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1 1. Acvalayan, Fasc 4 1 “@ fic! cach 5 1911142 Cankhayan, (Test) Vol Toba, ray Moe. TL. Fase. 1.430; Vol ITT, Faw ४९१] [५ Las चै @ji gj cach 19 ०0 Butte TLatvayan 110 Joo , 1. cach 5 lo * a Bhashyam, (९८९१) Mase ob @ dig cach r 14 n Riya Kaumunidi, ¡^ 1 2 4 @adddhara Paddhath Kalasara, ६.11, base = 4 0 Datta Acarayira, Vol TI, base. it 3 1 ty Gobhiliya ( hyo Sutrum, Faw. 4 12 (ह fro] 5 १०६ Kala Viveka. Fasc. 1 > So 4 6 Ratantra, Fasc. t-6 @ fro] each 4 Katha Sant Navara, (11111) bas org @ 14 ८५८) 17 8 Kiiema Purana, Fasc. ३9 @ frog each oe ls 2 Balita.Wistarap (English) Fasc. 1-3 @ 1/- eac iis „०. 3 9 Ditto Fasc © @ fio] each ; . 2 8 Madana Parijata, Fasc 1-11 @ fico] each 6 ४4 Maha bhagya-pradip «ly wa, Vol. I Fase. 1-9 & Vol. II, basc. get2, Vol = ५. wal IW, Fase. 1-6 @ /1. each *= 16 it Manugika Sangraha. (Test) Fasc 1-3 a Jia] ear “ie . Lt ly Blirkandeya Purana (Mnglish) Fasc. 1-9@ 1/- each ae sd Ditto (Testi Vasc 5 7 @ jlo sais ce ae oe (रन [५1४११ Pasty laa. 919 @ (1 cach ase wm 8 bax

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शतपद्ब्र्मिणम्‌॥

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नवमकार्डम्‌

अथ प्रथमः AIST:

प्रधमं ब्राह्मणम्‌ a पिदा sean’ प्रथमं wreary इरिः

अथातः शतरुद्ियं जुहोति wee सर्वव $गिनिः संततः एषो स्द्रो देवता fare देवा UNE HT सुतम्‌ AEG: स॒ एषो ऽब- दौप्वमानो sree मिच्छमानलस्ादेवा अबिभयुयदे

नो sd न्‌ इिए्ख्यादिति *॥१॥

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Chlapatha-Brakma nam; Vol, 1X, Fase 4

> शतपथन्राश्मण्यम्‌ ( (Ho १ब्रा०)

लि जतरुवन्‌ | Va मस्म सम्भराम तेनेनठ गमया मति wal ऽएतदन्रद्‌ समभरज्छान्तदेवल्थं aa a- मश्मयं लदादेतं . देव मेतेनाशमयंस्त स्माच्छाम्तदेवत्यए गान्तेवल्य ¥ वे. तच्छतरद्विय मिल्याच्चते miss परोऽखकामा fe दवास्तयेवास्मन्नय, मेतद- way रूप मु्समं दधाति एषो sa दौप्यमान सिष्ठल्यत्र मिच्छमानस्तस्प्रा suazay marta शान्तं- देवल्यं Haag गमयति

जत्तिलेजंहोति | जायत ऽएष एतसञ्चीतरतु a एष THA ऽभन्नाय जायत ऽउमयम्वेतदेन्न' क्ष्ण

fart यच्च ग्राम्यं यच्वारण्यं यदह तिलास्तन याम्यं ~ ~ = ~ यज ~~ ms AAG पच्यन्ते तेनारण्य मुभयेनेवन HATAA प्रोतः MAT ACA Sy 2

wanda जुहोति | अन्न wat $त्ेनेवेन faq प्रोशाति॥ 8

परिभित्सु जुहोति भग्नयएते यव्यरिथित स्तयो wren पग्निमलेवाडतयो इता भद्ध §.\,॥

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यदेवे तच्छतरूद्वियं ava प्रजापतेख्विख- स्ताह वता उदक्रामंस्तमेक एव देवो ATH VTA सो sfaaafaiaay sfasq सो ऽरोदौतस्य यान्ध- gfe प्रास्कन्दंस्तान्यस्िन्‌ मन्यौ प्रल्यतिष्ठम्स एव णतशौर्षा ag: सम्नभवत्‌ Aware: गतेषुच्िर्थै या अन्या विप्रो sade भ्रस॑ख्याता. averutet श्ञोकाननु प्रा्विधम्तयदुदितार्छम्‌ भ्‌ वं्स्परादरटराः सो sag गतशौर्घा ae: मरसराचः णतेषु धिर धिज्यधम्व! प्रतिहिताय भोषयमाणो Sfaseq मिच्छभानम्नस्मरा- ocr a eee | ` `ते नते ahah 1 Gare fait यदे नोऽयं a feverfefa सो saatea aM सम्भररत alas” शमयतेति AM SOATAY ममभर्ञ्कतस- fed aaa anadaaeny wawitiag a stand स्तखयाच्छतगोषरुद्रभयनीयपं गतौ. शद्रशमनौयप्‌ $3 तच्छतमरद्रिय frases अरोऽचं परोऽखका मह fe Sarquatay $्रय AAAS सश

etacmerefed तमेन भमयति yo

शतपथत्राद्यशम्‌ ( (He १ब्रार)

गवैधुकासक्ञभिञ्जोति। यव वे सा देवता विखस्ताशयत्ततो TAA: समभवन्ख्ेमेवेन मेतद्‌- भागेन खन रसेन प्रोखाति

पान जुहोति एतस्य वे Sree: समभवर्खनेवेन मतद्गागेन स्वेन रसेन प्रौणाति ॥<॥ परिचित aif) लोमानि वे परिग्रितो वै लोमसु विषं a किञ्चन हिनस्युत्तरार्ेऽमने- गदड तिष्ठन्‌ नुषोयेतस्या दिश्यैतस्य देवस गृहाः खाया मेवेन मेतहिशि प्रीणाति खायां fesas यजते १०

सवे जानुदक् प्रथम सखाहाकरोति | अध. बरव वे तद्यच्ानुदघ्र मध-दव तदादयं HAA Sea लोक रुद्राः प्राविशंस्तां स्तत्‌ प्रणति ११॥

अथ नाभिदघ्ने «| मध्यमिव वे तयान्नाभिदघ्र मध्यमिवान्तरि्षलोकस्तय ऽन्तरिच्नलो कथ रद्राः प्रा- विशस्ता स्तत्‌ प्रीणाति १२॥

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( १अ० tate } नवमकाण्छम्‌ "

wa मुखदप्र। ऽउपरौव बे तयाग्पुरखद्न quia तदसौ लोकस्तदोऽमं लोक रुद्राः पराविशंसतां स्तत्‌ प्रीणाति खाहाकारेगान्न वै खाहाकारो ऽनेनैवेना- नेतत्‌ प्राति १३ | |

नमस्त az मन्यव ssfa) एवाश््रिग्सो ऽन्षन्मन्दुव्विवतो ऽतिष्ठत्तस्मा ऽएतन्नमस्करोलुङ्को {दषे नमो बाष्भ्यामुत ते नम Tater a fe बाड्भ्यां भोषयमाणो ऽतिष्ठत्‌ १४॥

एष aa दवः *। यः गतगोर्षा समभव- fen दम ऽइतरये faye: aaudaat $ण- aa चज्रायेता faq एतं एरम्तादुडार मुटग्न्य एष प्रथमो. ऽजुवाकस्त मेन प्रो गं लथेवास्मा WA मतं grange मुहग्ति att प्रोखाति caer एकदेवल्यो भवति रोर एत Bar प्रीाति॥ १५४ |

चतुदृगेतानि agqofa भवन्ति वयोदभ मामा: संब्वत्सबः प्रजापनिशचतुदशः प्रजापतिरग्नि-

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d गतपथत्राह्यणम्‌ ( शप्र tate )

यावाननिर्यावल्यस्य मात्रा तावतेउन मेतद्न्रेन प्रौ- णाति नमो नम इति यन्नो वे नमो यन्नेनेवेन भतन्रमस्कागण नमस्यति तस्मादु ¥ ara fs quana ऽदूति यथा हैनं तब्रूयादान्नस्त safe ताटक्रत्‌ # ll १६

wa दन्द्भ्यो avifa, नमो saw चेति तयथा वे बरूयाद सौ+ त्वं चन्‌ एष चमा frofae faa aaare AAT fe विदित ara ferent feafa | gon

नमो हिरण्यवाष्टवे। सेनान्य दिशां पतये नम geq एव feteqare: Raraita दिशां तिस्तयत्‌ किञ्चाचकदेवल्य मेतमेव aa प्रौणाति चवमव तदिश्यपिभागं करोति तम््रारादिशम्तक्षिन्‌ चवियो ऽपिभागोऽथय या असंख्याता सहस्राणो्मा- छ्लीकाननुप्राविशत्नेतास्ता देवता याभ्य एतच्नुहोति १८

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अथ जातभ्यो जषशोति। एतानि जातान्येते शद्रा अनुप्रविविशुयव-यनेते तदवेनानेतत्‌ प्रीणा- त्यथो saay रतानि स्द्राणां जातानि देवानां वं विधामनु मनुष्यास्तक्माद्‌ Fala मनुष्याणां ला- तानि यधाजातमेवेनानेतत्‌ प्रोणाति १६

तषां वा ऽउभयतो नमस्कारा अन्ये | अन्य- तरतोनमस्कारा अन्यतहत घोरतरा भगान्ततगा ऽउभयतोनमस्कारा उभयत एवैनानेतदयन्ञेन नम- स्कारण शमयति २०

वा ऽअशौत्यां स्वाहकगोति। प्रथम STATS ऽधाशौल्या मथाशौत्यां यानि areifa यज्‌<ष्यावतानेभ्यो ऽन्न मभौतयो ऽन्न नेवेनानेतत्‌ प्रौ- शाति NRE A

पथेतानि यजृ८षि अपति नमो वः किरि- केभ्य 7a तदास्य प्रतिच्नातवमं धाम यथा प्रियो वा पुरो इदयं वा तस्मादयवेतस्माहवाच्छङूत तदेता-

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शत्तपचब्राह्मष्ठम्‌ I ( १प्र* tate )

भिर्वयाहतिभिजहयादुप हवैतस्य देवस्य प्रियं धाम गच्छति तथो डन सष दवो frafa n 2? नमो वः किरिकेभ्य इति एते रहौदर सव्व quate दवानाद्‌ raw इत्यन्निर्व्वायुगदिल्य एतानि तानि देवाना ezaifa नमो fafe- aaa इत्येते Wes wa विचिन्वन्ति नमो विचिगत्केभ्य gaa वं तं fafaafa यं विि- स्ौषन्ति नम भअानिहतभ्य इत्यते दम्यो लोकेम्थो sfaeat: २३

warecifa जपति | ard SWARM ST- waua zifuen & a द्रापयति a दिद्रापयिषलय- aaa ssfa सोमस्य पत ऽढत्येतदरिद्र नोल- लो हितेति नमानि ara रूपाणि खनाम- ग्राह मेवेन मेतत्‌ प्रीशाल्यासां प्रजाना मेषां प्रश्ना मेका रोको नः किञ्चनाम मदिति यथैव यलुस्तथा बन्धुः २४ `

एष चव देवः Aa ऽएतश्ये Baraat

e ‘@a—trfan, |

( १० tate ) नवमक्षाण्डम्‌ £ विशो ऽमुं पुरस्ताद्‌ बार मुदहरन्यो ऽसो प्रथमो ऽनुवाको ऽथाश्मा ऽएत मुपरिशटादुार मदहर सेनेन मप्री ण॑स्तथे- वाक्या swa मत मपरिष्टादुहार मुहरति aaa प्रीणाति तस्मादप्येष एकदवत्यौ भवति Tze एवे- AS दछयवेतन प्रो णाति *॥ २५॥

सप्रेतानि यजुषि भवन्ति। सप्रचितिको- ऽगिः सप्रऽ्तवः संव्वत्मगः संब्बल्छरो sfaaia- नम्निर्यावत्यस्य मावा तावतेवेन मतदन्नन प्रीणाति तान्यभयान्येकविेशतिः सम्पदान्त दादश मासाः पञ्चःलषवखय sa लोका परसावादित्य एकषिएग एता मभिसम्पदम्‌ ze

अधावलानान्‌ जुहोति | एतदा ऽण्नान्‌ दवा एतेनान्नन प्रौत्वायेषा मेतेरवतानेहनुटष्य बातन्वंस्तथे- वेनानय मेतदेतेनान्नन प्रोल्वायेषा मंते रवतानेदन्‌५- ष्वतनोति BAMA धनुषा कं चन हिनस्ति “HRN

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te शतपथत्राद्मखम्‌ ( प्रण tate)

ae सहस्लयोजन ssf; एतच परमं टरं यत्‌ सहस्रयोजनं तदादेव परमं टरं तदेवेषा मेत- इन्‌<ःष्यवलनाति # २८

यहवाह सहस्लयोजन ऽदति। wa af: महस्रयोजनं नस्यादिति नत्यन्यत पर मस्ति aqem wea तदेवेषा सडशसयोजने धन्‌“ प्यवतनाति + २८

अमंस्याता सहस््रागि vfaq areas ऽदूति यव-यच्र ते तदवेषा मतहनुटष्यवलनोतिः २० ll

दथेतानवतानान्‌ जुरोति। दशाक्षरा व्विगा- डिराङम्निहग fem दिगोऽग्निहग प्राणाः प्राया भग्निर्यावानम्निर्यावत्यस्य मारा तावतेवेषा। मेतदन्‌६- ष्यवलनोति ॥२१॥

प्रल्वरोहान्‌ जुहोति | एतदा ऽएतदिर्मा- ज्नोकानित net रोहति सस पराडिवि रोड दय

i. 3 "धन्‌ रष्यवलगोतिः- दति

( १अ० eate ) नवम काण्डम्‌ ti १९

4 a प्रतिष्ठा तै दवा gai प्रतिष्ठा मभिप्रह्यायंस्तथे- वेतगजमान इमां प्रतिष्ठा मभिप्रव्येति ३२ यदव प्रत्यवरोहति |

एतदाऽ एनानेतत्‌ प्रोण- avatar तत एवेतदाल्मान ATTATA लौषात्वं तथो हाननात्मना स्वं मायुरति ३३

यदव प्रत्यवरोहति | एतदा $एतदतान्‌ शद्रा- नित ऊरन्‌ प्रीणाति तान्‌ पुनरमुतो seats: nae

नमोऽस्त श्द्रभ्यो दिवीति। तदा safd- Gia शटद्राम्तभ्य एतन्नमम्करोति यषां वषमिषव कृति वष तेषा मिषवां वषग ते fewafer यं जिदहि८९सिषन्ति ३५

नमोऽस्तु agen ऽरि ऽदृति ¦ लदा ऽन्त- frat शद्रास्तभ्य एतन्रमम्करोति यषां वात इषव इति वातो तषा सिषयो aaa ते ह्ि८मन्ति यं जिशिरसिषन्ि २६

नमोऽस्तु ager ये पृथिव्या मिति। संदी sfaj@r® wera एतन्रमस्करोति am aa-

१२ शतपथब्राह्य्वम्‌ ( to tate )

मिषव इत्यन्न तषा मिषतो saa ते हिएसन्ति यं fafegtaute २७ 1

तब्यो दश प्राचौः। दशद्चिषा दश प्रतोचौ- दभो चीदशादा दूति दशा्चगाव्विराड़ गडम्निहश दिशो fest sfaen प्राणाः प्राण अमिनिर्यावा- नसिनिर्यावत्यस्य माचा तावतेवेनानतदन्नन प्रो गाति | २८

यइ वाह दृश-दश्रति। दश वा ऽ्श्वलेरद्लयो दिशि-दिश्येषेभ्य एतदञ्चलिं करति TATE Bag uta $ञ्जलिं करोति तभ्यो नमा sufeafa aw एकर, नमस्करोति ना weafaaf a scare asafe यं दिष्मो यश्चनो हष्टित मेषां जम qu sfaaaa हटि aqa efe a मेषां जम दधाल्मु मेषां जम्भ दधामौति ब्रूयायं दिष्या- तततो seater पुनरसतयपि तच्नाद्रि्ेत खयं निददि्टो दव यमवंविहेष्टि ३८

+ शप्रौराति- दति a:

( (Woe LaATo ) ATTRIB १.९

विष्कत्वः प्रत्यवरोहति चिहदमिनिर्यांबानन्नि- UTA मावा तावतं वेनानेतद्‌त्रेन प्रीणाति स्वाह- कारेणा वे स्वाहाकारो ऽन्ननेवेनामतत्‌ प्रीणाति विरित ऊर रोहति तत्‌ षट तस्योक्ता वन्धुः ॥४०॥

mea विष्कुत्वः प्रत्यवरोह[त | विहि aa ऊह रोहति TATA aa set राहति तावत्‌ we: प्रत्यवरोहति ४१

wa तसदर्कपगां चात्वाले प्रास्यति | एतदा $एनैनेतद्रौद्रं कम्म करोति तदतद्शान्त' लदेतन्तिरः कराति नदद्‌ ama कशिदभितिष्टात्तन्न दिनस- दिति वस्म्राच्चात्वाज्ले यदव चात्वाले ऽन्निरष यश्चा त्वालम्तथो VATA ऽगिः सन्दहव्यधातः AAI # ४२४

तदाः |` कथ मद्येतच्छतसद्विय८ संवत्सर मम्नि माप्नोति aay संव्वत्सर णाग्निना सम्पदात ऽदति षटि वै att far शतान्यतच्छतर्द्रिय

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e (मस्यदवः-- दनि We

१५ शतपथब्राह्मणम्‌ |i ( tHe Cate )

मय विद्य पञ्चविगत्ततो यानि षष्टिश्च atfa शतानि तावन्ति मंचत्मग्स्याहानि तत्‌ मंब्बत्‌- मरस्याहन्याप्रोत्यय यानि विटशचिधेगन्‌ मासस्य गजयम्तन्‌ मामस्य रावोराप्रोति तद्भयानि संव्वत्‌- सरस्याङाराचाग्याप्रोत्यथ यानि पञ्चविएशत्म ब्रयो- दशो मामः Seat विशदा प्रतिष्ठा प्राणा हं शिर ण्व qufagm मेलावान्‌ वे daa एवमु हाद्येतच्छतरट्रिय मंव्वत्मर मगन माप्रो खवप संव्त्‌- सरेणाग्निना सम्पद्यत ऽएतावत्य वै शागिडिने म्नौ मध्यतो यनुप्र्य seat उपधौयन्तं saat हते gay यदेता Teal एव मु हास्येते ऽग्नयः पथक्‌ शतरद्वियणाभिदता भवन्ति oh ४२॥ तदादः | कथ मस्येतच्छतरद्रियं Aver मा- प्राति कथं महतोकश्यन सम्पात syfa यान्य- मुनि पश्चविदशतियजष्यभितो swat: पश्च विश भामा यव वा भाता तदव शिरस्तत्‌

SER ‘= ==> क~ ~ =-बकि nd woe = —— ae.

^ ‘uafa’—cfa ख)

( (Go Lato ) AIHA १४

पचपुच्छान्यथ या भगोतयः सवाग्रोनौना मापि गौतिभिहिं महद्व मास्यायते ऽथ यदृ मशोतिभ्यो यदवादो महत THR मभो तभ्य एतदस्य तदेव मु इस्यतच्छतषद्वियं महदुक्य ATs AVA सम्पदात ४४॥ १॥

इति प्रथमप्रपाठके प्रथमं बाद्मणम्‌

WMATA नमः

वागोाग्य. सुमनमः: Aaa मुपक्रमे। यं नत्या HARA. WM ननामि गजाननम्‌

यम्य नि; ष्वसितं वटा यो वरेभ्योऽ सन्नं जगत्‌ | faut, aay वन्द विष्यातीर्थमहेष्णरम्‌ |

विनलोनामुपधानं fe काण्डम ऽउदीरितम्‌। अथाख्ित्रवमे कम मञ्धितम्याभिधाम्यतं

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“sara इटि "अथः शब्देनाच्र चित्युपधाय aftaarnr. aaa, अत इति यनः कारणात्‌ afaa: अम्निङ्प

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= का Mt. खः १८.१०१. We He tg १६.

२६ | WATAAT TAA ( शप्र tate )

saya wt रेतो; waefea सिति waarada यथा अग्निहोत्रं जुहोतौति। 'गनर्द्ियं लुषातिः शतरसद्रायःख््य कामे मावयेदिन्यधः। fafeaisa होमो रद्ररपतापन्रस्वाम्नेरप शमना इयः “MAT Lazar तेनेन) शमय- लोग्यन्तन अत्राग्पिब्रवमरे एषः ‘uf: साकण्येन संस्छतो भवति waaral ‘walt fam: यनः कारलादवास्तस्मि- चनश्चयननस्षणेन संम्कारण fauna (ममतं savanna रपं "अदधुः विघ्रंमनात्‌ प्राक्‌ यदमतं स्प मस्ति तस्य विख सनावसरं गनन्वादटेव YATR चयनमस्कारेणादधुः 1 तस्या aia fea: 'दौप्यमानोत्र मिच्छमानोः तिष्ठन्‌ इच्छमान इति व्यत्ययेन शानच्‌ x x x तधाभिधानात्‌ रद्रादेवा waa नोऽयं fyartfefa रविभयु शिति en

‘a रेवा असमः रदाय (wa मन्भराम aaa गमयामेति परस्व AMT AMAT: | `शान्तटवल्यं शाश्लदेवताथं टेवतागाश्यध faa: | Wawa शमनाथत्वात्‌ ace गान्तदेवत्यं तश्च देवाः परोक्काम चात्‌ ‘Nasa faa: तदत्र साध्यस्वात्‌ कर्मापि तयेव व्यपदिश्यते | Aare पूवे यथेव देशा कावः तथरवासावपि ana: तेन सहश्र [मतवान्‌ भर्वति a zt

प्रकते होमे दव्यविशषं विधाय तस्व वोभयविधानातकष्वात्‌ सग्रनघंस्कारे जात रश्द्रटेवतोचित रुपस्वन प्रशं सति-- “alwa- swine « "जत्तिला अरखयतिलाः एषः दूति त्य धम.नस् समस्य AAMT समुत्पत्रे एष We: “AAT

* Fle at wo १.१.

{ अण Lato |) AGAR

ONT जायते AAMT जायत शत्यः साधारण्यनशोम- साधनतया BRI: प्राप्ावपकबाद्‌ AHH १२॥

“gg पति अच `मकः षति gaa wed wor: ufaaizad w“ratfaaferaaryanta wik प्रमज्ञावाङग ufcfafeafa >) aftfaa इति चिताः परितो fafent: सुद्रपाषाणा. AAT WIA: WAM तषां ara: परितः खगरणाटम्नि तनना पराहूनयोऽगम्नि Baa ue इता भवन्ति! wa कःत्याग्रनः “naefeasia sate ata खशया परिशित्म्वकपणन।ककाहन गशातयनिनति | ।" पककाष्श्च टण्ड- म्घान BUNA ॥४.५॥

पनम्तमव्ङम TAMA FVWATGIY BZN मृत्‌ पलिप्रकारं दणगयन्‌ नच्छमनाग्रतत्वन unafa..- “यहभमदित्या- feat; ‘anda: मकागात्‌ विद््रंमनावमःं मामु zaarg तियग्गनाम्बपि एक ण्व मन्युः वम्तमपर्त्वश्य तम्मिन्नवान्तः विम्तलो तिन्‌ aay a प्रजापति विस््ंमनात्‌ ब्ररादौत्‌' गोदः नाच्च तनो यान्धग्रुणि प्राम्कन्द्न्‌ः ्रपनन्‌ कान्धम्तवन्मरानं ‘war प्रतिषठितान्यभूवन्‌ लनः aa: गशमगोवस्वाटि गुणक SAY) अथः तनयं aya जाना म्त Was Yat |: ufauife arara curfang’ “aaa अनक ‘Sat. जानाः,

yupaizaiviafafa —cfy र. t Sle Ato सु; rc. १. ` : कद्रानना; Ol i Oe

१८ शलपथव्राद्ष्म्‌ ( Ho शना,

Tizary तंवा Aaa: रदरत्वम्‌ `यः' पुनः ‘wantet इद्रः शनगार्षा रुद्रोऽभूत्‌ afafemat प्रतिहिताय अभिमुष्वस्थायं प्रजाय भयाय aaa मिच्छव्रतिष्ठत्‌ ९4

नश्माहवा श्रविभोसवा # प्रजापतिं दृषा तनोखमम्भरषाः शमयतत्य पदेशं प्राप्य AAA Vasyl एतज्चाव्रं गतगष- कटर गमनाधस्वाच्छलशोषरुद्रगशमन।यं तच्च परास्तकामस्वाहवाः प्रालङद्रिय fafa व्याहरन्ति अता यथव Zar: गतशोषं mage waanaay मपि यजमान एनं गतर्ट्ियहाम- लकस्षचनोपायेन शमिनतान्‌ भाति

aay हामद्रव्यान्तरन्‌ पिधाय प्रणमति -- “गवेधुकसक्षभि- fifa, गवधुका wee गोधूमाः तषां faz: waafed जुह्यात्‌ | ‘ar प्रजापतिरूपा ‘aa ‘aw यश्िन्‌ | wer ‘faaernaa auafefa gaafe व्यत्ययेन परस्मपदशाष्िः करणे रूपं, Aa.’ प्रदेगात्‌ गवषुका जानाः अतस्तर्छयाम- सम्पाटन aan तस्यैयाधप्रदशनम्‌ “aa रमनति। ख्वकोयेन रसेन येन भागनेनं प्रोणिनवान्‌ भवति। श्रव afaasetia मेधुकासङ्गभिजषोनोति गेव विहिनत्वाद्रव्यविकन्पः। भ्रत- एवापस्तम्बन सूत्रितम्‌ “गतर्द्वियं जुशोति जत्तिलयवाग्बा गवोघुकयवाग्बा जस्सिलेगवोपुकसक्रभिः कुसयसपिषाजात्तोरेण anima ५: यत्पुनरक्गं कात्यायनेन,-- “जस्िलमिश्वान्‌

e ‘afatiar- दति a ˆ -दगभयस्सिन्‌ vem sfa a ‘ae atte सु° १०७ ११. 3

( eGo tate ) | नवमकाष्छम्‌ tt १८.

गवेषुकामक्षन्‌" -इतोति ममुशयेनेनच्छार्वान्तरानुसारेणोक्ष मित्यवगन्तव्यम्‌ ii ८॥

प्रकपगन YAIR इत्यनेनवाकपणहोममाधनस्वन विहितम्‌ पनग्पि प्रकाराग्तरण स्तौति - “प्रकप्लनेति WIT ब्रदगरटेडः ne

प्रकपणवटेव oftfaatsfa vara atfa—

“aftfamy sratfa 1 ‘marta’ ee 'परियितः शयन्ति afefaqrafe परिनिः aaatfa नोमानि ‘ata विषव्राम्ति नौममसु विष ageafa व्राधाभावात्‌। wea नामामकषु परित हामाद्ुद्रापि किञ्चनापि वसु हन fa, “waar टदिग्यत्यस्यत्या[दकम्याय मधः--- waa eam मद्रम्य ब्टद्ादुक्लग्म्यां fafa waft मस्या दिश्या हिंम्याम्कस््वात्‌ | अन एतद्सराद्षामम स्वम्या मेव (1) दिशि एनं रुद्रं प्रोणाति स्वस्या मेव dawnt पृथक्‌ करोलि॥ १०

मवा श्रगोत्याश्च स्वारा कगोनोत्यादिना faaafanifay स्वाहाकारः क्रियन ऽदइन्यपरि्टादच्थते ay afaa ue स्वाङ्ाकार CA तज्राह-- वं जान्‌द्घ्न ऽष्नि। 'जान्‌- Su जानुप्रमाण Ren मोऽ्वयुः प्रथमं स्बाहाकगोति। नधा सलि टेगस्याधाटेगत्वादध्म्यानां weal प्रविष्टान्‌ रद्रानतम्‌ प्राति ee |

r ® Flo प्र]; षु. Ire er:

2 0 WACTATUTA ( te eatte )

एवं ‘alfuzew मुखटघ्न | arerarcmarfrenara- नोकं गनांखरुद्रान्‌ प्रोणिततान्‌ भतवति। नोकवयेपि पतिता wyz- कणाः GAIA fa: ममभर्वब्िति arya) थया Walt + इत्यादिना aiviaiwa इविनल्षणावप्रदानमाधनत्वनावस्वात्तन हामविधानेन एतान्‌ रुदराननन प्रीणितवान्‌ भवनोत्याङ- “areratvafa ne, १२५

WY प्र्रमामुवाक्छयम्य प्रथमा aq व्याचष्ट “नमस्त दलि अस्मिन्‌ प्रजापतौ a anaes 'मन्युवितनोऽलिष्टत्‌ ‘aa’ एवतेन नमस्करोति यद्यप्यत्र मन्युग्व लशा eae: ममभयत्‌ इनि मन्धरव शद्रः समभवदिनि मन्यु ग्व 8%: aatfa 'शद्रः-शष्ट्नच्र नदटाधारत्वनामटात्‌ प्रजापनि waa | ‘sqq वाहुभ्यां नमः इति। ata 'भोषयमाणो ऽनिष्ठत्‌' दति तभ्य एव नमस्कारं कदोति। मन्धुरव्र अलणार्घोर्ट्रो भूत्वा LYN वाहुभ्यां सवषां भय मुत्पादयामसति तचिवन्धन भयपरिद्गागय तभ्य: मवभ्य) नमस्कारः क्रियत १४॥

“स एष + मिव्यादिकम्याय aq:— प्रजापते रोटनावमर ‘a’ मन्यस्पो यो देयः | wamat at ऽभूत्‌ एव टेवः wa "विप्रभ्यो, ये जातास्त दतर ‘fam: तत एना fam ‘Am WAT DUI प्रयमोऽनुवाक VA पुरस्तादुहारं भाग मङुवन्‌ |

* TRI दनि ज) ¡ Raa Ta - प्रति

( 9@e vate ) TINRATBA

तन भागनकं सद्र प्रोणिततन्तः। यथा लोके प्रजा राज्ञाभागं प्रदाय प्रोणयम्ति तदत्‌

wat यजमानोऽपि नयत नस्य प्रथमानुवाकमनसष्षं भागं कत्वा तमन सपय्रति। प्रथमानुकाकस्य पुरस्तात्‌ उदारः कुलः प्रम Umea: मदटृव प्रदशिलः रद्र fai १५॥

प्रथमानुवाके षोडग्र मनाः AW चतुटग मन्वानवयुत्य म्तौनि - “चतुहगतानानि। अधिमासेन सह 'तयोदगमामाः Hamat: प्रजापतिखतुहशः' चनतुष्गमङ्कयापूवकः पुनः प्रजापति Tamia. नतोऽम्निरयि aye: सथा वचाग्नियत्पवि- माणकः शरस्य नाहणोऽपि मनत्यरिमाणकः aq परमां नवाव्रनाम्न्यात्मक द्रं प्रणालि) चलृहगमन्वमाध्यङोमलत्- यनत्रनाग्यामकः ee area wnat) मन्व पौनः पुण्य नमः We, प्रयुज्यन सच पुजातचनत्वन गरन्नाव्मकः, AAT 'नमानम इतिः waa यत्तङूपेतव नमम्कारणनं पूजितवान्‌ भवतान्याङ-- “नमामम इति। नमस्यनाोति aarafiafos कचितप्यव नममः पूजाया fafa वचनात्‌ Gate क्यच्‌ प्रत्ययः | लख्मादुति यम्मात्रमः Wel यच्च: लम्माव्रमम्त इत्यतदय्यं ब्रूयात्‌ किन्नु ‘afsd यन्नकमाड़ मव ब्रूयात्‌ aaa एनं we ‘awe sfa am gma नमस्त इन्यपि areata wafa heen

wa thea via fawn “uafa “aut ferqares {द्न्यादिषु amg प्रतिपाद्या gam इन्दिनि; तत्र Cale ष्व

22 शतपथ्ब्रादह्यणम्‌ It ( (Wo tate )

तथोः प्रतिपादमात्‌ ‘fenre पतये aa wuafereare’ सेना- न्ध svaaat विग्रेषणम्‌। एत मुक्तरन्रापि एककस्य विगे- षणा यत्‌ दयो वतयो # प्रतिपादनं भवति | wawarquafa ‘ant हिरण्यवाषश्तः इत्यादि दहद्िमा निदटशः, यथा लोक ‘oat त्व' एष उभावपि नो ‘ar fefae’ fafa जनो ब्रूयात्‌ यकव waren waar इत्यपि नाभिर्ितं भवति। नोक ‘Wala wad नोमा डिमिषट मित्यव' मभिधानस्य प्रयोजनं दशयति) विदिनो' जानोजम श्रामज्ितः' सन्‌ ‘aac feafer ततश्च प्रलतऽपि तदटेवाभिधानात्‌ रद्र हिनस्तीति भावः। ततो नव tfeat enafa— “नमो हिर्ण्यवाषहव" इति| "एष एक दर एव !'हिर्ण्यवादुः सेनानोः दिशाम्पतिख्च। wa oat मन्वे "नमो हिरण्यवाषयः दति प्रधमामुवाकः शतशोषरट्रो देवत्यः हितोयाद्यनुवाका इतरर्द्रटेवत्याः तन्रापि ‘afengr- बकटेवत्यं' तदपि शतशोषर्द्रस्यत्याष “यत्किद्चलि varfa दितोयाद्यनुवाक्षष्वपि यत्किञ्धिकटेवत्य मेकवचनान्तमनच्साध्य- कोमलकस्षणमनब्र मस्ति तनापि एत मेव ae प्रोणाति। लव सएष wa 2a: ` ‘fan द्मेये दतद इति उक्ष- त्वात्‌ प्रजाया मपित सषत्रभाजनं करोति। तस्माक्नोकेऽपि प्रजाया यदत्र मस्ति, मापि afaa सम्बन्धो भागो विद्यत ठत्तभ्यो हरिकेगेभ्य इत्यादि बहवचनान्तमन्धप्रतिपादिताभ्यो

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e "दयौरवदेउनयोः"- दति 2 पुर स्ताटिष्3 १५ करो. Ve y. Ge ६.1०)

( १७. late ) नवमक्ञाक्डम्‌ २8

याभ्यो टेवताभ्य एतदहोमं करोति, साः एथिष्यादि लोकात्‌ प्रविष्टा विप्रङ्भ्यो जाना waar रद्र Saat: बहवचनान्तमन्- साध्यो हामोपि विप्रह्ग'नां agin मित्य: + १७, १८॥

दङ्िहोमानन्तरम्‌ ‘naa जुष्यादित्याङ-- “भचति नम: सभाभ्यः सभापतिभ्य दद्यादि ufaafearfa इकिवित्राष- भूतान्यवजालानि एतानि aq जातान्यतङ्द्राः प्रविविशुः Aa तज्रवनान्‌ प्रोणाति। fagd एनानि द्राणां जातानि aq ट्‌तव्रताविधानं प्रकार aqea मनुष्या भवन्ति। तम्मा टताजि मनुष्याणा मपि जालाजि। अतौ मनुष्यज्ातभ्यो एव wie सति टृवजातभ्यो.ऽपि स्यादिति जात एव तान्‌ ङ्द्रान्‌ प्रयाति १८

agi AAs मध्य कचन ठभयतो fran: कचनान्ध- ATA नमस्कार «fay aga कारण मड- “agi ar दति | way aay हमे प्रतिमन्द्रष्य प्रतपं Tyree त्यत्रापि तथव प्राप्ावावाह॥२०

“सवा इति। aaa mad aaa मगोग्या' सक्तत्‌ म्वाहा करोति “भयमेऽनुषाक च' महत्‌ स्वाहा कराति भध पुनरभोत्यां नधेवास्तर्राङा)त्याश्च तव प्रथमानुवाके षोडग- Aa | तषां सवषा मन्त ART स्बाहाकादः। श्रथ नमा fermarwa इत्यारभ्य 'अभकद्चवो ane इत्यन्त मेका च्रगोतिः Saya CRRA कण्डिकाया म्टावष्ट मन््ाः | दिशां a

# ale ममः Ye. LU

२६ शतपथ ब्राह्यण्ठम्‌ ( (We tate )

पतये aa: इत्यादिकं वियेषणतया सम्बन्धनोय fafa ara- वोष्षम्‌ # | तथाच दशमु क्टिकासु ware मणोतिः सम्पश्यते "ममर aM इत्यारभ्य सुधन्वने ~ Vara एका अरशोतिः सम्य दयते | पुन "नमः BUTT इत्यारभ्य 'धनुष्कुहाब वो नम; इत्येतं मेका अगोतिः aaa | एतम्था Witla अहा पवटानमन्तभ्यः पूर्वाणि asf afer) एनदोल्तरव विनियोगाय प्रति- face निर्दिष्टं ‘aut स्वाहा करोति", यानि "चोदामि वैति aqua निदिष्टः aarmfa: प्रशंसति - “wa मशोतय दति unifa ne: अगिधातुः स्मरणाटस्प्मत्यथतलमास्तो(तषु स्वाहाकार waa Hera प्रोणाति ॥२२॥

wa यानि चेति निदिष्ानां विनियौग माडइ-- “श्रचेता- नोति। “एवहास्ये yr मघः-- ‘aur प्रियः पुत्रो वा wea at प्रतित्रातमं अभिमतं ‘wa ena तदेतत्‌ मन्व चतुष्टय मपि श्रयं wa नष्माद्यब्रतश्मा दयाच्छदहुतः शङ्कितो भवति aaaifa व्याह्ृतिभि sear) तथा चैतस्य are प्रियं धामेव प्राप्रोतोतिसदेव पष्षाटेनं इनम्तोति॥ २२

मन्सान्‌ क्रमण व्याचष्ट.-- “नमो वः किरिकेम्य इति § एतै fe र्द्रा xe सव मपि जगत्‌ कुर्व्वन्ति एतषां wae

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° दष्ेय पुरस्तात्‌ १८ Hay, yp ६, Teor t Wo Hote. २७-३६ | +

¦ वा० Wo १६. इ9- Be $ वा Ho १९६. ४६ at

( (we tate ) मवम्मकाष्डम्‌ १५

निष्यब्नस्वेन TIM! अत एते किरिक्षाः कतार भतस्ाटगेभ्यो वो नमोख्विति मन्ाधः। “aferata रिति। ‘aferatarifes’ षग्येलाजनि देवानां इटयानिः यथा wed प्रधानं aveasfa प्रधानानोत्यथः चमम्तदासकेभ्यो stat मम दत्यत्रः | अव्राम्निर्वायुगाटिन्यप्रकाशमन्माडहित्यमतषां मन्त्राणां व्याद्निशब्दनाभिधानं ; किच्ाम्नितायुसर्याटेवार्मा wearatfa तत्‌ प्रकाञ्जकामा म्पि aaa दयस्व नस्ता सदटभिप्रायंक 'एवहाम्य प्रनिज्चावमं धाम वाः यथा प्रयि वा पवा दग्रे tam # विचिन्वन्तं एव विचिन्बत्काः; एते हि इद्र we मवं विचिग्बंयभ्यवश़्ाराधंम्‌, wag after तभ्यां नम vary, विखिगदन्त णत विशखिणत्काः एत र्द्रा यं fern कलत मिन्कन्ति नं बिखिर्वन्ति। अतब तभ्यो नम एत्या जिज्जय इत्यम्य व्यन्ययेम्‌ शप्रत्यये कपम्‌ “एतङौनि। एतः fe र्दा एभ्यः एथिश्यादिन्ीकभ्यो Tawar नगताः, aa विशाकभ्योग्रुकश््य wa ‘afagaat दद्रभ्या नम दूत्या २३२ |

व्याद्रतिजपानन्तर एव quits aafa जपदिग्यार्‌ “wufa t नत प्रथमं wa व्याचष्ट “एववा द्नि। यं जनं `दिद्रापयिषनि कुल्सितं an facia तं तथा करोति ware एष रद्रा द्रा अन्धः mea मोममनसगा aa विवक्तिन मित्धाष.

° पुरस्तात CFT ज्ञ BBY, प्रः 9, doy! ayy क्रग्नि-द्मि मभ,

९९ शतपथब्राह्मणम्‌ ( ewe vate )

“araafa ‘efcanaafeafa एमाग्यतस्व द्रस्य "नामानि earfa भवन्तौति। तस्व नाम ayia ax waaay भवतोत्वाह "दरिद्रति सां प्रजाना मेषां aye मित्यष wg wer samy: “यथेवेति अष- क्या नरद्ररुपविपं शलशोषरद्ररूपाय सत्राय प्रथमामुकक्छम्‌ | पुरम्तादुहारमुदहरन्‌ "खथ Ey ऽघन्ध AAA # इत्यव मनुवाक मृपरिष्टादुह्ठार मुदत्य मप्रोषत्‌ तथेव यज्ञमानोप्यकटदनुवाक- जपनं छतवान्‌ भवतोत्याष््‌ २४

“a एव इत्यादिना | यतोऽस्य EMAAR SAT: छतः AAT सद्रकदटेवत्व इत्याह-- “तस्मादिति एतस्मिब्रनुवाके यञ्ुगता सप्ततवसह्पाका्ल्लन SAKA भवतोत्याड २५

°सप्रतानोति | ‘anfafaaisfea: इत्यननकेन प्रकारेशाम्नः SAMAR सम्बन्ध SM) 'सप्तः्छवः मवत्सरः aaa faq: त्यनेन प्रकारेण सप्तत्वसह्ृयायो गत्वं प्रदश्यत। अधि. मास पेश््या संवत्सरं सप्तऽचलव्छये valet) प्रधमानुवाक्े एत- facet मिलिताया यजुःमह्ास्तवित्यपोदटार्मो प्रशं- सति ;— “ताग्धुभयानोति चतुधेलानि यजुषि भवन्तोति aaa «qe अच्रत्यानि सप्त मिलित्वा sua- न्यपि एकविंशतिः amas, सा चकविंशति ag दादश मासाः पञ्चलवस्नरय LA लोका अखावादित्य एकविंशः दति।

ney . ~ पवा ४८ ee a =>

® alo We १६. ४७.

( Uae ate ) AAT NTR

२७

यषा सङ्कषासम्यस्तिस्ता afew भवति, तथाविधा way. सम्धम्तिरत्र सम्पादिता भवतोत्यवः॥ २९॥

waaay होमान्‌ कुर्यादित्याह #+,- “खथेति | सहस्राणि awan श्त्यादि मन्तस्याध्या होमा aaa: ; तषान्धवलान्धन्त wate धनृष्यभिरिव्यिपविं्य ति तत्‌ सन्ता तषा Aa WA वां प्रयोजनतया enafa— “ar धन्‌ष्यवातन्बन्ति पारोपिलानि घनृष्यवरोपितवन्त इत्यथः दछवतनेन्यनेनावरो पणस्य प्रयोजनं टशितम्‌ ॥२७॥

मन्षु सहस््रयो जनखयादम्निहोमेन पदप्रयोगात्‌ परमे दूरे ^ धनधा मवरोपणं क्तं भवतोत्याड-- सहा इति। “ama: प्रयोजनत्वादम्नि हामेन hf महस्रयोज्म एव धनुषा मव Tag सम्पादितवान्‌ भवनोत्याह ५॥२८॥

“यदहदति मम्निः मङ्स्योजन इत्यतद्वोपपाद्यतै | 'दतसिन्‌ एमहयतिरिक्र मन्त्‌ किश्चिटपि पुपरघ्ाधकं नास्ति (१)। तस्याम्बः प्राद्यत्याककत्वनम सर्वापि ज्त्वात्‌। मत चाग्न सहस्रयोजनत्वन ay डोम सहस्रयोजनं एव धनुषा मव- naw सम्पादितवान्‌ भवति २८

मन्व aden सहस्राणि अस्मिम्‌ ayaa

° “चयादतानास्थछान्‌ शोमा MANTA, | भेयान्यवनन्धन्त श्नु gatfeare’—cfa wm,

‘ava धुर धनुषा मवरोपन मने मवनौन्ाङ्ः- दति,

Dawa होमेन; ch a

शद शतपथब्राद्यखम्‌ ( (We tate)

इत्यत्‌ पदप्रयोगस्याभिप्राय amw— “असङ्खाता ति ‘aq aw ब्धान ua भवन्ति aa नव तवा मेनन

धनुषावर। पयति “aga: शब्दन पृथिष्यादया नोका विव. wr) तस्य मनोत्यनम are faraway एवं पएथिव्या[दिनोकषेषु aay ‘angi सहस्राणि" अपरिमित महस्रमङ्खाका एत ast wala | तषां स्ववा मव धनुषा मवशगपणं fawaifa u २०॥

amt fafwarar मवतानानां होमानां ag ‘fand विधाय anafa-— “enatazatara जुष्ातौति। `सिगडम्निरिति afea wtfaq शतानि aqua tear उपधायन्त नाष asfanenatfa भटन्ति। खमदवं enagnatnem farrg agin दिग्भ्यां सष # दिशां दशत्वम्‌ wag दिगात्म- कस्वं सवदिग्‌ व्यापकस्वात्‌ AS मप्र प्राणाः, धो पायुपल्ो Et माभि दशम इति "द प्राणाः प्र्णानाश्च सूब्रामरकत्वादम्निः

ATU: WY सत्यतवतानां दगत्वनान्न्ाभकानां रद्राशां यावत्परिमाखं तावलवेनानि धन्यवरोपयति। माकल्यन्‌ मर्देषां चतुरवरोपकं क्तं भवतोति भायः २१९

पअषतानषहोमानन्तरं प्र्यवरोषहान्‌ जुहुयात्‌ शत्याङ-- “अथेति 'नमोञम्तु सद्भ्यः + इत्यादि मन्रसाध्वाषहोमाः प्रत्- ° cay टिग्मिः मदः दनि क. म:

qe म: 1d. 5 2- £

( १अ० tate ) नवमरकाण्डम्‌ २८

वरोहाः, तान्‌ कुर्यारित्यथः। तैव मुपयोग माङ. -- “एतदा दति एतश्मिन्‌ काले ay एमम होमेन "दमान्‌ एचिग्यादोन्‌ 'नाोकानित' ogi भूत्वा “रोहति 'स' यजमानः ‘oat vaaa बुहिख्ः काल परामृष्यत * wa इत जाग्वादि- प्रमादेवु क्षतो होमः wae ‘a Ty: पराङ्विः uefa बदा- राहष्तमाना Yama wate मेव भवनोव्ययः। wag 'टेवाः' wen एथिय्याः प्रतिद्राल्मकत्वात्‌ ‘vat प्रतिष्ठाः aaa: | अधो यथेव टेवाः प्रत्यागतवन्तः तथवाय यजमानोप्यतम प्रत्य atiewiaaai ufasifarni एथिर्वों प्रत्यति, प्रकादाम्तरण प्रत्यवरान्‌ प्रशंसति! ३२॥

“awafa wafaa aq काले पतन जान्वादिषु प्रमा केषु कलन हामेन "एतत्‌" ङ्दरन्‌ “प्रोणन्‌' अनुगच्छति यज- मानः | भधषतन प्र्यवरोश्पेन एव सद्रभ्य खानं Te पथक्‌ कराति। am aaaacrat क्रियमाश्चन ‘care’ शरोरण ‘wa मायुरति॥ २३४

अथ पुनरपि कंमचिप्रकारण मामेव anfa—. “यहवेति। पूवं जान्वादिप्रमापरेषु कतेन होमेन इत ARI रद्राम्‌ प्रौणाति। पूवं एथिग्यादि नोकज्रयानुप्रविष्टान्‌ agra ofa area दुनोकपयन्तं प्रीणाति दानीं दमक ang एुथिवीपयन्तं प्रोणातोत्यध्ः। पअनएव aa प्रतिनाम “प्रत्य

® 'बुदुम्शः कानः em दति ज)

‘Re 0 शनपचब्राद्यखम्‌ ( (We gate )

वरोषान्‌ जुहोति" * sama प्रतिनोम्य्ख प्रयमं मुग्वप्रमाे पथाश्लानप्रमाण | होमः ५॥ ३४

अथ waiter प्रदशन्‌ व्याच -- “नमोऽस्तित्या- feat. मोऽनु tet ये दिवीति, पनेन शनोकश्यभ्यो उद्रभ्यो amet: wat भवति। aware «ara fefaa मं ‘aay feafer waa ‘agi वो वयं ay अन oH मन्व येषां वषमिषव दतिः | तभ्यो दग प्राचौरित्या- दिक्‌ सु मन्भागक्रयाण्णा मपि समा इव्यललगरत anze व्याख्या wa इति ३५

fend ad व्याचष्ट - ^नमो.म्तु ङदरभ्यो ये ऽन्तरिक्त sxfa§ 1 were vfau 1

VAY AMAT माधारणम्‌ |, | 29 tt

“at दगेत्यादिके aaa पौनः yaa ‘en -we प्रयोगस्वाभिमाङ ~ “enenfa: ‘etren facfs'-anq प्रागेव व्याख्यातम्‌ TY geen प्राचोषट्ग दकिणत्यादौ सद्यम्‌ दिग्विशेषं पयानोश्य agi माव मुपजोव्य प्रशंमलति acy

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t “प्रतिलोम्यन्न प्रथमं gama ततो नाभिमाच्रं yatta (एति ' का" शौ" द° tc. १.

alo We tg. qe! . § वा० Ho १६. ५.

" वा० सण १६. vet |

“दशाक्षरा बे face -श्ति पुरस्तान्‌ ९का० 2% ate tate २२ कक) AVIA

( (Ge tate ) नव्रमकाण्छम्‌ है

“serat तत्‌ सवं मुपजोष्य प्रगंसति-- “acarefa grad करय मश्जनिरिव्यद्यते। तम्य वा ऽश्नलेरङ्गलयो दशः भवन्ति प्रत्यकं | wert: पश्चाङ्गनोनां भावात्‌ t क्था मनि प्रायोरि्त्यादिन। मन्छभागीन वेभ्यो 'खष्ललिं करोनि श़ामवर्मर्‌ तभ्यो दश प्रकोरित्यादिना मन्व भागेन तेभ्यो सद्रभ्यः प्राणादि मुष्वादयः ena क्त इव्यम्याधस्य प्रतिपादनात्‌ प्रतिदिश्यवभ्यो द्भ्यो चकच्छनिं करोति शोमःवमर तभ्यो टशप्रा्चोश्त्याटदि मन्धभागकय- aay तव नत्र दिगि ब्लमानभ्यो रद्रभ्यो safa कलवाम्‌ भक्तोत्यव्ः “तस्माद्‌

हैनटू द्त्यच््ननिकदणस्य कारणम्‌ प्रदण्यते। 'तष्माडोतः awaaarafa कानीति अथवा एनं MIA | यतोऽसौ यजमानाध्वयुः मुत्वेन eat भौतः सन्‌ उक्षवान्‌ नस्म्नादेनश्मिन्‌ नौकऽपि जमः भोनो ऽपश्ञनिं करालोति। “तभ्यो नमा ऽपरस्ित्याद्ययणिषटमौ्रभागप्रयोागम्यो- पयोग arw— “mat नम दत्यादिना। ‘a wafa’: a एव र्द्रा ‘wa यजमानाय ‘asatar सुष्वयन्ति। wet aw मानोऽयमेव. पुरुषं इष्टि, योवेनं यजमानं दृष्टि ‘a मेषां sx ‘war मुदे निदधातौययः। मेषां जब्र टद इत्यत्र ata स्थानं wa fafa प्रयुष्यादिति कस्यचिग्मं पूवप यतु माङ-- “wa मेषा मिति यं पुरुषं feafar सम्‌ "प्रमु मेषां जश्च ट्यः, इति ब्रूयात्‌ भमु मिति नव्रामनिहंगः।

@ ° “Gamay ITM प्रागोद्धेवान्‌ पृ्यन्ति"-- निर ०.७. ४।

Zz WAGHATWAA ( tHe tate }

ana तस्मिन्‌ feuaey qaafafacafea भ्वियतत्यघः। उत्पन्यम्तं मनं निरचर ; watfa aga aa माद्येत त्यपि कथं तस्य aww faen: सेद्यनोति तश्रा स्वय मिति यं qed एवं यं few इति विदि स्वय मेव निर्दिष्टो भवति ataaqaea afaenfaagi भवति सच faem यं feat यथनोडषटि मषा मित्यभिधानादटेवय सिद इति au कुर्यादिन्ययः २८

परय प्रत्यवगोहान्‌ ywiaifa maar विधानात्‌ सङ्कखाविशध पयवमान ममित “fame इति। सा faq ag बदराणां साकन्धन afara भवनोत्याह,-- “विह दिति। samy faafefa ग्रभ्नम्नु `ज्िहत्‌' प्रकारः, षष्ठकाण्ड ऽभिहिलः «| 'खम्बर्यावान्‌ अरस्य मात्राः यावनौ तावलेवना मेतटन्रनम्न्धयात्मकान्‌ र्द्रान्‌ प्रीणितवान्‌ भवति मन्ान्त स्वाहा कागान्तप्रदानमाधनत्वादब्रङू्पण प्रणमति, स्वाहाकारः बलति «atient प्रत्यवरोषहणाष् मिलिता agi प्रशंमति। विरि «fa जान्बादि मुग्वान्तषु fay प्रमाशेषुषशोभकरणा- दिव ay जिःअस्वा trefafa पुनख् fama: प्रत्यवरोहति तथा सति AZAR सम्पद्यत ARTS awe TET ऋतवः" द्त्यादिना प्रागेषोक्न ^` मिव्यधंः॥ ४०५

प्रकारान्तरेणापि faa agi मुपपादयति- “यदवेति।

° RWI का० Fo 2 Alo २५ BBY f CWI पुरस्तात g Rls Me Yate १२ Hey.

( We tate ) मवमकाष्छम्‌ 8 ३९

‘few sy artthweaar तदनुषारेख facawr यव प्रत्य- atiwe छतं waft, sare faq, नोचेश्च मा तिरेकचातः , weed, fa तत इति चेत्‌, ममश्चनश्ेवापयोत्स्वानतिरेे- खािश्वाष्यथा पूर्वं मस्यां सुषम मिति acre Bers: शारेणेव प्रत्यवरोहेत्‌ qa मितिखेव सङ्कोदितिस्यथधः + ४१

en होमानन्तरं तद्ोभेलाधम ‘weed erat fed. feare— “अंति चशास्वाशलप्ररेवस्व कारण ary— “पएतहा इति एतश्िन्‌ कले खलं 'एतेनाकपरनतद्रौद्र कम करोति'। wae ‘qa ue ‘ant भवति सदिद ama aa afecfa नाभितिष्ठेत्‌। awa faafa हिम स्विति | ataq ad ततः करोति व्यवहितं aca चाल्वानस्य गसत्वा दित्यथः। wa पुनरपि awa प्रदेय मुप- पाटयति “यदेति चास्वामनाम््ाधिष्यास्वमाग्नि तच ufed तदकपणं एवः लास्वालरयोःभ्निः . सन्दहति सम्यम्‌ इवि ४२

ta शतर्द्िय via अभिधायेदा्मौ aw wafers प्रतिजानते [अथातः खम्यदेवेन लम्पत्‌ सब्यत्तिः केनचित्‌ प्रका- कय aera सम्धादंनम्‌ ] # यतः कारणात्‌ क्ममागुशटाणावधरे सष्यश्तिरमुसन्धातब्धा अतः करणात्‌ सां सन्यदेवाभिधाणण्त wae) want होमकरणप्रकादस्व aan विधारण qua amea प्रदण्डन, gaytaanca cat: | aw

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बन्धने न्विरान्ः ofa: पाठो yerxam wea :

१५ शतपथब्राह्मणम्‌ | ( (We tate }

मव्रस्याभि{हितत्वादिति ना मेव owefa: प्रग्रोकललराभ्यां enafa— “सदाह त्यादिना | तत्‌ aa शमङद्रियविषये ‘aq यजमामनम्य aawaafea कथ्यं मवमबावकक्ष = afa प्रा्रातिः। कथं तन .सम्पद्यत' मटशो waaay याञ्चिकाः cumming षषटिष ya इन्यादि एतचछतङ्दद्रिय षच्यश्लराखि sife शतानि यज्ुवि। प्राधिंशत्‌ ततः प्रत्रिगदिति। तत खाज यानि षथ्युल्लदाणि चाणि शनानि मसवत्सदम्याङन्यपि तावन्ति मश्चवन्ति। aam wamtenefa प्राप्रोति। ‘wa यामि विंशत्‌ aafa म(सरात्रोषामयि विगत्वात्‌ रशो: प्राप्राति। एवं सति समम्तम्य सवस्य संवत्सरवद्मावात्‌ सन्मंवक्गात्रकत्वात्‌ खमयात्‌ मसंवत्सरस्याग्न्याहोराब्रान्धाप्रति | खयावश्ष्टानि याजि aafanfeam तानि aatem मामः a चाधिओो मासः मवत्‌ ATA AMAT: यजघो पादौ प्रतिष्ठाणब्दन पादावुच्यत qae युषो प्राया इृद्द्रियाणि यद्यपितेप्राणा ब्व स्तथापि यानि * पञश्चविंशहिनाधिक | ara मसवत्सरान्तःपानिष मभिदघत्‌ मम्मासालमकम cafes संवत्सरः कग्चव्णादि- विशिष्ट पुरुषकारतया प्रदश्यत “एतावानिति एतत्‌ प्रमा सकः खलु संदत्सरः ¦ एवंच सति संवत्सर यावतो सङ्खास्ति naafza.fa तावना agn विद्यत इति sare गशवतरद्ियं संवत्सर मस्नि astfa तन atm मवति। “एतान्य

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* दधानि )--द्ति कृ. भ, "पर्चा न्प) ल्दरिनि धिक - ति

( १अ० tate ) नवमकाण्डम्‌ 8 १५.

eum श्यादिकस्याय मधः --- "गाण्फिसेः गाण्किनटृरऽभ्मिन्‌ "म्नो (fara) मध्यतो म्यप्र एतावत्यः षच्यु रगतवय- SEH इष्टका मन्व उपधीयन्ते श्यं परिगणनो सरम्परिन्‌ काण्ड निधाम्यतं। शषटकाषागन्यवयतवस्वात्‌ yaar sa: एवश्च मति agrarian waefeadenrenr Wag. प्रवाहता भवन्तोलि।॥ wy

पथ प्रकादान्सर्ापि गतरेद्ियस्य aufa: waar माह - “azig इत्यादिना| ‘ayaa मितिः प्रयहाजतमाहः व्यपदेशं १) #* गस्त्राम्तनानुशंसनायं स्तोत्रं aerate भवति पश्चविशम्तोम warn: wurata अशगोताना मभिनोविष्य मानानि यानि!» तानि) पश्चर्विंशति aafa तान्व महदुक्य पञ्चविंश Maman GMAT: | यद्यचातव पक्ताक्रारता म्तो- वस्यवेति wm इन्यपि aya तथापि , मदनुगंसनामकं wa Heat) awan भवति aaa शिः aw gear नोत्यताजि भव्ति भात्भागादेव तषां सवधा मत्पन्लः साकमभागे तानि मर्वाण्यकभूतानि। भाक्रभागमम्पादना “f टेव शरः प्रथतोन्धपि सग्टहोतानि भवन्तोत्यथः अधात द्रतर्द्रिये या aman wafer ताभि महदुक्यम्यागशोलिभि ख्याता, तत्‌ सम्बन्धिनोना मणगोनोना माति भवति,

अथ गलस्द्रिये प्रशोतिभ्यो देवाह मन्व जात afer

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२8 ¢ शलपथब्राद्यष्म्‌ ( व° Cate)

जहदुक्थस्याशोनिभ्य AE WH यदेव न्क जातं तरव भवति | तेन तस्य शत्यः अद इति मङदुकथात्‌ परं मन्व जातं afeal पदामृष्छतं एव सुक प्रकारष्व waefea विद्यमा- जेन तमन सन win मदति vat क्द्यिन्लानस्व तस्व तस्यं wigan, तङद्वियं महदुकथ ania तथा महतोकयेन ayaa vy tt

कति चोसायलायार्यकिदिकिले माधवोये वेदाथप् कारे माध्यन्दिगिद्यतपथब्राह्य यभावे WARTS प्रथमेऽध्याये प्रथमं ब्राह्मम्‌ PF

अथ feat ब्राह्मणम्‌

waa मतः परिषिश्चति एतहा sot देवाः शतरुद्धियेण शमयित्वायेन Hoya एवाशमयस्तथे- वेन मेव नेतच्छलरद्धियेश शम यित्वाधेम मतब्नय एव शमयति १॥

अदिः परिषिघ्चति। शान्िर्व्वा sur: गम- यत्येवेन मेतत्‌ सर्व्वतः परिषिञ्चति सव्वत एवेन मेतच्छमयति विष्कुत्वः परिषिञ्चति ज्हदग्नियावा- मम्निर्याव व्यस्य मात्रा तावतेवैन मत च्मयति 2 it

यवेन पर्षिश्चति | sfeafraiaararate: परितनोति समुद्रश at- aq परितनाति मब्वतसस्मादिमान्नाकागसव्वत age: पय्यति दखिणाहतसम्य्ाटिर्मान्नोकान्‌ दचिया- हत्‌ समद्र: प्यति 3

पम्नीत्परिषि्चति। अग्निरेष यदाग्नौप्रो नो बा पाट्माटमानः! हिनस्यहि८माया ऽखन्मना ऽध्य-

दुमे वे लाका णचा

३८ 0 गतपचतब्राह्यकतम्‌ ( शप्र 2aTe )

ग्मना ह्यापः प्रभवन्ति निक दात्निकल्षाहापः प्र भवन्ति दत्तिणाच्निकचाहल्िणाडि निकल्चादापः प्रभवन्ति «ty ii

was पव्यतं शिश्ियाणा fafa +) wala वा ऽएषाक्‌ पब्ब 7षु श्रिता यटापोऽहया भाषधीम्था व्वनम्यतिम्था ऽधि aga प्रय इत्यतस्प्ाहातत aaaizfa मम्भतं पयस्तां इषमृ्ं धनल ममत aoa इति मर्तो वे aver saa afefa fazutfa aeafa ad दधाति वस्मादभ्मानारो ऽथो far ar savat स्थिव afeer sua तत्‌ fai दधाति मयि a ऽजगित्यपादन्न azar aa तधा feata तथा दतौयम्‌

निधायोदहरणं चिव्विपल्द्रयते |

एतदा $ एन = ~ (| ® A aawaaas यदेनः) समन्तं प्यति aa sua- तच्रिद्कते sfeoma ne i

asa व्विपल्द्ययते। एवहा sua मतदन्ववेति

प्रभवन्ति नि a +. मिति"- cf a |

( १अ० ate ) AVATAR I,

तत णवेतद्‌।तान मपोष्गते जौवात्वं तथो हानेना- तमना RATATAT A ज्िव्विपल्द्यते विहि क्त्वः प्यति mead क्रत्वः पय्यति तावत्‌ क्त्वो fuera o पथ तमश्मान मुदृहरगा SANTA | णतां दिशः wag वै aunt दिङ्‌ त्या मव तहिशि शुं ट्धाति॥ < tt

एतद्वा sua टवाः। शतमरद्ियण वाहिञ्च शम- यित्वायाद्येतेन शचं पाप्मान मपाप्नंमघेवेन मयमत- च्छतसद्रियेग चाश शमयित्वाघास्येतेन शचं पा- प्रान मपहन्ति १०॥

बाह्नाग्नि्ं weft इम वे लोका SORT ऽग्निरभ्यम्तद्गाकैभ्या वरा शुचं carta वडव्यदौयं 4 वेदिगसये तदहि शुचं दधाति †॥ ११॥

व्रटेर्दचिपायात्‌ ik ) ure तिष्टन्‌

» .व्विपत्गायत' fx,

+ onnfa. दति इः:

xe MATRA ETS ( (We rate )

दिशा farafa यं feud ते शखच्छिविति बं मेव इटि a मस्य शुग्च्छत्वम्‌ ते जखच्छलिति ¥ ब्रूयाद्यं दिष्यालता ¥ afara q areata तन्राद्धिये wafafest ga aaafanfe यदिन भिदोत wat ब्रूयादादा ws भिदातैऽव सए भुरुष्छति बं देएटयप्रतौच मायन्दप्रतीच मेव rere पाप्राजं लति ५॥ १२५ UGA UA: कुरुते एतदा sud देवाः शतषद्धियेण witg शमयित्वा शुच मस्य पाप्मान Wavy परत्ेव्येष्टका घनर कृष्येत तथेवैन मय मेत-

च्छतसद्रियेण aafgg शमयित्वा शच मस्य पाप्मान TITY Wa TERT धन्‌: कुरुते १३

असीनः qatag रेक SUTE: | असनो aaa दोग्धौति fadeas कुव्वीँतेमे वे लोका रो ऽभ्नितषठन्तौ वा Sea लोका अथो fare BATA १४

® ‘sayin’ Ci श्नि ङ्कः

, १अ० रत्रा ) RTARTA ४१

उद प्रारू तिष्ठन्‌ पुरम्ताहा soa nate axard धेनु ठषतिषते cfwer वै प्रतौचौ wa तिष्ठन्तौ aadtefera i

बताभ्याप्रोति तदभिमण्यैतदाभुव्जपतीभेष जे swear squat tna: सग्तविव्वम्निडतासां घेनु- तद्यादेतादतौनां «sana मम्नि मेवा

WTAE WMA SUMS दश चान्तश्च Wee हाव Taft qar बटेका ट्श चाय Se परा भूमा ASE पराह्ठखरव्याहतद्येवेना एतत्‌ पवाहेतच्च परिगद em चेबरकुव्वत तथेवेना अब मंतदव- याषहतश्चेव पराहत परिणद्य चनः Hat AAT दपि नाद्रियेत wet क्त सनृ वा ऽएष एता बह्म यजुषा TW: कुरुते ऽथ. वत्‌ सन्तनोति खामानेव तत्‌ गलनोति १९

वरेवेटका उकः कुरुत 91 ATT ऽज मन्बि- aint हि चितः werden दथ चानाशच

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परारश्ेति व्वाम्बा STRAT ग्वाग्टश व्वागन्तो वाक्‌- परार ATH मेव तेवा नु ARAN तयेवेतया ज- मामो ब्धा मव धनं BEA ऽथ यत्‌ सन्तनोति

व्य मव तव्‌ AMAA मे ऽखम्न ऽदृ्टका धेनव सन्त्व म्‌ ब्रा मु्ि्नोक ऽबृत्येतहा ऽएना भरखिंललोकष धमः कुरते saat ong afer wa: कस्ते तथो हेम मेता उभयो era ae fea at afee २७

ऋतव खति तवो इता ऽकताहध Seta AUT ऽदृल्वेतहतुष्वा ऽरताहघ ऽद्ल्यहोरावासि

वा {इष्टका SWAG वा ऽखहारच्राणि तिष्ठन्ति छेत- em agen ऽइति तदेना एतद्चतश्च ayer" करुते १८

व्विराज्ो नामेति एतद देवा एता TERT नामभिरुपाद्वन्त यथा यघेना एतदाचचते ता एमानभ्य पावतन्ताय लोकम्पृखा एव पराच्यलख्ुग- हितनाम्न्यो निमे मिहल्यस्ता व्विगालो नामाक्व्बत

( शंन rate ) मवम काणम्‌ # ष,

ता एमानभ्य॒पावसतन्त TATE ` दगरेटका STUNT लो कम्य गयाभिमन्वते तदेना ग्विरालः कुरुते दशाखरा हि ख्विराट्‌ कामदा ऽअच्ौयमाखा दृति तदेनाः कामद्षा अ्ौयमायाः करते *॥ २८

wat न्विकषति मणडुक्नावकवा व्येतस- शाखयेतदहा som देवाः शतरुद्रियेख wifke शम- यित्वा शृच मथ्य पाप्मान मपरत्याथैम- Aas एव शमयति + सव्यतो विकषंति naa ola मेतच्छ- मवति २० tt

यवेन व्विकषषति | एलरं यवेतं प्राणा कष- योय ऽग्नि qaqa मह्विगवो्स्ता भापः सम- HAH मण्ड्क। अभवन्‌ २? ताः प्रजापति AM AF | ae नः कमभृदवाक्त-

® Fay fa ws t 'मङद्यारोन-- श्नि ¦ “wauqeaa मय मेतच्छतसद्रियेव चाहधिख एमयित्वा शुचे मस्य UMA मपद्डग्यारेग Bara vaya प्रामयनि - camnfwat पाठ

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38 ¢ शक्पथब्राद्यणम्‌ ( (he ate )

दगादि्ति सोऽबदोदेष ऽएतस्व ग्यनस्पतिष्वं त्विति Sy सबेत्तु सोऽह वे तं aT SATAN परोऽ परोऽखकामा डि देको ऽय यदबरुवन्नवारूनः कम- गादिति ता ऽखवाक्षा ऽअभवन्नवाज्ञा वे ता अक्का STATA परोऽ परोऽचकामा हि SATE हता- A SUT यन्‌ AUG BI Saat ग्बतसशाख्वेताभि- रवेन मेतत्‌ altace: शमयति # रर acta विकधति जायत ऽएष ऽएतदाद्ौयते ऽएष AA MATA जायते TATA बन्‌ मण्डुक ऽवक। AAMT INIT Wat चापञ्च व्बनस्पतयज्च HACIA Heres प्रीणाति २२ मण्डकेन UTA *। तस्यान्‌ AUER WAT- मनुपञौमौयतमो यातयामा fe सो ऽककामिरपां तक्मादवका अपा मनुपञौऽनोयत मा फातयाम्न्यो हि ता व्कवेतसेन व्वनस्प्तौनां तस्प्मादेतसो व्वमस्पर्तौ- ना मनु पलौवनौयतमो यातयामा हि सः # २४

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^ 'पमूनाम्‌ - दति म, ऋ)

( १अ० 2aTe ) WANT 8

तानि agit प्रच्य दक्िणाडनाग्नरन्तरेष परित्रितः प्रागयं व्विकषति समुद्रस्य त्वाक्कयान्न परिव्ययामसि पावका sway शिवो भधति समुद्रिया भिस्त्वाङ्गिः शमयाम इत्येतत्‌ oe २५॥ अथ अजघनादनोदक। हिमस्य त्वा जरयु- शाम्न परिव्ययामसि पावका swareay frat भवेति यरे शवेतस्य onta तहिमस्य जरायु wae त्वा प्रशौतेन शमयाम इल्येतत्‌ + २६ warrant प्राक्‌ {। उप say वतसे {वतर नदौष्वा § wa fan मपामसि मण्डकि लाभिरागहि सेम a aq पादरषवकर fad हध्मैति यथेव यजुम्तथा बन्धः # २७ gargs दिशा | अपा मिदं न्ययन समुद्रस्य faainaq wai ऽच्रस्मस्षपन्तु हेतयः

[ग्ण [ऋ

‘waraq- इति श, & |

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ry पाक --ष्नि भम चर

§ 'मरोष्वा-ष्ति ग, 'महोष्वा- दनि चर

, सशि हति र्शने: दनि चर

Bq NAAT ees ( शप्र रेब्रा° )

पावको Stang श्वि भवेति यथेव यखुस्तथा बन्धु रिव्यं व्विकषत्यथेति अधेत्यथेति तहचिषा- aufe देषवा * २८॥

सात्मा aad ग्विकषति। अत्मा wate aaa: waa दशिखं away पच्छमधोसतगं aetaaranty saat + २<

war पच्चपुच्छानि व्विकषति अभ्या मेव तच्छान्िं धत्ते परस्ताद्व्वाक्पवस्तादेव तद- caters शान्ति wast पावक रोाचिधिति द्रं पच्च नः पावक दौदिषव इति पुच्छं पावकया यञ्ितयन्ल्या aga पावकं पावक मिति यदं frag शान्त तत्‌ पावक THAI मेतत्‌ २०

सप्तभिध्विकषति | सप्रचितिकोऽग्निः सप्त sua: संवत्सरः damit ऽमनिर्यावानम्निर्यावत्यस्य

= ‘eqar-efa ग, चछ

दंवचाः प्ति ग, दंगा --ष्तिषध'

( {अरर VATo ) MATHER t 8 9.

मावा तावतेवेन मेतदिकषति तं QM मुत्करे- न्यद्य #॥२१२॥

wing सामभिः परिगायति + wae सर्व्वा ऽग्निः सश्छतस्तस्पिन्‌ टवा एतदगतत eq म्म मदधुम्तयेवाद्पिन्रय aagaay रूप मुम दघाति सामानि भवन्ति प्राणा वे सामान्य मृतम्‌ वे.

प्राणा wan aatfaangs मु्तम' दधाति सगत: 0रिगिायति wan scatfeaagaag रूप मुसमं दधाति ३२॥

यवेन सामभिः परिगायति एतद देवा अकामयन्तानख्यिक मिम मखत मात्मानं ुष्दीमरौ- ति ते उबरुबह्रुप asta यथम मात्मान मनय्ि- ममृतं कगवामहा ऽइति ते उब्रवंद्चेतयड मिति चिति मिच्छतेति ara तदनरुवंलदिच्छत यधेम- मात्मान मनद्थिक ममृतं करवामहा SLA ३२

+ "स्यः एति क, न्यस्य - इति ख, न्पस्यः-श्निग, ©

t ‘ufamafa’- ति क्‌ '

gc TATUM TETSR ( (He 2aTe}

ते चेतयमाना: vara सामान्यपश्यस्सेरनं पयगायंम्तेरत मात्मान मनस्क मरुत मकुव्वेत तथेवेतगजजमानो यदेनं सामभिः परिगायन्येत मेवेतदारमान aafen मरतं कुरते सव्यतः परि- गायति wean ऽण्वेनरेत मालत्मान मबद्धिक मम्रतं कुरुते तिष्ठन्‌ गायति तिष्ठन्ती वा ऽढम लोका swat तिष्टन्वे व्योग्यवत्तरो fegar गार्गति aw {ई सव्वं RAS साम भवति ३४

mrad पुरन्ताद्रायति अगन्ये गायव मग्नि मेवास्येतच्छिरः करोत्यथो शिर एवाच्येतदनस्थि- ममतं करोति ३५१

Twat दक्तिगो पे इयं चे रथन्तव मिय मु वा suet लोकाना. रसतमो ऽ्याए्‌ हौ मे सबं रसा स्सन्तम वै तद्रथन्तर मित्याचश्चते परो- Se परोऽचकामा हि देव द्मा मेवाञ्ेतह चिं पञ्च ace दिग मेवाखेतत्पच मन {खक मरुतं करोति २६4

( १अ० Rate ) | नवलकाखम्‌ ४२

SWAT पक्षे es | दावे ave alle बरिष्टा fea मेशग्येतदुत्तरं we atiaa sant Hare तत्‌ wa मनस्क ममतं करोति २७॥ व्वामदेव्य AAT | प्राणो व्वामरदेव्य ष्वायुरु प्राणः सव्वषा मु हेष देना मारमा बहायुव्वायुमवास्येतदारमानं करोल्यथो ऽ्रात्मान मवाद्ैतदनस्िक wad करोति उप्॥

यन्नायज्ञियं geal चन्द्रमा वे agate यो हि aa यन्नः सन्तिष्ठत som मव तस्याह लौना गसाऽप्यति तद्दत्‌ यन्ना-यन्नो su {a तस्म्ाजनन्द्रमा aise चन्द्रमस मेवास्धतत्‌ पुच्छं करोत्यथो पुच्छमेवास्येवदनखखिक aad करोति + ३२८ |

अथ प्रजापतद्दयं गायति | दिल्यो दय इत्या एष अर्ण हदयं परि- मण्डल एष परिमण्डल दय मात्मन्‌ गायल्या-

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Ke गतप्रशचव्राहाणम्‌ ae रेन्रा० |

तन डि eza fanaa fara fe eea-zlam fanasa fs zt azla आदिय aareda- qza कगार दय मञास्यतदनस्विक मसत करा{ल ze

प्रजाम्‌ चप्रज्ापरला गायति। तद्रात्‌ प्रजाप गायति तन्‌ प्रजामु RFI ZITA यत्‌ प्रजा पा गायति तदग्ना दयं दधालि॥ ४॥

नवर प्रजास्‌ प्रजापतौ गायति। श्रयं दा श्रग्निः प्रजा प्रजाप्रतिश्र तदादग्नां गायति तदय प्रजामु प्रजापतौ ददं दधाति ५२॥

ता दता MAAC | ता उत्तमा उपदभात्य- aa सटदम्य मत्वस्यान्नमं दधाति तश्यादम्य मव्वस्या aa qua मान्यो saatatafecar at soar fa- चिता स्यादादन्यो ऽध्वर्योर्गायत्‌ ४३॥२॥

a इति प्रथमप्रपाठके fected ब्राह्मणम्‌

9 वऋण्दभिरक).' - दलि म. च,

( १७. raTe ) ATAH BA ४१

gafeaq amy भनर्द्रोयज्ोमो. {हितः anfaaa afeawaqnenfanan ee Rawat) कत्यायनः, --- “faq aft gyamaisfamn fanas NAAT - मियदररधिः ; इति curatat efananagey प्राण निधाय पमममजः 1 fafa aad प्षागस्याप्नि आग्भ्याम्िं परि पिश्वद्रिति सत्रा्ः तमेकं परिषेज्ं विधत्त - "अमयति, गरतः कारकात्‌ मभिताोग्निः रद्रपत्वादशाग्तः अतन नं शान्ययं परिपिचत्‌ नन्‌ चात्र सर्विनम्यागः azenaar प्रान्तस्य AAT सव गतम्दरोयदोमः। प्रमएतोकरं “तस्मा sua eq: RMN Tah इति अनः किमयं qa: ण्म ama प्ररि .कम्य पिधानं ˆ afe ग्रामतः पुनरपि mr स्प afeyrarm भोजन aia इत्यत भाष “SoA दनि एतद्टरन देवानां क्मानृष्ानानमरपराम्रगः | oafara- तसरत ट्वा पणम aA ae nasfgam wa fg ea 2s सन परिविकण भूय एवाधिक मवाधाणमगन्‌ अमे) नथ देवा अकुवन्‌ agar मपि यजमःनः शनषश{द्रियेक शान मपि पृनरधिकशगङ्ननाय्रं परिषिष्ठति। तः रपा विक्ात्र- क्वत्‌ परि पकोऽत्रग्यं विधय शति भाद;। “aaa नन; fagfa”’ इनि matey विधानात्यय wiemifa uli:

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THT पुरस्तान्‌ 3 Bde, He, wee, ४०८;

‘{2 अतवथत्राश्मस्म्‌ ( (We ART)

स्यादिन्यग ay “uferfcfa 1 परिषेकस्य wearers श्ाग्यादिऽनस्न्लापश्मनस्तमस्वेम wifaatefx: सम्पादितेन परिषफेणनं शमयन १॥

“सअह्भि" रपि क्षचिरेवपरिप्रकेसाकश्येम शमनं सेव्यतो ary, ~ “ara इति सज्जत्‌ कतं शाम्त्ाश्े इति न्धायेन anefa परिषिके wa परिप्रिकविधिख eau: स्यादित्य- fais तदाडत्ति agi दशयति जिः aa eft जित्व qaqa कात्खानेन शमनरेतु इत्याद “ज्िहदग्नि" रिति अधयत मेव परिषेकं प्रकारान्तरेण प्रशंसति ii 2 1

“यद्ेवेन fafa: एष सद्धितोऽग्निः प्राजापत्यामकत्वेन्‌ प्रजापते सखवनोकरैतुत्वेन तदामकत्वात्‌ ‘se एचिव्यादयो- लोकाः खलु भतद्च mena परिषेक्षण इमानेव “लोका- afg: परितनोति परिवेष्टयति समुद्रस्यावाकलकचादडिः परिभ समुदरेणेवनाम्‌ लोकान्‌ ufttsafa सच षरिषेकः ‘aaa: सम्प्रादित इति ससुद्रोपोमान्‌ शोकान्‌ सवेत: (पर्येति पएथिग्याः समुद्रण वलवत्वात्‌ भरन्रिकदयालोकयोः एधिव्या सुपरिवत्तमःनत्वात्‌ एथिव्यादोन्‌ सवान्‌ लोकान्‌ सवः समुद्रः पयतोल्यु ते सवतः ) # परिषेकः सब्याहदपि ककत शक्यत दूत्यत wie - “efaurefefa भरतः प्रादाकिण्येक्रमेश परि- Ga: सम्पादितः wa: समुद्रोऽपि तथव पयति ३।

» बन्धने चिद्ञान्त; seta: पाठो yea अविकः.

( (We रेत्रा° ) मवम काण्डम्‌ x

warenfamamrenaadt: परिषेक प्राघापवाद माह “अम्नोटति wa कभ्मादध्वगरपरि यागनाग्न)ध्रः परिग्ट्त ssaary s+ अग्निरेष दति परिषेकव्यस्याग्नरऽमनेनम wa- स्वादध्वर्यो परिषैक्षरितो fear सम्भाविता स्वात्‌ wae FAC MAN अलमनवाललनो fear aaasiefea लस्य परिग्रह इत्यथः) परिपकःवपरे efaa fan ay पाषाशं निधाय तत आरभ्यत ware) “सअग्मनोधोयाद्िना fanaa: we uén: तत्‌ सज्धिख्यानं लोकेपि पवत दप दकिणात्पःषसन्धिख्थानाद्‌ सवतः स्तरुखटस्थाने 2) प्ाषणं निधाय aa aay परिषि्धेत्‌ इत्य: ४॥

Ce "कार परपकं वधाय अव्र तब aa ues व्याचष्ट -- “anes मिति भापष्नि aq “एषाः पयनण्व श्मनि ‘frat wate पतरतेषु पाषःणसमभ्यो aa सतखाश्मव्रज्ज मित्येषभाग एतवाभिज्त्ते “ग्िधिय-णा fafa खयन: शानचि cae ट. श्प्रम्‌ खक्ख ररणा श्त्यतदपि निजन्तं पदम्‌ WaT Welw इन्यतन्‌ मन्त भागपरिपादययो“ः प्रसि care “रतस्माच्ोनि ' पयः छ. तश्च अनःदिभ्यः सम्पद्यन्ते any प्रमि मेव अव्यत वतोभ्यो गोभ्यः म्तदत्पत्तरिति, Ata aga भागोन

‘car अह'-द्ति ल, मा दयत्रह-द्ति दष, I t eyes waaay (९) प्ररिषे कटि नो (!)’-observed by Nr. Webber. 1 Wye Bo १५, 7 °

“१४ शतपवतराह्मष्ठम्‌ ( QWe रत्रा)

Hama aq प्रदाटत्बम्य प्रतिपादनात्‌ तेषां तत्‌ प्रेरकत्वन तद्पपादय लि , “मलो ar इति मन्वम्याय मवेः,-- पवनः भ्रश्म- नि गिविय;णां चिता ऊजं रमं अप COIL) तामूज महाः way वनम्यनिभ्यश्र aa fea परया wretia तटसत्वन्‌। हतु मनः मंर्राणाः «= TrazTa, ama aa ai मिष मघ ain: Gata aay धपमम्ादय ति परि्षिक्रागम्तर भ्रश्म- स्त ऽश्न्यनन मन्वेण पाषाणे कुम्भः {+दध्यात्‌ sare. “भश्मंम्त afefa faewatfa: श्रश्मनि कुम्भस्य निधाने परिषेषणा way seq क्रुधं पाषाणे निह्ितवान्‌ भवलि sare तन्मा टग्मनि न्नुधं दघालि ` तश््मादिति' यतोऽभ्मनि afafea तम्मा art नमभत्तषणयः तरर सु धारव्र नग्रस्मरत्वान्‌ aaa aafuet qat fata पाषःणवतिर स्थानेप क्त्यं म्यत्‌ अ्रतम्तदुघ्ङ्ननात्व fa fag faleafa नत्राद, “wat दलि ‘azar afsaara ‘fet: azfa तश्रा शिरादिदटानौ मुपशान्तादि कानलान्तरेऽनुवत्तनात्‌। अनोऽश्मनि at {नानो faa एव स््रिं ददाति अश्म नहितप्य कुम्भस्य पुन Aum स्वोकारं विधत्त-- "मधय शृनि। तत्‌ तन aati पु 'राभन्यजं श्रवरमिकान्धत्ते। प्रवं क्षुधापगमनायं अश्मनि कुम्भे निहितः तद सन्यूर्जोध.रणं मिष्यावदिति तदथः पुन “aa हितोयं तथा तोयं इति। तोय वा एव स्थाने fa कत्तव्य मिति i ५॥

तत्राह, -“निधायेति | उदकं दियतःऽननेति उदष्रणं कुम्भः

( १अण रेब्रा° ) , AFAR ५५

“उदकस्योदः मज्ज्नःयाम्‌" इदादेशः त'व्रधाय तिव रं विपल्यय्रते प्रतिपययति मव्यावउ्च्यध्ति विपल्ययत इतिं. "उपमगसम्ब गताविति नत्वं" | fa aad वपय मन “एतदा (त रर्तामब्रवसरे faq एन aft ममन्तात्प्येनोति, यत waaay नघुयति नघसमिवःचरति ब्रतस्तथ. कतःग्नि हस्य - दिति अद्िमःयः त्मा एवःग्नये fast "छतं ताग मप राध मपमरटो्यश्रः। aq itfa उपम.नादाच'लि इति aa प्रयः >; “तस्मा इति “ज्राघ्रङ्क{ङि५ fea. सम्प्रदान सञ्ज्नायां चतुर्थो ' sara, प्रकारान्तरगा.प विपययगं usiafa i

“यद ~-ति प्रदत्तिणप्रकावमद तनाग्नि मनुगतो भवतोति विधययण,त्‌ तन एव जोवनःयामानं प्रक्‌ कवा | तचा सन्ये नेदानों धरियमाणेन शद।रणव सव aq: प्राप्रोति on

विपयगस्य त्रिवारं करणं प्शंस,त.--

त्रिविपल्ययत इति ॥<८॥

जिवारं प्रयत्य पथात्‌ सःश्मानं कुम्भं नङ. ain प्रतिपेदत्यःदइ

‘safa “एतां दिश” anal fer इस्तनःभिनोय en यति 1 “एषा नक्रती' दिगिति विवरणात्‌ we i

® पधार Fo g. ३. YD tT प्ा० We ८. १. El Ulo Wo ३, १. १० § पाण Bo १. ४, ३४ |

24 शतपथबराह्यखन्‌ ( १प्र* ate )

“एतदा षति पूवंदेवा एत मग्निं शतस्{रियेश ofxe TAT स्यम्नेरेनोङ्कप्रटेये प्रदोषेणशणोक Sq पाप इत वन्त रलो यजमानोऽपि त्र प्पे तथेव तवान्‌ भर्या

प्र्प ^ इरण्टउरसर भ्रम्नर्बाद्मभ.गेन इरेदियाह “बा aim मिःत। तथा हइरणन शाखः vfasife लोकेभ्यो बहिद्ाजनो wamare -- “दते वाद्त we: एथियादि लोकत्रय aaa प्ाजापत्सामकन्वात्‌ तथव दरि बहि रण afaaa aia. “बडहिवदटोति। cen

उवप्रक,रेण BMA Haw ‘ageferet wey’ दुख स्ट. यं few इत्नन aay दकत्तिणतो निरस्ये- feare) सवा इ.दिना। उ. मन्त्रण निरसने aang waa waaay -- aatefa: waa wafaarfe- कन्तु प्रगेव व्याख्य।त.१। नरस्तस्य तस्याश्मनो ऽभेदने कुर्या- दि।त तत्राह “यदोति। भेतव भेत्तुं गच्छ्यरयेत्यादि सूत्रे तु मधं तवे प्रत्ययः। निरसनेनाभिव्रस्य तस वबालोद्धदनन {कि लभ्यत इति तच्राह। यदा भाति अचर यदि भियेव Raa ब्रूयाद्‌" दत सामान्येन तद्धदमं भष्मविषयं ठदङुग्भ- वषयं इत निखयो दृश्यते अतोऽ विचायत, fa मेतद्‌ मेदनः कुश्च पिषय मग्मःवषयं एवेति किं तावत्‌ प्रासं aang कुश (वषय Raxea न'श्मविषयं, ga एतत्‌ एव मेतहद- पमं wag भवति यदि faaa aa वै ब्रूयादिति

( ewe 2KTe ) मधमरकाण्छम्‌ ye

अद्रोत्व wag faa डि तस्य करिमत्वात्‌ fen area ति पाप्रऽभिपोयते «1 भश्मजिषय मतङ्गे टनं प्रतिप्रसषव्यम्‌ | gu विषवम्‌ | HA एतम्‌ भव्रवादात्‌ यटा द्रत भिद्यतैऽथताध wma. यं दृषटटोति॥ १२

साच शुगशमनि निहिता तदश्मनि qa दधातोति fare प्राग्मनिवाक्छमेटने gal Reavy मामध्यादशनिवाधवादादाष्य- त्वाच्चति @qacd नाम awa मन््जपपू्वकं घेनुङ्पेणानु- सन्धानम्‌ गतदद्वियादि कंभनिरसनान्तं कमक्तत्वा प्रत्येत्य देवघनुकरणाव्यजम नोऽपि एतन तथेव क्तवान्‌ भवतोत्याह, -- ‘waer दति ११॥

विदितं सेनुकरण्ं सासौोनेम सम्पादय fafa केषाञ्खिश्छाख्िनां सोपपकल्तिकं मतं पवेपक्षायित्‌ं दशयति ‘arate’ इति स्वमत ary— “faseafafa लिष्टब्रेव कुर्वीति, पुमरासोन बूत्येवकारेष्य पूवं समुपन्धम्तस्य मतस्य निरासः। स्वमते euafa are— बभे वा इति। एवं afwanta रिति पथिष्यादयोलोकाः कुतः प्रजापति स्तावत्‌ एथिव्यादिः लोकषरतुत्वम तदामक्र पषोऽग्निः प्राजापल्ामकः। यः प्रजापतिव्यस्रंमत्‌ मेव योऽय मग्निषोयत camer: <a प्राजापत्य(त्मना अग्नि fre लोकाः, लोकात तिष्ठ-

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# To ait @e tu २. 9

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i ‘UW --xf% का Be छर १८.३२. ८।

भटः यतपणव्राह्नशम्‌ # ( ११० रत्री» )

wa ऊश्च अवतिष्ठन्त va) अल पएथिव्यादिलोकववा- कमकप्वाग्नेरवयवोमूताना मिष्टकानां चेणुकरवं feret सम्याद्य fama: अपिच लोके तिष्ठन्‌ पुरुषो tare भवति तस्वासौनः aay वोयवानेव भूत्वा धेनु करोति। यथा चेनवो- ऽभिमतं पयो # eefe तदद्वेता भरपिष्टकाः ख्वाभिलाषितं eefer बुध्या भैनुरुपेणानुसन्धानं क्रियते सेनवक्च वोयवन्र- रेण अनेन दुद्रमाना भुयः पयो दुङन्ति पुनद्‌ वक्चेन | अतो- sarfa खभिलषितटोषनाधं भेनुकरकं वोयवता सम्पा aay वोयवत्तः ¢ तिष्ठतः सग्धवतोति ति्टजेव @q: qat- दिति भावः fasafa कथः तिष्ठन्‌ qatfefa i १४॥

aare “see wfefa” रेशानोदिगुयते। aefa- qafasfrag: पुः लोके fe यजमानस्य gant wn: प्र्स्नुद्धतयावम्धानो दोग्धुणाख् प्रत्यष्मुखा ara दचिषभाग खपसदनात्‌ स्वाभिल्लषितदोश्नायं wear Azar’ वथावद्ान afaa मित्ाद-- “पुरम्तादा इ्ति। १५॥

amt भेनुकरणे म्थानविग्रेषस्यशपूवकं मन्तं विधन्ते- “स यचेति, श्रम्नेरात्मभागस्मोपरि यत स्पष्ट माप्रोति ‘aq’ स्थान मनिख्सख ta ने भग्न इति मन्नं लपेदित्यर्धः। अतएव

निक = “5 ~ ee "भोग्यानि an A ee |

* “arv—efa a | t aq’ —sfa ज। + ale II Ze १८ २. १०

(We ate ) मबमकाष्म्‌ ४८१

कात्यायनः- “साम्न उपरि प्रापणान्ते जयतोमाम इति «| wana दति भन्याममागस्येतयथेः। प्र्नादिव्यतिरिक्षाश् amy टेवतापु सतोष्यपि मन्ते uf मेव प्राधान्येन कि मिति सम्बोघयतोत्बत are,— “परग्निहेतासा"” मिति “वयव व्यापारे अवयविनः सामघापलम्भादिदरकःना सन्न्यवयवम्बेनाम्नि- wrai करश wang इति भावः मन्ते wera दशचेति, अवसाने मरन्तषापराश्खति स्द्याविगेष प्रलोगस्यामिप्राय are— “एका द्शचेति। एष viet गुमः woe TYR पभरवरस्ङ्खपर agama eraa अवरा तनोऽप्यवरा एकच सञ्जा ततथावायनाधाः agra war- atfefa 1 भतोऽन्तश्च पगरईखलि वत्‌ एष quent भमा eae aya ufunagia sennaayaifeagriwar मन्तस्याधिकत्वः सतोऽपि परारम्यापिक्रद तत sat afamaggar भरभावादित्यधःः एवं 4 देवान्‌ पून सङ्का ye अधिक ag भूना मध्यतः शनादि agar s एनाः cea: परितो WAI घनुरकुवत। यत एव त्मा- दिदानीं यजमानेऽपि एकाशेत्यादिमं मन्वपाठेन तददेव परिष्डद्म धेनुः Fea इति। तन्वं सति मन्नयत्‌ सञ्चाकानां fasarat चेनुङ्पता सम्पाद्यते तत्‌ agar इष्टकासां धेनवः क्रियन्ते तचाप्य्नसङ्खःतिक्रमेण ana ant: कतुराद्विये- aad: कथ तर्डशटकाम्त्सङ्गाका पेमवः सम्पाद्यन्त

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* Fle at Wow, ४, :

‘qe 9 पतप्चतब्रान्नखम्‌ 0 ( (He र्त्राग )

saa ब्रह “ग्रमु वा दति। wa यजमानो ऽसु faq नोके sammy Faq दषहलोक्तेऽपि+ ब्रह्मणा हता वोयवता Pf तन यज्ुमन््रणता cea awl: एकादिपराचैम्त सह्नपाकाः कुरते, मत्व सामध्यादन्पख्य बद्व चनम्‌ ee | तत्तिरोयके ग्यते §,—“ararafa धिनुहि देवान्‌”- इत्या एतस्य AYR वोयण यावदेका कामयते यावदेका araeryfa: प्रयते हि तदल्तिषावदटेव स्यात्‌ यावच्नशोतोति मन् एका दटशवेत्वाटिनोत्रोत्तराधिकसङ्कयासन्तानस्य a माडइ- “safa अय तदटेवे्टका धेनुक्षरणं वाग्धेमुकदणात्मना प्रशंसति-- “यष्देति। मन्वशूपया वाचिक्त्वात्‌ अग्नि वागामकः एकसवादिका पि सह्याः वाचा प्रकाश्ड- मागत्वात्‌ वागास्िकाः एव भवति। भअन्न्यवयवो भूताना मि्टकाना एकादश चेत्यादि ag प्रकाशकेन aay देवा वाचामेव Aq मकुवेन्‌। द्दानोन्तनोऽपि यजमानस्तच- देव करोति। एकघादि सङ्घानां वागामकलात्‌ उत्तरो लराधिकसह्पासन्तानेन वाच मैव भूयलो afafeat सम्पा दितच्चाइवतोत्याह-- “भयेति ननु च. ^द्मा मे| we

* ‘egrnaify -—cta a | ‘DQaaqau’—cfa a, wm { ‘aquaaq—<cta Fm, ज। ~ 9 § Ac ब० ९. १. ई। | वा We १७.

( १अ० Rate ) AAA ATA ९९. इष्टका Gaya: सन्छित्यनेनेवव # सेनुरुपत्वं॑सम्पादनात्‌ | पम रपि atam मे wea दत्यादिना सम्पाद्यत इति। पौन- रेया शङ्का ज्रिवारयति। एतदा शति car मे भग्न दूत्येतेनेवा टका भस्िह्ञोके धेनू करोति। wine सम्न saan vafimta स्वगं ta करोति wae पत्रग- च्वात्र gaafs रितिभावः। इष्टकानां शोकष्टयेऽपि aq waar सभ्पादमस्य फल are— “अथो हति तथासति पता बष्टकारुपा धेनवः अस्मिथामुभिषेतयभयोर्लोकयो रप्यमं यञ- मानं मुज्ञन्ति पालयन्तोत्यथः। मु्छन्लीति भुजा नवम arma पदं विधानो अवम निषेधात्‌ परस्मपदम्‌ भगे द्मा इष्टका दषलोके एकाशच्वादि guerra agufafaer धेनव केवलं fe मिहलोक एव किन्तु रे wa पमुत्रत्येतत्‌ पदं मन्त एव विहठणोति असुखिक्षोक इति तत्रपि एता इष्टका मे भेमवः सन्िति ware: १७

अथ ततेव AMANITA प्रद्शयम्‌ व्याचटरे-- “Was स्येति ~ ऋतवो होति एता veal ऋतव खलु संवत्सरा- anand श्वयवत्वादित्य्ः। श्रहोरात्राणि वा इष्टका गूत्यतराप्ययभेवाभिप्रायः ऋता एति छान्दसो दोषः ; ऋलता- दति पुनववन मादराधः। स्पष्ट मन्यत्‌ १८॥

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> ‘ata यानेव व- -ष्ति ष्क | t बा खं* ७.१ ¦ ,

GR WAGUNTW TA ( {We ate )

“विराजो ataanfenata मधः एतस्मिन्‌ ara ay ‘2a यथा व्यथा एता दृट्का Tawa’ यनी सभिरेना इका arawa जना तेरेव ना मभिरेना इष्टका qrawa जनाः तेरेव नामभिः स्वय मथादयन्ताम्‌ | area CEM एनान्‌ देवान्‌ `पभ्यपावस्षम्‌' तत्‌ wala मनमत्‌ , अतर लोकम्प्रणा एव' भविहितनासराः चेनुरूपतया wes मूं विद्रजन्यः; पराख्खा एव नखः भन्धासा भिरकानां स्वयमादस्छा रेतः सिखियज्योतिरपस्याप्राणदित्यादिक्षानि विद्यन्ते शोकम्पणानान्तु तता प्रातिखिकमामधेयाभावादि- waa सखनामानाद्धानेन विमुखा भूत्वा अषख्िताः # Cad) पषादवस्ता coat विराजनान्नो रकुवंत अतः खय मपि तव्‌ wala मगमत्‌ waar तख्मादुपधानावखर- ऽपि लोकम्पृणा दयदशोपधाय मन्छणाभिमन्छयते एवं सति विराजो दशथाक्षरत्वात्‌ देवा विराजः क्तवान्‌ भवतोति तस्मान्‌ aa Maren उदिश्य विराजो मामेति प्रयु fafa १९

विशद मन्धत्‌ ऋतवसख्छेत्यादि waa योजनं यथा- शुत मेष cea घनुरुपता सम्पादनामन्तदम्‌ “मण्डकेनाव- कया वेतसशाखाभिरम्निखलस्य विकषणं fawa— “अथेति

» 'वनस्थिरः"- दति a: ‘aqafara’—xfa we t ‘war —xf क:

( (We रेब्रा° ) मउमकाख्छम्‌ दह

van दत्यादिकस्य सम्बन्धस्तु प्रागेवाभिदहितः। विहितं तरिः क्षणं ‘ada: aaa मिलया i . °

सवत इति wana faa शममागनां दशण्यति- “aeaa मिति, ‘ov af a-warfefa 'विंकषति' दति ‘aq aa एतत्‌ कारणं aferfa कारणाभिधानं प्रतिज्ञाय ‘aaa मियादिना तत्‌ प्रदश्यते,-- `अपरे पूवं ay यस्मिन्‌ प्रस्तावे ऋषिगब्दाभिधेयाः ‘ura एत मजिनं समस्कवन्‌ संस्कार- प्रकारस्तु षषठकार्हस्यादावुक्षः ; Attia # प्राणस्त Afr खडि श्वौक्ितवतः ता खापः GAM मण्डकाः अभवत्‌ ॥२१॥

ततः प्रजापतिः प्रतिमाऽश्माकं रसो वाश्मादिव्यङधिरक्न प्रजापतिव एतस्य रसस्य एवः वनमस्ति वे दति waaay तस्येति wate set एष ति प्रत्येष निदि्टम्‌ तं वनस्यति aaa दति, परोचेणाप्याह), यत एव qm तेन वेतसोऽभूत्‌ खलु ‘a’ Sat: परोऽलकामला waa षत्याचस्तते wart यदन्रवन्‌ भवाक्तट गादिति तस्मात्‌ रस ‘warm अभवन्‌" ताश देवताः परोक्षकामल्ला दवका इत्याचश्णते। “ता शेता दति oem प्रकारे मण्डकाः साक्तादेवापः वतसोऽपि तद्रसवेदानान्‌ भवकाखुत दूमामकत्वादिति सवेप्यतं मण्डकादयः warn दति, लापता fafaat wa: खलु तस्मात्त Tangata fafaut- भिरप्यहधिरेम afa शमयितवाम्‌ भवति uv aan

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$ aaa षति ज! '

५१४ शतपथब्राह्कान्ठम्‌ ( We 2aTe)

TH मर्डकादोना मवातमकत्वेन शमयनाथत्वं प्रद- mara क्त्छान्तर्पेण प्रशंसति ,-- “यद्उति। ga invefsfa aaa विखरंसमेन परासुः प्रजापति इटानो अयममस्णिन संस्करण प्राणादोनां निधानात्‌ ga qua दति चायमानाग्निनक्षणः पजापति जायत एव जाय- मानस्य Balada मेवोत्प्षः; एषोऽपि सदस्मा अत्राय जायते मण्डुकादयव कत्ल मनवम तदेव प्रदृश्यते, “पश्वप्र wat दति। "एता मण्डूकावकाबेतस Wear: # क्रमण पशव wel वनस्यतयश्च भवन्तोति। मण्डकादय स्थावरजङ्माकं Ae मन्त्रं भत्र प्रदश्यते। मण्ड.कादयः सवं अपिच अवामकाः। तथापि अवकानाणलका ay नत्वाद- aifa वमनस्मतिरूपत्वाञ्च ता श्राप samy) एवच्च सति मण कादिभिविकषणेण एन ममिनं सरवाज्रन्नेन प्रोणातोति i २३॥

विकषेखेन वोतरसान्‌ मण्डुकादयोऽनुपजोवनोयः wae त्या,-- “मण्ड केनेति पशूनाम्‌ पशनां मध्ये मण्ड्‌ केन विक्तष्ट- वानिति यत्‌ aay पशूनां मध्ये मण्डूका गतदारत्वात्‌ पश्लन्तरवदुपकारको भवतोति। सो waa रच्यते एव मेवावका ufo मलाः पेयावान्‌ भवतोति वेतसोऽपि वनस्पत्यन्तर- वत्‌ पुष्पकलादि नोपकारको भवतोति | एते सर्वे भ्रनुजौव- नोयः ` अरभूवत्रित्यथेः २४

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{ {We द्रा ) भर्व शाच्छन्‌ ER

awatfefu: we qaritfa agama ary तानोति "सोऽष्वयुः anf मन्छूकादीनि “ait wan” विकवदेनेति शेषः पूवं मनिखछलस्व सामान्येन विकर्षण axa wai fawafa ata विक्षवतोति। aa- ert कस्मिन्‌ कस्मिन्‌ प्रदेशे कोन केन प्रकारेहेति faite

जिवाषाया ary ;— “दिख! इनेति परित्रिता मन्तरशामन uaa भागस्य दलिखभागेो प्रथमं ‘ar’ अथवगं कषेति ^“समुद्रस्यत्येषेति « artes | efeuwafa व्यत्ययेन

छतोया समुद्रस्य त्वावकयाभ्न परिष्ययामसोत्यस्य aT माह “समुद्रियाभिसत्यति। समुद्रशन्देनाच जलाशय cua | समुद्र॒ सब्व॑न्धिनोभिरद्धि ‘eat mama’ इत्येतदुक्तं भवति अवकाया VAM तया सच्चरशेन गमनस्य निष्या- षटनादित्यवः “समुद्धियाभिरिति सलुद्रा भ्यादइ णौ शति प्रत्ययः। aw चायनेयो cafe सूत्रशापि यादेचः। “धने ‘at समुदरसम्बध्िग्धा -अवकया' यदि ‘afeaarafa’ परितः शब्द गुः ददन्तो मसि रित्वत्तमपुरष. बहुवरचन सकार स्यान्ते दकारागमः। पैन स्चरणन शान्त सतव “अस्मभ्यं अश्म ea पावयति शोधयतोति "पावकः" पावयिता “चिवः यान्तः पा नुकूश्यवान्‌ भवेति HRT २५५

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¡ पाग We ४. ४. wre.

१९ 9 विल्चथन्राञ्जयन्‌ & ( (Wo श,

em warty <cfeqnt fare afemma उदगव- at “ferwaman मन्ेख # fandfeany “we अचनारहेनेति "वहं चोतख' शत्याटिकष्वाय ad:— "यत्‌" we “ओोतस्छापि ama’ wae wt 'तदिमस्य रादु अरायुधन्दो ] TECH: Wey अरायुयथा गभं माच्डा- दयति oavefwa शोतमनिभवेमाष्छादयतोति fore wegefa श्ोतादष्यथिकथोतत्व जुष्यते इति wa चना. त्मका ABUT एव इमस्य जरायुखेत्यनेन विवच्छते | तेन wen सेवा भिधानं ब्रक्ञह्ट यप्रनच मचत्वात्‌ qerta निति परतिवल्ष्यम्‌ २९॥

अथोल्तरभागे प्राणवं “खपन् पेति मन्ते fired- वैति विधसे- “अथोलतरार्देनेति ang aud crv aaefa २७ i wa gene ‘on मिद भिलयादि # ware दंशिषापवगे feadary wa पूर्वाहेनेति अव मपि मन्बखहाय caw— “वेवेति 2 अन्ने यदेतम्‌ मण्‌ कावकावेतसः शाखाश्च अशु we aura नितरां खानं अपा adiagfa तदयं मरं सष्भवतोति ware ससुद्रस्येति mwetaat मपानयन अतत्‌ चपि तु ‘agua जलनिधिरिव ‘fate’ निवे-

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आत्मनाम विकर्ष प्राथमिक सुपपादयति “ar- vara fafa दिष्ठा नेत्धादिना fafed forte मग्ने cent te कियते aaere सात्मानं वि कवतोन्येतदुप- ae ङतः waaay AAAI कारदरयाद्यवववजातस मध्वे पूवमात्मभाग एव Tals तत्‌ खकाथात्‌ करचरलादोना शुत्यसेरिति wa efwareraiat famed विधाय .तरकल सिचं srefeq पवत्‌ nafs २८

अथेति awretnt faadq annie afew gat feary warafafa qagran ममि ward wae नाभिप्रतो साभि qe दत्यव्ययवो भोवसमाखसः। anefa खमासान्तहच्‌ किकवणानुखारेष ‘arial निहितवान्‌ भवतो.

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® "दैवमनुष्यपुतवपुरमत्ताभ्यो हितोयाश्दन्वोवङुलम्‌- पार छ, ४. 8. UG f पाण Go ४. ४. You |

4५ wee यल्‌ (ewe mute )

aw | ware fafa we art faaie भवतोति; तश्रा परम्तादिति। अथ दलिशपलादोनां विकषंशेषु wary विधत्ते, - aa पावक Ofatarfem aye पावक- शत्दप्रयोगस्याभिप्राय माई - पावकं पावक मिति ‘aq खलु ag fad तस्येवायं west शान्त मिव तत्‌ "पावकं भवति भयान्तस्व gfe सन्पादकत्वात्‌ अतषाम्नः यान्ता सिये तेन nea सम्बोधन fafa aoe

भावः fanaa fafaqaiat aaa सप्तत्वस्य प्रणंसति,- “anfa रिति। ‘anfafaatsfa’ रिव्िनेन ‘anna: सम्बत्सरः सम्बह्म रोऽज्नि रित्यनेन qatar, सप्तसष्कयायागः Wee aw चितयो नित्याः cate चितो afafaa इति सप्तचितयः afiarartwat ara) यस्मिन्‌ at मण्डकादोनि वदा fanem an सुत्वरे uefaafearey तं वंश मिति॥ २१५

सथन afet परितः षामभि गायेदित्यार-- “यथेति विहितं सामगान मम्‌तरूपतया प्रधंसति। यत्क इति कथ Raq सानच््रा aaaeus fafa, तत्राह -- “सामानोति। सनाते wota ‘enatfuarafe awitefafavary षा लाका Vita WUE खलु प्राखसम्बन्ध मरष्पाभावात्‌ अतव प्रा VAT साश्रामप्यधमजक्पत्वात्‌ सामगानेना गत मुत्तमं रूपं मस्मिब्रम्नौ निहंधातोल्य्येतश्च सामगानं सवतः wie

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( १अ० शब्रा" ) गदल्रकाख्छन्‌ I qc,

faery: “सर्वत «fe: अतः gaara eran प्रजा पति सम्बन्धिन arm: Gafentareqweraaay प्रथं सति २॥ `

“agin fafa, wafeq कले खलु देवा शमं प्रजापतिसम्बन्थिन ‘ata wat ‘aafuwaa एषं 'कुर्षीमरोति अकामयन्त wartferacan afefaearia धरो. te विनण्रस्वात्‌ तद्रहितं arena क्म्भ्यप्यनित्यः | तत @ येन wate मप्राल्ान मनन्खकं करवामहः एतत्‌ प्रकार सुपजानोनित्यक्षा पवत्‌ कतं तत्‌ Wales द्व्य Quai “चेतयध्व faaqay acre चति सूय भेव विह- लोति,-- “चिति मित्यादिना “चितिं विमरशमिष्छतति खलु ति अब्रुवन्‌ एव मपि किमव मब्रुकन्‌ निचयाद्याह “लदिच्छ- तेति तदिति fayuaa: येन प्रकारक ‘aaa मन fed’ gat महि तत्‌ प्रकार परिज्नाय चिति मिच्छतेति ब्रुव जित्यः ३३

पासे तथा विचारयमाणा स्तदुपाययेन एतानि ow- माशानि गायज्रयादोनि ल्लामानि eum रमं परि-गोयत मासान यप्रोदिष्ट agay अतस्तदेव यजमानोऽपि get सर्वत इति पृवादिभागेषु सवतो गनेन Wee सवेत aan मनस्थिक aaa करोति। विहितं गान arei- नेन तिष्ठता वाका fafa) तत्र खच्छयाग्धतर प्रकारेष aq प्रनो नियम aly - "विद्जिति नब ‘raat

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असु यतायप्रोयस्व चन्द्राव्मकाचम्‌ ततः किं प्रते समा- यात fafa q anw— चन्द्रमस aafa “प्रजापतश्दय fafa fafey ara तदप्यच गावेदित्याह-- “अथेति तत्‌ लाम wfzaramn alfa: (अखोवा इति अाटित्वस्य yeu

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साश्व प्रदशनेनोक्ष प्रजपतद्रदयसादृश्छ प्रजपतनोक्ष' प्रजा पतेष्ंदयत्वं उपपादयति ae wee एत इति। गयन्रया- टोनां mae ea fata sw) अधतदानं कस्मिन्‌ wra ana मिति aare— ‘arena’ इति aranirafa aa क्चित्क्रियतति aare “fare इति) निकक्तावप्यभो fags «fa तजब्रान्धर्तरद्िन्‌ faatua ae - “efae {निक दति waasanfamear ged ने fa उत्पन्न afafed तदोय दृन्यस्यान्तिकायेत्वा्षदयोगै दूरान्तिकार्थैः asia # fafa परे प्रकरणात्‌ पच्चम्याविधानादत ति पथमो «tai प्रजापते शटयस्वादित्यात्कस्वालषस्य म।नेनादित्य मेवाम्ब दत्ममागं woarre “urfea मवेनि॥४.॥

प्रजःपत हृदय गायवादिसाम्रवत्‌ कस्य{शिदचि गोयत अपितु aaa प्रजागब्द प्रजापतिगब्ट maa अतएव अपः waa सूजितं “प्रजापत erase गायलोति† अतस्तस्य ara wal: शब्द्द्रोगान प्रणंसलि.- ^प्रजामुकेति। as ता प्रजासु anima faafadta fara: कियत महि aa गानं स्यति unwary नचाय wefaen: प्रजास्त्विति बहुवचनवंयर््यात्‌ ' श्नः कथ मश्व वचनस्वोपपस्तिरिति नेतदस्ति बाच्थताचकयोमंद विवसया वाचकशब्दे क्रियमाणं गानं

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वाच्य क्रियत इव्यपचयत। aay प्रजासु wea दधाति अथ यत्‌ प्रज्ञापता गायति दग्नौ wea दधातोति। पअभित्रेयेफनमम्बमवदर्गनाज्लदनुरोधेवाभिधरैप्े एव गायतोति। णपचारोक्तरभिप्रायः पूवं प्रजा प्रजापतिशब्दयो गानेन प्रजासु अग्नी हदयं निधरौयत इत्यक्तम्‌ |i ve i

अधाग्न स्तद्भयासकन्वात्‌ AMA गाने तव्रोभयन्रापि wea निधोयत इत्याह -- "“यहवेति प्रजाशब्दन प्रजापतिशष्टन तस्य गान मग्ना क्रियत we पूवन्तच्छब्टयाभिधयप्राधान्य- नाग्न AMAA AHA) WIA परग्निधान्यन तच्छब्द्दया- भिधेयस्योपमजनत्व मुखत इति विभागः। “wa वा afi: aaa प्रजापिखति। a: प्रज।पतिव्यस्रंसताय्ा मेव योऽय afafaaa दति ya: अरम्निस्तावत्‌ प्रजाः प्रजापते सवप्रजा निर्मादुत्तन तदाककश्वास्त्ाराणिरपि प्रजामक CUT ४२॥

पतामि गायज्ााटोनि म।मानोश्टकारूपेग afa— “ar ai इति aaa भवतन्ति प्राणा बे सामान्यम्त मु वै प्राणा aa Rafa aga मुत्तमं दधतोति साकान्ता- वट्‌ waw am मेव vena प्रतिदिश मुपघोयमानत्वा- द्पधानवाद्‌। तषां प्रतिदिशं मानादिष्टकास्वोपचारः एवश्च लान्यनानि सामान्यसृतषटका भवन्ति “ता हता इति स्र विेषेये्टक। og ताटका उत्तमाः eater cea: उर्गर(ग्प उपय उपट्ग्नि | तेना्य हणमन

( (We Bate) | TTT ७५,

सर्वस्याप्यष्टन मुत्तमं दधाति। तम्मादस्य सवस्य प्रपश्चस्या

मृत मुतमं भ्ति। विहितं सामगान समाख्यानादुद्ातुः

प्राप्रोनोति। तदपवाद माहइ-- “नान्धोऽष्वर्योरित। rave

गन्तव दोष माह-- इष्टका वा एताद््ति) एतषां सारा

भिरकास्वादिएकानां चाष्वयुणोपघयत्वादितरग्य x गास तद्‌

पधानतषुयं बा्वर्य जितः पराभूतो भवैदित्यथः ४१ ॥२॥ दति. गरोसायणाचायविरचित माधवोये वेदाथप्रकाओे

माध्यन्दिनिगतपथव्राह्मणभाष्य मवमका ग्ड प्रथमेऽध्याये feata ब्राह्मणम्‌ |

वेदार्थस्य प्रकायेन तमो हाद निवारयन्‌ पुमधांचगुरो ear विद्यातोधमरश्र. १॥

ब्रह्माण्ड MAS कनकहयतुलापूरुषौ स्वणगभम्‌ , भप्ामोन्‌ पञश्चसोरँस्तिदगतसनताधनुसौवणभूमोः valet रकावाजिदिपमहितरधौ सायणिः सिङ्कणार्या , व्या णो हिश्वचक्रं प्रथित विधिमहाभूतयुक्तं घटश्च

'नाष्वयरिति दृस्य'- दलि कर,

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बतवथन्र एल खम्‌ (११० रेवा }

urate waren तिलभव मतुलः at aware: | कार्पामोयं क्षपावान्‌ गुडक्तत WHS राजतं राजपूल्घः | ्ज्योत्यं WII लकणज ATT: गाकरं चा्कतेजाः , Taran रव्ररूपं गिरि ama मुदा पाच्रसास्सिङ्गणायः o

दति ओोमदराजाधिराजपरमेश्बरवटिकमागप्रव्सक- श्रोहरिषरमषहाराजसास्ाज्यधुरन्धरेण मायणाचार्यण विवचित माधवोये वेदाथप्रकाओे ary fea CATA नवमकार्ड प्रथमोऽध्यायः समाप्तः १९४

+ खनन्याष्टोप्यन्ः; प्खमकाशोबदितोवाध्यायान्त sea, |

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उपवसधोयेऽइन्प्रातरदित SMTA *। ate व्वि्टलते व्वाचं fare पञ्चरहोत माज्यं cyte तव॒ पञ्च॒ हिरश्यशकलान्‌ प्राखल्यधेनत्‌ चय समासिक्तं भवति द्धि मधु रतं पादां शाला ववोरुविल्धां तदुपरिष्टाहभमु्टिं निदधाति १॥ wafa मारोहति नमस्ते we शोचिष नमस्ते ऽभरस्त्वच्चिष ऽद्वयवेष सर्वोऽमिः संतः

स॒ एषोऽव war ऽलं afagera जलिश्- fata q at ऽएष हिनम्ति हरसा वेन्‌ शोविषा ्वा्दिषा वा श्निसति तथो हेन मेष oad हि- AMAA SMAI हेतयः पावको SMM शिशो भवेति यथेव यजुस्तथा बन्धुः पारद्ानि स्वयमाढसां व्याघाग्यति | भाज्येन TEVA तस्योक्तो बन्धुः २॥ = t निदधाति cfr गर,

‘OT चतपवनव्रान्नखन्‌ . (एब. शत्रा }

खयमाढठसखां व्याघारयति प्राशः स्वयमादसा प्राये aca दधाति sey i यदव स्वयमाढसां व्याघारयति surafe-

इषाम्नेरथध या मम्‌ Gal व्याघारयत्वध्वरस्य साध Sarat मेतद्‌ व्याघारयति ५॥

mama हिरण्यं व्याघारयति। प्रलयं वे लयात्‌ पश्यति प्रयच्च aravafe: परास्ता एवद्‌ भवन्ति परोऽ वे तदात्‌ प्राम्ताः परोऽच मिय मुत्तरवैदिः

स्वाहाकारेण तां व्याघाग्यति। wag वे Nag स्वाहाकारः प्र्यच सोप्रवेदिव्वट्कारण- ai परा$च्ं वे तदादेट्‌कारः uty मिय qar- वदिरदाज्यनाञ्यन grriafe व्याघार्यन्ति पञ्च- खङोतन पश्चणहौतेन waa व्याघारयन्ति व्यति हारं व्यतिहारः शृ्तरवैदिं ararcafay

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षदे व्वेडिति। प्राणो वं षन्‌ मनुष्या नगम्तदोऽयं मनुष्येषु प्राणो $भ्निस्त मेतत्‌ प्रोणाल- wae alesis यो scafae aaa प्रीणाति afsae afefa a मोषधिष्डन्निस्त ana प्री णाति wane व्वेडिति at ्नप्यतिष्वम्निम मतन्‌ प्रोशाति afaz व्वडिल्यय मनिः afa- fea मवेतद्निनि प्रोगाति॥

यदब्राह | षदे वेडप्मषदे afeae वेता- न्यगननामानि arvana lata तानि इविषा दवतां करति यद्य वे देवताये vfanwa सा दवता नसा यस्यं गृद्मतेऽधो ऽएतानेवेतदग्नौ- afmamt नामग्राहं दधाति <

पञ्चता भ्राहतोजहाति | पश्चचितिकोऽगिः पश्चऽसवः सव्वसरः AAMT ऽम्निर्यावानमिर्याव- त्यस्य मावा ताषतेवेन मेतद्न्नेन प्रीणाति १.

भथेन0 समुचति। दता भवृना घतेन

° 'प्रोगानिः -ट्नि व,

Ce अतपथव्रान्जखन्‌ ( (Wo श््रार

लायत ऽण्ष एतदाद्चौयते एष AMAT SHAT खायते waned यधि मधु तए सर्ब य- वैन मेतदन्नेन प्रीणाति aan: समुचति wan naa मेतत्‌ aay प्रौणाति॥ ११॥

यश््वेन्ः समुखति% wae सर्ग्या ऽग्निः संम्क्तस्तस्पिन्‌ दवा एतटरप सुतम मदधखयेवा- सत्र मतदरूप मुत्तमं दध्यन्नं वे रप मेतदु परम मन्न यदपि मधुं तदाद्व WAC रूपं तदस्पिव्रेतदत्तम दधाति स्वतः aquafa वालन परि्रितः स्वेत एवास्िन्ेतदूय मुत्तमं दधाति दर्मस्तं हि शहा मेष्या waray fr देवानाम्‌ १२॥

यश्वैन समति cae asta प्राणा षयोऽय ऽग्नि समस्वेब्वं स्तदस्ित्रदोऽम पुग wig भाग मकुव्वतादः सलरब्दौय मधास्ित्रेतपः

afga ऽउपरिष्टाद्‌ भाग मकुब्बत aaa समृति

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suatfaie प्राणा ऋषयः afem ssufterg भाभै मकुव्वत तानवेतत्‌ प्रौणाति zat मधना छलेन AAA वन्धु: १२

द्वा देवानाम्‌ य्जिया यल्ञियाना fafa दवा दान carat य्लिया यज्ञियाना मव्वव्मरौग मुप भाग मामत दृति संव्व्छरौणपः WA ऽएतं भाग मुपामत syarer हविषो यक

sifafaagarat fe प्राणाः स्वयं foray मधुनो छतद्यति स्वय मस्य पिवन्तु मधुन एतस्य चल्य- तत्‌ = 2% it

दवा caqy | अधि caaq aafafa cat Wa दवेष्वधि दवत्व मायन्ये ब्रह्मणः YT ऽण्तागा ऽअरटेत्यय मनिब्रह्म AMA पुर ऽएतागे येभ्यो न्‌ SHA पत्रत धाम किञ्चनति fe प्राभ्य sea पवत धाम किञ्चन aa feat पृथिव्या

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दाभ्या) समुक्षति ददिपादालमानो यजमानो ऽभ्निर्यावानम्निर्यावल्यस्य मात्रा तावतेवेन मेतत्‌ समुचति +N १६

पथ प्रस्यवराहति प्राणदा पानदा {दति

सव्वं हत प्रागा योऽय मम्निच्ितः यदेता मतरा त्मनः परिदां वदताव हेवाद्येष प्राणान्‌ हञ्नौ- ताध यदेता मात्मनः परिदां वदतं तथो ह्येष. प्राणान्न ङ्क्त प्रागदा भपानदा व्यानद्‌ा व्वर्च zt व्वरिवोदा इयता मे ऽसौयवेतदाडान्यांम्त SMART हेतयः पावको ऽभ्रद्मभ्य९ शिवो भवति aaa यजुस्तथा बन्धः Low gua प्रवर्ग्योपसहयां प्रचरति। प्रवर्ग्यौपि- = ‘saaq--cf ग, at

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wert प्रचर्याधाखमे बतं वार्ह्रतं वा प्रयश्छ- त्यथ प्रवर्ग्यपसङ्या मध waz मुरसादयल्याप्त्वा तं कामं यमपे कामायेनं प्र safe १८

त' वे परिष्यन्द ऽउत्मादयेत AAT षा ऽएष शाशुचानो भवति तं यदस्या मृत्साद्यदिमा मख्य WUBIN MIG यत्‌ परि- ष्यन्द ऽउत्साद्यति तथौ ने वापो हिनस्ति नैमां यद्हाप्तुन प्रा्यति तनापो fever यत्‌ समन्त मापः परियन्ति शान्िर्व्वा ऽापस्तनो sea न्‌ हिनस्ति तस्मात. परिष्यन्द ऽउत्सादयेत १८ |

wert त्वेवोत्सादयेत | इमवे लोका एषो ऽभ्निरापः परिश्रितस्तः यदग्ना ऽउत्साद्यति तद्‌- aa परिष्यन्द ऽउरसादयति २०॥

यदेवाग्ना ऽउत्सादयति | इमे बं लोका एषो ऽग्निरग्नव्वयुरादिव्यस्तदेत प्रवरग्याः म॒ यदन्यवा-

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८४ शतपयत्राह्यषम्‌ (श्र शत्रा* )

ग्नेकत्सादयदेतांम्तदेवान्‌ बरिङ्भ्यो लोकेभ्यो दध्या- दथ यद्म्ना ऽउर्मादयल्येतानवेतहंव। नेषु लाकेषु दधाति #॥२,॥

यक्ष्वाग्ना $उत्मादयति। शिर SOMA HA यत्‌ प्रवग्यं ऽग्रातमाय afafua: यदन्यवाग्ने- रस्सादयेषडिद्म्माख्छिगो sary यद्‌ ग्ना $उत्‌- MUTI Raat AAA शिगः प्रति.

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दधाति २२॥

सलप्रमाटख्या WUE प्रथमं I मुरसाद- यति। प्राग स्टयमाटसा शिरः प्रवर्ग्य माय मभ्निशितः SE Ae प्राणन सन्तनोति ATMA प्रवम्य यथा तस्योत्सादनम्‌ | २२ ३॥

दति प्रधमप्रपाटके ठतौयं बाह्मणम्‌ [र १. |

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श्योगशैशाय नमः यस्य निः वसित der यो वदेभ्योऽव्विने जगत्‌ निन्ध्रमे aay वन्द विद्यामोचमङरेष्तरम्‌ १॥

ोपवमध्यदिवसात्‌ arta feat aaa प्रयोग मभि धाय wer तस्मिन्‌ fest? कत्तव्य मभिधन्त) “ware. aeq इ्व्याटिना) श्रा्श्दिन सादिये ard विष्टजतेः यजमानः वाचं fee) यत्र gear मात ज्ञा प्रयः हि तव पूर्वोसरपक्रियायाः ममानक्रसत्व afer: यज मानस्य वाण्विसिजनादष्वर्योराज्प्रङणादिति पातो शशावा कारा शयानो तु पि्टिग कां # ख्ङविल्यं aya ष्यव्ययेन प्रत्ययः “लदुपरिष्टादिति) यव प्रथां शयानां वा दध्यादिवयं aatfam तदृपरिहिादटित्यव्रः॥

खथाम्नि मारोहतोति “दममुषटि निधानानन्तरम्‌ age दध्यादिष्रयं समासक्त लदुपरिटाच्रादाय “ana t इति मन्तः काम्नि BUR) WATE कान्यागनः,-- “saa arem feared नमस्त fab ति मारोषरे naw var मग्धस्य पूर्वाईैस्य are प्रणोजन are— “ang सर्वोऽग्नि रिति।

° {पिडराकाम्‌ (रविं ()'- नि हइ) ‘fascial wat—rcia भः ‘fae vat wani’--<fa a)

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at | शतवबव्राहन्नणम्‌ , ( ११० शबा )

अत्रासिन्रवषरे एषोऽग्नि सवः संस्लतः साकश्येन Wade: uaa एषोऽग्नि यदसु हिंस्यात्‌ यं fafefety तस्म अलं aay इननेच्छयाहनमप्य चेत्यभयस्यापि समथ aa a हिनस्ति एनं ‘exer शोचिषा वा feafer | waare aaa पाठेन पन मध्य॒ एतं इरःप्रथतिमि a हिनस्ति। रं दूति इरण्समथं तेजः वोच इति गोचनसमथंः भिरिति zwa प्रस्तं तेजः। aaa हितोया्थे wer faz) waa wafefa हे wa इरसे aaisg गोचिषे नमो sq तथा तै भविषे नमोऽलु अन्धास्त भन्धात्‌ पस्मच्तून्‌ से हेतयः इरः प्रतय स्तपन्तु। अस्मभ्यन्तु तं aaa: यिषश्च भव ५२॥

अग्नि aren fa कुयाटत माइ “areuifer fafa) प्रथम awanay fafay faa: खयमाठदखां खपधोयन्ते तव्र॒दतोयायां खयमादढसायां व्याघारणक्रियाया इषित समस्वात्‌ AWA सखयमादस्वा fafa हितोत्रा व्याघारणं भाम AHA GAARA प्रत्याज्यधारान्चारणम्‌ तच्च व्याघारणं aq ब्यङोतमनाण्यन क्रियेतेति तस्योभयस्य ब्राहमणं प्राश famre— “areaafa wu ३॥

aq Wate wane witad wiafa; ख्य मादखखायाः ara सपघ्तमकाण्डं pt ऽभिदहितम्‌ प्राणो बं खय

# @Je श्यो ° Ze (a. हे. q t पुरस्तात्‌ OFTo ४अन Vale को एन २६२ Te rg):

(ame tte) मवमकाण्डम्‌ ८७

WIT UMA Baa प्राठन्ते इति अतशान्नि- सम्बन्धिनि are तदाण्यललणमन्बजिहितवाम्‌ भवति। प्रजा रान्तर्लापि खयमहखायां arerca सुपपादयति॥४॥.

यदषेति। एषा खयमाठस्षा भग्ने रुलरषटिः (खलु अथ या मसुम्‌ बुधौ परामश पूर्वां जुत्तरकषैदिं व्थाघारवति। खा पुनः सोमयागस्य अतोष्यां खयमादच्ययां areca स्तरषेदिः ) # तहि aerate qatnctfeaq ५॥

हिरण्यदथनादि† yanaa भवितव्य भित्यत भाइ “पश्यं स्तत्रेति way सोसरवेटिसंगुकमन्लादि निमितला- भवेनोपचारिकोत्तरावदित्वादिव्यधः

स्वाहाकारस्य ata इविःप्रदानसाधनस्वेन saw बैट्‌- कार तु दथाभावेनम aad wey पञ्चग्डहोतेन व्यतिहार सुतरं वेदेरव्याघारणात्‌ age अपि wat वैदिश्वन व्याघारण मुपप भित्याङ। “साज्यनेत्वादिना। व्यतिहार मित्बनेन पूवे efeuit ara तत wacaiat aerfeenial तत ene तत मध्य इत्ययं क्रमो किव्ितः # 9

अथ क्रेय Ray प्रदश् व्याचष्टे “are वेडिति eg सोदतोति। दृषत्‌ दति प्राणव्यतिरिंक्ञ मपि ant

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* wartifegin:, प्रदश्ितः पाठो wyaaar नाखि काण whe Ge tc, ३, OF * बा. We te, १२।

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शक्यत दति faafaatat दगितः-- “arnt a aafafat aifeua नृ शब्दस्य ufaw carat विवक्ितो नेतर cam मनुष्या नर इति एतन्‌ मन््रसाध्यव्याघचारणश्य फल सुकम्‌ “तद्योऽय fafa. afsfa सम्प्रदानार्थोयो निपातः aaa मनुष्यषु AMAA प्राणषशूपायाम्नये वेट्‌ इद मान्य-

eq owed मित्यश्रः। “aa afer ख्वि{दति। ‘aa’ सविन्रोग्निः खवित्‌ खगं लभयतोति afaq were मन्यत्‌ < |

प्रकारान्तरेण मन्वाणा afuma प्रशंसति- “agate wase यैडति % शवयत्रेति we: प्रकारवाचोनेन afyae वेडित्यादोन्यपि सं्टहोतानि भवन्ति। एतानि बृषदित्या- aifa waa स्िताम्नर्नामानि wa सर्वामकत्वन aqurfe- खितानग्धाककलतात्‌। wa एतेन नान्येवनामानि = atfea- वान्‌ भवति। केवलं तेषां प्रोणनं रपि aga are. सम्य ्तिरपोयाह, -- ^तानोति। यस्ये खलु tama विगृद्यते सा देवता a भवति। श्रतोऽज्र दषदादि नामानि बतुं तान्युश्ार्यहोमविधानात्तदधं विग्रहण भिति हविषा तानि नामानि देवतां क्तवान्‌ भवति। किञ्च ठृषदादि शब्दाभि- खेयानाग्निनामग्राङ्‌ मस्मिन्‌ सञ्ितेऽसो निदधाति॥ < |

प्ाइतोनां पञ्चत्सद्चाग्नेः Beas प्रीति भवतोत्याद,-

+ कार श्रो खर १८, ३. ६। ale We १७. १२।

{श्ण Cate) ` नवमकाण्म्‌ ue!

“cea श्ति। पश्ष्टहोत माज्यं दध्यादिकच्ेरभव मबयम्ने- Samad aarsaa विनियोगोऽभिहितः॥ १०॥

अधावशिटम्य विनियोन माह-- “waa fafa. ag- amin माङ. “जयत agetfae een

दभ्याटोनां agary सर्व्वः विहितं तत्‌ aque परिशिष्यते afecfa aaa मित्याह "सर्वत इति उपरि एाद्भमुरटिं निदघातोव्युक्ञान्‌ दभन्‌ aqua fafaqen प्रशंसति “eu रिति। ‘ad fe टेवाना fafa’ fe we: mraracafafé योतयति अतएव ततिरोयके qaat,— “ay पर्षि fea aca fafa’ ti waa दध्यादिभिः waa Nimq dation saaqifaara भवतोति प्रशंसति यदेदेति ‘aia रूपः मियादिना परमरूपत्व मुपपाद्यतं | भव्रन्तावटू- पकारणत्वाद्‌ रूपं परमत्वं तु दष्यादोनां रसातिशयवला{दिवि दध्यादोनि परमं रूप fama: १२॥

परथ पुनस्तान्येव दभ्यादोन्धग्रेस्परिष्टाञ्जामश्पेण प्रशं afa— ^यदेवरन निति wa ya aa’ यश्िश्नवसे ऋषि शब्दाभिधेयाः ` प्राणा विसखस्तं प्रजापतिं “लमस्कुवंन्‌' aze: काके ‘azv शणष्टम्तस्य कामथ्य farina मभिधस्च। रम भागः ayaa ‘aq’ faafa विप्रक्नष्टो भाग cue |

» “सवत. aqeata बाह्येन परिश्ित <fa’—cfa का, ait We UE. 3. ष्ट ®

ta त्रा १. &. ८. 12

‘de सत पवत्राह्नषन्‌ ` (एवन श्वा )

‘aq भागः मिति aga तदेवाष चरतः (!) 'सजरब्दोवः निति सज्रब्टो ऽभयवोभिरित्वेतन aay प्रतिपादितं raed aw watfaq सञचितेऽम्नी एवं तं दध्यादिलकल्षणण सुपरिष्टाद्वान मङ्कवतानेव प्रोणाति। afeaara: प्राणवििषटत्यन प्राण- हृतोम्नेभोगः प्राणाना मपि भवतोति तस्याग्नेदरननोपरष्टिदट्‌ भागेन “तानेव प्राणान्‌ प्रोरितवान्‌ भवतीत्मधे;ः। दध्यादि- विषयं ब्राह्मणम्‌ urge मित्याह,-- दध्रेति। we सपम- काण्डे कूर्मोपघानकथनावसरेऽभिङ्धितम्‌ # ees

पथ समुखथे प्रथमं मन्त्र दशयन्‌ व्याच -- “ये देवा देषाना faa t टवा ‘afwarai’ यत्नाहाणा मपि यज्ञियः तत्‌ पूं कथ मेव सर्वषां यन्नाहश्वादिव्वयः feata ठतोय मादौ प्रसिदा्थी faary “संवस्षरोणाः मिति। एतस्य समुश्शणस्य संवक्षराद्‌ क्रियमाणत्बादेतत्‌ 'संवस्षरोणो भाग' यतः प्राणदष्यादोनाहइता- न्धषाद्‌ (म्ब पनोऽहइतादौ "षह विषः इत्यक्तम्‌ | चतुथणादे मधुनो ध्रतस्येत्यमेन una मेव aafe saa wary— (“aaa- au मिति एतस्य समुक्षणस्य संवक्षराद्‌ क्रियमाणत्वा- देतत्‌ ‘dace भाग' यतः) खध्मथ्येति॥ १४॥

परय हिलोय मन्व व्याचष्ट “ये Sar देग्विति § 1 ‘Sarga’

* पुरस्तात्‌ ऽका० 8 प्र ब्रा i करौ |

बा Wo १७. १३।

i बन्ध्ौचिल्लान्तः प्रदशितः oat न-पस्तकमाच्ं afire: | § वा We ६७. Ye

(श्जण cate) ` meer array, ee

इईति। at देवाः प्राखदटेवैषुं ‘ofa देवत्वं अधिका देवास्तेषां भाव स्त्व (मायन्‌ प्राग्रवन्‌ area स्तेषा मुपलोग्यत्वात्‌। अत em ये दवा देवेषिति' दिनोयपादे सर्वालकस्वम्‌ नमु हद्तवाद्द्य ष्टे नाज cua tay “पअयमश्निरिति। ठसोयपादः प्रसिन्राथं vare—“n fe प्राणेभ्य इति, तुरौयपादे ऽभिप्रेत विशेषमादहानेवति इति नते प्राणादित्यपि "न afm एथिश्या मपिनसखन्ति किंतु यदेव प्राण््दसु तस्मिन्‌ ama- तदुक्ल भवति देवाना मपि देवा यश्चियाना मपि afaa बे प्राशः संवत्सर सम्बन्धिनं भाग मुपासते अम्रम्‌ परे इविषा इुताशस्यात्पर स्त स्वयमस्य मधुनो paw प्वन्तु मधुनो तस्येति व्यत्ययेन कमणो षष्ठो, ay तं sawed भतत्‌ दध्यपि पिषंल्विति प्रथमस्याधः। ये देवाः दवष्वपि षधिक- देवस्वं प्राप्रुवन्‌ किञ्चये सख्या भन्न: पुरो गन्तारो भवन्ति येभ्यो विना किञ्चिदपि wat aqua प्राणा दिवः amy पएथिग्या अपि सानुषुम afer किन्तु यदव प्राण भत्‌ asa सन्तोति दितोयस्याधंः। ‘way शब्दस्य (यदा- दिषु मात्‌ खनः समुपसद्चा fafag .भदेणम्‌ aque मग्धयो fewagi म्नः समुचचणस। कल्ये हंतुत्वन प्रशंसति ॥१५५ नहाभ्या मिति। यज्ञमानस्वा(मचयनेनामित्वप्रापते यंजमाना- ऽग्निः खसक्षणानन्तरम्‌ प्रत्यवरोहदित्याहइ ययेति) #॥ qe

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ewatifawin: प्रशन: nat ate ayaa |

£.% पतपथनव्राह्मशम्‌ ` ( एष्र" शत्रा)

अवरोहण जपस्यान यनव्यतिरेकयो गंषादोषाकाद "सर्वे Wa इत्यादिना योऽय cf ययमेन cera: एव सर्वे vie: WOAH MT सर्वेषां प्राणा Cae) अतः सोऽध्वय रजावसरे यदि आत्मनः एतां प्राणदा # CHAT मन्वरूपां grace वटेत afe एषोऽभ्निरस्याध्वर्योः (प्राणान्‌ wala’ ayazqnaifeag: प्राणादेत्यादिमन्तरूप परिदाभिधाने तु तथान कुर्यात्‌ |

षूं मन्रूपम्योपयोग मभिधायाध aa wae - "प्राषटा इति “ane मेऽसोत्येतदिति। भे' aed रवां प्रा्ाटोनां नासोत्येतदेवोक्षं भवति guerra fad: | डे सम्नत्वम्‌ मे प्राणापानाव्यानानां wae धनस्य टाताचि) अतो त्रवोमि ते हेतयो ऽच्मादन्धां ‘way’ ‘wary’ तु वावकः शिवश्च भवः i १७॥

WAT पथात्‌ Wa प्रयोग माहइ- “aaafa | अथास्मा इति ‘aa यजमानाय ‘aq aa: ave ‘ar ak: व्रतं प्रयच्छति ‘aw तदा मेषोपराद्िकभ्यां ‘waeaqiqext way अथ wad guareafa शयस्मकामायनं प्रहण्क्षिः aa कामस्याप्तः स्यात्‌ इत्यध; १८॥

‘gama सुत्ादयति' सामान्येन विधानात क्षित्‌ प्रसक्ा- aw “aa «fa. परितः wel awa ae

* ‘mame दद्यवरोहति"- षति का ate we १८. ३.५८, t बा ° १७. २५।

( र्थ gate / ।॥ मवमकााष्कम्‌ a cr’

परिष्यन्दो "दोपः # मनु प्रचिव्या weal watwaTaa इत्याह -- “am बा इति एष प्रषग्य स्तप्त्वाश्छोकष- विचिष्टो भवति भरतस्तं यदि ifaat मुरखादयेत्‌ तदा namin: vfeat प्राप्रोति | अय ययम, उतर्स.दयेत्‌

Awe मोकापः प्राप्रोति mar तव॒ नोरःदमोयः

किन्तु परिष्यन्ट्‌ तथा एथिबो aqa हिनस्ति ay परिष्यन्द्‌ उल्सादनेऽपि तच तदुभय ewer कथं तारां हिसाभावः इति। mare ,-- “यदहास्िति। अपां मध्य मु्ादटयो feafar यश्दोपे एथियो भिवोस्सादयति। तवा परिमितः शान्तिहेतु भूताभिरद्धिवलयचितलवात्‌ एथि्या अपि हिशानास्तो इयथः १९

प्रवार्यादाननथय ययानान्तरं विधन्त “समनोत्वदति। gate परि्यन्दे wy बा mary उल्साद्यते इति विकन्प- विधान मेतत्‌) अतएव कात्यायनः-- “अग्नो पररिष्यन्दवा दति †। aaa प्रवग्यस्य परिष्यन्द एवोहासने कस्यखिदपि वाधाभावादस्याप्यम्नः परिम्यन्दत्व माङ- “इमे वे कोकां

दलि पृथिव्यादिशोकाककस्याग्नेः समुद्रददटनात्‌ परिचिता भेवातसकत्वम्‌ ॥२०॥

wee ता | ~ -~=~ ~~ ~~ ~ 8.1 -~ «me =

* "व्रणो conifaa: waaay ° पररिष्यन्दे यस्य परिल; श्राप स्यन्दन्ते परिगच्छति परिष्यन्दो Sto. लनमध्यस्थो जनानाच्छादित उचपरे्रः" शति ate ate Ge शद. ३. १९१।

t ‘guar प्रवग्यत्धारमं यथोक्त ममौ परिष्यम्दे n’—tfa का" श्रौ Te १८, १. १.।

,९४ पतयथनबाह्णम्‌ 8 ` (११० शक्रा}

अथाग्नावेवो चनं त्रशंसति “ayifa: मभ्बादयो टेदादोप्यभानस्वेन प्रषग्या' अतब लोकत्रयामकादग्नेरन्ध् प्रवर्ग्यो सादने भन्छादोनेवतेभ्बो लोकेभ्यो बहिर्धा gata: wat तदुदाष्ने तु waa may अन्यादोब्रिडधितवान्‌ भवति भननादुक्छादयतोति लोपः भक्ष्यति # वकारस्य WIG WAV Kt

पय पुनम्ततरबोदाखमं awa far: शरोरसन्धानर्पेख प्रथंसति -— “यदहवाम्ना उत्सादयतोति॥२२॥

यदा्वन्धावुरषदनं तदोहदासने fang ary— “सयमाटठखव- येति प्रथमं प्रवग्यं खयमःठखाया dae म॒ह खयेत्‌ एवश्च सखयमाठस्ायाः ~ प्राणरूपस्व।त्‌ प्रवग्यासकष्य aye fara: खशखितान्या्मकप्य aang way खन्धानं करोति “खन्द धातोति waa विवरणं उल््ञादा way faf तस्य प्रव म्यस्य यथायेन RATT प्रवग्यकाण्डोकषप्रकारेय उत्सादन aw तेम प्रकारे प्रवम्ब मुत्सादयेत्‌ aware’ प्रइरिष्पत्रिचा- त्कालक्रिप्र.पच )त्लादयतिख्वबन्तद्य प्रयोगः ॥२२॥१।५२५ इति खोसायणाचायविरचिते माधवोये वेदाधेप्रकाये

माध्यन्दिनिशतपथन्राद्मणभाष्ये नवमकार हितोयाध्याये प्रथमं ब्राह्मणम्‌

*Ule De ८. ३. VE | का" प्रौग Mo ie. ३. १२)

(ग्चर wate) ` TUTE ९६ `

wa हितों ब्राह्मणम्‌

्रवयेल्यानिं प्रहरिष्यन्‌ भाइतोश्च जुहोति समिध श्वाद्धाटयतहा sua देवा ष्यन्त' पुरस्ताद्‌- कनारी पव्राहतिभिष्च afatry तथेवेन मय मेत- देष्यन्त पुरस्तादन्नेन प्रो णाल्याङतिभिश्च समिहधिश्र वे TIAA DRA TAM बन्धुः{ १॥

अथ RST aga षोडशकलः प्रजापतिः प्रजापतिरग्निरात्मसन्मितेनेवे मेतदन्रेन uefa ag at ऽभ्राल्मसस्मित ag तदति aa हिनस्ति यहयो दिनि तदात्‌ कनौयो तद्वति समान्या खच गङ्कीते aaa fe a aaa stata aaa पाभ्यां जुहाति व्विष्व- wala मम्निसत मेवेतत्‌ प्रीणाति तिख sarge

| 1 - => ~ === = = ~ =-= ~ दधन - ~ च्म - ae a

° ‘qetcary’—tf ग, घ।

t "बन्धुः- दति ङ,

९६ शतप्त्राद्मणन्‌ ( शबर शत्रार)

aitfa विर्दनियाबाननिनर््ाल्यस् मावा तावतै- वेन मेतदत्रन प्रगति *॥२॥

1 समिध saizatfa » यथा afar परिष विष्याताह रदौ दभ्नर्यो Wa रस उदुम्बर SHMIA AAZAA प्र द्रं भवेन्ट.तद व्वन- स्योना मनसं जीवं यद्‌।द्र तदादे व्नस्यतो- ना aaa जौवं aaa मेतत्‌ 'प्रोणाति aa न्यत्ता मवन््याम्नयं वै AAS Baar मतद्‌ भागेन खेन रसेन प्रीणाति asic राजिं व्वसन्ति aa हि ता रसेन सम्पद्यन्ते fae: समिध प्राट्धाति विद भिर्यावानगनिर्यावल्यस्य मावा तावतवनं बत zaaq प्रोणाति॥२३॥

gaat अाहतीजहोति पतहा sua देवा suUaAT पुरस्तादन्रन समस व्वन्नेताभिर- इतिभिम्तथेवेन मय मेतदध्यन्त पुरस्तादन्न संस्करो-

येलाभिरष्हतिमिः॥४॥

+ « प्रौणाति-द्ति

( ग्जण WAT ) MANTA + ९७.

ते wqord aga, परश्चधाविहितो वा ऽयः; शीर्षन्‌ प्राणो मनौ STH प्राणश्च irq मेत मेवाद्धिन्नेतत्‌ पश्चधाविडहितए्‌ं ate प्राणं दधाल्यग्निस्तिग्मेन शोचिषिति तिम्मवल्या शिर एवाद्येतया ovata तिग्मताये

अथ पोडशद्होतं wate | अष्टौ प्राणा अष्टावङ्गान्येता मनि सम्पदं समान्या afa aga समाने शयवालन्नद्गानि प्राणाच्च भवन्ति नाना जद्ोलयङ्गम्श्च ania fafa करोति व्ेष्वकर्मणाभ्यां जद्टोति व्विश्वकर्म्माय मग्निस्त Saaaq संस्करोति faa surefaavita विददनम्नि- यावानमिर्यादत्यस्य माजा लावतवन्‌ मेतदब्रेन संस्करोति सप्रदशमिच्टग्मिः सप्तदश प्रजापति प्रजापतिरम्निर्यावानम्निर्यावत्यस्य माचा तावतेवेन मरेतत॒संस्करोलयेकविएशतिरुष्धौतेन दाद मसा पयुऽतवस्मय ssa लोका ऽभ्रसावादिद्य sce विश saat मभिसम्पदम्‌ |

Catapatha-Brahmanam, Vol. 1X. Fasc. (८. 13

ex यतवयब्राद्यकम्‌ |. ( शप्र ३ब्रार)

यदेवेताः समिध ऽाद्धाति एतदा sua देवाः सव्वं करप das मेतेनात्ेनाप्रौशन्न - ताभिः समिहिस्तचैवेन मय मेतत्‌ wat Ara संस्कल्यायेन मेतेनान्नं मौणाल्येताभिः समिहि- गोदुम्बर्यां भवन्ाद्र wa aM सर्व्वा राति व्वसन्ति तस्योक्लो वन्धु्देन सुत्तरां Aaa प्रतरां नय यख्य gat गहे हविरिति यथेव यजुस्तथा बन्धुस्ि खः समिध ऽभ्रादधाति विहदनिन- ्यावानमिनर्यावत्यस्य मावा तावतेवैन मेतदृन्नन प्रीणाति fra ऽपाहइतीजहोति तत. षट्‌ तद्योक्तो बन्धुः ] ७॥ i

a दूति प्रथमप्रपाठके चतुरे ब्राह्मणम्‌ [२. >]

प्रवर्ग्योदासनानन्तरं सञ्धिते षटकासमृहे शखापनायाम्नि maa लावदाहपर््यं अाच्यषोमं सभिदोमं विधकले-

“weanfe मिति प्रहरिष्यन्‌ प्ररेष्यकित्य्धं;। विहित

यि ~~ -- ~~ कणी णौ कषीणे यि

° ‘am बजुखया'- तिन, च।

( Aue rate ) नवमकाष्छम्‌ ९९

डोम awananen समिदस्याम्मेः « प्रयनाय पुरस्तारटमेन + सब्याद्यत ऽद्व्याह ware sam faarfer «aryfafi: समिद्धिषेत्येतदश्ननेत्यस्य विशेषणं भाइति afagae मेने व्यधेः अहतिभि जंशोतो सामान्येन विधानात्‌ कथं होमप्रकार इत्यपेखया माह “ae वे aw wwein fafa. अज्य पञ्चब्टहोते यथा भवति तथा awakes: तस्व तु “पञ्च कवा wae’ 4 इत्य.ःदिकं ब्राह्मणं प्रागुक्तम्‌ अनेन पञ्चग्टहोतेमाज्यमेकाइतिः सम्पाद्यते १॥

अथ Tenaya मलय wale, Wel प्राणा अष्टाव्ा- नीत्येतेः § बषोडशावयवः प्रजापतिः भ्यं waarnsfa: प्रजा- पयामक्रः अनस्तस्य GET" माममटश मनं भवतोति तदु वितैनेवाज्रनेनं प्रोलाति। लोके fe यदेवाज्र माव्मसंहितं azq रवति मच = feafa भूयो fwenareta त्वप याप्तत्वनारजकम्वादिति। wa ष)डग ग्टशोतं aa fare दे siya क्रियते saaryfaaea एथयगव ग्र्णप्रलकशावाद,- “समान्धा fafa: समान्या amar मेव सुचि wata-

BS, osm a ---०-क--क कि | = ~ ~ a विकि eee aaa a 1 पि न्ब, = = a = 2

° -समिष्यात)तः- दनि इ, ‘afaaria:’—xf ज, 'खरमिष्छातायः- निभे भ;

`पुरस्तादच्रनग'- शति क,

+ ews पुरस्तात्‌ ८.५. १।

§ ‘quested —cia we, 'चटाबङ्गातौन्लय- सनिः ग.।

oo शतपचत्रार्षम्‌ (ete 2aTe )

घोडशग्टहोत माज्यं ata ्ह्लोयादिचथः पाहुतिमेदेऽपि कथ भैकं wea इत्यत भह- “समानो शेति एतम षोडशग्डषोतेनाञ्यन यं प्रीणाति तस्यामोरेकत्वादिव्यथः | प्रज्ञतेन षोडशग्टहोतेनाल्यन साध्यो हौ होमाविति टदशयत्‌ we वर्णिता रेवता सम्बन्धस्याग्नये प्रकलष्ोभे समवेलाध aw— “amaama मिति। वेष्वकमणग्ष्द रहिदादि शष्ट्वत्व मनामधेयं wa: प्राजापत्यामकत्वेन faa विषय- कार्मवतवादि्ठकमत्वम्‌ पञ्चग्टहोतेनाज्यनेकाइतिः षोडश ग्टहोतेन हइ रहति शति | तिस्र oargaa: सम्पद्यन्त खाच तित्वसद्कासकलस्व saute हेतु न॒ भवलोल्याद,-- “fra राहतो जुहोति विहदनिि रिति। areata लुहोति afaay टदधातोति शोम्य म्पि सामान्येन विदितम्‌ AAT EAA होमप्रकारोऽभिशितः

अय समिधां होमे fata मभिधातु are— “श्रथ समिष इति यथा adaafa लोके जनः fafaq पुरुष मन्येन तपयित्वा पञश्चाटब्रविपेषाणां परिषणं करोति त्हद्वाय मपि सषमिशेमो भवति sreargfaaqqaraa प्रथमं सम्पा- दितत्वादित्य्थः परिषेविष्यादित्यविषे यङलगन्तस्व लिङ्गि रूपं ara समिध भोदुम्बर्यो wag रित्वाह-- “भौदुम्धय दूति | खटटम्बरस्य सग्रपरखाभक स्वा न्ेनेवेनं wera -- “ऊर्म दूति wat वनस्मतोना भिव्यादिकख्याय मथः। प्रदराः area ge इति यत्‌ एतहनष्मतोना माद्र aqued जोषं

( 2G रत्रा ) नवमकाण्छाम्‌ # gee

wgatrear मुपजोवस्वात्‌ ; wa waifa: afafe होमे तेन जोकेननं प्रणति wat इयमानस्य pau afaerfeaz भष्मो wr saat उ्वालारूपेण परिणामादान waa waza श्रूयते एतदा wer: fra धाम यदाज्य fafa (ar: समिधः पूर्वद्युरा्रौ सवस्या भेव wt वसन्ति wal’ रावितोत्य- न्त्यक्षां योगे featar awa faara fe) # ताः रसेन सम्पत्रा भवन्लोति। भत स्तधाविधाभि समिहि eta खकोयेन रसश्पेण तापनेन afer प्रोणितवान्‌ भवतोति “समिध भादधातोति। सामान्यम agafaurat ्तद्दिश्ेषे पयवसान aty— “faa दति ary faaagi सकलाशिप्रौतिदहतुत्वम प्रशंसति na i “‘agaat दति wamafafa भाहवनोयरूपतानुगुण- संस्कार विशिष्ट मकुवव्ित्यर्धः। ४॥ तत्र प्रचमादत्यधं Get ग्रहां अप्रः शोषस्य प्राश पञ्चको नमरूपेण प्रशंसति- (सवे पच्च wzvia fafa. चा- गिति वागिति मुखं प्राण इति घ्राणं सकश्ुटयंयदहौ प्राणने एतं मनःसहितावागादयः शिरसि पञ्चविरहिनः प्राणः ware पद्वार weaafaaa: शिरसि मनःप्रयति प्राणपञ्चकं निदधाति) winaaa तिग्म॑पदसम्बन्धं unafa— भरम्नम्तिग्मननिग्म- URI तेदणवाचकनल्वात्‌ तहत्या ऋचा होमेन तेचणासिद- शिरम्तोषछां करोति पणश्यन्तोति शो तनकरणे भ्रस्मा- टि यतिनतः श्यतोययोक(रलोपः wa तज्राहुति ware

° बन्धनो विज्ञानः प्रष्शितः पटो ज-पुस्तकमाश्र गौस्ति)

we = (रीय

१०२ शतपथब्राह्मणम्‌ I ( ११० Rate )

घोडगवाश्यहश प्रशसति, ( प्रसिदन्ध्टावङकानि रएताषां सम्पयरमभिनच्य वषोडगण्टहोतस्वं ग्रहणं ufmaal प्राशाङ्गा- कं सम्पादनं wena wea va) एकस्मिब्रेव शरोरे अङ्गानां प्राखनाञ्चावण्यानात्‌ wena Rag farwia ५) Haq vata करोति एवं अङ्गनां प्राशानाञ्च विष्टतिं विमेदेन धारण ममहयोणतां करोति) तयो ian वखकमणस्वादिवकमश्ष्टाभिसेय afa संस्का रोति। भाहलोनाश्च वित्वाचिततोनः सकनलस्यपि wart सम्पाटयति . अग्रानिस्तिम्मनेत्यनया ऋचा पञ्चण्टषहोतं इयते vat विखत्यादिभिरष्टाभिकम्मिः wisn wetaty इयति पवशिष्टं aaa: पितेत्यादिभिरशमि शूयते | अतएव कात्या- यनः ; - “ay avid जुहोत्यनिस्तिग्मनेत्यवा षोडशग्टो- ता मनुवाकगेषेण” “aga: fata परमनु वाकेना”- चति hi एवं सदः सम्भूय सप्तदश भवन्ति ar एतान्‌ लङ्खा क्ात्जाननिसंकारारेनुत्वन waa, “anenfu wiafcfa | प्रजापतेः Maen ततिरोयके aR —“waraaa aqrac ag ओौषडिति चतुरस्रं ant erat ये यजामह इति पञ्चाक्षरं ETN वषट्‌कार एष वं सप्तद गः प्रजापतिः” -इ्ति §।

+ बन्धने चिह्लान्तः प्रशशितः पाठो नास्ति ज-पृस्तकादग्पत, t “fudanfefawar” —xfa TT

t Blo Whe |o १८. ३. १२-१४ |

§ ले जा१. ६. १९.

(श्च्रण rate) . + नवमकाण्छम्‌ १०४

अधवा wet प्राणा weagfa खय मेक इनि aa- दशामकः fafaai asaagi प्रशंसति “एकविशति ब्यहोतने.त “दादश मासाः Taswa खय इमे लोका मस वादित्य एकविंश" एता मभिलच्य एकविंशति ग्डहोषेन waa एतस्याम्नयधोकेकविंशालमकत्व सम्पादनापेकविंश्ति AMAA होम इत्यथः

पथ aaa Wa प्रकारान्तरेण प्रशंसति “यदवता इति ae यधा तपयित्वा परिेष्यादिति भ्राज्यादूतिनेणे- नानं लपि तस्याम्नेः afagia: परिवेषणवहवनोति प्रशंसितः | ददानोन्तु एकविंशति meta waa एकविंशव्यामकत्व SUNY Area संम्लतस्याम्नरनरूपेण प्रशस्यत इति पानहक्घम्‌ aifaamaa कथनं ara fafa “्रोदुग्बर्यो भवन््याद्रा एते न्यस्ता सर्वा राजिं वसन्ति” -द्ति यदस्ति तस्य ऊग्वा उदुम्बर carfesu ब्राह्मण मनन्तर Balm तदेवानु सन्धयेत्यथः | प्रक्षतानां afaergatat मन्वा निगदव्याख्याता cary—“sen मुल्लराब्रयेति #। “sea सु्तराब्रयेत्यादिकः प्रमो मनवः, “tea प्रतरान्रयेत्यादिको feria: fb “यस्य कर्मों ze हविरित्यादिक mala: ¢, एतेषां यथा मन्वस्य तथेव ब्राह्मणं weet इत्यधंः। “faa: समिध" शत्येत-

Ps „त पि

rr tee. ve ee -अण्ः

# ता० Ho १७. ५० | t Wo Fe १९७. ५९। $ do We २७. ५२।'

?०४ शतयचव्राह्मणम्‌ , (११० शत्रार )

ema भ्रज्यममिदाषद्ति मह्यां भूयः म्तौति- “faa wiefa रिति। प्रक्रतललाससिखरः समिध भ्रादधातोति सम्बन्ध्यते, एवं षट्‌ मह्यां मम्परदयन्त तह्ाष्यणं “षड्‌ वा waa” इत्यादि ea mya faa #॥७॥३।२.२.]॥ इति मोसायणाचायविरचिते माधवोये वेदाधप्रकापे माध्यन्दिनिगतपथनब्राद्यणभाष्ये नवम का ग्ड हितोयाध्याये हितोयं ब्राह्मणम्‌

दति नवमकाण्ड प्रथमः प्रपाटक्षः समाः

ee 0 वम अकि ेदण्ययन्यायानयाच्याकुयोयनोधयष्यािियिानमायान्यननयमकनणमि

= ~= = जाये ee re eee

| * पुरस्तान्‌ ८.५. Ut

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अदय

हि तोयप्रप'ठके wed ब्राह्मम्‌. अपिवा

दितोयाध्याये ठत यं ब्राह्मष्ठम्‌

हरिः

भयातः सम्प्र्यति | उद्यच्छेष्ममुपयच्छोपय- मनौरम्नये UPAR UTA A ws कस्प्ययाम्‌द डि बरह्मन्न प्रतिर जपेति we एतदहं देवानुपम्रेष्यतः एतं यक्त तरस्य- मानान्‌ दक्िण्लो ऽसुग र्षा८सि arg: भजि- घापसन्न यच्यध्य यञ्ज Ave ऽति

ते देवा इन्द्र मन्रुवन्‌ वत्वं a नः ae बलिष्ठो व्दीर्यवत्तमो ऽसि त्व सिमाजि रासि प्रतियतखेति तस्य वे मे ag हितौय afeafa

I eg न~

ee शा , विग्य

® .ग्डफधयानुरोहहि--्लि क, ख, 14

१०६ चतपवब्राह्मणम्‌ 8 , ( He CMTS ) तथेति mat वै हरस्पतिं हितौीय मकुब्वन्‌ बह्म वै हडस्यतिस्त ऽष्नदरेण चेव हरस्यतिना दचि- अतो ऽसुरान्‌ THQ नाष्ट्रा अपडत्याभये ऽना sod ay मतन्वत

तहा ऽएतत्‌ क्ियते। येषा भवुव्व चिदं नु तानि रक्षाप्सि देवेरेवापषतानि यस्वेतत्‌ करोति agar ऽकुव्यस्तत्करवाशोत्यथो ऽदन्द्रेश चेवेतद्‌ gvafaart दविण्तो ऽसुरान्‌ राप्‌ सि ATET SHAVATHA SATE ऽएत TY तनुत

8 aaa oe; wa सो sufaca ययः

ष्स्पतिरेष ब्रह्मा carer प्रतिरथं लप- ary Sate हहस्यतिना दिशतो ऽसुरान्‌ रक्चाठसि AGT भ्रपहल्याभये SATE ऽएतं ag तनुते॥ तस्माद्‌ ब्रह्माप्रतिरथं पति ey 7 ; way: frat amit भोम gfe | णेन्द्र. ऽभिदूपा दादश भवन्ति दादश मासाः ` नप्तिः स्ति 1 वतिप्ते. =,

(aqe wate), WINNT 6 १०अ.,

dame daa ऽग्निर्यावानम्निर्यावल्यस्य मावा तावतेवैतदहचिशतो ऽसुरान्‌ र्षाएसि नाष चप- इन्ति favfersian ¢ वै चिष्टव्वच्वेशेवतहचिखतो ऽसुरान्‌ रखारसि नाट अपरम्ति ता हाविरथति- nize: सम्यदान्ते तटाम्नेय्यो vata हि

£ tl waa मुदाच्छति | उदु लवा fara देवा चनन

भरन्तु चिसिभिरिति तस्योक्ता बन्धुः $॥ अथाभिप्रयन्ति पञ्च fem eatery मवन्तु देवी रिति देवाञ्चासुराश्चोभये प्रालापल्या द्चख- aka ते देवा असुराणां fem "ऽहद्नत तथ वेतदाजमानो हिषतो ware दिशो एडक ैषोरिति तदना Bt: कुरुते | यक मवन्तु देवो-

-चिषटम्भिन्खो'--दति ‘fe -श्ति क, ‘fe—cfa ग, BI “सृदच्छति'- धति

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§ ‘qa, —efa © | ‘waa —efa ग) `

{ot शतपथब्राह्मणम्‌ ( रेष, (Rte ) रिति ag मिम wag देवैरिलयेतदपामतिं दुग्तिं वाधमाना दृत्यश्ननाया वा ऽचरमतिरशनाया मप- बाधमाना इत्ये तद्रायस्योे यन्नपति माभलन्तै- रिति रथ्यां पोषि ayafa माभलन्तौरिव्धे- तद्रायस्पोष sufy ag ऽअस्थादिति cat पोष चाधि ag ऽख्थादिल्येतत्‌ *॥

समिद्धे ऽअम्नावधि मामहान इति। यज्- मानो a मामहान उकथपव seats gaa पवा ग्णद्यं दूति ated इश्थेतह्भीत gla धारित इ्त्येतत्तप्ं घम्म परिण्द्यायजन्तेति तप्रए श्येतं wa परिष्यायजन्तोजां यदान्न मयजन्त देश Ol श्रोतं यन्न मयजन्त देवाः <

दैव्याय धवं जोष sxfa, दैवो हष wet जोषयिदढतलमो Saat: श्रोमनाः शतपया दति sates श्रौमनाः शतपयाः परिणद्य देवा यद्र मायच्चिति परिणद्य gid देवा यद मायन्‌ देवा

» ‘sunfedaq’—«fa ग, घ। t शहेवाः- दति ग, च।

(२० ate), + नवमकाण्डम्‌ Rot:

देञभ्यो waaay अस्थ रत्यध्वरो वे. यन्नो दैवा zat यज्ियन्तो ऽस्थुरिर्यतत्‌ +

व्वौत८ विः शमितं शमिता यजध्या ऽइति | इट fae भिव्येतत्तुरौयो यन्नो यव इव्य्मतौव्य- ध्वयुः पुरम्तादाज्‌५षि जपति होता caret ऽन्वा ब्रह्मा दिं गतो sufava जपत्ये ऽएव तुरौयो यन्नस्ततो व्वाका भाशिषो नो लुषन्ता मिति ततो नो व्वाकाश्चाशिषश्च लुषन्ता मिव्ये- तत्‌ ५॥ ११॥

मूष्यरभ्मिरहरिकेथः पुरम्तात्‌ सविता ज्योति- रुदया† अजस मित्यसो वा safe oats fer: स॒ sow सूर््यरभ्मिहरकैशः परस्तात्‌ सवितेत- व्लोोतिरुदाच्छत्यजसं तद पषा waa याति व्विदा- निति पश्वो वे पुषा sume प्रसवे uta सम्पश्यन्‌ विष्वा भुवनानि गोपा इत्यष वा STG

जा आत थासा eed = ee प्व

मिद्य तन'- दति

“ण्योनिखदयां२॥'- पति क, “व्योनिख्दयांश्ण- ति ` ख, confrazatye दति

' ११० शतपचचनब्राहखन्‌ ( श्प्र° emte)

WHS सम्पश्यत्येष sy ऽएवास्य aN भुवनख गोप्रा *॥ १२॥

तया भमुद्मादादिलादव्व च्यः पच्च fem: | ता ऽएतहेवा SMTA महद्चतायो ता ऽएवेतत्‌ समा- TWen sy ऽएबतद्यजमानो feat भादन्यद्य SSMS ता ऽएवेतत्‌ समारोहत्यथो suey ऽए- ताभिर्हेवा भातः सम्प्राभुवंस्तयेवाभिरय मेतदातः सम्प्राप्नोति + १२॥

सथाश्मानं gfx सुपदधाति। असी वा ऽभा- feat ऽश्मा पृञ्चिरसु मेवेतदादित्य सुपदधाति पृश्चिभवति `रम्मिभिहि मण्डलं yfa मन्त रेणाह्वनौयं गाहपल्यं चोपदधार्ययं वे लोको गाहपत्यो दयोराहवनौय ऽएतं afeat लोका- वन्तरेण दधाति तस्मादेष ऽदमौ लोकावन्तरेथ तपति १४॥

e गोप्ता दति ग, शगोप्रा- ति च। t ससम्पाप्रोति"- afar ¡! 'श्षालति'- cla a |

( श्ख० शब्रा. ) , TTA # ११९.

अग्नौध्रवेलायाम्‌ अन्तरिचं वा Sats मेतं तदन्तरिचै दधाति तद्मादेषो ऽगरि्चाय- तनो ae व्यध्व छेष दतः * १५

एत्‌ प्राचः | प्राण मेवेतदात्मन्‌ धस तदे- तदायुरायुरेवेतदात्मन्‌ WH तदेतद्न्र मायुद्धतदच्नसु वा ऽश्रायुरश्मा भवति स्थिरो वा swat feat तदायुः कुरते पृञ्चिभवति gala way १६ tt

उप्रदघाति | च्विमान एष. दिवो मध्य sare safer व्विमानो शोष feat मध्य sure ऽभापप्िवान्नोदसमौ wafta मिव्युदान्‌ ऽएष ऽदमाज्ञोकानापृरयति व्विष्वा चोरजिं चष्ट paral रिति खचश्चतदेदौश्वाहाम्तरा ga ant केतु मित्य- mitre लोक ममु शेव्येतदथो ade wate चोयते ame: ya मचौयतेति १७ `

उच समुद्रो SWAT: मुप seit उचा छेष समुद्रो ऽर्थः सुपः wae योनिं पितुरा- विशेत wae Wao योनिं पितुखविशति

e ‘ca’ —efa म, |

११२ शतपथत्रा्मणम्‌ 8 (रेप्रण tate )

मध्य fen निहितः पश्चिरश्मेति मध्य ge दिवो निहितः पृश्चिरभ्मा व्विचक्रमि रजसस्याल्यन्ताविति व्विक्रममागो वा ऽएष suut लोकाना मन्ता- न्यावति॥ ec

हाम्था मुपद्धाति। दिपाटाजमानो यजमानो ऽगिर्यावानग्निर्या व्यस्य मातरा तावतेवेन मेतदुप- दधाति विष्ट्यां Tear Bs सादयत्यसद्नो च्च सूददाहसाधिष्रदति प्राणो 4 AST: प्राण ऽएष कि प्राग प्रायं दध्यामिति निधाय यथा नश्येत्‌ १८

अथापायन्ति† | इन्द्रं व्वि्वा ऽभवोहधन्निति AAA बन्धुं वह्धयन्न मा व्वचत्पुमद्भर्यज्ञ sw व्वचचदिति देवह्नद्चेव यन्नः Gass यन्न दग्नि्ंवेा देष२॥ ऽअ व्व्चदति यत्तचचेवागिनिहंबे देवाना चव वहत्वित्यंतत्‌ it २०॥

~~ ~~~

# खर्भ्व्या- षति क, ख. डः, t स्योपातियन्ति र्ति क, सख,

{ ‘wefacdaq—cf ग,

| २० QATe ) MATS & CER

च्वाजस्य मा प्रसवः। उद्भाभेणोदगरभोत्‌ अधा सपन्नानिन्द्रो मे नियाभखाधदार॥ ऽअकरिति यथेव यजुस्तथा Tay: २१

उङ्काभं fornia, ब्रह्म देवा अवी- धन्‌ अधा सपन्नानिन्द्राग्नी मे व्विषचोनान्‌ व्यस्यता मिति यथेव यजुस्तथा बन्धुः रर तद्या भमुद्मादादित्यादृशचतक्लो दिशः ता Uae असुराणा महञ्चतायो ता एवेतत्‌ waive ऽएवैतदयजमानो दिषो भरादव्यस्छ BASRA ता एवेतत्‌ समारोहव्ययो STAT ऽणता- भिदा भतः सम्या शस्तव्रैवाभिरय मेतदातः सेम्प्राप्रोति *॥ २३

waite मारोहन्ति क्रमध्व मग्निना नाक मिति eat वै लोको नाकः क्रमध्व मनेनाग्न- नत स्वगं लोक faaageg हस्तेषु विभ्रत

‘aaraifa’ --इ्नि

८१४ पलपथत्राद्यणखन्‌ (We १ब्रा० }

TqAY We sung शतेषु बिभ्रति दिवस्पृष्टए खर्गत्वा मिश्रा देषेभिरष्व मिति दिवस्पृष्ठए खगं ल्लोकं गत्वा मिना देवेभिराध्य मिट्येतत्‌५ | २४

प्राची मनु प्रदिशं मेहि ्िहानिति। nivt वे दिगम्नेः खामनु प्रदिश प्रेहि व्विददानिर्येवदम्नं रमनं पुरो ऽअभम्निभवेरेव्यस्य त्व aaa पुरो sft भवत्येतदिश्वा भ्राशा दौदानो व्विभाहोति सर्व्वा यागा दौप्यमानो ध्विभाङौरयेत दुख am घे श्पदे aque searing माशास्तं २५ #

पृथिव्या suvat उदन्तरिच माड मन्तरिचा- हिव माह fafa गाडपल्याश्ाएमनौप्रौय मागच्छ- न्यामनौप्रौोयादाहइषनोयं दिवो नाकस्य पृष्टारखर्ज्योति-

® "सिक तत्‌'- दति म, घ)

t. "पुरो afa—cf क, "पुरोणि'-ष्ति ख. च।

; ‘efaareq'—tfa क, एचिश्या cows’ इति ख, 'एथिद्या अहम्‌ - इति ,

( श्य. gute ) NETHER es ११५

रगामडइ मिति दिवो नाकस्य पृष्ठारखगे .ज्ञोक- मगामह मिल्वेतत्‌ ec २६ # श्वर्यन्लो नापेचन्ते। चा द्या रोडइन्ति रोदसी {दूति हेव ले sted ये खें wa यन्ति aa ये faa मुविद्ाएसो श्वितेमिग sree एव यस्तो व्विष्वतोधार एत sz sus सु- विद्वारसो ऽएतं व्वितन्वते + २७

अग्न प्रहि प्रथमो दवयता fafa; इम aera fea माह त्व मेषां प्र 1 प्रथमो देयता मिति चचहवाना मुत ॒मर्व्याना भिष्भयेषात ere. मनुष्याणां waftaqarar aga. सजोषा दर्तिं यजमाना WHA: सजोषा इत्ये तव्खय्येन्तु यजमाना खस्तोति खगं wri यन्तध्िलमाना खस्तोत्य तत्‌: Xe

तया wafers we दिशः। ता एतेक

a in | - = ope oe m=. -

° ‘factag’—efa ग, ‘faaaq—cfa च। (विलन्वति! -दति ग, विषन्वम'-द्ति च) { ‘wetaq—cA ग,

११९ STUNT ES i ( शप्र tate )

SURAT महद्जताधो ता एवैतत्‌ Wawa $एवंवलनमानो feral बभाटव्यख Som ऽथो ता एवेतत्‌ समारोहत्यथो somal ऽएताभिदह वा भात सम्युञ्जवस्तधेशभिरय मेतदातः सभ्युप्रोति‰%॥ २९॥

waa मभिनुहोति एतदा {एनं देवा इयि- वास सुपरिष्टादश्नेनाप्रौगत्रैतयाइल्या तथेवेन मय मेतदौयिवाएस सुपरिशादन्नेन प्रौ णाद्येतयाइव्या कष्णायै शक्र वत्छायै पयसा Ufa ष्णा शक्त वत्सा तश्चा असावादित्यो वर्स: Waa मेतद्‌ भागेन खेन रसेन प्रीणल्दपरि धाय्यमाण उपरि धाव्यमाण उपरि हि मेतत्‌ प्रीणाति दोहनेन हि प्रयः प्रदौयते

Teas मभिनुरो न्ड शिर vase यदग्निः प्राणः पथः शीषस्तत्‌ प्राशं दधाति यथा खय- aaa ममिप्रच्रेदेब मभिजद्हयात्‌ प्राणः खग्र- माटस्रा रस एष शिरश तत प्राणश्च रसेन सन्तनोति

+ “araraifa’ —tfa

{ कि री ~~ [कि 1 रिं

( श्च» शत्रा ) MATT tre

सन्दधाति नक्तोषासा समनसा व्विरूपे ऽइति तश्योक्ती बन्धु. २१॥

aq avaraia, हिरण्यश्कले्व्वा ऽएष सषखात्तः शत सृत्रिति यददः शतभीौर्षा रुद्रो ऽसृज्यत शतं ते प्राणाः awa व्याना इति way हेव तस्य प्राणाः सहसरं व्याना यः शतशौषां ary साषश्खस्य राय ईशिषः इति ay सव्वद्य सर्व्वा {ईशिष ऽदुर्येतसस्पै ते व्विधेम व्यालाय खारत्यष वे wna aaa प्रीणाति ii ३२॥

हाभ्या मभिलुहोति। fearaaart यज- मानो ऽगिर्यावानमिनिर्यावल्यस्य मघ्वा तावतैवेन मेतदभिजशोति *॥ 22 aid निदधाति। सुपर्योऽसि गरुत्ानित्य-

तहा ऽएने मदो fant qa was ख्िक- रोति सुपस गरुत्मन्त चिनोति तध सुपस near क्तल्वान्ततो निदधाति ge पृथिव्याः

मो |) 1 ए. a pa a eee oe ao ae ee oe वि षं

'तेवद्मिजडहोति'- दति छ)

११८ शतपथब्राह्मणम्‌ a ( aqe (ate )

सीद भासान्तरिच ange उ्धोतिषा द्वि मुत्तभान तेबस। दिश उह्५व्येव? WIT एतत्‌ स्वं करोति%॥ २४

TIAWIa: सुप्रतोकः पुरस्तादिति भाज Bal नः सुप्रतीकः पुरस्तादिरयेतदम्नं त्वं योनि arate साधुयव्येष वा swe स्वो afr साध्वास्पैदव्यतदस्मिग्कछध्थ्ये swaucfarfaf anat sou ave faa देवा यजमानच्च सौदतेति तदिग्वेहंवेः सह यजमान सादयति creat निदधाति celta बन्धव्व॑षट्‌कारेख TW परि बन्धुः २५॥

अथास्िग्तछमिध अ।दधाति एतहा sua देवा दृयिवाएस मुपरिशदन्नेना grasa मदि 1डु- तिभिश्च तथेवेन मय मेतदौयिशाए समुपरिष्टाद्रेन प्रोणाति समिदिश्चाहइतिभिच् + २६॥

° करोति दति | t ‘wryfafaw—f क,

(रेथण श्व्रा० ) a TENTH 0 ११९.

वे शमौमयौं प्रथमा मादधाति। एतदा ऽएष एतस्या माडल्या्‌ इतायां प्रादौष्यतोदश्वलत्‌ तस्प्राहेवा अवबिभयुयदे नो ऽयं हिएस्यादितित SAMY शमौ मपश्यंस्तथेन मशमथं स्तटादेत८ शम्या- शमयंसतप्प्ाच्छमौ तथेवेन मय मेतच्छम्बा गमयति MIT ऽएव HTH BON

ताए सवितुब्बरेष्यस्य। fan ay ae सुमतिं व्विष्वजन्याम्‌ या मस्य करवो ऽदुत्‌ प्रपौनाएः सष्सधारा पयसा aw m fafa weal Vai ददश सा Wat ATEN सव्व म्‌ कामान्‌ See तथेवेतदाजमानाव सङ्सधारा -सर्ग्याम्‌ का- मान्‌ दुदुहे *॥ २८॥ अथ व्यक्तौ मादधाति तस्या उक्तो बम्ध- व्विधेम ते परमे aaa soft dtat ऽप परमं लग व्विधेम att are बूत्यन्त गं व्वा SWAT सधस्थ AMT रुदाग्ा यज्ञ

we meee 8 eee 7) ee अहिन 0 7 षि) | = ~ ~~ = = *

e-eze’--cir ,

१२० A शलपथब्राद्मम्‌ + = (रेप्रण (बरार)

fama वा swe स्वो वोनिस्तः aa ऽदृल्यतद त्व॒इवो~षि जुड्रं समिह ऽदृति वदा वा ऽएष समिध्यते ऽयेतस्िन्‌ हवौऽषि पएजुद्ति २८

अधीदुम्बरो मादधाति ऊग्वं रस उदुम्बर maa मतद्रसेनम प्रोणाति कमकवतौ भवति परशतो वे waa पशचुभिरवेन मतदत्नन प्रोखाति यदि कमाकवतीं ब्विन्द्रहधिद्रष्छ सुपहल्यादध्या- waefazn उपतिष्ठ तदेव - पशुरूपं HAT ऽन्न दौदिहिपुगे दृति विगनादधाव्यन्रं भ्विरा- saaia मेतत्‌ mata fae. समिध भादधाति विदट्ग्निवावनम्नियविष्यद्य माचा तावतवन मत waa प्रोगाति†{॥४०॥

भथाहतौजहोति अथा परिशिष्यानुपाययेत्‌ ता emt सुषेण ga arate aa Rad स्तोमेः क्रतं भद्र इदिम्एशम्‌ BMT

= ‘seraam’—ecla &

t प्रगानि- fa

( रें 2ATo ) , मवमकाण्छैम्‌ १२६

ऽ्हेरिति यस्ते इदिस्एकस्तोमस्त' त॒ ऽध्यास- मियेतत्‌ wea जुहोति पञ्चपदा पङ्क्तिः पद्ध चितिको ऽग्निः पञ्च swe: dame dared ऽभ्नियवानमिर्याबल्यस्य मावा तावतेवेन मतद्श्रेन mua en ४?

Ta aan जहीति facta afaa मवेतत्‌ प्रीणाति चित्तिं qeifa मनसा छतेनति fan मेषां avifa मनमा waa qua टवा इहागर्मन्निति यथा zat ड़ (- गच्छानिद्येतहौ विहता कऋताषष दति मव्य ऽइत्यतत्पत्य fava भूमनो जष्टामिं चिप्र कम्ग ऽइति asa aaa wae पतिन्तस्प्र जहामि उिष्वकग्मग ऽडव्यनदिष्वाहांदाभ्यः हवि-

frfa aazaifaac {3 रि्यितत | BX

e maifa- fa ai t ‘efaferany —<f ग, ‘efafsraaa’ इति चं

1

१२२ शतपथब्राह्मणम्‌ ( He १ब्रा०)

अथ guigfa जुहाति। सब्ब मेतदात्‌ ae म्व्वयोवेन मेतन्‌ प्रौगाति॥ ४३॥

aA ते swat afay दइति। प्राणा a समिधः प्राणा WAS समिन्धते सप्र fawt ऽदृति यान- AeA पुरुषानेकं पुरुष मकुव्वम्नघा मेतदाह सपर कषय sit सप्तहि कषय Waray धाम प्रिघागोति कन्दा८स्ेतदाह छन्दासि वा sa@ aq घाम प्रियाणि सप्त हावाः सप्तधा त्वा यजन्तौति मप्र Wag हाता: सप्तधा यजन्त aa योनौरिति चितीरतदाहापृगस्वत्या% प्रजायस्वे- त्यतहूनेनेति Tats pag रेत ऽएषेतदेषु लेकेषु दधाव स्वाहेति यन्नो वे स्वाहाकारो ata मेवेतदिद५ सक्तत्‌ मन्व करोति॥ ४४ aa सप्तेति, सप्तचितिकोऽग्निः सप्त SHA: सव्यन्सरः संब्वत्सरो ऽमनर्याबानन्नियावल्यस्य माता ता्तेवेन मेतत्‌ प्रीणाति fae अहतौजुहाति

——— 8 ^) |

e fayizazigiamaar श्नि ख:

( {We RATe ) ATARI EA 0 १२९

तिद न्निर्थावानग्निर्वाषत्यस्य मावा तावलेवेन मेत- दन्रेन प्रीणाति faa समिध ऽ्रादधाति तत षट ARTA बन्धः॥ ४५

तिष्ठन्कमिध sareurfas: 1 अस्थोनि a स्मिध- fasta वा ,अस्यौन्यामोन areatasifa aty- सानि वा ऽमाषद्तय ऽभरासत Sea वे AlOATA- amt: afad भवन्ति वाद्या sareaal ऽन्तराकि

हस्योनि बाद्यानि मांसानि †॥ ४६॥

अथातः सम्पदव। षट्‌ पुरम्ता्जहाति षड परिरटात्‌ षडभिराभ्मनः guafa दाम्धा AAA ufa quzafa aqfatimafa. पञ्चभिरम्नि- मारोहत्ि तदका ब्र वि८गदाहतिरव faownat दाभ्या मन्नि निद्घ।ति ag दावि८शद्‌ हावि<गदः- चरनुष्टप्येषानुष्टुप्‌ ४७॥

'{अआाटधानिः--ष्ति @

‘aaifa—efa a, मार्मानिः cfaa, ©,

मम्यदव'-ष्ति ग.

- +

$ co | § ‘omaqeg - श्नि ग, 'न्मेषानृषटपः इति

१२४ शतपथत्राद्यण्म्‌ (श्प्रण tate )

या ऽअमम्तिक्लो ऽनृष्टभः। गाहपत्ये मम्पा- द्यन्ति तासा मता awa मरन्ति azar

मवराहरत्यचेष सर्व्वा ऽग्निः संगतः एषोऽ Aw नाल AAA माद्यत ४८

सो ऽग्नि मन्रवोत्‌ | arg मदानौति तथेति AMACAT मचाहरन्यथेषो ST मच्रायाल माहति- भ्या भवति + ४८

अथा sare) प्रजापतिरवेतं प्रियं ga मुर- स्याधत्त sxfa सयो ₹हेतदवं ब्वदा a प्रियं qa मुरसि घत्त॥५०

यद्ेवेत मवाशरन्ति ated aay परषा- नकं THT मकुव्वन्रय aa a a ऽव मग्िीयते ऽथ या मेषां ता मर्ह श्य रस ससुदौशन्नेष मेत uate मष्हरन्ति agea aaiecia येवेतेषा सप्रानां gaara गरोयोँ रसस्त मत-

* "मात्स्यन्‌" -- दति ग, 'मान्छन्‌- षति षः wafa दनि क,

(aqme रनः“ ) | नवमकाषम्‌ १२१

दृहए मुदृहन्ति तदद्येतच्छिर saris मम्नि- fan swarm मेवास्येतत्‌ daa शिरः प्रति- दधाति॥ ५१॥२॥

दूति हितौयप्रपाठके प्रथमं ब्राह्मणम्‌ [२. 2]

wa मम्निप्रणयन।धं यथोक्षं होमं विधायाथ तत्‌ प्रयो गौपायिकोः (9) # क्रियाः कसं तदुचितं खम््ष माह,- “धातः सभ्प्रष्यतीति प्रेष्यमाणाम्नि मिष्यधं गाहपत्य fer काष्टमि यम्तदु्यच्छ + अग्निधारणाधं मधम्तात्‌ क्रिय. बाष्याः सिकता उपयमन्धः ताणोपयच्छति एतद्भयं प्रति- प्रखातागम्‌ प्रत्ययनं होतः प्रणोयमानायाम्नये खनु ब्रूहि अम्निप्रणयनोया ऋचोऽनुब्रूह्धि। हे भम्नोत्‌ पगाच्थास्या- रेडग्रा § sane रे awa ‘ag: fay इत्यतद-

* "तस्नायाणोपयिकौःः- नि क, "तनप्रायशौपयिकोः'- एति भभ, 'ल्मायागोपयिकौः'--इ्ति म। काडभिकानदव्यच्छ- दति ष, "वारटमिकानदुदयच्छ-द्वि ‘afazt वाटिकां azaee—ta & |

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बाश्ोपयच्छताः कर्तः दति TRF ‘qetriat ( रकम्फ्यवया jie. म: | का mle खु? १८..३. १६ |

८@ ++

१२६ पतपदचब्राहयणम्‌ ( रप्र" eate )

प्रतिरग्राख्यं gaa जपति एवं aa ay व्यापारे a a 'सम्प्रष्यतिः fafaqenfeam: | wa away “ama प्रतिगथम्‌ जयेति" aga तस्यापयोग मभिधात्‌ qua मवनारयति।॥ १॥

“एतदा इति। एतस्मिन्‌ काले खलु एत मम्निं चय मास्य यन्न तयम्यमानान्‌ कश्व्यमानान्‌ इडभाव्खाटयः (7) अतएवाम्निविहारमम)पं गच्छतो टवान्‌ दसिणभागेन एका अमुरा रचांसि'त्वन नोडाधव्यत्ययेन लट्‌ -प्रत्ययः 'न यजध्वं a विम्ताग्यष्व fafa, शन्तु मन्छन्‌ देवानां aw विदन्तु fa ्रतरित्यधः॥ >

पासर्टेवे THI मध्ये त्वमेव प्रशम्ततमो वनलवत्तमञ्च बलिष्ठ वोयवत्तम इलि। प्रतस्वमिमानि रस्तांसि प्रति पं कुरुष्व्यक्ते इन्द्रेण मे ब्राह्मणो दितो योख्तत्यक्त , तथेव कुम xfai ठड्स्यतेर््राद्मणस्वास्तमिन्द्रस्य दितोय मङ्वन्‌ ; लथा wma ear weq avafam a cfeam दिश ara माशकानसुरारसांसि aay wary अतएवाभये प्रेषे UA AAA यत्त ARTA i १॥

“तहा एतद्‌” इ्त्यादिकस्याय मधः देवाः ya यत्‌ कर्माङक्वम्‌ एतस्िन्‌ कालेऽपि तदेव क्रियते लु श्ट fafa: ्रपषननक्रियाविशेषणं ददं creat मवम पूर्वं

7 7 ies —~ = =a a ee a

> वा६ Se 13. 33 -४४।

( 2Wo २ब्रा° ) , TATA १६९.

टेवेरेव सम्पादितं तस्प्मा्चरिताधस्छादरेतत्‌ कम यश्पि नं करणोयः तथापि यदेतत्‌ कम करातौति तदवा यद कुवन्‌ करवाणोति धिया क्रियते तु रशषसा aqeaara लस्य तु टेषेरेव सम्पादितलात्‌ fay स्वय मपि चतन sem हस्तिना दस्तिणभागख्िनानब्राशकानसुरान्‌ रकां ATER ATE भये St एनं यच्च क्तवाम्‌ भवतोति। ay देवाः पूवं इन्द्रह्हम्यतिभ्य। र्तास्यतप्रतित्य acy प्रत CH: कोवा हस्पःतः कथंवा ताभ्यां Teal मपञ्ननं यत उक्ष मुपपद्यत CATH

“सयः सदि ga दक्षिणभागी crimayatfag: पर- aaa; सय इन्द्रोऽम्ति एष श्रप्रतिरथ्स्च इयथः ४१५॥

प्मप्रतिर्य मेवन्द्रामकस्वमुपपादर्यलि -- "अशुः farm i दृति, 'मन्प्रनिपरद्याया टेवनाया मन्वस्य वा मदात्‌ भाशुः शिग.न द्यादिका te ऋवाभिक्पाः ant भवन्तीति maa satay मुविला भवन्तोति ब्धः) भरप्रलिस्यसूक्त- खाना BA हाट AQAA Areal: मकागादसुरा ग्खामि चाप९न्यन्त इति प्रशंसति +) “दादग भवन्तो नामां कष्टः anal “favafa रिति | faeur aera वखि- Ven सहात्पत्तः a aaa ससिरोयकरे य॒यन-- “erat agai पञ्चदशं fatfaaia मिन्द्रो tana ख्ज्यसत्‌

—-

# वा० Wo १७9 ३३ ¢ |, बन्धनो चिज्ञान्तः प्रश्रितः पाली नास्ति a permease |

११ शसपवब्राह्मकम्‌ (रपर LATS )

facqee: इति। अध्वा वीर्यवत्वचिष्टभो aang ma. वत उरः went निरागात्‌ | saga ya ,— विष्टप्‌ Sel हङ्गत्माम राजन्यो मनुष्याणा मवि: पशूनां यस्मा agit वार्याद्‌यखजत्तति मनु प्रहतम्याम्निकमत्वात्‌ लकरतासामन्द्रोणा Bar Aaa त्वम्यादित्यत भाइ “ar हा{3गिति दनि चतुष्रत्वश्वारिगिद्षरा दादश विष्टभः मम्भूयाष्टाविंशनिपश्चशनाक्तगाणि aren चतुवि्- erin «oman हाविंगतिम्तावदश्रा मवन्ति। अनो wien जष्टभोा मिनित्वा दाविंशति गयत्राचषाम्नेव्यौ # भवन्ति अग्निना महोत्पव्रस्वात्‌ | अतएव श्रयत “समु afaaafacfaata मग्निटठता ्ज्यत्‌ गायजोष्धन्द्स दति, प्रकत कमाम्निसम्बन्धि wafer तत्‌ प्रणयनामक- A) WAM ऋच पेन्दोयोपि छन्दः सम्पत्तिष्ारा प्रक्लति कम समः तार्थ TIA WEN

दसं ब्राह्म्ङ्चतयाप्रतिरथ anh जपस्योपयोग मुक्ता- थाम्नकयमन | समन्वकं वधत्त-- “aaa मिति। “sg त्वा faa टवा aa भरन्तु fafafufearfzat ata. |

+ गायच्रास्ताख पथ्यो (9 one Hawa ) --ष्तिक, भ,

tf awqnagiufateasa cla क. `जक्ृकष्छनस्यप्रतिरय- qm दति अ।

1 Filo ayy» Gore. 8, ta |

§ alc He १३. ५३।

( र्र° Race ) | भव काष्डम्‌ १२९

तष्य wap ब्राह्मणं uae faaw— ^तस्योको बन्धे शिति not

उद्यमनानन्तरं अध्वयुपभतोनां faa प्रति गमनं विधत्ते -— “यति aa “aafemt देवि § frar- दिभिः पञ्चभि कऋग्मिराम्नोध्रपयन्त गच्छन्ति wa स्ता ऋचः क्रमेण व्याचष्ट 'टेवाश्चासुराद्त्यादिना प्राजापत्यः भृता eararqeraay उभये दिभग्विषयेश्यहा क्मवन्तः; पष!दवासुरागां feat awe: ततोगमस्य खाधिनो waa: | मघ aufem eatfeafeu: पञ्चभि wa cat पयन्तं wef) Wat कचः RAY व्याचष्ट “aq मवन्ह्वि यनेन aaa anaraisfa इषं gaat wave दिगं स्वाधोनाः करोति “दव।रित्यनेन एनादिगो देव. Beat: Wet » Waa उपगमय्य देवः earfua- Saaeafiaaa aaa सम्पा[दलवान्‌ भव्रतोत्यधः। “aq मवन्तु caluaa प्रक्तस्येव यत्रस्यावनं {वसित fafa दशयति ,-- “an faa fafa, भमतिशब्दस्वागनेच्छार्थं इति व्याचष्ट-- “श्रपामतिमिति भगनायोदन्धत्यादि |

* 'उपयसमानम्तम्म्‌'- «fae | t च्य प्रति | आखौध्रपयन्तः ¡हति क्र, ; Slo Wie Ho we. ३. १६ § Ale Bo १३. ५४, | -अग्रानायोरन्धधमाया वृभुक्ापिपामागधंप- प्ति ate श्र ३. ४. ३४ | $ 17

१३० शतपथब्राह्मणम्‌ , (रप्र बरार)

ganna we: क्यजन्ता निपातितः गयस्पोष इति धने afeaa पोचवेति am मभिप्रन faare “गायस्माष कृति trata अधोन्यतापि aya विवसिन faare ,-- “बाय- स्परोध watfa यजमानस्यव पृजकत्वात्‌ रु

“Corea” wel यजमानपर इत्याद.-- “यजमनोवा sfa प्रगनस्क्रयःनि म्तोत्रणस्ताणि पत्रवटद्मनि भवन्तो. त्यग्निरुकथपत्र ware “उक्रद्पवडनि। यनाद्रेवाः AW qa wane श्रम्निं परिणद्य यजन्त ; श्रत उचत मन्व,-- "तपरं चम दृत्याद--- “तप्तः घम मिति। उ्सरताक्य aaa मेव व्याचष्ट “ऊजति। cast श्राश्यदधिपयःप्रथति ता रसनत्यथः;

अग्निटवमम्बन्धित्वाडारयटत्वाज्जोपयिद्त्व aaratfats ' टयायेत्यादिनोयत इति दवावति उत्तगवाक्यदयं प्रसि-

wig मन्याड 'देवग्रोरिति परब्टद्राति ‘ear Za दूत्य वयन्त इयतत्‌ पदं व्याचष्ट -— “matt वा इति। gaam ta `'कथ्यष्वरपलनम्यचिनाप इतिः # अकार नोपः १०॥

‘aa शमित” मि्म्य पटदयनयाय् are “दष्ट faz

faa) श्ववहोटब्रह्मण। यथ स्यानं aT मन्त्रं जप एव ‘quia an’ इति व्याचष्ट “saa: पुरम्ताटिति ‘arar- fax इत्यनयोः शब्दयोः समानाधिकरणप्रङ्। faarcafa |

———

+ Ule &eo 9. ४. SE

(200 ३ब्रा* ) नवमकाष्डम्‌ १२११

“aat नो arararaaafa ) एन्य प्रणोयमानध्याग्नराटित्या कत्वात्‌ ११॥

एष प्रणोयमानानिनस्षणः सूयस्येव cafe amt हरितवणं (केशः तजोरूपः सतिता भ्रनवच्छिव्रं पुरस्ताद तदुद्यच्छति | wal मन्व Ca मेवा माचष्रत्टाङ्‌ ,-- सूयरश्मिरिति। am: पशुजनकत्वन ‘ga’ दृति aw: उच्यते वाम्नयेरनृन्नायां प्रवत्तम्त waaay: मन्वभारोन विवः सितः sary “anata इति। ‘ava’ इति tema % वित्यप्यादादिकम्य निटि aqaaa र्पम्‌ 1) भ्रनेः प्रजापया- मकत्वन मवम्यापि erarfaaas तत्रागं ' सम्पश्यति त्यादि मन्दभागः ममवेनाय मिन्याद “मम्पण्यत्रिनि। टेता cium टेवमम्बन्धिन्यः पञ्चद्धिगः भ्रमति मण्नेच्छा द्मति ग्रगाम्तोमां मनोत्ापत्राधमानाः धन afeay पाष यन्नपनिं मम्बश्धिन्य एनं प्रणाध्रामानाग्निः aad ay aay ब्रष्यारिति ‘wefa qe नड्‌ faz” इति Alea लुङ uaa | किञ्चाय मपि य॒त्र; धने aq पौपरचापि fasfafa प्रथममन्नम्याय मथः amma wat प्रणो मानै मामदानेययंः GAR यजमानोऽधिकागमावनानुगच्छति। उकष्यान्यवाङ्गानि यम्य उक्द्रपत्र TT म्तृ्या यत्चिया वामवाजिरध्वयुनाधारितः fay Zaman waraa a मग्न

“ac 2 © इद nat कमनं अ. अः eee | { पा; &- 3 2 : ®

१२१२ # गलपथव्राहमणम्‌ (रेप्रज शब्रा )

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परिग्डश्चाय यजन्त wana aweq तं भाज्यादि- विमतेन नेनाशमयन्तति हितोयम्बायः शोमसम्बन्धिने धारयिव्रे जोषयिढतमायाम्बये इविदानाथं तत्‌ प्रणयनं क्रियत दूति ara fu: 1 किञ्च यो देवश्रोः faa इति faa: देवा.भरियो am aaa: ; भक्तेभ्यः fad दातं मनो यस्यति maa, शतानि पयांसि यस्यासौ waa, a afet afer देवाय जनःप्रदशं गतवन्तः गत्वा देवा त्विम्मि at दवेभ्यो an मिच्छन्तः स्थितवन्त दति ठतौगरम्याधः। Cofaifa ature gran) समिता was यागाय efa: ala इष्टं uaafara प्रणयनप्रटये ष्यं इव माङ मनि मध्वववादोनां ‘aa अपावाक्‌ तुरोयो यन्नो गच्छति तथाविधानात्‌ aac रग्यजुस्सामनस्षणानि वाक्यानि ati aq नोऽम्मात्र gant fafa चतुर्धस्याधः। सूयस्य रश्मिभि aa इरितवर्णकैशः ज्योतिरूपः प्रणोयमानोऽग्निलस्षणः सविता अनवच्छिव्र मुदाच्छति। agi cya wa महिमानं विदान्‌ पूषा याति ( तदुत्पाद्याः पशवः wana Laat किञ्च asfa fafa भुवनानि सम्पश्यन्तेषां रच्छको भवतोति Twa: ) tt १२

तध्वतद्यजमानो mare aa दति सामान्येनोक्तं म्प्रति ताव पञ्चदिशगो fafa दर्शयन्‌ तासा qm मन्व खापोन-

= -- oie

Pe

+ जन्धनौतिल्लान्तः प्रश्रितः पाठो aif ज- पुस्तकाटन्धत्र।

( {Go शत्रा") मवमकाष्डम्‌ ११९

तया प्रातिमाह-- “तथ्या दति, तदिति। ‘ear यस्मिन्‌ काले ‘agua दिगो saa तस्य कालस परामशः तच्छब्दे नानन्तरोक्षा मनाः परामष्यन्त। GBI ममितबन्तः समारोहयन्‌ खवाधिनो waa) “aut इ्ति। faw eat कं तस्मिन्‌ are 'ठनभि' कम्भः ‘ara: सू्ावस्थानप्रदेणससणान्तरिसिपयन्तः सप्प्ाप्रवन्‌ area मपि यज्ञमानो श्बाढव्यतोपगमप्यस्वाधिनो waren पद्चदिष्ः भातः अन्तरिक्षालकाम्नोपधमण्डपपयन्तं सम्प्राप्राति १३॥

उक्ते मन्वे प्राम्नोनपयन्तं गत्वा तत्कल wei

उपधामं विधत्त #-- “wafa "एथ शब्दम त्य ^` qua एश्ररश्मन |: उपघानेनादित्यस्येवोपधानं waaay | “WaT at <fa) परादिव्यस्रण्डनमाटश्यप्रदशनेनोक् मश्मनः ufsa मुप पादयति एशि waatfa तस्य चाश्मन उपधानं गाहपन्या- हइवनोयवो aa कलय faare— “a मन्तरतेति गाहपत्या हवनोय्ोरधम्तनापरितननोकदयामकत्वान्रोकदयत्य मध्ये सूयस्य॒ तपनात्‌ सूर्यामकस्याश्मनम्तननोपधान मुपपन्र मित्याह ( “wa वे लोक fai गाष्पत्याहवनोययो मध्यभागस्योपधान

a

° ‘gratwayrefaa vanafen wave quesifa’— fa ate श्र) 0 Meo Uc, B. १६ | ८, oS धः ^ ल्य or “Gaye? दनि द्र | Spat ननुं ga पाषाणं विचितरवमा वा" इति wre ate ®

Wo a, Bee `

१२४ शतपधब्राह्यखम्‌ + (रप्रण Cate )

wraaar विरनादाम्नोघ्रादन्धन्रापि तदुपधानं स्यादित्यत WE Us A

Caraiwratat fafa; ‘Sar we: अवकाग माचष्ट | गार्ईपत्याहवनोययोरध्रस्तनो) # परितन stare मध्यवस्सि- त्यागने) घ्रस्यान्लरित्ताक्मकत्वं व्यध्व CITA उप, तब्रेतष्या- ma wou क्रियते तख्मादितः प्रदेगादृह्ं{ मं एष सुय सतपतोत्यथंः १५

aq तयान भ्रादियामश्नत्वाददि्यस्य प्राणद्या सकवास्लदटुपधामेनास्मनि प्राणादिधारणं सम्पाद्यत ष्व्याङ.-- न्स एष fa, ‘a भअदिग्यामकाटित्यरूपत्वात्‌ भरादिव्यस्य प्राणत्वं तदुपाय प्राणिन Gem तटम्तमयेतु a Vem इति | अलएव खयते-- “यो सौ aaqefa सवषां भूतानां प्राणा नाटायोदेति ।०--°। भसौ योऽम्तभेति सर्वषां भुतानां प्राण- नादायास्सभेति दति प्राणत्वादेष वायुरूपतवं प्राणिना मेव जोवनकान्सम्बनधात्‌ "भआ्ायुरद्यतदटिति : एषो श्मा यतः कारणा aq एतदिति मणंसकलिङ्ग मायुरि्यनदपक्तं तस्यायं रत्र तहता भेव भोक्षत्वात्‌ | भरत एतदनब्रः तश्नात्‌ तदुपधानेन wala arafa प्राणादोन्‌ धारितवान्‌ सम्भव्ति॥ १६॥

अध तस्योपधाने मन्हयं प्रदशयद्‌ व्याचष्ट ,-- “स उप.

+ बन्धनो चिह्ञाम्तः seta: पाठो नास्ति ज-पुस्तकाट्‌ग्यतर | "प्रेश्द्‌ aes दइ्तिक्र. ‘utwuesf. cfs | i आः १. १४. १.

( 2Go Bate ) TATA ११६.

दधाति विमान एष #" इति ‘fe’ यस्मात्कारणात्‌ "एष सूर्या ऽभूत रमस्व fania द्युनोकश मे ae, अत खक्त,-- विमानः बति उदथम नः न्यः ufaaraly स्वप्रक्ागेनापूर यतोति। मध arf व्याच “खाप foarfafa i प्रपूरणे †-- इयस्माहतमानाचन्य faz: क्ञसुरदेशः | विष्ठाचोषताचो पदाभ्यां विषां भूतानां व्यापनात्‌ वेदयः gaa fase vaty,— “a विन्राचोरिलि, “qa मपर fafa) एथिवो दयनोकमःधोयन्ते, fae ‘ga’ मित्यनेन gi aal गाहपया sat .-- wat fafa भनने- zt चीयमान ्राहयनोय दति व्याच्ट,-- “ant पूर्व fafa १७॥

feata मन्व. “उक्ता समुद्रः §) ( पृवल्ाश्चोनिं” मध्ये fera इति पादत्रयाधः प्रसिका vaiwi “उक्षा ममु अरग इति चतुध्पाद गजः meat नलोका) | विवण्चन्त इत्याह “विचक्रम दति। भूत ग्राम्य faatar arar पृथिव्या भ्रन्तरि्किं ता समन्तात्‌ पग्यन्‌ एष सूर्या द्यनोकस्य ua fasa; किञ्च ait gary केतुः लोक मन्तः

® वा० Ho 2H. ५६ | 2 ग्र १०६}. प्र° | fayat हविषां छेत - दति a, § alo Wo १७. ६० | fi. £ | बन्धनौ चिद्कान्तः प्रटग्नि्तः पाटो नाति पृल्लकारग्यत्र |

tai शतपथब्राह्मकम्‌ | ( रप्र (बार)

uaa मये गाङ्पत्याहवनोययो at ag विष. wiga afaie प्यतःति wana उक्तासेवक “are ग्राव्लायते afe:« श्नि तस्य afeeqary, अतएव RAIN: वण्ताङ्णः पगगब्देन पतन Aaa: शोभन तपन एविधः aaa wing पिद्रुपस्य योनिं eam माविवेण भूनोकाद.दिन्या्लायमःनं va दृश्यत इति तख पिञ्लाकोपवारः | faa देवो aa ्ामोप्रमण्पलखष्े निहितः ana. 'एृश्चिरश्माः wared: aa: विवधं लोका- क्रम ‘wefa qeacfaz इति व्तम,ने ‘faz’ “विक्रम army at await लोकाना मग्तान्याति"-्ति Wa: THA canzaa wanafa ( {वमनं वा विवञ्खितं लोकाना wary प्रोनान्‌ पाति स्वकोयेन प्रकाशेन तमो निवन्तयन्‌ पदार्थश्च दगयन्‌ caatfa ) 4 हिनोयस्यायः॥ १८॥ उपधान मभ्न्योहित्वं प्रशंसति “ena मिति। wa wate छन्दः प्रशंसति “fave fafa, “एषः सूयं wey (wea भरन्तरिचे वरामानत्वादन्तगि स्य wey) धैः a afatat सूर्ये श्रुते ~ “गायत्रो एथिवो acu ance मिति§ प्रकतस्यासन दृट्कान्तरवदुपधानस्य विधानतददेव-

+ AAA 3. OF |

t बन्धनो सद्धाम, पाठो नास्ति ज-पुस्त कादेन्धच्र,

¦ बन्धने; चि्ान्तः पाठो नास्ति ल-भ-पृस्तकयोरनग्धच्र |

§ “maa वे ofaat चश्भ मन्तरिक्त- दनि नेन्सं०१,५.५. 8

(श्य Rate ) , मवप्नकाण्छम्‌

१२०

साधनप्रसक्ो निषेधति सादथतोति तनोपप्ि aty— “असनो wa «fai एष सुय: असवः कचिटेवावख्ितोन भवति waa परिस्रमणादिवय्थः। माभूदसब्रत्वान्तस्य सादनं सूटदोषसाध्विदन मपि a awa मित्यत बाडइ- “न सूदटो साधिवदतोति सूदटोषसाधिवदन मपि Ha कुत इत्यत wre “arat या fai प्राणात्मक्रे सूयं प्राशामकस्य सूटटोषस्या पिष्टपेषणव जिष्फल्य दित्यः लस्योपडितख्वाष्मनो रचां विधायाषवनोयदेशं प्रति गच्छदिति विधन्त “'तचि- धायेति यवाऽश्मान a aad निधायाग्नोधरलमोपदेश भति- क्रामेयुरित्य्धः १९८ |

“तस्योक्षो बन्धुरिति “rg विष्वा अवोठधन्‌ > wate हि aaife भूतानि वद्ैयन्तोत्यादिनास्य ब्राह्मणं षष्ठकाष्डऽभि- हितम्‌ “दटेवङ्ृरिन्यादिकस्याय म्धः,- यतो यन्नो देवानाद्नय- तोति देवहूः ‘ga fafa gamete सुग्रयाद्व॑लोति qs: तत्‌ साधनस्वात्‌। अतो Saw यन्नो देवानाव्षत्‌ wWawy सुखह्ृयन्नो टेवानावहतिवत्यु च्यते पक्चचेवाग्निरिति भग्िदेवो दवान्‌ यजतु भावहेत्येतदुक्षं भवतोति aways वसत्‌ यचत्‌ qwaasta faaga = rath धुः लिप्प्रतययो azissrerfarea- डागमः इतद्लोप शति तिप इकारलोपः २०

® निचघायेनमतिक्रामनौडं विश्वाद्ति"-कान्श्रौन् Teo १८. ३. Vl t qe खं ° Yo. qr | + पाण Foe ३. १२. 28 | ,

१३८ शतपथब्राद्यकम्‌ a . (रप्रण Rate )

“arneafa” “sernrafa” मन्बहयं # निगदव्याश्यात जित्वाह,-- “arma मा प्रसव इति पञ्चदशो देवोरित्यादिभि AM गङ्पत्यादाम्नौघ्रययन्तं गमने भ्राठव्यलम्बन्धिनोः सूर्यादर्वा- चोः पञ्चदिशस्ततो ममय्य aa’ प्राप्तवान्‌ भवतोति उक्तम्‌ ,-

अथ “vat विश्वा wateuy” इत्यादिभि मन्वेराम्नोध्रादा- वनोयं पयन्तं गमने qaigal आराठग्यसम्बन्धिनी खतस्रो fen wea प्राप्रोतोत्याह ,-- “नया असुष्यादित्यादिना - “भात दति द्यनलोकपय्यन्त fara: २१, २२, २१॥

faanfa समोपगमनानन्तरं may मित्यादिभिः पञ्चभि aaa ¢ सस्यारोहणं विधन्त §— “outer fafa चित्धाग्नि- ङपरिधायमाशे उख्याम्नौ शोमविधानेन तत्र॒ तदा वचनार्थ warfqetworefafaara anameatia लिधानात्‌ तदपे्ता मारोहन्तीति वह्कवचनम्‌ “at लोको नाकः” इत्यदिना- Veer ध्या चटठे-- “ames fafa | तेषा मेव परचेणा- भिधानम्‌ , "समेनाम्निना' चित्याम्निना "एतम्‌" इत्यभिनयेन fg: "एतं eat कमध्व॑अप्रतिविधं गच्छतीत्यतदुक्ञं भवतो Sa, एते क्रममाण Wada: एन मुख्याम्निं way faawa: चारयन्तः अतः रसा एवार्थो मन्बख प्रतिपाद्यते,

वा> Mews ६३, ६8 ot 'गमामंवरं'- दति, भ।

{ बा" We १७. ६५-६४।

§‘maw मपिनेति चि्मारोहन्ति “दति का" ate द. १८ ४, १९। | बार He १७. gut

( Wo Rate ) नवपममलाण्छम्‌ १३१८

“feaae खगन्नोक मित्यनेन मन्ते ‘anal «aa afer ara om: | अव्र दिव -शष्देन ष्युलोक रुच्यते, लोकस्व qe उपरितनं खगं सुखातिशयरेतं तसख्यवङानविेषां बला देवेभिर्देवमिंशाः dq: सन्तस्तितेत्व्थः। ‘feree’ मिति aur: पतिपुचत्खादिना विष्षजनोयस्य सक्षारः २४

प्राचो # वे दिमण्नरिति। प्राचोदिमनेः wafer ey अतएव तस्िरोयकं -- “प्राचोदिक्‌ अन्निदिवता"-इति †' “oe a fafa; waver waecara त्वं पुरोवलमानोऽनि भेवेटं यज्ञ शत्यं भवति “Suara इति | दोद्यते were कथनम्‌ २५॥

““एचिष्डा we t मिति गा इवत्वस्याग्नोधाडइवनो यानां पथिव्यादिलोकत्रयाककत्वात्‌ may Aare ufsanfe- लोकत्रयं क्रमेय Esrarratara: “arey’ मिति “wavefee न्कन्द्सि-इति Zeer.” पः “feat areata नाद्य सुद्धरेतुभूतस्व atts “ष्ठात्‌ श्योतिविचिष्टं प्रकाशम्रागच्छा लोक ‘anaw मित्ये तदुह्नं भवति अथापि पूववत्‌ शाति. शयहेतुभूवो शलोक रेग्यविशेषः खन शब्देनोच्यते २६

“न॒ हवति 2 खगन्नोके यन्ति" ते फलान्तरज्रापेश्न्त खल्‌, भत उषः यन्त || इति एव षवेति स्वश प्रणा

+ वा० Bo १७. dg! Ae त्रा इ. १६. ` वाग We Ye. ६३ | § पा" He ३. १. ur! | ato @o १५. ईट 9

१४० यतपयनब्राहयणम्‌ (रप्र (Rte )

tq जगहारयतोति। “एष एव यन्नो विश्षतोधारः' येन एवं aa विन्ते एत एव सुविहांसः खलु विदुषा aa aw निष्पा- SHASTA: | २७ #

“ara होति “xa मेतदिति। ‘a मेषां ' देवान्‌ प्र्टमि- wat प्रथमः, प्रडोति दम मुख्याम्नि माह-अम्नेलुषटश्चश्चवद्पका- tary! ‘cawarer इति व्याख्यातं यजमानं गुभिरि तिष्यष्ट मन्यत्‌ उक्र मन्वस्याध्येन चित्याम्नेरारोषशेन खगं लोके विद्यमाना भ्राठव्यसम्बस्धिनोः पञ्चदिशः पूवंतः प्राप्तवान्‌ भवतोत्याष् २८

“तव्या अरमुभ्िंल्लोक दति अत्रापि सातः इ्तिद्यलोका- दुपरितन ख्गावधित्वनोख्यत २८

चित्वानिसमारोहण्ाननम्तर मस्मिवख्यमनी wa विधन्त | “aafs अनि जुषोति safawaafea मत्वाटेन मिति wate fearar विहिता। दुतिशित्वं areata सप. रिष्टादनब्रं सम्पादन ware— “एता इति विहिते wit दरव्यं विधत्ते-- “agra gaara पयसा” इति , उक्ष- लक्षणाया गोः पयस उपादाने कारण arw— “रावि at दति रावि खलु छष्लाशक्रवत्सास्यारात्रेरसावादित्य am: यथा गोः समोपे ana वदस्य रादिखमोपे वर्चमानत्वात्‌ wa मेवा स्तेलिरोयक्षे yat— “म्निशादित्यश्षरातेवकेति आदित्ध"-ष्ति 1 एवश्चास्यामनरादित्षामकत्वात्‌ तथाविधाया गोः पयसा होभे खलोकभागीन तदेव विव्रियते “an

* We Wo १७. ge | t कार ate 8. २)

( अण शब्रा ) Mea ४१

taafa तन परोडितवाम्‌ भवति, प्रोशयितखाटिल्वामक- SHAT एव वत्तमानत्वनोपधायमाणश एवोख्याभौ YY या- feare ,- “उपरोति प्रक्लतष्ोमे साधारथं qu: प्राप्रो- तोति तदपवादत्वेनटोहमं विधे -- “टोडनेनेति टोडनेन fe पयः प्रदोयत इति दोहनान्तरं पलान्तरे दोहनेन oy पयः प्रदीयत Cas: ll १०

waa aafayta प्रकारान्तरेण प्रशंसति-- “avefa wer: शिरोवत्‌ प्राधाग्धात्‌ सच्छिरसं पयसः प्राणत्वं तत्‌ पु्टिहेतुत्वात्‌ “am wane fafa | होमावसर स्यम्राठस्ाया उपरि fafqae ‘wate तधा wha कयात्‌ ; एवच्च MIATA: प्राणत्यात्‌। way शिरस्त्वात्‌ प्राणश्च facazqn अपि ययो लसशेन दसेन सन्तनोति तदेव विदह्ठणोति 'सन्दघाति' परस्परसम्बन्धं करोतोव्यवंः | प्रजतष्ोमो wait दशंयन्‌ तव॒ प्रथममन्वष्यब्राद्यण वशटकाण्डे प्रागेवाभिहित farare— “मक्नोषासेति «uae i

© Alo We ९७. get ‘wane awfa धारयन्‌ णुकवत्धा पयमाभिजहोति WO swat wana मवलिष्डव्रक्तोषासेनि। Wawa उपरि urconfag लष्छायाः गोः शुङ्धवन्‌नाया, पयमा टोषनेनाभि- जोति wage मवयिश्वन्‌। खयमाढसखाया उपरि प्रतिप्रखाता fafa चारयन्‌ weet mae जुदुव्यानौयेन चुहोति॥" fq काश्रौ Te tc. 8. 2,2 1

१४२ शतपथतब्राह्यसम्‌ tt ( २० (ale )

हितोयं amt anee— “wa सष्सरादेति # हिरण शकलेवां इति। प्रल्टोऽभ्निः atwe fafage: + ave- agrad fecquag: ears: खलु, UAT मन्ते तथा सम्बो- ध्यत tae: प्रकाशकत्वसधारश्जेन fecenaarn afeat- पवादः “यददः wanda, प्रजापतिशब्देनेनोचितेष्वसुषु अन्तव्तमानेन wat प्रतिहितेषु तषु एव शवधोर्षोश्द्रः सम्रभूदिति काण्डस्यादावुक्रम्‌ अतोऽव्राइः श-शब्देन सकाः परामृश्यते अतोख्िन्‌ काले “अतगोषाऽडद्रो quafa i यव पत खे aa शतमूैज्रितोत्यधः, a: शतगोषा भवति वख VAG: प्राणाः सङ्ससङ्लाकाः ware wafer शतं ave मित्वपरिमित नामधेयम्‌ aurea ,—“ शतं तष्ति। त्वं aaa «fa, ‘awe’ faanufcfaa सक्खावश- नात्‌ सश्स्रस्येत्यनेनापरिमित agra इत्यस्यार्धस्वाभिधानात्‌ सर्वस्वा श्येतदुक्ष' भवति awafa लिङ्कव्यत्ययः अपीगथदे- शाहमणि" षति षष्टो प्राप्तौ wera aqui amafa: ‘are ara ति चतुर्थी “aw वाज इति "वाज -शब्दोऽञ्जवाचो ae- तुत्बाटेवो ऽग्निर्वाजः खलु भतस्तस्मते विधेम वाजाय areaaa a मनिनि प्रीणाति ₹े aware: शतमूडं wer) ते गतसङ्ाकाः

e ‘Ae Wo १७. or |

CEC पुरस्तात Fle ८. ७४, ¦ इयंस्व जेः,- एति इ. भ, न, $ पार, Te र. ३. ५२)

(रेच, शवा ) , TAT १४१

प्राणा; सरसखसङ्ाकाः व्यालाश्च भवन्ति; त्वं सवसव धनस्य "ईशिषे ted भवति : aa भब्रहेतुत्वे aera तै ad परिवरेम ve हविस्ते arya मणु इति aT: १२

मन्गतेन fran सकमस्याम्नरभि होमः सम्पश्यत इति प्रशं सति दाभ्या मिति॥१३२॥

ufa होमानन्तर सुख्यम्बखितोनां मुपरि निधानं fawa— “aaa fafa निधानमन्वं “सुपर्णोऽसि ¢ गस्‌- माम्‌ ^` इत्यस्वोपयोग are: 'एतहा' xarfear लोके डि योनौ faa प्रजननं सम“ रेतो विक्रियते अवयवविभागवत्‌ क्रियत भतोऽज्रापि योनिषूपाया समुखाया मंस्छतस्याम्ने श्त- खब्रस्या पि fama भवितग्य मिति। ga fan faafa- साधनयभूतम मन्ते “सुपर्णोऽमि ग्कान्‌" इत्यादिकेन सुप गङग्मन्तं He विक्षतवान्‌ >; मधा चयनकालेऽपि ‘gad we- तन्तं met fanaa; सम्प्रति "सुपर्णोऽसि गर्त्रान्‌' warfeaa शुपणं meme’ क्तवा निहितवाम भवति चोय- ATA: पक्ताकारेण चयनात्‌ ‘goeisfa गरुमान्‌' शव्य- लाम्‌ HART प्रणस्तपच्त्वात्‌ , अतएव ‘gay: पशं-शब्देन

° “तस्या afd निष्टघाति सुपर्गोऽमौोलि वषटकारण म्बयमाढ- सायां सपर्माःसौति ऋग्दयेनं बघटकाग्य oafa स्यापयमौग्यये; ।* -- श्नि कार श्रौ ° र्ट 8. ४. ¢ षा Wo १७. OF | ¦ “विन्तवान्‌"- द्वि a

१४४ शतपथब्राह्मणम्‌ ( {He ate)

पतन qua योभगपतमनविशिष्ट xa: “एवं wa इति। (एव अग्निरिव मुह्मप्रकार मेतत्‌ सवं करोति यतः भत ow मन्वे एचिष्याः सोदेत्ादौत्यथः २४॥

हितोयं मन्तं arae— “wera इति |) # “सुप्रतोकः' शोभनावयवः तत्व भितराम्‌ प्रति पि तु wary wen वेति व्याचष्टे- “a g wate «fa, भस्योख्याम्न ta चित्याग्निः स्वसम्बन्धिखानम्‌ | wise: खो योनि मित्यादिना चित्याग्निं साष्वाधितिष्ठत तदुक्ष भवतोति व्या चष्टे-- “aw स्वामिति wanfafa एथव्यन्तरिक्ताभ्या सुप रिव्तेमानस्वेन द्यलोकामकत्वात्‌ अस्मिन्‌" चित्याग्निलसषे mare "अध्यासोट इत्यर्थः | विश्वेदेवा इत्यनेन ‘fads: ay’ ख्व यजमानं मन्व सादितवान्‌ भवति हे भग्ने ! त्वम्‌ गरन्नान्‌ अतणएवं शोभनप तनोऽसि, en स्वं एथिव्यां एषठ उपविशस्व- दोयाभासो भन्तरिक् मापूग्य ज्योतिषा दिवं ezi कु तेजसा दिशोऽपि cat afafa waar: भाः ज्याति सज दूति प्रकागविगेषाः। ₹े भग्ने ! त्वं पूवस्यां दिशि are- मानोऽख्माकं शोभनावयवो भूयाः, wa wai योनिं चित्याम्नि साध्यक्रियया vufufas aryafa दकतोयेकवचनस्य सुपां सुलुगित्यादिना यादेशः अस्मिन्‌ चित्यान्निरूपे sat सध- wy लोको अध्याखोद, ₹े विश्डेदेवाः! यूयं यजमाना

वन्धनोचिद्धानाः पाठो मास्ति भ-भ-पएसतकयोरग्धन्र

( [Wo रब्रा* ) नवम काणम्‌ १४५

wer युयं सम्प्रहानत्येन सोदति। यजमानोऽधिका रित्येन सोदत्विति {हतोयस्या्थं स्यष्टाथम्‌ i १५

उ्तरवाक्यहय निधानान्तरं «afar समिधाम। धानं विधाय ताः afaafaarfar armen स्प(ष्टारवररूपेष्ठ स्ताति-- “wurfafafa i १९ i

aa शमोमयों समिधं प्रथमं arewifeary— “wat afai शमामयाः प्रचममाधाने हेतु माह-- “aa इति) "एतस्या मन्या मित्यनेन afagwiatia विङिताइतिः पराश्ष्यप। एतस्या arya इताया मन्निः neta: सन्‌ "उद ज्वसत्‌' पष्ठादम्निं दृष्टा येनोपायेनायन्नी a frarfefa : Sar स्तन्नाद्धोताः पषादङ्धि्ापयस्वन ते walaat way मपय टटा मया एत मग्मयन्‌ यन एव मनया णमः बन्‌ ABTA गमानामचेया ऽभूत्‌) अत. प्रधप्र शमो मगः समिध प्राधानन तथवाय मपि ana भान्ते एनं शमयति awa, जग्धि und wena प्रह्िलाये इत्यथ; ३२०५॥

अय तस्व गमिममिधं suet मन्तं enafa ,-- “ai

“ध५ाप्रस्यापं खपटिनिनान्रलपेमः दलि, "प्राप्रन्यासं aufz सत्राङ्पग -ए्निष््भ, भ, “मनिदाघानं गशामोलौतेकडन्ौदूम्ब वस्त) मवितुरिति( ९७, 98—9¢ | Lama षति Hle Mtoe Te १८, 8. ६) 19

१४९ © गशलपथव्राहयण्म्‌ ( 2He शब्रा०)

सवितु रिति #। “कग्वो हना fawa ai:,— करतो महषिः ‘gai’ शमिषखूपां गां ‘eed’ खलु अतश्च ‘ar ‘aweuIT Wa ऽस्मे कग्वाय (स्वान्‌ कामान्‌ ee? तस्मादाहिता शमो तथेव यजमानाय सवान्‌ कामान्‌ दुग्धे भस्याग्ने रत्पादक- त्वेन सम्बन्धिनो अतएव शतिः “शमोगभोदग्निं मन्यन्ते” —tfa pi cama’ प्रकर्भगपोवरों सहस्रधारां पयसा मों महतीं शमोक्प्रयां गां कगवमहषिरदुदेरन्‌ venue सवितुरभिमनां चिं चाप्रनोयां सुमतिः शोभन मतिं 'विश्वजन्धां जनितं यस्याः सा agtat सवंस्योत्पादय्ीं ता मद माहण इत्य +: acy

श-मसमिदाधानानम्तरं वकहतस{मदाधानं विधाय तस्म वेकङ्ःलसमिदोमनाह्मणं प्रीव षहकाग्डऽभिहित faary— “Mat इति fanaa? अवसरे ‘ave raarafcey मुखत ware “अन्तरिक्तवा इति यस्माद्योने fraa योनि शब्देनष भूनोको विवचयत ware “ugar इति, परत्वे हवोंषि' इति तुरीयः पादः ufaar tare. “ger वा एष दति Baa! tat परमे जग्मन्‌' safaae यलोक ‘fade’ परिचरेम a केवलं anata एव far

» @lo We १७. OB |! से" जा० &. ९, ६. | 'वा० खं १९७. |

(र्खण 3aTe) मवमकाण्डम्‌ tus

स्तोमेः सुतिभिरुपलच्तितावयं अवरे व्यशोकादधख्याने erer सहस्थाने wafiasfa fata fag कस्मात्र fa urna wa सुदारिथ उदतवानसि गतौ fac dfeatat waar मपि दश्यत «fa eta: तमेनं लोकं अनथा समिधा any द्युलोकादोना मग्निकारणत्वेनानः: arcuate (?) शोभे SM! अथ परत्व हवींषि इव्यनेनक्रायाकारऽग्नो होमो विषो- यते ततः ‘afae’ सम्यक्‌ प्रज्वलितै त्वे त्वय्येपि छान्दसात्‌ शर्वोषि wget प्रज्ुडविरे विपश्चितष्ति यषः, बरयोरे इति दूरे प्रत्ययस्यरे urea: | wat वय मपि afat aaat समिध मादधाति इत्यथः २८

वहतसमिद्ोमानन्तर मौदुम्बरसमिदोमे विघत्ते-- “भय उदु- ग्बरो मिति। भरघातव्याया उदुम्बरसभिधः कथित्‌ qa माइ-- “कण्यकवतो भवतोति कण्क शब्देनात्र पतशाखादिकं विकवश्यते , पषाटोनां angfe + साधमत्वन पशच्वास्तथाविघ्ायाः समिधो Waa पश्रपेणेवनं प्रोणाति। तयाविधाया; afa- चोमसग्भषे किं कुर्यादिति; aare ,-- ‘afe कणकवतीं a विन्देद्‌' इति (दधिद्रष्ठं' दधिविन्दु ‘queen: समिधि संक्चेष्या-

“वेकं Pst अमर दयौदुम्बरौ faa: 1”

—tfq alo Wo YD. ७४. भष्यम्‌ | t “पशुषुष्टि०“-ष्ति & | i “पश्ुरुपेगोचानेननं"- दनि a

१४८ शतचथयब्राद्यण्ठम्‌ , (We tate )

दध्यात्‌ aw समिधि (दधिद्रष् safasa’ इतेतत्‌ तदेव aged मवति अतस्तथाविधायाः समिधो माधानोव- त्वेन afm पशरूपेणान्नम प्रोणाति wit भम्नदोडि # त्यादि ॥४.॥

afamraram< arearyatfawea “wareat रिःत यथेति लोके yaaa gara यथा शाकसूपोदनारिकं परिविष्य पथात्‌ जलादिकं पेयं पाययेत्‌ तादक्‌ तदा- ज्यादतिकरणथं भवति प्रथम समिद्ोमम्पपरिबेषणवत्‌ क्रत- त्वादित्यर्थः। तवासाधारण्येन सरुचेव सर्वासां शोभ प्रसक्रा- aw ,-- “सुवेणेनि wa मगाश्च मित्यस्य प्रथमादुति- aaa तात्पर्यां माह ,- “यस्ते छदिस्पुगिति हृदिस्पृश fafa waite रुपसङ्खान सिति सप्तम्यालुक्‌ ₹हे wa 'ते' तव श्रदिष्पुक्‌ tr weaya स्तोम aia मस्ति, ते तं स्तोमं ‘wa स्चक्रिया समित्य aga भवति, अनेन मन्तेणेत्यथः | अथोऽस्य were छन्दो प्रशंसति ,-- “पद्या शुहोति wearer यस्याःसा wearer “dare पूवस्य थः” दति पादशब्टाग्त्यभाषे “पादोऽन्यतरस्याम्‌ §”-इ्ति। विकल्पेन

* Alo Be io. oy!

alo Yo. og |

पाण Mo ५, 8. १६४०) § पार ख० ४. १, ch

( शख Rate ) ° मवमकाणष्डम्‌ १४८

डोति प्रासे “टाहचि #”-द्ति षट्‌ प्रत्ययः "पञ्चचितिकोऽग्नि' रित्यनेनाग्न : पञ्चत्व aga {शतः “पश्चऽ्तवः स्वस्रः” संवत्सर इत्यनेनापि प्रकारान्तरेण एव प्रदश्यते। हैमः . शिशिरयो उभयोरपि विहित वशिष्याविरेषशकत्व मभिप्रत्यो् ^पश्चऽर्सव fai एवश्चाम्नः पञ्चातकस्यासस्य पञ्चपदयप्ड्कि साध्यो ष्टोमे तव्‌ समितनेवाब्रेनेवं प्रोणातोत्यथंः ४१॥

टेवताविपरेषं सम्बन्धेन feat arefa दशति ,--“भरधेति। fant टेवतास्या इति 'वेखवकमणो' areal जुष्टोति कुर्यादित्यर्थः। ननु भस्य शोमस्याग््यधत्वादतर विश्ठक्रमा- देवत्यत्वे प्रल्तसमरेतार्थं तानस्यादित्यत उक्त ;-- “विष्डकमाय मग्निः रिति। भग्ने तद्ोमसाधनं aa व्याचष्टे -- “चितिं जुषोमोत्यादिना pi अव fafa शब्दां दशवन्‌ तस्य चाच सम्बन्धिविगेषोपादानाभाषेन साधारण्यात्‌ सम्बश््यन्तरप्रसकि निवारणेनो्षर वाक्योपास्षटेव सम्बन्धित्वे esafa— “चित्त मेषा fafa तथा देवा इहगमब्रित्यत्रागमतरित्येनख्यदं व्याचष्टे-- “यथा टेवा इहागच्छानिति रगच्छानिति भागच्छेयु रित्यथः। . गमेलंङिचंरडः ` (कताहधः, ऋत शब्दस्य सत्य मध इत्याषह। “away दति विष्ठस्यत्यादि पददयं व्याचषे-- “योऽस्येति aa टेवाक्तित मित्यनेन विषा

----- ~ = ~> ~ ---- ~~~ ~~ = ~

# पा @eo ४. ९. £| {alo We १७, orl |

१५०१ शतपथब्राह्मणम्‌ (रप्र LATe )

wena मिरेतदयाख्यातम्‌ कोशा देवाः atfaetar: War इति ana: वोतिरभिलाषो wat येषां ते afar: कामित यज्ञाः Slat wet यजमाननामसु पठितः। ऋता- au: सत्येन व्चैमानाः छान्ट्सोदोघंः far यथा weifia समोपै प्रागख्छतेषु aca मेषां टेवानां चितिं wa यजमानस्य यन्न गच्छाम इत्येव eq avifa सम्पादयामि केन साध निन समाहितेन मनसा ऋयमानेनःनेनं घतेन एषां faa सम्पादयामि यत एवं तस्मादिग्बस्याख्य सर्वस्य भुवनस्य पत्येति विश्वकर्मणे ~ सवदा fara प्रकाशन afad reared श्वि लुष्ोमोत्यथंः ४२॥

उक्त शहोमानन्तरं पृणणाइतिं ¢ fawi— “atfa gut चासावाइतिखेति § quigfa: श्राज्यपूणंया स्रुचा सम्पाद्यमाना पषति रित्यर्थः। सवंवा इति यत्‌ पूर्व्वा तत्‌ सवं परि भितत्वात्‌ , अतंएवं सर्वेणेवावेन प्रोणाति vet

“an ते अम्न श्त्यादिना | तन्‌ मन्तं व्याचष्टे तवर समिध

* निघ ३. १७. £ “विश्वकमेणाय'--द्ति भ, 4 पूर्गादतिष् सप्त षति, स्वा पूर्णाहुतिश्च जुहोतिः पूर्णया au srefa: qotefa रिति —<fa ate खरौ Wo Uc. 8. &, Yo } § पूणाचासावाज्िखेति'-द्ति a)

|| Ale Meo १७. ७६ |

( [Wo शत्रा” ) AAHATR ११९

मिन्यनेनास्य afaaat car प्राणा विवक्त शत्याहट- "प्राणा a समिध श्ति। प्रजापते विंखंसनन ततो निर्गता ऋषयः पृथगव सप्तटेष्टानङ्जत्‌। ATT ATA व्यवह्ारासमधान्‌ दषा पश्चात्‌ तानेकभेव पुरुष मकुर्वन्‌ एतत्‌ ad प्रपञ्च षष्ठ का गडस्यादावभिहितम्‌ एव प्रजापतिरयं नोयमानो- ऽग्निः salsa fagt-wea « सप्त पुरुषा विदच्यन्त इत्याह- “ar afafa तषा मेतददहहति तेषा भेतदभिघानं करोति तानादेन्यथधः। Va प्राग-श्रब्देन शरोरम्धानोद्द्रियाणि उच्यन्ते अतघतषां गब्दानामन्तरं इन्द्रियगचकत्वेपि सादु; यम्‌। “aqua प्रियाणोयनेन कछन्दांस्यभिधोयन्त rary छन्दांमो(त यत एत मग्निं होटमत्रावरुणादयाः सपहोत्रा श्रग्निष्टोगादिमेदेन सपधा यजन्ति श्रत उच्यति सोऽर्घो मन्त ware “angiat दति स्थानवाचकत्वात्‌ alfa-we fanasfudiaa tare ,— “faattafefa waa रेतः aa fe हेतुत्वे वितोनाख् लोक्रामकत्वात्‌ waafa वचनेन लोकैष्वव रेतो निहतव.न्‌ भवतोत्याह “छतेनेतोति SMH AMARA Area इद सुक्र प्राणादिकं

# “सप्रजिदः;ः मन्ति च्वालारूपाः anfesr हिरगयाक्ु- गद्या यागमोकाः wer wean काली कराली श्व मगोलवा च्व बिलोह्धिता मधमवर्णा स्फलिङ्धिनौ विश्रन्वी aq देवो वेलायमाना दति anfersr

—tfa Go Bor 2!

१५२ शतपथताह्यणम्‌ (रेप्र° Cate |

सवं युगपदेव amy करोतोत्याह “arefa: 2 war सप्तभिधः पुरुषाः aN ऋषयः मरोच्यादयक्च तत द्रटारः afar | तधा सप्त प्रियाणि धाम धामानि गाय्न्राणिगवुषटपह्वहटतोति परद्र faeq जगति एकाख्यानि छन्दांसि वसन्ति किञ्चला होटब्रह्ममित्रावसुगब्राह्मणाद्ंसिपोतनष्ानोध्रो ऽच्छावाकाख्यां सप्तहोता श्रनि्टोमोऽव्यनिष्टोम sar: षोडश्य ata भ्राप्तो- यामो वाजपेयश्ेति सप्तधा गर्जति aren स्त्वं भअरस्माभिहय. मानेन मप्तयोनो धितोरापूरयेति मन्ताथंः॥ ४४॥

मन्ते पोनःपुन्येन सप्तसंशब्द प्रयोगः aera Hey मवतोत्याह “सप्तसप्ति ' प्रक्रलाहलोनां faa मपि aaa प्रणंसति-- “fae आदुतोरति समिधा माहतोनाञ् मिलिता azug! भवलि तस्यतु ब्राह्मणं प्रागुक्त faare— “faa: Wad Tian sy

aa afacigaiaafaniarmaaty aq सब्रिषेशनु- सारेण नास्तिषटत्रासोनो जु हया दित्या ,-- “fasfacrfeat | कटिनावयवसब्रिवेशमाधारण्यात्‌ समिधा मख्धित्वं तनि उच्छितदात्‌ तिष्ठन्तोव भवन्ति भख मांसानुसारेण समिधां अन्तरां WERT बाह्याः क्या इत्याह “अन्तरा दति gen

पअथास्याजिनिप्रणयनालकव्य कमणः सम्पत्ति मभिधातु प्रणिजानौते ,-- wera: सम्पदेठेति। तामेव दशेति “az पुरम्तादिना। प्रणयनात्‌ पूवे faa wengat faa:

(Q%qo Rate ) | HAART

१५१.

afaetema ywifa अतस्तत्र aura भवन्ति यद्यपि हितो ठतोय राज्याइत्योः# wen मन्वाः प्रयुज्यन्ते तश्रापि रादुत्यनुसारेण से सर्वऽपि दावेव मना fafa परि- ग॑ष्येने। उपरष्टादम्निनिधानात्‌ cafe: समदाइतो- faa प्राज्याहतोख जषोतीति केऽपि ware) weal. मण्डपेऽपि कित्‌ एृथ्रिरश्मोपपोयते mad षड्भि मन्वे wafer wa यदपि प्रदिशो दवोरित्यादयः पञ्चव मन्वा गमने fafaqgar: , तथापि seaarfear aaq ata as भवन्ति, दति षस्ामपि मन्वाणां गमनसाधनन्ा- भिधानं गमनमन्ववबाहस्याभिप्रायम्‌ | “विमान पष दिव" + द्यादिभ्यां “पश्चि ममान मुपदधाति [| “इन्द्रे विषा § द्‌ वरादिभिव्रतुभि aa: “श्रनि” || पयन्तं गच्छति “mae सग्निनाष cafe a: पञ्चभि aa: fararfa मारोडन्ति | wea मेकोनत्रिंगन्‌ मन्ता wafer) एतदुक्र area “aryfata faynaat’ विंशत्‌ agi gen यद्यपि भरादुलोग्यक्यो बहवः सन्ति तथापि सामान्यानुसरेणताः सर्वा भ्रपि एकंवाइविं

* (दितोयरान्यादत्योः( )” fre, क, FT

दद्व पुरस्तान्‌ Yo ९३५ 72? ;वा० Ao YO. ४५६ वा Wo 9. ६० |

§ वा० Ae YO er |

| वा० Ao १७. ay

ale Ae १७. £2!

१५४ शतपथब्राह्मणम्‌ (QWe eats )

भवति “सुपर्णाऽमि गमतम्‌” + angi दाभ्या aft निदधाति | “aq दावत्‌" wea सम्पश्यते, भनुष्टपदाजिंश- दर्षते भवति | भनस्तटेतदाग्नि प्रणयनातसमकं मवाइुति स्च हारा भरनुष्टप्‌ छन्दो भवन्ति; “संषेति" uso

fafayra भरनुष्टवित्येतहितीय विगरेषापेकां सप्तम काण्ड गाङपत्याचयनाभिधानानत्तरम्‌ ¶† aa तिस््ोऽनुष्रमः सम्पादय तासां मध्ये एका माहवनोयं प्रत्यग्‌ भवन्तोल्युक्तम्‌ Vala प्रकारेणानुशभः BAER तासा Hats मतुष्टूम मता warm waar , - “तद्या प्रू रिति। गाहपयात्‌ गर्व ग्निराह्व्रनीय wa प्रति प्रणोतो ऽत्षानिप्रणयने विद्य- मान मन्ाहइति ARR यानुष्टभः सभ्यादनात्‌ गापत्य सम्पादिताना मनुष्टभा मेका मवराह्ृतवन्तो भवन्तोनयुष्यते गार्ईपत्यादे कप्य प्रतष्टभोऽव्राषरणे प्रयोजन माह-- तद्य aa मिति। अताम्मिनब्रवसरे “एष सर्वो.ग्नः संस्लतः' weet संतः `स एषोऽग्नि wa मत्खदभक्षयिष्यदिति यत्‌ तस्म- नःल मानोत्‌ भन्रादनाय समर्प नाभूदि्यथः॥ ४८॥

पद्मात्‌ विव्याण्निः प्रणेष्यमाण af त्या भ्र-गते- aia मरानोत्यव्रवोत्‌। तत स्तथेति, तनप्ङ्गगेञ्जतं तश्मा-

® Alo Ho Wg. ७२ |!

t का 3.१. २. wet

; ^“ प्रहस नबद्य लम्‌ -¶्ति क. भ, § `मलपतरेङ्ञाता-- एति

(स्थन रेवा) नवमकाष्डम्‌ १११

र्सिब्रेवावसरे # एत मग्निं गाषपत्यादतव faire. रन्ति waa गाषपव्यादतुष्टभ भाहरण Aa परथ पञ्चदेषो- त्राय समर्थो मवति। ""प्लमाइतिभ्यो" इति तदेवात्र दशितं भअहुतिशूपायान्राय समर्थो भवति af प्रणयन।नन्तर भेव चत्य ग्ने: भाहुति सम्बन्धादिति भावः ४८

“सथो भराइुरिव्यादिकस्याय म्थः,-- [कञ्चगाइपगयादनुश्भ अदरपेन faanfa eu: प्रजापतिरेव प्रोगाति तमोःम्निरूप मेतं “भियं पुत्र मुरसि wea” धारितवान्‌ भवतोति ana fen अहुः भरतोऽपि तत्मादनुष्टुभ माहरन्तोथः। खक्षाथं वेदनं परशंसति-- “प्रथो हैतदिति। ate a: afar: एतदथरूपं एव मुश्पकारेण जानाति a जनधेव मेव उरमि प्रियं पुवं awa खलु रेति निपातः प्रसध्यव्द्योतकः। व्यवहिता- शत्यनुगसनःत्‌ पदान्तर व्यवहितोग्याङ्ित्यपसर्गोपतस इन्यनेन सम्बन्ध्यते ५० 4

श्रथ प्रकारान्तरेणापि गाषपत्यादन्नेः श्राहरणं प्रशंसति “ataa fafa: रय मभेवेति। योऽय मम्निः श्रघुनाम्माभि- aaa? श्रय aq चित्यामिः सप्तानां पुरुषाणां सम्टिरूपः एक पुरुषः wast पुरुषाणां यां ‘fad’ परमं रुपं उच्चा 'खमुदोडन्‌' समुदाक्िपन्‌ एषा सरूपा न्रोः सोऽग्निः पुरुष दति ufay विधे ब्राग्रापेक्तं मेत मग्निं इटानों चित्याम्ना

@ ¬ ~ ज्य eg [ग --- ~-~-~ ~~

+ “तस्मादास्सिन्नवसर"- दनि कर) +

१५९ शतपचब्राह्यण्म्‌ ( गप्र Cate )

areca cert atfeaarat ऽग्निं सप्तपुरुषाणां समुत्तिष्ठ ME इत्यः तस्मात्‌ कारणात्‌ एत af मबराहरन्तोति खत तन एतषां सप्तानां पुरुषाणां शओोकूपयोरसोस्तित at मु्िपन्ति किञ्च तस्याः धियः शिरोरूपतवं ata ॒षष्ठकाण्ड- ऽभिहितम्‌ तस्मात्‌ तदेतच्छरोरूपोग्निरस्य प्रजापतिः facfaar- ऽय af, पुनरामन शरोरं(!) wa एते गाहपत्यादम्नेः wea Gaia प्रजपतिशरोरे खकोौयं शिर एव सम्बश्ा- Mare ५१॥ १|२,२]॥

दति योसायगाचा्यविरचिते माधवोये वेदाथप्रकाओे माध्यन्दिनिशतपथन्राद्मणभाष्ये मवमकाण्डे हिलोयाध्याये ठतोयं ब्राह्म णम्‌

वेदाधस्य प्रकागेन तमो हाई निवारयन्‌ | पुमधां तुरो रयाद्‌ fares:

ब्रह्मा र्डं गोसहस्रं कनकहयतुलापूरुषौ खणगभम्‌ , सप्ताोन्‌ पञ्चसोरौं सिद शतरुलताधनुसौवणंभूमोः | tata रुकावाजिदिपसहितरथो सायणिः सिङ्गणार्यो , व्यश्चाणो दिश्व्चक्रं प्रथितविधिमहाभ्रूतयुक्षं घटञ्च i urate wars तिलभव मतुलः खणजं वणं मुख्यः , कापसोयं क्षपावान्‌ गुडङ्जत ARS राजतं TAG: >

( रथ 2aTe ) मवम काण्कम्‌ १५०

QT NCAA ACTH ATT: NIAC VAAN: , Taran रब्ररूपं गिरि ana मुदा पात्रसाल्िङ्गणायः #

इति ओोमद्राजाधिराजपरमेष्वरवदिकमागप्रब्तक- गोषरिषहरमषशाराजसाम्ब्राज्यधुरन्धर्ण सायणाचार्येण विरचिते माधवोये वेदाथप्रकाथे माध्यग्दिनिशतपथवब्राद्मणभाष्ये नवमकाक्डे हितोयोऽध्यायः समाप्तः २॥

© UMM: पच्चमकाखोयद्िनोयाध्यावान्ते RTA: |

परध ठतोयाध्याये WA ब्राह्मणम्‌

पथातो ब्वेऽ्वानरं जुहोति | wag सर्वो sfiq: dena: ऽणषोऽव ATA देवता तद्या ऽएतहविजहोति तदेन विषा देवता करोति यख्य वे दंशाय इविगृद्यते सा देवता सा we रद्ते दादशकपालो दादश मासाः संव्वद्यरः TAM व्वेऽवानरः We |

यहेवेतं व्वऽ्वानरं avifa | व्येष्वानरं वा soa afa जनयिष्यन्‌ भवति मदः पुरस्ता हीत्तणोयाया५ रतो भत सिञ्चति aed योनो रतः fama ated जाते तयात्तव वश्वानर tar मत सिश्चति तद्मादय मिह व्वेश्वानरो ज्ञायत ऽउपाएशु aa भवति tara तत्र यन्न ऽउपापशु वै रेतः सिच्यते निरुक्त sae निरुप हि रेती लातं भवति २॥

Ee येण ~ ~~ ~-.e— = [9 epee a -_ er णापि

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= ^ _ef ° Aya, दति ग,

( शश्र Late ) नेवमकाण्म्‌ १५८

यः ayaa) इमं लोका इय मेव पृथि fase afaatt ऽन्रिक्च मेव fad alga दागेव व्विश्व मादिचो नरः ३॥

aaa see लोकाः। se तच्छिर sxe मे पृथिव्योषधयः इमि तदेतदिश्वं व्वारवाग्निः नरः सोपरिशिदस्य भवव्युपरिष्टाद्राया ऽअग्निः# ४“

दद्‌ मेशन्तरिक्तम्‌। तस्प्रादेतदल)मकमलोमक भिव wafta म्देतदिभ्व सप्राण. णव व्वायुः नर aaa भवति मध्येन शअन्तरिचख व्वायुः + uy i ;

शिर sua दौः + | aaaifa केगास्तदेतदिग्वं चत्तरे आदित्यः नरस्तदवम्त!च्छोरष्णों waaay fer suifzqucearestl व्व्वानर swag

e "सनिः इति च, ङ| t 'वायु--द्तिग, ध) ¦; क्यौ -दइतिग, a

१९० s शवतवदचत्राह्मणम्‌ (Re 2AaTo)

मनत ऽआआत्मान aareay daa शिरः प्रति- sala *॥€॥

अथ मारतान्‌ जुहोति। प्राणा मारुताः प्रा नैषाद्खित्रेतहधाति व्व प्वानर इत्वा शिरो वै व्वे्वानरः भौषस्तत्‌ प्राणान्‌ दधाति + 9५

एक sou भवति एक मिव हि शिरः सप्र तरं सप्तकपाला यद्‌ वा ऽअपि वहु क्रत्वः सप्त सप्र सप्त तक्छौषण्येव तत्‌ सप्त प्राणान्‌ दधाति i

fanaa sou भवति | निसक्त सिव fe शिरो sfanat इतरे ऽनिसक्ता ऽइव हि प्रागासिष्ठन्नतं जोति tasata fe शिर Saale उदइतरान।सत- wa fe प्राणाः sued

$ ^“तिदधानि'- दति शच |

t दधाति दति @ |

¦ ‘oa (ण्व मवति'- हति ख। §

‘quar: —<fA ग, च्र।

(श्च, cate) भवमकाष्डम्‌ १९१

तदी प्रथमौ मारुती अशोति gal तौ प्राणौ तौ मध्यं व्वैश्वानरस्य जोति मध्ये होमो प्रीया प्राणो *॥ १० | i

wa at दितौयौ। दमौ at तो समन्ति- amt लुषोति ममग्तिकतर faa Frat प्राणौ +

११॥ अथयोदठतीयो। इमौ तोतो समन्तिकतरं

जोति समन्तिकतर far ङमो प्राणौ व्वागे- वारण्येऽन्‌च्यः सो ऽरण्ये stat भवति ay fe व्वाचा घोर निगच्छति tv een

यदेव व्यैषवानर मारुतान्‌ जुष्ोति। चं वे व्वेश्वानरो fared: aa afewy करो- ति व्वै्वानरं पृथ्व aera यवे तत्‌ Heat व्विशं करोति §॥ १२॥ |

एकं ऽएष भवति UH तत्‌ चन्र मेक-

+. प्प्राणौ-द्तिग, घ) { “नियच्छलि"2६०1०- दति 9 | § 'करोति"--्लि wi 21

, १९२ शत पथत्रादह्यखम्‌ ( रेप्र* रेब्रार)

ery श्रियं करोति बहव gat व्विशि ag: भूमानं दधाति १४

निसक्त ऽएष भवति निरुक्त faa fe चव मनिरुक्ता इतरे ऽनिरुक्तव fe fae तिष्ठन्नतं avifa तिष्ठतीव fe aa मासौन ऽइलरानासत saa हि त्विट्‌ #॥ १५॥

तं वा ऽएतम्‌। पुरोऽनुबाक्यवन्त याज्यवन्तं AIEAA GA जुहोति हसतनेवैतरानासौनः खाह- कारेण marae तहिशं क्वतानुकरा मनुव्मानं करोतिं॥ १६

ASE | कथ ABR पुरो ऽनुवाक्यवन्तो याश्यवन्तो AVIRA सचा इता भवन्तोल्येतेषां वे सप्तपदानां मारुतानां यानि वौरि प्रथमानि पदानि सा विपदा गायवौ पुरो ऽलुवाक्याय यानि चल्वायुत्तमानि सा aque faeansdg मेव

पष चव ऋ) a ee —— मी णगि

'विटर्‌'- शति ग। 'लतानुवाकाः-द्ति = |

{ “दममेव कपुणा०-ऽ६,.०१०६- तिश्च | «

( ३अ० tate ) नवमकाण्डम्‌ १६

कपच्छलमयं * दण्डः खाहाकारो व्वषट्कार एव मु हाख्ेते एुरोऽनुबाक्धवन्तो याञ्यवन्तो व्वषट्‌- क्ते सचा इता भवन्ति १७॥

तयां प्रथमं दच्िणतो मारुतं लुहोति। याः सप्र प्राः खवन्ति ताः सप्तकपालो भवति सप्त हिता याः प्राच्यः खवन्ति १८॥

श्रथ यं प्रथम सुत्तरतो चुष्टोति। ऋतवः सप्तकपालो भवति सप्त Waa: + १८

रथ यं हितौयं दच्रिणलो aera) पशवः सस सप्चकपालो मवति aq हि याम्याः पश- वस्त मनन्तहितं पुव्वंख्मा्चहालयप्म तत्‌. पश॒न्‌ प्रति- छापयति + २०

अथ यं दितौय सुत्तरतो जुहोति सप्त ऽक- षयः सप्रकपालो भवति ay fe aq ऽषय-

a "“कपुत्घलमय "इति डः, न्त ,

waa, —xfa क, हवः" - षति ख, ; waa ति

‘ofasiqafa’—xfa ख)

tas p शतपयब्राह्मवम्‌ (रपण CATO )

a मनन्त पुष्बश्या्जहोष्ेतुषु तदषोन्‌ प्रति छापयति #॥ २१ tt

अथ यं तीयं efanm जष्टोति। प्राणा सस सक्नकपालो भवति an fe भोषन्‌ wate मनन्तर्दितं पर्व्वद्याश्होल्यनन्तहितांस्तच्छीशः प्राणान्‌ दधाति २२॥

अथ यं दलीय quia जहोति। छन्दाएसि स॒ सप्रकपालो भवति an हि चतुरुत्तराणि

छन्दासि मनन्तहित पव्वस्प्राष्छशटोल्यनन्तहितानि

तदटषिभ्यण्डन्दाएसि दधाति २३ tt

अथ याः सप्त प्रतीच्यः खवन्ति | सो ऽरण्ये ऽनच्यः सप्तकपालो भवति an at at प्रतीच्यः wafer सोऽखेषोऽवाङः प्राण ऽएतखय प्रजा- पतैः सो ऽरण्ये saa भवति तिर va तदाद्रण्य तिर <q तगद्वाङ प्राणस्तस्मादा ऽएतासा न्नदौनां

+ "परिषापवयति'- दलि a

( १ब्रा° ) | नवमकाण्डम्‌ १६५

पिबन्ति रिप्रतराः शपनतरा ऽभाहइनद्यवादितरा भवन्ति तदादयदेतदाषेदं माता इति तद्या ऽन्नं क्रत्वापिदधाति वैनेनं प्रोशाति २४॥

सयः सब्वे्वानरः+। Wat ऽघादिव्योऽथये ते मारुता रण्मयस्तं॑ते सप्त. सपकपाला भन्ति सम्न-सप्र हि मारुता गणाः २५

जुहोति शुकज्योतिश्च चिवज्योतिश्च स्य- ज्योतिश्च saifamigf नामान्येषा मेतानि मण्डल मेत्रेतत संस्कत्याथाद्िन्नेतान्‌ रश्मोत्रा मग्राहं प्रतिदधाति २६ ३॥

y बुति दितीयप्रपाठके हितौय' ब्राह्मणम्‌ [2 १.]

+ “प्रापनतरा" ६६१०५४० (१) - षति च, t Feary ऽखौः-ष्ति ग, वश्वानर" -षति च,

t‘um;—cfa a, शणाः--दति ग।

TAIT नमः यस्य निःश्वसितं वेदा यो वेदेभ्योऽखिलं जगत्‌ | fara aay वन्दे विद्यातोधंमहृश्वरम्‌ १॥

पूदस्मित्रध्याये सखयमाठस्वाया व्याघारणसमुक्षणा दि कम्म - भिहितम्‌। ्धासिच्रध्याये वैश्वानर मारुतवसोधोरादिशोम- लक्षणं कर्माभिधास्यते। ( तव्रादौ amracera fawa— (अधात दति। "थ'-शब्टेनाग्नि प्रणयनानन्तयं aaa, अरत fa waa सर्वोऽग्निरित्यायु्तरकाल प्रतिपाद्य aa हेतु- तया पराख्शति। 'वेश्वानर'- शब्द स्तदेवत्यं हइविराचष्टे यतो- ऽस्मिबवसर श्रग्नर्वेष्वानरो देवता भवति अतस्तत्‌ प्रोणनाथं acai विज हयादि्यर्थः Rat मनेनाख्मभागघम्पादनं क्रियते, श्रपितु देवतात्वं सम्पादन मपोत्याह ,— “तदेन fafa: तदेव सुपपादयति “यस्ये वा ष्ति। वेश्वानरं जुहोति सामान्येनाभिधानादिक मपि तच्छृब्देनोपायेत्य- दोत ८) sre )x— “दादश कपाल दति इदादशसु कपालेषु संसत: परोडाशो <P हादशकपालः दादशमासाः wry संव- क्रो भवति। केशखवानरोऽग्निश्च dance तत wea हविर्दाद गकपालसंस््तः पुरोडाशो भवतीत्यथः॥ १॥

#* बन्धनो चिल्ञानाः पाठो नास्ति जप काट्न्धच। “पुरोऽनुवाक्या: ॥"-- दति क, ¦

( २अ० ate ) नवमकाण्छम्‌ १६९७

परध पुनस्त मेव वेखानरष्टोमं प्रशं सति-- “avaa fafa | wane दोस्षणोयेरिकालं परादश्ति। परस्ताद्‌ इतिं पूवकानल ary माचरे" पर्वं agfaq काले दोक्षणोयेध्यान्सं वेश्ठानरं रेतोभूलं सिश्चतोति यत्‌ अतएव मन्निः व्वानररूपं जनयिष्यन्‌ भवति दोक्षणोयायां क्षतो वश्वानरार्यो wa: UAW वष्ठानररूपेणोत्पादनायं रेतः सेचनवान्‌ भवतो- त्यधः। लोकते हि योनौ यत्‌ प्रकार विशिष्टः रतः सिच्यते उत्पत्तिकाले तत्‌ प्रकार विष्ये नेव asad) पुनः प्रकःरान्तरवेशिष्येन दोक्षणोय्रायां amat रतोरूपेण सिक्ष- वानिति यत्‌ तस्मादय मग्मिरिदापि नदनुरोधेन वेखानर एव॒ जायते aa वश्वानररूपेणोत्मादनाय वेश्वानरदेवधयं हविजुहयादति # wa. “उपांशु ax भवतोत्यादिकस्याय मथः ,-- यज्ञशब्देन gear वश्वानर उच्यते `तत्र दोक्- णोयायां यन्नो रेतो रूपो भवति। ay tay उ्पांशुरहस्येव fas तेन प्रकाशं, अतस्तव प्रधान उपांशु भ्वति। wa प्रधानं निरुकं उच्वरेवेष्टः भवति। जननावख्थायां रेतसः प्रकाश मैव जायमानचादतशयस्य वेश्वानरस्य तधा fayar- दिति।॥२॥ |

श्रधास्य वेखनराक्मकता माह-“सयद््यादिना ब्रपूरवोक्षो यो वेश्वानराग्निसषैवे मे एथिव्यादयो लोकाः कुतः, sa मेव

o “ह्वरिज्‌ ङृटिति"- प्ति

१९८ शतपद्बाह्यथन्‌ (ame ate )

‘stan fay तदधिष्ठाता ‘ale रेव भर `। तथा भन्तारच मेव fay तदधिशता 'वायुनरः' ; एवं ‘dita fan’ तदधि- Brat भ्रादित्यो at: एथिष्डादोनां लोकाना मेकपटार्थाधार- aa fag अन्न्धादोनां तु तदधिष्ठाएदषत्वम्‌ | एवच्च वश्वानर इत्यव तदितरख्छ खाधिकष्वात्‌ afwerqat इभे लोका एव वेण्वानर CIT: | १॥

अध शिरसो वे्वानररूप लोकालमकता माह ,-- “a शति, द्द्‌ मिति मुखं moafafae waa wena « | दद मेव wea van शिरसि भरभागल्वात्‌ भव्रत्यानि श्मश्रु एय वौषधयः तदेतदिश्व मिति शिरसि दशितायाः एथिव्या यश्वानरामककत्त ye, वाक्‌, दति तत्‌ स्यान मुच्यते। waa) वाक्‌ चिषकयोरौत्तराधर्येणोक्ञं वेष्वानरत्व मुपपादयति सोपरिशादिति। ४॥

se faa समुखादुपरितनं इनुनज्रनासिकालनलाटस्यामं निदि्यते भरलोमकमिव werfer fafa, तत्र एथिवोवत्‌ wea मङोरहादोनामभःवादित्यथः “स मध्येनास्येति। 'वायुरन्तरि च्षस्य' ‘wan मध्यप्रदेगेन ana इति | प्राणोऽख्य निर्दिप्ररेशस्य मध्येन awa ५।

“शिर एषैति। ows शिरः शब्देन ललाटादुपःरतनं कैशोदमखयान मुच्यते, we तच्छिर शत्यन्र गलाद्परितनं सवं

+ “द्ष्राते'-ष्ति ज, भ; श््रद्येते- तिद्ध,

(श्ण एव्र ) मवेमजोष्छैन्‌

१६४

मप freer प्रसिङेन # fiaferq ara पूर्वोक्षस्यानु- पपक्तेः। “तस्वेतदिति। an रवं तस!दष्ठानरोऽस्य प्रजा पते tema शिरः वितोऽय भंन्निलु शरोर, अतं daa Waararnfa dena तच शिरः wants: वैश्वानरय,मानन्तरं arent होमं विधाय तान्‌ प्राणौ- war ^ प्रशंवति, - “खथेति adtaw बष्वानरः सम्बन्ना- AIT: ®

वश्वानर ध्ागानन्तरं मारलानां होमं विधाय तान्‌ trees: arm)? तेषां तदनु विधाी्विनों ag aw— “दक एषं इति इतरेः मार्ताः पुरोडाशः सप्तसु कपालेषु संस्कताः सप्त भपरेयुः बडदुक्ञत्वोऽपि सप्समेति यदस्ति एतत्‌ सपव wafa शप्तानां कपाललत्तकानां मिलता सहला एकोन पञ्चाशद्‌ भवति मारर्ता ताषत्‌ agra तथापि eA भागेन a समव भवन्ति, अत्ते निरसेव सप्तप्रणानि- दध्याति

अथ तदेव फः प्राशय मुपजोग्य तेवा भुवांद्यागादिकं are— “faq एष भवति "एष" ara: ‘free: व्यकः ee यागो भवति भिरसो amar ‘wat’ माङरता परनि “av अक्ता ठपांशुयागा wag.) प्रालानाम्रतोद्धियल्वेना-

e “‘ewign—cfa se. भ, बन्धनौ चिह्धानाः प्रदश्रिलः पटो नास्ति भा-म-पुराकयोरण्धन्र, t 'यरैव-ट्ति अज | #

| 22

790 TATITATA TA ( We rate )

srmatenn. | “निष्टलोव होति! शिर खच्छितत्वासिष्टलोवं अवनि | बन्दरियाणि तु खानयन्यनासीनासतेव (१४ भवन्ति

aa न्यो भारतानां Wa AAT तषां तत्र i i प्राणासकता प्रदणनन होमि स्थानप्रकार मक्र. ` “तद्यो त्रयमावित्यादिनः। अभ प्रथम सज्िधानम्‌ fema उपचारात्‌ प्र्रसग्ाग 04a Hata दितोय ठनोयादित्यवापि "दमौ ता विति। बा प्रथमौ इमो प्राणौ इम प्रायो हम्तन निशः | ता AAT: नरस्य पुरोडाशस्य aa yeifa अनयो ्रोव्रयोः गिरोमध्य- वस्यानात्‌। VATA HTM afaaq ,-- “वश्डानर at amay ws” कल्पति a(ex at वश्डानरउति 1 विकल्पः | Aq AM GA भाखान्तरनुलारष दिकन्पितः। वश्वानर यद्‌ होमः तदा बेष्डानरम्य पथक्‌ कणम्‌ ९.५

wu at हितोया fam ता विति। शम.विति चरणो निह; . `तौ समन्तिक".रं' सबिहिततर जुह्यात्‌ , चक्नाः परस्यरजिधाननावम्यानात्‌ , WAR वेग्बानरस्य पदाद्‌ भागे क्तव्यः पञच्चषष्टयोः होमः कतोय्चतुधयोः पश्चात्‌ सप्तमस्तु होम: सर्वषां प्रात्‌ क्रियत ; चतएव कात्यायनः ,— “वे प्वानर

“दानय नासोमासोनानीः द्रति ज, MAA TATA: नानोप्रोवाः--्ति . "वआासनापूननाखानानौयौवा-द्तिम।

वष्वानरे वा वेश्वानर' यरलवा ‘waite रिति (ate 4 १७ ८, -८५ ) प्रतिमन्वम्‌ ` मारूनान्‌ अषटोति ° विकल्पखायम्‌ Surat होमोऽयोयोलिः - पलि Ate Mle He US ४. २१, २४)

(ade cats) | RTT १७६

मधिथित्य दल्िष्ोतदौ areal ° पाच्च सङह्कृटलरौ ° एव मपरो ° पञ्ादरण्योऽनच्यम्‌ | मास।दमयोध एति वेश्ठानर सारताना मेकतव्रत्वात्‌ “वेष्ानर afafam दल्तिशोतदौ मार" इत्य क्रम्‌ तत्‌ प्रयोगप्रकारस्तु सूबलोऽवगन्तव्यः ११॥

“ag ay ढतोया विमो तावित्यच्रमाविति तासाविवररयो fary: शल्यं wet बार्तानंा aq प्रमागाल्षकता मभि. WTS iG वागाक्लना प्रशंसति “वागेवेति, ‘wre, sre: afazqare: तन हयमानोऽपि प्रोडागो ‘cq. mar भवतोत्खादि वालम्य वागाककलता मेवापपादयति ‘| यतः कारणाद्‌ "वासा ay घोरं fan wat प्रकाश्यत सोऽनुवाकोरण्यमुवक्रग्ये भवति लक्ादर्ण्य,नृच्यवयनात्‌ तशय वागामक्षत्व सुपपन्र fafa भातः १२॥

वेष्वानं शिरोरूपग areata मनन लन्‌ प्राणम्तुतवाम्‌ , दटानोन्तु मेव वण्हानर मारूतान्‌ Ba Warmer स्तीति “oeafa वेष्छानरम्य प्रजामकत्वन सवतः प्राधान्यात्‌ चतर त्वम्‌ मरतां प्रजान्बम्‌ तल्िगोयके गुयने-- “सरलो देवानां विश" -द्त‡॥ १९॥ |

अथ तषा qm भेव सत्रं wana Roe तत्‌ agifzal प्रशंसति - “om एष भवतोति anata ` नका, शरौ. ङ, te ४. १७..१६ | t अरगय नश्य भवतोन्याट्गि तस्य rma aa aia ThA HF

‘A Ae ॐ. 2. ५.

१७२ गतपथत्राह्यखन्‌ (रप्र रत्रा)

लत जाकिंवन्धनं प्रा्ाग्य ‘Rare’ भेव करोति अलय श्रिय भेव करोति ; अतएव ‘faa मपि एकस्वां करोति, यदु Wag परश्चर aa स्तात्‌ राद्विद्चक aera area बहुत्वेन प्रजाया भेव भूमानं बहुत्वेन प्रजाया Fe भूमानं age faewft) sare ware weft “gaia fafa “avhatat म्‌ खवः” -इति wy शब्दा- fefenq जनि इक.रत्व Wa away भू was सादेणः॥ १६४॥

‘face भिव fe अनम्‌ - इति खाहाचया स्वाः wow- malware wae fatwa प्रजायासु तदा- erate चा जोचधतेदनिरत्वम्‌ एवः “wet ति्तोव भवति ब्रजात्वासोनेव भवति १५॥

वे श्वानरं शुहोति arent शुशोतोकि ¢ via मात्र विधाः मातत fad निधाय weefa— “a वा saa fafa | ^“पुरोऽनुवाक्मवन्तं याज्वन्तम्‌ †"-इति Sieh Sa: a वश्वानरं कोटं पुरोऽनुवाव्ववन्तं कज्चावन्तं wraree- लतं शुद्धा YA LATHE Wala इस्तेन जादा. Ss शुडुयात्‌। wy farce पुरोऽशुवाक्वासम्ब- fafa wana aman. muvnfentam तद्‌ terre

fie umaiwe”_ ch का. silo Ge १८. 8, tom! fw mle Ge १६८. Loe

(श्वर cute) ATAATHA

१५१

सष्वनत्वात्‌ wet were warerfeh मणुगतवतमानश्च करोति १६९७

पथ मादताना सुङ्गप्रक,रष होमेन वेन्ानरवश्रागसम्यति धटत इति शा सम्धति we waitin प्रज पूवंको तरोदशयति,- “लाह रिति। रतां वे ance नित्त area. शब्देन तदहोममापनमुताः “qmentfagaren मना faa- न्ते ते सत्तपटा भवन्ति| wae तैषां ane यानि wear atfe पशानि शन्ति a face: गायको ae परोऽमुवाक्वा wala) अथ यानि eardafernfa पदानि लन्ति तानि खतुष्यदा aug सेव याण्वा भवति “इद भर॑ति 4 दडतिरभनयेन प्रदग्डंते कपुन्छलम्‌' 0 इति ange § awa खय (मति erg ‘ee’ nema यवं बादुरेव yin. an भवति खाहाकार' एव 'ववट्कारो मवति Tw QA प्रकारेण्ास्वाम्नेयजमानस्य a Cala एव मरित "पुरोऽगुका क्वा मज्छावन्तो ववद्‌ छते Bar Yar अवन्ति १७

शोमक्रमेख लाम्‌ मारान्‌ waa नन्यादिङ्पेष् परणं सति-- “तदयं प्रथम भिति। ‘ore.’ प्रादयुखाः पूर्व खसुद्रगाभिन्यो नक्रायवुनादयः wana: सरवन्ति ताः सप

[क " 0 1 शि = See ef eee ee ee ei - “em = wee Se ee as [ |

® Ble We १७. 2०४ |

‘ca मेवेति र्ति च, 4,4, द्य 2a fafa —rfa & ¦; "“कपृ्रला मेव ef

§ “कचा रति इ. ज. क, न)

१०४ शतपथव्राह्मष्ठम्‌ ( श्ण QaTe)

प्रथमं दिषो दख्िशभागे इनो मारुतः वरोडाशः सप्तसु कपालेषु संस्छतो भवति। याः aa: ‘are: ‘etafar लालां सप्तान्‌ १८ -.

अनम तप्य AANA NIMS BAe ewta मवन्राप्येव मेव चधिम.लापे्या स्म fe ऋतव इत्यक्तम्‌ १८

a aaafea fafa तं हिनायं पुरोडाणं gaara are mea तङि यकवडितं तत्‌ सम्बन्ध जुहयात्‌ एवं yee: वात्कत्वाटप्न्यव ayy’ प्रनिष्ठापयति॥२०,२१॥

Cqnafertaamae: प्राणान्‌ दधानीति gt मारत पुरोडाशस्य प्रथम मारतम सम्बन्धालथ वश्लानरेष सम्बन्धात्‌ प्रशान्‌ भिरसोऽननाषंता नयवदहितान्‌ करो ATTA: २२

“सप्त हि चतुरुतराणोति। चतुरसराधिकनि ‘wife’ wafer यश्यवान्तराः न्दो बहवः सन्ति); तथापि चतुर्षर- धिकानि छन्दांसि सपवेत्धः | गायनो चतुविशत्यक्षरा, खण्डिक पुमरश्टाविं्त्य्तर।, waeq दािंशत्यत्तरा, रवं हतो -पद्कि-विष्टप्‌-जगत्घ्तुर्राधिका wafer en

‘aaa इत्यादिक याय मर्थः, - “स एषो रेन यो' गसः ‘aa अवाङ्‌ sua: ‘wre’ दृन्दरियं अप्येति ceware विह रोति | ‘sume प्रजापतेः -इति तरशुल्मादि yfazmn प्कश कत्वादू wee ‘fac रोहितं भवति ¦ वङ्प्राशो प्यादहिनो

( gaye tate ) मवम काण्छम्‌ 8

१७१५

wae पनेन aaa ‘waren’ लमधितन्‌ ‘mare’ संदाभिक्षाना मेतासां ‘mata’ wast amt नदो ये पिबन्ति अथवा पय इत्वध्याहायं तासां पयो ये ‘faufay ‘a’ 'रिप्रतराः'प्र fafa ara मुखे पापिष्ठाः ‘wan’ मिति व्यत्येन पज्ञा- Ca फकारः धवः अत्व मुपानष्मनोयाः। area’ धिति मोचोक्रि मृष्यत ^` त्वा aad वादितारो भवन्तिः इति qa Sarina मटोनां पयः पिबन्तो ‘aac pf ater भवन्तो- त्वथंः। अथ awa इतिः अभिधानेन दयरेवनामम्बन्ध- प्रतीतेः ‘ae aaa wae प्रजपनये प्रतिपाद्येति तनः ‘aq प्रोहति -इत्याद,-- aaaafefan xe

अथ amint अ,दित्यरूपेण माङ्तारःशर्पेक प्रशंसति - “सयः a ama षति। तेः मरता मर्दन सज्खामुसारेश सत्‌ पुरोडाशाः AR AAAI Way | fraary सप waaay इति. an an fe इति मार्त्रा गणाः सप्त सप- कानि waft) एकोनपच्चाश्त्सङ्खुका मरतः सप्तविधा विभा गेन सप्त ममुदाया भवन्ति भतम्तसङ्खयामुसारेण तत्‌ पुरो Sw: ‘AR सप्तकपाना भवेयुः) ६। ननु पूवं भेव सपितरे anwar दति खतरे नाय aaratfafen: कि fufa

® "पकारस्य ania: (Ce, oH, भ।

t ^. काकिसुच्यते(' '- इतिक,

'निनरा( ' "ष्विह न्क, भ:

§ बन्धनचिद्ञान्त; otf पठो mer भः पृलकण्ोरण्यर

१७६ गशलचथवा दम्‌ ( शप, रेव्रा° )

पशातोख्त इति मेतदम्ति qa ae ar अपि बदु छस्व tan. fear सप्तधा विभागेनत ae aaa भवन्तोति। शिरि शष ५णाजिदधातोत्दुक्षम्‌ मणु ससकपालानां TAN करण ANT! WT पुमम्तत कारक सुक्तम्‌ सत पुन Va कारव qua «fa wayne

awa मादतानां Wa aay enafs “a जुहोति) “gaewifa a रिति aantfre च्योतिमारेत्यादिकं मन्त faa: “arava fafa. रतानि ‘gaeutfa’ रित्वा टोनि येषां wate नामानि omacenfearaa are. तान; (Wana wypsqy पतदेव a नोमानजिङोभि wifea भेव सस्छत्वाबाखिन्‌ wee’ carga र्लोना- बशापग्रति ५२६९।१२।२१, १]

इति ओोसायशाथा्यविरचिते माधवोये वेदाथप्रलापि माध्यन्दिनि गतपथयब्राद्यष्मभाण्य नवमकाष्डे AMINATS प्रथमं ब्राह्मणम्‌

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भधातो व्वसंहारां जुहोति| अशेष सर्वा ऽग्निः dann: सं एषोऽ MAMA देशा एतां धरां प्राणदन्तवेम मप्रीशेम्तयादेत॑समे व्वसव एतां धारां oat; व्वसोह्ारेत्याचचते तथे- वाद्या ;अय मेतां धारां प्रज्ञाति तयेनं प्रोणाति

यहवेत व्वसेहार जुहोति अभिक एवा- ea soit {ऽन टेवाः aa RAS $i ARR. घेन मेः कामेरभ्यषिद्चन्रेतया waireiea तथे- वेन मय मेतत्‌ सब Aas Amat मेतेः aac fafag aaa eqriratrarsina weave. नोदुम्ब्या Sat तस्योक्तो aa We I

वयैवानर५ इत्वा शिरे वे ष्वेऽवानरः meant वा sa waa aT शौषतो वा $अभि- पच्यमानो Samara मारतान्‌ त्वा प्राणा वे

233

१९८ a WATTATWSH (श्प्रण शता" )

मारताः WHR वा WA AAA ऽथो प्राशु बा ऽअभिषषिच्यमाना ऽभिषिश्यतं ॥३॥

तद्वा ऽअरणय SAA | | ANAT ऽरण्यं SHAT ब्बाचो वा say aera sat व्वाचा वा ऽभिषिच्य मानो ऽभिषिच्यते वदतत्‌ सव्वं aq सव्व श्यत कामाः सेषा व्वसुमयौ धारा यथा क्षौमस्य वा सपिषो =a म(रदम्भायेवेय माज्यादहतिष्यत तदा- दषा व्वस्ुमयो धागा armrest SATs aT aaa us a

HSM | बृदं मदं ऽद्त्यनेन चत्वा waaay चानेन च॑ त्वाभिषिश्चाम्यनन quan sce मे eee मति सा यदेवेघा धारान्निं प्रामुध्रादधेतदाजुः ufaqaa+

एतहा SUA देगाः। एतेनान्नेन mea:

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( श्य Wate ) WAT UTA 8 (02

mracfafeaaar maracas मेतान्‌ काम- नयाचम्त तेम्थ इष्टः प्रोतो sfufaw एतान्‌ कामम्‌ Wasaga मय मेतदेतेनाखेन प्रीरवेतेः ara- रभिषिच्यतया व्वसेहरयायथन मतान्‌ कामान्या- चले aa ऽदृष्टः प्रौतोऽभिषिक्न santa कामान प्रयच्छति होद्ौ कामो संयुनक्धव्यवच्छटाय यधा व्योकसो संयुश्चादेवं aga कल्पन्ता fats एतद देवा अन्रवन्‌। कैनेमान्‌ कामान्‌ प्रति- गरहौष्याम ऽदृ्यातमनैवेत्यन्रुबन्यन्नो वे दवाना मात्मा UT SFI ऽएव यजमानख यदाह AWA कल्पन्ता मित्याक्मना कल्पन्ता मिल्येवेतदाह hor दाद्शमसु Real | RTS मासाः संव्यत्सबः संववद्मरो' ऽग्निर्यावानम्नियविग्यञ्च मावा ताव- तेवेन aaa: प्रौशात्यधो नावतैवेन मेतदन्न- नारि भषिश्चति चतुष्टंशसु कल्ययल्यष्टापु कल्पयति दगसु कल्पयति वयोदशसु कल्पयति +॥८॥

[पिरि

भा अका >

9 ‘fafa’—-cfa + “कृन्ययति"-- नमि

१८० WATHATHTWA ( {Re YWPe) भथारदनद्राचि जुहोति | aa मेतदादं न्रा सब्शेवेन मेतत्‌ Mara सववरेवेन मेतदभि- षिञ्चति *॥८॥. अथ गडान्‌ avin यन्नो a गहा यन्न नेवेन मेतद्‌ प्रौ शत्ययो यत्ञनेवेन मेतदच्रेनाभि- षिञ्चति †+#१०॥५२४॥

a दूति हितौयप्रपाप्टक्े acta ग्राह्मणम्‌ [2 २.]

प्रलतस्वादेदश्छन्देन पर(गैगति “धारां way) we लया चः तया एन ANAT तत ‘wre वसवे एतां धारां WIN षति यत्‌ "तस्मादेनां वसोहारत्याचस्षषे' ब्रह्म वादन दति शेषः। भरतो यजमानोपि अनेने होमेन तथैव करोति॥ १॥

अथ पुनस्ता मेव 'वसोर्ारा' degree अभिषेकाकमा प्रपंसति-- “avant मिति। खवः faaaaa faa

गीर न्म a - wae ..=—_—— ee [नि सि eee eee aR ee gee

° मेतदभिष्िखति'- cf ख) t ‘aoe नाभिषिञ्चतिः-रनि ख,

( शण rate } मवम काष्छम्‌ १८१

ee’ मिति "एतेः कमम रिति “arma मे प्रसव as {इत्यादि मन्बरोह्ञा वाजादयः काम्बमानत्वात्‌ "काम - शब्दे. नोच्यन्ते (तख एतय। .बसोर्हा 1 पभ्यतविषत्‌'। अतएवो परिष्टान्‌ wary Teg areca Aare waa चाभिषि qraaa Qaafefa अत इदानीन्तमोऽपि यजमान ‘waa हृतवान्‌ भव्ति विहिता "वोरा भाज्यन पञ्चग्दहोनेन Weal qa wem i तस्यान्धादिकश् aaa ब्राह्मणं प्रागुक्त मित्याह “areaafa a 2 i

VATA awayiniamy प्रणखति-- “ann इस्यलि ‘ata’ fa aaa पच्चमो व्यक्नम्‌ ( aa- qafcaag an asarfa faceny मुखेनादन्तेऽपि गिरसेव ‘ea waa किन्तु लोके 'सभिषिष्य मानः पुरुषा शिरस अरभ्यतामि कथ्यते अतोऽख amare गिरद्वादन्रा-

भिषेकासिकाया क्ठोदाराया Flat मेव qa TAT: |

मारतोमानन्तयमप्युक्न प्रकारेणेव प्रणसति-- “मास- नान्‌ इस्वति श्राखर वा waaay cia: ‘ww fafa शब्दादोद्दियाधामकं भोग्यवस्तु ते १.४ वसोर्ढारां जु होतोति ena कितेषानुपाटानेन विधानादम्नौ

9 Ale Wo श्ट. | aay मानौ- ति ल:

aca लतपचत्रा द्मम्‌ ( २" gate )

यव कृताच शोममघक्नावाङ “तदा ula) तच वसोदारा विषये होमो ‘swine पुरोडाये कत्तव्य Taw: | अत्र॒ कात्यायनः ,-- “amet लुोम्पौदुम्बया पञ्चष्डोतं

सन्ततं यजमानोऽरण्छऽनुच्येऽलिप्ाप्त” # इति भध तदेव 'दसोर्बार-पदं प्रकारान्तरेण fife, -- “तदेतत्‌ सवं fafa) यत wa ‘ad armed काम्यमानत्वात्‌ "कामाः पतः कम्यमामस्येव ager (तदेतत्‌ सतरः वाजादिकं "वसु" - शब्देनो यते तस्मात्‌ तत्‌ प्रतिपादक्रमन्साध्यषा धाराः" ‘ag भवति , fag ‘a’ ‘arsaryfa ear’ 'एष।' लोके यधा सोरस्यवा सपिषो वाः धारा क्रियते एव ‘aca एव सुपक्रम्य सम्पद्यते। द्दानों faa ‘areuryfa:’ सो राज्यधारावत्‌ सम्पाद्यते इति धाराक(रता प्रदश्यने। तथा SMTA "एषा वसुमयी धाराः भवति यत एवं तस्मादेनां वसोरारेत्याचसते

( परथ प्रक्षतहोमस।धनानां aaa तात्पर्याधं दश - यति ,- "स wef aaa sseua sufa “arna मे mae ach” sxarfe) § मन्वाशां faga: ‘vata’ waa चाब्रेन

ow - ~~ = - [ गि = म्र =a [ मि 1 नि => —— - - —e_- = oH we ee 9 -~- ~ ~> वागि

° का० Who To १८. ५. VI

t बन्धनो चिद्ञान्तः vefaa: पाठो मासि opera { ‘ato We रद. २।

§ बन्धनोधिक्ञान्तः प्रद्शितः पाठो मास्ति a pers |

(2@0 2a7¢ ) , नैउमकाद्छम्‌ i १८९

चेत्यत्र armed निदिश्यन्ते & wa at ‘waa wan’ afufaafa fae ‘wee मे देहः wa मर्धो मन्वे विव सित vam भवति॥५॥

सथ कथ परपोऽर्धो मन्त विवलितं इत्यत भाह- “owe दति “aaa वसोहारयेतिं ‘ameter नाम “are a” cafe aa: क्रियमाणा पराज्यवारा। way वमोर्डारयय्ये- सटेव विविद दगित-- “एतेत्रावेन waa: कमेरभि- विच्छति अध प्रोगनाभिषेजानन्तरं एतर्मनि मतान्‌ वाजादोम्‌ कामानवाप्रुवन्ततः क्तयागोऽग्निः “MAT भूत्वात्‌ तम्ब "एताम्‌ प्रायच्छत्‌" Wa RA यजमानाऽपि कुतं अत एतदनुस(रण मन्धाणा am faa एवार्थो विवक्ति इति भावः। Raq प्रत्यकं पयवयमाने व्यवच्छदः स्याःदति। तदभावाय हौ हौ मन्तो मयुश्यादि याह-- “हौ हाविति। अग्रेति ‘sia विभिन्न देगस्थावःचर्यो यथा संयुज्यात्‌ एवः मेतलदिति संयोजनं भवति| wag तत्र॒ तज्ावमानेषु ‘ana aaa fafa’ areataa नस्वंदानो Fagan aw “यन्न कन्यना

fafa ie a

“एतदा इति ga दैवाः "केनेमान्‌ कामान्‌ प्रतिग्रशोयाम' sfa परस्यर am पाद्‌ 'भ्रासमनेव प्रतिग्रहोष्याम' इति fanta "अद्रवन्‌ देवाना मामा शरौर ‘aw: खलु गरोग्वत्‌

छव भोगसधनस्वाटनखच पलरूपेण देवाः कामनम्‌ प्रत्य

(ष्४ | MATAATT UR ( रप्र रत्री $ )

व्टद्नत्रित्य५:। तदत्‌ (एव यज्ञम.नख्व अत्य यश्च TT शरोरम्‌ एवश्च aaa waa fafa ववने ममः ‘“qraaaia’ कामः ‘aaa मित्यवेः age भवति॥ 9॥

Are tren मन्ादवमामे ageanfeary, - (दादशसु कण्यश्रतोति तव॒ कल्यनं क्रत्लाम्नोप्रोति भवलोत्याइ- “een मासा tf, ay aay दटशषेव कल्ययेदिति। Ray “aqeng कल्पदथनोति। वाजश्र मे प्रसवखम' (ऽद्त्यारभ्याशनिरनुवाकरषा amie इयत तवे कस्िचम्‌. ata 'सअग्निध tee मे माम a इदन्द्र मेसवता + ऽद्नयादि) + मन्दाः समाखाताः। aa ‘ey दे युनक्ति दसि वमनेन इयोहयो रवमान-वधानात्‌ मन्वदयष्य "इन्द्रम SMA UTA) WAR मन्वा द्न्द्रगब्देनोथन्मे eo

पतय "अयान्द्र.णोत्यनेन तत्‌ aaaad wa स्तोतु AAA पहंप्रोणाति -शब्टो मन्ववाक्छपरः। तहशिच्यन eae ह़ोप्रादुपवारेण wiaiiy जुहाति wari एव मुत्तरत्रापि। We मन््रकरण्कमन्‌ होमान्‌ कु्यादित्थः। सवाधिपत्तवेन स1स्येन्द्रसप्बन्धःत्‌ ‘wae प्रपि सवस्वात्‌ तन्‌ कण्ण Wa at 'सर्वणे नमेतम म्न प्रोन्ताखभिषिवति Qary— “स1 मत fefaney

9 व्‌ा० We श. १६। + बन्धवा चिहन्तः प्रश्नः wey नास्ति ope?

(Que Rate) ss भैरवमकाण्डम्‌ १८५

“aqaq रश्मियम + ऽश्त्यादयो aan यहप्रतिपादक- त्वाद्‌ ow ; तत्‌ ag ala wa मनू प्रणसंति “am a ae fa | aaa aa ara TWIT यज्चत्वम्‌ ॥१०॥४ [2,2]

इति ग्रोमायणाचायविरचित arena वेशाचप्रकापे माष्यन्द्मिग्रसतपषब्राह्मनमभाण्च MARAIS AMAT (cals ब्राह्मणम्‌

इति aaqaatog feata: प्रपाठकः समाप्तः

28. Re १. १६ ~

24

Wey

aang. 3% प्रथमं ब्राह्मम्‌,

uafq ar

QAaaa वनोयं ब्राह्मणम्‌

इरि;

अयेतान्‌ BTA जुहाति | भग्निश्च मे चम्मच मऽद्न्यतैरेवन मेतदान्ञक्रतुभिः Waray ऽपतै- रवेन aaa aa fat fa forge * 1 १॥ vga arava लुहोति uae देवाः सर्व्वान्‌ कामानाप्त्वायुग्मि स्तोमः स्वगंल्लाकमायं सलथेषेतदाजमानः सर्वान्‌ कामानाप्त्वायुग्मि aa स्वगंल्लाक aft + > y

e ot fafa fr इनि खं मेति —cfa ख),

(que gate) . नवमकाष्छम्‌ ¢ (cs,

ae वयस्विशादिति* 1 wart वे aafaont Sas MATT waa ऽएव तहवाः AT लोक्ष म।यंस्तचेवेतदाजमानो SAA ऽएव VATA

मति + ३॥ अथ युम्मता Beis, एते छन्दा खन्ुव-

न्यातयामा वा swan स्तोमा युम्मभिव्ययप् मोम स्वगीह्नोकमया मति तानि युष्ममि ea: स्वगे लोक मार्य॑स्तयैत्रेलदाजमानो युग्मभि सोमः स्वग

लाक मति॥

तदा ऽबष्टाचल्वर्पिभादिति { अनो वा ऽअष्टाचत्वारिपिजोऽ AAMC RATATAT मन्तत ऽएव तच्छन्दाएसि AMR ATA बतद्यलमानो ऽन्तत एव खगेलञोक मेति ५५

° 'अयस्तिरग्रादितिः -इतिखः ‘afer \परादिति' - हति ग, Wt t मेनि" - fa स्व : ';अशाचत्वा्रिर्शादिति-- एति क, oe

§ “व्ष्टाचत्वारिर्णा- श्नि म, च।

१८८ गतलपषव्राह्मखन्‌ | ( २४० Cate }

{माह एकाच तिखश aaag a set दृति यथा aug राहन्रलरा मुलग

WATS AAA रारलाटलयदेव स्तोमान्‌ ae aa वै स्तोमा ऽपच्ननेवेन मतदभिषिश्चति* पथ व्वया~सि जहाति पशवो षे व्वयादसि पश्चुभिरवेन मवदन्नन प्रोणाव्यथो ugfataa मत- zaafafagta

अथ नामग्राहं जहाति। oat दवाः सर्व्वान्‌ HAAS मव प्रत्यच्च मप्रोरस्तथेवंतलमान सर्व्वान्‌ कामानाप्वायेत मव wae प्रोणाति व्वा- जाय Qe प्रस्य सखाहति नमन्यस्यतानि नामबराह बेवेन मतत्‌ प्रोकाति ‡॥ warqumfa नामानि wafer) वयोदग मासाः संत्वत्धरस्मयोदशाम्नेचितिपुरौषाख्ि याना नम्नर्यावव्यख्च मावा तावतेवेन मेतत्‌ प्रीणाति

* मेतदनिषिश्तिः एतिद्ध 1 मेवद््वनाभिष्क्ति'- षपति ख) i "प्रोशाति'--दतिद

( श्अण० Rate )

WIR ATA 8 १८८

यदेव नामय, हं जोति ¢ नामयाह मवेन मतदभि- षिञ्चति +॥<॥

wae) ga तं राण्मिवाय यन्तासि मन SHH Ml wel त्वा प्रजानां रबाधिपव्यायैत्यन्न वा sama व्वश्रत्र नवेन मतत्‌ प्रोणति॥ W १२०

यदवाह | इयं ते गाशिमब्राय यन्तासि मन CHM त्वा BB रषा प्रजानां रवाधिपल्याय- तोदं तं रज्य मभिचिङ्गो satwaq मिन्रस्य त्वं यन्सामि मन sae a नाऽमिव्यषट्वं चना sfa प्रजानां a भ्राधिपत्यामौत्यपव्रजत $एवम्‌ मत- दतक्षे नः AA SWAT तवा AAA ऽन्य षिचा महति amig हदं माजुषष््‌ राजान मभि fam yaaa tee a

° “शहोति" एति ब),

“मेलदभिषिख्ति' शति नामाह मवेन मेवटनिविकलि'-

( without शि) + ac ^ 1) {111 |) ) ¢ fa || yy! ; ‘qua: -<f a, व्व)

यतपदन्राह्यचन्‌ ( श्प tate)

wa कल्पान्‌ जुहोति प्राणा वे कल्पाः प्राणानवास्िन्न तहधात्थायुयन्ञेन कल्यतां प्राो यकन कल्पता मिल्येतानेवास्मिन्न तत्‌ AA प्राशाम्‌ दधाति १२॥

दादश कल्पान्‌ लुहोति | दादश मासाः संब्य्मरः संवत्मरो ऽम्निर्यावानग्नियावलयस्य मावा तावतेवाश्धिन्रं तत्‌ AMA प्राशान दधाति य्व

कल्पान जुहोति प्रा्ा वै कल्या swat मु a प्राणा ऽपरतनेवेन मेतदभिषिश्चति १२ अथाह | स्तोमश्च यजञ्च ऽक्क्‌ साम aeq रथन्तरं" चेति चयौ हेषा faa वं an श्वियान्न नैन मेलत्‌ प्रौ शात्ययो ऽन्न नेवन मेतदभिषिश्चति खेवा ऽअगरमा सता ऽभूमति afte गच्छतयख्तो fe भवति प्रजापतेः प्रजा ऽषभूनेति प्रजापते प्रजा भवति az खाहति

-— ~

° 'मेसदभिषिषतिः- दति क, ब्व, t naivety —rfa ग,

( देण gate) , + AAT RR १८१

व्वषटकारो हेष परोऽ यद्ट्कारो व्वषट्कारश वावे स्व!हाकारव वा देवेभ्यो ऽन्न प्रदौयते तदन मेताभ्या सुभाभ्यां प्रणाति व्यषट्कारेण सवाहा कारेश् चायो ऽण्ताभ्या मवेन मतदुभाभ्या मभि

बिश्चत्यव्र ars खव मनुपास्यति azarsaterd तन्न - दर्ग गसदिति १४ Te वा sore व्वसोहारायं दोगेवाक्माभ- मधो ‘faa waar धारेव धागा दिवो ऽधि गा गच्छति १५॥

AS MAM # | ऊध एवाध स्तन MAT 1 धारेव धागा गोरधि यजमानम्‌ १६ त्ये यजमान णवात्मा बाहरुधः खक- स्तनो धारेव धागा यज्जमानादधि दवान्‌ Sze Sta गां गारधि यजमानं azazay qaqa

देवाना मन्नं परि्रवते यो Baza aes

= गर वाह्याः प्ति ‘mina. इलि a:

१८२ NATARTETT ( श्च* eate )

डेबास्येतदनन्त AIA मनर _ मवलत्धथातः सम्पदेव+ १७

Tey: | कथमच्येषा व्वसोर्चारा सव्वल्धर afeq aratfa ^ कथः सव्वत्सर काग्निना सम्यदात {षति षश्च वे चोगि शतान्येषा व्वसोङ्ा- राध asa Tats TAT arta ule iife 4 शतानि लान्ति मंव्वरसरस्याहानि तत्‌ संव्वरसब-

व्याहान्याभोत्यथ यामि षट्‌ षड वा ऽतवसहतुनाप्‌ गाचीराप्राति तदुभयानि Haat eT AT aM aa यानि पञ्चचिएशत्स्‌ TUM मासः $भ।त्मा विदशंदार्मा प्रतिष्टा हं प्राणा « fur ए१ पश्चनि<ग मेतावान्वे संश्वत्छर एवमु हेषा BAe Aaa मम्नि agra संव्वन्सर- गाम्निना सम्यद्यत soma वै शाणिडिसे ऽग्नौ Haat awa ऽदृष्टका उपधीयन्ते ऽनयो हेत

e amaeq- cla भ, a: tainvf’--«an, ©