This is a reproduction of a library book that was digitized by Google as part of an ongoing effort to preserve the information in books and make it universally accessible. Google books eats [४] "(> http://books.google.com न । ~ ०० . +. =+ ~ Cu ay 7) । 3 : +, । : 11 er ५ aR Cz 1 ct pen op ऋ ४ mad ५ yt oY + 1 ETR त्व ae eer 3 oa Dh te] ४19; श ५ | | “J fy ९१ ४ : [- If १५।४ > च > 14 ise Diet be wil 4 0 mh & é rete — ^ ॥१। # “Sipe SF tart ow bho al > ve ++ . = f nit, ~ tel र | cen HH : 1 ? : J 14 च wati oR Yaurw Wak Pt श्‌ ieee anit; 6 द्‌ ब्‌ rw र 1 j म ४ ५ नै + ++ be > ® 7 ५: 4 rh, क, धश We: १११९ oye V4. (4 प्रच VW a 7 4 ह no 4 é a af ति ५1 ॥ oe a ११ ।(३.। । = : ॥ 92 ^ १6१५ १६। | "1919. Py ; ai | 435 Fis TU Pokal Je ‘el HED atone ~ 14211 (व Dl 79. (1,11.111 le Bee fa y met |: Tne be tare ak ae . 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Se कै os TEAR SPATIE No. 57, PARK STREET, CALCUTTA, # च # # +) ee # ॐ „+ OCTETRY .. 0 ENGAL, AND OBTAINABLE FROM THE SOCIETY’S AGENTS, MESSRS. LUZAC & CO., 46, Grear Russert Street, Lonpon, W.C., ann Mr. 0170 HARRASSOWITZ, BooKseELLeR, Lerpzicé, GERMANY. प्क क क क क स Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot be supplied—some those works marked with an asterisk * cannot be s of the Fasciculi being out of stock. the Fasciculi being out of stock. BIBLIOTHECA INDICA. Sanskrit Series. Advaita Brahma Siddhi, (Text) Fase. 1-4 @ 6/ 5467 a Rs. ‘#Agni Parana, (Text) Fasc, 4-14 @ /6 sd ९.5४ Aitaréya Brahmana, 4९ asec. and Vo asc. 1-5 Vol. III Fase 1-5 Vol. 1V, Fase. ध Sa eae | Anu Bhasyam, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/each ==... = Ries | Aphorisms of Sandilya, (English) Fasc. eS ‡ asahasrika ta, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each eg 1 0 ra vad yoke, (ext Fac Fase. 1-5 @! gva > Tres (Sans. Tibetan) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. II. Fasc *Bhama res Fasc. 4-8 @ /6/ each | { i 1 Bhatta ap ika Vol I, Fase ; 5 द्द 3020 Brahma Sitra, (English) Fasc.1 ... ae ~; 9 1 2 9 4 २४१६१1४. 1-5 @ 1/ each Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each 8 र Brhaddharma Purana, (Text) Fase. 1-6 @ ९ each ॐ, ० 4 (Text) Vols. II, 1-25; III, Part I, Fasc, 1-18 9 भकः र, eth art II Fase 1 ४ 1 rauta Sitra ook a, (Text) Fasc. 3-14 @ /6/ each cer | ayana (Text) Fasc. 1 to 11 ame 4 hl (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each ... 3 Qankhayana, (Text) Vol. I, Fase. 1-7; Vol. II, Fasc 1-4, Vol. III, Fasc. 1-4 @ /6/ each — .., 5 hashyam, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ eac ५५ धः ९ न्क, त ave eh 1 as 0 +" iv bet me: Fase. 1-6 @ /12/ each Ka Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each Kirma pa, (Text) Fase. 1-9 @ /6/ Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ (11 each Kata Kaa Madhava, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each... each... FNONNKAMYONWANO ॐ ६ © क hig ae ` Markandéya Purana, (English) Fasc, 1-5 @ /12 each न ( ext) Fasc. 7-19 @ /6/ each ‘Narada Smrti, (Text) Fase. 1-3 0 (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ (Text) Vol. 111, Fasc. 1-6; Vol. IV, Fasc. 1-8 @ /6/ each... ~~ 3 2 4 ५ each 3 ek (Text) Fasc. 4-7 @ /6/ each ६ i ae 4 1 1 5 # eh Digitized-by (3 oogle 623675 उपमितिभवपरपञ्चा कथा । ` सिद्वषिप्रणौता । (OP KR — नमो निनांभितागेषमहामोहहिमाश्तवे | लोकालोकामलाशलोकभाखते परमात्मने eh नमो fauguata खशूपपरिपू्तय | नमो विकारविस्तारगोचरातौत मृत्य ॥२॥ नमो भुवनसंतापिरागकेषरिरारिणे । WWATSASATS नाभेयाय महात्मने ॥२॥ नमो देषमजेन्द्रा रिकुम्भगिभंदकारिफे | श्रजितादिजिनस्तोमषिंहाय विमलात्मने ॥४॥ ममो दज्ितदोषाय मिश्यादभ्रनश्षदिमे | मकरष्वजनाग्राय aca विगतददिषे wwe अथवा ॥ SAY महासेन्यं समस्तजनतापकम्‌ | द खितं शोखया येन वेनचित्तं नमाम्यहम्‌ HGH. समस्तवस्छविस्तारविचाराचारगोचरम्‌ । | वचो जनेश्वर वन्दे दितः खिखकल्रषम्‌ ॥७॥ ,. .. ~, : a, उपमितिभवप्रपष्चा कथा । मुखेन्दोरशभिव्याक्नं था बिभि विकखरम्‌ | करे wafer धारा तां नौमि देवताम्‌ ace परोपदे श्प्रवणो मादृश्रोऽपि प्रजायते | यत्मभावाश्मस्तेभ्वः सद्गुरुभ्यो विशेषतः wen इत्य शतनमस्कारः शान्त वित्रविनायकः | विवखितायेप्रस्तावं cefaa farce: ne ot दहा तिद्‌ लेभं प्राप्य ATTA भवयजन्तुमा | ततः कुलादिखामयौमासाथ श्दभकमणा ne vit हेयं हानो चितं सवं ave करण्णोचितम्‌ | wey श्लाघोचितं वस्त॒ ata अवणोचितम्‌ ॥१२॥ यत्‌ किञ्चिचिन्तमाशिन्यकारणं मोखवारणम्‌ | मनोवाक्‌कायकर्मेद यं तत्छ हितेषिणएणा ne en हारनोहारगोचोरकुन्देनदुविग्रदं मनः| छतं यत्‌ कुर्ते कमं we तकमनोषिएा ne vi wana: पुननित्यं विग्ुद्धेनान्तरत्मना | जि्लोकनायस्तद्धमं ये च तज व्यवस्थिताः ॥१५॥ MAD भावतः खार अ्ङ्धाखरद्धब्द्धिना | निःशेषदोषमोषाय वचः स्वंश्नभा पितम्‌ ae ee तदच प्रस्तुतं तावन्तदेव जगते हितम्‌ 1 ओओोतव्यमिति संचिगध वचः सवंश्चभा पितम्‌ ye on. ततस्तदनुसारेण महामोशदिष््दनौ ।. निर्दि्टभवविसारा कथेयमभिधाख्यते ॥९८॥ प्रथमः प्रावः | तथाहि ॥ पञ्चाअ्जवमहादोषा इषोकाणणां च पञ्चकम्‌ | महामोहयतानां च कषायाणां चतुष्टयम्‌ ॥१८॥ मिष्यात्वरागदेषादिरूपं यथान्तरं वशम्‌ | तहोषावेदकं शवं वचः सवेश्चभा षितम्‌ ॥२०॥ तचा ॥ भ्वान्‌ शंन चारिज्रसतोषप्रशमात्मकम्‌ | | तपःसयमसत्यादिभरकोरिषमाङ्ुखम्‌ ॥२१॥ AC बश्च तच्छ शुरखंभारगौरवम्‌ | qwada dix वचनं fe पदे पदे ween तथा ॥ एकेद्िथादिभेदेन दुःखरूपमगन्तकम्‌ | भवप्रपश्चं AAS वसनं कथयत्यखम्‌ ॥२३॥ sagt fafa मादृश्रेनापि अजख्ितम्‌ | वाक्धं Saafegrafrae cit भाव्यताम्‌ ve ve दह च ॥ श्रयं कामं च धर्मं च तथा सकौणंरूपताम्‌ | nfs aia ओके कथा तावश्चतुरविंधा ve a वामादिधातुबादादिषव्यादिप्रतिपारिका | अदौपादागपरमा कथार्थस्छ प्रकोन्तिता HR ६॥ खा क्ि्टविष्छ्ेतुलात्पापसबन्धकारिका | तेन दुगं तिवन्तन्याः प्रापणे प्रवणा मता ॥२०॥ उपमितिमवप्रपश्चा कथा | कामोपादानगर्भा्यां वयोदाचिष्यष्चिका | शरतुरागेद्वितादयुत्या कथा कामस विता ॥२८॥ a walang रागोत्कषे विधायिका | विपर्याखकरो तेम हेतुग्तेव दुगेतेः ॥२८॥ दयादानचमाधेषु warey ufafwar | धर्ापादेयतागमां बुधेधेमेकथो च्यते ॥२ ०॥ सा शएद्धचिन्तहेतुलात्पश्चकमेविनिजेरे । विधत्ते तेन fastar कारणं नाकमोचयोः ॥ ३ en जिवगंलाधनोपायप्रतिपादमतत्परा | थानेकरससारा्था सा संकौणेकथोश्यते ne en चिनाभिप्रायदेतुवादमेकफलदा यिका | विदग्धता विधाने च शा हेतुरिव वन्त॑ते ean ओतारोऽपि चतुभ॑दास्तायां wate मानवाः | तेषां संचेपतो वच्छे wau तन्निबोधत ne en मायाश्ोकभयक्रोधलोभमो हमदाख्िताः | ये asain कथामा्ौ तामसात्ते मराधमाः ॥ २५॥ ये रागयस्तममसो विवेकविकला नराः | कथामिच्छन्ति कामस राजसास्ते विमध्यमाः ॥₹ en मोका चेकताभमेन चेतसामिरषन्ति ये | बद्धां धमेकथामेव सा विकासते नरोत्तमाः veo ये शलोकदयषापे्छः किञचचि्छत्चयता मराः | कथाभिच्छन्ति संकौणां Ha वरमष्यमाः ॥९८॥ ` प्रथमः Tes: | aaa स्थिते ॥ रजस्तमोनुगाः BA: खयमेवाये कामयोः | Tare धमेश्रास्तार मवधूय निवारकम्‌ ॥३८॥ रागदेषमदामोदरूपं तेषां fafawaq | ` श्र्येकामकथाषर्पिराङत्या ASA परम्‌ ॥४ ot केकायितं मयुराणां थथोत्कष्टकवद्धंनम्‌ । पापेषु afeargrel कथा कामाथेयोस्तथा iis ci कथां कामा्थंयोखसमान्न Hla कदाचन | कः चते चार निचयं विदघोत विंच्णः as en परोपकार शो लेन RAY तन्नो षिणा | fed समस्तजन्मुभ्वो धेनेइ BGs Gig ze तेन यद्यपि wtarnfaer कामायेयोः कथा | तथापि विदुषा wre येन पयेन्तदारणा ॥ ४ ४॥ तदेतदवगम्ब ॥ TEAS च जननां सवेंषामग्डतो पमाम्‌ । West धमकथां धन्याः कुवन्ति हितकाम्यया we ws TATA मला संकोरणमपि खत्‌कयाम्‌ | मार्गावतारकारिलात्‌ केचिदिश्छन्ति सूरयः ॥४१॥ . . किल्ला यो यथा जन्तुः शक्यते बो धभाजनम्‌ । ay तथेव तद्ोध्ये विेचो हितकारिभिः ॥४ on raat सुग्धनुद्धोनां war मनसि भाषते । कामायंकथनान्तेन तेषामादिष्यते मनः ॥४८॥ ¢ उप्मितिमवप्रपश्चा कथा | आचिप्नारे ततः शच्या wa याहयितुं गराः | विचेपदारतसेन satel सत्कथो श्यते ॥४९॥ तस्म! देषा कथा शरद धर्मस्येव विधास्डते | भजन्तो तर्‌ णापेखां कचिल्संको फरूपताम्‌ nyo ll अन्यच्च ॥ SHAT प्राता चेति भके प्राधान्यमहेलः । तजापि seat तावहूु विदग्धहदि खिता ५५ १॥ बालानामपि सदोधकारिणशौ कणेपेश्ला | तथापि प्राता भाषा न तेषामपि भाषते ॥५२॥ उपाये सति ana सवेषां चिन्तरश्जनम्‌ | अतसद सुरोधेन dads करि ग्यते ॥५२॥ ग चेयमतिगृढार्था ग दौर्धवाष्यदणष्डकेः | न चाप्रसिद्धपर्यायेस्तेन सवेजनोचिता uy an कथा श्सरमेतस्या area प्रतिपादितम्‌ । WATE व्याजेन यतोऽस्यामुपमौयते wus यतोऽनुगवमानोऽपि परो दव Bead । श्रयं संसार विसारसतो व्याख्यानमदइतिं wee अथवा ॥ भ्ान्तियामोहनाश्ाय सतिबोजप्रबोधनम्‌ | कथाथेसंग्रह Ba शरोरमिदसुश्यते ॥\०॥ दिविधेयं कथा तावदन्तरक्घा तथेतरा | श्ररोरमन्तरङ्गायास्तनेद मभिधोौ यते ॥५८॥ प्रथमः प्रल्लावः। परसावास्तावदष्टा् विधाच्यन्ते परिस्फटाः | रत्येकं तेष amet योऽयं मे मिबोधत ॥५९॥ प्रस्तावे प्रथमे तावन्निबद्धा येम Far | दयं कथा aaa स हेतुः प्रतिपाद्यते ॥१०॥ fama भव्यपुरुषो Was प्राप्य सुन्दरम्‌ | यथात्मडितजिन्नासुः समासाद्य षदागमम्‌ ॥११॥ वद्‌ न्तिकस्थः संसारिजोवस्य चरितं थया । श्लाग्टहौतसंकेतायाजान्तेनेव सूचितम्‌ Ee ah तिथेग्‌वक्रव्यतावद्ध्‌ सद्धं प्ज्ञाविश्राशया | विचारथति fame तदिदं प्रतिपाद्यते ue en Hanzi तथा दतोयप्रस्षावे हिंसाक्रोधवशातुगः । wiafxagey यथा दुःखेविंबाधितः ॥१४॥ संसारिजोवः सशारे भ्रष्टो aaa: | ददं संसारिजोवखछ सुखेनैव निवेद्यते neu युम्‌ ॥ {४ garages मागजिन्वागतेषु भोः । रकरः संखारिजौवोऽसौ यथा दुःखे: प्रपौडितः vege गय्चानन्तससारमपार दुःखपूरितः | यथा wit ददं सवे सविषं निगद्यते ॥ ९ oy ग्मम्‌ ४ स. उपमितिभवप्रपश्चा कथया } mena पञ्चमे ay विपाकः स्तेयमाययोः | om: संसारिजोवेन तथा wrafxae च ॥१८॥ तथाच TERMS लोभमेयुनचचषाम्‌ । विपाको awa तेन asda: पुरात्ममा ec यग्मम्‌ ॥ Ha सत्तमे सवं महामोहविजम्मितम्‌ । परिग्रश्य situ सडितच्येह वतम्‌ oot कितु ॥ दतो याल्सक्तमं यावद प्रस्तावपश्चके | तस्य संसारिजोवस्य चहृन्तान्तकदम्बकम्‌ vo १॥ तक्किञ्चि त्तस्य संपन्नं किं चिदन्येनिवेदितम्‌ । तथापि तत्मतौतलात्छवं तच्चेति वफितम्‌ ve ee ग्मम्‌ ॥ ` अष्टमे मौ सितं aa प्रस्तावे पूर्व चितम्‌ | तेन संसारजौवेन विहितं चात्मने डतम्‌ vo aq संखारिओोवस्य ad भवविरश्ननम्‌ | WRG भव्यपुरुषः Wag दति कथ्यते Ne gi तथा संसारिजोषेन यो wa: प्रचोदिता | बुद्ाग्टहोतसकेता हच्रेणा ति निवेद्यते ne ५॥ आसाद्य निर्मलाचाये केवलालोकभाखरम्‌ । ` खमस्तोऽप्यात्मटत्तान्तः ष्टः शिष्टोऽवधारितः ne ge प्रथमः प्रस्तावः | तथां षदागमादुच्े्ंयो खयः father: | संजातावधिना तेन ततोऽच प्रतिपादितः woo अन्यच्च ॥ दहामरङ्गशोकानां Wa get गमागमम्‌ | विवाहो बन्धुतेत्यादि सवे्ोकश्थितिः wat ॥०८॥ साच दुष्टा म विश्वा यतोऽपेच्छ Juez | उपमाद्वारतः सवां बोधाय शषा निवेदिता ॥७९॥ थतः ॥ प्रत्यच्ामुभवास्िद्ध युक्रितो यन्न cafe | सत्कश्पितोपमानं तस्िद्धाग्तेऽप्यपलभ्यते ॥८ °॥ तथाहि थयावश्यके ॥ खां सुद्‌ मगरेलस्छ पुष्कशावश्नकस्य च । Wel सर्पा कोपाद्या नागदन्लकयानके ॥८१॥ तथा ॥ पिष्डेषणायां मसेन कथितं निजचेितम्‌ | उन्सराष्ययनेग्येवं संदिष्टं TATA: FER अतस्तदनुसारेण wa थदमिधाश्ते | श्रन्रापि ufwan तदिश्रेयञ्ुपमा यतः wo Ru तदेतदन्तराङ्गायाः WAT प्रतिपादितम्‌ | afecyaurarg शरोरमिदमुश्यते ॥८४॥ पूवं विदेहे wat: सुकच्छवि जयप्रभुः | Vagal षद्ुद्धतश्वक्रवण्यगु सुन्दरः ॥८५॥ 2 q e डप मितिमवप्रपश्चा कथा | श च quam निनदेग्रदिद्च्या । विभिगेतो विशादेन प्राप्तः शंखपुरोऽन्यदा ॥८ en तज चिश्लरणोद्ामे मनोनन्दमनामके | GR समन्भद्राश्याः सूरयो भवने fear: ween अयच ABATE महाभद्रा waft | तथा Qwiear ara राजपुत्रौ सुभुर्धिका ॥८८॥ तथान्यः पौष्डरोकाखः समोपे राजदारकः | WGA तदा शंस पुष्कला ॥८९॥ ततस tt हतश्धरिमहापापं दृहा तं शक्रव्तिनम्‌ | ज्ञानाश्लोकेन ते घोराः शूरयः प्रारोद्श्म्‌ ॥९.०॥ चस्य Rey शोके शरूयते नोयतेऽधना । संसारिजोवमामायं तखकरो वध्यधामनि ne ९॥ UIQ: Fat महाभद्रा यचिन्रयत्‌ । कञचचिश्नरकगाम्देब जोवो योऽव सूरिभिः ve en ततः सा कड्णटोपेता meals aaa | ACN GNA नामं तख गोचरम्‌ ie ah ततो fara sera तख्छराकारधारकः | wert वे करियखब्यासौ तवा साङ्धे VATA: ॥९ ४॥ ततः शा राजपुचो तं पप्रच्छ विहितादरम्‌। अगरेवचौषेटनला मं सोऽपुकसतेन CTT Le प्रथमः पचावः | १९ भवप्रपश्चमात्मोधं लखा गोधतिधिष्वधा | उपमाद्ागजः प्राह AT संवेगकारणम्‌ He ६॥ शला च तं प्रबङोऽबौ लघकमतया थम्‌ । ौण्डरोकः wets प्रसंगञ्रवणादपि heel सा पुनः कथिेऽण्चः प्रालोगमशदटोषतः। शरवुष्यमाना तेनेव श्यो we: प्रचोदिता ne ८॥ अरय ww साप्यं प्रबद्धा विदहतं ततः । स्वेरोवात्मनः we गतानि च भ्िवाशधम्‌ eet कथाशरोरमेकश्च धारणोयं खमा । प्रस्तावे चाष्टमे घ्रवेमिदं ग्यक्रोभ विषति ॥१००॥ एवं faa ॥ यतः सवंन्ञसिद्धान्तवचनाग्धत्ागरात्‌ | निग्यन्द विन्ूगतेकमाृष्टा प्ररमायेतः ॥१॥ ततो THATS: HAE माप्तमहंति । कालक्ट विषं गेव युश्छतेऽब्धत विन्हुना ५२॥ wat दु्ेनवगंस्य Ay दोषविशारणम्‌ | कियते पापकारिष्ा पापानां awerereny nee स्ठतोऽपि दुजनः काश्ये दोषमेव warez | निन्दितस्छ विगेषे धक्रातोऽस्यावधोरणा ॥४॥ अथवा ॥ निन्दायामात्मदौकैन्यं शवेऽयनृतभाषणम्‌ | HAIG ततो GATTI ॥६॥ Xe उपमितिमवप्रपल्ा कया | ततोऽस्याखघुकर्माणः चौरनोरधिषंनिभाः | MACHA भव्याः TAT: अवण्णो चिताः ॥ ६॥ तेषामपि a aver मिन्दा नापि प्रश्नम्‌ | मौनमेव परं RAIS इना कारम्‌ Won तज्िन्दाया महापापमनन्न्यण शाखिनाम्‌ | खवोऽपि दुष्करस्तेां मादु ेजेडबुद्धिभिः ॥८॥ किच ॥ gat अपिते काये wafer GaAs | दोषामाच्छादयन्येव vee: खा महात्मनाम्‌ ॥९॥ अतस्तेषां Waare केवसं ते महाधियः | अभ्यर्यनोयथाः अवह तेनेदममिधोयते ue on भो भव्याः gaara क्ण दला निबोधत | we मद सुरोधेम IAT मया चणम्‌ He ei अनन्त जनसंपूषमस्ति शोके सनातनम्‌ | अदृष्टमूशपयेन्तं नाम किचिक्महापुरम्‌ ॥१२॥ तच्च कीदृशम्‌ ॥ अन्नो कू ङ्गमनोहा रिसौ धपद्धतिसंङ्धशम्‌ । अलभमूशपरथन्तं इमागं विराजितम्‌ ॥१ २॥ अपारेभरिविस्तारर्नानापश्चेः प्रपूरितम्‌ | प्यानां मृष्यण्डताभिरा कोशे रत्रकोरिभिः ॥१४॥ विदिषचिजविन्यासेर्ध्ाजते देवमन्दिरेः । चआचिप्तवाखददयेनि्शोहतलो यमेः ne we प्रथमः पररखतावः। वाचालमाशसंघातेशंसत्कशकणशाङुशम्‌ । अरटष्यतुङ्गप्राकारवस्लयेन विवे ्टितम्‌ ue eu अरलग्धमध्यगम्भौरं वेदिकाजखदुगमम्‌ | विलखसन्लोखकल्लोलेः खरो भिः रत विख्यम्‌ ॥ १ on चोरान्धकूपषंघातेः myet जासहेतुभिः | समंतादुषग्‌ढं च पराकाराभ्वणवन्तिभिः ॥१८॥ भमदभमरज्चरकारतारषगौतदचन्दरैः । भानापुष्यफलाकोेभाति चामर काननैः ॥१९॥ अने काञ्ेग यिष्ठं तश्चमत्‌कारकारणम्‌ | अदृष्टमूलपयेकमो दशं डि महापुरम्‌ ॥२०॥ तजर निष्यण्छको नाम कञ्चिद्रक्डो महोदरः) निष्टवन्धदुुद्धिरथेपौरषवजितः ie th चुधाकामतरु्भिंशामादाय घटक्ेरम्‌ | प्ंटत्यनिश्रं zit मिन्धमानो Ve गहे ॥२९॥ अनाथो दमिश्यनषृष्टपाशचंचिकः परम्‌ । धूलो धमर वर्वाङ्गचो रिकाजाखमाशितः ॥९२॥ दुहाकडिम्भसंषतेसताडयमामः चे खे | afeg टिमिदाशोष्टप्रहारोजंजेरोषतः est सर्वाङ्गो कमहाचाततापाशुगतचेतन्‌ः । हा मातख्ञायतामित्यं देन्यविक्रो र विज्ञवः we ue Vlas: श्वरः Fl Tara: शलपोडितः | fawa: शवेरोमाणां बेदनाबेगविकलः oe ६॥ AR १४ छपमितिमवप्रपश्चा कथया | शौतोष्णादं ्रमश्रकचत्पिपासादुपद्रवैः | बाध्यमानो महाघोरनारकोपमबेटनः We ON wored wat दृष्टो wear समानिनाम्‌ | बालानां क्ोडनावासो FST: पापकमेकाम्‌ ॥ ९८ अन्येऽपि बहवः afin Cire महापुरे । केवलं ताङ्शः प्रायो नास्ति निर्भाग्बगरे्रः geen तस तच्छ ze we भिशामित्यादि चिन्मयम्‌ । ध्यानमा पूरथम्‌ रौद्रं विकण्पा्लमानखः ॥२०॥ a विचिन्ञेव waa केवलं परिताम्बति | कदने गमा तु राग्धवत्माण तुष्यति ॥२१॥ अवन्या HSH मुश्चानसत्‌कदशनकम्‌ | शक्रादपि विभेतयु्रथमेतर्गरग्यति ne eh ठशिरेनापि Aare sya age परम्‌ । लोयत्पोडयल्येनं शला वातविदचिकाम्‌ ॥२ ९१ अन्यच्च स्वेरोगाणां निदानं तदु दाइतम्‌ | तदेव पूरवेरोगाणशमभिहृद्धिकरः परम्‌ We 88 ख च aaa खार्‌ वराकोनान्यदोशते | सुखादुभोजनाद्छयदो न BTS गोचरः VWs खचचावचेषु Fey भानाकाराद् वौचिष । बङशरख्त्पुर तेल भान्तन्भागाचेतला ॥ २ ६॥ एवं TESTS महापापरतात्ममः | म न्वाचते कियान्‌ काशो cue afte: ye en प्रथमः प्रखादः | श्रथ तज धुरे राना सुखितो माम fra: | CAVITY भावाद तिवत्छशः ॥ २८५ RAMA THE: सपा्तसतस् मन्दिरम्‌ । खकमेविवरो भाम AWTS इारपाशकः ॥३९॥ ख इारपाशस्तं रोर इद्धातिकडणस्पमदम्‌ | MATa छृपाखलाद पूवे राग्यमन्दिरम्‌ ॥४ °॥ तच्च SEIT ॥ रन्नराथिप्रभाज्वाखेस्तमोबाधाविवजिंतम्‌ | रथनागुषुराुत्यग्धवकारावञचन्दरम्‌ ॥ ४ ९॥ देवपडंश्को ल्ोखलोखमो किकमालिकम्‌ | TUT ATT eT RAMA ETH ॥४२॥ विचिजभक्किविन्यासेगे न्धो डुर वेकः | WAG प्राङ्गणं are: कलाज्िकुखगोतिभिः ॥४ en fadunfaaca कदंमोङतभभिकम्‌ | प्रदटसत्नसंदो इवादितानन्दमरं लम्‌ ॥४ ४॥ SHASTA AWA खतश्रचुमिः । बहिःप्रशान्भव्यापारे रानदन्देरभिहठितम्‌ ॥४५॥ वाखात्‌गतज गचषेः प्रञ्चायश्चातवेरिकेः | want तिशास्लचमेन्लिभिः परिपूरितम्‌ ns en पुरः परेतभन्तांर Ssfrahey Taye । ग चभ्बनि महायोधस्ठेरदशोरनिवेगितम्‌ ॥ ४ ०॥ Re १९ उप्मितिभवप्रपश्चा कथा | कोटौकोरैः पुराणां चे पालयन्ति निराङ्लाः | यामकरानसंण्थांख व्याप्तं ताङुग्‌ निथुक्ककेः ॥ ४ ८॥ येऽत्यन्तवल्छल्ला wets विक्रमश्राछिनः | आकण तादृगेरन्तः इरिभिलखव्मिंकेः wee प्रमन्तप्रमदाणोकमिवारणएपरायणेः। निद विषधासगे राजते ख्विराजनेः ॥५ ०॥ अनेकभरषंघातेराकौणे तत्छमंततः | शसदिखासिनो वारे निजितामरधामकम्‌ wy १॥ कलकष्ठेः प्रथो गन्नर्गाध द्भिर्गाथनेः परेः | बौणाबेणरवोन्िञनेः ज्रोजानन्दविधायकम्‌ ॥५९॥ विचिजरविषविन्यासेचिन्ताेपविधाथिभिः। बटूपेरतिसौन्दयाज्िखलोकतलोषगम्‌ TEL ARCAACHITATMN AGT: | अतिगन्धोडरेदरेयेत्राणमो दनकारणम्‌ ॥१.४॥ कोमलां CATA ATTA RN AT: | NIG दिता गेषतद्योग्यजनटेन्दकम्‌ ६१ ६॥ aan तिखमुत्यादकारणे THEA: । सखस्छो भता खिप्रा फिसंणातं भोजने: परेः ॥५ ९॥ शमस्तेम्दियनिर्वाणकारणं वोच तत्वतः | ख रक्ङ्चिन्तयत्येवं किमेतदिति विख्ितः veer शोग्प्रादलान्ञ जानाति विशेषं ave तत्वतः | तथापि इदथाकूते स्फुरितं खन्धे ॥५८॥ प्रथमः WETS: | १५ यदिदं guard राजभवनं खततोत्छवम्‌ | दारपाश्प्रषादेन न मया TIARA ॥ ६ ९॥ we fe वङ्गः yaae eft परिथमम्‌। इारपाचर्महापापेः प्राप्तः Tat Tet: we ०॥ aaj frquatsaifa wid देवदुखंभम्‌ ।. म दृष्टं प्राग्‌ न चोपाथो दभेनाथे मवा ङतः ॥१९॥ कदाचिन्व मे ya भोहोपरतचेतखः | जिश्चाखामाजमप्यासौत्‌ Rigs राजमण्दिरम्‌ ॥९२॥ निर्भाग्यस्यापि शपथा fewrgrefauran | अवं मे परमो बन्धुथनेदं दर्शितं मम ne en एते धन्यतमा शोकाः शवंदन्दविवनिताः | अदष्टचित्ता मोदने सततं येऽज मन्दिरे we vi uray चिन्तयत्येवं द्रमको लभचेतभः | तावद्चन्तज dae तदिरानों निबोधत ॥१६॥ प्रा्ादशिखरे रम्ये ana मिकातसओे । AWTS SMITA: ख राजा परमेश्वरः ॥ १ १॥ WITTE TY मानाग्यापारमश्चषा | नगरः खततानन्द्‌ कमन्तादवलोकयन्‌ 1g OF म किञ्चिश्नगरे ay वदिख्च खश्‌ वक्ते | वसु यन्न भवेहष्टेगौ चरस्य पश्यतः ॥९८॥ अतः प्रविष्टं तं रोर माढबोभनत्छदशरंनम्‌ | महारोगभराक्नान्तं fret कदणाख्यदम्‌ ॥१९॥ 8 दख खछपमिदिभवप्रपस्चा कथा | कारष्यादिव राजेष्ः घ महात्मामलेखणः | खदु द्िटष्टिपातेन प्रूतपायमिवाकरोत्‌ weet धमेवोधकरो नाम AEM RT: । ख use तां तज पतन्तो निरवणंयत्‌ ॥०१॥ अथासौ चिन्तयत्येव तदा साकूतमालघः | किमेतदह्रुतं नाम सांप्रतं get मथा woe aa दृष्टं विग्रेषेण ददाति परमेश्वरः | au जिुवनस््ापि स राजा जायते नरः WER अयं तु द्रमको दोनो शोगयस्तशरौरकः | अलौ भाजनं At अगद देगकारणम्‌ ॥७ ४॥ आरशोश्यमानोऽपि कथं पौर्वापर्धंए यच्यते । तदस्योपरि . पातोऽयं श. दृष्टेः पारमेश्वरः re wit SB न्ातमेष wry हेतुरस्य facie | सखकमेविवरोएा च. यस्मादेष प्रवेशितः ॥७९६॥ व्लकमेविवरखायं नापरोकितकारकरः | तेनायं राजराजेन wager विख्ो कितः een अन्यश्च पच्पातोऽअ wat यस्य. जायते | परमेश्वरपादानां 9 प्रियतर प्रपद्यते nec. अयं च नेरोगेण नितरां परिपौडितः | एतदिदृखयाव्यथेडुग्मिषत्येव शो चने woe दशरंनादस्य ससा गाढनौ भत्छद्‌ शेनम्‌ | प्रमोदाददमं मन्ये SUA TMNT ॥८०॥ | प्रथमः Wea: | रोमाद्चयति चाङ्गानि पलो धरसरितान्ययम्‌ AMSAT जातोऽस्य भवने तेन stead ॥८१॥ तदयं दमकाकार विंभ्राणोऽप्यधुना स्फुटम्‌ | Terenas aga प्रतिप्छते ic २॥ इत्याकलय्य तस्यासौ REUTATT ऽभवत्‌ । बत्य wegen शोके यया राजा तचा प्रजाः ॥८३॥ अथाद्रवभाशूषे तख मृश्मुपागमत्‌ | Wate दौयते तुम्वमित्थेवं तमवोचत we sii कदयेना्चंमाथाताः TTT: सुदार्णाः | दुर्दान्तडिन्भा खे तख दृहा तं ते पलायिताः ॥ ८ ५॥ fawrecifea देशे ea भोला प्रयन्नरतः। ` धर्मबोधकरख्तस्मो रामाय जममादि रत्‌ we en अयासि ager नाम दुहिता तस्य खन्दरा । ` शा aera संथमेषय समुत्थिता ॥२०॥ धमख्तगदनिर्णाशि awreagferaen | खगन्थि gre fend रेवेरष्यतिदुशंभम्‌ ॥८८॥ महाकञ्ाणएकं नाम परमां मगो हरम्‌ | खा तदादाय वेगेन तब्छमोपसुपागता ॥८९॥ ry नौवमागोऽखौ इमकः पयैचिन्तयत्‌ | AMAA: WHITHWATTA: ॥< ०॥ यदयं मां warea gent भयति खयम्‌ | भिका fae नेवेतत्‌ get मम भाषते He १९ Ye उप मिविमषपपष्चा wet | भिच्वायाः पूरितप्रायभिदं हि घटकथंरम्‌ | ada fart गोवा गुगसुदालयिख्धति ne ९४ तत्‌ कि नश्लामि खषा भव्याम्युपविश्छ वा । ग कायै भिकयेत्युक्का थदा गच्छामि सबरम्‌ ॥९ Oe इत्थनेकविकण्येख्च भयं तस्य fas | तदशान्नेव AAA BTW यातः क च स्थितः Ae BN MST MATa sala fern | रौद्रष्यानं समापूथं मोखिते तेन खोशने wea समरेदख्ियट्न्तोनां ग्यापारोपरतेः werz | भासौ Grea किंचित्‌ काष्टवजष्टचेतनः ve १४ ग्हाण्टेति च wey योग्यः वमाङ्ुलाम्‌ | ततोऽसौ TARTS न जानात्येव कन्यकाम्‌ ॥९ ON खवेरोगकरं तच्छं acd ग भविग्यति | इति ध्यानेन गात्मा at सधां गावबुध्यते ne oe प्रत्यक तमसंभाग्ये Tare They विखितः | ख तदा fered महानसखनियुक्कः ne ९॥ किमेष इ मकार दौयमानमपि स्फुटम्‌ | परमान न ररज्ञाति दरात्धपि च गोन्तरम्‌ Wee of विद्रार्वदगोऽच्यनतं निमोखितविल्ोचनः | CAVA GHA: काटटकौखवत्‌ ॥१॥ तदथं मोचितो मन्ये TCT पापभाक्‌ । यद्वा AS वराकसख्छ दोषोऽयसुपलभ्यते ey प्रथमः प्रस्राव, | अयं डि रोगजाशेन बहिरन्तख afer: | बेदनाविद्कशो मन्ये न fe आनाति किंन ney अनन्यया RIAA REACT: | अन्डताख्ादमप्येव न wzelaTesara: ॥ ४॥ aca निगेदो wat केनोपायेन जायते | आ wei विद्यते चार मम तर भेषजजयम्‌ ॥१॥ यन्तावदिमलाखलोकं माम मे warez | समस्नेजरोगाणां तदपाकरणचमम्‌ ॥१॥ खच्छब्यवदहितातोतभा विभाव विशो कमे । परमं कारणं मन्ये प्रयक्तं तङिधानगतः HoH AMAR माम यच्च MUSH परम्‌ । विद्यते मम तत्छवैरोगतानवकारण्म्‌ ॥८॥ विशेवात्पुनर्काद सदनं तदुदाइतम्‌ | दृढं च पदुदष्टिवे कारणं वणितं बुधैः nes महाकखाणकं नाम यच्ेतदुपडौ कितम्‌ । परमाश्ञमिदं Waa निमूखनच्चमम्‌ ॥१ ०॥ rasa विधिना वणं पुष्टं तिं wea । HUTT A TEAR खतोयेताम्‌ ॥१९॥ तथालरामरत च HAlSaAG संशयः | नातः परतरं मन्ये लोकेऽपि परमोषधम्‌ ॥१९॥ तदेनमञुना सम्यक्‌ कऋषशापि तपस्विनम्‌ | aifipat मोचयामोति fra तेनावधारितम्‌ ॥१३॥ Re: RR उपमितिमवाप्रपश्चा कथा | ततः werararate विन्यश्वाये तदश्जनम्‌ | तस्य धूनयतो Darafsa तेन लोचने ie ve प्रह्ादकलवाच्छोतलादचिक्धगु योगतः । तदनन्तरमेवाख् चेतना पुनरागता ॥१ ५॥ अवाद खो खितं चचरविंगष्टा इव तर्गदाः | मनागाद्धादितञिन्ते किमेतदिति मन्ते we en तथापि «aaa मिखारखणल चण्डम्‌ | पूर्वानेधवश्राञचैव wane fara ॥ १-७॥ विजनं वर्ते wa arent efeare | गद्ुकामो दिगन्तेषु दृष्टिं WH पुनः पुगः ॥१८॥ अया श्जनवशाहदा पुरः संजातचेतनम्‌ | तं रोर मधुरेर्वाष्येधंमंबोधकरोऽ्रवोत्‌ ॥१९॥ faregea भद्र तापोपश्मकारष्षम्‌ | चेन ते Baa सभ्यक्‌ शरौरस्लोपजायते ॥२०॥ ख तु शंकाङ्ुलाकूतः किमनेन भविव्यति। न जान इति मूढात्मा नोदक पात॒मिष्छति ne en हृपापरोतविन्लेन दितला्दनिच्छतः | बलाटिडत्य वदनं सखि ae गाल्ितम्‌ ॥२२॥ aware चिक्ाहवादकर परम्‌ | नोर मोरितशवापं Tat Wa इवाभवत्‌ we vi MASATAAN TST जातान्दगदतानवः | चच्याद्धिनतदाहा ज्ििष्लतोऽषौ sage ॥९४॥ TTA: VATA | सप्रसनेन्दिथपामः खष्येगेवाम्तरात्मना । खओऽचिमाथदिदं चिन्त किविदिमलचेतनः ne vn महामोहषतेनाहो नरोऽयमतिवस्षशः | मया महात्मा पापेन Tena Tila: ॥९ gt ममाश्जनप्रयोगेण विदहितापदुहृष्टिता | अनेन तोयपानेन जनिता खस्ता परा ॥२०॥ ARMANI ति featured मया | महानुभावतां FH AWAITS प्रवन्तेकम्‌ ne cy एवं चिन्तयतोऽप्यस्य मूच्छ तज कद शके | माढं भावितचिग्सलाख कथं चिजिवन्तेते ॥९८४ अथ तद्भोजमे दुष्टं पातयन्तं सुञजसुञजः | विदिला बदनिप्राथमितरसमभाषत ॥ 2 ०॥ रे द्रमक ThE किमिदं नावबुध्यसे । SAT कन्यका Mee TAH प्रयच्छति we ce भवन्ति रोराः प्राये बरहवोऽन्येऽपि पापिनः । awa नास्ति निर्भाग्यो मयेतत्परिगिचधितम्‌ ween qe कदशलान्पय्याद्ुधाकारमिदं मया | दाणमान. म Uris परमान्नमनाकुलः We sh WAIT वाद्याः कस्वासिष्टन्ति दुःखिताः । तेष भगेवादरोऽस्माकं ग ते राज्चावशोकिताः ne git Urey भवनं Te मनागाण्हादितो इदि । तवोपरि नरेश दथातोऽस्तोति गम्बते ve ws RQ Re छपभमितिभवप्रपसता कथया | faa प्रियं सदा gu: खामिनः सेवका इसि | थो न्यायलद्विधानायं वयं afl दयाखवः we ge अमूढशश्छो राजायं नापाजे करते मतिम्‌ | अवष्टम्भः किलास्माकं ख तथा वितयोरतः tie con ददं हि मधराखादं खवग्याधिनिबरेणम्‌ । भादत्से खं कयं AS कदे TAG: ॥१८॥ अतस्छजेदं Tag ग्टहाणेदं विशेषतः | यत्मभावादिमे प्छ मोदन्ते सद्मजन्तवः He ततः संजातविश्वासस्तथाविभूंतनिशंयः | त्यागववनारौनसं प्रतोदमवोचत ॥४०॥ यदेतद्गदितं aaa मम भासते । fa तु विन्नापयाम्येकं वचनं तज्िवोधत ॥४१॥ यदिदं भोजनं माय aH कपेरोदरे । प्रारेभ्योऽपि विज्ञे सखभावादतिवक्लभम्‌ ॥४२॥ उपार्जितं सः ana काले निर्वाहकं तथा । ददं तु तावकं माह जानामि नम कौदृशम्‌ As Ue तदिदं नैव मोक्रव्यं मया wifey ade । दि देयं खदानेन दापय Gator ॥४ ee इतरस्तु तदाकष्टे मनसा Tawra | पम्ताचिन्धसामष्ये AUT ॥४ ५॥ यदयं ZAR मोहात्छवेव्याधिकरे रतः | असिम्‌ कद खक मेतन्ताय मम मन्यते ॥ ४ ९॥ प्रचमः परावः | तथापि fataretsts च्रिखयामि तपस्जिनम्‌ | थदि मोहो विन्लौयेत anes दितशुलमम्‌ ॥ ४ ee Cerna ante भद्र fa aerate । wifufarnat: af रोगास्तव ws ॥४ te एतदि भङ्ितं स्वैः स्वदोषपको पनम्‌ | आयते नितरां तेन ere शद्धवुद्धिभिः ॥४९॥ तवापि भासते भद्र विपर्यासारिदं इटि | अदि Wis quafg मामकान तत्वतः Hos ATS AAAS AVIA । को maraaarery विषमापातु मिच्छति 04 ek TVG माहाक्य सखिच्लस्य च । किम ye wer येन मदो गागुतिष्टि neuen यश्चोक्रम्जितं aurfed सुध्वामि at am: | तथापि sent सौन्व ate दिला ware nies येनेवोपार्जितं Gy Swed च वेते । Gwe च yates aqua ११४५ ` UVa न त्यजामोदं काचे fatwa धतः । तजाप्याकष्छेतां arava तच किपयेयम्‌ ५५५६ अभन्तदुः SRT TE यद्यपि | एतद्धि किं war Wel दु ःखलसोन सवेरा ॥६४.९॥ इदं तु तावकं नाहं नामि मम Blew | SEN तन fama वच्छमाकं लक्षा TS Fy 4 RU उपमि तिभवप्रपश्चा कथा | ay विना सदाकालं प्रयश्छामि यथेच्छया | परमान्नमिदं तुभ्य ग्टहाण त्मनाक्णः WY TH समूलकाषं क्रति सवेव्याधोनिद fe ते) afe पुष्टिं बलं वं वौर्यादौन्‌ वद्धेयत्यपि nen किं वानेनाख्यो शला सततानन्दपूरितः | ANITA. राजेन्द्रः स्थास्यस्येतद्रला'्तया ॥६ ०॥ ततो सुश्चाग्रह VX Was रोगकारणम्‌ | ग्हाखेदं महानन्दकारणं पर मो षधम्‌ ॥९१॥ ख प्राह त्यक्रमाजेऽस्मिम्‌ fase खेहविभ्रमात्‌ | भहारक ततो देहि स्यस्मिग्मे सरभेषजम्‌ eg २॥ ततो fauna निबेन्धमितरः पथकल्ययत्‌ | भेवास्य `शिणोपायो विद्यते ऽन्योऽधना स्फटम्‌ ng att ततोऽज विद्यमानेऽपि दौयतामिदमौषधम्‌ | पञादिन्नातसद्भावः खयमेव विहाख्ति ud ४॥ इत्याकलय्य तेनोक्रो ग्हयतां भद्र बप्रतम्‌ | परमाश्नमिदं सच्चो ग्टहोतला चोपयव्यताम्‌ ne ul एवं भवतु तेनोक्ते संज्ञिता तेन तद्या । | qu तथाः wear तत्तेन ava भरितम्‌ een ततस्तदुपयोगेन Tyer. Ufa । ` मष्टा इव TATA Be सर्वाङ्गसंभवाः ॥ १ CH धासावद्जनखपाश्चा धा च सा सखिखोद्धवा | सुखासिका, Tare सानन्तगणतां गता ne sh ¦ : प्रथमः aay Re ४. = अथ UIgHag fers: प्रमोदितः ख तं प्रत्याह नान्योऽस्ति नायो मे भवतो विना ngew यतोऽनुपतेरव भवद्धिर्भाग्यवजिंतः | अह सर्वाधमोऽ्वमेतावदनुकंपितः NO of इतरः प्राह यद्येवमु पविभ्य चण त्वया | | श्रूयतां यदह वद्धि BAT तञ्च समाचर Work अरयो पविष्ट fare aferg प्राह दार्मिः। ` मनः प्रह्काद यस्तस्य वशोभिहितकाम्यया wean ` यद्ग्वधायि भवता मायोऽन्यों नालि मेऽधना { तज्ञ वाच्यं यतः Tal तव वर्यौ नृपोत्तमः woen ` अयं हि भगवान्नाथो भवनेऽपि चराचरे । ` `: विशेषतः पुनर्थेऽन भवने सन्तिं जन्तवः Ho gH येऽस्य किकरतां यान्ति गराः क्द्याणभागिन्‌; । ` ;. | तेषामच्येन कालेन भुवनं किंकरायते ॥७५॥ .“ येऽत्धन्तपापिनः सत्वा यनेव सुखभाजमम्‌ | ते वराका नरेग्रस्य AMAT न जानते ॥७६॥ |i ये भाविभद्रा geal ease महात्मनः । ` ` . : तेषां खकमेविवरो द दात्य प्रबेश्कम्‌ WOoH . £ aga: प्रतिपद्यन्ते तेऽमुं नाद्य संश्रयः † ~ ,.* वित्रेषाण्वानते मुग्धाः vara कथितं मया pour “« तदेष MUA भद्र जात एव नरेश्वरः । ` ` - ˆ यतः प्रति. पर्छेऽख्िरन प्विष्टस्वं, सुपुष्यतः. Neen 7 ae खपमिलिमवप्रपच्ा Gut | aad तु faite मदवसाः प्रपद्यताम्‌ | SAAT नायो भवता WHEAT ॥८०॥ विशेषतः Grace शुणस्तागवभो च्छसे | चथा चथा गदा TS थाख्छज्ति तव तानवम्‌ ॥८९॥ wa च तानवोपायोऽमोषां ATH च कारणम्‌ | भेवजजितवश्याख्छ परिभोगः wa we ॥८२॥ males ओोधतामज भवने सुक्रसंश्थम्‌ | त्वया चयमिदं yur सुष्छानेन प्रतिचष्षम्‌ ac att are दजितागेवरोगत्रातो नरेश्वरम्‌ | विगरेवतः warts भवितासि sata: ॥८४॥ xe च तहया तुभ्यं दाखूछत्येलदिमे दिने | किम बनोक्ेन भोक्थ्यं भेवजच्रयम्‌ ॥८५॥ ततः प्राह्धादितः GI sete कोमसैः | THATS ख एवं TART ॥८६॥ ददं नाद्यापि शक्रोमि WIR कनकम्‌ । अन्यत्त चन्या किंचित्‌ ave तत्समादि श्र ॥= of तच्छरला alts चित्ते धामेवोधकरे सद्‌ । शुच्ेदं चयमित्युक्षः किमेवं बत भाषते ॥८८॥ ar ज्ञातमेव तुष्छत्वारेवं चिन्नयते इटि । भोजनत्थाजनाच मे aaisd विस्तरो भिराम्‌ ॥८९॥ किष्टचिषनो amet मन्वते दुष्टमानसम्‌ | Wyifadua: et wafer विजानते ॥९ ot TUT: प्रखादः | ततो fawe तेनोक्त मामो fare । नाधना त्याजखामौदमन्नमेधि निराङ्खः ve १॥ अहमत्याजयं पूवे तवेव हितकाम्यया | यदि at रोचते aed तुष्लोभावोऽब मे मतः ॥९२॥ यचचेतद्पदिष्टे ते प्राक्कन्तेव्यतथा मया । तद्ज भवता किंचित्‌ किं सम्बगवधारितम्‌ ne el सोऽ्रवोजेव nara fafedefed मथा | Bae पेश्रलाकापेस्तावकेम दितो इदि ue ve अश्चातपरमार्थापि सतां नुनं wear | चेतोऽतिखुन्दरलयेन प्रो कथयत्येव देहिनाम्‌ wwe श्न्य् चेतसो WY नयने तव संसुखे | विशत्येकेन कर्णेन वचो थातौतरख मे ie ९॥ चद्चाच मनसो गाय वेधं मम कारणम्‌ । तर्ाप्रत भयापायात्‌ कथयामि निराङखः ie eg चदा श्ाकारितः पै भवद्भिः करुषापरैः | अहमन्मदाना्थे तदा मे इदि वर्ते ॥८ ८॥ wree wfeeter नामक भोजनं भरः | तदाक्ूतवग्राडाडं WATT VAT गतः ॥९ <॥ चदा प्रगोधितः TESA Gee: । भवद्धिखिन्तितं दषे नश्धामोति तदा मया ee ok चटा तु तोयपानेन water वपुर्मम । कतं सभाषणं area किश्रंभमागतः ॥१॥ उपमिंतिभवप्पश्चा कथा | चिन्तितं च मया योऽयं ममेवमुपकारकः | स ACTA: कथं स्यादलहारकः ॥ २४ fagad गहाणेदं यदा art: प्रजण्पितम्‌ | तदा fa करवाणोति fedargeat गतः en नेष तावत्छयं लाति त्धाजयत्येव केवलम्‌ | am नेतं शक्रोमि किं वदामि aaa ॥४॥ सत्यस्मिन्‌ देहि मे भोच्यमिन्युक्र दापितं बया । तदाखादात्पुन श्वतं ममायमतिवल्छल्ः wt तत्‌ किमस्य वचः कुवन्‌ सुश्चामोदं खभोजनम्‌ | aire न तु gusta मृच्छेयाकुलसेतनः Wg श्रयं वक्रि हि ततेन wate न मोचने | अहो व्यसनमापन्न ममेदमतिदुसंरम्‌ ॥७॥ एवमाङ्खुलचिन्तस्य यन्नाथेबहभा षितम्‌ | तन्मे खतघटस्येव शुटित्वा पाश्चतो गतम्‌ ॥८॥ नाधेना त्याजयामोति भवद्धिन्नातमानसेः | Tar Gates मनाग्‌ च्चातो निराकुलः wet तद्‌ aa सप्तं भायाः कन्ते्यं पापकमेणा । यज्प्रयेद्‌ श चिन्तन येनाहमवधारये th? © Ui AIH TATA. यदुक्त प्राक्‌ BATA: | अविस्तरतरं तसे तत्पुनः प्रतिपादितम्‌ ue tt ततोऽश्जमजलान्ञानां atx विश्वतः | प्रायोऽज्ञातगुणं ज्ञाला तं प्रतोदमभाषत ॥१२॥ ` पथमः Wea: | अहं तात ARG प्रागादिष्टो यथा त्या | यो ग्येभ्य एव za मटोयं भेषजचयम्‌ ॥१ ah अयोग्यदन्नं नेवेतद्‌ पकार THT | प्रयतानयेखं तानं विदधाति विश्रेषतः ॥९४॥ मया ve तदा भाय कथ ज्ञास्यामि तानहम्‌ | ततः प्व्युक्रवान्‌ राजा तेषामास्यामि लक्षणम्‌ ॥ ९ ५॥ थे तावदस्य areata रोगिणि योग्यतां गताः | खकमेविवरस्तेषां न ग्टदेऽच प्रवेशकः ॥९६॥ सोऽप्यादिष्टो मया ya ये योग्या danse | प्वेशनौयासे मान्ये भवमेऽज त्या ATT. eon परविष्टा श्रपिते दृष्टा मोदन्ते मैव मदग्टहम्‌ । तेषां a मामिका दृष्टिविगरेषेण factfear ue cn ते इन्यदारपालेन स्यः कथं चि्प्रवेशिताः । व्यापि जिक्रतो ज्ञाता aster: प्रयन्नतः nee ये मग्मन्दिरिमालोक्ध जायन्ते Weta: | रोगि्णो भाविभद्रत्वाज्निरोखेऽहं विशेषतः ne ot सखकमेविवरागोता ये मया च faatfaar: | ते च्रेयास्तितयस्याख पाचश्छतास्खथा नराः ॥२१॥ तेषां तु निकषस्थानमिद मेवोषधचयम्‌ | TAT WAL: संग्रहेतर कारकम्‌ ॥९९॥ येभ्योऽटो रोचते fet was गणकारकम्‌ | sane . विशेषेण ते सुसाध्याः wali ar: ne an RR खपमितिमबप्रपश्ा कथा | a नादितः प्रपद्यन्ते बलादेषां fared | RAIS ते नेयाः रच्छरसाध्यास्लयामुगाः ee si Sat न रोचतेऽत्यथे भ क्रामति नियोजितम्‌ | ZB दायकषेऽप्यस्य ते त्साध्या गराधमाः we un तरेतद्राजराणेन मम यक्छप्रदायितम्‌ | तेन ते wear जखणेन विभाव्यते we ६॥ अन्यश्च ये प्रपद्यन्ते भवतोऽमुं AUT | uraenta विशेषेण नायं निःशंकमानसाः #₹७॥ अचिगधवो येखपूर्णा निःरेवगदबरदिणौ | तेषामेव मकं we मरोया भेषजक्रिवा ॥९८॥ अतस्त्वं प्रतिपद्यख नायलेन मुपोत्तमम्‌ । भावषार महात्मानो भक्रियाद्या यतः सताः ॥२९॥ अनन्तास्तात रोगानां भक्तितोऽखुं नुपोन्तमम्‌ | प्रपद्य खामिभायेन wer जाता, शतश्रिथाः ॥२ ot बलशिमस्तावका रोगा Taw was मनः | महायन्नं विना नाच wed गदसचथः ॥ २ ९॥ AAG प्रयतो ला wat खं faqe मनः | fear निराङ्कखोऽचेव वितते राजमन्दिरे een आदाय कन्यकादस्तात्मयुच्लानः खणे Te | भेषजबरयमेतन्वं HCA CAAT ॥ २ Bh ततस्तथेति भवेम zeta सेन ace: | तेनापि agar ae विहिता परिषारिका ween OTH: Tera: | ततः रलेकरैश्ेम भिचापाजमनारतम्‌ | तदेव पालयन्‌ कालं कियन्तमपि स fea: ve wt ददाति तद्या aa जितयं तददर्निंशम्‌ | कदन्ने मूच्छितस्याख्य केवलं तज नादरः ne en प्रायेण बड़ YR water कुभोजनम्‌ । AIAG दयादभ्तं तदूत्रजल्युपदं शताम्‌ ॥ 2 Of we च तया wom fire नेजयोः कचित्‌ । तश्च MUSH पातु तदचस्तः RAMA ॥ ३ cil महाकश्याणकं दन्तं GRU तया बड । Yars रेखया शेषं get निदधाति खः ween तन्छांनिध्यद्चणान्तश्च तस्यां wage | शअरदतोऽहनिंधं aarfast नेव प्रपते ween ततो गाढतरं तुष्टो दद्धि इदा wate | नचासौ तदिजानोते यन्धाराक्येन वदधते ॥४९॥ केवखं aw ग्ङ्धात्मा जितये शिचिखादरः | arrafa म नानाति कालं मयति मोहितः ny en अहर्निग्रमपय्यं again: कुचिमानतः | जितयेऽनादराखादौ न रोगोश्छेदभाजनम्‌ ॥४२॥ तावश्माचेण yer fay तच्छ गणो महान्‌ । wren ते रोगा चनौता तेन याप्यताम्‌ ॥४ sh AUT AT HATTA MUTT: | afefearceratre cuefer wert ॥४५॥ RR Re. उपसमितिमवप्रपञ्चा कषा | कचिव्छलं कचिदाहः कचिनपूच्छा कचिक्वरः । afesfe: क चिव्नाद्यं कचिद्‌्इत्पाश्ववेदना ie ¢t कचिद्न्मादसन्तापः पथ्ये क्चिदरोचकः | ने रोगे विंक्रियापन्नेः WTS प्रजायते Ws On कद्‌ चित्तदया Ter तं विकारेरुपइतम्‌ | श्राक्रन्दन्तं रछपोपेता सं चिन्धेत्धमभाषत ॥४८॥ कथितं तात तातेन aca तव वक्ञभम्‌ । एतज्िमिन्तकाः वं रो गास्तवशरोरके sce तथापि दृष्टटत्तान्ता माग्डदाङ्लता तव । तद्भक्यन्ते Teta भवन्तं नेव वारये ॥५०॥ परमखाख्ण्यहेतौ ति जे यिष्य waa । एतत्त रोचते तुग्व खवंखन्तापकारणम्‌ ॥५१॥ अधना कन्दतो नास्ति हेतुः SATIS कारकः | अपथ्येऽत्यथे . सक्तानां म खगत्येव भेषजम्‌ ॥५२॥ श्रपवादो ममाप्य यतस्ते परिचारिका | प्रत्य न च wath कन्तु खास तवाधुना ULI इतरः प्रा यद्येवं वारणौोयस्वयासुतः | अमिशलाषातिरेकेए न त्यक्त सख्यमुत ॥४४॥ कदा चिच्त्मभाषेन स्लोकस्तोक विसुद्चतः | स्वल्यागेऽपि wine कदश्ञस्य भविग्यति wan ary साधूदितं भद्र युकमेतद्भवादृ श्राम्‌ | LEAR सा कदन्नं -न्यवारयत्‌ ५५ ६॥ प्रथमः प्रस्तावः | MARAT रोगा यान्धस्य तानवम्‌ | न जायतेऽधिका Ter ames च भेषजम्‌ ॥५७॥ वशं सा nad तदा पथ्येन तिष्टति | अपश्यमस्पमख्राति जायते तेन Bear yy cy यदातु सा क्द्िरिस्था लान्यय्यान्तत्कदन्नकम्‌ | wit fates सोऽत्ति तेनाजौरंन Te nies Way तद्या तेन घमेबोधकरोश सा | परामेवाशेषलोकस्य UK नियोजिता ॥ ई ok खानममसत्वषहमतव्यापार करणोद्यता | तन्मूले कचिदेवास्ते शेषकालं समुत्कलः ॥ ६९॥ अपथ्यभचणासक्रः स केनचिदवारितः। विकारे्बाध्यते wea दरास्ते च Awa ve ९॥ कदाचित्पोडितो इष्टो धमेबोधकरोण .सः | सोऽवादोत्‌ किमिदं भद्र ख weet न्यवेदयत्‌ WE ah इयं हि agar faa न मत्पार्चंऽवतिष्ठते | तदेकशाञ्च मे रागाः प्रभवन्ति विशेषतः ॥ ९ vi लस्माश्ायास्तया युयं कुरुष्वं यन्नसुत्तमम्‌ | यथा पोडाभ मे देरे खप्रानतेऽणुपनायते ॥९५॥ सख प्राइ ae ते पोडा जायतेऽपश्यसेवनात्‌ | wa तु तदहूया ग्रा क्मांम्तरमियो गतः ve an या वारणं विधत्ते ते सदेवापश्चमश्नतः | यदि arargnt काचित्‌ क्रियते परिचारिका ॥९७॥ ११५ R¢ उपमितिभवप्रपश्चा कया | RAT SAAN: पथ्यसेवापर।ङनुखः | कदन्नभकणोधुक्षस्तस्य किं करवाणि ते ॥९८॥ इतरख्लाहइ मामैवं नायावदत सांप्रतम्‌ | Mae यु्मदादेशं Bray कथद्चन ॥१९॥ तदाकष्छ मनाग्‌ WaT चणमाचमवोचत | धर्मबोधकरस्तख्मे हितायोश्तमानसः 110 ० ॥ अस्ति मे वथनायन्ता खद्बुद्धिर्माम दारिका | तां ते करोमि frat विगरेषपरिचारिकाम्‌ wo tn at fe संमनिडिता fay पश्यापश्यविषेचिका। तुभ्बमेव मया दन्ता माकार्षौ िग्वेङ्ञवम्‌ ॥९२॥ केवलं सा विशेषज्ञा वैपरौत्य विधायिनाम्‌ | अनाद्रवतां dat मोपकाराय THA HORN यदि तेऽस्ति qararg? दुःखेभ्यो यदि ते भयम्‌ | ततः खा वक्ति यत्किञ्चित्‌ कन्तु aM तदेव ते pegs एष एव AAA यन्तदादेशवन्तंनम्‌ । तस्ये न रोचते स्यु नेव AG ष रोचते ous अनेकाख्छयुह्कापि agar कचिदेत्य ते । प्रतिजागरण भद्र करि थत्धन्तरान्तरा NO ६॥ केवलं परमायस्ते कथ्यते दितकाम्बया | खद्बुद्धौ सततं यनः कन्तः सुखमिच्छता pon ये मूढाः सम्यगाराध्य सप्रसादां ग ङवते | wat तेषां न eet नादं are: प्रसौदति ॥७८॥ घरयमः प्रखादः | शअप्रसादहता नित्यं जायन्ते दुःखभाजनम्‌ | ते यतोऽन्यो न waste Yacfa सुखप्रदः rec सखाध्यौमा ata THETA मददिधादयः। तवेयं सुखदेतुत्व तसरादाराद्धमेसि ॥८०॥ एवं भवतु तेमोक्र इता सा परिशारिका | ततः wef भिचिन्लो धमेबोधकरोऽभवत्‌ ॥८१॥ यावदास्ते दिबान्येषा कतिचिन्लख्छ weer । तावच्च सल संपन्नं तदिरानौ निबोधत ॥८२॥ अतिखौद्धेन यः ya खादश्नपि न wafer | कदन दरि गेवान्ति we चिन्तापि aga ween पूर्वाभ्वासात्‌ wfege tae द्रत्िकारणम्‌ | जायते नं च तत्खाख्छय विहन्यार्‌ WENA: ॥८४॥ RAAT AW HITT । खयं तस्य बलात्तस्िन्‌ अ्रभिखावो ऽभिषद्धेते ॥८५॥ अहिते गटह्मभावन fea चामिनिवेश्रतः | यत्तदा तस्य संप तश्चेतदमिपौयते ॥८ ९॥ बाधन्ते नेव ते रोगाः wt जाततासवाः | यापि पौडा भवेत्‌ aria सापि wht निवर्ते ic eg विश्चातख सुखाखादो नटा Freer | गाढं Want तोषः waarmee चेतसि ॥८८॥ अन्यद्‌ात्यन्तदष्टेब ममा रि खितः | VEG aged स जस्यति ख निराङ्कः ॥८८॥ qe as उपमितिभवप्रपश्चा कथा | uz किमिदमाख्चये wat मम ata | एतहःखाकर VA यत्घुखाकरतां गतम्‌ ॥९ ot सा प्राह TART सम्यकपथ्यनिषेवणात्‌ | खमस्तदोषमूलेऽसिशदिते लोख्यवजनात्‌ ne १॥ मल्छान्िष्याख ते भद्र BRA कदश्नकम्‌ | प्रागग्वाखवशा चिन्ते HATTA प्रजायते Ne २॥ SAIN तस्य सम्भोगोऽकाथरूपः प्रकाशते | ततश्च wea कामचारो निवन्तते ne at ततस्तहुक्षमप्गे नात्यथं रोगवद्धंनम्‌ । Aaa इादसषेद्या जाता तव सुखासिका we ४॥ दतर स्वाह यद्येवं सवेथापि त्यजाम्यहम्‌ | Sz: ACH मे येन जायते सुखमुत्तमम्‌ lic ५॥ सा त्वाह युष्यते किन्तु सम्यगालोच्य संत्यज | ance खेददोषेण प्रागिवाकुणता पुनः ॥< gi थदि व्यक्ते TAM खेहाबन्धोऽनुवत्तेते | ततोऽ्यागौ वरः कस्मात्‌ सखेहोऽसियो गवधेकः we on अरपार्यमश्नतोऽप्येतद्धेषजजयसेवनात्‌ । atna याता तेऽस्ति सापि चात्यन्तदलभा he oH सवता गं पुनः BAT यच्यात्तदभिलाषुकः। धाणतामपि माप्नोति स महामोरदोषतः ॥< <॥ तदेतस्घम्यगालोच्य यदि चेतसि भाषते | ततोऽस खवथा त्यागो युध्यते करतूसुत्तमैः ॥४ ° ° | WIR: प्रस्तावः | सद्बद्धेखद चः Far मनाग्‌ दोलायितं मनः । ve किं करवाणोति नासि सम्यम्‌ विनिश्चयः ॥२॥ अन्यदा परिभुच्योचेमेदाकल्याएकं बड़ | तत्‌ कदन्नं ततस्तेन प्राशितं ater किल ॥२॥ ततः सदन्नदप्तलात्‌ VTA: सन्निधानतः | arg तेगृणेचिन्ते तदानौं प्रतिभाषते wen अदो कुयितमत्यये लष्मनौ यं मलाविलम्‌ | Tava विरसं निन्द सवैटोषौघमाजनम्‌ ॥ ४॥ ददं मे भोजनं मोइस्तयापि न निवन्तते | नेतत्यागादते मन्ये fad सुखमाप्यते ॥५॥ asta पूव॑लोद्येन कदा चिन्मे र तिभवेत्‌ | agen सापि दुःखौघकारिणौति निवेदितम्‌ ven रत्यक्त दुःखजलधौ सवदा स्येयमश्नसा | तदच fa करोमौोति पापोऽहं सत्ववजितः ॥९॥ यवा ॥ faa: करियते मोहा दालजाल विचिन्तनेः | मुञ्चामि sara? agra agfaafa ॥८॥ यदा किमज्र यद्भाव्यं न भवत्येव मे सतिः | को नाम राज्यमासाद्य BLY STASI ॥<॥ एवं fafa तेनोक्ता सद्‌ बुद्धिः चालयख मे । भद्रे भाजममेतत्वं feat सवकदन्नकम्‌ ॥ १ on Re उपमितिभवप्रपश्चा कथा | तयोक्रं एच्छछयतां तावङ्मबोधकरसछथा | क(लेन विक्रियां याति सम्यगालोश्य यत्‌ हतम्‌ it tl ततः सहेव सद्बद्या धमेबोधकराग्तिके ॥ गला सर्वोऽपि ठनान्मस्तेन तस्म निवेदितः ne Re साधु साधु रतं भद्र धरमेबोधकरोऽज्रवौत्‌ | केवलं निखयः काया येन नो यासि हास्यताम्‌ nt en सोऽवादौत्‌ किमिदं मायो wat शयो विकश्यते | एष मे निखयस्तस्मिन्ञमगोऽपि vais ne ४॥ ततोऽग्ेषजनेः ag walare विचण्ः | रत्याजयत्छ ATS TS: TUTTI ॥९४॥ AURMUCRSSM पुमः TTA | प्रमाद तिश्रयालतज दिने इङ्धिमकारयत्‌ ue ९॥ धमेबोधकरोष्टस्तदया प्मदोडरा | uzafgafgarrar मुदितं राजमन्दिरम्‌ ॥ १ ९। WAY जने वादो योऽयं राश्नावलो कितः | ध्मेबोधकरस्वेष्टसलदयापरिपाखितः ४१८॥ सद्बद्याधिष्टितो नित्यमपथ्यत्यागकारकः | भेषजभयसेवित्वाद्रौ गो धेस MATA: ॥ ९ ९॥ स नो fawn: किन्तु महात्मष aque: | ततस्तदेव Gd ामास्येति सपुश्छकः ॥२०॥ कुतः qafavinat सामयौ भवतौदृै | जनद्‌ रिद्धभाग्‌ मेव चक्रवन्तिलभाजनम्‌ ॥२ ९॥ प्रथमः Wey | सदद्धिखहयायो गान्तिष्ठते राजमन्दिरे । ततः nafs यत्तस्य aaa तल्िबोधत ॥२९॥ अपथ्याभावतो मास्ति पोडा Se परिस्फुटा | कचि्य्॒ाख्पकाला च यदि स्वात्पुवदोषजा ne at ततः सयं TATA शोकव्यापारद्यन्यधोः | विधन्त विमलालोकं नेजयोर श्नं सद्‌ा ne ge तत्परौ तिकर तोयं पिबत्यश्राम्तमामसः | मराकल्ययांणकं YR तत्दन्नमनारतम्‌ ॥२१५॥ ततो बश तिः are कान्तिरोजः प्रसलता | बुद्धिपाटवमच्वाणां aga ce प्रतिकणम्‌ ie gn नाद्यापि सम्यगारोग्य बङलाद्रोगषन्ततेः | लायते केवलं देहे विशेषो दृष्यते महान्‌ ue on थः Tra: wares बौभव्छद शेन | | ख तावदेष संपन्नो मानुषाकारधारकः Net चे रौरभाषे भावाः प्रागभ्यसास्ते न सन्ततम्‌ । ` तुच्छता क्लीवता शौल्दं ओोकमोइभमादयः weet अधो पभोगात्ते सवं नष्टप्रायतया तदा | ग बाधका मनाम्‌ जातास्तेनासौ स्फौतमानसः FR ०॥ शरन्यदात्थन्तदष्टात्मा सद्बद्धिं परिष्च्छति | we यमिदं लब्धं मयेतत्‌ केन कमेण we ee ARR तात लभ्यन्ते सवेऽयां दन्तपूवंकाः | दति वर्ताजने लेन दत्तमेतत्‌ wf need - 6 ४६ „+ + न्@ द्द्‌ खपमितिभवप्रषचा कथा | ततः सञ्धिकथत्थेवं वितौके यदि wat | CS सकखकचषकारणं भेषजचयम्‌ ॥२ ठ ददानो Wes: प्रयच्छामि विग्रेषतः । VIIA येम शपेत दमच्यम्‌ ॥ 2 ४॥ तश्च चायमवष्टम्भो राजरानावलो कितः | धमेबोधकर खेष्टस्तदयापरिपूजितः Was ५॥ wifaa: सवेशोकेन eagaicaw: | अदं सपुरकस्तेम STA वन्तं किलोत्तमः ॥२ ei ततस | यदि at कञ्िटामत्य xwrifaafa मानवः | तदाख्यामोति wart दित्छुरप्येष तिष्ठति ween श्रयन्तं भिगुणोऽणन महद्भिः तगौ रवः | गुनं खंजायते गवौ यथासं THAT: ॥२ ८॥ तज ये मन्दिरे Stara सवं जयभोजनाः | weerea भिचिन्ताः संजाताः परमेश्वराः Wen भ्रविष्टमाजा विश्चन्ते तादृश्रा येऽपि निःखकाः | Asma एव तद्‌ श्रि लभन्ते मेषजजयम्‌ ॥४ ot ततो न कञचिन्त्यूले तदयञ्ुपतिष्ठते | ख fey fafedqqatwart प्रतते use खिलापि कालं उ्यांखमलम्धप्राथंकस्ततः | खद्बद्धि पुनरप्येष acd परिषटच्छति ag ei खा प्राइ भद्र नियत्य धोषण पूवकं तया | TAR: Tks | grant यदि zeta: केचि्छारतिषुन्दरम्‌ as en ततोऽसौ जोषचत्युेमदो यं Hera | खोका गन्नोत aeia we तम्मिनलटाखते us en ततः पृड्वतस्शस्मार्‌ग्टश्ञौयरतितुच्छकाः | ये तज तदिधाः केचिदन्वेषां a इदि शितम्‌ ॥४५॥ WU प्राग्‌ दष्टदारिन्चो रोरोऽय मन्ततां गतः । राजववश्रेनास्माम्‌ गाइयत्थातमभेषजम्‌ ॥ ४ ee ततः केचिद्धखनधुयैः केचिदुप्रासयन्ति तम्‌ | अन्ये Wega तिष्टन्ति विगतादराः ig en अथ तं तादशं वोच दागोत्ाइविबाधकम्‌ | HATTA ALIS: RITA ॥४८॥ ग्टञ्न्ति इमका NE न रटन्ति महाजनाः | ममेच्छा यदि सवेषामेतेषासुपयव्यते user पर्यालोचे दृढं पटवो वन्तसे fanaa’ | तदच हेतुविेत ACI महात्मनाम्‌ ॥५.०॥ तदाकष्ठ महाका नियक्षारमनेन भोः । feral महाध्यानं प्रविष्टा at विचक्षणा ives अथ निखित्य गभांथे काथस्येत्वममाषत | एक एवा हेतुः VT याणे SAEs: ॥५९॥ राजाजिरे विधायेरं , काष्ठपाश्ां wag | aqua. faurerat तिष्ठ fanaarre: ॥५ ३ खयमेव ग्ररौव्यन्ति शुन्यं ger तरयथिनः | 88 उपमितिमवप्रपश्चा शया | रन्तो रोरभावं डि वलत्‌कारान्ते न गते ॥५ ४॥ wa कञ्चिदेकोऽपि यदि तत्दुणणे गरः । तेन स्वान्तारितो मन्ये चत एतदु टाइतम्‌ ॥५ ५॥ fafgsqiraa पानं fafaar तपोमयम्‌ | आगमिश्छति तत्पाज् त्याज तारयिव्यति ॥५१९॥ ततोऽसौ afgarraeenr वचमकौ शलते; । faut तन्तथेवेति तमेदमभिधौ यते ॥५७॥ प्रयुक्तं तादृगरेनापि ये गरहोवयन्ति मानवाः | ते भविष्यन्ति नोरोगा awe तच कारणम्‌ ॥५८॥ अन्यश्च | mag निष्ष्टलार्‌ awe तदनुग्रहात्‌ | अरुकम्पापरस्तज BABU ॥५९॥ एष तावक्छमासेन दृष्टान्तः प्रतिपादितः | श्रधुगोपमयं यूयं कथ्यमानं निबोधत ig ° ¢ अदृष्टमूलपयेन्तं यद कथितं पुरम्‌ | Vist खंसारविस्तारोऽदृष्टपारः प्रतोयताम्‌ He eH महामोइदतोऽनन्तद्‌ःखात्रातो विपुष्छकः | पूवै मदोवजोवोऽयं ख रोर इति रमताम्‌ ॥९२॥ भिशाभारतया स्यातं यत्तस्य घटकर्परम्‌ | तदाचुगै णदोषाण्ण AHIMA ॥११॥ fear: इुतोयेका avg बेदनाज्किष्टचिन्लता | रोगा रागादयो Her WHE कमेसद्चयः ॥ १ ४॥ प्रथमः Teta: | भोगाः TIRANA यच्च संषारकारणम्‌ | तश्नोवग्द्धिद्ेतुलात्‌ AlAs ॥१५॥ यञ्चासौ सुखितो भाम महाराजः प्रकाशितः । जानोत परमात्मानं सवेन तं जिनेश्वरम्‌ ॥१ ah aq afar गदितं राजमन्दिरम्‌ | अमन्तग्ड तिसंपन्लं तभश्चेयं जिनश्ासनम्‌ ॥ १ ७॥ खकमेविवरो नाम यः प्रोक्रो दारपाखकः | श्रक्रौयकमेविष्छदो यचार्योऽसाबुदाइतः ॥१८॥ ये चान्ये सूचितास्तज इारपालप्रवेश्रकाः | ते मोहान्नागणोभादधा विज्नेयास्तवचिन्भकंः ॥१९८॥ आचार्यास्तज राजान उपाध्यायाः सुमणग्विणः | Taree योद्धा गफचिन्तानियुक्षकाः ॥७ on सामान्यभिचवः स्वे विश्या मूशवर्गिंकाः | Mag ay VAs प्रशान्ताः खविरा अनाः won AST: आद षद्गगतासद्रशाबद्धमानसाः | Bar विल्लासनोसला भक्रारत्ममदागण्णाः ॥७ es शब्दा दि विषयामन्दवणनं पुनर यत्‌ | तदेवमयं सद्धर्माष्नायन्ते तेऽपि सुन्दराः worn धर्मबोधकरो He aca मप्मबोधकः | ATA’ AS या जाता ममोपरि AWB re vi भ्ानमश्चनमुदिष्टं waa जलमुच्यते | चारिजमज fase परमाश्नं मनो षिभिः ॥७५॥ ४४ ४९ उपमितिमवप्पश्चा aut | सद्बुद्धिः शोभना बुद्धिः सन्धां या प्रवर्तिका । काष्टपाजो चथाकारा वच्छमाणा कथोच्यते wo १॥ एषा समासतस्तावत्‌ शता सामान्ययोजना | विग्रेषयोजनाव्यक्रं गयेनोद्‌ा इरि ग्यते ॥ ४७ ॥ तेद तावन्सलविदुषामेष मार्गो यदुत तेषां कष्याणभिनिबे- शितया भिष्पेयोजमो विकश्पो न चेतसि विवकेते। wa कटाचिद- भावितावस्धायां विवर्तत तथापि ते ग fated भाषन्ते । अचय कटा चिदतलश्चजनान्तगेततथा भाषेरन्‌ तथापि म fata चेष्टन्ते थदि पुमस्ते निष्कारणं चषटेरम्‌ ततोऽतलश्जजनखार्थाद विशिष्टतया तत्वविदन्ता fanaa तस्मात्तत्ववेदिष्वात्मनोन्तभांवममिखवता षक- लकां सर्वेण सविकण्पजश्याचर शानां wind wan: परिचिन्- नौ यम्‌। तदेदिनां च पुरतः areata ते fe निरथेकेव्वणात्म- विकन्पजण्पव्या पारेषु साथेकत्बु द्धि Fara वारयेखरिति। अतो मयापि quan: सायथकलमामेदथते मासुपमितिभवप्रपश्चा- भिधानां कथामारग्धुकामेग कथानकं इष्टान्तद्धारेष निवेदितं तदेत- दद्यवधारितं भो भव्थासतो acacia विषाय fedoras दार्टाम्तिकमर्थमाकणेयत । तज यन्लावदद्ष्टमृखपयंन्तं नाम गगर मनेकजनादङुलं सटाख्ायकमास्यातं खोऽयमनादिनिधगोऽविष्छिल- रूपोऽनन्तजन्तु्रातपूरितः GATT द्रष्टव्यः । तथाहि । eyes नगरस्य नगरता कल्पयितु अतोऽ wr am रेवखोकारिख्ानानि। इहमार्गायन्ते wrongs: | प्रथनः प्रस्राव! | ge विविधपश्ायन्ते नानाकारसुखदुःखानि | तद रुरूपमल्धायन्ते ब़्- विधपुष्छापुष्छानि | विचिज्रचिनोऽ्ज्वलदेवङुशायन्ते सुगतकण- भचाचपादक पिलादिगप्रणोतक्ुमतानि । पौर्वापयेपर्याशोचनविकल- सुग्धजन चिन्ताखेपका रितया सदषप्रबखकखकखोपेतद्‌ द म्तवालक- शापायन्ते। muse: कषायाः सकशविवेकिमहाशोक चिन्तोदेग- हेतुतया तुङ्गप्राकारायन्ते | महामो इशष्यतया वेष्टकतथा च मडहा- परिखायते रागद्ेषाल्मिका eur) विषयजलदुष्यूरतथाऽतिग- गोरतधा च विस्तौोरेमडइासरायन्ते श्दादयो विषयाः। प्रबल जखकनल्लो लाकखतया विपयेसजमश्रकुनाधारतया च नगम्भोरान्ध- gaa मियविप्रयोगा निष्टषंयो गस्ञजममर णएधनहरणणदयो भा- a) चाखदेतुतया अदृष्टमूशतया च॒ विश्रालारामकाननायन्ते OMT: | इषौ कमनखश्चरोक निलयनकार तया खकममेविविध- विट पिङ्सुमफलशभरपूरिततया शेति | ag तजर भगरे निष्युष्छको नाम दरमकः afar वोऽ खंसारनगरे बवे न्नज्नावनप्रातेः पूवे पुष्छरदहिततथा यथार्थाभिधानो मदौक्लोवो TEU ययासौ द्रमको महोदरः तथायमपि Nat विषयकद शगदुष्य॒रला सहोदरः । यथाऽघौ द्रमकः प्रलौ नयन्धृवगे- wuraafy जौवोऽमादौ भवश्नमणे केवखो gaa केवलो feat केव खकमेपरि एतिढौ कितं सुखदुःखमतुभवति । इत्यतो are परमार्थतः afer! यथाऽसौ रोरो दुष्टब॒दधिस्तथायमपि asada चतोऽगम्तदुःखडेतम्‌ विषयानासाद्च परिद्ति Ra कषायान्‌ बन्धूनिव Vat) परमाचेतोऽन्धलमपि ge खपमितिभवप्पचा कथा | मिष्याले पदुदृष्टिरूपतया ग्टक्ाति । भरकपातद्ेतुखतामप्यविरतिं प्रमोदकारणमाकलयति | अनेकामयेखार्थप्रवन्तंकमपि प्रमादरकद- व्बकमत्यम्तस्िग्धमिचद्न्दमिव पश्यति । धण्मेधमहारितया कखरट- कश्पानपि दुषटमनोवाक्षाययोगान्‌ पुचानिव बङधनाजेनभौखान्‌ मन्यते | निबिडबन्धनोपमानमपि पुचकलचधनकमकादोना- ण्हादातिरोकडेदरन्‌ पर्याखोचयतोति । यथाऽसौ gaat दारि- श्यो पडत खंयायमपि wa: सद्धमेवराटिकामाचेणापि शूल्यलाहा- रिश्याक्षान्तमून्तिः। ययासौ रोरः पौरषविकलशस्तथायमपि जवः खकमेहेतज्छेदवोय विकशतथा पुरुषकारर हितो विश्नेयः। यथाऽखौ मकः चुल्शामशरोरव्याथमपि जोवः चकलकाशं विषयबुमुचा- मिरृत्तेरत्यम्तकर्षितश्रीरो wag) wsdl रोरोऽ भायः कचितस्तथायमपि जौवः सवेन्नरूपमायाप्रतिपन्तरनायो द्रष्टव्यः | यथाऽसौ gaat गमिश्रयनेन गाढं ष्टपाश्चजिकः प्रतिपादित- स्थायमपि sa: सदातिपरुषपापग्डमिविशोटनेन नितरां दलितसमस्ताङ्गोपाङ्गो द्रष्टव्यः । यथासौ दइमको सृलिधूखरखरवाङ्गो द्ितस्तथायमपि नौवो बध्यमानपापपर माणधूलिधूसरसमस्तशरौरो विन्चेयः। यथासौ रोरस्योरिकाजाल्मालितो गदितस्तथायमपि Hat मोहकशाशच्णाभिणेधचेलपताकाभिः समन्तात्परिकरित- मून्तिरतौवबोमत्छदगेनो atid! यथासौ saat निन््यमामो दौन- खाख्यातस्थयायमपि जौवोऽवासविवेकंनिंन्यते सद्भिः भयशोकादि- किष्टकमेपरिपूंतथा चात्यन्तदौनो fase: ययाचासौ तज गगरेऽगवर तं गरे VE frat पयटतोल्युक्तखयाथमपि Ma: संशार- प्रचमः प्रखादः | 9९ भगरेऽपरापरजन््रशचणेषु उच्चावचेषु गेषु विषयकदल्ञाश्नापाश्च- वश्नौङतोऽनारतं भमतौति । यत्पुनरस्य भिकाधारं घटस्वपेर- माख्यातं ae नोवद्रमकस्यायष्कं fwd यतस्तदेव तदु पभोग्यस विषयकदशारेखारिबमदाकद्याणकादेखाश्रयो and | ary तदेव ग्टहोला शयोग्रयोऽसिन्‌ संसारनगरेऽयं जोवः पथटतोति। चे तु aw zane दुर्दान्तङिम्भसंधाता यष्टिञुषटिमहालोद् प्रहारः GI OT ताडयन्तः शरोर भजेरथम्तौति frefiaraice Hae कु विकण्पास्तत्छपाद काः कुतकंगन्धास्तप्रणेतारो वा कुतौर्थिका विश्चेयाः। ते fe यदा यदाऽमुं ma वराकं पश्यज्ति तदा तदा कुद्ेतुग्रतसुदङ्गरघा तपातेरश्य तलाभिभुखशूपं wot जजेरयन्ति | aay तेजजरितश्रौरोऽयं Nat न जानौते कार्याकायैविचारं न श्यति भच्ाभच्छविगेषं न कशयति पेयापेथस्लरूपं गावबुध्यते हेयोपादेयविभामं नावगच्छति सखपरयोगेणटोषनिमित्तमिति ततोऽसौ कुतकंआन्त चिन्तञिग्यति मास्ति परलोको न विद्यते कुश्लाङ्ुश्लकम्मेणां फलं न संभवति खस्षयमात्मा awed wy: न चटते तदुपदिष्टो मोच्मागं दति । ततोऽखावतलाभिनिविष्ट- चित्तो feafa प्राणिनो भाषतेऽलौकमादन्ते परधनं रमते Har परदारेषु वा wwifa परिग्रहं भ करोति चेच्छापरिमाणां भकयति मांसमास्ञादयति ay म zwifa सदुपदेश्ं प्रकाशयति aaa निन्दति vate वन्दत्धवन्दनोयान्‌ गच्छति खपरयो- गुरूदोषनिमिन्तमिति वदति परावषेवादमाचरति समस्तपातका- नोति। ततो बघ्राति fafae रिकमेनालं पतत्येष stat 7 we उपमितिमवप्रपण्ा कथा | गरकेषु । तज च पतितः पश्यते कुंभोपाकेन विपद्यते क्रकच्पाटनेन witigd aqawageg Meaty wat सन्दंकेसखं fag awawraari an चपु भच्छते निजमांसानि शष्यतेऽत्य- WAM, तायते पूथवसारुधिरक्तेदमजान्लकशुषां Facey हिदयतेऽखिपजवनेषु खपापभरपरैरितैः परमाधा्मिंकष्ुररिति । तथा समस्तपुद्लरा शिभश्षणाऽपि नोपशाम्यति ayers निः- गेषजशसिपानेऽपि नापगच्छति तषेः। अमिग््यते शौतबेदभया कदथ्यैते तापातिरकेण तयोदीरयण्ति च तदन्यनारका नाना- काराणि दुःखानि। ततश्चायं stat गाढतापामृगतो हा मातरा नायास्तायध्वं चायष्वमिति विक्घवमाक्रोश्रति न चास्य ay गा चायकः कञ्चिद्िश्यते | कथश्िदुन्नोराऽपि नरकादिबाध्यते तिचच वन्तेमानः । कथं वाद्यते भारं gua शक्टादिभिः fears कणेपुच्छादयः खाद्यते हृमिजालेः सहते qyet नियते पिपासया aqua aren कारयातनाभिरिति | ततः कथञ्चिदवाप्नमनुखभावोऽेष जौवः Tea एव दुःखः | कथं तदुच्यते । awed रोगव्राताः नजेरयम्ति अराविकाराः दोदूथन्ते दुजेनाः विहशयन्तौष्टविथोगाः परिदेवन्धनिष्टसप्रयोगाः favquafa धनहरणानि श्राङ्गुखयन्ति सखजनमरणानि विडल- न्ति नानाध्यषनानोति | तथा । कथध्िक्षविबुधजक्माण्येव Nat cea एव नामा- बेदनाभिः। तथा fei sreraa विवशः शक्रादिभिः खिद्यते परथमः Wee | ४९ परोत्कवैदरेनेन Mea प्रागभवज्ृतप्रमादसमरणेन टन्दश्तेऽखाधै- नामरसुन्डरोप्रायेनेन wea तज्िदानचिन्तनेन निष्यते महद्धिक- zara विलपत्यात्मनख्यवमद ग्रेनेन आक्रन्दति गाढमाप्नासख- wey: पतति समस्ताषएचिनिदाने गभंकलमल दति । एवं fea यद्रमकं वणेयताऽग्यघधायि दुत सवाङ्गिणमदहा- ाततापासुगतचेतनः हा मातस्लायतामित्थं रेन्यविक्रोश विक्तव दति । तदश्यापि slaw तुख्मेव द्रष्टव्यम्‌ । तस्मादस्याः सव्या AWAIT Aga: «Hangar: कद ग्रंम- यन्धाजत्मणेतारञ्च कुतोधिकाः कारणमिति । यचूकादादयखष् मकस रोगा fafeerqe Mae महामोहादयो fawar: | ay ae मिश्याले तदुकमाद इव awd समस्ताकायप्रहृत्निेतु- तथा श्वर इव रोगः शवाद्ोणएमहातापमिमिन्सतथा waft देषो माढडइदयवेदना कारणतया पामेव कामस्तोत्रविषयामिखाष- कष्छूकारितथा ग्त्कुष्टमिव भयग्नोकारतिसम्पाद्ं Zaz । जनजगुष्याहेतुतया चित्तोदेगविधायितया च नेच्ररोग carat विवेक्षि विघातनिमिन्नतथा जश्लोद्रमिष प्रमादः सदनुष्टानो- व्छाङधातकतयेति । avg जोवो भिश्याललादिभिरेतेर्भावरोगे- fasaiant म॒ fafesaaa । तत यदेतत्‌ साश्मतसेव न लानोते भच्छाभच्यमित्याद्यनधष्यवधायरूपं महातमः प्रतिपादितम्‌ | धे च मास्ति wea इत्यादयो विपर्यासविकच्याः प्रतिपादिता- Qu इयस्दाणुत्यन्तौ aw: कुतकंयन्धादथः सदकारिकारण- भावेनोत्यादकाः.। एते तु रागदेषमोहारय WATT उपादान- ue sufafararret SUT | कारणभावेन TMT RATATAT सर्वामथपरन्परा परमाथतो गाढतरमेतच्छन्यापि विश्चेया । fry कुशाख्वश्स्कारादथः कादा- चित्का एते तु रागादयस्तदुत्पादने खकशकाखभाविनः | अन्यश्च | grrr भवन्तोऽपि भवेयर्वानयंपरपराकारणं न वेति व्यभिशारिणः। एते तू रागादयो भवन्तोऽवश्वतया महानयेगन्तेपातं gaia ves व्यभिचारो यतस्लैरभिश्तोऽयं जवः प्रविश्रति महातमोऽन्नानरूपं विधत्ते भानाविधविपर्थाशविकण्पान्‌ अरुतिष्ठति कद्‌नुष्टामश्तानि खधिमोति शरूतरकमेभारं ततस्तत्परिणत्या कचिष्जायते सुरेषु कचिदुत्यञ्चते मानुषेषु कचिदासादयति पष्टु- भाव क्रचित्यतति महानरकेषु । ary तदेव प्राकूप्रतिषादित- BRI महादुःखसम्नानमनवरतमरघडषटोवन्तन्यायेनानम MTA वडारेण परावन्तयतोति । एवञ्च fea घन्तद्रमकवणेने प्रत्यपादि यदुत ग्ौतोष्णदंग्रमश्रकचुत्पिपासाद्यपद्रवेबाध्यमानो महाघोरम- रकोपमवेदन इति । acy जोवरोरे समगेखतर aaafafa | अत एव च यदुक्षं चदुतासौ दमक: । क्ञपास्पद सतां इष्टो हास्यस्थानं स माजिनाम्‌ | बालानां क्रोडनावासो दृष्टान्तः पापकमेण्णम्‌ ॥ तदज्ापि नोवे सकलं योजनोयम्‌ । तथाहि । सततमसात- संनिपातग्रस्तोऽय जोवो इृष्यमानोऽत्यन्तसात्मोग्धलप्रश्मसुखरसानां भगवतां wares भवत्येव हपाखानं ज्ञि्यमानेषु सकलकलं कर्णाभावनाभा वितचिन्तताक्ञेवां तथा भामिनामिव वौर रवेन तपश्चर णकरण्णोद्यतमतोनां सरागसंयतानां भवत्येवायं जोवो दास्य WIR: प्रस्तावः। ae सानं धर्माख्यपुरषायथंसाधनविकलष्य कौडृश्रौ wae पुरुषतेति तेषामनादरद्ष्टेः | तया | बालानां भिश्यालाध्यातकचेतसां तयाविधशोकानां aafezar- प्रविषयसुखणवानां waar पापिष्ठजौोवः कौडनावासो gaa fe धनगवौद्धूरचित्तैसखथा विधकशंकरादयो नानाप्रकारं विग्य मानाः । तथा पापकश्मेणां फशप्रर्पणावसखरे भवत्येवं विधो नोवो Tern) तथा fe भगवन्तः पापकार्माणि staat wet CMAMTINTIMAA दृष्टान्तयन्तौति। यत्पुनरवाचि यदुत , अन्येऽपि aya: aftr रोरास्तज महापुर । केवलं तादृशः प्रायो मास्ति निर्भाग्यश्रेखरः ॥ तदैतदात्मोयजोवस्यात्यन्तविपरोतचारितामनुभवतामिडितं म- या । weer मदौयजोवोऽधरितजात्यन्धभावोऽख्य महामोहोऽप- इस्ितनरकतापोऽख्छ रागः | उपमागोशरातोतोऽख्य परेषु देषः । शरपहधितवेश्वानरोऽख क्रोधो शूषुषतमरागेशराजोऽसख मागो विभिजितसुजगवभितागतिरस्य माया दर्जितख्लयश्रूरमणसागर- लधुभावोऽस्य we: सखभ्रपिपासाकारमख्छ fara मगव- gaa: प्रागासौत्खसवेदनसिद्धमेतत्‌ | श्रहमेवं तकंयामि aa- सुष्व्दोवताप्रायोऽन्यनौवानां यया चेततो पपन्तिकं मवति तथो- रज प्रतिगोधावसरे विष्तरेणाभिधास्यामः | ॥ 44 यथाऽसौ रोरस्तजादृष्टमूलपर्यन्ते नगरे प्रतिभवनं भिषा- मरजेवं चिकथति । यदुत sgae acne बन्धुमिजद्य जिन zune च wesw चखिग्धां कष्टां बहो, seat fret लखे ताच्चादं ud उपमितिभवप्रपञ्चा Hur | कमकविचिजभक्रिमण्डितराजतक्रोडपवंतककखितानि = stfaat- यश्ाशिकायन््वा पिकाद्यभेक विधनलाग्रयममोदराणि बङ्ुलपु- शागनागाश्नोककन्पकप्रञ्तिविविधविटपिजातिविस्ताराणि पञ्चवण- गन्धबन्धुरङ्कखमभरानवश्राखापयेन्तानि खुद को कनदादिजखरइ- चारूणि अवमहभुङगशहारषारतारो पगोतानि प्रासादखमौपवन्तोनि सो खोपवनानि प्रमोदयिव्यन्ति मां भिजितदिगकरस्यन्दनसौन्दर्या TaagTat: | इषेचिव्यन्ति मामप स्ितसुराधिपहस्तिमाहाग्यानां वरकरिणां कोटथः । तोषयिव्यन्ति मामधरितविबुधपतिहरिरया इथकोटिकोटथः | सभुन्ञासयिव्यन्ति मे मनसि प्रमदातिरोक पुरतो Tata अ्परपराकरणपटवः परस्परमविभिन- चेतसो म चाश्यन्तसंशतासङ्ा तताः पदातिषह्गताः | रश्जयिव्यन्ति मे प्रतिदिनं प्रणतिलाशखानि राजडन्दानि किरोटमणिमिरोशि- लाखेरणारविन्दम्‌ । भविव्याम्यहं गरिग्धमिमण्डलाधिपतिः | wafaatan मे बमस्तकार्याणि प्रश्नावन्नातखरमण्तिणोऽमात्य- ava: । तदिदं सुसंसतमिचालाभेच्छातुख्यं fated) gay चिन्तयति | ततोऽहमतिखण्ठद्धतया निचिन्ततया खच परिप्रणंसमय- सामयौकः करिब्यामि विधिना कुट प्रावेशिकं रसायनं ततस्तदुप- योगात्‌ संपद्यते मे वलोपलितखालित्यव्यक्गादि विकलं जरामरण- विकाररडितं देवङ्कमाराध्कतरद्ुतिवितानं निःशेषविषयोपभोग- भाजनं महाप्राण श्रोरम्‌ | तदिदं लयभिकव्येकान्तगमनमनोरथ- अखममवगम्तब्यम्‌ | Wey मन्यते। ततोऽहमति प्रसुदितचेता गमौर- रतिषागरावगाढमस्तेन जशनाकलापेन साद्धं WAT: GR क रिष्ये। परथमः प्रस्तावः | Ve दुत कचिदनवरतप्रटृत्तमदनरसपरवश्नोऽनारतसुरतविनोदेन wiafey प्रोएयिखे । कचिद्रसमेडियोत्वदारण खच्धौरता- Teyana । कचिदतिसुरभिकपूरानु- विद्धमखयजकश्योरजङ्ुरक्गमदादि विलेपनदारेण चख पद्चसुगन्धिक- तावृलास्ञादमयाजेन ae त्रणेददियं तपेयिे । क्षचिदनारत- ताडितमरूजध्वनिषमायममर सुन्दरो विभरमखशनाखोकसन्पादितम- जेकाकारकरणाङ्गहारमगोहरं प्रचणकमो समाण्चचुरि ण्ियामन्दं fara । कचित्कशकणष्टतक्मयोगविश्रारदजनप्रथकं नेणवोणारटदङ्ग- काकलोगोतादिखनमाकणेयन्‌ ओचेद्धियमाख्हादयिषये | wie त्युगरखिलक शाकलापकौ गरखोपेतेः समानवयोभिः समर्षितददय- wie. शौ ्योदायेवोयवर्येरपदसितमकरष्वजसौ न्दयैमिजवर्गैः ary नानाविधक्रोडाविलठासे रममाणः षमयेद्िययाममाल्हादातिरेक- मास्कन्दयिव्यामौति । तदिदमेकाभ्भेभिच्लाभषणा कांलासद्‌ श्मव- सेयम्‌ | ferafa च ततो मामेवं facfarageraquacity तिष्ठतो यांसं काशं VAR सुरकुमाराकारधारकाणि रिपुखन्दरोहदयदाहदायकानि च॒ समार्हा दितखमस्तबन्धुवर्- प्रणयिनममामाप्रज्टतोमि मत्मतिबिम्बकसंकाश्ानि स॒तश्रतानि। ततोऽ स्पश्ेषमभोरय विस्तारः मत्यस्तमितप्रच्यशसमहोऽमम्तकालं यथेष्टचे्टया विशरिययामि । सोऽयं उरिरिनाथे खापन- मगोरय इव वन्ते | थत्‌ पुमरालोचयति | wea) श्रथ कदाचित्तं तयश्तं मामकौनं संपत्मकथै गेष- गृपतथः ओख्यम्ति । ततस्ते मल्छराश्मातचेतसः सर्वेऽपि स्य मदडि- 8 ys उपमितिभवप्रपश्चा wut | वयेषुपञ्चवं विधारन्ति । ततोऽहं तेषामुपरि चतुरङ्गसेनया विक्षेपण यास्यामि ततस्ते खबलावलेपवशेन मया सड asia करिष्यन्ति | ततो ufaafa प्रश्तकाञ्िको aercufaag: | ततस्ते परस्पर संहततया ग्ड रिषाघनतया ख मनाग्‌ मामाक्रमिय्यग्ि ततोऽह- मभिवद्धितक्रोधवबन्धतथा प्रादुग्धैतप्रबखलरणोता हस्तामेककं सबखं चणेयिव्ये । wife समस्तानामपि पातालेऽपि प्रविष्टानां मया बद्धानां ate tfai तदिदं रोररण्णकाष्डविद्धरषमाममवबोद्ध- व्यम्‌ । way भावयति । ततोऽदमवजितखमस्तश्यथिवोभा विराज- aaa चक्रवतन्तिराञ्यमडहाभिषेकम्‌ | ततो नासि ag तचि- भुवने wa न सम्पक्छत इति । एवमेष slat राजपुजाश्चवस्थायां वन्तमानो TEM निष्य॒योजन विकल्पपरन्पर यात्मानमा कलयति । aay । रोद्रध्यानमाप्ूरति ततो बघ्नाति निविडं aa ततः पतति महानरकेषु न चेह तथापि लिद्यमानोऽपि परवौपाजित- gufane: खद यतापं विसुश्यापरं कञ्चमायंमासाद यति । तद- नेनेतलखणोयं यदा खल्वेष जोवो नरपतिखुताद्यवस्थायामतिवि- शाखलचिन्नतया किश्लापक णिततुच्छवस्त॒गो चरममोरथो हद थप्रायेक- तथा खब्ध्येव महाभिप्रायस्तदापि विदितप्रशमाख्ताखादनसुख- रसानां विश्चातविषयविपाकदारणएभावानां सिद्धिवधुखम्बन्धवद्धाध्य- वश्चायानां भगवतां wert चद्रद्रमकप्रायः प्रतिभासते | किन्पुमः शेषासखवस्थाखिति | तथा fe डदिजातितणिजिकाभोराग्यजा दि भावेषु वन्तेमामोऽयं जो वोऽदृष्टतलमागेए वराकस्ठच्छाभिप्रायतया क्चिद्धिजाणामपि घयनः प्रस्तावः | ye चद्रपामाण्णं शाभं चक्रव्तित्वं मन्यते । कचित्‌ चेनखण्डमाचप्रभुत- मपि मदहामण्डलिकलमाकलधति । कचिष्नारङ्खलटामप्यमरसुन्दरों कर्पयति । कचिद्‌ विरूपमयप्यात्मानं मकरष्वजं चिन्तयति । क्षचिग््रातक्तपा टकाकारमय्याद्मपरिजन शक्रपरिवारमिव पश्यति | कचिद्‌ विस्य faequat सदसाणां शतानां विंश्रतोनां रूप- काणामपि wma कोरौश्वरतलमवगच्छति । क्चित्पश्चषाणामपि धान्यदरोणानासुत्पत्तिं घमद्‌ विभवतुखां खचयति । कचित्छकुटुम्न- भरणमपि महाराज्यमवबुध्यते । कचिदुष्यरोदर दरौ प्रणंमपि महो- waar mala । क्चिद्धिक्षावाक्निमपि जोवितावा्ि निञखि- भोति । कषिदन्यं शब्दादि विषयोपभोगनिरतसुदोच्छ राजा- दिकं शक्रोऽयं देवोऽयं बन्द्ोऽयं Goa महात्मायं पुरुषो यदि ममाण्येवं ange विषयास्ततोऽहमणेवं विललसामोति चिन्त- धन्परिताम्यति । तथ विधाकूत विडभ्बितखच तदयङ्रोति ways सेवां पयैपास्ते ताम्‌ सवदा दशयति विमयं वद्यनुङ्कूलं शोका- कामोऽपि. इर्ति तेषु दसल्छु सश्नातजातस्पु जरषेपक्ोऽपि रोदिति तेषु ag निजगचूनपि स्तौति तदभिमतान्‌ खपरम- सुडहदोऽपि निन्दति afgat धावति पुरतो राचिदिवं मदयति खिन्नदे होऽपि agar चाशयत्यश्टडविष्यानानि विधत्ते तदच- नात्सवेजघन्यकर्माणि प्रविशति शतान्तवदनक्कुहर दव रणमुखे सम- पयति करवाला दि घातानामात्मदहइदयं वियते घनकामोऽपूष- काम एव वराकः। तया प्रारभते eal खिद्यते सवेमहोराचं वादयति इलं अनुभवत्यटब्यां wd विमदेयति नानाप्रकारान्‌ qe डपमितिभवप्रपश्चा कथा | प्राणिनः परितते इष्छभावेन बाध्यते बौजनाशेन तथा faut afed भाषतेऽखोकं quia विच्रभसुग्धलोकाम्‌ याति देशा- भरेषु ata शओोतवेदनां wad तापषन्तापं तितिच्ते बुभुचां म गणथति पिपासांमनुभवति चाखायासादौनि ganas ufaufa महारौद्रसमुदरे प्रलोयते arora भवति भच्छं जश्षचराणठां तथा अमति गिरिकन्दरोदरेषु ास्कन्दत्यस्र विव- राणि निभाखयति रघकूपिकाः भच्छते तदा रकराचठेः तथा- seat महासारं याति राचौ सखमश्रानेषु वति ब्हतकलेवराणि विक्रौष्णति महामांसं साधयति विकलवेताशं निपात्यते तेन कुपितेन । तथाऽभ्यस्यति खन्यवादं भिरोच्छते निधानलशच्ण्णानि aafa agiaa ददाति ust तद्ग्रदणाथं श्तबखिं दूयते तदक्गारग्तभाजनवोचणेम | तथानुश्रोखयति धातुवाद समुपचरति acme alfa तदुपदेशं मौखयति मूशजालानि समाहरति धातु्छन्निकाः समुपढौ कथयति पारदं क्िश्ते तस्य जारण सारणमारणकरणेन धमते राजिन्दिवं पूत्करोति प्रतिचण इयति पोतश्चेतक्रिययोक्ेग्सिद्धौ खादत्यहनिंश्रमाशामोदकान्‌ व्ययौकरोति तद्ये शेषमपि wed मायते दुःसाधितकर्मंवि- भ्रमेण । तया विषयोपभो गसन्पत्तये धनायेमेव चायं ta: कुरुते wa रमते दयूतमाराधयति यक्िणों परिजपति मन्त्रान्‌ गणयति entfadt प्रयते निमित्तं श्रावजयति जलोकहदयं श्रभ्य्यति Bae aang fa बह तन्नास्ति aq करोति aq विद्यते यन्न वदति त्न सम्भवति यज्ञ चिन्तयति न च तया्यमनवरतमितसेतश्च प्रथमः प्रस्तावः | qt तदये बंभम्यमाणः प्राग्‌ विहितपु्शुन्यः समभिशलवितार्थस्य तिल- लुषजिभागमाच्रमपि प्राप्रोति केवलं सखचिसषन्तापमान्तसोद्र्यामे गरूतरककभारं Agee दुगेतिं चात्ममोऽभिवद्धंयतौति। यदि पुनः कथ चचित्पृवेविदितपुश्लवः स्यात्‌ ततोऽय जौवसतद्‌दयन घमसहसा- दिकं वा श्रमिमतभायां वा खश्ररौरसन्दयं वा विनोतपरिजनंवा ware वा कतिचिद्यामप्रञुलं वा राज्यादिकं वा प्राक्रुयादपि। ततस । यथाऽसौ TAR कदशल ग्माजलाभातुषटसयायमपि Hat माद्यति “za मदसज्िपातयसटय्च भाकण्यति विज्ञापनानि म पश्यति ieee म मामयति dat म भाषते प्र्णवचनेः sare एव निमोलयति चद्धेषौ श्रपमानयति यरुरंहतिमपि अ्रतोऽयमेवं विधत्च्छाभिप्रायहतख्रूपो Mat न्नानादिरन्नभरप- रिपूणंतया परमेश्वरा भगवतां मुजिपुङ्गवानां चद्रद्रमकेन्योयध- मतमः कथं म प्रतिभाषते । यदा प्रभावे ATG वा ata जञोवस्तद्‌ा विश्रेषतो द्रमकोपमामलतिशंघयति यतो विवेकधनामां महर्षोणां a एते किल शक्रादयो देवा महद्धंयो महाद्ुतयो निरूपशरितगशद्वा दि विषयो पभोगभाजनं द्राचोयःखितिकास्तेऽपि यदि सम्यक्दधेनरन्नविकलाः स्यस्तदा महादारिग्चभराक्रान्तमून्तेयो वि्यश्नताविलशितचदुलजो विताञ्च प्रतिभासन्ते कि पुनः tier: संखारोदरविवर वन्तिनो भन्तव इति । यथा wat द्रमकोऽगश्चया mae तत्कदनं सुज्ञानः शकादपि wea यदुतायं मभेतद्‌दा- efaafa तथायमपि जोवो महामो होपहतस्तदरविशकलचादिकं कथञ्चिश्नावता ज्ञे्रजालेगोपाजितं यद्‌ानुभवति तदा विभेति qe उपमितिभवप्पञ्चा कया | तसरेभ्यः जस्यति मरपतिभ्वः कम्पते भयेन care: उददिजते याचकेभ्यः किं aware जअश्पितेनात्यन्तनिःस्यहुनिषुङ्गवेभ्योऽपि शते । यद्तेते महता वचमरचनाटोपेन मां प्रतायं Fraga होतुभिच्छन्ति तथाविधगाडढमूच्छा विषाभिग्त चिन्तसिन्तयत्येवं इन्त धच्छते ममेतट्र विणजातं विचभानुमा क्षावचिग्यते वा सशिशप्रवा- हेन इरिव्यते वा शौरादिभिः श्रत: सुरकितं करोमि ततोऽषहायः श्रोषजना विश्चभ्ितया राजाबुत्थाय खनत्यतिदूरं wad निधत्त aay निग्धतसश्चारः पुनः पूरयित्वा गन्त कुरुते समं तलं वि- किरति तस्योपरि धूलिकचवरादिकं स्यादयति freee खात्रू- तेन मा aaa ज्ञास्यामि सखद शमिति विधन्त विविधानि चिद्कानि प्रयोजनान्तरेण ATMA सश्चरन्तमपरं अनं सुङखुनिंभा लयति कथिन्तदेगे यान्तौ तृष्ट WEA श्रा न्नातमेतेनातो मृर्च्छादन्दद्य मानमानसो म लभते राजौ मिद्रां पुनस्त्याय तक्रदेभात्तदुत्‌ख- मति निधन्ते च प्रदेशान्तरं fated पुनःपुनदिंगन्तरेषु सभयं fafaday: । aga मां कचिद्रच्छतोति बापारान्तरमपि स केवलं कायेन करोति Wag ततप्रतिबन्धबन्धनबद्ध ततः ere पदमपि न चशतोति। we कथ्चित्तया विध्यतं sata तेन रच्माणमपरो waa रज्ञो याच्च ततोऽखावकाण्डवद्पातनिह्‌- खितश्रसोर इव शा तात हा मातां भ्ातरिति विक्तवमाराष्य- मानः सकल्विजेकिलोकं करूणापरोतचित्ततां प्रापयति । श्रति- मूछनयाप्नात्रातचेतनो fart ati afed धनखवप्रतिबद्चेतो- fiat विलसितसुपद शितम्‌ । तथा ग्टददिणोप्रतिबन्धयदग्टहोतवि- परथमः प्रस्तावः । ९४ ग्रडोऽपौरव्थाशस्य वितचमानमानसः waa Hagen: परवौ चणरच- wefan: ay निःसरति गेहात्‌ a खपिति रजन्यां त्यजति मातापितरौ fafewafa बन्धुवर्गान्‌ न ददाति परमञ्ुदोऽपि खग्टडे ढौ कम्‌) अ्रवधौरयति धन्मेकार्याणि न गणयति शो कवच- नोयतां केवलं तसा एव सुखममवरतमो चमाणस्तामेव च परमा- तममूरत्तिमिव योगौ frente ध्याचन्ञेवास्ते। तस्य च॒ यदेव सा कुरुते AR यदेव सा भाषते तदेवानगन्दकारि eg चिन्तयति तदेवेक्गिताकारेविश्चायासौ सन्पादनायाश मन्यते | एवश्चाकणलयति मो हविडम्बितेम मनसा । यदुतेयं ममा- acer हितकारिणी न चान्येदृश्ौो सौन्दर्थोदा्यसोभाग्यादिगण- कलछापकशिता अजगति विद्यते । श्रय कदाचिन्लां मातेति भगि- नोति देवतेत्यपि मन्यमानः परो वौच्यते ततोऽखौ मोहात्‌ कष्यतोव विहृलोभवतौव मृच्छेतोव सियत इव किं करोमोति न arma) श्रय सा विय॒च्यते feud वा ततोऽसावप्याक्रन्दति परिदेवते सियते वा अरय सा कथश्िहुःशौौलतया परपुरुषचा रिण ख्यात्‌ परपुरुषा वा बलान्तां समाक्रम्य WET: । ततोऽसौ महामो इविहलो यावष्नौवं wages waa प्रावा वियुच्ते द्‌ःखासिकातिरेकेफेति । तदेवभेककव्॒प्रतिबन्धबद्धहदयोऽखं जवो दुःखपरन्परामासादयति । तथापि । विपयंस्ततया तद्चण- प्रवशमनाः सर्वथा श्रते ममेदमयं इरिव्यतोति। थथा ख तस्य Utes तेम कदशेनोदरपूरपूरितश्छापि न दश्चिः संपद्यते । प्रत्युत प्रतिकणं स॒तरां बुमुक्ाभिवधत cam) तथाख्यापि ९8 उपमितिभवप्रपश्चा KUT | खोवस्यानेन धमविषयकलनादिना कदन्लप्रायेण yrarwarfy मा भिलाधविच्छेदः fanfe गाढतरममिबद्धते ant: । तथाहि थदि कथञ्चिट्‌ विफश्रतं anya ततः सहस्मभिवाञ्कति । श्रथ तदपि सश्चाथते ततो wearatefa तत्छन्पक्नावपि कोटौ- मभिलषति aa राच्यं प्राथयति । श्रथ राजा जायते ततखक्र- वर्तौ लवं area तत्सम्भवेऽपि विबुधवमन्विच्छति । श्रय देवत्- AMSAT: शक्रलमन्वेषयते । शअयेद्टतामपि ead ततोपुन्त- रोन्तरकल्याधिपतिलपिपासापर्यांसितचेतसो arare stare ममोरयपरिपूजिः। यथया fe meade समन्साहवदाइतापि amare पिपासामिग्डतचेतमस्य मूर्छया पतितस्य कस्रित्प- यिकस्य ata ayaa सुबहन्यपि प्रबलकल्ोखमासाक्ुलानि महाजलाश्रयकदम्बकानि पौयमानान्यपि न तर्वापकषंक मनागपि खन्पादयन्ति। तथास्यापि mae धनविषया दौनि । any मादौ संसारे विपरिवन्तैमानेनानन्तश्ःप्राप्तपूवौदेव भवेषु निरूप- चरितशम्दाद्युपभोगाः श्राखादितान्यमन्तानर्घयरन्नकूटानि fae fad खष्डितरति विभमेः खड विलासिनोसार्थेः क्रौडितं fry- वनातिश्रायिनौभिर्मामाक्रोडाभिः | तथाणय Mat महाबुभुषा- च्वामोदर इव शेषदिमभुक्रटन्तान्तं a किञ्चिष्नानाति aaa तङमिलापेण wali । चन्तं यदुत तत्कदक्नं तेम TAR लोखन ym Tifa wera एुनर्वातविषुचिकां विधाय तं रोरं पोडयतौति । वदेवं योजनौयम्‌ । यदा रागादिपरोतचिन्तोऽय wat धनविषयकशजादिकं कदशलकण्पं Slats तदाशय कम्मसञ्च- प्रथमः Wea | १४. यशक्णमलों सम्पद्यते । ततद । यदा यद्‌ दथद्ारेण लोय॑ति तदा नारकतिवखूनरामरभवश्रमणएलकशां वात विषु चिकां विधा- येनं ota नितरां तत्कदर्थयति । यया च तत्कद्श्नं we शर्वरो- गाणां भिदामं पूवात्पक्नरोगाणां चाभिदद्धिकारणमत्धयंमभिहितं तथेदमपि रागग्रस्तचित्तेनानेन जोवेनोपसुच्यमानं विषथादिकं महामोहादिलश्कानां प्राशुपवणितानां समस्तरोगाणां भविष्यतां कारण पूवेनिवफिंतामां पुनर भिटद्धिश्तुश्तं ana) यथा ख स रोरस्तदेव कुभोजनं we मन्यते सुस्लादभोजनाखादं तु खप्रा- न्तेऽपि वराको नोपलभत दृत्युक्रम्‌ । तथायमपि Hat महा- मो हगरस्तचेतो ठत्तितया यदि दमगरेषदोषराशिदूषितस्ुपवफितख्धित्था विषयधनारिकं तदेवाति्न्दरमात्महितश्च safe कच्पयति यत्पुनः पारमार्थिकं स्ाधोनमिरतिश्यामन्दसन्दो ददायकं महा- HAVAIANAS परमान तदयं वराको मरामोहनिद्रा- तिरोहितखदिवेकसो चनधगणो म कदाचिदाखादयति । तया fe यद्ययमनादौ भवश्नमणे पूर्वमेव तत्‌ क्रचिदलप्यत ततोऽेषक्ञे्- राशिष्छेद खच्णमोलावािनंयन्तं कालं यावल्छंसारगदने पयेरिख- भतद्चायमद्यापि वंश्रमोति। ततो नामेन BATAAN सश्वरणशूपं बद्धोजनं प्रागवाप्तमिति fagted । धत्युनरभ्यधायि । चथा तद्‌- दषटमूलपयेन्तं नगर सुशावचेषु Tey जिकणतुष्कचत्वरादिषु नाना- SMG च रथ्यासु पथंटतोऽनवरतमश्रान्तचेतसाऽमेन Clary: परावत्तितमिति, तदपि सवंमच समाभं faa यतोऽसुनापि जोबे- मानादिवया काशस्य भरमताननम्तपुदलपरावर्ताः पथेन Alar; । 9 qq sufafaraqre! कथया । यथा च तस भमतो मकस तच नगरे म Wea कियान्‌ काशो संधित wan तया जोवभवभमणकाशकलनमपि न प्रतौ तिगो- शरचारितामलुभवति निरादितया तत्परि च्छेदस्य कन्तमशक्ेरिति। तदेवम संसारमगरोदरे मदोयजोवरोरोऽयं ङुविकल्यङुतकंङ्तो- ्चिंकणणेद्‌ दान्त डिम्भसंघातेस्तला भिमुख्यरूपे शरोर विपयांससपा- दमलखणथा ताडनया प्रतिकणं ताड्यमाने महामोहादिरागत्रातय- MIU नर कादिथातम।स्धानेषु महावेदनोदरयदलितंख- ङूपोऽत एव विवेक विमलोगतचेतसां शपास्थानं पौर्वापयंपर्यालो चन - विकथाग्ःकर एतया तल्ावबोधविप्रहृष्टोऽत एव प्रायः सवंजोवेभ्यो जघन्यतमोऽत एव धनविषयादिरूपकदन्ञदु राशापाश्वश्नोङृतः कथं- चिन्तकञशख्ाभत्‌ष्टोऽपि तेनादढप्तचेतास्तद्‌ पाजमवद्धंनसंरणप्रतिबद्धा- MAUI च सहो तनिबिडगरूतराष्टपकारकमंभाररूपानि- हितापण्यपायेयस्तद्‌ पभोगदारण विवद्धमानरागादिरोगगणपौडित- स्तथापि विपथेस्लचिन्ततया तरेवानवरतं भुश्जानोऽप्रा प्रसश्वा रि चरूप- OLAT HATS TIE घटौ यग्छन्यायेनानन्तपुद्लपरावन्तेनसमस्तयो नि- स्वानास्कन्दनद्वारोण पयेटित इति । श्रधुना पुगरस्य aes तदभिधौयते । tee. जिकालविषयतथाऽख्य afaace faagar समस्काखामिधा यिभिरपि प्रत्यथेरज स्वंचाऽपि कथाप्रबग्धे fen: सङ्गतो दउष्टव्यः। यतो विवक्षया कार कबत्कालोऽपि वस्तुखित्येकख- खूपेऽपि seit नानारूपः प्रयुक्तो दृष्टोऽभोष्टख शदविदाम्‌ । चया योऽयं माग गन्तव्यः श्रापाटलिपुचात्‌ तज कूपोऽग्दभवच्च ja भविब्यति भवितेति वा एते स्वपि कालमिदं शरा एकस्मिन्नपि कूपाख्ये पथमः प्रस्तावः | ९७ agfa विवच्ावशग साधवो भवन्तौत्यखमप्रश्ठतविस्सरेएेति । तज योऽसौ APIA समखब्धतसंघा तात्यन्तवत्छलइद यः प्रख्यात- को्तिंसस्िन्नगरे पुख्िताभिधानो महानरेष््रो दर्चितः स इ परमात्मा जिनेश्वरो भगवान्‌ aayt fade: । स एव fe प्रलौ- ना गेषक्तश्रराशरितयानन्तज्ञामद ग्रनवोयंतया निरूपवरितखापोन- जिर तिश्रयानन्तानन्दसन्दो इस््ररूपतया च परमार्येन सुखितो भवितुमरेति म शेषा अविद्या दिङ्गश्राशिवश्वन्तिनोऽतिदुःखि- तलात्तषाम्‌ | स एव च भगवाम्‌ समस्तन्तसंघातस्यापि Tare- शोपदे श्रदायितयाचेपमोचप्रापणप्रवणप्रवचना्येप्रणेढतया च सखभावे- नेवा तिवत्षलददयः । सख एव च प्रख्यातकोतिः निःरेषामरमरवि- सरनायकेः पुरुहतचक्रवत्या दिभिः । यतः स एव प्रश्स्तमनोवाक्षाय- व्यापरपरायणैरनवरतमभिष्टूयते । शरत एव चासावेवा विकलं महा- राजगन्दमुदोद महेति | थया च स रोरः पयंरस्तस्य मन्दिरिदारं कथञ्चितप्राप्तः। aa च सञकमेविवरो नाम द्वारपालस्तिष्ठति तेम च waaay तजर राजभवने प्रवेशित इृल्युक्रम्‌ । तदेवमिह योज- नयम्‌ । aa यदास्य जो वस्थानादिमता ययाप्रहत्तसंश्चेन करणेन कथञ्चिद्‌ चषेणचुणंनन्यायेनायुष्कव जितानां सप्तानां anette fea: समस्ता safe सागरोपमकोटोकोटयः पयेन्तवर्तिनोमेकां सागरोपमकोरौकोरि विहाय चयमुपगता भवन्ति । तस्या श्रपि ferns कोणं तदाऽयं जोवस्तस्यात्मनृपतेः सम्नन्वि यदेतदा- चारादिदृषिवादपयेन्तद्वादश्ाङ्गपरमागमरूपं तदाधारण्डतचतुवेषं- अमणसघखचणं वा मन्दिरं तस्य aft प्राप्तोऽभिभौयते | तज शं qc खपमि तिभवप्रपश्चा कथा | प्रवेश्रमप्रवणः. खष्याक्मौ थस्य कर्मणो विवरो विच्छेदः खकमविवरः स एव ययार्याभिधानो इारपाशो afaqaefa । अन्येऽपि राग- awe «acre विद्यन्ते केवलं तेऽस्य Hae प्रतिब- WAT मे AANA प्रवेशकाः। AQT हनन्तवाराः प्राप्तः प्राभ्रोऽथं लोवस्ते्िंरा क्रियते | यद्यपि क्षचिदवशरे aw तेऽपि प्रवेश्रयग्धेन तथापि तैः प्रवेशिता न परमाथेतः प्रवेशितो भवति रागदेषमोहा- agfeateru यद्यपि यति्रावकादिविश्ाः क्विद्धवम्ति तथापि ते सवेश्नश्रासनभवनाद्वरिष्डता द्रष्टव्या ca भवति । ततख्ायं Rada सखकमविवरदारपासेन तावतः भुवं प्राप्नो यन्धिभेद- arty सवेश्शासनमन्दिरे प्रवेशित इति युक्रमभिधोयते। यथा ख तेन कथानकोक्ेम तद्रा जभवममदृषटपू्वमनन्त विग्तिसंपन्ञं राजा- माव्यभहायोधनियुक्रकतरवगिकेरधिष्ितं ख्य विराजनसनाथं सुभ- टसंघाताकौशे विश्लषद्धिलासनोसाथें निरूपचरितशन्दादि विग्र यो पभोगविमदे सुन्दरः wanted ge तथानेनापि जवेन aq- वहुभंदोऽभिन्नपूवेश्च संसारे यः क्िष्टकमेगरन्धिसतद्ेद दारेण खकमे- विवरप्रवेशितेनेदं सवेन्न श्रा सममन्दिर तयाग ततरि षणएमेव षकशम- वलोक्यते | तथा fei gave wats प्रवयनेऽपास्तान्चानतमः- qewnat विविधरन्रनिकराकारधारका विखसदमखालोकप्रका- शितञुवनभवमोदरा श्नामविशेषाः । तथा विराभन्तेऽज भागवते प्रवचभे सन्पादितञुभिपुक्षवशरोर ्ोभनतया मनो हरमणिरचितवि- भषणविश्दाकारतां दधानाः खश्वामर्गोषध्यादयो मामद्धिविगेषाः। सथा दुवेज्तिपुजनडदयाखेपमच जिनमतेऽतिखन्दरतथा fafer- पथम, Were: | ¢e aufaantranrcagfayanfane: । तथा अनयन्ति चिन्ता जादा तिरेकमज पारमेश्वरे मते णोजोज्वशा गएको शो चावलग्बिमौ - क्रिकावचुखरूपतामा विभ्राणो रचमासोन्दथेयो गितयाचरणकरणए- ST aM: | तथा विेऽज जेनेष््द ने वन्तमानानां धन्यानां वक्कसौ वगन्धोत्कषे चिन्तानन्दा तिरेकमु दारताग्बूलसन्निभं away म्‌ । तथा व्याप्रुवन्नि खसौरभोत्करवेण दिश्चक्वासमज भाग- वते मते मुनिमधुकरनिकरप्रमोद हेतुतया विचिभ्भक्रिविन्यास- यिततथा मनोहारिङ्सुमप्रचयाकारधारकाश्यष्टाद शशयो लाङ्गसद- स्लाणि । तथा निर्वापयति मि्यालकषायषन्तापानुगतानि az सल्वश्रोराणि गोश्रौ षेलन्दनादिविलेपनसन्दो इदेश्यतां दधानम पारमेश्वरदशभेने सम्यग्‌ दशेमं यतञखाज VMI सज्च्रागद गेमचा- format प्रवचने वन्तन्ते ये जोवाते्मंहाभागधेयेः गितो नर- कान्धकरुपः । भग्र सिर्यम्गतिचारकावासः । निदंखितनि कुमानुव- लवदुःखानि । विमर्दिताः ङदेवत्बमामससन्तापाः । प्रलयं नोतो मिश्यात्वबेताखः | निष्यन्दोह्छता रागादिश्चवः । भरितप्रायं कमं निचधाजो णम्‌ । श्रपकणिता जराविकाराः । श्रपितं ae थम्‌ । करतलवरक्नौभि संपादिताजि खर्गापवगेसुखानि । शअरथवा- saat रितानि | ते्भगवकमतश्येजो वे : संसारिकसुखानि । wzetat Sager घमस्लोऽपि भवप्रपञ्चः । शतं मो लेकतानमन्तःकरणम्‌ । न च तेषां wares प्रति व्यभिचाराश्रद्धा। न युपाय उपे- यब्धभिषारो | उपायद्धाप्रतिहतश्रक्रिकः aaah: asa ग्तारिजात्मको मागेः। स च प्राप्नोऽस्ाभिरिति। wet ख Be डपमितिमवप्पश्चा कथा | awa तेषामिति fafen बुद्धि्माख्यतः पर प्राप्तव्यमित्याक- शय्य विहितं प्रतिप्ूणमनोरयं चेतः । अत एव तेषां पारमेश्वर- मतवन्तिनां जन्तूगां area शोको न विद्यते 2a प्रलोनमौ क्सुधं व्यपगतो रतिविकारः saute जुषा अरषम्भवौ चित्तोदेगः श्रतिदूरवन्तिनो ष्णा समूलकाषंक षितः were: fate तेषां मनसि aaa भौरता ware गम्मौरता अ्रतिप्रबणमौ दाथ निर- तिश्रयोऽवष्टम्भः साभा विकप्रशमसुखाग्टतानवरतास्रादनमजमितशि- न्तोत्छवानां च तेषां प्रबणरागकला विकलानामपि naga रतिप्रकर्षः विनिहतमदगदानामपि विवन्तेते चेतसि इषः समवासौ चन्दनकश्या- नामपि ग सम्मवल्यानन्दविच्छदः। ततश्च जनेश्रशासनख्थायिमो waver: खाभा विकडक॑प्रकर्षामो दितदइद यतया गायग्ति प्रतिं पश्चप्रकारसाध्यायकरणव्याजेन नुत्यग्धालायांदिदश्र विधवेव्याट्त्या- मुष्टानद्वारेण वल्गन्ति जिनजग्मामिषेकसमवसर एपूजनयाचादिस- म्पादनव्यापारपरतया उष्छष्टसिदिनादारोनि चिन्तानन्दकार्थाशि naff परप्रवादिनिराकरणलातुयंमाविभ्राणाः। कचिदवसरे MACACA हान्‌ वादयन्धेव भगवतामवतरणजकदौचाज्ञान- निर्वाशलचणेषु पञ्चसु मदाकच्याणकालेषु । तस्मादिदं ans प्रवचनं सततानन्दं प्रलौना गरेषसन्तापं म चानेन जौवेन कचिदपौदं WATT भावसारतया भवभ्रमणएसद्भावादेबेदं निश्चोयते | भावसार- aaa fe प्रागेव मोचप्रा्भिः संपद्येत तदनेन यन्तद्राजभवनस्य कथानकोक्रस्य सविगशेषणद्यमकारि | यदु तादृष्टपवंमनन्तविग्धतिख- न्यज्ञमिति। तदस्यापि सवंश्ञश्रासनमन्दिरस्य दशितम्‌ । aed प्रथमः THAT: | or यदुक्र राजामात्यमहायोधनियुक्षकललवगिकेर धिष्टितमिति तद- स्यापि विगरेषणं निदश्येते। aay भगवच्छासममन्दिरे राजानः सूरयो विज्ञेयाः । त॒ एव fe यतोऽन्तज्चैलता मडहातपस्तेजसा प्रल- ोग्धतरागादिश्रचवगां वदिश्च प्रद्रान्तव्यापारतया जगदानन्दहे- qa) त एव गशरन्नपरि पूणंलो कमध्ये प्रभुलयो गितया निरूपच- रितराजश्ब्दवाश्याः | तथा मन्तिणोऽजोपाध्याया द्रष्टव्याः । यतन्ते विदितवबोतरागागमषारतया साचाद्भूतसमस्तभुवनव्यापाराः wWwar- वन्ातरागादिवैरिकसंघा राहस्यिकगरन्येषु कौ श्रलग्रालितया सम- स्तनो तिश्ास्वन्ना इत्युच्यन्ते । त एव च सुबुद्धिविभवपरितुशित- भुवनतया अ्विकलममात्यश्रब्दसुद दन्तो राजन्ते | तथा महायोधाः awa गो तायेटषभा दृश्याः । यतस्ते सत्वभावनाभावितचित्ततया | a Safe दे विकाथुपसरगेषु म feats घोरपरौषदेभ्ः | fara BT) वेवखतसद्ग श्मपि परभुपद्रवकारिरं पुरोऽभिवोच्छ न चा- SAMIR । श्रत एव ते गच्छङुलगणसघानां द्रवयचेचकालोप- पत्तिमद्रानां परपराकरणद्वारेण निस्तारकारिणए इति हेतोमंहा- योधाः प्रोच्यन्ते | Framer: पुनरत्र मणएचिन्तका याद्या: । त एव यतो बालद्धन्लानप्राघुणेकाद्यनेकाकारास हिष्णुपरिपाख्यगुरुषसमा- कुलाः कुलगणसंघरूपाः पुरकोटौको टौ गच्छरूपांख्ासङख्ययामा- करान्‌ गोतार्थतथोलघर्गापवादयोः श्थामविनियोगनिपुणणः प्रासुकेष- पपोयभक्रपानमेषनब्योपकरणो पाश्रयसंपादनद्रारेण सकलकाशं निरा- कुलाः पालयितु wr) त एव चाविपरोतथ्ित्या आचायेनि- थोगकारितया नियक्रकष्वमिनामिधेया भवितु मरेन्ति। तलवर्गिकाः er डपमितिभवप्रषस्चा KUT | पुनरजजेने षश सनभवने सामान्यभिखवो Wa: | यतस्ते TATA- चाना: संपादयनधाचार्थादेशं कुवेन्यपाध्यायान्नां विदधति गोताये- वभ विनयं न weuafs गणचिभ्भकप्रयुक्मय्येदां नियोजयन्धा- त्मानं गच्छकुलगशयङ्घप्र योजनेषु सजो वितव्यग्ययेनापि निवेहन्ति तेषामेव गच्छाटौनामग्िवाद्यपायब्यतिकरेषु । अत एव ते शूरता- भक्रताविनोतताखभावादलं तलव निंकश्ब्दवा च्याः | यतखेदं मौनो- नः शासमभवनमनुश्चातं Bet fewest: सदु पाध्याये cepa | नोता चैटषमेः परिपुष्ट Maa गणचिन्तकेविंडितनििन्तसमस्त- व्यापारं सामान्यसाधुभिरतसेरनपिहितमि्युश्यते । साम्प्रतं यदुक्र- श्छ विराजमसनाथमिति । तदजापि जिनसडङघसदने योननोयम्‌ | awe स्थविरा जनाः खव्वार्था लोका मन्तव्याः । तथा हि । ते तन राजमन्दरे प्रमन्प्रमदटालोकनिवारणपरायणा भिदटत्तविष- arayrg थावणिताः। एतश्चोभयमपि भिरूपवरितमा्यंलोकाना- भेव ॒घटामाटौकते । यतस्त एव धमेकार्येषु प्रमादपरतन््तया Ver श्रवणोपासकलखनाशो कमात्मौ यशिशिकाव्े च परोपका- रकरणवब्य्नितया भगवदागमामिदडितं महानिजेराकारणं साध- मिंकवास्पख्छ चानुपालयन्तः स्मारणवारणचोदना रानदारेण कापथय- प्रखितममवरतं निवारयन्ति wat चावतारथन्ति। त एव च -विदितविषयविषविषमविपाकतथा विषयेभ्यो निटक्चिन्ताः सन्तो रमन्ते संयमे wefan तपो विगरेषविधानेः रब्यन्तेऽनारतसख्ञाध्याय- करये म सेवन्ते प्रमादटन्दं समाचरन्ति निविषारमाचायदिश्र- मिति | यथोक्म्‌ । guzdararale तद्धाजभवममिति । तेऽज प्रथमः प्रश्तावः। | भंगवच्छछासने सुभटसधाताः अमण्णोपासकषमूहा द्रष्टव्याः । यतस्त एव खमस्तमपोदं व्याश्रुवन्धतिप्रचुरतया । तथा हसंस्येया विन्ते देबेषु cee: सन्ति मनुजेषु श्ठरिप्रकाराः सङ्गोतास्ते तिवेषु awa: सन्ति भरकेखिति । त एव ॒शओौ्चीदार्थगाम्मौ ययोगितयथा भगवच्छासनप्रत्यनोकानां मिष्यालाक्मसत्वरूपाशां योधसंघाताना- gueraq विभ्राणा निरुपचरितप्रटन्तिनिभिन्तं सुभटशब्दं @gia ) यतैते षदा ध्यायग्ति स्व॑श्नमहारानं समाराधयग्ति सखूरिराजन्दामि खमाचरनधपाध्यायामात्योपदेगं प्रवतेन्ते गौताये- षवभमहायो धवचनेन खर्वधमकार्थेषु वितरज्ति विधिना बदात्मा- नुग्रइधिया नियुक्रस्थानौ येभ्वः साधुवगं पग्रडनिरतेभ्यो गणविन्त- केभ्यो वस्लपाजभक्रपानभेषजाघनसंसारकवत्या दिकं गमस्कवेन्ति विद्टद्धममोवाक्षायेस्तलकगिंककण्यमध्यदौ कितादिमेदभिनश्नं सकण- मपि सामान्यसाधुजनं वंदन्ते भक्तिभरनिर्भरइर्याः श्यविराजन- स्वानौयमार्वालोकं प्रोत्छाइयन्ति समस्तधमेकार्यव विशा सिनोषा्- wd आविकाजनमनुग्नोशयन्ति aneare जिननस्माभि- चेकनन्दोश्वरवरदोपजिनया HTM ATT TSU । तन जिगश्रासमसदने नित्यनेमिन्तिकानि। किं quater ते डि भावतः सवेश्चशासनं fage नान्यत्किित्यश्वन्ति गाकणंयन्ति न जानन्ति म agua म creat नानुपालयन्ति किम्नर तदेव सकलकल्याणकारणं मन्यन्त इति । शअतोऽतिभक्तितया ay महाराजादीगामभिपरेता इति war तस्येव मन्दिरख मध्यवाखिनो विनोतमरद्धिकमरङ्टुम्निककण्पासते KEN! अन्याडृां gree 10 ge | खप्रमितिभवप्रपश्ा Sut | भवने वाख दति । तथा age विखसद्धिलाशिनोसायं aqufi- avfafa । तदभापि मौनौष्दशेने cimtd awe विशलमडि- wifentarat: खम्यग्‌द शेनधर्णाणत्रतचरणजिनसाधुभक्िकरणपरा- यणतथा विश्चाखवनधः आविका etadera fase: । avg ता अपि अमणणोपाश्काः अमण्ोपासकवत्‌ स्वेश्नमहाराजाद्याराधनम- प्रबष्णाम्तःकरण्णाः शत्यं Hala खदान्चाभ्वाकं वासयन्ति दृढतरमा- तमानं दशनेन भारयन्धणत्रतानि wef ण्त्रतानि श्रश्वस्यन्ति भि्ापदामि समाचरन्ति तपोविगरेवान्‌ रमन्ते खाध्यायकरण वितरन्ति खाधुवगांय खालुग्रकरसुपग्रहदानं इब्यन्ति शरूपादवम्द्‌- नेन quia खुषाघुनमसकरणेन मोदन्ते साष्वौधर्मकथाख् wale सुबन्धूवगांदधिकतरं साधश्मिकणगसुद्धिजन्ते शाधभ्िकविकखदेश्- वासेन म प्रोधन्तेऽसंविभागितभोगेन शंसारसखागरादुक्लोणेपाबमात्मानं मन्यन्ते भगवद मेखेवनेनेति । तस्मात्ता श्रपि ae मोनौश्धप्वचम- afere मध्ये पूजोपकरणाकारासेषामेव अमणोपाखकानां प्रति- बद्धा gene वा निवसन्ति । याः पुनरोवंविधा म wet यद्यपि कथञ्चिन्तन्छध्याध्यासिनो gag तथापि परमाथेतस्ततो बड ग्रता विज्ञेयाः । aaa AS भागवतश्रासमभवनं नाज बहिन्द्धायवा प्रविष्टः परमायतः प्रविष्टो भवतौति fata तया चथा तद्भाजमभवनं निर्पचरितशब्दा दि विषयोपभोगविमरं सुन्दरं तथेदमपि विक्चेयम्‌ । तथा fei wasfa देबेश्रास्तावदेतकाध्य- aft वन्तन्ते। ये चान्येऽपि महद्धिकामरसंचातास्तेऽपि प्रायो ग भगवन्धतभवनाददिग्ेता भवितुमरंन्ति । ततस्च । तचा विध- परथमः THs | OY विवृधाधारण्छतस्याख्य faqrefcamartefaratnita विमद सुन्द- रता न FRITS | तदनेन चेत्षबणयं यदुत भोगास्तावत्पु- wizda संपद्यन्ते किन्तु तदेव gu ददिविधं waa पुष्या- नुबन्धि च। तज ये पुख्टालुबस्धिपुष्ोदयसन्पाथ्चाः शब्डाथुपभो गास एव सुख्कतमनोदरपश्यान्ञवक्छुन्दर विपाकतया . निरूपवरितश्ष्या- दिभोगवाश्यतां प्रतिपद्यक्ते। ते fe yun: स्फोततरमाश्रघं संपादयन्ति ततञ्ोदाराभिप्रायोऽसौ पुरुषो न तेषु प्रतिबन्धं विधत्ते । ततखासौ ताम्‌ parts निरभिव्यङ्गतया प्राग्बड्ध- पापपरमाणसश्चथ fafuwefa पुनखामिनव शटभतरविपाक पराग्‌पुष्छभारमाक्मन्याधन्ते स चोदयप्राप्तो भवविरागसण्पादनदारेष सुखपरन्परयोग्तरक्रमेश् मोशकारणलं प्रतिपद्यत इति sat: सुन्दर विपाकास्तेऽभिधौयन्ते | ये तु पापानुषन्धिपुण्मोदयलनमिताः श््टादिविषधानुभवास्ते सद्योघातिविषोपदिग्धमोद कवद्‌ारुणपरि- Wars तत्वतो भोगा एव नोच्यन्ते यतस्ते मरूमरोौ चिकजल- meter दव तदुपभोगायं धावतः पुरुषस्य विफलश्रमसम्पादमेन meat टष्णामभिवद्धयन्ति न तु संपद्यन्ते कथयञ्चित्घश्माप्ना अपि ते भुबव्यमानाः क्िष्टमागश्य जनयन्ति | ततस । तच्छा भिपरायोऽसौ पुर्षोऽन्धौग्छतबद्धिस्तेषु नितरां प्रतिबन्धं fare । ततस्तान्‌ कतिपयदिवसभाविनो भुश्चानस्तत्सन्पादकं प्रा्यपनिबद्धं woed व्यवकखथयति । पुनखोदयय॒रुतर पापभरमात्मन्याधन्ते | ततद तेनोदेयप्रापरेनानन्तदुःखजलवराकुल्लं संसारसागर ममन्तकाल्ं श्र जोवः Wate | तेन ते पापानुबन्धिपुष्यसन्पाद्याः श्ब्दादषो o¢ डपमितिभवप्रप्चा कचा | दारूणपरिणामा दत्यभिभौयन्ते । येषां तू संसारोदर विवरवल्तिनां जन्तुषघातानामवश्छतया ये शब्दादिविषयोपभोगाः खन्दरपरि- ware नियमतो भगवच्छासममन्दिरादुक्न्यायेन म बदिगधेता aaa लस्मादन्येरपि प्र्ापू्वंकारिभिराखेपेश apenas भगवस्मन्दिरे भावतः सेयम्‌ । owe खितानाममुषक्गत एव तेऽपि सुन्दरतया भोगादयः संपद्यन्ते म तेषामपि सनग्पादकोऽन्यो हेतुरि- am भवति । श्रत॒एव चेदं परमेश्वरद थेनसदनमप्रतिपातिखष- परन्परा कारणतया अततोद्छवमयिधोथते । तदेवं यथा यावदि- गरेषणणकश्ापयक च तद्राजमन्दिरं तेन॒ कथामकोक्रेनावशोकितं तथा तावद्िश्रेषशकलापो पेतमेवानेनापिजौवेने दं wayne षद- गमवलोक्येति सितम्‌ । यथा च स कयानकोक्रः सततागन्दं तद्रा- जभवनसुपलखभ्य किमेतदिति fafaafaunafa न चासौसोश्रा- दतथा तद्दिग्रेषरणंस्तत्तो लामातोत्युक्रम्‌ । तथायमपि ate: सवंश्ञश्रासनं सश्चातकमेविवरः कथश्िदुपशभ्य किमेतदिति जि्चा- सते म wea मिथ्यालाभिर्ग्धादकस्येरतवन्तेमानेस्तश्यामवस्थायामस्य जिनमतस्येमे विगेषगणास्तांस्तत्तो जानौते । यथा च aw कथा- TRING ATA लथचेतः सतो इद याकूतेः परिस्फुरितं UIA यदेतद्राजमन्दिरं सकलाखधेभामास् खकमेविवरद्वारपाशस् प्रसादेन मयाधुना दृष्यते । VM PRTG मथा कद्‌ चित्पवे दृष्टम्‌ | WASHS दारदेओे TM: पूवे केवलं मम मन्दभाग्यतया येऽन्ये ACT: पापप्रशतयस्तवागवंस्तेरदं प्राप्तः प्राप्तः कदर्थयिल्रा fa- धारित इति । aga Masha समानम्‌ । तथा fe) we UGA: Teta | ee प्रद्यासशभविष्यद्धद्ररड कथश्चिद्पलभ् खवश्ञश्रा यनम विदि ततह्ुएवि- गरेषस्यापि मार्गानुसारितया भवत्येवं विधोऽभिप्रायः। यदुतात्यहुत- मिदमरदभेमं यतोऽ तिष्टन्ति ये लोकास सर्वेऽपि gee इव बान्धवा इतरैकप्रयोजना इव समपितददया इवेकात्मका इव परस्यर वर्तन्ते, तथाग्डतदक्ता इव निर्द्गा ca मिरोव्सुक्या दव सोत्साहा दव परिपृणंमनोरया दव समस्तजन्तुसंघातडितोद्यतचेतसख सक- सकाशं दृश्यन्ते । तस्मात्पुन्दरमिदमद्य मया विज्ञातं a पूरं विमरश्राभावात्‌ । अन्यश्चायं जोवोऽनन्तवारायन्धिप्रदेशं याव्माप्नौ न॒ saa तद्धददारेण चिदपि स्वेश्चश्राखममवशोकितं यतो रागदेषमोहादिभिः RCAC TTT म्यो face इत्येता- वतां गरेनेदमुपद शितं म पुनलस्यामवश्वायामस्ं विभागम्याप्ययं जोवो जानौते चिन्तयति at) यया च। तस्य कथानकोक्रस्य पर्याशो- चमपरायणटत्तेः सतः पुनरिदं परिस्फ्रितं यदुत येन॒ मथा पू्ैमिदं नथमामन्दकारि weet म दृष्टं न Te दशनाथ कश्चिदुपायः प्राम्विहितः सोऽहं सत्यं निष्युष्यक एव । कोद राजमन्दिरमिति जिन्नासामाजमपि ममाऽघन्यस्य कदाचिदपि yi नासौत्‌ । येम चानेन महात्मना खकम्मोविवरद्ारपालेन जृपापरोतचेतसा भाग्यकलाविकश्स्यापि ममेदं दशितं सोऽयं मे Waa THA । एते च धन्यतमा जना येऽज राजमन्दिर सटा निःगषडन्दरदिताः प्रञुदितचेतसोऽवतिष्ठन्ते तरैतदपि waaay जोवे योजनोयम्‌ । तथा fe । ग्ररुभध्यानविशष्यमाना- ध्यवसायस्तास्यापि Hae feria rats सवे स्वश्च गनगोचरं ex wsufafaaaqnrg? कथा | कचिदवसरे समवसरणदशेनेम वा जिनखाजविशोकमेन वा वौोत- रागविभ्ननिरोखणेन वा शाकतपस्िजनसाचात्करणेन at सुश्राव कसङ्गतेन वा तदनुष्टानप्रतिभासेन वा द्रावितमिथ्याल्तचा ग्हदू- तभावस्य तथा हुपपद्यते 1 तदा तदिचारोणख्य Atha: | शोचति प्रागविचारकमात्मानम्‌ | wit मागदिग्रकम्‌। बन्धु qq aw मन्यते शद्धमेनिरतिचिन्तांखान्यलोकाभ सद्वावनयेति तदिषता प्रपञ्चेन wane: सम्मार्गाभ्यषेवन्तिगोऽभिश्लकमगन्धे- मिजकर्मगन्येवा पुरस्लत सम्यग्द्‌ शनश्य किथक्मपि काथं ara’ वन्तंमानश्याश्च जौवस्य थो व्यतिकरो भवति स ग्यावणितः | तद- गम्तरमिदानौं सकशकष्याणाचेपकारण्न्डतां परमेश्वरावशोकनां राभ्रुवतोऽस् थः प्रपद्यते तज योऽसौ कथानकोक्तो रोरो way Sant यावदित्थं विप्रक चिन्तयति तावद्‌ इन्तान्ताग्तरमपर मडहाराजावशोकमचणमापतितम्‌ । wie यदायं नोवः षन्ना- तखकग्मसाघवतया सन्मार्गामिसुखो vere ait तदाऽस योग्यतया परमाव्मावशोकनखणो ऽयमपरो TAM: संपश्यते | तज । योऽसौ gat प्रासादशिखरे अप्तमे.मिकातले निविष्ट मृन्तिरधस्तादन्तमानं ACSA ATT समसं समस्तव्यापार- HARI HAAS समन्ताजिरोच्छमाणसक्तसमादडहिरपि सवं- जाप्रतिषतदग्रनश् क्रिः खततामन्दो Vea शशमानो महानरेन्द्रो दर्शितः । घ ce निष्कलावस्थाथां वन्तमानः परमात्मा भगवाम्‌ सर्वश्चो fama: ख एव बतो मनत्थेलोकापेकया या उपथुपरिष्था- fat शमिकाकणश्याः सप्तरष्यवः तदात्मको यो शोकप्राखादस्त- प्रयमः Yes | Oe feat ant स एव fe परमेश्वरो aay WE fart विजिजरमगरब्यापाराकारमणोकाकाश्घ्च aah eaina केवल्लाखोकेम करतशलगत।मलकन्धायेनावलो कथति । स एव wWa- न्तवौर्य॑सुखपरिपूषणंतया सततानन्दो लोखया waa नापरो भव- गन्तेमध्यपतितलन्तुरोलालणनस्य परमाथतो विडम्बनाङूपलात्‌ | यया च स कथानकोक्रस्तेन महाराजेन मडहारोगभराक्राम्ततया माढबौभव्छदशेन इति war करणया विशेषेणावलो कित cana | तदैव द्रष्टव्यम्‌ | यदाथमात्मा भिजभग्यतादिपरिपाकवश्रादेता- वतं कोटिमध्यारूढो भवति तदाख्य भवत्येव भगवदनुग्रहः म तदतिरेकेण थतो मागांुखारिता संपश्यते । acqueea भवति भावतो भगवति बहमामो नान्यथा | खकर्मच्योपश्रमादौनां रेष- Samara । ततोऽयमात्मा तस्यामवस्थायां वत्तमागो- ऽबुमयंमाकशय्य भगवता वि्रवेणावलोकित इत्युच्यते । ख एव परमेश्वरोऽचविगधगर क्रियुक्षतथा परमार्थकरणेकतानतया We नौव- GB मोकमागेप्रटृक्तेः परमो हेतुरित्युक्तं भवति । उमखजगद्‌- सुगरहप्रवदणं हि भावतो निष्कलमपि रूपमिति परिभावनोयं aaa तयापि तव्लोवभव्यतां कण्मकाख्स्धभावनियन्यादिकं ख सहकारिकारणकखा पमवेच्छ नगदनुग्रदे व्याप्रियते तेन भ॒ यौग- पये समसप्राखिनां SAAT दत्यालोचनो यमेतदागमानुसार- रेति । तस्माद्वल्येव भाविकश्याणुख भद्रकभावे aware Haws भगवटवलोकना | यथया च तां महाराजदृष्टिं तच रोर निपतन्तो धमबोधकराभिधामो महानसनियुक्को निरो कितवानि- te डपमितिभवप्रपश्चा कथा | यक्षं तथा परभैश्वरावशोकनां wT भवतीं धमेबोधकरणग्नोखो ध्मबोधकर दति यथार्यामिधागो मग्म्ाशौपरेश्रकः aft: स facet ख । तथा हि । सद्यानबलेन विमलोग्तत्मानःपर- fetafacafent भगवन्तो चं योगिनः wate देशकालब्यव- हितानामपि अनूनां कद्मस्ावखायामपि वतमाना दन्तोपधोगा भगवद वश्लोकनाया योग्यतां पुरोवन्तिनां पुमः प्राणिनां भगवदा- गमपरिकमितमतयथोऽपि योग्यतां लखयन्ति तिष्ठन्तु विशिष्टश्चाना इति। घें च मम सदुपदेश्दाथिगो भगवन्तः खूरवसते विशिष्ट- ser एव चतः कालब्धवहितेरनागतमेव तेश्ातः शमस्तोऽपि ween: खरयेदनसंसिद्धमेतदस्मा कमिति | यत्पुनस्तेन ध बोधकरेण agar सता तदनन्तरं चिन्तितं axa किमेत- दाच मयाधुना TRA यतोऽयं सुखितो महानरेश्रो थस्योपरि विग्रैवेण gfe पात्ति स पुङषस्खिभुवमस्यापि द्रागेव ny: श्लाथत इति सुप्रसिद्धमेतत्‌ । अयं पुनयाऽधनाख्च राजो $ृटेगौ रचा रितामतभवनपकलच्छते स मको देन्योपतो रोग- TISAI मोरहोपतात्मातिबौभत्छद शंनो जग- दुदेगडेतुरत्कथं अमस्तदोषरागेरस् परमेश्वरदृष्टिपातेन साद सम्बन्धः पौर्वापर्येण frat न wet न कदाचनापि दौ तरदौगत्यभा जिनां Fe श्रगर्धंयरननषष्टयो निपतितुमुतखदनते । तत्कथमेतदिति fanafatarged चेतः । तदिदं शवंमजापि लोवविषयं सद्धर््ाचायेवेतसि ana योजनोयम्‌ । तथा fe । यदाऽयं wat नितरां गरूक्मतथा प्रागवस्यायां खमाचरति सम- प्रथमः प्रखादः | =e स्तपातकानि भाषते fasinmaratiacenfa म सुश्यतेऽनवरतं रौद्रध्यानेन स एव चाकाण्ड एव कुतञ्धिजिमिन्ताच्छभसमाचार सिन eee, ey ee णिक -- --~ ~= = ~ ’ वव प्रथमः प्रस्तावः | १२७ मन्दमंवेगतथापि विधौयमानेभेतावाम्‌ gu: संपश्चते । यदुत ते भावरोगा याणतां ata इति । थ - - - रयं Paton तया गाढतरं विषयधनादिषु ग्द्धिं विधत्ते angen शरिपरि- ग्रहं समारभते महाजाशकण्यः afexy समाचरति श्व्यादिकं विधापयति तथाविधानं्न्यांख्च serena तदा ते रागादयो भावरोगाः प्रबखसहकारि कारणएकशापमासाद्य मानाकारान्‌ विका- राम्‌ quem नानाद्र विडहितमनुष्टाममाजं ay बाणम्‌ । तत- खायं wa: afedivad श्काण्डश्लकस्पया धनव्यथचिन्तथा कचिदन्द द्यते Tala कचिकामूषुरिव मूच्छ मनुभवति सवेख- रणम कचिद्ाध्यते कामश्वर सन्तापेन कचिच्छादिंमिव st वादु न्लमर्फमरोतधननिर्यातमां करिष्जाद्यमिव sua जानतो- saedfaur प्रटृत्तिरिति प्रवादेन शोकमध्ये ada कचिन्ताम्यति इत्पाश्वेवेदमा तुद्धया इष्टवियोगानिष्टसम्परयोगादिपौडया कचित्मभ- वति vane पुमरपि मिश्यालोश्रादसम्तापः afegafa सदनु- छामखच्णे पथ्ये अग्रतरमरोखकः तदेवमेवंविधेविकारेस्तावतौं को रिमध्याङूढोऽपि खल्वेष ज वोऽप्थसेवमासक्रो बाध्यत दति । ततस्तदनन्तरं चद्वाचि aga ख वनौपकस्तथा विकारेरुपडतो दृष्टखद्‌ यया ततोऽपथ्भो जितामचिदत्योपलमस्तया तेनोक्तं ae- मभिखाषातिरेकेण खयमेतत्परि इतुमुल्द्े ततोऽमुतोऽपथ्यसेवना- दारणोयोऽहं भवत्या प्रतिपन्नं तथा ततस्तदचमकरणेन आतस्तस्य ममाग्‌ विग्रेषः tae सा धद्‌ाऽग्य्ं तदेवासौ तदपथ्यं परिहरति मान्दा सा चानेकसल्नप्रतिजागरण्णक्रुलेति न स्वेदा तत्छनिधौ १२९८ उपमितिमवप्रपश्चा कथा | भवति । ततोऽसौ सुत्कशोऽपश्यमासेवमानः पुनरपि विकारैः Tet एव । तरैतदग्य्र जोवन्यतिकरे सदृशं atid केवलं Zeal जोवच्योपरि दथा शेव प्राधान्यात्पार्थक्येन awl विवदता । ATS WATS गुरवो दयापरौतचिक्नाः प्रमादिनमेनं जोव- मुपलभ्वानेकपोडापर्याङुलतया क्रन्दम्भमेवसुपालभन्ते यया भोः कचितमेबेदं प्रागेव भवतो म ge: खख विषयासक्चिक्त्मनः खन्तापाः। म दूरवन्तिन्यो धमाजगरकणप्रवणानां नाना BT: । तथापि भवतस्तबेव गाढतरं प्रतिबन्धः । यत्पुमरेतदगेषक्ेशराभि- महाऽजौषविरेककारितया परमखाख्थ्यकारणं श्चानदशेगया रिजचरथं तदनादरेषावश्ोकथसि लं तद्ज किं gar ad यदि किचिद्‌ ब्रूमरतो भवानाङ्ुलोभवति ततो Cerna वयं भवन्तमनेकोप- ्रवेशपद्रूयमानं Tats Bway न पुगराङ्ुखताभया- Ramana प्रखितमपि वारयामः | श्रादरवतामेव gat विश्ड- wate परिहरतां श्ागदग्ेगदेश्रचारिषाश्नुतिष्ठतां तामि विकारजिवारण्यालं नानाद्रवताम्‌ । यदा waa पश्चतामपि लं रागा दिरोगेरभिग्छयसे तदा भवहुरव इति शला वयमथु- Teenie शोके भविष्याम इति । सोऽयं तदयाविडितस्तद्‌- पाखंभ इत्युश्यते । ततोऽयं Nat गरूनभिदधौत भगवश्ननादि- भवाभ्वस्ततया at atwaf मे टष्णालौख्यादयो भावाः ततस्त- इशगोऽहं न खदारभपरिग्रह जानन्नपि तदोषविपाकं मोक्ष शक्रोमि । ततो भगवद्धिर्बाहसुपेशण्टोयो निवार्यो यल्नतो- cane gale: कदा चिद्धवन्ाहाव्येनेव मे स्तोकस्तोकां प्रथमः Tey: | १९६ दोषविरतिं क्ुवेतः परिएतिविगेषेख सवंदोषत्थामेऽपि शकिः संपद्यत इति । ततः प्रतिपद्यन्ते तदचनं शरवः । सोदयनि प्रमा- धनो कचिदवसरे संपद्यते प्राक्‌ प््निपौडोपश्रमः accor mag श्ानादथो रशास्तत््रसादेन सोऽयं तहवावचनकरणेन मनागारोग्यश्षचष्ः संजातो fate इत्युच्यते Barer नोवो विभिषटपरिज्चानविकशतथा धदैव ते चोदयन्ति ada खदितमतु- चेष्टते तश्चोदमाभावे पुनः भियिखयति सत्कनव्ये प्रवर्तंते निभैरं wet सटारभपरिगहकरणे। ततखोष्धषन्ति रागादयो aati मनःज्ररोरविविधबाधाः। ततसदवख्येव विहृतेति तेषां तु भगवतां TRU | यथायं yaaa: श्चोदनादानदारेए परिपाश्च्तथा बहवोऽन्येऽपि तथाविधा fart) amg शमखारुगदप्रवष्ास्त कदाचिदेव विवकितलीवचोदमामाचरन्ति शेषकालं तु सुकखनया खञाडितमनुतिषम्तमेतं म कञिदारथति। ततखावमनब्भरोक्षोऽनचेः संपद्चत इति। शोऽयं तदहयाषज्ञिधानविरशहादपश्यसेवनेन पुना रोमदिकाराविर्भाव दृत्यमिधोयते। ततो यथा पुनस्तेन caw तरे सदाय Gaurd निवेेदमभिडितं ven मायाख्या waw चचा म मे खघ्रान्तेऽपि पौडा जायते ततस्तेगोक्रम्‌ । इवं age eure ग सम्यक्‌ तवापश्धनिवारणं विधत्ते ततः att faut तव परिषारिकां केवलं तदचगकारिणा भवता are ततः प्रतिपन्नं तत्तेन दन्ता aw france बद्बदधिर्गामपरि- सारिका Ger) ततखहुखेन fred तस्तापश्चचान्पन्यं ततस्तनू- ता रोमा निृत्तपरा्ाखदिकाराः SINT मनाम्‌ TTT 17 ३० उपमितिभवप्रपश्चा कथा | werfuat वद्धितश्चानन्द इति तथेष व्यतिकरो जोषेऽपि समानो ava | तथा Te यया धावन्नन्धो भित्तिस्तम्भादौ लमभास्फोटो वेदना विहृशस्ता- मास्फो टबेदनां wa कथयति । तथायमपि wat यदा qe जिवारिताचरणेन दृष्टापायलात्‌ संजातप्रत्यथो भवति तदा तानेक- ्रकारानपायान्‌ gent निवेदयति । aga wage यदा य॒द्म- निवार्या न गामि स्तेनाइतं म करोमि विर्द्धराजातिक्रमं नाचरामि वेश्यादिगमनं नानुतिष्ठामि तथाविधमन्यदपि धमंलोक- विरद्ध म रब्यामि महारभपरिग्र्योः तदा मां लोकः साधुतया auifa मयि fas विधत्ते erat चाशरति तथा न जामामि शरोरायाखजनितं दुःखं संपद्यते wus wed तिष्ठतां सुगतिप्रापको भवतोति भावनया भवति चिन्तानन्द cfr थदा ठू anfaarcer न भवति भवन्तो वा तामनपेच्छ निबन्धतया म atafa मां शरव इत्यभिप्रायेण धनमूङनया रक्ञामि सेनाइता- दिकं विषवलोष्येन गच्छामि वेश्ादिकं समाशरामि तादृश्रमन्य- दपि भगवल्ञिवारितं तदा. शोकादश्चाघां राणकुलात्सवेखदरणं शरोर खेदं मनसापमपरांख समसताननर्थानिरह शोक एव प्राप्नोभि। पापंच दुगे तिगन्तेपातशेतुरेवं वन््ेमानानां भवतोति चिन्तया दन्द- इमानददयः चणमपि सुखं a शभेऽइमिति । तसमान्ञायास्तथा कुरुष्नं यूयं चथाहमनवरतं युद्मद चनादर एषना हेन सखततभेतसा- AAMT भवामौति। ततखदाकष्ठं गरवो ब्रूयुः भद्र प्रचमः प्रस्तावः | tar धदेतत्परप्रत्यथनाकायैवजेनं कादा चित्कमेतत्‌ केवलं तथापि faa- माणस्य तस्येतरस्य च दृष्ट एव भवता विशेषः । वयं चानेकषलवो- पकारकरणव्यग्रा न॒ सदा afafeat भवन्तं वारयित पारयामः । एवं च fad न यावद्भवतः खकोया सदद्धिः सपना तावदेषा- स्मन्निवारिताशरणनिबन्धनानयेपरम्परा भवन्तो न॒ विनिवन्तेते wefgta fe परप्रत्ययमनपेच्छ॒खप्रत्ययनेव लो वमकार्याजिवार- धति 1 ततो मुच्यते sata इति । ततोऽयं stat त्रयात्‌ 1 नायाः सापि भवक्मसादादेव यदि पर मम संपद्यते नान्यथा) ततो गरवोऽभिदध्यः भद्र दौयते बदुद्धिः वचनायत्ता हि षा मादृशां aid tae दौयमानापि खा पुण्भाजामेव अन्तुनां खम्यक्‌ परिण- मति नेतरेषां थतः पुश्छभाज एव तस्यामाद्रवन्तो जायन्ते नापरे तदभावभाविनो fe देडिनां easel: तदायन्तान्येव सक~ HAW तस्यामेव च ये महात्मानो यतन्ते। त एव भगवन्तं स्वेश्चमाराधथन्ति नेतरे तत्छंपादनाथेः कल्वेष मादृशां वचन- प्रपञ्चः | दुद्धिविकशानां fe पुरुषाणं चवहारतः संजातान्यपि ज्ञानादौनि नासंजातेभ्यो विभिन्ने खकार्याकरणात्‌ । किंबहनो- केन सखदुद्धिविकणः पुरुषो a पशनतिगेते तस््ाद्यदि . तेऽस्ति Saag दुःखेभ्यो वा यदि विभेषि ततोऽखामस्राभिदौय- मानायां बुद्धौ यन्नो विधेचः। तस्यां fe aaaat स्माराधितं वचनं बहमतो भुवनभर्तां परितोषिता वयमङ्गोरतं wana परित्यक्षा शोकसंज्ञा खमासेविता घमेचारिता समुन्तारितो भवो- दधिराव्मा भवतेति । ततो भगवतां षद्ध्मगुङूणामेवं विधवचोऽ्टत- १९२ उपमिविमवप्पष्ा या | परवारप्रह्धादितददथोऽयं Mawel तयेति प्रतिपद्यते। ततस्ते तख equa aga waaay परमग॒द्यं सम्बगवधारण्णयं भवता अदुत wad stat विपयांशवशेन दुःखाताकेषु धनविषयादिषु सुखाध्यारोपं विधत्ते Gernay वेराम्यतपःखयमादिषु दुःखाध्यारोपं Gta madara दुखसम्बन्धः | यद्‌ पुमरनेन विदितं भवति विषयेषु प्रहत्निदुःखं warren: सुखं तदायमरेषेच्छा विच्छेदेन farrgerar सखाभाविकस्ुखा विर्भावात्‌ खततानन्दो भवति | अन्यच । भवतोऽयं परमायेः कथ्यते थया यथायं पुरुषो निःखहौ भवति तथा AUTS पाजतथा कणाः संपदः संपद्यन्ते । यथा यथा खपद भिलाषो भवति तथा तथा तदयोग्यतामिव fate arent meat इूरोभवन्ि । तदिदं नित्य भवता सवच सांसारिक- बदाथंलायं aret विधेया । ततस्ते खप्रदशायामपि पौडागन्धोऽपि मनः श्ररोरयोर्भेव संपद्यत इति । ततोऽयं जोवस्तमुपरेशमग्टत- भिव vita) ततस्ते धमेशरवः aoe सदुद्धिरस्दति शवा भेदानौमेषोऽन्यथा भविव्यतोति तं प्रति भिञिन्ता भवेयुरिति) ततः प्रादुग्धेतशद्ुद्धिरयं जवो चपि श्रावकावस्यायां aaa: कुरूते विषयोपभो गमादन्ते धनादिकं तथापि यस्तजाभिष्वक्तो- ऽकभिकारणतः ख न भवति ततो श्चानदशेनरेश्रलारिजेषु प्रति- बङ्धाकःकरणस्य aw ते दरविएभोगादयो यावन्त एव संपद्यन्ते तावन्त एव खन्तोषञुत्पादयन्ति | ततोऽयं सहुद्धिप्रभावादेव तदानौँ था न्ञानादिषु यतते a तथा धनादिषु ततोऽपूर्वं न वद्धे रागादयः तनूप्मवन्ति परा्ौनाः। तथा पूर्वो पचितकमपरिएतिवभे प्रथमः प्रस्तावः | १६९. श्पि कंचिद वरे काचिच्छरोरमनथोर्बाधा संपद्यते तथापि खा निरसुबन्धतया न fecaafasa ततो ala तदायं नौवःसन््ो- चावन्तोषयोगंएदोष विशेषं drat चोर णाखकन्दनेन चिन्त- प्रमोद इति। ततो यथा तेनं॒॑वनोपकेम तया ager परिषारिकया बड qalutted wz fafafan: खण्वेष मम देदचेतसोः प्रमोदः । तथा च ATARI भेषजज्रथासेवनं च तस्य कारणमाण्यातं ae थुक्रिञ्चोपन्यस्ता तदिहापि समानमेव | तथा fel सदुध्येव wy पर्य्यालोयन्नेष लवो शयति । यदुत चदेतत्लाभाविकं Catered खमाविग्धेतं FATE जिबन्धनं विषथादिष्वभिष्वङ्गत्यागो शन्नानाद्याष्वरणं च । तथा fe प्रागभ्बाखवगेन विषयादिषु प्रवत्तेमानोऽेव ota: सदुद्धिकशितः waa भावयति न away विधातु मादृशां ततो गद्धिविकल- तया farda चेतसोऽनुबन्धः ततः संपद्यते प्रश्रमसुखा सिकेत्यथमज करेश्पन्याखो faa इति । ततो चदु पलम्धसुखरसेन तेन रोरेण तस्याः परिशारिकायाः पुरतोऽभिहितं aga az खवेथाधुना quae कदन्नं यमात्यम्तिकमेतव्छुखं मे संपद्यत दति । तयोक्तं wife केवलं सम्यगाशोश्य gaat भवता यतस्तेऽत्यन्तवक्षभमेतर्‌ ततो यदि मुक्रःपि तवाज सखेहवन्धोऽनुवन्तेते तदरतरम्या त्वाग एव यतस्तौत्रशौ ्यविकलतथा भुश्वानस्यापौदं मेषजजया- wager waa ते विद्यते afi warren यदि Wawa wana विधाय लमेतङ्गोचर स्मरणमपि afcafe ततो १९९ उपमितिभवप्रपद्चा क्या | रोगा भूयोऽपि कोपं चाश्यन्ति तदचनमाकण्यं ave टरौोलायिताः बुद्धिः किं करवाणोति न संजातो मनसि निचय दति तदिद- मजापि Ma qe वन्तते | यथा हि । यदायं सांसारिकार्थंषु चित्तानुबन्धचोटनेन ज्ञाना- ea दृढमसु शक्तया ग्टहस्थावस्धायामपि वत्तेमानो विन्नात- संतोषसुखखशूपो भवति तदास्याविच्छिन्प्रश्रमखुखवाञ्छया प्राद्‌- भवत्येव सवैसक्गत्यागवृद्धिः पर्यालोचयति चात्मौयषहुध्या ag यदत किमहमस्य विधाने समार्थो न वेति । ततः बदुद्धिमसादा- देवेद मेष लयत्येव थथानादिभवाग्बावशेन सखरसम्रटन्तिरेष mat विषयादिषु ततो यदि निःगरेषदोषनिटत्तिलचषणां भागवतो- मपि दौचासुररोशृत्य gata तामना दिरूढकमेजनितां प्रकृतिमनु- वत्तंमानो विषयादिस्पश्याप्यात्मानं किडम्बयियति । ततोऽस्यादितः एव तदनङ्गोकरणं श्रेयस्करं यतस्तोत्राभिव्वङ्गरदहितो विषयादिषु वर्तमानो गहख्ोऽपि aed ज्ञानाद्याचरपम्रधानं क्वाणः कर्माजोजरणेन रागादिभावरोगतनुता मधिहृत्य यातां लभते ¦ म॒ चेयम्यनादौ waa कचिदवाप्षपू्वानेन जोवेनातोऽत्यन्त- cada यदि तु saat प्रतिपद्य पुन विषयाद्यभिलाषं विधत्ते ततः प्रतिन्ाताकरणेन इरन्तर चिन्तसं्ेशप्राेगुरुतररागाचुद्ेकेण तामपि यातां न लभते ततो यावदेवं निरूपयत्ययं aa: तावदस्य चारि्रमोहनोयकमं गेरनुवत्तंमानेविधूरिता सतौ पूवे प्रहक्तापि अर्वेशङ्गत्या गनृद्धिः युनदेलायते ततः सपद्यते वोर्यंहानिः ततोऽवखम्बते खल्वयमेवं विधानि कदालम्ननानि । यदुत सौदति प्र यमः प्रस्तावः | ९६९४ तावदधुना ममेदं कुटुम्बकं मन्छखनिरौ चकं चेद न aria ALT , अतः कथमकाण्ड एव मुञ्चामि यदि वाद्यप्यसंजातबलोऽयं तनयः अपरिणितेयं तदस्य करूणां wart विधातव्यो भवे भवे ॥ भवोच्छद करो भाय भक्रिरात्मनि निश्चला । ` ea जगज्नायमुच्छाय जिमसुद्रया ॥ विधाय वन्दन श्रयः पञ्चाङ्गनममादिकम्‌ | तदन्ते प्रणिधामं च मुक्ता श्एह्यातिसुन्दरम्‌ ॥ Bal BATA मन्यमानः सुकर्मणा । at: पादयगं सिंचन्नागन्दोदकविन्दुभिः ॥ ` वन्दगदवाद भरावनते घ ददौ दोषद्धदनम्‌ । हतसामयिकोऽगरेषसाधूनानस्य भक्तितः ॥ श्वाप्नध्मंशाभोऽसौ fare: WEA । weet wet तच मन्तिणि ॥ अथाचार्था विग्रेषेण चक्रिरे ध्मदेशनाम्‌ | कथितं भवनेभे्धं विता कर्महेतवः ॥ प्रख्यापितं च निर्वाणं दशितं त्य कारणम्‌ | ततञ्चाणटतससेकचाङणा वचसा मुनेः ॥ जातास्ते जन्तवः सवं चिन्तषन्तापवजिताः | श्रनानारे । मखा दूविशदं शवा WETS AACA | जगाद भारतोमेनां ख राला TAS: ॥ भगवन्न FAC मरण सुखकामिमा | fazed aaa सवसन्पत्तिकारणएम्‌ ॥ acd उपमितिमवप्रपञ्चा KUT | खूरिराह | MIA महाराज धमः सवेश्चभाषितः | स एव भगवान्‌ खवेपुरुषा यंप्रसाधकः ॥ सोऽनन्तसुखंपूणं मोखे नयति देहिनाम्‌ | अनुषङ्गेण Wt घ Bq: सुखयपद्धतेः ॥ भरपतिरूवाच यद्येवम्‌ | RAG म कुर्वन्ति तं शर्वसुखसाधनम्‌ | धम संसारिणः fa वा करिष्यन्ते सुखकाम्यया ॥ खूरिराइ | सुखाभिलाषः सुकरो दुष्करोऽसौ नृपोत्तम । यतो जितेश्ियियामस्तं साधयति मानवः ॥ अमादिभवकान्तारे प्राप्नानि परमं बलम्‌ | दुर्भधाभिने शक्यन्ते जेतुं तानोद्धियाणि वे ॥ तेनेव जन्तवो मूढाः सुखमिच्छग्ति केवखम्‌ | धमे पुनः खदूरेण त्यजन्ति सुखशकारणएम्‌ ॥ acafagara | येषां जयमश्रक्िष्ठाः aa मो पारयन्धमौ । धर्मतः प्रपणायन्ते ततो war: सुखेषिणः ॥ alfa aratfxarate किंखरूपाणि वा मुने। कथं वा दुनेयानौति ओतुमिश्छामि तत्वतः ॥ सु निरूवाच। wit रसनं घ्राणं चुः ओं च पञ्चमम्‌ । एतानि तानि Tiere इषौकाणि weet ॥ ` Zata: Geta: | २८७ ts: स्पा दिभिसोषो देषटद्धिस्तयेतरः | एतत्खरूपमेतेषामिद्दियाणं नृपोत्तम ॥ gaara यथा तानि कथ्यमानं मचाधना । दत्तावधानस्तं सवेमनुश्रत्यावधारथ ॥ श्रनेकभरसद्लोणे समरे योधयन्ति ये । मन्तमातङ्गसंचातमेतेस्तेऽपि विनिर्जिताः # अङ्गच्धय निधायेदं भुवनं मारयन्ति घे ! शरक्रादयोऽतिग्रक्रिष्ठास्तेऽप्यमो मिर्वश्ये्ताः ॥ हिर्गभवेकुमदेश्वर पुरःसराः | एतेनिराद्ताः सन्तः सर्वेऽकिङ्रतां गताः ॥ अधोत्य 'सवेश्रास्ताणि परमाथ विदो जनाः | एभिवरिधुरिताः sagen बालिशया इव ॥ एतानि fe खवो्यंश ससुरासुरमागुषम्‌ | वराकमिव भन्यन्ते सकलं मुवनजयम्‌ ॥ दुजेयानि ततोऽमूनि इषोकाणि नराधिप । एवं बामान्यतः शला इषौ कदुरवणएंनम्‌ ॥ ततस | | न्नानाखोकेम ward बोधमाथं ममोषिणः | सखूरिबेभाषे सदनदोधितिच्छरिताधरः ॥ TIT AWTS | तिष्ठन्तु तावच्छषाणि इपौकाणि seq । ` स्यशरनेडियमेवे कं समयं बत वति .॥ acc उपमितिभवप्पञ्चा कथा | यतो भ शक्ते खोके्ज॑तुमेकं कमण्यदः | Neat जयतोदं तु भुवनं THAT ॥ गरपतिर्वाच | wage जेतारो राः किं सन्ति gafeq । आहोख्िन्नेव विद्यन्ते qaasfa तथाविधाः # सु मिरूवाच | crate a विध्यन्ते केवलं विरला जनाः । a चास्य विमिहन्तारस्तनाकणेय कारणम्‌ ॥ जघन्यमध्यमोत्कष्टास्तयोत्छष्टतमा FT । चतु.विधा भवम्तौह पुरुषा भुवनोद्रे ॥ तथोक्छष्टतमा स्तावदयेरिदं WIAA | अरमा दिभवसम्बन्धला लितं पालितं प्रियम्‌ ॥ जेनेन्द्रागमसन्पका CEN TAIT | ततः सन्तोषमादाय BUTI निरारृतम्‌ ॥ area श्रपि ते सन्तो mae जिनागमे | quafeauiea नाचरन्ति कुचेष्टितम्‌.॥ यदा पुनर्विगेषेण तिष्टेत्तेषां जिनागमः | स्श्ननेखियसम्बन्धं जोटयन्ति तदाखिलम्‌ ॥ यतो दौचां मादाय निमेलोमसमानसाः | खन्तोषभावतो धन्या HTT TT: ॥ ततस्ते भवकान्तार निविन्ता वोतकस्बषाः | स्रेनप्रतिकूलानि सेवन्ते प्रोर मानाः ॥ Zara: प्रावः | Roe गमोश्यनलोलादिकायङ्ेश्विधानतः | ततः geget हिला लायन्ते ते निराङ्खशाः ॥ ततः CHARA TAM विच्छेद भाजनम्‌ | war ते faafa यान्ति निजित्य स्यशंनेशियम्‌ ॥ तेगोत्छष्टतमा राजज्जिदिंष्टास्ते विचशणेः | ये चेवमशुतिष्टन्ि विरलास्ते जगश्ञये ॥ ततो भागवतं वाक्धमाकर्छंद मनौषिणः | अग्धशेतसि Teast चारचेतसः ॥ we भगवता चाङ्ग्‌ वणितं खशेनेद्रियम्‌ | अत्धन्त विषमं शोके स्प शेनस्तादृश्ः परम्‌ ॥ थतो बोधप्रभावेन मम पूवं निवेदितः | यथान्तरङ्गनगरे वास्तव्योऽयं AWTS: ॥ ae पुरुषग्यालसंख्वितं खयगरेनेश्ियम्‌ | WUT प्रतारथत्येतदन्यथा RAAT MA ॥ ततो भगवतादिष्टा चे चोत्कृष्टतमा नराः । कथितः श्श्रनेनाऽपि warrenty: ¢ तथाहि at fared षटागमबलेन घः | खन्तोषाज्जिटेति प्राप्न इति तेन निवेदितम्‌ 1 AGUAS GRE: शास्त TeV | yeas विजानामि दज परमाखरम्‌ ॥ ` अथं हि भगवाम्‌ aftyat secrecy | WTS लानोते TRYST: परम्‌ ॥ 9 RES wufafaaqnwgy. कया | यावद fame शाह्कले। विकितेचपः ५ ,: "५ वावह्नकित चिन्त vat मषङ्ब्रुदधिकम ४. . .. कथम्‌ । es Bees eae aeifetyart चिन्ते भावितस्लं व्रिशो के, । ., किमत, भवता- किच्चिकछतत्वमत्भारितम्‌.॥ , - मनोषिणणेक्, कि, नातभत्णाः कि ब~ जज । किमेवं स्फुर केन कंयग्रह्मप्ि wert +, 1. अनेन डि wafer कधं स्पश्रनेशिहम्‌ [{ , वयस्यसताबकस्रङक्‌. HUT AY. SNE: & --. कथमेतन्ततः VS CRRA bs. = STA कारं तेन, PNT दव ` मनौद्धिरा-५ वास्त WITHA. वो कते ; दि -। ~ 1, अनादर पर्ष हितेऽपि वचने. ठरोः 4 ~. ; अथ ATH: VHT MT, flat aT, | - श्राचार्थोयं- FAULT | TIT at Fel. तेन. नादेन antics. इदि. wheaq | गूनं मे NCHEE सेयं RT ॥ ,;..; AT SAT TARA SGT यद्मप्रभम्‌ .1- ।..- . , TOC द भ्रगपरत , SER: VHA ++ ` THURS WES. विभाति कमशह्श्रम्‌ | sefeafame avenge, ॥ ` विभति, ALU भवने HARRAH. |. ' ` ' ' tedden पररः" ^: HATA संसौन्दर्थारिलस्यो स्तनं wat ¦ * Hawa: Ate: वद्धमृक््थवारेणम्‌ । ˆ; ~ नितम्बंविग्बमेतेस्वो मिश्कलमश्टितायतेः ॥ 1" .* 7; भाररेव ब्ौडधलो विसंजितेवखिंभथः^॥ ' "7" एसा राजते मथी ` रोमेरजिंविष्षणः ॥ गंमोरं SEN, इदयं way "*. TAY नाभिरोतष्याः VATA. 1 पिः awa शनो Sa aa कुंम॑षिभिमो' = उकतङ्गकटिनौ चारू ददयेग पथोधरौःौ 1' 3 way धारयत्य सुमारं 'मनीहरम्‌ 1८; पुष्छप्रागभारषन्माणं रम्यं बाङल्तादयम्‌ ¬| ;* कराभ्वां निर्जितौ . मन्ये श्तौ रागसुन्दसैः! एतस्य ाररूपाभ्यां रकता ग्रोक पल्लवौ प ` दध्यां पारिनाष्छशो" कत्धरीया, gwar 1.2 wal रेखा जथ ` भ्ये जिशौकभधदयुचैकम्‌ #.. + अधरो विद्रुमच्छेदसन्निभो भाति पेशलः y+) राजतेः Perea ` कंयोशो 'कोर्भला मखो । , ये कुन्दकर्खिंकाकोरा ' विशर्यत्विरेणेव्व 1" 1: > एतस्या वदने दन्ता arias ते eee ओः = ku वितति छक्र त वशजिरधिराभितम्‌। परध MANTRAS SUE ay’ yr < way माखिकावं्रो yet Shaw! †1/ › ^ + WER REX अपमि तिमवप्रपणा कथा । अस्ता चलाटमखकेः कितं बत राजते ॥ अनुरूपं करोमोति नुनं जातः प्रजापतेः । awa निजे चित्ते waren: अवणदयम्‌ ॥ माकतोष्करमामोदमोदितालिङ्धलाङ्खखः | अश्याः सुखिग्धङुरिखः केश्पान्चो विराजते ॥ VAST MATT RS शरुतिपेश्रखान्‌ | भन्ये wfaacata afer fae कोकिला ॥ efarntfer यत्धारमेतश्या वर पुड्शेः | चाजा विनिर्मितं रूपमन्धथा कथमोद्श्चम्‌ ॥ अतोऽष्टास्तादृश्रः श्रां YH एव न शशयः | म लालब्धतडुष्डेषु कदुलमवतिष्ठते ॥ एषाप्यभिखषल्येव मां यतोऽर्भनिरो कितः | fatrwasfawteret favaget सुयुजः ॥ एवंविधविपर्याखविकख्पाङुलमानसः | घ बाखोऽलगेकवोभाग्मगवितो मूढतां गतः ॥ सूरिदङ्वाच | तदेवं कथितास्तावस््वेत्कुष्टा मया नराः ॥ ददान इत्कृषटानां TET तदु चते ॥ एवं च बदति भगवति act । STEM Beer We परिकिनध anifrer | mina WaAISMS मश्धवुद्धिः Athen: ॥ सूरिङ्वाच । SANT: Wea | nen CHENG AT चेवा Sts qIAfeeg । WAY मानुषं जग्ध श्जुवुद्यावधारितम्‌ ॥ भाविभद्रतथा तेषां परिस्फुरति मानसे । न चेतम्न्दर इन्त जवानां elaine ॥ ततो बोधप्रभावेश aqanfa ते नराः | कुन्तो ऽन्वेवणं तद्य gene परिस्फुटम्‌ ॥ ततो fara ते we शोकवश्चमतां नराः | way चकिता भेव विश्वसन्ति sere ॥ म wageutte wafer विजितस्पहाः | ततशशब्जनितेदेषिने युज्यमो faeqer: ॥ श्ररोरख्ितिमाजायंमाचरकोऽपि तम्मिथम्‌ । ` तज गददधेरभावेन भवन्ति Garey ॥ परा्रुवन्ति यशः शमि शोकेऽपि ते गराः | खर्गापवगेमार्गख्छ निकटे argurwe: ॥ शरवः केवलं Aat नाममाजेर कारणम्‌ | मोकमागे प्रवतो खत एव fe ते नराः ॥ शरन्येषानपि कुवन्ति ते सम्ार्गावतारणम्‌ | तदाक्धं ये प्रवतेन्ते fawre शकारकम्‌ ॥ ध पुनम प्रपद्यन्ते तद्वाक्यं afew जनाः | तेषामनगादर wer ते तिष्ठन्ति facrger: ॥ [कत्येव wast देवाचा्वैतपञिनाम्‌ | इजाखत्कारकरके Taher नहाभिथः ॥ कल उपनिंतिभवधय्ां कथा | एवं भावि द भगवति परगोधभरशिसरौ भनौ षिण -नविन्तितम्‌। वथेदसुत्वटीना ` नितं, चरतं नाम्‌!) i तचानुभवशि्धः मे किंचिटात्मंभि wee ॥ wang gar स्वित्‌ 1" , : ` `. ` Sega arya सरश वशिता गश > एते wer at we women HEE A. TERT | $~ ) & , 2.0 तदेवं ताव्ुत्की कण्ठित पुरुषा wen) ! ५ धुना मध्यन्ना यत्य तल्लिनं ॥ 1: मध्यमाशे गराः Ha BLT witha yp WUE att wee सध्यवुश्चावधरितम्‌ ye wat fewer’ से ye गद्धंमाभश्ाः <1 पर्छिलेरनुशिष्टाच रो शायने सरेता. ॥ 2 - विनयन्ति FOR: किते त. टोला यितु > fafwred Gare fews -वत कुर्महे ys aerate at रभनते-सुखनिर्भरांः, ` `. अन्य गा्तरााणो, भिन्दति विनतशहः 4 AW कतरो भार्गो मादृशा मिह geet 11 ` > म॒ अययाभो OMAGH Gene ॥ `" ` तस्मात्क्लनिक्षम्नोऽभ Stara: Here iP मेवेकप्निकेके Prarie युष्वते ¶# एवा ख we . कुडधिणां तेष क्मपद्धतिः 1. | FANE VTE +, , १४४ तक्करक्ञा. गृण साद्‌, बुद्धिः. कमप्कयारिष्डो तै ततस्ते QIAN मन्यन्ते सुखहेतुताम्‌ । ` ,> > :} ५; अनुकूले %. ग्र fa, a APA RIOE: We » ततो लोकविरुद्धामि -नाचरन्ि PAT. + ; CHARIOT. माप्रायान्‌ ASANTE. ws विचद्याणोक्कः दुम frat are 2b ss TEST SU. Raw, WHS को; # ;,' ay ' द्ाकिश्ेकेन्‌ कुवन्ति | खेडनिभेरम्‌; Wey wert afar Tigh RATE. ८८५ WASSER Ae + wat: एरापग्नोहेत एवोब्ेकसे wae 1 :., यदा TH: WW, विदुषां away Fb... wrecin oftware agtet. दितकर्पतम्‌ "८ ` तदा ते वियताबोक्रए भढक्ति get aT: AUTEN REA ॥.. ५ ` , पक्छिता इव्‌, ते. frei ुररेवतप्रज्जिनाम्‌ +. |. TSAI: अन्तः BAM .॥ , ,.; - त दिदमाचार्यच्‌, दचनृमाकक मथ्यमरुद्धिक Helle | ष एते. gitar परोक्षा स्वमान गुरना; + साखगेद्नवंविद्धास्ते ममापि | वमर कै - |स मनोवि fafa). `, ; ~ < - यदिदं खूरिणादिष्टं swe: quite: zee sufafaaarqgt ear | afta मध्यमानां amere araft fara सरिङ्वाच | | तदेवं कवितालावक्छध्यमानां array: | जचन्यनरसम्बन्वि खरूपमधुनोच्यते ॥ TITS गरा Har येरिदं श्येनेखिवम्‌ | अवाप्य मानुषं TY बन्धुवुद्यावधारितम्‌ ॥ परा रिषूयतामच्य म aaa ते खयम्‌ | परेषामिति wafer विदुषां हितमाविषाम्‌ t खभनेन्िषसन्पा्े पामाकष्डुयनो पले | परमार्थेन दुःखेऽपि सुखलेशेऽपि ग्छञ्नवः ॥ खर्गोऽयं परमार्थोऽथं waitsd सुखघागरः | ` श्रस्माभिरिति मन्यन्ते विपर्थाशवशं गताः ॥ ` लतो we तमस्तेवां प्रविष्पंति waa: | विबेकश्चोषका सिन्ते sey cerca: ॥ ASTI ष्याध्यन्धोग्धतबुङयः | कुर्वन्तो ऽनार्वकार्याखि ariel केन ते ततः ॥ धमेखोकविद्ड्धानि निन्दितानि gene: | का्चष्पाचरतां खोकः शजुभावं wea ॥ ge चन्द्रश विश्रदं ते gifs मणशोमवम्‌ | अक्मोयशरितेः पापाः प्रयान्ति serena ॥ अगम्दगमनाखक्रा निमे्ादा नराधमाः | अकंदञ्ञारपि परं ते जने यान्ति wre ॥ Salas प्रस्तावः | Ree ze anifefara: aufycacray: | यदा पुन विंव्तेत Wasfaaeray: ॥ तदा ते थान्ति दुःखानि ary लोके विडम्बनाः | ्राप्नवन्ति न शक्यन्ते ता व्यावणेयितुं गिरा ॥ केवलं गदितु शक्थमियदेव समासतः | खभन्ते ते मराः सर्वां लोके दुःखविडम्ननाः ॥ nea भवन्ते गरुदेवतपखिनाम्‌ | प्र्यनोका महापापा निर्भाग्या गुणदूषण्णः ॥ सक्मागेपतितं aragufes हितेषिणा | केनचिन्न प्रपद्यन्ते ते महामोहदूषिताः ॥ ततखेदं सुनेर्वाक्धं विमिित्य मनो षिण । विचिन्तितमिदं चित्ते तथा. मध्यमबुद्धिना ॥ स्शेनेदधियलमानां यदेतदुपवणितम्‌ | wat ow जघन्यानां खूरिभिर्विंश्रदाचरोः ॥ तदेतव्छकणं बाले प्रतोतं स्फटमावयोः | माप्रतोतं वदेते यदि वा वरषूरयः ॥ बालेन ठ गुरोर्वाक्धं म मनागपि afer । wat acne दिक्तचिन्तेन पापिना ॥ afiwars | तदेवं भो महाराज जचन्यमरचे्टितम्‌ । निबेदितं मया aa तचेदमभिधौयते ॥ एते जघन्या waist भुवने बजि मानदः । 38 RES उपमितिभवप्पष्ा wet | इतरे तु यतः स्तोकाः सकलेऽपि जगच्चये ॥ स्यशेनेद्धियजेतारो facet भुवे नराः | तेनास्माभिरिदं ya wag: प्रतिपादितम्‌ ॥ नरपतिरूवाच | धमे यतो म gafea घ हेतुः प्रतिपादितः | भगवन्ञाशरितोऽस्माकं भवद्भिः संशयो महान्‌ ॥ श्रचान्तरे तु सुबुद्धिमन्तिणाऽभिदहितं। भगवन्‌ य एते जघन्यमध्यमोक्छ्टोक्लष्टतमङूपतया Wiel: पुरुषाः Wwrayat भगवद्धिः खरूपतो व्याख्याताः एते किमेवखद्‌पाः प्रहदव भवन्ति श्राहोखिदेवंविधखरूपजमकमेतेषां किञ्ित्कार णमस्तोति कथयन्तु भगवन्तः। भगवानाइ । महामन्तिन्नाकणेय | म तावद्माृतमिदमेतेषां स्वरूपं किं तदहि कारण्जं । ay ये तावदुष्छष्टतमाः पुमांस प्रतिपादिताः ते केवलमुत्लष्टभ्यो निष्यन्नस्प्रयोजनतया भिद्यन्ते a परमार्थेन | अतस्त UST Garay मनुव्यभावं विज्ञाय भवसखशू- पमाकलय्य aga तदासेवनेन cafe कर्म॑जालं निरारुत्य स्शनेद्धियं faafa svat भवन्ति तदोक्छष्टतमा शत्यभिधौयन्ते | निटेतौ च तषां खरूपेणावस्यानं। तामवस्यामपेच्छ न किच्चिष्नन- कमस्ति। तेनोक्कष्टतमानां पुरषाणां न कशिष्ननको जननो ar) एते पुमजघन्यमध्यमोत्लष्टाः पुरूषाः संसारोदर विवरवत्तिनः खकम- विचिचतया जाग्नन्ते। तस्माच एव कमेविलासस्तषां जनकः । तख aa fafad aaa) तद्यथा । प्रभमङुग्रलं सामान्यरूपं च। तच या करमंपद्धतिः. QUA खुन्दरो सा इएभसुन्दरो मनु यतरनोल्टष्टानां Zara: प्रस्तावः | ` RCE RAAT | या युनरङुशलकमेमाला (सा) अघन्यमनुव्याणां जननौ | याः पुनः ङुश्लाङ्कं शलतया सामान्यखरूपा कमंपद्धतिः सा मध्यममराणं जनयिन्रौ विज्चैयेति॥ मनौषिष्ण चिन्तितम्‌ । श्रये न केक्लं गणे- खरितेन चैतेऽस्माकसुष्टष्टमध्यमजघन्याः पुरुषाः रुमागरूपा भग- वद्धिर्ाख्याताः fa तहिं अननौजनकव्यतिकरोऽपि श्रस्माकमेतेः सर qe एव भगवता दर्भितः। तस्मासूनमेतदरपेरेवाद्माभिभवि- व्यम्‌ । तथाहि । योऽसौ भवजन्तुमों face fasta प्राप्त इति स्श्रनेनास्मभ्यं निवेदितो भ तस्य तेन जमनो जनको वा कञ्विदा- wa: | तस्मादुक्छष्टतमोऽसाविति निश्चोयते । waa युनखथा- शामपि कमंविलासो अनकः भगवदादिष्टामिधाना एव oma: । तस्मादिदमजावसोयते यदुत जघन्यो बालो मध्यमो मध्यमवुद्धिः उक्छष्टोऽहमिति.॥ सुवुद्धिनाभिदहितं । भगवन्ञेतेषासुत्छष्टतमादौनां पुरुषाणां किं vicrafeata eq परावरत्ताऽपि भवति । भग- वाना | महामन्तिन्‌ उल्छष्टतमानां तावद्वख्धितमेव शूप न कदा- चिदन्ययाभावं ते भजन्ते! दतरेषां पुनरमवस्धितं खरूपं यतः कर्मंविलासायन्ताः Baa वर्तन्ते। विषमभ्रौलशामो veer कदा- Remora मध्यमयति जघन्ययति वा मध्यमानपि चोत्छष्टयति जघन्ययति वा जघन्यानपि मध्यमयति उक्छष्टयति वा । तस्मादमेग कमविलासेन सुक्रामामेवेकशूपता भवति Fate ॥ मनौषिणा चिन्तितम्‌। एतदपि घटत एवाद्ह्मतिकरे। तथाहि । विषमशौख एवा समष्जनको यतः कथितं तेनेव मे यथा मयि प्रतिक्रूले यदुपपञचते ABUTS बाल्खेति। ary at मिजतनयस्यापि प्रतिकूलचारितया Roe उपमितिमवप्रपञ्चा कथा | एवंविधां दुःखपरंपरां संपादयति स कथमन्येषां धमायिव्यति ॥ सबुद्धिनाभिदहितम्‌ भगवनष्छष्टतमाः पुरूषाः कस्य माहाग्येन भवन्ति । Fee भ कस्यचिदन्यस्य fa afe खवो्थंण । sqfenfated । कस्तयाविधवोयेलाभोपायः। मुनिरार । भागवतौ arazrarn मनोषिणणा चिन्तितं। wa aed ततो waa ममोल्छष्टतमस् भवितुं । किमनयागरेषविडम्बगया | ayraat भगवदादिष्टां भागवतोमेव दीचामिति ॥ भावतः wernt मनो षिणद्चरणपरिणामः। मध्यमबुद्धरण्यवं गरुमन्बिणोः परस्यरणस्पमाकणयतः सश्चातखरणाभिखाषः। केवलं नाइ मेतावतो भेषटिकानुष्टानस्य चम दति विचिग्तितिमेनन्‌ । सुवुद्धिनाऽभिडहितम्‌ | भदन्त चयोऽयमस्मामिगेहिधर्माऽभिधौयते | एष तादूशवोयस्य किं भवेत्कारणं 4 वा ॥ ARTE स्यादेष UCIT तादुशस्यापि कारणम्‌ | RI म पुमः सा्ाद्यतो मध्यजमो वितः ॥ छल्छष्टतां करोत्येष साचात्सम्यडः भिषेवितः | , ततस्तादृश्रवौयेश्य we साधकः ॥ अरोषङ्गेश्र विच्छेदकारिका भवदारिका। तावद्धागवतौ दौला zea सुनिमेला ॥ fa ठु अ्आावकधर्मोऽपि भवतानवकारकः | अत्यन्तद्‌ लेभो Hal महामात्य भवोदघौ ॥ ` SAT: WHA? | Red तदेष WAT: | उक्छष्टतमतां साचादोर्थातिश्ययोगतः | WAST साधयन्यशचेरेष तु यवधानतः ॥ तदाकण्छे ततञ्धिन्ते रतं मध्यमबुद्धिना | क्रो ममेषोऽनुष्टातु wheat जिनोदितः ॥ इतशाङुग्रजमाशया स्पशंनेन च मध्यवत्तितया विधुरितचित्त- टृन्तर्गाखस्य विवर्धन्ते विपर्यासविकल्याः । यदुताहो wer रूपा- fava: Set सुक्ुमारता। अ्रन्यश्चामिमतोऽदमस्याः यतो विलोक- त्येषा मामद्धाचिविक्ेपेरेतद ङ्गद्गसुखागतासेकानुभवनेनाधुना मे सफलं भविय्यति जग्मेति ॥ ततेव विधवितकंपरपरापर्याकुलो- अतचेतसस्तस्य विरत मात्मखशटपं जातं मदनकन्दलौ गरणेकतान- मन्तःकरणं | ततोऽविषायं कार्याकायेमन्ध दव यद्ग्टहोत दव तस्यामेव मदनकन्दश्यां निखलविन्यस्तनमयनमानसः waa एव तावतो अजनसमुदायस्य शून्यपाद्पात तद्भिञुखं धावति Wl ततः किमेतदिति उत्थितो जमहाहारवः। प्राप्तोऽषौ मदनकन्दलो- समौपं। ततः सावेगं कं एष दति निरौकितोऽसौ नरपतिमा | शितं इृष्टिविकारेण तदाकूत । स एवायं पापो बाल इति प्रत्यभि- ज्ातोऽनेम ) सश्जाताख कोपाङूणा दृष्टिः इतं भासुर वदमं । सुक्रो ङकारः । ततो बाखस्यादृष्टविपाकतया प्रादुश्डेतभयातिरेकसश्य नष्टो मदनज्वरः प्रत्यागता चेतना aged दैन्यं । ततः vara as samt चावच्छियिलोग्तानि सनधिबन्धनानि विलीयते TOC amg गतिप्रसरः। तयापि कतिदित्पदामि कथञ्धिदरला ३०२ उपमितिमवप्रपञ्चा कथा | प्रकन्पमानसवेगाचः पतितोऽसौ wast श्रचान्तरे प्रकरौभ्रतः सपशेनो । मिगेतो भगवदवयरात्‌ । गतो दूरदे गे । feet wate माणो। विरतः कलकलो । लण्नितौ मनौ पिमध्यमनुद्धौ बाखचरितेम। = ततः कोऽस्यापि वराकस्योपरि कोप इति विचिन्य शान्तोश्चतो राजा। प्ष्टोऽनेनाचार्यो । यदुत भगवन्नलौ किकमिद मस पुरुषस्य चेष्टितं श्रतौतमिव विचारण्णयाः श्रश्रद्धेयमनुग्तटन्तान्तानाम्‌ | तथाहि विमलश्नानालोकेन साचाह्ुतसमस्तभुवनढन्तान्तः पश्यत्येव भगवाननेन चत्पुवमाचरितमासोत्‌ यच्च दानोमध्यवसितं। तथापि ममेदमच कौतुकं । यदुत तत्पूवकमस्याचर णं कदा विदि चिचतयासत्न- चरितस्य संभाव्येत । इद मधुनातनं पुममेददि खभालमिव प्रत्यचमपि ममा श्रद्धेयं प्रतिभासते । यतो भगवति रागादि विषधरोपश्रमवेनतेये afafedsta कथमतिक्गिष्टजन्तूनामष्येवविधो ऽध्यवसायः सुभवेदिति। भगवतामिदितं। महाराज म कन्तेव्योऽचातिविख्मयो । धतो ave पुरुषस तपखिनो दोषोऽयम्‌ । नपतिरूषाच | तरि क्खाऽयं ate: | भगवानुवाच । दृष्टस्लथास्य श्ररोराज्निगेत्य योऽयं ate: fea: पुरूषः। नुपतिनाभिदहितं | खट दृष्टः । भगवानाह । awa ततो ऽच्येवायं समस्तोऽपि दोषो । यतोऽस्य वश्वत्तिनानेन Wate सम~ स्तमाशरितम्‌। waa fe वश्नौङृताः पुरूषास्तन्नास्येव किञश्िष्नगति पापं यन्ञाचरन्ति। तस्मान्नाच किञ्चिदलो किक विचारातोतमञ्रद्धयं वा भवद्भिः खभावनौयम्‌ | नरपतिरुवाच | यद्येवं ततः किमित्ययं पुरूषोऽमुं शरौोरवत्तिनिमात्मनोऽनयेडहेतुमपि धारयति स्म । भग- वाना । म जानात्येष वराकोऽख दुःशौखतां । परमरिपुरपि SAT: परावः | RoR खरो तोऽयमनेन च्िग्धबन्धवुद्या । नरपतिरुवाच । किमज ga: RITE | भगवताऽभिहितं । श्रस्य WOR योगश्क्रिदारेश wara- WAU श्रङ्कश्रलमाला नाम जननो | साऽ कारणम्‌ ॥ fay | चदिद मतिदुजयमधुमेव स्रनेद्धियमस्मामिः प्रतिपादितं axa एवायमस्य स्यशेनामिधानः Wawel वतेते । श्रयं तु जघन्यपुरूषो वालः। We ee \ कैच £ क ` 8... i । 6 , # 1 ५. , h ae \ + "4 1 FS ' 3 roa ~ ण 9. J ५ ^ ॐ. | ॥ a ee * + । # ra i. te + > tog 3: 0 क = ~+ क~ a + ds: ee + oe ए ऋक „१ ५ "- "५ शः = र + 0 Ff ~ =-= ज te ॐ कृ भक क भू. ` ष | ROS उपसितिभवप्रपश्चा कया | aura विलम्बिते । ततः सह्या मथाभिहितं । arfafa xz WAT | सा AW) बाढं Via Barfafeds यद्येवं सिद्धमेव agra: कनकमश्नर्थाः शमोहितं । wea च वामलो चमं । ait aw सन्देदो fade: | मखयमश्चरो कोऽद्यापि सन्देहः सिध्यायेवेदं ॥ warnt anal एव भगिनौ मणिभश्चरो नाभ सा समार्य wane awat नि weet) मयामिदहितं । ae मणिमश्चनरि निदःखसुः कोरा safe सा प्राह । कथं। मथोक्कं। या Aaa विषाद वतोषु सदरषां दृश्यसे । मणिमञन्ञर्यामिहितं । ae क्रियतां । म शक्ते गोपयितुं awa wand) म sreante aa कोषश्रमिति। मणिमिश्छथौक्तं । गता दमा समौपे | निवेशिता तातेन fasitey । तदा च तातस्य 2 शेखरः wat वतेते। ततस्तं प्रति तातेनाभिहितं। येनानेग नन्दिवर्धनेन महाबखावपि तौ खमरसेनद्रमौ खं विनिपातितौ ख नेव सामान्बः ges) न चास्य Gere कवितदानेनापि frei were) तदिदमन्र भप्त लोवित्ताद पि वश्षभतरे aaa मणिमिश्नरौकगकमश्नयी | चेयं पूवैमेवाश्येव मदण्वमसहोदराय शग खवर्धनाथ | wa › AGA werag गन्दिवद्धंनाय दौयताभिति। rats चार्‌ मंजितं तातेन । तात एवोचितं ana: ततो z गेति । स्थापितस्तान्धां सिद्धाग्तः । समुत्थिता तातोश्छङ्गात्‌ awry । चिन्तितं च मखा । अरहो मे धन्यता wet अनुः SAT: प्रावः | .. ३७६. देवस्य श्रहो सुपर्याशोचितिकारिता mae चहो विनयः कनक- Reve) भविष्यत्येवं ्रियभगिन्या सह मम यावल्लौवमविधोगः | शलिथावहे नाना विधं । एवं च ferent ममा विगतः Ge- afefayt wi) तदिदं मे इवंकारणमिति । मलयमश्न्या- भिहित । कपिश्चले पश्च कालदहोगो जिमित्तश्य संवादः । wats | किमाञ्चथे यतो देवौयमुत्पातुका भाषा भवति। केवलं वत्से कनक- waft gaat fend: शअरवलम्नख धेये । सिद्धमधथा नः aaifed ।. व्यपगतं भवत्या दादष्वरकारष्ं । प्रतिपादितासि देवेन इदयनन्दनाय नन्दिविधेनाय ॥ ततः संजाताश्राखापि इदये gfamnean acre विधाब aafage विषमश्ङ्करि कनकमश्चर्याभिदितं। श्राः भवतु. मातः किमेवमलौ कवने प्रतारथसे। शिरोऽपि ममाधमा स्फुटति शब्रमनेनासबद्धप्रलापेन मलयमश्चर्थामिरितं। वत्से मा मेवं ate) सन्यमेबेदं नान्यया aaa संभावनोयं | ततः कतो aval भाग्यागोति wade ख्िताधोश्ुखौ कनकमश्नरो । ततस्तां निजपतिभक्रस्तौ कथानिका- कथनव्याजेन विनोरवयमोभिरस्माभिरतिवाडिता रजनौ । न शाथाप्यपशराम्यति तस्याः परि दशनं । मचा चिन्तितं । थावतकरमेण संपश्यते मन्दिवधेनदभरेनं तावक्मरिष्यतोयंः राजदुडहिता । श्रतः पामि तावन्तेतलिं । awit कुमारस्य शक्रोति तं विश्वा पथितं । . कदाचिश्षतः संपद्यतेऽख्वाः परिभाव कुमारदशेनेनेति विचिगध समागताहं weet) तदिष्टः भिमिन्तमासाद्च तसां प्रभवति मोगकेतन इत्येतदाकष्ये ववशः. waren. मयाभिहितं | ~= — । ~क =" ~= ~~ ~~ ae ace उपमितिमवप्रपच्चा कथा | waa ततो यद्यपि वश्छेङियो देवो महासस्वतया ख ए सेएमाकलयति तथाप्येवं विन्नपथामि यथा्बुद्धरति निजः राजद डहितरं | केवलं canard कानने भवतो भिः ETA । महाप्रषादोऽनुग्टरोतोऽखौति बदनश्तौ पतिता aera: ला । गता खभवनं । श्रहमपोहागतः। तदिरं देव मया ददभेषजमवाप्तं ॥ मथाभिदहितं । साधु तेतले साधु लमेव वक्तं जनोषेः घमारो पितस्स्य वशःखणे मयात्मोथो हारः परिहिता श्‌ कटककयरादयः । तेतजिः we देवान तुच्छकि्रजने कौयोऽथमतिप्रषादोऽनुकित इवाभासते। मयाभिहितं | प्राणप्रदेऽपि acu fa किंचिदरुचितमस्ति। तश्र कर्तं भवता date: | लं ममेदानौं जौ वितादव्यतिरि क्रो az ॥ अन्तरे समागतो इवारि विमशो नाम महाराजम्‌, निवेदितो मे प्रतिहायां। खितः एयगाशने तेतजिः। ए महन्तमः | शतो चिता प्रतिपन्नः । अरमिहितमनेन । gaz प्रहितो युश्नत्षमोपेऽनेनार्येश । यथास्ति मम नोवितादषौ कनकमश्चरो नाम दुहिता सा ममोपरोधात्‌ gate पाश्िग्रहणनाद्वादनोया ॥ ततो निरोकिते मया तेतल्ि arated) देवानुवतेनोथो महाराजो देवश्च । wt मा fad aw प्रथमप्रणवप्राथनाः। मयाभिहितं । तेतले प्रमाण । faqs: प्राह । कुमार महाप्रषादः। ततो 1 विमलः ॥ तेतलिनानिडितं । देव गम्यतामिदानों तच रति SATA: TTA: | ३८९ कानने । मा उशनसा Thea काशरणेन । मया- मिदहितमेवं भवतु ॥ ततस्तेत शिखाय एव गतोऽहं तजोद्याने | दृष्टं तद पहसितमन्दनवनं काननं । ततचन्पकवोयिकाख् कदलो- श पिखेषु शअतिुक्षकललतावितानेषु केतकौषष्डेषु गदौ कामण्डपेषु शग्नोकवनेषु खवस्ौो गहनेषु मागवष्यारामेषु मलिनखरोवरोपाभेषु विचरितमितचचेतख्च wet wa कनकमश्चरीद्ेगलोणुपतया । म च दृष्टा घा ङुरङ्खशोचना। ततो मया fea इन प्रता रितोऽशमनेन तेतजिना । विमखब्यतिकरोऽपि भूमं तेतखेरेव मायाप्रपश्चः। Vrain भाग्यानि मादृशां ॥ wat- भरे श्रुतो मया तरलतागदनमध्ये कलनूपुरष्वनिः । ततोऽपषश्य - तेतशिषमौपाजिकूपितं . axed भया । दृष्टा च तमाखतरोरध- qatar खगात्परिभषटेवामराङ्गमा सभवन जिष्कासितेव नाग- aunt रतिरिव मदमविरहकातरा सशणोकाकनमकमश्चरौ | विशोकितमनया तरखतारया gat दिकृशक्रवालं। न दृष्टः कोऽपि aw. ततोऽभिदहितं तथा । डे भगवतो वमदेवताः प्रतौ तमेवेदं भवतोनां । यक्किल प्रतिपन्नं तेतज्िमा ae जमस्ता- met ents रतिमकये कागने खद्धेत दलुपपरलोभ्वारमिहा- नोता तया जरक्मारजा्या । श्रधुना किलासौ अनो न gaa इति तं गवेषयामोत्यमिधाय मामेकाकिनं विमुच्य खान जाने कुन- fegat) तदेवं प्रतारितारदमिष्नालरचना चतुरया कपिश्नखया | तदं मे जोवितेल ग्रियविरहानशदग्धाया श्राप्तननेनापि afgarar मन्दभाम्यायाः; । कवलं प्रसादाद्धगवतोनां जन्मान्तरेऽपि a a = eee ध = - ~ । । ॥ i ॐ = fal ~ ie ४ ^ - ea tes fae TE es 0 A ~ वर Foe + त र इः 2 : कि । ६ : ee ध । र ma 4 ca ee प a oe cae कन भ द ~ न्न्य. = win, awn = । ah “Soares a he wf iba ane oa (क व ए क ५ (श so. ae ~ म oe reps ~ -- "+ ap = : ~ "^ & ee ES "क ar res ~र ५ त ए = ae me [| 1M पू Fata : 4 wa क क = + - + ` = ` ~ --- == ~~ एष्यच eR - कक क ee dell २ - + 1 = ~ =-= = ey a al # 0 4 i} J a + 1 ae 4 | i | | । -; |: ¦ att 4 0. 1 11. | ॥ 91 4 a4 | bay) 2.44 ih. +¦ | ;#:. 1 # f et] ब, | be ^. | । । ee ae: | a ५ py tin eb ५" : i 4 ' ¢ । a ¢ ५ । [a> < । > ५ 7 पी { es श ab २ 4 4 + ae १ 1 i, ३८. उपमितिमवप्रपरच्चा कथा | स एव wt wat यादिति वदना वल्प्रोकमाङ्द्य मिः स्तमालतरूश्ाखायां पाशकः । निमिता ae fatter: प्रर मोक्तु WAT) श्रजाश्तरे Gale मा सारस मा arya ब्रवाणः प्रा्तोऽदहं वेगेन तं । वामसुखेना क्षि मध्यदेशे नियत सेर | fant दकिणकरेष्ण सिपुचिकया wera) आरा यवनदानेन । श्रभिहिता च । देवि किमिदमसमश्चसमार म | artist mara वतेते । vary विषादं । ततः सा तथेव रि चणंमानविशोखविशोचना at freq aquata कमारग्मनिभेरं afters मदलचिक्कं यो गिनासपि ATA Pa खरूपं weal मथा विलोकिता । कथं .एकाकिने wat ख एवायमिति aeat ga इति शाश्ङ्धा खरूपोऽय ससाध्वषा खथमागतेति weer विजने प्राक्षेति दिषु जिरि तरलतारिका दन्तसङ्केतेति विश्वस्ता इष्टमिदममेन मदौ यम रणएमिति weg waifta शोरोदमन्बनोत्थितमाज्रा विष खेदजलशक्ञावितदे हतया कदम्बङ्ङममाशिकेव परि्एुटषुलको सुन्दरतया पवमप्रेरिततरूमश्जरौव प्रकन्यमानश्वांङ्गतयां आन ख। गरमवगारुमामा स्तिमितनिष्यन्दमन्दलो चनतया |. afta THEY Te SATUS सुश्च न कार््ममेन Wa we वदन्तौ मदोषभुजमध्याददिभुं ख freufrqartar । aat. fi fut मवा. ललितकोमखे दुर्वावितामे । frre: Game तदभिमुखः । ततो ऽभिहितं मया । सुन्दरि मुश्च wats प ह्यज कोपं । न eam faeces gre गोः gala: प्रस्तावः | ३८२ भवितुमरेति । एवं च वदति मयि सा कनकमश्नरौ किं चिदधश कामापि न ay mqadl tae विखसद्‌ श्नकिरफरञ्िताधर- fan कपोखामलस्फु रितख्धचितान्तःशिता वामचरणाङ्गुष्ठेन तलं शिखन्तो ख्ितेषदधोसुखो । aafafed । अलम सुन्दरि विकश्पितेन । चतः | इद याश्जौ वितादहव्छकाग्राद तिवन्नभा | aratsa at fawarat नास्ति से भुवभश्रये ॥ suaufa निरभिंश्यं तव पद्मविषछो चने | क्रीतः सद्धावमच्येन राणोऽहं पादधावकः ॥ कठोर दयो AE कटोरोऽज विधिः परम्‌ । at मे दशेनविच्छेदं कुर्यात्ते aware ॥ ` एतच्च मामकं वाक्यमाकषम प्रोतमानखा | मया निरोकिता नाला भजन्तो सा रसाम्तरम्‌ # कथम्‌ | | चखणेमागटत सिक्रेव feda geet । प्राप्षराच्चामिषेकेव तोषादन्येव सा स्थिता ॥ इतश्च Ape नानाखानेव॒पयेटन्तो प्राप्ता तसुं कपिश्चला | gedafe: । . अ्रभिहितममखा । amd वचस्य क पुनः कुमार tf. तेतखिनामिहितं। अन्न acer: प्रविष्टः । arated डे afi ते श्रसदभिुखं । इृष्टमावयो मिंचुनं | संजातो इर्षातिरेकः । कपिश्ञलयाभिहितं । नमस्तस्मै भगवते दैवाय येनेदं युगखमत्थम्तमतुर्परं ख्योजितं । तेतलिः wwe -_ ts क ee oe ree. कक द का, - , व > ee ee Be, oat we: “= wate ~= 9 ~ कन १ pe - ees, ¢ _+ oh स्वो क > a * 7 ° ~ ५ गी ee र श ++ de 5 coe Se Taste ak ५ , = भ-का a re रः 4 प ` " ~~ ~ ~ ae # ग्भ tae DO = ~ ~~ q ५ wt ए ॥ a i ण * क = - , वृक 4 च 7 : 2 ( : ; + ~" ज = =e" ककन, _ ~~ ऊ छक च ए । णा छव © षिः a = ~न te शः क oa ` = ~+ Pot ey ad [णमी „+ बे ~+ ऋ ~ - ~ + a Ps) ए ध a a ee Sep ae त ete २९८४ उपमितिभवप्रपचचा कथां | कपिश्चल्े गुनं रतिमन्मययो रिवानयोधौ गनेदसुद्याभेव र संपन्नं | इतरथ। व्थेकमभेवाख् रतिमश्मयमित्यभिधानं पूवैमासं ततोऽसन्निकटरैशे प्राप्ते सेतलिकपिश्चले। समुत्थिता ससं कनकमश्नरो | क पिच्चलयाभिदहितं। वते निषौदाशं स्वः ततोऽग्डतपुश्चक इव तच दूर्वाविताने frrafa खंहनिभैरसः fava: स्थितानि aa कियन्तमपि ee ॥ went सम योगन्धरो नाम कन्यान्तःपुर कषक | तेन च विधाय मम प VATA कमकमश्चरो | कपिश्नखयामिहितं। भद्र पि तौदमाकारणं। योगन्धरः प्राह । भ्रुतेथमपटुश्ररौरा राजौ दे ततः प्रभाते खयमेव गवेषिता ख्याने म Wawa । ततः ' Sehr देवः। अमादिष्टोऽहमनेन । यथा यतः ङुतच्धि ग्रोला शौप्रमागच्छेति। तदिटरमाहानकारणशं। ततस्तदाक erature इति मन्यमाना gwquat वखिततारं वि nat awe प्रिता ay कपिश्चखलथा कनकमश्चरौ 1 चा तिक्राग्ता दृष्टिगोचरात्‌ | तेतखिनाभिडिते । देव किमिद मिह खितेन। ततोऽहं तदेव शतककोप वदनं तदेव सुश्च कटोरष्दय श्चेति वचनं तश्च विशस श्मकिरणर मधरविन्बं तदेव च इषांतिरेकङ्वकममलकपोखविस्फुरितं सद्भावखमपकं स्व्यं Mayen भ्मिलेखनं तदेव चाभिख तिरेकषन्दभेकं तिर श्वौ जेण निरौकएं तस्याः कनकमन्ल्याः a तौत्रतरमदनदाहञ्वर प्रबधेकमपि TET महामोहवगरेन त मायेमगतबुद्या SITY पुनः TASTE प्राप्तः खभ wate: Wea: । ` । ॐ । हतं दित्रसो चितं aaa) अपराहे sara कदसिका 1 वथा- ` fafea । कुमार ta समादिश्रति। ae निरूपितं मवा सांवत्सरो विवाहदिनं wea गोधु्यां शश्यतौति । arene fier इवा रतिसभुदरे, दापितं acfema थारितोषिकःं। ate वेशायां श्मायाता शरोतकभककशगा acd: | निेरतितं मे wana । विहितानि कौतुकानि । वतो टापिलानि मडहाडानानि। मोकिताजि बन्धनानि 1 पूजिता नमररेवताः । wanfaar aca: | विधापिता ergata: शोधिता राजमागाः। पूरितः sefe- at: । मौतमन्नाजनेः । मृकमन्तःपुरोः। वि्खितं crea: | तती मरतां faada प्राप्तोऽहं राजभवनं । Re सुभखताडनादथः कुखा्थाराः । भविष्टोऽषहं Tye) लज चामर वधूर णुषरक्षमौ खूपाविंशयेनं रतिमपि fawn azaecfrer®: eqay- war चकयाकमियुग विभ्रमे सङ्गस्य गलेन yfafaenfirt- वंश्रा। रक्राशोकरकिषशयाकाराण्वां करार्धां कोकनदथगे्ा करिकराकारथरेष्णोरदण्डदयेन विख्ोणगितभिम्बा जिक्थौ- लरङ्गशङ्कुरेश मथ्यभागेव कष्णल्िग्धङ्टिलकेशा सखकमसयुगख्ा- wafter शरणदरन कुष्डमिव मदनरसस्य राशिरिव खानां निधानभिबं रतेः watt रूपानम्दरनानां सुनोगामपि मभो- शारिशौमवस्ामरुभवन्तौ महामोहतिरो हित विषेकलोशनेन मथा इष्टा HAAG! इष्टचेतसा पुलकितश्रौरेक छतं प्रधान- ओवस्धरवचनेन पाशिग्रणं । भ्वाग्तानि मण्डलानि । AAMT area: | विदिता लोकोपचाराः। awit wen fade 49 ~ + — te, Me ae | = we "पोष्यो केः = ककरः ना Rod उपमिलिभवप्रपच्चा KUT | faarway: ) प्रविष्टोऽहमपहसितसुरभवभे कमकमष् वाषभवने अवगादितसुरताग्डतसागरः। एवं च प्रवर रागयोरावयोगेतानि कतिचिहिमानि॥ cag विभाकरष्य हतं TWH! AUG: Wes मया WT era: | सयुत्पलो विखम्मः । wae aware afer: खपरिकरोऽघौ Gert wrageTee तेऽ्बरोषनामानखरटा वोरसेनप्रशतथो इते प्रवरसेने WANA मया VE पूर्व॑मागतास्तेऽपि शतसक्माना मया ` गताः BIA । aatsy विगतविन्तासन्तापस्ताभ्यां waa मश्नरोभ्वामानन्द महोदभिमवगाहमानः यितस्तजेव वि काथं। warty च व्यतिकर परमाथेतः ख एव कारणं | मम तु महामोहवशेन तदा प्रतिहतं yee | दिखावेश्वानरयोः प्रभावातिश्रयः। अनथोरिं माहाग्य निरूपमामन्दाख्तर कूपिका कमकमश्चरो शब्धेति । च aaa: कपिश्चखया कनकच्डरानादाकषितं मणिम यया यतोऽनेन मन्दिवधेगक्ुमारेण महावलावपि za शोखया विनिपातितौ ware gaa दातु कमक तौ च दरुमसमरशेशौ मया ₹हिंसावेगश्वानरम्रभावादेव विरि तस्मात्रमा्थतो हिसावेश्वानराभ्यामेव ममेयं कनकमश दितेति । ततो जातं मे meat हिंसावेश्वागरखेदपरति BIG | ततो वश्ानरवचनेन तेः क्रूरचित्ताभिधानैवंः दिनमु पयुष्यमानेजनितं मे चण्डत्वं ॑संपादितमसडनलं SALT TATA | gre रौद्रता निवर्तितो भासुरभावः। गताङ्गङ्गीभावं क्रूरता । जातोऽ खरूपं तिरोधाय arafea वेश्वानरः। ततो aay वटकोप- योगं। fa afe खततप्रञ्वखितोऽहमाक्रोश्रामि हितभाषिषं ताडयामि निष्कारणमेव परिजनं । fee a पुनः पुनराञ्िव्धय- area मे संजातमाशेटकव्यसनं। ततः प्रतिदिनं निपातयामि स्माहमनेकजन्तुसंघातं। दृष्टं auctasfed . कभकशेखरेष्ठ | चिग्तितमनेन। aq किमिदमोढ्‌श्मस्यासमश्चसं चरितम्‌ ॥ vate | STA HAH: Qe शतविद्यो महारथः | तथायं ममाभाति a किचिन्नन्दिवधनः ॥ यतोऽयं हिखयादिष्टो aut बश्वागरेर च । परो पतापनिरतो waigte वतेते ५ अतो मोपेचितु युक्रो ममायं हितकारिणः | aaa यदि वर्तेत wee दितसु्तमम्‌ ॥ wawe च मे वाक्यं कदाचिन्न करोत्ययम्‌ | ATARAa पुनः प्रोक्तः कुर्यालन्तातलव्जया ॥ तदेनं तातसहितः frearfa तथा wat | डिंसावेश्वानरौ feat wien Twas ॥ ततः Gat WHAT: कनकशखरेण TT) श्रन्यदा प्रथिष्ठोऽ राजाख्वाने | विडहितप्रतिपत्तिनिं विष्टो मरेष्समोपे। aa: afa- तोऽहइं कमकचडर। जम । कनकशेखरेणाभिहितं। तात एवंविध एवायं “faye: सरूपेण । केवलमिदमेकमस्य विङ्पकं यदेष yeu उपमिंतिभवध्वश्चा कया | wat गेरिते adaif वर्तते । qafacre । कौ कभकग्रेखरे शा भिदितं ) wee waeatqarys बेश्यानसे नाम wre: तया विद्यतेऽश्य 3 खावकारिणौ मददापाप्डेतुदिषा नाम भा युक प्येथकु समदेव निष्फलेव गोषरा शधत्रल थेव तलको प्रापयोख्याग पैव अं warts i वयस्यः ख fauaet acu feafas दहाबुज च थः Bay न शोकदयना खा भायां विदुषा कार्या था शोका धर्मेषाधनद्ेतुद्च म पुनवुष्टरे्टिता ॥ एवं च॒ वदतोस्तयो्वं चनेन wad ऽवशः सर्पिषा मातरं प्रश्वजखितोऽदं। ततो मबा आस्फोटितं करतलेन गमिषषठं fiqm: प्रशयनि आलोकितमु्चशष्तारिकथा दृष्या तयोर्य राजा AC तक मदोषनोवितं वेश्वानरं कन्पयसि। न weafe कस्य प्रघादाश्मयदं राज तरिं मदौ यदेश्वागरमन्तरेण भवतः fois स free शक्येत । कनकेखरः पुमरोवमभिरहहिः मनोऽपि पष्डिलतरशछमसि tag मां fir eterna स मटोयषचनं विस्ितो राजा | et gai aa चिन्तितं। wa ant उ Sate: TTA: | ८९ warwer चमत्कर्वाा चरिका। अभिहितं च । wt गेरेनर्दिंगौ दभेचामि भवतोः खकोधवेश्ागरवोथें । प्रहरणौ भवतं । ततः खबुत्ख। तदरिकं रुखमा गजिह्कं यममिब areata gchar Tae) ग चखितौ राजकनकगरेखरौ। ततः सज्निहिततथा quizes मदाप्रतापतवा राजकमकगे खर योभं वितब्धतावग्रेन wrema प्रहार faiatsqareraga: quad) ततः प्रषत्यप- कर्चितोऽहं कनकचुङकगकगेखराभ्वां । मयापि दृष्टौ तौ शचृरूपौ। विख्िशः परस्पर Staats fa ॥ अन्यदा समागतो HIME नाम दूतः) म्रत्यभि- wrt wer निवेदितमनेन। यथा कुमार महक्षमेः प्रडितोऽहं। मथा चिनितं। wa किमिति महन्तमेः प्रहितोऽयं न पुनस्तातेन। ततो आाताजद्ून प्ष्टोऽणौ मया । चपि gue तातस्य crea: प्राह । Que sawafe वर्गा धिपति्ैवमो नाम राजा । तेन चागत्य मडदाबखलतया समन्ता जिरद्ध मगर खोरुतो बहिविंषयः दापितानि खागकानि va: पर्थाहारः। म शालि afeufarr- करण्ठोपायः। ततः खोरसागरगश्नोरददयोऽपि मनागाङ्शोभतो देवः। fare मग्लिएः। SAMA ACHAT: | स्ता नागरकाः । किं awars भ जाने किमच् भविव्यतोति fanaa संजातं सवंमपि रवश्रणं aent: ततो मग्निमहन्समेः रुतपर्याशोचः wifaa: बिद्धान्तः । wen भन्डिव्नङ्कमार एव यदि परमेभं यवबनरहतकबुत्ादयति नापरः पुष इति i. ततो मतिधनेनाभि- fer श्राफतामिदमेवंखितमेव देवाय । बुधि विश्ाखेनामिदितं | -. -- ~~~ -- BLO उपमितिभवप्रधद्चा कथा | नेवेदं देवाय श्ापभौयं । मतिधनः प्राह । कोऽ विश्ालेनोक्ं | सुतवत्छलतया दैवस्य कदाचिदेवं वर्धनागमनं न प्रतिभाषश्ते। तस््मादेवस्यान्ना पनमेव me साधु साभूपपद्यमानं ated बुद्धिवि किमजान्येन fans) deat कुमाराहानाय येनं aay शान्तिः संपद्यते । मतिधमेनाभिहि ततः स्वरो चकेन प्रहितोऽहमिति ॥ तदिदं gaa वेशवारः । भविष्यति मम चारतरोऽवसर इति मयाभिहितं । wt ताड्यत प्रस्यामभेरि । स रङ्गसेनां । तथा हृतं नियुक्रः । ततः aaa नाख्यात कनकच्डकमकेखरयोः | केवलं कनव newt मणिमश्नरौ। ततोऽनवरतप्रयाएकेः प्राप we | अभिहितो मया वेश्वानरः। यदुत वयस्य 3 धृना तेजखिता ated वटकोपयोगं । तत्कि वैश्वानरेशाभिदितं | कुमार निष्कुजिमभक्निगा द्या ममोपरि कुमारस्य भक्तिः । मदोवप्रभवाणि चेत वटकानि भकरिमतामेव पुसां wot प्रचरन्ति | HATS wt गतानि awmaat । किं awa धुना atte कुमारो वतेते । अन्यश्च । कुमार भावादेवेयमपि हिखाधुना कुमारस्य प्रतिपन्ला स सन्देशो विधेयः । मयाभिहितं । श्रद्यापि सन्दे, देतावानावयोजन्पः संपद्यते सम तावदूशेनवौ यिः Bata: Weta: | RED दुष्टमनेनास्मदनोकं | ततस्तच्छंनद्धमागतममिमुखं । ततः day- मायोधनं । तच्च AEWA | | रथोघघ्धंरारवं गजेष्गजिंदाङ्फम्‌ । महाश डेषितोद्धुर पदाति श्ब्दभोषणम्‌ ॥ णेन च तक्किग्धतं संपन्नम्‌ । विदौफशक्रकूबरं विभिन्नमत्तकुश्चरम्‌ | विनायवाजिराजितं पतत्यदरातिमस्तकम्‌ ॥ प्रजातसेन्यता नवं प्रनष्टदेवदानवम्‌ | असिग्रदप्रवधेकं प्रनृ्तसत्कबन्धकम्‌ ॥ ततोऽभिग्धूता यवनराजसेनयासमत्पताकिनो | समुल्सितस्तदले कश्कलः | ततो वलितोऽइमेककस्तदभिमुखं | समापतितो मया ae alg खयमेव यवनराजः । रणरभसेन चातौव भिलितौ want । ततः faare RATT दत्वा करणं पतितस्तच्न्दने | जोरितं Guar धवनराजस्य मस्तक | ततः प्रादु भेवन्लोषलसष्नयजयारवम्‌ | MUSH पराटत्य समायातं मदन्तिकम्‌ ii अन्यश्च । तदा | देवदानवगन्धवां वणयन्तः पराक्रमम्‌ | मम गन्षोदव पुष्येमिंशरं मुञ्चन्ति मस्तके ॥ ततश्च तत्परानोकं चणम ₹तमायकम्‌ | जातं मे feet सवंमान्नानिर्दंश्कारकम्‌ i निगेत्य मगरान्तातो Via ay बन्धभिः । [ ति ष | RER उषमितिमवप्षश्चा कथया | समागतः watt भे गगरं च अवाशकम्‌ ॥ ततो रथादवतौयं पतितोऽहं तातपादवोः । zwh श्रयो रध्या नन्दो दकव्व॑ख शखपयता इमालिङ्कितोऽहं ? चम्ितो सुषशुडमूधदेभ्रे । ततो दृष्टा awa! रुतं पादपतनं | समालि ङ्गितोऽम्नया चुज्वितो were । अभिहि न्दाञ्चपरि पूं ओो चना मद्दया भिरा । खवा । पुच ayy खन्पटघरितमेतन्ते जनन्याः wate इतडदयं erate न शतधा faze. नि.खारितानि च॒ वखमसुज्नाद्रभवा नगररोधकादटवता । श्रवो ममापि waa चिर जौ ततो खण्ितोऽहं feat मनागचोसुखं । स्मारूढानि घः रथवंरे । ततश्च । wer व रिविमेंन तुष्टा Baya च । ते राजखोकाः asf तदा कि fa a gat a तथाहि । afeccia दानानि केचिद्धावम्षि भाक्तः | उहामदये निघोषेः केचिजुतय न्ति निर्भरम्‌ ॥ केचित्कलकलायन्ते केचिदुछष्टनादिमः। STATINS: केदित्केशिषरायण्ाः ॥ केचिद्रन्नानि adie ward इासपूर्वंकम्‌ | इरन्ति Gearwfe sna: परसख्यरम्‌ इ तुष्टो ANTS खोक aa कुलवामनाः | रतोभ्यंका स्यो YU: दर्येऽन्तःपुर पाकाः 4 0 [= ee [अ mae, ध ak cae SES ames tir eae oe न्क ` चक क~ ~ a 4. [त ail, (णीन oe ee ष re च । , 1१३ wt . £ er oe ' t ! च प । & . 4 ‘oF [८ ६ 8 १ | ष्‌ { a0 । ; ~ ५ १७ [ह (| ॥ * . 1 i i प । ia oT ४ १ iad + . ` 1“ is + षि ४ ठ ॥ 15k ९ ry i ok . [| : . १ च } | |, र & र त ह. ।! |. # ४ A: era [1 2 | ¢ ' | ^ 0 1 7 4, i (५ i | i ¶ 1 ` # | al. a ॥ सकी ॥ | ai ५ 1 ॥ : a fee: १ amo. 3 £ 1 # i a a ॥ is ‘i : ५ ॥' ह Bin { aie i i ठ i rp fee | 7 = . ¶ ५ 1 "# ne 0 श्तौ यः yea: | एवं महाप्रमोदेन प्रविश्य नगर ततः | fear राजकुले fafazatse निजमन्दिरे ॥ दिवसो चितकरतवयं तच संपाद्य खवा | अनेकाट्ुतविस्तारद परनप्रौ तमानखः ॥ सम कनकमश्जयां रजन्यां शयने fea: । अथैवं चिन्तयामि सम महामोहवश्ंगतः ॥ श्रो वेश्वानरस्योचे.प्रभावोऽयं महात्मनः | ममेयमौद्ग्ौ जाता यतः कल्याणमालिका ॥ ्रागतोऽशं तदु्ाहाष्माता तेजखिता परा | तोषितौ saat लोके लभा जयपताकिका ॥ अरहो प्रभावो featar ar विलोकमलौोलया | करोत्येषा विश्रालाचौ मंच वेरिविमदंनम्‌ ॥ नातः परतरं मन्ये प्रभावे इद्धिकारणम्‌ | यथेयं मम हिंसेति प्रत्यकफलदायिनौ ॥ ततो गाढतरं रक्रोऽङहं वैश्वामरहिषयोः | भिद्धान्तं इदयेनेवं स्थापयामि विग्रेषतः ॥ एते मे परभौ बन्धू एते परमदेवता । एते एव fea मन्ये waaay प्रतिष्ठितम्‌ ॥ एते यः ज्ञाघयद्धन्यः स मे बन्धः उ मे GH | एते यो Sfe मूढात्मा स मे श्रमं संशयः ॥ न पुमस्तद्विजानामि महामोहइपरायणः | यथा WHITH ममेदं सवेमश्चसां ॥ 50 BER +. [क । = ~ च = - = ~ चे et ॥ ॐ 3 ‘ ४ |" 1 A 1 , ¶ ॥ Res उपमिविनक्पपष्चां कया । रिंसावेश्वानरावक्तः षु्ोदयपराश्ुखः । ततोऽहं WHATS दुराद्‌ दूरतरं बतः. ॥ aay t राजिगेषे ससुत्थाय पापदा Taree: । ताताम्ब दौमदददेव गनोऽरब्यामंहं ततः ४ अने करङ्त्वखम्भारं मारचत्वा गते दिने । सन्ध्यायां पुनरायातः प्रविष्टो भवने निजे ¢ अयासो विद्रः भरोक्रस्तातेनाङुखचेतसा । मत्छमोपे कुमारो कि मायातो निरूपय ॥ विदुरेशोकं प्रभातेऽहं Sat भच किरिकनोम्‌ । दशनां HATS गतसद्येव मन्दिरे ॥ ततः परिजनेगोक्र ययाखेटककाग्यया | राणावेव गतोऽरबयां कुमारो नास्ति भो ws ॥ ततो मयाभिडहितं। किमेव gant गतः पाप्धिबु वा प्रतिदिनं मच्छतोति। परिजनः प्राह । भद्र an: : fear परिरोता कुमारे तत ्रारभ्व प्रतिदिनं ग मान्यथा तिं waa किं aw) नौवितादपि am आखेटकः कुमारस्येति। मया चिन्तितं। set इता वधं मन्दभाग्याः तदिदमाभारूकमाखतं) यदुत यः ve म माति तत्कण्ठे निबध्यत tf) तथा fe dar मिजयोगेरीव FATS गाढमदं जिता FA यावतेयमपरा इ भाया सपश्ेति । तत्किं पुमरज विधेयमिति fenant SAT: TAT । ३९४ fet; तदिदं gare यद्मस्समोपेऽगागमगकार शमिति । लपतेनाभिदहितं। विदुर महापाप्ेतुरिदं anew न ख से वितमस्मदंग्जेनेरपतिभिः। अतो यद्यस्य निमिन्तश्रतेधं मार्या कुमारस्छापखार्येते ततः get भवति । विदुरः wei 2a वे श्रानरवन्निद्पक्रमेवं Byer) यवा श्रवते पुनरप्यायानोऽच गगरे स जिगमतश्चो fates: 1 ततः ख एवाय TE युक्तो यदच कतेव्यमिति। तातेनामिद्डितं। च्राक्ारय तरिं a नेमित्तिकं । विदुरेशोक् । धदाश्ञापयति दैवः ॥ ततो निगंतो विदुरः । समागतः स्लोकवेलायां zeta जिन- मतन्ं। ततो बिधाथ ae प्रतिपल्तिमाश्यातं तातेन प्रयो- aa) लतो निङ्दितं बुद्धिनाङौष्चारतो नेभिन्तिशेनाभि- fea) यथा महाराज एक एवा परक्षुपाणो विद्यते। अ अदि quia ततः wade प्रीयेत इुमारस्येधमभ्कारिणो दिशभिधाना wel, तावेनाभिडितं। stew घ इति कथयलवार्यंः | जिगमतश्चेनाभिडतं। थन्तद्‌ा वणितं समखमेव भवतां । oaarfe रहितं सर्वोपद्रवेजिंवासस्वानं समस्तानां कारणं कखाश्परन्परायथाः दुलेभं मन्दभागेयेचित्तसौन्दयै wt) तच च at वितः। यथास्ति fenara शोकानां writatat qufay zurawe: faeicnet परिप कोश्रदष्डसमुदथेने रभपरिणामो aa राला। तख राशो यथासौ ान्तेजेनयिभ निष्यकरन्पता माम महादेवौ तदा वरिता तथेव तस्याग्धापि दितौयास्ति हितकारिणौ जोकानां निकष- ३९९ उपमितिभवप्रपश्चा कथां | श्मिः सवेशास्तार्थानां प्रवतिका सद्नुष्ठामानां दूरवतिनौ प चारुता नाम राज्ञो | तथादहि। तावदुःखानि संसारे लभन्ते सवेजन्तवः । खर्गापवगंमागं च न लभन्ते कटाचन्‌ ॥ यावता चारुता देवौ तेने सम्यग्‌ निषेव्यते । यदा पुननिषेवन्ते तां tat ते विधानतः॥ Gayl कल्याणएसन्दोदं तदा यान्ति शिवं Ac: | श्रत: सा चारुता देवौ लोकानां दितकारिपणी ॥ सुसारसागरोन्तारकारणानि महाक्मनाम्‌ | लोके लोकोत्तरे वापि यानि शाखलाणि कानिचित्‌ तेषु way श्रास्तेषु वणित परमार्थतः । उपादेयतया देवौ सा प्राज्नेस्त्त चिन्तकः ॥ तेन सा निकषस्थानं शास्त्राण्णमिह गोयते | तां विना सवशरास्लायोऽसदवुद्धिप्रकरायते ॥ दानं शोलं तपो ध्यानं गुरप्रजा wat दमः! ` एवमादौनि लोकेऽच चार्कर्मांणि भावतः ॥ प्रवतेयति सा देवो खबवलेन महात्मनाम्‌ | तेन सा सदनुष्टानजनकेति freer ॥ HAM धभयद्रो इमोहमातसयंविभ्रमाः । शरा खपेश्ररन्परागाद्या ये लोके पापद्ेतवः ॥ तेषां तया सहावस्था नासेव Yara | श्रतः सा चारुता देवौ पापानां दूरवर्तिनौ ॥ Sart: प्रस्तावः। ` BES तस्याश्च LAICATA a YA QlaAal ASAT श्राह्ादद्े- ARMA: सुन्दरा SIV वल्लभा बन्धूनां कारणएमानन्द परन्परायाः सततं मुनोनामपि इद यवा सिनो विद्यते दया नाम दुहिता । तथादि । aa चराचरा Mal भुवनोदरचारिणः॥ दुःखं वा मरणं वापि माभिकाङ्कृन्ति सवेदा ॥ ततश्च, सा दया इयमष्येतदारयत्येव देहिनाम्‌ | तेम सा भुवमाष्वादकारणं परिकौर्तिता॥ मुखं walt माभोर्दानाख्यमुन्तमम्‌ | सद्‌ानद्‌ःखचाणस्थो दयायाः पौवरो wit ॥ विस्तौणं जगदानन्द nae] जघनस्थलम्‌ | यदा wea ate किं विदङ्गमसन्दरम्‌ ॥ SQW सुन्दरा viet तेन सा मुमिपुङ्कवेः। यथेष्टा बन्धुवगेस्य adel निगद्यते ॥ चान्तिः इएभपरिणमख्च चार्ता निष्य कम्यता | श्रे चसम्तोषधेर्याद्ा दयाया बान्धवा मताः ॥ तेषां तु सतताहादकारिणणे इदयख्धिता | तेना तिवक्ञभा प्रोक्ष बन्धूवगेस्य सा दया ॥ सुरेषु मल्येशोकेषु ate च सुखपद्धतिः | दयापर तचिन्तानां वतेते करवतिनो i आनन्दपद्धतेर्देतुसतेन सा कन्यका मता | अत एव सुसाधूनां टये सा प्रतिषिता॥ | | ve Rs उपमितिमवप्रपशचा कथा | अथवा । दथा हितकरो जोके दथा ब्वरशवदहा | दथा हि घमंश्वखं दया दोषनिषृदयो 8 दयेव चिन्तबन्तापविध्यापमपरायणशा | दथावतां न लायनते नुनं वेरपरग्पराः ॥ fa ary बङनोक्रन रुणसम्भारगोरवम्‌ | वदन्तो TITUS खा Zar केन व्छेताम्‌ ॥ तद्ज WAST महाराजाय कथ्यते | डहिंखावाः प्रखयोपायो नापरोऽ निसेश्छते ॥ यदेव. तां दयां पौरः कमारः परिणेव्चति | तदास्य खयमेवेवा दुष्टा भार्यां विगच्छति ॥ यतः | xa दाहाक्िका पापा सा qaftamiaen ततोऽनयो विरोधोऽस्ति ययाभ्रिजलथोः सदा ॥ ततस्तातेनाभिदितं | We कदा पुनरेष भन्दिक्घगक्म दथाकन्यकां परिके्यति । जिनमतञ्चेनाभिदहितं। यदा शभ wat दाख्छति। तातः ame स एव तहिं कदा दास जिनमतश्ञेनाभिदहितं। चदा कुमारं प्रति प्रणो अविर तातेनामिदहितं। wate तस्व प्रगुणौभवनोपाथः। जिगर ME! कथितं पूरवेमेवेदं मवा भवतां । यचा तं इटुभपरिष नरेश्वर afe परं कमेपरिष्णममहाराजः ngefed इ नापरः | तदायन्तो यतोऽसौ वतते | तस्मात्किमच बडना । तोषः Terra: | Ree स कमेपरिाममहानरेन््रः gat प्रति स्प्रसादो भविति तदा खयमेव प्रुभपरिणमेनाखये कुमाराय दयादारिकां दाप- यिष्यति । fa ख चिन्तया । ware शदयाम्येवादहं निमिन्तवलेन कुमारस्य मब्यतामपेच्छ यक्रिवखेन च। यदुत नियमेन कचि- mre प्रसादो भविष्यकछेनं कुमार प्रति क्मेपरिशामो नाज wae! avy तिन्‌ काले श्राएच्छ्य महइक्मभनिनोँः ata fafa पर्यालोच्य we काकपरिणत्या निजभावंया कथयिता- कौयमरदन्तमाय भावाय GTS च सखरमधुरवचनेरश्येव गन्दि- व्धमकमारख्य खम्बन्धिनों समस्तभावान्रानुयायिनीं wee खूपामन्तर क्भायां मवितव्यतां टौपथित्ा नियतिवद्च्छादोनां gana स्थापयिता दयाटरारिकादानय्य योम्मोऽचमिति श्वे- aay सिद्धाम्तप्तं ततो दापयिग्धत्येव स कर्म॑परिशममहाराजो दयादारिकां कुमाराय । निःसन्दिग्धमेतदतो मुञ्चत CUA eet | तातः प्राह! तत्किमधुनास्माकं प्राप्रकाशं । जिममतश्नेनोक्र । मोनमवभौरणा wl तातेनामिहितं। श्रावं किमात्मपुभो- ऽस्ामिरवधौरयितुं owe) foray: प्राह । तत्किमच करियतां । यदि fe वदिरक्रोऽयमुपद्रवः कुमारश्च arnat म CMA कतुं तचमवतामवक्षौरण्णां । श्रयं पुनरन्तरङ्गोषद्रवो वर्तेते । ततस्तमबधौरयन्तोऽपि भवन्तो ATMA | ततो यटा- दिग्रत्यार्यं इति वदता तातेन परिपच्च प्रहितो नेमिभिकः॥ ग्तामि afafefenta eqrad ame बुद्धिः । यवा व्याषयामि wares नन्दिक्धेनङुमारः । ऋ्ापितं मडन्नम््मनां | geo उपमितिभवप्रपश्ठा कथा | प्रतिपन्लमेतेः। गणितं प्रश्रस्तदिनं। कताभिषेकसामनौ | ease) विरचितं भद्रासनं मोखिताः सामन्ताः सः नागरकाः । सनिधापितानि माङ्गलिकानि । प्रकटितानिर प्रत्यासन्नो श्रतान्यन्तःपुराणि । श्रचाम्तरे प्रविष्टा vate तया aru) विरचितं करपुरङ्कद्लं मिवेशित लला -गदितमनया । देव॒ श्ररिदममनुपतेः सम्बन्धो स्फटवचमो -महन्तमः प्रतौहारण्रमो तिष्ठति । एतदाकष्य देवः प्र - तातेनामिदहितं । wis प्रवेश्य । प्रबेशितः प्रतोहार्या। f प्रतिपत्तिः । श्रमिडितं स्फुटवचमेन । महाराज श्रुतो मया ३ कुमारस्य यौ वराच्याभिषेकव्यतिकरः । तेनाहं इएभमुह्तौ ऽ ea खप्रयोजम सिद्धये त्वरिततरः प्रविष्टः। तातेगामि सुन्दरमनुष्ठितं । निवेदयतु खप्रयोजनमायेः | स्फटवचनः afa arafafea एव भवादृशां शादूशपुराधिपतिः सु mae देवोऽरिद मनः | तस्यास्ति विनिजितरतिषूपा रा नाम महादेवो | तस्याचाचिन्धगणरनमश्चूषा मदनमश्रुष दुहिता, तथा च शलोकप्रवादेनाकफितं नन्दिवधेनङ्कुमारर ततो mada: कुमारेऽसुरागातिरेकः 1 निबेदितः खा रतिचशायं । तयापि कथितो देवाय। ततस्तां मदम कुमाराय प्रदातुं चु्रश्षमोपे प्रहितोऽं देवेन । ्रधुना मश प्रमाएम्‌ ॥ ततो facta तातेन मतिधनवदनम्‌ । म We! देव महापुरूषोऽरिदमनः। yH एव देवस्य तेन सम्बन्धः | ततो $नुमन्यतामिदं तस्य aw) कोऽ fa तोमः प्रस्तावः । ` ४०१ ततिनाभिदहितं। एवं भवतु । अजरान्तरे मयाभिहितं । अरहो किथड्‌- दूरे waa शादूखपुरमितः स्थानात्‌ । Bere: प्राह । dated | मयाभिहितं । मेवं वोचः । Geen प्राह । तिं यावद्‌दूरे तत्कथयतु wana कुमारः । मयाभिहितं । Maan? खाधेयोजनशते । स्पुटवचमः प्राहः । किमेतत्‌ । मया- fafed । श्रतमस्माभिबांलकाले । स्फटवचनः प्रा । न सम्यगव- धारितं gata) wate) लया कथमवधारितम्‌ | स्फुटवचनः प्राइः | गणितं मया पदं पदेन । मयाभिहितं । स॒निर्णोतमिद- मस्म भिरण्याप्तप्रवादात्‌ । स्यटवरनेनोक्त । कुमार विप्रतारितः केनापि। न wane मदौय प्रमाणं तिखतुषजिभागमाजेणापि ॥ ततो मामेष दुरात्मा शोकमध्येऽशौकं करोतौति चिग्तयतो जे Sfad वैश्वानरेण प्रहसितं fewer) samt थोगश्रक्रिः । wat दाभ्वामपि मदौयश्रोरेऽनुप्रवेशः। ततः संजातोऽहं साच्ादिव reqs: | wares दिनकरकरनिकरकराणलं करवालं ॥ want चिन्तितं पुण्णोदयेन । aga पणौ ममाधुनावधिः , ufen भवितब्धतानिदैशः। न योग्योऽयमिदानौं नन्दिवर्धन कुमारो मत्सम्बन्धस्य । तस्मादपक्रमएमेव मेऽधुना अरथः । दत्या- शोच्य ag: gates: | मया gaat हाहारवं तावतो जनसशु- दायस्याग्रत wa श्रविचायं कार्याकायेमेकप्रहारेण शतो faze: weet: | ततो हा पुत्र किमिदमकायमनुषटितमिति ware: समुत्थितः सिंहासनात्‌ तातञ्चलितो मद्‌ भिमुखं वेगेन । मया .विन्ितं। श्रयमेषेतद्रप एव यो दुरात्मा मयापि रतमिदम- Sl ES a तः चे ४०२ उपमि विभवप्रपश्चा कथा! कार्यमित्यारटति i ततः agerwagt afeatse तातामिर्‌ कृतो लोकेन कोलादलः। ततो मया a Wa जमकत afaar aefaacat a गणितं परमोपकारिल्र नाशो मदहापापागमः। सवेया वेश्ानरहिंशावश्नौग्डतचिन्तेनावथम्ग्य चाण्डालतां तयेव रटतस्तातश्य जोटितसुन्तमाङ्गं । ततो हा हा जात मा साहसं मा सासं जायध्वं शोकास््ायध्व विसुक्तकरुणाक्रन्दरवा आगत्य Vl ममाम्बा करे Rast नाथं। मया fafa टयमपि पापा मम afceta येवं ग्र चच्छेदपरेऽपि मयि wawaraa | ततः wat सापि करवालेन | ततो इहा रातां कुमार हा sage किमिः wafafa पूत्‌क्ुर्वाणानि शौ लवर्धनो afenge रनवतौ च ख Daft मम भुजयोरेककाष्छमेव निवारणथं । मया fat एकालो चितं नूनममोषां स्वेषामपि दुरात्मनां । ततो गाढतरं ज्वलितोऽदहं। नोतानि चो ्यथेकेकप्रहारेणान्तकशदमं ॥ अजाः व्यतिकर माकण्ये दा sags किमिदं किमिदमिति werent कनकमन्नरौ | मया चिन्तितं श्रये एषापि war मदेरि मिलिता aa विक्रोशति swt इदयमपि मे वेरिश्रतं : तत्किमनेन । श्रपनयाम्यस्या श्रपि qaqa) ततो विग प्रेमाबन्ध विस्मृता तदिरदकातरता न स्फुरितामि wea fi जल्पितानि | च्रपदस्तिता रतिषुखसन्दोहाः । न पर्यालोचितः सम्बन्धौ निरुपमः सखेदावन्धः। सवथा वरश्वानराग्धबुद्धिना ` क्रोडो कृतर येन मया विद शिता करवालेन वराक कमकम' तोयः प्रावः | ७०४ wut die afer मे कटौतटात्परिधानं विशुखितं wat. निपतितञ्चन्तरोयं चितितले। जातोऽहं aero: सुत्कखोग्रताः au) संपन्नः साशादिव jars) ततस्णा- शतं arate दूरवर्तिभिः गरचकरिनभूपो देसद्धिरङहा सेन wat किखिकिखिका । ततः gat प्रज्षशितोऽइ eferqanz- ara वेभेन । ततो मे अतरो भगिन्बः खजनाः सामन्ता wa: स्वेऽप्येककाखं facut: लतः wart श्व. समद्ितया समस्तानपि निदंखयन्नहं गतः किथन्नमपि wena ततो रि लया Wee वनकरोव अमे पातयिता weit: कथं चिदं । उदाणितं मण्डलाय । बद्धः पथादाछबन्धेन ) ततो रटजसम्ब- वचनानि प्रकिक्नोऽपवरके। दशते RIS | तत्र च प्रश्वलमननुनय- वचने: प्रशपशभ्ाग्यभाषया ददानः ककाटथोमसकास्फोटां खामो qywr पोडितिः पिपासया दन्दश्ममानचिन्तसन्तापेनाख्भमागो जिदं महाजोरनारक इव तया ag एव feat area कालं अवभौरितः परिजनेन a शअन्यदात्थन्तलोणएतया समागता ममार्धराचे Guay fag) ततः प्रसुप्तस्य fed मे मूषकेवेन्धनं । ATA Gane: । इद्वा रितै कपाटे। निगेतो afees । निरूपितं Tage । way कञिच्वेतयते ततो मया fee) शवेमेबेदं Tage मगर च मम वेरिश्वते वर्तते येनाहमेवं परिक्रेशितः पापेन । ततो विशुभ्मितो ममान्तवर्तौः वेश्वानरः) संया werfia रिष्या । दृष्टं मया asfanfaga: चिन्तितं अदे अयमन बेरिनिर्थातमोपायः। aga avin श्रावं 9०8 उप मितिभक्पप्ा कथा | त्याङ्गाराणणं ततो राजकुलस्य नगरस्य च श्रपरापरेषु इन्ण्न- asaq स्थानेषु स्तोकस्तोकाग्परकिपामि। ततः खयमेव भसौ भविव्यतौदं इयमपि दुरात्मकमिति । ततः कृतं - खव तयेव । awa wa समन्तात्रदौपनकं। निगेतोऽहमपि दंदद्यमानः | कथं चिद्व वितब्यताविग्रेषेण | प्रटन्तो जनाक्रन्दरवः | भावन्ति सखम ष्लात wala FATE परबलग्रङ्गया सुभटाः। ततः शोणएतया श्ररोरस् परस्परानुविद्कतया शरौरमनषोविंगखितं धेथे । समुत्प मे भयं । पलायितोऽटवौसंमुखं । पतितो महारण्छे fag: कण्टकैः श्फोरितः wea: परिभ्रष्टो मार्गात्‌ प्ररूखितो विषमो टृङ्कात्‌ भिपतितोऽधोञुखो fewest । षुशितान्यज्गोपाङ्गानि। न wate त्यात्‌ ॥ | अचानरे समागताश्ीराः। दृष्टस्तेस्तथावखितोऽहं। अभिहित ममोमिः परस्परं । श्रे महाकायोऽयं पुरुषो . श्यते परकूले qeqe | तद्‌ WHAT नयामः खस्ामिमूशमेनं। तदाकष्छं खमु- इसितो ममान्तर्निमग्रो वेश्वानरः। श्थितोऽदमुपविष्टः | ततसेषा- सेकेनामिदडितं । wt .विरूपकोऽस्यामिप्रायः। ततः wht बध्नीत ययमेनसन्यया दुगे्ो भविग्यति। ततो गाढं इला धभनुःगशाखा- ` भिर्गिंयग्त्ितोऽहं carretera बाह । ददतो गालो मे वक्र कुहर । ततः खसुत्थापितोऽङह । परिहितं अरष्ोवरखण्डं। खेरितो ददद्धिर्गाडप्रडाराम्‌ नोतः कनकपुर प्रत्यासन्नं भोमगिकेतनाभि- धानां fame |. दितो रणवौरस्य प्लौपतेः । अरभिहितमनेन | अरे पोकयत तावदेनं येन पुष्टौ faa नौयते ततो यदा- तोयः TATA: | goy wrvafa देव इति वदता नोतोऽदसमेकेन ete सखभवने। कोरितं वदनं wat मुत्कलो WUE चकारादिभिः | कुपिति- खौरो। हतोऽहं दण्डादिभिनेवरं समर्पितोऽयं मम खामिनेति मला न मारितोऽहममेन। केवलं दापितं कदश्रमं। ततो बुभुचाच्ामकुकितया संजातं मे ea) तदेव कदन्नं भचयितु- मारः । न पूरितमुदरं। संजातचिन्तोदेगः। गतानि arate arf) पृष्टोऽसौ रणकीरेण चौरः कौौद्शोऽसौ पुरुषो वतैते tfa) ख प्राह । देव न कथंचिन्तस्य बलमारोहतति। ततः पितो ऽहमेवं तेन ward कालं ॥ Maer समायातः कनक- पुराचौराणाशुपरि दष्डः। नष्टासतस्कराः। सूषिता खा awh ग्टहोता ब्दो war: कनकपुर) गतोऽहमपि aaa) दशिता wet विभाकरमुपतेः। ततो मामवखोक्य चिन्तितमनेन । श्रे किमिदमाश्चयं यदेष पुरुषोऽखिशमगेषतया दवदग्धस्थाणकख्योऽपि . नन्दिवधमड्माराकार धारयति। ततो निरूपितोऽशं नखागेभ्यौ वाशाय्ाणि यावत्‌ । ततः fed तस्य ya मन्दिवधेनङुमार एवाथं | केवलं कथं तस्येह संभवोऽयवा विचिभाणि विधेविंलसि- ताभि | axuarat fe प्राणिनं किंवा म सभवति। तथाहि थ एकदा NATALIA GAMA: | वचने aut wlacra . देवेति vee ॥ स एव विधिना राजा तस्मिन्नेव भवेऽन्यदा | रोराकार विधायोक्र्माना कार क्डिग्ग्यते ॥ AS एवायं नास्य सन्देशः । ततः सुतमिजभावेन ४०९ उपमितिमवदप्रपष्ा कया | गख्दानन्दोद कम्रवाइखाशितकपोलेन सिंहासमादुत्याय समाकि- fyatse विभाकरेण । ततः किमेतदिति विस्मितं राजमण्डशं । ततो निवेश्वात्मोयाधासनेऽभिडहितोऽहमनेन । वयस्य कोऽयं zur: | ततः कथितं विभाकराय मयाक्मचरितं। विभाकरः WY W कष्टं A सुन्दरमनुष्ठितं भवता uafecafafagey जननोजमकादिमारणमा चरितं | ततः श्रयमपौ इ जग्छन्येव Fut भवतस्त्तेव फखविपाकः। तच्छुत्वा विस्फुरितौ ममान्तगंतौ हिंशावेश्वागरौ | चिन्तितं मथा । यथायमपि मे afteq va थो मलत्कतेव्यमणसुन्दरं मन्यते । ततो जातो मे तन्ारणाभि- प्राथः। तथापि gaan fea महाप्रतापतया विभाकर संनिडिततया बडराजडन्दस्च अनिकटवर्तितया verte न दन्तो मया Wt: | केवलं छृतं कां gai शकितो विभाकर मदोयाभिप्रायः। थया न सुखायतेऽख मटदोयोऽवं sm: । तत्‌ किमनेन अतापितेन । ततो विहितः प्र्ठुतकथा विचेपः । ज्ञापितं सामन्तमरन्तमादौनां । ay नमन्दिवर्धगक्ुमारो मम शरीरं जो वितं wae बन्धुभ्ाता पृष्योऽद्च जातोऽहमस् दगनेनातः रुत भिथखमागममहोत्छवमिति ।. तेरभिदहितं। यदाज्चापयति देवः। ततः प्रवतितो are! खपितोऽहं विधिना परिधापितो दिव्यवश्ञाणि भोजितः पर्माश्नेः विलेपितः सुरभिविलेपनेन षितो aurea! दन्तं खयमेव विभाकरेण मनोहारि ताम्बूलं । मया त्वहममेनेदममिदडितो यथा म सुब्दरमनुष्ितं भवतेति ततो मार यिखाम्बेनं वैरिएमिति ,रौद्रवितकेपरपरादो- Sata? प्रस्तावः | ges ` दूयमानचेतसा म fafwefad) उत्थाय भोजनमण्डपाद्‌पविष्टा वयमाख्ानश्राला्यां | मतिगेखरेण मग्तिणा भिहितं । fa विदितं कुमारेण यथा ese गतः सुग्टहौतनामधेयो Sa: प्रभाकरः। ततो धूनिता मया कन्धरा । इतं विभाकरोण ery लोचनय गलं अभिहितं च । aaa ताते परोकेऽधुमा युश्नाभिस्तातकार्थमनुष्टेयं | तदिदं wend वयमेताख्च तातपादप्रसादलाशिताः nee: प्रतिपन्नाः किङ्करभावं area) यथेष्टं नियोच्यतां । ततो तरैश्वा- वेशष्णादवखितोऽङहं atta) ल्ितो दिवसो दन्तं प्रादोषिक- माख्यानं। तदन्ते विषजितराजमण्डखो निवाधं भियतमाप्रबेशं मथा बहातिच्छहनिभरतया मडहारहयामेकस्यामेव शय्यायां प्रसुप्तो वासभवने विभाकरनरे्धः। ततो भद्रेऽग्टरोतसङ्ते तदा मया दिंसवेश्वागरम्यां विधुरितदयेन ख तथाविधोऽतिख्िग्धविश्रथो विभाकरः शमुत्थाय विनिपातितः पापेन । निगतथाहं परिधान- fama खक्मेजासेन पलायितो वेगेन निपतितोऽरग्यां । सोढानि मानाविधदुःखानि। प्राप्नो महता Hua ङुश्रावर्नं। विश्रान्तो बदिः कानने। दृष्टः कनकगेखरपरिकरेण। निवेदितः कमकशुडकनकशेखरयोः | विन्तितमाग्वां । भवितव्यम कारणम यदेकाकौ मन्दिवधेन cf ततः समागतौ कतिचिदाप्षपुरुष- .. परिवार wend) विदडितमुचितं । feat मथा सोत्र कमकशखरः । ष्ष्टमेकाकिताकारणं। मया चिन्तितं । श्रस्यापिनम प्रतिभाषिश्चते मदौोयचरितं। af कथितेन । ततो मयाभि- fea) श्रखमनयथा कथया । कमकशथेखरः प्राह । किं away न gos उपमितिभवप्रपश्चा SUT | कथ्यते । wate नेति। Brace । कुमारावश्यतथा कथयभोथमितरथा म भवति मे fen निर्वाणं । ततो भयादिष्ट- मयमुष्रहण्यतोति चिग्तयतो Asmat wefeat हिसाैश्वामरौ | Walser कनकश्ेखरकरोतटाक्ततान्तजिहाभासुरािपुजिका | समुङ्गोणेः कनकशश्चरमारणाय wwe! ततः किमेतदिति प्राश्न वेगेन कमकचृडादयः | MIRA: कोशाः | fase कनक- शेखर गुणावजिततया यथासंमिहितया देवतथा। wafer पश्यतामेव तषां गगनमार्गेण । मोतस्तद्विषयसन्निदे शे । चिप्तस्तवा- मम्बरोषाभिधामानां बौरसेनादीनां wert मध्ये । इृषटस्तेणथे- वोड्णपरहारो ग्टहौतच्रिकः। प्रत्थभिश्चातोऽनौभिः। पतिताः पादयोरमिदहितं च तैः देव कोऽयं amar) म शकितं मया जख्पितुं। विस्िताश्रटाः। आनौतमासनं। म शकितं मयोपवेष्टं | ततो गता दन्यमेते | तत्करणयोन्तम्भितोऽहं देवतया । चालितान्यङ्गानि । इष्टस्ते वराकाः । ` निबेशरितोऽहमासने पुनरपि ve: प्रस्ठतव्यतिकर। मया चिन्तितं) aet यज यच त्रजामस्तज तच वयमेमैः परतभिपरायफेरशो कवन्सखेलेकिरा सितं न way ते व्ख्लमप्रतिवशनाः पुगः grat एच्छन्ति ख । ततो विस्फूुरितौ मे feramadl: भिपातिवाः कतिचिषरटाः। शातः कल- कखः | ततो बडलान्तेषां zeta मम दस्तादसिपुजिका.। बद्रो- ऽइमात्मभयेन ॥ अरभारेन्त गतोऽस्तं दिनकरः । विजम्मितं तिमिरं । अमाशोदितं चरटेः। यथा पूवैवेरिक एवाथमदखयाकं नन्दिवर्धनो येन इतः प्रवरसेनोऽधुनापि घातिता एतेनेते प्रध्पभपुरुषाः | SAT: प्रस्तावः । 8४०९ तयापि प्रतिपश्नोऽस्माभिरेष खाभिभवेन प्रख्यापितो लोके, विश्चातमेतद्‌ णस्तरेषु । ततोऽस्य मारणे महानयश्रसकारः संपद्यते | नेष वद्धिवत्पु इखके कथं चिदारयितुं - शक्यः! तस्माद्‌दूरदेभर Nar त्याग vara श्रेयानिति श्ापितः सिद्धान्तः॥ ततौ निधग्तितोऽहं गन््ामारटंख्च बद्धो sau वदमरेगे | युक्तौ. मनः- पवनगममौ art | प्रखापिताः कतिचित्पुरुषाः | fear गन््ौ- गला रजन्येव दादश योजमानि। ततः प्रापितोऽहमनवरतप्रया- केः MFI । Bet मलविणयाभिधाने बदिष्कानमे । गताः ख्यानं VARA ATA: ॥ सोकबेलायां श्रकाण्ड एव fasta: खछरभिपवनः । विसुक्रः ० सहजोऽपि वैरानुबन्धः पशटगणेः। भुवनभियेव तत्छमाध्यासितं „ काननं । समवतौर्णः समकमेव सवं waa) प्रमुदिता विषङ्गम- गणाः | मनोदरमनु्ञालताशं Led . मधकरावलोमिः। विगत- तापं विग्रषतस्तमुद्‌ ्मुद्योतयितुमारग्धो दिनकरः । तथा ममापि मनाग्गलित इव चिन्तसन्तापः॥ तदनम्तर च देदग्धवणप्रभाप्रवाद्ेण द्योतयन्तो दि क्चक्रवालं समागतास्तज्र देवाः । शोधितं तेन्धैतलं । एृष्टमतिसुरभिगन्धोदकं। विसुक्रः पञ्चवशेमनो हारिकुसुमप्रकरः | विरतं विश्रालमतिरमणौय afagfza विदहतं तस्योपरि कनककमलं । विस्तारितमुपरिष्टादवदूष्यवितानं । श्रवलम्नितास्तच मौ क्रिकावचूलाः। ततः BARAT कितमागेः FTA ta ययेष्टफलदायितया कनकगिरिरिव स्विरतया चौरनौरभिरिव यणएरन्नाकरतया WAT इव श्ोतलेश्यतया दिजकर दव सप्रताप- 52 sxe डपमितिभप्रप्चा कथा | तया चिन्तामणिरिव दुखेभतया सष्टटिक इव नि्मखतया war दव सवंसद्दिष्लतया गगनतच्लमिव face गन्धकरौव वरकरिभिः परिकरितः खप्रतिविम्बक्रैरिव बङविधविनेयेः समागतः केवलश्चानदिवाकरो विवेको ara: घमुपविष्टः कमककमले। प्रणिपत्य विदडितकरासुश्चुला fawar परिषत्‌ । प्रारभे VST ॥ श्रजान्तरे भगवतः प्रतापं wean मदौयग्ररोराक्नि- गेतौ दिंशवेश्वानरौ दूरदेशे fant भां प्रतोषमाणौ | अयारिदमनो राजा सुनि विश्चाय लोकतः स पुरो जिगंतस्तख्छ सुनेवंन्दनकाम्यया ॥ तथा मदनमश्जूषा था दन्ता मम कन्यका | ॥ सापि तच समायाता षडिता रतिचुखया ॥ विहाय पञ्चचि्ानि भक्रिनि्भरमानखः | राजा शतोन्तरासङ्गः प्रविष्टः quaay y पञ्चाङ्गप्रणिपातेन पादयोन्यैस्तमस्तकः | प्रणम्य aft af स ललाटे रतक्ुद्मलः ॥ कथम्‌ | अन्नागतिमिरोश्छेदकरनाय दिवाकर | नमस्ते रागसन्भापनाश्रकारिमिश्ाकर्‌ ॥ खपाददगनेमाद्य नाच कार्ष्छसागर | भवता भवनिननांश्पूतपापाः शता वयम्‌ ॥ ata मनु जातोऽसि राज्येऽदयेव प्रतिहितः | दतौयः प्रस्तावः | | sre wea पटुकणऽसि पण्याम्यद्ेव चचुषा ॥ यदद्याखिलसन्तापपापजौणविरे दनम्‌ | भाग्यसंखचकं मन्ये संपन्नं तव दशनम्‌ ॥ एवं way रजेः सूरि सदितकसख्मषम्‌ | प्रणम्य weary fare: WRITS ॥ खर्गापव्गं प्यस्य सत्यंकार warfare: | यरूभिबनिभिखोषधमलाभः wit नृपे ॥ ततः BANU शेषलोकेषु भावतः | प्रयुक्रो कया शुङणारम्मि देशमा ॥ कथम्‌ । भो भव्या भवकान्लारे पथैटद्भिरनारतम्‌ | TIMES हेष Wa: सर्व्ञभावितः ॥ यतः। अनादिरेष संसारः aretsnfe: प्रवाहतः | जोवाञ्चानादिकाः सरवे दृश्यन्ते शान चचा ॥ म चेते प्राप्ुवम्तोऽसुं धमे सवंश्चभाषितम्‌ | कदाचिदपि पूव तु aaa भवभाजनम्‌ ॥ अथावाप्तो wast ध्मोऽमोभिः कदाचन | ततः ङतो भवोऽमोषां क्ष ताण वड्धिमौलके ॥ तस्मात्सुभिसितं राजन्नेतन्नास्यत्र संश्रयः | Harare: पुरा War जन्तुभिजिंनदे शितः ॥ एवं च faa ere - Sufafaaqrrgt कथा | सुत्कसोऽस्माकमपि केमचिदकाण्डविद्धर सन्पादनेन धमेकथाश्रवश- fanta: स्यात्‌ । तस्माक्ञावदयं यथान्या समेवास्तां । ware करिव्यामः | wert चेष aque: यस्यं चरितं । तदधना तावदपरं भगवन्तं सन्देहं waa: । ततोऽभिहितं नृपतिना । भदन्त मन्दिवधनङ्ुमारोऽस्माभिरेवंशणः समाकितिः । यदुत | वोरो दकः खिरः प्राञ्चो महासत्वो gaz: | ङूपवाश्नयमागंश्ः सवं शास्विश्रारदः ॥ णानां निकषस्यानं प्रख्यातपरपौरुषः | अतोऽनेन महापापं कथं चेष्टितमो दशम्‌ ti सखूरिशमिहित राजन्नाख्य दोषस्तपस्िनः। तादृग्णुणगणोपेतः खरूपेरेष वतेते ॥ राजाह भनु BRET दोषो ara विवेद्यताम्‌ । यद्येवमाद्मरूपेण निर्दोषो नन्दिवर्धनः ॥ ततो दरूणाभितं । चदेतहृश्वते grates शष्णरूपं मा तुषदयं अश्वेव समसोऽपि ete: 1) ततो नरपतिना विस्फारितं तदभिसुख- मौोखण्युगणं । निरूपितं ewt tet तश्धाशुषदयं । गदितं चानेन | भगवश्नेकोऽज मनुष्यो fatter मारोति खच्छते । भग- वतामिदहितं | सखम्यगवधारितं महाराजेन । गुपतिराइ । भदन्त कोऽयं ave: | भगवताभिडितं । एष महामोहस्य पौचको ईेष- गजेश््रष्य समुर विवेकितानन्दगो वेश्वानरोऽभिभौयते । we हि RAMA प्रथमं क्रोध इति माम प्रतिहतं । पञशचात्खगु्ठरस्य परिजनकाश्रादिदं fata वैश्वानर इति प्रियमामकं संपन्नं । तोयः प्रावः | ` ४९१५. नुपतिराइ । तरिं नारौ केयं । भगवताभिदितं । एषा ta मजेच्प्रतिबद्श्य दुष्टामिसन्धिनरेषरब्य निव्करणताया महादेव्या दुहिता रिंसोच्यते । गृपतिगाभिडितं । अनेन afeningate SWAG: कः सम्बन्धः । भगवानाइ । Harty एतं fawn भवतोऽगयोख खमपिंतददयोऽयं म गणयति quand नापे- चते uated न श्यति ag नाकखचधति पेथापेधं न लानोते वाच्यावाच्यं मावगच्छति गम्यागम्यं न॒ बुध्यते हिताडित- विभागं । ततो रिक्मरन्ति aaa aft समस्ताः ewe निजदणाः | परावर्तते निःगेषदोषपुश्चतयाख्यात्मा । ततो aer- राज नग्डिवर्धनेनानेन बाश्काले कदर्थिता निरपराधा दारकाः खलोहृतः कशोपाध्यायस्ताडितो हितो पदेश्दाथकोऽपि विदुरः । तथा वर्णेन खता घातिताः प्राणिसंघाताः fate awregrat- अनितो omg: परमो पकारिणौ बान्धबावपि मारयितुमा- रम्यौ facet कमकचुडकनकशेखरौ । तदारत्पुगयेदनेनाचरितं सुटवचनेन बहाकाण्डभण्डनं तन्ारणं च॒ तथा जननोजनक- खोदरमगिनोप्रियभार्यादिष्यापादानं गगरद इमं खेहनिभेरमिन- त्धनिपातनं च तज्िवेदितमेव युभ्राकं । ख एष महाराज समस्तो ऽप्यनयोरेव पापयोरिंसावेश्वानरयोरश्य भाधावयस्ययोदेाष- संघातो ग पुनः wane तपखिनो नन्दिवधनङ्मारख दोव- मन्धोऽप्स्ि | AUS खरूपे स्यामममम्तज्चानस्य भाजनममन्त- aime wire निलयनमनन्तसुंखस्य कुशभवनमपरि- faayuat | म चेदृश्मात्मखरूपमथाप्येव वराको श्यति । ४९१६ उपमितिमवप्रपद्चा कया | तेनागयोः पापभा्यांवयस्ययोः खरूपविपर्यांसकारिणो वंशे वतेते | तया च वतंमागोऽयमेवंधिमनन्तद्‌ःखहेतुखतामनयेपरपरामासा- दयति ॥ नृपतिनाभिडितं। भदन्त स्फ टवचनव्यतिकरात्‌पूवंमस्माभिः yaaa । चदुतानेन नन्दिवधेनङ्कमारेणोत्पद्मा- नेमानन्दितं we वर्धितं कोश्रदण्डसब्डध्या तोषितं नगरं | वर्धमानेन पुमराह्धादिताः प्रतयो विस्तारितो guaran: प्रतापेन वश्नौशतं wawe निजिताः waa: wetat जयपताका agufan यशःपटहः सिंहायितं श्लले श्रवगाहितः सखाग्टत- सागरः। तत्‌ किं तदास्य नास्तामेतौ पापभार्यावयस्छौ यदम दुःखपरपराकारण्न्डताविति। भगवताभिहतं | महाराज तदापया- सामेतौ विं तु तदान्यदेव कष्याणएपरपराकारएमासौत्‌ । नृपति- ae) किं तत्‌। भगवतोक्र। पुण्योदयो नाम सहचरः । ख हि विद्यमानः खकौयप्रभावेण सर्वेषामेष मनन्तरोक्रानां पद्मराजकदुला- गन्दजननादोनां प्रयोजन विशेषाण्णं ee: कारणं । केवलं महा- मोहवशाश्न afedtsaa भन्दिवधनेन acta: प्रभावः। पुष्यो- दथमाशाब्यजातमपि कल्याणकदम्बकं हिसावेश्वानर प्रतापजनितं मैत दित्येवमेष मन्यते wi ततोऽयमविगेषन्च इति मला विरक्रोऽसौ guiza:) ast avast दिशं स्फटवचनव्यति- करावरे | ततस्तदिकलस्यास्य भन्दिवधेनङमार खेदमनथेकदम्बक- anat दििसावेश्वानराभ्वां शुपादितमिति। नृपतिराह । भदन्त कियान्यनः aretse feat सह सम्बन्धस्य । भग- वताभिहितं । श्रनादिपरिषितावस्येमो हिंसावेश्वानरो । केवलम aaa: प्रस्तावः | 8९७ पदश्मराणग्ट्े निवसतोऽख्याविश्वंता विमौ | a तिरोश्लौ feat | मृपतिराइ । किमनादिरूपोऽथं नन्दिवधेनङ्मारः । भगवागाईइ । agi नृपतिराह । तत्किमिव्यय पञ्मराजपुचतया प्रिद्धः। भगवानाह | मिश्यामिमानोऽयमस्य यदत पद्मराजपुजोऽडहं । wat नाजाश्छा fader: नृपतिनोक् । भदन्त तत्परमाथेतः कुतच्योऽय- मवधायेतां । भगवताभिडहितं | श्रसव्यवहारनगरवासव्यः कुटु- faatsd ससारिजोवनामा कमेपरिणममहाराजादेशेन लोक- ख्ितिनियोगसुररोशृत्य खभायेया भवितव्यतया ततो नमगराजिः- सारितोऽपरापरस्थानेषु पर्यटन्‌ धारयेत इत्यवधारणौयं। नपति- राह । भदन्त कथमेतदिति सप्रपञ्चामस्य वक्रव्यतां ओतुमि- च्छामि। भगवानाह) महाराजाकणेय । ततः कथितो भगवता समस्तोऽपि विस्लरेण मदोयव्यतिकरः । ततः चृखतया भगवह्‌- wasfizare विमलतया बोधस्य प्रत्यायकतयथा भगवदलमस्य शघुकमेतया जोवस्य प्रत्यासन्ञतचा महाकखयाणस्य staan Wai श्रये भगवता `विमलकेवलाशोकेनो पलन्यास्य नन्दिवर्धन कुमारस्य सम्बन्पो भवप्रपश्चोऽयमनेन व्याजेन प्रतिपारितः। ततो ऽभिडितमनेन । भदग्त ययेवं amauta तथेवेदमुतान्ययेति | भगवानाह | महाराज तथेव । मार्गानुखारिण हि भवतो बुद्धिः | तत्कुतस्तचान्यथाभावः। गुपतिनाभिदहितं। भदन्त तक्किमषयेव नन्दिवधनस्यायं टक्लाग्तः कि वान्येषामपि प्राणिनामिति । भगवा- नाह । महाराज षर्वेवां शंसारोदरविवरव्तिनामसुमतामेष व्यतिकरः प्रायेण समावतेते | तथाहि । खिताः सवऽप्येतेऽनारिकं 53 ४१९८ उपमितिमवप्रपश्चा कथा | कालं प्रायोऽसांग्यवहारिकलनोवराशिमध्ये। तच च निवेसतामेतेषा- मेत॒ एव क्रोधमानमायाशोभाखूवदारादयोऽन्तरङ्गः परिजनः । याव्मख्चागमप्रतिपादितानुष्टामबलेन जोवाः सिध्यन्ति तावन्त एवा- सांयवहारिकनोवरागिमध्यादागच्छन्तोति केवलिवचनं । ततो निमेताखेतेऽपि सवं जवा विडम्बिता wate कालमेकेद्धियेषु विमारिता विकेश्छियेषु विगोपिताः पश्चेद्धियतिर्यग्धो निजेषु कदर्थिता नामाविधानन्तद्ःखेः कारिता बङृविधरूपाणि सतत- मपरा परभवप्रायोग्यकमेजालविपाकोदयडारेण भवितव्यतया afa- ताखारषडघरौयन्लन्यायेन सच्छनादरपर्याप्तका inayat वायुवनष्मतिदो feral fara lt न्ियसश्यसंन्निपश्चे दि यतियग्यो- मिलव्चरनसचरा दिभेद विवर्तन सवंस्थानेषु प्रत्येकमनम्तवाराः | ततः afaena: कथं चिन्हासागरपतितेरिव रन्नदोपं महारोग भराक्रान्तेरिव aU विषमृङिंतेरिव महामन्तो दारिन्चाभि- भर तेरिव चिन्तामणिः प्रा्तेऽतिद्‌लभोऽय मनुव्यभवः। aria महानिधि इव वेताला शश्रमाविभेवभ्येते दिषाकोधादयो दोषा यैरभिश्वतास्िषठनतु तावदेते प्बलमहामोहनिद्राघूपित- मानसा नन्दिवधनमङ्गुला वराकसत्वाः fa afe येऽपि जिनवचन- salon जामन्येनं wary लचयन्ति मनुखभवद्‌ लंभतां बुध्यन्ते संसारसागरतारकं धमे वेदयन्ते खसवेदनेन भगवदवचनायं fafy- afin निदयमानन्दष्पं परमपदं तेऽपि बाखिश्रा ta प्रवतंन्ते परोपतापेषु भवन्ति गर्वाश्चाताः कुवन्ति परवश्ननानि coq दविणणोपाजेनेषु व्यापादयन्ति edad भाषन्तेऽलौोकवचनानि SAT: प्रस्तावः | Bre alized परधनं waa विषयोपभोगेषु wea महापरिग्र भजन्ते रजनौभोजनानि । तथा सुद्यन्ति शब्देषु qefa रूपेषु लुभ्यन्ति रसेषु ठणन्ति गन्धेषु wheat ung दिषन्ति चा- निष्टशब्दादौन्‌ रमयन्ति पापस्थानेषु सततमन्तःकरणं न निय- नयन्ति भारतो उच्छङ्खलयन्ति कायं भच्यन्ते दूरेण तपश्चरणात्‌। ततोऽयं मतुव्यभवो मोकचाचेपकारण्ड्डतोऽपि तेषामघन्यतया न केवलं म॒ किचिह्ुणएलवलेशमा चमपि माघधयति fa तहिं यथास्य नन्दिवर्धनस्य तथेव प्रत्युतानन्तदुःखपर परा क्रलसंसारकारणतां प्रति- पद्चते। तथाहि प्राप्नोऽयं मनुब्यभवोऽनादौ TAT पूर्वमनन्तवारान्‌ म॒ च सद्धर्मानुष्टानविकलेमानेन - किचिक्छाधितं । श्रत एवास्माभिः पूव भगवद्धमेस्यात्यन्तद्लंभता प्रतिपादिता । तथाहि । पड्मरागेन््रनोला दिर न्नसष्ठातपूरितम्‌ | za भवनं TAS तु जेनेन्द्रशासनम्‌ ॥ VAS कोषदण्डाभ्यामेकच्छचमकणष्टकम्‌ | सुप्रापमोद्शं राच्यंन तु धर्मों जिनोदितः॥ संपूंभोगसन्प्रा्षिप्रो एितेद्ियमानषम्‌ | सुलभं नुपदेवत्व भ॒ मत पारमेश्वरम्‌ ॥ संसारे परमेश्वयेकारणं श्प शन्ते | wxaafa Naa न wat जिनदेगितः ॥ एते fe भावा राजेन्द्र संसारसुखकारणम्‌ | सद्धमेस्त qaixim निर्वाणसुखकारणम्‌ ॥ निर्वाणसुखषसारख्खयोख परस्परम्‌ । ' ४२० उपमितिभवप्रपश्चा कथा | चिन्तारन्नस्य काचेन यावन्तावहुण्णन्तरम्‌ ॥ एवं च भ्नातमाहात्ेः संशारे रि तत्वतः । ईद्चधमेषग्प्रािश्ंप केनोपमोयताम्‌ ॥ vafaa | एनं ससारविस्तारं विलंष्य Hua: | ATS प्राय दुष्प राधाबेधोपमं जनः ॥ यो जनमपि संप्राप्य शरासनं कर्मनाश्नम्‌ | डिदाक्रोधादिपापेषु रज्यते मूढमानसः ॥ संहारयति area चिन्तामणिमनुन्तमम्‌ | करोत्यङ्गारवाण्च्ि दग्ध्वा गोश्ेषेचन्दनम्‌ ॥ भिनत्ति नावं मूढात्मा लोहाये ख महोदधो | Qari दारवल्ुचेवेडयै रन्नसुत्तमम्‌ ॥ प्रदौपयति alee देवद्रोणी महन्तमाम्‌ | Taarat पचत्यं खलक मोहदोषतः ॥ सो वणेला्खायेण fafeat वसुधां तथा । अकंवौजं AWG SMT Faas: ॥ fant auveuifa कोद्रवाणां समन्ततः | afa विधत्ते मूढोऽयमडहं सश्रुतिकः किल ॥ यतः । डिमाक्रोधादिपापेषु जन्तोराखक्रचेतसः | सड्मेऽयं जिनेश्धोक्रो gugte गच्छति ॥ सद्धमेरहितख्चासौ पापपूरितमानषः | तोयः प्रस्तावः | ४२१ € ० न मोचमागलेश्रन कथंचिदपि qaqa ॥ ततो जानन्नपि बलात्युनर्भोमि महोदधौ । निर्बलं याति मोहान्धो यथायं नन्दिवधेनः ॥ नुपतिनाभिदितं | भगवंस्तस्य मन्दिवधेनस्य किनियतापि प्रप- aa want खसवेदनससिद्धेऽपि निजशरिते संजातः प्रबोधः | ananfafed । महाराज म केवलमस्य प्रतिबोधाभावः fa तरिं मयि कथयति प्रत्युतास्य महानुद्धेगो वतेते । नृपतिर इ | किमभवयोऽयं | भगवतोक्तं । नाभव्यः किं afe भव्य एव । केवल- मयमस्येव वैश्वानरस्य दोषो यन््रदौयवचनं न प्रतिपद्यते | यतो- ऽयमनन्तोऽनुबन्धोऽसयेति wat श्रनन्तालुबन्धौति टयोयनान्ना afafuafad । ततोऽ विद्यमाने न सुखायते मटौोयवचनं उत्पाद यत्यरतिं जनयति कलमलक । ततः कुतोऽस्य तपखिनः ्र्ोधः। पयरितव्यमदयाप्यनेन नन्दिवधनेनास् वश्वानर स्य प्रणदाद- परापरस्थानेषु दुःखमनुभवतानन्तं कालं प्राप्तव्या च वैरपरपराः | नृपतिराह | भदम्त महा रि पुरेषोऽस्य वेश्वानरः। भगवतोक्ं । पर्याप्त- मियत्या महरि पुतथा । नृपतिराह । किमस्येवायं वयस्यः किं वा- नयेषामपि saat) भगवानाह | यदि महाराज स्फुटं प्रञ्मयखि ततस्तथा ते कथयामि यथा पुनः प्रष्टव्यमिदं न भवति । नुपतिराद । श्रनुगरो मे । भगवता भिहितं । इष्ट सवेषां Marat प्रत्येकं चौणि fife कुटम्बकानि । तद्यथा । लान्तिमादंवाजेवमुकिन्चादशनवीयं- सुखस्य शौ चतपःसन्तोषादौनि यच सहमानुषाणि तदिदमेक कुटुम्बकं । तया क्रोधमाममायाशोभरागदषमोहाज्ञानजोकभया- 9२२ उपितिमवप्रपश्चा कथा| विर्‌ तिप्र्तयो यत्र बान्धवाः तदिदं दितौय कुटुम्नक । तथा Tat तदुत्यादकौ स्तौपुरुषावन्ये च तथा विधा लोका यच सम्बन्धिनः तदिदं ana कुटुम्बकं । कुटुम्ब चितयदारेण चासंख्याताः सखजनवर्गाभवन्ति। aw यदिदमाद्यं कुटुम्बकमेतव्ञौवानां खाभाविकमनाद्यपथेवसितं डहितकरणएग्रौलमा विर्भावतिरोभावधमेकमन्तरङ्ग च वर्त॑ते ate- प्रापकं च । यतः प्रहृल्येवेदं जोवसुपरिष्टान्ञयति | यत्पुनरिद्‌ दितोवं कुटम्बकमेतव्नौ वानामखाभाविकं | तयापविश्चातपरमार्थे- waned तद्गाडतरं खाभाविकमिति । तदनाश्पयेवसितम- भव्यानां श्रनादि सपर्येवसितं केषां चिद्धव्यानां एकान्तेनाहितकरण- श्रो लम विर्भावतिरोभावधमेकमन्तरङ्ग च वतेते संसारकारणं च | यतः प्रशृयेवेदं जौवमधस्तात्यातयति | यत्पुनरिदं तोयं yeaa मेतव्जो वानामखाभाविकमेव तया सादि सपयंवसितमनियतसद्खावं च । यथा waa हितादितकरणश्नौलसुत्पन्तिविनाश्धमेकं बहि रङ्ग च वतेते तथा भव्यतया संसारकारणं मोकारणं वा भवति। यतो बाल्येन दितौयङुटुम्बकस्यावष्टम्भकारकमिदमतः संसार- कारणे । यदि पूनः कथं चिदाद्यं कुटुम्बकमनुवतेते ततो जोौवखेद- मप्याद्यकुटुम्नकपोषणे सहायं स्यात्‌ । ततस्च मोखकारणतां प्रति- पद्येत । तदेवंश्विते महाराज यदिदं दितौयं क टु्बकमस्य मध्य सर्ववां संसरि जौ वानामेष वैश्वानरो वयस्यस्तययमपि हिसा भार्या विद्यत एव । माच सन्देहो विधेयः । नृपतिर । भदन्त यदोद- माद्यं कुटुम्बकं खाभाविकं दितकरण्ोलं मोच्कारण च तत्कि fama stat गाढं नेदमाद्धियम्ने। यदि चेदं दितौयकटुग्बक- Sata: प्रस्तावः | ४यदे मस्ाभाविकमेकान्तेमाडहितकरणगोलं संसारकारणं च तक्किमितो- मे जवा गाढतरमिदं पोषयन्ति । भगवानाइ । महहाराजाके- याच कारणं! एतदा कटुम्बकमनेन दितौयज्खटुम्बकनानादौ संसारे सकशकालमभिग््तमास्ते। ततो भयात्तिरोभावं गतस्य तस्य म संपन्नं कदा चिद भिव्यक्रं दशनं । ततो न खच्यन्धेते वराका नौवा- quad Faas) तेन न तस्योपरि गाढमाद्रं water | विद्चमाममपि तद विद्यमानं मन्यन्ते । तख erate वणंयन्तमस्म- दादिकं न गणयन्ति । एतत्पुमदिंतौयं कुटुम्नकमनादौ संसारे भ्चश्तस्याचङुटुम्नकस्य निराकरणटदवा्तजयपताकं खम्भप्रसरतया aaa प्रायेण सकलकालमा विश्ैतमेवास्ते। ततः wea तेन weet लोवानामरनिंश्रं sia । ततो वधते प्रेमबन्धः ससुत्प- wa चिन्तरतिः संजायते विश्रम्भः प्रादु भवत्यनेन सह प्रणयः | ततोऽस्य दितौयङ्टुम्बकस्य सततमनुरकमानसाः खल्वेते War मं पश्यन्ति दोषसंघातं समारोपयनधस्यासन्तमपि गणसन्दोहं । तेनेदं गाढतरमेते पोषयन्ति। ददभेवेकं परमबन्धग्धनमस्माकमिति मन्यन्ते । Way दोषप्रकाग्कमस्मदादिक शचनुद्या गन्ति ॥ नृपतिराह । भदन्त सुन्दरं भवति यद्येते तपद्िनो star अनयोः कुट्म्बकयोगैएदो ष विगरेषमवगच्छेयुः। भगवानाह । किमतःपरं सुन्दरतरं | एतावग््माजमेव fe निः जेषकल्याणामि वाज्छता परमार्थतः पुरुषेण कर्तव्यं यदुतामयोः प्रथमद्दितौयथोः चटुम्बकयोगुणदोष- विग्ेषपरिन्नानमिति । तथास्माभिरपि Marat धमकथाभिरेता- बन्ममाचमेव संपादमोयं। केवलमेते जोवाः खयोग्यतामन्तरेण — ee ee 828 उपमिदिमवप्रपल्चा कया | नानयोर्विं गरेषं कथंचिदपि श्ापयितु we । तेनायोग्ेषु वयमपि गजनिमौशिकां ga: । यदि ga: vaste Star श्रयोः क्ुटुम्ब- कयो एदोषविगरेषमवगच्छयुख्तदादित एव संसारोच्छेदः स्यात्‌ । ततो निरारृ्येदं दितौयं gem सर्वेऽपि Mat ate गच्छेयु- रिति। नृपतिराह | यद्यवमशक्धानुष्टानं स्वेषां जोवानामनयोगेण- टोषविशरेषश्चापनं तत्किमनया चिन्तया । warfafamauaga- वत्यादप्रसादेनागयोः कुटम्बकयोग दो षविशेषः | aa: सिद्धं न aaifed । यतः | परोपकारः RA: सत्यां wat मनषि । परोपकारासामर्थे Haley मदा दरम्‌ ॥ भगवानाह | ग परिज्ञानमाजरं जाणं । नृपतिराह । यदन्यदपि fata तदादिश्नत॒ aren) भगवतोक्तं । way विधेयं अद्धानमनुष्टानं च AAA भवतः BETA Was च । पुन- afe शक्रोषि ततः शिध्यत्येव समौोहितं नाच सन्देहः केवलं तजातिगिर्चुणं कमे समाचरणोयं। मुपतिराइ | भदन्त कडू AA | भगवानाह । यदेते साधवः सततमसुगशौणयन्ि । नृप- face यदनुग्रोखयग्येते तच्करोतुमिच्छामि। भगवतोक्र । WRT | wufcaeerg दितोयं यत्कुदुम्नकम्‌ | योधयन्ति aca चोरचित्ता दिवानिशम्‌ ॥ तथाहि | निष्ण थत vacated इटुम्बकम्‌ | Bara: Weta | रश तं घातयन्ति ज्ञानेन महामोहपितामहम्‌ ॥ UWA: समस्तस्य कुटुम्बस्य महाबलः | रागं वेराग्ययन्लेए AT qe ॥ अन्यच्च निरनुक्रोशा रागस्टेव azz | Si मेचौश्ररेणोदचेरेते निघ्नन्ति साधवः ॥ चमाक्रकचपाटेन पाटयन्ति सुदारुणः | एते भोः साधवः क्रोधं रटन्तं स्तिग्धवान्धवम्‌ ॥ क्रोधस्य wat मानं तयेते देवनन्दनम्‌ | इत्वा मादंवद्ङ्गम खालयनधपि नो करौ ॥ मायामाजेवदष्डन दलयन्ति तपखिनोम्‌ | लोभं सुक्रिकुटारेण Cretan खण्डशः ॥ तयते भ्ुनयो न्प चखेहाबन्धपरायणम्‌ | कामं निष्योद्य हस्तेन मदंयन्तौव मल्कुणम्‌ ॥ ` ददन्ति शोकसम्बन्धं तोत्रण ध्यानवद्धिना | भयं भिन्दन्ति निर्भोका धेर्यबारेन ageq ॥ we रतिजँदयष्णा च तयार तिः पिद्रव्वसा | विबेक ग्रहा राजेन्द्र साधुभिर्दारिता पुरा॥ अन्यश्च भाद भाष्डानि पश्चाराणि सुनिर्घणः | सन्तोषभुद्गरेणोचेदं लयन्तोड साधवः ॥ एवं ये से भवन्त कुटुम्बे fara: | तांस्ताज्निपातयन्येते जाताश्नातान्‌ सनिदंयाः € atafa बलं नित्यं प्रथमे च कुटुम्बके | 54 श्यद्‌ उपमि विभवप्रपञ्चा कथया स्वेषां िग्धबन्परनामेते राजञ साधवः ॥ पुष्टं गतेन तेनोखेनिंदतं भग्रपौरुवम्‌ । अमोवां बाधकं नेव तद्धितोयं कुदुम्नकम्‌ ॥ अन्यच्च पोषकं qr दितयस्य उतोयकम्‌ । राणननतरः ufiam सर्वभेव gang ॥ यावन्त॒तौयं न त्यक्तं तावण्नेत न we । दितौयमपि area पुरषेण छ्ुटुम्बकम्‌ # अतो यद्यस्ति ते वाका प सषारमोशने। लतोऽतिनिचृणं कमं मयोक्रमिदमाचर ॥ केवशं सम्बगालोश्यं मध्यस्येनान्तरात्मना | fa wea मया ad किंवा नेदमिति ल्या एतेऽतिनिर्धुष्णः कमे कथंचिदिद मोकगरम्‌ t कुवंगधभ्यासयोगेन PAT ष साघवः॥ अन्येन GTS कमे बन्धुदथाल्‌ना | चिन्तयितुमपि नो श्क्यं करण दूरतः सितम्‌ o fa al योऽयं त्यागस्ततोयस्छ दितो यस च घातनम्‌ ! कटुम्नकस्य THR प्रथमस्य च पोषणम्‌ ॥ एतश्लयं WLM कला श्रद्धानमश्चसा। अनुष्ठाय च व्यै यांसो मुनिपुङ्गवाः ॥ भवरप्रपश्चान्िमुक्राः सवंदन्दविवजिंताः | feat स्ञाभाविके ea मोदम्ते मोचवर्तिंमः # तवः प्रावः | 8२७ सदिदं दुष्करं कमे किं तु पये्तसन्दरम्‌ | एवं gaat श्प gee यदि रोचते ५ नृपतिराह | शिष्टं भगवता पूवे क्टुम्बदयमा दिमम्‌ | अविच्छिलं प्रवाद्ेण सदानादिभवोदधौ ॥ ` wate पुनरदिष्टं विमागशोत्पन्तिधमेकम्‌ तत्किं भवे भवे नाय संभवत्यपरापरम्‌ ॥ खरिराड महाराज संभवत्यपरापरम्‌ | भवे भवेऽ जन्तूमां THT कुटुम्बकम्‌ ! TNE नाय यद्येवं ततोऽनादिभवाणवे | अनन्तानि कुटुम्बानि व्यक्रपू्वाणि देहिभिः ॥ aire महाराज सत्यमेतन्न संशयः | एते fe पयिकप्रायाः सवं जोवासपस्िभः ॥ ततख । | अन्यान्यानि goats मुञ्चन्तो वासकेख्विव | श्रपरापरदेषेषु संचरन्ति पुनः पुनः॥ राजा नाय यद्येवं ततोऽजापि भवे नृणाम्‌ । कुटुम्बे खेहसम्बन्धो महामोहविजम्ितम्‌ ॥ सूरिरा महाराज सम्यग्भ्ञातमिदं वया । aware fant at वा Hare सकणंकः.॥ TINTS Gt म शक्रोति aa नाय faaqug | दिनौयस्य कटुम्बस्य कथं चिच्छक्तिविभमात्‌ ॥ . ४२९८ उपमितिभवप्रप्ञ्ाक्या। ठतो यस परित्यागान्तस्य किं जायते फलम्‌ । थथोक्रं यदि ar नेति ममेदं प्रविकेचय ॥ aficre महाराजयथो न इन्ति दितोयकम्‌ » दतोयत्यजनं तस्य नुनमा्दमविइम्बनम्‌ ॥ aaa fe परित्यश्य यदि इन्याननिराङ्खनः। दितौयमेवं aver: खफणो विफलोऽन्यया ॥ मृपतिनाभिदहितम्‌ । भद यद्येवं ततः | मवप्रपञ्चं fama महाघोर दुस्तरम्‌ | अवाप्य मानुषं जग्म संसारेऽग्यन्तद्‌ श्भम्‌ ॥ अनन्तानन्दसंपूफे ate विज्ञाय तत्वतः | तस्य BTW च बुद्धा MATT & युद्यादशेषु नाथेषु mas शितकारिष | कुटुम्बचयदूपे च विज्ञाते परमायेतः ॥ को नामाद्यक्ुटुम्बस्य पुरुषो Teanga: | कुर्या पोषणं नाय बन्धन्डलस् तत्वतः ॥ विघ्नं वसण्टद्धोनां सवव्यसमकारणम्‌ | fama कान को दन्ति nea छदुम्बकम्‌ oe येनात्यक्तन Tele परमं सुखम्‌ । को न त्यजति awa दरतोयं वा कुटुम्बकम्‌ ॥ GATE महाराज HAT NAAT । ददमेवाच Ada जयं संसारभरुणा ॥ राजाहाज्ञाततक्वानां नाय मौनौश्रश्राखने । मीक eee ee asthe ale ण = --- - ~ = ~ = y ee 4 Sata: प्रस्तावः। 8२ किं विदध्यतेऽधिकारोऽच नेति नेति quae: ॥ रान्ना चिन्तितम्‌ | श्रय विन्ञाततत्वोऽह अद्धाचासितमानसः | ततोऽस्ति मेऽधिकारोऽज TER कमणि yay ॥ ततो राजा घमुद्धतवौथौक्ञासो यतोश्वरम्‌ | प्रणम्य पादयोरोवं स प्राह विहिताश्चसिः॥ यदादिष्टं भदन्तेन किल कर्मांतिनिर्धणम्‌ | age कठुभिच्छामि नाय यश्रदनुन्चया ॥ खरिणोक्रं महावोये यक्रमेतद्वादृ म्‌ | अनुज्ञातं मयापोदं WA तत्वं तयाधुना ॥ ततः सरभसेन भरपतिना विलो कितं पाश्वैवतिमो विमल- मतेमेन्तिणो वदमं । श्रादिग्रतु देव दृति ब्रवाणोऽसौ fen: meat: । मृपतिनाभिहितं । era त्यजनोयो मया राच्यस्नम- देशादिसक्गः निदन्तव्या भगवदादेशेम रागादयः पोषणोयान्यद्‌- faa क्ञानादौनि ata भागवतौ aa ततो ace कालस्यो चितं aye geafa विमलमतिराइ । यदाज्ञापयति देवः। किं ठु न मयेव केवलेनास् कालस्योचितं विधेयं किं तरिं यान्येतान्यन्तःपुराणि ये चेते सामन्ता यश्चान्योऽपि राज- छोको या चेयं समस्तापि परिषत्‌ तैः स्वेरेवाखय कालस्योचितं कर्तव्यं । tim चिन्तितं। श्रयं मयायमादिष्टः किल aa दोच्ादणएकाले यदुचितं जिनच्छपनपूजादानमरदोत्छवादिकं तत्‌ कुरुस्मेति। तदयं किमेवसुल्षपति । set want: कचिदभिप्रायः। ` ४९० उपमितिभवप्प्र्ा TUT | aatsfuferaaay | श्राय तवमेवाज सर्वाधिकारी wa: सवेवामुचित- कतेव्यानां । तत्किमेतेरपरमुखितं ade. विमलमतिराह ।. देव ALANS: AIT तदस्माकमेतेषां च सवंषामस्य काखस्यो- चितं कर्तव्यं नापर । यतः समाम एवाथं न्यायः स्वेषां aaa! faafzaraa fe भगवता सवषामेव जौवानामेकेकस्य The fe gaara) तस्रादेषामण्यस्य कालख्ेदभेवो चितं । यदुत wuageaa waa दितोयं waa तोयं परि्यञ्यत दति । नृपतिनाभिडहितं। श्रार्यातिद्खन्दरभिदं यश्येतेऽपि प्रति- पद्यन्ते । विमलमतिराइ । देव पथ्थमिदमत्थन्तमेतेषां | किमज प्रतिपत्तव्यं ॥ ततस्तदाकश्यं तच परिषदि sat smear प्रजाजखतोति भावनया भयोत्करषंण afar: कातराः प्रदिष्टा एरूक्मैकाः प्रपलायिता नौचा fasetaat विषयन्टन्नेवः प्रखिन्नाः कटुग्ना दिप्रतिबद्धवुद्धयः परह्वादिता रूचुकमेका wag गतवन्तस्तदचनं धौर चित्ता इति । तत्तेलेधुकमेधोरचिन्तेरभि- fea यदान्नाययति Zawea fads कः सकणंकः सत्यां समग्रसामय्यामेव विधसार्या्ष्यतौोति। ACTH इष्टो राजा । गताः सर्वेऽपि mawafafa प्रमोद व्धने सेत्यभवने। च्छापितामि भुवन- मायस्य भगवतो विम्बामि । विरचिता मनोहारि पूजा । प्रव तितानि महादानानि कारितं बन्धममोचनादिकं समस्तमुवित- करणोयं | समाहृतः ओ्रौधरामभिधानो नगरान्निजतनयः । दन्तं तस्मे राच्यं मरपतिना। प्रत्राजिताः yawns विधिना सर्वःेपख्ितखोका भगवता । विदिता. भवप्रपश्च निर्वेदभननौ ढतोयः प्रस्तावः | BRR परपदा मिकाषातिरेकसंवधेनो धमेदेश्ना। गता aurea देवादयः॥ | मम पुगरख्छहोतसङेते तदग्डतकल्पनपि भ॒ परिणतं तदा भागवतं वचनं । निकटौश्तौ ददिंसाङश्वानरौ । ea: पुनस्ताभ्यां मम शरोरेऽलुप्रवेश्रः। मो चितां बन्धमात्‌ saat बन्धन- मोचनायं भियुक्ते राजपुरुषैः । चिन्तितं च मया । विगोपितोऽद- मनेन खोकमध्ये अमणेन्‌ । ततो धमधमायमानञख्धेतसा किमच सितेनेति. मन्यमानः vant विजयपुराभिमुखो गम । शक्तः कियानपि मागः) ray तत॒ एव॒ विजयपुराश्रिखरि नृपतेः सूलमत्कर्य एव हिंखावेश्वागर दोषेण निर्वासितः खविषयाष्जनमेम दृष्टो Aare प्रातिपयिको धराधरो नाम तरषः। षष्टो मया विज्यपुरमागे। ततः wigs fae म अतं तेन॒ मदचनं । मया चिन्तितं) परिभवबुद्या माजेव म गणयति । ततः aqafedt मे हिंसा्ैश्वामरौ । atin तत्कटौतटादखिपुजिका | ततस्तेनापि विस्फ़रितदिंसर्ैश्वानरे शैव wae AGUNG) दन्तौ समकमेव द्वाभ्यामपि प्रहारौ | दारिते शरौरे॥ warat मम तस च Mel सा vaste शड्का, लतो fantd अपरे शङ्कि दयोरपि भवितव्यतया । cere पापिष्ठनिवासा नाम गगरौ । तस्ासुपपरि खत पाटका भवन्ति, तेषु च पापिष्ठामिधाना एव gaquar वषन्ति। ततः षडे तसाभिधाने wee नोतौ दावपि एडिकामप्रभावेण भवितव्यतया BBQ उपमितिभवप्रपश्चा कया | श्वापितौ तादु शङ्लपुजकङूपतथा । veg: सोऽधिकतरमावयो- वैरानुबन्ध । feat परस्यरघातमनेकयातनाभिरविंदधामौ इावि- शति सागरोपमानि। अवगाडितोऽनन्तमहादुःखषागरः। ततस्तस्याः aaa गुडिकादानेनेवानोतो पश्चा्चनिवासनगरे द्वावपि waa तया विदितौ मर्भेजषपेश्ूपौ । प्रादु श्ैतः पूर्वाबेधेन परस्परं ga: करोधाबन्धेः | युध्यमामयोः da गडिक्राजरणम्‌ । ga: प्रापितौ तेनैव प्रयोगेण तस्यामेव पापिष्ठनिवाखाथां मगयों धुमप्रभाभि- धाने पञ्चमे पाटके भवितव्यतया । तज्रापि परस्पर नि्दलयतो- गतानि सप्तदश सागरोपमानि। अनुग्धतान्यतितौत्रद्‌ःखानि॥ ततः Gara पञ्चा्मिवासनगरे विहितौ दावपि fawedt | तचापि तदवस्थितो aca) aay प्रहरतोरपनौय agg विहितं amt gat cena चतु्थेपाटके पापिष्ठ- eq भवितव्यतया । तद्भतयोः पुनरप्यावयोरभुवतते समासौ रोषोत्कषेः | शितानि तजचापोतरेतरं निघ्नतोदेश्र सागरोपमानि। खोढानि वाग्गोचरातौतानि दुःखानि ॥ ततः पुनरानौय जनितौ इावपि ग्येमरूपौ । संणब्ममु ञसितवेश्वागरयोरायोधमं । ततचख्या- after तद्रपं पुनर्नोतौ तच्ाज्ञेव पुरि वालुकाप्रभानचि ठतौय- पाठके गडिकाप्रयुक्निवगेमेव भवितव्थतया । तचांपि परस्पर mace gaat: चेजातुभावजनितानि परमाधामिंकासरो- दौरिताभि चानन्तदुःखानि सततमनुभवतोरतिक्रान्तानि सप सागरोपभानि। तदन्ते पुमरानोतौ पञ्चाशनिवासनगरे दितौ च नङ्कुलरूपौ भवितव्यतया । न चृटितस्रजापि परस्पर ag: न SMa: प्रस्तावः ।. . 14. wed: ) प्रहरतोज्चान्योन्ये fate carta wit, जरं areiagfes । . fare पुनरपरे । tat पुमश्तस्यामेव ast ज्रकेराप्रभाभिधाने दितोवपाटके) ततो विहितनोभस्धरूपबोर- ate fount: परमाधामिंककदयेनां केश्रभनितसन्तापं च वेद- eatemarfa तज्ापि ` जोकि सागरोपमानि। एवं पापिष्ठ- निवासनगर्थाः पञ्चाकनिवासमगर ततोऽपि पुनसस्यां मत्याममनं gqiar तेन च धराधरो साधं वेर खेटथयता भटरेऽग्यरोतसङूते किडिन्वितानि नथा भवितवब्यताप्रेरितेन waife safe) ततः पुनः कुटदइलवगरेनेव तथा fara Mefat तच्तामेक- भववेश्चामिधानाथां कर्मपरिणाममहारानसमर्धितायां गुडिकां धो शयोऽपरां एडिकां योया तदसंब्धवहारनमर विषाधापरेषु प्रायेण सवंखानेषु तिखपोडकन्यायेन भमितोऽद- मबध्लका लमिति i | एवं वदति warfina omfamea चिन्तितं, श्रो रोद्ररूपोऽषौ कोधः। टारुणतरा fear) तथाहि । तद्श्रववरतिं. नानेन संखारिजोबेन भोरसंसारसागरं कथंखिदतिरशंष्य प्रातरेऽपि aqeua fafed तन्लादृश्रमतिरोद्रं क्म । भे प्रतिपन्नं भागवतं वचनं हारिता मनुग्यरूपता जिवेर्तिता वेरपरपरा उपार्जिता सखारसागरेऽममतरूपा विडम्बना खोषतो महादुःखसन्तानः | तदिदमनुभवागमसिद्कमलुभवन्तोऽप्येते मनुखभावापनल्लाः प्रानो म॒ शख्यन्तोवानयोः खरूपं श्रात्मवेरिष्ठ इव समाचरम्ति तमेव क्रोधं तामेव f¥at सततमनुवतेन्ते। तदेतेऽपि वराका on ste उप्रमितिमवप्रपञ्चा कथया | ख्यते नूनमेवं विधामनथंपरपरामिल्धेषा चिन्ता ममान्तःकर शमा- कुलयति ॥ संवारिनौवः ae) ततः पुनरन्यदाहमरुहोतसङ्धेते Tia: श्वेतपुर भवितव्यतया विडहितखाभौररूपः। ताद्रूपतथा वर्तमानस्य मे तिरोग्तोऽसौ वैश्वानरः जातो मनागरहं श्राग्त- SU प्रटन्ता मे यदृच्छया दानबुद्धिः। a mad किचिदि- fre शोखम्‌ 9 चानुहितः कञ्िष्छंवम विशेषः । . केवलं कथं - खिष्वेकघुणेनन्यायेन संपश्ोऽह तदा मध्यमगणः। ततस्तया गतं aqme जाता मयि weqezar भवितन्यता । तत्या विर्भा- वितोऽनथा पुनरपि सहचरो मे पुण्णोदयः। ततोऽभिहित- मनया । श्रायपुज mma भवता सिद्धा्चपुरे खातं ay augerfena । श्रय च तवानुखरः पु्योदथो भविश्छति। मयाभिहितं यदाज्ञापयति देवौ । ततो mutet sare गडिकायां दन्ता पुनरकभववेद्ा a ममापरा गशिका भवितव्य तथेति | भो भव्याः प्रविहाय मोहशशितं यभ्राभिराकष्ेता- मे कान्तेन fea मदौोयवचनं कला fawgs मनः | राधाबेधषम क्थचिदतशं लन्धापि मानुष्यकं हिखाक्रोधवश्ानुगेरिदमशो MF: पुरा हारितम्‌ ॥ ्रनादिसंसारमहाप्रपश्च कचित्पुनः स्पश्वशेम मृडः । RAMI ITAA विनाशितं मागुषजग्म sta: ॥ तोयः प्रस्तावः | ४१५ एतश्िबेदि तमिह प्रकटं ततो भो- सां स्यशरेकोपपरतापमति विहाय | शान्ताः कुरुष्वमधुमा कुश्रलानुबन्ध- मजा य AFIT येन भवप्रपश्चम्‌ ॥ इत्युपमितभवप्रपच्चायां कथायां कोध्िसा- स्यशनेन्द्रियविपाकवगेनस्त तीयः प्रस्तावः ॥ TA ००० ॥ ९३९ उपमितिभवप्पश्चा कथ! | चतुथः प्रस्तावः | अथ विस्यातसौ न्दं सपुश्छजनसेविते | fagraant तन श्पोऽग्धनर वाहनः ॥ यस्तेजसा BB गामौ्ंण मशोद् धिम्‌ | चर्येण ओेलराजेष्रं जयति w महाबलः ॥ येम बन्धेषु CRA VII छशानुता | प्रद्शितात्मनो fray धनेन धनदायितम्‌ ॥ तस्य इूपयगशो वं श्र विभवेरतुरूपताम्‌ | दधानासौ कहादेवो aver विमलमाखतो ॥ सा चद्दिकेव exe पदमेव TET: | तस्य राज्ञः षदा देवो wears विनिगेता ॥ ततोऽग्टो तसङ्धते तदानों निजभायथा | सड पु्छोदयेनाहइं तस्याः Het प्रवेशितः ॥ श्रथ संपूणकालेन सर्वावयवसुन्दरः | निग्क्राग्तोऽदममिव्यक्ररूपन्डसलेसयेतरः ॥ ततो मासुपलन्धासो देवौ faqeareat | संजातः किल पुणो मे पर wagaraar ॥ ततो मिषेदितो we सुष्टोऽखावपि Saar । GIA ANA: शतो seas: ॥ Aq: प्रावः | axe ममापि ख समुत्यश्लो faaal भिनमानसे | यथा इमनयोः पुजसातो मातेति ताबुभौ ॥ श्रय मासे गते प्रण महानन्दपुरःसरम्‌ । `. ततः ufafea ara ममेति रिपुदाङूणः ॥ नन्दिवधेनकाले था ममासौदविवेकिता | षा धातो पुनरायाता स्तमपाथमतत्यरा ॥ इतश्च तेन सा wat निजेन प्रियकामिमा | कचिद्धेवगजेन्दरेण संयोगं समुपागता ॥ यदा चापश्नग्भाग्डरेवो विमलमालतौ | तदेव देवयोगेन संजाता सापि ग्भिंणौ i ततो मब्जककाले सा प्रता दुष्टदारकम्‌ | उकश्नामितमहोरसकं वदनाष्टकधारकम्‌ ॥ तं वोच मा fanrerat पर हषेसुपागता | ततस्च fanaa सिमितेनाश्तराद्मना ॥ अहो मदौोयपुचश्य कूटानि सुगिरेरिव। मर्धागोऽष्ट॒विराजन्ते तदिदं मद्भुतम्‌ ॥ ततः समागते मासे निभद्ूनोगेशो चितम्‌ । करोति माम विख्यातं Steere इति za ॥ cag | ला धाषो ष च तत्ख्ूलुरनादावपि खवेडा | ममान्नरक्गोऽ्डदेव तिरोग्धततया परम्‌ ॥ aa: पिजोमेहानन्दं qua: सुखलाजितः | gat उपमितिभवप्रपश्चा कथया | ata ओेशराजेन परां टद्धिमहं गतः ॥ अथातौतेषु ववेषु पञ्चषेषु ततो मया | ख ae रममारेन शेलराओ निरो कितः ॥ अरनारिखेहमोद्ेन तं इष्टा मम मामसे। या प्रौतिरासोल्छाख्यातुं वसनेन म पायते । विल्लोकयन्तं at वोच लिग्धद्ष्ा ख दारकः waren चिन्रयल्येवं ase: खचेतखा ॥ अये मामेष cera: खिग्धचचृषा | विच्लोक्ति age ममायं वतेते वे ॥ ततो विद्मेरिताचोऽखो किलां खेहनिभरः | दशेवज्जिति मे देह खमाखिङ्गति मायया ॥ ततो मे मोडइदोषेए स्फुरितं निजमानसे | श्रो भावज्ञताणस्य चेलो क्यमतिव्तते ॥ तदिदानौँं मथा नेष fart बन्धवि चच्णः। Hine: चणमथ्येवं शतिनं विजिखयः ॥ ततस्तेन बोद्यानकाननेषु दिने fea | mien: wad याति कालो मे इष्टचेतसः ॥ म afer मवा मोहविडलौग्रतचेतक्ा । ` way रोशराजो मे परमार्थेन वेरिकः ॥ लतो दिनेषु गच्छत्सु AT तेन faqs | तक्मभावान्रव्धेन्ते वितकां मम मानसे ॥ यथा aatnar जातिः कुलं स्वंजनाधिकम्‌ । चतुर्थः प्रस्तावः | eee बलं yaafaana रूपं भुवनश्षणम्‌ ॥ सौभाग्यं जगदानन्दमेशखथे भुवनातिगम्‌ | श्रुतं पूवंभवाभ्यस्तं परिस्फरति मेऽग्रतः ॥ मघवापि पदं ate यद्यहं ee ततः । ` ददात्येव म कायें मे शाभशक्रिरियं aa on ये चान्येऽपि तपोवो्यधेथंसत््वादयो गुणाः | ते wala वसनधु्ेविसुश्य सुवमत्रयम्‌ ॥ यदि ai यश्येदशेन fae संजातो मम मौखकः | त्य को adam ग शम्भारगौ रवम्‌ ॥ तथाहि । पुरुषस्य भवेन्लावस्सवेस्येकमिहानमम्‌ | we वक्घाष्टकेनेव जयत्येव पर जनम्‌ । तदेष ओेलराजो मे यश्य प्राप्नो वयश्यताम्‌ । तस्य मास्ति जगत्यत्र यन्न GHA ॥ ततोऽवलित्न चिनत्तोऽह at विकश्पपरपराम्‌ | ANITA: सवे De मन्ये तदा अनम्‌ ॥ Salers aearfe निभाखथन्‌ | अ्रयतोऽपि न पश्यामि मन्तवद्भन्धवारणः ॥ argu aftarta विततात्मा यथा इतिः | ततोऽहं विचरामि ख निःसारो मदविहलः॥ चिन्तथामि न मे वन्द्यः कञिदस्ि wre 989 उपरमितिमवध्पश्चा कथया | अत एतहुणेः षवेनधस्तामम वतते ॥ को ममान्यो राष्गुनमहमेव JOA: | क एते देवशष्काता ये antsfa गणिकाः ॥ ततोऽग्दतोतसङूते ALTE गववेनिभेरः | जेखखम्मखमो नेव कख्छचित्प्रणतिं गतः ॥ fa च। प्रणता गरेवसामन्तकिरो रां विराजितम्‌ | भ मतं जातुचिद्धद्रं तातौयं पादपङ्जम्‌ ॥ अश्रेवजनवन््ापि खेहनिभेरमानसा | कदाचिदपि Marat मथा नुमं mare ॥ ये केचिन्नौकिका देवा याख्चान्ाः ges: | न ताः प्रणमकाजेन चखवापि wafer: ॥ ततो मां aren वोच secant | वर्धमानं ख Trae मनला पथ चिन्त्‌ ॥ अक्तो ATS गाढं मानधनेश्वरः | तदस्य शोको यद्याश्चां apaa कदाचन | ततोऽवं feufaternaaiatsanlcera | at विहाय wfexwufad भेव सुन्दरम्‌ ॥ न्नापयित्वा नरेष्रादोन्‌ कुमारचरितं ततः | आरश्ञाविभेयानस्योश्धेः करोमि सकलानपि ॥ एवं fafera मे तातः खहनिभेरमागषः | मखं तत्करोत्येव wage परिखिन्तितम्‌ ॥ चतुर्धः प्रस्तावः | अथय ताताश्चथा SF ACM गतमस्तकाः | बालस्यापि ममात्यन्तं किद्करतवसुपागताः ॥ प्रधानङ्लजाता ये ये च किक्रमश्राखिनः। तेऽपि at देव देवेति ब्रुवाणः पथैपासते ॥ यदहं वद्धि agar राजलोकः हतादरः। जय देवेति खपनञ्चेः शिरा प्रतिपद्यते ॥ किं चाज बहमोक्रेम ततोऽ्बा च सवान्धवा | flea सवेका्येष्यधिकं मां परमात्मनः ॥ स स UVa AWA मम कारणम्‌ | तथापि मोहदोषेण aad परि चिन्तितम्‌ i श्रयं ममेष यो जातो देवानामपि दुलभः । सवस्या प्रतापस्य Tecra विधायकः ॥ ततः संतुष्ट चित्तेन Taree मथाग्यदा | प्रोक्तो faraway खहदनिभरचेतसा ॥ वयस्य योऽयं संपन्नो लोकमध्येऽतिसुन्दरः | मम खा तिविग्रेषोऽयं प्रतापो इन्त तावकः ॥ ततद | मदौयवचसा तुष्टः RAH: खमानसे | वष्टतामुररौङवं न्निदं वचनमग्रवोत्‌ ॥ कुमार परमायीऽयं कथ्यते तव wa | यदे वं विधजन्यस्य कुमाराख्छेह कारशम्‌ ॥ ये दुजेमा way Fee पर जनम्‌ । 56 ४४९ 98२ उपमितिमवप्रपष्ा कथया | खाभिप्राथानुमानेन मन्यन्ते दोषपुश्चकम्‌ ॥ ये स्ना पुनधैन्यास्ते लोकं दोषपूरितम्‌ | सखाभिखन्धिविश्द्येव लखयन्ति गणा खयम्‌ ॥ i= स्थिते. यद्वाश्ते गणिलेन दणएोगोऽप्ययं जनः | कुमार तावके fea stay तच कारणम्‌ ॥ प्रतापस्तावकोगोऽयं समस्लोऽपि सुनिधितम्‌ | भावत्कवौयेविख्याताः के वयं परमार्थतः ॥ तदिदं शेशराजौयं वचनं सुमनोहरम्‌ | WHY तदा भद्रे परं SETS गतः ॥ fafa ख मया । रहो मय्यनुरागोऽखय At गमोरचिक्तता | श्रो वचमविन्यासस्तथाहो भावकारता ॥ am aarfated | वयस्य ATW वाश्समुपचारपर वशः | ममाग्रतो यतो We Aes तावकं मया + ततो Wanda गेशराजेम ofa । प्रसादपरमे माये श्त्यार्नां किंग सुन्दरम्‌ ॥ अन्यच्च | यदि सम्भावना जाता भवतां area जने। ततो मे परमं gy भवद्धिरनुमन्यताम्‌ ॥ विद्यते मम शदे इद थस्यावलेपमम्‌ | चतुरैः Teta: | ४७३ afea इदये देवं कुमारेण प्रतिचणम्‌ ॥ मयाभिहितं । कुतस्तदवाप् भवता किंमामकं कोवा aw इदयावद्धेपमख्छ प्रभाव इति ओोतुमिच्छामि । गेखराजेनाभिडहितं , कुमार म gafacta तदवाप्तं मया किं तरिं खकौयेनेव Dee जनितं । नामतः पुमः wafed तदभिधोयते । प्रभावं तस्यानुभव दारेणेव विज्ञास्यति gare: किं तेनावेदितेन । मयाभिहितं | यदयस्यो MMA | ततः समर्पितं ममान्यदा Wawa तदाक्रौयं इदयावल्ेपनं। fafad मया इदयं । जातोऽहं गाढ़तरसुक्षम्बित- VAAN Aa नमनरहितः | AAMT मामवलोक्ध सुतरां प्रणतिप्रवणाः swear: सामन्तमडइन्तमादथः | तातोऽपि सप्र- wa मामालशापयति ai anna सखञामिनमिव मां faw- पयति सम । ततः संजातो मे इद यावखेपनप्रभावे सम्मल्ययः। संपन्ना खिरतरा भेखराजे पर मबन्धवुद्धिरिति ॥ इत्चान्यदा गतोऽहमन्त - रङ्गं किष्टमागखा भिधाने नगरे । ve कौदृशं । श्रावासः शवैदुःखानां गष्टधमे निषेवितम्‌ | कारणं खवेपापानां दु गेतिद्वारमश्चसा ॥ तज च मगरे TEMS भाम राजा। स च RY: | उत्पन्तिश्मिदषाणमाकरः क्िष्टकमणाम्‌ | संददिवेकनरेष्रश्य महारिः स नराधिषपः॥ तस्य ख राज्ञो जघन्यता नाम Sati सा च stew | नराधमानां साभोष्टा fate: परिभिन्दिता। प्रवर्तिका च सा देवो स्वेषां निन्कमेणाम्‌ ॥ ४७४ "उपमि तिमषप्रपच्चा कथा | ACY जघन्यतादुष्टाग्रययो SAN गृपयोरत्यग्तमभौ ्टोऽसि टवा- वादो भाम aaa) स च RET) समसतग्डतसहष्य विश्वाषच्डेदकारकः | निःगरेवरोषपुश्जता द्र हितञ्च विशखणेः ॥ श्रा ्ैश्न्यदो जेन्यपरद्रो हादितस्कराः | तं राजपुरं सेवन्ते सदनुग्रडकाम्बया ॥ aut मेचौ प्रतिज्ञा च तथा aaa. थः | एतेषां श््ठलोकानां राजखलुरसौ रिपुः ॥ ` पिताशौ व्रतलोपस्य मर्यादाधथा मशरिपुः। अयशोवादद्रयस्य सदास्फाखनतत्यरः ॥ ये केचिन्नरकं afm तस्य fatwarfta: | ` ख एव प्रगुणं माभ तेषां दधेयितु चमः ॥ ततो दृष्टोऽखौ मया दुष्टाश्रयो ate: । तत्पाशववर्तिनौ अ विशो किता खा जघन्यता महारेवौ | तथोखाग्रतौ वतेमाभो faa- रितो मया तयोरेव चर शशूषाकरकपरायणः स इषावादो राजदारकः। ततो विदहितप्रतिपन्तिः खितस्तजाहं कियन्मपि कालं | महामोरविमो डितमानसेन च मथा म afar तदा तेषां नगरराजेष्रमहारेवौदारकाणणं. सम्बन्वि BEG! wetatsfa परम- qaqa विश्वतः प्रतिपशो वथख्छतथा वावादः । प्राप्तः प्रकषं- गतिं तेन ay Tawar: | दृष्टोऽसौ शरौरादभिननरूपतथा | तत- खानोतः ख मया SWAT: BMA ततस्तेन ay aera मे समुत्पद्यन्ते स मगसोदशा frat: । यदुत | चतुरः Werte: | नुन fafeaarciswawaa fava: | We: 8a: पशप्रायो सुग्धबुद्धिरयं अनः ॥ यस्य मे खवेषन्पत्तिकारको मिषतां गतः। ` सर्वदाय श्टषावादः खेन इदि वतेते ॥ श्रसद्भूतपदार्थेऽपि TE जनथा म्यम्‌ | शद तमण्यष्डूतं दश्रेथामि BUEN ॥ तं WATCHISAAC साइसमात्मना । वरमिचप्रसादेन शगञामि परे अने॥ Me वा wea वा ज्ुर्वतोऽपि थये च्छया | कुतोऽपराधगन्धोऽपि मम यावदयं सुत्‌ ॥ सा थेषिद्धिः कुतस्तेषां येषामेष ग विद्यते । wat मूर्खा wat लोकाः arian हि ae ॥ वियय्ेऽपि कचिश्छन्धि सन्धावपि ख विदम्‌ | म्षावादप्रषादेन चरटथामि यथेच्छया ॥ यस्किकिं Faery वस्त॒ लोकेऽतिद्‌ छंभम्‌ | वरमिनप्रसादेन श्वे संपद्यते मम ॥ मया पुष्छेरवाप्नोऽयमथमेव च मे सुत्‌ । एष एव AUT यथेष्टफल दायकः ॥ ततोऽग्टरौतसङेते मवा मो इडताद्मना | कु विकच्े्मनसतज ऋषावादे प्रतिखितिम्‌ s तदशेन च येऽनर्थाः सपद्यन्तेऽतिदार्णाः। पुष्छोरवप्रभावेण ते यान्ति fawe तरा॥ , ` ४8४१ 88६ उपमितिभवप्रपश्चा कथा | अद तु AW जने स महामोहवश्र गतः। ततस्च ware पश्लामि guaran tt एवं च वतेमागद्ध वयद्वदययोगतः | कलागदणएकाणलो मे संप्राप्तः क्रमशोऽन्यदा ॥ ततस्ततेन संपूच्य wera विधानतः | तस्यापितोऽद BEM महानन्द पुरःसरम्‌ | SMITE गुडः पुज तवाय ज्ञानदायक: | अतः पादौ swe शिव्यभावं समार ॥ मयोक्रं तात सुग्धोऽसि यो मामेवं प्रभाषसे । वराकः किं विजानोते rae ममाग्रतः ॥ TRA लोकश स्यादेष म तु AEM | अतो नाहं पताम्यश्य पादयोः शास्लकाम्यया ॥ केवलम्‌ । भवतामलुरोधेन गामि HAM: कलाः | मदौ यविनथो aS स्याशमादलोहितम्‌ ॥ ततस्तातेन स प्रोक्रः कलाचाया रदहःखितः। आये मामकपुजोऽयं गाढं मागधमेश्वरः # तद भवता नाश्व दद्दाप्यविनयादिकम्‌ | चिन्लोदेगो विधातब्धो ग्ाहणो यश्च सत्कलाः ॥ ततो विशयगन्नश्च yer तात जस्यितम्‌ | दादिश्रति राजेश इत्याह स महामतिः ॥ fafa च तदा तेन कलाचार्धंय मानसे | चतुथः प्रस्तावः। 989 किष यावच्छारलस्य सद्भावं नावबुध्यते ॥ यावच केलिबडणां बाणतामनुवतंते | रलो कगर्विताश्रातस्तावहेवं प्रभाषते ॥ यदा तु maga: शास्त्रार्थानां भविद्यति। तदा मदं परित्यज्य खय नवो भविष्यति ॥ एवं निखित्य इदये कलाचाथौ महामतिः | ततः सरवादरेणासौ प्रटन्तो याणे मम I दइतशान्येऽपि amare बहवो राजदारकाः | sara विनयोट्‌युक्रा caw सकलाः कलाः ॥ यथा थया च मे नित्यमादर कुरुते गरः । तया तथा वथस्यो मे शैलराजो विवर्धते ॥ ततश्च तदग्ेनाहमुपाध्यायं मदोद्कतः | जात्या श्रुतेन stu रोलथामि चणे चरे ॥ ang चिन्तितं महामतिना । श्रये । यस्तस्य सज्िपानेन सौरान्ञमिव सुन्दरम्‌ | श्रप्योऽस्य वराकस्य कशा शास्लपरि श्रमः ॥ गाढं farses aurea ग्रिभोजनम्‌ | तथास्य wea aa: श्वयथुं वधेयत्यशम्‌ ॥ ततो यद्यपि TI: पुचखञेहपरायणएः | eareafa at faa दएणधाना्थेमस्य वे ॥ तथापाच््डतोऽय य एव रिपुदारणः। तच्छ यागः परं न्याय्यो श्ानदानं न युज्यते ॥ ४४८ उपमितिमप्रपश्चा कथा | यो fe दथादपाजाय संज्नानमन्डतोप्मम्‌ | Sere: argat wea wera ॥ ग चेव mma कतु नखो बन्नप्तेरपि । को fe खेदग्नतेनापि wae मामबि्ति। तत्वं खचेतच्छवधायं तेन महामतिना कलाचार्थेण fufe- feat ममोपरि कलाशाख्छय्राहणानुबन्धः परिव्यक्रसुपशारसंभाषणं इृष्टोऽहं धृखिरूपतथा। तथापि तातल्ष्नया मासौ वदहिदंलविकार- मामपि दभ्रेदति ग च मनागपि मां पङ्वमाभाषते। aq तेऽपि राजदारकाः शेखराजन्हषावादर निरतं मासुपलभ्य विर क्रा- fata तथापि पुष्छोदयेनाधिष्ितं मां से चिन्तयन्तोऽपि न कथं चिदभिभवितुं शर्कुवन्ति ॥ cay चथा चथा तौ ओलराज- स्टषावादौ वर्ध॑ते तथा aut मदौयवयस्यः पुश्योदयः dea) ततः हृश्ोग्धते afar पुण्डोदये agua मे गाढतरं श॒ङ्परिभव- ufg: | अन्यदा भिगेतो बहिः प्रयोजनेनोपाध्यायः । ततोऽधिषिं मया तदीयं महार बेजासनं। दृष्टोऽदसुपविष्टश्र Tacs: | ततो efeara मरौयकमेणा । खघृध्यनिना चोक्रमेतेः। हा हा कुमार a सुन्दरमिदं विदहतं भवता । वन्दनौोयमिदं Gace | न युक्त भवादृग्रामच्याक्रमएं | यतोऽसिन्नपविश्रतां संपद्यते इल- कलङ्कः सञुल्लसति शश्रमयग्ःपट हः प्रवधेते पापं संजायते चायुषः चरणमिति। मधथाभिडितं । wt बालिशा are भवादृशां fae- WIE: | गच्छत युयमात्मौयं सप्तकलं शिचयत । तदाकष्टे सितारे दृष्णोभावेन । ततः fear aw वेजाखने इतौ वेलामु त्थितोऽहं । ` चतुरैः प्रस्तावः | 8४९ ययेष्टचेष्टया समागतः कष्ोपाध्यायः । कथितं ag रानदारक्- azlafaafed । we: सचेतसा । षृष्टोऽइममेम । ततः सासूयं मयाभिहितं । श्रहमेतत्करोमि | at ते meine श्रहोते पुङषविग्ेषश्चता श्रो ते विचारितभाषिता श्रो ते विम्रैपाटवं यस्छमेतेषां मल्धरिशणमसत्यवादिनां वचनेन विप्रतारितो मामेव- माभाषसे। ततो विलचोग्धतः कचोपाध्यायः। चिग्तितिमनेम | ग॒ तावदेते राजदारका विपरौतं भाषन्त। wi तु खकमे- पराधमेवमपलपति | तदेन खथसुपशभ्य गिचयिग्यामि । अन्यदा प्रच्छसदे शथ्थितेनावरचितोऽह तेन महामतिना। esas वेजाखने सरभखमुपविष्टो awe: । ततः प्रकटौश्डतोऽणौ दृष्टो मया । gm ufafa वेजासनं। महामतिनाभिदहितं) इदानीं afe भवतः किमुत्तरं । मयोक्रं । alge प्रश्रे । महामतिरार | aaa पूर्वके । मयोक्ं । भ॒ Te कौदृशोऽसो पूवेकः प्रश्नः । महामतिराह | किमुपविष्टस्लमच बेजासने मवेति। ततो हा भराग्तं पापमिति ब्रुवाणेन पिदितौ मथः का । पुनरभिरहितं। पश्यत भो मत्छरविष्सितं यदेते खयमकाये wear ममो प्ेवमा- रोपयग्ति। महामतिना fof) wet सेयं दृष्टेऽप्यलुपपश्नता नाम | श्रहो WE धाश्यं WER: खल्वयं । cana: परमसत्थ- वचनस्य | राजदार कैर भिडितमेकान्ते विधाय कलाचायं । यदुता- द्रष्टव्यः ww पापः। तत्किमेनमस्माकं मध्ये धारयत धूथं । महामतिना शचविन्तितं। saat तपस्िमः प्रवदज्ति। नोचित - मेवाय रिपुदारणः सत्सक्गमस्य । तथाहि | ov 8४० उपसितिभवप्रपश्चा क्या लमेप्रदानेन HF मधुरभाषणेः | मायाविनमविश्वासात्‌ weal विनयकमेा ॥ सोर रखणयन्नेन सदबुद्या पारदारिकम्‌ | बरोक्खवैग्ति facta: ओेषदोषपराचएम्‌ ॥ म॒ विद्यते पुनः कञ्चिदुपायो शुवे | असत्यवादिनः पुंसः काशदह्ः ख उच्यते + यतः । स्वंऽपि ये जगत्न व्यवहाराः WHAT: | wal प्रतिष्ठिता भेदं यस्यासौ मन्वशौ किकः # get विन्नाय यनेन सत्यदहोनं नराधमम्‌ | amma सुदूरेण प्रियसत्या महाधियः ॥ ततोऽयं सत्यरोनलादस्माकं रिपुदारणः। सम्यग्‌ विज्ातश्नोखानां ग मध्ये खातुमरेति ॥ svar are वराकस्य रिपुदारणस्छायं दोषो यतोऽच्मनेन गेलराजन प्र्थमाणस्तावत्छकखदुरविंनयमाचरति | तथानेन WaT: वादेन प्रोखाद्यमानः Saad भाषते । ततो यद्येतौ पापवयस्छौ परिहरति तदथं श्ज्थामि तावदेनं) ततः रतोऽदबुतसारके महामतिमाभिदिवख । कुमार नेदुशानां सखानमिद् मदोय- श्लायां । wa: कदाचिदेतौ पापवयस्योः परिहर यदि. वा मागम्तयमिदह कुमारेति । मयाभिहितं । aarti war प्रथच्छ | वयं तु लदोयश्वानेन त्वयापि च विभेव भलिग्यामहे | ततद्येवं विषे स्तिर स्त्य परषववनेडपाध्याबधुन्नामितया चनु प्रस्तावः | Bur कन्धरेया गगमामिमुखेग वदनेन faatiadca वच्चःखलेनाविकट- पादपातेन गतिमारगेश विलिप्य तेन wafeda गेशराजोय- विलेपनेनात्महदयं निगेतोऽहसुपाष्यायभवनात्‌ । ततोऽमिडहिता महामतिना राजदारकाः। श्रे निगेतस्तावदेष gra रिपु- QU: | Aas गरोयान्ञरवाममुपतेः पुचच्छशः | खेदमूढाखच प्राणिनो भ caf sare दोषसमूडं षमारोपयगधसम्तमपि guayTa ata तदिप्रियकारिणि जने ग विचारयन्ति विप्रिय- करणकारणं न wea सयाममानान्तरं gata साभिमत- विभियकर्तर्महापायं ) तदेवं wafea भवद्धिभेोनमवलम्बनोयं | यदि रिपुदारणनिर्गममव्यतिकर प्रश्रयिश्यति देवो गरवाडन- watseaa तं प्र्याययिव्यामि । राजदारकेरभिहितं। यदान्ना- पयल्युपाध्यायः ॥ cay ततो faa गतोऽहं तातसमौपे । yaaa पुज fe वर्तेते कलाग्रहणश्येति । ततः गेखराजोयडदयावसेपन वेन ग्वा उादावष्टग्भेन च मयाभिहितं | तात समाकणेय | पूवमेव भमाग्रेषं विन्नानं weufiaa | अथं manda मे विग्रेषाधायकः परम्‌ ॥ ५ लेख्ये चिजे wade नरारौ्नां च wae | mad ₹दस्जिशिचलायां weg sagt ॥ शब्दे प्रमाणे गणिते धातुवाद eataa | निमित्ते याख लोकेऽ कशाः arfyafadie: 1 ‘Bye उपमिलिभवप्रपद्चा कया | तरः ख ए यदि at मां परिणयति नापरः निवेदितं पित्रो निंजाकूतं । संजातमनयोः पर्याक्ललवं नास्येवास्याः कलाभिः समानोऽपि भुवने पुरुषः कुतः पुनरधिकतर इति aaa | ततः शरुतस्ताग्यां मदौयः कलशाकौ शलप्रवादः । चिन्तितं नरकेख- fem) ख एव रिपुदारणणे यदि परमस्याः सम्शतरो भविति । get च नरवाहनेन aurea dares यतः प्रधानवंशौो महानुभावश्चासे aa तस्य ख राशो caarafca महानागस्य निरपत्यस्य सेवका aac दुहिता ¦ तनोऽत्यम्न- मभौोषटतया तस्याश्िम्तितमनेम,। गच्छामि ata सिद्धा्ेपुरे ` zwar vet नरसुन्दरं । ततः परौच्छ तं रिपुदारणं विवाह- याम्येनां येम मे चिन्तमिदेतिः saga ततः स्व॑बलेन समागतो मरकेषरौ | श्नापितस्तातस्यागमनटन्तान्तः। परितुष्टोऽसौ । कारित- ञुख््ितिपताकं नगरं । प्रवेशितो महाविमर्टन नरकेसरौ तातेन | दन्तमावासस्थान | भविष्यति रिपुदारणकुमारस्य नरसुन्दयां ay कशाकौ रलपरौचेति न्नापितं लोकानां । प्रशस्तदिने सष्नौका- रितः सखयवरमण्डपः। विरचिता wer) मौ लितं ced | खसुपविष्टस्तन्मध्ये शपरिकरस्तातः। समाहृतोऽदहं कशचाचार्यख | प्राप्तोऽहं सह जिज्रचयेण तातसमौपं महामतिश्च सह राजदारकेः। इतश्च पुष्ोदयस्य मदौयदुष्टचेष्टितानि पश्यतथित्तखेदेनेव संजातं wnat शरोर त्रिगजितं परिस्फुरणं मन्दोग्धलः प्रतापः | ततोऽइमुपविष्टस्ता ताभ्व्शे aviary, निवेदितं विनयनखेणं मरवाइनेन महामतये नरकेषरिराजागमनप्रयोजनं। तदा कष्य चतुथः प्रस्तावः | 8५५ संजातो मे ₹र्षातिरेकः। स्ितख्छष्णोभावेन ayaa इषच्ुपा- ध्यायः | Wat समागतो नरकेषरो । परितुष्टो avaren: | दापितं ag महारेसिंहाषनं ¦, उपविष्टः सपरिकरे मरकर | ततस्तदनन्तरं पूरयन्तौ जनद्‌ यसरांसि लावण्याश्डतप्रवाेष अधरयन्सौो वरबहिकलापं शष्णल्तिग्धङुचितकेश्रपाश्ेन प्रोद्धाष- at दिकचक्रवाणं acaexu विधुरयन्तौ कामिजनचिन्तानि शोलामन्धरे विलासविललोकितेन ciamt atagafaa पयोधरभरेण Gaur मद नवारणं विस्तोरंजघनपुलिनेन विड्ग्नयन्तौ सञ्चारिरक्रराजौवयुगललोखां चर एयुग्मेन srt कको किलाङगुखकूजितं मगमथोल्ञापजस्पितेन gaewant वर gaat प्रवरनेपश्याशङ्धारमाख्ताम्बृाङ्गरागविन्यासेन परि- करिता प्रियसख्छोदन्देन श्रधिषठिता वसुधरया प्रविष्टा नर- सुन्दरौ । ततस्तां विलोक्याह इष्टखेतसा । विजभ्भितः गेखराजः। विलिप्तं स्वथचिनत्तेन तेनावलेपनेन anaes चिन्तितं च। कोऽन्यो at fawaat परिणेतुमरेति। न खख मक्रष्वजादृते र तिरन्मस्योपनोयते ॥ अ्राम्तरे विहितविनया तातारोनामभि- हिता मरकेखरिणा मरखन्दरो । यदुत उपविश ai सुच wert पूर याद्मौमनोरथान्‌ | प्रश्रय रिपुदारण्डुमार wera य्न क्रचिन्ते cea ततो atgeal सरषेसुपविश्या भिहितं, यदाञ्चापयति तातः | केवखं गुरूष्णं समलं न युक्त ममोद्राहयितु। तस्मारापुष एवोद्भाहयतु VAST. HWM GE पुनरकेकस्ां कलायां सारखानानि प्रञ्नयिष्छामि। awagia निर्वादः ४५६ उपमितिमवप्रपश्चा कया | करलौय इति aang wet नरवाइननरोश्धौ समखराजकुशं शोकाय | ततस्तातेनाभिदितोऽह | कमार gat मश्वितं राज- Sher | AQHA CI मारः खकलाः कलाः Wea मनोरथान्‌ wa ममानम्दं faery कुशं Vwiq जय- पताकां । एषा सा निकषण्मिवेतेते विजन्चानप्रकषेस्छेति ॥ मम a तदा कशानां भामान्यपि fawarfa: ततो विहशोग्डतमन्तः- करणं wafer गाचयष्टिः sade: प्रस्ेदबिन्दवः संजातो Vege: प्रनष्टा भारतौ तरिते लोचने । ततो हा किञमेत- रिति विषशस्तातः। प्रलोकितं महामतिबदन। avwafacre | कि केब्यमादिश्तु रेवः। तातेनाभिहितं । किमितौयमौ शशौ HAITI) ततः कं निवेदितं महामतिना। देव मनः चोभविकारोऽयमख् | तातः प्राह । किं Gece मनःसोभ- निमित्तं । महामतिराहइ । देव प्रस्तुतवस्तन्यश्नानं । भवत्येव fe वागावुधानां सदि विदुषां सस्यधेमाभाषितानां शानावष्ट्भ- बिकलानां मनसि चोभातिरेकः। तातेनाभिदहितं। आयं were BNC! मतु सकलकलासु प्रक्षे WH: कुमारो वर्तते । ततः vam मदौयदुर्विलसितं ग्टहोतो मना्कोघेन काचाः | ततोऽभिहितमनेन । देव wae प्राप्तः कुमारः ओेशराग्डषाव। द्‌- WHA: RAN] पुनरन्य । तातः प्राह । के पुनस्ते कले । aerate । दुर्विनयकरण्मसत्धभाषणं ©) एते ते were स्हषावादप्रणेते कले । श्रमयोश्याव्यन्तं Be: कुमारः। म पुमरन्यकलानां गन्धमाचमपि waa | तातः mw कथमिदं | चतुरः oT ४५७ महामतिनाभिडहितं | देव देवस दौधविन्तसन्तापभौङमिस्तदेव नाख्यातमिदमस्माभिः। यतो लोकमार्गातोतं कुमारस्य सरितः मिदानौमपि देवस्य पुरतस्त्कथयतो म प्रवतते मे वाणौ। तलातेनामिडितं। ययादृन्तकथयमे भवतो . area: fare कथयलायंः। कलाचार्थेणावक्लाकरणादिको वेजासनारोहणगभी दुवेचमतिर स्क रणपयेन्तो निवेदितः समस्तोऽपि मदौयद्‌ विंलसित- sara: | ताततेमाभिदहितं । श्रायं यद्येवं ततो जानतापि यास्य कुशदूषणस्य aay किमित्ययमेवंविधषभामध्ये प्रबेशितः। मनु विगोपिता बयमाकालमनेन पापेन । महामतिराह । दैव न मयायमिह afi: | aganfaiaara zen वर्षाणि aaa । केवखमकाण्ड एव सजातमद्य aa देवक्ौयमाकारणं। ततः समागतोऽदहं । श्रय तु कुतञिदन्यतः श्यानादिहागत इति। तातेनाभिदहितं) श्राय यद्येवमपाजरचुडामणिरेषं रिपुदारणो बृणणानामभाजनतथा वजिंतो यश्नामिः तक्किमिति ग्भाधाना- दारभ्वास्येयन्तं Be यावत्क्याणपर परा we» किमिदानौमेवं wna विशु्यत दति । महामतिराह । देव श्रस््यस्य युश्रोदयो मामाग्तरङ्गो वयस्यः। aerial प्राक्रनौो कद्याणपरपरा | तथाहि । तकाभावादेवायं wea: B_s Gat जननौजनक- योरभोष्टतमः संजातो रूपसौभाग्यसुखेशर्यादिभाजमं। तातः me तरिं क पुनरधुना गतोऽसौ gules: महामतिराइ | ग ॒कुजचिद्गतोऽचेव प्रच्छश्नरूप aa! केवलं waqea रिपुदा- रणस्य सम्बन्धौनि दु विलसितानि चित्तदुःखासिकया aa ०8 sys उपमितिभवप्पश्चा कथा । चौोणश्ररोरोऽखौ तपसो aati न ग्क्रोत्यस्यापदं निवारयित्‌- भिति। तदाकष्छं तातो aren कञ्चिदुपायो विमारिता वघ- ata quay . महाशोकमध्ये प्रसभमिति चिन्तया रायस श्रश्रधरविम्बभिव शतं ताते wu सुखं । शितः cages: पर्थाश्ञो चनपरमा्थंः | ततो विशच्छोग्डतास्तातवान्धवाः। fagre- वदनः ae: परिजनः। प्रसिता मुखमध्ये fayetar: | विषा नरखन्दरो । विस्मितो मरकेसरिलोकः। ततिग्तितं लनेन AAW खचुष्वनिना परस्परमुक्क च । श्रये । गवांश्रातः पर मूढो बस्तिवदातपूरिवः। निःखारोऽपि गतः श्यातिमेष भो रिपुदारणएः ॥ अथवा | भिरशरोऽपि areret लोकमध्येऽतिगौरवम्‌ | वागाडग्बरतः प्राप्नो थः स्यादन्योऽपि मामवः ॥ स सर्वां निकषप्राप्तः प्राभ्रोत्येव विडम्बनाम्‌ | महाहाश्यकरों मूढो aura रिपुदारणः॥ मम तु तातोपाध्यायौ कणौत्छारकेण परश्यर तया sweat प्तः eye aafe विकण्यः। श्रये बलात्कारेण मामेतौ लल्ययिषखतः | ततो भयातिरेकेए सम्मितं मे गखकमाडोनाखं मिर्ङ्शोच्छासनिःश्ासमागेः । संजाता सियमाणावस्या । ततो हा पुष हा तात हा व हा तनय किमेतदिति प्रलपन्तौ वेभेना- गत्य wat wa aaa विमलमालतो। पर्याङ्शोरतः परिजनः किं कते्यताविमूढा वसंधरा विस्मितो नरकेसरौ । चतुधैः प्रस्तावः | ४५९ तातेनाभिडितं। गच्छत भो लोका गच्छतं म पटुः शरौरेणाघ्य कुमारः । पुमजैश्मो भविष्यति । तदाकश्यै निर्गता वेगेन शोका मिखिता बहदिख्िकषतुष्कचत्वारादिषु) we रिपुदारणश्य ufeaant पाण्डित्यमिति sect प्रहसनं । प्रदितौ शश्नाव- way तातेन कष्लोपाध्यायनरकेसरिणौ। गतः खावासस्याने गरकेखरो । चिन्तितमनेन । ge ages) दौयतां प्रभाते प्रथाएकमिति ॥ ममापि निजेनोग्धते ahaa भयं aati WC | AMAT तु इतराच्यस्येव वश्जाहतस्येव महाचिन्ताभरा- mae लहितं तदनं । समागता रजनौ । न दन्तं प्रादोषिकमा- स्थामं । निवाय sana age) केवर तया चिन्यापनिदरेरे- वातिवाहितप्राया विभावरौ ॥ इतश्च aferat मे वयस्यः gut- दयः | चिन्तितमनेम | यख Maa waa पुंसः erat विडम्यते । किं तस्य was जननोक्तंशकारिणः॥ ततश्च | जातं विच्छायकं aruda तिदुःसदम्‌ | यायाद्सुतामदच्वेव यद्यसौ मरकेसरौ ॥ ततोऽस्य स्वया व्यथे कुमारस्य मदौयकम्‌ | संनिधागमतो नेव ममोपेाच युज्यते ॥ ततो यद्यणययोग्योऽयमेतख्या रिपुदारणएः | तथापि दापयान्येनामखे कमणलोचनाम्‌ ॥ अरचान्तरे समागता तातश्च राजर्षे मिद्धा। ततो az gfe उपमितिमवपपश्चा कथया | MNAATA समाश्वासनाथे तातस्य दन्तं कामरूपितथा खप्रान्तरे तेन पुश्योदथेन दशरनं इष्टः सुन्दराकारो धव्वणंः पुरुषः । अभिडितमनेम । महाराज किं afafa fa वा safes ताते- atfafed 1 जगम । पुरुषः प्राह । यद्येवं gy ततो विषाद । दापयिव्याम्यशं रिपुदारणकुमाराय नरसुन्दरौमिति। ताते- नामिडहित | महाप्रसादः ॥ अवान्तरे प्रहतं प्राभातिकं दये । ततो faqgena: 1 पठितं HAASAN | होनप्रतापो यः Ga गतोऽस्तं जगतां पुरः | स एवोदयमासाद्च रविराख्याति डे अजनाः॥ यदा येनेह ae Te दा थदि वाश्भम्‌ । तदावाप्नौति तत्सव तच तोषेतरौ टया ॥ urea चिभ्तितं तातेन । यदुत भ कतेग्यो मयाधुना दिषादः। चतो जम्मयिव्यामि कुमारं नरसुन्दरौमिति । स्फुटमेव निषेदितं ay मम देवेन । wa तु काणनिवेदकपाटब्याजेन दन्तो ममोपदेशो वेधसा । यदुत यः पुरुषो यावतः सुन्दरख्या- सुन्दरस्य वा व्हनो यदा भाजनं तस्य तावन्तदतकिंतभेव तदा मदगेन संपद्यत इति। म कर्तयौ aw विदुषा ₹र्षविषादौ। ARMA भावनया खस्य श्लस्तातः ॥ दतखारिनधप्रभावतथा पुष्णोदयस्य संपादिता aa गर केसरिणो बुद्धिः aga महानुभावोऽथं नरवाइनराजः। विज्ञातं च राच्यान्तरेष्वपि मम यदिहागमनप्रयोजनं। ततो चतुथः प्रस्तावः। ४६९ wear पच्दयस्वापि मरख्न्दरोमदत्वया मम Gala गममं | wa: ware कथयंचिदेनां प्रयच्छामि रिपुदारणकमारायेति ॥ ततो निवेदितो नरकेषरिण वसुधरासमचं नर सुन्दर्यै खाभि- Wa: | ततो नरसुन्दययां श्रपि पुष्योदयप्रभावादेव वलितं मां प्रति मानसं । चिन्तितिमनयथा । युक्ियुक्रमेव तातेन afer | ततोऽभिहितमनया । यदाज्नापयति am) aaa इष्टो मरकेखरो । श्रागत्याभिडितोऽनेन नरवाहनः । महाराज faz बङना fads श्रागतेवेयं वता नरसुन्दरौ कुमारस्य खयं- वरा। तद्ज fa बहना विकत्थनेन । केवलं दु जेनवचन।वकाग्रो भवति । श्रतो निविंचारं याद्तां कुमारेण सखपाणिना पाणि- war: । तातेमाभिडितं । । एवं करियते । afed प्रशस्तदिनं | परिणणैता मया महता विमर्दन मरसुन्दरो तां विमुच्य गतः WA मरकेषरो | दन्तो मद्यं तातेन fairs were: | गताजि acgeal ay waarae मे कतिविदहिनानि । चरितं च yazan निरन्तरमावयोः प्रेम समुत्पादितञचिन्तविख्भः afr मेचौ जनितो ममोरतिप्रबन्धः प्ररोडितः प्रणयः वर्धित- चित्तमौलकाष्हादसागरः | Fae खप्रभामिव areminefeatfa wre: । quan a मुञ्चामि तासुमाभिव wet: # सापि ATARIATATATST SAT TT | भरमरोव गतं are a जानाति तपखिनो ॥ ततस्तं तादृशं they देवानामपि दुखभम्‌ | ४९२ उपमितिभवप्रपश्चा कया | साधं मे मरसुन्द्यां प्रेमाबन्ध मनोहरम्‌ ॥ मदीयो सुहदाभासौ wars बेरिकौ | at श्दषावाद गले शये चिन्तमध्ये रवं गतौ ॥ चिन्तितं च ततस्ताभ्यां कथमेष वियो च्यते | एतया गर सुन्दर्या पापात्मा रिपुटारणः ॥ QUIN WANS ततसेलयमभाषत | a तावश्नर सुन्दर्याः oq चित्तविरश्चनम्‌ ॥ खथमेवाहमभायं भलिव्यामि ततः परम्‌ | ATM च शते यत्ने AW प्रेमबन्धनम्‌ ॥ सटवावादस्ततः प्राइ गोत्छाद्मोऽह भवादृशा | हतमेव मया पश्च एतस्याचिन्वभेदमम्‌ ॥ ` तदेवं मदियोगा्ं ततस्तौ हतनिखयौ | गेशराजदषावादौ geste व्यवस्थितौ ॥ श्रतु तां समासाच्च सद्धा्यां गरसुन्दरोम्‌ | चिन्यामि जिष्छोकेऽपि प्राप्त यल्ुन्दरं मया ॥ नतखो जामितेकभूमेन्वरोौकतशोचनः । दश्वा तच्छं्राजौथं इदे खेऽवलेपमम्‌ ॥ चिश्तयाभि न खोकेऽच पुरषोऽन्योऽस्ति मादुः | यतो ANTM भायां ततो माढतर पुमः ॥ म went ge नेव देवानो बन्धुसमतिम्‌ । न WOM नो शोकं ग भगत्‌ सराचरम्‌ ॥ अथ THE दृहा मदौयं दुष्ट चेष्टितम्‌ | Aa: प्रस्तावः 8९ Guiza मनस्तापाद्गाढं जातोऽतिदु बलः ॥ ततो मां तादशं avy विरक्राः सवबान्धवाः | इदं HAMA इसन्तस्ते परस्परम्‌ ॥ पश्छताशो विधेः कोदृगस्थान विनियोजनम्‌ | स्ोरनमोदृशरं येन मूदखंणामेन योजितम्‌ ॥ स्तम्धोऽगदखंभावेन प्रागेष रिपुदारणः | आसाद्ेमां पुनरभायों गवशान्धोऽधुमा इयम्‌ # ख एव वतेते न्यायो शोके यः किल्च भूयते । एक ख वानर स्तावह्‌ टो ऽन्यहुषण्णेऽखिना ॥ तदेषा WRAP! सद्धा्यां गरसुन्दरौ | करिणौव खरस्योचेने योग्यास्य ग्टगेकणणा ॥ WU मर सुन्दर्या सद्धावारपिंतचिन्तथा | खेहगभपरौ लाथ चिन्तितं निजमानसे ॥ किं ममापिंतष्डावः किंवा at रिपषुदारणः। श्रा ज्ञातं Grade गद्याख्यानेन गम्यते ॥ श्रमास्थेयमतः कि चिहुद्यसवंखमश्चसा | Tea eas ततो व्यक्रिभ विष्यति a ततञ्धिन्तितं नरखन्दयां । aed पुनरदं रद्चमधनमायपुख बृच्छामि । ङ ज्ञातं तावत्सुनि्ितमिदं मया । यदत नितरां कमनौवशरौरोऽपि रक्राशोकपादपवदेष मिखिशकलाकलापकौ- wequfane एवायेपुचः 1 यतो विज्चानाभावअनिताद्यातिरेका- देव तचाविधोऽख्छ तदा सभामध्ये मनःचोभोऽगरन्तदधुमा तदेव 848 उपमितिभवप्रपषा क्षया | मनःचोभकारणमायेपुच' प्रन्रयामि । ततो यदि स्फटमाचक्तौत famrerfa यथास्ति मया सहास्य खदसद्धावः। श्रय न कथयेन्तत- amare ऋचलयिव्यामोति fafa पृष्टोऽहं नरसुन्दर्या । यद्‌तायेपु् कौदृशं तव तदा सभामध्ये शरौरापाटवमासौदिति। अचरान्तरे श्ातावसरेण प्रयुक्ता सटषावादेनात्मोया योगश्रङ्गिः | शतमन्तर्धानं । प्रविष्टो मदोयसुखे । ततोऽभिदहितं मया । मिय- तभे त्वया पुनस्तदा कौदृशं ated | मरसुन्दरे we. न मया किंचित्तदा सम्यग विज्ञातं । केव समुत्परशा शद्धा किं सत्यमेव शरौरापाटवमार्यपुचश्य किंवा कलाकलापे म केश्रलमिति। मयाभिदितं । सुन्दरि a तचेकोऽपि विकल्पः कतेग्यः । ame रन्ति इरये मम कशाः कलाः । शरौरापाटवमपि मम न किंचिन्तदासौत्‌ । केवलमम्बया तातेन चाख्ेकमोदात्‌ शतो सुधेव बहशः कलकलः | तथाविधालोककशकले च सिरतया fede मौनेन | एतश्चवाकण्ये नरखुन्दर्याः संजातो मनसि व्यज्लौ कभावः । चि- म्तितिमनया | श्रो we प्रत्यच्ापलापितवं श्रो निलेष्णता at ्रात्मबहमानिता | ततोऽभिहितं नरसुन्दर्थां । श्रायपुज यदेवं ततो मत्क दहं मम ददानोमयहमायेपु् ए कलाखरूपसुत्को- व्यमाग श्रोतुमिच्छामि । श्रतो महता प्रसादेन खमुत्कौतेयतु तदायैपुजः । मया चिन्तितं । श्रये पाण्डित्याभिमानेन परिभवनद्या aga । श्रचान्तेर लयावसरो विभम्भितः tee: । विशित्नं तेन स्तभचित्तामिधानेनात्मौय विलेपनेन «ada ag- aa) aafafead मया। एवं चा मम परिभवेनोपदासकारिणो UAH: Tea: | ४९४ wetar पापा गरसुन्दरो | तया किमिह fee । ततो भवामि- fei) रपर पापे इृष्टिमार्गादपशर aw fare मदौोयभव- नात्‌ । ग यक्तं wage: पण्छितंमन्याया मूर्खंणानेन शने सदाक्ख्ालूमिति । ततोऽवलोकितं मदौोयवदनं नरसुन्द्थां 1 चिन्तितमनया । हा fag सद्वावोग्रत एवायं । वोतो माभ- wea नो गोचरः are प्रणादनायाः । ततो मन्लाइतेव भुज- वनिता समुकूशितेव वनख्तिका उत्‌खोटितेव शतमश्चरौ wy: weea करिणिका स्वया विद्राणदौनवदना साध्ववभारनिर्भरं इदवञुददन्तो मन्दं कण दणिमिखलाकिङिशो कखकोखाहशनूपुर- द्मषद्यशारावशमाहृटटखानवापिकाकलरशकानि पानि निचिपकौ afer भरसुन्दरो faim मामकौनवदनात्‌ sar तातौ- भवने ॥ थितोऽडह ओेखसम्भतया यावदद्चापि ग श्यति गशरा- लोथं aes तावतीं बेरखां । शोषसुपागते मनाकपुमस- WAR संजातो मे पञ्चाज्लापः। बाधते नरखुन्दरौखेश्मो हः | समाध्यासितोऽहमरत्या गोतो रणरणकेन शङ्गोछतः शून्यतथा छररोहतो fagena प्रतिपन्नो विकार कोटोमिः अवष्टथो मद- भञ्रेण । ततो frre wena तज्ापि प्रवधेमानया कुभ्िक- थागवरतमुदतेमामेनाङक्गन wan दव शाटिराङ्गारराजिमथे देग्दद्यमानः स्लोकवेखायां चावल्तिष्टामि तावदागता सविषादमन्का faremett । ततस्तां वोच्छ हतं मधाकारसंवरशं । निषा भद्राषने quar । खितोऽडं vas एवोपविष्टः । श्रभिदित- मम्बथा । वत ग सुन्दरमनुष्ठितं भवता यदसौ तपसखिन मरसुन्दरीः 59 ७९९ उपमितिमवप्रपश्चा कथा | \ ® पङूवव चने लया facta | ante यदितो मतायासश्याः da तत्घमाकणंयतु ay: । मयामिदितं । saat यत्ते रोचते । we afufed 1 अस्ति तावदितो गता नगयनसलिलधाराधौतगष्डले- खवा टोनमनसका Far सा मया नर्सुन्दरो | पतिता श्दन्नो मम पादयोः। मयाभिडिता । wa मरखन्दरि किमेतत्‌ । तया- fafet । wa दादश्यरो मां बाधते.) ततो ata मघा था संप्रवातदेश्रे। सष्लोकारितं waa: तच च शापिता at fray WY । ततः THAT महाञूद्गरेण अव्यमाणेव तोत्राभ्रिना SAGAN वमपञ्चामनेन AAAs महामकरेण श्रवष्टभ्बमागेव महापवेतेने GRA शताककतिंकया पाच्जमानेव क्रकचपा- टेन पच्थमानेव मरके प्रतिचणएसुदतेपरावते कतमारब्धा । मया- भिहितं । wa किंमिमित्तकः पुमस्तवायभेवं विधो दादश्वरः | ततो ered fae म किंचिष्लश्ि तमनया। मया चिन्तितं । मानसौयमस्याः पोडा । कथमन्यथा ममापि ग कथयेत्‌ । ततः wat मया निबन्धः । कथितं age मरसुन्दर्या ययाडन्तं | ततो नियच्य तस्याः शओोतक्रियाकरणे कदलिकां मयाभिडहिता सा ATER । यदत AG यद्येवं ततो धौरा भव सुश्च विषादं VIVA सारसं | गच्छाम्य स्वयमेव वत्स्य रिपुदारणस्य समोपे। करोमि a तवाशुकूखम्‌ । tae किं म विज्ञातं Waa aad यथा नितरां मामधनेश्वरो मदौोयस्तनयः न विषयः प्रतिङ्लभा- wea । तदिटामौमपि विन्नातमाहाग्ययास्य त्था न कदाचि दपि प्रतिकूशमाचरणौयं यावष्नौवं. परमात्मेवायमाराधनौयः । चतुर्थः प्रस्तावः | ४६७ ततद्‌ मदोयवचनमाकष्यं॑क्चा बाला भरसुन्दरो विकितेव waft gefaaa कुन्दलता परिपाकबन्धुरेव aw मदसु- न्दरेव करिणिका अलसेकाप्यायितेव वक्षरो areata मागप्रणयिनो गतघनवन्धमेव wefan सहचर मो सितेव wa वाकिका fata सुखाण्तसागरे सवंथा क्रिमघनास्येयं रशन्तर- aqua शयनादुत्थाय निपतिता गाढं मम चरश्योः । अ्रभि- हितमसया। wa महाप्रसादः । श्रनुग्टहोतासि मन्दभाग्याहमनेन वचनेनाग्नया | AVR WAT करोतु ममानुकूखमे कवारमा- चेयुचं । ततो यदि पुनरयं जनस्य प्रतिकूरे वतमानः क्तभरेऽपि fama: खादम्बथा ततो aaa नग संभाषणौयो नापि zea पायाक्मेति । मयाभिहितं । यद्येवं ततो गच्छामि । भरस॒न्दरौ WY) We महाप्रसादः। ततः खमागताहमेषा वस्छस्य समौपे । तदयमन्न Ay परमाः | सातु दन्दह्यते बाला विदिता प्रतिकूलताम्‌ | ` तवासुकूलतां मता प्रमोद्मवगाहते ॥ TWH कुमारस्य श्रुलेदमब्डतायते | ` श्रगिष्टेव कुमारस्य Fas नारकायते ॥ तदो षरोषमाश्लापि लियते ar तपखिनो | सन्तो षमाजनाल्ञापि तावकौमेन जोवति ॥ ` रतो यद्मग्धया किंचिद पराद्धं तथा तव । बाखया प्रणयात्छवें तदतः शन्तमरहंति y प्रणतेषु दयावन्तो दौनाश्चङ्करणे रताः | 9६८ उपमितिभवप्रपच्चा कथया | बखेहापिंतचिन्लेषु cunrer fe शाधवः ॥ ततञ्ेदमन्नया गरस॒न्दरो खशवं खसुत्को व्येमानमाकष्टं याव- fieeré खेहनिर्भरतथा तां प्रति प्राणो भवामि तावश्छेशरानेम विरचिता कुरिरभुषरिधूनित्माद्ग दको मदौोयहदये विष्ेपनचचेः । ततस्ताः खम्बन्पिनमपराधं dy जातौ मम पुनचिन्तावष्टम्भः । ततोऽभिडिता मधास्ना । यदुत न काये मम बथा परिभवकारिष्छा पापयेति । भरम्बया भिहितं । ae मा aa गोषः । WH मम GAG wey तदौयोऽयमेको गुडरपराधः। am: पतिता मरण्योरम्ना । मया भिडितं । रपर लम- पवद्छुगिबेन्धपरे मम दृष्टिपथादपसर । ब प्रयोजनं लधापि मे चालं मया निःखारितां तां दुराद्धिकां eerie) ततञ्जरणार्वां प्रेरिता amar) ततो भद्रेऽग्टहोतसङते जेजराजवश्वतिना मया पापात्मना तथा facet eat wafer मदौषमनिवरतं - कमाग्रहविग्रेषं fam geal मयनसजिखं वयामतमेव प्रतिम- ताम्बा । निबेदितो नरसन्दर्थे अतिकरः। aared वञ्जमिदं छितेव मूधा निपतितासौ are fom चन्दभररेन समाश्वासिता ताशदकवायन। waren रोरितुमारम्भा । विमणमाष्व्याभि- हितं । पुजि किं क्रियते | बखमयददथोऽखौ ते भर्ता । तथापि मा इदिह मुख विषादं । सादसावष्टन्भेन कुड तावदेकं वसुपाथं । गच्छ खयमेव परियतमप्रसा दना्थे । ततः खं गतायाः प्रत्यागत- wee: कदाचि््रसौदत्यखौ । यतो मादंवखाध्यानि कामिशदयानि भवन्ति । श्रय तथापि छते न प्रसोदेश्लतः पञ्चाक्लापो म भविति | चतुथः प्रस्तावः | ४१९ चतः सुपरिमाश्िते amt किशावरक्रको a भवतोति शोक- वार्तां । नरसुन्दरो प्राह । थद्‌ाशज्चापयत्यम्ना | avyfeat खा मम तोषणे । किमस्यासज गतायाः संपद्यत दूति विमथन war तद- नुमागेणाम्बा । प्राप्ता मम पारं गरसुन्दरो । खिता इारदेभ विमिलमाखतो | नरसुन्दर्याभिहितं | माय कान्त प्रिय खानिश्नोवदायक qe | प्रसौद मन्दभाग्याथाः wale ATS ॥ म पुनस्ते मगोदुःखं करिष्येऽहं कदाचन | at विना रषं भाय नाखिमे yaaa ॥ एवं च वदन्तो बाण्योदक बिन्दुवषे्ण शो कलोचगघुगलेन कप- UM मदौयचरणदयं प्रणता गरसुन्दरौ | मम तुतां ताद्ग WAGs कोटूश्र इदयं संपन्नं । श्रपि च । केन WER भवल्युत्यखकोमखम्‌ । Awa wens q शिखाश्हमतनिष््रम्‌ ॥# नवनोतमिवाभाति यावञ्िन्तयति भ्ियाम्‌ | वञ्ाकारं पुनर्भाति ओेलराजवश्रौङतम्‌ ॥ तरतो erat षमारूढ तदा मरामकम्नायसम्‌ | गिखेतु गेव शक्रोति feat मम सुन्दरम्‌ ॥. तथापि मोहदोषेफ मथा दौभापि बालिका । Tes परियं wer भरिता नरषुन्दरी ॥ कथम्‌ | आः पापे गच्छ गच्छति वागाडम्बरमाधया | ४७० उपमितिभवपपश्चा कथा | म प्रतारयितु श्क्यस्वयायं रिपुटारणः॥ greta कला्चेरन्येषां यदि वश्चमम्‌ । कतु शक्रासि at जातु मूर्खाणामपि arema ॥ यदाह हसमस्थान रुंजातस्ादगशामपि | तदा fa @ प्रलापेन कौोदुश्ौ मम नाथता ॥ Tag सब्धखर्वाङ्गः शूल्यारण्ठे सुनियंथा | खितोऽहं मोनमालम््य Tecate चोदितः ॥ ततः सा वराको नरखुन्दरो विगलितविद्येवाम्बरच्रो परि- ष्टषमा धिखामर्थयेव योगिनो avwafafeda waftar श्रवाप्त- नष्टरब्ननिधानेव मुषिका waar जटिताश्रा पाश्वन्धमा निपतिता महाशोोकभरसागरे चिन्तयितु venti fafaert सवयाः प्रियतमतिरक्ताया मम जोवितेनेति । ततो fai भवनात्‌ कचिद्रन्तमारग्धा । ततः किमियं करोतौति fate afer एव ओशराजेनाशकितपादपातं wits तदनुमागेण ॥ cay शोकयश्निव निविषो मदौयं दुष्टचेषटितम्‌ | श्रजान्तरे गतोऽन्यत्र तदा aa दिवाकरः ॥ ततः ससुह्नजितमन्धकार । संजाता वपिरलजनसश्चारा राज- मार्गाः । ततो गता सेकच Wee नरसुन्दरौ | दतद्चोद्न्त्‌ प्रन्तः WNT: । ततो मन्दमन्दप्रकाशे तामेव निरौोचमाणः भ्राप्नोऽश्मपि तद्भारदेश्रे शितो गोपायितेनाद्मना । ततो नरसु- न्दयां विशो कितं दिग्‌शक्रवाशं दष्टकाख्लमारुद्योत्तरोयेण बद्धो मध्यवल्ञये पाश्चकः | नियमिता तन्न शिरोधरा । ततोऽमिहितम- चतुथः प्रस्तावः | 8७१ नया । भो भो Stace: waa यूयमयवा प्रत्यकमेवेदं fee ज्ञानिनां तचभवतां । यदत खमसेप्रसरतया भायवादेन कलोप- न्यासं कारितो मयायेपुचो न परिभवबद्या । ae तु तदेव मामपवेतारोहकारणं संपन्नं । एवं च स्वेथा निराकृता तेनं मन्दभाग्या | श्रचान्तरे मया चिन्तितं । नास्यास्तपखिन्या ममो- परि परिभवबुद्धिः किं afe प्रणएयमाचमेवाचा पराध्यति । ततो न सुन्दरमनुष्ठितं मया । श्रधुनापि वारयाम्येनाभितोऽष्यवषायादि- ति fafera पाश्रकच्छेदाथं यावच्चलामि तावदभिडितं नरसुन्द- यां । यदुत तक्मतोखच्छत भगवन्तो लोकपालाः साग्मतं मटौयप्रा- णान्‌ । मा च मम जन्मान्तरेष्वपि पुमरेवंविधव्यतिकरो war- fefa ततः ओेलराजेनाभिदितं ) कुमार पश्य भन्माकरेऽपि सरो थसम्नन्धमेषा माभिलषति । मया चिन्तितं। सत्यमिद । तथा- wa प्रस्तुतव्यतिकरनिषेधमाशास्ते । मटोयव्यतिकरस्चाज vega: । तैम्बियतां । किमनया मम पापया। ततो wamete दन्तो भम इदये शेलराजेम ख विलेपनशइस्तकः | सितोऽहं तस्य माहा- aan तां प्रति काष्टवन्निष्ठितायेः । ततः प्रवाहतो नरसन्दर्यात्मा पूरितः wna: लम्बितं sow निगेते नयने निरुद्धः शरासमागेः वक्रौषता dat swe wate शियिलितान्यङ्गानि समसमा- fad aati: faatfad awget fag—per च सा area कौ ॥ wy ॒ भवनाज्जिगेच्छन्तो दृष्टाम्बया aAgeTt WE च तदेलुयायो । चिभ्तितमभया | नुनं भद्मप्रण्येयं रुष्टा TET गच्छति मे वधूः | भ्यं पुनरस्या एव प्रसादनायं पृष्ठतो शप्रो मम TAR | 9७२ उपमिविभवप्रपश्चा कथा | ततो दूरं गतयोरावयोरमुमागेणागच्छन्तौो समागताग्बापि ay Wass । दृष्टा तथा खम्बमामा गरसुम्दरौ | चिन्तितमम्बथा ! शा हा wns) नुनं aoe वार्तां । कथमन्ययाशा- मेवं safearat ष दष्णोमासोत्‌ । मथा तु शओेखराजौवावखेष- मटोषेणेव श्रवस्तुमिबेन्धपरोयमिति शता तदवधौरणा । ततः ओोकभरान्धया मम WAT एव तथैव ब्यापारितोऽम्बयाप्ात्मा । सतः खाध्वसघन्तापेनेव We मनाङ्‌ मे सब्धचिन्ताभिधानं त्तदा इदयावलेपनं । ग्टहोतोऽहइं TEMG: wate | ततः खाभा विकञेहविहलोग्लमामसः | खण विधातुमारः प्रलापमतिदारूणम्‌ ॥ तथाप्यतिप्रौढतया fara शत एव मे Tea चिन्लावष्टम्भः । चिन्तितं मथा । श्रये age: कथं स्तनो विनाशे रोदितौति । ततः featse द्वष्यो भावेन ॥ cry कदखिकया चिन्तितं । किमिति arf नागब्छति! तद्च्छाम्यदं ayers! ततः gafafefea प्राप्ता afta a प्रदेशं । ततो ger विमणमाखतोनर सुम्द्यी तथा खम्बमाने w- war हाहारवः । मिखितं aaa art) समुष्छलितः ateree:! किमेतदिति ver कदखिका। निवेदितं तथा सवे यथाष्न्तं ॥ wat- wt eam: सफटतरखन्रालोकः | ततो ge तथेवोहम्बमाने ववे- आओोतेनाम्बानरसुन्दर्यो । विशो कितोऽहमपि खकर्मबरसहतथा भग्रनति- प्रसरो ग्वार TAIT लोगो वतेमानन्डशप्रदे9े | waa: । धिक्षारितोऽह अनेन । कारितं तातेनान्नानरसुब्दथग्टितव कायम्‌ | चतुर्धः प्रस्तावः | 8७द्‌ AMSAT वोच्छ Hela कमे दारकम्‌ | तातः शोकभराक्रान्स्तदेवं चिकयत्धखम्‌ ॥ श्रहो श्रनयेपुश्चोऽयमशो मे कुखदुवणः | श्रो सवेजघन्यो ऽयमहो पा पिष्ठशेखरः ॥ अहो सर्वापदां मूणमदहो खोकपथातिगः | अरहो वैरिकसद्धाश्रो ममायं रिपुदारणः॥ ग कायं मे ततोऽनेन पुजेशापि दुरात्मना | एवं विचि तातेन रतथित्े विनिखयः ॥ ततोऽबधोौ रितस्तेन भवनाच्च बहिष्कृतः | wean: पुरे तच विचरामि सुदुःखितः ॥ खद्ष्टचेष्टितेनेव बालामामपि eer | TARE तदा sawed विगतः ॥ पापोऽयं दुष्टचष्टोऽयमद्रष्टव्यो विमूढघौः | कुलकष्ट कण्डूलो ऽयं aaa विषपुश्जकः ॥ मानावल्लेपतो येन कशाचार्योऽपकणितः | मूखंचडामणित्वेऽपि पाण्डित्यं च प्रकाशितम्‌ ॥ माता च प्रियभार्यां च थेन मानेन मारिता । को वा निरोौचते पापं aaa रिपुदारणम्‌ ॥ उक्रमेवेदमस्म्नाभिर्नेो ATS TTA: । सा काकौ श्रादौनां खानिर्या गरसुन्दसे ॥ ततश्च वियुक्तो गरशन्दयां चदयं तश्च सुन्दरम्‌ । 00 eos उपमितिमवप्रपश्ुा कथा | किंतु शा पद्मपवाचौ यक्ता त्न सुन्दरम्‌ ॥ अं पुनमेहामोहशप्श्नामः GUAT | तदापि feared भद्रं विमखल्ोचने ॥ त्यक््यापौड तातेन निन्दितस्यापि zoe: | गे्राजग्टषावादौ तथापि मम बान्धवौ ॥ RARE प्रसादेन भुक्रपूवं मया wer | aie खच कालमासाद्य पुननांस्यन any: ॥ ततद्चैवं अनेगोधेनिग्यमानः TE चणे । स्थितोऽहं शरिव्षाफि दुःखघागरमध्यगः ॥ Faq अत्धन्तदु बेलोश्तः सकोपो मयि निस्फुरः | सतु quiz भद्रं सितोऽकिचित्करस्तदा ॥ श्रथान्यदा कचिद्राजा वाहनायं सुवाजिनाम्‌ | बेष्टितो राजद्न्देग निगेतो मगरा दडः ॥ ततः FACANBS: सवा नागरको जनः | aaa निर्गतोऽह चख सप्राप्तसतस्य मध्यगः | BY बारहो ककाम्बोजतुरूष्कवर वा जिनः | arefaar शशं राजा राजलोकविलोकितः ॥ ततः खेदविभो दाथेुश्यानं सुमनोहरम्‌ | प्रविष्टः सडह शोकेन शकितं नाम शोतलम्‌ ॥ तच्च RII अरशोकमागपुलागताशदिन्ताखराजितम्‌ । तज चतुथः प्रस्तावः परियङ्गुलन्पकाङ्ो लकदलोवनसुन्दरम्‌ ॥ केतकोङ्खुमामोद इष्टाशिङ्शमाखितम्‌ । समस्तगाएसंप्रण सर्वथा नन्द नोपमम्‌ ॥ तजचेकदेग विश्रम्य स राजा नरवाहनः | उत्थाय WE सामन्तेर्लो खया TATA: ॥ प्रलोक यितुमारमः कौतुकेन safer । विस्फारितेन नोलालचारुणा wager ॥ च सत्काम्तियुक्रमख्चगर हसद्नातवेष्टितम्‌ । प्रकाशितदिगाभोग साच्ादिव निशाकरम्‌ ॥ रक्राशोकतरस्तो मपरिवारित वियम्‌ | यथेष्टफलद साचाष्यङ्गमं कल्यपादपम्‌ ॥ उश्नतं faqurard ङणगेलविबेष्टितम्‌ | हेमावदातं सुखदं सुमेङ्‌मिव गत्वरम्‌ ॥ कुवादिमन्तमातक्गमद निर्माश्रकारणम्‌ | ad शत्करि दन्देन निमेदं गन्धवारणम्‌ ॥ श्रय साधूुचिते देशे र क्राग्नोकतलखितम्‌ | सत्ताधुसङ्मध्यखं कुर्वाणं धमेदे नाम्‌ ॥ इएभापितं यथा धन्यो निधानं रन्नपूरितम्‌ | विशचराख्यमाचाये स नरेन्द्रो वलोकथत्‌ ॥ अथ तं तादृशं ateq खरि जिमेखमानसः | मरवाइनराजेष्रः पर इषेमुपागतः ॥ ७७५ ged उपमिविमवप्रपश्चा कथया | aafya शतं तेन गनं नासि HTT | ten मरमाण्िक्धि venice तपोधनः ॥ निजितामरसोौन्दयां निवेदयति वौचिता | AYA ASA सम्भार गौरवम्‌ ॥ aatene fa नाम भवेदैराग्धकारणम्‌ | येन यौ वनसंस्येन खण्डितो aac: ॥ श्रय वा गला प्रणम्य WTR खयमेव महात्ममः | ततः च्छामि पूतात्मा भव नि्वंदकारणम्‌ ॥ एवं विचिनध गल्ासो नला at: कमदयम्‌ | zane wera fare: शद्धग्डतले ॥ ततस्तदनुमार्शंख Wess तथा WE । उपविष्टं aurea मल्ाचा्योतरिपङ्जम्‌ ॥ ` मथा तु भद्रे पापेन शेलराजवशात्मना | न नतं ताङ्श्रस्यापि वदा खुरः क्रमदयम्‌ ॥ पाषाणश्टतमुक्रोलोखन्निभो MATT: | केवशं स्तग्धसर्वाङ्गो favdtsy भुवस्तले ॥ अरय गमोरषोषेड BAIA Tc: | धर्ममाख्थात्मारमः Bae faqs: ॥ afafed च तेन भगवता । यदुत भो भो भव्याः प्रदौप्तभ- वमोदरकण्योऽव शार विस्तारो मिवाषः शारौरादिदुःखागां। a am इह विदुषः प्रमादः । अतिदुलभेचं मानुवावख्ा प्रभानं पर्‌- चतुथः GTS | geo लोकसाधनं | परिणमकटवो विषथाः । क्िप्रयोगान्लानि aay तानि | पातभयातुरमविन्ञातपातमायुः । तदेव व्यवसिते विध्या- पनेऽस्य संसारप्रदोपनकस्य यन्नः RAY: | तस्य च ea: बिद्धान्त- वासनासारो धमेमेघः । श्रतः खोकतेव्यः भिद्धान्तः | सम्यक्‌ सेवि- तव्यास्लदभिन्नाः | भावमोयं सुण्डमालशिकोपमानं | qn खस्वस- guar | भवितव्यमान्ना प्रधानेन । उपादेय प्रणिधानं । पोषणौयं सत्साधृखेवया | रच्णोयं प्रवचनमालिन्यं | एतच्च fafusew: ंपा- दयति । wa: aaa विधिना प्रवर्तितव्य । सूजामुसारेण प्रत्यमि- ज्ञातव्यमात्मखरूपं | प्रषत्तावपेडितव्यानि निमिश्लानि। यतितव्य- मसंपश्रयो गेषु | खचख्यितव्या विख्लोतसिका । प्रतिविधेयमनमागत- मस्याः | भवत्येवं प्रवतेमामानां शोपक्रमकर्मविशयः । विख्छिद्यते निरुपक्रमकर्मानुबन्धः | तस्मादेव यतध्वं ययमिति ॥ एवं च निवे- दिते तेन भगवता विषचणद्ूरिणास्याः परिषदो मध्ये केषां चिद्धवया- नासुश्सितखरणएपरिणामः । श्रपरेषां खजातो रेशविरतिचयोप- श्रमः | wa: पुनविदलितं मिथ्यालं । श्रपरेषां प्रतनुगता रागा- दयः । केषां चिल्छंपन्ञो भद्रकभावः । ततो निपतितास्ते wasfa भग- वश्वरणयोः। sfafeqaa: । दच्छामोऽसुशास्ि gal यदान्नञापयन्ति नायाः ॥ श्रचन्तरे विदितं तातेन | यदुत प्श्रयाम्यधुना तद - arafaafad | ततो ललाटतट विन्यस्तकर मुङ्कुखेना भिडहितममेन | जनातिश्रा यिरूपाण्णां जगदेशर्यभा गिनाम्‌ ॥ भदन्त तज्भवतां किं वो वेराग्ेकार णम्‌ ॥ afcurfafed प awa तव कौतुकम्‌ । got उपमितिभवप्रपश्ा कथा | ततस्ते कथयाम्येष भवनि्वंद कारणम्‌ ॥ fa तु अत्मस्ठतिः परे निन्दा पूवक्रो डितको तेमनम्‌ | विरद्भमेतद्राजेन्द्र साधुनां चयमप्यशम्‌ ॥ ममातमचरिते चेतत्कथ्यमाने परिश्फटम्‌ | चयं संपद्यते तेन न युक्रं तस्य कौतेनम्‌ ॥ तावेना भिहितम्‌ | एवं निगदता नाथ वर्धितं कौतुकं वया | कर्तव्योऽतः प्रषादो मे face चरितं निनम्‌ ॥ ततो विन्नाय निर्बन्धं मध्यखेनान्तरात्मना | प्रनोधकारणं Wat सूरिरित्थमवोषत ॥ यदत | अनादिनिधनं लोके नानाट्त्तान्तसद्ुलम्‌ | विद्यते तलं नाम मगर सुमनोहरम्‌ ॥ तचास्ति भुवनख्यातो देवानामपि नायकः | अलंष्यसत्मरतापाश्ञो ACR ATTY: ॥ सुन्दरासुन्दरे कार्यं नित्यं विन्यस्तमानसा | ae चासि महादेवो तत्पक्रिर्नाम विश्रुता ॥ तयोख देवौनृपयोरेकः सुन्दर चेष्टितः | विद्यते जगद्‌ाण्डादौ gat नाम cutee: fi तथा दितौयस्तनयसतयोदेवो नरेष्रयोः । . अस्ति सवंअमोक्नापो विख्यातश्चाणभोदयः ॥ चतुर्थः प्रस्तावः | goé SAGAN seq सुन्दराङ्गो जनप्रिया । भायां इभोदयस्याल्ि पद्मा निजचार्ता ॥ तथाश्भोदयस्यापि जनसन्तापकारिणणे | भार्यां खयोग्यता नाम विद्यतेऽत्यन्तदाङणा ii इतश्च काखप्यायादवा्य निज्ारताम्‌ | ततः इएभोदयाव्लातः gat ara विचचणः ॥ तयेव काशपर्थायादवाप्यैव खयोग्यताम्‌ | ततोऽशएभो दयाष्नातो जडो माम सुताघमः ॥ तयो विं चच्णस्तावदधेमानः प्रतिच्णम्‌ | ag: खेगृणेर्जातस्तदिटानो निबोधत ॥ मागानुसारि विज्ञानः पूजको गुरखंहतेः | मेधावो प्रणो cet शल्यो जितेदियः ॥ खदाचारपरो WT: SEIN इटढसौ इदः | देवाभिपूजको दाता wat खपरचेतसाम्‌ ॥ सत्यवादौ विनोतात्मा प्रणयागतवल्सखः | खमाप्रधानो मध्यस्थः सत्वानां कल्यपादपः ॥ धर्मेकनिष्टः WEA वयषनेऽप्यविषशः | स्यानमानान्रा मिन्नः कुख्सितायहवजितः ॥ समस्तशास््रतत्वन्चो वाचि पाटवसंगतः | नोतिमागेप्वौणत्वात्‌ चासकः ग्र चसंहतेः ॥ खशणोष्छेकरोगात्मा fagm: परनिन्दया | aye: सम्पदां लाभे पराथं च विनिर्मितः y gto उपमिविमवबप्रपश्चा wut | किं चेह बडनोक्रन यावन्तः wed गुणाः | Team तेऽखिलासज urea faves ॥ अथ संवर्धमामोऽसौ श्ररोरेण प्रतिचणम | weg यादुक्‌ safer निबोधत ॥ विपर्थ॑स्तमनाः सत्धश्रौ चसम्तोषव जितः | मायावो पिषश्नः क्रोबो निन्दकः साधुसंइतेः ॥ HIYA: WANT शरूटेवविडगम्बकः | अरसत्रलापो शोभान्धः परषां चिन्तमेदकः ॥ अन्यशिन्ते वदत्यन्यचेष्टते क्रिययापरम्‌ ॥ ददते Waa परापल्छु प्रमोदते ॥ गर्वाश्मातः सदा HE: Vat भषफएप्ियः । श्रत्मक्चाघापरो fay रागदेषवशानुगः ॥ कि वाच बहनोक्रन ये ये दोषाः सदुजेने | Hav तेऽखिलास्तच प्राद्श्डेतास्ततो अरे ॥ एवं च वधंमानौ तौ aie सुखखालितौ | faequast mat धौवनं परिपारितः ॥ इत शणरन्ानासुत्प्तिष्यानमुन्तमम्‌ | पुरं भिमेश चित्ता विद्यते लोकविश्चतम्‌ ॥ तच्रान्तरक्गं नगरे नृपो ATA Baga: | असि सहुणरनानां जनकः WHY सः ॥ तस्य सुन्दरता नाम महादेवो मम्ःप्रिया | faut चारसर्वा्ो सा तद्रनविवधिका ॥ 2 ५ हि ~ कि चतुर्थः UMTS: | ताग्वां च -कालपयांयाष्जाता TTS | बुद्धिनांम Tecra कन्यका Gerth ॥ ततः सा 7णएरूपाभ्वामनुरूपं faqweuq । ` faferq प्रडिता बाला ताभ्यां we खदचवरा ॥ uftatar ला तेन महाश्धतिप्रमोदवः। विशच्चणेन सत्कन्या आता च मनः पिया ॥ तया UWS ARYA मनःसुखम्‌ | fawaue गच्छन्ति रिभानि श्टभकमेणा ॥ अरयान्यदा कचिद्ुदधेवातान्वेषरकाम्यया | मखर्येण प्रहितो विमो निजपुजकः ॥ स च बुद्धौ इृढस्ेहभावभावितमानसः | wer एव wate: सद्धगिन्धाः feat सुदा ॥ खोद रङ्मायक्ा भां च बङमानिता | am: at चिक्निर्बाखादूभे werfa बालिका ॥ अरय तच्छा: एएभे काञ्च सद्रभेपरिपाकतः । ` जातो रेदौप्पमानाङ्गः WHAT नाम दारकः A जातः सवधमानोऽसौ प्रको बुद्धिनन्दनः । farauqeqen विमच्छातिवक्ञमः ॥ [अ्रयान्यदा WR FS कानने सुमनोहरम्‌ | विचचशजडाभ्वां भो arar वदमकोटरम्‌ ॥ तच खादनपानेन खलमानो यथेच्छया | लौ crate feat कंचित्कालं सतुष्टमानसो ॥. 61 ७८९ उपमितिभवप्पश्ा श्या | तज BRIA: WaT Tear: शन्ति टख्काः । तेषां च वौयिकाषग्पं ताभ्यां दृष्टं मनोहरम्‌ ॥ ततः awe: प्रविश्य प्रविश्लोकितम्‌ । तच चाखग्धपयेन्तं दृष्टं ताभ्वां महाविखम्‌ ॥ ततो विस्फारिताखाण्यां कौतुकेन सविस्मयम्‌ । विशधणजडाभ्वां तत्‌ सुचिरं संगिरो कतम्‌ ॥ अथ तस्ासशुद्रुता रक्रवर्णा मनोहरा | दासचेग्ा खमं काचिद्ल्ना शाङविग्रडा ॥ at ateq स wefan पर इषेसुपागतः | oar feneaa favatfararra: ॥ अरो पूर्विका योषिदशो सन्दरदगरेना | अरहो GMAT अहो रूपमहो Ye: ॥ किमेषा भाकतो मुग्धा wer श्ादमराङ्गना | कि वा पाताशतो वाखा नागकन्या विनजिगेता # अथवा महि afe ge मथा चिन्तितं । ` बतः | खगं वा मागणशोके वा कतः ख्ादिवमोदृश्े | मर्यं ज दुरतोऽपास्ता वार्तापौदृषयो षितः # age विधिना aq परितुष्टेन कणिता । निर्माियं wasn सुन्दरः परमाणमिः ॥ अन्यश्च | | | गूनं पुरषहोनेयं मदै विदिता वने | यतो मां et बाखा लोखदृष्िमुडसुखः ॥ चतुरैः प्रावः । .. 9८ गला waren: शता चिन्तपरोच्णम्‌ | ततः करोमि सौकार किं ममान्येन चेतसा ॥ TAG । faqqey at ger शज्नां afar |. ततखेतसि saat वितरकोऽथं महात्मनः ॥ एकाकिनौ वने योषा परकौवा ममोरमा | न XE च्यते रागाज्ञापि संभाषटोचिता ॥ यतः SAAT ब्रतमेतक्महात्मनाम्‌ | परख्िथं पुरो शा याग्धधोसुखदृष्टयः ॥ ` अतो व्रजाम्बतः खानाक्किं ममापरचिन्तवा | ततो गनत प्रटसोऽसौ wearers तं जडम्‌ ॥ तेन चाृखमाणोऽखौ कथंचिदणिना जडः | इतसवेखवग्भो हात्परं दुःखसु पागतः.॥ यावक्ौ गच्छतः सोकं wart राजपु्कौ | तावस्छानुशरो तसाः पञचाह्ञग्रा समागता ॥ तथा च दूरत एव विहितः पूत्कारः । यदत weed भो marae । हा हतास्मि मन्दभागिनौ | ततो वखितस्तद्‌- भिमुखं जड़ः । तेनाभिदितं । सुन्दरि मा भेषौः । कथय कुतस्ते भयमिति । aafafed) यद्धवन्तौ मम arfaat faqe efuat तेनैवा जातू frat) ware । aaneat ताव- wa खौवतां waar: येन यन्मसजिधानेन मनाकूखष्गे- गतायां सामिन्ां antsy facrger eat भवतोरेतत्खरूपं. ४८8 खप्रमिलिभवप्रपन्ा-कया | waa विज्ञापयामि । ततो अङेमाभिदितो विषचष्ठः । ara- गैम्यतामेतत्छामिनौ समोपे | भवतु सा Ber. विन्नपवलेवा यथा- faafea 1 at दोषः | विषचच्णेन चिन्तितं न सुन्दरमिटं। xa fe वष्टा Sey तरला eran परतारयिय्ति ` नुनमस््मान्‌ | अथवा Tafa तावत्किमेषा तच गता जण्यति । न चाहमनया प्रतारयितं we: । तस्मादच्छानि। काच मम wer) एवं विरिन्धामिदितं विषचणेन } भ्ातरेवं भवतु । ततो गतौ पञा- yet विच्णजौ प्राप्तो aaa । wether weer । निप- तिता दासखेटो तयोखरण्टषु । अ्रमिडितमनया । महाप्रसादः। श्रसु- होतासि धवाभ्यां। जोविता arta । दन्तं मे जोवितं। अे- ना मिडहितं ।. सुन्दरि किमामिकेयं तव arfaat । चेव्ाभिदडितं | देव सुग्टरोतमामधेथा ` रसमेयमगिभौयते । अदधेनामिडहितं । भवतं किनाभिकामवगच्छामि। ततः सखष्णममिडितमनया | देव खोख- तां प्रशिद्धा शोके चिरपरिचितापि faery ee | तत्किमदं करोमि मन्दभागिनोति । wearfafed । भद्रे कथं मम लं चिरपरिचितासि। शोलतयाभिदहितं । ` इदमेवासदिश्च- पनोषं । ae प्राह । विन्नपयतु भवतो । ated: असि तावदेषा मम सखाभिनौ परमयो भगिनौ । लानाद्येवातौतानानतं | अहमपि शासाः प्रसादादेवंविभेव । wre कमपरिणाममहा- राजक fanaa । तच कडा चिद्वबतोरवस्यान- मासौत्‌ । ` ततः कमैपरिणामादेेनेवाचातौ -भवन्तावेका- जिवाशपुरे । ततोऽणागतौ विकला्निवासे । तज wa: wear चतुर्थः प्रावः | gcy fara । तज प्रथमे fewhtarfiiern: geaqvar: प्रतिवबग्ति । ततस्तेषां मधये व्तेमानाभ्बां युवाभ्यां यथानिरदेश्रकारितथा प्रसेन कमेपरिशाममङहानरेन्दरेण HY दत्तमिदं वदनकोटरं काननं । एतं खाभाविकमेवाज saat विद्चत एव महाविषं । इयं 4 अर्वाणसमद्‌ त्यक्ते: पूरविंका वार्ता । ततो विधिना चिन्तितं। whee रडिताविमौ वराकौ न सुखेन तिष्ठतः। wa: करोम्यनयोगेडिषो - मिति । ततस्तेन भगवता faure दयापरतशेतसखा quetfa- भिन्तमजेव aufee निवे तितेषा मे खामिनो । तयाहं eer एवानुचरोति ॥ जडेन fafa । श्रये थथा मया विकरितं तयेवेदं quay | श्रस्मदथेमेेयं रखना निष्यादिता swear) wet मे प्र्चातिश्रयः । विचचण्ेन चिन्तितं । कः पुनरयं विधि्गाम । छं wa स एव कमेपरिणमो भविति । कस्यान्यस्येदूश्नौ अक्रि- रिति ॥ जडः प्राइ । भद्रे ततस्ततः | Stearate) ततः caer मे खाभिनौ यक्ता मया वाभ्यां सह खादन्तो नानाविधानि खाद्यकामि पिबन्तौ विविधरसोपेतानि पानकानि खखमाना wives ava विकलाखचनिवासे गगरे feafe पाटकेषु तथा पञ्चाचनिवासे भसुजगतौ way च तथाविधेषु way विचरिता wate are) अतएव चअण्मणेषा युश्मदिरहं न fared: queer ` चागतमृद्छां भयते खामिनो azarae भवतोधिरपरिचितासि ॥ ureneg सिद्धं a: aatfea इति भावया परितुष्टो अः । ततोऽभिडहितमनेन । सुन्दरि cea प्रविग्रतु तव॒ afar मगरे । पवि्रथतेकं खावखानेन महा- छपमितिभवप्पश्चा क्था | यतः सौवचनादेव यो मूढात्मा प्रवतेते | कार्यतत्नमविश्चाय तेनाना न TAH: .॥ ततोऽनादरतः किंचिल्लोखतायाचमे सति | दत्वा खाद्यादिकं तावल्कुमेहे काञ्यापनाम्‌ ॥ aay | | a wae पालनोयेति मला रागविवजिंतः | ददानः एद्धमाहार शोलतां च भिवारयन्‌ ॥ शरविश्रभथमनास्तस्यां शोकथाचानुरोधतः | अनिन्दितेन मार्गेण रसमामनुवतेयन्‌ ॥ धमाधेकामखपश्नो विदद्धिः परिपूजितः । ` स्थितो विचचएः are कियन्तमपि शोखया ॥ तं श तेजखिनं मत्वा face श विणम्‌ | भावज्ञा fafecad area नेव wteat ॥ स ओोखता विनिञ्रो रखनां पालयन्नपि | श्रशेषक्ञेश्रहोनात्मा सुखमास्ते faweu: ॥ यतः। ` # ये जाता ये जनिग्यनते Hey दुरात्मनः । रसनालाखमे दोषा ` खोखता ` तजर कारणम्‌ ॥ विचष्टेन ला aareteare face | रषनापाणनेऽणस्य aaa भ जायते ॥ Taq aurea ङनाम्बा खयोग्धता | Wit Tene wags: ॥ चतुर्थः प्रस्तावः | ace तयोरपि मनस्तोषस्तच्छला समपद्यत | ततस्ता्वां जडः प्रोक्तः खहा पूरन Yer ॥ पुजानुरूपा ते भायां संपन्ना पुश्यकर्मणा | सुन्दर च Aq यदस्याः Ts लाखमम्‌ ॥ ` इयं हि सुख्ेत्स्ते सुभार्धयं वरानना | ततो खालयितु युक्ता पुज राचिदिवं वथा ॥ ततद | | खयमेव प्रक्लोऽसौ wat चोदितः | एकं Cafe बाला मथरोशेपितं तथा ॥ ततो गाढतर रक्षो Taarat जडस्तदा | AMSAT मूढात्मा सहतेऽसौ विडम्बनाः ॥ इतो विचच्षणनापि सौयतातः शभोदयः | ज्ञापितो रसनालाभं माता च fasrerear ॥ तथा बुद्धिमरकवौ च fang विशेषतः । बोधितो रखनावार्धिं fafed च कुटुम्बकम्‌ ॥ ततः शभोदयेगोकं we किं ते प्रकथ्यते | जाना सि aga सत्थोऽसि त्वं विचक्षणः ॥ तथापि ते प्रत्येव waaay गौरवम्‌ | तेन wetfeat ag तवाशमुपरे शने ॥ aq ताव्षमस्तापि नारो पवमचश्चला | चणरक्रविरक्रा च सन्ध्याभालौव वतेते ॥ मदोव पवेलोद्धूता प्रहत्या नोबगामिनौ , 62 8€ ° उपमितिमवप्पच्चा wut | दपेणपितद्‌ ्रंक्चवदनप्रतिमोपमा ॥ बको रिष्यनागानां संस्थापमकरण्डिकां | काशकूट विषस्योचेखंतेव मरणप्रदा ॥ नरकानल्रसन्तापदायिकेयसुदाइता | मोचप्रापकसद्यामश्रचश्ता च वतेते ॥ कायं मंचिन्तयत्यन्यद्वाषतेऽन्यचच मायया | AMAT सा पुसः शद्धग्नोला च भाषते ti रएे्रजा शिक विद्येव इरा च्छदकारिका | मर चिन्सनतुद्धावकारि्णौ बण्डिपिष्डवत्‌ a प्रत्येव च सर्वेषां वैमनस्विधायिनौ | संसारचक्षविधानिहेतर्मारौ quae ॥ Ufacratfea fea विबेकाम्डतभोजनम्‌ | GLI TAIN भुज्यमाना न Sry: ॥ श्रगृतं साहसं माथा नेशंक्यमतिशोभिता | निदयलमश्नौचं च नार्याः खाभाविका रणाः. ॥ aq fa बहुनोक्तेन खे वेचिहोषसश्चयाः । ` ते मारोभाष्डश्ाशायामाकाखं सुप्रतिषिताः ॥ ARH: सदा Tar ग कतेग्यो हितेषिशा | विश्रन्भवश्रगो द्यामा तेनेदमभिधौयते ॥ येयं ते रसना भार्या संपन्ना शोखतायुता | म सुन्द्रेवा मे भाति को वा योगस्तवानथा ॥ खतो न श्नायतेऽद्चापि Sree ततख्खथा | Ga: Tea | ` ४९१ UEC ङुवतासुषथा qaufe: परोच्छताम्‌ ॥ यतः । श्रत्यम्तमप्रमन्तोऽपि मूलग्रएद्धेरवेदकः | स्लोणामपिंतसद्धावः प्रयाति निधनं नरः ॥ ततो fasaeaafafed । ag विचश्षए सुन्दरं ते waa aftad ) अरख्विश्यतामस्ा रमाया मूलदद्धिः । को दोषः | famagatiwaea fe सुखतरमनुवतेनोया भविष्यति | बद्याभिदहितं । wagy यहुरू श्राज्नापयतखदे वादुष्टात्‌ धुक्ष मा्येयुजस्य । warmer fe स्रवः सत्पुरुषाणां भवन्ति | प्रकषेः प्राइ । तात खुन्दरमम्बया afead । faa) को. वा- WGA TH MMA । सवथा सुन्दरमेबेदं यन्सुपरौकितं क्रियत दति । विचणेन चिन्तितं । सुन्दरमेतानि मन्यन्ति | न संय welaa विदुषा पुखूपेणण विन्नातङुखश्नौखाचारा wean) केवखं कथितमेव मम णोखतया रसनायाः wal gute | विज्ञातञ्चाधना मया श्भेखाचारः । यदुत खादनपानभ्रिधेयं रसना guar महि नहि at हि बकणेकः पुरुषो भुजङ्गवनितागति- कुटिल्लतरचिन्लटन्तेः कलयोषितोऽपि वचने संप्रतयचं कुर्यात्‌ | किं पुनर्दासचेखाः | तत्कोदुश्ो मम शोलतावचने संप्रत्ययः | श्ोलाचारोऽपि सश्वासेन wear च कालेन सम्यग्‌ विज्नायते न यथाकथंचित्‌ तक्किमनेन बहना । करोमि वावदहं तातादौगासु- पदे श्रं गवेषयाम्यस्या रसनाया qaufe । वतो विज्ञाय . यथो- चितं . करिव्धामोति विचि विषच्णएभामिदितं । यदाज्ञापयति 8९२ उपमितिभवपपश्चा कथा | लातः । केवलं तातः खयमेव निरूपयतु कः Gacy रसनामृख- इद्धि गवेषणाय प्रश्थापनयोग्य इति । शभोदेयनोक् । ag we विमशरेः परमरूपकायेभर सख faaleuea: । तथा हि । qm चायुक्रवद्धाति सारं चासारमुश्वकेः | wom यक्षवद्भाति विमम विना अने ॥ तस्य हेयसुपादेयश्चुपादेयं च हेयताम्‌ | भजेत वस्त॒ aera विमग्रौ भासुकूलकः ॥ MIATA कार्ये मतिभेदतिरोडिते | विमश्रेः कुरते नणामेकपं विवेचितम्‌ ॥ कि w) WE मायां दे शस्य TAHA नृपतेस्तथा | Tarat शोकथर्माणं qe yore वा ॥ देवानां स्वेग्राखाशां धर्माधमेग्यवखितेः | .विमर्गोऽयं विजानते तत्वं मान्यो anwe a चेषामेष aera ae निरदेश्कारकः | ते ज्रातसवेतल्वा्ां जायन्ते सुखभाजनम्‌ ॥ अतो धन्योऽसि ward faeries बान्धवः | न कदाविदधन्यानां चिक्ारन्रेन area: ॥ एष एव नियोक्व्यो भवता प्रयोजने | भागुरेव हि शवं यास्तमसः शखाशगचमः ॥ विक्चणमाभिदहितं । यदाच्चापयति तातः । ततो निरडित- मनेन faasaza । विमश्रः प्राह । squat मे । विषचण्ठेनोक्ग । चतुर्थः प्रस्तावः | ४९६३ थेवं ततः wre विधौयतां भवता तातादेश्रः। विमर्ेनाभिडहितं | एष wasfa । केवलं विसोर्णा वसुन्धरा नानाविधा देण यांसि राच्यान्तराणि। तद्यदि fen कालप स्यात्ततः कियतः काला ज्िवर्तितव्यं | विचचरनोक्रं | भद्र संवत्छरस्ते कालावधिः | तिमेः aie) महाप्रसाद | ततो विदितप्रणामख्चशितो faa: ॥ RUA एएभो दयस्य पादयोर्भिंपत्यामिवन्् निजशार्तां प्रणम्य च जननौोजनको प्रकर्षेशामिहितं । तात यद्यपि ममायैकताताम्ना- facasfa न मनसो निदेतिस्तथापि सहचरतया मामे मम meat प्रतिबद्धमन्तःकरणं । माहं मामेन विरहितः चश्मा्रमपि जो वितुमु खे । ततो मामतुजानोत ed येनाइमेनं गच्छन्त- मनुगच्छामौति । एतच्ाकश्छ लसितापत्थच्छेहमो हपूरितदयेनान- न्दोदकविण्टुसन्दो दश्चावितमयनपुटेभ freer दकिणकराङ्गुखो- भिङश्नामितं vata सुखकमखकं दन्ता चुन्विका श्रात्रातो मृधप्रदे्रः । साधु aq साध्विति वदता भिबेभरितखासौ निजो- SF । श्रदभोदयं च प्रत्यभिदहितं । तात दृष्टो wena विनयः निरूपितो वचनविन्यासः श्राकणितः qwart: । श्यभोदथः प्राह । ae किमचाञ्चधं । wer बुद्धेजां तखेदशमेव चेष्टितं यु्धते । किंच agi न युकमिदमस्माकं खुषापौ जकवणेनम्‌ | विशरेषतस्तवाभ्बकं थत एतदु दाइतम्‌ ॥ WIS JAC. Gar: wae मिजवान्धवाः | तका कमेपर्यन्तो नेव पुजा ताः fea: ॥ 8é8 उपमि तिभवप्रपच्चा कथा | तथापि eraateer गुणसम्भारगौरवम्‌ | श्रवणितेन Aare पुज शक्रोमि मासितुम्‌ ॥ दयं हि भार्या ते बुद्धिरनुरूपा वरानना । ्रण्डद्धिकरो धन्या यथा wee चन्द्रिका ॥ भरठखेपरा पदौ स्वैकायेविश्रारदा | -अखसन्पादिका गेहभरनिवरणचमा ॥ विश्राखचद्‌ छिरण्येषा खश्छदुष्टिङदाइता | शवं सुन्दरदेशा पि देषद्ेतुजेडात्मनाम्‌ ॥ अथवा । , ` ` मजच्येफ जनिता पुरे निमेखमामसे । थाच सुन्दरतापुजो तस्याः को वणंनचमः ॥. अत एव wade नेदामौं बड awa | garage एवायं जनयिश्या विभाव्यते ॥ aq किं बहगोक्रन Uae aaa अने | OSE महाभागं WE ते कुटुम्बकम्‌ # अरत एवं ad चित्ते साडः arena खिताः wae रसनाखाभं मोचितेयं यतस्तव ॥ मा wegfaarara aval मत्छरादियम्‌ | विशेषतः प्रकषेस्य तेन चिक्ातुरा वयम्‌ ॥ fa वा कालविश्म्बेन wea प्रविधोयताम्‌ | ततो यथोचितं श्रात्वा ya यत्तत्करिव्यते ॥ मातुलखशदवद्धात्ला wee: प्रख्धितो यरि । . HAT: Tera: | ४९५ दद्‌ सारतर जातं WR खण्डस्य योजनम्‌ ॥ तदेतौ सहितावेव गच्छतां कार्यसिद्धये | युवाभ्यां 4 तु ater चिन्तेति प्रतिभानि मे । ततो विचक्षणेन gar चाभिहितं । यदाज्चापयति तातः | ततो निपतितौ geet चरणेषु विमथेप्रकर्षो । छतसुचितकरणोथं। meat गन्तुं ॥ रञ्च तदा श्ररत्काजो वर्तते । ख च ET: । शस्यषम्भार निष्यश्नन्धमण्डलो मण्डलाबद्धगोपाजरासकुलः | साङ्कुललप्रजाजातसारच्णो रक्तप्णद्यक्रसच्छालिगोपपरियः ॥ यच च शरत्काले | अखवजिंतनौर द ठन्दचितं स्फए़टकाश विरा जितश्रमितलम्‌ | श्भुवमोदरभि्टुकरे विशदं कितं स्फरिकोपणकुन्भसमम्‌ ॥ अन्यश्च । | | भ्रिखिविरावविरागपरा श्रतिः श्रयति wage aera । म रमते च कदम्बवने तदा विषमपणेरता जनदृष्टिका ॥ छवणतिक्ररसाच्च पराङ्मुखा मधुरणखाद्यपरा अनजिष्डिका | स्फुटमिदं तद हो प्रियताकरो जगति. एद्धएणो न तु dee: ॥ तथा । SSAC सरोमण्डलं पष्सत्पद्मनेजैरिंवा er | CHa nae राजिमचचशललो TET ॥ नन्दितं गोकुलं मोदिताः पामराः पुष्ितो Haver faut निर्मला | चक्रवाकस्तचापोह विद्राएको भाजनं यश्य यत्तेन तक्ञभ्यते ॥ ततच्वंविधे WGA Gat मनोरमकानमानि विलोकयन्तो sed उ पमितिमबप्रपस्चा कथा | कमखषष्डन्डषितवरोवराणि निरोकमाणो प्रसुदितानि ग्रामा- करनगराणि इष्टौ शक्रोखखवदश्ेनेन तुष्टौ दौपाशिकावशोकनेन श्रार्हादितौ कौमुदोगिरौचेन परोकमाणौ जनहदयानि प्रयु- छागो खपयोजनसिद्ययेसुपायन्नतानि विचरितौ बहिरक्गदे गेषु विमश्ेप्कर्षो । न दृष्टं कवचिदपि रख्नायाः लं । तथा च fee तोस्तयोः मायातो हेमः । कोद्शख्ासौ | अभितचेशतेखवर कम्बजरलक चिजभामुको विकञिततिखकलोप्रवरक्न्दमनोहरमज्िकावनः | शौतखलपवनविडितपथिकस्एटुटवादि तदग्तवौएको लद्छश्रशिकिरणन्येतलचन्दनमौ क्रिकसुभगता इरः ॥ यज च हेमन्ते दुजेनसङ्गतानोव इखतमानि दिनानि सष्जन- Sala TAT रजन्यः सज्च्रानानौव सग्न्त धान्यानि काग्यपडू- तय इव facet मनोहरा Fe: सुजनरशदयानोव विधौोयन्ते खेदसाराणि वदनानि परबख्कलकलेन रणशिरसि gut दव feat दवौखोदेश्रगता रपि निजदयिताविकटमितम्बबिम्बपयथो- धरभर शो तशरोद्मसंद्मरणेन पथिकलोका इति | WATE: war लाघवं च दिवाकरे | अथवा | efeurmaeye wiaratent गतिः ॥ अन्ध । श्रयं हेमन्तो दुगेतलोकाम्‌ प्रि्चवियोमञुजङ्गनिपातितान्‌ भिशरिरमास्तखष्डितिविग्रहान्‌ | पश्डमखाजिव सुभंररा्भिभिः पचति किं fate भक्छकाम्बया ॥ चतुर्धः प्रस्तावः | 9९9 wal चेयतापि कालेन नोपलब्धा विमशेपकर्षाग्यां रसनामूल- Wfywet प्रविष्टौ तावन्तरङ्गदेगेषु । तथापि पर्थरितौ नाना- विधस्थानेषु । श्रन्यदा प्राप्तौ राजस चि्लमगरे | तश्च दौचधंमिवार श्यं श्दरिणोकविव जितम्‌ | कचिदष्टग्टहारच ताभ्यां समवलो किलम्‌ ॥ ततः प्रकर्घणा भिहितं | माम किमितदं नगरं विरलननतया शून्यमिव gaa fa at कारणमा्िक्टदमोदशं संपन्नं faa: प्राइ । aug दृश्यते सवै wag निजसन्पदा | wag लो कश्न्दोहर दितं सुशिताणयम्‌ ॥ तथेदं भाव्यते मुनं नगरं निरपद्रम्‌ | प्रयोजनेन केनापि कचिन्निक्ान्तराजकम्‌ ॥ Way: प्राह । एवमेतक्सम्यगवधारितं aan feat प्राह । ug कियदिदं । जानाम्यहं vies agit दृष्टस्य यन्तं । प्रष्टन्य- मन्यदपि wa ते कवित्सन्देहः संभवति । प्रकर्ेणाभिहितं | माम यद्येवं ततः किमितीदं नगरं रहितमपि नायकेन विवजितमपि ूरिलोक्रैनिंज्ियं न परित्यजति । विम्शेनोक्र । wee मध्ये कञिक्महा प्रभावः पुरषः । तश्जमितमस्य सशरो कलं । प्रकषेः प्राइ । waa ततः प्रविश्च निरूपयावसतं gai: faanain) एवं भवतु । ततः प्रविष्टौ तौ नगरे प्राप्तौ राजकुले, geqare कारादिकतिचित्पुरुषपरिकरो मिश्याभिमानो नाम ayaa: | ततो विमश्रेः Ie) भद्र सोऽयं पुरूषो यत्रभावलनन्यमस्ध राज- 63 eds उपमि तिभव प्रथा कथा | सचिन्सनमरख्य सथ्रोकलं । प्रकर्षेणोक्तं । यद्येवं ततस्तावेदनमुपर्त्य नस्ययावः । ए्च्छावय्च aise टन्तान्त इति । विमरेशोक्कं । एवं भवतु । ततः संभावितस्ताग्यां मिथ्याभिमानः एष्टख। भद्र केन पुनव्येतिकरेण वपिरशलनभिदं ged ant. मिथ्याभिमानः We) गतु सुप्रसिद्धेवेधं वार्ता कथं न विदिता भद्राग्वां । विमर्श नोक्तं । न कर्तव्योऽच भद्रेण कोपः । श्रावां हि पथिकौ न जानोवों मरा जायं कुदरदलमतो निवेदयितुमदेति भद्रः । मिश्वाभिमाने- मोक । अस्ति तावल्षमस्तमुवनप्रतोतोऽस्य नगरस्य खामो सुग्य्ोत- मामधेयो देवो रागकेखरो । तष्जमकख महामोहः | त्था तयो- afaaquarg watet विषयाभिलाषादयः। तेषामितो. नगरात्‌ सरव बससुदयेन दष्डया चया . निगेतानामनन्तकाखो वतेते । तेनेदं विरखजनमुपलभ्यते भगरं । fant: प्राह । मद्र केन सद ` पुनस्तेषां वियः | मिश्याभिमानः प्रा । दुरात्मना सन्तोषहतकेम । . विमं - नोक्तं । fa पुनस्तेन ara विग्रनिमित्तं। मिथ्वाभिमानेनो क्क । कच्विटवारे मैव जमंदशौकरणाथे विषयाभिलाषेण प्रहितामि पू स्यशरनरसनादौमि पञ्चात्रोयानि गरहमानुषाणि । ततत्ते्व्नोरुत- प्राये faqat समोषहतकेम तान्यभिग्धय faatfear: कियन्तो ऽपि लोकाः प्रापिता निषटेतौ गर्यो । ager अन्तोषहतकस्यो- परि प्रादुश्वैलक्रोधानुबन्धोः निमेतः खयमेव देवो रागकेसरौ विकेपेण । afezay विग्रहनिमित्तं। विमर्शेन बिग्तितं। श्रये उपलं तावद्रसनायां नामतो yar) र्तः gafararfa- ere wer ज्ञास्यामि ।. at जनकानुरूपाणि प्रायेशापत्यानि चतुरः RTT: । ` eee भवन्ति । वतो afaafa मे तर ्रमाजिखयः । aatsfafyaaaa | भद्र यद्येवं तते भवतां किंजिमिन्तमिहाधस्यानं । faerfema- atm । प्रखितोऽहमष्यासं तदा । केवशमय्रानौ काल्िव्तितो देवन अभिहित । यथायं मिथ्याभिमान म चलितव्यमितो नगराद्ववता | ददं हि मगर त्यि fea निगेतेष्वप्यस्माल्लविमष्टख्रो कं . निरुप- yaaa) ववमप्यज्च fear एव परमाथतो भवामः | यतस्ल- मेवास्म नगरस्य प्रतिजागरण्दमः । ` मयाभिहितं । anata देवः । ततः featse तदिदमस्माकमजावख्ामकारणं । faai- नोक्तं । अयि प्रत्यागता काचिदहेवसकाश्रौत्कुशखवातां । भिष्याभि- मानः प्राह बाठमागता । ` जितप्रायं वतेते देवकौ यसाधनेम | केवलमसावपि वष्टः सन्तोषहतको 4 wet सवंथामिभवितु ददात्यन्तरान्तरा प्रत्यवसकन्दान्‌ गिर्वादयत्यश्ापि awe) अत एव देवेऽपि रागकेसरि णि ee सखयलेला वाम्‌ काल विलम्बो बतेते । बिमग्रेनोक्ं । क युमरधना . भवदौयदेवः श्रूयते । ` ततः समुत्पन्ना मिश्याभिमामस्य प्रणिधिश्ङ्धा। a कथितं यथावख्धितं । afafed चागेन । म ate: Utes) केवलं . तामख्चिन्तं नगरञुररौ- हत्य तावदितो निर्मतो देवः। ततः कदा चिन्तनेवावतिषते। विमो ata । - पूरितं agua: ager निवेदितः प्रस्ठतदन्तान्तः | eft सौजन्यं | तद्च्छावः साश्मतमावां 1 मिश्यामिमागेमोक्षं। एवं जिद्धिभेवलहु । तदाकष्छे इष्टो faan: i ततः परस्परं विहितं मनारण्लमाङ्गनमनं । निगंतौ राजषंचिक्षनगरादिम्परिकदैप | विमछंनोक्ं । ` भद्र : कथिला तावदनेम. तेषां विष्यामिलाष- Yoo sufafanaquet ut | arqaret मध्ये Tea) तदधुना तमेव विषयाभिखाषं ger तस्याः खूपमा वथोगेणएतो नियतं युकं । तद्भच्छावस्तजेव तामखचिक्तनगरे WRG: ATE) Vat आनोते। ततो गतौ तामसचिन्तपुरे विमश्रेप्रकर्षौ। तश्च stem | नाभितागरेषसन्धागेमामूलतस्तेन दुगे म ee परेषां सद्‌ा। सवदोद्योतसुक्ं च aad sited तु asa uid ॥ ` aed तदा पापयूर्णात्म्नां मिन्दितं ager शिष्टलोकेः पुरम्‌ । कारणं तत्दानन्तद्‌ःखोदधेवांरणं तत्छदाग्रेषसौस्थोन्लतेः ॥ केवलं तदपि anat विमश्रप्रकर्षाभ्यामेदूश्मवल्लो कितं। यदुत। दबदग्धमिवारण्छं शष्णवणं TANT: | रहितं श्ढ्रिणलोकेन भ मुक च निजया ॥ ततः प्रकषेस्तहृष्टा प्रत्याह निनमातुखम्‌ | माम fa विद्यते afyewfa पुरनायकः ॥ faa: प्रा नैवास्ति योऽ भो मुखनाथकः | केवलं नायकाकारः afazarfe मागवः ॥ ततौ धावदेतःवान्‌ विमशेप्रकषेयोजंश्यः संपद्यते तावह्टस्ताभ्यां ततैव नगरे nagar रेन्याक्षन्दनविलपमादि भिः कतिचित्रधान- पुरषः परिकरितः शोको नाम पाडौरिकः । ततः संभा षितोऽै विमशप्रक्षन्यां yey) भद्र कोऽ ATT राणा । शोकः AIT । मनु yannfagiscn at) तथाहि | महामोससुद्धतो रागकेखषरिखोदरः | धवोऽविवेकिताथाख प्रसिद्धोऽयं नराधिपः ॥ aye प्ररतावः | ४०१ ख्गेपातालम््यषु शचुभिर्मोतकण्वितः | नामापि गद्यते तस्य प्रतापतवेरिएः ॥ रेवस्या चिनधवोयेस्य सत्यराक्रमशालिनः। ` तस्य देषगजेन््रस्य माम कः प्रष्टमरेति ॥ किंच श्रास्तां avaza: 1 किं तहि। या मोहयति alae सकलं भुवनच्रयम्‌ | ख्याताविवेकितापच सा देवौ देववक्षभा ॥ अन्यश्च | सा महामोहनिर्दश्कारिणणी शर्वत्षला | सा महहामूदृतान्नायां वतेते सुन्दरा वधूः ॥ रागकेसरि निर्देशं न लष्यति सा सदा । मूढतायास्च ATS: Vers Twa ॥ तथा TIAA सा भलुर्गाद्वत्छला । तेना विवेकिता लोके प्रख्यातिं सञुपागता ॥ तदेतौ भुवनेऽणच wat देवौगरेश्ररौ | carat इन्त भद्राग्यां कथं प्रष्टव्यतां गतौ ॥ fae: प्रा Sart कोपः कार्यस््लथा चतः | wa: सवं न mala सिद्धमेतश्जगच्रये ॥ mat दवौयखो देश्रादागतौ न च ater । - पूर्वमेतत्पुरं किं ठ्‌ श्रुतौ देवीनरोश्रौ ॥ aay | | किं श्याद्ेषगजेगदोऽज किं वा areca: Bok खपमिलतिमवप्रपश्चा कथा | ततः Faware ve संदिग्धचवेतसा ॥ Tax ara ब्रूहि faasre मराधिपः। fai ar विनिगंतः क्षापि पश्ावसतं मरेश्वरम्‌ ॥ MAA जगत्धज् इन्तान्तोऽयमपि स्फुटम्‌ | भरथिद्ध एव सवेषां विदुषां दन्तचेतखाम्‌ ॥ यथा Sat महामोरसत्युभो रागकेखरो | तथा AA समस्तबखसयुताः ॥ सम्तोषरतकस्यो चेवेधाय शंतनिश्चयाः | विनिगेताः खकख्थानाद्भू रि कालच लङितः ॥ frat: प्राह aaa ततो भद्रः किमथेकम्‌ | इहागतः किमास्तेऽज पुरे भोः साविवेकिता ॥ ओोकेमाभिहितम्‌ | mT मगरे तावदधना साविवेकिता । ` मापि टेवसमोपे खा तजाकणेय कारणम्‌ ॥ Gal तातो मरदामोहस्तथान्धो रागकेषरो | सन्ताषहतकस्योशचेवं धायं रतनिखयः ॥ तदा प्रथिते दवे ताभ्यां सदह शृतोद्यमे | देवेन साधे सा देवौ प्रसिता भटेवल्छला ॥ ततो देषगलेग्रेण सा प्रोक्ता. कमलेचचा | सकन्धावार चमं देवि भ दोयं शरभेरकम्‌ | erat कटकशेवथं त्वं च गभंभराशसा | नातः ` संवाहनायोग्याः वेशा मालस्य वतते ॥ `. -चतु्थैः .प्रखावः 1. ues तस्मान्तिष्ठ aaafa त्रनामो वयमेककाः 1. तयोक् at विना नाय नाच मे गगरे तिः a तच्छला SAMS: सा पुनः प्रोक्ता वरानना. । . तथापि नेव युकं ते स्कन्धावारे waaay ॥ fa qi | रौद्रचिन्तपुरे wear देवि दुष्टाभिसस्धिना 1 रचिता fas fafaan पदातिः स fe मेऽनचघः ॥ ततोऽविवेकिता ome किमनास्माभिर्च्यताम्‌ । थदायेपुजो जानोते तदेव करणच्छमम्‌ ॥ ततो भिनिगेतो दवो महामोहादिभिः खड । .. रौद्रचित्तपुरे दवो Sarasa षा गता॥ ततोऽपि afetyg पुरेष किल वतेते | किंचित्कारणमाित्य साधना युक्कारिण्टो ५ जातश्चासोत्तदा पुजस्तथान्योऽणध्चना किलल । fama. समायोगारेतदाकणितं मया ॥ aad नालि सा fat चत्पुनमेम कारणम्‌ । . जगरागमने भद्र तदाकणेय BTA ॥ शअरजान्तरे प्रन्नाविश्ालयाभिहिताग्टहोतसङ्कता.। मरियसखिं .. यदनेन संसारिजोवेन नन्दिवधेनवेश्वानरवक्रव्यतायां डिसापरि- want बेश्वानरमूखद्धि face पूर्वममिहितमासौत्‌ यदुत यादृशं तन्तामसचिन्तमगरं BETES देषगजेग्धो राजा aremt साविवेकिता यश्च तस्तास्तस्मान्तामस चिन्तनगराद्रौ द्चिन्- wes उपमितिमवप्रपला कया | पुरं प्रत्यागमनप्रयो जनमेतत्‌ खवेसुन्तरज कययिथ्याम दति तदि- दमधुगा तेन ॒संसारिजौषेन wae निवेदितमिति । श्रणहोत- agaafated । साधु भरियखखि साधु get मम स्मारित wag) ततः watfamea संषारिजोवं प्रत्यभिहितं भद्र यदा विचचण्टाशा्यंण मरवाहमनरेश्धाय विमशेप्रकषवक्व्यतां कथथता aa रिपुदारणस्य सतस्तस्वामेव परिषदि निषशस्य समाकणेयतो भिवेदितमेवमविवे कितापूर्वरितं तदा किं विज्नातमासौद्धवता यदुत यासौ वैश्वानरस्य aaa मम च धानो सेषेयमविवेकिंला waa Tease जननो aa मम च युन- धाचोति किंवा न विक्लातमिति। संसारिजोवेनोक्षं। az न किंचित्तदा मया विज्ञातं । amanfaa wa मे समस्ताऽपि जिवेद यिद्यमाणोऽमयंपरन्परा प्रबन्धः । केवलं तदाहं चिक्यामि थथा कथयानिकां कांचिदेष प्रत्रजितकस्ताताय कथयति । म पुनखद्धावायेमहं awh H aia साश्रतमगृहोतस्हेता न waafa । श्रगहोतसङेतयाभिहितं । भद्र किमन्यः क्चिद्धावा्चौ भवति । संसारिजोवः प्राह । बाढं भद्रे नासि wae मदौय- चरिते भावा्येरहितमेकमपि वचनं । ततो म भवत्या कथामक - माके earn विधातव्यः fa तडि भावाथौऽपि age: 1a 4 परिस्फुट एव ware तथाप्यणडौतसङ्कते यच कचिन्न बुध्यते भवतौ तज प्रन्ञाविशाला प्रष्टव्या । यतो बुध्यते सभावा्ं- मेवा भदौयवचनं । श्रग्टहोतसङतयोक्ं । एवं करिव्यामि । प्रख्तममिघौतां ॥ चतुर्थः TTT | ४०६ ततो विचच्तणसूरिवचनमनुसंटधानः सषारिनोवः कथयामकगरेवमि- दमा । यदुत । ततो विमर्गेनाभिदहितं । भद्र ata यदिहाग- मनकारणं wee | शोकमा भिडितम्‌ | 7 WAST नगरेऽद्ापि वयस्ोऽत्यन्तवल्लभः | मम जोवितसवंसख मतिमोहो मराबलः ॥ तद शेनाथेमायातस्ततोऽहं भद्र BHAT | श्रावासित महारव्यां gar देवस्य शाधनम्‌ ॥ विमर्ेमोक्रम्‌ | 7 स कस््ात्छामिना साधं म गतस्तज साधने | ata प्राह स दषेन धारितोऽचरेव पन्ने ॥ उक्रख्ासौ यथा नित्यं न मोक्रव्यं लया पुरम्‌ । मतिमोह त्वमेवास्य यतः संरखणएच्तमः ॥ ततः प्रपद्य देवाश्ां संस्धितोऽच पुरे पुरा । एतज्निवेदितं apa प्रविश्रामोऽधुना वयम्‌ ॥ ` विमशेः sre सिद्धिस्ते तुष्टः शोको गतः पुरे । विमर््र॑श्च aaa wae प्रत्यभाषत ॥ भद्र चा साधनाधारा प्रोक्रानेम महारवो | गला Tat प्रपश्चावो रागकेषरिमन्धिफम्‌ ॥ WHE: प्राह को वाज विकन्पो माम गम्यताम्‌ | ततः प्रचलितौ au wet खस्लौयमातुलौ ॥ ततो fade वेगेन मागे पवनगामिनौ | प्राज्ञौ तौ मध्यमे भागे महारवाः प्रयाशकैः ॥ 64 ५०६ उपमितिभवप्रपश्चा कथा | श्रय तच महामों रागकसरिषंयुतम्‌ | युकं दषगजेन्रेण VATE TATA ॥ श्रावासितं महानद्याः पुलिनेऽतिमनोरमे | महामण्डपमध्यस्थं बेदिकायां प्रतिहितम्‌ ॥ महासिहाख्नारूढं भरकोरिविवेशटितम्‌ | गला सखम नातिदूरं तौ SATE AIA: ॥ ततो faannfafed | भद्र प्राप्तौ तावदावामभौष्टप्रदेओे | लङ्धिता महाटवौ । दृष्टं मदामोदसाधनं । दशंमपयमवतौरणऽयं दत्ताश्थानः सह रामकेसरिणा सपरिकरो महामोरराजः | तन यक्रोऽधुनावयोरस्मिश्ाख्थाने प्रवेशः | मा श्ढदेतेषामाखानस्ायिर्मा छलोकानामपूव॑योरा वयोदभरेनेन काचिदा शद्धा । शअन्यशाचैव प्रदे ग्य ख्विताभ्वां इष्यत एवेदं सकलमास्थानं | wa: Zawearfa a यक्तोऽच प्रवेशः | ARUN । एवं भवतु । कवलं मामेधं महारवौ दयं Vaal इदं च पुखिनं श्रय च महामण्डपः एषा च बेदिका waq महासिंहासनं श्रयं च महामोहगरेष्डरः एते च सपरिषाराः समस्ता श्रपि teats: सवे मिदमदृष्टपूवं wat मद- Za Gawd | तेनामौषामेकेकं नामतो गणएतञ्च मामे aware faaca: ओआओतुमिच्छामि। श्रमिहितं च va मामेन । यथा जामाम्यदं दष्टस्य वस्नो यथावख्धितं त्वं अरत: समस्त निबेदयितु- atfa माम. । विमश्ः प्राह । सत्यमभिहितमिदं मया । कवं ufo परिप्रक्नितमिदं भद्रेण । ततः सम्यगवधायं निवेद- यामि | wae: प्राह । विश्रथमवधारयतु मामः । ततो faava चतुरैः प्रस्तावः | ५०७ समग्तादवशलोकिता महाटवो निरोकिता मानदौ विलोकितं पुखिमं मिवंणितो महामण्डपः निरूपिता वेदिका निभालितं महासिंहासनं विविन्तितो महामोराजा विचारिताः प्रत्येकं मरहताभि निवेशेन सपरिकराः सँ ater: | yeaa प्रविष्टो ध्यानं | तज च UCM aaa aia स्तिमितलोचनय गसः स्थितः किंचित्कालं । ततः प्रकन्ययता fac: प्रहसितमनेम । प्रकषेः प्राह I माम किमेतत्‌ | faatat । saad समस्तमिदमधृना मया | ततः wagat wh । प्रच्छनोय मन्यदपि aad यत्ते रोचते | म्रकवंणोक्क । एवं करिष्यामि । तावदि दमेव प्रस्तुतं मिवेदरयतु ara: | faatinfafed | यद्येवं ततस्तावदेषा fenefaata aerzay । va च ug विषो णेविविधाहुतसंगता | उत्प्तिश्मिः सर्वेषां सद्रल्नानासुदाङता ॥ इयमेव च स्ववां लोकोपद्रवकारिणाम्‌ | महानयेपिश्राचानां कारणं परिकौतिंता ॥ सर्वेषामन्तरङ्गाणणं लोकानामज्र संस्थिताः | चि्रदटन्तिमहारन्यां यामपत्तनग्धमयः i यदापि बहिरङ्गषु निर्दिश्यन्ते पुरेषु ते। किंचित्कारणएमालोश्य विद द्विन्नामचचुषा ॥ तयापि Galea तेऽन्तरङ्गजनाः सदा | अस्यामेव महारन्यां fase: सुप्रतिष्ठिताः ॥ यतः | yos उप्मितिभवप्पश्चा Kut | नेवान्तरङ्गलोकानां चिन्तटत्तिमहाटबोम्‌ | विषाय विद्यते स्यानं बहिरङक्गधुरे कचित्‌ | ततश्च । सुन्दरासुन्दराः Fa BHATT: कचिष्वनाः | एनां विषाय ते भद्र म वतन्ते कदाचन ॥ अन्यश्च | मिशथानिषेविता भद्र भवत्येषा महाटवौ | चोरसंसारकान्तारकारणं WITHA ॥ सम्यङःनिषेविता भद्र भवत्येषा महाटवौ | अनन्तानन्दसन्दोहपूर्ण AGA कारणम्‌ ॥ fa चेह बह्मोक्तन सुन्दरेलरवस्तमः | सर्व॑स्य कारणं भद्र चित्तटत्तिमहाटवो ॥ द्यं चासारविस्तारा इश्छते था मानदौ | एषा प्रमन्तता नाम भद्र गौता मनोषिभिः॥ द्यं मिद्रातरिख्क्गा कषायजलवाहिनौ | विन्नेया मदिराखवादविकथाख्ोतसां निधिः 1 AC विषयकलश्लोललोखलमाशाङ्ला सदा | विक्पानक्यसन््नौ घपूरिता च निगद्यते ॥ योऽस्छास्तटेऽपि ada नरो बुद्धिविोनकः | तसु महावन्तं चिपत्धेषा महापगा ॥ यस्तु प्रवादे TE प्रविष्टोऽस्याः पुमानसम्‌ | ख weal मूढात्मा BATH तदहुतम्‌ ॥ चतुधैः प्रस्तावः | यष्ट भवता पूवं रागकेसरिपत्तनम्‌ । यश्च sansa सम्बन्धि मगर परम्‌ ॥ ताभ्वामेषा समुद्भूता विगाद्यमां महारवम्‌ | गत्वा पुनः WAR घोरसंसारमोरधौ ॥ अतोऽस्थां पतितो भद्र पुरुषस्तज् सागरे | अवश्यं याति वेगेन तस्य चोन्तरणं कुतः ॥ ये गन्तुकामास्तनेैव NR संसारसागरे | अत एव खदा तेषां awed महापगा ॥ ये तु War पुनस्तस्आद्धोरा्छंसारसागरात्‌ | ते दूरादररतो यान्ति विशयेमां महानदौम्‌ a तदेषा गुणतो ag वरिता तव fae । a तद्धिलसितं नाम arad पुलिनं wa ॥ एतद्धि पुखिनं भद्र हास्यविभ्बोकसेकतम्‌ | विलासला ससङ्गोतडंखसार षरा जितम्‌ ॥ लेहपाश्रमहाकाश्र धका सधवशं तथा | धुणेमाममदानिद्रामदि रामत्तदुनेगम्‌ ॥ afeert सुविस्तोणे बालिश्रानां मनोरमम्‌ | विश्नाततच्ेदरेए वितं शौलश्रालिभिः ॥ तदिदं पुशिन भद्र कथितं तव साख्मतम्‌ | महामण्डपद्ूपं ते कथयामि सनायकम्‌ # wa fe चित्तविकेपो are संगोयते at: | गणतः TIAN घवासद्धागसुद्‌ाइतः ॥ ४९० उपमितिमवप्रपञ्चा कथया | aq प्रविष्टमाचाणां facia निजा aa: | प्रवर्तन्ते महापापसाध्नेषु च बुद्धयः ॥ एतेषामेव कार्थंण निमिंतोऽयं सुबेधसा | राजानो Aw gama महामाडहादथः किल ti बहिरङ्गः पुनख्लीका यदि मोहवग्रातुगाः | स्यमेदामण्डपे uz प्रविष्टाः क्चिदच ते ॥ ततो विश्रमसम्तापचिन्नो्मादत्रतञ्जवान्‌ | ्राभ्ुवन्ति न Vaal महामण्डपदोषतः ॥ एनं भद्र प्रत्येव महामण्डपमुशकैः | एते ACH: सप्राण मोदन्ते ALATA: ॥ बहिरङ्गः पुनक्ीका मोदादासाद्य मण्डपम्‌ | एनं fe दौ्मनसेम लभन्ते दुःखसागरम ॥ aq fe चित्तमिर्वाणकारिणणँ निजवोयेतः | तेषामेकाग्रतां ea सुखषन्दो दइदायिनोम्‌ ॥ केवलं ते न जानन्ति वोयेमस्य तपल्धिनः | प्रबेशमाचरणधन तेन मोहात्युनः पुनः ॥ ay ata guaid कथंचित्‌ पुष्थकमेभिः | श्रस्य Hay ते भद्र प्रवेशं कुवते नराः॥ एकाग्रमनसो नित्यं चिन्तनिर्वाएयोगतः | ततस्ते सततानन्दा भवनग्यचेव जन्मनि ॥ तदेष गणतो भद्र चिक fase: | मया मिवेदि तस्हभ्वमधना yew वेदिकाम्‌ ॥ चतुथः GET | एषा प्रसिद्धा लोकेऽ टष्णानाशौ सुवेदिका | अस्यैव ख नरेन्द्रस्य कारणेन निशूपिता ॥ भद्रात एव लं पश्य महामोहेन यो मिः | कुटुम्बाग्तगेतो लोकः स एवास्यां निवेशितः ॥ ये तु रेषा मरोपालास्तत्छेवामाचट्न्तयः | एते निविष्टास्ते पश्च सवं मुत्कलमण्डपे ॥ एषा हि वेदिका भद्र प्रङैवास्य वभा ॥ महामोहनरे रस्य खजनस्य विशेषतः ॥ seat समुपविष्टोऽयमत एव मुडमुंषः | wa Tea लोक सिद्धायां किलाधुना ॥ एतच्च Nw खभावेनैव वेदिका | खस्योपरिष्टादासौनं महामोकुटुम्बकम्‌ ॥ afecyt: पुनर्लोका यद्येनां भद्र वेदिकाम्‌ | arden ततस्तेषां alae दौ्धजोवितम्‌ ॥ ` saree aan दरष्णाख्या भद्र वेदिका | श्ररेव संस्थिता नित्यं भामयत्यखिलं अजगत्‌ ¢ तदेषा गणतो भद्र यथार्था वरबेदिका | मया निवेदिता तुभ्यमिदा्नौं श्ण विष्टरम्‌ + एतस्िहासनं भद्र विपर्यासाख्यभुच्यते | wea विधिना नुनं महामोरस्य कर्पितम्‌ ॥ यदिदं शोक विख्यात राच्यं are fara: | AWE कारणं मन्ये WATE विष्टरम्‌ ॥ ५९९ ५९२ उपमितिभवप्पश्चा कथः | aaere मरेष््स्य विद्यते वर विष्टरम | ददं तावदहं मन्ये राच्यमेताख तथः ॥ यतः । afwfafast राजाय महासिंहासने षदा । स्वेषामेव wearer: परिकीर्तितः ॥ यदा पुनरयं राजा भवेदस्माहदहिः fea: | सामान्यपुरषस्यापि तदा गम्यः प्रकोतिंतः ॥ एतद्धि विष्टरं भद्र बहिरङ्गजनेः सदा । आशोकितं करोत्येव रौ द्राम्थ॑परपराम्‌ ॥ यतः । तावन्तेषां sat सर्वाः सुन्दरवद्भयः | aanfaet ware इृष्टिने पातिता ॥ मिबद्धदृष्टयः घन्तः पुनरज महासने | ते पापिनो wae: कुतः सुन्दरबृद्धयः ॥ faa wae were weve च वणितम्‌ | afzararg asta सवेमज vfafea ॥ तदिदं गृणतो भद्र कथितं aa विष्टरम्‌ | atte निबोध गुणगौरवम्‌ ॥ जराजोणेकपोलापि येषा शुवनविश्रुता | श्रसुखेयमविद्याख्या गाचयष्टिरूदाता ॥ एषा संस्थिता भद्र सकलेऽपि wwe | age: प्रावः | यत्करोति BIT aerate साश्मतम्‌ ॥ अनिन्येव्वपि नित्यलमश्टचिष्वपि ween | TAMMANY GANA ASIAN ॥ पद्रलस्कन्धरूपेषु शरोरादिषु ay । खोकानां दशेयत्येषा ममकारपराथण्छा ॥ ततस्ते बद्धचिन्नत्वात्तषु WBA | आतमङूपमलानन्तः क्िष्यन्तेऽनयेकं जनाः ॥ तदेनां धारयश्नुचेमाचयष्टं महाबशः | जराजोरौऽपि नेवायं सुष्यते निजतेजसा ॥ अथ fe भद्र राजेश्धो जगदुत्प्िकारकः | तेनेव Tat प्राजचैम॑हदामोहपितामहः ॥ ये शद्रोपेदनागेखचन्र विद्याधरादयः | तेऽस्य भद्र नेवाश्ां श्यन्ति कदाचन ॥ तथा डि । diss खवोयदष्डन WG कुजा खवत्‌ | विशम्य waa कायभाष्डानि खोखया ॥ वस्यास्याचिन्धवोयस्य महामोहस्य wi: ।. को माम भद्र शोकेऽसिशान्चां epfacdt qa: ॥ तदेव guit भद्र वरितस्ते नराधिपः | श्रधुना परिवारोऽष्य वर्ते तं विचिन्य ॥ aaa कथयत्येवं मयि भद्र विशेषतः | केनाष्वाकूतदोषेश न लवं vate किचम ॥ 65 ४९७ उपमितिमवप्रपश्चा क्या | द्कारमपि at दते भावित न शश्छसे । शिरःकम्पनसखस्फोटविर हेण विभाव्यसे a fagarat मदौयं तु Raw सुरुमौ चसे । afed नेव जानेऽहं बुध्यसे किं न बुध्यसे ॥# प्रकरः प्राह मा मेवं माम वोचः प्रसादतः, तवां मास्ति तल्लोके चन्न बुध्ये परिस्फुटम्‌ a विम: ary जानामि बुध्ये लं परिस्फटम्‌ । अयं तु विदितो भद्र परिहासस्य पद | चतः । जिन्चातपरमार्थंऽपि बाशबोधनकाभ्ययः } परिहासं करोत्येव प्रिद्धं पण्डितो अनः pe बाणो विमोदनोषद्च arent भद्र वर्तसे; अतो मत्परिदासेन न कोषं THAN & अन्य जागतापो दमसमाकं इषंटृदये | त्या watcha केभ्यः afer # fare afrare मया ard aga यथाख्ितम्‌ । लम श्रुतसाजेक VE न WANs एदम्पथेमतस्तात sea wT | TRAITS. मा द्भौतकथानिकाः॥ TS: WY) AA कथय RIM पुमः सा भौतकथाशिका | fraiterfafed । भद्र समाकणंय । af कचिनगरे जन्छ- चतुः प्रणवः | ४९५ बधिरः सदाशिवो ara भोताचार्धः। ख चं अरानौणंकपोशः संकलपदाखपरेण हस्तसंज्ञया fai ya: केगचिदूतेबदुना । यचा भहा- रक feud मोतिश्रास्तेषु wat । aga: विषं met दरिद्र जन्तोः पापरतिर्विषम्‌ | विषं परे रता भार्यां विषं व्याधिर्पेखितः ॥ अतः Ware बाधिर्च॑स्य करोतु किचिदौषधं भहारकः। ग खश्पेकित्‌ युक्तोऽयं महाव्याधिः । ततः प्रविष्टो भौतारा्ंखय ममसि स एवाग्रडविग्रेषः। ततोऽभिदहितोऽनेन शाभ्तिशिवो ara. निजगिवयः। यदुत गच्छ त्वं वैद्यभवमे मदौयबधिरलस्य चिश्चाय भेषजं zeta च AUT । मा गत्कालहरणन व्याधिदद्धिरिति। शन्तिशिवेनाभिहित । यदान्नापथति भहा- रकः । ततः प्राप्तोऽसौ Feat get au: । cag eet Fat रमणं . विधाय. इाराख्षमागतो Fuge: ततः कोधान्धवुद्धिना वैद्येन गडोतातिपरषा वालमथो TH: | बद्ध्ारटश्चसौ निनदारकः wae zweiat शङ्ुटः। ताडयितुमारभः। ताद्यमाने ख faded aw दारके शाण्तिशिवः are. ae किमित्येमभेवं ताड- यसि । दैद्ेनोक्र। a श्ट्णोति कथंचिदण्येष पापः। अवान्तरे हाहारवं gale बेगेनागव्य am वेस्य हस्ते वारण्णथं भार्यां | वैश्यः प्राह । मारणौयो मयां दुरात्मा चो मभेवं कुवतोऽपि a श्टण्णोति । शपसरापसर त्वमितरथा तवापौ यमेव गतिः । तथापि खगम . ताडिता सापि ue . शाग्तिभिषेन चिन्तितं। श्रये fama भहारकष्यौषधं । किमधुना vee) ततो fake ४९६ उपमि विमवप्रपच्चा कया | गतोऽशौ मदेश्वरग्छडे । याचिता तेन Tey: । समर्पिता माहेश्वरः TVA | wifes: प्राह । श्रशमनथा । मम वाखमग्धातिपदड- षया प्रयोजनं । दन्ता ताद्ग्येव मादष्वररमिदहितं च । भटारक fa पुमरनया wea शाभ्तिथिवेगोक्तं | सुग्टहौतनामधेयानां सदागरिवभद्वारकाणामौषधं करिष्यते । ततो ग्हौला ce गतो मठे शज्तिभिवः। तज च ger ye शतमनेन विषमशङ्कटित- TRAPS वक्रङुदर बद्धयारारोमुश्चनलौ मठमथ्थस्तम्भके निजाचाथेः। ततो गटरौोतर्हहकुटोऽलौ प्रदत्तस्य ताडने । इतस माहेश्वरेशिन्तितं। गच्छामो भहारका्णां किवायां किव माणायां प्रत्यासन्नाः खयं भवामः। ततः समागतास्ते दृष्टो facade arwawrera शाज्तिशिवः। तेरभिदहितं । किमित्येगभेवं ताडयसि । शान्तिशरिवः sei न श्टशोति कथंचिदेष पापः ततो विहितः सदाशिबेन faaardy मराक्रन्दमरवः शब्दः | ततो SIT वारण्णथं हाहारवं gan: wife mew: | श्रान्तिभरिवः ATE । मारणौयो मयायं दुरात्मा थो aad कुतोऽपि न इरणोनि। श्रपरलापसरत चयमितरथा युश्राकमपौचनेव alata! तथापि वारथतो माेश्वरानपि प्रक्स्ताडयितुमसौ wegen । ततो बङलात्तेवां रे जात लातेति गूवाकेरहाजितजख warege: | चिभ्तितं च । gi यदगहोतोऽवं । ततो age- स्ताडयिला पञाडाबन्धेन शाज्तिशचिवः । विमोकितः खदाभिवः। खमा चेतना । जौ वितो रैवबोगेन । मा डेग्वरैर भिहितं । शाश्सि- भवं किमिदं भगवत्या कतंमारमासौत्‌ । शाग्तिशिवः are । चतुर्थः पताव | ute मनु बधिरताया वेदयोपदेश्रादौषधं। fae: gaa मां, मा भटरारकब्याधिसुपेचध्यं। माडेश्वरेखिन्तितं । महागरहोऽयं | ततोऽमिदितमेतेः। मुञ्ामस्लां ada न करोषि । प्ाभ्तिजिवः me) किमदं भवतां वचनेन खशरोरपि भेषजं नग करिव्यामि | aw fe यदि प्रर तस्येव fue वचनेन तिष्ठामि नान्यथा । ततः खमा्ृतो aq: । गिवेविदतशक्मे टन्तान्तः। ततो मुखमध्ये इस- ताभिहितं iar । agree न बधिरोऽसौ मदभेयो दारकः । किं तदं पाठितो मथा ज्ञेन वे्कश्रासखाणि। स तु rotten मम रटतोऽपि तदथं न श्ट्शोति) ततो मया रोषाग्लाडितः। तक्नेदमौषधं । किंच । प्रशोग्धतः ewe are तव प्रभावा- दनेनेव भेषजेन । तस्मादतःपरं न ade actos लयास्येद- मौषधमिति । शाग्तिशिवेनाभिदितं एवं भवतु । भटारकेरिं mydan प्रयोजनं । ते च टि syeren: किमोषधेन। ततौ सुक्रः ज्रान्िभिवः॥ तदेषा भद्र भौतकथानिका अुतमाचयाडिषसवापि मथा सार्धमविचारयतो मा ग्र दित्येवमथे परिचोदितस्लं मयेति । nar: प्राह । साधु साध मामेन । शएच्छामि meet किंचिद्धवन्शं । fant । ere भद्रः। प्रकषैः प्राह । मान owed ततो विन्नातेयं मथा समस्तान्तरङ्गलोकाधारगता बदिरक्शोकानां खवसुन्दरासुन्दरवस्ठ॒ निवर्तिका सभावार्थं fenefaderceay | एतानि तु महानदटोपुणिनमडहामष्छपवेदिकारसिंहासनगाबयहि- भरेष्ररूपाणि aafa यानि भवता प्रम्सतातदिशसितचिकत- ४९८ ख प्रमितिमवप्रपश्चा कथा | विषपटष्णा विपर्यासा विद्यामदामोहामिधानानि भिवेदितानि मथा भावार्थमधिशत्य न सम्यभ्विक्लातानि। विकल्ितानि मया aurea प्ररमेतानि भिद्यते नार्थेन । यतः सर्वापि पुष्टि कारण्तयामोषामन्तर क्णो कामामनयं कारणतया च वडिरक्रंजनानां समानानि वतन्ते | ततो यच्ेतेवामस्ति कञिदर्थेन ace मे faa- दयत मामः। fam ares aq निवेदित एव प्रव्येकमेतेषां ष्णम्‌ aaa aw परिक्छंटोऽथभेदः। तथापि स चदि a विन्नातो भद्रेण ततः पुनरपि निवेदयामि । ततः कयित्रो विम- शेन aura avant प्रत्येकं ware: । बुद्धः प्रकरण ॥ STAC भरवाहनः प्राइ। भदन्त वयमपि बगोधमोयास्तेवां भावाथ । ततः प्रबोधितो गरबाहननरेश्रोऽपि तेन भगवता विचक्णद्धरिणा। ततोऽग्टहोतसङूतयाभिदहितं। भद्र. संषारि- oa तरिं यद्येवं ततोऽहमपोदानों तेवां महागद्यादिवख्छनां बोधनौोया भवतायं बेदनमोथा भवतायेभेदं । षंलारिजोवेनोक्न | भद्रे स्पष्टदृष्टाम्मन्तरेण 4 तया सुख्ठावसेथमेतेषां far Sed | wat दृष्टां कथययिषे । श्ग्टहो तषङतयोक्रं । शअ्रसुगडो मे । संसारिजोवेनामिडहित। अस्ति संभावितवमसटग्लान्तं yantet भाम नगरम्‌ । तज च निवारको हरिषरदिरष्छग्भादोनामपि syguscnfeaia राजा । तस्य च नोतिमागेजिपुण्णा विष्छेदकारिण्णौ इ्युकिमिष्या- विकण्पजश्यानां सं्ितिर्नाम मादेव । तयोखात्यन्तवह्नभोऽखि auweal नाम तनवः । स च गाढुमाहारम्रिथो दिवानिश्रमनवरतं चतुधैः Gera: | ure विविधखादपेयानि weaara | ततः संजातं aes wafer दोषाः dasitsnefet vac तथापि म विच्छिद्यते aerec- मिखावः। प्रहता चोद्यानिकागमनेच्छा । ततः कारिता भरि- प्रकारा भच्यविशेषाः । aty Taras wad च भखयिव्यामोति mae किभिकललोशाः। शौद्यातिरेकेण च भक्ितं सरवेवामादार- विशेषाणां स्तोकस्तोकं । ततः परिवेष्टितो `मिबटन्देन परि- करितोऽन्तःपुरेष van बन्दिटन्देनम cand विविभर्विलाे- मेहता विमदेन प्राप्नो मनोरमे amt, निविष्टं सुखमासनं | लज चोपविष्टं विरचिताः पुरतो विविधाशारविस्ाराः। तत- खाहारखेशभच्णेम पवनसख्पर्ादिना गाढतरं west wc: । अचि- तख पाश्वर्तिसा शमयश्चाभिधानेन महावै्सुतेन । चदुतातुरव- दगो दृष्यते कुमारः । ततो THM शङ्खन्योहेस्तः। निरूपितानि न्धिख्धामानि । निञितमनेन । यथया ज्यरितः awa कुमारः | ततोऽमिहितं खमयजनेन । देव न युक्तं तव भो | awed ते WOE वतेते यतोऽव्यन्तमातुरा धूति दृष्टिः । warafyni AAAS) दइगद्रगाथेते wet! ध warren सन्थिद्यानानि | श्वलतोव बहदिख्खग्‌ । द इतौव we) ततो frie भोजनात्‌ | मच्छ Wea! wie निवातं । कर्ष्व खङ्गनानमि । पिक कयितसुदकं | समाचर विधिनबाश्च स्व प्रतिश्ियामितरथा सजिपातस्ते भविष्ति a स तु aaeet दन्तदुष्टिः पुरतो विन्यस्त तसििश्नाहारविस्ारे watts भक्यामौति भमवन्ञपरापरेषु खादुप्रकारेषु सखयमन्त्‌ःकरणं नाकषंयति awe शसतभावितं ४२० उपमि लिमवप्पच्चा कथां | गाकशयति तस. हितरूपतां न चेतयते तं वारका्थे खगन्तमपि WOT | ततो वारथतो वचनेन धारबतो we ae समयश्च सममेव बजात्डन्तो भक्यितुमाद्यर AWM: |. ततः स्मुत्कट- तथाजौ रेख प्रवखतथा VTS न कऋमतेऽसौ गखकेनाहार्‌ः । तथापि warea क्रामितः कियानपि taeda) ततः egg इदयं संजातः were: संपन्नं चमनं विमिजितं खं तेन वमनेन श्वं- मपि पुरतो विन्यस्तं ater) ततञिन्तितं aweea | qurerd शरोर मे quan अत्रम्‌ । एतद्धि वाबुनाक्रान्तमन्वया वमनं कुतः ॥ . एवं शिते | | | fowaté शरोर मे वाताश्मानो विगच्छति + ततस Treas FS योऽपि भोजनम्‌ ॥ ततोऽसौ वान्तिसंमिग्रं तत्पुरःशितभोजनगम्‌ | fawert dinar: श्वेवामपि qa ॥ तहा TAT प्रोक्तः पूत्कुवेता अशम्‌ । देव देव म on ते कतुं are चेष्टितम्‌ ॥ मा च Trey wot च ane श्भिनिभेखम्‌ | दैव हारय भक्तेन लमेकदिनभाविना 4 अन्यखेदं खतां निन्ममेष्यं शौ चदूवकम्‌ | खदेगडेल At we देवः चखादितुमरंति ॥ देव दुःखात्मकं चेदं सवथा भिप्रकोपनम्‌ | गाडसुख्वणटरोषाश्ां विशेषेण भवादृश्राम्‌ ॥ चतुः WET: | BRE का aretafe ते wel Geng पुङ्लाद्मकम्‌ | अतो देव fawecarar रच चन्नतः॥ दृत्यं च शमयश्चष्य रटतोऽपि वचश्दा | ख राजपुजः श्वापि afer पथं चिन्धथत्‌ ॥ अरहो विमूढः awe समधश्चो न बुध्यते | नुन मदोयप्रशृतिं नावस्ां न हिताहितम्‌ ॥ यो वातलं quer yur भां निषेधति ! एतच्च Freee भोजनं देवदुखेभम्‌ ॥ तत्किमेतेन मूख ye भोग्यं यथेच्छया | सखायंसिद्धिमेवा कारवां कि ममापरचिन्तथा ॥ ततः परिभनेगोश्चैः सडितेऽपि पुनः पुगः । समयश्च Tad भितं तेन भोजभम्‌ ॥ ततः प्बखदोषोऽसौ भचशाबन्तरं तदा | सन्निपातं महाघोरं संप्राप्तो निजकमेणा ॥ पुमवंमनयो भक्ते ATVI WA | पश्तां पतितस्तेषां काष्टवल्ष्टचेतनः ॥ स लोलमानस्तजेव जघन्ये वान्तिकदंमे । - HIT छरघुरारावं इेभ्ापूंगणस्तदा ॥ अनाख्येयाम चिनधां च तेवाुदेगकारिषेम्‌ | अश्रक्यप्रतिकारां च प्राप्नोऽवस्धां खदारषाम्‌ ॥ न WE समवस्चेन WANT न बान्धवः | तदवसयो भ राज्येन न देवैर्नापि दानवैः ॥ 66 RR उपमितिमवप्रपञ्चाश्या। केवकं तदवख्छेग छढताद्ुचिकदंमे | SAMA AVA Baal तेन पापिना ॥ तदेष भद्रे दृष्टातः प्रख्तानां vita: | agai भेद सिद्यथे मथा ae निवेदितः ॥ ततोऽगटद्ौतखद्धेता प्राह विशमानसा | शंखारिजोव मेषेदं पौवापय geet ॥ मद्या दिवस्ठभेदाथं कथितं मे कथानकम्‌ | त्वयेदं तज मे भाति कोषो मौराजना क च ॥ अथास्ति कञिश्म्बन्धो इन्त प्रश्ठुतवस्छुनि | स्फुटः कथानकस्ास्छ स ददानो निवे्ताम्‌ ॥ ततः संसारिजोवेन तदार्टाम्तिकयोजने | वडभाषेण सिलेन agel सं प्रचोदिता ॥ कयन्‌ | ser प्रश्चाविशाले लवं fase मत्कथानकम्‌ | घटय प्रतार्य निजगेखिकथा स्फुटम्‌ ॥ अथय प्र्नाविश्राल्लाइ कामं भोः कथयामि ते। भद्रेऽग्टशोतसदेते समाकणय सांप्रतम्‌ ॥ यस्ते Taw ara राजपुचो निद्रितः | एषोऽनेन faurerf sitet sta: waa: ॥ स एव जायते भद्रे नगरे भुवनोदरे | अरनादिषंश्ितिसृतः स एव परमाथत ॥ चतुर्थः Tea: | ५२द्‌ स एवानन्तरूपतादहिरङ्गजनः खतः सामान्यरूपसुदिश्छ ख चेकः परिकौर्तितः ॥ मरुभावमापन्चः ख प्रभुः सर्वकमेणाम्‌ | महाराजसतस्तेन स प्रोक्रोऽनेन सुन्दरि ॥ तस्येव unt विज्ञेया चिन्तटत्तिर्महाटवौ | setae सा तस्येव च कारणम्‌ ॥ केवलं यावदध्ापि स आत्मानं न बुष्यते | मशामोहा दिभिस्तावहषुप्यते सा महारवो ॥ यदातु तेन fama: स स्यादात्मा कथचन | तदये वोच wafer महामोहादथसतदा ॥ यावञ्च ते विवतेन्ते चिन्तटन्तौ महाभटाः | महानदचादिवसूनि तावन्तखां भवन्ति बे ॥ तेषामेव यतस्तानि कोड़ाश्वानानि ayaa | अतस्तेषु विनष्टेषु तेषां arm: प्रकौ तितः ॥ एव fea | अरविन्चाताद्मरूपख्च भद्र नौवस्य कर्मणा | मडामोहनरेन्दरे ज सप्रतापेऽटवौख्िति ॥ यदा तानि विवधेन्ते Tay aw मन्यते | महानद्यादिवस्छनि नितरामात्मवेरिकः ॥ .. तदा तानि खवौचेण यत्कुवेन्ति एक्‌ vag । जोवस्छ तदिगेषायथं दृष्टान्तोऽयं भिवेरितः.॥ स चेवं योच्यते भद्रं प्रस्ठतार्यन पण्डितः | . . ५२४ ` उपमितिभवप्रपश्चा कथा | महानद्या दिवस्नां प्रत्येक भेद सिद्धये ॥ यथाहार प्रियो fray cage fatter: | तथायमपि fast slat विषयखम्पटः ॥ यथा च तद्य संजातमजोणे रिभखणात्‌ | तथाश्चापि agit कर्माजौण्ं weet ॥ पापान्ञामा्मक तख वतेते कमं SCAT | यतः प्रमत्ततोद्भूता AST तत्पु रदइयम्‌ ॥ यथा प्रङ्कपितास्स्य दोषा जातस्तमुष्वरः । तद्या रागादयोऽख्यापि ade sac waa: ॥ यथा तथाख्वितस्ापि afguteig धावति । ACKATHSY ATA दुरात्मनः ॥ तथाहि | मनुखभावमापननः कर्माजौणे सुटाङखम्‌ | रागादिकोपनं मूदढुचिन्तन्वर विधायकम्‌ ॥ Mat म Tea Aaya प्रवतत | अदितेवु war बुद्धिः प्रकाभ्रं सुखकाम्बवा ॥ तथाहि खदते ay गिद्रात्यन्तं सुखायते | विकथा प्रतिभा्धुशेरख्छानेकविकश्पमा ¢ दृष्टः mre: प्रियो मामो मावा wera | लोभः प्राकषमो मन्ये रागदेषौ मनोमतौ ॥ कामनः Vi TWAS: कामं NAY सुन्दरः | अरत्धम्तदयथितं Sa रोचते च कणष्यनिः ॥ चतुर्थः प्रस्तावः | ५९५ विलेपनानि MICAS: सुभोजनम्‌ | माद्य वरख्ियो va gat प्रतिभासते ॥ रासनं शखितं यानं wad द्रष्सञ्चयाः | श्रशलोकको तिख्च जने रदितास्य दुरा्ममः ॥ चिष्सटत्तिमहारव्यां भद्रे सततवादहिनौ | महानदौ age: Fare प्रमत्ता # यथा चख तदवस्धस्य TINTS खुब्दरि । समुत्पन्ना विशासेच्छा यातुमुधामजिकां मतिः ॥ कारिताभि च भोच्यामि aterm प्राभ्रिताजि च| निगंतख विश्ासेन gory काभने ॥ fafasaret दिव्यमुपविष्टख ay सः | fararita att wa मागाखाचकरंयतम्‌ ॥ तयाख्यापि WAG TAG aetea | ह क्माजोणास्छसुत्पन्ने WTI मनोष्यरे ॥ जायन्ते वि्नकल्लाला मागाशूपाः Ge णे | यथो पाच्यं धमे aft विखसामि यथेच्छया ॥ करोग्यन्तःपुर दिव्यं YS राच्यं मनोहरम्‌ | महाप्रासादशङ्गात कारये काननानि च॥ TTT | | महा विभवसंपश्चः चपिता शिखपरैरिकः | ज्ञाधितः स्रवशोकेन पूरिता्ंममोरथः ॥ श्रब्दा दिखुखसन्दोहधागरे aqaray: | yad उपमितिमवप्पश्चा कथया | तिष्ठामि शततामन्दो मान्यश््मानुखके फलम्‌ ॥ सेयमुानिकाकाङ्खय विच्चेधा सन्दरि वया | ततो Hat AT: कुर्ते द्रव्यसञ्चयम्‌ ॥ aus दैवयोगेन विधन्तेऽन्तःपुरादि कम्‌ | maifeqeas च किचिदाखादयेदरपि ॥ ae maw amity afed गवोचणे | कारणं षटष्टभोच्यानां awarat -च waz ॥ ततोऽलौकविकर्पेख खुखनिभर मानसः | विशास्ास्छसङ्गोतडहास्यविष्योकतत्परः ॥ युतो दुशंशितेनित्यं चयूतमञ्चर तिभिः | wT दूरे याति दौःभौखकामने ॥ एतन््हा विमर्दन पुर निगमनं मतम्‌ i. उद्यानप्रापणं चेदं विद्धि नोखालघ्ो चने ॥ स मिश्यामिनिवेश्राख्ये शितो विन्तौणविष्टरे | क्माख्यपरिवारेण रचितानि ततोऽयतः ॥ मगोश्राणि चिज्ाणि aareret विश्रेषतः। प्रमादटन्दभोच्यामि सुन्दरत्वेन मन्यते ॥ प्रमत्ततामडहानद्याः पुलिनं पद्मख्ो चने | anfxafaa विद्धि उन्तान्तस्याख्च कारणम्‌ ॥ ततो यथान्ललेगेन भकितेन aaa: | वायुस्य्थादिभिखो शेवंधितखष्य दारुणः ॥ afaay सुवेद्येन वारितञ्च सुभोजनात्‌ । ` GAY: TANTS: | ५२७ म चासौ gaa किचिद्धोजनाचिक्तमानखः ॥ MAA तया भद्रे क्माजोशोद्वो शवरः | प्रमादान्तेन वर्धेत तथेवाज्ञागवायुना ॥ wwaf च तं az घधर्माचार्या महाधिवः। खमयज्ञमहावेद्या वारयन्ति च देहिनम्‌ ॥ कथम्‌ | अनादिभवकान्तारे Bal भद्राविखन्दरम्‌ | अवाप्य AAT जग महाराच्यमिवातुखम्‌ ॥ कर्माजोणेष्वराक्राम्तं प्रमादमधुनापि भोः | मा सेवख AWA WAAAY कारणम्‌ ॥ OCs भ्ामलारि जसम्यग्ट्‌ शेनखच्षणाम्‌ | चिन्तञ्वरविधाताय Sat भद्र प्रतिक्रियाम्‌ ॥ ख तु प्रमादभोच्येषु चिप्तचिन्तौ म बुध्यते। THIEN Fates पापो जोवः प्रपञ्चितम्‌ ॥ ATS | SHA इव मन्त टव UI इवातुरः | Mee श्वोद्वान्तो विपरौतं विचेष्टते ॥ स एष भद्रे स्वऽपि रिन्नवि्ेपमण्डपः | महानदौज्गुखसंथो जोवश्वास्य विजते ॥ यथा च राजपुजेण भोजनं Tea | अगच्छद्‌ पि कष्टेन गमितं लौखदोषतः ॥ ` तदनन्तरभेवो शेर्वाम्तं तेव भोजने | जोवस्यापि विजानोडहि समानमिदमच्ञसा ॥ YRc उघमितिमवप्रपश्चा SUT | तथाहि | कर्माजौशेष्वरग्रसः सदा fawwarays: | AUIMGATATR रोगारितश्ररोरकः ॥ स्वेवामकमो भोगे भोगानामेषव वतेते | तथापि आयते are स्तोकापि विरतौ मतिः ॥ aay गाडल्लोख्येन तथग्ितोऽपि सेवते | प्रमादषन्दभोख्थानि वार्यमाणो विबेकिभिः॥ ग्रतप्रा्नौ SRST सखे WAT चनम्‌ | wa कोरिगता बुद्धिः कोटौ Tere वाञ्डनम्‌ ॥ राच्ये देवत्ववाञ्डास्य देवल शक्रतामतिः। श्रक्रवेऽपि गतस्याख्य नेष्छापूतिः कथंचन ॥ सुपुजेवरयोषामिः खवेकामेरुडसं डः | नाद्यामिशाषविच्छिनिः को टिश्नोऽपि निषेवितेः ॥ संग्टङ्काति ततो qs: सर्वार्थान्‌ सुखकाम्यया | ते त दुःखाथ जाथन्ते GUTS भोजनम्‌ ॥ ASAT SNA SATA । त्यार्थभोजनस्सोचेबलादा नि विंधाप्यते ॥ इत्कख्मखक चोरं वम्यमानः TAA | आरारी्ुश्चति प्राच्याः छपाहेतुरविवेकिनाम्‌ ॥ तदेषा चार्खर्वाङ्गि रिक्त विश्ेपमष्डपे | Tae विच्यस्युखाष्णागाखो खवेदिका ॥ यत्पुगचिन्तयल्धेवं तरा twee: किल । चतुः THA: । ` VRE वाताक्रान्तं WOE मे anton मम ॥ एतच्च रिक्रकोष्टलादायुमामिभविच्यते | रतः सप्रण्याभौरं YS योऽपि wire ॥ जोवोऽपि चिन्तयत्येव तदिदं aratea | पापञ्वरवश्रादु गेटे विभवस्य ॥ स्तेषु च AWAY YY जनेषु च । अन्येषु च विनष्टेषु चिन्साबन्येषु मन्यते ॥ न मया चेष्टितं नोत्या न wa चार पौरवम्‌ | नाथितो वा acerat म wat वा ufafwer ॥ तेनेदं मम WAG Val वा WATT । Gar वा बान्धत्रा वापि faner: पश्यतोऽपि मे॥ न चेषां विरहे गूनं aise चण्मणतः | उपाजेयामि योऽपि तान्येवोत्छाइयोजतः ॥ उपाजितानि awe tfwenf प्रयत्नरतः | अजागलस्तनस्येव जो विलय्यं sara ॥ ware विजानौहि तदिदं सुश्रु भावतः । Haare विपर्याखमामविष्टरचेष्टितम्‌ ॥ यथा च भोक्ुमारग्धः स निरश्वतया पुनः | प्तः सवलोक वाग्निं मिञ्रभोजनम्‌ ॥ ततः सपरिवारेण तेन पूत्‌क्ुषेता waz | वारितः waa agtery मिवेदिताः ॥ सतु तजर र्णारोपाद्भोजने बद्धमानसः | 67 ५२० उपमितिमवप्पश्चा Sut | तं रटन्तममाशोच्य wa रतवानिति ॥ तथायमपि wate जौवः कममणो मखः | भुक्रोतपषटेषु भोगेषु निषश्वः dade ॥ परमाणमया इति भोगाः ्रब्दादयो मताः । सवं चेकंकजौवेन WHAT: परमाणवः ॥ zeal मुक्पूर्वाख्च बहशो भवकोरिषु | भु कवान्तास्ततः सत्यमेते श्रब्दादयोऽनघे ॥ aqra कि चिखठोकेऽज चिन्ताबन्धविधायकम्‌ | जोवस्य वस्तु. सन्नेव तत्सवं पुद्लात्मकम्‌ ॥ तथापि भद्रे पापात्मा पश्तां विमलात्मनाम्‌ | श्राबद्ध चिन्तस्तचेव जाम्नाखे संप्रवतंते ॥ हृपापरोतविन्ताश्च भोगकदेमलम्पटम्‌ | तं जवं वारयन्धेते PATS: प्रयत्नतः ॥ कथम्‌ | अमम्तानन्दसदो्यन्ञागद ग्रनरूपकः | देवस भद्र मो युक्रमतो भोगेषु वतेमम्‌ ॥ sae faa खं भोगाः चण्ठे खणे । अ्रपरापररूपेण त्च्छमास्थानिबन्धनम्‌ ॥ वान्नाए्दिसमा्येते विता स्वदभिंमिः | भद्रः परमदेवोऽपि नातोऽमूम्‌ भोक्षमरेसि ॥ दुःखोपढौ किताखामौ दुःखरूपाञ्च तत्वतः । दुःखच् कारणं तेन वजेनोया मनोषिएण # चतुर्थः परावः | ये च बाद्याणनिष्यन्नास्तच्छा गाद्‌ मनात्मकाः | तेषु कः पण्डितो रागं ु्यादात्मखरूपवित्‌ ॥ अतो ममोपरोधेन भद्र भोगेषु कुजचित्‌ | Bayz च प्रमादेषु मा प्रवतिष्ट साग्रतम्‌ ॥ तदेवं पद्मपच्ा्वि निवारयति सहुरौ | प्रमादभोजमे am: स Hat इदि मन्यते ॥ aut विमूढः ara वस्तुतत्त्वं म बुध्यते | श्रारहादजनकानेष यो भोगानपि निन्दति ॥ तथाहि | मद्यं वरख्ियो मांसं aera wet | माखतान्बृखनेपच्यविस्ताराः सुखमासनम्‌ ॥ श्रलद्ाराः सुधा Wat को तिंञुंवनगामिनौ | सद्रननिश्याः शूर चतुरङ्गं महाबलम्‌ ॥ राच्यं प्रणतमामन्तं यथेष्टा: सवेसम्पदः | TIARA किमन्यलसुखकारणम्‌ ॥ विप्रलमभाः ofagra: शव्कपाण्डित्यग्विंताः | ये नूनमौदूश्रा लोके भोगभोजनवच्चिताः ॥ ते मोरेन खयं नष्टाः परानपि हषोद्यमाः | नाश्रयन्ति fe तन्ते ते वजेनोया विजानता ॥ तथाहि | यो भोगर ङितो मोष्वो बन्धनं तदुदाइतम्‌ | तदथं कल्यजेदृष्ट मिदं भोगसुखाग्टतम्‌ ॥ YRR उपमितिमवप्रपश्चा KUT | एवं दिधविकल्येख FLATMATES: | अग्धतद्सङहगतं तेषु भोगेषु मन्यते ॥ कथम्‌ । सिरा ममेते शद्धा सुखशूपाख्च तत्वतः | एतदात्मक एवाहमलमन्येन tafe ॥ WMA WHAT WIC प्रशमेन वा I अहं तु नेदु गवाक्षेरात्मानं वश्चयामि भोः॥ aay | सद्धमविदगव्याजाद्ाढं पूत्कुवेतोऽयतः । यरोरपि yaaa प्रमादाग्टचिकदेमे ॥ सा स्वेयमविद्याख्धा Nas वरानने | aati गाचयशटिविंशम्मते ॥ यया स भोजनं अयो भ्यिला पुनवेमन्‌ | संजातसज्निपातलात्यतितस्त गते ॥ छटन्नितस्ततो गाढं युञचन्नाकर्द भेरवम्‌ | अनाष्येयामविग्धां च प्राप्तोऽवस्ां सुदादणाम्‌ ॥ म जातः केन चिकल्लोके तदवस्थः खितः परम्‌ | तथायमपि विश्चेयो जोवः शर्वाङ्गसुन्दरि ॥ तथाहि | यदा प्रमन्नतायेक्रसदिलाखपरायणः | fafanfenqena विपर्थासवशंगतः ॥ अविद्यान्धोङ्तो जवः am: संशारकदंमे | चतुर्थः परावः | Uke ्ररोपितद्णन्रातस्तचेव विषया दिके ॥ way Waglt वा aay FE: | qayefed पापो विमूढमिति मन्यते ॥ ततस | पापाजोणेष्वराक्रानः स Tat वान्तिसज्निभे . तं रटन्तममालोश्यासप्प्रमारे प्रवतेते ॥ तदा निःगरेषदोषौ घभरपूरितमाभसे | सक्िपातखमो घोरो महामोोऽस्छ जुम्भते ॥ ततश्च तद्गरेनायं जोवः सुन्दरो चने । पश्चतामेव fayet waa विवेकिनाम्‌ ॥ मूजान्त्राद्विनाम्बाशवसाद्धिरपूरिते | faate भिपतन्धेव मरके वाज्तिपिष्छले ॥ खटतोतसतसच सुश्चननाक्रन्दभैरवाम्‌ | स्ते तोत्रदुःखौधं यदाचां गोधरातिगम्‌ ॥ तथा विचेष्टमानं च वरगात्रि तपोधनाः | न्ञानालोकेन पश्यन्ति तं जवं शड्द्ष्टयः ॥ aaa सन्निपातेन sara भिषम्बराः | afefarutad aret वयन्ति महाधियः ॥ ततश्च Acasa तस्य तार वि्लोशने | कोऽन्यः द्ाक्नायको जन्तोर्धोरद्‌ः खौ घलागरे ॥ अन्यश्च तद्वस्ोऽपि जोवोऽयं वश्शुभाषिणि | प्रमा दभोजनाखाद खाग्ग्ः भेव मुच्चति ॥ ५३४ उपमितिमवप्रपश्चा कया | दोषाः प्रषखतां यान्तस्ततो सुष्णन्ति चेतनाम्‌ | श्रत्यये च महामोसन्निपातो विवर्धते ॥ एवं च fea | संघारक्रवालेऽच रोगण्छत्यजराकुले । ्रमन्तकालमासोनसख्यक्ः सद मवान्धवेः ॥ afeé निजवोयेंण जोवस्यास्य महाबलः | सन्निपातसमो भद्र महामोहो विचेष्टते ॥ fa च। | waaay saat कायंग्धतख् तत्वतः | महामोनरेग्द्रोऽयं मद्यादोनां सुशोशने ॥ तदेवं राजपुजोयो इृष्टन्ताऽनेम सुन्दरि | महामद्यादिवस््रनां दशितो भेदसिद्धय ॥ श्रयाद्यापि म ते जाता प्रतौति: goiter | शयोऽपोदं समासेन wus कथयामि ते ॥ विषयोग्धखता are सा fawer प्रमन्तता । anteafed विद्धि agtitg प्रवतेनम्‌ ॥ watt Meee yas यत्त॒ चेतसः | ज्ञेयः ख चिन विेपा जोवस्यास्य area ॥ दपेरभावो भोगेषु yng सुबडष्वपि । उत्तरोत्तरवाञ्का च Sat गता मनीषिभिः । पापाद्भोगेषु जातेषु जातनष्टेषु वा पुनः | बाद्योपायेषु यो यन्नो विपर्यासः ख उच्यते ॥ ततः चतुथः प्रस्तावः श्रनित्य।एचिदुःखेषु गाढं भिन्नेषु लोवतः । विपरौता afaey या खाविद्या प्रकौतिंता ॥ एतेषामेव vant सवधां यः प्रवतंकः | एतेरेव च यो जन्यो महामोहः स गोचते ॥ तदेवं भिन्लरूपाणि तानि सर्वाणि सुन्दरि | महानद्ादिवद्छनि चिम्तनौोयानि यत्नतः ॥ प्राहाग्छहोतसदूता चाड चार्‌ निवेदितम्‌ | सत्थं प्रन्नाविश्राछ्लासि नासि मे संशरयोऽधुना ॥ तत्तिष्ठ त्व fanrerfa साग्मतं विगतः अमः | मिवेदयतु शंसारिजौव एव ततः परम्‌ ॥ नरवारनराजाय यदिवचणद्रिणण | निवेदितं प्रकर्षाय विमर्शेन च धौमता॥ संशारिजोवेन sim विमलखोचने | निवेदयाम्यहं तत्ते विमर्भेन धटौरितम्‌ ॥ ततः प्रोक्रं विमर्शेन भद्र श्रातो afe लया | महानद्या दिभावायंस्ततोऽन्यत्किं निवेद्यताम्‌ ॥ wae: ATE मे माम नामतो गु एतोऽधुना | महामोहमरेष््रस्य परिवारं निवेदय ॥ या चेयं दृश्यते शला राविष्टरख्िता | एषा किनाभिका wer किगणा वा वराङ्गना ॥ fam: प्राह नन्वेषा प्रसिद्धा गुफगङरा | भो महामूढता नाम arate एथिवौपतेः ॥ ४२५ ४ द्‌ खउप्मितिभवप्रपश्चा कथया | चद्धरिकेव निश्ानाये प्रभे दिवाकरे | एषा देवौ गरेश्धेऽभिम्‌ देाभेदेष वतेते ॥ श्रत एव गृणा Mow afeat भद्र गषतेः | Hara एव निः ग्रेषाश्छचयासुग्या fava: ॥ WHE: प्राइ wea ततोऽतिनिकटे सवितः | ACTA BUI: GATT: ॥ fadearet facia राजकं वक्रचुषा । थ एष Ewa Vics कतमो माम wafer: + विम: प्राह विद्याते राच्शवंस्नायकः | मिथ्यादग्रेननामाषं महामोहमङलमः ॥ अनेन तग्वितं Trey ARS ACT: | ACITITHYUAAN NAT WYATT ॥ aaa संस्थितो wx निनवोधंण देहिनाम्‌ | यदेष afecyrat ged तन्निबोध मे ॥ अदेव देवसद्धश्पमधमं धमेमानिताम्‌ | saa aagte च विधत्ते सुषरिच्छटम्‌ ॥ HUTA पाज्रतारोपमदुरेषु शच रणम्‌ | संसारडेतो निर्वारहेतुभावं करोत्ययम्‌ ॥ तथाहि | हसितोङ्गोत विष्बोकनाख्ा टोपपरायण्णः | इताः कटा कविचपेर्नारोरि हाधधारिएः ॥ कामान्धाः परदारेषु सक्षचित्ता BAVA: | चतुर्थः प्रस्तावः | ५३७ सक्रोधाः सायुधा घोरा वेरिमारणतत्पराः ॥ ¶्ापप्रसादयोगेम wate + + + + +) tem भो महादेवा लोकेऽनेन प्रतिष्ठिता. ॥ ये वोतरागाः sage ये शाश्चतसुखेश्वराः | क्ििष्टकमेकलातौता निष्कलाख महाधियः ॥ श्ान्तक्रोधा गतारटोपा हास्यस््ोहेतिवजिताः | ्रकागश्रनिर्मला धोरा भगवन्तः षदाशिवाः ॥ श्रापप्रसादनिसुक्रास्तथापि गिवरतवः | fagfe श्द्धग्रास्लायंदेश्काः परमेश्वराः ॥ ये पश्याः स्वंदेवानां ये ध्येयाः सर्वयोगिनाम्‌ | ये wearer निदन्दफलदायिनः ॥ ++ +++ ++ न लोकऽमेम GT: | देवाः प्रश्छादिता भद्र म arama fanaa: ॥ तया | | हिर ष्छदानं गोदानं धरादामं FEET: | साम पानं च भूम पञ्चायितपनं तथा ॥ wae चण्डिकादोनां तोर्यान्तर निपातनम्‌ | यतेरेक्टडे पिष्डो गौोतवाशे मशादरः ॥ वा पौकूपतडागादिकारणं च विशेषतः | यागे मग््रप्रयोगेण मारणं परूसंहतेः ॥ कियग्नो वा भणिच्यन्ते श्तमदंनदेतवः | रहिता इएद्धभावेन ये wat: कचिदौदशाः ॥ 68 Las उपमितिभवप्रपन्चा wut सर्वेऽपि afeeraa मुग्धलोक प्रपच्चतः । ते भिश्याद्ेनाहम भद्र जेयाः प्रवर्तिताः # चान्तिमा वसन्तोषशौ चाजेव विसुक्यः | तपःसंयमसन्यानि Na wat दमः ।॥ APRA दयसद्यानवेराग्यग्‌ रभक्रयः | श्रप्रमाद सदे काय्यनेयेन्थ्यपरतादयः ॥ ये चान्ये चित्तरेर्मच्यकारिएोऽष्टतसभ्निभाः | सद्धमां जगदानन्दहेतवो भवसेतवः ॥ तेषामेष प्रत्येव मरामोरमदन्तमः | wane ata मिष्यादशेगभामकः ॥ तया | श्लामाकतष्डलाकारस्तया पञ्चधनुःतः। एको नित्यस्तया व्यापौ aaa जगतो fay: । चउएसम्नामसूपो वा ललाटस्थो इदिख्थितः | आत्मेति NAAT वा शुन्यं वा सचराचरम्‌ ॥ पञ्चशत विवर्तो वा ब्रह्मोघ्ठमिति वाखिषम्‌ । देवोप्रमिति वा ज्ञेयं महेश्वर विनिभिंतम्‌ ॥ प्रमाणएषाधितं ad यदेवं विधमश्नसा । सद्वुद्धि कुरूते तच महामोहमहन्तमः ॥ जौवजोवौ तथा पुश्छपापाश्वरमिजराः | आसवो बन्धमोको च तच्चमेतश्नवात्मकम्‌ ॥ aaj प्रतौतितः fag प्रमाणेन प्रतिषठितम्‌। चतुः प्रस्तावः ५३€ तथापि fad भद्र तदेष जनदारूणः ॥ तथा । afeat शशमावाच्यमदका waerfaz: | अषत्यमन्धाः पापिष्ठाः सङ्हो पगे रताः तथान्ये पचने नित्यमासक्ाः पाचनेऽपि च। मद्यपाः परदारादिसेविनो मागेदूषकाः ॥ तन्नायोगोखकाकारास्तयापि यतिषूपिफः | ये तेषु कुरुते भद्र पाचबुद्धिमयं जने ॥ GAULT MAT CIARA वेपरायण्णाः | Tecra धौरा जङ्गमाः Hea: ॥ संसारसागरोश्नारकारिणे दानदायिमाम्‌ | afemagatfecgen ये पारगामिमः॥ तेषु fadefeag पुरुषेषु अडात्मनाम्‌ । एषोऽपाचधियं WH महामरोमरन्तमः ॥ तथा | कौतुकं कुहकं मन्तमिन्रनालं रसकियाम्‌ | निर्विषौकरणं तन्वमनतर्धानं सविस्मयम्‌ ॥ चत्यातमान्तरिचं च दिव्यमाङ्ग खरं तया | श्ण व्यञ्जनं भो मं निमित्त स waa ॥ खच्ाटन सविदेषमायुरवंदं सजातकम्‌ | च्योतिषं गणितं शूष योगलेपास्लयाविधाः ॥ ये चान्ये विस्मयकरा विगेषाः wanes: । ५8० उपमिविभवप्रपश्च्‌ा कथा| अन्ये उ्तोपमदेस्य हेतवः श्रा खकेतवः ॥ तानेव ये विजानन्ति निःशरङ्धाख प्रयुश्चते । म॒ धमंवाधां मन्यन्ते Wat: पापपरायणः ॥ त एव gfe Woe wad ममल्जिमः | त एव MUP शाभभा जिनस्ते मुनौ खराः ॥ saa निजवोर्येण वदिर क्गजनेऽसुना | भिश्यादश्रनषश्चेन भद्र पापाः प्रकाशिताः ॥ ये पुनमन््तन्ादिवेदिनोऽप्यतिरिःस्शाः । fagat लो कथाबाया धर्मातिक्रमभौरवः ॥ मूकान्धाः परटन्तान्ते खगुणणभ्वासने रताः | samt निजरेडहेऽपि किं पुनद्रेविणादिके ॥ कोपाहंकारशोभा्दरतः परिवजिताः | तिष्टन्ति शान्तश्यापारा निरपेखास्तपोधनाः ॥ a दिश्यादिकमाख्याग्ति geantfe म gad | मन्त्रादोन्नातुतिष्ट्ति निमित्त म प्रयच्छते ॥ लोकोपचार fad परित्यञ्य थथापुखम्‌ | स्ाध्यायध्यानयोगेषु Kwa: Was ॥ ते निर्गुण श्रशलोकश्चा विमूढा भोगवजिंताः | अपमानहता दोना WAAAY कुक्कुटाः ॥ इत्येवं निंजवीर्येण बहिर ङ्ग जगेऽसुना | ते मिथ्यादश्ेनाङन स्थापिता भद्र ara: तया | चतुथः प्रस्तावः ५७१ SAGA च कन्यानां जननं युचसंहतेः | निपातनं 4 शर्ण कुदुम्नपरि पालनम्‌ it यदटैवमादिकं कमं घोरसंषारकारणम्‌ | aga इति संस्थाप्य दशितं भवतारणम्‌ ॥ यः पुनरज्लानचारिचद गेनाच्छो विभुक्रये | ar: सर्वोऽपि सोऽनेम लोपितो लोकमैरिणा ॥ ततख् भद्र यत्तुभ्यं समासेन मयोदितम्‌ | TG महन्तमष्यास्य HATTA YT यथा ॥ अरैवे देवसङ्न्पमधमें धमेमानिताम्‌ | अत्वे तत्चवुद्धिं च करोत्येष जडात्मनाम्‌ ॥ अपाने पाबतारोपमशुणेषु रुण्रहम्‌ | संसार रेतौ निर्वाण्षेतुभावं करोत्ययम्‌ | तदिदं Gua: aa प्रविश्य निवेदितम्‌ | विस्तरे पुनर्वयं कोऽस्य वणंयितु wa: ॥ sue faa feud मन्यते भद्र सवदा | मदोद्धतः प्रत्येव AACE: ॥ मिरिक्तभर एवायं राञ्यसवेखनायकः | AMMAR शतः saw वस्तुनि ॥ एवं च faa s विश्र्भार्पितरिन्ताय मयास्मै feagea: | अन्यव्यापार शुन्येग करव्यं नतु सवदा ॥ ततख | a ४९२ उपसितिभवप्रपश्चा कथा| मण्डपं चिन्तविकेपं aural च वेदिकां | गाढं समारयत्येष विपर्यास च विष्टरम्‌ ti समारितानि सानेन यदेतानि afer | कुवन्ति ace वद्धि समाकणेयं साग्मतम्‌ ti यदु ऋत्तयदरग्रससन्निभो भद्र सवदा | जनो दोलायतेऽव्यथं धमेबृद्या वराककः | RUZ | करोति भैरवे पातं थाति ast महापथम्‌ | श्रतेन वियते ara कुर्वाणो जलगाहनम्‌ ॥ पञ्चाग्नितपमे रक्रो sea तौव्रवद्किना | गव्राश्चत्थादिवन्दारूरास्फोट यति मस्तकम्‌ |! कुमारोग्राह्मण दौनामतिदानेन निधनः | सहते Geer AE: पूतमलः किल ॥ परित्यज्य धमं AE quai च दुःखितः। अटाखते विदेशेषु तौोयेया ाभिलाषुकः fueaquaray दे वाराधनकाभ्यया | निपातयति श्धतानि विधत्ते च धनव्ययम्‌ ॥ मां तेमेयेनेः खादयर्भक्रि मिभरमानसः | तक्नायोगोलकाकारं ATMA अनम्‌ ॥ we विवेकिशखोकस्य wager विनारितः | इत्येवमादिकं धम करोत्येष एयग्‌जने ॥ न लच्यति शून्यात्मा तमद सुदाद्णम्‌ | -- " र ee ee चतुथः प्रस्तावः नात्मनो दुःखशदयतं हास्यं नापि धनव्ययम्‌ ॥ रागदेषादिजातष्य eure विष्एद्धये | एवं च घटते शोकस्तत्वमार्गाद हिष्कृतः ॥ धर्मोपायमजानानः कुरते जौवमदंनम्‌ | प्राप्नोति करभं नेव रासभं दामयश्ययम्‌ ॥ fae भखौरृता ast दग्धं पेयं तवेत्धदो | धनशुह्‌ालितं धू्तेजनस्त॒ इदि भावितः ॥ न ख सग््ागेवक्रारः पूत्कुवेग्तोऽप्यनेकधा । लो केनामेन wen प्रोष्य च Asa: ॥ तदिदं भद्र भिःगेषं मिश्यादशेनरुज्चिना | अमुना सक्तस्यास्य मण्डपस्य विज॒म्मितम्‌ ॥ यत्पुगरियमाणोऽपि लोकोऽयं नेव gata । भद्र कामा्यंलाग्पव्य' नानाकारं ae: ॥ कचम्‌ | VY करोत्येष मन्दा दुण्डप्रवेशनम्‌ | TE. सङ्गमनायं च दरत्यात्मानमग्निना ॥ खर्गायं भ्तिकामेन पुजसख्रजनकाम्यया | afaerafe यागांख कुरूतेऽन्यच्च aren ॥ दानं ददाति चाशास्ते waren मे । आशास्ते aufaqn न फलं मोच्श्णम्‌ ॥ यत्कि चित्कूरुते कमे तन्िदामेन दूषितम्‌ । अर्थकामप्रदं मेऽदः परलोके भविव्यति ॥ use ४88 उपरमितिभवप्रपश्चा कया | age सकलस्सेयं मिथ्याद शेगसंच्कता | टृन्तान्तस्येड SUT वेदिका VX कारणम्‌ ॥ यत्पुनभद्र लोकोऽयं fees इव मानवः | fad wee विपरौतः पलायते ॥ RU | देवं विगते az: way सवेद शिनम्‌ | बेदाः प्रमाणमित्येवं भाषते निषूप्रमाणएकम्‌ | धर्मेच दूषयत्येष जडोऽहिंसादिल्वणम्‌ | प्रख्यापयति न्नेन यागं पद्रनिबदेणम्‌ ॥ जोवादि तत्व मो हेनापड्कुतेऽलोकपण्डितः | qerqafa wa वा पश्चश्तात्मकादि वा ॥ ज्ञानादिनिमेलं पाज निन्दत्येष जडात्मकः | सर्वारम्भप्रटत्तेभ्यो दानसुचेः प्रयच्छति ॥ तपः मा निरौरलममून्‌ दोषां च मन्यते | श्राद्यमुत्का पिश्राचत्वं विद्धं मनुते रणान्‌ ॥ wea श्नानादिकं मागे मन्यते धतंक रितम्‌ | कौलमागादिकं मूढो मनुते गिवकारणम्‌ ॥ aqua wa विगरेषेण ग्टहाभ्रमम्‌ | निःपेषदन्द विच्छंदां wea यतिष्पताम्‌ ॥ agama रूपेण मिथ्यादगेनसंस्कतम्‌ | wa भो विलसत्येतदिपर्यासाख्यविष्टरम्‌ ॥ अन्यच्चाखेव सामर्थ्याक्तोकाध्वान्तवश्रंगताः | ` -चतुर्थः ger) ` यदन्धदपि gif ug तन्ते मिवेदये ॥ जराजो एंकपोणा ये हाख्यपरायाख्च योषिताम्‌ | वलो पलितखा लित्य पिङ्गा दि दूषिताः ॥ तेऽपि sam जरसा विकाररसनिर्भराः | कथयनधात्ममो Ta गाढमित्रकाशिकम्‌ ॥ ` अनेकट्रव्ययोगेख काष्यीसन्पन्तये किण | तमसेव सादन रञ्जयन्ति शिरोरुहान्‌ | जनयन्ति ant देहे नानारैसुंङमुडः | तथा कपोशभेथिष्ं यन्नतन्कादयन्ति ते ॥ भ्रमन्ति विकटं मूढास्तरणा इव alee | वयःसम्भनिमिन्न च weal रसायनम्‌ ॥ खच्छायां दपणे विम्बं facta जेषु च । fare creer frat रेहमण्डनतत्पराः | श्राहतास्तात तातेति शलनामिस्तथापि ar: | पितामडइसमाः सन्तः कामयके विमूढकाः ॥ सवख प्ररणाकाराः सम्तोऽपि नितरां पुमः | कुन्तो इस्यविष्बोकान्‌ गाढं गच्छन्ति शास्वताम्‌ ॥ ATM INT येषामेषा विडम्बना | ते भद्र खति ताडे AEM षणु जन्तवः # सेश्राग्छज्ञेदजान्बालपूरिते ते Rear | आ्राखक्रचिन्ाः खिद्यन्ते arene वराककाः ॥ TAMAR SAM मानुष्यकं भवम्‌ | 69 ey ued उपमितिभवप्पञ्चा कथा | ट्या कुवन्ति fargfar धमेसाधनवभिताः ॥ ्रायतिं भ निरोचन्ते Sead ग जामते | ्राहारनिद्राकामान्तांस्तिष्ठन्ति पश्दसन्निभाः ॥ ततस्तेषामपारेऽ् पतितानां भवोदधौ | जिनेष्टशिष्टचेष्टानां पुनर्न्तरणं कुतः ॥ तदनेनापि खपेण मिथ्या दशेनसंस््तम्‌ | ददे fayait भद्र विपर्याखास्यमा समम्‌ ॥ अन्यच्च । | प्रश्रमामन्दरूपेषु सारेषु निमादिषु | वशेनाश्य HART दुःखवु द्धिजंड। तनाम्‌ ॥ गत्वरेषु GURY दुःखरूपेषु दे हिनाम्‌ । भोगेषु खमुद्धिः स्यादा षबख्यास्व तेजसा ॥ AVA YAMA: प्रधानोऽच AUT: | बदडिरङ्गजनस्योचैः सर्वान विधायकः ॥ मया ug समासेन मिगष्यादशेननामकः। महामोइनरेग्रस्य कथितस्ते महत्तमः | ततः प्रकर्षो दृष्टात्मा श्रता माहुखभाषितम्‌ | छत्चिष्य दिं पाणिं तं प्रतौदमभाषत॥ चार्‌ चार्‌ Ba माम यदेष ayaa | या लेषार्धासनेऽसैव खा fare वराङ्गना ॥ विभर्शोऽवदरेषापि समानफलसाशसा | sea भायां विज्ञेया कुदृष्टिनांम विश्रुता o ma: प्रस्तावः | ये दुष्यन्ते faarrer विर क्रजनमे सदा । भद्र पाषण्डिनः केचिन्तवाभेषेव कारणम्‌ ॥ ते चामौ Ta वश्ेमाना मया स्फुटम्‌ 1 भ्या देवा दिभेदेन fafirare परस्परम्‌ ॥ तद्यथा | | | शाक्धा स्वेदण्डिकाः Sat: गौ तमाखरकासथा | शामानिकाः खामपरा वेदधर्माख धामिंकाः 1 आजौ विकाख्तथा श्रद्धा विदुदन्ताख Faun: | मेश्रा्चारिका धूमा TITY WA: ^ SEAT: VIA: कौलाः काणादाखमखष्डिकाः | खयो गिनखयोशूका गोदेहा यज्चतापसाः ॥ ` STATA YT कन्दच्छेदा दिगम्बराः | कामदंकाः काखमुखाः wheadurfacrfiranr: # कापालिकाः क्ियावादा गोत्रता ग्टगचारिशः। लोकायताः waar: सिद्धवादाः Hwa: ॥ | तापसा गिरिरोष्ाख् weat राजपिष्डकाः | संसारमोचकाखान्ये सर्वावस्वास्तया परे ॥ श्रभ्ागवादिनो Ware पाण्ड्रभिष्वः । ` HAAR GTA शरोररिपवस्तथा ॥ उक्दाञ्क्रवालाश्च Wat इस्तितापसाः | चिन्नदेवा बिलावासास्तथा भेथुनचारिणः ॥ अम्बरा शअरसिधाराखं तया माडरपुचकाः। उपमितिभवप्पच्ा कथा | चष्रोद़ मिकाखान्ये तयेवोदकब्धभ्तिकाः ॥ एकेकसख्वाखिका मखाः TEVA गजध्वजा; | SAAT माचादिभक्राः कष्टकमदंकाः ॥ कियन्तो वाज. गद्यन्ते नानाभिप्रायसंखिताः | पाषण्डिनो भवन्धेते भो मानाविधनामकाः ॥ देवेवाढेस्तथा ae: कच्येमाविद्द्धिभिः | इत्तिभिख wat भिमनरूपाः परस्परम्‌ ॥ तथा fe! इद्रश्चन्मागेकनुङ्ोपेनद विनायकाः | निनङ्खतवश्रादेतेरिष्टादेवाः weg wag ॥ ईश्वरो निथतिः कमे खभावः are एव ar जगत्कतंति वादोऽयं सवषां भिजरूपकः | जिदण्डङ्ुष्डिकाञ्चण्डवस्कचौ वरभेदतः। वेषः Wat मिन्नः Ge एवोपखच्छयते ॥ करूपोऽपि भच्छाभच्छा दिलश्षणः धिया किल | अन्योन्यं भिन्न एवेषां तौर्धिनां भद्र वर्तते ॥ विध्यातदोपरूपाभः सुखदुःखविवर्जितः | एषां wafer भद्र atet भिन्नः परस्परम्‌ ॥ निजाङ्कूतवग्रेव विषद्धिरपि TR: | अमो भिभेद्र सत्वानां भिन्नरूपा निवेदिता ॥ कन्दमूलफला हाराः केचिद्धान्या्चिगोऽपरे | इन्तितोऽपि विमिद्यन्ते aaa भद्र तौर्थिंकाः # चतुधैः प्रस्तावः | wee: wa च fea. रमो वराकाः सर्वेऽपि डोलायनते भवोदधौ । ` असाः ुदष्टवोधिण शएद्धधरमवरिष्कताः ॥ तत््वमागं जानन्तो विवदने परस्परम्‌ | Woe गेव सुञ्चनि रव्यभ्ति हितभावषिखे ॥ तदेषा भुवनख्याता faerie | कुङ्‌ टिविंजसत्येव बहिरङ्गजनाहिता ॥ wey विष्टरे ay भिविष्टः प्रविशोक्धते | प्रिद एव axe स नुनं रागकेसरौ ॥ एनं राच्ये निधावोचचेमंशामोहनराभिपः | गतचिन्षाभरो नूनं Barat व्तेतेऽधुमा ॥ केवलं दभ्सराज्धेऽपि महामोहनरे श्वरे | सविशेषं करोत्येष विनयं गयपण्डितः ॥ महामोहनरेनद्रोऽपि स्वेषामग्रतः स्फुटम्‌ । wea मोः सुषु जस्य प्रभुलं स्यापयत्थलम्‌ ॥ तदेवं खहसवद्धो पितापुजौ परस्परम्‌ | एतामेव वशौोकत wat भद्र जगचयम्‌ ॥ यावद्विप्रतपल्येष भरेच Tame | बहिर ङ्गजने maine: सुखसक्गमः | यतोऽयं भद्र संसारसागरोदरवर्तिषु | बददिखेकि पटार्थेषु प्रौ तिशुत्पादयत्यशम्‌ | सक्तिष्टपुष्णन्येषु dary wer: | ue उपमितिभवप्पच्चा क्था | स्त शजनकेष्येव सबभ्राति TIAMAT ॥ अन्य भद्र WH यदस्य पुरुषजयम्‌ | रक्रवणेमतिदखिग्धरेहं च प्रविभाव्यते ॥ एते fe मिजवोर्यंए शरौराद विभेदिनः | अनेन विहिता भद्र जयोऽप्यात्मवथस्छकाः ॥ अतच्वाभिनिवेश्ाख्यः प्रयमोऽवं भरोन्तमः | बृष्टिराग इति site: स एवापरदरिभिः ॥ अयं fe भद्र तोर््थानामाक्रौयात्मोयदभने | करोति चेतसोऽग्यन्तमाबन्धमनिवतेकम्‌ ॥ ` डितौयो भवपाताख्यः Geet भद्र गोयते | अयसेवापरैः ATH: Betray इतौरितः ॥ अयं तु कुरते द्रव्यपुजस्जमसन्ततो । मूषा तिरेकतो भद्र रेतसो गाढबन्धनम्‌ ॥ अभिव्वङ्गामिधामोऽयं तोयः पुरषः किं । mat विषयरागाख्यः स एव भुनिपुङ्गवेः ॥ श्रयं त्‌ भद्र शोके ऽन MAAC | शरष्डा दिविषवग्रामे लौखसुत्पादयत्यश्नम्‌ ॥ गरजयस्य Wags भद्र जगश्नयम्‌ | आक्रान्तमेव मन्येऽहं TARTS पुनः ॥ सम्धागेमन्मातङ्गदु नि्दनखमः | खवोर्याक्रान्तमुवनः Vaiss रागकेखरो ॥ था लेषा gaa भद्र भिवि्टाख्धेव विष्टरे : UTA TTA: | ५५९ aq भायां सा Her मूढता लोकविश्चता ॥ ये केचिदस्य विद्यन्ते गुण भद्र मरौीपतेः। त्यां सवे सुभायांयां विज्ञेयाः सुप्रतिष्ठिताः a यतः शरोरमिरिक्षां पावंतीमिव श्रः | एनामेष Set राजा धारयत्येव मूढताम्‌ ॥ ततस | . Raarana नित्यं यथा Seauraat: | अविभक्ता विवतेन्ते णा अपि परस्यरम्‌ ॥ Uae वामके we निविष्टोऽख्येव पतेः । भद्र anise प्रतीतः प्राय शस्तव ॥ Baha च महामोहनरेष्स्य सुतोन्तमे | चित्तं विश्राकभेवो शेगैणाः कष्याणकारकाः ॥ ` यतः । अन्ना ITA रागकेसरिणोऽधुना । वौर्थणाभ्यधिको शोके गरेष््रो भद्र वर्तते # तथा fe! न भयं यान्ति yea रागकेखरिणा जनाः | दृष्टा देषगजेष्र तु जायने भोत्वकन्पिताः ॥ यावदेष महावौवेखिन्ताटव्यां fara | afecya® तावत्कोतस्यः प्रौतिखक्गमः ॥ येऽव्यन्तसुटो शोकाः सदमिभेरमामसाः | तेषामेष awa चित्त विश्चेषकारकः WAR उपमितिमवप्रपल्चा कया | fenafrauieat waa यदा यदा | तदा तदा HAA जनास्तेऽत्धम्तदुःखिताः ॥ GTS पुनर्यान्ति मरके तोत्रबेदने । आरबङ्कमस्छरा वेर प्रविधाय परस्यरम्‌ ॥ . भद्र देवगजेष्धोऽथं अयाथां माज संशयः | यस्य गन्धेन weg विवेका: कशभा इव ॥ था ae भार्यां aarat ओोकेनेव भिषेदिता | अत एव न wae gaa सा विबेकिता ॥ | प्रकर्षः प्राह यस्छेष भिविष्टसतङ्ग विष्टर । नर जयपरोवारः एष्ठतोऽस्येव शपतेः ॥ रक्रवर्णीऽतिलोशाचो वि्ासोल्लासतत्परः | प्रष्ठापौडितदवणौरः सचापः पञ्चबाणकः ॥ अमहमर छङ्धारहारिगौतविनोदितः | विशदौ मिशावश्छव्छेया वरयो षिता ॥ अश्या एव ततुशधेषवक्कषुम्बगलालसः | कमन्भेयाङृतिः सोऽय कतमो माम wate: ॥ विम प्राह नन्वेष महाख्येविधायकः | SLATER MR प्रचिङ्को मकरष्वजः 1 ययेषोऽहुतकतैव्यो भवता नावधारितः । न्‌ किंचिदपि fama भद्राद्यापि acer ॥ यो भद्र शरूयते Se wast पितामहः | सोऽनेन कारितो गौरौ विवाहे बाखविद्चवम्‌ ॥ चतुरैः प्रस्तावः | स एव चाष्परोनृत्तरूपविकिक्तमामखः। अनेनेव शृतो भद्र पश्चवक्कधरः किख ॥ यो Ste जगतो zara} श्रयते किख केशवः | अनेन कारितः सोऽपि गोपौनां पादवन्दनम्‌ ॥ अन्यश्च भद्र सोऽनेन सुप्रसिद्धो Ayer: | दापितोऽधे wives गौर्ये विरहकातरः ॥ sufaaeefay: स एव सुरकानने | तद्धा्याोभणे रक्रस्तथानेम faarfea: ॥ sary सुरते wut घ एवानेन धारितः। fea वषेसडखं भो रतस्य दति गोयते ॥ श्न्येऽपि बहवो खोक gaat देवदानवाः | artery war: wf भद्रानेमात्म किङ्राः ॥ ` aise खष्ठथितु शको गुनमाशन्ञां जमन्तये । WHA महावोये यस्येदं पुरुषभ्रयम्‌ ॥ अयं fe प्रथमो ax पुरुषोऽनघपौरुषः | arar विज्नाततदौर्यैः gaz इति Tae ॥ अमुख्य तात ade बहिरङ्गा मतुखकाः | पारदा Waa जायन्ते कुलदू षणः ॥ faata: पुरषो Wa स्लौवेद इति खरिमिः। व्ावक्ितो महातेजा वयाशुकषञुवनोदरः || ` SQ ural पुनस्तात योषितो fanaa: | विखंष्य genaict Taya पर पूडषे ॥ 70 ४४ ४५६९ उपमितिभमदप्रपद्चा कथया | wave: पुरुषो भद्र wets इति सृतः येन दन्दश्यते शोको बदिरङ्गः SA ॥ आशप्यालमिदं तावदस्य वौ यविचेहितम्‌ । ` अभिवेद्य अने येन विदुष्यन्ते नपुंसकाः ॥ एतश्जरजवं भद्र पुर श्छत्थ प्रवतते | अविन्नातबखोऽन्येवां मनमेव owe या AUT पश्मप्ा्ो रूपलौन्दयंमन्दिरम्‌ | अस्येव वल्लभा areal रतिरेषामिधौयते ॥ येऽनेन निजिता शोका मरवौोथेषुरःखरम्‌ | तेषामेषा neta सुखबुदधिविधायिका ॥ तथाहि | wer aq भो शोका दुःखिताः ware: | तथापि तेऽदो मन्यन्ते मकरष्वजनिजिंतःः ॥ यदुत | अह्कादजनमकोऽस्मग् डितोऽथं भकरष्वजः | प्रतिकूला qudse ङु तस्तेषां इखोद्धवः ॥ ततो Tarra भद्र ते वश्नोङतमानसाः। भाता fafternta मकरष्वलकिङ्राः ॥ तदादेशेन छु्वंन्ति ween विवेकिनाम्‌ | आत्मनः सततं मूढा नानारूपं विडम्बनम्‌ ॥ कथम्‌ । रचयनधातद्मनो वेषं यो वितां facet | चतुथः प्रस्तावः | ४४५ चरन्ति च मोदेन देहे गषएविश्वमम्‌ ॥ auf कामिनौलोलखोचनाधंविशो किताः t वदन्ति दये प्रतिं तदालापेममोरमेः ॥ आरमन्ति fanz: पादेरन्नामितथिरोधराः। रामाकटाच्विचिक्नाः सुभगा इति गविताः ॥ Bvzigfeartg तञिन्ारेपखम्पयटाः | fraizatin मोहान्धा रक्षकान्‌ कारणं विना ॥ इतस्ततः प्रधावन्ति दशयन्ति पराक्रमम्‌ | ताषां मनोतुङ्कलं हि ते किं किं यश gat ॥ शुवेन्ति चादुकर्माणि भाषन्ते किङ्करा इव , पतन्ति पादयथोस्तासां जायन्ते कमेकारकाः ॥ awa योषितां wena ते । मन्यमाना fae fea मोहतस्तदनु्दम्‌ ॥ weary मद्गष्ट्षं योषावक्कसम पितम्‌ | Guitars च मन्यम ख्गादभ्यधिकं सुखम्‌ ॥ खे भरा वोयेशयिष्टा ललनाभिः खलोलयथा | भकपेशेव Hey तेऽशएचेरपि मदनम्‌ ॥ AGFA ey सुरतेषु ग ati: gam face तासां faa शोकविङलाः ॥ अवधूता शिष्यो दष्टन्ति च afeegat: | पररक्खनारौभिः पात्यन्ते दुःखसागरे ॥ tea च वितुदन्ते खभार्यारश्णोद्ताः। ५५६ उपमितिभवप्रपश्चा कथा| एता विडम्बना भद्र ATTY ते भवे ध. परलोके पुनर्याम्मि चोरे संसारनोरधौ | ये जाता रतिवौर्थंण मकरष्वजकिङ्राः ॥ बदवखेदुशाः प्रायो बद्दिरक्गा HABA: | ये aw श्राखभातोता विरलास्त मनो षिषः ॥ तदयं यख्य yet सेश्नोदेग्रारषौ मथा । परिवारयुतो भद्र वितो मकरध्वजः ॥ प्रकषैः प्राह Aras Geet विदित था । यमन्धमपि एष्छामि सन्देहं तं निवेदय ॥ मकरष्वनपाश्वंखं यदिदं प्रविभाय्ते | किंनाम faigd चेद माम माशुषपश्चकम्‌ ॥ fast प्राह यस्तावदेष Wat ATA: | स हास इति fawat विषमोऽत्वनादुष्करः # अयं fe qua भद्र निजवोंश aaa. बहिरङ्गं विना कायें सन्नब्दशुष्यकोटरम्‌ ॥ fafafafrnarare fafanfacee षा । @ गोयं द्‌ गरेत्युशर्थेवामेष महाभटः ॥ महाकरकरध्वानेरेषन्तः शिष्ट जिष्डदिताः | निर्वादितसुष्डस्तुच्छासते अने धान्ति waa ॥ आआग्रङ्कावाः ve ata जायन्ते निर्भिंमिन्तकम्‌ । नयन्ति परे at कभन्ते वक्र विश्रमम्‌ ॥ मचिकामश्रकादौनायसुप्ातं च देहिनाम्‌ । चतुधैः प्रावः | ४१७ srecfan विना ara परेषां च पराभवम्‌ ॥ तदिदं भद्र निःगरषमिह ate विजम्भते । इहासोऽयं परणोकेऽसखात्कमंवन्धः सुदारुणः ॥ TQS तुच्छता माम सह्वार्या हितकारिणौ देस्छास्येव afer at भो गम्भोरचेतसः ॥ waguraaga निभिन्तेन विना षदा । हासं घा AST Te WAG यथेच्छया ॥ यतो गश्भोरचिन्ानां भिमित्ते सुमहत्यपि | सुखे विकाड्माषं are we बङदोषशम्‌ ॥ था वेषा हष्दसर्वाङ्ो गाढं बौभ्छद शना | Tut अशना सेयमरतिर्माम विश्रुता ॥ किंरित्कारणमासाद्य बदिरङ्गजने षदा । करोत्येष मनोदुःखं जग्भमाएातिदुःखम्‌ ॥ TAI दृष्यते AT कभ्यमानश्ररोरकः। पुरवः. स भयो भाम प्रशिद्धो गाढदुःसहः ॥ fawaay aweqaaet किण ate | बदिरङ्गजनारुधेः कुरते कातराननाम्‌ ॥ कथम्‌ । स्यम ड ALANS: कम्पन्ते WWI: | श्र्थादिषामि मन्वानाः पलायकोऽतिकातराः ॥ अकस्मादेव जायन्ते जसख्ालरज्जशो चनाः | जौ दिवामः कथं चेति दिग्मथा ef विडशाः i a be sufafanagaug ST | afcarat मरिष्याम tea भावनापराः | qaqa जोवितं fear जियन्त सत्ववजिताः ॥ अने च मा भ्रदस्चाचेत्येवं भावेन fase: | मोचितान्यपि इुवेग्ति कर्माणि पुरुषाधमाः ॥ q एष निकरस्धायिसत्रमामुषसन्पदा | fagara wat भद्र बडिरङ्गजने सदा ॥ fa a) USS रणे टैन्यमरोणणं पादवन्दमम्‌ | अस्तार शेन निलंव्नास्ते ङुवेन्ति नराधमाः ॥ तदेवं भद्र शोकेऽच ये भयस्य वशं गताः | विनाटिताः ware यान्ति भौमे भवोदधौ ॥ अस्यापि च acer भार्यास्ति पतिवद्छला | संवर्धिका दुदु्बस्य प्रोच्यते etree ॥ at Gaeaat रेहाद्भार्यामेष म सुश्चति । qa हि जियते भग्र भयोऽय THAT ॥ ag प्रद्यभिलानोषे किमेन तु न Taya | लं तच ant win यमं Tale स्फुटम्‌ ॥ अनेनैव तदा वार्तां समस्तापि निवेदिता | सोऽयं घमागतस्दणे शोको भद्र पुनर्बले ॥ savy कारणं fafecd शोके shea | चा विभ्रतः करोत्येव रेन्याकन्दनरो दनम्‌ ॥ cefaqar ये कोका निमप्राञ्च महापदि । चतुथं प्रस्तावः | श्रणिषटैः संप्रयुक्ता तस्य स्थे शरवर्तिनः ॥ न weafty ते मूढा यथेव frqeqa: | SATIN मुञ्चन्ति ्राराटैः केवशं जडाः ॥ एष शोकः किलास्माक दुःखजाखं करिव्यति | wa तु वर्धयत्येव तेषां दुःखं निषेवितः ॥ म साधयन्ति ते ara घर्माह्ष्न्ति मानवाः | marta वियुज्यन्ते मूक्संमो खितेखणाः ॥ ताडनं भिरसोऽ्ययं wg कचसन्ततेः | Bei वशो wat asa गाढ विक्षवम्‌ ॥ AUTH र्वा पतन ख जलाशये | ददनं afient शेलगरिख्रादात्ममोचनम्‌ ॥ wae काखकूटारेः we णात्मनिपातनम्‌ । प्रापनसुग्धादं च Ae देन्यभाषणम्‌ ॥ RAM महाचोर शब्दा दिसुखवश्चनम्‌ | लभन्ते पुषा भद्र ये शोकवश्चवतिनः ॥ इत्यं रितरं दुःखं प्राभ्रुवन्तोह ते भवे। कमेबन्धं विधाथोचर्वागधसुज च दुगेतौ ॥ तदेष बहदिरङ्गानां दुःखदो भद्र देहिनाम्‌ | किंचिक्ेशेन शोकस्ते वरितः पुरतो मधा ॥ BAY च VATS AIM नाम TEV | विद्यते पिका ag शोकस्य zenfaar ॥ aie सवर्भिका wear at विना नेव Mata | ४५६ age डपमितिभवप्रपश्चा wet | अरत एव श्ररोरस्थां धारयत्येव सवेदा ॥ या त्वेषा इष्यते wur भोः संको चितमा सिका | नारी खा affix seu परिकौर्तिता # ca तु afecerat शोकानां मनसोऽधिकम्‌ | व्यो कभावमाधम्े तत्वद्शेनवजिनाम्‌ ॥ हमिजाशोख्वणएं 2y yafaa मलाविलम्‌ | ag qifudhrs ते fe दृष्टा nee ॥ agate शिरसः ar नासिकाधूुमनं जडाः । दूरतः प्रपलायन्ते मोखयन्ति च लोचने ॥ ङ ङं निति जण्यन्ति वक्रां कुवेज्ि कन्धराम्‌ | fanfer जौ वादेन weet: Was अखे ॥ गापिकां ङुद्चथनधृचर्िषटो व ्ति सुङसः | WAT THVT: HAT: शान्ति TA: पुमः ॥ कायामपि ख tei परेषां UAT । जायन्ते Wheater वेताला ca दुःखिताः ॥ चिक्लशूकावश्नादेव साखाद्‌ ऋत्तका श्रपि। केचिद्धदर प्रजायन्ते य अगखावशं गताः ॥ परलोके पुनर्या भ्ति तक्वद्‌ शेनवजिताः | तमोभिश्रतास्ते मूर्खां चोरससारचारके ॥ तदेवं afecgrat लोकानां बङद्‌ःखद्‌ | fafer विता भद्र अशुापि मयाधुना ॥ Wa: प्राह दृश्यन्ते यान्येतानि पुरो मथा। चतुचैः प्रस्तावः | VER निविष्टामि aterurgeprizg लोखथा ॥ गाढं दुद्‌ाम्तचेष्टानि चटुशानि विगरेषतः। आर क्रहष्ावर्णानि डिम्भरूपाणि षोडश a waft मामभिमांम रख सुपरिस्टम्‌ | अधुना व्छमानानि ओतुमिच्छाम्वह लया ॥ ` faas: are सवेवामेतेषां खरिभिः पुरा । सामान्यतः कषायाख्या भद्र शोके प्रकाशिताः ॥ विगरेषतः पुनभेद्र यान्येतानौह वौचसे । ` महन्तमानि दुष्टानि eater ॥ चत्वारि गभंरूपाणि रौद्राकाराणि भावतः 1 . तान्यननम्तानुबन्भोनि Taf किख संज्ञया ॥ अमूनि च प्रत्येव मिश्यादशमनामकः। अय AVN भद्र खाक्मण्डतानि पश्चति॥ aay afecgrat शोकानां निजवौयेतः। एतान्यपि प्रकुर्वन्ति मिथ्यादग्रेनभक्रताम्‌ ॥ यतः। यावदेतानि sant डिन्भरूपाफि लोलया रिन्तटत्तिमदहार्यां तावत्तं बाहामानुषाः ॥ अनन्यचिन्ताः सततमेममेव ACHAT | शो कवाक्यनिरार्काचाः सद्धा पयुपासते ॥ ` अत एवच। चित्तट्तिमहारयासुश्सत्छेषु ते जनाः । ` 71 ४६र्‌ उपमितिभवप्रपश्चा RUT | म AWAY भावेन प्रपञ्चन्ते कदाचन ॥ एवं शिते । ये दोष afear: पूवे मिष्या दशेनसखशयाः। ब हिजेनानां सवेषां तेषामेतानि कारणम्‌ ॥ एतेभ्यो श्घरूपाणि चानि चलारि सन्दर । शरप्र्याश्याननामानि तानि गौतानि पण्डितः ॥ एताजि निजो बहिरङ्ग मनुग्यकाम्‌। प्रवतेय्ति पापेषु acafa निवतमम्‌ ॥ किं बहना | | यावदेतानि aren चित्तद््तिमहारवौम्‌ । ` arg जिवतेन्ते भ ते फपापाद्णोरपि y awa प्रपद्येशज्नेतेषु विशसत्छपि । wan average विरतिं तु म gaa a ततस्सेऽसु ज dant निपतन्ति as च। विधाय पापषघात संखारग्डने अनाः ॥ ` यान्येतानि पुमभंद्र लघोयांसि ततोऽपि a परत्यास्ावारकाणोड बृधास्तानि wees ॥ श्रमूनि fae aera याददचेद मण्डपे | अदिरङ्गजनाः खे तावन्ञ्चक्यघं न मे ॥ किंचिक्माचं तु gee: पापं anger: fare नन्तटत्तिमहाटव्याजेतेषु frag भोः ॥ एतान्यपि BRIG तस्माख्न्तापकारणम्‌ | चतु्चैः प्रश्तावः। ` ude बदिजेनानां कल्याणे विर तिस्त्र कारणम्‌ ॥ ` एतेभ्योऽपि छवोयांसि यान्धेतानौह सुन्दर । वतन्ते गभरूपाणि चत्वारि तव गोकरुरे ॥ ` तानि सेष्वलनास्यानि गोतानि सुनिपुक्गवेः। ` लोलया चटुला गोत्यमु स्रसन्ति guys: ॥ एतानि ख्वंपापेभ्यो विरतानामपि Sena | दहोहसनिि कुवन्ति बाद्यानां चित्त विञ्जवम्‌ ॥ दूषयन्ति ततो wa: सवेपापनिबरेणम्‌ | ते afer जायन्ते वौयंणेषां बहिननाः ॥ ` न सुन्दरि सवेषां तदेतान्धपि देहिनाम्‌ । ` शधुरूपाणि gaan तात यद्यपि safer ॥ चलुष्टथामि शत्वारि तदेतानि fasten: | एतेषां नामभिभंद्र दण्ख कथितानि ते ॥ प्रयेकं चानि नामानि चं gery fanaa) ` एतेषां तत्पुगभेद्र को वा वशयितुं अमः ॥ तस्मात्ते कथयि्ामि fare: ङुजचिन्पुमः | प्रस्तावागतनेवेह वौ्येमेषां विभवतः ॥ अन्यच्च | एतेषां Miguel मध्येऽषटौ परया मुदा । यान्रेतानि WRT रागकेश्षरिशोऽयतः ॥ तान्यस्ाटेव जातानि रागकेसरिणः fee अत्यमवज्ञभान्यव्य मूढकनन्दनानि चद age उपमि तिमवप्रपश्चा श्या | यानि वेतानि चेष्टन्ते कोडया्टो सुञसुञ्ः। ` पुरे देषगजेन्दरष्य गभेखूपाणि सुन्दर ॥ अस्मादेव प्रसूतानि प्रियाणि gus: | माताविवे कितामौषां सवषां भद्र गोयते ॥ च fea Auta यानि पौचाणि खुन्दर | तत्पु्योरपत्धानि तात विख्यातवोौयंयोः & तेषाममोषां खोकेऽच . दौखाशिल्यविरा जितम्‌ । ` ara हस जि्ोऽपि को निवेदयितुं चमः ॥ पश्च Waa एतरैवाभेतामि freee: | We सिद्धायकायन्ते स्वेवामेव ayn ॥ तदिदं वे समासेन मया तात जिवेदितम्‌ | महामोइनरेग्रस्य AH कुटुम्बकम्‌ ॥ ये लमो afeanae विवतेने मरोः । ` ` ते महामोहराजस्य BPA: पटातथः ॥ तज ai य एष दृष्छते भद्र रागकेसरिणोऽतः । आचिष्टशलनो ae MAG स्ञादयन्नलम्‌ ॥ रण्दधिरेफरि को खिद शितोत्करट गन्धकम्‌ | MAAN Hy मुमु: ॥ सभार्वामखवक्राजे salut इृष्टिविश्चमम्‌ । बष्को नूपुरारावकाकलौगोतखम्पटः ॥ चतुथः Gea | ४९५. waa विषयानेव पञ्चापि किल Steer । FRR मन्यते सवंमा्ममो सुष्िमध्यगम्‌ ॥ az सोऽयमिशायाता वयं यस्य दिक्ख्था | रागकेखरिणे मन्तो सोके विख्थातपौरुषः ॥ maa तानि वर्तने पुभाण्डानि सुन्दर | याजि मिश्याभिमानेन कथितानि पुरावयोः ॥ " aay qa alee महावखः | भद्र नुनं करोत्येव चेष्टथा AeA: ॥ तया हि । एतक््मयुकेयं दृष्टा मानुषैभेद्र Shea: | ते QUITE ASEM, STAT: | कार्याका्थे म पश्छन्ति बुष्यन्ते नो हिताहितम्‌ | wenn म लानन्ति धमाधमेबहिष्कताः ॥ TMI डाटा वर्तन्ते खावंकालिकम्‌ | माग्यत्किचन ater यथासौ वतेते जडः ॥ दभेनादेव निर्णेतो qa च oftfafya: | रषनाजनको UT स एवायं म सशयः ॥ रागकेखरिशो राच्यं weaafafee षद्‌ | परबुद्धिप्रथोगेख Say प्रतिहन्यते ॥ पुरषाः पण्डितास्तावहडिरङ्गम दृढन्रताः। यावदेष वोर तालो किपति कुबचित्‌ ॥ दा पुनमेदाप्राञ्चस्तानेष सचिवः कचित्‌ | Vee उपमितिभवप्रपञ्चा क्था | आरभेत खवौयंण वहिरङ्गमनुखकाम्‌ ॥ तदा ते भिहतप्राया arfermt दव क्रिड्रोाः। रतां विसुच्यास्य जायन्ते विगतश्पाः ॥ वधंयग्येव सासाख्यमेतेषामेव शमुजाम्‌ । बहिरङ्गजनस्सायममात्यो दुःखदः षदा ॥ यतः। | smiena gaff पापं ते agar: | तश्च पापं wd तेषामिहासुज च दुःखदम्‌ ॥ निपुणो नौतिमार्गेषु गाढं निर््याजपौ रुषः | मेदकः परचित्तानामुपायकरके पटुः ॥ विदिताशेषन्लाम्तः सन्धिविग्रकारकः | विकंश्पबङशो शोके सचिवो माख्यमूद्शः ॥ किं वाज away तावदेते नरेश्वराः | यावदेष Aaa awl राच्यसन्नतेः ध ततः AEN प्रक ऽत्रवौत्‌ । खाधु माम साध न्दरं निर्णीतं मामेन । न तिखतुषजिभागनाजयापि चशतौदं । एवंविध एवायं विषयाभिलाषो aural गाख्यच अन्दहः | तया हि । श्रकारद्शेनादेव ते ग॒णा मम मानसे । Waa श्मारूढा येऽस्य संवशितास्छया i विमश्रः प्राह ` नाख्ये रखयन्ति भवादृशाः | मरणां FATWA AVY VEIT | aqua: प्रस्तावः | ade तथा हि । : Wed Saat ना तिजातेः Whe gare MART: प्रभासन्ते FU we महाधियाम्‌ + न केवलं तयास्येव casa शङिताः | एणः किं afe खवंवां मुगमेषां मरोसुजाम्‌ ॥ बदधेर्जातख् ते भद्र किंवा खादविजिच्ितम्‌ + यन्तु मां era तात सा तेऽभिजातता. a प्रकषेः प्राह यद्येबं ततो माम गिबेद्यताम्‌ । किंनाभिकेयं भार्यासख afeat greeter ॥ विमशरैः प्राह भद्रेयं भोगदष्णा भिभौयते | yeg ae विन्नेया सवेयाख्यैव मग्तिएः ॥ ये लेते पुरतः केद्ित्पाश्चतः ष्ष्टतोऽपरे । दृष्यन्ते ग शुजो भद्र मग्विणोऽद्य ताननाः ॥ दष्टाभिश्न्विप्रमुखास्ते विश्या महाभयः | मामोहनरे्रसख खाङ्गग्धताः पदातयः ॥ अन्यच्च | मरशामोडदनृपदखष्टा रागकेखरिणो मताः | सव्या TATA सर्वेऽप्येते महो भुजः ॥ अनेन मण्लिणादिष्टा . wants waz | एते ag naa feared च नान्यया + ये केचिद्वाद्मजोकानां वुद्रोपद््वकारिणः। अन्तरङ्गा TET MTA मध्यवतिनः y . ५८ sufafawague कथा | ater feary ये केचिद नटे ऽप्येवंविधा अने । अमोषां मध्यगाः स्वे. TEMP महोभुजाम्‌ A तदेते परिमातौोता मिबेद्यन्तां कथं मया | संखेपतः संमाख्याताः खाङ्गग्रताः पदातयः ॥ प्रकर्षः प्राह ये aa वेदिकादारवतिमः। निविष्टा मुज: सक्त. माम FRAGT ॥ युक्राः सत्परिवारे्ट भानारूपविराजिनः। एते किंमामका se: किरण वा avy: ॥ faas: प्राह asa सप्तापि वरश्वभुजः। महामोहनृपस्यैव बहिण्छंताः पदातयः ॥ aya) य एष दृष्ठते भद्र sam: पञ्चभिनैरः | भ्ागसवरण्ो माम प्रसिद्धः स aera: अभेव वतंमागोऽयं बहिःख्ं सकलं जनम्‌ । करोत्यन्धं खवोंण न्नागोद्योत विवर्जितम्‌ ॥ कि ai साद्ान्नानान्धकारेण यतो मोहयते जनम्‌ | ततोऽयं शिष्टलोकेन मोह इत्यपि कोर्तितः ॥ ` यस्व गवभियुक्रो मानुषः प्रविभावयते । दथेनावरणो नाम विख्यातः श मरहौतले ॥ दृष्मते पञ्च या MGA: Baas सुन्दराः । करोत्येव जगत्छवे ध्ेमानगतिक्रियम्‌ ॥ ` qe wera: | ` चे wat पुरवा भद्र चलारोऽख् पुरः शिताः ।` एतस्धामश्ेयोभेन aaa करोत्ययम्‌ ॥ मरदयसमायुक्ो चः TNT EAs | स एष वेदनोधाख्यो राजा विख्धातपौडषः ॥ सातनामा afagisa अमति प्रथमो भरः । करोत्थाहादषम्दोहनग्डितं भुवनभयम्‌ ॥ दितौवः पुरुषो ug cee प्रविखोक्धते। . ` अ्ातनामकः BT WATCH: ॥ ` दोषेसेः समायुक्त भिं रिंरूपकेः | विवतेते महौपाखो wate aa गोचरे ॥ श्रायुर्नामा प्रसिङ्धोऽवं स्ववां भद्र देहिनाम्‌ । ` fara भवे किलावस्वां ged fata ॥ िचलवारि श्रता gut मानुषाणां महावखः। यस्व Cad aE Tana aera: a . ' निजमागुषवोंय ante चराचरम्‌ | विडम्बयति quia तदाख्यातुं म Wet ॥ चतुगेतिकसंशारे भरनारकङूपताम्‌ | चे दधाना विवतेन्ते पष्देवतथा परे a एकेगियारिभेरेन भानादेदविवतिंगः | नानाङ्गोपाङ्गरंबद्धाः शचातकरणशोचताः ॥ freer: wer मानासंख्ागयारिषैः | atnaceqies fafrureer ॥ 72 yoo एपमिध्तिनवप्रपल्ा क्या। गौ रकेतररोनाश्च सो पनातपरायषाः | पराघातपराः केशिदिष्टजग्भानुपूविशः ॥ सदुच्छरासातपोद्योतविदहायोगतिगामिनः। असष्यावरभेदाखच खष्छबादररूपिण्टः ४ पर्याप्तकेतराः केचिदन्ये प्रत्येकचारिषः। साधारण्णः fart: बेचिन्लथान्ये स्विररूपिशः ॥ Te बिथाणाः सुभगा दुभगास्लवा | BAT TAT KA ये चादया मनोहराः ॥ Raza: खवरभऽपिं ्वश्रःकौरतिषमव्िताः । ` samara मिभिताताश्ररोरकाः 9 प्रणताचरेषगीरवा शमौ MAT AT SRT: | ये च MV शोके भवन्ति भवभेदिभः i जिजमागुषदौ ण स्वमेष गरा धिपः | तदिदं HUT TE AAA ACTS: ॥ ; थः पुनभ॑द्र witcd Tet पुरतः खितम्‌ | Sapa Hea BIRT पुरुषदडयम्‌ ॥ . गोजामिधानो fear: ख एव anata: | देहिनां qed भद्र सुन्दरेलरगोषताम्‌ ॥ भर पश्चकसेव्योऽथं यः पुनः ब्रविभाव्येते | अन्तराय इति शातः स सात acral: ५ we तु गरधौ्ंव get area हिमाम्‌ । दागभोगोपभो गातिवोय्थिप्नं भराधिषः ॥ चतुधैः प्रन्लावः | . yet तदेते कथितास्तात भामभिगे णले wea: ! ॥ सप्तापि wy warty मधाधना ॥. वौयवक्र्यतामेषां विस्तरेण पुनयेदि | वयामि ततोऽव्येति asa मम जोषितम्‌ ॥ .. तदेवमतिगख्मौरं श्रवा मातुखनर्पितम्‌ | प्रकर्षौ इष्टचिष्सत्वा दिदं वथमम्रवौत्‌ ॥ चार्‌ माम हत -खाङ्‌ मोचितो BETA । - एतेषां वेनं राशां ङुषेतेवमदं तवय्य 9 केवल afecurfa मामं च्छामि संश्रयम्‌ | AAAS पुगर्मामो मद्ममाच्छातुमरंति i ततो faaiguran तं श्रतोदमभावतः । .. VE यद्रोचते तुग्व भद्र वि्जगचेतसा + WRG प्राह मामां विष्मघो मभ Arad. एषु संकोल्येमानेषु राजस प्रतिभाखते ॥ ATLAS AIST TET । परिवार न पष्ामि तदामोषां fart निजम्‌ +. यदा विशोकवाग्यशयैः परिदार fatten: | तदा किष्फारिताखोऽपि fg नावकानरम्‌ 8 भवता तु ACT. MISTY एषक् एक्‌ । मामतो इणतद्धेव . को तिंता कत तत्कयम्‌ ॥ विम््ेगोदितं ag a विधेयोऽच विस्मयः। नेकरोभथवेकराच करिदन्बोऽपि विषिते 4 yor खपमिविभवध्रपश्चा UT | धतः | चे निरावरश्न्चानाः केवलाशोकभाशवराः | प्रथं परिकरं चेषां नेकट्‌ा तेऽपि आनते ॥ am | सामान्वरूपा राजानः स्वेऽमौ परिकौरतिंताः 1 विगरेवरूपा विश्चेषाः ot erat परिष्छदाः 4 तथाहि | श्रवथग्धण सामान्यं विगेषोऽवथवाः सृताः | ` राजागसखांशिगो श्चेयाखद शास् पदातयः ॥ WT नायातः करखिल्धाचादेकटा WATT | येतौ प्रतिष्तात खा शामाम्बविश्वधथोः ॥ Puarequag Betcha च न विद्यते । तादाग्वारेतथोखात ais: प्रतिभाति ते ¢ तथाहि | _ | ऋ तरो्ैदिनः wy धवाज्रखदिरादवः। धवान्नादि विनाशतः Hewat प्रकाश्चताम्‌ ॥ खतखछन्धातिरेकेण नाख्छध्ययनख्भवः | न चाध्ययननिसुकः watcha कञ्चन ॥ aaa यौगपद्चेन ग दृष्टौ तावितौयता | नादृष्टावेव तौ ay कालभेदेन THT ¢ तथाहि | दुष्यते हि तददुराश SUH धवादवः | चतुर्थः प्रस्तावः | Vek अभ्वं तेऽपि qe weet ग तदः veg ॥ ` तथापि aged ye काखमेदेऽपि alae | यथाक्रमेण TEMTMGTSS sty: ॥ अतो भेरेन दृष्टलाद्धिशमेबेद मिव्यताम्‌ | अमिन्ञख्य fe गो भिन्नं काखमेदेऽपि दशनम्‌ ॥ लयाडि | | श्रभेदेऽपि खभावावत्धामान्यविगरेवथोः | संस्ासंन्नाङ्कार्वग्बो भेरोऽप्यस्ति परिष्टः « तेग agree: स्वो व्यवहारो न yaa । भेदाभेदात्मके ve भेदस्सेत्वं निद शेनात्‌ ॥ थाहि | संख्यया तद्रिव्येको wate: खदिरादयः | awifa aaftajer wararatfe भेदिनाम्‌ ॥ TAMIA, wee एथगोच्छते | धवाश्वत्वा दिमेदानां eraferg qty ॥ are तु तदमाचेण ere; कायारिकं veg! विशिष्टफखपुष्याद्यमन्यदेवाबकादिभिः ॥ श्चवहारोऽपि सामान्ये भ्रतख्खन्धेऽन्ध एव हि । अन्य UNG भेदेषु बदुरेश्ादिख्कः ॥ aware भेदमाचित्य सख्यासंश्चादिगोखरम्‌ | अभेदं च तिरोधाय टेशकालस्लभा वजम्‌ ॥ राजानः परिवाराख्च मथा वद्य yay एयक | उपमितिमवप्पश्चा कथा| नामतो yeeemat तवाये परिकीर्तिताः ॥ एवं च भेदिबोऽपयते म परस्यरभेदिनः. | यौगपद्येन भासन्ते wg तकाश्च fare ॥ म areata wae विद्मो शख्फादिभिः | कथ्यमाने मवा भेदे भो. शामान्धविग्रेवथोः # प्रकर्षेशो दितं माम गष्टोऽयं संग्रयोऽधना | ममेव माम GRE: परिस्फरति मानसे ॥ uaa | थ एति अप्र. राजान एतेषां मध्ववर्तिनः | तोयद ey पञ्चमः वष्ट एव wa एते महोपाखलारो यथा वयावणिताखया | तथा WN Wey -सुन्दरेतरकारिए्टः ॥ AMAT शयेषामपकारपरायशः | एते fe aryetarmt कवा चिन्पुखहेतवः ॥ ` wat राजा fortes अश्च पनत पतिः | दुःखदा एव सर्वेषां अधोऽखते ह देहिनाम्‌ ॥ - ततः सपरिवारो मसमोरमरोशुजा | way इतसाराण्ठां aut किं भाम जौ वितम्‌ ॥. एवं ख faa | | fa विश्वत जमाः कशवहद्हिरक्गेवु रेहिषु | अमो भिने mee येः चतुभिररातिभिः ॥ fa at न कंमवनकेव ताङ्शा, मास afer: 1 ` चतुर्थः TT | ४०४ सेऽमोषां निजवोयेशच प्रतापचतिकारिष्टः ॥ ` तच्छरुला भागिनेोक्रं वचनं बिदितादरः | अवादोदौ दुशं वाक्यं विमो मधुराकषरः ॥ विन्ते बदहिरङ्गेषु ae खोकंषु arg: | एतेषां वौवेजिर्णाभ्राः केवलं विरखा जनाः ॥ तथाहि । सद्भूतभावनामन्नतन्वशास्ा महाधियः | शतात्कवयाः नित्यं खे तिष्ठन्ति बहिजेनाः ॥ अप्रमादपरास्तवामेते शर्वेऽपि गसुजः | महामोददथो ay AV कारकाः ॥ थतः । aaa भावअनधेवं निमखोमसमामसः । ` ` ANAT ये ` धौराः अङ्धासष्डधुद्धवः & कथम्‌ | । | अनादि भिधमो चोरो दुस्तरोऽय भवोदधिः। राधावेधोपमा लोके दुलभा च मनुष्यता ॥ ` qe हि ववेकार्थाखामाश्रापाश्चजिबन्धनम्‌ | जखनुदुदखंकाज्रं TERE च जोकतिम्‌ ॥ TRGATe: पथं कमेजं मिमानः | गम्यं रोगपिश्रशानां wt चख्भङ्गुरम्‌ ५ ` यौवनं च मनुय्याणणं सन्ध्यारक्राभविभमम्‌ | UWIAA AMSA Wes: $ wo उपनितिभवप्पच्चा कथया | आद्यै श्पादिताण्डादाः पर्न्ेऽ्यकदादणाः | एते शब्डादिषब्भोगाः किपाकणलवननिभाः ॥ माता भाता पिता भायां get जातेति. जनवः | erat: श्वेऽपि स्वेवामनादिभवकक्के ॥ ` छविलेकनमे राजौ यथा प्रातर्विदङ्गमाः | यथायथं wa कुटुम्बे विश्ववान्धवाः ॥ CS: समागमाः सवं खप्राप्ननिधिरूपताम्‌ | गुनं समाशरक्येव वियोगानखतापिनः ॥ रा अजेर त्येव BE शवं शरोरिशाम्‌ | दखयत्येव तानि भोमो खल्युमहोधरः + - arg | तेवा मेवं विधानेकभावनाभ्वासलासिनाम्‌ । निर ततमवां gat निमंलोगतकेतलाम्‌ ५. भद्र नैव मरोपाखो महामोहः sass: | जावते बाधको aft ख्वधूकाविमौ सुतौ ॥ अन्यच्च | | ग श्नोको भारतिस्तेवां म भयो नापि Sear: | दु्टाभिखन्विपरचुखा गूनं बाधाविधायकाः ॥ भामूनि fearcarfe 4 चान्ये भद्र ATT: | Sta araatwe: पितापुषा wat जिताः ॥ तचा | wamrragey any एविनिद्धिताः। =. - ` ATU: प्रस्तावः | ५०७ ये पुनः सद्धिचारोण लालयनयात्मकल्मषम्‌ ॥ नयन्ति स्थिरतां चित्तं सवंश्नागमचिन्तया | पश्नधन्ागेयायिवं मूढानां च कुतौर्थिंनाम्‌ ॥ तेषामेष जनानां भो निमेलोग्रतसद्धियाम्‌ | म बाधकः प्रत्येव महामोदमरन्तमः ॥ याप्येषा wfeat ga विता वीर्यशालिनौ | कुदृष्टिः शापि तदीर्याहूरतः प्रपलायते ॥ ये qaqa मध्यसटेनान्तरात्मना | श्ररोरचिन्तयो रूपं योषितां परमा्यंतः ॥ यदुत | | सितासिते fama ते तास्नराजिविराजिनौ। जोव चिन्तय निभिंथ्यमक्िर्टै मां सगोलको ॥ सुमांसकौ सुसंस्थानौ सुच्चिष्टौ aaa | शम्बमानाविमौ वध्री कर्णो यौ ते मनोहरो ॥ यावताव॒ह्णसहौप्रौ भवतित्तरश्चकौ | ततचमांृतं स्यूलमसख्थिमातच्ं कपोलको ॥ ललाटमपि agg यत्ते इद यवल्ञभम्‌ | दौषोन्तङ्गा सुसंस्थापि नासिका चमेखण्डकम्‌ ॥ यदिदं मधृनश््यमधरोष्ं विभाति ते। मांसपेशोदयं eft लालामलाविशम्‌ ॥ ये ङुन्दकलिकाकारा रदना्िन्तदहारिणः। एतेऽध्थिखण्डकानोति पद्धतिख्थामि wae ॥ 73 ४७९ उपमितिभवप्रपच्चा Sat | य एषोऽखिङ्लच्छायः केग्रपाशो मनोहरः | योषितां तत्तमो हादे प्रकाशमिति चिन्तय ॥ at काञ्चनमहाकुमरिभ्रमौो ते इदि सितौ | सल सनौ मूढ qua तौ yet मांसपिण्डको ॥ यल्लासयति ते चित्तं afad दोलंतादयम्‌ | ततच्माृतं AY तद थियुगलं चलम्‌ ॥ शअरश्नोकपक्ववाकारौ यौ करौ ते मनोहरौ | तावखिघटितौ विद्धि चर्मनद्धौ azeat ॥ azuafa ते faa वलिचयवि राजितम्‌ | उदरं मूढ तद्वषठामृचान्तरमलपृ रितम्‌ । यदाकिपति ते area ्रोणोविम्बं विशाखकम्‌ | पर्ता ्एचिनमिर्वाहदारमेतदिभाव्यताम्‌ ॥ यौ मूढर्दारकस्तम्भसन्ञिभौ परिकश्ितौ | तावर पूरितौ विद्धि वसाशन्नाङएचेनेलौ । सश्चारिरक्रराजोवबन्धृरं भाति यच्च ते । तद॑च्ियुगलं खायुवद्धस्श्नां पश्जरदयम्‌ ॥ ad कण्डितं भाति मन्मनोश्षापजण्ितम्‌ | त्ममारण्णत्पकं मूढ विषं हालादलं तव ॥ द्रएक्रशो एितसग्धत नवच्छिद्र्‌ मलो हवणम्‌ | अरख्धिश्रङ्खलिकामाचरं न्त यो षिच्छरौरकम्‌ ॥ न सास्मा द्वियते जौव तावकौनं शरोरकम्‌ | agi ज्ञ तनत्वनोऽपि ङर्थात्कद्ालमोखलकम्‌ ॥ चतुथः प्रस्तावः परचष्डपवनो दूतप्वजचेला गचश्चलम्‌ | चित्तं तु विदुषां we कथं रागनिवन्धनम्‌ ॥ विलसघ्लोलकक्षो लजालमालाङ्ले जले | शर्राङ्कविम्बव्नो कस्तद्‌ TNT न पार्थते॥ सखर्गापवग सन््मागे निसर्गागलिकाष्माः | एता हि योषितो नृनं नरकद्वारदेभिकाः ॥ म शुक्रास म ang न विथक्रास देहिनाम्‌ | विद्यमानासु नारोषु सुखगन्धोऽपि विद्यते ॥ यावं योषितोऽनेकम हानयं विधायिकाः | सुखमार्गागेखास्तासु ae सेह निबन्धनम्‌ ॥ एवं व्यवखिते मृं दिदं मूढचेष्टितम्‌ | agten ममाभाति पर्यालोचयतोऽधना ॥ यद्‌न | | महाविगोपको यान्‌ waa च विडम्बनम्‌ | विष्बोका बध्य्डमोषु गच्छतां पटशोपमाः ॥ नाखं तु ACTUAL Waa रोदनोपमम्‌ | विवेकिंकङ्णास्थानं यो षिदात्मनिरोचफएम्‌ ॥ विशासाः सज्निपातानामपश्याहारसन्निभाः। gufaared यो षिदाक्ञेषसुर तादिकम्‌ ॥ तदेवविघसद्भूतभावमाभावितात्ममिः | तेजितो भद्र सत्पुभ्भिरेषोऽपि मकरष्वणः ॥ अन्यश्च | yto sufafawanqegt कथां | धाणेषा वणिता ya aeratal र तिमेधा | arate सापि तनूनं भावनाबलतो जिता ॥ तयेव विधेसद्धावभावनासक्रसेतसाम्‌ । ATARI हासो STETAT गतः ॥ तया | सद्भावनिमलनलेः च्षालितामश चेतसाम्‌ ॥ was निव्येलोकानां जगष्ापि न बाधिका ॥ तथाहि | येस्तत््नतो विनिर्णोता ग्ररोराश्चिरूपता | जलश्ो चाग्रदस्तषां नात्यन्तं मनसः प्रियः ॥ यदेव चेतसः We: सम्पादकमनमिन्दितम्‌ | तदेव शौचं fawa यत एतदुदाइतम्‌ ॥ way utd तपः शौचं शौ चमिद्धियनियदः। Sawa ग्नौ चं जलग्रो च तु पञ्चमम्‌ ॥ एवं च स्थिते | कायें Wear नोऽकायं किं तु तत्कायमौद्शम्‌ | विधौयमानं यच्छौचं शतानां नोपचातकम्‌ ॥ तश्च संजायते नूनं बदिमेलविश्द्धये । . नान्तरक्गमलकच्तालि यत उक्तं मनोषिमिः ॥ चिन्तमन्तगेतं दृष्टं ग साना विंश्ध्यति | श्रतश्नोऽपि fe तद्धौतं सुराभाण्डमिवाद्चि ॥ किच | चतुः प्रस्तावः ५९८१ शरौरमलमय्येतष्वलश्नेचं रतं लभेः | तेषां विश्न धयत्येकं quad न सशवंदा ॥ यतः | रोमकूपा दिभिजंन्तोः शरोर शतजजेरम्‌ | धौतं धौतं खवत्येव नेतच्छचि कद्‌! चन ॥ तयापि | क्चिक्मवतमानानां देवतातिथिपूजने | केषां चित्कारणं भक्रले लगे चमनिन्दितम्‌ ॥ केवशं नाग्रहः कायो विदुषा awafear | तजैव जलजे शौचे स हि मूखेलकारणम्‌ | arg | एवं विश्द्धबद्धौनां seanterfe कुर्वताम्‌ । , सज्ञागपरिप्रतानां तेषां तात महात्मनाम्‌ ॥ यापेषा कथिता पूवंमिहामुज च दुःखदा | aye सापि नष्टलान्नेव बाधाविधायिका ॥ थावष्येतौ जगच्छन पूरे वय वणितौ मया | भ्ञानसंवरणो राजा दगश्रेनावरणस्तया ॥ तौ श्वन्नागमाग्यासवासनावाभितात्मनाम्‌ | शअप्रमादपराणं च मैव तेषां कदयंकौ ॥ योऽप्यम्तरायनामायं राजा पयेन्तसंखितिः | दानादि विष्रेतस्ते मया ya निवेदितः ॥ निराशानां निरौहामां दाथिनां वौंश्राशिनाम्‌ | use उपमितिभवप्रपश्चा KUT | मगरे । faasaim | मरु सिद्ध मिदानोमावयोः aatfed । et विषथामिलाषो ant । निशितमस्य रषमाजनकत्वं । अ्रतोऽवगता qe सम्बन्धिनो weg: संपादितं राजश्राखने। wa: किमधुना- न्यज गतेन । खस्थानमेवावयोगंन्त्‌ युक्तं । प्रकर्षेणोक्षं । माम मैवं ate: । यतो वर्धितं भवचक्रव्यतिकर वणेयता भवता मम aqia- alae ततो afiaa तेन गन्तुमहेति ara) द्श्चावयोः कालतः खवद्रमाचमव धिस्तातेन | निगंतयोख्चाद्यापि aga सथणग्डतुदयमाजमतिक्रान्तं । यतोऽधमा शिग्रिरो वतते । तचाहि। पश्षतु मामो AAT वतन्ते सांप्रतं प्रियङ्कुशताः । विकास- हाखनिभेरा विराजन्तेऽधुना रोप्रवलयेः | विदलितमुङ्लमश्चरौक- faerat विभाति तिलकवनं । श्रपि च। जिशिरतुषारकणएक निदं ग्धमगरेषसरोजमण्डलं सडकिसशयविशाससुभगेन महातङकाननेन भोः | पयिकगणं च शोतवातेन विकभ्पितिगाजयष्टिकं मनु waar एष तोषा दि व(वि)हसति कुन्दपादपः ॥ गुलम fant विदेग्रगाः सुन्दरो विरहबेदनातुराः | Maarafaen: wa qa जोवितानि cwafer मूढकाः ॥ पश्च माम हतमुत्तरायणं भास्करेण परिवधितं दिनम्‌ । शवेरौ च गमितेषदूनतां पूरेराजिपरिमाएतोऽधुना ॥ बहलागरधूपवरेऽपि गहे TENA Aga | awatequi भि शिरोऽत सुखं न fe पौनवपुलेलनाविरहे ॥ अथापि वर्धितं तेभो मत्वं च दिवाकरे | चतुथः Wears | wa at | fagucfuurn किं arfreraancer । art were निजस्लामिनो काग्वनिन्बसमेते विदुश्थाधना | पश्च मा खद गेषं दुःयेवक्ाः Wein: शभार्बाकुयोश्श्रथा ॥ a दरिद्रा अराजोखरेरयथि 2 वातला खे च waar विना weer | भोः करा शगेतक्षाशो ऽषमच्छट्यं ara अख्वन्ति ते शओोतनिवेंदिताः ॥ यावमश्वादिभश्छाय छो qa खरिणोक तुषार तु दोदु॑ते । दुमेतापल्ध्वन्दं | रोरूयते अम्बुकः Fae माम कोकूयते ॥ वन्ति यन्छाङि मेचुपोडने हिमेन प्रोता च तडामखन्ततिः | गनो AYA CACTATHAT aarfa at धमंधियावगाहते ॥ अन्यश्च | wa fe aframat वतेते fufacisyr । ततः षण्ड्ासमाजेऽपि fag wafa मामकः ॥ गम्यतां भवशक्राऽतो ममातु गश्कयम्बया | 74 wy ५८६ उपषमितिभवप्पद्चा कथा | मामेन परतो यन्ते रोचते तत्करिष्यते ॥ अनिवतंकनिबेन्धमेवं विज्ञाय भावतः | ततस्तदतुरोधेन विमो vague: ॥ ay मि्थ्या[भि)मिवेश्रादिस्यन्दनत्रातसुन्दरम्‌ । ममल्वादिगजसोमगलगजितबन्धरम ॥ Sw दिमहाश्वौयद्ेषारवमनोहरम्‌ | डेन्यवापललोष्यादिपादातपरि पूरितम्‌ ॥ महामोहनरेग््रस्य चतुरङ्गं महाबलम्‌ | squeal ततः खानान्ताभ्वां wa विशो कितम्‌ ॥ ततो निर्णोतमा्े yet खसोयमातुलौ | गच्छतस्तत्पुरं दणेमविच्छिन्नप्रयाणकेः ॥ मारगेो्छारणकामेन मातुख प्रति भाषितम्‌ | ततः प्रकषेसंन्नेन तेवं पयि गच्छता ॥ माम यः श्रूयते लोके सार्वभौमो aerate: | स कर्मपरिणामाख्यः प्रतापाक्रान्तराजकः ॥ तस्य सम्बस्ििनौ माननां महामोदनराधिपः | किमेष कुरुते fa वा नेति मे सश्रयोऽधुना ॥ fa प्राह जैवाशि भद्र भेदः. परस्परम्‌ | gaat: परमार्थन ख fe Ae: सोदरः ॥ श्रयं पुनः कनिष्टोऽरस्यां महाटयां व्यवसितः | यतोऽयं चरटगप्रायो महामोहनराधिपः ॥ ये इष्टाः केचिदस्याये भवता महोभुजः । चतुर्थः TTS | ५८७ wae श्रपि विश्चेयास्ते तस्यापि पदातयः ॥ केवरं | स कमेपरिणामाख्यः खुन्दराणोतराणि च | कार्याणि कुरते शोके प्रत्या सवदे डिनाम्‌ ॥ श्रयं तु CAMA महामोहनमरेश्वरः | करोत्धसुन्दराष्टेव कायाणि नमु सव॑दा ॥ अन्यश्च । ` — श्रयं faitprare: स राजा माटकप्रियः | एते wa निषेवन्ते महामो रमतः सदा ॥ fa q लोके महाराजो यतोऽख्यापि agua: | स कमेपरिणामाश्यो भ्रातेति परिकौर्तितः ॥ तस्मादेते. मरोपालासलस्यापि पुरतः खदा | गवा WaT WBA नाटकं WEA ॥ भवन्ति गायनाः क चित्क चिदातोद्यवादकाः । वादि्ररूपतामेव भजन्ते भक्रितोऽपरे ॥ कि बहना | : ACTMCACKTY: सवंऽमो तात wyM: | waar हेतुतां afer तजर संघारमाटके ॥ ख तावस्माचसं तुष्टः सपन्ौको मराधिपः | तदेव नाटकं पश्वभित्यमास्ते निराकुलः ॥ अन्यश्च | एतेषां तावदेव सरवेधां स प्रञुनृं पः | ५ य्ह wufafaaravag?r RUT | अन््रेषामपि स खामो प्राकेशकरभदखुनाम्‌ Nh fa बह्मा | स सव्रबषुदाचात्मा YRLATATAA: | Wa ACHS MGT तदादर विधायकः ॥ तथाहि | | angen: गेचिदिद्वन्ना छन्दरेतराः | स कमेपरिणमास्यस्तेषां प्रायः प्रवतैकः ॥ यावन्ति wencyiie जिष्टेतिं गमतो कषा). पुराणि तेषु स enn बङ्हिरङ्गषु. भाक; ॥ अयं GAA सावन्लोऽज विखोक्िताः । भवता ग्षुजः सामो तद्रादेेन तावताम्‌ + यदेष निजवोयोक्च fafegiar war : समपेयति ane frag wees: ॥ श्रनेनो पा जितश्च चेधेनस्छ वि नियोकन्‌ | ख राजा कुरते मित्य डुब्दरेतर्वष्छषु ॥ sa हि विग्रहारूढः सदास्ते विजिगौष्रथा ।. सतु MAT राजा ब Maa किद्‌ $ एवं च faa एष ay ww afer: । . ave कि तु ततो fie तात्मा wae नृपः ॥ अन्यच्च | Ue भवृता पे भहामोदषुरदकम्‌ । चतुथः प्रस्तावः | Use तत्कमेपरिणामेन azymre यो जितम्‌ ॥ अतः Ya तज Gane सुभक्तिकम्‌ | तथाटब्धां च fatena विगरदवत्परम्‌ ॥ THe: प्राह Magara: कि कमामतम्‌ । we] किं ante गहोतं बलवत्तया ॥ ` विमर््रंनोदितं ae भागयोः sara | परसत्क मिदं tray yarenat निनि्िंतम्‌ ॥ यतः | ; | जोव: THAT Ae ब्रहिरङ्गजनस्तत्रा । संसारिभोव waa मया पूवे निवेदिनः ॥ त्येषा yee wal चिन्नटक्तिनहारटवौ । fae तं अदिष्ड्् Weave ज dae: ॥ TRIG MT | कियान्‌ ऋशो welarar aa मघम मे वद्‌ | faa: are ब्रेवादिं भाजेऽदमपि eran: ॥ तदेष WATTS कष्यते बन्ध ATTA | fieny: sew थाति Ga काव्कनक्यः ॥ ख RAGUSA टागोरा्शनमत्यरः | HERTHA LRT S UTE & गरभावन्नाकस विद्धकायविष्तारखश्ितः | त्ाच्छधिराजः waa निविष्टो किष्टरािकः ॥ अमरं सुब्रमंशमोहसतयेन्फपरिप्राक्धकाः । wee उप्रमितिभवप्पश्चा कथया | तदन्तमन्सेव्यश्च तत्को शरपरि वधकः ॥ तदारेश्करो fay तथापि दुरूपौरषः | qa तं पायत्येष राजकायं यथेच्छया ॥ तेनेष खौकिकी वाचो oferta पष्डितेः | महासननिविष्टोऽपि ऊर्ध्वो. राजा निगद्यते ॥ नागयो मिंदते तात AVES: परस्परम्‌ | यस्मादेकमिदं Trea निवेदितम्‌ ॥ Waa: प्राह मे माम fare: संगश्रयोऽधना | अरय वा लयि Waa कुतः षन्दहसम्भवः ॥ तदेवं विधसव्लख्पकल्पनापगतश्रमौ । तौ fawgy दिनैर्मागे भवचक्र परागतो ॥ erg ` परिपाच्येव भिशिरो frre | संप्राप्रखच जमोश्मादौ वसन्तो मन्धयपरियः ॥ स तावां नगरासन्ने भमशहामलो खया | वखन्तः काननेषुखेः कोदरः भविलोकितः ॥ यदुत | yates दिएपवनवशोदेक्षमानकोमखखताबाङदष्छे- गांयजिव माना विहङ्गकणखकलकखविरनेमं हाराजाधिराजपरिथवधस्य- कमकरकेतनखछ राच्यामिषेक warns कुर्वाणो मन्तकल- कोकिखाकुकोणाइशकष्टकूजितेसजेयन्निव विशसमानवरचतेक- कलिकातनेनोभिराकारथन्निव रक्राशोककिसलयदखलसिततरणल- acfrefaa: प्रणमभ्निव मलयमारतान्दोशितनमच्छिखरमरातरू- कमाङ्गदेय जिव मवविकशितकुखमनिकराडहासे खदजिव जुटितदन्त- चतुर्धः प्रस्तावः | yer बन्धमनिपतमानसिन्द्वार सुमनोगयनसलिचखेः पठज्िव शएकसारिका- स्फुटाचरो ज्ञा पख्पितेन सोत्कण्टक ca माधवोमकरन्द विन्दुषन्दो- हाखादनमुदितमत्तमधुकरङ्ुलङ्यणद्यण्टा वितनिभेरतया । aft च इति नतेनरोदमगानपरः पवनेरितपुष्यजधूखिधरः । स वसम्त्तु येहरूपकरः कलितो मगरोपवनाग्भशरः ॥ ततो विमर्थेनाभिदहितः प्रकर्षः । यथा । वह काले तव भव- चक्रनगर दशभकुटरलं संपन्नं । यतोऽजेव वसन्ते WAU ance सोन्द्यसारमुपलग्यते । तथाहि । पथ्यामोषां कामनाभोगविशो- कनकौतुकंन नि्गतानां भागरकणोकानां aren वतेते । सन्तामकवनेषु परिबुह्यति धावति वकुखटखको विकथितमाधवोषु तिमेति विभ्यति सिन्दुवारके | पाटलपलवेषु ग च दयति नृगमग्रोकपादपे qty याति चन्दनतरूगशनमथावगाइते ॥ दति मधुमासविकासिते रमणोयतरे fetter । एतेषां ननु इष्टिका fawafa सुचिर वरे aan ॥ बड विधमन्मयकेणिरसा दोखारमणसषहेन | एते सुरतपराख्च एङतरमधुपाममदेन ॥ अन्यश्च | विकसिते खहकारवने रतः कुरवकसणवकेष च खन्पटः | मल्यमाङतलोलतया वने सततमेति म याति गहे जनः॥ TAC WANS प्वरचतवनावजलिमध्यगम्‌ । विलसतोह खुरा सवपा यिनां aq विलोकय भद्र कदम्बकम्‌ ॥ WER उपमिति्भवप्दश्चा कथा | मेशिविनिमितेभाजनसखितेरति विनोतजनप्रविढौ कितः । भिचतनाधरब विदं ्नेदषकरनमर्यखविराजितेः # सुरभिनोरगम्धसुवारितेः सुवनितावदनाम्बरहा पितः | fafrunuveqetwe: छतमिटः तरहो लङ निभेरम्‌ ॥ तथाहि । पश्च बन्ध अरचापागक्रे ऽधुना वतेते । पतन्ति wey water मादिताः पिवन्ति मानि रशन्ति are: | cafe बह्वाबदहाचि थो पितामनेकवाटूनि ¶ gat जनाः ॥ safer Garis सथब्दताखकं मदेनं नृत्यन्ति water शर्परे । पिचृणेमानेेधनेखणापर weyameafaat fagaa ॥ खपूवंजो लाबनगवं मिभेरा धनानि वद्छन्ति जनाव चापरे । मन्ति aa विततैः पदक्रमेरितस्ततो यान्ति विना प्रथोजमम्‌ ॥ एवं ख थावहशेवति प्रकर्षस्य विमशंशदापागकं तावन्निपतिता माधवौ लतावितानमष्डपे कुवखबद खविशासला सिनो wea sfB: | अमिर्ितमनेनं। भामेदमपरमा पानकमेतस्माल्छविग्रेव्तर विजम्भते | विमर्धेनामिदितं। गमु सुरभा wate वैवभसमयागम- प्रमोदितानां नगरकशोकानामापामपरण्वरा । wate । पश्च चम्पकवो थिकां निङ्पथं ष्टरोकामष्डपान्‌ विशोक कुलकवमग- मामि निरोचख कुन्दपाद पन्दाहं निभाखय रक्राणोकतर्स्तोमं साचात्कुड बङ्ुशखविट पिगहमानि । चद्यतेषामेकमपि विख्सदुदाम- काभिनौदन्दपरिकरितमरेश्वरनागर कलोक विर चितापानकविरहित- मुपखभ्येत भवता ततो भामकोनगवचनेऽम्बच्ापि म सन्प्रत्ययो fawa: प्रतारकत्ाह्भद्रेणति । प्रक॑र्षे्णोक्क । aq कोऽ wee: | चतुथः परावः | BER दुश्यन्ते प्रायेशेवाच ven स्थितं एते मामेनोहारिता वमविभागा ट्ति । किंच म Rawat काननाभोगाः aah ` विविधमधेपान- मन्तोन्तालकशितललितमदंलोल्लाखमिसितबहलोककलकलाकुशाः किं तरि । वाचिद्रसश्नपुरमेखला शेनितम्बविम्बातुलभारमन्धरेः ॥ तङ्प्रखमोश्चयवाञकयागतेः wena विलासिनोजनेः ॥ wren aca विहिताः स्तनमहेभकुम्भस्यल विभ्रमेरिम | विभान्ति दोलापरिवतिभिः war सकामकभ्पा इवमामशाखिनः॥ कचिष्ठसद्रासनिवद्ध कौ तकाः कचिद्रहःस्वाननिबद्धमेथनाः | दमे कचिग्यग्धविलासिनौमुखेने पदमषण्डादधिका न शोभया ॥ विमर्भनामिरहितं । साध्‌ भद्र ary इन्दर विलोकितं भवता | मूनमेवंविधा एव waste काननाभोगाः । श्रत एव॒ मयाभि- हितं यथावसरे भवतो भव्चक्रनगरद शनक्ुद्रहल संपन्नं यतोऽसि- कलेव वसन्तकाले. नगरस्यास्य सौ न्दथेसारमुपलभ्यते । तदेते ` विले- किता ax भवता तावदहिवेमाभोगाः । साग्मतं प्रत्रिश्रावो मगर । विलोकयावस्तदटौयच्रियं येन तव कौतुकमनोरथः परिपूर्णा भवति। yaaa | श्रतिदगेनोयमिदं बहिलाकविलखितं। रमणोयतरोऽयं Wem: | पयि ओआन्तश्चाद्‌ । श्रतः प्रसादं करोतु मे मामः। विष्ठतु ताव SV BURT । सो कवेलायां नगरे प्रवेच्याव इ ति। विम्नामिदहितं। एवं भवतु ॥ ततो यावदेष जल्यस्तयोः संपद्यते तावत्‌ किं donq ` रयघण्घणएरावगजिंतः करि खहगतमहाभ्च विभ्रमः | | निभितास्लवितानवे्ुतखलण्डक्ाश्वमहावलाहकः ॥ 75 ५९8 उपमितिभवप्रपन्चा कथा | गिपतकमद वारिखन्दरः प्रमदभरोद्धुरजोकसेवितः । अनिताखिखुन्दरोमनोडदुग्ायकरूपधारकः ॥ मधुमाषदिदृखया पुराद य वरराजकपौ TATA: । मृपतिर्भिरगातसमं wie ata बन्धुधिया घनागमः ॥ ay वादितमदंखेखंसदरकंसालकवेणराणितेः । हतनृत्तविशाखचारुमिने ग भाति स सुचश्चरौगतेः ॥ ततो दृष्टस्ताभ्यां विमशेप्रकर्षाभ्वां मगरान्िगंतो महासामम्- दृन्दपरिकरितो वरवारणस्कन्धाङूढो विकसितोदृण्डपुष्डरोकपरि- मण्डशपाष्डुरेण महता esa वारितातपो मधवानिवाधिहितैरा- वतो विबृधसमृहमधष्यगतश्च स ate: । विशोकितञ्च तश्च पुरतो इष्टः कलकलायमानो ्रिसितातपचफगपिष्डः Ff इव महा- सागरञ्चलत्कद लिक्रासखकरेः ugar जिशुवनमिवाधिङिपन्नति- शूरितयासौ जनसमुदायः । प्राप्तश्चोद्यानपरिषरे राभा | श्रचाकरे fanaa: agufaargqa: प्रहता azyt वादिता वेणवः समु- ज्ञासितानि कंसालकानि रणरणणयितानि मन्नौरकाणि प्रवर्धित- स्ताशरवो विजुभ्भितः खिङ्गकोलाहलः प्रटृत्ता जयजयरवः समगं - What बन्दिटन्दश्न्दः sen गणिकागणाः afta: परेशकजमः सजाताः केलयः । ततस्ते लोकाः बेचिशनत्यन्ति केचिदलान्ति केचिद्धावन्ति कंचित्कलकलणायन्ते केचित्कटाचयन्ति कं चिक्ञटनिति के चिद्‌ पदसन्ति केचिद्भायन्ति कचिदादयग्ति केचिदुष्लसन्ते केचिद्‌ - wferaia gyfa केचिदाज्जमूलमास्फोटयन्ति केचित्परस्यर ACTA TARAS Hae: सिश्चनि | तत्वं षति । चतुर्थः Wes: | ५९४ शसदुद्भरग्दरि विलासकरे मदनानखदौ fears । अय तादूश्रलोचनगोलरतां faafefn गते तु महामतिना ॥ ददं fe तदा मधुमासरसवश्मकजभजनितं aE गन्दल- मवशोक्ध विमर्शेन चिन्तितं । यदुत wet महामोहषामथ्यं wet रागकेसरिविशसितं wet विषयाभिलाषप्रतापः अहो मकरष्वज- माहात्यं श्रहो रतिविजम्मितं श्रो हाखमराभटोल्लासः अदो saat लोकानामकायेकरणधौरता श्रो प्रमस्षता श्रो खोतोगामिता wR श्रदौ्ंदशिता aw विचिक्तचिन्तता wet श्रनालोचकलं wet विपर्यासातिरोकः श्रो श्रश्रभभावमापरता रहो भोगटष्णादौशेखित्यं wet श्रविधापदतचिन्ततेति i ततः प्रकर्षो विस्फारिताो निरौवमाणएस्तक्ोकविलसितममिहितो विम- जन । भद्र एते बहिरङ्गजना यदिषयो मथा वितस्तेषां महामो- शादिमरोभुजां प्रतापः । प्रकषैः प्राह । माम केन पुनं TTA कतमस्य वा WYN प्रतापेन Gera लोका एवं wesw) faaw- aim | freq कथयामि । ततः प्रविश्य ध्यानं निसित्य परमाथ ममिरहितमनेन। भद्र समाकर्णय । wet चिन्टत्तिमहाटव्यां प्रम- नतानदौ पुशिमवर्तिंनि चित्त विश्ेपमहामण्डपे महा मोदराजसम्नन्थि- न्यां ढष्णावेदिकायां महाविष्टरं निविष्टो इष्टस्वया मकरध्वजः | तस्यायं वसन्तः प्रियवथस्यको भवति । ततो afranra शिशिरे गतोऽथमासोत्‌ ATS । स्थितस्तेन ay सुखासिकया । श्रयं च वसन्तः कमेपरिणममशादेष्याः कालपरिएतेरतुशरः । aT मकरध्यजाय fragee निवेदितमनेन वखन्तेनात्मगद्यं । यदुत ५९९ उप्रमितिभवप्पश्चा कथया | खामिनेो निदेशेन arene मया भवचक्रमगरमध्यव्तिंनि मान - वरावाश्चामिधानेऽवाश्नरपुरे ।. तेनाह चिर विरहकातरतया भवतो दश्लायंमिदहागत fai ततः aie मकरष्यजेगोक्रं । सखे aan कि fama भवतोऽतौतसंवत्छरे यद्या भवता च aw पुरे विल्लसितं ata भा विविरदवेदमा विधुर चित्ततया खिद्यसे । antes यदा यदौ भवतश्शज पुरे गमनाय खामिनौ निर्दे्रोऽभवत्‌ तदा तदा AMAA महामोहनरेष्धस्तजेव पुरे राच्यं वितरति श्म, लेत्किभितोयमकारणछे भवतो मया ay वियोगाशद्धा । वसन्ते mH । वयस प्रतयुष्नो वितोऽहमधुना तेन ` कमनोधवलनेन। इतरथा विदधत varity ममेव यतिकरः । तथादि । ` शरकाष्डापक्कार्याणां सुडद्दिरहचिन्तया । विरमरत्थेव दखेऽतिग्यहोतं मिखिणं भु्णम्‌ ॥ ACAI | गच्छाम्यहमधना । भव द्धिख्णमागम्तययं । मकरध्वजेनोक्रं । विजयस्ते। ततः समागतोऽज पुरे वसन्तः। sf कानमादिषु निजविश्सितं | मकरध्वजेनापि fantfaat विषया- भिलाषः । यथया aren ममालुग्रेए खा चिरन्तनो सम्भावना | fone एव भवतामेष वसन्तटन्तान्तः । ततो निबेदित विषया- मिल्लाचेण रागकशरिणे तदवस्थमेव तन्करष्वभवचनं । . तेनापि कथितं महामोहराजाय । aafafaaata | st कृतपूवं एवास्य वसन्तगममावसरे प्रतिसवत्छर मया मकरध्वजस्य मानवाबासपुरे राच्यप्र्ादः । तदधभापि दौयतामखे मकरष्वजाय Te । यतो aerta safeateafefacargn: प्रभुभिः पालनोया चतुर्थः प्रस्तावः । ४९७ अत्या खिरन्तनसम्भावमया | ततद्चैवमवधाय महामोहराजेनामन्ति- तास्ते सर्वेऽपि मिजाद्ागखायिनो मोपाल्ाः । यदुत भो भोः खमाकणंयत ययं । दातव्यं मया भवचक्रमगरान्तश्डते मानवावासपुरे मकरष्वजाय राच्यं । तज guia: ससस्तेःसजिरहितेभा यमङ्गोक- aaise पदातिभावो faut राञ्यामिषेका भवितव्यमान्ञानि- दैश्कारिमिरनुश्गोखनोयानि are राच्यकार्याणि eur कर्तव्य wad समसखानेषु । मयापि प्रतिपत्तवयमस्य राच्ये सखयमेव महन्तमलं | THEA यथं । गच्छामणचेव पुरे । aA शैपतिभिरवनितखविन्यस्लहस्तमस्तकेः समस्तेरभिहितं । यदान्नाप- यति देवः । ततोऽभिदहितो महामोहराजेन मकरध्वजः । वथा भद्र भव्रतापि राष्ये शितेन तच पुरे ग इरणोयमेतेषां नरपतौ निजं निजं यत्किमपि यचाहेमाभाध्ं । xa: aon पुरातनसम्भावनया । मकरष्वजेनोक्र । यदादिशति मोहइराजः ॥ ततः समागतास्ते Vases aac) श्रभिषिक्रो मानवावासपुरे राज्य मकरध्वजः | प्रतिपल्लः रेषा तज्जियोगः । दत योऽयं गजसकन्धाङूढो दृश्यत एष मानवावाख्वतिंनि लखितपुरे शोशाचो नाम बहिरङ्गो राजा | ततस्तेन मकरध्वजेन ससेन्यपौ रजनपदः ख- area fatty भमिःसारितोऽयमित्य af: कामनेषु । न चायमात्मानं तेन जितं वराको खचयति । aaa लोकास्तनाभि- गतसात्मानमवबुध्यन्ते | ततो भद्रानेन व्यतिकरेण तस्य मकरष्व- नस्य भरामोहादिपरिकरितस्य प्रतापादेते लोकाः awa विचे- ea दति । watt) सोऽधुना कुच मकरध्वजो वतेते | ४९८ उपमितिमवप्रपश्चा कथः | faa प्राह । नन्वेष सन्निहित एव सपरिकरः । सोऽमूनेवं faar- zafa | waa: प्राह । माम तहिं ष कस्माश्लोपशभ्यते । विमं atm | ननु निषेदितमेव मया भ॑वतः पूरवे । जानन्येतेऽम्तर ङ्गलो- काः कतुमन्तर्धानं समाचरन्ति परपुरषप्रबेशं | ततोऽमोौषां जनानां श्ररौरेष्वनुप्रविष्टां निजविजयष्टास्ते भद्र vaunfas Fe | प्रकर्षः प्राह । माम Rate कथं तानेवं्धितानपि arenas । विमरेनोक्रं । af मे योगाश्चनं विमलालोकं नाम । तदशेनेति । प्कर्षेणोक्त । ममापि क्रियतां तस्याश्चमस्य टरानेमानुग्रहो aare- मपि तानवलोकयामि । ततो विमरंनाञ्ितं wage तेन योगा- नेन शो चनयुगलं अ्रभिहितश्च | ae निरूपयदागं गिजडदया- नि । निरूपितानि प्रकर्षेण । ततः सशणामिहितमनेन । माम दृष्यते मयाणधेना हतराच्याभिषेको महामोहादिपरिकरितो मकरध्वजः | तथाहि | एष सिंशासनस्थोऽपि जनमेनं धनुधेरः | श्रारव्यारव्य निरभिन्ते श्राकर्णन्तं भिलोमुखेः ॥ त विद्धं fase Ter तते लाकं सराजकम्‌ | प्रहारअजेर Vy विकारकरणक्ुलम्‌ ti मराकषकदष्वानैः सद रत्या प्रमोदितः हस्ते तालाख्विधायोश्े देसत्येष नराधिपः ॥ सुतं gua देव वदन्त एति किङ्राः | महामोहादयोऽणयस्य Tena get: खिताः ॥ तत्कमज बहना जच्ितेन | 4 चतुथः Weta: | yee माप्रषादो मे माम Ba एवातुलस्लया | यद्राच्यलोलां भुश्नानो दशितो मकरध्वजः ॥ विमरनोक्र । ag कियदद्यापौदं। बहतरमच भवचक्रनगरं भव- तान्यदपि दष्टयं । Seas श्ठरिप्रकाराणि प्रेचणकानि । प्रकर्षः प्राह । माम तयि प्रसादे दशके किंवा मम दशेनङुत्हलं न परिपू्य॑त | केवलं मकरध्वजस्य समौपे महामो दरागकेषरि विषया- भिलाषहासादयः स्पन्नोकाः समुपशग्वन्ते | श्रधना मया ते तु देषगजेश््रार तिश्रोकादयो नोपलभ्यन्ते । तत्‌ किमन्र कारणं । किं नागतास्तेऽज मकरध्वजरा्ये । AWE) वत्स बमागता एव तेऽज भवचक्रमगरे म सन्देहो विधेयः fa तु निबेदितमेव मया यथा विर्भावतिरोभावधमंकाः खल्वेतेऽन्तरङ्शोकाः । ततस्ते इेषग- axutareassa तिरोश्तास्िष्टन्ति ce: शेवावसरमपेचनो | एते तु महामोहादयो लभावसषरतया wey: सभायामाविश्वैताः खनियोगमनु श्न शयन्ति। किं त्‌ प्रषण्डश्ासमः खस्षेष मकरधष्वजन- रेः । ततोऽस्य राच्ये यख यावान्नियोगस्तेन तावाननुषेयः | यच्छ यावन्माहाव्यं तेन॒ aera । थस्य यावद्यदाभाख' तेन तावत्तदेव ary नाधिकमूनवा । तथाहि । यदयं ateret राजा सषा शरषराजटन्देन fafaueiary जिता sata मकरध्वजेन न जानन्ति सपरिकरमेनं बन्धृश्वतं मन्यन्ते तदिदं महामोहेन fafe- तमयभेवाख्य नियोगोऽजेव माहाब्यमिदमेवास्याभा्मिति । यत्पु- नरेते शोकाः मोतिमुददम्तो aera aaa fy तदिदं रागकेखरिएा जनितं श्रस्ेव च नियोगमाडाक्याभा्गोच- goo उपमितिभवप्रपच्चा कथा | र्तं । aut शभ्वन्ति शब्दादिषु gifa विकारश्ताभि afed विषयाभिलाषस विजम्मित नियोगादिक च । यत्पृनरहा- हृ हासेरेसन्ति दगेयन्ति विष्बोकान्‌ ददं wee विलसितं । एवं तत्पन्नौनामपि यथाह शेषाणामपि नरपतोनां च डिमरूपाणं च नियो गमाहाम्याभाश्यय्दणव्यापाराः प्रतिनिथता एव दष्टाः | यत्पुनरभौ जनाः शब्दादिकं भोगजातमुपञुश्जते सदषंमगुक्रलयन्ति कषछजाणि qafa तेषां वक्षाणि समाञ्धिष्यन्ति गा्ाणि सेवन्ते मेथनानि तजेवमादिके कमेफि नेष मकरष्वजराजाऽन्यश् नियोगं ददाति fa afe रत्या शद खयमेव कुरुते । यतोऽख्ठेव तज कर्मणि सामथ्यं नान्यस्येति । तदेवं ae विद्यन्ते तच देषगणेन्द्श्रो- कादयः | केवलं q@ata नियोगावसर प्रतौषन्ते। तेन नाविभ- वन्ति ॥ प्रकर्षेशोक्तं | aud ततः किं शल्यौश्तोऽधुना ferent ख ` महामोहाख्ानमण्डपः। विमशरेनोक्गं । taza भिवेदितमेव तुग्यं । कामरूपिणः खस्वभौ अरन्तरङ्गजनाः ततः समागताः स्वेऽ्ज मकरष्वजराच्यं | तथापि तम्महामोहास्थानं तदवख्वमेवास्ते। इदं fe कतिविदिनभावि गुष्तैखुन्दरं मकरष्वजराच्य । तन्त महा- मोडराज्यमा काणप्रतिष्टममन्तकल्यविमदं सुन्दर WA: का तज विषख- ATS | TI) तत्छमस्तमुवमव्यापकं महामोरराच्यमिद Gataa मानवावासपुरे मकरष्वजराच्य । केवलं चिरकन- खितिपाखनव्यसनितया निजरपादातेरपि खयमेव राच्ये ऽभिषिक्रस्य पुरतोऽष्य मकरध्वजस्य महामोहनरेश्रोऽयमेवं सव्यभावमाचरति | तस्मादविषखमेव भद्र तग्महामोदास्धानं ATT: प्रावः १०१ त्र ॒वतेमाना एवामौ नुनमज ge । प्रकर्वेणोक्ं । गो मे सं्रयोऽधना | sweet करिवरादवतीणेः ख शलोखाशो राजा प्रविष्ट्ष्डि- कायतमे । तर्पिता मदेन चण्डिका । विडितपूजः ससुपविष्टखस्या ua चण्डिकाथाः पुरोवतिंभि महति परिषरे aggre । ततः सदैव तावता anaes again । प्रकटितानि areca विधटिताजि विविधमद्यभाजनानि । समर्पिताः समस्तजनार्नां कनकच्चषका निकराः । प्रवर्तिता मधुवाराः । ततो विशेषतः Gat year) गौयते हिन्दोखंकः। उपरि परिभधौथते saga: | दयते aretha: । विधौयते aaa श्रभिनोयते acres: विधौयते प्रिथतमाधरविम्ब । श्रवदौ्यते रदनकोटिविश्चषितेन । उपरौयते मदिरामदनिभैरता । प्ररौवते शष्लाग्रद्यादिक। निमोयते रवितावदनेषु दृष्टिः । विद्ोयते manta: खौयते state बिणम्धितेन । eater सवंमकार्थमिति ॥ इतस शोखा- ware: कनिष्ठो स्नाता रिपुकश्पगो नाम युवराजः | तेन॒ मदप- Tanner कार्याकार्येम विचार्यामिदहिता निजा महारवो रतिल- feat । धदुत । भिचतमे नृत्य मृत्येति । ततः खा गरुसमक्मति- खष्नाभराखसा पि wefan भतुरादे गं नतित प्रटन्ता | तां च गृत्यन्लोमवलोकथमाभो मनोहरतया aware विकार- कारितया मधूमदच्लाशिभ्रचिश्तसाडितोऽनवरतपातिमा शरनिक- रेष स लोणाचो नुपतिमेकरध्वणेन तां प्रति गाढमध्यपपन्नसेतसा | Haunted स्थितः किखतीमपि aman cay 76 fox उपमितिभवप्रपश्चा श्या | भरिमञ्चपानेन मदनिभेर भिखेष्टौ तमापानक । प्रलटिताः सवं लोकाः । प्रदृन्ताग्डदं यः । सजातमदचिकदंमपिच्छिलं । निपतिता वायसाः | ` समागताः सारमेयाः । श्रवलोढामि जनवदनामि | परसुक्नो रिपुकभ्यनः । mata Cfaefea ॥ च्रभान्तरे वशोशतो मरामोेन क्रोडोरुतो रागकेषरिणा प्रेरितो विषयाभिश्चाचेण श्रमिग्रतो रतिसामर्थ्ेन fafiat इदयममेणि शरमिकर प्रहारेम- करध्वजेम सियमाण दूवात्मानमेतथमामः vefeat शोलाचो रतिलखिताग्रदणाये वेगेन 1 MAMA) प्रसारितौ बाडदण्डौ | ततः किमेतदिति चिन्तित रतिखज्ितया । fed तदाक्तम- भया । VAR साध्वस । संजातं भयं । विगलितो मदिरामदः | पश्ायितु प्रत्ता zelar लोखा | विभोवितोऽनयात्मा | धावन्तौ पुनग्टेहोता Berea । ततः gafaatenana प्रविष्टा aw शण्डिकायतने। feat चण्डिकाप्रतिमायाः yeat भयेन कम्प- माना ॥ श्रचारे देषगजेष्स्य संपन्नो राजादेशः । श्राविष्रंतो- sit) दृष्टः vada । स प्राइ । माम स एष Sama: सहितो निजरिम्भरूपेः । विम्शेनोक । ag संपल्लोऽस्य भियो गावखरः | ‘aera विश्सितमधमा विलोकयतु ae) प्रकरषेशोक्षं । एवे करोमि॥ ततः प्रतिपन्नं TIAMAT राजश्रासमं। श्रधिषठितो शोलाखः। चिग्तितमनेन । मारयाम्येनां पापां रतिशूशिर्तां या मां faerece नष्टेति । गोताऽनेन ay: | प्रविष्टञण्डिकायतने | मदिरामदा- न्धतया agra विदारितानेन चण्डिका । नष्टा रतिलखिता | बहिर्निगेत्य तयायपुजायैपुज were waefa wat हाहारवः । चतुर्थः प्रावः । ९०३ विबुद्धो रिपुकम्बगः सहिते लोकेन । श्रभिदहितमनेन । भियतमे कुतस्ते भयं । कयितमनया लोला चचेष्टितं। तताऽधिषितः साऽपि देषगजन्दरेए । सस्यधं सतिरस्कारमाहृताऽनेभ रणाय rere: | wefan: सुभटाः । समुत्थितानि शेववनापानकानि । equate: HARA: | TAF चतुरङ्गबलं | ATRIA YRS । ततञ्चाविन्नात- व्यतिकरतया मदिरामदपरवशतया च परस्परमेव कातरमराः BATT: खरे; खरा बेगसरे्ंगसरास्युरगेस्ठुरगा वरकरभैवरकरभा TWAT CAAT: FA: कुञ्जरा खद परोवरकुश्चरव॑रछुश्जरा नरवर - ्ेरितेचुणचितुमाराः | सजातमकाण्डे TEMAS ॥ TAQ तथा रिपुकन्यनेनाह्ृतेा शेलाखच्चलणितस्तद भिमुखं इ षगजेश्धाधिषटितः | भदिरामदान्धतथा wat तौ करवाललयुद्धेन । तता गाढामर्वा- न्निपातितेऽरिपुकन्पनेन Srare: |) सजाता महा विञ्जवः। तमवलाक्छ प्रविष्टौ ant विमश्प्रकर्षो । feat निराबधस्ाने । विम्॑नाक्तं | ae दृष्टं देषगजेन्रमाहान्यं । स प्राह । सुषु दृष्टं माम तावतां विल्ाखानामौदृ रं पयवसानं । विमं नाक्तं | भद्र मद्यपा यिनामेवं- (विधमेव पर्यंवणाम भवति । मदिरामन्ता fe प्राणिनः gat गमनानि न awa पुरःख्ित मारयन्ति प्रियवान्धवान्‌ जभ- चनधकाष्डविद्धर समाचरन्ति समस्तपातकानि भव ज सवेजगतसन्ता- पकाः निपात्यन्ते निध््रयोजने ग्टला च गच्छन्ति दुगेतौ । किम- चद्ययेमिति | fa च। मे च पारदार्ये च थे रताः awa: | ०8 उपमितिभवप्रपश्चा क्था | तेषामेवं विधानर्था्‌ ae कः प्ष्ुमरति ॥ ag fe निन्दितं सद्धिमेचं कलहकारफम्‌ | BY wat मृश्च मद्य पापश्रताश्ुखम्‌ ॥ न WAAR AG WIG च यो नरः। aur ag छाखाचखयासौ भते चयम्‌ ॥ ag च पारदायं च थः gate सुवति | घ पण्डितः स Gua धन्यः स era: ॥ DRG | एवमे तन्ना द्य GWU | तसतस्तधोप्तज नगरे विशर- arate कतिचिदिनानि । wat मानवावाषपुरं रान्शा- समे इृषटसारभ्यां पुरषः । प्रकरवेशोक्रं । माम ख एष भिध्याभिमानो दुष्ते | विमर्गेनोक्ं । way ख एवाय । प्रकषेः प्राइ । गरु रान- घचिन्तनगरे frerfawarsa 1 तत्‌ कथमिहागतः। विमग्र॑नोक्ं ! चवं भाम मकरध्वजस््ोपरि Barat महानेहराजेा Save wey चद्‌ चलं भिजवल तदष्यानौतं | केबलं कामरूपितयाथं भिच्यानि- माजा मतिनेहख यद्यपोहागौतौ gaa तथापि तथोरोब राज- खचिनलतामसचिन्तपुरयोाः परमाचंतशिषटन्तो वेदितव्यो । प्रकरवेोकरं। माम शुच पुनरोषोऽधुना गन्तु प्रहसः । विमर्धे नेकं । भद्रके \ योऽसौ gemma रिपुकन्पनः ख निहते Sreresyer राव्य ऽभि- निक्षः । तस्य SE aati) अतोऽयं मिश्याभिमानः केनचित्‌ कारणेनेदं राजसदमं प्रबेषटुकाम इव Bw | प्रकषैः प्राह । ममापीदं नर- पतिमिकेतनं दभ्रेयतु ara: | विमर्ेनोक्रं । एवं करोमि । ततः प्रविष्टौ at तत्र नृपतिगेषे ॥ cay तस्य रिपुकन्पनग्पतेरल्ि CTA: प्रावः | १०६५ feta afanfern नान महादेवौ । सा तस्िन्नेव aaa दारकं TAT । रथ तण OATS Treg भाखरोदये विकसित- भिव तामरस यथपनततिभिरनिकरमिषव गगनतलं विनिद्रमिव सुन्दर जनमयनयुगच्ं शुवनमिब Quay तद्राज- भवनं राजितु nee) कथं । विरचिता afengtafewer: | faen- रिता मङ्गलरपेशमाखाः। संपादितानि भतिरशाविधानानि | जिवरतिता गौरबिद्धाषेकेनेन्दावतेश्रतप्रखेय्वाः। निवेशिताः सित- चामरधारिश्यो विल्लारिन्वः। ततः refer बरेगेनाश्चानखायिनो wae: सुतजश्ममहोक्छवं निषेदचितु पिचंबरिका । कथं | रभसोहामविशष्युलगमनं Mae | शरणचखनतो साणितडदवं इदवविकन्पफ़रितनितन्म्‌ ॥ सफुरितजनितम्ननिनादितगर कनं रसनासध्रपयोधर शिचचम्‌ | सिचयनिपातनशज्ितवटरन वदनशक्राद्धोयो faye ॥ श्रपिच्। जितम्बजिम्बवचोजदुरवारभरनिः खहा | तथापि रभषादाला वेगाद्धावति षा तदा ॥ निवेदिते बथा रालपुज्ननामरशोक्छवे | आनन्दपुलकोद्धेदनिभेरः TTT ॥ surat प्रविष्टो मिश्याभिमानः। ततौऽभिडहितन्रमेन रिप्ररक MATT | ततद | तेनावष्टभचिन्तोऽसो तदान रिपुकन्बनः । mame a वा देशे नापि माति जमन्रवे ॥ og खउपमितिमवप्रपश्चा कथा | चिन्तितं च पुनस्तेन विपर्यासितयेतखा | श्रो हतारयो दर्तिऽहमहो वं शरषमुखतिः ॥ श्रहो देवप्रसादो मे अहो wwe | अदो राच्यमहो खगः Ty जन्मनः फलम्‌ ॥ अरहो जगति नातोऽहमहो कशयारुमालिका | हो मे धन्यता शवेमहो सिद्धं समो हितम्‌ ॥ ayaa मथा योऽयसुपधाचितको रिमिः | प्रार्थितः सोऽ संपनश्नो य्य मे Fara: ॥ ततः HEAT THT TAT: । निषेदिकाये wae दौनाराण्टां सहारपिताः । खल्लसत्छवंगाचेण इर्वगदटभाषिशा | प्रशतौनां समादिष्टः सुतजन्ममरोत्छवः ॥ ततो नरपतेवांक्धं wet मन्तिमहन्तमेः | चरेन सदने तच वत fa किं विभिमितम्‌ # पवननिरतमोरषङतमथख्धितानेकवादःसम्‌ शोध्येपुष्छच्छ टाात- संपशनकल्लोलमालाकुले यादः श्यान्िनादो महानौरधौ तज भेदे समनादयो ताद्ग्रस्धयेस्नातचोवः चणादुल्थितः । तथा। प्रमलयसम्मवचोदकश्ौ रजतादरस्तोमकच्छरिकापूरकपूरनोरप- वाहोचसंपश्चसत्कदं मामो दन्दो इनिष्यन्द बिन्दुप्रपूरेण श्पादिताशरेष- भन्तुपरमोदं तथा Tarawa विद्यात मि्गषटष्यप्रमाजालसच्चारमाशो- कयते तन्तदा मब्दिरम्‌ ॥ बडनाटितङ्कुलकवामनमकं प्रविधूिंतकष्ु किङाखगकम्‌ | चतुरैः Tea | ६० जनदापितरव्रषमूहचितं चरितातुलमौ क्रिकहारद्तम्‌ ॥ शषदु द्ध रवेषभटाङ्गुखकं शलनाजनलाशविलाखयतम्‌ | वरखाद्यकपानकतुष्टजन' जनित प्रमदादिति वधेनकम्‌ ॥ au agin aaa निखिले प्रमदेन च नृत्धति ware | अतिरषेवगरेन wataye: खयमेव ममते चिर स नृपः ॥ AANA दृष्टा महासंमदंग॒न्दम्‌ | Raa: संग्रयापन्नः प्रत्याह निजमातुखम्‌ ॥ मिषेदयेद मे माम मदहदच कुतहखम्‌ | किभितौमे रटनधृचेनिर्वादितञ्खा जमा: ॥ अत्ययैमुष्वशब्ते च किमयेमिति मोदिताः | fa wat दत्तिकाभार निलाङ्गषु वन्ति भोः ॥ चर्मावमङ्काषहानि इृढमास्फोटयग्ति किम्‌ | विष्टासभारसुक्ोष्यो मन्द मन्द चशन्ति किम्‌ ॥ fa वेष सदनय्याश्य गायकः एयथिवौपतिः | बाणदहाख्यकर मूढः करोत्यात्म विडम्बनम्‌ ॥ तदच कारण माम यावश्नो शिति मथा | ददं तावन्धमाभाति महाकयैतुककारकम्‌ ॥ fant: प्राह वे वल कथ्यतेऽज निबन्धनम्‌ | यदस सकशस्धापि sare WAR ॥ पश्यतस्ते प्रविष्टोऽ् थ एष नृपमन्दिरे । भिश्याभिमानस्तनेद तात शवे विजम्मितम्‌ ॥ अरय fe राजा जातो मे arta विचिन्तयन्‌ । उपमितिमवप्रपश्चा जया | भ माति TB भो AT न पुरै नं wwe I ततो मिश्याभिमानेन faseteaerer | अत्मा Yaya शोकोऽनेन विडज्वितः ॥ न चेदं खचयत्येष गुनमात्मविंडम्बभम्‌ | चतो मिश्यामिमानेन बराक मन्यते भगत्‌ ॥ WHE: प्राह यद्येवं ततोऽख परमो रिपुः | माम मिष्यामिमानोऽयं यः awa विडम्बकः ॥ faa: प्राह at वाच शशयो भद्र agit | निशितं रिषुरवायं बन्ध्रख्च प्रभाखते ॥ WHA: प्राह यद्येवं ततो योऽथ वेशं गतः | स एष नुपतिमामथ्कौदुधो रिपुकश्पनः ॥ विमरशनोदितं weg भ erature: | कित्‌ । बिवैरिषु शरोऽयं तेनेत्धभमिभोथते ॥ इह TI यो बहिः कोटिक्षोखौभामरौशं serves: | परभविष्र्विना wei सोऽपि नाकारपैरिणाम्‌ ॥ Aare बा रोषोऽयं नाष washers | यतोऽच परमार्थ ज्ानाभवोऽपराथ्ति ॥ यसमादशज्नानकाचान्धाः faery कारणम्‌ | याकि भिव्याभिमाभच्य ध्रुवमस्य वशं भराः ॥ तेनाभिश्वतचिग्तासते Wet Ta अभेः Ty । चतुर्धः प्रावः | १०६ किंडम्बयन्ति aaa चथेष रिपुकन्पनः ॥ ज्ञानावदातवुद्धौनां TF राच्यं धनेऽपि वा । खोकाखयंकरं जाते AIG कारणे ॥ fed न wut sta धन्यानामान्तरो रिपुः | wg मिथ्यामिमानो sa ते हि मध्यखदेडिनः # यावच्च कथयत्येवं faa कारणम्‌ | तावद्धाजकुशदारे नरौ दौ समुपागतौ ॥ प्रकषेशोदितं माम TRA काविमौ ad | घ प्राह मतिमोद्ेन om: शोकोऽयमागतः ॥ wat खतिकाग्हे ससुक्लसितः कङणकोखाइशोग्धिशः पूह्काररावः । प्रधावन्ति सर महाहाडारवं कुर्वाणा मरपतेरभिमुखं दाखचेचः । प्रशान्तमागन्दशन्दलं | किमेतदिति पुनः पुनः एष्छन्‌ कातरोग्तो राजा। ताभिरभिदहितं। जायद् देव wae) कुमारो agate जातः। कणष्डगतप्राणेस्ततो घावत धावत । बतो वञ्जाहत शव Sarat राजा । तथापि सच्वमवश्लग््य सपरिकरो गतः सतिकाग्हे । इष्टः खप्रभोद्धासितभवममिन्तिभागः संपूणंल- wear: विं चिष्डेषजो वितव्यो दारकः । समाहतं dened | vet वेदयाधिपतिः। किमेतदिति। ख प्राह । देव समापतितो CUI FATA सथ्ोघातो बशवानातङ्कः । स च प्रदष्डपवम दव WIAA शप्र: पश्तामेवास्नाकं मन्दभाग्यानां । मृपति- राह । भोभो शोकाः Wagers यथाग्रह्ा | कुमार at जोवयति va राच्यं प्रयच्छामि खयं च पद्‌ातिभावं प्रतिपद्ेऽ इ । 77 १९१० खप्रमितिमवप्पञ्चा कथा | तदाकष्यं॑सर्वादरोट शोकः प्रयुक्तानि Hania वादिता ae: निबद्धानि कण्डकामि लिखिता cer शतानि दतिकमाणि नियो- जिता विद्या वतिवाजि agerfa deat देवता विन्धासितानि Tare । तथा कुवेतामपि च गतः पश्चलमसौ दारकः । अणा- mt कामरूपितथा शोकमतिमोदाभ्यां शपरिकरथोमंतिकलिता- रिपुकम्पमयोः wa: शरोरातुप्रबेशः । ततस्च । हा हतासि निराग्रासि भुषितास्मौति भाषिष्ौ | wre हैव देवेति क्दन्तो गष्टचेतना ॥ खफाज्िपतिता शमौ कतं Tey कुमारकम्‌ | मा देवो वज्जमषह्णतताडितेवातिविहल्ला ॥ हा पु आत तातेति ब्रुवाणो year यथा | राजापि पतितो मौ सुक्रः weedy षः ॥ ` ततो इाहारवो घोरो महाक्रन्दश्च भेरवः | अगोरस्ताडश्रष्टख BUY समजायत ॥ अय सूुक्रविललोलकेशकं दलितविग्धषणमभप्रगशंखकम्‌ | रिपुकश्मयो षितां अतेषेहदाक्रन्दमकं प्रवर्तितम्‌ ॥ शाशा विश्वक्षकोटर शरितं मितले स॒टोगकम्‌ | छलशुश्चितकेश्रपाश्क दारा टि विमो दनतत्थरम्‌ ॥ QIU हारति सवतः करणध्वानपरायणं अनम्‌ | श्रय वोच्छ स विस्मितेक्षणो बुद्धः समुरवाच मातुलम्‌ # यदत । faaa: ख्णमाजेण feat TIAA | ATR: WT: | ९१९१ प्रकारान्तरतो शोकेः प्रारभ नतेनाकरम्‌ ॥ विमर्भेनोदितं ag यौ तौ get त्या गरो | anat मिजप्रभाषेण प्रविश्छेदं प्रवतितम्‌ ॥ faafed मया तुग्यं quad नेव सुत्कलाः | BIT पुरे श्लोकाः aa: कमं किचन ॥ fa तरिं) यया यथा alae कारयन्ति इएभेतरम्‌ | श्रम्तरङ्गजनाः कमे दुवंग्येते तथा तथा ॥ ततो मिण्याभिमानेन ares मारिताः पुरा । एताभ्यां पुनरोषकं किं वन्त॒ वराककाः ॥ सञ्ल्लानपरिपूतानां मतिमोहो महात्मनाम्‌ | बाधां न कुरुते qe केवलं एभरेतसाम्‌ 1 मापि शोको भवेक्तेषां बाधको भद्र भावतः, थेरादावेव निर्णोतं समस्तं चणभङ्गुरम्‌ ॥ श्र पुमः | पुचखेहवगेमेष मतिमोहग्छतो मृपः | WRG कारथल्येवं WATT कडणं जनेः ॥ परकर्ेणोदितं माम किमज नृपमन्दिरे | अखणमाजेण GUAT महद हुतम्‌ ॥ fa वान्य्ापि जायेत facgfacaiguy | विम्नोदितं नाज भवचक्र ऽतिद्‌ शभम्‌ ॥ एतद्धि गर ax परस्पर विरोधिभिः। {XR sufafawarreg कथया | saaaten: प्रायो विविधः संविधागकेः ॥ यावच मुक्रपूत्कारं दारुणाक्रन्दभोषण्म्‌ | पताकाजाशबोभल्छं विषमाइतङिष्डिमम्‌ ॥ उदेगडेतुसते भद्र नितरां जनतापकम्‌ | ददं हि खापकं Cea निगेष्छति मन्दिरात्‌ ॥ तावद्न्यच गच्छावो म YR TTA | परदुःखं WNIT: सन्तो मोदौचितु माः ॥ एवं भवतु Bate मितौ राजमन्दिरात्‌ | संप्राप्तौ WEARING ततः खसोयमातुलो ॥ marae हतन्ा निर्विक्वाय रि पुकन्पनम्‌ | wa समुद्रश्वामायं ofa याति भास्करः ॥ sufea तिरोग्धते तिमिरेण मशोमसे | जगत्यग्रेषे aa बोधिते Tass ॥ गोधनेषु निदृन्तेषु विलोनेषु शकुभ्तिषु | बेताखेषु करालेषु atfuag विलारिषु ॥ भूक तेषु काकेषु निद्धिते मखिनोवने । निजावश्वकल्नेषु सुभिषु ब्रह्मथारिषु ॥ रट शक्रवाकेषु रदितेषु Gare | SHAQ YET TS कामिनोजने ॥ CA प्रदोषे GT प्रष्टजममानसे । कथिज्जिजापणएदरारे दषटसाभ्यां महेश्वरः ॥ ` छशृङ्गविष्टरे रम्ये निविष्टः किल शोकखया | चतुर्थः Wea: | ६९३ विनते मिद चेवं फिकुपुजविषे टितः ॥ वञ्ेन्रनोखवेदूयेपश्मरागादिराभिभिः । पुरतः शखापितेश्ङ्गेनांशितारेषतामसः ॥ विकटेहटकलोमे राजतैश्च पुरः fea: ! दौनारादिमहाक्रटेगेविंतोऽये विवर्तिभिः ॥ प्रकर्षेशो दितं माम किमित्येव महेश्वरः | खज्ञामितेकभूमेन्ं dled wate: ॥ शर्थिनां वचनं किं वा सादरं बभाषितम्‌ | एव बाधियेशोनोऽपि माकणेयति where ॥ ` छतप्राश्चख्यो गन्ना च एते चादुकारिणः। एताश atet कस्माशुणतुश्ां ञ्च मन्यते ॥ दृहा इहा ख रलानि किचिद्याला सुडमुंडः | Wary: खोरवदमः किं भवत्येव वाणिजः ॥ विमर्थेनामिहितं । भद्राककंव । असि तदैव भिष्याभिमानस्छ खाङ्गगतो weal नाम वयद्यः । तेनाधिहिवोऽवं वराकः | तेना- धिहितानामौदशरमेव wed भवति । wi हि मन्यते । ममेदं रन्कगकादिकं WERE Gal! ततः रतन्लत्यो ऽइ । संपन्नं जब्धनः फल । at वराकं सुवनं । ततस्त्य विकारबडशः परि- wat न अयति wraed म चिन्तयति परिणामं गाणोषय- व्यायति भ faucets awa गणएथति शणनश्वरतामिति | wat: प्राह । माम योऽसौ रागकेखरिङिम्भरूपाणां भे get मथा पञ्चमो fea: सोऽख् निकटवर्तो eat fain) ६९४ उपमितिभवप्पद्चा शया | सत्यमेत्घ एवायं ॥ WA समायातः afyguy: | निविष्टौ मदेश्वरसमोपे। थाचितोऽनेनोत्छारकं महेश्वरः । दश्लोऽनेन । ततौ रहसि सितस्य प्रकाशितदिकूशक्रवाशं बङूविधानध॑यरत्र- चटितं fad भुजङ्गेन तस्व मद्ेश्वरवाणिजिकख yee) प्रत्यमि- SAGA भुजङ्गः wie हेमपुराधिपते विभोषणमृपतेः पदाति- दुषट्ोखञ्च | ततो नुभं इतमनेनेदं भविब्यति । want प्रवि- ्टोऽसौ रागकेशषरितमथो वाणिजकश्चरौरे । ततस्तत्मतापाचिन्तित- मनेन | भवतु भाम इतं तथापि यरोतव्यमेवेदं मथा | ततोऽभि- डिति ऽनेन भुजङ्गः । भद्र किं ते करियतां । भुजक्तेनोक्गं । श्रस्यो- चितं मृद्धं दश्वा ग्टहयतामिदं भवतेति । तुष्टौ वाणिजकः। तो षितो yea yup: । पलायितो वेगेन । नते च तक्षिसत्यदा- gay समागतं बिभोषराजवलं | wan कुतखिदिकष्यवार्ता | प्राप्तः Wetat वाकिलिकः । ग्टहोतः पुरत एव Stee । ततस्च चचमाभरेण SHS रबराश्यः । बङ्धोऽवावारटशुकं राजकेन महेश्वरः । इतरतो भयोदभ्नान्ता वणिकूपुजाः eae: | सर्वेऽपि बान्धवैः ord नष्टासे पाश्चव्तिनः॥ ` ततो विलप्तवखः सजने: परिवजितः। ` ` आबद्धखोप्रकः कष्ठे महाराखभरोपितः ॥ गत्या विलिप्रसवा्गस्तसछराकारधारकः । ` क राजापश्यकारोति निग्मानः एयम्‌जनेः ॥ ` ` ` महाकखकलध्यागंपूरितदिगन्तरेः । चतु प्रलाः | ९१५ Prat मृपेणोक्ेः Gee: रतताडनेः ॥ विद्राणएवदनो zim: सर्वांना विहलः | afer we दृष्टः ख ताभ्या मिग्यवाणिजः ॥ ` प्रकर्णो दितं माम किमिदं दष्टमहुत॑म्‌ | किमिद्रजाखं किं we: किं वा मे मतिविभिमः॥. दम्य चणमाचेण म सा लोला न. तद्धनम्‌ । मते लोका म तत्तेजो न गवो म च पौरवम्‌. ॥ विमनो दितं ae सत्यमेतन्न विभ्रमः | श्रत एव म कुवन्ति धनगवं महाधियः ॥ धनं fe घमेसंतश्नविदक्रगलचश्चखम्‌ | गोग्मोद्माक्रान्तशादृंखजिहातरलमोरितम्‌ । दृष्द्रजालमिवानेकद्‌ श्तिहुतविभ्नमम्‌ | चणदृष्ट विनष्ट च नोरवुहुद सज्जिभम्‌ ॥ शरस्य वाणिजकस्येदं तात दु्ेयदोषतः । नष्टं महापदस्वानं जातं च विविधं घनम्‌ ॥ दृहन्येषां पुमभद्र दोषसंक्षेषवजिनाम्‌ | रपि मण्येदिदं रिक्थं भवेच भयकारणम्‌ ॥ तथाहि | | येऽपि Heer Hee पादं सुश्चनि लले । तेषामपि quia aad म dna: ॥ argafan च दुःखानि धनिनो धनटोषतः | जलज्लनलृष्टाकराजदायाद तस्करः ॥ | १६ । उपरमितिमवप्रपचा कथा | sage धनं ay मेघलाखमिवातुखम्‌ | ea प्रशण्डवातेन यदा याति कथंचन ॥ तदा नालोकयति रूपं भ विगणयति परिचयं न निरूपयति ्ुखौमतां नानुवर्तयति कुखक्रमं नाकणथति whe नापेशते पाण्ड्यं नाञधाचयति सौन्दथे मावरष्यते धर्म॑परतां माद्धिथते दागग्यसनितां a विशारथति विग्रेषन्नतां न शयति षटाशारपरायण्तां न परिपाखयति चिरखेहभावं नोररोकरोति षत्वघारतां न प्रमाणयति श्रसोरशलशणम्‌ | कि तहि गन्धर्वनगराकारे पश्यतामेव देहिनाम्‌ | तद्धनं खणमाजेण कापि न श्रायते गतम्‌ ॥ आर्जितं बमः क्तेः whet ज वितं यथा । ae तु UTE Fay नरेष्वपि तदौ दितम्‌ ॥ तचाणयमौ महामोदमिहताः चुद्रजन्तवः । trash धने भद्र चिन्ाबद्धं वितन्वते ॥ अखोकधनमवेंण विहलो शतमानसाः। विकारकोरौः कर्वभ्ति ययेवेष महेश्वरः ॥ तदोड्णो धमसेड पथन्तस्तात जब्धनि । UTS FART WATE VITA ॥ प्रकर्व॑णोदितं माम येन स्वाजिश्चणं धनम्‌ | तया शद्ध विपाकं च स्यात्‌ Tareq ॥ waren जगत्य किमस्ति बत कारणम्‌ | fe ata संभवत्येव तदिदं मे गिषेदव॥ wa: cera: | ९९ faniintied तात संभवल्येव तादृशम्‌ | कारणं विरशानां भोः केवलं तेन मलकः ॥ करोति eee अजातं जनयेद्धनम्‌ | अन्यन्तदुलेभं भद्र पुश पुष्ानुबन्धि चत्‌ ॥ यच्च | दथा शतेषु atin विधिवहुरुपूजनम्‌ | विश्द्धा शोलदटत्तिख पुषं पुश्यालुबन्ध्यदः | अथवा | परोपतापविरतिः परानुग्रह णवे च। सखचित्तदमनं देव ge पुष्पानुबन्ध्यदः ॥ एतचान्यभवे धन्ये ेहपान्षमिहापि वा । स्िरमेव धन तेषां सुमेरोः शिखर यथा ॥ अन्यच्च ते महात्मानस्त्पुखपरिढौ कितम्‌ | TW तुच्छं मलप्रायं विज्ञाय चणगत्वरम्‌ ॥ योजयन्ति wa स्थाने खयं च परिभुश्नते | न च तच धने मूर्कछामाचरन्ति महापियः ॥ तत तद्धनं तेषां सत्पष्छावाप्तजानाम्‌ | इत्य fanggqgiat जायते शभकारणम्‌ | fre] ae महानथेकारणे मूर्ता धने | शन्यास्ते दानभोगान्यां ये पुमः saa: ॥ cea चिभ्षषम्ताप घोरामथेपरपराम्‌ | यत्ते wm पापिष्टास्तन किं भद्र कौतुकम्‌ ॥ 78 ९१.९८ उपसिदिभवप्रपञ्चा कथया | द्र पर मायौऽयं मूर्छागर्वो wa सति । न कायो दामभोगौ तु कर्तव्यौ तत्ववेदिना ॥ यस्त॒ नेव करोदश्वः स वराको निरर्थकम्‌ | RAW: RAAT: केवट परिताम्यति ॥ सेयदनेयगन्धोऽपि वजेनो यश्च जानता । अन्यया जायते A यथास्य वणिजो महत्‌ ॥ wae कथयत्येवं बुद्धि्मोः सखमातुखः | श्न्यस्तावत्छमापन्ना BMA निबोधत ॥ दृष्टस्ताभ्यां युवा कञ्चिदवतौरौ बणिकूपये | दुबे मणिनः GAT जरण्ौवरधारकः ॥ श्रपणे यन्धिमुकाश्य Sanaa भेदकाः । as: पर्णानि गन्धा ala वस्त्रयुगं तथा ॥ गत्वा च निकटे वाप्यां भद्धितं तेन भोननम्‌ | संमानितं च ताम्बूलं खातः सपूरितेादरः ॥ बद्धखामाटकः पुष्पैः सद्रनर्वासित वपुः | ततः परिहिते वख प्रसिता रानलोखया ॥ निरौोकतेऽभिमानेन fate पुनः पुनः | समारयति WATS गन्धमाघ्राय मादते ॥ परकर्षेणादितं माम क एष ACU | क ufea: किमथे वा विकारेरिति भण्यते ॥ faatarfea ag ayaa कथानिका | amiga ते किचित्‌ कथ्यते तभ्िगेध 2 GA: THA: | VYRTUA Yat वातब्याऽचैव पन्तने | श्रयं हि रमणा माम तरणे भागतत्परः ॥ बाखकालाल्षमारग्य गणिकाव्यषने रतः | अय च रमणो भद्र भ चेतयति किंचन ॥ WE समुद्रदन्तस्य रन्रशम्भारप्रूरितम्‌ | यदासौ दिभवेः पूवं विचिक्रधनदाखयम्‌ ॥ तदनेन दिनैः खौ कगे णिकारतनुद्धिना | sanagege विदतं पापकम ॥ saat निधना दोः परकमेकरेा लघुः | जाताऽयमौङूश्रः पापो दुःखाती Ferner ॥ परकमेकरलेन कतिखिदरुपकानयम्‌ | अद्यागतः समासाद्य WF व्यसननाटितः ॥ ततः पर grag यदनेम विचेष्टितम्‌ | ageaa निः गेषं तया fa aw कथ्यताम्‌ ॥ af चाभ पुरे श्याता गणिका मदनमश्चरो | तचा कुन्दकश्षिका दुहिता यौ वनेद्धटा ॥ तश्छामासक्चिशेन माशितेा ways: | अनेन धनङोनञ्च गेडाजिःशरितस्तया ॥ ततोऽद्य ङूपकानेष कियतेाऽप्यतिनिष्टया | सप्राण प्रखितस्तख्याः सदने रतकाम्बयाः ॥ BUA सलरशोरमाशष्टश्रदाङणम्‌ | नरं MATA TY ARG ATE ATTA tl ९१८ ६२२ उ पमितिमवप्रपष्ा कचा | TY रमणः । ततो गतेन Sai प्रासेन नेष्यं नतेन Mat भयेना भिश्धतेन तेन रमणेमागत्य शतं चण्डस्य ङ्रलोगहोतदन्ते- नाष्टाक्र्पादपतनं | Waa देव जायखेति भाषितानि कड णवच- नामि । संपन्ना चण्डस्य दया । म मारितोऽसौ aw ciated च्छिन्नोऽनेन रमणस्टामोटकः जोटिता नासिका वि््तौ कर्णो विदलिता दश्ननपंक्तिः शूषितमधरोषटं विकतितौ कपोलौ उल्पा- दितमेकं शोचनं cat महापाश्णिप्रहारः निःसारितो भवनात्‌ | हसितं aware मदनमश्जरोङुन्दकलिकाग्वां । प्रत्यायितद्चण्डो ऽपि Quwaea: ङतो इतइटयः। रमणस्तु निगेश्छन्नितरां जनै- रितः wet राजलोकेन प्राप्तो aed दुःखं विधः प्राशः BHU ॥ ततः प्रकर्षेणोकं । अहो मकरष्वजसामण्यमहो भय विखसितं BE कुटनोप्रपञ्चचातुये श्रो सर्वथा कर्णास्थानं सोपहाधपरेचणक - प्रायं चेदं रमणचरितमिति | विमशंमोक्षं । aay (a) गणिकावयषने cer भवन्धन्येऽपि मानवाः | तेषामेव विधान्येव चरितानि ग संश्रयः ॥ वस्त्र्वणतान्बुलगन्धमा विशे पने: । इताचास्ते न पश्यन्ति सहजाद्विषूपताम्‌ ॥ संषरिष्णमदाविष्टाकोष्टिकाभिरविमूढकाः | ASSMAN कुर्वं ग्धेव धनक्षयम्‌ ॥ ततो भिक्ाचरभ्राया भवन्ति कुलदूषण्णः | मच मूढा fate ataaei गता aft | चतुर्थः प्रस्तावः | {RR ततस्ते ayaa बेश्याव्यसगनारिताः । एवंविधानि दुःखानि वत किं ary कौतुकम्‌ ॥ लख चित्ताः sea gus श्रपि योषितः | चटजतेन वेश्लानां तात कः WHAT: ॥ gaia श्रपि भो ara: शवेमायाकरण्डिकाः | को मायां जौणवेश्यानां TE पच्छेत्सकएंकः ॥ गरेषाभिरपि नारौोमिः खेहे cat जलाश्नलिः। यस्यासया WHMIS स मूखेः WTA | WTA दन्तरुकेता NAA WF परः | अन्यचिन्ते परः ote गणिकानामहो मरः॥ कुवन्ति चाटु कर्माणि यावल्छाथेः प्रपूयते । wat विसु्चन्मि निखांसाख्क्रक यथा ॥ पुरापघसरप्राया गणिकाः परिकौर्तिताः | ये तादपि «wef A श्वानो न मनुव्यकाः ॥ तस्मादेवं विधं नुनमन्येषामपि देदिनाम्‌ | चरितं यैः रतं पाग णिकाव्यसने ममः ॥ प्कषेणोक्रं | SPRATT सन्देहः | ततोऽतिवाहितस्तार्भ्वा afegaafeat राजिगशेषः ॥ AUR AMATI कुषितध्वाश्तकेशिका | मभःओौः WT जाता रोगा्रातेव arferat a sizer: fra तस्या निनवौर्थेख भाखरः | कार्ष्यादिव संजातः Barat मिषम्बरः | dre उपमितिभवप्रपन्चा Seat | ततोऽरणप्रभाभिन्ने पूवं गगनमण्डले | जाते रकरेऽभ्रसद्काते गतच्छाये मिश्राकरे ॥ तस्करेषु निखोनेषु ang शकवाकुषु । कौशिकेषु च मूकेषु arty विराविषु ॥ सखकमधममेग्यापारच्छलेनेव शतादरम्‌ | सवे तदा जगण्नातमासोग्याथे भभःभियः ॥ श्रयोदिते ससं शौ बुद्धे कमणाकरे । सङ्गमे चक्रवाकानां जने धमेपरायणे ॥ विमेः प्राह ते aq मदद कुद्रइलम्‌ | भवचक्र च fate arrearage ॥ स्तोककालावधिः शेषो द्रष्टव्यं aw तिष्ठति | म शक्यते ततः कर्तुमेकेकश्थामवौच्णम्‌ ॥ तदिदं वचन तात मामकौनं समाचर | श्रकालहोनं ते येन पथते तत्कुढइणम्‌ ॥ य एष yaa तुङ्गः We: wearer: | महाप्रभावो विक्ोणौ विवेको ara पवेतः ॥ आरूटेदुष्यते UT समसभिह waa | इदं विविधटन्तान्त भवचक्र महापुरम्‌ ॥ तदजारूढयतां तात निपुणं च विलोक्यताम्‌ | यथ्च गं ज्ञायते सभ्यक्‌ एद्यतामेष तव्जनः ॥ यताऽराखिश्टन्तान्ते विदिते नगरे तव | पद्चादपि म जायेत चित्तो क्यं कदाचन ॥ a Pini OC ag - चतुर्थः Te | ६२५ एवं भवतु तेनोक्ते waredt च पर्वते | अथ तज विवेकास्ये तुष्टो खसखौथमातुलौ ॥ wad: ATE मामेव रमणौयो महागिरिः | Tat शवंतः VF भवचक्र मथाधना ॥ किंतु Zage माम मद्यो ध्यानपरायणः | वेष्टितः पुख्षेर्टौनः erat भुत्कलकेश्रकः ॥ नष्टुकामो दिगाशोकौ सेटिकाश्टभरस्तकः | दृष्यते पुरषः कोऽय पिश्राचाकारधारकः ॥ ` विम्ेनोदितं aq विश्यातातुखसंपदः | कुबेर साथेवाहस््र FATT कपोतकः ॥ धमेश्चर इति श्यातममिधानं प्रतिष्ठितम्‌ | Te age: पञ्चादाहतोऽयं कपोतकः ॥ ` अनधेरल्रकोटौभिः पूरितं पापकर्मणा । अनेनापि पितुर्गेहं aoa रतम्‌ ॥ थतेषु wafers ग चेतयति किंचन | faatfea धने BB gare चोरिकापरः a ata पुरे ऽज galet रिवाराः कदर्थितः | राश्चासामान्यपुचलात्केवशं न विनाशितः ॥ ` शरद्य राजौ पुगः सवे हारितं कपैटादिकम्‌ ) ` ततो सनते मस्तकेन रतः पणः ॥ ` एभिरेव ATT TATA: कितवे जितः | शिरोऽपि शातुमिच्छद्विरधुभेवं fara ॥ - ` 79 दरद्‌ उपमितिभवममषच्चा कथा | Reet म wath खकाणभर इरितः । चुट बिंतककलञो खः tra परितच्यते ॥ प्रकर्षः प्राह न ज्ञातं किमनेन तषस्िना । qa fe दे दिना लोके अर्वागयं विधायकम्‌ ॥ धनचयकर निन्ं छुखश्रोखविदूष्टम्‌ | nafa: सवं पापां शोके शआाचवकारणम्‌ ॥ संक्िष्टकेतसो मूखम विश्वासकर परम्‌ | ara: प्रवर्तितं धृतं किमयेन न afer ॥ विमनो दितं aq महामोहमरोपतेः | वराकः किं करोत्येष यो aw: Safin: ॥ धतः ॥ महामोहदता 3 विशषण भराधमाः | qt त एव वतेन्ते प्राभरुवभ्ति च तत्फंशम्‌ ॥ यावश्च कथयत्येवं faa: faa चेष्टितम्‌ | तावच्ोटितमेवोचचेः कितवैस्तस्य मस्तकम्‌ ॥ WHE: प्राह से माम मडहानर्थ विधायकम्‌ | रमन्ते धूतमजैव तेषामेवं विधा मतिः ॥ तं मातुोऽग्रवोद्धद्र eq Wafer लबा | ग दयतेः रक्ृचिश्नानां gery परभ वा ॥ BIA AcE. निपपात कयं चत्र. | दृष्टिः प्रकषसंश््ठ नोशाजद खला सिनो ॥ AAG PES इस्तं हत्वा स पाइ मातुम्‌ | age प्रश्ावः। ` {Re क एष तुरभौखरूढः Vitam: अमपो डितः ॥ SESS: पापात्मा नौवमारणतत्परः | सथं दुःखपरीतोऽपि geet ऽरण्यदेहिनाम्‌ ॥ मध्यान्देऽपिं पिपासातें बुभुखाचामङुचिकः | जम्बुक पुरतः छवा प्रधावन्ुपलभ्यते विमर्गोक्कम्‌ | अजेव मानवावाचे विश्चते शार पुरम्‌ | लजितं नाम तस्यायं राजा सलमनामकः ॥ ग्दगयाग्थखने शक्रो न लयति किंचन | थमज महारण्ये तिष्ठत्येव दिवानिशम्‌ ॥ सामन्तैः खजनेरलोकेस्तथा मण्तिमहन्तमेः | ardaretsha नेवास्ते मांसाद गला शसः ॥ Gefen राख्यका्थाणि face राजमण्डलम्‌ | ave तादशं वोच चिन्तितं creqfeera: ॥ मोचितो राच्धपटहाय ललनोऽय दुरात्मकः | ततः पुज VATS राज्ये गेशादिष्कुतः ॥ तयाणाखेटके रक्षो मांषशोशो नराधमः | एकाकौ शुःखितोऽरण्छे नित्यमास्ते पिश्राचवन्‌ ॥ इह च वल । परमारिवजौवामां पिशित योऽपि खादति। इहामु च दुःखानां wget: सोऽपि भाजनम्‌ ॥ यस्तु क्रूरो महापापः खयमेव निङन्तति । ` ६२य् उपमितिभवप्रपश्चा कथया | Bra Nae aw मांसं च खादति॥ way चदि दुःखानि भवन्येवंविभानि भोः । पर नरके पातो वस किं तज कौतुकम्‌ ॥ बौमतसमश्एचेः frat fag रोगनिबन्धनम्‌ | कमिजाणोख्वण मांसं भक्तयग्तोड राचसाः ॥ . येखिदं धमेवुद्धीव weet खगंकाम्यया । ` कालक्रृट विषं नुनमचुरे नोवितायिशः ॥ अहिंसा परमो Wa: स कुतो मांसभखणे | अथ fear utga: arefafeaniae: ॥ किमन बडना | | ward रषग्टह्या वा मांसं खादन्ति धे गराः | जिघ्रन्ति प्राणिगो वा ते पच्यन्ते भरका्चिना ॥ अन्यश्च । चथा गोमायधाताय areas face । ` आखेटे रतात्मानस्तयेवान्येऽपि जन्तवः ॥ ` wae वशेयत्येवं विमशेस्तस्य चेष्टितम्‌ | तावन्नशनटन्ताम्तो यो जातस्तं निबोधत ॥ स जम्नकविना्रायै WTAE TUT | BATH AIA पतितोऽधोसुखस्तख ॥ ततः संचूर्िताङ्गोऽसौ quart इयेन च । warut faceqeeasa भिधनं गतः ॥ ततः प्रकर्षेणाभिडितम्‌ । चतुधैः प्रस्तावः | ६२९ अधुभेवासुमा प्राप्तं व्टगथाव्यसने फलम्‌ । विमर्रैः are a we पुष्यमेतददिभाव्यते ॥ wl तु मरकं चोर श्यारेवंविधकममणाम्‌ | तथापि मूढाः खादन्ति मांसं दिसन्ति देहिनः ॥ RAY राजपुर्षे जिंव्हा सुत्याखच SEU: | तप्त तावं नरः कञ्चित्पाख्यमानो निरोकितः ॥ ततो दयापरोतात्मा AHA: ATE मातुलम्‌ | हाहा किमेष पुरषो निर्धुशेर्मांम Tet ॥ विमर्भंनोह्ं | भद्राकणंय | अयं पुरुषोऽेव मानवावासामार्भैमे चणकपुरे वाख्छग्धो महाधनः सुसुखो नाम Weare: | श्रयं च बाल- कालादारभ्य TANCE | ततो खोकैगुणनिष्यश्नमस्व दुख इति माम प्रतिष्ठितं । प्रत्येव we प्रतिभासते खोकथा रोचते WRIT मगोभोष्टा राजकथा इह विता देशकया सर्वथा sea चति न कथं चिज्निजतुण्डं धारयित पारयति। cay चश्टकपुराधिपतिरेव ait भाम राजा गतो रिपरणसुपरि faetu | शग्रमायोधनं | जिता रिपवः। cay मिमते तस्िन्नाख्चायिकायां प्रस्ठुतानेन राजकथा | यदुत प्रबलास्ते रिपवः waft राजानं श्राग- frat ते पुर शष्टगाथं ततो यथा we पलायध्वं यूयं । तदा- HE AS समसं QC! समागतो राजा। दृष्टं तजिरूदसं sways | किमेतदिति veata । कथितः केनचिद्यतिकरः। sft दुमुख- स्योपरि तौत्रनरेश्ः। ततः पुगरावाष्ति gt प्रख्या तं दुवंन- भाषणमपराधं पौराण्णामेवं विधो ऽस्य दण्डो faafiat usa ॥ ९९० उपमितिभवप्रपच्ा कथा | प्रक्ष॑शोदितं माम AMARANTH | CET TS STATS वराककः ॥ मातु खनो दितं ae विकथा खक्रचेतसाम्‌ | अगियन्तितदुष्डानां कियदेतहुरा्भाम्‌ ॥ xa fe कुरते वैरं Seat निर्भिंनिश्षकम्‌ | fare Aya सुत्कला AT भारतौ ॥ ते धन्धास्ते Tarawa खाष्यास्ते aaftan: | ते wars Cras ते जगत्थग्डतोपभाः ॥ येषां मिताखरा श्या नगटाख्हादकारिणौ | काले सदुद्धिपूला च वतेते भद्रं भारती ॥ थे तु ब्ुत्कखवाणका वदन्तेऽदंवितदेकम्‌ | Aqsa awl Aqur awe THT: ॥ सुचधिष्टा मोशयल्येषा भारतौ तात हैडिनम्‌ । Swear पुनर्वत्छ तमेषा बन्धयत्यलम्‌ ॥ ` age विक थामू दु माषाव्यसमे फलम्‌ | इदमोष्शमापन्ं परशोके च दुगेतिः ॥ wart प्रकर्षेण राजमागं निपातिता | efesuy तचेकः शक्तवणेधरो मरः ॥ ततः पप्रच्छ तं atte क एष इति मातुलम्‌ | तेनोक्ष aq शवौ ऽयं रागकेखरिसेनिकः ॥ WTR मानवावासे वासवौ नाम वारिजः | इदं च इृष्तेऽभ्वशं तस्य गेषं महाधनम्‌ ॥ wae: WaT: | बाखकाल वियुक्रख्च TTT ATTA: । धनदन्लः षमायातो वासवानन्दरायकाः ॥ इदं कारकञुहिष्य भवनेऽज प्रवेच्छति | अयं qa: प्रविष्टश्च पथ्य किं किं करिति ॥ ततो विस्फारिताखोऽखौ प्रकर्षसतभिरोकते | Cay wera Ue मो खितः ॥ ततः प्रविष्टस्छर हे ख wa: BEAN । संजातं च वणिम्मेहं शददानम्दसुम्दरम्‌ ॥ WRT बान्धवाः सवं प्रदत्त महोश्छवः | ततो गृत्धन्ति मायग्ति वादितानन्दमरेशाः ॥. श्रपि च। ' वरग्डषणदुज्छवशवेषधर प्रमदोद्करखादनपानपरम्‌ । धनद ससमागमजातसुखं ACATY TWAIN ॥ ay agfa विष्मथसश्जनके णमा विवभितवर्धनक | निजमाममवोचत बुद्धिशतः प्रविशोकनकौतुकतोषयुतः ॥ दिदं awa माम सवंमदंवितरेकम्‌ | areatary afea तेग इण नाटितम्‌ ॥ feat fad वत्स साधु साधु विनि्धितम्‌ | WHS इवं एवा कारणम्‌ ॥ MTA aA: छष्शव्ेधरो aT | दृष्टो wit wate ve aways: ॥ ततस्तेगोदितं माम क एष पुदवाधमः | Cee । § उपमितिभवप्पश्चा कथा | विम््ेनोक्रम्‌ | aq शोकवयस्योऽयं विषादो नाम दारणः ॥ यशेष पथिकः कञ्चित्मवेष्टुमिह वाञ्छति | ufassw विषादोऽयं भवनेऽज प्रवेश्यते ॥ ततः प्रविश्य पान्थेन तेन वाखवन्निधौ । एकान्ते वासवश्ेव gy किंविन्निवेदितम्‌ ॥ अचान्तरे प्रविष्टोऽषौ विषादस्तच्छरौरकं | मूद्धंया पतितख्ासौ वासवो नष्टचेतनः ॥ w हा किमेत दि्ुचेविंखपजिखिषो जनः । ततः समागतस्य निकटे भय विष्डखः ॥ अथ वायुप्रदाना्ेः पुनः शंजातचेतनः । प्रलापं कतुमारग्धः खविषादः ख area: ॥ कथम्‌ । ` हा GT तात वल्छातिसुङ्खमार शरोरक | ईदृशो तव सजाता AT मम RAT ॥ जिगेलोऽसि ममा पश्यैवं वारयतो मम | 2am निर्धुणेनेदं तव जात विमिभितम्‌ ॥ हा हतोऽस्मि निराशोऽस्मि सुषितोऽख्ि विलचण्छः | एवं व्यवख्िते ae त्यि किं मम जौवति॥ यावश्च WAI स पुजखेहकातरः । . तावदिषादः सर्वेषु प्रविष्टः खजनेव्वपि ॥ अय ते तस . माहाक्याख्वं वाखवनान्धवाः । - चतुर्थः प्रस्तावः। - ERR हाहारवयरा गाढं प्रलापं कतुसुधताः ॥ ततख ॥ णेन विगतानन्दं दोगविष्डलमानुषम्‌ | CNT मूढ जातं वासवमन्दिरिम्‌ ॥ ` ततस्तक्नादुश्र TET प्रकषेः प्राह मातुखम्‌ | किमिदं माम संजातं VIS प्रैचणान्तरम्‌ ॥ faa: are तन्ुभ्यमादावेव निवेदितम्‌ | मया यथान्तरायत्ता बहिरङ्गा CA नमाः ॥ ततशेदं तथा ya दर्षे प्रविनारितम्‌ | श्रधुना नाटयल्येवं विषोदोऽसौ वराककम्‌ ॥ तदच भवने खोकाः किं gaeq तपसखिन | ये fe दषविषादाभ्यां warta विडम्बिताः ॥ mae: प्रार्‌ किं we करणभ्यणेविवतिंना । श्रनेन वासवस्याख पुरुषेण निवेदितम्‌ ॥ ` विम्ेनोदितं ag समाकणेय सातम्‌ : शरस्य वर्धनो माम Gat इदयवक्षभः ॥ ख चेक एव gate थौवनख्थो मनोहरः | उपया चितकोरौभिर्जातो विनयतत्परः ॥ श्रनेन वाथमाणेऽपि स धनाजेनकाम्यया | प्रविधाय महासाथं गतो देश्रान्तरे पुरा ॥ ख चोपाज्ये धनं रि खदेशागमकासुकः । .. कादम्बरीं महाटब्यां श्रौतो ब त्रः ॥ ` 80 {ae इपमितिमवप्रपञ्चा कथया | विशुप्ं waede इतः साथः वान्धवः । बद्धा wala wy त्करेधनकामिभिः ॥ तासां मध्ये शटहोतख्च वधेनः क्रूरकमेमिः । स सार्थवाह इत्येवं वादिभिभ॑द्र aac: ॥ नोता ofe ततोऽनेकथातमाश्रतपोडितः । स भौर विहितो व वर्धनो धनवाञ्कया ॥ अथं च RUS सवेदा पादधावकः | TQ खम्नमको ATA WAT दाषदारकः ॥ ततसन्तादृशं Tet खामिनं चौरपौडितम्‌ | wer कथयबिदायातो इत्ताग्धस्य मिवेदकः ॥ जिवेदिति च ant तथा बासववाखिषः | USHA AY दृष्टमेव ततः परम्‌ ॥ प्रकर्वेशो दितं माम प्रलापाश्नन्धरोदमेः | किममोभिः oftware we संजनितं हतेः ॥ विमर्थेगो दितं ag गेतदेव तथापि च। एवमेते प्रद्वंन्ति विषादेन विनारिताः ॥ धमदन्तागमं प्राण ये इ्ंवश्वर्तिमः |. वधनापदमासाद्य विषादेन च बाधिताः॥ तेषां इषविषादाभ्वामेतेषां पौडिताक्मनाम्‌ । REM वा wana पर्याशोचितकारिता ।॥ नत | अवोच वस्ट्मसतस्वमनाखलोश्य हिताहितम्‌ | चतुर्थं प्रस्तावः ६९५. एते विडम्बयश्येवमात्मामं acura: ॥ fa च। गाज केवज्मी दुं वाखवौये Wize | शराभ्यां इषं विषादाग्धां awe aq मासते ॥ किं aft सवज भवचकरेऽसिन्‌ कारशेरपरापरेः | एतौ मतेयतो नियं जममेनं WE गहे ॥ यतः । gy Urey धम्‌ मिचमन्यदा सुखकारणम्‌ | wera वशं यान्ति marian मूढलन्तवः ॥ ततस्ते तत्पराथन्ताः दुद्धिविकञा गराः | aq किं fa ग कुवन्ति हाख्यख्छानं विव्रेकिनाम्‌ ॥ a चिन्तयन्ति ते मूढा यथेदं Waa | पुजराच्यादिकं सवे THAT TTA ॥ ततः कमेपरायम्ते AS Ae ऽतिगल्वरे | कथंदिन्तज संपन्ने Ca: स्यात्केन Ua ॥ तया । विषादेन च बाध्यन्ते वियोगं प्राण्य aw: | अभिः सप्रथोगं शच मानाव्याधिशतानि श ॥ afwary विषादेन सदाम मूढरेडिमः | WHC AAMT Saad च Hae ॥ म पुनभांवयगक्टेवं यथेदं पूरवंसंचितेः । ६ दद्‌ उपमितिमवप्रपश्चा श्या | कमेभिजेगितं दुःखं विषादाव्रखरः कथम्‌ ॥ अन्यश्च | विषादो वधेयत्येव Aa तात देहिनाम्‌ , न जाएकारकस्वाणं कवलं प्रभवचेष्टितम्‌ ॥ यतः ॥ दुःखानि पापमूलानि पापं द श्रभचेष्टितेः | सवे प्रलोयते ag ततो दुःखोद्धवः कुतः # प्रकर्षः प्राह यद्येवं ततः सुन्दरचेष्टिते | वरमेभिः शतो यन्नो न विषादस्य शरासने ॥ विम्शंनामिदहितम्‌ | चाड wefed ay केव मूढजन्तवः | eae न जानन्ति भवचक्रमिवासिमः ॥ अन्यश्चाच ॥ कियन्ति सविधानानि श्टङ्रपाहिकया तव | मया निवेद यिव्यन्ने मगरे पारवजिते ॥ Cay । SQ खरूपविन्ञाने aaah कुलूहणम्‌ | Wa: समासतो aq तुभ्यमेतन्िबेदये ॥ आरूढः पवते तात विबेकाष्येऽच fae | इदं विलोकयस्येव रूपतः किं निवेद्यताम्‌ ॥ TAG WAG aa मया स्फुटम्‌ | ददं यथादुध्यख भवचक्र महापुरम्‌ ॥ चतुः प्रस्तावः ६६९७ ्रवान्तरपुरेवेत्छ रिभिः परिपूरितम्‌ | यद्यपो दं ANA AE पुर चतुष्टयम्‌ ॥ एक fe मानवावासं दितौयं विबुधालयम्‌ | दतोय पष्टुसंख्ानं चतुथे पापिपश्नरम्‌ ॥ एतानि तानि चलारि प्रधानानोह पत्तने । पुराणि वयापकानौति स्वेषां मध्यवतिनाम्‌ ॥ तजेदं मानवावाषं महामोदहादिभिः षदा | श्रन्तरङ्गजनेर््याप्तमेतेः कलकलाङ्ुलम्‌ ॥ कथम्‌ । बाचिदिष्टजनप्राप्नौ तोषनि्भरमानुषम्‌ | क चिद्रेयजनासत्ते AT ATTA ॥ कचिद्धनलवावात्तिजनितामन्दसुन्दरम्‌ | कचिद्रविणना शोत्यरहन्स्नापता पितम्‌ ॥ कचिडु ेभसत्मूलुजगमोद् तमहो त्सवम्‌ | चचिदत्यन्तचित्तेष्टमरण्णक्रन्दशन्द्म्‌ ॥ कचिकुभटसङ्घातप्रारथरणभोषणम्‌ | कचिग्धिशितसम्मिश्र विमूुक्रनयनोदकम्‌ ॥ कचिद्‌ रिद्यदौभाम्यविविधब्ाधिपौडितम्‌ | कचिच्छम्दादिसंभो गाद लो कसखुखनिभरम्‌ ॥ कचित्सन्मागंदू रखपा पिष्टजनपूरितम्‌ | कचि धमबुद्यापि विपरोतविचे्टितम्‌ ॥ किं चेह बहनो करेन शरितानि मया पुरा । पुरेऽच विलखव्धेवं यतिधमेः खलोखलया ॥ wary बिलण्डोभिर्बाखिकामलशोचमा | सद्धावसारता नाम wate gfawar ॥ sai जोवति Marat मरणऽस्या न जोवति y अरत्यथेरतवित्षोऽस्यां WAALS सदा tt fe चेह ayaa दान्पत्यमिदमोड्शम्‌ | fafimeenia न दृष्टं gufewar ॥ यः qagwa तात दितोयोऽयं ङुमारकः । चतुथः प्रस्तावः | zfquatfiraratsat afaetse सोदरः ॥ यदेष कुरुते ae युक्रो दाद शमामुषैः। जनेश्रसत्पुरे चित्तं खसश्चदामणोलया ॥ ace aufaetfa पुरतस्ते वरेण | चेतः समाडितं wal तच वत्सावधारय ॥ way: कचिद्धिरतिखुन्दरम्‌ | खयूलालोकनिरन्तं च करोत्येष पुरे जनम्‌ ॥ स्यशस्तयनिटृत्तं च पर दारपराडःमुखम्‌ | क्षचिष्ंिप्नमानं च रुकलेऽपि परिग्रडे | परित्यक्रनिशाभेक्र शतमानं च संवरे | यु क्रोपभोगसन्भोगं कमानुष्टानकार कम्‌ ॥ अमयेदण्डविरतं सामायिकरतं सदा | देशावकाभिके सक्र पौषे रतमिश्चयम्‌ ॥ अतिथेः संविभागेन परिप्ूतमनमो मलम्‌ | करोत्येष जनं ay ग्टदिधर्मोऽच wat ॥ fa a1 a यावन्तं करोत्यज faces शरक्रितो oa: | तस्य तावत्करोत्येष फलं नास्य संशयः ॥ या स्ववा बालिका ag विस्फारितवरेशणणा | इृष्यतेऽस्येव भास्यं नाका सहुणरक्रता ॥ aaa मुनमिखोकस्य qeut विमयोद्यता । भतेरि Guage ag सहुणरक्रता ॥ ६९७ उपमितिभवप्पश्चा कथा। तदेतौ जेनलोकानां राजपुजौ श्भायैकौ | famraal weed सततानन्दकारकौ ॥ अमयोख सदा fra विहितः परिपालकः | अयं महन्तमो A सम्यग्ट्‌ श्रननामकः ॥ gay रदहितावेतौ TSa न कदाचन | एतौ fe वर्धयत्येव निकट स्थोऽतिवत्लः ॥ अन्यच्च | यानि ते कथितान्य्च aa तत्तानि सत्पुरे | डूढनिखयमेतेषु भवचक्र पराङ्मुखम्‌ ॥ शमसंवेगमिवंदरपास्तिक्य विराजितम्‌ | मजो प्रमोदकारण्यमाध्यस्णयर्भा वितात्मकम्‌ ॥ सदा प्रयाणएकार्‌ढं fasat गमनेच्छया | करोत्येष अमं Ay सम्यम्द शममामकः ॥ या aa दृश्यते aw एभवर््णं मभोदरा | दयमस्वेव सद्धार्या सुदु्टिनांम fara ॥ इयं fe जेमणोकानां want वौर्य॑शालिनो | चि्छयेयकरो war विधिना पथैपासिता ॥ एषं च fad | योऽसौ निबेदितस्ठग्ं agfeafer: पुरा । fafeweftaara महामोहमदष्तमः ॥ agmzfaeg fe wane विचेष्टितम्‌ | विज्ञेयं जगदानन्द सुविलारितसुन्दरम्‌ ॥ एवं कि चतुर्थः प्रस्तावः स तन्यति aaa महामोहबलं सदा | चारित्रधमेराजस्य बलमेष ATA: ॥ सम्यग्दश्रमसन्नस्य तस्माद व्यवसितः | ख एव wy: परमो भिश्याद्‌ शननामकः ॥ च fad | जिरूपद्च भवत्येष fafecrary कारणम्‌ | येण प्रतिपच्चस्य प्रश्मेनोभयेम वा ॥ तच्च खपचय aq जायेतास्य खभावतः | यदा संपादयदेष मन्त्रो सद्ोधमामकः ॥ अथ हि सचिवो aq श्दोधो भुवनोदरे | vate यन्न जामोते पुरूषायंप्रमाधकम्‌ ॥ भवद्भू तभविखल्षु भावेषु भवभाविषु | विज्ञातुं प्रभवत्येष खच्छव्यवहितेषु स ॥ fa चाच बहनोक्रेन जमदेष चराचरम्‌ | | अरनन्तद्र पर्यायं वौचते विमलेचणः | निपुणो नोतिमाेषु वत्छलख मरोपतेः । चिन्तको राज्यकार्याणां बले च विहितादरः ॥ fret महन्तमस्यो्ेस्तश्य च खिरताकरः | सकसेऽपि जगल्धच सचिवो mea: ॥ च | ानसवरशस्याय प्रतिपचतयथा fea: | उयोपग्रमतस्तख ware दिविधो - मतः ॥ - . १९ qed उप्रमिति्भवप्रपश्चा कथा | द्यं तु निकटे ve मिमंलाङ्गो सुलोचना | भन्लिणोऽवगतिर्माम भार्यांख्येव वरानना ॥ खरूपं जोवितं प्राणः स्व॑खं वततेऽमघा | इयमस्य सदा vat श्रोराव्यतिरेकिणो ॥ तया | य एते पञ्च दृश्यन्ते ATA पुरुषोत्तमाः | waa तु We QP वयस्यकाः ॥ शआराद्योऽचामिनिबोघोऽषं वयस्यः पुरवासिनाम्‌ | दद्दियानिद्डियश्ाम जनानां जनमयत्यलम्‌ ॥ दितोयः पुरूषो भद्र प्रसिद्धोऽयं सदागमः | wean स्थितं सवे पुरमेतन्न संश्रयः ॥ कार्याणि wees निखिलान्यपि wayne | वचःपाटवयक्रोऽयं मूकाः TAT मनुखखकाः ॥ यतः सदाममस्यास्य FRI वचनकौ श्रम्‌ | सद्दोधोऽनेन पेन मणग्लिले erfaa: पुरा ॥ WA सषद्‌ागमोऽमोषां सवेषां वक मुजाम्‌ | afeg जनसो कानां ज्ञेयः परमकारणम्‌ ॥ अनेन रहितं वत्स म कदाचिदिदं बखम्‌ | पुरं चेदं अमत्य खरूपे warns ॥ तदेष स्वेकार्बाणासुपदेष्टा सदागमः | faata: पुरूषो ag प्रधामो ऽनेन Raat ॥ ठतौयोऽवधिनामायं were वयस्कः | चतुरैः प्रस्तावः | ceo श्रनेकरूपविलतारकारकोऽयमुटा इतः ॥ चाचिहौधं कचिद्रसख कचित्‌ ata afore । aged anaes विखोकयति शोथा ॥ चतुथः पुरुषो व मनःपर्यायमामकः। साकात्करोति tae परेषां यद्यनो गतम्‌ ॥ मनुग्लोकं ares चित्तं तत्तात किंचन | अनेन aq ea धौमता भाववेदिना ॥ पञ्चमः पुरुषो ay केवलो नाम विश्रुतः | निःजरेषञ्चेयविस्सारमेष पश्यति सवेदा ॥ निदेतिं नगरों यान्ति ये जना जेगसत्पुरात्‌ | तेषामेष NE नायकः पुरुषोत्तमः ॥ तदेष पञ्च भिरव॑त्ष are: परिवारितः | सहोधसबिवो लोके ararfea दिवाकरः ॥ प्रकर्धेणोदितं माम स सन्तोषमरहोपतिः। म द्शितस्वयाद्ापि यच मेऽत्यन्को तुकम्‌ ॥ AAPA Te योऽयं पुरः fea: | संयमस्य स fasta: सन्तोषो नाच संशयः ॥ प्रकर्षणेक्कम्‌ । यस्योपरि समायाता महामोहादिश्भुजः | विखेपेण ख सन्तोषो नेष किं मूलनायकः ॥ विमर्गेनोदितं we Aare मूलनायकः | uafcawacrre पदातिरिति zeae ॥. . 88 ६९ = यत, एव उपसिलिमवप्रपस्चा कथया | शरो नौतिपरो ze: सन्विविग्रशबेदकः | तनेष aware frqut serge ॥ संपूणवखसामग्या WAAETAATAT | say wunretfa तानि दृष्टानि ङुषरित्‌ #॥ ` ततोऽमिशरथ ताम्पेव खमाहाग्यन ferent | मयति ख जनं कंचिदखेनेवां मरोमुजाम्‌ ॥ ततो faura द्लाकमेनं ते seater | महामोहारिश्वपालाख्खिता रक्काम्यया ॥ ततस्तैः खधिया ag कण्ितो मूखगायकः | पदातिरपि सम्तोषस्तजेदं इन्त कारणम्‌ ॥ aaa जमो बेन्ति aaa किरेखते | यतः सितेष्टरोऽपौह wee: सपोऽभिघोयते ¢ अनेम स्शनादरौनि निहतानोति वातेया | श्रस्योपरि थथा Tweet Wey मो तथा ॥ न्तोषमुररौरृत्य ततो कियङ्वाञ्कया | महामोहादयो व खपुरेभ्यो विमिताः ॥ चिन्तटन्तिमहारब्थां रणएमेषामनेकश्ः | जातं न च संजातौ स्फुटौ जयपराजयौ ¢ # | | क्षचिष्लयति सन्नो षस्तन्पालोऽरिश्हतिम्‌ | प्रभवन्ति क्चिन्े;पि महामोहादिगद्धेजः ५ च स्थिते । चतुधैः प्रस्तावः | ६<< सदा BAAS शषान्योन्यं जिमौषतैः । काले गच्छति पशा a जावे किं भविश्यति ॥ स एष afiage मथा सन्नोषतन््रपः | आस्जातखास्य Sart चच तेऽन्यन्तकौतकम्‌ ॥ या तलस्य We षद्माचौ Twa ay बाखिका | सा मिष्धिपाशिता नाम arai@a वरानमा ॥ श्ब्दरूपरसस्यशेगन्धेषु सुधियां मनः । निखलष्णकं करोत्थेषा रामदेषविषजितम्‌ ॥ लाभाखाभे FS दुःखे छन्दरोऽखन्दरेऽपि ss तथाहारादिके आते सन्तुष्टं जनयल्यल्लम्‌ ॥ ` तदैवं क्छ बुध्यख विविंकर्पेन चेतसा । चारिबि्धनैराजोऽच नायकः WATT 8. .. TAY ६ यतिधमेः तो sre उटदिधमैः कवि्ठिकः ।. weet watered निविष्टो राग्यक्िग्िकः 4. महन्तमख्तु fae: `सन्यम्दथेवनामकः | TRANG ATT वन्धावधारव. ॥ ` मरहामोदहादयः सवं यथा भुषैगतावक्राः । तथेते wy fewer सुबनाण्डयद कारिणः ॥ ua डि जमटाशम्ना एते हितकिभाषकाः.। . एते खमन्लजन्तुनां पारमार्धिकवान्वाः ॥ एते निरनषंशरसाथशे्तःरकारकाः | उपमितिभवपषप्श्चा कथा | ्रनन्तारहदिसन्दोहदायका जगतो मताः ॥ चारिचधर्मराजाद्याः Vasa नरेश्वराः | सुखहेतव vars स्वेषामपि देहिनाम्‌ ॥ तदेते aifgarara तावदित्य मयाखिखाः | लारिचधर्मराजस्य बान्धवास्ते निवेदिताः ॥ ये aat बेदिकाग्वशं वर्तन्ते मणष्डपखिताः | इभाश्रथादथस्तात तेऽणस्येव पदातयः ॥ अस्यादेगेन कुवन्ति सुन्दराणि सदा जने | एते कार्थाणि पाला निभिथ्यमम्दतो पमाः ॥ कि wi aaa योषितो feat ये णोकसुखदहेतवः | विवर्तन्ते समस्तास्ते मथ्येऽमोषां मरोसुजाम्‌ ४ ततख | aera ae पूरितं श्वरिग्रमिंपेः । भिःगषमिदमाश्ानं को हि वणशेयितु कमः ॥ ततो मयेदं ते ay समासेन निवेदितम्‌ | गच्छावः BSA दारे थदि W कुटठहष्वम्‌ ५ एवं भवतु aim विनिभेव्य विलोकितम्‌ | चतुरङ्गं बलं ताभ्यां ala तख कौदृशम्‌ ॥ माममौर्योदा्थेशौोयादिनामभिः श्यन्दनैः. सदा । प्रंखद्चशघणशारावपूरिताग्ेषदिकुपथम्‌ ॥ OUT SAAMI SATA: | चतुथः Wea: | ७०१ विलसत्कण्ट निर्घोषसंर्द्रभुवनोद रम्‌ ॥ बुद्धिपाटववा ममिलनेपुष्ादितरङ्गमेः | मदहाङेषार वापूणेषक्मजाकणंकोटरम्‌ ॥ श्रचापक्षमनख्ित्द्‌ाचिष्छरिपदातिभिः। अ्रलभगाधविस्तोणेस्तिमितोद धि विभ्रमम्‌ ॥ ततसवं विधं वच्छ चतुरङ्गं महावश्म्‌ | प्रकषेखेतसा तुष्टः प्रोवाच निजमातुलम्‌ ॥ यथष्टमधुना माम पूरितं मे कुढहलम्‌ | यद कि चिद्रष्टव्यं aga दशित लया ॥ तथाहि | द्‌ भितं भवचक्रं मे नानाट्न्तान्तसङ्कुखम्‌ | महामोहादिकौये च कारषेरपरापरेः । विवेकपवंतश्चायं दशितो मे मनोहरः | निवेदितं च aula: पृं षाचिकमानसम्‌ ॥ fret Wana जेन चेदं मादपुरम्‌ | an महात्मभिर्छोकंदंितं मम उुन्दरम्‌ ॥ तया च्ित्तखमाधानो मण्डपो वेदिका ष मे। लया निःखहतास्याता जोववौयं च विष्टरम्‌ ॥ वणित महाराजः साचात्करणपरवंकम्‌ | maa वणिताः सर्व पालास्तस्य सेवकाः ॥ दरदं च cfd रम्यं चतुरश्र महाबलम्‌ | एवं च Haat माम नास्ति तद्यन्न मे शतम्‌ ॥ ७०२ उप्रमितिमवप्पश्चा कथः | जनितः प्ूतपापोऽह wat इद्‌ नुदः | छपापरोतचिन्लेन पूरिता मे मनोरथाः ॥ तथापि रमशौयेऽज वस्ठमिच्छामि साख्मतम्‌ | दिनानि कतिचिन्भाम लौखया Saat ॥ fa च। यथया यथाच तिष्टाभि सदिचारपरायशः | पुरे तथा तथा प्रानो HAE AMAA: + ae च परमां काष्टां नेयो area eae । श्रतो जेनपुरे तावदच त्वं वस्त॒मरेि ॥ ततस्त्ातुखेनोक्रं या तवेच्छा प्रवतेते। तामेष व्वष्छखाकाङ्े किं भनक्ति वरो लनः ॥ महाप्रसाद KAT ततखचेव TTT । स्थितो मासदथं चावस WHT: TAA ॥ Tay भागवाषासे वखन्तो खहितस्षदा | MSHA ACSA: भाक्तो UW: स॒राद्एः ॥ aq ute | HARSHA जोरगोखकलज्निमः | Waa चण्डवातेम Brerenct रविः ॥. ` जायते पचश्राटलरूशाभथं Tat देहिनां थज SB वशम्‌ | Paar प्राणिभिन्धरिधाराणशं wat चाखमेषां टषात्यनेखम्‌ ॥ ददते तोत्रतापेन स्वा जनः खिद्यते ख द मिव॑दितं त्मनः | वान्ति वाताः Sarat जगत्तापिनिः इणष्कपनावसलोभमेराराविषः ¢ Ua: TRA: | ७० श्रपि ai भागोरिव प्रतापेन wae वधितं दिनम्‌ । खामिनोऽन्धटये wa: सन्भोषादर मिवधेते ¢ ay चं बिदलिता म्िकाः। fasfea जद्यपारकाः। ग्वामखितं कुुमभरेख fates) सुमनो ग्ताखण्ड किरणः | इदयद यिता जश्ाश्रथाः । मबोभिरङचिता मौक्रिकहारयष्टयः | अतिवल्लभानि विमशदग्यतद्धानि । प्रियतमानि खन्दमविलपना- नि । अ्डतायन्ते ताखन्त्धजनकानि । सुखायन्ते श्रिशिर किसल- यक्सुमखस्तराः। खगन्ति afencicfafear श्रपि. जनानाम- न्तमांगसे चन्दमजस्ाद्रा इति | तत्वं विधे are भागिनेयमभाक्त | गच्छावः सायत वत्स खख्ानमिति मातुलः ॥ WHY: त्राह गमने रारुणेऽक्सरोऽधुना । तन्नाहं माम शक्रोमि गन्तमेवं विधेऽष्वमि ॥ ततो areca तिष्ट माम सन्नापदारणम्‌ । येनाहं शोतरोग्धते दिक्चक्रे यामि सलरम्‌ ॥ किच i विचारपरयोः ानमावयो गश्कारणशम्‌ | श्र जेनपुरे माम मा मंस्था नियोजनम्‌ ॥ यतः। ` : मम Bai भवेदेवं wera गणोत्करे । ततस्लातोऽपि जाचेत महुणदच age: ॥ Hog उपमितिभवप्रपघ्चा कथा | एवं भवतु तेनोक्ते ततस्तजेव TTT । तिष्ठतोः प्रादृडायाता तयोः सा इन्त ater ॥ घनतुङ्गपयोधरभारधरा अषद्श्वलविद्यदलङ्करणा | शत सन्ततगजितधौररवा दृढगोपितभाश्करजाररता ॥ रटदुद्धटददुरखिश्ननरा चणद्भरवखादकदासपरा | -गिरिकोटरनृ्श्रिखण्डिवरा बहलोकममोहररूपधरा ॥ सुसुगन्धिकदम्बपरागवदहा विटकोरिविद्‌ारणमोदसदहा | इति ङूपविलासशसत्कपटा भुवनेऽज रराज यथा इलया ॥ श्रय तां तादृशौ वोच oad इष्टमानसः | प्रको wate: प्रोवाच निजमातुलम्‌ ॥ गम्यतामधमा माम लरितं तातसन्निधौ | यतोऽमौ शोतलोग्ता वतन्ते सुगमाः पयाः ॥ विमनो दितं ag मेवं वोचः कटाचन | धतो ऽधुना व्यवच्छिल्ञो faite गमागमौ ॥ तथाहि | सुच्छश्नगरहमध्यस्थाः खाधोनद यिताननाः | वर्षासु धन्या गश्छन्ते जनेधं न प्रवासिनः ॥ तथाहि | पश्छतु aw: | बलपूरितमारगेषु vefasy ween: | सूखलित्वा पतितानेते सन्ति कुटजोत्कराः ॥ निपतदारिधारौघरता ये यान्ति पापिनः | देशान्तरेषु तारो मारयामौति गमजेति ॥ चतुर्थः प्रस्तावः Soy एव qafead तात geat गमनादरः | ede खितः are तिष्टाचेव तथाधुना ॥ fa श। TRAIT TW कालो म दोषाय Furaw: | यतः सोऽनुच्चणं ay जायते तव aga ॥ एवं भवतु तेनोक्रे पुनर्मासचतुष्टयम्‌ | feet समागतौ FF इष्टौ खसोयमातुखौ -॥ अथ प्रविष्टौ तौ गेहे दन्ताश्याने शभोदये | भा्यायुक्तं भ तस्येव faze विचचणे ॥ ततो विधाय सद्धा प्रणम fafearsen | तेषां पुरो निविष्टौ तौ विनथाच्छ्श्चतले ॥ Tey geet far: लिग्धचेतसा । श्रालिङ्गितः प्रयत्नेन agal च पुनः पुमः ॥ - प्रकर्षोऽपि समाशिञ् खदनिर्भरमामसेः | निनाङ्‌ सापितः aa: परिपाा तिवन्ञभः ॥ WHA मूधदेशे च कुशलं च भुड्ुडः । श्रानन्दोदकपूर्णायैः ष्टः धवैः समातुलः ॥ ` ततो wer विनिगेत्य गेहाद्ाद्ेषु हिष्डितौ | ततोऽन्तरङ्गदेगरेषु यथा पर्यटितौ पुनः ॥ ` यथा Wet FE यथा दृष्टा महारवौ | विखोकितं चथा eri महामोहादिशञुजाम्‌ ॥ रसनामूलशएद्धिख यथा सम्यज्विनिखिता | 89 ood उपमितिमवप्रपश्चा KUT | aad ada Gey रागकेसरिमनण्वि्टः ॥ Saas भवचक्र यया मतौ । ` गिरौ चितं च aed मानाइन्तान्तसङ्ुलम्‌ ॥ यथा दृष्टा महात्मानो विबेकवरपवेते | चारिजधमेराअस्य यथा खानं विशोकितम्‌ ॥ ` यथा दुष्टः स सन्तोषो we तेन विचेष्टितम्‌ । अच कार्सु दिष्च ग्दरिकास्ोऽतिवाडितः ॥ तदिदं तेम निःगेवं विमर्शेन परिस्फटम्‌ | पुरो faqearciat frate गिवेदितम्‌.॥ ` cay मांसमथायेर्थालयस्तामसौ जडः | रसां शोखतावाक्येनं चेतयति किंचन ॥ स सस्या खाने सक्तः BUT कमं मर्दितम्‌ । न पश्यति महापापं न wert न Gamay # TIT शोखतावाश्चेमेद्चविडशचेतसा । मददाजं मारयामोति मारितः waren: ॥ ततश्च तमजारख TTT निपातितम्‌ | निरौच् शोखतादुःखाष्लडेनेदं विचिन्हितम्‌ + लाखिता रखना नुं मांसेनामा विधेमेया । द्द तु Arad मांसं नेव TH ATEN ॥ . ततोऽधना दटामौद म्ये TRL ATTN: | अनेन जायते तोषो रसनायाः Belay: ॥ ततः GQ ATH वेन अता Ratfear | चतुर्थं प्रस्रावः | “ रसना शोलता तुष्टा शोऽपि शषशुपागतः ॥ यश्च लोखलतावाक्येरपरापरमानुषान्‌ | जित्य भावया साधं खादश्चातः ख Tree: 1 ततो बालजनेनापि निन्दितो बन्धृवकितः । लोकेन प्रित घ जातः पापकमेखा ॥ अन्यदा Meare मलुवखाणठां जि्घखया । परविष्ट्ौरवद्राभौ we शूरकुटुखिनः ॥ ततः Wee wage ग्टहोत्वा निःसरन्‌ बहिः । स दृष्टस्तेम शरेण जडः क्रोडान्धचेतसा ॥ ततः BARAT Bla सड वान्धवः । तेनास्फोव्य निबद्धोऽसौ मारितो यातनाग्रतेःः ५ प्रभाते च ख SUM: संजातः प्रकटो जगे । तथापि किचिच्छस्य न इतं जड्वमुमिः ॥ fai तदि प्रत्युत तैचिन्तितं । यदुत । शूरेण fated we थदसौ कुलदूषणः | RATA खाघवोत्पादो जडः पापो निपातितः ॥ aq च Seanad निरोौच्छ ख विचच्वणः | ततश्च fenaaa निमेललोमसमामघः ॥ अये | दइ लोके जडस्टेद्‌ं र सनालालने फलम्‌ । संजातं परखोके तु दुमेतिः रंखमिष्यति 1 ततो ऽत्यधें विरक्रोऽषो careers प्रति । | आ 9 ---- ----- ----- --* कि, _ ---------- गां छपमितिभवप्रपश्चा कथया | feat विचच्णः पूवं यावन्तौ squat ॥ तत । कचितायां faaiian मूलग्रद्धो विचक्षणः | रसनां व्यक्ुकामोऽसौ पितरं प्रत्यभाषत ॥ तात इृष्टविपाकेयं रखना aad जडे । दुहिता दोषपुश्जस्य रागकेसरिमग्तिणः ॥ तदेनामधमा दुष्टां wat दुष्टङ्णोद्गताम्‌ । सवया त्यक्षुमिच्छामि ताताहं त्वदनुञ्चया ॥ ततः शभोदयेभोक्तं भांति प्रथिता जने। तवेयं रसना तस्मान्नाकाण्डे व्यागमङेति ॥ रतः क्रमेण BHAT BAT व्च सवेथा | यद च प्राप्तकालं ते तदाकणेय Baa ॥ ये ते तुभ्यं महात्मानो विमरेन मिबेदिताः। विषबेकपवेतारूढा महामोहादिरूदनाः ॥ तेषां मधये स्थितस्येयं तदाचारेण तिष्ठतः | दुष्टापि रखना ae न ते किचित्करिव्यति ॥ तस्मादारुह्च यत्नेन a विषवेकमडहागिरिम्‌ | रसनाटोषनिमुंकस्तिषठ लं WaT: ॥ ततो विच्चणेनोक्तं तात दूरे ख पवतः | कथं कुटुम्बसहितस्तचाइ गन्तुमुत्सहे ॥ शएभोदयोऽब्रवीदत्छ न कायं भवता भयम्‌ | विमर्शो यस्य ते बन्धृञधिन्तामफिरिवातुखः ॥ चतुर्थः प्रस्तावः ७० यतोऽस्य विद्यते ay faare वराश्जनम्‌ | तदलादशेयत्येष afata महागिरिम्‌ ॥ प्रकर्॑णोदितं तात सत्यमेतन्न संश्रयः | Tht मयास्य यो गा्जनविजम्मितम्‌ ॥ fa बहना | यावदेष महावौये न प्रयुक्तं TSA । तावदेव न दृश्यन्ते ते पवेतपुरादयः ॥ यदा तु विमजालोकमयं oe तर्जनम्‌ । तदा सव॑न भासन्त ते पवंतपुरादयः ॥ ततो विचच्णएनोक्रा विमर्णो भद्र दौयताम्‌ | AG तदश्ननं व्रणं यद्यस्ति तव तादृशम्‌ ॥ ततोऽलुबुद्येव सादर प्रतिपादितम्‌ | विचच्चणाय निःगेषं विमर्शेन तदश्जनम्‌ ॥ ततस्तदुपयोगेन चणादेव पुरः सितम्‌ | विचक्षणेन age तदिदान निबोधत ॥ यन्तक्षोकश्नताकंौैणं युर साल्िकमानसम्‌ | यथ्चासौ विमलस्तङ्गो विवेको नाम पवेतः ॥ ay तच्छिखरं रम्यमप्रमत्तत्वनामकम्‌ | यजो परिष्टात्तस्टेव निविष्टं भेनसत्पृरम्‌ ॥ ये च लोका aera: साधवस्षन्निवासिनः ` aq चिन्तसमाधानो Ta मण्डपः ॥ था च निःस्हता माम वेदिका तच afar | [2 का mete eee ७.० उपमितिमवप्रपश्चा कथया | तस्वाख्चोपरि Bae Staal Awaaz ॥ चारिजधमेराज्रञ्च परिवारविवेष्टितः | ये च तस्य गुणाः wat ये च तेषां aig ॥ तदिदं भो महाराज तदानौं नरवाहम | विचच्णेन निःशेषं साक्वादे वावलो कितम्‌ ॥ ततश्च भोभो awats नरवाहन सख विचच्णः wea तेन शरभो दयेन fra युक्त एव तथा निजचारुतया माजा ्रालिक्कित एव तया freer बुद्धा सहित एव तेन श्षंण faana sta एव aweauntfan तेम प्रकर्षेण प्रियतनयेन समुपेत एव वदनकोटरवने वतेमानया रखमाभायंया eae सकुटुम्बक एव । केवलं तामेकां ोखतां दासे परित्यश्च निरारूत्य 4 परषक्रियया संप्रा दणधरनामानमाचायं प्रत्रा जितस्तेन स्थित- wat लेनपुरनिवाधिनां भगवतां साधूनां मध्ये किलाह प्र्रजित दति awa ततः शिकितः समल्लोऽपि तेन तेषामाशारो निषेवितः worn विसजिता सा रसना सर्व॑या विदहिताल्य्- मकिश्चित्करौ । ततः श्वापितस्तेन रूण निजपदे ख विचच्णः | स॒ चान्यचापि gwar: परमा्तस्ततेव विषेकगिरिगिखर- वासिनि जेनपुरे zee: 1) यतो भो महाराज भरवाइहन ख fawautseaa fasia: ) एते च ते महात्मानः साधवो मम्तयाः। ततो महाराज धद्भवद्धिरग्वधायि यदुत fa ते बेरग्धकारणमिति तदिदं मम वेराग्थकारणं। श्यं Ten मदीशा safe । एवं च व्यवश्िते | age: Tera: | ` १९ भार्यादोषेण यो नाम प्रतरव्धां ससुपागतः | न ष सापि afters saat येन पापिनो ॥ aq पाज्ञयतेऽधा पि gaa तद्व्ितम्‌ | तस्य HRTEM भाम MAST प कथ्यताम्‌ ॥ तथापि ते महाराज यक्ममोपरि गौरवम्‌ | ARAB AWE न MA बतं कारणम्‌ ॥ यतः । सदोषेऽपि gual जगदाल्हादकार कः | किमेषोऽचिगधसोन्दयेः सष्जगप्रहतेगे एः 9 तथाहि | नुममेषा खतां दृषटिखापयष्टिरपूविंका | ्रकारणणेऽपि या fay शणरोपपरायणा ॥ fa वा ञ्ुवनवन््यस्य शुण्णोऽयं इतविदिषः। wag जेगशिङ्गसख aaa संखिता वथम्‌ ॥ तथाहि | goat श्रपि वन्दन्ते तं भकिभरपूरिताः। करण्यं यय gaia are खिक्॑मश्चसा ॥ किं वान्यत्कारणं किंचिद्रदस्थाचारधारकः । यनेदृशोऽपि ते राजश दष्करकारकः ॥ एवं च वदति भगवति विगणितमदचेतसि विषच्षणखरौ मरवादमराजेन चिन्तितं । रहो निजन्दरितकथनेन भैगवता जनितो मे मोहविखयः । set भगवतां वचनविन्धाशः । श्रो ७९२ उपमितिभवप्रपश्चा कथया | fatfaa । wet मय्यनुग्रहपरता । set दृष्टपरमा्थतेति | विन्नातख्च मया sara anagifare mate: | ततोऽभिहितमनेन । भदन्त यादशं MA yas ते कुटुम्बकम्‌ | श्रधन्यास्तादृश नुन प्राप्रुवन्ति म मादृशाः ॥ ददं च पोषय जेनशिष्गं च संस्थितः | भदन्त भगवानेव Weal भवतोदूश्रः ॥ अन्यच्च | हता किञ्चित्करौ येन रसनापि महात्मना | MATCH MH लोलता च निराङ्ता ॥ महामोहादिवेच frat यो जेनसत्युरे | स्थितोऽसि साधुमध्यस्थः कटुम्बसहितो सुने ॥ स ॒चेत्त्ये न भवस्य इन्त दुष्करकारकः | agua भवन्धन्ये ब्रूहि दुष्करकारकाः ॥ यश्चायं तव सपन्नो टन्तान्तो जगदहुतः | एतदृत्तान्तयुक्का य ते वन्द्याः प्रतिभान्ति मे ॥ तद्भदम्त किमेतेषां साधूनामयमौदृश्ः ॥ संपन एव aur: fa वा नेति निवेद्यताम्‌ ॥ ततो विचचणेगो कं सवेषामयमोद शः | साधनां भष संपन्नो टण्सान्तो मास्ति संश्रयः ॥ अन्यच्च | संपद्यते AAAS SATA नरेश्वर | चतुर्थः Tela: | यदि लं कुरुषे सद्यो Wee मादृशः रतस्‌ ॥ दगेयामि waa तं विवेकमहागिरिम्‌ | ततस्तव्जायते तेऽज खयमेव कुटुम्बकम्‌ ॥ तत । महामोहास्विगे च खयमेव विजेष्यसे | लोलतां च मिरारत्य Tae साधुमध्यगः ॥ ततो भगवतो वाक्यमाक्यंदं मनोरमम्‌ | सखरचित्ते चिन्तयत्येव मरवाइनपाथिवः ॥ Wet भगवता प्रोक्रमिद मजर परिस्फरम्‌ | य एवोखखहते svat तस्येव प्रसुता करे ॥ ततो भागवतीं दों ग्रहाण किल पते | तव संपद्यते येन Voy यत्त॒ मादु शाम्‌ ॥ श्रो भगवता WE Halles महात्मना | रष्म्येवाधुना दोच्ामिति चिनत्तेऽवधारितम्‌ ॥ ततो विन्नरिताजिष्टदुष्टपापाणएखद्चयः | अवोचत गुरं HAT ख राजा नरवादनः भदन्त यदि मे काचिदिश्ते योग्यतेदुशौ | ततः करोम्यहं तादक्‌ छतं यादृग्‌ भवादृशः ॥ किं aaa | दौयतां जिनदौचा मे करितां मदनुग्रहः | ततो यु्रत््रसादेन wa चार्‌ भविति ॥ afunfafed wa gare विनिश्चयः | 90 ०९8 खपमितिभवप्रपश्चा कथा | युक्रमेतद्धि भव्यानां शत्यमेतद्भवाद शाम्‌ ॥ नुनं मदौयवाक्स्य सद्धावाधोऽवधारितः । संजातस्तेन ते श्प मरहोश्वाहोऽयमोदु्रः ॥ तथाहि | तादृचु वलाम नेषु महामोहादिग्रुषु | को वा नाञ्रयते दुगे Gea जेनसत्युरम्‌ ॥ निचिन्तो ग्टहवासेऽच को वा दुःखौघपूरिते। श्रासौत विदिते az UT खुखसागरे ॥ अं काशविलम्बेन राजन्नच महाभये | एवं ते maa FRAT प्रवे श्नम्‌ ॥ ततो भावगतं वाक्यं Far संतुष्टेतसा | तरेतञ्चिन्तितं राज्ञा दौचाग्दइणकाम्यया ॥ राच्ये कं श्यापयामौति को वा योग्योऽस् मृतः | ततो विश्कारिता दृष्टिर्नोलानदटलखासिनो ॥ श्रयाग्टहोतसद्धते तदाहं रिपुदारणः | तथा faraasa निर्भाग्धो रोररूपकः ॥ TA | हश्रोऽ्यसौ WRT तथा तातस्य Waa: ॥ पु्णोदयो wet मे मनाक्‌ saat गतः ॥ तत । दृष्टो भिरौश्छमाणेन तातेनामलचेतसा | ततो at sey तातश्च पुनः प्रत्यागतं मनः ॥ AU: प्रस्तावः | चिन्तितं च ततस्तेन a एष रिपुदारणएः | मया बरिष्कृतो Travel wheat गतः ॥ हा हा मयेदं नो चार्‌ छतं यद्युतभतसेनम्‌ | farawisfa day खयं केन्तमसास्मतम्‌ ॥ तदिदं प्राप्रकाशं मे तथेदं जनको चितम्‌ | इदमेव सतां युक्रमिदं दुष्क्तश्रोधनम्‌ ॥ यदुत | wi राच्येऽभिषिश्चामि संपूज्य रिपुदारणम्‌ | तत BABE Stet गामि निमेखाम्‌ a भद्रेऽगडोतसद्ते AVY STWR: | तातश्च तादृशं चित्तं तजेदं इन्त कारणम्‌ ॥ मवनोतसमं मन्ये सुकुमार सतां मनः तत्पखचा्लापसम्यकां्‌ द्र वत्येव न संशयः ॥ wan सफटिकष्णद्धोऽपि सदोषः प्रतिभासते | परस्तु दोषपुश्चोऽपि भिमणोऽमखचेतसाम्‌ ॥ परोपकारखाराणां कारणेऽपि च निष्टरम्‌ | शत कमे करोत्येव पश्चात्तापं महाधियाम्‌ ॥ agree तातेम निजोत्सङ्गे निवेशितः | तदा प्रत्नितश्त्थं खूरिगंद्ररभाषिणा ॥ भदन्त विदितस्तावन्रूनमेष WATT | wraretaaat eta arent रिपुटारणः ॥ ATS VHS WH NANG ANT । ७१६ उपमितिमवप्रप्चा कथा | संजाता fa पनर्जातं तादृश चरित पुरा afcurfafed श्प न दोषो se तपदख्िनः। जेलराजग्डषावादावस्य स्वस्य कारणम्‌ ॥ तातेनोक्क । श्रनयेसायेतुर्यां भदन्तेड कदा युमः | श्राभ्वां पापवयवस्याभ्ां वियोगोऽस्य भविश्यति ॥ खरिराह महाराज वियोगो ऽद्यापि zea: | गेखराजग्डषावादौ यतो ऽस्यात्यन्तवक्लभौ ॥ कारणेन पुमर्धंन वियोगोऽस्य भवि्यति | रिकाले गते तन्ते संप्रत्येव faaza ॥ श्द्धाभिखमििविंख्यातो नगरे प्रधमामसे | राजासि तस्य swe वरतावयते किल ॥ ` खद्‌ तासत्यते भाम तख दे कन्यके LH । विद्येते भुवनानन्दकारिके चार्टग्रेने ॥ साच्ादण्टतदूपे ते ते सवेसुखदायिके । ` अरत्यन्तदुशेभे WT खद्‌ तासत्यते जनेः ॥ एवं च faa | कदाचिदेष ते कन्ये लयते रिपुदारणः । ` aaa ख वयस्वाभ्वामाभ्धामेष वियोच्छयते ॥ यतः | गणसन्दोदग्ते ते तथेमौ टोषपुश्चकौ । तस्मान्साभ्यां सहावख्ा ATT पापयोः ॥ चतुरैः पर्तावः | १७ ततः प्रयोजनस्यास्य कञथिदन्यो विचिम्नकः । यत्त॒ तेऽभिमतं श्प तरेवाचर सास्मतम्‌ ॥ तच्छरुतला चिन्तयद्राजा ख तदा मएवाहमः। अरहो कष्टमहो कष्टं खूनोमेम तपसख्िनः ॥ wagm रिप्र नित्यं पाशचेखौ दुःखदायिनौ | श्रहो वराको नैवासौ यथार्थो रिपुदारणः ॥ ततः fa क्रियतामच मेवास्यस्य प्रतिक्रिया । त्यक्रसङ्गो ऽधुनादं तत्करोमि दितमात्मने ॥ ततोऽभिषिच्य मां wey शवा सवं यथोचितम्‌ | विचच्षणगरोः Wy निक््राम्दो नरवाहनः ॥ ततश्च । विबेकश्िखरस्थोऽपि ख विचच्ण्ूरिण | साधे ares Say बिजार महामतिः ¢ ममापि राच्ये संपन्ने छभावरसोषटवौ | शरेलराजग्डषावादौ मितराममिवर्भितौ ॥ दणतुख्यं wed पश्यामि सुतरां ततः | अलगण्डुवसंकाश्रमनृतं प्रतिभाति मे॥ एवं च । पिदर्प्राखमानस्य निन्धमानस्य पण्डितः | TES धूनलेवचनेरलौ कंचाटुकमेभिः ॥ पुष्यो दयस्यय ATTA पालयतो भम | गतानि कतिचिद्धदरे वर्षाणि fae लोलया ॥ ७१८ उपमिविमवप्रपश्चा कथा | इतञ्चोयप्रतापन्चः साव॑भौमो fears: | शक्रवर्तो तदा शोके तपमो नाम पतिः ॥ स सवेवखसषामग्या महोद ग्र॑नलो लया | waa समायातः पुरे सिद्धाथेनामके ॥ ततो विदिततदर्तिरहं मन्तिमरनत्तमैः | हितकारितया प्रोक्तो विश्चातनपनो तिभिः ॥ यदुत । चक्रवर्तो जगज्ज्येष्टस्तपमोऽयं मरोपतिः | तदस्य क्रियतां देव गत्वा सम्मामपूजमम्‌ ॥ पूख्योऽयं खवेश्धपानामवितसतव पूर्वजैः । विग्रेषतो wera: ered मानमरति ॥ BY तु ग्रेलराजेन विधुरौकतचेतमः | श्राश्रातस्तभसर्वाङ्गस्तानाभाषे तरे दृश्रम्‌ ॥ यदुत | श्रे विमूढाः at नाम तपमोऽयं ममाग्रतः | येनास्य पूजनं कुर्याम न पुनरेष मे ॥ AHS मग्तिमदन्तमेशक्ं । देव मा मैवं वदतु देवः। se हि पूजनमङ्ुवेता देवेन शदिः पूवपुरुषक्रमः परित्यक्ता राजनौतिः awe नोताः wade: षमुच्द्ितं राच्यसुखं परिषशहापितो विनयः श्रपकर्फितमख्मदचनं भवति । asa afeqaefa 2a: | कियतामस्माकमनुरोधेम तपनराजद्छाभ्थङ्गमने देवेनेति वदन्तः पतिताः र्वेऽपि मम चरणयोः। ततो श्हदृश्धतो मनाङ्‌ मे चतुरैः Tera: | ७१९ जलराजौोयददया वलेपमावष्टम्भः। केवशं सं्चितोऽहं wares | ततो मयाभिहितं) म ममा चे चिन्तोसारः। तद्गच्छत धय कर्त यथोचितं । we तु पञ्चादागमिथामि। दन्ताश्याने राजनि प्रबेश्छामौति। ततो यदाश्नापयति दैव शति वदन्तो निगेतासपनाभिसुखं मणग्विमहन्समा useing) न्ति च Ta तपननृपते विं विधे प्रभाषावेषवणेखरभेद विन्नानान्तर्धान- विज्ञातारो बदवश्चर विशेषाः | ततः aafeqtu विदितोऽचं टृन्ताक्नो निबेदितस्तपनाय । wry मग्विमरत्तमेर्विंडिता तपन- राजस्य प्रतिपत्तिरपस्थापितानि महाहप्राख्तामि समावतं इदयं । टमं Wert तपममरेग्रेण। ver रिपुदारणवार्ता। मग्तिमन्तमेरक्। देव देवपादप्रसादेन guet रिपुदारणः। समागच्छति चेष देवपादमूलमिति । ततो दत्ता ममाह्ायकाः | विज॒भ्ितौ गेशराग्डषावादौ | ततस्ते मयाभिहिताः । यदुत अरे वदत तान्‌ गला सर्वान्मन्िमहन्तमान्‌ | यथा केना प्रहिता धुयं दुरात्मानो नराधमाः ॥ ततो मया मागन्तव्यमेव । व्रणंमा गच्छत ययं । CATA मासि भवतां जोवितमिति । aera गतास्तत्समो पमाह्ायकाः। मिवेदितं मग्विमहन्तमानां मदौयवचनं । ततस्ते तन स्थाने सवेलच्छाः Tew: Mem मष्टजो विताश्ाः परस्पराभिशुखमोक- माणा श्रो रिपुदारण्स् मर्यादेति चिन्तयन्तः किमधुना कतेय- भिति विमूढाः wafa मदोयमन्तिमहन्तमाः। लकिताखपम- मरेन । ततोऽमिहितमनेन । भो भो लोका धौरा aaa QRe उपमितिभदप्पद्चा क्था | मा aaa दोषोऽयं भवतां । प्रतोतं मे रिषुदारण्खय whe) ततोऽहं खयमेव तेन भलिष्यामि । aaa भवद्भिरदस्तनि्ेन्धधरेने भावयं | मो क्व्यस्तस्यो परि सखामिवडमानः। मो दितोऽसौ रान्ताः | न योग्यो युश्ररदिधपदातोनाम्‌ | तथाहि इभररूपाणणं रतानां शएद्धमानसे | न जातु राजरसानां काको भवति नायकः ॥ awed सवया तस्योपरि qed ततो मयि विरक्र- लवात्तेषामभिदितं सर्वैरपि। यदाश्चापथति देव दति। ततो ऽभिदितस्तपनराञेन योगेश्वरनामा तश्वादौ कणं । यदत गला तशेदमिदं geafa । योगेश्वरे णोक्क। यदान्नापयति za: ततः समागतो मल्छमौपे सह शरिराजपुख्षैयेमिश्वरः। दृष्टो ऽहं हतावष्टशेलराजेन समालिङ्गितो खषावादेन परिषेष्टितशचोखरास- wacafecs: faqeta:) ततः पुरतः खिला तेन योगेश्वरे तग्छवादिना अ्रहतोऽहं मुखे योमचृुष्धा । ततोऽचिन्धतया मणिमन््ौषधोनां प्रभावस्य तसिज्ञेव wa संजातो मे प्ररति- विपयेः aay शून्यमिव इदयं प्रतिभान्ति विपरौता cafe यायाः चिन्न इव महागरे न जानाम्यात्मखरूपं । तपनसत्को ऽखं योगेश्वर इति भोतो मटीचपरिवारः खितः किकतग्यतामूढो मोहित तेन ate: ततो विदितश्डुटिना शराः पाप दु रात्मल्लागच्डसि त्वं देवपादमूश्लमिति वदता arfeatse बेच तम्रा योगेश्वरे | say सरे भयं । गतो दैन्यं -पतितसखचरणए्योः। WAAC Aint मदयश्धः guiga: तिरोशतौ गेलराज- wae: wea । ` श खवावादौ । ततः Sf योगेश्वरेशतममनुथकाः । ततोऽ चणेनेव संजातोक्मादौ वेदयमानसौगमन्तस्तापं विहितसे्ैथानातः छतः पञ्चजटो fafedt ager चचिंतो माषयपुष्डुक्षेः। were तालारवं कतुं । समवतारितोऽहं रासमध्ये। ततो at area: Wate मनुव्याख्िताशकं रासं दात्‌ । कथम्‌ | यो डि गवेमविगेकभरेण करिष्यते वाधक च TATA च अदिव्यते | AAT भवं एव ख तौत्रविडन्बनां arate निजपापभरेण शश अनः ॥ भुवकः ॥ हवं च SMTA वस्गामानाः Feary at wer fasfia, newts i ततोऽहं पतामि तेषां प्रत्येकं पारैषु। गृत्यामि erent wart) equa तेषक्षयमानेषु । ददामि ख गाथाः । ततस्ेरमिरितं । पश्यतेह भव एव अनाः Baye जेलराजवरमिजक्लिासषटतं फणम्‌ | यः पुरेव शुङ्देवनशनपि नो नेतः वोऽ ereeray गतो रिपुदारणः ॥ ॥ gaan: | यौ हि भवे मविषेकभरेण after verte» ततो ममापि ge श्फ॒रटिलेदमागतं । यदुत । गरेलराजवश्रवतिंतथ निखिले जने हिष्डितोऽहभगैतेन श्या किलं पण्डितः |. - भारिक च अगनो हि तथा ATER 91 ०२९ छपमितिभवप्रपच्चा कथा | तेन पापचरितश्च ममा विडम्बनम्‌ ti Wye: | यो हि गवंमविवेकभरेण करिष्यत दत्धारि । ततो राषदायकाः ster विदितपूवेदन्ताश्नेन योगेश्वरेण । अरेरे एवं गायत । TS च Had | ass जग््ममतिदायिुरूनवमन्यते सोऽज दाखचरणाग्रतच्ेर पि waa | VHT RII जनानुपतापयेत्‌ va तपनगुप इल्युचितानि विधापयेत्‌ ॥ पुमधरैवकः । धो हि गवेमित्यादि । areas MEA गाढं पा््िप्रहारमों fata वृशयितुं newt: । ततो निविडलोदपिष्डेरिव समकालं भिपतद्भिरेतावद्धिः पारैदंशितं मे wat । विमूढा गाढतरं मे चेतना | तथापि ते राजपुरुषा नरकपाला इव मम ङुणष्डकाजिःषारम- Sener मां बखादाखेटथन्तसख्िताखकं रासं दद- माना एव प्राप्नास्तपननरेष्धाख्यान। दर्भितं तच विग्रेषतस्तप्पे्प्कं । प्रत्तं प्रहसनं | enea धोग्योऽयं दुरात्मेति सजातो जनवादः | ततो योगेश्वरे रासकदायकमध्ये श्िल्ाभिदितम्‌ | चथा | गो गतोऽसि पिढदेवगणं 4 च मातर किं इतोऽसि रिषुदारण पश्यसि कातरम्‌ | मृत्य नृत्य fafearefa देवपुरोऽधुमा निपत निपत चरणेषु च सवंमरौयुजाम्‌ ॥ gayest: | यो fe गवेमविवेकभरेण करित इत्थादि । चतुः पस्तावः | CE aitswqarcasa जो वितभयेन च देन्यशुररोशुत्य नाटि- तोऽनेकधा पतितोऽनधजानामपि चरणेषु संभातावद्न्डतः ॥ तपगनरेष्दरेण तु मदीय एव कनिष्ठो भाता ज्ुशमभषणो नामाभिषेचितः fagrigt weg) ततो भङ्धेऽगरोतस्धेते तथा तेर्गाडपाण्णिप्रहारेजेजेरितश्ररौरख्च मे निपतितश्चुदरे रक्षं संजातः सन्ापातिरेकः ॥ ततो slut मे केकभववेधा giver) दन्ता च ममान्धा एडिका भवितव्यतया । area गतोऽहं तस्यां पापिष्ठ- जिवासायां नगर्या महातमःप्रभामिधाने पाटके sagas: पापिष्ठङ्ुखपुजकरूपः | ख्वितस्तजेव चयतस्तिंग्र्षागरोपमानि कम्दु- कवदु खमागोऽधस्तादुपरि च वञ्जकण्टकेष्डद्यमानः। तदित्वमव- गाहितो मयातितोग्रतरदुःखभरसागरः। ततस्तत्प्थन्ते जोर्षाथां पूवद लगृडिकायां दन्ता ममान्या गु ङ्का भवितव्यतथा । तन्तेजसा समागतोऽहं पञ्चाखपश्संखामे मगरे । shires जम्बकाकार- धारको भवितब्धतया। एवं च भद्रऽग्टहौतसंङधेते केखिपरतया तया निजभायेया भवितव्यतया तच्छं पापिष्ठनिवाखायां नगर्यां - सुपथेपरि शितेषु सप्तस्च॒पाटकेषु तथा पञ्चाचपश्संखञाने विक- लाकनिवासे एकाचचनिवासे मशुजगतौ किं बडना तदसब्यवदार- गगरं विहायापरेषु प्रायेण सर्वष्वानेषु । नोर्णाथां तस्यामेकभव- बेद्यामिधानायां कमेपरि शममहाराजवमर्धिता्यां पुनरपरापरां गृ डिकां योजयगधार षड षटो यन्लन्यायेन भ्मितोऽइमनन्तं are प्रतिश्ठानमनन्तवाराः | शवंखामेषु च Wert मे अन्या जाति- one Sufe feet शया । निग्न ge smersis वशं ated ed fire] aaqee आ लगा CV SAA ख मूखेता चशाभदग्मापटास्व UTR ST जणानिष्टलं च गडिकाप्रथोभेणेव प्रकटितं भवितथच्छ । तथा ज््कित्पारन वश्तदपानं qa wu निके खे द्र गिच्यादि ड fautfaraat | एवं च वदति संसारिजोवे smfanren fafa) wet मगद्धश्नावारयोर्दाङ्णता । wate. कदश्वतिंनानेण संलमरि- Maa हारितो मनुख्धभावः sraresa fae: अ्वगाद्दितो ore: संखारसामरोऽनुग्धलानि विविधदुःखानि भराप्तानि मितानि नात्सादौनौति । sericea: प्राह | ततोऽन्यदा efaatsy भव- चक्रुरे मङ्यरूपतया | SHAT से तज मध्वमगृ रता । AAGST ममोपरि भवितचता । arfauifangar पुनरपि ख eeett 8 gutee: | ततोऽभिदहितममथा । ्ायेपुज मन्तव्यं मसुजमतौ भवता वेमाबपुरे। Waal तज यथा दद्धायिकथा । wi च तवा- नुरः पुष्ोदयो भविग्यति। aarfafed! यदाद्धापखति देवो । ततो ओौर्लाखां प्रा्ोगगुडिकाचां दन्त इनरेकभववेश्छ छा अमा- परा afear भविकन्दतसेति ॥ ware पथंटद्धिः Tate जरभवमतिरम्यं WY Ut भो ATA: | निरूपमश्धशखष्देतावादरः सं विधेथो म gate भवद्धि्मागजिह्वानृतेषु ॥ इतरया वद्धः खगमो चेतर Agu: प्रस्तावः | ७२५ मनुजग्डमिषु खलब्धविडम्बनमाः | मद्र खानृतग्रद्धिपरायणा मनु भविव्यय दुगेतिगासुकाः ॥ एतज्िवेदितमिह प्रकटं मया भो मध्यखभावमवखञ्ग्य faefenn: | मानागुते रखनजा सह संविश्य Teeter कुरष्वम्‌ 8 ` इत्युपमितिभवग्रपश्चायां कथायां मामण्षा- वाद्रसनेन्दरियविषाकक्शेनखतुथैः प्रस्तावः समाप्तः ॥ ४॥ 0 कषय `` चा -- अथ पञ्चमः प्रस्तावः | अ अरय तक्लोकविश्धातं सवंसौन्दयंमन्दिरम्‌ | बहिरङ्गं जगत्यस्ति वधमान पुरोत्तमम्‌ ॥ पूवाभाषौ safe प्राचो दकिणो ofan: | ATA: घटा TW गेमधमेपरायणः ॥ विनतः dreds: सर्वावयवसुन्दरः | wearer ay धार्मिकः सुन्दरोजनः ॥ तज दपोड्ूरारातिकरिङ्भविद्‌ारणः | अ्धनिर्व्याजसदर्यो waet नाम शपतिः tt धः श्रशराद्धायते नित्यं खवन्भुकुमदाकर | कडोरभास्कराकार बिभर्ति रिपुतामसे ॥ तस्यास्ति सर्वदेवौनां मध्ये शब्धपताकिका | सौन्दर्यग्नोखपूर्णाङ्गो देवो TAG ॥ तस्या Aa समुद्भूतः सद्ृतद्णएमन्दिरम्‌ | सुतोऽस्ति विमो भाम तयोदवौनरेग्रयोः ॥ यस्तदा बालकाशेऽपि वतमानो महामतिः | खघुक्मेतथा धन्यो न et areefed: ॥ अरय Ay पुरे ख्यातः समस्जनपूजितः | अगद्खतदहितः Bel सोमदेवो महाधनः ॥ धनेन धनदं Wat रूपेण मकरब्वजम्‌ | पञ्चमः प्रस्तावः । . ` धिया सुरगुरं सौरो यो विजिग्ये aera: ॥.. तच्यानुरूपा Wee खाधच्माग्टतग्रालिनौ 1 : भदेभक्राभवद्भार्या "नाजा कमकसुन्दरो ॥ ततोऽ गङिकारानाद्वितव्यतया तया | तस्याः प्रवेशितः get भद्रे पुष्णोदयाण्वितः ॥ अथय aqua प्रविभक्रश्ररोरकः ।. . ` खितखाहं बहियेनि रङ्गमध्यं थथा azn | ततः किण TATE जातो मे पुजकोऽनच्ः । ` इति भावनया चित्ते जनन्या प्रविश्लोकितः ॥ .. सोऽपि पुष्छोदयो जातः tare नेकितस्तया । ` ATT न TAA तेऽन्तरङ्गजना यतः ॥ ` Mase सोमदेवेन परिवारभिवेदितः । ` are कारितस्तेन पुतनग्ममहोत्छवः ॥ . . ` दन्तानि रिदानानि पूजिता aeaefa: | प्रमृन्ता बान्धवाः सवं वादितानेकमदंलाः ॥ श्रथातौतेऽतितोषेण दाद श्रारे च. सोत्सवम्‌ | ततो मे fated भाम वामदेव इति eq ॥ ततः संवधेमागोऽइमत्यन्तसुखला खितः । QUIET समापशो ग्यक्रसेतन्यसगतः ॥ तावहष्टौ मथा भद्रे शष्णाकारधरौ भरो | तयोख निकरे वक्रा भारौ वशितदेडिका ॥ fafa च मया इन्त किमिदं मानुषचथम्‌ । 2QR® उपमिविनशभवचा कथया | मन्मोप warera कि वाजित veto # अयेकशच भां गाढं वलादाख्िग्य मानवः | निपत्य पादयोखतेषां ततखत्यमंभावत ॥ मिज प्रत्यभिजानोषे fai at far नेति क पुकः | मयोक् नेति age ख जातः शोकविङलः ॥ मयोक्र तात किं जातमेवं शोकविहशः | तेनो बिरङ्ष्टोऽपि यतो ऽहं विदधत खव a मयो कुच ysis ले war acute | VR IMT warneea साष्मतम्‌ ॥ पुरेऽकथवहारे aarelatean: घुरा । AUTEN TES ARGH: ॥ केवछं तज बाङ्वमडनच्यापि के ger | श्रन्यदा मिग तोऽसि नं ततो अमरूकाम्वथा 8 ततचेकाचवाङे लं किकिला पुरे अवमम्‌ । TYG कटा कितपुमरामतः तै aw ये गमेजाः समति afer: कुखपुजकाः | अन्यद्छगानि wey तेषु पराक्ञोऽखि सुन्दर । अथ तच खिधस्साय arse वयस्कः | तिरोग्छतपरत्ेन म सम्यम्‌ efererar ॥ ततो भनस्भोलतनाससातागन्तेषु UG | अनन्तरा MASS TE खजोयमहहेखया ब gaeweares gt धिद्काषेनाजके | पञ्चमः प्रावः | बहिरङ्गे गतसखात कडा विष्वं wire: | भरवादंलरा्जख भवने खं तरा खितः ॥ दिनानि afafearar ufagt रिपुदारणः। संसारिणौोष दत्येतन्तात ते नमिषवेकम्‌ । वासके बाङ्के नान MAT चापरोपरम्‌ ॥ are fedare भवता वरलोचन | wae wafomrat aware इति स्याढंम्‌ ॥ AAMT war साधं wreatsfe वरानभ । « संजाता च॑ षरा प्रौतिम॑दोयश्नानकौ गरले ॥ VEY लया तोषा्चयेदं तव को श्रलम्‌ | जातं कश्य प्रसादेन मनानन्द विधीव्कम्‌ ॥ aan प्रतिपलाखि मभिनो मे aera मूढतानन्दिनो नावा रागकेखरिणोश्गथा ॥ ददः AB: Na. संजातं wa कौश्रखम्‌ | सा fe afafeat fay नम मातेव ager ॥ यच यज टषावादस्तज् AVE भायथा । - भवितव्यमिति sat fread बाखकेरपि # maim दशेनोषेति साक्मोया भगिनौ मम" मयापि प्रतिपन्नं तन्ावकोनं seer ॥ ततस्तद चनं तात ACHR: | भगिनौ पुरतः wat दभंखामोति ते fees याकता | 92 r उपमितिभवप्पश्चा कथा | स तदा ताङ्श्रः खेस्तव तात मया सद । ते ताष्शाः SHU: सा च मेचौ मनोहरा ॥ तथापि | न लं प्रत्यमिजानोषे इृष्टमणयधना जनम्‌ । महन्तरमतोऽपि खात्कि शोकभरकारणम्‌ ॥ ` तदेष मन्दभाग्योऽह भवता परिवजितः | क यामि क्ष चै तिष्ठामि सनातचिग्तयातुरः॥ मयोक्र म AWA TAH भद्र भावतः। ` तथापि दये मेऽसि यथा लं बिरसंगतः ॥ ` अतः | ` afea भौ तलोश्ता चिन्मानन्दपूरितम्‌ | afa भद्र खषावादे जाते दश्ंनगोचरे ॥ ` qi जातिस्मरा मन्ये दृष्टिरेषा शरौरिणाम्‌ | faa fe fanaa इष्टे awa ऽप्रिये । ABST म RAT: शोको भद्रेण वस्तुनि । वयसः प्राणतुख्धस्ं बरहि यत्ते प्रयोजनम्‌ ॥ तेनोक्रमियदेवाच मम तात प्रयोजनम्‌ | यदेषात्मोयभगिनो दशिता तेऽतिवत्छला ॥ मायेति सुप्रजिद्धापि जनेखरितर चितेः | इय ayfear तात पियनान्नाभिधौयते ॥ तदेनया समं तात वर्तितव्यं यथा मया । We तिरोभविव्यामि नासि मेऽवसरोऽधुना ॥ Wea: प्रस्तावः | ORL fa a! | यचेयमास्ते ase fea wae तत्वतः | परस्परानु विद्ध हि खरूपमिदमावयोः .॥ अयं तु पुरुषस्तात कनिष्ठो मे सहोदरः | युक्तस्ते मित्रभावस्य तेम संदर्चितो मया ॥ स्तेयनामा महावोयं स्तिरोग्धतः fea: पुरा | प्रस्लावमधुना ज्ञाला सोऽयं तात समागतः ॥ तदषोऽपि लया faa ययाहमवलो कितः | तयेव खहभावेन द्रष्टव्यः पियबान्धेवः ॥ मयोक्र | oa येयं ते भगिनौ az at ममापि न ame: | यस्ते सोदरो भाता. ख AAG बान्धवः ॥ atm | re € - wet महाप्रसादो .मे fafeat aequy: | WHA: रतरृत्योऽइमेवं खति actus ॥ Cal स शटषावादस्तिरोभावमुपागतः | ततो मे इदि संजातो वितकेः ख च कोड्श्रः॥ श्रो मे धन्यता नुनं पन्नं Ha: फलम्‌ । भगिनौ भरातरौ. यस्य समापन्नौ ममेदृशौ ॥ ततो विषषतस्ताभ्यां साधं मे मनसोदुश्रः। जाता वितकंकष्लोला भद्रे विभान्तचेतसः ॥ . वञ्चयामि जगत्छवं नानाष्ूपैः प्रतारणे: | ७२ उपमितिभवप्रपश्चा कथया | परेषां wade मुष्णामि च यथेच्छया ॥ ततोऽहं TYRE इरण चाग्यतन्बदाम्‌ । madara frwgefeat लोकबान्धवः ॥ anergy ay मामक्ोन ङुचेष्टितम्‌ | गणितिखणतुखयोऽहं पः स्वेलोकवान्धवैः # Tay नुपतेर्भाया या स कमलसन्दरो | WAH: सवकालं wat fiero ततोऽसौ aarqer विमलो राजदारकः । जातो मे मादसम्बन्धाग्सव्वा feaiornge: ॥ खटोपकारपरमः खेडमिभेरमामसः | स माद्या मया Aa WAG: waza ॥ - ष्ठं ठु mat sae after: wear: | निमलेऽपि werge: संजातः कौ टिलालयः ॥ निर्भिंखश्रा्भाभेन तदेवं क्तेमानयोः |. चअनेकक्रौडनासारमाववोर्याभ्ति वासराः ॥ aay | कौमारे वतमाने विमलेन ART । RNG STING ATE. सकलाः कलाः ॥ योषितां wears मौोगक्रेतगमणग्दिरम्‌ | लावष्यषागराधार काद्ख्षकमवाप सः # अयान्यदा मया सधं Wearet मराःमतिः | ख क्रोडानन्दमे काम PATA वरकाननम्‌ ॥ पञ्चमः प्रावः | ORR तच्च कोचम्‌ । अनग्रोकनागदुलागबक्ुलाहगोषराजितम्‌ । चन्दनागरकपूरतरूषण्डममो हरम्‌ ॥ LIA ASI विशशारवारितातपसन्दरम्‌ | विखबत्कतकौगन्ध्यद्यान्धोहतवरपदम्‌ ॥ श्रनेकतालदिताखनाशिकेरमहादर मेः | चराति ware: शण्पधमिव मन्दनम्‌ अपि 4) : विविधाहुतश्तलतान्टडकं कचिदागत लार ब्शवकम्‌ | सुमनोहदरमन्धरणद्वमरं यु ख्दामपि विस्मयलोषकरम्‌ ॥ स च तच मया vient fare: eet मगा बज्ञपूतमलः } ` उपगते तदा सुचिर विजने रमते ङ aarfe मगोश्वने ॥ ware कि Bas | गुपुरारवसंमिखः साश्रद्को निष्टतो wie: | जयोशिन्छस्पतोदरादागतः कणंकोटरम्‌ ॥ नतो विबखेनाभिदितं । are वामदेव qered tafe: Bue । मोक । कुमार अस्फटाशरतया म wae मथापि लकितो बहनां wy wa: संभाव्यते । यतोऽ काबनाभोगे विकरज्ति ger: परिभ्रमन्ति wat: संभायन्ते विबु्ष wea सिद्धा feof far: संभवन्ति am मायन्ति fae: पयैरन्जि राचसा निवसन्ति किग्यरुषा विलसन्ति मरोर wea गन्धर्वाः कोडन्ति विद्याधराः । मस्ान्पुरतो गला .निरूप्यावः येन भिदौ- O88 | उपमितिभवप्रपश्चा कथा| ते कस्यायं wee इति । प्रतिपन्नमनेन । गतौ सोकं wafer | ger पदपद्धतिः | विमलेनोक्ं । वचस aaa मङुषमिथनस्व कस्यचिदेषा पदपद्धतिः | aa: | पश्येकानि पदान्यच कोमलानि, खधूनि च। दृश्यन्ते वाशुकामध्ये खष्मरेखाङ्ितानि च ॥ तचान्यानि TAMMIE NTT STA: | लाञ्डितानि विभाव्यन्ते पदानि facerfa an लगन्ति च म cami पदानौह भुवस्तले | सामान्यपुरषाणणं च नेदृशो पदपद्ूतिः ॥ ` तदच वयस्य वामदेव विशिष्टेन केनचिन्लरमियुनेन wea) मयोक्तं | कुमार सल्यमेवमिदमयतो गला निङ्ूपयावः। ततो गतौ पुनः सोकं wari) दृष्टमतिघमतरुगइनमध्ये लताग्टदकं । निरू- पितं शखतावितानविवरेण । तच च निलोनं दृष्टमपहसितरति- मन्मयसौन्दयं तद्धिनं । विणोकितं विमलेन मखायेभ्यो arer- याणि यावत्‌ । ग get मिथुनेनावां । ्रपष्तौ कतिचित्पदानि । विमलेनोकं । वयद न स्ाभान्याविमौ gaat) यतोऽनयोः WO? विशिष्टानि शक्षणान्यपलभ्वन्ते । मथोक्ं । कौदुश्ानि az नाचोलेचणानि भवन्ति । मरत्कुठहकं मे । .ततस्तान्येव तावज्जिवे- दथलु gat | विमलेगोक्क | aquyaarend विस्तरेण . वरानम | duet इटित्येव ककद्रंयितु चमः ॥ तयेव waa भार्या faded बङविस्तरम्‌ | पञ्चमः प्रस्तावः | ७६५ aqua हि को माम पारयेत्कोऽवधारयेत्‌ ॥ अतः समासतस्त॒भ्य यदि गाढं कुत्सम्‌ | ततोऽहं कथयाम्येष aw नरयोषितोः ॥ wae | ware मे । विमखेनोक्र । रकृख्िग्धमवक्र च पद्माभं खद्‌ कोमशम्‌ | प्रशस्तं वणितं ave: gfe पादयोस्तलम्‌ ॥ शशिवज्चाङ्कशच्छक्तशङ्खग दित्थाद यस्तले | पादयो्यस्य दृश्यन्ते स धन्यः पुरुषोत्तमः ॥ एत एव च चन्द्राद्या यद्यघपूणेभिन्नकाः | भवेयुः पञ्चिमाभोगाः संपद्यन्ते तदा नरे ॥ राखभो वा वराहो वा अम्बृको वा परिस्फुटम्‌ | दृष्येत पादतज्थोयंस्यासो दुःखितो भरः ॥ मयोक्र | | | SII wat am लयेदमपलच्षणम्‌ | fag विमलः प्राह समाकणेय कारणम्‌ ॥ ` WAI दृष्टमाजस्य नरस्येह शभागएभम्‌ | येन तक्ञचणं प्रोक्त तद्रेधा सुन्दरतरम्‌ ॥ ततः सवे समासेन सुखद्‌ःखनिवेदकम्‌ | शरोर संशितं fees aoe विदुषां मतम्‌ ॥ तेनापलच्णस्यापि यदिद प्रतिपादनम्‌ | gn तङ्घदर HAE प्रस्त नरल्णे ॥ मयोक्र | | | oad उपमितिभवप्रपश्चा शया | कुमार परि शलोऽषं ्ुत्पश्यथे भथा wet: | द्रि श्वे were; दविगुशोऽथमनुपदहः # विमलेनोक्षं । Sty: wearer: fever दर्पैणशज्िभाः | नखा भवन्ति Rat गभो गसुखप्रदाः # faa: अमला Ser Sayfa: wa: | जायते किख ङ्ःोखो भखेलोकोऽच माणवः ॥ मध्ये संक्िप्तपाद ख alae ace भवेत्‌ | निमे सादत्कटौ पाडौ न प्र्रशावदाइतो 6 Raat wat ल्िग्धौ मांसलौ शमकोमसौ । सुख्िष्टौ wrut wat acret सुखवाधको ॥ ये काक न्वा WHT SEA ea: | ये दोधेसयूलजद्ाख दुःखितास्तेऽध्वगामिनः ॥ ये इंसगिखिमातङ्गटवगत्यशुकारिशः | रास्ते fant शोके दुःखिगोऽन्ये परकौतिताः ॥ MIR भवेदहं MUR वा पुबमा हितौ | यस्यासौ सुखितो श्यो चटजानुने qvec: ॥ ख राजौ बशच्छावभुलतं मणिके शुभम्‌ | वक्रं ata विवरे ख म fanfare wat ॥ दौघायुष्का भवन्लोहे प्रशषम्बदवणा नराः | Smeal पुनस्ठाभ्यां इखायुष्काः प्रकौ्तिताः ॥ मांसोपचितविस्तोणे इभकारि कठीतरम्‌ 1 पञ्चमः Vera: | SRO तदेव fiat विशेयं इ खसङ्कटम्‌ ॥ धस्योद्रं भवेत्त सिंव्याघ्रशिखष्डिनाम्‌ | तथेव इषमश्यानां भोगभोगौो ख मानवः ॥ smash भोगानां भाजनं किल गोयते | शूरो निवेदितः भराजञमेण्डुकखमञ् दिकः ॥ गम्भौरा efeuraat माभिरक्ष FRc । ` वामावर्ता च लुङ्गा च नेष्टा लचणवेदिभिः॥ विग्रालमुलतं तुङ्ग. खिग्धलो मश्रमाद॑वम्‌ | वचःस्थलं wage विपरोतमतोऽपरम्‌ ॥ कूमेसिंहाश्वमातङ्घसमष््टाः सुशोभनाः | SERA दुष्टा Tay AIHA: ॥ प्रशम्नबादवो धन्याः प्रग्रस्ता दौ घेबाहवः | अरकमेकटिमौ wat विश्वेयाः पाठवश्नखाः ॥ दौर्घो Haga: स्कन्धो नि्मोंखो भारवबाइकः | मांसलो लचणन्ञानां जचुखन्धो मतः किलल ॥ कष्टो दुःखकरो We: कशो weg यो भवेत्‌ | ख कम्बसन्निभः श्रेष्ठो बशित्रयत्रिराजितः॥ weet दुःखितो नित्यं पोनोषटः सुभगो भवेत्‌ । विषमोष्टो भवेद्धोरणेम्बोष्ठो भो गभाजनम्‌ ॥. Wet: समाः fuafrut दन्ताः fava चना; इभाः | विपरौताः gawer aqui दुःखहेतवः॥ ; ` दाजिंग्द्रदनो राना भोगौ Weal |. . 93 उपमितिभवपपश्चा कया | fanart मध्यमो शनेयस्ततोऽधस्ताश सुन्दरः ॥ स्तोकदन्ता Wasnt श्यामदन्ताश्च ये नराः) qa: समदन्ता ते पापाः परिकौतिताः॥ कोभव्तेश्च sy दन्तेविंषमसंखितेः | तेऽ्यन्लपापिनो War TEMS नराधमाः ॥ था पद्मटणशसच्छाया BA सा भ्रस्लवेदिनाम्‌ । waferst विश्रालाञचिचिजिता मद्पायिनमाम्‌ ॥ शूरण पद्मषच्छायं भवेत्ताखु मनोरमम्‌ | BU कुशचयकर MIG दुःखस्य कारणम्‌ ॥ हसखारसमादानुकारिणः FAT AT | भवन्ति सुखिनः काकखरनादास्त दुःखिताः ॥ Jaa सुखिनो नित्य सुभगस्छ fawgar | मसा चिपिटया पापश्चौरः कुंशितना सिकः ॥ नोलोत्पखलदलच्छाया gfefter मनसखिनाम्‌ । मधुपिङ्गा प्रशस्ते पापा माजारसन्निभा ॥ सहष्टिजिंद्यदृष्टिख् रोद्रद्ष्टिख्च केकरा । दौनातिरका ear च पिङ्गला च विगता ॥ इन्दोवराभा धन्यानां war विरजौविनाम्‌ | विपुला भोगिनां दृष्टिरुच्छला स्तो कजो विनाम्‌ tt काणाइरतरोऽन्धः स्यात्केकराद पि ATT: | बरमन्धोऽपि काणोऽपि केकरोऽपि म कातरः॥ अबद्ध शच्डा खततं धुणेते कारणं विना । पञ्चमः WATT खूचखाभा TAS च सा दृष्टिः पापकर्मणाम्‌ ॥ रधो भिरोकते पापः सरणं खजुरो चते | oa निरौचषते धन्यस्तिरखौनं त कोपमः ॥ Ad एय खरूपे च मानसौभाग्यशालिनाम्‌ 1 शवौ नराणं होने तू योषिद्यँ महापदाम्‌ ॥ eye महाभोगौ करणी तौ धनभागिनाम्‌ । आरुकं wader लोमशौ चिरजौ विनाम्‌ ॥ खलाटपटो विपुलखन्द्राभः सम्पदा करः | दुःखिनामतिविस्तौणेः संकिप्तः खस्यजो विनाम्‌ ५ वामावतां भवेद्यस्य वामायां दिशि मस्ते । Pan: लुधाच्ामो भिचामन्धात् रूचिकाम्‌ ॥ दश्िणो cfaw भागे यस्यावर्तस्तु मस्तके । तस्य नित्यं प्रणायेत कमला करवर्तिनो ॥ यदि स्याहचिे वामो दकिणो वामपाश्वके । पश्चात्कासे ततस्तस्य भोगा Asa संश्रयः ॥ स्फुटिता avatar: Far दारिग्य हेतवः | सुखदास्ते wafer वन्द्याभाः केशिद्धेतवः ॥ अन्यच्च | उरोमुखललाटानि यूनि Saar faa | गम्मौराफि gratia नाभिः ae area ॥ जेश्रदन्मखाः Gar भवकि सुखद्ेतवः। कण्टः एष्ट तया जहे खं fey च पूजितम्‌ ॥ ORE उपमि विभवप्रपद्चा कया | रक्रा fast wager पाणिपारतलानि च। एय॒लाः पाणिपादास्ह धन्यानां दौधेलोविनाम्‌ ॥ लिग्धदण्तः WaTUT: सुभगः खिग्धणोखनः | नरोऽतिदौघां yay Ee: aang निन्दितः # afe cag दकेषु जिहायां festy च। नेजयोखातिसूचा ये ते न धन्याः प्रकीर्तिताः ॥ पञ्चभिः शतसुदिष्टं safidafaea | fafa: षष्टिः सुदिष्टा लोखाङधेभाखवतिंभिः ॥ सानारिप्रात्पुमः भोक्त vata नरणो वितम्‌ । anet qnat तथैकेन जिश्रदर्षाणि पुन्दर ॥ fa a) अख्यिषर्थाः ge ate afe भोगाः खिबोऽचिषु | गतौ यानं खरे चाश्चा wa we प्रतिष्ठितम्‌ ॥ गते्धन्यतरो वी वर्णाद्धन्यतरः Be | सराङन्यतर wa घव स्वे प्रतिषितम्‌ ॥ यथा ACI SG थथा ST तथा मनः| यथा मनस्तथा स्व यथा सत्वं तथा TAT: ॥ दिदं ते षमासेन वणितं acerqua | अधना थो षिता भद्र wea से निश्रामथ ॥ aM | BAT भवता तावडाधारमिड कौ तितम्‌ | wie उथणस्यास्य सत्वमत्यनत निमेशम्‌ ॥ ree > eee र्म्म भा ~ ----- ~ i Se eee UGA: प्रावः esr aq fa aren जातं तादूभेवावतिष्ठते | fa a कथंचिदुर्धत नराशमिह sentir o विमलेमोक् | सन्ति सवर्धनोपायाः awersa wate | ते चमे श्नानविश्नानधेथंखति समाधयः ॥ aged दया दानं निःस्यहवब्छतं तपः । siz च स्वज awanfgeaz: ॥ एतेरविमणं सतनं queda । aya Carew: शारषेशकरारिभिः ॥ यतः | भावस निराङत्य रूख्यन्ि म संश्रयः | भावा VAST सेव्यमाना पुनः पुनः ॥ खरोग्दतात्पतत्यस्मादात्मनो ATE: | ततः WET NAAT सा च awfaeraqe ti NE च स्वे कुर्वंन्ति लदणानि षडहिग णम्‌ । अपसलशणदोषासख्च जायन्ते नैव बाधकाः ॥ तदैवं भद्र fawn ते भावा afaqa | समश्तग एषम्भाराधारं तत्सत्नसु समम्‌ ॥ एवं च वदति विमखे मया ug a विज्ञातो भावाथेस्तज कदचन | तथापि भगिनोटदोषान्नं प्रतोदं प्रजख्ितम्‌ ॥ कुमार साधु साधकं नष्टो मे संश्रयोऽधुमा | OBR इपमितिभवप्रपश्चा कथा | तन्तावदण्येदानों wad मम योषिताम्‌ ti अन्यच alga तावदिदं ते प्रतिभासति। fart लचणेर्थेन जातस्ते विख्मयोऽतुलः ॥ विमलेगोक्क । rade | चक्रवत भवत्येव aise wes: | VATA भद्र भायां तस्येव जायते ॥ तेन मे विस्मयो जातो gee मियुमोत्तमम्‌ | जिश्रामय ततो ax au यो षितोऽधुना ॥ HAM । कथयतु कमारः | विमलेनो कर | सुश्वमधं WATS स्वं वा मुखमुच्यते | ततोऽपि नासिका set नासिकातोऽपि लोचने ॥ चक्रं UG ध्वजं aw खस्तिकं वधेमानकम्‌ | यासां पादतले विद्यास्ताः स्यो राजयोषितः ॥ दाखलतवं yaa: पादेवक्रः शपनिभेस्तया | wencifimamifa शोकं खेति सुनेवेचः ॥ अर्यो विरा Sat ययाः कमकरो FZ ATI खयूलामिदुःखमाभ्नोति दारि च न संश्यः॥ CRN: deny सुरृन्लाभिस्थेव च । रक्ाभिर्नातिदोघाभिरङ्रुलोभिः सुखान्विता ॥ Tat सुसंहतौ fava सिरारोमविवजितो | इस्तिदसखनिभो Gear TS सा प्रशस्यते ॥ विद्तोणमांषणा शर्वो चतुरस्रा तिश्रोभना | पिया क क = gE 9 मि ततद | पश्चमः प्रस्तावः | ७8 ह समुखलतनितम्ना च करिः tut प्रशस्यते ॥ उदरेण सिरालेन निमेंसेन चंधार्दिता । विलद्ममध्यशोभेन तेनेव सुखभागिन ॥ gaa: aaa: खिन्ेरविस्तोरणे रोमशः खरैः | विृतैः पाण्डुरे रूके्ा्या we: सुदुःखिताः ॥ aed किल विस्तरेण निवेदयिष्यति मम mda विमलास्तवद काण्ड एव किं शंपन्न । आकाशे भाखकराकारौ निष्कृष्टासौ विभौषणौ | भरो विणलोकितौ द्वणेमागच्छन्तौ तदा मया ॥ ततः ससंभ्रमं तदमिसुखमवलोकयता मयाभिहितं । कमार कुमारेति। ततो विमलेनापि विस्फारिता किमेतदिति चिन्तयता तदभिमुखं विमलकोमलकमलदल विलासलासिनो दृष्टिः। अचान्तरे प्राप्तौ लताग्टदकस्योपरि तौ पुरुषौ । ततोऽभिदितमेकेन । ate faa पुरुषाधम मास्ति मश्यतोऽपि भवतो ate: । afecrat सुदृष्टं कुर Masta! समरेष्टदेवतां पुरूषो वा भवेति । एतच्चा- nett सताग्टदकमध्यवर्तौ पुरुषो धौरा भवेति sere तां लणमामरेरे न विस्मतेव्यमिदमात्मजख्धितं पश्याम को वाच गश्वतोति ब्रुवाणः BATH करवालमुत्पतितस्तद भिमुखं | ततस्तान्धां समं तस्य विषलत्‌ खद्भवारणम्‌ | प्रङ्खत्खणएखण्ार वसि दनादातिभोषएम्‌ ॥ अरनेककरणोदामवत्वानो द्ध तिबन्धरम्‌ | जातमायोधनं मौममाकागे कतविस्रयम्‌ ॥ 989 उपमिकतिभवप्रपष्चा कथा| ARENT: पुरषो सुखसुडकंताश्टदक प्रबेष्ुममिवाभ्डति सख । ततः सा बाला wafager बेपमानपयोधरा हरि णिकेव सिंह- जासिता दश्रखपि दिषु we: fart मिगेत्य पलायितुं प्रहन्ता । ततो ger विमलक्ुमारमभिडितमनया | wae. पुरुषोषलम ware गतासि तवाहं शरणं विमलेनोक्रं । सुन्दरि धौरा भव गाद्छधुमा ते भयं । GTM तद्हणाथं प्राप्तः स पुरुषः। सख च॒ विमलकुमारश्चएगणो पाजिंततया तस्मितेव गगने स्तम्भितो वनदेवतया | ततो विस्फारिताशोऽसौ fawet farang: | feafternfaa न्यस्ो aaa: feat नरः ॥ अवान्तरे सख ae दितौयः पुरुषो निजितस्तेम मिथुगकेन पलायित Fen: । शद्मसतत्प॒ष्टतो मिथुककः | ge: सभ्मितनरेख | ग्टरोतोऽखौ रोषोत्कर्ंण । sew yeat ममनेच्छा । अशितो हेवतया तद्भावः | तत्खचोन्तभ्भितोऽखवनया | Tew: eat बेगेन। cay शङ्ितौ इषटरभोचरमितरौ । गतः शोऽपि तदनुमार्शणाद शनं | ततः सा eT wage हा wage a यासि मां gal मन्द भाग्यामिति प्रप्त प्रद्न्ता। शंस्यापिता कथंबिदिमङेन मया च। गता fafa बेला । Wart जयया परोताङ्गो सवत्कान्तिमगोररः | समागतः सख aay तच्छा मिथुनकौ नरः ॥ ततस्तं Tar सा बालशिकाग्तसेक सिक्कव गता परमपरितोषं। मिवे- दित तथा तस्मे SU: | ततः ख पुरुषो विमशङ्खमार प्रणम्येदमाद। पञ्चमः Wats | ७8४ बन्धृ्ाता पिता माता नोवितं च नरोत्तम । लवं मे येम परिया wit cfetd मम त्या॥ अयवा | दासोऽहं किङ्करो वश्यः प्रेष्यस्ते कमेकारकः । agiaat ममादेशः fa करोमि तव प्रियम्‌ ॥ विमलेनोक्षं । महासत्त्व रलम TRG । के वयमज र चितु। रचितेयं खमाहाव्येनैव भवता । केवलं मरत्कौतुकं मे । कथयतु भद्रः कोऽयं टन्तान्तः fa वा ते गतस्य संपन्नमिति। तेनोक्र। यद्येवं ततो निषौदतु कुमारः | महतोयं कथा । ततो fave: सर्वेऽपि लताग्यडके। स UTS | कुमाराकय। रस्ति शरच्छश्रधरकरमिकरधवलो रजतमयो aaa नाम waa: | तत्र चोकरदक्छिणे इ श्रेणौ। ade षष्टिः wEnre यथाक्रमं विद्याधरपुराणि वसन्ति । तच द्किणश्रेष्छामस्ति गगन- शेखर नाम पुर । ay मफ्परिभो राजा | तस्य कनकभिखा देवौ | तस्याञ्च रनशेखरस्तनयो रत्नरशिखामणिशिखे च दुहितरौ । तज रब्नशिखा मेघनादश्य दन्ता मणिशिखा लमितप्रभस्य। ततस्तयो रनशरिखामेधनादयो्जातोऽह तनयः । प्रतिष्ठितं मे नाम Tags दरति । मफिशिखाभितप्रभयोस्त दौ aq जातावचलख्च wey | Taree च रतिकान्ता wat! तस्याद्धयज्नेका वचूतमश्जरो दुहिता जातेति। सरक्रोडितानि सर्वाष्छपि वयं बालकाले | प्राप्नानि कुमारभावं। ग्डोताः कुलक्रमायाता विद्याः। cay रबशेखरश्य बालवयस्योऽसि चन्दनो नाम feggan: | ख च । 94 ay | उपमितिभवप्रपश्चा कथा | सव्नागमसद्भावभावितो निपुशस्तथा | fafati आ तिषे ae aaa नरश्च ॥ AAAI GAA रनगखरः | गाढं TH ES भक्रो धमं श्वन्नभाषिते ॥ ततो मदौोखताताय मेघनादाय सादरम्‌ | दन्तस्तनापि agat भगिन्य agaa च ॥ Taz | निदिष्टखन्दनेनाइं किचिदाशोक्य awor | यथायं दारको विद्याशक्रवर्तो भविश्यति a RAIA Am! कुमार संवदति away वशं i विमलेनोक्ं | aaa वामदेव भ मामक्योनं af तरद्यागमवष्वनं | त्र च कुतो विख्वादः । TAGS । mae मदौयमादुखेन रन्नगरखरेण साधमिकोऽयमुचितोऽवं खल्णोऽयमिति मला दन्ता मह्ममिय चूतमश्नरो ! परिरोता मया । ततः प्रकुपिता वचश- चपलौ । ग च मां परिभवितुं man: । ब्टगयेते छिद्राणि । ततो मया कलघाताश्ङ्कखा Bt भुखरनामा चरः। तेन चागत्य निवेदितं मे। यथा gafaeuat ताग्यामचलचपलाभ्धां काणो fam तत्छाधनाथे तौ कुजचिद्ताविति। aati भद्र बदा तावागच्छतस्तदा मिबेदनो यं भवता । मुखरेणटोक्र | यदान्नापथचति देवः | atts प्रभातसमये मिवेदितं तेन मे । यथा । देव समा- चातौ तौ । सिद्धा कारौ विद्या । जातं तयोर्मन््णं । अभिडित- मख्लेन यथा wT मथा Tagen बह Ze भवता तु पञ्चत्रः Vera | 39 wae] दरणोयेति। एतदाकष्छ देवः प्रमाणं । ततो मया चिन्तितं antsy सविद्ययोरपि तथोनिराकरणे। केवलं a मारयितवब्यौ माटष्वसुः gat at तावदचशचपणौ मया waefa- भयाल्लोकापवादभयाश्च | दुष्टगोशञ्चासौ चपलः । ततन्लेम इला यथेनां चूतमञ्जरों विनाश्रयिग्यति ततो मे रुतो सुच्चत्ेनां लाघवं संपद्यते । न चान्योऽस्ति मे बदहायो थो युध्यमानस्य मे चतमश्नरौं र्ति । तख्छाद्जाव्षरे ममापक्रमणं se) ततो ate चूतमन्ञरौ मपक्रान्तोऽहं। TEs च मयेदं बहशः क्रोडनन्दनसुधार्नं | ततोऽ समागत्य feat खताग्छहके चाव- दनुभागेखेव मे समागतौ तावचशचपलौ | अमादतश्चाहं गमन- afdaa सतिरख्कारं wed नि्टुरमचलेन । ततणदचनमाकणेवतो मे Wea कीदशं संपन | इतः प्रियतमाखेहतन्तमिवेन्धको शिलम्‌ । WAY शशुदु वाक्यैः सक्वगमरसभासुरम्‌ ॥ न तिष्ठति गवा याति मूढं कतेव्यताङ्ुलम्‌ । डोशारूढमिवाभाति चश्च मे इदय तदा ॥ तथापि गाडामषवण्न समुत्पतितोऽहं तदभिमुखं । अप्रमा योधनं ee च॒ तत्प्रायो युद्माभिः। यावश्ष्टोऽचसो गतोऽहं तदणुमार्शए | थावश्माप्तोऽसौ मया उन्तेजितः पर्षवचनैः वल्ितो मदमिसुखं । पुमखग्रमायोधनं। ततो मया दत्वा बन्धमास्फोटि- तोऽसावचलौो गगन्येमेव तले । ततस्तख चुितान्यङ्गोपाङ्भनि विगज्ितं पौरवं संजातं दैन्यं न auf विद्या निष्यन्दं wor: ogc उपमि तिभवप्पश्चा NUT | ततो मया विन्तितं। saat तथा संपनल्लो यथा न पुनरा- गच्छति i fa a इतं सुष्टिभिराकाश्रं aftwary तषा मया | योऽसा vert लद्रस्तां हिला चृतमश्चरोम्‌ ॥ यतः सेकाकिनौ aver भयेनेव मरिव्यति। श्रयवा चपलः पापः ख at मुन इरिव्यति ॥ यदा किमच वक्रव्यं इतेव मनु बालिका | zelet तां गतो दुष्टः fe a at जकिता मया॥ तदधुना w याति ख दुरात्मति विचिनध अलितोऽं वेगेन । यावदहृष्टो मया सश्खमा गच्छशपलः। तता मथा चिन्तितं । भ्ये किमेष चपलः समागतः । किं न दृष्टानेन चूतमन्नरौ । कि वाजिच्छन्तौ सुरतं रोषाश्िपातितानेन ata) सवथा aut खाधीना्यां Haat वा न कथचिदस्यागममं युष्यते । तथाहि । शून्ये दधिघटं get काकः खगनवजिताम्‌ | लभखादोऽपि at मुक्ता कथयमन्यच गच्छति ॥ तते fafed भ जवति मे भ्ियतमा। यावशेवमदं चिन्त- यामि तावदापतितञ्चपलः । श॒पं युद्धं । ततः सोऽपि मया तथेवा- स्फ़ोरिते waa i आता तस्यापि सेव वार्ता । तता हा इन्त किं wat at fa aet at fa faret at fa क्षविद्भोपायिता षा fanaa कस्य चित्करोगश्तेति परियतमागोचराने कंङु विकश्पलोल- कष्लोखजालमाशाकुखलष्ठतानदौखोतःञ्वे अवमानः प्राप्नोऽदमिम- gen । get प्रियतमा । ततः समुच्छसितं हदयेन पुलकितमङ्गेन पश्चुमः प्रस्तावः । ॐ४€ स्थिरौ तं चतनया शतमास्यदं wt सुखासिकया विगतं चिन्नो- दगेनेति। कथितं चानया मे समस्तटन्तान्तं भवदौयमादहाव्यं | तदेष मया निषेदितः मासेन प्रस्छतदत्तान्तः । एवं ख सिते । तदेनां रता तात रितं मम जोवितम्‌ | शता कुलोन्लतिर्पोर दत्तं मे निमेल an: fa ara बहनोक्रेन नास्ति तदस्तु किंचन | महानुभाव लोकेऽ ae मे विहितं sat i सुप्रसिद्धं चेदं लोके| यदत हृते प्रत्युपकारोऽज वणिग्धम न साधुता | ये तु auf सुद्यन्ति wae न मानुषाः ॥ तदौयतां ममादे शः करियतां मदलुयहः | येन सपाद यत्येष प्रिय ते किङ्करो जनः ॥ विमलेनोक्रं । wet शेतन्चशेखर अरलमतिख्श्चमेण | किं वा न संपन्नमस्माकं युद्मह शेनेन । किमतेऽप्यपरं प्रियतरमस्ति । तथाहि | वचःमहखेण wat a सुन्दरं दिरण्यकोव्यापि न वा मिरौ ङितम्‌ अवाप्ते wanda भ को टिलक्तैरपि भावमौोशनम्‌ ॥ fa ara मया विहितं ते येनेवमात्मानं पुनः पुनः संश्रमयति भद्रः । इत्येवं वद ति विमले कुतः guasfad कतेव्यश्ास्य मयां कञ्चित्रव्युपकारो न भवत्यन्यथा मे चित्तनिटन्तिरिति मन्यमानेन प्रकटितं TAGs Ta Waa | तख HTT | fa We किमिदं wn fa पोतं चदि वा सितम्‌। fa कृष्णमिति qua लोकदृष्या ग aad ॥ oye उप्रमितिर्भवप्रपश्चा कथा | द्यो तितागरेषदिकूचक्रं सवंवणेविरा जितम्‌ | लद च्छप्रभाजालेदिं च्‌ बद्धेष्रकामुंकम्‌ ॥ तच द गेचित्वामिहितं THIS । कुमार । सवंरो गर धन्यं जराद रिद्यनाश्रनम्‌ | एेि म्तामणेस्ठस्यमिदं wa सुमे चकम्‌ A दत्तं aad देवेन तेाषितेन खक्मेणणा | दह लोके करोत्येत्सर्वाश्रापूरणं नृणाम्‌ ॥ तदस्य ग्रदणेन ममानुग्रह करोतु कुमारो नान्यया मे तिः संपद्यते | विमलेमोक्षं । महात्मन्न कतश्यो waarayt न च विधेया चेतस्यवभावना । दन्तमिदं लया zelda मया । aad तवेबेदं खुन्दर । श्रत: समोप्यतामिदं । सुच्यतामतिषन्भरमः। ततञूतमञ्ञ Sim | कुमार म कतेव्यो भवतार्यपुचस्यावमन्बयेनाभङ्गः | तयाहि। जिःसया aft fora दातरि प्रण्योधयते | सन्तो ana afserza gad ॥ wa q चतमश्चर्या वद्क्धां विमलः fare किमुत्तरं ददामोति याविन्तयते इदि ॥ कावदस््ाञ्चले तस्य रच्डेन सादरम्‌ | aga बद्धमेवोचैर्दिव्यकपेटके सितम्‌ ॥ अय तादृश्रनस्य लाभेऽपि विगतस्॒हम्‌ । way इषंमिरक विमलं वच्छ चेतसा ॥ स रत्रजडः खे चित्ते तहुफेगांढभावितः। तदा विचिन्तयत्येवं वि्मयोत्फ्ललो चनः ॥ पञ्चमः प्रस्तावः | ९५९ अहो श्रपूवे माहान्यमहो निःखदतातुशा | इदमस्य कुमारस्य लोकातोतं विचेष्टितम्‌ ॥ यदा यरटेदुश्रं जातं feat महात्मनः | तस्यास्य वाद्येलेकिऽष किं वा Ta: प्रयोजनम्‌ ॥ एतदेवं विधं रिन्त जायते पुण्धकमंणाम्‌ | प्रायोऽनेकभवेधमंकमेर IT CATT ॥ ये तु पापाः सदा war: शएद्धधमबहिष्कृताः | तेषां न संभवे्रायो fade चिन्नमोद्‌ शम्‌ ॥ | ततश्ैवमवधायं चिन्तितं रजचूडेन । श्रये च्छामि तावेदम- मस्य कुमारस्य सहचर ¦ यदुत कुभ्रव्धोऽयं कुमारः किंनामा fants: किमयेमिडहागतः fa वाख्यागुष्टानमिति i aa: पृष्टोऽष् यथा विवचितमेकान्ते wat Tagen) मयापि कथितं Ta । यथा | WHT वधमामपुरे चत्रियस्य धवलनृपतेः पुजोऽयं विमलो नाम । afafead चाद्यानेन । यथा वयस्य वामदेव afed क्रौडा- नन्दनसुद्यागमतिर मणो यं जनवादेन शरूयते तन्म waa ततो ऽद्य गच्छावस्तद्‌शनायं । मयोक्तं । यदाश्नापयति कुमारः | ततः खमागताविडइ । Bat युवयोः शब्दः । तदनुषारेण a_i दृष्टा पदपद्धतिः। तथा लितं मरमभिथनं । तते खतागटहके दृष्टौ युवां । निरूपितौ gata) कथितं मे eau निर्दिष्टं च यथायं चक्र- aaa wea भार्यां भविव्यति। तदिदमिहाखयागसनप्रयोजग। अनुष्ठानं पुनरस्य स्वे यया चेष्टितं क्ाघनोयं विदुषामभिमतं लोकानामाङ्धारकं बन्भेभालभिरचितं वयस्यानां Wels सुनोना- ७५२ उपमितिभवप्रपश्चा कथया | मपौति। केवलं ग प्रतिपन्नमनेनाश्चापि किंचहशेमं । रलचूडेन चिन्तितं। श्रये सवं सुन्दरमाख्यातमनेभ | तदि दटमच प्राप्तकालं | दश्रेयाम्यस्य भगवदिम्बं | उविताऽयं तद्‌ गेनस्य । सपव्यतेऽख्य तद- WAT महानुपकारः। एवं च HAA ममापि प्रद्युपकारकरणमनोरयः परिप्रण भविव्यतोति। विचिन्याभिहितेाऽनेन विमशकमारः। चथा । कुमार TE MTA समागतः aes मदौयमातामहो मरणिप्रभः। प्रतिभातमिदमतिकमनोयं काननं। ads पुनः पुनविद्ाधराणामवताराथं महाभवनं विधाय प्रतिष्ठितं तेन भग- वता युगादिनाथस्य fad wa एव बडशोऽहमिहागतः at तते ममातुग्रहेण तद्रष्ुमहति कुमारः । विमलेनोक्तं । यदद्‌- MMA: | तदाकण्छे इष्टो TASS: | AAT गता वयं भवमाभिमुखं । दृष्टं भगवता मन्दिर । तच्च कोदूग्रम्‌ । विमलस्फरिकच्छायं खणेराजि विराजितम्‌ | तडद्ख्यसयुक्रश्रर दग्बधरोपमम्‌ ॥ विलसद्रचवेड्यंपद्मरागम णिलविषा | नष्टान्धकारसम्बन्धमुद्योतितदि गन्तरम्‌ ॥ afq च। wag श्डाच्छनिमलस्फटिकमफिनि मिंतकुटिमसंकान्त विलसन्ता- पनोयस्तम्भ स्तम्भविन्यस्तविद्ुमकिरणकंद्‌म्वकर क्सुक्ता फला वचूलं अव- चुलविरचितमरकतमयुखश्वामायमानसितचमरनिकरं सितचमर- निकरदण्डचवामौ करप्रभापिश्चरिताद श्रमण्डलं श्रादश्रमण्डलगतवि- राजमानारुणमणि्टार निकुरम्ब हार जिङरूम्बावलम्बितविश्दहारक- पञ्चमः Weta? | OUR fafettrefafa ay safe भुवननाथस्य भवने प्रविश्च तेरवलोकितं भगवतो युगादिनाथस्य बिम्बं । avez दिक्‌ प्रङ्खनप्रभाजालं श्रातङ्खम्भविनिभिंतम्‌ | श्रान्तं कान्तं निराटोपं निर्विकारं मभोहरम्‌ ॥ ततः स्वैरपि विदिते इषभरविस्फारिताचेः प्रणामः । वन्दितं q विश्नदामन्द पुलकोद्धेदसुन्दर वपुदेधानाभ्यां विधिवूतमश्चरौ- Tagerat | weg खचर चरमुवनबन्धो भगवते बिम्बं निरूप- यता विमशक्ुमारस्य ससा ससुष्षसितं Mane विदारितं शरि- mame हद्धिभुपगता सदुद्धिः प्रादुश्ठंता दृढतरं FMA: | ततञिन्तितमनेन । wet भगवतेऽस्य देवस्य SG) we सौम्यता wet निर्विकारता श्रो सातिश्रयल् श्रो श्रविन्धमाशात्यता। तथाहि | रकार एव ares निष्कलो मनोहरः | श्रमन्तमसय देवस्य दएसन्भारगौरवम्‌ ॥ वौतरागो NASA: GAT: स्वदश्रेनः | सुनिशितमय देवो बिम्बादेवावगम्यते ॥ धावल्सं चिन्सयत्येवं मध्यख्ेनान्तरात्मना | विमलः चालयन्ुचेमंलमात्मौयचेतसः ॥ तावत्तस्य समुत्पन्न खजातेः ATW तदा अरतोतभवसन्ता नटत्ताम्तस्मुति कारणम्‌ ॥ अरय संजातमूद्धीऽमाव चिन्छरमनिर्भरः | पतिते waa ee: सर्वेषां शतसंभरमः ॥ 95 8५9 उपमितिमवप्पष्चा wut | अथय वायुप्रदानेन संजातः स्यष्टचेतनः | we किमेतदिल्येवं रचुडेन सादरम्‌ ॥ ततः प्रादुभवद्धक्तिः HSCATH TG: | wirequfasina: प्रवद्धाश्चशिबन्धृरः ॥ विमशो रबचूडष्ट WAT शरणशदयम्‌ | आनन्दो दकपूर्णाः प्रणनाम FRY: ॥ प्राइ च) ` शरोर fad बन्धर्मायो माता पिता ya: देवता Waal Ya मे aT ans: | येनेदं cuz पापप्रलालमचमम्‌ | त्रया मे afi घौर सदहिम्ब भवभेदिनः॥ एतद्धि दग्रेयता रब्रचृड भवता Siar मे steal: छतं परमसौजन्यं दिता भववललरो sated दुःखजालं दत्तं ख- कदम्बकं प्रापितं शिवधामेति। THEA । कुमार नाहमद्ापि विग्रेषतेाऽवगच्छछामि किम aad भवतः । विमलेमोक्कं । we aay] जातिस्मरणं सुृताऽद्यदिगमिवातीतेा अरिभव- सन्नामः। यतः पुरोऽपि निबेश्िता मया भक्रिभरनि्भरेण भ्ूरि- भवेषु वतेमानेन भगवद्धिमरे दृष्टिः निर्मलोरतं सम्यगज्नान- fanaa चिन्तरन्नं tad सम्यग्दभ्ैनेम मानसं waned सदनुष्टानं भावितो भावनाभिरात्मा वाशितं तत्छाधुपधैपाषन- यान्तःकरणं Mawar भे समख्ग्डतेषु मेचौ गतेाऽङ्गाक्गो भावं gufwag प्रमोदः धारितं asnfed क्विष्टमानेषु कार्ष Wega प्रस्तावः | Oye stam दु विंनोतेषुेचा निखणोभ्वतं वेषयिकड्खदुःख्योरौ रा- aa तथा परिणतः प्रशमः परिचितः संवेगः चिरसस्तुता भवनिर्वेदः प्रणिति करुण श्रनुशणितमास्तिक्यं geht wets: Ghat तपःसंयमाविति तता चावहृष्टं मयेदं भुवनमभतुभगवता मिष्करङ्धं बिम्बं arace चिक्र दवाग्टतरसेन पूरित दव र्या खौषटत इव सुखासिकया wa इव प्रमोदेन । ततः Oita मम हदये । यदुत रागदेषभयाज्ञानशोकचिद्के्विंवर्जितः | प्रश्रान्तमून्तिंदवोऽयं लोचनानन्दद्‌ायकः ॥ दृश्यमानो यथा धत्त ममाह्वादं तया पुरा । qa कचिग्मया मन्ये दृष्टोऽयं परमेश्वरः ॥ एवं च चिन्तयन्नेव ward रशान्तरम्‌ | ` प्रविष्टोऽसुभवदारसबेद्यमतिखुन्दरम्‌ ॥ यता HATHA WA सम्यक्कमुत्तमम्‌। ततः Bat मया at तदाराजिखिक्ता भवाः ॥ तदिदं महात्मन्नज मे संपन्नं । Ga: कतं aA भवता यत्थरम- शरवः छुवन्तोति ब्रुवाणो रतनृडचरणयो निपतितः पुनविं मल- कुमारः। तते नरोत्तम श्रलमलमतिषभ्वमेणेति वदता समुत्थापि- ताऽसौ रब्रचडेन साधर्मिक इति वन्दितः खविनयं अभिहितं च! कुमार AIT मे समोदितं परि पणा मनोरयाः wag प्रत्येप- कारो यदेवं मादृशजनोऽपि ते परिचिततक्वमार्गप्रत्यभिन्नाने कारणभावं प्रतिपन्न इति। स्याने च कुमारस्यायं दर्षातिरेकः। oud उपमितिभवप्रपश्चा कथा | amet सुते tree द्रविणे रजसश्चये। वापे GIS च नेव तेषो महात्मनाम्‌ ॥ तथाहि । तुण््ड्ानि खशच्यकालानि शवांणि परमार्थतः | एतामि तेन Stoel नेव Arve कारणम्‌ ॥ AM पुनरासाद्य मागे भौमे भवोदधौ | सुदुलंभं महात्मागो जायन्ते इवंनिभराः ॥ तथाहि | संप्राप्रस्तत्छण्णरेव मागे: स्वंञ्चभा षितः | श्रमखाताग्डताख्नादस्वेदमकरो FUTH ॥ अनन्तानन्दसंप्ूरणेमोखेतुख fay: | अतः सतां कथं गाम म रषीलासकारणएम्‌ ॥ अन्यश्च | | सत्वामुरूप वाञ्कम्ति फणं सवेंऽपि जन्तवः | श्वा fe तुब्यति पिण्डेन aerate केसरो ॥ मूषको ब्रौहिमासा्च मृत्धत्युत्तालरस्तकः | गजेन्द्रो ऽवश्चया YR Var सुभोजनम्‌ ॥ तया | अदृष्टलस्वा ये मूढाः स्तोकचिन्ला AeA: | धनराच्यादिक प्राप्य जायन्ते ते मदोत्कटाः ॥ त्वं तु पूवे पञ्चमः प्रावः | ७५७ चिन्तामणिखमे wa wal मध्यश्चतां गतः | म कचिता मया घौर इषंदोषकलद्धितः॥ श्रपुभेवं पुनधन्यः स्फटरो माश्चसुन्दरः | waa तुष्टोऽसि साधु साधु नरोत्तम i केवलमज जने नेवमतिगरूवमारोपण्ोयं कुमारेण । किमज मया विदित कुमारस्य । निमिन्तमाज wa await) खयमेव थोग्योऽसि त्वमेव विधकष्याणएपरन्परायाः। मयापि डि तावकोनां पाक्रतामुपलच्धयाय विदितो यन्नः । तयाडि | खयं विन्नातसद्भावा लोकान्तिकसुरेश्तदा | यदि गाम nated Nears: कथंचन ॥ तथापि ते सरास्तेषां न भवन्ति महात्मनाम्‌ | गुरवस्तादृशे पके द्रष्टव्योऽयं वया जमः ॥ fanaa) aware मेवं वोचः। न सदृश्मिदमस्योदितं भवता । महि भगवति बोधयितय्ये लोकान्तिकस्राणं निमिन्त- भावः भवता तु दशेयता भगवद्दिम्बं शंपादितमेव ममेदं wae RST । TES । निमिन्तमाजतां योऽपि धमं aay fat | प्रतिपद्येत नोव स गुरः पारमाथिकः॥ एवं मे विदधानसख्ं Teta न संग्रयः | उचितं तु सतां कठं सहुरो विनयादिकम्‌ ॥ तस्माद्‌ चितमेवेदं सवै तावकोपकारस्येति | किं च। एषा भगवतामान्ना सामान्यस्यापि सुन्दरम्‌ | ७५८ उपमितिमवप्रपद्या कथा | are: साधमिंकस्येह विनयो वन्दनादिकः॥ fa पुनस्ते महाभाग नेवं सद्धमंदायिनः। युज्यते fara: कतुं निभिश्यष्ापि agit: ॥ रब्नचूडेनोक्ं | मा मेवमादिग्रतु कुमारः । तथाहि । गृणएप्रकर्षरूपस्लं TNT सुरेरपि । AAA गृररस्माकं AST वक्तुमरसि ॥ विमसेगोक्क | गुणप्रकषरूपाणणं Wawra महात्मनाम्‌ । ददमेव ae लिङ्ग यहुरोभेकरिपूजनम्‌ ॥ स महात्मा स GUA स घन्यः स कुलोडवः। स भौरः ष wey: ख तपसौ ख पर्डितिः॥ a: किङ्करत्वं Hea क्मकारलमश्नसा | दासत्वमपि gale: सहुरूणणां ग werd ॥ स कायः क्ञाधितः gat यो गरोर्विंनयोद्यतः | सावाणौ या गरोः AH त्मनो यहुरौ रतम्‌ ॥ अनेकभवको रौभिरुपकारपरेरपि । धभापकार कटेण्णं frat न विधौयते ॥ अन्यचचेद मधुना पयालोच्य भवता साधं मथा । यदुत fac तावे भवचारकव्रासाचिन्तं wzelat दुःखात्मकतया विषयाः भाविता शोकोन्तरायाताखाद रूपतया प्रशमः । A स्थातव्यमधुना ग्टहपश्चरे । ग्रशोतव्या भागवतो Treat केवलं सन्ति मे तात- प्रतयो बहवो बान्धवाः । तेषां कः प्रतिबोधगोपायः स्यात्‌ QQ? Tats ~ Oye एवं fe तेषां मया बन्धुलकायंमाचरितं भवति यदि तेऽपि afe- भित्तकं भगवद्भा पिते wa प्रतिबुध्यन्ते मान्यथा । रत्रचुडधेनोक । अस्ति बुधो मामाचायेः। स यदौ कथंचिद्‌ गच्छेन्ततस्तानपि तव भ्नातोमवश्य प्रतिबोधयेत्‌ । ख हि भगवाज्िधिरतिग्रयानामा- कारबिन्त्नतानेपुष्यस्य प्रकषैः प्राणिप्रश्रमणलमेरियन्ताग्धमिवंचन- विन्वाखख्येति । विमलेनोक्षं । श्राय क पुनरसौ दृष्टो qu- ख्रिभ॑वता । रव्रशूडेगोक्ं । अजेव करौडानन्दने sea च भगव- | इवनस्य दारण्छमिभागे दृष्टोऽसौ मया यतः समागतेऽहमतौता- र्यां सपरिकरो भगवत्पूजनायेमिद मन्दिरे । प्रविशता च दृष्ट मया रृरन्तपोधनसु मिदन्दं । तस्य च मध्ये fea: wut वर्येन बोभव्छो दग्रेनेन जिकोणेन शिरसा वक्रदोचेया भिरोधरया fefazar भासिकया विरलविकरालेन द श्नमण्डलेन सम्बेनोद्रे् सवया BRIANA: केवलं परिद्धमधुरगम्भोरेण ध्वनिना विश्देन वशौखशारणेनायंसमपिक्था गिरा धममाचक्ाण्णे दृष्टो मयेकस्तपस् । संजात मे चेतसि वितकंः । यथा बत भग- वता न TUITE रूपं । प्रविष्टोऽहं चेत्यभवने । निवेशिता भक्ति- सार भगवद्िम्बे दृष्टिः । श्रवतारितं निर्माद्यं। विधापितं स्मा लेनं । कारितसुपलेपनं । विरचिता gat) विकौः पुष्यप्रकरः | nonfat मङ्गखप्रदौपाः | ससूुक्षासितः सगस्धिधूपः। fated पूवंकरणोयं । प्रमाजिंतमुपवेश्नस्थानं । न्यस्ठानि भमौ नानुकर- तलानि । fragt भगवददने gfe: प्रवधितः सदभावना शभम- प.रणामः | सजात भह्षतिश्रयः । ज्ञावितमानन्दोदक विन्दु निव्यन्द्‌- € ० उपमितिमवप्पश्चा कथः | सन्दोहेए लोचनयुगलं । संपन्नं कद म्बङुसुमसन्िभ ृददानन्द- विश्दपुलकोद्धेदखुन्दर मे शरोर। पठित भावार्यानुरमरणएगभं भक्तिनिभरतया शक्रस्तवः। कतः पञ्चाङ्गप्रणिपातः। निषो zag स्तुतः सर्व॑श्नप्रफौतप्रवसनोल्ञतिकरेयौगमुद्रया प्रधानस्तोनेभावसारं भगवान्‌ | Chad भगवहुणैरन्तःकरणं । विहिते शयः पश्चाङ्गमणि- पातः। तदवस्येनेव वन्दिताः प्रमोदटद्धिजनकाः खरिग्रश्टतयः। समु - स्थिता जिनसुद्भया । संपादितं चेत्यवन्दनं । तदन्ते छृतं प्रणिधानं सुक्रारक्रिमुद्रया ॥ श्रचान्तरे मत्परिवारेण निव तित भगवते afe- विधान asad स्ञाचोपकरणं विस्तारिता विविजवश््ाशद्धारो- लोचाः। प्रारं aaa । समापूरिताः कलकादलाः । चाखिताः सुघोषघण्डाः। राणितानि कणकणकभाणकानि । ध्वानिता दिव्यदुन्दु- भयः । नादिता मधुरशङ्खुः। वादिताः पदुपरडहाः । आस्फाल्लिता चघेरिकया श्छदङ्गाः। समुच्छलितानि कंसालकानि । fafa: स्तोजरवः। प्रवर्तिते मण्तजापः। विमुक्रं कुसुमवषे | दयणद्यणायिता मधपावलौ । श्रभिषेदितं महारंरसगन्धौषधिसन्तोथीदकैर्विंधिना जगष्जौववन्धोभगवतेा बिम्बं । wat मन्धरं चूतमश्चरौ । विश- सितमुदामामन्दोवित ग्रेषविला सिनोजनेन । दन्तानि महादानानि। छतसुचितकरणोधं ॥ एवं महता faaga विधाय भगवद्‌ भिषेक- पूजनं निगंतेऽशं साधृवन्दनाथै यावन्तथेव तस्य॒ सुखाधुद्न्दस्य मध्ये faa: ख तपसौ निविष्टः कनककमले रतिविरहित दव मकरकेतनो रोदिणोवियोजित इव ग्टगलाञ्ढनः शचोविनाङत TI पुरन्दरः उन्तमकातंखरभास्रेणाकारेए उल सनमह्ाप्रभाप्रवाह- पञ्चमः प्रस्तावः | ७६९ पिश्चरितसुनिमण्डलः बरर्भोक्षतेन पादतलेन गुढसिराजालेन भ्रशस्तशाञ्छनलाञ्कितेन दपेणःकारनखेन Baayen चरण- gran वरकरिकराकारेण spas कटिनपौनसख॒दृन्तविस्तौर्यन केसरि किश्रोरणोखाविडम्बिना कटोतटेन चुटितमभो हरे णोदर- देशेन fanaa व्चःस्थलेम प्रणम्बेन भुजदष्डयुगलेन मन्तमहेभ- कुम्भास्फालनसहार्भ्यां कराभ्वां चिवसिविराजितेन कण्ठेन अधरित- शश्रधरारविन्दश्ोभेन वदनेन उन्तङ्ग्ुरुखितेन मासिकावंगेन सुश्विष्टमां सलप्रलम्बेम कणेयु गलेन अ्रपदसितकुवखयदलाभ्धां जोच- माभ्यां संहतसखमया स्फ़रत्किरणजालरन्िताधरपुटया दन्तपद्धत्था सुच्िषटाष्टमो ्र्रधरसनज्निभेन खसलाटपडेन अध सनावचवदडामकषि- नोत्तमाङ्गभागेन fe बना स्वंयोपमातोतशूपधारी get ऽसौ मया तयेव धमममाचक्ताणएः । प्रत्यमिन्ञातश्च तेन पूर्वावधारि- तेन ध्वनिना i संजातो मे मनसि विस्मयः । aafafad मया । स एवायं तपसौ । कथं पुनरोदृश्कमनौोयरूपः BUTSa संपन्न cha | अथवा किमजाश्यें । निवेदितं मे पूवं धमेद्यरुणा चन्दनेन । यथा । भवन्ति भगवतां सखाधूर्नां लभयः । तन्माहाम्येन च भवन्ते धथेच्छथा विविधरूपधारिएः | जायो परमाणुवतमष्छाः | संपद्यन्ते पवेतवहुरवः । वलैन्तेऽकंदलवष्नघवः। पूरयन्ति खरि शविस्तारेख भुवनं । शआराश्नापयन्ति किङ्कर्मिव देवेश्वरं । निमव्नन्ति करिन- fuwraa | छवेन्येकघटाहर शरतसदखं । द शयन्धेकपटात्परगत- aye । श्राकण्यन्ति सर्वाङ्गोपाङ्ेः। wea स्यगेमाचेण निःगेष- रोमगणं | गच्छन्ति पवनवद्‌ गगने । सवेया मास्ति किकिदसाध्य- 96 eg | उपमितिभवप्रपद्चा कथा | मेतेषां भगवतां garuat । प्राप्तशम्धयो Wa ete करणपटवो भवन्ति । अतोऽयं मुनिसन्तमः पूर्वै तथा रूपो मया दृष्टोऽधना पुनरेवविधश्ूपधारो इश्यते | तचयं ्राप्तलब्धिरेव भगवानित्यो भगवतोऽतिश्चयः। ततः प्रृष्टचेतसा वन्दितो मया भगवानन्य- मुनयश्च । अभिनन्दितोऽशं सर्वेः खर्गापवनं मागं संसगं मिसगं हेतुना धमेलाभेन । निविष्टो ane । श्रुता wane श्राचेपकारिणौ भव्यचिन्तामां विच्छेपजननो विषय विषाभिलाषस्य श्रमिलाषोत्यादनौ शिवसुखे गि॑ंदसन्पादनौ aang ant विमार्गस्य भगवतो धमंरैश्ना | रज्ितोऽशं तस्य गुणएप्रामभारेण । yeq मिकटोपविष्टः शनेरेको afar) यदुत कोऽयं भगवान्‌ किंनामा कुचत्यो वेति । aati ace गदरस्माकं बुधो नाम । स धरातल- पुरवा खन्यस्तद धिपतेरेव इएभविपाकनुपतेस्तनयो निजखाधतानन्दम- सृएवद पाय राच्यं निक्रान्तः साखप्रतमनियतविारेण विहर तोति। ततोऽहमाकण्ये तच्चरितं दृष्टा acfawa facie रूपं शला धमेदेश्नाकौग्रज्ं संचिन्य च इदये aryl रल्ाकरकरय- भिदं भगवतां ait यचैवविघधाभि पुरुषरन्नान्यपलभ्यन्ते ततः संजातो भगवद्‌ हेप्रणौते मागें मेरुशिखरवज्िष्यकन्पः । स्िरोग्रलख धर्मं तेनैव बुधद्रिद्‌ श्ेनेन मदौयः सर्वोऽपि परिकरः । ततोऽभि- ay भगवन्तं गतोऽहं Gera । भगवानपि क्चिदन्य्न विहर- तौति। तेनाहं ्रवोमि। eat बुधद्ूरिरागच्छेन्ततस्ते wai बोधयति । परोपकारकरणेकब्यसनौ fe स भगवान्‌ । यतस्तदापि मम मत्परिकरस्य च aga gale विहितं तेन ang पश्चमः प्रस्तावः | o€g Sfrascfata ॥ विमलेगोक्रं । ara सोऽपि कथंचिदिहागम- माय भवतेवभ्यर्यनोयः । रत्रचुडेनोक् । धदादिश्रति छ्मारः। केवलमस्मदियोगेभ aad विधुरस्तातो विखं्युखाम्बा was तद्कच्छामि तावदहं तयोः संधौरणायं Ger ततः करिष्यामि युश्रदादेशं। नाज कुमारे विकल्पो विधेय इति विमलेगोक्त । श्राये किं ema । TAB: ATE) कुमार युश्रतन्गाग्टतचोदजग्धाखादस्य मेऽधुना । मम्तव्यमिति ama भारतो म प्रवते ॥ तथाहि | जदोऽपि wat दृष्टे जायते तोषनिभरः | उदिते fanaaia श्रश्राद्धे कुमुदाकरः ॥ स तज खणमाचेण प्रो तिखंबद्धमानसः | जोवन्नेव न तं सुक्का नूगमन्यच गच्छति ॥ fa ai खा रेऽनन्तदुः खौ चपूरितेऽणग्डतं परम्‌ । इदमेकं qian यत्सद्विचिन्तमोखनम्‌ ॥ RIS कतं WUT सतां सङ्गस्य waa | यदि afeaet Yaa wIacwgar: ॥ - चिन्तामणिमिहारन्नमग्डतं कश्पपादपम्‌ | सदष्टं TARAS: waa at विसुञ्चति ४ मार विरहो च्चासान्िद्ा लगति ताख्के । तवापि पुरतो मेऽ गन्तव्यमिति ve: ॥ € ६8 उपमितिभवप्प्चा कथा | इद वखाग्नेस्ठच्मिद मत्यन्तनिष्ठरम्‌ | GH ANEMIA गच्छाम इति WAZ ॥ तथापि ताताम्बाचिन्तसन्तापरूपं afer कारणम्‌ | मडद्न्तयमेवेति मयेद मभिधौयते ti विमलेगोक्ं । श्राय यद्येवं ततो गम्यतां भवता । केवलं a विस्मरणौयमिदमा्चश मदौोयमभ्यर्थेमं wane: स कथयंचिदच quafcfcfa | Tagen 1 कुमार ase विकश्यः। ततो भाविद्ुजनदशेनविच्छेद्‌ कातर इदया चृतमश्नरौ सवाष्यगद्भदया गिरा विमलं प्रत्याह | कुमार सहोद्रोऽसि मे राता देवरोऽसि मरोन्तम। शरोर Nad नाथस्त्वं भे भवसि सुन्दर ॥ तदेष गुणदोगोऽपि सरण्णेथः कविष्णनः | भवादृश्रां महाभाग धन्या हि स्मृतिगोचरे a विमलेनोक् । श्राय vay yaa च afe a समृतिगोचरे | ततो मे atemt wa: किं वा सौजन्यमुच्यताम्‌ ॥ एवं च वा मथापि सह सम्भाषणं गतौ चूतमश्जरौर चृ | मम पुनरग्टोतषङ्धते भद्रे समाकणेयतोऽपि तथा विमलरत्र- quant: सम्बन्धिनं धम्र्यं श॒रुकमेतथा दूरभव्यतथा च AUS guaaq विद्िप्त चिन्तष्येव qfenda प्रो षितस्सेव ग्डतस्येव न तदा परिकतमेकमपि ware yea वञ्जभिलाश्कलघरितमिव मना- मा — ee ` ऋ a ee क पञ्चमः VAT: ody गपि द्रावितं जिनगवच्नाग्डतरससेकेनापि fed ततो विग्रेषतः संस्तुत्य भगवन्तं मिगेतसेत्यभवनाक्मया afer विमलः | ततोऽभि- हितमनेन । वयस्य वामदेव यदिदं रनरडन AY ZH रत्नं महा- प्रभावमिदमाख्यातं तेन । ततः कद्‌ाचिदिदसुपयुख्यते कचिग्धइति प्रथोजने | मम च नास्धाधूना रन्नादिके । ततो गहोतमिदमना- दरेण कथं चिन्लच्छति | तस्माद चेव कुजचित्मरैशे निधाय गच्छाव tfai aaa serena करुमारः। ततो विमोश्य वस्ाश्चश्ं समर्पितं aga मे fanaa निखातं मयेकज asta शतो निरूपणलखः स प्रदेशः। प्रविष्टौ ant) vate खमभवने i रतः स्तेथबडशिकाण्यां मम शरोरेऽनुप्वेश्रः। ततसिन्तितं मया । तद्रतं रनचडेन सवेकार्यैकरं परम्‌ | निवेदितं aad मे qe चिन्तामणेगैणोः ॥ तन्ादग्रमनर्चयं Tal को नाम मुञ्चति | इरामि afta गला fa ममापरचिन्तया ॥ ततोऽवलम्ब्य जघन्यतां विस्मृत्य विमल अविगणय्य सद्धा- ara ऋपर्यालोश्यायतिं wane महापापं श्रविचायं aratare अधिष्ठितः सेयबहलिकाग्यां गतोऽहं तं प्रदेशं। उत्खातं aga निखातमन्यच प्रदेगरे। चिन्तितं च मथा । कदाचिदधुनेवागच्छति विमलः । ततो fotsfeeqs प्रदेशे भवेदस्य विक्रयो यथा वामदेवेन weld तद्रन्ं। यदि पुनर प्रदेशे ae ayers गुष्छितं निखातं तयेवान्यस्तत्ममाशः पाषाणो निखन्यते ततो पिम- चस्य तं दृषा भवेदेवंविधो वितकंः चथा axa मभेवापुश्चेरेवं odd उपमितिभवप्रपश्चा KUT | पाषाणौग्रलमिति । va च विचिनध मया frermamare: कप- टावगुण्छितसतन् प्रदेशे पाषाफः। समागतो we! ated तदनं । समायाता रजनौ | faatse TAR) समुत्यन्ला मे चिन्ता । श्रये विरूपकं मया रतं यन्लानोतं aga) ge: aafece तथा कुर्वाणः | ग्होव्यति कञ्िदन्यसद्रन्न i तदधुना किं करोमौति। वितकंकल्लोशमालाङु लित चिन्तटत्तेखिन्तसन्तापेन विनिद्रश्येवातौता सर्वापि wath) प्रभाते च sgerafaafta गतोऽहं पुनस्तं प्रदेशं, Taq समागतो मद्भवने विमलः | म Telswata vat मत्परिजनः क्र वामदेव दति । कयितमनेन यथा क्रौडानन्दनो- द्याना भिमुखं गत इति। ततः समागतो ममानुमार्गेण विमलः | स चागच्छन्‌ दूरे दृष्टो HA | ततः संजाता aargear । fagat रलप्रदेशः। समुत्खातः पाषाशो गोपितः कटोपखां। wat जिहपलच्वः स प्रदे शः। गतोऽदमन्यच्र गहनान्तरे । संप्राप्नो fare: | कृष्टो ऽहमनेम | afaat भयतरखलोचमः। ततोऽभिहितममेन | वधस्य वामदेव किमेकाको ल्रमिंहागतः। किं वा भोतोऽधि। मयोक्र । श्रुतः प्रभाते मया त्वमिहागतः । तेनाहमय्यागतः | ततो म दुष्टस््वमज। तेन संजातो मम दये Wes: क कुमारो गत इति fern) aaa त्वयि ge यदि परं खस्थौभविद्यामोति। विमलेनोक्ष । यद्येवं ततः सुन्दरमिदं संपन्नं यदि हागतौ । erat गच्छावो भगवद्भवने | मयोक्कमेवं भवतु । ततो गतौ जिनमन्दिरे | प्रविष्टोऽग्यन्तरे विमलः । featse axed) fafa मथा । qi विन्नातमनेन । ततो मभ्वामि लरितं। इतरथा मभेद“ ) पश्चमः प्रतावः | eqs मेष रत्नसुदालयिव्यति । न चाच पुरे तिष्ठतो aarearata: | अतः पतामि नि «fai ततः watfaatse बेगेन। क्रान्तो बड्विषयं। asaifa राजिंदिनानि । गतोऽष्टा वि श्रतिधाजनानि। atfeat रन्रयन्धिः। दृष्टो जिष्टरपाषाणटः। ततो हा eat ऽखोति गतो Fett) war श्च्छरेण चेतमा । ग्टहोतः पश्चात्तापेन ATA: प्रलयितुं भष्टोऽहं । कथंचित्ततः सानात्‌ तत्पुनगेामोत्यभिप्रायेण वलितः खदेश्राभिसुखं | tag जिनसदमान्निगतेन न्‌ इृष्टोऽश विमलेन । ततः संजाता विमशस्य चिन्ता क पुनगेतो वामदेव इति, गबेषितः सवं कानने म चोपलमधः। ततो भवने पुरे च aay गवेषितो यावन्तज्ापि म दृष्टः ततः wafeg प्रिता ममाग्वेषकपुरषाः । प्रापतोऽशमेकर्भो तस्तेभ्वः । afafeaa: | यथया वामदेव शो कार्तंस्बदि योगेन विमलो वतेते वयमानेतारस्तवानेन प्रडितास्तेन गम्यतामिति । ततो मया चिन्तित। रये न afadtse विमलेन । ततो विगतं मे भयं । नौतोऽद afa- मलसमोपे | दृष्टो विमलेन समालिङ्धितः ata) मुक्रमुभाभ्यां नयनेविमरुसषलशिलं fa तु मया कपटेन प्रियमौलकमुदा विम- लेग । निवेशितोऽदमर्धासने शअरभिदितखानेन । वयस्य वामदेव वणय faa भवता । मयोक्रं । कुमाराकणेय | श्रस्ति ताव- ufase जिममन्दिरे । ततो धावन्त किलाहमपि प्रविशामि AACS मया व्रणेमा गच्छन्तो गगनतलेऽम्बरचरो | सा च RIFT | प्रका श्रयन्तो दिकूचक्र रूपलावण्छगशाशिनो | आहृ्टकरवाला च यमजिषेव भौषण्णा ॥ ७६७ उप्रमितिमवप्रपश्चा eT | ततस्तां दृष्ठा थावददममिलाषोच्लाससंकौशे रसाकरमनुभवामि ताउदुत्ाटितस्तया नेतुमारग्धो गमनमार्गेण । ततोऽहं हा कुमार कुमारेति रटजुेः सुविहलः , नोत एव तया दूर भो विद्याधरयोषिता ॥ faa) पयोधरभरेणोष्वः सखेहमवगूहित ¦ । चुम्बितख्च बलादक्रं प्राधिंतो रतकाम्बया ॥ तथा carta सा बाला विषश्ूपा प्रभाषते। कुमार वरमिच्रेए त्रया विरदहितश्य मे॥ चिन्तितं च तदा मया । दूत | MACHT सुरूपा च यद्यप्येषा तयापि मे । वरमिजवियुक्रस्य न सुखाय प्रकल्पते ॥ ्रनान्तरे समायातान्याम्बरचरौ | विलोकितोऽइमनया । गता aifa मय्यभिलाष | प्रटत्ता Wee) aay आः पापे कुज धासोति शब्दसन्दभंभो | जातं परस्पर युद्धं तयोः खचरयो षितोः ॥ ततो ar@fearat frgfedtse दस्तात्पतितो तले चूफितो MMe | चिन्तितं मया । यद्यपि द सितोऽद न शक्रोमि बद- नया ae तयापि यावदनयोरेका न aeifa at acai येन जोवन्नेव विमलकुमारवरवयस्यं पश्यामि । ततः पलायितोऽं त्रया इृष्टञ्चामो भि्म॑नुष्येः प्रापितः कुमारश्मोपं। तदिदं Fax मयानुग्रलमिति । Twat Cheat विमलो मदोयनिष्कृचनिम- खेदेन । Wert मेऽन्तगेता बङखिका किल प्रत्या यितोऽयं मया WGA: प्रस्सावः ०६९ विमलो सुग्धबुद्धिरिति i श्र्ान्तरे ग्रस्त इव मकरेण दशित इव THY समाघ्रात Ca हतान्तेन न जाने कां प्राप्नोऽश्मवस्थां | यतः ससुश्परलयदिवान््ाणि मे प्रादु्धैतसुद्‌ रशूलं घत्पाटयन्तौव लोचने ्रृद्का भिरोबेदना प्रकज्ितानि खलषिबन्धनानि प्रचशितं रदग- नाशं ससुललसितः शाससमोरणः wi मयने faegr भारती | समाक्ंखोग्लो विमलः । wat हाहारवः । समागतो wae: | भिितो जनसमृरः | समाहृतं Fees । प्रयुक्ानि भेषजानि । म॒शंजातो fame ) सृतं विमशस्यं तद्रनं। श्रथमवसरख्छेति मत्वा गतो बेगेन ands । निरूपितं न्नेन यावन्न दृस्यते axa ततो जाता विमलस्य मदौयचिन्ता । कथमसौ जोविव्यति । ततः समागतो मम समोपे ॥ अजान्तरे विजभ्मितेका wages । मोटितमनया TC उदेलितं भुजयुगलं सुत्कौग्ताः केशाः शतं विकर ल्‌पं Gm: फेत्कारारावाः वदिगितमुदामदेहया । भौतः सराजको जनः । ततो विधाय पूजामुत्पा्च धुप एष्टासौ । भहा- fra का तमसोति। खा प्राह । वनदेवताङं। मयायमेवं विहितो वामदेवो यतोऽनेन पापेन सद्धावप्रतिपश्नोऽपि वञ्चितोऽयं सरलो विमलः । wae रत्र निखातमन्यप्रदेभे gas ap: ganas रचितमालजालशं । एवं च कथितं तथा वनदेवतया afaat मदौयं विलसितं दशितं तच प्रदम ca) aes) तदेष मया चृएेनोयो दुष्टात्मा वामदेवः। विमलेनोक्कं । सुन्दरि मा मेवं कार्षोँमंहामेवं क्रियमाणे मम fener: संपद्यते | ततो विमलाभ्बथंमया मुक्तोऽहं वनदेवतया । निन्दितो ऽहं 97 ॐ9 ० डप्रमितिभवप्रपश्चा कथया | शोकेन पिह्मारितः fiesta इसितो areata afeaga: खजनवगेंण | जातस्त पि जनमध्य watt ऽहमिति । तथापि महानुभावता विमलो मामवलोकयति चिरन्तनखिरधा न zaufa विरियं म मुञ्चति quia न ग्रियिखथति प्रसादं न रषयति मां चशमप्येक । वदति च । वयस्य वामदेव न भवता मनागपश्चजमवचनेचिक्नोदेगो विधेयः । यतो दुराराधोऽषं लोकस्ततो भवादृश्रामेष केवशमवधोरण्णामरलोति । न च न प्रतोतं aw महात्ममो विमलस्य तदा actaefta । तथापि रहं बङलिकादोषासादृश्ो दुष्टचेष्टितः | स तादृश्यो महभ गस्तजेदं विद्धि कारणम्‌ ॥ वार्च्ामुदयं गच्छेद सरू प्राश्यं दिवाकरः | शङ्ग्येत समर्याद यदा चोरमहाणटेवः ॥ अथवा | वद्किपिष्डोऽपि जायेत aerfafganiae: | अशावुवन्तरेन्नोरे निचिप्नो मेरपवंतः ॥ निर्व्यानखहकारष्छः सदािष्छमरोदधिः | तथापि gaat भद्रे प्रतिपन्नं a सुच्चति॥ अन्यश्च । जानन्नपि म जानौते पणश्डश्नपि म प्ति | म AEM च URN war: खखचेष्टितम्‌ ॥ ततोऽहं Taft शोके संजातलाचवः | विचरामि तदा साधं विमङेन महात्मना ॥ WEA प्रस्तावः | mo) अथान्यदा मया ant विमशो विमखेखणः | संप्राप्त्तज लेनेष्धमन्दिरे वन्दभेच्छया | विधायागशेषकतेव्यं प्रणिपत्य जिनेश्वरम्‌ | अथासौ सलोतुमारग्धो fare: कशथा गिरा ॥ Garret खसदोतिर्विद्यो तितदिगन्तरः | ख रबनचुडः dare: खचरः परिवेष्टितः ॥ अचासौ मधुरष्वानमाकष्यं श्च तिपे ग्रम्‌ | ततः संचिन्धयत्ेवं Taye: प्रमोदितः ॥ श्रये ख स्लौति धन्वात्मा विमलो जगाबान्धेवम्‌ | भगवन्तं महाभाग aT IATA ॥ ततो fragt yale खखेचरान्‌ । ata चृतमश्चयां चिभन्यस्त इव fer: ॥ अथ गम्भौरनिधीषः स्फुटकण्टकम्षणः | आनन्दोद कपूर्णाखः शिप्तद्ष्टिजिनानने ॥ सद्भत्षवेश्योगेन साश्ादिव पुरः स्थितम्‌ । जिनेशं परमात्मानं भगवन्त सनातनम्‌ ॥ सोपाजमां सविश््भं sae प्रणयान्वितम्‌ | ततः सलोतमारग्धो विमलोऽमलमानसः ॥ अपारघो रखखारनिमद्मननतारक | | किमेष धघोरसखारे माय ते विस्मृतो जनः ॥ BRAT तारणे शोकबान्धव | HUTS भुवनानन्द धेनाद्यापि विलम्ब्यते ॥ ॐ ५ sufafaranqe! wat | QIANG दोने कर्णाग्डतसागर्‌ | न ymalgy कतुं जने नाय भवादृशाम्‌ ॥ MAY भवकान्तारे शटगशावकसन्निमः | विसुक्षो भवता नाय किमेकाकौ दयाशना ॥ cagay भिचिक्तचचुखरलतारकः | भिराशम्नो भयेनेव विमण्छेऽदं त्वया विना ॥ अरमन्तवोयंसम्भार अगद्‌ालम्बदाथक | विधेडि भिभेयं नाय मासुष्लायं भवाटवौम्‌ # HUMMUS नाय कमलशाकरबोधनम्‌ | यथा तया WIN त्वदृते भासि fala: ॥ किमेष कर्मणां दोषः किं ममैव quar: । कि वास्य हतकाशस्य कि वा मे नास्ति wear ॥ fa वा agfefaaty caffe argent | जिखशाद्यापि शपनलला न मे yang ॥ सौोलाटलितनिःगेषकमेनाल BAIT | सुक्िमयंयते नाय येनाद्यापि न दौयते ॥ Be च जगदाशम्ब मायेदं ते निवेश्यते | नास्तोह शरणं लोके भगवन्तं fage Ru. लं माता त्वं पिता tare erat लंच मे गरः, त्वमेव जगदामम्द जो वितं जो वितेश्वर ॥ बयावभौरितो नाय मौोनवष्बशव जिते | निराशो देन्यमाशम्ग्य frase जगतौतखे ॥ WAH: प्रस्तावः | ख्स्वेदमसिद्ध a fage त्वयि मानसम्‌ | wargaaaae यदा fa ते निवेद्यताम्‌ ॥ ` afed ware ge भुवनभास्करे | त्वयोह विक सत्येव विदशत्कमे को शकम्‌ ॥ अमन्तजम्ुखनानव्यापाराक्णिक्स्य ते | ममोपरि जगम्नाय न जाने AEM दया ॥ squad mare तयि aaa | नृत्यत्येष मयूराभो महोदंण्डभरिखण्डिकः ॥ तदस्य किमियं भक्तिः किसुग्मादोऽयमोदृशः | raat aaa माय waar मे निवेद्यताम्‌ ॥ मश्रौराजिते माय सूते कलको किलः । यथा दृष्टे भवत्येव खसत्कलकलाङकुलः ॥ तथेष खरसानन्द बिन्दुसन्दो शदायक | afa दृष्टे भवत्येवं मूखौऽपि gett जनः ॥ तदेनं मावमन्येथा नायासंबद्धभाषिशम्‌ | मला जनं जगञ्ज्येष्ठ समन्तो हि मतवत्सलाः ॥ कि बाखोऽोकवालाल आशजालं लपन्नपि । न जायते जगन्नाय पितुरामन्दवधेनः ॥ तथाङ्गौलाकरोल्लापनेश्पाकोऽयं जनस्तव | किं विवधेयते नाय तोषं fa नेति कथ्यताम्‌ ॥ अनाथभ्यासयो गेन विषयारूएचिकदंमे | गतं खकरसंकाश्ं याति मे wee मनः ॥ 98 668 उपमिलविभवप्रपश्चा कथया | न्‌ ae नाय शक्रोमि तज्निवारयिलुं चलम्‌ । अतः wale तहेव देव वारय वारय ॥ fa ममापि fanetsfe ara तावकशासने | aad शपतोऽधौश् मोन्तरं मम दौयते ॥ आरूढमियतौः कोटौ तव faecat गतम्‌ | मामण्येतेऽनुधावन्ति किमद्यापि परोषाः ॥ कि wat प्रणताग्ेषजनवोयेविधायक | उपसर्गां ममादथापि ye gaff नो खलाः ॥ quate जगत्छवै भाय at पुरतः खितम्‌ | कषायारातिव्ेण किं a पश्यसि पोडितम्‌ ॥ कषायाभिद्रुतं trey मां डि कारुणणिकष्च ते । विमोचने wares atte नाय युच्यते ॥ विशोकिति महाभाग त्वयि संसारपारगे | श्रासितुं चणमघेकं wart नास्ति मे रतिः॥ fa a किं करवाणोह भाय मामेष दारणः | staat रिपुखष्मतः प्रतिबध्नाति सत्रम्‌ ॥ विधाय मयि कारष्छं तदेनं विनिवारय | STARA माय येनागच्छामि तेऽन्तिके ॥ तवायन्तो भवो धर भवोन्तारोऽपि ते aw: | एवं श्चवसख्धिते किं वा Slat परमेश्वर ॥ aeraat भवोन्तारो मा विखम्बो विधौयताम्‌ । नाय निर्म तिकोल्ञापं न इटखन्ति भवाद्भ्राः ॥ पञ्चमः Tes | waa विमणो aregrnfaaara: | wWTVAAe पञश्चाङ्गप्णएतिं गतः ॥ तावदुक्ञासितानन्दपुशकोद्ेदखन्दरः । संतुष्टस्तस्य भारत्या TAGS: स खेचरः ॥ साधु साधु शतं WT स्तवनं भवभेदिनः | लचेत्धेवं ब्रवाणोऽसौ प्ादुरासौन्तदा पुमः ॥ धन्यस BART जातोऽसि त्वं aaa | BUM महाभाग भक्तिर्युवनमान्धवे ॥ सुक्र एवासि संसाराजिखितस्ं नरोतम | प्राय चिन्तामणिं नेव मरो दारिद्यमश्ति ॥ एवं च कशवाक्थेन विमशं ख्चराधिपः | अभिनश््य ततो मायं वन्दिलवा भक्तिनिर्भरः ॥ तदन्ते विमणशच्योशचे वन्दनं प्रविधाय सः | प्रयमं वन्दितस्तेम निविष्टः wena ॥ ततो विहितकरंग्या fave WaT । विद्याधरनरेष्द्राख्च fret मतमस्काः ॥ श्रय VENTA जाततोषौ परस्परम्‌ । विमणो रुख wand कतुसुधतौ ॥ उक्र च रनचुेन महाभाग निन्नम्यताम्‌ | हेतुना चेन wd मम काल विलम्बभम्‌ | मानौतो भवदादिष्टः स खूरिबैधनामकः | awh कारणं किचिग्डहाभाग निगश्रामय ॥ ॐ ष्‌ उपभितिभवप्रपष्चा कथया | दूतो गतोऽहं Fava] इृष्टाम्बा शोकविकृणा | amg मदियोगेन तौ च संपौरितौ मया ॥ अ्रथातौते दिने afer सङ्गंमामन्दबन्धेरे | राजो स्थितोऽहं शय्यायां शतदेवममस्तिः ॥ ध्यायतः परमात्मानं भगवन्तं जिनेश्वरम्‌ | समागता चमे निद्रा दव्यतो न तु भावतः॥ तावद्‌ भो भो महाभाग भुवनेश्वरभक्षक | उल्तिषटेति गिरं श्रणन्‌ faqgise मनोहराम्‌ ॥ अय विद्योतिताग्रेषदिकुशक्प्रतिभाखराः | तदा पुरतः साचात्यश्धामि बङदेवताः ॥ ततः शसभ्भृमोत्थामविहितातुलपूजनम्‌ | तामिमें क्षाचयन्तोभिरिदसुक्ष वचस्तदा ॥ धन्योऽसि कतशत्योऽसि पूजनौयोऽसि मादृशाम्‌ | यस्य भागवतो wa: fare नरसत्तम | रोहिष्ाश्या वयं विद्यास्तव पुष्ेन चोदिताः | wala योग्यतां मला समायाताः BAIT: ॥ श्रावजिता गरेस्तात areata: सनिभेलेः । अत्यन्तमनुरकरास्ते सर्वाः सर्वात्मना वयम्‌ ॥ यस्य भागवतो We नमस्कारो इदि fea: | सदा Meret लोके तस्य ते किमु दुलभम्‌ ॥ एताः पञ्चममस्कारमन्लमाहाव्ययज्तिताः | श्रा गत्य सखयमेवेड ad किङ्करतां गताः ॥ पचमः प्रस्तावः | @99 करिष्यामः प्रवेशं ते welt qeatua | प्रतौष्छ भवितथ्यं च भवता सक्रव्तिंना ॥ एतचास्माभिरादिष्टं विद्याधरबश तव | पदा तिभावमापश्नमायातं दारि aaa ॥ WaT किरोटमफिभाखराः | ततः प्रविश्छ ते aa खेचरा मे नति गताः ॥ अभ्ान्तरे प्रहतसुदामातो्श्ब्द प्राभातिकररं | पठितं च Are निबेदकेन । uqa एष भो भाखकरो शोके Garages गतः । प्बोधकारको get दृष्टि्रश्रदायकः ॥ सदनुष्टानरेतुख सर्वासामर्थसन्पदाम्‌ | सम्पादक इति ख्यातः aga इव वर्त॑ते ॥ ततः । भो भो शोकाः षसुत्थाय Wa इदतादरम्‌ | चेन वोऽतकिंता एव रुंपधन्ते विश्रतयः ॥ wayne चिग्तितं मया । wa भगवद्भाषितषदङ्ममाद्ान्य- मिदं यदतकिंतोपनता एव fagr ममेताः श्वंविद्याः । न चेदं मे wear | विन्नः eau ससुपस्ितो मे । म भविति विम- खेन साधं दोक्वाग्रडणं । यतः पुश्चालुवस्ि पुश्छमपि भगवता सौ वशिकनिगड्तुच्यं qe । आदिष्टं च पूवमेव मे चन्दनेन क्द्याधरचक्षव तिलं समर्थितं च महात्मना विमखेन । तत्का गतिः। भ वितन्यमेवमनेन । तदेवं चिन्धत एव मे wat रेवतामिः 98 १. | उपमितिमवप्पश्चा wut श्ररौरेऽनुप्रवेश्रः। प्रारभो विथ्ाघरसमृरेभं राश्यामिषेकः | शतानि कौतुकानि विदितामि माङ्गलिकानि समुपनोतानि सन्तौर्याद- कामि प्रकटिताजि रन्नानि सन्नोश्ताः कनकरन्नकलश्राः। एवं च महता विमर्दन निवर्तितो मे राज्याभिषेकः । ततः पूजयतो देवाम्‌ सन्भ्रागयतो गरन्‌ स्थापयतो राजनो तिं निरूपयतो त्य- बभे gaat यथाशप्रतिपत्ति समाचरतोऽभिनवराच्योचितं स्वे aca afrafa मम कियन्यपि दिनानि | ततो भिराङ्ख- Gare मे संस्मृतो युश्रदादेशः चिन्तितं च । wa नान्वेषितो sit मया बुधद्धरिने at विमलसमौपं । wet मे प्रमन्तता | AAAI खयमेव wise रिग्धमिमण्डलं । दृष्टदेकज नगरे मया quate: | भिबेदितो qugurn: । ततोऽभिडित- मनेम | गच्छ त्वं तावदिदमिदं च विमलाय निवेदय | we a पदमादागमिब्धामि | waar हि विमलबन्धूनां प्रतिबोधनोपायो नान्यः । ततः HINA fear शनेः कथितो विमलाय रूडेन स प्रच्छन्नो बधरस्ूरिसन्देश्रकः। सतु मया माकणित इति, पाइ च रज्नचृडः । तदनेन कारणेन संजातो मे काश विखम्बः | अमुना च हेतुना ननोतो बृधद्धरिरिति । विमलेनोक्षं । सुन्दर- मनुटितमार्येण । ततः प्रविष्टाः स्वंऽपि नगरे । खिला च महा- प्रमोदे दिजाणि दिनानि गतः qa TAGS: | faawyg ततः wafa गाढवतरमभग्यस्ततया ङु श्रलभावस्य wetw- तया क्मेजाशस्छ faggan are हेयतया विषयाणां उपाटेथ- तया nue अविद्यमामतया दुखरितानां vere strate पञ्चमः प्रस्लाबः। So¢ प्रत्यासन्नता WAIT बडमन्यते राच्यथियं न FEA WT- wert न अलति विचिबलोखामिः नाभिलषति area गन्धमपोति | केवलं भवचारकविर क्रचिन्तः इएभध्यानानुगतः ae गमयति । तं च तथा विध्मवलोक्य faquaaqutaiag कम- सुन्दर्याः wae चिन्ता । aaa विमलक्मारः सत्यपि मनो- इरे mea विश्चमानेऽप्पपह सितधमद्‌ विभवे विभवे पश्न्ल्धरिता- मर सुन्दरोशावष्या नरेश्रकन्यका श्रधःङुतमकरकेतमोऽपि रूपाति- way संगतोऽपि कलाकलापेन नौरोगोऽपि Va सुपूणाऽपोशिय- सामग्या रडितोऽपि afaenaa नालौोयते यौवमविकारेनं निरौ- ऋते suifefacifuaa न जख्पति मग्मनरूबशितवचमेन न सेवते मेथादिकला a बहमन्यते शषणामि न गटह्यते मदान्धतया न विश्ुच्यते सरलतया ग विषइते विषयसुखमामापौति | af मिदमौदृग्रमस्य संसारातोतमलौ किक चरितं । wads प्िय- quant विषयसुख्ख विसुखः aed सु जिवदवतिष्ठते तावदावयोरिदं निष्फलं राज्यं अ्रकिञ्चित्करो प्रभुता निष्प्रयोजना विभवा wa- समानं जोवितमिति । ततः कथ पुनरेष विषयेषु प्रवतिंव्यते कुमार इति awit देवोनृपयो रहसि पर्यालोचः । सखापितः सिद्धाग्तः। यदुत खयमेव तावद मिधौयतां विषयष्ुखानुभवं प्रति कमारः । स fe विनौततया दािष्छधनतया च म कदाचन पिजोवंदममतिखङ्यिव्यतौति । मला ततोऽन्यदाभिहितो रि जमनोजनकाग्वां विमलकुमारः | यथा पुज मनोर यश्तेसखमावयो- जातोऽसि र ज्यधूधेरणच्मञख वतसे । तत्किमिति नानुशोखयसि Oto sufafananqet खया | fastaeraed | किं नाभितिष्टसि ced किंन कुरवे दार- doy) fa नानुभवति विषययामं। किं न वर्धयसि कुखसन्तति | fa नोत्पादथसि प्रभानामागन्दं । किं नाह्ादयसि बन्धुवभे | किम पूरयसि प्रणएयथिजनं । किं न तपंयसि पिदरदेवाम्‌ । किं न खन्दागयसि fava: किंग जनयसि वचनमिदं gaara: प्रमोदसन्दोरशमिति | विमलेन चिन्तितं । सुन्दरमिदमान्वामभि- हितं । भविग्यत्ययमेव प्रतिबोधनोपायः । ततोऽमिदहितममेन | यदाज्ञापयति तातो यदादिगश्रध्यम्ना aga arent करणो- चितं। wa fan: | fa q ममायममिप्रायः। दि सर्ववां सराञ्छे दुःखितशोकानामपरत्य बाधां संपा च सुखं ततः ae सुखमरुग्धयते ageat । एवं डि प्रशुलमाच रितं भवति waar तथाहि | विधाय शोकं निर्बाधं श्यापयिला सुखेऽखिलम्‌ | थः खयं सुखमण्विष्छेत्छ राजा प्रसुष्यते ॥ यस्त॒ शोके सुदुःखातें सुख सके निराकुलः | mya fe कुतप्तश्य कुचिंभरिरसौ मतः ॥ afeeay utente । वतेते तावदेष संतापिताशेषश्धमणष्डशो wea: । ततोऽइमतेव ममोनन्दगाभिधाने tc ent बन्धुवर्गेण परितो मिगन्देन सेवमानो श्रमेसमयोचितां राण- Wet संपादयामि ताताम्बयोः सम्बस्धिनमादे श्रं | केवलं निष्‌- erat राजपुरुषा ये सवं द्‌ःखदौगेव्योपडतं लोकं गवेषयिला कमानो ¶ मय धं सुखमनुभावयन्तोति | TARAS प्रष्टौ eee --- न । = अ ~= a ca पञ्चमः प्रस्तावः | OTe धवश्लराजः प्रमुदिता कमलचन्दरौ । ततोऽभिहितमाभ्यां | साधु वह UST साध्‌ चार्‌ लण्पितं aa युक्रमिदमोदृश्मेव भवतो विषेकस्येति ॥ ततस्त मगोमन्दने wzetqat सष्वकारितमति- विश्राशं ateu fey) तचाच्छादितं भिरम्तरं नशिनोदशैः खमन्तादुपगृढं मरकतरितेः कदलौ वनेर्वे्टितं सततवा डिन्वा कपूंर- पूरितोदकप्रवाहइया ग्टहमद्या विशेपितं मलयजकपूंरच्ोदगा्थां छतविभागसुशगेरण्टणाशलनालकर्पितेभिंन्तिभागेः । ततस्च तादृश रौश्रषभ्तापहारिणि भ्रिथिरसुखोत्कन्पकारिणि महति दिमिभवने विरचितानि भिभरिरपक्षवश्यनानि कख्ितानि शिभरिरसखदग्दू- न्याखमानि प्रवेशितः ay wages विमलकमारः | ततः समस्तेनापि लमसमुदयेन सहित एव विखिक्तः सरख्चन्दनेन शष्छितिः कपूंररेणना मालितः सुरभिपाटलादामभिर्विंराजितो मलिकाकुसुमसवकेरा fer fea: सखसुक्षाफलकलापेन निवसतः amarante: भि भरिरबिन्दुवर्षिभिस्ताखटन्तेरला शितः सखादुकोमलेनाहारेण via इव सुरभिताम्बृखेन प्रमोदित दव मनोहारिकाकश्िगौतेन सानन्द इव विविधकरणाङ्गहारहारिणा yar were इव शलितविलासिनो लो कङ्ुवलयद्‌ ललोखलो चन- मालावणलोकनेन प्रविष्ट इव ae लोकेनावगाहितु रतिसागर | तेवं जननौजनकयोः प्रमोद सन्दादानायथे स्वेषामपि शोका- नामात्ममोऽप्यधिकतरं बदहिःसुखं सपादयन्नासिहं vant विमस- ङुमारः। प्रवेशयन्ति च awe राजादेगेन नियुकपुरषा दुःखदो गेत्योपडतं तजन शोकं । ततः fart तेषां दुःखापगोदः संपाद्यते शामन्दातिरेक इति । एवं च। ७८२ उ पमितिभवप्रपश्चा कथया | गुपतोषविधायिविखासकरे सुखसागरवतिमि राष्यधरे | श्रय तज सुते सुभग विमशे प्रमदः क्रियते नगरे सकले ॥ एवं चानन्दिते राजनि तुष्टायां await प्रमुदिते सकले जने विमलसखसागरावगाहनेन प्रविष्टाः केचिज्ियुक्रयुरवास्तज fea? । दन्ता तेरन्तरा जवनिका । तया च व्यवहितमेकं पुरषं weary wawuwrafanfad a: । यथा देव देवारैशेन faec- द्विरसाभिदृष्टोऽयमत्यन्तदुःखितः पुरुषः warty देवसमोपं | न चेष mada देवद भ्र॑नथोग्य इति मत्वा जवनिकया व्यव- हितोऽस्माभिरिह प्रवेशित इत्येतराकण्छं Za: प्रमाणं । धवखरा- जेनोक्तं । भो भद्राः क दृषटाऽयं awa: कथं चात्यन्तदुःखित इति । ततोऽभिहितमेकेन । देव श्रस्ति तावदितो निगेता वय देवादेग्रन दुःखदारिद्योपहतशोकानयनाथं । निषशूपितं नगर Uae समस्तमपि तत्षततानन्दं | ततो गता aTATY यावदृष्टो दूरादयं पुरुषः । कथं । वतेमानेऽतिमध्याके waa वद्किसन्निभे ॥ उन्तप्तलो हपिष्डाभे अगन्तपति भास्करे | निदा हिमुसुराकारे खष्मधूलो महा चये ॥ पादजाणवि निसुंक्रो गश्छशेष विशोकितः | ततोऽयं दुःखित इति शला दूरादुशेरभिदहितो ऽस्माभिः | दुत भोभो भद्र fas तिष्टेति। state भो भद्राः ख्वितोऽह aa ॒तिष्ठतेति । ब्रुवाणो गन्तु प्रत्तः | ततो मया गला वेगेन बशादानोतोऽयं तरमूल्े । निरूपितः श्वे राज- पद्चमः Tes | नीं: Gee: यावदवदग्धष्ाणरिवातिटष्णो वेन वुभुखाचामेणणोदरेण पिपाषाशोषितेनाधरोषेन श्रष्वखेदनिःसरेनाङन बदहिरन्तस्ताप- quan खेदजलेन कुष्टेन गता रमिजालोख्वफेन देहेन ॒श्रम्तः- शूलनिबेद कैमुखभङ्गेः प्रकन्यमानया जअराजोणंकपोलया ayer महाज्वरख चकन Druaga मलाविलेनाश्गणना- विकलेन लोचनयुगलेन प्रविष्टया नासिकया श्रटितप्रायैः करर - रेरभिनवखु धितेन मस्तकेनात्यन्तमखिनेश्ौ वरणेण्डेलेखमामेन कम्ब- सेम ॒ग्टरोतेन षद्डनालावदयेन करतलविलम्बिनौ फिंकपिच्छेन | सवया निधानं सवेदुःखानां दारि श्चस्य परा गतिः | maaata स्वेषां तदास्माकं इदि खितम्‌ ॥ एनं Tey at नाय गाढं बौोभत्छद शेनम्‌ | चिन्तितं च तदास्माभिः सोऽयं प्रत्यच्नारकः ॥ ततोऽभिहितोऽस्माभिः। az किमित्येवं विधे wee aai- aifa | किमिति शौोतलच्छायायामुपविष्टः सुखासिकया न तिष्ठ- सौति | श्रनेनोक्र। भद्रा न eae खायन्तोऽस्ि । गंरोरादेगरेन पयेटामि । तदायत्तोऽह । श्रस्मामिशिन्तितं । श्रये परवशोऽथं वराकः | श्रो कष्टमिद मस्य महत्तरं दुःखकारण यदौड्‌ शावस्य स्यापि पराधौोनलं नाम । ततोऽभिहितमस्माभिः | भद्र कि पुनरे- वमरनिंशमादेशं कुवतस्ते ख शरः करिष्यति । अ्रनेनोक्ं । भद्राः खन्ति मम हतान्तसदूशा बजिनोऽष्टाटणिकाः । तेभ्यो यन्धिदा- मेन मां मोचयिश्यति | ततोऽस्मामिञिन्तितं । wet कष्टतरमि- otg उपमि तिभवप्रपश्चा KUT | दमस्य वराकस्य AEA Tae aeeafauraqery दान- Uwe तश्मो चनदुराशा चेति । वेधा नातः परतरो दुःखौ जगति waa । ततोऽस्मा मिर्क्र | भद्र प्रवतेख गच्छ राजक्षुखे येन ते खवेदुःखद्‌ा रिग्चश्छणविमोः क्रियते । ait) we भवतां मदौयचिन्तया । न खल भवादृओर्मोचितो सुच्येऽइभिति । saat गन्न्‌ wen: । ततञिन्तितमस्माभिः । wt stare care दुराह्मा । तथापि wel राजग्रासनं । नेतव्योऽय देवसमौपमि- व्याकलय्यानो तोऽस्माभिरिति | धवश्चराजेनोक् । महइत्कुतदख मे । पश्याम्येनं | श्रपमयत जवनिकामिति । ततोऽपनौता तेजेवनिका | दृष्टो यथाभिदिंष्टखशूपः पुर्वः । विस्मितः शपरिवारो राजा । विमलेन चिन्तितं । we समागतः स एव भगवान्‌ quale: | अहो भगवतो वेक्रिथरूपकरष्णातिश्रषः wet ममोपरि कर्षण रहो परोपकारकरणेकरखलं अहो खसुखकायं निरपेखता we निर्या - जसौजन्यातिरेक इति । तथाडि । ख कायंमवधौर्देव परकायं शतोच्चमाः | भवन्ति खततं षन्तः प्रत्येव म संश्रयः ॥ अथवा । सखकाये मिदमेतेषां aud प्रवतंनम्‌ | arn: fa किविदश्छन्यल्ञोकोद्योतादूतेः फलम्‌ ॥ अथवा | fae सत्यपि साधनां ard गेवादरः कचित्‌ | सल्ाञ्छनो जगद्ध्ोतो yeratss निशाकरः ॥ पश्चमः प्रखादः | ecy anafaan: प्रवर्तन्ते परकायं महासियः | केम हि प्रा्चिता खोके zea धर Acer: ॥ ance न खदेदख्य सुरू वाख्कन्ति साधवः | farm यत्परा्यंःते 84 तेषां सुखासिका ॥ यथाग्निर्दाहपाकाय नोवनाय थथाग्टतम्‌ | SUIT तथा VR परायां साधसन्तिः ॥ कथं ते नागतं सन्तो ये पराथेपरायणणः | zerarfa न मन्यन्ते age धनजोविते ॥ इत्येवं ते awa: पराच शतनिखथाः | आ्मगोऽपि waa नुनं सिद्धप्रयोजनाः ॥ कुलकम्‌ | तदेष भगवानेवं रूपमाख्वाय वैक्रियम्‌ | बोधनार्थं ` समायातो मदन्धूनां रतोमः ॥ संदिष्टं चानेन मम भगवता रनचर्ख्छ रस्ते । यथा- इमागभिख्यामि Ate भवता च दुःखितसत्वाण्वेषणं काये । न सादं famatsfa वन्दनौयः। न तावदात्मा परैलंयितव्यो भवता यावल्छांयेसिद्धिने रूंपन्नेति । ततः रुतो विमलेन wwe रेर्मानशिको नमस्कारः । कथं | नमस्ते श्चातसद्वाव नमस्ते भव्यवत्छस | नमन्ते मृढजनुनां सम्बोधकरके पटो ॥ अक्लानापारनौरेश्सम्तारर्परायण | Wa A महाभाग WE WE तथा शतम्‌ ॥ इति | 93 acd खप्रमितिभवपपश्चा कथा | भगवतापि मनचेवाभिहितं । संखारसागरोन्तारो शवेकश्याणकारकः | खकायेरिद्धये भद्र ध्मंलाभोऽष्ठ तेऽनघ ti swt दिमभवनमध्ये प्रवेशितः ख राशयपुश्वैः पुरुषः । स च खेद निःखहतया gree fret ane प्रचखायितु yew: | TAS तादु ग्रमवलोक्ध केचिद्‌ पश्न्ति केचिच्छोचन्ति Afefy- wefan केचिदवधौरयन्ति । तथान्ये परस्परं अश्पन्ति । यदुत दुःखो दोनो Can: wre: क्लान्तो gyfer: | एष प्रेखणएकप्राथः खमाथातो नराधमः ॥ वानोत: केन वानोतः fates स॒द्ःखितः | न वराको विणानोते केवलं चशायते ॥ एतच्ाकश्ठे तेन खूपानतरवर्तिंना quater किं छतम्‌ । HEIR GAT शषन्तावकिगो लकते | ataretarngrerd waa निरो कतम्‌ ॥ उक्र चख । आः पापाः fay लातो युश्नललोऽपि विरूपकः 1 दुःखितो वा चतो यथ मामेवं इसचाभमाः ॥ wget बुसा तांखुष्याताः खेदनिःषहाः | तापाः कुष्ठिनो यूयं are भो मूढमागवाः ॥ RANT ACT महाञ्वरविवाधिताः । . wtwrat fanererg Be नाइ नराधमाः ॥ quaa परायना यथमेव wurféa: | WOR: Wea: | Ua च प्रचलायध्ये नाहं भो मूढमानवाः ॥ हे पापाः कञिता धुय at area afew: | सनिं मां gta भला तेनैवं इसथाधुना ॥ श्रथ तौ भाखकराकारौ ger तस्ाकिगोशकौ | भाञ्चख्मागौ असा प्रकाभरितदिमनरौ ॥ fast च विधुदाभाषां cacti च भाखराम्‌ | दृषा अला च तां वाचं जगतः RTC eT ॥ चकादेव तदाख्ानं भौतकम्पितमागघम्‌ | संजातं सिंहनादेन यथा इरिणचयकम्‌ ॥ ततो धवलराजेन विमं प्रति भाषितम्‌ | BAT नेष कोऽपौर नरः प्रतिमानुषः ¢ तयाहि | मश्षाविलं पुरा Vatu भास्कराधिकम्‌ | wa हेरौप्यते ve तेजसा वक्ककोटरम्‌ ॥ अनेकरणसङृभटकोटि विदारिः | ware भारतो Te wet मम मानवम्‌ ॥ ` तदेष न भव्त्येव तावत्धामान्यमानवः | देवः कञिदिशहायातः प्रच्छन्नो सुगितेषकः ॥ ` एव च faa । यावन्न तेजा awe स्वँ भक्मयौकरोत्ययम्‌ | TMV क्रोधान्धं सुभिपुङ्गवम्‌ ॥ विमखेनोक्रं | Ove ॐपमितिभवप्रपश्चा कचा | Wary सन्देहः सम्यक्रातेन निशितम्‌ | नेव सामान्यपुरुषो. विषमः कोऽप्यथं महान्‌ ॥ aay gw nereatae araet थाति विक्रियाम्‌ | ufmurgr मदात्मानः कियतां पादवन्दनम्‌ ॥ ager विख्चसनललोलकिरोटकटक्ुष्डलः । ` WAG सुनेः पादमतिं गतः # ततो SET महाराजं पतितं erate | तयेव प्रतं Bt: सवे जनक दम्बकम्‌ ॥ उक्र च नरपतिना | चाम्यलेनं महाभागो दोषमश्नजनेः रतम्‌ | ददातु च प्रधादेन Gla मे दिद शनम्‌ ॥ ततो STAM WATTS TAT । तावस्छ कदू श्स्तेन सोकल विषो कितः ॥ शोचनानन्दिलावश्निजितामर विग्रहः | विखसदौश्तिविस्तारः साक्षादिव दिवाकरः ॥ अगेषलकचणोपेतः सर्वावयवसुन्डरः | निष: कमले दिव्ये सत्कातेखरभाखरे ॥ अथय तं तादृशं वोच्छ काम्तक्पं Faye | aqua अना जाता विस्मयोत्‌फुललोचनाः # ATE च feat ATM: । चदुत कथं वा तादृशः पूरवे कथमेवं विधो ऽधुमा । ` पञ्चमः प्रस्तावः | ere गुगमेष महाभागो देव एव न BNA: ॥ ततः SAT नरेषरेण WETS करकुडमखम्‌ | ख पृष्ठो भगवानेवं Tey भो माय BWA ॥ gfa > उ पमितिमषप्रपश्चा कथा | [आले wowace: स्पदिदग्बे धमगन्धता | विषमे may रघगरेषेऽश्दे षिता ॥ रामेष वमनं कुया दिदग्धे qraa freq । fasal खेदनं कु्याद्रसत्रेषे तवा खपेत्‌ 0) अन्यच्च | | अरजोणप्रभवा TTT चतुविधम्‌ | ara विदग्धं विद्धं tend तथा परम्‌ ॥ एव च fea यथां garcernenrverarstufiact wed | विदग्धावसख्ां गतेन fe तेन चोभितमस्य वायुना शितं पित्तं । ततो अनिनोऽक्यन्नष्ठादः । विहितं शख । यत एवं पद्यते । युके जोति NGA AT wee wea । TTT waft yas ateatnea ॥ विभभेो क । सखे कपोख म wee afd भवता । वेदयेम War निरूपयता रोगनिदामेवसुपलम्धध्यं । श्रारिन श्वातुरस्य समुपणलचणोया प्रततिः watetep शरोरडारं fre aaa विज्ञातव्य प्रमां. wefeaa woe वेदितव्यं en मन्व्याहार- शक्तिः बोद्धयं यायामषौष्टवं परिकणलनौयं वयःप्रमाशमिति | न्यञ्च । Ses च प्रकोपं च प्रषरं खाकहंग्रयम्‌ | afwuaty चो वेत्ति cterut ॐ ferret VATA दोषा wa गो्लरां ahaa | षष्टः Wes: |} ==" ते ang गतिषु भवन्ति बलकराः ॥ तचा gare fafearetfed | केयलसुदारसुखत्वा विहितः कुमारशरोरविकारभिर्देशः । कपोलः प्रा । बसु RAAT एव कुमारस्य सम्बन्धिनो जे प्ररूत्यादयः | संश्यादयोऽपि ctarei wre हव । तथाहि | सौ श्रादोराज्वथसाम कोऽजो षट सा जिशः | कफष्तरादो तन्मध्ये पिन्तं कुषेच्छरद्यपि ॥ Twa vice fade प्रारृडादिषु | उयप्रकोषप्र शमाः wae जिशिरारिषु ॥ हेमगजिभिरो तुख्धौ भि शिरेऽस्पं विरेषणम्‌ | ख्रमादानजं शोत मेचम्मरुतमबकम्‌ ॥ swat परिस्फुरति मम wea सवंभिदं । कि बङकाशोचि- देम । श्रजोणेविकार एवावं gence ततोऽहो विमूढवबाख कयोणस्येति fanaa दशितं eigate) वचस्येकं | कुमार किमेतत्‌ । gate. भो भावितोऽहमस्म autos मूखेतथा | मलः समुद्धूतं मे धारयतोऽमि wad । Tyawtetw | कुमार बष्ाप्रसदः | fag नः समोडहितं । तथाहि । कुमार विनोटदाथं मभस्तापज्न्तये ॥ ददमस्माभिरारथमालजाखप्रभाषणम्‌ | यतः । चिन्तेदेगनिराखाथं सुरां तोषट्डषे | तज्राः प्रइ्षन fea gaa विचचखणाः ॥ std उप्रमितिभवपप्चा कथा | भेषजं पुर निमृखोच्छेदकं भवतो विकार्य यदि परं ैव परिव्राजिका विज्ञास्यति सपादयिव्यति वा नापरः । वतदिधौयतां कुमार तस्याः प्ंषणमल काश विलम्बेन | कुमारेणोक्र | पद्केखर यत्वं जानासि तदेव कियतां । aaNet: प्राह । aga तरिं कस्तटन्वेवणयं प्रहोयतामिति । ततः गेषमिचेववविश्वासात्कुमा- Tu । धनग्रेखरः प्रथाप्यतामिति । wate । महदाप्रसादः | ततो निगितोऽहं । गन्त प्रटृत्तो नगरामिमुखं । इृष्टान्तराले सा परिव्राजिका । विहितः प्रणामः । vere भगवति कोऽयं सिबपद्विकाटत्तान्तः का सा कन्यका किमयं चोच्चलितासि। तयोग । श्राकणेय । af तावस्मलयुषस्येव प्रविष्टा इ कणएभिकायं । Try चेव भौशकणष्डनरपतेरस्ति शिखरिणौ नाम महादेवो । प्राप्ताहं तस्या भवने यावदृष्टा मया सचिन्ता aereal समुदयः परि- करो fave: कन्यकाजमः पर्याकुलाः कश्चकिंनः श्राणौर्वाद- मुखरः स्थविरिकालोक इति । ततो मथा चिन्तितं। हा विमे- तत्‌ । उपषपिता ग्िखरिणौ । विहितमाग्ोदानं । शतस्तया मे शिरःप्रणमः । दापितमासन । उपविष्टा । श्रभिहितमनया | भगवति qa aaa तावदियं भगवत्या मम जौवितादपि AMAT मयूरमश्नरौ वसा । इथ चाद्य सूर्थादयादारभ्य केन- चित्कारणेन शमध्यासिता चिन्तया ग्टशोता रणरणकेन सखोशता द रत्या प्रतिपन्ना दिकारजालेन श्रङ्गोरृता शून्यतया श्वष्टभा महाञ्वरेए | परित्यक्रमनया राजकन्योचितं करणीय । म करोति waged । न परिबतयति राचवस्तलाणएि। न zetia aS? THE | ° eS ~ ण य eee ने, सप्तमः WHATS: | १०६द्‌ अकलणङ्नोक | भदन्तान्थेतुग्यां ताभ्ां साधं तपख्िमः | कदा पुनविंयोमः स्ाहमवाहनश्वमुजः & yawn विजानन्ति तं प्रायेक भवादृशाः | तारिबधमेराजस्य प्रसिद्धो यो मदन्तमः ॥ चारिज्रधमेयुक्रम सखवोयंख विभिमिता | तेनासि मानसौ कन्या विश्या माम मनोष्रा ॥ ar सुरूपा विग्रालाचो जगर्‌ाहादकारिशौ। famafaguraral सर्बावयवसुन्दरो ॥ `. विशन्तो च सा कन्या सततोहामलोख्या | संसारातोतखाव्या सुनोनामपि aw ॥ सा ख्वेसन्पद्‌ां qe सा wana) निरन्तानम्दसन्दोदटायिका खा निमधते + ` अतस्तं कन्यकां विशां यदासौ घनवाहयः | जयते भोस्तदामुभ्रा सहामोशो वियो च्छते ¢ यतः । सा कन्या fanaa faegray पापिना | a विद्यते शहावख्छा अमयोस्तेम हेतुना ॥ fa a) तया निरौहता नाम कन्यान्या fauasrar | चारिचधमेराजस्य दुहिता सा मनोरमा ॥ विरतेः दिशता भ्नाजोरत्यन्तपूजिता | ह । Wha १०६४ उपमितिभवप्रपश्चा कथा | लारिचधर्मराओये राव्ये खा सवसारिका ॥ मरमं water सहोधस्यातिवक्षभा | watered खामिभक्रन वर्धिता ॥ | WAZA बाला aiwtegr न वाञ्छति | | वश्छाञ्चङ्ारमाल्या दिसंपाद्यं सा विग्डषणम्‌ ॥ waa वि विधेभौगे विं चिच र्नराशिमिः | न शक्या लोभमानेतु कन्यका सा निरौरता a सा निःग्रेवजगदन्द्या सा मुनोनां मनोहरा | सा दुःखोच्छेदिका धन्या सा चिम्सानन्ददायिका ॥ तां कन्यां eeeraet यदासौ घनंवारनः। श्यते विलयं यायात्तदा नुनं परियः ॥ विरोधोऽस्ि तथा साधं यतस्तस्य दुरात्ममः | saat वोच पापोऽमौ area विलौयते ॥ अकलङ्गोक्त | कदा पुनरसौ धन्ये ते कन्ये परिणेग्यति | तयोरंशनकारिश्यौ भदन्त चनवाहनः ॥ कोविदष्रिशोक्त | भ्ूयसाद्यापि Aaa तयोललांभो नरोत्तम | way भवेशयून सख तयोः परिणायकः 1 अथाकललदः TATE GMA यदि रोचते | ततोऽदं लम्भयामौति तै कन्ये घनवाहनम्‌ ॥ गुङूराड BTA नाधिकारो भवाद्ग्राम्‌ | ` " ज ~ tage penny ध a - ~ nae Mi Bona are nat SEE eee CS oo ep ee न सप्तमः प्रक्लावः। १०९१४ कन्ययोः प्रापणठऽद्यापि तथोरेतेन हेतुना ॥ स कमेपरिणामाश्स्ते कन्ये दापयति | चमवाहंनेराजाय AST रापकसथोः ॥ दाणमागे पुनस्तेन ते स्यातां कन्यके यद्‌ | WANs भजनधेव तदा यद्मादृशा श्रपि ॥ wa च faa | स एव योग्यतां मत्या afea दापयिव्यति | कन्ये सुखप्रदे धन्ये चनमवारमग्डसुजे ॥ अतो विषाय afent खाध्याबध्यानतत्परः | विदुकावद्धमिबेन्भस्तिष्टा्वं लं निराकुलः ॥ ततस्तथेति भावेन प्रतिपद्य Faas: | fectsawet fafqaraar az निरातुरः ॥ WE तु तौ समाभित्य महामोहपरिग्रशौ | ATTA aR Ta कद्‌ fia: ॥ तथाहि । | एके गच्छन्ति . ART: प्रत्या गच्छन्ति चापरे । अन्ये तिष्टम्ति acre किंचिदाषाद्य कारणम्‌ | fa ae बहकमोक्तम समासान्ते निवेदयते ॥ afonfaan लं मां वाचालं मावजौगणः | fruafrawzat या भदौ सा wana ॥ तन्त दिख्चसितं नाम aren पुलिनं पुरा । ` afed तज चोदिषटचिन्तविकेपमष्डपः ॥ 134 । १०६६ उपमितिभवप्रपष्चा कथा | am च वेदिका करां विषर्वालाख्धविष्टरम्‌ | तज्िषषो महामहस्त ख्याविद्या aqear ॥ विमथन प्रकर्षाय घा खा पूर्मं गिवेदिता | wife लं faurerfe fer स्वमिदं a at. ततोऽ्टदहोतसद्धेता ATE बाढं अरामि wt: o संसारिणोवस्तां प्राह यद्येवं शाङखोच्ने | ततस्ते ये विमर्शेन प्रकर्षाय विवकिताः ॥ मिष्याद्ग्रनर्चाचा watet वेदिकाष्िताः | अन्ये सेवापरास्तत्र fear सुत्कलमण्डपे ॥ ते खवं WYRM भद्र सकचा; सबान्धवाः | सश्वत्यपरिवाराख प्रयेकं समुपागताः ॥ महामोहे TAY तदा मे. स्वंनायके | म सोऽसि कचिन्नयन्ये येनाहं ब निकेवितः ॥ ` ततद | agi विमूर्कितरेष भावेषु भवभा विषु | कतो ऽदं मष्टसन्धरागा महामूढतया तदा ॥ सदागम परित्यश्ध विधाय मतिविश्रमम्‌ | मिश्याद्‌ श्रेनसंन्नेन wetsy वाधितसदा ॥ ` पापानि घमेबुद्याहं दाङ्णानि पुनस्तदा | afin: कारितो भद्र क्ुङ्षटवा तारलया ॥ शन्दादिविषयप्रामे जिःसारे साधुभिन्डिते। विधापितो मनःप्रौति राभकेसरिणा पुमः ॥ | चरणन सप्तमः परस्तावः। १९०६९ ve wet gaat सा मूढता नाम fear | तदगरेन मथा नैव वि्वाता भवदुष्टता ॥ तथा Senate सनिमि्वानिमिश्कम्‌ । वेमो तिखन्ापं नितरां मे विजभ्भितः ॥ AUT | vTerfaafaat भार्यां arafarefaerced । ` कवन्तं वारवन्युचेस्तदा at वशवर्तिनम्‌ ॥ तचा | ४ शब्दे रूपे रसे गन्धे स्पशं चात्यकणोखपः | anreatse saat रागकेषरिमग्तिणा ॥ `. may माढमूरान्धो ऽपराप्नाकांचा विडब्बितः । ` शतो भोगेषु asa भायेया भोगदष्णया ॥ तचा । भिर्वादितसुखो हा हा हासितोऽहं निरथंकम्‌ | हासेन TEM भद्रं सद्गा्मौयं विरोधिना ॥ मू जान्त्क्तदजाम्नालमखपू्ेषु यो षिताम्‌ । गाचेषु रमितो भद्र रत्यां aera | श्रल्यापि महोडेगसन्तापाक्रान्तमानसः | सतोऽहं भरिभ्रो भद्र कारशेरपरापरैः ॥ मरिव्यामौति विआआग््ो ce वा मे इरिष्वते। इत्यादि कारणं प्राय भयेनाहं faarfea: ॥ .. मरण किग्धवन्धूमामथनाश्रादिकं तथा. १०६८ उपमितिभवप्रपश्चा wat! हेतुं arg शोकेन श्यो भयो विडजिितः ॥ तत्वमागं विचुक्रा्मा भिश्धाबुद्या तिरोहितः | विवे किहाख्छ्तां atreary हि sage ॥ तया। | रागकेसरिणः पुजा येऽष्टौ ga विविताः | सुता इषमनेन््रस्य ये चाष्टौ परिकीर्तिताः प AAT मे कषायाच्छेमेहामोहपितामरे | VATS शृतं चन्त तदाख्यातुं न TET + ¦ ज्ञानप्रकाश्रलेग्रेन रहितो भावतस्तदा | ज्ञामसंवरण्नाहं प्रबलेन कृतः पुनः ॥ तथा । | BIT TAC काषटवन्नष्टदेतनः | दभरेनावरणेनादं खञापितो AAT: ॥ तथा | न क चिदाह्ादितोऽत्यन्त कचिन्छन्तापविहलः | watse तेन wate बेदनोयेन सुजा ४ . तया । श्रायुष्कमामकेनापि AoE सुखोचने । चमवाहनरूपेष aay धारितञ्िरम्‌ ।॥ तथा | तेन मामामिधानेन सुजा वरवोखणे । TAL मामके few farsa निदितम्‌ ॥ व a ee | ८ णद -- ~ संत्रमः परस्ावः। तथा गोषाकराथाभ्वां Wares वरानने | हृतमेव ममात्यथें चरितां तदा ` पुनः ॥ तथा | | रौद्रातेष्यागसंयक्षः पापात्मा पापचेष्टितः । fafeatse fanrenfe तेन दृष्टामिसन्धिभा # तथान्येरपि तत्काले महामोडे alge | ममाविर्भावितं भद्रं खं खं Ta महाभटेः॥ ` SHOE सुक्रलादनाय इव निभयेः | दत्ं खलोरतोऽत्यकं ATE भावशकरभिः ॥ WUT षमायातो मत्कदर्थनकाम्यया । AVM समोपे मकरध्वजः ॥ सख Get रतिं भाथा रागकेखरिमग्धिणम्‌ | पञ्चमालुषसंयक्ं तच्च तख हुटुम्बकम्‌ ॥ एतां सवे मासाद्य खामयौ' कार्यषिद्धथे | संनद्धबद्धकवचरदा प्राप्तो AGW ¢ ARTSY महामोहो मकरष्वजमौोखनात्‌ | सोऽप्यासाद्च महामोहं परं इषमुपागतः ॥ ततस्तेन युतः Vey गन्धवारएः | संपन्नोऽखौ महामोहो जातो मेऽल्यन्तवाधकः ॥ शब्दङूपरवस्प शंगन्धजभोऽन्धसन्निभः । गाढं निनेष्टषदोधः संजातोऽहं ततस्तदा । गर्ताशूकरसद्धाश्ो frre feast | १०९९ १०७० उपमितिभवप्रपश्चा कथा | राजिंदिवं निमद्माक्मा featsé विनतबषः॥ ` सुभ्धवसापि aay म भोगीदधतषिमागतः | एतपानेन किं जातः पौनगण्डोऽच वानरः ॥ Bars च मे भोगान्‌ वेते भोगदष्णिका । सुतराज्ुद्वसत्थेव way वड्वानखः ॥ VRAIS श्रग्राङ्करनिमेषलाः | तदा मे faga: षवे महामोदघनादताः ॥ ततो at तादृशं दृहा भावशजविचेष्टितम्‌ | न मेऽवखर Cee गतो दूरं खदा गभः ५ धयाभिमतकामांख संपादयति मे तदा | असौ पुष्छोदथोऽह तु विमूढस्तं a wee ॥ ततो विञ्ुक्निःगरषराञ्चका्ौ दिवानिग्रम्‌ । अन्तःपुरगतः GG भुश्ागोऽहमवख्ितः ॥ AUT | at at act प्रपश्चामि गगरे चार्विग्रडाम्‌ | gearagent वा यां वा कञ्चिभिवेदधेत्‌ ॥ at at सवा area जनेभ्यो बखवन्तया | WATT Tae करोमि faorafaary ॥ न जानामि महापापं नापे कुललाञ्छनम्‌ | गणयामि म साधन्यो वारक मग्तिमष्डखम्‌ ॥ ततो facet: सामन्ताः पुर चोदधेगमागतम्‌ | ताषृशाधमश्नौलेन लष्िता मम बान्धवाः ॥ छ - ~ et ^ ~~ ॥ क a "` न (=. pe ण चक ०" य" पा "वाक ककव - - = i tia al i et i ee a eee = सामः प्रस्तावः। १०७१ पदातयोऽपि. संपन्ना मम. निन्दाविधाधक्राः | यणाः Gay Gey सम्बन्धो नाच क्रारणम्‌ ॥ श्रं तु AEM खोकाश्जानानोऽप्या्मगहशाम्‌ । महामोडदषश्नोग्धतो निन्डकमेरतः खितः ॥ या नोशङ्कलसंजाता याञ्चागम्याः feat मृष्णाम्‌ | सर्वाः खेऽन्तःपुर ferret मचा पापकर्मणा ॥ अथासोश्च कनिष्ठो मे राता नोरदवाहनः | सष्लापरो fanaa wena: शारपौडवः ॥ aay । मन्तो face: arama: पौरमग्तरिमहन्तमैः | एकवाक्षतया a: स प्रोक्तो रहमि खितः ॥ . यदुत। sara निमर्बादो विमूढघोः | नष्टधमां पशोख्श्ो च एवं Faas: ॥ सोऽयं faureneia सारमेयो नराधमः | अस्य योग्यो न TAG कुमार Wares: ॥ may हारितं Tey वंश्यानां लाघवं हतम्‌ | न यच्धते adiswra बिनाश्रोऽयञुपेकितुम्‌ ५ अतोऽयं प्रतिराश्येषु Sua नावमम्खते | यावत्तावत्कुमारोऽज राजा भवितूमहंति + अन्यया नेष ते. जाता म राच्च म च तयः | म वयं न यशो नेव मगर भो भविति ॥ १९७२ उप्रमितिभवप्रपश्चा क्या ° एवं चोक्षः स Rafiq मौरदवाइनः | तथेव Taree: पर्यालोशसुपागतः ॥ इतश्च मामको भद्रे वयश्यो दुषटचेश्टतैः | गाढमुदेजितखिन्ते गष्टः पुश्णोद य्या ॥ पापं चाव्यगे्लौयतं प्रबद्धा wane: | ATR च Garay we: सा कर्मणः fafa: ॥ avg awl we यज्ञोकेमेग्तितं पुरः । तिक्ते युक्ियुक्षलाद्रं मे भातुखकेः ॥ सतन | एवं भवतु Aaa ae । ` WANE इटं बद्धो मदिरामर बिडणः ॥ तावतः परिवगेस्व मध्ये जातो म REA । agg ert भद्रे येन मा मेति अशितम्‌ ॥ ततो गरकपाखाभेस्तेवेद्धा नरकोपमे | किक्तोऽहं चारके gy ज्रातिमग्तिमरन्तमेः ॥ ख च षंखापितो we राजा गोरद वाशनः | महाकलकलेनोचेर्मतयद्धिस्तोषनिभरेः ॥ इष्टाः कुखामिनायेन तुष्टाः सुखाभिनो ga: | ते पौरवैनिका खोकास्ततः किं किंन gat a we तु चारके त्र पुरौोषमलपिख्छिखे | मूषाग्धक्तदजाम्नाखद्‌ गन्धे TASHA ॥ चुधाक्ामोदरो ag: परिश्डलो विगरितः सप्तमः TTA: | १०७४ खृतदुचेटितेः ब्दैवाखकंरपि ताडितः ॥. . .. अनेकथातनास्याने खवगेशावधौरितः । पराप्तः शारोरषंतापं नरकेख्विव भारकः ॥ महामोहवशोग्रते राच्छभरषटे तया मयि | थः संजातो मनस्तापः स लाख्यातु न पायते .॥ तथाहि | ममेदं fage राज्य मामकौोना faraa: | अधुनान्ये mite इति शोकेन पोडितः ॥ . सुखलाशितदे होऽदमधुना stent गतिः। wie परिश्तोऽहभित्यरल्या कदथितः # शन्पन्ि मामकमिद रबख्णादिकं जनाः । एते हाहा इतोऽस्मोति बाधितो घममूङेया ॥ तदेवं ACHAT चारके दुःखपूरितः। तनां संख्धितो भद्रे सुचिर पापकम॑णा ॥ परिवारसमेतखछ महामोडस्य दोषतः | aarae म निर्विलः संसाराचारखोषने ॥ करो धान्धस्तेषु लोकेषु चिन्षकलोखदूषितः | रौद्र्यानातुगो fay शरिकाणलमवखितः.॥ .. अथ mul कमेणेव डिका मे चिरन्तशौ। ` ततो faatel सा ay भवितब्यतयापरा ॥ गतः पापिष्ठवासा्यां पुरि सप्रमपाटके | अदं AST: प्रभावेण जातः पापिष्टरूपकः ॥ 135 १०७९ उपमितिभवप्रपश्चा क्या | ze तचजाप्रतिष्टाने निर्मिंलो agent: | सागराणां qeftareey कण्वुकक्षोखया ॥ तदन्ते ठरिकादानाद्धवित्यतया लमा । TETAS TAS WHT: ॥ पुनर्नो तोऽप्रतिष्ठाने कमा गौोतल्ततोऽष्दम्‌ | ` इत्च रडिकादामाश्छादुलाकारधारकः ॥ खयः षापिष्ठवाशयथां नोतोऽद तुयेषाटके | ततोऽपानौय fafeat मार्जाराकारधारकः # ` तदेवं विधद्ूपाणि जनयन्धा सुखः | TRUITT TMT VS चवे ॥ ageeaerray विहाय are परम्‌. + प्रायः शमखस्थानेधु भमितोऽदं महेता ॥. gm: खपरिवारेक महानोद्ेन सुन्दरि | रुर्वा गिजमार्या्नां के कां a विमारिनः ॥ तचा परिब्मडेष्णहं ewer faerie | युक्रेन बधो भद्रे योनौ योगौ विडम्बितः | यतः | | 4 ग्टरकीकिशिकासपेमूविकस्कारधारकः | wet निधानमाकद् तजनागरे faget an: ¢ एवं WATS मे भमतो गजशामिनो । चषशाचुषेन्वाया्मसला भविता + = अन्यच्च | तज ` सप्तमः प्रस्तावः | आन्ता CA मयां साधं भमतोऽमभवद्मनि । किंचित्ते दुबेलोश्ता मंशामोषाटवस्तदा t qd = TAROT TRA CATT पुम्न्बिः समोपस्छा संजाता मे वरागने ॥ ततो मनुजगत्यन्तः Wee भरताभिधे, साकेतेऽह पुरे मोतो भवितव्यतया तथा ॥ वणिजिसतस्य नन्दस्य aay ange । . अमितसह्युतलमेन रा डिकादानयोमतः # प्रतिष्ठितं च मे नाम ययायमग्डतोदरः | अथ mae Sorat यौवमं काममन्दिर्म्‌ ॥ ` दृष्टः GIN जाम GUY: कानने मथा | ` ङपापरोतरि्तेन रकता मे तेम देशमा ॥ ततो Wat मथा Az महामाय Fara | fawtfan: वमौपश् श्छ aritderar: ॥ कि चिद्धद्रकभावलान्नमख्कारादिपाठकः | जातोऽ आआावकाकारधारको द्रयतसदा ॥ ततस्तदनुभावेन ` पुरेऽइ विषुधाश्ये । भवचक्रख्धिते मोतो fears: प्रभावतः ॥ च । 3 भावना act watfrerite: कश्यवासिनः । पाटकेषुः वन्यते विवुधाः इखपु्काः ॥ ` दश्राष्टपश्चमेष्यसे भयः पूरं यथाक्रमम्‌ । Loe १०७६ ततस । उपमितिभदप्रप्चा कया | कच्यखासदतौताश्च दिमेदास्द्थेपारके ॥ कर्पा दाद शावाखषख्िताः बमुदाइताः | मवपञ्चनिवासथ्थाखदतोताः प्रकोर्तिताः ॥ AWE पारक भद्रं जातोऽहं भावगस्तटा | श्राद्यभेदखितेष्वेव विबुधः कुलपुत्रकः ॥ गतस्य ay wife विस्तो मे सदागमः स्ितोऽयमपि मां fear gate: काखयापनाम्‌ ॥ ततो महद्धिसंपन्नः साधे पश्योपमं सुदा | सुखं wae भुश्ानः खितोऽद wewlear ॥ तदन्ते Ufeat cer भार्यया तुष्ट चिष्था | पुरोऽ मागवावासे समागतः पुनस्तया ॥ तजासि बन्धदन्तस्य वणिलः प्रियद्मा | भायां तसाः Trea जातोऽहं चन्धनामकः ॥ संप्राप्नयुवभावेन GRITS सुनोश्वरः | दृष्टो मया समोपस्यसतस्य we सदागमः ॥ fafea पुनरप्यश्च waf शन्नानमश्यकम्‌ | जातदाहं तदा We मणो भावव्जितः ॥ गतस्तदनुभावेन योऽहं faquree | मदड्धिविनुधस्तच जातो यन्तरपारके ॥ न नोतो विख्यृतलेन मथा ay सदागमः | गतेन मागवाबासे पुन प्रविखोकितः ॥ यतः सत्तमः TAT: | एवं faecara भवचक्र पुनः पुमः । तथयागन्ेन कालेन मया भार्थानियोगतः ॥ अयं सद्‌ागमो भद्रे महात्मा प्रविख्ोकितः | अनन्तवारा दुष्टोऽपि fawayg पुनः पुनः॥ विष्छृते च पुनर््रान्तं भवचक्र निरननकम्‌ | आसादितः aufey पुनरेष सदागमः ॥ अमन्तवाराः GIS: आवकोऽहं Fares | zum यतिरूपख तच दृष्टः सदागमः ॥ विसुश्येमं महाभागं खयो योऽन्तराग्तरा | भ्रान्तः खमस्तश्यानेषु Bat नानाविडम्बनाः ॥ कुतोधिंकयतिखाहं शदागमविदूषकः | श्रनन्तवाराः GTS भवचक्र निरणम्तके ॥ अन्यश्च भमलतस्तच भवचक्र ममाशिले | afectal कचिद्रसखा संजाता कर्मणः स्थितिः ॥ कचिश्चं प्रबला जाता महामोहादिगश्रचवः। कचित्छदागमो जातः प्रबश्टस्तन्निवारकः ॥ ततञ्चानन्तवारा भिर्यावदभ्यासमागतः । अरय खदागमस्तावष्णातं यक्तज्निबोध मे॥ खा किचिन्निमेलोग्ता चिन्तटनिमंहारवौ | ततश्चाव्षर शाला प्रखितः स महत्तमः ॥ SMYTAT सदह्ोधो AGATA | १०७४ ६.०७ = उपिमितिभवप्रपश्चा क्था | श्रायं विन्राप्पतां देवः gaa मम्बतां मथा ॥ यस्या yafafest Tawa ana | सोऽधुना वतेते GT: प्रस्तावो WH माद्‌ शाम्‌ ॥ सदहोधेमोक्रं | VIE Wefed तात सम्यक्‌ सलचितोऽवधिः | ततो विज्ञापितेन सदोधेम सरे शरः ॥ ततख्च। चारिषधमेराखेन वचनान्त APU: | प्रहितो मश्छमोपेऽसौ सम्बम्द भ्रं ननामकः ॥ तेन चोकं | विद्येयं नौयतां देव प्रातं कन्यकानचा । ae daria येन तोषोऽस्य जवते ॥ खदोधः ME माद्यापि प्रस्तावोऽख्ा AeA | नयने इन्त विद्यायास्तजाकणंय कारणम्‌ ॥ ख fe संसारिजोबन्तां मुर्धनुद्धिने भोक्छते । विेषतसख्ततस्छबर्षामान्भेन प्रप्ते ॥ एवं ख fra । यावन्न ताल्िकं ङ्प तवानेनार्वेधारितम्‌ | तावश्न FAA दातुमेषा TH सुकन्धका | अन्चातङ्कवश्नोणो fe gaze: पराभवम्‌ | ततः स्याञिन्नस्तापो aut तजिमिष्तकः ॥ ततो गच्छ बिना fagt लं तावन्त afeut । सत्तमः THT | कालेन वसा Sy भोक्यते हि ख तावकम्‌ ॥ ततस | यदा स्यात्तेन fat qd तव परिस्छ़टम्‌ | तदडाइमाममिव्यामि विद्यामादाय वेऽग्तिक्षे ॥ सदागमस् Bars महामोहादितामवम्‌ । तथा संसारिजोवख्य सुखस्वा दादिषेदनम्‌ ॥ देवे शाभिमुखौ भावस्तस्य cman | विद्यबा रडितस्थापि गच्छतस ते यणाः ॥ ततो yaifewanal यच्ान्नापयति wy: | इत्युक्ता प्रसखितद्धणे मश्मोपं ATTA: ॥ TATE तदा NS मगरे जनमन्दिरे | दमुरानन्दगन्दिग्योजांतो माखा विरोचभः ॥ ततः श्पा्नतादष्छः कानने Fer । TASTY मखा दृष्टो धमंघोषो FAT: ॥ ` दूतश्च मे तदा pat वतेते कमेपद्कतिः। `. महामोहादथो जातास्तमवो भावग्रचवः ॥ तत । - अणम्य तं महाभागं frre: agua | MAY BERG शानाद्नोकेन भोमता ॥ favs . QAM मानसानम्दमग्डतशरकशोषमम्‌ । ततो मे कतमारमा. सुनिगा चमेरैशना ॥ १०८० उपरमितिभवप्रपश्चा कथा | कथम्‌ । मरुजजग्मजगत्यतिद्‌ खंभं जिनमतं yaa विग्रेषतः | तदिदमाप नरेण सुमेधसा विठटपमोयमतोऽपि पर पदम्‌ ॥ इतरथा पुनरेव निरन्तके निपतितस्य सुभौ मभवाध्वके | कु शखग्म्बलमुत्कलमौ दनं गमु विनातुखलदुःखपर परा ॥ ददमवेत्य जनेन विजानता gueaa भवोदधितारकम्‌ | दइ विधेयम्ो विफलं सुधा म करणोयमिदं भरजन्मकम्‌ ॥ SWC प्रत्यरोग्ठतो मे aw मुनेः समोपे योऽपि भग- वामयं खदागमः। ततो बुद्धं मथा तस सुनेवेचनं। अरभिदहितं च । यद्मया wae तदादि शन्त भगवन्तः। मुनिनोक्तं । भद्राकणेय | अवधोरण्णीयो भवता भवप्रपश्चः। श्राराधनोधो विखौोनरागदेष- Mussa ee: परमात्मा । उन्दनौयास- दुपदिष्टमागवतिगो भगवन्तः साधवः | प्रतिपत्तव्यानि जोवाजौव- पुष्छपापाखवसंवर निओराबन्धमो चलच्णानि नव त्वानि eer | पेयं जिनवच्माग्डतं | नेयं तदङ्गाङ्गोभात्रेन । अनुष्टेयमात्महितं | उपचेयं क्ुग्रलानुबन्धिडुग्रश्ं | विधेयं निष्कलङ्मन्तःकरणं | हेयं ganas । अवसेयं भगवद चनसारं | faved रागा- दिरोषन्दं । खेयं सुश॒रूखदु पदे ्रभषजं । देयं सततं शदाचरणो मानसं । wala दुजेनप्रणोतकुमतव चमं । free महा पुरुषवगे- मध्ये खरूपं । खेयं निष्यकन्पचिन्लेनेति । एवं चोपदिश्ति मधुर- भाषिणि भगवति घर्मघोषतपसखिनि संप्राप्नोऽषौ सम्यम्द शेननामा aera: | विलोकितो दुमद क्मेयन्विभेददइारेणणखौ मथा । ततः सप्तमः TENA: | १०८१ संजातं मे ay gfe सस्या agri प्रतिपश्ोऽसौ हितबन्धबुद्धा aura: अभिहितो बुणिवररः। | were यति aramzae afta ततोऽभिवन्् तं सुमिबरं antsy सभवने | ततः प्रश्चति आतोऽहं स्डग्द श्नसंवुतः | तस्व्रद्धानपूतात्मा fafaewrersfern: ॥ तदेव सत्यं निःशङ्क afenae: भरवेदितम्‌ | एतावन्माचतुष्टो ऽहं तदा जातो वरानने ॥ सदागमो fy विज्ञानं खभाषेदधते तहा | केव Daag न मे बोधः प्रतते ॥ म संजाताख्ञदा सुख विविक्रन्लान्हेतवः | ava: पटदुवाचोऽपि किना मे भिजवोग्यताम्‌ ॥ यतः । सखयोग्यतेव wafy अह्धार्गच्चानकारकम्‌ | Ua: केवलं तलां भवन्ति सहकारिणः ॥ ताहि | WHAE तथा Gy बोधाथं भे शकोविदि । ग श्रद्धानं AAT तदा चक्नश्रतेरपि A ततः परं पुन्जातोऽनम्तवारा वरानने । सदागमेन सम्बन्धः अद्धा शन्वस्याणश्त्‌ ॥ sat Gar यदा Yat धावतो योग्यता भवेत्‌ | तदा तदा भव्यस्य तावानेव मुणोङ्खवः ॥ 136 १०८२ उपरमितिभवप्रपश्चा कथा | अतः अरद्धागमाचं मे खष्न्नानविवजितम्‌ | धमंघोषोपेद ओत्ेः संजातं योग्यतानुगम्‌ ॥ अन्यश्च | _ qaqa तु ate कमेसख्थितेस्तदा | afeaat मया दुष्टः सामान्याश्न fasted: ॥ पालितानि तवदादेशाद्भतानि नियमास्तथा | केचिदा मया भटर अरद्धारुणद्धबुद्धिना ॥ ततस्तदनुभावेन सत्पुरे विबुधाशये | कण्पवासिषु Fate ग डिकादानपूवकम्‌ ॥ श्रय सौधर्मकश्पेऽहं भाखराकारधारकः | समुत्थितः aay शयनान्तश्च ate ॥ दिव्यपख्डसत्तुश्ञौरचितं स्यशपेश्रलम्‌ | कोमल्रामलसच् लच्छा दितं चित्षमन्दनम्‌ ॥ सुमनोगन्धेषद्ूपलसदामोद सुन्दरम्‌ । दिगां एकवरोक्ञो चदु टमो चरबन्धरम्‌ ॥ तजर Sawa areqaa विस्तः | fadenrareregaes (ea: ॥ ATF UMA लवनमाला विराजितः उपविष्टः च्णाघष्वातो श्योतिताखिलदिक्‌पयः ॥ ततोऽलं जय नन्देति जय भद्रेति भाषिशः। सष्ेखा लखना लोका शोललोचनलारवः ॥ gait मां मनोहारिवचनेः कणंपेशलेः। सत्तमः TAI: | ९,०८३ देवोऽसि खामिकोऽस्माकमिति किङ्करतां गताः ॥ ततोऽहं विख्मयोत्पु छो चनः पयं चिन्तयम्‌ | तां wafe विख्ोक्धेदं कि मया ged छतम्‌ ॥ ततः प्रादुररज्त्रानं विमलं विमले्णे । ¦ मया विरोचनावश्वानेन सर्वावधारिता ॥ श्रभानरे TAMA मडइन्तमसदागमौ | तौ च get मथा wa माहाद्यमनयोरिदम्‌ ॥ ततस्तौ पूरवेवद्भद्रं प्रतिपन्नौ खबान्धवौ | कतं चोत्थाय निःशेषं aa विबुधो चितम्‌ ॥ तथाहि। विविधरब्रखदौधितिरश्चिते विकचनौरणशण्डसुमण्डिते | गृङ्नितम्बपयोधरणारभिः VE वधूमिरमच्नि सरोवरे ॥ तदनु निमेशहाटकनिरभिंतं fanecafacfaagtzad । we सलोलमवाण्य जिनाखयं gests ad जिमवन्दनम्‌ ॥ श्रथ सुनिमंशपचकसश्चयं मणिमयं जिनभावषितबन्धुरम्‌ । पुलककारि रसेन तु वाचितं wa faery मनोरमपुश्लकम्‌ ॥ ततो यथेष्टशब्दादिखंभो गसुदिता श्यः | , सागरदितयं aa किंचिदूनं व्यवश्ितः ॥ तदन्ते मानवावासमामौय विडितस्तया | MASE कथन्दास्थः सूनुमदनरेणयोः ॥ Aq । | aaa way मम तौ चाद्वान्धबौ | wufafanagret क्या | भागतो FARA सदलन्नसदप्म्ो # सुतरां fege भद्रन ESE तरः मयाः । फदिधसेा qa ख निक्तो न दुष ॥ प्राचोनवपव aT केवलं OTP: । feat agen are ददगाजिि a पुनस्तद मुभागिनं GAYS Fay yTSe: । wifawifcg सोतोऽहं सकिकारप्नपूकेकम्‌ # . खितखवापि शद्ग्कयन्पन्तिमौ पिके fice: । सुचिर far तुः तौ gat weretecttaet # संजातश्च AAT: परच्चपातो BLT: | ` च्छिस्तं चि्छतादेतो महन्तत्रसदागखौ ॥ तत्रो waiaers at fetta afeat or । श्वापद सं्ाये ATW. ST तथा ॥ Fafa ददुराकार्श्चरकः Bieter | कत; षं Oat अभितो ऽदंवितष्कम्‌ ॥ काचा पिेदु क्ायेचु भमचिला सभावे । ` TAN साक्छाकासं पुरे काष्वि्छान् गये ॥ धराया AQAA. GENRE: | Vase Veena TAA RANT: ॥ तच चाका्च. HME GL EWAN । gefadt quis महत्तमसदागमो ॥ ततः. षरिचव्राद्न्वां ANT: YHA: स्रः HAT | १०८५ शचवः YRCTHTAT महाभोदाटरथष्ठदा ॥ अयाषहबभयोः प्राष्य काहाक्य wenfafs | दितौयकसे dara: सत्पुरे fared ॥ ATAU Het बलेभो सरतिगोचरौ | qn च सुचिरं feu सुखं at सयातुखम्‌ ॥ ततो मनुजगत्यन्तः Wer काञ्चने Ge | आगत मदम्मोरदोषतो विता किमिः ॥ दत्य सष्याधिका वारणं हृष्टो दृष्टः पुनः Ts | सदागसचुत्रो भद्रे मष्टोऽसौ ले. महभ: ॥ ` यतः | [र विना विरतिभावेन सस्यातोतेषु wag! अङ पलमाचचलुष्टो जप्त ऽहं WITH: FT ॥ तचा | व | जलावुप्तोधादा Hegre: | जातः BATRA SE facrgr रदिते इदि ॥ अन्यच्च | संख्यातो मया वादा यच वन विलाकितः | महन्तमः पुगदृष्टस्तच तच सदागमः ॥ गहिथमेऽपि Taye ष्टः ATTEN: | कचिक्क चिक दृष्टोऽपि ख .मरत्तकपाशगः ॥ VITAL द TUNA । साभाप्यद्धपौः तो भद्र MATT fet कितो ॥ youd उपमितिमवप्रपश्चा कथा। तदेते बहशो दृष्टास््रयोऽपि वरबान्धवाः | जावा सुखटास्तच विमुक्राञखान्तरान्तरा ॥ wUz | दृष्टख केवशोऽपेषोऽमन्तवाराः षदागमः | a aaa विना दृष्टः स सम्बग्दशेनः कचित्‌ ॥ श्रन्यच्च | यच यच GANT: संजाते मे ATA: | तच तज वयस्यो मे जातः पुश्छोदयः AT i तेम चोत्पादिताः wat यथेष्टा भोगसन्पद्‌ः | वसतो मानवावासे पुरे च faqurea ॥ तथा | | खिता aafafaest भोतभोताखच waa: | श्रन्तर्लौगाः स्थिता ag महामोहादयस्तया QI यन्न पुनर्जाता प्रबला भावश्रचवः। मत्तः पुण््ोदथो नष्टस्तच तज वरानने ॥ aS च तज जाता मे सर्वां दुःखपरपरा | भ्रमितोऽमन्तकाखं च भवितव्यतया तया ॥ तथा | ख्वितिरदराधोयसौ जाता कमंणः क्िष्टतां गतम्‌ | मानसं च पुनर्जातं तत्वश्रद्धामवजितम्‌ ॥ श्रत VAST जाता AI यन्न AST: | ते away तजैतौ That सबान्धवो ॥ ॥ सप्तमः VHT: | १०८७ विशेषः पुमरेषोऽज कथ्यते ते fatied: | स मिश्यादग्ेनासख्येन सम्यग्द्‌ शेननामकः ॥ ज्ञामसवरणेनापि दूरं नोतः सदागमः, क्चिन्तावपि भिजिंत्य ताग्यामपि facrart ॥ एवं चानन्तकाशं ते जयभक्गपरायणाः | SURAT प्राय जाता भद्रे WTA ॥ Tae | मामकः पपातोऽग्द्ययोरेव वि शेषतः | तयोरेव तदा जातो जथो weet: ॥ अन्यदा मानवावाषमध्यवतिंनि सुन्दरे | पुरे सोपारके प्या नोतोऽहं TMT ॥ वणिजः शालिभद्रख्य भार्यास्ति कनकप्रभा | HAMA: सुतोऽस्मोति ay arer विश्वषणः ॥ श्रय aft सुघाश्तमाखाश्च Nw | Gaget मया भद्रे महत्तमखदागमो ॥ ततश्च | तक्व्द्धानसपन्लो भावतो विरति विना, जातो गुरूपरोधेन अ्रमणोऽहं तदामघे ti ततो wetafeye areata तिष्ठतः | जातं मे कर्मदोषेण वेभाव्यनिरतं मनः ॥ ततः प्रबलतां प्रात्रा महामोदहादयः YA: | जातौ च भावतो दूरे महत्तमसदागमौ ॥ x ect उपमिति्भषप्रपश्चा कथा| ततो निभिन्मासाञ्च निमिन्तविररेण वा | सखभावादेव सश्वन्न्छदाइ परनिन्दकः ॥ .. aufaat सुश्यलानां seasrrefrera | श्रव्येवामपि कुर्वाणो निन्दां at ग्रङ्धितक्षेरा ॥ fa बहना एव Meare aa waa गणधारिष्णम्‌ | ्रश्रातनां दधानेन मया ye न वोक्तितम्‌ ॥ च । | गहोतथतिवेषोऽपि पाप्राह्मा गणदूकः | महामोहवग्राष्जातो भिथ्यादुष्टिः geteu: ॥ ततोऽतिधोरदुमंदकमेसह्वातपूरिभः । संजातोऽडइ FAT ATI पापचेष्टया ॥ ततोऽनन्तं पुनः काञ्च दुःखमसाभरंमध्यगः | ` प्रायः समसस्यानेषु भरभितीऽ ह खभायेया ॥ समसद्रव्यर शरश्च युबमोदरचारिशः। तदा YE मयोपाधं भ्रमता sidear ॥ न सा विपश्च age न सा गाडविडम्बन | लोकेऽस्ति पद्मप्ाडिया म ater तदा मया॥ एवं वदति ससारिजोषे विस्मितमानसा | जातागहोतसङेता कि चिद्धा वार्थकोविदा ॥ तथा प्रज्ञाविन्नालापि WaT तन्ताईूशं वचः | अत्यन्तजातसबवेगा विन्तयामौम मानसे ॥ । ० ८ ० Zk । १२14 12८५४ lp 9 we ॥ ६।५०५| 1०५०।४०।४1 ७(६ 9101८ (19 | 2199 0612 BR RP) {०2०।७४ ॥ ५ ०१०५७ ५९९०।०५ | ९।०।५४ ॥ DP) : (61४ [५1118 Pe । ¢ Me} ॥ ७०।१।।६।९] (16 PPL ५1४ । 1981 1 mine bR £. BR {> ॥ lab) > Yo} ४२2116१2 B | 1१10011४ 9 [(& Pile | 1६६] babe ॥ cbis ॐ (५१००४ iSphe> 0 1122 । 19221 1 Mimi 12४ {199 ॥ Be Db ५९] mb iol) bie) 2914 Ib) dpitmbib bie BIhIh 9० h}lab ॥ ००१. ००७१७) 92 | ०९11५५७ २२] {21191५1 0919 ॥ 9 1००५१ ०७> । 199 leBiepMa) ।७।६६] 9. bet ॥ :0120 :19& BB ०६।१०४९।०४ ‰ ५ | ।७। 2५ 29 te 1४९] Me ९1105 & | अ | lw 1 115 ०।६९}}0. oper LE1 ॥ Pha > 9०८६।५०।१४] Biles | 1४०० 2।११1४४ ९9 bible bb ip । 9 १ ॥ 1८2१०9७0 (199 {ile | Wehbe bbb bibisnie (०५ ॥ ५०२1१७७९) ja JARI A) 8 (ह. › । ह. - 1: Wij A) 9.19 [bliin 2 98 |b? ०21 ७६8 RB £ AP leh । [blots ॥ jaDdjnayeiale be jpdi> bell | Ubhink)blbib ५10901५9 {५०५ ॥ 1१५०1040. be ५5६19 । ०६१५2५५ be 2५0 [hells ॥ ९०१५५९1४ 10४ (अऽ ५।।४।> 19 धभ Beh Blane vp ॥ २४०७ elie 2६४9 cba} belle 1 2/9 | 1५०५।०५।०1 1B {०५२ | 1 ॥ । Late ॥ 12110 8 29 ४4 । ०५०१८५१५ ००७१७. 39 | ५४३ Fae’ | ‘PIs ६9 सप्तमः प्रस्तावः | ६०९१९ सुतः स्फरिकराजस्य जातोऽहं विश्रदस्तदा ॥ विमलानन्दनशांरस्तारश्प TATA: | सुप्रवृद्धमुनि gar प्रबुद्धो जिनशासमे ॥ अतो wat मया दृष्टौ मदश्मसदागमौ | महिधर्मयुतौ भद्रं पाणिताख त्रतादवः ॥ तत्वथ्द्धानन्रद्धात्मया fearare चिर तदा । किंतु qararay विविक्रश्चागवजितः॥ ततस्तंद शुभावेन जातः पुण्छोदयोऽनघः । नोतस्ततौयकल्येऽहं age विबुधारये ॥ तथाभिमतश्रब्दादिभो गसम्मदेखुन्दरे | धारयित्वा सुखेनो घेस सागरसप्तकम्‌ ॥ ततोऽपि मागवावासे ang faqure । इत्यं च कारितो भद्र afer गमागमम्‌ ॥ किं बहना | | बान्धवचययुक्रम दादश्रापि विखो किताः। प्रत्येकं ते मथा कल्याः whey बान्धवेः ॥ एव च faa ततो WAST मामवावाससष्यखम्‌ | Tart कारितो भद्र भवितब्तषा तथा ॥ दतिः १०९ द्‌ उप्मितिभवपपश्चा कथा | विमलखलमपि गुरूणां भाषितं शरि भयाः प्रबखकखिणरेतुयो महामोहराजः | खगयति गु द्वोर्योऽगन्तसंवारकारो मनुजभवमवाप्ताख्तस्छ मा त. ART: ॥ - सक खटोषभवाणेवकारणं त्यजत लोभसखं च परिगम्‌ | दह परण च दुःखभराकरे सजत मा बत करंसखे ध्वनौ ॥ एतज्िवेदितमश्रेषवचोमिरण प्रस्तावने afecarnfuer विचिनध । we दितं च यदि वो चितं कथं चिन्त तदस्य करणे Gant छुरध्वम्‌॥ दत्युपमितिभवप्रपष्डकथायां महामोहपरिग्रह- अवणेद्दरियविपाकवयेनो नाम सत्तमः प्रस्तावः समाप्तः ॥ रय अष्टमः Wels: | श्रयास्ि मानवावासे WaT खततोक्छवम्‌ | सप्रमोदमिति ख्यातमचिग्धयशण्डषितम्‌ ॥ दानवारिङृवाह्वादो मरेभगतिविथेमः । ` एुरदरसमो ay मरवा विराजते ॥ ङूपलाव्यनेपश्यनिर्विंशेषोऽमरौखनेः । विद्ासिमोजमो यज मेनो कोषेवविंशिग्यते ॥ तज्रारिकरिसहगतविपारितकरसख्छसः | निर्याजपौदवस्यातो राजासि मधुवारणः ॥ सवसाधारणं wer विततौ येन at धनम्‌ | खूपरदितदारेण atfacer म धारिताः॥ तस्यासि arrest रूपलावश्यश्राखिनौ | प्रधागवंश्रसथता महादेवो सुमाखिनो ॥ या इदि न्यस्लराजापि trent इदयवतिनो | as are ee ld ee tp hes ont _ c+, 4 oe Po प i 2) ea Eee अद्मः प्रस्तावः | ११४८ प्रकटः पच्चपातोऽज श्वंसाधारणो इयम्‌ ॥ यतः | wa मत्तो fac पपाते खवान्धवाः | महा मोहादयोऽतो मे युक माकाण्डविद्धरम्‌ ॥ तथाहि ay चारिचधर्मोयं ami मे महाबलम्‌ | ष्णः संसारिजोवस्य खुन्दर प्रतिभासते ॥ अरय clay aaa शयोऽपयेष थथा पुरा । ततञिरन्तनश्ितव्या afta मिनबान्धवाः ॥ तस्मात्रच्छलरूपेण तस्येदं हितकारकम्‌ | बलं चारिबधर्मोयमहं पुष्णामि aad ॥ येनेदं जओोयतेऽनेन ad पापोदयादिकम्‌ । ग ॒च मन्तो विरण्यन्ते मामो हादिबान्धवाः ॥ ततः सम्यम्विनिच्िव्य तेगोपां महात्मना | तथा मदुपदिष्टास्ते वधिता वरभावनाः ॥ यावन्त्‌ भावनारूढः खितस्लं FAUT | AAAI BRIA ed Ts ॥ थतः । | मणिमन््ोषधादौनां भावनानां fate । अ चिनध मिह विश्चेयं वौयेमाश्च्ंकारकम्‌ ॥ ततो यथा यथया शप प्रठद्धास्तव भावनाः | तथा तथा रणे BU महामोहादयः खयम्‌ ॥ १९४० उपमितिभवप्पच कथया | ततः प्रषश्चतां प्राप्यं quran विभि्जिंतम्‌ । तेन सद्धोधसेन्येन बं पापोदथादिकम्‌ ॥ aa प्रहारिताः प्रायो भदहामोदहादिगश्रभवः | शितः श विशेषेण श्चानसंवरण्टो au: ॥ fant निष्यन्दमब्टाख्ते at पापोदयादयः । ` fratfen: सख्लसेभ्येम शोधः ae विधा ४ गते चान्विता प तव सद्ोधमण्लिषि । स ताष्थस्लद्‌ा आतो शर्वा्ावोऽतिसग्दरः ॥ wgiwafeat ge: परिष्णैता च काम्यका । TMU शवे WATT ततः षरम्‌ ॥ ` तदिदं कारणं wa भावनानां विशटडये । waterara चापश्च राजौ तै नाभ are: ॥ ane | अधुना किं प्रकुर्वन्ति ते ममाण्तरभजवः | सूरिरा महाराज शवेते Areas ॥ fa श। SAY नता नादसुपशाण्ताख्यापरे | wasfa चिन्लटष्तौ ते खौनगलौगतथा खिताः ¢ पुनः प्रश्षावभाषाश् ` शला ते सर्वे भौ शनम्‌ । agra शगिखभ्ति मसराश्मातचेतसः ॥ ATA भंहाराज सहमेधवथनाश्तदा | सारिषधमैसुभटेवारण्लीयाः wey एव्‌ ॥ GEA: TAT | ९१४१. wate । चडान्नापयवि भाषः । ` wg शंपूरशो मासकण्पः। ततो AAT भगवन्तौ निम exe: विशेवतोऽनुषिता मवा agate: प्रघादितमन्तःकरणं परिकर्मित शरोर विदितजधिकषदर्ौ मे agin म्रबेषरः । दरतो, सामान्यलः समाधिनामानौ डौ पुरुषौ वलौ वन चार्‌ दशनेन सुखदौ खरूपेष । ततोऽभिदहितं शद्ोधेन । देव विरेवतो wi- एक्ताभिधानाविमौ get staat भवतोऽारङ्गराज्ये । तदम- थोमेहायादरो fave: । मयो । घटादि ग्ल्माथैः । ततो दर्ता atten विधयुत्पश्स्फटिकवः सन्दराकारधारिठः geared Sar इति गेय Tagger इति नाका sfegrinet नायः । श्रभिदितं च तेन । चदा टेव Ware नगरद्यमास्विखोऽपि परिशारिकाः | wean दितीयस्छ णायते परिपोकिकि ¶ तदेतासु शम्यम्बतितर्यं दमेन । ग वर्तेते eras तव परमोपकारिणाविमौ get । अनयोश्च वरेन भवता agre- मासादनोषं । ततः सम्यक पोषण्णोया Vata नायं chr, मयोक्तं । एवं करिष्ये ) ततः STIS तदु परप्रकरणे प्रविभ्रामि qu पनित्तडलौ fawerfa ww विश्वया मकापामि gede: अहोधेन a उक्ानयामि सदाममशन्यग्दओगम्ददिधर्माम्‌। एवं च कुवती मे गते भमवति wefea fatal पश्चमाख्माभरं । संजातो age: समावजिंतददषः कभंपरिषामः । ततो मतस्तव तेषु भगरेषु ममितास्त राजानः । कताः षदं मे मिनि १९१५२ छपमितिभवप्रषन्चा श्या | RANE AGM: | ततः मागतो AS । प्रवेशितोऽहं तेन Wwrguicar कालपरिणत्यादिपरिवारोपेतेन क्परिणमेण तारां कन्यकानां विवाहा waftatfgnent । ततस्तखिन्‌ सालिकमागसवतिदिवेकगिरिशरिखरमिविष्टे जेनसत्पुरे षमाह्ृतास्त समस्ताः प्रभपरिणामादयः शमागताः सपरिवाराः । शतसतेषां समुचितोपारः । गणितं विवादिनं । | | अथान्तरे Wat महामोहादिबले सवंसमाजः | ww: पर्यालोचः । अभिहितं विषयाभिलाषेण । देव ayaa संसारि- Hata: चाग्धादिकाः कन्यकाः परिरौताः wee awh एव aafafa ममयं । Sat नास्माभिर्पेाज विधेया wae Waa यन्नो ऽवखम्बनोय साहसं मोक्रव्यो विषादः | wa fe तावत्कतेगयं यावदन्तो भ इृष्पते। प्रयोजनस्य ATH AEA सुनिभयेः ॥ ततोऽमुमतं waist वचनं महामोहेन । समथितं गेषसु- ae: विहिता साममौ । संनद्धं वलं । समागतास्ते स्य रणोल्ा- देन केवखं इृषटभयतथा कमेपरि्णमप्रतिकूलताभोङतथा च पर्या- कुश्ाचिकेन । ततः पृष्टामौभिः सविनधं भवितव्यता । यथा भगवति किमस्माकमधना प्राप्नकाखमिति । aati भद्रा ग SAR TATA: । थतः खमादूतोऽयमधुनायेपुचः कमे- परिणामेन मिखिता विग्रेषतः इएभपरिणमादयः संलातमायेपुष- wun विगरेषतो निजवखद रमौ क्यं दभथिव्यति तदपि कमे- after: करिव्यत्याथपुजखूश् पोषणं ततोऽधुमा रग लगता Nyayabindutika, (Text) ..: व Nyava Kusumafijali Prakarana (Text) Vol. I, Fase. 1-6; Vol. ET, Fase 1-3 @ /6/ each ल Padumawati Fasc. 1 and 2 @ 2/ Tes 5३ Paricista Parvan, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... Ses Prithivirij Risa, (Text) Part IT, Fase. 1-5 @ /6/ each ~ Ditto (English) Part II, Fasc. 1 == ,., ५ Prakrta Laksanam, (Text) Fase.1 .. ec it Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. II, Fase. 1-6: Vol. III, Fasc. 1-5 @ /6/ each १८ = + Paracara, Institutes of (English) ... *Sima Véda Sarnhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; II, 1-6; IIT, 1-7; IV, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fase ^ sect Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ह 5 Ditto English) Fase. 1~3 @ /12/ each ... Fob Sucruta Samhita, (Eng.) Fase. 1 iat Zt *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 11-42 s /6/ each ak , 22 Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/each = Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fase. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-10, = Vol. III, Fasc. 1-2, Vol. 1 ए, Fase. 1, Vol. V, Fase. 1-5, Part 1V, Vol. IT Fasc. 1-7 @ /6/ each न्दः Trikanda-Mandanam, (Text) Fasc. 1 & 2 @ /6/ .. Tul’si Sat’sai, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ a Uviasagadasao. (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ ite Varaha Purana, (Text) Fase. 1-14 @ /6/ each *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Fase. 1-7, @ /6/ each द Visnu Smrti, (Text) Fase. 1-2 @ /6/ each ५ Vivadaratnakara, (Text) Fase. 1-7 @ /6/ each Vrhannaradiya Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ Vrhat Svayambhi Purana, Fase. 1 to V 1 Tibetan Series Pag-Sam Thi 87, Fase, 1-4 @ 1/ each Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Fase. 1-3; Vol. III, Fasc. 1 to 4 @1/ each . Rtogs brjod d hkhri 3470 (Tib. & Sans.) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. IT Fase. 1-5 @ lfeach ... A 80811, with a Sa छ 1-13 @ /6/ each *Alamgirn wi (Text) Fasc. ५ 4 -Al-Muqaddasi ( lish) Vol. ४११ (५ aay Pe 0 : Ain-i-Akbari, (Text) Fase. 1-22 @ 1/ each i 99 Ditto | (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. III Fasc. 1-5, @ 1/12/ each a पहः ^. Akbarnimah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @1/each ... थ. . 3 0 7 3 {कनं "~ 2 ९ ॐ # WROD eee न~ . see # ॥# Ditto English Fasc, I-JII @ 1/ each .., a ees Arabic Bibliography, by Dr. A. Spreng Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ... Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each BP of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fase. 1-21 @ 1 each च +. var 21 Farhang-i-Rashidi, (Text) Fase. 1-14 @ 1/ each 14 Fihrist-i-Tisi, or, Tasy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fase. 1-4 @ /12/ each ae ७ Futih-ush-Sham of Waqidi; (Text) Fase. 1-9 @ /6/ each ... Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @./6/each =... Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @/12/each ... Iqbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fase. 1-3 @ % each ate Isabah, with Supplement, (Text) 51 Fase. @ /12/each = ,,, Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fase. 1-9, Vol. 11, Fase. 1-9; १० III, 1-10 Index to Vol. I Fasc. X & XI & Index to Vol. III, Fasc. XI & XII Index to Vol. II Fasc. X, XI & XII @ /6/ each ५११ ५४१५ 13 2 ee । [कवं — त id, * The other Fasciculi of these works are out of stock, and complete copies cannot te Digitized by Google Maghizi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/each , weer peri: Muntakhabu-t-Tawarikh, (Text) Fase. 1-15 @ /6/each = + ०. uF pd Muntakhabu-t-'awarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Fasc. - 1-6 @ 12) each ' ~. ङः 4 RS Muntakhabu-l-Lubab, (Text) Fase. 1-19 @ /6/ each es "२ Moa’isir-i-’Alamgiri, (Text), Fase. 1-6 @ /6/ each 5 क. > ~~ ९ Nukhbatu-l-Fikr, (Text) Fase. 1 =e 4: ihe ee, - = 8 Nizami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Tex t) Fasc. Land 2 @ /12/ each 1 _ Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each. ... iss ene *Suyuty’s Itqan, on the Exegetic Sciences of the Koran, with Supple- ment, (‘Text) Fasc. 7-10 @ 1/ each ve. ५. eer "य J'abaqat-i-Nasiri, (Teat) Fase. 1-5 @ /6/ each ... ae cate et S| Ditto (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each aS 30, . 28 Ditto Index nad चः त £ es ~ 0 Tarikh-i-Firiz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Faso. 1-7 @ (6 ९9९0. 2 Varikh-i-Firizshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fase. 1-6 @ 01 each... > ` Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1 & 2 @ 1/8/ each > = Ue Wis 0 Ramin, (Text) Fase. 1-5 @ /6/ each ote ae ke ose : Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. 11, Fase. 1-8 @ /6/ each न १. Tuzuk-i-Jahangirl, (Eng.) 886, 1 = = ,,* न at or. 0 वि. ^: ASIATIC SOCIETY'S PUBLICATIONS. ४. 1, Asiatic Resgarcues, Vol. VII, Vols. XIII and XVII, and Vols. XIX ~~ and XX @ 10/each ... 9 द : 2. ProcrEptnes of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (inel.) @ (61४ = = ++, ०.४ and from 1870 to date @ /8/ per No. । च: ~ क os 8. JouRNAL of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 ( “300 | ग ~ ei at (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 १ ,18 (8 38 । 9 ए. 1871 (7), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1871 (8); 387 pn: (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1863 (5), oo 18 ieee -- ` 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 1892 (8), प 1893 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), @ 1/8 per foto. ~ ~ ऋ ~ # 6 ४ * |] Members and @ 2/ per No. to Non-Members. । = whew wot : N. B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos.in each Volume. - —— | 4. Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1883 ... 3 0. 28 "General Cunningham’s Archwological Survey Report for 1863-64 (Hxtra on ह No., J. A. 8. B., 1864) ... a i ad Ree ao or Theobald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society -- 2 - | (Extra No., J. A. 8. B., 1868) saad abe ee 9.9 ee ~: Gatalogue of Mammals and Birds of Burmah, by ए. Blyth (Extra No, = “J. A. 8. B., 1875) cae. 5 se 1-4४-5 Iniroduction to the Maithili Language of North Bihar, by ७. A. = Grierson, Part Il, Chrestomathy and Vocabulary ( Extra No., - >. A. 8. B., 1882) aee eve eee । see ५५४ 4 । 0 > 5. Anis-ul-Musharrahin... + +e nel TCAs oa ee 6. Catalogue of Fossil Vertebrata 8५ vas ५३६, ५२19-0. 7. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, by W.A. Bion 3 8 | 8. Istilahat-us-Sufiyah, edited by Dr. A. Sprenger, 8vo. र छ, 0 < 9. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. 11 and.lV, @16/ each... ॐ 0 = 10, Jawamlu-l-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part I a ae oe 11. Khizanatu-l-’ilm Cage nes + tas ve A 0 a 12. Mahabharata, Vols. 111 and IV, @ 20] each= ~~ 7 | 9. = 13. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera, + = Fart श Parts 1-111, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each , ६५० सक: 0. द श = 4. 14. Sharaya-ool-Isiam ०४ ७७४ ५५४ ee ५११ ob 0 - Bt 15, Tibetan Dictionary, by Csoma de & ५708 és (> ° + ~ 0 16. Ditto Grammar » ” १४१ one ae 8 0 \ । 17, Kagmiragabdamrta, Parts 1 & Il @ 1/8/ . ras asi geet -O. es ०४९९३ of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-26 @ljeach ... 0.98: 0 PA, ~ ् य द by Dr. 3s Mitra 6 - 0 3 .5.-- ९११९७, Money Orders, &., must be made payable to the “Treasurer 4 Fe nits Asiatic Society,” only. ् >; payable to th T ॥ j पर. 9 = F li 1-2-५9, sis are supplied by V-P. P. . ~. yee lao xt । स्र ` Digitized by Google ——— oe ३ 7 BIBLIOTHECA INDICA: | ae | (COLLECTION OF PRIENTAL Works PUBLISHED BY THE | ASIATIC SOCIETY OF BENGAL, Sk New 8४8, No. 946 अ उपमितिभवप्रपश्चा | सिद्कषिप्रणोता | = § रलपिन्स्तन विद्यालयस्थसंस्वा ताध्यापकेन Stax Het पौटसंनाख्येन < | प्रकाशिता | ` 3: THE UPAMITIBHAVAPRAPANCHA KATHA =. - CFs SIDDHARSHI, EDITED BY PETER PETERSON, M.A, € 7450८णए8 ITI, = aT | CALCUTTA; क | PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISHED BY THE 7 ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET, 1899. Digitized by G oogle वि ws | ,; क, + ध ८ = ग क ॐ सथ pe a ; 2 eee < eo ae +& ह > | 0 | erates LIST OF BOOKS FOR SALE ^. AT THE LIBRARY OF THE > Py ~ क । 4 = frsiatic POCIETY OF PENGAL, — “No. 67, PARK STREET, CALCUTTA, ~~ 3 a Sn + + AND OBTAINABLE FROM ; < THE SOCIETY’S AGENTS, MESSRS. LUZAC & CO.,, 46, GREAT Russent STREET, Lonpon, W.C., anp Mr. Orto © Harrassowi1z, Bookseruer, Lerpziec, GERMANY. a ot ^ ३ ध न ~ Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot be supplied—some ey is ६ * 9 न ररर ध 2 baer oe of the Fasciculi being out of stock. ~ न कै 2 ” : ~ मि BIBLIOTHECA INDICA. | ae ee Sanskrit Series. | + ~ 1 Beha Advaita Brahma-Siddhi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ६०२ Rs. 1 8 ee - # 4 7; Purana, (Text) Fasc. 4-14 @ /6/ each... a ८ 4 -3 a Aitaréya Aranyaka of the R¢ Véda, (Text) Fase. 1-5 @ /6/ each दक, > Aitaréya Brahmana; Vol. 1, Fasc. 1-5 and Vol. I, Fase. 1-5 Vol. III, Ae त. - ५. Fasc. 1-5 Vol. IV, Fasc. 1-5 @ /6/ ५०५५ ~ ११५ one 7 1 8 Anu Bhiasyam, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ष जी wo 1 14 Aphorisms of Sandilya, (English) 1880. 1 ~ ५, += lac la ` aes Astasahasrika Prajfiaparamita, (Text) Fase. 1-6 @ /6/ each १.9 4 Aovavaidyaka, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/each „^ ai eet Pec t | BEES Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. II. Fasc. a | न ८ न+ 1-5 @ 1/ each ese ५५५ ae seers” vee 10 0 ae ~ = 3 ८ र *Bhamati, (Text) Fasc. 4-8 @ /6/ each oe oer ११५१ 1 £ 14 ॥ त । Bhatta Dipika Vol I, Fasc. 1 ५५१ oon vee त 6 y; Brahma Sitra, (English) Fasc.1_... ~ ५५ १२४ "09 Js १२ Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ewe ॥ १ 1 ११५ 1 न्वः 8 च Brhaddharma Purana, (Text) Fase. 1-6 @ /6/ each ni tier BE 4 i - *Caturvarga Chintamani (Text) Vols. 11, 1-25; III, Part I, Fasc. 1-18. AER. Rimes Part II, Fasc. 1-10 @ /6/each =... | ci aac = pe” Idea es *(rauta Sitra of Apastamba, (Text) Fasc. 3-14 @ /6/ each eat अ = : Zep aces Ditto _ Acvalayana (Text) Fasc. 1 toll @/6/ = ,,, ^ Be ~= SEO. SBD Latyayana, (Text) Fase. 1-9 @ /6/ each ... iets < Os res Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc. aie; ~ ee 1-4, Vol. III, Fase. 1-4 @ /6/ each =... ४20. Cri Bhashyam, (Text) Fase. 1-8 @ /6/each .., os Ae a 5 ~ 9. - ५ । = ष es Yo Madhava, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each vee soe -~ + ae 1 ई 4: । 4 Kala Viveka, Fase. 1 to 8 25 at Se eg 2 = | ~ | Katantra, (Tetx) Fase. 1-6 @ /12/ each = at hea. AS aS es Katha Sarit Sagara, (English) Fase. 1-14 @ /12/ each 4... sn न ss Kiirma Purina, (Text) Fase. 1-9 @ /6/ each =... isi "५-3-90 क | 1 | भ ०- ए) 898, (English) Fase. 1-3 @ /12/ each aus oe, eS ss Madana Parijata, (Text) Fase. 1-11 @ /6/ each... sie वि ey aka aha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each ` ५३ ok éya ae : nurana, (Text) Fasc. 4—7 @ /6 -each + ५५१ eee 1 ¶ §. न Mir’ OT 106, 1641 Parana, (English) Fasc. 1-5 @ 12 each dite ११४ 8 = 12. = च msi Dargana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/each a. wa # - i ah Smrti, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ क St Seah Clee ¦ >^ ka, sa Fasc. 1-4 @ 41 न +> इ ६ ee 1 item 8. Text) Vol. JIS, Fasc. 1-6; Vol. IV, Fasc. 1-8.@ /6/each,, 5 4 © , - 7 ,-9 ~— : E —. “a oa क > (= # = _ न= ; ध ee - == ध .9 च = + . - ९ = ~ a re च = ^ = > > . : Tn ` कर ॥ छि - => त = 4 ४ च ह - — = ~> 7” — |. tS Oe चै =) 9 » ’ . . Se aA Eu aed ॥ (र 008 ie - "~" 11 नी ^ त र ` न ag Oe (~ = | ^ YT A = । Digitized by NIT € es = we = ay ye , es a. Pe fm = —— ~~ a a त) _ _ ४ La ca > oe — > a | त _ _ Nyayabindutika, (Text) .., Nyaya Kusumiafijali Prakarana (Text) Vol. I, Fase. 1-6; Vol.II, Fase 1-3 @ /6/ each one : . Padumawati Fasc. land2@2/ =, Sas ५ Paricista Parvan. (Text) Fase ] -6 @ /6/ each ॥ [१११ toe Prithiviraj Rasa, (Text) Part IT, Fase, 1-5 @ /6/ each = =... ine Ditto (English) Part II, Fase, 1 पि म रण Prakrta Laksanam, (Text) 788९. 1 ,,, Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fase. 1-8; Vol. IT, Fase. 1-6; Vol. IIT, - Fasc 1-5 @ /6/ each ५१५ tee ane Paricara, Institutes of (English) _.., *Sima Véda Samhita, (Text) Vols. I, Fase, 5-10; IJ, 1-6: IIT, 1-7; IV, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fase ey 1 Sinkhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each द; etch Ditto (English) Fase. 1~3 @ /12/ each भ Sucruta Sarbhité, (10०. ) Fasc. 1 @ /12/ ve 2 *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 11-42 @ /6/ each a ~~ Tandya Brahmana, (Text) 788९, 1-19 @ /6/ each Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fase. 1-9, Vol. IT, Fase. 1-10 Vol. III, Fase. 1-2, Vol. [V, Fase. 1, Vol. V, Fase. 1-5, Part 1V, Vol. IT Fase. 1-7 @ /6/ each a eke Trikinda-Mandanam, (Text) Fase. 1 & 2 @ /6/ ... वि व Tul’si Sat’sai, (Text) Fasc. 1-5 @ {4 each ive कः Uvasagadasao, (Text and English) Fase. 1-6 @ /12/ > ४५ Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Fase. 1-7, @ /6/ each १ ६ Visnu Smrti, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ each vis aa Vivadaratnakara, (Text)-Fasc. 1-7 @ /6/ each tates “a Vrhanniradiya Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ ies fe Vrhat Svayambhi Purana, Fasc. I to V १४ ०९४ ers Tibetan Series Pag-Sam Thi 847, Fasc. 1-4 @ 1/ each 4 Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. 11, Fasc. 1-3; Vol. II], Fase. 1 to 4 @ 1/ each ... 1 Rtogs brjod aoe hkhri 8440 (Tib. & Sans.) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. iI Fase 1-5 @ 1 each ५५१ “Spee 10 Arabic and Persian Series ee Alamgirnimah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /6/each.. = `=, 4 | Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Fas ५ 2. Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each Ditto (English) Vol. I, Fase. 1-7, Vol. II, Fase. 1-5, Vol. IIT Fasc. 1-5, @ 1/12/ each प 29 3 Akbarnimah, with Index, (Text) Fase, 1-37 @1/each .., ~ | sence Ditto English Fasc, I-III @ 1/ each ... we Bie ae Oe Arabic Bibliography, by Dr. A. Spreng १.3), 6 ` Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ... : < ae Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the च siatic Society of Bengal. Fasc, 1-3 @ 1/ each 9 -0 Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fase. 1-21 @ heey 1| each ५५५ 21 0 Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ ९४८ 14 0 Fihrist-i-Tusi, or, Tasy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fase. 1-4 @ /12/ ae each aes ype OO kes Futih-ush-Sham of Waqidi, (Text) Fase. 1-9 @ /6/ each =... oy: 8 Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/each ... 4 1 8- ~-~ Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 _ =P) See | a History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/each ..,. Cie 8 Iqbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ 1 each ft FO See eee Isabah, with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/ each OB the 5 Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fase. 1-9, Vol. If, Fase. 1-9; Vol TII, 1-10 tS Index to Vol. I Fasc. X & XI & Index to Vol. III, Fase. XI & XII ats Index to Vol. 11, Fase, X, XI & XII @ /6/ each न ey | es & ee * The other Fasciculi of these works are out of stock, and complete copies cannot ke sapplied, -Digitized-by (> OO ५ ~ "न = # ककं ~+ ; = ~ Sa ~ <= poe = ~ ७ > १५ ~ २ on votes © ~<* be Maghizi of Waaidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each Pay Muntakhabu-t-T'awarikh, (Text) Fase. 1-15 @ /6/ each Muntakhabu-t-awarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II र & | i © ० +~ ५० wot Che +~" ८०-०० oF 1-5 (@ 12 1 each eee one a Muntakhabu-l-Lubab, (Text) Fasc, 1-19 @ /6/ each “eae wae Moa’ isir-i-’ Alamgiri, (Text), Fasc, 1-6 @ /6/ each ms fen Nukhbatu-l-Fikr, (Text) Fasc. 1 is Nizami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1 and 2 @ /12/ Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc, 1-5 @ /6/ each ., *Suyity’s Itqan, on the Exegetic Sciences of the Koran, with Supple- } ? * ment, (Text) Fasc. 7-10 @ 1/ eac = ~र a Tabaqit-i-Nasiri, (Teat) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... oa ४९ Ditto (English) Fase. 1-14 @ /12/ each a ie Ditto Index ee Yarikh-i-Firiz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each... 10 ९ Tarikh-i-Firizshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each... 4 Yen Ancient Arabic Poems, Fasc. 1 & 2 @ 1/8/ each ies a 9 ae, Wis o Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each “is 14 Zafarnimah, Vol. I, Fase. 1-9, Vol. 11, Fase. 1-8 @ /6/ opt । ५ Tuzuk-i-Jahangiri, (Hng.) 2880, 1 = ,,, ९ eee ५० 1 48147110 SOCIETY’S PUBLICATIONS. 1, Asiatic Researcues, Vol. VII, Vols. XIII and XVII, and Vols, XIX भः and XX @ 10/ each 50 0. 2, Procrepinas of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (incl.) @ /6/ per ^+ र. No.; and from 1870 to date @ /8/ per No "द = 8. JourRNAL of the Asiatic Society for 1843 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846 EF (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1570 (8), 1871 (7), 1872 (8), 1873 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1883 (5), 1884 (6), 1885 (6), 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), @ 1/8 per No. Members and @ 2/ per No. to Non-Members A | . N. B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. in each Volume. = ` | &,- Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1883 .., 3 ५ य General Cunningham’s Archeological Survey Report for 1868-64 (Hxtra छ EES No., J. A. 8. B., 1864) ... 200 2 4 ४ Theobald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society ‘ (Extra No., J. A. 8. B., 1868) Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by 9. Blyth (Extra No., J. 4. 8. B., 1875) 94 Introduction to the Maithili Language of North Bihar, by G. A. Grierson, Part Il, Chrestomathy and Vocabulary (HExtra No., J A 8 B 1882) ५१४ ५४ ५१४ ११४ 4 १४१ 5. Anis-ul-Musharrabin owe Th) ५५४ f १११ oe 6. Catalogue of Fossil Vertebrata nb 7. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, by W. A. Bion — 4 8. Istilahat-ng-Siifiyah, edited by Dr, A. Sprenger, 8ए ड ~ 9. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. II and IV, @ 16/ Ps 10. Jawamlnu-lilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 400, Part I — 3 क. at. Khizanatu-l-’ilm ~ ७५१ we ५५३ |» 12. Mahabharata, Vols. III and IV, @ 20/ each =` = 13. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera, 5 : =. # = = + y- eo > 7 Je 4 . ॥ श्रः . (2 न, ; ९. ॥ |= a SS ted $ ५ कक २४ Parts I-I1l, with 8 coloured Plates, 410. @6/each == {> 14. Sharaya-ool-Islam see : १७१ ५१५ ठ 15. Tibetan Dictionary, by Csoma de 16168 ise eh PS cept : 16. चि Grammar ११५१ 8 wee ag 4 j AME, दण Parte 1-4 1 @' Ye) be 1 - Notices of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-26 @1/each = es । ~ {¬ 8. Buddhist Sanskri Literature, by र 4 ae ` अ.8.-- 411 Chec oy Money Orders, &c., must be made payable to the “Treas Books are supplied by ए-2, 2, = g toe ५ ० Om = & > bk ०० ००८० ४ Digitized by DOQ@T `~ ee ~ ~ _ -- ~ ति 0198110 11६04 INDICA: A | COLLECTION OF ORIENTAL Works | PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY OF BENGAL. New Senses, No. 971. RY 9. ? ry शा = क र = | (९4: 9, प T त -प्रापण्‌ प्रख्प्ने द्मे ता --- (ल्द £ त ++ ५4 9 ++ EY ककर वके ५ - + eka ibd eb esas: + ८ न्द > कवेर््ग्ण्ण्ण्कस््ः | == ~ >. + + ~ ¬ ~ ¬ ~ ¬ >¬ 3 See ee ee 1 4 ; 1 = ४ उपमितिभवप्रपश्वा कथा। सिद्धषिप्रणोता। खरल फिम्स्तन विद्यालयस्यसंस्क ताध्यापकेन sat पटर पौटसनाष्येन प्रकाशिता | THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA OF SIDDHARSHI. EDITEyD BY PETER PETERSON, M.A, Fascicunus III. Ot CALCUTTA : NN TN PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET, 1900. A च - ‘ 7 ' _ । ५ ' : € ९ ’ j ४ - r : छ १ 1 7 १ ¢ iT ‘ if ॥ 4 : ^. त iL uJ ‘ P 2 f 1 9 t ' « ॥ - = + ‘ ca! 1 1 ' 1 ५ ५ त १ ५५) | | । a > : 97 4 ` ~ 4 7 = = Nyayabindutika, (Text) oes ss re Rs. Nyaya Kusumaijali Prakarana (Text) Vol. I, Fase. 1-6; Vol. II, Fasc. 1-3 @ /6/ each ees ate a Ss or Padumawati Fasc. 1-3 @ 2/ = oy Paricista Parvan, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/each ... Prakrjta-Paingalam, Fasc. 1-2 @ /6/ each ead Prithiviraj Risa, (Text) Part IJ, Faac. 1-5 @ /6/ each Ditto (English) Part II, Fase. 1 is Prakrta Laksanam, (Text) Fase.1. ... , Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8 $ Vol. Fasc. 1-6 @ /6/ each Paracara, Institutes of (English)... oe ध Prabandhacintamani (English) Fase, 1-3 @ /12/ each tus ee “Sama Véda Sarbhita, (Toxt) Vols. I, Fasc. 5-10; II, 1-63 III, 1-7, IV, 1-6; ४, 1-8, @ /6/ each Fasc. shes । we Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Ditto (English) Fase. 1-8 @ /12/ each Sucruta Samhité, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ es *Taittereya Sarbhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1~19 @ /6/ each a se Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fasc. 1-9. Vol. II, Fase. 1-10, Vol. IIT. Faso. 1-2, Vol. IV, Fasc. 1 » Vol. ए, Fasc. 1-5, Part IV, Vol. IT, Fasc. 1-10 @ /6/ each oh bi , ue Trikanda-Mandanam, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ Tul’si Sat’sai, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each a ee Upamita-bhava-prapafica-katha (Text) Fasc, 1-2 @ /6/ each Uvasagadasio, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ ies Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each ... ae be *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6 3 Vol. II, Fase. 1-7, @ /6/ each aor Se ee ie = wad Visnu Smrti, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ each ae Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1~7 @ /6/ each ... Vrhannaradiya Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ Vrhat Svayambhi Purana, Fasc. 1-6 सि Tibetan Series. Pag-Sam Thi 819, Fasc. 1-4 @ 1ffeach ४६ oe ee Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. 11, Fase. 1-3; Vol. III, Faso. 1-5, @ 1/ each ... ४ ig =~ si ts Rtogs brjod 1 hkhri 346 (Tib. & Sans.) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. IT. Fase. 1-5 @1/ each =... Giz 7 “—Om Om ॐ < fom) bund ne II, Fasc. 1-6; Vol. TIL. e | hand “JTW © (अ tA won (कष Um OMS € pl a 09 £ ¢ OS me —_ -) (el Co € भ ~ @ ॐ Arabic and Persian Series. ’Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /6/ each... Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Fasc. 1-2 @ /12/ ‘as Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each 1a ae ae Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. IIT, Fasc. 1-5, @ 1/12/ each Ses mee ic Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @ 1] each Ditto English Fasc, 1-6 @ 1/ each ४ fon # 82 06 2 02 >© CO € ONROON COR ॐ = € te js Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger क sai Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ... Catalogue of Arabic Books and Manuscripts... a bie Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each aay am 1 of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @ 1/ ea wes fe ae ५५ oo ¥arhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each 0 as ne or, Tusy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fasc. 1-4 @ /12/ eac igs ५८4 eg Wee $ 4 Futuh-ush-Sham of Waqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each Ditto of Azadi, (Text) Fasc, 1-4 @ /6/each =... Haft Asmin, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc, 1 History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/ each Iqgbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each 1580811; with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/each ५ Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9 ; Vol. III, 1-10; Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. III, Faso. 1119; Index to Vol. II, Fase. 10-12 @ /6/ each 2 18 2 * The other Faeciculi of these works are out of stock, and complete copi supplied, aga ॐ) @ += ^ © ध्न्य bt RQ & +~ ५. © +~ eo र 88 Cannot be 1 2 Maghazi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each we Rs. 1 Muntakhabu-t-Tawarikb, (Text) Fasc. 1-15 @ /6/ each ‘ 5 Muntakhabu-t-'awarikh, (English) Vol. I, Fasc. 1-7; and 2 Indexes Vol. LI, Fasc. 1-5 and Index; Vol. III, Fasc. 1 @ /12' each .. 12 Muntakhabn-l-Lubab, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each re | Ma’asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each 2 Nukhbbatu-]-Fikr, (Text) Fasc. 1 bes a ४४ 0 Nizami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1-2 @ /12/ each 1 Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... 1 *Sunyiuty’s Itqan, on the Exegetic Sciences of the Koran, with Supple- ment, (Text) Fasc. 7-10 @ 1/ each te 4 ‘Nabaaat-i-Nasiri, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... ४ (9 Ditto (English) Fase. 1-14 @ /12/ each an ... 10 Ditto Index 1 Tarikh-i-Firuz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/each... 2 Tarikh-i-Firuzshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each 2 Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each . 3 Wis o Ramin. (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each . 1 Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8 @ /6/ each 6 Tuzuk-i-Jahangiri, (Eng.) 0886. 1 = ,,. “ ०, 0 ASIATIC SOCIETY’S PUBLICATIONS. Asiatic ResgarRcHes. Vol. VII, Vols. XI and XVII, and Vols. XIX and XX @10/each ... ... 50 ProcreEpines of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (1४९1. । @ /6/ per No.; and from 1870 to date @ /8/ per No 3. JoURNAL of the Asiatic Society for 1843 (12), 1844 (12). 1845 (12). 1846 (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 (8) 1871 (7:, 1872 18 , 1878 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1860 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1883 15), 1884 (6), 1885 (6;, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8,, 1893 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), @ 1/8 per No. to Members and @ 2/ per No. to Non-Members N. B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. tn each Volume. 4. Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1883 3 A sketch of the ‘Turki Langunge as spoken in Eastern Turkistan by R. 8. Shaw (Extra No., J.4.8.B., 1878) : 4 Theobald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society (Extra No., J.A.S.B., 1868) 2 Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by 1. Blyth (Extra Now., J.A.8.B., 1875) 4 Introduction to the Maithili Language of North Bihar, by G.A Grierson, Part II, Chrestomathy and Vocabulary (Extra No., J.A.8.B.. 1882) ean ३ ia vy i + 5. Anis-ul-Musharrabin ; 3 6. Catalogue of Fossil Vertebrata 3 7. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, by भ. A. Bion 3 8. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and 1V, @ 16/ each.., 32 9. Jawamlzu-!l-’ilm ir-riyazi, 165 pages with 17 plates, 4to. Part I + 9 10. Khizanatao-l-’ilm ea . 4 11. Mahabharata, Vols. III and IV, @ 20/ each ६ 40 12. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each re , 18 13. Sharaya-ool-lsiam oe 14. Tibetan Dictionary, by Csoma de Kordés , 10 15. Ditto Grammar bey ध . § 16. Kagmiragabdamrta, Parts I & II @ 1/8/ ae be . 8 9 Notices of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-29 @ 1/each ... 29 Nepalese Boddhist Sanskrit Literature, by Dr. R. L. Mitra 8 bad pond Oh me < # 08 हिणी bud ond तः #» © # ODT OS (ऋक w थे {\ {: N.B.— All Cheques, Money Orders, &c.. must be made payable to the “ Treasurer, Aajatic Society, only 15-9 -1 900, Books are supplied by V-P.P. ~ ee —— —;, > ।=» ORO कव me क == @द fe oe eee bo ad Cc NOY BOG» Oh नं । OMAP 0 ८ > 06 ¢ > € A BOOM OHH ca 6 Parigista Parvan, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... = Rs. 1 14 9 Prakrjta-Paingalam, Fasc. 1-6 @ /6/ each “ae es Prithiviraj Rasa, (Text) Part 11, Fasc. 1-6 @ /6/ each ss... io ^, | Ditto (English) Part IT, Fase, 1 ase aes av, OOS as Prakrta Laksanam, (Text) Fasc.1 =... 1 8 Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fase. 1-8; Vol. II, Fasc. 1-6; Vol. III Fasc. 1-6 @ /6/ each .. ~ ae Bs, 7 8 Paracara, Institutes of (English) =... ०५५ ee ees / Prabandhacintamani (English) Fasc, 1-2 @ /12/ each ५ 1 8 * 88118. Véda Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; II, 1-6; III, 1-7 IV, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc ४ i er Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each AE. SE s Ditto (English) Fase. 1-3 @ /12/each =... Tye Sw Sucruta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ oF ead | SS a *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each es ,„ 19 0 Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each 7 2 2 Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fase. 1-9, Vol. IJ, Fase. 1-10 Vol. ITI, Fase. 1-2, Vol. IV, Fasc. 1, Vol. V, Fasc. 1-5, Part IV, Vol. II he Fasc. 1-12 @ /6/ each ae ०५७ 14 10 Trikanda-Mandanam, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ =... द 9.0 19 Tul’si Sat’sai, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ves ies ae Upamita-bhava-prapafica-katha (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each a ee | Uvasagadasio, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ aap 1.8 y Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each ... vs 98 4 } Varsa Krya Kaumudi, Fasc. 1-3 @ /6/ 1 2 a *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Fasc, 1-7, @ /6/ each vas ein a 8 Visnu Smrti, (Text) Fase. 1-2 @ /6/ each ५. ues किः ; Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ is) ॥ yee 0 Vrhanniaradiya Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ ey wee, ae 4 Vrhat Svayambha Purana, Fasc. 1-6 ३ vas ie 4 Tibetan Series 7 Pag-Sam Thi 87, Fasc. 1-4 @ 1/ each + 0 Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Fase. 1-3; Vol. III, Fase. 1-5 Te @ 1/ each ... 13 0 ; Rtogs brjod d hkhri 8’ii (Tib. & Sans.) Vol, I, Fasc. 1-5; Vol. IE „ Fasc. 1-5 @ ee each .,, ares!) 0 Arabic and Persian Series द » ?Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 त /6/ each 1.43 कः, = Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Fase, 1-2 Ses Deen ॥ Ain-i-Akbari, (Text) Fase. 1-22 @ 1 22 0 | Ditto = (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fase. 1-5, Vol. III, “4 Fasc. 1-5, @ 1/12/ each न .„ 29 12 [५ | Akbarnamah, with Index, (Text) Fase. 1-37 @1/each =... ice 87 0 ee | Ditto English Fase, 1-6 @1/ each =... क व अर ५ ^ Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger nx O56 ॥ Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each Neer) ae 9 Catalogue of Arabic Books and Manuscripts 1 0 | Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the | Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each 3 0 । Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @ | 1/ 6467 =. oe 21 0 | Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each 14 0 च | Fihrist-i-Tisi, or, Tusy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fase. 1-4 @ /12/ aie 3 0 Futuh-ush-Sham of Waqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each ... tt 8 4. Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ... mt 8 | Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 (ae. 12 History of the Caliphs, (Hnglish) Fasc. 1-6 @ /12/each =... 1 क ` 8 Iqbajnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each 4 i 2 Isabah, with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/ each ह 38 4 | Maasir-ul-Omara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. LII, 1-10; hy? Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. ILI, Fase. 11-12; Index to Vol. II, Fasc. 10-12 @ /6/ each . ive tea 0 2 Maghazi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ००४ नश 9 * The other Fasciculi of these works are out of stock, and complete copies cannot Zz Digitized by in oogle zg | be supplied. i ऋ ॥। eile ५४. Fz त Muntakhabu-t-Tawarikh, (Text) Fasc 1-15 @ /6/each .. Rs. 5 0. Muntakhabu-t-Tawarikbh, (English) Vol. I, Fase. 1-7; Vol. Il, Fase. 1-5 and 3 Indexes; Vol. 111, Fasc 1 @ /12/ each Ay; ios Se Muntakhabu-l-Lubab, (Text) Fasc. 1-19 @ 6/ 6५०४ ~— « ५9 Ma’asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each _ ies ऋ Nukhbatu-l-Fikr, (Text) Fase कि". ! Nizami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1-2 @ /12/ each > ee Riyazu-s-Salatin, (Text) Fase, 1-5 /6/ each ... (८ eds Eee 4: Yabaqat-i-Nasiri, (Text) Fasc 1-5 @ /6/ each म ८ Ditto (English) Fasc. 1-14 @ /12/each ss ^ Ditto Index ‘ 0. arikh-i-Firaz Shahi of Ziyau-d din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ (0 I~ 105 Yarikh-i-Firazshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each... — a5 Ten Ancient Arabic Poems, Fase. 1-2 @ 1/8/ each £ 449 Wis ० Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ । १ ह | Zafarnimah, Vol. 1, Fase. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8@ /6/ eaoh = = 6 Tuzuk-i-Jahangiri, (Eng.) Fase.1 = rich fe cae AS Se ASIATIC SOCIETY’S PUBLICATIONS 1. Asiatic Resgarcues. Vol, VII, Vols. XI and XVII, and Vols. XIX XX @10/each ... । tN 2. ProcrEpines of the Asiatic Society from 1865 to ) @ /6/ per oe No. 7 and from 1870 to date @ /8/ per 20. + च -/ Bers Fe oe = 3. Journat of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1840 (5), 1847 (1 9: 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 869 (£ 1871 (7), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1875 Or -@ 1/8 per N figures Catal f Mammals ष्ठ. Blyth ॥ 6, Extra } 4; न JA 8 B., 1875) re of । eet oO 1.9) [= IM; hice : 4 Introduction to the Maithili Torth Biha ^ Grie Il, Chrestomathy ei ह 1, ++ Aad a ` 9181101॥60॥ INDIGA: ` 4 A | COLLECTION OF 9 RIENTAL Works “UBLISHED BY THE . | SOCIETY OF BENGAL. tw Series, No. 1023. ~ the =+ ५ अ ~ ~ ४ - te - ~ came — -- ae ~ ae ||| un ng “we aM il उपमि तिथवप्रपञ्डा कथा | : सिद्धक्प्रणोतम | THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA OF SIDDHARSHI. ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., ^ AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. Fascicunus VY. CALCUTTA: PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET, र. Ls | 1902, = ` | | A LIST OF BOOKS FOR SALE ॥ AT THE LIBRARY OF THE -ASIATIC pOCIETY OF 9 ENGAL, No. 57. PARK STREET, CALCUTTA, ` AND ORTAINARLE FROM THE SOCIETY'S AGENTS, MESSRS. LUZAC & CO., 46, Grear Russert Street, Lonpox, फ -0., anp Mr. 0110 Harrassowi1z, BooxseLuer, Leipzic, Germany. NININ a Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot be [ण शौ = ~ शः of the Fasciculé being out of stoek.. BIBLIOTHECA INDICA. Sanskrit Series. Advaita Brahma Siddhi, (Text) Fase. 1-4 @ /6/ each Advaitachinta Kaustubhe, Faso. 1... ges *Agni Purana, (Text) Fase. 4-14 @ /6/ each Aitaréya Brahmana, Vol. I, Fase. 1-6 and Vol. II, Fasc. 1-5 Vol. IH ९.७ Be. € = @ 29 ॐ @ Fasc. 1-6 Vol. 1V, Fase. 1-6 @ /6/ ar ” Anau Bhasyam, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ad 1 44 Aphorisms of Sandilya, (English) Fase. 1 . 0 172 Astasahasrika Prajhaparamita, (Text) Fase. 1-6 @ /6/ each 2 4 Acvavaidyaka, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each __... 1 14 Avadans Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. 1, Fasc. 1-5; Vol. 11, Fase - 1-5 @1/ each bap wel *Bhamati, (Text) Fasc. 4-8 @ /6/ each ४9६ Bhatta Dipika Vol. 1, Fasc. 1-3 Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Bodhicaryavatara of Cantidevj, Fasc. 1 Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Faso. 1-8 @ 2/ each Qatapatha Brahmana, Fasc. 1 Catasahasrika Projnaparamita, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each *Caturvarga Chintamani (Text) Vols. 11, 1-25; HI. Part I, Fasc. 1-15 Part II, Fasc. 1-10 @ /6/.each =. ae Catasahasrika-prajna-parimita Part I Fasc. 1-3 @ /6/ Qlokevartika, त Fasc. 1-3... *Qrauta Sitra of Apastamba, (Text) Fasc. 4-16 @ /6/ each ध Ditto ankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. I], Fasc. 1-4, Vol. IIT, Fasc. 1—4 @ /6/ each ० = Bhishyam, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/each =... adadhara Paddbati Kalasara Vol I. Faso. 1-8... Kala Madhava, (Text) Faso. 1-4 @ /6/ 5800 = ,,, Kala Viveka, Fasc. 1-4 ea Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each Katha Sarit Sagara, (English) Faso. 1-14 @ /12/ each Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each, ... on Lalita-Vistara, (English) ए 1-3 @ /12/ each Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each Maha-bhasya-pradipddydta, (Text) Fasc. 1-9 & Vol. II, Fasc. 1-6 @ /6/ Tse NS = © | बी 8० + 0 ६ @ # > © @ 0 ०वै @ ® 63 ~ | ऋ bh Manutika Sangraha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ eack Markandéya Purana, (English) Fasc. 1-6 @ /12 each *Mimasmea Darcana, (Text) Fasc. 7-19 @& /6/ each Narada Smrti, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ Nyayavartika, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ *Nirukta, (Text) Vol. वा, Faso..1-6; Vol. 1 ए, Faso. 1-8 @ /6/ each Nityacatapaddhati Fasc. 1-6 (Text) @ /6/ bee 1 (Text. ... Nyaysa Kusumafijali Prakaravua c. l- a 18 @ £ oy na (Text) Vol. 7, Fas 6 Vol. 11, Fasc: Padumawati, Fasc. 2 -8 © 2/ न्वं one Om Sade ध १ का , oe त, ता ~ @ @8 CNA KH @द > 62 6 © > MH mE कै Parigista Parvan, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... १११ Re Prakrita-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /6/ each de Si Prithiviraj Rasa, (Text) Part I], Fasc. 1-5 @ /6/ each = ,, Ditto (English) Part IT, Fasc. 1 ४८; sat Prakrta Laksanam, (Text) Fase.1 =... Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. If, Fase. 1-6; Vol. III Fasc. 1-6 @ /6/ each । (& क Paracara, Institutes of (English: ... nee Prabandhacintamani (English) Fasc, 1-3 @ /12/ each % ध ® 87118 Véda Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; II, 1-6; TIT, 1-7; 1V, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc | Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ia Ditto (English) Fasc. 1-3 @ /12/ each... en Sucruta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ a *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each as Tandya Brabmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ५३ Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-10 Vol. IIT, Fasc. 1-2, Vol. IV, Fasc. 1, Vol. V, Fasc. 1-5, Part IV, Vol. II Fasc. 1-12 @ /6/ each aa Trikinda-Mandanam, (16४४) Fasc. 1-2 @ /6/ Tul’si Sat’sai, (Text) Fasc. 1-65 @ /6/ each sss Upamita-bhava-prapajica-katha (Text) Fasc. 1.5 @ /6/ each Uvasagadasao, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ 3 Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each ... Varsa Krya Kaumudi, Fasc. 1-6)@ /6/ dag sue *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Fasc. 1-7, @ /6/ each wwe Visna Smrti, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ each ध Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @-/6/ each .., Vyhannaradiya Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ ९५ Vrhat Svayambhi Parana, Fasc. 1-6 axe + Tibetan Sertes । Pag-Sam Thi 8410, Fasc. 1-4 @ 1/ each Sher-Phyin, Vol. I, Faso. 1-5; Vol. I1,-Faso. 1-3; Vol. III, Fauo. 1-5 @ 1/ each ... Rtogs brjod dpag hkhri 8416 (Tib. & Sans.) Vol. I, Faso. 1-8; Vol. II Fasc. 1-5 @ 1/ each ... Arabic and Persian Sertes. _ ’Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc.1-13 @ /6/ each so Al-Muqaddasi (English) ए ०1. 1, Fasc. 1-8 @ /12/ ioe ‘aie ` Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. LII Fasc. 1-5, @ 1/12/ each ४ we 2 _Akbarnimah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @1/each =... ६ Ditto English Fasc, 1-6 @ 1/ each sis se «. Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger on Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each... ai Catalogue of Arabic Books and Manuscripts Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asi $ Society ०286०९91. ए ०8९. 1-3 @ 1/ 6860 = . Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @ 1/ each ; Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each Fihrist-i-usi, or, ‘Tusy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fasc. 1-4 @ /12/ each ai Futin-ush-Sham of Waqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each ... १ Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ea Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 A History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/each =... ध Iqbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each eine es Isabah, with Supplement, (Text) 61 Fasc. @ /12/ each =... Maasir-ul-U mara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. [II, 1-10 Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. III, Fasc. 11-12; Index to Vol. 11, Fasc. 10-12 @ /6/ each os vee Maghazi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ene ane = C Pt AD bat i) NroOQnwmeh won 6 6७ & Oe ध | ^ 18 1 © pus : a 0 @ € © © € Nw @ @ ON oO की क | mew Oe 2 14 ® The other Fasciouli of these works are outof stock, and complete copies cannot be supplied Muntakbaba-t-Tawarikh, (Text) Faso. 1-15 @ /6/ 5६00 =... Re Muntakhabu-t-Tawarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. LI, Fasc 1-5 and 3 Indexes; Vol. III, Faso. 1 @ /12/ each ie Muntakbabu-1-Lubib, (ext) Fasc. 1-19 @ ee 58011 a rs Ma'asir-i-’ Alamgiri, (Text), Fase. 1-6 @ /6/ each eas {4 Nukhbatu-l-Fikr, (16४) Fasc. 1 se -Nizami’s Khiradnameh-i-Iskandari, (Text) Fago. 1-2 @ /12/ each Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ 16/ each, Ditto Ditto (English) Fasc. I-IJ ug ~ ०७४ Tabaqit-i-Nasiri, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ee See ~ Ditto (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each ५७ re ~ Ditto Index ॥ Tarikh-i-Firaz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each Tarikh-i-Firizshihi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Faso. 1-6 @ /6/ each Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1.2 @ 1/8/ each 2 Wiso Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each । ves Zafarnamah, Vol. J, Fase. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8 @ /6/ each ~~... Taznk-i-Jahangiri, (Eng.) Fasc.1 ... ०१७ vos ००० 4814710 SOCIETY’S PUBLICATIONS . ABIATIC Reskarcnes. Vol. VII, Vols. XI and XVII, and Vols. XIX and XX @ 10/ each avo . Procexpines of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (inol.) @ /6/ per No.; and from 1870 to date @ /8/ per No. — ` „+ Journat of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846 (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 186716), 1868 (6), 1869 (8), 187C (8), 1871 (7), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7),:1877 (8), 1878 8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 :7), 1882, (6), 1888 15), 1884 {6}, 1885 (6) 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), .1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), @ 1/8 per No. to Members and @ 2/ per No. Non-Members N. B.—The figures enclosed in bracketa give the number of Nos. in each Volume. - Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1888 A sketch of the Turki language ag apoken in Eastern Turkistan, by R. 8. Shaw (Extra No., J.A.9.B., 1878) Thec bald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society (Extra No., J.A.8.B., 1868) Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by E. Blytk (Extra No., J.A.S.B., 1876) Introduction to the Maithili Language of North Bihar, by G. A Grierson, Part II, Chrestomathy and Vocabulary (Extra No., J.A.8.B., 1882) ve Se ‘ss ०० aa 5, - Anis-al-Mush&rrahin __.., ie ~ sds soe ०५५ 6. Catalogue of Fossil Vertebrata . Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, by W. A. Bion Ss. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and 1V, @ 16/ exch 9. Jawamlu-l-’m ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part | 10. Khizanatn-l-’ilm us su. i 9 ,,, 11. Mahabharata, Vols. 111 and LV, @ 20/ each 12, Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera, Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each dis des 13. Sharaya-ool-Islam os ei ०० vee 14. Tibetan Dictionary, by Csoma de Kords ८ ves wes 15. Ditto Grammar ai oes ~ ५७ 16.’ Kagmiragabdamsta, Parts I’ & Il @ 1/8/ ४ 17, A descriptive catalogue of the paintings, statues, &c., in the rooms of 18 N.B.—All Cheques, Money Orders, Asiatio Bociety, only + the Asiatic Society of Bengal by ©. R. Wilson... . Memoir on maps illustrating the Ancient Geography of KaSmir by M A Stein Pu D Jl Extra No, ॐ of 1899 eee ° one ~~ Notices of Sanskrit Manusoripts, Fasc. 1-29 @ 1/ each = ,,, Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. R. L. Mitra , 12 or } 3 4 2 | a we NS CE GO € im ae oe . 29 3 =. 9- 02 ® Books are supplied by V.-P.P. @ @> — oN &69 +~ Oe wm Ow NB < € € ~ ८ € < £ © < © < | © ~ > < tot = = | " ० ००४ © > © @# ॐ ^~ ८3 * १५० @ । | | र 0 0 &c., must be made payable to the `" Treasurer, ध | BIBLIOTHEGA INDICA: हि CoLLEcTION OF Parentat Works PUBLISHKD BY THE ASIATIC SGCIETY OF BENGAL. New 8197198, No. 1058. _ ORIGINALLY EDITRD BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., । उपमितिभवप्रपष्वा कथा । = | सिद्धषिप्रण्णैता i | THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA ; SI 11 AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, | of the University of Bonn. | Fascicunus VI. CALCUTT PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, | | L | , 1908. a | ॥. | | € AND PUBLISHED BY TRE ANIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET, LIST OF BOOKS FOR SALE AT THE LIBRARY OF THE 0519716 DOCIETY OF BENGAL, No. 57, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINABLE FROM THE SOCIETY’S AGENTS, MESSRS. LUZAO & OU., ~ 46, Great Russert Street, Lonpon, W.C., anp Mr. Orto Harrassow!l, Booxserier, Leipzig, Germany. OD al PO ed! Nae Gomplete copies of those works marked with an asterisk * cannot be supplied—some of the Fascicult being out of stuck. BIBLIOTHEOA INDICA. Sanskrit Series. : Advaita Brahma Siddhi, (Text) Paec. 1-4 @ /6/ eack ies Re. 1 Advaitachinta Kaustubhe, Fasc. 2 . ous on 0 *Agni Purana, (Text) Fase. 4-14 @ /6/ each... 4 ॐ Aitaréya Brahmena, Vol. I, Fase. 1-5 and Vol. II, Fasc. 1-5; Vol. III, : Faso 1-5 Vol lV Faso 1-5 @ /6/ 999 eee 7 8 Anu Bhasyam, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each av ves wo Ll 14 Aphoriems of Sandilya, (English) Fasc. 1 „०, O 12 Astasibhasrika Prajfiaparamita, (Text) Fase. 1-6 @ /6/ cack ae | 4 Aovavaidyaka, (Text) Faso. 1-5 @ /6/ each =. 1 14 Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fase. 1-6; Vol. II. ०86. = , 1-5 @ 1/ each ‘as as 10 0 *Bhamati, (Text) Fase. 4-8 @ /6/ each a es w. 1 14 “Bhatta Dipika Vol. 1, Faso. 1-4 ००० eos es 8 Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ‘ es a | ह Brhaddharma Purana, (Text) Faso. 1-6 @ /6/ each “iss we ॐ 4 Bodhicaryavatara of Cantidevi, Faso. 1-2 ००७ ००७ . 0 12 Catadusani, Fasc. 1 oe O 6 Oatalogue of Sanskrit Books and 2188. 7980. I-8 @ 3/ each ०, 6 0 (नु Brahmaga, Vol. I, Faso. 1~7; Vol. II, Faso. 1 ... sa: (8° 0 atasahasrika Prajnaparamita, (Text) Faso. 1-5 @ /6/ each 1 14 *Oaturvarga Chintamani (Text) Vols. II, 1-25; III. Part I, Faso, 1-18 Part II, Faso. 1-10 @ /6/ each __... sos ins . 19४ 14 Catadusani, Faso. 1 ove ४ + 0 6 Qlokavartika, (En ) (ज Fasc. 1-8 =... ६ or 3 4 *Qrauta Siitra of Apastamba, (Text) Faso. 4-17 @ /6/ each 6 4 Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc 1-4; Vol. ITI, Fasc. 1-4 @ /6/ each ००९ ० „ & 16 0५1 Bhishyam, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ 59060 = ,.. ` eee ५१. | 2° Dan Kriya Kaumudi, Faso. 1-2 ००७ = 0 12. Gadadhara Paddhati Kilasira, Vol I, Faso. 1-6... ००७ ०० 2 4 Kala Madhava, (Text) Faso. 1-4 @ /6/ each = ,,, ses ae । 8 Kala Viveka, Fasc. 1-5 ... sak ‘6 .. 1 19 Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each ed ०० 4 8 Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each ४५६ » 10 8 Kurma Parana, (Text) Faso. 1-9 @ /6/ each _... sei ,,, 8 6 ` Lalita-Vistara, (Rnglish) Faso. 1-3 @ /12/ each ies 2, ‰ Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each 4 2 Maba-bhasya-pradipoddydta, (Text) Fasc. 1-9 & Vol. II, Fase. 1-9 @ /6/ ‘ ४ e \ eee 1 Manutika Baggrah a, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each 1 2 Markendéya Purana, (English) Fasc. 1-6 @ [ह each ,० ¢ 8 = 24 110 22085 Dargana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/ each aes ००, # 19 Narada Smrti, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ _ es ४० 3 ॐ Nyayavartika, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ 1 अ+ = °Nirnkta,,(Text) Vol. III], Fasc. 1-6; Vol. IV, Faso. 1-8 @ /6/ each 5 $ Nityacarapaddhati Fasc. 1-7 (Text) @ /6/ ae « 2 10 Wityacarapradiph Fase, 1 oat ass see ०० O 6 Nyayabindutika, (Text) .. 0 10 Nyaya Kusumifijali Prakarasa (Text: Vol. I, Faso. 1-6; Vol. (1, Fasc. 1-8 @ /8/ each wa, oe ee 3 9 P COLLECT! ON OF p RIENT BIBLIOTHEGA INDIGA A PUBLISHED BY THE ASIATIO SOCIETY OF BENGAL. New Series, No. 1089. ॥ | | 1 | ङ्त उपमितिभवप्रपण्बा कथा | सिद्धषिप्रणणेता। THE UPAMITIBHAVAPRA PANCA KATHA ति OF SIDDHARSI. ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, _ of the University of Bonn. FASCICULUS VII. CALCUTTA ५ -PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY, 567, PARK STREET, 1904, AL ORKS | क [+ LIST OF BOOKS FOR SALE AT THE LIBRARY OF THE ASIATIC POCIETY ‘OF PeNGcaL, Wo. 57, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINABLE FROM THE SOUIBTY'S AGENTS, Mz. BERNARD QUARITCH, | 15, Piccapitiy, Lonpon, W., anv Mr. Orro HarnassowiTz, 300४881. 1२, Leivzic, Germany. Nee! we” ~ of the 486१८1४ being out of stock. BIBLIOTHECA INDICA. Sanskret Series. Advaita Brahma Siddhi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ००७ Advaitachinta Kaustubhe, Faso. 1-2 ८४ क Agni Purana, (Text) Fasc. 4-14 @ /6/ each = ,,, Aitarédya Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-5 and Vol. II, Faso. 1-5 ; Vol. III Faso 1-5 Vol lV, Fasc 1-6 @ /6/ ose eee Agu Bhasyam, (Text) Fasc. 2-5 @ /6/ each ब itis Aphorisms of Sandilya, (English) Fasc. 1 Astasahasrikaé Prajiaparamita, (Text) Fasd. 1-6 @ /6/ each Aovavaidyaka, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each = ,, Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II. Fasc 1-5 1/ each gee ७९४ Bala Bhatti, Vol. I, Faso. ‘ sue Baudhayana Srauta Sutra, Fasc. 1-2 @ /6/ each ee *Bhamati, (162४) Fasc. 4-8 @ /6/ each usa ५ Bhatta Dipika Vol. 1, Fasc. 1-4 bai ००७ es Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ५ Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ० Bodhicaryavatara of Cantidevi, Fasc. 1-2 ae dab Catadusani, Fasc. 1 eas Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Fasc. 1-4 @ 2/ each Qatapatha Brahmana, Vol. I, Faso. 1-7; Vol. ITI, Fasc. 1-4 Qatasahasrika-prajnaparamita (Text) Part I, Faso. 1-7 @ /6/ each ... *Oaturvarga Chintamani (Text) Vols. 11, 1-25; III, Part I, Faso. 1-18 Part. II, Fasc. 1-10 @ /6/ each; Vol IV, Faso. 1 ४४ Dlokav ika, (English) Fasc. 1-4 ... *Qrauta Siitra of Apastamba, (Text) Fasc. 4-17 @ /6/ each Ditto -9 Vol. III, Fasc. 1~4 @ /6/ each Vol 4/ Faso, 1 ति Ori Bhashyam, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each == ,,, Dan Kriya Kaumudi, Fasc. 1-2... ६ क Gadadhara Paddhati Kilasira, Vol I, Fasc. 1-6,,, eas Kala Madhava, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each = ,,, ध Kala Viveka, Fasc. 1-6 ... dod Bo! Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each श Katha Sarit Sigara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each a Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each =... sai Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-8 @ /12/ each ses Madana Parijata, (‘'ext) Fasc. 1-11 @ /6/ each Maha-bhasya-pradipody5ta, (Text) 2850. 1-98 & Vol. II, Faso. 1-11 @ /6; eac Mannutika Saygraha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ ७४८४ oe Markandéya Purana, (English) Fasc. 1-8 Toles each sie *Mimamea Darcana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6 eac be eee Nyayavartika, (Text) Fagc. 1<6 @ / _ *Nirukta, (Text) Vol. 11, Fasc. 1-6; Vol. IV, Faso. 1-8 @ /6/ each Nityacarapaddhatifasc. 1-7 (Text) @ /6/ sds Nityacarapradiph Faso, l- Nyayabindutika, (Text) ... Nyays Kusumiaijali Prakarana (Text) Vol. 1 F ~ 1-8 @ /6/ each + 00 Gankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc Vol. 11, Fuse. : 89० 1 CO’ mm OO O me © \ 8 #» OO eee eo CaN €, 63 FAKE न्ये BH 63 © #» £ ^~ £ €> += @ Mo Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot be supplied—some € ५ ट On ww ८ 0 | क॑ ba कन |) 1 ल ९ © ©> Ss 0 @ #» १८ ©> Con © ९ # © @ ० # © # {उ ९० © pp € ४ -_ Put 1 am 2 OCONORHRE Padumawati, Faso. 1 -+ € 2/ ‘ea es oe Re. Paricista Parvan, (Text) Faeo. 1-5 @ /6/ each ... | i a Prakrita-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /6/ each sae ie az Prithiviraj Rasa, (Text) Part 11, Fasc. 1-5 @ /6/ each = ,,, isi Ditto (English) Part II, Fasc. 1 ५६ ४ Prakrta Laksavam, (1९६) 7880. 1 Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. IF, Fasc.1-6; Vol. III Fasc. 1-6 @ /6/ each 3 ne a 28150878, Institutes of (English) =. ae Prabandhacintamani (English) Fasc. 1-3 @ /12/ each ५९ व Se Sama Véda Samhita, (Text) Vols. I, Faso. 6-10; II, 1-6; LIT, 1-7; IV, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc ‘ ४. 3 885105४ Sitra ए 061, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Ditto (Hnglish) Fasc. 1-8 @ /13/ each Sraddha Kriya Kaumudi, Fasc. 1-5 eee ७७७ Sucruta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ लि *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each wee -Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ५ Trantra Vartika (English) Fasc. 1-2 @ /12/ = ,., oes Tattva Cintamani, (Text). Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasv. 2-10 Vol. III, Fasc. 1-2, Vol. 1 ए, Fasc. 1, Vol. V, Fasc. 1-5, Part IV, Vol. IT Fasc. 1-12 @ /6/each - des ig Tattvarthadhigama Sutrom, Fasc. 1-2 8 Trikinda-Mandanam, (Text) Fasc. 1-8 ad Upamita-bhava-prapafica-kathia (Text) Fasc. 1 é /6/ each Uvasagadasao, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12 ~ Vallala Carita, Fasc. 1 Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each Varea Krya Kanmudi, Fasc. 1-6 @ /6/ ®Vaynu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. IJ, Fasc. 1-7, (८ /6! each Vidhano Parigata, Fasc. 1-5 ०७० ~ - Visnu Smrti, (Text) Fasc: 1-2 @ /6/ each 2 Vivadaratnikars, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each ... Vrhannaradiya Purana, (Tet) Fasc. 2-6 @ /6/ ... Vrhat Svayambhi Purana, Fasc. 1-6 sae Tibetan Series ` Pag-Sam Thi 840, Faso. 1-4 @ 1/ each Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Fasc. 1-3; Vol. III, Faso. 1-5 @ 1/ each ... 18 0 BRtogs brjod @pag hkhri 8118 (Tib. & Sans.) Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II. Fasc. 1-5 @.1/ each ... 10 0 Arabic and Persian Series | *Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /6/-each... ... ५4 Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Fasc. 1-8 @ /12/ wwe 2 Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each . „५.98 Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. LIT, Fasc. 1-5, @ 1/12/ each ne wa ४9 Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @1/each = ,,, we 87 Ditto English Fasc, 1-8 @ 1/ each; Vol II, Faso. 1 . 9 Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger w. 0 Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ... re | Catalogue of Arabic Books and Manuscripts 1-2 2 Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each 3 Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @ 1/ each ; ar we 2] Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each 14 Wihrist-i-Tusi, or, Tusy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fasc. 1-4 @ /12/ each ५१ Futih-ush-Sham of Waqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each =... Ditto ` of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ` Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 History of the Caliphe, (English) Fasc. 1-6 @ /12/ each Iqbainamab-i-Jahangir!, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each See vr Isabah, with Supplement, (Text: 61 Faso. @ /12/each ==... ॐ Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. (11, 1-10 Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index: to Vol. II, Fasc. 10-12 is ; Index to Vol. III, Fasc. 11-12@ /6/ each ss ww. 48 2 Maghasi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ eavh ee . L 14 ® The other Fascicali of these works are out of stock, and complete copies cannot be supplied कर =a ©) क OD be GO aw ^ | 1 08 ९8 @ 6 #>> #&> 0 @ HNO © f=’ tos won @ॐ = OS Om DOO PD = © p= CO hm ॐ» ॐ 00 mh ६3 OO धै ~ „© tone @ > क । । कथं aro © @ @ © ROOW © = > @ rm w OO = & & 2. 8, 4. J.A.8.B., 1875) spe ४ wv 4 6. Anis-ul-Musharrabin ._... ihe aes ५ mee 9 6. Catalogue of Fossil Vertebrata : 3 7. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal ... 3 _8. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vola. JI and [V, @ 16/ each... 82 9, Jawamlo-l-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part I ४. 2 10, Khisanatu-]-’ilm es ce :4 11. Mahabharata, Vols. [1] and IV, @ 20/ each =. 40 12, Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptern ˆ Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each ast we 18 18. Sharaya-ool-Isiam en इ ,„ +. 14. Tibetan Dictionary, by Csomade Kérés ,,, see ,,, W 16. Ditto Grammar ००, sé ng. 8 16. Kacmiragabdémpta, Parts I and Il @ 1/8/ oe 3 17, A descriptive catalogue of the paintings, statues, &c., in the rooms of the Asiatic Society of Bengal, by C. R. Wilson 18. Memoir on maps illustrating the Ancient Geography of Kasmir, by M. A. Stein, Ph.D., Jl. Extra No. 2 of 1899 ,,, Notices of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-29 @ 1/each ... we 29 Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. 2, L. Mitra 5 Muontakhabuo-t-Tawarikb, (Text) Fasc. 1-15 @ /6 each... Re Muntakhabu-t-Tawarikh, (Bnglish) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Fasc 1-5 and 8 Indexes; Vol. III, Fasc. 1 @ /12/ each ४ 1 Muntakbabu-l-Lubab, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ais „६ Ma’asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each sug sai Nukhbatu-l-Fikr, (Text) Fasc. 1 + din Nizami’s Khiradnamahb-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1-2 @ /12/ eact: Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ... fas ai Ditto Ditto” (English) Fasc. 1-5 ध sais se Tabaqgat-i-Nariri, (Text) Fasc. 1-65 @ /6/ each ... re ie Ditto (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each ais ee | Ditto Index Tarikh-i-Firiz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each arikh-i-Firuzshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each ०* Wis 0 Ramin. (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ॥ : Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8 @ /6; each Tnzuk-i-Jahangiri (Eng.) 2886. 1 ... ve Omak OH OM @ += + © ve 80 ASIATIC SOCIETY'S PUBLICATIONS. Asiatic Researcues. Vola. XIX and XX @10/each ... 20 ProcrEpines of the Asiatic Society from 1866 to 1869 (incl.) @ /6/ ne No.; and from 1870 to date @ /8/ per No JouRNAL of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1846 (12), 18446 (6), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1847 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 (8), 1871 (7}, 1872 (8), 1878 {8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1888 (6), 1884 (6), 1886 (6;, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10); 1880 (11), 1891 (7), 1892 (8), 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1908 (8), @ 1/8 per No. to Members and @ 2/per No. to Non-Members N.B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. in euch Volume. Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1888 3 A sketch of the Turki language as spoken in Eastern Turkistan, by R. B, Shaw (Extra No., J.A.8.B., 1878) 4 Theobald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society (Extra No., J.A.8.B., 1868) Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by E. Blyth (Extra No., &< << ><= oc \ S €> < € € € < ons Oe < ¢ 0 N.B.—All Cheques, Money Orders, &c., must be made payable to the “ Treascrer Asiatio Society,” only 9 च 9 = 0 4, Books are supplied by V.-P.P. ES ५ @ 4 oy BIBLIOTHEGA INDICA COLLECTION OF PrienTaL | PUBLISHED BY THE ASIATIO SOCIETY OF BENGAL. New 3४८1४188, No. 1110. TT 0 ४ न उपमितिभवप्रपष्वा कथा | सिद्धर्षिप्रफणोता। THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA 8 ग OF SIDDHARS1. ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. FASCICULUS VIII. CALCUTTA PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISHED BY THE 2 ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET, = _ = ___ 906, = 4 LIST OF BOOKS FOR SALE AT THE LIBRARY OF THE ASIATIC SOCIETY OF BENGAL, No. 54, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINABLE FROM THE SOOIRTY’S AGENTS, Mr. BERNARD QUARITOH 15, Piccapituy, Lonnox, W., ano Mr. 07710 Barrassowitz, BooKsBLuier, Leipzig, 6 १५८ तद. ~ ~~ PAROS Complete copies of those works marked with an asterisk © cannot be supplied—some coptes of those works marked with an asterisk © cannot be supplied—some é of the Fasciculs being out of stock. | BIBLIOPHECA INDICA. Sanskrit Series Advaita Brabma Siddhi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Advaitachinta Kanstubhe, Fasc. 1-2 *Agni Purana, (Text) Faac. 4-14 @ /6/ each _... Aitaréya Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-5 and Vol. II, Faso. 1-5 3 Vol. ITI Fasc. 1-5, Vol. ]V, Faso. 1-5 @ /6/ pai wee Ann Bhasyam, (Text) Fasc. 2-5 @ /6/ each न क 4 70078708 of Sandilya, (English) 86. 1 Agtasthasrika Prajiaparamita, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Agvavaidyaka, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ 6६0 =. Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fasc. 2-5; Vol. II, Faac 1-65 @ 1/ each ~ Béla Bhatti, Vol. I, Fasc. 1 Baudhayana Srauta Sutra, Faso. 1-2 @ /6/ each *Bhamati, (Text) Fasc. 4-8 @ /8/ each Bhatta Dipika Vol. 1, Fasc. 1-6 Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. I-6 @ /6/ each Bodhicaryavatara of Cantidevi, Fasc. 1-3 Catadusani, Fasc. 1-2... Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Fasc. 1-4 @ 2/ each Qatapatha Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. III, Fasc. 1-65 Qatasahasrika-prajnaparamita (Text) Part I, Faso. 1-8 @ /6/ each ... *Caturvarga Chintamani (Text) Vols. II, 1-26 ; III. Part I, Fasc. 1-18 Part II, Fasc. 1-10 @ /6/ each; Vol IV, Fasc. 1-8 roe pre Qlokavartika, pre tine ) Fasc. 1-65 ... ४ *Qrauta 871४1807 Apastamba, (Text) Fasc. 4-17 @ /6/ each Ditto C(ankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Faac. 1-4; Vol. III, Fasc. 1-4 @ /6; each; Vol 4, Fasc. 1 Ori Bhishyam, (Text) Fasc. 1-38 @ /6/ each Dan Kriya Kaumnudi, Faso. 1-2... Gadadhara Paddhati Kalasara, Vol I, Fase. 1-7... Kala Madhava, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/.each Kala Viveka, Fasc. 1-6 ... Katantra, Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each _... Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ /12/ eack Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each Mahi-bhasya-pradipédySta, (Text) Fasc. 1-9 & Vol. II, Fago. 1-12 @ /6/ enc -Manutika Saggraha, (Text) Fasc..1-3 @ /6/ each Markandéya Purana, (English) Fasc, 1-8 @ /12 each *“Mimamea Darcana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/ eack Nyayavartika, (Text) Fasc. 1-6 @ /6 *Nirnkta, (Text) Vol. IIT, Fasc. 1-6; Vol. IV, Faso. 1-8 @ /6/ each Nityacarapaddhati Fasc. 1-7 (Text) @ /6/ Nityacarapradiph ¥ eee eee eee eee Nyayabindutika, (Text) Nyaya Kusumiijali Prakaraya (Text: Vol. I ey wee 1-8 @ /6/ each va (Text: Vol. I, Fasc. 1-6 Vol. II, Faso. eee Re. ७०९ eee aoe mm 06> © wt al eo” १ bs a ad PRNOO 6 ooo १०९ 9७9 oo, 4 1 । 3 | ऋं व. p= pod Oe bo 83 „ 0 mh ९ #> हॐ © € © © 62 Ime (>+ #ॐ ॐ» क © @ &~ MOSH @ e s e oe e e p= ७०8 soe © ` @ +~ # © & #> Aw ~ SHWDORBH DOM MO eon Padumawati Baso. 1 - 9 @ 3/ । ००७ 996 eee Ra Parigigta Parvan, (‘Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... Prakrjta-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /6/ each क Prithiviraéj Rasa, (Text) Part 11, Fasc. 1- 6 @ /6/.each 01 bee Ditto (English) Part IJ, Fasc. 1 २० ग ose Prakrta Laksanam, (Text) Faso. 1... ००१ ०5 6818. Smrti, (Text) Vol. 1, Fasc. 1-8 Vol. II, Faso. 1-6; Vol. IIT, Fasc. 1-6 @ /6/ each (0 Paracara, Institutes of (English)- ... Prabandhacintamani (English) Faso. 1-8 @ /12/ each ००५ ष *Sama ए 608. Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 6-10; I], 1-6; Ill, t 7; IV, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc .* Sankhya Sitra Vytti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ies . Ditto (Hnglish) Faso. 1-3 @ /12/'each _..,. Sraddha Kriya Kaumudi, Fasc, 1-6 Sucruta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ _ *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each Trantra Vartika (English) Fasc. 1-8 @ /12/ ies Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Faso. 2-10 Vol. III, Fuse. 1-2, Vol. IV, Fasc. 1, Vol. V, Fasc. 1-5, Part 1V, Vol. II Fasc. 1-12 @ /6/ each Tattvarthadhigama Sutrom, Fasc. 1-2 Trikinda-Mandanam, (Text) Faso. 1-8 @ /6/ =. Upamita-bhava-prapafica-kathi (Text) Faso. 1-7 @ /6/ each U vasagadasao, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ Vallala Carita, Fasc. 1 Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each di Varsa Krya Kaumudi, Faso. 1-6 @ /6/ ®Vavyu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Fasc. 1-7, @ /6/ each Vidhano Parigata, Fasc. 1-6 Visnu Smrti, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ each ए xe dei Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each ... Vrhannaradiya Purana, (Text) Fasc. 2-6 @ /6/... Vrhat Svayambhiu Purana, Fasc. 1-6 Tibetan Series Pag-Sam Thi 8’if, Fasc. 1-4 @ 1/ each ००, Sher-Phyin, Vol. I, Faso. 1-5; Vol. 717, Fasc. 1-8; Vol. ITI, Faso. 1-6 @ 1/ each ... Rtogs brjod dpag Akhri S’iA (Tib. & Sane.) Vol. I, Faso. 1-6; Vol. Il Fasc. 1-5 @ 1/ each ... Arabic and Persian Sertes. | *Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-18 @ /6/ each Al-Mugaddasi (English) Vol. I, Fasc. 1-8 @ /12/ Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each ; Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. 1, Fasc. 1-5, @ 1/12/ each Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-37 @1/each .. ds Ditto English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. II, Fasc.1 @ 1/ each ... Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger 8४ Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each... Ontalogue of Arabic Books and Manuscripts 1-2 ose Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each ५ of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @ 1/ each Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each Fihrist-i-Tisi, or, Tisy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fasc. 1-4 @ /12/ each Futin-ush-Sham of Waqidi, (Text) Faso. 1-9 @ /6/ each Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. Hiatory of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/ each lqbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each Isabah, with Suppiement, (Text) 51 Fasc. @ /12/ each __... Maasir-ul-Uniara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Faso. 1-9; Vol. L11, 1-10 Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Faso. 10-12 * Index to Vol. II], Faso. 11-12@ /6/ each Maghasi of Waqidi, (Text) Faso. 1-5 @ /6/ each wm ००४ eee ~ eon eee e@e een eee हि „ ५०७ oes ous oe ४७6 pad b= bo ° ¢ @ bo ४ॐ ^~ ४ wos + @ शन्न 68 ^= 08 1 ~ । £ $= 69 ¢ 63 &#> £ AO ४» ¢ += © क 18 1 # 6० © (ठ RADA BNO कद | +) bas ४» OP ih WO ९७ bo font fond कव धै» च> © bo वि @ Oo © © ४ @ @ @ ¢ Chr #> ६० 0 {2 WAS oo < we a 14 ® The other Fascionuli of these works are out of stock, and complete copies cannot be supplied. Muntakbabu-t-Tawarikh, (९४) Faso; 1-16 @ /6 586४ =... Kk. Muntakhabu-t-Tawarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Faso. 1-6 and 8 Indexes; Vol. IJ], Faso. 1 @ /12/ each wis Pe Muntakhabnu-]-Lubab, (Text) Fase. 1-19 @ /6/ each 8 we Ma’asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each és is Nukhbatu-]-Fikr, (Text) 0886. 1. = ,., es ais ; Nizami’s Khiradnamab-i-Iskandari, (Text) Faso, 1-2 @ /12/ each Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... ८ re Ditto Ditto (English) Faso. 1-5 et ५०५ = Tabagit-i-Nasiri, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ... 18 cei Ditto (English) Faso. 1-14 @ /12/ each ee ‘ae Ditto Index aa dei he es Tarikh-i-Firdz Shahi of Ziyaéu-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each... Tarikh-i-Firizshahi, of Shame-i-Siraj Aif, (Text: Faso. 1-6 @ ६ each... Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each ee ४ Wis 0 Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ead १ पिः Zafarnamah, Vol. I, Faso. 1-9, Vol. II, Faso. 1-8 @ /6/ each ५ Tusuk-i-Jabangiri { Eng.) Fagc. 1 ७०९ eee ace eee ASIATIO SOCIETY’S PUBLICATIONS. AsiaTic ResxearcHes. Vols. XIX and XX @10/each .., eu Procerpines of the Asiatio Society from 1865 to 1869 ‘incl.) @ /6/ per No.; and from 1870 to date @ /8/ per No. - JourRNAL of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846 (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 18), 1871 (4), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1876 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 17), 1882, (6), 1888 5), 1884 16), 1886 16}, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1802 (8), 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1908 (8), @ 1/8 per No. to Members and @ 2/per No. to Non-Members. N.B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. in each Volume. Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1883 .., A sketch of the Turki language as spoken in Eastern ‘lurkistan, by R. ए. Shaw (Extra No., J.4.8.B., 1878) we .. = Theobald’s Catalogue of Reptiles in the Musenm of the Asiatio Society (Extra No., J.A.8.B., 1868) “aj ss wi त Catalogue of Mammals and Birds of Barmah, by E. Blyth (Extra No., J.A.8.B., 1875) ००५ + ००५ “es ee 5. Anis-ul-Mushbarrabin one ०९१ 9७४ „ ०७७ 1 ee 6. Catalogue of Fossil Vertebrata ae ११, ००५ vee 7. Oatalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal... aa 8. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and IV, @ 16/ each... 9. Jawamln-l-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part I shi . Khizanatu-]-’ilm Mahabharata, Vols. III and IV, @20/each =" . ei Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidopters, 13. Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each re ध 18. Sharaya-ool-[slam 2. be abe ध ह 14. Tibetan Dictionary, by Csoma de ह 6158 ba ह oan 15. - Ditto Grammar ur ” ०७७ tee ous 16, Kagmiragabdémysta, Parts I and II @ 1/8/ ate ay eee 17, A descriptive catalogue of the paintings, statues, &o., in the rooms of the Asiatic Society of Bengal, by O. RK. Wilson... : ६; nde 18, Memoir on maps illustrating the Ancient Geography of Kasmir, by M, A. Stein, Ph.D., Jl. Extra No, 2 of 1899 ,,, ann 4 e + Notices of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-29 @ 1/ each ,,, tee . § N.B.—All Cheques, Money Orders, &c., must be made payable to the “ Trees Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. 2. L. Mitra - Agiatio Bociety,” only. 12-12.04, Books are supplied by V.-P.P. b= । की © @> = @ @ BS ®= OH 00 (ॐ © कड नद DD | = | 3 |, 1 । om ee ©< € wm & ND Oo €> € क b= #> ~ © 00 © ®> ए 29 a © © @©@©©©@ COCOMOCO9O @ 2 o urer BIBLIOTHECA INDICA: CoLLECTION OF PRIENTAL Works PUBLISHED BY THK ASIATIO SOCIETY OF BENGAL, New 83४४11४४, No. 1140. ~~ उप मितिभवप्रपणन्बा कथा | सिद्धषिप्रणोता। THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA OF SIDDHARSI. ~ ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., AND CONTINUED BY ` PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. ˆ PASCICULUS IX. OT OO OO al CALCUTTA : PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREBT. 906. a ------ _ ~ ——— LIST OF BOOKS FOR SALE AT THE LIBRARY OF THE ASIATIC NOCIETY ‘OF PENGAL, No. 67, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINABLE FROM 1 THE SOCIETY'S AGENTS, Mz. BERNARD QUARITOH, (15, 21664 णाग, Loypoy, W., anp Mr. Orro HARRASSOWITZ, BOOKSELLER, Lerezicg, GERMANY. Oomplete copies of those works marked with an asterisk © cannot be supplied—some of the Fasciculs being out of stock. BIBLIOTHEOCA INDIOA. - Sanskrit Series. ` Advaita 18180018 Siddhi, (Text) Fasc. 2-4 @ /6/ each ०० Bs. Advaitachinta Kanstubhe, Fasc. 1~ se ove ee “Agni Purana, (Text) Fasc. 4-14 @ /6/ each... Aitaréya Brihmana, Vol. I, Fasc. 1-6 and Vol. II, Faso. 1-5; Vol. III Faso. 1-5, Vol. 1V, Faso. 1-5 @ /6/ su ००५ ००५ Aphorisms of Sandilya, (English) Fasc. 1 ०५९ Astasshasrika 8] 68708 1160105, (Text) Faso. 1-6 @ /6/ each wee Agvavaidyaka, (Text) Fasc. 1-65 @ /6/ each... Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Faso. 2-6; Vol. II. Fasc. 1-5 @ 1/ each ee eae १५१ A Lower Ladakhi version of Kesarsaga, Fasc. 1 ००७ vee 8818 Bhatti, Vol. I, Fasc. 1-2 ४ ‘eee wae Baudhayana Sranta Sutra, Fasc. 1-3 @ /6/ each ०० ००७ , Bhatta Dipika Vol. 1, Faso. 1-5 oie ००४ ae ee Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each si ues ह ॐ Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ‘aaa wa Bodhicaryavatara of Cantidevi, Fasc. 1-3 oes ००० ` ^ Oatadusani, Fasc. 1-2 ee Ty) eee Catalogue of Sanskrit Books and MSS8., Fasc. 1-4 @ 2/ each oetepe tis Brahmana, Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Faso. 1-3, Vol. III asc. 1-7 Qatasahasrika-prajnaparamita (Text) Part I, Faso. 1-10 @ /6/ each ... @Caturvarga Chintimani /Text) Vols. II, 1-26; III. Part I, Faso. 1-18 Part II, Fasc. 1-10 @ /6/ each; VolIV, Faso. 1-5 ae ४ Qlokavartika, (English) Faso.1-5 .. ५०९ *Qrauta 87078 of Apastamba, (Text) Fasc. 6-17 @ /6/ each Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc. 1-4; Vol. III, Fasc. 1-4 @ /6/ each; Vol 4, Faso. eu oe Qri Bhishyam, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each... cee es Dan Kriya Kaumudi, Faso. 1-2... ००५ ove Gadadhara Paddhati Kalasara, Vol I, Fasc. 1-7... ove 8 Ditto Acarasara, Vol. II, Faso. 1 ie ००७, ii Kala Viveka, Fasc. 1-6 ... ०५४ ००० म Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each ae ive Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each is see Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each = ,,, ee ५०५ Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ /12/ 6६०४ ea (6 Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each vas Maha-bhasya-pradipddydta, (Text) Fasc. 1-9 & Vol. II,|\Faso. 1-12 Vol. ITI, Fasc. 1-4 @ /6/ each ane ००९ ०१९ vee Manatika Saygraha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each ०५७ ee Markandéya Purana, (English) Fasc. 1-9 @ /12 each aes Kan ` *Mimamea Daroana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/ each 9 ee Nyayavartika, (Text) Faso. 1-6 @ /6 १०५ + *Nirukta, (Text) Vol LV, Fasc 1-8 @ /6/ each ene ae Nityacarapaddhati Faso. 1-7 (Text) @ /6/ a ०७१ on Nityacarapradiph Fagc. 1 ov cae as avi Nyayabindut:ka, (Text) ति ao es (क ro Coe 952 © ४8 € ^ ©> AoO™ BH CO m । | _ | © & ¢ € af @ + © Fm BS O9 we + अ ~ + @ 9 न्द ROM =, -8 @ /6/ each ee 53 es «Rs Padumawati, Faso. 1-4 @ 2/ ves ees ०८९ vee Parigista Parvan, (Text) Fasc. -5 @ /6/ each ... ves see Prikrita-Paingalam, Faso. 1-7 @ /6/ each म र vee Prithivirij Rasa, (Text) Part LI. Fasc. 1 5 @ /6/ each ine ००५ Ditto (English) Part 11, Fasc. 1 व eae “र ००५ Prakrta Laksavam, (Text) 2880. 1 =... aragara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8 Vol. II, Fase. 1-6; Vol. IIT Fasc. 1-6 @ /6/ each as ive ae Paracara, Institutes of (English... ०५१ Prabandhacintaman i (English) Faso. 1-8 @ /13/ each a vee *Sama Véda Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; IJ, 1-6; 171, 1 71 IV,1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc ००* 8१४8 8०४८8 Vytti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ea ‘ag Ditto (English) Fasc. 1-8 @ /13/ each... vas Sraddha Kriya Kaumudi, Faso, 1-6 ane wis ५१० Sugruta 399111४६, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ Sit igs es Snddhi Kaumudi, Faso. 1-4 ae wis vee Shaddarsana-Samucchchaya, Fasc. 1 oes ०० *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 22-45 @ /6/ १५४ ०५५ Tandya Bréhmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each =. Pe a Trantra Vartika (English) Fasc. 1-4 @ /12/ *Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Faso. 1-9, Vol. 11, Faso. 2-10 Vol. III, Fasc. 1-2, Vol. IV, Fasc. 1, Vol. V, Faso. 1-5, Part IV, Vol. Il Fasc. 1-12 @ /6/ each ध aes ee _Tattvarthadhigama Sutrom, Fasc. 1-8 ०५७ ane ove Trikinda-Mandanam, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ =... ०५९ _ व पाशं Satsai (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ ०९० Upamiita-bhava-prapafica-kathé (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ each os U vasagadasio, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /)2/ sa ves Vallala Carita, Faso. 1 $ tee ae ०७४ प 8788 Krya Kaumndi, Fasc. 1-6 @ /6/ *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. [I, Fasc. 1-7, @ /6/ each Vidhano Parigata, Fasc. 1-7 ००७ vee Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each ४४ - sees Vrhat Svayambhi Parana, Fasc. 1-6 ५०, ne ! Tibetan Sertes Pag-Sam Thi 8/9, Faso. 1-4 @ 1/ each Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Faso. 1-8; Vol. LII, Fasv. 1-6 @ 1/ each ... Rtogs brjod dpag hkhri 876 (Tib. & Sans.) Vol. I, Faso. 1-6; Vol. II Fasc. 1-5 @ 1/ each ... nee 2 # Arabic and 7261501; Sertes ‘Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /6/ each... ५०७ Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Faso. 1-8 @ /12/ + aes Ain-i-Akbari, (Text) Faso. 1-22 @ 1/ each ; Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Faso. 1-5, Vol. ITT, Fasc. 1-5, @ 1/12/ each ५०१ ne Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @1/each_.. * Ditto English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. 11, Fasc, 1-2 @ 1/ each Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger vee Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each... _ ००५ Catalogue of Arabic Books and Mannscripts 1-2 = ` ११ Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each ग 4 of Arabic Teghnical Terms, and Appendix, Faso. 1-21 @ 1 each oe ७७५ a8 Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each Fihriat-i-Tusi, or, ‘'asy’s list of Shy’ah Books, (Text) Hagc. 1-4 क /12/ each és ¥Yutin-ush-Sham of Waqidi, (Text: Fasc. 1-9 @ /6/ each ... ve Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each... vee Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Faso. vee distory of tne Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/each =... we Iqbalnaman-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each bee vee Isabah, with Supplement, (Text: 51 Fast. @ /12/ each ४ Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. Lil, 1-10 index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Fasc. 10-12 Index .to Vol. III, Fasc. 11-12@ /6/eaon ec Maghasi of Waqidi, (Text) asc. 1-5 @ /6/ each ०७५ ses be supplied Nyaya Kusumiaiijali Prakaraya (Text) Vol. I, Faso. 1-6 Vol. (1, Fasc. = ह wo ees as | वां | ध ff £ 88 @9 © 09 O &>> OO की कि क्षी P 10 18 1 (कयो व fant One भ» ॐ © ॐ (कं be 08 + f= © ४ © @ @ ४७ PHL 00 @ wz | । pat pat #> ~> @> 0 #> @ 08 © क» £3 dS <~ £ @ | 1 — ac cc oO Owe o @ th Op > = mw ॐ & 2 1५ © The other Fagcionli of these works are outof stock, and complete copies cannot ४ 1. 2. \ Montakbaba-t-Tawarikhb, (Text) Fasc. 1-15 @ /6 esch ... Ka. Muntakhabu-t-Tawiarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. 11, Faso, 1-5 and 8 Indexes; Vol. ITI, Fasc. 1 @ /12/ each eu Muntakhabu-I-Lubab, (Text) Faso. 1-19 @ /6/ each oe Mo’ asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each इ Nukhbata-l-Fikr, (Text) Fasc. ॥ Nigami’s Khiradnimah-i-Iskandari, (Text) Faso. 1-2 @ /12/ each Biyasu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... oe Ditto Ditto (English) Fasc. 1-5 © ५५ Tabaqit-i-Nagirl (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each as Ditto Index Yarikh-i-Firis Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ | | Ouchi ee Tarikh-i-Firitzshahi, of Shame-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8] each vi Wis o Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each vas 2818118 87, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8 @ /6/ each Taznk-i-Jahingirl (Eng.) Faso.) ... ०७७ ०५७ 48141116 80601018 PUBLICATIONS, 6814710 RESEARCHES. Vols. X1X and XX @10/each ... each... ९80०6५४ 71 68 of the Asiatic Society from 1866 to 1869 (inol.) @ /6/ per No.; and from 1870 to date @ /8/ per No 3, JouRNAL of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1846 (12), 1846 a (6), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 (8), 1871 (7), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1876 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1888 16), 1884 (6), 1886 16, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), 1898 (11), 1804 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1908 (8), 1904 (16) @ 1/8 per No. to Members and @ 2/per No. to Non-Members tm bas oo £ bm © @ ^= ^“ @ 26 ~उ @ oN © 4 ॥ । t N.B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. in each Volume, Journal and Proceedings, N.S., Vol. I, Nos. 1-10, 1905, @ 1-8 per No. to members and Rs. 2 per No. to non-members ०२ Memoirs Vol. I, No. 1, 4, 5, @ 1/8 to non-members and to members ... 1 Ditto No. 2 @ 1/ . Ditto Ditto , ०० 0 Ditto No. 8 @ 2/ Ditto Ditto 1 5. Oentenary Review of the Researches of the Society from 1784-1888 8 A sketch of the ‘lurki language as apoken in Eastern ‘lurkistan, by R. B. Shaw (Extra No., J.A.8.B., 1878) : Theobald’s Catalogue of Reptiles in th Museum ofthe Asiatic Society (Extra No., J.4.8.B., 1868) Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by E. Blytk (Hxtra No., J.A.8.B., 1876) Set इ ies ee 6. Anis-ul-Musharrabin ee eee ene eee oes 7. Oatalogue of Fossil Vertebrata a ५०९ भ 8. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal ... 9. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and IV, @ 16/ each... ४ 10. Jawamln-l-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part] = ... 2 11, Khizanatu-l-’ilm ०५७ ues ०० 4 12. Mahabharata, Vols. III and ए, @ 20/ each _... . 40 18. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera, Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each sas ,,, 18 14. Sharaya-ool-Islam ४५ ues ०० ¢ 15. Tibetan Dictionary, by Osoma de ए 6168 ०९५ tee ,० 10 16. Ditto Grammar ०५७ ose ae 8 17. Kagmiragabdémyta, Parts I and II @ 1/8/ a oe ,,, ॐ 18. A descriptive catalogue of the paintings, statues, &c., in the rooms of the Asiatic Society of Bengal, by O. R. Wilson... ` 1 19, Memoir on maps‘ illastrating the Ancient Geography of Kasmir, by M. A. Stein, Ph.D., J]. Extra No. 2 of 1899 = .. 4 20. Persian Translation of Haji Baba of Ispahan, by Haji Shaikh Abmad-i-Kirmagi, and edited with notes by Major 7, 0. Phillott 10 Notices of Sanskrit Manuacripts, Faso. 1-29 @ 1/ each _.,.. ०० 29 Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. RB. L. Mitra we «6 2 ® ०९७ @PSSOO SOCCRMOOS = € <~ 0 0 0 N.B.—All Obeques, Money Orders, &o., must be made payable to the “Treasurer Asiatic Society,” only. 14.7.06 Books are supplied by V.-P.P. | ey BIBLIOTHEGA INDICA: हिः (oLLECTION OF PrienTaL Works PUBLISHED BY THK ASIATIC SOCIETY OF BENGAL. New 81188, No. 1153. उपमितिभवप्रपश्वा कथा | सिद्धषिप्रणोता | THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA a ई OF SIDDHARSI. ९ I-MDCCXCIV ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. FASCICULDS इ. ५ ~~~ ~ | CALCUTTA: PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISARED BY THE _ASIATIC SocIETY, 67, PARK STREET. 1906. LIST OF BOOKS FOR SALE AT THE LIBRARY OF THE ASIATIC SOCIETY OF BENGAL, No. 57, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINABLE FROM 189 SOCIETY'S AGENTS, Mz. BERNARD QUABRITOH, 15, Piccapitiy, Lonpon, W., anp Mr. Orro HaAsrassowiTz, BooKseLLer, Leipzig, GeRMany, NTN 9) Complete coptes of those works marked with an asterisk * cannot be suppléed—some - of the Fasciculs being out of stock. BIBLIOTHECA INDIOA. x Sanskrit Series *Advaita Brahma Siddhi, (Text) Fasc. 2,4 @ /8/ each Advaitachinta Kaustubha, Faso. 1-2 ®Agni Purana, (Text) Fasc. 4-14 @ /6/ each... Aitaréya Brahmana, Vol. 1, Fasc. 1-5 and Vol. II, Faso. 1-53 Vol. III Faso. 1-5, Vol. 1 ए, Faso. 1-8 @ /6/ Aphorisms of Sandilya, i English) Fasc. 1 Agtasshasrika Prajiiaparamita, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Agvavaidyaka, (Text: Fasc. 1-6 @ /6/ each ` ees eee eee eee *Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Faso. 1-6; Vol. II. Faso 1-5 @ 1/ each A Lower Ladakhi version of Kesarsaga, Faso. 1-2 Bala Bhatti, Vol. I, Faso. 1-2 Baudhayana Srauta Sitra, Faso. 1-3 @ /6/ each Bhatta Dipika Vol. I, Faso. 1-5 Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Brhaddharma Parana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Bodhicaryavatara of Cantideva, Faso. 1-4 Qatadigani, Faso. 1-2... OM clas Catalogue of Sanskrit Books and M8SS., Fasc. 1-4 @ 2/ each ‘Qatapatha Brahmaga, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Faso, 1-3, Vol. III Fasc Qatasthasriki-prajnapiramité (‘l'ext) Part I, Faso. 1-12 @ /6/ each ... *Caturvarga Chintamani ' Text) Vols. II, 1-26; III. Part I, Faso. 1-18 Part ‘II, Fasc. 1-10, Vol IV, Faec. 1-5 @ /6/ each Dlokavartika, (English) Faso. 1-5 @ /12/ each “Qrauta Siitra of Apastamba, (Text) Faso. 6-17 @ /6/ each Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Fasc * 1-4; Vol. ITI, Fasc. 1-4 @ /6/ each; Vol 4, Faso. 1 ` Ori Bhishyam, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ each Daén Kriyé Kaumudi, Fasc. 1-2... Gadadhara Paddhati Kilasara, Vol I, Faao. 1-7... Ditto Acarasara, Vol. II, Faso. 1-2... Kala Viveka, Fasc. 1-7 ..., Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each Kurma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each __... ss ss Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ | each Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each Mahé-bhiasya-pradipody ota, (Text) Vol Fasc. 1-9 & Vol. II, Faso. 1-12 Vol. ITI, Fasc. 1-4 @ /6/ each ne Manutika Bag aha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each Markandeya Purana, (Knglish) Faso. 1-9 @ /12 each *Mimamea Daroana, (Text) Fasc: 7-19 @ /6/ each Nyayavartika, (Text) Faso. 1-6 @ /6 ` ०९० ००९ *Nirnkta, (Text) Vol. IV, Fasc. 1-8 @ /6/ each NitydoBrapaddhati, Faso. 1-7 (Text) @ /6/ Nity&carapradipa, Faso. 1-7 Nyayabindutika, (Text) e+e aos @e 8० @ € & © &© # ©> „~~ @ > 6 ०० © #> ® (> 89 2 ++ @ BOM = #> ©> @ ॐ © ` b=: ‘PO ॐ @ ।== 69 ®= KH MONO ००६ FA puso = { <€ ००६६६ OS CHORMARH 1 & ॐ OO © 1 हि SSeS OMe ६० ४० @ Nyaya Kusumiadijali Prakaraya (Text) Vol. I, Faso. 2-3 Vol. Il, Fasc. -8 @ /6/ each ` ies : a Re Padumawati, Faso. 1-4 @ 2/ i si aa Parigigta Parvan, (Text) Faso. -5 @ /6/ each ... ea ae Prakrjta-Pningalam, Fasc. 1-7 @ /6/ each a sie sé Prithviraéj Rasa, (Text) Part 11, Faso. 1-6 @ /6/ each ss ५९१ Ditto (English) Part II, Fasc. 1 Sue os छ Prakyta J.aksanam, (Text) 0886. 1 ,,, Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Faso. 1-8 Yol. 11, Faso. t-6; रणे. 1 1 Fasc. 1-6 @ /6/ each sais a Paracara, Institutes of (English)... Prabandhacintamayi (English) Faso. 1-8 @ /12/ exch ० क ०857189. Vida Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; If, 1-6; UCT, 1-7; IV ,1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc “ee ea Sainkhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ae ० Ditto (Englieh) Fasc. 1-8 @ /12/ each... a Sréddha Kriya Kaumuadi, Faso. 1-6 ‘ae ye 8४०1०७४. Sarhhitd, (Eng.) Faso. 1 @ /13/ क Spddhi हभ ०, Fasc. 1-4 ss sad Saddarsana-Samuccaya, Faso. 1 sas ४ - <= ©aittiriva Sambita, (Text) Fasc. 22-45 @ /6/ 6 aia Tandya Brahmana, (Text) Faso. 1-19 @ /6/ each a Sa Tantra Vartika (English) Faso. 1-6 @ /12/ .... = *Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. 11, Fasv. 2-10 Vol. ILI, Fuso. 1-2, Vol. IV, Faso. 1, Vol. V, Base. 1-5, Part IV, Vol. Ul Faso. 1-12 @ /6/ each 1 Tattvirthadhigama Sutram, Fasc. 1-8 ए ०९७ see Trikiyda-Mandanam, (‘l'ext) Faso. 1-8 @ /6/ __... ‘aes ; Tul’si Sateai (Text) Faso. 1-5 @ /6/ ss ००७ U pamita-bhava-prapajica-kath& (Text) Faso. 1-9 @ /१/ ०१५0 ५६ . U vasagadasao, (Text and Hnglish) Faso. 1-6 @ /12/ a ‘oe Vallila Carita Faso 1 see ००9 eee Varga Kriy& Kaumadi, Faso. 1-6 @ /6/ + ®Vavu Parana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Faso. 1-7, @ /6/ each Vidhana Pirijata, Faso. 1-8 ०० ००९ Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each i ००५ Vrhat Svayambbi Purana, Fasc. 1-6 sis sae tee Tibetan Sertes. Pag-Sam Thi 8119, Faso. 1-4 @ 1/ each Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Fasc. 1-3; Vol. If], Faso. 1-6 @ 1/ each ... 14 Rtogs brjod dpag hkhri 8’iA (Tib. & Sans. Avadanua Kalpalata) Vol. I Faso. 1-6; Vol. II. Fasc. 1-5 @ 1/ each eu ४; ., 10 Arabic and Perstan Sertes Alamgirnamah, with Index, (Text) Faso. 1-13 @ /6/ each... Al-Muqaddasi’ (Hnglish) Vol. I, Fasc. 1-3 @ /12/ va 2 Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each ५ 22 Ditto (Bnglish) Vol. I,-Fasc. 1-7, Vol. II, Faso. 1-5, Vol. 117, Fasc. 1-5, @ 1/12/ each ५५ ० 29 1 Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @ 1/ 580) = 87 Ditto Hoglieh Vol. I, Faso. 1-8; Vol. II, Fasc, 1-8 @ 1/ each 11 Arabio Bibliography, by Dr. A. Sprenger we 0 Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each... aes | Oatalogue of Arabic Books and Mannecripts 1-2 2 Catalogue of the Persian Books and Manusoripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-83 @ 1/ each 3 Dictionary of Arapio Technical Terms, and Appendix, Fasc. । -21 @ 1/ each ‘a १३४ 21 _ Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each 14 Fihrist-i-Tusi, or, Tusy’a list of Shy’ah Booke, (Text) Faso. |-4 @ /12/ each wae 3 Futin-ush-Sham of Wadqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each .., wa 78 Ditto of Azidi, (Text) Faso. 1-4 @ /6/ each... ae | Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fago. 1 we 0 History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/each.... wa & 1 38 1 fat क Ome 0 ¢ क» © @ॐ ©> @ bm mm = © O = © & bo BO wHNnon mOnmnw © © © 0 & © @ 0 ¢ &> > 02 @> PNW ~) # © € 02 #> @ @ @ ‰ ६० ७७ #* क । > o Oo 86 o> im @ C$ © © € AHP Iqbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ each Isabah, with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/ each =... : Maasir-ol-Umara, Vol. I, Faso. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. 111, 1-20 Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Fasc. 10-12 Index to. Vol. III, Faso. 11-12@ /6/ each ६४ we 18 2 Maghast of Wagqidi, (Text) Faao. 1-6 @ /6/ each ae . 1 14 © The other Fasoiculi of these works are ont of stock, and complete copies cannot be supplied. se QR Muntakhaba-t-Tawarikh, (Text) Faso. 1-15 @/6 each... Ks. Muntakbabo-t-Tawarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Fano. 1-6 and 8 Indexes; Vol. 111, Fasc. 1 @ /12/ each re ४४ Muntakhabu-l-Lubab, (Text) Faso. 1-19 @ /6/ each cas , , अ Ma’agir-i-’Alamgiri, (Text), Faso. 1-6 @ /6/- each ee age Nakhbatu-l-Fikr, (Text) Fasc. 1 ee Sis! Nigami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1-2 @ /12/ each Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each .., Ditto Ditto (English) Faso. 1-5 Fs Tabagit-i-Nigirl (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each १६ Ditto Index Tarikh-i-Firis Shahi of Ziyaa-d-din Barni (Text) Faso. 1-7 @ /6/ each Tarikh-i-Firiizshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1 -6 @ /6/ each Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each a Wis 0 Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ४ Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Faso. 1-8 @ /6/ 6९५7 Tusuk-i-Jahangiri (Eng.) Faso. 1 ,,, “ah as र । eae ae eee ae ABIATIO BSOCIETY’S PUBLICATIONS, 1, Asiatic Researcues. Vols. 212 and XX @10/each ... 2. २६००४ ४7168 of the Asiatic Society from 1866 to 1869 (incl.) @ /6/ per No.; and from 1870 to date @ /8/ per No _8. Journat of the Asiatic Society for 1843 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846 (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 187018), 1871 (7), 1872 (8), 1873 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1888 :5), 1884 (6), 1885 16}, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8) 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1908 (8), 1904 (16) @ 1/8 per No Members and @ 2/per No. to Non-Members ^~ N.B.—The figures enclosed tn brackets give the number of Nos. in each Volume, 4. Journal and Proceedings, N.S., Vol. I, Nos. 1-10, 1905, @ 1-8 per No. to members and Ra. 2 per No. to non-members ue 6, Memoirs Vol. I, No. 1, 4,5, @ 1/8 to non-members and to members Ditto No. 2 @ 1/ Ditto Ditto - ४ Ditto No. $ @ 2/ Ditto Ditto 6. Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1888 A sketch of the lurki language as spoken in Eastern ‘luarkistan, by R. 8. Shaw (Extra No., J.A.8.B., 1878) Theobald’s Catalogue of Reptiles in th Museum ofthe 4818616 80७1९७१ (Extra No., व. 4.8.8., 1868) Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by E. Blyth (Extra No., J.A.8.B., 1875) १; vis wee : प्र, Anis-ul-Musharrabin |... ae ००७ ses ‘aie 8. Catalogue of Fossil Vertebrata ‘ ee ai as 9. Oatalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal =... 10. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and [V, @ 16/ each... 3 11. Jawamla-}-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part I as 12. Khizanatu-l-’ilm da ५ 18. Mahabharata, Vola. III and IV, @ 20/ each - 14. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera & = © bs > > bo स Ww eo की - cS Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each es we (18 15. Sharaya-ool-Islam sie ais w 4 16. Tibetan Dictionary, by Caoma de 6768 ५४. “as fa 10 17. Ditto Grammar the me छ. 18. Kagmiragabdimsta, Parts I and II @ 1/8, 3 19. A descriptive catalogue of the paintings, statues, &c., in the rooms of the Asiatic Society of Bengal, by ©. RK. Wilson.., 1 20. Memoir on maps illustrating the Anoient Geography of Kaésmir, by M. A. Stein, Ph.D., JI. Extra No. 2 of 1899 ... 21. Persian Translation of Haji Baba of Ispahan, by Haji Shaikh Ahmad-i-Kirmasi, and edited with notes by Major D, 0, Phillott. 10 Notices of Sanskrjt Manuscripts, Fasc. 1-83 @ 1/ each ,.. we 33 Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. RK. L. Mitra ०० 0 bes ॐ Ld ८७००४८८० [न \ ॥ < coc © @@< => @©>०>©०८< < © © ० ६ ५० 0 0 N.B.—All Cheques, Money Orders, &©., mnst be made payable to the +" Treaasarer Agiatio Society,” only . 12- 1 006. Books are supplied by v.P.P. NP COA No \ e = ~ ससस 7 न ; EE | oy BIBLIOTHECA INDICA: SS COLLECTION OF PRIENTAL Works PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY OF BENGAL. New Series, No. 1154. उपमितिभवप्रपष्वा कथा | सिद्ध िप्रणोता | THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA 0४ SIDDHARSI. - ISIRWILLAMJON tn कणिरेके > क्के it) || || | | mn | | | | ||| | E ॥ || 0. "1717 — कः = च [ ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. FASCICULUS XI. CALCUTTA: PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, | | AND PUBLISHED BY THE । ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET. Ew ८ A LIST OF BOOKS FOR SALE x AT THE LIBRARY OF THE ASIATIC p OCIETY OF 9 ENGAL ge. 1 qa No. 57, PARK STREET, CALGUTTA, AND OBTAINABLE FROM THE SOOIERTY’S AGENTS, Mr, BERNARD QUARITON, 13, Piccapitiy, Lonpon, W., anp Mr. Orro Harrassowitz, Booxse.ier, Leiezic, उ हएत वह, SO Nw । Complete copies of those works marked with an asterisk = cannot be supplied—some asterisk ® cannot be lied —soine of the Fasciculs being out of stock. BIBLIOTHECA INDIOA. Sanskrit Series. “Advaita Brahma Siddhi, Fasc. 2, 4 @ /10/ each ०७० Bs. Advaitachinté Kaustobha, Fasc. 1-8 @ /10/ each ०७ ०७४ *Agni Purana, Fasc. 3-14 @ /10/ each ie 5 ध Aitaréya Brahmana, Vol. 1, Fasc. 1-5 } - १०1, II, Faso. 1-8; Vol. III, Faso. 1-5, Vol. 1V, Faso. 1-8 @ /10/ each = ,,, Si ase *Anu Bhashya, Fasc. 2-5 @ /10/ each sie aise ००९ Aphorisms of Sandilya, (English) Fasc. 1 @ 1/- eee ry Agtasshasrika Prajiaparamita, Fasc. 1-6 @ /10/ each ००७ oon *Atharvana Upanishad, Fasc. 2-5 @ /10/ each aoe ove Aovavaidyaka, Fasc, 1-6 @ /10/ each ५७० tes ०७७ Avadana Kalpalati, (Sans, and Tibetan) Vol. I, Faso. 1-6; Vol. I]. Faso 1-5 @ 1/ each ०७७ ° eee 9७७ ४७४ ५ eee A Lower Ladakhi version of Kosarsaga, Faso. 1-2 @ 1/- each ७७९ Balam Bhatti, Vol. I, Faso. 1-2 @ /10/ each .., ` त ss Baudhiayana Sranta Sitrn, Faso. 1-3 @ /10/ each “33 ०७ *Bhamati, Faso. 4-8 @ /10/ each... as ie 5 ५१७ Bhatta Dipika ४०1. 1, Faso. 1-6 @/10/each ... |... ५ Brahma Sutra, Fasc. 1 @ /10/ each Hs 9४३ न Brhaddévata, Fasc. 1-4 @ /10/ each ess 966 + _ Brhaddharma Purana, Fasc. 1-6 @ /10/ each ... ove ४4 ` Bodhioaryavatara of Odntideva, Faso. 1-4 @ /10/ each... @ ४५९१०१४२), 7980. 1-2 @ [10/ each .., . eco eve Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Faso. 1-4 @ 2/ each 9०९ Qatapatha Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Faso. 1-6, Vol. ITI, Faso. 1-7 @ /10/ each a र Qatasthasriki-prajuapiramit&é, Part I, 7986, 1-12 @ /10/ each ०७७ ®Caturvarga Chintamani, Vols. 11, Faso. 1-25; Vol. III. Part I, Faso. 1-18. Part II, Faso. 1-10, Vol IV, Faso. 1-5 @ /10/ each ~~ +~ Pw © p= bunt om —_ CA CNMWOHDHOKPROSC WWHWOOH Orr jdt p= —= GO mb 08 ih» | ० => @ @ॐ ० @ ० # @ #* उ € nee ea ute -_=——__. oe oe es धि NitydcSrapaddhati, Faso. 1-7 @ /10/ each ५५४ ‘ee Re. 4 6 Nity&cirapradipa, Faso. 1-7 @ /10/ each ००७ भ = ¢ 6 Nyayabindutika, 79.86. 1 @ /10/ each ‘ae ^ wv 0 10 *Nyaya Kusomaijali Prakarapa Vol. I, Fasc, 2-6 Vol. II, Maso. 1-8 @ /10/ each ry 9४ aa ००९ . 5 0 Padumawati, Faso. 1-4 @ 3/ gu ०५१ aa we 8 0 Parigieta Parvan, Fasc. 1-5 @ /10/ each sea is ०० 3 2 ! | Prakrjta-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /10/ each we ah aw «4 6 ध Prithviraj Rasa, Part II, Faso. 1-6 @ [10/ each ae a2 9 a Ditto (Hnglish) Part II, Fasc. 1 @ 1/- each... 1 0 Prakyta Laksanam, Faso. 1 @ 1/8/ each ee ००* ow 1. 8 : Paragara Smrti, Vol. 1, Fasc. 1-8 Vol. II, Faso. 1-6; Vol. (IT, Fasc. 1-6 @ /10/ each - i ०४ ay ` ० 12 8 Paracara, Institutes of (English: @ 1/- each ,, ` aie » 1 0 Prabandhacintamani (English) Fasc. 1-3 @ 1/4] exch... . 8 12 Saddarsana-Samucoaya, Fasc.1, @ /10/ each... ia . 0 10 98578 Véda Samhita, Vols. I, Fasc. 5-10; Il, 1-6; 11), 127; IV 1-6; V, 1-8, @ /10/ each ses Sai ed . 20 10 Sankhya Sitra Vrtti, Faso. 1-4 @ /10/each ... iis w. 2 8 Ditto ` (English) Fasc. 1-8 @ 1/- each ५ aw 3 0 *Sankara Vejaya, Fasc. 2-38 @ /10/ each ००४ sis bey, 0 4 Sriddba Kriyaé Kaumnodi, Faso. 1-6 /10| each ध aw 9 12 Sranta Sutra Latyayan, Faso. 1-9 @ Col each sa we 6 10 न ,, Asbalayana, Faso. 1-11 @ /10/ each se . 6 14 Sucrnta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ 1/- each... ae ia 0 Snddhi Kaumndi, Faso. 1-4 @ /10/ each vas c w 2 8 *Taittreya Brahmana, Faso. 8-25 @ /10| each... ४६ 14 6 p . Pratisnkhya, Fasc. 1-3 @ /10/ each .. १ 1 14 PS *Taittiriya Samhita, Faso. 22-45 @ /10/ each ति . 16 0 Tandya Brahmana, Faso. 1-19 @ /10/ each = °, । 11 (14 Tantra Vartika (English) Faso. 1-6 @ 1/4/ oes es + "4 8 *Tattva Cintamani, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. 11, 7५४५. 2-10, Vol. III, Fasc. 1-8, Vol. IV, Fasc. 1 Vol. V, Fasc. 1-6, Part lV, V ol. Il, Faso. 1-12 @ /10/ each a aes ia . 28 13 Tattvirthaédhigama Sutram, Fase. 1-8 @ [10] ,* ० ०० 1 14 Trikinda-Mandanam, Faac. 1-8 @ /10/ ts Sales se . 1 14 Tul’ si Satsai, Faso. 1-5 @ /10/ pee 9०७ coe eee 8 2 Upamita-bhava-prapafion-kath6, Fasc. 1-9 @ /10/ ench ==, a. 6 10 Uvasagadasio, (Text and English) Faso. 1-6 @ 1/- = . 6 O wy Valléla Carita, Faso. 1 @ /10/ si a “ee ० 0 10 Varsa Kriy& Kaumadi, Faso. 1-6 @ /10/ a ue . 8 12 , ©Vayn Parana, Vol. 1, Fasc. 2-6; Vol. 11, Faso, 1-7, @ /10' each ५. | 8 Vidbana Pirijata, Fasc. 1-8 @ 10) ५०७ eee vee we @ 0 Vivadaratnakara, Fasc. 1-7 @ /10/ each bbe ai wv 4 6 Vrhat Svayambhi Purana, Faso. 1-6 @ /10/_... ध . ॐ 1 * ®Yoga Aphorisms of Patanjali, Faso. 2-56 @ /10/ each jas . 2 8 Tibetan Serses. ९ Pag-Sam Thi 818, Faso. 1-4 @ 1/ each os अ wa 4 0 ` 8016-९} ङ 19, Vol. I, Faso. 1-5; ई ०1. 11, Fasc. 1-3; Vol. III, Faso. 1-6 @ 1/ each ... Sai aes it es vw 14 0 Rtogs brjod dpag hkhri 8.19 (Tib. & Sans. Avadana Kalpalata) Vol. I, Faso. 1-6; Vol. Il. Fasc. 1-5 @ 1/ each es ede . 21 QO Arabic and Persian Series. * Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /10/ each = sa 8 2 | Al-Mugaddasi (English) Vol. I, Faso. 1-3 @ 1/- ws w 8 0 Kin-i-Akbari, Fasc. 1-22 @ 1/8/ each = ` ५६ - 8 © Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Faso. 1-5, Vol. If], Faac. 1-5, @ 2/- each eee eee oes ene 84 4) A Akbarnamah, with Index, Fasc. 1-37 @ 1/8/ each a . 5 8 2 Ditto --_ English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. If, Faso 1-8 @ 1/4/ each 18 - 12 Arabio Bibliography, by Dr. A. Sprenger @ /10/ ae w 0 10 ®Badshahnamah, with Index, Faso. 1-19 @ /10/ each =... ` . ll 14 । Conqnest of Syria, Faso. 1-9 @ /10/ each sis ons . & 10 Catalogue of Arabio Books and Manuscripts 1-2 @ 1|- each vw 2 0 Catalogue of the Persian Books and Manascripte in the Library of the : Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-83 @ 1/ each ध . 8 0 । Dictionary of Arabio Technical Terms, and Appendix, Faso. 1-31 @ "< 1/8 each eee ° eve 200 aee soe eee $l 8 Farhang-i-Rashidi, Fasc. 1-14 @ 1/8/ each see ves we ॐ] 0 - Kihrist-i-Tasi, or, ‘Tisy’s list of Shy’ah Books, Faso. 1-4 @ 1/- each... 4 0 Futiin-ush-S)am of Wagqidi, Fasc. 1-9 @ /10/ each ae w 6 10 Ditto of Asidi, Fasc. 1-4 @ /10/ each eee eee 2 8 ® The other Fascicnli of these works are out of stock, and complete copies eannet be supplied. ~~~ का we 4 les Society, , 4 ९।..५1५ ReskarcuEs. Vols. XIX and XX @10/each .,, . . Proverpines of the Asiatic Society from 1870 to 1904 @ /8 Haft Asman, History of the Persian Masnawi, Fasc. 1 @ /12/ each History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ 1/4/each ... _ Iqbalnamah-i-Jahangir!, Fasc. 1-3 @ /10/ each जगि Isabah, with Supplement, 51 Fasce.@1/-each = ` = Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fase. भः 9; Vol. index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Index to Vol, III, Fasc. 11-12 @ „1 each Maghazi of Waaidi, Fase. 1-6 @ /10/ as 2. tgs Muntakhabu-t-Tawarikh, Maso. 1-16 @10/ ५५०४५ ane | Rae Ditto sh) Vol. Fasc. 1-7; ०1. 11, aac, 1-6 and 8 Indexes; Vol. II], Fase. 1 oi} Muntakhabu-I-Lubab, Fasc. 1-19 @ /10/ Mo’ asir-i-’Alamgiri, Fasc. 1-6 @ /10/ each Nukhbatu-l-Fikr, Fase. 1 @ /1 Nizimi’s Khiradnamah-i-Iskandari, Fase. 1-2 Riyazu-s-Salatin, Fasc, 1-5 @ /10/ each fe ary Ditto (English) Fase. 1-5 @ 1/ =... Tubaquat Nasiri, Faso. 1-5 0 ० ou i} Ditto | (Bnglish) Fase. 1-14 @ 1/ a ae / Ditto Index ae | Tarikh-i-Firiz Shahi of Ziyau-d-din Barni, Fasc. 1-7 @ Tarikh-i-Firizehahi, of Shams-i-Siraj Aif, Fasc. 1-6 @ Ten Ancient Arabic Poems, Fasc.1-2 @1/8/each == ~ ++ Wis o Ramin, Fasc. 1-5 @ /10/ each ५ & Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8 @ /10/ Tuznk-i-Jahangiri ( 12.) Fasc. 1 @ 1/ rae ASIATIC SUCIBTY’S PUBLICATIONS, Journat of the Asiatic Society for 1870 (8), 1871 (7), 187 (8), 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 8), 1879 (7), 1881 (7), 1882, (6), 1883 (5), 1884 (6), 1885 (6), 1886 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), 189 8 (11), (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) (7), 1902 (9), 1908 (8), 1904 (16) @ 1/8 per No, to Members @ 2/per No. to Non-Members Ae ‘N.B.—The jigures enclosed in brackets give the number of Nos. in euch Vol Journal and Proceedings, N.S., 1905, to date, @ 1-8 per No. to Members and Rs. 2 per No. to Non-Members. ‘oo, + | Memoirs, 1905, to date. Price varies from number to number, Discount of 25°/, to Members + Centenary Review of the Researches of the Society from 1784- न“ | A sketch of the ‘Turki language as spoken in Eastern Tnurkistan, by R. B. Shaw (Extra No,, J.A.8.B., 1878) ॐ arty Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by ए. Blyth (xtra No., J.A.8.B., 1875) es Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, 1884. +> — Mahabharata, Vols. 111 and 1V, @ 20/ each = ,,, ८ feed Moore and Hewitson’s (> 4 tions of New Indian Lepidoptera Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each +n : Tibetan Dictionary, by Csoma de & 6106 = ess Satie | ee = Ditto Grammar "० = “pha Kagmiragabdémrta, Parts I and 11 @ 1/8/ ip १ A descriptive catalogue of the paintings, atutues, &., the Asiatic Hee of Bengal, by 0, R. Wilson श Memoir on maps illustrating = Ancient Geography M. A. Stein, Pb.D., 41. Extra No. 2 of 1899 $m Ibn, by Persian ree Translation Haji Baba of Ispahan imad-i-Kirmasi, and edited with notes by M Notices of Sanskrit भ ts, Fasc. 1-33 Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by .B.—All Cheques, M भे ‘hrm 8 wise | OM CE NEE 31 = ¦ SIDDHAng "25607 / The y 189 | ie | Prana hay 1603 । kat | ॥ | 623875 (! /' I PK3981.S56U7 1899 6.1 amitibhavaprapancha Katha of Siddh MONI lil 085 823 695 UNIVERSITY OF CHICAGO