सत्त" सप्तभिच्छन्दोभिः गायश्रादिभिः “fara” draft सोमम् “efa’ec वन्ति ऋलिलः [ अपिवा सप्त सपखश्यौलेवसतौवर्था दिभिर्दकः सोममभिषुण्वन्ति ॥ २॥
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९अ०६ख०२स्१,०२,२] उसराधिकः। ९५१ अथ तीया ।
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चोणिचितस््धारयापुषटेष्वैरयद्रयिम् ।
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मिमोतेभस्ययोजनाविसुक्रतुः॥ ₹२४॥ श्ट `
सोमः “fare” मम यश्नस्य सखभूतानि “जोषि” सवमानि धारया भामोयया “fa धारथा" । किच्च पृषु” साम “रयि” दातारमिश्धम् ‘Ora’ भ्रायमतु “gaa.” शओोभन-यस्ञः स्तोता “भरस्व” इन्द्रस्य “योजना सयोजनादौनि स्तोक्राखि “fa मिमौते" करोति यस्त्रादेवं तस्मादिन््र सामसु प्रेरय- वित्यथं : ॥
हैरयत्”-"“एरया“-- दति पाटो ॥ २ ॥ १८
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॥ क्रोशम् ॥ प्राणा। गिष्एग्महो। नाम्। शो
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च @e Wo ©, ४, ४१ RI + “विभिमौते--मा साने, भानं करोतिः--इति चि०।
६५२ सामेदसंहिता | [३प्र०२अ०१८्स्०१,२,३।
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घं रयद्रयायिम्। भिमायितेश्श्रार२। स्यारयोजारना ।.
विसुररेक्रद्२४२ः। ओर२४५१। डा(२) ॥ १२५ [१ RTT ॥ चतम् ॥ प्राणाशिश्रुम दायिनाम्। इदिन्वन्नुतस्य र टोधितायिम्। विश्वापरिप्रियारभृषार््डायि। चारं wz र् R १९२१११९ धारर्ोद्ोवा। ए३। दिता२२४५ ॥(१) उपचरितस्य वद. व x Rsk
पाषायोः अभक्तयद्ग RII | यन्नस्यसप्ताधारेमाभो
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६अ्र°६ख ° VAS 2,2, 2] उत्तरा a: | ६५३
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॥ स॒न्ञानम्॥ प्राणाशिशुः। महोनाम्। fea anit । स्यदोषितायिम् । विश्वापारारेयि। प्रिया।
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२। प्रधा। मारभारङ्श्भौद्दोवा। श्रधप्रियमे२॥.२)
जोणिचिता। स्यधारया। पषठेषवारयि। रयद्रया २ र १ १२ g श र faa, भिमीतेञ्रार। watt जारनारर्ध्यौहो : र श १११२९ वा। विसुक्रतरहेपार२४५८२) ॥ २०१ ॥ ३] श्र श ह दे
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६५४ सामषेदसंहिता । [श्प्रण्२्अण्१य८्स्*१,२,२।
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राशयायिम्। मिमाई३श्ये। तेञ्रा३१२२४। श्ययो। Q ३२ ३२ १ ४ R
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स्यदोधितायिम्। विश्वापरिप्रियाभुवद। धार
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६अ०६ख०१स्०२,२.१] उत्तरा्चिकः। ६१५५
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॥ पीष्कलम् ॥ प्राणाशाहयिप्रुः। मा हारर४्यिनाम् ।
९ ९ १ १ दिन्वानुता। स्यादायिधौररध्तोम । विश्वापरायि। २ १९९ ११९६९ RRR प्रियारभर्द४५वा६५६९त्। अधंद्िता२२४५ ie) उपजौश ४५ २, इ ५ ९१ ९१ २, १ तस्य । पाषारेरध्याः। अभाक्तयात्। गृशापारद | ५ २९१ ५१ ( ? दम्। AWTAAT! WATRATLasyameuets: | अ १ ९९१११९१ RT १ श ४५ २३ | धप्रिया२२४५म् ॥८₹) बनोणित्रीरतस्छ। धारारदेध्या । २९ २९ ९ २ श , १ ९ es पृष्ठायिषुवायि। रायद्रारद्ण्यायिम्। मिमायिलेा। श् १९ ११११ स्ययारजा२२५५ना ९५९ विुक्रतृर२४५(३) ॥ rei [६। MT २९१९ र ॥ ध्यम् Ura | डोनोवा। frag श देर २ ९ रर १ rT ₹? १
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६५९ सामवेदसंहिता | [२प्र०२अ०१८स्०१,२,.२।
| र् एद श # 4 र दिनाउवा। अधिया २ ॥(१) उपनितारेख्य। पाषियो १९१ २१ VAT ९१ २१र २
वा। अभक्तयान्। गृदापटाम्। यजस्य सप्रधामभि
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area धारयोवा । पष्ठ षुवाथि। रयद्रयायिम् ।
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मिमोते्रश्ययोजनावि। सृ२३। क्रताउवा। श्रधि , १ र, ^ -द
ATS | एररहिया२४२। ओ्ओर२४५६। डा(३) ॥ ५५॥ [७]
: ऊ श्रर र र १२९ ॥ वारवन्तीयोत्तरम्॥ प्राणाशिशाभीदोचायि। मा श | १ १ | |, x श् हाररेथ्यिनाम्। हिन्वानारे४डा। तस्यदोधितिंविश्वा : हद ४र ५४ श श. श ges होवा । इ दाररशदायि। उड्वारररायि। RAT a १ ७9 ₹ रर ४र ५४ १२ प्रियाभ्। वादधदा३४। ओद्ोवा। इईदारदशडायि। श्र 2 ¥ Sees ता। रएड्िया६दा ng) उपचिताभौ ४ 8 8 : g x
` होदायि। सखापाषाररेध्योः। मभाक्ताररष्डा। यदद
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९अ०६खु०२स्०१,२,२ ] Baus t ९५७
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रदथायि। ओौदो३१२३३। याम् । एददियाईहा ॥(र)
जीणित्रिताओहोदायि। स््याघाराररेध्या। पृष्ठायिषु श्र द. ५ १ ३
रड्णहायि। रेरयद्रयिग्बिमी ता२४। ओदोवा। इदा
g ४. RUT २ १ 9 २. ररदायि। उवारदे४अआ । wats ना विसुक्रार षर णर 4 । RT र
४। ओदोवा। इदाररध्हायि। ओदो३१९३४। त्: ५९ 4 ufearareet । दो५दै। डा(२) ॥ २८५ ॥ [८] ररर ॥ वार्म्॥ प्राणाशिणुः। माहायिनाम्। fe
< P ब् ज्छन्न तस्यदोधि। तायिम्। विञ्ार्पाररध्रायि। प्रि ४र द् याभुवा३त्। ग्रा! WAL दारयिताररे४अद्ोवा ॥८१ १ ३
उपचिता। स्यपाषादेयोः। अभक्तवङ्ग.हाप। दाम् । ee a ee
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यश्नारेस्यारेरे४सा । प्ताधामभादयिः। दैदेया। wa ्ारेया रद््मौदोवा ॥(र) चोणिजिता। सख्यधारादेवा ।
दर ॐ 4 = 4 १९ < Gee | यायिम। मिमारयितेरदध्मा। wet ATT ` शे
जना२। ्रया। विसु। क्रास्तुरेर्यौदोवा। ऊ
रेरदेध्पा.३) ॥ Se ॥ [<] QS अरघ चतुघे-ठचे- प्रथमा |
१९ ९ ९९ & 2 Le । ९१९ 1 2 & पवखवाजसातय पविजेधारयाचनः | Ree श्र VR
इनद्रायसोमविष्णवेदेवेभ्योमधुमत्तरः॥ ९४ ॥
हे “ara!” “ga.” अभिषुतः त्वम् “इन्द्राय” “विच्छ”
च॒ wan मित्रादिभ्यः “cha” “मधुमस्तरः" ufanaa माधूर्योपितः सम् “वाजसातये ween “faq”
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“area “पवस्य” सर ॥
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१अ०५ख७.४स्०२,२] रत्तरािंकः) ` ६५२
“"वाजसातये'-““वाजसातमः”'--इति पाटो, “मधुमस्तरः"- “ayata:’—vfa aie a
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६१९ ९१ ९९ ११ ११३ त्वादरिन्तिधोतयो दरिम्यविचर अदु चः १२९३ W 2 ९९ १६९ ९ १९ वल्य श्ञातन्नमातरःपवमानविधमणि ॥ २५ ॥ हे “वमान” पुयमान सोम | “वि धमंशि” विविधं हविषां धारके यश्च “अदुः” द्रोह-वजिताः “ata”? we लयः [ धौतय इति we लिताम (fade २,४,७) ] “efe”’ हरित- ay “afaa” खितं “at” “रिहन्ति” लिहन्ति निष्पौडना्े quan! ततर दृष्टातः“ वक्ष जातं न मातरः"; 'मातरः' माढ-भ्रूता गावः उत्पत्र वस्स" यथा "लिडन्ति' तदत् ॥ “aa? “aay —sfa पाठो, 'मातरः'*-“ धेनवः” efa wn
रथ aatatt 2 Vc त्बन्द्याश्चमदितव्रतपथिषोखखातिजम्निषे | १ १९ १९ ३ ९२
प्रतिद्रापिमसुश्चथाःपवमानमदित्वना ॥ २४ ॥ १८ 9 qo Fe ©, ४; २८, २ | † विविच कलंकि'- रति fire |
fw चे००,५,९०, ४ |
“geo सामवेदसहता | [रप्र०२अ०१८स्*१,२,२।
रे “मदव्रत महाकर्मन् सोम! “a” “at” Tae “gfaat a” “afa जज्िषे" saad बिभति [ ewer धारण पोषणयोः; (त०उ०), तस्य छान्दसे लिटि ( २,४,६ ) सर्ववि्ीनां छन्दसि वेकल्िकत्वात् श्रत्र इडागमः, wafer सोमामना,- प्रथिव्यां लता-रूपेणेति एवं लोकहयवत्ति त्रम् ] । हे “पवमानः श्रन् ! त्वं Cafaar’ महत्वे न युक्तः सन् "द्रापिं" कवच “प्रति aqua.” प्रतिमुञ्चसि सणोसि ॥ २१५
1 2 र ठर 9
॥ गोरोवितम्॥ पव। खवार। जसातयायि। tz < < ९ < 2 ४ पविच धारयासुतारदेः। आयिन्द्रायसो३१२३१। मवा
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भयिष्णवायि। दाथिवेभ्योमा३क्३। धुमोवा। ताभ
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रिम्पविचेखद्रहाः। वाद्धच्जञातारशररे। नमाभ५तराः
पावमानार१२३। विधौवा। मापणो€दायि ॥(र) त
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वम्। arg महिव्रता । पुथिवोच्यातिजयिषारर
* द्टापिं-द्ातयम् *** केषां ? यञमानानाम्- हति fae |
६अ०दख०४यु०१,२,२] उत्तराचिकः। ६६१ 2 र र
र tz R यि। प्रातिद्रैपारश्रदयिम्। भम५चथाः। पावमाना
३१२३। मदोवा। त्वाभनोईाचि(३) nee [श् |
शे र \ ५ ॥ पाथम्॥ भोहशोरेद्धोयि। पव, खवार। ज
| र ब् १. २ ३ ५ सातारद्ध्यायि। प्रवि। चधार। TATARRVAT: | र्र् ९ ४ २ र्र् \ TRU wate मवायिष्णाररेध्वायि। देव। भ्यो
श् ४ र द मार२। धुमाहेन्ताभरा९५६; (2) तुबाम्। FTRTR A ९ २ R © RR तिधाबितारेदेशयाः। हरिम्। पवारेयि। च अद्र २३ ४ ९ tT ९२९ १ ५ ९
Bat | THAT! जातारम्। नमातारेरे४याः। पब ।
Eg ९ द् मानार२। विधाङम्रीभणाई५६यि ue) तुवम.। द्या द २ श र qi) afearesvat! afar alae fasrat R २ ¥
रर््षायि। प्रति। द्रापारयिम। भमुचारङ्भ्थाः
र २ 2 Seals! पव । मानारडे। मङहारयित्वाभना ६५६८३) ॥ १४१ ॥ [र]
# HO Ale QA? CAO १२२०) + Ho Alo We (Yo ए४ा०।
६६२ सामबैदसदहिता | [श्प्र०२अ०१८सूु०१,१,३।
९ १ शे R ई र ॥ रयिष्ठम् ॥ पवसखवा। जसातार्यायि। श्रीदो ९ ९ TVET १ २११११ कि,
देवा। टइन्द्रायसोमविष्णवार २४५ fai इन्द्राघसो।
श् श १२ AT २ ९९१
मवायिष्णादेवायि। ओरोरवा। देबेभ्योमधुमन्नरार ११९१ श्र दरद्
Bey देवेभ्योमा। धुमाज्ादेराः। ओरचोदवा AY)
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तुबाषरिदा। तिधायिताश्याः। Whewteat |
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SBCA | वत्सश्ातन्नमातरा २३४५;:। वत्छच्ा Rg १ श्र १
ATA नमाताशरः। भोदेष्टोरवा। पवमानविधग्ध
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wy! पवमना । विधर्रारेणायि। we we वा॥(२) तुबन्दाश्चा । महहायिव्राश्ता ओदो र् ee x ९ ९ १११९१ ९ < वा। पुथिवोच्ातिजलिषार३४५यि । पुथिवोश्वा ।
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जाथोरषायि। ओहोरेवा । प्रतिद्रायिममुश्चथारे १ ४५;। प्रतिद्रापायिम्। भमृश्वादथाः। ओरडोरवा |
6 १५० ९ख ° ४स्०१,२, द] SMUT: | ९६१
१.१९. 8 RR ११९११९६९ १ रर 2% ₹२ र
पवमानमदित्वना ROY | पवमानमद्ित्वना१। पवमाना ।
श ४: $ १ ३ §6 श श $ 8 महा यिलाढ्ना | Meet! भीदेोरेवा | Lea |
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देया २४। डा 1 ASAI! ॐ३९२४पा(४) ॥१५॥ [३] ३ 8 ९
॥ दिरभ्यस्ततवाष्टीसाम ॥ पव । खवा३। हारा । RAT ४ एरर ₹ ३, द्र जसाताघारश्ध्यि । पवि। चधाे। दारदा। रया ६ aT ९. & ९ २९ सतारहः। इन्द्रा । यसो । eal मविष्णार
ध्र शेर र Ree १
द्यि! देे। भ्योमा३। दाडडदा। धुमादृ्ोरर
४। al MUU Van aaa रिदा ३। R R ३ श्र श ९
हारा । तिधीतायार२४ः। इरिम्। यवाश्यि। डा
vr ATR १ ५ श्ट रे ९ रायि । WRU: | वत्सम् । जातारम. दा RRC १ ४ र २ ३ ३
हृ्ायि। नमातारारर४ः। पव । माना३। इदा
fa । विधाक्चोर४। a! माभणोश्यायि ॥(र) तुव
@ He ATO चपर, १० श्सा०।
६६४ सामवेदसंहिता | [१प्र०२प्र०१२स्०१,२,३।
at ९ ९ ९ ३ २ १९ Al दयाच्चारे। हरहा। afeaqratess: fai टर ९ ९ २ १ ६वोच्ा२। डदारदा। तिजयोषःररध्यि' प्रति द्रा ९ ९१ ९ ४ र्र्
पारेयिम.। दारष्टायि। अमुच्वाथार४ः। पव । मा
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ना३1 दारदायि। मद दृषहोर२४। वा। ल्वा भनोई
हायि(द) ॥ ९*॥ [४]
। 2% R णर् he शे ॥ श्यावाश्वम् ॥ पवा२१। खारवा। जसा। ता yd |. Rt ‹ sai ufearl att विचधारा। या। qari श्र | ब॒ १? द र 8 र
एदिया? । इन्द्रायसोभादेवाइयि। जारदेश्वायि। शि द र र्द ९ 9४
रयि। -णडिया २। देवेभ्योमाधरेमा३। तारध्ध्यो zg RST.) ATTRA राइयिद। मिधो । तारदेः। च ए ॥: x एडिया। wl रिम्पवित्र । अ। Reet ae
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* Ho Alo ८१५० २0० Eglo |
६अ्र०्६ख०्४सु*१,२,२) sutifaa ` ६९१५ श्र At र ४ र ६ यि। श्डिथार। पवमानावारयिधा३े। मा२४५णेो६
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UTR) तुवारश्म। Tea! afel Aa!
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Le श्र एदिया र । प्रतिद्रापायिमारसु३। चाररष्थाः। 2
रर tz र् ४ ? चार्वि। रएददियार। caarartaravisfa । त्वा२४५
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२४५यि । दायिवाङ्डवा भ्योर्मा। yal त
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मातरार२०५;। पावादेडवा। मारेना। बाश्३यि
#* Ho ATO १४१्र० २अ० १९सा०।
( ८४ )
६९६ सामवेदसंहिता | [३प्र०२अ०१८स्०१,२,३।
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धा। मणा। भोरद्ोवा॥(२) त्वन्याष्चमडा ¢ fear र् ट x 2 x र् ता। पृथिषोम.। बातारश्यिजा। BAN २९५२। fa
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षप्रतिद्रापिमसुच्छथा२२४५;। पावाश्डवा। मार्ना।
९ श ९ # ५ | ATER! SAT) ओओरशोवा। शहो\१। डा(र)। ॥ २०४ ॥ [६] |
९ ४९ ४ श्ट 8 चै NATH ॥ पवखारदेवाअ। सातारदश्यायि। R _ 55 रद् २ श रे पवारयिखधा । रयासुताः। इन्द्रायासोर। मविष्छ WAT UU वायि। देवेश्योमार। धृरदमा३े। ATRBY Tg WT
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रयिम्पवायि। च अदुहाः। वह्सश्ाता र्म । नमात र १ 8 ३.
राः। पवमाना! वारखयिधाहे। मा३४५णोडा ४ ५ ₹ 8 a
fa ne) त्वन्द्यारहेश्वम । feategzat) पृथा रयि
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९अ EqoUTet ey ewatda । १९
| 4 र् श र R वोचा ¦ तिजसिषायि। प्रतिद्रापारथिम्। wa
- १ R ४ R 8 धाः। पवमानार९। मारेर्दाषेवि। त्वा३४५नोश्दा faa) ॥ २१५॥ [ॐ]
श् श्र ॥ 1 ॥ माजेयम.॥ पवखवा। जसातारश्यायि। पां VT UC RU श् १ ब्
fader) रयासुररताः। TTA! माविष्णावा
वि। देवेभ्योरमार। धुमोबा। ताभरोईखायि ॥(र)
। कि ठ द ९ १ 8 १ र्र् ॥ तुवाधरिदा। तिधोतारदवाः। शारिपवि। अभद्र श् ९ < ७४ R श्
९ VAT | वद्यच्ञातम.। नामातारा 2: | पवामारनार। 8 च 8 ४ ९ x 4 विधोवा। माप्णोश्दायि॥(९) तुषन्थाश्चा। afer saat! पाथिंवीश्ा । तिजसीरदषायि । प्रतिद्रापिम् । . रे र्
भआसुश्चायारः। पवामारेनार। मशोवा। त्वा४नो
र्हायि(र) ॥ १० a [८]
# He Ate UUHo eGo wwe | { Ho are eno Wo testo!
ger waded fear | [प्र०२अ्र०१८स्०१.२.१।
४३ 8 EY at ॥ यज्नायन्नोयम ॥ पवाऽ५ष। वारजारदसाइसाता श् ९ ₹ 8 xt R ब्
यायि। पाविषेधा। राहवासूदेताः। इन्दरारय।. सो
मारश्वा। इम्म्ायि। प्णादेवायि। दायिवेभ्योमधुमा
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रेवाजसातयायि । पवित्र धारादेयासुता रः! रयासु१ एद $ ताररः। भोमोरेवा । ईनद्रायसोंमारेवायिष्णवा रयि ।
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मवायिष्णाश्वाररयि। ओमोरवा। देवेभ्योमधरेमात्त
© खर Ao २०प्र० YGe इसा०।
९७० सामवेदसंहिता। [प्र,२अ०२०य्०१।
ध १९ र एष . श रारः। भमात्ताश्रारषहैः। भोम.। ओर। वार९४। ac द्
ऋहोवा। Bee) ॥ २*॥ [१९] OER त्न्याश्चमदिव्रता | पृथिवी
श्वातिजसीर् रषापि। ्रतिद्रापिमसुख्च रदथाः पवमा
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४४ (3) Wert । [१२] १< भव पञ्चम-ठचेफ- प्रथमा
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इन्दर्गाजोपवतेगोन्योषा
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दग््रसोमःसष्रन्वन्प्रदाय।
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इन्तिरस्ोबाधतेपर्यरानिं
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वरिवस्कुण्वन्बुननख्यराजा ॥ ११ ॥
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T Wo We ¢, t, ४४८ ( रभाग ११८४० }च्क्न्वे००,७,१२,६।
६अण०्६ख०्५स्०२ ] खस्तराशिकः ॥ Sk
इन्दः" शरण-गोलः “सोमः” “वाजौ"वरवाम् “गोन्योघा गमनश्यील-नौचौनाग्र-रस-सङ्वातः “इन्द्र” “सः” wea रसम् “न्न्” प्रेरयन् सोमः “Agra” we ae “पवते सुरति । fag “ca.” राच्स-क्रुलं ef” हिनस्ति । किच “अरातिं” aw “परि बाधते" परितः संहरति । ate: १ “वरिवः” atta धनं ““क्श्वन्” saat कुवन् “corre” बलस्य “राजा” ईशिता सोमद्ति॥
“श्ररातिम्-भरातीः”- दति पाठौ le a
we दितोया। PRT VT 2२१ र RR अधधारयामध्वापृष्वान ९ र्ट RC R स्तिरोरोमपवतेअद्रिदृग्धः । ३ ९ R ९ ९ २ श दब्दुरिद्रश्यसख्छ च्छषाणो ९१ क २ ३ एर रर देवोदेवस्यमल्घरोमदाय ॥ re I “ow”? श्रव भनन्तरं “afg ge” ग्रावभिदु ग्धोऽभिषुतः सोमः “ae मदकारिश्या शधारया “व्चानः देवान् सम्परचेयन्† “da अवि-रोमभिः कतं पवित्रः “तिरः
© we Fo 9, 8, t,t | t “श्वान--निष्याद्यमानः- दति fae | ‡ <ta—ctarfe wfarnfa, eqroferaae:—xfa fae '
१७२ सामवेदसंहिता! [शप्र०२भ्र०२०स्०३२।
तिरत्य व्यवधायकं war “aad” कलशेषु चरति । किञ्च “ea” “सख्य” सखिभावं कमं वा “aura” सेवमानो “eq” दयोतमानः “aac” मदकरः# इन्द्ः सोमः “eae” इन्द्रस्य “aera” aera “aaa” चरति ॥ २॥
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अभित्रतानिपवतेषुनानो
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दशक्तिपोभव्यतसानोभव्ये ॥ २१ ॥ २०
‹ "धर्माणि" धारकाखि (व्रतानि कमोखि “ऋ तुषा ऋतोः
काले “वसानः ्राच्छछाद्यन् “we.” सोमः “पुनानः पूय मानः सन् “ufa पवते” कलशानभिलश्छ ्षरति । कोटयः 2 “eq.” agieamag ‘Sa श्रामोयेन “cea” इन्द्रा दीन् “पश्चन् सम्मचेयन् संयोजयन्¶। तमिमं सोमं
* .मल्यरः-मदनोयः भच शोथो a" —cfa Fao | † we Fee, ४, ९१, २।
‡ शदेवः-खोमः दानादि-जुखयुक्कः- इति बि०। ¶ “इचन्-तपयम् Tega वा-इति fae ।
द्भ०६स०५स्०१,२,३] swerfe a | १७२
“en” दशसह पाकाः “चिप” [ अङ्ग लि-नामेतत् ( निष 2.42 ) ] water Raa इति तव्स्याका भक्त लयः “सातौ” ससुच्छिति† “भव्ये” सवि-भवे पवित्रे “sara” गमयन्ति [यदा awa पविश्रे gaara सोमम् waa गच्छन्ति। वौ गत्यादिषु ( भरदा०प० ) afe व्यत्वयेनामनेपद्म् ॥ “शव्रतानि?-^भप्रियाणि-- इति पाठौ ॥ ३ ॥ ०
व. द. ब १.९
। दाशस्यल्यम् ॥ इन्दुरौद्ोवा्ठाशैया। वाजाउ।
वा३। हाउवा। पवतेगोनियोघाउ । वा । शाख
९ ^$ १ 8 ह वा। इन्द्रायिसोमः। साषदग्वाउ। ata ered.
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३। मार्दार४्अो डोवा | या९२०५। चन्तायिरक्ो।
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९७४ सामवेदसंहिता । [रेप्र०२श्र-२०्सू० १,२,१।
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वा२। मारदार२४ौ दोवा। या२२४५॥(२) अभोदो
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FAH नाई४२। स्यारराभजा६५९ ॥१) अधधारा। ९ ९ १ ९४ ४ VUE RUT र यारमध् | बापुचानाः। तिरोरोमा। पवते। we ४ ५ RR x १ ९३ ४ ५ दुग्धाः। शन्दुरिन्द्रा। स्या सखि। यच्जषाणाः। श्रश्रर ९९ ९ ४ देवोदेवा। स्यमत्घ । Tees! भारदाधया६५६ ॥(र२) ९ २९४ ५ शश्र र 2
अभित्रता। नोहेपव । तेपुनानाः। देत्रोदेवान्।
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६७६ सामवैदसंहिता। [श्प्र०२अ०२१ख्०१। ४ र J शर र R _ सानाः। ओरहायि। ओरश। भोशा। इयार। $ & र 4 १ १ श् g 8 MVNA द शक्तियो । भव्यत। सार४। TAT ५ व्या९५६यि(३) ॥ xe W [र] २. शति सामवैदाथे-प्रकाथे SHUI WATS Qs: खण्डः ॥ ६ ॥
अथ सपमे VW प्रधम-युक्षषा- प्रघमा |
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यद्वस्यतेपनोयसोसमिदौदयतिद्यवो
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षट्स्तोढभ्यश्याभर ॥ १॥
` ° we मा० तप्र" Yo VETO | + न्वन्नायङ्नोयमम्निहोम सामः-इति fae | ‡ शदानोमुक्सासानि'--इति fee | ¶ ‘sqdq sta’'—tfa fee | $ we Woy, t, Bt (Late ८५४९० ) == We FO १८ २९० eI
QMooMoegor] sucfea: | ९७9 हे “aa” “द्युमन्तं” टोतिमन्तम् “qaqa” जोषम् “ते लाम् “भ्रा” सवतः “odtafe” दौपयामः । “यत् इ" यदा खल् “A” तव “स्वा” सा “पनौयसो सुत्या “समित्” aft “दवि” खलोके “दौदयति” दौप्यते तदा हे भ्रग्न ! “स्तोदढभ्यः” अस्मभ्यम् “say” अन्नम् “प्राभर” TET ॥१॥ wa हितोया ।
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अत अग्रक्चादविःप्ुक्रस्यज्योतिषस्पते |
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सुशचनर दस्मविश्पतडव्यवार तुभ्यड यत
१६९२ ९१९१२ इषशस्तो टम्य्माभर॥ २५॥
हे ““श्योतिषस्पते” दोपः स्वामिन् war) “शक्रस्य” aaa “ते तुभ्यम् “ऋ चा” wae wep “हविः “चा” अआभिसुख्येन “कयते” । ह “सुन्दर” सुष्टाद्ादक ! भोभन- हिरष्छ ! वा, हे “दस्म शतृष्यामुपश्षपयितः ! । fre गतम् ॥ “ज्धोतिषः'°-“ोचिवः'“-- दति पाठौ ॥ २।
@ Wot ३, ८, २९२,१। + शयाग्यानु वाक्धा-र्चखया--इति वि०। ‡ ^इविः-चद-पुरोडा्रादि-रुरूम्'- इति fro
aor araaadfwar | [३प्र०२अ०२१सु०१,२.२.
अघ ठतोया ।
tT. श्र ३६ २. श ९२ सोभेसुखन्द्रविश्यतेदबीं जोण्णोषभयसनि। २ २ ३१ ९ १ र \ SAAT SAGA TAA
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THURS I भाभर ॥ Aa ॥ २!
हे “‘qag” शोभनद्धादक! शोभन-हिरख्य! वा, we! sy’ “cal” calf हविः-पूणं शुहप्रथतो ““प्राप्षजि” sta eo aia” आखयसि पचसि बा “उतो अपिच “a,” अस्मान् “aang” यागे षुः “saga रुत्युरया फलेः । हे “शवसस्पते बलस्य पालयित ! । इषमिलयारि गतम् ५२५२१
श्र णर ५. < x
॥ सश्जयस् ॥ अतेषग्रथो। मारदाचि। द्यम R ४र४४ ५ ३४९९ ४द् ९४र४ र ४ ९४8९.१.४४ न्ताङ्दे व्जरम्। यद्रस्यातेपनोयसो । समिहोदयता : ५ RT ४र५ ) fa) ३! SAL द्याररध्वो (2) मात्र चा । श st ५४ ४ ४ ४ ९ 8
हारवायिः। ्एकरुया इज्योातिषस्यतायि। area # q@o Fo ९, ८, २३, 8 | †, ¶ ‘a उ-ष्ति पदपुररः- दति fae | t "उक्थेषु - समतु षति विण
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श् ४ १ र श इडम् । पारर४तायि । दरषर्दम्तोनुभ्याञ्मा । Sel
R ॥ 1 ५ डम्उ४म्। भा२४५रो९खायि() ॥ ca *॥ [९] श् दर ५ x ४ ५ ॥ खौग्मतम्॥ भार२४। तेभग्रदधो । मादायि।
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दय् मन्तन्देबवा१। MRA! जरमा । यद्भास्पारेतादेयि |
१ प । ५ १ ९ . XR पानोरयार४सो | समिहो रदय । तार्दयि। दयवि २. श # कि । x ४५ ४३ AT Ng) अारुद४। AMAA! हावायिः। WH ष् ।, RRR x ९ श् TATA | षाररेः। TAT | सुश्ाग्द्राददा३। g 3 R | 4 ९ श सवारयिश्पारद४तायि । FMA रर्लुभ्यम्। ॐर२। RRR a | 8 4
TAM WS) भोर२४। मेपुश्चन्द्रवि। शपातायि।
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are सामषेदसंहिता । [शप्रररभरर्रेरेसू०१)
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द्वी श्रीणोषे। WRI! सनिया। उतोनाङअदेत्।
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ुपृर्रारेश्ध्याः। उक्थं षु रश्व । ART TANT
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ब्रहमाकछ्ृतेविपञ्चितेपनस्यवे ॥ १ ४ ४
हे ova! “oma” “हृष्” रतन्रामकं साम न “दते >?
“गायतः, उच्चरत । area? “विप्राय Rafat “हतं ava “ब्रह्मते afeera हविलचणसप्याचख कभ “विष faa” faga “पनस्यवे” afafrera ॥ Comrena?--“TURA —Efa पाठो ॥ १॥ we a te ia a ae en „+ HO Alo LORe (Go दसा०। + Wo GTo 8, २, ¥, & ( wale ९९१९ Fe ) रक Fo ९, 9 १, UI t ‘aqrasatfad साम'-इ्ति षिन.
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प्रथ दितौया।
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त्वमिन्द्राभिभूरसित्वरुसय्यंमरोचयः।
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विश्वकम्मौविश्रदेबोमद्ारअरसि ॥२१॥ हे “इनदर!” “aq? “af” waaay चभिभविता Cafa” भवसि", किञ्च “aq? “सर्य म्” भादित्यम् “श्रो चयः” तिजोभिरदौपय,† fae “fara” faa कर्तासि “विश्व- देवः” सर्वदेवश्ासि [ तथाच यलु्राह्मणम्-- “अग्निं वा न्वन्या देवता wana” इति] भरतो “मदान्” स्वाभिकोऽसि ॥२॥
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विथाजञ्ज्योतिषाशवाऽ३ऽरगच्छोरोचनन्दिवः।
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देवास्तदल्द्रसख्याययेमिरः ॥ १४ ॥ २२
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ह “am!” तेजसा “दिवः” wae "रोचनं" sama अधिकरणत्वेन “खः” खगे" “विभ्बाजत्” प्रकाशयन् “अगच्छः” अप्राप्रोः, किच्च “Sat.” सवाः “ते तव
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* wo Fo ¢, ०, 2,2 | † ‘a’ सू्ेमपि दौपयसे--दति fae | † we Fog, 9, १, ३।
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६८२ सामवेदसंहिता | [ewer We Aro 2,2,2 |
“सख्यायः' faaara “येमिरे” ख' aura नियमितवन्तः# अस्माकम् इन्द्रः सखा यथा स्यादिति सबं देवाः प्रयव्रमकाषु-
रिव्यर्धंः 11 २॥ रर
॥ सीमिचम् ॥ नदय, अश्शोडयि । ait
tx . र्ट रर ९ १९११ श २२२०५बा९५६९। इन्द्रा रयसामगायतार२३४५ | faure १ १९६१ र् ₹९ १
TIVE! Awad रविपशिते २३४५ । wl पनस्य
११११९ शद् श्र ९९११९११ र्
वे२९४५॥(१) त्वमिन्द्राभिभूरसौर२४५। त्वधसु्येमरो
१९६९६१११ रर १ र श्१११८१ R R
वयार२४५:। विश्वकम््रा विश्वदेवार३४५;। wel म
र श्र RT ९ १९९१९१९९ हारभसार२४५यि ॥(र) बिभाजजञ्ज्योतिषासुवार२४५ः | १ श्ट र 2 श्र et श्र ११९ १९
अगच्छोरोचनन्दिवा९ः। देवास्तदन्द्रसख्यायार२ ४ ५।
ere ¦ रर्दोरयि। सो २२२४५बा६५६ | ए२।
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येमिरा२३४५यि(२) ॥ १० † ॥ [९] २९
* orga भवति-बदोवाव were quae नियेभिरेः-इति fae | T Go Ate We Lo १ज्सा०। |
९अ०जख०श््०१] उत्तराचचिकः, ace अध ठतोय-ठचे*-
प्रधना |
१२ ९ १९ ९ RL २ ३ १९ २
असाविसोमृन्द्रतेशविष्ठधुष्एवागदि |
ट रे ९ श 8
आत्वापुणक्किण्दरियपटरजःखर्य्यो नरभ्िभिः॥ ९ † ॥
डे “रनर!” “a” त्वदयं' “सोमः” “असावि अभिषुलोऽभूत् । = “शविष्ठ अतिशयेन बलवन्! waza “ष्णोः शत्रणां धर्षयितः! we! “orafe” देवयजनद् णमागच्छ, भागतख्छ “ल्वा” लाम् “इन्द्रियं” सोमपानेनोत्यव्र प्रभूतं सामय्येम् “श्रा एरक” भरापूरयतु। (रजः भन्तरिक्तं “रश्मिभिः” face: “qat a” यथा aa: पुरयति तदत् [शविष्ठ--पवखिन्- शब्दादिष्ठनि विकतोलुक्, “टे: ( ६,४,११५ )”—xfa fe- लोपः, पादादिलात्रिघाताभावः (८,१०१ €) । गदहि-गभेलंटि “बहलं छन्दसि (२,४,७२) “शति शयो लक्, “श्रनुदा त्तो पदेश (६,४,२७)“--द्त्यादिना भ्रुनाखिक-लोपः, तस्य भ्रसिष्ठवदभा- भात् (६,४,२२)”--दत्यसिदतवादेलंगभावः ॥ १ ॥
* (सावे श्वाभिव साम'--दति बि | † We We ४८, २,९, ६ ( भार ३०९० }) =क्र Hot, ९, ४, १।
० “
६८४ सामवेदसंहिता । [शप्र०२भ्र०२९्स्०२,३।
अथ हिततोया।
९ ६१२. ९१९२९ ९ १२९१९
सातिष्ठव़चदन् थंयुक्ता तेब्रह्मणा रौ |
९ ९९ ९३ २९९ ९ ९ 2१ श
अर्वाचोनशखतेमनोग्रावाक्कणणोत्बश्ुना ॥ २ *॥
हे “Carag” शत्रूणां हन्तः इन्द्र ! “रवम्” “भा fas” wae) यस्मात् “a हरौ ada “aww” स्तोज्- लक्षणेन मन्त णुः “ga” रथेऽस्ाभिर्योजितौ [ “सुपां get (७,१,१९ )-दव्याक्षारः] war त्व रधमातिष्ठ । “A मनः” त्वदौयं मनश्च रावा” अरभिषवाध naw: पाषाणः “AeA वद्चनोयेनाभिषवशब्ट् म [ “aang (ge ३, 22 )*-दइ्ति नु-प्रत्ययो गकारघान्तादेः] “भवावौनम्'"-भ्रखदभिसमुखं “SAVY सुष्टु करोतु ॥२॥ अध Sarat |
RP Reco we ९१२ दन्द्रभिद्धरोवशतीप्रतिधु्टशंधेसम् | RW RT RIV ९ १९ ९
MANU VAT तोरूपयन्ञश्च मानुषाणाम् ॥ २ १॥ रर ॥ दूति ठतोयः प्रपाठकः ॥
* we Tet, ९, ५; ९्~य०व ०८, AI
+ “रथं-गदशोयं वेनवनाम्' षणि fare |
‡ श्रद्यणा-पेविदख-रचरोन अथवा aga त्रम । Wat ayer fece- गभेश्,-- दति fae | Emo Tet, ९.५, Vado ८, Bey
९अ्र०जख०१य् १,९२.३ | suifaa: | acy
“‘sifagumad” केनाप्यधषि तवलमहि सितवलमित्यधः “द् न्द्रमित्””#दन्द्रभेव “aearui” वसिष्ठादोर्नां “मा नषाणाम् अन्येषां सनुष्याणाच् “gems” योभनाः at: “awe”? “हरो” अण्डो “उप वहतः” समौपं प्रापयतः। यत्र यत wafer aa qa यजन्ते तच सर्ववरन््रमखे प्रापयत waa) [ मानुषाणाम् “मनोज तौ (४,१,१६१)- इति मनु-णब्दादज yaaa” ] ॥ ` “aarat सृष्टतौः"-“ऋषोणाच्चस्ततोः”- दति पाटो wall 78
र् ४ ४ ॥ मंदवैश्वामिनम्॥ दयायि । eae. मोषा
४ ५ Sg ९२ arat! (wafer) असाविसो। मदन्द्रातारयि। ९ रर ९ द॒द ह ९? शवि्ठधा। WATER भात्वापणा। क्त् इन्द्राया ९२ १
रम्। Taal) नरभ्ायिभा र्विः ॥९) भातिष्ठ १९ ९ ९ ; ९ Wz
AT) Geared युक्तातेत्रा। Puree
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अर्वाचोणाम्। GATT | TATE । AAYAT
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Rue) इन्द्रमिद्धा। रोवद्ातारः। भप्रतिधा | टश
‘<q—tfa पद्पुरकः -दतिवि०। { ‘wiiet -दश्ेन-समधानाम्,- शति feo |
६८९ सामवेदसंहिता) [३प्र०२अ०श२स्०१,२,१।
R २्दर ATATRA! WUTC! TAMAR! यज्ञश्चमा | ९ रर 2 ९
STUUR! AWA मानुषाणास्म्। इयायि।
४ ४ ठ ५
SAS | ओष्ाभोडा । Bl BBCI! २। दो २३४५६ | डा(२)॥ १८ *॥ [१]
९ र र् RR ९ | ॥ त््टोसाम † ॥ असाविसोशडा। मदृन्द्राता रयि । १ ९ रर ९ ष्र र २ श WASHTS ST | ष्ण वागाोर। आल्वापणाश्दा | क्त १ र र रे इन्द्रायार्म्। THAT! नरार्ोरेदे४। वा । २१ श्मा५यिभोईदायि॥(९ आनिष्ठवाइदा । qeqrare १ र रर २ Rrart zt १द शट र म्। युक्तातेब्रारद्ा। दणाषारोर। अर्वाचीनारष श् १ रर ९ १ र् श हायि। सुतेमानारः। ATTA । तुवारशोर र् श्र 281 atl प्रेभनोहायि॥(र) इन्द्रमिद्धारदधा । रो १ १ ९ ९, १२९१ १२ ब्ातारः। अप्रतिधारच्ा। श्वासारम्। wat % Be Alo शप्र" १० were | + शारो दति कर go az; |
९अ०ऽख०२स०१,२,२] उत्तरा्चिकः। ete
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gcc सामबेदसंहिता। [प्र०२अ०३स्*१,२,३।
बेदार्धेख्य प्रकाशेन तमो ere निवारयन् | समथा तुरो देवाद् विश्यातोधं-महेश्वरः ॥ ६1,
इतति alae जाधिराज-परभेष्वर वे दिकमार् WAN क- खोवो र-बुक्ष-भूपाल-साम्बाज्-धुरन्धरेण सायणा-+ चाय्यण विरचिते माधवोये सामवेदार्ध-
VAIN उन्तराग्रन्ये षष्टोऽध्यायः*# ॥
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