This is a reproduction of a library book that was digitized by Google as part of an ongoing effort to preserve the information in books and make it universally accessible.

Google books eats

[४] "(>

http://books.google.com

~ ०० . +. =+ ~

Cu ay 7) 3 : +, : 11 er aR Cz 1 ct pen op mad yt oY + 1 ETR त्व ae eer 3 oa Dh te] ४19; | | “J fy ९१ : [- If १५।४ > > 14 ise Diet be wil 4 0 mh & é rete ^ ॥१। # “Sipe SF tart ow bho al > ve ++ . = f nit, ~ tel | cen HH : 1 ? : J 14 wati oR Yaurw Wak Pt श्‌ ieee anit; 6 द्‌ ब्‌ rw 1 j नै + ++ be > ® 7 ५: 4 rh, क, धश We: १११९ oye V4. (4 प्रच VW a 7 4 no 4 é a af ति ५1 oe a ११ ।(३.। = : 92 ^ १6१५ १६। | "1919. Py ; ai | 435 Fis TU Pokal Je ‘el HED atone ~ 14211 (व Dl 79. (1,11.111 le Bee fa y met |: Tne be tare ak ae . Nha onde ४? एन) शत LOM $ | Ain ‰६ => + = आर : is ad aly

क्कः ~ q " ~ - ia 1a \ ति # Men 6 we 4 # ` af wks cle 11 a ^ ea = कन 4 AT ल्व) ee 7 ke 3 aie wey ०4१५५ ` -! - - {7 ~^ e+ 9 ath SES In --+-- OS Tae ~ + | १५041 ny ne eater 2 = 2) (4९ + व्ण भु 1 1 ५14 ete ¢ ११८ te wits # wo A ian et doh, 1} se be va 2 > aml ,“ oe 1, ~~ a= 206 # > >+ atl + J (न : - 1 Te oe ` a R १.३ + ‘wt ) 4 ~+ © BS 2d 4111711. eye wae dar cial tS, ker am pee १- चङ (4 1८9 = 7 ष्ट फी [नष्‌ eae #* RPP > Ma Fe spe cy ew प्रि 4 ARUP HS SIR ay I RS ad e wr TL) | Need 4 hen a "` 4 ‘oew vary १५ चः: ay |^ ध. 74 we क) +? " Wa 7) = om BF be JF ‘< ॐ» यि = ~

Cae ¢ a]

1१३

7 OSS = शं $ oe ~. 7 नं my”) fy re. ae | चि

{` कः 8 al > # + QO otra ०५० SRE YETI OA "व -} : & --.| 3:16 -+ ee tuck + eae Ale ~ | x ee Bet 0.121.111 RS te भनि. "न, +

`

` = 9 \ . q “NM (भरन ted | # i 4 ) 1 ' = te 4 थं Sw A, to" t try et = = Wy

fee 123६६ - ककि, " { Ac. ,# 9 +>

~ # , Sie

7 he

+4

TTA EET ca RENT SSR CARS SS at Se SSS SS

|

we 4. & किः : २५ S भभ

# cag |

॥. Oa a ८५५८. ˆ,

|

i ff

Be 1

~~ 0410.

ity of Ch

Libraries

aril

Ivers

be Un

(~

9! 811011;६6॥ INDISA

xi ~ ; RTA tak: ie ) 6. ^ LLECTION OF p RIENTAL Works क्क ae PUBLISHED BY THE vie + ASIATIO SOCIETY OF BENGAL

_ गण Serres, No. 944 ४. Hols

उपमितिभवप्रपथ्ा कथा | सिद्धषिप्रणोता |

MURA STAC पौटर्‌ पौटसेनाख्येन प्रकाशिता |

OF

Pe \ SIDDHARSHT © Sy es ia) RpIreD BY SD ` PETER PETERSON, M.A. | ey Fasceicutus I

नि

~ ee Bee = CALCUTTA PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, ` `

| {| = . ~ AND PUBLISHED BY THE ` : ex, ASIATIC SOCIETY, 57, PAKK STREET, 4 OF Fe ' ~" 1)

>< ने

123.) -FOR SALE

AT THE LIBRARY OF THE o * =f ee. 8 + Ve 4 “23 i र. Se कै

os TEAR SPATIE

No. 57, PARK STREET, CALCUTTA,

# # # +) ee #

„+ OCTETRY .. 0 ENGAL,

AND OBTAINABLE FROM THE SOCIETY’S AGENTS, MESSRS. LUZAC & CO., 46, Grear Russert Street, Lonpon, W.C., ann Mr. 0170

HARRASSOWITZ, BooKseELLeR, Lerpzicé, GERMANY. प्क Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot be supplied—some those works marked with an asterisk * cannot be s

of the Fasciculi being out of stock. the Fasciculi being out of stock.

BIBLIOTHECA INDICA. Sanskrit Series.

Advaita Brahma Siddhi, (Text) Fase. 1-4 @ 6/ 5467 a Rs. ‘#Agni Parana, (Text) Fasc, 4-14 @ /6 sd ९.5४ Aitaréya Brahmana, 4९ asec. and Vo asc. 1-5 Vol. III Fase 1-5 Vol. 1V, Fase. Sa eae | Anu Bhasyam, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/each ==... = Ries | Aphorisms of Sandilya, (English) Fasc. eS asahasrika ta, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each eg 1 0

ra vad yoke, (ext Fac Fase. 1-5 @! gva > Tres (Sans. Tibetan) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. II. Fasc

*Bhama res Fasc. 4-8 @ /6/ each | { i 1 Bhatta ap ika Vol I, Fase ; 5 द्द 3020 Brahma Sitra, (English) Fasc.1 ... ae ~; 9 1 2 9

4 २४१६१1४. 1-5 @ 1/ each

Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each 8

Brhaddharma Purana, (Text) Fase. 1-6 @ each

ॐ, 4 (Text) Vols. II, 1-25; III, Part I, Fasc, 1-18

9 भकः र, eth art II Fase 1 1

rauta Sitra ook a, (Text) Fasc. 3-14 @ /6/ each cer | ayana (Text) Fasc. 1 to 11 ame 4 hl (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each ... 3

Qankhayana, (Text) Vol. I, Fase. 1-7; Vol. II, Fasc 1-4, Vol. III, Fasc. 1-4 @ /6/ each .., 5 hashyam, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ eac ५५ धः न्क, ave eh 1 as 0

+"

iv bet me: Fase. 1-6 @ /12/ each Ka Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each Kirma pa, (Text) Fase. 1-9 @ /6/ Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ (11 each

Kata Kaa Madhava, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each...

each...

FNONNKAMYONWANO ©

hig ae ` Markandéya Purana, (English) Fasc, 1-5 @ /12 each ( ext) Fasc. 7-19 @ /6/ each ‘Narada Smrti, (Text) Fase. 1-3 0 (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ (Text) Vol. 111, Fasc. 1-6; Vol. IV, Fasc. 1-8 @ /6/ each...

~~

3

2

4

each 3 ek

(Text) Fasc. 4-7 @ /6/ each i ae

4

1

1

5

# eh

Digitized-by (3 oogle

623675

उपमितिभवपरपञ्चा कथा ` सिद्वषिप्रणौता

(OP KR

नमो निनांभितागेषमहामोहहिमाश्तवे |

लोकालोकामलाशलोकभाखते परमात्मने eh

नमो fauguata खशूपपरिपू्तय |

नमो विकारविस्तारगोचरातौत मृत्य ॥२॥

नमो भुवनसंतापिरागकेषरिरारिणे

WWATSASATS नाभेयाय महात्मने ॥२॥

नमो देषमजेन्द्रा रिकुम्भगिभंदकारिफे |

श्रजितादिजिनस्तोमषिंहाय विमलात्मने ॥४॥

ममो दज्ितदोषाय मिश्यादभ्रनश्षदिमे |

मकरष्वजनाग्राय aca विगतददिषे wwe अथवा

SAY महासेन्यं समस्तजनतापकम्‌ |

खितं शोखया येन वेनचित्तं नमाम्यहम्‌ HGH.

समस्तवस्छविस्तारविचाराचारगोचरम्‌ |

वचो जनेश्वर वन्दे दितः खिखकल्रषम्‌ ॥७॥ ,. .. ~,

: a,

उपमितिभवप्रपष्चा कथा

मुखेन्दोरशभिव्याक्नं था बिभि विकखरम्‌ | करे wafer धारा तां नौमि देवताम्‌ ace परोपदे श्प्रवणो मादृश्रोऽपि प्रजायते | यत्मभावाश्मस्तेभ्वः सद्गुरुभ्यो विशेषतः wen

इत्य शतनमस्कारः शान्त वित्रविनायकः | विवखितायेप्रस्तावं cefaa farce: ne ot दहा तिद्‌ लेभं प्राप्य ATTA भवयजन्तुमा |

ततः कुलादिखामयौमासाथ श्दभकमणा ne vit हेयं हानो चितं सवं ave करण्णोचितम्‌ |

wey श्लाघोचितं वस्त॒ ata अवणोचितम्‌ ॥१२॥ यत्‌ किञ्चिचिन्तमाशिन्यकारणं मोखवारणम्‌ | मनोवाक्‌कायकर्मेद यं तत्छ हितेषिणएणा ne en हारनोहारगोचोरकुन्देनदुविग्रदं मनः|

छतं यत्‌ कुर्ते कमं we तकमनोषिएा ne vi wana: पुननित्यं विग्ुद्धेनान्तरत्मना | जि्लोकनायस्तद्धमं ये तज व्यवस्थिताः ॥१५॥ MAD भावतः खार अ्ङ्धाखरद्धब्द्धिना | निःशेषदोषमोषाय वचः स्वंश्नभा पितम्‌ ae ee तदच प्रस्तुतं तावन्तदेव जगते हितम्‌ 1 ओओोतव्यमिति संचिगध वचः सवंश्चभा पितम्‌ ye on. ततस्तदनुसारेण महामोशदिष््दनौ ।. निर्दि्टभवविसारा कथेयमभिधाख्यते ॥९८॥

प्रथमः प्रावः |

तथाहि पञ्चाअ्जवमहादोषा इषोकाणणां पञ्चकम्‌ | महामोहयतानां कषायाणां चतुष्टयम्‌ ॥१८॥ मिष्यात्वरागदेषादिरूपं यथान्तरं वशम्‌ | तहोषावेदकं शवं वचः सवेश्चभा षितम्‌ ॥२०॥ तचा भ्वान्‌ शंन चारिज्रसतोषप्रशमात्मकम्‌ | | तपःसयमसत्यादिभरकोरिषमाङ्ुखम्‌ ॥२१॥ AC बश्च तच्छ शुरखंभारगौरवम्‌ | qwada dix वचनं fe पदे पदे ween तथा एकेद्िथादिभेदेन दुःखरूपमगन्तकम्‌ | भवप्रपश्चं AAS वसनं कथयत्यखम्‌ ॥२३॥ sagt fafa मादृश्रेनापि अजख्ितम्‌ | वाक्धं Saafegrafrae cit भाव्यताम्‌ ve ve दह श्रयं कामं धर्मं तथा सकौणंरूपताम्‌ | nfs aia ओके कथा तावश्चतुरविंधा ve a वामादिधातुबादादिषव्यादिप्रतिपारिका | अदौपादागपरमा कथार्थस्छ प्रकोन्तिता HR ६॥ खा क्ि्टविष्छ्ेतुलात्पापसबन्धकारिका | तेन दुगं तिवन्तन्याः प्रापणे प्रवणा मता ॥२०॥

उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

कामोपादानगर्भा्यां वयोदाचिष्यष्चिका | शरतुरागेद्वितादयुत्या कथा कामस विता ॥२८॥ a walang रागोत्कषे विधायिका | विपर्याखकरो तेम हेतुग्तेव दुगेतेः ॥२८॥ दयादानचमाधेषु warey ufafwar | धर्ापादेयतागमां बुधेधेमेकथो च्यते ॥२ ०॥

सा शएद्धचिन्तहेतुलात्पश्चकमेविनिजेरे

विधत्ते तेन fastar कारणं नाकमोचयोः en जिवगंलाधनोपायप्रतिपादमतत्परा | थानेकरससारा्था सा संकौणेकथोश्यते ne en चिनाभिप्रायदेतुवादमेकफलदा यिका |

विदग्धता विधाने शा हेतुरिव वन्त॑ते ean ओतारोऽपि चतुभ॑दास्तायां wate मानवाः |

तेषां संचेपतो वच्छे wau तन्निबोधत ne en मायाश्ोकभयक्रोधलोभमो हमदाख्िताः |

ये asain कथामा्ौ तामसात्ते मराधमाः २५॥ ये रागयस्तममसो विवेकविकला नराः | कथामिच्छन्ति कामस राजसास्ते विमध्यमाः ॥₹ en मोका चेकताभमेन चेतसामिरषन्ति ये |

बद्धां धमेकथामेव सा विकासते नरोत्तमाः veo ये शलोकदयषापे्छः किञचचि्छत्चयता मराः | कथाभिच्छन्ति संकौणां Ha वरमष्यमाः ॥९८॥ `

प्रथमः Tes: |

aaa स्थिते रजस्तमोनुगाः BA: खयमेवाये कामयोः | Tare धमेश्रास्तार मवधूय निवारकम्‌ ॥३८॥ रागदेषमदामोदरूपं तेषां fafawaq |

` श्र्येकामकथाषर्पिराङत्या ASA परम्‌ ॥४ ot केकायितं मयुराणां थथोत्कष्टकवद्धंनम्‌ पापेषु afeargrel कथा कामाथेयोस्तथा iis ci कथां कामा्थंयोखसमान्न Hla कदाचन | कः चते चार निचयं विदघोत विंच्णः as en परोपकार शो लेन RAY तन्नो षिणा | fed समस्तजन्मुभ्वो धेनेइ BGs Gig ze तेन यद्यपि wtarnfaer कामायेयोः कथा | तथापि विदुषा wre येन पयेन्तदारणा ४॥

तदेतदवगम्ब

TEAS जननां सवेंषामग्डतो पमाम्‌ West धमकथां धन्याः कुवन्ति हितकाम्यया we ws TATA मला संकोरणमपि खत्‌कयाम्‌ | मार्गावतारकारिलात्‌ केचिदिश्छन्ति सूरयः ॥४१॥ . . किल्ला यो यथा जन्तुः शक्यते बो धभाजनम्‌ ay तथेव तद्ोध्ये विेचो हितकारिभिः ॥४ on raat सुग्धनुद्धोनां war मनसि भाषते कामायंकथनान्तेन तेषामादिष्यते मनः ॥४८॥

¢ उप्मितिमवप्रपश्चा कथा |

आचिप्नारे ततः शच्या wa याहयितुं गराः | विचेपदारतसेन satel सत्कथो श्यते ॥४९॥ तस्म! देषा कथा शरद धर्मस्येव विधास्डते | भजन्तो तर्‌ णापेखां कचिल्संको फरूपताम्‌ nyo ll अन्यच्च SHAT प्राता चेति भके प्राधान्यमहेलः तजापि seat तावहूु विदग्धहदि खिता ५५ १॥ बालानामपि सदोधकारिणशौ कणेपेश्ला | तथापि प्राता भाषा तेषामपि भाषते ॥५२॥ उपाये सति ana सवेषां चिन्तरश्जनम्‌ | अतसद सुरोधेन dads करि ग्यते ॥५२॥ चेयमतिगृढार्था दौर्धवाष्यदणष्डकेः | चाप्रसिद्धपर्यायेस्तेन सवेजनोचिता uy an कथा श्सरमेतस्या area प्रतिपादितम्‌ WATE व्याजेन यतोऽस्यामुपमौयते wus यतोऽनुगवमानोऽपि परो दव Bead श्रयं संसार विसारसतो व्याख्यानमदइतिं wee अथवा भ्ान्तियामोहनाश्ाय सतिबोजप्रबोधनम्‌ | कथाथेसंग्रह Ba शरोरमिदसुश्यते ॥\०॥ दिविधेयं कथा तावदन्तरक्घा तथेतरा | श्ररोरमन्तरङ्गायास्तनेद मभिधोौ यते ॥५८॥

प्रथमः प्रल्लावः।

परसावास्तावदष्टा् विधाच्यन्ते परिस्फटाः |

रत्येकं तेष amet योऽयं मे मिबोधत ॥५९॥

प्रस्तावे प्रथमे तावन्निबद्धा येम Far |

दयं कथा aaa हेतुः प्रतिपाद्यते ॥१०॥

fama भव्यपुरुषो Was प्राप्य सुन्दरम्‌ |

यथात्मडितजिन्नासुः समासाद्य षदागमम्‌ ॥११॥

वद्‌ न्तिकस्थः संसारिजोवस्य चरितं थया

श्लाग्टहौतसंकेतायाजान्तेनेव सूचितम्‌ Ee ah

तिथेग्‌वक्रव्यतावद्ध्‌ सद्धं प्ज्ञाविश्राशया |

विचारथति fame तदिदं प्रतिपाद्यते ue en Hanzi

तथा दतोयप्रस्षावे हिंसाक्रोधवशातुगः

wiafxagey यथा दुःखेविंबाधितः ॥१४॥

संसारिजोवः सशारे भ्रष्टो aaa: |

ददं संसारिजोवखछ सुखेनैव निवेद्यते neu युम्‌ {४

garages मागजिन्वागतेषु भोः

रकरः संखारिजौवोऽसौ यथा दुःखे: प्रपौडितः vege

गय्चानन्तससारमपार दुःखपूरितः |

यथा wit ददं सवे सविषं निगद्यते oy

ग्मम्‌

स. उपमितिभवप्रपश्चा कथया }

mena पञ्चमे ay विपाकः स्तेयमाययोः |

om: संसारिजोवेन तथा wrafxae ॥१८॥

तथाच TERMS लोभमेयुनचचषाम्‌

विपाको awa तेन asda: पुरात्ममा ec यग्मम्‌

Ha सत्तमे सवं महामोहविजम्मितम्‌

परिग्रश्य situ सडितच्येह वतम्‌ oot कितु

दतो याल्सक्तमं यावद प्रस्तावपश्चके |

तस्य संसारिजोवस्य चहृन्तान्तकदम्बकम्‌ vo १॥

तक्किञ्चि त्तस्य संपन्नं किं चिदन्येनिवेदितम्‌

तथापि तत्मतौतलात्छवं तच्चेति वफितम्‌ ve ee ग्मम्‌ `

अष्टमे मौ सितं aa प्रस्तावे पूर्व चितम्‌ |

तेन संसारजौवेन विहितं चात्मने डतम्‌ vo

aq संखारिओोवस्य ad भवविरश्ननम्‌ |

WRG भव्यपुरुषः Wag दति कथ्यते Ne gi

तथा संसारिजोषेन यो wa: प्रचोदिता |

बुद्ाग्टहोतसकेता हच्रेणा ति निवेद्यते ne ५॥

आसाद्य निर्मलाचाये केवलालोकभाखरम्‌ `

खमस्तोऽप्यात्मटत्तान्तः ष्टः शिष्टोऽवधारितः ne ge

प्रथमः प्रस्तावः |

तथां षदागमादुच्े्ंयो खयः father: |

संजातावधिना तेन ततोऽच प्रतिपादितः woo अन्यच्च

दहामरङ्गशोकानां Wa get गमागमम्‌ |

विवाहो बन्धुतेत्यादि सवे्ोकश्थितिः wat ॥०८॥

साच दुष्टा विश्वा यतोऽपेच्छ Juez |

उपमाद्वारतः सवां बोधाय शषा निवेदिता ॥७९॥ थतः

प्रत्यच्ामुभवास्िद्ध युक्रितो यन्न cafe |

सत्कश्पितोपमानं तस्िद्धाग्तेऽप्यपलभ्यते ॥८ °॥ तथाहि थयावश्यके

खां सुद्‌ मगरेलस्छ पुष्कशावश्नकस्य

Wel सर्पा कोपाद्या नागदन्लकयानके ॥८१॥ तथा

पिष्डेषणायां मसेन कथितं निजचेितम्‌ |

उन्सराष्ययनेग्येवं संदिष्टं TATA: FER

अतस्तदनुसारेण wa थदमिधाश्ते |

श्रन्रापि ufwan तदिश्रेयञ्ुपमा यतः wo Ru

तदेतदन्तराङ्गायाः WAT प्रतिपादितम्‌ |

afecyaurarg शरोरमिदमुश्यते ॥८४॥

पूवं विदेहे wat: सुकच्छवि जयप्रभुः |

Vagal षद्ुद्धतश्वक्रवण्यगु सुन्दरः ॥८५॥

2

q e

डप मितिमवप्रपश्चा कथा |

quam निनदेग्रदिद्च्या विभिगेतो विशादेन प्राप्तः शंखपुरोऽन्यदा ॥८ en तज चिश्लरणोद्ामे मनोनन्दमनामके |

GR समन्भद्राश्याः सूरयो भवने fear: ween अयच ABATE महाभद्रा waft |

तथा Qwiear ara राजपुत्रौ सुभुर्धिका ॥८८॥ तथान्यः पौष्डरोकाखः समोपे राजदारकः | WGA तदा शंस पुष्कला ॥८९॥

ततस tt

हतश्धरिमहापापं दृहा तं शक्रव्तिनम्‌ | ज्ञानाश्लोकेन ते घोराः शूरयः प्रारोद्श्म्‌ ॥९.०॥ चस्य Rey शोके शरूयते नोयतेऽधना संसारिजोवमामायं तखकरो वध्यधामनि ne ९॥ UIQ: Fat महाभद्रा यचिन्रयत्‌ कञचचिश्नरकगाम्देब जोवो योऽव सूरिभिः ve en ततः सा कड्णटोपेता meals aaa |

ACN GNA नामं तख गोचरम्‌ ie ah ततो fara sera तख्छराकारधारकः |

wert वे करियखब्यासौ तवा साङ्धे VATA: ॥९ ४॥ ततः शा राजपुचो तं पप्रच्छ विहितादरम्‌। अगरेवचौषेटनला मं सोऽपुकसतेन CTT Le

प्रथमः पचावः | १९

भवप्रपश्चमात्मोधं लखा गोधतिधिष्वधा |

उपमाद्ागजः प्राह AT संवेगकारणम्‌ He ६॥

शला तं प्रबङोऽबौ लघकमतया थम्‌

ौण्डरोकः wets प्रसंगञ्रवणादपि heel

सा पुनः कथिेऽण्चः प्रालोगमशदटोषतः।

शरवुष्यमाना तेनेव श्यो we: प्रचोदिता ne ८॥

अरय ww साप्यं प्रबद्धा विदहतं ततः

स्वेरोवात्मनः we गतानि भ्िवाशधम्‌ eet

कथाशरोरमेकश्च धारणोयं खमा

प्रस्तावे चाष्टमे घ्रवेमिदं ग्यक्रोभ विषति ॥१००॥ एवं faa

यतः सवंन्ञसिद्धान्तवचनाग्धत्ागरात्‌ |

निग्यन्द विन्ूगतेकमाृष्टा प्ररमायेतः ॥१॥

ततो THATS: HAE माप्तमहंति

कालक्ट विषं गेव युश्छतेऽब्धत विन्हुना ५२॥

wat दु्ेनवगंस्य Ay दोषविशारणम्‌ |

कियते पापकारिष्ा पापानां awerereny nee

स्ठतोऽपि दुजनः काश्ये दोषमेव warez |

निन्दितस्छ विगेषे धक्रातोऽस्यावधोरणा ॥४॥ अथवा

निन्दायामात्मदौकैन्यं शवेऽयनृतभाषणम्‌ |

HAIG ततो GATTI ॥६॥

Xe

उपमितिमवप्रपल्ा कया |

ततोऽस्याखघुकर्माणः चौरनोरधिषंनिभाः | MACHA भव्याः TAT: अवण्णो चिताः ६॥ तेषामपि a aver मिन्दा नापि प्रश्नम्‌ | मौनमेव परं RAIS इना कारम्‌ Won तज्िन्दाया महापापमनन्न्यण शाखिनाम्‌ | खवोऽपि दुष्करस्तेां मादु ेजेडबुद्धिभिः ॥८॥

किच

gat अपिते काये wafer GaAs | दोषामाच्छादयन्येव vee: खा महात्मनाम्‌ ॥९॥ अतस्तेषां Waare केवसं ते महाधियः | अभ्यर्यनोयथाः अवह तेनेदममिधोयते ue on

भो भव्याः gaara क्ण दला निबोधत | we मद सुरोधेम IAT मया चणम्‌ He ei अनन्त जनसंपूषमस्ति शोके सनातनम्‌ | अदृष्टमूशपयेन्तं नाम किचिक्महापुरम्‌ ॥१२॥

तच्च कीदृशम्‌

अन्नो कू ङ्गमनोहा रिसौ धपद्धतिसंङ्धशम्‌ अलभमूशपरथन्तं इमागं विराजितम्‌ ॥१ २॥ अपारेभरिविस्तारर्नानापश्चेः प्रपूरितम्‌ |

प्यानां मृष्यण्डताभिरा कोशे रत्रकोरिभिः ॥१४॥ विदिषचिजविन्यासेर्ध्ाजते देवमन्दिरेः चआचिप्तवाखददयेनि्शोहतलो यमेः ne we

प्रथमः पररखतावः।

वाचालमाशसंघातेशंसत्कशकणशाङुशम्‌ अरटष्यतुङ्गप्राकारवस्लयेन विवे ्टितम्‌ ue eu अरलग्धमध्यगम्भौरं वेदिकाजखदुगमम्‌ | विलखसन्लोखकल्लोलेः खरो भिः रत विख्यम्‌ on चोरान्धकूपषंघातेः myet जासहेतुभिः | समंतादुषग्‌ढं पराकाराभ्वणवन्तिभिः ॥१८॥ भमदभमरज्चरकारतारषगौतदचन्दरैः भानापुष्यफलाकोेभाति चामर काननैः ॥१९॥ अने काञ्ेग यिष्ठं तश्चमत्‌कारकारणम्‌ | अदृष्टमूलपयेकमो दशं डि महापुरम्‌ ॥२०॥

तजर निष्यण्छको नाम कञ्चिद्रक्डो महोदरः) निष्टवन्धदुुद्धिरथेपौरषवजितः ie th चुधाकामतरु्भिंशामादाय घटक्ेरम्‌ | प्ंटत्यनिश्रं zit मिन्धमानो Ve गहे ॥२९॥ अनाथो दमिश्यनषृष्टपाशचंचिकः परम्‌

धूलो धमर वर्वाङ्गचो रिकाजाखमाशितः ॥९२॥ दुहाकडिम्भसंषतेसताडयमामः चे खे | afeg टिमिदाशोष्टप्रहारोजंजेरोषतः est सर्वाङ्गो कमहाचाततापाशुगतचेतन्‌ः

हा मातख्ञायतामित्यं देन्यविक्रो विज्ञवः we ue Vlas: श्वरः Fl Tara: शलपोडितः | fawa: शवेरोमाणां बेदनाबेगविकलः oe ६॥

AR

१४

छपमितिमवप्रपश्चा कथया |

शौतोष्णादं ्रमश्रकचत्पिपासादुपद्रवैः |

बाध्यमानो महाघोरनारकोपमबेटनः We ON wored wat दृष्टो wear समानिनाम्‌ | बालानां क्ोडनावासो FST: पापकमेकाम्‌ ९८ अन्येऽपि बहवः afin Cire महापुरे

केवलं ताङ्शः प्रायो नास्ति निर्भाग्बगरे्रः geen तस तच्छ ze we भिशामित्यादि चिन्मयम्‌ ध्यानमा पूरथम्‌ रौद्रं विकण्पा्लमानखः ॥२०॥ a विचिन्ञेव waa केवलं परिताम्बति |

कदने गमा तु राग्धवत्माण तुष्यति ॥२१॥ अवन्या HSH मुश्चानसत्‌कदशनकम्‌ | शक्रादपि विभेतयु्रथमेतर्गरग्यति ne eh ठशिरेनापि Aare sya age परम्‌ लोयत्पोडयल्येनं शला वातविदचिकाम्‌ ॥२ ९१ अन्यच्च स्वेरोगाणां निदानं तदु दाइतम्‌ |

तदेव पूरवेरोगाणशमभिहृद्धिकरः परम्‌ We 88

aaa खार्‌ वराकोनान्यदोशते | सुखादुभोजनाद्छयदो BTS गोचरः VWs खचचावचेषु Fey भानाकाराद् वौचिष बङशरख्त्पुर तेल भान्तन्भागाचेतला ६॥

एवं TESTS महापापरतात्ममः |

न्वाचते कियान्‌ काशो cue afte: ye en

प्रथमः प्रखादः |

श्रथ तज धुरे राना सुखितो माम fra: | CAVITY भावाद तिवत्छशः २८५ RAMA THE: सपा्तसतस् मन्दिरम्‌ खकमेविवरो भाम AWTS इारपाशकः ॥३९॥ इारपाशस्तं रोर इद्धातिकडणस्पमदम्‌ | MATa छृपाखलाद पूवे राग्यमन्दिरम्‌ ॥४ °॥

तच्च SEIT

रन्नराथिप्रभाज्वाखेस्तमोबाधाविवजिंतम्‌ | रथनागुषुराुत्यग्धवकारावञचन्दरम्‌ ९॥ देवपडंश्को ल्ोखलोखमो किकमालिकम्‌ | TUT ATT eT RAMA ETH ॥४२॥ विचिजभक्किविन्यासेगे न्धो डुर वेकः |

WAG प्राङ्गणं are: कलाज्िकुखगोतिभिः ॥४ en fadunfaaca कदंमोङतभभिकम्‌ | प्रदटसत्नसंदो इवादितानन्दमरं लम्‌ ॥४ ४॥ SHASTA AWA खतश्रचुमिः बहिःप्रशान्भव्यापारे रानदन्देरभिहठितम्‌ ॥४५॥ वाखात्‌गतज गचषेः प्रञ्चायश्चातवेरिकेः | want तिशास्लचमेन्लिभिः परिपूरितम्‌ ns en पुरः परेतभन्तांर Ssfrahey Taye

चभ्बनि महायोधस्ठेरदशोरनिवेगितम्‌ ०॥

Re

१९

उप्मितिभवप्रपश्चा कथा |

कोटौकोरैः पुराणां चे पालयन्ति निराङ्लाः | यामकरानसंण्थांख व्याप्तं ताङुग्‌ निथुक्ककेः ८॥ येऽत्यन्तवल्छल्ला wets विक्रमश्राछिनः | आकण तादृगेरन्तः इरिभिलखव्मिंकेः wee प्रमन्तप्रमदाणोकमिवारणएपरायणेः।

निद विषधासगे राजते ख्विराजनेः ॥५ ०॥ अनेकभरषंघातेराकौणे तत्छमंततः | शसदिखासिनो वारे निजितामरधामकम्‌ wy १॥ कलकष्ठेः प्रथो गन्नर्गाध द्भिर्गाथनेः परेः | बौणाबेणरवोन्िञनेः ज्रोजानन्दविधायकम्‌ ॥५९॥ विचिजरविषविन्यासेचिन्ताेपविधाथिभिः। बटूपेरतिसौन्दयाज्िखलोकतलोषगम्‌ TEL ARCAACHITATMN AGT: | अतिगन्धोडरेदरेयेत्राणमो दनकारणम्‌ ॥१.४॥ कोमलां CATA ATTA RN AT: |

NIG दिता गेषतद्योग्यजनटेन्दकम्‌ ६१ ६॥ aan तिखमुत्यादकारणे THEA:

सखस्छो भता खिप्रा फिसंणातं भोजने: परेः ॥५ ९॥ शमस्तेम्दियनिर्वाणकारणं वोच तत्वतः |

रक्ङ्चिन्तयत्येवं किमेतदिति विख्ितः veer शोग्प्रादलान्ञ जानाति विशेषं ave तत्वतः | तथापि इदथाकूते स्फुरितं खन्धे ॥५८॥

प्रथमः WETS: | १५

यदिदं guard राजभवनं खततोत्छवम्‌ |

दारपाश्प्रषादेन मया TIARA ९॥

we fe वङ्गः yaae eft परिथमम्‌।

इारपाचर्महापापेः प्राप्तः Tat Tet: we ०॥

aaj frquatsaifa wid देवदुखंभम्‌ ।.

दृष्टं प्राग्‌ चोपाथो दभेनाथे मवा ङतः ॥१९॥

कदाचिन्व मे ya भोहोपरतचेतखः |

जिश्चाखामाजमप्यासौत्‌ Rigs राजमण्दिरम्‌ ॥९२॥

निर्भाग्यस्यापि शपथा fewrgrefauran |

अवं मे परमो बन्धुथनेदं दर्शितं मम ne en

एते धन्यतमा शोकाः शवंदन्दविवनिताः |

अदष्टचित्ता मोदने सततं येऽज मन्दिरे we vi

uray चिन्तयत्येवं द्रमको लभचेतभः |

तावद्चन्तज dae तदिरानों निबोधत ॥१६॥

प्रा्ादशिखरे रम्ये ana मिकातसओे

AWTS SMITA: राजा परमेश्वरः १॥

WITTE TY मानाग्यापारमश्चषा |

नगरः खततानन्द्‌ कमन्तादवलोकयन्‌ 1g OF

किञ्चिश्नगरे ay वदिख्च खश्‌ वक्ते |

वसु यन्न भवेहष्टेगौ चरस्य पश्यतः ॥९८॥

अतः प्रविष्टं तं रोर माढबोभनत्छदशरंनम्‌ |

महारोगभराक्नान्तं fret कदणाख्यदम्‌ ॥१९॥ 8

दख

खछपमिदिभवप्रपस्चा कथा |

कारष्यादिव राजेष्ः महात्मामलेखणः | खदु द्िटष्टिपातेन प्रूतपायमिवाकरोत्‌ weet धमेवोधकरो नाम AEM RT:

use तां तज पतन्तो निरवणंयत्‌ ॥०१॥ अथासौ चिन्तयत्येव तदा साकूतमालघः | किमेतदह्रुतं नाम सांप्रतं get मथा woe aa दृष्टं विग्रेषेण ददाति परमेश्वरः |

au जिुवनस््ापि राजा जायते नरः WER अयं तु द्रमको दोनो शोगयस्तशरौरकः | अलौ भाजनं At अगद देगकारणम्‌ ॥७ ४॥ आरशोश्यमानोऽपि कथं पौर्वापर्धंए यच्यते तदस्योपरि . पातोऽयं श. दृष्टेः पारमेश्वरः re wit SB न्ातमेष wry हेतुरस्य facie | सखकमेविवरोएा च. यस्मादेष प्रवेशितः ॥७९६॥ व्लकमेविवरखायं नापरोकितकारकरः |

तेनायं राजराजेन wager विख्ो कितः een अन्यश्च पच्पातोऽअ wat यस्य. जायते | परमेश्वरपादानां 9 प्रियतर प्रपद्यते nec. अयं नेरोगेण नितरां परिपौडितः | एतदिदृखयाव्यथेडुग्मिषत्येव शो चने woe दशरंनादस्य ससा गाढनौ भत्छद्‌ शेनम्‌ | प्रमोदाददमं मन्ये SUA TMNT ॥८०॥ |

प्रथमः Wea: |

रोमाद्चयति चाङ्गानि पलो धरसरितान्ययम्‌ AMSAT जातोऽस्य भवने तेन stead ॥८१॥ तदयं दमकाकार विंभ्राणोऽप्यधुना स्फुटम्‌ | Terenas aga प्रतिप्छते ic २॥ इत्याकलय्य तस्यासौ REUTATT ऽभवत्‌

बत्य wegen शोके यया राजा तचा प्रजाः ॥८३॥ अथाद्रवभाशूषे तख मृश्मुपागमत्‌ |

Wate दौयते तुम्वमित्थेवं तमवोचत we sii कदयेना्चंमाथाताः TTT: सुदार्णाः | दुर्दान्तडिन्भा खे तख दृहा तं ते पलायिताः ५॥ fawrecifea देशे ea भोला प्रयन्नरतः। ` धर्मबोधकरख्तस्मो रामाय जममादि रत्‌ we en अयासि ager नाम दुहिता तस्य खन्दरा ` शा aera संथमेषय समुत्थिता ॥२०॥ धमख्तगदनिर्णाशि awreagferaen |

खगन्थि gre fend रेवेरष्यतिदुशंभम्‌ ॥८८॥ महाकञ्ाणएकं नाम परमां मगो हरम्‌ |

खा तदादाय वेगेन तब्छमोपसुपागता ॥८९॥ ry नौवमागोऽखौ इमकः पयैचिन्तयत्‌ | AMAA: WHITHWATTA: ॥< ०॥ यदयं मां warea gent भयति खयम्‌ | भिका fae नेवेतत्‌ get मम भाषते He १९

Ye

उप मिविमषपपष्चा wet |

भिच्वायाः पूरितप्रायभिदं हि घटकथंरम्‌ |

ada fart गोवा गुगसुदालयिख्धति ne ९४

तत्‌ कि नश्लामि खषा भव्याम्युपविश्छ वा

कायै भिकयेत्युक्का थदा गच्छामि सबरम्‌ ॥९ Oe इत्थनेकविकण्येख्च भयं तस्य fas |

तदशान्नेव AAA BTW यातः स्थितः Ae BN MST MATa sala fern |

रौद्रष्यानं समापूथं मोखिते तेन खोशने wea समरेदख्ियट्न्तोनां ग्यापारोपरतेः werz |

भासौ Grea किंचित्‌ काष्टवजष्टचेतनः ve १४ ग्हाण्टेति wey योग्यः वमाङ्ुलाम्‌ | ततोऽसौ TARTS जानात्येव कन्यकाम्‌ ॥९ ON खवेरोगकरं तच्छं acd भविग्यति |

इति ध्यानेन गात्मा at सधां गावबुध्यते ne oe प्रत्यक तमसंभाग्ये Tare They विखितः |

तदा fered महानसखनियुक्कः ne ९॥ किमेष मकार दौयमानमपि स्फुटम्‌ |

परमान ररज्ञाति दरात्धपि गोन्तरम्‌ Wee of विद्रार्वदगोऽच्यनतं निमोखितविल्ोचनः | CAVA GHA: काटटकौखवत्‌ ॥१॥

तदथं मोचितो मन्ये TCT पापभाक्‌

यद्वा AS वराकसख्छ दोषोऽयसुपलभ्यते ey

प्रथमः प्रस्राव, |

अयं डि रोगजाशेन बहिरन्तख afer: | बेदनाविद्कशो मन्ये fe आनाति किंन ney अनन्यया RIAA REACT: | अन्डताख्ादमप्येव wzelaTesara: ४॥

aca निगेदो wat केनोपायेन जायते |

wei विद्यते चार मम तर भेषजजयम्‌ ॥१॥ यन्तावदिमलाखलोकं माम मे warez | समस्नेजरोगाणां तदपाकरणचमम्‌ ॥१॥ खच्छब्यवदहितातोतभा विभाव विशो कमे

परमं कारणं मन्ये प्रयक्तं तङिधानगतः HoH AMAR माम यच्च MUSH परम्‌ विद्यते मम तत्छवैरोगतानवकारण्म्‌ ॥८॥ विशेवात्पुनर्काद सदनं तदुदाइतम्‌ |

दृढं पदुदष्टिवे कारणं वणितं बुधैः nes महाकखाणकं नाम यच्ेतदुपडौ कितम्‌ परमाश्ञमिदं Waa निमूखनच्चमम्‌ ॥१ ०॥ rasa विधिना वणं पुष्टं तिं wea HUTT A TEAR खतोयेताम्‌ ॥१९॥ तथालरामरत HAlSaAG संशयः |

नातः परतरं मन्ये लोकेऽपि परमोषधम्‌ ॥१९॥ तदेनमञुना सम्यक्‌ कऋषशापि तपस्विनम्‌ |

aifipat मोचयामोति fra तेनावधारितम्‌ ॥१३॥

Re:

RR

उपमितिमवाप्रपश्चा कथा |

ततः werararate विन्यश्वाये तदश्जनम्‌ |

तस्य धूनयतो Darafsa तेन लोचने ie ve प्रह्ादकलवाच्छोतलादचिक्धगु योगतः तदनन्तरमेवाख् चेतना पुनरागता ॥१ ५॥ अवाद खो खितं चचरविंगष्टा इव तर्गदाः | मनागाद्धादितञिन्ते किमेतदिति मन्ते we en तथापि «aaa मिखारखणल चण्डम्‌ | पूर्वानेधवश्राञचैव wane fara १-७॥

विजनं वर्ते wa arent efeare | गद्ुकामो दिगन्तेषु दृष्टिं WH पुनः पुगः ॥१८॥ अया श्जनवशाहदा पुरः संजातचेतनम्‌ |

तं रोर मधुरेर्वाष्येधंमंबोधकरोऽ्रवोत्‌ ॥१९॥ faregea भद्र तापोपश्मकारष्षम्‌ |

चेन ते Baa सभ्यक्‌ शरौरस्लोपजायते ॥२०॥ तु शंकाङ्ुलाकूतः किमनेन भविव्यति।

जान इति मूढात्मा नोदक पात॒मिष्छति ne en हृपापरोतविन्लेन दितला्दनिच्छतः | बलाटिडत्य वदनं सखि ae गाल्ितम्‌ ॥२२॥ aware चिक्ाहवादकर परम्‌ |

नोर मोरितशवापं Tat Wa इवाभवत्‌ we vi MASATAAN TST जातान्दगदतानवः |

चच्याद्धिनतदाहा ज्ििष्लतोऽषौ sage ॥९४॥

TTA: VATA |

सप्रसनेन्दिथपामः खष्येगेवाम्तरात्मना खओऽचिमाथदिदं चिन्त किविदिमलचेतनः ne vn महामोहषतेनाहो नरोऽयमतिवस्षशः |

मया महात्मा पापेन Tena Tila: ॥९ gt ममाश्जनप्रयोगेण विदहितापदुहृष्टिता |

अनेन तोयपानेन जनिता खस्ता परा ॥२०॥ ARMANI ति featured मया | महानुभावतां FH AWAITS प्रवन्तेकम्‌ ne cy एवं चिन्तयतोऽप्यस्य मूच्छ तज कद शके |

माढं भावितचिग्सलाख कथं चिजिवन्तेते ॥९८४ अथ तद्भोजमे दुष्टं पातयन्तं सुञजसुञजः | विदिला बदनिप्राथमितरसमभाषत 2 ०॥

रे द्रमक ThE किमिदं नावबुध्यसे

SAT कन्यका Mee TAH प्रयच्छति we ce भवन्ति रोराः प्राये बरहवोऽन्येऽपि पापिनः

awa नास्ति निर्भाग्यो मयेतत्परिगिचधितम्‌ ween

qe कदशलान्पय्याद्ुधाकारमिदं मया | दाणमान. Uris परमान्नमनाकुलः We sh WAIT वाद्याः कस्वासिष्टन्ति दुःखिताः तेष भगेवादरोऽस्माकं ते राज्चावशोकिताः ne git Urey भवनं Te मनागाण्हादितो इदि तवोपरि नरेश दथातोऽस्तोति गम्बते ve ws

RQ

Re

छपभमितिभवप्रपसता कथया |

faa प्रियं सदा gu: खामिनः सेवका इसि | थो न्यायलद्विधानायं वयं afl दयाखवः we ge अमूढशश्छो राजायं नापाजे करते मतिम्‌ | अवष्टम्भः किलास्माकं तथा वितयोरतः tie con ददं हि मधराखादं खवग्याधिनिबरेणम्‌ भादत्से खं कयं AS कदे TAG: ॥१८॥ अतस्छजेदं Tag ग्टहाणेदं विशेषतः | यत्मभावादिमे प्छ मोदन्ते सद्मजन्तवः He ततः संजातविश्वासस्तथाविभूंतनिशंयः | त्यागववनारौनसं प्रतोदमवोचत ॥४०॥ यदेतद्गदितं aaa मम भासते

fa तु विन्नापयाम्येकं वचनं तज्िवोधत ॥४१॥ यदिदं भोजनं माय aH कपेरोदरे प्रारेभ्योऽपि विज्ञे सखभावादतिवक्लभम्‌ ॥४२॥ उपार्जितं सः ana काले निर्वाहकं तथा

ददं तु तावकं माह जानामि नम कौदृशम्‌ As Ue तदिदं नैव मोक्रव्यं मया wifey ade दि देयं खदानेन दापय Gator ॥४ ee इतरस्तु तदाकष्टे मनसा Tawra | पम्ताचिन्धसामष्ये AUT ॥४ ५॥ यदयं ZAR मोहात्छवेव्याधिकरे रतः | असिम्‌ कद खक मेतन्ताय मम मन्यते ९॥

प्रचमः परावः |

तथापि fataretsts च्रिखयामि तपस्जिनम्‌ | थदि मोहो विन्लौयेत anes दितशुलमम्‌ ee Cerna ante भद्र fa aerate wifufarnat: af रोगास्तव ws ॥४ te एतदि भङ्ितं स्वैः स्वदोषपको पनम्‌ |

आयते नितरां तेन ere शद्धवुद्धिभिः ॥४९॥ तवापि भासते भद्र विपर्यासारिदं इटि |

अदि Wis quafg मामकान तत्वतः Hos ATS AAAS AVIA

को maraaarery विषमापातु मिच्छति 04 ek TVG माहाक्य सखिच्लस्य

किम ye wer येन मदो गागुतिष्टि neuen

यश्चोक्रम्जितं aurfed सुध्वामि at am: | तथापि sent सौन्व ate दिला ware nies येनेवोपार्जितं Gy Swed वेते Gwe yates aqua ११४५ ` UVa त्यजामोदं काचे fatwa धतः तजाप्याकष्छेतां arava तच किपयेयम्‌ ५५५६ अभन्तदुः SRT TE यद्यपि | एतद्धि किं war Wel दु ःखलसोन सवेरा ॥६४.९॥ इदं तु तावकं नाहं नामि मम Blew | SEN तन fama वच्छमाकं लक्षा TS Fy 4

RU

उपमि तिभवप्रपश्चा कथा |

ay विना सदाकालं प्रयश्छामि यथेच्छया | परमान्नमिदं तुभ्य ग्टहाण त्मनाक्णः WY TH समूलकाषं क्रति सवेव्याधोनिद fe ते)

afe पुष्टिं बलं वं वौर्यादौन्‌ वद्धेयत्यपि nen किं वानेनाख्यो शला सततानन्दपूरितः | ANITA. राजेन्द्रः स्थास्यस्येतद्रला'्तया ॥६ ०॥ ततो सुश्चाग्रह VX Was रोगकारणम्‌ | ग्हाखेदं महानन्दकारणं पर मो षधम्‌ ॥९१॥

प्राह त्यक्रमाजेऽस्मिम्‌ fase खेहविभ्रमात्‌ | भहारक ततो देहि स्यस्मिग्मे सरभेषजम्‌ eg २॥ ततो fauna निबेन्धमितरः पथकल्ययत्‌ |

भेवास्य `शिणोपायो विद्यते ऽन्योऽधना स्फटम्‌ ng att ततोऽज विद्यमानेऽपि दौयतामिदमौषधम्‌ | पञादिन्नातसद्भावः खयमेव विहाख्ति ud ४॥ इत्याकलय्य तेनोक्रो ग्हयतां भद्र बप्रतम्‌ | परमाश्नमिदं सच्चो ग्टहोतला चोपयव्यताम्‌ ne ul एवं भवतु तेनोक्ते संज्ञिता तेन तद्या | qu तथाः wear तत्तेन ava भरितम्‌ een ततस्तदुपयोगेन Tyer. Ufa `

मष्टा इव TATA Be सर्वाङ्गसंभवाः CH धासावद्जनखपाश्चा धा सा सखिखोद्धवा | सुखासिका, Tare सानन्तगणतां गता ne sh

¦ : प्रथमः aay Re

४. =

अथ UIgHag fers: प्रमोदितः तं प्रत्याह नान्योऽस्ति नायो मे भवतो विना ngew यतोऽनुपतेरव भवद्धिर्भाग्यवजिंतः |

अह सर्वाधमोऽ्वमेतावदनुकंपितः NO of

इतरः प्राह यद्येवमु पविभ्य चण त्वया |

| श्रूयतां यदह वद्धि BAT तञ्च समाचर Work

अरयो पविष्ट fare aferg प्राह दार्मिः। ` मनः प्रह्काद यस्तस्य वशोभिहितकाम्यया wean ` यद्ग्वधायि भवता मायोऽन्यों नालि मेऽधना { तज्ञ वाच्यं यतः Tal तव वर्यौ नृपोत्तमः woen ` अयं हि भगवान्नाथो भवनेऽपि चराचरे ` `: विशेषतः पुनर्थेऽन भवने सन्तिं जन्तवः Ho gH

येऽस्य किकरतां यान्ति गराः क्द्याणभागिन्‌; ` ;. | तेषामच्येन कालेन भुवनं किंकरायते ॥७५॥ .“ येऽत्धन्तपापिनः सत्वा यनेव सुखभाजमम्‌ |

ते वराका नरेग्रस्य AMAT जानते ॥७६॥ |i ये भाविभद्रा geal ease महात्मनः ` ` . :

तेषां खकमेविवरो दात्य प्रबेश्कम्‌ WOoH . £ aga: प्रतिपद्यन्ते तेऽमुं नाद्य संश्रयः ~ ,.* वित्रेषाण्वानते मुग्धाः vara कथितं मया pour “« तदेष MUA भद्र जात एव नरेश्वरः ` ` - ˆ

यतः प्रति. पर्छेऽख्िरन प्विष्टस्वं, सुपुष्यतः. Neen 7

ae

खपमिलिमवप्रपच्ा Gut |

aad तु faite मदवसाः प्रपद्यताम्‌ | SAAT नायो भवता WHEAT ॥८०॥ विशेषतः Grace शुणस्तागवभो च्छसे |

चथा चथा गदा TS थाख्छज्ति तव तानवम्‌ ॥८९॥ wa तानवोपायोऽमोषां ATH कारणम्‌ | भेवजजितवश्याख्छ परिभोगः wa we ॥८२॥ males ओोधतामज भवने सुक्रसंश्थम्‌ |

त्वया चयमिदं yur सुष्छानेन प्रतिचष्षम्‌ ac att are दजितागेवरोगत्रातो नरेश्वरम्‌ |

विगरेवतः warts भवितासि sata: ॥८४॥ xe तहया तुभ्यं दाखूछत्येलदिमे दिने |

किम बनोक्ेन भोक्थ्यं भेवजच्रयम्‌ ॥८५॥

ततः प्राह्धादितः GI sete कोमसैः | THATS एवं TART ॥८६॥

ददं नाद्यापि शक्रोमि WIR कनकम्‌

अन्यत्त चन्या किंचित्‌ ave तत्समादि श्र ॥= of तच्छरला alts चित्ते धामेवोधकरे सद्‌

शुच्ेदं चयमित्युक्षः किमेवं बत भाषते ॥८८॥

ar ज्ञातमेव तुष्छत्वारेवं चिन्नयते इटि भोजनत्थाजनाच मे aaisd विस्तरो भिराम्‌ ॥८९॥ किष्टचिषनो amet मन्वते दुष्टमानसम्‌ | Wyifadua: et wafer विजानते ॥९ ot

TUT: प्रखादः |

ततो fawe तेनोक्त मामो fare

नाधना त्याजखामौदमन्नमेधि निराङ्खः ve १॥ अहमत्याजयं पूवे तवेव हितकाम्यया |

यदि at रोचते aed तुष्लोभावोऽब मे मतः ॥९२॥ यचचेतद्पदिष्टे ते प्राक्कन्तेव्यतथा मया

तद्ज भवता किंचित्‌ किं सम्बगवधारितम्‌ ne el सोऽ्रवोजेव nara fafedefed मथा |

Bae पेश्रलाकापेस्तावकेम दितो इदि ue ve अश्चातपरमार्थापि सतां नुनं wear | चेतोऽतिखुन्दरलयेन प्रो कथयत्येव देहिनाम्‌ wwe श्न्य् चेतसो WY नयने तव संसुखे |

विशत्येकेन कर्णेन वचो थातौतरख मे ie ९॥ चद्चाच मनसो गाय वेधं मम कारणम्‌ तर्ाप्रत भयापायात्‌ कथयामि निराङखः ie eg चदा श्ाकारितः पै भवद्भिः करुषापरैः | अहमन्मदाना्थे तदा मे इदि वर्ते ॥८ ८॥ wree wfeeter नामक भोजनं भरः | तदाक्ूतवग्राडाडं WATT VAT गतः ॥९ <॥ चदा प्रगोधितः TESA Gee: भवद्धिखिन्तितं दषे नश्धामोति तदा मया ee ok चटा तु तोयपानेन water वपुर्मम

कतं सभाषणं area किश्रंभमागतः ॥१॥

उपमिंतिभवप्पश्चा कथा |

चिन्तितं मया योऽयं ममेवमुपकारकः |

ACTA: कथं स्यादलहारकः २४ fagad गहाणेदं यदा art: प्रजण्पितम्‌ | तदा fa करवाणोति fedargeat गतः en नेष तावत्छयं लाति त्धाजयत्येव केवलम्‌ |

am नेतं शक्रोमि किं वदामि aaa ॥४॥ सत्यस्मिन्‌ देहि मे भोच्यमिन्युक्र दापितं बया तदाखादात्पुन श्वतं ममायमतिवल्छल्ः wt

तत्‌ किमस्य वचः कुवन्‌ सुश्चामोदं खभोजनम्‌ | aire तु gusta मृच्छेयाकुलसेतनः Wg श्रयं वक्रि हि ततेन wate मोचने | अहो व्यसनमापन्न ममेदमतिदुसंरम्‌ ॥७॥ एवमाङ्खुलचिन्तस्य यन्नाथेबहभा षितम्‌ |

तन्मे खतघटस्येव शुटित्वा पाश्चतो गतम्‌ ॥८॥ नाधेना त्याजयामोति भवद्धिन्नातमानसेः | Tar Gates मनाग्‌ च्चातो निराकुलः wet तद्‌ aa सप्तं भायाः कन्ते्यं पापकमेणा यज्प्रयेद्‌ चिन्तन येनाहमवधारये th? © Ui AIH TATA. यदुक्त प्राक्‌ BATA: | अविस्तरतरं तसे तत्पुनः प्रतिपादितम्‌ ue tt ततोऽश्जमजलान्ञानां atx विश्वतः | प्रायोऽज्ञातगुणं ज्ञाला तं प्रतोदमभाषत ॥१२॥ `

पथमः Wea: |

अहं तात ARG प्रागादिष्टो यथा त्या |

यो ग्येभ्य एव za मटोयं भेषजचयम्‌ ॥१ ah अयोग्यदन्नं नेवेतद्‌ पकार THT |

प्रयतानयेखं तानं विदधाति विश्रेषतः ॥९४॥

मया ve तदा भाय कथ ज्ञास्यामि तानहम्‌ | ततः प्व्युक्रवान्‌ राजा तेषामास्यामि लक्षणम्‌ ५॥ थे तावदस्य areata रोगिणि योग्यतां गताः | खकमेविवरस्तेषां ग्टदेऽच प्रवेशकः ॥९६॥ सोऽप्यादिष्टो मया ya ये योग्या danse | प्वेशनौयासे मान्ये भवमेऽज त्या ATT. eon परविष्टा श्रपिते दृष्टा मोदन्ते मैव मदग्टहम्‌ तेषां a मामिका दृष्टिविगरेषेण factfear ue cn ते इन्यदारपालेन स्यः कथं चि्प्रवेशिताः

व्यापि जिक्रतो ज्ञाता aster: प्रयन्नतः nee ये मग्मन्दिरिमालोक्ध जायन्ते Weta: | रोगि्णो भाविभद्रत्वाज्निरोखेऽहं विशेषतः ne ot सखकमेविवरागोता ये मया faatfaar: |

ते च्रेयास्तितयस्याख पाचश्छतास्खथा नराः ॥२१॥ तेषां तु निकषस्थानमिद मेवोषधचयम्‌ | TAT WAL: संग्रहेतर कारकम्‌ ॥९९॥ येभ्योऽटो रोचते fet was गणकारकम्‌ | sane . विशेषेण ते सुसाध्याः wali ar: ne an

RR

खपमितिमबप्रपश्ा कथा |

a नादितः प्रपद्यन्ते बलादेषां fared | RAIS ते नेयाः रच्छरसाध्यास्लयामुगाः ee si Sat रोचतेऽत्यथे क्रामति नियोजितम्‌ | ZB दायकषेऽप्यस्य ते त्साध्या गराधमाः we un तरेतद्राजराणेन मम यक्छप्रदायितम्‌ |

तेन ते wear जखणेन विभाव्यते we ६॥ अन्यश्च ये प्रपद्यन्ते भवतोऽमुं AUT |

uraenta विशेषेण नायं निःशंकमानसाः #₹७॥ अचिगधवो येखपूर्णा निःरेवगदबरदिणौ |

तेषामेव मकं we मरोया भेषजक्रिवा ॥९८॥ अतस्त्वं प्रतिपद्यख नायलेन मुपोत्तमम्‌

भावषार महात्मानो भक्रियाद्या यतः सताः ॥२९॥ अनन्तास्तात रोगानां भक्तितोऽखुं नुपोन्तमम्‌ | प्रपद्य खामिभायेन wer जाता, शतश्रिथाः ॥२ ot बलशिमस्तावका रोगा Taw was मनः | महायन्नं विना नाच wed गदसचथः ९॥ AAG प्रयतो ला wat खं faqe मनः | fear निराङ्कखोऽचेव वितते राजमन्दिरे een आदाय कन्यकादस्तात्मयुच्लानः खणे Te | भेषजबरयमेतन्वं HCA CAAT Bh ततस्तथेति भवेम zeta सेन ace: |

तेनापि agar ae विहिता परिषारिका ween

OTH: Tera: |

ततः रलेकरैश्ेम भिचापाजमनारतम्‌ |

तदेव पालयन्‌ कालं कियन्तमपि fea: ve wt ददाति तद्या aa जितयं तददर्निंशम्‌ |

कदन्ने मूच्छितस्याख्य केवलं तज नादरः ne en प्रायेण बड़ YR water कुभोजनम्‌ AIAG दयादभ्तं तदूत्रजल्युपदं शताम्‌ 2 Of we तया wom fire नेजयोः कचित्‌ तश्च MUSH पातु तदचस्तः RAMA cil महाकश्याणकं दन्तं GRU तया बड

Yars रेखया शेषं get निदधाति खः ween तन्छांनिध्यद्चणान्तश्च तस्यां wage | शअरदतोऽहनिंधं aarfast नेव प्रपते ween

ततो गाढतरं तुष्टो दद्धि इदा wate |

नचासौ तदिजानोते यन्धाराक्येन वदधते ॥४९॥ केवखं aw ग्ङ्धात्मा जितये शिचिखादरः | arrafa नानाति कालं मयति मोहितः ny en अहर्निग्रमपय्यं again: कुचिमानतः | जितयेऽनादराखादौ रोगोश्छेदभाजनम्‌ ॥४२॥ तावश्माचेण yer fay तच्छ गणो महान्‌ wren ते रोगा चनौता तेन याप्यताम्‌ ॥४ sh AUT AT HATTA MUTT: | afefearceratre cuefer wert ॥४५॥

RR

Re.

उपसमितिमवप्रपञ्चा कषा |

कचिव्छलं कचिदाहः कचिनपूच्छा कचिक्वरः afesfe: चिव्नाद्यं कचिद्‌्इत्पाश्ववेदना ie ¢t कचिद्न्मादसन्तापः पथ्ये क्चिदरोचकः |

ने रोगे विंक्रियापन्नेः WTS प्रजायते Ws On कद्‌ चित्तदया Ter तं विकारेरुपइतम्‌ | श्राक्रन्दन्तं रछपोपेता सं चिन्धेत्धमभाषत ॥४८॥ कथितं तात तातेन aca तव वक्ञभम्‌ एतज्िमिन्तकाः वं रो गास्तवशरोरके sce तथापि दृष्टटत्तान्ता माग्डदाङ्लता तव तद्भक्यन्ते Teta भवन्तं नेव वारये ॥५०॥ परमखाख्ण्यहेतौ ति जे यिष्य waa

एतत्त रोचते तुग्व खवंखन्तापकारणम्‌ ॥५१॥ अधना कन्दतो नास्ति हेतुः SATIS कारकः | अपथ्येऽत्यथे . सक्तानां खगत्येव भेषजम्‌ ॥५२॥ श्रपवादो ममाप्य यतस्ते परिचारिका |

प्रत्य wath कन्तु खास तवाधुना ULI इतरः प्रा यद्येवं वारणौोयस्वयासुतः | अमिशलाषातिरेकेए त्यक्त सख्यमुत ॥४४॥ कदा चिच्त्मभाषेन स्लोकस्तोक विसुद्चतः | स्वल्यागेऽपि wine कदश्ञस्य भविग्यति wan ary साधूदितं भद्र युकमेतद्भवादृ श्राम्‌ |

LEAR सा कदन्नं -न्यवारयत्‌ ५५ ६॥

प्रथमः प्रस्तावः |

MARAT रोगा यान्धस्य तानवम्‌ |

जायतेऽधिका Ter ames भेषजम्‌ ॥५७॥ वशं सा nad तदा पथ्येन तिष्टति | अपश्यमस्पमख्राति जायते तेन Bear yy cy यदातु सा क्द्िरिस्था लान्यय्यान्तत्कदन्नकम्‌ | wit fates सोऽत्ति तेनाजौरंन Te nies Way तद्या तेन घमेबोधकरोश सा | परामेवाशेषलोकस्य UK नियोजिता ok खानममसत्वषहमतव्यापार करणोद्यता |

तन्मूले कचिदेवास्ते शेषकालं समुत्कलः ६९॥ अपथ्यभचणासक्रः केनचिदवारितः। विकारे्बाध्यते wea दरास्ते Awa ve ९॥ कदाचित्पोडितो इष्टो धमेबोधकरोण .सः | सोऽवादोत्‌ किमिदं भद्र weet न्यवेदयत्‌ WE ah इयं हि agar faa मत्पार्चंऽवतिष्ठते | तदेकशाञ्च मे रागाः प्रभवन्ति विशेषतः vi लस्माश्ायास्तया युयं कुरुष्वं यन्नसुत्तमम्‌ |

यथा पोडाभ मे देरे खप्रानतेऽणुपनायते ॥९५॥ सख प्राइ ae ते पोडा जायतेऽपश्यसेवनात्‌ |

wa तु तदहूया ग्रा क्मांम्तरमियो गतः ve an

या वारणं विधत्ते ते सदेवापश्चमश्नतः |

यदि arargnt काचित्‌ क्रियते परिचारिका ॥९७॥

११५

उपमितिभवप्रपश्चा कया |

RAT SAAN: पथ्यसेवापर।ङनुखः | कदन्नभकणोधुक्षस्तस्य किं करवाणि ते ॥९८॥ इतरख्लाहइ मामैवं नायावदत सांप्रतम्‌ |

Mae यु्मदादेशं Bray कथद्चन ॥१९॥ तदाकष्छ मनाग्‌ WaT चणमाचमवोचत | धर्मबोधकरस्तख्मे हितायोश्तमानसः 110

अस्ति मे वथनायन्ता खद्बुद्धिर्माम दारिका |

तां ते करोमि frat विगरेषपरिचारिकाम्‌ wo tn at fe संमनिडिता fay पश्यापश्यविषेचिका। तुभ्बमेव मया दन्ता माकार्षौ िग्वेङ्ञवम्‌ ॥९२॥ केवलं सा विशेषज्ञा वैपरौत्य विधायिनाम्‌ | अनाद्रवतां dat मोपकाराय THA HORN

यदि तेऽस्ति qararg? दुःखेभ्यो यदि ते भयम्‌ | ततः खा वक्ति यत्किञ्चित्‌ कन्तु aM तदेव ते pegs एष एव AAA यन्तदादेशवन्तंनम्‌

तस्ये रोचते स्यु नेव AG रोचते ous अनेकाख्छयुह्कापि agar कचिदेत्य ते प्रतिजागरण भद्र करि थत्धन्तरान्तरा NO ६॥

केवलं परमायस्ते कथ्यते दितकाम्बया |

खद्बुद्धौ सततं यनः कन्तः सुखमिच्छता pon ये मूढाः सम्यगाराध्य सप्रसादां ङवते |

wat तेषां eet नादं are: प्रसौदति ॥७८॥

घरयमः प्रखादः |

शअप्रसादहता नित्यं जायन्ते दुःखभाजनम्‌ |

ते यतोऽन्यो waste Yacfa सुखप्रदः rec सखाध्यौमा ata THETA मददिधादयः।

तवेयं सुखदेतुत्व तसरादाराद्धमेसि ॥८०॥

एवं भवतु तेमोक्र इता सा परिशारिका |

ततः wef भिचिन्लो धमेबोधकरोऽभवत्‌ ॥८१॥ यावदास्ते दिबान्येषा कतिचिन्लख्छ weer तावच्च सल संपन्नं तदिरानौ निबोधत ॥८२॥ अतिखौद्धेन यः ya खादश्नपि wafer |

कदन दरि गेवान्ति we चिन्तापि aga ween पूर्वाभ्वासात्‌ wfege tae द्रत्िकारणम्‌ |

जायते नं तत्खाख्छय विहन्यार्‌ WENA: ॥८४॥ RAAT AW HITT

खयं तस्य बलात्तस्िन्‌ अ्रभिखावो ऽभिषद्धेते ॥८५॥ अहिते गटह्मभावन fea चामिनिवेश्रतः |

यत्तदा तस्य संप तश्चेतदमिपौयते ॥८ ९॥ बाधन्ते नेव ते रोगाः wt जाततासवाः |

यापि पौडा भवेत्‌ aria सापि wht निवर्ते ic eg विश्चातख सुखाखादो नटा Freer |

गाढं Want तोषः waarmee चेतसि ॥८८॥ अन्यद्‌ात्यन्तदष्टेब ममा रि खितः |

VEG aged जस्यति निराङ्कः ॥८८॥

qe

as

उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

uz किमिदमाख्चये wat मम ata | एतहःखाकर VA यत्घुखाकरतां गतम्‌ ॥९ ot

सा प्राह TART सम्यकपथ्यनिषेवणात्‌ | खमस्तदोषमूलेऽसिशदिते लोख्यवजनात्‌ ne १॥ मल्छान्िष्याख ते भद्र BRA कदश्नकम्‌ | प्रागग्वाखवशा चिन्ते HATTA प्रजायते Ne २॥ SAIN तस्य सम्भोगोऽकाथरूपः प्रकाशते |

ततश्च wea कामचारो निवन्तते ne at ततस्तहुक्षमप्गे नात्यथं रोगवद्धंनम्‌

Aaa इादसषेद्या जाता तव सुखासिका we ४॥ दतर स्वाह यद्येवं सवेथापि त्यजाम्यहम्‌ |

Sz: ACH मे येन जायते सुखमुत्तमम्‌ lic ५॥ सा त्वाह युष्यते किन्तु सम्यगालोच्य संत्यज | ance खेददोषेण प्रागिवाकुणता पुनः ॥< gi थदि व्यक्ते TAM खेहाबन्धोऽनुवत्तेते | ततोऽ्यागौ वरः कस्मात्‌ सखेहोऽसियो गवधेकः we on अरपार्यमश्नतोऽप्येतद्धेषजजयसेवनात्‌

atna याता तेऽस्ति सापि चात्यन्तदलभा he oH सवता गं पुनः BAT यच्यात्तदभिलाषुकः। धाणतामपि माप्नोति महामोरदोषतः ॥< <॥ तदेतस्घम्यगालोच्य यदि चेतसि भाषते |

ततोऽस खवथा त्यागो युध्यते करतूसुत्तमैः ॥४ ° ° |

WIR: प्रस्तावः |

सद्बद्धेखद चः Far मनाग्‌ दोलायितं मनः

ve किं करवाणोति नासि सम्यम्‌ विनिश्चयः ॥२॥ अन्यदा परिभुच्योचेमेदाकल्याएकं बड़ |

तत्‌ कदन्नं ततस्तेन प्राशितं ater किल ॥२॥ ततः सदन्नदप्तलात्‌ VTA: सन्निधानतः |

arg तेगृणेचिन्ते तदानौं प्रतिभाषते wen

अदो कुयितमत्यये लष्मनौ यं मलाविलम्‌ |

Tava विरसं निन्द सवैटोषौघमाजनम्‌ ४॥

ददं मे भोजनं मोइस्तयापि निवन्तते | नेतत्यागादते मन्ये fad सुखमाप्यते ॥५॥ asta पूव॑लोद्येन कदा चिन्मे तिभवेत्‌ | agen सापि दुःखौघकारिणौति निवेदितम्‌ ven रत्यक्त दुःखजलधौ सवदा स्येयमश्नसा |

तदच fa करोमौोति पापोऽहं सत्ववजितः ॥९॥

यवा

faa: करियते मोहा दालजाल विचिन्तनेः | मुञ्चामि sara? agra agfaafa ॥८॥ यदा किमज्र यद्भाव्यं भवत्येव मे सतिः |

को नाम राज्यमासाद्य BLY STASI ॥<॥ एवं fafa तेनोक्ता सद्‌ बुद्धिः चालयख मे भद्रे भाजममेतत्वं feat सवकदन्नकम्‌ on

Re

उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

तयोक्रं एच्छछयतां तावङ्मबोधकरसछथा |

क(लेन विक्रियां याति सम्यगालोश्य यत्‌ हतम्‌ it tl ततः सहेव सद्बद्या धमेबोधकराग्तिके

गला सर्वोऽपि ठनान्मस्तेन तस्म निवेदितः ne Re साधु साधु रतं भद्र धरमेबोधकरोऽज्रवौत्‌ |

केवलं निखयः काया येन नो यासि हास्यताम्‌ nt en सोऽवादौत्‌ किमिदं मायो wat शयो विकश्यते | एष मे निखयस्तस्मिन्ञमगोऽपि vais ne ४॥ ततोऽग्ेषजनेः ag walare विचण्ः | रत्याजयत्छ ATS TS: TUTTI ॥९४॥ AURMUCRSSM पुमः TTA |

प्रमाद तिश्रयालतज दिने इङ्धिमकारयत्‌ ue ९॥ धमेबोधकरोष्टस्तदया प्मदोडरा | uzafgafgarrar मुदितं राजमन्दिरम्‌ ९। WAY जने वादो योऽयं राश्नावलो कितः | ध्मेबोधकरस्वेष्टसलदयापरिपाखितः ४१८॥ सद्बद्याधिष्टितो नित्यमपथ्यत्यागकारकः | भेषजभयसेवित्वाद्रौ गो धेस MATA: ९॥

नो fawn: किन्तु महात्मष aque: | ततस्तदेव Gd ामास्येति सपुश्छकः ॥२०॥ कुतः qafavinat सामयौ भवतौदृै | जनद्‌ रिद्धभाग्‌ मेव चक्रवन्तिलभाजनम्‌ ॥२ ९॥

प्रथमः Wey |

सदद्धिखहयायो गान्तिष्ठते राजमन्दिरे

ततः nafs यत्तस्य aaa तल्िबोधत ॥२९॥ अपथ्याभावतो मास्ति पोडा Se परिस्फुटा | कचि्य्॒ाख्पकाला यदि स्वात्पुवदोषजा ne at ततः सयं TATA शोकव्यापारद्यन्यधोः | विधन्त विमलालोकं नेजयोर श्नं सद्‌ा ne ge तत्परौ तिकर तोयं पिबत्यश्राम्तमामसः | मराकल्ययांणकं YR तत्दन्नमनारतम्‌ ॥२१५॥ ततो बश तिः are कान्तिरोजः प्रसलता | बुद्धिपाटवमच्वाणां aga ce प्रतिकणम्‌ ie gn नाद्यापि सम्यगारोग्य बङलाद्रोगषन्ततेः |

लायते केवलं देहे विशेषो दृष्यते महान्‌ ue on थः Tra: wares बौभव्छद शेन | | तावदेष संपन्नो मानुषाकारधारकः Net

चे रौरभाषे भावाः प्रागभ्यसास्ते सन्ततम्‌ ` तुच्छता क्लीवता शौल्दं ओोकमोइभमादयः weet अधो पभोगात्ते सवं नष्टप्रायतया तदा |

बाधका मनाम्‌ जातास्तेनासौ स्फौतमानसः FR ०॥ शरन्यदात्थन्तदष्टात्मा सद्बद्धिं परिष्च्छति |

we यमिदं लब्धं मयेतत्‌ केन कमेण we ee ARR तात लभ्यन्ते सवेऽयां दन्तपूवंकाः |

दति वर्ताजने लेन दत्तमेतत्‌ wf need -

6

४६

„+ + न्@

द्द्‌

खपमितिभवप्रषचा कथा |

ततः सञ्धिकथत्थेवं वितौके यदि wat |

CS सकखकचषकारणं भेषजचयम्‌ ॥२ ददानो Wes: प्रयच्छामि विग्रेषतः VIIA येम शपेत दमच्यम्‌ 2 ४॥ तश्च चायमवष्टम्भो राजरानावलो कितः | धमेबोधकर खेष्टस्तदयापरिपूजितः Was ५॥ wifaa: सवेशोकेन eagaicaw: |

अदं सपुरकस्तेम STA वन्तं किलोत्तमः ॥२ ei

ततस |

यदि at कञ्िटामत्य xwrifaafa मानवः | तदाख्यामोति wart दित्छुरप्येष तिष्ठति ween श्रयन्तं भिगुणोऽणन महद्भिः तगौ रवः |

गुनं खंजायते गवौ यथासं THAT: ॥२ ८॥ तज ये मन्दिरे Stara सवं जयभोजनाः | weerea भिचिन्ताः संजाताः परमेश्वराः Wen भ्रविष्टमाजा विश्चन्ते तादृश्रा येऽपि निःखकाः | Asma एव तद्‌ श्रि लभन्ते मेषजजयम्‌ ॥४ ot ततो कञचिन्त्यूले तदयञ्ुपतिष्ठते |

fey fafedqqatwart प्रतते use खिलापि कालं उ्यांखमलम्धप्राथंकस्ततः | खद्बद्धि पुनरप्येष acd परिषटच्छति ag ei

खा प्राइ भद्र नियत्य धोषण पूवकं तया |

TAR: Tks |

grant यदि zeta: केचि्छारतिषुन्दरम्‌ as en ततोऽसौ जोषचत्युेमदो यं Hera |

खोका गन्नोत aeia we तम्मिनलटाखते us en ततः पृड्वतस्शस्मार्‌ग्टश्ञौयरतितुच्छकाः |

ये तज तदिधाः केचिदन्वेषां a इदि शितम्‌ ॥४५॥ WU प्राग्‌ दष्टदारिन्चो रोरोऽय मन्ततां गतः राजववश्रेनास्माम्‌ गाइयत्थातमभेषजम्‌ ee ततः केचिद्धखनधुयैः केचिदुप्रासयन्ति तम्‌ |

अन्ये Wega तिष्टन्ति विगतादराः ig en अथ तं तादशं वोच दागोत्ाइविबाधकम्‌ | HATTA ALIS: RITA ॥४८॥ ग्टञ्न्ति इमका NE रटन्ति महाजनाः | ममेच्छा यदि सवेषामेतेषासुपयव्यते user पर्यालोचे दृढं पटवो वन्तसे fanaa’ |

तदच हेतुविेत ACI महात्मनाम्‌ ॥५.०॥ तदाकष्ठ महाका नियक्षारमनेन भोः feral महाध्यानं प्रविष्टा at विचक्षणा ives अथ निखित्य गभांथे काथस्येत्वममाषत |

एक एवा हेतुः VT याणे SAEs: ॥५९॥ राजाजिरे विधायेरं , काष्ठपाश्ां wag | aqua. faurerat तिष्ठ fanaarre: ॥५ खयमेव ग्ररौव्यन्ति शुन्यं ger तरयथिनः |

88 उपमितिमवप्रपश्चा शया |

रन्तो रोरभावं डि वलत्‌कारान्ते गते ॥५ ४॥

wa कञ्चिदेकोऽपि यदि तत्दुणणे गरः

तेन स्वान्तारितो मन्ये चत एतदु टाइतम्‌ ॥५ ५॥

fafgsqiraa पानं fafaar तपोमयम्‌ |

आगमिश्छति तत्पाज् त्याज तारयिव्यति ॥५१९॥

ततोऽसौ afgarraeenr वचमकौ शलते;

faut तन्तथेवेति तमेदमभिधौ यते ॥५७॥

प्रयुक्तं तादृगरेनापि ये गरहोवयन्ति मानवाः |

ते भविष्यन्ति नोरोगा awe तच कारणम्‌ ॥५८॥ अन्यश्च |

mag निष्ष्टलार्‌ awe तदनुग्रहात्‌ |

अरुकम्पापरस्तज BABU ॥५९॥

एष तावक्छमासेन दृष्टान्तः प्रतिपादितः |

श्रधुगोपमयं यूयं कथ्यमानं निबोधत ig ° ¢

अदृष्टमूलपयेन्तं यद कथितं पुरम्‌ |

Vist खंसारविस्तारोऽदृष्टपारः प्रतोयताम्‌ He eH

महामोइदतोऽनन्तद्‌ःखात्रातो विपुष्छकः |

पूवै मदोवजोवोऽयं रोर इति रमताम्‌ ॥९२॥

भिशाभारतया स्यातं यत्तस्य घटकर्परम्‌ |

तदाचुगै णदोषाण्ण AHIMA ॥११॥

fear: इुतोयेका avg बेदनाज्किष्टचिन्लता |

रोगा रागादयो Her WHE कमेसद्चयः ४॥

प्रथमः Teta: |

भोगाः TIRANA यच्च संषारकारणम्‌ | तश्नोवग्द्धिद्ेतुलात्‌ AlAs ॥१५॥ यञ्चासौ सुखितो भाम महाराजः प्रकाशितः जानोत परमात्मानं सवेन तं जिनेश्वरम्‌ ॥१ ah aq afar गदितं राजमन्दिरम्‌ | अमन्तग्ड तिसंपन्लं तभश्चेयं जिनश्ासनम्‌ ७॥ खकमेविवरो नाम यः प्रोक्रो दारपाखकः | श्रक्रौयकमेविष्छदो यचार्योऽसाबुदाइतः ॥१८॥ ये चान्ये सूचितास्तज इारपालप्रवेश्रकाः |

ते मोहान्नागणोभादधा विज्नेयास्तवचिन्भकंः ॥१९८॥ आचार्यास्तज राजान उपाध्यायाः सुमणग्विणः | Taree योद्धा गफचिन्तानियुक्षकाः ॥७ on सामान्यभिचवः स्वे विश्या मूशवर्गिंकाः | Mag ay VAs प्रशान्ताः खविरा अनाः won AST: आद षद्गगतासद्रशाबद्धमानसाः |

Bar विल्लासनोसला भक्रारत्ममदागण्णाः ॥७ es शब्दा दि विषयामन्दवणनं पुनर यत्‌ |

तदेवमयं सद्धर्माष्नायन्ते तेऽपि सुन्दराः worn धर्मबोधकरो He aca मप्मबोधकः |

ATA’ AS या जाता ममोपरि AWB re vi भ्ानमश्चनमुदिष्टं waa जलमुच्यते | चारिजमज fase परमाश्नं मनो षिभिः ॥७५॥

४४

४९ उपमितिमवप्पश्चा aut |

सद्बुद्धिः शोभना बुद्धिः सन्धां या प्रवर्तिका

काष्टपाजो चथाकारा वच्छमाणा कथोच्यते wo १॥

एषा समासतस्तावत्‌ शता सामान्ययोजना |

विग्रेषयोजनाव्यक्रं गयेनोद्‌ा इरि ग्यते ४७

तेद तावन्सलविदुषामेष मार्गो यदुत तेषां कष्याणभिनिबे- शितया भिष्पेयोजमो विकश्पो चेतसि विवकेते। wa कटाचिद- भावितावस्धायां विवर्तत तथापि ते fated भाषन्ते अचय कटा चिदतलश्चजनान्तगेततथा भाषेरन्‌ तथापि fata चेष्टन्ते थदि पुमस्ते निष्कारणं चषटेरम्‌ ततोऽतलश्जजनखार्थाद विशिष्टतया तत्वविदन्ता fanaa तस्मात्तत्ववेदिष्वात्मनोन्तभांवममिखवता षक- लकां सर्वेण सविकण्पजश्याचर शानां wind wan: परिचिन्- नौ यम्‌। तदेदिनां पुरतः areata ते fe निरथेकेव्वणात्म- विकन्पजण्पव्या पारेषु साथेकत्बु द्धि Fara वारयेखरिति। अतो मयापि quan: सायथकलमामेदथते मासुपमितिभवप्रपश्चा- भिधानां कथामारग्धुकामेग कथानकं इष्टान्तद्धारेष निवेदितं तदेत- दद्यवधारितं भो भव्थासतो acacia विषाय fedoras दार्टाम्तिकमर्थमाकणेयत तज यन्लावदद्ष्टमृखपयंन्तं नाम गगर मनेकजनादङुलं सटाख्ायकमास्यातं खोऽयमनादिनिधगोऽविष्छिल- रूपोऽनन्तजन्तु्रातपूरितः GATT द्रष्टव्यः तथाहि

eyes नगरस्य नगरता कल्पयितु अतोऽ wr am रेवखोकारिख्ानानि। इहमार्गायन्ते wrongs: |

प्रथनः प्रस्राव! | ge

विविधपश्ायन्ते नानाकारसुखदुःखानि | तद रुरूपमल्धायन्ते ब़्- विधपुष्छापुष्छानि | विचिज्रचिनोऽ्ज्वलदेवङुशायन्ते सुगतकण- भचाचपादक पिलादिगप्रणोतक्ुमतानि पौर्वापयेपर्याशोचनविकल- सुग्धजन चिन्ताखेपका रितया सदषप्रबखकखकखोपेतद्‌ म्तवालक- शापायन्ते। muse: कषायाः सकशविवेकिमहाशोक चिन्तोदेग- हेतुतया तुङ्गप्राकारायन्ते | महामो इशष्यतया वेष्टकतथा मडहा- परिखायते रागद्ेषाल्मिका eur) विषयजलदुष्यूरतथाऽतिग- गोरतधा विस्तौोरेमडइासरायन्ते श्दादयो विषयाः। प्रबल जखकनल्लो लाकखतया विपयेसजमश्रकुनाधारतया नगम्भोरान्ध- gaa मियविप्रयोगा निष्टषंयो गस्ञजममर णएधनहरणणदयो भा- a) चाखदेतुतया अदृष्टमूशतया च॒ विश्रालारामकाननायन्ते OMT: | इषौ कमनखश्चरोक निलयनकार तया खकममेविविध- विट पिङ्सुमफलशभरपूरिततया शेति |

ag तजर भगरे निष्युष्छको नाम दरमकः afar वोऽ खंसारनगरे बवे न्नज्नावनप्रातेः पूवे पुष्छरदहिततथा यथार्थाभिधानो मदौक्लोवो TEU ययासौ द्रमको महोदरः तथायमपि Nat विषयकद शगदुष्य॒रला सहोदरः यथाऽघौ द्रमकः प्रलौ नयन्धृवगे- wuraafy जौवोऽमादौ भवश्नमणे केवखो gaa केवलो feat केव खकमेपरि एतिढौ कितं सुखदुःखमतुभवति इत्यतो are परमार्थतः afer! यथाऽसौ रोरो दुष्टब॒दधिस्तथायमपि asada चतोऽगम्तदुःखडेतम्‌ विषयानासाद्च परिद्ति Ra कषायान्‌ बन्धूनिव Vat) परमाचेतोऽन्धलमपि

ge खपमितिभवप्पचा कथा |

मिष्याले पदुदृष्टिरूपतया ग्टक्ाति भरकपातद्ेतुखतामप्यविरतिं प्रमोदकारणमाकलयति | अनेकामयेखार्थप्रवन्तंकमपि प्रमादरकद- व्बकमत्यम्तस्िग्धमिचद्न्दमिव पश्यति धण्मेधमहारितया कखरट- कश्पानपि दुषटमनोवाक्षाययोगान्‌ पुचानिव बङधनाजेनभौखान्‌ मन्यते | निबिडबन्धनोपमानमपि पुचकलचधनकमकादोना- ण्हादातिरोकडेदरन्‌ पर्याखोचयतोति यथाऽसौ gaat दारि- श्यो पडत खंयायमपि wa: सद्धमेवराटिकामाचेणापि शूल्यलाहा- रिश्याक्षान्तमून्तिः। ययासौ रोरः पौरषविकलशस्तथायमपि जवः खकमेहेतज्छेदवोय विकशतथा पुरुषकारर हितो विश्नेयः। यथाऽखौ मकः चुल्शामशरोरव्याथमपि जोवः चकलकाशं विषयबुमुचा- मिरृत्तेरत्यम्तकर्षितश्रीरो wag) wsdl रोरोऽ भायः कचितस्तथायमपि जौवः सवेन्नरूपमायाप्रतिपन्तरनायो द्रष्टव्यः | यथाऽसौ gaat गमिश्रयनेन गाढं ष्टपाश्चजिकः प्रतिपादित- स्थायमपि sa: सदातिपरुषपापग्डमिविशोटनेन नितरां दलितसमस्ताङ्गोपाङ्गो द्रष्टव्यः यथासौ दइमको सृलिधूखरखरवाङ्गो द्ितस्तथायमपि नौवो बध्यमानपापपर माणधूलिधूसरसमस्तशरौरो विन्चेयः। यथासौ रोरस्योरिकाजाल्मालितो गदितस्तथायमपि Hat मोहकशाशच्णाभिणेधचेलपताकाभिः समन्तात्परिकरित- मून्तिरतौवबोमत्छदगेनो atid! यथासौ saat निन््यमामो दौन- खाख्यातस्थयायमपि जौवोऽवासविवेकंनिंन्यते सद्भिः भयशोकादि- किष्टकमेपरिपूंतथा चात्यन्तदौनो fase: ययाचासौ तज गगरेऽगवर तं गरे VE frat पयटतोल्युक्तखयाथमपि Ma: संशार-

प्रचमः प्रखादः | 9९

भगरेऽपरापरजन््रशचणेषु उच्चावचेषु गेषु विषयकदल्ञाश्नापाश्च- वश्नौङतोऽनारतं भमतौति यत्पुनरस्य भिकाधारं घटस्वपेर- माख्यातं ae नोवद्रमकस्यायष्कं fwd यतस्तदेव तदु पभोग्यस विषयकदशारेखारिबमदाकद्याणकादेखाश्रयो and | ary तदेव ग्टहोला शयोग्रयोऽसिन्‌ संसारनगरेऽयं जोवः पथटतोति। चे तु aw zane दुर्दान्तङिम्भसंधाता यष्टिञुषटिमहालोद् प्रहारः GI OT ताडयन्तः शरोर भजेरथम्तौति frefiaraice Hae कु विकण्पास्तत्छपाद काः कुतकंगन्धास्तप्रणेतारो वा कुतौर्थिका विश्चेयाः। ते fe यदा यदाऽमुं ma वराकं पश्यज्ति तदा तदा कुद्ेतुग्रतसुदङ्गरघा तपातेरश्य तलाभिभुखशूपं wot जजेरयन्ति | aay तेजजरितश्रौरोऽयं Nat जानौते कार्याकायैविचारं श्यति भच्ाभच्छविगेषं कशयति पेयापेथस्लरूपं गावबुध्यते हेयोपादेयविभामं नावगच्छति सखपरयोगेणटोषनिमित्तमिति ततोऽसौ कुतकंआन्त चिन्तञिग्यति मास्ति परलोको विद्यते कुश्लाङ्ुश्लकम्मेणां फलं संभवति खस्षयमात्मा awed wy: चटते तदुपदिष्टो मोच्मागं दति ततोऽखावतलाभिनिविष्ट- चित्तो feafa प्राणिनो भाषतेऽलौकमादन्ते परधनं रमते Har परदारेषु वा wwifa परिग्रहं करोति चेच्छापरिमाणां भकयति मांसमास्ञादयति ay zwifa सदुपदेश्ं प्रकाशयति aaa निन्दति vate वन्दत्धवन्दनोयान्‌ गच्छति खपरयो- गुरूदोषनिमिन्तमिति वदति परावषेवादमाचरति समस्तपातका-

नोति। ततो बघ्राति fafae रिकमेनालं पतत्येष stat 7

we उपमितिमवप्रपण्ा कथा |

गरकेषु तज पतितः पश्यते कुंभोपाकेन विपद्यते क्रकच्पाटनेन witigd aqawageg Meaty wat सन्दंकेसखं fag awawraari an चपु भच्छते निजमांसानि शष्यतेऽत्य- WAM, तायते पूथवसारुधिरक्तेदमजान्लकशुषां Facey हिदयतेऽखिपजवनेषु खपापभरपरैरितैः परमाधा्मिंकष्ुररिति

तथा समस्तपुद्लरा शिभश्षणाऽपि नोपशाम्यति ayers निः- गेषजशसिपानेऽपि नापगच्छति तषेः। अमिग््यते शौतबेदभया कदथ्यैते तापातिरकेण तयोदीरयण्ति तदन्यनारका नाना- काराणि दुःखानि। ततश्चायं stat गाढतापामृगतो हा मातरा नायास्तायध्वं चायष्वमिति विक्घवमाक्रोश्रति चास्य ay गा चायकः कञ्चिद्िश्यते |

कथश्िदुन्नोराऽपि नरकादिबाध्यते तिचच वन्तेमानः कथं वाद्यते भारं gua शक्टादिभिः fears कणेपुच्छादयः खाद्यते हृमिजालेः सहते qyet नियते पिपासया aqua aren कारयातनाभिरिति |

ततः कथञ्चिदवाप्नमनुखभावोऽेष जौवः Tea एव दुःखः | कथं तदुच्यते awed रोगव्राताः नजेरयम्ति अराविकाराः दोदूथन्ते दुजेनाः विहशयन्तौष्टविथोगाः परिदेवन्धनिष्टसप्रयोगाः favquafa धनहरणानि श्राङ्गुखयन्ति सखजनमरणानि विडल- न्ति नानाध्यषनानोति |

तथा कथध्िक्षविबुधजक्माण्येव Nat cea एव नामा- बेदनाभिः। तथा fei sreraa विवशः शक्रादिभिः खिद्यते

परथमः Wee | ४९

परोत्कवैदरेनेन Mea प्रागभवज्ृतप्रमादसमरणेन टन्दश्तेऽखाधै- नामरसुन्डरोप्रायेनेन wea तज्िदानचिन्तनेन निष्यते महद्धिक- zara विलपत्यात्मनख्यवमद ग्रेनेन आक्रन्दति गाढमाप्नासख- wey: पतति समस्ताषएचिनिदाने गभंकलमल दति

एवं fea यद्रमकं वणेयताऽग्यघधायि दुत सवाङ्गिणमदहा- ाततापासुगतचेतनः हा मातस्लायतामित्थं रेन्यविक्रोश विक्तव दति तदश्यापि slaw तुख्मेव द्रष्टव्यम्‌ तस्मादस्याः सव्या AWAIT Aga: «Hangar: कद ग्रंम- यन्धाजत्मणेतारञ्च कुतोधिकाः कारणमिति यचूकादादयखष् मकस रोगा fafeerqe Mae महामोहादयो fawar: | ay ae मिश्याले तदुकमाद इव awd समस्ताकायप्रहृत्निेतु- तथा श्वर इव रोगः शवाद्ोणएमहातापमिमिन्सतथा waft देषो माढडइदयवेदना कारणतया पामेव कामस्तोत्रविषयामिखाष- कष्छूकारितथा ग्त्कुष्टमिव भयग्नोकारतिसम्पाद्ं Zaz जनजगुष्याहेतुतया चित्तोदेगविधायितया नेच्ररोग carat विवेक्षि विघातनिमिन्नतथा जश्लोद्रमिष प्रमादः सदनुष्टानो- व्छाङधातकतयेति avg जोवो भिश्याललादिभिरेतेर्भावरोगे- fasaiant म॒ fafesaaa तत यदेतत्‌ साश्मतसेव लानोते भच्छाभच्यमित्याद्यनधष्यवधायरूपं महातमः प्रतिपादितम्‌ | धे मास्ति wea इत्यादयो विपर्यासविकच्याः प्रतिपादिता- Qu इयस्दाणुत्यन्तौ aw: कुतकंयन्धादथः सदकारिकारण- भावेनोत्यादकाः.। एते तु रागदेषमोहारय WATT उपादान-

ue sufafararret SUT |

कारणभावेन TMT RATATAT सर्वामथपरन्परा परमाथतो गाढतरमेतच्छन्यापि विश्चेया fry कुशाख्वश्स्कारादथः कादा- चित्का एते तु रागादयस्तदुत्पादने खकशकाखभाविनः | अन्यश्च | grrr भवन्तोऽपि भवेयर्वानयंपरपराकारणं वेति व्यभिशारिणः। एते तू रागादयो भवन्तोऽवश्वतया महानयेगन्तेपातं gaia ves व्यभिचारो यतस्लैरभिश्तोऽयं जवः प्रविश्रति महातमोऽन्नानरूपं विधत्ते भानाविधविपर्थाशविकण्पान्‌ अरुतिष्ठति कद्‌नुष्टामश्तानि खधिमोति शरूतरकमेभारं ततस्तत्परिणत्या कचिष्जायते सुरेषु कचिदुत्यञ्चते मानुषेषु कचिदासादयति पष्टु- भाव क्रचित्यतति महानरकेषु ary तदेव प्राकूप्रतिषादित- BRI महादुःखसम्नानमनवरतमरघडषटोवन्तन्यायेनानम MTA वडारेण परावन्तयतोति एवञ्च fea घन्तद्रमकवणेने प्रत्यपादि यदुत ग्ौतोष्णदंग्रमश्रकचुत्पिपासाद्यपद्रवेबाध्यमानो महाघोरम- रकोपमवेदन इति acy जोवरोरे समगेखतर aaafafa | अत एव यदुक्षं चदुतासौ दमक: क्ञपास्पद सतां इष्टो हास्यस्थानं माजिनाम्‌ | बालानां क्रोडनावासो दृष्टान्तः पापकमेण्णम्‌

तदज्ापि नोवे सकलं योजनोयम्‌ तथाहि सततमसात- संनिपातग्रस्तोऽय जोवो इृष्यमानोऽत्यन्तसात्मोग्धलप्रश्मसुखरसानां भगवतां wares भवत्येव हपाखानं ज्ञि्यमानेषु सकलकलं कर्णाभावनाभा वितचिन्तताक्ञेवां तथा भामिनामिव वौर रवेन तपश्चर णकरण्णोद्यतमतोनां सरागसंयतानां भवत्येवायं जोवो दास्य

WIR: प्रस्तावः। ae

सानं धर्माख्यपुरषायथंसाधनविकलष्य कौडृश्रौ wae पुरुषतेति तेषामनादरद्ष्टेः | तया |

बालानां भिश्यालाध्यातकचेतसां तयाविधशोकानां aafezar- प्रविषयसुखणवानां waar पापिष्ठजौोवः कौडनावासो gaa fe धनगवौद्धूरचित्तैसखथा विधकशंकरादयो नानाप्रकारं विग्य मानाः तथा पापकश्मेणां फशप्रर्पणावसखरे भवत्येवं विधो नोवो Tern) तथा fe भगवन्तः पापकार्माणि staat wet CMAMTINTIMAA दृष्टान्तयन्तौति। यत्पुनरवाचि यदुत ,

अन्येऽपि aya: aftr रोरास्तज महापुर केवलं तादृशः प्रायो मास्ति निर्भाग्यश्रेखरः

तदैतदात्मोयजोवस्यात्यन्तविपरोतचारितामनुभवतामिडितं म- या weer मदौयजोवोऽधरितजात्यन्धभावोऽख्य महामोहोऽप- इस्ितनरकतापोऽख्छ रागः | उपमागोशरातोतोऽख्य परेषु देषः शरपहधितवेश्वानरोऽख क्रोधो शूषुषतमरागेशराजोऽसख मागो विभिजितसुजगवभितागतिरस्य माया दर्जितख्लयश्रूरमणसागर- लधुभावोऽस्य we: सखभ्रपिपासाकारमख्छ fara मगव- gaa: प्रागासौत्खसवेदनसिद्धमेतत्‌ | श्रहमेवं तकंयामि aa- सुष्व्दोवताप्रायोऽन्यनौवानां यया चेततो पपन्तिकं मवति तथो- रज प्रतिगोधावसरे विष्तरेणाभिधास्यामः |

44 यथाऽसौ रोरस्तजादृष्टमूलपर्यन्ते नगरे प्रतिभवनं भिषा- मरजेवं चिकथति यदुत sgae acne बन्धुमिजद्य जिन zune wesw चखिग्धां कष्टां बहो, seat fret लखे ताच्चादं

ud उपमितिभवप्रपञ्चा Hur |

कमकविचिजभक्रिमण्डितराजतक्रोडपवंतककखितानि = stfaat- यश्ाशिकायन््वा पिकाद्यभेक विधनलाग्रयममोदराणि बङ्ुलपु- शागनागाश्नोककन्पकप्रञ्तिविविधविटपिजातिविस्ताराणि पञ्चवण- गन्धबन्धुरङ्कखमभरानवश्राखापयेन्तानि खुद को कनदादिजखरइ- चारूणि अवमहभुङगशहारषारतारो पगोतानि प्रासादखमौपवन्तोनि सो खोपवनानि प्रमोदयिव्यन्ति मां भिजितदिगकरस्यन्दनसौन्दर्या TaagTat: | इषेचिव्यन्ति मामप स्ितसुराधिपहस्तिमाहाग्यानां वरकरिणां कोटथः तोषयिव्यन्ति मामधरितविबुधपतिहरिरया इथकोटिकोटथः | सभुन्ञासयिव्यन्ति मे मनसि प्रमदातिरोक पुरतो Tata अ्परपराकरणपटवः परस्परमविभिन- चेतसो चाश्यन्तसंशतासङ्ा तताः पदातिषह्गताः | रश्जयिव्यन्ति मे प्रतिदिनं प्रणतिलाशखानि राजडन्दानि किरोटमणिमिरोशि- लाखेरणारविन्दम्‌ भविव्याम्यहं गरिग्धमिमण्डलाधिपतिः | wafaatan मे बमस्तकार्याणि प्रश्नावन्नातखरमण्तिणोऽमात्य- ava: तदिदं सुसंसतमिचालाभेच्छातुख्यं fated) gay चिन्तयति | ततोऽहमतिखण्ठद्धतया निचिन्ततया खच परिप्रणंसमय- सामयौकः करिब्यामि विधिना कुट प्रावेशिकं रसायनं ततस्तदुप- योगात्‌ संपद्यते मे वलोपलितखालित्यव्यक्गादि विकलं जरामरण- विकाररडितं देवङ्कमाराध्कतरद्ुतिवितानं निःशेषविषयोपभोग- भाजनं महाप्राण श्रोरम्‌ | तदिदं लयभिकव्येकान्तगमनमनोरथ- अखममवगम्तब्यम्‌ | Wey मन्यते। ततोऽहमति प्रसुदितचेता गमौर- रतिषागरावगाढमस्तेन जशनाकलापेन साद्धं WAT: GR रिष्ये।

परथमः प्रस्तावः | Ve

दुत कचिदनवरतप्रटृत्तमदनरसपरवश्नोऽनारतसुरतविनोदेन wiafey प्रोएयिखे कचिद्रसमेडियोत्वदारण खच्धौरता- Teyana कचिदतिसुरभिकपूरानु- विद्धमखयजकश्योरजङ्ुरक्गमदादि विलेपनदारेण चख पद्चसुगन्धिक- तावृलास्ञादमयाजेन ae त्रणेददियं तपेयिे क्षचिदनारत- ताडितमरूजध्वनिषमायममर सुन्दरो विभरमखशनाखोकसन्पादितम- जेकाकारकरणाङ्गहारमगोहरं प्रचणकमो समाण्चचुरि ण्ियामन्दं fara कचित्कशकणष्टतक्मयोगविश्रारदजनप्रथकं नेणवोणारटदङ्ग- काकलोगोतादिखनमाकणेयन्‌ ओचेद्धियमाख्हादयिषये | wie त्युगरखिलक शाकलापकौ गरखोपेतेः समानवयोभिः समर्षितददय- wie. शौ ्योदायेवोयवर्येरपदसितमकरष्वजसौ न्दयैमिजवर्गैः ary नानाविधक्रोडाविलठासे रममाणः षमयेद्िययाममाल्हादातिरेक- मास्कन्दयिव्यामौति तदिदमेकाभ्भेभिच्लाभषणा कांलासद्‌ श्मव- सेयम्‌ | ferafa ततो मामेवं facfarageraquacity तिष्ठतो यांसं काशं VAR सुरकुमाराकारधारकाणि रिपुखन्दरोहदयदाहदायकानि च॒ समार्हा दितखमस्तबन्धुवर्- प्रणयिनममामाप्रज्टतोमि मत्मतिबिम्बकसंकाश्ानि स॒तश्रतानि। ततोऽ स्पश्ेषमभोरय विस्तारः मत्यस्तमितप्रच्यशसमहोऽमम्तकालं यथेष्टचे्टया विशरिययामि सोऽयं उरिरिनाथे खापन- मगोरय इव वन्ते | थत्‌ पुमरालोचयति |

wea) श्रथ कदाचित्तं तयश्तं मामकौनं संपत्मकथै गेष-

गृपतथः ओख्यम्ति ततस्ते मल्छराश्मातचेतसः सर्वेऽपि स्य मदडि- 8

ys उपमितिभवप्रपश्चा wut |

वयेषुपञ्चवं विधारन्ति ततोऽहं तेषामुपरि चतुरङ्गसेनया विक्षेपण यास्यामि ततस्ते खबलावलेपवशेन मया सड asia करिष्यन्ति | ततो ufaafa प्रश्तकाञ्िको aercufaag: | ततस्ते परस्पर संहततया ग्ड रिषाघनतया मनाग्‌ मामाक्रमिय्यग्ि ततोऽह- मभिवद्धितक्रोधवबन्धतथा प्रादुग्धैतप्रबखलरणोता हस्तामेककं सबखं चणेयिव्ये wife समस्तानामपि पातालेऽपि प्रविष्टानां मया बद्धानां ate tfai तदिदं रोररण्णकाष्डविद्धरषमाममवबोद्ध- व्यम्‌ way भावयति ततोऽदमवजितखमस्तश्यथिवोभा विराज- aaa चक्रवतन्तिराञ्यमडहाभिषेकम्‌ | ततो नासि ag तचि- भुवने wa सम्पक्छत इति एवमेष slat राजपुजाश्चवस्थायां वन्तमानो TEM निष्य॒योजन विकल्पपरन्पर यात्मानमा कलयति

aay रोद्रध्यानमाप्ूरति ततो बघ्नाति निविडं aa ततः पतति महानरकेषु चेह तथापि लिद्यमानोऽपि परवौपाजित- gufane: खद यतापं विसुश्यापरं कञ्चमायंमासाद यति तद- नेनेतलखणोयं यदा खल्वेष जोवो नरपतिखुताद्यवस्थायामतिवि- शाखलचिन्नतया किश्लापक णिततुच्छवस्त॒गो चरममोरथो हद थप्रायेक- तथा खब्ध्येव महाभिप्रायस्तदापि विदितप्रशमाख्ताखादनसुख- रसानां विश्चातविषयविपाकदारणएभावानां सिद्धिवधुखम्बन्धवद्धाध्य- वश्चायानां भगवतां wert चद्रद्रमकप्रायः प्रतिभासते | किन्पुमः शेषासखवस्थाखिति |

तथा fe डदिजातितणिजिकाभोराग्यजा दि भावेषु वन्तेमामोऽयं जो वोऽदृष्टतलमागेए वराकस्ठच्छाभिप्रायतया क्चिद्धिजाणामपि

घयनः प्रस्तावः | ye

चद्रपामाण्णं शाभं चक्रव्तित्वं मन्यते कचित्‌ चेनखण्डमाचप्रभुत- मपि मदहामण्डलिकलमाकलधति कचिष्नारङ्खलटामप्यमरसुन्दरों कर्पयति कचिद्‌ विरूपमयप्यात्मानं मकरष्वजं चिन्तयति क्षचिग््रातक्तपा टकाकारमय्याद्मपरिजन शक्रपरिवारमिव पश्यति | कचिद्‌ विस्य faequat सदसाणां शतानां विंश्रतोनां रूप- काणामपि wma कोरौश्वरतलमवगच्छति क्चित्पश्चषाणामपि धान्यदरोणानासुत्पत्तिं घमद्‌ विभवतुखां खचयति कचित्छकुटुम्न- भरणमपि महाराज्यमवबुध्यते कचिदुष्यरोदर दरौ प्रणंमपि महो- waar mala क्चिद्धिक्षावाक्निमपि जोवितावा्ि निञखि- भोति कषिदन्यं शब्दादि विषयोपभोगनिरतसुदोच्छ राजा- दिकं शक्रोऽयं देवोऽयं बन्द्ोऽयं Goa महात्मायं पुरुषो यदि ममाण्येवं ange विषयास्ततोऽहमणेवं विललसामोति चिन्त- धन्परिताम्यति तथ विधाकूत विडभ्बितखच तदयङ्रोति ways सेवां पयैपास्ते ताम्‌ सवदा दशयति विमयं वद्यनुङ्कूलं शोका- कामोऽपि. इर्ति तेषु दसल्छु सश्नातजातस्पु जरषेपक्ोऽपि रोदिति तेषु ag निजगचूनपि स्तौति तदभिमतान्‌ खपरम- सुडहदोऽपि निन्दति afgat धावति पुरतो राचिदिवं मदयति खिन्नदे होऽपि agar चाशयत्यश्टडविष्यानानि विधत्ते तदच- नात्सवेजघन्यकर्माणि प्रविशति शतान्तवदनक्कुहर दव रणमुखे सम- पयति करवाला दि घातानामात्मदहइदयं वियते घनकामोऽपूष- काम एव वराकः। तया प्रारभते eal खिद्यते सवेमहोराचं वादयति इलं अनुभवत्यटब्यां wd विमदेयति नानाप्रकारान्‌

qe डपमितिभवप्रपश्चा कथा |

प्राणिनः परितते इष्छभावेन बाध्यते बौजनाशेन तथा faut afed भाषतेऽखोकं quia विच्रभसुग्धलोकाम्‌ याति देशा- भरेषु ata शओोतवेदनां wad तापषन्तापं तितिच्ते बुभुचां गणथति पिपासांमनुभवति चाखायासादौनि ganas ufaufa महारौद्रसमुदरे प्रलोयते arora भवति भच्छं जश्षचराणठां तथा अमति गिरिकन्दरोदरेषु ास्कन्दत्यस्र विव- राणि निभाखयति रघकूपिकाः भच्छते तदा रकराचठेः तथा- seat महासारं याति राचौ सखमश्रानेषु वति ब्हतकलेवराणि विक्रौष्णति महामांसं साधयति विकलवेताशं निपात्यते तेन कुपितेन तथाऽभ्यस्यति खन्यवादं भिरोच्छते निधानलशच्ण्णानि aafa agiaa ददाति ust तद्ग्रदणाथं श्तबखिं दूयते तदक्गारग्तभाजनवोचणेम | तथानुश्रोखयति धातुवाद समुपचरति acme alfa तदुपदेशं मौखयति मूशजालानि समाहरति धातु्छन्निकाः समुपढौ कथयति पारदं क्िश्ते तस्य जारण सारणमारणकरणेन धमते राजिन्दिवं पूत्करोति प्रतिचण इयति पोतश्चेतक्रिययोक्ेग्सिद्धौ खादत्यहनिंश्रमाशामोदकान्‌ व्ययौकरोति तद्ये शेषमपि wed मायते दुःसाधितकर्मंवि- भ्रमेण तया विषयोपभो गसन्पत्तये धनायेमेव चायं ta: कुरुते wa रमते दयूतमाराधयति यक्िणों परिजपति मन्त्रान्‌ गणयति entfadt प्रयते निमित्तं श्रावजयति जलोकहदयं श्रभ्य्यति Bae aang fa बह तन्नास्ति aq करोति aq विद्यते यन्न वदति त्न सम्भवति यज्ञ चिन्तयति तया्यमनवरतमितसेतश्च

प्रथमः प्रस्तावः | qt

तदये बंभम्यमाणः प्राग्‌ विहितपु्शुन्यः समभिशलवितार्थस्य तिल- लुषजिभागमाच्रमपि प्राप्रोति केवलं सखचिसषन्तापमान्तसोद्र्यामे गरूतरककभारं Agee दुगेतिं चात्ममोऽभिवद्धंयतौति। यदि पुनः कथ चचित्पृवेविदितपुश्लवः स्यात्‌ ततोऽय जौवसतद्‌दयन घमसहसा- दिकं वा श्रमिमतभायां वा खश्ररौरसन्दयं वा विनोतपरिजनंवा ware वा कतिचिद्यामप्रञुलं वा राज्यादिकं वा प्राक्रुयादपि। ततस यथाऽसौ TAR कदशल ग्माजलाभातुषटसयायमपि Hat माद्यति “za मदसज्िपातयसटय्च भाकण्यति विज्ञापनानि पश्यति ieee मामयति dat भाषते प्र्णवचनेः sare एव निमोलयति चद्धेषौ श्रपमानयति यरुरंहतिमपि अ्रतोऽयमेवं विधत्च्छाभिप्रायहतख्रूपो Mat न्नानादिरन्नभरप- रिपूणंतया परमेश्वरा भगवतां मुजिपुङ्गवानां चद्रद्रमकेन्योयध- मतमः कथं प्रतिभाषते यदा प्रभावे ATG वा ata जञोवस्तद्‌ा विश्रेषतो द्रमकोपमामलतिशंघयति यतो विवेकधनामां महर्षोणां a एते किल शक्रादयो देवा महद्धंयो महाद्ुतयो निरूपशरितगशद्वा दि विषयो पभोगभाजनं द्राचोयःखितिकास्तेऽपि यदि सम्यक्दधेनरन्नविकलाः स्यस्तदा महादारिग्चभराक्रान्तमून्तेयो वि्यश्नताविलशितचदुलजो विताञ्च प्रतिभासन्ते कि पुनः tier: संखारोदरविवर वन्तिनो भन्तव इति यथा wat द्रमकोऽगश्चया mae तत्कदनं सुज्ञानः शकादपि wea यदुतायं मभेतद्‌दा- efaafa तथायमपि जोवो महामो होपहतस्तदरविशकलचादिकं कथञ्चिश्नावता ज्ञे्रजालेगोपाजितं यद्‌ानुभवति तदा विभेति

qe उपमितिभवप्पञ्चा कया |

तसरेभ्यः जस्यति मरपतिभ्वः कम्पते भयेन care: उददिजते याचकेभ्यः किं aware जअश्पितेनात्यन्तनिःस्यहुनिषुङ्गवेभ्योऽपि शते यद्तेते महता वचमरचनाटोपेन मां प्रतायं Fraga होतुभिच्छन्ति तथाविधगाडढमूच्छा विषाभिग्त चिन्तसिन्तयत्येवं इन्त धच्छते ममेतट्र विणजातं विचभानुमा क्षावचिग्यते वा सशिशप्रवा- हेन इरिव्यते वा शौरादिभिः श्रत: सुरकितं करोमि ततोऽषहायः श्रोषजना विश्चभ्ितया राजाबुत्थाय खनत्यतिदूरं wad निधत्त aay निग्धतसश्चारः पुनः पूरयित्वा गन्त कुरुते समं तलं वि- किरति तस्योपरि धूलिकचवरादिकं स्यादयति freee खात्रू- तेन मा aaa ज्ञास्यामि सखद शमिति विधन्त विविधानि चिद्कानि प्रयोजनान्तरेण ATMA सश्चरन्तमपरं अनं सुङखुनिंभा लयति कथिन्तदेगे यान्तौ तृष्ट WEA श्रा न्नातमेतेनातो मृर्च्छादन्दद्य मानमानसो लभते राजौ मिद्रां पुनस्त्याय तक्रदेभात्तदुत्‌ख- मति निधन्ते प्रदेशान्तरं fated पुनःपुनदिंगन्तरेषु सभयं fafaday: aga मां कचिद्रच्छतोति बापारान्तरमपि केवलं कायेन करोति Wag ततप्रतिबन्धबन्धनबद्ध ततः ere पदमपि चशतोति। we कथ्चित्तया विध्यतं sata तेन रच्माणमपरो waa रज्ञो याच्च ततोऽखावकाण्डवद्पातनिह्‌- खितश्रसोर इव शा तात हा मातां भ्ातरिति विक्तवमाराष्य- मानः सकल्विजेकिलोकं करूणापरोतचित्ततां प्रापयति श्रति- मूछनयाप्नात्रातचेतनो fart ati afed धनखवप्रतिबद्चेतो- fiat विलसितसुपद शितम्‌ तथा ग्टददिणोप्रतिबन्धयदग्टहोतवि-

परथमः प्रस्तावः ९४

ग्रडोऽपौरव्थाशस्य वितचमानमानसः waa Hagen: परवौ चणरच- wefan: ay निःसरति गेहात्‌ a खपिति रजन्यां त्यजति मातापितरौ fafewafa बन्धुवर्गान्‌ ददाति परमञ्ुदोऽपि खग्टडे ढौ कम्‌) अ्रवधौरयति धन्मेकार्याणि गणयति शो कवच- नोयतां केवलं तसा एव सुखममवरतमो चमाणस्तामेव परमा- तममूरत्तिमिव योगौ frente ध्याचन्ञेवास्ते। तस्य च॒ यदेव सा कुरुते AR यदेव सा भाषते तदेवानगन्दकारि eg चिन्तयति तदेवेक्गिताकारेविश्चायासौ सन्पादनायाश मन्यते | एवश्चाकणलयति मो हविडम्बितेम मनसा यदुतेयं ममा- acer हितकारिणी चान्येदृश्ौो सौन्दर्थोदा्यसोभाग्यादिगण- कलछापकशिता अजगति विद्यते श्रय कदाचिन्लां मातेति भगि- नोति देवतेत्यपि मन्यमानः परो वौच्यते ततोऽखौ मोहात्‌ कष्यतोव विहृलोभवतौव मृच्छेतोव सियत इव किं करोमोति arma) श्रय सा विय॒च्यते feud वा ततोऽसावप्याक्रन्दति परिदेवते सियते वा अरय सा कथश्िहुःशौौलतया परपुरुषचा रिण ख्यात्‌ परपुरुषा वा बलान्तां समाक्रम्य WET: ततोऽसौ महामो इविहलो यावष्नौवं wages waa प्रावा वियुच्ते द्‌ःखासिकातिरेकेफेति तदेवभेककव्॒प्रतिबन्धबद्धहदयोऽखं जवो दुःखपरन्परामासादयति तथापि विपयंस्ततया तद्चण- प्रवशमनाः सर्वथा श्रते ममेदमयं इरिव्यतोति। थथा तस्य Utes तेम कदशेनोदरपूरपूरितश्छापि दश्चिः संपद्यते प्रत्युत प्रतिकणं स॒तरां बुमुक्ाभिवधत cam) तथाख्यापि

९8 उपमितिभवप्रपश्चा KUT |

खोवस्यानेन धमविषयकलनादिना कदन्लप्रायेण yrarwarfy मा भिलाधविच्छेदः fanfe गाढतरममिबद्धते ant: तथाहि थदि कथञ्चिट्‌ विफश्रतं anya ततः सहस्मभिवाञ्कति श्रथ तदपि सश्चाथते ततो wearatefa तत्छन्पक्नावपि कोटौ- मभिलषति aa राच्यं प्राथयति श्रथ राजा जायते ततखक्र- वर्तौ लवं area तत्सम्भवेऽपि विबुधवमन्विच्छति श्रय देवत्- AMSAT: शक्रलमन्वेषयते शअयेद्टतामपि ead ततोपुन्त- रोन्तरकल्याधिपतिलपिपासापर्यांसितचेतसो arare stare ममोरयपरिपूजिः। यथया fe meade समन्साहवदाइतापि amare पिपासामिग्डतचेतमस्य मूर्छया पतितस्य कस्रित्प- यिकस्य ata ayaa सुबहन्यपि प्रबलकल्ोखमासाक्ुलानि महाजलाश्रयकदम्बकानि पौयमानान्यपि तर्वापकषंक मनागपि खन्पादयन्ति। तथास्यापि mae धनविषया दौनि any मादौ संसारे विपरिवन्तैमानेनानन्तश्ःप्राप्तपूवौदेव भवेषु निरूप- चरितशम्दाद्युपभोगाः श्राखादितान्यमन्तानर्घयरन्नकूटानि fae fad खष्डितरति विभमेः खड विलासिनोसार्थेः क्रौडितं fry- वनातिश्रायिनौभिर्मामाक्रोडाभिः | तथाणय Mat महाबुभुषा- च्वामोदर इव शेषदिमभुक्रटन्तान्तं a किञ्चिष्नानाति aaa तङमिलापेण wali चन्तं यदुत तत्कदक्नं तेम TAR लोखन ym Tifa wera एुनर्वातविषुचिकां विधाय तं रोरं पोडयतौति वदेवं योजनौयम्‌ यदा रागादिपरोतचिन्तोऽय wat धनविषयकशजादिकं कदशलकण्पं Slats तदाशय कम्मसञ्च-

प्रथमः Wea | १४.

यशक्णमलों सम्पद्यते ततद यदा यद्‌ दथद्ारेण लोय॑ति तदा नारकतिवखूनरामरभवश्रमणएलकशां वात विषु चिकां विधा- येनं ota नितरां तत्कदर्थयति यया तत्कद्श्नं we शर्वरो- गाणां भिदामं पूवात्पक्नरोगाणां चाभिदद्धिकारणमत्धयंमभिहितं तथेदमपि रागग्रस्तचित्तेनानेन जोवेनोपसुच्यमानं विषथादिकं महामोहादिलश्कानां प्राशुपवणितानां समस्तरोगाणां भविष्यतां कारण पूवेनिवफिंतामां पुनर भिटद्धिश्तुश्तं ana) यथा रोरस्तदेव कुभोजनं we मन्यते सुस्लादभोजनाखादं तु खप्रा- न्तेऽपि वराको नोपलभत दृत्युक्रम्‌ तथायमपि Hat महा- मो हगरस्तचेतो ठत्तितया यदि दमगरेषदोषराशिदूषितस्ुपवफितख्धित्था विषयधनारिकं तदेवाति्न्दरमात्महितश्च safe कच्पयति यत्पुनः पारमार्थिकं स्ाधोनमिरतिश्यामन्दसन्दो ददायकं महा- HAVAIANAS परमान तदयं वराको मरामोहनिद्रा- तिरोहितखदिवेकसो चनधगणो कदाचिदाखादयति तया fe यद्ययमनादौ भवश्नमणे पूर्वमेव तत्‌ क्रचिदलप्यत ततोऽेषक्ञे्- राशिष्छेद खच्णमोलावािनंयन्तं कालं यावल्छंसारगदने पयेरिख- भतद्चायमद्यापि वंश्रमोति। ततो नामेन BATAAN सश्वरणशूपं बद्धोजनं प्रागवाप्तमिति fagted धत्युनरभ्यधायि चथा तद्‌- दषटमूलपयेन्तं नगर सुशावचेषु Tey जिकणतुष्कचत्वरादिषु नाना- SMG रथ्यासु पथंटतोऽनवरतमश्रान्तचेतसाऽमेन Clary: परावत्तितमिति, तदपि सवंमच समाभं faa यतोऽसुनापि जोबे-

मानादिवया काशस्य भरमताननम्तपुदलपरावर्ताः पथेन Alar; 9

qq sufafaraqre! कथया

यथा तस भमतो मकस तच नगरे Wea कियान्‌ काशो संधित wan तया जोवभवभमणकाशकलनमपि प्रतौ तिगो- शरचारितामलुभवति निरादितया तत्परि च्छेदस्य कन्तमशक्ेरिति। तदेवम संसारमगरोदरे मदोयजोवरोरोऽयं ङुविकल्यङुतकंङ्तो- ्चिंकणणेद्‌ दान्त डिम्भसंघातेस्तला भिमुख्यरूपे शरोर विपयांससपा- दमलखणथा ताडनया प्रतिकणं ताड्यमाने महामोहादिरागत्रातय- MIU नर कादिथातम।स्धानेषु महावेदनोदरयदलितंख- ङूपोऽत एव विवेक विमलोगतचेतसां शपास्थानं पौर्वापयंपर्यालो चन - विकथाग्ःकर एतया तल्ावबोधविप्रहृष्टोऽत एव प्रायः सवंजोवेभ्यो जघन्यतमोऽत एव धनविषयादिरूपकदन्ञदु राशापाश्वश्नोङृतः कथं- चिन्तकञशख्ाभत्‌ष्टोऽपि तेनादढप्तचेतास्तद्‌ पाजमवद्धंनसंरणप्रतिबद्धा- MAUI सहो तनिबिडगरूतराष्टपकारकमंभाररूपानि- हितापण्यपायेयस्तद्‌ पभोगदारण विवद्धमानरागादिरोगगणपौडित- स्तथापि विपथेस्लचिन्ततया तरेवानवरतं भुश्जानोऽप्रा प्रसश्वा रि चरूप- OLAT HATS TIE घटौ यग्छन्यायेनानन्तपुद्लपरावन्तेनसमस्तयो नि- स्वानास्कन्दनद्वारोण पयेटित इति श्रधुना पुगरस्य aes तदभिधौयते tee. जिकालविषयतथाऽख्य afaace faagar समस्काखामिधा यिभिरपि प्रत्यथेरज स्वंचाऽपि कथाप्रबग्धे fen: सङ्गतो दउष्टव्यः। यतो विवक्षया कार कबत्कालोऽपि वस्तुखित्येकख- खूपेऽपि seit नानारूपः प्रयुक्तो दृष्टोऽभोष्टख शदविदाम्‌ चया योऽयं माग गन्तव्यः श्रापाटलिपुचात्‌ तज कूपोऽग्दभवच्च ja भविब्यति भवितेति वा एते स्वपि कालमिदं शरा एकस्मिन्नपि कूपाख्ये

पथमः प्रस्तावः | ९७

agfa विवच्ावशग साधवो भवन्तौत्यखमप्रश्ठतविस्सरेएेति तज योऽसौ APIA समखब्धतसंघा तात्यन्तवत्छलइद यः प्रख्यात- को्तिंसस्िन्नगरे पुख्िताभिधानो महानरेष््रो दर्चितः परमात्मा जिनेश्वरो भगवान्‌ aayt fade: एव fe प्रलौ- ना गेषक्तश्रराशरितयानन्तज्ञामद ग्रनवोयंतया निरूपवरितखापोन- जिर तिश्रयानन्तानन्दसन्दो इस््ररूपतया परमार्येन सुखितो भवितुमरेति शेषा अविद्या दिङ्गश्राशिवश्वन्तिनोऽतिदुःखि- तलात्तषाम्‌ | एव भगवाम्‌ समस्तन्तसंघातस्यापि Tare- शोपदे श्रदायितयाचेपमोचप्रापणप्रवणप्रवचना्येप्रणेढतया सखभावे- नेवा तिवत्षलददयः सख एव प्रख्यातकोतिः निःरेषामरमरवि- सरनायकेः पुरुहतचक्रवत्या दिभिः यतः एव प्रश्स्तमनोवाक्षाय- व्यापरपरायणैरनवरतमभिष्टूयते शरत एव चासावेवा विकलं महा- राजगन्दमुदोद महेति | थया रोरः पयंरस्तस्य मन्दिरिदारं कथञ्चितप्राप्तः। aa सञकमेविवरो नाम द्वारपालस्तिष्ठति तेम waaay तजर राजभवने प्रवेशित इृल्युक्रम्‌ तदेवमिह योज- नयम्‌ aa यदास्य जो वस्थानादिमता ययाप्रहत्तसंश्चेन करणेन कथञ्चिद्‌ चषेणचुणंनन्यायेनायुष्कव जितानां सप्तानां anette fea: समस्ता safe सागरोपमकोटोकोटयः पयेन्तवर्तिनोमेकां सागरोपमकोरौकोरि विहाय चयमुपगता भवन्ति तस्या श्रपि ferns कोणं तदाऽयं जोवस्तस्यात्मनृपतेः सम्नन्वि यदेतदा- चारादिदृषिवादपयेन्तद्वादश्ाङ्गपरमागमरूपं तदाधारण्डतचतुवेषं- अमणसघखचणं वा मन्दिरं तस्य aft प्राप्तोऽभिभौयते | तज शं

qc खपमि तिभवप्रपश्चा कथा |

प्रवेश्रमप्रवणः. खष्याक्मौ थस्य कर्मणो विवरो विच्छेदः खकमविवरः एव ययार्याभिधानो इारपाशो afaqaefa अन्येऽपि राग- awe «acre विद्यन्ते केवलं तेऽस्य Hae प्रतिब- WAT मे AANA प्रवेशकाः। AQT हनन्तवाराः प्राप्तः प्राभ्रोऽथं लोवस्ते्िंरा क्रियते | यद्यपि क्षचिदवशरे aw तेऽपि प्रवेश्रयग्धेन तथापि तैः प्रवेशिता परमाथेतः प्रवेशितो भवति रागदेषमोहा- agfeateru यद्यपि यति्रावकादिविश्ाः क्विद्धवम्ति तथापि ते सवेश्नश्रासनभवनाद्वरिष्डता द्रष्टव्या ca भवति ततख्ायं Rada सखकमविवरदारपासेन तावतः भुवं प्राप्नो यन्धिभेद- arty सवेश्शासनमन्दिरे प्रवेशित इति युक्रमभिधोयते। यथा तेन कथानकोक्ेम तद्रा जभवममदृषटपू्वमनन्त विग्तिसंपन्ञं राजा- माव्यभहायोधनियुक्रकतरवगिकेरधिष्ितं ख्य विराजनसनाथं सुभ- टसंघाताकौशे विश्लषद्धिलासनोसाथें निरूपचरितशन्दादि विग्र यो पभोगविमदे सुन्दरः wanted ge तथानेनापि जवेन aq- वहुभंदोऽभिन्नपूवेश्च संसारे यः क्िष्टकमेगरन्धिसतद्ेद दारेण खकमे- विवरप्रवेशितेनेदं सवेन्न श्रा सममन्दिर तयाग ततरि षणएमेव षकशम- वलोक्यते | तथा fei gave wats प्रवयनेऽपास्तान्चानतमः- qewnat विविधरन्रनिकराकारधारका विखसदमखालोकप्रका- शितञुवनभवमोदरा श्नामविशेषाः तथा विराभन्तेऽज भागवते प्रवचभे सन्पादितञुभिपुक्षवशरोर ्ोभनतया मनो हरमणिरचितवि- भषणविश्दाकारतां दधानाः खश्वामर्गोषध्यादयो मामद्धिविगेषाः। सथा दुवेज्तिपुजनडदयाखेपमच जिनमतेऽतिखन्दरतथा fafer-

पथम, Were: | ¢e

aufaantranrcagfayanfane: तथा अनयन्ति चिन्ता जादा तिरेकमज पारमेश्वरे मते णोजोज्वशा गएको शो चावलग्बिमौ - क्रिकावचुखरूपतामा विभ्राणो रचमासोन्दथेयो गितयाचरणकरणए- ST aM: | तथा विेऽज जेनेष््द ने वन्तमानानां धन्यानां वक्कसौ वगन्धोत्कषे चिन्तानन्दा तिरेकमु दारताग्बूलसन्निभं away म्‌ तथा व्याप्रुवन्नि खसौरभोत्करवेण दिश्चक्वासमज भाग- वते मते मुनिमधुकरनिकरप्रमोद हेतुतया विचिभ्भक्रिविन्यास- यिततथा मनोहारिङ्सुमप्रचयाकारधारकाश्यष्टाद शशयो लाङ्गसद- स्लाणि तथा निर्वापयति मि्यालकषायषन्तापानुगतानि az सल्वश्रोराणि गोश्रौ षेलन्दनादिविलेपनसन्दो इदेश्यतां दधानम पारमेश्वरदशभेने सम्यग्‌ दशेमं यतञखाज VMI सज्च्रागद गेमचा- format प्रवचने वन्तन्ते ये जोवाते्मंहाभागधेयेः गितो नर- कान्धकरुपः भग्र सिर्यम्गतिचारकावासः निदंखितनि कुमानुव- लवदुःखानि विमर्दिताः ङदेवत्बमामससन्तापाः प्रलयं नोतो मिश्यात्वबेताखः | निष्यन्दोह्छता रागादिश्चवः भरितप्रायं कमं निचधाजो णम्‌ श्रपकणिता जराविकाराः श्रपितं ae थम्‌ करतलवरक्नौभि संपादिताजि खर्गापवगेसुखानि शअरथवा- saat रितानि | ते्भगवकमतश्येजो वे : संसारिकसुखानि wzetat Sager घमस्लोऽपि भवप्रपञ्चः शतं मो लेकतानमन्तःकरणम्‌ तेषां wares प्रति व्यभिचाराश्रद्धा। युपाय उपे- यब्धभिषारो | उपायद्धाप्रतिहतश्रक्रिकः aaah: asa ग्तारिजात्मको मागेः। प्राप्नोऽस्ाभिरिति। wet

Be डपमितिमवप्पश्चा कथा |

awa तेषामिति fafen बुद्धि्माख्यतः पर प्राप्तव्यमित्याक- शय्य विहितं प्रतिप्ूणमनोरयं चेतः अत एव तेषां पारमेश्वर- मतवन्तिनां जन्तूगां area शोको विद्यते 2a प्रलोनमौ क्सुधं व्यपगतो रतिविकारः saute जुषा अरषम्भवौ चित्तोदेगः श्रतिदूरवन्तिनो ष्णा समूलकाषंक षितः were: fate तेषां मनसि aaa भौरता ware गम्मौरता अ्रतिप्रबणमौ दाथ निर- तिश्रयोऽवष्टम्भः साभा विकप्रशमसुखाग्टतानवरतास्रादनमजमितशि- न्तोत्छवानां तेषां प्रबणरागकला विकलानामपि naga रतिप्रकर्षः विनिहतमदगदानामपि विवन्तेते चेतसि इषः समवासौ चन्दनकश्या- नामपि सम्मवल्यानन्दविच्छदः। ततश्च जनेश्रशासनख्थायिमो waver: खाभा विकडक॑प्रकर्षामो दितदइद यतया गायग्ति प्रतिं पश्चप्रकारसाध्यायकरणव्याजेन नुत्यग्धालायांदिदश्र विधवेव्याट्त्या- मुष्टानद्वारेण वल्गन्ति जिनजग्मामिषेकसमवसर एपूजनयाचादिस- म्पादनव्यापारपरतया उष्छष्टसिदिनादारोनि चिन्तानन्दकार्थाशि naff परप्रवादिनिराकरणलातुयंमाविभ्राणाः। कचिदवसरे MACACA हान्‌ वादयन्धेव भगवतामवतरणजकदौचाज्ञान- निर्वाशलचणेषु पञ्चसु मदाकच्याणकालेषु तस्मादिदं ans प्रवचनं सततानन्दं प्रलौना गरेषसन्तापं चानेन जौवेन कचिदपौदं WATT भावसारतया भवभ्रमणएसद्भावादेबेदं निश्चोयते | भावसार- aaa fe प्रागेव मोचप्रा्भिः संपद्येत तदनेन यन्तद्राजभवनस्य कथानकोक्रस्य सविगशेषणद्यमकारि | यदु तादृष्टपवंमनन्तविग्धतिख- न्यज्ञमिति। तदस्यापि सवंश्ञश्रासनमन्दिरस्य दशितम्‌ aed

प्रथमः THAT: | or

यदुक्र राजामात्यमहायोधनियुक्षकललवगिकेर धिष्टितमिति तद- स्यापि विगरेषणं निदश्येते। aay भगवच्छासममन्दिरे राजानः सूरयो विज्ञेयाः त॒ एव fe यतोऽन्तज्चैलता मडहातपस्तेजसा प्रल- ोग्धतरागादिश्रचवगां वदिश्च प्रद्रान्तव्यापारतया जगदानन्दहे- qa) एव गशरन्नपरि पूणंलो कमध्ये प्रभुलयो गितया निरूपच- रितराजश्ब्दवाश्याः | तथा मन्तिणोऽजोपाध्याया द्रष्टव्याः यतन्ते विदितवबोतरागागमषारतया साचाद्भूतसमस्तभुवनव्यापाराः wWwar- वन्ातरागादिवैरिकसंघा राहस्यिकगरन्येषु कौ श्रलग्रालितया सम- स्तनो तिश्ास्वन्ना इत्युच्यन्ते एव सुबुद्धिविभवपरितुशित- भुवनतया अ्विकलममात्यश्रब्दसुद दन्तो राजन्ते | तथा महायोधाः awa गो तायेटषभा दृश्याः यतस्ते सत्वभावनाभावितचित्ततया | a Safe दे विकाथुपसरगेषु feats घोरपरौषदेभ्ः | fara BT) वेवखतसद्ग श्मपि परभुपद्रवकारिरं पुरोऽभिवोच्छ चा- SAMIR श्रत एव ते गच्छङुलगणसघानां द्रवयचेचकालोप- पत्तिमद्रानां परपराकरणद्वारेण निस्तारकारिणए इति हेतोमंहा- योधाः प्रोच्यन्ते | Framer: पुनरत्र मणएचिन्तका याद्या: एव यतो बालद्धन्लानप्राघुणेकाद्यनेकाकारास हिष्णुपरिपाख्यगुरुषसमा- कुलाः कुलगणसंघरूपाः पुरकोटौको टौ गच्छरूपांख्ासङख्ययामा- करान्‌ गोतार्थतथोलघर्गापवादयोः श्थामविनियोगनिपुणणः प्रासुकेष- पपोयभक्रपानमेषनब्योपकरणो पाश्रयसंपादनद्रारेण सकलकाशं निरा- कुलाः पालयितु wr) एव चाविपरोतथ्ित्या आचायेनि- थोगकारितया नियक्रकष्वमिनामिधेया भवितु मरेन्ति। तलवर्गिकाः

er डपमितिभवप्रषस्चा KUT |

पुनरजजेने षश सनभवने सामान्यभिखवो Wa: | यतस्ते TATA- चाना: संपादयनधाचार्थादेशं कुवेन्यपाध्यायान्नां विदधति गोताये- वभ विनयं weuafs गणचिभ्भकप्रयुक्मय्येदां नियोजयन्धा- त्मानं गच्छकुलगशयङ्घप्र योजनेषु सजो वितव्यग्ययेनापि निवेहन्ति तेषामेव गच्छाटौनामग्िवाद्यपायब्यतिकरेषु अत एव ते शूरता- भक्रताविनोतताखभावादलं तलव निंकश्ब्दवा च्याः | यतखेदं मौनो- नः शासमभवनमनुश्चातं Bet fewest: सदु पाध्याये cepa | नोता चैटषमेः परिपुष्ट Maa गणचिन्तकेविंडितनििन्तसमस्त- व्यापारं सामान्यसाधुभिरतसेरनपिहितमि्युश्यते साम्प्रतं यदुक्र- श्छ विराजमसनाथमिति तदजापि जिनसडङघसदने योननोयम्‌ | awe स्थविरा जनाः खव्वार्था लोका मन्तव्याः तथा हि ते तन राजमन्दरे प्रमन्प्रमदटालोकनिवारणपरायणा भिदटत्तविष- arayrg थावणिताः। एतश्चोभयमपि भिरूपवरितमा्यंलोकाना- भेव ॒घटामाटौकते यतस्त एव धमेकार्येषु प्रमादपरतन््तया Ver श्रवणोपासकलखनाशो कमात्मौ यशिशिकाव्े परोपका- रकरणवब्य्नितया भगवदागमामिदडितं महानिजेराकारणं साध- मिंकवास्पख्छ चानुपालयन्तः स्मारणवारणचोदना रानदारेण कापथय- प्रखितममवरतं निवारयन्ति wat चावतारथन्ति। एव -विदितविषयविषविषमविपाकतथा विषयेभ्यो निटक्चिन्ताः सन्तो रमन्ते संयमे wefan तपो विगरेषविधानेः रब्यन्तेऽनारतसख्ञाध्याय- करये सेवन्ते प्रमादटन्दं समाचरन्ति निविषारमाचायदिश्र- मिति | यथोक्म्‌ guzdararale तद्धाजभवममिति तेऽज

प्रथमः प्रश्तावः। |

भंगवच्छछासने सुभटसधाताः अमण्णोपासकषमूहा द्रष्टव्याः यतस्त एव खमस्तमपोदं व्याश्रुवन्धतिप्रचुरतया तथा हसंस्येया विन्ते देबेषु cee: सन्ति मनुजेषु श्ठरिप्रकाराः सङ्गोतास्ते तिवेषु awa: सन्ति भरकेखिति एव ॒शओौ्चीदार्थगाम्मौ ययोगितयथा भगवच्छासनप्रत्यनोकानां मिष्यालाक्मसत्वरूपाशां योधसंघाताना- gueraq विभ्राणा निरुपचरितप्रटन्तिनिभिन्तं सुभटशब्दं @gia ) यतैते षदा ध्यायग्ति स्व॑श्नमहारानं समाराधयग्ति सखूरिराजन्दामि खमाचरनधपाध्यायामात्योपदेगं प्रवतेन्ते गौताये- षवभमहायो धवचनेन खर्वधमकार्थेषु वितरज्ति विधिना बदात्मा- नुग्रइधिया नियुक्रस्थानौ येभ्वः साधुवगं पग्रडनिरतेभ्यो गणविन्त- केभ्यो वस्लपाजभक्रपानभेषजाघनसंसारकवत्या दिकं गमस्कवेन्ति विद्टद्धममोवाक्षायेस्तलकगिंककण्यमध्यदौ कितादिमेदभिनश्नं सकण- मपि सामान्यसाधुजनं वंदन्ते भक्तिभरनिर्भरइर्याः श्यविराजन- स्वानौयमार्वालोकं प्रोत्छाइयन्ति समस्तधमेकार्यव विशा सिनोषा्- wd आविकाजनमनुग्नोशयन्ति aneare जिननस्माभि- चेकनन्दोश्वरवरदोपजिनया HTM ATT TSU तन जिगश्रासमसदने नित्यनेमिन्तिकानि। किं quater ते डि भावतः सवेश्चशासनं fage नान्यत्किित्यश्वन्ति गाकणंयन्ति जानन्ति agua creat नानुपालयन्ति किम्नर तदेव सकलकल्याणकारणं मन्यन्त इति शअतोऽतिभक्तितया ay महाराजादीगामभिपरेता इति war तस्येव मन्दिरख मध्यवाखिनो विनोतमरद्धिकमरङ्टुम्निककण्पासते KEN! अन्याडृां gree

10

ge | खप्रमितिभवप्रपश्ा Sut |

भवने वाख दति तथा age विखसद्धिलाशिनोसायं aqufi- avfafa तदभापि मौनौष्दशेने cimtd awe विशलमडि- wifentarat: खम्यग्‌द शेनधर्णाणत्रतचरणजिनसाधुभक्िकरणपरा- यणतथा विश्चाखवनधः आविका etadera fase: avg ता अपि अमणणोपाश्काः अमण्ोपासकवत्‌ स्वेश्नमहाराजाद्याराधनम- प्रबष्णाम्तःकरण्णाः शत्यं Hala खदान्चाभ्वाकं वासयन्ति दृढतरमा- तमानं दशनेन भारयन्धणत्रतानि wef ण्त्रतानि श्रश्वस्यन्ति भि्ापदामि समाचरन्ति तपोविगरेवान्‌ रमन्ते खाध्यायकरण वितरन्ति खाधुवगांय खालुग्रकरसुपग्रहदानं इब्यन्ति शरूपादवम्द्‌- नेन quia खुषाघुनमसकरणेन मोदन्ते साष्वौधर्मकथाख् wale सुबन्धूवगांदधिकतरं साधश्मिकणगसुद्धिजन्ते शाधभ्िकविकखदेश्- वासेन प्रोधन्तेऽसंविभागितभोगेन शंसारसखागरादुक्लोणेपाबमात्मानं मन्यन्ते भगवद मेखेवनेनेति तस्मात्ता श्रपि ae मोनौश्धप्वचम- afere मध्ये पूजोपकरणाकारासेषामेव अमणोपाखकानां प्रति- बद्धा gene वा निवसन्ति याः पुनरोवंविधा wet यद्यपि कथञ्चिन्तन्छध्याध्यासिनो gag तथापि परमाथेतस्ततो बड ग्रता विज्ञेयाः aaa AS भागवतश्रासमभवनं नाज बहिन्द्धायवा प्रविष्टः परमायतः प्रविष्टो भवतौति fata तया चथा तद्भाजमभवनं निर्पचरितशब्दा दि विषयोपभोगविमरं सुन्दरं तथेदमपि विक्चेयम्‌ तथा fei wasfa देबेश्रास्तावदेतकाध्य- aft वन्तन्ते। ये चान्येऽपि महद्धिकामरसंचातास्तेऽपि प्रायो भगवन्धतभवनाददिग्ेता भवितुमरंन्ति ततस्च तचा विध-

परथमः THs | OY

विवृधाधारण्छतस्याख्य faqrefcamartefaratnita विमद सुन्द- रता FRITS | तदनेन चेत्षबणयं यदुत भोगास्तावत्पु- wizda संपद्यन्ते किन्तु तदेव gu ददिविधं waa पुष्या- नुबन्धि च। तज ये पुख्टालुबस्धिपुष्ोदयसन्पाथ्चाः शब्डाथुपभो गास एव सुख्कतमनोदरपश्यान्ञवक्छुन्दर विपाकतया . निरूपवरितश्ष्या- दिभोगवाश्यतां प्रतिपद्यक्ते। ते fe yun: स्फोततरमाश्रघं संपादयन्ति ततञ्ोदाराभिप्रायोऽसौ पुरुषो तेषु प्रतिबन्धं विधत्ते ततखासौ ताम्‌ parts निरभिव्यङ्गतया प्राग्बड्ध- पापपरमाणसश्चथ fafuwefa पुनखामिनव शटभतरविपाक पराग्‌पुष्छभारमाक्मन्याधन्ते चोदयप्राप्तो भवविरागसण्पादनदारेष सुखपरन्परयोग्तरक्रमेश् मोशकारणलं प्रतिपद्यत इति sat: सुन्दर विपाकास्तेऽभिधौयन्ते | ये तु पापानुषन्धिपुण्मोदयलनमिताः श््टादिविषधानुभवास्ते सद्योघातिविषोपदिग्धमोद कवद्‌ारुणपरि- Wars तत्वतो भोगा एव नोच्यन्ते यतस्ते मरूमरोौ चिकजल- meter दव तदुपभोगायं धावतः पुरुषस्य विफलश्रमसम्पादमेन meat टष्णामभिवद्धयन्ति तु संपद्यन्ते कथयञ्चित्घश्माप्ना अपि ते भुबव्यमानाः क्िष्टमागश्य जनयन्ति | ततस तच्छा भिपरायोऽसौ पुर्षोऽन्धौग्छतबद्धिस्तेषु नितरां प्रतिबन्धं fare ततस्तान्‌ कतिपयदिवसभाविनो भुश्चानस्तत्सन्पादकं प्रा्यपनिबद्धं woed व्यवकखथयति पुनखोदयय॒रुतर पापभरमात्मन्याधन्ते | ततद तेनोदेयप्रापरेनानन्तदुःखजलवराकुल्लं संसारसागर ममन्तकाल्ं श्र जोवः Wate | तेन ते पापानुबन्धिपुष्यसन्पाद्याः श्ब्दादषो

डपमितिभवप्रप्चा कचा |

दारूणपरिणामा दत्यभिभौयन्ते येषां तू संसारोदर विवरवल्तिनां जन्तुषघातानामवश्छतया ये शब्दादिविषयोपभोगाः खन्दरपरि- ware नियमतो भगवच्छासममन्दिरादुक्न्यायेन बदिगधेता aaa लस्मादन्येरपि प्र्ापू्वंकारिभिराखेपेश apenas भगवस्मन्दिरे भावतः सेयम्‌ owe खितानाममुषक्गत एव तेऽपि सुन्दरतया भोगादयः संपद्यन्ते तेषामपि सनग्पादकोऽन्यो हेतुरि- am भवति श्रत॒एव चेदं परमेश्वरद थेनसदनमप्रतिपातिखष- परन्परा कारणतया अततोद्छवमयिधोथते तदेवं यथा यावदि- गरेषणणकश्ापयक तद्राजमन्दिरं तेन॒ कथामकोक्रेनावशोकितं तथा तावद्िश्रेषशकलापो पेतमेवानेनापिजौवेने दं wayne षद- गमवलोक्येति सितम्‌ यथा कयानकोक्रः सततागन्दं तद्रा- जभवनसुपलखभ्य किमेतदिति fafaafaunafa चासौसोश्रा- दतथा तद्दिग्रेषरणंस्तत्तो लामातोत्युक्रम्‌ तथायमपि ate: सवंश्ञश्रासनं सश्चातकमेविवरः कथश्िदुपशभ्य किमेतदिति जि्चा- सते wea मिथ्यालाभिर्ग्धादकस्येरतवन्तेमानेस्तश्यामवस्थायामस्य जिनमतस्येमे विगेषगणास्तांस्तत्तो जानौते यथा aw कथा- TRING ATA लथचेतः सतो इद याकूतेः परिस्फुरितं UIA यदेतद्राजमन्दिरं सकलाखधेभामास् खकमेविवरद्वारपाशस् प्रसादेन मयाधुना दृष्यते VM PRTG मथा कद्‌ चित्पवे दृष्टम्‌ | WASHS दारदेओे TM: पूवे केवलं मम मन्दभाग्यतया येऽन्ये ACT: पापप्रशतयस्तवागवंस्तेरदं प्राप्तः प्राप्तः कदर्थयिल्रा fa- धारित इति aga Masha समानम्‌ तथा fe) we

UGA: Teta | ee

प्रद्यासशभविष्यद्धद्ररड कथश्चिद्पलभ् खवश्ञश्रा यनम विदि ततह्ुएवि- गरेषस्यापि मार्गानुसारितया भवत्येवं विधोऽभिप्रायः। यदुतात्यहुत- मिदमरदभेमं यतोऽ तिष्टन्ति ये लोकास सर्वेऽपि gee इव बान्धवा इतरैकप्रयोजना इव समपितददया इवेकात्मका इव परस्यर वर्तन्ते, तथाग्डतदक्ता इव निर्द्गा ca मिरोव्सुक्या दव सोत्साहा दव परिपृणंमनोरया दव समस्तजन्तुसंघातडितोद्यतचेतसख सक- सकाशं दृश्यन्ते तस्मात्पुन्दरमिदमद्य मया विज्ञातं a पूरं विमरश्राभावात्‌ अन्यश्चायं जोवोऽनन्तवारायन्धिप्रदेशं याव्माप्नौ न॒ saa तद्धददारेण चिदपि स्वेश्चश्राखममवशोकितं यतो रागदेषमोहादिभिः RCAC TTT म्यो face इत्येता- वतां गरेनेदमुपद शितं पुनलस्यामवश्वायामस्ं विभागम्याप्ययं जोवो जानौते चिन्तयति at) यया च। तस्य कथानकोक्रस्य पर्याशो- चमपरायणटत्तेः सतः पुनरिदं परिस्फ्रितं यदुत येन॒ मथा पू्ैमिदं नथमामन्दकारि weet दृष्टं Te दशनाथ कश्चिदुपायः प्राम्विहितः सोऽहं सत्यं निष्युष्यक एव कोद राजमन्दिरमिति जिन्नासामाजमपि ममाऽघन्यस्य कदाचिदपि yi नासौत्‌ येम चानेन महात्मना खकम्मोविवरद्ारपालेन जृपापरोतचेतसा भाग्यकलाविकश्स्यापि ममेदं दशितं सोऽयं मे Waa THA एते धन्यतमा जना येऽज राजमन्दिर सटा निःगषडन्दरदिताः प्रञुदितचेतसोऽवतिष्ठन्ते तरैतदपि waaay जोवे योजनोयम्‌ तथा fe ग्ररुभध्यानविशष्यमाना- ध्यवसायस्तास्यापि Hae feria rats सवे स्वश्च गनगोचरं

ex wsufafaaaqnrg? कथा |

कचिदवसरे समवसरणदशेनेम वा जिनखाजविशोकमेन वा वौोत- रागविभ्ननिरोखणेन वा शाकतपस्िजनसाचात्करणेन at सुश्राव कसङ्गतेन वा तदनुष्टानप्रतिभासेन वा द्रावितमिथ्याल्तचा ग्हदू- तभावस्य तथा हुपपद्यते 1 तदा तदिचारोणख्य Atha: | शोचति प्रागविचारकमात्मानम्‌ | wit मागदिग्रकम्‌। बन्धु qq aw मन्यते शद्धमेनिरतिचिन्तांखान्यलोकाभ सद्वावनयेति तदिषता प्रपञ्चेन wane: सम्मार्गाभ्यषेवन्तिगोऽभिश्लकमगन्धे- मिजकर्मगन्येवा पुरस्लत सम्यग्द्‌ शनश्य किथक्मपि काथं ara’ वन्तंमानश्याश्च जौवस्य थो व्यतिकरो भवति ग्यावणितः | तद- गम्तरमिदानौं सकशकष्याणाचेपकारण्न्डतां परमेश्वरावशोकनां राभ्रुवतोऽस् थः प्रपद्यते तज योऽसौ कथानकोक्तो रोरो way Sant यावदित्थं विप्रक चिन्तयति तावद्‌ इन्तान्ताग्तरमपर मडहाराजावशोकमचणमापतितम्‌ wie यदायं नोवः षन्ना- तखकग्मसाघवतया सन्मार्गामिसुखो vere ait तदाऽस योग्यतया परमाव्मावशोकनखणो ऽयमपरो TAM: संपश्यते | तज योऽसौ gat प्रासादशिखरे अप्तमे.मिकातले निविष्ट मृन्तिरधस्तादन्तमानं ACSA ATT समसं समस्तव्यापार- HARI HAAS समन्ताजिरोच्छमाणसक्तसमादडहिरपि सवं- जाप्रतिषतदग्रनश् क्रिः खततामन्दो Vea शशमानो महानरेन्द्रो दर्शितः ce निष्कलावस्थाथां वन्तमानः परमात्मा भगवाम्‌ सर्वश्चो fama: एव बतो मनत्थेलोकापेकया या उपथुपरिष्था- fat शमिकाकणश्याः सप्तरष्यवः तदात्मको यो शोकप्राखादस्त-

प्रयमः Yes | Oe

feat ant एव fe परमेश्वरो aay WE fart विजिजरमगरब्यापाराकारमणोकाकाश्घ्च aah eaina केवल्लाखोकेम करतशलगत।मलकन्धायेनावलो कथति एव wWa- न्तवौर्य॑सुखपरिपूषणंतया सततानन्दो लोखया waa नापरो भव- गन्तेमध्यपतितलन्तुरोलालणनस्य परमाथतो विडम्बनाङूपलात्‌ | यया कथानकोक्रस्तेन महाराजेन मडहारोगभराक्राम्ततया माढबौभव्छदशेन इति war करणया विशेषेणावलो कित cana | तदैव द्रष्टव्यम्‌ | यदाथमात्मा भिजभग्यतादिपरिपाकवश्रादेता- वतं कोटिमध्यारूढो भवति तदाख्य भवत्येव भगवदनुग्रहः तदतिरेकेण थतो मागांुखारिता संपश्यते acqueea भवति भावतो भगवति बहमामो नान्यथा | खकर्मच्योपश्रमादौनां रेष- Samara ततोऽयमात्मा तस्यामवस्थायां वत्तमागो- ऽबुमयंमाकशय्य भगवता वि्रवेणावलोकित इत्युच्यते एव परमेश्वरोऽचविगधगर क्रियुक्षतथा परमार्थकरणेकतानतया We नौव- GB मोकमागेप्रटृक्तेः परमो हेतुरित्युक्तं भवति उमखजगद्‌- सुगरहप्रवदणं हि भावतो निष्कलमपि रूपमिति परिभावनोयं aaa तयापि तव्लोवभव्यतां कण्मकाख्स्धभावनियन्यादिकं सहकारिकारणकखा पमवेच्छ नगदनुग्रदे व्याप्रियते तेन भ॒ यौग- पये समसप्राखिनां SAAT दत्यालोचनो यमेतदागमानुसार- रेति तस्माद्वल्येव भाविकश्याणुख भद्रकभावे aware Haws भगवटवलोकना | यथया तां महाराजदृष्टिं तच रोर निपतन्तो धमबोधकराभिधामो महानसनियुक्को निरो कितवानि-

te डपमितिभवप्रपश्चा कथा |

यक्षं तथा परभैश्वरावशोकनां wT भवतीं धमेबोधकरणग्नोखो ध्मबोधकर दति यथार्यामिधागो मग्म्ाशौपरेश्रकः aft: facet तथा हि सद्यानबलेन विमलोग्तत्मानःपर- fetafacafent भगवन्तो चं योगिनः wate देशकालब्यव-

हितानामपि अनूनां कद्मस्ावखायामपि वतमाना दन्तोपधोगा भगवद वश्लोकनाया योग्यतां पुरोवन्तिनां पुमः प्राणिनां भगवदा- गमपरिकमितमतयथोऽपि योग्यतां लखयन्ति तिष्ठन्तु विशिष्टश्चाना इति। घें मम सदुपदेश्दाथिगो भगवन्तः खूरवसते विशिष्ट- ser एव चतः कालब्धवहितेरनागतमेव तेश्ातः शमस्तोऽपि ween: खरयेदनसंसिद्धमेतदस्मा कमिति | यत्पुनस्तेन बोधकरेण agar सता तदनन्तरं चिन्तितं axa किमेत- दाच मयाधुना TRA यतोऽयं सुखितो महानरेश्रो थस्योपरि विग्रैवेण gfe पात्ति पुङषस्खिभुवमस्यापि द्रागेव ny: श्लाथत इति सुप्रसिद्धमेतत्‌ अयं पुनयाऽधनाख्च राजो $ृटेगौ रचा रितामतभवनपकलच्छते मको देन्योपतो रोग- TISAI मोरहोपतात्मातिबौभत्छद शंनो जग- दुदेगडेतुरत्कथं अमस्तदोषरागेरस् परमेश्वरदृष्टिपातेन साद सम्बन्धः पौर्वापर्येण frat wet कदाचनापि दौ तरदौगत्यभा जिनां Fe श्रगर्धंयरननषष्टयो निपतितुमुतखदनते तत्कथमेतदिति fanafatarged चेतः तदिदं शवंमजापि लोवविषयं सद्धर््ाचायेवेतसि ana योजनोयम्‌ तथा fe यदाऽयं wat नितरां गरूक्मतथा प्रागवस्यायां खमाचरति सम-

प्रथमः प्रखादः | =e

स्तपातकानि भाषते fasinmaratiacenfa सुश्यतेऽनवरतं रौद्रध्यानेन एव चाकाण्ड एव कुतञ्धिजिमिन्ताच्छभसमाचार <a खत्यप्रियवद इव प्रश्ान्तचिन्न इव पुनर्यत तदा भवत्येव पौर्वापयपर्यालोचनचतुराणणं विवेकिनां मनसि वितकौ यदुत तावल्छुन्दरा मनोवाक्षायप्रडन्तिः खद मंसाधिका भगवदनुगर- व्यतिरेकेण कस्यचिन्छंपद्यते श्रयं चेह भव एवा तिक्तिष्टममोवाङ्घाय- प्रखरोऽवधारितोऽस्मामिः तदिदं पर्वापरविर्द्धमिव प्रतिभासते यतः कथमेवं विधपापोपषतसत्वे भगवद्‌ वलोकना wana सा fe प्रवन्तमाना जोवस्य मोखसम्पादकत्ेन जिभुवममायत्मखेपेण भन- यति। तस्मान्ना तस्याः सम्भवो Baya | GAQTS सुन्दरममोवाद्षा- यप्रट॒न्तिलेगशनो दृश्मते ततोऽन्ययाुपपश्या भगवद वलोकनायाः सद्धा- वोऽ fagraa तदिदमवसमं सन्देह विच्छद कारणम्‌ + श्रस्माकं ममो दोलायते किमिदमाख्चयेमित्याकरूते यथा तेम तात्य- येण पर्यालोचयता मदानसनियुक्रकेन पञ्च जिखितम्‌ यदुत सम्भवतोऽस्य FAHY दे ` कारणे महानरेगरावलो कनायासतेम ate ah एवास्य परमेश्वरस्य पारमेश्वरो few: यस्मादेष सुपरोदितकारिणण खकश्मेविवरेण दारपाखेनाज भवने प्रवेशितः तेमोचित एवायं विगेषदृष्टेरिव्येकं . कारणं यथा यद्येतद्भवनमा- शोक्य मरस्य मनःप्रसादो नायते महानरेन््रस्यात्यन्भवेष्ठभ इति प्रागेव fafafyafae मया संजातश्चास्य मनःप्रमादौ BAT यतो नेचरो गपौोडाभराक्रान्ते श्रपि सोचने भवमदिदच्या प्रतिश्ण-

मयमसुन््रोखलयति तदनेन वोभक्छद शेनमप्यस् वदनं सहसा प्रवाद- 11

#2 4 उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

सन्पत्तदं शनोयतामासादयति धूशिधुषराणि चास्य स्वाङ्गोपाङ्गामि एशकोद्वेदभाश्ि gaa, चेतद्न्तरविवन्तेमाग्ष्यतिरे खपश्चते तस्माद दमस नृपभवभपश्पातशच्चणं परमेश्वरावसो क- माया दितोयं कारणमिति तदेतस्प षद्धर्माचार्या श्रि नोव- विषयं पर्याशोचयन्तः परिकथन्धेव तथा इहि) यो भोवो हेतुभिखेच्छते यथा संजातककविवरोऽयं तथा भगवच्छासनमुप- खन्ध ae प्रादुभेवति मनःप्रसादः भगवन्‌ wat प्रतिदणां मेजोग्रोखनकण्पया जोवादिपदार्यजिन्चासया fare? प्रव भायशवाधिगसे विकसितवद्‌नकश्येन खे गद शेनेन fagtaa धजिधसरिताङ्गोपाङ्गरोमाच्चाकारेफ सदनुष्टानलेश्प्रटन्तिविलो कनेन TS जवस सम्पन्ना भगवदवलोकनेति निर्णोते | तस्मादिहापि निख्चयकारणे ages Raed यदुत सश्चातकम्बविवरता भग- वच्छासमपद्शपातखेति | यथा तेन महानखनियक्रकेन दम- कगोचरमेत fe fa यदुत यद्यपोदानौमेष रोराकारमाबिभन्ति तथापि AMA RAMANA ATAU VASAT एपर- न्परः ATW वद्ठलं प्रतिपद्यते खण्वेष anes सन्देह इति। तथा BEATTY परमात्मावशोकमां जोव विमिचित्य तस्य भवि्यद्भद्रतां विगतसन्रेहाः aed शखापयन्येव gure महानसननियुक्तकसज द्रमके महानरेनद्रावल्लोकनां निर्णय तदनु- एृत्तिवश्रन करुणाप्रवणः are: तथा जोवेपि परमात्मावलोक- भामाकलग्ज सद्ध मे॒रवस्तदाराधमपरायरतचेव कर्णाम्रवणमानसाः TMH तदरुकम्पया तैरपि भगवागाराधितो भवतीत्यर्थः |

प्रयमः प्रस्तावः | चह

चतृपुभरभ्यधायि यथाऽसौ रखवतौ पतिः wht तत्छमौपमादर- वगरेना गच्छत्‌ गल्ला Vee भद्र दौयते at faded रोरमाका- रितवामिति ) azafay योजनोयं यदास्य sae पूर्ीक्रन्याये- नानादौ संसारे wer परिपक्ता भव्यता सौणप्रायं fan स्लोकमास्ते तच्छेषं तेनापि दन्तं cai प्राप्ता मलुजभवादिषामवो दृष्टं CANUTE संजाता तज सुन्दरबद्धिः WA मनाक्‌ पदाथे- fan अमुत्पज्ाकुशखकम्मेलेशयुद्धिः। श्रय चानुवन्तन्तऽयापि पापकलाः तदैवंविधे भद्रकभावे वन्तमामस्य सच्ञातायां भगवद्व- खोकमायां सद्धग्माचार्याः प्रादुश्वंततौव्रकरुणापरिणामाः सन््मार्गाव- तार णयं योग्यतां मिखित्य भावतोऽमिसुखोभवन्ति तदेतन्तेषां ae- मौोपगमनममिपौयते सश्नातप्रसादाश्च कथयन्ति ते ag यथा भद्रानिमोयं लोकोऽनादिनिषनः काशः शाश्वतरूपोऽयमात्मा कमंजनितोऽष्य भवप्रपञ्चः तच्वानादि सम्बद्धं vareu भिष्यातलादय- स्तस्य हेतवः तत्‌पुनदि विधं कमं कुश्शङूपमकङु श्लरूपं यन्त कुश्रलशूपं ACTS घमेशोच्यते | यत्‌पु नरङ्कुशलरूपं तत्पापमधमं- खाभिधोयते पुष्छोदयजनितः सुखानुभवः पापोदयकपाद्यो दुःखानुभवः तयोरेव पुश्छपापयोरनन्तभेद भिन्ेन तारतम्येम संपद्यते वखश्वेषोऽधममध्यमोन्तमाद्यनन्तभेदवत्तितया विचिचर्ूपः संसार विस्तार दति aaaa विधं सद्र्माचार्थवचममाकणएेयतोऽस् Maw ते पूवेमनादिङ्कुवाखनाजनिताः कुविकल््पाः प्रवन्तन्ते स्म यद्‌ ताण्डषमुद्ूतमेतचिभुषनं यदि चेश्वरनिर्मितं वा ब्रह्मादिशतं वा प्रहछतिविकारात्मकं वा चदि वा प्रति्णविनश्वरं वा पञ्चखछन्धा-

yg उपमिततिभवप्रपश्ा कथा|

कोऽयं ota: पञ्चग्डताद्मको वा विश्चागमानं चेदं aa शून्यरूपं वा विद्यते ar कमे महेश्वरवशादिदं स्वे नानाश्ूपं वन्तत इव्यादयस्ते aaa भौममहायोघद शेनाल्छंय्ामभरिरसि प्रत्यनोक- कातरनरा इव निवन्तन्ते | ततश्चायं तदा Mat मन्यते यदेते महात्मानो मदं कथयन्ति तत्छव॑सुपपद्यते मनोऽधिकतरं परौ रितु agaaaa एव जानन्ति ततस्च यदुक्र कथानकं कथयता यदुत कदयेनायेमायाताः TATRA: सुदारुणः | दुदान्तडिम्भा ये तस्य दृषा तं ते पलायिता दति

तदपि बोजितं विन्नेयम्‌ यतः छइविकल्या एव दुद्‌ान्तडि- area एव नोवं acuafa तज्निटत्तिख सुगरुसन्पक्तेति तदे- वमपगतेषु सकलेषु कु विकश्पेष॒ यदायं wa: सद्ध मेरूणां तद- चमाकणेनस्पृहया मनागभिमुखो भ्रति तदा ते परदहितकरणेक- व्यसनितया सन्मागेदेशनां कुर्वाणाः खल्वेवमाचचते यदु ताकणेय भो भद्र संसारे पयेटतोऽस् saw wa एवातिवक्छलइदयः पिता wa एव गाढसखहबन्ध्रा जनयित्रो धमे एवाभिन्नददयाभिप्रायो lal धम्मे एव सटेकश्ञेहरसवश्रा भगिनौ WA एव समस्तसुखखनो- श्ताजुरक्का गवतो भायां wa एव विश्वासस्थानमेकर समनुकूलं सकलकलाकलापङ्ुश्रशं fay धमे एव सुरकुमाराकारधारकञि- न्ानन्दातिरेकद्ेतख्मनयः WA Va गशओोशसोन्दयंगु रशमजयपता- काङशोश्ञतिनिमित्त्डता दुहिता धमं एवाऽयभिचारौ qua: धमे एव .विनोतः परिकरः wa एव नरे श्वरता wa एव शक्रवन्तिलं we एव विबुधभावः धमं एवामरेश्वरता धमं एव वश्चाकारो

परथयम. प्रस्तावः | cu

लावश्यापकणितभुवनो जरामरणएविकार विकलः कायः wa एव समस्तास्ता येर्एभग्रन्दग्रहएवत्रं ओजं धमे एव Yarra कश्याणदशेमे Ww धमं UI मनःप्रमोददेतवोऽनर्यंया रन्न- राशयः wa एव चित्ताह्वादविधायिनो विषघातना्यष्टगुणेपेताः कनककूटाः WA एव परनिराकरणदचं चतुरङ्ग बलं धमे एवानन्त- रतिशागरावगाइनद्ेतुग्धतानि विल्लासष्यानानि। fa बहना जखिितेन धमे एवैको मिविन्नानन्तसुखपरपराकारणं नापरं कि- चिद पौव्येवं कथयति मधुरभाषिणि भगवति wet भग- वत्यस्य Naa मनाग्‌ fends: agua विस्फारयतौ चणय गलं दशेयति वदनप्रसक्लतां त्यजति विकयादरौनि विचेपान्तराणि कचि- aifaaycat विधत्ते सस्मितं amget ददाति नखस्फोरिकां ततो भगवन्तः BA मनाग्‌ प्रविष्टरसं तमा कलय्येत्यमभिदधते। aga सौम्य धर्मद्तूर्बिंधो भवति तद्या दानमयः शोलमयस्तपोमयो भावमामयच्ेति wat यदि भवतोऽस्ति खुखाकाङ्का ततोऽयम- sere चतुरविंधोऽपि युच्यते। भवता दौोयतां सुपाजेभ्यो यथागश्क्ा ava क्रियतां खमस्तपापेभ्यो वा Baar teat वा प्राणतिपातादा NAST MARTIAN परदारगमनादा श्रपरिमितयदणादा राजिभोजमादा मद्यपानादा मांसभकणादा सजोवफलाखादनादा मिनद्रोहादा शवक्गमागमनादा श्न्यस्माद्राश्क्यपरिहाराजिटत्तिः aut विधौयरतां यथाशक्ति कञ्िन्तपोविगेषः भाव्यतामनवरतं maa भवता येन ते संपद्यन्ते निःसंश्रयमिहासुत्र ae कखयाएानोति | तदनेन चन्तदुक्रमासोत्कथानकं यथा महानसनि-

खश्‌ उपमितिभवप्पश्चा कथया |

युक्रकस्तं TX wea भिच्षाचरोचिते भागे श्ापितवान्‌ ततसतद्भिलादानायथं परिजनमादिष्टवान्‌। तदनन्तरं agar ara तद्दुहिता सा परमान्नमादायातिखुन्दरं त्वरया तदह्‌ाना्थेसुप- स्थितेति aed यो जितं विज्ञेयम्‌ तया She धमगुएवणैनं जौव- ष्याकारणकल्प विज्ञेयं तचिन्ताचेपो भिच्वाचरो चितग्दभागस्थापन- तुषो TEU: ध्मेभेद वनं परिजनादेश्रसश्मतं any त्येव शुरोर्था जोवस्योपरि war सेव agar arat afar विश्या, चत्‌ विध- धर्मानुष्टानकारणं सुन्दरपरमानलयदहएसमानं विज्ञेयं तच्च सद्धर्मा- चार्यालुकम्पयेव जोवं प्रत्युपढौकयति नापरो हेतुरिति faw- यम्‌ यत्‌ पुनरभिडहितं यदुताकारणएसमनन्तर तं तथाग्धतमत्या- दरमालोक्य रोरखिन्तयति यथा मामन्यदा first प्रायंय- मानमपि शोका facrgafa तिरस्कारपूवं वा किञ्चिद्दति। MIT FACS: सुवेषो ACA पुरूषः खयमागत्य मामा- कारयति fara a दौयत दति मासुपप्रलोभयति तक्किमिद- माद्यं ततस्च्छाभिप्रायवगरेन पर्याशो चयतस्तस्य चेतसि परिस्णु रितं इन्त नेवेतस्सन्दरं मम प्रतिभासते मन्मौषणथेः खल्वेव प्रारम्भो थतो wanefae निकाया भाजनं मामकोौनं तदेष विजने Tat मां निञ्ितमेतदुदालयिष्यति | एवश्च fed किं wearer विभेयं किमित एव स्थानात्‌ ava नश्यामि उतोपविश्छ ताव- SIMMS भाजनस्य भोजनं weifaq काये aa भिचयेति प्रतिषेधं विधाय पदमपि चलामि fa वा वश्चयिवेनं पुरुषं कुजचित्‌ सत्वरं प्रविश्रामि कथं gaat ममास्राग्मोचो भविष्तोति

प्रथम Wats: | vs

जाने यावदेवं fafeagfaawarermudnfymafa ताव- लख प्रवत्तते प्रबलं भयं प्रसप्यति aut gata wa विडलोभ- वल्यन्तरात्मा खन्धातिरेकामिग्धतचिन्तटत्तः शंरचणातुबस्ि agit महारोद्रध्याने निरुद्धः करूणाय्यामप्रसरः hea विलोचने नष्टा चेतना aA जानोते HY Ata: कुज वा सितः केवलं fara HBR इवोद्धाकारोऽवतिष्ठते सा तु azar गडाणेदं भोज- नमिति wat wa: wager व्याहरति तथापिख निष्यु- Gat FAR: सवेरोगकर तुच्छं यत्तदात्मौोयं कट्‌ श्नं तत्सरच्णा- मु बन्धेन नष्टात्मा at कन्यकां समस्तरोगदराग्टताखादपरमान्नदा- नाथं TET वराको नावबुध्यते तदिदं समस्तं Masha सषमा- नमवगन्तव्यम्‌ तथा fe) ease हितचिकीषया भगवन्तः सद्धमेशरवो विस्तरेण धोगुणानुपवष्छे पुनश्चत्‌विंधधर्मानुष्टानमुप- दिश्ठन्ति तदाऽयं Nat भिथ्यान्नानमहातमःकाचपटलतिमिर- HAM AAI विवेकलो चनयुगलदौ धितिप्रसरोऽना दिभवाभ्यस्तम- हामिथ्यालोन््ादसन्तापविधुरितददयः प्रबलचारिचमो दनो यरोग- कदम्बक विलचेतनस्तत्र विषयधनकलत्रादिकया गाढमूद्धेयाभिभ्वत- feugha: waa चिन्तयति यावर दं पूवं धर्माधमोविचारपर्येषणं Tae तावदेते HAUT: कचिदु पलभ्यमाना श्रपि मम वारत्तामपि veamt यद्यपि कथञ्चित्‌ afeeret मां धमेगोचरं किञ्चिद wa: तथाप्यनाद्रेण वचमं वा इं वा era Gaal धर्माधर्म जिज्चाखापरमवगम्य गतोयमस्माकमादेशगो चरमति मला खगश- तालु ्ोषमवगणय्योशचध्वंमिना मता वचनर दमाटोपेन खयमष्ष्ट

ce उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

एवेष शोकप्रकाशः मणो मम पुरतो धर्मद्मणानुपवर्णयति मांचाचिक्नचिन्तसुपलग्य दानं दापयति शलं oreafa avar- रयति भावनां भावयति तदियतोऽकाष्ड एव स्पुटाटोपस्ताख्य इन्त को wale: अ्रज्ञातमस्ति मे सुन्दरकलनसक्गहः विद्यते नानाकारो द्विएनिषयः सम्भवति शरिरूपो धान्यप्रागभारः समस्ति सम्य चतुष्यदङ््ादिकं गुनं AMAIA तदेषोऽच तात्पर्यायौ यदुत ater ते दौयते wae पात्यते बौजदा स्ते रियत कुरु लिक्गपूरणं faite गरूपादप्रननम्‌ निवेदय खकलच- खधनकमकादिकं समस्तसवेखं गरूपादेभ्यः। पुनस्तेरनुक्नातमनु- भवितेतस््रमेवं विदधानः पिष्डपातेन श्िवोभविव्यसौद्येवं वचन- रमया विप्रता्थं Warere xa मामेष अमणको मुसुषिषति यदि वा ढरिफलं gate महोदयं गोदानमकचय्यं एथिवोदानं अतुलं पू्तधश्मेकरणएमनन्तरुरं वेदपारगे दानं यदि पुनगोर्वि- ज्ञायमाना निगेतवल्छरुरसुखा सचेला waa रन्नमण्डिता mq feat दौयते ततश्चतुरुदधिमेखला सय्ामनगराकरा anwar थिवौ तेम दत्ता भवति खा चाचथ्यफला संपद्यत इत्येवं सुग्धजनवश्चनपरेः कूटद्लोकरचितयग्न्थेमों विप्रलभ्य दिजा- तिरिव नुनमेष मणो मे द्रविणजातं faretafa श्रय att कारय रमणोयतरान्‌ विहारान्‌ वासय तेषु बङश्रुतान्‌ पूजय संघं प्रयच्छ भिच्भ्यो दचिणां wea स््घसम्बन्धिमि कोशे खोयं द्रविणएजात निक्िप सःघसम्नन्धिन्येव कोष्ठागारे सधान्यखश्चचं समपय सडम्चसम्बन्धिन्यामेव सातौ खकगेय aca भव

प्रथमः प्रश्तावः | ce

बुद्धध्मषड.वरारणः एवं ते कुरवेतोऽचिराद्‌ बद्धपदं भविग्धतौत्थेवं वाचालविरचितमावाजालेनाक्मौयग्राख्लसन्दर्भंण रकृभिचरिव मां favarg fafanta श्रमणो मदौयसवसतं शातुमभिकाङ्कति | war करियतां eee भोच्यन्ताग्टषयो Zeenat सुन्दरखाद्यानि छपनोयन्तां सुखचेपष्णामि दानमेव Vea परमो wa: तत एव संपाद्यते खंसारोत्तार इत्येवं मासुपप्रशोभ्य सखश्ररीरपोषण्परो दिगम्बर इव मदौयधभमेष Raut निवांडयिव्यति न्यया कथमेवं विधोऽख्य ममोपरि प्रपञ्चकथनरूपोऽत्यादरः स्यात्तदिदमिह aa तावदेते सुन्दराः WAU यावश्लोपशभ्वन्ते यावद्चेतेषां amafifiniad anata पुमदुग्धजनं अद्धालुमवगन्येते माया- विनो माना वचनरचनया विप्रतायं मदौयषवेस्मपरहरन्ति भाद्यज SVE ततो मयाऽधुनानेन waa प्रारग्धेन सता किं विधेय- मित्याशोचयामि किमदम्तप्रतिवचमः समुत्थाय गच्छामि। उत aaa धर्मासुष्ठामकरण्णे मम शक्तिरिति दौपयामि। aretfa- witecurfefa: sabi मे द्रव्यजातं भा्येवाधुना fates दौयते ae श्ये प्रहयुन्तरयाभि। उताहो काये मे तावक- धर्मासुष्टानेन gig किञ्िद्वता कथनौयमित्येवमेनं sad facractfa fa वा अ्रकाणष्डकथनजनितक्रोधद्चचिकां ङुरि जन- यामौति। जाने कथमेष श्रमणो मदचमप्रवणमना निवज्यांसा- SCAU मोचं दाख्यतौति। GATS वराको गाढमूढा- त्तया खस्येतक्षचय ति aad भगवन्तः agaieral विदिततुषं-

मुषि जिःसारसखारग्भार्था अ्रतुखषन्नोषाग्टतदप्रान्तःकरण अवगत 12

€e उपितिभवप्पश्चा Wer |

fawafaefarafacrat मोककाङ्खकतानेन रेतसा way qaeH- तयाऽत्घन्तनिःसूृहतया सनार्गोपदे प्राने प्रबन्तेमानाः GT देगेकद्रमकथो विशेषं सशयन्ति मरद्धिंविबुधनिद्धेमपुरषयोरविं- भागं कल्यसन्ति चकृश्वररोरथोरन्तरं दशेयग्ति गोदारपरमेश्वर- कृपणनरथोरादरानादराभ्बां प्रवन्लन्ते समाभमेषां चेतसि fans Was STAG AAT महारेरलराश्रयो अरढपाषाणनिकरेण VEN उन्तप्तहाटककूटा Wea wg fecaata धलि- get सजिभो धान्यनिचथः wring wucguies fuarcavaty विशेषो निजितरतिरूपाभिरपि wfeawe- नामिः ay अरत्काष्टस्तश्भानामिति। एवश्च fet: मेतेषां परदिकरणेकन्यखनितां विमुच्थापरखद्‌ पदे दाने प्रवन्तमानानां कारणश्ुपशभ्यते। यतः खायेसम्पादनमपि परमायेतः sense ध्यानतपञ्चरणटकरण्ठादिना दारान्तरेणेव सम्पद्यत एव तदयै- स्ेतेषाम प्रतिः दुरापाश्लावकाश्य खाभादिका Waray | चेशटेषकोऽग्ध्यान्धोहृतवुद्धिजानोते। ततोऽयं जौवोऽकवगतबहुरू- दाराश्योऽ्यन्तट्ष्छखचिन्लदु टताऽसु मानेन तचिन्नमपि तथारूपं परिकखयम्‌ महा मोहवधरेन arate: गरेवदिजातिभौ रक्रमिक्‌- दिगम्बरा दि भिष्ठद्यान्‌ कम््ययति सम्भवन्ति मिनश्लकमैग्न्येरपि दभेनमो इनोयपुष्जचयकरणेभ यथा पुनर्मिश्यात्वपुञ्े वन्तेतेऽयं लोवसतरेवंविधाः ङुविकल्या इति args तेराडुलौ शतददरयब्याश्य वयवस पुनः प्रखपति भिथ्यालविषं ततद शमोऽयं Ma: -शियिखल- ति मोनौकधदगेनपववपात fagyfa पदा्ंजिश्नासामवधोरयति

प्रथमः प्रश्तावः। ९९

सद्धमेनिरतं अनं बडमन्यते निविंधारकलौकं प्रमादयति प्राग्‌ Wet waa परित्यजति ana र्यते नितरां विषयेषु पश्यति तश्वबुद्या तस्छाधनं धनकमकादिकं राति तथोपदिश यरं sansa गाकणंयति तदचनं भाषते धमाबषेवादान्‌ छद्घडयति wageut मर्मख्ानानि शगति प्रतोपं कृूटबादेने निराक्रियते पदे परे गरुभिः। ततासौ चिग्थति सुरखित- गन्धप्रपश्चा एते श्रमणा निराकन्ते' मादृशः पार्थेन ततो मामलौ- कविकश्पजालेन विप्रताये पुनः करिब्यन्येते मायाबितयाक्मभच्छ- स्थागमतो दूरत एष भयेते AAT: खग्टहादारणौया दृष्टा अपि सम्भाषप्तयया नामापि सोढग्यमेतेषाभित्येवं कदश्नकष्प- धनविषयकखचादिके मू च्छित इद यस्तससंर चणप्रवणोऽयं भोवः खदुप- दे शदायकान्‌ मामो वभ्रगो वश्चकलेन क्ययन्‌ रो द्रष्यानमा- पूरयति ततो गष्टविवेकचेतनसेः षद्धर्माचार्थैरष्वाकारनिखातकाष्ट- क्योखककश्पो शच्छते श्रतं एव तेषां सम्बधिन्या दथथा zte- माने तदानौं सुन्दरपरमान्नकच्यं सदलुष्टानो पदेशं बराकोऽषं जवो aaa चेतःपरं विवेकिनां विस्मयकरमसि यदेष जोवो महानरकगभपातदेतौ घनविषयादिके र्धात्मानन्तद्धखमोलाखप- कारणं सदनुष्टानं षद्दुरुदयोपमौतमवधोरवति यथा तेन महागसनियुक्तकेन aaa व्यतिकरमवलोक्य चिन्तितं यदुत किं पुनरेष रोरो दौयमानमादरेण्द Wars LUT मुनमयमख्छ पापोपहतात्मतया योग्य दति तद्नापि दुख बि्वेयम्‌ तथा fer सद्ग॒रूणामपि तं तथाविध विखरघभेपि-

उपमितिमवप्पश्चा कया

रेशनयाऽन्यचा वा विनष्टभद्रकभाव विपरौतचारिण ओवमुपलभ्य भवव्यवषतो भावो यदुत भाजनभेषोऽकष्याएभाजमतया भगव- gaa मोचितो gufanfaaa सुभतिममनसख परिकमेणोयो दंशकल्पतया सद्धमेचेतसां ततोऽज मोहोपहतचेतसि विफलो मे परिश्रम दति थथा qafaanat तेन रसवतौपतिना fafea यदुत भाष्य वराकस्याय दोषः यतो बदहिरन्नश्चायं रोगजालेन परिवेष्टित इति wet acafaset a किश्चिश्चेतयति यदि पुनरेष TUT: aq ततो योऽयं कद्नखवलाभेनापि qafa खोऽग्टताख्ादमेतत्परमान्नं दयोमानं कथन zelafefa i az तदाचा्थेश्यापि पर्थाो चयतो मनसि ava एवेति aga यदेष जोवो रुष्यति विषयादिषु गच्छति gaia aren gaat aquest नैषोऽस् वराक दोषः किं तङि मिथ्या- लादौनां भावरोगाणं तेरविसंखुखचेतगोऽयं किञ्चिष्जानोते afe पुनरेष afane: way तत्कथमात्मनो fed विसुच्यात्माहिते naa यञ्च तेन महानसनियक्ेन पथचिन्ति। यथा कथं पुनरेष रोरो Roa: स्यात्‌ ततो मनि निरूपयता तेन पुमः पयंकश्चि। अये विद्यत wate रोगजिराकरण्टोपायः। यतोऽस्ति मम सार्भेष- जचतयं तद्यथा एक तावदिमन्ञाणोकं माम परमाश्चनं तद्धिधानेन WANA समखनेचरोगान्ञाश्यति खष्छब्यवहितातो तभाविभाव- वि्ोकनद we: खपादयति तथा इईितौयं तच्वपरौ तिकरं माम खन्ताचीदक तत्‌ पुनर्विंधिमा खाचचमानं समस्तगदन्रातता नवं विधत्ते। दृटा विपरोताधग्रइएचतुरतां gua विगेषतः पुनर्मा दसुदल-

n~-

प्रथमः प्रस्तावः | éR

ufa दतोयं पुमरेतरेव कन्यकोपनोतं महाकष्याणकं नाम पर- माश्नमेतत्युनः सम्यङ निषेग्यमानं मिःशेषरोगगणं समूलकाषं कषति | तथा पुष्टं जनयति ति वद्धयति बणमुञ्वलयति वणसुत्कषेयति मनःप्रसादं संपादयति वयस्तंभं विधन्तं aataat करोति श्रौ जित्यं प्रव्णयति frre अजरामरत्मपि मिःसन्देहमेतत्छन्निधापयति तस्मादनेनौ षधजयेण Taya तपसखिन arfeat मोचया- atfa तेन मनसि सिद्धान्तः खापितः। तदेतसद्धर्माचार्योऽपि लौवगो चरं समसतं चिन्तयत्येव तथा fei यदा निचितं तेन पराकप्रहृत्तिद्‌्नेन यथा भव्योऽयं जोव. Fae प्रबखकम्भकला- gaat: सन्प्रार्गात्परिषष्टस्तदा भवति गरोरयमभिप्रायः यथा कथं पुमरेषोऽस्माद्रोगखखानोयात्‌ कमेजालकनोच्छते wale aay तात्पयेपर्याङ्गलेन चेतसा खुदूरमपि wat एुमरेतदेव ्ामदगेन- चारिबरूपज्यं भेषजचयकण्यं तन्मो चनोपायः प्रतिभाषते मापरः। तजे wee विन्नेयं तदेव परिस्फुटदभ्रितया विमलारोक- qua तदेव मयनगदसन्दो CH TAY TT A तदेव च॒ तभवद्भाविभावस्भावाविभावनचतुरं Nae विवेकचचः संपाद्‌- यति दशनं पुमः सन्तोर्थोदकं बोद्धव्यं तदेव जोवादिपदाथेगो चर- शरद्धागहेततथा तत्वमो तिकरमभिधोयते | aay तद्‌ दयसमये सवंकमेणामन्तःसागरोपमकोटौको रिमाचमवतिष्ठते BATH पुमः nfrqe त्तानि aqged तेन समस्तगदतानवकारकं कमेणामिड रोगकस्पलात्‌ तदेव इशिप्रख्स्य ज्ञानस्य यथावख्ितायग्रइणषातुयं- माधत्ते | तरेव महोग्माददेश्यं मिथ्यालसुदलयतोति चारित्र

8 उपमितिमदप्रपश्ा कथया |

पुनरन परमाश्नमवगन्तव्यं तस्येव सदनुष्ठामं wa: सामयिकं विर- तिरितव्यादयः पर्याथाः। तरेव मोदलचणमडहाकश्याणब्यवड्ित- कारणतया मडहाकण्याणणकमिति tradi तदेव रागादिमदहा- व्याधिकदम्बकं समूलघातं दन्ति ava वणेपुष्टिष्टतिवशमनः- प्रसादौ fH AT ATA येता STMT TUT समस्ताना विर्भावयति। तथाहि wea saat प्रभावो Vee कारण्मौदार्थस्चाकरो गांमौयष्य WAL WAG खरूपं वेराग्यस्यातुश्ेतुवों alate art निरन्दतायाः कुलमन्दिरं चिन्तमिवांणस्य उत्पज्िभ्डमिरद- था दिदुएरन्नानां fa चानेन यत्तदनन्तन्ञामद्‌ ेमवोर्यामन्दपरि पू मच्यमव्यायमव्याबाधं घाम acta तश्छन्पाद्यमेषेति श्रतोऽजराम- रत्वमपि तव्वनयतोत्युश्यते | तस्मादेनमनेन श्नानद शेनचारिजजयेण qaqa जवं क्िष्टकर्मकलाजालाश्नोचयामोति सद्धमहररपि चिन्तेऽवधारयतिं ततो यथा तेन रसवतोपतिना शलाका aaa विन्यस्य तस्य दमक गाढमाधनयतो यौवामश्िते लोचने तदमम्तरमेव तेम प्रर्हादकतया ओोततयाऽचिग्धगुण्योणितया WTSI पुनखेतना Gat ततस्चोश्मोलितं eq: प्रशान्ता मनाङ्‌ नेजवाधा विस्मितेन तेम किमेतदितिचिन्तितिम्‌। तदेवं atta uci जोवः प्रथमं प्रतिपद्य भद्रकभावं रोषयता भगवच्छासनं AMHR पयपास साधुलोकं विधाय ध्मेपदायजिन्चासां eat दामादिप्रत्तिमुत्पाश्च धमरुरूणमात्म- विषयां पाजबुद्धि पुनः दिष्टकर्भोदयन विस्तरधमेदेशनादिकं fafafafanarera परिभ्रष्टपरिणमो भवति। aay a गच्छति

प्रथमः प्रस्ताव, | ev

Yared नायते wy वन्दते दृष्टमपि साधुखोकं arama आआवकजनं निवारयति que टरानादिप्रटत्तिं पलायते qe wiges fart एष्टतखदवण्टवादादि कं ततस्ं anal गष्टविषेकचेतममवगम्य गुरवः खबुहि ्णाकायां anfa- बोधोपायाश्चनं facut कथं afeienet कथञ्चिदकाष्डद्ष्टस्व Sita प्रियसंभाषणं श्यन्ति हितबुद्धिं प्रस्धापयगधाश्नसभाव- ञुत्पादयनधविप्रतारकप्रत्ययं पुरुषविशेषं तद्भावं चोपकशच्छ वदन्ति भद्र किं मागम्यते aye fawn विधौयते भवताम हितं fa विषल्लौ करियते मनुव्यभवः fae विज्ञायते इएभाग्ररभ विग्रेषः किमेत्यसुग्धयते पद्भावो भवता वयं fe भवत एवेदं पथ्यमिति गऋयोग्धबोऽभिद महे तदिदं wa ्रसाकाश्चनस्छापनकण्पं fara खज्त्रानहेतुतया काररकार्योपचारादिति। तदेतदाकश्छे ततोऽखा- वष्टो राणि विर वयन्ञेवं gery भो भो अमशा गाढमदणिकोऽहं खरति मे भगवक्छमोपमागच्छतो faatorcret हि wafean भवति मादृशां पुनरन्य्गतार्नां सोदति कुटुम्नादिकं प्रवन्तसे स्ठेऽतिकन्तयतेति वदति वाणि्यं खंपद्ते राजसेवा विष्ठ- रथति हषिकमाडिकमिति | तरेतश्छमस्तं भिरोधमममभिधोयति | ततस्तदचदनमाक्च्छे कडणापरोतङदयाः बद्धमद्रवो थास्यत्येष बराकोऽकृतपुष्कमां दुगंतिमिव्यतो Tews: carta माच्चौरम्‌ वन्ध यद्यप्येवं तथापि मद नुरोधेन क्रियतां यद दइं aha वदचनगमेकं दरषटव्याख्वयाहोरामण्येऽवश्छं तयो पाश्रयमागत्य सहृन्धा- wa इति, गद्यतामसमियहो मान्यदडं कििदटपि भवन्तं भणि-

eq wufafaaarrgt कथा |

व्यामि। ततोऽसौ का गतिः प्रतिप्रवेभे पतित इत्यालोच्य तमभि ava) तदिदं सहुरुवचनप्रतिपन्तिकरण प्राम्बल्लो चनाश्जनपातन- तुल्यं बोद्धव्यं ततशपप्र्ति तदुपाश्रथं गच्छतः प्रतिदिनं ससाधु- wage तेषां निष्कुजिमागुष्टानद्ग्ेनेन जिस्यहता दिगणानालोकयतो निजपापपरमाणदशनेन तस्र याविवेककला संपद्येत सा ABT सतौ चेतना पुमरागता दत्यमिघौयते। यकु wet शयो धर्मपदार्थजिन्नासनं avatar fared यस्तु प्रतिच्णम- wiafawa: नेजरोगबाधोपशमतुष्यो wry: | यः पुनर्बंधसद्भावे मनाक्‌ चिक्वतोषः विस्मयाकारोऽवगन्लव्यः। थथा तावति व्यतिकरे wos’ यत्तस्य zane तद्धिषारचणलष्षणमाकूतं बङकाशाभ्यास्तामिनिवेश्रनप्रवन्तेमानं निःगेषतयाद्ापि fre तदश्रोग्तचिन्त्च तं पुरुषं तद्वाहितया पुमः पुनः wea ततो agafvenfa तदिहापि सम्भवतौत्यवगन्तव्यम्‌ तथा fe थावदेषोऽदचापि Ma: प्रशमसंवेगनिरविदानुकन्पा स्तिकधा भिव्यक्रिखणे नाधिगमणसम्यग्दग्रेनमाभ्नोति तावद्वहारतः श्ुतमाचप्राप्नावपि खस्पविवेकतयाद्याज धमविषयकणनादिके कदश्नकल्ये परमार्थ- बुद्धिने arena तद भिश्धितचेतनख सख चिन्तातुमानेना तिनिःसपुद- इदयामपि सुनिपुङ्गवाश््ामेते प्र्यासशनवन्तिनं किञचिन्पगयि्यन्त Cad सुञजसंरा शते ततस्तैः ay गाठपरिचयं परिजिरोषेश agate चिरं तिष्टतोति यत्पुनरभिहितं aga महानस नियक्षकस्तं द्रमकमश्जनमाहाक्येन शंजातचेतममुपलन्याभिदहितवान्‌ भद्र पिबेदश्ुदक येन ते Gera सम्पद्यते सतु जानेऽमेम

पथमः प्रस्वः |

पोतेन मम किं संपद्यत इति श्डाङ्लाकूतसत्छमसतापोपश्रम- कारणमपि तत्वपोतिकर तोषं a पातुमिच्छति wi ततस्तेन छपापरोतचिन्तन वश्त्कारेणपि fei विधेयमिति मत्वा aunt Fagg तस्य aga गालितं ततस्तदाख्ञादन- Vat तस्य महोक्मादो ae इव शेषरोगास्तानवं गता दव दाहान्तिरुपश्ान्ता चेति wat aufea इवासौ विभाव्यते q तदिरं masta समानमवगन्तब्यम्‌ | ay यदा गटङोतच्णं सुसा- धपाश्रयमागच्छमं TATE संपञद्रवयश्ुतमाजतथा खथ्ञात विषेक- wi विशिष्टतच््नखद्धानविकलं धनविषयादिषु owarizfua RET सुसाधूनपि तन्मागेएतया WAAR एव प्रबन्धधमे- कथाकणेनं परि इरन्तमेनं जो वसुपखभग्ते wigra: | तदा तेषां दयालतथा भवेदभिसन्धिः ute विशिष्ट तरगु णभाजनं संपद्यते ततस्ते कचित्छमोपवर्तिनं तमवगम्य तस्याकणयतोऽन्ये जनमुदिश्व सम्यम्दशरेमगु णान्‌ वणेयन्ति तस्य दुखभतां प्रख्यापयन्ि तरङ्गो- gaat खर्गापवर्गादिकं फलमुपद शेयन्ति इड शोकेऽपि परमचिश्न- निर्वाणएकारणतां तस्य सूचयन्ति. ataed यश्चातचेतन्यस्योदक- farraune विञेयं ततोऽसौ agageaet firme दोलाय- मानबुद्धिरेवं चिन्तयेदेष श्रमणो वङस्ाकमो यन्यग्दथेनद्य शाण जातसुपवणयति ae यदौदमहमङ्गौ करिषे ततो मामात्म- वशवन्निंगमवबद्य धनान्नादिकं प्रायेयिव्यति ततः किं प्रयोजनं ममानेनादृष्टाग्रथादृष्टत्यागखच्णेनात्मवञ्चनेनेति विचिन्धाकरेशचतं

war तन्नाङ्गोङुद्ते तदिदसबुदकनिमग्तितख तत्पाना निच्छासमान- 13

es उपसितिमवप्रपश्चा कथा |

मवबोडग्यम्‌ | ततो ध्मगरवधिन्तयन्ति कः पुनर्बधोपायोऽख्छ भविखतौति | ततः पर्याणोचयन्तः fasreza fafafaaa बिद- धते कचिदवसरे तं साधपाञ्जथमागाञुकमवगम्य जनान्तरोहेणे- मागिमतरां प्राररते मामेदेश्ां यदत भो भो खोका विसुच्य विखेपाम्तरमाकणेयत यूयम्‌ दइ शलवारः पुरषार्थां भवन्ति तश्चा श्रयः कामो धमा मोचखेति। awe एव प्रधानः पुरुषां इति केचिन्मन्यन्ते wart आगच्छन्लतस्तस्याकणंयतो वदन्ति awa) तथा fei शअ्रथेनिचथकलितः पुरुषो शोके जरानोणं- शरोरोऽपि छउन्छन्तपञ्चविंश्रतिकतरुणएमराकारः प्रतोयते। अति- कातरदयोऽपि महाखमरस्ङनिब्यंडसादसोऽतुलवशपराक्रम दति Tat | सिद्धमाटकापाठमाजश्रक्रिविकशवद्धिरपि समसतग्रास्ला- यविगारनचतुरमतिरिति बन्दिभिः पद्यते | ज्ुरूपतया faacra- दशरेनौयोऽपि चादुकरणपरायेः सेवकनमरौरवजितमक्ररकेतुरिति हेतुभिः ered) श्रविद्यमानप्रभावगन्धोऽपि समस्तवस्छुसाधनप्रवण- अरभावोऽयमिति was तद्धनलब्धवु दधिभिः प्रकाश्यते। जघन्यघटदा- सिकातमयोऽपि प्रख्यातोन्ञतमहावंग्प्रख्ूलोऽयमिति प्रणयिजने waa आसप्तमङ्ुलबन्धेता सम्नन्येविकलोऽपि परमबन्धृब्‌द्याध्या- रोपणषमसलोकेगटेद्यते तदिदं समस्तमर्थस्य भगवतो विलसितम्‌ | किञ्च समाने पुरुषले समर्ख्यावयवाः पुरुषा यदेते दृश्यन्ते शोके यदुत एके दायकाः WH तु याचकाः aaa नरपतयोऽन्ये पदातथः aaa निरतिग्रयग्रम्दायुपभोगभाजनमन्ये तु TST दरोप्ररणकरणेऽपयग्रक्षाः ATH पोषका wa पोष्या इत्यादयो

QUA: प्रक्त्लावः। | 3

निःगरेषविग्रेषा निजसद्धावासद्भावाग्याम्ंनेव dea तस्माद एव प्रधानः पुरूषाथैः | अत एवोच्यते

अर्थाख्यः पुरुषा्थाऽयं प्रधानः प्रतिभाषते

दष्णदपि लघुं शोके भिगथेरहितं मरम्‌

तदेतदादायवदनविनिगेतमयवणेनमनुश्रत्य जौ वञिन्तयेत्‌

अये श्रोभनः प्रस्तावः area: कथयितुं ततोऽवदितः प्रणयात्‌ WY बध्येत बुध्यमानः सखवोधद्वनाथं योवां चाशयेत्‌ wear विस्फारथेत्‌ वदनं विकाश्रयेत्‌ we wenfafa wa: शनेरभि- दध्यात्‌ | AAAs: संजातमस्यश्रवणकुद्रहलमिति भगवन्तो घमे- रवस्तं SHS: | ततः सादरतरं THA FI: भो भो लोकाः काम एव प्रधानः पुरूषाय इत्यन्ये मन्यन्ते तथा fe खलु लखितख- लमावदनकमलशमकर न्दाखरादनचतुर चश्चरो कता चरणमन्तरे पुरुषः परमायेतः पुरुषतां स्नौङ्करुते कि चायनिषयय्य कलाकौ श्ष्यस धर्माजेनस्य TAY काम एव TA: परमं फणम्‌ कामविंकचेः पुमः किमेतेः सुन्दरेरपि क्रियते | ware) कामासेवनप्रवणचेतसां पुरुषाणां तत्छम्पाद का धनकमककलनादयो योग्यतया Ga एवो- पतिष्ठन्ते संपद्यन्ते भोगिनां भोगा इति गोपाशबालाबलादोनां सुप्रथिद्धमिदम्‌ | अपिश

fad waa वचो कोरिमि-

नै कोटिल्लचेः सविलाशमो चितम्‌ |

१०० खपभितिभवप्पश्चा कथया |

अवाप्यते ATTA TH a कोरिकोटयापि तदस्ति कामिनाम्‌ अतः faq पर्याप्तं तेषां तस्मात्काम एव प्रधामः Tears) अत एवामिडितम्‌ RTA: पुरुषार्थाऽयं प्राधान्येनेव गोयते | गोरसं arene हि धिक्धामविकणं नरम्‌ तदेतदपक्ष्टे Mat इषंप्रकर्ेर खददयादणत्कथितः marae न्यात्‌ साधु साधूदितं aT बोः कालाद सुन्दर qe यद्येवं दिने दिने कथयथ ततो वयमच- शिका afa सन्नोऽवहितचिन्ततयाकणेयाम इति तरेतद्धमेगुरुभिः खखामर्थ्थेन ae Naa सुखमुहा खितमित्यवगम्तग्यम्‌ एवं 4 वदति तस्मिन्‌ नोवे धमेगरूणामिदं मनसि वन्तेते। यदुत TWH तारो महामोहविजज मितं यदेते तदुपइताः प्राणिनः प्रसङ्गकयथि- तयोरप्यथेकामकथयो Te म॒ पुमयेबतोऽपि कथमामायां धम- कथायाम्‌ | तथा हौहास्माभिरयेकामप्रतिबङ्कचेतसां चुद्रभराणएिना- मभिप्रायो afea: अयं तु वराकस्तजेव खुन्दरताबुद्धिं विधत्ते ame अवशाभिसुखौ करणेन सफलोऽसत्परिश्रमः सवया मचि- न्तितप्रतिबोधोपायबोजेन सुक्रोऽङ्करो भविय्धत्यस्य मार्गावतार इत्येवं सचेतस्यवधाथे तेरभिधोयते। az वयं यथयावस्ितवस्तुखसूप- प्रकाश्रमं HA एव awa जख्पितं sata: ततोऽसौ प्रत्या यितकित्ततया त्रूयादे वमेतद्भगवन्नाख्ज wee: गुरवोऽभिदध्युः aad भद्र तत्किमवधारितं भवताथंकामयो मोहा्ये सोऽभिदधौत

प्रथमः प्रस्तावः | १०९

बाढमवधारितं ततो शरवो वदेयुः शौम्येते ware: पुरुषार्थाः कथयितुं प्रक्रान्ताः ava इयोः खरूपमभिदितमधुना उतोयखा- भिधीयते तदप्येकचिन्तेन भवताकणमोयं वदेरेष cme धानोऽस्ि Ree भगवन्तः ततो गुरवो त्रुः भो लोका धम एव प्रधानः GEN इत्यन्ये मन्यन्ते तथा fe ae aaa किमित्येके पुरषाः कुशक्रमागतद्भविष्णोपचितेवु गङतर- चित्तानन्दसन्दभेधामस निःगेवजगदग्बरितेव ङुलेषूपनायन्त किमिति wa पुरुषा एव धनगन्धसम्नन्धविकलेषु समस्तदुःख- भरभाषनेषु सवंजननिन्दनौयेषु Baga | तथा किमिन्येक- जमनोजनकतया खहोदरयोयेमखयोख इयोः पुरुषयोरेष विश्वो दृष्यते aang रूपेख मोगकेतनायते waa सुभि- जनायते द्धिविभवेनाभयङ्मारायते गंभोरतया शौरनोरे श्रायते ख्िरतया सुमेदग्िखरायते शौयंण धनमश्चयायते धनेन धनदायते दानेन कर्णायते नौरोगतया वञ्जश्योरायते प्रञुदितचित्षतया मडद्धिबिबधायते ततद्धेवं निःगेषरर्कलाकशापकल्षितोऽसौ सकखजननयनममोनन्दनो भवति दितौयः पुनबोंभक्छद ग्रनेतया भुवममुदेजयति cetera मातापितरावपि सन्तापयति मृखं- शेखरतया val विजयते तुच्छतयाकं शाखमरलो दलमतिशेते Wears वानरणशोखां विडम्बयति कातरतया मूषककदम्बकमधरयति farga- तया रोराकारमामिभन्तिं sawn ढकजातोयानतिखहर्यति महारोगभराक्रान्ततया विक्तव wear जगतोऽपात्मनि कार्श्य त्पादयति देन्योेगग्नो का्युपहतचिन्षतया घोरमहागरकाकारं

१०९ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

Wad WA aad समस्तदोषभाजनतया wa: पापिष्टो- ऽदृष्टोऽयमिति निन्दते अन्यश्च a

इयोः पुरूषयोरलुपहतसत्वब द्धि पौ रषपराक्रमयो निः गष विशेषे- स्तद्धकच्यो रथौ पाजनाय प्रवन्तंमानयोः किमित्येको यद्यदारभते हिं पाश्पाष्यं वाणिच्यं॑राजोपसेवामन्यदरा तदथं कमे तन्ततस- फलतासुपगच्छति | इतरस्य पुनस्तदेव कमे केयं विफलं संपश्यते किन्तहि पूवैपुरुषोपाजितमपि धनखवं ॒वैपरौत्यापत्या प्रत्युत निःगरेषयति अन्यच्वेदमपि चिन्तनोयं यदुत इयोरोव पुरुषयो- निंरुपचरिताः vena: शब्दा दि विषयाः कचिद्‌ पनमन्ते तज तयोरेकः wah: प्रवद्धमामपरो तिस्तानगवरतमनुभवति दितौ- we पुनरकाण्ड एव किमिति कापेश्यरोगादिकं कार णसुत्पद्यते येन वाञ्डश्नपि तानेव dig श्क्रोतोति। छेवंविधानां विगेषाणणं जोवेषु जायमानानां परिदृष्टं किञ्चित्कारणसु पच्यते चाकारणं किञचिद्धवितुमेति यदि पुलरकारणणा णवं विधा विगेषा भवेयुः ततः Baar भवेः यथाकाशे वा कदाचिद्धवेचुयंयाश्रशविषा- णादयो यतेते कचिद्धवन्ति कचिश्न भवन्ति aaraa निष्कारण्ण दति मम्यते अनान्तरे रदोतायेः जोवो ब्रूयात्‌ भगवन्‌ किं एमरेतेषासुत्पादक कारण ततो want वदेयुः ugrada खमस्तानामपि जौवगतानां खुन्दर विशरेषाणएणं धमे एवान्तरङ्गं कारणं waft एव fe भगवानेनं जोवं सुङ्लेषृत्पादयति fate ्ण्मन्दिरितां मयति समस्तानुष्ठानान्यस्य षफलयति उप्रनतभोगा-

VIR: प्रस्तावः | ok

ममवरतं भोजयति अन्यां aaagufaney संपादयति तथा स्वेषामपि जोवगतानामशो भनविश्रषाणामधम UATE कारणं एव fe दुरन्तोऽमुं जोवं दुष्कूरेषूत्पादयति निःग्रषदोषमिवा- सतां प्रापयति सवेव्यवसायानस्य विफलयति उपमतभोगोपभोग- विप्रशतं शक्रिवेकस्यं जनयति अपरांख्ाममोज्नाननन्तान्‌ faire लोवस्याधके तस्माद्यदलेनेताः समस्तसन्पदः एव धर्मः प्रधानः पुरुषार्थः श्र्थकामौ हि वाञ्कतामपि पुरूषाण्णं धर्मव्यतिरे केण संपद्येते waaat पुनरतरकिंतौ स्त एवोपनमेते। श्रतोऽ्थकामा- यिभिः qed: परमायेतो धम रएवोपादातं युक्ररसमात्छ एव प्रधान इति यथ्य्नन्तश्ञा नद ग्रेनवोर्यानन्दात्मकजौवखशरूपावस्यानलच्रण- खतयीऽपि wees: पुरुषार्था निःगरेषक्तेशरा थि विच्छेदश्ूपतया सखाभाविकख्ाधोनानन्दात्मकतया प्रधान एव तथापि ae ध्मेका्यलात्‌ तक्ाघान्यवफेनेनापि परमाथग्धतः शत्छन्यादको धमं एव प्रधानः पुरुषाय इति दश्चितं भवति तथा चाभ्यधायि भगवता धनटो धनार्थिमां wa: कामाथिनां सवेकामदो wa एवा पवस्य quae साधक इति नातः प्रधानतरं किञ्चिदस्तोत्युच्यते | धर्माख्यः पुरुषायीऽयं प्रधान दति गम्यते | wae पशोस्तुद्यं धिग्‌ धमर हितं गरम्‌

तदिदमाक्श्ं जौवोऽभिदभौत भगवन्नेतौ तावदचैकामौ खाकादुपशग्येते योऽयं पुनभेगवद्धिधेमो वितः नास्माभिः wfees:) ततो निदश्येतामस्य यत्खदूपमिति i ततो धर्म॑खरि- राचच्ोत | भद्र मोहान्धः खस्वेनं पश्यन्ति विबेकिमां पुनः

१०8 उपमितिभवप्रपष्चा कथा |

प्रय एव Wa) तथा fe) रामान्येन तावद्धमेष्य Trea पाणि द्रष्टव्यानि भवन्ति agar) कारणं खभावः काये च। तज खदनुष्टानं धर्मस्य कारणं aT इष्यत एव सभावः yafe- विधः साअवोऽनाश्रवश्च। ay साश्रवो sta शएभपरमाएपशयरूपः | श्रनाश्रवस्त पूर्वोपचितकमेपर माण fares: | एष दिविघो- ऽपि ध्मखभावो यो गिभिदृष्ठते अश्मादृेरष्यनुमानेन इष्यत एव काथ WAS यावन्तो Nana: सुन्दरविगशेषास्तेऽपि प्रति- प्राणिप्रसिद्धतथा परिस्फुटतर दृश्यन्त एव तदिदं कारणखभाव- RAEI पश्यता wie fa Te भवता येनोच्यते a दुष्टो मया धमे इति।. यस्मादेतदेव aaa धमेध्वनिनामिधौयते केवखमेष विगरेषो यदुत सदनुष्टानं कारणे काथौपचाराद्धमं इत्युच्यते यथा ager वषेति wie इति aay यः साश्रवो निगदितः पुष्छानुबन्धिपुष्यरूपो fava! यः पुनर- aaa: निजैरात्मको awe: एव दिविधोऽपि खभावो faqqefca: ararga एवाभिधीयते |

aaa जौवव्तिनः समस्ता श्रपि सुन्दर विशेषास्ते are कार- रोपवाराद्धर्मशब्देन Nea यथा ममेद्‌ WAT पुराणं कर्भंति। ततः पुनरेष Nat ब्रूयात्‌ भगवन्नज अये कतमत्पुमः पुरुषेणोपा- देयं भवति ततो धमेगुरुरभिदधोत | भद्र खद नुष्टागमेव ae- बेतरदयसम्पाद कलात्‌ | ब्रूयात्‌ | कि पुनस्तत्दनुष्टानम्‌ | ततः सद्धमख्षरयोऽभिदधोरन्‌। सौम्य ayuat गटदहिधरमद्च ae पुनदिंविधष्यापि ae aaa adie tat वदेत्‌ |

प्रथमः Wes | Voy

भगवन्नपदिष्टमासोदेतत्म्यग्देमं mea किन्तु तदा मया नावधारितं तदधुना कथथत किमस्य खरूपमिति | ततः aye TATA AAI पुरतो धमेग॒रवः सम्यग्द्‌ भेनस्बरूपं वणेयेयुः | यथा भद्र यो रागदेषमोच्ादिरङितोऽगन्तन्नानदगेनवोर्यानन्दा- त्मकः समस्तजगदनुयदप्रवणः सकलनिष्कलरूपः परमात्मा एव परमाथतो देव दइृूति बुध्या तस्योपरियङ्गक्तिकरणं तथा तेभेव भाषिता ये sta नौवपुष्यपापाश्रवसंवरनिजेरा बन्धमोलास्या नवपदार्थास्ञे अवितथा एवेति या प्रतिपत्तिस्तथा तदुपदिष्टे ज्ञान दग्रेनलारिनात्मके Alea ये प्रवर्तन्ते साधवस्त एव yrat वन्दनौथा इति या बुद्धिसतक्सभ्यग्दशेनं तत्पुनर्जो वे ata प्र्म- संवेगनिवंदानुकम्पास्तिक्धाभिग्यकिशचणेर्बादलिङ्गच्यते तथा तद्‌- Flee Naa सत्वगुण धिकक्तिग्यमाना विनयेषु tater quarts समाचरणणोयानि भवन्ति तथा स्थिरता भगवदा- यतनरेवा श्रागमङ्घुग्रलता भक्तिः प्रवचनप्रभावना इत्येते पञ्चभावाः aan दौपयन्ति। तया शङ्ाकाङ्खाविबिकिद्धापरपाषण्ड- परशंखासं्तवसेते तु तदेवं दूषयन्ति तदेष सकलकल्याणावहो द्र॑नमोहनोयकर्मचयोपश्मादिनाविश्चैतः खस्वात्मपरिणाम एव विष्टद्धसम्यग्दश्रेनमभिधौ यते | एवश्च कथयता भगवता धर्मकूरिण सम्यकप्रत्यायितमानसस्तदलुभावादेव विलोनङ्गिष्टकमेमलः सो ऽं ala: सम्यग्‌दभेनं प्रतिपद्येत तत्ेतत्घन्तोर्योदकमिव तत््मोति- करं धर्मशुरुभिबंलाद्गा लितमित्यवसेयं aay anufa तप्रतिपत्तौ

भिष्यालं यदुदौरमासोन्‌ arate यत्युनरतुदौशे तदु पर्रान्तावख्वां 14

reg उपमितिमवप्रपष्ा क्या |

गतं tad तदपि प्रदेशासुभगेनानुश्रयते तदेव चाच महोश्माद- agg गष्टप्राधो fara नाद्यापि ग्ट इति बोद्धग्यं aay aan समसतान्यपि गेषकमांणि तनुतां गच्छनि तान्येव गदश्तानि अतोऽयं Rawat संजातान्यगदतानव Tay च्यते थतञ्चराचरजन्तुसंधातदुःखदाइदजनगलादत्यन्तभ्नौतः सम्धम्द- दशंनपरिणामोऽयमतस्तस्न्य्तावधं stat विगतदाहान्तिः we- मानसो wer tai थथा तेन रोरेण खश्ोग्धतचेतसा चिन्तितं यदुतायं पुरुषो ममात्यन्वल्छलो महानुभावस्तथापि मया मोरोपहतेम पूरवंवश्चकोऽयं इरिग्यत्यनेन प्रपञ्चेन मामकं भोजनमिति कश्पितस्ततो धिङ्मां दुषटचिन्तकम्‌ तथा इि। यद्ययं हितोद्यतमतिने श्यात्‌ ततः किमित्यश्चनप्रधोगे मम षटु- इृष्टितां विडितवान्‌ किमिति वा तोथपामेन खचखतां संपादितवाम्‌ चायं मत्तः कथञ्चिद्‌ पकारमपे्वते किं तरिं महामुभावतवेकाश् प्रवन्तिेत्यक्तंतदेतष्जोवोऽपि संजातसम्ग्द शगः शज्ञाचार्थेगोचर चिन्तयत्येव तथा fe: यथावख्ितायेद्चितथा acre गोदो विभरुद्चति रौद्रतां रहयति मदान्थतां परित्यजति कौरिश्पा तिरेकं विनहाति गाडलललोभिष्टतां भरियिश्यति रागप्रकषे विधन्त इषो- wa: अरपरिपति मडामोहदोषम्‌। ततोऽस्य Maze प्रसोदति मानं विमञ्लोभवलत्यन्तरात्मा विवद्धते मतिपारटवं भिवन्तंते धनकनकक- wafer: परमाथेबद्धिः संजायते जो वादितलेष्वभिनिवेश्ः तनुभ- वन्ति जिःगरेषदोषाः ततोऽयं जवो fata पर शुएविश्रेषं श्वति खकौवदोषजातमनुशरति प्राचौनामात्मावश्ामवबष्ठते तत्का

परथमः प्रावः | १०अ

भाविनं गरूविडितप्रचवमवगच्छति तब्धाहाकयजनितामात्मवोग्धतां लतो et slat argu: प्रागत्यशक्विष्टपरिणटणमतया wagaife- विषसेऽणयनेकलु विकसश्पकरशपरोऽ्धत्‌ तदा wafetafeuate aaa मे पापिष्टता अहो मे महामोहान्धता अहो मे निभा- स्ता शो मे कापेष्ठातिरेकः wet ममाविषारकलं घेन मयाः त्यन्ततुच्छधनखवा दिप्रतिबद्धान्तःकरएेन सता एते भगवन्तः wiat परदहितकरशनिरतमतथो निदोषसन्भोषपोदितवपुषो ate- geuacufa धनधनाजेनप्रवशान्तःकरणास्यषसुश्टिनिःकवारसवार- विच्लारदर्िंलः खध्ररोरपश्चरेऽपि ममल्बुद्धिरडिता मदौचधमे- द्रद्परश्तचः awa: किं ते इरिव्यज्ति ममानेन धमेकथा दि प्पश्चेव ware मां fara गुनसेते धभकनकादिकमिति प्राने; परिकल्पिताः | ततो fre मामधमाधमदुषटव्रिकश्यकमिति ate Qa wnat मां भरति परमोपकारकरणपराथण्ठा Ga: किमिति सुगतिनगरमममसम्बन्धबन्धर मव्यभिचारिएं मामेमारदेग्र- यमाः सम्यग्‌ ्ागदरानव्याेन महानरकवनेनोप्ररलचेतोक्तिं मां निवारयन्ति किमिति वा विपर्याखपर्यासितचेतसो मे सम्बम्‌- दशरेनघन्पादमदारे निजग्रसुया निःगेषदोषमोष विग्रेवं किगेषतत किदिधति wi चेते निपहतातिशथेन समणोटहाटकाः एर- हिताचरणव्यवनितथा प्रवन्तेमानाः कंटधाचिदुपकायाक्छकाप्नात्‌ शकि परत्युपकारमपेधन्ते। Saat परमोपकारकारिणां भगवतं argh: सन्नो वितथयेनापि प्रलयुपकारः कलते पाते आस्तां धन- धागादिनेति। तावदेष Mager sear: पूवेविडित-

१११ उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

भवगशन्येऽपि पापिनो रोराः केवलं भवता सदूशोऽन्यो निर्भाग्य नस्तौति मे वितकंः। waaay awe acea प्रतिबद्धचिन्तः सख्टतासख्ञादमेतन्मया दायमानमपि परमान्नं a रकाति। Baa यतस्त मज waa प्रविष्टस्तयदं ser ममागार्हादितः षर- मेश्वरेण शावलोकितः तेन कारणेन भवन्तं प्रत्यादरोऽस्माकं चे युनर स्माल्छद्ममो बदिव्तन्ते लन्तवो धे चेदं विशोक्यमानं मोदन्ते ये राजराजेन भिरोदितास्लेषां वयं ॒वार्तामपि veerat ag fe सेवकधमेमनुवन्तेमामाय एव कञिन््हानुपतेवं लभस्तचेव वाशग्यमाचरामः। श्रय चास्माकमवष्टभोऽग्धत्किशाम्‌टशच्योऽयं राजा कदाचनापाजे मतिं कुरते चावता सोऽयस्मदवष्टभोऽधुना भवता विपरोतशारिण वितथ इव खन्पादितः। तदिदमवगम्य wae awa रितेदं ace गटहाणेदं war wut पश्च सर्वः सद्मनि वन्तेमामा लम्तवोऽग्डतटघ्ता इव मोटन्त इति एतदपि waaay जोवब्यतिकरे सगरूराशरत्येव तथाहि यदायं जन्त्रा विष्धेतश्चानदग्ेनोऽपि कमेपरतन््रतवा स्तोकमात्र- मपि विरतिं प्रतिपद्यते तदासु aera विषयेषु गाढं मूर्दित- चिन्ततयाभिरममाणसुपलभ्ब सद्धमरूणां भवत्येवं विधोऽभिषनििः। चदुत॒केयमस्ात्वेरिता किमित्ययं रत्नदौपप्रा्तनिभाग्यपुरुष दवानिर्धयरन्नराभरिसदृश्रानि तअतमियमा यर णशान्यवधौये अरत्काच- ्कलकण्पेषु विषयेषु प्रतिबन्धं विधन्ते। ततस गरवः mea प्रणयकोपा इव तं प्रमादपर ओवभित्यमाचचते। safe qe दभ्रेनविदूषक कें भवलोऽनात्मन्नता किमिति प्रतिशणमस्नाना-

प्रथमः प्रस्तावः | Ue

रारब्यमानान्‌ WATS लयति दृष्टा बहवो ऽसमामिरन्येणकश्याण- wen: wafer: केवलं तेषामपि मध्ये शराचितं भवता are जानश्ञपि भगवद चनं श्रदधानमोऽपि जोवादिपदा्सां विद्यमानेऽपि area stared शखयन्नपोदु शरसामग्याः सुदु खंभतां भावयश्चपि संसारदुरम्ततां परिकलयन्तपि कमंदारुणतां बुद्यमागो- ऽपि सोगादिरौद्धतां तथापि शमस्तामरथेसार्थप्रवतकेषु कतिपय- दिवशवश्निषु तुषश्यु्टिभिःसारेषु विषयेषु खततं Tae पुनरस्मा- भिरन्येगन्तंपातिनं भवम्मवगम्य दययोप दिश्छमानामेनां सक~ केशदोषविरेककारिश भागवतं शमस्तपापविरतिं भवागवदेख- थापि विशोकथति अन्यचचेतदपि शितं भवता यदर्यमषो- ऽस्माकं भवन्तं प्रति महानादरः aang अरजापि यत्कारकं SAS सठ््नानदगेनयुक्तया CANN TEAM THA | TAT TEATS भगवन्तमवलोक्य WA प्रमोदः | तद्शेनेन सकितास्माभिसूमथि भवन्तो परमात्मावलोकना ततो वयं भगवदसु- गहौतोयमिति हत्वा तवोपर्यादरवम्तः। युज्यते भगवद लुचराशां तदभिमतेषु waa: कलम्‌ ये तु Nar सर्वश्चशराखनमण्दिर- मद्यापि arene कथञ्धित्मविष्टा अपि तच a तह्शेनेव wafa wa एव परमाद्मावशोकनाया sfein wet तांस्लथान्तागगन्तानपि लोवान्‌ matte यदुदासौनभावं भजामहे Meas खश्वादरकरणश्य | शयं Way कालं याव दवष्टभोऽक्माकमासोत्‌। किलासुनोपाषेन योग्धाः सन्धार्माबतर- wefa निसोयते ते कदाचन व्यभिचरन्ति यावता भवता-

WR उपमिविमवप्रपद्चा कथा |

ऽयमनेकसक्वषु सुनिधितोऽप्यस्माभिरूपायो विपरोतमाचरता यभि- चारितो ada) ततो भो दुमेते मेवं विधेहि कुरव्बाधुमापि uze वदि परित्यजेदं ete विहाय दग तिपुरौवतेनोकल्या- मविरतिमुररौङर निदेन्दानन्दसन्दोहदायिकां सवश्ोपन्नां ज्ञान- give: wenzat विरतिमितरया परमाथतो श्चानदशेमे ्रपि निष्फले संपद्येते इयं fe भागवतौ गोता सम्यक्पाख्यमाना सखकखकच्याणएपरन्परां सपादधयति यदि वा तिष्ठन्तु तावत्‌ पार- लो किणकल्याणानि किं a wate भवानिद्‌ानौमेवैते भगवदुक्ष- विरतिरतचिन्ताः सुखाधवो यदनन्ताग्टतरसदरत्ना Ta Gal: षदा मानसेनाबेदयितारो विषयाभिलाषजनितानां कामविकलतयौक्सु- क्य प्रिय विरष्बेदनानामननभिन्चातारो wget निष्कषायतया धनाेनर एना शदः खानां वन्दभोयास्लिगुवनस्य संषारसागरा- SMR मन्यमानाः सदा मोदन्ते। तदेवं शतगुणं विरतिः किमाकैरितथा नादौयते भवतेति तदेतद्धमंशर- वचनमाकष्छं यथासौ द्रमकस्ता्भिपूरषे संजाता विश्वासोऽपि तथाविग्तभिेयोऽपि यथाद्यन्तहितकारो ममायं पुरूष दति तथापि तच्छ कदश्लसख त्याजनवचनेग विहृलोश्चतो रेन्यमा- शग््येत्यमभिदितवान्‌। aga ॒यदेतद्गदितं गाथेसतव्छमस्तमवितथं प्रतिभाति मे चेतसि केवशमेकं वचनं विश्ञापयामि तदाकणे- यत युयं aaa भोजनं त्याजयन्ति भवन्तस्तत्राणेन्योऽणभोष्टतमं areaaface खणमपि लौवामि महता aia मयेदमुपा- जितं किं कालान्तरेऽपि निर्वाहकं ममेतद्भवदौयस्य पुनर्भोजनख

प्रथमः Tea: | ११९

जानेऽहं aed किं चानेन ममेकदिनभाविनेति। तत्किमच अजना अश्ितेम एष मे निश्चयो aad भोजमं aime यदि विद्यमानेऽणस्िन्नात्मोयं भवद्धिर्भोजनं दातु qa ततो दौयतामित- रथा fata तेम सरिव्यतौति। तथायमपि जौवः केपरतन््रतया- विद्यमामचरण्परिणमस्द्धमंगरूणामयतः समस्तमपोद्शं aaa अ्रख्येव तदास Tey विश्रंभः सश्चतो mains sey: | तथापि निवतेते धमादिग्यो गाढमू्छां धर्म॑श॒रवखारिभरं इयन्तस्तत्यागं कारयन्ति | ततोऽस Mas संजायते देन्वं ततोऽयं रुते अत्यमेतत्सवे यदाश्ञापयन्ति भगवन्तः किन्तु श्रूयतां भवद्धि- रेका agian fanfiar ख्ड्धोऽयमात्मा मदीयो गाढं घनविषया-. दिषु शक्यते तेभ्वः कथञ्चिन्निवन्तेयितुं सियेऽहं त्यागे नूनभे- तेषाम्‌ महता aI मयेते ससुपारजितास्तत्कथमहमेतानकाष्ड छव सुञ्चाभि। fa च। मादूशाः प्रमादिनो य्॒माभिरूपदिष्टाया fact: खरूपमवनबुध्यन्ते fate मादृग्रामिदमेव कालान्तरेऽपि धमविषयादिकं चिन्ताभिरतिकारणं यश्रदौयं पुनरनुष्टामे राधा- auae fa तेन arent भगवतामप्यस्न एवायं निर्बन्धः | | तथाहि | महतापि प्रयत्नेन av शिष्टेऽपि पण्डितः | प्रकृतिं यान्ति तानि प्रयासन्तेषु निष्फलः १॥

अथेवमपिं fea भगवतामायहः ततो दौयतामेतेषु wa

विषयादिषु विद्यमानेषु यदि tamale चारिजमितरयां पयां

ममानेनेति | aaga वदति सत्यस्िन्‌ AI यथा तेन रसवतो- 15

Us उपमितिमवप्रपश्चा कथया |

पतिना दमक परमाश्नयरहरपराङम्सुखमवलोक्य चिन्तितं यदुत TAA मोहसाम्थे यदेव रोरः सवेव्धाधिकरेऽज AHA सक्र बुद्धिमांमकं परमान्नमवधोरयति निञधितं प्रागेव मथा खथा me Rae दोषः किं तरिं fendygearftat रोगाण्णम्‌ | अतः पुभरेनं fawafa विशेषेण वराक wee seater: परमाश्नमिदं wet ततोऽख महानुपकारः संपद्येतेति। तथा सद्धमेरवोऽपि fenufa थद्‌ तापूरवरूपोऽयमस् जोवस्याहो महामोहः aaa रागादिभावरोगदड्धिकरेऽसि- न्विष्यधमादिके fafafasqigatrata anager इव अहधागोऽपि नोवादितत्वमअ्रदृधान इव मयोपदिश्यमानां भिःभेषक्गशविच्छदकारिकां विरतिमुररोङ्ुरते। दि वा aera तपस्िमो दोषः किन्ति कर्मणामिति तान्ेवेनं नोवं विसं- खलयन्ति। अतो नास्माभिरेतन्मतिबोधनप्रदन्तेरस्छाविधंवतामुप- wa निर्वेदः कायः | तथाहि |

अनेकशः Wal HAE ws जोवयोग्यताम्‌ |

यथा सखस्थागमाधन्ते freraafa age: १॥

यः संखारगतं जन्तु मोधथेश्िगदेभिते |

wa दितकरसस्माज्नान्यो जगति विद्यते nen

विरतिः परमो wa: खा चेग्मन्नोऽख् जायते |

ततः प्रयल्नसाफश्यं कि रगं मया भवेत्‌ ॥२॥ way |

परथमः प्रस्तावः | १९१५.

awa थो विधत्से परिश्रमम्‌

afegt aw तोषः स्याद सिद्धौ वौोरचेष्टिवम्‌ nen

तस्मात्घवेप्रयन्नेन पुमः प्रत्याय्य पेशः

वचनेर्गोधयामग्येनं स्र खिन्तेऽवधारयत्‌ ॥५॥

ततो खया तेम सूपकारे तस्मे faerecra fate: पुगरविरेषतः acacia उपपादिता तस युकितस्खाग्धरूपता दूषितं arerqt तदभिप्रेतं ae निर्वाइकलं प्रश्सितमाक्मोषं परमां प्रकटितं we खवंदा दानं समुत्पादितो भहाप्रभावाश्चन- सखिलदावकलत्वनिदेनेनाद्मविश्चभातिरेको ऽभिदितश्चाशौ मकः किं बहनागेन शु्धेदं भोजनं टा णेरमन्डतकसश्पं मदटोयमन्- ` fafa तथा agagratsfa ad कवंम्ति | AUIS | तेऽपि Stara frazafa घनविषयकञ्चजादे रानादिष्ेतुतां

दोपयन्ति कमेषश्चयकारकतां प्रकाशयन्ति scree fafernat वदम्ति वथा भद्र यत एव HUAI UAT धमविषथादयः क्तेन waz पुनखागामिनः awe कारण. भावं भजन्ते अत॒ Waa परित्यागमद्ेन्ति अन्यश्च भद्र तवायेते मोहविपयांसितचेतसि सुन्दरबुद्धि जनथम्ति ufe gre चारिभरसमास्ञादयसि ततोऽख्माभिरनुक्न एव नेतेन्धो मनागपि US को fe अकणेकोऽष्छतं विहा विषमभिखषति थन्पुनरख्म- दोयोपदे शशंपाद्यस् चारिज्रपरिणामश्य arf निर्वाहकलं धबविषयकल्जादेख्ध प्रह्ृतिभावगमनेन खदा भादितिया frie

Li उपमिविभष्प्रप्चा कथा |

aa मन्यसे तदपि मा मखाः यतो धनादथोऽपि धमर हितानां म॒ सकलकाखभाविनो भवन्ति भवन्तोऽपि प्रैखापूवंकारिणा निर्वाहकतयाङ्ोकतेव्या a fe समस्सरोगप्रकोपनद्ेतुरपथ्याजं खकलकालभावुकमपि निर्वादकमिल्युश्यते घर्वामथंसाथप्वन्तकाचचेते धनादयः waaay uu नि्वाहकलतवबुद्धिः Sai प्ररति- Haw थतोऽनन्तश्चानदगशेनवोर्थानन्दरूपोऽयं Ma: wi तु धन- विषयथादिषु प्रतिबन्धोऽस्य ae क्मंमल्रजमितो विभ्रम इति तच्वबेदिमो मन्यन्ते। अत एव चारिष्रपरिणामोऽपि तावत्कादा- feat cantata atwefs acme पुनः एव निर्बाइको भवितुमरंतौत्यतो विद्वा ava थन्नो विधेयः तदकेनेव महा- Gea अपडहसणयन्ति परौषषोपसर्गाल शरवधौोरथन्ति धनादिकं निदं यन्ति रागादिगणं उनलयन्ति HAIG ACH संसारसागरं तिष्ठन्ति aaaraedornare frauentf) fa मल्छपादि- aa maa fa a जनितस्तवान्नानतमोविषयः किंवा दग्रेनेन नापास्तो favaietatet येन॒ मदचनेऽप्यविश्रभबुद्धिरिव fanw gee ane faqed भववद्धेनं unfenagige मम दय- थोपनोतमेतश्चारिभे येग weet ते निःशेषङ्ञोश्रराशिविष्छेदः प्राज्नोषि oma ानमिति। ततो यथा महाप्रयन्नेनापि ag afay रखवतोपतावितरेणामिदहितं दुत न॒ मयेदं खभोजनं sie यद्चज्र सत्येव Vlad ततो दैौयतामात्मभोजन- fafa: तथायमपि sta: सदधमदरुभिरेवं शयो ग्रयोऽभिधौय- मानोऽपि गलिरिव awac: पादप्रसारिकामवशम्बेत्यमाचखौत |

प्रथमः प्रस्तावः | ११७

unary धनविषया दिकं कथञ्चन मोक्ष्‌ पारयामि यद्य विद्य मानेऽपि भवति किञ्चिश्चारिबं aa दौयतामिति। ततो यथा fama तस्य रोरस्यायहविग्रेषं खरिथिग्यति सख नाखेदानौ- मन्यः शिक्षणोपाथोऽस्ति ततोऽद्छिन्‌ सत्येव दौयतां पञ्चाञ्न्नात- मदीयाश्नगणः खयमेवेतत्कदश्लमेष विहास्यति शवं fate दापितं तत्तेन भुक्रमितरेण तदु पयोगेग शान्ता Tye तगुग्धता रोगाः प्रवद्धितमश्चनसलिश्जनितादधिकतरं सुखं mat मनः- Were: प्रादुग्धेता aay तज पुरुषे भक्तिः श्रमिडितखासौ तेन यथा भवानेव मे नाथो येनाहं भाग्यविकशोऽप्यवमनुकम्पित दति तथा wags बद्धाहलेनामुञ्च ति धमविषथादि- कमज Ta परिकशथयन्ति शक्यते तावदयमिदानौं सवैविरतिं गायित तदेवं fad देश्विरतिस्तावदसमे Seat तत्पाखनेगोप- खमगएविगेषः खयमेव सर्व॑श्गपरित्धागं करिथतौत्याकणशग्य तथेव कुवन्ति तदनेनेतदुक्षं भवति !

WUT क्रमः TEE प्रथमं प्रयत्नतः खवेविरति ततः स्वधा तत्करणपराङ्सुखमुपशभ्य a दे शविरतिः प्ररूपणौया देया वा प्रथमं युनर्देशविरतिप्ररूपणे क्रिथमाणे तस्यामेव प्रतिबन्धं विदष्यादयं ओवः साधोख उष्षप्राणातिपातादावसुमतिः स्यादिदि are देरविरतेः wet परमाश्नेशभखणतुखं विज्ञेय तदुप- योगेनेवासख Dee प्रशाम्यति मनाग्‌ विषयाकाङ्लालबणट age तनुभवन्ति रागादयो भावरोगाः sagt ज्चागदभेन- खंपादितात्‌ - षमगेखतरं सखाभाविकखा सरूपं wage संजायते

११८ उपमितिभवप्पञ्चा श्या |

सद्धावगथा मनःप्रसादः प्रादुभेवति तदायकेषु शष परमोप- कारिको aaa इति भावयतो भक्तिः अ्रमिधन्ते तानेव जौवस्दानोम्‌ VET यूयजेव मे भाया चेर हमेवं द्‌ दारकश्प- तथा गाडमक्रमष्योऽपि Baa कममेख्छतां प्राय yours गोत दति |

ततस्तदगन्भरं चथा तेन सदेन तं वनोपकमुपयेश्छ मधुरवचने- wea मनःप्रल्हादयता विता महाराजगुणण गितञ्चाकममोऽपि सङ्भत्यभावः ग्राहितः सोऽपि विगेषतस्तदलुचरत्वं सथुत्पादितं तस महानृपतेरेव विगरेषशणषु gave कचितस्तत्परिन्चानहेतूर्याधि- लनुभावः प्रकाश्ितं तस्यापि कारण dared समादिष्टः प्रतिचष्ं we परिभोगः दौपितं तत्परिभोगबलेन महानरेग््राराधमं प्रति- पादितं महामरेन्द्राराधकानां तत्छमागमेव महाराष्यमिति। लया धमंरुरवोऽपि श्नागदगेनखपन्ञं प्रतिपन्नदे विरतिमप्येनं जौव- सुपलभ्य विग्िष्ठतरस्येयखन्पादनाथे खमस्तमेतदाचरभधेव |

तवाद ते तं प्येवं ब्रूयुः यथा भद्र यदुक्तं भवता यदुत Tae भे भाया दति andagarent किन्तु साधारकं गेवं away चतो भवतोऽस्माकं परमात्मा GAY एव भगवान्‌ परमो नायः एव हि चराथरस्स्ाख्छ fayara wear am afaqatfa विग्रेवतः Gad anslass श्नागद ग्ेनलारिशप्रधाने wit aw जरन्तवस्तेषामसौ are: waa fared प्रतिपद्य महात्मानः केवलराच्यासादमेन भुवममष्पाद्मकिङ्करं कुवन्ति ये पुमः पापिष्ठाः प्राणिनस्तेऽख्य भगवतो नामापि जानते भाविभद्रा एव सत्वाः.

प्रथमः प्रस्तावः | CE:

waaaaterea दशेनमासादयन्ति aq त्मेतावतौं कोरि- मध्यारूढोऽतसश्लया प्रतिपन्न एव भावतो भगवान्‌ RaW aT तम्बभेदेन बङ्ख्यातोतामि ae प्रतिपन्तिखानानि तेन विगरेषप्रति- पल्तिनिमिन्तमेषोऽस्ाकं यन्न; यतः सामान्येन waa भगवन्तं खन्तवः | सुगुडखश््रदायमन्तेरश विश्वतो जानते तदेवं ते रवसख् ae पुरतो भगवद्ुण्णाम्‌ aswel तथाद्मानमपि तत्किङूरं दशेयन्ति तं ma विशेषतो भगवन मायतया याहयम्ति भगवद्धिेषर॒णेषु aa कौतुकमुत्पादयन्ति तज्चागो- Geez रागादिभवरोगतामव कथयन्ति aera कारणं न्चान- दशंनचारिचरूपथयं दौ पयम्षि तस्स प्रति्षएमासेवननुपदिश्जि तदाखेवनेम भगवदाराधनं निवेदयन्ति भगवदाराधनेन परमपद- nifa aquaria sfancaffa एवमपि कणययति हितकारिफि ग्टहौतगृणश्िरता विधायिनि भगवति watt Guise वनोपकः ` खुपकारवचनमवगम्बातोयाकूतवगरेनेत्यमभिडि- तवान्‌ थया नायाः किम्बञ्जनोक्न शक्रोम्यदं कथश्चनेदं ace मोक्कुमिति 1 तथायमपि जोवख्चारिमोहनोयेन कमणा विग्दलौ ग्डतबुद्धिरेवं चिन्तेधत्‌ श्रथ थेवं महता प्रबन्धेन YH: पुनरेते भगवन्तो मम धमेदेशरमां salen aya मां धनविषयकशनरादि- कमेतदेते त्याजयन्ति चाहं त्यु शक्रोमि तत्कथयास्येषां VAs येम निष्कारणं थो यो भगवन्तः खगलताख शो षमेते facut ततस्तथेव जौवः साभिप्रायं goa कथयेदिकिः ततो यथा aa रखवतौपतिना विज्तितं मयायं खभोजनद्यागं कारितः `

१९० खप्मितिमवप्रप्ा कथा |

किमतो दं भेषजचयमासेवखेत्युकस्तत्किमेवमेष भाषते श्रये ख्ञामिप्रायविडम्बितोऽयं जानोते मटदोयान्ञव्याजमनिमित्तमेतत्‌ समस्त वागाडम्बरभिति | ततो विस्य aaa भद्र facet भव गाधुना भवन्तं फिञचित्याजयामि तवैव पथ्यमेतश्यजममितिरृतवा वयं त्रूमो थदि पुगभेवते रोचते ततोऽज अतः प्रति ष्णो माशिख्ामद्े चत्पुनरेतदमन्तरमेव तव पुरतोऽस्माभिर्महा- राजगृवणेनादिकं विदितं कक्मव्यतया तव किञिष्छमादिष्टं awer किं किंञच्चिदवधारितं वा वेति। तचा धमेगुरवोऽपि सर्वमिदं चिग्नथम्ति वदमि तच स्पष्टतरमिति wae योजनोयं ततो यथाऽसौ वनोपकोऽवादौत्‌ यथा नाय मया किंचिद भवत्कधितसु पलितं तथापि तावकैः कोमलालापेरह्मसितो मनाग्‌ मनसि प्रमोदः निवेदितखच तेन वनोपकेन नाधना किञ्चिश्याजया- मदं भवन्त भोजनमिति सूदवचमश्रवणन्नष्टभयाकूतेन सता खचे- तसो वेधयेकारणगरतणष्य Be समच्मादितः प्रति खमस्तो- ऽात्मद्ताम्तः श्रमिडितख्ासौ grat aad fet चश्मा fated तदान्चापयन्तु नाया येनाधुनावधारयामौति तथाचापि विदिततल्चिष्ला थदा wagrat वदन्ति यदुत वयं भवन्तम- mya सवेखङ्गत्थागं कारयामः केवलं यदिदं भवतः स्थिरौ करण्णाये मनेकश्रो भगवद षवणेमादिकं वथं कुमः यच्च सम्यगदगेमन्नाना- ` दे श्लारिजाण्णामङ्गोरतानामेव मवता खातत्यमनुपालनादिकमुपदि- ma: | तद्ज भवाम्‌ किञ्चिद्वधारयति वा afa तदा वदत्येवं Kat भगवननाहं सम्यक्धिशिदवधारयामि तथापि यौश्माकोण-

प्रथमः Wes: | १२१.

पेश्रज्लवचनेमो दितचिन्तो यदा यदा कथयन्ति waar तदा शन्यइदयोऽपि विस्फ़ारितेकणः किल sears दवेत्याकषयंसिष्टामि ga: yaatent विशिष्टतत्वाभिभगिबेशणो यतोऽ महतापि TURAN AWA BWIA भगवत्सु सुक्त इव AW दवो दव UY दव ्नोकापन इव eee इव शवेथा शुन्यददयो fafquenfa aq मे et वेशखुधकारणं aad भगवन्तः ततः संजातपद्चान्तापोऽवं Het AKA at खदुद्रितानि शुगष्एते खदुठभाषितानि प्रकटयति yaare- भाविनः समस्तानपि ङुविकश्याम्‌ निवेदयत्यादितः प्रति भिः वमात्महन्ताग्तमिति। वदति जानाम्बदह भगवन्तो मम हितकर- लालसाः wat ast facta विषया दिकं avatar ayant प्रशसन्ति तचस्धानां प्रश्ामसुखातिरेकं Waa aaa परमपदं तथापि कर्मंपरतग्तयाइं भकितबडमादिषदधिद्न्ताकसंघात इव निद्रां पौतामन्तपूततोत्रविष xa faeweat धनविषयादिष्वना- दिभवाभ्वासवरेन भवन्तो मूख्छां कथञ्चिजिवारथितुं पारयामि। तया विन्हलौगश्वुतचेतखो मे भगवतां सम्बन्धिनौ धर्मदेशना महा मिद्रावष्टभद य्येव पुरुषस्य प्रतिबोध्कनरोच्चारितां शब्दपर- परां खमाक्णयतोऽपि गाहसुदेगकारिणौव प्रतिभासते श्रय च। त्या माधुय गाम्मौयेभुदारतां परिणामदन्दरतां पयालो चयतः पुमरन्तरान्तरा चिन्लाङ्ादोऽपि श्पद्यते। एतदपि gain चद्‌ भगवद्धिरभ्यधायि यदुत माशक्तुवन्तं भवन्तं ववं VHA कारयाम

इति ततो मया बष्टभयवेधर्थेए भगवतां पुरतः कथयित 16

१९२ खपमितिमवप्रपल्चा कथया |

श्रकितमितरथा थदा यदा wat देशनाथां प्रवर्तन्ते तदा तदा मम Safe faa: प्रादुरग्चत्‌ we खयं निसपहास्तावदेते केवलं मां धनविषयादिकं त्याजयन्ति चाहं wa शक्रोमि तदेष wun: प्रथासोऽमोषामित्येवं चिन्तयन्नपि भयातिरेकाश् सखाकूतमपि प्रकटयितुं पारितवानिति। तदेवं सखिते यन्मया विधेयमेव विधश्रकिना तश्र भगवन्तः प्रमाणमिति ततो यथासौ Wawra वनौपकाच ga: प्रपश्चतो fay प्रा्तोनमग्रेष- wa ततः walters योग्यायोग्यविभागं पूवै महा- नरेश्रसप्रदायितमाचचखे। तं चोवाच यथा भद्र श्द्रसाध्यस्मतो महायन्मन्तरेण रोगोपश्रमस्ते दृश्यते ages राजमन्दिर प्रयतो गत्वा ध्यायश्ननवरतमेनं समस्तगदोद्‌लमखमवोर्यातिशयं HUTA भेषजचयोपभोगं wef कुर्वाणस्िष्ठ इयं च॒ agar तव परिचारिका ततः प्रतिपन्नं समस्तं तेम खितः कियन्त- मपि कालं विधायेकदेगे तद्धिचाभाजममनारतं तदेव पालयन्निति तदिदमनेवं योजनो चम्‌ यदायं sta: प्रागुक्तन्यायेन निवेद्य शलाभिप्रायं Gea: gravest याचते तदा ते तदनुकम्पया gain पुमरपि waa प्रतिपाद्य ware बयुत्यादनायं येनायं कालाश्लरेणापि यमिचरतोति धमेखामग्याः सुदुखंभतां दग्रे न्तो रागादौनां भावरोगाणमतिप्रषलतां ख्यापयन्तः खा- तन्त्पपरिजिरोषेया चात्मनः सांजसमित्यमाचचते यथा uz SEM सामयो भवतः संपन्ना नाधन्यानामोदृभ्ौ कथञ्चन संपद्यते डदि वयमपागे प्रयासं कुमा यतो भागवतौयमान्ञा aw एव

प्रथमः प्रस्तावः | १२३

aan न्ञागदशेनचारिजाणि देयानि नायोग्येभ्वः श्रयोग्यदन्तानि fe तानि साथेरंसाधकानि संजायन्ते प्रत्यृत वैपरौव्याप्यानथे- wafa वद्धयन्ति |

तथा चोक्रम्‌ |

धमाुष्टागवेतथ्याकत्यपायो महान्‌ भवेत्‌ | रौ द्रदुःखौघअनको दुःपरयुक्रा दिवौ षधात्‌ ॥१॥

ज्ञातं लास्माभिभंगवदादिष्टं सररपारम्पर्यात्‌ जातं भगवत््रसादा- देव तदुचितानुचितानां जौवानां wed एतान्येव हि श्नानद्शम- चारिजाणठि भगवता तेषां staat सदङ्खहपरिच्छेदकारकाणि प्रतिपादितानि तच यषामाद्यावख्ायामपि कथ्यमानानि तामि Wa जमयन्ति तत्सेविगखान्ये प्रतिभासन्ते ये सुखेनैव तानि प्रतिपद्यन्ते येषां सेव्यमानानि द्रागेव विग्रेषं द्यन्ति ते VATU: प्रत्यासन्नमोचाः सदार्वदूपनिर्माणएस्य तेषां योग्यास्तथा भावरोगोच्छेदं प्रति सुखाध्यास्ते विज्ञेयाः। येषां पुनराद्यावघरे प्रतिपद्चमामामि तानि प्रतिभान्ति तदनुष्टानपरायणंखान्यान्‌ येऽवधोरयन्ति अहुरुविडहितमहाप्रयबेन ये प्रतिबुध्यन्ते तथा सेष्यमानानि तानि येषां काशेपेण्य विशेषं दरेयग्ति पुनः पुमरतिचारकामिखयेन ते गरुकममाणो व्यवहितमोश्चा मध्यम- दारव्रुपनिर्माणस् सहुरुपरि भौखनया ति धोग्यतां प्रतिपद्नते तथा भावरोगोपश्रमं प्रति ते wpe मन्तव्याः येभ्यः पुनरे- तानि निवे्यमानानि कथञ्चन रोचन्ते प्रयत्नश्तेरपि संपाद्च- मानानि येषु क्रमन्ते तदुपदेष्टारमपि wet ये द्विषन्ति ते

GUM i ee - - -

१२४ उपमितिभवप्पञ्चा कथा |

महापाप अभव्या WA एवेकान्तेन तेषामयोग्धाः। तथा भाव व्याधिनिवरेणं प्र्यसाध्यातेऽवगमव्या इति तदिदं सौम्य ag भगवत्पादप्रसारेना समाभिलंखणमवधारितमनेन अचण यथा तलमा- खरूपं कथथसि यथा ay भवलत्छङूपं श्यामः तथा a परिग्नौशमागम्यः weer वन्तंसे एवं faa भवतो aware रागादिरोगोपश्रममुपशभामद्े aa यद्यद्यापि भवतः waayarrafefaga ततोऽज वितते भागवते प्रवचने wat भावतोऽविचखमवस्थानं विदायागेषकाङ्घा- विशेषान्‌ भगवग्नमेवाचिन्धवो यांतिश्यपरिपूतथा भिःगरेषदोष- श्रोषसदिष्यमनवरतं चेतसि mere व्यवश्ा पयन्‌ दे शविरत एवाव विष्ठद्ञ केवखममवरतमेतदेव श्ञागदग्रनशारिबरूपवयसुन्त- रोष्मरकमेण विशिष्टं विशिष्टतरं विशिष्टतमं भवता यमेनासेवनो- ` चमेवमाशरतसतेन afaafa रागादिरोगोपश्रमो नान्ययेति। था चेवभौ दृशे शदु पदे शदाने प्रव्षेमानानां भगवतां बद्धमेरारूषामस् लौवस्योपरि दथा सेवाभ्रश्य ware: परिपाश्गणचमा परि- चारिका विश्चेवा। ततोऽयं ata: प्रतिपद्यते तदार्नौ तहुरूवचनं करोति wand मयेतदेवं क्व्यमिति निखधं तिष्ठति देश- विरतः कियन्तमपि areas भगवक्मतमन्दिरे पालयति w- विषयङ्खटुम्बाञ्चाधारण्छतं भिशापा्कर्यं जो वितव्यं तस्िज्ञवरे | एवं तिषटतस्स्त थो waren: खोऽधना प्रतिपाद्यते तच यदुक्तम्‌ चदुत सा तहा ददाति तदधो तचितथमहनिरं केवलं तच Aa afere wire तस्मिननादर इति तदिहापि तृखमेवा-

प्रथमः प्रस्तावः | १२५

वसेयम्‌ तथा fer gt: सम्बन्धिमौो दथा शन्पादयव्थेवाख Kaan विशेषतो श्चानादीनि। तथापि कमेपरतन््तथा धनादिषु मूच्छितचिक्लोऽधं तानि सम्यग्‌ बड़ मन्वते |

अन्यच्च |

यथासौ warrant मोदवेन तत्‌ कुभोजनं अरि yR ALATA पुनः परमाश्नसुपदं शकख्यं Heats, तथायमपि stat महामोदहाश्रातमानसो धमोपाजंमविषयोपभोगादिषु गाढमाद्रौधते अरूदयथोपनौतं तु ब्रतनियमादिकमनादरेणन्तरान्तरा सेवते बा वा। यथासौ तदहयोपरोधेम तदश्चमं कचिदेव नेयो निंधन्ते तथायमपि ota: सहुरुभिरनलुकन्पया प्रेथेमाणोऽपि यदि परं तदनुरोधेनेव sada तथा streets तदपि क्चिदेव wat यथा चासौ तन्नोौदकं पातुं तदचनेनेव Tae तथायमपि RA प्रमादपराचन्ततथारुकन्पापरगङचोदमयेव TATA ATT नर विगरेषेददोपथति खोन्धादेनेति। wy fate पुनरमिहितं यथा वनोपकः eae तदयथा रि वित्थ acne चोकं भुक्ता शेषमनादरेए भाजने fern तन्धाजिषध्येन aacs- मभिवद्धेते ततखद्धशयतोऽपि दिवानिशं निष्टां थाति ततोऽबौ तुव्यति जानौते HGS aera केवशं ay wera भेषजजथद्य परिभोगं fafa कालं मयति तथा चापथ्य- भोजिनस्तस्च ते रोगा गोख्छिदन्ते केवखं ae तदहयोप- tia तत्यरमाश्नादिकमसौ मनाग्‌ प्राशयति arate ते रोगा चाप्यावख्छां aarfeef चदा पुनरनात्मञन्नतया शश्रतर-

wad उपमितिमवप्रपल्चा कथा।

amg सेवते तदा ते रोगाः कचिदात्मौयं विकार zie: शूलद्‌ दम च्छरोचकादौनि अमयन्ति ततस्ेरखौ बाध्यत इति तदज्रापि Ma समानमवबो दव्यम्‌ |

तया fei यथा कचिदवसरे चातुर्मासकादौ दयापरोतचिन्ता एरवोऽखख जवस पुरतो विशिष्टतर विरततिया इणायेमपएत्रतविधिं विस्फारयम्ति तदाप्ययं जोवः प्रवशचारिचावरणतया मन्दवो्यौ- हास्त त्रसंवेगेन कानिचिदेव वरतानि awa तदिदं aviewe सोकभकणमभिधोयते। कानिचित्युनत्रेतानि दयापरौतगुङूपरोधेन ममसोऽनभिप्रेतान्यष्यङ्गो करोति सोऽयं शेषस्य भोजने fract ROU | तच्च AAPA मन्दसवेगेनापि fanaa एव विषयधनादोन्यज भवे भवान्तरे वाभिवद्धेयति afee परमाश्न- सन्निधानेनेतरस्याभिवद्धनममिहितम्‌ ते तत्मभावसपन्ा विषयादयो दूढकारणतथानवरतं युश्नानस्याणश्च sae fast प्रतिपद्यन्ते ततोऽयं sla: सुरनरभवेषु वन्तैमानस्तां तथाभ्रता- मातविश्डतिमुपलभ्य weasels) चायं वराको लयति यथेते धनविषयादयो धमंमाहात्येम ममोपममन्ते तत्कमज yu एव भगवान्‌ ध्मः कन्तुः युक्त शति ततोऽयमणलदितसद्भाव- सोषु विषयादिषु प्रतिबद्धचिन्तो श्षागदशंगरेश्रचारिजाणि fafy- लयति | Fae जामन्ञ्यजानान दव मोदटोषेण निरर्थकं काल- मतिवाइयति 1 एवं wa aaa द्रविष्णदिषु प्रतिबद्धमान- सस्य धर्मांगुष्ठाने मन्दादरख waarfy कालेन रागादयो भाव- रोगा भेव संङि्न्ते किं तु तावतापि सदनुष्टानेन गरूपरोधतो

~ > सिन eee, ey ee णिक -- --~ ~= = ~ वव

प्रथमः प्रस्तावः | १२७

मन्दमंवेगतथापि विधौयमानेभेतावाम्‌ gu: संपश्चते यदुत ते भावरोगा याणतां ata इति - - - रयं Paton तया गाढतरं विषयधनादिषु ग्द्धिं विधत्ते angen शरिपरि- ग्रहं समारभते महाजाशकण्यः afexy समाचरति श्व्यादिकं विधापयति तथाविधानं्न्यांख्च serena तदा ते रागादयो भावरोगाः प्रबखसहकारि कारणएकशापमासाद्य मानाकारान्‌ विका- राम्‌ quem नानाद्र विडहितमनुष्टाममाजं ay बाणम्‌ तत- खायं wa: afedivad श्काण्डश्लकस्पया धनव्यथचिन्तथा कचिदन्द द्यते Tala कचिकामूषुरिव मूच्छ मनुभवति सवेख- रणम कचिद्ाध्यते कामश्वर सन्तापेन कचिच्छादिंमिव st वादु न्लमर्फमरोतधननिर्यातमां करिष्जाद्यमिव sua जानतो- saedfaur प्रटृत्तिरिति प्रवादेन शोकमध्ये ada कचिन्ताम्यति इत्पाश्वेवेदमा तुद्धया इष्टवियोगानिष्टसम्परयोगादिपौडया कचित्मभ- वति vane पुमरपि मिश्यालोश्रादसम्तापः afegafa सदनु- छामखच्णे पथ्ये अग्रतरमरोखकः तदेवमेवंविधेविकारेस्तावतौं को रिमध्याङूढोऽपि खल्वेष वोऽप्थसेवमासक्रो बाध्यत दति ततस्तदनन्तरं चद्वाचि aga वनौपकस्तथा विकारेरुपडतो दृष्टखद्‌ यया ततोऽपथ्भो जितामचिदत्योपलमस्तया तेनोक्तं ae- मभिखाषातिरेकेण खयमेतत्परि इतुमुल्द्े ततोऽमुतोऽपथ्यसेवना- दारणोयोऽहं भवत्या प्रतिपन्नं तथा ततस्तदचमकरणेन आतस्तस्य ममाग्‌ विग्रेषः tae सा धद्‌ाऽग्य्ं तदेवासौ तदपथ्यं परिहरति मान्दा सा चानेकसल्नप्रतिजागरण्णक्रुलेति स्वेदा तत्छनिधौ

१२९८ उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

भवति ततोऽसौ सुत्कशोऽपश्यमासेवमानः पुनरपि विकारैः Tet एव तरैतदग्य्र जोवन्यतिकरे सदृशं atid केवलं Zeal जोवच्योपरि दथा शेव प्राधान्यात्पार्थक्येन awl विवदता ATS WATS गुरवो दयापरौतचिक्नाः प्रमादिनमेनं जोव- मुपलभ्वानेकपोडापर्याङुलतया क्रन्दम्भमेवसुपालभन्ते यया भोः कचितमेबेदं प्रागेव भवतो ge: खख विषयासक्चिक्त्मनः खन्तापाः। दूरवन्तिन्यो धमाजगरकणप्रवणानां नाना BT: तथापि भवतस्तबेव गाढतरं प्रतिबन्धः यत्पुमरेतदगेषक्ेशराभि- महाऽजौषविरेककारितया परमखाख्थ्यकारणं श्चानदशेगया रिजचरथं तदनादरेषावश्ोकथसि लं तद्ज किं gar ad यदि किचिद्‌ ब्रूमरतो भवानाङ्ुलोभवति ततो Cerna वयं भवन्तमनेकोप- ्रवेशपद्रूयमानं Tats Bway पुगराङ्ुखताभया- Ramana प्रखितमपि वारयामः | श्रादरवतामेव gat विश्ड- wate परिहरतां श्ागदग्ेगदेश्रचारिषाश्नुतिष्ठतां तामि विकारजिवारण्यालं नानाद्रवताम्‌ यदा waa पश्चतामपि लं रागा दिरोगेरभिग्छयसे तदा भवहुरव इति शला वयमथु- Teenie शोके भविष्याम इति सोऽयं तदयाविडितस्तद्‌- पाखंभ इत्युश्यते ततोऽयं Nat गरूनभिदधौत भगवश्ननादि- भवाभ्वस्ततया at atwaf मे टष्णालौख्यादयो भावाः ततस्त- इशगोऽहं खदारभपरिग्रह जानन्नपि तदोषविपाकं मोक्ष शक्रोमि ततो भगवद्धिर्बाहसुपेशण्टोयो निवार्यो यल्नतो- cane gale: कदा चिद्धवन्ाहाव्येनेव मे स्तोकस्तोकां

प्रथमः Tey: | १९६

दोषविरतिं क्ुवेतः परिएतिविगेषेख सवंदोषत्थामेऽपि शकिः संपद्यत इति ततः प्रतिपद्यन्ते तदचनं शरवः सोदयनि प्रमा- धनो कचिदवसरे संपद्यते प्राक्‌ प््निपौडोपश्रमः accor mag श्ानादथो रशास्तत््रसादेन सोऽयं तहवावचनकरणेन मनागारोग्यश्षचष्ः संजातो fate इत्युच्यते Barer नोवो विभिषटपरिज्चानविकशतथा धदैव ते चोदयन्ति ada खदितमतु- चेष्टते तश्चोदमाभावे पुनः भियिखयति सत्कनव्ये प्रवर्तंते निभैरं wet सटारभपरिगहकरणे। ततखोष्धषन्ति रागादयो aati मनःज्ररोरविविधबाधाः। ततसदवख्येव विहृतेति तेषां तु भगवतां TRU | यथायं yaaa: श्चोदनादानदारेए परिपाश्च्तथा बहवोऽन्येऽपि तथाविधा fart) amg शमखारुगदप्रवष्ास्त कदाचिदेव विवकितलीवचोदमामाचरन्ति शेषकालं तु सुकखनया खञाडितमनुतिषम्तमेतं कञिदारथति। ततखावमनब्भरोक्षोऽनचेः संपद्चत इति। शोऽयं तदहयाषज्ञिधानविरशहादपश्यसेवनेन पुना रोमदिकाराविर्भाव दृत्यमिधोयते। ततो यथा पुनस्तेन caw तरे सदाय Gaurd निवेेदमभिडितं ven मायाख्या waw चचा मे खघ्रान्तेऽपि पौडा जायते ततस्तेगोक्रम्‌ इवं age eure सम्यक्‌ तवापश्धनिवारणं विधत्ते ततः att faut तव परिषारिकां केवलं तदचगकारिणा भवता are ततः प्रतिपन्नं तत्तेन दन्ता aw france बद्बदधिर्गामपरि- सारिका Ger) ततखहुखेन fred तस्तापश्चचान्पन्यं ततस्तनू- ता रोमा निृत्तपरा्ाखदिकाराः SINT मनाम्‌ TTT 17

३० उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

werfuat वद्धितश्चानन्द इति तथेष व्यतिकरो जोषेऽपि समानो ava |

तथा Te

यया धावन्नन्धो भित्तिस्तम्भादौ लमभास्फोटो वेदना विहृशस्ता- मास्फो टबेदनां wa कथयति तथायमपि wat यदा qe जिवारिताचरणेन दृष्टापायलात्‌ संजातप्रत्यथो भवति तदा तानेक- ्रकारानपायान्‌ gent निवेदयति aga wage यदा य॒द्म- निवार्या गामि स्तेनाइतं करोमि विर्द्धराजातिक्रमं नाचरामि वेश्यादिगमनं नानुतिष्ठामि तथाविधमन्यदपि धमंलोक- विरद्ध रब्यामि महारभपरिग्र्योः तदा मां लोकः साधुतया auifa मयि fas विधत्ते erat चाशरति तथा जामामि शरोरायाखजनितं दुःखं संपद्यते wus wed तिष्ठतां सुगतिप्रापको भवतोति भावनया भवति चिन्तानन्द cfr थदा ठू anfaarcer भवति भवन्तो वा तामनपेच्छ निबन्धतया atafa मां शरव इत्यभिप्रायेण धनमूङनया रक्ञामि सेनाइता- दिकं विषवलोष्येन गच्छामि वेश्ादिकं समाशरामि तादृश्रमन्य- दपि भगवल्ञिवारितं तदा. शोकादश्चाघां राणकुलात्सवेखदरणं शरोर खेदं मनसापमपरांख समसताननर्थानिरह शोक एव प्राप्नोभि। पापंच दुगे तिगन्तेपातशेतुरेवं वन््ेमानानां भवतोति चिन्तया दन्द- इमानददयः चणमपि सुखं a शभेऽइमिति तसमान्ञायास्तथा कुरुष्नं यूयं चथाहमनवरतं युद्मद चनादर एषना हेन सखततभेतसा- AAMT भवामौति। ततखदाकष्ठं गरवो ब्रूयुः भद्र

प्रचमः प्रस्तावः | tar

धदेतत्परप्रत्यथनाकायैवजेनं कादा चित्कमेतत्‌ केवलं तथापि faa- माणस्य तस्येतरस्य दृष्ट एव भवता विशेषः वयं चानेकषलवो- पकारकरणव्यग्रा न॒ सदा afafeat भवन्तं वारयित पारयामः एवं fad यावद्भवतः खकोया सदद्धिः सपना तावदेषा- स्मन्निवारिताशरणनिबन्धनानयेपरम्परा भवन्तो न॒ विनिवन्तेते wefgta fe परप्रत्ययमनपेच्छ॒खप्रत्ययनेव लो वमकार्याजिवार- धति 1 ततो मुच्यते sata इति ततोऽयं stat त्रयात्‌ 1 नायाः सापि भवक्मसादादेव यदि पर मम संपद्यते नान्यथा) ततो गरवोऽभिदध्यः भद्र दौयते बदुद्धिः वचनायत्ता हि षा मादृशां aid tae दौयमानापि खा पुण्भाजामेव अन्तुनां खम्यक्‌ परिण- मति नेतरेषां थतः पुश्छभाज एव तस्यामाद्रवन्तो जायन्ते नापरे तदभावभाविनो fe देडिनां easel: तदायन्तान्येव सक~ HAW तस्यामेव ये महात्मानो यतन्ते। एव भगवन्तं स्वेश्चमाराधथन्ति नेतरे तत्छंपादनाथेः कल्वेष मादृशां वचन- प्रपञ्चः | दुद्धिविकशानां fe पुरुषाणं चवहारतः संजातान्यपि ज्ञानादौनि नासंजातेभ्यो विभिन्ने खकार्याकरणात्‌ किंबहनो- केन सखदुद्धिविकणः पुरुषो a पशनतिगेते तस््ाद्यदि . तेऽस्ति Saag दुःखेभ्यो वा यदि विभेषि ततोऽखामस्राभिदौय- मानायां बुद्धौ यन्नो विधेचः। तस्यां fe aaaat स्माराधितं वचनं बहमतो भुवनभर्तां परितोषिता वयमङ्गोरतं wana परित्यक्षा शोकसंज्ञा खमासेविता घमेचारिता समुन्तारितो भवो- दधिराव्मा भवतेति ततो भगवतां षद्ध्मगुङूणामेवं विधवचोऽ्टत-

१९२ उपमिविमवप्पष्ा या |

परवारप्रह्धादितददथोऽयं Mawel तयेति प्रतिपद्यते। ततस्ते तख equa aga waaay परमग॒द्यं सम्बगवधारण्णयं भवता अदुत wad stat विपयांशवशेन दुःखाताकेषु धनविषयादिषु सुखाध्यारोपं विधत्ते Gernay वेराम्यतपःखयमादिषु दुःखाध्यारोपं Gta madara दुखसम्बन्धः | यद्‌ पुमरनेन विदितं भवति विषयेषु प्रहत्निदुःखं warren: सुखं तदायमरेषेच्छा विच्छेदेन farrgerar सखाभाविकस्ुखा विर्भावात्‌ खततानन्दो भवति | अन्यच भवतोऽयं परमायेः कथ्यते थया यथायं पुरुषो निःखहौ भवति तथा AUTS पाजतथा कणाः संपदः संपद्यन्ते यथा यथा खपद भिलाषो भवति तथा तथा तदयोग्यतामिव fate arent meat इूरोभवन्ि तदिदं नित्य भवता सवच सांसारिक- बदाथंलायं aret विधेया ततस्ते खप्रदशायामपि पौडागन्धोऽपि मनः श्ररोरयोर्भेव संपद्यत इति ततोऽयं जोवस्तमुपरेशमग्टत- भिव vita) ततस्ते धमेशरवः aoe सदुद्धिरस्दति शवा भेदानौमेषोऽन्यथा भविव्यतोति तं प्रति भिञिन्ता भवेयुरिति) ततः प्रादुग्धेतशद्ुद्धिरयं जवो चपि श्रावकावस्यायां aaa: कुरूते विषयोपभो गमादन्ते धनादिकं तथापि यस्तजाभिष्वक्तो- ऽकभिकारणतः भवति ततो श्चानदशेनरेश्रलारिजेषु प्रति- बङ्धाकःकरणस्य aw ते दरविएभोगादयो यावन्त एव संपद्यन्ते तावन्त एव खन्तोषञुत्पादयन्ति | ततोऽयं सहुद्धिप्रभावादेव तदानौँ था न्ञानादिषु यतते a तथा धनादिषु ततोऽपूर्वं वद्धे रागादयः तनूप्मवन्ति परा्ौनाः। तथा पूर्वो पचितकमपरिएतिवभे

प्रथमः प्रस्तावः | १६९.

श्पि कंचिद वरे काचिच्छरोरमनथोर्बाधा संपद्यते तथापि खा निरसुबन्धतया fecaafasa ततो ala तदायं नौवःसन््ो- चावन्तोषयोगंएदोष विशेषं drat चोर णाखकन्दनेन चिन्त- प्रमोद इति।

ततो यथा तेनं॒॑वनोपकेम तया ager परिषारिकया बड qalutted wz fafafan: खण्वेष मम देदचेतसोः प्रमोदः तथा ATARI भेषजज्रथासेवनं तस्य कारणमाण्यातं ae थुक्रिञ्चोपन्यस्ता तदिहापि समानमेव |

तथा fel सदुध्येव wy पर्य्यालोयन्नेष लवो शयति यदुत चदेतत्लाभाविकं Catered खमाविग्धेतं FATE जिबन्धनं विषथादिष्वभिष्वङ्गत्यागो शन्नानाद्याष्वरणं तथा fe प्रागभ्बाखवगेन विषयादिषु प्रवत्तेमानोऽेव ota: सदुद्धिकशितः waa भावयति away विधातु मादृशां ततो गद्धिविकल- तया farda चेतसोऽनुबन्धः ततः संपद्यते प्रश्रमसुखा सिकेत्यथमज करेश्पन्याखो faa इति ततो चदु पलम्धसुखरसेन तेन रोरेण तस्याः परिशारिकायाः पुरतोऽभिहितं aga az खवेथाधुना quae कदन्नं यमात्यम्तिकमेतव्छुखं मे संपद्यत दति तयोक्तं wife केवलं सम्यगाशोश्य gaat भवता यतस्तेऽत्यन्तवक्षभमेतर्‌ ततो यदि मुक्रःपि तवाज सखेहवन्धोऽनुवन्तेते तदरतरम्या त्वाग एव यतस्तौत्रशौ ्यविकलतथा भुश्वानस्यापौदं मेषजजया- wager waa ते विद्यते afi warren यदि Wawa wana विधाय लमेतङ्गोचर स्मरणमपि afcafe ततो

१९९ उपमितिभवप्रपद्चा क्या |

रोगा भूयोऽपि कोपं चाश्यन्ति तदचनमाकण्यं ave टरौोलायिताः बुद्धिः किं करवाणोति संजातो मनसि निचय दति तदिद- मजापि Ma qe वन्तते |

यथा हि यदायं सांसारिकार्थंषु चित्तानुबन्धचोटनेन ज्ञाना- ea दृढमसु शक्तया ग्टहस्थावस्धायामपि वत्तेमानो विन्नात- संतोषसुखखशूपो भवति तदास्याविच्छिन्प्रश्रमखुखवाञ्छया प्राद्‌- भवत्येव सवैसक्गत्यागवृद्धिः पर्यालोचयति चात्मौयषहुध्या ag यदत किमहमस्य विधाने समार्थो वेति ततः बदुद्धिमसादा- देवेद मेष लयत्येव थथानादिभवाग्बावशेन सखरसम्रटन्तिरेष mat विषयादिषु ततो यदि निःगरेषदोषनिटत्तिलचषणां भागवतो- मपि दौचासुररोशृत्य gata तामना दिरूढकमेजनितां प्रकृतिमनु- वत्तंमानो विषयादिस्पश्याप्यात्मानं किडम्बयियति ततोऽस्यादितः एव तदनङ्गोकरणं श्रेयस्करं यतस्तोत्राभिव्वङ्गरदहितो विषयादिषु वर्तमानो गहख्ोऽपि aed ज्ञानाद्याचरपम्रधानं क्वाणः कर्माजोजरणेन रागादिभावरोगतनुता मधिहृत्य यातां लभते ¦ म॒ चेयम्यनादौ waa कचिदवाप्षपू्वानेन जोवेनातोऽत्यन्त- cada यदि तु saat प्रतिपद्य पुन विषयाद्यभिलाषं विधत्ते ततः प्रतिन्ाताकरणेन इरन्तर चिन्तसं्ेशप्राेगुरुतररागाचुद्ेकेण तामपि यातां लभते ततो यावदेवं निरूपयत्ययं aa: तावदस्य चारि्रमोहनोयकमं गेरनुवत्तंमानेविधूरिता सतौ पूवे प्रहक्तापि अर्वेशङ्गत्या गनृद्धिः युनदेलायते ततः सपद्यते वोर्यंहानिः ततोऽवखम्बते खल्वयमेवं विधानि कदालम्ननानि यदुत सौदति

प्र यमः प्रस्तावः | ९६९४

तावदधुना ममेदं कुटुम्बकं मन्छखनिरौ चकं चेद aria ALT , अतः कथमकाण्ड एव मुञ्चामि यदि वाद्यप्यसंजातबलोऽयं तनयः अपरिणितेयं <fear प्रोषितभटेकेयं भगिनौ सटतपतिका वा अतः Tete ममेयं तथा नाद्यापि गटधषेरणएलमोऽयं राता अरा- जजेरितश्रौराविमौ मातापितरौ शेहकातरौ गभेवतौयं भायां दूढुमनुरक्रहदया चख जोवति मदिरदिता) wa: कथमेवं faved परित्यजामि यदि वा विद्यते मे शरिधननिचयः शन्ति बहवोऽधम्णाः। असि सुपरोकितभक्रि्डेयान्‌ परिकरो बन्ध- aig तदयं wet मे वत्तते तस्मादुद्राद्द्रविणं लोकेभ्यः Tar बन्धुपरिकराधौनं विधाय धमंद्ारेण धनविनियोगमलुश्चातः खर- भसेन स्वेर्मातापिजादि भिविंहितारेषग्रश्खहत्य एव दौचामङ्गो- करिय्ये किमनेनाकाण्डविडवरेेति |

अन्यश्च यदिदं WAM नाम AMET तरणएमेतत्‌ Geaz- Tawa aaa प्रतिखोतोगमनमेतद्भक्गगयाः चवंणमेतदयोयवानां भचणमेतदयोगोलकामां भरणमेतकपच्छपवनेन HMA: भेदनमेतत्‌ facet सुरगिरेः मानयरहणमेतत्कु शापेण नोर निधेः नयनमेतद्‌ विदुपां धावता stead तेला पूंपाश्चा ताडनमेतत्‌ सन्धापसग्यश्नमणश्मलाष्टचक्रविवर गामिना fratgea वामलो- चने पुजरिकायाः अमणमेतदनपेकितपादपातं निश्रातकरवाल- धारायामिति यतोऽ परिसोढव्याः परिषहडाः निराकन्तंव्या दिब्याद्युपसगांः विधातव्या खमस्तपापयोगनिदन्तिः वोढव्यो याव- त्कथं सुरगिरिशुरः tent वन्तं यितव्यः सकखकालं माधकयां

रद्‌ उपमितिभवप्रपक्चा कथा |

ब्तनयात्मा निष्टप्त्यो विहृष्टवपोमिर्दहः सखातोभावमानितगः waa: aqyefaran रागादयो fattgat हादंतमप्रषरः। किब- ना निदन्तयोऽप्रमत्तचिननर्मोहमहावेताख दति गदु शयनाहार- wfeanfed मामक wot तथापरिकमिंतमद्यापि चिन्त तच्नेतावतः प्रायेण महाभारस्योद हने सामर्थ्यम्‌

au aacaf यावत्छकलडन्दविच्छददारेणड भागवतौ दौ कभ्वुपगता तावन्ये प्र्मसुखमगेषङ्ञ्रविजोरशचणो वा मोखोऽवा्यत «fai sata: किं gay ततोऽथमेवं नौवो ऽनवाप्रकन्तेव्यनिणेयः सन्दददटोलारूढइदयः कियन्तमपि are चिन्तयक्ेवावतिष्ठते |

ततो चदुक्रंयदुतान्यदा तेन वनोपकेन महाकद्याणकापूर्ण- दरेण तत्कदश्न Sten कथश्धितप्राभितं AAT ATHTS yN- area यथावस्थितेरेव 7a: कयितल्विरसलनिग्धत्वादिमिरतसि प्रतिभातं aa: सजातोऽख्य तस्योपरि व्यलो कौभावः anenwee- बद मेति सिद्धा जतै खमनसा तत्यागायेमादिष्टा खदुदधिः। तथामिदहित ध्मबोधकरेण ag पर्यालोच्य सुश्यतामेतदिति। ततस्तद निकरे गत्वा निवेदितः ख्ामिप्रायो ativan तेनापि निकाचनापूरवै त्याजितोऽसौ तत्कदश्नं शाखितं विमलनलखेसद्भाजन पूरितं परमाख्नेन faferafet avtes: जातं जनप्रवादवश्रेन तस्य वनोपकस्याभिधानं aqua इति तदिदं उन्तान्तान्सरमस्यापि Hae दोलायमागबुद्धस्तया ग्टहावसायां ware we- व्छंभवतौत्यवगन्तग्धम्‌ |

प्रथमः WHT | १६७

तथा हि aera Mat विदितप्रश्रमसखासख्ञादो भवति भव- प्रपञ्चादिरक्चिन्तस्तयापि केमचिदाखम्ननेन ग्टहमधिवसति तदा करोत्येव विशिष्टतरं तपो गियमाभ्वासं एष परमान्नाभ्ववहारो- ऽभिधौयते यत्त॒ तस्यामवस्ायामनादरेार्योपाजनं कामासेवमं वा amen कद्‌ शमप्राशममिति विश्चेयम्‌ |

ततो चदा भार्या वा व्यलोकमाचरेत्‌ gat वा दुविनोततां , र्यात्‌ दुहिता वा विनयमतिखंघयेत्‌ भगिनौ वा विपरौतचारि- तामनुचेष्टेत राता वा धमंद्वारेण धनव्ययं fata बड़ मन्यते जनमौोजनक वा ग्टहकन्तंयेषु भि यि्ोऽयमिति area माक्रोशेतां वन्धुवगों वा यभिचारं भजेत परिकरो aret प्रति- कूलयेत्‌ weet वातिल्लालितपालितोऽपि खलजनवद्रोगादिकं विकारमादशेयेत्‌ धननिचयो वा श्रकाण्ड एव विद्युल्लताविलसित मनुविदध्यात्‌ वदास Haw परमान्नद्प्तस्येव रभोजममेष घमस्ो- $पि संसार विस्तरः सुतरां थावथितस्लरूपेण मनसि प्रतिभासयत्‌। ततस्तदावं fafama चेतसा प्ादुश्वौतसंबेगस्मन्ेवं भावयेत्‌ श्रये यदयम विन्चातपरमार्योऽपि सखकायंमवघोये सदनमधिवसामि तदास्य खजमधनादेरेवं विधः परिणमः तथापि ममापर्यालो चित- कारिणो माख्योपरि केहमो हः प्रवत्तेमानो निवन्तेते मुनमविधा- विश्सितमेवेदं यदौदृगेऽ्यच चेतसः प्रतिबन्धः तत्किमथमन्यं- AAW Bava Tats, तस्मन्युश्चामोदं ww ATG को शरिकाकारकौरस्येवात्मबन्धनमाजफल बदहिरन्तरङ्ग- सङ्ग कदम्बकं यद्यपि यदा यदा पर्वालोच्यते तदा तदा विषय-

18

द९८ पमितिभवप्पश्चा कथा |

छेडकलाकुखितचेतसि दुष्करोऽखख त्यागः प्रतिभाषते। तथापि व्यक््यमेषेदं मया Tarra agfaafa | अथवा किमच agra भविखत्येव मे कि्चित्यरित्यक्रऽभिन्नसुन्दरं किरि निरप- मचिन्लप्रमोद एव शंजनिग्थते। ततो craze जोवोऽज परिग्रहकदंमे गज इव निमद्नोऽवसौदति तावदेवाखखायमतिद्‌ खनः प्रतिभाखते Gat पुनरथमेतस्माजनिगेतो भवति तदायं sta: सति चिवेके मास्य धनविषयारैः संमुखमपि निरोखते को हि माम श्कणेको wa. मडहाराग्धामिषेकमासाय् पुनखाष्डालभावमात्मगोऽभिशषेत्‌ | तदेव- मेव गोौवस्छक्नव्यमेवेदं मया arte wea: afecae इति fea- पशं करोति ततख पुनः सदवुध्या पथांशोचयश्ञेवं निखिरुते यदुत NEM war प्रथने शद्धमेगरवः | ततो गत्वा mete tea: खविनथं erga निवेदयति ततस्ते तसुपरं द्यन्ति साध्‌ भद्र खन्दरखोऽष्यवलायः केवलं aegis मामे: चाबेतुः कातर- नराणां ततोऽज प्रवज्नितुकामेन भवता गाढमवलम्बनोयं सेयं we विशिष्टविक्ावषटंभविकलणाः पुमां सोऽस्य पयम्तगामिनः संपद्यन्त सें निकाक्ना fare ततोऽयं जोवसहुङवचनं तथेति भावतः परतिप्चते ततो शरवः सम्यक्‌ परौच्छ अभिरितिनोतार्थेख we wale योग्यतामेनं प्रत्राजयेषुरिति aay समखसक्गत्याग- कारणं कदशत्याजमतुख्छं THA | अजनग्म्रालोलमादापमपुरद्यर प्राय- fava तष्नोवितव्यस्छ विश्रोधनं विमखजलेभांजनचा खनकण्पं fay- थम्‌ चारिषारोपथं तु त्येव परमान्नपूरणवद् ग्रमवगन्तव्यमिति | भवति सुरूपे शप्रसादादेवाख्य Stas दौखाग्रहणकाले भव्यप्र-

प्रथमः प्रावः | Vee

मोदरेतुखेत्यसंघा दि पूजाप्रधानोऽन्येषामपि सब्मागप्रषटन्निकारण्ण्डतो महानुस्तव दति तथा संजायते गुरूणामपि सशु्ारितोऽस्मामि- रयं संसारकान्तारादिति भावनया चखिन्तपरितोषः। ततः naga नेषामस्योपरि रतरा दथा तत्मरसादादेवाश्य Taw विमलतरो- भवति agig: ततस्ता शखदतुष्टानविलोकनेन खोकतो वणेवादो- त्पन्तिः संपद्यते प्रवचनोद्धासना। avec तेन समानं विच्ेषं यद्वाचि कथामके धदुत | धमेवोधकरो इष्टलदयाम्मदोद्धरा | सदुद्धिवेद्धितानन्दा मुदितं राजमन्दिरम्‌

ततोऽङ्गोरुतमन्दराकारविरतिमहाभारमेनं जवं तदा ज्ञाघमो भक्धिभरनिभेरतथा रोमाश्चाश्चितवपुषो weiter: | ae धन्यः शतार्योऽयं सुखथमसख avast जन्म wae स्रटल्तिदशेनेन नियते संजाता भगवदाखोकना संपन्नः शद्धर्मस्ूरिपादपमबादः नत एवाविश्डेता सुम्दरबुद्धिः ततः कृतोऽनेन वहिरन्रङ्गसङ्गत्यागः Get च्चानादिभयं मिद्‌ शितप्राया रागादवः ayquanas व्यतिकरः संभवति ततोऽथं जौवः agua इति जनेरदा wate कमभिधौयत इति ततस्तदनन्तरं यदुक्तं थया तस्य वनोप्रकख्या- पथ्याभावेनास्ि परिखटा देडे रोगपौडा यदि खात्पवेदोषजा | कविदवधरे afi aan भवति तथा स्मटिति frat तच्च चादभेववजयमनवरतमासेवते ततस्त्य शतिवलादौोनि aga केवलं बञ्जलाद्रोगसकतेर्नाद्यापि नौरोगो भवति fang महाम्‌ aaa:

१४० खपमितिमवप्पश्चा कथया |

तया Tei यः प्रत्तः प्रागासौद्धाढं Threw: | तावदेष BUHL मानुषाकारधारकः

तदापि Ma ae ata तथा fei want ofr मुक्रग्टहादिदन्दस्यास्य कारणाभावान्न भवत्येवाभिव्यक्षा कादि- द्‌ गादिबाधा। श्रय कथंचित्‌ प्रारापकितकर्मोदयवशरेन संजायते तथापि सा aaa भवति चिरकालमवतिष्ठते ततोऽयं शोक- व्यापारादिनिरपेचोऽनवरतं वाचनाप्रच्छना परावन्तेनातुप्रैचाधमेक- थालच्षएपश्चप्रकारखाध्यायविधामदारेण श्नानममिवद्धयति प्रव चनोल्लतिकर श्राख्ाभ्यासादिना saci facat लंभयति विशि- छतरतपो नगियमाद्नु शो शनया चारिजमपि साक्यौयभावं नयति तदिदं भावतो भेषजजयसेवनमभिधोयते | areata प्रादु- vue धौश्टतिखतिवसलाधानारयो गुणविशेषाः केवलमनेक- भवोपान्तकमप्रशयप्रभवा wate: खलु रागादयो भावरोगाः | ततो areata गोरोगः संपद्यते कितु रोगता विशेषो wena: संजातः तथा डि योऽयं Mat गाढमनाथेकार्याच- Tafa: Gaeta प्रागनुग्धतः सोऽधुना धर्माचरणेन प्रौतिमनु- wana इति ततो यथा भेषजनयोपभो गमादहाक्येनेव रोर- ATVI A ATM MAA भावान्‌ faces वनौपको मनारदारचिन्तः संपन्न CAPE तथायमपि Mat श्नाना- दयभ्यासप्रभावेनेवानादिकालपरिचितानपि तुच्छतादिभावागवधी्ं- fafeart स्फोतमानख दव संजात रदद्यक्रमिति erat) चत्पुन-

प्रथमः प्रस्तावः | १४१

रभिहितं यदुत तेन वनौपकेन सा agafy: ger इष्टेन यथा भ्र केम कर्मणा मयेतद्धेषजचय मवाप्तं तयोक्तं खयं दन्तमेवाज शोके सभ्यते तदेतण्नव्मान्तरे कचिदृन्तपूवे लयेति। ततस्तेन चिन्तितं यदि दत्तं लभ्यते ततः पुनरपि महता aaa ears: प्रयच्छामि येनेदं सकलवष्याणएड्ेत श्रतं जब्धान्तरेऽपि ममाचय्यं saga इति। तदिदमचापि ha समानं ana तथा fer न्नानदग्रेमचारिबा- चरणजनितं WTA बेदयमानोऽयं sta: सद्बुद्धि परादादेबे- दमाकलयति यदुत यदिदं न्नानादिचयमगेषक्याएपरग्परा- संपादकमतिदुलेभमपि मया कथंचिदवाप्त नेदं प्राचोनाष्भा- शरणव्यतिरेकेण घटते तदस्यानुगुणशं विदितं मया प्रागपि किंचि- दवदातं कमं येनेदमासादितमिति ततस्ेयमा विभवल्यस्य चिन्ता यदुत कथं पुनरोतत्छकलकाजमविच्छेदेम मया लप्यते ततोऽय- मेतहानमेवास्य लाभकारण निधिनुते ततोऽवधारयल्येवं प्रयश्डछा- Heat यथाश्रक्ति सत्पाजेभ्यो येन संपद्यते मे समौडित- सिद्धिरिति। यथा wet zane चिन्तयन्नपि महाराजाद्य- भिमतोऽइमित्यवलेपेनेदं aati यदुत यदि मां कञिदागत्य पराथेयिच्छति ततोऽहं दास्यामि नेतरथेत्यमिप्रायेण दिष्धुरपि aaa प्रतोच्माएशचिरकाश्मवतिष्ठते तच मन्दिरे ये लोकास्तेषां aaa चारतरमस्येव येऽपि तज तत्काखप्रविष्ट- तया तेन विकखास्त एव तद्रि शभन्ते। ततोऽसौ वनौपको fem निभालयन्ञास्ते कथित्तज्िरटचया तत्छमौपञुपतिष्टत दति तथायमपि जोवञ्चिन्तयति यदुत विद्यते मे भगवदव-

१४२ खपमितिमवप्रपञ्चा कथा |

लोकभा THE धर्मस्रिपादानां नुगमनवरतमनुवम्तेते ममौ- परि सदनुयहप्रवणा agar समुश्भरोखिता मे मनसि लेशतः सद्बद्धिः afaatsy समस्तलोकंशद्वारोए ततः सपुष्छतथा किल Stata aasefafa sat मिथ्याभिमानं वितनुते भवति चात्यन्तनि्गणस्वापि जन्तोमेदद्‌भिः waite चेतसि गवांति- रेकोऽन चेदभमेवोदाइरण्म्‌ | अन्यया कथमयं Wa: समस्त- जघन्यता मात्मनो fade प्रगते ततोऽयं भावयति यदि at विनयपुरश्सरं कश्िदर्थितया श्नानादिखरूपं प्रश्रयिव्यति ततोऽ ana प्रतिपादयिग्यामि नापरया ततस्तादुश्राकूत विडग्बितोऽयं भयांसमपि काल्लमवतिष्ठमानोऽच मोनोश्धप्रवचनेम कथं चिन्ताथा- विधं प्रयच्छकमासादयति यतोऽ भावतो वन्तन्ते ये Nard खत एव ज्ञानदशेनचारिजजय सुन्दरतरमाविभते नेवं विधसम्बसिन- मुपे परञुपेचन्ते यदयष्यधुनेव खग्धकमेविवराः waalfagafen- इृन्तयोऽद्यापि विशिष्टश्चानादिरडिता विद्यन्तेऽच के चिष्ोवास्तेऽप्य- qa प्रख्ठतजो वस्छ सद्मृखमपि निरोखन्ते. यतोऽज werent विन्ते ग्रितमा महामतयः षदोधादिविधानपटवोऽन्य एव महात्मानो Dag प्रा णिनिसज्छानदशेनचारि चजयमपरिङ्ञेधेन ययेच्छया Wy बन्ति ततोऽयं जोवोऽनासादिततदयौ व्थंकमात्मगुणणोत्ेकमनु- वत्तंमानसिरमष्यासोत्‌ कथञ्चन साथे पुष्णौयादिति। aq दमम्भरं यथा तेग सखपुण्छकेन सा सद्बुद्धिस्तद्‌ानोपायं परिष्षटा तया चोक्तं भद्र fave घोषणापूवेकं भवता दोयतामिति वतो- Sat तच राजकुले Trae ब्देन यदुत ATs भेषजभयं भो

प्रथमः Tea: | १९९

खोका लात waa प्यैटितः। ततस्तसमात्ुङुवेतः केचिष्तथा- विधास्ुच्छप्रहतयो ग्टरोतवन्तोऽन्येषां पुनमेहतां सहाश्यप्रायः प्रति- भासते wi हौलितञ्चानेकाकारं ततो निवेदितस्तेन खट्बद्ध- टेत्तान्तः तथाभिदडितं भद्र भवतो रोरभावं ATH: BA लोकां भद्रममादरेणावशोकयन्ति तेन weft भवता टोयमानं ततो यदि ve समसतजनगाइणामिखाषः ततोऽयं तदुपायो मामेक खेतसि परिस्फरति। aga निधायदं भेषजचयं famreret काष्पाश्चां ततस्तां महाराजख्दनाजिरे aw yen समस्तजनाः पश्छम्ति तस्मिन्‌ fage ततो विश्रभमानसोऽवतिष्टक्ल का ते fem यतोऽज्ातस्ञामिभावाः साधारणमेतदिति ger तथाहृतं waste यहोव्यन्ति fa वा तेव यथेकोऽपि age: पुरषस्तदाद- दात्‌ ततो भविव्यति ते ममोरवपून्तिरिति | ततस्लयथेव हृतं समस्तं तन्तेनेति तथायमपि नोवोऽनाखादितज्ञानादिनिखेपपाचः aay पर्या्लो चादेवेदं sai यदुत मौनमाखन्नमानेः परेषां ज्ञानाद्याधानं विधातुं wit श्नानादिसंपादनं विद्ायान्यः परमार्थतः परोपकारः संभवति अवाप्तशन्ारेक पुङ्षेण लग्ध्ा्भरेऽपि तस्या विच्छेदममभिशवता परोपकारकरण्परेख भवितव्यं तस्येव पुरुष णोत्कषा विर्भावकलात्‌ चतः परोपकारः सम्यक्‌ क्रियमाणो धोरतामभिवद्धयति दौनतामपकषति उटार- चिन्ततां fart आत्मभरितां मोचयति चेतोवेमद्यं वितनुते भरशुलमा विभावयति ततोऽसौ प्रादुग्रंतवोयौक्लाखः प्रण्टरनोमोदः परोपकारकर परः पुरुषो अग्मान्तरष्वणु्तरोन्तरक्रमेण WHAT

१४४ उपमितिभवप्रपद्चा कथा |

सद्ग विगरेवमाशादयति पुनस्ततः प्रतिपततौति afecaaay स्यमुपेत्यापि श्वानादिखरूपप्रकाश्ने यथाश्रक्रि प्रव्तिंतव्यं पराभ्वयेनमपेकणौयमिति ततोऽयं Mats wand वन्तमानो देशकाला्यपेचयापरापरस्थामेषु परिश्वमम्‌ महता प्रपञ्चेन कुरते भवेभ्यो श्ञानदश्रेनसारिरूपमागेप्रतिपादनं सेयं घोषण fagar ATI RITA प्रस्ठतजौवाद्यं मन्दतरमतयस्ते तदुप- दिष्टानि च्रानादौनि कदाचिट्‌ ग्टक्ञोयुः ये पुममेहामतयस्तषा- मेष टदोषपुश्जतां प्राक्रनोनामस्यानुखमरतां wee: प्रतिभासते Cathey तेषामयं Ma यत्त॒ Veal तेषामेव यष्णो पुनरख्येति ततोऽयं चिन्तयति कथं पुनरयं श्नानादयुप- देशः अर्वानुयाइको भविव्यतोति ततः सद्बुद्धिवलादेबेदं aq- यति यदुत साचा्मया दौयमानोऽयममौषां समसखोकाना- सुपादेयतां प्रतिपद्यते तस्मादेवं करिष्ये। यदुत यान्येतानि ज्ञागद्‌ शेनचारि राणि भगवद्मतसारण्तानि प्रतिपाद्यानि वर्तन्ते तान्येकस्ां ग्न्वपद्धतौ श्ेयश्रद्धेयानुष्टेथाथै विरोचने विषथविषयि- फोरमेटोपचार द्वारेण व्यवसाय्य ततस्तां ग्न्धपड्धतिमन ane प्रवचने भव्यजनसमचं Faw सुश्चामि ततस्तस्यां वन्तमानानि तानि चमस्तजनादेयानि भविव्यन्ति |

fa wi

यथेकस्यापि अन्तोस्तानि भावतः परिणमेयुः arena किं पर्थाप्नमिति तरिदमवधायनिन जोवेनेयसुपमितिभवप्रपश्चा- नाम कया ययार्याभिधाना प्रषृष्टग्रदायविकलतया सुवण्पाश्चादि-

प्रथमः FETA: | १४४

BIBI काषठपाशोशखानोयामिदितश्चानदभ्ंमचारिचभेवलनया- waa faured | avd fad मो भव्याः gaat भवद्भिरियमम्ब- Gar) चथा तेनापि रोरेण तथा प्रयुक्तं तद्गेवजभथसुपादाय खे Cine: सम्बगापयुश्चते ते गोरोगतामास्कन्दन्ति युष्धते तेषां गरहोतु तस्य UWS रोरोपकारसंपन्नेः तथा मादृश्रापि भमवदव- खोकनयावाप्तसहुरुपादप्रसादेन तदनुभावाविश्चेतख ुद्धितया यदस्यां कथा्थां विरचयिष्यते श्ञानादिचयं awefa ये नोवास्तेषां तद्रागादिभावरोगभिबरेणं संपद्यत एव खख वक्रगुणदोषावुपेच्छ- वाच्याः पदार्थाः खाथंसाधने प्रवन्तन्ते। तथा हि यद्थपि सथं बुशुच्ठा्ामः पुरूषः सखा मिसंबन्णिमाहार विशेषं तदादेषेगेव तदु- चितपरिजनाय प्रकटयम्‌ भोजनायोलक्गे कणयति तथाष्यषावा- हारविगरषस्तं परिजनं तपेयत्येव वक्ृदोषेए खरूपं विरहयति तथेहापि योजनौयम्‌ तथा fer खयं ज्ञाना्यपरिपू्नापि मया भगवदागमानुसारेण fafa शच्ामादोनि चे भव्यसला aviafa तेषां रागादि वुञो पशमेन are करिव्यनधेव wer fe तन्तेषाभिति | fa ai

यद्यपि भगवसत्षद्धान्तमध्यमध्यासौनमेकेकं पदमाकष्यंमारं भा- वतः शकलं रागादिरोगजाशं समुन्रूलयितु पटिष्टमेव ara तदाकणनं भवतां तथा यश्चपि चिरन्तनमष्ापुरषोपनिबद्धकया- प्रबन्धश्रवष्ेनापि सद्भावनया क्रियमाणेन रागादिजोटमं सुन्दरतर संभवल्येव तथाणञुनो पायेन संसारसागरं तरिदुकामे मवि परम-

19

१४६ उपमितिमवपपख्चा कया |

ATURE: सम्तः प्रस्ठतकयाप्रबन्धमपि सर्वेऽपि भवन्तः BATE mati | तदेवमेतत्कवागकं प्रायः प्रतिपदबुपनौते यत्पुगरमाराम्तरा किश्चिोपनोतं तस्याप्यनेनेवानुसारेण खबद्योवो पगयः ard: | भव- व्येव सहौतसङेतामामुपमागद गेनादुपमेधप्रती तिरत एवेदं कथा- गकमादाष्येवार्थशय दशनाचंमुपन्यशं यतोऽस्यां कथायां भविष्यति mae गनिरूपनयः पदोपन्यासस्ततोऽअगरिकितानां सुखेनैव तदव- गतिविव्यतौत्यलमति विस्तरेणेति

इह fe जोवमपेख्य मया fas

यदिदसुक्रमदः सकले अने |

गति सभवमाचतया वहो

गदितमात्ममि चार विशा्यताम्‌

भिन्दाद्मनः प्रवचने परमः प्रभावो

रागादिदोषगण्दौच्चमनिष्टता

प्राक्षमेणामतिबडश्च भवग्रपश्चः

प्रश्यापितं सकशमेतदिहाद्पौटे

संसारेऽच निरादिके विचरता aa दुःखाकरे

IA AAT दुक्ञेभतरं ज्ानादिरत्रचयम्‌ |

way aw विबेकिमादरवता भाव्यं सदा aga

तस्येवाद्च कथागकेन भवतामिल्येतदाबेदितम्‌

इत्युपमितिभवप्रपश्चायां कथायां पौठबन्धो नाम प्रथमः प्रस्तावः समाप्तः।

[ ६४० |

अथ दितौयः प्रस्तावः।

TRE MA सुभेर्रिवाकाखप्रतिष्ठा नौरमिभिरिव महासल- सेविता कञ्याणूपरपरेव मनोरथपूरणो जिनप्रणोतपर्च्येव खत्पु- खवप्रमोदद्ेतुः ` खमरा दित्यकथेवानेकटकषान्ता निजितजिभुवनेव खम्धद्चावा सखाधुक्रियेवापुखेरतिदुखेभा मशुजमतिर्गाम नगर सा कौदृशौ इत्पन्तिण्डमिधेमेस्य मन्दिरमथेख प्रभवः aaa कारणं मोच्य ar महोत्छवानामिति। यस्यामुत्तुगामि विश्राल्लानि विचिचरकमकरन्नभिन्तिविचि्राणि श्रतिमनोहारितया परमदेवा- ध्यासितानि aqeafe zagenfa: यस्यां चानेकादट्‌भुतवद्ध- व्यानभ्रतलेनापहसितामर निवासाः fefanfafearqtagca fear भरतादिवकेखूपाः WER: | शअत्युखतया कुशगेखाकाराः पाटक- परिरेयाः। very मध्यभागवन्नौं दटोेतराकारो विनयरूपावपण- पंड्धिमिर्विरा जनितो महापुरवकदम्बकसक्ुखः श्भाद्रभमृख्ानुरूप- पश्चलाभ्ेतुमेहा विदे दरूपो विपणिमागेः। wary निरदधशब््रा- दि्धादिगतिप्रशरतयातौतः परचक्रलं घमायामानुषोक्रपवेताकारः प्राकारः। aera wat विस्तौणंगभोरा aqzeq परिखा | wet खदा विबृधाध्यासितानि भद्रग्ालवनादिरूपाणि गाना- काननानि | यस्यां बङूविधजन्तुषधातजलपूरवाडहिन्यो महा- HAST ATE) यस्यां समसख्रणष्ावताराधारश्तौ खवरकाञोदसमुद्ररूपौ दावेव महाराणमाभी यस्यां महा- ` राजमामेप्रविभक्षानि लंबृदोपधातकौखष्डपुष्करवरदोपाद्ेखूपाकि

१8८ खपमिविमवप्रपष््‌ा कथा |

वसन्ति Wie पाटकमण्डलानि। यस्यां लोकसुखड्ेतवः समु- चितख्वानख्ायिनः कल्यद्रुमरूपा wate: खानान्तरोयनृपतय इति। afa च। ver: कः कोरटिजिह्ोऽपि दशसंभारगौ रवम्‌ | Wet वएयितं शोके aval: किमु मादृशः अस्यां तोयेरुतोऽमन्ताखक्रिकेशवश्नोरिणः | wat: संजनिग्यन्ते जायन्तेऽद्यापि कलम या चेह सवेशाख्खेषु ओके खोकोन्तरोऽपि अरनमशचणसपू्णं द्‌ खेभतेन गोयते छश्चावखेषु नेषु fefigat आआन्तजन्तवः | Wat: खेद विनोरेन लभन्ते aw निष्तिम्‌ बिनौताः श्वयो cer यय्यां धन्यतमा नराः | धमेमपहायान्यन्ञनं चेतसि शवेते wat qe: दानायंका्यंवजेनतत्पराः | Gas: खदा धमे TE पयेपासते किंवाज बहमोक्रन ag मास्ति sree) vet निवसतां सम्यक्‌ पुंसां धजो पपद्यते सा डि carat: gol सा विद्याग्मिरुत्तमा। खा मनोगयनागन्दा सा दुःखौ थविनाभिका wfeergwzfast सा विगरेषसमग्विता | सा सुनोश्धसमाकौर्णा सा सु्रआावकण्डविता म्ना जिनेन्रामिषेकादितोषिताखिखभग्यका |

दिकोयः प्रस्तावः | १४९६

सापवर्गाय भव्यानां सा संषाराय पापिनाम्‌

जोवोऽजौवस्तया Taras: सन्ति नेति वा

अयं विचारः प्रायेण तस्मामेव विशेषतः

यस्तव्यामपि संप्राप्नो नगयां पुरुषाधमः |

युच्यते गणेरलाकंः सोऽधन्य दति we

तां fagar शोकऽपि स्थानमस्तौड मानवाः |

संपूरणं जायेत पुरुषा्थचतु्टयम्‌ ५९ aH

तस्यां मगुजगतौ गग्यांमतु लबल्पराक्रमः खतोर्याक्रान्त-

मुवनजयः श्क्रादिभिरप्रतिदतश्ङ्रिप्रषरः कमंपरिणामो ara AUTAT: |

यो नोतिश्राखमुक्ञष्य प्रतापेकरसः खदा

दरतुख्यं wea विश्लोकयति हेलया

facat निरदुक्रोश्ः सर्वावस्ासु देहिनाम्‌

चष्डश्रासनो दण्डं पातयद्यमपेखया

कंशिप्रियो दुष्टो ज्लोभादिभटवेष्टितः।

नाटकेषु परां aret प्राप्नोऽत्यम्तं विचक्षणः

wife मल्लो जगत्यन्यो ममेति मद विशः |

राजोपद्रवं कुवेश्रधमायति कस्यचित्‌

ततो WATT खोकाम्‌ भानाकार विंडम्बनेः

सरवाष्विडम्बयश्चेर्माटयत्या्ममाय्तः

तेऽपि war महान्तोऽपि प्रतापमसदिष्णवः।

Te च्चटखो वक्ति तन्तवे Tela

que

उपमितिमवप्रपश्चा Wat |

wanfmtant: कामनामा विदूषकः # हृष्णादिलेश्चानामानो वणकाः Wes: | योनिः प्रविश्त्पाजाणां नेपथ्यं यवधायकम्‌ a भयादिषंन्ञा faster: कशिकास्तन नाटके | शोकाकाश्ोदरा नाम fame रक्गग्डमिका पुङधखाखन्धना मागः शेषोपस्करसंचयाः |

दूत्यं समग्सामयोयुक्रे माटकपेटके नानापाबपराटत्या खवेखोक विडम्बिनम्‌ | अरपरापरस्ूपेण शुर्वाणोऽसौ प्रमोदते कलार बडनोक्केन नासि aay किञ्चन | यदसौ HAGE करोति महानृपः

aw Sauce जिगण्डगखितवमडहस्तिन इव स्वंबासूखलित-

प्रसरतया ययेष्टचेष्टया विचरतो यथाभिरुचितकारिणः कमेपरि- णाममहामृपतेः समस्तान्तःपुरकुलतिलकग्डता खतुखच्डो्णामिव www: शरषच्ो मिव कुमुदिनो ङमुदिनौनामिव कमखिनो कमखिनौोनामिव कलरसिका कलदहंसिकामामिव राजहंषिका asia नियतियद्च्छाप्रश्तौनां देवोनां मध्ये निनरूपखावश्छवे- विश्चागविलासलासादिभिर्गेेरमणोयलेन प्रधानतमा काखपरि- afaata महादेवो। सा तस्य Waal वितमिवात्यन्तव्भा च्र्धौयचित्तटृन्तिरिव सवेकार्थषु aquanara समण्विसंइति- रिव waata fafeagaat तेन veers सुमिचघन्ततिरिव विश्वासस्थानं कि बहना तदायत्त fe तस्य सकलमधिराच्य-

featte: vere | १४३

मिति। श्रतएवं चद्धिकामिव शश्रधरो रतिमिव मकरध्वणो wetfaa केशवः पावंतौमिव ferarat काल्यरिशतिं महा- देवं सकमेपरिषटामो महानरेश्वरो विरइकातरतथा 4 कटा- चिदेकाकिनौं विरश्यति fa af€ wav गच्छसिष्टयात्म- afafeat धारयति शापि इृढमनुरक्ा waft axe पतिङ्ूलथति परस्पराजुङूखतया fe qua भरेम निरन्तरं संपद्यते ara) ततस्तथा वन्मानयोखयोरगाढ निरूढमान- तम्‌। प्रेमाविष्डिन्ा तदिशखनाग्रका। argret काशपरिशति- गैरतथा महाराजप्रसादस्योक्मादकारितथा यौवनस्य तुच्छता Wivera चश्चखतथा तत्छभावानां कुदशखतथा तथा विधविड- ATG TAY शब्धपरसराहं प्रभवामोति मन्यमाना य॒क्ना सुषम- दुःवमादिभिः strom: पिथसख्ोमिः परिवेष्टिता बमयाव- चिका सुहकेपरहरदिनाहोराजपशमास्मेयनसंवन्धरयुगपदख्योपमसाम- ` दोपमाववपिष्छपसर्पिणौ पुद्धखपरावन््ादिभा परिकरेख विविध- का्थंकरणचमास्ि शोकेऽइमिति स्जातोस्धेकासिकेव कक्मेपरि- शाममहाराणप्रवन्तिंते चिषसंसारनाटके asa राश्चो निकटोपविष्टा wat साहंकारमेवं निमग्तयति। यदुत चान्येतानि योनिजव- निकाब्यवहितानि पाजाकि तिष्टति मदनेन निगेष्डन्तु why- मेतानि निगेतानि उडतर्दितष्यापाराणि awq are एनधूलभषरापि tary wait पुगुढमागानि पदे पदे परि- अन्तु चरणाभ्याम्‌ gi मृषपुरौोषविमदंनमोभससमात्मानम्‌ |

पुनरतिक्रान्तवाखभावानि धारयन्तु ङुमारताम्‌ | Mle नाना- 20

१५७ उपमितिमबप्पश्चा कथा |

विधक्रौडाविष्बोकेः aq सकलकणाकशापको श्रम्‌ पुन- रतिकंचितकुमारभावान्यध्यासयन्त॒ agent sry मन्मयरुरूप- देश्रामुषारेण सखकशविवेकिंशोकडहाख्छकारिणोऽनपेखितनिजकङुण- wearer कटाशविचेपादिसारान्‌ नागाकारविष्ाखलाख- fanarfafa प्रवतेनां पारदाचांदिष्बमा्ं कार्ये पुमरपगतताङ- wri खोढुवेन्तु मध्यमवथस्ाम्‌ | प्रकटयन्तु सत्वुद्धिपौ रषपराक्रम- प्रकषेम्‌ पुनर तिवादितमध्यमवयोभावानि Ge जरानोणेताम्‌ | qian वल्लोपछिताङ्गभङ्गकरणविकललमखनंवाशा विखश्ररोरताम्‌ | समाचरन विपरोतखभावताम्‌ पुग्येवकजितखकणजोवित- भावानि Reta मारयन्तु BAIA ततः पुनः Ufa योनिजवनिकाभ्बनतरे। अनुभवन्तु तभ गर्भकखमलानगतानि विविधदुःखम्‌ yay निगच्छन्तु रूपामरमुपादाय बुवेन्वेवमन- मवाराः प्रवेश्रनिगेमनम्‌ तदेवं षा काश्परिणतिमंहादेवो तेषां संघारनाटकान्तगेतानां समस्तपाजाणशामवख्ितरूपेश चणदयमप्या- faa ददाति किं तहिं we we वराकाशि तान्यपरापर- पेष परावर्तेयति किं तेषां gaat यान्युपकरणानि ye स्कंधनामानि पूवमाख्यातानि तान्यप्यतिचपशखभावतथा aa: Wye दशेषो We we श्रपरापररूपं भाजयति। तानि पाभाणि fa faat तथ cere वश्व चान्योऽशि- afar मोखनोपाय इति विचिनध निगेतिकानि afin | थथा यथा सा काखपरिणतिराज्ञापथति तथा तथा नानाकार- ` मात्मानं विडग्बवतोति fa च। कभेपरिणामादपि शकाश्रान्धा

इितौमः प्रस्तावः | १५४

काञपरिरतिरात्मन्यधिकतर प्रञुतमावेदयत्येव खचरितैः। तथा- fel क्मपरिणमस्व संसारनाटकाग्तगंतजन्तुखकानापरापररूपकर- गोचर एव प्रभावः | तखाः पुनः काखपरि एतेः खषारनाटकब्य- तिकरातौतरूपेष्वपि निदेतिनगरोनिवािलोकेवु we we अप- रापरावश्वाकरणचातुथं BAIA: खा संजातोक्छेकातिरेका किंन कुर्थादिति तदेवमभवरतप्रटक्तेन परमाद्वुतश्धतेन तेन नाटकेन तथोदेवौगृपयो विंखोकितेन रपद्यते मनः प्रमोदः तदभेगमेव तौ खराच्यफशमवबुध्येते इति

तयोख तिष्ठतोरेवमन्यदा - रसि fear |`

aed वौच्छ राजानं सा. देवो तमवोचत

भुक्तं THY wine पौतं यत्पेयमश्जसा |

मानितं य्या मान्यं साभिमानं जौवितम्‌

area तत्सुखं शोके यस्व marfeat रषः |

प्राप्तं खमसकद्याणं प्रसादेवपादयोः

दृष्टं ETAT शोके GT सुन्दरम्‌

किन्तु पुभमुखं देव मया नाद्यापि वौकितम्‌

यदि तदहवपादाननां प्रषादारेव जायते।

ततो मे Mat ज्ञाष्यमन्यथा जोवितं था

गरपतिद्वाख |

ary साभूदितं देवि रोचते Ayer: | समदुःखसुखो Var वर्त; हं सवकस

cut उपभितसिमवप्रपश्ा कथा |

fa च। दिषादोऽच wet देव्या यस्माश्मबोजने | आवयोरेक चिष्ललं oy तव्नायते भ्रुवम्‌ कालपरिणशतिर्वाशख | चाद wefan नायेर्विंडितो मदनुयहः | भविश्तौत्थमेबेदं बद्धो यन्बिरथं मथा SHAAN AUT तेन खा ततः संजातविश्रम्भा सतोषा समपद्यत अन्यदा पिमे यामे रजन्याः शयनं गता खपे BAW TEA सा अबुध्यत वदनेन प्रविष्टो मे जठरे fae: | गोतः केनापि fate मरः सर्वाङ्गसुन्दरः ततो इषंविषादाद्ं वहन्ती रषसुत्थिता | तं ay नरनायाय areas विच्णा मरपविड्वाचं | wqere wa देवि मम चेति भाषते भविब्यत्युक्तमः पुजस्तवानन्द विधायकः aad चिर TSE तावके भविथ्यति। धगखूरिवथोनुद्धः खाथंसिद्धि करिष्यति # काश्चपरिणतिर्वाच | | | जायतां पुचकस्लावत्पर्थाप्तं तावतेव मे करोतु रोचते तच्छे THA ततः परम्‌

दितौयः प्रस्तावः | १५७

MAGA वन्धा प्रमोदतः |

अथ मासे ठतौयेऽब्याः संजातोऽयं ARTA

अभयं Taq: सवा थिभ्धो धमं तथा |

WH न्नानशन्येग्वखद्यच्छामि यथेच्छया

तथा विधदिकश्यतं निवेद्य वरग्डञुखे |

सपूर॑च्छा ततो जाता wae ATW

अथ संपूणेकालेन get सन्दरेऽगघा |

सा दारकं Gi खता शवंशखशसंयतम्‌

ततः ससम्धममुपमम्य निवेदितं acme जग्म aca

परियनिबेदिकामिधानया दाष्दारिकया दन्तं तेनाल्हादातिरे- कसंपाद्यमनाष्येयमवसान्तरमतुभवता तस्येव मनोरचाधिकं पारि- तोषिकं दानम्‌। द्तश्चागन्द पुखकोद्धेदखन्दरं VY दधानेन महन्त- मानामादेश्नः। यदुत भो भो महत्तमाः देवौ पुचणन्मभ्यदय- gfe चोदण्ठापूवेकं ददध्वमनपेकितसाराशारविचाराणि महा- दानानि पजयत गरुजमम्‌ समानयत परिजनम्‌ पूरयत प्रशयिजनम्‌ मोचयत बन्धनागारम्‌ AAA TAT खषन्दो- इम्‌ नृत्यत यथेष्टसुदामतथा पिबत पानम्‌ सेवध्वं दचिता- जगम्‌ मा AWA VS | मुञ्चत TSA! ्राश्वाखथत भौत- शोकम्‌ वसन्तु gaufen: समस्ता जनाः arfanafe- दपराधगन्धोऽपौति ततो यदाक्लापयति टेव इति विनयनगतो- care: प्रतिपद्य संपादितं तद्राजश्रासनं महन्तमैः निव॑र्तितो- ऽगरेषजगचमत्कारकारो जन्धदिनमदहोत्छवः। प्रतिष्टापितं समुचितं

१५८ उप्रमितिभवप्रपल्चा कथा | |

काले दारकस्य गरनायेन खचिन्तेमेवं पर्यालोच्य यतोऽस्य गभाव- तारकारे जननौ सर्वङ्गुन्दर at aera प्रविशन्तं इ्टवतो ततो- इख भवतु भव्यपुरुष इति नाम ततस्तदाकश्चं देवौ राजानमु- वाच देवारमपि quae किंचिन्नाम कन्तुमभिलषामि तदनुजा- मातु देव इति नृपतिराह देवि कः कष्याणेवु विरोधोऽभि- Feat समो हितमिति वतस्तथोक्ं यतोऽज WA मम gwe- कश्मकरणपक्चपातिनौ मतिरण्त्ततोऽख्य. भवत्‌ सुमतिरित्यभिधानम्‌ | ततो set चौरे खष्डखेपकण्पमेतरेवौ को शखेन drei यद्भव्यपु रुषस्य सतः सुमतिरिव्यभिधानान्तरभिति rare: परितोषमुपागतो राजा विशिष्टतरं नामकरण्मरोत्छवं कारयामास इतखास्ि तद्यामेव मनुजगतौ मगर्यामग्टौतसङ्धेता भाम ब्राह्मणो खा जनवादेन मरपतिपुजजमनामकर णएटन्तान्तमवगम्य wel were fire सखि प्रभ्नाविग्राले wa य्छुयते महाखयं लोके यथा काशपरिण- तिर्महादेवौ भव्यपुडषनामानं दारक nadia | ततः प्रज्ञावि्ाक- ain प्रियसखि किमजाख्र्थेम्‌ श्रग्टरोतसङेताइ यतो माव- धारितमाङौत्‌ fade कममोपरिणाममहाराजो frais: @e- चेण इयमपि काणपरिएतिमेहादेवो वन्ध्येति ददानो . पुनरन- चोरपि पुजोत्पत्तिः श्रूयत दति महदाखरयेम्‌ प्रन्नाविश्राखाइ | afa qm सत्यमग्टहौतषद्ेताखि यतो विज्नातस्वया ACA: | aq fe राजा श्रविवेकादिमिमग्धिभिरतिबहबोज इति Arr इुजेनचचदीष दति war frat इति प्रकाशितो ete इयमपि महादे्यनन्तापत्यजनयिभ्रौ तयापि दुजेनदच्देःषभयादेव तेरेव

feata: परशलावः | १४९.

afahraafa St प्रश्याप्येत तथाहि यावन्तः कचित्कोचि- व्लनवो जायन्ते तेषां खेषामेतावेव देवौनृपौ परमवोयेयकतथा ` परमार्थतया जननोजनकौ

अन्यश्च |

किम दृष्ट श्रतं वा काचिदपि प्रियसख्या श्रमयोर्गाटक पश्छतो- येना हाम्यम्‌ यदुत राजा खमसपाजाणि धयेच्छया नारकतिचडः गरामरगतिशदणसंशारानगेताने कयो निशचप्रभवजनुरूपेण गाट- यति महादेवौ पुनस्तेषामेव महाराजणमितमानारूपाण्ठां षम- सपाजाणां गर्भावस्थितबाशक्लुमारतरुणमथ्यमनराजोणन्टतगभप्रवि- गिष्रानादिरूपा छनन्तवाराः कारयतोति श्रग्टरोतसङेताइ | fraefa शरुतमेतकथा fan यदि नाम कम्मपरिणामख्य राशः समसूपाजपरावतेमे सामथ्ये काशपरिणतेवां मरहादेव्यासेषामेवाप- रापरावस्वाकरणश्रक्किः तत्किमेतावतेवानयोजंगनोजनकलं संभ- वति प्रन्नाविश्राखाह श्रयिः परियवयस्येऽत्यमतसुग्धासि यतो मौरपौहाद्धंकचितमवबुध्वते लवं पुगः परिस्फछटमपि कथ्यमानं HMA यतः SANT एवाज परमाथतो भाटकम्‌ तशय यौ अनकावेतो Waa: we अगनोजनकाविति श्रगटहोतसहे- ताइ भरियखख्ि यदि शमस्तजगव्जननोजमकथोरपि देवोनुपयो- था वण्ध्यालं गृप्य निर्बोजलं दुजेगचश्दावभयादविषेकादिभि- मेन्तिभिः प्रश्यापितं शोके तत्किमित्यधनायं भव्यपुरषोऽगयोः पुच- तया महोत्धवकणशकलेन प्रकाशित इति |

परज्चाविश्राखाइ | TARGA प्रकाश्मे यत्कारणम्‌ | श्रद्ध-

१९० उपमितिमवप्पञ्चा HUT |

wie नगर्यां शएड्सन्यवाटौो wageweprafeanta शवेभाव- खभाववेदौ श्रनयोखच काशपरिणतिकमेपरिणामथोरदेदोनृपयोः अमसखररष्यख्यानेग्वत्यन्भेदश्चः सदागमो नाम परमपुरुषः safe तेन ag मम घटना | Tet eet मथा Vwi: | vet fran इषैकारणम्‌ तनोक्रम्‌ wade az यरि ga- इखम्‌ यथ काडपरिएतिमंहादेवौ अनया cefa विज्ञापितो राजा यदुत गनिर्विंशाहमनेनाक्ममोऽख्ञो कवन्ध्याप्रवादेन यतो- ऽहमनन्तापत्यापि दुजेनवषटाषभयादविवेकादिभिमेग्तिभिवग्ध्येति ्रद्यापिता शोके ममेवापत्यान्यन्यजनापत्यतया गौयन्ते सोऽयं खेदजनिमिनतेन श्राटकल्यागन्यायः | तदिरं वनग्ध्याभावदलणं ममा- UME चाश्यितु मेति देवः ततो मुपेणोक्नम्‌ देवि ममापि निमौजतथा समानमेतत्‌ sae सौरा भव wait मया was: awareatae: | Bare: कतमोऽसौ प्रञुराइ Veren- मेव मनुजगतौ महाराजधान्यां वश्नेमामया भवत्या मन्तिमण्डल- वचगमनपेच्छ प्रकाशते प्रधानपुचस् wa: कियते महानन्द कलकः ततञिरकालरूढमप्यावयो निर्वो जतलवनग्ध्यामावखकणम- धशःकश्चकं fad भविव्यतोति ततः सतोषया प्रतिपन्नं महा- राजवचनं Var इतं ययाशोचितं ताभ्बाम्‌ | ततः प्र्नाविशाखे थोऽय भग्यपुरषो नातः ममात्यन्तवल्लमः | WA जन््मनाहमा- तानं सणजमवगच्छामोश्यतो Waray इति ततो मथोक्रम्‌ श्रोभनं ते इषंकारणम्‌ | ततोऽयमनेमे कारणेन भथ्पुरषो देवो- गपपुचतया waft इति श्रखरौतखडतयोक्तम्‌ | साधु वयसे

‘feata: Tena} १९१

साधु सुन्दरमाश्यातं भवत्या नाशितो मे सन्देहः यथा तत्छमोपसुपगच्छमधा मया WEA खमाकणितो wravare- सथा देवोमृपयोः चाशितमेवायश्रःकलङ्मवगच्छामि प्रश्ना विशालयोक्रम्‌ किमाकणठितं परियषख्या autem दृष्टो मथ तच AMAA सुन्दराकारः पुरुषः विनयं ye: पोद- AWWA: | भगवन्‌ एष राजदारको जातः alee भवि- खतौति | तेनोक्म्‌ | भद्राः WA) खमस्तगुणभारं भाजनमभेष वद्धेमानः कालक्रमेण भविव्यतौत्यतो ग्क्यन्तेऽस्य सवं qu: afew? कथिता श्रपि पायेग्तेऽवधारयिह्ुम्‌ | तयापि ले्रोदेश्तः कथथामि भविष्यल्यष निदनं रूपस्य fawat यौवनस्य मन्दिरं wawe gern: wae निकेतनमो दायस्य निधिविंनयस्य -खदभं TANT sent विश्चानस्य sac efeue छउत्पभ्ति- ufaciwe camuftec: Sie ॒प्रत्यादेश्रगोशरो were: sauce विषयप्रागर्भ्वश्य ` सद्धन्तां शे तिसूतिश्रद्धाविविदिषादि- सखुन्दरोणमिति | श्रन्यश्वानेकभवाग्वस्तकुश्जलकण्मेतया बालकाले- $पि प्रवन्तेमामोऽयं न॒ भविग्यति केशिभियः रशेचिश्यति जने agent सखमाचरिष्यति . यरुविनय प्रकटयिष्यति धमानुरखगं करिष्यति खोखतां विषयेषु faxed कामक्रोधादिकमान्तर- मरिषद्धमे मन्द यिष्यति भवतां चिन्लानोति। aaaerne ` सभयं aw fam निरौकमाणेल्तेरभिरहितमहो विषमशौखतथा aaa विडम्बमाद्ेत्‌तयापि काखपरिणएत्या कमेपरिणामेन चेद-

मेकं सुन्दरमाचरितम्‌ | यदाभ्यामस्यां खकलदेश्रविख्यातायां - म॑तु- 21 |

KR उपमितिमवप्रपञ्चा wat |

जगतौ भगर्यामेव भव्यपुरुषः सुमति्ेनितः। चाखितान्येतव्लन- नेनाग्धामा्मनः समखदु ख्रितान्यपुषल्वायश्रञ्चेति | तरदं खमस मवडितचिश्नया मयाकरितं तत एव संजातो मे मनसि fara: कथं पुनरनपत्यतया प्रखिद्योदवौनृपयोः पुभोत्पत्तिः। को वेष पुरषः Vay इव भविश्यत्कालभा विभौ राजदारकवक्ृग्यतां मस्ता कथयतोति ततञिन्तितं मया परियसखोमेतदूयमपि प्रश्रयि- व्वामि। quer fe शा सवट््तान्तानां तजापनौोतो भवत्याः परथमः सन्देहः vind मे दितोयमपनमयतु भवतो प्र्नाविगश्राल- थोक्रम्‌ वयस्य कायेदारेणाहमगच्छामि एव मम परिचितः परमपुरुषः सदागमनामा तदाचशाणोऽवशोकितो भमवल्छा। यतः एवातोतानागतवन्तेमागकाखभा विनो भावान्‌ करतखगतामख- कमिव प्रतिपादयितु परिष्टो भापरः। थतो विद्यन्तेऽस्थां मनुज- गतौ नग्य्यामन्येऽपि arom अभिनिबोधावधिमनःप्यायकेवख- नामानख्लारः परमपुरुषाः केवलं तेषां परप्रतिपादनश्रक्रि- रस्ति। मूका हि ते चलारोऽपि खषशूपेण तेषामपि खरूपं त्पुरवचे्टितमवशम्बमानः परशणप्रकाश्ननव्यसनितया शोकसमच- मेष एव सदागमो भगवासुत्कोक्तयति श्रग्टहोतसरेतयो क्रम्‌ | aaa किं पुनः कारणमेष राजटार कोऽस्य सदागमस्सात्यम्तवह्लभः। किं चेतव्ज्मनात्मानमयं सफशमवगच्छतोति ओओतुमिष्ामि। प्रज्ञा विश्ाखयोक्रम्‌ एष fe महापुरुषतया waa परोपकार- करणपरायफः Taare हितमाचरव्येव केवशमते पापिष्ठाः प्राणम are वचने ata ते fe aaa वराका ace

दितौवयः प्रस्तावः | rca

भगवतो aera) ततस्तेभ्यो fergeicumaaa सदागमं aire दूषयन्ति केचिदपकणेयन्ति चिदुपसनि कचिदुपदिष्टा- करणशक्रिमात्मानो दौोपथन्ति केचिन्तदचनाद्दूरत एव water afed प्रतारकधिया sat केचिन्तद्रशनमादित एव aay afencet श्रुतमपि रोचयन्ति कचित्तद्रोचितमपि भातु- तिष्टन्ति केचिदनुष्टानमधिङतमपि पुनः fafawafa ana ख्ितेगाख सम्यक्‌ संपद्यते परोपकारकरणलच्ण्ा समो हितिसिद्धिः। सतोऽबमनथा सततं प्राणिनामपाअरतया गाढसुदेजितः भवत्येव डि qewafa निष्फशतया कुपाच्रगो चरो मदाप्रयासचिक्षखेद- हेतुरयं तु राजदारको wages इति पाश्रश्तोऽख्य प्रतिभासते | wegen सन्नपि थदि quia: श्यात्‌ ततो पातां शभेत wa तु राजटारको यतः सुमतिरतः waa एवेति सलामुग्य अदटागमस्यात्यग्तवक्षभः

अन्यश्चाथं सदागमो मन्यते यतोऽख्य दारकच्येवंरूपतथा अनकलादेव सुन्दरः कष्मपरिणामः। जननोलादेव wager areuftufa: ततोऽयं विञ्चुक्रवाखभावः खन्दरतया निनखभा- TS प्रर्यासश्नतथा कचाख्पारण्पय्येख्य प्रमोद हेतुतयेवं विधपुङ- वाणां महभेनमस्यामुपलभ्व नियमेनाख्य भविश्यति मनस्येवं विधो fare यथा सुब्दरेयं मरुजगति्नेगरो यख्यामेव सदागमः परमपुडषः प्रतिवसति ममाण्यस्ति प्रायेण योग्यता काचिन्तथा- विधा थथा तेन खड मोखकः संपन: ततोऽसुं परमपुरुषं विन- येनाराष्याश्च wate श्रानमभ्वश्यामि | ततोऽनुकूलताव्लननोजन-

९४ उपमितिभवप्रपश्चाः कथा |

कयोस्ताभ्यां खमपितो भविव्यति ade faa: ततोऽइमस्त शक्रामितनिजन्नानः हेतर्तयो भविव्यामोति werd सदागमोऽस्व BAAN WMT सफलमात्मानमवगच्छतोति श्रत एव जंजातपरितोषतया अनसमचं राजदारकगुशानेष वणेयति 1 अग्ट- इोनसङेतयोक्रम्‌ | ्रियखखि faqace भगवतः खदागमस्व माहात्यं यदेते पापिष्ठखषत्वा नावबुध्यन्ते श्रनवबुध्यमानाख are वचने वर्तन्ते इति, प्रन्नाविश्राख्योक्रं वध्ये समाकणेय एव aaa निवारितश्क्रिप्रसरः कम्मेपरिणामो महाराजो यथयष्टचेष्टया संसार- माटकमावत्तंयमागः खततमौश्वरान्‌ दरिद्रयति सुभगान्‌ दुभेग- यत्ति सुरूपाम्‌ ङुरूपथति पष्डिताश्युखंयति wre alata atfan दोनयति facet भारकायति नारकाक्मलुखयति मनु- ग्धान्देवथति देवान्‌ पष्टभावमागयति नरेष्रमपि कोटयति चक्र- व्तिनमपि इमकयति रिद्रादौक्ेश्वरादिभावान्‌ प्रापयति किम्ब- ना यथेष्टं भावपरिवन्ेनं विदधानो क्रचित्मतिष्न्धते | अयमप्यस्य war सदटागमस्य संबन्धिनोऽभिधानादपि बिभति गन्धादपि पलायते तथाहि तावदेष कम्मेपरिणाम एताष्म- खलो काश्छसार नारटकविडम्बमया विडम्बयति यावदयं सदागम भगवान्‌ कारयति | यदि पुनरेष ङकारयेन्ततो. भयातिरेकसस्त- समस्ता जो महासमरसंघहे WATT इव प्राणम्‌ खयमेव समस्ता- मपि gaq मोचिताश्चानेनासु्मादनन्ताः प्राणिनः श्रगटरोत- सङ्तयोक्रम्‌ ते किमिति ea) प्रश्ाविगश्राशाइ wife कश्मप्ररिणममहाराजमुक्षेरतिक्रान्ता . frsfaata महानमरो |

दितोयः प्रस्तावः | १९५

तत्ते सदागमडहारेण कण्मपरिणाममप्रभवन्तमात्मन्युपणम्य मो चिता वधं खदागमनेति मला कम्मेपरिणमशिरसि पाददामदारेणोङडोय तस्यां गच्छन्ति | गतास aati सकखकाखं समस्तोपद्रवजास- रहिताः परमसुखिनस्तिष्ठन्ति। तेन acy ते मेड gaa! अग्टहोतसङेतथोक्षम्‌ | awa किमि्येष सवंशोकान्ञ मोचयति | कद्‌ यिता दधेते वराकाः | खवंऽयमेमा तिविषमश्नौखतया afr शामराजेन AY यक्रमष् ACGME खत्धामेवं विधश्क्रौ तत्कद येनस्योपेच्णमिति प्रश्चा विश्राल्ञाहइ | wean wee -तिरियमख् भगवतः सदागमस् यया वचनविपरौतकारिषु arse fad) ततस्तेमावधौरिताः सन्तो aracfear दूति मला meat कम्मेपरिणशामराजेन कदणथ्येन्ते। ये तु पाच म्ततयास्य मिर्दश्कारिणणो wafer तामेव खां प्रङतिमसुव- नमामः ककोपरिणामकदयेनायाः ated मोचयति येऽपि लोका भगवतोऽस्य सदागमस्योपरि भक्तिमग्ोऽ्यश्य शम्नन्धिवच्नं तथाविधग्रक्रिविकञ्तथा संपूणमनुषटातुं शक्रुवन्ति कि तर्हिं तक्मध्यादञतमं TWAT Tata Banat war वा क्ुवेन्ति ufwaran वास्योपरि विदधति नाममा area श्टन्ति। यदि वा येऽस्य भगवतः. daft वचने वतेन्ते महात्मामसतेषासुपरि धन्याः छतार्थाः GUAM: सुखमजस्मान एत इत्यादि व्मलिङ्गगम्य पश्चपातं Hite! यदास्य भगवतो ऽभिधामाचमय्यजानाभाः प्रत्येव ये ugar भवन्ति aay मागांनुखारिसदन्धन्यायेनानाभोगतो- SAS वचनानुसारेण arid तानेवं विधाननच्पविकर्यान्‌ शोका-

१६९ उपमितिमवपपश्चा कथा |

नेव कष्मपरिणामो महानरश्धो यद्यपि संसारनाटके कियन्तमपि are नाटयति तथापि श्दागमस्याभिप्रेता एत इति मला नाध- Awa नारकतियेरकमानुषकदमररूप तेषां विधत्ते किति केषांचिदतु्रसुररूपं ग्रथति anfye येबेव-

कामराकारं प्रकटयति केवाञ्चिदुपरितनकश्पोपपन्नदेवरूपतां जनयति | कषाञ्िदधस्तमकण्योत्पश्नमहद्धिलेखकरणि कारयति | anfazyfa रूपतां लयति कंषाश्िश्वक्रवतिंमहामण्डलिका- दिप्रधानपुरुषभावं भावयति सवथा प्रधानपाचरूपतां विदाथ कदाचिदरूपान्तरोण ताजन्तयति तत्पर्याप्तमेतावताख् भगवतः aaa arene | यदेव विघसामर्थ्ेयुक्तोऽेष कश्परिणामो महानृपतिरेतद्भथाक्रान्तइदयः Bead वन्तेते |

अन्यश्च कथ्यते wa कौतुकं यदि विद्यते |

Gi सदागमस्याख्य तद्‌ बुध्यश्च sie

एष एव ANB AHS: परमाथत |

एष एव अगन्ताएमेष एव सुबान्धवः

एष एव विपदड्न्तं पततामवलम्बनम्‌ |

एष एव भवारब्यामरतां मागेदे शकः

एव एव AWAT: स्व॑ब्याधिभिब्ेणः |

एष एव गदौच्छेदकारणं परमौषधम्‌

एष एव AMET: सवेवस्ठप्रकाश्कः |

परमादराशखान्तषेमेष एव विमोशकः

एषोऽविर तिजम्नालकल्पषचालमचमः

दितौयः प्रस्तावः | ९९७

एष एव योगानां दुष्टानां वरणेद्यतः शरा दिचरटाक्राम्ते इतध््धेधने अने समथा भगवानेष भान्यस्तस्य विमोचने एष एव महाचोरनरकोद्धरणएखमः | WAT : खसंघातान्नायकोऽप्येषव दे दिनाम्‌ एष एव कमाजुग्यदुःखविष्छेद कारणम्‌ | एष एव कुरेवत्मनःसन्नापनाश्कः श्रन्नानतर विच्छेदे एष एव क्टारकः | एष एव महागमिद्राद्ावणः प्रतिबोधकः एष स्ञाभाविकानन्दकार णलवेन Tas | साताखातोदयोत्पाद्च मिथ्याबुद्धि विधगकः एष एव रुकरोधवड्धि विध्यापने जलम्‌ | एष एव महामागपवेतोदशने पविः

एष माधामहायाप्नोचातने Waa | एष एव महालोभगोरदेः शोषणामिलः एष हाख्यविकारस्य गाढं प्रशमनचमः। एष मोहोदयोत्पाश्ां रतिं निर्गाश्रयत्यशम्‌ एष एवास्तिग्रस्ते जनेऽस्िन्लग्टतायते |

एष एव भयोट्शान्ससत्वसंरचरशमः

एष शोकभराक्रान्तं संधौरयति Sea | एषं एव अग ादि विकार vaya एष कामपिश्राचख इृढमुञ्चारटने पटुः |

१६२८ उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

एष एव मातेष्डो मिश्यालष्वाश्द्ूदनः एष एव WANN वितोश्छेद कारणम्‌ |

यतो जवं ततोऽतोते aaa शिवाखये इएभेतरेण या aver हता लोकविडम्बना fat तामेष णोकानामनङ्गब्यानदानतः सवान्तमल भक्तानां विधायाचयमव्ययम्‌ |

एष एव fanaa चेगोजविडम्बनाम्‌

एष एव दानादिश्क्रिषन्दोहकार्म्‌ | एष एव मदहावौयेयो गहेतुर्दाइतः

श्रन्यच्च ये महापापा fais: पुरुषाधमाः | ते waar नामापि बह मन्यते ततस्तेन भरेन्ेण ते पूचाक्रविधानतः | संघारनारकेनोचेः कद्यन्ते facta

एव भाविकष्या्णः TAH नरोत्तमाः | ते सदागमनि्ं gata महदादरात्‌ ततोऽपकष्यं राजानं ते विडम्बमकारिणम्‌ | संघारनाटकाग्मक्षा मोदन्ते निदधेतौ गताः राजगुक्रौ वसन्तोऽपि राजानं SURAT सदागमप्रसारेन मन्यन्ते ते निराङ्लाः किंवा बहनोक्रन भासि aaa किचन | सदागमेऽसिन्‌ भक्तानां सुन्दर यन्न जायते .. तदेतदस्य माहान्ये किं चिष्ेशेन वरितम्‌

feata: were | १९९

विग्रेवतः पुः कोऽ शानां क्णंगखमः

wa: प्रज्ञा विश्नालाथा arena .विसिता 1

ace चिन्भयत्येवं खा सन्देदलुप्रागता

यदिदं प्रियसख्या मे विहितं गएवणेनम्‌ 1

यदि aufad तेन मास्ति तुष्स्ततोऽपरः

अतः पण्लामि तं तावत्करोमि faferqay

परम्र्यतो Wa शन्देहो निवतेते

aaga fafwr तया श्रग्टहोतसङ्गेतवाभिदिता प्रन्नावि- wet) faaefa gfafyt सखत्यवादिनोमपि भवतौमधुनाइ- मनेन सदागमश्यासम्भावनोयय शवणनेनामगेखभाविणो मिव परिक- क्पयामि भवन्ति मे मनसि विकचाः fae परिचितमिति ला एवा वणेयति saat कथं कोपरिणामो महानरेष्ः कुतसिदहिभिथात्‌ कथं वेक पुरषे एतावान्‌ yoda: सभा- ग्येत प्रियषखो कदाचन मां विप्रखम्भयति। ततः षन्द्‌- wad दोलायते मे aa अ्रतस्तमाद्मपरि चितं wages fay- वतो zufaqaefa मे भवतो | परभ्ाविग्राखाह | सुन्दरमेतदभिपेतमेव मे इदवखाभिमम-

नोयो द्षटय Uae भगवान्‌ ततो गते हे अपि तयम्‌ | ey ताभ्यां ae महा विनवरूपावपणपद्िभिरविंराजितच्यानेकम- wwe महा विदेैरूपस्व विपणिमांस्व मध्ये वक्नैमान. प्रधामजनपरिक्ररितो खतभवद्भ विखद्धावखभावा विभावन gaat

भगवाम्‌ सदागमः ततः FTAA प्रशम्ब AGT IGT GT 22

१७० उपमितिभवप्रषच्चा कया |

विष्टे ते afene | तदाहृतिदगरेनारेव सवङभानं शुखमुखवि- खोकनादग्यरोतसरतायाः प्रणष्ट इव सन्देहो वद्धितविक्तागन्दः असुत्पश्ो विश्रम्भो मतामनः कृतार्थता तरशेनेनेति ततः प्रज्ञाविश्चाख्ां प्रत्यमिदितमनथा | अपि च।

धन्धासि लं महाभागे सुन्दर तव जौवितम्‌ |

wer: परि चयोऽगेन पुरषेण aera

अहं तु मन्दभाग्यासं afgare पुरा यथा |

EES महाभागः पुरुषः GREAT:

नाधन्धाः प्राभ्ुबन्तोनं भगवन्तं घदागमम्‌

नि्शणनरो मेव चिभामणिमिवाभरुते

संजाता पूतंपापाइमधुणा सगलो चणे

तव प्रसादार्षृहेमं महाभागं श्दागमम्‌

लया कमखपजाकि Sse संवरणिता शणाः

ते तथेव मथा सं cumza निदिता

ay विग्रेषतोऽद्यापि वेद्य दशगौरबम्‌ |

TT: पुरुवोऽगेन AS एतु wee

चआरौक्ते मम्दभाग्धाबाः gta प्रति awe: |

दशेषु दशनाव vind रशवं गतः

निगूढचरिताचि लवं अत्यं सद्धाववजिता |

war दशितः yi ममेषः पुरषोल्तभः

ला प्रतं HAUT भवत्या ay सुन्दरि |

feata: प्रस्तावः |

दिने दिने aay wien पथपासभा UU: खरूपमा चार चिन्ताराधनभुश्चकेः | HAE wa चावङ्गि ज्ञातं कालेन ग्या अतौ ममापि aad frag व्ुभाविकि | येगाइमेनमाराष्य भवामि तव afer

ततः nurfaurery weerefed fire Gul HCl इन्त saat मे परिश्रमः अहो विगरेषविश्वानमरो वचनकौ ्रशम्‌ |

अहो Bawa गवौ तवेयं चादलोयने खङताभावतो HS HMA बटागमम्‌ | तथापि परमाथेन wage तव विद्यते ` एवं gaat नित्यं मथा ae विचारणम्‌ | अश्चातपरमार्थापि Ware भविद्यशि

ततः संलाततोषे ते MMT शदागमम्‌ | प्रियसख्यौ गते तावत्छण्थानं तज वारे एवं दिने fer wat: शुवंस्योः Fant vet: सदागमसख गच्छति दिनानि किल reer अचान्यद्‌ा fanraret प्रोक्ता खा तेन भौमता | प्रभ्ञाविन्राखा Baek पुरषेण महात्मना

एष शवशणाधारो भवत्या खेहनिभरः | बाशकालास्छमारभ्च कन्थो राजदाराः # गला Tage भद्र विधाज इृढसङ्गतम्‌

Len

AOR

उपमितिभवप्षश्चा कथा |

श्रावण्यै Set धारौ भव कथञ्चन afa संजातदिश्रम्भो येनायं राजटारकः | सुखं faagaratsfa प्रयाति मम वश्ताम्‌ ततो fafea निःग्रेषमाकधं न्चागकौ शरणम्‌ Bass wars wawatswrwer ततो यदा दिभ्रत्याये इत्यक्रा नतमसतका - परभा विश्राखा तदाक्यमतुतस्ौ कृतादरा अथासौ भव्यपुरुषस्तां WA प्राप सुन्दराम्‌ | wea: सुखेनास्ते देववडिवि जिश्या॥ कमात्घवङ्कमानोऽसौ कश्पपाद पएसंनिभः संजातः BBA खोचनानन्ददायकः

चे वे शदागमेगोचचेभा विनो after ger: | aifaiat: षमस्तासे कौमारे aw तिष्ठतः ततः परिचयं aw तया प्रश्ाविश्राखया नौतः शडाममान्बरं WIS राजदारकः तं ate Guan महाभागं सदागमम्‌ | भादिभद्रतया धन्यः परं इवदुपामतः # ततः प्रकम्य Sew निषरोऽलौ aetna wrafed मनोहारि तदाक्वमन्दतोपमम्‌ श्राव जितो Fee श्रशाङ्करनि्मेखेः |

भव्पुदवसित्ते तत्रम चिग्तयत्‌ TAU वाकाम्पधुयेमहो रूपमहो FT:

दियौयः प्रस्तावः | VOR

अदो मे धन्यता येन मरोऽयमवशोकितः WAG गगरो AUt वसल्येव सदागमः | संजातः पूतपापोऽहं दगेनादस्य धौोमतः FART भवद्तभा विभावविभावनम्‌ | भावतो WMATA: करोत्येषा सदागमः तदेष बदुपाध्यायो afe swat मम ततोऽङ्मसखछ नेटिष्टो awifa सकलाः कथाः ततः प्रज्ञाविश्ालायाचेनाकूतं मिबेदितम्‌ | अनो जमकयोगेतल्वा तथापि कथितं वचः mada: प्रविधाय मोत्वम्‌ | ततः समपितस्ताग्वां शोऽन्यदा इएभवाबरे कचस्‌ t शतकौतुकसत्कारः परिपूज्य शटागमम्‌ भव्यपु दषस्तश् भिग्यलेन faatea: 4 रितान्बरथेरो wit: शितशषणम्ध षितः | सितपुष्यभरापूषेः सितचन्दनचवितः ¢ लतो महाप्रमोदेनं दिमयेन विनेयताम्‌ WAG TST कलाग्रहणकाग्यया | ततो fea fea याति wa तस्य धौमतः। सदागमस्य जिभ्नासुः are प्रञ्चाविश्राखया WU UTA Weare बटागमः | भव्धपुरषोऽभ्वलं Gs, प्रश्ना विश्ाखयाः ॥,

१७९ उपमितिभवप्रपच्ा कथया |

अतिवकण्ति afarares कमयपरिष्णम्य महानरोदस defi नादत्यन्तावोधतोनमो होरवना मानो सकखकाशच्ायिनौ वाभि हतमरन्तमो offre साभ्वां चात्धन्तावोधतोवमोरोरवाभ्वां AW मगरे धावन्तो शकास्ते सर्वेऽपि ककोपरिणशममहाराजादैके- गेव सुप्ता इवास्यषटसेलन्यतया wa इव कार्षाका्थविचार शूल्य- wer मूच्छिता इव Wat खोशोग्डततया खता इव खच्छमाणवि- जिष्टचेष्टा विकशतथा निगो दामिधानेभ्बपवरकेषु निकष्य बंपिष्छि- ताः CHARTS धावन्ते अत एवे ते खोका MITTEE a कि्विचेतथन्ति भाषन्ते विशिष्टं tom भाषि ने दिद्चमे। भिद्यन्ते cea yet) Ga अतिषातमापचन्ते वयक्तां वेदनामनुभवन्ति। wag ae कोकव्यवहार कुवन्ति इदमेव कारणसुररौरूत्य TWITCH संच्यवहारमिति aver wat aw नगरे संसारिजोवनामादं wre: कुटुम्निकोऽग्डवम्‌ | way तच बवतो AAT: काः अन्यदा दन्ता खाने तोत्रमोषहोदयमरहन्तमे तन्निकटवन्तिमि चा- ह्यन्तताबोधवखाधिषते प्रविष्टा ससुद्रवोचिरिव मौक्रिकनिकरबा- दिनो भा्टर्‌काशखच्छो रिव ससुखतपथोधरा मखथमेशरेष रन्दमे- गन्धधघारिणरौ वखन्तश्नौ रिव रबिरपजतिखकाभरण्ा तत्परिशतिर्गान WATE |

तथा चावनितशन्यस्लजालुदष्तमसकथा विधाय प्रणाम विर- चितवरपु रसुङ्कखथा विज्ञापितं देवेष सुग्यरोतनामधेथस्य देवस्य कद्मेपरिणामस्प dan तज्जियोगो भाम दूतो देवदगेनमभिलषन्‌

दितौैयः प्रस्तावः। - Reg

अतोहारण्डमौ तिष्टति axanafea देवः प्रमाणमिति। ततो निरौकितं तौ त्रमो होदयेन सखभममत्यन्ताबोधवदनम्‌ | प्राह Tie प्रबेश्रयत्‌ तं भवतौ ततो यदाज्ञापयति देव इत्यभिधाय प्रवेशितः परतिहर्यथा तज्ियोगः तेनापि सविनयमुपड्व्य प्रणतो मरन्तमो बलखाधिहतश्चाभिनन्दितस्ताभ्धां दापितमासनम्‌ |

waufasisat कतो चिता प्रतिपत्तिः ततो विसुच्यासमं बध्वा करसुढुलं BAT Gerad) तोव्रमोरोदयेनोक्षम्‌ श्रपि gue देवपादानां महादेव्याः mafia तन्नियोगनोक्षम्‌ सृष्ट Quis तोत्रमो होदथनोक्रम्‌ अनुग्रहो यमस्माकं यद्र भवतः प्रषणेनागुखता वयं देवपादेरित्यतः कथय चदागमनप्रयोजन- मिति तज्नियोगेनोक्रम्‌ कोऽन्यो भवन्तं विहाय देवपादानाम- TUTE: आगमनप्रयोजनं पुनरिदम्‌ अस्ति तावद्िदितेव भवतां विशेषेण arate प्रष्टव्या सवप्रयोजनेषु शअ्रणङमो यवाक्धा अविगधमाहाव्या भगवतो wafafaata देवपादानां मह- मभगिनो |

तस्याञ्च तुष्टेदवपादेः सकखकाखमेषोऽधिकारो वितरणैः यथास्ति तावदेषोऽसमाकं सवेदा परिपन्धो कथञ्चिद्‌ ूलयितुमक्यः सदागमः परमश्च | ततोऽयमस्मदलणममिश्धय कविदान्तरान्तरा , खमप्रसरतयास्नदौयभुक्ते निस्ारयति कांचिक्षोकाम्‌ स्थापयति चास्माकमगम्यायां निरतौ नगर्याम्‌ एवं faa विरणौभवि- खत्येष कालेन लोकः ततः प्रकटौ करि ्त्यस्माकमयशस्तल सुन्द-

रमेतत्‌ अतो भगवति wtafea लयेद विधेयम्‌ 1 . श्रि 23

९८० उपमितिमवप्रपस्चा कया |

खयमपि oftfera afe ome लम्‌ यतोऽमौभिलेकिम कदाद्दृष्टं खानाग्तरम्‌। भरतो जानन्ति तत्छरूपमपि किन्पुन- शष्टानुकूलताम्‌ + श्रमादिप्रवादेए asa वसन्तो रतिसुपमताः waa | तया नादिसम्बन्धेनेव रूढ खेडा परस्परं मेच्छन्ति विधो गम्‌ | वथा fer cag भद्रो येऽच लोका एकेकस्िखपवरके ada ते- ऽतिद्धिग्धतयाक्ममो गाढं खम्बन्धसुपदशेयन्तः समकसुच्छसन्ति | समक भिःश्वसम्ति। समकमाहारयन्ति। समकं मिरहारयन्ि। एक- भिम्वियमाणे सवं faa: एकञ्िन्‌ जोवति सवैऽपि wafer: तत्कयमेते स्थानान्तरदणएश्चानरदिता एवं विधप्रेमबद्धात्मागसख wa- मेव प्रवज्निखन्ते - nani: कञ्चिप्मखामोवितलोकपरिन्ञागोपा- afywat भवतेति। वतः पर्याङ्खलो शतो बल्ाधिरतः किम विषे- ufafa carafe भवितव्यता गाम मम भावांसा.ङ शारिका- बद्धः सुभटो THA etsy नाममाचेरेव तस्या Wea भसिद्धः परमार्थतः पुनः सेव भगवतौ Alay ग्रेषलोकण्यशाणां सम्बन्धिनो समस्तमपि कन्तव्यतां तन्तयति यतः सा श्रचिग्ध- area खयममिखषितमये घटयन्तौ नापेच्तेऽन्धसम्बन्विनें Geant सहायतया विचारयति पुरुषालुकूलप्रतिकूलभावम्‌ | a गणयत्यवसरम्‌। निरूपयत्यापद्तम्‌। fanaa सुरगुङ्‌- णापि बुद्धिविभवेन प्रतिसूखद्धते विबुधपतिनापि पराक्रमे नोपलभ्यते योगिभिरपि तस्याः प्रतिविधानोपायोऽत्धन्तमसम्भाव- Haag खा भगवतो खकरतलवत्तिममिव शोखया संपादयति, करयति. प्रत्येकं समस्तलोकानां यद्य यदा as यथा. यावद

दिवौयः प्रस्तावः | १८६

प्रयोजनं BWR. ततस्तस्य तदा aw aaa तावभ्तरेव प्रयोजनं रचयम्तौो जिभुवनेनापि निवारयितुं wats किं af जक्रसक्रवर्यादौनामपि nat यथा afgar मवतासुपरि भवि- तव्यतेति। ततस्तेऽपि तुष्यन्ति इदये दशंयग्ति सुखप्रषादं विस्फार- यन्ति fawtet ददति कयकाय पारितोषिकं कुवेन्धात्मनि बड- मानं arate मदोक्छवं वाद यन्धानन्देदुन्दुमिं चिन्तयनधाद्मनः हतरत्यतां aan सफलं waif! किं पुनः ओेषलोका इति श्रय तेषामपि शक्रशक्रवर्श्यादौनां awa यया भद्विका भवताभ्रुपरि भवितव्यतेति। ततस्ते कम्पन्ते भयातिरेकेण afc दीनताम्‌ wife रणेन waged निमौखयन्ति atee waar कथकाय | समाध्याश्यनग्ते चिन्तया zy रणरणकेन परि- व्यजन्ति ओनोकातिरेकेणेतिकन्तवयताम्‌ शआ्रलोचयन्ति तक्मषादा्थै- मनेकोपायान्‌ ! किः बहना लभन्ते तस्यामनुष्टायां मनागपि विन्तनिदेतिम्‌ कथमेषापि पुनः अश्णौभविग्यतौत्युदेगेम किं पुनः सामान्यजना इति सा पुनभेगवतौ यदात्मने रोषते तदेव विधन्ते। ` परं विन्ञापयन्तं विलपन्तं प्रतिङ्ुवग्तं ated अहमपि agatgrafent यदेव सा किश्चित्करुते खथेष्टया चेष्टया तदेव. बड मन्यमानस्तस्याः पतिरपि कर्मकर दव लय देवि जय देवोति ब्रवाणलिष्टामि `. | , Sf a . . - सा eae wateta er warayaatfear |

St ofa eae सा सवस्य frefiar

श्ट उपमितिमवप्रपचा कथा |

ar केवलं जगत्पशं विरो निराला ` कुतञिदिभेत्यचेमेन्ावद्रंधसिनो

सा कश्ेपरिणामेन महाराजेन पूजिता |

यतोऽमुवन्तयत्धेव ताभेषोऽपि प्रयोजने

तयान्येऽपि महात्मानः Baler खं प्रयोजनम्‌ |

UAHA AMT यत एतदुदाइतम्‌

बुद्धिरुत्पद्यते ताडम्‌ व्यवसायख् are: |

सहायास्ताद्शाखेव धाद शो भवितव्यता |

तच्वाख मदौोयग्टदिष्छा, भवितव्यतायाः सम्नन्थिनमेनं शणस-

न्दोहं जानात्येव सोऽत्यन्ताबोधो बाधितः ततस्स तदा पर्थालोचयतञ्ेतसि परिस्पुरितम्‌ wa किमहमेवं सत्थभ्यपाये विम्तयात्मानमाङ्खश्यामि यतो जानात्येव सा बंसारिोवपनौ भवितव्यता येऽच प्रश्चापनोचिता खोकास्ेवां खरूपमिति। अरतसा- मेवाहय च्छामि ततः कथितस्तोत्रमोशोदयाथ तेन सराभि- प्राः सुन्दरमेतदिति बहमतं तस्यापि तश्चा श्राकारणम्‌ ततः प्रहितः पुषः समाहृता भवितव्यता -खमागता वेगेन प्रवे- भिता प्रतिहार्या। महाप्रभावेयं सर्वापि सखो faa देवतेति fafee छतं तसाः पादपतनं वाचिकं मरन्तमबलाधिशूता- भ्याम्‌ अरमिनन्दितो at तथाश्नौवादेन दापितमाखनं उपविष्टा भवितब्यता ततो बलाधिद्टताभिञुखं महन्तमेन चाजिता भुखता ततस्तेन कथयितुमारमस्तस्येत जियो गम्रतिकरः। ततो eed तया प्रादे ag किमेतत्‌ भवितव्यता किं चित्‌ बलाधि-

दितौयः प्रस्तावः। ` rez

कृतेगोक्रं तत्किमकाण्डे efeaq भवित्थताइ waa at a किञ्चिदिदम्‌ बखाधिषतेनोक्रम्‌ कथं भवितव्यता सद्य मत्यन्ताबोधोऽसि यस्वमेनमपि व्यतिकर मद्यं कथयसि wat- दयो गामेवं विधेष व्यतिकरेषु शचयाम्यनन्तकालभा विनोऽपि स्वं व्यतिकरानहम्‌ कि ga: सप्रतिकाम्‌ sat निष्यूयोजमलान्न किञचिरेत्लदोयकथमं ममेति त्यन्ताबोधःप्राइ सत्यमिदम्‌ | विदतं मे तावकं माहाब्यं सोढब्योऽयमेकोममापराधो wae | अन्यच प्रख्यापय लमेव यच प्रापनोचिता शोकाः fa at व्यापारे | भवितयतयोक्षम्‌ एकस्तावदेष एव मटोयो wel Waray: AUS ये aaa: | बलाधिषतेनोक्षम्‌ aaa जानौषे तत्किमचोक्ठेम | ततो निगेता भवितब्यता चागता मम समोपे कथितो afrac: wate यदवो. mma | सतः समुञ्च खितोऽइमन्ये मव्वातोयासज्नियोगाभिपरेतसद्यानुसारेष + ent भवितव्यतया महसमबलाधिरटतौ दुत मथा eanat शामौभि; ae यातव्यम्‌ | यतो भटरेवता नारीति stat मया संखारिनौवो saga थ॒वयोरपि प्रतिजागरणौधमेका- शनिवार भाम गरम्‌ तजामौोमिश्ौकेः प्रथमं गन्तव्यम्‌ खतो च्यते युवाभ्धां avait तजासितुं नान्यथा ततो aR, वतौ sma इत्यभिधाय प्रतिपन्नं तदनं महक्नमबलाधिरता- We | NENT: Basta समागतास्दे काचमिवासं नगरम्‌ ay मगरे awe: पञ्च पाटका विद्यन्ते। ततोऽदमेकं wes कर प्रेष्ठ॒ wan तौत्रमौहोदयनाभिदितः। भद्र शंसारिजौव

८७ उपरसमितिमवप्रपघ्चा श्या |

fas aay Wet! ats पाटकोऽसंव्यवहारमगरेण बडतरं तुष्यो TH |

- ` सतो भविष्यत्यत्र तिष्ठतो तिरिति तथाहि यथा aw- संव्यवहारनगरे गोलकाभिधानानां प्रासादानां मध्यवर्तिनो ये निगोदामिधामा श्रपवरकासषु ये शोकाः प्रत्येकमनन्ताः संपौ- ण्डिताः खेहातुबन्धेन प्रतिवखन्ति श्रनापि पाटके ayaa शोका- waa प्रतिवसन्ति | केवशमसंबयवहारनगरसम्बन्धिगो कवि्षोक- व्यवहारेऽवतरन्तौोति अरषंग्यावदारिका उच्यन्ते ते हि यदि परं wafers भगवत्या शो कस्धितेरारेशरेन सहदेवान्यस्थानेषु गच्छन्ति नान्यया | एते एतेन Tata Wena संबन्धिनो लोकाः कुवन्ति शोकव्यवहारम्‌ समाचरन्ति शषस्यानेषु गमागमं तेन सायवहा- रिक इत्यभिधौयन्ते तथा तेषामसव्यवदहारनगरसंबन्धिनामनादि- वमस्यतय इति सर्वेषामपि सामान्याभिधानम्‌। एतत्पाटकसम्बभ्धिनां तु amare इत्येतावान्‌ विगशरेषः। तथा मरत्येकचारिणोऽपि प्रासा- दापवरकन्यायरदहिता मुत्कशचारेणाज विदन्ते तेऽखष्येया शोकाः ततस्तिष्ठ aay पूरव॑परि चितनगरसषमान एवायं पाटकस्तवेति | ततो wate यदटान्नापयति 2a: वततः शापितोऽहमेकसिनप- aga Rewer केनचिकादौयविधानेनेव श्थापितास्तेव पाटके केचिगत्कख्चलारेण के चित्युननो ताः पाटकान्तरेच्विति सतोऽ तज साधारणशरौरनाखि भद्रे अपवरके पूर्वाक्रखित्येव GH ईव मन्त ta मूच्छित ca टत इवानन्तलोकेः संपिष्डितैरेः समकसुचङ्कसम्‌ waa निःश्वस्‌ camara समक निहारयम्‌ खितोऽनन-

दितोयः प्रस्तावः | ` १८५

arefafa अन्यदा कषपरिण्टणममहाराजादेशौ नेवानुमतो महम्तमबलाधिषटताभ्वां जिःसारितस्ततोऽपवरकन्यायाद्‌ भवितव्यतया धारितस्तचेव wet पुनरखष्यकाखं प्रत्येक चारितयेति इतस yaaa कम्यपरिणाममहाराजेन परिष्च्छय शोकख्िति area ae काखपरिणत्धा श्ञापयिल्ा नियतियद्च्छारोनामनुमते भवि- wearer: अपेद विचिचाकारं खोकल्भावमाक्रोयसामण्थैप्रभवेः परमाशमिर्निष्यादिताः सर्वाथकारिष्छ waded: प्रधान यशिकाः। wafaer भवितव्यतायाः। सा लामिहिता तेन यथा भद्रे समस्तखोकव्यापारकरण्ो्यता बं arate समस्तश्लोकानां चण चे माना विषसुखदुःखा दिकार्थाणि संपादयन्तौ ततो ग्टहा- कामूगे डिकाः। ततस्छया ताखामेकंकख Tae लोर्णायां नौर्णावा- मेकेकस्यां शडिकायामन्धा दातव्या ततः उंपादयव्येताः खयमेव विविधमणेकच अन्मवासके Tey प्रत्येकं खल्व तवेष्टं सवे भयो- नमिति भविति ते facrgea ततः प्रतिपनलं भवितव्यतया तद्राजश्नासनम्‌ | विधत्ते GMAT समस्तखत्वानां तथेव शा गडिकाप्रयोगम्‌ ) ततोऽहं यटा तजासव्यवशारमगरेऽ्दवं तदा मम जोर्छायां लोर्णायामपरां सा ofeat दण्तवतो aad quaa मे रूपमेकाकारं सवदा ane विदहितवतौ तज पुनरे- काचनिवाखनमरे समागता तोत्रमोहोदयात्यन्ताबोधयोः कुटदख- मिव दभेयन्तौ तेन गडिकाप्रथोगेख ममानेकाकारं खरूपं प्रकटयति ख।

तः हतोऽहं तजर Wes ana: कइविदवषरे Geer: , 24

ace उपमितिमवध्रपञ्चा कथा |

लजापि कचितमर्यात्तकरूपः कचिदपर्या्तकरूपः तथा कचिदेक्दरे fafertse बादराकारः। ania करितर्यात्रिकरूपः कादपवातत- WET | तथा NT सन्‌ कचिद्‌ पवरकवर्तौ शचित्लयेकचारी अभापि कचिदङ्कुराकारथारकः। करित्कन्दरूपः। कचिकछभाभ कच्वत्विक्चारो कचित्‌ खन्धवर्लो कचिच्छाखाररः | कच्ितपर्ा+ era: | कचित्मवाखखयरिष्ः। कचित्पजाकारः। कचित्यष्यस्ः | करिल्कखात्मकः 1 कचिददोजद्तमावः। तथा कचिकूकवोधः। कचि- रष्वोनः। कचित्पवेवोजः 1 कचित्‌ स्कन्धबोजः कचिद्धोगरदः ककिर व्छंगजः। तया कचिर्टशाकारः। कचिहुपरूपः। कचि ema: | शचिदन्ञोखमभावः। कचिद्धरिताक्मक दति तथारूपेष वकमा मासुप्शभ्बान्ययामनगर खम्नम्विगो शोकाः Haar भवितब्यताधाः समरख्मेव facia भिन्दन्ति caf पिंषन्ति मोगयन्ि श्यनि त्वतन्ति दडइन्ति नानाकदयेनाभिः कद्ये- शन्ति तथापि भवितव्यता तचोपेखां कुरूते |

ततोऽतिवाहिते तथाविधदुःखेरगन्तकाल्ते ओर्णायां waar कालटन्लायां afearat दन्ता भवितव्तया ममान्धा डिका | लंदमाबाद्तोहं दितोषषाटके तज aftaewer खोकाः प्रतिब- सन्ति antswaft नर्षा wa dee: पावः किडम्वितस्तच् अवितब्वतधापरापरलुडिक्रादानहारेक सूच्छवादरपर्याज्नकापथा- कद्पतथा हष्णनोश्धतदो तसो हितवरणादिरूपतया जिकतोषश्ञ- खवणएहरितालमनःशिखाश्चनश्एद एयिव्याद्याकारतथा Wes काशं तितिक्ितानि तज पाठके क्ता मघा मेदनदखनचेम-

facta: wena: | १८७

खष्डनरइजाटोनि दुःखानि। ततः पचनराङिकालरशाक्धाने दन्ता भवितद्यतथा ममान्या गुडिका नतोऽहं तच्छाहाग्येन wala Wee | तज चाप्याभिधानाः कटु म्विगः प्रतिवसन्ति ततो मना कच गतस्य अंपन्माथरूपम्‌ | बिमोपरितस्वबाप्यहं wheat जोशं- धामपरापरां शडिकां दष्वारूपान्मर शपादयन्धा भवितथयतया असंश्येचमेव काशम्‌ |

तथाहि सलोऽइमवश्सावदहिन्रमदिकाहरतगुरङ्धोदकाचनेक- VEN शूपर सनन्धस्शरभदेन विविषाकारशया serfs कच पाटे बन्तंमानेन मया ओोतोष्याशारकवाचनेक गस्लशया- दामि नागादुःखाजि ततसत्काशपवन्ते जोर्णायामनवत डिका Sat ममापरा Ufent भवितब्यतथा अतोऽहं बन्तेजदा wae TEs तजाय्यसष्परयासेनसकाच्रनामानो argu: परतिवकग्ि ततोऽङ्मपि तेषां wa भाखरो वरन oe: GET टाहाक्मकः क्रायेन OST: सानेन GTA बाह्मणः | EWE मब शच वतो व्वाखाङ्गारबुसुराचिरातशद्धाभरिविधुद्स्काग्रनिप्रथ- तथो यथरेश्राः। जातानि विष्यापनादितो नानाद्ुःखानि सिवः सुचवादरप्थाक्तकापर्वाप्तकरूपतया विवन्मानो ऽच्येचं काशम्‌ दला तदन्ते ममापरा डिका षयन्तेरा डिका wares भवि- CATT गतोऽहं तदु पयोगेन पञ्चमपाटके ATA वाय वौकाभिधानाः श्वचिधाः प्रतिक्सन्ति। ततोऽहमपि तज गत उच्यभ्रोतः खगन अशच्छयचुम्नतां रूपेण पताकाक्रारः sarty संजातो वायवौयः चजियः शआङ्कतञ्च तज THATS TERRE

gcc उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

कावातौ मष्डखिकावातो गश्ावातो esq: संव्लकवातो धमवातस्तनुवातः शद्धवात इत्यादिभिरभिधानेः ससुद्धतामि तज मे शस्छाभिघातनिरोधादरौनि नानादुःखानि विनारितख्तजापि सष्छवादरपर्याप्तकापयां AAT ATT RTT TORT SaaS काशं भवितव्यतया | |

दूतस्तदवसाने जाते पर्थन्तरुडिकाजरणे carat शडिकां पुन्न तोऽहं प्रथमपाटके भवितव्यतया fares पुनरनन्तं का- शम्‌ ततः पुनरपरापरगुडिकाप्रयोगशेव प्रापितो दितोयादिषा- zau खितञचेकंकस्मि्रुख्छे्ं काखम्‌ areata प्रकारेण तस्मिन्ेकाखषनिवासे गगरे कारितोऽइमननम्तवाराः समस्तपाटकपयं- टनविडम्बनं तो त्रमोसोदयात्यन्तावोधयोः समं भवितव्यतया | waa मनाक्‌ प्रसन्लचिन्तयाऽभिदहितं यथायेपुज feat wate कालं AAT मगरे ततोऽपगयामि भवतः खानानोणेम्‌ नयामि भवन्तं नगरान्तरे मयोक्तं थदाश्चापयति देवो तच प्रयुक्ता गुडिका भवितव्यतया carafe विकश्चाखनिवास्च ara नगरम्‌ | तज जयप्रधानपाटका faa तस्य नगरस्य परिपालकः ae परिणाममहाराजनियक् watts माम ae: तस्य .माया aa गटदिणौ ततोऽहं यडिकामाहामग्येन प्राप्तसतज प्रथमे Weal afar सप्तङुलकोरिलश्वन्तिगोऽस्येथा दिदषो- कामिधानाः कुश्चपुचकाः प्रतिवसन्ति ततोऽहमपि संपश्सेषां मघ्ये दिषषोकः ततो ऽपगता मे सा सुप्तमन्तमुख्छितम्हतरूपता | जातो मनागमिवयक्क चेतन्यः

fetta: प्रशतावः।

ततख |

हतोऽहं शडिकादानदारेणेव ततस्तया | छृमिरूपोऽदइएचिख्थाने महापापः खभायेया मूचान्तक्तदणम्ना शपूरिते जठरे स्थितम्‌ |

मां पश्यन्तो faureret aa: सा परितुष्यति a

कदाचिल्छारमेयादिदुगंस्धिव्रणकोटरे ` मामन्यहटमिजाखेन संयुतं Tey मोदते ¢ व्तीपघसराद्यव शोशमानं सुदुःखितम्‌ |

at इष्टा रमिभाषेन तुष्टाशरद्भवितवब्यता जश्काभावमापाद्य ्डिकादागतस्तथा | HAS चाकरोदुःखं सन्तो सह मायया & माये Te ATS WY: WHET | लसुक्ागापरेशेन wala येन गर्विता surat वारके fereat निगेत्य मत्पतिः मिः गेषं कषेयत्येव ब्रणारि sete: TAG त्यागसामथ्ये पश्च भकषममेद्शम्‌ | यदेष रंक्ृसवसखं ददते इस्तधारिणे ततोऽगटशोतसदेते भद्रे भार्या विडम्बितः उपहासेन तेनाह fags दुःखमागतः

पुनश्च Ufeat दत्वा इला शंखं महोदधौ ` मामेषा शांलिकेन्डिशं cert वोच तुति तदेवं Wen तच वर्तमानः GAIA |

९८६.

१९० उपमितिमषपपञ्चा कथा |

अपरापररूपेण dead विडम्बितः; अन्यदा पुनयथेष्टतेष्टवेष new भवितव्यतया ममान्यगडिका | नोतोऽदहं warren feta wet तज चाषटङुलको टिशषय्या- यिनोऽसंथ्येयास्िकरषमामानो . ग्टहपतयोऽभिवशन्ति ततोऽइमपि तेषां wa चंप्रजख्लिकरणशौ सखरपतिः। ततस

पूकामतकुषमतकोरङयरूपिवरतिनम्‌ ,

पिपौखिकाटिष्पं war at भवितष्यता #

प्ट qyere पिष्यमाफं बालकः

दग्धं THT तचा तोषा रागन्दमवमाइते.

तदेवं पाटे तथ डिकादाबपूवेकम्‌ |

श्रसंदावाराः Tate कारितो नेकरूपताम्‌ #

अयान्वदा पुनर्दन्ता गुडिका मे ऽवडेख्लवा

तोये पाठक Maeda sear:

को टिखकुलानां वन्ति गव तच थे

असंख्यास्तेषु विद्यन्ते चतुराः gaia: #

ततोऽहमपि STG: Hela:

पतङ्गमकिकादंग्रटचिकाकारधारकः

सोढानि तंच दुःखानि नानाकारा तिषता

निर्विषेकजनादिन्यो मदंनाटि विधानतः

AG AE पुनदेला रडिकामपराप्राम्‌ |

असंस्यरूपेखभापि wee भाटितस्तवा +

दितौयः प्रस्तावः | १९६

wat कथय Aaa पाटेषु विन्नम्‌ संद्धातौतानि वर्बाशां awarfe विधापितः ` एवं faa: | कचित्पर्याप्तरूपेण तथापर्याप्तषूपकः | तेषु feafa पल्धाऽडइ पाटकेषु विनादितः अचाभ्धदा ween येता भवितग्धता | wren तदुचितं are ततः सेत्वदमभाषत आथेदुज भवन्तं किं भयानि गगराकरम्‌ विकशचा्निवाेऽभं ant मासि ते तिः a मयोक्तं देवि qed रोचते तदिधौषताम्‌ | किम बहनां लं से प्रमाणं शवकर्वीसु ततो जओौ्णी मम set शडिकामन्तवन्तिनोम्‌ | मगरारयानायं प्रयुक्ता गुडिकां तया अयोद्मागपरे ग्रश्य प्रतिनागरणे सितम्‌ | पञ्चाचपद्यस्स्थान नामास्ति at परम्‌ तजर साद्भनिपश्चाश्रत्को रोखशखप्रमाणके | वसन्ति कुखसघाते शोकाः पञ्चाचनामकाः ACA: CVT: | संजिगस्तेभिधौयन्ते गभजा इति वा qu: # ये quay fag खष्टचेतन्यवजिंताः | wife इति wate SNe जनाः ततोऽहं तेषु sara: साष्टचेतन््वनिंतः |

ER उपमितिमवप्पद्चा कथा |

wert भाम faenat रुडिकायाः प्रभावतः TESA BS ददुंराकारधारकः | केजिप्रियतथा ay भाययाहं विनारितः त्च सच च्छेगजमध्य | इपेरेवमर्णाष्मेवेभंमयिला ततस्तया | विदितो मभंजाकारधारकोऽहं मेखलया TAG अखयरेषु THA: | ग्होतो Wates बिभ्राणो wees | देदपाकादिभिद्‌ःखं प्रापितोऽहं ween: तथा चतुष्यदसख्ल्रोषु THATS | गश्सूकरसारक्ररूपमाविश्वतो मम | व्याधे्मिला wea wat नाना विकर्मा तथा भुजपरिसपीरःपरिसर्पेषु वन्नेमानेन गोधाडिनङ्लाटोनां Sa धारयता विरम्‌ | WRITE दुःखं प्राप्तं क्रूरतया मया तया | काकोश्कादिरूपाणां परणं मध्यचारिणम्‌ | संख्यातौतानि दुःखानि सोढानि सुचिरं मया असख्यजमखद्लों तदेवं तज पन्ने बणस्जनमयारो GAY कुले FS aay तसन्‌ पञ्चादपश्टसस्थाने मगरे सप्ताष्टवारारूपाणि Acasa कारितः | नौतस्तोऽन्यद्यानेष तचानोतः पुनखया

दितोश्रः wera: | ६९३

इषं चिते

शेषेषु चवेख्ानेषु गला गलागरान्तरा |

मया AW पुरेऽनन्ताः छता इपविर्म्बनाः

क्राखतद्ड aca परं पश्योपमच्रथम्‌ |

ay aw पुरे किं चिग्धाधिकं पषेकीरिभिः

wifwdfnete पर्थापेतरभेदतः |

Aaa नगरे तज गानाकारे विंडनितः

अन्यदा BFE रंपाटितोऽदं भवितव्यतया feat qu-

wa तजिततारं wan गिरौकमाशो दशापि रिश्च उत्‌ञ्जवमान- व्ररशिखराणोतसखेतश्च प्टामि चावदेकेन खभथकडुनाकरेष क्रशष्यनिना wai गौतम्‌ anther खगयथम्‌ afte myqeet | निरद्धा Sar) freatenta खोमा निद, न्तः Referer संजालः कर्ैड्ियमाजनिमप्रोऽग्तरात्मा | ततो निष्यन्दमन्दौग्तं बत्ताहृथं इरिणय्‌वभवणोक्याभव्शौ तो व्याधः vated कोरष्डम्‌ | पसितस्तज शिलोमुकः az- aed erway | teerafeat कन्धरा warevt ae कर्णाक्षि च्रावत्‌ ततो gan तेनाराद्धाने adaretcd निर्जि पातितो was Wet shel मे ween दशका ततो aretat mat हरिकभवनिवन्धनम्धताचामेकभववे्यायां afearet दशा ममान्धा रिका भवितव्यतया samernrerre करिवरङूपः | वद्धिः काक्षेण वातो चचाधिपतिः मलः

25

१९४ उपमितिमवप्रपश्ा या |

श्लभावसचन्दरेषु नखवनेषु श्रभोषटतमेषु स्क किसशयेष अरत्यन्त- कमनोयेषु वनविभागेषु परिकरितः करेणकाडन्देभ चित्तागन्द्‌- सम्दोहसागरमवगाइमागो खथेषटचष्टथा fasta |

धावदेकदाकाष्ड एव awe तत्करियथम्‌ afar शवाप- दानि भवते बेषुस्फोटरवः प्रसपितं धूमवितागम्‌ ततः कि- मेतदिति निरौकितो मथा पश्चाद्भागः | यावल्िकटौश्तो ज्वा- Wage दवानखस्ततः met मे मरणएभयम्‌ tam पौ दवम्‌ sled eq wafer श्रा्मम्रिता व्यप- मतोऽहहारः परित्यक्ं ययम्‌ पलायितो खरौलेकां feng | मतः शोकं भागम्‌ तज चासोचिरकनग्ममपट्एसंबन्धो विशाखः Watsar कूपः तटवन्िटणव्यवडिततया भयाङुखतया कितो मया धावता वेगेन ततः प्रविष्टौ मम तजाग्पादौ | तजिराखम्बतथा vie: पञचाद्भागः ततः पतितोऽहसुन्तानश्ररीर- शभान्धकरूपे | संचूणितो गाजभारेण मूच्छितः GAT खया कथं चिच्धेतना धावन wafad शक्रोमि wat mea सर्वा- Fra Nate ततः संजातो मे पञाग्लापः। चिन्तितं मया अथेदृश्रमेव बुध्यते मादु प्रानाम्‌ ये प्रतिपन्नभरत्यमावं चिरकाख- परिचितसुपकारकमापन्निमश्रमनुरकमात्मवगे परित्यब्य wane कुकिभरिताब्ुररोङधवे्मः पलायन्ते set मे निखेष्नताद्यापि किच चचाधिपति्रन्दो रूढः तत्किमनेनाधुना खचेष्टितातुरूप- मेवेदं मम सपश्नमतो a मथा मनसि खेदो fava: | ततो- ऽन्य भावनया प्रतिपन्न मया ame माष्यम्‌ fafafear

दितोबः wera | १९४

भवन्तो तोत्रापि वेदना खितस्तदवखः SATs धावत्‌ were नरे तुष्टा ममोपरि भवितग्यता ततस्याभिहितम्‌ वाध्वा धपु साधु श्रोभगस्तेऽष्यवखायः तितिकितं भवता परमं दुःखम्‌ तुष्टाङमिदाौ भवतो ऽनेन चेष्टितेन गयामि भवन्तं waren | मयाभिहितम्‌ यदाश्नापयति देवो ततो दर््चितसया qe राकारः पुष; Bikar थयाधंपुज तुष्टया मवायमधुना भवतः शहायो निरूपितः पुष्छोदयो भाम पुरषस्तटनेन भवता गन्तयम्‌ मयाभिहितं चदाश्चापयति देवो

smart stu मे ydew डिका ततः wey feat भवितव्यतया afafead तथा aardqe तव गत- STG पुष्छोदयस्ते प्डलरूपः सहोदरः सवर भवि्तोति वं वदति संखारिनौते भव्यपुडवः प्रज्ञाविश्रालायाः aehed faacare |

aur कोऽथं gee: किं वानेन aufeencay कानि चामूनि श्रसब्वहाराटौनि नगराणि का चेधं गुडिका चेकेकवा- aa seat wat भानाविधङूपाणि कारयति fafawgue:- aifzaratfe दश्रेयति कथं वा yeast sreaners- fafa: 1 कथं चासंभावनोयानि मुग्धस्य सतः छमिपिपौणिका- eufe जायेरन्‌। afed सकखमपूर्वाखनाखकण्पमस्य ate चरितं मम प्रतिभाषते तत्कथवाम्निके ate भवां इति रन्ा विगश्राखयोक्नम्‌ aq ॒धदशेदार्नौतनं विग्रेषरूपञ्ु पश्यते तज्लानेन कथितम्‌ किं तरिं सामान्यरूपेण संसारिजोदनामाषं

veg उपमितिमवप्रेपश्ा aut |.

वुदवोऽतसशेवानेनाक्माभिधानभास्थातमनेभ चाद्मचरितम्‌ we भिरं जटमाभेकमेव निषेदयित्‌ sary | तथाहि ¦ अशष्थिवहारिकओ वरा शिर जासंब्यवशहारनगरम्‌ एवेशियजा- तथः पञ्चापि एथिधयपेभोवायैवनस्पतिरूपारेवां खां एकाचनि- wea) विकलेशियाणां रो खिथमोणियवत्रिग्ियशवणानां शानं विकलादनिवाथम्‌ vafixd facet निलयः eres ` गम्‌ एकणश्चप्रायोग्यं कमे परशृतिजालमेकभववे्ा Yea आते तदु दें wets नानाविधरूपाणि संपदे एव वि- Prager कार्याणि wcrc vee: | ततो यं रमे. वाख्यानकममि arent dates चाभ ag aed wfatrtfentente किमभीयथेमयवां पुर्धंवु दधिरधाषि वसो जानोते AT GE aE संभवत्येव शुवनोशरे wefan | अद्य संथारिजोषेख safer चरितेभावतरति। vee गिवेदकतु maze: शवे wets) पयाशवाशनस्य भावा निराशा कयवजिव्धाभि vegetated यटाश्चापवत्यनेति छा्यन्तिशावशस्यां भवति निथमतो वर्थभागुखगमौ भयस eT: दसवपरितेः वषोशथे प्रभावात्‌ | एतवाख्ातनय प्रथममनुततशच्य बोधाथेमित्वं merited were: वथवितूमत्लो Tedercers: सहागमभवेष्धनपेच्छै भो ` -भरुणनाच्. तेन fries)

fede sera | १९०

बुधजनेन विचारपराथष

सदतु wae: प्रतिबुध्यते merase frafed तदतुखं संसार विस्पूजित धन्यानामिदमाकलय्य विरतिः ससारतो जायते | येषां aw भवो विमूढमनणां भोः सुन्दरो भाषते ते नुनं पश्वो न्ति मनुजाः -कार्चंख मन्याम

दत्यपमितभवप्रपष्डायां कथायां संसारिजौव- चरिते तियेग्गतिवणैनो नाम दितौयः प्रस्तावः ₹२॥

rec उषमितिभवप्पश्चा कथा |

AMA: प्रस्तावः।

नअ Gis a

भवप्रपश्च सिय arate देदिनः। एष प्रोक्तो मनुते यस्या्दधुनोच्यते संसारिजोव sare | ततोऽहं भद्रेऽगखटहोतसङते खमाखादितेकभववे्यगुडिकः प्रश्नो गन्तुम्‌ | इतञ्चाश्यस्यामेव मनुजगतौ नगयी भरतामिधानः पाटकः। तस्य fatensaafa जयस्थखं माम नगरम्‌ ay महा- गृपतिय ख्पदालिङ्गितमूत्निंः पद्मो माम राजा। Te रतिरिव मकरकतनस्य नन्दा भाम प्रधागदेवौ ततोऽहं wer: get प्रवेशितो भविवश्यतया धितस्तभोचितकाशम्‌ निर्गतः बह पुष्णोदथेन दृष्टो नन्दया संपश्ञसख्छाः gut मम जात इत्यमि- मानो निवेदितः प्रमोदङ्म्भाभिधनेन दासदारकेण aca | meat: सृतो मे इति समुत्पञ्ख्ठाणनु श्रयः इषेविगेवादुक्ष- शितो aig पुखकोद्धेदः दापितं निबेदकदारकाथ पारितो- षिकम्‌। खमादिष्टो wernaetea:) ततो creat महादानानि। मुच्यन्ते बन्धनानि पूर्यन्ते नगरदेवताः। क्रियन्ते इहृदार ग्नोभाः। area राजमार्गाः श्राइन्यन्ते शआ्रागन्दभेयेः। शआरगब्छन्ति विगशरेषोष्जनेपश्या wage गागरकलोकाः विधोयन्ते तदु- TUT: प्रथण्थन्ते समाचाराः STATE दर्शाता: |

SATA? प्रस्तावः | १९€

` गोयन्ते धवखमङ्गलानि नृत्यन्ति शखनाखोकाः खड कथुकिवा- अनगक्ुलादि भिमेरेग्रटन्देनेति | ततस्येवं oa जन्भममहानन्दे अ्रति- कान्ते मासे तिरोधाय संसारिजोव इत्यभिधानं प्रतिष्ठिते मे गन्दिवद्धेन दति नाम जातो ममाय्यदमनयोः पुज इत्यभिमानः, ततो जनयन्नानन्दं जननौजमकयोः पञ्चमिर्धाचौ मिलंखितः संप- कोऽहं जिवाविकः |

मम चासव्यवहारनगरादारण्य wae are दिविधः परिकरो- Saha | तद्यथा श्रन्तरक्ो बहिरङ्ग तजान्तरङ्गपरिकर- मष्येऽस्ति ममाविवेकिता नाम ब्राह्मएजातोया धाचौ सापि wear मष्वकादिने जातो दारकः प्रतिष्ठितं we नाम वश्वानर इति | चादिति एवारग्यानभिव्यक्ररूपतयासोदेव केवखमधुनाभिव्यक्न- रूपः ave: ततो मथासौ सह धारयन्‌ वेरकश्डाभिधानौ विषमविस्तोणौ शरणौ दधामः परि्यूलकटिनषटखे््यासतेयाऽभिधाने ae समुदशन्ननुगशयानुपश्रमनामानो विषमप्रतिष्ितावृरू fanaa: Guana कटितटं दभेयम्‌ परमर्मोरघडननामकं am विषमं waget कलितोन्तस्तापनामकेना तिषड्रोनोरःखलेन am: खारमल्छर संन्नाभ्धां विषमपरिषटखाग्यां बाह्यां विराजमानः करतारूपया वक्रया geraar शिरोधरया विडम्न्यमागो- ऽकभ्बभाषणादिरूपीवजितदन्तच्छदे विर शविर शेम द्धिदं शने विगो्मा- भदखणष्डत्वाखहनलनामकाभ्यां शएषिरमाचरूपाभ्यां कणाभ्यासुपदहा- सखन Naw Base लच्छमाणएयातिचिपटया fem बिभद्वासरताम्‌.। रौद्रलनुशरंसलसंन्नाभ्धामतिरकनवाः

खपमितिमवधधस्चा कथा |

gurgvfaanat xjenat सोचनाग्वां किनाध्मानोऽनार्था ददक् quay महता faaten facet qaraiguat tort प्ररोप्रतापव्केवातिपिङ्गन्नतन्रा | METER | MTtw दृष्टो वेश्वानरो ब्ाह्कदारक इति

ततोजादिपरित्रभादागिभेतो wa तश्लोपरि we: प्रोतो भिभवुद्या afer परमा्ेजरूपता। अविेकिताहणोऽवमिति संपन्ाख्ीपरि माढम्रष्वरङ्गपरिजनाखा दितक्षारो अमाकमिति जुद्धिः। ततो wfere मङौखो भावः, we करोत्येष ममोपरि Tay: पतिं वरेनलुपदर्पामि ततः eet निकटे उमा- fefyaice दितः खेरभावः प्रक्डयावयोः प्रणवः RT aR amt चन्र चश कचिद्‌ swat श्रे शदिश्च कव ay wret wonfa qumifa 1 ततो दषो निजचिकनथे ममोपरि qaet- am Harte शह भजोकरणरेन fete श्र तेन we मम fragt विकनरष्ठवाणेवततिगव्र्ोऽचं afargat चेन नामलु- तकमवसोर्चायेन watered परम्रायेवेदिषा WE ANY करोति

err किननाश्च् wees ast: Tufireqe | MARR तस्सङ्गतेदुरन्ताम्‌ TE He Tel बहुप्रदेष्टारम्‌ परित्यजन्ति ama सण्धिजाशि। xfirqwe ae शुभाम्‌ ते fe afe चदं च्ावकोा इव genet माहं Wizeraa पाप्रतिज््ङ्गा ज्िवन्नन्ते परोपदे जनेति eeaTe नन्द्विङ्धनङ्धमात्ते जोऽनेनापि शद साङ्गल्वं विधत्ते तत्किं मयने

Ree

SATA: प्रावः | Ry

निवारितेन faftaarene भवितव्यतया कहचरत्येनावनित-ः weaay करिङरूपतायां वन्तमानेन बेदनाससुद्वातेऽपि farqe- तया माध्यसखभावनया | तस्मादेव नन्दिवद्धनङ्खमारः पापमिन्र- सङ्गतिपरोऽपि arate एव मम तावक्मोक्त च॒क्र इति पवा लोच्यासौ qateat रष्टोऽपि मम we तदा प्रष्छलदूपतवा war तिष्टत्येव जात्याखान्येऽपि बहिरङ्गा मम बहवो quer: ।. ATS: Veale: क्रोडजरं waged Hew: | AAs क्रोडने मन्तो aera शपि fear: wages अपि q- क्मवन्तोऽपि at वेश्वानरा धिषितमवलोक्य भयेन ner गच्छन्ति मम प्रशतिं gif चाटुकर्माणि प्रतिपद्यन्ते पदातिभावंः धावन्ति पुरतो प्रतिङ्लथन्ति acer fa बहना शिखितादपि मनो गिभ्बतोति तथ्य सर्वस्यापि afaacer चिनधमाहाग्यतया प्रच्छन्नरूपोऽपि guia कारम्‌ मम तुः महामोडहवश्रा दा चेतसि परिर्फुरितम्‌ दुत तदेते रह्मा अपि fear aad कुर्वाणा वर्तन्ते सोऽयमस्य acfawe बेश्वा- ATS TU यतोऽयं afafer: | बनात्मो यघामर्थ्थन agafy मम तेजल्िताम्‌ करोव्युत्छाइम्‌ प्रोऽ्वलयति बलम्‌ ख्पाद्‌- चत्थोजः। श्विरोकरोति ani अमयति पौरताम्‌। विधन्त MP TATA fa बडना समसपुरुषग शेमामेष योजथति

ARMA भावनया संजातो वक्ञभतरो मे वेश्वानरः.। ततः खंजातोऽहमष्टवार्िकः सञुत्पन्ना पद्मगपते चिन्ता ग्राद्मतामधुना कुमारः कथा इति ततो निरूपितः प्रशरस्तदिवषः sang:

26

Reg खपमितिभवप्रपश्चा कथा |

प्रधानः WeTere: प्रूजितोऽसौ विधिना रतञुरितकरण्यै- aq! समपिंतोऽहं we fre महतादरेणेति। समपिताख मदौथ- भ्नातरोऽन्येऽपि qeat राजदारकाः प्रागेव तस्य कलाचा्थख्य | AAS: UZAY HSM: कलाग्रहणं कनम्‌ | ततः संपूतया wara- करणष्टानां Yara aaterea डिततथा verve fafy- नातयथा gacaae wafearan पुष्योदयस्योत्करतया wait- पशमस्यानुकुखतया तदा भवितब्यताया शअनन्यददयतया मया ग्रोतप्रायः खख्यकालेभेव सकलोऽपि werner: | नेव्मतिवल्नभतथा सदा सभिदितोऽसौ वैश्वानरः सनिमिन्त- मनिमिन्तं वा करोति मम खमाखिङ्गनम्‌ ततस्तेन समाजिङ्गि- वोऽहं समरामि गरूपदेश्रम्‌। गणयामि genega भं बिभेमि तातमनःखेदख्य लश्यामि परमाम्‌ जाना- mara orang वेद्मि कथाभ्यासनिरयकल्वम्‌ fay मेव बेश्वागरमेकं रियं wer तदु पदेशेन गणशत्छेद विग्दुरक्तौरुत- wtent yaugfe: करोमि समस्तदारकेः ae कलहं विदधामि खर्वेवां ager उश्चारयाम्यसत्यवचमानि शमे तेषां मध्यख्मपि वचनम्‌ ताडयामि xia यथा सन्िहितेम फथ- कादिना। ततस्ते सर्वेऽपि वेश्वानरालिङ्गितं मामवलरोक्ध भये अस्तमानषाः सन्तो वद्‌ग्धनुकूल कुवन्ति wes श्राराधयन्ति मां पादपतमेः। fa बहना मदोयगन्धेनापि ते वोयेवन्तोऽपि राजदारका मागदमनोहतप्रतापा इव ` विषधरा wat चेष्टन्ते |

Sala: प्रखावः। RoR

ततस्ते शमुदिग्राः कम्पमाना बन्धमागारगता टव महादुःखेन अननो जनकानुरोषेन कलाग्रशं Baa: कालं गयन्ति कथ थन्तितं व्यतिकरं कलाचार्याय मा weedeat प्रय इति भाव- मया तथापि नित्यसन्निहितलाक्ञख्यत्येव auras चेष्टितं सकलं कंशाचायेः केवलं दारकरेषु इृष्टविपाकतया भयेन चस्तददयो- ऽसावपि ग॒ मम संमुखमपि fawerd facifea : यरि पुन- रन्य्यपदेशेनापि मां म्र्येष किञ्चिद्‌ ब्रूवा्ततोऽइमेनमपि कला- चायमाक्रोश्रामि ताडयामि श्र ततोऽखावपि मम राबदारकव- ava | ततो महामोदटोषेण मथा चिन्तितम्‌ रहो मे वर ~ fawe माहाक्या तिश्रयः। अरहो हितकारिता श्रो abe अरहो वत्सलता aut ख्िरामुरागः | यरेवसमाखिक्गमदारेख. मम सवोयेतां sary मामेवं सवंजाप्रतिहताश्चं जनयति |

गच्च मां quate सुश्चतोति। तदेव मे परमो wate परमं ज्ररोरमेष मे शवंखमेष मे जो वितमेव एव मे परं तत्वमिति | अनेन रदडितः पुरषोऽकिचित्करतया दएपुरुवानञ विभरिष्यते ततदयेवं विधभावनया संजातो मम वेश्वानरस्लोपरिखिरतानुरागः + waar रथि sev तेन सह विश्रम्भजस्पे मयाभिहितं वरमिज किमनेन awer afta quart मम प्राशाख्तदेते भवता que नियोजनोया इति |

ततञिग्तितं agate श्रये सफलो a परिभ्मो षदेव मन aman ava | दभितोऽेनेवं वदता निभरोऽतुरागः अनुर- arg प्राणिनः waradufar ser ग्टष्दन्ि निर्विकस्पम्‌ +

Veg. उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

WEN तच भावेन Saale क्रिवया | तदिदमज प्रात्तका- खमिति विचिक्ध तेनाभिदहितं कुमार |

एवमेतत्कः BAY सन्देहः यच ग्टरोतरदथसद्धावानामपि arent पुरतः कुमारोऽषयेवं मन्थति महाप्रसाटोऽब कारणम्‌। fe इधीत्कर्वाव्जातायेमपि areal wargrwafa तत्किमनेन करोमि ङुमारस्यादमश्यान्‌ प्राणान्‌। एष एवमेतज्िथोमो मवा- fafeaq कथं ate जानाम्य किचिद्रषथनम्‌ | मयाभि- fea करोतु ` वरवयस्यः arm यदाज्नापयति कुमारः ततः हतानि तेन करुरचिक्ाभिधानानि वटकानि खमुपनोतानि मे रहसि snare) Sfaferay मार एतानि मदौोयशम- ग्ेमभवानि वर्तन्ते वटकानि ङवेन्छपयन्धमानानि Tere खंपादमेन पुरषस सथ wis दोषतरं चायष्कम्‌ TENE VU, बेमेतानि `

अजागर amazin कथान्तरख्वितेन केनाप्यमिदहितम्‌ ।. भविव्यति भवाभिमते श्वाने कोऽज खन्देहः अतं लवा wi arte) ततः awed मम समोदितम्‌ cree वटकोपथोमेन महानरके भविति तच गतख्याख दौधंमाष- मकम्‌ 4 कथमन्बचेवं विधः wet महानरक एव ममाभिहितं चछानमिति भावनया quiet feta. मवामिहितं fa a gawd मे warefe वर मिरेऽगुकूले azrad feqeat परि- तुषटोऽलौ समर्पितानि वटकानि ग्यरोतामि मया अभिदहितं च. बेन छमाराथनपरो मम मादो fate: gate aga

SAT: प्रस्तावः | Roy

waraat dfaa a fafanwaaat मध्यादेकं वटक ufeaa कुमारेखेति मथाभिदहितं किम प्राथेनया निवेदित एवाथ- माद्या वरमिभरस्य वेश्वागरेणामिहितम्‌ महाप्रसादोऽनुगटदौ- aise कुमारेति tag तातेन सवं विश्वसनोयो fran Tram दारकः। दुत श्रे विदुर समादिष्टो मया कुमारः। धथागन्यमनसेन भवता कलायणं विधेयम्‌ श्रहमपि ze- व्योऽहमेव भवन्तमागत्य द्रच्छामि तदेवं fat मम राग्यकाय- वखाङुखतया कदाचिन्नन्छमौपे गमनं संपद्येत ततो भवता प्रति दिनं कुमार ्ररौरवातां मम संपादनोया विदुरेणोक्रम्‌ यदान्ना- पयति 2a: ततः संपादथता तेन तद्राजश्रासनं खकितः सवोऽपि weet रालदारककलाचायेकदथेनवयतिकरः तथापि मनःशति- . भयेन किथन्तमपि कालं कथितोऽसौ ताताय अतिभरमवजोक निबेदितोऽन्यदा तत्धिन्तितं तातेन मेष विदुरसावदब्यं भाषते) चापि कुमारः प्रायेणेवंविधमाचरति afenay तलं भविख- तौति a जानौम्े। यदि कलाचार्यस्यापि ace fart कुमारो frag ततः कला्यद्ठप्रयोजनमिति विन्या षमुदिग्मो- ऽग्न्ातचिन्तेन पुनधिन्तितममेनेदम्‌ अन प्राप्तका एच्छामि लावत्कलाचार्येमेव चथावख्धितम्‌ ततो निचित्य seat तज्नि- बारणोपाये यत्नं afterfa ततः प्रेषितस्तदाकारणाय सबङूमानं विदुरः समागतः wera: श्न्यत्थितस्ताते दापितमाखनं विदिता परियां ततसदनुश्चातविष्टरोपविष्टेन तातेगाभिडहितं wre afgegz अपि ageafs aero gare

२०८ उपमितिभवप्पञ्चा क्या |

a शक्रोति तदिरडे चणमप्याशितु gaz: यतो 4 aqua तिं द्यते रणरणकेन मन्यते ठणतुष्यमनेग रडहितमाक्मनम्‌ |

ततो यद्ययं मारो वेश्वागरसंसगेत्धागं प्रति किंचिदुच्यते ततोऽइमेवं तकंयामि awager gaiq श्रात्मघातादिकं ar विदध्यात्‌ अन्यदा किंचिदकाण्डविद्धरमनर्था्तर संपादयेदित्यतो भाजय fatten मारमेति देवः बुद्धिखमुद्रेणोकतं देव wana सवंमिदं यद्‌ाबेदितं aaa |

तथाहि। वयमपि कुमारस्य पापमिभसंबन्धवारणे गाढञुचुक्राः सकखकाश्लमास्मद्े चिन्तितं want: यद्ययं कुमारोऽमेन वेश्वागर- षापमिनेष वियुज्येत ततः aay गन्दिबद्धंनः ख्यात्‌ केवलमो दू कथं चिदगयो गांढनिरूढं प्रेम येन ग्रक्यतेऽधुना क्रुमारोऽमचंभोड- तथा वियोजनं विधातुमित्यतोऽशक्धानुष्टानरूपं कुमारख्छ वैश्वानरेण ay मेजौवारणमिति मन्यामहे तातेनासिदहितमायं कः पुनरभो- पाथो भविति बद्धिससुद्रेष्णोक्षम्‌। अ्रतिगहनमेतत्‌। वथमपि लानौमो विदुरोणाभिडहितम्‌ देव भ्रूयतेऽच कचिदतोतानागत- वक्लमानपदा्थेबेदौ समागतो जिनमतश्चो नाम fagqat महा- नेमित्तिकः कदाबिदजोपायं खचयति तातेनाभिडहितं साष्व- भिहितं भद्र साध ओोत्रं समाहयतां भवता विदुरेशभिहितं धदान्नापयति दव दति निगेतो विदुरः समागतो नेमिन्तिकेन खड Bintan दृष्टो नेमिन्तिकस्तातेन तुष्टदेतखा दापितमाखनं हृतसुचितकरशोयं कथितो यतिकरः ततो बुद्धिनाडोसंचारेए निरू तेनाभिदितं महाराज विद्यतेऽबान्यः कञ्चिदुपाबः। एक

SATA: प्रस्तावः | २०९

ware परमुपायो विद्यते दुलंभख्चासौ wae) तातेना भिहितं

कौदृश्रः दति कथययलायेः। जिनमतज्ञेनाभिहितं महाराजाकणय | uf रहितं सर्वोपद्रमैर्निवासस्थानं मसगुणानां कारणं

कष्याणपरंपराया Tee मन्दमा गघेयेचिन्तसौन्दयं माम ATT | तथाहि

वसतां ay लोकानां नगरे पुष्थकमेणाम्‌ | रागादिषवरटाः स्वं जायन्ते नेव बाधकाः यत्च चुत्यिपासाद्या बाधन्ते तजन नो जनम्‌ ततसख्तद््यते He: अर्वोपद्रववजितम्‌ ज्ञानादिभाजनं खोकस्तदगेनेव आयते | कलाकलापकौशरष्यं ततोऽन्य विद्यते भवन्यौ दायगाम्भोयधेयंवौयांदयो JT: वस्तां तच तत्छवगुणख्यानमतो मतम्‌ यतश्च वसतां तच धन्यानां aaa | उन्तरोग्सरभावेन विशिष्टा सुखपड्कतिः संपद्यते तस्याः प्रतिपावः कटान | कश्याणपद्धतेरत्रतस्तल्लगर मतम्‌ सर्वेोपद्रवनिभुक्रे समस्तगुणब्ड पितम्‌ | कश्ाणद्धतेतुयेत एव तत्पुरम्‌ अतएव सदानन्दं तत्पुश्छेनिषेवितम्‌ |

` नगर चित्तसौन्दये मन्दभाग्येः सुदुेभम्‌

तज

मगरेऽस्ि हितकारौ सवेशोकानां रतोद्योगो दुष्ट-

21

aro उपमिविमवदप्पश्चा कथा |

निय टश्लावधानः शिष्टपरिपाखमने ofcgd: कोशदण्डससुटयेन इभपरिश्ामो माम राजा | धतोऽसौ सवेलोकानां चिग्तसम्तापवारकः | तथा संपकंमाचरेण महानन्द विधायकः सदनुष्टानमार्गेऽपि जन्तूनां प्रवन्तकः | अतो वौरजनेखोके हितकारौ निगद्यते रागदेषमदहामोदकोधलोभमदभ्नमाः कामेर्याश्चोकदेन्याद्या ये चान्ये दुःख्ेतवः दुषटचेष्टतथा नित्यं लोकसन्तापकारिणः तेषासुदलनं राजा कुवेश्नवतिष्टते च्ञानवेराग्यसंतोषत्थागसौअन्यलचण्णः | थे चान्ये जनतार्ष्ादकारिणः चिष्टसंमताः तेषां राजा सततं परिपाख्नतत्परः | अस्ति मिःग्रेषकन्तेव्यव्यापार विमुखः खटा धोष्टतिरतिस्वेगशमाैः परिपू्ंते भाष्डागारं यतस्तश्च ya: प्रतिचणम्‌ दण्डञ्च Agd तस्छ चतुभंदबखात्मकः | ग्रोलाङ्गलचणेर्नित्यं रयदग्तिहयादिभिः दुष्टानां frrerem: frerat परिपाकः | कोश्दण्डसष्द्धखच तेनासौ गौयते qu: तस्य इभपरिशामसख रान्नो गटहोतजयपताका war सौन्दर्य विनिजितमुवनभयकलाकलापकौ श्लेमापहसितरतिवि-

Zale: TATA: | २९१

भमा विलासविष्तरेणणधरितारुन्धतोमहाद्यातिश्रथा निकपतिभन्नि-

तया निष्प्रकष्यता नाम महादेवो | एकन VACA हताखदहारचचेनम्‌ | सुराखरनरस्लेणं वद्या ल्ञोकेऽतिखुन्दरम्‌ Stare सुनिषंघस्य कदाचिदुपतिष्ठते swat रिशि wera at देवो निष्यकन्पता आसक्िसुनिचिन्लानां तश्यामेवोपजायते | अतः शरोरलौन्द्था्धा सरौतपताकिका स्दरेश्रोपेखचन्द्रा्ाः कलाक्ौ शखशा जिनः | ये चान्ये जोक विश्ाता विद्यन्ते भुवमज्ये खोभकामादिभिः ef जितास्ते भावश्रजभिः | कौ श्रश्मतस्तेषां विद्यते परमार्थतः तास्तु देवासत्किचित्कौ रलं येन Steer | वान्पराजयते तेम सामिशतजगच्चया रतेविंखासाः कामश्य केवलं तोषद्ेतवः | grag पुनस्तेषां वा््लामपि जानते ver: सकाः Gace बतनिर्वाहणादयः | faerat qfaatae arrerevarice: # sataefaar सत्थं खविलाखे रतिखया यथा wepher खा तयेदानों निमे आपज्निमद्रभन्लार प्रक्राम्य निजो वितम्‌ निर्वाहयति Tie तेनासौ winger

RR उपमितिमवप्रपञ्चा शया

` श्रन्धतौ Gta ve संरकषणचमा मिष्पकन्पतया तस्मात्‌ भन्तेभक्रतया जिता किचेड बङनोक्रेन Te: कार्यप्रसाधमो त्व राच्ये परं सारा शा देवौ निष्पकन्यता meaty foram एभपरिरामयोरदवौनृपयोरस्ति wand: satagafrfacrgetel wea FETE: aqawe- aa सुनोनामपि मनोडहारिणो चान्तिमांम दुहिता, यतः सा सततागन्ददायिनौ पैपासिता | सरणटेनापि निःगेषदोषमोषविधायनो गिरौोचते विशाखाखो यन्नरं किख Steer | पण्डितैः महात्मेति Bat गाढं प्रशस्ते ` आलिङ्गनं पुनस्तश्यामन्धो at wat नरः सवेनरवगेश्य wean विष्यति MATE wer नान्या जगति विद्यते | प्रकरष॑स॒न्दराणां खा विदद्धिस्तेन waa सद्यागकेवशश्नानमरद्धिपरश्रमादयः | लोकानामद्भुता भावा ये चमत्कारकारिणः ते wafer भविव्यन्ति ताखचानन्तशौ यतः | वत्मसाटेन सत्वानां तामाराचधयतां ष्टा उत्यन्तिश्छमिः सा तस्मादाखर्याणमुटाहइता | चथा र्नमश्जुषा तयेदानों निबोधत दानश्मोशतपोन्नागङ्ुखरूपपराक्रमाः |

ware: प्रस्तावः | २९द्‌

सत्यश्नौ चाजैवाखोभवीर्यशवर्यादयो FUT: ये afr लोके वन्तन्ते रबररूपिणः | चान्तिरेवहि सवेषां तेषामाधारतां गता तेनासौ carga विद्भिः परिकौन्तिता चान्तिद्ौना गुणः स्वं शोभन्ते निराश्रयाः saat | चाभ्तिरेव महादानं afta महातपः | चान्तिरेव महान्ञानं afata महादमः | चान्तिरेव awe चाभ्तिरेव महाकुशम्‌ चान्तिरेव मावो चान्तिरेव पराक्रमः | afata सन्तोषः उान्तिरिण्ियनिग्रहः चान्तिरेव महाशौचं afta महादया | चान्तिरेव महारूपं afta महाबलम्‌ चान्तिरेव महेश्व चान्तिधर्यसुदाइता चान्तिरेव पर ब्रह्म सत्यं चान्तिःप्रकोत्तिता ` चान्तिरेव परा afm: चान्तिः सर्वायेसाधिका। afta जगदन्द्या afta जगद्धिता चाज्तिरेव जगञ्व्येष्ठा च्षान्तिः कल्याणएदायिका | चान्तिरेव TAT चान्तः परममङ्गलम्‌ चान्तिरेवौषधं वार सर्व॑व्याधिनिबदेणम्‌ | चान्तिरेवारिमिर्नाश्रं चतुरङ्गं महाबलम्‌ किला awaiting चान्तौ सवं प्रतिष्ठितम्‌

२९४ उमितिमवप्रपश्चा कथा |

अतएव तु सा कन्या ञुनिशोकमनोहरा कुर्यादौड्शरूपायां को feed सचेतनः | अन्यश्च | थस्य fed समारोडहेदिखसन्तो खलोखया | सा कन्या धन्यतां प्राय सोऽपि तद्रपतां व्रजेत्‌ अतः सम्बग्गणाकांो कः सकण तां इदि | कु्यात्कन्यां सदाकालं खवैकामसमर्पिंकाम्‌ एवं faa |

सा गणोत्कषेयोगेम कन्या सर्वाङ्गसुन्दरा | we वेश्वानरस्योचचैः प्रतिपचतया शिता तस्या शरेनमाजेण भौोतभौतः सुविङ्कखः | एष वेश्वागरो मन्ये दूरतः प्रपलायते ¢ निःरेषदोषपुश्जोऽयं खा कन्या रुणमन्दिरम्‌ | साचादध्िरयं पापः खा qaftaniaen सषावश्थानमेवं हि नानयो विं्चते कचित्‌ | विरोधभावान्तेनेवमस्माभिरभिधौयते यदेष कन्यां तां धन्यां gare: परिणेग्यति way पापमिचेण तदा ast faerafa want चिन्तितं विदुरेण अथे अनेन fangs नेमिन्ति कनेदमभिहितं यथा fravied चः शभपरिशामः तद्य या frat तश्जनिता या afer: dary मन्दिवङ्केगकुमारष्यानेम

Sata: प्रावः | २१९४

पापमितरेण Toate ey संसग facet समर्थां मान्यसनि- वारणे कञिदुपाय इति तक्छवेमनेन यकस क्म्‌

श्रथवा किमजाखथे fe भिगमतश्चः कदाचिदयुक्कं भाषते ततस्त्निभिन्तकवशनमाक्यं तातेनावखो कितं went मतिध- गख महामग्विठो वदनम्‌ खितोऽसौ प्रब्छतरोऽभिदहितस्ातेन ara मतिधन श्रुतमेतद्ववता मतिधनेमाभिहितं देव ad ताते- atfafed श्रायं यद्येवं ततो महदिदं मम चिक्नोदेगकारणं यद्येष विशिष्टजगस्पहणोयोऽपि कुमारस्य gure: पापमिभसम्नन्ध- दूषितो निष्फलः dag दूति तद्गच्छ शप्र प्रषय चिन्तसौन्दरथ वचमविन्यासद्ुश्रलान प्रधानमरहक्तमान्‌ BET तदे शासम्भवोनि प्राश्तानि इति। safe गच्छतां तेषां निरन्तरखम्बन्धकरणपटू- ATT याच्य कुमारां शएभपरिष्णमं लानिदारिका- मिति मतिधनेनाभिडितं यदान्चापथति देव इति fray newt मतिधनः जिनमतश्नेनाभिहितं महाराज शअरलमनेनारममेण weed विधगमनयोग्यं तज्ञगर तातेनाभिदहितं are कथं जिनमतजचे- मामिहितं ayer waaay शोकं गगरराजभार्यापुज- मिचादौनि vata दिविधानि भवन्ति तद्ययाम्तरङ्काणि afer- क्राखि तज afecpaa agg भवादृशां गमनाश्चापनादिव्वापारो AATF, एतश्च मगर राजा तत्यन्नो दुहिता सवेमन्रङ्ग वन्तेते ay yet ay महक्षमपरेषणं तातेनाभिदितं wre कः gaara प्रभवति जिनमतश्चेना भिहितं खोऽग्रङ्ग एव राजा ताते- माभिदितं श्रावं कः gat जिनमतज्ञेनामिद्ितं महाराज

२९६ उपमितिभवप्रपच्चा कथा |

क्मपरिण्णमः ae fe शएभपरिणणमस्य कमेपरिणामेनेव veya दन्तं तश्नगरम्‌ | श्रतस्तदायन्तोऽसौ THA तातेनाभिदडितं श्राय fi भवत्यसौ कष्येपरिणमो मादृशामभ्ययेना विषयो जिनमत- च्ञेनाभिदहितं महाराज aaed हि ययष्टकारो प्रायेण aed खत्पृरुषाभ्यथमां रज्यते सदुपलारवचमेन Bs परोपरोधेन मानुकग्पते दृष्टाप्यापद्नतं जनं केवलमसावपि ara विदधानः wafa महन्तमभगशिनों otafefa पर्यालोचयति खभार्या काखपरिएति कथयत्यात्मोयमहत्तमाय खभावाय waa मन्दिवद्धनङुमारस्य समस्तभवान्तरानुयायिनों प्रच्छन्ञरूपां wet भवितव्यता बिभेति कियकमाजं मन्दिवद्धंमङ्मारवौर्यादपि खप्रृक्तो।

तत्वं विधमन्तरङ्गपरिजनं सखसंभावगया सन्मान्य एष केपरि- शममहाराजः काये कुर्वाणो बहिरङ्गलोकं रटन्ममपि गणयति faate wernt रोचते तदेव विधत्ते तस्ान्ञायमभ्ययेनो चितः किंत aera प्रतिभाषिग्यते तदा खयमेव कुमाराय दापयिखति शभपरिणामेग शान्तिटारिकामिति aatafafea श्राय warafe वयं तो a mad कदा चिन्त्य प्रतिभासिथते afaaraqef<a पापमिभे कुमारस्य समस्तगुणविफखतया किंचिदस्माकं जौोवतोति छत्रा जिममतश्चेमामिदहितं महाराजाशं विषादेन किम frat यदौदृश्रमेबेदं प्रयोजममिति |

तथाहि

गरः WATS शक्येऽयं स्यादुपाखम्भभाजनम्‌ | श्रश्रक्यवस्छविषये पुरुषो नापराध्यति

तोद Weta: | २१७

war

arsed प्रवर्त अनपेच्छ werqeq

wag परेषां wre: enfeafanra

azea. faa कां यद्भविग्यन्तवा परम्‌

भवतां त्यक्रचिन्तानामाजितु. यश्ते भ्रुवम्‌

` श्न्यश्च कथ्यते किं fdas: खाच्छाकारशम्‌ ` | निराख्म्नलामेत्य ANGE भवादृशाम्‌ तातेनाभिद्डितं wre साधूक्तं समाश्वाषिता वमनेन भवता Ufesawte तत्कथ किं तदस्माकं Yaa: सारथ्यकारशमिति जिनमतश्चेनामिदितं मरारान TI कुमार THRET: पुष्यो- ङ्यो गाम GS यावद पाशवन्तौ तावदेव वेशवारः पाप- fava Saat कुमार खंपादयिखति घोऽख ब्र्युताये- wearer पर्थश्ख्तौति तदाकष्छं मनाक्‌ खसो गतसशातः। wernt रिगकरमम्नरतशच्य . मध्यभागमारूढं निनेदयन्नाङिकाङेदप्रडत- पटहनारारुषारो wefan: गाङूखश्रष्दः पटिलं काशनिदेन दकेन : . क्रोधान्तेजसो afy: कि तु मथखमावतः)। दशेयभिति शोकानां सूर्यो werent गतः तातेनाभिहितमये मथ्याण्दयमयो wit ततः. egana-

afaamfafa wat विशनितो राजलोकः पूजितौ . काचा जेभिन्तिकते प्रापितौ वमानं ततो नेमिज्तिकवचनाटज्रक्धालु- हागमेतदिति mafaderft mia मोददेतनचापव्यस्ेदण्य

28

२९८ उपमितिमवप्रपच्ा कथा |

समादिष्टो विदुरः दूत परोकित्यो भवता कुमाराभित्रायः किं शक्यतेऽसमात्पापमिजादवियोजयितुं कुमारो 4 बेति। विद्रेशश- भिहितं वदाज्ञापयति 2देवः। ततः ससुल्थितस्ातः छतं दिवसोचितं कर्तव्यं दितौयदिमे समागतो मम समोपे विदुरो विहितप्रणामो जिष्णो मदन्तिके ष्टो मया भद्र हः किश्ञागतोऽसि विदुरो चिन्तितं श्रये समादिष्टस्तावदहं देवेन थथा लरयितव्यो भवता कुमाराभिप्रायः ततोऽहमखे यत्‌ तल्छाधुभ्वः सकाशादाकषण्ठित- मासौग्मया दुजेगसंसगेदोषप्रतिपाद कमुदराहरणं तत्कथयामि ततो fawred खण्वेतरोयोऽभिसन्धिरित्येवं विचिग्ध ॒विदुरोषाभि- डतम्‌ 1 कुमार किचिदाङकिष्छमग्छन्मयाभिदहितं ates विदुर- शामिदहितं कथानगकमाकण्ठितं मयाभिहितं वचय ates तत्कथा- गकं faqterfafed वणंयामि केवश्मवरहितेन ओतव्ं gate मयाभिदहितम्‌ we टन्तावधानोऽसि विदुरोणाभिदहितं werer- मेव मनुजगतौ गगयांमस्मिज्ेव भरताभिधाने wea चितिप्रति- fed नाम भगरं awfa वोयेनिधामण्डतः कमेविष्ासो भाम राजा तस्व दे श्रगमदहिग्यौ VAR wwe च. तज श्टभसुन्दर्थाः पुषोऽसि मनोषो नाम बालोऽकुशलमाल्लायास्तौख मनोषिवाखौ सप्राप्तकमारभावौ नानाकारेषु काननादिषु क्रीडा- रघमनुभवम्तौ यथयेष्टचेष्टया विचरतः अन्यदा खदेहामिधामे कानने नातिदुंरादेव दृष्टसाग्वां कश्चित्पुरुषः) तयोः पश्वतोरोव समारूढसच्करयामिधानं वस्मोकं निबद्धस्तेन मूङगामकतर्श्ाखायां प्राग्रको fafaa: शिरोधराचां प्रवादितंश्त्मा ततो मा सादं

SAT? प्रस्तावः | are

मा areefafa वदन्तौ प्राप्तौ ward meald कुमारौ few: याश्को बालेन ततः संमोहविहृलो भग्रलोचनख पतितोऽषौ पुरुषो तले समाण्हादितो वायदानेन ङुमाराभ्वां wat चेतना Stir शोचे निरौषिता fest दृष्टौ ङमारौ sfaferanat भद्र किमेतदधमपुरषो चितं भवता व्यवशित किं वा भद्रखयेद्श्राष्यव- सायस्य कारणमिति कथयतु भद्रो ayaa भवति। ततो ere ara निश्वस्य qeaurfafea | श्रलमस्मरोयकथयया सुन्दरम- afed wgnat यद्‌हमात्मद्‌ःखामखं भिर्वापयितुकामो wagat धारितः तदधुमापि awet मे वित्र इति ज्रवाषः wefan: -पुनरात्मामसुद्णम्न चित्मसौ पुरुषो wat बालेन अ्रमिहितख। भद्र- कथय तावदस्माकसुपरोधेन GIVI ततो यद्यलयपरतौकारः खा कतो यदुचितं तल्कु्ाः। पुरुषेणाभिदितं यदि निर्बन्धस्ततः शूयता gra wife सवंखखमिव जोवितमिव weafaa डितौयं wera मिज जातिखेहनिभेरतया चएमाभ्रमपि at विरहयति किं तरिं कलकालं मामेव लाखयति पाणयति श्रष्छति मां खणे चणे। यदत भद्र स्पेन किं तुभ्यं रोचते ततो यद्र वदामि तत्तदषौ भवजमतुमम वयस्यो ager संपादयति कटाचिग्धरप्रतिकूलं विधन्ते। अन्यदा मम मन्दभाग्यतया दृष्टस्तेन सटागमो भाम पुरूषः प्यालोचितं ay तेम किचिदेकन्ते भवजन्तमा भावितचिन्लेन इष्ट॒ दव लच्छते ततस्तत्कालादारभ्व fafe@hait ममोपरि ख्वबन्धः करोति तथा शालां -दशेयत्याक्मबुद्धिं yaad aguas मम वा्तामपि प्रश्नयति

RRe उपमितिमवप्रपद्चा कथा |

mea at aftada मन्यते ट्ेयति fafrerfe ewe प्रति- कूखमासशेवते ततो मथा fear wo इन्त किमेतत्‌ मया किंचिदश्च वलो कमा चरितं किमिव्ययमकाष्ड एव ware वहिकापरावभ्भित vara शंनः हा wise मन्दभाम्य इत्थारारग्बमानो Teer xa fie wa Wade इव च्ोक- NPT: प्राप्तोऽहं दुःखातिरेकं शकितं कथं चित्पर्या- शो यवता मवा अथे छर्वोऽप्वय ` सदाममपर्थाखो दजनितोऽनयेगव्यति- करो विप्रतारितोऽं मम वंस्छोऽनेन पापेन चोग्ूलबश्निव मम ऋदथं पुनः. पुनस्तेन aera ey रइसि प्थालोरवति तं निवारणे दटन्तमपि मां नांकशयति चथा यथा भवनग्ोः षदा मभपर्थाशोचः तरां परिणमति तयां तथा मामेष नितरां fafweuft ततः. aga मे गाढतरं दुःखं अन्यदा दृढतरं पर्षा शोच्य were ay किचिदेकान्ते जोरितो मथा. ae संबन्धः wita भवजन्तुना ofcfestsd चिकेन arin मम वह्ञभानि मदचनेनेव ग्यरोतानि चानि gf कोमण्टल्यौ गष्डपिधानादिख्ना- चानि शयनानि विरदितानि इशपच्छादिपूरितान्बाश्नानि garfa हृहतिकाप्रावाररलिकासोनां एकपटांशकादौनि कोमलवखाणि x व्याख्यातानि मम उसकदायोनि शौतोष्यनपरतिङूकतथा सेव्यानि कद्रिकारुदवम्दनारो नि विलेपनानि afsa: saat ममाङ्कादा- तिरेकषपादकः कोमणतगुखताकजितो शखगासंभातस्ततः प्रति @ wong: करोति केश्ोत्पाटमं चेते afer भारति WC ae परिधत्त जरश्चोवराकि sets दूरतः Wry

तोयः प्रखलावः। RRL

कथं चिदापन्ने तस्िभ्करोति srafyd सहते area’ whi दक्हाति च्येष्टावाढडयोरातपं via परमवेरिक इव यद्यत्किं चिग्धो fag तद्छवंमाचरति ततो मया चिन्तितं परिव्यक्स्तावकवेथा- इमनेन BAG WE तथाणयामरण्ान्ताः प्रणयाः सत्वनमा- भामिति इद्धवादः ततो यद्यप्ययमनेन शदागमपापमिचेर विप्र- तारितो मामेवं कदयेवति तया्यकाष्ड एव मथा मोक्ब्यो चतो भदटरकोऽषं ममाक्मोवप्रश्या afeat बना कालेन sari wafs anagerfa सदागममेखकलनितोऽवमख्य विपर्थांः | गत्कराचिटदपगच्छन्येव काषेन ततो भविष्यति ममोपरि qaacw WWII) एवं waite व्यवख्ितोऽहं बडिक्छतोऽपि तेन भवः जन्तुना तस्येव सम्बन्धिनि शरौराभिधाने mat ayer भवेन काखमुरोकमाणणो दुराश्रापाश्रावपाभ्रितः खम्‌ क्रियकमपि कामिति |

अन्यदा शदागमवचनमनुवन्ेमा गस्तिर स्त्य मां पुदवक्रियया -निष्कादख् ततोऽपि प्रासाडात्परमाधामिक इव निर्धकतधा मामा- WEN AAMT इष्ट टव तच यास्यामि ay भवन्तं wteqnat द्रच्छामोत्यमिधाय गतः कुभेचिन्छ Sart feat ait प्राप्त अयते खाच मादूश्रामगम्बा गगरो ततो नवा चिभितं किम धुनापि मम .परिचमिज्रपरिग्रतेन तदिरडितेनानागखस्तमकर्पेग लोवितेन ततसेदमथ्थवदितमिति बाञ्धेनाभिहितं ay खेन wy खाने भवतो sae: दुःखदं हि प्रिवमिषपरिभवदुःखं तदिरहशमप्रपक्ः ब. शरकयतेऽन्यया यापयितुम्‌ |

VRB उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

तथाहि | wey: सहणात्छोदुं चमिणपि पराभवः | कतकेन fe fag: पाषाणोऽपि प्रशोयते मागिनां भिचविरडे जौ वितुं भेव quae ददं fe मश्यता aw वासरेण गिषेदितम्‌ # अहो ते भिववत्छणता wet ते खिरानुरागः अशो wert अदो साहसं wet मिर्मिंश्यभावतेति भवजन्तोः पुनरहो चणरक्र- विरक्ता wet ते हतप्रता wet श्रौ किकत्वे अरहो मूढता wet शरद यलं aut अमार्यानुष्टानप्रटृत्तिरि ति केवलमेवमपि fat जवौम्बदमज किंचिष्तदाकणेयतु भद्रः स्यग्रेनेनाभिदहितं वदतु नि्विकश्यमायेः बालेनाभिहितम्‌ अलबधग्रतोकाराणामभिमानावलम्बिमाम्‌ खेरेकवद्धकला्णां युक्रमेतङ्भवाद् श्राम्‌ तथापि ACTIV धारणोया भद्रेण प्राणा इतरथा ममा- पौचमेव गतिः रञ्ितोऽहमनेन भवतो निष्कुचिममिचवात्स्येन दाशिष्यमहोदधयसख सत्पुरुषा भवन्ति सत्पुरूषख भद्रकायेतो गम्येत अतः कर््तव्यमेवेतत्‌ fafant ana वचनं age) यद्यपि चूत- मनोरथा चिध्िनिकथा पूर्यन्ते तथापि मदनुकम्पया भवता मल्घं- बन्ध एव भवणन्तुविरइदुःखपरतोकारवद्या मन्तव्यः श्परेनेनामि- डतम्‌ साधु ara साधु धारिता एव `भवतामुपद्छतवत्षलेनाति- `खिग्ध॑वरनाग्टतसेकेनामेन खयमेव विलोयमाना मदौयप्राणः। किव awei मष्टौ मेऽधुना ओकषन्तापौ `विद्मारित दव भवता

Zara? GST! | VRB

भवजन्तुः जओोतलौग्धतं नयनयुगलं werfed fer निर्वापितं ने Wt waguaa किं बना aaa भवजन्तुरिति ततः संजातस्तयोर्मिरन्तरं Bera: 1 मनो षिणा चिन्तितं खलश सडह- ओऽ तुर क्रो वयस्यः केन चित्पेचापूवकारिएणा पुरषेण निदीषस्यव्थते | सदटागमो faela कटाचित्यानयति डि गाढं पर्थालो- चितकारौ श्तमस्मामिः। तदच कारणेन भवितयं सुन्दरः way WIT: प्रायेण तदगेन we मेनो कुवैता विरूपमासरितं बालेन एव चिन्तयन्नेव मनौषौ संभाषितः स्यशेमेन हृतं ममो षिणापि सओोकयाजालुरोधेन संभाषणं संजाता तेनापि we afearaar मेनो eine प्रविष्टाः सर्वेऽपि नगरे प्राप्ता राजभवनं get SATA: कब्येविलासः VE महारेवोभ्यां शत पादपतनं लनमो- अनकानाम्‌ श्रामन्दितासतेरान्नौ वादेन दापितान्यासनानि. गोप- fasray fever तले cia: que: कथितस्तहृत्तान्तः प्रका- firrgrnyy तेन we Aiwa: कुमाराभ्वां परिदष्टः कर्म विल्ाखः चिग्ितमनेन मम तावदपथ्यसेवभमिव व्याधेङ्पवय्ेतु- रेष स्मः दृष्ट एव मयामेकशः Wi त्सुन्दरमेतस्ंपन्नं aay खानयोर्मेनो संजातेति केवलं प्ररृतिरिथं ममानादिरूढा वन॑ते यदुत योऽख्यानुकूख्स्तस्य मया प्रतिकूलेन भवितव्यं यः पुमरख भ्रति- कुशो facfrayaa तश्च मया सुन्दरं afta यः पुनरेकाश- तर्जति मयापि wat ama एव aed fea face निरौच्छ ङुमारयोरेनं प्रतिचेष्टितं यथोचितं करिव्यामोति fa- चिगधाभिडितं कमेविलासेम वल्धौ सुन्दरमनुष्ठितं भवद्भयां यदेष

R29 sufafauaragt कथया |

wie: avers विदधानो धारितो Attacea qa: सुन्दरतरं Pe. खण्डयोगतुखो fe वत्सयोरनथोः ak daar) we ग्रखभालथा चिन्तितं अरहो मे धन्यता ufsenagean मम CUTS नाम चो WS WIGS: ममात्थग्तवल्षभः एवं खं मां वद्धयति पाशयति acivewad wana नेतरः बज- ओऽनुग्धवपूवंमेतका एष मटरोवसोनुरेनं प्रति सुखराम माडः अनुकूलो शच्छते ततो भविग्यति मनोरथपूजिरिति वि चिन तचा बाख प्रल्यभिडित veg सुन्दरमलशितं वियोगो भवतु भवतः gfavefa एभसुन्दर्था चिन्तितं सुन्दरः ate मम तमय पापमिचसम्बन्धः रिपुरेष परमार्थेन कारकमगयेपरन्यराथाः we- रजं ममापि aust वक्ते कद चितादममगेन aye: of are मवास्य.च Qua केवश्मेतावागच feugancverya: wre azragaisg प्रति qgewrea gfefanrte face इव erga ततो प्रभविग्यति mae ममायं पापौ ufe aa a चते किं भविति विषमः अश्वेव दुरात्मा दत्भाद्यनेकविर्कश्यमा- शाङुलमानसापि गंभौरतया मौगेनेव खिता शभसभ्दरी अभा- मरे संजातो मध्याः उपशंइतमाखानं गताः VAY सस्वानेषु afenraroa प्रवद्धेते aee wits wy Quaa: चकितेखि- ति waar मनोषौ गच्छति विश्रमं wing ver afafe- ततया . ङुमारयोरन्तर्ेडिद. we gets ततः वर्वटज्ि ते afeat एव मानास्थानेवु कोड्न्ति विविधक्णैडाभिखणो मनौ विषा चिन्तितं कौर मनेन स्प धनेन ay विचरतां श्वेजा विश्रथचित्षानां

ate: Wea? | Ray

wa चेव तावदद्यापि सम्यग्‌ लच्छते कौदुश्खरूप इति चान्चातपरमार्थैरेष निरद्धारयितु संग्टहोतुं वा पार्यते afecas प्राप्तकाखं गवेषयामि तावदस्य qanfe वतो विन्नाच यथोचित- माचरिग्यामोति खापितः शिद्धान्तस्ततः wargat रहसि बोधो मामाक्रचः | अमिहितखासौ भद्र ममास स्यगरेनस्योपरि महाग- fair तदस्य मूखददधं सम्यगवबुध्य भो प्रमावेदय बोधेनामिदितं यदाश्चापयति कुमार इति निगंतो बोधः ततोऽभ्यस्तसमस्तदेश- भाषाकौश्रणो बड़ विधमेषविरचनाचतुरः खामिका्थबद्धकचो war छच्छोऽनुपखच्छस प्रडितस्तेमामोयः प्रभावो नाम पुरूषः प्रणिधिः आदिष्ट्ासौ प्रष्ठतप्रयोजनं ततो fafautig कियन्तमपि कालं qq . समागतः सोऽन्यदा प्रविष्टो बोधमौपे विडितप्रशामो निषष्यो waa बोधेनापि विधायो चितां प्रतिपन्तिमभिदहितोऽसौ भद्र वणेया्मौयदन्तान्तम्‌ प्रभावः प्राह यदाश्चापयति देवः। अस्ति तावदमितो नित्य गतो बदिरङ्गेषु नानादेशेषु wait मया तच aga प्रत्तिगन्धोऽपि ततो गतोऽहमन्तरक्रेषु अमप- देषु तच दृष्टमेकच मया. मिशपकल्लोकसखमाकौणं षमन्ता व्कामादिशरटैर्िंवासः पापिष्टलोकानामाकरो मिश्याभिमानगस्छ हदेत्रकष्याणपरम्परायाः saga waa विततेन तमसा रहितं warranty राजशचित्तं माम मगरम्‌ तच चृडामणिचि- TSUN कारणं खमस्तपापटन्तोनां aqua: guwarifac: SAG: ग्क्रादोमामतुखबणपराक्रमो रागकेषरौ नाम AT: |

तख्छ fern: खवेप्रयोजमानां श्रप्रतिदताञ्नः उमखख्ानेष 29

aad उपमितिभवप्रथश्चा कथा |

faget अगदश्नौकरणे शताग्वासो जन्तुविमोहने पटबुद्धिः पाप- मोतिमार्ेव॒श्रनपेचः खका्प्रटन्तौ परोपदे ग्रानां निरि्रसम- wena विषय्याभिशाषो नामामात्धः। ततस्तस्मिन्लगरे थाव दशं राजकुलस्याभ्यण्धभागे प्राप्तस्तावदकाण्ड एव समुलसितो- ave: कोलारणो निगेच्छति घोषयता बन्दिरन्देन प्र्मापित- माहात्या लौख्ादिनरद्धाधिषिता मिथ्ामिमिवेश्रादथो wate: eeaat: पूरयन्ति गललगजिंतेन दिगन्तराणि रानमागेमवतरन्ो ममलादरयः करिवराः चणिता डेषारवेण बधिरयन्तो feqe- करवालं श्रन्ञानादयो वरवाजिनो विराजन्ते गहोतनामायुधा रण- श्रौण्डोरतथा वलामानाः पुरतो धावन्त्चापशादयोऽषश्छेयाः पदातयः। ततः कन्दपेप्रयाणकपटश्ग्रब्दाककंमसमननरं खरपवनपे- रितमेघजाखमिव quad विलासष्वनमालाकुलं विष्नोकश्- खकादलाध्वनिपूरितदिगन्तरं मो लितमपरिमितं बं ततस्तदव- लोक्य मया चिन्तितं wa किमेतत्‌ गन्तुमिव प्रत्तः कचिद्थं राजा wea तत्किमस्य गमनप्रयोजममिति चावदितरकाङ्ुलश्ति- orf तावदृष्टो मया पयेन्तदाङूणः खरूपेएादग्कः संसारवेचिश्यस्य बोधको विदुषां निव॑दग्धमिर्विवेकिनामविश्चातखर्ूपो fafata- waa विषयाभिखाषस्य मग्विणः संबन्धो विपाको भाम पुरुषः | ततः भिवसंभाषणपूवैकं ष्ष्टोऽसौ मया ag कथयथ किमस्य नरे- . नरस्य प्रस्यानकारणं gaw मे विपकेनाभिडहित श्राय aed ततः समाकषंय पूवंमिर क्विदवषरे सुग्टहोतनामधेयेन देवेन रागकेसरिणाभिदहितोऽमात्यो यदुत sre विषयाभिखाष तचा

तोयः प्रस्तावः | RRO

कथंचिदिधेडि यथा मम समस्तमपि जगत्‌ frecat प्रतिपद्यते मन्धिणाभिद्ितं यदाज्ञापयति देवः। ततो मान्यः aface राजादिष्टप्रयोगमस्छ निवेत्तंनच्म इति मनसि पर्यालोच्य किं वाजान्येन साधनेन asa क्तेगितेन साधयिय्यन्येतान्येवाचिनगध- aaa प्रष्ठुतप्रयोजनमिति संजातावष्टंभेन afar गाढमनुरक्र- भक्तानि विविधद्यानेषु निचुंढखाहखानि खामिनि waar लग्धेजयपताकानि जनइदयाच्ेपकरणएटूनि प्रत्यादेशः शराणां प्रकषखदटुलानां निकषण्डमिः परवश्चनचतुराणां परमकाष्टा साह- सिकानां निदनं दान्तानां श्रात्मौयान्येव स्पश्रनादौनि पश्च zerafa मानुषाणि प्रहितानि जगदग्रोकरणाथं ततो मया चिन्तितम्‌ श्रये शमं खशेनस्य तावकूलोत्थानं विपाकेनाभि- fea ततो वितते अगति विचरद्विस्तेवंग्ौङतप्रायं भुवनं ana ग्राहितप्रायं रागकेसरिणः feecat केवलं मदहासस्यसमुटायाना- भिति fava इव तेषाञुपद्रवकारौो समुत्थितः | श्रयते किख कथित्‌ सन्तोषो नाम चरटो faatfeary तान्यभिग्य किख कियन्तोऽपि जो कास्तेन प्रवेशिताश्च देवसुक्रेरतिक्रान्तायां निरतौ नमर्यामिति भूयते ततो मया चिन्तितं यभिचरति मना- गयमया यतोऽस्माकं wana ममो षिवाल्लयोः waaay निरतौ नगर्यां भवजन्तोगेमनमं सदागमबलेनाख्यातं श्रयं A स्यग्रेनादोन्य- finza सन्तोषेण निर्वारिता शोकाः खापिताञ्च faaat नगर्या- fafa कथयति तत्कथमेतदयवा किमनयाकाष्डपर्यालोचमयावः डितस्तावदाकणेधाम्यश्च वचनं पञ्चाद्विचारयिद्यानि विपढेमामिः-

शर उपमितिभवप्पश्चा कया |

fed ततोऽयमाप्तशोकशतेराकणितोऽद्य देवेन रागकेषरिणा स्यशर-

माचभिभवव्यतिकरः ततोऽतिदुःखहमञ्चतपूवे खपदातिपरि- भववचममाकण कोपानजनितरक्रखो चनयुगलेन विषमस्फुरिता- धरण करालब्टकुरिभङ्गकुष्डलोशतललारपटेमाबद्धनिरन्तरसखेदमि- नुमा निदेयकराभिहितधरणोएषठेन प्रशयज्वलमभासखरं रूपमावि- भरतामषेवश्रपरिस्खलद चनेन देवेन रागकेषरिणश्चापितः परि- जनः | श्रो त्रितास्ताडयत प्रयाणकपटषं सव्नोकुरुत चतुर्ग बलम्‌ परिजनेगाभिडहितं यदाज्नापयति 2a: 1) ततस्तथा देवमा- यास्यमानमवलोक्ध ॒विषयाभिलाषेणामिदहितं देव श्रलमातेगेन किथानघौ वराकः सन्तोषस्थानमादरस्य खल्‌ कवरो लोखा- खितजिगण्डगलितवरकरिनिकरो इरिणं वयापाद्यतयोदिश्या- यस्तचित्तो भवति देवेनाभिरहितं सखे सत्यमिदं केवलं aw- स्मातुषकदधेनां Fla इृढसुद्ेजितास्तेन पापेन सन्तोषेण खल्‌ ARGH मम मनखः सुखासिका saya मन्तिणाभिदहितं देव खोकमेतत्‌ सुश्थतां sa) ततस्तदचमेन मनाक्‌ Walaa देवः कृतमरोषं गमनोचितं स्वापितः पुरतः चहसलिणपूषीः म्रेमाबन्धाख्यः कनककलश्रः Bete: केजिजन्पनामको लय जय शब्दः गोतानि चादुवचनादौनि मङ्गलानि प्रहतं रतिकणशइनामक- मुदामातोचटन्दं निवेत्तितान्यज्गरागश्धषणादौनि समस्तकौतुकामि FSM रथावरो हणाथ देवः अवान्तरे wanda श्रये दृष्टो TASTY मया तातः श्रो मे प्रमन्तता we मे दर्वि मोतता We मे तुच्छलेन खण्पप्रयोजनेऽपि पर्याकुलता यन्तात-

wata: प्रस्तावः | RRE

पादवन्दनमपि faanfafa ततो few चखितस्तदभनाथं देवो मयाभिहितं भद्र कः पुनरस्य तातस्ततो विपाकेनाभिदहितं श्राय श्रतिमुम्धोऽसि यतस्वमेतावदपि जानोषे यतोऽख cae राग- केसरिणो बाखाबलादौनामपि सुप्रतोतोऽनेकाद्भुतकर््मा शुवनचय- प्रकटनामिधानो महामोहो जनकः | तथा हि |

महामोहो waa भामयत्येष लोलया |

शक्रादयो जगन्नाथा यस्य किड्ूरतां गताः .

saat शंघयन्तो wtalfasaat नराः |

WW तु जगत्य महामोहस्य केचन

वेदान्तवादि सिद्धान्ते परामात्मया यथा fae |

चराचरस्य अगतो Water गोयते

मडहामोडस्तथेवाच खवौर्थेण oT |

देषाद्गरेषलोकानां व्यापकः समुटाइतः

तत एव van यान्ति तज gaa |

सर्वे जोवाः परे पुंसि यथा वेदान्तवादिनाम्‌

महामोहात्रवन्तंन्ते तथा शवं महादयः

लोयन्तेऽपि ava परमात्मा aa

अन्यश्च |

AMAA SY बध्वा खन्नोषजं सुखम्‌

इद्ियेर्बाष्यते जन्तुमेहामोहोऽच कारणम्‌

अधोत्य श्वेशाख्ाणएि नराः पण्डितमाजिनः |

RRe उपमितिभवप्रपश्चा KUT |

विषयेषु रताः सोऽचं महामोहो fast VACANT: कषायवश्रवन्तिनः |

जायन्ते GAT शोके तम्महामोहश्रासनम्‌ अवाप्य मानुषं अन्ध Way जें शासनम्‌ | afasfa ग्टहासक्रा महामोहोऽच कारणम्‌ faa निजभर्तार afta कुलख्ियः परेषु थत्मवन्त॑न्ते महामोहस्य तत्फणम्‌ विशंष्य महामोहः खवोयेण facge: | कांखिदिडम्बथल्ये्तिभावश्धितानपि ACA पाताखे तथा टेवाल्लयेव्वपि | बिशषल्येष महामोहो गन्धहस्तो यथेच्छया सर्वया भिजभावेन गाढं विश्रभचेतसाम्‌ | Hata वचनं यच्च महामोहोऽज कारणम्‌ विश्य ङुलमर्यादां पारदार्थऽपि war: | वन्तेन्ते विखसत्ेव महामोहमहानुपः

यत एव GHIA MATE गुएभाजनम्‌ | nfo गुरोखस्छ at Gee गराधमाः शअनार्याणि तथान्यानि यानि कार्याणि afeteq | चौर्यादीमि विलासेन तेषामेष प्रवन्तेकः दृत्यं भर्त्ता: परिपा जगच्रयम्‌ ठद्धोऽश्मधुमा an fa ममेति विचिन्ध पाश्चखितोऽपि शक्रोमि daw परिरचितुम्‌ |

तयः Wala: | RRL

जगत्तेन खपुजाय rey यच्छामि ara दागकेषरिणो sat ततो tree faweu: |

महामोहोऽधुना सोऽयं शेते नि्िन्ततां गतः

तथापौदं WGI प्रभावेन महात्मनः |

तस्येव aa नुनं कोऽन्यः BSG पालकः

तदेषोऽहुतकन्तेव्यः प्रसिद्धोऽपि भगच्थे |

AMVC कथं प्रष्ट्यतां गतः

ततो aufated भद्र कन्तेव्योऽज भवता कोपः पथिकः

खल्वहं श्रुतश्च मयापि awate: पूवं सामान्येन पुमरविंगरेषतो रागकेसरिजमकतया तदधुनापनौतं RATA भद्रेण तदुन्तर- टकान्तमय्याश्यातुमहेति भद्रः विपाकेनाभिदहितं ततो गतो देवः We जनकपादमूलं इृष्टोऽनेन तमःसंञ्चकेन लम्बमानेन भूय॒राखेम अविद्याभिधानया परकन्पमानया AMET जराजोणेकायसष्णा- भिधानार्यां वेदिकायां विपर्याखनान्ि fast महत्युपविष्टो महा- मोहः ततः कितितशविन्यस्तदस्तमशकेन हतं दषेन पादपतनं अभिनन्दितो awatta faricaq तले देवद्य दापितं महामोदेनासभं उपविष्टस्तज जनकसथमवचनेन देवः। पृष्टा शररोरकुशखवाच्तां जिवेदितख प्रद्तव्यतिकरः ततो महामोडे- माभिदहितं ga ममाधुना जर खो वरख्वेव पञ्चिमो भावो aie | ततो मदौश्ररोरखय पामापरिगतमर्रिव करभस्य Tanga तत्धार ` ततो युक्तं मयि तिष्ठति भवतः werd aw तिष्ठ लं विपुलं Trey विदानो निराङ्गखचिग्मोऽहमेव प्रख्धतप्रयोजनं साधयिश्यामोति |

शर्‌ उपमितिभवप्रपच्चा कथा |

देवेन कर्णो पिधाथामिहितं तात मा मेवं ate: शान्तं पापं परतिहतममङ्गलं अननन्तकर्पस्वायि भवतु यौश्राकं रौरं खलु यद्मदोयश्ररोरनिराबाधामाजपरितोषिणि किङ्रजनेऽसिन्वमा- न्ञापयितुमदति तातः तत्किमनेन बहना गच्छाम्यदं अनुजानौत ययम्‌ महामोहः. प्राह जात मया तावद्धन्तव्यमेव wary केवखमवश्थाभेऽगुज्ञा इत्यमिधायोत्थितो महामोहः ततो विज्ञाय निबन्धं Ztarfafed तात यद्येवं ततोऽहमपि तातपादानुषरो भविद्यामि a प्रतिख्खख्नोयस्तातेन महामोहः sry जात एवं भवतु म॒ we वथमपि भवन्तं मोक्तु चएमपि पारयामः Faw Tera weitere मन्वितमस्माभिखदधुनासुन्दरमिदं जातेन afaa देषेनाभिहितं मशाप्रसा दस्ततस्तातोऽपि प्रख्ित इति न्रापितं समस्तमरेष्द्राणां देवेन प्रवज्तितं निःशेषं विशेषतो बल ततः सयमेव महामोहमरेष्रो देवो रागकेसरौ विषयाभिलावारयः सवे मन्लि- महन्तमाः सवबलेग सन्तोषे चरटस्योपरि frase चिता इति armen चुभितमेतत्‌ समन्ताद्राजसचिन्नं नगरम्‌ समुहषितो- sa बहलः कलकखः तदिदं भद्र We Tee प्रसानप्रयोजनमिति एतश्ातिङ्ुदरहजिनं भवम्तमाणलोक्य मथा निवेदितं इतरथातित्- रया मम वचनमाचजोष्वारण्टेऽपि नावसरोऽस्ति यतो ममायानौके नियमः मयाभिहितं श्राये fanaa anal परोपकारकरणव्यय्रा एव सत्पुरुषा भवन्ति ते fe परे प्रियं wage: भिचिलयन्ति सप्रयोजनं gif खभुजोपाजितद्रव्यव्ययं विषदन्ते विविध- दुःखानि a गण्यगधात्मापदं ददति मस्तकं प्रक्रामन्ति ्राणणन्‌

तोयः प्रस्तावः | RRR

परप्रयोजनगमेव डि ते quate मन्यन्ते ततचेवं विधे्मदौयवचने- मेनसि परितुष्टो भामयिता मदमिसुखमोषदु्माङ्गं ब्रलाम्बहमधुना इत्यभिधाय हृतप्रणामो मया गतो विपाकः | मया चिन्तितं साधितप्रायं मयाधुना राजका यतः स्पशेमख्य quieres भवतागन्तव्यमेतावानेव मम राजादेशः तज यावन्सोऽनेन विपाकेन स्ग्रेनादौनां गणा वणितास्ते सर्वे AW GIA चटन्ते ममानुभवसिद्ध- मेतत्‌ तस्मादे तदुपवफितमानुषपञ्चकब्याद्योऽसौ upsets खा मया तस्य qaufe: केवलमेकं सन्तोषव्यतिकरमद्ापि मावग- च्छामि | एतावदितकंयामि सदागमानुचर एवायं कञिद्धविव्यति saa पूर्वापर विङ्ङ्कमेत्यात्‌ sear किमनेन गच्छामि तावत्‌ खामिपादमूलं भिवेदयामि यथोपलब्धटन्तान्त ततो देव ware यथोचितं विभ्नाख्छतोत्धालोश्य समागतोऽहमेतटाकण्े देवः प्रमाष- मिति बोधेनाभिदहितं ary प्रभाव साधु सुन्दरमनुहटितं भवता ततः wea प्रभावेण प्रविष्टो बोधः कुमारषमोपं ₹तप्रणामेन निवेदितः कुमाराय समस्तोऽपि प्रभावानोतवार्ताटन्तान्तः परितुष्टो मनोषौ पूजितः प्रमावः एृष्टोऽन्यदा मनो षिण GA: यदुत भद्र किं भवतः सदागमेगेव तेन॒ भवजन्तुना gfaaw we face: सपादितः उत तजर कञिटन्योऽपयासौदिति। श्यशेनेनामिदहितं ard आसोत्‌ केवशमलं तत्कयया aay भयविहखतथा तस क्रूरकमेणो नामाणुश्चारयित्‌ शक्रोमि हि सदागमस्तद्द daw मवजन्तोरुपेदशं ददाति मल्कदथेग विषयम्‌ तु तदेवामु चरः करूर- कमा मानायातनाभिः साचान्नां कदयंयति wary मनो विसु-

30

(५१. उपमितिभवप्रपष्ा कथया

खयति तेनेव चाहं शरौरप्रा्ादाज्िःसारितो wang fret नम्य प्रापितः एव तज कारणं पुरुषः सदागमस्य केवलसुपदे श- दाने व्यापारो मनोषिशाभिहितं भद्र किं तच्ाभिधानं wis: प्राह कथितमिदमायेख्य मया नाहं Hage तदमिधान- qecafa अरत एव gata मया awa तदाख्यातं किं लातिपापिष्टोऽषौ ततोऽलं नामग्रणेन पापिष्ठजनकथा हि क्रियमाणा पापं agafa ant दूषयति शाघवमाधन्ते मनो विज्ञावयति wagfe ध्वंसयतोति ¦! मनोषिणमिहितं तथापि महत्व दइं तदभिधानश्रवफेऽस्नाकं A MAT वन्तमानेन भवता aga विधातव्यं नामग्रहणामाजेफ किंचित्पापं 4 ज्प्रिरित्युके सुखदाः संपद्यते | ततो विश्नाय निबन्धे तर शिततारं दश्रापि दिशोऽवश्ोकयता स्यग्रेनेनामिडहितं wre aed ततः सन्तोष इति ae ॒दुर्नामकस्य नाम मनौ षिण चिन्तितं aay- wat qenfeTe wi wae यतः सम्ोषव्यतिकर एवेकख्तजाघटमागक श्रासौत्‌ सोऽधुना धरितः सम्यडनमया पूरक वितरकिंतं थया सुन्दरः weg स्प श्रमः प्राथेशेति eat विषया- भिखाषप्रयुक्रोऽयं आओकवश्चमप्रवणः पयेटति acute एवायं तथापि प्रतिपशोऽयं मया भिच्रतया दभरितो बहिन्डायया खेहभावः को डितमेकज बकाशं तस्मान्न युक्रोऽकाष्ड एव परि- व्यु aad विश्चातखरूपेशाख्य मयाधुमा सुतरां ॒कन्ैवयो Perit गाचरितयमस्यानुकूलं घमपशौयमात्मसखरूपं भिबेद- गोयं ga नापि quintet बदहिर्भावो विषमप्रहृतिरेव वन्तते

तेमः प्रस्तावः | २६५

ततोऽनेन we arena aftiael पूवेख्वित्येव पर्थरितव्य स्वज afeaa anal चात्रोधप्रयोजनबोधकमख्छ वचनं केवलममिष्व- करोऽस्योपरि a कायो मया aace सवथा परिव्यागावषरो भवति एवं ana मे भविव्यत्येष बोधक दति , शापितो मनोषिष्ठ श्चेति fagrn ततः yafeea fawefn ते quatre नानास्यानेषु व्रजन्ति दिनानि अन्यदा aay हृतो जश्प्रस्तावोऽभिदितं चख तेन्‌ wt किमज शोके at fe ar स्वे भग्तवोऽमिखषन्ति | बालेनाभिदहितं are किमच ara gufagfad शग्रेनः ae कथथ किं तत्‌ aet अगाद्‌ que ea win: प्राह तत्‌ किमिति वदेव षदा सेव्यते बाखेना- fafet sere Bate: श्यगरनेगोक्र we वाखो जगाद कथं ie ae श्रसि मे थोगशक्रिः तथाहं प्राणिनां शरौर- मनुप्रविश्च बददिरन्तद्च कचचिक्षोगल्िष्ठामि arg ते यदि भक षुरःसर aaa ध्यायम्ति कोमशशजितस्यशेनसबन्धं कुवन्ति ततो जिरूपमं सुखं wat तेनाहं सुदखशेवनख्योपाथो मनोषिा fui अय रचितोऽनेनावयोवंश्चमप्रपद्चो बाशेनामिडहितं वयस्य तत्किमिवन्तं are नावेदितमिदमस्माकं We वशिता वथमधन्धाः सत्धष्येवंविधे सुख्ोपाये तदनासेवनेन set ते गंमोरता यदैवंविधामपि योग- श्रक्तिमाद्मभो a प्रकटयसि तदिदानौोमपि ge प्रसादं दशय BANG व्यापारय wane भवावयोः सुखषेवनद्ेतुरिति ततः fa क्रियतामेतदिति दृषटिविकारेणेव zie aan faced मनोषिणो वदनं स्प्भेमेन। ततः पश्ामि किं तावत्‌ करोतीति

aad उपमितिमवप्रपञ्चा कथा |

afer मनोषिण्टभिडहितं वयस्य क्रियतां .बाखभाश्रितं कोऽचं विरोधः ततः win विरचितं पद्मासनं सरोतः कायः परित्यक्रो बदहिर्विंेपः निखलोहता gfe: समर्पिता भासिकागे fag WHOA मागसं टता धारण्ण संजाता तत्मल्यथेकतानता समापूरितं ध्यानं frag: aqwene: श्राविष्ेतः aera इवा्थंनिर्मासः संजातः ware: विहितोऽम्सर्धानदेतुः संयमः छतमन्तद्धानं safest मनोषिबाश्योः wat श्रधिष्ठितः खाभिदहितपेद शः विस्मितौ मनो षिबाणौ प्रदत्ता दयोरपि कोमण- QUE ततो वालो श्टदूनि शयनानि सुखान्यासनानि कोमलानि व्षनानि अख्धिमांसत्योमसुखटायोनि संवाहनानि . खलितथ- खनानाममवरतसरतानि शचविपयेस्तवौर्थाणि सुखस्य शरविलेपमानि अन्यानि बचोदन्तेनखानादरौनि सख्पश्नपरियाणि zet afar: सततमासेवते तञ्च श्रयनादिकं भस्मकव्याधिरिव भक्रपानं Wie: समस्तसुपयु THA तु गाध्व्याधिविडलौग्त चित्तस्य सन्तोष- खर्ूपखार्विकखतया पामा कष्ड्यगमिव परमाथेतस्तदुःखकारण- मेव oat विपर्याखवश्ेन तदुपभोगे खति चिन्तयति अरहो मे सुखं wet मे परमामन्दः। ततो मिथ्याभावनमया परमसुखसन्दभनिभेरः किखाहमिति ठया मिम लिताचोऽमाण्छेयं रखान्तरमवगाइते | मनोषौ पुनश्छदु सर्भच्छायां प्रवन्तेमानायामेवं भावयति श्रये स्यश्रेनजनितोऽयं मम विकारो खाभाविकः परमरिपुश्चायं मम वर्तते सुनिणौतमिदं मया ततः कथमयं सुखरेतुभेविथतोति मला acaxe a किंचिदावरति श्रय

Zale: प्रस्तावः | २३७

कथं चि््रतिपश्लोऽयं मि्रतयानुवन्तंनोयस्तावदिति भावनया काल- aut क्ुवांणएस्तदनुकृशमपि किचिदाचरति तथापि aa खोख्रोगविकशतया खन्नोषाग्टतसखस्ौगश्तमानसख्य रोगरडित- WTA ZING तच्छयमा दिकमुपञुच्यमानं सुखमेवोत्पाद- यति तथापि नासौ तचजाभिष्वङ्गं विधन्ते ततो भवत्यागामि- मोऽपि दुःखस्य बन्धः wat wach: सख्य शनः श्रमिडहितोऽनेन बालः श्रपि वयस्य मदौयपरिश्रमस्यास्ति किंचित्फलं aaa कञ्चिदुपकारः | बाणः ATE सखेऽनुरहोतोऽसि दितो ममा- ऽचिग्धाख्हादसपादनेन भवता साात्छगंः | अथवा किमजाखथें परार्थमेव निर्भिंतस्वमसि विधाचा | तथा हि पराथमेव जायन्ते शोके गूनं भवादृशाः | माद्शानां तु संग्धतिस्वत्मसादेन साथेका ददं fe तेषां daa यत्खभावेन सवेदा | परेषां सुखद्ेतुलं प्रपद्यन्ते मरोन्तमाः aaa चिन्तितं wa सुपन्लस्तावदेष a निवयेभिलारः fae: प्रतिपद्चते मयादिष्टमेष wu श्तं श्तं हृष्णमिति निविचार एवं fafern स्यशेनेनामिदहितं वयस्य cada मः प्रथोजमं चरितार्थो- ऽहमिदानों भवद्‌ पकारसंपत्येति ततो मनो षिसमौपमु पगम्याभिडहिममेन सखे किं शेक भवतोऽयंसंपादनेन acta: प्रयास उत नेति .मनोषिणोक्क भद्र किंमभोश्यतां श्रमाख्येयस्तावकोऽतिश्रयः स्यश्रनेन चिन्तितं श्रये

२९८ उपमितिभवप्रप्चा कथया |

खामिप्रायकमेतद्‌ दुष्टः खल्वेष HAT wet agen cafe खच्ितोऽहमनेन सखरूपतः प्रायेण aqme एव तावदास्तां नाच बहविकत्यनं श्ेयस्करमिति fate yeaa इता wuts काकलौ दरतो सुद्धविकारोऽपि feat भोनेनेति cag बालेनापि सखमातुरङ्ग्रणमाज्ञायाः कथितः समस्तोऽपि रभसेन यो योगश्रङ्िपुरःषर खुखसंपादनसाम्येलणः श्यश्ेमव्यतिकरः | aguwaeae जात दूचितमिदमादाषेव मया यथा सुन्दरस्तवानेन वरमिषेरट ag संबन्धः हेतुः सुखपरपरायाः किं चासि ममापौदृश्नौ योगश्रक्किरिति दशेधिग्याम्यहमपि जातस BANG बालस्दरवाच यद्येवं ततो बडतरमन्बायाः प्रसादेनास्मा- facerfa दष्टययम्‌ श्रक्ुगशलमालोवाख तत्कथनोयं भवता यदा raya योगश्रकङ्गिरिति |

rq मनौषिणापि aaa: शएभसुन्दयां निवेदितः श्वाऽपि quan: aafafed ag चाङ्स्तवानेन पापमिनेण ay संसगः कारणमेष दुःखपद्धन्तेः मनो षिणभिडितं सत्यमेतत्‌ Bae RNA भयमम्बया कितो मयायं खरूपे arya धल्नवतोऽपि वञ्चनागाशरः गेवलमस्य परित्यागकाखं प्रतिपाल- यानि। यतः प्रतिपन्नोऽयं मया fava भाकाण्ड एव Ua OE | श्रुभखन्दयेवाच जात सुन्द्रमिदमनुष्ितं भवता wet ते Stawat wet प्रतिपन्लवात्ख् wet नौोतिपरता wet गंभौरता WE Vaifata: |

तथा इहि

Zara: प्रस्तावः | २९९

wares एव Gat सदोषमपि aera: |

प्रतिपन्नं wzeeral astereca far

प्रतिपन्नमकाले तु सदोषमपि यद्छेत्‌

a fire: स्याल्तां मध्ये तजासषौ खा्यंसाधकः

यस्तु मूढतया काले प्राप्तेऽपि परित्यजेत्‌

सदोषं Sad तस्मात्‌ ख्य माच wre:

Sagan ग्टहोतेऽपि ततो Taft बद्धिमान्‌ |

तक््यागावखरापेकौ प्रशं wae p

कमेविलासराजस्त महादेवौभ्वां सकाशात्तं क्रुमारव्यतिकरमा-

aq परितुष्टो मनौोषिणे शष्ट बलस्य चिन्तमध्ये बालेनापि ततः प्रति गाढतरं कोमशश्रयनसुरताद्यासेवनानि स्मश्रमप्रियाणि दिवानिश्रमाषरता परित्यक्रो राजकुमारोचितः ग्रेषव्धापारः परि- इतं गरूदेवपादवन्दनं विसुक्रं awa शिथिलता eat swleqd: Wows: ततोऽसौ गणयति शोकवचनोयतां रति कुखकलङ््‌ a mma खस्लोपहास्यतां गोपेखते gre गाति सदुपदेशान्‌ केवलं ay कुचचित्‌ मारोसङ्गमाश्मम- न्यदा किञ्धित्कोमशसुपणशभते ay तजा विशां aed शोखा- fatay प्रवन्तेत एव ततो मनोषो संजातकर्णएब्तंशिच्यति aime मूलदद्धिमाच्टे वञ्चकोऽयमिति दौपयति wmaate विश्वसषनौयं परमरिपुरेष aia इति तं are पुनः पुमखोदयति। बालः प्राह मनोषिन्नलममेनादृष्टार्थम verde a एष मे वर- वथस्योऽनम्तागाधसुखसागरावगाइमे हेतुः एव ते परमरिपुरिति

२8० उपमितिमवप्पश्चा कथा |

केषा भाषा writen चिन्तितं मूढः aaa शक्यते निवार- चितुमतोऽलमेतन्निवारणएेन atau मया यन्नो विधेयः | तथा fe!

अकायेवारणोदयुक्षो मूढे यः परिखिद्यते

वाज्िस्तरो ठथा तस्य भखन्याश्याङतिर्यया ti

मोपरेशश्रतेनापि मूढोऽकार्याजनिवल्धंते

श्रौता रएयषनात्केन राङर्वाक्ये निवारितः

ward दुर्विनोतेषु प्रटत्तेषु ततः खदा |

किंचिद्‌ पदेष्टव्यं सता कार्यांवधौरणा

इत्यालोच्य खयं चित्ते हित्वा बालस्य fireuq |

खका्यैकरणोयुक्तो मनोषौ ATA: इतश्च तस्येव कर्मविश्लासस्य cats सामान्यरूपा नमाम देवौ तस्याख्ाभोष्टतमोऽस्ति मध्यमबुद्धिर्नाम रारको वल्भतमो मनोषि- बालयोः क्रोडितस्ता््यां सह wate कालं प्रयोजनवशा- द्राजारे गनेव देशान्तरं गत आर्षोत्‌ तदानौमागतः। दृष्टौ मनोषि- वाश्लौ सह श्यशेनेन आ्रलिङ्गितस्ताग्वां aaa ततः सको तूकेन मध्यमबद्धिना कर्णाभ्यर्णं निधाय agi ष्टो बालः एष दति निषेदितो बालेनास्य यथा स्यग्रेनमामायम चिनधप्रभा वोऽत्र दति मध्यमबुद्धिरवाच कथं ततः कथितो बालेन सर्वोऽपि व्यति- करः संजातो मध्यमबद्धेरपि सखग्ेनस्यो परि Gera ` बालेना- भिहितं भद्र स्येन TING GHA मादाव्यं स्यशरेनः प्राद एष दशेयामि ततः waar थोगश्रक्तिः इतममद्धान wfufed मध्य-

हतोषः प्रख्तावः। २8१

wag: WoC fafwat मध्यमवुद्धिः प्रत्ता कोमलस्परेच्छा उप- qaifs लणितश्यनसुरतादौोनि सजातञिन्ताख्डादः प्रोषितो मध्यमबुद्धिः प्रकटोग्ठतः शयेनः TE खप्रयाससाफ्करमनुख्छहो- ate भवतेति निवेदितं सरभसेन मध्यमबुद्धिना ततः पाजौ- शतोऽवमपि दूरयायौ ava ईति विचिन्तितं qty, मनो - विष्ण fein वशोक्धितप्राथोऽयमपि मध्यमबद्धिरनेन पापेन स्यथेमेनातो यदयुपेदगं zerfa ततः freer माश्वदस्य सुग्धतथा aaa वद्चनमिति ततो रहसि मध्यमवुद्धिरमिदहितो मनो- feet) भद्र भद्रकोऽयं aint विषथाभिखाषः प्रयक्रोऽचं लोकानां वञ्चकः पथेटति मथ्यमनुद्धिरवाच कथं ततः कचिता मनो षिण बो धप्रभावोपखग्धा समस्तापि ae wire gee: | मध्यमवृद्धिना चिन्तितं खानुमवसिद्धा मम arace Wie संवन्धिनो aeeat श्रचिग्धप्रभावता geyaa श्रयमपि मनोकवौ नायुक्रभावो तन्न जानोमः किमच ae किं या वथमेवं- स्विते ga इति sve किमनेन चिन्तितेन तावदम्बां च्छामि तदुपदिष्टमाचरिग्यामोति विचिण्य गतः सामान्यशूपायाः waits हतं पादपतनं श्रभिनम्दितस्तया निविष्टः चितितले भिषेदितो वअतिकरः Ware TE aay स्य्रंनमनोविो- Sachi वचनमनुवन्नेयतोभवा विरोधेन मथ्यखतयेव eet ay काश्चाकरे GAT एव WANT: Te: ख्यात्‌ varzaela: | तया fe)

संशयापश्नचिन्तेन fara alae सता | 31

VBR उधमितिमवप्पश्चा कथया |

कायः कालविखम्नोऽच दृष्टान्तो मिथमदयम्‌

मध्यमवुद्धिरुवाच शम्ब कि तम्मियुनद्यं सामान्यरूपयोक्र quate) safe तथाविधं माम नगरं तज ऋजुर्नाम राजा तस WU नाम महादेवो तयो्मकरष्वजाकारो सुग्धो नाम तनयः तस्य रतिशन्निभा श्रकुटिला नाम भार्यां ततस्तयोमुग्धाङ्टिल- योरन्योन्यबद्भानुरागयो विंषयसुखमनुभवतोत्रेंजति कालः अन्यदा वसन्तसमये उपरितनप्रासादश्डमिकावासषभवने वयवस्धितः प्रभाते उत्थितो सुग्धङ्मारो मनोहर विविधविकसितङ्सुमवनरा जिराजितं ग्रहो पवनसुपलभ्ध संजातक्रोडामिलाषो भार्यामुवाच देवि श्रति- रमणौययभुपवनभ्रौः तदुत्तिष्ठ गच्छावः कुसुमोचयनिमित्तं ` ्रान- याव एनां श्रकुटिखयामिडहितं यदाज्ञापयत्या्येपु्ः ततो ग्डोला मण्िखिचिके कनकूपिके गते ग्टहोपवनं प्रारभ: कुसुमोचयो मुग्धः प्राह देवि पश्चावस्तावत्कः कनकड्ूपिकां इटिति पूरयति व्रज त्वमन्यस्यां दिशि श्रहमलस्यां amaifa श्रङ्ुरिखलयामिदहितं एवं भवतु गतौ कुसुमोयं कुर्वाणो परसरं दशेनपयातोत्थी- गहनान्तरयोः। श्रजान्तरे AI Reward अन्तरदैव- भिथनकं कालश्नो देवो विचक्षणा दिवो तेन गगनतले fae- रतावखोकितं तख्मानुषमिथुनं ततोऽचिग्यतया कश्मपरि एतेर ति- सुम्दरतया तस्य मालुषमिथ॒नस्यापर्यालो चितकारितया aware मद गलमनतया मधमाखस्छातिरमणौयतया प्रदे शस्य. केखिबडदणतया व्यन्तर भावस्या तिचपखतयेद्धियाण्णं दु निंवारतया विषयाभिखाष- स्यातिचटुलशारितया ममोढन्तेस्तयाभवितव्यतया तस्य वस्म

Sata: TATA: | 288

काखश्चस्याश्चदङ्टिणायां तोग्रोऽनुरागः तथेव सुग्धस्योपरि fae- णायाः ततः faeat वश्चयामौति gen काशच्चेनाभिदहिता fawaut | देवि व्रज वमग्रतः तावद्यावदहमितो राजग्टहोपवना- देवाचेननिमित्तं कतिचित्कुुमान्यादाचागच्छामि सा तु सुग्ध- ` इटयतया खिता मौनेन गतोऽक्रिशाभिसुखं काणन्नोऽवतौरी घनमतर गहने श्रद ग्रनोग्तो विचच्णायाशिन्तितमनेनं श्रये किं पुनः कारणमाित्येदं fart परस्परतो वौयोदे शवन्तिं वन्तेते ततः प्रयुक्रमनेन faye लितं तयोदू रौभवनकारणं ततोऽयमेवा- satura दूति विचिनध शतमनेन देवश्रश्ात्ममो वेक्रियं सुग्धरूपं मिवंतन्तिता कनकस्ूपिंका war कुसुमानां गतोऽकुरिलासमोपं ससंथममाह जितासि fra जितासि वतः कथमायपुजो afedaanat faareafa विलचोग्धता मनागक्टिशा are- Safifed प्रियेऽखं विषादेन खल्पमिदं कारणं केवलं निवे्तितो- ऽधुना Haga ब्रजावोऽसु्भिन्लपवनविश्डषणएे कदलोखताग्डे प्रतिपश्नमनया ततो गला Baar aa पश्चवश्यनोयम्‌ | Tay विचचणया चिन्तितं wa गतस्तावदेष कालज्ञः ततो यावदयं मागच्छति यावञ्वेयं मारौ दूरे वत्तेते तावदवतौयं मानयाग्येनं रतिवियुक्रमकर केतनाकारं तरणं करोम्यात्मनो जब्धनः साफ खङितस्चामयापि विभङ्गन्चानेनेव तयोदूरौोभवनद्ेतुस्ततो . विधाया- कुरिलारूपं कुसुमग्तकमकदूर्पिका गता सुग्धसमोपम्‌ श्राह जितोऽखयायेपुच जितोऽसि ततः wea तां fatheg gre: प्राह fre सुष्टु जितः किमधुना क्रियतां विचचएयोक्क यदहं वदामि

R288 उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

gma: प्राह कि तत्‌ विचचणाड अजामो अताभवनं मानथामो विभ्रेषतः खदुपवनञ्ियं प्रतिपन्नमनेन ततो गला तौ faweur- सुग्धौ ava कदलोशताग्टहके इष्टं afer निरौकितं fafa avat परस्पराभिसुखं मिचनाश्वां इृषटखिखलतुषजिभागमाजेऽपि खेतरथो विशेषः सुग्धेन चिन्तितम्‌ अये भगवतोनां वमदेवतानां ` waren दिग्णोऽहं संपल्लो देवो तदिदं महदभ्बदथकारणं तं भिषेदथामोदं arava ततो भिवे ख्ाभिप्राथमितरेषां aera स्तावन्तातसमोपम्‌ दत्यमिधायोत्थितो मुग्धः चजितं चतुष्टबममपि प्रविष्टं खजराजाखाने। तदिलोक्य विसितो राजा महादेवो परिकरख्च किमेतदिति षष्टो सुग्धः प्राह वनदेवताप्रसादः ऋज्रा कथं ततः कथितो quia व्यतिकरः way चिन्तितम्‌ अरहो मे धन्यता set मे रेवतासुग्रः ततो wifatau श्मा- दिष्टस्तेनाकाखमशोत्छवो नगरे दापितानि महादानानि विधापि- तानि भगरदेवताप्रजमानि खयं राजा राजमण्डशमध्यष्यः प्राह एकेन सुतेन Gres वध्वा जआतमयो ayes खादतपिवताय wT गायत वादयताय नृत्यत ततः प्ररणपि महादेवो एत- देव भरेकोक्रमनुवद न्तो वादितानन्दमरेलसन्दोडबधिरितदिगन्ता विहदितोष्वेशुजा afd sant fagaré dasifa मता wa- aren wp: शेषाम्तःपुरिकाः प्रमुदितं ant टको शृता faata महानन्द इति। केशिभियतथा इष्ट; arew: केवलं चिभ्तितननेन का पुनरेषा दितोया योषित्‌ संजातेति उप्यक्रो- wa न्ातमनेन aan मदौवभा्यां विचक्तणति ततः dar:

Sara: TATA: | Rey

कोधः चिन्तितमनेन मारयाम्येनं दुराचारं पुरूषम्‌ एषा पुनरमरतथा न॒ शक्यते मारयितुं तथाप्येवं पौडयामि यथा न्‌ पुनः परेपुरुषगन्धमपि प्राथेयते एवं छतनिशयस्याणस्य कालश्चश्य तथाभवितय्धतया प्रटृत्ताथेपर्यालोचना स्फुरितं fea यया way चिन्तितमिदं मया पोडनोया तावदिषष्षणा यतो- ऽमपि a शद्धाशारो ममापि समानोऽयं दोषः मारणमपि qa am यतो मारितेऽस्िन्नन्ययाभावं विज्ञाय भजते aragfan विरच्यते सुतरां विशच्णा तत्किमङुरिलां गुरोला- दृष्टखकलभधषण्टः इतोऽपक्रमामि एतद पि भासि यतोऽकाण्डप्र्ा- मेन स्ञामाविकोऽथमिति शचितविकारा कटाचिदङ्ुरिला मां भजते तथा रहितस्य पुनगेमनममयेकमेव तस्मादौर्व्याधषी परि- meq arefaea एवा अ्रयानिति। favewerfa चिन्तित wa एवायं मदोयभर्ता कालश्चोऽमेन wow fea: कुतोऽन्य- खाच सभव इति ततः कथयम पुरतःपर पुरुषेण ay तिष्टामोति warren | wera भजत इति ससुत्पननेग्यादुःशकमेवं feat स्थातुमित्धाविग्डेतङ्कशभावामताथा sft काचिदथेसिद्धिरिति स्छानेनात्मानं तोषयन्तौ चान्या गतिरस्तोति निरालम्बा सापि यट विखन्सया काशविलम्बमेवाभित्य asa खिता तत्मशत्यदर्भित- बैक्रिवौ परि्यक्रखखाधमौ देवमायया समस्तमातुषकन्तव्यान्याचर कौ रत्येकं इयं भजमागौ feat विचचणाकाणन्नौ प्रतकाणम्‌ अन्यदा मोहविखयाभिधामे कानने सातिश्यन्नानादिरन्नाकरो बडभिख्धपरिकरः समामतः अतिबोधको मामा चायः निवेदितो

zed उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

नरेष्रायोद्यानपालेम ततः सपौरजनो निगंतसदन्दभाये राजा | भगवतोऽपि देवेविरचितं कनककमखं दृष्टशजोपविष्टस्तेभ्वो धमेमाचक्षाणो भगवाश्जरपतिना शिलातख विखितमौ लिना वन्दितं तत्पादार विन्दं . शेषमुमयश्चाभिनन्दिताः कमेविटपिपारमपरिष्ट- निष्रकुटारायमाणेन waerimlaten भगवता गरेषयतिभिख् उपविष्टो लले काल्लन्नादयोऽपि प्रयुज्य समस्तं वन्दना दि विनयं ययाखानमुपविष्टाः प्रख्ठता भगवता विगेषतो धमेदेग्रना दर्ता भवनिगे णता वणिताः कमंबन्धदेतवः निन्दितः संखारचारकावासः ज्ञाचितो awa: ख्यापितः शिवसुखा तिश्रयः कथिता विषया- frags भवभ्चमणएडेतुशिवसुखप्रतिरोधिका दुरन्तता ततस्तद्धम- वद्शमाग्टतमाकष्छं वपिचच्णा कालश्चयो विंद खितं मोहइजाखमावि- aa: सम्यग्दग्रनपरिणणमः समुज्वलितः करमन्धनद इनप्रवणः BE खरितपस्चान्नापानलः। श्रचान्तरे तयोः ग्रोराभ्यां faa रक्त wt: परमाण भिधेटितश्ररौरा Taw दशनेन aaa खरूपे छदेगतुर्विंबेकिनां एका स्वौ भगवतः प्रतापं सोदुमचमा नित्य wig: प्ान्भरखो खिता दूरवत्तिनि wart खिता पञ्चात्तापर्द्रौ- शतदइदयतयागताञ्ुसछिलो wanna विचचणाकाल्नौ पतितौ भगवश्चरणयोः | कालश्चेनाभिडितं भगवन्ञधमाधमोऽहं येन मया विप्रतारिता qurat श्राचरितं पारदायं दग्धः सरलषदयो quit जनितो नरेनद्रमहारेयादोनां यलो कसुतव्यामो इः वञ्चितोऽयं पर- wana तस्य ममेवंविधपापकर्मणः कथं इद्धिभविग्यतोति विशचण्योक्र ममापि कथं यतः समाचरितं afasar मयापौदं

Sata: प्रस्तावः | 289

wa fa वा निवेद्यते feamae प्रत्यकमेबेदं . समस्तं भगवतः | भगवानाह भद्रौ Het युवाभ्यां विषादो भद्रयोदौषोऽयं faa भवतोः खरूपं तावाहतुः कसय पुनदधषोऽथं भगवाना येयं यु्रच्छरौरान्निगेत्य दूरे fear मारौ तसाः तावाइतुः भगवम्‌ किन्ञामिक्ेयं भगवताभिहितं भद्रौ भोगटष्णेयमभिपधौयते विचच्षणाकालज्नाग्यामभिहितं भगवन्‌ कथं पुमरियमेवं विधदोष- हेतुः भगवताभिरहितं भद्रौ श्रूयताम्‌

wala तमिखसछ wires सवेदा .

रागादि दोषदन्दस्य wae प्रवन्तिका

येषामेषा wae प्राणिनां पापचेष्टिता

तेषामकार्थेषु मतिः प्रसभं संप्रवत्तंते

दणकाष्ेयंया वह्धिनेलपूरेथयोदधिः |

तया ठत्येषापि भोगेरासेवितेरपि

यो मूढः शमयत्येनां किंल शब्दा दिभोगतः |

अले निभ्रौयिनौमाथं wea जिति

atereat प्रियां शवा भोगटष्णां नराधमाः |

संसारघागरे Mt पथेटम्ति निरम्तके

सदोषेयमिति sar ये पुमः पुरुषोस्तमाः |

खदेदगेहान्निःखायं चित्षदार निडन्धते `

ते सवौपद्रवेसुंक्राः प्रलोनाशेषकस्यमषाः

त्मानं निमेलोर्त्य प्रयामि परमं पदम्‌

येऽनया रिताः सन्तस्ते वन्धा भुवये

२९४८

उपमितिमवप्रपश्चा कथा|

वध्रे गताः पुनर्थेऽख्याः arate विगर्हिताः अनुकूला भवन्धस्या ये मोडहादधमा नराः | तेषामेषा wea दुःखखागरदायिका # प्रतिकूला भवन्धस्या ये पुनः पुरूषोन्नमाः | तेषामेषा WEA सुखसम्दोहकारिका तावक्मोचं नरो इष्टि dat बड मन्यते | पा पिष्टभोगदरष्णेयं यावचिन्ते feria यदा पुमविलौखेत कथंचित्पु्पक्मेणाम्‌ | एषो भवस्तदा सव धूणिरूपः प्रकाशते तावच्ादूएविपुश्ेषु योषिदङ्गेषु मूढधोः | कुन्देन्दो वर चन्द्रादि कश्पनां प्रतिपद्यते यावदेषा BOTH ana भोगदरब्णिका | तदभावे AAT A खभ्रेऽपि प्रवन्तते समाने पुरुषत्वे पर किङ्करतां गता; | निन्द्यं यत्कमं कुवेन्ति भोगदरष्णाज कारणम्‌ येषां पुनरियं देहाजिमेता सुमहात्मनाम्‌ | मिद्धेना aft ते ato: शक्रादेरपि नायकाः किंचिन्तामससंमिभ्रे राजः परमाणमिः | गिवलितश्ररौरयं गोता तन्ाग्तरेभ्वपि तदेषा भवतो पापा पापकमेप्रवन्तिका अतोऽस्या एव टोषोऽयं विद्यते नेव भद्रयोः wee षदा भद्रौ faaet waren: |

Sate: WENT: | २४९

uaa स्वंदोषाशां कारणलेन संखिता

दह खातुमश्रक्रिष्ठा एषा दूरख्िताधुवा |

भवन्तौ मल्मोपाश्च निगंच्छन्तौ प्रतोखते

विश्चणाकालन्नान्धाममिडहितं भगवन्‌ कटा Facer: घ्काग्ना-

दावधोमाचः भमवानार भद्रौ नेर भवेऽद्यापि भवद्भ्धामियं wer ama wat tens निदं लने महहासुद्धरायमाणं maid भवतोः eg तद्‌ हौपनोयं युमः पुनः सुशरसंनिकर्पेण नाचर- Cana भोगदष्याया wax लखयितव्यो मनसि विवन्तेमानो- ser सम्बन्धो विकारः निराकरणौयोऽसो प्रतिपचभाषगया ततः प्रतिष्ठं तनुतां गच्छतो भविग्यतौयं शरोरेऽपि atin भवतोर्बाधिका भवान्तरे पुनरस्याः सर्वथा व्यागसमर्थ भवि्तो भवनग्भाविति | तदाकष्टं ततो माप्रषाद इति वदन्तौ विचचणा- काखक्ौ पतितौ भगवश्चरणथोः ततोऽसु व्यतिकर माखोकध अला भमवद्वनं ऋलुप्रणासग्वाकुटिखानामपि wed: Tew पेन सड विदद्धाष्यवसायः wagerat चिन्तितमहो अशोक- खतवधदधिराकतव्धा मोहेन मिरथेकं विडम्बितं विहिता सुतवष्वो- द्ब्धामेप्रटन्तिरावाग्वामिति quan चिन्तितं श्रहो हतं मया परशौ गमनेन gee दूषणं अकुटिखया चिन्तितं बत संलातं whe- खष्डनमिति। arqaetafa ख्छितमेतचिन्ने wea निवेदयाम एवंख्ितमेवेदं भगवतां एत wre दुखरितख्छ प्रतिविधाणद्चप- देच्यन्ति wrt चलुर्शामपि श्रोरेभ्बो feria: परमाणमि- चंरितश्ररोरं wa वरव परिगतं Axes ater Tea

32

Ryo उपमितिमवप्पल्चा कया |

चेतसामुपलन्यमानं मया रचितानि मथा रक्तानि यूयमिति भुवाणमेकं feared सधं भगवन्मुलमोच्छमाणं खितं सर्वेषां पुरतः तावन्तदनुमाे णेव VY ala बौोभत्छमाकारेण उदेगह्ेतुः प्राणिनां तथेव निगेतं दितोयं feared तस्माच्च तदाकाररूपधरमेव क्िष्ट- तर प्रत्या सलातमन्यदपि aata डिमरूपं तख वद्वितुमारभं ततः शक्तडिम्भरूपेख Ags इसततशप्रहार cer तदद्धमानं निवाय mara धारितं frit भगवद लुगरहात्‌ इे श्रपि ते aw fea SU ततो भगवताभिहितं भो भद्राणि upafefafar यथा कतमस्माभिविपरौताशरणमिति तज भवद्धिविंषादो विधेयः यतो भवतानमेष दोषो निमलानि यूथं खरूपे तेरभिहितं भगवन्‌ कस्य पुनरेष टोषो भगवानाइ यदिदं शक्तानन्तरं भव- च्छरोरेग्धो निगेतं ued डिम्भरूपमस्यायं दोषः तान्याहुः भगवम्‌ किश्ञामकमिदं भगवतोक्रमश्चागमिदसुच्यते तेरक्रं भगवन्‌ यदिद- मेतस्मादश्नानामादु्तं fettd हृष्णडिमारूपमनेन रङ्ञरूपे- wen aga धारितमेतत्किज्ञामकं भगवानाइ पापमिदं Taste रशक्तडिभभरूपस्य तडि किममभिधामं भगवतो रजे वमिदभिपौयते areas: भगवन्‌ कौद्श्रमिदमश्चानं कथं चेद पापमेतस्माद्जातं किमिति चानेनाजेवेनेदं विवङ्धमाने धारितमिति wi विखरतः ओतुमिच्छामो भमवानाईइ aed ततः षमाकणेयत वथम्‌ यत्नावदिदमन्नानं य॒भ्रदेहादिनिगेतम्‌ | एतदेव VATA TISAI कारणम्‌

Sata: प्रस्तावः | Ryt

श्रनेन वर्नमानेन WL जन्तवो यतः | कार्याकायै safer गम्यागम्यं तत्वतः भच्छाभच्छं बुध्यन्ते पेयापेयं खवा SAT दव क्ुमार्गेण WANA ततः परम्‌ ततो frata घोराणि कर्माष्यशतसम्बलाः | want भिरन्तेऽच पथेटन्ति सुदुःखिताः श्रन्नानमेव सवेषां रागादौनां प्रवन्तेकम्‌ | खकार्थं भोगदष्णापि यतोऽन्ञानमपेखते smafaceea भोगदष्णा निवन्तेते |

कथं चित्छप्र्ृक्लापि afeaia निवर्ते way: सवेद निमेलोऽयं खङूपतः | serrate हात्मा wearers faiaa याः काचिदेव aay faate farsa: | शअरन्ञानेनेव ताः सर्वां इताः waactfear अज्ञानं मरको चोरस्तमोरूपतया मतम्‌ | श्रभ्ञानमेव दारिग्चमन्नानं परमो रिपुः WAY रोगसधातो अराष्यशन्चानसुच्यते। ana विपदः शवां अ्रन्नामं मरणं मतम्‌ श्रन्नागविरडेणेव घोरसंसारसागरः |

safe वतां पुसां बाधकः प्रतिभासते याः काञ्विदनवसखाः wargtarineaa: | यच्चासमंजसं किंचिद श्ञानं तच कारणम्‌

Rue

उपमितिभवप्रपच्ा कथा।

एव fe natin पापकरमैसु HT: प्रकाशाश्डादरकं चेषामेतच्ेतसि ana येषां पुनरिदं चिन्लाद्यन्यानां विजिवन्लेते प्रभो ष्तान्तरात्मामस्ते सदाचारवस्तिनः वन््याख्जिुवनस्यापि शला भावितमानबाः | TIGHT मच्छन्ति परमं पदम्‌ एतश्चाश्चानमजाथं सवेषां भवतां समम्‌ | संजातं तेन टोषोऽथमस्तेव भवादुध्राम्‌ डिभरूपममेगेव दितौधं पापमामकम्‌ | way अन्यते तस्मादजापि जितं fae ti एतद्धि सवेदुःखानां कारणं वितं बुधेः | छदेगसामरे घोरे इटारे तस्रवन्तेकम्‌

मूलं सक्घेश्जाशस्छ पापमेतद्‌ दाइतम्‌ |

BUA प्राज्ञैः सवे चत्पापकारणम्‌ हिसानुृलादथः पच्च तत्वाशरङ्धानमेव क्रोधाटयसख चलार दति पापस हेतवः वजेनोयाः प्रयत्नेन तस्मादेते मनषि | ततो जायते पाप तस्मान्नो दुःखसंमवः युश्राक पुनरन्नानाष्वात पापमिदं यतः चअ्ञाकमेव saat fearetat प्रवन्तेकम्‌ वद्धमानमिदं waar निवारितम्‌ | दज कारश Ga कष्यमानं निबोधत

Sara: प्रावः |

आजेवं हि BENG शद्धाश्यकर परम्‌ | वद्धंमानमतः षापं वारयत्येव रे डहिनाम्‌ एतच्चानेवमनचार्थं सवेषां ana मम्‌ | अन्नानलनितं पापं युश्राकमसुना जितम्‌ रखितानि मया यूयमत एव GVGE: | aware fered स्ितामनम्‌ धन्यानामाजेवं येषामेतखेतसि ana | अन्नानाटाचरन्तोऽपि पापं ते सख्यपापकाः यदा पुनवि्ानन्ति ते इद्धं मागेमंजसा तदा faye कमार चेष्टन्ते मोख्वतमोनि आजोवमं ततो धन्यास्ते Wiha: | निर्भ॑लाचारविसताराः पार गच्छन्ति सर्तेः तदेवं विभावानां agret बुध्यतेऽधुना | श्रन्नागपापे farge सम्यग्धमेनिषेक्णम्‌ छपादेयो fe dart wa एव बुधैः सदा किष्डद्धो gre स्वै थतोऽन्यडुःखकारणशम्‌ ufag: प्रियसयोन cewarutnage: ।...- अनित्यं यौवनं चापि कुस्सिताचरणास्यदम्‌ अनित्याः संपदस्तोग्रकतेश्वगखमुद्धवाः | अनित्यं वितं चेह सवंमावनिबन्धनम्‌ Gro Tae STAT:

पुनः qua यदतः gues विद्यते

Rug

aud खथमितिभवप्रपद्चा कथा |

भोगा शुक्राः खिता प्रौ तिजं भाकाण्डविङ्वरम्‌ प्राप्तो WAT नृपादौनाञुपकारः शतो महान्‌ ततः काशविशम्भोऽयं फलितोऽव्यथेमावयो: विषचणाह कोवा सन्देहो माय वस्ठुनि | fa ata जाधते चार्‌ पर्यालोचितकारिणणम्‌ 4 ततः प्रौतिखमायुक्ौ संजातौ देवदग्पतौ | सद्धर्मलाभादात्मानं मन्यमानौ कतायेकम्‌ दरदं Ge मया ae कथितं मिथनदयम्‌ | सं दिग्धेऽथं fae कास्य Fours aay | संदिग्धेऽथं विधातव्या भवता काशयापना | पञ्चाद्‌ बडूगणं यख तदेवाङ्गोकरिग्यते मध्यमवुद्धिराह चथाञ्ञापयत्यम्बा ` ततो मनोषिष्णो aa खरतो are जायते | म्रौ विबन्धो es तज GIR भाववरिणि बाखाञ्ञापेः Gray Gwafe: पवन्ते | दोखायमानोऽसौ fea कुदते काखथापनाम्‌ tag तेन बालेन सा प्रोक्ता जननौ निजा | अत्न devas योगशक्रिबथं मम ARG TWIT पुव Faget भव | ततः सा ध्याजमापूये प्रविष्टा तच्छरोरके अयाद्ुश्रलमाशायां प्रवेश्रानक्तर पुनः |

SATA: प्रावः |

wae: wants माहं wicfufea: 9 ततः WT तौ TS THAT GT कणे afterd दुखतरं कुदतस्तोतमेदनाम्‌ & परित्यक्राग्यकन्तग्यखावन्धाजपरायक्ः |

are: ycaeifa दिवा राकौ सेवते कु विन्दडोग्बमावङ्गजातौषाखपि acw: | अतिखशोद्धेव मूढात्मा wwnrg प्रवर्ति ततोऽकनले्निरतं शत्कन्तेयपराङ्घुखम्‌

तं ae सकलो शोकः पापिष्ठ इति निन्दति x Wise मतशव्णोऽवं निर्भाग्य Hazes: |

a एव निग्धमानोऽपि मन्धते निजचेतसि ines ममास्ति सुखवामरः लोको acts तदक किमेतश्बस्पतिग्तया अथाकुश्शमाश्ञापि निगद्य परिष्ष्छति | RIEU Ba जाता योमश्रक्गिविभाति ते प्राहागुष्टरोतोऽखि निविकरण्योऽहमम्बशा सुखसागर मध्येऽ VTE Wake: VTS लया नित्यं मदमुयद्काम्बया |

awe TAL मे थात्रष्णोवं Baw अथाकुन्रखमाश्ाइ HH Fy रोचते |

तरेव सततं कायें मया FwWAIAy खाधोगां तां facta area परिबिश्ितम्‌ 33

Rye

९५८ उपमितिभवप्पश्चा कथा |

waste ममायन्तः सामयौ सवंसाधिका अहो मे धन्यता शोके weit बत मादृशः ततोऽसौ गाढदष्टात्मा खानुरूपं विचेष्टते श्रथ भिन्दापरे लोके विङणमानसः | शोकापवादभोरुलाग्मष्यवु दधिः प्रभाषते वालेन at कन्तु ` तव शोकविशद्धकम्‌ | अगम्या गमनं निन्य सपाप कुखदुषणएम्‌

प्राह विप्रशभोऽसि मुनं मिज मनोषिणा wai विवन्तमामं मां नेचचे कथमन्यथा ` थे मूढा जातिदोषेण कोमशं र्लमादिकम्‌ | नेच्छन्ति ते महारत्नं सुञ्चन्ति arate: तदाकश्ठे aafya रतं मध्यमबद्धिगा

नेष प्रज्ञापनायोग्यो श्यौ मे वाक्परिअमः एवं तिष्ठतां तेषां बाशमध्यमनोषिणम्‌ ` अरथान्यदा धमायातो वसन्तो शतमन्मथः सजाताः काननाभोगाः समनोभर पूरिताः | अमद्मरद्यद्ारतारगोतमनोहराः कामिनोहदथानन्ददाथकं परिधसन्निधो विजम्भते वनान्तेषु काककोकिशकूजितम्‌ भोतूपं ्किष्टकागेषु पुष्यभारोऽतिरिक्षकः विधो गदलितस््लोण्णं पिशितप्रकराथते मश्नयेः शहकाराणामामोदितदिगन्तराः

Sala: प्रावः |

इष्टा वसन्तराजेन धूलिक्रोडां प्रकुर्वते देवकिश्लरखम्नन्धिमिथनेः कथिता वने WAY AAA तदान रमणोयता व्यौ निर्भरोश्धला. बड़ा दोला VE Z| मदमोरहोपनमदः RSA मलयानिलः WER arial सह मध्यमबुद्धिना ` क्रोडा्थे मिगंतो बालः कामकाल्षप्रमोदितः जनन्या दे इवभ्तिन्या saw: WAT गतो लोलाधरं नाम सोद्यामं नन्दनोपमम्‌ तस्यास्ति WMI Weawyt AWA: | लनतानयनानन्दः प्रासादस्वङ्गतोरणः कामिनोदयाख्ाद कारको tiara: | wa: प्रतिषितस्तच्र देवो मकरकेतनः TAQ तद्य देवस्य पूजाशसत्कारकारणम्‌ | तिचिक्रमेण संजाता दिने तज watzmt कन्यकावरलाभाय वध्वः सौभाग्यटद्धये | Saar पतिपरिममोहेन इतमानसाः ` मोहान्धाः कामिमोऽभौष्टयो षित्म्नन्धसिद्धये | ग्टहोताचैनिकाः कामपूजमा्े समागता; ततो बालो महारोलं aaa सविस्मयः | प्रविष्टः कामखदनं VE मध्यमबृद्धिना दृष्टरतज Cale: प्रणतो भक्गिपूवकम्‌ |

RVC

age

उपमितिम्बप्रपश्चा wut |

gfargy प्रथन्नेन saat दशक कनेः

अथ प्रदङ्िषां ae carat रेवख्द्मनः | qret ददश पाश्वं Frere यवख्वितम्‌ ti त्येव रतिनाचस् Tae इतक तुकम्‌ | संवाखभवनं TH मन्दमन्दप्रका शकम्‌ Bares इारि sara मध्यमम्‌ | aa ufay: ष्वा aTeqe सद्मनः अरय तच सुविक्लौणां सपथकां सदणिकाम्‌ | खटदुपधागसंपननां कोमशामखचेशिकाम्‌ सुतेन Tirana areal मनोञुवा

ददं महाश्रस्मां देवानामपि दुखंभाम्‌ ततो मन्दप्रकाश्रलात्‌ सवाखभवनश्य सः किमेतदिति afer wat परशं aren: इतस्त Wet श्रता चिर ger ततो विभावितानेन शस्येवा मकरष्यजो विचिग्तितं वतश्यंको मखदतचेतखा | अरहो RANT Ha नान्व भवतीह ततः WOAH जनन्या UAT चं प्रथमाः Galea चापलेन दूषितः बालञ्िन्तयल्येवमानगयानि qaqa | एनां atafent wat gare चणमाच्कम्‌ देवः सोऽ मदनो रतिचुक्ठो विनितम्‌।

SALT: प्रस्तावः |

अपायो canerat quefa भावितम्‌ TU wed शोके रिति. नेव aT विश्चातं नेति daa wret मध्यमब्‌द्धितः अमाणोच्यायति मोहात्‌ Rae सुत्त एव खः | श्रादद्य शम्यां तां feat शतं बाख्विचेष्टितम्‌ ततस्तस्यां विश्राशायां शय्यायां agaraa: | दरतसेतखच gale: सर्वाङ्गाणि पुमः पुनः SW सुखमहो Wren धन्यता मम | चिभ्तयज्िति warat azar: तिष्ठति TAG भमरे aw afecyt नृपोन्तमः | WSLS महातेजाः TNT: MNT: तद्धाखि पद्मपजाचौ प्राङेभ्बोऽपि Gam प्रागहखसग्धता देवो मदमकन्दशौ | ाहिताचेनिका खा परिवारण संयता आयाता ay Vet Araceae पूजिका | Santee खा संपृण्ध मकरध्वजम्‌ खवासभवनस्यस्य प्रविष्टा ae पूजिका | अरविग्रकोबुरौच्यालौ तां जोति waftee: शव्नामवाग्यां frget are: काष्ठमिव खितः ततो मब्दप्रकाभ्रे खा भवने AGT TAT wean waret देवमचेयते किण चन्दनेन gear रतिकामविखेपनम्‌

REX

र्र्‌ उपमितिमवप्रपष्चा कथा |

वालः खवंगाजेवु YE: कोमलपाणिमा |

ततोऽङ्श्रलमालाया WA Wa

बाखञधिन्तयल्धेवं विपर्यासितमानसः |

यादृ शरोऽयं CUI इसस्यास्यानु्धयते ॥.

AHI मया ayy जन्यपि कदाचन

श्रो मयान्यस्पष सौन्दयं कर्तं था

मातः परतरं मन्ये जिलोकेऽप्यस्ति कोमलम्‌ |

wig कामदेवस्य परिचयं विधाय सा

VTA प्रगता काले Tt मदनकन्दलौ |

ततोऽषौ बालः कथं ममेयं स्तौ संपत्छत दति चिन्तया वि-

इलो ग्तददटयोऽनास्येयमन्स्तापातिरोकं वेदयमामो विद्तात्मा तख्यामेव शय्यायां सुन्‌ outa दौ्चरौर्घाम्‌ निःश्वासान्‌ afar इव मूक इव मन्न इव Wade इव anfwerat fafe- प्रमद्यक श्व इतखेतख परिवन्तमामो विचेष्टते ततो इरे वत्त- मानेन मध्यमबुद्धिना चिन्तितं wa किमेत्येष बालोऽसमात्‌ संवास- भवनादियतापि कालेन निगेच्छतोति किंवा करोतौति प्रविश्च तावज्िरूपयामि। ततः प्रविष्टो मध्यमबृद्धिकेकिता ween का- मश्र्या इतमस्यापि इदयं तत्कोमखतया ततो विमलौग्तद्षि- मा तेन दृष्टः wanen विचेष्टमानस्तदवस्थो बालथिन्तितमनेन aut किमनेनेदमकायंमाचरितं ai देवश्रथ्यायामधिरोहणं we रतिरूपविभ्मापि gage eat गम्या भवति ate war सुखदापि देवप्रतिमाधिष्ठितेति war केवलं वन्दगोया पुनर-

Zara: प्रस्तावः | aga

पभोगमदेतौति ततश्चोत्थापितोऽनेन बालो थावश्न किञ्चिष्नख्यति मध्यमवृद्धिराह श्रहो अरकायेमिदं ge रेवश्रय्यायामधि- रोदएमित्यादि तथापि a दन्तमुत्तर बालेन श्रजान्तरे प्रविष्टस्ल- देवद्कुलाधिष्ठायको Ba बद्धस्तेनाका श्रबन्धैः बालः पतितो तखे समुत्पादितास् सर्वाङ्गोणा तोत्रवेदना ततो भ्ुमूरषन्तसुपलभ्य wat मध्यमवुद्धिना हाहारवः ततः किमेतदिति संभमेण चलितो देव- कुलान्तदभिसुखं शोको निःसारितो यन्तरेए वासभवनाद्‌ बहि- बाशो agrees fart तले भग्रनयनः कण्डगतप्राणोऽसौ दृष्टो शोकेन तदतुमागें ण॒ दौनमनसखको निगेतो मध्यमवुद्धिः किमे- तदिति पष्टोऽखौ जनेन wer किंविष्नस्ितमनेन ततोऽव- तोये कंचित्पुरुषं व्यन्तरेण कथितो अनेभ्यस्तदोयव्यतिकरः ततो देवापश्यकारोति पापिष्टठोऽयमिति धिद्वारितोऽसौ बालो मक- रध्वजभक्तैः Sagan विषतरूरिव संपन्न दूति गदितः खंजातोयैः श्रनुभवतु पापकमेणः फलमिदानोमित्याक्रो शितः सामान्यललोकेः कियदेतद समो ङितिकारिणां समस्तानथभाजनवात्‌ तेषामित्यपकितो विबेकिणोकः ततोऽसौ व्न्तरः रत विषृतरूपः सन्नाह चृणेनो योऽवं दुरात्मा भवतां पुरतो मयाधुना बाल इति ततः शतहाहारवः Talay प्रसोदत्‌ भटारको ददातु भादम्राएभि- afafa sare: पतितो यन्तराधिष्ठितपुद्षपादयोमध्यमवुद्धि- स्त्करुणापरोतचेतसा लोकेना्यभिहितो Batt यदुत ITH मुच्थतामेकवारं तावदेष पुनः करिग्यतोति ततो मध्यमब्‌- द्भिकरण्या जओोकोपरोभेन सुक्रोऽसौ व्यन्तरेण वाणो ear

ade उपमितिमवप्रपच्चा Se |

केलना सुत्कललोतं wot निःसारितद्दके देवङलात्‌ मध्यमब्‌- fam मोवः शष्ट aur mats व्यतिकरः परिकरात्कमै- विठासेन चिन्तितिमनेन किथदेतदद्ापि मयि प्रतिकूशे वाश्व धदविव्यति aq weaved खोकाः ततोऽभिदितः क्मंविशासेन परिकरः किमस्माकं दुविनोतविन्तथा मोदितः शोऽनुशरास्ते योढग्यस्तदौयः केनापि ara परिकरेशेक् यद्‌ान्चापथति रेव दति vetsdt मध्यमबुद्धिना बाखः। rad किचिन्तेऽधना Wea बाधते बाखनामिदितं शरोर daw प्रवदते ममास्तापो मध्वमवद्धिराइ जानासि fafaferetsd ततो TAMA कामस्य बालः प्राह जानामि are aan भवता तच संवाखभवनेऽनिप्रवित्रको गच्छन्तो वा किं विधोकिता काचिन्ञारो वा म्वमवृद्धिराइ विजोकिता बागों तत्किं शकिता कासाविति भवता मध्यमबुद्धिराह gy afer सा हि AVA UR भाया मदनकन्दलोत्युच्यते AAS कचं षा मादृश्राभिति fewar दोषेदौर्धंतर निःश्रषितिं बालेव तदयों अष्वयमिति शकितो मष्यमनुद्धिना चिन्ितमनेन तजापि खाने तावरश्यायममिनिवेश्रो अनयव्येवं सा aaa सुन्दरतराति- wag गोचरमभमिलचितं चतो दारशाखाखद्य मवाणतिषङ्ट- तथा कामसंवासमक्गदारस्छ «= faster | AEST: Wafeaisper WHI ताडशः प्रावेशान्यवस्युनः wut yaa faga दोखाथितं ममापि acfrecamet भनशटानोनाषोत्‌ क्ति qi gemat wale तस्माज्िवारवान्वेनमपि

तोयः Weta: | २६५

यदि faatia मदचनेन ततः बालं प्रत्याह किमद्चायविच्या भवतः किं दृष्टमिदानोमेव फलमविनयस्य भवता किमधुनैव विदतं यत्कण्टगतप्रा्टः कथंिग्मो चितस्लं मया दुविनयङ्कपितात्‌ भगवतो मकरध्वजात्‌ ततो ` निवत्तंखास्नाुरष्यवसायात्‌ नयन विषं मागगिरोरन्रद्चिकल्या fe सा मदनकन्दलो at प्राथंयतस्त aad भस्गौभाषव एव पुनः काचिदथेखिद्धिः बालेन चिन्तितं श्रये शितोऽहमनेन तत्किमधृनाभिप्रायगोपनेन ततस्तेनोक् यद्येवं ततः किं रषे मोचितस्लं मया gaa यथा गाढतर मारित इति यतस्तेन कामेन यथ॒श्नदचनेन मां gual aa मे श्ररोरवेदनामाचमपसारितं qa qafafent वितकंपरपराखूपः प्र्वखितख्वदिराङ्गार रा शिखेन ममेदं ददते समन्ताच्छरीर यद्यं -कामबन्धमकाल एवामरिग्यं नेतादन्तमन्तस्तापमग्वभविव्यं ततो भवता मोचयता प्रत्युत aurea: संपादित इति eat ममेनामण्त- सेकायमामां मदनकन्दलों विरदय्यान्ययाखानम्तस्तापस्योपश्रमः कि- aware लख्पितेनेति ततो ल्धितो मथ्यमबद्धिनास्या निवन्तेको fata: श्ितोऽषौ द्ष्लोभावेन wort गतोऽस्तं सविता बालद्दया दिव squfad ances लचधितः प्रथमः प्रदोषः मिः- संचारोश्वतो लोकः ततोऽविषायं कार्याकायं समुत्थितो बालो farina: खकौ यभवमात्‌ waa UMN प्रटत्तः शचुमदंनराजकु- शाभिसुखं गन्तुः गतः कियग्तमपि wating खेशवशेन किम संपत इति चिन्तया निगंतस्तदनुमागेंण मध्यमबुद्धिः। दृष्टो बालेन

गच्छता कद्ित्पुरुषः तेन॒ चास्फोग्छवद्धोऽसौ मयूरवन्धेन 34

२८९६ उपमितिभवप्पश्चा कथा

कूजितं बालेन प्राप्तः प्राप्न दरति ware: प्राप्त इव मध्यमबद्धिः। ततः AAU We पश्यत एव मध्यमबद्धः समुत्पतितः पुरुषोऽम्बर- तश्मारटतख बालस्य स्थगितं aca sew: पञ्चिमाभिश्ुखो गन्तु ततो मध्यमबद्धिरपि st रे दुष्ट विद्याधर a arfa aeieat मदोयभ्रातरमिति जड मुश्चलारष्टखङ्गः प्रखितो wat तदनुमार्गेणए निगेतो नगरात्‌ sorb: पुरुषो निरा- what waaay: | तथापि बाशच्ेदानुबन्धन किल कचिक्मो- च्यत तिवद्या नासौ धावनूपरमति धावत्‌ एव शंधिता रजनौ ततोऽनुपामत्कतया विद्धोऽनेककणष्टककोखकेः परिगतः भ्रमेण weit बुु्या पौडितः पिपासया विष्डलः vita श्रध्यासितो saa श्रनेकय्ामनगरेषु एच्छन्‌ at भान्तोऽसौौ सप्नाहोराच तचापि प्रानः कुशस्थलं माम नगरं सितस्तस्य बदिर्भागे दृष्टोऽनेन srai- न्कूपः ततः fa ममाधुना भाद विकलेन जौ वितेनेति प्रकिपा- म्यज्ात्मानमिति afer बद्धा मध्यमनृद्धिना निर्गोखगमनायेमा- aaa frer दृष्टं तन्लन्दननान्ना राजपुरूषेण ततो मा साहसं मा साहसमिति ware: प्राप्तोऽसौ तत्छमोपे धारितः कूपतरोपा- न्तवर्तौ Gea मध्यमबद्धिरनेन विमोदितः शिलां मिवेभि- तो wae wey भद्र किमितोदमधमपुरुषो चितं भवता व्यवसितं ततः कथितोऽमेम बालवियोगव्यतिकरः नन्दनेनाभिदितं भटर यद्येवं ततो मा विषादं का्षौः भविव्यति are we प्रायेण मोखको मध्यमवद्धिराइ कथं ata wade sere नगरेऽस्माक सामो दरिद्रो नाम राजा पतिचणसुपद्रुथते

ware: प्रस्तावः | २९७ .

विभयमाठर्ंखादिभिः परात्यन्तिकमेष्डलरहर्गपतिभिः। दतश्चासि रतिकेखि्नाम विद्याधरः परममिचम्‌ अ्रन्यटा समागतेन शचृपद्र- amma देवं तेनाभिडित ददामि त्वम कूर विरा यत्मभा- aw त्वमेतेन परिभूयसे देवेनाभिदितं अनु्ो मे ततः कार- चिल्ला षाणमाधिकां परवंसेवाभितो दिमादष्ठमे दिने ata: afe- न्तेन देवो इरिश्च्रः कारितो विद्यासाधनममानोतो दितौय- fet पुरषे शृता ae पुरुषस मांसरधिरेण होमक्रिया सप्तदिनानि विद्यायाः पञखाल्छेवासुक्षोऽसावधुना पुरुषः एव प्रायस्ते भ्नाता भविष्तोति मे वितकैः। ममेव समर्पितो Saat देवेन मध्यमबुद्धिराह भद्र यदेवं ततो यथस्ि ममोपरि दया भवतस्ततस्तमानय aafesa पुरषं येनाहं प्रत्यभिजा- मामौति aad करोमौव्यभिधाय गतो नन्दनः समायातः समुत्पाद्च गहोला बालं दृष्टोऽयिमाजावगरेष उच्छरासमिःश्वाषोपल- च्छमाणजो वितो निरद्भवा कप्रसरो मध्यमबुद्धिना are: प्रत्यभिन्चातः eeu श्रभिदितो नन्दनः भद्र एवायं मम wafa सद्यं नन्दनखमसि | अरनुख्टहोतोऽडइं भवता | मन्दम: ATH भद्र राजद्रौ- मिदं भवत्करुषया मयाध्यवसितम्‌। अन्यच्चाधुना गतेन मया किलाकितं यथा किल cat राजा पुनस्तपंयिव्यति रुधिरेण विध्यां भविखत्यनेम पुरूषेण प्रयोजनमिति तदिदमवगम्य ममं agafa तद्भवतु भवद्भ्यां तु व्रणेमपक्रमितय्यं ततो यदाश्चापयति भद्रो रच्णोयसख यत्तेन भद्रेणत््त्यभिधाय ससुत्पारितो ara: newt गन्तु मध्यमबृद्धिः ततो भयविधुरदयो waqufas

२९८ उपमितिभवप्पद्चा कया |

वेगेन afetigh बां पाचयन्लुदकं समाख्डादयन्‌ वायना प्रौण- यन्लशनारिरसेमागणयन्नात्मनः श्ररोरपोडां मता केश्रजालेन प्राप्तः earn मध्यमबुद्धिः | गतानि कतिचिदिनानि जातो मनाक्‌ खबज्ञो बालः vet मध्यमब्‌ दधिना भरातः कि भवतालुन्त प्राह दतस्ताव- दुख्धिप्नोऽहं बद्धा भवतः पञ्चत एव गगनाचारिणा ata: ware घुराकारमतिभौषणतये कं wd gees प्रष्वशिङ्गारण्ताभ्नि- Ser मया पुरुषः तत्प्रति तेनाग्बरदरेणाभिडितं महाराज fag ते खमो दितं शभोऽचं मया प्रस्त विदा सिद्धरचितः BAGG: पुरषः दतरेणोक्र महाप्रसाद ततोऽभिडितो नभखरेण पुरवः चदुतेकेकश्िन्‌ fanaa मया दन्ताङतिरप्नौ भवता wana प्रतिपस्मनेन प्रारो जापः। ततो विद्याधरेण- Bel यमजिहेवानितोचा भाखराकारा wheat तथा शो- ष्कत्तिता मदौोयष््टा्तेन etal मांष्पेश्नौ fad, तत एव देशात्‌ नि्गाशितं रुधिरं तञ्चखकः। श्रनान्तरे सम प्तमितरस्येकं fanaa vafdat व्िद्याधरेण शा रुधिरमांषमयौ तच्या- ऋतिः nfafaat tarfage पुनः wait जापः aga सोऽम्बर- चरो aad WAC परापरप्रदेाश्नरकपाख इव भारकस्यारटतो मे मांसपे गो सुत्करेयति तं प्रदेशं निष्योद्य रुधिर भनिर्गाष्लयति तस चणकं WAT साधकायाङतये ददाति विद्यापरावत्तन- खमाप्तौ Zier Barwa प्रचिपति। ततो वेदनाविषटलो मूच्छंया पतितोऽचं wad विद्ाधरस्छ प्र्श्श्ररोरतया इष्टो निष्कङ्णो गाढतरं मां विकत्तंयति श्रजान्तरेऽद्हासे हसितमिव प्रज्यमेधे-

zara: प्रावः | २९९

री खशितमिव sexe प्रचशितेव एथिवो रसितं दौभिजिह्ाभिः शिवाभिः ved विहृतशपे वं तालेः निपतितं इधिरवषै तत- सेषंविधेषु day विमौषिका विषेषु सत्छप्यचुभितचिक्षष्ट राश्नोऽभिञुलोगता बा कूरविद्या समाप्तं ापद्दाष्टशरतं ततः fagre भवत इति वदन्तो प्रकटोश्ता विद्या प्रणता साधकम्‌ प्रविष्टा तच्छरोरे ततः ससुत्कन्नितश्ररोर निष्योडितरूधिरबोभल्ठं aq शमारटन्तं agra राजा मयि जातसषदयः छतोऽनेम दम्- सौत्कारः ततो वारितोऽसौ विद्याधरेणामिदितं तेन राजन्नेष एवास्या विश्चायाः कज्यो यदुत कत्तद्याश्योपरि दया ततो विद्याधरेण fed मे केमचिक्ञेपेन शरोर ततोऽहं उमग्तादन्दद्य- मान ta तौत्रवष्डिना year इव ase पौद्यमान टव यन्ते भ्विष्टो बेदनाप्रकषे तथापि gag म॒ गतमेतस्मे इतजोवितं संजातं मे णेन तेन लेपेम दवदग्धश्याएकल्पं शरोर ससुत्पाटि- तस्ताभ्वां aes मगरे खादितश्च खयंमुनिमिन्तमाग्लभोजनं शून्यं मे wt ततो शयस्तेनेव विधिना मदौवमांसं रधिरा- fafaa रान्ना दत्तमष्टश्रतमष्टश्रत विधाया जपस्य सप्रदिणा- नोति इष्ट तदवश्योऽइं भवता तदिदं aaa fea मम इदये यदत प्रायेण मरकेऽपेवविधो दुःखविग्यासो यादृशो aaa इति मध्यमबुद्धिराह हा भातर्नाचितस्छमेवं विवधदुःखानां wet निर्धुणता विदाधरस्य अरो रौद्रता विधायाः wat शलोकाचारमलुवन्तमानो वा्तानविष्थमागतो मनौषौ शरुतस्तेन दारि शितेन तथा परिदेवमानो मध्यमवुद्धिः प्रविष्टो

ROR उपमि विमवप्रपश्चा कथा |

धिकेषु प्रमोदवन्तो महात्मान इति विमर्शेन घन्यः पुष्भागसौ भवजन्तुः येनायं शमस्तानथेष्ेतुः wig: पापवयश्यः wer निराश्त दत्याशोचयतः ससुल्ञशितस्तं प्रति wh | तातेन तु केवल- areas हसितं मथाभिडहतं तात किमेतत्‌ तातेनामिडितं सुज यन्यि प्रतिकूले संपद्यते aad बालस्यातो मे was) हा जात क्ष गतोऽसौति परिदेवितं सामान्यरूपया सश्चातो मामक- तनय्यापाय दति इष्टा चिकेन aterm ware तु amet अाशदरणेन प्रमोदः THAT लदौयगमनेन कर्णा AeA: ख- TAA म॒ TWAT ममोपरि -पच्पातः। भष्यमबद्धिराह कथमेतल्- fei भवता मनोषिणाभिदडितं निगेतोऽहमासो त्तदा नगरे ga- wea भरमणिकथा ततः श्रता मया परस्पर अख्यनो लोकाः यद्‌ताो सुन्दरं संपलं यदसौ कलङ्हेतुनिंजकुलस्य दु्टोऽन्तःकर- खेन afant मर्यादया afeia: wera निरतः खततमगनम्यग- मने अत एवोपतापकरो HATS बालः केनापि मडहाद्मनापइत इति। अन्येनाभिदितं सुष्टु सुन्दरमेवं तु खन्दरतरं भवति यच्चसौ fat fret व्यापादितञ्च श्रयते थतस्तस्मिश्ेकाम्ततः प्रजने एव पापे मागरिकाण्णं wiwdced संपद्यते मान्यथा अन्येनाभिदहितं eating Bae चदसौ मध्यमबुद्धिस्तपसौ तस प्रष्टतो शप्र faaa तन्न ae fe विशिष्टप्रायः प्रतिभाषतेऽस्माकं ततो- ऽपरः प्राह भद्र ये पापदन्तानां बल्ला भवन्ति तेषां aiemM विशिष्टता खलु manana श्छामिकया सह रसंसगेमहंति अत एव MAA ALIA दुःखपरपराम्‌ श्रयशद्च ate किम-

तोः प्रस्तावः | ROR

wee ये पुनरादित एवे waraern: इभलनसंपकं रद्यन्ति तेषां मेष दोषोऽनुयुग्धते अजां अयमेव मनोषौ दृष्टान्तः tod | avian परिडतपापप्रवणबा शवान्छख्यो निष्कशङ् सुखेन नोवतोति ततस्तं शोकवाद्माकश्थता मयेदं शङितमिति मध्यमबुद्धिना चिम्तितमये |

दोषेषु बन्लेमानस्य acersa अष््नि |

wea सुखगन्धोऽपि केवलं gag:

a fe दुःखभाराक्राग्तस्तावता नेव gua

श्राक्रो्रदानतस्तस्य खोकोऽन्यदेरिकाथते

एकं दुःखओेनिदेग्धो दितोयं निन्दितो जनेः

गण्डस्योपरि संजातः स्फोटो Wes TAA:

जनानां ALATA जातोऽहं बाशमोशकात्‌

aferergn: प्रायः कंिन्लच्वविचारकेः

दुःखाकरः सतां fret ममेदानो विजानतः |

तस्मा ym: deat बालेन सह पापिना

Tey aware acersa जन्मनि |

जायन्ते संपदः सर्वां aurea मनो षिणः

यथा ware: सुखो arartat विपखिताम्‌

वा शस्पशेनसंसमभोङलादेष THA

तथापि शोका दोषेषु सततं विड्ितादराः।

रेषु चिचिलोत्छाहा वन्लेन्ते पापकमेणा

neq Yegtaret faut पश्यता मय। ¦ 35

ROS

उपमिविमवप्पच्ा KUT |

Jug यन्नः wat श्रादिष्टौ मनोवि ततेव विचिन्धास्तौ भाषते तं मनो विणम्‌ | म॒ श्रक्यमधना खोके प्रकाश्रमरितु मया शोका मां प्रञ्रयिव्यन्ति बाखटन्तान्तमश्जसा | अतिखष्लाकर तं नाहमाख्यातुमुलखद्े अन्यच्च TIT लोकाः Fat मेऽन्तःकदथनाम्‌ | तदो्यां नितरां तुष्टा efaafa विगरेषतः ASTHMA खात्‌ सद्मनि gee जनस्य विस्मरल्ये तद्या वदाल विचेष्टितम्‌

मनो विशोकं aya रोचते तदिधोयताम्‌ | केवलं पापमिनोयः saat aed मया

ततः क्चिदपि बहिर निगेच्छंसतः्व सदने खितो मध्यमबद्धिः

गतो AMG खस्थानम्‌। इतश्च बाक्श्ररोरादाविग्धतः wwe माणा चअकुश्रसमाञख्लया मिहतं खाधु TAR साधु TA जातो- ऽसु तिष्ठति acafea भवता यतो निरारतस्लयायमलोकवाचालो मनौषौ खशेनेनाभिदहितम्‌ श्रन युक्रमेषेदृशमोटु ग्रपुरुषाणा- मलुष्टानं दर्भितः खस्वेवमा रता frafase मयि मिर्भरोऽनुरागः | sua किमनेम निधेरितेनेदानों जयाएामप्यस्माकं भावसार सम- सद्‌ःखसुखता | ये त्‌ ददयेसाधनप्रटन्तानामयग्तराले fan भवन्ति तान्‌ के गणयन्ति बालः प्राइ वयमप्येतदेव रमः केवलमेतत् मनोषौ जानाति। स्यशेनेनाभिहितम्‌। किं तव तेम सुखविन्न- हेतुरसौ पापकर्मा भवतः। श्रयं जमोऽम्बाच केवलं ते सुखकारणम्‌ |

तयः Wea: | २७५

बाणः ame) कोऽच fant निःसन्दिग्धमिदं ततः waren यो गगर ्रिव्यापारपूवेको गयस्तदौयशरौरे प्रवेशः प्रादु शेतं मदनक- न्दशो गोचरं ग्धग्रतरमोत्छुक्यं प्रटत्तोऽन्तस्तापः wear जभ्मिका पतितः wana तच चानवरतसुदन्तेमानेना ङ्न तथा विचेष्टमानो दृष्टोऽसौ मध्यमवृद्धिना ager करूणा तथापि मनो षिवचनम- TATA षष्टो वार््तामपि area श्रचान्तरेऽरं गतो दिन- करः। ततः प्रथमप्रदोष एव निगेतो ave: | श्रवधोरितो मध्यम- बुद्धिना प्राप्तः श्चमदेनराजकुलं प्रविष्टोऽभ्वन्तरे दृष्टं वाखभवनं चसितस्तद मिशुखं ततः प्रच्रतया शोकस्य सान्धकारतया प्रदोष व्यग्रतया प्राहारिकाणां aufecafea एवासौ प्रविष्टो वासभवनं विशोकितसग्छ्ध्यभागः प्रकाशितो मण्प्रदौपेः सनाथो महाहशथ- नेन cay तस्िन्नवसरे खा aaa wea वासभवनच्वा- कूरवन्तिन्यां प्रसाघधनश्रालिकाया मात्मानं qn free are HUTA बालो बालतयेवारूढः शय्यायाम्‌ श्राः कोमखेति भावनया समुद्भूतो इषेः किप्रमुच्छोषंकप्रावरणं किख तिरञ्योगो भविव्यति यावददिहितागरेषप्रदोषकन्ते्यो विसजिताश्थानिकशोकः कतिचिदाप्तपुडषपरिकरो च्वशपप्रदौ पद शरितमागेः समागतः शजम- दंनखद्रारदेगे ge: प्रविशन्‌ बाखेन ततोऽतितेज्ितया awe नस्य सत्वविकशतया इदयस्य साष्वश्डेतुलाद कार्याचरणच्छ प्रतिक्ू- CAN कमेविखासस्य खफलदानोश्मतयाङुश्रलमाखायाः खविपा- कदग्रेमतथा WIT भयोत्कर्घन वेपमानगाजयष्टिर्जिपतितो aret तले . ततोऽल्युचचतया we कणकणतया मणिदुहिमखच शिथि-

Rod उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

Saga शरोरस्य समुत्थितो मदहानास्फोटरवः। किमेत- दिति aqeac प्रष्ष्टो राजा दृष्टस्तेन कथमधमिह प्रविष्ट दति समुत्पश्नो मनसि वितकंः। इृष्टसुच्छोषेके प्रावरणं afar were दुष्टोऽयभिति संजातो निश्चयो मत्कलजा भिलाबुको - safafa ager: क्रोधो fama we cai तथाष्वतिद्रात्मा खस्वयमपमयाम्यस् दु विनयमिति बुद्धा रन्तो areve निनचरणटो राज्ञा ्रामोटितं प्ाग्मुखं शुजयुगलं बद्धो रारब्यमानस्लस्रावरणे- नेव ्राङ्कतो fattau: श्रमिहितख्चासौ अरे एष पुरुषाधमो waned राजाजिरे यथाइमाकणेयाम्बस्य करणष्वनितं तथा शमस्रजनो कटयनोयो निभो षणेना मिदहितं यदान्ञापश्षति देवः। ततः GABE ग्टहात्वारव्धमामो Tet नो ताऽभ्यणेराणप्ाङ्गे बद्धो वश्जकष्ट काड्ुलं शो इस्तभे चोटितः कश्माघातेः जिक्रोऽभ्निवकै- तेशविन्ुमिः प्रवेशिता अङ्ु्छादिग्वयःशजाकाः ततसचवंविेषु भरकाकारषु दुःखेषु विभोषणेगोदोमाणेषु saat बालस्व शंधिता रजनो तदाक्रन्दरबेण अवणशपरपरया किमेतदिति HIV प्रभाते समागतं राजकुले मगर दृष्टो awe: vara पापिष्टोऽद्यापि जोवतोत्यादिः प्रत्तः wet नागरकाष्षां qw- विधसटाक्रोग्रजर्पः तमाकणेथतः mash awe दुःखं कथितो नागरिकेभ्वो विभोषण्ठेन राजिब्यतिकरः ततोऽ vear- Sfx गाढतरं प्रि्टाः श्वे विज्रापितो महन्ते राला यदुत यो देवपादानामेवमयमपच्यकारो तथा क्रियतां यक्मन्धोऽष्येवं म्‌ करोतौति। अस्ति तख राशो भगवद्‌ हेदागमावदातबुद्धिः

SALT! GST | Roe

wifgaiarara: Fae तेन कचिद्वसरे at प्रार्थितो राजा, aga frente are पर्याखो चनोयो भवता प्रतिपश्ख्च वरो गरपतिना ततः सुबुद्धि प्थांशोच्ेव दशः शचमदनेम राजपुद- बा्ठां नियमो यदुत कदयंयिला बह्कप्रकारमेनं नगरापषदं वापा- दयतेत्ति AHS ANTE इव जातो जनानां प्रमोदा- fama: | ततः समारोपितो रासभे favre: श्रावमाख्या खमन शष्ठेमामो afegfeauretenwt रोरूयमाणो विरबध्व- निना quart मगसि कष्टकटुकेराक्ो शवचनेमंहता ककशन समस्तेषु जिकचतुष्कचलवर दडमार्गादिषु बभरम्यमाशो विगोपिबरो मालः। ततो विश्ाणतथा ave प्र्णटकम्रायलान्तस्य मणेनेवा- तिक्राम्मं दिनं सन्ध्यायां मोतो aera उन्लबितस्तङगशाखावां प्रविष्टो गगरं खोको भवितव्यता विगरेषेण ae जरितः one: पतितो were गतो seat feet तङूपतचा शो वायना लगा चेतना vem ग्टहामिञुखं गन्तु ग्मिकषणेन gaa: चअचा- न्तर श्ग्टहोतषङेतयोक्तं हे संसारिजोव तच शितिप्रतिहितपुर प्रथमं भवता वोयेनिधानन्डतः कमेविखाषो ara राना faafea: | श्रधना दग्रापराधप्रभविष्ुरोष WIRE निवेद्यते तत्कथमेतदिति संघारिजोवेनाभिडितं ga मयापि नन्डिवद्धमेन सता ve एवेदं विदुरस्ठतो विदुरोणाभिहितं कुमारकमेविखासस्तचान्तरङ्गो राजा शचमदग्छ बहिरङ्गः तेन नासि विरोधः यतो बहिरङ्गाणामेव cat दध्रापराधप्रभविष्डता भवति बदिरङ्गनगरेषु मेतरेषां ते fe केवलं सुन्दरा न्दर प्रयोजनानि जनानां प्रच्छन्नर्पा एव सन्तः

got उपमितिमवप्पख्ा Wat |

सवो निवेत्तंयन्ति। तथा fei क्मविलासप्रतिकूलताजनितोऽयं बास Wasa: सवऽप्यनथेः संपन्न दति ततो मयामिदहिवं श्रपगतोऽधुना मे सन्देहः woe: कथय विदुरोणाभिदितम्‌ | ततः शचा तिक्रान्ते याममाजे रजन्याः प्राप्तः BIH ATS: इतथा- कितः प्रभात एव तदौयटन्तान्तो मध्यमबुद्धिमा | ततो बाखचेइ- छेशस्यागुवन्तमानतया संजातो मनाग्‌ विषादः चिन्तितमनेन हा किमो दशं संपन्नं बाखस्येति पुनपर्याखोचयतः maddie मनसि प्रमोदः चिज्तितमनेन पश्वताहो मनोषिवचगकरणशकरणयोरिह खोक एवान्मरम्‌ तथाहि तदु पदे श्वल्तिनो मेऽधा daw: au: नोदौणमयशः पूवं पुनविंपरोतशारिणो इयमष्यासोत्‌ qe पुमरोकान्ततो मनोषिवचनविपरौताचरणएनिरतश्य agra gee fat waaay: संजायते मरण ay fared तदस्ति ममापि काविद्कन्यता यथा मनोषिवचने qy- मानः संपन्न इति | तथाहि |

नेवाभव्यो भवत्य सतां वचगकारकः |

पक्तिः कांकटुकेनेव जाता चन्नप्रतेरपि

एवं भावयतञित्ते बाशस्ञेहं विसुश्चतः |

प्रमोद पूषणचिन्तस्य शंधितं ae afer

ततः खमागते ATS लोकाचारानुवन्तेनम्‌ |

gaa विहितं तेन awe संभाषणं किल

yeqrauanre विषाद गतबुद्धिगा |

Zara? VATA: | Ree

तेनापि कथिता wa बालेमात्म विडम्बना

म॒ frquy योग्योऽयं मत्वा मध्यबुद्धिना |

ततस्तदनुरोधेन रतेषत्यरिदेवना

ततञ्चुणितखवाङ्गो दुःखविन्हखमानसः |

तथा राजभयादुयार्‌ बारस्ततेव संभितः

weyey: सततं निगच्छति कुजचित्‌ |

एवं तिष्ठतोः काणलसयोग्डेयान्‌ विशंधितः

amaze मिजविशसिताभिधाने stare aaa

वरकशभदन्देन परिकरितः सातिश्रयगुणवता faafwaaite प्रवाहः करणारसस्य संतर सेतुः संसारजिन्धोः परष्ख्ष्णाखताग- इनस्य श्रग्रनिर्मानपवेतोदहशने मूलसुपशमतरोः सागरः सन्तोषाग्ड- तस्य ate सवं विद्यावताराण्णं कखभवनमाचाराणां नामिः प्रज्ञाय करस्य वडवानणो WNIT महामन्त्रः क्रोधभुजङ्गश्य दिवक्षकरो महामोहान्धकारस्य निकषोपलः शासरन्नानां दावानलो tree वद हने श्रगेलाबन्धो गरकदाराणं देशकः सत्पथामां fafa: सातिश्यश्ञानमणौनामायतमं खमस्तगुणानां waa पुरे प्रबोधनरपतिर्नामाचायेः इतख wid प्रतिकूलयारिणसुपशभ्ब मनो पिणं प्रादुरण्वल्कमेविलासस्य तस्योपरि खरतरः wear: | ततोऽसौ श्ठभसुन्दरो प्रत्याह म्रिये लखयत्येव तावदिदं भवतौ यथानादि्ूढा प्रकृतिरियं मम adit यदुत योऽख स्पशे मस्यानुकूखस्तस्य मया प्रतिकूलेन भाव्यं प्रतिकूलस्य पुगरनुकूलतथा व्नितग्यं मम प्रतिकूखमाचरतः सर्वजाकुश्रलमाखोपकरणं श्रलु-

+ 9) उप्मितिमवप्रषख्ा कथा |

ge विदधतः पुनभेवतौ ममोपकरणं ata तदेवं fat स्पशेना- नुकृलशचारिणो wea दशितो मयाङ्खुश्रलमालाव्यापारशदारेण afycram: प्रतिकूलता फ़शविलेशः we तु मनो विशः स्यशेम- nfageatamt म॒ मबाद्यापि निलानुकूलताफशविग्ेषो दर्ितो यद्यपि यदिदमखछ ona निरभिष्वङ्गतया डद रयनश्ुरतादोन्यतु- भवतः संपद्यते सुखम्‌ यस्यं सुखितो खोकमध्येऽयश्रःपरद्हो न॒ सपशः कचिदपायगन्धोऽपि विचरतस्तस्य समस्तस्य व्यति- करख्ा इमेव भवत्येवोपकरण्ण्डतया कारणं तथापि मयि सप्रषादे नेतावन्प्ाजमेवास्य फलमु चितम्‌ रतिप्रिये विगिष्टतरणलसंपार- mine मनोविणो थनं कुरष्बेति शभसन्दयेवाच साध्वायेपुज् ary सुन्दरमभिदितं देवेन खितं ममापौदं इदये योग्य एव AMT देवप्रसादानां तदेषासुतिष्ठामि षटान्नापितं देवेनेत्यभिधाय यापा- रिति इभसुन्दयां योगश्रक्रिः विहितमन्तर्धानं प्रविष्टा गता मनो विशरौरे प्रादुश्वंतोऽख प्रमोदः सिक्रमन्डतसेकेनान्बाश्ररौर पर्ता निजविश्ञसितोद्यानगममेच्छछा प्रितस्लद मिदुकं चिन्तित- अनेन कथमेकाको गच्छामि qe काणो wurfae तिष्ठतो मध्यमब्धेरतोतो विखतोऽधुमा लोकस बाखटम्ताग्लो व्यपगतं Te खष्लाकारणम्‌ शअ्रतस्तमपि निजविशछसितोद्धाने मयामोति fafer गतो मनोषो मध्यमबुद्धिसमौपं निवेदितं तसो fren: कूतम्‌ cay कमेविलासेन तसखापि जननौ सामान्वरूपा तत्‌- फलविपाकसंपश्तथे तथेव stefan सा इड्ुग्रलमाखागएभसुन्दथौः araceatal विचिचरफखद्‌ायिनो खरूपतो ada) ततस्तथाधि-

टतलोयः प्रस्तावः ` Roe

हितमृरतँमध्यमबुद्धेरपि प्रहन्ता तच गमनेच्छा बालस्तु भवताणवश्चं

गन्तव्यमिति वदता वलामोटिकंया प्रवतो मध्यमवद्धिना गता-

waste निजविलसितोद्याने | श्र मामाविधेसलम विलसन्तः कुदः | प्रमोदशेखरं भाम प्राप्नास्ते जिनमन्दिरम्‌ तच्च aeaguyg fame साधुचित्तवत्‌ देवणोकाधिकं मन्ये सौन्दर्य दा्ंयोगतः थगादिनायबिम्बेन staat तद धिहितम्‌ समन्तादुदूरपोत्तङ्गपराकारपरिवेष्टितम्‌ पुरतो waaay लोज्ाणि पठतो मुदा) तेज आआवकल्लोकसय ष्वनिमाकश्े पेश्रलम्‌ . ` किमेतदिति df कौतुकादिक्रमानबाः ,. fast जेनसदने ते जयोऽपि कुमारकाः श्रय द्किणमू्िस्धो देवाजिर विग्षण्ः | विनौतसाधृलोकस्य मध्यवत्तो तपोधनः जिमेद््गदितं धममकलदं सनातनम्‌ | संसारसागरोत्तारमाचश्ाणः सुदेडहिनाम्‌ # ` प्रविशद्धिमेहाभागसुन्दवन्तारकेटेतः | | प्नोधनरतिधौरः रिस्तेविखोकितः भाविभद्रतया जेनं विम्बं नला मनौषिणा aft: गेषमुनोनां विहितं पादवन्दनम्‌ -

AAMT मनाक्‌ शगणदधबद्धिना ` 36

ACR उपसिवतिमवप्रषच्चा कथा |

देवघाधनमस्कारः ङतो मध्यमनुद्धिना

`, यापमाटवयस्याभ्यामधिदहितश्ररोरकः | बालोऽकड्याणभाडः नेव कस्यचित्मशतिं गतः किंतु यामेयकाकारं बिभाणः सममानसः | मनोषिमध्यमासन्ने खोऽपि गला यवखितः अरय संभाषितास्तेऽपि चमंलाभपुरःसरम्‌ | FRU कण्वाक्येन निषष्षास्तज was way ख्रिटन्तान्तः कथञिक्ञोकवान्तंया मन्ति जिनभक्तन अतस्तेन सुबुद्धिना ततः प्रोत्छाडहितस्तेन राजा ` श्चमदंनः वन्दनां मुनौश्धस्य व्रजाम इति भाविशाम्‌ विधृत्पापमात्म्ानं वन्दनेन महात्मनाम्‌ | साधुनां येऽ कुर्वन्ति ते धन्यास्ते मनोषिणः # ततो ACHAT VSAM YHA | सुवुद्धिवचनाद्राजा निगेतो सुनिवन्दकः ततः श्वे पुरं तच मुपे चलति विसितम्‌ | चन्यं गतसुद्चामे को तुकाशृष्टमानसम्‌ निपत्य पाद योस्तज्न fare शबलो मुपः प्रबोधमरति भहा ववन्दे इष्टमानसः प्रणग्यागेषयारधृखच दत्ताभोगुरसाधुभिः मिषष्यो waa राजा विनयानघमस्लकः सुबद्धिरपि Mig पादपद्म्तानतिः

Zara: प्रस्तावः |

निरूपयति सर्वाणि देवकमांणि aaa: देवपूजनसडूपदटोपदानादिपू्ंकम्‌ | भक्रोत्कं रितसर्वाक्तो भन्यस्तकरजानुकः SR भवकान्तारे जन्तुभिजिनवन्दनम्‌ दूति भावनया wet भिमेलोग्धतमानसः ्रामन्दजलपरणाच्चः चाखयन्नाम किङ्विषम्‌ | तथा भागवते fan wagfefaeee: क्रसतवं नेर्धौरः पटिला भकिनि्भरः | पञ्चांगप्रणिपातान्ते frre: दरद्धग्चतले # परस्यरतिरोग्धतकर श्राखा विजिमिंताम्‌ | कोशाकारकरः रत्वा योगमुद्रा समाहितः

ततो yaaa atwife कल्या गिरा ..

aera Vad तदर्थापिंतमानसः AAA जगदानन्द मोखमागेविधायक | faa विदिताश्रेष भावसद्धावनायक प्रलोनागेषसंसारविस्तार परमेश्वर ` नमस्ते वाक्ययातोत जिलोकमरग्रेखर भवासिपतितानन्तसत्वसतारकारक | चोर्चषारकाग्तारसाथवाइ नमोऽष्ठु ते अरनन्तपरमानन्दपूषधामन्यवश्ितम्‌ |

भवन्तं भक्तितः वालात्यश्यतोह जनो जिन स्वतस्तावकं ' बिम्बसन्यया. कथमोटशः |

xe

उपमितिभवप्रपद्चा कष्या |

प्रमोदा तिश्रयञिन्ते जायते भुवमातिम पापाणजनमितस्तावन्तापः संसारिषेतसाम्‌ यावन्तेषां Vaasa नाय awa येषां पुनर्विंधन्ते षा माय चित्तेषु देहिनाम्‌ + पापाणवः चणाकेषां ष्वंसमायान्ति weer ततस्ते द्रा विताग्रेषपापपङतधथा अनाः सद्धावाग्तसंसिक्रा ate नाय सवदा

ते वराका gaerat रागादिषरटेः कथम्‌ | येषां गाय भवाश्नास्ि तक्निसाजिध्यकारकः ` wae भाय निःशड्मानसषा |

शिवं यतिमदटादौनां विधाच गखपादिकाम्‌ न्यपतिख्यदिदं नाथ लगन्नर ककूपके | aftareaciaa यरि 4 गाधरिथ्याः विखलौनकखक्ेशं निर्विकारं मनोहरम्‌ | शरोर Tat माथ तावकौगमदो वरम्‌ अ्रगन्तवोये Taw वोतरागस्मश्चखा |

wife यदभग्धानां तत्तेवां पापजम्मितम्‌ रागदेवमश। मोरस्चकेवो ATT

हास्येति विलासाशमालायेददोन ते नमः अनमगुणवद् णे faery वदिग्यते | तांवकंस्लवने माय जडबद्धिरथं जनः सद्वावोऽ्यथवा माय भवतेवावबध्यते

तोयः प्रस्तावः | +>

तदस्य करूणां wart विधातव्यो भवे भवे भवोच्छद करो भाय भक्रिरात्मनि निश्चला ` ea जगज्नायमुच्छाय जिमसुद्रया विधाय वन्दन श्रयः पञ्चाङ्गनममादिकम्‌ | तदन्ते प्रणिधामं मुक्ता श्एह्यातिसुन्दरम्‌ Bal BATA मन्यमानः सुकर्मणा at: पादयगं सिंचन्नागन्दोदकविन्दुभिः ` वन्दगदवाद भरावनते ददौ दोषद्धदनम्‌ हतसामयिकोऽगरेषसाधूनानस्य भक्तितः श्वाप्नध्मंशाभोऽसौ fare: WEA weet wet तच मन्तिणि अथाचार्था विग्रेषेण चक्रिरे ध्मदेशनाम्‌ | कथितं भवनेभे्धं विता कर्महेतवः प्रख्यापितं निर्वाणं दशितं त्य कारणम्‌ | ततञ्चाणटतससेकचाङणा वचसा मुनेः जातास्ते जन्तवः सवं चिन्तषन्तापवजिताः | श्रनानारे मखा दूविशदं शवा WETS AACA | जगाद भारतोमेनां राला TAS: भगवन्न FAC मरण सुखकामिमा | fazed aaa सवसन्पत्तिकारणएम्‌

acd उपमितिमवप्रपञ्चा KUT |

खूरिराह | MIA महाराज धमः सवेश्चभाषितः | एव भगवान्‌ खवेपुरुषा यंप्रसाधकः सोऽनन्तसुखंपूणं मोखे नयति देहिनाम्‌ | अनुषङ्गेण Wt Bq: सुखयपद्धतेः भरपतिरूवाच यद्येवम्‌ | RAG कुर्वन्ति तं शर्वसुखसाधनम्‌ | धम संसारिणः fa वा करिष्यन्ते सुखकाम्यया खूरिराइ | सुखाभिलाषः सुकरो दुष्करोऽसौ नृपोत्तम यतो जितेश्ियियामस्तं साधयति मानवः अमादिभवकान्तारे प्राप्नानि परमं बलम्‌ | दुर्भधाभिने शक्यन्ते जेतुं तानोद्धियाणि वे तेनेव जन्तवो मूढाः सुखमिच्छग्ति केवखम्‌ | धमे पुनः खदूरेण त्यजन्ति सुखशकारणएम्‌ acafagara | येषां जयमश्रक्िष्ठाः aa मो पारयन्धमौ धर्मतः प्रपणायन्ते ततो war: सुखेषिणः alfa aratfxarate किंखरूपाणि वा मुने। कथं वा दुनेयानौति ओतुमिश्छामि तत्वतः सु निरूवाच। wit रसनं घ्राणं चुः ओं पञ्चमम्‌ एतानि तानि Tiere इषौकाणि weet `

Zata: Geta: | २८७

ts: स्पा दिभिसोषो देषटद्धिस्तयेतरः | एतत्खरूपमेतेषामिद्दियाणं नृपोत्तम gaara यथा तानि कथ्यमानं मचाधना दत्तावधानस्तं सवेमनुश्रत्यावधारथ श्रनेकभरसद्लोणे समरे योधयन्ति ये मन्तमातङ्गसंचातमेतेस्तेऽपि विनिर्जिताः # अङ्गच्धय निधायेदं भुवनं मारयन्ति घे ! शरक्रादयोऽतिग्रक्रिष्ठास्तेऽप्यमो मिर्वश्ये्ताः हिर्गभवेकुमदेश्वर पुरःसराः | एतेनिराद्ताः सन्तः सर्वेऽकिङ्रतां गताः अधोत्य 'सवेश्रास्ताणि परमाथ विदो जनाः | एभिवरिधुरिताः sagen बालिशया इव एतानि fe खवो्यंश ससुरासुरमागुषम्‌ | वराकमिव भन्यन्ते सकलं मुवनजयम्‌ दुजेयानि ततोऽमूनि इषोकाणि नराधिप एवं बामान्यतः शला इषौ कदुरवणएंनम्‌ ततस | | न्नानाखोकेम ward बोधमाथं ममोषिणः | सखूरिबेभाषे सदनदोधितिच्छरिताधरः TIT AWTS | तिष्ठन्तु तावच्छषाणि इपौकाणि seq ` स्यशरनेडियमेवे कं समयं बत वति .॥

acc उपमितिभवप्पञ्चा कथा |

यतो शक्ते खोके्ज॑तुमेकं कमण्यदः | Neat जयतोदं तु भुवनं THAT गरपतिर्वाच | wage जेतारो राः किं सन्ति gafeq आहोख्िन्नेव विद्यन्ते qaasfa तथाविधाः # सु मिरूवाच | crate a विध्यन्ते केवलं विरला जनाः a चास्य विमिहन्तारस्तनाकणेय कारणम्‌ जघन्यमध्यमोत्कष्टास्तयोत्छष्टतमा FT चतु.विधा भवम्तौह पुरुषा भुवनोद्रे तथोक्छष्टतमा स्तावदयेरिदं WIAA | अरमा दिभवसम्बन्धला लितं पालितं प्रियम्‌ जेनेन्द्रागमसन्पका CEN TAIT | ततः सन्तोषमादाय BUTI निरारृतम्‌ area श्रपि ते सन्तो mae जिनागमे | quafeauiea नाचरन्ति कुचेष्टितम्‌.॥ यदा पुनर्विगेषेण तिष्टेत्तेषां जिनागमः | स्श्ननेखियसम्बन्धं जोटयन्ति तदाखिलम्‌ यतो दौचां मादाय निमेलोमसमानसाः | खन्तोषभावतो धन्या HTT TT: ततस्ते भवकान्तार निविन्ता वोतकस्बषाः | स्रेनप्रतिकूलानि सेवन्ते प्रोर मानाः

Zara: प्रावः | Roe

गमोश्यनलोलादिकायङ्ेश्विधानतः |

ततः geget हिला लायन्ते ते निराङ्खशाः ततः CHARA TAM विच्छेद भाजनम्‌ |

war ते faafa यान्ति निजित्य स्यशंनेशियम्‌ तेगोत्छष्टतमा राजज्जिदिंष्टास्ते विचशणेः |

ये चेवमशुतिष्टन्ि विरलास्ते जगश्ञये ततो भागवतं वाक्धमाकर्छंद मनौषिणः | अग्धशेतसि Teast चारचेतसः

we भगवता चाङ्ग्‌ वणितं खशेनेद्रियम्‌ | अत्धन्त विषमं शोके स्प शेनस्तादृश्ः परम्‌ थतो बोधप्रभावेन मम पूवं निवेदितः | यथान्तरङ्गनगरे वास्तव्योऽयं AWTS: ae पुरुषग्यालसंख्वितं खयगरेनेश्ियम्‌ | WUT प्रतारथत्येतदन्यथा RAAT MA ततो भगवतादिष्टा चे चोत्कृष्टतमा नराः कथितः श्श्रनेनाऽपि warrenty: ¢ तथाहि at fared षटागमबलेन घः | खन्तोषाज्जिटेति प्राप्न इति तेन निवेदितम्‌ 1 AGUAS GRE: शास्त TeV | yeas विजानामि दज परमाखरम्‌

` अथं हि भगवाम्‌ aftyat secrecy | WTS लानोते TRYST: परम्‌ 9

RES wufafaaqnwgy. कया |

यावद fame शाह्कले। विकितेचपः ,: "५

वावह्नकित चिन्त vat मषङ्ब्रुदधिकम ४. . .. कथम्‌ es Bees eae aeifetyart चिन्ते भावितस्लं व्रिशो के, ., किमत, भवता- किच्चिकछतत्वमत्भारितम्‌.॥ , - मनोषिणणेक्, कि, नातभत्णाः कि ब~ जज किमेवं स्फुर केन कंयग्रह्मप्ि wert +, 1. अनेन डि wafer कधं स्पश्रनेशिहम्‌ [{ , वयस्यसताबकस्रङक्‌. HUT AY. SNE: & --. कथमेतन्ततः VS CRRA bs. = STA कारं तेन, PNT दव ` मनौद्धिरा-५ वास्त WITHA. वो कते ; दि -। ~ 1, अनादर पर्ष हितेऽपि वचने. ठरोः 4 ~. ; अथ ATH: VHT MT, flat aT, | - श्राचार्थोयं- FAULT | TIT at Fel. तेन. नादेन antics. इदि. wheaq | गूनं मे NCHEE सेयं RT ,;..; AT SAT TARA SGT यद्मप्रभम्‌ .1- ।..- . , TOC भ्रगपरत , SER: VHA ++ ` THURS WES. विभाति कमशह्श्रम्‌ | sefeafame avenge, ` विभति, ALU भवने HARRAH. |.

'

` ' ' tedden पररः" ^:

HATA संसौन्दर्थारिलस्यो स्तनं wat ¦ * Hawa: Ate: वद्धमृक््थवारेणम्‌ ˆ; ~ नितम्बंविग्बमेतेस्वो मिश्कलमश्टितायतेः 1" .* 7; भाररेव ब्ौडधलो विसंजितेवखिंभथः^॥ ' "7" एसा राजते मथी ` रोमेरजिंविष्षणः गंमोरं SEN, इदयं way "*. TAY नाभिरोतष्याः VATA. 1 पिः awa शनो Sa aa कुंम॑षिभिमो' = उकतङ्गकटिनौ चारू ददयेग पथोधरौःौ 1' 3 way धारयत्य सुमारं 'मनीहरम्‌ 1८; पुष्छप्रागभारषन्माणं रम्यं बाङल्तादयम्‌ ¬| ;* कराभ्वां निर्जितौ . मन्ये श्तौ रागसुन्दसैः! एतस्य ाररूपाभ्यां रकता ग्रोक पल्लवौ ` दध्यां पारिनाष्छशो" कत्धरीया, gwar 1.2

wal रेखा जथ ` भ्ये जिशौकभधदयुचैकम्‌ #.. + अधरो विद्रुमच्छेदसन्निभो भाति पेशलः y+) राजतेः Perea ` कंयोशो 'कोर्भला मखो ,

ये कुन्दकर्खिंकाकोरा ' विशर्यत्विरेणेव्व 1" 1: > एतस्या वदने दन्ता arias ते eee ओः = ku वितति छक्र वशजिरधिराभितम्‌। परध MANTRAS SUE ay’ yr < way माखिकावं्रो yet Shaw! †1/ ^ +

WER

REX

अपमि तिमवप्रपणा कथा

अस्ता चलाटमखकेः कितं बत राजते अनुरूपं करोमोति नुनं जातः प्रजापतेः awa निजे चित्ते waren: अवणदयम्‌ माकतोष्करमामोदमोदितालिङ्धलाङ्खखः | अश्याः सुखिग्धङुरिखः केश्पान्चो विराजते VAST MATT RS शरुतिपेश्रखान्‌ |

भन्ये wfaacata afer fae कोकिला

efarntfer यत्धारमेतश्या वर पुड्शेः | चाजा विनिर्मितं रूपमन्धथा कथमोद्श्चम्‌ अतोऽष्टास्तादृश्रः श्रां YH एव शशयः | लालब्धतडुष्डेषु कदुलमवतिष्ठते एषाप्यभिखषल्येव मां यतोऽर्भनिरो कितः | fatrwasfawteret favaget सुयुजः एवंविधविपर्याखविकख्पाङुलमानसः |

बाखोऽलगेकवोभाग्मगवितो मूढतां गतः

सूरिदङ्वाच |

तदेवं कथितास्तावस््वेत्कुष्टा मया नराः ददान इत्कृषटानां TET तदु चते

एवं बदति भगवति act

STEM Beer We परिकिनध anifrer | mina WaAISMS मश्धवुद्धिः Athen:

सूरिङ्वाच

SANT: Wea | nen

CHENG AT चेवा Sts qIAfeeg WAY मानुषं जग्ध श्जुवुद्यावधारितम्‌ भाविभद्रतथा तेषां परिस्फुरति मानसे

चेतम्न्दर इन्त जवानां elaine ततो बोधप्रभावेश aqanfa ते नराः | कुन्तो ऽन्वेवणं तद्य gene परिस्फुटम्‌ ततो fara ते we शोकवश्चमतां नराः | way चकिता भेव विश्वसन्ति sere

wageutte wafer विजितस्पहाः | ततशशब्जनितेदेषिने युज्यमो faeqer: श्ररोरख्ितिमाजायंमाचरकोऽपि तम्मिथम्‌ ` तज गददधेरभावेन भवन्ति Garey परा्रुवन्ति यशः शमि शोकेऽपि ते गराः | खर्गापवगेमार्गख्छ निकटे argurwe: शरवः केवलं Aat नाममाजेर कारणम्‌ | मोकमागे प्रवतो खत एव fe ते नराः शरन्येषानपि कुवन्ति ते सम्ार्गावतारणम्‌ | तदाक्धं ये प्रवतेन्ते fawre शकारकम्‌

पुनम प्रपद्यन्ते तद्वाक्यं afew जनाः | तेषामनगादर wer ते तिष्ठन्ति facrger: [कत्येव wast देवाचा्वैतपञिनाम्‌ | इजाखत्कारकरके Taher नहाभिथः

कल उपनिंतिभवधय्ां कथा |

एवं भावि भगवति परगोधभरशिसरौ भनौ षिण -नविन्तितम्‌। वथेदसुत्वटीना ` नितं, चरतं नाम्‌!) i तचानुभवशि्धः मे किंचिटात्मंभि wee

wang gar स्वित्‌ 1" , : ` `. ` Sega arya सरश वशिता गश > एते wer at we women HEE A.

TERT | $~ ) & , 2.0 तदेवं ताव्ुत्की कण्ठित पुरुषा wen) ! धुना मध्यन्ना यत्य तल्लिनं 1: मध्यमाशे गराः Ha BLT witha yp WUE att wee सध्यवुश्चावधरितम्‌ ye wat fewer’ से ye गद्धंमाभश्ाः <1 पर्छिलेरनुशिष्टाच रो शायने सरेता. 2 - विनयन्ति FOR: किते त. टोला यितु > fafwred Gare fews -वत कुर्महे ys aerate at रभनते-सुखनिर्भरांः, ` `. अन्य गा्तरााणो, भिन्दति विनतशहः 4 AW कतरो भार्गो मादृशा मिह geet 11 ` > म॒ अययाभो OMAGH Gene `" ` तस्मात्क्लनिक्षम्नोऽभ Stara: Here iP मेवेकप्निकेके Prarie युष्वते ¶# एवा we . कुडधिणां तेष क्मपद्धतिः 1.

| FANE VTE +, , १४४

तक्करक्ञा. गृण साद्‌, बुद्धिः. कमप्कयारिष्डो तै ततस्ते QIAN मन्यन्ते सुखहेतुताम्‌ ` ,> > :} ५; अनुकूले %. ग्र fa, a APA RIOE: We » ततो लोकविरुद्धामि -नाचरन्ि PAT. + ; CHARIOT. माप्रायान्‌ ASANTE. ws विचद्याणोक्कः दुम frat are 2b ss TEST SU. Raw, WHS को; # ;,' ay ' द्ाकिश्ेकेन्‌ कुवन्ति | खेडनिभेरम्‌; Wey wert afar Tigh RATE. ८८५ WASSER Ae + wat: एरापग्नोहेत एवोब्ेकसे wae 1 :., यदा TH: WW, विदुषां away Fb... wrecin oftware agtet. दितकर्पतम्‌ "८ ` तदा ते वियताबोक्रए भढक्ति get aT: AUTEN REA ॥.. ` , पक्छिता इव्‌, ते. frei ुररेवतप्रज्जिनाम्‌ +. |. TSAI: अन्तः BAM .॥ , ,.; -

दिदमाचार्यच्‌, दचनृमाकक मथ्यमरुद्धिक Helle | एते. gitar परोक्षा स्वमान गुरना; + साखगेद्नवंविद्धास्ते ममापि | वमर कै - |स

मनोवि fafa). `, ; ~ < - यदिदं खूरिणादिष्टं swe: quite:

zee sufafaaarqgt ear |

afta मध्यमानां amere araft fara सरिङ्वाच | |

तदेवं कवितालावक्छध्यमानां array: | जचन्यनरसम्बन्वि खरूपमधुनोच्यते TITS गरा Har येरिदं श्येनेखिवम्‌ | अवाप्य मानुषं TY बन्धुवुद्यावधारितम्‌ परा रिषूयतामच्य aaa ते खयम्‌ | परेषामिति wafer विदुषां हितमाविषाम्‌ t खभनेन्िषसन्पा्े पामाकष्डुयनो पले | परमार्थेन दुःखेऽपि सुखलेशेऽपि ग्छञ्नवः खर्गोऽयं परमार्थोऽथं waitsd सुखघागरः |

` श्रस्माभिरिति मन्यन्ते विपर्थाशवशं गताः

` लतो we तमस्तेवां प्रविष्पंति waa: | विबेकश्चोषका सिन्ते sey cerca: ASTI ष्याध्यन्धोग्धतबुङयः | कुर्वन्तो ऽनार्वकार्याखि ariel केन ते ततः धमेखोकविद्ड्धानि निन्दितानि gene: | का्चष्पाचरतां खोकः शजुभावं wea ge चन्द्रश विश्रदं ते gifs मणशोमवम्‌ | अक्मोयशरितेः पापाः प्रयान्ति serena अगम्दगमनाखक्रा निमे्ादा नराधमाः | अकंदञ्ञारपि परं ते जने यान्ति wre

Salas प्रस्तावः | Ree

ze anifefara: aufycacray: | यदा पुन विंव्तेत Wasfaaeray:

तदा ते थान्ति दुःखानि ary लोके विडम्बनाः | ्राप्नवन्ति शक्यन्ते ता व्यावणेयितुं गिरा केवलं गदितु शक्थमियदेव समासतः | खभन्ते ते मराः सर्वां लोके दुःखविडम्ननाः nea भवन्ते गरुदेवतपखिनाम्‌ | प्र्यनोका महापापा निर्भाग्या गुणदूषण्णः सक्मागेपतितं aragufes हितेषिणा | केनचिन्न प्रपद्यन्ते ते महामोहदूषिताः

ततखेदं सुनेर्वाक्धं विमिित्य मनो षिण

विचिन्तितमिदं चित्ते तथा. मध्यमबुद्धिना स्शेनेदधियलमानां यदेतदुपवणितम्‌ |

wat ow जघन्यानां खूरिभिर्विंश्रदाचरोः तदेतव्छकणं बाले प्रतोतं स्फटमावयोः | माप्रतोतं वदेते यदि वा वरषूरयः बालेन गुरोर्वाक्धं मनागपि afer wat acne दिक्तचिन्तेन पापिना

afiwars |

तदेवं भो महाराज जचन्यमरचे्टितम्‌ निबेदितं मया aa तचेदमभिधौयते

एते जघन्या waist भुवने बजि मानदः 38

RES उपमितिभवप्पष्ा wet |

इतरे तु यतः स्तोकाः सकलेऽपि जगच्चये

स्यशेनेद्धियजेतारो facet भुवे नराः |

तेनास्माभिरिदं ya wag: प्रतिपादितम्‌

नरपतिरूवाच | धमे यतो gafea हेतुः प्रतिपादितः | भगवन्ञाशरितोऽस्माकं भवद्भिः संशयो महान्‌ श्रचान्तरे तु सुबुद्धिमन्तिणाऽभिदहितं। भगवन्‌ एते

जघन्यमध्यमोक्छ्टोक्लष्टतमङूपतया Wiel: पुरुषाः Wwrayat भगवद्धिः खरूपतो व्याख्याताः एते किमेवखद्‌पाः प्रहदव भवन्ति श्राहोखिदेवंविधखरूपजमकमेतेषां किञ्ित्कार णमस्तोति कथयन्तु भगवन्तः। भगवानाइ महामन्तिन्नाकणेय | तावद्माृतमिदमेतेषां स्वरूपं किं तदहि कारण्जं ay ये तावदुष्छष्टतमाः पुमांस प्रतिपादिताः ते केवलमुत्लष्टभ्यो निष्यन्नस्प्रयोजनतया भिद्यन्ते a परमार्थेन | अतस्त UST Garay मनुव्यभावं विज्ञाय भवसखशू- पमाकलय्य aga तदासेवनेन cafe कर्म॑जालं निरारुत्य स्शनेद्धियं faafa svat भवन्ति तदोक्छष्टतमा शत्यभिधौयन्ते | निटेतौ तषां खरूपेणावस्यानं। तामवस्यामपेच्छ किच्चिष्नन- कमस्ति। तेनोक्कष्टतमानां पुरषाणां कशिष्ननको जननो ar) एते पुमजघन्यमध्यमोत्लष्टाः पुरूषाः संसारोदर विवरवत्तिनः खकम- विचिचतया जाग्नन्ते। तस्माच एव कमेविलासस्तषां जनकः तख aa fafad aaa) तद्यथा प्रभमङुग्रलं सामान्यरूपं च। तच या करमंपद्धतिः. QUA खुन्दरो सा इएभसुन्दरो मनु यतरनोल्टष्टानां

Zara: प्रस्तावः | ` RCE

RAAT | या युनरङुशलकमेमाला (सा) अघन्यमनुव्याणां जननौ | याः पुनः ङुश्लाङ्कं शलतया सामान्यखरूपा कमंपद्धतिः सा मध्यममराणं जनयिन्रौ विज्चैयेति॥ मनौषिष्ण चिन्तितम्‌ श्रये केक्लं गणे- खरितेन चैतेऽस्माकसुष्टष्टमध्यमजघन्याः पुरुषाः रुमागरूपा भग- वद्धिर्ाख्याताः fa तहिं अननौजनकव्यतिकरोऽपि श्रस्माकमेतेः सर qe एव भगवता दर्भितः। तस्मासूनमेतदरपेरेवाद्माभिभवि- व्यम्‌ तथाहि योऽसौ भवजन्तुमों face fasta प्राप्त इति स्श्रनेनास्मभ्यं निवेदितो तस्य तेन जमनो जनको वा कञ्विदा- wa: | तस्मादुक्छष्टतमोऽसाविति निश्चोयते waa युनखथा- शामपि कमंविलासो अनकः भगवदादिष्टामिधाना एव oma: तस्मादिदमजावसोयते यदुत जघन्यो बालो मध्यमो मध्यमवुद्धिः उक्छष्टोऽहमिति.॥ सुवुद्धिनाभिदहितं भगवन्ञेतेषासुत्छष्टतमादौनां पुरुषाणां किं vicrafeata eq परावरत्ताऽपि भवति भग- वाना | महामन्तिन्‌ उल्छष्टतमानां तावद्वख्धितमेव शूप कदा- चिदन्ययाभावं ते भजन्ते! दतरेषां पुनरमवस्धितं खरूपं यतः कर्मंविलासायन्ताः Baa वर्तन्ते। विषमभ्रौलशामो veer कदा- Remora मध्यमयति जघन्ययति वा मध्यमानपि चोत्छष्टयति जघन्ययति वा जघन्यानपि मध्यमयति उक्छष्टयति वा तस्मादमेग कमविलासेन सुक्रामामेवेकशूपता भवति Fate मनौषिणा चिन्तितम्‌। एतदपि घटत एवाद्ह्मतिकरे। तथाहि विषमशौख एवा समष्जनको यतः कथितं तेनेव मे यथा मयि प्रतिक्रूले यदुपपञचते ABUTS बाल्खेति। ary at मिजतनयस्यापि प्रतिकूलचारितया

Roe उपमितिमवप्रपञ्चा कथा |

एवंविधां दुःखपरंपरां संपादयति कथमन्येषां धमायिव्यति सबुद्धिनाभिदहितम्‌ भगवनष्छष्टतमाः पुरूषाः कस्य माहाग्येन भवन्ति Fee कस्यचिदन्यस्य fa afe खवो्थंण sqfenfated कस्तयाविधवोयेलाभोपायः। मुनिरार भागवतौ arazrarn मनोषिणणा चिन्तितं। wa aed ततो waa ममोल्छष्टतमस् भवितुं किमनयागरेषविडम्बगया | ayraat भगवदादिष्टां भागवतोमेव दीचामिति भावतः wernt मनो षिणद्चरणपरिणामः। मध्यमबुद्धरण्यवं गरुमन्बिणोः परस्यरणस्पमाकणयतः सश्चातखरणाभिखाषः। केवलं नाइ मेतावतो भेषटिकानुष्टानस्य चम दति विचिग्तितिमेनन्‌ सुवुद्धिनाऽभिडहितम्‌ |

भदन्त चयोऽयमस्मामिगेहिधर्माऽभिधौयते |

एष तादूशवोयस्य किं भवेत्कारणं 4 वा

ARTE

स्यादेष UCIT तादुशस्यापि कारणम्‌ |

RI पुमः सा्ाद्यतो मध्यजमो वितः

छल्छष्टतां करोत्येष साचात्सम्यडः भिषेवितः |

, ततस्तादृश्रवौयेश्य we साधकः

अरोषङ्गेश्र विच्छेदकारिका भवदारिका।

तावद्धागवतौ दौला zea सुनिमेला

fa ठु अ्आावकधर्मोऽपि भवतानवकारकः |

अत्यन्तद्‌ लेभो Hal महामात्य भवोदघौ `

SAT: WHA? | Red

तदेष WAT: | उक्छष्टतमतां साचादोर्थातिश्ययोगतः | WAST साधयन्यशचेरेष तु यवधानतः तदाकण्छे ततञ्धिन्ते रतं मध्यमबुद्धिना | क्रो ममेषोऽनुष्टातु wheat जिनोदितः इतशाङुग्रजमाशया स्पशंनेन मध्यवत्तितया विधुरितचित्त- टृन्तर्गाखस्य विवर्धन्ते विपर्यासविकल्याः यदुताहो wer रूपा- fava: Set सुक्ुमारता। अ्रन्यश्चामिमतोऽदमस्याः यतो विलोक- त्येषा मामद्धाचिविक्ेपेरेतद ङ्गद्गसुखागतासेकानुभवनेनाधुना मे सफलं भविय्यति जग्मेति ततेव विधवितकंपरपरापर्याकुलो- अतचेतसस्तस्य विरत मात्मखशटपं जातं मदनकन्दलौ गरणेकतान- मन्तःकरणं | ततोऽविषायं कार्याकायेमन्ध दव यद्ग्टहोत दव तस्यामेव मदनकन्दश्यां निखलविन्यस्तनमयनमानसः waa एव तावतो अजनसमुदायस्य शून्यपाद्पात तद्भिञुखं धावति Wl ततः किमेतदिति उत्थितो जमहाहारवः। प्राप्तोऽषौ मदनकन्दलो- समौपं। ततः सावेगं कं एष दति निरौकितोऽसौ नरपतिमा | शितं इृष्टिविकारेण तदाकूत एवायं पापो बाल इति प्रत्यभि- ज्ातोऽनेम ) सश्जाताख कोपाङूणा दृष्टिः इतं भासुर वदमं सुक्रो ङकारः ततो बाखस्यादृष्टविपाकतया प्रादुश्डेतभयातिरेकसश्य नष्टो मदनज्वरः प्रत्यागता चेतना aged दैन्यं ततः vara as samt चावच्छियिलोग्तानि सनधिबन्धनानि विलीयते TOC amg गतिप्रसरः। तयापि कतिदित्पदामि कथञ्धिदरला

३०२ उपमितिमवप्रपञ्चा कथा |

प्रकन्पमानसवेगाचः पतितोऽसौ wast श्रचान्तरे प्रकरौभ्रतः सपशेनो मिगेतो भगवदवयरात्‌ गतो दूरदे गे feet wate माणो। विरतः कलकलो लण्नितौ मनौ पिमध्यमनुद्धौ बाखचरितेम। = ततः कोऽस्यापि वराकस्योपरि कोप इति विचिन्य शान्तोश्चतो राजा। प्ष्टोऽनेनाचार्यो यदुत भगवन्नलौ किकमिद मस पुरुषस्य चेष्टितं श्रतौतमिव विचारण्णयाः श्रश्रद्धेयमनुग्तटन्तान्तानाम्‌ | तथाहि विमलश्नानालोकेन साचाह्ुतसमस्तभुवनढन्तान्तः पश्यत्येव भगवाननेन चत्पुवमाचरितमासोत्‌ यच्च दानोमध्यवसितं। तथापि ममेदमच कौतुकं यदुत तत्पूवकमस्याचर णं कदा विदि चिचतयासत्न- चरितस्य संभाव्येत इद मधुनातनं पुममेददि खभालमिव प्रत्यचमपि ममा श्रद्धेयं प्रतिभासते यतो भगवति रागादि विषधरोपश्रमवेनतेये afafedsta कथमतिक्गिष्टजन्तूनामष्येवविधो ऽध्यवसायः सुभवेदिति। भगवतामिदितं। महाराज कन्तेव्योऽचातिविख्मयो धतो ave पुरुषस तपखिनो दोषोऽयम्‌ नपतिरूषाच | तरि क्खाऽयं ate: | भगवानुवाच दृष्टस्लथास्य श्ररोराज्निगेत्य योऽयं ate: fea: पुरूषः। नुपतिनाभिदहितं | खट दृष्टः भगवानाह awa ततो ऽच्येवायं समस्तोऽपि दोषो यतोऽस्य वश्वत्तिनानेन Wate सम~ स्तमाशरितम्‌। waa fe वश्नौङृताः पुरूषास्तन्नास्येव किञश्िष्नगति पापं यन्ञाचरन्ति। तस्मान्नाच किञ्चिदलो किक विचारातोतमञ्रद्धयं वा भवद्भिः खभावनौयम्‌ | नरपतिरुवाच | यद्येवं ततः किमित्ययं पुरूषोऽमुं शरौोरवत्तिनिमात्मनोऽनयेडहेतुमपि धारयति स्म भग- वाना जानात्येष वराकोऽख दुःशौखतां परमरिपुरपि

SAT: परावः | RoR

खरो तोऽयमनेन च्िग्धबन्धवुद्या नरपतिरुवाच किमज ga: RITE | भगवताऽभिहितं श्रस्य WOR योगश्क्रिदारेश wara- WAU श्रङ्कश्रलमाला नाम जननो | साऽ कारणम्‌

fay |

चदिद मतिदुजयमधुमेव स्रनेद्धियमस्मामिः प्रतिपादितं axa एवायमस्य स्यशेनामिधानः Wawel वतेते श्रयं तु जघन्यपुरूषो वालः। <a तद्भिधानेव श्रङु्रशक्ममालारूपैव जननो तद्ज किं सम्भायेत। wets भगवत्छन्निधानेऽपि कथमेवं विधाध्यवसाय- म्रादुर्भाव दति aaa एव माखयवुद्या ae! यतो दिभेदं जन्तूनां कमं। सोपक्रमं निरुपक्रमं च। तज घोपक्रममेव महापुरुषसन्िधाना- दिना चयच्योपश्रमभावं प्रतिपद्यते a निरुपक्रमं तदशगाश्च जन्तवस्तत्छमो पेऽपि विरूपकर्माचरन्तः केन वायेन्ते। तथाहि येषा- मचिन्धपु्यप्रागभारवतां तोयंृतामिह जगति गन्धहस्तिनामिव विचरतां विष्टारपवनगन्धादेव arene द्‌ भिकेतिपरचक्र- मारिवेरप्रश्तयः सवं एवोपद्रवाः समधिकथोजनश्रतात्‌ दूरत एव aaa तेषामपि भगवतां सन्निधाने निरूपक्रमकर्मंपाश्रावपाज्िताः चद्रसवा केवलं भोपशराम्यन्ति किं तदि तेषामेव भगवतां तों शतां चुद्रो पद्ववकरणे waa | a fe तथाविधा भगवता- मणपशगेकारिणो गोपसङ्गमकादयः पापकमांण दति

च्रन्यञ्च |

तेषामेव भगवतां देवविरवितसमवसरणानामध्यासितसिंशा- अमचतुष्टयानां मून्तिमाचदग्रेमारेव प्राणिनां किशन विक्लोयक्तो

Beg sufafarayrgt कथा |

रागादयो विदशति aad प्रशाम्यन्ति वैरानुबन्धाः विच्छिद्य न्तेऽलो कखेहपाश्राः प्रलोयते विपरौताभिनिबेशो यावता तच्रापि केषां चिदभव्यतथा निर्पक्रमकमेघनपरलतिरङ्कतविवेकदौधिति- Tt वा केवलं पूर्वोक्रगणलेशरदे शोऽपि संजायते किं तरह प्रादुभवनभ्धेवं विधा भगवन्तमधिृत्य कुविकच्पाः। दुताहो सिद्ध- मव्छमिग्धजासम्‌ श्रो wa लोकवश्चनचातुयंमहो गाढमूढता शोकानां यदेतेनायलोकवाचालेनाखजाखर्वनाचतुरेण yard fan तदेवंखिते महाराज किंञ्चिदिदमल्यद्भुतं acta पुरुषेण मत्सज्निधानेऽपयेवं विधमध्यवसितं अ्रयमपि fe निर्पक्रमयानया- कुश्रजमाशया सदे वन्तिन्या निजजमन्या warty qt बष्टदरमुररो त्येवं Seal तन्ना भवद्धिविंस्मयो विधेयः सु- बुद्धिमा भिहितं ada किञचिदिदमाञखये भगवदागमावदातधि- धामेव विध एव मिर्पक्रमकमेपरिणामो माच wee: |) केवलमिदा- Maa भगवत्पाद प्रसादादेव देवः खण्येवंविधपदार्थेषु पुष्नुद्धि- भविष्यति तेनेवं भगवन्तं विश्चापयति॥ राजा awe: प्राह चाव॑ भिहितं सखे चार्रहो तेऽवषरभाषिता | ततो राजेव भगवन्तं WATE! यथ कोऽ पुमः पुरुषस्य परिणामो भविव्यति। मगवता- fafed ददानो तावदेष दृष्टयुद्मत्को पविपाकतया भयातिरेक- mance किञ्चिचेतयते। गतेषु पुनरितो युश्नदादिषु see संज्ञः Tae wat <प्यधिष्टाखत wa Mag) ततो युश्रद्धयादेव gufafads antares प्रपलायमानो महता aia area कोष्ठा कसन्निवेगरे। तच कमेपूरकामिधानख्य MTG प्रत्यासन्ञग्धभागे

Zara: प्रस्तावः | २०५

पथि श्रान्तः पिपासितो दूरत एव द्रच्छति रहत्तङडागं ततः खानपानाथं चलिव्यति तदभिमुखं। दत पूवंमेवागमिव्यति तज चण्ड़ाशमियुनं | ततश्चण्डाखस्तटाकतटवर्तिषु तरूगनेषु पतजि- गणमारणप्रवणः सन्नाटरिखते चण्डालो पुनविंजनमिति शला खानायंमवतरिव्यति तडागं ततोऽवतीर्णयां तस्यां प्रा ्यत्येष तस्य NC) ततोऽसुमुपलभ्य सा मातङ्गो Gags कणलहयिवति मां सरोवरावतारणापराधमुदिश्चेति भयेन निमंच्छति सलिले grafa wees लोना। श्रयमपि मल्ननाथेमवतौर््यानाभो गेव यास्यति asad भविष्यति तया साद्धंमाक्षेषो वेदयिव्यते तदङ्गस्पशे। संजनिग्यते तस्योपरि लाभ्यय्यमस्य कथयिव्यति सात्मनश्चण्डाखभावं तथापि करिष्यत्येष तस्याः शरौर यणं बलामोटिकथा | विधास्यते सा हाहारवं तमाकण्छे धाविश्ति कुपितश्चण्डालो विलोकयिश्यल्येनं तथावस्धितं। प्र्वलिय्यतिं नितरां कोपानकल्ेन संधाख्यति कोदण्डे शिलोसुखं मारयि्यति श्रे रे दुरात्यमन्नधमपुरुष पुरुषो भवेत्धाह््य चण्डालः कन्पमाममेमभमेकप्रहारेण प्रहरिष्यति तं। तदाश्यासितो रो द्र्यानेनेति wat यास्यति नरकेषु तेभ्योऽणद्ढत्तस्ततः कुयोनिषु पुनभेरकेव्येवाऽगन्तवारा एवं Tawa सखाखय- व्यनन्तमपि कालं पतितः संसारचक्र | पर्याप्रमोदृश्या दारुणतया खुबुद्धिनाभिदितं भदन्त किमेते wingreae sea पुरुषस्य प्रभवतः श्राहोश्िदन्येषां प्राणिनां भगवानाह | महामात्य केवलम पुरुषेऽभिव्यक्ररूपे qed परमाथेतः स्वेषां सकर 39

ged उपमि विभवप्रपश्चा Ne |

संसारिप्राखिनां प्रभवतत एव। यतो atfanaaguearer Stage watt योगिनां भवल्येवेदृननौ शक्तिः यथा कचिदभिव्यक्रङूपता कविदभा विश्डेता वतेते नुपतिनाभिदहितम्‌ भमवन्ननयोः किमख्मङ्गो चरोऽपयस्ति प्रभावो | wrarary बाढमस्ति ततो राजा मण्विणं प्रत्याह) शख पापयोरनयोरमरिंवयोः RTM ममाद्यापि श्रजूमदंनता। ततो युक्तं यद्यपि भगवल्च- मौपय्येरेवं विधं afar तथापि दुष्टनिगरहो uni धमे दति हतेदमभिधौोयते। तदाकणेयलायेः सुबुद्धिमाभिदहितं समादि- श्रतु देवो राज्ञाभिहितमादिष्टमेतन्तावद्वगवता यथेति स्यशरेना- Quasars wey पुरुषेण सह यास्यतः ततो नेदानोँ तावदेते वधमरेतः | Ras समाज्ञापय aaa यथा मदिषयाज्िगेत्य युवाभ्यां दूरतोऽपि दूरं गनव्यं सतेऽयस्निन्‌ पुरुषे areata विषये प्रवेष्टव्यमितरथा चुवथोरस्माभिः शारौरो दण्डः करिव्यते | श्रयेवमय्या दिष्टे पुनरेते ्रस्मदिषये प्रविशरेतां ततो भवता निर्विचार लोहयन्लेण deta: एवमतिदुष्टयोरारटतोर्यनयोश्परि नेषदपि दया विधेया सुबुद्धिना रिन्तितं। चहो देवया नयो रुपयविगातिश्रयः। यतोऽस्य aaa विदतं तदपि डिल- कमेणएि भवन्तं योदय इति agtet वरप्रदानं भवतु तथापौ- दमेव प्रतिबोधकारण भगवन्तः कल्ययि्यन्ति। मम लान्ञाप्रति- पत्तिरेव व्याथसोति विचिग्धाभिहितमनेम। यदान्चापयति देवः ततः प्रपक्लोऽसौ तयोराश्चापनाथं सूरिणभिदडितं। महाराजा- BAIN Wty | म्‌ अस्वेतथोरयमुद्खनोपायो | यतोऽन्त-

SALT? VATA: | Roe

रङ्गलो कजातौय एते स्यशेनाङु श्लमाले। श्रन्तरङ्गलोकेषु प्रभवन्ति atereciia smear fe ते arywerat qufaeare | भदन्त कस्तद्यनयोरन्यो निदं लमोपायो भविव्यति ।. भगवताभिदहितं अप्रमादाभिधानमन्तरङ्गमेव यन््मभयो्निंदंख- नोपायः | Ald साधवोऽनयोरेव मिष्येवण्ण्थमरनिं शं वाहयन्ति | ुपतिरूवाच कानि पुनसस्दाप्रमादाभिधानख्य यन््रस्योपकरणनि। भगवानाह यान्येत एव साधवः प्रतिचएमनुशौखयन्ति मृपति- EMT) कथं भगवतोक्कं खमाकणेय यावव्लोवमेते avert | तमोयसतौमपि परपोडां भाषन्ते Gensel) ae ha दश्तश्नोधनमानमप्यदन्तं | धारथम्ति नवरुतिसनायं ages) वज यन्ति निःग्रेषतया परि, विदधते धर्मोपकरणशश्रोरयोरपि ममलबुद्धिं मासेवन्ते रजन्यां चतुर्भंदमप्याहारजातं। weet प्रवच्मोपवर्थितं समस्तोपधिविष्द्ध संथमयाजामाजसिद्भये facay- माहारादिकं। वतन्ते खमितिदप्तपरिपूरितेमाचरणन पराकमन्त विविधामिगहकरण्ेन परिहरनधकस्ाशमिजयोगं। ciate सतामात्मभावं | a छंघयन्ति निजासुचितख्ितिं। नापेचन्ते लोक- मागे, मानयन्ति ग्रसं तिं चष्टे तन्तन्ततथा ्राकणंयम्ति भगवद्‌ागमं भावयतिमहायननेन | श्वशम्बते द्रव्यापदादिषु पथे पर्याणोचयनधागमिनमपायं | यतन्ते प्रतिखमवपन्रयोगेषु we- af feafastafeat प्रतिविदधते चानागतमेव तस्याः प्रति- विधानं निमेखयन्ति सततमसङ्गताभ्याशरततया मानसं श्रभ्यस्यन्ति योगमा स्थापयन्ति tate परमात्मानं जिवघ्नन्ति तच धारणां

Res उपमिलतिभवप्रपश्चा RUT |

परित्यजन्ति afeffad gaia तत्मत्ययेकतानमन्तःकरणम्‌ यतन्ते योगसिद्धौ श्रापूरयन्ति Marna! पश्यन्ति देडेद्ियादि- . विविक्रमात्मानं लभन्ते परमसषमाधिं भवन्ति श्रोरिणोऽपि सन्तो सुक्िसुखभाजनमिति। तदेवमेते महाराभमुनयोऽमूनि परपौडावजेनादौभि सुक्िसुखभाअनत्पयेवसानामि तख्याप्रमाद- नाश्नो यन्त्रस्योपकरण्ामि प्रति्णमनुशौ लयन ततोऽमूभिरनु- Misawa तहटौभवति sei: तदा शतं तदमयोः स्य्ना- ङुशणमाशयोरपरेषामय्येवंजातोयानामन्तरङ्गग्तानां दुष्टशोकानां निष्पोडने चमं संपद्यते तेन निःपौडितास्तेऽन्तरक्गलोका पुनः प्रादुभेवन्ति। ततो महाराज यद्येतज्जिःपौडनामिलाषोऽल्ि भवतस्तदिदमप्रमादयन्ं खयेति निधाय इृढवो येयश्यावष्टग् waa मिष्पोडनोये स्तत एव a मण्िणोऽपयादेणो देयः we परेण निष्यो डिते saat परमायेलो निष्यौ हिते भवतः एवं भगवति मृपतिगोचरमुपदे शं ददाने मनौ षिएः कर्म॑न्धन- दारौ शएभपरिणणमानखछो गतोऽभिषद्धि भगवदचनेन Faq पूर्वोत्तर वाक्ययो विंषथविभागमनवधारयम्‌ मनाक्‌ सन्देह द्व विरचितकरसुकुखः भगवन्तं प्रत्याह भदन्त यासौ भगवद्धि- भागवतो भावदेचा वोयीत्कषेखाभद्ेतुतया पुरुषस्योत्छष्टतमलं खाधयतौति प्राकूप्रतिपादिता चच्वेदभिदानीं दुष्टान्तरङ्गलोक- निष्यौडनकमं सवोयेथष्िकमप्रमाद यन्तं प्रतिपाद्यते saat: परस्यरं कियान्‌ विग्रेषः। भगवतामिदहितं। भद्र कियानपि fase: | केवश्मनयोः शब्दो भिद्येत नाथः | यतोऽप्रमादवन्छमेव परमार्थतो

Zara: WTA: | ३०९

भागवतौ भावदौरेव्यभिधोयतं मनोषिणाभिडहितं ततो दौयतां भगवता सा भागवतौ भावदौचा थद्युचितोऽदं तस्याः भगवा- मार बाढमुचितः सुष्टु दौयते नृपतिनाभिहितं भदन्त ममानेकषमरसंघडनिर्यूढखाहसस्दापो दमपरमादयन्तं यु्मदगतः श्रयमाणमपि दुरलुष्टेथतया मनसः प्रकम्पसुत्यादयत्येष पुनः कः great महात्मा aad aia महाराच्यमिव जिगोषुणाभ्युप- गतमिति। भगवताभिदहितं। महाराज मनौ षिनामायमजेव चिति- प्रतिष्ठिते वाखूब्यः रान्ना विन्तितिमओे यदायं पापः पुरूषो मया व्यापादयितुमादिष्ट्तदा लोकः ज्ञाष्यमानः श्रुत एवासोकनोषौ | यदुत रे एकसमादपि पितुजांतयोः पथ्यतामयोरियाम्‌ विशेषः | wag विचेष्टितं aut मनोषौ महात्मेति तदेष एव ann प्रायो भविद्यति waar भगवन्तमेव विशेषतः एष्छा- मौोति विचिभ्धाभिहितमनेन। भदन्त कौ पुनरस्या नगरे मातापितरौ का वा maa दति। भगवानार। wees चितिप्रतिशिवख्य भोका कमेविल्लासो aerate: dice जनकष्तस्येवायमदिषौ शएभसुन्दरौ माम देवौ सा जननौ तद्धैबेयमद्धश्लमाला भार्या We पुरुषो वाखामिधानः सुत दूति। तथा योऽयं मनोषिणः पाश्ववर्मौ पुरुषः सोऽपि awa सामान्यरूपाया Parana मध्यमबुद्धिरभिधौयते | एतावदेवाजेदं ङटुम्बकं | Tay दे ग्रान्तरेव्वतः किं तदात्तेया नृपतिराह ¦ किमस्य नगरस्य कमेविल्ाणो भोक्ता Gate) भगवानाह | बाढं राजोवाच कथं भगवानाइ षमाकरेय |

Re

उपमितिभवपपश्चा कथा |

यतस्तद्‌ाश्ञां सर्वेऽपि भौतकम्पितमामसाः |

एते नागरिका भेव लंघयन्ति कदाचन्‌ तवापि राच्छहरणे ARTA वा चयेच्छया | शक्रोऽसौ तथा तेऽज cere प्रकाशते परमार्थेन तेनासौ भोक्ासेत्यभिधौयते |

यतः प्रञुलमाच्चायां प्र्णां किश नोयते

गरपतिरूवाच |

चेवं भगवन्नेष Haale , खूरिणाभिहितं राजम्‌ समाकर्णय कारणम्‌ यतः कमंविशाखोऽचममतरक्गो महानृपः | wat दनं याति सर्वदैव भवादृशाम्‌ अन्तरङ्गा हि लोकास्तेषां wefacres | fem: प्रच्छलरूपेण सरव॑कार्याछि Ria केवलं वुद्धिदृष्येव पौराः पन्ति तान्‌ षदा | Wider इवाभान्ति ्रन्येषामपि तत्पुरः वाव भावना कायां भवत्यत्र प्रयोजने |

केवलं यतोऽनेन भवानेव पराजितः

कि ठ्‌ प्रायेण सर्वेऽपि संसारोदरवर्तिनः | खव विनिजित्य प्रभवोऽपि वक्नोरताः ततो गटहोततक्वेन राजा प्रोक्तः wafer | देव Wat मधायेष राजा योऽवरफि खरिण॥ देवाय कथविखामि eure परिस्फटम्‌

दतौयः प्रस्तावः | Rr

ayaa veg सवमेव निवेदितम्‌ way | fanreraat तेन पूरवे संजातबुद्धिना जथामतभचिरस्छेन परोक्तं मध्यमबुद्धिमा योऽसौ भगवतादिष्टः संसारतनुताकरः | afeua: मे नाय दौयतासुचितो थदि॥ Ree | wat भागवतं Stat ay शरुवन्ति ये तेषां गदस्वधमेोऽसौ युक्त एव भवादृग्राम्‌ नुपतिर्वाच | भदन्त किखरूपोऽयं ग्टदिधर्मोऽभिधोयते | SATE महाराज समाकणेय कथ्यते ततो भगवता वणितं परमपदकश्याएपादपमिरुपदइतबोजं सम्बग्दशेनं प्रतिपादितानि संसारतरूकन्दच्छेद तया चिरेण खर्गा- पवगेमागं संखगंकारौष्छणब्रत्णत्रतभिक्वापदानि | ततः स्नाततदा- वरणौयक्मद्चयोपश्रमतया भावतः प्रादुश्धेतशम्यग्दशेनदश्रविरति- परिणामेन श्रक्योऽयमस्माद्‌ शामप्यनुष्टातुं ग्टहखधमं इति संचिग्य मरपतिनाभिदितं भदन्त ॒क्रियतामेतदानेनास्माकमप्यतुग्रहः | भगवानाह सुष्टु feed ततो दन्तस्तयोदधोरपि विधिना afqual भगवता मनो षिदौकादानाथं gacaud भगवति भगवश्चरणयो निपत्य नरपतिरवाच भद न्त ्टहोतेवानेन महात्मना भगवतो भागवतौ ठौखेति wae एवायमधुना वतेते तथापि

२९२ उपमितिभवप्रपञ्चा कथया |

वयमेमं मनो षिएमुटि्ख किथित्छन्तोषानुरूपमा ररित मिच्छाम- स्तदनुजानातु भगवानिति acre सिता भगवन्तद्ढन्लोभाषेन | सुनुद्धिनाभिदहितं देव veg द्रव्यस्तवग्रृन्तिकाले भगवन्तः | अनधिकारो wa भगवतां थुक्र एव यथोचितः खयमेव दरव्यस्तवः कन्तुः Gwent! केवशेतेऽपि विदितं तमनुमोदन्ते UT RAC | ददति तद्गोचर गेषकालमुपदेशं। यया कतव्योदारपूजा भगवतां खल्‌ वित्तस्ान्यच्छुभतरं स्थाममित्धा दिवचनसन्दर्भेण | तस्मात्त एव छुरत यथोचितं ययं केवखमभ्वयंयामः काल- प्रतौकणं प्रति मनौ षिणं। नृपतिरवोषदेवं कमेः ततोऽभ्ययिंतः सबहमानं राजमन्छिन्धां मनोषौ विन्तितमनेन युक्तः काणलविलम्नो धमंप्रयोजने। तथापि महापु रुषप्रणयभङ्गोऽपि सुदुष्कर दूति मन्यमानेन प्रतिपच्नं तमो हितम्‌ |

ततस्लरयता तेन मरमायेन तोषतः।

व्यापारिता aerate: सर्वे मग्विमदन्तमाः

ततस्तैः चणमाजेण aga जिनमन्दिरम्‌ |

विचिचवस्ठु विस्तारे विहितं विगतातपम्‌

कुरङ्गमाभिकाश्षोरमलयोद्धवरू पया |

qa गायां तद धस्तादिले पितम्‌

तथाखिक्कलसङ्गोतेः पञ्चवेमेनोहरेः |

BATA धिभिः पुष्येः waa: परिपूरितम्‌

सौ वणेस्तभ विन्यस्तमणिदपेणरा जितम्‌ |

दिग्यवस्वतोक्लो बद्ध मु क़ावच॒लकम्‌

रतोमः प्रावः | ३९९

गष्टान्धकार सम्बन्धं Tata: खनिः | विष्वस्तागरेषदुगेन्थं सज्ञष्णागरुभूपतः देवशोकाधिकामोदं पटवासेविंसर्पिभिः | शसत्कतकसंघातगन्धेन भुवना तिगम्‌ # शसदिलासिनोखोकप्रारग्धखानसाघधनम्‌ | एवं विधाय aay प्रस्तुतं देवपूजनम्‌ WATT | पारिजातकमन्दारनमे सहरि चन्दनः 1 सनानकेख देवौवाखयान्येजेखजो तरै; पुष्येश्ैत्वा विमानानि द्योतथन्तो नभस्तलम्‌ | TAMAS जिनाखयम्‌ ततः प्रञरुदिताशेषणो कशो चनपूजिताः | पूजां जगहुरूणणं ते नातानन्दाः प्रचक्रिरे सु्िष्टवणेबिन्यासां पूजामाणोक्ध तत्छताम्‌ निखलाशतया खोकास्ते ममदेवरूपताम्‌ ततोऽनन्तय॒ष्णनन्दपरिप्ररितश्तसा | भरेग्द्रेण सशोकेन देवानानन््य सद्धिरा प्रभे समेरवनतङ्ग वेद्यां भद्र विष्टरे निवेश्य विम्बं ste विधिनारम्मि मश्जनम्‌ i ay च। खातस्य एएभवस्वस्य किरोटाक्गदधारिएः।

amie fafare हारराजितवशसः 8 40

RYE

उपमितिमवप्रपच्चा Kur |

नरपतिना a) श्रारोपितस्तन ममौषौ fertse खयमात- पच्धारकः। घोषितं नरपतिना शर्षातिरेकरोमाशचितवषुषा शता शब्दम यदुत भो भोः सामन्ता भो भो मन्तिमइत्तमाः समाकणेयत यूयम्‌ |

एवं

विग्तिरच संसारं नरस्य ननु तत्वतः सत्यमेवा विगानेन प्रसिद्धं सवेबेदिनाम्‌ ततो यश्याधिकं ad मर स्येह प्रका श्रते

गरेवमरवगेख्छ sys TURE #

faa

VARI माहात्यं Ua मनौ षिः तदष्टमेव युभ्राभिः सरवै रव परिस्फुटम्‌ यन्तद्भगवतादिष्ट मादुशां जासकारणषम्‌ | जरनेन रभसा यन्तं याचितं TART तदेष यावदस्माक बद्‌ मुग्रहकाम्यया |

ze तिष्ठति तावन्नः erat देवो गुः पिता वयमस्य भवन्तश्च ea किङ्करतां गताः t विधुतपापमात््मानं विनयात्करवामडे

ततः खमतेदौरक्ं प्रमोदोद्धरमागसेः | यदादिश्ति Tar: कसे TATA रोचते अजान्तरेऽतितोषेण Seer सा मनौ षिणः | विजभ्भिता विग्रेषेण जननो TGR ततः सश्रोकतामाप्य BTN भुवनातिगाम्‌ |

ward: TAT: |

रराज राजलोकेन परिवारितवियहः करोणकाधिषूढेन सद मध्यमबुद्धिना | अरथावाप पुरद्वार स्यमानः सुबुद्धिमा ततो ख्छितिपताके देदश्ोभामगोरमे | विश्रषोञ््वशनेप्ये षां सछष्यखमागते अथासौ नगरे तच्च मनोषौ तोषनिर्भरः। एवं मागरर्कैलोकैः प्रविषेश्र erate: ग्मम्‌ तद्यथा | धन्योऽयं WAMU महामायं AAA: | अश्मेव सफलं जगमा afta भेदिनौ SQA धन्यतास्माकं येषामेष Qa | संजातो छधन्यानां cage Aten: तत | कामिनौमयनानन्दं कुर्वाणो ऽयाभिशाविष्णां ददान महादानं दधामो देवरूपताम्‌ aga waar देडिनामात्मचेितैः। अनयश्च नितामन्दो विचचार पुरोऽखिले ततो महाविमरेन Brat राजमन्दिरम्‌ | रल्राथिप्रभाजालेः षदा बद्धेश्रकासुकम्‌ तज चा्रेषराजादिणोकसश्मागमानितः। सकामकामिनो टन्दणोशखो TT शितः गोतमृर्यप्रबन्धेन सोऽमरालथविभमे |

RLS | उपरसितिभवप्रपञ्चा Beat |

Vacinazreara ser भिःग्रङ््मानसः ततो विक्लौनरागोऽपि नुपतेस्तोषटद्धये उत्थाय AMAIA जगाम मत विस्मयः तच गतस्य AGI भ्रातुः सूनो रिवाल्यन्तवद्भख्च समौ रवम्‌ | शतं मदनकन्दशख्या श्ररौरपरिमाजेनम्‌ गरेषान्तःपुरनारौ ae fat: खामकमेणा | रराज पेश्लालापचारूभिः परिवारितः वखेश्रनौखवैदुथपद्मरागादिरो चिषा | र्ते यन््वापौनां aay fans जले ततो सुजगनिर्मोकद्च्छष्क्तं Taree | परिधाय गतो देवभवनं सुमनोहरम्‌ aa च। खुनुद्धिसम्बन्धिनि विरच्नाचारूतखा चित्तनिर्वाणकारिणि जिनमन्दिरे मार्गानुषारितया परमायेतः सकखका लददय- वर्तिनोऽपि विगेषतस्तदिग एव प्रबोधनरतिष्धरिपादप्रशदोप- लभस्तरूपस्य खकशखनिष्कलावस्वश्च भगवतः परमात्मनो रागदेष- विषापदरणएकरणचतुर मनुखत महतः BSI! ततो निगेत्य विरख- विरखाप्तपरिजनः पूरवोपकस्िताशेषभोजनो पकरणसामयोखनाथं प्राप्तो भोजनमण्डपं तजर विरचितानेकाकारेचिन्तरषमो्छव- कारिणि भच्छपेयाद्ाहार विस्तारं मृपतिना स्थमुपदिश्यमान- ममिमतरखाखञादनं तदसुरोधेन विदधानो निरभिष्वङ्गतया

BAT: प्रस्तावः | ११९

वर्धमानखाख्छयातिरेको निवेतंथामास भोजनमिति। ततो गहौत- पश्चसगन्धिकोन्धिश्रतान्बृले मणलयजग्टेगनामिकश्ौरजचोदाङ्गराग विन्यस्तप्रवरग्रवष्ठे दिरव्यादएकाच्छादिनश्रोर माण्यविच्छि्ति- aun yeas श्ध्यासितमदहा रं सिंहासने प्रणतासंख्य- महासामभकिरोटांशजाणरश्ितचरण्े उह मबन्दिसखयमानयथा- वथितगुएषम्दोडे caret मनोौषिणि दर्षातिरोकनिभरो राजा सुबुद्धि we VS थ्॒मदुभावजन्येयमस्मादु शा कैड्याणपरन्परा यभोत्धाहितोऽदहं भवता भगवडन्दमाय aut इहि

विशोकितो मथा नाथो. भगदानन्ददा्धकः।

भक्िभिभरविन्तेन वेग्दितौ भुवनेश्वरः

दृष्टः भष्पदरुमाकारः सरिवेञ्दितो मुदा

Wat भागवतो Wa: संसारोच्छदकारकः

जातखेवृशङूपेक गररनेन Me: |

BAMA GAGA Weta:

अथवा किमभाखयेम्‌ |

महाभागाः प्रलायन्ते परेषां तोषटङ्ूये |

खक्रायेमेतदेवेषां यत्परगरौ तिकारणम्‌

aga य॒क्रमेबेदं विधातुं पु्छकमेशः |

ममाहूुतमिदं जतं Sie: तिशाठकम्‌

तरेव विधकश्याणमाखिका मिजवद्छल |

एवमा चरता गूनं लया संपादिता मम

राशो हितकरो at सुप्रञिद्धं area |

Ro उपमितिभवप्रपद्चा कथा |

तस्मा वेव afer यथार्था ते सुबुद्धिता i

सुबुद्धिर्वा |

देव मा मैवमादिश्त। खल्‌ देव Geman वि- aay किडूरजनेऽेवमतिगौरवमारोपयितुमरंति देवः। अश्याः संपादने Bow वयं। छचित एव देवः खस्वेवं विधकख्ाणपरन्प- creat: | नेव fe गिमेलाम्बरतजे भिभि प्रकाशमाना रूचिरा गचजपद्धतिः कश्यचिदसम्भावनोयेत्याञख्चयेबुद्धिं जनयति मनोषि- णामिहितं। महाराज भगवति सप्रसादे कियतौथमदापि भवतः PETIT | भाविदिनओ्रो सम्बन्धस्येव गगनतलस्छारणोद्ो तकर्पो fe भवतो भविव्यत्केवज्ालो कस चिवपरमपदागन्तानन्दसम्दो इ- amare प्रायमकश्थिकः eae शम्यग्दग्रनजनितः प्रमोदः नुपति- VAI! भाय awa: | कोऽ aay कि संपद्यते यद्मदरु चराणां ततो aie प्रत्याह सखे प्वामौषाम्च दिन-

प्रबद्धानामपि विषेकातिश्रयः सुबुद्धिरुवाच देव किम few

मनौषिणः awa थयायेमभिधौयन्ते प्रबुद्धा एव छव विधपुरुषा लायन्ते। गुरवः केवशमोदृशां प्रतिबोधे निमिन्तमाभे भवन्ति Cay मनो षिणो राजमन्दिर प्रवेश्रावखरे राजानमनुज्ञाप्यादित एव gegen साधमिकवास्छद्धेन मध्यमबृद्धिर्नोत श्रासोदातौध- खदने कारितस्तदटागमननिमिन्तः परमानन्दो दन्तानि महादा- नानि। ततः सोऽपि निवेतितद्ञानभोभनताग्बल विशेपना खद्धरणने- पथ्यमाख्यो पभोगः क्तव्यः खदनिभेरसबु द्ितत्परिकरमिरूपचरित- ष्ठ तिगभेपेश्रलालापसमानन्दित दयः समागतस्तन्रेवाखाने रतो-

Zs

दतौयः TTA | ३२१

चितप्रतिपन्ति waa मनोषिशा दापिते तदुपकष्डसुपविष्टो महति विष्टरे) ततो राजा तञ्ुदिश्य aye sere) सखे महोपकर्ताचमस्माकं महापुरुषः सुबुद्धिनाभिदहितं ठेव कथं नृपतिराह खमाकणेय यतो भगवतोपदिष्टे तसिन्ञप्रमार यन्न तस द्‌ रतुष्टेयतामाणोचयतो मम महाखमरे कातरनरस्येव प्रादुेता चित्ते समाकखता ततोऽहमनेन महात्मना तजचजावखरे भगवन्तं सदिधमे याच्यता तद्ररर्बद्यत्पा रकल्वेन समाश्वाशितो यतो जातो ग्टहिधममाक्रौकरण्ेनापि मे चेतसा महामवष्टश्ः। ततो ममायमेव मशोपकारक इति खब्द्धिगाभिहितं देव बथा- याभिधानो मथ्यमबुद्धिरेष | खमान्रोखग्यसनेषु सख्मिति WANTS: ततः समामोखतया , युक्रमेवाख ERT समाश्वासनं नृपतिना चिन्तितं श्रये ममायं मिष्याभिमानखेत- aaa कालमासौत्‌ किलाह गरेदतथा पुरुषोत्तमो यावता धुनानेन॒ सुबुद्धिनार्थापत्या गण्ितोऽहं मध्वमजगलेख्ये ततो विद्वां मिथ्याभिमानिगमित्यथवा agfefata wary विषादो विधेयः | तथा डि

गलेष्धस्तावदराभाति YC: सन्लासकारकः |

aagrgrerma सिंह उपलभ्यते

यदा सिस्य गन्धोऽपि खादाघ्नातः करोणना |

जायते कन्पमानोऽसौ तदहो कातरः करौ

मनौ षिणमपेश्छयातो युक्ता मे मधयरूपता | 41

RAV उप्रमितिमवप्रपश्चा कया |

श्रयं सिंहो महाभागो मादृशाः करिकातराः §

acy विषादो मे कतुं युक्रः प्रयोजने

यतो दितोयलेखापि मादृशेरपि दुभा

तया Te

भवे्सर्वत्तमस्तावत्पुरुषो यदि पारयत्‌ |

BTM मध्यमोऽपि स्यान्न जघन्यः कटाचन

मिष्याभिमानो मेवायमेक एवाभवत्पुरा |

fa afe बहवोज्येऽपि किंवा मे चिक्रया तया॥

एवं चिन्तयति राजनि सुबृद्धिराह। देव सम्यगवधारितं

देषेन येष मशोपकारक दइति। यतो जिनधर्मानुष्टाने. yaa area जोवस्य यो निमित्तमाजमपि भवति a ततोऽन्यः परमोपकार अगति विधते नृपतिराह एवमेतन्न सन्देहः | केवखमिदानोः. मे मनसि वितो भगवदचनानुसरणेनासरृन्निरा- हतोऽपि निखेष्वन्राह्मण इव प्रकरणे. पुमः पुमः प्रविश्रतौति | तदेनमुपनेतु मरेत्यायेः .सुद्धिराइ कदु शोऽसौ नृपतिरुवाच | समाकणंय खसंवेदनसंसिद्धमिद मासौत्तदा aga तज चेत्यभवने प्रविष्टमाचाणामस्माकं शान्तानोव सवंदन्दानि इउच्चाटितेव केन- चिद्राच्यकाथेचिन्ता पिशाचिका. विलोनमिव सकलमोहाशं fara दव प्रब्रागानशः विध्वस्त दव .विपरौ ताभिनिवबेश्रहः निटेत- मग्टतसेकसन्पकेषेव WI सुखसागरावगाढमिव इदयं चणए- माजेणासौत्‌ | यत्पुमनेमस्तसुवनना यस्च BATT एख्छ वन्दिति- मुनिदन्दस्य भगवद चनाग्टतमाकणेवतस्तन मे. निरुपमं gedaca-

SALT: THAT: | श्र

भगत्‌ ART वाम्गो चरातौतेमिति त्वा शक्यते कथयित तदेवं विेऽपि wa भेनेन्द्रमन्दिरं सज्निहितेऽपि तादृ भगयति ga कथयति रागविषश्रमनं विरागमागें नेदौयसि mates aufauracta सति तावति अनसमुदये कथं बाणस्य तथाविधो- ऽध्यव्ायः arg इति सुबुद्धिनाभिदहितं | देव anagem देवेन यथाच जिनमन्दिरे प्रविष्टमाचस्य मे चणमाजेणाचिन्तितगुण न्दो हा विर्भावोऽ्दिति waa प्रमोदगेखरं fe तद्भवनममि- daa हेतुरेव तत्तादृ शगणकल्लापस्य यत्युनरग्वधायि यथा कथं युमश्षघयेवं विधसामग्यामपि पापाचरणेषु प्रवर्तन्त इति

Tay भगवद्‌ पदे शादेवाइमेवं तकंयामि यदुत द्रव्यखेचकाख भावभवाद्यपेचया प्राणिनां श्एभादभपरिणामा भवम्ति। ace बाणस्य चेचजनितोऽयमशभपरिणणमः। नृपतिराह ननु गण- करस्तश्पैमसदनं | तदेव तच BT! तत्कथं तदश्टभपरिणणमेत्‌- भेवेदिति। खुवुद्धिराइ। मन्दिरदोषोऽसौ किं afe उद्यान- RAEN तच सामान्येन तच हेतुरस्य बालस्य तथाविधा- ष्यवसायस्वेति | नृपतिराईइ यदि दुषटाध्यवशायरेतुसदुद्यानं ततो- sara किमिति किट चिन्तकारणं तन्न aaa) सुबुद्धिनाभिदहितं देव विचिचखभावं तत्काननं पुरषादिकमपेच्छानेकाकारका्व- कारकं संपद्यते | श्रत एव तज्निजविलसितमिति नाला waz | पकरयव्येव caret सिगरेषसहकारिकारणकलापनिंजं निशं विलसितम्‌ तथाहि तष्य awe तेन स्यशनेन तया चाङ्ुश्रल- मालया ame मदनकन्दलो प्राय तेन तथाविधाध्यवसायः।

९२४ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

मनो षिमध्यमबुद्धिय्रदादौगां qafafaeqearat पुश्यप्राग्भारवतां श्ूरिपादे प्र्ादमासाश्च तेनेव सवंविरतिदेशविरमिपरिष्णमादथो भावा जनिताः यद्यपि चेह स्वश्येव कायस्योत्पन्तौ द्ग्यखेजकाश- खभावकमेनियतिपुरुषकारादयः कारणएविशेषा FSTEST: सबुदाये- नेव हेतुभावं भवन्ते नेकः कचित्कस्चित्कारणं तयापि विवचये- aera कारणं ag शक्यत दति तज्िजविशसितसुधान- मसमाभि्नानाविधभावणिबन्धनममिधोथत इति मृपतिराइ सखे शाङरूक्रमिदमिदागों aga तदाभिहितमासौत्‌ भगवतः पुरतो यथां देवायाख्य कमंविशासख्य cy: खरूपं निषेदयिग्यामि afateng ware ओओतुमिच्छामि सुबुद्धिराइ देव aaa सतो fafam Wheat tq नृपतिगोक्रमेवं भवतु ततोऽलुन्नातौ समोषिणा ससुत्थाधाश्ानमण्डपात्‌ प्रविष्टौ wernt cereal safanfated देव अयम परमाप्रौ ये ते भगक्ता चलारः yea: weft: तेषासुत्छषटतमास्तावसकश्चकर्मप्रपश्चर हिताः सिद्धा अभिधीयन्ते जघन्यमधथमोक्कष्टाः gata wa बालमथमनुद्धि- amnfeet fire: अतः कमेविलाखो राना at भगवता प्रतिपादितः एतेषामेवंविधसरूपाणां जमको निभनगिलकर्मीटथो fave: एव fe यथयावणितवो्थौ भापरः। we fae: warfare: परिरतयः | ता एव भगवतामोौषां मनो षिवाख- ag एभसुन्दयष् MAE सामान्यद्ूपेति मामभिजेगन्य तति अतिपादिताः ar एव यतीऽमूनौद्शरूपतधा अभितवत्यः | गुपतिराह तद्धोमौषां awe: कोऽभिधौथतां सुबुद्धिरवाच ,

ढतौ यः WTA: | ३२५

देव तत्‌ सर्वासर्थंकारि nated fanaa नृपतिना चिन्तितं असं मयापौदं भगवता कथ्यमानं सवंमाकर्णितमासौत्‌ केवलं सम्दग्‌ विज्ञातं थथानेन ace सुनुद्धरेवं विधबोधेम सुसखाधुभिः ae चिरपरि्थः कारणं wet वचनकौ श्रलं भगवतां कथित- मेवावरदामोषां मनोकिप्र्तोभां सम्बन्धि सवेमन्यव्यपदे ग्रेन श्रितं sua faaw fet अत एव प्रबोधनरतयस्ते भगवन्तो- ऽनिधोधस्ते। ata विचिनधामिदहितमनेम शखे cetafacrat fafantsenfata zeman. केवलमिदमिदानौोममिधौयते धदुत aaa aaa विषयानुष्गं कियग्तमपि are भजेत ततो वयमण्यनेमेव सड दौचाग्रदणं Haare यतः प्रथमद गरंलादारभ्च प्रवर्धते ममास्योपरि Seaman: | सं चह ति विरहकातरतयान्य् इदयं निवर्तियातामेतददशकमलावणो कनाल्लोचने ततो are विरडे वयं कणक्षपासितुशुल्छहाम्े। तयाग्रिधोऽद्यापि श्रस्माकमा विभवति शरणएकरणपरिणामः। तेनं तावदभ्ययंय प्रण्यस्ञेदसार | Wawa निरुप्रचरितशष्टादिभो गान्‌ प्रकटयाख्य पुरतस्तत्खामिभावं | दगेय पकेखनोशमडहानोखकष्तनपद्मराम- मरकतवैदुयेचग्दकान्तुष्मरागादिमहारन्नपूगान्‌ द्रशेयापरइसित- चिद्‌ शसुन्दरौोखावश्छाः कन्यक्राः war wafers यया कियन्तमपि कालमस्मत्मो हितक्षेष amie नित्रिंचार संपादयति | सुबुद्धिनाभिहितं यदाश्चापथति देवः। केवलमना्ं किथिदश वि्चापयामि। noma वा शण्तुमरेति देवो नृषतिरार we सदुपदे शरदानाधिकारिणां भवतां frene मथ्यप्यलमियता

२२९ उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

संभ्रमेण वदतु विवचितं मिर्विंकण्यमायंः। सुबद्धिश्वाच देव aed ततो यत्तावदुक्षं देवेन यथा ममा मनोषिशि रः खेहातिरेकः तदुक्रमेव यतः समुचितो महतां णिषु cea: | a हि क्रियमाणः पापाणपूगं दलयति eam स्फौतयति सुगतां जनयति amt वधेयति ध्मेसुपचिनोति मोखयोगतामा- wart) चत्पुनरक्र यथा कथञ्चिदुपप्रलोभ्ब कियन्तमपि कालमेष धारणोय दति तन्न न्याय्यं प्रत्युतालुचितमाभासते यतो नैवमस्योपरि खेशालुबन्धथो दभिितो भवति किं afe प्रत्युत प्र्यनोकतां संपद्यते तथाहि | घोरख्सारकान्तारचारनिःखार काम्यया Wada He धर्मं जौोवजगद्धिते मनसा वषा सम्यकूक्रियया हतोद्यमः | erent यस्तस्य बन्धुः खेहनिभेरः WARTS यस्त॒ तं वार येष्मः | तद्याहितका रिलात्परमा्थेन afta: तस्मान्न वारणोयोऽयं खदहितोद्यतमानसः। एवमारभतां देव Geiss विहितो भवेत्‌ चेष श्रक्यते देव रतेयंग्रतेरपि मनौषौ Saad विषय दि विकेरपि यतः maantce avant विषयविषविपाकाषेदमचतुरे भगवद्चने सुनिशितः प्रबोधः विस्फु रितं स्कलमलकालब्यलाल-

SALA: प्रस्तावः BRE

wea इद यसरोवरे विवेकरल्नं। ससुक्षथितं ययावखिताथंखरूप- निरूपणएनिपुणं सम्यग्द्शेनं। संजातो निःगेषदोषमोषकरखरण- परिणामः। सति भगवदवलोकनया जौवस्येवंविधे कच्य्ाणा- मिनि श्रकारिणि गुणकदम्नके रमते विषयेष चित्तं प्रति- भाषते डेयत्वबुद्या भवप्रपश्चः Teed निःखारतया सकलं लगद्दिलसितं खभ्रदग्रनायते क्षणदृष्टनष्टतया जनसमागमः। भिवर्तते प्रलयकालेऽपि कस्यविदलुरोधेन मोच्मागेस्य arvana बुद्धिः। तदेवंख्धिते देव श्रस्योपप्रलोभनमाचरतामस्माकं केवलं मोरविलथितमाविभविषति पुनः काचिदभिप्रेताथेषिद्धिः। तदखमनेनास्यानारभेेति मुपतिराइ यथेवं ततः किं पुन- रधुना प्राप्नकाशं सुबृद्धिराह देव निरूप दौलायदणायमस्य प्रशस्लदिनं. क्रियतां तदारात्‌ सर्वादरेण महत्तरः प्रमोदः) quae) यत्वं. जानोषे ततः समाहतः सिद्धायौ नाम सांवत्छरः। समागतस्वरया प्रविष्टोऽग्वन्तरे राज्ञा दापितमासन। छृतसुचितकरणोयं कथितमाह्ानप्रयोजनं। ततो freq निवे- दितमनेन यदुतास्नाडिनान्नवमे दिनेऽख्यामेव भाविन्यां श्रक्तचयो- दश्यां शक्रदिने उन्तरभद्रपदाभिर्यो गमुपगते शग्रधरे वहति शिव- योगे दिनकरोदयातौते सपारे प्रहरदये TIE सप्तयदकं एकान्त- निरवद्य भविष्यति तदाओ्रोयतामिति afafed रानमज्तिणणैः | परिपूज्य परितः ata: गतं तद्दिनं ततो दितोयदिनादारण्य परमोदगरेखरे तदन्यजिनायतनेषु देवानामपि विस्मारितखुरालय- न्दा विधापिता रान्ना मदोत्छवाः। दापितामि वरवरिकाघोषण-

३२८ उपमितिभक्प्षश्चा कथा |

waa स्वज महादानानि विदहारितो देषेष्धवदेरावतविभमनय- करिवरारूढः खथ पदातिभावं भजता जिकचतुव्कचत्वरादिष सुराकाररनागरिकजनैः warn निरुपमक्लिसविस्तारमतुभाद- यता मरपतिभा प्रतिदिनं मगरे मनोषौ प्राप्तोऽष्टमवासरः तच मोतं निखिखजनसन्भानदानाधेमानविनोदेन प्रहरदयं अनाकारे दिनकराथरितेन मनौ षिवचनं सूचयतामिदितं कालमिवेदकेम

नाग्रयिला तमो Sa saree मनखिनाम्‌

हे लोकाः कथयत्येष wet वोऽधुना स्फ़टम्‌

quart: प्रतापेन ययादह्मुपरि स्थितः |

सर्वाऽपि anata जनस्वोपरि तिष्ठति

ततस्तदाकष्ठे राणा सुबुद्धिमग्टतोमुदिग्यार। श्रये प्रव्धासोदनि खथ्रवेखा ततः सस्लौञ्खुङत au भगवत्पा दमूले गमनसामयोँ | सुबुद्धिर्वा देव प्रेव वर्तेते मनो षिपुष्छपरिपाटौव सर्वा सामय | तथाहि

श्रमो WANs FAM: कनकोज्चखाः |

cater: प्रखिताददषेमायुक्षवरवा जिमः

एते cenafan राजटन्दैरधिषठिताः |

लोमूता इव AMAT दारे Af मन्रम्‌

वर्थाश्ववारः संखद्धाः कथश्चिश्चटखामनेः |

खमा पिबन्तोऽमो देव इया हेषन्ति दपिताः॥

wa पदातिषघातः चौरनोरेश्वरोपमः |

मन्तः प्रयोजनं Wren सुवेषद्धलितोऽखिखः

SANT ONT - RR

रन्ालद्ारनेपथ्याः सद्रव्यपटलाङुणाः |

प्रस्छिता ATTA MAA वारा वरेषणाः

मनो षिपुष्छसंभाराशृष्टा ख्यं TATA: |

एते विबुधसंचाता चोतयग्ति नभस्तलम्‌

एष नागरको शोकः कौैतुका चिप्तमानखः |

कुरूते इवैकल्लोलेः सागर लोभविभमम्‌

अथवा | मन्तो विदितदृन्ताखो मनौषिगुणर जितः | ज्चातयुद्मदभिप्रायः को वाजाप्रगुण्णो भवेत्‌ देव त्घागतसुत्थातुमदेव wi ततः समुत्थितौ मनौषि-

मरेष्ौ faint इारदेभे। ततो रनकिद्धिएौजालग्डषिते wares: marrage मनोषो ततः सुखसुङ्ुमारासनोपविष्टः खयं प्रति- पश्चसारयिभावेन ay मरपतिना faaefacizincfaatn- माङ्गभागो भियमाणेन निजयश्नोधवलेना तपने कपोखडोलाय- मागङ्ुष्डलो धूयमानेन श्रश्रधरदीधितिष्छटाश्छन वर विलासिनौ- करवतिना चामरम्रकरेण श्युखसुक्षाफलकलाप विराजितवचःस्यलः पठता तितारभुदामबन्दिटन्देन कट ककेयूरखचितबाङदष्डो year तोषनिभेरवरविक्ाधिनोसा्थेन अतिसुरभितान्बुलाङ्गराममौणि- गारेषेखियप्रामो बधिरयता दिकुचक्रवाशं वर्धय नि्धषेण विग्रददिव्यांएकप्रतिपन्नरे शो गायता ममोहारिकिलरसघेन धणे- मानविचिजवनममाखानिचयववचितश्रौरो gear. walfatar- दु्लष्टििनादसन्दभे देवसंघेन प्रो णएितागरेषप्रणयिजममगोरथः

42

RRO खछपमितिभवप्रपस्चा कथया |

ज्ञाचयता AAT तयासुरङ्माराकारधरोऽवमिति wala- कामिः समागतोऽस्माकमयं इूषटिपथमिति सवांमिरस्मदभिमुख- मवलोकयतोति सष्रक्रारामिमेदनरसवश्रौहतडदयतया भानाविध- विलासाभिर्मामियं facture qinetena सथमवचोकथतौति Wat से्व्याभिगे रुजगोऽस्नामेवमवखोकयकौः anf we- दाभिः safaa: किखायं afsantfa autarfacd dace थोऽयमेवं विधेरपि त्यच्यत इति समंवेगाभिरेवमनेकरवभावनिभेर इद यसुदहमौ भि्निरोच्माणम्‌ तिर्वातायनविभिगेतवदनख्दखाभिः पुरन्दरो मिरभिगन्धमानोऽम्बर विवरवतिंनौभिः gcc: afer रथान्तरारूढेन खप्रतिबिम्बसज्िभेन भध्यमवुद्धिमा श्रतुग- म्यमामो रयहरिकरिगेमेहासामन्तसमूरैमेदता विमदेन srt aaa} गिजविशमितोद्याने। रथादवतयं खितः quart प्रमो द- श्रे्रद्ारे। परिवेष्टितो weedy) cay च्यन्दनारोदण्णटारभ्ब राजा विगेषतस्तदा श्वपरौशा्थै मनोविखरूपं दन्ावधागो निरूपयति सखम यावता तद्य विष्एष्यमानाध्यवषायप्रचाजितमनो- मलकखद्धस्य सत्यपि ated weat शितस्तेन तिखत्‌ वजिभा- ममाजोऽपि चेतोविकारः प्रहुत गाढतरं शारण्डत्पुटपाकादिभिरिव विदिषरसंसार विशसितदशेगसमुद्तभावना विषे निम गतं चिन्त- WH ततः परस्यरानु विद्धतथा मनःशरोरयोर्जातमख देदीप्यमानं TOC! विलोकितं रान्ना Tanners दिगकरकर- निकरतिरस्तमिव तारकागिक्षुरम्बं राजते मनोषिोऽभ्वणै- बति तद्राजक। ततरटौयगुणप्रकर्क catch विन्नं तददिवंधकं

BAT: GGT: | RRL

कमेजालं संजातञ्चरणएपरिणणमो निवेदितः सुबुद्धिमध्यमवुद्धि- मदनकन्दशोसामन्तारिशभ्यो fasts: | ततोऽचिगघमाहाष्य- तया महा पुरुषसन्निधानस्य विचिता कमेचयोपश्रमस्व रच्ित- feura निष्कजिममनौ षिः ससु ल्ञसितं wet तदा नौव- ata ततस्तरभिदडितम्‌ |

ary खाधदितं देव युक्रमेतद्भवाङृश्राम्‌ |

संषारे gy निःखारे area विवेकिनाम्‌

तया हि।

रेव aay संसारे कि चिव्याद्रामणौयकम्‌ |

GY WINS ay सुन्दरमेव वा

ततः किमोदृश्राः सन्तः पूज्या यद्मादृशामपि।

संखारमेनं सुधंयभ्राततत्वा महाधियः

ततोऽमूदृश्सललो कत्यागादेवावमम्यते |

भाखखच किचितंसारे arc चारंकसभिमे

अतो मनौ पिभिस्क्ते देव नेवाज युच्यते ¦

खातं विन्नाततत्वानां भवे रिभवाकर

श्रन्यश्च देव खवंषामस्माकमपि साग्पतम्‌ |

tar मनौ विचित्त चित्तं रमते भवे

यथयेवाख्य प्रभावेण संजातखरणो्मः |

waaay निर्वाहं तथा तेनेव arate

ततोऽस्मानुजानोत संषारोच्छदकारिष्टम्‌ |

येन भागवतीं zraragiga: fare a

RRR

तज

उपमितिमषपपष्ा श्या |

नुपतिरङ्वाच | अद्धो विवेको यस्माकम्ो गम्भौर चिश्लता | अहो वचन विन्यासस्तयाष्ो सत्वसारता साष्वध्यवसितं भद्रः साधु serie वथम्‌ साधु भो चणएमाचेण जोरितं भवपशच्चरम्‌ एवं षामान्यतस्तावत्‌ सवेवाममिमन्दमम्‌ | हला प्रत्येकमयप्याइ राजा दषंनिभरः सुबुद्धि तावदु वाच। सखे विदिवसंसार खभावेम त्या ग्ट | इयन्तं तिष्ठता कालं वयमेव प्रतौङिताः अन्यया ते Ve fa वा स्याद्वख्यानकारणम्‌। को नाम राग्यलाभऽपि भजेखाण्डालरूपताम्‌ mary विहितं साधु शतोऽस्माकमनुग्रहः एवमाचरता fare दभिता सुमिभता॥

मध्यमबुद्धि प्रत्याह |

लमारावेव धन्योऽसि यश्च सङ्गो मगोषिष्ठा | गेव कर्पद्रुमोपेतो ASAT अधुना चरितेऽणस्व दधानेन मतिं लया quarafafanea दिता तुष्यरूपता may विदतं भद्र थः TASTY TAT सोऽपि खुन्दर एवेति यतो ager: प्रचचते

ततो ACHAT WATE |

तोयः प्रस्तावः |

सारं सुकुमारं देवि काञ्चनपद्यवत्‌ |

तावकौनमिदं fed येनाङ्गोरुतमौदू श्रम्‌

nfagr धर्मंपन्नौति यत्वं छोको पचारतः।

मम meat ata करतंग्येन लयाधनो

mary विहितं देवि are भवपश्रे |

frafearat Maret करेव्यमपरं वरम्‌ तचा |

aoa Ther तानन्धामपि भावतः

राजा मधररेवं TWITTY तोषतः तद्यथा |

धन्या यूथं महात्मानः BARAT ATTA: |

ेरभ्युपगता Be eelar TTA

तश्चारं विहितं भद्रा युक्रमेतद्ववादृश्राम्‌ |

यथमेव पर शोके निमिभ्था मम बान्धवाः & तत |

राजचिड्ापेषाद्राश्ये श्छापयिला gate |

ततः waren: प्रविष्टो जिनमन्डिरे it तच a |

विडहितागरेषकतेग्थाः पूजयिला जगहुशम्‌

arena frog ते aasareefet

ततोऽभिनन्दिताख्तेऽपि सूरिभिः aera गिरा

aw विश्जम्बितेना् शखार इति भाषिणा

RRR

१९ wafafaaquagt कथा |

ततः परवचनोक्रेन विधिना weaver: |

सवं ते चणमाजेण दौख्िता Geass:

अथ संवेगटद्यथे कल्योऽयमिति वा चणम्‌

शता way uae सूरि मिधमेदेशभा तद्चथा |

अनाद्यनन्तससारे जग्छछत्युभयाकरे |

MAR TENT सत्वैः aA Biase aT: |

तावहुःखान्यनन्तामि तावद्रागा दिबन्ततिः |

प्रभवः कमेणस्तावक्तावष्लन्मपरग्यरा

विपदस्तावदेवेतास्तावन्धवे विडम्बना `

तावहोनानि जरयन्ति मरा एव पुरो AUTH

तावद ेव्यषद्धावस्तावद्रोगमुद्धवः |

तावदेष बञङ्धेशो ओरख्शारषागरः

यावज्िःगेषसावद्ययोगोपरतिशशणा |

एषा Mat HA: प्रनव्यात्यमादुखंभा

WACTMAUNTA खक मेविवरेख |

यदा तु सच्येभ्येत mee जिगोदिता

तदा निधय पापानि यान्ति वते परमां मतिम्‌ |

अनन्तागन्दखपूषा निःगेष्धेश्रवजिंताम्‌

ततोऽनौ ये पुरः ater: सर्वेऽपि मवभाविनः।

चद्रो पद्भवख्चाता FTAA भवन्ति ते +

SAT: प्रशलावः |

fa च। Ula भो भवनगवेते प्रश्माग्डतपायिभः॥ प्रतरव्याग्राडदिष्टठो जवा निर्बाधाः सुखपूरिताः a घा भागवतो her युश्नाभिरधुना weg संप्रात्ना तेन संप्राप्तं यत्प्राप्यं भवोदधौ केवखं सततं यन्नः प्रमादपरिवजितेः | wand विधातश्यो भवद्भिरिरसुश्यते

यतः | भाधन्याः पारमेतच्या गच्छन्ति पुरुषाधमाः | चे तु पारं बजन्धद्यास्त एव TAIT HAT: ततस्तैः TWA: WIIG सूरिसंसुख्ठम्‌ | इच्छा मोऽनुग्रडं भाय Hal नायागुश्रासनम्‌ स्थगितागनद ग्रेन सुखवस्िकया मुदा अजान्तरे इतः WA: ग्रचुमदंसाधुना

कथम्‌ | विश्रालं नि्मेखं सोर wat Yecfwuq दयापरीतं भिबिन्तं देषाभिष्बज्गवजितम्‌ o स्तिमितं जगदानन्द चदा वाम्गोशरातिगम्‌ | aang feet लाय arse मनौ षिषः

यद्ध चेष्टितमाोक्य भिथिलोग्धतबन्धनाः |

एते स्वँ वयं Hw भोमात्‌ बसारचारकात्‌

TARAS |

९२४

Rad उपमितिमवप्रपश्चा wut |

a fama aaa जननो इएभसुन्दये |

थावन्तस्तल्छुतास्तेषां GTA मनः

तलो गटहौततच्वाऽपि राजषिरिदमत्रवौत्‌ |

बोधाये सुग्धलोकानां विनयानतमसतकः

fa तस्याः इटभसुन्द्थां विद्यन्ते बहवः gat: |

अस्माभिश्च पुरा न्ातमयमेककपुच्कः यङसूवाच बाढं विद्यन्ते तथाहि

ये ये जिभुवनेऽप्यज इृश्छन्तेऽनेन यादृशाः |

ते सवं शभखुन्दयाः पुजा ay संशयः fai a

धे केचिदुन्तमा शोके सत्वमार्गाजुया यिनः |

ते WW: इरभसुन्दर्यास्तष्या Fa मनौविणणा राजर्षिंरुवाच |

यासौ area जननौ भवद्विर्पव णिता

भदन्त बाशादन्येऽपि तस्याः किं षन्ति नवः सूरिणाभिडित faact afta तथाहि

ये चे जिञुवनेऽज जघन्याः fara: |

ते तेऽकुश्लमालायाः पुजा AVA संशयः

ते areagita fader दुष्टचेष्टितः |

एतेऽङ्प्रलमालायाः Era: सुपरिसफटाः राभर्विरुवाच यद्येवं ate)

तस्याः सामान्यरूपाथाः किमन्ये सन्ति सूनवः -.

Sate: प्रस्तावः | BRE

भदन्त fae at at सन्ति मध्यवुद्धेः सहोदराः | afcufufed awaare fart) यतः

ये बालयरिताः afeanfireftary चे |

एतेभ्यो ये परे सत्याः सं Asya सोदराः

ये केचिच्छषलालाराः समा मध्यमबुद्धिना |

सुताः ामान्यूपाथास्ते जवा भुवगोदरे

सकाश्ादितराभ्यां ते wear जगच्रये |

अनन्तर णितास्तेन प्रोक्ता श्धरितमा मथा राजर्षिंरुवाच | we wed ततो मम चेतसि परिस्फरति |

qua व्यवसिते waged यदुत |

भार्याजयेश जनितं जघन्योन्तममध्यमम्‌ |

तदध Bafana जगदेलत्कुदुम्बकम्‌ afceare |

“ard नेवा सन्देहः wae whaaq

मार्गानुसारि्णौ बुद्धिभंकल्येव भवाद्‌ तथाहि |

जचघन्यमध्यमोक्छष्टाः स्वेयोजिषु जन्तवः

विद्यन्ते केवलं qa व्यक्रभावा भवन्ति ते | तत | |

masta fafafee व्याथेवेदं कुटुम्बकम्‌ |

यदज विदुषा कायं afeerat faataa

त्यक्रष्यं areata कायंस्तत्षमागमः |

43

RRS खपमिविमवप्रपश्चा कथा |

मनौ षिशरिते aa: aaa: सुखमिच्छता यतोऽ बहवो जवाः प्रायो मध्यमबुद्धथः | ते सम्यगनुष्टानात्‌ संपद्यन्ते मनोषिणः | एतदिन्नाय भो भव्याः asta गदिता मचा कायें ATAU इन्तमस्य मनोषिएः aster यजनेन पापमिनेः समागमः | यतः WINK बालो निधनं गतः | व्जनेन पुनस्तस्य मनोषो सुपरिस्फुटाम्‌ | Sta गोखरतां प्राय जातोऽयं मोखसाधकः कशा एभिः कर्तव्या मजो पुंसा हितेषिषए। cugy विशेथा सा हेतुः edema दोषायेह Heat: सुसंसगौ Faas: | एतच्च इयमप्य्र मध्यबुद्धौ प्रतिष्ठितम्‌ तथा इडि। | are: राभेनसंबन्धादेषोऽगडुः खभाजनम्‌ युक्रोऽग्चत्सतताह्वाद एष एव मनोषिष्ण तदिदं भो विनिञचित्य बहिरङ्गाग्रेः सदा | कायौ TH: अङ्गः Ae: सुजनेः खड ततस इदमाकष्टे AAS वचनं सुमनोहरम्‌ | HAQT TWA: सत्त्वा जाता धमेपरायण्ाः प्रप्ना देवा fai era सितो राश्ये सुलोचनः |

SAT: GTA: | eRe

गतोऽन्य्न विदाराय aft: fread: ey ततस

वित्य कालं यां समागमोक्रन aaa

पयेन्तकाले ane विधाय ene विधिम्‌ i

न्ञानध्यामतपोवोयंवद्धिनिदं Tae: |

मनोषौ जिति प्राप्नो fear खं देदपश्नरम्‌ 1

ये तु मध्यमसदरौर्यास्ति तनुतकममेकाः |

गता मध्यमबृद्याद्या देवलोकेषु साधवः

बालस्य तु यद्‌ दिष्टं भदन्तेभां विचेष्टितम्‌ |

तन्तथेवाखिलं जातं नान्यया मुनिभाषितम्‌ स्यशेनकथानकं समाप्तम्‌

विदुर उवाच कुमार तदिदं मथा छः कथागकमाकणित- माकणेयतश्च मम wird दिनं तेन युभ्रक्षमौपे नागतोऽसि मयाभिहितं भद्र सुन्दरमनुष्ितं | यतोऽतिरमणोयमिदं कथा- नकं बध्यत एव श्रोतुम्‌ Bet श्रत्यन्तदुरन्तः पापमिजरसम्बम्धो यतस्तस्य बालस्य स्यशेमसम्पका दिहासुज् च॒ निविड़विडम्बनागर्भां दुःखपर परव कवं dae भान्यत्किचनेति। विदूरेण चिन्तितं बुद्धस्तावदनेन कथानकतात्पर्याये इति भविय्यति मे वचनाव- काशः॥ इत्च तजावसरे मन्तो नातिदूरे वतते वेश्वागरः श्रतं तेन aaa वचनं चिन्तितमनेग wa विरूपको नन्दि- ब्धनस्योक्ठापो | बयत्पादितप्रायोऽयमनेन विदुरेण तन्न सुन्दर-

३४० परमितिभवप्रपच्चा कथा |

मिदं वतेते ष्टः eeu विदुरो ज्ञापयिव्यत्यश्य मदौयसखरूप- मिति। साग्रः doet वैश्वानरः विद्रेणमिहितं, कुमार सत्यमिदं सम्यगवधारितं ङुमारेण way: प्रहतिरेषा प्रायः पराणिनां यथा यज कुजचित्किंचन ge ad वा सवंमात्म विषये योजयन्ति ततो ats कथानकमनुञरत्य aye चिन्तितं | uqa यदि gaa कदाचिदपि पापमिन्रसम्बन्धो भवति ततः सुन्दरं संपद्यते, मयाभिहितं भद्र fara चिन्मोयं। भाख्येव मे arf भविति पापमिनसम्बन्धगन्धोऽपोति | विदुरः प्राह वयमणेतावदे वार्थंधामहे। ततः feat मदौ यकर्णाभ्यण विदुरः। owe: ग्रनेरभिदितं चानेन यदुत केवखमेषोऽपि Tart लोकवा्तेया दुष्टमतिः waa) तदयं सम्यकूपरौ- QUI: मारेण मा wea स्पश्ेनवद्ालस्य पापमिजरतया भवतोऽनयंपरपराकारणटमिति |

facet तभ्मिश्नवखरे वेश्वागरः aaa: षन्ञभिसुखो मदौयवदनं | लचितोऽइमनेन सुखविकारतस्तेविंदु रवचनेदुंयमानः। ततः wat वेश्वामरेण मां प्रति सा qaerefaar sar) भरितं मया क्रूर चित्ताभिधानं तदटकं ततस्ततप्रभावान््े चणेन इद्धो - ऽकनस्तापः। agufaa: सेद विन्दवो जातं qervafe शरोर संपन्नं विषमदष्टोष्ठं भग्नो र्ट टितरक्गमतिकराशं वक्वङ्ुहर ततो भद्रे श्रग्होतसङ्ते तथा वेश्वानरवटकप्रभावामिश्वतात्मना मया पापकमेणानाकश्लय्य तस्य वल्छशतामनालोच्य दितभाषितिमवि- गशय्य॒वचिरपरिश्यं afta खेदभावसुररोहृत्य gmat eae

ata: प्रस्तावः | ४९

निषटुरवचनेसिरष्छतोऽघौ विदुरः थदुतारे quam fiver मां area कल्पयसि तथाचिन्धप्रभावोपेतं परमोपकारकमन्- Ura मे tye तथा विधदुष््सशेनोपमं मन्यसे were neat face मया दन्ता कपोखदारणौ चपेटी zeter महत्फखकं प्रतमारोऽदं ततो भयातिरेकप्रकन्पमानगाभयष्टि- wet विदुरः गतस्तातसमोपं कथितः समस्तोऽपि eH: | ततो fated स्ञममसि ताते यथा ग्क्त एव कथंचिदपि कुमारो वियोजयितुमेतस्मदेश्वानरपापमिजादिति ¦ तदेवं fez यद्गवि्त्तामेवास्माभिर्मोनिनेव we यक्षमिति खा पितसतातेन Fearn: y

wry निःशेषितं मया कलाद्यहणं ततो गणितं प्रशस्तदिमं | WISE कलाश्रालायास्तातेनात्मसमौपं। पूजितः Keres दन्तानि await कारितो महोत्छवः) श्रमिनन्दितोऽशं तातेनाम्बाभिः weet) वितौरौ मे एयगावासकः। चया- छुखमासतामेष दति शला तातेन नियुक्तः परिजगः। aq इतानि मे भोगोपभोगोपकरण्णनि feat सुरकुमारवल्लख- मानः। ततस्जिशुवनविखोभनोयोऽ्धतरसख इव ace सकल- WMI ITER दव प्रदोषस्य बहरागविकारभङ्करः छरचापकशाप टव जखधरषमयद्य मकरष्वजायुधश्चतः ङुखुम- भ्व TA HUNTS श्रमिव्य्यमानरागरमणौयः Bic शव area विविधलास्चविखासयोग्यः कलाप इव च्िखण्डिनः Mpa मे योवनारम्भः संपन्नमतिरमणोयं WAT | faatref-

es डपमितिभवप्रपश्चा कथा |

wa वचःस्यल। परिपरूरितमूरूदण्डदय शअगमन्तनुतां मध्यदेशः | ava: प्रथिमानं नितम्नभागः | प्रतापवदारूढा रोमराजिः | मैग्द्च- waa लोचने प्रखम्नतासु पागतं YR यौवनसहायेनेवाधि- featse मकरध्वजेन इत्च सखभवनाच्िसण्च्य व्रजामि wre राजकुले FRU पादवन्दकः। ततोऽन्यदागतः प्रभाते aa तातस्याम्बादौनां पादपतनं अ्रभिनन्दितस्तेराशोर्वादेन खित- ean कियन्तमपि qu) समागतः खभवने निविष्टो विष्टरे यावदकाण्ड एवोक्षशितो राजङ्ुले बहलः Rene) ततः किमेतदिव्यशङिततज्िमिन्ततया जातो मे aq: प्रशितस्तद- fags यावन्नूफमागच्छन्नालो कितो मवा धवस्लाभिधानः सबशो serfuwa: | प्राप्तो agian) प्रणतोऽहमनेन श्राह च। कुमार देवः षमादिश्रति। यदुतेतो निगेतमाजस्य ति प्रविष्टो wean दूतो निषेदितं तेन यथा क्ुश्रावन्तेपुरात्‌ कनक- WUT: कमकशेदखरो नाम राजकुमारो जनमकापमाना- भिमामाद्भवत्छमौपमागतो गब्यूतमाजवतिंनि मल्लयमन्दने कानने तिष्टव्येतदाकष्छे देवः प्रमाणमिति ततोऽहं खग्टहागततथया ्रत्यासन्ञबन्धेतथा महापुरुषतया TTR कभक - Tet कुमार इति आ्राख्छानख्यायिभ्यो राजटन्देभ्यः yey एष agufan: खयं तदभिमुखं कुमारेणापि शोत्रमागन्तव्य- मित्य प्रहितो युश्रदाहानाय। तनूष HATTA कुमारस्ततो यदाश्ापयति तात इति ब्रुवाणञ्चजशितोऽहं परिकरो मोणित- स्तातबले yet मया धवलः कथमेष कमकग्रेखरोऽसमाकं

ware: प्रस्तावः | Ree

बन्धूरिति। धवलेनाभिदितं यतो नन्दायाः कनकच्डः सोदरो भवति तेन ते मात॒लदूनुरेष भ्रातेति प्राप्रास्तत्छमौपं। ad ARTAUIS तातस्य पादपतनं समाशिक्वितस्ातेन मया च। कृतोचिता प्रतिप्तिः। प्रवेशितो नगरे aqa<faaza | afufeaq तातेनाश्रम्बया कनकश्रेखरे। यथा कुमार सुन्दरमनुष्ठितं यदाक्रोयवदमकमखदगशेनेन जनितोऽख्माकं मनो- रथानामष्यगम्यो महांखिन्तानन्दः। तदेतदपि कुमारस्य पेदरकमेव Tey! amare कुमारेण तिष्ठता विकश्यो fade इति। अ्रमिनन्दितं तातान्बावचनं कनकशेखरेण | समपिंतस्तातेन azte- भवनाभ्यणेवर्तो कमकगखरस्य Bereta: स्धितसजासौ Matsa मया सद सहभावः समुत्पन्नो fava: waar रहि vetset मथा यदुत मयाकणितं। किश जनकाप- मानामिमानादूवतामिहागमममणश्धष्तत्कोड्शो जनकेन भवतो- ऽपमानो विहित इति ओओतुमिच्छामि | कनकश्रखरणाभिदह्ितम्‌ | आकणेय |

तातेन चतमश्चयां जनन्यात्यन्तलाखितः |

कुश्रावन्तैपुर तावदहमामं कुमारकः

aaa भिभदन्देन am: केणिपरायणः |

गतः WATAG नाम कानन नन्दनोपमम्‌

aa साधचिते देशे रक्राशोकतलख्ितः।

दृष्टो मया महाभागः प्रशान्तो ghana:

चोरसागरगम्भौरस्तापनोयगिरिख्िरः।

उपमितिमवप्रपश्ा कथा |

दिवाकरमहातेनाः श्डस्फरिकनि्मलः ततः प्रादुभेवद्धक्रिरं गला तदन्तिकम्‌ प्रणम्य चरणौ तस्य free: WEA वयस्या अपि मे wa प्रणिपत्य भुनौश्वरम्‌ | छपविष्टा मदभ्बरं विनयानचघमस्तकाः उपसंहतसद्यानः साधुदेत्तनामकः | TMM मंधुरोवां्येः समस्तान्‌ समभाषत तरोयवाक्धप्रौतेन मयोक्र प्रहृतसा | भदन्त AEM: प्रोक्तो धममस्ताक्कदशेने श्रथ प्रहादयशुशचेमनो मे कलथा गिरा | धमेमाख्यत्रपञचेन Free मे सुनिः॥ तजापि प्रथमं तेन साधुधमौ निवेदितः anaes faa गडिधमेः प्रकाशितः तत्त | सम्यग्दभेनसन्लो HAT महाफलः | श्रमादिशाखो दिण्णं wa: कश्पद्रुमोपमः गोतः सवथस्येन ` गतोऽन्य्न महासुनिः। Wa पालयतो मेऽखयवन्यदा पुनरागतः Taq | TATE: संगातसतदाहमयरापरः ! आवकेः VY संसग कुर्वाणो धमंकाम्यया अथासौ वन्दितो भक्षा Tatas महासुमिः |

gata: प्रस्तावः | | Rey

vege भदन्तेह कि सारं जिनश्रासभे मुनिर्वा | afear ध्यानयोगख रागादौनां विनिग्रहः | साधमिंकानुरागख सारमेतस्जिनागमे मया चिन्तितम्‌ | सवारम्भप्रटृन्तानां मादृशां सुपरिस्फुरम्‌ | after प्राणिनां तावदिधातुमतिदुःश्का॥ ` जिष्यकन्पमनःसाध्यो ध्यानयो मोऽपि मादुश्ाम्‌ | विषया मिषमूढानां दूराद्दूरतरं गतः रागादिनिग्र्ोऽप्यज तत्वाभ्यासपरायरैः | mee: शक्यः कतु" Ufa ATER: . साधर्मिंकानुरागस्तु यो भद ग्नेन शाधितः। कदाचिद्दिधोयेत मादूभेरपि जन्तुभिः तदच यन्नः कतेग्यो यथाशक्ति मयाधुना यतः सारमनुष्टेयं नरे हितमिच्छता | एवं fafaa चित्तेन वन्दिला तं सुनोश्रम्‌ | प्रवधेमानसवेगस्ततोऽदइं WATT: दतञ्चेकसुतव्ेन जौ वितादपि aw: | HE तातस्य सवं यथयेच्छाकरणच्तमः विनथं राजनौतिं श्रनुवतेयता मया तथापि तातः wee प्रथितो तया गिरा

तच्चया | 44

Roe sufafawaqug! कथया |

aftese aerate ares जेनधर्मिषणम्‌

तात तत्‌ Bait qaaqet ZIAAST दत |

मश्सङ्गनेव तातोऽपि agat जिनश्रासने |

ततः सा मामिका ae प्राना efor मता आह च।

राच्यं Gy तवायन्तमायन्तं तव अओौवितम्‌

खञाभिप्रेतमतः कवे त्वं मां wats

ततोऽहं दवेपूर्णाङ्गः पतितक्षातपादथोः |

महाप्रसाद Tas ब्रवाणः प्रो तमानः

ततः safe सर्वोऽपि यो नमस्कारधारकः।

खोऽगयजलोऽपि निजे दे बन्धुवुद्या aafwa:

भोजनाच्छादनेर्दिष्यरखङ्ारेः VTA: |

धनेन यथाकामं तः खाधमिंको अनः # अन्यश्च

Bent यो नमस्कार TH Gat अमः

a देशे atawrga विडितोऽकरदो मथा

साधवः परमात्मानः साध्यः परमदेवताः।

Ata: Barat शोका ममेति ख्यापितं मया

जिनेदश्राखने afi यः काञ्चित्‌ gaa जनः |

आनन्दजखपूणाचसतमद्ं II: स्वे

याचाखानमशोत्गं प्रमोदसुदिताश्रयाः |

एवं

Zara: WTA: |

विरमति Sea: स्वेन TAT: तथाभिनवधर्माणो ये मौनोश्रमते खिताः | wart विग्रेषतस्तेषां सपर्यां भावतो मया a ततो मदनुरागेण खोका धमेपरायणटाः | बदहवस्तच सपना यथा राजा तथा प्रजाः अरय तं तादृशं atey प्रमोदं fara | ्रमात्यो दुभंखो नाम पापः प्रदेषमागतः ततो रहसि ताताय दुरात्मा fea: किंश। युश्मग्यमरहमिव्येवं प्रख्याप्य शटमानसः

ददं न्यबेदयटेव नेवं राज्यस्य पालना | SHAS: VF कुमारेण यतो अनाः नातिक्रामन्ति मर्यादां शोका हि करभौरवः। ते सुकरा FMAM: RAAT दुवेते राजदण्डभयादेव देव शोको face: | उन््ागप्रितखणें acta विनिवर्तते उदण्डोऽगायेका्येषु वतमानः केवलम्‌ प्रतापने TSA लाघवं जनयत्यखम्‌ अन्यचाचाधुगा witetat जनेमते धितः कः कुमारप्रसादार्यो नाश्रयन्तंकणेकः

HATHA जने जाते ययेष्टप्रविसारिणि |

SETS धूयं राजानः किं वा Trey विनाश्चया

Rea

aes उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

तदिदं यत्‌ Bate देव प्रारम्यलौ किकम्‌ | TAMA: BMG FLA तर सुन्दरम्‌ तातः प्राहायै यद्येवं खयमेवोच्यतां त्वया | कुमारो वयं ae wag भाषित चमाः

ततश्च तातागुन्ञामवाघेवं दुमुंखो मामभाषत | कुमार मेदुग्नौ नोतिनुंपतेरलेोकपाशने

यतः | करापोतजगत्छारो मषा BWIA: | राजा दिनकराकारो णोकश्योपरि तिष्ठति i यस्तु wets वशगः स्याकहोपतिः। TS श्यात्कोदृश्रं राच्यं को वा न्यायस्तदान्नया॥ राजदष्डभयाभावात्ततो लोका निरङ्कुशाः | दुष्टचे्टितमारगेषु प्रवतन्ते यथेच्छया

तदेवं faa | श्रादितः करदण्डाभ्यां aarat शास्ति waa: | तेनेव परमार्थम शतो धममसम्ञ्वः कुमार तदिदं श्ात्रा राजधमव्यतिक्रमात्‌ | ATR AIAG यक्त कतुं भवादृशाम्‌ ततः प्रादुभवत्कोपविकशोग्डतचेतसा | WIAA Bat मया तं प्रति भाषितम्‌ ara युक्रमिदं anata मां प्रति यद्यहम्‌ `

Zara: TMT: | ३४९

दुष्टवष्टादिशलोकखय gat सग्मागपूननम्‌ तु खरुणमाहाव्याटेवानामपि पूजिताः | तेषां ययच्छादानेऽपि नेतत्छं बध्यते वचः तया fe ये शौर्यपारदार्यादेः सवसा दुष्टचेष्टितात्‌ | खत एव aware निषत्ताः सवभावतः तेषां जेनेष्रलोकाभां दण्डः श्यात्‌ कुज कारणे | दण्डवुद्धिर्भवेन्तेषु यखयासौ दण्डमरेति करोऽपि रच्णोयेषु शोकेषु ननु बुध्यते | तद्धापि नोचिता जेना ये gata रकिताः॥ अतः किङ्रतां gar नान्यत्किंचन अभुनाम्‌ | विधातुं थुक्रमेतेषां सेवास्माभिर्विधौयते येषां भायो जगन्नाथो भगवांसतेषु किङ्करः | यः स्याद्राजा एवा राला Wary fern: एवं Wear ब्रूहि राजनोते विं शङ्घ्मम्‌ | fa मया विदितं येन भवानेवं प्रजख्यति fa a ्रलोकधमेवात्च्यं मदौोयं वदता व्या | परिस्णुटौशतं नुनं दुमुखलत्वमिहात्मनः एवं वदति मयि शकितो दुमुखेण मदौयोऽभिप्रायः। चिन्तितिमनेन wa श्रदहशेने निभरोऽस्यानुरागः। अनिवर्त- कञ्चिन्तप्रषरः छुपितश्चायं मदौोयवचषा तद लमनेनाधुमा गाढ-

ayo उपमितिभवप्रपञ्चा कथा |

तरमुदे जितेन प्रगणौङूत wares मथा राला aa: खयमेव खामिमतमनुष्टास्यामि। ara पुनरेनमनुखोमवामो ति संखिगधा- भिहितमनेग साधु कुमार साधु Gare सद्धमेखेर्या तिरेकः | मया fe भवतञित्तपरोकणाथे सव मिदमुपक्रान्तं। aay सुनि- ितमधुना aga तावकोनं मन श्थिरतया मेरुशरिखरमग्यधर- यति aie मदौयवचनं कुमारेणान्यथा सम्भावनौयं मयाभि- feaq श्रायं किमज ana! श्रविषयो भवादृशा श्न्यथासम्भाव- नाथाः। ततो fiat मन्मोपाहुमुंखः। मथा चिन्तितं we- परृतिरेष eye: पापात्मा च। aw विज्ञायते किमथमाचरिष्यति यतो महताकूतेन प्रयममनेन मणितं पञ्चाद तिलरथा कतमाकार- संवरणम्‌ | wat निरूपयामस्तावत्‌ ततः प्रयुक्तो मया प्रणिधि- चतुरो मामाप्तदारकः॥ गतेष॒कतिचिदिनेषु समागतोऽषौ aaa | निषेदितमनेन यथा खामिन्‌ तावदितो निगंतोऽहं विनयेनाराध्य दुमुखं संपन्ञजस्याङ्गरचकः। ततो cya रहसि WEY समस्तख्यानेभ्यः प्रधानश्रावका निद्मभिदहितं | थदुत GT एष कमकगेखरकुमारोऽलो कधमेगग्डशोतो राच्यं विनाश्रयति wa: | ततो qamafaa: प्रति यदेष किंचित्‌ प्रयच्छति ay राजभागषद्धूतो भवतां acagaafa venta मम waaay मच कुमाराय निषेदमोयमितरथा भासति भवतां जोवितमिति। | WAR! यदाज्ञापयति महामात्यः। वतो निगेतास्ते। मया- भिहितं तास्ते, भद्र श्रपि श्रातमेतन्तातेम। चतुरः प्राह Wa AMM! कुतः SHUT! WILT!) तत एव दुसुंखात्‌। मया-

Zara? प्रस्तावः | Rut

भिहितं ततः किमाचरितं ततेन चतुरः ae किचित्‌ केवलं ता गजनिमो सिका ततो मया चिन्तितं यदेष दुख: are एव तातख्यानभिप्रेतमिदमकरियन्ततोऽरमदगंयिव्यमस्य यदौदशस्या विनयश्य फं यदा तु परहृतमनसुमतमप्रतिषिद्धमिति न्याथात्‌ तातेनापौदं गजनिमोलिकां कुव॑ताभिमतमेव तदा किमन्न ga) यतो दुष्पतिकारौ मातापितरावित्यास्ातं भगवता ततो युक तावत्तातेन सह frente नापौदमो- दृश्रमिदानों द्रष्टु शक्ये तस्मादितोऽपक्रमणएनेव ओयः। इत्यालोच्य कस्यचिदप्यकथयिला श्राप्रमिचटन्देनम सडापक्रान्तोऽदं समागतो- ऽचेति तदेष मे जनकेनापमामो विहित इति

मयाभिहितं कुमारखुन्दरमनुष्ितं भवता यक्त एवामि- मागशालिमां पुरुषाणां मानन्ञानिकारिभिः aaa निवाषः | तथाहि |

भाखरस्तावदेवास्ते गगने तेजसां fafa: | forge तिमिरं यावत्‌ कुरुते जनो त्वम्‌ यरा तु शखयन्येष तमसोऽपि महोद यम्‌ तदापरससुद्रादौ गला कालं प्रतीते

AAG मदचनेम कभकगरेखरः | तदेवं परस्परप्रौत्या गतं दशराजं। WHA मद्भवने तिष्टतोरावयोः समागतो वेदकः प्रणतिपूवंकमभिदहितमनेन यदुत कुमारौ देवः समाज्ञापयति | Tiwary कुमाराभ्वामिति। ततो यदाज्ञापयति तात। दूत्धमिधायावां गतौ areata यावदतिरभववग्रेन ताताख्थाना-

३५ उपमितिभवप्रपश्चा कया |

दूत्याय गलद्‌न्दोद कप्रवारक्ता वितनयनयगणशास्यः प्रधानपुरूषाः समागत्य सपरिकरः पतिताः कमकशेखर चर एयोः। ततः साकूतमये Sa सुमतिवरक्रकेशरिण इति वदता सखदमूर्ष्वोकत्य समा- fafear: कनकशेखरेण मयोक्रं कुमार एते कनकशेखरः We मदौोयज्ननकमडइन्तमा इति ततः शतप्रतिपन्तयः षमुपविष्टाः aasfa arate | तातः कनकग्रेखरं प्रत्याह कुमार एतेस्वटौ य- जनकमरकमेराख्यातं | यथा यतः प्रश्ति कुमारोऽनाख्याय निर्गतो गेहात्‌ तत श्रारभ्य राजा कमकथुडः परिजनसकाश्ाक्ञ Tat कापि कुमार carne स्सा agrea इव पिष्ट इव परायन्त दव मन्त दव मूर्दिंत दवम किंचिष्वतयते Wi देवौ चूतमश्चरौ प्रविष्टा aware aca स्थिता gaa wd परिजनेन इयोरपि व्यश्नचन्दनादिभिराश्वाखन। ततो हा पुरक क्ष गतोऽसौति wala प्रडन्तौ तौ देवौनृपौ ततः परिजनस्यापि सशुल्लसितो महानाक्र- न्दरवः मिखणितं मण्तिमण्डलं। अमिडहितमनेन। देव नायमचो- पायः। ततो gy विषादः श्रवखम्बख धेयं क्रियतां aa: कुमा- रान्वेषणे | राजा तदनं वेद्यते स्म ततखतुरेण चिन्तितं | शोकातिरेकेण त्यच्छति देवः प्राणाम्‌ ततो नाधुना watt कतुः युका ततः पादयोनिपत्य तेन राशे निवेदितं सकारणं तदोयमपक्रमणं ततो जोवति कुमार दति war प्रत्यागता UMAGA | प्ष्टखतुरः Gata: कुमार इति चतुरेणा- भिहितं मे किंचिदाख्यातं कुमारेणापक्रमणकारणमिति | चतुरतया मया शकितं केवलमेतावद्दितकंयामि | यदुत wage

=-= mp a eg te

wale: प्रस्तावः | Rug

पिषव्वसुः समोपे गतो भविय्यति ami fe भन्दा कुमारख वल्लः aqua: | कुमारपरिचयादेवावगतमिदं मथा इतो fine asa चिन्तनिर्वाणं मान्यतेति॥ ततः ary चतुर farm साध्विति azar दापितं चतुराय पारितोषिक महादान Ter | अयमश्ा गयेव्यतिकरस्य हेतुरिति रत्वा निर्वासितः afarare- मोजो age: प्रतिज्ञातं देवौनुपाभ्यां। यथा यावत्‌ ङुमारवदनं साशाश्ञावलोकितं तावस्नेवावाग्यामाहार शरीर संस्कारा- दिकं करोमिति।

try ava दिने प्रविष्टो दूतः तेन विहितोचितप्रति- पज्तिना निषेदितं कनकचुडाय यथा देव श्रि = fanrer नाम गरो aS नन्दनो AA राजा तस्य दे we प्भावतौ पद्मावतौ च। wate थयाक्रमं दे दुहितरौ विमलानना रवतो इत्च कमकपुरे प्रभावत्याः await प्रभाकरो माम राजा। TS बन्धसुन्दरो नाम भायां तस्याञ्च विभाकरा- भिधानसनयः। तयोख प्रभा करपद्मावक्योः पूवंमजातयोरेव विभा- करविमखागनयोः परस्यरमग्धञ्ज्यश्पः। यदुतावयो यश्य कस्यचिद्‌ feat जायेत ॒तेनेतरसम्बन्थिने सुताय खा देयेति wa: पूवै- प्रतिपन्ना at विमलानना विभाकरश्य | श्रन्यदा गएसंभारगभ- निर्भरं वन्दिभिरदधव्यमाणं भुतं तथा कमकशेखरह्कमारनामकं | ततस्तदाकण्छ सा विमखानना कुमारे विजभ्भितरागातिरेका fas- ूथपरिभष्टेव हरिणिका सहचर वियुक्तेव चक्रवाकिका नाकनिरवा-

faaa देवाङ्गमिका मानसषरःषमुत्कण्टितेव कखदसिका waefa- 45

Rud उपमितिभवप्पच्चा कया |

तातः। ततस्तोषमिभेरेणं तातेन afasa चण चष्डो कारितं परखानोचितं चतुरङ्गं बलं fram महन्षमाः कारिताशेष- माङ्गखिककर्तब्यो प्रस्थापितावावामिति प्रदन्तोऽन्तरङ्गपरि जनमध्य मया सहाभिग्यक्षखूपो वैश्वानरः पुष्योदयोऽपि sen एव केवलं प्रच्छश्नरूपतया | ततो दन्तं प्रयाणक खदितः faarafa art: | इतस ॒निवासखानं दुष्टलोकानां उत्पन्िश्मिरनयेषेता खानां ata नरकस्य कारण yan तस्करपल्ि- प्रायमस्ि रौद्रचिक नाम नगरम्‌ | तथाहि | उत्कतनशगिरण्डेदयन््रपो TATU: | ये भावाः GAPS घोराः सन्तापकारिणः ते Mares agar रौद्रचिन्लपुरे सदा तस्माकदुष्टलोकानां निवाख्छानसुच्यते कणः प्रौ ति विच्छेद स्तया वेरपरष्यरा fazatagaiziat मारके निरपेश्षता ये चान्येऽमर्थवेताला खोके सम्भावनातिगाः | ते रौद्रविन्ते सर्वेऽपि संपद्यन्ते संश्रयः खत्पज्तिगमिसन्तषां पत्तनं तेन waa | यथा नरकदारं तथेदानीं निगद्यते खे सत्वा ata यान्ति खपापभरप्ररिताः। ते तज प्रथमं ताष्मविश्ज्ति पुराधमे॥ अतः प्रबेश्मागेलानश्य निमेलमानसेः।

gala: प्रस्तावः | ३५७

मोतं तश्नरकदवारं रौद्र चिन्षपुर जनेः

ये star: fasnatet वास्तव्यास्तज पन्सेन |

ते खयं सततं तोत्रदुःखग्रस्तश्रोरकाः

तथा परेषां HAT TITTLE: |

रतो भुवनसन्तापकारण तद्‌ दातम्‌

fe वाज बहमोक्तेन नास्ति प्राथेष ताङगम्‌ |

रौ द्रचिन्तपुरं यादृग|वनेऽपि पुराधमम्‌

तज रौद्ूचिष्तनगरे सङ्खनहपरख्ौराणां परमश्चः fig-

खोकानां विषमभ्रोलः प्रत्या विशोपको नौतिमागेशख्च चरटप्राबो दुष्टाभिसन्धिनांम राजा तया fei

मानोकोपाडद्धार शाका मादितख्छराः।

दुष्टाभिखन्धिं सर्वेऽपि atk पयुपासते

अतोऽन्तरङ्गलौ राणं तेषां पोषणतत्परः।

राजा Mat खोकंद्यौ रसङ्गन्दणे रतः

TAM चतपोजन्नानसंयमप्रश्रमादयः |

ये चापरे सदाचाराः fasetar anfea:

दष्टाभिसस्विः सवषां तेवासुकूखने रतः |

श्रतोऽखौ परमः श्रथः भिष्टानामिति गोते

बहो मिवषंकोरौ मिर्धमेष्यानं यद्‌ जितम्‌ |

शोकेन तद दल्येष GTATIG दारुणः

चास तोषण्ोपायो सुग्धशो कं विंभायते।

श्रतो विषमभरोलोऽसौ प्रत्या प्रतिपाशते #

Re उपमिविमवप्रपल्ा कया |

वंवामेव srt किं पुनः प्रविल्लोकिता

साधोसुखेन शिरथा aca नयति देहिनः |

सा कंषारमहावतंगतैसंपातकारिका

सा ge शवंपापानां खा धमध्वंशसकारि्टो।

खा हेतुखिश्नतापानां सा शास्तेषु विगर्हिता

fate quntan area ag ae |

खोकेऽपि erewrarce सा fear इन्त erent i

caqifa araefen ara ममर तच महामोहतमयो Taal भाम ate: प्रतिवसति इतश्च या Reena केश्वानरस्य अननो मम धानो अविवेकिता नाम anget सा तष्य Fanaa भार्या भवति खा केनशित्मयोजनेन तत- स्लामसचिक्ताश्नगराङ्क्भखिते सति वैश्वानरे तच रौ द्रचिन्तपुरे खमागतासौत्‌ WEA तत्षामखचि्षं anc यादृद्रोऽसौ इेष- गजेश्रो राजा arent स।विषेकिता ae aerqaefen- नगराद्भौ द्र चिक्छपुरं प्र्याममनप्रयोजनमेलत्‌ सर्वशु्तरच कथ- विथामः। केवलं भदरेऽ्ोतसदेते तदाच्य afracery गन्धमपि शातवान्‌ इदानौमेवास्य भगवतः सदागमदय प्रसादा- दिदं षमस्तं मम प्रत्यचोग्धतं तेन तुभ्यं कथचामि। ततः साविषेकिता aw रौद्रचिन्लपुरे fear कियन्तमपि

are जातो दुष्टाभिसम्बिना ae परिचयः यतो देषगजेषर- प्रतिबद्ध एवाशौ दुष्टाभिखन्धिद्वरटनरेष्डः ततोऽविभेकितायाः faquimt वर्तते aa: शाविविकिता नां मरुजगतौ समा-

तोयः प्रस्तावः | २९१

गतमवगम्य ममोपरि खेहवग्रेनागत्य ततो रौ द्रचिन्तपुरात्‌ खिता सन्निहिता जातोऽख्या मम safza वेश्वानरो दद्धि गतः क्रमेण कथितस्तया aa सर्वोऽपयात्मौयः खजनवगेः | ततस्त्य TUT तज मार्गे मया गच्छतः ससुत्यननेवशरुता बुद्धिः , यदुत ware नन्दिवर्धनङ्ुमार रौद्र चिन्तपुरे दा पयथाम्यस् दुष्टाभिखन्धिना तां हिंसाकन्यकां ततस्तया परिणोतया मनेष सवेप्रयोजनेषु meat मिर्यंभिचारो भविद्यति ततो विचिनध तेनेवममिहितोऽशं तज गमना मयोक्तं कमकगेखराद योऽपि WBA! TNA AE) कुमार नामोषां aw गमनप्रखरो यतो- ऽन्तरङ्गं agtafed नगर ततो विना परिजनेन मक्छहाय एव SUT HAA ततस्तदाकण्यांडमखह्ृनौयतया तद चनस् गुरुतया ay खेहभावस्य श्रज्ञानोपडततया चिन्तस्यानाकलय्य तस्य area श्रपर्यालो च्यात्महितादितं शअ्रदृष्ठा्यागामिनोमनयंपर- परां गतो वैश्वानरेण सह रौद्रचित्तपुरे | दृष्टो दुष्टाभिषखन्धिः | दापिता वैश्वानरेण ag तेन fear: परिणीता क्रमेण छत- मुचितकरणणेयं

ततः प्रहितो दृष्टाभिसन्धिना अहितो रदिषावैश्वानरभ्चा मिलितोऽदहं कनकगशेखरादिवले। गच्छतां art प्रारमः सहर्षेण वैश्वानरेण सह जन्यः, यदुत कुमार हतहृत्योऽदमिद्‌ानैँ | waa कथम्‌ प्राह यदेषा परिणता कुमारेण fear, कवलमेता- ACUTE MTG यद्येषा कुमारस्य सततमनुरक्ता भवति मया-

भिहितं कः पुनरेवभवनेऽष्या उपायो भविष्यति वैश्वानरः 46

Bz उपमितिभवप्रपञ्चा कथया |

प्राह सापराधं निरपराधं वा प्राणिनं मारयता कुमारे मनागपि धनायितव्यं ware: | खश्वनुर क्रो भवनोपाथः | मथा- भिदितं किमनयात्यक्तमनुरक्या भविव्यति वैश्वानरः are! कुमार मन्तोऽपि महाप्रभावेयं यतो मयाधिषठितः पुरुषोऽति- तेजख्ितया wat केवलं wears जनयति अनया पुन- दिंखयात्यन्तमनुर क्रयाजिङ्गितमूतिंमेहाप्रभावतथा दशनमाजादेव जो वितमपि गाश्यति। तस्मादमिसुखो कतैयेयं मारेण मया- मिहितमेवं करोमि वेश्वानरेणोक् महाप्रसाद इति ततो मागे WEA श्रश्रसकरगश्ररभश्रम्बरसारज्चमदरोनामारब्यनोवानां waewerfe मारयामि wi ततः प्रष्टा डिषा सपना aaa कूला | ततः कम्पन्ते महशेनेन जोवाः मुञ्चन्ति प्राणमपि केचित्‌ ततः Eat मे वेश्वानरकयितदहिसाप्रभावे प्रत्ययः प्राप्ता वं कनकचुड विषयाग्वं | asia विषमकूटो नाम पवतः तिं कनकचुडमण्डलोपद्रवका रिषोऽम्बरोषना मामख्चरटाः प्रतिवखन्ति। ते कद्यिताः पूरवे TSM: कनकचुडेन ततः कनकशेखरमागच्छन्त- wane मिरद्धस्तर्मागेः प्रत्यासन्नौग्वमस्मदशं | ततः कशकशं कुवन्तः ससुत्थिताख्रटाः | समाख्रमायोधनं aay,

निपतितश्ररनालमिन्नभक्ुम्मसलाभो मनिगेष्छद च्छा च्छमुक्राफ- शस्तो मसंपूरिता गेषपोौगग्डरे शं रणात्‌ | तया

विदशितभटमस्कासंस्थराजौवडन्दानुकारेण क्रो घनौरे दष्डास्रसच्छस्संघातरंसेन Fei तडागेन संजातसुश्ेमेशायद्धमसमा- कमिति।

तोयः प्रस्तावः | ३९९

ततः षु दौेतया चरटवगेखखय संजाताः wf: कनक- जेश्वरादयः। HAIMA प्रवरसेनाभिधानेन चरटनायकेन साधे समापतितं ममायोधममिति। ततः संनचितोऽह प्श्चानरेण भितं मया तत्कर चिक्ामिधानं वटकं ततः प्रबद्धो मेऽन्तस्तापः। संलातो अङ्कुटितरङ्गभङ्गुरो खलाटयहृः। समाचितं खेद विन्दुमिकरेण WAC) प्रवरसेनोऽत्यभाकुशछो धनुर्वेदे निर्यढसाहसः करवालेऽतिमिपुरः सर्वास्प्रयोगेषु maga विद्याबलेन प्रबल- alt देवतानुग्रेण तथापि सन्िडितपुष्योदयमाहाष्यान्मे जगन्ति तदौोयशिलोसुखाः प्रभवन्ति स्म तदौयश्रस्लाणि वदन्ति स्म ae fae: श्रकिश्चित्करोग्धता देवता। मम तु सेतसि परिस्फरितं शरो प्रियमिच्रवटकस प्रभावातिशयो age तेजसा ममायं रिपुदृं्टिमिपि धारयितुं पारयति। ततो मया तथा वेश्वानरवटकप्रभावाधिषठितेग सख प्रवरसेम्चरटनायको विच्छिशकामुकः प्रतिहतग्रेषान्यश्रसलः सन्‌ ग्टहौतचमत्कुवंद्वाखर - करवालः wena feat तले प्रसितो मदभिसुखं | ्रजान्तरे पाश्वैवतिन्या विशोकितोऽहं हिंसया जातो गाढतरं रौद्रपरिणणमः amt मथा कर्णान्तमाशट्य निभरितोऽधैचन्दरः | किन तेन तस्यागच्छतो मस्तकं समुष्ठसितोऽसमदणे wena: | निपा- तिता ममोपरि देवेः equate: | दष्टं सुगन्धोदकं समाहता दुन्दुभयः, षभुद्ोषितो जथजयश्रष्दः ततो इतमायकलादिषख चरटबश्ं | श्रवलम्बितप्ररणं गतं मे शरणं प्रतिपन्नं मया। नि!द्त्तमायोधनं संजातः सन्धिः) प्रतिपन्नः सवं वरटेमेम wey: |

ada उपमितिभवप्रपश्चा Rat |

मया fafaai ग्रहो हिंसाया माहाव्यप्रकषेः, यदनयापि विलो- कितस्य ममेतावानुन्ञति विश्रेषः संपन्न ति। सश्मानितास्तेऽपि कन- कशेखरादिभिः | दन्तं प्रथाणकं। संप्राप्ता वयं कुश्ावन्तेपुरे। समा- न्दितः कनकशेखरक्मारागमनेन कनकचडराज्तष्टो मदृशरनेन | ततो विधापितस्तेम महोक्छवः पूजितः प्रणयिवेः। ततो गणितं विमलानमारन्नवत्यो विवादिनं समागतं पर्यायेण छृतमुचितकर- Wa) ततो दौयमानेमंदहादनेरविंपौयमानेर्जनलनसम्मानेबेडविध- कुश्ाचारेः सुपाद्यमानेरभ्यरितजनोपचारेर्गानवादनपानखादनविम- दन निभैरौग्डते समस्ते guradg? परिणीता कमकशेखरेष् विमलशानना मथा रत्रवतोति। ततो विहितेषूदितकतथेषु fast विवाहमहानन्दे गते दिनचयेऽदृष्टपूव॑तया क्ुश्रावन्तंस्याति- रमणौयतया तत्रदेश्रानां इद्रहलपरतया यौवनस्य समुत्पन्नतया- arg fare ग्टङौलास्मदनुक्चां मगरावशोकनाय fait yafenar सपरिकरे विमलशाननारत्रवत्यौ ततोऽनेकाखयंदगे- मेनागन्दपूरितहदये प्राप्रे ते चूतचचुकं ATA प्रत्ते क्रोडि- तूम्‌। वय a कमकचुडराजास्थाने तदा तिष्ठामः | चावद्काण्ड एव va: कोलाहलः YR दासचेटौभिः किमेतदिति sare उल्थितमाख्धानं इते विमलाननार वश्यौ केनचिदिति प्रादुेतः प्रवादः। ततः सन्नद्ध मसमदलतं GT तदनुमा्गंण ततो मागे खश्नतया परसेन्यस्य शोताइतयासमदनौकस्य स्तोकण्डभाग एव समवष्टभा परच्वमूर सत्यता किन्या श्रुतमस्माभिविभाकरनामकं वन्दिभिरद्धवय माणम्‌ ततः wala चिन्तितिमस्माभिः। wa एष कनक-

दतोयः प्रस्तावः | ३९५

पुरभिवासौ प्रभाकरबन्धसुन्दथस्तनयो विभाकरो यसन प्रभावल्या ant विमानना पूरवंमासोदिति निवेदितं दूतेन ततसखेषो- ऽस्मान्‌ परिश्य शरत्येते वध्वौ दुषटात्मेति भावयतो मे विहिता बेश्वागरेण qari ततो भकितं मया कुर चित्ताभिधानं वटकं | संजातो भासुरः परिणमः। ततो मयाभिहितं ) att पुरुषाधम विभाकर परदारशरणएतस्कर क्र यासि पुरूषो भव पुरषो भवेति। ततस्तदाकश्यै गङ्गाप्रवाह ca fafa: खोतोमुखेवेलितमभिमुखं uae | श्रा विश्व तास्लदषिष्टायकास्रय एव नायकाः ततो मया कमकचुडराजेन कमकगेखरेण जिभिरपि योद्ककाभे्ेयांसुखं TMS इत योऽसौ aE कनकचुडराजसमौपे समागतः पूवंमासोश्नन्दराणदूतः तज्ावसरे AER वतते | ततोऽभिदहितोऽखौ मया wt विकट लानोषे लं कतमा: waa चयो arent: | विकटः प्राह देव ay जानामि एष वाम- Usa BTS भवतः एष कलिङ्गाभिपतिः समरसेनो नाम राजा एतदलेनेव fe प्रारभमिदमनेन विभाकरेण यतो महा- बलतया विभाकरपितुः प्रभाकरस्यायं क्ञामिग्डतो aaa यः पुन- tq manna wastage: कनकचुडगरपतेरयं विभाकरस्ेव मातुलो ayifwafagat माम राजा | aay द्चिणभागवतिनि बखे नायको ऽभिमुखः कनकशखरस्य खोऽयं विभाकर vai यावदेवं कथयति विकटः तावन्छमाखद्रमायोघनं तच्च कौ दूश्म्‌ | श्ररजा्तिर स्तदु ष्टिपयं पथरोधसमाङुखतोत्रभरम्‌ | भटकोरिविपाटितङ्खम्भतरं तट दिभ्रमहस्तिश्ररोर चितम्‌

- ¢ | 7% < ~ 1% #' a | : ot = 4 7 # # -

aed उपमितिभवप्रपश्चा कथा|

चितप्रथितोङसुहस्तिघटं घटमागतभोरुहतातं रवप्ूरितश्छधरदिम्विवर वर्ेतिनिवारणशखिनञः नृपभिन्नमदोद्धरवेरि गणं गणथिद्भगभखचरयुषटजर जयलम्पटयोधग्रतेखटुलं चटखाश्वसहस् विमर्दकः करद्ष्ट गरौ घविदोरथं रथभङ्गविवद्धितबोखः बलशा लिभटोरि तसिंहमदं नदभोषणर क्रमदो प्रव ततश्चेद्‌ गे WEA महारणे दन्तः परः wate भरः) भग्रमसखमदणं समुक्ञसितः wee nena ; वयं पदमपि WAS जयोऽपि नायकाः सभुत्कः ताः परे WTA पुनः संश्चितोऽदं वेश्वानरणए करर चित्ताभिधाने वटकं जातो मे भासुरतरः साकेपमाहतो मया अमरसेनो वछितोऽसौ ममोर्पा केवलं सन्निडिततया पुश्योदथस्य प्रभवन्ति श्स्लराणि ततो faatfaatse हिखया आतो wa: | ततः प्रहिता मया परविदारण्वतुरा uf समरसेनो गतः Wea) भ्रं age वलखितोऽहं : लग्र ag कमकचुेन | ततो मथाभिङित भवति ena तातेनयासितिन aw गोम रूपमायोधनं। ततसख्छमारादागच्छेति ततो वजि gnats: | निरो कितोऽहं feeat ततो दूरादेव चन्द्रेण मया तस्योत्तमाङ्ग Ha तदौ यसेन्यं विड विद्याधरादि मि्जेयजयश्ब्टः। tay कनकशेख

तोयः Teta? | ade

पतितो योद्धं विभाकरः श्रवर्षच्छेदामन्तरं मुक्तानि तेन कनक- शओेखरस्योपरि श्राग्रेयपन्लगादोन्यख्ाणि। निवारितानि areu- गारुडादिभिः प्रतिश्रस्वेः कमकशेखरेण | ततोऽसिलताखदहायः समवतोणेः श्टन्दनादिभाकरः। कौदृशं रथस्थस्य ग्ढमिखेन ae युद्धमिति मत्वा कनकशेखरोऽपि feat wre) ततो दर्चिता- नेककरणविन्यासमभिववांङितिममंप्रहार प्रतिप्रहारवश्चनासार संजातं इयोरपि इतो tet वलं करवाशयद्धम्‌ | ततः समाहत्य स्कन्ध- देशे पातितः कनकशेखरेण विभाकरो ares गतो zat! ag- afer: कनकशेखरबले इषकलकलः। ततो निवायं तं वायुदान- सलिखाभ्यक्षणणदिभिराश्वासितो विभाकरः कनकशरेखरेए श्रभि- हितञ्च साध भो भरद्रतनय साधु gat भवता पुरुषकारः भाख्ोृतो feria: ससुज्ज्वा खिता पूवेपुरूषधितिः लेखितमादौयं WINE मामकं तदुत्याय पुनयीद्धमेति Wg: ततोऽ अरस महानुभावता we गम्भोरता wet पुरुषातिरोकः wet वचमातिरेकः इति चिन्तयता विभाकरेणमिहितं। आयं श्रल- fart aga निर्जितोऽहं भवता केवलं aya किं तहि चरितेनापि। ततः परमबन्धवत्‌ aa fafafeat विभाकरः BRITA कमकगेखरोणए समाह्ादितो मधुरवचनेः | उपसंइत- मायोधरन | गतं पदा तिभावं सव॑ मपि wea कमकशेखरस्य | दृष्ट भयातिरेकप्रकम्पमानगाचयष्टौ विमलानमारन्नरवत्यो. समानन्दिते पेखवाक्धेः खापिते निजमभढंखन्दगयोः कमकच्डेन ततो way जयतया इषपरिपूरणाङ्ग वयं कुरावत्तपुरे प्रबेष्टुमार ग्धाः कथम्‌

ree ee . =

acs

उपमितिमवप्रपष्चा कया |

पुरतः क्ुश्चरारूढो राजा देबेषधसन्निभः | ददहानं यथाकामं प्रविष्टो निजमन्दिर तच प्रसुदिताग्रेषलोकणोचनमवो कितः |

पुरं प्रविश्य @ AS गतः कनकशेखरः ततो THAIN: VTA: WH: शेः यावद्गच्छामि awe निजावासकसखखम्‌

तावदेते खमुल्लापाः yew: पुरयोषिताम्‌ |

safsar परोताङ्गं मयि सस्यशचेतसाम्‌ अगत्यप्रतिमन्नोऽपि येनासौ विनिपातितः | दमः समरसेनख सोऽयं गन्दिवधेमः श्रो Waawt saat दाच्छमहो गणः | we नूनं मल्धाऽचं देवोऽयं भन्दिवधेनः दयं रन्नवतौो धन्धा यास्य भार्यां महात्मनः | धन्या वयमपि qa यासां दृष्टिपथं गतः अथवा सवेमेवेदमहो धन्यतमं पुरम्‌ | afemareaiaa यदनेन विश्वे षितम्‌ ततस्तासादृशोर्वाचः Wat मम मानसे | महामोहम्मुत्यन्ञो वितकाऽयमगङ्भशम्‌ ममायमोदशो शोकं भवादोऽत्यन्तदुलंभः यः संजातो मडहानन्ददेतुर्ल्नतिकारकः ARS कारणं तावदयस्यो हितकारकः | एष SALA नाज सन्देहगो सरः

तोयः प्रस्तावः |

तथापि प्रिथया नुनं भेदं इन्त हिसा सवे संपादितं मन्ये कतमालोकमं यया अरहो प्रभावौ हिषाया wet मय्यतुरक्रता ! AEN कल्याणएकारित्महो wyurayar arg विता पूर्वे arise मे प्रिया एषा वेश्वानरेणोचेस्तादृश्ेव संश्रयः | तस्याग्टहोतसङ्धेते उन्तान्तस्या् कारणम्‌ | मे पुष्णोदयो माम वयसः परमायेतः केवशम्‌ | | तदा लच्याम्येवमहं WIAA: | यथा पुष्योदयाष्नातं ममेदं VAT ATT |

एवं विधविकण्येमाहं वेश्वानर हिंखयोः |

श्रत्यन्तमनुर क्रात्मा जानामि सर किंचन Cay WAIT मामकोनरयस्तदा |

प्राप्तो राजङ्कुखाभ्यणे सतलोकचमत्कतिः अथास्ति सुद्यनायस्य दुहिता जयवमेफः। frat कमकचूडस्य देवो मलयमश्ञरो तख्चाख भुवनाभोगखवसौन्दर्यमन्दिरम्‌ | श्रस्ि WHIAGU कन्या कनकमश्चरौ सा स्यन्दनख्ं गच्छन्तं वातायनकसंख्धिता |

मां yer पञ्चवाणच्छ शरगोचरतांगता 47

Ree उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

BAAN वौश्माणेन सवतः |

mara लोलया gfeaar aa निपातिता

ततः कनकमश्नयां लो लललोचममो लिता |

au सा मामिका दृष्टिश्चखति कौलिता

सापि at मामिकां sft पिबन्तौ स्तिमितेचणा |

खेद कम्पनरोमासव्येक्कामा se खिता

मम तस्याञ्च सानन्दं दुष्टिसंयोगदोपितम्‌ |

मदौयसारयिर्भावं तेतलिस्तमणलच्यत्‌

aafafad aafea श्रये रतिमकरकेतनयोरिवातिरः

रोयमनयोरतुराग विशेषः | केवलं महालनसमचेवम निमेष निरोक्षमाणयेनां Pena लाघवमस्य संपश्यते न्नव कदाविदौव्यां संपद्येत ततो मे युक्रमुपेचितुमिति। काकलं wal चोदि तस्सेतलिना स्यन्दन: ततोऽहं लावश्छाः पङ्मग्राभिव कपोलपुलककण्टकलग्रामिव मदनश्रशशाका शितामिव तदौयसौभाग्यदुणएस्यतामिव कनकमश्नरौवद गकम etna कथं चिद ्टिमारृव्य तस्यामेव faferyze: प्राप्तः $ निजमन्दिरे। तच शून्यमनस्को विधाय feasted कतेव्यमा ऽमुपरितमण्डमिकायां ततः mera समस्तं परिजनमेव fare: शय्यायां तस्यां चापरापरः कनकमश्ञरौ गोचर विं कक्लोलेर्विधूरितचेतोटत्तिने जानामि साहं | यदुत किंमागतोऽ किं गतोऽसि ` किं ततैव खितोऽस्ि किमेककोऽस्मि परिजनटतोऽसि | किं सुक्नोऽसि किं वा भागभिं। fa Ut

तोयः प्रस्तावः | ३७१

किंवानरोदिमि। fa दुःखमिदं किंवा सुखमिद्‌ं। fag- maar किं वा बयाधिरयं। faguatsa fa a व्यसममिदं। fa दिनमिदं fa वा रजनोयं। fa शतोऽमिकिं वा जौवा- alfa कचिदोषलभचेतनः पुमखिन्तयाभि wa क्रं गख्डामि। fa करोभि। fa श्टणोमि। fa पश्यामि किमाल्पामि। ae कथय।मि कोऽस्य मे gee प्रतोकारो भविव्यतौति।

एवं पर्याकुलखेतसो भिषिद्धाशेषपरिजनस्छापरापरपार्ण WOT परावतंयतो महानारकस्येव तौग्रदुःखेनालग्धनिद्रसयेव जहिता a रजनौ समुद्धतोऽश्मालो गतस्तथेव तिष्ठतो मेऽर्ष- प्रहरः श्रजाग्तरे समागतस्तेतलिः। अतिवद्लभतया मे वारितः केनापि प्राप्तो मल्छमोपं रतमनेन पादपतनं निषखो are विरचितकरमुङ्कलेन चाभिदहितमनेन। देव नोचजनसुलभेन चाप wa fafega विज्ञापयिव्यामि तशावचाङ वा सोदुंमरेतिं देवः। मयाभिहितं भद्र tae fase वद किमियत्धाकूचेश्रोभया लेतखिनाभिहितं यद्येवं ततो मया देवपरिजनादाकणितं थया रथादवतौयं देवो a wad faaw कारणं den शव निषि- द्धाग्रेषपरिजनः शचिन्तः wane विवतंमानस्तिष्ठति। इतस खन्दनाश्वानां ततिं कारयतो लक्षितोऽतोतदिनगरेषः। ततो राजौ समुत्पन्ना मे चिन्ता। यदुत fa पुमदेंवस्योदेगकारणं भविग्यति) AAMAS विधुरस् BIT एव मे विभाता रजनौ ततो यावदुत्थाय किलेहागच्छामि तावहुदन्तमं प्रयोणनाश्तर- मापतितं। तेनातिवाद्येयतीं वेलामहमागत इत्यतो निवेदयतु देवः

| 4 i , ॥॥ | | | + ie | .' ie हि, शशिः # 4 ; ह: | 8 1 ति a) शि | ।। ^ # : t 1 . ie | शि) ^ ह" नि 1 1 1.8... ( Oe ४१५ le #। * )

| | i 3 } a ~ 8. | "~ ‘yet धै if ^ ad it's ) `. RES. a an t ' Bi ts {*, =

¦ 3 3 उपमितिमवप्रपश्चा कथां |

प्रपादेन शरौरड शलवार्तामाजायन्तजौोविताय किङ्रापसद जनाय यदस्य व्यतिकरश्य कारणमिति mare: पतितो | wataafe: ततो मया चिन्तितं श्रो ve मयि भक्ति श्रो वचनकौ ग्रं | युष्यत एवास्मै सद्भावः कथयितुं arama मदनविकारस्य मथाभिदहितं। भद्र ave किम कारणं। केवलं यतः प्रश्टति इडमागेमतिक्रम्य समा war रयो Usage धारितस्तज्र कियन्तमपि qd creaife मे विलौयन्तेऽक्गा नि प्रवधतेऽन्तस्तापः creas म॒सुखायन्ते weitere: भ्राविभेवति Tecan: समुद तार चिन्ता शून्यमिव इदयं ततो;दमश्य दुःखस्यारग्धपरि भा wea fea इति ततः awau aafenfafed: देव ततो विज्ञातं were दुःखश्य निदानमौषधं च। विषादः 2 देवेन मथामिहितं कथं cafe: प्राह समाकषणंय f

` लावदश् दुःखस्य चचुदेषः। wath) कसय सम्बन्धौ तेतलिः

लाने किमसौ शिता वा देवेन मया पुमरेदतीं निरूपिता तच राजक्ुलपयेन्तवतिंनि svat वर्तमाना का हारिका देवमधंतिरख्चौनेनेचणथुगलेन साभिनिषेश्मङ्गपः निरूपयन्तो | तज्जिखितमेतन्नस्या एव सम्बन्धौ चचुदषोऽयं | देव अ्तिविषमा favanieat दृष्ठिभ॑वति। ततो मया चि वष्टः खल्वेष तेतशिः। qgita acters: विलोकित चिरमनेन। wa: पुण्छवानयं। यतश्च वदत्येष यथा wal मया | दुःखस्य भेषजमिति ततः संपादयिश्ति नूनं तां ae

तोयः प्रावः | ४७४

इरणएमूशिकां कन्यकामेष मे तस्माप्माणमायो ममायं वर्तेत इति विचिन्य समारोपितो बल्ात्पयद्धं tafe: अभिदहितञ्च। साध भो साधु सुष्टु विश्वां भवता मदौधरोगनिदाभं | इदानौमौष- une निवेदयतु भद्रः तेतशिमाभिदितं देव इदम wait aa) यदुत निपुणडृङ्कनारोभिः कायेतां सम्यग्‌ अवणएावतारणकं विधीयतां मन््ङ्ुशलेर पमाजेनं fast राः निवध्यन्तां कण्डकानि श्रनुग्रौष्यन्तां तिकर्माणि अन्यश्च श्राकिन्यपि fare प्रत्युारिता प्रभवतौति शवा गला मिष्टुरवचनेगाढं निभ- mat सा दारिका aga डे aaetea निरौकितस्या विषमदष्छा देवः। ततस um बुद्धा तिष्ठसि। afe 4 देवस्य श्ररौरे मनागपि रूखशितं भविखति ततो नासिते लौ वितमिति एवं क्रियमाणे देव नियमादुपश्राम्बत्येष चुः | तदिदमस्य भेषजं मया विज्ञातमिति ततो विदश्य मयाभिहितं भद्र Bae पर्याप्तं परिहासेन निवेद्यतां यद्यवधारितः कथिद्धवता गितं महुःखविगमोपायः। tafe: प्राह देव किमखबध- रेवदुःखप्रतौकारा एव देवपादोपजोविनः कदाचिदपि देवश्य पुरतः wen सति देवे awd जस्पितुसुत्सदन्ते agin ger विषादं , सिद्धमेव देवसमो हितं। मया fe देवोदेगमिरासाथंमेवेष परिशाशो विहितः। anfafed awe afe कथं fegaae- मोदितम्‌ Bafa: प्राह देव विन्नापितमिदमादावेव मवा थथा मम प्रल्युवष्येव देवषमो पमागच्छतो Tua प्रयोजनान्तर- मापतितं तेन शकितो ममायं दिनाधेप्रदर . इति। तरेक्रमो-

eee ee ms

Rog उपमितिभवप्रपश्चा aT |

मरमाहृतवतो दन्तं मे मन्दभाग्यावाशथा प्रत्यन्त दत तस्मिन्नवसरे तजासोत्कदलिका नाम areata ततस्तां प्रति मयाभिहितं भद्रे कदलिके केन पुनरहतुना वला ane इयमेवं विधाक्ख्धा संजातेति | कदलिकयाभिहि शम्ब म॒ सम्बम्‌ लक्यामि। केवलं यतः vals Torna मन्दिवधेमङ्मारः पतितो दृष्टिगोषरे भतदारिकाचाः

श्ररग्येयं प्रसुदितेव शयरनेव santana महभ्वुदयप्ा sare किमपि रसान्तरमनुभवम्तो मया दृष्टासौत्‌ लतोतोऽसौ इृष्टिगोचरात्‌ तदेयमिदुश्ोमवख्छां प्राप्तेति weg मरिव्यतोयमशतप्रतोकारेति dem श्नोकवि् तथा विदितो मथा इादारवः तदाकणटनेन समागता मणय शरो ततः सापि किमेतत्कपिश्जले किमेतदिति वदन्तौ निर कमकमश्नरौं विशपितुमारन्धा ततो टहश्तमतथा ate जननोवद्लभतया FI खभ्यसतया विनयस्य मनाक्‌ संजा चेतना संपन्ना कनकमश्नरौ मोटितमगया श्रौरकं प्रह जम्मितुं ततस्तां खक योतसङ्गे निधाय मशयमश्र्या भिरिः aq कमकमश्नरि fa ते शरौरकं बाधते, कमकमश्चर्यामिडि

aa नामन्यत्किचिल्ल्यामि | कवलं creat मे श्र

बाधते | ततो थावदाङ्ला वयं कु्मस्तस्साः श्ररौरस Aare सेनं प्रेरयामः कपूंरजलविन्ट्वर्षाणि mages प्रथच्छामो हिमसेकश्रौतखा eng समपेयामो guys: कपूर पूरिता गागवक्लोदलवोटकानि समाचरामोऽन्यामप्वनेकाकारां Wate

zara: परख्लावः। ३७ॐ

aaa वासरेश्वरः समुद्रतो निश्नोयिमोनायः oftarfaa चदङिकथा mrad) ततो मयाभिदहिता मंलयमश्नरो सञामिनि सघभेमिदं खानं अतः प्रकारे मिःसार्थतां राजदुहिता | aarfafed ।, एवं क्रियतां ततो हिमगिरि विश्रालभशििखा विश्वमे सुधाधवलप्रका हम्येतले कथं चिद्ायेमाणा Aart TATA विरचितं तजातिग्रौतशमणिनोदखपल्लवश्रयनोयं। ay at निवेश्य विदितानि भुजयुगले णाशनाशवलयानि श्यापितो awee सि्दुवारहारः 1 खसुपनोताः wins waa महारोवर- स्यापि श्यानभावसग्पादकाः शौतवोर्यां महामणयः anfa तज ue खत एव बलिनामपि रोमहकैदन्तवौणएासञ्जमनो गन्धवाइमः। ततो मलयमश्ज्या भिहितं वत्से RAAT किम- पगताधुना भवत्या दाहज्वरवाधा कनकमश्चरो प्राइ नहि गहि wa waar मम मतिः यदुतागन्तगुणा खा वतेते | यतः प्रष्वखितखा दि राङ्गारपुष्ायते मां प्रत्येव श्श्धरहतकः। श्वालाकलापायते चन्िका विस्णुखिङ्गायते तारकागिकरः | दहति मामेष afenzeeat | ओओवयन्ति सिन्दुवारहारा- qa: | किबह्ना इतश्ररौरकमपि मेऽधुना पापाया दाहात्मक- तथा बह्धिपिष्डायते ततो ate fw मलयमश्चर्यामिदहितं भद्रे कपिश्जले जानासि vera: fa पुनरे ृश्रदाष्वर कारणं | मथा तु ae feer मिषेदितं तस्यास्तत्कदलिकावचभं। awe- मच्र्या भिहितं wad ततः fai पुनर प्राप्रकाशं श्रजान्तरे खमुत्थितो राजमागें we.) यदुत शिद्कमेषेदं प्रयोजनं कवलं 48

- ~

ऋक mee - + + - - <

a

STR pe ke

7 ~

_ Le: £ . Pd रैः कीनि a

. ee aap et

* Pe - ~ # ५१» 1} 1 +.

+ 4 Ae [Bhi t | वि [ > We ee \ कैच £ ` 8... i 6 , # 1 ५. , h ae \ + "4 1 FS ' 3 roa ~ 9. J ^ ॐ. | a ee * + # ra i. te + > tog 3: 0

=

~+ क~

a + ds: ee + oe

ऋक „१ "- "५ शः

=

+ 0 Ff ~

=-= te कृ भक भू. ` |

ROS उपसितिभवप्रपश्चा कया |

aura विलम्बिते ततः सह्या मथाभिहितं arfafa xz WAT | सा AW) बाढं Via Barfafeds यद्येवं सिद्धमेव agra: कनकमश्नर्थाः शमोहितं wea वामलो चमं ait aw सन्देदो fade: | मखयमश्चरो कोऽद्यापि सन्देहः सिध्यायेवेदं warnt anal एव भगिनौ मणिभश्चरो नाभ सा समार्य wane awat नि weet) मयामिदहितं ae मणिमश्चनरि निदःखसुः कोरा safe सा प्राह कथं। मथोक्कं। या Aaa विषाद वतोषु सदरषां दृश्यसे मणिमञन्ञर्यामिहितं ae क्रियतां शक्ते गोपयितुं awa wand) sreante aa कोषश्रमिति। मणिमिश्छथौक्तं गता दमा समौपे | निवेशिता तातेन fasitey तदा तातस्य 2 शेखरः wat वतेते। ततस्तं प्रति तातेनाभिहितं। येनानेग नन्दिवर्धनेन महाबखावपि तौ खमरसेनद्रमौ खं विनिपातितौ नेव सामान्बः ges) चास्य Gere कवितदानेनापि frei were) तदिदमन्र भप्त लोवित्ताद पि वश्षभतरे aaa मणिमिश्नरौकगकमश्नयी | चेयं पूवैमेवाश्येव मदण्वमसहोदराय शग खवर्धनाथ | wa AGA werag गन्दिवद्धंनाय दौयताभिति। rats चार्‌ मंजितं तातेन तात एवोचितं ana: ततो z गेति स्थापितस्तान्धां सिद्धाग्तः समुत्थिता तातोश्छङ्गात्‌ awry चिन्तितं मखा अरहो मे धन्यता wet अनुः

SAT: प्रावः | .. ३७६.

देवस्य श्रहो सुपर्याशोचितिकारिता mae चहो विनयः कनक- Reve) भविष्यत्येवं ्रियभगिन्या सह मम यावल्लौवमविधोगः | शलिथावहे नाना विधं एवं ferent ममा विगतः Ge- afefayt wi) तदिदं मे इवंकारणमिति मलयमश्न्या- भिहित कपिश्चले पश्च कालदहोगो जिमित्तश्य संवादः wats | किमाञ्चथे यतो देवौयमुत्पातुका भाषा भवति। केवलं वत्से कनक- waft gaat fend: शअरवलम्नख धेये सिद्धमधथा नः aaifed ।. व्यपगतं भवत्या दादष्वरकारष्ं प्रतिपादितासि देवेन इदयनन्दनाय नन्दिविधेनाय ततः संजाताश्राखापि इदये gfamnean acre विधाब aafage विषमश्ङ्करि कनकमश्चर्याभिदितं। श्राः भवतु. मातः किमेवमलौ कवने प्रतारथसे। शिरोऽपि ममाधमा स्फुटति शब्रमनेनासबद्धप्रलापेन मलयमश्चर्थामिरितं। वत्से मा मेवं ate) सन्यमेबेदं नान्यया aaa संभावनोयं | ततः कतो aval भाग्यागोति wade ख्िताधोश्ुखौ कनकमश्नरो ततस्तां निजपतिभक्रस्तौ कथानिका- कथनव्याजेन विनोरवयमोभिरस्माभिरतिवाडिता रजनौ शाथाप्यपशराम्यति तस्याः परि दशनं मचा चिन्तितं थावतकरमेण संपश्यते मन्दिवधेनदभरेनं तावक्मरिष्यतोयंः राजदुडहिता श्रतः पामि तावन्तेतलिं awit कुमारस्य शक्रोति तं विश्वा पथितं . कदाचिश्षतः संपद्यतेऽख्वाः परिभाव कुमारदशेनेनेति विचिगध समागताहं weet) तदिष्टः भिमिन्तमासाद्च तसां प्रभवति मोगकेतन इत्येतदाकष्ये ववशः. waren. मयाभिहितं |

~=

~क =" ~= ~~ ~~ ae

ace उपमितिमवप्रपच्चा कथा |

waa ततो यद्यपि वश्छेङियो देवो महासस्वतया सेएमाकलयति तथाप्येवं विन्नपथामि यथा्बुद्धरति निजः राजद डहितरं | केवलं canard कानने भवतो भिः ETA महाप्रषादोऽनुग्टरोतोऽखौति बदनश्तौ पतिता aera: ला गता खभवनं श्रहमपोहागतः। तदिरं देव मया ददभेषजमवाप्तं

मथाभिदहितं साधु तेतले साधु लमेव वक्तं जनोषेः घमारो पितस्स्य वशःखणे मयात्मोथो हारः परिहिता श्‌ कटककयरादयः तेतजिः we देवान तुच्छकि्रजने कौयोऽथमतिप्रषादोऽनुकित इवाभासते। मयाभिहितं | प्राणप्रदेऽपि acu fa किंचिदरुचितमस्ति। तश्र कर्तं भवता date: | लं ममेदानौं जौ वितादव्यतिरि क्रो az

अन्तरे समागतो इवारि विमशो नाम महाराजम्‌, निवेदितो मे प्रतिहायां। खितः एयगाशने तेतजिः। महन्तमः | शतो चिता प्रतिपन्नः अरमिहितमनेन gaz प्रहितो युश्नत्षमोपेऽनेनार्येश यथास्ति मम नोवितादषौ कनकमश्चरो नाम दुहिता सा ममोपरोधात्‌ gate पाश्िग्रहणनाद्वादनोया ततो निरोकिते मया तेतल्ि arated) देवानुवतेनोथो महाराजो देवश्च wt मा fad aw प्रथमप्रणवप्राथनाः। मयाभिहितं तेतले प्रमाण faqs: प्राह कुमार महाप्रषादः। ततो 1 विमलः तेतलिनानिडितं देव गम्यतामिदानों तच रति

SATA: TTA: | ३८९

कानने मा उशनसा Thea काशरणेन मया- मिदहितमेवं भवतु ततस्तेत शिखाय एव गतोऽहं तजोद्याने | दृष्टं तद पहसितमन्दनवनं काननं ततचन्पकवोयिकाख् कदलो- पिखेषु शअतिुक्षकललतावितानेषु केतकौषष्डेषु गदौ कामण्डपेषु शग्नोकवनेषु खवस्ौो गहनेषु मागवष्यारामेषु मलिनखरोवरोपाभेषु विचरितमितचचेतख्च wet wa कनकमश्चरीद्ेगलोणुपतया दृष्टा घा ङुरङ्खशोचना। ततो मया fea इन प्रता रितोऽशमनेन तेतजिना विमखब्यतिकरोऽपि भूमं तेतखेरेव मायाप्रपश्चः। Vrain भाग्यानि मादृशां wat-

भरे श्रुतो मया तरलतागदनमध्ये कलनूपुरष्वनिः ततोऽपषश्य -

तेतशिषमौपाजिकूपितं . axed भया दृष्टा तमाखतरोरध- qatar खगात्परिभषटेवामराङ्गमा सभवन जिष्कासितेव नाग- aunt रतिरिव मदमविरहकातरा सशणोकाकनमकमश्चरौ | विशोकितमनया तरखतारया gat दिकृशक्रवालं। दृष्टः कोऽपि aw. ततोऽभिदहितं तथा डे भगवतो वमदेवताः प्रतौ तमेवेदं भवतोनां यक्किल प्रतिपन्नं तेतज्िमा ae जमस्ता- met ents रतिमकये कागने खद्धेत दलुपपरलोभ्वारमिहा- नोता तया जरक्मारजा्या श्रधुना किलासौ अनो gaa इति तं गवेषयामोत्यमिधाय मामेकाकिनं विमुच्य खान जाने कुन- fegat) तदेवं प्रतारितारदमिष्नालरचना चतुरया कपिश्नखया | तदं मे जोवितेल ग्रियविरहानशदग्धाया श्राप्तननेनापि afgarar मन्दभाम्यायाः; कवलं प्रसादाद्धगवतोनां जन्मान्तरेऽपि

a

a = eee = - ~

i = fal ~ ie ^ - ea tes fae TE es 0 A ~ वर Foe + इः 2 : कि : ee ma

4 ca ee a oe cae कन ~ न्न्य. = win, awn = ah “Soares a he wf iba ane oa (क

(श so. ae ~ oe reps ~ -- "+

ap

= : ~ "^ & ee ES "क ar res

~र = ae me [| 1M पू Fata : 4 wa

= +

- + ` = ` ~ --- == ~~

एष्यच eR - कक ee dell - + 1 = ~ =-= =

ey a

al # 0

4 i} J a + 1 ae 4 | i | | -; |: ¦ att 4 0. 1 11. | 91 4 a4 | bay) 2.44 ih. | ;#:. 1 # f et] ब, | be ^. | ee ae: | a py tin eb ५" : i 4 ' ¢ a ¢ [a> < > 7 पी { es ab 4 4 + ae 1 i,

३८. उपमितिमवप्रपरच्चा कथा |

एव wt wat यादिति वदना वल्प्रोकमाङ्द्य मिः स्तमालतरूश्ाखायां पाशकः निमिता ae fatter: प्रर मोक्तु WAT) श्रजाश्तरे Gale मा सारस मा arya ब्रवाणः प्रा्तोऽदहं वेगेन तं वामसुखेना क्षि मध्यदेशे नियत सेर | fant दकिणकरेष्ण सिपुचिकया wera) आरा यवनदानेन श्रभिहिता देवि किमिदमसमश्चसमार | artist mara वतेते vary विषादं ततः सा तथेव रि चणंमानविशोखविशोचना at freq aquata कमारग्मनिभेरं afters मदलचिक्कं यो गिनासपि ATA

Pa खरूपं weal मथा विलोकिता कथं .एकाकिने

wat एवायमिति aeat ga इति शाश्ङ्धा खरूपोऽय ससाध्वषा खथमागतेति weer विजने प्राक्षेति दिषु जिरि तरलतारिका दन्तसङ्केतेति विश्वस्ता इष्टमिदममेन मदौ यम रणएमिति weg waifta शोरोदमन्बनोत्थितमाज्रा विष खेदजलशक्ञावितदे हतया कदम्बङ्ङममाशिकेव परि्एुटषुलको सुन्दरतया पवमप्रेरिततरूमश्जरौव प्रकन्यमानश्वांङ्गतयां आन ख। गरमवगारुमामा स्तिमितनिष्यन्दमन्दलो चनतया |. afta THEY Te SATUS सुश्च कार््ममेन Wa we वदन्तौ मदोषभुजमध्याददिभुं freufrqartar aat. fi fut मवा. ललितकोमखे दुर्वावितामे frre: Game तदभिमुखः ततो ऽभिहितं मया सुन्दरि मुश्च wats ह्यज कोपं eam faeces gre गोः

gala: प्रस्तावः | ३८२

भवितुमरेति एवं वदति मयि सा कनकमश्नरौ किं चिदधश कामापि ay mqadl tae विखसद्‌ श्नकिरफरञ्िताधर- fan कपोखामलस्फु रितख्धचितान्तःशिता वामचरणाङ्गुष्ठेन तलं शिखन्तो ख्ितेषदधोसुखो aafafed अलम सुन्दरि विकश्पितेन चतः |

इद याश्जौ वितादहव्छकाग्राद तिवन्नभा |

aratsa at fawarat नास्ति से भुवभश्रये

suaufa निरभिंश्यं तव पद्मविषछो चने |

क्रीतः सद्धावमच्येन राणोऽहं पादधावकः

कठोर दयो AE कटोरोऽज विधिः परम्‌

at मे दशेनविच्छेदं कुर्यात्ते aware `

एतच्च मामकं वाक्यमाकषम प्रोतमानखा |

मया निरोकिता नाला भजन्तो सा रसाम्तरम्‌ #

कथम्‌ | | चखणेमागटत सिक्रेव feda geet प्राप्षराच्चामिषेकेव तोषादन्येव सा स्थिता इतश्च Ape नानाखानेव॒पयेटन्तो प्राप्ता तसुं

कपिश्चला | gedafe: . अ्रभिहितममखा amd वचस्य पुनः कुमार tf. तेतखिनामिहितं। अन्न acer: प्रविष्टः arated डे afi ते श्रसदभिुखं इृष्टमावयो मिंचुनं | संजातो इर्षातिरेकः कपिश्ञलयाभिहितं नमस्तस्मै भगवते दैवाय येनेदं युगखमत्थम्तमतुर्परं ख्योजितं तेतलिः wwe

-_

ts

ee oe ree. कक का, - , >

ee ee Be, oat

we: “= wate ~= 9 ~

कन pe - ees, ¢ _+ oh स्वो > a * 7 ° ~

गी ee

++ de 5 coe Se Taste ak , = भ-का a re रः 4

` " ~~ ~ ~ ae # ग्भ tae DO

= ~

~~

q wt a i * = - , वृक 4

7 : 2 ( : ; + ~" = =e" ककन, _ ~~ छक णा छव © षिः a = ~न te शः oa `

= ~+

Pot ey

ad

[णमी „+ बे ~+ ~ - ~ + a Ps)

a a ee

Sep ae ete

२९८४ उपमितिभवप्रपचचा कथां |

कपिश्चल्े गुनं रतिमन्मययो रिवानयोधौ गनेदसुद्याभेव संपन्नं | इतरथ। व्थेकमभेवाख् रतिमश्मयमित्यभिधानं पूवैमासं ततोऽसन्निकटरैशे प्राप्ते सेतलिकपिश्चले। समुत्थिता ससं कनकमश्नरो | पिच्चलयाभिदहितं। वते निषौदाशं स्वः ततोऽग्डतपुश्चक इव तच दूर्वाविताने frrafa खंहनिभैरसः fava: स्थितानि aa कियन्तमपि ee went सम योगन्धरो नाम कन्यान्तःपुर कषक | तेन विधाय मम VATA कमकमश्चरो | कपिश्नखयामिहितं। भद्र पि तौदमाकारणं। योगन्धरः प्राह भ्रुतेथमपटुश्ररौरा राजौ दे ततः प्रभाते खयमेव गवेषिता ख्याने Wawa ततः ' Sehr देवः। अमादिष्टोऽहमनेन यथा यतः ङुतच्धि ग्रोला शौप्रमागच्छेति। तदिटरमाहानकारणशं। ततस्तदाक erature इति मन्यमाना gwquat वखिततारं वि nat awe प्रिता ay कपिश्चखलथा कनकमश्चरौ 1 चा तिक्राग्ता दृष्टिगोचरात्‌ | तेतखिनाभिडिते देव किमिद मिह खितेन। ततोऽहं तदेव शतककोप वदनं तदेव

सुश्च कटोरष्दय श्चेति वचनं तश्च विशस श्मकिरणर मधरविन्बं तदेव इषांतिरेकङ्वकममलकपोखविस्फुरितं

सद्भावखमपकं स्व्यं Mayen भ्मिलेखनं तदेव चाभिख तिरेकषन्दभेकं तिर श्वौ जेण निरौकएं तस्याः कनकमन्ल्याः a तौत्रतरमदनदाहञ्वर प्रबधेकमपि TET महामोहवगरेन मायेमगतबुद्या SITY पुनः TASTE प्राप्तः खभ

wate: Wea: `

हतं दित्रसो चितं aaa) अपराहे sara कदसिका 1 वथा- `

fafea कुमार ta समादिश्रति। ae निरूपितं मवा सांवत्सरो विवाहदिनं wea गोधु्यां शश्यतौति arene fier इवा रतिसभुदरे, दापितं acfema थारितोषिकःं। ate वेशायां श्मायाता शरोतकभककशगा acd: | निेरतितं मे wana विहितानि कौतुकानि वतो टापिलानि मडहाडानानि। मोकिताजि बन्धनानि 1 पूजिता नमररेवताः wanfaar aca: | विधापिता ergata: शोधिता राजमागाः। पूरितः sefe- at: मौतमन्नाजनेः मृकमन्तःपुरोः। वि्खितं crea: | तती मरतां faada प्राप्तोऽहं राजभवनं Re सुभखताडनादथः कुखा्थाराः भविष्टोऽषहं Tye) लज चामर वधूर णुषरक्षमौ खूपाविंशयेनं रतिमपि fawn azaecfrer®: eqay- war चकयाकमियुग विभ्रमे सङ्गस्य गलेन yfafaenfirt- वंश्रा। रक्राशोकरकिषशयाकाराण्वां करार्धां कोकनदथगे्ा करिकराकारथरेष्णोरदण्डदयेन विख्ोणगितभिम्बा जिक्थौ- लरङ्गशङ्कुरेश मथ्यभागेव कष्णल्िग्धङ्टिलकेशा सखकमसयुगख्ा- wafter शरणदरन कुष्डमिव मदनरसस्य राशिरिव खानां निधानभिबं रतेः watt रूपानम्दरनानां सुनोगामपि मभो- शारिशौमवस्ामरुभवन्तौ महामोहतिरो हित विषेकलोशनेन मथा इष्टा HAAG! इष्टचेतसा पुलकितश्रौरेक छतं प्रधान- ओवस्धरवचनेन पाशिग्रणं भ्वाग्तानि मण्डलानि AAMT area: | विदिता लोकोपचाराः। awit wen fade

49

~ + te, Me ae | =

we "पोष्यो केः = ककरः ना

Rod उपमिलिभवप्रपच्चा KUT |

faarway: ) प्रविष्टोऽहमपहसितसुरभवभे कमकमष् वाषभवने अवगादितसुरताग्डतसागरः। एवं प्रवर रागयोरावयोगेतानि कतिचिहिमानि॥

cag विभाकरष्य हतं TWH! AUG: Wes मया WT era: | सयुत्पलो विखम्मः wae aware afer: खपरिकरोऽघौ Gert wrageTee तेऽ्बरोषनामानखरटा वोरसेनप्रशतथो इते प्रवरसेने WANA मया VE पूर्व॑मागतास्तेऽपि शतसक्माना मया ` गताः BIA aatsy विगतविन्तासन्तापस्ताभ्यां waa मश्नरोभ्वामानन्द महोदभिमवगाहमानः यितस्तजेव वि काथं। warty व्यतिकर परमाथेतः एव कारणं | मम तु महामोहवशेन तदा प्रतिहतं yee | दिखावेश्वानरयोः प्रभावातिश्रयः। अनथोरिं माहाग्य निरूपमामन्दाख्तर कूपिका कमकमश्चरो शब्धेति aaa: कपिश्चखया कनकच्डरानादाकषितं मणिम यया यतोऽनेन मन्दिवधेगक्ुमारेण महावलावपि za शोखया विनिपातितौ ware gaa दातु कमक तौ दरुमसमरशेशौ मया ₹हिंसावेगश्वानरम्रभावादेव विरि तस्मात्रमा्थतो हिसावेश्वानराभ्यामेव ममेयं कनकमश दितेति ततो जातं मे meat हिंसावेश्वागरखेदपरति BIG | ततो वश्ानरवचनेन तेः क्रूरचित्ताभिधानैवंः दिनमु पयुष्यमानेजनितं मे चण्डत्वं ॑संपादितमसडनलं

SALT TATA | gre

रौद्रता निवर्तितो भासुरभावः। गताङ्गङ्गीभावं क्रूरता जातोऽ खरूपं तिरोधाय arafea वेश्वानरः। ततो aay वटकोप- योगं। fa afe खततप्रञ्वखितोऽहमाक्रोश्रामि हितभाषिषं ताडयामि निष्कारणमेव परिजनं fee a पुनः पुनराञ्िव्धय- area मे संजातमाशेटकव्यसनं। ततः प्रतिदिनं निपातयामि स्माहमनेकजन्तुसंघातं। दृष्टं auctasfed . कभकशेखरेष्ठ | चिग्तितमनेन। aq किमिदमोढ्‌श्मस्यासमश्चसं चरितम्‌ vate |

STA HAH: Qe शतविद्यो महारथः |

तथायं ममाभाति a किचिन्नन्दिवधनः

यतोऽयं हिखयादिष्टो aut बश्वागरेर

परो पतापनिरतो waigte वतेते

अतो मोपेचितु युक्रो ममायं हितकारिणः |

aaa यदि वर्तेत wee दितसु्तमम्‌

wawe मे वाक्यं कदाचिन्न करोत्ययम्‌ |

ATARAa पुनः प्रोक्तः कुर्यालन्तातलव्जया

तदेनं तातसहितः frearfa तथा wat |

डिंसावेश्वानरौ feat wien Twas

ततः Gat WHAT: कनकशखरेण TT) श्रन्यदा प्रथिष्ठोऽ

राजाख्वाने | विडहितप्रतिपत्तिनिं विष्टो मरेष्समोपे। aa: afa- तोऽहइं कमकचडर। जम कनकशेखरेणाभिहितं। तात एवंविध एवायं “faye: सरूपेण केवलमिदमेकमस्य विङ्पकं यदेष

yeu उपमिंतिभवध्वश्चा कया |

wat गेरिते adaif वर्तते qafacre कौ कभकग्रेखरे शा भिदितं ) wee waeatqarys बेश्यानसे नाम wre: तया विद्यतेऽश्य 3 खावकारिणौ मददापाप्डेतुदिषा नाम भा युक प्येथकु समदेव निष्फलेव गोषरा शधत्रल थेव तलको प्रापयोख्याग पैव अं warts i वयस्यः fauaet acu feafas दहाबुज थः Bay शोकदयना खा भायां विदुषा कार्या था शोका धर्मेषाधनद्ेतुद्च पुनवुष्टरे्टिता एवं च॒ वदतोस्तयो्वं चनेन wad ऽवशः सर्पिषा मातरं प्रश्वजखितोऽदं। ततो मबा आस्फोटितं करतलेन गमिषषठं fiqm: प्रशयनि आलोकितमु्चशष्तारिकथा दृष्या तयोर्य राजा AC तक मदोषनोवितं वेश्वानरं कन्पयसि। weafe कस्य प्रघादाश्मयदं राज तरिं मदौ यदेश्वागरमन्तरेण भवतः fois free शक्येत कनकेखरः पुमरोवमभिरहहिः मनोऽपि पष्डिलतरशछमसि tag मां fir eterna मटोयषचनं विस्ितो राजा | et gai aa चिन्तितं। wa ant

Sate: TTA: | ८९

warwer चमत्कर्वाा चरिका। अभिहितं wt गेरेनर्दिंगौ दभेचामि भवतोः खकोधवेश्ागरवोथें प्रहरणौ भवतं ततः खबुत्ख। तदरिकं रुखमा गजिह्कं यममिब areata gchar Tae) चखितौ राजकनकगरेखरौ। ततः सज्निहिततथा quizes मदाप्रतापतवा राजकमकगे खर योभं वितब्धतावग्रेन wrema प्रहार faiatsqareraga: quad) ततः प्रषत्यप- कर्चितोऽहं कनकचुङकगकगेखराभ्वां मयापि दृष्टौ तौ शचृरूपौ। विख्िशः परस्पर Staats fa

अन्यदा समागतो HIME नाम दूतः) म्रत्यभि- wrt wer निवेदितमनेन। यथा कुमार महक्षमेः प्रडितोऽहं। मथा चिनितं। wa किमिति महन्तमेः प्रहितोऽयं पुनस्तातेन। ततो आाताजद्ून प्ष्टोऽणौ मया चपि gue तातस्य crea: प्राह Que sawafe वर्गा धिपति्ैवमो नाम राजा तेन चागत्य मडदाबखलतया समन्ता जिरद्ध मगर खोरुतो बहिविंषयः दापितानि खागकानि va: पर्थाहारः। शालि afeufarr- करण्ठोपायः। ततः खोरसागरगश्नोरददयोऽपि मनागाङ्शोभतो देवः। fare मग्लिएः। SAMA ACHAT: | स्ता नागरकाः किं awars जाने किमच् भविव्यतोति fanaa संजातं सवंमपि रवश्रणं aent: ततो मग्निमहन्समेः रुतपर्याशोचः wifaa: बिद्धान्तः wen भन्डिव्नङ्कमार एव यदि परमेभं यवबनरहतकबुत्ादयति नापरः पुष इति i. ततो मतिधनेनाभि- fer श्राफतामिदमेवंखितमेव देवाय बुधि विश्ाखेनामिदितं |

-. -- ~~~ --

BLO उपमितिभवप्रधद्चा कथा |

नेवेदं देवाय श्ापभौयं मतिधनः प्राह कोऽ विश्ालेनोक्ं | सुतवत्छलतया दैवस्य कदाचिदेवं वर्धनागमनं प्रतिभाषश्ते। तस््मादेवस्यान्ना पनमेव me साधु साभूपपद्यमानं ated बुद्धिवि किमजान्येन fans) deat कुमाराहानाय येनं aay शान्तिः संपद्यते मतिधमेनाभिहि ततः स्वरो चकेन प्रहितोऽहमिति तदिदं gaa वेशवारः भविष्यति मम चारतरोऽवसर इति मयाभिहितं wt ताड्यत प्रस्यामभेरि रङ्गसेनां तथा हृतं नियुक्रः ततः aaa नाख्यात कनकच्डकमकेखरयोः | केवलं कनव newt मणिमश्नरौ। ततोऽनवरतप्रयाएकेः प्राप we | अभिहितो मया वेश्वानरः। यदुत वयस्य 3 धृना तेजखिता ated वटकोपयोगं तत्कि वैश्वानरेशाभिदितं | कुमार निष्कुजिमभक्निगा द्या ममोपरि कुमारस्य भक्तिः मदोवप्रभवाणि चेत वटकानि भकरिमतामेव पुसां wot प्रचरन्ति | HATS wt गतानि awmaat किं awa धुना atte कुमारो वतेते अन्यश्च कुमार भावादेवेयमपि हिखाधुना कुमारस्य प्रतिपन्ला सन्देशो विधेयः मयाभिहितं श्रद्यापि सन्दे, देतावानावयोजन्पः संपद्यते सम तावदूशेनवौ यिः

Bata: Weta: | RED

दुष्टमनेनास्मदनोकं | ततस्तच्छंनद्धमागतममिमुखं ततः day- मायोधनं तच्च AEWA | | रथोघघ्धंरारवं गजेष्गजिंदाङ्फम्‌ महाश डेषितोद्धुर पदाति श्ब्दभोषणम्‌ णेन तक्किग्धतं संपन्नम्‌ विदौफशक्रकूबरं विभिन्नमत्तकुश्चरम्‌ | विनायवाजिराजितं पतत्यदरातिमस्तकम्‌ प्रजातसेन्यता नवं प्रनष्टदेवदानवम्‌ | असिग्रदप्रवधेकं प्रनृ्तसत्कबन्धकम्‌ ततोऽभिग्धूता यवनराजसेनयासमत्पताकिनो | समुल्सितस्तदले कश्कलः | ततो वलितोऽइमेककस्तदभिमुखं | समापतितो मया ae alg खयमेव यवनराजः रणरभसेन चातौव भिलितौ want ततः faare RATT दत्वा करणं पतितस्तच्न्दने | जोरितं Guar धवनराजस्य मस्तक | ततः प्रादु भेवन्लोषलसष्नयजयारवम्‌ | MUSH पराटत्य समायातं मदन्तिकम्‌ ii अन्यश्च तदा | देवदानवगन्धवां वणयन्तः पराक्रमम्‌ | मम गन्षोदव पुष्येमिंशरं मुञ्चन्ति मस्तके ततश्च तत्परानोकं चणम ₹तमायकम्‌ | जातं मे feet सवंमान्नानिर्दंश्कारकम्‌ i निगेत्य मगरान्तातो Via ay बन्धभिः

[ ति |

RER उषमितिमवप्षश्चा कथया |

समागतः watt भे गगरं अवाशकम्‌ ततो रथादवतौयं पतितोऽहं तातपादवोः zwh

श्रयो रध्या नन्दो दकव्व॑ख शखपयता इमालिङ्कितोऽहं ? चम्ितो सुषशुडमूधदेभ्रे ततो दृष्टा awa! रुतं पादपतनं | समालि ङ्गितोऽम्नया चुज्वितो were अभिहि न्दाञ्चपरि पूं ओो चना मद्दया भिरा खवा पुच ayy खन्पटघरितमेतन्ते जनन्याः wate इतडदयं erate शतधा faze. नि.खारितानि च॒ वखमसुज्नाद्रभवा नगररोधकादटवता श्रवो ममापि waa चिर जौ ततो खण्ितोऽहं feat मनागचोसुखं स्मारूढानि घः रथवंरे ततश्च

wer रिविमेंन तुष्टा Baya

ते राजखोकाः asf तदा कि fa a gat a तथाहि

afeccia दानानि केचिद्धावम्षि भाक्तः |

उहामदये निघोषेः केचिजुतय न्ति निर्भरम्‌

केचित्कलकलायन्ते केचिदुछष्टनादिमः।

STATINS: केदित्केशिषरायण्ाः

केचिद्रन्नानि adie ward इासपूर्वंकम्‌ |

इरन्ति Gearwfe sna: परसख्यरम्‌

तुष्टो ANTS खोक aa कुलवामनाः |

रतोभ्यंका स्यो YU: दर्येऽन्तःपुर पाकाः 4

0 [= ee [अ mae, ak cae

SES ames tir eae oe

न्क ` चक क~ ~ a 4. [त ail, (णीन oe ee

re , 1१३ wt . £ er oe ' t ! & . 4 ‘oF [८ 8 | ष्‌ { a0 ; ~ १७ [ह (| * . 1 i i ia oT iad + . ` 1“ is + षि 15k ry i ok . [| : . } | |, & ह. ।! |. # A: era [1 2 | ¢ ' | ^ 0 1 7 4, i (५ i | i 1 ` # | al. a सकी | ai 1 : a fee: amo. 3 £ 1 # i a a is ‘i : ॥' Bin { aie i i i rp fee | 7 = . 1 "#

ne 0

श्तौ यः yea: |

एवं महाप्रमोदेन प्रविश्य नगर ततः |

fear राजकुले fafazatse निजमन्दिरे दिवसो चितकरतवयं तच संपाद्य खवा | अनेकाट्ुतविस्तारद परनप्रौ तमानखः

सम कनकमश्जयां रजन्यां शयने fea: अथैवं चिन्तयामि सम महामोहवश्ंगतः श्रो वेश्वानरस्योचे.प्रभावोऽयं महात्मनः | ममेयमौद्ग्ौ जाता यतः कल्याणमालिका ्रागतोऽशं तदु्ाहाष्माता तेजखिता परा | तोषितौ saat लोके लभा जयपताकिका अरहो प्रभावो featar ar विलोकमलौोलया | करोत्येषा विश्रालाचौ मंच वेरिविमदंनम्‌ नातः परतरं मन्ये प्रभावे इद्धिकारणम्‌ | यथेयं मम हिंसेति प्रत्यकफलदायिनौ

ततो गाढतरं रक्रोऽङहं वैश्वामरहिषयोः | भिद्धान्तं इदयेनेवं स्थापयामि विग्रेषतः एते मे परभौ बन्धू एते परमदेवता

एते एव fea मन्ये waaay प्रतिष्ठितम्‌ एते यः ज्ञाघयद्धन्यः मे बन्धः मे GH | एते यो Sfe मूढात्मा मे श्रमं संशयः पुमस्तद्विजानामि महामोहइपरायणः |

यथा WHITH ममेदं सवेमश्चसां

50

BER

+. [क = ~ = - = ~ चे et 3

|" 1 A 1 ,

Res उपमिविनक्पपष्चां कया

रिंसावेश्वानरावक्तः षु्ोदयपराश्ुखः ततोऽहं WHATS दुराद्‌ दूरतरं बतः. aay t

राजिगेषे ससुत्थाय पापदा Taree:

ताताम्ब दौमदददेव गनोऽरब्यामंहं ततः

अने करङ्त्वखम्भारं मारचत्वा गते दिने

सन्ध्यायां पुनरायातः प्रविष्टो भवने निजे ¢

अयासो विद्रः भरोक्रस्तातेनाङुखचेतसा

मत्छमोपे कुमारो कि मायातो निरूपय

विदुरेशोकं प्रभातेऽहं Sat भच किरिकनोम्‌

दशनां HATS गतसद्येव मन्दिरे

ततः परिजनेगोक्र ययाखेटककाग्यया |

राणावेव गतोऽरबयां कुमारो नास्ति भो ws

ततो मयाभिडहितं। किमेव gant गतः पाप्धिबु

वा प्रतिदिनं मच्छतोति। परिजनः प्राह भद्र an: : fear परिरोता कुमारे तत ्रारभ्व प्रतिदिनं मान्यथा तिं waa किं aw) नौवितादपि am आखेटकः कुमारस्येति। मया चिन्तितं। set इता वधं मन्दभाग्याः तदिदमाभारूकमाखतं) यदुत यः ve माति तत्कण्ठे निबध्यत tf) तथा fe dar मिजयोगेरीव FATS गाढमदं जिता FA यावतेयमपरा भाया सपश्ेति तत्किं पुमरज विधेयमिति fenant

SAT: TAT ३९४

fet; तदिदं gare यद्मस्समोपेऽगागमगकार शमिति लपतेनाभिदहितं। विदुर महापाप्ेतुरिदं anew से वितमस्मदंग्जेनेरपतिभिः। अतो यद्यस्य निमिन्तश्रतेधं मार्या कुमारस्छापखार्येते ततः get भवति विदुरः wei 2a वे श्रानरवन्निद्पक्रमेवं Byer) यवा श्रवते पुनरप्यायानोऽच गगरे जिगमतश्चो fates: 1 ततः एवाय TE युक्तो यदच कतेव्यमिति। तातेनामिद्डितं। च्राक्ारय तरिं a नेमित्तिकं विदुरेशोक् धदाश्ञापयति दैवः

ततो निगंतो विदुरः समागतः स्लोकवेलायां zeta जिन- मतन्ं। ततो बिधाथ ae प्रतिपल्तिमाश्यातं तातेन प्रयो- aa) लतो निङ्दितं बुद्धिनाङौष्चारतो नेभिन्तिशेनाभि- fea) यथा महाराज एक एवा परक्षुपाणो विद्यते। अदि quia ततः wade प्रीयेत इुमारस्येधमभ्कारिणो दिशभिधाना wel, तावेनाभिडितं। stew इति कथयलवार्यंः | जिगमतश्चेनाभिडतं। थन्तद्‌ा वणितं समखमेव भवतां oaarfe रहितं सर्वोपद्रवेजिंवासस्वानं समस्तानां कारणं कखाश्परन्परायथाः दुलेभं मन्दभागेयेचित्तसौन्दयै wt) तच at वितः। यथास्ति fenara शोकानां writatat qufay zurawe: faeicnet परिप कोश्रदष्डसमुदथेने रभपरिणामो aa राला। तख राशो यथासौ ान्तेजेनयिभ निष्यकरन्पता माम महादेवौ तदा वरिता तथेव तस्याग्धापि दितौयास्ति हितकारिणौ जोकानां निकष-

३९९ उपमितिभवप्रपश्चा कथां |

श्मिः सवेशास्तार्थानां प्रवतिका सद्नुष्ठामानां दूरवतिनौ चारुता नाम राज्ञो | तथादहि। तावदुःखानि संसारे लभन्ते सवेजन्तवः खर्गापवगंमागं लभन्ते कटाचन्‌ यावता चारुता देवौ तेने सम्यग्‌ निषेव्यते यदा पुननिषेवन्ते तां tat ते विधानतः॥ Gayl कल्याणएसन्दोदं तदा यान्ति शिवं Ac: | श्रत: सा चारुता देवौ लोकानां दितकारिपणी सुसारसागरोन्तारकारणानि महाक्मनाम्‌ | लोके लोकोत्तरे वापि यानि शाखलाणि कानिचित्‌ तेषु way श्रास्तेषु वणित परमार्थतः उपादेयतया देवौ सा प्राज्नेस्त्त चिन्तकः तेन सा निकषस्थानं शास्त्राण्णमिह गोयते | तां विना सवशरास्लायोऽसदवुद्धिप्रकरायते दानं शोलं तपो ध्यानं गुरप्रजा wat दमः! ` एवमादौनि लोकेऽच चार्कर्मांणि भावतः प्रवतेयति सा देवो खबवलेन महात्मनाम्‌ | तेन सा सदनुष्टानजनकेति freer HAM धभयद्रो इमोहमातसयंविभ्रमाः शरा खपेश्ररन्परागाद्या ये लोके पापद्ेतवः तेषां तया सहावस्था नासेव Yara | श्रतः सा चारुता देवौ पापानां दूरवर्तिनौ

Sart: प्रस्तावः। ` BES

तस्याश्च LAICATA a YA QlaAal ASAT श्राह्ादद्े- ARMA: सुन्दरा SIV वल्लभा बन्धूनां कारणएमानन्द परन्परायाः सततं मुनोनामपि इद यवा सिनो विद्यते दया नाम दुहिता तथादि aa चराचरा Mal भुवनोदरचारिणः॥ दुःखं वा मरणं वापि माभिकाङ्कृन्ति सवेदा ततश्च, सा दया इयमष्येतदारयत्येव देहिनाम्‌ | तेम सा भुवमाष्वादकारणं परिकौर्तिता॥ मुखं walt माभोर्दानाख्यमुन्तमम्‌ | सद्‌ानद्‌ःखचाणस्थो दयायाः पौवरो wit विस्तौणं जगदानन्द nae] जघनस्थलम्‌ | यदा wea ate किं विदङ्गमसन्दरम्‌ SQW सुन्दरा viet तेन सा मुमिपुङ्कवेः। यथेष्टा बन्धुवगेस्य adel निगद्यते चान्तिः इएभपरिणमख्च चार्ता निष्य कम्यता | श्रे चसम्तोषधेर्याद्ा दयाया बान्धवा मताः तेषां तु सतताहादकारिणणे इदयख्धिता | तेना तिवक्ञभा प्रोक्ष बन्धूवगेस्य सा दया सुरेषु मल्येशोकेषु ate सुखपद्धतिः | दयापर तचिन्तानां वतेते करवतिनो i आनन्दपद्धतेर्देतुसतेन सा कन्यका मता | अत एव सुसाधूनां टये सा प्रतिषिता॥

| | ve Rs उपमितिमवप्रपशचा कथा |

अथवा दथा हितकरो जोके दथा ब्वरशवदहा | दथा हि घमंश्वखं दया दोषनिषृदयो 8 दयेव चिन्तबन्तापविध्यापमपरायणशा | दथावतां लायनते नुनं वेरपरग्पराः fa ary बङनोक्रन रुणसम्भारगोरवम्‌ | वदन्तो TITUS खा Zar केन व्छेताम्‌ तद्ज WAST महाराजाय कथ्यते | डहिंखावाः प्रखयोपायो नापरोऽ निसेश्छते यदेव. तां दयां पौरः कमारः परिणेव्चति | तदास्य खयमेवेवा दुष्टा भार्यां विगच्छति यतः | xa दाहाक्िका पापा सा qaftamiaen ततोऽनयो विरोधोऽस्ति ययाभ्रिजलथोः सदा ततस्तातेनाभिदितं | We कदा पुनरेष भन्दिक्घगक्म दथाकन्यकां परिके्यति जिनमतञ्चेनाभिदहितं। यदा शभ wat दाख्छति। तातः ame एव तहिं कदा दास जिनमतश्ञेनाभिदहितं। चदा कुमारं प्रति प्रणो अविर तातेनामिदहितं। wate तस्व प्रगुणौभवनोपाथः। जिगर ME! कथितं पूरवेमेवेदं मवा भवतां यचा तं इटुभपरिष नरेश्वर afe परं कमेपरिष्णममहाराजः ngefed नापरः | तदायन्तो यतोऽसौ वतते | तस्मात्किमच बडना

तोषः Terra: | Ree

कमेपरिाममहानरेन््रः gat प्रति स्प्रसादो भविति तदा खयमेव प्रुभपरिणमेनाखये कुमाराय दयादारिकां दाप- यिष्यति fa चिन्तया ware शदयाम्येवादहं निमिन्तवलेन कुमारस्य मब्यतामपेच्छ यक्रिवखेन च। यदुत नियमेन कचि- mre प्रसादो भविष्यकछेनं कुमार प्रति क्मेपरिशामो नाज wae! avy तिन्‌ काले श्राएच्छ्य महइक्मभनिनोँः ata fafa पर्यालोच्य we काकपरिणत्या निजभावंया कथयिता- कौयमरदन्तमाय भावाय GTS सखरमधुरवचनेरश्येव गन्दि- व्धमकमारख्य खम्बन्धिनों समस्तभावान्रानुयायिनीं wee खूपामन्तर क्भायां मवितव्यतां टौपथित्ा नियतिवद्च्छादोनां gana स्थापयिता दयाटरारिकादानय्य योम्मोऽचमिति श्वे- aay सिद्धाम्तप्तं ततो दापयिग्धत्येव कर्म॑परिशममहाराजो दयादारिकां कुमाराय निःसन्दिग्धमेतदतो मुञ्चत CUA eet | तातः प्राह! तत्किमधुनास्माकं प्राप्रकाशं जिममतश्नेनोक्र मोनमवभौरणा wl तातेनामिहितं। श्रावं किमात्मपुभो- ऽस्ामिरवधौरयितुं owe) foray: प्राह तत्किमच करियतां यदि fe वदिरक्रोऽयमुपद्रवः कुमारश्च arnat CMA कतुं तचमवतामवक्षौरण्णां श्रयं पुनरन्तरङ्गोषद्रवो वर्तेते ततस्तमबधौरयन्तोऽपि भवन्तो ATMA | ततो यटा- दिग्रत्यार्यं इति वदता तातेन परिपच्च प्रहितो नेमिभिकः॥ ग्तामि afafefenta eqrad ame बुद्धिः यवा व्याषयामि wares नन्दिक्धेनङुमारः ऋ्ापितं मडन्नम््मनां |

geo उपमितिभवप्रपश्ठा कथा |

प्रतिपन्लमेतेः। गणितं प्रश्रस्तदिनं। कताभिषेकसामनौ | ease) विरचितं भद्रासनं मोखिताः सामन्ताः सः नागरकाः सनिधापितानि माङ्गलिकानि प्रकटितानिर प्रत्यासन्नो श्रतान्यन्तःपुराणि श्रचाम्तरे प्रविष्टा vate तया aru) विरचितं करपुरङ्कद्लं मिवेशित लला -गदितमनया देव॒ श्ररिदममनुपतेः सम्बन्धो स्फटवचमो -महन्तमः प्रतौहारण्रमो तिष्ठति एतदाकष्य देवः प्र - तातेनामिदहितं wis प्रवेश्य प्रबेशितः प्रतोहार्या। f प्रतिपत्तिः श्रमिडितं स्फुटवचमेन महाराज श्रुतो मया कुमारस्य यौ वराच्याभिषेकव्यतिकरः तेनाहं इएभमुह्तौ

ea खप्रयोजम सिद्धये त्वरिततरः प्रविष्टः। तातेगामि

सुन्दरमनुष्ठितं निवेदयतु खप्रयोजनमायेः | स्फटवचनः afa arafafea एव भवादृशां शादूशपुराधिपतिः सु mae देवोऽरिद मनः | तस्यास्ति विनिजितरतिषूपा रा नाम महादेवो | तस्याचाचिन्धगणरनमश्चूषा मदनमश्रुष

दुहिता, तथा शलोकप्रवादेनाकफितं नन्दिवधेनङ्कुमारर

ततो mada: कुमारेऽसुरागातिरेकः 1 निबेदितः खा रतिचशायं तयापि कथितो देवाय। ततस्तां मदम

कुमाराय प्रदातुं चु्रश्षमोपे प्रहितोऽं देवेन ्रधुना मश

प्रमाएम्‌ ततो facta तातेन मतिधनवदनम्‌ We! देव महापुरूषोऽरिदमनः। yH एव देवस्य तेन सम्बन्धः | ततो $नुमन्यतामिदं तस्य aw) कोऽ fa

तोमः प्रस्तावः ` ४०१

ततिनाभिदहितं। एवं भवतु अजरान्तरे मयाभिहितं अरहो किथड्‌- दूरे waa शादूखपुरमितः स्थानात्‌ Bere: प्राह dated | मयाभिहितं मेवं वोचः Geen प्राह तिं यावद्‌दूरे तत्कथयतु wana कुमारः मयाभिहितं Maan? खाधेयोजनशते स्पुटवचमः प्राहः किमेतत्‌ मया- fafed श्रतमस्माभिबांलकाले स्फटवचनः प्रा सम्यगव- धारितं gata) wate) लया कथमवधारितम्‌ | स्फुटवचनः प्राइः | गणितं मया पदं पदेन मयाभिहितं स॒निर्णोतमिद- मस्म भिरण्याप्तप्रवादात्‌ स्यटवरनेनोक्त कुमार विप्रतारितः केनापि। wane मदौय प्रमाणं तिखतुषजिभागमाजेणापि ततो मामेष दुरात्मा शोकमध्येऽशौकं करोतौति चिग्तयतो जे Sfad वैश्वानरेण प्रहसितं fewer) samt थोगश्रक्रिः wat दाभ्वामपि मदौयश्रोरेऽनुप्रवेशः। ततः संजातोऽहं साच्ादिव reqs: | wares दिनकरकरनिकरकराणलं करवालं want चिन्तितं पुण्णोदयेन aga पणौ ममाधुनावधिः , ufen भवितब्धतानिदैशः। योग्योऽयमिदानौं नन्दिवर्धन कुमारो मत्सम्बन्धस्य तस्मादपक्रमएमेव मेऽधुना अरथः दत्या- शोच्य ag: gates: | मया gaat हाहारवं तावतो जनसशु- दायस्याग्रत wa श्रविचायं कार्याकायेमेकप्रहारेण शतो faze: weet: | ततो हा पुत्र किमिदमकायमनुषटितमिति ware: समुत्थितः सिंहासनात्‌ तातञ्चलितो मद्‌ भिमुखं वेगेन मया .विन्ितं। श्रयमेषेतद्रप एव यो दुरात्मा मयापि रतमिदम- Sl

ES a तः चे

४०२ उपमि विभवप्रपश्चा कथा!

कार्यमित्यारटति i ततः agerwagt afeatse तातामिर्‌ कृतो लोकेन कोलादलः। ततो मया a Wa जमकत afaar aefaacat a गणितं परमोपकारिल्र नाशो मदहापापागमः। सवेया वेश्ानरहिंशावश्नौग्डतचिन्तेनावथम्ग्य

चाण्डालतां तयेव रटतस्तातश्य जोटितसुन्तमाङ्गं ततो हा हा जात मा साहसं मा सासं जायध्वं शोकास््ायध्व विसुक्तकरुणाक्रन्दरवा आगत्य Vl ममाम्बा करे Rast नाथं। मया fafa टयमपि पापा मम afceta

येवं ग्र चच्छेदपरेऽपि मयि wawaraa | ततः wat सापि करवालेन | ततो इहा रातां कुमार हा sage किमिः wafafa पूत्‌क्ुर्वाणानि शौ लवर्धनो afenge रनवतौ Daft मम भुजयोरेककाष्छमेव निवारणथं मया fat एकालो चितं नूनममोषां स्वेषामपि दुरात्मनां ततो गाढतरं ज्वलितोऽदहं। नोतानि चो ्यथेकेकप्रहारेणान्तकशदमं अजाः व्यतिकर माकण्ये दा sags किमिदं किमिदमिति werent कनकमन्नरौ | मया चिन्तितं श्रये एषापि war मदेरि मिलिता aa विक्रोशति swt इदयमपि मे वेरिश्रतं : तत्किमनेन श्रपनयाम्यस्या श्रपि qaqa) ततो विग प्रेमाबन्ध विस्मृता तदिरदकातरता स्फुरितामि wea fi जल्पितानि | च्रपदस्तिता रतिषुखसन्दोहाः पर्यालोचितः सम्बन्धौ निरुपमः सखेदावन्धः। सवथा वरश्वानराग्धबुद्धिना ` क्रोडो कृतर येन मया विद शिता करवालेन वराक कमकम'

तोयः प्रावः | ७०४

wut die afer मे कटौतटात्परिधानं विशुखितं wat. निपतितञ्चन्तरोयं चितितले। जातोऽहं aero: सुत्कखोग्रताः au) संपन्नः साशादिव jars) ततस्णा- शतं arate दूरवर्तिभिः गरचकरिनभूपो देसद्धिरङहा सेन wat किखिकिखिका ततः gat प्रज्षशितोऽइ eferqanz- ara वेभेन ततो मे अतरो भगिन्बः खजनाः सामन्ता wa: स्वेऽप्येककाखं facut: लतः wart श्व. समद्ितया समस्तानपि निदंखयन्नहं गतः किथन्नमपि wena ततो रि लया Wee वनकरोव अमे पातयिता weit: कथं चिदं उदाणितं मण्डलाय बद्धः पथादाछबन्धेन ) ततो रटजसम्ब- वचनानि प्रकिक्नोऽपवरके। दशते RIS | तत्र प्रश्वलमननुनय- वचने: प्रशपशभ्ाग्यभाषया ददानः ककाटथोमसकास्फोटां खामो qywr पोडितिः पिपासया दन्दश्ममानचिन्तसन्तापेनाख्भमागो जिदं महाजोरनारक इव तया ag एव feat area कालं अवभौरितः परिजनेन a शअन्यदात्थन्तलोणएतया समागता ममार्धराचे Guay fag) ततः प्रसुप्तस्य fed मे मूषकेवेन्धनं ATA Gane: इद्वा रितै कपाटे। निगेतो afees निरूपितं Tage way कञिच्वेतयते ततो मया fee) शवेमेबेदं Tage मगर मम वेरिश्वते वर्तते येनाहमेवं परिक्रेशितः पापेन ततो विशुभ्मितो ममान्तवर्तौः वेश्वानरः) संया werfia रिष्या दृष्टं मया asfanfaga: चिन्तितं अदे अयमन बेरिनिर्थातमोपायः। aga avin श्रावं

9०8 उप मितिभक्पप्ा कथा |

त्याङ्गाराणणं ततो राजकुलस्य नगरस्य श्रपरापरेषु इन्ण्न- asaq स्थानेषु स्तोकस्तोकाग्परकिपामि। ततः खयमेव भसौ भविव्यतौदं इयमपि दुरात्मकमिति ततः कृतं - खव तयेव awa wa समन्तात्रदौपनकं। निगेतोऽहमपि दंदद्यमानः | कथं चिद्व वितब्यताविग्रेषेण | प्रटन्तो जनाक्रन्दरवः | भावन्ति सखम ष्लात wala FATE परबलग्रङ्गया सुभटाः। ततः शोणएतया श्ररोरस् परस्परानुविद्कतया शरौरमनषोविंगखितं धेथे समुत्प मे भयं पलायितोऽटवौसंमुखं पतितो महारण्छे fag: कण्टकैः श्फोरितः wea: परिभ्रष्टो मार्गात्‌ प्ररूखितो विषमो टृङ्कात्‌ भिपतितोऽधोञुखो fewest षुशितान्यज्गोपाङ्गानि। wate त्यात्‌ |

अचानरे समागताश्ीराः। दृष्टस्तेस्तथावखितोऽहं। अभिहित ममोमिः परस्परं श्रे महाकायोऽयं पुरुषो . श्यते परकूले qeqe | तद्‌ WHAT नयामः खस्ामिमूशमेनं। तदाकष्छं खमु- इसितो ममान्तर्निमग्रो वेश्वानरः। श्थितोऽदमुपविष्टः | ततसेषा- सेकेनामिदडितं wt .विरूपकोऽस्यामिप्रायः। ततः wht बध्नीत ययमेनसन्यया दुगे्ो भविग्यति। ततो गाढं इला धभनुःगशाखा- ` भिर्गिंयग्त्ितोऽहं carretera बाह ददतो गालो मे वक्र कुहर ततः खसुत्थापितोऽङह परिहितं अरष्ोवरखण्डं। खेरितो ददद्धिर्गाडप्रडाराम्‌ नोतः कनकपुर प्रत्यासन्नं भोमगिकेतनाभि- धानां fame |. दितो रणवौरस्य प्लौपतेः अरभिहितमनेन | अरे पोकयत तावदेनं येन पुष्टौ faa नौयते ततो यदा-

तोयः TATA: | goy

wrvafa देव इति वदता नोतोऽदसमेकेन ete सखभवने। कोरितं वदनं wat मुत्कलो WUE चकारादिभिः | कुपिति- खौरो। हतोऽहं दण्डादिभिनेवरं समर्पितोऽयं मम खामिनेति मला मारितोऽहममेन। केवलं दापितं कदश्रमं। ततो बुभुचाच्ामकुकितया संजातं मे ea) तदेव कदन्नं भचयितु- मारः पूरितमुदरं। संजातचिन्तोदेगः। गतानि arate arf) पृष्टोऽसौ रणकीरेण चौरः कौौद्शोऽसौ पुरुषो वतैते tfa) प्राह देव कथंचिन्तस्य बलमारोहतति। ततः पितो ऽहमेवं तेन ward कालं Maer समायातः कनक- पुराचौराणाशुपरि दष्डः। नष्टासतस्कराः। सूषिता खा awh ग्टहोता ब्दो war: कनकपुर) गतोऽहमपि aaa) दशिता wet विभाकरमुपतेः। ततो मामवखोक्य चिन्तितमनेन श्रे किमिदमाश्चयं यदेष पुरुषोऽखिशमगेषतया दवदग्धस्थाणकख्योऽपि . नन्दिवधमड्माराकार धारयति। ततो निरूपितोऽशं नखागेभ्यौ वाशाय्ाणि यावत्‌ ततः fed तस्य ya मन्दिवधेनङुमार एवाथं | केवलं कथं तस्येह संभवोऽयवा विचिभाणि विधेविंलसि- ताभि | axuarat fe प्राणिनं किंवा सभवति। तथाहि एकदा NATALIA GAMA: | वचने aut wlacra . देवेति vee एव विधिना राजा तस्मिन्नेव भवेऽन्यदा | रोराकार विधायोक्र्माना कार क्डिग्ग्यते AS एवायं नास्य सन्देशः ततः सुतमिजभावेन

४०९ उपमितिमवदप्रपष्ा कया |

गख्दानन्दोद कम्रवाइखाशितकपोलेन सिंहासमादुत्याय समाकि- fyatse विभाकरेण ततः किमेतदिति विस्मितं राजमण्डशं ततो निवेश्वात्मोयाधासनेऽभिडहितोऽहमनेन वयस्य कोऽयं zur: | ततः कथितं विभाकराय मयाक्मचरितं। विभाकरः WY W कष्टं A सुन्दरमनुष्ठितं भवता uafecafafagey जननोजमकादिमारणमा चरितं | ततः श्रयमपौ जग्छन्येव Fut भवतस्त्तेव फखविपाकः। तच्छुत्वा विस्फुरितौ ममान्तगंतौ हिंशावेश्वागरौ | चिन्तितं मथा यथायमपि मे afteq va थो मलत्कतेव्यमणसुन्दरं मन्यते ततो जातो मे तन्ारणाभि- प्राथः। तथापि gaan fea महाप्रतापतया विभाकर संनिडिततया बडराजडन्दस्च अनिकटवर्तितया verte दन्तो मया Wt: | केवलं छृतं कां gai शकितो विभाकर मदोयाभिप्रायः। थया सुखायतेऽख मटदोयोऽवं sm: तत्‌ किमनेन अतापितेन ततो विहितः प्र्ठुतकथा विचेपः ज्ञापितं सामन्तमरन्तमादौनां ay नमन्दिवर्धगक्ुमारो मम शरीरं जो वितं wae बन्धुभ्ाता पृष्योऽद्च जातोऽहमस् दगनेनातः रुत भिथखमागममहोत्छवमिति ।. तेरभिदहितं। यदाज्चापयति देवः। ततः प्रवतितो are! खपितोऽहं विधिना परिधापितो दिव्यवश्ञाणि भोजितः पर्माश्नेः विलेपितः सुरभिविलेपनेन षितो aurea! दन्तं खयमेव विभाकरेण मनोहारि ताम्बूलं मया त्वहममेनेदममिदडितो यथा सुब्दरमनुष्ितं भवतेति ततो मार यिखाम्बेनं वैरिएमिति ,रौद्रवितकेपरपरादो-

Sata? प्रस्तावः | ges

` दूयमानचेतसा fafwefad) उत्थाय भोजनमण्डपाद्‌पविष्टा वयमाख्ानश्राला्यां | मतिगेखरेण मग्तिणा भिहितं fa विदितं कुमारेण यथा ese गतः सुग्टहौतनामधेयो Sa: प्रभाकरः। ततो धूनिता मया कन्धरा इतं विभाकरोण ery लोचनय गलं अभिहितं aaa ताते परोकेऽधुमा युश्नाभिस्तातकार्थमनुष्टेयं | तदिदं wend वयमेताख्च तातपादप्रसादलाशिताः nee: प्रतिपन्नाः किङ्करभावं area) यथेष्टं नियोच्यतां ततो तरैश्वा- वेशष्णादवखितोऽङहं atta) ल्ितो दिवसो दन्तं प्रादोषिक- माख्यानं। तदन्ते विषजितराजमण्डखो निवाधं भियतमाप्रबेशं मथा बहातिच्छहनिभरतया मडहारहयामेकस्यामेव शय्यायां प्रसुप्तो वासभवने विभाकरनरे्धः। ततो भद्रेऽग्टरोतसङ्ते तदा मया दिंसवेश्वागरम्यां विधुरितदयेन तथाविधोऽतिख्िग्धविश्रथो विभाकरः शमुत्थाय विनिपातितः पापेन निगतथाहं परिधान- fama खक्मेजासेन पलायितो वेगेन निपतितोऽरग्यां सोढानि मानाविधदुःखानि। प्राप्नो महता Hua ङुश्रावर्नं। विश्रान्तो बदिः कानने। दृष्टः कनकगेखरपरिकरेण। निवेदितः कमकशुडकनकशेखरयोः | विन्तितमाग्वां भवितव्यम कारणम यदेकाकौ मन्दिवधेन cf ततः समागतौ कतिचिदाप्षपुरुष- .. परिवार wend) विदडितमुचितं feat मथा सोत्र कमकशखरः ष्ष्टमेकाकिताकारणं। मया चिन्तितं श्रस्यापिनम प्रतिभाषिश्चते मदौोयचरितं। af कथितेन ततो मयाभि- fea) श्रखमनयथा कथया कमकशथेखरः प्राह किं away

gos उपमितिभवप्रपश्चा SUT |

कथ्यते wate नेति। Brace कुमारावश्यतथा कथयभोथमितरथा भवति मे fen निर्वाणं ततो भयादिष्ट- मयमुष्रहण्यतोति चिग्तयतो Asmat wefeat हिसाैश्वामरौ | Walser कनकश्ेखरकरोतटाक्ततान्तजिहाभासुरािपुजिका | समुङ्गोणेः कनकशश्चरमारणाय wwe! ततः किमेतदिति प्राश्न वेगेन कमकचृडादयः | MIRA: कोशाः | fase कनक- शेखर गुणावजिततया यथासंमिहितया देवतथा। wafer पश्यतामेव तषां गगनमार्गेण मोतस्तद्विषयसन्निदे शे चिप्तस्तवा- मम्बरोषाभिधामानां बौरसेनादीनां wert मध्ये इृषटस्तेणथे- वोड्णपरहारो ग्टहौतच्रिकः। प्रत्थभिश्चातोऽनौभिः। पतिताः पादयोरमिदहितं तैः देव कोऽयं amar) शकितं मया जख्पितुं। विस्िताश्रटाः। आनौतमासनं। शकितं मयोपवेष्टं | ततो गता दन्यमेते | तत्करणयोन्तम्भितोऽहं देवतया चालितान्यङ्गानि इष्टस्ते वराकाः ` निबेशरितोऽहमासने पुनरपि ve: प्रस्ठतव्यतिकर। मया चिन्तितं) aet यज यच त्रजामस्तज तच वयमेमैः परतभिपरायफेरशो कवन्सखेलेकिरा सितं way ते व्ख्लमप्रतिवशनाः पुगः grat एच्छन्ति ततो विस्फूुरितौ मे feramadl: भिपातिवाः कतिचिषरटाः। शातः कल- कखः | ततो बडलान्तेषां zeta मम दस्तादसिपुजिका.। बद्रो- ऽइमात्मभयेन अरभारेन्त गतोऽस्तं दिनकरः विजम्मितं तिमिरं अमाशोदितं चरटेः। यथा पूवैवेरिक एवाथमदखयाकं नन्दिवर्धनो येन इतः प्रवरसेनोऽधुनापि घातिता एतेनेते प्रध्पभपुरुषाः |

SAT: प्रस्तावः 8४०९

तयापि प्रतिपश्नोऽस्माभिरेष खाभिभवेन प्रख्यापितो लोके, विश्चातमेतद्‌ णस्तरेषु ततोऽस्य मारणे महानयश्रसकारः संपद्यते | नेष वद्धिवत्पु इखके कथं चिदारयितुं - शक्यः! तस्माद्‌दूरदेभर Nar त्याग vara श्रेयानिति श्ापितः सिद्धान्तः॥ ततौ निधग्तितोऽहं गन््ामारटंख्च बद्धो sau वदमरेगे | युक्तौ. मनः- पवनगममौ art | प्रखापिताः कतिचित्पुरुषाः | fear गन््ौ- गला रजन्येव दादश योजमानि। ततः प्रापितोऽहमनवरतप्रया- केः MFI Bet मलविणयाभिधाने बदिष्कानमे गताः ख्यानं VARA ATA: सोकबेलायां श्रकाण्ड एव fasta: खछरभिपवनः विसुक्रः सहजोऽपि वैरानुबन्धः पशटगणेः। भुवनभियेव तत्छमाध्यासितं काननं समवतौर्णः समकमेव सवं waa) प्रमुदिता विषङ्गम- गणाः | मनोदरमनु्ञालताशं Led . मधकरावलोमिः। विगत- तापं विग्रषतस्तमुद्‌ ्मुद्योतयितुमारग्धो दिनकरः तथा ममापि मनाग्गलित इव चिन्तसन्तापः॥ तदनम्तर देदग्धवणप्रभाप्रवाद्ेण द्योतयन्तो दि क्चक्रवालं समागतास्तज्र देवाः शोधितं तेन्धैतलं एृष्टमतिसुरभिगन्धोदकं। विसुक्रः पञ्चवशेमनो हारिकुसुमप्रकरः | विरतं विश्रालमतिरमणौय afagfza विदहतं तस्योपरि कनककमलं विस्तारितमुपरिष्टादवदूष्यवितानं श्रवलम्नितास्तच मौ क्रिकावचूलाः। ततः BARAT कितमागेः FTA ta ययेष्टफलदायितया कनकगिरिरिव स्विरतया चौरनौरभिरिव

यणएरन्नाकरतया WAT इव श्ोतलेश्यतया दिजकर दव सप्रताप- 52

sxe डपमितिभप्रप्चा कथा |

तया चिन्तामणिरिव दुखेभतया सष्टटिक इव नि्मखतया war दव सवंसद्दिष्लतया गगनतच्लमिव face गन्धकरौव वरकरिभिः परिकरितः खप्रतिविम्बक्रैरिव बङविधविनेयेः समागतः केवलश्चानदिवाकरो विवेको ara: घमुपविष्टः कमककमले। प्रणिपत्य विदडितकरासुश्चुला fawar परिषत्‌ प्रारभे VST श्रजान्तरे भगवतः प्रतापं wean मदौयग्ररोराक्नि- गेतौ दिंशवेश्वानरौ दूरदेशे fant भां प्रतोषमाणौ | अयारिदमनो राजा सुनि विश्चाय लोकतः पुरो जिगंतस्तख्छ सुनेवंन्दनकाम्यया तथा मदनमश्जूषा था दन्ता मम कन्यका | सापि तच समायाता षडिता रतिचुखया विहाय पञ्चचि्ानि भक्रिनि्भरमानखः | राजा शतोन्तरासङ्गः प्रविष्टः quaay y पञ्चाङ्गप्रणिपातेन पादयोन्यैस्तमस्तकः | प्रणम्य aft af ललाटे रतक्ुद्मलः कथम्‌ | अन्नागतिमिरोश्छेदकरनाय दिवाकर | नमस्ते रागसन्भापनाश्रकारिमिश्ाकर्‌ खपाददगनेमाद्य नाच कार्ष्छसागर | भवता भवनिननांश्पूतपापाः शता वयम्‌ ata मनु जातोऽसि राज्येऽदयेव प्रतिहितः |

दतौयः प्रस्तावः | | sre

wea पटुकणऽसि पण्याम्यद्ेव चचुषा यदद्याखिलसन्तापपापजौणविरे दनम्‌ | भाग्यसंखचकं मन्ये संपन्नं तव दशनम्‌ एवं way रजेः सूरि सदितकसख्मषम्‌ | प्रणम्य weary fare: WRITS खर्गापव्गं प्यस्य सत्यंकार warfare: | यरूभिबनिभिखोषधमलाभः wit नृपे ततः BANU शेषलोकेषु भावतः | प्रयुक्रो कया शुङणारम्मि देशमा कथम्‌ भो भव्या भवकान्लारे पथैटद्भिरनारतम्‌ | TIMES हेष Wa: सर्व्ञभावितः यतः। अनादिरेष संसारः aretsnfe: प्रवाहतः | जोवाञ्चानादिकाः सरवे दृश्यन्ते शान चचा चेते प्राप्ुवम्तोऽसुं धमे सवंश्चभाषितम्‌ | कदाचिदपि पूव तु aaa भवभाजनम्‌ अथावाप्तो wast ध्मोऽमोभिः कदाचन | ततः ङतो भवोऽमोषां क्ष ताण वड्धिमौलके तस्मात्सुभिसितं राजन्नेतन्नास्यत्र संश्रयः | Harare: पुरा War जन्तुभिजिंनदे शितः एवं faa

ere - Sufafaaqrrgt कथा |

सुत्कसोऽस्माकमपि केमचिदकाण्डविद्धर सन्पादनेन धमेकथाश्रवश- fanta: स्यात्‌ तस्माक्ञावदयं यथान्या समेवास्तां ware करिव्यामः | wert चेष aque: यस्यं चरितं तदधना तावदपरं भगवन्तं सन्देहं waa: ततोऽभिहितं नृपतिना भदन्त मन्दिवधनङ्ुमारोऽस्माभिरेवंशणः समाकितिः यदुत |

वोरो दकः खिरः प्राञ्चो महासत्वो gaz: |

ङूपवाश्नयमागंश्ः सवं शास्विश्रारदः

णानां निकषस्यानं प्रख्यातपरपौरुषः |

अतोऽनेन महापापं कथं चेष्टितमो दशम्‌ ti

सखूरिशमिहित राजन्नाख्य दोषस्तपस्िनः।

तादृग्णुणगणोपेतः खरूपेरेष वतेते

राजाह भनु BRET दोषो ara विवेद्यताम्‌

यद्येवमाद्मरूपेण निर्दोषो नन्दिवर्धनः

ततो दरूणाभितं चदेतहृश्वते grates शष्णरूपं मा तुषदयं

अश्वेव समसोऽपि ete: 1) ततो नरपतिना विस्फारितं तदभिसुख- मौोखण्युगणं निरूपितं ewt tet तश्धाशुषदयं गदितं चानेन | भगवश्नेकोऽज मनुष्यो fatter मारोति खच्छते भग- वतामिदहितं | सखम्यगवधारितं महाराजेन गुपतिराइ भदन्त कोऽयं ave: | भगवताभिडितं एष महामोहस्य पौचको ईेष- गजेश््रष्य समुर विवेकितानन्दगो वेश्वानरोऽभिभौयते we हि RAMA प्रथमं क्रोध इति माम प्रतिहतं पञशचात्खगु्ठरस्य परिजनकाश्रादिदं fata वैश्वानर इति प्रियमामकं संपन्नं

तोयः प्रावः | ` ४९१५.

नुपतिराइ तरिं नारौ केयं भगवताभिदितं एषा ta मजेच्प्रतिबद्श्य दुष्टामिसन्धिनरेषरब्य निव्करणताया महादेव्या दुहिता रिंसोच्यते गृपतिगाभिडितं अनेन afeningate SWAG: कः सम्बन्धः भगवानाइ Harty एतं fawn भवतोऽगयोख खमपिंतददयोऽयं गणयति quand नापे- चते uated श्यति ag नाकखचधति पेथापेधं लानोते वाच्यावाच्यं मावगच्छति गम्यागम्यं न॒ बुध्यते हिताडित- विभागं ततो रिक्मरन्ति aaa aft समस्ताः ewe निजदणाः | परावर्तते निःगेषदोषपुश्चतयाख्यात्मा ततो aer- राज नग्डिवर्धनेनानेन बाश्काले कदर्थिता निरपराधा दारकाः खलोहृतः कशोपाध्यायस्ताडितो हितो पदेश्दाथकोऽपि विदुरः तथा वर्णेन खता घातिताः प्राणिसंघाताः fate awregrat- अनितो omg: परमो पकारिणौ बान्धबावपि मारयितुमा- रम्यौ facet कमकचुडकनकशेखरौ तदारत्पुगयेदनेनाचरितं सुटवचनेन बहाकाण्डभण्डनं तन्ारणं च॒ तथा जननोजनक- खोदरमगिनोप्रियभार्यादिष्यापादानं गगरद इमं खेहनिभेरमिन- त्धनिपातनं तज्िवेदितमेव युभ्राकं एष महाराज समस्तो ऽप्यनयोरेव पापयोरिंसावेश्वानरयोरश्य भाधावयस्ययोदेाष- संघातो पुनः wane तपखिनो नन्दिवधनङ्मारख दोव- मन्धोऽप्स्ि | AUS खरूपे स्यामममम्तज्चानस्य भाजनममन्त- aime wire निलयनमनन्तसुंखस्य कुशभवनमपरि- faayuat | चेदृश्मात्मखरूपमथाप्येव वराको श्यति

४९१६ उपमितिमवप्रपद्चा कया |

तेनागयोः पापभा्यांवयस्ययोः खरूपविपर्यांसकारिणो वंशे वतेते | तया वतंमागोऽयमेवंधिमनन्तद्‌ःखहेतुखतामनयेपरपरामासा- दयति नृपतिनाभिडितं। भदन्त स्फ टवचनव्यतिकरात्‌पूवंमस्माभिः yaaa चदुतानेन नन्दिवधेनङ्कमारेणोत्पद्मा- नेमानन्दितं we वर्धितं कोश्रदण्डसब्डध्या तोषितं नगरं | वर्धमानेन पुमराह्धादिताः प्रतयो विस्तारितो guaran: प्रतापेन वश्नौशतं wawe निजिताः waa: wetat जयपताका agufan यशःपटहः सिंहायितं श्लले श्रवगाहितः सखाग्टत- सागरः। तत्‌ किं तदास्य नास्तामेतौ पापभार्यावयस्छौ यदम दुःखपरपराकारण्न्डताविति। भगवताभिहतं | महाराज तदापया- सामेतौ विं तु तदान्यदेव कष्याणएपरपराकारएमासौत्‌ नृपति- ae) किं तत्‌। भगवतोक्र। पुण्योदयो नाम सहचरः हि विद्यमानः खकौयप्रभावेण सर्वेषामेष मनन्तरोक्रानां पद्मराजकदुला- गन्दजननादोनां प्रयोजन विशेषाण्णं ee: कारणं केवलं महा- मोहवशाश्न afedtsaa भन्दिवधनेन acta: प्रभावः। पुष्यो- दथमाशाब्यजातमपि कल्याणकदम्बकं हिसावेश्वानर प्रतापजनितं मैत दित्येवमेष मन्यते wi ततोऽयमविगेषन्च इति मला विरक्रोऽसौ guiza:) ast avast दिशं स्फटवचनव्यति- करावरे | ततस्तदिकलस्यास्य भन्दिवधेनङमार खेदमनथेकदम्बक- anat दििसावेश्वानराभ्वां शुपादितमिति। नृपतिराह भदन्त कियान्यनः aretse feat सह सम्बन्धस्य भग- वताभिहितं श्रनादिपरिषितावस्येमो हिंसावेश्वानरो केवलम

aaa: प्रस्तावः | 8९७

पदश्मराणग्ट्े निवसतोऽख्याविश्वंता विमौ | a तिरोश्लौ feat | मृपतिराइ किमनादिरूपोऽथं नन्दिवधेनङ्मारः भगवागाईइ agi नृपतिराह तत्किमिव्यय पञ्मराजपुचतया प्रिद्धः। भगवानाह | मिश्यामिमानोऽयमस्य यदत पद्मराजपुजोऽडहं wat नाजाश्छा fader: नृपतिनोक् भदन्त तत्परमाथेतः कुतच्योऽय- मवधायेतां भगवताभिडहितं | श्रसव्यवहारनगरवासव्यः कुटु- faatsd ससारिजोवनामा कमेपरिणममहाराजादेशेन लोक- ख्ितिनियोगसुररोशृत्य खभायेया भवितव्यतया ततो नमगराजिः- सारितोऽपरापरस्थानेषु पर्यटन्‌ धारयेत इत्यवधारणौयं। नपति- राह भदन्त कथमेतदिति सप्रपञ्चामस्य वक्रव्यतां ओतुमि- च्छामि। भगवानाह) महाराजाकणेय ततः कथितो भगवता समस्तोऽपि विस्लरेण मदोयव्यतिकरः ततः चृखतया भगवह्‌- wasfizare विमलतया बोधस्य प्रत्यायकतयथा भगवदलमस्य शघुकमेतया जोवस्य प्रत्यासन्ञतचा महाकखयाणस्य staan Wai श्रये भगवता `विमलकेवलाशोकेनो पलन्यास्य नन्दिवर्धन कुमारस्य सम्बन्पो भवप्रपश्चोऽयमनेन व्याजेन प्रतिपारितः। ततो ऽभिडितमनेन भदग्त ययेवं amauta तथेवेदमुतान्ययेति | भगवानाह | महाराज तथेव मार्गानुखारिण हि भवतो बुद्धिः | तत्कुतस्तचान्यथाभावः। गुपतिनाभिदहितं। भदन्त तक्किमषयेव नन्दिवधनस्यायं टक्लाग्तः कि वान्येषामपि प्राणिनामिति भगवा- नाह महाराज षर्वेवां शंसारोदरविवरव्तिनामसुमतामेष व्यतिकरः प्रायेण समावतेते | तथाहि खिताः सवऽप्येतेऽनारिकं 53

४१९८ उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

कालं प्रायोऽसांग्यवहारिकलनोवराशिमध्ये। तच निवेसतामेतेषा- मेत॒ एव क्रोधमानमायाशोभाखूवदारादयोऽन्तरङ्गः परिजनः याव्मख्चागमप्रतिपादितानुष्टामबलेन जोवाः सिध्यन्ति तावन्त एवा- सांयवहारिकनोवरागिमध्यादागच्छन्तोति केवलिवचनं ततो निमेताखेतेऽपि सवं जवा विडम्बिता wate कालमेकेद्धियेषु विमारिता विकेश्छियेषु विगोपिताः पश्चेद्धियतिर्यग्धो निजेषु कदर्थिता नामाविधानन्तद्ःखेः कारिता बङृविधरूपाणि सतत- मपरा परभवप्रायोग्यकमेजालविपाकोदयडारेण भवितव्यतया afa- ताखारषडघरौयन्लन्यायेन सच्छनादरपर्याप्तका inayat वायुवनष्मतिदो feral fara lt न्ियसश्यसंन्निपश्चे दि यतियग्यो- मिलव्चरनसचरा दिभेद विवर्तन सवंस्थानेषु प्रत्येकमनम्तवाराः | ततः afaena: कथं चिन्हासागरपतितेरिव रन्नदोपं महारोग भराक्रान्तेरिव aU विषमृङिंतेरिव महामन्तो दारिन्चाभि- भर तेरिव चिन्तामणिः प्रा्तेऽतिद्‌लभोऽय मनुव्यभवः। aria महानिधि इव वेताला शश्रमाविभेवभ्येते दिषाकोधादयो दोषा यैरभिश्वतास्िषठनतु तावदेते प्बलमहामोहनिद्राघूपित- मानसा नन्दिवधनमङ्गुला वराकसत्वाः fa afe येऽपि जिनवचन- salon जामन्येनं wary लचयन्ति मनुखभवद्‌ लंभतां बुध्यन्ते संसारसागरतारकं धमे वेदयन्ते खसवेदनेन भगवदवचनायं fafy- afin निदयमानन्दष्पं परमपदं तेऽपि बाखिश्रा ta प्रवतंन्ते परोपतापेषु भवन्ति गर्वाश्चाताः कुवन्ति परवश्ननानि coq दविणणोपाजेनेषु व्यापादयन्ति edad भाषन्तेऽलौोकवचनानि

SAT: प्रस्तावः | Bre

alized परधनं waa विषयोपभोगेषु wea महापरिग्र भजन्ते रजनौभोजनानि तथा सुद्यन्ति शब्देषु qefa रूपेषु लुभ्यन्ति रसेषु ठणन्ति गन्धेषु wheat ung दिषन्ति चा- निष्टशब्दादौन्‌ रमयन्ति पापस्थानेषु सततमन्तःकरणं निय- नयन्ति भारतो उच्छङ्खलयन्ति कायं भच्यन्ते दूरेण तपश्चरणात्‌। ततोऽयं मतुव्यभवो मोकचाचेपकारण्ड्डतोऽपि तेषामघन्यतया केवलं म॒ किचिह्ुणएलवलेशमा चमपि माघधयति fa तहिं यथास्य नन्दिवर्धनस्य तथेव प्रत्युतानन्तदुःखपर परा क्रलसंसारकारणतां प्रति- पद्चते। तथाहि प्राप्नोऽयं मनुब्यभवोऽनादौ TAT पूर्वमनन्तवारान्‌ म॒ सद्धर्मानुष्टानविकलेमानेन - किचिक्छाधितं श्रत एवास्माभिः पूव भगवद्धमेस्यात्यन्तद्लंभता प्रतिपादिता तथाहि

पड्मरागेन््रनोला दिर न्नसष्ठातपूरितम्‌ |

za भवनं TAS तु जेनेन्द्रशासनम्‌

VAS कोषदण्डाभ्यामेकच्छचमकणष्टकम्‌ |

सुप्रापमोद्शं राच्यंन तु धर्मों जिनोदितः॥

संपूंभोगसन्प्रा्षिप्रो एितेद्ियमानषम्‌ |

सुलभं नुपदेवत्व भ॒ मत पारमेश्वरम्‌

संसारे परमेश्वयेकारणं श्प शन्ते |

wxaafa Naa wat जिनदेगितः

एते fe भावा राजेन्द्र संसारसुखकारणम्‌ |

सद्धमेस्त qaixim निर्वाणसुखकारणम्‌

निर्वाणसुखषसारख्खयोख परस्परम्‌ '

४२० उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

चिन्तारन्नस्य काचेन यावन्तावहुण्णन्तरम्‌ एवं भ्नातमाहात्ेः संशारे रि तत्वतः ईद्चधमेषग्प्रािश्ंप केनोपमोयताम्‌ vafaa | एनं ससारविस्तारं विलंष्य Hua: | ATS प्राय दुष्प राधाबेधोपमं जनः यो जनमपि संप्राप्य शरासनं कर्मनाश्नम्‌ | डिदाक्रोधादिपापेषु रज्यते मूढमानसः संहारयति area चिन्तामणिमनुन्तमम्‌ | करोत्यङ्गारवाण्च्ि दग्ध्वा गोश्ेषेचन्दनम्‌ भिनत्ति नावं मूढात्मा लोहाये महोदधो | Qari दारवल्ुचेवेडयै रन्नसुत्तमम्‌ प्रदौपयति alee देवद्रोणी महन्तमाम्‌ | Taarat पचत्यं खलक मोहदोषतः सो वणेला्खायेण fafeat वसुधां तथा अकंवौजं AWG SMT Faas: fant auveuifa कोद्रवाणां समन्ततः | afa विधत्ते मूढोऽयमडहं सश्रुतिकः किल यतः डिमाक्रोधादिपापेषु जन्तोराखक्रचेतसः | सड्मेऽयं जिनेश्धोक्रो gugte गच्छति सद्धमेरहितख्चासौ पापपूरितमानषः |

तोयः प्रस्तावः | ४२१

मोचमागलेश्रन कथंचिदपि qaqa

ततो जानन्नपि बलात्युनर्भोमि महोदधौ

निर्बलं याति मोहान्धो यथायं नन्दिवधेनः

नुपतिनाभिदितं | भगवंस्तस्य मन्दिवधेनस्य किनियतापि प्रप-

aa want खसवेदनससिद्धेऽपि निजशरिते संजातः प्रबोधः | ananfafed महाराज केवलमस्य प्रतिबोधाभावः fa तरिं मयि कथयति प्रत्युतास्य महानुद्धेगो वतेते नृपतिर | किमभवयोऽयं | भगवतोक्तं नाभव्यः किं afe भव्य एव केवल- मयमस्येव वैश्वानरस्य दोषो यन््रदौयवचनं प्रतिपद्यते | यतो- ऽयमनन्तोऽनुबन्धोऽसयेति wat श्रनन्तालुबन्धौति टयोयनान्ना afafuafad ततोऽ विद्यमाने सुखायते मटौोयवचनं उत्पाद यत्यरतिं जनयति कलमलक ततः कुतोऽस्य तपखिनः ्र्ोधः। पयरितव्यमदयाप्यनेन नन्दिवधनेनास् वश्वानर स्य प्रणदाद- परापरस्थानेषु दुःखमनुभवतानन्तं कालं प्राप्तव्या वैरपरपराः | नृपतिराह | भदम्त महा रि पुरेषोऽस्य वेश्वानरः। भगवतोक्ं पर्याप्त- मियत्या महरि पुतथा नृपतिराह किमस्येवायं वयस्यः किं वा- नयेषामपि saat) भगवानाह | यदि महाराज स्फुटं प्रञ्मयखि ततस्तथा ते कथयामि यथा पुनः प्रष्टव्यमिदं भवति नुपतिराद श्रनुगरो मे भगवता भिहितं इष्ट सवेषां Marat प्रत्येकं चौणि fife कुटम्बकानि तद्यथा लान्तिमादंवाजेवमुकिन्चादशनवीयं- सुखस्य शौ चतपःसन्तोषादौनि यच सहमानुषाणि तदिदमेक कुटुम्बकं तया क्रोधमाममायाशोभरागदषमोहाज्ञानजोकभया-

9२२ उपितिमवप्रपश्चा कथा|

विर्‌ तिप्र्तयो यत्र बान्धवाः तदिदं दितौय कुटुम्नक तथा Tat तदुत्यादकौ स्तौपुरुषावन्ये तथा विधा लोका यच सम्बन्धिनः तदिदं ana कुटुम्बकं कुटुम्ब चितयदारेण चासंख्याताः सखजनवर्गाभवन्ति। aw यदिदमाद्यं कुटुम्बकमेतव्ञौवानां खाभाविकमनाद्यपथेवसितं डहितकरणएग्रौलमा विर्भावतिरोभावधमेकमन्तरङ्ग वर्त॑ते ate- प्रापकं यतः प्रहृल्येवेदं जोवसुपरिष्टान्ञयति | यत्पुनरिद्‌ दितोवं कुटम्बकमेतव्नौ वानामखाभाविकं | तयापविश्चातपरमार्थे- waned तद्गाडतरं खाभाविकमिति तदनाश्पयेवसितम- भव्यानां श्रनादि सपर्येवसितं केषां चिद्धव्यानां एकान्तेनाहितकरण- श्रो लम विर्भावतिरोभावधमेकमन्तरङ्ग वतेते संसारकारणं | यतः प्रशृयेवेदं जौवमधस्तात्यातयति | यत्पुनरिदं तोयं yeaa मेतव्जो वानामखाभाविकमेव तया सादि सपयंवसितमनियतसद्खावं यथा waa हितादितकरणश्नौलसुत्पन्तिविनाश्धमेकं बहि

रङ्ग वतेते तथा भव्यतया संसारकारणं मोकारणं वा भवति। यतो बाल्येन दितौयङुटुम्बकस्यावष्टम्भकारकमिदमतः संसार- कारणे यदि पूनः कथं चिदाद्यं कुटुम्बकमनुवतेते ततो जोौवखेद- मप्याद्यकुटुम्नकपोषणे सहायं स्यात्‌ ततस्च मोखकारणतां प्रति- पद्येत तदेवंश्विते महाराज यदिदं दितौयं टु्बकमस्य मध्य सर्ववां संसरि जौ वानामेष वैश्वानरो वयस्यस्तययमपि हिसा भार्या विद्यत एव माच सन्देहो विधेयः नृपतिर भदन्त यदोद- माद्यं कुटुम्बकं खाभाविकं दितकरण्ोलं मोच्कारण तत्कि fama stat गाढं नेदमाद्धियम्ने। यदि चेदं दितौयकटुग्बक-

Sata: प्रस्तावः | ४यदे

मस्ाभाविकमेकान्तेमाडहितकरणगोलं संसारकारणं तक्किमितो- मे जवा गाढतरमिदं पोषयन्ति भगवानाइ महहाराजाके- याच कारणं! एतदा कटुम्बकमनेन दितौयज्खटुम्बकनानादौ संसारे सकशकालमभिग््तमास्ते। ततो भयात्तिरोभावं गतस्य तस्य संपन्नं कदा चिद भिव्यक्रं दशनं ततो खच्यन्धेते वराका नौवा- quad Faas) तेन तस्योपरि गाढमाद्रं water | विद्चमाममपि तद विद्यमानं मन्यन्ते तख erate वणंयन्तमस्म- दादिकं गणयन्ति एतत्पुमदिंतौयं कुटुम्नकमनादौ संसारे भ्चश्तस्याचङुटुम्नकस्य निराकरणटदवा्तजयपताकं खम्भप्रसरतया aaa प्रायेण सकलकालमा विश्ैतमेवास्ते। ततः wea तेन weet लोवानामरनिंश्रं sia ततो वधते प्रेमबन्धः ससुत्प- wa चिन्तरतिः संजायते विश्रम्भः प्रादु भवत्यनेन सह प्रणयः | ततोऽस्य दितौयङ्टुम्बकस्य सततमनुरकमानसाः खल्वेते War मं पश्यन्ति दोषसंघातं समारोपयनधस्यासन्तमपि गणसन्दोहं तेनेदं गाढतरमेते पोषयन्ति। ददभेवेकं परमबन्धग्धनमस्माकमिति मन्यन्ते Way दोषप्रकाग्कमस्मदादिक शचनुद्या गन्ति नृपतिराह भदन्त सुन्दरं भवति यद्येते तपद्िनो star अनयोः कुट्म्बकयोगैएदो विगरेषमवगच्छेयुः। भगवानाह किमतःपरं सुन्दरतरं | एतावग््माजमेव fe निः जेषकल्याणामि वाज्छता परमार्थतः पुरुषेण कर्तव्यं यदुतामयोः प्रथमद्दितौयथोः चटुम्बकयोगुणदोष- विग्ेषपरिन्नानमिति तथास्माभिरपि Marat धमकथाभिरेता- बन्ममाचमेव संपादमोयं। केवलमेते जोवाः खयोग्यतामन्तरेण

ee ee

828 उपमिदिमवप्रपल्चा कया |

नानयोर्विं गरेषं कथंचिदपि श्ापयितु we तेनायोग्ेषु वयमपि गजनिमौशिकां ga: यदि ga: vaste Star श्रयोः क्ुटुम्ब- कयो एदोषविगरेषमवगच्छयुख्तदादित एव संसारोच्छेदः स्यात्‌ ततो निरारृ्येदं दितौयं gem सर्वेऽपि Mat ate गच्छेयु- रिति। नृपतिराह | यद्यवमशक्धानुष्टानं स्वेषां जोवानामनयोगेण- टोषविशरेषश्चापनं तत्किमनया चिन्तया warfafamauaga- वत्यादप्रसादेनागयोः कुटम्बकयोग दो षविशेषः | aa: सिद्धं aaifed यतः |

परोपकारः RA: सत्यां wat मनषि

परोपकारासामर्थे Haley मदा दरम्‌

भगवानाह | परिज्ञानमाजरं जाणं नृपतिराह यदन्यदपि

fata तदादिश्नत॒ aren) भगवतोक्तं way विधेयं अद्धानमनुष्टानं AAA भवतः BETA Was पुन- afe शक्रोषि ततः शिध्यत्येव समौोहितं नाच सन्देहः केवलं तजातिगिर्चुणं कमे समाचरणोयं। मुपतिराइ | भदन्त कडू AA | भगवानाह यदेते साधवः सततमसुगशौणयन्ि नृप- face यदनुग्रोखयग्येते तच्करोतुमिच्छामि। भगवतोक्र WRT |

wufcaeerg दितोयं यत्कुदुम्नकम्‌ |

योधयन्ति aca चोरचित्ता दिवानिशम्‌

तथाहि | निष्ण थत vacated इटुम्बकम्‌ |

Bara: Weta | रश

तं घातयन्ति ज्ञानेन महामोहपितामहम्‌ UWA: समस्तस्य कुटुम्बस्य महाबलः |

रागं वेराग्ययन्लेए AT qe अन्यच्च निरनुक्रोशा रागस्टेव azz |

Si मेचौश्ररेणोदचेरेते निघ्नन्ति साधवः चमाक्रकचपाटेन पाटयन्ति सुदारुणः |

एते भोः साधवः क्रोधं रटन्तं स्तिग्धवान्धवम्‌ क्रोधस्य wat मानं तयेते देवनन्दनम्‌ |

इत्वा मादंवद्ङ्गम खालयनधपि नो करौ मायामाजेवदष्डन दलयन्ति तपखिनोम्‌ | लोभं सुक्रिकुटारेण Cretan खण्डशः तयते भ्ुनयो न्प चखेहाबन्धपरायणम्‌ |

कामं निष्योद्य हस्तेन मदंयन्तौव मल्कुणम्‌ ` ददन्ति शोकसम्बन्धं तोत्रण ध्यानवद्धिना |

भयं भिन्दन्ति निर्भोका धेर्यबारेन ageq we रतिजँदयष्णा तयार तिः पिद्रव्वसा | विबेक ग्रहा राजेन्द्र साधुभिर्दारिता पुरा॥ अन्यश्च भाद भाष्डानि पश्चाराणि सुनिर्घणः | सन्तोषभुद्गरेणोचेदं लयन्तोड साधवः

एवं ये से भवन्त कुटुम्बे fara: | तांस्ताज्निपातयन्येते जाताश्नातान्‌ सनिदंयाः atafa बलं नित्यं प्रथमे कुटुम्बके |

54

श्यद्‌

उपमि विभवप्रपञ्चा कथया

स्वेषां िग्धबन्परनामेते राजञ साधवः

पुष्टं गतेन तेनोखेनिंदतं भग्रपौरुवम्‌

अमोवां बाधकं नेव तद्धितोयं कुदुम्नकम्‌ अन्यच्च पोषकं qr दितयस्य उतोयकम्‌ राणननतरः ufiam सर्वभेव gang यावन्त॒तौयं त्यक्तं तावण्नेत we दितौयमपि area पुरषेण छ्ुटुम्बकम्‌ # अतो यद्यस्ति ते वाका सषारमोशने। लतोऽतिनिचृणं कमं मयोक्रमिदमाचर

केवशं सम्बगालोश्यं मध्यस्येनान्तरात्मना |

fa wea मया ad किंवा नेदमिति ल्या एतेऽतिनिर्धुष्णः कमे कथंचिदिद मोकगरम्‌ t कुवंगधभ्यासयोगेन PAT साघवः॥

अन्येन GTS कमे बन्धुदथाल्‌ना | चिन्तयितुमपि नो श्क्यं करण दूरतः सितम्‌ o

fa al

योऽयं त्यागस्ततोयस्छ दितो यस घातनम्‌ ! कटुम्नकस्य THR प्रथमस्य पोषणम्‌ एतश्लयं WLM कला श्रद्धानमश्चसा। अनुष्ठाय व्यै यांसो मुनिपुङ्गवाः भवरप्रपश्चान्िमुक्राः सवंदन्दविवजिंताः |

feat स्ञाभाविके ea मोदम्ते मोचवर्तिंमः #

तवः प्रावः | 8२७

सदिदं दुष्करं कमे किं तु पये्तसन्दरम्‌ | एवं gaat श्प gee यदि रोचते नृपतिराह | शिष्टं भगवता पूवे क्टुम्बदयमा दिमम्‌ | अविच्छिलं प्रवाद्ेण सदानादिभवोदधौ ` wate पुनरदिष्टं विमागशोत्पन्तिधमेकम्‌ तत्किं भवे भवे नाय संभवत्यपरापरम्‌ खरिराड महाराज संभवत्यपरापरम्‌ | भवे भवेऽ जन्तूमां THT कुटुम्बकम्‌ ! TNE नाय यद्येवं ततोऽनादिभवाणवे | अनन्तानि कुटुम्बानि व्यक्रपू्वाणि देहिभिः aire महाराज सत्यमेतन्न संशयः | एते fe पयिकप्रायाः सवं जोवासपस्िभः ततख | अन्यान्यानि goats मुञ्चन्तो वासकेख्विव | श्रपरापरदेषेषु संचरन्ति पुनः पुनः॥ राजा नाय यद्येवं ततोऽजापि भवे नृणाम्‌ कुटुम्बे खेहसम्बन्धो महामोहविजम्ितम्‌ सूरिरा महाराज सम्यग्भ्ञातमिदं वया aware fant at वा Hare सकणंकः.॥ TINTS Gt शक्रोति aa नाय faaqug | दिनौयस्य कटुम्बस्य कथं चिच्छक्तिविभमात्‌ .

४२९८

उपमितिभवप्रप्ञ्ाक्या।

ठतो यस परित्यागान्तस्य किं जायते फलम्‌ थथोक्रं यदि ar नेति ममेदं प्रविकेचय aficre महाराजयथो इन्ति दितोयकम्‌ » दतोयत्यजनं तस्य नुनमा्दमविइम्बनम्‌

aaa fe परित्यश्य यदि इन्याननिराङ्खनः। दितौयमेवं aver: खफणो विफलोऽन्यया

मृपतिनाभिदहितम्‌ भद यद्येवं ततः |

मवप्रपञ्चं fama महाघोर दुस्तरम्‌ | अवाप्य मानुषं जग्म संसारेऽग्यन्तद्‌ श्भम्‌ अनन्तानन्दसंपूफे ate विज्ञाय तत्वतः |

तस्य BTW बुद्धा MATT & युद्यादशेषु नाथेषु mas शितकारिष | कुटुम्बचयदूपे विज्ञाते परमायेतः

को नामाद्यक्ुटुम्बस्य पुरुषो Teanga: | कुर्या पोषणं नाय बन्धन्डलस् तत्वतः

विघ्नं वसण्टद्धोनां सवव्यसमकारणम्‌ |

fama कान को दन्ति nea छदुम्बकम्‌ oe येनात्यक्तन Tele परमं सुखम्‌

को त्यजति awa दरतोयं वा कुटुम्बकम्‌ GATE महाराज HAT NAAT ददमेवाच Ada जयं संसारभरुणा राजाहाज्ञाततक्वानां नाय मौनौश्रश्राखने

मीक eee ee asthe ale = --- - ~ = ~ = y

ee

4

Sata: प्रस्तावः। 8२

किं विदध्यतेऽधिकारोऽच नेति नेति quae: रान्ना चिन्तितम्‌ |

श्रय विन्ञाततत्वोऽह अद्धाचासितमानसः |

ततोऽस्ति मेऽधिकारोऽज TER कमणि yay

ततो राजा घमुद्धतवौथौक्ञासो यतोश्वरम्‌ |

प्रणम्य पादयोरोवं प्राह विहिताश्चसिः॥

यदादिष्टं भदन्तेन किल कर्मांतिनिर्धणम्‌ |

age कठुभिच्छामि नाय यश्रदनुन्चया

खरिणोक्रं महावोये यक्रमेतद्वादृ म्‌ |

अनुज्ञातं मयापोदं WA तत्वं तयाधुना

ततः सरभसेन भरपतिना विलो कितं पाश्वैवतिमो विमल-

मतेमेन्तिणो वदमं श्रादिग्रतु देव दृति ब्रवाणोऽसौ fen: meat: मृपतिनाभिहितं era त्यजनोयो मया राच्यस्नम- देशादिसक्गः निदन्तव्या भगवदादेशेम रागादयः पोषणोयान्यद्‌- faa क्ञानादौनि ata भागवतौ aa ततो ace कालस्यो चितं aye geafa विमलमतिराइ यदाज्ञापयति देवः। किं ठु मयेव केवलेनास् कालस्योचितं विधेयं किं तरिं यान्येतान्यन्तःपुराणि ये चेते सामन्ता यश्चान्योऽपि राज- छोको या चेयं समस्तापि परिषत्‌ तैः स्वेरेवाखय कालस्योचितं कर्तव्यं tim चिन्तितं। श्रयं मयायमादिष्टः किल aa दोच्ादणएकाले यदुचितं जिनच्छपनपूजादानमरदोत्छवादिकं तत्‌ कुरुस्मेति। तदयं किमेवसुल्षपति set want: कचिदभिप्रायः। `

४९० उपमितिभवप्प्र्ा TUT |

aatsfuferaaay | श्राय तवमेवाज सर्वाधिकारी wa: सवेवामुचित- कतेव्यानां तत्किमेतेरपरमुखितं ade. विमलमतिराह ।. देव ALANS: AIT तदस्माकमेतेषां सवंषामस्य काखस्यो- चितं कर्तव्यं नापर यतः समाम एवाथं न्यायः स्वेषां aaa! faafzaraa fe भगवता सवषामेव जौवानामेकेकस्य The fe gaara) तस्रादेषामण्यस्य कालख्ेदभेवो चितं यदुत wuageaa waa दितोयं waa तोयं परि्यञ्यत दति नृपतिनाभिडहितं। श्रार्यातिद्खन्दरभिदं यश्येतेऽपि प्रति- पद्यन्ते विमलमतिराइ देव पथ्थमिदमत्थन्तमेतेषां | किमज प्रतिपत्तव्यं ततस्तदाकश्यं तच परिषदि sat smear प्रजाजखतोति भावनया भयोत्करषंण afar: कातराः प्रदिष्टा एरूक्मैकाः प्रपलायिता नौचा fasetaat विषयन्टन्नेवः प्रखिन्नाः कटुग्ना दिप्रतिबद्धवुद्धयः परह्वादिता रूचुकमेका wag गतवन्तस्तदचनं धौर चित्ता इति तत्तेलेधुकमेधोरचिन्तेरभि- fea यदान्नाययति Zawea fads कः सकणंकः सत्यां समग्रसामय्यामेव विधसार्या्ष्यतौोति। ACTH इष्टो राजा गताः सर्वेऽपि mawafafa प्रमोद व्धने सेत्यभवने। च्छापितामि भुवन- मायस्य भगवतो विम्बामि विरचिता मनोहारि पूजा प्रव तितानि महादानानि कारितं बन्धममोचनादिकं समस्तमुवित- करणोयं | समाहृतः ओ्रौधरामभिधानो नगरान्निजतनयः दन्तं तस्मे राच्यं मरपतिना। प्रत्राजिताः yawns विधिना सर्वःेपख्ितखोका भगवता विदिता. भवप्रपश्च निर्वेदभननौ

ढतोयः प्रस्तावः | BRR

परपदा मिकाषातिरेकसंवधेनो धमेदेश्ना। गता aurea देवादयः॥ |

मम पुगरख्छहोतसङेते तदग्डतकल्पनपि भ॒ परिणतं तदा भागवतं वचनं निकटौश्तौ ददिंसाङश्वानरौ ea: पुनस्ताभ्यां मम शरोरेऽलुप्रवेश्रः। मो चितां बन्धमात्‌ saat बन्धन- मोचनायं भियुक्ते राजपुरुषैः चिन्तितं मया विगोपितोऽद- मनेन खोकमध्ये अमणेन्‌ ततो धमधमायमानञख्धेतसा किमच सितेनेति. मन्यमानः vant विजयपुराभिमुखो गम शक्तः कियानपि मागः) ray तत॒ एव॒ विजयपुराश्रिखरि नृपतेः सूलमत्कर्य एव हिंखावेश्वागर दोषेण निर्वासितः खविषयाष्जनमेम दृष्टो Aare प्रातिपयिको धराधरो नाम तरषः। षष्टो मया विज्यपुरमागे। ततः wigs fae अतं तेन॒ मदचनं मया चिन्तितं) परिभवबुद्या माजेव गणयति ततः aqafedt मे हिंसा्ैश्वामरौ atin तत्कटौतटादखिपुजिका | ततस्तेनापि विस्फ़रितदिंसर्ैश्वानरे शैव wae AGUNG) दन्तौ समकमेव द्वाभ्यामपि प्रहारौ | दारिते शरौरे॥

warat मम तस Mel सा vaste शड्का, लतो fantd अपरे शङ्कि दयोरपि भवितव्यतया cere पापिष्ठनिवासा नाम गगरौ तस्ासुपपरि खत पाटका भवन्ति, तेषु पापिष्ठामिधाना एव gaquar वषन्ति। ततः षडे तसाभिधाने wee नोतौ दावपि एडिकामप्रभावेण भवितव्यतया

BBQ उपमितिभवप्रपश्चा कया |

श्वापितौ तादु शङ्लपुजकङूपतथा veg: सोऽधिकतरमावयो- वैरानुबन्ध feat परस्यरघातमनेकयातनाभिरविंदधामौ इावि- शति सागरोपमानि। अवगाडितोऽनन्तमहादुःखषागरः। ततस्तस्याः aaa गुडिकादानेनेवानोतो पश्चा्चनिवासनगरे द्वावपि waa तया विदितौ मर्भेजषपेश्ूपौ प्रादु श्ैतः पूर्वाबेधेन परस्परं ga: करोधाबन्धेः | युध्यमामयोः da गडिक्राजरणम्‌ ga: प्रापितौ तेनैव प्रयोगेण तस्यामेव पापिष्ठनिवाखाथां मगयों धुमप्रभाभि- धाने पञ्चमे पाटके भवितव्यतया तज्रापि परस्पर नि्दलयतो- गतानि सप्तदश सागरोपमानि। अनुग्धतान्यतितौत्रद्‌ःखानि॥ ततः Gara पञ्चा्मिवासनगरे विहितौ दावपि fawedt | तचापि तदवस्थितो aca) aay प्रहरतोरपनौय agg विहितं amt gat cena चतु्थेपाटके पापिष्ठ- eq भवितव्यतया तद्भतयोः पुनरप्यावयोरभुवतते समासौ रोषोत्कषेः | शितानि तजचापोतरेतरं निघ्नतोदेश्र सागरोपमानि। खोढानि वाग्गोचरातौतानि दुःखानि ततः पुनरानौय जनितौ इावपि ग्येमरूपौ संणब्ममु ञसितवेश्वागरयोरायोधमं ततचख्या- after तद्रपं पुनर्नोतौ तच्ाज्ञेव पुरि वालुकाप्रभानचि ठतौय- पाठके गडिकाप्रयुक्निवगेमेव भवितव्थतया तचांपि परस्पर mace gaat: चेजातुभावजनितानि परमाधामिंकासरो- दौरिताभि चानन्तदुःखानि सततमनुभवतोरतिक्रान्तानि सप सागरोपभानि। तदन्ते पुमरानोतौ पञ्चाशनिवासनगरे दितौ नङ्कुलरूपौ भवितव्यतया चृटितस्रजापि परस्पर ag:

SMa: प्रस्तावः ।. . 14.

wed: ) प्रहरतोज्चान्योन्ये fate carta wit, जरं areiagfes . fare पुनरपरे tat पुमश्तस्यामेव ast ज्रकेराप्रभाभिधाने दितोवपाटके) ततो विहितनोभस्धरूपबोर- ate fount: परमाधामिंककदयेनां केश्रभनितसन्तापं वेद- eatemarfa तज्ापि ` जोकि सागरोपमानि। एवं पापिष्ठ- निवासनगर्थाः पञ्चाकनिवासमगर ततोऽपि पुनसस्यां मत्याममनं gqiar तेन धराधरो साधं वेर खेटथयता भटरेऽग्यरोतसङूते किडिन्वितानि नथा भवितवब्यताप्रेरितेन waife safe) ततः पुनः कुटदइलवगरेनेव तथा fara Mefat तच्तामेक- भववेश्चामिधानाथां कर्मपरिणाममहारानसमर्धितायां गुडिकां धो शयोऽपरां एडिकां योया तदसंब्धवहारनमर विषाधापरेषु प्रायेण सवंखानेषु तिखपोडकन्यायेन भमितोऽद- मबध्लका लमिति i |

एवं वदति warfina omfamea चिन्तितं, श्रो रोद्ररूपोऽषौ कोधः। टारुणतरा fear) तथाहि तद्श्रववरतिं. नानेन संखारिजोबेन भोरसंसारसागरं कथंखिदतिरशंष्य प्रातरेऽपि aqeua fafed तन्लादृश्रमतिरोद्रं क्म भे प्रतिपन्नं भागवतं वचनं हारिता मनुग्यरूपता जिवेर्तिता वेरपरपरा उपार्जिता सखारसागरेऽममतरूपा विडम्बना खोषतो महादुःखसन्तानः | तदिदमनुभवागमसिद्कमलुभवन्तोऽप्येते मनुखभावापनल्लाः प्रानो म॒ शख्यन्तोवानयोः खरूपं श्रात्मवेरिष्ठ इव समाचरम्ति तमेव क्रोधं तामेव f¥at सततमनुवतेन्ते। तदेतेऽपि वराका

on

ste उप्रमितिमवप्रपञ्चा कथया |

ख्यते नूनमेवं विधामनथंपरपरामिल्धेषा चिन्ता ममान्तःकर शमा- कुलयति संवारिनौवः ae) ततः पुनरन्यदाहमरुहोतसङ्धेते Tia: श्वेतपुर भवितव्यतया विडहितखाभौररूपः। ताद्रूपतथा वर्तमानस्य मे तिरोग्तोऽसौ वैश्वानरः जातो मनागरहं श्राग्त- SU प्रटन्ता मे यदृच्छया दानबुद्धिः। a mad किचिदि- fre शोखम्‌ 9 चानुहितः कञ्िष्छंवम विशेषः . केवलं कथं - खिष्वेकघुणेनन्यायेन संपश्ोऽह तदा मध्यमगणः। ततस्तया गतं aqme जाता मयि weqezar भवितन्यता तत्या विर्भा- वितोऽनथा पुनरपि सहचरो मे पुण्णोदयः। ततोऽभिहित- मनया श्रायपुज mma भवता सिद्धा्चपुरे खातं ay augerfena श्रय तवानुखरः पु्योदथो भविश्छति। मयाभिहितं यदाज्ञापयति देवौ ततो mutet sare गडिकायां दन्ता पुनरकभववेद्ा a ममापरा गशिका भवितव्य तथेति | भो भव्याः प्रविहाय मोहशशितं यभ्राभिराकष्ेता- मे कान्तेन fea मदौोयवचनं कला fawgs मनः | राधाबेधषम क्थचिदतशं लन्धापि मानुष्यकं हिखाक्रोधवश्ानुगेरिदमशो MF: पुरा हारितम्‌ ्रनादिसंसारमहाप्रपश्च कचित्पुनः स्पश्वशेम मृडः RAMI ITAA विनाशितं मागुषजग्म sta:

तोयः प्रस्तावः | ४१५

एतश्िबेदि तमिह प्रकटं ततो भो- सां स्यशरेकोपपरतापमति विहाय | शान्ताः कुरुष्वमधुमा कुश्रलानुबन्ध- मजा AFIT येन भवप्रपश्चम्‌

इत्युपमितभवप्रपच्चायां कथायां कोध्िसा- स्यशनेन्द्रियविपाकवगेनस्त तीयः प्रस्तावः TA ०००

९३९

उपमितिभवप्पश्चा कथ! |

चतुथः प्रस्तावः |

अथ विस्यातसौ न्दं सपुश्छजनसेविते | fagraant तन श्पोऽग्धनर वाहनः यस्तेजसा BB गामौ्ंण मशोद् धिम्‌ | चर्येण ओेलराजेष्रं जयति w महाबलः येम बन्धेषु CRA VII छशानुता | प्रद्शितात्मनो fray धनेन धनदायितम्‌ तस्य इूपयगशो वं श्र विभवेरतुरूपताम्‌ | दधानासौ कहादेवो aver विमलमाखतो सा चद्दिकेव exe पदमेव TET: | तस्य राज्ञः षदा देवो wears विनिगेता ततोऽग्टो तसङ्धते तदानों निजभायथा | सड पु्छोदयेनाहइं तस्याः Het प्रवेशितः श्रथ संपूणकालेन सर्वावयवसुन्दरः | निग्क्राग्तोऽदममिव्यक्ररूपन्डसलेसयेतरः ततो मासुपलन्धासो देवौ faqeareat | संजातः किल पुणो मे पर wagaraar ततो मिषेदितो we सुष्टोऽखावपि Saar GIA ANA: शतो seas:

Aq: प्रावः | axe

ममापि समुत्यश्लो faaal भिनमानसे | यथा इमनयोः पुजसातो मातेति ताबुभौ श्रय मासे गते प्रण महानन्दपुरःसरम्‌ `. ततः ufafea ara ममेति रिपुदाङूणः नन्दिवधेनकाले था ममासौदविवेकिता | षा धातो पुनरायाता स्तमपाथमतत्यरा इतश्च तेन सा wat निजेन प्रियकामिमा | कचिद्धेवगजेन्दरेण संयोगं समुपागता यदा चापश्नग्भाग्डरेवो विमलमालतौ | तदेव देवयोगेन संजाता सापि ग्भिंणौ i ततो मब्जककाले सा प्रता दुष्टदारकम्‌ | उकश्नामितमहोरसकं वदनाष्टकधारकम्‌ तं वोच मा fanrerat पर हषेसुपागता | ततस्च fanaa सिमितेनाश्तराद्मना अहो मदौोयपुचश्य कूटानि सुगिरेरिव। मर्धागोऽष्ट॒विराजन्ते तदिदं मद्भुतम्‌ ततः समागते मासे निभद्ूनोगेशो चितम्‌ करोति माम विख्यातं Steere इति za cag | ला धाषो तत्ख्ूलुरनादावपि खवेडा | ममान्नरक्गोऽ्डदेव तिरोग्धततया परम्‌ aa: पिजोमेहानन्दं qua: सुखलाजितः |

gat

उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

ata ओेशराजेन परां टद्धिमहं गतः अथातौतेषु ववेषु पञ्चषेषु ततो मया |

ae रममारेन शेलराओ निरो कितः अरनारिखेहमोद्ेन तं इष्टा मम मामसे।

या प्रौतिरासोल्छाख्यातुं वसनेन पायते विल्लोकयन्तं at वोच लिग्धद्ष्ा दारकः waren चिन्रयल्येवं ase: खचेतखा अये मामेष cera: खिग्धचचृषा | विच्लोक्ति age ममायं वतेते वे

ततो विद्मेरिताचोऽखो किलां खेहनिभरः | दशेवज्जिति मे देह खमाखिङ्गति मायया ततो मे मोडइदोषेए स्फुरितं निजमानसे | श्रो भावज्ञताणस्य चेलो क्यमतिव्तते तदिदानौँं मथा नेष fart बन्धवि चच्णः। Hine: चणमथ्येवं शतिनं विजिखयः ततस्तेन बोद्यानकाननेषु दिने fea | mien: wad याति कालो मे इष्टचेतसः afer मवा मोहविडलौग्रतचेतक्ा ` way रोशराजो मे परमार्थेन वेरिकः लतो दिनेषु गच्छत्सु AT तेन faqs | तक्मभावान्रव्धेन्ते वितकां मम मानसे यथा aatnar जातिः कुलं स्वंजनाधिकम्‌

चतुर्थः प्रस्तावः | eee

बलं yaafaana रूपं भुवनश्षणम्‌ सौभाग्यं जगदानन्दमेशखथे भुवनातिगम्‌ | श्रुतं पूवंभवाभ्यस्तं परिस्फरति मेऽग्रतः मघवापि पदं ate यद्यहं ee ततः ` ददात्येव कायें मे शाभशक्रिरियं aa on ये चान्येऽपि तपोवो्यधेथंसत््वादयो गुणाः | ते wala वसनधु्ेविसुश्य सुवमत्रयम्‌ यदि ai यश्येदशेन fae संजातो मम मौखकः | त्य को adam शम्भारगौ रवम्‌ तथाहि पुरुषस्य भवेन्लावस्सवेस्येकमिहानमम्‌ | we वक्घाष्टकेनेव जयत्येव पर जनम्‌ तदेष ओेलराजो मे यश्य प्राप्नो वयश्यताम्‌ तस्य मास्ति जगत्यत्र यन्न GHA ततोऽवलित्न चिनत्तोऽह at विकश्पपरपराम्‌ | ANITA: सवे De मन्ये तदा अनम्‌ Salers aearfe निभाखथन्‌ | अ्रयतोऽपि पश्यामि मन्तवद्भन्धवारणः argu aftarta विततात्मा यथा इतिः | ततोऽहं विचरामि निःसारो मदविहलः॥ चिन्तथामि मे वन्द्यः कञिदस्ि wre

989

उपरमितिमवध्पश्चा कथया |

अत एतहुणेः षवेनधस्तामम वतते को ममान्यो राष्गुनमहमेव JOA: | एते देवशष्काता ये antsfa गणिकाः ततोऽग्दतोतसङूते ALTE गववेनिभेरः | जेखखम्मखमो नेव कख्छचित्प्रणतिं गतः

fa च। प्रणता गरेवसामन्तकिरो रां विराजितम्‌ | मतं जातुचिद्धद्रं तातौयं पादपङ्जम्‌ अश्रेवजनवन््ापि खेहनिभेरमानसा | कदाचिदपि Marat मथा नुमं mare ये केचिन्नौकिका देवा याख्चान्ाः ges: | ताः प्रणमकाजेन चखवापि wafer: ततो मां aren वोच secant | वर्धमानं Trae मनला पथ चिन्त्‌ अक्तो ATS गाढं मानधनेश्वरः | तदस्य शोको यद्याश्चां apaa कदाचन | ततोऽवं feufaternaaiatsanlcera | at विहाय wfexwufad भेव सुन्दरम्‌ न्नापयित्वा नरेष्रादोन्‌ कुमारचरितं ततः | आरश्ञाविभेयानस्योश्धेः करोमि सकलानपि एवं fafera मे तातः खहनिभेरमागषः | मखं तत्करोत्येव wage परिखिन्तितम्‌

चतुर्धः प्रस्तावः |

अथय ताताश्चथा SF ACM गतमस्तकाः | बालस्यापि ममात्यन्तं किद्करतवसुपागताः प्रधानङ्लजाता ये ये किक्रमश्राखिनः। तेऽपि at देव देवेति ब्रुवाणः पथैपासते यदहं वद्धि agar राजलोकः हतादरः। जय देवेति खपनञ्चेः शिरा प्रतिपद्यते किं चाज बहमोक्रेम ततोऽ्बा सवान्धवा | flea सवेका्येष्यधिकं मां परमात्मनः

UVa AWA मम कारणम्‌ | तथापि मोहदोषेण aad परि चिन्तितम्‌ i श्रयं ममेष यो जातो देवानामपि दुलभः सवस्या प्रतापस्य Tecra विधायकः ततः संतुष्ट चित्तेन Taree मथाग्यदा | प्रोक्तो faraway खहदनिभरचेतसा वयस्य योऽयं संपन्नो लोकमध्येऽतिसुन्दरः | मम खा तिविग्रेषोऽयं प्रतापो इन्त तावकः

ततद |

मदौयवचसा तुष्टः RAH: खमानसे | वष्टतामुररौङवं न्निदं वचनमग्रवोत्‌ कुमार परमायीऽयं कथ्यते तव wa | यदे वं विधजन्यस्य कुमाराख्छेह कारशम्‌ ये दुजेमा way Fee पर जनम्‌ 56

४४९

98२

उपमितिमवप्रपष्ा कथया |

खाभिप्राथानुमानेन मन्यन्ते दोषपुश्चकम्‌ ये स्ना पुनधैन्यास्ते लोकं दोषपूरितम्‌ | सखाभिखन्धिविश्द्येव लखयन्ति गणा खयम्‌

i= स्थिते.

यद्वाश्ते गणिलेन दणएोगोऽप्ययं जनः | कुमार तावके fea stay तच कारणम्‌ प्रतापस्तावकोगोऽयं समस्लोऽपि सुनिधितम्‌ | भावत्कवौयेविख्याताः के वयं परमार्थतः तदिदं शेशराजौयं वचनं सुमनोहरम्‌ | WHY तदा भद्रे परं SETS गतः

fafa मया

रहो मय्यनुरागोऽखय At गमोरचिक्तता | श्रो वचमविन्यासस्तथाहो भावकारता

am aarfated |

वयस्य ATW वाश्समुपचारपर वशः | ममाग्रतो यतो We Aes तावकं मया + ततो Wanda गेशराजेम ofa प्रसादपरमे माये श्त्यार्नां किंग सुन्दरम्‌

अन्यच्च |

यदि सम्भावना जाता भवतां area जने। ततो मे परमं gy भवद्धिरनुमन्यताम्‌ विद्यते मम शदे इद थस्यावलेपमम्‌ |

चतुरैः Teta: | ४७३

afea इदये देवं कुमारेण प्रतिचणम्‌ मयाभिहितं कुतस्तदवाप् भवता किंमामकं कोवा aw इदयावद्धेपमख्छ प्रभाव इति ओोतुमिच्छामि गेखराजेनाभिडहितं , कुमार gafacta तदवाप्तं मया किं तरिं खकौयेनेव Dee जनितं नामतः पुमः wafed तदभिधोयते प्रभावं तस्यानुभव दारेणेव विज्ञास्यति gare: किं तेनावेदितेन मयाभिहितं | यदयस्यो MMA | ततः समर्पितं ममान्यदा Wawa तदाक्रौयं इदयावल्ेपनं। fafad मया इदयं जातोऽहं गाढ़तरसुक्षम्बित- VAAN Aa नमनरहितः | AAMT मामवलोक्ध सुतरां प्रणतिप्रवणाः swear: सामन्तमडइन्तमादथः | तातोऽपि सप्र- wa मामालशापयति ai anna सखञामिनमिव मां faw- पयति सम ततः संजातो मे इद यावखेपनप्रभावे सम्मल्ययः। संपन्ना खिरतरा भेखराजे पर मबन्धवुद्धिरिति इत्चान्यदा गतोऽहमन्त - रङ्गं किष्टमागखा भिधाने नगरे ve कौदृशं श्रावासः शवैदुःखानां गष्टधमे निषेवितम्‌ | कारणं खवेपापानां दु गेतिद्वारमश्चसा तज मगरे TEMS भाम राजा। RY: | उत्पन्तिश्मिदषाणमाकरः क्िष्टकमणाम्‌ | संददिवेकनरेष्रश्य महारिः नराधिषपः॥ तस्य राज्ञो जघन्यता नाम Sati सा stew | नराधमानां साभोष्टा fate: परिभिन्दिता। प्रवर्तिका सा देवो स्वेषां निन्कमेणाम्‌

४७४ "उपमि तिमषप्रपच्चा कथा |

ACY जघन्यतादुष्टाग्रययो SAN गृपयोरत्यग्तमभौ ्टोऽसि टवा-

वादो भाम aaa) RET)

समसतग्डतसहष्य विश्वाषच्डेदकारकः |

निःगरेवरोषपुश्जता द्र हितञ्च विशखणेः

श्रा ्ैश्न्यदो जेन्यपरद्रो हादितस्कराः |

तं राजपुरं सेवन्ते सदनुग्रडकाम्बया

aut मेचौ प्रतिज्ञा तथा aaa. थः |

एतेषां श््ठलोकानां राजखलुरसौ रिपुः `

पिताशौ व्रतलोपस्य मर्यादाधथा मशरिपुः।

अयशोवादद्रयस्य सदास्फाखनतत्यरः

ये केचिन्नरकं afm तस्य fatwarfta: | ` एव प्रगुणं माभ तेषां दधेयितु चमः ततो दृष्टोऽखौ मया दुष्टाश्रयो ate: तत्पाशववर्तिनौ

विशो किता खा जघन्यता महारेवौ | तथोखाग्रतौ वतेमाभो faa- रितो मया तयोरेव चर शशूषाकरकपरायणः इषावादो राजदारकः। ततो विदहितप्रतिपन्तिः खितस्तजाहं कियन्मपि कालं | महामोरविमो डितमानसेन मथा afar तदा तेषां नगरराजेष्रमहारेवौदारकाणणं. सम्बन्वि BEG! wetatsfa परम- qaqa विश्वतः प्रतिपशो वथख्छतथा वावादः प्राप्तः प्रकषं- गतिं तेन ay Tawar: | दृष्टोऽसौ शरौरादभिननरूपतथा | तत- खानोतः मया SWAT: BMA ततस्तेन ay aera मे समुत्पद्यन्ते मगसोदशा frat: यदुत |

चतुरः Werte: |

नुन fafeaarciswawaa fava: |

We: 8a: पशप्रायो सुग्धबुद्धिरयं अनः

यस्य मे खवेषन्पत्तिकारको मिषतां गतः। ` सर्वदाय श्टषावादः खेन इदि वतेते श्रसद्भूतपदार्थेऽपि TE जनथा म्यम्‌ |

शद तमण्यष्डूतं दश्रेथामि BUEN

तं WATCHISAAC साइसमात्मना वरमिचप्रसादेन शगञामि परे अने॥

Me वा wea वा ज्ुर्वतोऽपि थये च्छया | कुतोऽपराधगन्धोऽपि मम यावदयं सुत्‌ सा थेषिद्धिः कुतस्तेषां येषामेष विद्यते wat मूर्खा wat लोकाः arian हि ae वियय्ेऽपि कचिश्छन्धि सन्धावपि विदम्‌ | म्षावादप्रषादेन चरटथामि यथेच्छया यस्किकिं Faery वस्त॒ लोकेऽतिद्‌ छंभम्‌ | वरमिनप्रसादेन श्वे संपद्यते मम

मया पुष्छेरवाप्नोऽयमथमेव मे सुत्‌

एष एव AUT यथेष्टफल दायकः ततोऽग्टरौतसङेते मवा मो इडताद्मना |

कु विकच्े्मनसतज ऋषावादे प्रतिखितिम्‌ s तदशेन येऽनर्थाः सपद्यन्तेऽतिदार्णाः। पुष्छोरवप्रभावेण ते यान्ति fawe तरा॥ , `

४8४१

88६

उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

अद तु AW जने महामोहवश्र गतः। ततस्च ware पश्लामि guaran tt एवं वतेमागद्ध वयद्वदययोगतः | कलागदणएकाणलो मे संप्राप्तः क्रमशोऽन्यदा ततस्ततेन संपूच्य wera विधानतः | तस्यापितोऽद BEM महानन्द पुरःसरम्‌ | SMITE गुडः पुज तवाय ज्ञानदायक: | अतः पादौ swe शिव्यभावं समार मयोक्रं तात सुग्धोऽसि यो मामेवं प्रभाषसे वराकः किं विजानोते rae ममाग्रतः TRA लोकश स्यादेष तु AEM | अतो नाहं पताम्यश्य पादयोः शास्लकाम्यया

केवलम्‌

भवतामलुरोधेन गामि HAM: कलाः | मदौ यविनथो aS स्याशमादलोहितम्‌ ततस्तातेन प्रोक्रः कलाचाया रदहःखितः। आये मामकपुजोऽयं गाढं मागधमेश्वरः # तद भवता नाश्व दद्दाप्यविनयादिकम्‌ | चिन्लोदेगो विधातब्धो ग्ाहणो यश्च सत्कलाः ततो विशयगन्नश्च yer तात जस्यितम्‌ | दादिश्रति राजेश इत्याह महामतिः fafa तदा तेन कलाचार्धंय मानसे |

चतुथः प्रस्तावः। 989

किष यावच्छारलस्य सद्भावं नावबुध्यते यावच केलिबडणां बाणतामनुवतंते | रलो कगर्विताश्रातस्तावहेवं प्रभाषते यदा तु maga: शास्त्रार्थानां भविद्यति। तदा मदं परित्यज्य खय नवो भविष्यति एवं निखित्य इदये कलाचाथौ महामतिः | ततः सरवादरेणासौ प्रटन्तो याणे मम I दइतशान्येऽपि amare बहवो राजदारकाः | sara विनयोट्‌युक्रा caw सकलाः कलाः यथा थया मे नित्यमादर कुरुते गरः तया तथा वथस्यो मे शैलराजो विवर्धते ततश्च तदग्ेनाहमुपाध्यायं मदोद्कतः | जात्या श्रुतेन stu रोलथामि चणे चरे

ang चिन्तितं महामतिना श्रये यस्तस्य सज्िपानेन सौरान्ञमिव सुन्दरम्‌ | श्रप्योऽस्य वराकस्य कशा शास्लपरि श्रमः गाढं farses aurea ग्रिभोजनम्‌ | तथास्य wea aa: श्वयथुं वधेयत्यशम्‌ ततो यद्यपि TI: पुचखञेहपरायणएः | eareafa at faa दएणधाना्थेमस्य वे तथापाच््डतोऽय एव रिपुदारणः।

तच्छ यागः परं न्याय्यो श्ानदानं युज्यते

४४८ उपमितिमप्रपश्चा कथा |

यो fe दथादपाजाय संज्नानमन्डतोप्मम्‌ |

Sere: argat wea wera

चेव mma कतु नखो बन्नप्तेरपि

को fe खेदग्नतेनापि wae मामबि्ति।

तत्वं खचेतच्छवधायं तेन महामतिना कलाचार्थेण fufe-

feat ममोपरि कलाशाख्छय्राहणानुबन्धः परिव्यक्रसुपशारसंभाषणं इृष्टोऽहं धृखिरूपतथा। तथापि तातल्ष्नया मासौ वदहिदंलविकार- मामपि दभ्रेदति मनागपि मां पङ्वमाभाषते। aq तेऽपि राजदारकाः शेखराजन्हषावादर निरतं मासुपलभ्य विर क्रा- fata तथापि पुष्छोदयेनाधिष्ितं मां से चिन्तयन्तोऽपि कथं चिदभिभवितुं शर्कुवन्ति cay चथा चथा तौ ओलराज- स्टषावादौ वर्ध॑ते तथा aut मदौयवयस्यः पुश्योदयः dea) ततः हृश्ोग्धते afar पुण्डोदये agua मे गाढतरं श॒ङ्परिभव- ufg: | अन्यदा भिगेतो बहिः प्रयोजनेनोपाध्यायः ततोऽधिषिं मया तदीयं महार बेजासनं। दृष्टोऽदसुपविष्टश्र Tacs: | ततो efeara मरौयकमेणा खघृध्यनिना चोक्रमेतेः। हा हा कुमार a सुन्दरमिदं विदहतं भवता वन्दनौोयमिदं Gace | युक्त भवादृग्रामच्याक्रमएं | यतोऽसिन्नपविश्रतां संपद्यते इल- कलङ्कः सञुल्लसति शश्रमयग्ःपट हः प्रवधेते पापं संजायते चायुषः चरणमिति। मधथाभिडितं wt बालिशा are भवादृशां fae- WIE: | गच्छत युयमात्मौयं सप्तकलं शिचयत तदाकष्टे सितारे दृष्णोभावेन ततः fear aw वेजाखने इतौ वेलामु त्थितोऽहं

` चतुरैः प्रस्तावः | 8४९

ययेष्टचेष्टया समागतः कष्ोपाध्यायः कथितं ag रानदारक्- azlafaafed we: सचेतसा षृष्टोऽइममेम ततः सासूयं मयाभिहितं श्रहमेतत्करोमि | at ते meine श्रहोते पुङषविग्ेषश्चता श्रो ते विचारितभाषिता श्रो ते विम्रैपाटवं यस्छमेतेषां मल्धरिशणमसत्यवादिनां वचनेन विप्रतारितो मामेव- माभाषसे। ततो विलचोग्धतः कचोपाध्यायः। चिग्तितिमनेम | ग॒ तावदेते राजदारका विपरौतं भाषन्त। wi तु खकमे- पराधमेवमपलपति | तदेन खथसुपशभ्य गिचयिग्यामि अन्यदा प्रच्छसदे शथ्थितेनावरचितोऽह तेन महामतिना। esas वेजाखने सरभखमुपविष्टो awe: ततः प्रकटौश्डतोऽणौ दृष्टो मया gm ufafa वेजासनं। महामतिनाभिदहितं) इदानीं afe भवतः किमुत्तरं मयोक्रं alge प्रश्रे महामतिरार | aaa पूर्वके मयोक्ं भ॒ Te कौदृशोऽसो पूवेकः प्रश्नः महामतिराह | किमुपविष्टस्लमच बेजासने मवेति। ततो हा भराग्तं पापमिति ब्रुवाणेन पिदितौ मथः का पुनरभिरहितं। पश्यत भो मत्छरविष्सितं यदेते खयमकाये wear ममो प्ेवमा- रोपयग्ति। महामतिना fof) wet सेयं दृष्टेऽप्यलुपपश्नता नाम | श्रहो WE धाश्यं WER: खल्वयं cana: परमसत्थ- वचनस्य | राजदार कैर भिडितमेकान्ते विधाय कलाचायं यदुता- द्रष्टव्यः ww पापः। तत्किमेनमस्माकं मध्ये धारयत धूथं महामतिना शचविन्तितं। saat तपस्िमः प्रवदज्ति। नोचित -

मेवाय रिपुदारणः सत्सक्गमस्य तथाहि | ov

8४० उपसितिभवप्रपश्चा क्या

लमेप्रदानेन HF मधुरभाषणेः | मायाविनमविश्वासात्‌ weal विनयकमेा सोर रखणयन्नेन सदबुद्या पारदारिकम्‌ | बरोक्खवैग्ति facta: ओेषदोषपराचएम्‌ म॒ विद्यते पुनः कञ्चिदुपायो शुवे | असत्यवादिनः पुंसः काशदह्ः उच्यते + यतः स्वंऽपि ये जगत्न व्यवहाराः WHAT: | wal प्रतिष्ठिता भेदं यस्यासौ मन्वशौ किकः # get विन्नाय यनेन सत्यदहोनं नराधमम्‌ | amma सुदूरेण प्रियसत्या महाधियः ततोऽयं सत्यरोनलादस्माकं रिपुदारणः। सम्यग्‌ विज्ातश्नोखानां मध्ये खातुमरेति svar are वराकस्य रिपुदारणस्छायं दोषो यतोऽच्मनेन गेलराजन प्र्थमाणस्तावत्छकखदुरविंनयमाचरति | तथानेन WaT: वादेन प्रोखाद्यमानः Saad भाषते ततो यद्येतौ पापवयस्छौ परिहरति तदथं श्ज्थामि तावदेनं) ततः रतोऽदबुतसारके महामतिमाभिदिवख कुमार नेदुशानां सखानमिद् मदोय- श्लायां wa: कदाचिदेतौ पापवयस्योः परिहर यदि. वा मागम्तयमिदह कुमारेति मयाभिहितं aarti war प्रथच्छ | वयं तु लदोयश्वानेन त्वयापि विभेव भलिग्यामहे | ततद्येवं विषे स्तिर स्त्य परषववनेडपाध्याबधुन्नामितया

चनु प्रस्तावः | Bur

कन्धरेया गगमामिमुखेग वदनेन faatiadca वच्चःखलेनाविकट- पादपातेन गतिमारगेश विलिप्य तेन wafeda गेशराजोय- विलेपनेनात्महदयं निगेतोऽहसुपाष्यायभवनात्‌ ततोऽमिडहिता महामतिना राजदारकाः। श्रे निगेतस्तावदेष gra रिपु- QU: | Aas गरोयान्ञरवाममुपतेः पुचच्छशः | खेदमूढाखच प्राणिनो caf sare दोषसमूडं षमारोपयगधसम्तमपि guayTa ata तदिप्रियकारिणि जने विचारयन्ति विप्रिय- करणकारणं wea सयाममानान्तरं gata साभिमत- विभियकर्तर्महापायं ) तदेवं wafea भवद्धिभेोनमवलम्बनोयं | यदि रिपुदारणनिर्गममव्यतिकर प्रश्रयिश्यति देवो गरवाडन- watseaa तं प्र्याययिव्यामि राजदारकेरभिहितं। यदान्ना- पयल्युपाध्यायः cay ततो faa गतोऽहं तातसमौपे yaaa पुज

fe वर्तेते कलाग्रहणश्येति ततः गेखराजोयडदयावसेपन वेन ग्वा उादावष्टग्भेन मयाभिहितं | तात समाकणेय |

पूवमेव भमाग्रेषं विन्नानं weufiaa |

अथं manda मे विग्रेषाधायकः परम्‌

लेख्ये चिजे wade नरारौ्नां wae |

mad ₹दस्जिशिचलायां weg sagt

शब्दे प्रमाणे गणिते धातुवाद eataa |

निमित्ते याख लोकेऽ कशाः arfyafadie: 1

‘Bye उपमिलिभवप्रपद्चा कया |

तरः यदि at मां परिणयति नापरः निवेदितं पित्रो निंजाकूतं संजातमनयोः पर्याक्ललवं नास्येवास्याः कलाभिः समानोऽपि भुवने पुरुषः कुतः पुनरधिकतर इति aaa | ततः शरुतस्ताग्यां मदौयः कलशाकौ शलप्रवादः चिन्तितं नरकेख- fem) एव रिपुदारणणे यदि परमस्याः सम्शतरो भविति get नरवाहनेन aurea dares यतः प्रधानवंशौो महानुभावश्चासे aa तस्य राशो caarafca महानागस्य निरपत्यस्य सेवका aac दुहिता ¦ तनोऽत्यम्न- मभौोषटतया तस्याश्िम्तितमनेम,। गच्छामि ata सिद्धा्ेपुरे ` zwar vet नरसुन्दरं ततः परौच्छ तं रिपुदारणं विवाह- याम्येनां येम मे चिन्तमिदेतिः saga ततः स्व॑बलेन समागतो मरकेषरौ | श्नापितस्तातस्यागमनटन्तान्तः। परितुष्टोऽसौ कारित- ञुख््ितिपताकं नगरं प्रवेशितो महाविमर्टन नरकेसरौ तातेन | दन्तमावासस्थान | भविष्यति रिपुदारणकुमारस्य नरसुन्दयां ay कशाकौ रलपरौचेति न्नापितं लोकानां प्रशस्तदिने सष्नौका- रितः सखयवरमण्डपः। विरचिता wer) मौ लितं ced | खसुपविष्टस्तन्मध्ये शपरिकरस्तातः। समाहृतोऽदहं कशचाचार्यख | प्राप्तोऽहं सह जिज्रचयेण तातसमौपं महामतिश्च सह राजदारकेः। इतश्च पुष्ोदयस्य मदौयदुष्टचेष्टितानि पश्यतथित्तखेदेनेव संजातं wnat शरोर त्रिगजितं परिस्फुरणं मन्दोग्धलः प्रतापः | ततोऽइमुपविष्टस्ता ताभ्व्शे aviary, निवेदितं विनयनखेणं मरवाइनेन महामतये नरकेषरिराजागमनप्रयोजनं। तदा कष्य

चतुथः प्रस्तावः | 8५५

संजातो मे ₹र्षातिरेकः। स्ितख्छष्णोभावेन ayaa इषच्ुपा- ध्यायः | Wat समागतो नरकेषरो परितुष्टो avaren: | दापितं ag महारेसिंहाषनं ¦, उपविष्टः सपरिकरे मरकर | ततस्तदनन्तरं पूरयन्तौ जनद्‌ यसरांसि लावण्याश्डतप्रवाेष अधरयन्सौो वरबहिकलापं शष्णल्तिग्धङुचितकेश्रपाश्ेन प्रोद्धाष- at दिकचक्रवाणं acaexu विधुरयन्तौ कामिजनचिन्तानि शोलामन्धरे विलासविललोकितेन ciamt atagafaa पयोधरभरेण Gaur मद नवारणं विस्तोरंजघनपुलिनेन विड्ग्नयन्तौ सञ्चारिरक्रराजौवयुगललोखां चर एयुग्मेन srt कको किलाङगुखकूजितं मगमथोल्ञापजस्पितेन gaewant वर gaat प्रवरनेपश्याशङ्धारमाख्ताम्बृाङ्गरागविन्यासेन परि- करिता प्रियसख्छोदन्देन श्रधिषठिता वसुधरया प्रविष्टा नर- सुन्दरौ ततस्तां विलोक्याह इष्टखेतसा विजभ्भितः गेखराजः। विलिप्तं स्वथचिनत्तेन तेनावलेपनेन anaes चिन्तितं च। कोऽन्यो at fawaat परिणेतुमरेति। खख मक्रष्वजादृते तिरन्मस्योपनोयते अ्राम्तरे विहितविनया तातारोनामभि- हिता मरकेखरिणा मरखन्दरो यदुत उपविश ai सुच wert पूर याद्मौमनोरथान्‌ | प्रश्रय रिपुदारण्डुमार wera य्न क्रचिन्ते cea ततो atgeal सरषेसुपविश्या भिहितं, यदाञ्चापयति तातः | केवखं गुरूष्णं समलं युक्त ममोद्राहयितु। तस्मारापुष एवोद्भाहयतु VAST. HWM GE पुनरकेकस्ां कलायां सारखानानि प्रञ्नयिष्छामि। awagia निर्वादः

४५६ उपमितिमवप्रपश्चा कया |

करलौय इति aang wet नरवाइननरोश्धौ समखराजकुशं शोकाय | ततस्तातेनाभिदितोऽह | कमार gat मश्वितं राज- Sher | AQHA CI मारः खकलाः कलाः Wea मनोरथान्‌ wa ममानम्दं faery कुशं Vwiq जय- पताकां एषा सा निकषण्मिवेतेते विजन्चानप्रकषेस्छेति मम a तदा कशानां भामान्यपि fawarfa: ततो विहशोग्डतमन्तः- करणं wafer गाचयष्टिः sade: प्रस्ेदबिन्दवः संजातो Vege: प्रनष्टा भारतौ तरिते लोचने ततो हा किञमेत- रिति विषशस्तातः। प्रलोकितं महामतिबदन। avwafacre | कि केब्यमादिश्तु रेवः। तातेनाभिहितं किमितौयमौ शशौ HAITI) ततः कं निवेदितं महामतिना। देव मनः चोभविकारोऽयमख् | तातः प्राह किं Gece मनःसोभ- निमित्तं महामतिराहइ देव प्रस्तुतवस्तन्यश्नानं भवत्येव fe वागावुधानां सदि विदुषां सस्यधेमाभाषितानां शानावष्ट्भ- बिकलानां मनसि चोभातिरेकः। तातेनाभिदहितं। आयं were BNC! मतु सकलकलासु प्रक्षे WH: कुमारो वर्तते ततः vam मदौयदुर्विलसितं ग्टहोतो मना्कोघेन काचाः | ततोऽभिहितमनेन देव wae प्राप्तः कुमारः ओेशराग्डषाव। द्‌- WHA: RAN] पुनरन्य तातः प्राह के पुनस्ते कले aerate दुर्विनयकरण्मसत्धभाषणं ©) एते ते were स्हषावादप्रणेते कले श्रमयोश्याव्यन्तं Be: कुमारः। पुमरन्यकलानां गन्धमाचमपि waa | तातः mw कथमिदं |

चतुरः oT ४५७

महामतिनाभिडहितं | देव देवस दौधविन्तसन्तापभौङमिस्तदेव नाख्यातमिदमस्माभिः। यतो लोकमार्गातोतं कुमारस्य सरितः मिदानौमपि देवस्य पुरतस्त्कथयतो प्रवतते मे वाणौ। तलातेनामिडितं। ययादृन्तकथयमे भवतो . area: fare कथयलायंः। कलाचार्थेणावक्लाकरणादिको वेजासनारोहणगभी दुवेचमतिर स्क रणपयेन्तो निवेदितः समस्तोऽपि मदौयद्‌ विंलसित- sara: | ताततेमाभिदहितं श्रायं यद्येवं ततो जानतापि यास्य कुशदूषणस्य aay किमित्ययमेवंविधषभामध्ये प्रबेशितः। मनु विगोपिता बयमाकालमनेन पापेन महामतिराह दैव मयायमिह afi: | aganfaiaara zen वर्षाणि aaa केवखमकाण्ड एव सजातमद्य aa देवक्ौयमाकारणं। ततः समागतोऽदहं श्रय तु कुतञिदन्यतः श्यानादिहागत इति। तातेनाभिदहितं) श्राय यद्येवमपाजरचुडामणिरेषं रिपुदारणो बृणणानामभाजनतथा वजिंतो यश्नामिः तक्किमिति ग्भाधाना- दारभ्वास्येयन्तं Be यावत्क्याणपर परा we» किमिदानौमेवं wna विशु्यत दति महामतिराह देव श्रस््यस्य युश्रोदयो मामाग्तरङ्गो वयस्यः। aerial प्राक्रनौो कद्याणपरपरा | तथाहि तकाभावादेवायं wea: B_s Gat जननौजनक- योरभोष्टतमः संजातो रूपसौभाग्यसुखेशर्यादिभाजमं। तातः me तरिं पुनरधुना गतोऽसौ gules: महामतिराइ | ॒कुजचिद्गतोऽचेव प्रच्छश्नरूप aa! केवलं waqea रिपुदा- रणस्य सम्बन्धौनि दु विलसितानि चित्तदुःखासिकया aa

०8

sys उपमितिभवप्पश्चा कथा

चौोणश्ररोरोऽखौ तपसो aati ग्क्रोत्यस्यापदं निवारयित्‌- भिति। तदाकष्छं तातो aren कञ्चिदुपायो विमारिता वघ- ata quay . महाशोकमध्ये प्रसभमिति चिन्तया रायस श्रश्रधरविम्बभिव शतं ताते wu सुखं शितः cages: पर्थाश्ञो चनपरमा्थंः | ततो विशच्छोग्डतास्तातवान्धवाः। fagre- वदनः ae: परिजनः। प्रसिता मुखमध्ये fayetar: | विषा नरखन्दरो विस्मितो मरकेसरिलोकः। ततिग्तितं लनेन AAW खचुष्वनिना परस्परमुक्क श्रये

गवांश्रातः पर मूढो बस्तिवदातपूरिवः।

निःखारोऽपि गतः श्यातिमेष भो रिपुदारणएः

अथवा |

भिरशरोऽपि areret लोकमध्येऽतिगौरवम्‌ |

वागाडग्बरतः प्राप्नो थः स्यादन्योऽपि मामवः

सर्वां निकषप्राप्तः प्राभ्रोत्येव विडम्बनाम्‌ |

महाहाश्यकरों मूढो aura रिपुदारणः॥

मम तु तातोपाध्यायौ कणौत्छारकेण परश्यर तया sweat

प्तः eye aafe विकण्यः। श्रये बलात्कारेण मामेतौ लल्ययिषखतः | ततो भयातिरेकेए सम्मितं मे गखकमाडोनाखं मिर्ङ्शोच्छासनिःश्ासमागेः संजाता सियमाणावस्या ततो हा पुष हा तात हा हा तनय किमेतदिति प्रलपन्तौ वेभेना- गत्य wat wa aaa विमलमालतो। पर्याङ्शोरतः परिजनः किं कते्यताविमूढा वसंधरा विस्मितो नरकेसरौ

चतुधैः प्रस्तावः | ४५९

तातेनाभिडितं। गच्छत भो लोका गच्छतं पटुः शरौरेणाघ्य कुमारः पुमजैश्मो भविष्यति तदाकश्यै निर्गता वेगेन शोका मिखिता बहदिख्िकषतुष्कचत्वारादिषु) we रिपुदारणश्य ufeaant पाण्डित्यमिति sect प्रहसनं प्रदितौ शश्नाव- way तातेन कष्लोपाध्यायनरकेसरिणौ। गतः खावासस्याने गरकेखरो चिन्तितमनेन ge ages) दौयतां प्रभाते प्रथाएकमिति ममापि निजेनोग्धते ahaa भयं aati WC | AMAT तु इतराच्यस्येव वश्जाहतस्येव महाचिन्ताभरा- mae लहितं तदनं समागता रजनौ दन्तं प्रादोषिकमा- स्थामं निवाय sana age) केवर तया चिन्यापनिदरेरे- वातिवाहितप्राया विभावरौ इतश्च aferat मे वयस्यः gut- दयः | चिन्तितमनेम | यख Maa waa पुंसः erat विडम्यते किं तस्य was जननोक्तंशकारिणः॥ ततश्च | जातं विच्छायकं aruda तिदुःसदम्‌ | यायाद्सुतामदच्वेव यद्यसौ मरकेसरौ ततोऽस्य स्वया व्यथे कुमारस्य मदौयकम्‌ | संनिधागमतो नेव ममोपेाच युज्यते ततो यद्यणययोग्योऽयमेतख्या रिपुदारणएः | तथापि दापयान्येनामखे कमणलोचनाम्‌ अरचान्तरे समागता तातश्च राजर्षे मिद्धा। ततो az

gfe उपमितिमवपपश्चा कथया |

MNAATA समाश्वासनाथे तातस्य दन्तं कामरूपितथा खप्रान्तरे तेन पुश्योदथेन दशरनं इष्टः सुन्दराकारो धव्वणंः पुरुषः अभिडितमनेम महाराज किं afafa fa वा safes ताते- atfafed 1 जगम पुरुषः प्राह यद्येवं gy ततो विषाद दापयिव्याम्यशं रिपुदारणकुमाराय नरसुन्दरौमिति। ताते- नामिडहित | महाप्रसादः अवान्तरे प्रहतं प्राभातिकं दये ततो faqgena: 1 पठितं HAASAN | होनप्रतापो यः Ga गतोऽस्तं जगतां पुरः | एवोदयमासाद्च रविराख्याति डे अजनाः॥ यदा येनेह ae Te दा थदि वाश्भम्‌ तदावाप्नौति तत्सव तच तोषेतरौ टया urea चिभ्तितं तातेन यदुत कतेग्यो मयाधुना दिषादः। चतो जम्मयिव्यामि कुमारं नरसुन्दरौमिति स्फुटमेव निषेदितं ay मम देवेन wa तु काणनिवेदकपाटब्याजेन दन्तो ममोपदेशो वेधसा यदुत यः पुरुषो यावतः सुन्दरख्या- सुन्दरस्य वा व्हनो यदा भाजनं तस्य तावन्तदतकिंतभेव तदा मदगेन संपद्यत इति। कर्तयौ aw विदुषा ₹र्षविषादौ। ARMA भावनया खस्य श्लस्तातः दतखारिनधप्रभावतथा पुष्णोदयस्य संपादिता aa गर केसरिणो बुद्धिः aga महानुभावोऽथं नरवाइनराजः। विज्ञातं राच्यान्तरेष्वपि मम यदिहागमनप्रयोजनं। ततो

चतुथः प्रस्तावः। ४६९

wear पच्दयस्वापि मरख्न्दरोमदत्वया मम Gala गममं | wa: ware कथयंचिदेनां प्रयच्छामि रिपुदारणकमारायेति ततो निवेदितो नरकेषरिण वसुधरासमचं नर सुन्दर्यै खाभि- Wa: | ततो नरसुन्दययां श्रपि पुष्योदयप्रभावादेव वलितं मां प्रति मानसं चिन्तितिमनयथा युक्ियुक्रमेव तातेन afer | ततोऽभिहितमनया यदाज्नापयति am) aaa इष्टो मरकेखरो श्रागत्याभिडितोऽनेन नरवाहनः महाराज faz बङना fads श्रागतेवेयं वता नरसुन्दरौ कुमारस्य खयं- वरा। तद्ज fa बहना विकत्थनेन केवलं दु जेनवचन।वकाग्रो भवति श्रतो निविंचारं याद्तां कुमारेण सखपाणिना पाणि- war: तातेमाभिडितं एवं करियते afed प्रशस्तदिनं | परिणणैता मया महता विमर्दन मरसुन्दरो तां विमुच्य गतः WA मरकेषरो | दन्तो मद्यं तातेन fairs were: | गताजि acgeal ay waarae मे कतिविदहिनानि चरितं yazan निरन्तरमावयोः प्रेम समुत्पादितञचिन्तविख्भः afr मेचौ जनितो ममोरतिप्रबन्धः प्ररोडितः प्रणयः वर्धित- चित्तमौलकाष्हादसागरः | Fae

खप्रभामिव areminefeatfa wre:

quan a मुञ्चामि तासुमाभिव wet: #

सापि ATARIATATATST SAT TT |

भरमरोव गतं are a जानाति तपखिनो

ततस्तं तादृशं they देवानामपि दुखभम्‌ |

४९२

उपमितिभवप्रपश्चा कया |

साधं मे मरसुन्द्यां प्रेमाबन्ध मनोहरम्‌ मदीयो सुहदाभासौ wars बेरिकौ |

at श्दषावाद गले शये चिन्तमध्ये रवं गतौ चिन्तितं ततस्ताभ्यां कथमेष वियो च्यते | एतया गर सुन्दर्या पापात्मा रिपुटारणः

QUIN WANS ततसेलयमभाषत |

a तावश्नर सुन्दर्याः oq चित्तविरश्चनम्‌ खथमेवाहमभायं भलिव्यामि ततः परम्‌ |

ATM शते यत्ने AW प्रेमबन्धनम्‌ सटवावादस्ततः प्राइ गोत्छाद्मोऽह भवादृशा | हतमेव मया पश्च एतस्याचिन्वभेदमम्‌

` तदेवं मदियोगा्ं ततस्तौ हतनिखयौ |

गेशराजदषावादौ geste व्यवस्थितौ श्रतु तां समासाच्च सद्धा्यां गरसुन्दरोम्‌ | चिन्यामि जिष्छोकेऽपि प्राप्त यल्ुन्दरं मया नतखो जामितेकभूमेन्वरोौकतशोचनः

दश्वा तच्छं्राजौथं इदे खेऽवलेपमम्‌ चिश्तयाभि खोकेऽच पुरषोऽन्योऽस्ति मादुः | यतो ANTM भायां ततो माढतर पुमः went ge नेव देवानो बन्धुसमतिम्‌ WOM नो शोकं भगत्‌ सराचरम्‌ अथ THE दृहा मदौयं दुष्ट चेष्टितम्‌ |

Aa: प्रस्तावः 8९

Guiza मनस्तापाद्गाढं जातोऽतिदु बलः

ततो मां तादशं avy विरक्राः सवबान्धवाः |

इदं HAMA इसन्तस्ते परस्परम्‌

पश्छताशो विधेः कोदृगस्थान विनियोजनम्‌ |

स्ोरनमोदृशरं येन मूदखंणामेन योजितम्‌

स्तम्धोऽगदखंभावेन प्रागेष रिपुदारणः |

आसाद्ेमां पुनरभायों गवशान्धोऽधुमा इयम्‌ #

एव वतेते न्यायो शोके यः किल्च भूयते

एक वानर स्तावह्‌ टो ऽन्यहुषण्णेऽखिना

तदेषा WRAP! सद्धा्यां गरसुन्दरौ |

करिणौव खरस्योचेने योग्यास्य ग्टगेकणणा

WU मर सुन्दर्या सद्धावारपिंतचिन्तथा |

खेहगभपरौ लाथ चिन्तितं निजमानसे

किं ममापिंतष्डावः किंवा at रिपषुदारणः।

श्रा ज्ञातं Grade गद्याख्यानेन गम्यते

श्रमास्थेयमतः कि चिहुद्यसवंखमश्चसा |

Tea eas ततो व्यक्रिभ विष्यति a

ततञ्धिन्तितं नरखन्दयां aed पुनरदं रद्चमधनमायपुख

बृच्छामि ज्ञातं तावत्सुनि्ितमिदं मया यदत नितरां कमनौवशरौरोऽपि रक्राशोकपादपवदेष मिखिशकलाकलापकौ- wequfane एवायेपुचः 1 यतो विज्चानाभावअनिताद्यातिरेका- देव तचाविधोऽख्छ तदा सभामध्ये मनःचोभोऽगरन्तदधुमा तदेव

848 उपमितिभवप्रपषा क्षया |

मनःचोभकारणमायेपुच' प्रन्रयामि ततो यदि स्फटमाचक्तौत famrerfa यथास्ति मया सहास्य खदसद्धावः। श्रय कथयेन्तत- amare ऋचलयिव्यामोति fafa पृष्टोऽहं नरसुन्दर्या यद्‌तायेपु् कौदृशं तव तदा सभामध्ये शरौरापाटवमासौदिति। अचरान्तरे श्ातावसरेण प्रयुक्ता सटषावादेनात्मोया योगश्रङ्गिः | शतमन्तर्धानं प्रविष्टो मदोयसुखे ततोऽभिदहितं मया मिय- तभे त्वया पुनस्तदा कौदृशं ated | मरसुन्दरे we. मया किंचित्तदा सम्यग विज्ञातं केव समुत्परशा शद्धा किं सत्यमेव शरौरापाटवमार्यपुचश्य किंवा कलाकलापे केश्रलमिति। मयाभिदितं सुन्दरि a तचेकोऽपि विकल्पः कतेग्यः ame रन्ति इरये मम कशाः कलाः शरौरापाटवमपि मम किंचिन्तदासौत्‌ केवलमम्बया तातेन चाख्ेकमोदात्‌ शतो सुधेव बहशः कलकलः | तथाविधालोककशकले सिरतया fede मौनेन | एतश्चवाकण्ये नरखुन्दर्याः संजातो मनसि व्यज्लौ कभावः चि- म्तितिमनया | श्रो we प्रत्यच्ापलापितवं श्रो निलेष्णता at ्रात्मबहमानिता | ततोऽभिहितं नरसुन्दर्थां श्रायपुज यदेवं ततो मत्क दहं मम ददानोमयहमायेपु् कलाखरूपसुत्को- व्यमाग श्रोतुमिच्छामि श्रतो महता प्रसादेन खमुत्कौतेयतु तदायैपुजः मया चिन्तितं श्रये पाण्डित्याभिमानेन परिभवनद्या aga श्रचान्तेर लयावसरो विभम्भितः tee: विशित्नं तेन स्तभचित्तामिधानेनात्मौय विलेपनेन «ada ag- aa) aafafead मया। एवं चा मम परिभवेनोपदासकारिणो

UAH: Tea: | ४९४

wetar पापा गरसुन्दरो | तया किमिह fee ततो भवामि- fei) रपर पापे इृष्टिमार्गादपशर aw fare मदौोयभव- नात्‌ यक्तं wage: पण्छितंमन्याया मूर्खंणानेन शने सदाक्ख्ालूमिति ततोऽवलोकितं मदौोयवदनं नरसुन्द्थां 1 चिन्तितमनया हा fag सद्वावोग्रत एवायं वोतो माभ- wea नो गोचरः are प्रणादनायाः ततो मन्लाइतेव भुज- वनिता समुकूशितेव वनख्तिका उत्‌खोटितेव शतमश्चरौ wy: weea करिणिका स्वया विद्राणदौनवदना साध्ववभारनिर्भरं इदवञुददन्तो मन्दं कण दणिमिखलाकिङिशो कखकोखाहशनूपुर- द्मषद्यशारावशमाहृटटखानवापिकाकलरशकानि पानि निचिपकौ afer भरसुन्दरो faim मामकौनवदनात्‌ sar तातौ- भवने थितोऽडह ओेखसम्भतया यावदद्चापि श्यति गशरा- लोथं aes तावतीं बेरखां शोषसुपागते मनाकपुमस- WAR संजातो मे पञ्चाज्लापः। बाधते नरखुन्दरौखेश्मो हः | समाध्यासितोऽहमरत्या गोतो रणरणकेन शङ्गोछतः शून्यतथा छररोहतो fagena प्रतिपन्नो विकार कोटोमिः अवष्टथो मद- भञ्रेण ततो frre wena तज्ापि प्रवधेमानया कुभ्िक- थागवरतमुदतेमामेनाङक्गन wan दव शाटिराङ्गारराजिमथे देग्दद्यमानः स्लोकवेखायां चावल्तिष्टामि तावदागता सविषादमन्का faremett ततस्तां वोच्छ हतं मधाकारसंवरशं निषा भद्राषने quar खितोऽडं vas एवोपविष्टः श्रभिदित-

मम्बथा वत सुन्दरमनुष्ठितं भवता यदसौ तपसखिन मरसुन्दरीः 59

७९९ उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

\ ®

पङूवव चने लया facta | ante यदितो मतायासश्याः da तत्घमाकणंयतु ay: मयामिदितं saat यत्ते रोचते we afufed 1 अस्ति तावदितो गता नगयनसलिलधाराधौतगष्डले- खवा टोनमनसका Far सा मया नर्सुन्दरो | पतिता श्दन्नो मम पादयोः। मयाभिडिता wa मरखन्दरि किमेतत्‌ तया- fafet wa दादश्यरो मां बाधते.) ततो ata मघा था संप्रवातदेश्रे। सष्लोकारितं waa: तच शापिता at fray WY ततः THAT महाञूद्गरेण अव्यमाणेव तोत्राभ्रिना SAGAN वमपञ्चामनेन AAAs महामकरेण श्रवष्टभ्बमागेव महापवेतेने GRA शताककतिंकया पाच्जमानेव क्रकचपा- टेन पच्थमानेव मरके प्रतिचणएसुदतेपरावते कतमारब्धा मया- भिहितं wa किंमिमित्तकः पुमस्तवायभेवं विधो दादश्वरः | ततो ered fae किंचिष्लश्ि तमनया। मया चिन्तितं मानसौयमस्याः पोडा कथमन्यथा ममापि कथयेत्‌ ततः wat मया निबन्धः कथितं age मरसुन्दर्या ययाडन्तं | ततो नियच्य तस्याः शओोतक्रियाकरणे कदलिकां मयाभिडहिता सा ATER यदत AG यद्येवं ततो धौरा भव सुश्च विषादं VIVA सारसं | गच्छाम्य स्वयमेव वत्स्य रिपुदारणस्य समोपे। करोमि a तवाशुकूखम्‌ tae किं विज्ञातं Waa aad यथा नितरां मामधनेश्वरो मदौोयस्तनयः विषयः प्रतिङ्लभा- wea तदिटामौमपि विन्नातमाहाग्ययास्य त्था कदाचि दपि प्रतिकूशमाचरणौयं यावष्नौवं. परमात्मेवायमाराधनौयः

चतुर्थः प्रस्तावः | ४६७

ततद्‌ मदोयवचनमाकष्यं॑क्चा बाला भरसुन्दरो विकितेव waft gefaaa कुन्दलता परिपाकबन्धुरेव aw मदसु- न्दरेव करिणिका अलसेकाप्यायितेव वक्षरो areata मागप्रणयिनो गतघनवन्धमेव wefan सहचर मो सितेव wa वाकिका fata सुखाण्तसागरे सवंथा क्रिमघनास्येयं रशन्तर- aqua शयनादुत्थाय निपतिता गाढं मम चरश्योः अ्रभि- हितमसया। wa महाप्रसादः श्रनुग्टहोतासि मन्दभाग्याहमनेन वचनेनाग्नया | AVR WAT करोतु ममानुकूखमे कवारमा- चेयुचं ततो यदि पुनरयं जनस्य प्रतिकूरे वतमानः क्तभरेऽपि fama: खादम्बथा ततो aaa नग संभाषणौयो नापि zea पायाक्मेति मयाभिहितं यद्येवं ततो गच्छामि भरस॒न्दरौ WY) We महाप्रसादः। ततः खमागताहमेषा वस्छस्य समौपे तदयमन्न Ay परमाः | सातु दन्दह्यते बाला विदिता प्रतिकूलताम्‌ | ` तवासुकूलतां मता प्रमोद्मवगाहते TWH कुमारस्य श्रुलेदमब्डतायते | ` श्रगिष्टेव कुमारस्य Fas नारकायते तदो षरोषमाश्लापि लियते ar तपखिनो | सन्तो षमाजनाल्ञापि तावकौमेन जोवति ` रतो यद्मग्धया किंचिद पराद्धं तथा तव बाखया प्रणयात्छवें तदतः शन्तमरहंति y प्रणतेषु दयावन्तो दौनाश्चङ्करणे रताः |

9६८ उपमितिभवप्रपच्चा कथया |

बखेहापिंतचिन्लेषु cunrer fe शाधवः

ततञ्ेदमन्नया गरस॒न्दरो खशवं खसुत्को व्येमानमाकष्टं याव- fieeré खेहनिर्भरतथा तां प्रति प्राणो भवामि तावश्छेशरानेम विरचिता कुरिरभुषरिधूनित्माद्ग दको मदौोयहदये विष्ेपनचचेः ततस्ताः खम्बन्पिनमपराधं dy जातौ मम पुनचिन्तावष्टम्भः ततोऽभिडिता मधास्ना यदुत काये मम बथा परिभवकारिष्छा पापयेति भरम्बया भिहितं ae मा aa गोषः WH मम GAG wey तदौयोऽयमेको गुडरपराधः। am: पतिता मरण्योरम्ना मया भिडितं रपर लम- पवद्छुगिबेन्धपरे मम दृष्टिपथादपसर प्रयोजनं लधापि मे चालं मया निःखारितां तां दुराद्धिकां eerie) ततञ्जरणार्वां प्रेरिता amar) ततो भद्रेऽग्टहोतसङते जेजराजवश्वतिना मया पापात्मना तथा facet eat wafer मदौषमनिवरतं - कमाग्रहविग्रेषं fam geal मयनसजिखं वयामतमेव प्रतिम- ताम्बा निबेदितो नरसन्दर्थे अतिकरः। aared वञ्जमिदं छितेव मूधा निपतितासौ are fom चन्दभररेन समाश्वासिता ताशदकवायन। waren रोरितुमारम्भा विमणमाष्व्याभि- हितं पुजि किं क्रियते | बखमयददथोऽखौ ते भर्ता तथापि मा इदिह मुख विषादं सादसावष्टन्भेन कुड तावदेकं वसुपाथं गच्छ खयमेव परियतमप्रसा दना्थे ततः खं गतायाः प्रत्यागत- wee: कदाचि््रसौदत्यखौ यतो मादंवखाध्यानि कामिशदयानि भवन्ति श्रय तथापि छते प्रसोदेश्लतः पञ्चाक्लापो भविति |

चतुथः प्रस्तावः | ४१९

चतः सुपरिमाश्िते amt किशावरक्रको a भवतोति शोक- वार्तां नरसुन्दरो प्राह थद्‌ाशज्चापयत्यम्ना | avyfeat खा मम तोषणे किमस्यासज गतायाः संपद्यत दूति विमथन war तद- नुमागेणाम्बा प्राप्ता मम पारं गरसुन्दरो खिता इारदेभ विमिलमाखतो | नरसुन्दर्याभिहितं |

माय कान्त प्रिय खानिश्नोवदायक qe |

प्रसौद मन्दभाग्याथाः wale ATS

पुनस्ते मगोदुःखं करिष्येऽहं कदाचन |

at विना रषं भाय नाखिमे yaaa

एवं वदन्तो बाण्योदक बिन्दुवषे्ण शो कलोचगघुगलेन कप-

UM मदौयचरणदयं प्रणता गरसुन्दरौ | मम तुतां ताद्ग WAGs कोटूश्र इदयं संपन्नं श्रपि

केन WER भवल्युत्यखकोमखम्‌

Awa wens q शिखाश्हमतनिष््रम्‌ ॥#

नवनोतमिवाभाति यावञ्िन्तयति भ्ियाम्‌ |

वञ्ाकारं पुनर्भाति ओेलराजवश्रौङतम्‌

तरतो erat षमारूढ तदा मरामकम्नायसम्‌ |

गिखेतु गेव शक्रोति feat मम सुन्दरम्‌ ॥.

तथापि मोहदोषेफ मथा दौभापि बालिका

Tes परियं wer भरिता नरषुन्दरी

कथम्‌ | आः पापे गच्छ गच्छति वागाडम्बरमाधया |

४७० उपमितिभवपपश्चा कथा |

प्रतारयितु श्क्यस्वयायं रिपुटारणः॥

greta कला्चेरन्येषां यदि वश्चमम्‌

कतु शक्रासि at जातु मूर्खाणामपि arema

यदाह हसमस्थान रुंजातस्ादगशामपि |

तदा fa @ प्रलापेन कौोदुश्ौ मम नाथता

Tag सब्धखर्वाङ्गः शूल्यारण्ठे सुनियंथा |

खितोऽहं मोनमालम््य Tecate चोदितः

ततः सा वराको नरखुन्दरो विगलितविद्येवाम्बरच्रो परि-

ष्टषमा धिखामर्थयेव योगिनो avwafafeda waftar श्रवाप्त- नष्टरब्ननिधानेव मुषिका waar जटिताश्रा पाश्वन्धमा निपतिता महाशोोकभरसागरे चिन्तयितु venti fafaert सवयाः प्रियतमतिरक्ताया मम जोवितेनेति ततो fai भवनात्‌ कचिद्रन्तमारग्धा ततः किमियं करोतौति fate afer एव ओशराजेनाशकितपादपातं wits तदनुमागेण cay

शोकयश्निव निविषो मदौयं दुष्टचेषटितम्‌ |

श्रजान्तरे गतोऽन्यत्र तदा aa दिवाकरः

ततः ससुह्नजितमन्धकार संजाता वपिरलजनसश्चारा राज-

मार्गाः ततो गता सेकच Wee नरसुन्दरौ | दतद्चोद्न्त्‌ प्रन्तः WNT: ततो मन्दमन्दप्रकाशे तामेव निरौोचमाणः भ्राप्नोऽश्मपि तद्भारदेश्रे शितो गोपायितेनाद्मना ततो नरसु- न्दयां विशो कितं दिग्‌शक्रवाशं दष्टकाख्लमारुद्योत्तरोयेण बद्धो मध्यवल्ञये पाश्चकः | नियमिता तन्न शिरोधरा ततोऽमिहितम-

चतुथः प्रस्तावः | 8७१

नया भो भो Stace: waa यूयमयवा प्रत्यकमेवेदं fee ज्ञानिनां तचभवतां यदत खमसेप्रसरतया भायवादेन कलोप- न्यासं कारितो मयायेपुचो परिभवबद्या ae तु तदेव मामपवेतारोहकारणं संपन्नं एवं स्वेथा निराकृता तेनं मन्दभाग्या | श्रचान्तरे मया चिन्तितं नास्यास्तपखिन्या ममो- परि परिभवबुद्धिः किं afe प्रणएयमाचमेवाचा पराध्यति ततो सुन्दरमनुष्ठितं मया श्रधुनापि वारयाम्येनाभितोऽष्यवषायादि- ति fafera पाश्रकच्छेदाथं यावच्चलामि तावदभिडितं नरसुन्द- यां यदुत तक्मतोखच्छत भगवन्तो लोकपालाः साग्मतं मटौयप्रा- णान्‌ मा मम जन्मान्तरेष्वपि पुमरेवंविधव्यतिकरो war- fefa ततः ओेलराजेनाभिदितं ) कुमार पश्य भन्माकरेऽपि सरो थसम्नन्धमेषा माभिलषति मया चिन्तितं। सत्यमिद तथा- wa प्रस्तुतव्यतिकरनिषेधमाशास्ते मटोयव्यतिकरस्चाज vega: तैम्बियतां किमनया मम पापया। ततो wamete दन्तो भम इदये शेलराजेम विलेपनशइस्तकः | सितोऽहं तस्य माहा- aan तां प्रति काष्टवन्निष्ठितायेः ततः प्रवाहतो नरसन्दर्यात्मा पूरितः wna: लम्बितं sow निगेते नयने निरुद्धः शरासमागेः वक्रौषता dat swe wate शियिलितान्यङ्गानि समसमा- fad aati: faatfad awget fag—per सा area कौ wy भवनाज्जिगेच्छन्तो दृष्टाम्बया aAgeTt WE तदेलुयायो चिभ्तितमभया | नुनं भद्मप्रण्येयं रुष्टा TET गच्छति मे वधूः | भ्यं पुनरस्या एव प्रसादनायं पृष्ठतो शप्रो मम TAR |

9७२ उपमिविभवप्रपश्चा कथा |

ततो दूरं गतयोरावयोरमुमागेणागच्छन्तौो समागताग्बापि ay Wass दृष्टा तथा खम्बमामा गरसुम्दरौ | चिन्तितमम्बथा ! शा हा wns) नुनं aoe वार्तां कथमन्ययाशा- मेवं safearat दष्णोमासोत्‌ मथा तु शओेखराजौवावखेष- मटोषेणेव श्रवस्तुमिबेन्धपरोयमिति शता तदवधौरणा ततः ओोकभरान्धया मम WAT एव तथैव ब्यापारितोऽम्बयाप्ात्मा सतः खाध्वसघन्तापेनेव We मनाङ्‌ मे सब्धचिन्ताभिधानं त्तदा इदयावलेपनं ग्टहोतोऽहइं TEMG: wate | ततः खाभा विकञेहविहलोग्लमामसः | खण विधातुमारः प्रलापमतिदारूणम्‌

तथाप्यतिप्रौढतया fara शत एव मे Tea चिन्लावष्टम्भः चिन्तितं मथा श्रये age: कथं स्तनो विनाशे रोदितौति ततः featse द्वष्यो भावेन

cry कदखिकया चिन्तितं किमिति arf नागब्छति! तद्च्छाम्यदं ayers! ततः gafafefea प्राप्ता afta a प्रदेशं ततो ger विमणमाखतोनर सुम्द्यी तथा खम्बमाने w- war हाहारवः मिखितं aaa art) समुष्छलितः ateree:! किमेतदिति ver कदखिका। निवेदितं तथा सवे यथाष्न्तं wat- wt eam: सफटतरखन्रालोकः | ततो ge तथेवोहम्बमाने ववे- आओोतेनाम्बानरसुन्दर्यो विशो कितोऽहमपि खकर्मबरसहतथा भग्रनति- प्रसरो ग्वार TAIT लोगो वतेमानन्डशप्रदे9े | waa: धिक्षारितोऽह अनेन कारितं तातेनान्नानरसुब्दथग्टितव कायम्‌ |

चतुर्धः प्रस्तावः | 8७द्‌

AMSAT वोच्छ Hela कमे दारकम्‌ | तातः शोकभराक्रान्स्तदेवं चिकयत्धखम्‌ श्रहो श्रनयेपुश्चोऽयमशो मे कुखदुवणः | श्रो सवेजघन्यो ऽयमहो पा पिष्ठशेखरः अहो सर्वापदां मूणमदहो खोकपथातिगः | अरहो वैरिकसद्धाश्रो ममायं रिपुदारणः॥ कायं मे ततोऽनेन पुजेशापि दुरात्मना | एवं विचि तातेन रतथित्े विनिखयः ततोऽबधोौ रितस्तेन भवनाच्च बहिष्कृतः | wean: पुरे तच विचरामि सुदुःखितः खद्ष्टचेष्टितेनेव बालामामपि eer | TARE तदा sawed विगतः पापोऽयं दुष्टचष्टोऽयमद्रष्टव्यो विमूढघौः | कुलकष्ट कण्डूलो ऽयं aaa विषपुश्जकः मानावल्लेपतो येन कशाचार्योऽपकणितः | मूखंचडामणित्वेऽपि पाण्डित्यं प्रकाशितम्‌ माता प्रियभार्यां थेन मानेन मारिता को वा निरोौचते पापं aaa रिपुदारणम्‌ उक्रमेवेदमस्म्नाभिर्नेो ATS TTA: सा काकौ श्रादौनां खानिर्या गरसुन्दसे ततश्च वियुक्तो गरशन्दयां चदयं तश्च सुन्दरम्‌ 00

eos उपमितिमवप्रपश्ुा कथा |

किंतु शा पद्मपवाचौ यक्ता त्न सुन्दरम्‌ अं पुनमेहामोहशप्श्नामः GUAT | तदापि feared भद्रं विमखल्ोचने त्यक््यापौड तातेन निन्दितस्यापि zoe: | गे्राजग्टषावादौ तथापि मम बान्धवौ RARE प्रसादेन भुक्रपूवं मया wer | aie खच कालमासाद्य पुननांस्यन any: ततद्चैवं अनेगोधेनिग्यमानः TE चणे स्थितोऽहं शरिव्षाफि दुःखघागरमध्यगः Faq अत्धन्तदु बेलोश्तः सकोपो मयि निस्फुरः | सतु quiz भद्रं सितोऽकिचित्करस्तदा श्रथान्यदा कचिद्राजा वाहनायं सुवाजिनाम्‌ | बेष्टितो राजद्न्देग निगेतो मगरा दडः ततः FACANBS: सवा नागरको जनः | aaa निर्गतोऽह चख सप्राप्तसतस्य मध्यगः | BY बारहो ककाम्बोजतुरूष्कवर वा जिनः | arefaar शशं राजा राजलोकविलोकितः ततः खेदविभो दाथेुश्यानं सुमनोहरम्‌ | प्रविष्टः सडह शोकेन शकितं नाम शोतलम्‌ तच्च RII अरशोकमागपुलागताशदिन्ताखराजितम्‌

तज

चतुथः प्रस्तावः

परियङ्गुलन्पकाङ्ो लकदलोवनसुन्दरम्‌ केतकोङ्खुमामोद इष्टाशिङ्शमाखितम्‌ समस्तगाएसंप्रण सर्वथा नन्द नोपमम्‌ तजचेकदेग विश्रम्य राजा नरवाहनः | उत्थाय WE सामन्तेर्लो खया TATA: प्रलोक यितुमारमः कौतुकेन safer विस्फारितेन नोलालचारुणा wager

सत्काम्तियुक्रमख्चगर हसद्नातवेष्टितम्‌ प्रकाशितदिगाभोग साच्ादिव निशाकरम्‌ रक्राशोकतरस्तो मपरिवारित वियम्‌ | यथेष्टफलद साचाष्यङ्गमं कल्यपादपम्‌ उश्नतं faqurard ङणगेलविबेष्टितम्‌ | हेमावदातं सुखदं सुमेङ्‌मिव गत्वरम्‌ कुवादिमन्तमातक्गमद निर्माश्रकारणम्‌ |

ad शत्करि दन्देन निमेदं गन्धवारणम्‌ श्रय साधूुचिते देशे क्राग्नोकतलखितम्‌ | सत्ताधुसङ्मध्यखं कुर्वाणं धमेदे नाम्‌ इएभापितं यथा धन्यो निधानं रन्नपूरितम्‌ | विशचराख्यमाचाये नरेन्द्रो वलोकथत्‌ अथ तं तादृशं ateq खरि जिमेखमानसः | मरवाइनराजेष्रः पर इषेमुपागतः

७७५

ged उपमिविमवप्रपश्चा कथया |

aafya शतं तेन गनं नासि HTT | ten मरमाण्िक्धि venice तपोधनः निजितामरसोौन्दयां निवेदयति वौचिता | AYA ASA सम्भार गौरवम्‌ aatene fa नाम भवेदैराग्धकारणम्‌ | येन यौ वनसंस्येन खण्डितो aac: श्रय वा गला प्रणम्य WTR खयमेव महात्ममः | ततः च्छामि पूतात्मा भव नि्वंदकारणम्‌ एवं विचिनध गल्ासो नला at: कमदयम्‌ | zane wera fare: शद्धग्डतले ततस्तदनुमार्शंख Wess तथा WE उपविष्टं aurea मल्ाचा्योतरिपङ्जम्‌ ` मथा तु भद्रे पापेन शेलराजवशात्मना | नतं ताङ्श्रस्यापि वदा खुरः क्रमदयम्‌ पाषाणश्टतमुक्रोलोखन्निभो MATT: | केवशं स्तग्धसर्वाङ्गो favdtsy भुवस्तले अरय गमोरषोषेड BAIA Tc: | धर्ममाख्थात्मारमः Bae faqs: afafed तेन भगवता यदुत भो भो भव्याः प्रदौप्तभ- वमोदरकण्योऽव शार विस्तारो मिवाषः शारौरादिदुःखागां। a am इह विदुषः प्रमादः अतिदुलभेचं मानुवावख्ा प्रभानं पर्‌-

चतुथः GTS | geo

लोकसाधनं | परिणमकटवो विषथाः क्िप्रयोगान्लानि aay तानि | पातभयातुरमविन्ञातपातमायुः तदेव व्यवसिते विध्या- पनेऽस्य संसारप्रदोपनकस्य यन्नः RAY: | तस्य ea: बिद्धान्त- वासनासारो धमेमेघः श्रतः खोकतेव्यः भिद्धान्तः | सम्यक्‌ सेवि- तव्यास्लदभिन्नाः | भावमोयं सुण्डमालशिकोपमानं | qn खस्वस- guar | भवितव्यमान्ना प्रधानेन उपादेय प्रणिधानं पोषणौयं सत्साधृखेवया | रच्णोयं प्रवचनमालिन्यं | एतच्च fafusew: ंपा- दयति wa: aaa विधिना प्रवर्तितव्य सूजामुसारेण प्रत्यमि- ज्ञातव्यमात्मखरूपं | प्रषत्तावपेडितव्यानि निमिश्लानि। यतितव्य- मसंपश्रयो गेषु | खचख्यितव्या विख्लोतसिका प्रतिविधेयमनमागत- मस्याः | भवत्येवं प्रवतेमामानां शोपक्रमकर्मविशयः विख्छिद्यते निरुपक्रमकर्मानुबन्धः | तस्मादेव यतध्वं ययमिति एवं निवे- दिते तेन भगवता विषचणद्ूरिणास्याः परिषदो मध्ये केषां चिद्धवया- नासुश्सितखरणएपरिणामः श्रपरेषां खजातो रेशविरतिचयोप- श्रमः | wa: पुनविदलितं मिथ्यालं श्रपरेषां प्रतनुगता रागा- दयः केषां चिल्छंपन्ञो भद्रकभावः ततो निपतितास्ते wasfa भग- वश्वरणयोः। sfafeqaa: दच्छामोऽसुशास्ि gal यदान्नञापयन्ति नायाः श्रचन्तरे विदितं तातेन | यदुत प्श्रयाम्यधुना तद - arafaafad | ततो ललाटतट विन्यस्तकर मुङ्कुखेना भिडहितममेन |

जनातिश्रा यिरूपाण्णां जगदेशर्यभा गिनाम्‌

भदन्त तज्भवतां किं वो वेराग्ेकार णम्‌

afcurfafed awa तव कौतुकम्‌

got उपमितिभवप्रपश्ा कथा |

ततस्ते कथयाम्येष भवनि्वंद कारणम्‌ fa तु अत्मस्ठतिः परे निन्दा पूवक्रो डितको तेमनम्‌ | विरद्भमेतद्राजेन्द्र साधुनां चयमप्यशम्‌ ममातमचरिते चेतत्कथ्यमाने परिश्फटम्‌ | चयं संपद्यते तेन युक्रं तस्य कौतेनम्‌ तावेना भिहितम्‌ | एवं निगदता नाथ वर्धितं कौतुकं वया | कर्तव्योऽतः प्रषादो मे face चरितं निनम्‌ ततो विन्नाय निर्बन्धं मध्यखेनान्तरात्मना | प्रनोधकारणं Wat सूरिरित्थमवोषत यदत | अनादिनिधनं लोके नानाट्त्तान्तसद्ुलम्‌ | विद्यते तलं नाम मगर सुमनोहरम्‌ तचास्ति भुवनख्यातो देवानामपि नायकः | अलंष्यसत्मरतापाश्ञो ACR ATTY: सुन्दरासुन्दरे कार्यं नित्यं विन्यस्तमानसा | ae चासि महादेवो तत्पक्रिर्नाम विश्रुता तयोख देवौनृपयोरेकः सुन्दर चेष्टितः | विद्यते जगद्‌ाण्डादौ gat नाम cutee: fi तथा दितौयस्तनयसतयोदेवो नरेष्रयोः . अस्ति सवंअमोक्नापो विख्यातश्चाणभोदयः

चतुर्थः प्रस्तावः | goé

SAGAN seq सुन्दराङ्गो जनप्रिया भायां इभोदयस्याल्ि पद्मा निजचार्ता तथाश्भोदयस्यापि जनसन्तापकारिणणे | भार्यां खयोग्यता नाम विद्यतेऽत्यन्तदाङणा ii इतश्च काखप्यायादवा्य निज्ारताम्‌ | ततः इएभोदयाव्लातः gat ara विचचणः तयेव काशपर्थायादवाप्यैव खयोग्यताम्‌ | ततोऽशएभो दयाष्नातो जडो माम सुताघमः तयो विं चच्णस्तावदधेमानः प्रतिच्णम्‌ | ag: खेगृणेर्जातस्तदिटानो निबोधत मागानुसारि विज्ञानः पूजको गुरखंहतेः | मेधावो प्रणो cet शल्यो जितेदियः खदाचारपरो WT: SEIN इटढसौ इदः | देवाभिपूजको दाता wat खपरचेतसाम्‌ सत्यवादौ विनोतात्मा प्रणयागतवल्सखः | खमाप्रधानो मध्यस्थः सत्वानां कल्यपादपः धर्मेकनिष्टः WEA वयषनेऽप्यविषशः | स्यानमानान्रा मिन्नः कुख्सितायहवजितः समस्तशास््रतत्वन्चो वाचि पाटवसंगतः | नोतिमागेप्वौणत्वात्‌ चासकः ग्र चसंहतेः खशणोष्छेकरोगात्मा fagm: परनिन्दया | aye: सम्पदां लाभे पराथं विनिर्मितः y

gto उपमिविमवबप्रपश्चा wut |

किं चेह बडनोक्रन यावन्तः wed गुणाः | Team तेऽखिलासज urea faves अथ संवर्धमामोऽसौ श्ररोरेण प्रतिचणम | weg यादुक्‌ safer निबोधत विपर्थ॑स्तमनाः सत्धश्रौ चसम्तोषव जितः | मायावो पिषश्नः क्रोबो निन्दकः साधुसंइतेः HIYA: WANT शरूटेवविडगम्बकः | अरसत्रलापो शोभान्धः परषां चिन्तमेदकः अन्यशिन्ते वदत्यन्यचेष्टते क्रिययापरम्‌ ददते Waa परापल्छु प्रमोदते गर्वाश्मातः सदा HE: Vat भषफएप्ियः श्रत्मक्चाघापरो fay रागदेषवशानुगः कि वाच बहनोक्रन ये ये दोषाः सदुजेने | Hav तेऽखिलास्तच प्राद्श्डेतास्ततो अरे एवं वधंमानौ तौ aie सुखखालितौ | faequast mat धौवनं परिपारितः इत शणरन्ानासुत्प्तिष्यानमुन्तमम्‌ |

पुरं भिमेश चित्ता विद्यते लोकविश्चतम्‌ तच्रान्तरक्गं नगरे नृपो ATA Baga: | असि सहुणरनानां जनकः WHY सः तस्य सुन्दरता नाम महादेवो मम्ःप्रिया | faut चारसर्वा्ो सा तद्रनविवधिका

2 हि ~ कि

चतुर्थः UMTS: |

ताग्वां -कालपयांयाष्जाता TTS | बुद्धिनांम Tecra कन्यका Gerth

ततः सा 7णएरूपाभ्वामनुरूपं faqweuq ` faferq प्रडिता बाला ताभ्यां we खदचवरा uftatar ला तेन महाश्धतिप्रमोदवः। विशच्चणेन सत्कन्या आता मनः पिया तया UWS ARYA मनःसुखम्‌ | fawaue गच्छन्ति रिभानि श्टभकमेणा अरयान्यदा कचिद्ुदधेवातान्वेषरकाम्यया | मखर्येण प्रहितो विमो निजपुजकः

बुद्धौ इृढस्ेहभावभावितमानसः |

wer एव wate: सद्धगिन्धाः feat सुदा खोद रङ्मायक्ा भां बङमानिता |

am: at चिक्निर्बाखादूभे werfa बालिका अरय तच्छा: एएभे काञ्च सद्रभेपरिपाकतः ` जातो रेदौप्पमानाङ्गः WHAT नाम दारकः A जातः सवधमानोऽसौ प्रको बुद्धिनन्दनः farauqeqen विमच्छातिवक्ञमः [अ्रयान्यदा WR FS कानने सुमनोहरम्‌ | विचचशजडाभ्वां भो arar वदमकोटरम्‌ तच खादनपानेन खलमानो यथेच्छया |

लौ crate feat कंचित्कालं सतुष्टमानसो ॥.

61

७८९

उपमितिभवप्पश्ा श्या |

तज BRIA: WaT Tear: शन्ति टख्काः तेषां वौयिकाषग्पं ताभ्यां दृष्टं मनोहरम्‌ ततः awe: प्रविश्य प्रविश्लोकितम्‌ तच चाखग्धपयेन्तं दृष्टं ताभ्वां महाविखम्‌ ततो विस्फारिताखाण्यां कौतुकेन सविस्मयम्‌ विशधणजडाभ्वां तत्‌ सुचिरं संगिरो कतम्‌ अथ तस्ासशुद्रुता रक्रवर्णा मनोहरा | दासचेग्ा खमं काचिद्ल्ना शाङविग्रडा at ateq wefan पर इषेसुपागतः | oar feneaa favatfararra: अरो पूर्विका योषिदशो सन्दरदगरेना | अरहो GMAT अहो रूपमहो Ye: किमेषा भाकतो मुग्धा wer श्ादमराङ्गना | कि वा पाताशतो वाखा नागकन्या विनजिगेता # अथवा महि afe ge मथा चिन्तितं ` बतः | खगं वा मागणशोके वा कतः ख्ादिवमोदृश्े | मर्यं दुरतोऽपास्ता वार्तापौदृषयो षितः # age विधिना aq परितुष्टेन कणिता निर्माियं wasn सुन्दरः परमाणमिः अन्यश्च | | | गूनं पुरषहोनेयं मदै विदिता वने | यतो मां et बाखा लोखदृष्िमुडसुखः

चतुरैः प्रावः .. 9८

गला waren: शता चिन्तपरोच्णम्‌ | ततः करोमि सौकार किं ममान्येन चेतसा TAG

faqqey at ger शज्नां afar |.

ततखेतसि saat वितरकोऽथं महात्मनः

एकाकिनौ वने योषा परकौवा ममोरमा |

XE च्यते रागाज्ञापि संभाषटोचिता

यतः SAAT ब्रतमेतक्महात्मनाम्‌ |

परख्िथं पुरो शा याग्धधोसुखदृष्टयः `

अतो व्रजाम्बतः खानाक्किं ममापरचिन्तवा |

ततो गनत प्रटसोऽसौ wearers तं जडम्‌

तेन चाृखमाणोऽखौ कथंचिदणिना जडः |

इतसवेखवग्भो हात्परं दुःखसु पागतः.॥

यावक्ौ गच्छतः सोकं wart राजपु्कौ |

तावस्छानुशरो तसाः पञचाह्ञग्रा समागता

तथा दूरत एव विहितः पूत्कारः यदत weed भो

marae हा हतास्मि मन्दभागिनौ | ततो वखितस्तद्‌- भिमुखं जड़ः तेनाभिदितं सुन्दरि मा भेषौः कथय कुतस्ते भयमिति aafafed) यद्धवन्तौ मम arfaat faqe efuat तेनैवा जातू frat) ware aaneat ताव- wa खौवतां waar: येन यन्मसजिधानेन मनाकूखष्गे- गतायां सामिन्ां antsy facrger eat भवतोरेतत्खरूपं.

४८8 खप्रमिलिभवप्रपन्ा-कया |

waa विज्ञापयामि ततो अङेमाभिदितो विषचष्ठः ara- गैम्यतामेतत्छामिनौ समोपे | भवतु सा Ber. विन्नपवलेवा यथा- faafea 1 at दोषः | विषचच्णेन चिन्तितं सुन्दरमिटं। xa fe वष्टा Sey तरला eran परतारयिय्ति ` नुनमस््मान्‌ | अथवा Tafa तावत्किमेषा तच गता जण्यति चाहमनया प्रतारयितं we: तस्मादच्छानि। काच मम wer) एवं विरिन्धामिदितं विषचणेन } भ्ातरेवं भवतु ततो गतौ पञा- yet विच्णजौ प्राप्तो aaa wether weer निप- तिता दासखेटो तयोखरण्टषु अ्रमिडितमनया महाप्रसादः। श्रसु- होतासि धवाभ्यां। जोविता arta दन्तं मे जोवितं। अे- ना मिडहितं ।. सुन्दरि किमामिकेयं तव arfaat चेव्ाभिदडितं | देव सुग्टरोतमामधेथा ` रसमेयमगिभौयते अदधेनामिडहितं भवतं किनाभिकामवगच्छामि। ततः सखष्णममिडितमनया | देव खोख- तां प्रशिद्धा शोके चिरपरिचितापि faery ee | तत्किमदं करोमि मन्दभागिनोति wearfafed भद्रे कथं मम लं चिरपरिचितासि। शोलतयाभिदहितं ` इदमेवासदिश्च- पनोषं ae प्राह विन्नपयतु भवतो ated: असि तावदेषा मम सखाभिनौ परमयो भगिनौ लानाद्येवातौतानानतं | अहमपि शासाः प्रसादादेवंविभेव wre कमपरिणाममहा- राजक fanaa तच कडा चिद्वबतोरवस्यान- मासौत्‌ ` ततः कमैपरिणामादेेनेवाचातौ -भवन्तावेका- जिवाशपुरे ततोऽणागतौ विकला्निवासे तज wa: wear

चतुर्थः प्रावः | gcy

fara तज प्रथमे fewhtarfiiern: geaqvar: प्रतिवबग्ति ततस्तेषां मधये व्तेमानाभ्बां युवाभ्यां यथानिरदेश्रकारितथा प्रसेन कमेपरिशाममङहानरेन्दरेण HY दत्तमिदं वदनकोटरं काननं एतं खाभाविकमेवाज saat विद्चत एव महाविषं इयं 4 अर्वाणसमद्‌ त्यक्ते: पूरविंका वार्ता ततो विधिना चिन्तितं। whee रडिताविमौ वराकौ सुखेन तिष्ठतः। wa: करोम्यनयोगेडिषो - मिति ततस्तेन भगवता faure दयापरतशेतसखा quetfa- भिन्तमजेव aufee निवे तितेषा मे खामिनो तयाहं eer एवानुचरोति जडेन fafa श्रये थथा मया विकरितं तयेवेदं quay | श्रस्मदथेमेेयं रखना निष्यादिता swear) wet मे प्र्चातिश्रयः विचचण्ेन चिन्तितं कः पुनरयं विधि्गाम छं wa एव कमेपरिणमो भविति कस्यान्यस्येदूश्नौ अक्रि- रिति जडः प्राइ भद्रे ततस्ततः | Stearate) ततः caer मे खाभिनौ यक्ता मया वाभ्यां सह खादन्तो नानाविधानि खाद्यकामि पिबन्तौ विविधरसोपेतानि पानकानि खखमाना wives ava विकलाखचनिवासे गगरे feafe पाटकेषु तथा पञ्चाचनिवासे भसुजगतौ way तथाविधेषु way विचरिता wate are) अतएव चअण्मणेषा युश्मदिरहं fared: queer ` चागतमृद्छां भयते खामिनो azarae भवतोधिरपरिचितासि ureneg सिद्धं a: aatfea इति भावया परितुष्टो अः ततोऽभिडहितमनेन सुन्दरि cea प्रविग्रतु तव॒ afar मगरे पवि्रथतेकं खावखानेन महा-

छपमितिभवप्पश्चा क्था |

यतः सौवचनादेव यो मूढात्मा प्रवतेते | कार्यतत्नमविश्चाय तेनाना TAH: .॥ ततोऽनादरतः किंचिल्लोखतायाचमे सति | दत्वा खाद्यादिकं तावल्कुमेहे काञ्यापनाम्‌ aay | | a wae पालनोयेति मला रागविवजिंतः | ददानः एद्धमाहार शोलतां भिवारयन्‌ शरविश्रभथमनास्तस्यां शोकथाचानुरोधतः | अनिन्दितेन मार्गेण रसमामनुवतेयन्‌ धमाधेकामखपश्नो विदद्धिः परिपूजितः ` स्थितो विचचएः are कियन्तमपि शोखया तं तेजखिनं मत्वा face विणम्‌ | भावज्ञा fafecad area नेव wteat ओोखता विनिञ्रो रखनां पालयन्नपि | श्रशेषक्ञेश्रहोनात्मा सुखमास्ते faweu: यतः। ` # ये जाता ये जनिग्यनते Hey दुरात्मनः रसनालाखमे दोषा ` खोखता ` तजर कारणम्‌ विचष्टेन ला aareteare face | रषनापाणनेऽणस्य aaa जायते Taq aurea ङनाम्बा खयोग्धता | Wit Tene wags:

चतुर्थः प्रस्तावः | ace

तयोरपि मनस्तोषस्तच्छला समपद्यत | ततस्ता्वां जडः प्रोक्तः खहा पूरन Yer पुजानुरूपा ते भायां संपन्ना पुश्यकर्मणा | सुन्दर Aq यदस्याः Ts लाखमम्‌ ` इयं हि सुख्ेत्स्ते सुभार्धयं वरानना | ततो खालयितु युक्ता पुज राचिदिवं वथा ततद | | खयमेव प्रक्लोऽसौ wat चोदितः | एकं Cafe बाला मथरोशेपितं तथा ततो गाढतर रक्षो Taarat जडस्तदा | AMSAT मूढात्मा सहतेऽसौ विडम्बनाः इतो विचच्षणनापि सौयतातः शभोदयः | ज्ञापितो रसनालाभं माता fasrerear तथा बुद्धिमरकवौ fang विशेषतः बोधितो रखनावार्धिं fafed कुटुम्बकम्‌ ततः शभोदयेगोकं we किं ते प्रकथ्यते | जाना सि aga सत्थोऽसि त्वं विचक्षणः तथापि ते प्रत्येव waaay गौरवम्‌ | तेन wetfeat ag तवाशमुपरे शने aq ताव्षमस्तापि नारो पवमचश्चला | चणरक्रविरक्रा सन्ध्याभालौव वतेते मदोव पवेलोद्धूता प्रहत्या नोबगामिनौ ,

62

8€ °

उपमितिमवप्पच्चा wut |

दपेणपितद्‌ ्रंक्चवदनप्रतिमोपमा

बको रिष्यनागानां संस्थापमकरण्डिकां | काशकूट विषस्योचेखंतेव मरणप्रदा नरकानल्रसन्तापदायिकेयसुदाइता | मोचप्रापकसद्यामश्रचश्ता वतेते

कायं मंचिन्तयत्यन्यद्वाषतेऽन्यचच मायया | AMAT सा पुसः शद्धग्नोला भाषते ti रएे्रजा शिक विद्येव इरा च्छदकारिका |

मर चिन्सनतुद्धावकारि्णौ बण्डिपिष्डवत्‌ a प्रत्येव सर्वेषां वैमनस्विधायिनौ | संसारचक्षविधानिहेतर्मारौ quae Ufacratfea fea विबेकाम्डतभोजनम्‌ | GLI TAIN भुज्यमाना Sry: श्रगृतं साहसं माथा नेशंक्यमतिशोभिता | निदयलमश्नौचं नार्याः खाभाविका रणाः. aq fa बहुनोक्तेन खे वेचिहोषसश्चयाः ` ते मारोभाष्डश्ाशायामाकाखं सुप्रतिषिताः ARH: सदा Tar कतेग्यो हितेषिशा | विश्रन्भवश्रगो द्यामा तेनेदमभिधौयते

येयं ते रसना भार्या संपन्ना शोखतायुता |

सुन्द्रेवा मे भाति को वा योगस्तवानथा खतो श्नायतेऽद्चापि Sree ततख्खथा |

Ga: Tea | ` ४९१

UEC ङुवतासुषथा qaufe: परोच्छताम्‌ यतः श्रत्यम्तमप्रमन्तोऽपि मूलग्रएद्धेरवेदकः | स्लोणामपिंतसद्धावः प्रयाति निधनं नरः ततो fasaeaafafed ag विचश्षए सुन्दरं ते

waa aftad ) अरख्विश्यतामस्ा रमाया मूलदद्धिः को दोषः | famagatiwaea fe सुखतरमनुवतेनोया भविष्यति | बद्याभिदहितं wagy यहुरू श्राज्नापयतखदे वादुष्टात्‌ धुक्ष मा्येयुजस्य warmer fe स्रवः सत्पुरुषाणां भवन्ति | प्रकषेः प्राइ तात खुन्दरमम्बया afead faa) को. वा- WGA TH MMA सवथा सुन्दरमेबेदं यन्सुपरौकितं क्रियत दति विचणेन चिन्तितं सुन्दरमेतानि मन्यन्ति | संय welaa विदुषा पुखूपेणण विन्नातङुखश्नौखाचारा wean) केवखं कथितमेव मम णोखतया रसनायाः wal gute | विज्ञातञ्चाधना मया श्भेखाचारः यदुत खादनपानभ्रिधेयं रसना guar महि नहि at हि बकणेकः पुरुषो भुजङ्गवनितागति- कुटिल्लतरचिन्लटन्तेः कलयोषितोऽपि वचने संप्रतयचं कुर्यात्‌ | किं पुनर्दासचेखाः | तत्कोदुश्ो मम शोलतावचने संप्रत्ययः | श्ोलाचारोऽपि सश्वासेन wear कालेन सम्यग्‌ विज्नायते यथाकथंचित्‌ तक्किमनेन बहना करोमि वावदहं तातादौगासु- पदे श्रं गवेषयाम्यस्या रसनाया qaufe वतो विज्ञाय . यथो- चितं . करिव्धामोति विचि विषच्णएभामिदितं यदाज्ञापयति

8९२ उपमितिभवपपश्चा कथा |

लातः केवलं तातः खयमेव निरूपयतु कः Gacy रसनामृख- इद्धि गवेषणाय प्रश्थापनयोग्य इति शभोदेयनोक् ag we विमशरेः परमरूपकायेभर सख faaleuea: तथा हि qm चायुक्रवद्धाति सारं चासारमुश्वकेः | wom यक्षवद्भाति विमम विना अने तस्य हेयसुपादेयश्चुपादेयं हेयताम्‌ | भजेत वस्त॒ aera विमग्रौ भासुकूलकः MIATA कार्ये मतिभेदतिरोडिते | विमश्रेः कुरते नणामेकपं विवेचितम्‌ कि w) WE मायां दे शस्य TAHA नृपतेस्तथा | Tarat शोकथर्माणं qe yore वा देवानां स्वेग्राखाशां धर्माधमेग्यवखितेः | .विमर्गोऽयं विजानते तत्वं मान्यो anwe a चेषामेष aera ae निरदेश्कारकः | ते ज्रातसवेतल्वा्ां जायन्ते सुखभाजनम्‌ अतो धन्योऽसि ward faeries बान्धवः | कदाविदधन्यानां चिक्ारन्रेन area: एष एव नियोक्व्यो भवता प्रयोजने | भागुरेव हि शवं यास्तमसः शखाशगचमः विक्चणमाभिदहितं यदाच्चापयति तातः ततो निरडित- मनेन faasaza विमश्रः प्राह squat मे विषचण्ठेनोक्ग

चतुर्थः प्रस्तावः | ४९६३

थेवं ततः wre विधौयतां भवता तातादेश्रः। विमर्ेनाभिडहितं | एष wasfa केवलं विसोर्णा वसुन्धरा नानाविधा देण यांसि राच्यान्तराणि। तद्यदि fen कालप स्यात्ततः कियतः काला ज्िवर्तितव्यं | विचचरनोक्रं | भद्र संवत्छरस्ते कालावधिः | तिमेः aie) महाप्रसाद | ततो विदितप्रणामख्चशितो faa: RUA एएभो दयस्य पादयोर्भिंपत्यामिवन्् निजशार्तां प्रणम्य जननौोजनको प्रकर्षेशामिहितं तात यद्यपि ममायैकताताम्ना- facasfa मनसो निदेतिस्तथापि सहचरतया मामे मम meat प्रतिबद्धमन्तःकरणं माहं मामेन विरहितः चश्मा्रमपि जो वितुमु खे ततो मामतुजानोत ed येनाइमेनं गच्छन्त- मनुगच्छामौति एतच्ाकश्छ लसितापत्थच्छेहमो हपूरितदयेनान- न्दोदकविण्टुसन्दो दश्चावितमयनपुटेभ freer दकिणकराङ्गुखो- भिङश्नामितं vata सुखकमखकं दन्ता चुन्विका श्रात्रातो मृधप्रदे्रः साधु aq साध्विति वदता भिबेभरितखासौ निजो- SF श्रदभोदयं प्रत्यभिदहितं तात दृष्टो wena विनयः निरूपितो वचनविन्यासः श्राकणितः qwart: श्यभोदथः प्राह ae किमचाञ्चधं wer बुद्धेजां तखेदशमेव चेष्टितं यु्धते किंच agi

युकमिदमस्माकं खुषापौ जकवणेनम्‌ |

विशरेषतस्तवाभ्बकं थत एतदु दाइतम्‌

WIS JAC. Gar: wae मिजवान्धवाः |

तका कमेपर्यन्तो नेव पुजा ताः fea:

8é8

उपमि तिभवप्रपच्चा कथा |

तथापि eraateer गुणसम्भारगौरवम्‌ |

श्रवणितेन Aare पुज शक्रोमि मासितुम्‌ दयं हि भार्या ते बुद्धिरनुरूपा वरानना ्रण्डद्धिकरो धन्या यथा wee चन्द्रिका

भरठखेपरा पदौ स्वैकायेविश्रारदा | -अखसन्पादिका गेहभरनिवरणचमा

विश्राखचद्‌ छिरण्येषा खश्छदुष्टिङदाइता | शवं सुन्दरदेशा पि देषद्ेतुजेडात्मनाम्‌

अथवा , ` ` मजच्येफ जनिता पुरे निमेखमामसे थाच सुन्दरतापुजो तस्याः को वणंनचमः ॥.

अत एव wade नेदामौं बड awa |

garage एवायं जनयिश्या विभाव्यते

aq किं बहगोक्रन Uae aaa अने |

OSE महाभागं WE ते कुटुम्बकम्‌ #

अरत एवं ad चित्ते साडः arena खिताः wae रसनाखाभं मोचितेयं यतस्तव

मा wegfaarara aval मत्छरादियम्‌ | विशेषतः प्रकषेस्य तेन चिक्ातुरा वयम्‌ fa वा कालविश्म्बेन wea प्रविधोयताम्‌ | ततो यथोचितं श्रात्वा ya यत्तत्करिव्यते मातुलखशदवद्धात्ला wee: प्रख्धितो यरि .

HAT: Tera: | ४९५

दद्‌ सारतर जातं WR खण्डस्य योजनम्‌ तदेतौ सहितावेव गच्छतां कार्यसिद्धये | युवाभ्यां 4 तु ater चिन्तेति प्रतिभानि मे ततो विचक्षणेन gar चाभिहितं यदाज्चापयति तातः | ततो निपतितौ geet चरणेषु विमथेप्रकर्षो छतसुचितकरणोथं। meat गन्तुं रञ्च तदा श्ररत्काजो वर्तते ET: शस्यषम्भार निष्यश्नन्धमण्डलो मण्डलाबद्धगोपाजरासकुलः | साङ्कुललप्रजाजातसारच्णो रक्तप्णद्यक्रसच्छालिगोपपरियः यच शरत्काले | अखवजिंतनौर ठन्दचितं स्फए़टकाश विरा जितश्रमितलम्‌ | श्भुवमोदरभि्टुकरे विशदं कितं स्फरिकोपणकुन्भसमम्‌ अन्यश्च | | भ्रिखिविरावविरागपरा श्रतिः श्रयति wage aera रमते कदम्बवने तदा विषमपणेरता जनदृष्टिका छवणतिक्ररसाच्च पराङ्मुखा मधुरणखाद्यपरा अनजिष्डिका | स्फुटमिदं तद हो प्रियताकरो जगति. एद्धएणो तु dee: तथा SSAC सरोमण्डलं पष्सत्पद्मनेजैरिंवा er | CHa nae राजिमचचशललो TET नन्दितं गोकुलं मोदिताः पामराः पुष्ितो Haver faut निर्मला | चक्रवाकस्तचापोह विद्राएको भाजनं यश्य यत्तेन तक्ञभ्यते ततच्वंविधे WGA Gat मनोरमकानमानि विलोकयन्तो

sed पमितिमबप्रपस्चा कथा |

कमखषष्डन्डषितवरोवराणि निरोकमाणो प्रसुदितानि ग्रामा- करनगराणि इष्टौ शक्रोखखवदश्ेनेन तुष्टौ दौपाशिकावशोकनेन श्रार्हादितौ कौमुदोगिरौचेन परोकमाणौ जनहदयानि प्रयु- छागो खपयोजनसिद्ययेसुपायन्नतानि विचरितौ बहिरक्गदे गेषु विमश्ेप्कर्षो दृष्टं कवचिदपि रख्नायाः लं तथा fee तोस्तयोः मायातो हेमः कोद्शख्ासौ | अभितचेशतेखवर कम्बजरलक चिजभामुको विकञिततिखकलोप्रवरक्न्दमनोहरमज्िकावनः | शौतखलपवनविडितपथिकस्एटुटवादि तदग्तवौएको लद्छश्रशिकिरणन्येतलचन्दनमौ क्रिकसुभगता इरः यज हेमन्ते दुजेनसङ्गतानोव इखतमानि दिनानि सष्जन- Sala TAT रजन्यः सज्च्रानानौव सग्न्त धान्यानि काग्यपडू- तय इव facet मनोहरा Fe: सुजनरशदयानोव विधौोयन्ते खेदसाराणि वदनानि परबख्कलकलेन रणशिरसि gut दव feat दवौखोदेश्रगता रपि निजदयिताविकटमितम्बबिम्बपयथो- धरभर शो तशरोद्मसंद्मरणेन पथिकलोका इति | WATE: war लाघवं दिवाकरे | अथवा | efeurmaeye wiaratent गतिः अन्ध श्रयं हेमन्तो दुगेतलोकाम्‌ प्रि्चवियोमञुजङ्गनिपातितान्‌ भिशरिरमास्तखष्डितिविग्रहान्‌ | पश्डमखाजिव सुभंररा्भिभिः पचति किं fate भक्छकाम्बया

चतुर्धः प्रस्तावः | 9९9

wal चेयतापि कालेन नोपलब्धा विमशेपकर्षाग्यां रसनामूल- Wfywet प्रविष्टौ तावन्तरङ्गदेगेषु तथापि पर्थरितौ नाना- विधस्थानेषु श्रन्यदा प्राप्तौ राजस चि्लमगरे |

तश्च दौचधंमिवार श्यं श्दरिणोकविव जितम्‌ | कचिदष्टग्टहारच ताभ्यां समवलो किलम्‌

ततः प्रकर्घणा भिहितं | माम किमितदं नगरं विरलननतया शून्यमिव gaa fa at कारणमा्िक्टदमोदशं संपन्नं faa: प्राइ

aug दृश्यते सवै wag निजसन्पदा | wag लो कश्न्दोहर दितं सुशिताणयम्‌ तथेदं भाव्यते मुनं नगरं निरपद्रम्‌ | प्रयोजनेन केनापि कचिन्निक्ान्तराजकम्‌

Way: प्राह एवमेतक्सम्यगवधारितं aan feat प्राह ug कियदिदं जानाम्यहं vies agit दृष्टस्य यन्तं प्रष्टन्य- मन्यदपि wa ते कवित्सन्देहः संभवति प्रकर्ेणाभिहितं | माम यद्येवं ततः किमितीदं नगरं रहितमपि नायकेन विवजितमपि ूरिलोक्रैनिंज्ियं परित्यजति विम्शेनोक्र wee मध्ये कञिक्महा प्रभावः पुरषः तश्जमितमस्य सशरो कलं प्रकषेः प्राइ waa ततः प्रविश्च निरूपयावसतं gai: faanain) एवं भवतु ततः प्रविष्टौ तौ नगरे प्राप्तौ राजकुले, geqare कारादिकतिचित्पुरुषपरिकरो मिश्याभिमानो नाम ayaa: |

ततो विमश्रेः Ie) भद्र सोऽयं पुरूषो यत्रभावलनन्यमस्ध राज- 63

eds उपमि तिभव प्रथा कथा |

सचिन्सनमरख्य सथ्रोकलं प्रकर्षेणोक्तं यद्येवं ततस्तावेदनमुपर्त्य नस्ययावः ए्च्छावय्च aise टन्तान्त इति विमरेशोक्कं एवं भवतु ततः संभावितस्ताग्यां मिथ्याभिमानः एष्टख। भद्र केन पुनव्येतिकरेण वपिरशलनभिदं ged ant. मिथ्याभिमानः We) गतु सुप्रसिद्धेवेधं वार्ता कथं विदिता भद्राग्वां विमर्श नोक्तं कर्तव्योऽच भद्रेण कोपः श्रावां हि पथिकौ जानोवों मरा जायं कुदरदलमतो निवेदयितुमदेति भद्रः मिश्वाभिमाने- मोक अस्ति तावल्षमस्तमुवनप्रतोतोऽस्य नगरस्य खामो सुग्य्ोत- मामधेयो देवो रागकेखरो तष्जमकख महामोहः | त्था तयो- afaaquarg watet विषयाभिलाषादयः। तेषामितो. नगरात्‌ सरव बससुदयेन दष्डया चया . निगेतानामनन्तकाखो वतेते तेनेदं विरखजनमुपलभ्यते भगरं fant: प्राह मद्र केन सद ` पुनस्तेषां वियः | मिश्याभिमानः प्रा दुरात्मना सन्तोषहतकेम . विमं - नोक्तं fa पुनस्तेन ara विग्रनिमित्तं। मिथ्वाभिमानेनो क्क कच्विटवारे मैव जमंदशौकरणाथे विषयाभिलाषेण प्रहितामि पू स्यशरनरसनादौमि पञ्चात्रोयानि गरहमानुषाणि ततत्ते्व्नोरुत- प्राये faqat समोषहतकेम तान्यभिग्धय faatfear: कियन्तो ऽपि लोकाः प्रापिता निषटेतौ गर्यो ager अन्तोषहतकस्यो- परि प्रादुश्वैलक्रोधानुबन्धोः निमेतः खयमेव देवो रागकेसरौ विकेपेण afezay विग्रहनिमित्तं। विमर्शेन बिग्तितं। श्रये

उपलं तावद्रसनायां नामतो yar) र्तः gafararfa- ere wer ज्ञास्यामि ।. at जनकानुरूपाणि प्रायेशापत्यानि

चतुरः RTT: ` eee

भवन्ति वतो afaafa मे तर ्रमाजिखयः aatsfafyaaaa | भद्र यद्येवं तते भवतां किंजिमिन्तमिहाधस्यानं faerfema- atm प्रखितोऽहमष्यासं तदा केवशमय्रानौ काल्िव्तितो देवन अभिहित यथायं मिथ्याभिमान चलितव्यमितो नगराद्ववता | ददं हि मगर त्यि fea निगेतेष्वप्यस्माल्लविमष्टख्रो कं . निरुप- yaaa) ववमप्यज्च fear एव परमाथतो भवामः | यतस्ल- मेवास्म नगरस्य प्रतिजागरण्दमः ` मयाभिहितं anata देवः ततः featse तदिदमस्माकमजावख्ामकारणं faai- नोक्तं अयि प्रत्यागता काचिदहेवसकाश्रौत्कुशखवातां भिष्याभि- मानः प्राह बाठमागता ` जितप्रायं वतेते देवकौ यसाधनेम | केवलमसावपि वष्टः सन्तोषहतको 4 wet सवंथामिभवितु ददात्यन्तरान्तरा प्रत्यवसकन्दान्‌ गिर्वादयत्यश्ापि awe) अत एव देवेऽपि रागकेसरि णि ee सखयलेला वाम्‌ काल विलम्बो बतेते बिमग्रेनोक्ं युमरधना . भवदौयदेवः श्रूयते ` ततः समुत्पन्ना मिश्याभिमामस्य प्रणिधिश्ङ्धा। a कथितं यथावख्धितं afafed चागेन ate: Utes) केवलं . तामख्चिन्तं नगरञुररौ- हत्य तावदितो निर्मतो देवः। ततः कदा चिन्तनेवावतिषते। विमो ata - पूरितं agua: ager निवेदितः प्रस्ठतदन्तान्तः | eft सौजन्यं | तद्च्छावः साश्मतमावां 1 मिश्यामिमागेमोक्षं। एवं जिद्धिभेवलहु तदाकष्छे इष्टो faan: i ततः परस्परं विहितं मनारण्लमाङ्गनमनं निगंतौ राजषंचिक्षनगरादिम्परिकदैप | विमछंनोक्ं ` भद्र : कथिला तावदनेम. तेषां विष्यामिलाष-

Yoo sufafanaquet ut |

arqaret मध्ये Tea) तदधुना तमेव विषयाभिखाषं ger तस्याः खूपमा वथोगेणएतो नियतं युकं तद्भच्छावस्तजेव तामखचिक्तनगरे WRG: ATE) Vat आनोते। ततो गतौ तामसचिन्तपुरे विमश्रेप्रकर्षौ। तश्च stem | नाभितागरेषसन्धागेमामूलतस्तेन दुगे ee परेषां सद्‌ा। सवदोद्योतसुक्ं aad sited तु asa uid ` aed तदा पापयूर्णात्म्नां मिन्दितं ager शिष्टलोकेः पुरम्‌ कारणं तत्दानन्तद्‌ःखोदधेवांरणं तत्छदाग्रेषसौस्थोन्लतेः केवलं तदपि anat विमश्रप्रकर्षाभ्यामेदूश्मवल्लो कितं। यदुत। दबदग्धमिवारण्छं शष्णवणं TANT: | रहितं श्ढ्रिणलोकेन मुक निजया ततः प्रकषेस्तहृष्टा प्रत्याह निनमातुखम्‌ | माम fa विद्यते afyewfa पुरनायकः faa: प्रा नैवास्ति योऽ भो मुखनाथकः | केवलं नायकाकारः afazarfe मागवः ततौ धावदेतःवान्‌ विमशेप्रकषेयोजंश्यः संपद्यते तावह्टस्ताभ्यां ततैव नगरे nagar रेन्याक्षन्दनविलपमादि भिः कतिचित्रधान- पुरषः परिकरितः शोको नाम पाडौरिकः ततः संभा षितोऽै विमशप्रक्षन्यां yey) भद्र कोऽ ATT राणा शोकः AIT मनु yannfagiscn at) तथाहि | महामोससुद्धतो रागकेखषरिखोदरः | धवोऽविवेकिताथाख प्रसिद्धोऽयं नराधिपः

aye प्ररतावः | ४०१

ख्गेपातालम््यषु शचुभिर्मोतकण्वितः | नामापि गद्यते तस्य प्रतापतवेरिएः रेवस्या चिनधवोयेस्य सत्यराक्रमशालिनः। ` तस्य देषगजेन््रस्य माम कः प्रष्टमरेति किंच श्रास्तां avaza: 1 किं तहि। या मोहयति alae सकलं भुवनच्रयम्‌ | ख्याताविवेकितापच सा देवौ देववक्षभा अन्यश्च | सा महामोहनिर्दश्कारिणणी शर्वत्षला | सा महहामूदृतान्नायां वतेते सुन्दरा वधूः रागकेसरि निर्देशं लष्यति सा सदा मूढतायास्च ATS: Vers Twa तथा TIAA सा भलुर्गाद्वत्छला तेना विवेकिता लोके प्रख्यातिं सञुपागता तदेतौ भुवनेऽणच wat देवौगरेश्ररौ | carat इन्त भद्राग्यां कथं प्रष्टव्यतां गतौ fae: प्रा Sart कोपः कार्यस््लथा चतः | wa: सवं mala सिद्धमेतश्जगच्रये mat दवौयखो देश्रादागतौ ater - पूर्वमेतत्पुरं किं ठ्‌ श्रुतौ देवीनरोश्रौ aay | | किं श्याद्ेषगजेगदोऽज किं वा areca:

Bok

खपमिलतिमवप्रपश्चा कथा |

ततः Faware ve संदिग्धचवेतसा

Tax ara ब्रूहि faasre मराधिपः। fai ar विनिगंतः क्षापि पश्ावसतं मरेश्वरम्‌ MAA जगत्धज् इन्तान्तोऽयमपि स्फुटम्‌ | भरथिद्ध एव सवेषां विदुषां दन्तचेतखाम्‌ यथा Sat महामोरसत्युभो रागकेखरो | तथा AA समस्तबखसयुताः सम्तोषरतकस्यो चेवेधाय शंतनिश्चयाः | विनिगेताः खकख्थानाद्भू रि कालच लङितः frat: प्राह aaa ततो भद्रः किमथेकम्‌ | इहागतः किमास्तेऽज पुरे भोः साविवेकिता

ओोकेमाभिहितम्‌ |

mT मगरे तावदधना साविवेकिता ` मापि टेवसमोपे खा तजाकणेय कारणम्‌ Gal तातो मरदामोहस्तथान्धो रागकेषरो | सन्ताषहतकस्योशचेवं धायं रतनिखयः

तदा प्रथिते दवे ताभ्यां सदह शृतोद्यमे | देवेन साधे सा देवौ प्रसिता भटेवल्छला ततो देषगलेग्रेण सा प्रोक्ता. कमलेचचा | सकन्धावार चमं देवि दोयं शरभेरकम्‌ | erat कटकशेवथं त्वं गभंभराशसा | नातः ` संवाहनायोग्याः वेशा मालस्य वतते

`. -चतु्थैः .प्रखावः 1. ues

तस्मान्तिष्ठ aaafa त्रनामो वयमेककाः 1. तयोक् at विना नाय नाच मे गगरे तिः a तच्छला SAMS: सा पुनः प्रोक्ता वरानना. . तथापि नेव युकं ते स्कन्धावारे waaay fa qi | रौद्रचिन्तपुरे wear देवि दुष्टाभिसस्धिना 1 रचिता fas fafaan पदातिः fe मेऽनचघः ततोऽविवेकिता ome किमनास्माभिर्च्यताम्‌ थदायेपुजो जानोते तदेव करणच्छमम्‌ ततो भिनिगेतो दवो महामोहादिभिः खड .. रौद्रचित्तपुरे दवो Sarasa षा गता॥ ततोऽपि afetyg पुरेष किल वतेते | किंचित्कारणमाित्य साधना युक्कारिण्टो जातश्चासोत्तदा पुजस्तथान्योऽणध्चना किलल fama. समायोगारेतदाकणितं मया aad नालि सा fat चत्पुनमेम कारणम्‌ . जगरागमने भद्र तदाकणेय BTA शअरजान्तरे प्रन्नाविश्ालयाभिहिताग्टहोतसङ्कता.। मरियसखिं ..

यदनेन संसारिजोवेन नन्दिवधेनवेश्वानरवक्रव्यतायां डिसापरि-

want बेश्वानरमूखद्धि face पूर्वममिहितमासौत्‌

यदुत यादृशं तन्तामसचिन्तमगरं BETES देषगजेग्धो राजा

aremt साविवेकिता यश्च तस्तास्तस्मान्तामस चिन्तनगराद्रौ द्चिन्-

wes उपमितिमवप्रपला कया |

पुरं प्रत्यागमनप्रयो जनमेतत्‌ खवेसुन्तरज कययिथ्याम दति तदि- दमधुगा तेन ॒संसारिजौषेन wae निवेदितमिति श्रणहोत- agaafated साधु भरियखखि साधु get मम स्मारित wag) ततः watfamea संषारिजोवं प्रत्यभिहितं भद्र यदा विचचण्टाशा्यंण मरवाहमनरेश्धाय विमशेप्रकषवक्व्यतां कथथता aa रिपुदारणस्य सतस्तस्वामेव परिषदि निषशस्य समाकणेयतो भिवेदितमेवमविवे कितापूर्वरितं तदा किं विज्नातमासौद्धवता यदुत यासौ वैश्वानरस्य aaa मम धानो सेषेयमविवेकिंला waa Tease जननो aa मम युन- धाचोति किंवा विक्लातमिति। संसारिजोवेनोक्षं। az किंचित्तदा मया विज्ञातं amanfaa wa मे समस्ताऽपि जिवेद यिद्यमाणोऽमयंपरन्परा प्रबन्धः केवलं तदाहं चिक्यामि थथा कथयानिकां कांचिदेष प्रत्रजितकस्ताताय कथयति पुनखद्धावायेमहं awh H aia साश्रतमगृहोतस्हेता waafa श्रगहोतसङेतयाभिहितं भद्र किमन्यः क्चिद्धावा्चौ भवति संसारिजोवः प्राह बाढं भद्रे नासि wae मदौय- चरिते भावा्येरहितमेकमपि वचनं ततो भवत्या कथामक - माके earn विधातव्यः fa तडि भावाथौऽपि age: 1a 4 परिस्फुट एव ware तथाप्यणडौतसङ्कते यच कचिन्न बुध्यते भवतौ तज प्रन्ञाविशाला प्रष्टव्या यतो बुध्यते सभावा्ं- मेवा भदौयवचनं श्रग्टहोतसङतयोक्ं एवं करिव्यामि प्रख्तममिघौतां

चतुर्थः TTT | ४०६

ततो विचच्तणसूरिवचनमनुसंटधानः सषारिनोवः कथयामकगरेवमि- दमा यदुत ततो विमर्गेनाभिदहितं भद्र ata यदिहाग- मनकारणं wee | शोकमा भिडितम्‌ | 7 WAST नगरेऽद्ापि वयस्ोऽत्यन्तवल्लभः | मम जोवितसवंसख मतिमोहो मराबलः तद शेनाथेमायातस्ततोऽहं भद्र BHAT | श्रावासित महारव्यां gar देवस्य शाधनम्‌ विमर्ेमोक्रम्‌ | 7 कस््ात्छामिना साधं गतस्तज साधने | ata प्राह दषेन धारितोऽचरेव पन्ने उक्रख्ासौ यथा नित्यं मोक्रव्यं लया पुरम्‌ मतिमोह त्वमेवास्य यतः संरखणएच्तमः ततः प्रपद्य देवाश्ां संस्धितोऽच पुरे पुरा एतज्निवेदितं apa प्रविश्रामोऽधुना वयम्‌ ` विमशेः sre सिद्धिस्ते तुष्टः शोको गतः पुरे विमर््र॑श्च aaa wae प्रत्यभाषत भद्र चा साधनाधारा प्रोक्रानेम महारवो | गला Tat प्रपश्चावो रागकेषरिमन्धिफम्‌ WHE: प्राह को वाज विकन्पो माम गम्यताम्‌ | ततः प्रचलितौ au wet खस्लौयमातुलौ ततो fade वेगेन मागे पवनगामिनौ |

प्राज्ञौ तौ मध्यमे भागे महारवाः प्रयाशकैः 64

५०६ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

श्रय तच महामों रागकसरिषंयुतम्‌ |

युकं दषगजेन्रेण VATE TATA

श्रावासितं महानद्याः पुलिनेऽतिमनोरमे |

महामण्डपमध्यस्थं बेदिकायां प्रतिहितम्‌

महासिहाख्नारूढं भरकोरिविवेशटितम्‌ |

गला सखम नातिदूरं तौ SATE AIA:

ततो faannfafed | भद्र प्राप्तौ तावदावामभौष्टप्रदेओे |

लङ्धिता महाटवौ दृष्टं मदामोदसाधनं दशंमपयमवतौरणऽयं दत्ताश्थानः सह रामकेसरिणा सपरिकरो महामोरराजः | तन यक्रोऽधुनावयोरस्मिश्ाख्थाने प्रवेशः | मा श्ढदेतेषामाखानस्ायिर्मा छलोकानामपूव॑योरा वयोदभरेनेन काचिदा शद्धा शअन्यशाचैव प्रदे ग्य ख्विताभ्वां इष्यत एवेदं सकलमास्थानं | wa: Zawearfa a यक्तोऽच प्रवेशः | ARUN एवं भवतु कवलं मामेधं महारवौ दयं Vaal इदं पुखिनं श्रय महामण्डपः एषा बेदिका waq महासिंहासनं श्रयं महामोहगरेष्डरः एते सपरिषाराः समस्ता श्रपि teats: सवे मिदमदृष्टपूवं wat मद- Za Gawd | तेनामौषामेकेकं नामतो गणएतञ्च मामे aware faaca: ओआओतुमिच्छामि। श्रमिहितं va मामेन यथा जामाम्यदं दष्टस्य वस्नो यथावख्धितं त्वं अरत: समस्त निबेदयितु- atfa माम. विमश्ः प्राह सत्यमभिहितमिदं मया कवं ufo परिप्रक्नितमिदं भद्रेण ततः सम्यगवधायं निवेद- यामि | wae: प्राह विश्रथमवधारयतु मामः ततो faava

चतुरैः प्रस्तावः | ५०७

समग्तादवशलोकिता महाटवो निरोकिता मानदौ विलोकितं पुखिमं मिवंणितो महामण्डपः निरूपिता वेदिका निभालितं महासिंहासनं विविन्तितो महामोराजा विचारिताः प्रत्येकं मरहताभि निवेशेन सपरिकराः सँ ater: | yeaa प्रविष्टो ध्यानं | तज UCM aaa aia स्तिमितलोचनय गसः स्थितः किंचित्कालं ततः प्रकन्ययता fac: प्रहसितमनेम प्रकषेः प्राह I माम किमेतत्‌ | faatat saad समस्तमिदमधृना मया | ततः wagat wh प्रच्छनोय मन्यदपि aad यत्ते रोचते | म्रकवंणोक्क एवं करिष्यामि तावदि दमेव प्रस्तुतं मिवेदरयतु ara: | faatinfafed | यद्येवं ततस्तावदेषा fenefaata aerzay

va ug विषो णेविविधाहुतसंगता |

उत्प्तिश्मिः सर्वेषां सद्रल्नानासुदाङता

इयमेव स्ववां लोकोपद्रवकारिणाम्‌ |

महानयेपिश्राचानां कारणं परिकौतिंता

सर्वेषामन्तरङ्गाणणं लोकानामज्र संस्थिताः |

चि्रदटन्तिमहारन्यां यामपत्तनग्धमयः i

यदापि बहिरङ्गषु निर्दिश्यन्ते पुरेषु ते।

किंचित्कारणएमालोश्य विद द्विन्नामचचुषा

तयापि Galea तेऽन्तरङ्गजनाः सदा |

अस्यामेव महारन्यां fase: सुप्रतिष्ठिताः

यतः |

yos उप्मितिभवप्पश्चा Kut |

नेवान्तरङ्गलोकानां चिन्तटत्तिमहाटबोम्‌ | विषाय विद्यते स्यानं बहिरङक्गधुरे कचित्‌ | ततश्च सुन्दरासुन्दराः Fa BHATT: कचिष्वनाः | एनां विषाय ते भद्र वतन्ते कदाचन अन्यश्च | मिशथानिषेविता भद्र भवत्येषा महाटवौ | चोरसंसारकान्तारकारणं WITHA सम्यङःनिषेविता भद्र भवत्येषा महाटवौ | अनन्तानन्दसन्दोहपूर्ण AGA कारणम्‌ fa चेह बह्मोक्तन सुन्दरेलरवस्तमः | सर्व॑स्य कारणं भद्र चित्तटत्तिमहाटवो द्यं चासारविस्तारा इश्छते था मानदौ | एषा प्रमन्तता नाम भद्र गौता मनोषिभिः॥ द्यं मिद्रातरिख्क्गा कषायजलवाहिनौ | विन्नेया मदिराखवादविकथाख्ोतसां निधिः 1 AC विषयकलश्लोललोखलमाशाङ्ला सदा | विक्पानक्यसन््नौ घपूरिता निगद्यते योऽस्छास्तटेऽपि ada नरो बुद्धिविोनकः | तसु महावन्तं चिपत्धेषा महापगा यस्तु प्रवादे TE प्रविष्टोऽस्याः पुमानसम्‌ | weal मूढात्मा BATH तदहुतम्‌

चतुधैः प्रस्तावः |

यष्ट भवता पूवं रागकेसरिपत्तनम्‌

यश्च sansa सम्बन्धि मगर परम्‌ ताभ्वामेषा समुद्भूता विगाद्यमां महारवम्‌ | गत्वा पुनः WAR घोरसंसारमोरधौ अतोऽस्थां पतितो भद्र पुरुषस्तज् सागरे | अवश्यं याति वेगेन तस्य चोन्तरणं कुतः ये गन्तुकामास्तनेैव NR संसारसागरे |

अत एव खदा तेषां awed महापगा ये तु War पुनस्तस्आद्धोरा्छंसारसागरात्‌ |

ते दूरादररतो यान्ति विशयेमां महानदौम्‌ a

तदेषा गुणतो ag वरिता तव fae a तद्धिलसितं नाम arad पुलिनं wa एतद्धि पुखिनं भद्र हास्यविभ्बोकसेकतम्‌ | विलासला ससङ्गोतडंखसार षरा जितम्‌ लेहपाश्रमहाकाश्र धका सधवशं तथा | धुणेमाममदानिद्रामदि रामत्तदुनेगम्‌ afeert सुविस्तोणे बालिश्रानां मनोरमम्‌ | विश्नाततच्ेदरेए वितं शौलश्रालिभिः तदिदं पुशिन भद्र कथितं तव साख्मतम्‌ | महामण्डपद्ूपं ते कथयामि सनायकम्‌ # wa fe चित्तविकेपो are संगोयते at: | गणतः TIAN घवासद्धागसुद्‌ाइतः

४९०

उपमितिमवप्रपञ्चा कथया |

aq प्रविष्टमाचाणां facia निजा aa: | प्रवर्तन्ते महापापसाध्नेषु बुद्धयः एतेषामेव कार्थंण निमिंतोऽयं सुबेधसा | राजानो Aw gama महामाडहादथः किल ti बहिरङ्गः पुनख्लीका यदि मोहवग्रातुगाः | स्यमेदामण्डपे uz प्रविष्टाः क्चिदच ते ततो विश्रमसम्तापचिन्नो्मादत्रतञ्जवान्‌ | ्राभ्ुवन्ति Vaal महामण्डपदोषतः एनं भद्र प्रत्येव महामण्डपमुशकैः |

एते ACH: सप्राण मोदन्ते ALATA: बहिरङ्गः पुनक्ीका मोदादासाद्य मण्डपम्‌ | एनं fe दौ्मनसेम लभन्ते दुःखसागरम aq fe चित्तमिर्वाणकारिणणँ निजवोयेतः | तेषामेकाग्रतां ea सुखषन्दो दइदायिनोम्‌ केवलं ते जानन्ति वोयेमस्य तपल्धिनः | प्रबेशमाचरणधन तेन मोहात्युनः पुनः ay ata guaid कथंचित्‌ पुष्थकमेभिः | श्रस्य Hay ते भद्र प्रवेशं कुवते नराः॥ एकाग्रमनसो नित्यं चिन्तनिर्वाएयोगतः | ततस्ते सततानन्दा भवनग्यचेव जन्मनि तदेष गणतो भद्र चिक fase: | मया मिवेदि तस्हभ्वमधना yew वेदिकाम्‌

चतुथः GET |

एषा प्रसिद्धा लोकेऽ टष्णानाशौ सुवेदिका | अस्यैव नरेन्द्रस्य कारणेन निशूपिता भद्रात एव लं पश्य महामोहेन यो मिः | कुटुम्बाग्तगेतो लोकः एवास्यां निवेशितः ये तु रेषा मरोपालास्तत्छेवामाचट्न्तयः | एते निविष्टास्ते पश्च सवं मुत्कलमण्डपे एषा हि वेदिका भद्र प्रङैवास्य वभा महामोहनरे रस्य खजनस्य विशेषतः

seat समुपविष्टोऽयमत एव मुडमुंषः |

wa Tea लोक सिद्धायां किलाधुना एतच्च Nw खभावेनैव वेदिका | खस्योपरिष्टादासौनं महामोकुटुम्बकम्‌ afecyt: पुनर्लोका यद्येनां भद्र वेदिकाम्‌ |

arden ततस्तेषां alae दौ्धजोवितम्‌ `

saree aan दरष्णाख्या भद्र वेदिका | श्ररेव संस्थिता नित्यं भामयत्यखिलं अजगत्‌ ¢ तदेषा गणतो भद्र यथार्था वरबेदिका |

मया निवेदिता तुभ्यमिदा्नौं श्ण विष्टरम्‌ + एतस्िहासनं भद्र विपर्यासाख्यभुच्यते |

wea विधिना नुनं महामोरस्य कर्पितम्‌ यदिदं शोक विख्यात राच्यं are fara: | AWE कारणं मन्ये WATE विष्टरम्‌

५९९

५९२ उपमितिभवप्पश्चा कथः |

aaere मरेष््स्य विद्यते वर विष्टरम | ददं तावदहं मन्ये राच्यमेताख तथः यतः afwfafast राजाय महासिंहासने षदा स्वेषामेव wearer: परिकीर्तितः यदा पुनरयं राजा भवेदस्माहदहिः fea: | सामान्यपुरषस्यापि तदा गम्यः प्रकोतिंतः एतद्धि विष्टरं भद्र बहिरङ्गजनेः सदा आशोकितं करोत्येव रौ द्राम्थ॑परपराम्‌ यतः तावन्तेषां sat सर्वाः सुन्दरवद्भयः | aanfaet ware इृष्टिने पातिता मिबद्धदृष्टयः घन्तः पुनरज महासने | ते पापिनो wae: कुतः सुन्दरबृद्धयः faa wae were weve वणितम्‌ | afzararg asta सवेमज vfafea तदिदं गृणतो भद्र कथितं aa विष्टरम्‌ | atte निबोध गुणगौरवम्‌ जराजोणेकपोलापि येषा शुवनविश्रुता | श्रसुखेयमविद्याख्या गाचयष्टिरूदाता एषा संस्थिता भद्र सकलेऽपि wwe |

age: प्रावः |

यत्करोति BIT aerate साश्मतम्‌ अनिन्येव्वपि नित्यलमश्टचिष्वपि ween | TAMMANY GANA ASIAN पद्रलस्कन्धरूपेषु शरोरादिषु ay खोकानां दशेयत्येषा ममकारपराथण्छा ततस्ते बद्धचिन्नत्वात्तषु WBA | आतमङूपमलानन्तः क्िष्यन्तेऽनयेकं जनाः तदेनां धारयश्नुचेमाचयष्टं महाबशः | जराजोरौऽपि नेवायं सुष्यते निजतेजसा अथ fe भद्र राजेश्धो जगदुत्प्िकारकः | तेनेव Tat प्राजचैम॑हदामोहपितामहः ये शद्रोपेदनागेखचन्र विद्याधरादयः | तेऽस्य भद्र नेवाश्ां श्यन्ति कदाचन तथा डि diss खवोयदष्डन WG कुजा खवत्‌ | विशम्य waa कायभाष्डानि खोखया वस्यास्याचिन्धवोयस्य महामोहस्य wi: ।. को माम भद्र शोकेऽसिशान्चां epfacdt qa: तदेव guit भद्र वरितस्ते नराधिपः | श्रधुना परिवारोऽष्य वर्ते तं विचिन्य aaa कथयत्येवं मयि भद्र विशेषतः | केनाष्वाकूतदोषेश लवं vate किचम

65

४९७ उपमितिमवप्रपश्चा क्या |

द्कारमपि at दते भावित शश्छसे शिरःकम्पनसखस्फोटविर हेण विभाव्यसे a fagarat मदौयं तु Raw सुरुमौ चसे afed नेव जानेऽहं बुध्यसे किं बुध्यसे ॥# प्रकरः प्राह मा मेवं माम वोचः प्रसादतः, तवां मास्ति तल्लोके चन्न बुध्ये परिस्फुटम्‌ a विम: ary जानामि बुध्ये लं परिस्फटम्‌ अयं तु विदितो भद्र परिहासस्य पद | चतः जिन्चातपरमार्थंऽपि बाशबोधनकाभ्ययः } परिहासं करोत्येव प्रिद्धं पण्डितो अनः pe बाणो विमोदनोषद्च arent भद्र वर्तसे; अतो मत्परिदासेन कोषं THAN & अन्य जागतापो दमसमाकं इषंटृदये | त्या watcha केभ्यः afer # fare afrare मया ard aga यथाख्ितम्‌ लम श्रुतसाजेक VE WANs एदम्पथेमतस्तात sea wT | TRAITS. मा द्भौतकथानिकाः॥ TS: WY) AA कथय RIM पुमः सा भौतकथाशिका | fraiterfafed भद्र समाकणंय af कचिनगरे जन्छ-

चतुः प्रणवः | ४९५

बधिरः सदाशिवो ara भोताचार्धः। चं अरानौणंकपोशः संकलपदाखपरेण हस्तसंज्ञया fai ya: केगचिदूतेबदुना यचा भहा- रक feud मोतिश्रास्तेषु wat aga: विषं met दरिद्र जन्तोः पापरतिर्विषम्‌ | विषं परे रता भार्यां विषं व्याधिर्पेखितः

अतः Ware बाधिर्च॑स्य करोतु किचिदौषधं भहारकः। खश्पेकित्‌ युक्तोऽयं महाव्याधिः ततः प्रविष्टो भौतारा्ंखय ममसि एवाग्रडविग्रेषः। ततोऽभिदहितोऽनेन शाभ्तिशिवो ara. निजगिवयः। यदुत गच्छ त्वं वैद्यभवमे मदौयबधिरलस्य चिश्चाय भेषजं zeta AUT मा गत्कालहरणन व्याधिदद्धिरिति। शन्तिशिवेनाभिहित यदान्नापथति भहा- रकः ततः प्राप्तोऽसौ Feat get au: cag eet Fat रमणं . विधाय. इाराख्षमागतो Fuge: ततः कोधान्धवुद्धिना वैद्येन गडोतातिपरषा वालमथो TH: | बद्ध्ारटश्चसौ निनदारकः wae zweiat शङ्ुटः। ताडयितुमारभः। ताद्यमाने faded aw दारके शाण्तिशिवः are. ae किमित्येमभेवं ताड- यसि दैद्ेनोक्र। a श्ट्णोति कथंचिदण्येष पापः। अवान्तरे हाहारवं gale बेगेनागव्य am वेस्य हस्ते वारण्णथं भार्यां | वैश्यः प्राह मारणौयो मयां दुरात्मा चो मभेवं कुवतोऽपि a श्टण्णोति शपसरापसर त्वमितरथा तवापौ यमेव गतिः तथापि खगम . ताडिता सापि ue . शाग्तिभिषेन चिन्तितं। श्रये fama भहारकष्यौषधं किमधुना vee) ततो fake

४९६ उपमि विमवप्रपच्चा कया |

गतोऽशौ मदेश्वरग्छडे याचिता तेन Tey: समर्पिता माहेश्वरः TVA | wifes: प्राह श्रशमनथा मम वाखमग्धातिपदड- षया प्रयोजनं दन्ता ताद्ग्येव मादष्वररमिदहितं भटारक fa पुमरनया wea शाभ्तिथिवेगोक्तं | सुग्टहौतनामधेयानां सदागरिवभद्वारकाणामौषधं करिष्यते ततो ग्हौला ce गतो मठे शज्तिभिवः। तज ger ye शतमनेन विषमशङ्कटित- TRAPS वक्रङुदर बद्धयारारोमुश्चनलौ मठमथ्थस्तम्भके निजाचाथेः। ततो गटरौोतर्हहकुटोऽलौ प्रदत्तस्य ताडने इतस माहेश्वरेशिन्तितं। गच्छामो भहारका्णां किवायां किव माणायां प्रत्यासन्नाः खयं भवामः। ततः समागतास्ते दृष्टो facade arwawrera शाज्तिशिवः। तेरभिदहितं किमित्येगभेवं ताडयसि शान्तिशरिवः sei श्टशोति कथंचिदेष पापः ततो विहितः सदाशिबेन faaardy मराक्रन्दमरवः शब्दः | ततो SIT वारण्णथं हाहारवं gan: wife mew: | श्रान्तिभरिवः ATE मारणौयो मयायं दुरात्मा थो aad कुतोऽपि इरणोनि। श्रपरलापसरत चयमितरथा युश्राकमपौचनेव alata! तथापि वारथतो माेश्वरानपि प्रक्स्ताडयितुमसौ wegen ततो बङलात्तेवां रे जात लातेति गूवाकेरहाजितजख warege: | चिभ्तितं gi यदगहोतोऽवं ततो age- स्ताडयिला पञाडाबन्धेन शाज्तिशचिवः विमोकितः खदाभिवः। खमा चेतना जौ वितो रैवबोगेन मा डेग्वरैर भिहितं शाश्सि- भवं किमिदं भगवत्या कतंमारमासौत्‌ शाग्तिशिवः are

चतुर्थः पताव | ute

मनु बधिरताया वेदयोपदेश्रादौषधं। fae: gaa मां, मा भटरारकब्याधिसुपेचध्यं। माडेश्वरेखिन्तितं महागरहोऽयं | ततोऽमिदितमेतेः। मुञ्ामस्लां ada करोषि प्ाभ्तिजिवः me) किमदं भवतां वचनेन खशरोरपि भेषजं नग करिव्यामि | aw fe यदि प्रर तस्येव fue वचनेन तिष्ठामि नान्यथा ततः खमा्ृतो aq: गिवेविदतशक्मे टन्तान्तः। ततो मुखमध्ये इस- ताभिहितं iar agree बधिरोऽसौ मदभेयो दारकः किं तदं पाठितो मथा ज्ञेन वे्कश्रासखाणि। तु rotten मम रटतोऽपि तदथं श्ट्शोति) ततो मया रोषाग्लाडितः। तक्नेदमौषधं किंच प्रशोग्धतः ewe are तव प्रभावा- दनेनेव भेषजेन तस्मादतःपरं ade actos लयास्येद- मौषधमिति शाग्तिशिवेनाभिदितं एवं भवतु भटारकेरिं mydan प्रयोजनं ते टि syeren: किमोषधेन। ततौ सुक्रः ज्रान्िभिवः॥

तदेषा भद्र भौतकथानिका अुतमाचयाडिषसवापि मथा सार्धमविचारयतो मा ग्र दित्येवमथे परिचोदितस्लं मयेति nar: प्राह साधु साध मामेन शएच्छामि meet किंचिद्धवन्शं fant ere भद्रः। प्रकषैः प्राह मान owed ततो विन्नातेयं मथा समस्तान्तरङ्गलोकाधारगता बदिरक्शोकानां खवसुन्दरासुन्दरवस्ठ॒ निवर्तिका सभावार्थं fenefaderceay | एतानि तु महानदटोपुणिनमडहामष्छपवेदिकारसिंहासनगाबयहि- भरेष्ररूपाणि aafa यानि भवता प्रम्सतातदिशसितचिकत-

४९८ प्रमितिमवप्रपश्चा कथा |

विषपटष्णा विपर्यासा विद्यामदामोहामिधानानि भिवेदितानि मथा भावार्थमधिशत्य सम्यभ्विक्लातानि। विकल्ितानि मया aurea प्ररमेतानि भिद्यते नार्थेन यतः सर्वापि पुष्टि कारण्तयामोषामन्तर क्णो कामामनयं कारणतया वडिरक्रंजनानां समानानि वतन्ते | ततो यच्ेतेवामस्ति कञिदर्थेन ace मे faa- दयत मामः। fam ares aq निवेदित एव प्रव्येकमेतेषां ष्णम्‌ aaa aw परिक्छंटोऽथभेदः। तथापि चदि a विन्नातो भद्रेण ततः पुनरपि निवेदयामि ततः कयित्रो विम- शेन aura avant प्रत्येकं ware: बुद्धः प्रकरण STAC भरवाहनः प्राइ। भदन्त वयमपि बगोधमोयास्तेवां भावाथ ततः प्रबोधितो गरबाहननरेश्रोऽपि तेन भगवता विचक्णद्धरिणा। ततोऽग्टहोतसङूतयाभिदहितं। भद्र. संषारि- oa तरिं यद्येवं ततोऽहमपोदानों तेवां महागद्यादिवख्छनां बोधनौोया भवतायं बेदनमोथा भवतायेभेदं षंलारिजोवेनोक्न | भद्रे स्पष्टदृष्टाम्मन्तरेण 4 तया सुख्ठावसेथमेतेषां far Sed | wat दृष्टां कथययिषे श्ग्टहो तषङतयोक्रं शअ्रसुगडो मे संसारिजोवेनामिडहित।

अस्ति संभावितवमसटग्लान्तं yantet भाम नगरम्‌ तज निवारको हरिषरदिरष्छग्भादोनामपि syguscnfeaia राजा तस्य नोतिमागेजिपुण्णा विष्छेदकारिण्णौ इ्युकिमिष्या- विकण्पजश्यानां सं्ितिर्नाम मादेव तयोखात्यन्तवह्नभोऽखि auweal नाम तनवः गाढुमाहारम्रिथो दिवानिश्रमनवरतं

चतुधैः Gera: | ure

विविधखादपेयानि weaara | ततः संजातं aes wafer दोषाः dasitsnefet vac तथापि विच्छिद्यते aerec- मिखावः। प्रहता चोद्यानिकागमनेच्छा ततः कारिता भरि- प्रकारा भच्यविशेषाः aty Taras wad भखयिव्यामोति mae किभिकललोशाः। शौद्यातिरेकेण भक्ितं सरवेवामादार- विशेषाणां स्तोकस्तोकं ततः परिवेष्टितो `मिबटन्देन परि- करितोऽन्तःपुरेष van बन्दिटन्देनम cand विविभर्विलाे- मेहता विमदेन प्राप्नो मनोरमे amt, निविष्टं सुखमासनं | लज चोपविष्टं विरचिताः पुरतो विविधाशारविस्ाराः। तत- खाहारखेशभच्णेम पवनसख्पर्ादिना गाढतरं west wc: अचि- तख पाश्वर्तिसा शमयश्चाभिधानेन महावै्सुतेन चदुतातुरव- दगो दृष्यते कुमारः ततो THM शङ्खन्योहेस्तः। निरूपितानि न्धिख्धामानि निञितमनेन यथया ज्यरितः awa कुमारः | ततोऽमिहितं खमयजनेन देव युक्तं तव भो | awed ते WOE वतेते यतोऽव्यन्तमातुरा धूति दृष्टिः warafyni AAAS) दइगद्रगाथेते wet! warren सन्थिद्यानानि | श्वलतोव बहदिख्खग्‌ इतौव we) ततो frie भोजनात्‌ | मच्छ Wea! wie निवातं कर्ष्व खङ्गनानमि पिक कयितसुदकं | समाचर विधिनबाश्च स्व प्रतिश्ियामितरथा सजिपातस्ते भविष्ति a तु aaeet दन्तदुष्टिः पुरतो विन्यस्त तसििश्नाहारविस्ारे watts भक्यामौति भमवन्ञपरापरेषु खादुप्रकारेषु सखयमन्त्‌ःकरणं नाकषंयति awe शसतभावितं

४२० उपमि लिमवप्पच्चा कथां |

गाकशयति तस. हितरूपतां चेतयते तं वारका्थे खगन्तमपि WOT | ततो वारथतो वचनेन धारबतो we ae समयश्च सममेव बजात्डन्तो भक्यितुमाद्यर AWM: |. ततः स्मुत्कट- तथाजौ रेख प्रवखतथा VTS कऋमतेऽसौ गखकेनाहार्‌ः तथापि warea क्रामितः कियानपि taeda) ततः egg इदयं संजातः were: संपन्नं चमनं विमिजितं खं तेन वमनेन श्वं- मपि पुरतो विन्यस्तं ater) ततञिन्तितं aweea |

qurerd शरोर मे quan अत्रम्‌

एतद्धि वाबुनाक्रान्तमन्वया वमनं कुतः .

एवं शिते | | |

fowaté शरोर मे वाताश्मानो विगच्छति +

ततस Treas FS योऽपि भोजनम्‌

ततोऽसौ वान्तिसंमिग्रं तत्पुरःशितभोजनगम्‌ |

fawert dinar: श्वेवामपि qa

तहा TAT प्रोक्तः पूत्कुवेता अशम्‌

देव देव on ते कतुं are चेष्टितम्‌

मा Trey wot ane श्भिनिभेखम्‌ |

दैव हारय भक्तेन लमेकदिनभाविना 4

अन्यखेदं खतां निन्ममेष्यं शौ चदूवकम्‌ |

खदेगडेल At we देवः चखादितुमरंति

देव दुःखात्मकं चेदं सवथा भिप्रकोपनम्‌ |

गाडसुख्वणटरोषाश्ां विशेषेण भवादृश्राम्‌

चतुः WET: | BRE

का aretafe ते wel Geng पुङ्लाद्मकम्‌ | अतो देव fawecarar रच चन्नतः॥ दृत्यं शमयश्चष्य रटतोऽपि वचश्दा |

राजपुजः श्वापि afer पथं चिन्धथत्‌ अरहो विमूढः awe समधश्चो बुध्यते | नुन मदोयप्रशृतिं नावस्ां हिताहितम्‌ यो वातलं quer yur भां निषेधति ! एतच्च Freee भोजनं देवदुखेभम्‌ तत्किमेतेन मूख ye भोग्यं यथेच्छया | सखायंसिद्धिमेवा कारवां कि ममापरचिन्तथा ततः परिभनेगोश्चैः सडितेऽपि पुनः पुगः समयश्च Tad भितं तेन भोजभम्‌ ततः प्बखदोषोऽसौ भचशाबन्तरं तदा | सन्निपातं महाघोरं संप्राप्तो निजकमेणा पुमवंमनयो भक्ते ATVI WA |

पश्तां पतितस्तेषां काष्टवल्ष्टचेतनः

लोलमानस्तजेव जघन्ये वान्तिकदंमे - HIT छरघुरारावं इेभ्ापूंगणस्तदा अनाख्येयाम चिनधां तेवाुदेगकारिषेम्‌ | अश्रक्यप्रतिकारां प्राप्नोऽवस्धां खदारषाम्‌ WE समवस्चेन WANT बान्धवः | तदवसयो राज्येन देवैर्नापि दानवैः 66

RR

उपमितिमवप्रपञ्चाश्या।

केवकं तदवख्छेग छढताद्ुचिकदंमे | SAMA AVA Baal तेन पापिना तदेष भद्रे दृष्टातः प्रख्तानां vita: | agai भेद सिद्यथे मथा ae निवेदितः ततोऽगटद्ौतखद्धेता प्राह विशमानसा | शंखारिजोव मेषेदं पौवापय geet

मद्या दिवस्ठभेदाथं कथितं मे कथानकम्‌ | त्वयेदं तज मे भाति कोषो मौराजना अथास्ति कञिश्म्बन्धो इन्त प्रश्ठुतवस्छुनि | स्फुटः कथानकस्ास्छ ददानो निवे्ताम्‌ ततः संसारिजोवेन तदार्टाम्तिकयोजने | वडभाषेण सिलेन agel सं प्रचोदिता

कयन्‌ |

ser प्रश्चाविशाले लवं fase मत्कथानकम्‌ | घटय प्रतार्य निजगेखिकथा स्फुटम्‌

अथय प्र्नाविश्राल्लाइ कामं भोः कथयामि ते। भद्रेऽग्टशोतसदेते समाकणय सांप्रतम्‌

यस्ते Taw ara राजपुचो निद्रितः | एषोऽनेन faurerf sitet sta: waa: एव जायते भद्रे नगरे भुवनोदरे | अरनादिषंश्ितिसृतः एव परमाथत

चतुर्थः Tea: | ५२द्‌

एवानन्तरूपतादहिरङ्गजनः खतः सामान्यरूपसुदिश्छ चेकः परिकौर्तितः मरुभावमापन्चः प्रभुः सर्वकमेणाम्‌ | महाराजसतस्तेन प्रोक्रोऽनेन सुन्दरि तस्येव unt विज्ञेया चिन्तटत्तिर्महाटवौ | setae सा तस्येव कारणम्‌ केवलं यावदध्ापि आत्मानं बुष्यते | मशामोहा दिभिस्तावहषुप्यते सा महारवो यदातु तेन fama: स्यादात्मा कथचन | तदये वोच wafer महामोहादथसतदा यावञ्च ते विवतेन्ते चिन्तटन्तौ महाभटाः | महानदचादिवसूनि तावन्तखां भवन्ति बे तेषामेव यतस्तानि कोड़ाश्वानानि ayaa | अतस्तेषु विनष्टेषु तेषां arm: प्रकौ तितः एव fea | अरविन्चाताद्मरूपख्च भद्र नौवस्य कर्मणा | मडामोहनरेन्दरे सप्रतापेऽटवौख्िति यदा तानि विवधेन्ते Tay aw मन्यते | महानद्यादिवस्छनि नितरामात्मवेरिकः .. तदा तानि खवौचेण यत्कुवेन्ति एक्‌ vag जोवस्छ तदिगेषायथं दृष्टान्तोऽयं भिवेरितः.॥ चेवं योच्यते भद्रं प्रस्ठतार्यन पण्डितः | . .

५२४ ` उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

महानद्या दिवस्नां प्रत्येक भेद सिद्धये यथाहार प्रियो fray cage fatter: | तथायमपि fast slat विषयखम्पटः यथा तद्य संजातमजोणे रिभखणात्‌ | तथाश्चापि agit कर्माजौण्ं weet पापान्ञामा्मक तख वतेते कमं SCAT | यतः प्रमत्ततोद्भूता AST तत्पु रदइयम्‌ यथा प्रङ्कपितास्स्य दोषा जातस्तमुष्वरः तद्या रागादयोऽख्यापि ade sac waa: यथा तथाख्वितस्ापि afguteig धावति ACKATHSY ATA दुरात्मनः तथाहि | मनुखभावमापननः कर्माजौणे सुटाङखम्‌ | रागादिकोपनं मूदढुचिन्तन्वर विधायकम्‌ Mat Tea Aaya प्रवतत | अदितेवु war बुद्धिः प्रकाभ्रं सुखकाम्बवा तथाहि खदते ay गिद्रात्यन्तं सुखायते | विकथा प्रतिभा्धुशेरख्छानेकविकश्पमा ¢ दृष्टः mre: प्रियो मामो मावा wera | लोभः प्राकषमो मन्ये रागदेषौ मनोमतौ कामनः Vi TWAS: कामं NAY सुन्दरः | अरत्धम्तदयथितं Sa रोचते कणष्यनिः

चतुर्थः प्रस्तावः | ५९५

विलेपनानि MICAS: सुभोजनम्‌ | माद्य वरख्ियो va gat प्रतिभासते रासनं शखितं यानं wad द्रष्सञ्चयाः | श्रशलोकको तिख्च जने रदितास्य दुरा्ममः चिष्सटत्तिमहारव्यां भद्रे सततवादहिनौ | महानदौ age: Fare प्रमत्ता # यथा चख तदवस्धस्य TINTS खुब्दरि समुत्पन्ना विशासेच्छा यातुमुधामजिकां मतिः कारिताभि भोच्यामि aterm प्राभ्रिताजि च| निगंतख विश्ासेन gory काभने fafasaret दिव्यमुपविष्टख ay सः | fararita att wa मागाखाचकरंयतम्‌ तयाख्यापि WAG TAG aetea | क्माजोणास्छसुत्पन्ने WTI मनोष्यरे जायन्ते वि्नकल्लाला मागाशूपाः Ge णे | यथो पाच्यं धमे aft विखसामि यथेच्छया करोग्यन्तःपुर दिव्यं YS राच्यं मनोहरम्‌ | महाप्रासादशङ्गात कारये काननानि च॥ TTT | | महा विभवसंपश्चः चपिता शिखपरैरिकः | ज्ञाधितः स्रवशोकेन पूरिता्ंममोरथः श्रब्दा दिखुखसन्दोहधागरे aqaray: |

yad उपमितिमवप्पश्चा कथया |

तिष्ठामि शततामन्दो मान्यश््मानुखके फलम्‌ सेयमुानिकाकाङ्खय विच्चेधा सन्दरि वया | ततो Hat AT: कुर्ते द्रव्यसञ्चयम्‌ aus दैवयोगेन विधन्तेऽन्तःपुरादि कम्‌ | maifeqeas किचिदाखादयेदरपि ae maw amity afed गवोचणे | कारणं षटष्टभोच्यानां awarat -च waz ततोऽलौकविकर्पेख खुखनिभर मानसः | विशास्ास्छसङ्गोतडहास्यविष्योकतत्परः युतो दुशंशितेनित्यं चयूतमञ्चर तिभिः | wT दूरे याति दौःभौखकामने एतन््हा विमर्दन पुर निगमनं मतम्‌ i. उद्यानप्रापणं चेदं विद्धि नोखालघ्ो चने

मिश्यामिनिवेश्राख्ये शितो विन्तौणविष्टरे | क्माख्यपरिवारेण रचितानि ततोऽयतः मगोश्राणि चिज्ाणि aareret विश्रेषतः। प्रमादटन्दभोच्यामि सुन्दरत्वेन मन्यते प्रमत्ततामडहानद्याः पुलिनं पद्मख्ो चने | anfxafaa विद्धि उन्तान्तस्याख्च कारणम्‌ ततो यथान्ललेगेन भकितेन aaa: | वायुस्य्थादिभिखो शेवंधितखष्य दारुणः afaay सुवेद्येन वारितञ्च सुभोजनात्‌ `

GAY: TANTS: | ५२७

चासौ gaa किचिद्धोजनाचिक्तमानखः MAA तया भद्रे क्माजोशोद्वो शवरः | प्रमादान्तेन वर्धेत तथेवाज्ञागवायुना wwaf तं az घधर्माचार्या महाधिवः। खमयज्ञमहावेद्या वारयन्ति देहिनम्‌ कथम्‌ | अनादिभवकान्तारे Bal भद्राविखन्दरम्‌ | अवाप्य AAT जग महाराच्यमिवातुखम्‌ कर्माजोणेष्वराक्राम्तं प्रमादमधुनापि भोः | मा सेवख AWA WAAAY कारणम्‌ OCs भ्ामलारि जसम्यग्ट्‌ शेनखच्षणाम्‌ | चिन्तञ्वरविधाताय Sat भद्र प्रतिक्रियाम्‌ तु प्रमादभोच्येषु चिप्तचिन्तौ बुध्यते। THIEN Fates पापो जोवः प्रपञ्चितम्‌ ATS | SHA इव मन्त टव UI इवातुरः | Mee श्वोद्वान्तो विपरौतं विचेष्टते एष भद्रे स्वऽपि रिन्नवि्ेपमण्डपः | महानदौज्गुखसंथो जोवश्वास्य विजते यथा राजपुजेण भोजनं Tea | अगच्छद्‌ पि कष्टेन गमितं लौखदोषतः ` तदनन्तरभेवो शेर्वाम्तं तेव भोजने | जोवस्यापि विजानोडहि समानमिदमच्ञसा

YRc उघमितिमवप्रपश्चा SUT |

तथाहि | कर्माजौशेष्वरग्रसः सदा fawwarays: | AUIMGATATR रोगारितश्ररोरकः स्वेवामकमो भोगे भोगानामेषव वतेते | तथापि आयते are स्तोकापि विरतौ मतिः aay गाडल्लोख्येन तथग्ितोऽपि सेवते | प्रमादषन्दभोख्थानि वार्यमाणो विबेकिभिः॥ ग्रतप्रा्नौ SRST सखे WAT चनम्‌ | wa कोरिगता बुद्धिः कोटौ Tere वाञ्डनम्‌ राच्ये देवत्ववाञ्डास्य देवल शक्रतामतिः। श्रक्रवेऽपि गतस्याख्य नेष्छापूतिः कथंचन सुपुजेवरयोषामिः खवेकामेरुडसं डः | नाद्यामिशाषविच्छिनिः को टिश्नोऽपि निषेवितेः संग्टङ्काति ततो qs: सर्वार्थान्‌ सुखकाम्यया | ते दुःखाथ जाथन्ते GUTS भोजनम्‌ ASAT SNA SATA त्यार्थभोजनस्सोचेबलादा नि विंधाप्यते इत्कख्मखक चोरं वम्यमानः TAA | आरारी्ुश्चति प्राच्याः छपाहेतुरविवेकिनाम्‌ तदेषा चार्खर्वाङ्गि रिक्त विश्ेपमष्डपे | Tae विच्यस्युखाष्णागाखो खवेदिका यत्पुगचिन्तयल्धेवं तरा twee: किल

चतुः THA: ` VRE

वाताक्रान्तं WOE मे anton मम एतच्च रिक्रकोष्टलादायुमामिभविच्यते |

रतः सप्रण्याभौरं YS योऽपि wire जोवोऽपि चिन्तयत्येव तदिदं aratea | पापञ्वरवश्रादु गेटे विभवस्य

स्तेषु AWAY YY जनेषु

अन्येषु विनष्टेषु चिन्साबन्येषु मन्यते

मया चेष्टितं नोत्या wa चार पौरवम्‌ | नाथितो वा acerat wat वा ufafwer तेनेदं मम WAG Val वा WATT

Gar वा बान्धत्रा वापि faner: पश्यतोऽपि मे॥ चेषां विरहे गूनं aise चण्मणतः | उपाजेयामि योऽपि तान्येवोत्छाइयोजतः उपाजितानि awe tfwenf प्रयत्नरतः | अजागलस्तनस्येव जो विलय्यं sara

ware विजानौहि तदिदं सुश्रु भावतः Haare विपर्याखमामविष्टरचेष्टितम्‌

यथा भोक्ुमारग्धः निरश्वतया पुनः | प्तः सवलोक वाग्निं मिञ्रभोजनम्‌

ततः सपरिवारेण तेन पूत्‌क्ुषेता waz | वारितः waa agtery मिवेदिताः सतु तजर र्णारोपाद्भोजने बद्धमानसः |

67

५२०

उपमितिमवप्पश्चा Sut |

तं रटन्तममाशोच्य wa रतवानिति तथायमपि wate जौवः कममणो मखः | भुक्रोतपषटेषु भोगेषु निषश्वः dade परमाणमया इति भोगाः ्रब्दादयो मताः सवं चेकंकजौवेन WHAT: परमाणवः zeal मुक्पूर्वाख्च बहशो भवकोरिषु |

भु कवान्तास्ततः सत्यमेते श्रब्दादयोऽनघे aqra कि चिखठोकेऽज चिन्ताबन्धविधायकम्‌ | जोवस्य वस्तु. सन्नेव तत्सवं पुद्लात्मकम्‌ तथापि भद्रे पापात्मा पश्तां विमलात्मनाम्‌ | श्राबद्ध चिन्तस्तचेव जाम्नाखे संप्रवतंते हृपापरोतविन्ताश्च भोगकदेमलम्पटम्‌ |

तं जवं वारयन्धेते PATS: प्रयत्नतः

कथम्‌ |

अमम्तानन्दसदो्यन्ञागद ग्रनरूपकः |

देवस भद्र मो युक्रमतो भोगेषु वतेमम्‌ sae faa खं भोगाः चण्ठे खणे अ्रपरापररूपेण त्च्छमास्थानिबन्धनम्‌ वान्नाए्दिसमा्येते विता स्वदभिंमिः | भद्रः परमदेवोऽपि नातोऽमूम्‌ भोक्षमरेसि दुःखोपढौ किताखामौ दुःखरूपाञ्च तत्वतः दुःखच् कारणं तेन वजेनोया मनोषिएण #

चतुर्थः परावः |

ये बाद्याणनिष्यन्नास्तच्छा गाद्‌ मनात्मकाः | तेषु कः पण्डितो रागं ु्यादात्मखरूपवित्‌ अतो ममोपरोधेन भद्र भोगेषु कुजचित्‌ | Bayz प्रमादेषु मा प्रवतिष्ट साग्रतम्‌ तदेवं पद्मपच्ा्वि निवारयति सहुरौ | प्रमादभोजमे am: Hat इदि मन्यते aut विमूढः ara वस्तुतत्त्वं बुध्यते | श्रारहादजनकानेष यो भोगानपि निन्दति तथाहि | मद्यं वरख्ियो मांसं aera wet | माखतान्बृखनेपच्यविस्ताराः सुखमासनम्‌ श्रलद्ाराः सुधा Wat को तिंञुंवनगामिनौ | सद्रननिश्याः शूर चतुरङ्गं महाबलम्‌ राच्यं प्रणतमामन्तं यथेष्टा: सवेसम्पदः | TIARA किमन्यलसुखकारणम्‌ विप्रलमभाः ofagra: शव्कपाण्डित्यग्विंताः | ये नूनमौदूश्रा लोके भोगभोजनवच्चिताः ते मोरेन खयं नष्टाः परानपि हषोद्यमाः | नाश्रयन्ति fe तन्ते ते वजेनोया विजानता तथाहि | यो भोगर ङितो मोष्वो बन्धनं तदुदाइतम्‌ | तदथं कल्यजेदृष्ट मिदं भोगसुखाग्टतम्‌

YRR उपमितिमवप्रपश्चा KUT |

एवं दिधविकल्येख FLATMATES: | अग्धतद्सङहगतं तेषु भोगेषु मन्यते कथम्‌ सिरा ममेते शद्धा सुखशूपाख्च तत्वतः | एतदात्मक एवाहमलमन्येन tafe WMA WHAT WIC प्रशमेन वा I अहं तु नेदु गवाक्षेरात्मानं वश्चयामि भोः॥ aay | सद्धमविदगव्याजाद्ाढं पूत्कुवेतोऽयतः यरोरपि yaaa प्रमादाग्टचिकदेमे सा स्वेयमविद्याख्धा Nas वरानने | aati गाचयशटिविंशम्मते यया भोजनं अयो भ्यिला पुनवेमन्‌ | संजातसज्निपातलात्यतितस्त गते छटन्नितस्ततो गाढं युञचन्नाकर्द भेरवम्‌ | अनाष्येयामविग्धां प्राप्तोऽवस्ां सुदादणाम्‌ जातः केन चिकल्लोके तदवस्थः खितः परम्‌ | तथायमपि विश्चेयो जोवः शर्वाङ्गसुन्दरि तथाहि | यदा प्रमन्नतायेक्रसदिलाखपरायणः | fafanfenqena विपर्थासवशंगतः अविद्यान्धोङ्तो जवः am: संशारकदंमे |

चतुर्थः परावः | Uke

्ररोपितद्णन्रातस्तचेव विषया दिके way Waglt वा aay FE: | qayefed पापो विमूढमिति मन्यते ततस | पापाजोणेष्वराक्रानः Tat वान्तिसज्निभे . तं रटन्तममालोश्यासप्प्रमारे प्रवतेते तदा निःगरेषदोषौ घभरपूरितमाभसे | सक्िपातखमो घोरो महामोोऽस्छ जुम्भते ततश्च तद्गरेनायं जोवः सुन्दरो चने पश्चतामेव fayet waa विवेकिनाम्‌ मूजान्त्राद्विनाम्बाशवसाद्धिरपूरिते | faate भिपतन्धेव मरके वाज्तिपिष्छले खटतोतसतसच सुश्चननाक्रन्दभैरवाम्‌ | स्ते तोत्रदुःखौधं यदाचां गोधरातिगम्‌ तथा विचेष्टमानं वरगात्रि तपोधनाः | न्ञानालोकेन पश्यन्ति तं जवं शड्द्ष्टयः aaa सन्निपातेन sara भिषम्बराः | afefarutad aret वयन्ति महाधियः ततश्च Acasa तस्य तार वि्लोशने | कोऽन्यः द्ाक्नायको जन्तोर्धोरद्‌ः खौ घलागरे अन्यश्च तद्वस्ोऽपि जोवोऽयं वश्शुभाषिणि | प्रमा दभोजनाखाद खाग्ग्ः भेव मुच्चति

५३४ उपमितिमवप्रपश्चा कया |

दोषाः प्रषखतां यान्तस्ततो सुष्णन्ति चेतनाम्‌ | श्रत्यये महामोसन्निपातो विवर्धते

एवं fea | संघारक्रवालेऽच रोगण्छत्यजराकुले ्रमन्तकालमासोनसख्यक्ः सद मवान्धवेः afeé निजवोयेंण जोवस्यास्य महाबलः | सन्निपातसमो भद्र महामोहो विचेष्टते

fa च। | waaay saat कायंग्धतख् तत्वतः | महामोनरेग्द्रोऽयं मद्यादोनां सुशोशने तदेवं राजपुजोयो इृष्टन्ताऽनेम सुन्दरि | महामद्यादिवस््रनां दशितो भेदसिद्धय श्रयाद्यापि ते जाता प्रतौति: goiter | शयोऽपोदं समासेन wus कथयामि ते विषयोग्धखता are सा fawer प्रमन्तता anteafed विद्धि agtitg प्रवतेनम्‌ watt Meee yas यत्त॒ चेतसः | ज्ञेयः चिन विेपा जोवस्यास्य area दपेरभावो भोगेषु yng सुबडष्वपि उत्तरोत्तरवाञ्का Sat गता मनीषिभिः पापाद्भोगेषु जातेषु जातनष्टेषु वा पुनः | बाद्योपायेषु यो यन्नो विपर्यासः उच्यते

ततः

चतुथः प्रस्तावः

श्रनित्य।एचिदुःखेषु गाढं भिन्नेषु लोवतः विपरौता afaey या खाविद्या प्रकौतिंता एतेषामेव vant सवधां यः प्रवतंकः | एतेरेव यो जन्यो महामोहः गोचते तदेवं भिन्लरूपाणि तानि सर्वाणि सुन्दरि | महानद्ादिवद्छनि चिम्तनौोयानि यत्नतः प्राहाग्छहोतसदूता चाड चार्‌ निवेदितम्‌ | सत्थं प्रन्नाविश्राछ्लासि नासि मे संशरयोऽधुना तत्तिष्ठ त्व fanrerfa साग्मतं विगतः अमः | मिवेदयतु शंसारिजौव एव ततः परम्‌ नरवारनराजाय यदिवचणद्रिणण |

निवेदितं प्रकर्षाय विमर्शेन धौमता॥ संशारिजोवेन sim विमलखोचने | निवेदयाम्यहं तत्ते विमर्भेन धटौरितम्‌ ततः प्रोक्रं विमर्शेन भद्र श्रातो afe लया | महानद्या दिभावायंस्ततोऽन्यत्किं निवेद्यताम्‌ wae: ATE मे माम नामतो गु एतोऽधुना | महामोहमरेष््रस्य परिवारं निवेदय

या चेयं दृश्यते शला राविष्टरख्िता |

एषा किनाभिका wer किगणा वा वराङ्गना

fam: प्राह नन्वेषा प्रसिद्धा गुफगङरा | भो महामूढता नाम arate एथिवौपतेः

४२५

द्‌ खउप्मितिभवप्रपश्चा कथया |

चद्धरिकेव निश्ानाये प्रभे दिवाकरे | एषा देवौ गरेश्धेऽभिम्‌ देाभेदेष वतेते श्रत एव गृणा Mow afeat भद्र गषतेः | Hara एव निः ग्रेषाश्छचयासुग्या fava: WHE: प्राइ wea ततोऽतिनिकटे सवितः | ACTA BUI: GATT: fadearet facia राजकं वक्रचुषा एष Ewa Vics कतमो माम wafer: + विम: प्राह विद्याते राच्शवंस्नायकः | मिथ्यादग्रेननामाषं महामोहमङलमः अनेन तग्वितं Trey ARS ACT: | ACITITHYUAAN NAT WYATT aaa संस्थितो wx निनवोधंण देहिनाम्‌ | यदेष afecyrat ged तन्निबोध मे अदेव देवसद्धश्पमधमं धमेमानिताम्‌ | saa aagte विधत्ते सुषरिच्छटम्‌ HUTA पाज्रतारोपमदुरेषु शच रणम्‌ | संसारडेतो निर्वारहेतुभावं करोत्ययम्‌ तथाहि | हसितोङ्गोत विष्बोकनाख्ा टोपपरायण्णः | इताः कटा कविचपेर्नारोरि हाधधारिएः कामान्धाः परदारेषु सक्षचित्ता BAVA: |

चतुर्थः प्रस्तावः | ५३७

सक्रोधाः सायुधा घोरा वेरिमारणतत्पराः ¶्ापप्रसादयोगेम wate + + + + +) tem भो महादेवा लोकेऽनेन प्रतिष्ठिता. ये वोतरागाः sage ये शाश्चतसुखेश्वराः | क्ििष्टकमेकलातौता निष्कलाख महाधियः श्ान्तक्रोधा गतारटोपा हास्यस््ोहेतिवजिताः | ्रकागश्रनिर्मला धोरा भगवन्तः षदाशिवाः श्रापप्रसादनिसुक्रास्तथापि गिवरतवः | fagfe श्द्धग्रास्लायंदेश्काः परमेश्वराः ये पश्याः स्वंदेवानां ये ध्येयाः सर्वयोगिनाम्‌ | ये wearer निदन्दफलदायिनः ++ +++ ++ लोकऽमेम GT: | देवाः प्रश्छादिता भद्र arama fanaa: तया | | हिर ष्छदानं गोदानं धरादामं FEET: | साम पानं भूम पञ्चायितपनं तथा wae चण्डिकादोनां तोर्यान्तर निपातनम्‌ | यतेरेक्टडे पिष्डो गौोतवाशे मशादरः वा पौकूपतडागादिकारणं विशेषतः | यागे मग््रप्रयोगेण मारणं परूसंहतेः कियग्नो वा भणिच्यन्ते श्तमदंनदेतवः | रहिता इएद्धभावेन ये wat: कचिदौदशाः

68

Las

उपमितिभवप्रपन्चा wut

सर्वेऽपि afeeraa मुग्धलोक प्रपच्चतः ते भिश्याद्ेनाहम भद्र जेयाः प्रवर्तिताः # चान्तिमा वसन्तोषशौ चाजेव विसुक्यः | तपःसंयमसन्यानि Na wat दमः ।॥ APRA दयसद्यानवेराग्यग्‌ रभक्रयः | श्रप्रमाद सदे काय्यनेयेन्थ्यपरतादयः

ये चान्ये चित्तरेर्मच्यकारिएोऽष्टतसभ्निभाः | सद्धमां जगदानन्दहेतवो भवसेतवः तेषामेष प्रत्येव मरामोरमदन्तमः | wane ata मिष्यादशेगभामकः

तया |

श्लामाकतष्डलाकारस्तया पञ्चधनुःतः।

एको नित्यस्तया व्यापौ aaa जगतो fay: चउएसम्नामसूपो वा ललाटस्थो इदिख्थितः | आत्मेति NAAT वा शुन्यं वा सचराचरम्‌ पञ्चशत विवर्तो वा ब्रह्मोघ्ठमिति वाखिषम्‌ देवोप्रमिति वा ज्ञेयं महेश्वर विनिभिंतम्‌ प्रमाणएषाधितं ad यदेवं विधमश्नसा सद्वुद्धि कुरूते तच महामोहमहन्तमः जौवजोवौ तथा पुश्छपापाश्वरमिजराः | आसवो बन्धमोको तच्चमेतश्नवात्मकम्‌ aaj प्रतौतितः fag प्रमाणेन प्रतिषठितम्‌।

चतुः प्रस्तावः ५३€

तथापि fad भद्र तदेष जनदारूणः तथा afeat शशमावाच्यमदका waerfaz: | अषत्यमन्धाः पापिष्ठाः सङ्हो पगे रताः तथान्ये पचने नित्यमासक्ाः पाचनेऽपि च। मद्यपाः परदारादिसेविनो मागेदूषकाः तन्नायोगोखकाकारास्तयापि यतिषूपिफः | ये तेषु कुरुते भद्र पाचबुद्धिमयं जने GAULT MAT CIARA वेपरायण्णाः | Tecra धौरा जङ्गमाः Hea: संसारसागरोश्नारकारिणे दानदायिमाम्‌ | afemagatfecgen ये पारगामिमः॥ तेषु fadefeag पुरुषेषु अडात्मनाम्‌ एषोऽपाचधियं WH महामरोमरन्तमः तथा |

कौतुकं कुहकं मन्तमिन्रनालं रसकियाम्‌ | निर्विषौकरणं तन्वमनतर्धानं सविस्मयम्‌ चत्यातमान्तरिचं दिव्यमाङ्ग खरं तया | श्ण व्यञ्जनं भो मं निमित्त waa खच्ाटन सविदेषमायुरवंदं सजातकम्‌ | च्योतिषं गणितं शूष योगलेपास्लयाविधाः ये चान्ये विस्मयकरा विगेषाः wanes:

५8०

उपमिविभवप्रपश्च्‌ा कथा|

अन्ये उ्तोपमदेस्य हेतवः श्रा खकेतवः तानेव ये विजानन्ति निःशरङ्धाख प्रयुश्चते म॒ धमंवाधां मन्यन्ते Wat: पापपरायणः एव gfe Woe wad ममल्जिमः | एव MUP शाभभा जिनस्ते मुनौ खराः saa निजवोर्येण वदिर क्गजनेऽसुना | भिश्यादश्रनषश्चेन भद्र पापाः प्रकाशिताः ये पुनमन््तन्ादिवेदिनोऽप्यतिरिःस्शाः fagat लो कथाबाया धर्मातिक्रमभौरवः मूकान्धाः परटन्तान्ते खगुणणभ्वासने रताः | samt निजरेडहेऽपि किं पुनद्रेविणादिके कोपाहंकारशोभा्दरतः परिवजिताः | तिष्टन्ति शान्तश्यापारा निरपेखास्तपोधनाः a दिश्यादिकमाख्याग्ति geantfe gad | मन्त्रादोन्नातुतिष्ट्ति निमित्त प्रयच्छते लोकोपचार fad परित्यञ्य थथापुखम्‌ | स्ाध्यायध्यानयोगेषु Kwa: Was ते निर्गुण श्रशलोकश्चा विमूढा भोगवजिंताः | अपमानहता दोना WAAAY कुक्कुटाः इत्येवं निंजवीर्येण बहिर ङ्ग जगेऽसुना |

ते मिथ्यादश्ेनाङन स्थापिता भद्र ara:

तया |

चतुथः प्रस्तावः ५७१

SAGA कन्यानां जननं युचसंहतेः | निपातनं 4 शर्ण कुदुम्नपरि पालनम्‌ it यदटैवमादिकं कमं घोरसंषारकारणम्‌ | aga इति संस्थाप्य दशितं भवतारणम्‌ यः पुनरज्लानचारिचद गेनाच्छो विभुक्रये | ar: सर्वोऽपि सोऽनेम लोपितो लोकमैरिणा ततख् भद्र यत्तुभ्यं समासेन मयोदितम्‌ | TG महन्तमष्यास्य HATTA YT यथा अरैवे देवसङ्न्पमधमें धमेमानिताम्‌ | अत्वे तत्चवुद्धिं करोत्येष जडात्मनाम्‌ अपाने पाबतारोपमशुणेषु रुण्रहम्‌ | संसार रेतौ निर्वाण्षेतुभावं करोत्ययम्‌ | तदिदं Gua: aa प्रविश्य निवेदितम्‌ | विस्तरे पुनर्वयं कोऽस्य वणंयितु wa: sue faa feud मन्यते भद्र सवदा | मदोद्धतः प्रत्येव AACE: मिरिक्तभर एवायं राञ्यसवेखनायकः | AMMAR शतः saw वस्तुनि एवं faa s विश्र्भार्पितरिन्ताय मयास्मै feagea: | अन्यव्यापार शुन्येग करव्यं नतु सवदा ततख |

a

४९२

उपसितिभवप्रपश्चा कथा|

मण्डपं चिन्तविकेपं aural वेदिकां | गाढं समारयत्येष विपर्यास विष्टरम्‌ ti समारितानि सानेन यदेतानि afer | कुवन्ति ace वद्धि समाकणेयं साग्मतम्‌ ti यदु ऋत्तयदरग्रससन्निभो भद्र सवदा |

जनो दोलायतेऽव्यथं धमेबृद्या वराककः |

RUZ |

करोति भैरवे पातं थाति ast महापथम्‌ | श्रतेन वियते ara कुर्वाणो जलगाहनम्‌ पञ्चाग्नितपमे रक्रो sea तौव्रवद्किना | गव्राश्चत्थादिवन्दारूरास्फोट यति मस्तकम्‌ |! कुमारोग्राह्मण दौनामतिदानेन निधनः | सहते Geer AE: पूतमलः किल परित्यज्य धमं AE quai दुःखितः। अटाखते विदेशेषु तौोयेया ाभिलाषुकः fueaquaray दे वाराधनकाभ्यया | निपातयति श्धतानि विधत्ते धनव्ययम्‌ मां तेमेयेनेः खादयर्भक्रि मिभरमानसः | तक्नायोगोलकाकारं ATMA अनम्‌ we विवेकिशखोकस्य wager विनारितः | इत्येवमादिकं धम करोत्येष एयग्‌जने

लच्यति शून्यात्मा तमद सुदाद्णम्‌ |

-- " ee ee

चतुथः प्रस्तावः

नात्मनो दुःखशदयतं हास्यं नापि धनव्ययम्‌ रागदेषादिजातष्य eure विष्एद्धये |

एवं घटते शोकस्तत्वमार्गाद हिष्कृतः धर्मोपायमजानानः कुरते जौवमदंनम्‌ | प्राप्नोति करभं नेव रासभं दामयश्ययम्‌ fae भखौरृता ast दग्धं पेयं तवेत्धदो | धनशुह्‌ालितं धू्तेजनस्त॒ इदि भावितः

सग््ागेवक्रारः पूत्कुवेग्तोऽप्यनेकधा लो केनामेन wen प्रोष्य Asa: तदिदं भद्र भिःगेषं मिश्यादशेनरुज्चिना | अमुना सक्तस्यास्य मण्डपस्य विज॒म्मितम्‌ यत्पुगरियमाणोऽपि लोकोऽयं नेव gata भद्र कामा्यंलाग्पव्य' नानाकारं ae:

कचम्‌ |

VY करोत्येष मन्दा दुण्डप्रवेशनम्‌ | TE. सङ्गमनायं दरत्यात्मानमग्निना खर्गायं भ्तिकामेन पुजसख्रजनकाम्यया | afaerafe यागांख कुरूतेऽन्यच्च aren दानं ददाति चाशास्ते waren मे आशास्ते aufaqn फलं मोच्श्णम्‌ यत्कि चित्कूरुते कमे तन्िदामेन दूषितम्‌ अर्थकामप्रदं मेऽदः परलोके भविव्यति

use

४88

उपरमितिभवप्रपश्चा कया |

age सकलस्सेयं मिथ्याद शेगसंच्कता | टृन्तान्तस्येड SUT वेदिका VX कारणम्‌ यत्पुनभद्र लोकोऽयं fees इव मानवः | fad wee विपरौतः पलायते

RU |

देवं विगते az: way सवेद शिनम्‌ | बेदाः प्रमाणमित्येवं भाषते निषूप्रमाणएकम्‌ | धर्मेच दूषयत्येष जडोऽहिंसादिल्वणम्‌ | प्रख्यापयति न्नेन यागं पद्रनिबदेणम्‌ जोवादि तत्व मो हेनापड्कुतेऽलोकपण्डितः | qerqafa wa वा पश्चश्तात्मकादि वा ज्ञानादिनिमेलं पाज निन्दत्येष जडात्मकः | सर्वारम्भप्रटत्तेभ्यो दानसुचेः प्रयच्छति

तपः मा निरौरलममून्‌ दोषां मन्यते | श्राद्यमुत्का पिश्राचत्वं विद्धं मनुते रणान्‌ wea श्नानादिकं मागे मन्यते धतंक रितम्‌ | कौलमागादिकं मूढो मनुते गिवकारणम्‌ aqua wa विगरेषेण ग्टहाभ्रमम्‌ | निःपेषदन्द विच्छंदां wea यतिष्पताम्‌ agama रूपेण मिथ्यादगेनसंस्कतम्‌ |

wa भो विलसत्येतदिपर्यासाख्यविष्टरम्‌ अन्यच्चाखेव सामर्थ्याक्तोकाध्वान्तवश्रंगताः |

` -चतुर्थः ger) `

यदन्धदपि gif ug तन्ते मिवेदये जराजो एंकपोणा ये हाख्यपरायाख्च योषिताम्‌ | वलो पलितखा लित्य पिङ्गा दि दूषिताः तेऽपि sam जरसा विकाररसनिर्भराः | कथयनधात्ममो Ta गाढमित्रकाशिकम्‌ ` अनेकट्रव्ययोगेख काष्यीसन्पन्तये किण | तमसेव सादन रञ्जयन्ति शिरोरुहान्‌ | जनयन्ति ant देहे नानारैसुंङमुडः | तथा कपोशभेथिष्ं यन्नतन्कादयन्ति ते भ्रमन्ति विकटं मूढास्तरणा इव alee | वयःसम्भनिमिन्न weal रसायनम्‌ खच्छायां दपणे विम्बं facta जेषु fare creer frat रेहमण्डनतत्पराः | श्राहतास्तात तातेति शलनामिस्तथापि ar: | पितामडइसमाः सन्तः कामयके विमूढकाः सवख प्ररणाकाराः सम्तोऽपि नितरां पुमः | कुन्तो इस्यविष्बोकान्‌ गाढं गच्छन्ति शास्वताम्‌ ATM INT येषामेषा विडम्बना |

ते भद्र खति ताडे AEM षणु जन्तवः # सेश्राग्छज्ञेदजान्बालपूरिते ते Rear | आ्राखक्रचिन्ाः खिद्यन्ते arene वराककाः TAMAR SAM मानुष्यकं भवम्‌ |

69

ey

ued उपमितिभवप्पञ्चा कथा |

ट्या कुवन्ति fargfar धमेसाधनवभिताः ्रायतिं निरोचन्ते Sead जामते | ्राहारनिद्राकामान्तांस्तिष्ठन्ति पश्दसन्निभाः ततस्तेषामपारेऽ् पतितानां भवोदधौ | जिनेष्टशिष्टचेष्टानां पुनर्न्तरणं कुतः तदनेनापि खपेण मिथ्या दशेनसंस््तम्‌ | ददे fayait भद्र विपर्याखास्यमा समम्‌ अन्यच्च | प्रश्रमामन्दरूपेषु सारेषु निमादिषु | वशेनाश्य HART दुःखवु द्धिजंड। तनाम्‌ गत्वरेषु GURY दुःखरूपेषु दे हिनाम्‌ भोगेषु खमुद्धिः स्यादा षबख्यास्व तेजसा AVA YAMA: प्रधानोऽच AUT: | बदडिरङ्गजनस्योचैः सर्वान विधायकः मया ug समासेन मिगष्यादशेननामकः। महामोइनरेग्रस्य कथितस्ते महत्तमः | ततः प्रकर्षो दृष्टात्मा श्रता माहुखभाषितम्‌ | छत्चिष्य दिं पाणिं तं प्रतौदमभाषत॥ चार्‌ चार्‌ Ba माम यदेष ayaa | या लेषार्धासनेऽसैव खा fare वराङ्गना विभर्शोऽवदरेषापि समानफलसाशसा | sea भायां विज्ञेया कुदृष्टिनांम विश्रुता o

ma: प्रस्तावः |

ये दुष्यन्ते faarrer विर क्रजनमे सदा भद्र पाषण्डिनः केचिन्तवाभेषेव कारणम्‌ ते चामौ Ta वश्ेमाना मया स्फुटम्‌ 1 भ्या देवा दिभेदेन fafirare परस्परम्‌ तद्यथा | | | शाक्धा स्वेदण्डिकाः Sat: गौ तमाखरकासथा | शामानिकाः खामपरा वेदधर्माख धामिंकाः 1 आजौ विकाख्तथा श्रद्धा विदुदन्ताख Faun: | मेश्रा्चारिका धूमा TITY WA: ^ SEAT: VIA: कौलाः काणादाखमखष्डिकाः | खयो गिनखयोशूका गोदेहा यज्चतापसाः ` STATA YT कन्दच्छेदा दिगम्बराः | कामदंकाः काखमुखाः wheadurfacrfiranr: # कापालिकाः क्ियावादा गोत्रता ग्टगचारिशः। लोकायताः waar: सिद्धवादाः Hwa: | तापसा गिरिरोष्ाख् weat राजपिष्डकाः | संसारमोचकाखान्ये सर्वावस्वास्तया परे श्रभ्ागवादिनो Ware पाण्ड्रभिष्वः ` HAAR GTA शरोररिपवस्तथा उक्दाञ्क्रवालाश्च Wat इस्तितापसाः | चिन्नदेवा बिलावासास्तथा भेथुनचारिणः अम्बरा शअरसिधाराखं तया माडरपुचकाः।

उपमितिभवप्पच्ा कथा |

चष्रोद़ मिकाखान्ये तयेवोदकब्धभ्तिकाः एकेकसख्वाखिका मखाः TEVA गजध्वजा; | SAAT माचादिभक्राः कष्टकमदंकाः कियन्तो वाज. गद्यन्ते नानाभिप्रायसंखिताः | पाषण्डिनो भवन्धेते भो मानाविधनामकाः देवेवाढेस्तथा ae: कच्येमाविद्द्धिभिः | इत्तिभिख wat भिमनरूपाः परस्परम्‌ तथा fe! इद्रश्चन्मागेकनुङ्ोपेनद विनायकाः | निनङ्खतवश्रादेतेरिष्टादेवाः weg wag ईश्वरो निथतिः कमे खभावः are एव ar जगत्कतंति वादोऽयं सवषां भिजरूपकः | जिदण्डङ्ुष्डिकाञ्चण्डवस्कचौ वरभेदतः। वेषः Wat मिन्नः Ge एवोपखच्छयते करूपोऽपि भच्छाभच्छा दिलश्षणः धिया किल | अन्योन्यं भिन्न एवेषां तौर्धिनां भद्र वर्तते विध्यातदोपरूपाभः सुखदुःखविवर्जितः | एषां wafer भद्र atet भिन्नः परस्परम्‌ निजाङ्कूतवग्रेव विषद्धिरपि TR: | अमो भिभेद्र सत्वानां भिन्नरूपा निवेदिता कन्दमूलफला हाराः केचिद्धान्या्चिगोऽपरे | इन्तितोऽपि विमिद्यन्ते aaa भद्र तौर्थिंकाः #

चतुधैः प्रस्तावः | wee:

wa fea. रमो वराकाः सर्वेऽपि डोलायनते भवोदधौ ` असाः ुदष्टवोधिण शएद्धधरमवरिष्कताः तत््वमागं जानन्तो विवदने परस्परम्‌ | Woe गेव सुञ्चनि रव्यभ्ति हितभावषिखे तदेषा भुवनख्याता faerie | कुङ्‌ टिविंजसत्येव बहिरङ्गजनाहिता wey विष्टरे ay भिविष्टः प्रविशोक्धते | प्रिद एव axe नुनं रागकेसरौ एनं राच्ये निधावोचचेमंशामोहनराभिपः | गतचिन्षाभरो नूनं Barat व्तेतेऽधुमा केवलं दभ्सराज्धेऽपि महामोहनरे श्वरे | सविशेषं करोत्येष विनयं गयपण्डितः महामोहनरेनद्रोऽपि स्वेषामग्रतः स्फुटम्‌ wea मोः सुषु जस्य प्रभुलं स्यापयत्थलम्‌ तदेवं खहसवद्धो पितापुजौ परस्परम्‌ | एतामेव वशौोकत wat भद्र जगचयम्‌ यावद्विप्रतपल्येष भरेच Tame | बहिर ङ्गजने maine: सुखसक्गमः | यतोऽयं भद्र संसारसागरोदरवर्तिषु | बददिखेकि पटार्थेषु प्रौ तिशुत्पादयत्यशम्‌ | सक्तिष्टपुष्णन्येषु dary wer: |

ue

उपमितिभवप्पच्चा क्था |

स्त शजनकेष्येव सबभ्राति TIAMAT अन्य भद्र WH यदस्य पुरुषजयम्‌ | रक्रवणेमतिदखिग्धरेहं प्रविभाव्यते

एते fe मिजवोर्यंए शरौराद विभेदिनः | अनेन विहिता भद्र जयोऽप्यात्मवथस्छकाः अतच्वाभिनिवेश्ाख्यः प्रयमोऽवं भरोन्तमः | बृष्टिराग इति site: एवापरदरिभिः अयं fe भद्र तोर््थानामाक्रौयात्मोयदभने | करोति चेतसोऽग्यन्तमाबन्धमनिवतेकम्‌ ` डितौयो भवपाताख्यः Geet भद्र गोयते | अयसेवापरैः ATH: Betray इतौरितः अयं तु कुरते द्रव्यपुजस्जमसन्ततो

मूषा तिरेकतो भद्र रेतसो गाढबन्धनम्‌ अभिव्वङ्गामिधामोऽयं तोयः पुरषः किं mat विषयरागाख्यः एव भुनिपुङ्गवेः श्रयं त्‌ भद्र शोके ऽन MAAC | शरष्डा दिविषवग्रामे लौखसुत्पादयत्यश्नम्‌ गरजयस्य Wags भद्र जगश्नयम्‌ | आक्रान्तमेव मन्येऽहं TARTS पुनः सम्धागेमन्मातङ्गदु नि्दनखमः | खवोर्याक्रान्तमुवनः Vaiss रागकेखरो था लेषा gaa भद्र भिवि्टाख्धेव विष्टरे :

UTA TTA: | ५५९

aq भायां सा Her मूढता लोकविश्चता ये केचिदस्य विद्यन्ते गुण भद्र मरौीपतेः। त्यां सवे सुभायांयां विज्ञेयाः सुप्रतिष्ठिताः a यतः शरोरमिरिक्षां पावंतीमिव श्रः | एनामेष Set राजा धारयत्येव मूढताम्‌ ततस | . Raarana नित्यं यथा Seauraat: | अविभक्ता विवतेन्ते णा अपि परस्यरम्‌ Uae वामके we निविष्टोऽख्येव पतेः भद्र anise प्रतीतः प्राय शस्तव Baha महामोहनरेष्स्य सुतोन्तमे | चित्तं विश्राकभेवो शेगैणाः कष्याणकारकाः ` यतः अन्ना ITA रागकेसरिणोऽधुना वौर्थणाभ्यधिको शोके गरेष््रो भद्र वर्तते # तथा fe! भयं यान्ति yea रागकेखरिणा जनाः | दृष्टा देषगजेष्र तु जायने भोत्वकन्पिताः यावदेष महावौवेखिन्ताटव्यां fara | afecya® तावत्कोतस्यः प्रौतिखक्गमः येऽव्यन्तसुटो शोकाः सदमिभेरमामसाः | तेषामेष awa चित्त विश्चेषकारकः

WAR

उपमितिमवप्रपल्चा कया |

fenafrauieat waa यदा यदा | तदा तदा HAA जनास्तेऽत्धम्तदुःखिताः GTS पुनर्यान्ति मरके तोत्रबेदने आरबङ्कमस्छरा वेर प्रविधाय परस्यरम्‌ . भद्र देवगजेष्धोऽथं अयाथां माज संशयः | यस्य गन्धेन weg विवेका: कशभा इव था ae भार्यां aarat ओोकेनेव भिषेदिता | अत एव wae gaa सा विबेकिता | प्रकर्षः प्राह यस्छेष भिविष्टसतङ्ग विष्टर

नर जयपरोवारः एष्ठतोऽस्येव शपतेः रक्रवर्णीऽतिलोशाचो वि्ासोल्लासतत्परः | प्रष्ठापौडितदवणौरः सचापः पञ्चबाणकः अमहमर छङ्धारहारिगौतविनोदितः | विशदौ मिशावश्छव्छेया वरयो षिता अश्या एव ततुशधेषवक्कषुम्बगलालसः | कमन्भेयाङृतिः सोऽय कतमो माम wate: विम प्राह नन्वेष महाख्येविधायकः | SLATER MR प्रचिङ्को मकरष्वजः 1 ययेषोऽहुतकतैव्यो भवता नावधारितः

न्‌ किंचिदपि fama भद्राद्यापि acer यो भद्र शरूयते Se wast पितामहः | सोऽनेन कारितो गौरौ विवाहे बाखविद्चवम्‌

चतुरैः प्रस्तावः |

एव चाष्परोनृत्तरूपविकिक्तमामखः।

अनेनेव शृतो भद्र पश्चवक्कधरः किख

यो Ste जगतो zara} श्रयते किख केशवः | अनेन कारितः सोऽपि गोपौनां पादवन्दनम्‌ अन्यश्च भद्र सोऽनेन सुप्रसिद्धो Ayer: | दापितोऽधे wives गौर्ये विरहकातरः sufaaeefay: एव सुरकानने | तद्धा्याोभणे रक्रस्तथानेम faarfea: sary सुरते wut एवानेन धारितः। fea वषेसडखं भो रतस्य दति गोयते श्न्येऽपि बहवो खोक gaat देवदानवाः | artery war: wf भद्रानेमात्म किङ्राः ` aise खष्ठथितु शको गुनमाशन्ञां जमन्तये WHA महावोये यस्येदं पुरुषभ्रयम्‌

अयं fe प्रथमो ax पुरुषोऽनघपौरुषः | arar विज्नाततदौर्यैः gaz इति Tae अमुख्य तात ade बहिरङ्गा मतुखकाः | पारदा Waa जायन्ते कुलदू षणः faata: पुरषो Wa स्लौवेद इति खरिमिः। व्ावक्ितो महातेजा वयाशुकषञुवनोदरः || ` SQ ural पुनस्तात योषितो fanaa: | विखंष्य genaict Taya पर पूडषे

70

४४

४५६९ उपमितिभमदप्रपद्चा कथया |

wave: पुरुषो भद्र wets इति सृतः येन दन्दश्यते शोको बदिरङ्गः SA आशप्यालमिदं तावदस्य वौ यविचेहितम्‌ ` अभिवेद्य अने येन विदुष्यन्ते नपुंसकाः एतश्जरजवं भद्र पुर श्छत्थ प्रवतते | अविन्नातबखोऽन्येवां मनमेव owe या AUT पश्मप्ा्ो रूपलौन्दयंमन्दिरम्‌ | अस्येव वल्लभा areal रतिरेषामिधौयते येऽनेन निजिता शोका मरवौोथेषुरःखरम्‌ | तेषामेषा neta सुखबुदधिविधायिका तथाहि | wer aq भो शोका दुःखिताः ware: | तथापि तेऽदो मन्यन्ते मकरष्वजनिजिंतःः यदुत | अह्कादजनमकोऽस्मग् डितोऽथं भकरष्वजः | प्रतिकूला qudse ङु तस्तेषां इखोद्धवः ततो Tarra भद्र ते वश्नोङतमानसाः। भाता fafternta मकरष्वलकिङ्राः तदादेशेन छु्वंन्ति ween विवेकिनाम्‌ | आत्मनः सततं मूढा नानारूपं विडम्बनम्‌ कथम्‌ रचयनधातद्मनो वेषं यो वितां facet |

चतुथः प्रस्तावः | ४४५

चरन्ति मोदेन देहे गषएविश्वमम्‌ auf कामिनौलोलखोचनाधंविशो किताः t वदन्ति दये प्रतिं तदालापेममोरमेः आरमन्ति fanz: पादेरन्नामितथिरोधराः। रामाकटाच्विचिक्नाः सुभगा इति गविताः Bvzigfeartg तञिन्ारेपखम्पयटाः | fraizatin मोहान्धा रक्षकान्‌ कारणं विना इतस्ततः प्रधावन्ति दशयन्ति पराक्रमम्‌ | ताषां मनोतुङ्कलं हि ते किं किं यश gat शुवेन्ति चादुकर्माणि भाषन्ते किङ्करा इव , पतन्ति पादयथोस्तासां जायन्ते कमेकारकाः awa योषितां wena ते मन्यमाना fae fea मोहतस्तदनु्दम्‌ weary मद्गष्ट्षं योषावक्कसम पितम्‌ | Guitars मन्यम ख्गादभ्यधिकं सुखम्‌ खे भरा वोयेशयिष्टा ललनाभिः खलोलयथा | भकपेशेव Hey तेऽशएचेरपि मदनम्‌ AGFA ey सुरतेषु ati: gam face तासां faa शोकविङलाः अवधूता शिष्यो दष्टन्ति afeegat: | पररक्खनारौभिः पात्यन्ते दुःखसागरे tea वितुदन्ते खभार्यारश्णोद्ताः।

५५६

उपमितिभवप्रपश्चा कथा|

एता विडम्बना भद्र ATTY ते भवे ध. परलोके पुनर्याम्मि चोरे संसारनोरधौ | ये जाता रतिवौर्थंण मकरष्वजकिङ्राः बदवखेदुशाः प्रायो बद्दिरक्गा HABA: | ये aw श्राखभातोता विरलास्त मनो षिषः तदयं यख्य yet सेश्नोदेग्रारषौ मथा परिवारयुतो भद्र वितो मकरध्वजः

प्रकषैः प्राह Aras Geet विदित था यमन्धमपि एष्छामि सन्देहं तं निवेदय मकरष्वनपाश्वंखं यदिदं प्रविभाय्ते | किंनाम faigd चेद माम माशुषपश्चकम्‌ fast प्राह यस्तावदेष Wat ATA: | हास इति fawat विषमोऽत्वनादुष्करः # अयं fe qua भद्र निजवोंश aaa. बहिरङ्गं विना कायें सन्नब्दशुष्यकोटरम्‌ fafafafrnarare fafanfacee षा @ गोयं द्‌ गरेत्युशर्थेवामेष महाभटः महाकरकरध्वानेरेषन्तः शिष्ट जिष्डदिताः | निर्वादितसुष्डस्तुच्छासते अने धान्ति waa आआग्रङ्कावाः ve ata जायन्ते निर्भिंमिन्तकम्‌ नयन्ति परे at कभन्ते वक्र विश्रमम्‌

मचिकामश्रकादौनायसुप्ातं देहिनाम्‌

चतुधैः प्रावः | ४१७

srecfan विना ara परेषां पराभवम्‌ तदिदं भद्र निःगरषमिह ate विजम्भते इहासोऽयं परणोकेऽसखात्कमंवन्धः सुदारुणः TQS तुच्छता माम सह्वार्या हितकारिणौ देस्छास्येव afer at भो गम्भोरचेतसः waguraaga निभिन्तेन विना षदा हासं घा AST Te WAG यथेच्छया यतो गश्भोरचिन्ानां भिमित्ते सुमहत्यपि | सुखे विकाड्माषं are we बङदोषशम्‌ था वेषा हष्दसर्वाङ्ो गाढं बौभ्छद शना | Tut अशना सेयमरतिर्माम विश्रुता किंरित्कारणमासाद्य बदिरङ्गजने षदा करोत्येष मनोदुःखं जग्भमाएातिदुःखम्‌ TAI दृष्यते AT कभ्यमानश्ररोरकः। पुरवः. भयो भाम प्रशिद्धो गाढदुःसहः fawaay aweqaaet किण ate | बदिरङ्गजनारुधेः कुरते कातराननाम्‌ कथम्‌ स्यम ALANS: कम्पन्ते WWI: | श्र्थादिषामि मन्वानाः पलायकोऽतिकातराः अकस्मादेव जायन्ते जसख्ालरज्जशो चनाः | जौ दिवामः कथं चेति दिग्मथा ef विडशाः i

a be sufafanagaug ST |

afcarat मरिष्याम tea भावनापराः | qaqa जोवितं fear जियन्त सत्ववजिताः अने मा भ्रदस्चाचेत्येवं भावेन fase: | मोचितान्यपि इुवेग्ति कर्माणि पुरुषाधमाः q एष निकरस्धायिसत्रमामुषसन्पदा | fagara wat भद्र बडिरङ्गजने सदा

fa a) USS रणे टैन्यमरोणणं पादवन्दमम्‌ | अस्तार शेन निलंव्नास्ते ङुवेन्ति नराधमाः तदेवं भद्र शोकेऽच ये भयस्य वशं गताः | विनाटिताः ware यान्ति भौमे भवोदधौ अस्यापि acer भार्यास्ति पतिवद्छला | संवर्धिका दुदु्बस्य प्रोच्यते etree at Gaeaat रेहाद्भार्यामेष सुश्चति qa हि जियते भग्र भयोऽय THAT ag प्रद्यभिलानोषे किमेन तु Taya | लं तच ant win यमं Tale स्फुटम्‌ अनेनैव तदा वार्तां समस्तापि निवेदिता | सोऽयं घमागतस्दणे शोको भद्र पुनर्बले savy कारणं fafecd शोके shea | चा विभ्रतः करोत्येव रेन्याकन्दनरो दनम्‌ cefaqar ये कोका निमप्राञ्च महापदि

चतुथं प्रस्तावः |

श्रणिषटैः संप्रयुक्ता तस्य स्थे शरवर्तिनः

weafty ते मूढा यथेव frqeqa: | SATIN मुञ्चन्ति ्राराटैः केवशं जडाः एष शोकः किलास्माक दुःखजाखं करिव्यति | wa तु वर्धयत्येव तेषां दुःखं निषेवितः

साधयन्ति ते ara घर्माह्ष्न्ति मानवाः | marta वियुज्यन्ते मूक्संमो खितेखणाः ताडनं भिरसोऽ्ययं wg कचसन्ततेः | Bei वशो wat asa गाढ विक्षवम्‌ AUTH र्वा पतन जलाशये | ददनं afient शेलगरिख्रादात्ममोचनम्‌ wae काखकूटारेः we णात्मनिपातनम्‌ प्रापनसुग्धादं Ae देन्यभाषणम्‌ RAM महाचोर शब्दा दिसुखवश्चनम्‌ | लभन्ते पुषा भद्र ये शोकवश्चवतिनः

इत्यं रितरं दुःखं प्राभ्रुवन्तोह ते भवे। कमेबन्धं विधाथोचर्वागधसुज दुगेतौ तदेष बहदिरङ्गानां दुःखदो भद्र देहिनाम्‌ | किंचिक्ेशेन शोकस्ते वरितः पुरतो मधा BAY VATS AIM नाम TEV | विद्यते पिका ag शोकस्य zenfaar aie सवर्भिका wear at विना नेव Mata |

४५६

age

डपमितिभवप्रपश्चा wet |

अरत एव श्ररोरस्थां धारयत्येव सवेदा

या त्वेषा इष्यते wur भोः संको चितमा सिका | नारी खा affix seu परिकौर्तिता # ca तु afecerat शोकानां मनसोऽधिकम्‌ | व्यो कभावमाधम्े तत्वद्शेनवजिनाम्‌ हमिजाशोख्वणएं 2y yafaa मलाविलम्‌ | ag qifudhrs ते fe दृष्टा nee agate शिरसः ar नासिकाधूुमनं जडाः दूरतः प्रपलायन्ते मोखयन्ति लोचने

ङं निति जण्यन्ति वक्रां कुवेज्ि कन्धराम्‌ | fanfer जौ वादेन weet: Was अखे गापिकां ङुद्चथनधृचर्िषटो ्ति सुङसः | WAT THVT: HAT: शान्ति TA: पुमः कायामपि tei परेषां UAT

जायन्ते Wheater वेताला ca दुःखिताः

चिक्लशूकावश्नादेव साखाद्‌ ऋत्तका श्रपि। केचिद्धदर प्रजायन्ते अगखावशं गताः परलोके पुनर्या भ्ति तक्वद्‌ शेनवजिताः | तमोभिश्रतास्ते मूर्खां चोरससारचारके तदेवं afecgrat लोकानां बङद्‌ःखद्‌ | fafer विता भद्र अशुापि मयाधुना Wa: प्राह दृश्यन्ते यान्येतानि पुरो मथा।

चतुचैः प्रस्तावः | VER

निविष्टामि aterurgeprizg लोखथा गाढं दुद्‌ाम्तचेष्टानि चटुशानि विगरेषतः। आर क्रहष्ावर्णानि डिम्भरूपाणि षोडश a waft मामभिमांम रख सुपरिस्टम्‌ | अधुना व्छमानानि ओतुमिच्छाम्वह लया ` faas: are सवेवामेतेषां खरिभिः पुरा सामान्यतः कषायाख्या भद्र शोके प्रकाशिताः विगरेषतः पुनभेद्र यान्येतानौह वौचसे ` महन्तमानि दुष्टानि eater चत्वारि गभंरूपाणि रौद्राकाराणि भावतः 1 . तान्यननम्तानुबन्भोनि Taf किख संज्ञया अमूनि प्रत्येव मिश्यादशमनामकः। अय AVN भद्र खाक्मण्डतानि पश्चति॥ aay afecgrat शोकानां निजवौयेतः। एतान्यपि प्रकुर्वन्ति मिथ्यादग्रेनभक्रताम्‌ यतः।

यावदेतानि sant डिन्भरूपाफि लोलया

रिन्तटत्तिमदहार्यां तावत्तं बाहामानुषाः

अनन्यचिन्ताः सततमेममेव ACHAT |

शो कवाक्यनिरार्काचाः सद्धा पयुपासते ` अत एवच।

चित्तट्तिमहारयासुश्सत्छेषु ते जनाः ` 71

४६र्‌ उपमितिभवप्रपश्चा RUT |

AWAY भावेन प्रपञ्चन्ते कदाचन

एवं शिते ये दोष afear: पूवे मिष्या दशेनसखशयाः। हिजेनानां सवेषां तेषामेतानि कारणम्‌ एतेभ्यो श्घरूपाणि चानि चलारि सन्दर शरप्र्याश्याननामानि तानि गौतानि पण्डितः एताजि निजो बहिरङ्ग मनुग्यकाम्‌। प्रवतेय्ति पापेषु acafa निवतमम्‌

किं बहना | | यावदेतानि aren चित्तद््तिमहारवौम्‌ ` arg जिवतेन्ते ते फपापाद्णोरपि y awa प्रपद्येशज्नेतेषु विशसत्छपि wan average विरतिं तु gaa a ततस्सेऽसु dant निपतन्ति as च। विधाय पापषघात संखारग्डने अनाः ` यान्येतानि पुमभंद्र लघोयांसि ततोऽपि a परत्यास्ावारकाणोड बृधास्तानि wees श्रमूनि fae aera याददचेद मण्डपे | अदिरङ्गजनाः खे तावन्ञ्चक्यघं मे किंचिक्माचं तु gee: पापं anger: fare नन्तटत्तिमहाटव्याजेतेषु frag भोः एतान्यपि BRIG तस्माख्न्तापकारणम्‌ |

चतु्चैः प्रश्तावः। ` ude

बदिजेनानां कल्याणे विर तिस्त्र कारणम्‌ ` एतेभ्योऽपि छवोयांसि यान्धेतानौह सुन्दर वतन्ते गभरूपाणि चत्वारि तव गोकरुरे ` तानि सेष्वलनास्यानि गोतानि सुनिपुक्गवेः। ` लोलया चटुला गोत्यमु स्रसन्ति guys: एतानि ख्वंपापेभ्यो विरतानामपि Sena | दहोहसनिि कुवन्ति बाद्यानां चित्त विञ्जवम्‌ दूषयन्ति ततो wa: सवेपापनिबरेणम्‌ | ते afer जायन्ते वौयंणेषां बहिननाः ` सुन्दरि सवेषां तदेतान्धपि देहिनाम्‌ ` शधुरूपाणि gaan तात यद्यपि safer चलुष्टथामि शत्वारि तदेतानि fasten: | एतेषां नामभिभंद्र दण्ख कथितानि ते प्रयेकं चानि नामानि चं gery fanaa) ` एतेषां तत्पुगभेद्र को वा वशयितुं अमः तस्मात्ते कथयि्ामि fare: ङुजचिन्पुमः | प्रस्तावागतनेवेह वौ्येमेषां विभवतः अन्यच्च | एतेषां Miguel मध्येऽषटौ परया मुदा यान्रेतानि WRT रागकेश्षरिशोऽयतः तान्यस्ाटेव जातानि रागकेसरिणः fee अत्यमवज्ञभान्यव्य मूढकनन्दनानि चद

age

उपमि तिमवप्रपश्चा श्या |

यानि वेतानि चेष्टन्ते कोडया्टो सुञसुञ्ः। ` पुरे देषगजेन्दरष्य गभेखूपाणि सुन्दर अस्मादेव प्रसूतानि प्रियाणि gus: | माताविवे कितामौषां सवषां भद्र गोयते

fea

Auta यानि पौचाणि खुन्दर | तत्पु्योरपत्धानि तात विख्यातवोौयंयोः & तेषाममोषां खोकेऽच . दौखाशिल्यविरा जितम्‌ ` ara हस जि्ोऽपि को निवेदयितुं चमः पश्च Waa एतरैवाभेतामि freee: | We सिद्धायकायन्ते स्वेवामेव ayn तदिदं वे समासेन मया तात जिवेदितम्‌ | महामोइनरेग्रस्य AH कुटुम्बकम्‌

ये लमो afeanae विवतेने मरोः ` ` ते महामोहराजस्य BPA: पटातथः

तज ai

एष दृष्छते भद्र रागकेसरिणोऽतः आचिष्टशलनो ae MAG स्ञादयन्नलम्‌ रण्दधिरेफरि को खिद शितोत्करट गन्धकम्‌ |

MAAN Hy मुमु:

सभार्वामखवक्राजे salut इृष्टिविश्चमम्‌ बष्को नूपुरारावकाकलौगोतखम्पटः

चतुथः Gea | ४९५.

waa विषयानेव पञ्चापि किल Steer FRR मन्यते सवंमा्ममो सुष्िमध्यगम्‌ az सोऽयमिशायाता वयं यस्य दिक्ख्था | रागकेखरिणे मन्तो सोके विख्थातपौरुषः maa तानि वर्तने पुभाण्डानि सुन्दर | याजि मिश्याभिमानेन कथितानि पुरावयोः " aay qa alee महावखः | भद्र नुनं करोत्येव चेष्टथा AeA: तया हि एतक््मयुकेयं दृष्टा मानुषैभेद्र Shea: | ते QUITE ASEM, STAT: | कार्याका्थे पश्छन्ति बुष्यन्ते नो हिताहितम्‌ | wenn लानन्ति धमाधमेबहिष्कताः TMI डाटा वर्तन्ते खावंकालिकम्‌ | माग्यत्किचन ater यथासौ वतेते जडः दभेनादेव निर्णेतो qa oftfafya: | रषनाजनको UT एवायं सशयः रागकेखरिशो राच्यं weaafafee षद्‌ | परबुद्धिप्रथोगेख Say प्रतिहन्यते पुरषाः पण्डितास्तावहडिरङ्गम दृढन्रताः। यावदेष वोर तालो किपति कुबचित्‌ दा पुनमेदाप्राञ्चस्तानेष सचिवः कचित्‌ |

Vee उपमितिभवप्रपञ्चा क्था |

आरभेत खवौयंण वहिरङ्गमनुखकाम्‌ तदा ते भिहतप्राया arfermt दव क्रिड्रोाः। रतां विसुच्यास्य जायन्ते विगतश्पाः वधंयग्येव सासाख्यमेतेषामेव शमुजाम्‌ बहिरङ्गजनस्सायममात्यो दुःखदः षदा

यतः। | smiena gaff पापं ते agar: | तश्च पापं wd तेषामिहासुज दुःखदम्‌ निपुणो नौतिमार्गेषु गाढं निर््याजपौ रुषः | मेदकः परचित्तानामुपायकरके पटुः विदिताशेषन्लाम्तः सन्धिविग्रकारकः | विकंश्पबङशो शोके सचिवो माख्यमूद्शः किं वाज away तावदेते नरेश्वराः | यावदेष Aaa awl राच्यसन्नतेः

ततः AEN प्रक ऽत्रवौत्‌ खाधु माम साध न्दरं निर्णीतं

मामेन तिखतुषजिभागनाजयापि चशतौदं एवंविध एवायं विषयाभिलाषो aural गाख्यच अन्दहः |

तया हि श्रकारद्शेनादेव ते ग॒णा मम मानसे Waa श्मारूढा येऽस्य संवशितास्छया i विमश्रः प्राह ` नाख्ये रखयन्ति भवादृशाः | मरणां FATWA AVY VEIT |

aqua: प्रस्तावः | ade

तथा हि : Wed Saat ना तिजातेः Whe gare MART: प्रभासन्ते FU we महाधियाम्‌ + केवलं तयास्येव casa शङिताः | एणः किं afe खवंवां मुगमेषां मरोसुजाम्‌ बदधेर्जातख् ते भद्र किंवा खादविजिच्ितम्‌ + यन्तु मां era तात सा तेऽभिजातता. a प्रकषेः प्राह यद्येबं ततो माम गिबेद्यताम्‌ किंनाभिकेयं भार्यासख afeat greeter विमशरैः प्राह भद्रेयं भोगदष्णा भिभौयते | yeg ae विन्नेया सवेयाख्यैव मग्तिएः ये लेते पुरतः केद्ित्पाश्चतः ष्ष्टतोऽपरे दृष्यन्ते शुजो भद्र मग्विणोऽद्य ताननाः दष्टाभिश्न्विप्रमुखास्ते विश्या महाभयः | मामोहनरे्रसख खाङ्गग्धताः पदातयः

अन्यच्च | मरशामोडदनृपदखष्टा रागकेखरिणो मताः | सव्या TATA सर्वेऽप्येते महो भुजः अनेन मण्लिणादिष्टा . wants waz | एते ag naa feared नान्यया + ये केचिद्वाद्मजोकानां वुद्रोपद््वकारिणः। अन्तरङ्गा TET MTA मध्यवतिनः y .

५८ sufafawague कथा |

ater feary ये केचिद नटे ऽप्येवंविधा अने अमोषां मध्यगाः स्वे. TEMP महोभुजाम्‌ A तदेते परिमातौोता मिबेद्यन्तां कथं मया | संखेपतः संमाख्याताः खाङ्गग्रताः पदातयः प्रकर्षः प्राह ये aa वेदिकादारवतिमः। निविष्टा मुज: सक्त. माम FRAGT युक्राः सत्परिवारे्ट भानारूपविराजिनः। एते किंमामका se: किरण वा avy: faas: प्राह asa सप्तापि वरश्वभुजः। महामोहनृपस्यैव बहिण्छंताः पदातयः aya) एष दृष्ठते भद्र sam: पञ्चभिनैरः | भ्ागसवरण्ो माम प्रसिद्धः aera: अभेव वतंमागोऽयं बहिःख्ं सकलं जनम्‌ करोत्यन्धं खवोंण न्नागोद्योत विवर्जितम्‌ कि ai साद्ान्नानान्धकारेण यतो मोहयते जनम्‌ | ततोऽयं शिष्टलोकेन मोह इत्यपि कोर्तितः ` यस्व गवभियुक्रो मानुषः प्रविभावयते दथेनावरणो नाम विख्यातः मरहौतले दृष्मते पञ्च या MGA: Baas सुन्दराः करोत्येव जगत्छवे ध्ेमानगतिक्रियम्‌ `

qe wera: | `

चे wat पुरवा भद्र चलारोऽख् पुरः शिताः ।` एतस्धामश्ेयोभेन aaa करोत्ययम्‌ मरदयसमायुक्ो चः TNT EAs |

एष वेदनोधाख्यो राजा विख्धातपौडषः सातनामा afagisa अमति प्रथमो भरः करोत्थाहादषम्दोहनग्डितं भुवनभयम्‌ दितौवः पुरुषो ug cee प्रविखोक्धते। . ` अ्ातनामकः BT WATCH: ` दोषेसेः समायुक्त भिं रिंरूपकेः |

विवतेते महौपाखो wate aa गोचरे श्रायुर्नामा प्रसिङ्धोऽवं स्ववां भद्र देहिनाम्‌ ` fara भवे किलावस्वां ged fata िचलवारि श्रता gut मानुषाणां महावखः। यस्व Cad aE Tana aera: a . ' निजमागुषवोंय ante चराचरम्‌ | विडम्बयति quia तदाख्यातुं Wet चतुगेतिकसंशारे भरनारकङूपताम्‌ |

चे दधाना विवतेन्ते पष्देवतथा परे a एकेगियारिभेरेन भानादेदविवतिंगः | नानाङ्गोपाङ्गरंबद्धाः शचातकरणशोचताः freer: wer मानासंख्ागयारिषैः | atnaceqies fafrureer

72

yoo एपमिध्तिनवप्रपल्ा क्या।

गौ रकेतररोनाश्च सो पनातपरायषाः | पराघातपराः केशिदिष्टजग्भानुपूविशः सदुच्छरासातपोद्योतविदहायोगतिगामिनः। असष्यावरभेदाखच खष्छबादररूपिण्टः पर्याप्तकेतराः केचिदन्ये प्रत्येकचारिषः। साधारण्णः fart: बेचिन्लथान्ये स्विररूपिशः Te बिथाणाः सुभगा दुभगास्लवा | BAT TAT KA ये चादया मनोहराः Raza: खवरभऽपिं ्वश्रःकौरतिषमव्िताः ` samara मिभिताताश्ररोरकाः 9 प्रणताचरेषगीरवा शमौ MAT AT SRT: |

ये MV शोके भवन्ति भवभेदिभः i जिजमागुषदौ स्वमेष गरा धिपः |

तदिदं HUT TE AAA ACTS: ; थः पुनभ॑द्र witcd Tet पुरतः खितम्‌ | Sapa Hea BIRT पुरुषदडयम्‌ . गोजामिधानो fear: एव anata: | देहिनां qed भद्र सुन्दरेलरगोषताम्‌

भर पश्चकसेव्योऽथं यः पुनः ब्रविभाव्येते | अन्तराय इति शातः सात acral: we तु गरधौ्ंव get area हिमाम्‌ दागभोगोपभो गातिवोय्थिप्नं भराधिषः

चतुधैः प्रन्लावः | . yet

तदेते कथितास्तात भामभिगे णले wea: ! सप्तापि wy warty मधाधना ॥. वौयवक्र्यतामेषां विस्तरेण पुनयेदि |

वयामि ततोऽव्येति asa मम जोषितम्‌ .. तदेवमतिगख्मौरं श्रवा मातुखनर्पितम्‌ | प्रकर्षौ इष्टचिष्सत्वा दिदं वथमम्रवौत्‌

चार्‌ माम हत -खाङ्‌ मोचितो BETA - एतेषां वेनं राशां ङुषेतेवमदं तवय्य 9

केवल afecurfa मामं च्छामि संश्रयम्‌ | AAAS पुगर्मामो मद्ममाच्छातुमरंति i

ततो faaiguran तं श्रतोदमभावतः .. VE यद्रोचते तुग्व भद्र वि्जगचेतसा +

WRG प्राह मामां विष्मघो मभ Arad. एषु संकोल्येमानेषु राजस प्रतिभाखते ATLAS AIST TET परिवार पष्ामि तदामोषां fart निजम्‌ +. यदा विशोकवाग्यशयैः परिदार fatten: |

तदा किष्फारिताखोऽपि fg नावकानरम्‌ 8 भवता तु ACT. MISTY एषक् एक्‌ मामतो इणतद्धेव . को तिंता कत तत्कयम्‌ विम््ेगोदितं ag a विधेयोऽच विस्मयः। नेकरोभथवेकराच करिदन्बोऽपि विषिते 4

yor खपमिविभवध्रपश्चा UT |

धतः | चे निरावरश्न्चानाः केवलाशोकभाशवराः | प्रथं परिकरं चेषां नेकट्‌ा तेऽपि आनते am | सामान्वरूपा राजानः स्वेऽमौ परिकौरतिंताः 1 विगरेवरूपा विश्चेषाः ot erat परिष्छदाः 4 तथाहि | श्रवथग्धण सामान्यं विगेषोऽवथवाः सृताः | ` राजागसखांशिगो श्चेयाखद शास् पदातयः WT नायातः करखिल्धाचादेकटा WATT | येतौ प्रतिष्तात खा शामाम्बविश्वधथोः Puarequag Betcha विद्यते तादाग्वारेतथोखात ais: प्रतिभाति ते ¢ तथाहि | _ | तरो्ैदिनः wy धवाज्रखदिरादवः। धवान्नादि विनाशतः Hewat प्रकाश्चताम्‌ खतखछन्धातिरेकेण नाख्छध्ययनख्भवः | चाध्ययननिसुकः watcha कञ्चन aaa यौगपद्चेन दृष्टौ तावितौयता | नादृष्टावेव तौ ay कालभेदेन THT ¢ तथाहि | दुष्यते हि तददुराश SUH धवादवः |

चतुर्थः प्रस्तावः | Vek

अभ्वं तेऽपि qe weet तदः veg ` तथापि aged ye काखमेदेऽपि alae | यथाक्रमेण TEMTMGTSS sty: अतो भेरेन दृष्टलाद्धिशमेबेद मिव्यताम्‌ | अमिन्ञख्य fe गो भिन्नं काखमेदेऽपि दशनम्‌ लयाडि | | श्रभेदेऽपि खभावावत्धामान्यविगरेवथोः | संस्ासंन्नाङ्कार्वग्बो भेरोऽप्यस्ति परिष्टः « तेग agree: स्वो व्यवहारो yaa भेदाभेदात्मके ve भेदस्सेत्वं निद शेनात्‌ थाहि | संख्यया तद्रिव्येको wate: खदिरादयः | awifa aaftajer wararatfe भेदिनाम्‌ TAMIA, wee एथगोच्छते | धवाश्वत्वा दिमेदानां eraferg qty are तु तदमाचेण ere; कायारिकं veg! विशिष्टफखपुष्याद्यमन्यदेवाबकादिभिः श्चवहारोऽपि सामान्ये भ्रतख्खन्धेऽन्ध एव हि अन्य UNG भेदेषु बदुरेश्ादिख्कः aware भेदमाचित्य सख्यासंश्चादिगोखरम्‌ | अभेदं तिरोधाय टेशकालस्लभा वजम्‌ राजानः परिवाराख्च मथा वद्य yay एयक |

उपमितिमवप्पश्चा कथा|

नामतो yeeemat तवाये परिकीर्तिताः एवं भेदिबोऽपयते परस्यरभेदिनः. | यौगपद्येन भासन्ते wg तकाश्च fare areata wae विद्मो शख्फादिभिः | कथ्यमाने मवा भेदे भो. शामान्धविग्रेवथोः # प्रकर्षेशो दितं माम गष्टोऽयं संग्रयोऽधना | ममेव माम GRE: परिस्फरति मानसे uaa | एति अप्र. राजान एतेषां मध्ववर्तिनः | तोयद ey पञ्चमः वष्ट एव wa एते महोपाखलारो यथा वयावणिताखया | तथा WN Wey -सुन्दरेतरकारिए्टः AMAT शयेषामपकारपरायशः | एते fe aryetarmt कवा चिन्पुखहेतवः ` wat राजा fortes अश्च पनत पतिः | दुःखदा एव सर्वेषां अधोऽखते देहिनाम्‌ - ततः सपरिवारो मसमोरमरोशुजा | way इतसाराण्ठां aut किं भाम जौ वितम्‌ ॥. एवं faa | | fa विश्वत जमाः कशवहद्हिरक्गेवु रेहिषु | अमो भिने mee येः चतुभिररातिभिः fa at कंमवनकेव ताङ्शा, मास afer: 1 `

चतुर्थः TT | ४०४

सेऽमोषां निजवोयेशच प्रतापचतिकारिष्टः ` तच्छरुला भागिनेोक्रं वचनं बिदितादरः | अवादोदौ दुशं वाक्यं विमो मधुराकषरः विन्ते बदहिरङ्गेषु ae खोकंषु arg: | एतेषां वौवेजिर्णाभ्राः केवलं विरखा जनाः तथाहि सद्भूतभावनामन्नतन्वशास्ा महाधियः | शतात्कवयाः नित्यं खे तिष्ठन्ति बहिजेनाः अप्रमादपरास्तवामेते शर्वेऽपि गसुजः | महामोददथो ay AV कारकाः थतः aaa भावअनधेवं निमखोमसमामसः ` ` ANAT ये ` धौराः अङ्धासष्डधुद्धवः & कथम्‌ | | अनादि भिधमो चोरो दुस्तरोऽय भवोदधिः। राधावेधोपमा लोके दुलभा मनुष्यता ` qe हि ववेकार्थाखामाश्रापाश्चजिबन्धनम्‌ | जखनुदुदखंकाज्रं TERE जोकतिम्‌ TRGATe: पथं कमेजं मिमानः | गम्यं रोगपिश्रशानां wt चख्भङ्गुरम्‌ ` यौवनं मनुय्याणणं सन्ध्यारक्राभविभमम्‌ | UWIAA AMSA Wes: $

wo उपनितिभवप्पच्चा कथया |

आद्यै श्पादिताण्डादाः पर्न्ेऽ्यकदादणाः |

एते शब्डादिषब्भोगाः किपाकणलवननिभाः

माता भाता पिता भायां get जातेति. जनवः |

erat: श्वेऽपि स्वेवामनादिभवकक्के `

छविलेकनमे राजौ यथा प्रातर्विदङ्गमाः |

यथायथं wa कुटुम्बे विश्ववान्धवाः

CS: समागमाः सवं खप्राप्ननिधिरूपताम्‌ |

गुनं समाशरक्येव वियोगानखतापिनः

रा अजेर त्येव BE शवं शरोरिशाम्‌ |

दखयत्येव तानि भोमो खल्युमहोधरः + - arg |

तेवा मेवं विधानेकभावनाभ्वासलासिनाम्‌

निर ततमवां gat निमंलोगतकेतलाम्‌ ५.

भद्र नैव मरोपाखो महामोहः sass: |

जावते बाधको aft ख्वधूकाविमौ सुतौ अन्यच्च | | श्नोको भारतिस्तेवां भयो नापि Sear: |

दु्टाभिखन्विपरचुखा गूनं बाधाविधायकाः

भामूनि fearcarfe 4 चान्ये भद्र ATT: |

Sta araatwe: पितापुषा wat जिताः तचा |

wamrragey any एविनिद्धिताः। =. - `

ATU: प्रस्तावः | ५०७

ये पुनः सद्धिचारोण लालयनयात्मकल्मषम्‌ नयन्ति स्थिरतां चित्तं सवंश्नागमचिन्तया | पश्नधन्ागेयायिवं मूढानां कुतौर्थिंनाम्‌ तेषामेष जनानां भो निमेलोग्रतसद्धियाम्‌ | बाधकः प्रत्येव महामोदमरन्तमः याप्येषा wfeat ga विता वीर्यशालिनौ | कुदृष्टिः शापि तदीर्याहूरतः प्रपलायते ये qaqa मध्यसटेनान्तरात्मना | श्ररोरचिन्तयो रूपं योषितां परमा्यंतः यदुत | | सितासिते fama ते तास्नराजिविराजिनौ। जोव चिन्तय निभिंथ्यमक्िर्टै मां सगोलको सुमांसकौ सुसंस्थानौ सुच्चिष्टौ aaa | शम्बमानाविमौ वध्री कर्णो यौ ते मनोहरो यावताव॒ह्णसहौप्रौ भवतित्तरश्चकौ | ततचमांृतं स्यूलमसख्थिमातच्ं कपोलको ललाटमपि agg यत्ते इद यवल्ञभम्‌ | दौषोन्तङ्गा सुसंस्थापि नासिका चमेखण्डकम्‌ यदिदं मधृनश््यमधरोष्ं विभाति ते। मांसपेशोदयं eft लालामलाविशम्‌ ये ङुन्दकलिकाकारा रदना्िन्तदहारिणः। एतेऽध्थिखण्डकानोति पद्धतिख्थामि wae 73

४७९

उपमितिभवप्रपच्चा Sat |

एषोऽखिङ्लच्छायः केग्रपाशो मनोहरः | योषितां तत्तमो हादे प्रकाशमिति चिन्तय at काञ्चनमहाकुमरिभ्रमौो ते इदि सितौ | सल सनौ मूढ qua तौ yet मांसपिण्डको यल्लासयति ते चित्तं afad दोलंतादयम्‌ | ततच्माृतं AY तद थियुगलं चलम्‌ शअरश्नोकपक्ववाकारौ यौ करौ ते मनोहरौ | तावखिघटितौ विद्धि चर्मनद्धौ azeat azuafa ते faa वलिचयवि राजितम्‌ | उदरं मूढ तद्वषठामृचान्तरमलपृ रितम्‌ यदाकिपति ते area ्रोणोविम्बं विशाखकम्‌ | पर्ता ्एचिनमिर्वाहदारमेतदिभाव्यताम्‌

यौ मूढर्दारकस्तम्भसन्ञिभौ परिकश्ितौ | तावर पूरितौ विद्धि वसाशन्नाङएचेनेलौ सश्चारिरक्रराजोवबन्धृरं भाति यच्च ते तद॑च्ियुगलं खायुवद्धस्श्नां पश्जरदयम्‌

ad कण्डितं भाति मन्मनोश्षापजण्ितम्‌ | त्ममारण्णत्पकं मूढ विषं हालादलं तव द्रएक्रशो एितसग्धत नवच्छिद्र्‌ मलो हवणम्‌ | अरख्धिश्रङ्खलिकामाचरं न्त यो षिच्छरौरकम्‌ सास्मा द्वियते जौव तावकौनं शरोरकम्‌ | agi ज्ञ तनत्वनोऽपि ङर्थात्कद्ालमोखलकम्‌

चतुथः प्रस्तावः

परचष्डपवनो दूतप्वजचेला गचश्चलम्‌ | चित्तं तु विदुषां we कथं रागनिवन्धनम्‌ विलसघ्लोलकक्षो लजालमालाङ्ले जले | शर्राङ्कविम्बव्नो कस्तद्‌ TNT पार्थते॥ सखर्गापवग सन््मागे निसर्गागलिकाष्माः | एता हि योषितो नृनं नरकद्वारदेभिकाः शुक्रास ang विथक्रास देहिनाम्‌ | विद्यमानासु नारोषु सुखगन्धोऽपि विद्यते यावं योषितोऽनेकम हानयं विधायिकाः | सुखमार्गागेखास्तासु ae सेह निबन्धनम्‌ एवं व्यवखिते मृं दिदं मूढचेष्टितम्‌ | agten ममाभाति पर्यालोचयतोऽधना यद्‌न | | महाविगोपको यान्‌ waa विडम्बनम्‌ | विष्बोका बध्य्डमोषु गच्छतां पटशोपमाः नाखं तु ACTUAL Waa रोदनोपमम्‌ | विवेकिंकङ्णास्थानं यो षिदात्मनिरोचफएम्‌ विशासाः सज्निपातानामपश्याहारसन्निभाः। gufaared यो षिदाक्ञेषसुर तादिकम्‌ तदेवविघसद्भूतभावमाभावितात्ममिः | तेजितो भद्र सत्पुभ्भिरेषोऽपि मकरष्वणः अन्यश्च |

yto

sufafawanqegt कथां |

धाणेषा वणिता ya aeratal तिमेधा | arate सापि तनूनं भावनाबलतो जिता तयेव विधेसद्धावभावनासक्रसेतसाम्‌ ATARI हासो STETAT गतः

तया |

सद्भावनिमलनलेः च्षालितामश चेतसाम्‌ was निव्येलोकानां जगष्ापि बाधिका

तथाहि |

येस्तत््नतो विनिर्णोता ग्ररोराश्चिरूपता | जलश्ो चाग्रदस्तषां नात्यन्तं मनसः प्रियः यदेव चेतसः We: सम्पादकमनमिन्दितम्‌ | तदेव शौचं fawa यत एतदुदाइतम्‌ way utd तपः शौचं शौ चमिद्धियनियदः। Sawa ग्नौ चं जलग्रो तु पञ्चमम्‌

एवं स्थिते |

कायें Wear नोऽकायं किं तु तत्कायमौद्शम्‌ | विधौयमानं यच्छौचं शतानां नोपचातकम्‌ तश्च संजायते नूनं बदिमेलविश्द्धये . नान्तरक्गमलकच्तालि यत उक्तं मनोषिमिः चिन्तमन्तगेतं दृष्टं साना विंश्ध्यति | श्रतश्नोऽपि fe तद्धौतं सुराभाण्डमिवाद्चि

किच |

चतुः प्रस्तावः ५९८१

शरौरमलमय्येतष्वलश्नेचं रतं लभेः |

तेषां विश्न धयत्येकं quad सशवंदा यतः |

रोमकूपा दिभिजंन्तोः शरोर शतजजेरम्‌ |

धौतं धौतं खवत्येव नेतच्छचि कद्‌! चन तयापि |

क्चिक्मवतमानानां देवतातिथिपूजने |

केषां चित्कारणं भक्रले लगे चमनिन्दितम्‌

केवशं नाग्रहः कायो विदुषा awafear |

तजैव जलजे शौचे हि मूखेलकारणम्‌ | arg |

एवं विश्द्धबद्धौनां seanterfe कुर्वताम्‌ ,

सज्ञागपरिप्रतानां तेषां तात महात्मनाम्‌

यापेषा कथिता पूवंमिहामुज दुःखदा |

aye सापि नष्टलान्नेव बाधाविधायिका

थावष्येतौ जगच्छन पूरे वय वणितौ मया |

भ्ञानसंवरणो राजा दगश्रेनावरणस्तया

तौ श्वन्नागमाग्यासवासनावाभितात्मनाम्‌ |

शअप्रमादपराणं मैव तेषां कदयंकौ

योऽप्यम्तरायनामायं राजा पयेन्तसंखितिः |

दानादि विष्रेतस्ते मया ya निवेदितः

निराशानां निरौहामां दाथिनां वौंश्राशिनाम्‌ |

use उपमितिभवप्रपश्चा KUT |

मगरे faasaim | मरु सिद्ध मिदानोमावयोः aatfed et विषथामिलाषो ant निशितमस्य रषमाजनकत्वं अ्रतोऽवगता qe सम्बन्धिनो weg: संपादितं राजश्राखने। wa: किमधुना- न्यज गतेन खस्थानमेवावयोगंन्त्‌ युक्तं प्रकर्षेणोक्षं माम मैवं ate: यतो वर्धितं भवचक्रव्यतिकर वणेयता भवता मम aqia- alae ततो afiaa तेन गन्तुमहेति ara) द्श्चावयोः कालतः खवद्रमाचमव धिस्तातेन | निगंतयोख्चाद्यापि aga सथणग्डतुदयमाजमतिक्रान्तं यतोऽधमा शिग्रिरो वतते तचाहि। पश्षतु मामो AAT वतन्ते सांप्रतं प्रियङ्कुशताः विकास- हाखनिभेरा विराजन्तेऽधुना रोप्रवलयेः | विदलितमुङ्लमश्चरौक- faerat विभाति तिलकवनं श्रपि च। जिशिरतुषारकणएक निदं ग्धमगरेषसरोजमण्डलं सडकिसशयविशाससुभगेन महातङकाननेन भोः | पयिकगणं शोतवातेन विकभ्पितिगाजयष्टिकं मनु waar एष तोषा दि व(वि)हसति कुन्दपादपः गुलम fant विदेग्रगाः सुन्दरो विरहबेदनातुराः | Maarafaen: wa qa जोवितानि cwafer मूढकाः पश्च माम हतमुत्तरायणं भास्करेण परिवधितं दिनम्‌ शवेरौ गमितेषदूनतां पूरेराजिपरिमाएतोऽधुना बहलागरधूपवरेऽपि गहे TENA Aga | awatequi भि शिरोऽत सुखं fe पौनवपुलेलनाविरहे अथापि वर्धितं तेभो मत्वं दिवाकरे |

चतुथः Wears |

wa at | fagucfuurn किं arfreraancer art were निजस्लामिनो काग्वनिन्बसमेते विदुश्थाधना | पश्च मा खद गेषं दुःयेवक्ाः Wein: शभार्बाकुयोश्श्रथा a दरिद्रा अराजोखरेरयथि 2 वातला खे waar विना weer | भोः करा शगेतक्षाशो ऽषमच्छट्यं ara अख्वन्ति ते शओोतनिवेंदिताः यावमश्वादिभश्छाय छो qa खरिणोक तुषार तु दोदु॑ते दुमेतापल्ध्वन्दं | रोरूयते अम्बुकः Fae माम कोकूयते वन्ति यन्छाङि मेचुपोडने हिमेन प्रोता तडामखन्ततिः | गनो AYA CACTATHAT aarfa at धमंधियावगाहते अन्यश्च | wa fe aframat वतेते fufacisyr ततः षण्ड्ासमाजेऽपि fag wafa मामकः गम्यतां भवशक्राऽतो ममातु गश्कयम्बया | 74

wy

५८६ उपषमितिभवप्पद्चा कथा |

मामेन परतो यन्ते रोचते तत्करिष्यते अनिवतंकनिबेन्धमेवं विज्ञाय भावतः | ततस्तदतुरोधेन विमो vague:

ay मि्थ्या[भि)मिवेश्रादिस्यन्दनत्रातसुन्दरम्‌ ममल्वादिगजसोमगलगजितबन्धरम

Sw दिमहाश्वौयद्ेषारवमनोहरम्‌ | डेन्यवापललोष्यादिपादातपरि पूरितम्‌ महामोहनरेग््रस्य चतुरङ्गं महाबलम्‌ | squeal ततः खानान्ताभ्वां wa विशो कितम्‌ ततो निर्णोतमा्े yet खसोयमातुलौ | गच्छतस्तत्पुरं दणेमविच्छिन्नप्रयाणकेः मारगेो्छारणकामेन मातुख प्रति भाषितम्‌ | ततः प्रकषेसंन्नेन तेवं पयि गच्छता

माम यः श्रूयते लोके सार्वभौमो aerate: | कर्मपरिणामाख्यः प्रतापाक्रान्तराजकः तस्य सम्बस्ििनौ माननां महामोदनराधिपः | किमेष कुरुते fa वा नेति मे सश्रयोऽधुना fa प्राह जैवाशि भद्र भेदः. परस्परम्‌ | gaat: परमार्थन fe Ae: सोदरः श्रयं पुनः कनिष्टोऽरस्यां महाटयां व्यवसितः | यतोऽयं चरटगप्रायो महामोहनराधिपः

ये इष्टाः केचिदस्याये भवता महोभुजः

चतुर्थः TTS | ५८७

wae श्रपि विश्चेयास्ते तस्यापि पदातयः केवरं | कमेपरिणामाख्यः खुन्दराणोतराणि | कार्याणि कुरते शोके प्रत्या सवदे डिनाम्‌ श्रयं तु CAMA महामोहनमरेश्वरः | करोत्धसुन्दराष्टेव कायाणि नमु सव॑दा अन्यश्च ` श्रयं faitprare: राजा माटकप्रियः | एते wa निषेवन्ते महामो रमतः सदा fa q लोके महाराजो यतोऽख्यापि agua: | कमेपरिणामाश्यो भ्रातेति परिकौर्तितः तस्मादेते. मरोपालासलस्यापि पुरतः खदा | गवा WaT WBA नाटकं WEA भवन्ति गायनाः चित्क चिदातोद्यवादकाः वादि्ररूपतामेव भजन्ते भक्रितोऽपरे कि बहना | : ACTMCACKTY: सवंऽमो तात wyM: | waar हेतुतां afer तजर संघारमाटके तावस्माचसं तुष्टः सपन्ौको मराधिपः | तदेव नाटकं पश्वभित्यमास्ते निराकुलः अन्यश्च | एतेषां तावदेव सरवेधां प्रञुनृं पः |

य्ह wufafaaravag?r RUT |

अन््रेषामपि खामो प्राकेशकरभदखुनाम्‌ Nh fa बह्मा |

सव्रबषुदाचात्मा YRLATATAA: |

Wa ACHS MGT तदादर विधायकः तथाहि | |

angen: गेचिदिद्वन्ना छन्दरेतराः |

कमेपरिणमास्यस्तेषां प्रायः प्रवतैकः

यावन्ति wencyiie जिष्टेतिं गमतो कषा).

पुराणि तेषु enn बङ्हिरङ्गषु. भाक;

अयं GAA सावन्लोऽज विखोक्िताः

भवता ग्षुजः सामो तद्रादेेन तावताम्‌ +

यदेष निजवोयोक्च fafegiar war :

समपेयति ane frag wees:

श्रनेनो पा जितश्च चेधेनस्छ वि नियोकन्‌ |

राजा कुरते मित्य डुब्दरेतर्वष्छषु

sa हि विग्रहारूढः सदास्ते विजिगौष्रथा ।.

सतु MAT राजा Maa किद्‌ $ एवं faa

एष ay ww afer: .

ave कि तु ततो fie तात्मा wae नृपः अन्यच्च |

Ue भवृता पे भहामोदषुरदकम्‌

चतुथः प्रस्तावः | Use

तत्कमेपरिणामेन azymre यो जितम्‌ अतः Ya तज Gane सुभक्तिकम्‌ | तथाटब्धां fatena विगरदवत्परम्‌ THe: प्राह Magara: कि कमामतम्‌ we] किं ante गहोतं बलवत्तया ` विमर््रंनोदितं ae भागयोः sara | परसत्क मिदं tray yarenat निनि्िंतम्‌ यतः | ; | जोव: THAT Ae ब्रहिरङ्गजनस्तत्रा संसारिभोव waa मया पूवे निवेदिनः त्येषा yee wal चिन्नटक्तिनहारटवौ fae तं अदिष्ड्् Weave dae: TRIG MT | कियान्‌ ऋशो welarar aa मघम मे वद्‌ | faa: are ब्रेवादिं भाजेऽदमपि eran: तदेष WATTS कष्यते बन्ध ATTA | fieny: sew थाति Ga काव्कनक्यः RAGUSA टागोरा्शनमत्यरः | HERTHA LRT S UTE & गरभावन्नाकस विद्धकायविष्तारखश्ितः | त्ाच्छधिराजः waa निविष्टो किष्टरािकः अमरं सुब्रमंशमोहसतयेन्फपरिप्राक्धकाः

wee उप्रमितिभवप्पश्चा कथया |

तदन्तमन्सेव्यश्च तत्को शरपरि वधकः

तदारेश्करो fay तथापि दुरूपौरषः |

qa तं पायत्येष राजकायं यथेच्छया

तेनेष खौकिकी वाचो oferta पष्डितेः |

महासननिविष्टोऽपि ऊर्ध्वो. राजा निगद्यते

नागयो मिंदते तात AVES: परस्परम्‌ |

यस्मादेकमिदं Trea निवेदितम्‌

Waa: प्राह मे माम fare: संगश्रयोऽधना |

अरय वा लयि Waa कुतः षन्दहसम्भवः

तदेवं विधसव्लख्पकल्पनापगतश्रमौ

तौ fawgy दिनैर्मागे भवचक्र परागतो

erg ` परिपाच्येव भिशिरो frre |

संप्राप्रखच जमोश्मादौ वसन्तो मन्धयपरियः

तावां नगरासन्ने भमशहामलो खया |

वखन्तः काननेषुखेः कोदरः भविलोकितः

यदुत | yates दिएपवनवशोदेक्षमानकोमखखताबाङदष्छे-

गांयजिव माना विहङ्गकणखकलकखविरनेमं हाराजाधिराजपरिथवधस्य- कमकरकेतनखछ राच्यामिषेक warns कुर्वाणो मन्तकल- कोकिखाकुकोणाइशकष्टकूजितेसजेयन्निव विशसमानवरचतेक- कलिकातनेनोभिराकारथन्निव रक्राशोककिसलयदखलसिततरणल- acfrefaa: प्रणमभ्निव मलयमारतान्दोशितनमच्छिखरमरातरू- कमाङ्गदेय जिव मवविकशितकुखमनिकराडहासे खदजिव जुटितदन्त-

चतुर्धः प्रस्तावः | yer

बन्धमनिपतमानसिन्द्वार सुमनोगयनसलिचखेः पठज्िव शएकसारिका- स्फुटाचरो ज्ञा पख्पितेन सोत्कण्टक ca माधवोमकरन्द विन्दुषन्दो- हाखादनमुदितमत्तमधुकरङ्ुलङ्यणद्यण्टा वितनिभेरतया aft इति नतेनरोदमगानपरः पवनेरितपुष्यजधूखिधरः वसम्त्तु येहरूपकरः कलितो मगरोपवनाग्भशरः ततो विमर्थेनाभिदहितः प्रकर्षः यथा वह काले तव भव- चक्रनगर दशभकुटरलं संपन्नं यतोऽजेव वसन्ते WAU ance सोन्द्यसारमुपलग्यते तथाहि पथ्यामोषां कामनाभोगविशो- कनकौतुकंन नि्गतानां भागरकणोकानां aren वतेते सन्तामकवनेषु परिबुह्यति धावति वकुखटखको विकथितमाधवोषु तिमेति विभ्यति सिन्दुवारके | पाटलपलवेषु दयति नृगमग्रोकपादपे qty याति चन्दनतरूगशनमथावगाइते दति मधुमासविकासिते रमणोयतरे fetter एतेषां ननु इष्टिका fawafa सुचिर वरे aan बड विधमन्मयकेणिरसा दोखारमणसषहेन | एते सुरतपराख्च एङतरमधुपाममदेन अन्यश्च | विकसिते खहकारवने रतः कुरवकसणवकेष खन्पटः | मल्यमाङतलोलतया वने सततमेति याति गहे जनः॥ TAC WANS प्वरचतवनावजलिमध्यगम्‌ विलसतोह खुरा सवपा यिनां aq विलोकय भद्र कदम्बकम्‌

WER उपमिति्भवप्दश्चा कथा |

मेशिविनिमितेभाजनसखितेरति विनोतजनप्रविढौ कितः भिचतनाधरब विदं ्नेदषकरनमर्यखविराजितेः # सुरभिनोरगम्धसुवारितेः सुवनितावदनाम्बरहा पितः | fafrunuveqetwe: छतमिटः तरहो लङ निभेरम्‌ तथाहि पश्च बन्ध अरचापागक्रे ऽधुना वतेते पतन्ति wey water मादिताः पिवन्ति मानि रशन्ति are: | cafe बह्वाबदहाचि थो पितामनेकवाटूनि gat जनाः safer Garis सथब्दताखकं मदेनं नृत्यन्ति water शर्परे पिचृणेमानेेधनेखणापर weyameafaat fagaa खपूवंजो लाबनगवं मिभेरा धनानि वद्छन्ति जनाव चापरे मन्ति aa विततैः पदक्रमेरितस्ततो यान्ति विना प्रथोजमम्‌ एवं थावहशेवति प्रकर्षस्य विमशंशदापागकं तावन्निपतिता माधवौ लतावितानमष्डपे कुवखबद खविशासला सिनो wea sfB: | अमिर्ितमनेनं। भामेदमपरमा पानकमेतस्माल्छविग्रेव्तर विजम्भते | विमर्धेनामिदितं। गमु सुरभा wate वैवभसमयागम- प्रमोदितानां नगरकशोकानामापामपरण्वरा wate पश्च चम्पकवो थिकां निङ्पथं ष्टरोकामष्डपान्‌ विशोक कुलकवमग- मामि निरोचख कुन्दपाद पन्दाहं निभाखय रक्राणोकतर्स्तोमं साचात्कुड बङ्ुशखविट पिगहमानि चद्यतेषामेकमपि विख्सदुदाम- काभिनौदन्दपरिकरितमरेश्वरनागर कलोक विर चितापानकविरहित- मुपखभ्येत भवता ततो भामकोनगवचनेऽम्बच्ापि सन्प्रत्ययो fawa: प्रतारकत्ाह्भद्रेणति प्रक॑र्षे्णोक्क aq कोऽ wee: |

चतुथः परावः | BER

दुश्यन्ते प्रायेशेवाच ven स्थितं एते मामेनोहारिता वमविभागा ट्ति किंच Rawat काननाभोगाः aah ` विविधमधेपान- मन्तोन्तालकशितललितमदंलोल्लाखमिसितबहलोककलकलाकुशाः किं तरि वाचिद्रसश्नपुरमेखला शेनितम्बविम्बातुलभारमन्धरेः तङ्प्रखमोश्चयवाञकयागतेः wena विलासिनोजनेः wren aca विहिताः स्तनमहेभकुम्भस्यल विभ्रमेरिम | विभान्ति दोलापरिवतिभिः war सकामकभ्पा इवमामशाखिनः॥ कचिष्ठसद्रासनिवद्ध कौ तकाः कचिद्रहःस्वाननिबद्धमेथनाः | दमे कचिग्यग्धविलासिनौमुखेने पदमषण्डादधिका शोभया विमर्भनामिरहितं साध्‌ भद्र ary इन्दर विलोकितं भवता | मूनमेवंविधा एव waste काननाभोगाः श्रत एव॒ मयाभि- हितं यथावसरे भवतो भव्चक्रनगरद शनक्ुद्रहल संपन्नं यतोऽसि- कलेव वसन्तकाले. नगरस्यास्य सौ न्दथेसारमुपलभ्यते तदेते ` विले- किता ax भवता तावदहिवेमाभोगाः साग्मतं प्रत्रिश्रावो मगर विलोकयावस्तदटौयच्रियं येन तव कौतुकमनोरथः परिपूर्णा भवति। yaaa | श्रतिदगेनोयमिदं बहिलाकविलखितं। रमणोयतरोऽयं Wem: | पयि ओआन्तश्चाद्‌ श्रतः प्रसादं करोतु मे मामः। विष्ठतु ताव SV BURT सो कवेलायां नगरे प्रवेच्याव ति। विम्नामिदहितं। एवं भवतु ततो यावदेष जल्यस्तयोः संपद्यते तावत्‌ किं donq ` रयघण्घणएरावगजिंतः करि खहगतमहाभ्च विभ्रमः | | निभितास्लवितानवे्ुतखलण्डक्ाश्वमहावलाहकः 75

५९8 उपमितिभवप्रपन्चा कथा |

गिपतकमद वारिखन्दरः प्रमदभरोद्धुरजोकसेवितः अनिताखिखुन्दरोमनोडदुग्ायकरूपधारकः मधुमाषदिदृखया पुराद वरराजकपौ TATA: मृपतिर्भिरगातसमं wie ata बन्धुधिया घनागमः ay वादितमदंखेखंसदरकंसालकवेणराणितेः हतनृत्तविशाखचारुमिने भाति सुचश्चरौगतेः ततो दृष्टस्ताभ्यां विमशेप्रकर्षाभ्वां मगरान्िगंतो महासामम्- दृन्दपरिकरितो वरवारणस्कन्धाङूढो विकसितोदृण्डपुष्डरोकपरि- मण्डशपाष्डुरेण महता esa वारितातपो मधवानिवाधिहितैरा- वतो विबृधसमृहमधष्यगतश्च ate: विशोकितञ्च तश्च पुरतो इष्टः कलकलायमानो ्रिसितातपचफगपिष्डः Ff इव महा- सागरञ्चलत्कद लिक्रासखकरेः ugar जिशुवनमिवाधिङिपन्नति- शूरितयासौ जनसमुदायः प्राप्तश्चोद्यानपरिषरे राभा | श्रचाकरे fanaa: agufaargqa: प्रहता azyt वादिता वेणवः समु- ज्ञासितानि कंसालकानि रणरणणयितानि मन्नौरकाणि प्रवर्धित- स्ताशरवो विजुभ्भितः खिङ्गकोलाहलः प्रटृत्ता जयजयरवः समगं - What बन्दिटन्दश्न्दः sen गणिकागणाः afta: परेशकजमः सजाताः केलयः ततस्ते लोकाः बेचिशनत्यन्ति केचिदलान्ति केचिद्धावन्ति कंचित्कलकलणायन्ते केचित्कटाचयन्ति कं चिक्ञटनिति के चिद्‌ पदसन्ति केचिद्भायन्ति कचिदादयग्ति केचिदुष्लसन्ते केचिद्‌ - wferaia gyfa केचिदाज्जमूलमास्फोटयन्ति केचित्परस्यर ACTA TARAS Hae: सिश्चनि | तत्वं षति

चतुर्थः Wes: | ५९४

शसदुद्भरग्दरि विलासकरे मदनानखदौ fears

अय तादूश्रलोचनगोलरतां faafefn गते तु महामतिना

ददं fe तदा मधुमासरसवश्मकजभजनितं aE गन्दल- मवशोक्ध विमर्शेन चिन्तितं यदुत wet महामोहषामथ्यं wet रागकेसरिविशसितं wet विषयाभिलाषप्रतापः अहो मकरष्वज- माहात्यं श्रहो रतिविजम्मितं श्रो हाखमराभटोल्लासः अदो saat लोकानामकायेकरणधौरता श्रो प्रमस्षता श्रो खोतोगामिता wR श्रदौ्ंदशिता aw विचिक्तचिन्तता wet श्रनालोचकलं wet विपर्यासातिरोकः श्रो श्रश्रभभावमापरता रहो भोगटष्णादौशेखित्यं wet श्रविधापदतचिन्ततेति i ततः प्रकर्षो विस्फारिताो निरौवमाणएस्तक्ोकविलसितममिहितो विम- जन भद्र एते बहिरङ्गजना यदिषयो मथा वितस्तेषां महामो- शादिमरोभुजां प्रतापः प्रकषैः प्राह माम केन पुनं TTA कतमस्य वा WYN प्रतापेन Gera लोका एवं wesw) faaw- aim | freq कथयामि ततः प्रविश्य ध्यानं निसित्य परमाथ ममिरहितमनेन। भद्र समाकर्णय wet चिन्टत्तिमहाटव्यां प्रम- नतानदौ पुशिमवर्तिंनि चित्त विश्ेपमहामण्डपे महा मोदराजसम्नन्थि- न्यां ढष्णावेदिकायां महाविष्टरं निविष्टो इष्टस्वया मकरध्वजः | तस्यायं वसन्तः प्रियवथस्यको भवति ततो afranra शिशिरे गतोऽथमासोत्‌ ATS स्थितस्तेन ay सुखासिकया श्रयं वसन्तः कमेपरिणममशादेष्याः कालपरिएतेरतुशरः aT मकरध्यजाय fragee निवेदितमनेन वखन्तेनात्मगद्यं यदुत

५९९ उप्रमितिभवप्पश्चा कथया |

खामिनेो निदेशेन arene मया भवचक्रमगरमध्यव्तिंनि मान - वरावाश्चामिधानेऽवाश्नरपुरे ।. तेनाह चिर विरहकातरतया भवतो दश्लायंमिदहागत fai ततः aie मकरष्यजेगोक्रं सखे aan कि fama भवतोऽतौतसंवत्छरे यद्या भवता aw पुरे विल्लसितं ata भा विविरदवेदमा विधुर चित्ततया खिद्यसे antes यदा यदौ भवतश्शज पुरे गमनाय खामिनौ निर्दे्रोऽभवत्‌ तदा तदा AMAA महामोहनरेष्धस्तजेव पुरे राच्यं वितरति श्म, लेत्किभितोयमकारणछे भवतो मया ay वियोगाशद्धा वसन्ते mH वयस प्रतयुष्नो वितोऽहमधुना तेन ` कमनोधवलनेन। इतरथा विदधत varity ममेव यतिकरः तथादि ` शरकाष्डापक्कार्याणां सुडद्दिरहचिन्तया विरमरत्थेव दखेऽतिग्यहोतं मिखिणं भु्णम्‌

ACAI | गच्छाम्यहमधना भव द्धिख्णमागम्तययं मकरध्वजेनोक्रं विजयस्ते। ततः समागतोऽज पुरे वसन्तः। sf कानमादिषु निजविश्सितं | मकरध्वजेनापि fantfaat विषया- भिलाषः यथया aren ममालुग्रेए खा चिरन्तनो सम्भावना | fone एव भवतामेष वसन्तटन्तान्तः ततो निबेदित विषया- मिल्लाचेण रागकशरिणे तदवस्थमेव तन्करष्वभवचनं . तेनापि कथितं महामोहराजाय aafafaaata | st कृतपूवं एवास्य वसन्तगममावसरे प्रतिसवत्छर मया मकरध्वजस्य मानवाबासपुरे राच्यप्र्ादः तदधभापि दौयतामखे मकरष्वजाय Te यतो aerta safeateafefacargn: प्रभुभिः पालनोया

चतुर्थः प्रस्तावः ४९७

अत्या खिरन्तनसम्भावमया | ततद्चैवमवधाय महामोहराजेनामन्ति- तास्ते सर्वेऽपि मिजाद्ागखायिनो मोपाल्ाः यदुत भो भोः खमाकणंयत ययं दातव्यं मया भवचक्रमगरान्तश्डते मानवावासपुरे मकरष्वजाय राच्यं तज guia: ससस्तेःसजिरहितेभा यमङ्गोक- aaise पदातिभावो faut राञ्यामिषेका भवितव्यमान्ञानि- दैश्कारिमिरनुश्गोखनोयानि are राच्यकार्याणि eur कर्तव्य wad समसखानेषु मयापि प्रतिपत्तवयमस्य राच्ये सखयमेव महन्तमलं | THEA यथं गच्छामणचेव पुरे aA शैपतिभिरवनितखविन्यस्लहस्तमस्तकेः समस्तेरभिहितं यदान्नाप- यति देवः ततोऽभिदहितो महामोहराजेन मकरध्वजः वथा भद्र भव्रतापि राष्ये शितेन तच पुरे इरणोयमेतेषां नरपतौ निजं निजं यत्किमपि यचाहेमाभाध्ं xa: aon पुरातनसम्भावनया मकरष्वजेनोक्र यदादिशति मोहइराजः ततः समागतास्ते Vases aac) श्रभिषिक्रो मानवावासपुरे राज्य मकरध्वजः | प्रतिपल्लः रेषा तज्जियोगः दत योऽयं गजसकन्धाङूढो दृश्यत एष मानवावाख्वतिंनि लखितपुरे शोशाचो नाम बहिरङ्गो राजा | ततस्तेन मकरध्वजेन ससेन्यपौ रजनपदः ख- area fatty भमिःसारितोऽयमित्य af: कामनेषु चायमात्मानं तेन जितं वराको खचयति aaa लोकास्तनाभि- गतसात्मानमवबुध्यन्ते | ततो भद्रानेन व्यतिकरेण तस्य मकरष्व- नस्य भरामोहादिपरिकरितस्य प्रतापादेते लोकाः awa विचे- ea दति watt) सोऽधुना कुच मकरध्वजो वतेते |

४९८ उपमितिमवप्रपश्चा कथः |

faa प्राह नन्वेष सन्निहित एव सपरिकरः सोऽमूनेवं faar- zafa | waa: प्राह माम तहिं कस्माश्लोपशभ्यते विमं atm | ननु निषेदितमेव मया भ॑वतः पूरवे जानन्येतेऽम्तर ङ्गलो- काः कतुमन्तर्धानं समाचरन्ति परपुरषप्रबेशं | ततोऽमोौषां जनानां श्ररौरेष्वनुप्रविष्टां निजविजयष्टास्ते भद्र vaunfas Fe | प्रकर्षः प्राह माम Rate कथं तानेवं्धितानपि arenas विमरेनोक्रं af मे योगाश्चनं विमलालोकं नाम तदशेनेति प्कर्षेणोक्त ममापि क्रियतां तस्याश्चमस्य टरानेमानुग्रहो aare- मपि तानवलोकयामि ततो विमरंनाञ्ितं wage तेन योगा- नेन शो चनयुगलं अ्रभिहितश्च | ae निरूपयदागं गिजडदया- नि निरूपितानि प्रकर्षेण ततः सशणामिहितमनेन माम दृष्यते मयाणधेना हतराच्याभिषेको महामोहादिपरिकरितो मकरध्वजः | तथाहि |

एष सिंशासनस्थोऽपि जनमेनं धनुधेरः |

श्रारव्यारव्य निरभिन्ते श्राकर्णन्तं भिलोमुखेः

विद्धं fase Ter तते लाकं सराजकम्‌ |

प्रहारअजेर Vy विकारकरणक्ुलम्‌ ti

मराकषकदष्वानैः सद रत्या प्रमोदितः

हस्ते तालाख्विधायोश्े देसत्येष नराधिपः

सुतं gua देव वदन्त एति किङ्राः |

महामोहादयोऽणयस्य Tena get: खिताः

तत्कमज बहना जच्ितेन |

4

चतुथः Weta: | yee

माप्रषादो मे माम Ba एवातुलस्लया | यद्राच्यलोलां भुश्नानो दशितो मकरध्वजः

विमरनोक्र ag कियदद्यापौदं। बहतरमच भवचक्रनगरं भव- तान्यदपि दष्टयं Seas श्ठरिप्रकाराणि प्रेचणकानि प्रकर्षः प्राह माम तयि प्रसादे दशके किंवा मम दशेनङुत्हलं परिपू्य॑त | केवलं मकरध्वजस्य समौपे महामो दरागकेषरि विषया- भिलाषहासादयः स्पन्नोकाः समुपशग्वन्ते | श्रधना मया ते तु देषगजेश््रार तिश्रोकादयो नोपलभ्यन्ते तत्‌ किमन्र कारणं किं नागतास्तेऽज मकरध्वजरा्ये AWE) वत्स बमागता एव तेऽज भवचक्रमगरे सन्देहो विधेयः fa तु निबेदितमेव मया यथा विर्भावतिरोभावधमंकाः खल्वेतेऽन्तरङ्शोकाः ततस्ते इेषग- axutareassa तिरोश्तास्िष्टन्ति ce: शेवावसरमपेचनो | एते तु महामोहादयो लभावसषरतया wey: सभायामाविश्वैताः खनियोगमनु श्न शयन्ति। किं त्‌ प्रषण्डश्ासमः खस्षेष मकरधष्वजन- रेः ततोऽस्य राच्ये यख यावान्नियोगस्तेन तावाननुषेयः | यच्छ यावन्माहाव्यं तेन॒ aera थस्य यावद्यदाभाख' तेन तावत्तदेव ary नाधिकमूनवा तथाहि यदयं ateret राजा सषा शरषराजटन्देन fafaueiary जिता sata मकरध्वजेन जानन्ति सपरिकरमेनं बन्धृश्वतं मन्यन्ते तदिदं महामोहेन fafe- तमयभेवाख्य नियोगोऽजेव माहाब्यमिदमेवास्याभा्मिति यत्पु- नरेते शोकाः मोतिमुददम्तो aera aaa fy तदिदं रागकेखरिएा जनितं श्रस्ेव नियोगमाडाक्याभा्गोच-

goo उपमितिभवप्रपच्चा कथा |

र्तं aut शभ्वन्ति शब्दादिषु gifa विकारश्ताभि afed विषयाभिलाषस विजम्मित नियोगादिक यत्पृनरहा- हृ हासेरेसन्ति दगेयन्ति विष्बोकान्‌ ददं wee विलसितं एवं तत्पन्नौनामपि यथाह शेषाणामपि नरपतोनां डिमरूपाणं नियो गमाहाम्याभाश्यय्दणव्यापाराः प्रतिनिथता एव दष्टाः | यत्पुनरभौ जनाः शब्दादिकं भोगजातमुपञुश्जते सदषंमगुक्रलयन्ति कषछजाणि qafa तेषां वक्षाणि समाञ्धिष्यन्ति गा्ाणि सेवन्ते मेथनानि तजेवमादिके कमेफि नेष मकरष्वजराजाऽन्यश् नियोगं ददाति fa afe रत्या शद खयमेव कुरुते यतोऽख्ठेव तज कर्मणि सामथ्यं नान्यस्येति तदेवं ae विद्यन्ते तच देषगणेन्द्श्रो- कादयः | केवलं q@ata नियोगावसर प्रतौषन्ते। तेन नाविभ- वन्ति प्रकर्षेशोक्तं | aud ततः किं शल्यौश्तोऽधुना ferent ` महामोहाख्ानमण्डपः। विमशरेनोक्गं taza भिवेदितमेव तुग्यं कामरूपिणः खस्वभौ अरन्तरङ्गजनाः ततः समागताः स्वेऽ्ज मकरष्वजराच्यं | तथापि तम्महामोहास्थानं तदवख्वमेवास्ते। इदं fe कतिविदिनभावि गुष्तैखुन्दरं मकरष्वजराच्य तन्त महा- मोडराज्यमा काणप्रतिष्टममन्तकल्यविमदं सुन्दर WA: का तज विषख- ATS | TI) तत्छमस्तमुवमव्यापकं महामोरराच्यमिद Gataa मानवावासपुरे मकरष्वजराच्य केवलं चिरकन- खितिपाखनव्यसनितया निजरपादातेरपि खयमेव राच्ये ऽभिषिक्रस्य पुरतोऽष्य मकरध्वजस्य महामोहनरेश्रोऽयमेवं सव्यभावमाचरति | तस्मादविषखमेव भद्र तग्महामोदास्धानं

ATT: प्रावः १०१

त्र ॒वतेमाना एवामौ नुनमज ge प्रकर्वेणोक्ं गो मे सं्रयोऽधना |

sweet करिवरादवतीणेः शलोखाशो राजा प्रविष्ट्ष्डि- कायतमे तर्पिता मदेन चण्डिका विडितपूजः ससुपविष्टखस्या ua चण्डिकाथाः पुरोवतिंभि महति परिषरे aggre ततः सदैव तावता anaes again प्रकटितानि areca विधटिताजि विविधमद्यभाजनानि समर्पिताः समस्तजनार्नां कनकच्चषका निकराः प्रवर्तिता मधुवाराः ततो विशेषतः Gat year) गौयते हिन्दोखंकः। उपरि परिभधौथते saga: | दयते aretha: विधौयते aaa श्रभिनोयते acres: विधौयते प्रिथतमाधरविम्ब श्रवदौ्यते रदनकोटिविश्चषितेन उपरौयते मदिरामदनिभैरता प्ररौवते शष्लाग्रद्यादिक। निमोयते रवितावदनेषु दृष्टिः विद्ोयते manta: खौयते state बिणम्धितेन eater सवंमकार्थमिति इतस शोखा- ware: कनिष्ठो स्नाता रिपुकश्पगो नाम युवराजः | तेन॒ मदप- Tanner कार्याकार्येम विचार्यामिदहिता निजा महारवो रतिल- feat धदुत भिचतमे नृत्य मृत्येति ततः खा गरुसमक्मति- खष्नाभराखसा पि wefan भतुरादे गं नतित प्रटन्ता | तां गृत्यन्लोमवलोकथमाभो मनोहरतया aware विकार- कारितया मधूमदच्लाशिभ्रचिश्तसाडितोऽनवरतपातिमा शरनिक- रेष लोणाचो नुपतिमेकरध्वणेन तां प्रति गाढमध्यपपन्नसेतसा |

Haunted स्थितः किखतीमपि aman cay 76

fox उपमितिभवप्रपश्चा श्या |

भरिमञ्चपानेन मदनिभेर भिखेष्टौ तमापानक प्रलटिताः सवं लोकाः प्रदृन्ताग्डदं यः सजातमदचिकदंमपिच्छिलं निपतिता वायसाः | ` समागताः सारमेयाः श्रवलोढामि जनवदनामि | परसुक्नो रिपुकभ्यनः mata Cfaefea च्रभान्तरे वशोशतो मरामोेन क्रोडोरुतो रागकेषरिणा प्रेरितो विषयाभिश्चाचेण श्रमिग्रतो रतिसामर्थ्ेन fafiat इदयममेणि शरमिकर प्रहारेम- करध्वजेम सियमाण दूवात्मानमेतथमामः vefeat शोलाचो रतिलखिताग्रदणाये वेगेन 1 MAMA) प्रसारितौ बाडदण्डौ | ततः किमेतदिति चिन्तित रतिखज्ितया fed तदाक्तम- भया VAR साध्वस संजातं भयं विगलितो मदिरामदः | पश्ायितु प्रत्ता zelar लोखा | विभोवितोऽनयात्मा | धावन्तौ पुनग्टेहोता Berea ततः gafaatenana प्रविष्टा aw शण्डिकायतने। feat चण्डिकाप्रतिमायाः yeat भयेन कम्प- माना श्रचारे देषगजेष्स्य संपन्नो राजादेशः श्राविष्रंतो- sit) दृष्टः vada प्राइ माम एष Sama: सहितो निजरिम्भरूपेः विम्शेनोक ag संपल्लोऽस्य भियो गावखरः | ‘aera विश्सितमधमा विलोकयतु ae) प्रकरषेशोक्षं एवे करोमि॥ ततः प्रतिपन्नं TIAMAT राजश्रासमं। श्रधिषठितो शोलाखः। चिग्तितमनेन मारयाम्येनां पापां रतिशूशिर्तां या मां faerece नष्टेति गोताऽनेन ay: | प्रविष्टञण्डिकायतने | मदिरामदा- न्धतया agra विदारितानेन चण्डिका नष्टा रतिलखिता | बहिर्निगेत्य तयायपुजायैपुज were waefa wat हाहारवः

चतुर्थः प्रावः ९०३

विबुद्धो रिपुकम्बगः सहिते लोकेन श्रभिदहितमनेन भियतमे कुतस्ते भयं कयितमनया लोला चचेष्टितं। तताऽधिषितः साऽपि देषगजन्दरेए सस्यधं सतिरस्कारमाहृताऽनेभ रणाय rere: | wefan: सुभटाः समुत्थितानि शेववनापानकानि equate: HARA: | TAF चतुरङ्गबलं | ATRIA YRS ततञ्चाविन्नात- व्यतिकरतया मदिरामदपरवशतया परस्परमेव कातरमराः BATT: खरे; खरा बेगसरे्ंगसरास्युरगेस्ठुरगा वरकरभैवरकरभा TWAT CAAT: FA: कुञ्जरा खद परोवरकुश्चरव॑रछुश्जरा नरवर - ्ेरितेचुणचितुमाराः | सजातमकाण्डे TEMAS TAQ तथा रिपुकन्यनेनाह्ृतेा शेलाखच्चलणितस्तद भिमुखं षगजेश्धाधिषटितः | भदिरामदान्धतथा wat तौ करवाललयुद्धेन तता गाढामर्वा- न्निपातितेऽरिपुकन्पनेन Srare: |) सजाता महा विञ्जवः। तमवलाक्छ प्रविष्टौ ant विमश्प्रकर्षो feat निराबधस्ाने विम्॑नाक्तं | ae दृष्टं देषगजेन्रमाहान्यं प्राह सुषु दृष्टं माम तावतां विल्ाखानामौदृ रं पयवसानं विमं नाक्तं | भद्र मद्यपा यिनामेवं- (विधमेव पर्यंवणाम भवति मदिरामन्ता fe प्राणिनः gat गमनानि awa पुरःख्ित मारयन्ति प्रियवान्धवान्‌ जभ- चनधकाष्डविद्धर समाचरन्ति समस्तपातकानि भव सवेजगतसन्ता- पकाः निपात्यन्ते निध््रयोजने ग्टला गच्छन्ति दुगेतौ किम- चद्ययेमिति | fa च। मे पारदार्ये थे रताः awa: |

०8 उपमितिभवप्रपश्चा क्था |

तेषामेवं विधानर्था्‌ ae कः प्ष्ुमरति

ag fe निन्दितं सद्धिमेचं कलहकारफम्‌ |

BY wat मृश्च मद्य पापश्रताश्ुखम्‌

WAAR AG WIG यो नरः।

aur ag छाखाचखयासौ भते चयम्‌

ag पारदायं थः gate सुवति |

पण्डितः Gua धन्यः era:

DRG | एवमे तन्ना द्य GWU | तसतस्तधोप्तज नगरे विशर-

arate कतिचिदिनानि wat मानवावाषपुरं रान्शा- समे इृषटसारभ्यां पुरषः प्रकरवेशोक्रं माम एष भिध्याभिमानो दुष्ते | विमर्गेनोक्ं way एवाय प्रकषेः प्राइ गरु रान- घचिन्तनगरे frerfawarsa 1 तत्‌ कथमिहागतः। विमग्र॑नोक्ं ! चवं भाम मकरध्वजस््ोपरि Barat महानेहराजेा Save wey चद्‌ चलं भिजवल तदष्यानौतं | केबलं कामरूपितयाथं भिच्यानि- माजा मतिनेहख यद्यपोहागौतौ gaa तथापि तथोरोब राज- खचिनलतामसचिन्तपुरयोाः परमाचंतशिषटन्तो वेदितव्यो प्रकरवेोकरं। माम शुच पुनरोषोऽधुना गन्तु प्रहसः विमर्धे नेकं भद्रके \ योऽसौ gemma रिपुकन्पनः निहते Sreresyer राव्य ऽभि- निक्षः तस्य SE aati) अतोऽयं मिश्याभिमानः केनचित्‌ कारणेनेदं राजसदमं प्रबेषटुकाम इव Bw | प्रकषैः प्राह ममापीदं नर- पतिमिकेतनं दभ्रेयतु ara: | विमर्ेनोक्रं एवं करोमि ततः प्रविष्टौ at तत्र नृपतिगेषे cay तस्य रिपुकन्पनग्पतेरल्ि

CTA: प्रावः | १०६५

feta afanfern नान महादेवौ सा तस्िन्नेव aaa दारकं TAT रथ तण OATS Treg भाखरोदये विकसित- भिव तामरस यथपनततिभिरनिकरमिषव गगनतलं विनिद्रमिव सुन्दर जनमयनयुगच्ं शुवनमिब Quay तद्राज- भवनं राजितु nee) कथं विरचिता afengtafewer: | faen- रिता मङ्गलरपेशमाखाः। संपादितानि भतिरशाविधानानि | जिवरतिता गौरबिद्धाषेकेनेन्दावतेश्रतप्रखेय्वाः। निवेशिताः सित- चामरधारिश्यो विल्लारिन्वः। ततः refer बरेगेनाश्चानखायिनो wae: सुतजश्ममहोक्छवं निषेदचितु पिचंबरिका कथं | रभसोहामविशष्युलगमनं Mae | शरणचखनतो साणितडदवं इदवविकन्पफ़रितनितन्म्‌ सफुरितजनितम्ननिनादितगर कनं रसनासध्रपयोधर शिचचम्‌ | सिचयनिपातनशज्ितवटरन वदनशक्राद्धोयो faye श्रपिच्। जितम्बजिम्बवचोजदुरवारभरनिः खहा | तथापि रभषादाला वेगाद्धावति षा तदा निवेदिते बथा रालपुज्ननामरशोक्छवे | आनन्दपुलकोद्धेदनिभेरः TTT surat प्रविष्टो मिश्याभिमानः। ततौऽभिडहितन्रमेन रिप्ररक MATT | ततद | तेनावष्टभचिन्तोऽसो तदान रिपुकन्बनः mame a वा देशे नापि माति जमन्रवे

og खउपमितिमवप्रपश्चा कथा |

चिन्तितं पुनस्तेन विपर्यासितयेतखा | श्रो हतारयो दर्तिऽहमहो वं शरषमुखतिः श्रहो देवप्रसादो मे अहो wwe | अदो राच्यमहो खगः Ty जन्मनः फलम्‌ अरहो जगति नातोऽहमहो कशयारुमालिका | हो मे धन्यता शवेमहो सिद्धं समो हितम्‌ ayaa मथा योऽयसुपधाचितको रिमिः | प्रार्थितः सोऽ संपनश्नो य्य मे Fara: ततः HEAT THT TAT: निषेदिकाये wae दौनाराण्टां सहारपिताः खल्लसत्छवंगाचेण इर्वगदटभाषिशा | प्रशतौनां समादिष्टः सुतजन्ममरोत्छवः ततो नरपतेवांक्धं wet मन्तिमहन्तमेः | चरेन सदने तच वत fa किं विभिमितम्‌ # पवननिरतमोरषङतमथख्धितानेकवादःसम्‌ शोध्येपुष्छच्छ टाात- संपशनकल्लोलमालाकुले यादः श्यान्िनादो महानौरधौ तज भेदे समनादयो ताद्ग्रस्धयेस्नातचोवः चणादुल्थितः तथा। प्रमलयसम्मवचोदकश्ौ रजतादरस्तोमकच्छरिकापूरकपूरनोरप- वाहोचसंपश्चसत्कदं मामो दन्दो इनिष्यन्द बिन्दुप्रपूरेण श्पादिताशरेष- भन्तुपरमोदं तथा Tarawa विद्यात मि्गषटष्यप्रमाजालसच्चारमाशो- कयते तन्तदा मब्दिरम्‌ बडनाटितङ्कुलकवामनमकं प्रविधूिंतकष्ु किङाखगकम्‌ |

चतुरैः Tea | ६०

जनदापितरव्रषमूहचितं चरितातुलमौ क्रिकहारद्तम्‌ शषदु द्ध रवेषभटाङ्गुखकं शलनाजनलाशविलाखयतम्‌ | वरखाद्यकपानकतुष्टजन' जनित प्रमदादिति वधेनकम्‌ au agin aaa निखिले प्रमदेन नृत्धति ware | अतिरषेवगरेन wataye: खयमेव ममते चिर नृपः AANA दृष्टा महासंमदंग॒न्दम्‌ | Raa: संग्रयापन्नः प्रत्याह निजमातुखम्‌ मिषेदयेद मे माम मदहदच कुतहखम्‌ | किभितौमे रटनधृचेनिर्वादितञ्खा जमा: अत्ययैमुष्वशब्ते किमयेमिति मोदिताः | fa wat दत्तिकाभार निलाङ्गषु वन्ति भोः चर्मावमङ्काषहानि इृढमास्फोटयग्ति किम्‌ | विष्टासभारसुक्ोष्यो मन्द मन्द चशन्ति किम्‌ fa वेष सदनय्याश्य गायकः एयथिवौपतिः | बाणदहाख्यकर मूढः करोत्यात्म विडम्बनम्‌ तदच कारण माम यावश्नो शिति मथा | ददं तावन्धमाभाति महाकयैतुककारकम्‌ fant: प्राह वे वल कथ्यतेऽज निबन्धनम्‌ | यदस सकशस्धापि sare WAR पश्यतस्ते प्रविष्टोऽ् एष नृपमन्दिरे भिश्याभिमानस्तनेद तात शवे विजम्मितम्‌ अरय fe राजा जातो मे arta विचिन्तयन्‌

उपमितिमवप्रपश्चा जया |

माति TB भो AT पुरै नं wwe I ततो मिश्याभिमानेन faseteaerer | अत्मा Yaya शोकोऽनेन विडज्वितः चेदं खचयत्येष गुनमात्मविंडम्बभम्‌ | चतो मिश्यामिमानेन बराक मन्यते भगत्‌ WHE: प्राह यद्येवं ततोऽख परमो रिपुः | माम मिष्यामिमानोऽयं यः awa विडम्बकः faa: प्राह at वाच शशयो भद्र agit | निशितं रिषुरवायं बन्ध्रख्च प्रभाखते WHA: प्राह यद्येवं ततो योऽथ वेशं गतः | एष नुपतिमामथ्कौदुधो रिपुकश्पनः विमरशनोदितं weg erature: |

कित्‌ बिवैरिषु शरोऽयं तेनेत्धभमिभोथते

इह TI यो बहिः कोटिक्षोखौभामरौशं serves: | परभविष्र्विना wei सोऽपि नाकारपैरिणाम्‌ Aare बा रोषोऽयं नाष washers | यतोऽच परमार्थ ज्ानाभवोऽपराथ्ति यसमादशज्नानकाचान्धाः faery कारणम्‌ | याकि भिव्याभिमाभच्य ध्रुवमस्य वशं भराः तेनाभिश्वतचिग्तासते Wet Ta अभेः Ty

चतुर्धः प्रावः | १०६

किंडम्बयन्ति aaa चथेष रिपुकन्पनः

ज्ञानावदातवुद्धौनां TF राच्यं धनेऽपि वा

खोकाखयंकरं जाते AIG कारणे

fed wut sta धन्यानामान्तरो रिपुः |

wg मिथ्यामिमानो sa ते हि मध्यखदेडिनः #

यावच्च कथयत्येवं faa कारणम्‌ |

तावद्धाजकुशदारे नरौ दौ समुपागतौ

प्रकषेशोदितं माम TRA काविमौ ad |

प्राह मतिमोद्ेन om: शोकोऽयमागतः

wat खतिकाग्हे ससुक्लसितः कङणकोखाइशोग्धिशः

पूह्काररावः प्रधावन्ति सर महाहाडारवं कुर्वाणा मरपतेरभिमुखं दाखचेचः प्रशान्तमागन्दशन्दलं | किमेतदिति पुनः पुनः एष्छन्‌ कातरोग्तो राजा। ताभिरभिदहितं। जायद् देव wae) कुमारो agate जातः। कणष्डगतप्राणेस्ततो घावत धावत बतो वञ्जाहत शव Sarat राजा तथापि सच्वमवश्लग््य सपरिकरो गतः सतिकाग्हे इष्टः खप्रभोद्धासितभवममिन्तिभागः संपूणंल- wear: विं चिष्डेषजो वितव्यो दारकः समाहतं dened | vet वेदयाधिपतिः। किमेतदिति। प्राह देव समापतितो CUI FATA सथ्ोघातो बशवानातङ्कः प्रदष्डपवम दव WIAA शप्र: पश्तामेवास्नाकं मन्दभाग्यानां मृपति- राह भोभो शोकाः Wagers यथाग्रह्ा | कुमार at जोवयति va राच्यं प्रयच्छामि खयं पद्‌ातिभावं प्रतिपद्ेऽ

77

१९१० खप्रमितिमवप्पञ्चा कथा |

तदाकष्यं॑सर्वादरोट शोकः प्रयुक्तानि Hania वादिता ae: निबद्धानि कण्डकामि लिखिता cer शतानि दतिकमाणि नियो- जिता विद्या वतिवाजि agerfa deat देवता विन्धासितानि Tare तथा कुवेतामपि गतः पश्चलमसौ दारकः अणा- mt कामरूपितथा शोकमतिमोदाभ्यां शपरिकरथोमंतिकलिता- रिपुकम्पमयोः wa: शरोरातुप्रबेशः ततस्च

हा हतासि निराग्रासि भुषितास्मौति भाषिष्ौ |

wre हैव देवेति क्दन्तो गष्टचेतना

खफाज्िपतिता शमौ कतं Tey कुमारकम्‌ |

मा देवो वज्जमषह्णतताडितेवातिविहल्ला

हा पु आत तातेति ब्रुवाणो year यथा |

राजापि पतितो मौ सुक्रः weedy षः `

ततो इाहारवो घोरो महाक्रन्दश्च भेरवः |

अगोरस्ताडश्रष्टख BUY समजायत

अय सूुक्रविललोलकेशकं दलितविग्धषणमभप्रगशंखकम्‌ |

रिपुकश्मयो षितां अतेषेहदाक्रन्दमकं प्रवर्तितम्‌

शाशा विश्वक्षकोटर शरितं मितले स॒टोगकम्‌ |

छलशुश्चितकेश्रपाश्क दारा टि विमो दनतत्थरम्‌

QIU हारति सवतः करणध्वानपरायणं अनम्‌ |

श्रय वोच्छ विस्मितेक्षणो बुद्धः समुरवाच मातुलम्‌ #

यदत faaa: ख्णमाजेण feat TIAA |

ATR: WT: | ९१९१

प्रकारान्तरतो शोकेः प्रारभ नतेनाकरम्‌ विमर्भेनोदितं ag यौ तौ get त्या गरो | anat मिजप्रभाषेण प्रविश्छेदं प्रवतितम्‌ faafed मया तुग्यं quad नेव सुत्कलाः | BIT पुरे श्लोकाः aa: कमं किचन fa तरिं) यया यथा alae कारयन्ति इएभेतरम्‌ | श्रम्तरङ्गजनाः कमे दुवंग्येते तथा तथा ततो मिण्याभिमानेन ares मारिताः पुरा एताभ्यां पुनरोषकं किं वन्त॒ वराककाः सञ्ल्लानपरिपूतानां मतिमोहो महात्मनाम्‌ | बाधां कुरुते qe केवलं एभरेतसाम्‌ 1 मापि शोको भवेक्तेषां बाधको भद्र भावतः, थेरादावेव निर्णोतं समस्तं चणभङ्गुरम्‌ श्र पुमः | पुचखेहवगेमेष मतिमोहग्छतो मृपः | WRG कारथल्येवं WATT कडणं जनेः परकर्ेणोदितं माम किमज नृपमन्दिरे | अखणमाजेण GUAT महद हुतम्‌ fa वान्य्ापि जायेत facgfacaiguy | विम्नोदितं नाज भवचक्र ऽतिद्‌ शभम्‌ एतद्धि गर ax परस्पर विरोधिभिः।

{XR

sufafawarreg कथया |

saaaten: प्रायो विविधः संविधागकेः यावच मुक्रपूत्कारं दारुणाक्रन्दभोषण्म्‌ | पताकाजाशबोभल्छं विषमाइतङिष्डिमम्‌ उदेगडेतुसते भद्र नितरां जनतापकम्‌ |

ददं हि खापकं Cea निगेष्छति मन्दिरात्‌ तावद्न्यच गच्छावो YR TTA | परदुःखं WNIT: सन्तो मोदौचितु माः एवं भवतु Bate मितौ राजमन्दिरात्‌ | संप्राप्तौ WEARING ततः खसोयमातुलो marae हतन्ा निर्विक्वाय रि पुकन्पनम्‌ | wa समुद्रश्वामायं ofa याति भास्करः sufea तिरोग्धते तिमिरेण मशोमसे | जगत्यग्रेषे aa बोधिते Tass गोधनेषु निदृन्तेषु विलोनेषु शकुभ्तिषु | बेताखेषु करालेषु atfuag विलारिषु भूक तेषु काकेषु निद्धिते मखिनोवने निजावश्वकल्नेषु सुभिषु ब्रह्मथारिषु रट शक्रवाकेषु रदितेषु Gare | SHAQ YET TS कामिनोजने CA प्रदोषे GT प्रष्टजममानसे कथिज्जिजापणएदरारे दषटसाभ्यां महेश्वरः ` छशृङ्गविष्टरे रम्ये निविष्टः किल शोकखया |

चतुर्थः Wea: | ६९३

विनते मिद चेवं फिकुपुजविषे टितः वञ्ेन्रनोखवेदूयेपश्मरागादिराभिभिः पुरतः शखापितेश्ङ्गेनांशितारेषतामसः विकटेहटकलोमे राजतैश्च पुरः fea: ! दौनारादिमहाक्रटेगेविंतोऽये विवर्तिभिः

प्रकर्षेशो दितं माम किमित्येव महेश्वरः |

खज्ञामितेकभूमेन्ं dled wate:

शर्थिनां वचनं किं वा सादरं बभाषितम्‌ |

एव बाधियेशोनोऽपि माकणेयति where `

छतप्राश्चख्यो गन्ना एते चादुकारिणः।

एताश atet कस्माशुणतुश्ां ञ्च मन्यते

दृहा इहा रलानि किचिद्याला सुडमुंडः |

Wary: खोरवदमः किं भवत्येव वाणिजः

विमर्थेनामिहितं भद्राककंव असि तदैव भिष्याभिमानस्छ

खाङ्गगतो weal नाम वयद्यः तेनाधिहिवोऽवं वराकः | तेना- धिहितानामौदशरमेव wed भवति wi हि मन्यते ममेदं रन्कगकादिकं WERE Gal! ततः रतन्लत्यो ऽइ संपन्नं जब्धनः फल at वराकं सुवनं ततस्त्य विकारबडशः परि- wat अयति wraed चिन्तयति परिणामं गाणोषय- व्यायति faucets awa गणएथति शणनश्वरतामिति | wat: प्राह माम योऽसौ रागकेखरिङिम्भरूपाणां भे get मथा पञ्चमो fea: सोऽख् निकटवर्तो eat fain)

६९४ उपमितिभवप्पद्चा शया |

सत्यमेत्घ एवायं WA समायातः afyguy: | निविष्टौ मदेश्वरसमोपे। थाचितोऽनेनोत्छारकं महेश्वरः दश्लोऽनेन ततौ रहसि सितस्य प्रकाशितदिकूशक्रवाशं बङूविधानध॑यरत्र- चटितं fad भुजङ्गेन तस्व मद्ेश्वरवाणिजिकख yee) प्रत्यमि- SAGA भुजङ्गः wie हेमपुराधिपते विभोषणमृपतेः पदाति- दुषट्ोखञ्च | ततो नुभं इतमनेनेदं भविब्यति want प्रवि- ्टोऽसौ रागकेशषरितमथो वाणिजकश्चरौरे ततस्तत्मतापाचिन्तित- मनेन | भवतु भाम इतं तथापि यरोतव्यमेवेदं मथा | ततोऽभि- डिति ऽनेन भुजङ्गः भद्र किं ते करियतां भुजक्तेनोक्गं श्रस्यो- चितं मृद्धं दश्वा ग्टहयतामिदं भवतेति तुष्टौ वाणिजकः। तो षितो yea yup: पलायितो वेगेन नते तक्षिसत्यदा- gay समागतं बिभोषराजवलं | wan कुतखिदिकष्यवार्ता | प्राप्तः Wetat वाकिलिकः ग्टहोतः पुरत एव Stee

ततस्च चचमाभरेण SHS रबराश्यः

बङ्धोऽवावारटशुकं राजकेन महेश्वरः

इतरतो भयोदभ्नान्ता वणिकूपुजाः eae: |

सर्वेऽपि बान्धवैः ord नष्टासे पाश्चव्तिनः॥ `

ततो विलप्तवखः सजने: परिवजितः। `

` आबद्धखोप्रकः कष्ठे महाराखभरोपितः गत्या विलिप्रसवा्गस्तसछराकारधारकः ` राजापश्यकारोति निग्मानः एयम्‌जनेः ` ` ` महाकखकलध्यागंपूरितदिगन्तरेः

चतु प्रलाः | ९१५

Prat मृपेणोक्ेः Gee: रतताडनेः विद्राणएवदनो zim: सर्वांना विहलः | afer we दृष्टः ताभ्या मिग्यवाणिजः

` प्रकर्णो दितं माम किमिदं दष्टमहुत॑म्‌ | किमिद्रजाखं किं we: किं वा मे मतिविभिमः॥. दम्य चणमाचेण सा लोला न. तद्धनम्‌ मते लोका तत्तेजो गवो पौरवम्‌. विमनो दितं ae सत्यमेतन्न विभ्रमः | श्रत एव कुवन्ति धनगवं महाधियः धनं fe घमेसंतश्नविदक्रगलचश्चखम्‌ | गोग्मोद्माक्रान्तशादृंखजिहातरलमोरितम्‌ दृष्द्रजालमिवानेकद्‌ श्तिहुतविभ्नमम्‌ | चणदृष्ट विनष्ट नोरवुहुद सज्जिभम्‌ शरस्य वाणिजकस्येदं तात दु्ेयदोषतः नष्टं महापदस्वानं जातं विविधं घनम्‌ दृहन्येषां पुमभद्र दोषसंक्षेषवजिनाम्‌ | रपि मण्येदिदं रिक्थं भवेच भयकारणम्‌

तथाहि | |

येऽपि Heer Hee पादं सुश्चनि लले तेषामपि quia aad dna: argafan दुःखानि धनिनो धनटोषतः | जलज्लनलृष्टाकराजदायाद तस्करः

| १६ उपरमितिमवप्रपचा कथा |

sage धनं ay मेघलाखमिवातुखम्‌ | ea प्रशण्डवातेन यदा याति कथंचन तदा नालोकयति रूपं विगणयति परिचयं निरूपयति

्ुखौमतां नानुवर्तयति कुखक्रमं नाकणथति whe नापेशते पाण्ड्यं नाञधाचयति सौन्दथे मावरष्यते धर्म॑परतां माद्धिथते दागग्यसनितां a विशारथति विग्रेषन्नतां शयति षटाशारपरायण्तां परिपाखयति चिरखेहभावं नोररोकरोति षत्वघारतां प्रमाणयति श्रसोरशलशणम्‌ | कि तहि

गन्धर्वनगराकारे पश्यतामेव देहिनाम्‌ |

तद्धनं खणमाजेण कापि श्रायते गतम्‌

आर्जितं बमः क्तेः whet वितं यथा

ae तु UTE Fay नरेष्वपि तदौ दितम्‌

तचाणयमौ महामोदमिहताः चुद्रजन्तवः

trash धने भद्र चिन्ाबद्धं वितन्वते

अखोकधनमवेंण विहलो शतमानसाः।

विकारकोरौः कर्वभ्ति ययेवेष महेश्वरः

तदोड्णो धमसेड पथन्तस्तात जब्धनि

UTS FART WATE VITA

प्रकर्व॑णोदितं माम येन स्वाजिश्चणं धनम्‌ |

तया शद्ध विपाकं स्यात्‌ Tareq

waren जगत्य किमस्ति बत कारणम्‌ |

fe ata संभवत्येव तदिदं मे गिषेदव॥

wa: cera: | ९९

faniintied तात संभवल्येव तादृशम्‌ | कारणं विरशानां भोः केवलं तेन मलकः करोति eee अजातं जनयेद्धनम्‌ | अन्यन्तदुलेभं भद्र पुश पुष्ानुबन्धि चत्‌ यच्च | दथा शतेषु atin विधिवहुरुपूजनम्‌ | विश्द्धा शोलदटत्तिख पुषं पुश्यालुबन्ध्यदः | अथवा | परोपतापविरतिः परानुग्रह णवे च। सखचित्तदमनं देव ge पुष्पानुबन्ध्यदः एतचान्यभवे धन्ये ेहपान्षमिहापि वा स्िरमेव धन तेषां सुमेरोः शिखर यथा अन्यच्च ते महात्मानस्त्पुखपरिढौ कितम्‌ | TW तुच्छं मलप्रायं विज्ञाय चणगत्वरम्‌ योजयन्ति wa स्थाने खयं परिभुश्नते | तच धने मूर्कछामाचरन्ति महापियः तत तद्धनं तेषां सत्पष्छावाप्तजानाम्‌ | इत्य fanggqgiat जायते शभकारणम्‌ | fre] ae महानथेकारणे मूर्ता धने | शन्यास्ते दानभोगान्यां ये पुमः saa: cea चिभ्षषम्ताप घोरामथेपरपराम्‌ | यत्ते wm पापिष्टास्तन किं भद्र कौतुकम्‌ 78

९१.९८

उपसिदिभवप्रपञ्चा कथया |

द्र पर मायौऽयं मूर्छागर्वो wa सति कायो दामभोगौ तु कर्तव्यौ तत्ववेदिना यस्त॒ नेव करोदश्वः वराको निरर्थकम्‌ | RAW: RAAT: केवट परिताम्यति सेयदनेयगन्धोऽपि वजेनो यश्च जानता अन्यया जायते A यथास्य वणिजो महत्‌ wae कथयत्येवं बुद्धि्मोः सखमातुखः | श्न्यस्तावत्छमापन्ना BMA निबोधत दृष्टस्ताभ्यां युवा कञ्चिदवतौरौ बणिकूपये | दुबे मणिनः GAT जरण्ौवरधारकः श्रपणे यन्धिमुकाश्य Sanaa भेदकाः as: पर्णानि गन्धा ala वस्त्रयुगं तथा गत्वा निकटे वाप्यां भद्धितं तेन भोननम्‌ | संमानितं ताम्बूलं खातः सपूरितेादरः बद्धखामाटकः पुष्पैः सद्रनर्वासित वपुः | ततः परिहिते वख प्रसिता रानलोखया निरौोकतेऽभिमानेन fate पुनः पुनः | समारयति WATS गन्धमाघ्राय मादते परकर्षेणादितं माम एष ACU | ufea: किमथे वा विकारेरिति भण्यते faatarfea ag ayaa कथानिका | amiga ते किचित्‌ कथ्यते तभ्िगेध 2

GA: THA: |

VYRTUA Yat वातब्याऽचैव पन्तने |

श्रयं हि रमणा माम तरणे भागतत्परः बाखकालाल्षमारग्य गणिकाव्यषने रतः | अय रमणो भद्र चेतयति किंचन WE समुद्रदन्तस्य रन्रशम्भारप्रूरितम्‌ | यदासौ दिभवेः पूवं विचिक्रधनदाखयम्‌ तदनेन दिनैः खौ कगे णिकारतनुद्धिना | sanagege विदतं पापकम saat निधना दोः परकमेकरेा लघुः | जाताऽयमौङूश्रः पापो दुःखाती Ferner परकमेकरलेन कतिखिदरुपकानयम्‌ | अद्यागतः समासाद्य WF व्यसननाटितः ततः पर grag यदनेम विचेष्टितम्‌ | ageaa निः गेषं तया fa aw कथ्यताम्‌ af चाभ पुरे श्याता गणिका मदनमश्चरो | तचा कुन्दकश्षिका दुहिता यौ वनेद्धटा तश्छामासक्चिशेन माशितेा ways: | अनेन धनङोनञ्च गेडाजिःशरितस्तया ततोऽद्य ङूपकानेष कियतेाऽप्यतिनिष्टया | सप्राण प्रखितस्तख्याः सदने रतकाम्बयाः BUA सलरशोरमाशष्टश्रदाङणम्‌ |

नरं MATA TY ARG ATE ATTA tl

९१८

६२२ पमितिमवप्रपष्ा कचा |

TY रमणः ततो गतेन Sai प्रासेन नेष्यं नतेन Mat भयेना भिश्धतेन तेन रमणेमागत्य शतं चण्डस्य ङ्रलोगहोतदन्ते- नाष्टाक्र्पादपतनं | Waa देव जायखेति भाषितानि कड णवच- नामि संपन्ना चण्डस्य दया मारितोऽसौ aw ciated च्छिन्नोऽनेन रमणस्टामोटकः जोटिता नासिका वि््तौ कर्णो विदलिता दश्ननपंक्तिः शूषितमधरोषटं विकतितौ कपोलौ उल्पा- दितमेकं शोचनं cat महापाश्णिप्रहारः निःसारितो भवनात्‌ | हसितं aware मदनमश्जरोङुन्दकलिकाग्वां प्रत्यायितद्चण्डो ऽपि Quwaea: ङतो इतइटयः। रमणस्तु निगेश्छन्नितरां जनै- रितः wet राजलोकेन प्राप्तो aed दुःखं विधः प्राशः BHU ततः प्रकर्षेणोकं अहो मकरष्वजसामण्यमहो भय विखसितं BE कुटनोप्रपञ्चचातुये श्रो सर्वथा कर्णास्थानं सोपहाधपरेचणक - प्रायं चेदं रमणचरितमिति | विमशंमोक्षं aay (a) गणिकावयषने cer भवन्धन्येऽपि मानवाः |

तेषामेव विधान्येव चरितानि संश्रयः

वस्त्र्वणतान्बुलगन्धमा विशे पने:

इताचास्ते पश्यन्ति सहजाद्विषूपताम्‌

संषरिष्णमदाविष्टाकोष्टिकाभिरविमूढकाः |

ASSMAN कुर्वं ग्धेव धनक्षयम्‌

ततो भिक्ाचरभ्राया भवन्ति कुलदूषण्णः |

मच मूढा fate ataaei गता aft |

चतुर्थः प्रस्तावः | {RR

ततस्ते ayaa बेश्याव्यसगनारिताः एवंविधानि दुःखानि वत किं ary कौतुकम्‌ लख चित्ताः sea gus श्रपि योषितः | चटजतेन वेश्लानां तात कः WHAT: gaia श्रपि भो ara: शवेमायाकरण्डिकाः | को मायां जौणवेश्यानां TE पच्छेत्सकएंकः गरेषाभिरपि नारौोमिः खेहे cat जलाश्नलिः। यस्यासया WHMIS मूखेः WTA | WTA दन्तरुकेता NAA WF परः | अन्यचिन्ते परः ote गणिकानामहो मरः॥ कुवन्ति चाटु कर्माणि यावल्छाथेः प्रपूयते wat विसु्चन्मि निखांसाख्क्रक यथा पुरापघसरप्राया गणिकाः परिकौर्तिताः | ये तादपि «wef A श्वानो मनुव्यकाः तस्मादेवं विधं नुनमन्येषामपि देदिनाम्‌ | चरितं यैः रतं पाग णिकाव्यसने ममः प्कषेणोक्रं | SPRATT सन्देहः | ततोऽतिवाहितस्तार्भ्वा afegaafeat राजिगशेषः AUR AMATI कुषितध्वाश्तकेशिका | मभःओौः WT जाता रोगा्रातेव arferat a sizer: fra तस्या निनवौर्थेख भाखरः | कार्ष्यादिव संजातः Barat मिषम्बरः |

dre

उपमितिभवप्रपन्चा Seat |

ततोऽरणप्रभाभिन्ने पूवं गगनमण्डले |

जाते रकरेऽभ्रसद्काते गतच्छाये मिश्राकरे तस्करेषु निखोनेषु ang शकवाकुषु कौशिकेषु मूकेषु arty विराविषु सखकमधममेग्यापारच्छलेनेव शतादरम्‌ |

सवे तदा जगण्नातमासोग्याथे भभःभियः श्रयोदिते ससं शौ बुद्धे कमणाकरे सङ्गमे चक्रवाकानां जने धमेपरायणे विमेः प्राह ते aq मदद कुद्रइलम्‌ | भवचक्र fate arrearage स्तोककालावधिः शेषो द्रष्टव्यं aw तिष्ठति | शक्यते ततः कर्तुमेकेकश्थामवौच्णम्‌ तदिदं वचन तात मामकौनं समाचर | श्रकालहोनं ते येन पथते तत्कुढइणम्‌ एष yaa तुङ्गः We: wearer: | महाप्रभावो विक्ोणौ विवेको ara पवेतः आरूटेदुष्यते UT समसभिह waa |

इदं विविधटन्तान्त भवचक्र महापुरम्‌ तदजारूढयतां तात निपुणं विलोक्यताम्‌ | यथ्च गं ज्ञायते सभ्यक्‌ एद्यतामेष तव्जनः यताऽराखिश्टन्तान्ते विदिते नगरे तव | पद्चादपि जायेत चित्तो क्यं कदाचन

a Pini OC ag -

चतुर्थः Te | ६२५

एवं भवतु तेनोक्ते waredt पर्वते |

अथ तज विवेकास्ये तुष्टो खसखौथमातुलौ wad: ATE मामेव रमणौयो महागिरिः | Tat शवंतः VF भवचक्र मथाधना

किंतु Zage माम मद्यो ध्यानपरायणः | वेष्टितः पुख्षेर्टौनः erat भुत्कलकेश्रकः नष्टुकामो दिगाशोकौ सेटिकाश्टभरस्तकः | दृष्यते पुरषः कोऽय पिश्राचाकारधारकः ` विम्ेनोदितं aq विश्यातातुखसंपदः |

कुबेर साथेवाहस््र FATT कपोतकः

धमेश्चर इति श्यातममिधानं प्रतिष्ठितम्‌ | Te age: पञ्चादाहतोऽयं कपोतकः ` अनधेरल्रकोटौभिः पूरितं पापकर्मणा अनेनापि पितुर्गेहं aoa रतम्‌

थतेषु wafers चेतयति किंचन | faatfea धने BB gare चोरिकापरः a ata पुरे ऽज galet रिवाराः कदर्थितः | राश्चासामान्यपुचलात्केवशं विनाशितः ` शरद्य राजौ पुगः सवे हारितं कपैटादिकम्‌ ) ` ततो सनते मस्तकेन रतः पणः ` एभिरेव ATT TATA: कितवे जितः | शिरोऽपि शातुमिच्छद्विरधुभेवं fara - `

79

दरद्‌

उपमितिभवममषच्चा कथा |

Reet wath खकाणभर इरितः

चुट बिंतककलञो खः tra परितच्यते

प्रकर्षः प्राह ज्ञातं किमनेन तषस्िना qa fe दे दिना लोके अर्वागयं विधायकम्‌ धनचयकर निन्ं छुखश्रोखविदूष्टम्‌ | nafa: सवं पापां शोके शआाचवकारणम्‌ संक्िष्टकेतसो मूखम विश्वासकर परम्‌ |

ara: प्रवर्तितं धृतं किमयेन afer विमनो दितं aq महामोहमरोपतेः | वराकः किं करोत्येष यो aw: Safin:

धतः

महामोहदता 3 विशषण भराधमाः | qt एव वतेन्ते प्राभरुवभ्ति तत्फंशम्‌ यावश्च कथयत्येवं faa: faa चेष्टितम्‌ | तावच्ोटितमेवोचचेः कितवैस्तस्य मस्तकम्‌ WHE: प्राह से माम मडहानर्थ विधायकम्‌ | रमन्ते धूतमजैव तेषामेवं विधा मतिः

तं मातुोऽग्रवोद्धद्र eq Wafer लबा | दयतेः रक्ृचिश्नानां gery परभ वा BIA AcE. निपपात कयं चत्र. | दृष्टिः प्रकषसंश््ठ नोशाजद खला सिनो AAG PES इस्तं हत्वा पाइ मातुम्‌ |

age प्रश्ावः। ` {Re

एष तुरभौखरूढः Vitam: अमपो डितः SESS: पापात्मा नौवमारणतत्परः | सथं दुःखपरीतोऽपि geet ऽरण्यदेहिनाम्‌ मध्यान्देऽपिं पिपासातें बुभुखाचामङुचिकः | जम्बुक पुरतः छवा प्रधावन्ुपलभ्यते विमर्गोक्कम्‌ | अजेव मानवावाचे विश्चते शार पुरम्‌ | लजितं नाम तस्यायं राजा सलमनामकः ग्दगयाग्थखने शक्रो लयति किंचन | थमज महारण्ये तिष्ठत्येव दिवानिशम्‌ सामन्तैः खजनेरलोकेस्तथा मण्तिमहन्तमेः | ardaretsha नेवास्ते मांसाद गला शसः Gefen राख्यका्थाणि face राजमण्डलम्‌ | ave तादशं वोच चिन्तितं creqfeera: मोचितो राच्धपटहाय ललनोऽय दुरात्मकः | ततः पुज VATS राज्ये गेशादिष्कुतः तयाणाखेटके रक्षो मांषशोशो नराधमः | एकाकौ शुःखितोऽरण्छे नित्यमास्ते पिश्राचवन्‌ इह वल परमारिवजौवामां पिशित योऽपि खादति। इहामु दुःखानां wget: सोऽपि भाजनम्‌ यस्तु क्रूरो महापापः खयमेव निङन्तति `

६२य् उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

Bra Nae aw मांसं खादति॥ way चदि दुःखानि भवन्येवंविभानि भोः पर नरके पातो वस किं तज कौतुकम्‌ बौमतसमश्एचेः frat fag रोगनिबन्धनम्‌ | कमिजाणोख्वण मांसं भक्तयग्तोड राचसाः . येखिदं धमेवुद्धीव weet खगंकाम्यया ` कालक्रृट विषं नुनमचुरे नोवितायिशः अहिंसा परमो Wa: कुतो मांसभखणे | अथ fear utga: arefafeaniae: किमन बडना | | ward रषग्टह्या वा मांसं खादन्ति धे गराः | जिघ्रन्ति प्राणिगो वा ते पच्यन्ते भरका्चिना अन्यश्च चथा गोमायधाताय areas face ` आखेटे रतात्मानस्तयेवान्येऽपि जन्तवः ` wae वशेयत्येवं विमशेस्तस्य चेष्टितम्‌ | तावन्नशनटन्ताम्तो यो जातस्तं निबोधत जम्नकविना्रायै WTAE TUT | BATH AIA पतितोऽधोसुखस्तख ततः संचूर्िताङ्गोऽसौ quart इयेन warut faceqeeasa भिधनं गतः ततः प्रकर्षेणाभिडितम्‌

चतुधैः प्रस्तावः | ६२९

अधुभेवासुमा प्राप्तं व्टगथाव्यसने फलम्‌

विमर्रैः are a we पुष्यमेतददिभाव्यते

wl तु मरकं चोर श्यारेवंविधकममणाम्‌ |

तथापि मूढाः खादन्ति मांसं दिसन्ति देहिनः

RAY राजपुर्षे जिंव्हा सुत्याखच SEU: |

तप्त तावं नरः कञ्चित्पाख्यमानो निरोकितः

ततो दयापरोतात्मा AHA: ATE मातुलम्‌ |

हाहा किमेष पुरषो निर्धुशेर्मांम Tet

विमर्भंनोह्ं | भद्राकणंय | अयं पुरुषोऽेव मानवावासामार्भैमे

चणकपुरे वाख्छग्धो महाधनः सुसुखो नाम Weare: | श्रयं बाल- कालादारभ्य TANCE | ततो खोकैगुणनिष्यश्नमस्व दुख इति माम प्रतिष्ठितं प्रत्येव we प्रतिभासते खोकथा रोचते WRIT मगोभोष्टा राजकथा इह विता देशकया सर्वथा sea चति कथं चिज्निजतुण्डं धारयित पारयति। cay चश्टकपुराधिपतिरेव ait भाम राजा गतो रिपरणसुपरि faetu | शग्रमायोधनं | जिता रिपवः। cay मिमते तस्िन्नाख्चायिकायां प्रस्ठुतानेन राजकथा | यदुत प्रबलास्ते रिपवः waft राजानं श्राग- frat ते पुर शष्टगाथं ततो यथा we पलायध्वं यूयं तदा- HE AS समसं QC! समागतो राजा। दृष्टं तजिरूदसं sways | किमेतदिति veata कथितः केनचिद्यतिकरः। sft दुमुख- स्योपरि तौत्रनरेश्ः। ततः पुगरावाष्ति gt प्रख्या तं दुवंन- भाषणमपराधं पौराण्णामेवं विधो ऽस्य दण्डो faafiat usa

९९०

उपमितिभवप्रपच्ा कथा |

प्रक्ष॑शोदितं माम AMARANTH | CET TS STATS वराककः

मातु खनो दितं ae विकथा खक्रचेतसाम्‌ | अगियन्तितदुष्डानां कियदेतहुरा्भाम्‌ xa fe कुरते वैरं Seat निर्भिंनिश्षकम्‌ | fare Aya सुत्कला AT भारतौ ते धन्धास्ते Tarawa खाष्यास्ते aaftan: | ते wars Cras ते जगत्थग्डतोपभाः येषां मिताखरा श्या नगटाख्हादकारिणौ | काले सदुद्धिपूला वतेते भद्रं भारती थे तु ब्ुत्कखवाणका वदन्तेऽदंवितदेकम्‌ | Aqsa awl Aqur awe THT:

सुचधिष्टा मोशयल्येषा भारतौ तात हैडिनम्‌

Swear पुनर्वत्छ तमेषा बन्धयत्यलम्‌ ` age विक थामू दु माषाव्यसमे फलम्‌ | इदमोष्शमापन्ं परशोके दुगेतिः wart प्रकर्षेण राजमागं निपातिता | efesuy तचेकः शक्तवणेधरो मरः

ततः पप्रच्छ तं atte एष इति मातुलम्‌ | तेनोक्ष aq शवौ ऽयं रागकेखरिसेनिकः WTR मानवावासे वासवौ नाम वारिजः | इदं इृष्तेऽभ्वशं तस्य गेषं महाधनम्‌

wae: WaT: | बाखकाल वियुक्रख्च TTT ATTA:

धनदन्लः षमायातो वासवानन्दरायकाः

इदं कारकञुहिष्य भवनेऽज प्रवेच्छति |

अयं qa: प्रविष्टश्च पथ्य किं किं करिति

ततो विस्फारिताखोऽखौ प्रकर्षसतभिरोकते |

Cay wera Ue मो खितः

ततः प्रविष्टस्छर हे wa: BEAN

संजातं वणिम्मेहं शददानम्दसुम्दरम्‌

WRT बान्धवाः सवं प्रदत्त महोश्छवः |

ततो गृत्धन्ति मायग्ति वादितानन्दमरेशाः ॥.

श्रपि च। '

वरग्डषणदुज्छवशवेषधर प्रमदोद्करखादनपानपरम्‌

धनद ससमागमजातसुखं ACATY TWAIN

ay agfa विष्मथसश्जनके णमा विवभितवर्धनक |

निजमाममवोचत बुद्धिशतः प्रविशोकनकौतुकतोषयुतः दिदं awa माम सवंमदंवितरेकम्‌ | areatary afea तेग इण नाटितम्‌ feat fad वत्स साधु साधु विनि्धितम्‌ | WHS इवं एवा कारणम्‌ MTA aA: छष्शव्ेधरो aT | दृष्टो wit wate ve aways: ततस्तेगोदितं माम एष पुदवाधमः |

Cee

§ उपमितिभवप्पश्चा कथा |

विम््ेनोक्रम्‌ |

aq शोकवयस्योऽयं विषादो नाम दारणः

यशेष पथिकः कञ्चित्मवेष्टुमिह वाञ्छति |

ufassw विषादोऽयं भवनेऽज प्रवेश्यते

ततः प्रविश्य पान्थेन तेन वाखवन्निधौ

एकान्ते वासवश्ेव gy किंविन्निवेदितम्‌

अचान्तरे प्रविष्टोऽषौ विषादस्तच्छरौरकं |

मूद्धंया पतितख्ासौ वासवो नष्टचेतनः

w हा किमेत दि्ुचेविंखपजिखिषो जनः

ततः समागतस्य निकटे भय विष्डखः

अथ वायुप्रदाना्ेः पुनः शंजातचेतनः

प्रलापं कतुमारग्धः खविषादः area: कथम्‌ `

हा GT तात वल्छातिसुङ्खमार शरोरक |

ईदृशो तव सजाता AT मम RAT

जिगेलोऽसि ममा पश्यैवं वारयतो मम |

2am निर्धुणेनेदं तव जात विमिभितम्‌

हा हतोऽस्मि निराशोऽस्मि सुषितोऽख्ि विलचण्छः |

एवं व्यवख्िते ae त्यि किं मम जौवति॥

यावश्च WAI पुजखेहकातरः .

तावदिषादः सर्वेषु प्रविष्टः खजनेव्वपि

अय ते तस . माहाक्याख्वं वाखवनान्धवाः -

चतुर्थः प्रस्तावः। - ERR

हाहारवयरा गाढं प्रलापं कतुसुधताः ततख णेन विगतानन्दं दोगविष्डलमानुषम्‌ | CNT मूढ जातं वासवमन्दिरिम्‌ ` ततस्तक्नादुश्र TET प्रकषेः प्राह मातुखम्‌ | किमिदं माम संजातं VIS प्रैचणान्तरम्‌ faa: are तन्ुभ्यमादावेव निवेदितम्‌ | मया यथान्तरायत्ता बहिरङ्गा CA नमाः ततशेदं तथा ya दर्षे प्रविनारितम्‌ | श्रधुना नाटयल्येवं विषोदोऽसौ वराककम्‌ तदच भवने खोकाः किं gaeq तपसखिन | ये fe दषविषादाभ्यां warta विडम्बिताः mae: प्रार्‌ किं we करणभ्यणेविवतिंना श्रनेन वासवस्याख पुरुषेण निवेदितम्‌ ` विम्ेनोदितं ag समाकणेय सातम्‌ : शरस्य वर्धनो माम Gat इदयवक्षभः चेक एव gate थौवनख्थो मनोहरः | उपया चितकोरौभिर्जातो विनयतत्परः श्रनेन वाथमाणेऽपि धनाजेनकाम्यया | प्रविधाय महासाथं गतो देश्रान्तरे पुरा चोपाज्ये धनं रि खदेशागमकासुकः ..

कादम्बरीं महाटब्यां श्रौतो त्रः ` 80

{ae

इपमितिमवप्रपञ्चा कथया |

विशुप्ं waede इतः साथः वान्धवः बद्धा wala wy त्करेधनकामिभिः तासां मध्ये शटहोतख्च वधेनः क्रूरकमेमिः सार्थवाह इत्येवं वादिभिभ॑द्र aac: नोता ofe ततोऽनेकथातमाश्रतपोडितः भौर विहितो वर्धनो धनवाञ्कया अथं RUS सवेदा पादधावकः |

TQ खम्नमको ATA WAT दाषदारकः ततसन्तादृशं Tet खामिनं चौरपौडितम्‌ | wer कथयबिदायातो इत्ताग्धस्य मिवेदकः जिवेदिति ant तथा बासववाखिषः | USHA AY दृष्टमेव ततः परम्‌ प्रकर्वेशो दितं माम प्रलापाश्नन्धरोदमेः | किममोभिः oftware we संजनितं हतेः विमर्थेगो दितं ag गेतदेव तथापि च। एवमेते प्रद्वंन्ति विषादेन विनारिताः धमदन्तागमं प्राण ये इ्ंवश्वर्तिमः |. वधनापदमासाद्य विषादेन बाधिताः॥ तेषां इषविषादाभ्वामेतेषां पौडिताक्मनाम्‌ REM वा wana पर्याशोचितकारिता ।॥

नत |

अवोच वस्ट्मसतस्वमनाखलोश्य हिताहितम्‌ |

चतुर्थं प्रस्तावः ६९५.

एते विडम्बयश्येवमात्मामं acura: fa च। गाज केवज्मी दुं वाखवौये Wize | शराभ्यां इषं विषादाग्धां awe aq मासते किं aft सवज भवचकरेऽसिन्‌ कारशेरपरापरेः | एतौ मतेयतो नियं जममेनं WE गहे यतः gy Urey धम्‌ मिचमन्यदा सुखकारणम्‌ | wera वशं यान्ति marian मूढलन्तवः ततस्ते तत्पराथन्ताः दुद्धिविकञा गराः | aq किं fa कुवन्ति हाख्यख्छानं विव्रेकिनाम्‌ a चिन्तयन्ति ते मूढा यथेदं Waa | पुजराच्यादिकं सवे THAT TTA ततः कमेपरायम्ते AS Ae ऽतिगल्वरे | कथंदिन्तज संपन्ने Ca: स्यात्केन Ua तया विषादेन बाध्यन्ते वियोगं प्राण्य aw: | अभिः सप्रथोगं शच मानाव्याधिशतानि afwary विषादेन सदाम मूढरेडिमः | WHC AAMT Saad Hae पुनभांवयगक्टेवं यथेदं पूरवंसंचितेः

दद्‌ उपमितिमवप्रपश्चा श्या |

कमेभिजेगितं दुःखं विषादाव्रखरः कथम्‌ अन्यश्च |

विषादो वधेयत्येव Aa तात देहिनाम्‌ ,

जाएकारकस्वाणं कवलं प्रभवचेष्टितम्‌ यतः

दुःखानि पापमूलानि पापं श्रभचेष्टितेः |

सवे प्रलोयते ag ततो दुःखोद्धवः कुतः #

प्रकर्षः प्राह यद्येवं ततः सुन्दरचेष्टिते |

वरमेभिः शतो यन्नो विषादस्य शरासने विम्शंनामिदहितम्‌ |

चाड wefed ay केव मूढजन्तवः |

eae जानन्ति भवचक्रमिवासिमः अन्यश्चाच

कियन्ति सविधानानि श्टङ्रपाहिकया तव |

मया निवेद यिव्यन्ने मगरे पारवजिते Cay

SQ खरूपविन्ञाने aaah कुलूहणम्‌ |

Wa: समासतो aq तुभ्यमेतन्िबेदये

आरूढः पवते तात विबेकाष्येऽच fae |

इदं विलोकयस्येव रूपतः किं निवेद्यताम्‌

TAG WAG aa मया स्फुटम्‌ |

ददं यथादुध्यख भवचक्र महापुरम्‌

चतुः प्रस्तावः ६६९७

्रवान्तरपुरेवेत्छ रिभिः परिपूरितम्‌ | यद्यपो दं ANA AE पुर चतुष्टयम्‌ एक fe मानवावासं दितौयं विबुधालयम्‌ | दतोय पष्टुसंख्ानं चतुथे पापिपश्नरम्‌ एतानि तानि चलारि प्रधानानोह पत्तने पुराणि वयापकानौति स्वेषां मध्यवतिनाम्‌ तजेदं मानवावाषं महामोदहादिभिः षदा | श्रन्तरङ्गजनेर््याप्तमेतेः कलकलाङ्ुलम्‌ कथम्‌ बाचिदिष्टजनप्राप्नौ तोषनि्भरमानुषम्‌ | चिद्रेयजनासत्ते AT ATTA कचिद्धनलवावात्तिजनितामन्दसुन्दरम्‌ | कचिद्रविणना शोत्यरहन्स्नापता पितम्‌ कचिडु ेभसत्मूलुजगमोद् तमहो त्सवम्‌ | चचिदत्यन्तचित्तेष्टमरण्णक्रन्दशन्द्म्‌ कचिकुभटसङ्घातप्रारथरणभोषणम्‌ | कचिग्धिशितसम्मिश्र विमूुक्रनयनोदकम्‌ कचिद्‌ रिद्यदौभाम्यविविधब्ाधिपौडितम्‌ | कचिच्छम्दादिसंभो गाद लो कसखुखनिभरम्‌ कचित्सन्मागंदू रखपा पिष्टजनपूरितम्‌ | कचि धमबुद्यापि विपरोतविचे्टितम्‌ किं चेह बहनो करेन शरितानि मया पुरा

<as

उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

यावन्ति फितान्यशेमेहामोहा दि धसुजाम्‌ तावन्ति aq इष्यन्ते waiters विशेषतः | खततं मानवावासे कारणेरपरापरोः तदिदं मानवावासं किंचिक्लशरेन वशितम्‌ | अधना कथ्यते तुभ्य तत्पुर विबुधालयम्‌ नाकरूपमिदं wa सत्पुरं विबुधाखयम्‌ खत्यारिजातमन्दार षन्तानकवमाङ्ख्म्‌ उल्लसद्धिख गन्धास्येनमेरुइरि चन्दने: | खदा विकते रम्यं कल्हार कमजाकरेः पद्मरागमहानौखलवञवेडूवराभिभिः दिव्यशाटकसन्छिननेधेरितानेकपाटकम्‌ ््खनयण्प्रभाजासलेः सदा निनैष्टतामसम्‌ fahren: प्रविराजितम्‌ दिव्यश्डषण्सद्भन्धमाश्यसंभोगलाणितम्‌ | जित्यप्रमोदमुदामगोतमृत्यममो हरम्‌ मित्य प्रस दितेदिंयेसेजोभि्जितभास्करेः TAHT ARITA णिहारविराजितेः कणालिद्खखद्यङ्ारहारिमन्दारदामनिः | अ्ानवनमालाभिर्भित्यमामोदिताश्रयैः रतिसागरमध्यखेः मो रितेदियसख्ितैः | सदेदमौदृरेलोकेः पूरितं विबधाखथम्‌ यः पूवे वेदनोथाख्यनृपतेः पुरुषो मया

=

चतुथः पर्राबः

साताभिधानस्ते भद्र कथितस्तज मण्डपे कमेपरिणमेग अमाण्डाद विधायकः | विहितो भिखिखय्यास्य पुरस्य वरनाथकः ततस्तेन WAR सतताक्शाद सुन्दरम्‌ | इदं fe ay fad wet विबुधाखयम्‌ प्रकर्षेणोदितं माम महामोहादिग्धशुजाम्‌ | किम प्रसरो नालि येनेदमतिष्चन्दरम्‌ विमभरः प्राह मा मेवं BUTS, कथंचन प्रभवन्ति प्रकर्षे यतोऽजान्तरणमुणः ईरवयाशोकभयक्रोधसणोभमोहमदभ्मेः | खतताङ्ुखित aa पुर हि विबुधालयम्‌ प्रकर्षः WW ata ततोऽ ननु किं सुखम्‌ | fa वेदं इष्टचिन्तेन भवता we वणिंतम्‌ ततस्तेगोदितं वह सुखं परमार्थतः | माप्य सुन्दरं किचिग्तक्वतो faquree केवलं सु ग्धबुद्धौनां विषयामिषवाञ्डिनाम्‌ | अचास्था महतो aw मयेदं तेन विम्‌ तरथा | मदहामोदनरेद्धस्छ परिवारषमायुजः | राच्यं क्ष शोकानां Gena दुधेटम्‌ तदिदं ते खमासेन कथितं विबुधाखथम्‌ | अधमा UTE कथ्यमानं निबोध मे

89२ उप्रमितिभवप्रपद्चा कथया |

ततो निःग्रेषतो वोच्छ तार विस्फारितेखणः | त्रयो दिद्मचेतस्को निजगाद ससंभ्रमः RIA | हा माम माम दृश्यन्ते कष्टाः TA महेलिका: | अमूयां नगरोऽमुभिम्‌ टारुणाकारधारिक्राः आक्राक्ताग्रेषधामानः छष्णा TRANGIA: ame इव ararfa लोककन्पविधायिकाः एताः काः किंप्रयुक्ता वा किवौर्याः किंपरिच्छदाः चेष्टन्ते कश्य awa तयेवंशृतनिखयाः षदं मे सवमाख्यात यावदश्चापि नो त्या | तावक्मतारण मन्ये भवचक्रस्य वणनम्‌ रतः समस्तं मामोऽदो मद्ममाख्यात्‌ मरति | विमग्रेनोदितं ae निबोध लं जिद्नि्मी जरा रुजा afagfa खलता कुरूपता | दरिद्रता दुभंगता नामतोऽमूः प्रकौर्तिताः तत्र घा काल्परिण्त्याद्या Aa या zara: | तया प्रयोजिता तावश्नरेय भुवनीदरे grata निमित्तानि वण्यकोह केचन | wear प्रयोजकानोति लवण्णाद्यानि मानवा; वीये पुभरदो sya यदाद्चेषेण देहिनाम्‌ | इरत्यगेषसदणंलावप्पवशप्रालिताम्‌

चतुः प्रस्तावः। ६४

गाढाद्ेषात्पुनवेक्छ विपरोतमनखकताम्‌ | कुरते शोच्यतां लोके देहिनां वोयं शासिनो वणौपछितखा लिन्य धिञव्यङ्गकुवणेताः

कम्प कवा शिका णोकमो ग्रे TIAA: मतिभङ्गगग्ध्यवाधिदन्तत्रैकल्यरोएताः | जरापरिकरः प्रौढो वायुरच बलागरणौः अनेन परिवारेण oftarftafaaw | अरेवं विशसत्यच मत्तावेद्रन्धरस्िमो श्रधना थस्य बाधाये चेष्टते wafer अरोयमेव `तं ag fave ते निवेदये तस्या एव महादेव्या विद्यतेऽनलुचरः परः | यौयनाख्थौ महावोवखरट उद्ामपौरषः योगौ तदादेशापरविश्ाङ्गेषु देहिनाम्‌ तनोति बलमौ जित्यं बन्धुराकारधारितां विलासा सविभ्बोक विपर्थासपराक्रमेः | वसानो तक्षवनो घषासलासधावभसग्बदेः

गर्वश्रो ष्डोर्य खिष्र वमाहसादि भिरश्द्रतेः | युतः पडा तिभिक्लीकेर्लोलया fara तत्सम्बन्धादमौ भो गसम्भो गसुखनिभरम्‌ | Raa मन्वते Var भवचक्रनिवासिनः ततस्तं निजवोर्थेण धौवनास्यमियं भरा खद्राति सपरोवार कुद्धा र्येव साधकम्‌

१४४

उपमितिभवप्पश्चा कथा |

ततस्ते जरसा वत्छ जमा मदिंतयौवनाः win दुःखको टौ भिर्जायन्ते दौनविक्तवाः खभा्ययाप्यवन्नाताः परिवारावधौरिताः उत्रास्यमानाः SIAN भिस्तिर सूताः स्मरन्तः Tayi कासमाना FAS: | जभ्ाण्मुद्धिरन्तञच wat जोणेमश्चके परतश्भिपराः प्रायः क्ष्य पदे Ud | आक्रान्ता जरया AY RAG शेरते जनाः एषा जरा समासेन शो कपोडनतत्परा | वर्णिता तेऽधुमा वच्छे जां वैवखतीं भुजाम्‌ यो वेदनौयनृपतेरसाताश्यो TIT: | व्फिंतस्तक्रय केयं रुजा तेन दुरात्मना auafen निमित्तानि afedarfa axe: HA: प्रयोजकान्युश्ेनांमाकाराणि शास्लतः सोषटतिसृति विंशः सम्मािः arena | असाव्यार्थागमसेति राहेतुरय गणः वातपित्तकफानां यद्यत्छचोभकारणम्‌ | रजस्तमखर चेति AUNTS: प्रयोजकम्‌ fa a)

बाद्यान्यपि निभित्तानि शष एव परमायेतः TNA: TIM: एष परकारणम्‌ tt प्रविष्टेयं श्रौरेषु योगितवेन शरोरिणणम्‌ !

चतुर्थः Wea: | ६९५

aie निहत्य Die करोत्यातुरतां पराम्‌ न्वरातिसारङुषठा शेःपरमेषञ CIA अन्कयदणएण शूल दक्षाश्च सचयशभरमाः TUSTIN दइशासानाहकम्पकाः | कण्टको टाङ्चो श्रो फभगन्दरगल्ामथाः पामानलोदरोग्ादश्ोषवोषपेकदेयः नेजरोगशिरोरोगविद्रधिप्रसुखा भटाः Vasant: Wat: Banat महावलः | amnafed ag र्जा जेतु पायते अस्ति नौरोगता नाम azarae: | पदातिनेह खातेन WMT भवचक्रके | सावणंबशसौन्दयधौष्टतिरतिपा खवः | परौता BCs शोक सुखसन्दभेनिभेरम्‌ i तां चेषा दाङणा हत्वा चणान्नौरोगतां रुना | प्रवतयति wtarat aorta acer: # तेनेयं तदिाताय Wiel ag वसाते | एतदाक्रा नमूर्तोनां Verena पार्यते तथाहि | कूजन्ति कर्णध्वामेः क्रन्दन्ति frame: | खदन्ति दचपूत्कारराररभ्ति सुविडलाः गाढं दौनानि जल्पन्ति quia asa: | शटन्तोतस्ततो मूढाखेतयन्ते किचन

९९६

उपमितिभवप्रपद्चा कथया |

निद्यभांताः सदोदिग्रा विज्तवास््ाणएवजिताः |

भयोद्नान्तधियो दौना मरकव्ि नारकाः

भवन्ति भवरक्रेऽत्र सत्त्वाः पापिष्टयागया |

इत्वा नौरोगतां we ङजया परिपौडिताः तदेषा लेश्रतो ag रसजा ते गदित मथा !

म्टतिम्डेदित विश्वेयं साश्मतं ते fate

योऽसौ ते दर्भितः एूवंमायनांमा मरौपतिः |

शतु्रपरोवारस्तत्शयोऽम्ाः प्रयोजकः

rama fafety afetquatted |

विषाद्चिग्नस्लपानोयगिरिपातातिसाध्वसैः !

मुभुचाव्याधिदुर्व्यालपिपासोष्णहिमग्रमेः | बेदनाहारदुर््थानपराघातारतिभमेः प्रा्णापामोपरोधाधेः किं तैरष्ुदौरिता लमेवायःखयं प्राप्य falar जिवतते RG पुनरदोऽसुख्या यदियं देहिनां चणणत्‌ इरव्युच्छासनिश्वासं चेष्टां भाषां सचेतनाम्‌ fara रक्रनिर्नाशं वेश्त्यं areata | दौगेन्ध्ये surge खपनं दौघंनिद्रया परिवारस्ठ नासस्या 4 चेयं तमपेखते | द्यं fe तौत्रवोरंण सदेका किंमतुयिका यतोऽश्या नाममाचेश भुवमं सचराचरम्‌ | QUE षदे वेन्द्र कम्पते चस्तमानसम्‌

चतुर्थः प्रशावः | | ९६४७

खदोयेबलभाजोऽपि प्रभवोऽपि sre | आसन्नमपि want (मलेनां ?) भवन्ति भयक्छतराः अतः परिच्छरेनाख्यःस्तात fa वा प्रयोजनम्‌ | एकिकापि atta दूरे य्छरूयतेऽुतम्‌ अत एव सदेशर्यादियमुहामशारिणणै |

किं चिशापेच्यते ag विचरन्तौ यये च्छया 4 tqty दरिद्रेषु दद्धेषु तद्णेषु

दु बेखेषु बशिष्ठेषु witg कड्णषु आपद्तेषु WEY वेरभाजिषु बन्धुषु |

nity away समेषु विषमेषु

fa are बडनोक्तन सनविस्थामतेष्ियम्‌ प्रभवत्येव Way भवचक्र निवासिषु श्रष्डङ्गण्डता sErat जोविका नाम्‌ विश्रुता : AAT AGT क्ल काख्टादनतत्परा तदशादवतिष्ठन्ते भिजख्वानेष्वमो जनाः | अतो दितकरतवेम at खवेजनवक्ञभा

चऋतस्तां जो विकां war द्तिरेषा खुदादण | लोकं खस्ानतो ऽन्यच प्रेषयत्येव Vey | afearg तथा चास्ति दृश्यन्ते चया पुनः | नोयन्ते तथा केचि्यासौ रिपुकन्पनः rome धनं AY बन्धवे परिच्छदम्‌

ai विसुच्ध गच्छन्ति र्डत्यादेग्रेन ते जना;

एवं

उपमि तिभवप्रपश्चा कथा|

एकाकिनः Baten: सुहृतेतर शम्बस्ाः | दौ मागें प्रप्न्ते सुखदुःखसमाङ्लम्‌ तज्निजास्त॒ तथा war रोदनाक्रन्दशुन्दणम्‌ | लगन्ति ataway aria frat विभजन्ते घनं भोगेचेष्यन्ते तद्थिनः | सारमेया waaay किंचिद्‌ मिषखेण्डकम्‌ तदये तु BATS जना दुःखकोटिभिः | केवखाः परिपोखन्ते स्त्यादिष्टा बडिगैताः faa | निवेदिता तिव arate धामसु संचार्यते यया शलोको भवचक्र FERS: अधना TAG खलताप्यवधार्वताम्‌ | एतत्खरूपविश्चाने यद्यसि तव कौतुकम्‌ रस्ति पापोदयो माम Barer: | म्युक्ता तात AAT खलता भवचक्रके बहिनिमित्तमप्ययाः किल दुजेनसक्गमः केवश्चं तत्वतः सोऽपि पापोदयनिमित्तकः वोैमष्टाः श्ररौरेषु वतेमानेयमु केः ` qua seat दुष्टं मनः पापपरायणम्‌ श्रा ्पेश्न्यदौ: ओौख्वेभाव्यररविश्चवाः | मिचद्रोदश्तघ्नवनेलंञ्ज्यमद मल्छराः ममीदडनवेयात्ये परपौडननिखयाः |

र~ ee oe ee

aye: Wea: | ६७९

tatzay fawar खलतापरिचारिकाः अरस्ि पुण्योदयो माम fadtat मूलब्पतेः | सेनानोस्तप्रयक्रोऽसि सौजन्यास्थो मरोन्तमः a वौयंपेर्यगा गौरयप्रश्रयच्येर्यपे शले: | परोपकारदटाचिश्यकतन्नलाजेवादिमिः

युतः पदातिभिसात अनं बन्धेरमानम्‌ कुर्वाणो निजवो्ंण equetcined सद्धमेलोकमर्यादा सदाचारं सुभिन्रताम्‌ | चटयख्चातुलां शोके सदिश्रभदवाखिकाम्‌ ` जनयत्येव केषां चिद्धवचक्रेऽपि देहिनाम्‌ | fafae चास्तावुद्धं गाढसौन्दयंयोगतः तस्येयं खलता तात नितरां परिपन्थिनौ | यतः सोऽग्टतमेषा काणकूट विषाधिका sat fata तं वौर्यादियं पा पिष्ठमानसा | एवं विवस्ाति ay पुरोऽ खपरिच्छद्‌ा एनया इतसौभन्याख्टन्ते यादृशं जनाः | nem तथा पौषद्ध ला तव कथ्यते चचितानेकदुर्मायाः परवश्चनतत्पराः | निष्पिष्टा Freee YMA: खशाः Ger: अगटद्यमाण्ण सत्वुत्येभेवन्तः GAIT खादन्तो , निवगेञ्च ते खला मण्डलाधिकाः

उत्पादयन्ग्डिद्राणि पातयन्तः स्थिरामपि | $2

que

sufafananqg! BUT |

araifafafeat guney ते खलाखवः fatia विन्णयनगन्यदन्बत्नस्पम्ति wee | क्ियवान्यश Sem ते GN: Weare: areca: कचिच्छोताः कदिन्प्ध्यमतां मताः नकरूपा NIWA साज्रिपाता एव BATT: fa a) तवालुरोधतो VY QTV नरया BAT | खयं तमोषां नामापि नारमाश्याटुसुसछदे तदेषा Swat कात शेक्तो मिता मया निबोध area aq वश्येमागां कुरूपताम्‌ योऽसौ ते yeaa बामनामा मरोपलिः cia gaint भवचक्र BETA बाङविष्ये इधल्धेवेदिरङ्भनि भावतः | तच्येवारेग्कालोखि sewer: कारणानि भोः # तयाहि | | TOUTS: KHIM: कषादयः | water @feat देहे जनयन्ति बुखूपताम्‌ HY पुमरदोऽबुख्या wear देवर्तिनो | सदा हि कुरते रूप दृष्टेशरेगकार म्‌ खश्नताज्ुष्डला काश्छकामनलविवणेलाः | बुललाग्थवकडव्यरोनाङ्गलादरि(कि)दोषेताः & इत्याद्याः ATA wy वतन्ते वन्ध दुजेनाः

चतुधैः प्रस्तावः | ९५९

wanted इष्टा विशषत्यतिलौलथा असि vem तेनेव भामनाला सुरूपता ares तन्धूल्चिरङ्गनिमितजा तयाहि | TATU: भसौदन्तः कफादंयः | हेतवो देहिना देहे अयन्ति सुरूपताम्‌ सा जनं HIGHS दषटैरारशादकारणम्‌ प्रस्नवं are छंविभंकताङ्गग्दषणम्‌ nana wad दुराक्षारामुकारिश्म्‌ | करोति भिजवौर्धेकं लोकमोदनकारिशौ a तस्या विष॑श्चष्टतेदं se@a gear | at ₹दत्वाविमेवश्येषा देहिदेहेव योगिनो ततः सुखूपताहो मीः त्रादुग्वैतङरूपताः | भवणग्ति ते जमा ay दृष्टेशदधगकारिकः A नादेयाः क्षटोनलशङ्िता wre: | भवन्ति क्रीडनसानं वालानां श्पगविंष्णाम्‌ a निगैणाख्च मवन्धेते प्रायश वामनादयः | आहतौ वशग्येते ven faster er: 8 विडम्नमकरो शोके तटियं ते gern | जिरूपिताधुना ve कथयामि दरिद्रताम्‌ प्रयुक्ता तावर्देषापि aq तेनेव पापिना ` WAT BHY NACI

उप्रमितिमदप्रपश्चा SUT |

्रथुश्वते Tree हेतवो ये बहिगेताः एनां दरिद्रतां तात atae ते निबेदये जशज्वलनमलष्टाकराजद्‌ायादतखकराः | मधदयुतादिभो गिलवेभ्वाव्यसमदुनेयाः

ये चान्ये कुवे ते केचिद्धनदा भिवय ख्िकाम्‌ | SAG हेतवः सवं aq HAT: प्रयोजकाः कवलं AAS WATS TWAT | पापोदयास्थं Haley प्रष्हमस्याः प्रथोलकम्‌ | दुराश्रापाशसंमूढं ध्गन्ध विवजिंतम्‌ |

jae कुरुते सोकमेषा तात दरिद्रता दैन्यं परिभवो ate] Went बहपत्यता | इदयन्धूगता याश्चा लाभाभावो दुरिष्छता बुशुखार तिखन्तापाः कुदुम्बपरिदे वनम्‌ | अस्या इत्यादयो ag wafer परिचारकाः रस्ति पुश्योदयास्ेन vem: एथिवोतल्ञे | लनाण्हादकरोऽत्यन्तमेश्र्यास्यो नरोत्तमः | सौष्टवमरोत्छेकदद योश्नतिगौरवैः | जमवान्ञभ्यलाशित्यमहेष्छा टि विबेष्टितः सुग्धरिधनसम्भारपूरितं जमताधिकम्‌ | करोति सुखितं मान्यं लोकमुदामलेलया दयं चेष्टते तात परिवारख्मेयुषोौ | तद्‌दलमचातुयेमाविश्नाण दरिद्रता

चतुथः WRT: |

तेनं सार्धंमेतस्याः सदहावस्ानमौच्छते | एतन्नासादसौ ay दूरतः प्रपलायते ततोऽगया इतेशवर्थास्ते जना दुःखपूरिताः गाढं विहृलतां यान्ति विधुरौग्छतमामसाः दुराश्रापाश्वद्भलाद्भूयो धनलवेच्छया | नागो पायेषु वतन्ते ताम्यन्ति दिवाभिग्रम्‌ ते पापोदयेनेषामुपाया बडवोऽप्यलम्‌ | प्रबलेन विपाय्यन्ते खे घमा इव वायुमा ततो ष्टग्धमो मूढाः विदन्ते मनसा धिकम्‌ | श्नोचन्ति युरतोऽन्थेषां वाञ्ढम्ति Trem: कुतो रतं Faas करतो धान्यं w सेन्धमम्‌ | कुटम्न चिन्तया दग्धा इति राजौ शेरते कुवन्ति निन््यकर्माणि धर्मकमपराङ्सुखाः | nate शोच्यतां लोके लघोयांससतण्णादपि परग्र्थकरा दीनाः चुत्धामा मशपूरिताः | गरिद्‌ःखगतेगेस्ता WaT इव नारकाः wafer ते जमास्तात येषामेषा दरिद्रता | toast frewe: करोत्या लिङ्गनं सुदा तदैवमोरिता तात तुग्यमेषा दरिद्रता। wa दुरभंगतेदानों गद्यमाना निग्नाम्यताम्‌ रुष्टेन भव सक्रेऽज केषां चिहेडिनामलम्‌ | rane famearat तेन माममरोभुजा

CUR

cud डपमितिभवप्रपक्चा Kut |

करणे | विमर्शेनो कं ag निखयतो निराकरणे यतितथ्यमेव यतो शक्यत एवावश्भाविनोमामासां निराकरणं कतु विग्श्य- कारौ पुरूषः कथमश्क्येऽयं प्रवतेते। हि कर्मपरिणाम- काशपरिशतिखभावलोकख्ितिभ वितव्यतादिसपूणकारणसामयोबल- प्रवतिंतानामवश्यमा विभेवन्तौना ममूषामन्येषां वा कायैविशरेषाणां निराकरणे यतमानः पुरुषः प्रथासादूते wafers पुष्णाति, प्रकर्षः WIE! माम पूवे भवता प्रव्येकमाषां जराद्जादौनामपरा्ये- वान्तरङ्गबहिरक्गाणि प्रवतेकानि निदिष्टानि। तत्कयमिदानीं कर्मपरिणामादोनि प्रवर्तकलेनोश्यन्ते। विमरंनोक्रं तानि विग्रेष- कारणानौति BAT प्राधान्येनोक्रानि wag यथानिदि्ट- कर्मपरिणमादिकारण्कशापव्यापारमन्तरेण नयन निमेषो कोष- araafa कार्यजातं किंरिष्नगति जायते wat: ae माम यदेवं ततः पुरषेण किमात्मनो निजवर्गोणएस्य वामूरभ्यरेव्तिनोरा पतन्तौ र्पलच्छय कतव्य एव कथिदासां मिवारणणोपाखः | किं मान्वेषणोया एव वेद्यौषधमग््तग्धरसायमचतु विंधदण्डनोत्यादयः समुपसितजरारुजाण्टत्यादि निर्घातमोपायाः | fa सवया पाद प्रसारिकेवा्र ओयस्करौ किमक चित्कर एव geet हेयोपादे- यहानोपाटाने नमु प्रत्यशविश्द्ध मिदं यतः प्रवते एव पुरुषा हिताहितयोरवाश्तिनिराकरणकामतथा प्रहन्ता पाय प्राज्ुवज्ति दितिमये भिराङुवेन्ति चोपश्ितमणुपायत एवाहितमिति | विम्रनोक्ं ae ॒विश्नब्धो भव मोन्ताललतां यासौः। wr वचनेदंपयं | fargeit fe मयोक्तं चथा मा प्रवर्तिष्ट पुरषः)

चतुथः प्रस्तावः | ` १५०

व्यवदारतस्त॒ ana को वारयति पुरषेण हि सव॑न पुरुषा- पराधमलः सदतुष्टाननिमेलजलेन wets) aca हि तक्मटत्तिः यतो नाककलयत्यसौ तदा भाविकार्घपरिणमं ततो व्यवहारतः सवंडेयोपादेयहानोपादानसाधनं समाश्रत्येव fa च। चिन्तितं चानेन cgay प्रवतं तथाणयसावप्रवतेमानो नासितु लभते यतः कमेपरिणमादिकारणसामय्या aaretfag va इटात्मवतेत एव न॒ चाकिंचित्करः युरुषः किं afe एव प्रधानः। तदुपकरणएलात्कमेपरिणमादौनां पाद्प्रषारिका HAS | व्यवहारतः पुरुषप्रटत्तेडितादित निवंतेनापवर्तेनक्षमल्ात्‌ | faquag निःगरेषकारणएकल्लापपरिणमसाध्यलात्‌ कार्याणां sea पूवं माक लिते पुरुषेण वेपरौत्येन तू परिणते पश्चाप्मथोजनेन विधेयौ दषं विषादो खमालम्बनोयो निखयाभिप्रायो बयेत्यमेवानेन विधा- तव्यमिति भावनया विधेयो मध्यखभावः। a चेतच्चिन्तनोयं | थद्येवमदमकरिग्यं ततो नेत्थमभविवष्यदिति यतस्लयावणश्यंभा विनः कायस्य कुतो ऽन्धयाकरणं नियता fe निखयाकूतेन ` नियत- कार णसामयोजन्या सकलकालं तथेवानन्तकेवलिञ्ञानगो चरौगता समस्सापि जगति बहिरङ्गान्तरक्गकायंप्यायमाला सा यया परिपाख्ा व्यवसिता येश्च काररैराविभावनोया aaa afta तान्येव कारणशान्यासाद्याविभं३ति | कुतस्तस्यामन्ययाभावः | wat ऽतोतचिन्ता मोदविलसितमेव व्यवदहारतोऽपि femara’ ऽहित- निषेधाय प्रवतमानेन पुरुषेण सुपर्यालोचितकारिण ara-

कान्तिकामात्यन्तिके तत्साधने भेषजमम््तन््रसायनदण्डगेत्यादौ 83

, 8 + उपमिलिभवप्पश्चा कथया

महानादरो विधयोऽपि वेकान्तिकात्यभ्तिकं तल्घाधममन्वेषणटोयं सवया सदनुष्ठानो पायेन तज aaa धत्रेते जरारजादयः श्वं ऽ्यपद्रवा प्रभवन्ति प्रकषेः प्राह माम OW पुनरेते a प्रभवन्ति | विम्ेमोक्षं

श्रस्ि earl रम्बा frafaata विज्चुता

अनन्तानन्दसन्दोहपरि पूर्णा निरद्यया #

तस्यां ayaa संख्वितानासुपद्रवाः |

लरारजादाः सा यश्मात्सवौ पद्रववजिंता

तस्यां गन्तुकामेन सेव्याः सद्धोयेटृड्ये

घु रुषेण सदा तत्वबोधश्रद्धामसक्कियाः

ततो fasgaratet तस्या मारऽपि तिष्ठताम्‌ !

तभूभवन्ति दुःखानि वधते सुखपद्धतिः

ददं तु नगर भद्र भवचक्र चहुविधम्‌।

सटेवासुक्रमेताभिसयान्येभ्यपदरवेः #

को वाज गण्येत्तात सुद्रोपद्रवकारिण्णम्‌

पुरे संख्यानमप्येषां खस्थानमिदमोद्श्रम्‌

भ्रकषेः WE ANS गगर AT सवया |

शवं कथयतो दुःखबहणं कथितं लया

ary साधूदितं वल ag ada भाषितम्‌ |

fama भवचक्रस् सारमित्याह are:

प्रकर्षः WIE BUI ततोऽ मगरे जनाः |

वसन्तः किं afafae: fai वा नेति निवेद्यताम्‌

चतुथः Tea | que

विमरगो दितं ag मिवदो नास्ति देडिगाम्‌ | sata वसतां नित्यं तजाकणय कारणम्‌ एते कथितास्तुभ्यं महामोहादिभरञुजः अन्तरङ्गः BNA WBA: एतेषां कौशलं किचिदपूवै भनमोहने | विद्ते तदथेनेते निर्विधन्ते a नागराः 4 ua fe चरटगप्राया दुःखदाः शजवोऽतुलाः महामोदहादयो ag भवचक्रमिवासिनाम्‌ a लथापि प्रतिभाषन्ते तेषां मोहितचतसाम्‌ येते YHA AM: सुखद्ेतवः TF गगरं वत्छ दुःखसद्गगतपूरितम्‌ | aura शिता लोका मन्यन्ते सुद्धसागरम्‌ निखिन्ता fatatna वसनेनाच मोदिताः | निवसन्ति सदा तुष्टा महामोहादिबान्धवेः | योऽपि निगेमनोपाय भवचक्रात्रभाषते | तस्छापेतेऽपि र्व्यन्ति यथेष सुखवश्चकः | तच्च तच neat महायन्नेम सवया येनाजेद्र भवल्येषां are: पापेम कर्मणा तदव गिजवौर्धंण महामोहादि शरजभिः कोडोङता a जनन्ति किंचिदते तपखिमः WEFAN AB दुःखात्मकं सदा | एते मनसि मन्यन्ते यथेदमनग्टतोपमम्‌

उपसितिभवप्रपच्चा war |

ततोऽमौ यावदेतेषां प्रभवो aq wayne | भवचक्र a निविंसासावक्लोकाः कदाचन प्रकषेः प्रार्‌ यदेवं ततोऽमोषां दुरात्मनाम्‌ सदोग्मन्तकत्‌ख्यःगां किमस्माक विचिन्त्या केवलं माम सवषां महामोहा दिग्धभुजाम्‌ | द्‌ भितं भवचक्रेऽज मम RG लया स्फ़टम्‌ seat वितः wi मामो दमदन्तमः | वष्टः कुदुष्टिपन्नौको मिथ्यादशेननामकः तेन यद्भवचकेऽच वों विकम्मितम्‌ | aasafa वधास्यातं नापि संदितं मम॥ ततोऽ द्रष्टुमिच्छामि श्रोतु YE: | तदगोग्रतलोकानां चरितं माम साश्मतम्‌ विमशरेः प्रा मगर समस्तमिदमश्नषा | प्रायेण वतेते तस्य AW नासन संश्रयः तया fe | यदिदं afud तेऽज मया पुरचतुष्टयम्‌ asa सवज विदन्ते लो कास्तदग्रवर्तिनः तयापि ये विशेषेण तस्यान्नाकारिणटो जनाः | तेषां ख्ानानि ते ag दभ्रयामि परिष्फुटम्‌ ततख्चोध्वं विशेषेण शलासौ cfu करम्‌ ase दग्रेयत्येवं तानि खानानि ean: maf मागवावासे इष्यन्ते यानि सुन्दर |

चतुथः THT: | ६९१.

अ्रवान्तर पुराणो षडवान्तरमण्डले एतानि ag लोकानां तेषां खानानि wea | मिश्यादग्रेनसंन्ञेन ये वग्गोङ्तसेतसः प्रक्च॑णोक्तं माम किन्ञामकान्येतानि पुराकि किमभिधाना

वेतेषु शोकाः प्रतिवसन्ति | विमरशेमोक्ं ag समाकणंय | एकम पुरे तावन्नेयायिकमितौरितम्‌ | नेयायिकाश्च गौयन्ते ते जना येऽच संस्थिताः अन्यद शेषिकं नाम पुरमच्ाभिपोयते | वेशेषिकाश्च ते लोका येऽस्य मध्ये ववस्िताः तथापरं जनेः सांख्यं पुरम प्रकाशितम्‌ | सांस्याञ्च ते fafafeet शोका येऽज वसन्ति भोः CRIT YAMA पुरमास्यायते जनेः | प्रसिद्धा बोौद्धसंन्नाश्च ते जना येऽस्य मध्यगाः मोमांसकपुरं माम तयान्यत्परिकीर्तितम्‌ | मोमांखकाख गौयन्ते ते लोका येऽ संखिताः णोकायतमिति aim tae तथापरम्‌ | बादख्यत्याख्च ते लोका वास्तव्याः पुरेऽब भोः तदेतेषु greed लोकाः प्रकौतिताः ते विग्रेषेण कुवन्ति भिथ्यादशनश्राषनम्‌ aq nim मया पूवे सभायस्य विजुभ्मितम्‌ | तस्य wa तदेतेषु लोकेषु मनु दश्यते

WHAUTH |

ade

उपमितिभवपपश्चा कथा |

वड यानि शूयन्ते मण्डले लोकवातेया दशेमानि किमेतानि तान्याश्यातानि मे लया विमभरेनो दितं ag कथ्यते ते परिस्फुटम्‌ | एतानि wy तान्येव मौोमांसकपुर विना अर्वाक्घालिकमेतद्धि मोर्मांसकयुर मतम्‌ |

तेन ेमसंख्यायामेतघ्लो कंभ Aas

तथा fe

जेमिनिवंदरक्चाथं दूषणो द्धा रणेष्छया |

aac किख मौमांसां ger तौर्थिंकविज्षवम्‌ तस्मारेतामि waa मौमांसकयपुरं विना | शोकेदं शनसस्यायां गण्छन्ते नाज संश्रयः waa: प्राह यदेवं ततो ब्रूहि वतते

तत्पुरं माम चज्लोकंर्गोयते वष्टदभेनम्‌

विमगंनाभिहितं |

यदिदं दुश्यतेऽेव विषेकवरपवते |

निमेलं शिखर तुक्गमप्रमन्तलमामकम्‌ विश्लौ एंमिदमल्य्थंमतरेव निबेभ्रितम्‌ |

युर शोकोन्लरं ag तव्जेनमभिधौयते

aw ते कथयचिश्यामि से ge: शेषजित्राः | तयापि शोकरूढोव षष्ठं fe तद्‌ दाइतम्‌ & श्रन्यद्च ay ये शोकासतेषामेष मदन्तमः "|

बाधकः swe मिभ्यादगशेननामकः

चतुथः प्रस्तावः | दद्र

प्रकर्वेणोक्नं | अधःख्धितेषु बाध्यन्ते सुरेषु यदमौ ननाः | श्िखरस्वे बाध्यन्ते माम कि तज कारणम्‌ faaiatn | असच निदतिरशौके गगरो सुमनोहरा | साच भुक्रेरतिक्नाग्ना मदामोदादिग्धभुजाम्‌ मिदंन्दानन्दशपूर्शा ead निरुपद्रवा | एभिश्चाकणिता wa: सा शोकैः पुरवासिभिः ततो लोकायतं मुक्ता ये गेषपुरवासिमः। ancy गन्तुमिष्छनि तामेते ve निटेतिम्‌ + एते सवं तां गन्तुमन्तरङ्गेमंहापयेः खक पितः प्रवाञ्छन्ति परस्पर विरोधिभिः ¢ तत | matted wfasa art: परिकख्िताः faze: प्रापकास्ते fe a घटन्ते gain: विवेकपवेतो नुङ्गशिखरख्वितसत्पुरे वशद्धियः gage: सच्मार्गोऽतिमनोहरः frafa नयत्थेव लोकं भाख्यन awe: | प्पातविसुक्षेन मया तेनेद सुष्यते थथयामौ बाधिता शोका येऽधःखपुरवर्तिंमः मिणष्यादगेनशंश्ेन गिरिशे महापुर यतः |

६९४

उपमिलतिमवप्पश्चा कया |

तस्भिथ्याद गेनस्येव माहाग्यं स्फटसुच्यते यदेते a विजानन्ति wana मिदेतेजेनाः feeqer इव मन्यन्ते कुमार्ग मपि तत्वतः | wari इति येते तत्तखेव विजभ्भितम्‌ थे aa शिखरे लोका वतन्ते ag घत्पुरे एषामेतद्दयं नास्ति तेनेमे तस्य दूरगाः एताजि पुराण्यच प्र्यासन्ञानि तेन ते। दर्जतानि मया ag Raat परिकौर्तिता far तदि उपलखएमेतानि विज्ञातव्यानि भावतः | मिथ्याद्रमबश्यानामन्येषामपि तादृश्राम्‌ यतः यान्येतानि पुराश्यन इृश्न्ते ag was | तान्यन्यदेश्रकालेषु स्यः स्तोकानि बहुनि वा एतत्त faacerfa at भद्र saat | च्रप्रच्युतमनुत्पज्नं शाश्वतं परमायेतः प्रकचेणोदितं माम येऽमोभिः परिकश्पिताः ` aga निरतेर्मागा . ate: पुरनिवासिभिः तानह ओतुमिच्छामि प्रत्येकं सक्ुद्रहलः | ततो मेऽगुग्रहं शला भवामाख्यातुमदेति ti faa are यद्येवं ततः wat समाहितम्‌ | Nae ae Gea मार्गाग्वच्छे परिस्फटम्‌

चतुः प्रस्तावः | ६९१५

त्र मैया यिकेश्तावदेष afecat निदेतिमागेः यदुत ware- ममेयसंश्रथप्रयोजमदृष्टागन्सिद्भाम्ावयवतकं निणेयवादजश्यवितण्डा हेवाभासच्छखजा तिनिगरदश्यामानां तच्चपरिज्नानान्निभेयसाधिगमः | तजार्थोपखम्भहेतुः प्रमाणं AAT तद्यथा प्र्य्ासुमागोप- मागश्ष्दाः प्रमाणाभि। तज प्रव्यक्षमिद्धियाथेसज्िकर्षोत्पशनं AURA RATAN व्यवसायात्मकं प्र्यचच | तत्पूवेकं fafa- धमनुमानं | तद्यथा PATRIA इष्ट AT पूवेवत्का- रणटात्कार्यातुमानं चचा मेघोज्ञतेभंबिव्यति afefcfa गेषवत्का- यात्कारणणङुमानं यथा विशिष्टादौपूरदभेनादुपरि हृष्टो देव दूति सामान्यतोष्ृष्टं नाम यथा देव्दश्सादौ गतिपूर्विकां दे्ा- न्तरप्रािमुपलग्ध दिनकरेऽपि सा गतिपूर्विकेव समधिगम्यते | प्रसिद्भसाधर्म्यात्छाध्यसाधनसुपमानं यथया गौस्तया गवय ईति आप्तोपदेशः शब्द श्रागम Cae: | तदेवमिदं चतुर्विधं प्रमाण्म- भिहितं तथा श्रोरद्िराथेनुद्धिममः्टन्तिरोषमरत्यभावफश- दुःखापवर्गास्ठ प्रमेयं किं स्ादिित्नवधारणल्मकः प्रथः संग्रयः किमयं era: स्यादुत gee इति येन प्रयुक्तः प्रवतेते तप्मयो- जनं श्रविप्रतिपत्तिविषयापन्नो इष्टाः सिद्धान्तखदूर्विंधः। तद्यथा | खवतन्तसिद्धान्तः प्रतितन्विद्धान्तः श्रधिकरणसिद्धा्तः शरभ्यपगमसिद्धान्तसेति। प्रतिन्नाडेदरदादरणणोपनधनिगमनान्यवयवाः। wang भदितव्यताप्रत्ययस्तकंः थथा भवितयमज ere पुरुषेण वेति सं ्रयतकाभ्चामूष्वै निच यतः प्रत्ययो fate: यथा एरुष एवायं खाणरोव वा तिसः . कथा वादव्पवितण्डाः तच 84

| { 31 खपमिविमवप्रपश्चा कथा |

जिाचार्यथोः पल्प्रतिपखपरि््ेणाभ्यासख्धापनाय वादकथा | विजिगौषुणा wt ङखजातिनिगदश्छानघाधनोपाछग्भो ye: | स॒ एव प्रतिपकख्यापनारौनो विवष्डा अ्रनेकाग्तिकादयो हेला- भाषाः। गवकम्बखो देवद इत्यादि च्छलं | FATA जातयः। fravernfa पराजयव्रस्नि। तद्यथा प्रतिन्नाहानिः प्रतिश्चान्तरं प्रतिश्चाविरोधः. प्रतिश्चाखन्याखः Gent watt facia श्रवि- श्वाताचेमपायेक अप्राप्तकालं न्येनमधिकं TAH अनगनुभाषण अ्रप्रति- ज्ञानं अप्रतिभा कथा विकेपो anagem waiqdtetted faca- थोच्यासुयोगः safagtat हेवाभासाखेति बिग्हखानानि। तदते प्रमाणादवः SVN Geral नेयायिकद्नसमासः

वेभेषिकेः पुनरयं वल परिकख्ितो निर्वुतिनगरौ गमनमागेः | यदुत दउव्यद्ककमेसामान्यविग्रेषखमवायानां wat पदार्थानां aw- परिश्चानाशिभ्रधसाधिगमः। खा fe निर्वृतिजिःखयसरूपा तज एचिव्यापस्तेजो sacral काशो दिगात्मा मन इति मव द्वयाखि, CALS aH NGA THT aT ea TTA NTT AS खदुःखेच्छादेषप्रयबधर्माधमंसंसकारएसलद्रवलखेहवेग शब्दाः पञ्चविंश्- विगुणः उतृरेपणमवचेपणमाङुच्चनं प्रसारणं गमनमिति पच्च कर्माणि सामान्यं दिविध परमपरं तन्न परं शन्ताशखशं श्रपरं द्रव्यलादोति। नित्यद्र्यट्तयोऽनधा विशेषाः श्रयतसिदड्धा- गामाधाराधेयग्रतानां यः सम्बन्ध TENT: समवायः खेङ्गि- RHE दे एव प्रमाणे इति वेग्रेषिकडद ग्रेनसमाघाधैः |

संख aa निवद्धा परिकर्पितोऽचं fagfeerret: va:

चतुरः wera: | ६६७

यदुत पञ्चविश्रतितत्चपरिन्नानाज्जिभ्रेयखाधिगमः तज जथो गणाः सत्वं TINY) तज प्रषादलाचवप्रसवानमिष्वङ्गादेषप्रतोतयः काथ BWA | शोषतापमेदश्तम्भोदेगा पदेषाः काथं रजसः | वरणष- सादंनमोभलषटन्यगौरवाणि तमसः काये ततः सत्नरणस्तमषां area रटति: | सेव प्रधानमिल्युच्यते meaty महानावि- भेवति बुद्धिरि्येः बुद्धेशाहङ्धारः ततोऽहङारादेकादगरेगरि- याणि ager पञ्च बुद्धौद्धियाणि स्यशेनर खनत्राणचचुःरोच- wife पञ्च॒ कर्मश्ियाणि वाक्पाणिपादपायुपखखणानि मनसा विभवति | तथा तत एवाडद्ारा्लमो बडशात्यश्च तन््ाजाखि स्यशेरसरूपगन्धशब्दशचणान्या avai | May एचिग्यादौनि पश्च मदाग्धतानि तदेषा चलतुरविंशतितच्लातपिका प्रतिः तथा परः पुरुषदेतन्यखरूपः स॒ Naat जग्धमरणकरण्णानां नियमदश्र॑ना- इर्मादिषु प्रटन्तिनामालाख प्रतिपुरुषयोखोपभोगायैः स्थाम पम्बन्थयो रिव | उपभोग शब्दाचुपश्चम्भो गण्णरषान्तरोपभोगख म्रत्यद्ालुमागाममाः प्रमाणनोति सांख्यद शेनसंखेपाथेः

ag: पृगभद्र॒परिकर्पितेथं मिरईतिमगरौवतेनौ यदुत दादश्रायतननि। तद्यथा पञ्चेद्धिथाणि पश्च शब्दादयो ममो धर्मा- थतमं wag सुखादयो विश्चेधाः भ्रत्यश्ानुमाने एव प्रमाणे इति बोद्धद शंनसमासारधंः

अथ वा वेभाषिकणौनाग्तिकयोगाचारमध्यमकमेदाशतु विधा बौद्धा भवन्ति तज बेभाषिकमतमिदं aga दिकं ae तथ्चथा। आतिलेनयति स्थितिः खापयति जरा जजरथति विनाशन

६६९८ उपमितिभवप्रपच्ा कथया |

भाश्यति तथाक्मापि तथाविध एव पुद्रशख्यासावभिधौयते

सो बाभ्िकमतं पुनरिदं शूपवेदना विन्चागसश्चाससखकाराः w- श्ररोरिणमेते पश्च स्कन्धा fag) पुनरक्मा। एव हि परश्ोकगामिनः तथा शणिकाः सवं संस्काराः Gees पर- मायेतः | अन्यापोहः श्ब्डाथेः | सन्तागोच्छेटो ate इति

योगाशारमतं विदं विश्चानमाभमिदं भुवनं a विद्यते बाद्यायेः। वासनापरिपाकतो नोखपोतादिप्रतिभासाः। area सर्वेवाबनाधारग्तं च्राच्चयविन्षागविष्द्धिरेव arent इति a

माथ्मिकदशने तु खवद्यून्यमिदं खभ्नोपमः प्रमाणप्रमेथप्रविभागः। ging gemefewet tena इति बौद्धविगरेवाणां मत- eared:

शोका्तेः पुगवष्छ सा निर्वुतिनगरौ नास्तोति ख्यापितं शछोकाथते। wat बरुवते भासि निवुतिनोसि जौवो नासि पर- लोको नासि qu नासि पापमित्यादि) किं afe एचिव्याप- aot वावुरिति ae age अरोरेखिथविषथसंचा | तेभ्बदेतन्यं ae मदशक्तिवत्‌ जखबुदुदवष्नौवाः प्रत्ति- निटृत्तिसाध्या Tif: Geers: काम एव नान्वो मोका- दिः तस्माजान्यत्पथिव्यादिभ्वशशस्वमस्ति इटहान्यदुष्टकणख्पनासन्ध- वादिति | प्रव्य्मेव चेक प्रमाणमिति शोकायतमतसमासः

Patent पुनरेष भागः aga वेदपाटानन्तर धर्मेजि-

TT wie area ange निभमिन्तपरोचा fafa चोदना यत Sh) चोदनालच्णोऽथो wa sent

चतुर्थः THT | dde.

frarat प्रवतेकं वचनमाङ्यंथाग्िहा जुङयात्छगेकाम TeT- दि तेन धर्मो खच्छते मान्येन cera प्रत्यचादोनां विद्यमानो- पलम्भनलादिति प्रत्यवालुमाबश्ष्दोपनानार्थापत्चभावाः षट्‌ प्रमाणानोति मोमांसकमतषमाशः अमोमिः qaag विषेकमहापरवतारूटेरप्रम्लन्िखरस्थिते-

जनपुरनिवासिभिर्जेगशोकैरयं दृष्टो भिर्वःतिनगरौममनमागेः | यदुत जोवाजौवाखवसवरनि्ेरामो चास्तं | तज सुखद्ःखश्चामा- दिपरिणमलच्णो ta: तदिंपरोतद्छनोवः मिष्यादग्ेना- विरतिप्रमादकषावयोगा austere: आखवः भ्राखवकायं बन्धः | आखवविपरोतः संवरः daca निजेरा fasicradi मोच द्यति an पटार्थाः। तथा विधिप्रतिषेधालष्टागपदार्थाविरो- धच अरज Mee खगं कवखार्धिना तपोध्यानारि aa सवं जौवा wre दृति वचनात्‌ सततखभितिम्‌िष्ठद्धा fre | were थोग इति वचनात्‌ | उत्पाद विगमभरौग्धयुककं बत्‌ एकं द्रवयमनन्तपथांथमथं इति | प्रत्यच्चपरोखे एव प्रमाणे इति अेम- are दिग्‌ दग्रेनमाजम्‌

ast प्रथमास्ञावशचलारो वत वादिनः |

भेयायिकारथो मेव निर्वृतेमगबेदकाः ¢

यतः |

एकान्तनित्यनिश्छन्ति पुषं तज गामुकम्‌ |

सवेगं वाञ्डम्ि तथान्ये चणनसखरम्‌

निव्य्ाषौ कथं गच्छेन्नस्यामविचशो चतः |

९७.

उपरमितिमवप्रपण्ा कथया |

खवेचगञ्च यो भद्र गच्छेत्कुतोऽपि वा नश्वरोऽपि विनष्टलाश्न aut गन्तुमहेति | तस्मादेते जानन्ति मागे तसख्याखपख्िनः लोकायतास्त दूरेण aa ay निवृतिः | ये हि crown निराङव॑न्ति तामपि

fa a | 7

लोकायतमतं anita पापौघकारणम्‌ ` जिेग्दागन्दपूणाया fase: प्रतिषेधकम्‌ तस्माडष्टाश्यकरं क्रिष्टसत्वविचिन्ितम्‌ | area सदा धौर्यं नासिकदगेनम्‌ परमार्थेन सा ay नेष्टा मोमांसकेरपि | येः aay fara वेद प्रामाण्छंमौ रितम्‌ तदे वमेते सरवैऽपि अमिष्ठपुरवा सिनः

mam कारणेनोक्षा मिश्यादशेनमोदहिताः

एते तु faeces: पुरे वाखब्यका जनाः | यं वदन्ति निर्भिश्यो fara: oye: पथः

ary |

यथावस्धितसन्मा गेवेदिनां saurfean महन्तमो बाधाये मिश्यादशेननामकः श्ानद्धानपूतास्ते निःस्पृहा भवचारके चारिज्रयानमारद्य मितिं यान्ति मानवाः यथा was यथा चान्ये तदिधाः।

catenin ggg" ~ ~=

UTM? प्रस्तावः | ६७६

दृद पुरतो aw aay ते fanz ततो जग्म ममाद्धेति a विचारस्य fafeta: | तेने ते षमासेन प्रविभब्य निवेद्यते WAIT दयाकरो मतः . विदद्धिर्िवं तेमांगेः sae: सुपरिस्फटः दृष्टः पव॑तारूढेनं दृष्टो warfare: | तेनैते तज गन्तारो गाश्तरो भुवि खिताः तदेते afta भवचक्र मवा जनाः ये मिश्याद श्नाख्येन तेन uz विडन्निताः. # WHE: प्राह ARS भवचक्र मवा पुरम्‌ सवे विलोकितं दृष्टं वौयेमान्तरण्मुजाम्‌ ॥. केव तदिदं WA महादहास्यकर परम्‌ | श्राभाणक जगत्य Beaty Tat गन््नो मनुखखामश्या चो वधमाइरियति तस्येव fager इन्त खा वधूरिति कौतुकम्‌ ताहि | | = 4? महामोहादिजेतारो महात्मानो नरोक्माः | ष्टव्या भवशकरऽज सन्तोषसदहिताः किख VACUA मामावामज TAT | दृष्टास्ते महात्मानो सनोषश््पतिः शअ्रतोऽधनापि ताश्मामो मदमु्रहकाम्यया | ` गला ते aw वतन्ते तजखान्‌ शंयलख्म्‌

{oR उपमितिभवप्रपश्चा KUT |

faatiitfed we थदिदं शिखरे सितम्‌ i

Sai पुरं wea गुलम तथाविधाः

तस्नादेव गच्छावो येनेदं ते कुठहशम्‌ |

साचाहशेनतो ag निःशेषं afta

एवं भवतु तेनोक्ते तौ मतौ तज सत्पुरे

दृष्टा शाधवस्तज निमेखोमसमानघाः ॥.

विमश्ेः are wea ते शोकार्थेमिहाक्मभिः |

fafent निजवोर्थेश महामोरारिश्वयुज्ः

aq भगवतामेषां बान्धवा ag जन्तवः |

Vase सेतराणं बान्धवाः सवश हिमाम्‌

aaa मातरोऽमौषां मरामरपग्ररुख्िथः |

एतेऽपि खमवस्तासां भगवन्तो नरोत्तमाः

बाद्यपरि थे ag निजेऽपि श्ररोरके

चित्त शग्रमेतेषां पश्चवव्नणपड्ूयोः

सत्थं watts वाक्यमम्डतश्चरण्णोपमम्‌ |

एते परोच्य भाषन्ते काचं सति मिताचरम्‌

अङ्ग्यो गलिद्यथे सवंटोषविषजितम्‌ |

आष्ारभेते yf शौल्यभियुक्रसेतसः

fa चेह बङनोक्रन चेष्ठा था शा महात्ममाम्‌ |

सासा भगवतामेषां मशमोहादिख्दनौ

तेन ay मगवतामेतेषां सम्बज्विन्धापेच्या wat चिन्तटन्ति-

महाटब्यामेव लानौडहि वदुतात्यनशष्का सा प्रमन्तता नदौ

चदु धः प्रस्तावः 1. ७३

faahad afsefaagfaa परिभग्रसित्तविक्पमणष्डपः | निर- स्ता दरष्णावेदिका। विघटितं विपर्बाशविष्टर संचिता शा- विद्यागाजवष्टिः 1 प्रलोनो महमोहराजः। इषारितो महा- मिश्याद्‌ग्रेनपिभ्राखः fatat रागकेसरो निर्मलो देषगजेन्द्रः | faufeat मकरध्वजः 1 विदारित विषयाभिलाषः निर्वासित महामुढताद वस्तद्वार्याः विदिशति हासभटः। विक्र्विंते जगु सारतो निषूदितौ भवध्रोकौ i facfear दुष्टाभिसन्धि- प्रश्तयद्यरटाः | पञ्चायितामि डिग्परूपाणि 1 विद्राविता ज्ानसव- Tiga चयो दु ढनरपतवः श्रनुकूलो तास्ते चत्वारः सप्तानां मध्यवर्तिनो वेदनोयाद्याः awa चलतुरङ्गमपि aged बलं प्रशान्ता विष्बोकाः। विमिता fareren: ) तिरोग्डलाः aaafa- काराः | किं बहना ष्वंया

wee भवता तस्यां afea मया पुरा

aq किचि्मस्तानां दुःखदं बाद्मदेरिनाम्‌

fenafuarreat तक्छवं मिह afin: |

प्रलोनं ag wat yaad महाधियः

सा सर्वापद्रवेमुका श्वेता रनौ घपूरिता |

एतेषां ध्यानयोग चिन्तटत्तिः प्रभासते

तदेते वे महात्मानो ये मया वश्च वणिताः

पूवं तपोधनाः aaq पश्य faurftaew:

THAT | | चाड WE Bi माम विहितो मटनुग्रह, 89

gee

उपमितिभवप्रपस्चा कया

जनितः धुतपापोऽहमेतेरषा दशनाया It

wa मानसनिर्वांश विहितः पदटुखो चमः | आरनन्दाग्टतसेकेन ms निर्वापितं चमे eae दग्रनोयोऽखौ aarerfa गनु बथा थो वर्णितो महावौ्यो माम सम्तोषग्डपतिः #

विमर्थनेाक्ग `

ay

एष दृश्यते AG दृष्टः सुख दायकः | wafynearaar माम विस्तौरंमण्डपः सर्वेषां वल्लभोऽमोषां जनानां पुरवासिनाम्‌ खन्तोषमहण्पो नूनम भविश्यति प्रकर्षः प्राह यद्येवं ततोऽव प्रविश्यताम्‌

एवं भवतु वत्सेति बभाषे तस्य AIT: प्रविश्च चोचिते देशे ताभ्वां दृष्टः मण्डपः निजप्रभावविविक्नननसम्तापसुन्दरः

THA TAS दौभिनिर्धैततामसम्‌ afed श्रिशोकेम सचिन्तानन्ददायकम्‌ tt विश्ाशवेदिकारूढमु पविष्ट वरासने | दन्ताखानं ALK तौ Waa: चतुभुखम्‌ ततः THU TY मनसा इषंनिभेरः मनाक्‌ संनातसन्देहो मातुलं प्रत्यभाषत अहो रम्बनिद जेनं पुरं थणेदृश्ः प्रभुः

चतु धः VAN | 9, 1

trat aga शोका वास्तव्या यच्च Sgu: wa faa VIEW युर माम विबेकवर पवते | कि सोऽयं भवचक्रऽच वतेते दोषपूरिते विमनो दितं aq यस्मिन्नेव महागिरिः वतेते तद्‌डं वच्छे ख्ाममसख्य निग्रामय feuafaaueat वतेते परमार्थतः | भवचक्र तु विदद्विङूपचारेख कथ्यते यतोऽ विद्यते aq स्चोकपरिपूरितम्‌ , अन्तरङ्ग Bane at सात्विकमानसम्‌ awe संख्ितो ag बिबेकवर पवतः | आधाराधेयसम्बन्धस्तनेवं परि क्येरतितः

WHaUtfea माम यद्येवं ततो यदि दमस पव॑तस्याधारभतं खाल्िकमानस पुरं ये agfaant बहिरक्गलोका agri विषेक- सहा गि रि चेद मप्रमत्तलं frat यदो जेन पुर ये चाज खिता बहिरङ्गजनाः were चिन्तशमाधाममहामण्डपो या चेयं वेदिका aed सिंहासनं यश्चायं atat aqraae परिवारः तदिदं सम WATS 1. ततो ममानुग्रहधिया mea विशेवतस्तदणेयितु- संति मामः | विमर्ेनोकं ae ययेवं ततः समाकणंय `

यिद पवेताधार पुर साच्िकमामसम्‌ | सदन्तरङ्गर नानां सरवेवामाकरो मतम्‌ अनेकदोषपूंऽपि भवचक्र व्यवध्ितम्‌

fod उपमितिभवप्रपश्चा कथया

नेदं eat aq दोषसग्नेवभाजनम्‌ अधन्या HACKS वतमाना मनुग्यकाः | ददं खशूपलो वत्छ पश्यन्ति कदाचन्‌ tr यानि जिमंखचिन्तादिपुर्यन्तरण्डमिषु | अचेव प्रतिबद्धामि तानि जानौडहि भावतः # कमंपरिणामाद्यौ राजा नेदं महापुरम्‌ सशुक्रिकं cera महामोदा दि गञ्ुजाम्‌ # fa aft

Baas YRS तयान्येवेरकरमिपेः | wwuvafefada भोजयेच्च syfmaq ॥# दरद fe जगतः सारमिदं निरूपद्रवम्‌ इदमेव wares बहिजेनमनोहरम्‌ तदिद ते श्मासेन पुर साल्िकमागसम्‌ | मिबेदित मया ag We चाचाधुना जनम्‌ ये शोका भिवसगधज्र पुरे साचिकमानसते बहिरङ्गा भवन्येषां शौर्यकीर्यादथो गणाः 9 बहिरङ्गा जनास्ते हि निवखन्धच्र सत्पूरे |

` पुरमााश्यमाचेण गच्छन्ति विवुधाख्ये Hay AAAs पुरे साच्िकभानसे। प्रल्यासश्नतया याति विबेको दुष्टिमोषरे

ततख

अद्यारोदन््श्चु लोका निवेकवरपवेतम्‌ |

चतुरैः प्रस्तावः। gS9

ततौ जेन समासाश्च पुर याभि सुलाश्यदम्‌ श्वं fea |

पुरप्रभावमानेण UA सुन्दरा जनाः |

विबेकशिखरारूढाः qa: स्यरतिदधन्दराः tr fa च।

saat पापिनां ag भवचक्रनिवाधिनाम्‌

सदा प्रतिभातोदं जमानां जनसत्पुरम्‌

निवसन्ति पुमर्येऽबं पुरे षालिकमानसे |

हिरङ्गजनाेषां mnie कैनसत्पुरम्‌

agar भाषिकष्याण्ण लोका मार्मानुधाथिनः

MATH: पुरे येऽज षदा प्रश्तिसुन्दरे

तदेते कथिताख्युभ्व पुरे सालिकमामसे |

शोका महागिरे शूप saranda साश्मतम्‌ ॥#

तावदारूदुःखतां मवचक्रनिवाखिनः |

जना यावन्न wafer ते विबेकमहागिरिम्‌

तदा रमते तेषां भवरक्रे मतिर्गैणम्‌ ततश्च

विशाय मवशक्र ते समार्क्म महागिरिम्‌ |

विमुच्य दुःखं जायन्ते निदेग्दरागन्दभाजिमः

यतोऽ frat तुङ्गे ख्वितानां avg देहिनाम्‌

भवचक्रमिदं श्वं करस्धभिवं भासते

ततो विविधटन्तान्त दुःखसबगतपूरितम्‌ |

९७< उपमितिभवप्रपञश्चा कथा |

बिलोश्येदं विरग्यन्तं नगरात्तेऽसुतो Bat: facarg भवन्धच प्रतिबद्धा महागिरौ | विवेके भावतः सौश्यहेत्रेष सद्धिरिः ary | विवेकसद्विरेवेष्छ मादहाव्येनास्य ते जनाः | भवन्ति सुखिनोऽत्यग्त' भवचक्रेऽपि संखिताः 4 तदेष सवेशोकानां सुखडहेतुमेहा गिरिः | विवेको वणितस्छन्यमधुमा शिखरं भ्रण ददं fe fret तात खवंदोषभिबरणम्‌ | SACRE मन्ये दु ्टान्तरमहोगुजाम्‌ यतः | विषेकारूढशोकानां यद्युपद्रवक्रारिएः | आगच्छेयुः कचिद्धद्र महामोहादि रजवः ततस्ते facaaar विवेकारूढजन्त॒ भिः | शिखरादप्रमन्तलाल्लोच्यन्तेऽसमाख SWE: ततस्ते चुरिितोगरेषशररोरावयवाः पुमः | दूरतः प्रपलायग्त frat वोच्छ कातराः तदिदं गूनमेतेषां दखनायं विनिर्मितम्‌ विवेकवासिग्रच्ठामन्तर कमह मुजाम्‌ fa 4 eu famreguy सवं लोकद्ुखा वहम्‌ | वल्छेदमप्रमन्तत्वं शिखर गाढसुन्दरम्‌

चतुथः Wes ` {oe

तदिदं ते warea कथितं शिखरं मया BUT Tt जेमं पुरं तत्वं निश्रामथ ददं हि सत्पुरं ae भिरग्तानन्दकारणम्‌ | gee भवचक्र तु जन्तुभिः पुष्यवजितेः यतः कालेन यसा लोकाः पयटन्तः कथंचन | श्रासादयन्ति BHU पुरं साल्िकमानसम्‌ feat ay पुनर्यान्ति भवचक्र निरन्तके | एनं aq wafer विबेकवरपवंतम्‌ भर रिभिर्विडहितैस्तात ततस्त्य ware: कद्‌ा चिन्तेऽब पश्येयुविंबेकवरपयेतम्‌ moa दृष्टेऽपि तथान्ये aq सद्भिर | प्रयान्ति विदम्तोऽपि भवचक्र खवेरिणः आरो्ेयुः कदाचिच्च तचारूढाः सुदुखभम्‌ | frac ते पश्येयुरिदं वा तिसुन्दरम्‌ दृष्टेऽपि नानुतिष्ठन्ति तचारोषणसुश्चकेः | ` जेचिद्ेनेव faster भवचक्र षको त्‌काः यदा तु धन्याः चिखरमारोषन्ति मनोहरम्‌ | इटं वत्छ जमा जनं TMG तदा पुरम्‌ सा चेषा भवचक्रेऽच वतंमानेः TERT सामो जन्तुभिवेक् यास्य दशेनकारिणो तेनेदं सततागन्दकारणं जेमसत्पुरम्‌ |

Onn

उपमितिभवप्रपश्चा aa I

Tat सकलकख्धाणभाजिनो जओमखब्जमाः fatter मया तुभ्यमधुना WH मण्डपम्‌ श्रयं चिन्तसमाधामो मण्डपः सवेदेहिनाम्‌ सपराप्तः कुरते सौख्यमतुलं निनवो्येतः waa श्पतेनु ममा खामा्े विनिमिंतः वेधसा जिजगदन्धोरादरादेष मण्डपः ATS भव चक्रऽज सुखगन्धोऽपि सुन्दर याव्चिन्तखमाधानो नेष erat जनेः तदेष Guat wy वणितो वरमणश्डपः . एवा निःस्पु्ता नाम वेदिका ते भिबेद्यते ये लोका वेदिकां ae अरग्धेनां पुमः पुनः | तेषां wearzat भोगाः प्रतिभान्ति विषोपमाः + तेषु वर्तते चित्तं stat कमंसञ्चयः | जायन्ते faded भवचक्रपराटशुखाः येषामेषा fear चित्ते धन्यानां ag वेदिका ` aga देवें श्पेनाखेस्तेषां प्रयोजनम्‌ एषापि गूनमख्ैव निविष्टा वरण्ड पतेः | sree विधाजेति ae सुन्दरषेदिका il ca निःसयुहता तात विता ते सूवेदिका जौ ववौययेमिदं नाम ara ww विष्टरम्‌ जोववोवंमिदं येषां परिस्फुरति मानसे | सुखमेव परं तेषां दुःखानाजुद्धवः कुतः

AGT: परावः ९८

रयं हि राज fiat Fad यखतुमुंखः | निविष्टोऽब अगदन्धृदं ्ाखखानो मनोरमः यः Uy: परिवारोऽस्य agrey या faa: 3 यचातुलं महन्तेभो विष्टरं तच कारणम्‌ किं वाच बहनोक्रन युर लोका महागिरिः, frat सत्र लोका मण्डपो वरबेदिका राजायं सड सेन्येन राच्यं भुवनसुन्दरम्‌ | जगञ्ज्येष्टमिदं स्वे माहाग्येमास् मन्दति i तथाहि | aaa भवत्य जोववोयं वराखमम्‌ मरहामोहादिभिः सवे तदिदं परिग्धवते विद्यमाने gqaae जौववौयेवराखने | मरामोद्यदयो नेव cfs मण्डपे अन्यश्च | afafacgd तात महामो हादिभिबेखम्‌ इदमावि्भैवत्येव जववोयेप्रभावतः ददं सिंहान aq यावदच्र प्रकाशते तावद्धि श्वतोभद्रं राजा aa गिरिः पुरम्‌ तदि दं वितं ag जोववोयेवरासनम्‌ | परिवारयतो राजा aad ते निवेदयते ` प्रकरण चिन्तितं! श्रये यान्येतामि प्रतिपादितान्यनेन मे aafa तेषामेष भाव्यो मम स्फुरति इदये | यदुत

९८४ उपमितिभवप्रपञ्चा कथा |

श्रकामनिजैरापेचं aad Teer |

मिग्यादृष्टे्विनाज्नानं तद्धि साल्तिकमानसम्‌

धे तेन संयता लोका वारूबयासत प्रकोर्तिताः |

एव amare प्रयाभ्ति विवुधाखये

धनपुजकलजादेः रोरात्कमेणस्तया |

अन्वीऽहं भेदतो दुष्टा महामोहादिशजवः

अश्चातेजेन सिद्धान्ते क्मंभिजेरणाष्चने |

या स्यादेवविधा बुद्धिः विवेक teat #

विबेकादप्रमन्लतं कषायादि निवतेने |

यद्वेह्णधदोषाणां fret तदुदाइतम्‌

चतुव णेमहाखहप्रमोदपरकारशम्‌ |

RSM FAIA वचनं पुरमुश्यते

वासब्यका जनास तद्‌ारदेश्रकारिशः।

एव चतुणां यथोक्रशणएण्डषण्णः

एषं एव सारोऽज धथार्थो वरमण्डपः | थलः |

विना सिश्वसमाधानं पुरमेतज्ञ शोभते

वेदिका aed बेदं कथितं प्रकटारेः |

यया यमेवं विश्चेषमिदं दितथमश्॑सा

ततो चनं मथा श्वेभिदं भावाथेखंयतम्‌ |

वद stow gd Sai भो aT संशयः aay |!

Was: प्रस्तावः | १८५

बोधावहम्मतुषटात्मा ay मिजमातुलम्‌ | माम वेय राजानं येनाहइमवधारये AMSAT वख योऽधं नराधिपः | लोके सारिभ्धर्मोऽयं प्रथिडधोऽत्यन्तसुन्दरः अमन्तदौर्यो विख्वातः प्रशु्णो अगते हितः | wag: को श्रदख्डान्वां Ha: सवेग्‌ शाकरः यान्यस्य ay Yu चत्वारि वदनानि भोः | तेषां नामानि ते वच्छे वोर्याणि निबोधमे दानं WTS तपस्तात चतुथे इरटद्धभावमम्‌ एतानि aq वक्काशां नामान्येषां qua AMG टापयल्यज पाशेभ्यो ओनसत्पुरे | asara मोदश्चानायंमभयं अगतः प्रियम्‌ तथा खड माधार देहानां यदु प्रकरणम्‌ | आहारवश्छपाच।रि दोकतामिति भाषते iu. Spray Deal wars: | आहारादिकमेतद्भो वदमं निषेधति गवाश्रण्डमिषेमानि चच्चान्यद्पि तादृशम्‌ | तजेच्छति गकामावारौयमानमिदं सुखम्‌ # अन्यश्च | सदाश्रचकरं वक्कमागदच्छेद कारकम्‌ दरद अगति शोकानामनुकण्पाप्रवतंकम्‌

९८९

उपमितिभवप्रपश्चा कथया

arate] तदिदं भद्र वितं प्रथमं सुखम्‌ श्पतेरस्य where] दितौयमधेगा शरण एते साधवो aq वर्तन्ते ओनसत्पुरे यदिदं भाषते am तन्ते सवे प्रकुर्वते अष्टाद गषदस्राणि नियमानां मरोत्तमाः | suena कुर्वन्ति सदेते ag साधवः wena हि शवेसखमिदमेव विग बणम्‌ | ददमालम्बनं ay साधूनां गोखमुत्तमम्‌ तेभ्यः संपूणमारे शर मुखमेतत्रयच्छति | फिचिग्माच प्रकुवेभ्ति वचोऽस्य मुनिश्रेषकाः Wns वदनं ag तदिदं afta मया द्रतोयं तु तपोमाम वद्नं afaata मे चारिचधमेराजस्य वक्कमेतम्मनोरम्‌ |

काङ्ग त्तिंविना गेन जनेऽच कुर्ते सुखम्‌ ` विशरिष्टज्ञानसबेगश्रमसातकर परम्‌ तपःसन्नमिदं वक्नमव्याबाधसुखावशम्‌

इद मस्य मरेष्धस्य वदनं Tey Vera: | आराध्य महासत्वा निदेति afin area तदिदं ते तपोनाम पतेवंदनं मया | कथितं साश्मतं वच्छे चतुथं शदभभावनम्‌ wa गिरो कितं भहा सष्ननेरिदमश्जसा | निःग्रेषपापमहगतर खनं Axa सुखम्‌

चतुः Wea: |

श्रस्यारेशादिमे जेमा भावयन्तो सष्ननाः | समस्सवस्ठु विस्तारमतितुच्छं विनश्वरम्‌ TRE शरणं लोके दुःखपोडितदे हिनाम्‌ एकञ्च जायते अश्यते भवोदघौ यदिदं देहिनां किचिधिन्ताबन्ध विधायकम्‌ | WUC धनमन्यद्धा सवे तद्धिल्लमात्ममः मूजाग्धङ्गोदजाम्नाख्पूरितं कश्चेवरम्‌ | ase इएचिगन्थो विद्यते माता wart पुनभार्था भवत्यच भवोदधौ | HAV Hass पापानुष्टामकारिणम्‌ जिरन्लानां कदटाचाराश्वाचते वरसंवरः | तपसा तु भवत्येव सततं कमंनि्ेरा

wal जाताञ्च Vay लोको शेषु अन्तः | भदितानि सर्वषु रूपिद्रव्याफि जन्तुना संसारसागरोन्तारकारकञच जिनोदितः | wa: सुद्लभा चाच गोधिः स्वज्ञदभेने ये चेवं waved Ug संश्वृद्धयः | MI aay ते धन्यास्ते ममखिनः शारिभधर्मराजस्य वदनं चाद भनम्‌ |

इदं TG NWA सर्वं सौस्यकर परम्‌ तदेष agaag wate: पुरवासिनाम्‌ | एषां निःगेषसौख्धानि aciaa महानृपः

«xe

६८८ उपमितिभवप्रपश्चा कथा|

fa wi सर्वेषामेव सुखदो भुवमोदरषारिष्णाम्‌ | ae चारिचधर्मोऽथमग्डतं कस्य दुःखदम्‌ तयापि पापिनः स्वा भवश्वक्रनिवासिनः | एके नेमं विजानन्ति faa वि पुष्छकाः तदेष ते महाराजखतुवेदमसुन्दरः | वणितिः ered वच्छे परिवारमयाधना + येषा विशोक्धते ae शद्धसफटिकनिमेशा | अधासने निविष्टाश्य भारौ सर्वाङ्गलुन्दरो xa fe विरति्माम arate वरयते | समानगुणवोषां wyxWan वतेते

wat Tei आल्हादजमनै शोक fastatt spans | गता araraaay farsa प्रतौयते एते पञ्च दृश्यन्ते राजामोऽभ्यण्व तिमः | USA मरे By sree:

सज च| आद्यः सामयिकास्थोऽधं भपतिर्भेनसत्पुरे भिःग्रेषपापविरति ag कारथते खदा हेदोपस्थावनो ara दितोयो ae शयति: | पापारुष्टानवघह्नगतं विशेषेण निकेधलति परिशहरकिष्टद्धौयसातोयस्ध नरेश्वरः

चतुथः THs |

सधनां शय्यं तपोऽष्टाद्‌ शमा सिकम्‌ यस्त्वेष दृश्मते ay चतूर्थो वरण्डपतिः।

दष्छसंपरायास्यः सुष्छपापाणमाश्कः अत्यन्तनिमं नो वत्स निधा गेषकस्मषः

एष सारो यथाख्यातः पञ्चमो वरण्डपतिः शरीरं जोवितं प्राणाः सर्वं तत्वसु्मम्‌ | चारिचधमेराजस्य THA TWAT: यस्वेष निकटे ay gua Faw: | सोऽस्येव यतिधर्माख्यः सुतो ञ्यधरः परः afefawtfaat ux ये तया afagyar: | अत्यन्तवक्ञभस्तेषामेष राजसुतः सद्‌ा येरेष श्रमिर्वत्छ परिवारितविहः | मानुषाणि प्रञ्ुवेन्ति तानि anfeaty मे 4 यो षिदाद्ा चमा नाम मुनोनामपि वल्लभा | तेषासुपदिग्रत्येषा var रोषमिवारणम्‌ डिम्भरूपमिद तात दितौोयमिह मादंवम्‌ | करोति निजवोर्येण साधूनामतिमखताम्‌ # aquaria माम डिम्भरूपमिदं खदा | waa सरलं भावं fara ag सद्धियाम्‌ एषा तु मुक्ता तात चतुर्थो wear सदा। निःसङ्गं बडिरनशच मुनोगां कुरते मनः # तपोयोम इति ख्यातः Sue: पञ्चमो नरः | 87

feo

wufafananyy! कथा

amt दाद्श्रभिवंस खा्धिकेवरमानुषेः एतेषां प्रभावेण मानुषाणां नरोत्तमः यदेष eta जने पुरे तन्ते fara सर्वाहारपरित्यागाज्निःस्ह Hut अनम्‌ | ala adage RITA अस्यादेग्रेम Hated नामाभिगयदसुन्दरम्‌ | मुमयो ठतन्तिसङ्खपं श्मसातविवधैनम्‌

तचा |

रषभोगं gata मोशोद्रकादिकारणम्‌ अस्यादे शाज्निषेवमे कायङ्गेशं Garay कषायेग्धियवोगेख संलोनमास्तात साधवः विविक्रच्थया नित्यमास्ते तेन चोदिताः tt प्रायश्चित्तं दशधा विनयं चतुविधम्‌ | वैयात्यं gated शधेवास्य वयतः पञ्चप्रकारं खाध्यायं देधा ध्यानं = GUAT | waa aaa मुनिलोक नरोत्तमः गणोपधिश्ररोराणमाहारसय मिःस्पहाः | प्राप्ने काले प्रङ्वेन्ति त्यागमेतेन चोदिताः augue ay लपोथोग विचेष्टितम्‌ | afad faature ava नासि fafefa: यस्यं दुश्छते Tw वष्टोऽमोषां मनोरमः | ant मुनिशोकस्य संयमास्यो मरो कमः

चतुथः परावः | ९९१

सप्तद ग्रभिथेक्ता मातुषेजिनसत्पुरे | यथा विजम्भते तात तन्ते सवं निवेदे पापाखवपिधानेन शाग्तबोधनिशाङ्लुलम्‌ | पशचेनदिधविरोधेन संतुष्टं विगतस्य हम्‌ कषायतापप्रश्रमाचिन्तनिवांखबन्धुरम्‌ | मगोवाक्षाययोगानां नियमेन मनोहरम्‌ सततं धारथल्थेष मुनिलोकं नरोत्तमः | संयमाहः aatau निम्र एतिष्ागरे अथवा | शाजलानलगतामनिला खिलग्राखिनाम्‌ | feat दिजिचलतुष्यञ्च इषोकाण्णं निषेधति अरचिललिमपि यद्स्त॒ हिसाकर मसुन्दरम्‌ | ग्रहणं तस्य यन्नेन वारयत्येव संयमः प्रवणं श्यष्डिलादौमां गदच्यानामुपेलणम्‌ | स्थानादिकरणं सम्यक्‌ तद्धमोमां प्रमाजेनम्‌ आहारोपधिशय्यानामद्षद्धाधिकभावतः | परिष्टापनमन्तख मनोवाक्राययन््णम्‌ बिञुक्रभवकतेगयेः सततं सुसमाहितैः | मुनिभिः कारयत्येष स्व॑मेतन्ञरो तमः सदिद Guat ag afta परिकौतितम्‌ | भरस्य खंयमास्यस्य ग्रेषाणां WO साग््तम्‌ एष सन्नमो ay दृश्यते पुरूषोन्षमः |

हय्‌ उपमिर्विभवप्रपच्चा SUT |

यतिधममपरौवारे सत्यनामातिसुन्दरः हितं faatat are जगदाण्हादकारणम्‌ | अस्यादे शेन भाषन्ते वचनं सुभिपुक्घवाः ओौचाभिधामो यो वह वतेते चाष्टमो नरः zuuafaat शद्धिमस्यारे शेन gaa यदिदं नवमं तात डिग्बरूप मनोहरम्‌ | श्राकिञ्चन्वमिदं माम सुमोनामतिवद्भम्‌ श्रवाप्रसोष्टवं ay वाद्याम्तरपरियद्म्‌ मुनिमिमें श्यत्येतच्डदधस्फटिकनिमेशम्‌ 1 TS तु दशमं तात WEG मनोहरम्‌ | ब्रह्मलयंमिति ख्यातं grat Wawa दिग्यौदारिकसम्बन्ध मगोवाङ्घाययो गतः | GAY वारचत्येतत्छतकारणमोदनेः

तदेष cufaag aad: परिवारितः > पुरेऽच विलखव्धेवं यतिधमेः खलोखलया wary बिलण्डोभिर्बाखिकामलशोचमा | सद्धावसारता नाम wate gfawar sai जोवति Marat मरणऽस्या जोवति y अरत्यथेरतवित्षोऽस्यां WAALS सदा tt fe चेह ayaa दान्पत्यमिदमोड्शम्‌ | fafimeenia दृष्टं gufewar यः qagwa तात दितोयोऽयं ङुमारकः

चतुथः प्रस्तावः |

zfquatfiraratsat afaetse सोदरः यदेष कुरुते ae युक्रो दाद शमामुषैः। जनेश्रसत्पुरे चित्तं खसश्चदामणोलया ace aufaetfa पुरतस्ते वरेण | चेतः समाडितं wal तच वत्सावधारय way: कचिद्धिरतिखुन्दरम्‌ | खयूलालोकनिरन्तं करोत्येष पुरे जनम्‌ स्यशस्तयनिटृत्तं पर दारपराडःमुखम्‌ | क्षचिष्ंिप्नमानं रुकलेऽपि परिग्रडे | परित्यक्रनिशाभेक्र शतमानं संवरे | यु क्रोपभोगसन्भोगं कमानुष्टानकार कम्‌ अमयेदण्डविरतं सामायिकरतं सदा | देशावकाभिके सक्र पौषे रतमिश्चयम्‌ अतिथेः संविभागेन परिप्ूतमनमो मलम्‌ | करोत्येष जनं ay ग्टदिधर्मोऽच wat fa a1 a यावन्तं करोत्यज faces शरक्रितो oa: | तस्य तावत्करोत्येष फलं नास्य संशयः या स्ववा बालिका ag विस्फारितवरेशणणा | इृष्यतेऽस्येव भास्यं नाका सहुणरक्रता aaa मुनमिखोकस्य qeut विमयोद्यता भतेरि Guage ag सहुणरक्रता

६९७

उपमितिभवप्पश्चा कथा।

तदेतौ जेनलोकानां राजपुजौ श्भायैकौ | famraal weed सततानन्दकारकौ अमयोख सदा fra विहितः परिपालकः | अयं महन्तमो A सम्यग्ट्‌ श्रननामकः gay रदहितावेतौ TSa कदाचन | एतौ fe वर्धयत्येव निकट स्थोऽतिवत्लः

अन्यच्च |

यानि ते कथितान्य्च aa तत्तानि सत्पुरे | डूढनिखयमेतेषु भवचक्र पराङ्मुखम्‌ शमसंवेगमिवंदरपास्तिक्य विराजितम्‌ |

मजो प्रमोदकारण्यमाध्यस्णयर्भा वितात्मकम्‌ सदा प्रयाणएकार्‌ढं fasat गमनेच्छया | करोत्येष अमं Ay सम्यम्द शममामकः

या aa दृश्यते aw एभवर््णं मभोदरा | दयमस्वेव सद्धार्या सुदु्टिनांम fara इयं fe जेमणोकानां want वौर्य॑शालिनो | चि्छयेयकरो war विधिना पथैपासिता

एषं fad |

योऽसौ निबेदितस्ठग्ं agfeafer: पुरा fafeweftaara महामोहमदष्तमः agmzfaeg fe wane विचेष्टितम्‌ | विज्ञेयं जगदानन्द सुविलारितसुन्दरम्‌

एवं

कि

चतुर्थः प्रस्तावः

तन्यति aaa महामोहबलं सदा | चारित्रधमेराजस्य बलमेष ATA: सम्यग्दश्रमसन्नस्य तस्माद व्यवसितः |

एव wy: परमो भिश्याद्‌ शननामकः fad |

जिरूपद्च भवत्येष fafecrary कारणम्‌ | येण प्रतिपच्चस्य प्रश्मेनोभयेम वा

तच्च खपचय aq जायेतास्य खभावतः | यदा संपादयदेष मन्त्रो सद्ोधमामकः अथ हि सचिवो aq श्दोधो भुवनोदरे | vate यन्न जामोते पुरूषायंप्रमाधकम्‌ भवद्भू तभविखल्षु भावेषु भवभाविषु | विज्ञातुं प्रभवत्येष खच्छव्यवहितेषु fa चाच बहनोक्रेन जमदेष चराचरम्‌ | | अरनन्तद्र पर्यायं वौचते विमलेचणः | निपुणो नोतिमाेषु वत्छलख मरोपतेः

चिन्तको राज्यकार्याणां बले विहितादरः

fret महन्तमस्यो्ेस्तश्य खिरताकरः | सकसेऽपि जगल्धच सचिवो mea: | ानसवरशस्याय प्रतिपचतयथा fea: | उयोपग्रमतस्तख ware दिविधो - मतः - .

१९

qed

उप्रमिति्भवप्रपश्चा कथा |

द्यं तु निकटे ve मिमंलाङ्गो सुलोचना | भन्लिणोऽवगतिर्माम भार्यांख्येव वरानना खरूपं जोवितं प्राणः स्व॑खं वततेऽमघा | इयमस्य सदा vat श्रोराव्यतिरेकिणो

तया |

एते पञ्च दृश्यन्ते ATA पुरुषोत्तमाः | waa तु We QP वयस्यकाः शआराद्योऽचामिनिबोघोऽषं वयस्यः पुरवासिनाम्‌ | दद्दियानिद्डियश्ाम जनानां जनमयत्यलम्‌ दितोयः पुरूषो भद्र प्रसिद्धोऽयं सदागमः | wean स्थितं सवे पुरमेतन्न संश्रयः कार्याणि wees निखिलान्यपि wayne | वचःपाटवयक्रोऽयं मूकाः TAT मनुखखकाः यतः सदाममस्यास्य FRI वचनकौ श्रम्‌ | सद्दोधोऽनेन पेन मणग्लिले erfaa: पुरा WA सषद्‌ागमोऽमोषां सवेषां वक मुजाम्‌ | afeg जनसो कानां ज्ञेयः परमकारणम्‌ अनेन रहितं वत्स कदाचिदिदं बखम्‌ | पुरं चेदं अमत्य खरूपे warns

तदेष स्वेकार्बाणासुपदेष्टा सदागमः | faata: पुरूषो ag प्रधामो ऽनेन Raat ठतौयोऽवधिनामायं were वयस्कः |

चतुरैः प्रस्तावः | ceo

श्रनेकरूपविलतारकारकोऽयमुटा इतः चाचिहौधं कचिद्रसख कचित्‌ ata afore aged anaes विखोकयति शोथा चतुथः पुरुषो मनःपर्यायमामकः। साकात्करोति tae परेषां यद्यनो गतम्‌ मनुग्लोकं ares चित्तं तत्तात किंचन | अनेन aq ea धौमता भाववेदिना पञ्चमः पुरुषो ay केवलो नाम विश्रुतः | निःजरेषञ्चेयविस्सारमेष पश्यति सवेदा निदेतिं नगरों यान्ति ये जना जेगसत्पुरात्‌ | तेषामेष NE नायकः पुरुषोत्तमः तदेष पञ्च भिरव॑त्ष are: परिवारितः | सहोधसबिवो लोके ararfea दिवाकरः प्रकर्धेणोदितं माम सन्तोषमरहोपतिः। द्शितस्वयाद्ापि यच मेऽत्यन्को तुकम्‌ AAPA Te योऽयं पुरः fea: | संयमस्य fasta: सन्तोषो नाच संशयः प्रकर्षणेक्कम्‌ यस्योपरि समायाता महामोहादिश्भुजः | विखेपेण सन्तोषो नेष किं मूलनायकः विमर्गेनोदितं we Aare मूलनायकः | uafcawacrre पदातिरिति zeae ॥. . 88

६९ =

यत,

एव

उपसिलिमवप्रपस्चा कथया |

शरो नौतिपरो ze: सन्विविग्रशबेदकः | तनेष aware frqut serge संपूणवखसामग्या WAAETAATAT | say wunretfa तानि दृष्टानि ङुषरित्‌ #॥ ` ततोऽमिशरथ ताम्पेव खमाहाग्यन ferent | मयति जनं कंचिदखेनेवां मरोमुजाम्‌ ततो faura द्लाकमेनं ते seater | महामोहारिश्वपालाख्खिता रक्काम्यया ततस्तैः खधिया ag कण्ितो मूखगायकः | पदातिरपि सम्तोषस्तजेदं इन्त कारणम्‌ aaa जमो बेन्ति aaa किरेखते | यतः सितेष्टरोऽपौह wee: सपोऽभिघोयते ¢ अनेम स्शनादरौनि निहतानोति वातेया | श्रस्योपरि थथा Tweet Wey मो तथा न्तोषमुररौरृत्य ततो कियङ्वाञ्कया | महामोहादयो खपुरेभ्यो विमिताः चिन्तटन्तिमहारब्थां रणएमेषामनेकश्ः | जातं संजातौ स्फुटौ जयपराजयौ ¢

# | |

क्षचिष्लयति सन्नो षस्तन्पालोऽरिश्हतिम्‌ | प्रभवन्ति क्चिन्े;पि महामोहादिगद्धेजः स्थिते

चतुधैः प्रस्तावः | ६<<

सदा BAAS शषान्योन्यं जिमौषतैः काले गच्छति पशा a जावे किं भविश्यति एष afiage मथा सन्नोषतन््रपः | आस्जातखास्य Sart चच तेऽन्यन्तकौतकम्‌ या तलस्य We षद्माचौ Twa ay बाखिका | सा मिष्धिपाशिता नाम arai@a वरानमा श्ब्दरूपरसस्यशेगन्धेषु सुधियां मनः निखलष्णकं करोत्थेषा रामदेषविषजितम्‌ लाभाखाभे FS दुःखे छन्दरोऽखन्दरेऽपि ss तथाहारादिके आते सन्तुष्टं जनयल्यल्लम्‌ ` तदैवं क्छ बुध्यख विविंकर्पेन चेतसा चारिबि्धनैराजोऽच नायकः WATT 8. .. TAY यतिधमेः तो sre उटदिधमैः कवि्ठिकः ।. weet watered निविष्टो राग्यक्िग्िकः 4. महन्तमख्तु fae: `सन्यम्दथेवनामकः | TRANG ATT वन्धावधारव. ` मरहामोदहादयः सवं यथा भुषैगतावक्राः तथेते wy fewer सुबनाण्डयद कारिणः ua डि जमटाशम्ना एते हितकिभाषकाः.। . एते खमन्लजन्तुनां पारमार्धिकवान्वाः एते निरनषंशरसाथशे्तःरकारकाः |

उपमितिभवपषप्श्चा कथा |

्रनन्तारहदिसन्दोहदायका जगतो मताः चारिचधर्मराजाद्याः Vasa नरेश्वराः | सुखहेतव vars स्वेषामपि देहिनाम्‌ तदेते aifgarara तावदित्य मयाखिखाः | लारिचधर्मराजस्य बान्धवास्ते निवेदिताः ये aat बेदिकाग्वशं वर्तन्ते मणष्डपखिताः | इभाश्रथादथस्तात तेऽणस्येव पदातयः अस्यादेगेन कुवन्ति सुन्दराणि सदा जने | एते कार्थाणि पाला निभिथ्यमम्दतो पमाः कि wi aaa योषितो feat ये णोकसुखदहेतवः | विवर्तन्ते समस्तास्ते मथ्येऽमोषां मरोसुजाम्‌ ततख | aera ae पूरितं श्वरिग्रमिंपेः भिःगषमिदमाश्ानं को हि वणशेयितु कमः ततो मयेदं ते ay समासेन निवेदितम्‌ | गच्छावः BSA दारे थदि W कुटठहष्वम्‌ एवं भवतु aim विनिभेव्य विलोकितम्‌ | चतुरङ्गं बलं ताभ्यां ala तख कौदृशम्‌ माममौर्योदा्थेशौोयादिनामभिः श्यन्दनैः. सदा प्रंखद्चशघणशारावपूरिताग्ेषदिकुपथम्‌ OUT SAAMI SATA: |

चतुथः Wea: | ७०१

विलसत्कण्ट निर्घोषसंर्द्रभुवनोद रम्‌ बुद्धिपाटववा ममिलनेपुष्ादितरङ्गमेः | मदहाङेषार वापूणेषक्मजाकणंकोटरम्‌ श्रचापक्षमनख्ित्द्‌ाचिष्छरिपदातिभिः। अ्रलभगाधविस्तोणेस्तिमितोद धि विभ्रमम्‌ ततसवं विधं वच्छ चतुरङ्गं महावश्म्‌ | प्रकषेखेतसा तुष्टः प्रोवाच निजमातुलम्‌ यथष्टमधुना माम पूरितं मे कुढहलम्‌ | यद कि चिद्रष्टव्यं aga दशित लया तथाहि | द्‌ भितं भवचक्रं मे नानाट्न्तान्तसङ्कुखम्‌ | महामोहादिकौये कारषेरपरापरेः विवेकपवंतश्चायं दशितो मे मनोहरः | निवेदितं aula: पृं षाचिकमानसम्‌ fret Wana जेन चेदं मादपुरम्‌ | an महात्मभिर्छोकंदंितं मम उुन्दरम्‌ तया च्ित्तखमाधानो मण्डपो वेदिका मे। लया निःखहतास्याता जोववौयं विष्टरम्‌ वणित महाराजः साचात्करणपरवंकम्‌ | maa वणिताः सर्व पालास्तस्य सेवकाः दरदं cfd रम्यं चतुरश्र महाबलम्‌ | एवं Haat माम नास्ति तद्यन्न मे शतम्‌

७०२ उप्रमितिमवप्पश्चा कथः |

जनितः प्ूतपापोऽह wat इद्‌ नुदः |

छपापरोतचिन्लेन पूरिता मे मनोरथाः

तथापि रमशौयेऽज वस्ठमिच्छामि साख्मतम्‌ |

दिनानि कतिचिन्भाम लौखया Saat

fa च।

यथया यथाच तिष्टाभि सदिचारपरायशः |

पुरे तथा तथा प्रानो HAE AMAA: +

ae परमां काष्टां नेयो area eae

श्रतो जेनपुरे तावदच त्वं वस्त॒मरेि

ततस्त्ातुखेनोक्रं या तवेच्छा प्रवतेते।

तामेष व्वष्छखाकाङ्े किं भनक्ति वरो लनः

महाप्रसाद KAT ततखचेव TTT

स्थितो मासदथं चावस WHT: TAA

Tay भागवाषासे वखन्तो खहितस्षदा |

MSHA ACSA: भाक्तो UW: स॒राद्एः

aq ute |

HARSHA जोरगोखकलज्निमः |

Waa चण्डवातेम Brerenct रविः ॥. ` जायते पचश्राटलरूशाभथं Tat देहिनां थज SB वशम्‌ | Paar प्राणिभिन्धरिधाराणशं wat चाखमेषां टषात्यनेखम्‌ ददते तोत्रतापेन स्वा जनः खिद्यते मिव॑दितं त्मनः | वान्ति वाताः Sarat जगत्तापिनिः इणष्कपनावसलोभमेराराविषः ¢

Ua: TRA: | ७०

श्रपि ai भागोरिव प्रतापेन wae वधितं दिनम्‌ खामिनोऽन्धटये wa: सन्भोषादर मिवधेते ¢ ay चं बिदलिता म्िकाः। fasfea जद्यपारकाः। ग्वामखितं कुुमभरेख fates) सुमनो ग्ताखण्ड किरणः | इदयद यिता जश्ाश्रथाः मबोभिरङचिता मौक्रिकहारयष्टयः | अतिवल्लभानि विमशदग्यतद्धानि प्रियतमानि खन्दमविलपना- नि अ्डतायन्ते ताखन्त्धजनकानि सुखायन्ते श्रिशिर किसल- यक्सुमखस्तराः। खगन्ति afencicfafear श्रपि. जनानाम- न्तमांगसे चन्दमजस्ाद्रा इति | तत्वं विधे are भागिनेयमभाक्त | गच्छावः सायत वत्स खख्ानमिति मातुलः WHY: त्राह गमने रारुणेऽक्सरोऽधुना तन्नाहं माम शक्रोमि गन्तमेवं विधेऽष्वमि ततो areca तिष्ट माम सन्नापदारणम्‌ येनाहं शोतरोग्धते दिक्चक्रे यामि सलरम्‌ किच i विचारपरयोः ानमावयो गश्कारणशम्‌ | श्र जेनपुरे माम मा मंस्था नियोजनम्‌ यतः। ` : मम Bai भवेदेवं wera गणोत्करे ततस्लातोऽपि जाचेत महुणदच age:

Hog उपमितिभवप्रपघ्चा कथा |

एवं भवतु तेनोक्ते ततस्तजेव TTT

तिष्ठतोः प्रादृडायाता तयोः सा इन्त ater घनतुङ्गपयोधरभारधरा अषद्श्वलविद्यदलङ्करणा | शत सन्ततगजितधौररवा दृढगोपितभाश्करजाररता रटदुद्धटददुरखिश्ननरा चणद्भरवखादकदासपरा | -गिरिकोटरनृ्श्रिखण्डिवरा बहलोकममोहररूपधरा सुसुगन्धिकदम्बपरागवदहा विटकोरिविद्‌ारणमोदसदहा | इति ङूपविलासशसत्कपटा भुवनेऽज रराज यथा इलया

श्रय तां तादृशौ वोच oad इष्टमानसः |

प्रको wate: प्रोवाच निजमातुलम्‌

गम्यतामधमा माम लरितं तातसन्निधौ |

यतोऽमौ शोतलोग्ता वतन्ते सुगमाः पयाः

विमनो दितं ag मेवं वोचः कटाचन |

धतो ऽधुना व्यवच्छिल्ञो faite गमागमौ तथाहि |

सुच्छश्नगरहमध्यस्थाः खाधोनद यिताननाः |

वर्षासु धन्या गश्छन्ते जनेधं प्रवासिनः तथाहि | पश्छतु aw: |

बलपूरितमारगेषु vefasy ween: |

सूखलित्वा पतितानेते सन्ति कुटजोत्कराः

निपतदारिधारौघरता ये यान्ति पापिनः |

देशान्तरेषु तारो मारयामौति गमजेति

चतुर्थः प्रस्तावः Soy

एव qafead तात geat गमनादरः | ede खितः are तिष्टाचेव तथाधुना fa श। TRAIT TW कालो दोषाय Furaw: | यतः सोऽनुच्चणं ay जायते तव aga एवं भवतु तेनोक्रे पुनर्मासचतुष्टयम्‌ | feet समागतौ FF इष्टौ खसोयमातुखौ -॥ अथ प्रविष्टौ तौ गेहे दन्ताश्याने शभोदये | भा्यायुक्तं तस्येव faze विचचणे ततो विधाय सद्धा प्रणम fafearsen | तेषां पुरो निविष्टौ तौ विनथाच्छ्श्चतले Tey geet far: लिग्धचेतसा श्रालिङ्गितः प्रयत्नेन agal पुनः पुमः - प्रकर्षोऽपि समाशिञ् खदनिर्भरमामसेः | निनाङ्‌ सापितः aa: परिपाा तिवन्ञभः WHA मूधदेशे कुशलं भुड्ुडः श्रानन्दोदकपूर्णायैः ष्टः धवैः समातुलः ` ततो wer विनिगेत्य गेहाद्ाद्ेषु हिष्डितौ | ततोऽन्तरङ्गदेगरेषु यथा पर्यटितौ पुनः ` यथा Wet FE यथा दृष्टा महारवौ | विखोकितं चथा eri महामोहादिशञुजाम्‌

रसनामूलशएद्धिख यथा सम्यज्विनिखिता | 89

ood

उपमितिमवप्रपश्चा KUT |

aad ada Gey रागकेसरिमनण्वि्टः Saas भवचक्र यया मतौ ` गिरौ चितं aed मानाइन्तान्तसङ्ुलम्‌ यथा दृष्टा महात्मानो विबेकवरपवेते | चारिजधमेराअस्य यथा खानं विशोकितम्‌ ` यथा दुष्टः सन्तोषो we तेन विचेष्टितम्‌ अच कार्सु दिष्च ग्दरिकास्ोऽतिवाडितः तदिदं तेम निःगेवं विमर्शेन परिस्फटम्‌ | पुरो faqearciat frate गिवेदितम्‌.॥ ` cay मांसमथायेर्थालयस्तामसौ जडः | रसां शोखतावाक्येनं चेतयति किंचन सस्या खाने सक्तः BUT कमं मर्दितम्‌ पश्यति महापापं wert Gamay # TIT शोखतावाश्चेमेद्चविडशचेतसा मददाजं मारयामोति मारितः waren: ततश्च तमजारख TTT निपातितम्‌ | निरौच् शोखतादुःखाष्लडेनेदं विचिन्हितम्‌ + लाखिता रखना नुं मांसेनामा विधेमेया द्द तु Arad मांसं नेव TH ATEN . ततोऽधना दटामौद म्ये TRL ATTN: | अनेन जायते तोषो रसनायाः Belay: ततः GQ ATH वेन अता Ratfear |

चतुर्थं प्रस्रावः |

रसना शोलता तुष्टा शोऽपि शषशुपागतः यश्च लोखलतावाक्येरपरापरमानुषान्‌ | जित्य भावया साधं खादश्चातः Tree: 1 ततो बालजनेनापि निन्दितो बन्धृवकितः लोकेन प्रित जातः पापकमेखा अन्यदा Meare मलुवखाणठां जि्घखया परविष्ट्ौरवद्राभौ we शूरकुटुखिनः ततः Wee wage ग्टहोत्वा निःसरन्‌ बहिः दृष्टस्तेम शरेण जडः क्रोडान्धचेतसा ततः BARAT Bla सड वान्धवः तेनास्फोव्य निबद्धोऽसौ मारितो यातनाग्रतेःः प्रभाते SUM: संजातः प्रकटो जगे तथापि किचिच्छस्य इतं जड्वमुमिः

fai तदि प्रत्युत तैचिन्तितं यदुत शूरेण fated we थदसौ कुलदूषणः | RATA खाघवोत्पादो जडः पापो निपातितः aq Seanad निरोौच्छ विचच्वणः | ततश्च fenaaa निमेललोमसमामघः

अये | दइ लोके जडस्टेद्‌ं सनालालने फलम्‌ संजातं परखोके तु दुमेतिः रंखमिष्यति 1 ततो ऽत्यधें विरक्रोऽषो careers प्रति

| 9 ---- ----- ----- --* कि, _ ---------- गां

छपमितिभवप्रपश्चा कथया |

feat विचच्णः पूवं यावन्तौ squat तत कचितायां faaiian मूलग्रद्धो विचक्षणः | रसनां व्यक्ुकामोऽसौ पितरं प्रत्यभाषत तात इृष्टविपाकेयं रखना aad जडे दुहिता दोषपुश्जस्य रागकेसरिमग्तिणः तदेनामधमा दुष्टां wat दुष्टङ्णोद्गताम्‌ सवया त्यक्षुमिच्छामि ताताहं त्वदनुञ्चया ततः शभोदयेभोक्तं भांति प्रथिता जने। तवेयं रसना तस्मान्नाकाण्डे व्यागमङेति रतः क्रमेण BHAT BAT व्च सवेथा | यद प्राप्तकालं ते तदाकणेय Baa ये ते तुभ्यं महात्मानो विमरेन मिबेदिताः। विषबेकपवेतारूढा महामोहादिरूदनाः तेषां मधये स्थितस्येयं तदाचारेण तिष्ठतः | दुष्टापि रखना ae ते किचित्करिव्यति तस्मादारुह्च यत्नेन a विषवेकमडहागिरिम्‌ | रसनाटोषनिमुंकस्तिषठ लं WaT: ततो विच्चणेनोक्तं तात दूरे पवतः | कथं कुटुम्बसहितस्तचाइ गन्तुमुत्सहे शएभोदयोऽब्रवीदत्छ कायं भवता भयम्‌ | विमर्शो यस्य ते बन्धृञधिन्तामफिरिवातुखः

चतुर्थः प्रस्तावः ७०

यतोऽस्य विद्यते ay faare वराश्जनम्‌ | तदलादशेयत्येष afata महागिरिम्‌ प्रकर्॑णोदितं तात सत्यमेतन्न संश्रयः | Tht मयास्य यो गा्जनविजम्मितम्‌ fa बहना | यावदेष महावौये प्रयुक्तं TSA तावदेव दृश्यन्ते ते पवेतपुरादयः यदा तु विमजालोकमयं oe तर्जनम्‌ तदा सव॑न भासन्त ते पवंतपुरादयः ततो विचच्णएनोक्रा विमर्णो भद्र दौयताम्‌ | AG तदश्ननं व्रणं यद्यस्ति तव तादृशम्‌ ततोऽलुबुद्येव सादर प्रतिपादितम्‌ | विचच्चणाय निःगेषं विमर्शेन तदश्जनम्‌ ततस्तदुपयोगेन चणादेव पुरः सितम्‌ | विचक्षणेन age तदिदान निबोधत यन्तक्षोकश्नताकंौैणं युर साल्िकमानसम्‌ | यथ्चासौ विमलस्तङ्गो विवेको नाम पवेतः ay तच्छिखरं रम्यमप्रमत्तत्वनामकम्‌ | यजो परिष्टात्तस्टेव निविष्टं भेनसत्पृरम्‌ ये लोका aera: साधवस्षन्निवासिनः ` aq चिन्तसमाधानो Ta मण्डपः था निःस्हता माम वेदिका तच afar |

[2 का mete eee

७.० उपमितिमवप्रपश्चा कथया |

तस्वाख्चोपरि Bae Staal Awaaz

चारिजधमेराज्रञ्च परिवारविवेष्टितः |

ये तस्य गुणाः wat ये तेषां aig

तदिदं भो महाराज तदानौं नरवाहम |

विचच्णेन निःशेषं साक्वादे वावलो कितम्‌

ततश्च भोभो awats नरवाहन सख विचच्णः wea तेन

शरभो दयेन fra युक्त एव तथा निजचारुतया माजा ्रालिक्कित एव तया freer बुद्धा सहित एव तेन श्षंण faana sta एव aweauntfan तेम प्रकर्षेण प्रियतनयेन समुपेत एव वदनकोटरवने वतेमानया रखमाभायंया eae सकुटुम्बक एव केवलं तामेकां ोखतां दासे परित्यश्च निरारूत्य 4 परषक्रियया संप्रा दणधरनामानमाचायं प्रत्रा जितस्तेन स्थित- wat लेनपुरनिवाधिनां भगवतां साधूनां मध्ये किलाह प्र्रजित दति awa ततः शिकितः समल्लोऽपि तेन तेषामाशारो निषेवितः worn विसजिता सा रसना सर्व॑या विदहिताल्य्- मकिश्चित्करौ ततः श्वापितस्तेन रूण निजपदे विचच्णः | स॒ चान्यचापि gwar: परमा्तस्ततेव विषेकगिरिगिखर- वासिनि जेनपुरे zee: 1) यतो भो महाराज भरवाइहन fawautseaa fasia: ) एते ते महात्मानः साधवो मम्तयाः। ततो महाराज धद्भवद्धिरग्वधायि यदुत fa ते बेरग्धकारणमिति तदिदं मम वेराग्थकारणं। श्यं Ten मदीशा safe एवं व्यवश्िते |

age: Tera: | ` १९

भार्यादोषेण यो नाम प्रतरव्धां ससुपागतः | सापि afters saat येन पापिनो aq पाज्ञयतेऽधा पि gaa तद्व्ितम्‌ | तस्य HRTEM भाम MAST कथ्यताम्‌ तथापि ते महाराज यक्ममोपरि गौरवम्‌ | ARAB AWE MA बतं कारणम्‌ यतः सदोषेऽपि gual जगदाल्हादकार कः | किमेषोऽचिगधसोन्दयेः सष्जगप्रहतेगे एः 9 तथाहि | नुममेषा खतां दृषटिखापयष्टिरपूविंका | ्रकारणणेऽपि या fay शणरोपपरायणा fa वा ञ्ुवनवन््यस्य शुण्णोऽयं इतविदिषः। wag जेगशिङ्गसख aaa संखिता वथम्‌ तथाहि | goat श्रपि वन्दन्ते तं भकिभरपूरिताः। करण्यं यय gaia are खिक्॑मश्चसा किं वान्यत्कारणं किंचिद्रदस्थाचारधारकः यनेदृशोऽपि ते राजश दष्करकारकः एवं वदति भगवति विगणितमदचेतसि विषच्षणखरौ मरवादमराजेन चिन्तितं रहो निजन्दरितकथनेन भैगवता जनितो मे मोहविखयः set भगवतां वचनविन्धाशः श्रो

७९२ उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

fatfaa wet मय्यनुग्रहपरता set दृष्टपरमा्थतेति | विन्नातख्च मया sara anagifare mate: |

ततोऽभिहितमनेन भदन्त यादशं MA yas ते कुटुम्बकम्‌ | श्रधन्यास्तादृश नुन प्राप्रुवन्ति मादृशाः ददं पोषय जेनशिष्गं संस्थितः | भदन्त भगवानेव Weal भवतोदूश्रः

अन्यच्च | हता किञ्चित्करौ येन रसनापि महात्मना | MATCH MH लोलता निराङ्ता महामोहादिवेच frat यो जेनसत्युरे | स्थितोऽसि साधुमध्यस्थः कटुम्बसहितो सुने ॒चेत्त्ये भवस्य इन्त दुष्करकारकः | agua भवन्धन्ये ब्रूहि दुष्करकारकाः यश्चायं तव सपन्नो टन्तान्तो जगदहुतः | एतदृत्तान्तयुक्का ते वन्द्याः प्रतिभान्ति मे तद्भदम्त किमेतेषां साधूनामयमौदृश्ः संपन एव aur: fa वा नेति निवेद्यताम्‌ ततो विचचणेगो कं सवेषामयमोद शः | साधनां भष संपन्नो टण्सान्तो मास्ति संश्रयः

अन्यच्च | संपद्यते AAAS SATA नरेश्वर |

चतुर्थः Tela: |

यदि लं कुरुषे सद्यो Wee मादृशः रतस्‌ दगेयामि waa तं विवेकमहागिरिम्‌ | ततस्तव्जायते तेऽज खयमेव कुटुम्बकम्‌ तत महामोहास्विगे खयमेव विजेष्यसे | लोलतां मिरारत्य Tae साधुमध्यगः ततो भगवतो वाक्यमाक्यंदं मनोरमम्‌ | सखरचित्ते चिन्तयत्येव मरवाइनपाथिवः Wet भगवता प्रोक्रमिद मजर परिस्फरम्‌ | एवोखखहते svat तस्येव प्रसुता करे ततो भागवतीं दों ग्रहाण किल पते | तव संपद्यते येन Voy यत्त॒ मादु शाम्‌ श्रो भगवता WE Halles महात्मना | रष्म्येवाधुना दोच्ामिति चिनत्तेऽवधारितम्‌ ततो विन्नरिताजिष्टदुष्टपापाणएखद्चयः | अवोचत गुरं HAT राजा नरवादनः भदन्त यदि मे काचिदिश्ते योग्यतेदुशौ | ततः करोम्यहं तादक्‌ छतं यादृग्‌ भवादृशः किं aaa | दौयतां जिनदौचा मे करितां मदनुग्रहः | ततो यु्रत््रसादेन wa चार्‌ भविति

afunfafed wa gare विनिश्चयः | 90

०९8 खपमितिभवप्रपश्चा कथा |

युक्रमेतद्धि भव्यानां शत्यमेतद्भवाद शाम्‌

नुनं मदौयवाक्स्य सद्धावाधोऽवधारितः

संजातस्तेन ते श्प मरहोश्वाहोऽयमोदु्रः तथाहि |

तादृचु वलाम नेषु महामोहादिग्रुषु |

को वा नाञ्रयते दुगे Gea जेनसत्युरम्‌

निचिन्तो ग्टहवासेऽच को वा दुःखौघपूरिते।

श्रासौत विदिते az UT खुखसागरे

अं काशविलम्बेन राजन्नच महाभये |

एवं ते maa FRAT प्रवे श्नम्‌

ततो भावगतं वाक्यं Far संतुष्टेतसा |

तरेतञ्चिन्तितं राज्ञा दौचाग्दइणकाम्यया

राच्ये कं श्यापयामौति को वा योग्योऽस् मृतः |

ततो विश्कारिता दृष्टिर्नोलानदटलखासिनो

श्रयाग्टहोतसद्धते तदाहं रिपुदारणः |

तथा faraasa निर्भाग्धो रोररूपकः TA |

हश्रोऽ्यसौ WRT तथा तातस्य Waa:

पु्णोदयो wet मे मनाक्‌ saat गतः तत

दृष्टो भिरौश्छमाणेन तातेनामलचेतसा |

ततो at sey तातश्च पुनः प्रत्यागतं मनः

AU: प्रस्तावः |

चिन्तितं ततस्तेन a एष रिपुदारणएः | मया बरिष्कृतो Travel wheat गतः हा हा मयेदं नो चार्‌ छतं यद्युतभतसेनम्‌ | farawisfa day खयं केन्तमसास्मतम्‌ तदिदं प्राप्रकाशं मे तथेदं जनको चितम्‌ | इदमेव सतां युक्रमिदं दुष्क्तश्रोधनम्‌ यदुत | wi राच्येऽभिषिश्चामि संपूज्य रिपुदारणम्‌ | तत BABE Stet गामि निमेखाम्‌ a भद्रेऽगडोतसद्ते AVY STWR: | तातश्च तादृशं चित्तं तजेदं इन्त कारणम्‌ मवनोतसमं मन्ये सुकुमार सतां मनः तत्पखचा्लापसम्यकां्‌ द्र वत्येव संशयः wan सफटिकष्णद्धोऽपि सदोषः प्रतिभासते | परस्तु दोषपुश्चोऽपि भिमणोऽमखचेतसाम्‌ परोपकारखाराणां कारणेऽपि निष्टरम्‌ | शत कमे करोत्येव पश्चात्तापं महाधियाम्‌ agree तातेम निजोत्सङ्गे निवेशितः | तदा प्रत्नितश्त्थं खूरिगंद्ररभाषिणा भदन्त विदितस्तावन्रूनमेष WATT | wraretaaat eta arent रिपुटारणः ATS VHS WH NANG ANT

७१६ उपमितिमवप्रप्चा कथा |

संजाता fa पनर्जातं तादृश चरित पुरा afcurfafed श्प दोषो se तपदख्िनः। जेलराजग्डषावादावस्य स्वस्य कारणम्‌ तातेनोक्क श्रनयेसायेतुर्यां भदन्तेड कदा युमः | श्राभ्वां पापवयवस्याभ्ां वियोगोऽस्य भविश्यति खरिराह महाराज वियोगो ऽद्यापि zea: | गेखराजग्डषावादौ यतो ऽस्यात्यन्तवक्लभौ कारणेन पुमर्धंन वियोगोऽस्य भवि्यति | रिकाले गते तन्ते संप्रत्येव faaza श्द्धाभिखमििविंख्यातो नगरे प्रधमामसे | राजासि तस्य swe वरतावयते किल ` खद्‌ तासत्यते भाम तख दे कन्यके LH विद्येते भुवनानन्दकारिके चार्टग्रेने साच्ादण्टतदूपे ते ते सवेसुखदायिके ` अरत्यन्तदुशेभे WT खद्‌ तासत्यते जनेः एवं faa | कदाचिदेष ते कन्ये लयते रिपुदारणः ` aaa वयस्वाभ्वामाभ्धामेष वियोच्छयते यतः | गणसन्दोदग्ते ते तथेमौ टोषपुश्चकौ तस्मान्साभ्यां सहावख्ा ATT पापयोः

चतुरैः पर्तावः | १७

ततः प्रयोजनस्यास्य कञथिदन्यो विचिम्नकः यत्त॒ तेऽभिमतं श्प तरेवाचर सास्मतम्‌ तच्छरुतला चिन्तयद्राजा तदा मएवाहमः। अरहो कष्टमहो कष्टं खूनोमेम तपसख्िनः wagm रिप्र नित्यं पाशचेखौ दुःखदायिनौ | श्रहो वराको नैवासौ यथार्थो रिपुदारणः ततः fa क्रियतामच मेवास्यस्य प्रतिक्रिया त्यक्रसङ्गो ऽधुनादं तत्करोमि दितमात्मने ततोऽभिषिच्य मां wey शवा सवं यथोचितम्‌ | विचच्षणगरोः Wy निक््राम्दो नरवाहनः ततश्च विबेकश्िखरस्थोऽपि विचच्ण्ूरिण | साधे ares Say बिजार महामतिः ¢ ममापि राच्ये संपन्ने छभावरसोषटवौ | शरेलराजग्डषावादौ मितराममिवर्भितौ दणतुख्यं wed पश्यामि सुतरां ततः | अलगण्डुवसंकाश्रमनृतं प्रतिभाति मे॥ एवं पिदर्प्राखमानस्य निन्धमानस्य पण्डितः | TES धूनलेवचनेरलौ कंचाटुकमेभिः पुष्यो दयस्यय ATTA पालयतो भम | गतानि कतिचिद्धदरे वर्षाणि fae लोलया

७१८ उपमिविमवप्रपश्चा कथा |

इतञ्चोयप्रतापन्चः साव॑भौमो fears: | शक्रवर्तो तदा शोके तपमो नाम पतिः सवेवखसषामग्या महोद ग्र॑नलो लया | waa समायातः पुरे सिद्धाथेनामके ततो विदिततदर्तिरहं मन्तिमरनत्तमैः | हितकारितया प्रोक्तो विश्चातनपनो तिभिः यदुत चक्रवर्तो जगज्ज्येष्टस्तपमोऽयं मरोपतिः | तदस्य क्रियतां देव गत्वा सम्मामपूजमम्‌ पूख्योऽयं खवेश्धपानामवितसतव पूर्वजैः विग्रेषतो wera: ered मानमरति BY तु ग्रेलराजेन विधुरौकतचेतमः | श्राश्रातस्तभसर्वाङ्गस्तानाभाषे तरे दृश्रम्‌ यदुत | श्रे विमूढाः at नाम तपमोऽयं ममाग्रतः | येनास्य पूजनं कुर्याम पुनरेष मे

AHS मग्तिमदन्तमेशक्ं देव मा मैवं वदतु देवः। se हि पूजनमङ्ुवेता देवेन शदिः पूवपुरुषक्रमः परित्यक्ता राजनौतिः awe नोताः wade: षमुच्द्ितं राच्यसुखं परिषशहापितो विनयः श्रपकर्फितमख्मदचनं भवति asa afeqaefa 2a: | कियतामस्माकमनुरोधेम तपनराजद्छाभ्थङ्गमने देवेनेति वदन्तः पतिताः र्वेऽपि मम चरणयोः। ततो श्हदृश्धतो मनाङ्‌ मे

चतुरैः Tera: | ७१९

जलराजौोयददया वलेपमावष्टम्भः। केवशं सं्चितोऽहं wares | ततो मयाभिहितं) ममा चे चिन्तोसारः। तद्गच्छत धय कर्त यथोचितं we तु पञ्चादागमिथामि। दन्ताश्याने राजनि प्रबेश्छामौति। ततो यदाश्नापयति दैव शति वदन्तो निगेतासपनाभिसुखं मणग्विमहन्समा useing) न्ति Ta तपननृपते विं विधे प्रभाषावेषवणेखरभेद विन्नानान्तर्धान- विज्ञातारो बदवश्चर विशेषाः | ततः aafeqtu विदितोऽचं टृन्ताक्नो निबेदितस्तपनाय wry मग्विमरत्तमेर्विंडिता तपन- राजस्य प्रतिपत्तिरपस्थापितानि महाहप्राख्तामि समावतं इदयं टमं Wert तपममरेग्रेण। ver रिपुदारणवार्ता। मग्तिमन्तमेरक्। देव देवपादप्रसादेन guet रिपुदारणः। समागच्छति चेष देवपादमूलमिति ततो दत्ता ममाह्ायकाः | विज॒भ्ितौ गेशराग्डषावादौ | ततस्ते मयाभिहिताः यदुत अरे वदत तान्‌ गला सर्वान्मन्िमहन्तमान्‌ |

यथा केना प्रहिता धुयं दुरात्मानो नराधमाः

ततो मया मागन्तव्यमेव व्रणंमा गच्छत ययं CATA मासि भवतां जोवितमिति aera गतास्तत्समो पमाह्ायकाः। मिवेदितं मग्विमहन्तमानां मदौयवचनं ततस्ते तन स्थाने सवेलच्छाः Tew: Mem मष्टजो विताश्ाः परस्पराभिशुखमोक- माणा श्रो रिपुदारण्स् मर्यादेति चिन्तयन्तः किमधुना कतेय- भिति विमूढाः wafa मदोयमन्तिमहन्तमाः। लकिताखपम- मरेन ततोऽमिहितमनेन भो भो लोका धौरा aaa

QRe उपमितिभदप्पद्चा क्था |

मा aaa दोषोऽयं भवतां प्रतोतं मे रिषुदारण्खय whe) ततोऽहं खयमेव तेन भलिष्यामि aaa भवद्भिरदस्तनि्ेन्धधरेने भावयं | मो क्व्यस्तस्यो परि सखामिवडमानः। मो दितोऽसौ रान्ताः | योग्यो युश्ररदिधपदातोनाम्‌ | तथाहि इभररूपाणणं रतानां शएद्धमानसे | जातु राजरसानां काको भवति नायकः

awed सवया तस्योपरि qed ततो मयि विरक्र- लवात्तेषामभिदितं सर्वैरपि। यदाश्चापथति देव दति। ततो ऽभिदितस्तपनराञेन योगेश्वरनामा तश्वादौ कणं यदत गला तशेदमिदं geafa योगेश्वरे णोक्क। यदान्नापयति za: ततः समागतो मल्छमौपे सह शरिराजपुख्षैयेमिश्वरः। दृष्टो ऽहं हतावष्टशेलराजेन समालिङ्गितो खषावादेन परिषेष्टितशचोखरास- wacafecs: faqeta:) ततः पुरतः खिला तेन योगेश्वरे तग्छवादिना अ्रहतोऽहं मुखे योमचृुष्धा ततोऽचिन्धतया मणिमन््ौषधोनां प्रभावस्य तसिज्ञेव wa संजातो मे प्ररति- विपयेः aay शून्यमिव इदयं प्रतिभान्ति विपरौता cafe यायाः चिन्न इव महागरे जानाम्यात्मखरूपं तपनसत्को ऽखं योगेश्वर इति भोतो मटीचपरिवारः खितः किकतग्यतामूढो मोहित तेन ate: ततो विदितश्डुटिना शराः पाप दु रात्मल्लागच्डसि त्वं देवपादमूश्लमिति वदता arfeatse बेच तम्रा योगेश्वरे | say सरे भयं गतो दैन्यं -पतितसखचरणए्योः। WAAC Aint मदयश्धः guiga: तिरोशतौ गेलराज-

wae: wea `

खवावादौ ततः Sf योगेश्वरेशतममनुथकाः ततोऽ चणेनेव संजातोक्मादौ वेदयमानसौगमन्तस्तापं विहितसे्ैथानातः छतः पञ्चजटो fafedt ager चचिंतो माषयपुष्डुक्षेः। were तालारवं कतुं समवतारितोऽहं रासमध्ये। ततो at area: Wate मनुव्याख्िताशकं रासं दात्‌ कथम्‌ | यो डि गवेमविगेकभरेण करिष्यते वाधक TATA अदिव्यते | AAT भवं एव तौत्रविडन्बनां arate निजपापभरेण शश अनः भुवकः हवं SMTA वस्गामानाः Feary at wer fasfia, newts i ततोऽहं पतामि तेषां प्रत्येकं पारैषु। गृत्यामि erent wart) equa तेषक्षयमानेषु ददामि गाथाः ततस्ेरमिरितं पश्यतेह भव एव अनाः Baye जेलराजवरमिजक्लिासषटतं फणम्‌ | यः पुरेव शुङ्देवनशनपि नो नेतः वोऽ ereeray गतो रिपुदारणः gaan: | यौ हि भवे मविषेकभरेण after verte» ततो ममापि ge श्फ॒रटिलेदमागतं यदुत गरेलराजवश्रवतिंतथ निखिले जने हिष्डितोऽहभगैतेन श्या किलं पण्डितः |. - भारिक अगनो हि तथा ATER

91

०२९ छपमितिभवप्रपच्चा कथा |

तेन पापचरितश्च ममा विडम्बनम्‌ ti Wye: | यो हि गवंमविवेकभरेण करिष्यत दत्धारि ततो राषदायकाः ster विदितपूवेदन्ताश्नेन योगेश्वरेण अरेरे एवं गायत TS Had | ass जग््ममतिदायिुरूनवमन्यते सोऽज दाखचरणाग्रतच्ेर पि waa | VHT RII जनानुपतापयेत्‌ va तपनगुप इल्युचितानि विधापयेत्‌ पुमधरैवकः धो हि गवेमित्यादि areas MEA गाढं पा््िप्रहारमों fata वृशयितुं newt: ततो निविडलोदपिष्डेरिव समकालं भिपतद्भिरेतावद्धिः पारैदंशितं मे wat विमूढा गाढतरं मे चेतना | तथापि ते राजपुरुषा नरकपाला इव मम ङुणष्डकाजिःषारम- Sener मां बखादाखेटथन्तसख्िताखकं रासं दद- माना एव प्राप्नास्तपननरेष्धाख्यान। दर्भितं तच विग्रेषतस्तप्पे्प्कं प्रत्तं प्रहसनं | enea धोग्योऽयं दुरात्मेति सजातो जनवादः | ततो योगेश्वरे रासकदायकमध्ये श्िल्ाभिदितम्‌ | चथा | गो गतोऽसि पिढदेवगणं 4 मातर किं इतोऽसि रिषुदारण पश्यसि कातरम्‌ | मृत्य नृत्य fafearefa देवपुरोऽधुमा निपत निपत चरणेषु सवंमरौयुजाम्‌ gayest: | यो fe गवेमविवेकभरेण करित इत्थादि

चतुः पस्तावः | CE

aitswqarcasa जो वितभयेन देन्यशुररोशुत्य नाटि- तोऽनेकधा पतितोऽनधजानामपि चरणेषु संभातावद्न्डतः

तपगनरेष्दरेण तु मदीय एव कनिष्ठो भाता ज्ुशमभषणो नामाभिषेचितः fagrigt weg) ततो भङ्धेऽगरोतस्धेते तथा तेर्गाडपाण्णिप्रहारेजेजेरितश्ररौरख्च मे निपतितश्चुदरे रक्षं संजातः सन्ापातिरेकः

ततो slut मे केकभववेधा giver) दन्ता ममान्धा एडिका भवितव्यतया area गतोऽहं तस्यां पापिष्ठ- जिवासायां नगर्या महातमःप्रभामिधाने पाटके sagas: पापिष्ठङ्ुखपुजकरूपः | ख्वितस्तजेव चयतस्तिंग्र्षागरोपमानि कम्दु- कवदु खमागोऽधस्तादुपरि वञ्जकण्टकेष्डद्यमानः। तदित्वमव- गाहितो मयातितोग्रतरदुःखभरसागरः। ततस्तत्प्थन्ते जोर्षाथां पूवद लगृडिकायां दन्ता ममान्या गु ङ्का भवितव्यतथा तन्तेजसा समागतोऽहं पञ्चाखपश्संखामे मगरे shires जम्बकाकार- धारको भवितब्धतया। एवं भद्रऽग्टहौतसंङधेते केखिपरतया तया निजभायेया भवितव्यतया तच्छं पापिष्ठनिवाखायां नगर्यां - सुपथेपरि शितेषु सप्तस्च॒पाटकेषु तथा पञ्चाचपश्संखञाने विक- लाकनिवासे एकाचचनिवासे मशुजगतौ किं बडना तदसब्यवदार- गगरं विहायापरेषु प्रायेण सर्वष्वानेषु नोर्णाथां तस्यामेकभव- बेद्यामिधानायां कमेपरि शममहाराजवमर्धिता्यां पुनरपरापरां गृ डिकां योजयगधार षड षटो यन्लन्यायेन भ्मितोऽइमनन्तं are प्रतिश्ठानमनन्तवाराः | शवंखामेषु Wert मे अन्या जाति-

one Sufe feet शया

निग्न ge smersis वशं ated ed fire] aaqee लगा CV SAA मूखेता चशाभदग्मापटास्व UTR ST जणानिष्टलं गडिकाप्रथोभेणेव प्रकटितं भवितथच्छ तथा ज््कित्पारन वश्तदपानं qa wu निके खे द्र गिच्यादि fautfaraat | एवं वदति संसारिजोवे smfanren fafa) wet

मगद्धश्नावारयोर्दाङ्णता wate. कदश्वतिंनानेण संलमरि- Maa हारितो मनुख्धभावः sraresa fae: अ्वगाद्दितो ore: संखारसामरोऽनुग्धलानि विविधदुःखानि भराप्तानि मितानि नात्सादौनौति sericea: प्राह | ततोऽन्यदा efaatsy भव- चक्रुरे मङ्यरूपतया | SHAT से तज मध्वमगृ रता AAGST ममोपरि भवितचता arfauifangar पुनरपि eeett 8 gutee: | ततोऽभिदहितममथा ्ायेपुज मन्तव्यं मसुजमतौ भवता वेमाबपुरे। Waal तज यथा दद्धायिकथा wi तवा- नुरः पुष्ोदयो भविग्यति। aarfafed! यदाद्धापखति देवो ततो ओौर्लाखां प्रा्ोगगुडिकाचां दन्त इनरेकभववेश्छ छा अमा- परा afear भविकन्दतसेति

ware पथंटद्धिः Tate

जरभवमतिरम्यं WY Ut भो ATA: |

निरूपमश्धशखष्देतावादरः सं विधेथो

gate भवद्धि्मागजिह्वानृतेषु

इतरया वद्धः खगमो चेतर

Agu: प्रस्तावः | ७२५

मनुजग्डमिषु खलब्धविडम्बनमाः |

मद्र खानृतग्रद्धिपरायणा

मनु भविव्यय दुगेतिगासुकाः एतज्िवेदितमिह प्रकटं मया भो मध्यखभावमवखञ्ग्य faefenn: | मानागुते रखनजा सह संविश्य

Teeter कुरष्वम्‌ 8 ` इत्युपमितिभवग्रपश्चायां कथायां मामण्षा- वाद्रसनेन्दरियविषाकक्शेनखतुथैः

प्रस्तावः समाप्तः ४॥

0 कषय `` चा --

अथ पञ्चमः प्रस्तावः |

अरय तक्लोकविश्धातं सवंसौन्दयंमन्दिरम्‌ | बहिरङ्गं जगत्यस्ति वधमान पुरोत्तमम्‌ पूवाभाषौ safe प्राचो दकिणो ofan: | ATA: घटा TW गेमधमेपरायणः विनतः dreds: सर्वावयवसुन्दरः | wearer ay धार्मिकः सुन्दरोजनः तज दपोड्ूरारातिकरिङ्भविद्‌ारणः | अ्धनिर्व्याजसदर्यो waet नाम शपतिः tt धः श्रशराद्धायते नित्यं खवन्भुकुमदाकर | कडोरभास्कराकार बिभर्ति रिपुतामसे तस्यास्ति सर्वदेवौनां मध्ये शब्धपताकिका | सौन्दर्यग्नोखपूर्णाङ्गो देवो TAG तस्या Aa समुद्भूतः सद्ृतद्णएमन्दिरम्‌ | सुतोऽस्ति विमो भाम तयोदवौनरेग्रयोः यस्तदा बालकाशेऽपि वतमानो महामतिः | खघुक्मेतथा धन्यो et areefed: अरय Ay पुरे ख्यातः समस्जनपूजितः | अगद्खतदहितः Bel सोमदेवो महाधनः धनेन धनदं Wat रूपेण मकरब्वजम्‌ |

पञ्चमः प्रस्तावः . `

धिया सुरगुरं सौरो यो विजिग्ये aera: ॥.. तच्यानुरूपा Wee खाधच्माग्टतग्रालिनौ 1 :

भदेभक्राभवद्भार्या "नाजा कमकसुन्दरो ततोऽ गङिकारानाद्वितव्यतया तया | तस्याः प्रवेशितः get भद्रे पुष्णोदयाण्वितः अथय aqua प्रविभक्रश्ररोरकः ।. . `

खितखाहं बहियेनि रङ्गमध्यं थथा azn | ततः किण TATE जातो मे पुजकोऽनच्ः ` इति भावनया चित्ते जनन्या प्रविश्लोकितः .. सोऽपि पुष्छोदयो जातः tare नेकितस्तया ` ATT TAA तेऽन्तरङ्गजना यतः `

Mase सोमदेवेन परिवारभिवेदितः ` are कारितस्तेन पुतनग्ममहोत्छवः . . ` दन्तानि रिदानानि पूजिता aeaefa: | प्रमृन्ता बान्धवाः सवं वादितानेकमदंलाः श्रथातौतेऽतितोषेण दाद श्रारे च. सोत्सवम्‌ | ततो मे fated भाम वामदेव इति eq ततः संवधेमागोऽइमत्यन्तसुखला खितः QUIET समापशो ग्यक्रसेतन्यसगतः

तावहष्टौ मथा भद्रे शष्णाकारधरौ भरो | तयोख निकरे वक्रा भारौ वशितदेडिका fafa मया इन्त किमिदं मानुषचथम्‌

2QR®

उपमिविनशभवचा कथया | मन्मोप warera कि वाजित veto #

अयेकशच भां गाढं वलादाख्िग्य मानवः | निपत्य पादयोखतेषां ततखत्यमंभावत मिज प्रत्यभिजानोषे fai at far नेति पुकः | मयोक् नेति age जातः शोकविङलः मयोक्र तात किं जातमेवं शोकविहशः | तेनो बिरङ्ष्टोऽपि यतो ऽहं विदधत खव a मयो कुच ysis ले war acute | VR IMT warneea साष्मतम्‌ पुरेऽकथवहारे aarelatean: घुरा AUTEN TES ARGH: केवछं तज बाङ्वमडनच्यापि के ger | श्रन्यदा मिग तोऽसि नं ततो अमरूकाम्वथा 8 ततचेकाचवाङे लं किकिला पुरे अवमम्‌ TYG कटा कितपुमरामतः तै

aw ये गमेजाः समति afer: कुखपुजकाः | अन्यद्छगानि wey तेषु पराक्ञोऽखि सुन्दर अथ तच खिधस्साय arse वयस्कः | तिरोग्छतपरत्ेन सम्यम्‌ efererar ततो भनस्भोलतनाससातागन्तेषु UG | अनन्तरा MASS TE खजोयमहहेखया gaeweares gt धिद्काषेनाजके |

पञ्चमः प्रावः |

बहिरङ्गे गतसखात कडा विष्वं wire: | भरवादंलरा्जख भवने खं तरा खितः दिनानि afafearar ufagt रिपुदारणः। संसारिणौोष दत्येतन्तात ते नमिषवेकम्‌ वासके बाङ्के नान MAT चापरोपरम्‌ are fedare भवता वरलोचन |

wae wafomrat aware इति स्याढंम्‌ AAMT war साधं wreatsfe वरानभ « संजाता च॑ षरा प्रौतिम॑दोयश्नानकौ गरले VEY लया तोषा्चयेदं तव को श्रलम्‌ | जातं कश्य प्रसादेन मनानन्द विधीव्कम्‌ aan प्रतिपलाखि मभिनो मे aera मूढतानन्दिनो नावा रागकेखरिणोश्गथा ददः AB: Na. संजातं wa कौश्रखम्‌ | सा fe afafeat fay नम मातेव ager यच यज टषावादस्तज् AVE भायथा - भवितव्यमिति sat fread बाखकेरपि # maim दशेनोषेति साक्मोया भगिनौ मम" मयापि प्रतिपन्नं तन्ावकोनं seer ततस्तद चनं तात ACHR: |

भगिनौ पुरतः wat दभंखामोति ते fees

याकता |

92

r

उपमितिभवप्पश्चा कथा |

तदा ताङ्श्रः खेस्तव तात मया सद

ते ताष्शाः SHU: सा मेचौ मनोहरा

तथापि | लं प्रत्यमिजानोषे इृष्टमणयधना जनम्‌ महन्तरमतोऽपि खात्कि शोकभरकारणम्‌ ` तदेष मन्दभाग्योऽह भवता परिवजितः | यामि क्ष चै तिष्ठामि सनातचिग्तयातुरः॥ मयोक्र AWA TAH भद्र भावतः। ` तथापि दये मेऽसि यथा लं बिरसंगतः `

अतः | ` afea भौ तलोश्ता चिन्मानन्दपूरितम्‌ | afa भद्र खषावादे जाते दश्ंनगोचरे ` qi जातिस्मरा मन्ये दृष्टिरेषा शरौरिणाम्‌ | faa fe fanaa इष्टे awa ऽप्रिये ABST RAT: शोको भद्रेण वस्तुनि वयसः प्राणतुख्धस्ं बरहि यत्ते प्रयोजनम्‌ तेनोक्रमियदेवाच मम तात प्रयोजनम्‌ | यदेषात्मोयभगिनो दशिता तेऽतिवत्छला मायेति सुप्रजिद्धापि जनेखरितर चितेः | इय ayfear तात पियनान्नाभिधौयते तदेनया समं तात वर्तितव्यं यथा मया We तिरोभविव्यामि नासि मेऽवसरोऽधुना

Wea: प्रस्तावः | ORL

fa a! | यचेयमास्ते ase fea wae तत्वतः | परस्परानु विद्ध हि खरूपमिदमावयोः .॥ अयं तु पुरुषस्तात कनिष्ठो मे सहोदरः | युक्तस्ते मित्रभावस्य तेम संदर्चितो मया स्तेयनामा महावोयं स्तिरोग्धतः fea: पुरा | प्रस्लावमधुना ज्ञाला सोऽयं तात समागतः तदषोऽपि लया faa ययाहमवलो कितः | तयेव खहभावेन द्रष्टव्यः पियबान्धेवः

मयोक्र | oa येयं ते भगिनौ az at ममापि ame: | यस्ते सोदरो भाता. AAG बान्धवः

atm | re - wet महाप्रसादो .मे fafeat aequy: | WHA: रतरृत्योऽइमेवं खति actus Cal शटषावादस्तिरोभावमुपागतः | ततो मे इदि संजातो वितकेः कोड्श्रः॥ श्रो मे धन्यता नुनं पन्नं Ha: फलम्‌ भगिनौ भरातरौ. यस्य समापन्नौ ममेदृशौ ततो विषषतस्ताभ्यां साधं मे मनसोदुश्रः। जाता वितकंकष्लोला भद्रे विभान्तचेतसः . वञ्चयामि जगत्छवं नानाष्ूपैः प्रतारणे: |

७२

उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

परेषां wade मुष्णामि यथेच्छया ततोऽहं TYRE इरण चाग्यतन्बदाम्‌ madara frwgefeat लोकबान्धवः anergy ay मामक्ोन ङुचेष्टितम्‌ | गणितिखणतुखयोऽहं पः स्वेलोकवान्धवैः # Tay नुपतेर्भाया या कमलसन्दरो | WAH: सवकालं wat fiero ततोऽसौ aarqer विमलो राजदारकः जातो मे मादसम्बन्धाग्सव्वा feaiornge: खटोपकारपरमः खेडमिभेरमामसः | माद्या मया Aa WAG: waza - ष्ठं ठु mat sae after: wear: | निमलेऽपि werge: संजातः कौ टिलालयः निर्भिंखश्रा्भाभेन तदेवं क्तेमानयोः |. चअनेकक्रौडनासारमाववोर्याभ्ति वासराः aay | कौमारे वतमाने विमलेन ART RNG STING ATE. सकलाः कलाः योषितां wears मौोगक्रेतगमणग्दिरम्‌ | लावष्यषागराधार काद्ख्षकमवाप सः # अयान्यदा मया सधं Wearet मराःमतिः | क्रोडानन्दमे काम PATA वरकाननम्‌

पञ्चमः प्रावः | ORR

तच्च कोचम्‌ अनग्रोकनागदुलागबक्ुलाहगोषराजितम्‌ चन्दनागरकपूरतरूषण्डममो हरम्‌ LIA ASI विशशारवारितातपसन्दरम्‌ | विखबत्कतकौगन्ध्यद्यान्धोहतवरपदम्‌ श्रनेकतालदिताखनाशिकेरमहादर मेः | चराति ware: शण्पधमिव मन्दनम्‌ अपि 4) : विविधाहुतश्तलतान्टडकं कचिदागत लार ब्शवकम्‌ | सुमनोहदरमन्धरणद्वमरं यु ख्दामपि विस्मयलोषकरम्‌ तच मया vient fare: eet मगा बज्ञपूतमलः } ` उपगते तदा सुचिर विजने रमते aarfe मगोश्वने ware कि Bas | गुपुरारवसंमिखः साश्रद्को निष्टतो wie: | जयोशिन्छस्पतोदरादागतः कणंकोटरम्‌ नतो विबखेनाभिदितं are वामदेव qered tafe: Bue मोक कुमार अस्फटाशरतया wae मथापि लकितो बहनां wy wa: संभाव्यते यतोऽ काबनाभोगे विकरज्ति ger: परिभ्रमन्ति wat: संभायन्ते विबु्ष wea सिद्धा feof far: संभवन्ति am मायन्ति fae: पयैरन्जि राचसा निवसन्ति किग्यरुषा विलसन्ति मरोर wea गन्धर्वाः कोडन्ति विद्याधराः मस्ान्पुरतो गला .निरूप्यावः येन भिदौ-

O88 | उपमितिभवप्रपश्चा कथा|

ते कस्यायं wee इति प्रतिपन्नमनेन गतौ सोकं wafer | ger पदपद्धतिः | विमलेनोक्ं वचस aaa मङुषमिथनस्व कस्यचिदेषा पदपद्धतिः | aa: |

पश्येकानि पदान्यच कोमलानि, खधूनि च।

दृश्यन्ते वाशुकामध्ये खष्मरेखाङ्ितानि

तचान्यानि TAMMIE NTT STA: |

लाञ्डितानि विभाव्यन्ते पदानि facerfa an

लगन्ति cami पदानौह भुवस्तले |

सामान्यपुरषाणणं नेदृशो पदपद्ूतिः `

तदच वयस्य वामदेव विशिष्टेन केनचिन्लरमियुनेन wea)

मयोक्तं | कुमार सल्यमेवमिदमयतो गला निङ्ूपयावः। ततो गतौ पुनः सोकं wari) दृष्टमतिघमतरुगइनमध्ये लताग्टदकं निरू- पितं शखतावितानविवरेण तच निलोनं दृष्टमपहसितरति- मन्मयसौन्दयं तद्धिनं विणोकितं विमलेन मखायेभ्यो arer- याणि यावत्‌ get मिथुनेनावां ्रपष्तौ कतिचित्पदानि विमलेनोकं वयद स्ाभान्याविमौ gaat) यतोऽनयोः WO? विशिष्टानि शक्षणान्यपलभ्वन्ते मथोक्ं कौदुश्ानि az नाचोलेचणानि भवन्ति मरत्कुठहकं मे .ततस्तान्येव तावज्जिवे- दथलु gat | विमलेगोक्क |

aquyaarend विस्तरेण . वरानम |

duet इटित्येव ककद्रंयितु चमः

तयेव waa भार्या faded बङविस्तरम्‌ |

पञ्चमः प्रस्तावः | ७६५

aqua हि को माम पारयेत्कोऽवधारयेत्‌ अतः समासतस्त॒भ्य यदि गाढं कुत्सम्‌ | ततोऽहं कथयाम्येष aw नरयोषितोः wae | ware मे विमखेनोक्र रकृख्िग्धमवक्र पद्माभं खद्‌ कोमशम्‌ | प्रशस्तं वणितं ave: gfe पादयोस्तलम्‌ शशिवज्चाङ्कशच्छक्तशङ्खग दित्थाद यस्तले | पादयो्यस्य दृश्यन्ते धन्यः पुरुषोत्तमः एत एव चन्द्राद्या यद्यघपूणेभिन्नकाः | भवेयुः पञ्चिमाभोगाः संपद्यन्ते तदा नरे राखभो वा वराहो वा अम्बृको वा परिस्फुटम्‌ | दृष्येत पादतज्थोयंस्यासो दुःखितो भरः मयोक्र | | | SII wat am लयेदमपलच्षणम्‌ | fag विमलः प्राह समाकणेय कारणम्‌ ` WAI दृष्टमाजस्य नरस्येह शभागएभम्‌ | येन तक्ञचणं प्रोक्त तद्रेधा सुन्दरतरम्‌ ततः सवे समासेन सुखद्‌ःखनिवेदकम्‌ | शरोर संशितं fees aoe विदुषां मतम्‌ तेनापलच्णस्यापि यदिद प्रतिपादनम्‌ | gn तङ्घदर HAE प्रस्त नरल्णे मयोक्र | | |

oad

उपमितिभवप्रपश्चा शया |

कुमार परि शलोऽषं ्ुत्पश्यथे भथा wet: | द्रि श्वे were; दविगुशोऽथमनुपदहः # विमलेनोक्षं Sty: wearer: fever दर्पैणशज्िभाः | नखा भवन्ति Rat गभो गसुखप्रदाः # faa: अमला Ser Sayfa: wa: | जायते किख ङ्ःोखो भखेलोकोऽच माणवः मध्ये संक्िप्तपाद alae ace भवेत्‌ | निमे सादत्कटौ पाडौ प्र्रशावदाइतो 6 Raat wat ल्िग्धौ मांसलौ शमकोमसौ सुख्िष्टौ wrut wat acret सुखवाधको ये काक न्वा WHT SEA ea: | ये दोधेसयूलजद्ाख दुःखितास्तेऽध्वगामिनः ये इंसगिखिमातङ्गटवगत्यशुकारिशः | रास्ते fant शोके दुःखिगोऽन्ये परकौतिताः MIR भवेदहं MUR वा पुबमा हितौ | यस्यासौ सुखितो श्यो चटजानुने qvec: राजौ बशच्छावभुलतं मणिके शुभम्‌ | वक्रं ata विवरे fanfare wat दौघायुष्का भवन्लोहे प्रशषम्बदवणा नराः | Smeal पुनस्ठाभ्यां इखायुष्काः प्रकौ्तिताः मांसोपचितविस्तोणे इभकारि कठीतरम्‌ 1

पञ्चमः Vera: | SRO

तदेव fiat विशेयं खसङ्कटम्‌ धस्योद्रं भवेत्त सिंव्याघ्रशिखष्डिनाम्‌ | तथेव इषमश्यानां भोगभोगौो मानवः smash भोगानां भाजनं किल गोयते | शूरो निवेदितः भराजञमेण्डुकखमञ् दिकः गम्भौरा efeuraat माभिरक्ष FRc ` वामावर्ता लुङ्गा नेष्टा लचणवेदिभिः॥ विग्रालमुलतं तुङ्ग. खिग्धलो मश्रमाद॑वम्‌ | वचःस्थलं wage विपरोतमतोऽपरम्‌ कूमेसिंहाश्वमातङ्घसमष््टाः सुशोभनाः | SERA दुष्टा Tay AIHA: प्रशम्नबादवो धन्याः प्रग्रस्ता दौ घेबाहवः | अरकमेकटिमौ wat विश्वेयाः पाठवश्नखाः दौर्घो Haga: स्कन्धो नि्मोंखो भारवबाइकः | मांसलो लचणन्ञानां जचुखन्धो मतः किलल कष्टो दुःखकरो We: कशो weg यो भवेत्‌ | कम्बसन्निभः श्रेष्ठो बशित्रयत्रिराजितः॥ weet दुःखितो नित्यं पोनोषटः सुभगो भवेत्‌ विषमोष्टो भवेद्धोरणेम्बोष्ठो भो गभाजनम्‌ ॥. Wet: समाः fuafrut दन्ताः fava चना; इभाः | विपरौताः gawer aqui दुःखहेतवः॥ ; ` दाजिंग्द्रदनो राना भोगौ Weal |. .

93

उपमितिभवपपश्चा कया |

fanart मध्यमो शनेयस्ततोऽधस्ताश सुन्दरः स्तोकदन्ता Wasnt श्यामदन्ताश्च ये नराः) qa: समदन्ता ते पापाः परिकौतिताः॥ कोभव्तेश्च sy दन्तेविंषमसंखितेः | तेऽ्यन्लपापिनो War TEMS नराधमाः था पद्मटणशसच्छाया BA सा भ्रस्लवेदिनाम्‌ waferst विश्रालाञचिचिजिता मद्पायिनमाम्‌ शूरण पद्मषच्छायं भवेत्ताखु मनोरमम्‌ | BU कुशचयकर MIG दुःखस्य कारणम्‌ हसखारसमादानुकारिणः FAT AT | भवन्ति सुखिनः काकखरनादास्त दुःखिताः Jaa सुखिनो नित्य सुभगस्छ fawgar | मसा चिपिटया पापश्चौरः कुंशितना सिकः नोलोत्पखलदलच्छाया gfefter मनसखिनाम्‌ मधुपिङ्गा प्रशस्ते पापा माजारसन्निभा सहष्टिजिंद्यदृष्टिख् रोद्रद्ष्टिख्च केकरा दौनातिरका ear पिङ्गला विगता इन्दोवराभा धन्यानां war विरजौविनाम्‌ | विपुला भोगिनां दृष्टिरुच्छला स्तो कजो विनाम्‌ tt काणाइरतरोऽन्धः स्यात्केकराद पि ATT: |

बरमन्धोऽपि काणोऽपि केकरोऽपि कातरः॥

अबद्ध शच्डा खततं धुणेते कारणं विना

पञ्चमः WATT

खूचखाभा TAS सा दृष्टिः पापकर्मणाम्‌ रधो भिरोकते पापः सरणं खजुरो चते |

oa निरौचषते धन्यस्तिरखौनं कोपमः Ad एय खरूपे मानसौभाग्यशालिनाम्‌ 1 शवौ नराणं होने तू योषिद्यँ महापदाम्‌ eye महाभोगौ करणी तौ धनभागिनाम्‌ आरुकं wader लोमशौ चिरजौ विनाम्‌ खलाटपटो विपुलखन्द्राभः सम्पदा करः | दुःखिनामतिविस्तौणेः संकिप्तः खस्यजो विनाम्‌ वामावतां भवेद्यस्य वामायां दिशि मस्ते Pan: लुधाच्ामो भिचामन्धात् रूचिकाम्‌ दश्िणो cfaw भागे यस्यावर्तस्तु मस्तके

तस्य नित्यं प्रणायेत कमला करवर्तिनो

यदि स्याहचिे वामो दकिणो वामपाश्वके पश्चात्कासे ततस्तस्य भोगा Asa संश्रयः स्फुटिता avatar: Far दारिग्य हेतवः | सुखदास्ते wafer वन्द्याभाः केशिद्धेतवः

अन्यच्च |

उरोमुखललाटानि यूनि Saar faa | गम्मौराफि gratia नाभिः ae area जेश्रदन्मखाः Gar भवकि सुखद्ेतवः। कण्टः एष्ट तया जहे खं fey पूजितम्‌

ORE

उपमि विभवप्रपद्चा कया |

रक्रा fast wager पाणिपारतलानि च। एय॒लाः पाणिपादास्ह धन्यानां दौधेलोविनाम्‌ लिग्धदण्तः WaTUT: सुभगः खिग्धणोखनः | नरोऽतिदौघां yay Ee: aang निन्दितः # afe cag दकेषु जिहायां festy च। नेजयोखातिसूचा ये ते धन्याः प्रकीर्तिताः पञ्चभिः शतसुदिष्टं safidafaea | fafa: षष्टिः सुदिष्टा लोखाङधेभाखवतिंभिः सानारिप्रात्पुमः भोक्त vata नरणो वितम्‌ anet qnat तथैकेन जिश्रदर्षाणि पुन्दर fa a) अख्यिषर्थाः ge ate afe भोगाः खिबोऽचिषु | गतौ यानं खरे चाश्चा wa we प्रतिष्ठितम्‌ गते्धन्यतरो वी वर्णाद्धन्यतरः Be | सराङन्यतर wa घव स्वे प्रतिषितम्‌ यथा ACI SG थथा ST तथा मनः| यथा मनस्तथा स्व यथा सत्वं तथा TAT: दिदं ते षमासेन वणितं acerqua | अधना थो षिता भद्र wea से निश्रामथ aM | BAT भवता तावडाधारमिड कौ तितम्‌ | wie उथणस्यास्य सत्वमत्यनत निमेशम्‌

ree > eee र्म्म भा ~ ----- ~ i Se eee

UGA: प्रावः esr

aq fa aren जातं तादूभेवावतिष्ठते | fa a कथंचिदुर्धत नराशमिह sentir o विमलेमोक् | सन्ति सवर्धनोपायाः awersa wate | ते चमे श्नानविश्नानधेथंखति समाधयः aged दया दानं निःस्यहवब्छतं तपः siz स्वज awanfgeaz: एतेरविमणं सतनं queda aya Carew: शारषेशकरारिभिः यतः | भावस निराङत्य रूख्यन्ि संश्रयः | भावा VAST सेव्यमाना पुनः पुनः खरोग्दतात्पतत्यस्मादात्मनो ATE: | ततः WET NAAT सा awfaeraqe ti NE स्वे कुर्वंन्ति लदणानि षडहिग णम्‌ अपसलशणदोषासख्च जायन्ते नैव बाधकाः तदैवं भद्र fawn ते भावा afaqa | समश्तग एषम्भाराधारं तत्सत्नसु समम्‌ एवं वदति विमखे मया ug a विज्ञातो भावाथेस्तज कदचन | तथापि भगिनोटदोषान्नं प्रतोदं प्रजख्ितम्‌ कुमार साधु साधकं नष्टो मे संश्रयोऽधुमा |

OBR इपमितिभवप्रपश्चा कथा |

तन्तावदण्येदानों wad मम योषिताम्‌ ti अन्यच alga तावदिदं ते प्रतिभासति। fart लचणेर्थेन जातस्ते विख्मयोऽतुलः विमलेगोक्क rade | चक्रवत भवत्येव aise wes: | VATA भद्र भायां तस्येव जायते तेन मे विस्मयो जातो gee मियुमोत्तमम्‌ | जिश्रामय ततो ax au यो षितोऽधुना HAM कथयतु कमारः | विमलेनो कर | सुश्वमधं WATS स्वं वा मुखमुच्यते | ततोऽपि नासिका set नासिकातोऽपि लोचने चक्रं UG ध्वजं aw खस्तिकं वधेमानकम्‌ | यासां पादतले विद्यास्ताः स्यो राजयोषितः दाखलतवं yaa: पादेवक्रः शपनिभेस्तया | wencifimamifa शोकं खेति सुनेवेचः अर्यो विरा Sat ययाः कमकरो FZ ATI खयूलामिदुःखमाभ्नोति दारि संश्यः॥ CRN: deny सुरृन्लाभिस्थेव रक्ाभिर्नातिदोघाभिरङ्रुलोभिः सुखान्विता Tat सुसंहतौ fava सिरारोमविवजितो | इस्तिदसखनिभो Gear TS सा प्रशस्यते विद्तोणमांषणा शर्वो चतुरस्रा तिश्रोभना |

पिया = gE 9 मि ततद |

पश्चमः प्रस्तावः | ७8

समुखलतनितम्ना करिः tut प्रशस्यते

उदरेण सिरालेन निमेंसेन चंधार्दिता

विलद्ममध्यशोभेन तेनेव सुखभागिन

gaa: aaa: खिन्ेरविस्तोरणे रोमशः खरैः |

विृतैः पाण्डुरे रूके्ा्या we: सुदुःखिताः

aed किल विस्तरेण निवेदयिष्यति मम mda

विमलास्तवद काण्ड एव किं शंपन्न

आकाशे भाखकराकारौ निष्कृष्टासौ विभौषणौ |

भरो विणलोकितौ द्वणेमागच्छन्तौ तदा मया

ततः ससंभ्रमं तदमिसुखमवलोकयता मयाभिहितं कमार

कुमारेति। ततो विमलेनापि विस्फारिता किमेतदिति चिन्तयता तदभिमुखं विमलकोमलकमलदल विलासलासिनो दृष्टिः। अचान्तरे प्राप्तौ लताग्टदकस्योपरि तौ पुरुषौ ततोऽभिदितमेकेन ate faa पुरुषाधम मास्ति मश्यतोऽपि भवतो ate: afecrat सुदृष्टं कुर Masta! समरेष्टदेवतां पुरूषो वा भवेति एतच्चा- nett सताग्टदकमध्यवर्तौ पुरुषो धौरा भवेति sere तां लणमामरेरे विस्मतेव्यमिदमात्मजख्धितं पश्याम को वाच गश्वतोति ब्रुवाणः BATH करवालमुत्पतितस्तद भिमुखं |

ततस्तान्धां समं तस्य विषलत्‌ खद्भवारणम्‌ |

प्रङ्खत्खणएखण्ार वसि दनादातिभोषएम्‌

अरनेककरणोदामवत्वानो द्ध तिबन्धरम्‌ |

जातमायोधनं मौममाकागे कतविस्रयम्‌

989 उपमिकतिभवप्रपष्चा कथा|

ARENT: पुरषो सुखसुडकंताश्टदक प्रबेष्ुममिवाभ्डति सख ततः सा बाला wafager बेपमानपयोधरा हरि णिकेव सिंह- जासिता दश्रखपि दिषु we: fart मिगेत्य पलायितुं प्रहन्ता ततो ger विमलक्ुमारमभिडितमनया | wae. पुरुषोषलम ware गतासि तवाहं शरणं विमलेनोक्रं सुन्दरि धौरा भव गाद्छधुमा ते भयं GTM तद्हणाथं प्राप्तः पुरुषः। सख च॒ विमलकुमारश्चएगणो पाजिंततया तस्मितेव गगने स्तम्भितो वनदेवतया |

ततो विस्फारिताशोऽसौ fawet farang: | feafternfaa न्यस्ो aaa: feat नरः

अवान्तरे सख ae दितौयः पुरुषो निजितस्तेम मिथुगकेन पलायित Fen: शद्मसतत्प॒ष्टतो मिथुककः | ge: सभ्मितनरेख | ग्टरोतोऽखौ रोषोत्कर्ंण sew yeat ममनेच्छा अशितो हेवतया तद्भावः | तत्खचोन्तभ्भितोऽखवनया | Tew: eat बेगेन। cay शङ्ितौ इषटरभोचरमितरौ गतः शोऽपि तदनुमार्शणाद शनं | ततः सा eT wage हा wage a यासि मां gal मन्द भाग्यामिति प्रप्त प्रद्न्ता। शंस्यापिता कथंबिदिमङेन मया च। गता fafa बेला Wart

जयया परोताङ्गो सवत्कान्तिमगोररः | समागतः सख aay तच्छा मिथुनकौ नरः

ततस्तं Tar सा बालशिकाग्तसेक सिक्कव गता परमपरितोषं। मिवे- दित तथा तस्मे SU: | ततः पुरुषो विमशङ्खमार प्रणम्येदमाद।

पञ्चमः Wats | ७8४

बन्धृ्ाता पिता माता नोवितं नरोत्तम लवं मे येम परिया wit cfetd मम त्या॥ अयवा | दासोऽहं किङ्करो वश्यः प्रेष्यस्ते कमेकारकः agiaat ममादेशः fa करोमि तव प्रियम्‌ विमलेनोक्षं महासत्त्व रलम TRG के वयमज चितु। रचितेयं खमाहाव्येनैव भवता केवलं मरत्कौतुकं मे कथयतु भद्रः कोऽयं टन्तान्तः fa वा ते गतस्य संपन्नमिति। तेनोक्र। यद्येवं ततो निषौदतु कुमारः | महतोयं कथा ततो fave: सर्वेऽपि लताग्यडके। UTS | कुमाराकय। रस्ति शरच्छश्रधरकरमिकरधवलो रजतमयो aaa नाम waa: | तत्र चोकरदक्छिणे श्रेणौ। ade षष्टिः wEnre यथाक्रमं विद्याधरपुराणि वसन्ति तच द्किणश्रेष्छामस्ति गगन- शेखर नाम पुर ay मफ्परिभो राजा | तस्य कनकभिखा देवौ | तस्याञ्च रनशेखरस्तनयो रत्नरशिखामणिशिखे दुहितरौ तज रब्नशिखा मेघनादश्य दन्ता मणिशिखा लमितप्रभस्य। ततस्तयो रनशरिखामेधनादयो्जातोऽह तनयः प्रतिष्ठितं मे नाम Tags दरति मफिशिखाभितप्रभयोस्त दौ aq जातावचलख्च wey | Taree रतिकान्ता wat! तस्याद्धयज्नेका वचूतमश्जरो दुहिता जातेति। सरक्रोडितानि सर्वाष्छपि वयं बालकाले | प्राप्नानि कुमारभावं। ग्डोताः कुलक्रमायाता विद्याः। cay

रबशेखरश्य बालवयस्योऽसि चन्दनो नाम feggan: | 94

ay | उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

सव्नागमसद्भावभावितो निपुशस्तथा |

fafati तिषे ae aaa नरश्च

AAAI GAA रनगखरः |

गाढं TH ES भक्रो धमं श्वन्नभाषिते

ततो मदौोखताताय मेघनादाय सादरम्‌ |

दन्तस्तनापि agat भगिन्य agaa

Taz | निदिष्टखन्दनेनाइं किचिदाशोक्य awor | यथायं दारको विद्याशक्रवर्तो भविश्यति a RAIA Am! कुमार संवदति away वशं i

विमलेनोक्ं | aaa वामदेव मामक्योनं af तरद्यागमवष्वनं | त्र कुतो विख्वादः TAGS mae मदौयमादुखेन रन्नगरखरेण साधमिकोऽयमुचितोऽवं खल्णोऽयमिति मला दन्ता मह्ममिय चूतमश्नरो ! परिरोता मया ततः प्रकुपिता वचश- चपलौ मां परिभवितुं man: ब्टगयेते छिद्राणि ततो मया कलघाताश्ङ्कखा Bt भुखरनामा चरः। तेन चागत्य निवेदितं मे। यथा gafaeuat ताग्यामचलचपलाभ्धां काणो fam तत्छाधनाथे तौ कुजचिद्ताविति। aati भद्र बदा तावागच्छतस्तदा मिबेदनो यं भवता मुखरेणटोक्र | यदान्नापथचति देवः | atts प्रभातसमये मिवेदितं तेन मे यथा देव समा- चातौ तौ सिद्धा कारौ विद्या जातं तयोर्मन््णं अभिडित- मख्लेन यथा wT मथा Tagen बह Ze भवता तु

पञ्चत्रः Vera | 39

wae] दरणोयेति। एतदाकष्छ देवः प्रमाणं ततो मया चिन्तितं antsy सविद्ययोरपि तथोनिराकरणे। केवलं a मारयितवब्यौ माटष्वसुः gat at तावदचशचपणौ मया waefa- भयाल्लोकापवादभयाश्च | दुष्टगोशञ्चासौ चपलः ततन्लेम इला यथेनां चूतमञ्जरों विनाश्रयिग्यति ततो मे रुतो सुच्चत्ेनां लाघवं संपद्यते चान्योऽस्ति मे बदहायो थो युध्यमानस्य मे चतमश्नरौं र्ति तख्छाद्जाव्षरे ममापक्रमणं se) ततो ate चूतमन्ञरौ मपक्रान्तोऽहं। TEs मयेदं बहशः क्रोडनन्दनसुधार्नं | ततोऽ समागत्य feat खताग्छहके चाव- दनुभागेखेव मे समागतौ तावचशचपलौ | अमादतश्चाहं गमन- afdaa सतिरख्कारं wed नि्टुरमचलेन ततणदचनमाकणेवतो मे Wea कीदशं संपन |

इतः प्रियतमाखेहतन्तमिवेन्धको शिलम्‌

WAY शशुदु वाक्यैः सक्वगमरसभासुरम्‌

तिष्ठति गवा याति मूढं कतेव्यताङ्ुलम्‌

डोशारूढमिवाभाति चश्च मे इदय तदा

तथापि गाडामषवण्न समुत्पतितोऽहं तदभिमुखं अप्रमा

योधनं ee च॒ तत्प्रायो युद्माभिः। यावश्ष्टोऽचसो गतोऽहं तदणुमार्शए | थावश्माप्तोऽसौ मया उन्तेजितः पर्षवचनैः वल्ितो मदमिसुखं पुमखग्रमायोधनं। ततो मया दत्वा बन्धमास्फोटि- तोऽसावचलौो गगन्येमेव तले ततस्तख चुितान्यङ्गोपाङ्भनि विगज्ितं पौरवं संजातं दैन्यं auf विद्या निष्यन्दं wor:

ogc उपमि तिभवप्पश्चा NUT |

ततो मया विन्तितं। saat तथा संपनल्लो यथा पुनरा- गच्छति i fa a

इतं सुष्टिभिराकाश्रं aftwary तषा मया |

योऽसा vert लद्रस्तां हिला चृतमश्चरोम्‌

यतः सेकाकिनौ aver भयेनेव मरिव्यति।

श्रयवा चपलः पापः at मुन इरिव्यति

यदा किमच वक्रव्यं इतेव मनु बालिका |

zelet तां गतो दुष्टः fe a at जकिता मया॥

तदधुना w याति दुरात्मति विचिनध अलितोऽं वेगेन

यावदहृष्टो मया सश्खमा गच्छशपलः। तता मथा चिन्तितं भ्ये किमेष चपलः समागतः किं दृष्टानेन चूतमन्नरौ कि वाजिच्छन्तौ सुरतं रोषाश्िपातितानेन ata) सवथा aut खाधीना्यां Haat वा कथचिदस्यागममं युष्यते तथाहि

शून्ये दधिघटं get काकः खगनवजिताम्‌ |

लभखादोऽपि at मुक्ता कथयमन्यच गच्छति

तते fafed जवति मे भ्ियतमा। यावशेवमदं चिन्त-

यामि तावदापतितञ्चपलः श॒पं युद्धं ततः सोऽपि मया तथेवा- स्फ़ोरिते waa i आता तस्यापि सेव वार्ता तता हा इन्त किं wat at fa aet at fa faret at fa क्षविद्भोपायिता षा fanaa कस्य चित्करोगश्तेति परियतमागोचराने कंङु विकश्पलोल- कष्लोखजालमाशाकुखलष्ठतानदौखोतःञ्वे अवमानः प्राप्नोऽदमिम- gen get प्रियतमा ततः समुच्छसितं हदयेन पुलकितमङ्गेन

पश्चुमः प्रस्तावः ॐ४€

स्थिरौ तं चतनया शतमास्यदं wt सुखासिकया विगतं चिन्नो- दगेनेति। कथितं चानया मे समस्तटन्तान्तं भवदौयमादहाव्यं | तदेष मया निषेदितः मासेन प्रस्छतदत्तान्तः एवं सिते तदेनां रता तात रितं मम जोवितम्‌ | शता कुलोन्लतिर्पोर दत्तं मे निमेल an: fa ara बहनोक्रेन नास्ति तदस्तु किंचन | महानुभाव लोकेऽ ae मे विहितं sat i सुप्रसिद्धं चेदं लोके| यदत हृते प्रत्युपकारोऽज वणिग्धम साधुता | ये तु auf सुद्यन्ति wae मानुषाः तदौयतां ममादे शः करियतां मदलुयहः | येन सपाद यत्येष प्रिय ते किङ्करो जनः विमलेनोक्रं wet शेतन्चशेखर अरलमतिख्श्चमेण | किं वा संपन्नमस्माकं युद्मह शेनेन किमतेऽप्यपरं प्रियतरमस्ति तथाहि | वचःमहखेण wat a सुन्दरं दिरण्यकोव्यापि वा मिरौ ङितम्‌ अवाप्ते wanda को टिलक्तैरपि भावमौोशनम्‌ fa ara मया विहितं ते येनेवमात्मानं पुनः पुनः संश्रमयति भद्रः इत्येवं वद ति विमले कुतः guasfad कतेव्यश्ास्य मयां कञ्चित्रव्युपकारो भवत्यन्यथा मे चित्तनिटन्तिरिति मन्यमानेन प्रकटितं TAGs Ta Waa | तख HTT | fa We किमिदं wn fa पोतं चदि वा सितम्‌। fa कृष्णमिति qua लोकदृष्या aad

oye उप्रमितिर्भवप्रपश्चा कथा |

द्यो तितागरेषदिकूचक्रं सवंवणेविरा जितम्‌ | लद च्छप्रभाजालेदिं च्‌ बद्धेष्रकामुंकम्‌ तच गेचित्वामिहितं THIS कुमार

सवंरो गर धन्यं जराद रिद्यनाश्रनम्‌ |

एेि म्तामणेस्ठस्यमिदं wa सुमे चकम्‌ A

दत्तं aad देवेन तेाषितेन खक्मेणणा |

दह लोके करोत्येत्सर्वाश्रापूरणं नृणाम्‌

तदस्य ग्रदणेन ममानुग्रह करोतु कुमारो नान्यया मे तिः

संपद्यते | विमलेमोक्षं महात्मन्न कतश्यो waarayt विधेया चेतस्यवभावना दन्तमिदं लया zelda मया aad तवेबेदं खुन्दर श्रत: समोप्यतामिदं सुच्यतामतिषन्भरमः। ततञूतमञ्ञ Sim | कुमार कतेव्यो भवतार्यपुचस्यावमन्बयेनाभङ्गः | तयाहि।

जिःसया aft fora दातरि प्रण्योधयते |

सन्तो ana afserza gad

wa q चतमश्चर्या वद्क्धां विमलः fare

किमुत्तरं ददामोति याविन्तयते इदि

कावदस््ाञ्चले तस्य रच्डेन सादरम्‌ |

aga बद्धमेवोचैर्दिव्यकपेटके सितम्‌

अय तादृश्रनस्य लाभेऽपि विगतस्॒हम्‌

way इषंमिरक विमलं वच्छ चेतसा

रत्रजडः खे चित्ते तहुफेगांढभावितः।

तदा विचिन्तयत्येवं वि्मयोत्फ्ललो चनः

पञ्चमः प्रस्तावः | ९५९

अहो श्रपूवे माहान्यमहो निःखदतातुशा |

इदमस्य कुमारस्य लोकातोतं विचेष्टितम्‌

यदा यरटेदुश्रं जातं feat महात्मनः |

तस्यास्य वाद्येलेकिऽष किं वा Ta: प्रयोजनम्‌

एतदेवं विधं रिन्त जायते पुण्धकमंणाम्‌ |

प्रायोऽनेकभवेधमंकमेर IT CATT

ये तु पापाः सदा war: शएद्धधमबहिष्कृताः |

तेषां संभवे्रायो fade चिन्नमोद्‌ शम्‌ |

ततश्ैवमवधायं चिन्तितं रजचूडेन श्रये च्छामि तावेदम-

मस्य कुमारस्य सहचर ¦ यदुत कुभ्रव्धोऽयं कुमारः किंनामा fants: किमयेमिडहागतः fa वाख्यागुष्टानमिति i aa: पृष्टोऽष् यथा विवचितमेकान्ते wat Tagen) मयापि कथितं Ta यथा | WHT वधमामपुरे चत्रियस्य धवलनृपतेः पुजोऽयं विमलो नाम afafead चाद्यानेन यथा वयस्य वामदेव afed क्रौडा- नन्दनसुद्यागमतिर मणो यं जनवादेन शरूयते तन्म waa ततो ऽद्य गच्छावस्तद्‌शनायं मयोक्तं यदाश्नापयति कुमारः | ततः खमागताविडइ Bat युवयोः शब्दः तदनुषारेण a_i दृष्टा पदपद्धतिः। तथा लितं मरमभिथनं तते खतागटहके दृष्टौ युवां निरूपितौ gata) कथितं मे eau निर्दिष्टं यथायं चक्र- aaa wea भार्यां भविव्यति। तदिदमिहाखयागसनप्रयोजग। अनुष्ठानं पुनरस्य स्वे यया चेष्टितं क्ाघनोयं विदुषामभिमतं लोकानामाङ्धारकं बन्भेभालभिरचितं वयस्यानां Wels सुनोना-

७५२ उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

मपौति। केवलं प्रतिपन्नमनेनाश्चापि किंचहशेमं रलचूडेन चिन्तितं। श्रये सवं सुन्दरमाख्यातमनेभ | तदि दटमच प्राप्तकालं | दश्रेयाम्यस्य भगवदिम्बं | उविताऽयं तद्‌ गेनस्य सपव्यतेऽख्य तद- WAT महानुपकारः। एवं HAA ममापि प्रद्युपकारकरणमनोरयः परिप्रण भविव्यतोति। विचिन्याभिहितेाऽनेन विमशकमारः। चथा कुमार TE MTA समागतः aes मदौयमातामहो मरणिप्रभः। प्रतिभातमिदमतिकमनोयं काननं। ads पुनः पुनविद्ाधराणामवताराथं महाभवनं विधाय प्रतिष्ठितं तेन भग- वता युगादिनाथस्य fad wa एव बडशोऽहमिहागतः at तते ममातुग्रहेण तद्रष्ुमहति कुमारः विमलेनोक्तं यदद्‌- MMA: | तदाकण्छे इष्टो TASS: | AAT गता वयं भवमाभिमुखं दृष्टं भगवता मन्दिर तच्च कोदूग्रम्‌

विमलस्फरिकच्छायं खणेराजि विराजितम्‌ |

तडद्ख्यसयुक्रश्रर दग्बधरोपमम्‌

विलसद्रचवेड्यंपद्मरागम णिलविषा |

नष्टान्धकारसम्बन्धमुद्योतितदि गन्तरम्‌ afq च।

wag श्डाच्छनिमलस्फटिकमफिनि मिंतकुटिमसंकान्त विलसन्ता-

पनोयस्तम्भ स्तम्भविन्यस्तविद्ुमकिरणकंद्‌म्वकर क्सुक्ता फला वचूलं अव- चुलविरचितमरकतमयुखश्वामायमानसितचमरनिकरं सितचमर- निकरदण्डचवामौ करप्रभापिश्चरिताद श्रमण्डलं श्रादश्रमण्डलगतवि- राजमानारुणमणि्टार निकुरम्ब हार जिङरूम्बावलम्बितविश्दहारक-

पञ्चमः Weta? | OUR

fafettrefafa ay safe भुवननाथस्य भवने प्रविश्च तेरवलोकितं भगवतो युगादिनाथस्य बिम्बं avez

दिक्‌ प्रङ्खनप्रभाजालं श्रातङ्खम्भविनिभिंतम्‌ |

श्रान्तं कान्तं निराटोपं निर्विकारं मभोहरम्‌

ततः स्वैरपि विदिते इषभरविस्फारिताचेः प्रणामः वन्दितं

q विश्नदामन्द पुलकोद्धेदसुन्दर वपुदेधानाभ्यां विधिवूतमश्चरौ- Tagerat | weg खचर चरमुवनबन्धो भगवते बिम्बं निरूप- यता विमशक्ुमारस्य ससा ससुष्षसितं Mane विदारितं शरि- mame हद्धिभुपगता सदुद्धिः प्रादुश्ठंता दृढतरं FMA: | ततञिन्तितमनेन wet भगवतेऽस्य देवस्य SG) we सौम्यता wet निर्विकारता श्रो सातिश्रयल् श्रो श्रविन्धमाशात्यता। तथाहि |

रकार एव ares निष्कलो मनोहरः |

श्रमन्तमसय देवस्य दएसन्भारगौरवम्‌

वौतरागो NASA: GAT: स्वदश्रेनः |

सुनिशितमय देवो बिम्बादेवावगम्यते

धावल्सं चिन्सयत्येवं मध्यख्ेनान्तरात्मना |

विमलः चालयन्ुचेमंलमात्मौयचेतसः

तावत्तस्य समुत्पन्न खजातेः ATW तदा

अरतोतभवसन्ता नटत्ताम्तस्मुति कारणम्‌

अरय संजातमूद्धीऽमाव चिन्छरमनिर्भरः |

पतिते waa ee: सर्वेषां शतसंभरमः

95

8५9 उपमितिमवप्पष्चा wut |

अथय वायुप्रदानेन संजातः स्यष्टचेतनः |

we किमेतदिल्येवं रचुडेन सादरम्‌

ततः प्रादुभवद्धक्तिः HSCATH TG: |

wirequfasina: प्रवद्धाश्चशिबन्धृरः

विमशो रबचूडष्ट WAT शरणशदयम्‌ |

आनन्दो दकपूर्णाः प्रणनाम FRY:

प्राइ च) ` शरोर fad बन्धर्मायो माता पिता ya:

देवता Waal Ya मे aT ans: |

येनेदं cuz पापप्रलालमचमम्‌ |

त्रया मे afi घौर सदहिम्ब भवभेदिनः॥

एतद्धि दग्रेयता रब्रचृड भवता Siar मे steal: छतं

परमसौजन्यं दिता भववललरो sated दुःखजालं दत्तं ख- कदम्बकं प्रापितं शिवधामेति। THEA कुमार नाहमद्ापि विग्रेषतेाऽवगच्छछामि किम aad भवतः विमलेमोक्कं we aay] जातिस्मरणं सुृताऽद्यदिगमिवातीतेा अरिभव- सन्नामः। यतः पुरोऽपि निबेश्िता मया भक्रिभरनि्भरेण भ्ूरि- भवेषु वतेमानेन भगवद्धिमरे दृष्टिः निर्मलोरतं सम्यगज्नान- fanaa चिन्तरन्नं tad सम्यग्दभ्ैनेम मानसं waned सदनुष्टानं भावितो भावनाभिरात्मा वाशितं तत्छाधुपधैपाषन- यान्तःकरणं Mawar भे समख्ग्डतेषु मेचौ गतेाऽङ्गाक्गो भावं gufwag प्रमोदः धारितं asnfed क्विष्टमानेषु कार्ष

Wega प्रस्तावः | Oye

stam दु विंनोतेषुेचा निखणोभ्वतं वेषयिकड्खदुःख्योरौ रा- aa तथा परिणतः प्रशमः परिचितः संवेगः चिरसस्तुता भवनिर्वेदः प्रणिति करुण श्रनुशणितमास्तिक्यं geht wets: Ghat तपःसंयमाविति तता चावहृष्टं मयेदं भुवनमभतुभगवता मिष्करङ्धं बिम्बं arace चिक्र दवाग्टतरसेन पूरित दव र्या खौषटत इव सुखासिकया wa इव प्रमोदेन ततः Oita मम हदये यदुत

रागदेषभयाज्ञानशोकचिद्के्विंवर्जितः |

प्रश्रान्तमून्तिंदवोऽयं लोचनानन्दद्‌ायकः

दृश्यमानो यथा धत्त ममाह्वादं तया पुरा

qa कचिग्मया मन्ये दृष्टोऽयं परमेश्वरः

एवं चिन्तयन्नेव ward रशान्तरम्‌ |

` प्रविष्टोऽसुभवदारसबेद्यमतिखुन्दरम्‌ यता HATHA WA सम्यक्कमुत्तमम्‌। ततः Bat मया at तदाराजिखिक्ता भवाः तदिदं महात्मन्नज मे संपन्नं Ga: कतं aA भवता यत्थरम-

शरवः छुवन्तोति ब्रुवाणो रतनृडचरणयो निपतितः पुनविं मल- कुमारः। तते नरोत्तम श्रलमलमतिषभ्वमेणेति वदता समुत्थापि- ताऽसौ रब्रचडेन साधर्मिक इति वन्दितः खविनयं अभिहितं च! कुमार AIT मे समोदितं परि पणा मनोरयाः wag प्रत्येप- कारो यदेवं मादृशजनोऽपि ते परिचिततक्वमार्गप्रत्यभिन्नाने कारणभावं प्रतिपन्न इति। स्याने कुमारस्यायं दर्षातिरेकः।

oud उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

amet सुते tree द्रविणे रजसश्चये।

वापे GIS नेव तेषो महात्मनाम्‌ तथाहि

तुण््ड्ानि खशच्यकालानि शवांणि परमार्थतः |

एतामि तेन Stoel नेव Arve कारणम्‌

AM पुनरासाद्य मागे भौमे भवोदधौ |

सुदुलंभं महात्मागो जायन्ते इवंनिभराः तथाहि |

संप्राप्रस्तत्छण्णरेव मागे: स्वंञ्चभा षितः |

श्रमखाताग्डताख्नादस्वेदमकरो FUTH

अनन्तानन्दसंप्ूरणेमोखेतुख fay: |

अतः सतां कथं गाम रषीलासकारणएम्‌ अन्यश्च | |

सत्वामुरूप वाञ्कम्ति फणं सवेंऽपि जन्तवः |

श्वा fe तुब्यति पिण्डेन aerate केसरो

मूषको ब्रौहिमासा्च मृत्धत्युत्तालरस्तकः |

गजेन्द्रो ऽवश्चया YR Var सुभोजनम्‌ तया |

अदृष्टलस्वा ये मूढाः स्तोकचिन्ला AeA: |

धनराच्यादिक प्राप्य जायन्ते ते मदोत्कटाः त्वं तु पूवे

पञ्चमः प्रावः | ७५७

चिन्तामणिखमे wa wal मध्यश्चतां गतः | कचिता मया घौर इषंदोषकलद्धितः॥ श्रपुभेवं पुनधन्यः स्फटरो माश्चसुन्दरः | waa तुष्टोऽसि साधु साधु नरोत्तम i केवलमज जने नेवमतिगरूवमारोपण्ोयं कुमारेण किमज मया विदित कुमारस्य निमिन्तमाज wa await) खयमेव थोग्योऽसि त्वमेव विधकष्याणएपरन्परायाः। मयापि डि तावकोनां पाक्रतामुपलच्धयाय विदितो यन्नः तयाडि | खयं विन्नातसद्भावा लोकान्तिकसुरेश्तदा | यदि गाम nated Nears: कथंचन तथापि ते सरास्तेषां भवन्ति महात्मनाम्‌ | गुरवस्तादृशे पके द्रष्टव्योऽयं वया जमः fanaa) aware मेवं वोचः। सदृश्मिदमस्योदितं भवता महि भगवति बोधयितय्ये लोकान्तिकस्राणं निमिन्त- भावः भवता तु दशेयता भगवद्दिम्बं शंपादितमेव ममेदं wae RST TES निमिन्तमाजतां योऽपि धमं aay fat | प्रतिपद्येत नोव गुरः पारमाथिकः॥ एवं मे विदधानसख्ं Teta संग्रयः | उचितं तु सतां कठं सहुरो विनयादिकम्‌ तस्माद्‌ चितमेवेदं सवै तावकोपकारस्येति | किं च। एषा भगवतामान्ना सामान्यस्यापि सुन्दरम्‌ |

७५८ उपमितिमवप्रपद्या कथा |

are: साधमिंकस्येह विनयो वन्दनादिकः॥ fa पुनस्ते महाभाग नेवं सद्धमंदायिनः। युज्यते fara: कतुं निभिश्यष्ापि agit: रब्नचूडेनोक्ं | मा मेवमादिग्रतु कुमारः तथाहि गृणएप्रकर्षरूपस्लं TNT सुरेरपि AAA गृररस्माकं AST वक्तुमरसि विमसेगोक्क | गुणप्रकषरूपाणणं Wawra महात्मनाम्‌ ददमेव ae लिङ्ग यहुरोभेकरिपूजनम्‌ महात्मा GUA घन्यः कुलोडवः। भौरः wey: तपसौ पर्डितिः॥ a: किङ्करत्वं Hea क्मकारलमश्नसा | दासत्वमपि gale: सहुरूणणां werd कायः क्ञाधितः gat यो गरोर्विंनयोद्यतः | सावाणौ या गरोः AH त्मनो यहुरौ रतम्‌ अनेकभवको रौभिरुपकारपरेरपि धभापकार कटेण्णं frat विधौयते अन्यचचेद मधुना पयालोच्य भवता साधं मथा यदुत fac तावे भवचारकव्रासाचिन्तं wzelat दुःखात्मकतया विषयाः भाविता शोकोन्तरायाताखाद रूपतया प्रशमः A स्थातव्यमधुना ग्टहपश्चरे ग्रशोतव्या भागवतो Treat केवलं सन्ति मे तात- प्रतयो बहवो बान्धवाः तेषां कः प्रतिबोधगोपायः स्यात्‌

QQ? Tats ~ Oye

एवं fe तेषां मया बन्धुलकायंमाचरितं भवति यदि तेऽपि afe- भित्तकं भगवद्भा पिते wa प्रतिबुध्यन्ते मान्यथा रत्रचुडधेनोक अस्ति बुधो मामाचायेः। यदौ कथंचिद्‌ गच्छेन्ततस्तानपि तव भ्नातोमवश्य प्रतिबोधयेत्‌ हि भगवाज्िधिरतिग्रयानामा- कारबिन्त्नतानेपुष्यस्य प्रकषैः प्राणिप्रश्रमणलमेरियन्ताग्धमिवंचन- विन्वाखख्येति विमलेनोक्षं श्राय पुनरसौ दृष्टो qu- ख्रिभ॑वता रव्रशूडेगोक्ं अजेव करौडानन्दने sea भगव- | इवनस्य दारण्छमिभागे दृष्टोऽसौ मया यतः समागतेऽहमतौता- र्यां सपरिकरो भगवत्पूजनायेमिद मन्दिरे प्रविशता दृष्ट मया रृरन्तपोधनसु मिदन्दं तस्य मध्ये fea: wut वर्येन बोभव्छो दग्रेनेन जिकोणेन शिरसा वक्रदोचेया भिरोधरया fefazar भासिकया विरलविकरालेन श्नमण्डलेन सम्बेनोद्रे् सवया BRIANA: केवलं परिद्धमधुरगम्भोरेण ध्वनिना विश्देन वशौखशारणेनायंसमपिक्था गिरा धममाचक्ाण्णे दृष्टो मयेकस्तपस् संजात मे चेतसि वितकंः यथा बत भग- वता TUITE रूपं प्रविष्टोऽहं चेत्यभवने निवेशिता भक्ति- सार भगवद्िम्बे दृष्टिः श्रवतारितं निर्माद्यं। विधापितं स्मा लेनं कारितसुपलेपनं विरचिता gat) विकौः पुष्यप्रकरः | nonfat मङ्गखप्रदौपाः | ससूुक्षासितः सगस्धिधूपः। fated पूवंकरणोयं प्रमाजिंतमुपवेश्नस्थानं न्यस्ठानि भमौ नानुकर- तलानि fragt भगवददने gfe: प्रवधितः सदभावना शभम- प.रणामः | सजात भह्षतिश्रयः ज्ञावितमानन्दोदक विन्दु निव्यन्द्‌-

उपमितिमवप्पश्चा कथः |

सन्दोहेए लोचनयुगलं संपन्नं कद म्बङुसुमसन्िभ ृददानन्द- विश्दपुलकोद्धेदखुन्दर मे शरोर। पठित भावार्यानुरमरणएगभं भक्तिनिभरतया शक्रस्तवः। कतः पञ्चाङ्गप्रणिपातः। निषो zag स्तुतः सर्व॑श्नप्रफौतप्रवसनोल्ञतिकरेयौगमुद्रया प्रधानस्तोनेभावसारं भगवान्‌ | Chad भगवहुणैरन्तःकरणं विहिते शयः पश्चाङ्गमणि- पातः। तदवस्येनेव वन्दिताः प्रमोदटद्धिजनकाः खरिग्रश्टतयः। समु - स्थिता जिनसुद्भया संपादितं चेत्यवन्दनं तदन्ते छृतं प्रणिधानं सुक्रारक्रिमुद्रया श्रचान्तरे मत्परिवारेण निव तित भगवते afe- विधान asad स्ञाचोपकरणं विस्तारिता विविजवश््ाशद्धारो- लोचाः। प्रारं aaa समापूरिताः कलकादलाः चाखिताः सुघोषघण्डाः। राणितानि कणकणकभाणकानि ध्वानिता दिव्यदुन्दु- भयः नादिता मधुरशङ्खुः। वादिताः पदुपरडहाः आस्फाल्लिता चघेरिकया श्छदङ्गाः। समुच्छलितानि कंसालकानि fafa: स्तोजरवः। प्रवर्तिते मण्तजापः। विमुक्रं कुसुमवषे | दयणद्यणायिता मधपावलौ श्रभिषेदितं महारंरसगन्धौषधिसन्तोथीदकैर्विंधिना जगष्जौववन्धोभगवतेा बिम्बं wat मन्धरं चूतमश्चरौ विश- सितमुदामामन्दोवित ग्रेषविला सिनोजनेन दन्तानि महादानानि। छतसुचितकरणोधं एवं महता faaga विधाय भगवद्‌ भिषेक- पूजनं निगंतेऽशं साधृवन्दनाथै यावन्तथेव तस्य॒ सुखाधुद्न्दस्य मध्ये faa: तपसौ निविष्टः कनककमले रतिविरहित दव मकरकेतनो रोदिणोवियोजित इव ग्टगलाञ्ढनः शचोविनाङत TI पुरन्दरः उन्तमकातंखरभास्रेणाकारेए उल सनमह्ाप्रभाप्रवाह-

पञ्चमः प्रस्तावः | ७६९

पिश्चरितसुनिमण्डलः बरर्भोक्षतेन पादतलेन गुढसिराजालेन भ्रशस्तशाञ्छनलाञ्कितेन दपेणःकारनखेन Baayen चरण- gran वरकरिकराकारेण spas कटिनपौनसख॒दृन्तविस्तौर्यन केसरि किश्रोरणोखाविडम्बिना कटोतटेन चुटितमभो हरे णोदर- देशेन fanaa व्चःस्थलेम प्रणम्बेन भुजदष्डयुगलेन मन्तमहेभ- कुम्भास्फालनसहार्भ्यां कराभ्वां चिवसिविराजितेन कण्ठेन अधरित- शश्रधरारविन्दश्ोभेन वदनेन उन्तङ्ग्ुरुखितेन मासिकावंगेन सुश्विष्टमां सलप्रलम्बेम कणेयु गलेन अ्रपदसितकुवखयदलाभ्धां जोच- माभ्यां संहतसखमया स्फ़रत्किरणजालरन्िताधरपुटया दन्तपद्धत्था सुच्िषटाष्टमो ्र्रधरसनज्निभेन खसलाटपडेन अध सनावचवदडामकषि- नोत्तमाङ्गभागेन fe बना स्वंयोपमातोतशूपधारी get ऽसौ मया तयेव धमममाचक्ताणएः प्रत्यमिन्ञातश्च तेन पूर्वावधारि- तेन ध्वनिना i संजातो मे मनसि विस्मयः aafafad मया एवायं तपसौ कथं पुनरोदृश्कमनौोयरूपः BUTSa संपन्न cha | अथवा किमजाश्यें निवेदितं मे पूवं धमेद्यरुणा चन्दनेन यथा भवन्ति भगवतां सखाधूर्नां लभयः तन्माहाम्येन भवन्ते धथेच्छथा विविधरूपधारिएः | जायो परमाणुवतमष्छाः | संपद्यन्ते पवेतवहुरवः वलैन्तेऽकंदलवष्नघवः। पूरयन्ति खरि शविस्तारेख भुवनं शआराश्नापयन्ति किङ्कर्मिव देवेश्वरं निमव्नन्ति करिन- fuwraa | छवेन्येकघटाहर शरतसदखं शयन्धेकपटात्परगत- aye श्राकण्यन्ति सर्वाङ्गोपाङ्ेः। wea स्यगेमाचेण निःगेष-

रोमगणं | गच्छन्ति पवनवद्‌ गगने सवेया मास्ति किकिदसाध्य- 96

eg | उपमितिभवप्रपद्चा कथा |

मेतेषां भगवतां garuat प्राप्तशम्धयो Wa ete करणपटवो भवन्ति अतोऽयं मुनिसन्तमः पूर्वै तथा रूपो मया दृष्टोऽधना पुनरेवविधश्ूपधारो इश्यते | तचयं ्राप्तलब्धिरेव भगवानित्यो भगवतोऽतिश्चयः। ततः प्रृष्टचेतसा वन्दितो मया भगवानन्य- मुनयश्च अभिनन्दितोऽशं सर्वेः खर्गापवनं मागं संसगं मिसगं हेतुना धमेलाभेन निविष्टो ane श्रुता wane श्राचेपकारिणौ भव्यचिन्तामां विच्छेपजननो विषय विषाभिलाषस्य श्रमिलाषोत्यादनौ शिवसुखे गि॑ंदसन्पादनौ aang ant विमार्गस्य भगवतो धमंरैश्ना | रज्ितोऽशं तस्य गुणएप्रामभारेण yeq मिकटोपविष्टः शनेरेको afar) यदुत कोऽयं भगवान्‌ किंनामा कुचत्यो वेति aati ace गदरस्माकं बुधो नाम धरातल- पुरवा खन्यस्तद धिपतेरेव इएभविपाकनुपतेस्तनयो निजखाधतानन्दम- सृएवद पाय राच्यं निक्रान्तः साखप्रतमनियतविारेण विहर तोति। ततोऽहमाकण्ये तच्चरितं दृष्टा acfawa facie रूपं शला धमेदेश्नाकौग्रज्ं संचिन्य इदये aryl रल्ाकरकरय- भिदं भगवतां ait यचैवविघधाभि पुरुषरन्नान्यपलभ्यन्ते ततः संजातो भगवद्‌ हेप्रणौते मागें मेरुशिखरवज्िष्यकन्पः स्िरोग्रलख धर्मं तेनैव बुधद्रिद्‌ श्ेनेन मदौयः सर्वोऽपि परिकरः ततोऽभि- ay भगवन्तं गतोऽहं Gera भगवानपि क्चिदन्य्न विहर- तौति। तेनाहं ्रवोमि। eat बुधद्ूरिरागच्छेन्ततस्ते wai बोधयति परोपकारकरणेकब्यसनौ fe भगवान्‌ यतस्तदापि मम मत्परिकरस्य aga gale विहितं तेन ang

पश्चमः प्रस्तावः | o€g

Sfrascfata विमलेगोक्रं ara सोऽपि कथंचिदिहागम- माय भवतेवभ्यर्यनोयः रत्रचुडेनोक् धदादिश्रति छ्मारः। केवलमस्मदियोगेभ aad विधुरस्तातो विखं्युखाम्बा was तद्कच्छामि तावदहं तयोः संधौरणायं Ger ततः करिष्यामि युश्रदादेशं। नाज कुमारे विकल्पो विधेय इति विमलेगोक्त श्राये किं ema TAB: ATE) कुमार

युश्रतन्गाग्टतचोदजग्धाखादस्य मेऽधुना

मम्तव्यमिति ama भारतो प्रवते

तथाहि |

जदोऽपि wat दृष्टे जायते तोषनिभरः |

उदिते fanaaia श्रश्राद्धे कुमुदाकरः

तज खणमाचेण प्रो तिखंबद्धमानसः |

जोवन्नेव तं सुक्का नूगमन्यच गच्छति

fa ai

खा रेऽनन्तदुः खौ चपूरितेऽणग्डतं परम्‌

इदमेकं qian यत्सद्विचिन्तमोखनम्‌

RIS कतं WUT सतां सङ्गस्य waa |

यदि afeaet Yaa wIacwgar:

- चिन्तामणिमिहारन्नमग्डतं कश्पपादपम्‌ |

सदष्टं TARAS: waa at विसुञ्चति

मार विरहो च्चासान्िद्ा लगति ताख्के

तवापि पुरतो मेऽ गन्तव्यमिति ve:

६8 उपमितिभवप्प्चा कथा |

इद वखाग्नेस्ठच्मिद मत्यन्तनिष्ठरम्‌ | GH ANEMIA गच्छाम इति WAZ तथापि ताताम्बाचिन्तसन्तापरूपं afer कारणम्‌ | मडद्न्तयमेवेति मयेद मभिधौयते ti विमलेगोक्ं श्राय यद्येवं ततो गम्यतां भवता केवलं a विस्मरणौयमिदमा्चश मदौोयमभ्यर्थेमं wane: कथयंचिदच quafcfcfa | Tagen 1 कुमार ase विकश्यः। ततो भाविद्ुजनदशेनविच्छेद्‌ कातर इदया चृतमश्नरौ सवाष्यगद्भदया गिरा विमलं प्रत्याह | कुमार सहोद्रोऽसि मे राता देवरोऽसि मरोन्तम। शरोर Nad नाथस्त्वं भे भवसि सुन्दर तदेष गुणदोगोऽपि सरण्णेथः कविष्णनः | भवादृश्रां महाभाग धन्या हि स्मृतिगोचरे a विमलेनोक् श्राय vay yaa afe a समृतिगोचरे | ततो मे atemt wa: किं वा सौजन्यमुच्यताम्‌ एवं वा मथापि सह सम्भाषणं गतौ चूतमश्जरौर चृ | मम पुनरग्टोतषङ्धते भद्रे समाकणेयतोऽपि तथा विमलरत्र- quant: सम्बन्धिनं धम्र्यं श॒रुकमेतथा दूरभव्यतथा AUS guaaq विद्िप्त चिन्तष्येव qfenda प्रो षितस्सेव ग्डतस्येव तदा परिकतमेकमपि ware yea वञ्जभिलाश्कलघरितमिव मना-

मा ee `

a ee

पञ्चमः VAT: ody

गपि द्रावितं जिनगवच्नाग्डतरससेकेनापि fed ततो विग्रेषतः संस्तुत्य भगवन्तं मिगेतसेत्यभवनाक्मया afer विमलः | ततोऽभि- हितमनेन वयस्य वामदेव यदिदं रनरडन AY ZH रत्नं महा- प्रभावमिदमाख्यातं तेन ततः कद्‌ाचिदिदसुपयुख्यते कचिग्धइति प्रथोजने | मम नास्धाधूना रन्नादिके ततो गहोतमिदमना- दरेण कथं चिन्लच्छति | तस्माद चेव कुजचित्मरैशे निधाय गच्छाव tfai aaa serena करुमारः। ततो विमोश्य वस्ाश्चश्ं समर्पितं aga मे fanaa निखातं मयेकज asta शतो निरूपणलखः प्रदेशः। प्रविष्टौ ant) vate खमभवने i रतः स्तेथबडशिकाण्यां मम शरोरेऽनुप्वेश्रः। ततसिन्तितं मया

तद्रतं रनचडेन सवेकार्यैकरं परम्‌ |

निवेदितं aad मे qe चिन्तामणेगैणोः

तन्ादग्रमनर्चयं Tal को नाम मुञ्चति |

इरामि afta गला fa ममापरचिन्तया

ततोऽवलम्ब्य जघन्यतां विस्मृत्य विमल अविगणय्य सद्धा-

ara ऋपर्यालोश्यायतिं wane महापापं श्रविचायं aratare अधिष्ठितः सेयबहलिकाग्यां गतोऽहं तं प्रदेशं। उत्खातं aga निखातमन्यच प्रदेगरे। चिन्तितं मथा कदाचिदधुनेवागच्छति विमलः ततो fotsfeeqs प्रदेशे भवेदस्य विक्रयो यथा वामदेवेन weld तद्रन्ं। यदि पुनर प्रदेशे ae ayers गुष्छितं निखातं तयेवान्यस्तत्ममाशः पाषाणो निखन्यते ततो पिम- चस्य तं दृषा भवेदेवंविधो वितकंः चथा axa मभेवापुश्चेरेवं

odd उपमितिभवप्रपश्चा KUT |

पाषाणौग्रलमिति va विचिनध मया frermamare: कप- टावगुण्छितसतन् प्रदेशे पाषाफः। समागतो we! ated तदनं समायाता रजनौ | faatse TAR) समुत्यन्ला मे चिन्ता श्रये विरूपकं मया रतं यन्लानोतं aga) ge: aafece तथा कुर्वाणः | ग्होव्यति कञ्िदन्यसद्रन्न i तदधुना किं करोमौति। वितकंकल्लोशमालाङु लित चिन्तटत्तेखिन्तसन्तापेन विनिद्रश्येवातौता सर्वापि wath) प्रभाते sgerafaafta गतोऽहं पुनस्तं प्रदेशं, Taq समागतो मद्भवने विमलः | Telswata vat मत्परिजनः क्र वामदेव दति कयितमनेन यथा क्रौडानन्दनो- द्याना भिमुखं गत इति। ततः समागतो ममानुमार्गेण विमलः | चागच्छन्‌ दूरे दृष्टो HA | ततः संजाता aargear fagat रलप्रदेशः। समुत्खातः पाषाशो गोपितः कटोपखां। wat जिहपलच्वः प्रदे शः। गतोऽदमन्यच्र गहनान्तरे संप्राप्नो fare: | कृष्टो ऽहमनेम | afaat भयतरखलोचमः। ततोऽभिहितममेन | वधस्य वामदेव किमेकाको ल्रमिंहागतः। किं वा भोतोऽधि। मयोक्र श्रुतः प्रभाते मया त्वमिहागतः तेनाहमय्यागतः | ततो दुष्टस््वमज। तेन संजातो मम दये Wes: कुमारो गत इति fern) aaa त्वयि ge यदि परं खस्थौभविद्यामोति। विमलेनोक्ष यद्येवं ततः सुन्दरमिदं संपन्नं यदि हागतौ erat गच्छावो भगवद्भवने | मयोक्कमेवं भवतु ततो गतौ जिनमन्दिरे | प्रविष्टोऽग्यन्तरे विमलः featse axed) fafa मथा

qi विन्नातमनेन ततो मभ्वामि लरितं। इतरथा मभेद“

)

पश्चमः प्रतावः | eqs

मेष रत्नसुदालयिव्यति चाच पुरे तिष्ठतो aarearata: | अतः पतामि नि «fai ततः watfaatse बेगेन। क्रान्तो बड्विषयं। asaifa राजिंदिनानि गतोऽष्टा वि श्रतिधाजनानि। atfeat रन्रयन्धिः। दृष्टो जिष्टरपाषाणटः। ततो हा eat ऽखोति गतो Fett) war श्च्छरेण चेतमा ग्टहोतः पश्चात्तापेन ATA: प्रलयितुं भष्टोऽहं कथंचित्ततः सानात्‌ तत्पुनगेामोत्यभिप्रायेण वलितः खदेश्राभिसुखं |

tag जिनसदमान्निगतेन न्‌ इृष्टोऽश विमलेन ततः संजाता विमशस्य चिन्ता पुनगेतो वामदेव इति, गबेषितः सवं कानने चोपलमधः। ततो भवने पुरे aay गवेषितो यावन्तज्ापि दृष्टः ततः wafeg प्रिता ममाग्वेषकपुरषाः प्रापतोऽशमेकर्भो तस्तेभ्वः afafeaa: | यथया वामदेव शो कार्तंस्बदि योगेन विमलो वतेते वयमानेतारस्तवानेन प्रडितास्तेन गम्यतामिति ततो मया चिन्तित। रये afadtse विमलेन ततो विगतं मे भयं नौतोऽद afa- मलसमोपे | दृष्टो विमलेन समालिङ्धितः ata) मुक्रमुभाभ्यां नयनेविमरुसषलशिलं fa तु मया कपटेन प्रियमौलकमुदा विम- लेग निवेशितोऽदमर्धासने शअरभिदितखानेन वयस्य वामदेव वणय faa भवता मयोक्रं कुमाराकणेय | श्रस्ति ताव- ufase जिममन्दिरे ततो धावन्त किलाहमपि प्रविशामि AACS मया व्रणेमा गच्छन्तो गगनतलेऽम्बरचरो | सा RIFT |

प्रका श्रयन्तो दिकूचक्र रूपलावण्छगशाशिनो | आहृ्टकरवाला यमजिषेव भौषण्णा

७६७ उप्रमितिमवप्रपश्चा eT |

ततस्तां दृष्ठा थावददममिलाषोच्लाससंकौशे रसाकरमनुभवामि ताउदुत्ाटितस्तया नेतुमारग्धो गमनमार्गेण ततोऽहं हा कुमार कुमारेति रटजुेः सुविहलः , नोत एव तया दूर भो विद्याधरयोषिता faa) पयोधरभरेणोष्वः सखेहमवगूहित ¦ चुम्बितख्च बलादक्रं प्राधिंतो रतकाम्बया तथा carta सा बाला विषश्ूपा प्रभाषते। कुमार वरमिच्रेए त्रया विरदहितश्य मे॥ चिन्तितं तदा मया दूत | MACHT सुरूपा यद्यप्येषा तयापि मे वरमिजवियुक्रस्य सुखाय प्रकल्पते ्रनान्तरे समायातान्याम्बरचरौ | विलोकितोऽइमनया गता aifa मय्यभिलाष | प्रटत्ता Wee) aay आः पापे कुज धासोति शब्दसन्दभंभो | जातं परस्पर युद्धं तयोः खचरयो षितोः ततो ar@fearat frgfedtse दस्तात्पतितो तले चूफितो MMe | चिन्तितं मया यद्यपि सितोऽद शक्रोमि बद- नया ae तयापि यावदनयोरेका aeifa at acai येन जोवन्नेव विमलकुमारवरवयस्यं पश्यामि ततः पलायितोऽं त्रया इृष्टञ्चामो भि्म॑नुष्येः प्रापितः कुमारश्मोपं। तदिदं Fax मयानुग्रलमिति Twat Cheat विमलो मदोयनिष्कृचनिम- खेदेन Wert मेऽन्तगेता बङखिका किल प्रत्या यितोऽयं मया

WGA: प्रस्सावः ०६९

विमलो सुग्धबुद्धिरिति i श्र्ान्तरे ग्रस्त इव मकरेण दशित इव THY समाघ्रात Ca हतान्तेन जाने कां प्राप्नोऽश्मवस्थां | यतः ससुश्परलयदिवान््ाणि मे प्रादु्धैतसुद्‌ रशूलं घत्पाटयन्तौव लोचने ्रृद्का भिरोबेदना प्रकज्ितानि खलषिबन्धनानि प्रचशितं रदग- नाशं ससुललसितः शाससमोरणः wi मयने faegr भारती | समाक्ंखोग्लो विमलः wat हाहारवः समागतो wae: | भिितो जनसमृरः | समाहृतं Fees प्रयुक्ानि भेषजानि म॒शंजातो fame ) सृतं विमशस्यं तद्रनं। श्रथमवसरख्छेति मत्वा गतो बेगेन ands निरूपितं न्नेन यावन्न दृस्यते axa ततो जाता विमलस्य मदौयचिन्ता कथमसौ जोविव्यति ततः समागतो मम समोपे अजान्तरे विजभ्मितेका wages मोटितमनया TC उदेलितं भुजयुगलं सुत्कौग्ताः केशाः शतं विकर ल्‌पं Gm: फेत्कारारावाः वदिगितमुदामदेहया भौतः सराजको जनः ततो विधाय पूजामुत्पा्च धुप एष्टासौ भहा- fra का तमसोति। खा प्राह वनदेवताङं। मयायमेवं विहितो वामदेवो यतोऽनेन पापेन सद्धावप्रतिपश्नोऽपि वञ्चितोऽयं सरलो विमलः wae रत्र निखातमन्यप्रदेभे gas ap: ganas रचितमालजालशं एवं कथितं तथा वनदेवतया afaat मदौयं विलसितं दशितं तच प्रदम ca) aes) तदेष मया चृएेनोयो दुष्टात्मा वामदेवः। विमलेनोक्कं सुन्दरि मा मेवं कार्षोँमंहामेवं क्रियमाणे मम fener: संपद्यते | ततो विमलाभ्बथंमया मुक्तोऽहं वनदेवतया निन्दितो ऽहं

97

ॐ9 डप्रमितिभवप्रपश्चा कथया |

शोकेन पिह्मारितः fiesta इसितो areata afeaga: खजनवगेंण | जातस्त पि जनमध्य watt ऽहमिति तथापि महानुभावता विमलो मामवलोकयति चिरन्तनखिरधा zaufa विरियं मुञ्चति quia ग्रियिखथति प्रसादं रषयति मां चशमप्येक वदति वयस्य वामदेव भवता मनागपश्चजमवचनेचिक्नोदेगो विधेयः यतो दुराराधोऽषं लोकस्ततो भवादृश्रामेष केवशमवधोरण्णामरलोति प्रतोतं aw महात्ममो विमलस्य तदा actaefta तथापि रहं बङलिकादोषासादृश्ो दुष्टचेष्टितः | तादृश्यो महभ गस्तजेदं विद्धि कारणम्‌ वार्च्ामुदयं गच्छेद सरू प्राश्यं दिवाकरः | शङ्ग्येत समर्याद यदा चोरमहाणटेवः अथवा | वद्किपिष्डोऽपि जायेत aerfafganiae: | अशावुवन्तरेन्नोरे निचिप्नो मेरपवंतः निर्व्यानखहकारष्छः सदािष्छमरोदधिः | तथापि gaat भद्रे प्रतिपन्नं a सुच्चति॥ अन्यश्च जानन्नपि जानौते पणश्डश्नपि प्ति | AEM URN war: खखचेष्टितम्‌ ततोऽहं Taft शोके संजातलाचवः | विचरामि तदा साधं विमङेन महात्मना

WEA प्रस्तावः | mo)

अथान्यदा मया ant विमशो विमखेखणः | संप्राप्त्तज लेनेष्धमन्दिरे वन्दभेच्छया | विधायागशेषकतेव्यं प्रणिपत्य जिनेश्वरम्‌ | अथासौ सलोतुमारग्धो fare: कशथा गिरा Garret खसदोतिर्विद्यो तितदिगन्तरः | रबनचुडः dare: खचरः परिवेष्टितः अचासौ मधुरष्वानमाकष्यं श्च तिपे ग्रम्‌ | ततः संचिन्धयत्ेवं Taye: प्रमोदितः श्रये स्लौति धन्वात्मा विमलो जगाबान्धेवम्‌ | भगवन्तं महाभाग aT IATA ततो fragt yale खखेचरान्‌ ata चृतमश्चयां चिभन्यस्त इव fer: अथ गम्भौरनिधीषः स्फुटकण्टकम्षणः | आनन्दोद कपूर्णाखः शिप्तद्ष्टिजिनानने सद्भत्षवेश्योगेन साश्ादिव पुरः स्थितम्‌ जिनेशं परमात्मानं भगवन्त सनातनम्‌ सोपाजमां सविश््भं sae प्रणयान्वितम्‌ | ततः सलोतमारग्धो विमलोऽमलमानसः अपारघो रखखारनिमद्मननतारक | | किमेष धघोरसखारे माय ते विस्मृतो जनः BRAT तारणे शोकबान्धव | HUTS भुवनानन्द धेनाद्यापि विलम्ब्यते

sufafaranqe! wat |

QIANG दोने कर्णाग्डतसागर्‌ |

ymalgy कतुं जने नाय भवादृशाम्‌ MAY भवकान्तारे शटगशावकसन्निमः | विसुक्षो भवता नाय किमेकाकौ दयाशना cagay भिचिक्तचचुखरलतारकः | भिराशम्नो भयेनेव विमण्छेऽदं त्वया विना अरमन्तवोयंसम्भार अगद्‌ालम्बदाथक |

विधेडि भिभेयं नाय मासुष्लायं भवाटवौम्‌ # HUMMUS नाय कमलशाकरबोधनम्‌ | यथा तया WIN त्वदृते भासि fala: किमेष कर्मणां दोषः किं ममैव quar: कि वास्य हतकाशस्य कि वा मे नास्ति wear fa वा agfefaaty caffe argent | जिखशाद्यापि शपनलला मे yang सौोलाटलितनिःगेषकमेनाल BAIT | सुक्िमयंयते नाय येनाद्यापि दौयते Be जगदाशम्ब मायेदं ते निवेश्यते | नास्तोह शरणं लोके भगवन्तं fage Ru. लं माता त्वं पिता tare erat लंच मे गरः, त्वमेव जगदामम्द जो वितं जो वितेश्वर बयावभौरितो नाय मौोनवष्बशव जिते | निराशो देन्यमाशम्ग्य frase जगतौतखे

WAH: प्रस्तावः |

ख्स्वेदमसिद्ध a fage त्वयि मानसम्‌ |

wargaaaae यदा fa ते निवेद्यताम्‌ `

afed ware ge भुवनभास्करे | त्वयोह विक सत्येव विदशत्कमे को शकम्‌ अमन्तजम्ुखनानव्यापाराक्णिक्स्य ते | ममोपरि जगम्नाय जाने AEM दया squad mare तयि aaa | नृत्यत्येष मयूराभो महोदंण्डभरिखण्डिकः तदस्य किमियं भक्तिः किसुग्मादोऽयमोदृशः | raat aaa माय waar मे निवेद्यताम्‌ मश्रौराजिते माय सूते कलको किलः यथा दृष्टे भवत्येव खसत्कलकलाङकुलः तथेष खरसानन्द बिन्दुसन्दो शदायक |

afa दृष्टे भवत्येवं मूखौऽपि gett जनः तदेनं मावमन्येथा नायासंबद्धभाषिशम्‌ | मला जनं जगञ्ज्येष्ठ समन्तो हि मतवत्सलाः कि बाखोऽोकवालाल आशजालं लपन्नपि जायते जगन्नाय पितुरामन्दवधेनः तथाङ्गौलाकरोल्लापनेश्पाकोऽयं जनस्तव |

किं विवधेयते नाय तोषं fa नेति कथ्यताम्‌

अनाथभ्यासयो गेन विषयारूएचिकदंमे | गतं खकरसंकाश्ं याति मे wee मनः

98

668

उपमिलविभवप्रपश्चा कथया |

न्‌ ae नाय शक्रोमि तज्निवारयिलुं चलम्‌

अतः wale तहेव देव वारय वारय

fa ममापि fanetsfe ara तावकशासने | aad शपतोऽधौश् मोन्तरं मम दौयते आरूढमियतौः कोटौ तव faecat गतम्‌ | मामण्येतेऽनुधावन्ति किमद्यापि परोषाः कि wat प्रणताग्ेषजनवोयेविधायक | उपसर्गां ममादथापि ye gaff नो खलाः quate जगत्छवै भाय at पुरतः खितम्‌ | कषायारातिव्ेण किं a पश्यसि पोडितम्‌ कषायाभिद्रुतं trey मां डि कारुणणिकष्च ते विमोचने wares atte नाय युच्यते विशोकिति महाभाग त्वयि संसारपारगे |

श्रासितुं चणमघेकं wart नास्ति मे रतिः॥

fa a किं करवाणोह भाय मामेष दारणः | staat रिपुखष्मतः प्रतिबध्नाति सत्रम्‌ विधाय मयि कारष्छं तदेनं विनिवारय | STARA माय येनागच्छामि तेऽन्तिके तवायन्तो भवो धर भवोन्तारोऽपि ते aw: | एवं श्चवसख्धिते किं वा Slat परमेश्वर aeraat भवोन्तारो मा विखम्बो विधौयताम्‌ नाय निर्म तिकोल्ञापं इटखन्ति भवाद्भ्राः

पञ्चमः Tes |

waa विमणो aregrnfaaara: | wWTVAAe पञश्चाङ्गप्णएतिं गतः तावदुक्ञासितानन्दपुशकोद्ेदखन्दरः संतुष्टस्तस्य भारत्या TAGS: खेचरः साधु साधु शतं WT स्तवनं भवभेदिनः | लचेत्धेवं ब्रवाणोऽसौ प्ादुरासौन्तदा पुमः धन्यस BART जातोऽसि त्वं aaa | BUM महाभाग भक्तिर्युवनमान्धवे सुक्र एवासि संसाराजिखितस्ं नरोतम | प्राय चिन्तामणिं नेव मरो दारिद्यमश्ति एवं कशवाक्थेन विमशं ख्चराधिपः | अभिनश््य ततो मायं वन्दिलवा भक्तिनिर्भरः तदन्ते विमणशच्योशचे वन्दनं प्रविधाय सः | प्रयमं वन्दितस्तेम निविष्टः wena ततो विहितकरंग्या fave WaT विद्याधरनरेष्द्राख्च fret मतमस्काः श्रय VENTA जाततोषौ परस्परम्‌ विमणो रुख wand कतुसुधतौ उक्र रनचुेन महाभाग निन्नम्यताम्‌ | हेतुना चेन wd मम काल विलम्बभम्‌ | मानौतो भवदादिष्टः खूरिबैधनामकः | awh कारणं किचिग्डहाभाग निगश्रामय

ष्‌

उपभितिभवप्रपष्चा कथया |

दूतो गतोऽहं Fava] इृष्टाम्बा शोकविकृणा | amg मदियोगेन तौ संपौरितौ मया अ्रथातौते दिने afer सङ्गंमामन्दबन्धेरे | राजो स्थितोऽहं शय्यायां शतदेवममस्तिः ध्यायतः परमात्मानं भगवन्तं जिनेश्वरम्‌ | समागता चमे निद्रा दव्यतो तु भावतः॥ तावद्‌ भो भो महाभाग भुवनेश्वरभक्षक | उल्तिषटेति गिरं श्रणन्‌ faqgise मनोहराम्‌ अय विद्योतिताग्रेषदिकुशक्प्रतिभाखराः | तदा पुरतः साचात्यश्धामि बङदेवताः

ततः शसभ्भृमोत्थामविहितातुलपूजनम्‌ | तामिमें क्षाचयन्तोभिरिदसुक्ष वचस्तदा धन्योऽसि कतशत्योऽसि पूजनौयोऽसि मादृशाम्‌ | यस्य भागवतो wa: fare नरसत्तम | रोहिष्ाश्या वयं विद्यास्तव पुष्ेन चोदिताः | wala योग्यतां मला समायाताः BAIT: श्रावजिता गरेस्तात areata: सनिभेलेः अत्यन्तमनुरकरास्ते सर्वाः सर्वात्मना वयम्‌

यस्य भागवतो We नमस्कारो इदि fea: | सदा Meret लोके तस्य ते किमु दुलभम्‌ एताः पञ्चममस्कारमन्लमाहाव्ययज्तिताः |

श्रा गत्य सखयमेवेड ad किङ्करतां गताः

पचमः प्रस्तावः | @99

करिष्यामः प्रवेशं ते welt qeatua | प्रतौष्छ भवितथ्यं भवता सक्रव्तिंना एतचास्माभिरादिष्टं विद्याधरबश तव | पदा तिभावमापश्नमायातं दारि aaa WaT किरोटमफिभाखराः | ततः प्रविश्छ ते aa खेचरा मे नति गताः अभ्ान्तरे प्रहतसुदामातो्श्ब्द प्राभातिकररं | पठितं Are निबेदकेन uqa एष भो भाखकरो शोके Garages गतः प्बोधकारको get दृष्टि्रश्रदायकः सदनुष्टानरेतुख सर्वासामर्थसन्पदाम्‌ | सम्पादक इति ख्यातः aga इव वर्त॑ते ततः भो भो शोकाः षसुत्थाय Wa इदतादरम्‌ | चेन वोऽतकिंता एव रुंपधन्ते विश्रतयः wayne चिग्तितं मया wa भगवद्भाषितषदङ्ममाद्ान्य- मिदं यदतकिंतोपनता एव fagr ममेताः श्वंविद्याः चेदं मे wear | विन्नः eau ससुपस्ितो मे भविति विम- खेन साधं दोक्वाग्रडणं यतः पुश्चालुवस्ि पुश्छमपि भगवता सौ वशिकनिगड्तुच्यं qe आदिष्टं पूवमेव मे चन्दनेन क्द्याधरचक्षव तिलं समर्थितं महात्मना विमखेन तत्का गतिः। वितन्यमेवमनेन तदेवं चिन्धत एव मे wat रेवतामिः 98

१. | उपमितिमवप्पश्चा wut

श्ररौरेऽनुप्रवेश्रः। प्रारभो विथ्ाघरसमृरेभं राश्यामिषेकः | शतानि कौतुकानि विदितामि माङ्गलिकानि समुपनोतानि सन्तौर्याद- कामि प्रकटिताजि रन्नानि सन्नोश्ताः कनकरन्नकलश्राः। एवं महता विमर्दन निवर्तितो मे राज्याभिषेकः ततः पूजयतो देवाम्‌ सन्भ्रागयतो गरन्‌ स्थापयतो राजनो तिं निरूपयतो त्य- बभे gaat यथाशप्रतिपत्ति समाचरतोऽभिनवराच्योचितं स्वे aca afrafa मम कियन्यपि दिनानि | ततो भिराङ्ख- Gare मे संस्मृतो युश्रदादेशः चिन्तितं wa नान्वेषितो sit मया बुधद्धरिने at विमलसमौपं wet मे प्रमन्तता | AAAI खयमेव wise रिग्धमिमण्डलं दृष्टदेकज नगरे मया quate: | भिबेदितो qugurn: ततोऽभिडित- मनेम | गच्छ त्वं तावदिदमिदं विमलाय निवेदय | we a पदमादागमिब्धामि | waar हि विमलबन्धूनां प्रतिबोधनोपायो नान्यः ततः HINA fear शनेः कथितो विमलाय रूडेन प्रच्छन्नो बधरस्ूरिसन्देश्रकः। सतु मया माकणित इति, पाइ रज्नचृडः तदनेन कारणेन संजातो मे काश विखम्बः | अमुना हेतुना ननोतो बृधद्धरिरिति विमलेनोक्षं सुन्दर- मनुटितमार्येण ततः प्रविष्टाः स्वंऽपि नगरे खिला महा- प्रमोदे दिजाणि दिनानि गतः qa TAGS: |

faawyg ततः wafa गाढवतरमभग्यस्ततया ङु श्रलभावस्य wetw- तया क्मेजाशस्छ faggan are हेयतया विषयाणां उपाटेथ- तया nue अविद्यमामतया दुखरितानां vere strate

पञ्चमः प्रस्लाबः। So¢

प्रत्यासन्नता WAIT बडमन्यते राच्यथियं FEA WT- wert अलति विचिबलोखामिः नाभिलषति area गन्धमपोति | केवलं भवचारकविर क्रचिन्तः इएभध्यानानुगतः ae गमयति तं तथा विध्मवलोक्य faquaaqutaiag कम- सुन्दर्याः wae चिन्ता aaa विमलक्मारः सत्यपि मनो- इरे mea विश्चमानेऽप्पपह सितधमद्‌ विभवे विभवे पश्न्ल्धरिता- मर सुन्दरोशावष्या नरेश्रकन्यका श्रधःङुतमकरकेतमोऽपि रूपाति- way संगतोऽपि कलाकलापेन नौरोगोऽपि Va सुपूणाऽपोशिय- सामग्या रडितोऽपि afaenaa नालौोयते यौवमविकारेनं निरौ- ऋते suifefacifuaa जख्पति मग्मनरूबशितवचमेन सेवते मेथादिकला a बहमन्यते शषणामि गटह्यते मदान्धतया विश्ुच्यते सरलतया विषइते विषयसुखमामापौति | af मिदमौदृग्रमस्य संसारातोतमलौ किक चरितं wads प्िय- quant विषयसुख्ख विसुखः aed सु जिवदवतिष्ठते तावदावयोरिदं निष्फलं राज्यं अ्रकिञ्चित्करो प्रभुता निष्प्रयोजना विभवा wa- समानं जोवितमिति ततः कथ पुनरेष विषयेषु प्रवतिंव्यते कुमार इति awit देवोनृपयो रहसि पर्यालोचः सखापितः सिद्धाग्तः। यदुत खयमेव तावद मिधौयतां विषयष्ुखानुभवं प्रति कमारः fe विनौततया दािष्छधनतया कदाचन पिजोवंदममतिखङ्यिव्यतौति मला ततोऽन्यदाभिहितो रि जमनोजनकाग्वां विमलकुमारः | यथा पुज मनोर यश्तेसखमावयो- जातोऽसि ज्यधूधेरणच्मञख वतसे तत्किमिति नानुशोखयसि

Oto sufafananqet खया |

fastaeraed | किं नाभितिष्टसि ced किंन कुरवे दार- doy) fa नानुभवति विषययामं। किं वर्धयसि कुखसन्तति | fa नोत्पादथसि प्रभानामागन्दं किं नाह्ादयसि बन्धुवभे | किम पूरयसि प्रणएयथिजनं किं तपंयसि पिदरदेवाम्‌ किं खन्दागयसि fava: किंग जनयसि वचनमिदं gaara: प्रमोदसन्दोरशमिति | विमलेन चिन्तितं सुन्दरमिदमान्वामभि- हितं भविग्यत्ययमेव प्रतिबोधनोपायः ततोऽमिदहितममेन | यदाज्ञापयति तातो यदादिगश्रध्यम्ना aga arent करणो- चितं। wa fan: | fa q ममायममिप्रायः। दि सर्ववां सराञ्छे दुःखितशोकानामपरत्य बाधां संपा सुखं ततः ae सुखमरुग्धयते ageat एवं डि प्रशुलमाच रितं भवति waar तथाहि |

विधाय शोकं निर्बाधं श्यापयिला सुखेऽखिलम्‌ |

थः खयं सुखमण्विष्छेत्छ राजा प्रसुष्यते

यस्त॒ शोके सुदुःखातें सुख सके निराकुलः |

mya fe कुतप्तश्य कुचिंभरिरसौ मतः

afeeay utente वतेते तावदेष संतापिताशेषश्धमणष्डशो

wea: ततोऽइमतेव ममोनन्दगाभिधाने tc ent बन्धुवर्गेण परितो मिगन्देन सेवमानो श्रमेसमयोचितां राण- Wet संपादयामि ताताम्बयोः सम्बस्धिनमादे श्रं | केवलं निष्‌- erat राजपुरुषा ये सवं द्‌ःखदौगेव्योपडतं लोकं गवेषयिला कमानो मय धं सुखमनुभावयन्तोति | TARAS प्रष्टौ

eee --- = ~= a ca

पञ्चमः प्रस्तावः | OTe

धवश्लराजः प्रमुदिता कमलचन्दरौ ततोऽभिहितमाभ्यां | साधु वह UST साध्‌ चार्‌ लण्पितं aa युक्रमिदमोदृश्मेव भवतो विषेकस्येति ततस्त मगोमन्दने wzetqat सष्वकारितमति- विश्राशं ateu fey) तचाच्छादितं भिरम्तरं नशिनोदशैः खमन्तादुपगृढं मरकतरितेः कदलौ वनेर्वे्टितं सततवा डिन्वा कपूंर- पूरितोदकप्रवाहइया ग्टहमद्या विशेपितं मलयजकपूंरच्ोदगा्थां छतविभागसुशगेरण्टणाशलनालकर्पितेभिंन्तिभागेः ततस्च तादृश रौश्रषभ्तापहारिणि भ्रिथिरसुखोत्कन्पकारिणि महति दिमिभवने विरचितानि भिभरिरपक्षवश्यनानि कख्ितानि शिभरिरसखदग्दू- न्याखमानि प्रवेशितः ay wages विमलकमारः | ततः समस्तेनापि लमसमुदयेन सहित एव विखिक्तः सरख्चन्दनेन शष्छितिः कपूंररेणना मालितः सुरभिपाटलादामभिर्विंराजितो मलिकाकुसुमसवकेरा fer fea: सखसुक्षाफलकलापेन निवसतः amarante: भि भरिरबिन्दुवर्षिभिस्ताखटन्तेरला शितः सखादुकोमलेनाहारेण via इव सुरभिताम्बृखेन प्रमोदित दव मनोहारिकाकश्िगौतेन सानन्द इव विविधकरणाङ्गहारहारिणा yar were इव शलितविलासिनो लो कङ्ुवलयद्‌ ललोखलो चन- मालावणलोकनेन प्रविष्ट इव ae लोकेनावगाहितु रतिसागर | तेवं जननौजनकयोः प्रमोद सन्दादानायथे स्वेषामपि शोका- नामात्ममोऽप्यधिकतरं बदहिःसुखं सपादयन्नासिहं vant विमस- ङुमारः। प्रवेशयन्ति awe राजादेगेन नियुकपुरषा दुःखदो गेत्योपडतं तजन शोकं ततः fart तेषां दुःखापगोदः संपाद्यते शामन्दातिरेक इति एवं च।

७८२ पमितिभवप्रपश्चा कथया |

गुपतोषविधायिविखासकरे सुखसागरवतिमि राष्यधरे | श्रय तज सुते सुभग विमशे प्रमदः क्रियते नगरे सकले एवं चानन्दिते राजनि तुष्टायां await प्रमुदिते सकले जने विमलसखसागरावगाहनेन प्रविष्टाः केचिज्ियुक्रयुरवास्तज fea? दन्ता तेरन्तरा जवनिका तया व्यवहितमेकं पुरषं weary wawuwrafanfad a: यथा देव देवारैशेन faec- द्विरसाभिदृष्टोऽयमत्यन्तदुःखितः पुरुषः warty देवसमोपं | चेष mada देवद भ्र॑नथोग्य इति मत्वा जवनिकया व्यव- हितोऽस्माभिरिह प्रवेशित इत्येतराकण्छं Za: प्रमाणं धवखरा- जेनोक्तं भो भद्राः दृषटाऽयं awa: कथं चात्यन्तदुःखित इति ततोऽभिहितमेकेन देव श्रस्ति तावदितो निगेता वय देवादेग्रन दुःखदारिद्योपहतशोकानयनाथं निषशूपितं नगर Uae समस्तमपि तत्षततानन्दं | ततो गता aTATY यावदृष्टो दूरादयं पुरुषः कथं वतेमानेऽतिमध्याके waa वद्किसन्निभे उन्तप्तलो हपिष्डाभे अगन्तपति भास्करे | निदा हिमुसुराकारे खष्मधूलो महा चये पादजाणवि निसुंक्रो गश्छशेष विशोकितः | ततोऽयं दुःखित इति शला दूरादुशेरभिदहितो ऽस्माभिः | दुत भोभो भद्र fas तिष्टेति। state भो भद्राः ख्वितोऽह aa ॒तिष्ठतेति ब्रुवाणो गन्तु प्रत्तः | ततो मया गला वेगेन बशादानोतोऽयं तरमूल्े निरूपितः श्वे राज-

पद्चमः Tes | नीं:

Gee: यावदवदग्धष्ाणरिवातिटष्णो वेन वुभुखाचामेणणोदरेण पिपाषाशोषितेनाधरोषेन श्रष्वखेदनिःसरेनाङन बदहिरन्तस्ताप- quan खेदजलेन कुष्टेन गता रमिजालोख्वफेन देहेन ॒श्रम्तः- शूलनिबेद कैमुखभङ्गेः प्रकन्यमानया जअराजोणंकपोलया ayer महाज्वरख चकन Druaga मलाविलेनाश्गणना- विकलेन लोचनयुगलेन प्रविष्टया नासिकया श्रटितप्रायैः करर - रेरभिनवखु धितेन मस्तकेनात्यन्तमखिनेश्ौ वरणेण्डेलेखमामेन कम्ब- सेम ॒ग्टरोतेन षद्डनालावदयेन करतलविलम्बिनौ फिंकपिच्छेन | सवया

निधानं सवेदुःखानां दारि श्चस्य परा गतिः |

maaata स्वेषां तदास्माकं इदि खितम्‌

एनं Tey at नाय गाढं बौोभत्छद शेनम्‌ |

चिन्तितं तदास्माभिः सोऽयं प्रत्यच्नारकः

ततोऽभिहितोऽस्माभिः। az किमित्येवं विधे wee aai-

aifa | किमिति शौोतलच्छायायामुपविष्टः सुखासिकया तिष्ठ- सौति | श्रनेनोक्र। भद्रा eae खायन्तोऽस्ि गंरोरादेगरेन पयेटामि तदायत्तोऽह श्रस्मामिशिन्तितं श्रये परवशोऽथं वराकः | श्रो कष्टमिद मस्य महत्तरं दुःखकारण यदौड्‌ शावस्य स्यापि पराधौोनलं नाम ततोऽभिहितमस्माभिः | भद्र कि पुनरे- वमरनिंशमादेशं कुवतस्ते शरः करिष्यति अ्रनेनोक्ं भद्राः खन्ति मम हतान्तसदूशा बजिनोऽष्टाटणिकाः तेभ्यो यन्धिदा- मेन मां मोचयिश्यति | ततोऽस्मामिञिन्तितं wet कष्टतरमि-

otg उपमि तिभवप्रपश्चा KUT |

दमस्य वराकस्य AEA Tae aeeafauraqery दान- Uwe तश्मो चनदुराशा चेति वेधा नातः परतरो दुःखौ जगति waa ततोऽस्मा मिर्क्र | भद्र प्रवतेख गच्छ राजक्षुखे येन ते खवेदुःखद्‌ा रिग्चश्छणविमोः क्रियते ait) we भवतां मदौयचिन्तया खल भवादृओर्मोचितो सुच्येऽइभिति saat गन्न्‌ wen: ततञिन्तितमस्माभिः wt stare care दुराह्मा तथापि wel राजग्रासनं नेतव्योऽय देवसमौपमि- व्याकलय्यानो तोऽस्माभिरिति | धवश्चराजेनोक् महइत्कुतदख मे पश्याम्येनं | श्रपमयत जवनिकामिति ततोऽपनौता तेजेवनिका | दृष्टो यथाभिदिंष्टखशूपः पुर्वः विस्मितः शपरिवारो राजा विमलेन चिन्तितं we समागतः एव भगवान्‌ quale: | अहो भगवतो वेक्रिथरूपकरष्णातिश्रषः wet ममोपरि कर्षण रहो परोपकारकरणेकरखलं अहो खसुखकायं निरपेखता we निर्या - जसौजन्यातिरेक इति तथाडि

कायंमवधौर्देव परकायं शतोच्चमाः |

भवन्ति खततं षन्तः प्रत्येव संश्रयः अथवा

सखकाये मिदमेतेषां aud प्रवतंनम्‌ |

arn: fa किविदश्छन्यल्ञोकोद्योतादूतेः फलम्‌ अथवा | fae सत्यपि साधनां ard गेवादरः कचित्‌ | सल्ाञ्छनो जगद्ध्ोतो yeratss निशाकरः

पश्चमः प्रखादः | ecy

anafaan: प्रवर्तन्ते परकायं महासियः |

केम हि प्रा्चिता खोके zea धर Acer:

ance खदेदख्य सुरू वाख्कन्ति साधवः |

farm यत्परा्यंःते 84 तेषां सुखासिका

यथाग्निर्दाहपाकाय नोवनाय थथाग्टतम्‌ |

SUIT तथा VR परायां साधसन्तिः

कथं ते नागतं सन्तो ये पराथेपरायणणः |

zerarfa मन्यन्ते age धनजोविते

इत्येवं ते awa: पराच शतनिखथाः |

आ्मगोऽपि waa नुनं सिद्धप्रयोजनाः कुलकम्‌ |

तदेष भगवानेवं रूपमाख्वाय वैक्रियम्‌ |

बोधनार्थं ` समायातो मदन्धूनां रतोमः

संदिष्टं चानेन मम भगवता रनचर्ख्छ रस्ते यथा-

इमागभिख्यामि Ate भवता दुःखितसत्वाण्वेषणं काये सादं famatsfa वन्दनौयः। तावदात्मा परैलंयितव्यो भवता यावल्छांयेसिद्धिने रूंपन्नेति ततः रुतो विमलेन wwe रेर्मानशिको नमस्कारः कथं |

नमस्ते श्चातसद्वाव नमस्ते भव्यवत्छस |

नमन्ते मृढजनुनां सम्बोधकरके पटो

अक्लानापारनौरेश्सम्तारर्परायण |

Wa A महाभाग WE WE तथा शतम्‌ इति | 93

acd खप्रमितिभवपपश्चा कथा |

भगवतापि मनचेवाभिहितं संखारसागरोन्तारो शवेकश्याणकारकः | खकायेरिद्धये भद्र ध्मंलाभोऽष्ठ तेऽनघ ti swt दिमभवनमध्ये प्रवेशितः राशयपुश्वैः पुरुषः खेद निःखहतया gree fret ane प्रचखायितु yew: | TAS तादु ग्रमवलोक्ध केचिद्‌ पश्न्ति केचिच्छोचन्ति Afefy- wefan केचिदवधौरयन्ति तथान्ये परस्परं अश्पन्ति यदुत दुःखो दोनो Can: wre: क्लान्तो gyfer: | एष प्रेखणएकप्राथः खमाथातो नराधमः वानोत: केन वानोतः fates स॒द्ःखितः | वराको विणानोते केवलं चशायते एतच्ाकश्ठे तेन खूपानतरवर्तिंना quater किं छतम्‌ HEIR GAT शषन्तावकिगो लकते | ataretarngrerd waa निरो कतम्‌ उक्र चख आः पापाः fay लातो युश्नललोऽपि विरूपकः 1 दुःखितो वा चतो यथ मामेवं इसचाभमाः wget बुसा तांखुष्याताः खेदनिःषहाः | तापाः कुष्ठिनो यूयं are भो मूढमागवाः RANT ACT महाञ्वरविवाधिताः . wtwrat fanererg Be नाइ नराधमाः quaa परायना यथमेव wurféa: |

WOR: Wea: |

Ua प्रचलायध्ये नाहं भो मूढमानवाः

हे पापाः कञिता धुय at area afew: |

सनिं मां gta भला तेनैवं इसथाधुना

श्रथ तौ भाखकराकारौ ger तस्ाकिगोशकौ |

भाञ्चख्मागौ असा प्रकाभरितदिमनरौ

fast विधुदाभाषां cacti भाखराम्‌ |

दृषा अला तां वाचं जगतः RTC eT

चकादेव तदाख्ानं भौतकम्पितमागघम्‌ |

संजातं सिंहनादेन यथा इरिणचयकम्‌

ततो धवलराजेन विमं प्रति भाषितम्‌ |

BAT नेष कोऽपौर नरः प्रतिमानुषः ¢ तयाहि |

मश्षाविलं पुरा Vatu भास्कराधिकम्‌ |

wa हेरौप्यते ve तेजसा वक्ककोटरम्‌

अनेकरणसङृभटकोटि विदारिः |

ware भारतो Te wet मम मानवम्‌ `

तदेष भव्त्येव तावत्धामान्यमानवः |

देवः कञिदिशहायातः प्रच्छन्नो सुगितेषकः ` एव faa

यावन्न तेजा awe स्वँ भक्मयौकरोत्ययम्‌ |

TMV क्रोधान्धं सुभिपुङ्गवम्‌ विमखेनोक्रं |

Ove ॐपमितिभवप्रपश्चा कचा |

Wary सन्देहः सम्यक्रातेन निशितम्‌ | नेव सामान्यपुरुषो. विषमः कोऽप्यथं महान्‌ aay gw nereatae araet थाति विक्रियाम्‌ | ufmurgr मदात्मानः कियतां पादवन्दनम्‌ ager विख्चसनललोलकिरोटकटक्ुष्डलः ` WAG सुनेः पादमतिं गतः # ततो SET महाराजं पतितं erate | तयेव प्रतं Bt: सवे जनक दम्बकम्‌ उक्र नरपतिना | चाम्यलेनं महाभागो दोषमश्नजनेः रतम्‌ | ददातु प्रधादेन Gla मे दिद शनम्‌ ततो STAM WATTS TAT तावस्छ कदू श्स्तेन सोकल विषो कितः शोचनानन्दिलावश्निजितामर विग्रहः | विखसदौश्तिविस्तारः साक्षादिव दिवाकरः अगेषलकचणोपेतः सर्वावयवसुन्डरः | निष: कमले दिव्ये सत्कातेखरभाखरे अथय तं तादृशं वोच्छ काम्तक्पं Faye | aqua अना जाता विस्मयोत्‌फुललोचनाः # ATE feat ATM: चदुत कथं वा तादृशः पूरवे कथमेवं विधो ऽधुमा `

पञ्चमः प्रस्तावः | ere

गुगमेष महाभागो देव एव BNA: ततः SAT नरेषरेण WETS करकुडमखम्‌ | पृष्ठो भगवानेवं Tey भो माय BWA gfa<ars | तिरसि महाराज देवो नापि era: | विगरेवयतिरूपं तु शिङ्गादेवावगम्यते ` धवश्राजेगोक्ं | aaa किमिदं नाथ विदितं भवताहुतम्‌ | te रूपनिर्माणं yi बौभत्द गेनम्‌ हष्णवश्षादयो दोषा निजदे रविवरतिमः | अस्माकं भवतादिष्टाः किं वा afer कारण्णम्‌ कथं वा चणमाचेणख दिग्यरूपधरः परः ` भगवान्नाय संपन्नो मादृशं शतविख्मयः | तदिदं मे प्रसादेन स्वे नाय निवेदय | HAIG मनोमध्ये महद कुलम्‌ सुनिराइ महाराज BAT मध्यश्चमानसम्‌ | कथ्यमानमिदं सवै समाकष्य सम्मतम्‌ ददं विरचितं ya मथा रूपं नरेश्वर ) facia Haat संसारोदरवर्तिनाम्‌ यतः | एवं भता इमे षतं Hat: संसारवर्तिनः तथापि विजानज्ति GET मूढमानसाः

wufafanagre! SUT |

अतोऽमोषां satura args बौोभन्छद शनम्‌ | दृष्टाकश्त शतानां रूपं निरूपितम्‌ शुनिवेषधरः तच्च यन्मया शप निमितम्‌ | हष्णवर्णादयो दोषा चश्नाकं ये थोजिताः॥ तजापि कारणं शष AAT मया VA विधा faget afe धौर चित्ते ऽवधारथ सुनयो थे महाद्मानो बुद्धाः wats | तपःसयमनोगेन चाकिताशिलकख्यषाः

ते शब्वर्णा Fare: चुत्िपाषादिपौ डताः | इुडिनोऽपि वदिप get: परमार्थतः एते त्‌ WaT राजेन थे खदमेवदिष्कुताः | zea: पापनिरताः विषथानिषग्टन्नवः एते यच्चपि gen नोरोगाः चुखनिभेराः | तयापि त्वतो शेवा दुःखिता रोगपौडिताः

fa ai

e=auizget eta feat afr ते यथा | तथा सन्ति arynt तदिदं ते निवेदयते + बहिः wrasse पण्डितैः परमायै | wm: पापतमोलिप्नः शष्यावश ऽभिधौयति बहिरङ्गारवर्णोऽपि fea सफ़टिकनिमेशः | जरो विचखणेश्टंप qwuaet ऽभिधौयते एवं छन्शवर्णोऽपि साधुः संद्धमानबः |

पद्मः पश्वः |

fase: परमार्थेन खणवशा नराधिप VUNG खदा भप पापारम्भपरायणः | हेमावदातरेशोऽपि fawe: wuss: अनेन परमाचंन मयोक्ृमिदमश्जसा | हष्छवर्णऽइं शोका थमेव तथाविधाः तया | aaracta नो डरिरविंषयेथां नराधिप | विद्धिः परमाथेन सा बुसुका प्रकौर्तिता तथा बशुचिताः सवे दुवनोदरचारिणः | अमतो वराकाः सङमेविकला मूढजन्तवः ते fe यद्यपि gw त्ताः संपूरितोदराः 1 तथापि त्वतो जेवा बरुचाकामितोदराः खाचवस्च महात्मानः खदा बन्तोषपोषिताः | पौडिताश्चया भोमभाववुसख्या तेन यद्यपि इृष्न्ते विरिक्रबठराः परम्‌ | तथापि तत्वतो Wa sar खसखमानसा ` इदं कारणशमाशोश्य भुक्ताः पुरा मथा | Gaga धरानाय ठत्तखत्मा परकाञज्चितःः तथा | अनागतेषु भोगेषु योऽमिशावो नराधिप | सा पिपाखेति fagat भावकणष्डश्य शोषक्लौ तथा पिषासिताः सवं पिबन्नोऽणटकं जनाः |

@ER छपमिविमवदप्रपश्चा कथा |

ये afar gerd जेनध्मबरिष्कुलाः grag खदा धन्धा भाविभोभेषु निःखदहाः | तेनोदकं fanaa पिपाखादूरव्तिनः aa: पिपाङिता यूम तु aafea: | मयेदं कारणं HAT पुरा राजन्िवेदितम्‌ तया | अखमभमूखपर्यन्तो दोषचौरश्रताङकुलः | विषमो . विषथव्याखो grange प्रपूरितः रथं मरकर संसारो विदद्धि्भावदचुषा | agi निरोशितो चोरः zea: श्रौरिणाम्‌ a एते सततं Mart ग्टरोला कममेग्रम्बखम्‌ | वदन्तो भवमार्गेऽज कुवन्धकयारकम्‌ तेनामौ जेनसद्धममरहिता मूढजम्तवः | संषाराष्वमदहाखेदखे दिताः सततं मताः ततो यथपि इृष्छन्ते Ze शोतखमण्छपे | तथापि तत्वतो नेया गच्छन्तः पथि ते खदा सुगयस्तु सदा गप . विवेकवरपवते | आरूढाः खतताह्वादे वतन्ते जेनसत्पुरे तज चिन्तसमाधानं मण्डपं डिमशोतलम्‌ | आसाद्य निटेतात्मानस्तिष्ठम्ति farsa: ततो अद्यपि gam ते. बहिः खेदनिःखद्ाः | विश्वाः खेदनिरुक्षाशधापि परमायेतः

` .. पञ्चमः प्रस्रावः |

तदिदं कारणं मत्वा WAM: खेदभिःषहाः | श्रं तु नेति राजष. मथा पूवे निवेदितम्‌

तथा [य कोधो मामस्तथा माया लोभखेति चतु विधः | तापः संघारिणां श्प सर्वाङ्गीणः सुदारुणः तेन दब्दह्यमानास्े तापार्ताः सततं मताः | यद्यपोह बिशो वन्ते चन्दमादि विशेषिताः WAT महाराज सतत शान्तमानसाः ` ` निष्कषाया महात्मानो . निस्तापाः पाप्डूदनाः ततो यद्यपि दृश्यन्ते ते बहिस्तापपौडिताः | तथापि पमान विज्ञेयास्तापदूरगाः इदमेव मया wet चूथं ताषादिंलाः पुरा |

श्रतु नेति राणेष प्रतिश्चातमशद्या

तथा | कु विकश्यङृमिखानं मिष्या wa देहिनाम्‌ ` TETRIS क्षुष्टमुक्रं मनोषिभिः विनाग्रयति aga बदुद्धिवरासिकाम्‌ ` घषेराव्यक्षघोव्रं नरं ua मदोद्धतम्‌ . श्रमस्वेमि्वेदकारष्छानि मृतः | इस्तपाद खमान्येषां शाटबत्येव देहिनाम्‌ तेन fronagea विददुदेगहेतुना | ्राक्रान्ताः एथिवोनाय . षदाम aoa: ` 100

O28 उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

ततो यद्यपि ewww सर्वावयवसुन्दराः | तथापि भावतो Heal: शसभिजाशचताङ्गकाः सम्यमधावेन पूतानां मुनोनां पुनरोद्श्म्‌ | कुष्टं area तेनामौ स्वावयवसन्दराः ततस | कथंचिदपि aaa बहिः कुष्टठषमन्विताः | भवेयुरभावतो श्प तथापि तचाविधाः अत एव मया पूवेमिदमाशोच्य कारणम्‌ | तथोक्ताः कुष्ठिनो oi are geifa चोदितम्‌ तथा | परेषु देषदुष्टानां सण्डद्धिं वौच्छ देडिनाम्‌ | tat या जायते wa सा शूषलमभिभौयते tage waren: परेषां wer उमाः इेषाध्ाताः प्रकुवंज्ति awry पुमः पुमः तश्च मास्ति amg सुनोनां धरणौपते aay समचिन्तास्ते वोतदेषा fe साधवः इदं कारणमाभिद्य शूलाक्रान्ताः पुरा मया। यथमुक्षास्थात्मा MET: प्रकाशितः श्रनादिभवचक्रे SY यथया WAT: कथचन | तथाञ्चापि प्रवतेन्ते खदामौ भूप अन्तवः कटाचिन्न पुमः प्राप्रं faut मनोहरम्‌ | मेतेरविबेकतारुष्छं wat भावष्टल्युना

पञ्चमः TATA: |

जरा जो शांखतो भूप चावल्छंसारजौ विनः | जकवोऽननमतदुःखाोवलोपखितर्सगताः बहिस्ते तङ्णाकार धारयन्तोऽपि मानवाः | विश्वेधास्लल्वतो भूप राजो णेकपोखकाः साधुभिभंपते wal fauna मनोदरम्‌ भ्रान्त विवेकतार्ष्यं दौखासम्भी गसुन्दरम्‌ अप्रा तां जरां घोरां Aa वत॑मानकाः | तया ते मरिष्यन्ति ana जायते | Wa: सवे TUM चे भवे Aaa: | ag यौ वनाङूढाः कर्मनिदंलनचमाः तथा यतोऽमो देहिनो मूढा रागसन्तायतापिताः | तेनोच्यन्ते मथा भूप महाश्वरविबाधिताः wernt पुनर्भव रागगन्धोऽपि विधते ते बदिश्वरवन््ोऽपि fatiaraa facta: सया om | यत्‌ Be सद्‌गुष्टानं तन्न दुवन्ति मूढकाः वारिता अपि कुवन्ति पापानुष्टानमश्चसा ततोऽमौ जमतौजाथ येऽपि पण्डितमानिनः | घोग्मादा इति विश्चेयाखषेऽपि भावेन देहिनः खदनुष्टानरक्षानां साधूनां पुगरौदृ ग्रः नो्रादोऽस्ति धरानाय तस्मात्ते छद्धबद्यः

उपमितिभवपषश्चा कथा |

अराजोर््ण सुजाक्रान्ताः शोकादा इति. तत्पुरा यूयं नाहमिति sim ख्वेमेतेन हेतुना

तथा ` (le ae ee eee ee पश्यन्तोऽपि विशालेन चधा बहर्णा | अन्तवसुधरानाच कामान्धा मूढनन्तवः विकलाच्ा मया ya aarat परिकौतिताः साधूनां fanerad कामजन्य नं विद्यते अतो यद्यपि gaa ते बहिने्टदुढथः | तथापि साधवो नेव विकला नराधिप तेनामौो जन्तवः Uber fanaa मया पुरा श्रात्मा प्रकाशितो भूष सव्लाचथ्ारुखो चनः राजन्नेते परायन्ता यथा Awana: | साधवख्छपरायन्तास्तथा ते कथ्यतेऽधृमा मिः खें परमार्थेन मिं्नकम्नेविनिमितम्‌ | ददं कलजपुजाटि तत्पोष्रशण्दोक्ताः . अदुष्टपर मार्थामामत्यम्ते are: परिघम्‌ | तत्वभूतमिदं तेषां मृढानां प्रतिभा सते ततस्हदथं शिष्यन्ते दासाः केकरा यक्त | राजौ दिवा मोरेन पशटभूता वराककाः आहारथन्ति ख्या creat निद््‌ाविवजिताः fenaagfea जित्य धनध्यानपराय्णः tt तदेवं ते कुट॒खस्य सदेवारे शकारिणः |

पञ्चमः प्रावः |

wren जानन्ति परमायेममेधसः तथाहि | |

माता शाता पिता aret दुहिता पुज इत्यपि

सर्वेऽपि जन्तवो जाता निरादिभवचक्रके

ततो fasraagra: को हि ara शकणकः ..

तदायन्तो खं भूला WAI हारयेशखरः

अत एव AMA AWAIT ST

संपरित्यव्य निःपेवं जाता निःसङ्गबृदधयः

त॒ एव Waray एव हतिमो मरा: |

एव स्ञामिनो भूप सवख अगतोऽनघाः `

श्रूं ते Gran भवन्तोऽपि महाधियः -

far mwa तस्मादत्यन्तसुत्कलाः `

दरदं इदमे शला कारणं मानवेश्वर |

ययसुक्राः WIHT मयात्मा area a तथा | | |

ये तेऽष्टौ मया पूर्वेष्टणिकाः संप्रकािताः. '

विद्धि are कर्माणि eee Siena

ते anit पततं जोवाः ` कर्न्ते Gwe: |

दानयदणिकरमूषः कमेमिस्तोजरटारणेः

बु किताः कचिहोना धायन्तेत्यन्तविहणाः ।. -

कचिद्वाढ़ं sated feat गरककोष्टके

साधूृनामपि ते भरन्ति षकाः कि ठू नो तया,

€es

उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

कट्येन प्रङ्ुवंन्ति शद्धप्राघग्णएं यतः शोधयन्ति ते faa खाधवः शतनिखयाः | णं aaa ते तेषाग्टफिका नैव बाधकाः णा दिता मया पूरवे ययमेतेन हेतुना | प्रोक्ता भूप तथात्मा णकः warfare: यया प्रशलायन्ते भावतोऽमो नरेश्वर | जेनधर्मबहिभूता STRAITS दुरन्तः कमसन्तानो घोरः संसारसागरः | dst रागादयो दोषास्तरछं देहिनां ममः सट्लखेन्दरियरामो yore जोवितम्‌ wer विश्वतः खर्वा दे दख चणभङ्गुरः | WY. प्रमादो Marat दुस्तरः WTAE: | श्रसंयतलं दुःखाय भौमो ACHAT: afaat: पियस्यागा भवन्धप्रियसक्गमाः | चणरक्र विर क्राख योषितो मिच्बान्धवाः ait भिथ्यालवेताश्लो जरा करविवतेनो | भोगाञ्चानन्तदुःखाय दारणो श्टल्युभूधरः UAQAAAMY शला पादप्रसारिकाम्‌ | विवेकचचः date खपन्ति मनु जनतवः महाघुरधरारावं FIAT नष्टचेतनाः कथं चिन्न प्रबध्यन्ते श्न्देरपि विवेकिमाम्‌

विबुद्धा sft शृण quay चचुषा |

पञ्चमः Gera: | Occ’

wat भयः खपन्धेव ते महामोहनमिद्रथा =) कुतो वयं घमायाताः प्रापिताः कम कर्मणा क्रागताः क्र यास्यामो विदन्धेतन्न मूढकाः ततो यदपि इष्यन्ते वरूगमानाः THAT: तथापि तत्तो aa fase: प्रचलायितः साधूनां पुनरेषा भो महामोहतमोमयौ निद्रा नाश्छेव धन्यानां तेन ते निद्यजागराः सर्वञ्ञागमदौपेन साधवस्ते महाधियः | गत्यागतौ Tafa खस्यान्येषां रेहिनाम्‌ ततस | ते बहिनिंदरया भूप gar ्रपि कथचन | agar इति विश्नेया विवेकोक्मो खितेचष्णः Waa मचा सवे संचिगध Wea पुरा यूयं भोः प्रथशायध्वे नाहमित्येव भाषितम्‌ तचा | | ययमेव जानोय खरूपं मोहनिद्धिताः | मम मत्धचषमेबेदं विवेकस्फ़ट चचुषः श्न्यचेवं wafea | ये सद्धमंबदिष्डेतास्त एव परमाथेतः | देहिनो शप विश्वधा दारिश्चाक्रान्तमूतेयः तथाहि |

किं

खपमितिभवप्रपश्चा wat |

wiacurerfcwataiatta गरेश्वर | सन्ति भावरन्नानि तेषां पापहतात्मनाम्‌ ` तान्येव धभघाराणि तान्येवेश्ववेकारषम्‌ तान्येव खन्दराणणोद तैर्विना ated घनम्‌ अत्ते रहिता येऽ इृष्ठन्ते ्रनपूरिताः विच्ेयास्तेऽपि राजेन fare: परमा्थेतः # तत्साधन पुलस्तानि भावरनानि पते i चिन्तापवरकं नित जाज्धद्यनो महात्मनाम्‌ 8 अतस्ते धनिनो Bares एव परमेश्वराः | aunt मुवनख्चापि dew मास्ति सश्चः॥ मणिना afeada बडिशो वरखण्डकेः | श्रलाबुहसता दृश्यन्ते दरिद्रा दव Yas: तथापि परमायन ते महारब्रनायकाः fata: षपण्डितेग्धंप सुनयः परमेश्वराः

|

दायाद्रनरकोरौख Waa खतेजसा | यदि ara भवेन्ताजिस्तष्रां अप wera श्रतः GAG SHAT भवादृशः महाधनोऽपि area: कथयमुक्रो दरिद्रकः मलिनोऽपि ` सख ware यः कमेमशपूरितः | बहिः चाशितसद्ाजवख्नोऽपि जगतपते तुषारहारगो चोरनिमेजौ मसमानसः |

We? GATS | ८०९

बहिमेलधरोऽप्यभ निमेलो मानवेश्वर

तदिदं भावमा शिन्यमविचार्याद्मनि fer |

अहं हा इसितः केन कारणेन पुरा जनाः

सुभगोऽपि ways सद्धमेनिरतो मरः; |

विवेकिनां समस्तानां यस्मादत्यम्तवक्षभः

सुरारसषमायुक्ं जगदेतच्चराचरम्‌ |

gan हि वर्तेत सद्धमंगतचेतसाम्‌

तसास्ाधुः खदाचारो शोके शौभाग्यमरेति

ay ये gaa दषं पापिष्ठास्ते मराभमाः

पुमागधमेभयिष्टो gat भावतो मतः `

निन्दन्ति तं यतः सवं महाराज विवेकिनः $

तस्मात्पापे रतः प्राणौ लोके दौर्भाग्यमरंति

waaay प्रशंसन्तियेते पापा गराचिप

एवं faa धार्मिको सुभिवेषेण प्रकटोऽपि पुरा जनेः | qn: सुभमोऽ्यस्मि केन arte निन्दितः एवं fut away a जिनवचनाद्धतबहिभूत I:

संसारोदरवतिमो भगवो नवरतं वराका Te दृढकर्मसम्तान- रज्ज्वा Rea विषयासन्ताषवसुखया wafer विषयाश्रा पिपाखया खिद्यन्ते निरन्तरभवषक्रभ्मणेन खततोपतक्नाः कषा्घर्मेश्रिणा aun भिश्यातवमराद्खष्टम aw परेर््याश्खेम nem दीध- संसारावखानेन न्दद्यन्ते रागमहाज्वरेर श्रन्धौ क्रियन्ते कामकाष-

101

८०२ उपमितिभवप्पश्चा कथा |

पटलेन श्राक्र्यन्ते भावदारिद्धेण TTI जरारा्षया श्राच्छा- न्ते मोहतिमिरेए area इषौकतुरङ्गमैः पापथ्यन्ते क्रोध- Naas श्रवष्टभ्यन्ते मानम हापवंतेन वेश्चन्ते मायाजालिकया aay लोभखागरञ्षवेन परिताणन्त इष्टविथो गवेदनया दोदूथन्ते ऽनिष्टसक्गमतापेन दोलायन्ते कालपरिएतिवग्रेन ana कुटम्ब- पोषणपरायणतया कद न्ते कमेदानय्रशणिकेः अभिद्रूयन्ते मरा- मोरनिद्रथा कवलो क्रियन्ते शत्युमहामकरेणेति, TH महाराज जन्तवो aufa seta वेएगण्छदङ्गकाकलोनोतामि wales विभ्रमविभ्बोककारिमगोहारिरूपाणि srarcafer qegaata- खपे शलडदये्टविशिष्टाहारप्रकारजातं श्राजिघ्रन्ति कपराद्रकस्वर- रिकापारिजातमन्दारममेङ्‌इरि चन्दनषन्तामकसुमनो इर कोष्टपुट- पाकादिगन्भजातं ्रालिङ्गन्ति कोमलब्ञलितखशनादस्ादिस्पशंजातं तथा waa सह ख्िग्धमिचद्न्देग विशसन्ति ममोरमकाननेषु विचरन्ति यथयेष्टचे्टया क्रौडन्ति नानाक्रौडाभिः भवन्ति सुखा- भिमानेनानास्थेयरसवश्रनिभंरा निनो शिताक्ाः तथाघमौषां गन्तृनां कवेशङूप एवायं यथासुखानुश्रयः एवं विधविविधदुःखहेतुग्रतत्रात- घूरितानां fe महाराज ale सुखं का वा मनोनिदेतिरिति

तदिमे दुःखपूरेण पूरिताः परमायेतः।

मोादेवावमच्छन्ति HHA: FAA: i

वयापेर्विंशष्यमानस्छ अक्तिनाराचतोमरीः |

aga wre age गेदिनाम्‌ tt

ray VEEN fay तालुममेके

Wea! प्रस्तावः | cog

यत्सुखं मूढमौनस्य age श्प गेडहिनाम्‌ +

एतावदुःखसङ्गातपातमिभिंल्मस्तकाः

agai eat श्प गेडिनो नारकोपमाः 4

सत्साधूनां युनभेगवतां महाराज नश्वन्येवामो पूर्वोदिताः शवं

ऽपि चुद्धोपद्रवाः | यतस्तेषां भगवतां प्रनष्टं मोहतिमिरं afar wana farsa: सवचाग्रह विगरेषः परिएतं सन्तोषाग्टतं व्यपग- ता दुष्टक्रिया जुखितप्राया भववश्षरौ fechaat धमेमेचसमाधिः। तया गाडातुरक्षमन्तरक्रमन्तःपुर | यतस्तेषां भगवतां सन्तोष- दायिनौ तिख॒न्दरौ चित्तप्रषाददेतुः श्रद्धा श्रार्हादकारिण्णै सुखासिका faatwarcad विविदिषा प्रमोदविधायिनौ fra: सद्ोधकारिणौ मेधा प्रमदातिरेकनिमिन्तमलुप्रंदा wagere- fc} मेचौ अकारणवत्छणा करणा सदानन्ददायिनौ मुदिता सर्वेदगघातिनौ उपेति |

तदेताभिः खमायुक्राः सुन्दरौोभिमैरेश्वर |

दष्टाभिदृढरक्राभिर्मोदन्ते ते सुनोश्वराः

संसारा गरोन्तो णं मिर्वाणसुखसागरे |

faad ते षदात्मानं मन्यन्ते सुनिपुङ्गवाः॥

axrut तज देवानां नापि तच्वक्रवतिनाम्‌ |

सद्यानषरिप्रतानां wage शान्तचेतसाम्‌

ये खकेऽपि महात्मानो वतन्ते Seas

परा इव BS तेषां श्प कः NEAT `

संसारगो चरातोतं asa बेदयन्ति ते . .

Tog उपरमितिभवप्पश्चा Hat |

एव यदि जानन्ति रषं AS चापरे एवं व्यवस्थिते राजम्‌ दुःखिभिः Teale: | परमाथ॑मनालोच्य निन्दितोऽसि सुधा नेः fa ar सुखाभिमानेन यूयमेव विनारिताः | खखयय TAK WAGE परम्‌ भृपतिरूवाच भगवन्‌ ययेवं विषया दुःखं प्रशमः सुखमुत्तमम्‌ | तदेष शोकः सर्वोऽपि marae प्रबुध्यते afacre महाराज महामोहवशादिदम्‌ बध्यते WA यथासौ att गः धवशराजेनोक् भदन्त कोऽसौ वढरगुरः कथं चासौ बध्यते सम तत्वं बुधस्रिराइ | महाराजाकण्य | रस्ति भवो नाम fatal ara: | तस्य मध्ये SST नाम गिवायतनं aq सदा पूरितममचयरन्नः wa मनोवि विध- खण्डलाद्केः Tara द्रा्ापानादि पानकेः wag धनेन निचितं चान्येन संपन्नं हिरण्येन vad कनकेन safe वरचेलेन पुष्ट- मुपरकरण | सर्वथा VARTA GIN खकार णम्‌ | तदेवमन्दिरं गें AY खटिकनिमेलम्‌ तज ग्रिवभवने we खामो सारगुरर्नाम शेवाचायेः स- खुट॒म्बकः प्रतिवखति चोग्छ्को हितमपि वत्छलमपि खन्दर- मपि तदात्वं geen पाशयति tt तस्य खरूपं

पच्चमः Was | Soy

भ॒ लच्यति at भरिवभवनसण्टद्धि। ततो विक्लातभिदं तस्य चेष्टितं तद्गामवा सिभिस्तस्करोः ततो धूतेतया तेरागम्य हता तेन भोतेन सह मैनो | तस चोग्््तकतयेव ते तस्कराः सुन्दरा TWAT हितकारिणणो awry प्रतिभासम्ते। ततोऽपकश्े तदात्मौयं कुटुम्बकं तेरेव सार्ध॑मनवरतं विलसन्नास्ते ततोऽसौ वारितो AVI: | थथा ARCH चौराः SMA मा कार्षौरमौमिः aqafafa i सतु श्टणोति तद्वनं ततो ae इति मला तेमाहिश्वरः सारगुर्रिति नामापदश्य तस्य वठरशुरुरिति नाम श्लापितं afte खवेमादेग्वरेधूं ततस्कर परिकरितं ata जभावमापन्नं वठरगुरुसु पल्च तहेवमन्दिरं ततो लमप्रसरखधू- त॑तखरेर्योगदानेन awa वर्धितो गाढतरभुक्ादो amted शिवाय- तनं श्रभिश्तं तत्कुटुम्बकं fed मध्यापवरके तालितं तस्य दार | ततो वश्नौश्तमस्माकं स्वंमिति मला तुष्टचिक्ैरीरेकः खापितो महाधूतेस्तस्करो नाथकः ततः BAAN CATANIA TIT भारटचन्तस्तिष्ठन्ति गाथन्ति चेदं गौतकं यदुत

धूतेभावमु पगम्य कथं चिदहो जना

वश्च यष्वमपि मिनजम इतभोजमाः |

मन्दिरेऽज asta यथेष्टविधावका

एत एत नगु पश्य वयमिति नायकाः

कचित्पुनरेवं गायन्ति यदुत | वढरो गुरूरेष गतो वश्रतां वसतिं वयमस्य सरन्नश्रताम्‌ |

Cec उपमितिमवप्रपच्चा कथया |

च्यावितमनुरक्रख॒न्दरनिजङ्टुम्बात्‌ पातितं दुःखसमुदरे शोष्यमा- त्मानमाकशयतोति तदेष महाराज भिषेदितस्ते मया वठटरगर्येन सदु शरोऽयं लोक दति ॥. नृपतिराह कथमेतत्‌ भगवतोक्षं ्राकणय | यामोऽच wa संषारो विस्तोणेस्तस्य मध्यगम्‌ | खरूपं जोवलोकस्य faa शिवमन्दिरम्‌ तदेव श्नानवौर्या दिरनप्ूरे पूरितम्‌ | संपूरणं WAAAY परमानन्दकार णम्‌ जोवशोकश्च तत्छामो भौताचार्यो निगद्यते तस्य खाभाविकाः खं ये गुणणस्तत्कुटुम्बकम्‌ तन्त सखाभाविकं तस्छ Get हितकारि च। तथापि जौवल्लोकस्य चित्ते प्रतिभासते सोऽयं लोकः षदोग्न्तः कमेथोगेन वतेते | anata निजं रूपं गृणरल्नादिपरितम्‌ रागादिटदोषाः aasfa तस्कराः परिकौ तिताः | त॒ एव हि महाधूतां भोवशोकस्य वश्चकाः GUS प्रभाषन्ते नोवलो कस्य TNA: | ते गाढं प्रडुव॑न्ति कर्मोग्धादस्य वधम्‌ ते खरूपं वशोरुत्य जोवलोकसय ये गणाः | कुटुम्बमन्तसस्षिक्चा चि्सदार निरन्धते + तदेवं ते धरानाय गुण्णसम्भार पूरितम्‌ | सरूपं जोवलो कस्य इत्वा मन्दिर सन्निभम्‌

पञ्चमः प्रस्वः

अभिनव विरोधाय तच्छ wage! ङषडूर्तोपमं weg महामोषं निधाय रागादिद्ोषाः षर्वेऽपि werd बरषटमाशधाः | खोक afameane areafey बश्ोरतम्‌ एष चूते AT भदाकोकादलः सटा Taree: छतो रागादितखकरेः माेश्वरास् fanaa Mar अनदशन परबद्धास्ते हितं ata वारषन्ति चके we कथं जोवलोक Gwe Vet रागादिवश्रः | VAGUTH दुष्ारतवेते भावशजवः तु कनैनहोकादबिङ्खोग्तसेतयः | fea anrgy वाश जोषखोकोऽवमय्यते सुन्दराः चछदो Wea ममेते हितहेतवः | एवं fe waa मूढो रागादोनेष भावतः ततो माङश्वराकारेः सारम्ररसक्िभः तेशाततमूखेलाडटरो गु ददच्छते तं लोकभौतं विश्च छतं रागादितखरेः | जनम हेश्वराङ्धक् aan श्िवसन्दिरम्‌ यया STWR चुधाकानेट भोकगम्‌ | ते AGT: करे दन्तं तस्त्य शरटकपैरम्‌ faferg मधो एुषछर्नोतो भि्ाटनेन सः |

102

$

eet

उपंमितिभवप्पष्चा कथा|

तदिरं नोवलोकेऽपि समानमिति सुते वथाडि भोगारकाचाचुधाचामो जओौवख्ोकोऽपि वतेते रागादौनेष GAT याचते भोगभोजनम्‌ ततस्तेऽपि भवग्रामे fiarereafafingar | निःसारयन्ति दर्पिष्ठास्तं लोकं भौ तसजिभम्‌ कथम्‌ हृष्णपापमवौलेपयुण्डकेर्गाढच्चितम्‌ | विश्राञ्जगरकायुष्कवितोणेषटकर्परम्‌ तियेड्नारकमानुव्यदे वसम्बन्िमो भवाः विन्नेयास्ते भवग्रामे चत्वारः Weareqar जचन्यातिज्रजन्यौ डौ तजाद्यौ परिकीर्तितौ SUBS मातुषो ज्ेयसथोत्‌ कष्टतरः परः कर्पेरं शरावं ae राजतसमेव भाजनं GVA तदायुष्कमुदाइतम्‌ | एष नोवल्लोकलते बंष्टितो wares: | पापात्मा गरक यायादाद्यपारकसन्िभम्‌ TUS खाचमानोऽपि नाश्रुते भोगभोजनम्‌ | चोरोनैरकपाशेख Tea fiyrafea: तौत्रामन्तमरहादुःखसङ्ातमनुग्धय शआयुष्ककरपेरे wa frie ततः कचित्‌ अथ ति्जेम्‌भव प्राप्य दितौयमिव पाटकम्‌ |

पश्चमः USTs: | Sct

ततोऽखौ पर्वटे्च भोगभोजमणशम्पटः अथ तन्नापि नेवासौ लभते भोगभोजनम्‌ | खदा दि षिद्धलोकेन tae परिपौख्यते एुनख्च ति्यंगायुष्के afefast मते खति दतोयपारकाकार मानुग्धकमवाप्नुते अथय तच भवेदस्य पुश्छलेशः कथम | arcu खा काया परिकौतिता तत या SMA महाराज घा पुश्छखवसखचणा | तया हि भौवष्लोकोऽज wed writer तथा मनुव्यभावेऽपि राजदायदतस्करेः | रागादिभिख Tea धूर्तीकजगसजिभेः तान्नभाजनाकारे नरायुष्केऽतिशहिते गच्छहेवभवं शोकब्दयपाटकसन्निभम्‌ अन्तरक्रमदारन्रच्छाया तत्र गरोयसौ | ACK जोवल्लोकस्य देवलोके विभाव्यते ATMA भवे गरि खमते भोगभोजनम्‌ | दधामो राजताकारममरायुष्कभाजनम्‌ एवमेष महाराज लोकभौतो दिवानिशम्‌ | बुशुचितो भवय्ामे बरम्ुमोति पुनः पुनः sat: कमेयोगेन पापमय्धा विलेपितः | रागादिभिः शतार वेव टितो धततखरः

च्छ है # 4

उपरमितिमवप्पश्चा wer |

इन्‌ गायन्‌ रठजचगैत्युर्‌ामलो खया

तेषु तेषु awe यनिगेडधेषु feat यथा इदे as: मौतो भिक्या तया वराको मेव जानोते इतं Ved WER ्रभिग्धतं Bea GRC माढवत्शम्‌

SGI WaT दुःखङागरमध्यमम्‌ # aaa मोरदीषेण संतुष्टः सुख निभरः | WAM जने गाढ करोत्याद्मविडम्बनम्‌ तथायमपि राणेष जोषशोकः कथचन | संसारे चद्यवाप्नोति wwe वेषयिकं सुखम्‌

लया)

wae faque वा trey रज्ञघनाडिकम्‌ GY Rawat wae यदि किदन ततोऽलोकामिमानेन किलाह दखमिभैरः मोखज्िःखन्दमग्दा चमे चेतति किचन ¶.

नतच्च |

अष्टो Guawt wal घभ्योऽहमिति भाक्तः + एवं विचेष्टते wa ware तावको जनः अनन्द ज्नश्चानदोयानन्दादिमिः WET | WMS लात्मस्लद्धपं भावनुध्यते #

वराको OHA wes भावतसखरे; | इतं रए्मादिनिर्भऽच खरूपं मब्डिरोपमम्‌

पञ्चमः Geta: | S78

GAA SATATET भावङ्कटग्नकैम्‌

Awe बुध्यते लोकः Bat हितवत्छलंम्‌

ददं विभानौते चित्तापवरके यथा |

अमौभिरेव रागा्येरभिश्धय तिरो हितम्‌

ततोऽथं ताकृशैशवर्यादंनन्ामन्ददायिनः |

भेशरितः getaty कुटम्बान्त विंशोजितः

ferara भवधामे दुःखसद्ातपूरिते |

तथापि शोको रागादौन्‌ वयस्याभिव मन्यते

भिचश्रतमिदं wat तथा वैषयिकं सुखम्‌ |

wet गु्धति गूढात्मा यथासौ वठरो शः

तदेवमेव TI WTI बुध्यते |

दुःखसागरमध्यस्थः सुखित्वं तेन मन्धते

धवलराजेगोक्ष | A यद्येवं ततः सततसुखन्ता वयं विषम

रागारितंस्राः मुषितं सखषूपशिवायतनं नाजितं wages पथंटाभो waar सुदुलेभा winfiter awaenda तुष्टा aw fret: wernt qed) wa: कथं gaftatsara ate भविथतोति quafteta) महाराज भविति भवतामितो भवविडम्बमाश्मोधो घटि यादृशं तख ascent daa Tee भवतामपि sada गुपतिरार wea किं grea dea भगवतोक्तं महाराज तं तथागवरतं तैधू तंत्र: खली - क्रियमाणं वठरगुरमुपलन्य ससुत्पन्ञां कश्यचिदेकस्य मकशामारेशरस्यं तष्चोपरि कर्णा यदुत कथम दुःखविमोशो जयेत ततः

८8 उपमितिभवप्रपश्चा कया |

प्रष्टोऽनेनेको महावेद्यः | दन्तस्तेनो पदे श्रः सम्यगवधारितोऽजेन | सदो तसुपकरणएं गतो treat शिवायतनं इतस रुत वेणां भाटयिला वटरशर श्राग्ता TA AGATA तसिभ्नवसर धूतेतस्कराः | ततः प्रविष्टो area: प्रज्वाखितोऽनेन श्रिवमन्दिरे प्रदीपः | ततो दृष्टोऽसौ ASTYRUT भाडेश्वरः तयाभव्यतया च॒ संजात- खेदेन याचितोऽसौ जशपानं | माहेश्वरः प्राह भहारक पिषेदं तत्रो कं माम THe पौतमनेन ततः प्रनष्टः चणादु- मादो निमेलोग्धूता चेतमा विलोकितं भ्रिवमन्दिरं gern wi- तस्कराः | किमेतदिति vet माहेश्वरः कयथितोऽनेन wa: we: घरवोऽपि care: ततोऽभिदहितं वेन तिं किं मयाधुना fata ततः समपितो माेश्वरेषाख्य वख्जदण्डः प्राइ भहारक बैरिणस्तवेते ततो निपातय मा विलब्िष्टाः। ततः सधुत्ाप् रूर्षिता angen ते सर्वेऽपि तस्कराः भेवेन प्वि- घाटित्धिन्तापवरकः | प्रकटोगश्तं कुटुम्बकं श्राविन्डेता र्ररा- श्रयः | प्रविलोकिता अर्वापि निजगिवमन्डिरविश्वतिः। संजातः प्रमोदातिरेकः ततो Teac परित्यव्च तं waa fea- स्ततो afeia जिर्पद्रमे भिवालथयामिधाने गल्या awed सारद्यरूरिति तदयमोड्शो saree sae:

गृपतिङ्वाच भदन्त कथमेष SHASTA TATA: भगवानाह | महाराजाकणेय | महामहेश्वर स्थानोवोऽज सदमे HATTA गुड्द्रं्टव्यो | यतः

विडम्ग्यमानं रागादितस्करेद्‌ःखपौ डितम्‌ |

पञ्चमः Ges | १.४.

waynes खकुटुम्बविथो जितम्‌ ¢

शोकभोतं waa shee भिकायरोपमम्‌ |

AMI संतुष्टं aries fase

बद्ध्मेगर्रेवाच जायते BCUTTT: |

असुश्नादुःखसन्तानात्कथमेष वियोच्छते इति

ततो जिनमहावशयो पदे शादवधारथति सद्धमेगरखजोपायं |

ततो धूत॑तस्करेष्विव Gay रागादिषु चयोपश्मसुपगतेषु. प्रन्वा- लयति जौवसखरूपशिवमन्दिरे सज्त्रानप्रदोपं पाययति सम्यग्दश्रेना- wane समपंयति चारि नवञ्जदण्डं ततोऽयं Saute: सज्ता- प्रदो पे्ोतितखरूपशिवमन्दिरे महाप्रभावघम्यग्दग्रेनसणिखपान- गष्टकरमेन्धारो गोचा रिद ण्डभासुरो भु रुवचनेनेव निदेलयति सस्पधमाहय महामोहा दिधूततस्करगणं तं निदेलयतोऽख Hanae विग्राखोभवति gue: saw प्रासोनकर्माणि बध्यन्ते नूतनानि fawlat दुञचरितानुबन्धः समुल्लसति sia Rea मिमेलोभवत्याद्या परिणमति गाढमप्रमादो मिवर्तेन्ते मिश्या- विकल्पाः fachrafa समाधिरब्नं प्ररोयते wae: ततः भविघाटयद्येष जौवलोकञचिन्तापवरकावरणकपाटं ततः प्रादुभ- वति खाभाविकगणश्ुदुम्बकं विस्फुरमि द्धि विगरेषाः | विलो- कयति arta जोवणोको विमशसंवेदनाशोकेन ततः संजायते जिरमिष्वक्गानन्दसन्दोहः समुत्पद्यते बङदोषभवयामजिहासा | उपशाम्यति विषयब्टगटण्णिका रूकोभवनत्यन्तर्थामौ विचरन्ति सख्मकमंपरमाणवः व्यावतेते चिन्ता संतिष्ठते fangura |

८१९ उपमितिभवप्रपरक्लाशया।

बृढौभवति योगर | जायते महासामा चिकं प्रवतेतेऽपूर्वकरणं विजम्भते चपकमेण्टो निडन्यते कमेलाखश्रह्ठिः। विवतेते शक्त ध्यानानलः। प्रकटौ भवति योगमाहाढयं विमो अते खवेवा चाति- कमैपागरेग्वः चेन्नः Baa waa i tat विमलकेव- erent! gut जगदलुयदं faa केवञ्िषसुदातं | धमागयति ane संपारवति वोगनिरीधं समारोहति त्रेले- इ्वच्छां जोटध्रति भवोपयाहि कमेबन्धनं fagefe सर्वथा Veet ततो विदाथ aaa Tawa: शततागन्दो जिराबाधो मला तज भिवालयाभिधाने awad सारमररित खभावह्धदुन्बकः सकककाक्धं fascia ata हेतुना महाराज ANG चथा यादृशं तस्त EATS ATT sey तादृषं दि भवतामपि संपद्येत ततो भवेदितो fasqaratet ara- येति |

ततः we इुनेवाक्धमिद मत्य्क्धन्दशम्‌

इष्टः धवखो राजा ते शोकाः प्रमोदिताः॥

ततस्च | |

विदणत्कमेनालेखेः समस्तेभक्िनिभरैः |

ददमुकमनूचागेखंशाटे कतक मसेः

eat गो. भगवालाथः sual: |

Rat Tet नाम Tarts यतोखर

अतो भगवतास्माक निर्विंकल्येन चेतघा

Crass argu: किं विधौयताम्‌

पञ्चमः प्रस्तावः | ८१७

बुधरूरिराइ | चार्‌ चारूदित भद्राः खुन्दरा भवतां afer: | faa नतु थद्माभिः सवं मामकभाषितम्‌ बद्धो मदौयवाक्यायेः समावायो नरोन्तमाः | साम्प्रतं fe महाराज सफलो मे परिश्रमः ` इयानेव ममादेशो भवद्भिः क्रियतामिह |. यद्या विहितं श्प तद्धवद्धिविभौयताम्‌ जुपतिरूवाच भदन्त किं भवद्धिविंडितं बुध्रिराइ पर्यालोच्य मयाशार शंसार ` चारकोपमम्‌ | ` दोचा भागवतो भूष ग्टरोता तज्जिषरिषो यश्माकमपि Seat मदौयवशनेन भोः अ्रनन्तदुःखविस्तारे मिवदो wy ततो wea at chet सथारोच्छेदकारिणौम्‌ | हे war मा विखम्बध्वं wie afta गतिः मुपति्वाच | यदादिष्टं भदगेन स्थितं तन्मम मानसे किचिन्त भवता तावत्कश्यतां मे कुद्रहसम्‌ एते प्रबोधिता माथ aaa भवता वयम्‌ भर्वास् बोधितः केन कथं वा Baz वा पुरे कि वा जातः खयवुद्धो भदन्त परमेश्वरः 1 सवं -मिकेद्यतां नाथ ममेदं हितकाम्यया

BEATE महाराज साधूनामात्मकेनम्‌ | 108

crc उपमिति्भवप्रपश्चा कया

नैवेह Get wa तद्धि लाचवकारणम्‌ ® ममात्मचरिते तच्च कश्यमागे परिस्फ़टम्‌ | यतः संपद्यते AGTH यक्तं तस्य कौ तेनम्‌ ततो URC प्रणम्य चर खदषम्‌ | षष्टः कौतुकावेश्राजिेन्पेन aa पुनः श्रय विश्वाय fatal args ae waa: | Haws जनानां ततः afecaraa अद्यस्ि ते मंहाराल मदद शजुरतरहथंम्‌ | ततो faaqa तुभ्य समाकशेय arg अस्ति शोके सुविख्यातं वि्लौरेमतिुन्दरम्‌ | श्रनेकाद्मुतटन्तानतं पुर नाभ धरातश्म्‌ तन्न प्रसिद्धमादहाभ्यो अगदा्कारकारकः | राजा इभविषाकोऽसि प्रतापाक्राग्ग्डतलः ACMA साध्यौ VATA PAR TT | विद्यते विदिता शोके सुन्दरो निजसाधृता # न्यदा कालपर्यायादासाद्च निनखाधुताम्‌ | समुत्पश्लो बुधो नाम तत्सतो शोककिश्रुतः श्राकरो रुणरननानां कखाकोशखमन्दिरम्‌ | Aware: Saat रूपेण wate: wat हभविपाक्षष्य अयन्नापकरः परः | तथाणभविषाकाऽसि भौषणे AAA: तस्य विश्यातमाहाल्षा शोकवन्तापकरिष्टो

पञ्चमः प्रसादः

देवौ. परिशतिर्नाम विद्यते भोनविग्रहा a ताभ्यां समुत्पश्ो दारणाकारधारकः | विषाङ्करोपमः क्रूरो मन्दा माम सुताधमः & आवासो दोषकोटौनां बुणगम्धविवजितः | संपन्ञो व्धमानोऽखौ तथापि मदविखः पिढव्यपुचभावेन तचोख वुधमन्दथोः यदृच्छया वा संपा भाजोर्भेजो मनोहरा $ खद्डिताकेव at faa नगरे amity ततो विचरतः सेच्छाक्रोडारखपरायण्णो suite धिषणा माम qt विमश्जमानसे

Tifa दुहिता Ua `

सा तेन यौवगस्ेन बुधेन वरखोचना |

ग्रहे खयंवरायाता परिणोता wateat a तस्यास कालपर्याथाज्िःप्रेषदणमन्दिरम्‌ | मनो रथग्रते्जातो विचारो माम gay A

अथान्यद्‌ निजे कते क्रोडतो धमन्दयोः + `

यस्तदानों समायश्नो gure निबोधत Wa Gye पयन्ते दृष्ट ्ञाभ्यां मनोरमः | शलारपडषश्नामा fanrat वरपर्वतः तस्योपरिष्टादुन्तङ्गे frat सुमनो दरा |

निलो माजिड़जष्छाया aeaie sna

खस्ाटपटदनामानं wa तं निर चितुम्‌ |

ste

TRo

उपमिततिभवप्रपश्चा कथा |

श्रथ तौ शौखया तच cen षसुपागतौ यावहृष्टा सुटोर्घामिः शिलाभिः परिमिता | ARVANA दूर नासिकाख्या AWYET ` अथ तां arent बोच्य रमणेयां महादाम्‌ | तजिरूपणलाग्पश्च संजातं बृधमन्दयोः थारे dent तैस्याशन्निरोचएलालसौ | WAS GIANT तच्रापवरकंदयम्‌ `` युक्र तदन्धकारेणख जोचमप्रसरातिगम्‌ ! अदु श्मागपयन्तं दाराग्वासुपलदितम्‌ ततो मन्दो बुधं प्राह पश्चापवरकदयम्‌ sana farmed . मासिकाख्या महाश॒डा तदाक ate धातः {सम्यम्विनिखितम्‌ | एषा शिलानयो्मध्ये विभागायें विनिर्मिता ` एवं जस्यतोदूरं तदान बुधमन्दयोः gueat निगेता काचिदारिका चटणाृतिः ` प्रणम्य पादयोस्दरणं तयोः सा राजपुच्योः | पुरतो दितप्रौतिस्ततखेत्थमभाषत arr ware विहितो मदनुग्रहः प्रतिजागरणं मेऽद्य garat यदनुहितम्‌ ततो मन्दो Gamat दृष्टा वचनपाटवम्‌ | तां दारिकां खदुषापेः wae समभाषत `. कथम्‌ |

पञ्चमः प्रस्तावः | SAL

निबेदयावयेोर्बाले कासि a वरणोचने। किमयं वा awe गहाकोटरचारिणौ एतच्च वचनं रुला खा शओ्रोकभरपौडिता yee पतिता aret तले गष्टचेतमा ततो वायप्रदामा्य्मन्देनाश्वाखिता पुनः खलसुक्राफलानोव साभ विन्दुनमुश्चत

भद्रे किमेतदिल्येवं एच्छतखच पुनः पुनः मन्दस्य सा्रवौदेवं ज्हगद्भदया गिरा माय मे मन्दभाग्धायाः fa स्तोकं शोककारणम्‌ | युवयो वि्मृताख्मोति ae खखामिनोरपि अड शुजक्गता नाम भवतोः परिशारिका | यवाभ्वामेव देवाभ्यां गृहा्ां विनियोजिता wet हि भवतोरस्ति त्राणनामा वयस्यकः | तिष्ठामि वश्मदादेग्रान्तख्छाहं परिचारिका चिरकाखप्ररूढं हि य॒वयोखेम संगतम्‌ | यथा चेदं तथा माथ समाकणंय साग्मतम्‌ पुरेऽसबयवहारास्थे पुराख्हवतोः fafa: | ततः प्रचशितौ कमंपरिएामसख्य श्रासनात्‌ गतावेकाचसंस्धाने विकश्ाके पुनस्ततः | ग्रिणोकाङ्खुखं तच विद्यते पारक्यम्‌ ` fama पाटके सन्ति बदवः कुखपुजकाः | तज चिकरणे माम ae संख्ितौ युवाम्‌

एवं

उपमितिमवप्रपञ्चा कथा |

YIFNE WRT, सदा |

wa: सुगयधिभिद्रे्ेः क्रियतामस्य लालनम्‌ चन्दमागर्कपूरकुरङ्रमदमिभितम्‌ I कुङ्कुमशोदगन्धाच्छ रोचतेऽसखमे विलेपनम्‌ एलाणवङ्गकपूरसष्वातिफशसुन्दरम्‌ |

तथा सुगन्धिताम्बखं AAG मनोरमम्‌ धपा विविधा गन्धा वर्तिंकाः पुष्यजातयः | यत्किं चित्धौरभोपेतं तदेवास्यातिवक्षभम्‌ दुगे न्धिवस्ठनामापि Fare प्रतिभाषते तस्मास्पुदू रतद्छाच्च तदस्य सुखमिच्छता तदेवं करियतां araqres मिचरपाल्नम्‌ | एतद्धि भवतोः वारणं सुखकारणम्‌ यदेवं चालितेनेड प्राणेन भवतोः सुखम्‌ 1 संभविष्यति तदेव को fe वणयितु मः ॥. मन्देनोक्रं विश्रालाज्ि सुन्दरं गदितं लया | सवे विधौयते wy fae ag facger वदतो मन्दस्य

पादयोः पतिता श्वयो इषे विस्फारितेचणा | महाप्रसाद इत्येवं वदन्तौ सा भुजक्गता ING मौगमाग््य WITS Brier t अवसितो यतस्तेन watsd wire ततो किचिदुक्रोऽसौ काकण विदिता परम्‌

पञ्चमः Weg) cey बुधेन तदालोक्य fenad विवेचितम्‌ wa ON मदोयं Sry मामिकेयं warren ) watset यः feat ara: समे wet ana: a केवलं थदियं afm दारिका wrarerfcar | तद्या AWA कतेग्यं BAe सुखकाम्यया कितु यावत्‌ खेर सुद्चामि तावदस्धापि wea | कायें विष्टद्धमाेण लोकया जानुरोधतः णवं fafea चित्तेन sug पाणयसजपि त्राणं Geet Sead Gaywagq मन्दस्तु तां awe श्ठचि्तां भुणङ्गताम्‌ | WMATA TSAI | खथ ` पुगविवद्व्यश्ारकरणोद्यतमानकः तन्तम्यते ठया मूढस्तज्िमिन्तं दिवानिशम्‌ दुगेन्धपरिशरं gate: fads सुधा , अमसौख्धं जानते Waa विवेकिभिः तथापि मोहदो सुखसन्दभनि्भरम्‌ | आत्मानं मन्यते मन्दः NE प्राणलाखने

इत बोवनारूढो विचारो ceca: - 104 |

Seg

उपमितिभवव्रपश्चा HUT |

कथं चिह्लौखथा गे हार शकाथिकथा गतः # बरिरङ्गामरङ्गेषु देगरेष पुनः पुनः

Tay Hera: SAY राजदारकः 8 अथ तज समायाते प्रष्टौ धिषणशवुधौ संजातो Celta: संतुष्टं राजमन्दिरम्‌

AAT

इन्ते महाविमदन समागममरोत्छवे |

खा शाता Shear तेन प्राणेन quae: लतो रसि were तमात्मपितैर बुधम्‌ |

विचारः प्रणभ्यत्थं प्रोवाच हतक्खुडमसखः तात यो युवयोर्जातो घ्राणएनामा TIAA: | सोऽयं सुन्दरो दुष्टस्तजाकणंय कारणम्‌ अस्ति तावद तात देश्रदशेनकाम्बथा |

awe तातमन्नां निगंतो wearer ततोऽनेकपुर यामश्ेटाकरमगोहरा | विल्लोकिता मया तात Bra Bra WUT अन्यदा भवशक्रेऽहं संप्राप्तो गगरे परे | TAMA मया दृष्टा तैका वरसुन्दरो

सा मां कौच्छ faurerat परितोषल्ुपाभता TAHT भजन्तो कोद्य प्रविशोकिता सिक्वाश्डतसेकेन कश्यपारपमश्नरो |

Wet नोरदभादेन yatta मद्रिका

We Wea | See

भगे awecea मिखिता चक्षवाकिका ` अग्मादवबन्धनेनेव fagar wafer

Ta] इताभिषेकेव fara gear |

मया ar wfea साध्यौ प्रोतिषिस्कारितैकणशा ततस्तां ateq aout ममापि प्रमदस्तदा 3 चित्तं शाद्रौ भवेदृष्टे wert खंहनिभरे

सतः शतप्रणामोऽह प्रोक्रो दन्ताशिषा तया. - | ate ag gaaisfe लं मे इदयनन्दमः मयोक्षमनम्न जातोऽ चिष्रणाया धरातले | एुचोऽदहं TUTE दे श्काशिकथा गतः UTM सा नारौ विलसश्ञयगोदका | Sea मां परिव्वव्य efter मसके ge: ततः ATE महाभाग WE चार्‌ छतं तया 1 [वमादावज मे ay विदितखित्तशोचमेः $ जातिख्मरे जनच्येते शोचने इदयं भोः | यतोऽमूनि विजानन्ति इष्टमाच प्रियाभियम्‌ ॥] aq a नेव जानौषे मां प्रायेण fanaa: | | afastsfa मया ag fagat arene अहं हि mae वत्स धिषणाया aafwar | TANT FATT माच्च मागलिसारिता TWAT नौवितं प्राणः weg मम सानधा ` तव माता महाभाग पिता ते जैविताभिकः

उपमितिमबप्पच्चा कथा |

तयोरेव वमादेशारदं शोकविश्चोकभम्‌ कठं विनिर्गता ae जातमाभे पुरा बधि + ` अतोऽमे भागिनेयस्लं gee जोवितं तचा

® @. ` सवेश परमात्मा चे ad भवसि सुन्दर

सुन्दरं हतं Ww ट्‌ रद शेगकाम्यया | यदेवं निगेतो गेडहाद्जिगोषुरं संशयः

लयाहि |

यतः

यो निर्गत्य भिःगेषां विखोकथति मेदिनीम्‌ | MAR QASTHM नरः कूपददुरः

विलासाः पाण्डित्यं बुद्धिः विदग्धता | टे शभाषाविश्चानं Farce ावदधूरते्ताकोषा ATT SATA ERT

wraam: परिधाग्ता GARG वसुन्धरा #

wig शुन्दरतरं aaa विदितं हितम्‌ |

भवशक्रं यदायातस्छमच ATT परे

xe fe नगरं we रिटन्तान्मन्दिरम्‌ maggie विदग्धजगसङ्घुखम्‌ विद्लोकयति यः खम्यगेतद्धि गगरं अन्‌ः

तेन स्व॑मिदं ee सुवनं घशराचरम्‌ A

अथवा किमनेन TWAT |

पचमः Tes | CRE

धन्यासि eneantia wer में दृष्टिगोचरम्‌ | wan एवागतोऽसि aw षद्रन्नपुश्जकः मयोक्षमम्ब यद्येवं ततो मे चार्‌ वेधा | इदं खंपादितं दन्त मोशितोऽदं यदम्बया अधुगा शेययम्बा प्रसादेन विगरषतः | ममेदं बत fate भवचक्र महापुरम्‌ ततः खा बाडमिन्युक्का तात मार्गांहुखारिता समस्तं भवचक्र मे सटन्तान्तमद शंयत्‌ येक मया TE पुर AW महागिरिः | afaat रमणौयं निविष्टमपर पुरम्‌ ततो Aa | जिवेदयाम्ब किंनाम पुरमेतदवान्तरम्‌ | किनामायं गिरिः fa शिखरे emt पुरम्‌ मार्गाशुखारिता are ay नो शकितं लेया | खुप्रधिद्धमिदं शोके पुर साल्तिकमानखम्‌ एषोऽपि सप्रसिद्धोऽज विषेकवरपवंतः | प्ररूढमप्रमश्तलमिदं fret जने ददं तु भुवमद्यातं wy जनं महापुरम्‌ | तव fame कथं प्रष्टव्यतां गतम्‌ UI कथयत्येवं मम मार्गामुसारिता तावष्नातो sate sure निबोध मे गाढ प्रहारमनिभिंशो Team: gfawe: |

८३ उपमितिभवप्रपश्चा कया |

ए्वेवं टितो इष्टो मथेको राजदारकः ततो मयोक्र एष दारको मातः fa वा गाडढप्रहारितः। Ow ar नोयते खरः के वामौ परिषारकाः मागांनुसारिता प्रार्‌ विद्यतेऽ मशागिरौ | राजा लारिभधर्मास्थो यतिधमंस्त तत्सुतः HUTS संयमो माम पुरुषः श्थातपौरवः | एकाक कचिदृष्टो महामोहादि शुभिः ततो बडलाच्छनूां प्रहारोषेजेरोषतः | अथं निर्वातो वच्छ रणभ्रमेः पदातिभिः wal पटातथो वश्च Feat मन्दिरे | अस्य लाज पुरे जने स्वँ तिष्टभ्ति बान्धवाः ait अभ्निके | yea यत्करिग्यन्ति wale: परिपौडितम्‌ लारिष्रधरमेराजाय्ा VER तज कौतुकम्‌ | अतो महाप्रसादेन नौला मां भिरिमस्तके अधना भेयलम्बा afar विचेष्टितम्‌ मार्गाजुषारितथोक्ठं aaa करियते ततस्तदलुमागश्च विवेकि रिमस्तके WEST घा मया He तच मार्गानुसारिता अथ तच पुरे लेने रानमष्डशमष्यनः |

WET प्रावः | TRL

इृष्टचिषवलाधाने TST महानृपः नामतो Fur: सं बिता wry wey ममाये ते मरोपालास्तया विश्चाततश्वथा Tay मनर ष्ण समानोतः संथमः | दित atxw टत्तान्नश्च निवेदितः AE तादशं ज्ञात्वा Wy पराभवम्‌ THAT समस्तास्ते सुभटाः चोभमागताः ततख भोमध्वानेः ATURE TS: | तेजतिं meg: शोभविभाग्तोदभिसनिभम्‌ केचिग्यु्न्ति wert कुपितान्तकखज्िभाः | YATRA पुलकोद्धेदसुन्दराः 4 रोषरक्राननाः Arena wafediva: | अन्ये ठ्तानितोरच्छाः ey विन्यस्तदृष्टयः कोधान्धर्द्ध यः RTT THAT TAT: Wal सूढुटाहृहासेब गजिता खिषन्धराः शअन्येऽन्त MTT Aaa बिन्दवः केचिद्रकाङ्गभोमाभाः साखादिव auras: अतस्तं तादृशं Tey चुभितं राजमष्डलम्‌ | चारिबधमेराजेगष्ं VEU: प्रत्यभाषत देव नेष ant gat Soret कातरोदितः अकाखनोरदारावषज्निभः Wray: `

TER sufafawanug?t कथया |

तस्मादेते निवायेन्तामखसुन्ताखमानवाः | राजानः करियतामेवामभिप्रायपरोचखणम्‌ ततो जिवारणष्णक्ूतलो खथा प्रविशो किताः | सारिभधर्मराजेन शणं मौनेन ते खिताः wary ते तेन मराभधिपेन | थथा भो भो महौपाखा ब्रूत eat fate | एवं wafea काचं किम क्ियतामिति एतच्चा कषये सत्यौ तपख्छागब्रह्मयाद्यास्ते नराधिपाः प्रखद्धरभसोद्धादहा थोङ्ककामाः प्रभाविताः इत्ये महापराधे तेः संयमस्य HEU nag विदिते देव faerie विखब्ग्यते येऽपराधख्मापथ्यसेवथा ठद्धिमागताः | तेषासु च्छेदनं देव Bae परमौषधम्‌ # eee कुतस्तावद्घुखगन्धोऽपि ATE | म॒ यावन्ते इताः पापा महामेहादिशजवः यावच्च देवपादानां नेच्छा तज प्रवतेते | सख संपद्यते तावहातस्तेषां दुरात्मनाम्‌ धतः एकेकोऽपि wet नाय तावकौनो महादवे ` walfacernaa कुरङ्ग गिव केखरो ` खेन ज्ञावधन्तोमे चमिताम्भोधिवि्नमाः |

पञ्चमः प्रस्तावः |

रिपुसेन्यं Seat स्यान्तवाज्ञा विधारिका a एवं ते मदोपालाः wet रकश्राखिनः। सवंऽपि खामिनोऽध्यवमेकवाक्यतया खिताः ` THR AAs Tey भूभुजः दुदान्तमन्तमातङ्गमिद रिहरिसन्िभान्‌

राजा aera साधं सद्दो सभान्तरे | प्रविष्टो AWAIT महत्तमम्‌ अरय तचज्ापि a तात areal मार्गादुसारिता। अन्तर्धानं faurate: प्रविष्टा afeat मया ततस्तजोचितं राज्ञा wet मग्तिमरन्तमो

सम्यग्द्शेनस्तावद्राजानं प्रत्यभाषत

देव uae: परोक्तं सत्यायः प्र्यविक्रमेः तदेव WHATS ते कत को WT संग्रथः

=

वध्यानां दुष्टचिन्तामामपकारं सुद्‌ःखहम्‌ ` शरजष्णामोदुशं प्राय मानो कः खातुमिच्छति at wat वरं दग्धो मा स्तो वरं aT: | वरं गं विलोगोऽघौ योऽरिभिः परिभूधते ` धूलिः aw लोके wa किंचन योऽरिभिग्ेधमानोऽपि खस्यचित्तोऽवतिष्ठते ` यच्येकोऽपि भवेद्रान्नः शक्रः घोऽपि जिगौषति |

तत्तन UTA ख्थातुमनन्ता यस्य waa: 109

SRR

sae

ततः

उपमिविमवप्रपश्ा कथा |

ant निमिं fad शजुवगे नराधिप | निष्कष्टकां महो wer ततो भव निराकुलः तदेवसुद्धतं वाक्यभमिधाथ wea: | मौनेनावख्ितः सद्यः शवा कायविनिणंयम्‌ अयाभिधातु कत्य खोलामन्धरया दृशा | चारिजध्मेराणेन age: प्रविखोकितः ततो निर्ध sate का्षंतत्स्य कोविदः | सद्वोधः चिवः सारं वाक्यमित्थमभाषत साधु खाधुदितं देव विदुषा तेन ते पुरः। संप्रत्यसास्यतें WM मादु श्ामज व्यनि तथापि ते महाराज यक्ममोपरि गौरवम्‌ | तदेव afwateny वाचालयति arena RIA प्रत्याह |

Bet तेजःप्रधामतल्वमहो वाचि wear | अरहो ते खामिभक्रलं चार्‌ TE महन्नम way मागवतां धौर दुःसहोऽरिपराभवः सत्यं परानिश्वितस्य लोके मिःखारता परा सत्यं दुष्टाः शटा वध्या महामोहादि श्जवः | सत्यं तदहातुकाः स्वे रेवपादामुजोविनः

fe च।

तिष्ठन्तु पुरुषाख्लावदहेवश्चा खमवर्तिंनः | नार्योऽपि देवसेन्यस्छ तेषां निर्घाते ear:

पञ्चमः Tea: |

fa a प्र्तावर हितं ara नारभेत free: | नौतिपौडषयो्यस्माप्स्लावः कार्यसाधकः अथवा देवपादाभां भवतख युरो मया | Tame यदुच्येत wa तत्पिष्टपेषणम्‌ तथाहि | षड शणः पञ्च चाङ्गानि श्क्रिजितयसुन्तमम्‌ | wien: सिद्धयस्तिखस्तथा मौ तिचतुषटवम्‌ erat राणविद्याख्च यच्चान्यदपि arena | mitt yaet: शवे तद्धि किं तख ada यतः स्थानं यानं तथा सन्धिर्विग्रह परेः सद erat Tansy we गणाः परिकीर्तिताः तथा | उपायः कमेसंरम्भे विभागो देशकाख्योः | पुर्षद्रव्यसम्पञ्च प्रतोकारस्तथापदाम्‌ पञ्चमो कायेशिद्धिख पर्याखोश्थ मिदं किल | अङ्गानां पञ्चक रान्ना aera विजानता तथा | SOT: प्रथमा प्रसुश्रक्नि्दिंतोयिका aaa मग््श्रक्तिखच श्रक्रिजयमिदःं परम्‌ & प्रक्षिजितयख्पाद्याञ्व एवोदयास्तया |

Sa

“Re

उपमितिमवप्रपश्चा अथा

दिर ष्मिच्भ्छमोनां लाभाः सिद्धिजयं विदुः

WaT |

तया |

सामभेदोष्दानानि दष्डखेति चतुष्टयम्‌ | नोतोनां sanrag पयांलोश्य विजानता a

आरग्वोचिकौ जयौ वातां दणष्डनौतिस्तथा परा विद्याखतसखो पानां किशेताः सन्ति गोचरे तदेतदहेवपादानां भवतश्च विशेषतः |

प्रतौतमेव fang व्ेतां किं महन्तम

केवलं न्नातश्रास्ोऽपि araet यो बुध्यते | तस्याकिञ्चित्करं शन्नानमन्धस्येव सुदपेणः भव्तिता विवेकेन इसाध्येऽपि वदनि |

aay |

यत्‌.

लोके नायते we: wey विनश्यति ii

ददं मूलविगष्टं fe तात ad प्रयोजनम्‌ |

अतोऽद्य तावकोत्छाहः कुच मामोपयुष्यताम्‌ #

भवशक्रमिदं सव वयं ते महारयः |

क्मेपरिणामाख्यो यञ राजा महाबलः श्रयन्तं CRIS TARA महात्मनः |

तात सशंषारिजोवस्य य्यायत्ता wereat

चाद्यापि malt नामापि खल मादृशाम्‌

पद्मः परख्लावः |

महहामोहादिषेन्यं तु मन्ते गाढवक्षभम्‌ Cry

ay संखारिजौ वस्य पञ्चपातो बलेऽधिकः |

तस्येव विजयो नृनं fe eae मायकः #

ततो यावन्न जानौते सोऽस्ाक सेन्यसुन्तमम्‌ |

यावच्च पचपातोऽस्य माद्याणस्मासु जायते

ताव युक्तः संरम्भो मन यानं विग्रहः,

qm साम तदा Bagrar गजमोलखिका

agufa fe facia: ara संचिगध कि चम

केषरो wafsata यथोत्पातविधिष्छया

ated sea मश्छतोऽपि विजानतः |

मेषो पसरत्येव इदास्फोटदि ष्या सम्यग्दश्रनेमोक्क |

ara खंसारिजोवोऽसौ जाने Brea वा।

श्रस्मानेतेऽरयो नित्यमधुमेवं विबाधकाः

तदश्च संयमस्तावदित्यमेभिः कद यितः |

श्वः सर्वानपि Waitara: Ba युख्यते a agtuatm |

श्रायं मोत्तालतां कार्षोः काशसाध्ये प्रयोजने

ya संघारिजोवोऽसौ wet गः कदाचन यतः

क्मेपरिणमाश्ययो मरेश््रोऽन Tae |

# = RS

८३८ उपमितिभवप्पष्धा कथा |

समामपक्षपातेन सदा प्रायेण वर्तते दतख | ve शंसारिजोवोऽपि fared कुरुते वचः अतोऽस्मानेष तस्योचेः कदा विज्छापयिव्यति aay | rat: संसारिओोवेन सप्रसादेन पूजिताः | वयमाये भविग्ामः श्ननिदंलनखमाः केवलमसावपि कमपरिणामः कचिदवसरे पर्यालोच्य ana भगिन्या ay शोकच्धित्या ver चावखर मिजभाथां काखपरिणति कथयिलाक्रौयमहन्माथ aura war विदितं गियतियदृच्छा- दीनां गिजपरिजनानामुकूलयिला संसारिजोवश्येव महादेवो भवितव्यतामपेच्छ सप्रसादोऽयमिति विंभ्चत्निकावखरं ततः संसारि- जोवस्य wager सवेषाममिङचिते सति विश्चापयिग्यति | ततः प्रतिबन्धकाभावाक्लमिखति a विश्चश्िका। भविति संसारिजौवोऽख्ासु aware: | aay | निमूलाजाग्रयिव्यामः शनेताकाहन्तम तेन काखविशम्बोऽज इचितो मे प्रयोजने सम्यग्दशेनेनोक्क | wea प्रेष्यतां तावहूतस्तेषां दुरात्मनाम्‌ खह्यन्ति walt येन ते दूतभल्िताः सद्ोधेनो क्रं कायं तज दूतेन प्रितेन महन्तम

पच्चमः प्रस्तावः | SRE

विष्टामस्तावदचेव qaaafenzafexer: सम्यग्द्‌ शेनेमोक्ं | भाव्मतिभोतेन भवता पुडषो्नम | gest रपि a पापाः fa करिषखन्ति मादृशाम्‌ अन्यश्च | यदि गो रोचते तात zag दष्डपूवेकः | ततः सन्धिविधानाथे सामपूरवैः प्रदोयताम्‌ agate श्राय मा मेवं वोचः | यतः | कोपाध्ाते कतं साम कशदस्य विवर्धकम्‌ | जाष्वश्ोति हि तोयेन ad सपिने dna: अथवा फलेन दृश्धतामेतत्ययेतां ते कुद्रहणम्‌ | येन संपद्यते तात प्रत्ययो मम safe दूतः प्रहोयतां तेषां यदि देवाय wet | ततो विश्चाय तद्भावमुखितं fe करिष्यते aa चारिजधमंण तदाक्धमनुमोरितम्‌ | ततस्तैः प्रहितो दूतः सत्याख्यः शुसंशतेः ay दूतानुमारगेए सापि मागांमुसारिता | गता तात मया साधं महामोह्बले तदा प्रमन्ततागदोतोरे चिन्तविच्ेपमण्डपे | दृष्टश्च विहिताखानो महामोहमहानुपः अथ दूतः सत्यास्यस्तजास्थानेऽरिपूरिते |

<go

एव

उपमितिभवप्रपष्चा कया |

प्रविष्टः प्रतिपत्या निविष्टः शभविष्टरे

ततः ए्ष्टतनुदन्तो वाक्धमेवञुदारधोः |

प्राह साहसाख्छोऽपि कोपाग्मेः शान्तिकाम्बया चिन्तटृश्िमशारव्या यः प्रभुः परमेश्वरः |

लोके खंसारिजौवोऽषौ तावद्भो मृखनायकः ` बहिरङ्गाम्तरङक्गाणं संसारोदरणचारिणणम्‌ |

राज्ञां यामपुराणं खामौ भाच awa a faa

qa वयं ये चान्ये केचिदाग्सरग्धभुजः |

ते कर्मपरिणामाद्याः ef aaa fare: ततञ्चैकभिदं राच्यं स्वेवामेक एव

खामो संसारिनोवोऽतः को विरोधः परस्परम्‌

TT: खखामिमो भक्ताः Beare भवन्ति ते त्या TATA नेव खपच्कयकारकाः acy सततामन्दमतः प्रति न्दरम्‌ | युद्माभिः. ae Tare प्रम गः मरो तिवधेनम्‌ ददं सत्थोदितं सत्यं वाक्यमाकण्छे सा सभा | माहामोरौ मराचोभमय WaT AFT

तलत |

TEST रक्रसर्वाङ्गा मिताडनतत्पराः | रो धान्धबुद्धयः सवं समकाशं प्रभाषिताः

GEA: TET: | ८७१

श्रे रे दुष्ट केनेदं दुरात्मस्ते भिबेदितम्‌ | खवा संसारिजोवो गः सामो बम्बस्धिनो वयम्‌ o पातालेऽपि प्रविष्टानां नालि मोः कथचन युश्राकमाखजालेन किमनेन नराधमाः संसारिजोवो मः ख्ञामो खयं सम्बन्धिनः किं अहो सम्बन्धघटना श्रो IIA गुणः TH गच्छ गच्छति देवताख्मरणोद्यताः | qe भवत शाग्धथेमेते वो वयमागताः एवं सहस्ततालमु लालः प्रविस्य परस्परम्‌ | तथान्ये fatale: इला दूतकद्र्थनम्‌ चथिताकत्‌चणादेव कोधान्धास्ते aha: सनद्धबद्धकवचा महामोदपुरस्मराः सत्येनापि समामत्य wa शेषितं ait: 8 चारिजधमंराजस्य faaty निवेदितम्‌ श्रयाग्वणेगतां मला महामोहमदहाचमृम्‌ | चारिचधमेरानोयं नद्धमखिलं बलम्‌ ततः परिखरे TU शब्रमायोधनं तयोः . ` चिक्षटत्तिमहारब्यां yet: wafaaaa तख कौदृशं | विश्चसितभरकोरिखङ्कतहे तिप्रभाजाखविस्तारसध्चार मिना faa

षताभिलूमेकज चारिजधमांत्सद्वारिराजेक्न्देरतोऽन्बन TEI

106

८४२ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

मिषण्ध्याद्यनेक-प्रचष्डोग्पेग्दश्टङ्गाङ्गसच्छायकायप्रभो हाखबद्धान्ध- कारप्रतागप्रनष्टाखिलभ्नानसद्योतसन्तानजातं ततो AT तादे कातराण्णं मराणं महाभोतिषम्पादके वादितानेकविभ्बोकवादिभ- निर्घातसं जासितागरेषसंसारसश्चारिजोवोघसंग्राम-सम्मदमालो किशस्ि- दविश्चाधरे भो रणे ते महामोहराजेश्सक्ा भटाः पाटयन्तः परानौ कमुदेिता इति ततस | बङदारणश्स्लश्रतेः प्रहतं णिता खि्वारणवाजिरथम्‌ | श्रतभौषणवे रिनिनादभयान्तदगरेषमकम्बत VAT ततञ्चारिवधमाऽखौ VaR बलश्रा लिना | ACTA जितस्तात AWW मा प्रविष्टः खस्थाने ततस्ते रिपवस्तकम्‌ | खसत्कञ्कखारावा रोधयिला wafer: ततः परिणतं Trey महामोहमराधिपे | चारिजधर्मरानस्ठ निरद्धोऽभ्बम्तरे खितः मार्माुसारिता AE FE तात Bawa | BE इष्टं मयाय्युक्रमन्विकायाः प्रसादतः wae कलस्छास्छ मूलमम्ब परिस्फम्‌ | ay विन्नातुमिच्छामि afwaze aaa ` मार्गासुलारिता प्राह रागकेसरिणोऽतः | ` चोऽयं gee ag मन्त्रौ निर्याजनेपुएः अनेन after पूवं जगत्साधनकाम्यया |

पञ्चमः परावः | «८8२

माजुषाखि प्रयुक्तानि पञ्चाद्मौयानि कुवित्‌ अभिश्वतानि arte सन्तोषेण पुरा fae | चारिज्रधमेराजस्य TAIT लोलया तन्निमित्तः समस्तोऽयं जातोऽमोषां परस्परम्‌ कलो Ay साटोपमन्तरङ्गमरोभुजाम्‌ मयाभिहितं श्रम्विके किश्लामामि तानि aanfa कथं वा पश्चेतानि जगल्धाधयन्ति | मार्गाजुसारितयोक्कं विचार सपशररखनाघ्राशदृषटिओ्रोज्ा णि तान्यमिधोयन्ते | तानि स्पशे रसे गन्धे रूपे ष्टे देहिनाम्‌ , Tag मनसः Bar साधयन्ति sera एकेकं प्रमव्येषां aaa जगच्चयम्‌ | aqua पञ्चापि ay किं चिभमुश्यताम्‌ ततो मयोक् संपू दे शद शेनकौ तुकं | aya तातपादानां ay arent सत्वरम्‌ amin गम्यतां veg निरूप्य जगचेष्टितम्‌ श्रहमप्यागमिग्यामि asa तव सन्निधौ अथारमागतश्छणं निचित्येदं प्रयोजनम्‌ | ततस्तात वध्योऽयं घ्राणनामा सुन्दरः वश्चको सुग्धवुद्धोनां पयंरन्थेष देहिनाम्‌ | मानुषाणां ठतोयोऽवं रागकेसरिमग्विशाम्‌ यावभ्भिवेदबत्येवं बधाय गिजदारकः |

८88 उपरमितिभवप्रपश्चा कथा |

मार्मानुलारिता तावदायाता भो नरेश्वर समर्थितं तवा सवे विचारकयितं वचः त्यजामि ब्राणमिन्येवं querta इदि खितम्‌ दूतस | मुजङ्गतासमायुक्रो च्राणलाखनच्ाणसः | ae: सुगन्धिगन्धानां शदान्वेषकतत्यरः तजेव मगरे श्प Slava: कथंन , देव राजभार्वायथा afte भवने गतः ततख | खपन्नौपुजघाताथे तस्धिन्ञेव खणे तथा | WRT डोग्नो कराद्न्धसयोगो मारणशशत्मकः aay | at गन्धपुरिकां at gan लोल्लावतो zz | प्रविष्ट Great मन्दः षा तेन Tear ततो सुजङ्गतादेशाश्छोटयिला निरूपिता | दन्ता HUTS ते गन्धाखतस्तेन दुरात्मना ततख्ाघूफिते घ्राणे Mage awe | avaitfeafenang मन्दः Weed गतः + ततो विगष्टमाशोक्ध प्रार्लाशगलमग्परम्‌ | तं मन्दं चाएसत्पकादिरक्ो नितरां बुधः arg सा बुधेनेदं vat मार्गालुखारिता + भटे कथं भमानेन seat विग्यति

पञ्चमः प्रस्तावः | चष

मार्गानुखारिता प्राह 2a fear मुजङ्गताम्‌ | fae लवं साध rere: सदाचारपरायणः ततोऽयं विद्वमानोऽपि दोषसंशेवकारशम्‌ | a ते wd देव ततख्छक्रो भविति quate शृतं स्वे विज्ञाय हितमात्मने | मारगाजुखारितावाक्यं तत्तदा प्राण सहुरम्‌ ततो गहोतदोकोऽष्णै साष्वाचारपरायथणएः | विज्ञाताममषद्भावो उरूपासनतत्परः आचार्यैः Wat मला ग्छनिखेपकाम्यथा | उत्यश्ललख्िमाहाम्यः सूरि सामे जिबेशितः एव भवतां wa स्प्रबोधविधित्था | विहाय गच्छमेकाको quaft: समागतः $ योऽयं fica wef wares: | सोऽहमेव धरागाथ बुधनामेति गद्यताम्‌ # प्रबोधकारणं wu तदिदं सविधानकम्‌ | मम क्षपशनमेतद्धि we चुश्नादुशामपि यतः ae विचरन्ति sar ताति मानुषाणि are तत्पुष्ठतोऽलुघावन्ति मस्षमोहादिश्रचवः ततस्च | थो यसेः प्राणते प्राणौ सयो गाढदादकषेः | निभिं eau: तला wate fru

cod

उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

इदमेव पर डप निभेवख्ानसु्तमम्‌ |

श्रमो STATE TE वरश्रासनम्‌

एवं भ्नाततच्वागां wage युव्धते

युक्रं चणमघेकं धरागाय विलम्बितुम्‌ ` त्यञ्यन्तां विषया गप काखकूट विषोपमाः | श्राखाद्यतामिदं fea प्रश्रमाखतसुलमम्‌ ti

ततो धवश्चराजेन विहस्य विमणः चणम्‌ |

तथा सर्वेऽपि ते शोकाः साकूतं प्रविखोकिताः

उक्र च।

भोभो लोका थदादिष्टं भदन्तेन महात्मा | ददमाकणठितं चित्ते aq भवतां वचः ` ततले बुधसद्भामोः प्रतापेन प्रबोधिताः | कमशजाकरसङ्काशा प्रोत्पुषठसुखपद्जाः

भवा खाटपटेषु विन्यसकरक्ुडमाः | सर्वेऽपि णोकाखगेदं समकालं प्रभाविताः बाढमाकणितं देव वचोऽस्मामिममेहात्मनः | famraera सद्भावो महाभागप्रसादतः विधुयाश्चागतामिखं मनोऽनेन प्रकाशितम्‌ | जो विताञ्ाग्छतेनेव भिष्यालविषधूरिताः त्षग्रमिदमस्माकं fea गाढं सुनेवेचः | संपाद्यतां वदादिष्टं मा विखम्नो विधौयताम्‌ एतच्वाकण्छं TAK: पर Ya: |

पद्मः पक्वः |

ततो राच्याभिषेकाथं विम प्रत्यवोचत zutfa पुज sagt राव्यं वमलुश्रलय | पुष्येम भगवानेष संपजो गङरन्तमः विमलः प्राह far तात are ते चिम्तवद्मभः | येन दुःखाकरे राच्ये मां स्थापयितुमिच्छसि दृत्यं चिपसि at तात cart दुःखपूरिते | खयं गच्छसि निर्वाणमदो ते तात चार्ता ततो गाढतरं तुष्टशच्छरुला वेमलं वचः | साधु साधूदितं ag सुच्ामोत्यमाषत ततः कमलनामानं WS संस्थाप्य पुषरकम्‌ | विधाय forget दिनान्यष्ट मनोहराम्‌ तथा दत्वा महादानं विधाय मगरोल्छवम्‌ | विहिता श्रेषकतब्यः शरटभकाले समाहितः विमलेन समं राजा सपन्नोकः सबान्धवः | सपौरलोकः खसा fast विषिपूवैकम्‌ किं wer | | a: समाकर्फितं ख्रेखदाक्यमश्टतोपमम्‌ | तेषां मध्ये जनाः श्लोका ये aty यवखिताः तेऽपि शावात्तसम्यक्ता त्रतरजविश्षिताः | जाता रन्नाकरे प्राप्ते कः स्याहारिग्चभाजनम्‌ अहं तु az तजापि वामदेवतया खितः | ददा तत्ताङ्ग्ं शूरे. रूपनिर्माणएकौ ग्रम्‌ .- .

sgt

sufafanagrer aut |

FA TATE AM महामोहतमोपहम्‌ तथापि बुद्धोऽखि तजाकश्य कारणम्‌ यासौ बङलिका va योमिनौ भगिनौ मम | श्रोरेऽनुप्रविष्टासोक्ा मे तज fanfare खतोऽ्टहो तशङते तदश्रेन STAT |

तादूश्नो महाभागो वञ्चकः Vitae: चिन्तित मथा इन्त सुनिबेषविडम्बकः fagxmauaa: किदेव समागतः

अहो WTA जाखमहो aq | GE मूढा नरेष्धाद्या Asgarfa प्रतारिताः

तथाहि |

ay aefaar येषां fasta दुरात्ममाम्‌ | ते हि ea शटप्रावं aaa मुवनजयम्‌ तदेवं तं बुधाचा्थं तदाश्मौकविकल्पनेः | fanny भद्र ॑ग प्रबुद्धो दुरात्मकः प्र्रश्ा वश्चरे तषां राजादोनां मथा पुनः | ददं विचिगम्तितं भद्रे खचित्त पापकमा

अये |

प्रव्रज्यां माह्ेदेष विमो मां क्खादपि। sifen ayfaaa ततो श्यामि सत्वरम्‌ बद्धा gfec<ad गाढ ततोऽहं तारलोचमे | तचा नष्टो यथा भेव गन्धमण्ेव बुध्यते y

पञ्चमः Wea | cae

sy दौखादिने प्राप्ते fanaa महात्मना |

वामदेव tea सर्व॑चाह निरूपितः

seer मां पुनः yet बधद्रि मेहात्मना |

गतो वामेदवोऽसौ किं वा afer कारणम्‌ भ्ञानालोकेन विञ्चाय विमलाय निवेदितम्‌ |

ततो मदौयचरित fare बुधष्रिष्ण विमलेनोदितं नाय किंन भव्यः समे सुत्‌ | masta तावके वाक्ये येनेवं बत चते सूरिणाभिहितं भद्र नाभव्यः किं तु कारणम्‌ | Vue TTT शले तन्ते सवं निवेदये

एका ayfear नाम भगिनौ तख awe | SAAT भ्नाता दितोयः स्तेयनामकः ताग्यामधिषितेनेद वामदेवेन चेष्टितम्‌ |

पुरा विहतं तात रत्नस्य इरणादिकम्‌ TAMA दोषोऽयं waa सुन्दरो fe सः | स्तेयो बहलिका चास्य दोषद्येषकारणएम्‌ विमलेनोदितं माय fa ताभ्यां वराककः। कचिग्मु्येत प्रापाभ्यां fa वा नेति निवेद्यताम्‌ खरिराह महाभाग श्रिकालेऽतिन्लषिति। __ avat मोचते तच कारण ते निवेद्यताम्‌ ` 7 | शएभाभिसस्धिनृपतेः पुरे विश्रदमानसे | ` | भाय स्तो मिमलाशारे श्रद्धतापापभर्ते 4 | | ` 107

< 9

उप्रमितिभवप्पञ्चा कथा |

तथो AUG अनतानन्ददायिके | SIRT नाम विद्येते कन्यके शभे अत्यन्तसरछा साध्यौ खवंलोकसुखावडहा | जता सा महाभाग प्रतौ तेव भवादृशाम्‌ श्रयोरतापि शोकेऽन fae firearm | सर्वाङ्गसुन्दरो मनं विदितेव भवादृशाम्‌ ते कन्ये afege सुडन्ते परिणेव्यति | स्तेयोऽयं बला चस्य ततो भो भविव्यतः तयोराभ्वां ware प्रत्येव विद्यते ततस्तात AAG इाभ्या मयेव मो च्छते ततो योग्यताद्यापि वामदेवस्य विद्यते | wa प्रतौति मिञ्धित्य gq तस्यावधौरणम्‌ ततखेदं सुनेवाक्थं विमखेन महात्मना |

श्रत्वा तथेति वदता विडिता मेऽवधौरणा

अह तु प्राप्तः कञ्चनपुर प्रविष्टो इटमागें। दृष्टः सरथो नाम

वाणिजः गतसतस्यापणे | विजृम्भिता बह छिका तमस्य पाद- पतनं | मटेनेव भतमानन्दादकस्य नयनय॒ गशं तद वालोक्धा- Fhaa: सरलः ततोऽभिहितमनेम भद्र किमेतत्‌ मयोक्तं तात AUIS मयाद्मअनकस्य सृतं सर लेगोक्त wea ततो aq ga एवासि लं। ततो नौतो ऽइमनेन खभवने समर्पितो बन्धमत्याः खभार्यायाः कारितः श्ानभोभमादिकं ' vet

नामकुलादिकं | faafed मथा। खजातौयोऽयमिति ae: खरः अभिदहितमनेन |

पञ्चमः VETTE | ८५९१

अ्रपुजयोः fra gat agat: परिपालकः | दत्तः संचिन्य दैवेन वामदेवोऽयमावयोः

तदाकण्ये इष्टा बन्धुमतो | fated सरलेन waa zy द्िंतमापणएनिङितं शत्रादिकमन्त्धनं तस्येव ase मया सडहितस्तचेवापणे खपिति सम श्रन्यद्‌ा सन्ध्यायामावयोगडे ति- Bat: समा गतः रलस्य quae: प्रियमिचरस्य ग्टहादाङ्ायकः | यथा मम WIS GAA भवतागत्ये वस्तव्यमिति ततो- ऽभिडहितोऽदं षरलेन gy वामदेव गन्तव्यं मथा aye लं पुनरापणे गत्वा वशेति | मयोक्र Ge मे तातरहितश्यापणे गमनेनाश्च तावदम्बाया एव पादमूले वह्यामि ततोऽ खेहा- रोऽयमिति चिन्तयज्ञेवं भवविति वदन्‌ गतः सरलः ख्ितोऽहं गहे राजौ विजृम्भितः सेयः चिन्तितं मथा हरामि तद्‌- TAN | ततोऽधैराजे गतस्तमापणं | उदाटयतख समागता टाण्ड- पाथिकाः | दृष्टाऽदमेतेः प्रत्यभिनश्चातख ततः पश्यामस्तावत्कि- मेषोऽधेराचे करोत्यापणमुद्ाच्येति संचिनध ॒स्थिताखष्लौभावेन TEM: | उतृखातं मथा तदन्तरपनं निखातं तश्येवापणखय प्ाद्ू- भागे विभातप्रायाचां रजन्यां हतो हाहारवः | मिशितौ नगरलोकः संप्राप्तः BCH: | प्रकटता दाण्डपाश्रिकाः। प्रत्तः HARM: | सर लेनोक्कं TE वामदेव किमेतत्‌। wate | हा तात मुषितासुषिताःखमद्ति। दशितश्चोद्धारितापणो निधा- Ha सरलेनोक्ष पुज तया कथमिदं wad aaa र्ति तावन्निग॑तस्तातः ततो मे तातविरदवेदनया नागता निद्रा

८५२ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

खितः warat विपरिवतंमानः राजिशेषे चिन्तितं मथा अयि यदि परमेतस्यां तातस्य शेष्ूतायां श्रापणएशय्थायां निद्रासुखं qua नान्येति चिनध समागतोऽहमापणे इृष्टमिदमौदु शं wicfaefad | ततः wat हाहारव इति | टद्‌ष्डपागिकेचि- न्तितं भिञितमेवन्तखकरोऽच दुरात्मा वामदेवः ग्रहो Ter. रशजाखचातुथे रहो वाचाशता wet aaa wet हतत्रता aut विश्रम्भघातिलमहो पापिष्ठते ति | aaa ओटिनिरा-. get भवं खन्ध एवास्तेऽस्माभिखौरः ततः साकूतमवलोकितं सर्वेमद भिमुखं | न्नातोऽहमेतेरिति संजातं मे भयं ततः पुनः सलोघ्न ` ्रहोग्याम इत्यालोच्य गतास्तावहाण्डपाशिकाः। Sat ममावरच्कः। अनेकङु विकण्याङ्ुलस्य मे wird तदिन सश््यायां ग्टहौला तदन्तध्नं पलछलायमानोऽहं गोतो दाण्डपाशिकेः | जातः कोला- ee: fafed gant. कथितो दाण्डपािकेः समोऽपि. शोकाय मदोयव्यतिकरः। संजातो मश्चरितेन fran नोतो se रिपुखूरनराजषमोपे | श्राज्चापितस्तेन वध्यतया समागतः ace: पतितो नुपचरणयोः अभिहितमनेन

ममाथ quant देव वामदेवोऽतिवश्नभः |

अतो AMIE शला सुच्यतामेष area:

zgat मम waa मेष देव निपात्यताम्‌ |

श्रन्यथा जायते देव मरणं मे संश्रयः

ततोऽतिषरल मला awe तं मराधिपः।

YQ ai प्रसादेन AVIARY aga

पञ्चमः Ves | “UR

RIS VGA तदा Mat महोभुजा | ओषटिक्नेष gque समौपे मम तिष्ठतु यत:ः। रयं विषाङ्कुराकारस्तख्करो जनतापकः | तदेष मद्ग्यहाद्राद्यो वामदेवो सुन्दरः tay | | एरापि दुबंशौग्तः aaa aw एव षः | पुष्णोदयो वयस्यो मे yer तदुष्टेष्टितम्‌ ततख Stem प्रतिपन्नं तज्नरे्ध वचनं तद्‌ा | धिक्षारविहतो दौनः खितोऽशं राजमन्दिरे राजदष्डभयादु्ाद्भयेन प्रशम गते | भद्र निवसतस्तज ते मे स्तेयबश्टलिके तथापि शोको at भद्र सवेकार्थैषु शङ्कते | अन्येनापि छतं चौयं ममोपरि निपात्यते ब्रवाणस्यापि aged 4 wate मे om: धिक्षारेन्ति मामेवं ger ते सत्यवादिता सवेस्योदेगजनकः शृष्णाहेस्तुख्यतां गतः | तचागहोतषद्ते बड कालं विडम्बितः अन्यदा Bee राश्नो विश्चासिद्धेन tater | निःगेषं मुषितं ar सच चौरो a छदितः ततोऽइ दृष्ट रोषत्वादस्येवं विधसाइषम्‌ |

sad उपरमितिभवप्रपश्चा कया |

तथाहि | पूवं तावदनेगोक्ं थथासौत्किल सवदा | पुरेऽसंग्यवहारास्ये वास्तव्योऽहं कुटुम्बिकः कालं aw खितोऽनन्तं भवितव्यतया ay | खकर्म॑परिणमाख्यराजादे शेन मिगेतः एकालपशटसंख्याने तथान्येषु रिष | तथाविधेषु नेषु भागतो दुःखे: प्रपूरितः श्रन्यञचे दमनेनोक्रमनन्ं WAAR: | स्वेषु तेषु aay नारितः fae भार्यया

तथाहि | नन्दिवधमरूपेण रिपुदारशखतैखया | वामदेषविधानेग किला अमिवस्तया अतौतोऽनन्तकाखख सवेवामन्तरान्तरा | छतान्दनन्तङूपाणि तथान्यानि खभायया शडिकादानथोगेन किलेदं विहितं तथा | तदस्य चरितं सवं विरुद्धमिव भासते

तथाहि | | | पुरूषचेत्कथं ae fata: arena | fa वाजरामरो wa भविव्यत्येष तस्करः ` तावत्कालख्ितिशेन्त का चेयं भवितव्यता | कथं वा fasaratfa प्रतिकूलत्वमागता i का चेयं श॒डिका नाम महावो्यां यया हतः |

` ` पञ्चमः प्रस्तावः | ८५ 9

एकोऽप्यनन्तरूपोऽय भवितव्यतया तया अन्यच | Tesi मिजाणि खजनास्तथा | येऽमुना गदितास्तेऽपि मया परिनिखिताः तदिदं खप्रसङ्गाश्मिश्रजालाधिकं गणैः रस्य सारिजोवस्य. चरितं प्रतिभाति a 4 दयं सुखरागेण वध्यमानेव ख्यते साध्यो प्रन्नाविश्रालेदं निःशेषं चरितं इदि अन्यश्च | ददं मे Qua: सवै निर्दिं्टमनया पुरा। अरस्य संसखारिजोवस्य sd warfare a केवल विखृतप्रायं मम तदतेतेऽधना | RAS ए्च्छतश्त्थ' संजायेत ममाश्नता तत्तावत्कययत्येष तस्करो यदिवकितम्‌ | अह तु प्रश्रयिव्यामि पश्चादेनं रहःखिताम्‌ इदं निधित्य «za भव्यपुरुषस्तदा ` वचः संसारिजोवस्य दष्णो माकणेयन्‌ fea: सुखं संसारिजो बस्य पश्यन्तो विस्मिते | ख्थिताग्टङोतसद्धेता शम्यगक्नातभावना aay भगवा न्निःपेषं तस्य चेष्टितम्‌ | वेत्ति शंसारिजौवस्य ततो मौनेन संस्थितः संषारिजोवेमोक्रं | अथाहमन्यदा भद्र॒तुष्टया मिजभायया | संजातहृपया प्रोक्तः केन चिच्छभक्मेणणा ¢ 108

उपमितिभवप्रपच्चा कथा |

त्वयायेपु् गन्तव्यमधुमा शोकविश्चुते |

आनन्दमगरे तज वस्तव्यं VENTA मधोक्र |

देवि रोचते qe adel त्रया ध्रुवम्‌

ततः पुश्योदयथो श्यः तया मे मिद भितः

तथान्यः सागरो नाम सहायो मे निरूपितः |

प्रस्तावोऽखखेति fanra भवितव्यतया तया उक्र

मूढतानन्दनो नाम रागकेसरिणणेऽक्जः |

मयायं विदहितेऽधेव सहास्ते ates

ततेाऽं सहितस्ताभ्यां सदहायाभ्यां प्रवर्तितः

श्रानन्दनगरे गन्तु गु डिकादामयोगतः दति ये घ्ाणएमायानृतचौर्यरक्रा भवन्ति पापिष्ठतया aaa: | देव जन्प्न्यतुलानि तेषां भवन्ति दुःखानि विडम्बनाखच तथा acarfa तेषु रक्षाः पतन्ति संखारमहासमुद्रे | श्रमन्तदुःखघवितेऽतिरौ द्र तेषां ततखोत्तरणं gaa जेनेन््रादेशता वः कथितमिदमशो लेशतः किंचिद प्रस्तावे wat शतविमलधिथो गाढमध्यस्छ चिताः | एतदिश्चाय भो भो मनुजगतिगता श्जाततत्ना agar: स्तेयं मायां fear विरयत ततो wrung:

इत्युपमितिभवप्रपच्चायां कथायां मायास्तेयभ्राशे- न्द्रियविपाकवशेनः पथ्चभः प्रस्तावः समात्तः

अय षष्ठः Wels: |

्रयास्ति सततानन्दमन्दिरं दोषदूरगम्‌ | WAAR शोके बहिरङ्गं AGTH विलासोज्ञासखावश्छललिता लो चनेनेरा | HIT भाव्यन्ते देवेभ्योऽभिन्मूर्तयः आहृष्टदृष्टयो vet नार्यो निष्यन्दलो चनाः | यज खपादयन्यशेरमराकारधारिताम्‌ चिर्बाग्परत्रसश्चारतार aw विभाव्यते | श्राखण्डलधनुदंण्डखण्डमण्डितमम्बरम्‌ परोभङ्ुमनिर्भदवधितोत्ाइसाहषः | तजाक्रान्तमहोपौटः केषरौ नाम पतिः श्रनेकसुन्दरौ टन्द मध्ये लम्धपताकिका | देवौ कमणपचाचौ तस्यासि जयसुन्दरौ अथास्ति गगरे AT TRANG waa: | जिःगरेषनगराधारो वाणिजो हरि शेखरः येन मेधायितं दानाद थिखस्येषु सवदा | सुइत्कमलखण्डेष सततं भास्करायितम्‌ y तस्यासि queer सावण्धाग्डतङ्ुष्डिका | साध्वौ बन्धुमतो माम भार्यायेकुशलसम्भवा या ङूपमिव eee प्रत्यादेश टव जियः |

८१० उपमिति्भवप्रपश्चा कथा |

श्रावास इव न्नौलस्य भटेभक्रस्तु मन्दिरम्‌ ्रथागटहोतसङ्कते भवितव्यतया तया | तदाद एुडिकादानान्स्याः कुकौ प्रवेशितः ततः सपूणंकालेन मिचाभ्यां परिवारितः | नरकादिव fase यो मियन्लनिपौडितः ततो बन्धुमतो तुष्टा मुदितो इरिशेखरः। संजात पुचजन्प्रेति कारितश्च aaa ` ्रानन्दपूवंकं ताभ्यां दादशहेऽतिलङ्किति | प्रतिष्ठितं मे माम यथायं धमशेखरः ्ातावपि मया साधं तौ पुश्योदधस्षागरौ | श्रम्तरङ्गवयस्यौ मे जनकाभ्यां शकितो ततोऽ सहितम्ताभ्वां वर्धमानः ge: किल संप्राप्तो यौवनं भद्र मौनकेतममन्दिरम्‌ अय कंचिष्छमा साद्य कलाचायं तदा मया | एकां धर्मकलां मुक्ता गरहोताः सकलाः कलाः संपादिताः aan चिन्तकक्नो लका मे

तदानेन वयस्येन सागरेण GT चणे

अय RTI पुनस्ते ागरवोयोक्षासितादिन्तकल्लोलाः संपा-

feat:

धनम HMC धनमेव GAA: | धनमेव HATS धनमेव शणणभिकम्‌ धनमेव Way धनं तन्तश्वसुन्तमम्‌ |

ay: Wea i. cg

ua हि परमात्मेति धने aa nfafeaa | धनेन tfeat लोके पुरूषः परमार्थतः | णं भाद चिधूंकियेदा area किंचन धनादिष्रो WaT waza महोसुजः | अन्येभ्यो ऽग्यधिका aria नान्यत्किंचन कारणम्‌ एको दाता परोऽर्योति खाम्येकः सेवको ऽपरः | पुरुषत्वे घमानेऽपि धनस्येदं विजम्भितम्‌ तद्र परमा थौऽयं सव॑यत्रेन तद्धनम्‌ | सौ कर्तब्य मरेणो चेरन्यथा अन्ध निष्फलम्‌ एवं स्थिते | कुशक्रमागत wht wa we घनम्‌ | ममाक्रोयं तथाप्यन्यरजयामि ततोऽधिकम्‌ कुतः सुखासिका तावन्नायेत मम मानसे | विलसटोप्रयो यावन्न दृष्टा रत्नराश्यः गत्वा देशान्तर wat सवं कर्माणि सवया | मयाक्मभवमं काथं रन्नरािप्रपूरितम्‌ ततोऽनेकविकच्येस्तेराकुलौ BARAT: | ACWZAATEA ताताभ्वणंमदं गतः उक्र मया | | तात मामनुजानोहि घनोपाजेमकाम्यथा | गच्छाम्य विदेगेषु करोमि पुर्षक्रियाम्‌ इरिगरेखरेणोक्तं |

८६२ उपमि तिभवप्रपश्चा कथया |

विद्यते विपुश aq कुखक्रमसमागतम्‌ | धनं ते दानसम्भो गविलासक्षरणएच्लमम्‌ तन्तदेव धनं वत्स नियुश्चानो यथेच्छया | ze तिष्ठ a शक्रोऽसि स्थातुं हि रहितसख्खथा मयोक्क | या पूर्वेपुरुषेस्तात रिशो रुपाजिता | at सुश्वानस्य सत्पुखः कथं ग॒ चपते मनः मातेव स्तनपानेन सा बालैः परिभुष्यते | अवाप्रपौरुषाणणं तु agit खष्ननोयकः yearn सा तात किथत्काश् भविश्यति | frei: खयमायाति समुद्रो ऽणयतुपाेनः TR धनाजेनोत्छाहं तातो भंक्मरेति अत एव वोढव्या तातेन faceaer fa twat | यावह्वुजबलेगोचर्नोपान्ता TATE: गत्वा Sarat तात aaa सुखासिका तल्छवेया पि गन्तव्ये मटौयमनसि fea | ad विघातस्तातेन गमनस्य विधौयताम्‌ ततो fanra जिबन्धं तादृशं हरिशेखरः | मामुवाच तथा AT खेशादरौश्वतमानसः येषं निचयो वत सितस्ते मगसि fic: afaufe निजाकूतं पूर्यतां ते मनोरथः

~~ =+ ee ee a ~ a on ay ‘A ` ---~ —_ -~ -ˆ------- - -._ ------ -~ eg = —_ a. ~

ष्टः प्रखावः। ८९.

केवलं ag सुखलालितद्छम सि ace: Tet) Tat Burs | विषमा मार्गाः @feawcar ear: वद्चनप्रवशाः कामिन्यः | यांसो दुजेनाः विरखविरखाः स्ना: प्रयोगच्तुरा धूर्ताः मायाविगो वाणिजकाः दुष्यरिपाख भाष्डजात विकारकारि गवयौवनं दरधिभमाः का्यंमतबः श्रगयेड्चिः कतानः ATIVAN रचरटादयः AIT भवता कचित्यण्डितेन afryau कचिदर्िणेन कचिक्निष्टरेण afearen कचिन्नि- वकुपेण क्षचित्ुभटेग कचित्कातरेण कचित्यागिना क्चित्कुपणेन चचिहकठत्तिमा कचिदिदग्धेन सवया पररलग्धमध्यागाधदुग्धनौ- रधिधौरगम्भौर धिषणेन भवितव्यं agate तात महाप्रसादः। खम्यगनुशिष्टोऽसि तातेन पश्तु तातो मे बुद्धिपौरुषमा- Cray तथाहि सत्वमाजधनो गला रूपकेण विवजितः | आगच्छेवं हृतार्योऽहं यदि तात पुशग्डेडम्‌ ततः | धमशेखरनामाडं तव BAA संग्रथः | अन्यथा श्त एवासि दातव्यो मे जलाञ्जलिः यतः | सायभाण्डसहायादिषामसौं धमसाधनौम्‌ | प्रा्ाजेयति योषापि धमं fag युवा मरः मम ag विशेषः स्यास्ामयोरडितोऽपि यत्‌ | पूरयामि ze तात सखोपाक्ते रब्रराशचिभिः॥

«६8 उपमितिमक्प्रपच्चा क्या |

एवं ब्रुवाणक्ातसख्छ वन्दिला चरणद्रयम्‌ | गला साम्नां सुतखेहजाताशुहतदुदिंनाम्‌ कतार्धेस्फालको गेहाज्निगंतः ङतनिख्धयः | साधमन्तरमिजाभ्वां ततोऽहं रदतोस्तयोः ततः पौरषमवशम्ग्य शापिता श्दतौ इर शेखरो बन्धुमतो अभिहितमनेन परियतमे मा «fete ₹षेस्याममेतत्‌ तथाडि। या साहविनिमुंक्रमलसं देवतत्परम्‌ | निर्वो sage सा हि रोदितुमहेति त्या तु जनितो धौरः सुतोऽय Hee: | निर्व्याजसारषस्तस्मान्नास्ति रोदनकारणम्‌ श्रयं मूनं शणणोऽस्माकं व्यवसायपरायणः | यदेष quant जातस्ततो gy विषादिताम्‌ दति cag निगेतोऽहं मगराद्गन्तु sent दचिणषमु- द्रे शाकूलाभिसुखं प्राप्तश्च क्रमेणोरधितटाभ्वणेव्तिनि sag? | faqat बहिष्कानने i तच तु चिन्तितु प्रदत्तः कथय | विल्लषन्नोणकक्नोलमालं किं मकराकरम्‌ | ङ्ग यिला wey Taras धनाकरे fa ar रणे विनिभिंद्य शटादोश्वरमण्डलम्‌ | ama सो करोम्यस्था दुष्टो fe खयः fai ar. पाटितदोदंण्डखण्डे रुथिरपिच्छिषः | चण्डिकां asfsatequt तां धनमथये fa ar राजि दिवं शेषव्यापाररहितः खयम्‌ |

षदः WRT | ८९५

खनामि रोषण यावत्पाताखतशसुश्चकेः

हो गिरिदरौ गला सप्राण रसक्रूपिकाम्‌ |

धातुवादबलेनेव दधे खणे यथेच्छया

एवं विविधकक्ञोरेधेनो पाजंनकाभ्यया |

भिचश्षागरवोर्धंए witse बडश्स्तदा

Awe सचिन्तस्य दुषिस्तरलतारिका |

पुरःश्िते गता az मम किंएकपादपे

यावदिनिगेतस्तश्य शाखाया atfaat मया |

प्ररोहो श्मिसंप्राहतः atta कतविस्मयः

तं किंश्कपादपप्रारोहमवशोक्य wat मधामिमवशिदितः

खन्यवादः। चिन्तितं नुनमश्यज् किंचिद्धनजातं चतोऽभिदहितं BUMS | +

areal Sasa met धनवजिंतः |

स्लोक वा waft वा तच ya बिखषपलाश्रयोः

परारोहे wit तत्‌ we तनुक wage ,

राजो च्वशति तद्भूरि safe खण्यमौ रितम्‌

fag aa भवेद्र यदि रत्नानि खख्येत्‌ .

श्रय चोरं ततो SU पोतं चेत्‌ कनकं भवेत्‌

प्रारोहः स्यादु पयेेयेश््ाचेऽधोऽपि तावति

wen निहितं नुनं fare तज्निधागकम्‌

उपरिष्टा्षमुखे्छादधस्तात्‌ एथुखो यदि

प्रारोरहोऽसौ निधिं प्राप्तो विपरौोतद्ध सोऽन्यथा

109

Upamitibbavaprapaiica Katha. Vol. I. Fasc, X. N.S. No. 1149,

={¢ उप्रमिदिभवप्रपञ्चा कथा |

ततो निरूपितोऽषौ मया पशाश्रपादपप्रारोहो यावन्त an. aw चिन्तितिं मया। स्तोकमच दविणं। ततो samt विद्धोऽसौ मया यावन्तं पौतवणे att ततः faa मम ATG यया कनक्ेनाच भवितव्यं ततः प्रेरितोऽदहं सागरे तस्योत्‌ खनना्थं ततो ममो Very ममो धनदाय गमो धनपालायेति मन्तरं पठता खातः प्रदेशो मया दृष्टं Stn MARIA इष्टः सागरः | परिगणित प्रयत्नेन थावत्सहखमा जं | तञ्च मे तेन पुष्मादयन निजवीर्येण संपादितं) ममतु तदा महामोहवश्रात्जातः सागरे Gendt ममेदमनेन अनितमिति भावनया | ततः संपन्नं मे aragreqefafa तुष्टोऽहं चेतसा | प्रविष्टो जयपुरेऽवतीर्णो eat get egeafear चोदितोऽसौ ATMA समागतो मम BAT! रतं सम्भाषण संजाता Ta: प्रसारिताः खेहतन्तवः Tate खभवने समादिष्टा भायां भोगिनौ कुरष्वातियेयमस्मे ततः कारितोऽदहं at परिधापितो कोमशदुकूलयगशं निवेशितो वर विष्टरं भोजितो मनोहारि भोजनं ay सओेष्ठिना याहितः सरसि ताम्बृखं ष्टः सप्रणयं कुलाभिधामादिकं थयावख्ितमेव निवेदितं स्व मया ततः GWA Maar यौवनेन eae सवंथायञ्ुचितो महुदहितुभे- तति संचिनध समुपस्थापिता मेऽपकणितिमकरकेतमवधूरूपविभव कमखिनो नाम कन्यका | waged urfeatse पाणिमिख्धाः | ततोऽभिदहितोऽङहं aguafeat ag खभवभमिदं ते ततो ऽज frafaat agar ae ललमानसिष्टेति सयो तात

वटः TAT | यावज्िजमुजाभ्धां भो माजिता रन्नराशयः तावश्सर्वामहं मन्ये भोगलौ शां विडम्बनाम्‌ ततस्तात दातव्यो ममारेशोऽयमोदृशः 1 WIA Galea Tard व्रजाम्यहम्‌ |

afeatm यद्येवं ततः

we ते ay दुलेष्यसागरोत्तर एच्छया | मटौयधनमादाय Baa धनरजनम्‌

मयोक्त तात यद्येष ते निबन्धो aga गन्तव्यमन्यत्र मया

ततः

We Aas warts तावकम्‌ | vane ्धितस्तेम पणेऽदं एथगपणे

THAN | एवं SR ततः प्रारभोऽइ वाणिच्यं विधातुं तेन सागरो प्रियमिभे प्रतिचणं प्रेथंमाणख्छ मे विवधेन्त मनोरयकललोखाः विगलति धमेनुद्धिः श्रपरति दथाशुता नश्छति सरता प्रभवति wt तत््वबुद्धिः विघटते afee प्रशोयते बन्तोषोऽपोति ततः संगक्नामि धान्यानि भाण्डग्राखयामि कार्पाबतेखल।दिकं सखौकरोमि erat) व्यवहरामि gfe पोडयामि जन्तुषंसक्कतिलान्‌ दारवाग्यङ्गाराम्‌ ेदयामि वनं अच्पाम्यलोकं | सुष्णामि सुग्धजनं वञ्चयामि विश्रथ- कायकं करोम्बूनाधिकं मानोकानेन विनिमयं waa

पिबामि उषत्तोऽपि a ya qyfan: | राजाषपि सुक्षोऽदं धनोपाजेमलोशुपः

cr etna ननि जर पष

9 उपमितिभवप्पक्चा कथया

नेव शङ्गायितं तस्याः कमलिन्याः कचिग्छया | वद नाम्बरे fea धमाधूणितिचेतसा ATT

तावता PMMA कालेन कमलेक्षणे |

तदोनारषहसं मे ary वधेधतः ख्ितम्‌

ततः WIR मे वाञ्का सदसदयमोशने |

तज्ापि जाते जातोऽहं दौनारायुतशालसः

कथं चिन्तश्च soe ततो we मतिगता |

नानोपायेमंया भद्र wa तस्यापि मोखनम्‌

ततोऽपि waeme सागरप्रेरितस्व मे

बुद्धिर्धावति कालेन यसा ae मोलशितम्‌

ततः सागरो शयः कोटौमोखनकाम्यया |

saree at भद्रे निधुश्चानः णे खणे

घा पूर्वोक्रवाशिश्येने afer |

ततः WAT बहृपायास्तस्याः पूरणएकाम्यया

तद्यथा प्रवर्तिता देप्राकरेषु दन्तो सार्याः प्रख्यापिता

मरोदरमण्डलिकाः प्रेविताम्यनैकबो दित्थानि प्रवाहितानि रास- भमण्डलानमि | मिरूपिता भामहवा णिजकाः। wzetat राजकलद्- wen: | कारितानि षणष्डपोषणानि। विहिता धमोपाजेनगणि- काः | खमाजिता हेयदतटृन्तिका विधापितो रषषन्धामविक्रयः | क्रापिता वरकरिरश्रनाः। वापिता fafawefaerran प्रकौ- णानि महेवुकरणानि eae

BS: WRT: | `

मास्ति प्रायेण TRA धनो पालेनसाधनम्‌ UNA शतं भद्रे VATS मया मास्ति मे पातकाग्रदधा तदा क्तेश्रभोरता | Gear वा तोषस्तस्याज्चावश्रवतिंनः अथानेकमदापापेमया कालेन यसा | पुण्योदयथस्य arena कोरिः परिप्ररिता ततः सागरो शयः प्रटन्तोल्छाहसासः | श्रवाप्षप्रसरो नित्यं म्रयत्येव मामशम्‌

कथं | | यथेदं मत्प्रसादेन wae विपुशं धनम्‌ | तथोक्छाहेन ते रन्नकोटयोऽपि दुलंभाः ` ततः संपादिता तेन बुद्धिः सागरश्ठने मम रन्न चलशाभाय देवेरप्यनिवर्तिका

ततः कथितो बद्ुलश्रे्ठिने मया निन्नोऽमिप्रायः तेनाभि-

हितं agi ` 7 oi

थया यथायं पुरुषः पूर्यते wicfernia: | तया तयास्य शरवो विवर्धन्ते मनोरथाः नेव ते विनिवर्तन्ते रन्नको टिश्तैरपि | at हि वेशानरं दौप्तमिन्धनेस्तपयिष्यति तच्छन्तोषः परं Sarasa fags धनम्‌ | ददभेव नियश्नानसिष्टाजेव निराकुलः !

Ham तात मा मेवं वद्‌। यतः।

उपमितिभवदप्पश्चा कथा |

यावन्नरो निरारम्भसावल्ष्ीः पराङ्सुखा | UT तु गरे aa: खिग्धलोखविश्लोचना sifasafa qeer मरं साइसव्जिंतम्‌ | grea विटथराश्या गटहोतं दुभेगं मरम्‌ निर्माण ara योऽन्य दन्तधौस्तं मिरीखते | कमला कुलबालेव afer wear प्रियम्‌ विषमस्थोऽपि at भौरो धनोष्छाहं सुश्ति | TSAI WIIG wat: खयंवरा यो aytfa ध्या धौरो विक्रमेण aaa पद्मा vated तं भो यथा प्रोषितभदेका ag स्तोकां घमाषाद्य weal quia मानवः | तं qeenata मला सा erqiaifaada इत्येवं Wye: पद्मां थो भरो गेव TAA सिद्धोऽपि wane प्रमाबन्धसधिरं तथा तस्मा तोषः arent विदुषा ways | अतस्तातोऽसुजानतु रन्रदोपे गमं मम afeatm ag | पाताखे Rafat रनदोपे wesfa gafare भवेत्‌ पुषः सोद्यमस्येतरस्य तयापि यदि निबेन्धस्तवायमतुखस्ततः | अनुज्ञातो मयावत्छ गम्यतां ay रोचते ARG तात महाप्रषादः। ततो द्यन्ते भाण्डानि उप-

SSS =e + pena नु" Hn sae de

षष्टः प्रस्तावः | ८9,

wan निर्यामकाः ग्यते गममदिनं विचायते शग्रणडधिः निरूप्यन्ते निमित्तानि किन्तेऽवश्चतयः संखयन्तेऽभोषटदेवताः पूष्यते समुद्ररेवः सन्ञौक्रियन्ते सितपटाः ऊर्ध्वो क्रियन्ते कूप- amt: बध्यन्ते काष्ट षश्चयाः सियन्ते अशूभाजनानि आ्रारोष्यते भाष्डोपखछरः विधौयते रणषामग्रो ated तद्धोपगामिनः सांयाजिका इति। संपूेसवंसामय्या सममन्येमेहा धनैः ख्धितोऽदं गमने west हिता भाया fas श्रय प्राप्ते Ua काले शतनिःगेषमङ्गशः | धामपाे खमारूढो भिजाभ्यां परिवारितः wag यामपाजेषु प्रहतानि द्वराणि प्रवादिताः शङ्खणः प्रगौतानि मङ्गलानि पठन्ति पटुबटवः श्राशिषं ददतो भिवतन्त Tan: cara सुक्रप्रियतमाः इष्टविषणो faveita: मनोरयप्रव्णाः wernt इति एवं | पूर चिल्रार्थिसष्गतं शला कालमरहोत्छवम्‌ | SARS Beara स्रंऽपि चलिता वथम्‌ ततः पूरिताः सितपटाः। eferat मङ्गराः। चलिताखावश्यकाः | दत्तावधानाः कणेधाराः पतितानि वतेन्यां धानपाभाणि। प्रद्रन्तो मनो सिमतः पवनः | तत | AAT ATA TS EST AG HAST aa सतयादःषमूहेन संबन्धफेनेन fadegde aria गन्तुं परटत्तानि तानि manta बोदित्यरूपाणि fagrecta तों षमुटेऽज्

ce wufafanqnug! KUT |

रिप्रकारेण टन्ताग्तजातेम ARATE महादौपभुशेः प्रयातानि ताभि प्रमोदेन दषेमिति

ततः समुत्तोर्ण वाणिजकाः ग्टडोतं दशनोयं। दृष्टो नर- पतिः fafeatsta प्रसादः वर्तितं wen परिकलितं भाण्डं दन्ता waa: | विक्रीतं खर्चा weta प्रतिभाण्ड। वितोणे दानं प्रतिभिटन्ताः खकूलाभिमुखं ग्रेषवाणिजिकाः तोऽ सागरेण | उक्र चानेन | वयस्य |

निम्बपनादिमि्धेष waa रल्नसञ्चयाः | विमुच्य तदिदं दपं fa छटित्येव गम्यते

लतः faatse विधायापणं | प्रारभ रन्नदएवा णिख्ं

अन्यदा समागतेका इद्धनारौ | aafafers वस safe भवता ae किं चिदक्रव्यं मयोक्र वदतु भवतो तयोक्र शअख्यामन्दपुरे awl नाम राजा तस्व दे we जयसुन्दरौ कमलशसुन्दरो राच्छसुखलोशतया जाताश्चाताश्निज- SAAN | अतः सा कमणसुन्दरो शंजातगर्भापन्यखेहमोडिता मां awed} ग्टहौला राजौ पलायिता 1 पतिता महाटव्यां t wpm aftan: | संजातो राजिगश्रेषः। श्रषान्तरे ae a wir विक्ुम्मितं नितम्बविम्बं श्युरितं स्वेदनं माभिमष्डलं प्रत्तानि दादणानि उदरद्णामि सम्मितमूङयुगलं विदणलन्ति अङ्गानि ससुदेलितं इदयेन मुङ्कुशिते जोचने प्रदत्ता जम्भिका सतोऽभिहितमनया सखि वसुमति mata गन्तु महतौ से श्रौरबाधा वतेते | मया चिकित हा इन्त किमेतत्‌ ततो

WE: प्रस्तावः | ८७

शकितं मया wa प्रत्यासश्नोऽस्याः प्र॑सवसमयः ततो धौरा भवेति aga एव मम ङु्वत्धा स्तत्काणोचितं कमं वेदना विशा द्रार्॒चत्य पतिता खामिनौ तचे तस्िंखेतसेतखच Bearer करणानि afd प्रत्ना जिगंच्छति योमिद्दारेण दारके fagar ara: निगेतो दारकः ततोऽहं मन्दभाग्या तं तादृश टत्तान्तसुपलभ्च वञ्ाहतेव भौतेव विलचेव नष्टसवेस्ेव मूर्िंतेव म्टतेव यदग्टहोतेव saat शूल्यददया भने कि करोमि केवलं विशपित्‌ प्रडृन्ता कथं

डा देवि ff a are fa safe सृप्रिये।

जातस्ते तमयो fee: पश्येम qWewtreat

यस्यार्थं खुन्दर cree भर्तारमतिवन्छखम्‌ |

हिला कचित्‌ same wid तं सुपुजकम्‌

हाहा इतास्मि देवेन गाढवेश्रसकारिण |

येन dufeat ae: खामिनो निपातिता

हाहा I eM ते यत्ते रचएतत्यरा |

मातातिवत्छद्ला areal जायमानेन घातिता

किलेषा पुचसौस्यानि mea त्यक्रभका |

यावदौदूक्‌सुखं मातुस्लया ae विभिमिंतम्‌

एवं wear एव मे विभाता रजनौ समुद्धतो दिबकरः |

समागतस्तेन पथा साथः | TSE प्रलपन्तो सार्थवाहेम संख्ा- पितानेन yet oar: कथितो मया वि्ितोऽसौ vee

मया कं यातव्यं भवता | तेनोक्र बेलाङरच प्राप्य बो हित्येन 110

ces उपमितिभवपपश्चा कथा |

Taare यास्यामि मया चिन्तितं wat मयास्ति Taal? कमशसुन्दर्याः खहोदरो नोशकष्टो राजा तदेनं दारकं भागि- नेयमनेनेव सुषा्यैन गला aa मातुलाय समपंथामि ततः समागतां तेन धरणेन सायेवाद्ेन साधमिमं दोपं दारकलद्ेन प्रतं मे स्तयुगलं वर्धितोऽसौ aceasta दभितो गौलकण्डाय कथिता कमलसुन्दरोवारता | जातो नौोशलकण्टस्य विषादगर्भो ve: प्रतिष्ठितं दारकस्य हरिरिति माम श्रपिच। वर्धमानः maurat जो वितादपि वल्लभः भागिनेयोऽस्य संपन्नो नोलकण्टस्य शपतेः ततो ग्राहितः कलाकलापं संप्राप्तो यौवनं संजातः सुरक्मारा- कारधारक शति कथितञ्ास्य मया पूवको टत्तान्तः | श्रुतश्च तेन भवाम्‌ यदानन्दपुरादागत दति। ततो वच्छ दरिङ्ुमारो भवन्त uma मला द्रष्टुमभिखलषति | ततस्तत्समौपं गन्तुमहेति वत्सः aw यदान्नापयत्यम्ना ततः षडह तया वसुमत्या गतोऽहं इरिङ्ुमारसमोपं | cet भिचडन्दमध्यगतो हरिङुमारः | विहितो मथा पादप्रणमः। निबेदितोऽहमखमै वसुमल्या ततः aM तुष्टात्मा मरौ तिविस्फारितेकएः | mealies मां खोये स्थापयत्यधेविष्टरे छक्र चानेन भद्र wag कथितस्तात वयस्यो दरि शेखरः | ` मया तस्य समुखं fawat जनवातेया .. ततो भातासि मे भद्र wat जौषितं तथा।

WS: प्रस्तावः, Sou

संपन सुन्दर चेदं यदचागममं तव HAM |

देव श्रुतो मया सर्व Tare: कथितोऽन्बया |

अत्यादर श्त्यलने देवः कतुमरति

यथानुजोवो तातो मे aw केषरिण्डपतेः |

तथाहमपि देवस्य किङ्रो माज संशयः

ततो गाढतरं AE: Hal AAA वचः |

हरिः कारयत्युचर्भिागममदोत्छवम्‌

ततो हरिङुमारेण साधे मिभ्रसषमायुजा |

WaT मे तज Near यान्ति वासराः अन्यदा AANA वनमराजिविग्रषणः |

TANITA वसन्तः बसु पागतः #

ततो हरिङ़मारोऽसौ गरौला मिचमण्डखम्‌ |

बभमोति मथा युक्तो fege: काननियम्‌ .॥

श्रथ चूतवनं प्राय प्रकूजत्कछको किलम्‌

सडितो मिचदन्देन निविष्टस्तब लोलया . `

यावश्लरा विोर्णङ्गो रोद्राकारविधारिणौ |

श्राग्ोर्वादं कुर्वाणा त्रतिनौ काचिदागता

अरय प्रणामसम्भाषेः कुमारेणाभिमन्दिता |

सा दशयति सानन्दं चिचविन्यस्तकन्धकां

तां चापयिला षा प्रौढा गाढदर्ितविकरिया ।.

कुमारभावं पश्न्तो aaa स्तिमितेचणा y

cog , wafafararTg! कथः |

aa: garcatfen खविकारं विशोक्वं सा

ब्रजामोत्यमिधायोचेः शोत्रमेव विनिगेता

कुमारोऽपि तां षश्यल्लग्ररीरश्ररोरितः

विकारकातरः सरवँवंयखेरुपलवचितः

aa: |

GT BRITA चणं we प्रकन्यनम्‌

चणं स्फ़ोटिकादान चणमव्यक्रभाषणम्‌

खण दोष्णः श्वास णं करधूननम्‌

मुडकमुंखचिजगतां तां वोच्छ कुरते eft:

we सोरमुखोऽत्यनं विस्फारयति लोचने |

शणं निष्यन्दमन्दाचः खिग्धचचभिरोखते

ततोऽभिडहितं स्मितबन्धुरं warn) कुमार किमिदमाद्मगत-

विविधरारमप्रकटितकरणणङ्गहारं नरोनृत्यते ततः रतमा- कारखवरणं इरि श्रभिदहितमनेन श्रो रश्ितोऽहमनेन fee- करकौशखेन। तथाहि अच सुविशद्धा रेखा संगतामि षणानि छचितक्रमा वणेविच्छिन्तिः परिस्फुट भावातिश्रय इति दुष्कर चिज भावाराधनं तदेव चाभिमतमतिविदग्धानां। we चाच mad: परिस्णटो दृश्यते धस्मादुपारूढयौवना समदना चेयमाखि- fam कन्यका acat सम्बन्धिनमसुं भावविग्रेषमनिषेदितमपि जयन्ति बालका श्रपि faga facie: | तथाहि |

खाव्छमुद्धिरन्नौव मो द्धिभस्तभच्चुका

एषा प्रोदामतारू्यमात्मानं HTT

षषः प्रस्तावः | <७8

छसामितेकभूभक्गलोलामन्ध रितेचणा

मन्दं निबेदय्येषा वचनेरिव कन्यका

ARMA: सरवक्राजवन्धुरा |

विभायतेऽतिखोश्ालौ वन्तौ मकरध्वनम्‌

तदनेन केन चिञ्िषकरेणालिखतामू कन्यकां जनितो मे

खेतद्यमत्कारः। खितभिदं मनसि मे यथा मास्तौदुशरमन्यस्य जगति कौग्रलमिति | मथः प्राह wnat किं सत्यमिद पद्म केसरेणोक्र। सखे सत्यं केवलं विचिचर्पाः प्राणिनां fea ena: ततो मे चि्रकरादपि faa कुशलतरोयमेव कन्यका प्रतिभाषते | खलितेनोक्र' सखे किमनया विहितं afe- चिज्रमवश्ोकितं भवता पद्मकेसरः प्राह बाढमवणोकितं | विक्षासेनोक्ः सखे वणेय तत्को शं पद्मकेसरः प्राह यदनया कन्यकया VARIN दुलेष्यमम्बरषरौणामराये किन्नरोणां असाध्यममरखुन्दरौणं श्रविषयो गन्धर्वादिपुरमौणं मदनातुरा- Wale सत्वेकशारमपहस्तितरजस्तमो विकार कुमारमागसं fas विन्यस्तदूपयापि earn carn कन्यकया चिरं वितं तच्च मयेव केवलमवखो कितं किं तरद स्फटतरं भवद्धि- रपि। विभ्रमः प्राह नश्वाखयेभिदं कथं चिचं पद्मकेसरेणटोक्ं | ननु मूखेचडामणे श्राश्चयेमेव चिबश्ब्दगोच्यते कपोलः प्राह कथमिदमवगतं भवता यथा कुमारमानसममयावगाडितमिति | पद्मत्रेषरेणोक्षं गतु वढरशेखर किमिदमेतावस्माज्रमपि जयसि ताहि |

coc उपमितिभवप्रपञ्चा कया |

नो ङङ्ारादयस्तावद्धवन्येवं परिस्फटाः | भद्र कल्लोलका यावन्न चुग मानं सरः | यदि मदचने प्रत्ययो भवतस्ततः कुमारमेव प्रच्छ्‌

येन परिस्फुटौभवत्येषोऽचेः हरिङ्मारोणोक्षं सखे पद्मकेषर श्रलमनेनासंबद्धप्रल्ापेन | पठ तावत्किचिशारप्रतरोत्तरं ततः सदहाषममिहितमनेन | बदाज्ञापयति कुमारः | पठितं

पश्यन्‌ विश्फारिताकोऽपि वाचमाकणेयन्नपि |

कस्य को याति मो रक्तिं किंच संखारकारणम्‌

हरिङमारेण तु तया चिजोपलधकन्यकथापइत चिन्तन दन्तः

wat Bet: पदाकेसरण चिन्तितं नेदं प्राः अम्यगवधारितें कुमारेण | ततः पुनः स्फुटतरं पठामि पटितमनेन पुनदत्तो इरिङुमारेण Wa एव SRT | ततो लकितं पड्मकेषरेण यथा शन्यौशतद योऽयमनया विचकन्यकया ततो ₹दितभनेन | जिङूपितामि wae: fami परस्परं वदनानि तदालोक्य प्रत्यागतं हरिकमारस्य चित्तं। श्रमोभिरणाकलितोऽहमिति संजातोऽद्यामिमानः। aya: शुविकल्यः विडितोऽवष्टम्भः संपन्नो दत्तावधानः | प्रवतितो faa: ) ततोऽभिहितमनेन मा दस संखे पुमः पठ पठितः पद्मकेसरेण पश्यित्यादि पुनः प्रस्नः ततोऽनम्तरमेव इरिक्मारेणेपलममुत्तर | उक्रमनेन | ममल fafa विदितः पड्मकेषरः युनरन्यत्पटितमनेन |

कस्या विभ्यद्भोरने भवति सङ्खगमलग्परमनसकः |

वाताकन्पितटचा निदाघकाले कौदुखाः

षष्टः प्रस्तावः | ` Sod

हरिङ्ुमारेणोक्तः पुमः पट परितं पद्मकेखरेण fafa wate हरिणा ददमचरोत्तर दलनायाः ततोऽरद्‌ शेनवासित- मतिनाभिदितं विलासेन कुमार मयापि fated किचि्मश्नो- न्तर | हरिङ्कमारेएेक्र 92 पठितं विलासेन | कोदृाजङ्कलं विषोदति विभो नश्यन्ति के पावके बोध्यं काननमच्युतश्च बहवः काले भविव्यन्धलम्‌ | कौौदृचाश्च जिनेश्वरा वद विभो कस्यै तथा रोचते गन्धः कौदूशि मानवे raat भक्रिनं संपद्यते हरिकुमारः we दृदिदं बस्तं wad श्रतो भ्रयः WEA पठतु भवान्‌ पठित विलासेन faze eftar | दद मजोत्तरं श्रकुशलभावनाभावितमानसे हसितं विभ्रमेण | कुमारेणोक्तं | भद्र किमेतत्‌। विभरमेणोक्र कुमार चारू विहितं भवता यदस्य विलासस्यापनोतः प्रश्नोत्तरगवेः शयथमिदमस्मा- भिरासौत्‌। ततोऽयं गविंतोऽश्दिति विलासेनोक्र ag केवलं मम किं तदं निरंलयति aaa गवं Gare: | पठल्न्योऽपि येन यत्कि चििन्तितमिति | मन्मयनोक्र कुमार मया ख्यष्टान्धकदयथं चिन्तितं कुमारेणोक्र सयटिति aware: पठितं मन्मथेन | दास्यसि प्रकटं तेन ग्टज्ञामि करात्तव। frafaafea काविद्धिचु्ण खलष्निता किल तया करोति कठिनो राजन्नरोभकरघटनम्‌ | विधत्ते करवालस्त निमूलं शचुसंइतिम्‌ - .

८८० उपमितिभवपपल्चा कथा।

ततो विदस्योक्ष इरिङ्ुमारेण ) प्रथमं तावदेवं aaa | दासौ श्रि गणिका भवसि तेन कारणेन तव इसाद्धिशां गटह्ामि | me स्फटसेव दितोयस्य पुनरेष भङ्गः करो ₹इस्तो- ऽतिकटिगो गाढनिष्टरस्तव हे राजन्‌ श्ररौभकटघडृनं शरचुकरि- sureare विधत्ते get तथा awe निर्गूलां ्रभुरंहति विधत्त इति सम्बन्धः waa श्रो gate प्रश्ाति- श्रयः tay तस्मिन्नेव चे मथापि चितं गूढचतु्ेकमेकं जिवेदितं इरिक्ुमाराय | anager पठितं मया दुत विश्ठतिः सर्वसामान्या W शौय जपा मदे शत्य यस्य खतः प्रश्ना विचिन्ध हरिकुमारेण way इदये। तुष्टञख्ेतसामिहितमनेन। WY शख धनगेखर ay चाड विरचितं गडचतुथं' भवता ततः समस्तेरभ्यधायि | कुमार कौष्ग्रोऽखय ATS: पादः कुमारे we) “area: ग्ढपतिः"दति। एतदाकण्छे fafa वयच्याः कपोलः प्राह मदोयमपि गुढचतु्माकणयतु कुमारः वद saan रिणा पठितं कपोलेन | भाषः WAG यः समो रोषवजिंतः। तानां गोपकोऽबस्तः 1 तदनन्तरमेवोक् इरिकुमारेण “ख नरो ate” | कपोलः प्राह | मादृश्रामिदं gaat केवलं कालविलम्बोऽग्धन्न पुमः कुमारस्य | set स्वच्ाप्रतिहतश्रक्रिः कुमारस्य बुद्धिभरकषंः | गरेषेरमिदितं। एवमिदं नाज सन्देडः

Re: प्रस्तावः | ect

एवं लावधानद्छ इरेः प्रभ्रोत्तरारिषु |

a चिचकन्यका ag बिखृतादोन्नदा wart

श्रय पारापतं Tet गदिश्छाश्चादुकारिणम्‌ |

सा कन्धका पुलशधित्ते तस्य wie समागता |

ततः प्रदौप दव रतरपवनोत्कशिकया pe इव WaT

महाशिणया दरिद्र इव निभङ्खुटुम्नभरणएचिन्तथा मानधन va परपरिश्त्या श्रविरतसम्यग्डृष्टि रिव संसारभौरुतया उकादेव सेति विवतेमानया तथा माढमादूषितोऽखौ हरिङ्मारः | ततश्च

वदडिव्यांचेपनियुकः सोऽसाभिषत्परायण्टः |

utile wraares: warea जिरोचितः

ततो wate कुमार किमेतत्‌ कमारः प्राह सखे

wnat नागतासोखे fatter राजौ निद्रा तथाध्ापि मे मनाक्कणकण्णायते BET) तदेते गच्छन्‌ म्मयादयोऽचेव वा ade विहरण्तृ लमेकोऽच मे Waal भव याच प्रविश्य चन्दनखताररहकं तावन्निद्रामासादयामि | wate यादिग्रति कुमारः | ततो गता मखयादयः खितोऽह प्रविष्टो सताभ- वने क्मारः facfed मया भ्िज्जिरपह्नवश्रयनोयं समारूढो ऽसौ | तजर मन्छक दव दक्तरेकते TATA लभते Tha | ततो fafea मया कोनलमासनं | उपविष्टो इरिङ्मारः | तच्ापि wfrwarfucntaaw< इव प्राप्नोनि gearfaai | ततो acme: aera ae यावता तष्पमि डुच्छतेऽन्तखापेन स्था

111

उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

Git नोपविष्टोऽसौ atat भ्रमणोद्यतः ` सुखमाप्नोति दुःखार्ता नरकेष्विव नारकः एवं रन्दद्यमानसख्य दरेमेदनव्किना | लिता महतो बेला शोतलेऽपि wary कुद्रहइलवशान्तचच प्रच्छनेमऋयादिभिः स्थिते गिरोचितं स्वे कुमारस्य विचेष्टितम्‌ tt श्रजान्तरे पूत्कुवेन्निव नामेदं कामस्तापाय देहिनाम्‌ | मध्यासमये दौः शङ्खनादः समुत्थितः ततः सवंऽपि स्य वयस्या Awe: | निनौषवो eft Te लतागरहमुपागताः

| AAG: VARTA |

गम्यतां भवने देव wanet वतेतेऽधुना

क्रियतां देवपूजादि aaa दि वसोचितम्‌ tt हरिकुमारेशेक्त `

यात थात ze ad विसुच्य धडशेखरम्‌

अहमप्ागमिग्यामि यावच्छाम्यति वेदना

गाढं मे fare: शखमन्तस्तापोऽभिवधेते |

अतोऽ श्यातुमिष्छामि Tass was

तच्च vata शवां तस्यान्तस्तापकारणं |

तथापि केतवाम्मिचेरित्थ' sea: प्रवतिंतः मो भो कपोल निपुणोऽसि लमायुर्वेदे तज्निरूपव किनि-

TS: Wes: | |

भित्तकः खस्वयमोदृश्ः कुमारस्य श्ररोरविकारः को वाख प्रश्मनोपायो भविष्यति कपोलेनोक्त एवं भो तावद्‌ वे्क- Wea पद्यते | यदुत | ara: पित्तं कफथोक्रः शारोरो दोषसङ्गहः मानसः पुमरुदिष्टो रजश्च तम एव ततः | marae: पूरवो दवयुक्रिव्यपाश्रयेः। मानसो श्नानविन्नानपे्यसमृतिषमाधिभिः अन्यश्च | Be Wint wa: qawetse fae: खरः | विपरोतयरेद्रयेर्माङ्तः संप्रशराम्यति [सखदमुष्ण तो हणं xT रसं पटः विपरौतदरैः पिन्तं saci प्रशाम्यति ॥] गरुशोतगदुखिग्धमधुरललच्णएपिच्छिलाः | awe: प्रतिं यान्ति विपरोतगुणेगेष्णः सखादुरब्लोऽय waa: aan एव कषाय दति Gets रानां ङ्धन्हो मतः तच , कफं खादब्धलवणाः कषायकटुतिक्रकाः | जनयन्धनिल पित्त कड्ब्शवणा रसाः ALIA वायु कषायसराद्‌ AMAT: | जयन्ति पित्त Bure कषायकटुतिक्रकाः

+> > पमितिमषप्रपश्चा कथा |

[आले wowace: स्पदिदग्बे धमगन्धता | विषमे may रघगरेषेऽश्दे षिता रामेष वमनं कुया दिदग्धे qraa freq fasal खेदनं कु्याद्रसत्रेषे तवा खपेत्‌ 0) अन्यच्च | | अरजोणप्रभवा TTT चतुविधम्‌ | ara विदग्धं विद्धं tend तथा परम्‌ एव fea यथां garcernenrverarstufiact wed | विदग्धावसख्ां गतेन fe तेन चोभितमस्य वायुना शितं पित्तं ततो अनिनोऽक्यन्नष्ठादः विहितं शख यत एवं पद्यते युके जोति NGA AT wee wea TTT waft yas ateatnea विभभेो सखे कपोख wee afd भवता वेदयेम War निरूपयता रोगनिदामेवसुपलम्धध्यं श्रारिन श्वातुरस्य समुपणलचणोया प्रततिः watetep शरोरडारं fre aaa विज्ञातव्य प्रमां. wefeaa woe वेदितव्यं en मन्व्याहार- शक्तिः बोद्धयं यायामषौष्टवं परिकणलनौयं वयःप्रमाशमिति | न्यञ्च Ses प्रकोपं प्रषरं खाकहंग्रयम्‌ | afwuaty चो वेत्ति cterut ferret VATA दोषा wa गो्लरां ahaa |

षष्टः Wes: |} =="

ते ang गतिषु भवन्ति बलकराः तचा gare fafearetfed | केयलसुदारसुखत्वा विहितः कुमारशरोरविकारभिर्देशः कपोलः प्रा बसु RAAT एव कुमारस्य सम्बन्धिनो जे प्ररूत्यादयः | संश्यादयोऽपि ctarei wre हव तथाहि | सौ श्रादोराज्वथसाम कोऽजो षट सा जिशः | कफष्तरादो तन्मध्ये पिन्तं कुषेच्छरद्यपि Twa vice fade प्रारृडादिषु | उयप्रकोषप्र शमाः wae जिशिरारिषु हेमगजिभिरो तुख्धौ भि शिरेऽस्पं विरेषणम्‌ | ख्रमादानजं शोत मेचम्मरुतमबकम्‌ swat परिस्फुरति मम wea सवंभिदं कि बङकाशोचि- देम श्रजोणेविकार एवावं gence ततोऽहो विमूढवबाख कयोणस्येति fanaa दशितं eigate) वचस्येकं | कुमार किमेतत्‌ gate. भो भावितोऽहमस्म autos मूखेतथा | मलः समुद्धूतं मे धारयतोऽमि wad Tyawtetw | कुमार बष्ाप्रसदः | fag नः समोडहितं तथाहि कुमार विनोटदाथं मभस्तापज्न्तये ददमस्माभिरारथमालजाखप्रभाषणम्‌ | यतः चिन्तेदेगनिराखाथं सुरां तोषट्डषे | तज्राः प्रइ्षन fea gaa विचचखणाः

std उप्रमितिभवपप्चा कथा |

भेषजं पुर निमृखोच्छेदकं भवतो विकार्य यदि परं ैव परिव्राजिका विज्ञास्यति सपादयिव्यति वा नापरः वतदिधौयतां कुमार तस्याः प्ंषणमल काश विलम्बेन | कुमारेणोक्र | पद्केखर यत्वं जानासि तदेव कियतां aaNet: प्राह aga तरिं कस्तटन्वेवणयं प्रहोयतामिति ततः गेषमिचेववविश्वासात्कुमा- Tu धनग्रेखरः प्रथाप्यतामिति wate महदाप्रसादः |

ततो निगितोऽहं गन्त प्रटृत्तो नगरामिमुखं इृष्टान्तराले सा परिव्राजिका विहितः प्रणामः vere भगवति कोऽयं सिबपद्विकाटत्तान्तः का सा कन्यका किमयं चोच्चलितासि। तयोग श्राकणेय af तावस्मलयुषस्येव प्रविष्टा कणएभिकायं Try चेव भौशकणष्डनरपतेरस्ति शिखरिणौ नाम महादेवो प्राप्ताहं तस्या भवने यावदृष्टा मया सचिन्ता aereal समुदयः परि- करो fave: कन्यकाजमः पर्याकुलाः कश्चकिंनः श्राणौर्वाद- मुखरः स्थविरिकालोक इति ततो मथा चिन्तितं। हा विमे- तत्‌ उपषपिता ग्िखरिणौ विहितमाग्ोदानं शतस्तया मे शिरःप्रणमः दापितमासन उपविष्टा श्रभिहितमनया | भगवति qa aaa तावदियं भगवत्या मम जौवितादपि AMAT मयूरमश्नरौ वसा इथ चाद्य सूर्थादयादारभ्य केन- चित्कारणेन शमध्यासिता चिन्तया ग्टशोता रणरणकेन सखोशता रत्या प्रतिपन्ना दिकारजालेन श्रङ्गोरृता शून्यतया श्वष्टभा महाञ्वरेए | परित्यक्रमनया राजकन्योचितं करणीय करोति waged परिबतयति राचवस्तलाणएि। zetia

aS? THE | <e98

wuurfa विदधद्यङ्गराग। समानयति ताब्बुलं प्रतिजागतिं खयमारोपितं बालारामकं सम्यानयति वयस्या- जनं न्‌ संभालयति शकसारिकागणं ललते शोखाकन्दुकेन श्रालिखति विद्याधरमिथुनानि प्रशोकयति सारखयुगणानि | धावति पुनः पुनर्दाराभिसमुखं। निन्दति सुशसुरस्यटाक्रोरा- त्मानं | रुष्यति निष्कारणमेव सछोजनाय ददाति varia प्रतिवचन कि बहना उन्मत्तेव Waa शताविष्टेव wer | मयूरमश्चरो TET चएणदन्येव संखिता तत्कथय भगवति-निपुणासि a निमिन्तश्रास्त-कि पुनरेषा चिन्तयति way) wed तदभीोष्टं ag वा कियता वा कालेनेति मयोक्तं एषा निरूपयामि ततः क्रष्टुमारग्धा मया Via) न्यस्तं सिद्धिरिति wi श्राशिखित खरखतो वदमं। विन्यस्ता ध्वजादयोऽष्टायाः | विरचितं लारोडदयवतिनौ कौैटिलमोमूजिका- चयं व्युष्टा विगणव्य विगणय्या्टकाः। पातितमलुकमं तच्छषानु- सारेणाङ्कबयं | ततोऽभिहितं मया महादेवि समाकणेय | व्वजो धृमस्तथा सिंहः श्वा बलोवदं इत्यपि खरो गजेश्रो wiey were: परिकौतिताः a एतेषां चाष्टानामपाथानामष्टविधे बलं भवति | तद्या + कालवासरवेलामां FRAGA | नचचग्रहयोखेव निसगेवलमष्टमम्‌ AWA महादेवि

tte उपमितिभवप्रपञ्चा कथा।

ध्वनः VTBAT wate: प्रस्युतेऽज AUTH | समापलाख्यो हयाथाेषां बुध्यख VHT प्रथमाज्च्रायते चिन्ता दितोधासु ney द्रतोयात्काशनिर्दश कुर्वादाथादिति अतिः तब | श्नि ध्वजे इषे चेव Mahe प्रकोतिता ! सिंहवायसयो मखं धातु धूमेभराख्भे श्रतो ध्वजस्य प्रथमं पातादिधं मयुरमश्चरो ART जोवं चिन्तयति कालवेलादिभिख श्यामि तमपि भोवं पुरुषं तमपि राजपुजं तमपि इरिनामकमेषा चिकयति तस चावश्यं भावौ लाभो धतो धूमस्योपरि चिपतितोऽज रासभः तज सेवं aad | खानं खाम॑ कुरुते रासभो ध्जधूमथोः ` सिंहस्योपरि ara भोः शेषेषु तु मध्यतः qa तु काखतोध्येव writ भविव्यति यतोऽ स्तयो निपतितो wie: तज चेदुक्तं apace माखो टषम्िंद्योः | पः शरवो कयो धमवाख्थोदिंगम्‌ ततः संजातप्रखया चिन्ामिर्काटजेन इष्टा प्रथासकेष्टजामाद- aria निपतिता मह्वरष्योः शिखरिणौ प्राह भगवति महाप्रसादः। सत्यमिदं यदादिष्टं wera; | afer fe a Tera मयुरमश्ज्याः Tawar aaa | AI दुटोऽनया

षष्टः AT ७८६.

खर्योदयसमये भिचदन्दपरिकरितो लोलादखन्दरसमुद्यानं . प्रति yaw हरिङ्मारः। चिर विलोकितो .शोललोचनया agar: मं कथविहृष्टिगो चरमागता तस्य वा मथुरमश्चरो ततस्त- दभिलाषेण दुभेगताश्ङ्या चात्मनसत एव चणादारभ्येयमोदृष्यौ- मवस्धां प्रापेति तदिदं ज्ञानालोकेन थथावश्लो कितं भगवत्या तथा भगवत्येव करोतु वेन सह वत्सायाः समागमभिति। wan यद्येवं ततो निरूपयामि तस्य कुमारस्य कौदृ्ोऽमिप्राय दति। महादेवो प्राह यत्व जानोषे किंमच वयं ब्रूम इति ततो fare किखिता मथा तथा चित्रपरिकायां मयुरमश्नरौ | गता Margera दृष्टौ दरिङ्मारः | समपिता fea- ufsar | frefadisa भावः जचितोऽय साभिलाषः ततः. fag भः walfed verfa यदतः प्रर aaa महादेवोमिति चिन्तयन्तौ wha ततोऽपकरान्तादहं निवेदितं महारेव्ये। यथा gfewa मम वतेते इरिङ्कमारः तत्कथय किमधुना क्रियता-. भिति तदाकश्ये इष्टा शिखरिणौ दुहितरं sare ag मयु रमश्नरि सभाक्णितं व्रयेदं भगवतोवषनं qa इदयवल्भ इति | मथरमश्जरो ATE आरः मातः किंमिल्येवमालजाखेन at विग्रतारथसि ततो are: संप्रत्यय इति कि काशरेपेणेति कथितो महाराजाय गिखरिष्या खमस्तोऽपि व्यतिकरः ततो- ऽभिङचितो गोलकण्टाय मयुर सश्जयां वरो इरिकुमारः | ततस्त- दानयना्थेमहमेव प्रहिता ताभ्यामिति तदेष ag चिजपटिकादट-- कान्तः 1 एषा सा कन्यका एतदयं वादमुखलितासि मयोक्तं 112

४9 उपमि जिमनबप्रपश्चा BUT |

भगवति किं Gere करे तव Hae बन्धुखलोक भद्र मचू- रबश्वरोखदखजिखितं चिजमिदं मोक | किभयेमिद aha भगवल्या | WAAC मा RATT भदोचववनादपत्यवः SGM: खभावद्शकमेतत्‌ मयोक्ता चार्‌ विदितं wera दन्ता BATS प्राणाः | ततो मचा afenr गता वा इरिङ्खुन्रा- wand) निवेदितं comed बरन्धेश्रया कथितो प्रयामि तन्निवेदितः अमस्तोऽपि emai aga इरिद्मारः ततः श्रमर्षितो बन्धुखयादौ दिपुटशचवतिंत्धिभपटः afrare निङूपितो इरिङमारेश चावहृष्टना खिखितनेकपुरे शकिभिकौ- SMO वपंकनेक शरलच््ममाणेष्छ लिक्रापदकोरतुरूपचा सकारेण yeacuan जिशोन्नतवरिभागेन agin दवकक्रशाप्रेल gf wmaraaacenafarageua बनिन्दुधरतिन्या श्रमिनवच्ररणेद्यु- कत्रा WE द्ेत्फुवडहणटिकं समार्टपमातिवन्ध्रोकलतवा- हिति निने विद्याधद्मिथमकभिति i इष्टं तालादि fanfae fergie wy 1

प्रियतभरतिदित्रो दसंमाव्रश्वरभस विश्लाब्रलाणिताः.।

क्ततमहो अवन्ति ननु ANT कगतोह TAT: #

AAAS ARTS TITAS SNM AST SAT: |

quicanermepepafa uae चचा

तत्तो facifed राजतन fata frevege अवक Tar दबक्षोषितेव ववक्ञतिका fends लशिगिकाः दिगकदकद- निकर षितप्रभेव wafer धछल्यो रितन्धानेन्न yatta

ee _ -- = =

वष्टः प्रस्तावः | ०९९

farsedaa wafanr शर्वंथा गतच्छाया शओोकातिरेकपरिद्बे- शाङ्गो aware शिखिता रानसिका दृष्टं चाधस्ता- fafeafad तखा दिपदौखण्डं reer | इयमिह निलकशद थयल्लभतर द्‌ वियुक्दशिका तदगुखरणब्वेद विधरा बत शुष्यति राजहंसिका रखितमभम्तमपरभवकोरिषु दुःषदतरफलं चथा t पापमसौ गितान्तमसुखासुगता aaa वनाः ततः खितं efeqarce दये धया wet cian: wine अहो रसिकल्ं wet सारयाहिता wet शद्धावापणं अरो मयि दृढाङुराशः | तथाहि विध्ाधरमिथुनादुलेखभेन दितो ऽनया सखाभिलाषातिरेकः | राजहसिकाविन्यासेम मकटितमभिणल- षितवस्छपरास्िद्तमात्नि 2ai भावदानेनेव परिष्करः दिपदौ- व्ण्डदयेन पुन्नितरां परिच्छरौरुतोऽयनेव भावार्थः ततो द्वितो aanetat चिषपटः। तैरभिदितं। हमार गला संधायेताभिथं वराको राजचंडिका we निथमाण्योपेखि- wer) @artate | एवं मवतु ततो गताः waste शाजवदने दन्ता Wawa मोणकष्ड- राजेन इरिकुमाराय RAAT lam भदगर vent faar- CaN: HTT: | मधृमलतभिधूकिंतभ्रिजने बडलाकथथेश्टितदसभनः Geely विद्मयतेषकरो WANT TTT: लतः परजिता देकगुरवः सक्माभिताः सामन्ताः पूरितः

TER उपमितिभवप्रपश्चा कया |

प्रणयिवगंः स्वरितो राजलाकः तेाषिताः seas इतसु चित~ करणीयं | aut विवाहानन्द इति। अय तां tence जोवितादपि aqua | मथूरमश्जरों प्राप्य भायां सर्वाङ्गसुन्दराम्‌ ti इरिभिंजटब्देन परिवारितविग्यडः | waar: परां ख्याति रन्नदोपे तदा मतः WIAA लकण्टस्य परिवारः सबान्धवः | TUT: संपन्नो हरौ भरिगुणणेत्करे अन्तःपुर पुरं लोकाः WW राजमण्डशम्‌ | माचा इरिकुमारश्य जायते तोषनिभेरम्‌ दतख | ममाग्टरोतसङ्ते इरिः खहनिभरः | वियोगं quaaa नेच्छत्येव तदात्मना मम पुष्योदथेनासौ जनमितस्तेन मोखकः | सद्भधावख्ेशसारे वयस्येन महात्मा तथाहि i तेन ay तिष्ठतो मे निरुपमं विषयसुखं देवदुखेभा विलासा विशिष्टजनस्यषणौया गोष्ठो वधते प्रश्ञातिश्रयः शसु- wafa शोके amaze: संपद्यते गौरवं | तथापि प्रेथमाणस्य सागरेण चे खणे | मम लातास्तदा भद्र विकश्या मनसौदृश्राः यदुतार्योपाजेनचतिहेतुरेष मम रिकुमारसम्नन्धेः। GAT मे ग्रहगोघरः। wares: पथैप्थितोऽयं छतोऽहमात्ने

-~ अक -~ ~~ -- र~ - ` -= 7

=^ ee

WE: प्रस्तावः | TER

faquaaacsta efter. विठपितास्ते मयेहापि प्रापे नाभौष्टा रन्नरषश्चयाः तदिदमापतितं चद्गौयते शोके uaa | रासभः किल wate: Git सवंसुखाकरे | arawarta संप्राप्तो रजको दामदस्तकः तथाहि | fafan: किल साच्यामि रत्नसद्रगतसुखकेः | यावदचापि संजातो fantse मिचशूपकः चेषोऽधना सर्वथा परिहतं शक्यो यतो राणपुजोऽथं we Wy दष्टः सवखमपदरति | तसात्‌ ` कचिदत्यन्तदूरेण कचिदासन्नवतिंना | कचित्छामान्यशूपेए वर्तितव्यं मया सदा रल्लोपाजनतज्जिष्ठः खायेचति विवजंकः | इरेरपि afexen afta चिन्तरश्नमम्‌ ततः शतं मया यथा चिन्तितं मोलितो रन्नराशिः। तज मूतः करोमि विवेकिलोकषास्या नामारूपा fae: तथाहि तानि रन्नानि मूरा विह्लचेतनः | कचिदिस्फारिताचोऽदं सपश्यामि पुनः पुनः कचित्स्युश्रामि हसेन सुडरच्छालयामि कचिद्चःस्ले दत्वा इष्टतुष्टो भवाभि निखनामि afaxa aga चिद्कश्रतानि दृष्टः केन चिदित्येवसुत्खनामि पुनः खणात्‌

tee उपमितिभ्वेप्रपश्चा कथा |

निशि पुनरन्यं लाञ्कितिप्रतिशाञ्डितिम्‌ |

war निरी खमाणस्त निधिं तिमिं eta:

अविश्वासान्न मे राजी निद्रा fa दिवा सुखम्‌ |

धने qfenfwne भद्र ameter

ततोऽनौराभ्तशा गना कचित्पश्चामि ते इरिम्‌।

तिष्टामि waa गेहे रो पाजेनशालुपः

चिन्तयामि carte दोपे ares कानिचित्‌ |

यद्यहं arte सर्वाणि wetter धामि पशनम्‌ एवं तिष्टत cage तदा मम

भद्रे योऽन्योऽपि संपन्नौ ware निरामयं

था क्मपरिणणमख भशारैवी पुरोदिता |

सा काशपरिषत्यास्थां प्रसिद्धा yaa

तस्या GER लेमे erat यौक्नमेषुनौ

अत्यन्धरकिवते ux कचिरेवं neftadt

थौ वनेनेक्षं |

fae संपारिनोवोऽसी श्रातो वश्वर्तिताम्‌

धनशेखर रूपेण वर्तमानो ATT

master तं्वमोपे भो भवताऽपि शंशयः |

प्रस्तावो मन्तु मिश्येकं शं स्विते नन्वतानभिति

मेयुनेनोच्कं यदेवं quae ने eefveqVacd | wee warts. fry Greve arena

WE: Vals |

ataaara TASH ARITA समौपं Vfart Rar | तते बाड anifa at aaa’ wri श्र एवं तौ ङतसम्पाषावन्तरङ्गबयष्यकौ ` अच AY TG Tt सोवममेपुनौ यौवनेनेक्नं अय मया समानो Tale: | अता सामित्र सतन Tad भनरोषवर अत्यमस्खडेतुखे बयस्रोऽमं मया युतः ! यदा नियुक्तदन्छा sain ब्राजनमहति चानन्मषादुःखमतस्म्पातकारणएम्‌ | तथापिश्र मखा भद्र मोदरिभ्राश्न शक्तः # faa: amt छवा we R बिभिस्तदा 3 मेयनं HUI aed Brae थया | मदाभारग्रमाक्रान्तमूतैराराटिकारिखः यत्पुषटे माति te मखके तजिवध्यते तते यौवनवाक्येन Arefageeaar प्रतिपन्नौ मया ag तौ डि मौतान्रमाक्रमा # इत | HAART fed लामनामकः | अथ AG कृतः Wat तद्र मयने मख #

Sig उपमि तिभवप्र्षष्चा कथा |

तया awa प्रतिवद्धोऽस्ति fama गाजनामकः। arate: स्थापितस्तज मया थौवनस्तद्‌ा श्रय तौ निजकौ्थेण ततः प्रासादयोस्तयेः | ललमानौ मया साधं किं fa कतुं समुद्धतौ alata wal भद्र बलान्मऽतिमनाइराः | लोजाविलासविभ्बोकहहास्यग्रौयादयो गुणाः मेनेन Gig Baise योषितां शतैः | सुभुक्ेरणदप्नात्मा दावानल इवेन्धनेः अधानगणिकासङ्ग gate मेयनेच्छया | मामसौ वारयल्युचेः सागरो धनलम्यटः cat fe मेथनस्यान्ञा इतः सागरवारणम्‌ | व्याघ्रदुस्तटीन्यायः संजाता मे सुदु सतरः तथातिवश्वभो भद्र सागरा मे विशेषतः | केवलं मेयनस्याश्चां नाहं लङ्घयितुं चमः उभयस्यापि aad मयेति वचन fore | एवं सचिन्ध विहित aad कमं दारणम्‌

किं तत्कमे | थाः काञिद्वालविधवा रण्डा: प्रोषितभदेकाः | ब्रतिन्योऽन्याश्च मूलेन विनेव वशगाः fers: ATS सागरभौतेाऽहं ALATA: | कार्याकायेमनाखेोच्य WT मूढचेतनः

ककः VATE |

wae त्यक्रनयशि me fawemt मतः श्रग्धजासखप्तपास्षा TERT मेयनेष्छया तत | बङग्रस्ताडिसि भद्र द्धा are विभाषितः, प्रापिता wred छोके योकिशम्बन्धिभिमेरेः $ केवलं इरिदाकिष्धप्पु्लोदववलेम | मारितक्षरा स्वौ आशनेर्भापि दण्डितः धिक्षारविहितौ शोके fare: सवंविषेकिनाम्‌ | तदा मेथुनदोषे संजातोऽदं Gara तथापि qefere तदा भद्रं मथनः | सुखसागर तुरम निर्व्याजं प्रतिभाषते चिन्तथाभि ward Seat awe: | fa ta धौ मितेन Nasa war wet ततोऽहं तथ निभिथसखेइनिभेर माषः तसय दोषा पथफनि पश्ामि रर्षंहतिम्‌ + एवं विषेखधिषः मे amt यतः ततेाऽपि awarat: art मे विग्रेषतः a चिन्तितं श्रं तडा ना प्रभावः SATA UTA Brew: | अस्िश्चमेग सम्र्ता मया माणिक्वराशयः . तदेवं fawatin तेनं दुःखः प्रपौडितः | तयापि इद्धितमम्प्रो मोहादस्ि खितोऽनचे

113

a

उपमितिभवप्रपञ्चा KUT |

श्रय तं नोशकण्टश् राव्यमन्तःपुरं पुरम्‌ TAT हरो खवं खेहनिभरमानसम्‌ ततः कोग्रेन दण्डेन हरि टेद्िमुपागतः | जनानुरागप्रभवाः सुप्रसिद्धा हि सन्पदः 8 श्रयासौ राजलोकेन वेष्टितो वरङ्ुश्चरम्‌ ।, आरूढो मिचडन्देन इतो खोकविलो कितः ॥# खदण्डयुण्डरोकेफ भियमाणएेभ शक्रवत्‌ | मधु रमश्चरो युक्तो विचचार पुरेऽखिले

ary |

जमानुरागमतकं हरौ वोच्छ TUNA word गोखकण्डस्य चित्तं काणब्यदूषितम्‌ विभ्तितं ततस्तेन टद्धोऽइं पुजवजितः |

Sah हरौ सवं मम A सबान्धवम्‌ एवं |

व्यवश्छिते।

TATA मामेष वधमानो महावलः | efiefrmat स्वे मम Tee संश्रयः तसमाशोपेचण्णौयोऽयं गोतं नौतिविशारदेः | श्रधराच्यहर अत्यं यो EAT इन्यते aa: सुबुद्धिना साधं पर्याशञोच्य सुमन्तिणा इरि गिपातयामोति चित्ते तेनावधारितम्‌ अयाह्ृय Te तं सुबुद्धिवरमग्त्रिशम्‌ |

` मोणकण्टराजेश््रः खाभिप्रायं न्यवेदयत्‌ ॥#

वटः प्रखवः।

सख तादुश्रवाक्येन वज्राहत दवान्तरा | तयापि नोलकण्टस्य ङतवाननुवतेनम्‌

BH तेन सुबुद्धिमज्िणा | यदुत

एवं विधोौयर्तां देव यत्ते मनसि रोचते |

aye प्रवर्तन्ते बुद्धयो fe महात्मनाम्‌ ततश्च |

खुवृद्धिनेरेन्रश्च aaa हरिमारणम्‌ |

एवं cag सिद्धान्तं खं खं गेइसुपागतौ

श्रथावदातसदुद्धः GIANT: |

तदा विकचाः संजातासतचछरुता राजजख्यितम्‌

धिग्‌ धिग्‌ भोगदुखासद्गं धिगन्नामविजुभ्मितम्‌

fart राज्यलान्पस्यं कुविकल्यश्रतालयम्‌

थदेष ya देवस्य जौ वितादपि वह्भः।

भामाता भागिनेय इरिः खवंशणाकरः

श्रधुना वतेते देव्यो वध्यः wat: समर्गलः |

तदच भोगटष्णान्ध्यं विमुच्यान्यन्न कारणम्‌ |

तथाहि |

कथं विनौतः इएद्धात्मा faeia: पापभौर्कः `.

a हरिः खप्रकाशेऽपि eteae शाषनम्‌ तदयं THAW मूढो राजा संश्रयः | तथापि रकषणोयोऽसौ रत्तो मया eft: 4

geo उपमितिभ्रवप्एश्चा, कथा |

ततो दमनको मान उचेरसेन मन्लिा Tes प्रहिते इरे टेान्तस खकः ॥. संदिष्टं यथा, WH कमार Aes. त्या ममानुरोधेन देशः शव्यव्यतामयम्‌ ततो दमनकाच्छरुला सुनुष्यभ्ययनां इरिः समुद्र शह्नने वित्तमभोतोऽपि चकार खः अथेकान्ते ममानेन टन्तान्तो निखिलस्तदा | कथितो हरिणा ve गाढं विभ्रथचेतसः # छक्र दरिणा | | अकायंक्कपितो राजा समादिष्टं मनश्विणा | अतः समुद्र सुक्षध्य गन्तव्यः भारते मया चाषं चणमणयेकं शक्रोमि cfeaqer स्यात ततः प्रतिष्ठख गच्छामो wane मया चिन्तितं ` रन्नोपाजेभविद्नो हि स्वायं इरिमंम | तथापि का गतिनुंनं गम्तव्यमसुना सह ततो मयोक्र। कुमार यत्ते रोचते fra वयं रूम: | हरिराइ यद्येवं ततो vee निरूप fafefaet array तोऽसि बे wernt -wewt cwufia wir गच्छाम दति मयोक्त। थदादिश्चति gare ततो निरूपिते दे यान- पाजें | MARR, इरिरिन्नानामपरमात्मरव््ना भिति ततः संजातः प्ररोषसमयः | गतो वञ्चयित्वा faa. परिजनः कङतोमयुरम-

षष्टः प्रसादः | Loy

श्रौ सहितो जलधितोर wegarisd किरूपिक्ताः सांया- जिकपुरूषाः | श्रतिलङ्किका state: समुद्गतः कामिनो गण्ड- पाण्डुरः शश्रधरः | खमामता खो मितजस्चदर जिनाद्मभां घमुद्र- वेला | समारूढो यामपाचमात्मोय. सपन्नोको whey: | श्रं त॒ wate यामपानमाङरुन्क्रो हरिणा यथाः TTT त्वम्यचेव मदौयपोते Taree) श्रक्रोम्यष्डं भवन्ते विशाय निमेषमप्या खितं am सखमारूढोऽइमपि aati: शतानि मङ्गलानि | उययुक्तः ककंघारः श्रापूरिते wae cet पवनवेगेन | तया वतां गतानि कतिष्दिदिन्नि.+ शितो बंहोयान्‌ समुद्रः | WHA.

मामाग्र्ोतसदङ्धते WE WIA |:

सागरो, मेयुनक्षो चे Heat: सञुयद्धित्तै a

ततश्च | सागरेण ता बुद्धिमेमेवा- पापकर्मणा यथेदं THI बो रित्थं काल मुच्यते ततो मया चिन्तितं i wet से भाम्याकिश्रयः ।: ताहि |

एकं, TITAS They TAT |

द्ितौयमिद्मायात gtr मेः मनोरणाः ॥;

विहिताः मेयुनेनापि. मम बृदधिदुरात्मना

ACTEM महापापपूरपूरितक्तंसः

मयुरमश्चरो. ATR भुक्कयं वरानना

एय स्तनो विश्रामो सममध्फतिक्तोमल्ाः

€ण्र्‌

उपमितिभवप्पद्चा कया |

evans मन्दसश्चारमन्धरा |

लावण्याग्ड तयपूर्णाङ्गो सवथा भुवनातिगा तावत्किं जो वितेने निष्फलेन प्रयोजमम्‌ | Sate मानयाम्येनां सवथा चारुलोचनाम्‌ तदिदं रन्नबो रित्थमेषा ₹इरिणचणा |

मे संपद्यते तावद्यावन्ञो घातितो हरिः ततः पातकपूंन मिचदयवश्रात्तदा |

eft वयापादथामौति मथा चिन्तेऽवधारितम्‌ नालो चितं इरेचिन्त निव्यांजसेहमिभंरम्‌ |

विज्ञातं महापापं दृष्टं कुलदूषणेम्‌ fear परा मजो विस्मृता साधुकारिता उपचाराः परिभेष्टा fate सत्यपौडषम्‌ श्रय बो हित्थपयंन्ते राचावत्थाय संखितः | eft: श्रौरचिन्ताथे पापेन प्ररितो मया ततो at वौडमाणोऽसौ किमेतेदिति चिन्तया | व्याकुलो विषमखलाद्रा त्य पतितो जले द्राह्ाराद्‌लिथिता लोकाः कोलादलपरायणाः | AACA TET स्थितो ऽइ शन्यमानसः अथ AMEN sey qd कमे मामकम्‌ समुद्धाभिपतिदवो गतः कोपं ममोपरि तुष्टो इरिक्मारस्य छन्देनटुविशदेगुरेः |

Bal भौषणं शूपमायातो घोरमानसः

षष्टः प्रस्तावः | ९०

तेन चासौ qurea देवेन विडितादरम्‌ | wary जलधर्मोराद्वोहित्थ शापितो wht इत्च | योऽगत्पष्छोदयो नाम वथब्योऽ्धन्भवत्छलः | श्रजारे गषटो मे इष्टवहुष्टकमंणा अरथाकाशरे खौ ति विद्योतितदिगन्तरः | देवो भोषणं रूपमासाय मम सण्धखम्‌ ततो रे रे महापाप Tag कुखदूषण freer व्यक्रमर्याद रहौ मस्व मराधम विधायापौदृश्ं कम घोरं रौद्रेण Saar | तथापि त्मद्यापि श्तश्रकरतां गतः एवं ब्रवाणो दष्टौष्ठो भौमभुढु टिदारुणः | देवः कम्पमानं मां रुरोला गगने खितः ततो इरिङ्मारस्त देवं प्रणएतमस्तकः | ce विन्नापयल्युशचेमयि खेहपरायणः ` यथा | ममोपरि दया देव यद्यसि तव aaa | ततः पादनतस्याय वयथ्यो मुच्यतां मम WII लया देव हतान्तवदमादिव | अतः प्रियवयद्यं मे देवो इन्तमरति रहितस्य ममानेन fone बत जोवितम्‌ | धनं सुखं श्ररोरं देव त्यच्यतामयम्‌

९०8 उपभिसिभषप्रपश्चा कथा |

वि्चातेऽपि महाभागो मदथे खखसेदिते सथापौदृखचिकोऽसौ गि्विंकारा हि साधवः 1 सतु देवो मदहाकोपादाकश्छं इरियाचनाम्‌ | मथि arent र्लं ऋतोदमभाषत 3 सुग्धोऽसि लं महाभय गच्छाभिमतपन्सकम्‌ श्रहमच्यानुरूपं तु करोम्बेव दुर्मनः A ततख्ेक्षलमानेन TTA मरोदधौ आस्फो टित्शा भद्र थथावनितलं गतः 7 ततस्तमोन्धपफताणे aay नारकाः | feare पुनश्ड्तो भद्रे पापेन ser सतु रेवो खतं मधा मां खख्ञानसुषागतः | बेखकुूखे Uda इरेः एतदयं कमात्‌ इतानन्दगमरे केसरिनराधिपः ait uftgarce षिश्चासो जनवातेधा ततो Vicente whe गला सबान्धवम्‌ | भद्र तत्पेदकं Te कवेश्ररोनमधिष्ितम्‌ यतो गिवेदितो वसुमता ध्मसोऽपि बान्धवानां कमलसुन्द- Den: afar: केशरिराजपु्तथा efcyarc: ततोऽनुरक्ाः aasfa ufcgart शोकाः ofted राच्यं) संजातो रिमण्ड- छाधिपतिनिभपुष्छप्राग्मारेण | समर्पितं मटौथपिहुदेरिगशेखरस्य aaa र्नो दित्थं दरिकुमारेशेति WAGE तथा WATE TATE: प्रथमाः गेखकू-

aS THs | éey

टविकटेः चारजलकष्लो लेरास्फाचखमामो TAAL RTT AT ध्यमानस्ततुकतन्तजन्तुसन्तानेविलोलमानो धवख्ङ्खनकुजावलोम- we विमुद्यमानेा चनविद्रुमवनगदहनेषु जनितभयो विविधमकर- जलमानुषविषधरमक्चक्रर्‌लिखयमानः कटिनकमटष््टकष्टकेः कथं चित्कष्ठगतप्राणः waa dm जलधितौर ) आ्राश्वासितः पवनेन शमा चेतना | ततो बाधते मां agar अ्रभिभवति पिपासा ततोऽहं फलजलार्थो पय॑टितुं vent यावत्‌ पुष्यो यस्य नष्टलाद्रमताच मया वनम्‌ | | WH पुष्यफलेः शल्यं AG समप्रभम्‌ तथापि तंच वने | mata करणौयं मे यतोऽस्ति बहपातकम्‌ | ततः SHU संपन्ना प्राणटन्तिः कथंचन श्रय ग्रामपुराकौं वसन्तं देश्रमागतः। ` शूज्याभिमानेन पितुः wea गतः कितु नष्टपुष्णोदयस्ताभ्यां भिचाभ्यां परिवारितः | भान्तो विविधरदेशेषु श्यो श्यो धनेच्छया तच यद्याचरामि वाणिव्यं रूपेणाधं प्रजायते | करोमि कर्षणं तच afeensty नश्यति ततः सेवां करोम्युचवे विनयोदयतमानसः

यावन्मम विना काथं राजा रोषमागतः॥ 114

उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

तोषायं खञाभिनो भौमे रणे चोद्धुमुपागतः तणापि तौएश्स्तो प्रहारः Thea: परम्‌ श्रथान्यदा बलोवदेवाहनं विहितं मथा | थावज्निश्चकरोगेण wat: सवंऽपि ते वाः ay रसभसार्थन वाणिष्यं कलतुमुधतः | शावश्चौरः पतिलासौ सवैः सार्थो विलोपितः ततः ङ्ट्म्िगो गड जातोऽहं कर्मकारक: सोक्रामपिमे इसि ददाति प्रक्ुयति॥ ततो श्यः समुद्रेऽहं वणिजोऽन्यश्य सेवकः | wat प्रविष्टो बोहित्थं समारुह्य वरानने यावग्ममासुभावेन तदपि प्रलयं गतम्‌ | धानपाजं VARIG: फलकेम कथचन

श्रथ रोघधनमाषाद्य दोप संतुष्टमानसः |

ततः खनितुमारथो ावद्ूखिः पर कारे # श्र चान्य पुमगंत्वा ACT प्राय कचन | धातुवादः wut विधातु धनकाम्यया पाषाेगूलजालेख afk: पारदमदंनेः। चपितोऽहं तदा भद्रे जातः चारः पर करे ततो धतं मया लिख शि खितं घनकाम्बया ` यावन्तचापि faare बद्धो धतकरनरः we: कथचिन्नेग्योऽपि शमासाश्च पर मरम्‌ | सहोतपुखको राशौ प्रविष्टो रख्कूपिकाम्‌

WS: Vg | ०2

MARTA SH लाक्रलोक्षासकारिणा चाषितो शखगनायेन कथं चिन्न wae fa बहना | यद्यत्छतं मथा कम ATA धनकाभ्यवा | तत्तत्प्छोदयाभावादिपरोतसमुपख्ितम्‌ fa बापरं निगद्येत बुभुचाच्चामङुङिणा | fararfa waret मया quiza विना ततो विषाद्मापन्ञः स्वेकमेपराड्मुखः | स्थितोऽहं मौममाशभ्न्य wat पादप्रसारिकाम्‌ ` ततः सागरो az ममोत्ाइविधिक्या | हितोपदेश्दायोति तवाडमिति अश्पितः उक्र तेन Baca | थथा | विषादपरैर्थः प्राप्यते धनशेखर | श्र विषादः भियो मूलं चतो WT: प्रते ततः waar विषादं विरहय्य प्रतिक्रूलेऽपि विधौ पुरषः पुडषकारेण धममुपाजेयन्ञेव wed wad नान्यथा किं बडना। श्रलोकमपि गदिला परमपि मुषित्वा मिनद्रोहमपि शता मात- रमपि vat पितरमपि ग्यापाद्य खहोदरमपि निपात्य भगिनो- मपि fara बन्धवगेमपि मारयित्वा समखपातकान्धपि विधाय पुरषेण सवथा धन ख्ौकतेगयं | यतः शतपातकोऽपि पुरुषो wat धनमाराव्यादेव yet शोकेन परिवायंते बन्धुवरभेण ष्यते बन्दिटन्देन बडमन्धते facta गम्यते विश्द्धधाभिंकजनादपि

ere उपमितिभवप्रपञ्चा KUT |

तचाकण्य | अन्तरङ्ग रि विद्येते तस्य TIT qaet @ तयोरेषा नेव तस्य तपख्िनः हि चारः खरूपेण भद्रको धनश्ेखरः | ताग्यां पापवयस्या्यां केवलं क्रियतेऽन्यया

तथाहि | तस्य वराकस्य WTS मयूरमश्चरौं YS मेनेन शता मतिः | हरामि रत्नबो दित्यं सागरेण हतं मनः ततश्च तदशात्तेन प्रेरितख्छं तथा जले | अत एव गतः कोपं समुद्राधिपतिस्तदा तेन a रितो aa: पातालतश्चं तथा। तथापि BAM: समुद्रं धमशेखखरः अधुनानेकटेगरेषु नानारूपा विडम्बनाः ताभ्यां पाप्रवथस्यान्धां वराको विधायते एवं तेन waniaana acafta | निवेदिते तथा az मदौये दष्टेष्टिते इरिखिम्यल्येवमङहो शानं महामुनेः | aut निपतितः at वराको धनशेखरः ततो हरिमरेग्ेण करुणागतचेतसा | पृष्टः इन्तमादाथः AUS सुमेधसा

यथा | ताभ्वां पापमिभाभ्यां भरन्त धनष्ेखरः |

षषः Wea | ECR

कदा पुम वियुब्येत येन स्याल्युखभाजनम्‌ afc<ary |

afa भोः सततानन्दं एभिश महापुरम्‌ |

विद्यते भुवमानन्दस्तच राजा सद्‌ा श्यः

ae wife महारैवौ लोके ख्याता वरेश्ता |

तसा दे कन्यके धन्ये विद्यते चारो चने

एका ब्रह्मर तिर्नाम faatar मुक्तोच्यते |

तयोश्च गुणविस्तारं कोऽ वणेयितु चमः तथाहि |

यं नरं wea विखोक्यति aaa |

लोके ब्रहमरतिः शध्यो पविबो निगद्यते

खा हि श्वंगुणाधारा शा वन्द्या योगिनाभपि।

सानन्तवोयसन्दा इदायिनोति faut

सा मेथूगाभिधानख धमगेखरवेरिएः

तिष्ठतो सिजरूपेण केवर नाश्कारिणो

gam हि महाराज निःगरेषगणमन्दिरम्‌ |

श्रशरषटोषसश्ोषकारिएो GWT:

विरोधोऽस्ति तया साधं खभावेनेव सर्वदा |

धमरे खर मिस्य सागरस्टास्छ पापिनः

तां शदधधमेपूणङ्गोमेष सागरनामकः |

पापात्मा कन्यकां इषा दूरतः प्रपलायते एवं fea |

९१२ उपमिविमव्प्वश्चा we |

यदा ते कन्यके Ala लश्यते धनशेखरः | aerat पापमिन्राभ्यां निःसन्द हं वियोच्छयते लणलमानस्ततस्ताभ्यां wag खलोलया | ्रमन्तानन्दसन्दा हभाजनं भविव्यति ततो इरिनरेन्दरेण श्दयोऽपि भ्ुनिसदा | षष्टो शलाटविन्यस्तकर क्ुडमलश्रा लिना थथा | गणसन्दोहसंपू पापमिचवियो जिके कथं ते लश्यते कन्ये भदन्त धनशरेखरः afcutn | अन्तरङ्गो महाराजः प्रतापाक्रान्तमण्डखः | क्मेपरिणामाख्यः प्रतौतो हि भवादश्राम्‌ तोषितो महादेव्या काले भाविनि जातुचित्‌ तत्पित्रा तव भिजायते कन्ये टापयिग्यते ततो ATA wa: wwe परमं सुखम्‌ | मान्यः कञ्चिदु पायोऽस्ति विमुश्चाक्ुलचिन्तताम्‌ तदाकण्ये मुनेर्वाक्यं मां प्रत्येष निराकुलः | संजातो इरिराजेब्द्रः पुनरित्थमभाषत ti भदन्त AEM भगवता यथा तेन धनगरेखरेण पापमेथुमसाग- रदोषा्लादृशं कममांचरितं खर्ूपेण पुनभ॑द्रकोऽसौ धनगरेषर इति तज ममायमधुना faaat यथा किं खरूपेण fae: परदो- षेणापि दुष्टः पुरुषो भवति श्रिणोक्रं महाराज भवत्येव |

AS: प्रस्तावः | €X2

तथाहि दिविधोऽच लोको बहिरङ्गोऽम्तरङ्रख aw बहिरङ्ग लोकदोषाः युरूषस्य लगन्ति वान at) अन्तरङ्गलोकदोषाः Tae तचान्तरङ्लो कामां दोषकारिलदचकम्‌ |

| Tate महाराज कथयिग्ये कथानकम्‌

गृपतिराइ निवेदयतु भगवान्‌ स्रिणोक् प्रतोतमेव तावदिदं warent यथा कम॑परिणाममडहाराजस्य काल्परिएतेख महादेव्याः सम्बन्धोन्यपत्यानि दुजंनचच्द्‌षभयाद विवेकादिभि- मं ज्लिमियंवने गोपितानौति दतश्चासि श्एद्भश्त्यवादो समस्तस- त्वसङ्ातडहितकारो सवेभावल्लभाववेदौ तयोः कालपरिणतिकमं- परिणामयोदवौनृपयोः समसरदस्वश्यानेग्बत्यन्तभेदन्नः सिद्धाग्तो नाम WAGES: तस्य चाप्रबुद्धो नाम ae विनेयः तं पप्रच्छ wnafey gee किमिष्टं fa वाजिष्टमिति। सिद्धान्तः me) भद्र सुखं पुरुषष्येष्टं दुखं पुमरनिष्टमिति। gare fe सं पुरुषाः sade दुःखान्त्‌ सवं निवतेन्त दति agg: पराह भदन्त कि पुनस्तख्छ gee कारणं fa वा cee सिद्धान्ते नोक TY सुखस्य कारण तदेव दुःखस्य | WAR: प्राह | भदन्त एकमेव इयस्यापि कारणं ननु विरद मिदं सिद्धन्तेमोक्ष area विरोधः यतः सुपालितं agee कारणं दुष्याछितं तदेव दुःखस्धेतिं श्रपरबुदधः are) किं राच्यमेव इखदुःखयोः कारश मापरं किंचिदपि सिद्धान्तः wet बां राज्यमेव

सुखदुःखयोः कारणं नापर किचिदपि श्रप्रवद्धेनोक्तं aq 115

९९४ उपभितभवप्रपच्ा कया |

पर्यच्विर्डमिदरं यतः खल्पतराणामिह जौ वानां राच्यमुपलभ्यते यावता सर्वेऽपि जोवाः सुखं दुःखं चानुभवन्तो दृश्यन्ते बिद्धान्ते- नोक्तं भद्र afecpfad राच्यं यल्सुखदुःखयोः कारणं किं AVN | तश्च सवेषां संसारोदरविवरवतिंनां Marae | ततो ये Haweng पालयन्ति तेषां सुखं संपादयति येतु दुष्याणितं तद्राज्यं gifa तेषां दुःखं जनयति ततो नास्ति परत्यच्चविरोधः | श्रप्रवद्धः प्राह भदन्त तत्‌ किंमेकरूपं राच्यं किं वानेकरूपं सिद्धान्तेनो फ़ सामान्येनेकशूपं विशेषेण पुनरनेक- पं WIT: प्राह यद्येव॒ ततस्र सामान्यराख्यं तावत्को राजा कः कोशः कि ae are afa: केदेशाः का वा साम यौति ओरोतुमिच्छाभि सिद्धान्तेनोक्ष ) भद्राकणेय |

सवेस्याधारण्वलोऽस राच्यभारख सुन्दर |

एकः संसारिजोवोऽज महाराजो निगद्यते

कोगश्रस्तच महाराव्ये भाविके रत्रराथ्रिभिः।

परिपू; शमध्यामन्नानवोर्यादिभिः परैः

भुवमानन्दसन्दाददायकं चाच सुन्दरम्‌ |

चोरनो रधिसद्धाग् चतुरङ्ग महाबखणम्‌

तज मरहासेन्य गाम्मौरयोदार्यशौर्यादयः खन्दनाः ww

सौषटवसौ जन्यप्र्रयादयः करिवराः। बुद्धि पाटववाम्मिलनैपुष्छाद वस्ह- रङ्गमाः | अरचापल्लसौममस्यमनम खितदादिष्ादयः पदातिवर्गाः | संसारिनोवमहारानहितकारो चतुमुखा रिबधमनामा प्रतिमा- कः तस्य VIA नाम महत्तमः सदोधो aan यति-

aS: GS | EU

धर्डग्टदिधर्मो सुतौ सन्तोषस्तन््पालः शएभाश्यादयो महाभटाः | अपि च।

संसारिजोवराजन सौराज्ये प्रकटोशृतम्‌ |

VACS महामेन्यं कम्तदणयितु र्मः

अमन्तराणएसम्भार गौरवं तस्य सुन्दरम्‌ |

एव विमखौभ्रतः केवलं यदि बुध्यते

ग्ठमिस्तच महाराज्ये चित्तटृत्तिम॑हाटवो |

सर्वाधारतया aaa) तस्यां निविष्टानि सालिकचिन्तजेनपु-

विमलमानस?भचिन्तादौनि नानारूपाणि मगराणि तदनुका- रिणो यामाकरादयः। तदु परचिता विविधक्ूपा देशाः त्या राव्यभुक्गिग्मौ विद्यन्ते धातिकमंसश्ञा ग्यांसश्चरटाः सकी- द्दिवनामानस्तस्कराः परिभ्रमन्ति कषायश्ूपा शूषकाः विष रन्ति मोकषायाश्ा लष्डाकाः उपञ्चवन्ते परौषडाह्ाञ्चारभटाः सभव्रनधुपख गा मिधाना yay: विलसन्ति प्रमादनामकाः विद्धाः तेषां सर्वेषां दौ भरातरौ sine कर्मपरिणणमो महामो षय |

एतौ चात्यन्तदरपिष्टौ सष्डद्धौ cumfeat |

चतुरङ्गवलोपेतो भटकोरिभिराटतौ

ततञ्चेमौ मन्येते | यदुत |

कोऽयं संसारिणोवोऽब कोवा चारिज्रधर्मकः।

्रवयोभुकरिश्वरेषा चित्तटत्तिमंहाटवो

अखाटोयनिदं राच्यं माख्यन्यः परिपन्विकः |

९१९ उपमितिमवप्रपच्चा कथा |

कमेपरिणामाष्यप्ततो राजा व्यवसितः

निवेशितानि राजचित्ततामसचित्तरोद्र चित्तपुरादौनि भिष्वयह्िप्रायाणि भानाविधनगराणि प्रख्या पितस्तेषु महामोरन- रेः | समर्पितं तस्थ चतुरङ्गं बलं यवखापिता समस्तराव्यनो- तिः न्यस्तः समस्तोऽपि मदामो राच्यभारः खयं पुभरसौ कमंपरिणामः सद महादेव्या कालपरिणएत्या मनुजगतौ संसारा- भिधानं नाटकं Teas | केवलं स॒ कमेपरिणामो जानन्निव संषारिजोवमहाराजवोयेमाकलयन्िव शारिबधर्मपरतिनायकवा- aa waeafaa सद्दोधमन्तिमन्लश्रक्रि परिच्छिन्दजिव सम्यग्द्शेन- महत्तमवलं नि्िन्वज्िव सन्तोषतन्लपाक्लव्यवंषायं wafaa इएभा - श्रयाद्यनेकभर कोरियुक्रचतुरङ्गबलो VY मात्यन्तनिरपेखः संसारि- Hares ऽपेचते चायतिं कुरुते चारिधर्मादौनामनुवर्तनं दशै यत्यात्मभावं वधेयति प्रतिं संपादयति कानिचिष्मुन्दरप्रयोज- नानि [ततस्तेरपि चारिजधर्मादिभिमेध्यस्थोऽयभिति शला रो - तोऽसौ कर्मपरिणणमः खामिवुद्या जातः ससारिजौवमहाराज- nfe yeaa) महामोहः पुननिंजमुजबलावलेपेन सां सारिजोवं सारि अरधर्मादिकं mag दणएतुख मन्यते | ततो यावन्न HATA संखारिजौवस्तदात्मौथं apie ल्षयति agar aera वेदयते तां aerate नो कलयत्यात्मनः परभेश्वरतां ताव- दसौ महामोहो लब्धावसर्रटदन्दपरिकरितः समाक्रामति समस्तां तां रजथुक्रिं खोकरोति निःगेषनगर्यामाकरादौम्‌ विलसति यथेच्छया करोत्यकिंदित्करं संसारिजोवं निर्णाप्रयति

BS: Wels? | ELS

aga भवति खयमेव तच संसारिजोवमहारश्थे प्रभुरिति यदा तु कथं चि्छंषारिजोवस्तदत्मोयं राव्यं बलं स्ष्टद्धि खरूपं weaq तदा fazerfa तेन मडहामो हेन साधेसुत्कषेयति farsa वधेयति quate वियहारूढ्च बहशो महामोहं विजयते Stat महामो इनाप्यसौ विजौयते। यावन्मे यदा विजयते तावन््ाचं तदा Gaara! aay यदा विजौयते areas तदा दुःखमास्कन्दति | यदा त्‌ वो्यमाभ्नोति सङ्खयमाभ्वासयो गतः | az ससारिजोवोऽसावचिग्धयमतुलं किल तदा निःगेषमुकू्ध AWA TAT | शचुवगं समाप्नोति राच्यं निष्कण्टकं fe सः ततौ विगत विन्तोऽस्नौ सततानन्दप्ूरितः | शलमानः सुखेनास्ते सासाच्यं प्राण सुन्दरम्‌ तदेवं तस्य तद्राच्य कारणं सुखदुःखयोः | पालनापाणनाष्नातमेकमेव GV: fl ` सुखदुःखनिमित्तख्य सामान्यस्य atest | तस्यान्तरक्राच्यस्य सामयो ax कौतिता॥ श्प्रबुदधेनोक्त | भदन्त किमधना तस्य संसा रिजौवस्य सौरा किं वा दौराच्यमिति सिद्धान्तः are) agra प्रस्तावे तावन्तखय avy aad जानीते वराकोऽध्ापि संसारिजौवसदा- ald ws वं wate नापि खरूपमिति। हि avet संसारिजोवो बददिरङ्गषु देगेषु दुःखसागरावमाढो मैथुनसागरा-

ers उपमितिभवप्पद्चा कथा |

ग्वा मधुना सेम्यते। तत्पुनस्तस्य सम्ब स्थि चारिबधमादिक शमस्तमपि WWE महामोदहादि गरचभिनिरुद्धमाम्ते WE! भतं तावदिदं मया सामान्येनेकरूपं सुखद्‌ःखकारणं तद न्तरङ्गराख्ध | श्रथ यदुक्र भगवता यथा तदेव विग्रेषेणानेकरूपभिति तदधृना ओओतुमिच्छामि सिद्धान्तनोक्ं श्राकणेय |

कमेपरिणमाख्यो यो मथा afea: पुरा |

प्रमाणं BAG राज्ञा Vay RAT

तत

इदमेव महाराञ्य' परिपू wy wg |

स्वेभ्यो निजयपुजेग्यः ददाति यथेच्छया

सूमवस्तस्य चानन्ता सतग्यस्तद त्तसुश्चकंः |

sangre याति राच्च पाचविग्ेषतः

ततस्तेषां भद्र कमेपरिणाममदहारालयुचाणामनम्तरूपाणां

agra केषां चिदुःखकारण केषां चिद्मुखकारषमतो विगरषरणानेक- wi भवति श्प्रृदधेनोक् भदन्त तेषां कमेपरिणामखुतानां तद्राज्यं gaat we किं संपन्नमिति श्रोतुमिच्छामि बिद्धान्ते- am | निवेदितमेव भद्राय यथानन्तास्ते क्मेपरिणामपुजाः | ततः कियतां सम्बज्ि खरूपं भद्राय कथयिष्यते तथापि यदि ACHING ATG ततोऽख्छेकोा व्यापकः कथभापायः तेनेव qufaa saga श्रनुगरा मे सिद्धान्तेनोक्र | भद्र सन्ति तस्य कर्मपरिएामद्य षट्‌ Tat) ager) निशृ्टोऽधमो विमध्यमेा मध्यम उन्तमा वरिष्टश्चेति tase कथय चिद्चनवि-

षष्टः प्रस्तावः | ९९९

न्यासेन कमंपरिणाममहाराजमभ्यय करकं SGT राव्य दापयि- wifi. ततो भवता तेषां षामपि राज्यानां मिरौचणां प्रहेतयाऽन्तरङ्गो वितको नामायमात्मौयोाऽनुचरः | ततस्तेषु षटसु राजेषु दृष्टेषु भवतः सर्वोऽपय्थः slat भविव्यति अप्रबुद्धे नक्रं यदाश्चापयति भगवाम्‌ ततोाऽनुषटितं सिद्धान््न सवे warm प्रहितोऽप्रवद्धेन निरौ णायं वितकंः समागता शद्िते तन्नु ख्यञन््ा भिधाने ae दृष्टोाऽप्नद्धः | विहिता प्रतिपत्तिः शअ्रमिहितमनेन। देव श्रस्ति तावत्र विष्टोऽङह तस्यामन्तरङ्गराच्यसुक्रौ | श्रतो मया नगरग्रामादिषु दौयमानस्तन्मतुव्यभावाबेदनाभिधानो डिण्डिमिकः तच चेदमुद्धोषितं यथा

feast वतेते राजा प्राज्गप्रवाहेन हे जनाः |

समाचरत हत्यानि तया पिबत खादत on

तत्तां चोषणणं श्रला ad तद्‌ाजमण्डलम्‌ |

Req wea usta चिन्तया चोभमागतम्‌

श्रालोख्यन्ति राजानः खष्यानेषु परस्परम्‌ |

मन्यन्ति facta दति भोः किं भरिष्यति-॥

संप्रसार प्रङ्ुवेन्ति खगेहेषु कुटुम्बिनः

कोदृ ्ोऽयं भवेद्राजा “ane इति fear

ते सयेऽपि सन्धय ater fasdefe |

महामोषादयो टेव पर्यालोचमुपागताः

ततो दिषयामिलाषमन्तिणा महामोष्नरेष्धः प्रत्यभिदहित |

यया

Eze उपमि तिभवप्रपश्चा कथा |

fade राजा संजातो frest यत्करिग्यति तजन जानौम इत्येवं जाता्िन्तातुरा वचम्‌ तदेष देव सनातः went at निर्भिंमिन्तकः | ठथालमाढुलोग्ता TTT प्रयोजने यतः | | कर्मपरिणामेन faa: खयमेव भोः ` जनितस्तादूश्रो यादृग्‌ च्मोऽसाप्रपौडने fa तदि AMAA, सदास्माकमाश्नामिदशकारकः | अखात्पदा तिवर्भेऽपि किङ्करः कमेकारकः तत्कमेपरि्णमेन Gra विनियोजितम्‌ ददं राच्यं ततो देव वयमेवाज मायकाः wa निष्कष्डके राज्य तदेवं देव भावतः | हर्षस्थाने किमस्मामिरा तरेत ग्यते श्रथ प्राह AUTH द्रुतमायं निवेद्यताम्‌ | कमंपरिणामेन atom अमितः किख विषयाभिलाषेणोक्षं | देवाकणेय | कुरूपो दुर्भगः HT परलोकपराङ्सुखः | धर्माधंकाममोचे दूरतः परिवजितः शरूण्णां निन्दकः पापो रैवविदेषकारकः | विष्द्धाष्यवसायस्य गन्धेनापि विनाक्षतः जगदुदगहेतुखच साश्ादिव विषाङ्करः |

BS: TENT: | <२९

निोषरोञजसङ्गस तिषट्टो निकेतम्‌ ¢ गान्धौ्ोद्धवंशौष्डोवेपैववोरयादवयो Fe: | शतो fameraey इूरष्रतरं मताः ख़ fgmt महाराच्य जभेऽ्यचाधमाधमः | निःरेष्रक्न्यप्दप्र किमसख्प्रकं करिव्यति

अन्यश्च | त्र चानौते acratsat राव्य शापि निजं बलम्‌ | a wag वा ae: खदटपमपि तत्वतः TWH गणयत्येव चरटाम्‌ राव्यहारकाम्‌ मन्ये Taig खामिन्ड तांच भावतः सदेवं संश्धिवे देव faerargeat इदि महावशेगकं gw विधातं wae # ततो यदा दिग्रल्नाखे दत्ता श्षेनिमेरः | तरेत कारकदयुकेमे होना धिपः # अरय aefa Ma Paw अस्निभावितम्‌ | ततो aes Eres नृत्यन्ति ते साः गायन्ति महामोहरान्रपादातुज्ञौ निग: wen जिश्टरा तजिभेरानन्दपूरिताः

कथ

GAHAN Trenance |

सोऽसमाकृमङा at ङिति quia: प्रेषजनं बुध्यते

तदिदं बत magna geacay freee | 116

९२२ उपमितिभवप्रपञ्चा क्था |

खादत पिबताथ area. प्रसभ. नृत्यत UTES जनाः एवं तेषु भिल्लपशिप्रायेषु महामोादसम्बन्धिघु भगरयामा- करादिषु प्रटत्तं महावधेनकं | कारिता wean: | सभुच्छरायिता ध्वजपताकाः | प्रभविष्याम इति समुक्षिता घातिकमेवरटाः | हरिख्याम दृति परितुष्टा इद्रिवतखराः श्षयिय्याम दति परमाडिताः कषायण्षकाः | शुष्ट यिय्याम दति इष्टा नाकषायलु- ण्टाकाः | उपञ्चावयिय्याम इति समानन्दिताः परोषचारभटाः | शिद्लासयिय्याम इति विजृम्भिता उपसगेद्‌ टशुजक्घाः उपदसि- ara इति तरलिता: प्रमादषिद्लाकाः। श्रपि च। येऽन्यदटापि ASAT महामेाषहादयः सटा | जिषशृष्टराच्ये संजाते fa fa fa a कुवते a तदिदं वावदाख्यातं aerareifeefear | चारिषधमसेन्येऽपि eed तज्जिनाध मे तेऽपि चारिजधर्माद्याः set तां राच्यघोषण्म्‌ | Rey स्यादेष . राजेति पर्यालाचमुपागताः सदोधमण्तिणा ste टेव fanaa ते जिद्ष्टसयास्य यद्र पमेकान्तेन दुरात्मनः रयं दुरात्मा TTS नामाप्यस्य बुध्यते | चास्मान्‌ wwe शचश्तां खच मन्यते पचचपातागश्महामोहसाधमं वधेयत्यलम्‌ ` स्राज्यलोकदेशानां वार्तामपि vata a ततश्च `.

षष्टः प्रस्तावः ERs

एकं तावत्पराश्चता महामोहादि मिवेथम्‌ दितौयमोदूशो राजा देवो दुवेलघातकः एवं fae | निद्छष्टराच्यं Zaz seq देवदोषतः | BE प्रलयकालाऽयं HASH संश्रयः ATHY महामन्तिवचमं ते ACA: | warareaured विद्राणएवदनाः स्थिताः यादृशो Twat खे ad लकष awe संजायते AMA टेन्यवेक्घव्यदारुणः निषष्टराच्ये संजाते Far सद्धोधभाषितम्‌ | चारिचधभंशाकानां जातस्तादृश्च एव भोः तथा चारिचध्मेराजस्य वतन्ते यानि युक्षु तेष सालिकचिन्तादिपुरोषु बत रिषु निरानन्दा निराटोपास्ते लोकाः गओाकपूरिताः। भ्रुवा निषटष्टराच्यं तत्छंजाता देन्यविडलाः अरय तत्तादृशं sey सेन्ययोामेहटन्तरम्‌ | आ्आनन्दशाकसन्पत्तर्जातं मम FAA यदुत | वतेते निषशृाऽसौ राजा धद्येदृश्रा YU: | TAA यदा राज्याय तं नरेश्वरम्‌ WIN वराकस्य Wey Ay प्रवेश्ननम्‌ |

९२९ उपरमितिमकषषश्चा कथा|

दत्तमेव ALT मरामेहादितखरेः

fai तदहि | खयमेव ane fad श्मिमण्डलम्‌ चारिचधेसेन्यं विनिजिंत्ध विनाश तदन्तरक्रतद्राष्य महामारार्दिवसरेः; | अधिष्ठितं वदिव्वुत्य free खयमेव भोः # ततस्तन्लाशं TE देव wa विखंख्यखम्‌ | गतेऽह. बहिरङ्गे तं दिद चजेनेषु मेः अय दृष्टा मखा देव fame गराथिपः। बहिरङ्गेण Ziq Tene: सुदुःखितः

कौोडश्रः।

पापकर्मरता STA: TAT लाकनिन्दितः | निःरेषपुरवार्येग्वः परिषां नराधमः स्फटिताङ्गे wafer पापयुश्चकसज्जिमः सं निरु मया दृष्टः WAG बदा स्ोयराच्यपरिधष्टा शेके दुमंगतां मतः | यो zy वरिग्धताऽज बहिः afta a विकरौय दणकाष्टामि शला वा ween हत्वा वा जन्तुसद्वतं गोला वा लेखमाखिकाम्‌ विधाय frqaatfe साहाक्रोश्रश्ताजि चं। free: करोलधचेदुष्ुरोदरप्रणम्‌. ये बेचिडुःखिलाः पाथाः क्रूरकमेविधाचिनः

aS: पराः |

लेक मातङ्गरम्बाद्यासेषां रूपं भजत्यसौ तथापि ase महामेशारितशछराः | सारिभधर्सेन्यख्च ATH बुध्यते कि च। दुष्याछितं छतं राश्थ भवतेत्थस्यं चोपरि TBAT राजा रेषसुषामतः tt ततोऽसि Hees Wee पाषिषश्चरम्‌ नो तस्त निचा ऽखो तेन राश्चा वेराककः Tee महादुःखेकजागन्तेरनेकश्ः | कमेपरिशाजेन निष्ट दृति विश्रुतम्‌ तता मया चिकति। एकं राच्च प्रवेभोऽपि Ga ASA: writs निजं राण्य eeg सेन्यङक्तमम्‌ flargufe दुःखों cena कंदिष्कूतः faite hea तज निष्टा निरर्थकम्‌ # तदश्च VHS इन्त निष्टं Cua: | अशन्नागरेषते जातमिदं ङुःखकदम्बकषम्‌ तथाहि | यद्यात्मानं विजानत तद्रश्वि रतरषूरितम्‌ चारि जक्मसेन्दं IVE सुप्तम्‌ # महामेहारिरेन्वं यलो अ्भवज्निभम्‌ | अवगच्छसि FAT FAT

९.२.४४७

ead उपमितिभवप्पञ्चा कथा |

हत्वा Wega मयपौरषसंयुतः | सद्‌ा निष्कण्टकं राज्य मुश्चोत संग््यः॥ श्रथ aT | | fa तस्य चिन्तयास्माकं WHT मया परम्‌ कतं्याऽतंः प्रपश्यामि दितोयस्यापि चेष्टितम्‌ a तताऽधमस्य ARIST संजातं देव Tat | fama घोषितं चोचेर्डिंष्डिमेन यथा पुरा खमस्तोऽपि aval टत्तान्तो at निवेदितः। निषृष्टराव्यं शोऽस्यापि राज्य सेन्यदये तथा ¢ afaary Gua महामोहस्य after यादृशाः परिषक्छध्ये तामं ते निवेदये on हि तदा विषयामिलाषेण afew! यथेवंविधोऽसाव-

धमराओ जनितः कमपरिणामेन निजपिचा यदत | ददशो कपरो गाढ परशो कपराडसुखः | धमेमोचरृतदेषः प्रतिबद्धोऽयेकामयोः शब्दे GI रसे गन्धे सपर चात्यन्तशोखपः | तपोदानदयाश्रौलब्रह्मचये विदूषकः श्रत्यन्तवत्घलोऽस्माकं सदेवादेशकारकः | चारिचधर्मचेन्यस्य विद्धो बेरिषज्निभः चायमपि arate राव्य मापि निजं बलम्‌ GSI चास्माकं तख्कराकारधारिताम्‌

aS: Aaa? | ERS

aay अ्रधमस्यापि यद्राव्य तद्राच्य WANA: + अस्माकमेव संपन्नं देव नाद्य संश्रयः केवलं प्रवेश्ोऽस्य दातव्यो भुक्किमण्डले | प्रविष्टो fe विजानोयादास्माकौनं विचेष्टितम्‌ अस्ति किं वनमाजं हि aera दुरात्मनः | हिष्करएमेवातो युक्त नाच प्रवेश्रनम्‌ ततः परार महामोहो यः स्यादस्य बरदिष्ुतौ उपायः कोऽपि निःशेषं तमार्यो वक्तमरेति ततः प्राह aural देव विज्ञापितं मया ` यथासावधमो राजा प्रतिबद्धोऽयंकामयोः ततः सर्वेऽपि way वयं तं धनकामयोः आसक्तं ASG धारयामो बदिव्कतम्‌ | ततः. | | एवं विध्ौयतामायं महामाहेन जख्ितम्‌ बहिष्करण्कामेन सष्नोग्धताञ्च तस्य ते अ्रयास्ति . मन्त्िएस्तस्य सुता परमयोगिनौ | qfeata विश्रालाक्तौ खा तचद मभाषत देव ad जिताशेषदेवदानवमानुषाः | सोऽधमः कियतो माजा यतस्तं प्रति गामुकाः agtaat ममादेग्रौ येन तं वश्रवर्तिनम्‌ एकाणदं करोम्येषा युश्राकं किं विचिन्तया

ERS

wufafeerauney Fat |

राच्यभष्टं afeia भवतां कमेकारकम्‌ Wanye 4 रेव sharia स्रवः 9

अन्यच |

ay मे शरभो शेव तेते सहबारिष्टः +` सखद्रकाद्या Hees Tica: स्लोव्रभालषाः # सन्निधावं अव्ये भावतो भवतामपि सवेषां ay aye खो ब्रश शिविते मधा $

तथाहि 1

धनक्छभविदधेनोऽपि भवद्धिवेष्ठया मधा | निश्टोऽपि gu टेव प्रापितः प्रापिपश्रम्‌ तरौचलाँ ममादेश्रो मा feet विपोग्रताम्‌ | गच्छाम्यहं ean तं मरेश्वरम्‌ &

ततो GWAVA महामेहमरोञुजा 3

सा gfe: प्रगता तजर aaa सोऽधमे नृपः ¢

wag |

TUR] WEN शुना सवे बदरू मिमण्डशम्‌ | afcwyaen जातं जसप्रकन्पितम्‌ + faaguey चे श्राताः योकक्रन्द्राश्यः पुरा + अधमस्यापि बे Tey पन्नाः WITT 8 अथ खा aft यला इताग्यर्धागविभ्वमा | अधमस्य ACHE तश्च Brena: स्थिता तत AGA कपालेकरन्ञाश्पः |

बषः प्रस्तावः। ` ERE

संजातेऽन्यन्न जागोते संखारे सुखकारणएम्‌ स्लोणां कटाखविष्ेपविश्मेद्गितसंख्ितम्‌ | लावण्यं इसितं Gat खोखयच्निंरो चते नेजवङ्कस्तना्ेषु AFT मूढौः नौलानेगुखसत्कृम्भकर्पनां प्रतिपद्यते विलासलासविष्बो कडहावभावविराजितम्‌ | खूपाद्छं GUAT Hae seq मोदते विचिज्रविनविन्यासांस्तथान्यञ्च सक्तौ तुकम्‌ | सोऽधमो रूपसुत्यश्यसञानन्द मवगारते चिन्तयति च। अहो सुखमहो खगश्तयाहो पुष्धकमेता यस्य मे जायते नित्यं aya पद भनम्‌ ततो राजिदिवं मूढो रूपद शेनखोलुपः | सोऽन्यक्किचिन्न soma कोऽहं किं वा मथा शतम्‌ तथा वर्तमानस्य स्यभेनाद्ेस्तयापरः | महामोदादिभिस्तस्य खं खं ta निदर्ितम्‌ श्रय तेखुप्तसंचानः Mowat निजराञ्यतः | afeia: छतो देव प्रसक्तो चनकामयोः॥ ज्ञातं तेन तद्राज्यं निजं महाबलम्‌ ` wafe4 वा तेन राजाहमिति fafaaa ela बन्धवुद्या सा दृषटिक्तेन योगिनो | महामोदमददासेन्यं खुददूतं निरौकितिम्‌ - - 117

९१

उपमि तिभवपपच्चा कथा |

तत्र टसेन्येन तेन ATA Ty | वश्नौरेत्य इताः स्वं तस्यानुचरपार्थिवाः

तु राव्यपरिभष्टः खोयबान्धववजितः | रिपुरेन्यदतोऽणुचेेन्यते सुखमात्मनः दुःखरूपं पुनदुःखकारणं दुःखजनग्ध्कम्‌ | मन्यते fe विपर्यासाच्छब्दाद्यनुभवं सुखम्‌ राजरेवकशेलषबन्दिथूतकरोपमः

संजातो बहिरङ्गेषु देषु महोपतिः fagurat महापापः कपास्थानं विवेकिनाम्‌ | मासिको इतम्यादो धर्मानुष्टानदूषकः मन्यते धार्मिकं सोकं सहास्यं भोगवञ्चितम्‌ | विदग्धं मन्यते मोहादयेकामपरायणम्‌

विन्तयति

यस्य wage नित्य खदिरो वश्चवतिनो | धमं चं श्रि तस्येह ate: शेषा विडम्बनाः एवं afeteg देशेषु विषष्टते |

राजा विशप्रसवंखः सुखंमन्यस्तयापि

अन्यदा तेन मातक्घगे वौखिता रूपश्राखिनो |

त्यामध्युपपन्नच ततोऽसौ इृष्टिदोषतः

TAT | |

अनालोच्य FU: कलद्मतिदारुएम्‌ | SIE पापसङ्तमशतायतिवोचफणम्‌

WS: प्रस्ावः। ERR

श्रनाकणब्यं शोकेऽसो Was चात्ममोऽतलम्‌ | कार्याकायं विचारे रडितात्मा पार्थिवः तां aragy समादाय सद्रूपालोकशबम्बटः | तदक्मौलमाणोऽषौ नान्यत्किशन बुध्यते ततस्त तादृशं वोच्छ उत्तान षोऽधमो नृपः बहिरङ्गणनेऽयचच निन्दाया पातां गतः + समस्तेरपि GTI गाढाका्थंकारकः | राच्धाभिष्कासितो खोकेगुाः सर्वच. पूजिताः ततो दुःखश्तापूः क्रिभरिलासौ बदिन प्राप्तो जिषष्टराजौयामवस्छां पा पिपश्जरे कमेपरिणणामेन Tey दुष्ट तं लया .. Wat Ret दुःखेरनन्तेखज रोषतः ततो मया चिन्तित | TAU संजातमधमस्येदूशं फलम्‌ | ama eH नान्यत्किचन कारणम्‌ | aaaage देव जातो राजा विमध्यमः राच्यं तजान्तरङ्गे विहितं घोषणादिकम्‌ | समस्तोऽपि sam: पर्यालो वादिकस्तया ततः VII जातो यथामन्तरराञ्धयोः | aay | महामोहदमहाराजो मन्ति प्रत्यभाषत | ard वंध कौौदूखो gice विमध्यमः

ERR खपमितिमवप्रपश्चा SUT |

afautn महाराज agate नराधिपः अस्माकं fa तु चारिबधर्मसेन्यमपौच्ते AUS carer चित्ते बश्धष्डतागथं खदा तचाजुवतेयत्येष aa तदपि पार्थिवः केवलं पचपातोऽख्य गाहमस्मासु दृश्यते | सारिबधर्मसेन्ये तु राजाय भ्रियिलादरः र्इणोके यया सक्तं चिन्तमस्त avy: | तयान्तराश्तरा किचित्परशोकमपोखते प्रतिबद्ध मगो faa यथास्य धनकामथोः | तथानुश्रगैखयत्थेष धर्मकायेमपि कचित्‌ भद्रकः सवंरेवानां सोता सवेवपल्िनाम्‌ | दानश्नौशपरः किंचिन्न षच्छासलविदूषकः तदेवं देव राजायं नास्ाकमतिसुन्दरः | यसाश्चारिभधर्मादिसेन्यं जानाति किंचन तदनावदहितेर्भाव्यं देवास्मामिः water | प्बेशोऽच्यापि Teast दातव्यः कथंचन प्रविष्टो fe भवेदेष खसेन्यपरिपाखकः | आस्माकौनं पुमः. Si बाधते नाच संशयः डिभूंतः eae यदेष परिपालनम्‌ | कुर्या्थापि मास्माकं भवेदत्यन्तबाधकः अस्यापि तदेवा बहिष्करणकारणम्‌ |

धटः Tera: |

TA सद -यदस्मा मिरधमस्य Ga पुरा Sareea भो ठेव तत्तदेव विधौयताम्‌ | धावन्नाक्रामति प्राच्यं राज्यमेष विमध्यमः एवं भवतु तेनोक्रे महामोहमरोयुजा | बहिष्कृतः तेखौरः सरवदुष्टिपुरःसरेः anled aged किंतु नात्यन्तपोडितम्‌ चारिचधर्मयेन्यं भनागेतेरपेशितम्‌ सतु राजा afeiat मानखन्मानपूजनेः | तदात्मसेन्यं TY पालयत्यन्तरान्तरा प्रविभागेणः gery eset चण कणे | wa धर्मा्थंकामेष are कालोचित सदा ¢ तेऽपि चारिबध्मां्या मनागाप्यायितास्तथा |

तेन te कुर्वंन्ति शोकाक्रन्दनरोदनम्‌ `

राजागो ब्राह्मणाद्या ये सदाचारवर्तिनः जिवगंसाधनोदुकरासतेवां Si भजत्यसौ

अथ ange Hasan पार्थिवः |

- रनमध्ये गतः Brat धन्योऽयं पुष्यकमेकः

कर्मपरिणामाख्यो थः पिता ae पतेः | अरखावपि मनाक्‌ तष्टो दृष्टा तन्त्य चेष्टितम्‌ ततस्तं Wert कदा चिद्ुखकारणे | कटाचिग्म्ानवावासे मगरे सुखप्ररिते a कदाचिच gave नगरे विबधाण्ये।

ERR

३8

उपमितिभवप्पञ्चा कया |

प्रापथत्येष राजेश्धो मयेत्धाकण्ठितं तदा अयातौते पुनस्तज्र भुक्रराञ्ये विमध्यमे | जातोऽकरङ्गराच्येऽसौ मध्यमो माम पतिः विहितं घोषणं जातः पर्यालोचो मरोभुलाम्‌ | faafzarg तस्यापि quraaa मग्िष्णा

कथं

अयं राजा महाराज मध्यमः सततोद्यतः | धर्माथैकाममोखेव Gerry भावतः

परमायं तथा्येकं मन्यते AGT | तद्धेतुशतं धमे प्रसक्रोऽयथकामयोः उदारस्नविर हात्केवश्ं धमकामयोः |

प्रट़त्तिं gaa नित्यं तराषांखिन्धयन्ञपि बन्धूपु्रकशजादिरूपं यद्वाववन्धनम्‌ |

तच्लोटनं ग्रक्रोति कतुमेष नराधिपः तदिदं aferar तावक्महामोहादिश्येजाम्‌ मिबेदितं मया तच श्रुतं जनवातेखा

wager किं पुनरपरमाकणितं जनवातेथा भवता

वितरकँशेक्क | TATA देवः |

येन ते कथितं देव सिद्धान्तेमाविष् qa, साधे परि चयस्तेन aerate महोपतेः लतसतद्‌ पदे गे नानेन मध्यमन्धला |

ACTA महाराच्थं लेशोरेशेम लेखितम्‌

कि

धटः TAT | =

ae चसारिचधर्माद्यं सेन्यमोषद्धि भावितम्‌ vafefiaed खच वि्चातप्रायमश्चसा महामोहादिशकुरणा तेषां चरटदलिता | तेनावधघारिता राज्ञा बिद्धाम्तवसनात्किख ततोऽसौ मध्यमो राजा Taw कियतौमपि | आक्रम्य शमि राञ्यस्य मध्यभागे व्यवस्थितः अय चारिबधर्माद्याः खाङ्गग्डताः पदातयः | ममागाद्धादि तास्तेन चौरासेषन्निपोडिताः ततस्तद्धोर्यमुदौच्छ मदामो हादितस्कराः | सेवका दव awtat: खिताः कम्पितमानसाः मनागाह्ादिताचिन्ते खाभिवोयं निरोच्छ ते मृपाखारिबधमांद्याः सषेन्यपुर बान्धवाः #

थया वश्नौकृताः ya राजानः सापि योगिन | तस्य मध्यमराजस्य इृ्िनात्यन्तवाधिका ततोऽसौ मध्यमो राजा मनाङ्निजितमण्डलः राच्यं armas कालापेचो भुगक्रि तत्‌ बहिरङ्गेव देशेषु सने qreat मतः | धन्योऽयं पु्कर्मति waar नराधिपः बना |

ये केचिद्वथसन्मार्गा sar जनेष्श्रासने | जवा दितच्त्वेत्तारः अरद्धासंशद्ध मानसाः यथाशक्ति कियद्धोऽपि पापेभ्यो विरतास्षथा |

ERR

<

उपमितिभवषप्रपश्चा कथया

समस्तमुवनाह्काद कारिणः शद्रलेश्षया ॥'

तेषां fe यदनुष्टानं तन्तेनापि मिषेवितम्‌ |

देव मध्यमराजेन तद्राज्यं मुश्जता सिम्‌ ॥"

ये चान्ये तादृशा खोकाः परलोकषतोद्यमाः `

गरौतमोचतच्ार्थाख्पोऽखौ नराधिपः

ततोऽसौ यः पिता ae सावंभोमो नरोश्वरः |

कर्मपरिणमाख्यस्तो षितस्तेन कमेण

ततोऽसंख्यसुखापूरं नगरे विबुधाणये |

राजा मध्यमस्तेन Tat राब्येऽतिखदिते ततोऽहं चरितं Tey चतुर्णमपि श्मुजाम्‌ |

तेषां षकौतुको जातः पञ्चमः किं करिव्यति

धावन्तच महाराच्ये WHT नगरेषु |

घोषितं डिष्डिमेनोचेर्मोऽन मरोपतिः

ततस्तां घोषणां श्रता तेऽन्तरङ्गमराधिपाः

पुनः पर्याङ्धलोश्वताः खुन्दरा इतरोऽपि

ततखारिबधर्माय तेन सदोधमण्तिए

सन्धौरणाथे सेन्यसख agur प्रतिषेदिताः

en हि तेन सदहोधमण्तिण |

मा Hats भो लोकाः सुन्दरोऽचं नराधिपः | TIRANA महानन्द विधायकः जामाल्येष निजं राञ्यमिदं रबौघपूरितम्‌ | wate eae नामतो गणतोऽपि

षदः THT ERO

VaR ये शणासतच् ये प्रामनगराकराः | ये रेशा येऽज चरठाये लोकाः शड्र्त्यः॥ या राञ्यय्ितिः काचिदच्र राब्येऽतिसुन्दरा। afed बुध्यते देव सवसुल्षमग्डपतिः वधकोऽख्महलस्यायं WTA: | WAGITOIMGTATT मरो पतिः तदस्य यदिदं राज्यं तद्राज्यं परमार्थतः 1 अस्माकमेव संजाते देव AG संश्रयः # द्धो धमण्तिणो वाक्यमेवमाकष्ं ते गृण: | MATCH: गरोत्फृ्मुखपद्धजाः & AIHA: शतलोकचमस्ति | Bi वधेनकं तोषादानन्दरसनिभरम्‌ गायन्तिच ते, यथा| द्वमुष्समरारच्छमद्ा WIG शिलाखिखतस्कर ठन्दबलम्‌ | अचिरेण भविव्यति aeyy प्रमदा GBA अश्रम्‌ दूतश्च | 1 . मामो खादयः खव ला Tey तदौ मम्‌ | म्रलौना वथसिश्छेवं gener दव खिताः यामः च. NANA कथं जौवितरचण्ठम्‌ | इत्येवमाडन्ञोग् तास्ते fa fa किं a gaan 118

4. उपभितिभवप्रपश्चा कथा।

अरय राव्य समाषाश्च पितुस्तेन मरोभुजा उश्मेन fagra: vet राच्यस्थिति तदा # तद्यथा | कथं नाच प्रवेश्छामि तच राच्येऽतिदुगंमे | कथ वा निहनिष्यामि प्रष्डकलरटानदम्‌ कथा वश्नौभवेन्नोत्या METI ममाखिशम्‌ i कु ara मया नाय faatey निलपौरषम्‌ 6 सर्वापाय विधेव्ता लवं महाभाग aa | यथा निष्कण्टकं Treg wal तदक्तमदेसि तदेवसुत्तमेनोक्र सिद्धान्तः समभाषत | aq योग्योऽसि राश्यस्य AG AA सशयः ¢ तथाहि a मोच्कांचेकतानस्तवं तदयं धर्म॑साधकः 1. . संखारादिरतोऽत्यन्तमयंकामपराडसुखः मोखे प्रवतेमानस्य या atfaag ते सुखम्‌ | प्रसङ्गमजनितं तन्ते ag मो बन्धकारणम्‌ भवप्रपश्चः ख्वेऽपि विदितो भवतः स्फुटम्‌ तच्च wey त्वया wa यत्थिजा ते निबेदितम्‌ a यख प्रवेश्मो पायस्त्र Tey नरोत्तम ` तं ते गिषेदयिथामि भिःप्रषमवधारय तच भोः प्रविश्रतान्तरङ्गरा्धे गरपतिना प्रथममेव प्रष्टव्या शरवः | सम्यगगुषेधस्लदु परेशः | विधेधाहिताभनिनेवाग्न सद्‌ पषर्था |

See -- ~ -- res

WS: प्रस्वः | ९३१९

aa धर्मशास्लपारगमनं विमनो यस्तात्प्थंण agrare: | जनयितव्यस्तेम चेतसोऽवष्टम्भः श्रलुग्रौणनोया wana यथोक्ताः क्रियाः पयपाषनौयाः सन्तः। परिवजेनोयाः सततमसन्तः रच्णणौयाः खरूपोपमथा सवंजन्तवः भाषितव्य सत्यं स्वेशतडि- तमपर्षमनतिकाखे परोच्य वचनं याद्यमणोयोऽपि परधन- azd | विधेयं सर्वासामस्मरणमसंकल्यनमप्रायंनमनिरोचण्मममि- भाषणं स््ोणणं samt बहिर ङ्गान्तरङ्गसक्त्यागः। धारयः संथमोपकारो महायतिबेषः | यापनोयं नवकोरिविश्द्धनाहारोप- चिश्रय्यादिनात्मश्ररौर विहतंग्यमनियतविषारेण दातव्यस्त- श्रानिद्रालस्यविषादादौनामवकाशः। afea weuitg | गर्धितव्यं खादुरखेषु aifkael सुरभिगन्धेषु नाध्युप- aA कमनोयरूपेषु | मामिकां चितव्यं कणध्यानेषु | गो जितय्य RAIMI: | जरा्छनोयानि बोभ्सरूपाणि दष्टव्यमम- नोज्ञरसेषु निन्दितव्या दुरभिगन्धाः। गद्ंणौयमकानास्प- Tq प्रतिचणं षालनोयो विशद भावमयात्मा भवितव्यं षदा संतुष्टचिन्तेन समाचर णौोयं fafea तपश्चरणं विधातब्योऽनव- रतं पञ्चविधः ara: प्रणिधेयं परमेश्वरं सततमन्तःकरणं | वर्तितव्यं सभितिगुश्भिपरिपूतेन मागे परिसोढव्याः शत्पिपा - waza: wee: तितिकितव्या दि व्याद्युपसर्गाः श्रन्वसनोयं सौष्टतिस्मृतिबलाधानं तितयमसंपन्नयोगेषु एवं fe gaat नृपतेभवति तच रा प्रवेशः तद्धवताष्येवं तच प्रवेष्टव्यं उन्त- मेमोक्रं यदाश्नापयति मायः fagraata ag ada ततो

ge उपमितिभदप्रपश्चा Nut |

भविश्चति aa राच्ये तव प्रबेश्रः। Rad यरोतयस्लयायमसर- क्रोऽभ्वासनामा खाङ्गिकः सहायः तथा चारिचधर्मसेन्यादागमि- afa वे बेराम्याभिधानो दितीषः सह्रः। ततस्ताग्यामन्धा- खपैराग्याभ्यां सहितेन vant तच राच्ये wavy) fadgat मदहामोद्धा दिषेन्यस्य यन्तो बदिःप्रलारः निरन्वया ae बलाजिगेष्छन्तस्तस्येनिकाः। सधौरणौयं afte खिरो- कव्या चित्तट्न्तिराज्यग्डमिः प्रवरतिंतव्या मेचौमुदिताकदणोपे- ऋाभिधानाखतसखखो महादेव्यः | ततः समय्सामयोकेण खता पूवंडा- रेख प्रवेष्टग्यं तज राच्यं भवता तस वामे दिग्भागे महा- मोहादिषेन्याधारण्छतामि सर्वाश्छपि ्मामनगराकरपवेतनद्चादीनि प्रतिवसन्ति रिषे तु दिग्भागे चारिजधमरेन्यस् सम्नन्धोनि ग्रामादौनि विद्यन्ते सर्वाधारा पुबस्तषां विन्तटत्तिम॑शटवौ वतेते तस्याञ्च wai पश्चिमे faut विद्यते भिवैतिर्माम मगरो खा fe तां awediafreg safer iat faq- तिनमरौँ प्राप्तस्य ते परिपणे भविव्यत्यस्छ Tage फलं अरतस्तद्भ- मनायेमेव प्रस्थानं विधेयं कतेव्योऽन्यज भवता प्रतिबन्धः | aay तस्यां नगर्याममवरतप्रयाएके्धिन्तटन्तिमध्यभा गव्तिना- SPRATT मामो हादिसेन्यासपटेन सारिजध्मादिसेन्या तिवष्ठभेन MARAT VTA महदाराजमार्गेण | दत्चादावेवास्ति ताव- दध्यबसाथो नाम महाष्दः यदा पद्ककलृषो भवति तदा प्रत्येव महामोहादिषेन्यं पोषयति चारिन्धर्मानोकं तु रौड- यति यदा पुनः sauder खस्थो भवति तदा सोऽष्यवश्ायम-

SS ee = = ~ ees

धः प्रस्तावः | ९8९

शाह्नटखा रिबघमेसेन्यं तत्छभावतया teats महाभोहादिवख तु ara श्रत एव महामोदादयसं alowed कणषथस्ति शारिबधर्मादयद्छत्मोपकाराथेमेव तं प्रसादयन्ति भवता तु तथाध्यवसायमराष्दंस्य प्रसादनाये ताशतखोऽपि मडहादेश्यो fatter थतो निपुशास्ालस्व नितराममश्ताकरणे ततः yeaa aafeaurpe qetaay चारिषरधर्मादिषु वखाङ्गि many afity महामो हादितस्करोव पुनरग्रतो गन्तव्ये ततो भविग्यति तस्मादेव महाद्दात्‌ प्रडक्ता धारण नाम महानद | साख खिरसुश्यानाखमोपविषठेनोच्छाषरदहितमतिषेगेन गच्छता uftaey निःगरेषमिख्ियव्याचेपं भवता प्राप्तया aet wafaafa ते awateufenwa विविधविकश्पकण्यकल्लोल- कान्‌ ते भवतात्धश्तावडितेन भश्नौयाः ततो इच्छसि a धमेष्याननामानमतिप्रमुणं दष्डोखकं तेन॒ गन्तव्यं गला पतिष्यति सबोजयोगाभिधाने महति माभ तेन गच्छ तस्ते प्रतिच्णं॒प्रलयोभविष्यन्ति सवेऽपि महामोदादिग्रचवः। ससुखलिष्यन्ति तेषां aaa समस्तद्यानानि प्रवल्लोभवि- व्यन्ति चारि बधर्मादयः धवलता घारयिश्छति समस्तापि राख्य- मिः uefa रजस्तमसोर्नामापि ततो wad लं षएक्तध्यानाभिधानं दण्डोलकं तेन गच्छतो भविव्यति a विमखकेवलालोकः। ततः दष्डोलको गला fafwafa निर्बोजियोमाख्छे रहति मागं aay सितेन वया विषमरि- पुसमोकरणणाय विधातव्यः केवलिसमुद्धाताख्यः प्रत्नो जिदन्तव्याख

8१ उपभितिभवप्रपदञ्चा कथा |

arenas दुष्टवेतालाः ततः परं भविब्यति Taal नाम वरतेनौ | तथा गन्तव्यं सेव aet निर्वृतिनगर्थां भवन्तं प्रापयि- स्यति a यतोऽनारतलिष्टतीति एते शवं तमौदासौन्य- नामकं महाराजमागेमसुद्चत एव भवतः संपद्यन्ते व्यतिकराः | अन्यश्च AT गच्छता भवता Tela समता भाम योगनलिका | तस्यां पातनौया निजा दृष्टिः ततस्तस्यां समतायां पतित- soma भविव्यति यथावखितपदाथैदश्ैनं ततः खयमेव विज्ञाय प्रतिच्चणं यथो चितं करिष्यसि किं बहमोपदिष्टेनेति

तस्यां निरतौ aq प्राप्तस्तं सततोत्छवः |

तस्यान्तरङ्ग राज्यस्य फलं भोक्ता भविष्यसि

निर्बाधो नष्टनिःगरेषशचुखद्गतनिभेयः |

श्यास्यसि त्वं महाभाग सततानन्दपूरितः

ये तेऽन्तरङ्गास्ते waste तिसमभ्विताः |

मो दिष्यन्ते त्या साधं स्वं तल्लयतां गता;

अन्यच्च |

wera रिपुदन्तारं भरं वेराग्यनामकम्‌ |

विधायात्यन्तजिपुणएमभ्बाखं मागेटे शकम्‌

राच्यप्रवेशरादारभ्य गच्छतस्त पदे पट्‌

वमाना महाभाग भविव्यन्ति विग्डतयः

कि बना | | मोक्रव्यस्लया मार्गो faery waa: | मालुष्गो विधातव्यो बहिरङ्गविग्डतिषु

ee

षष्ठः प्रस्तावः ९8३.

पाष्याखारिबधर्माधाः Ras मामकं वचः |

एवं ते Saat ae सवं we भविव्यति

तद च्छ ay चिद्धिरे कर राच्च सुनिमंखम्‌ |

त्या राग्यफद्ञे प्रापे सफशो मे परिश्रमः उभ्लमेगोक् | यदाश्चापथति भायः |

ततो anafes afegran महाद्मना ..

तथेव विहितं सरवसुन्तमेन समेधसा .

ततः प्रविष्टोऽसौ aw राच्यं तेनेव व्मना

विहितागरेषकरतव्यो देवोन्तममहोपतिः॥

अयसा योगिनो दृष्टिमहामोहादिशजुभिः |.

तस्यापि योजिता देव वश्ीकरणएकासुकैः . `

धावता गतस्तस्ाः दृष्टेवंशवर्तिताम्‌ -|

कि तु नि्जित्य at तेन तेऽपि स्वऽपि निजिंताः॥

ततो निदेखितागरेष श्रव विकष्टकम्‌ |

उद्धतग्ड तिकं Gla राच्यमासाद्य सुन्दरम्‌ ..

पालयज्िजयेन्यानि सर्वाखा्काद यन्‌ प्रजाः

असुद्चजिर्वृतेर्मागे लोके श्ञाध्यतां गतः कथ | |

धन्योऽयं BABS AAT गरसन्तमः |.

येनेदं ace afew पुष्छकमंणा aay |

देवदानवमानुब्यश्रक्रयक्रधरेः श्चुतः

€.88

उपमितिभवप्रष्थाश्या।

गच्छजिट तेर्माजं ena: पर पूजनम्‌

तदेवं YMA सुखसन्दोदपूरितम्‌ |

ARTS भोः WITS मनोहरम्‌

Ailsa गख्छल्िःग्रेषचेष्ठितम्‌

सिद्धान्तोक्षं प्रकुवाएः gain दृटसणुतिः

agua राजा निदं तो eaten |

संप्राप्तः WANT रेव YER राव्थस्य सत्फलम्‌ ae टेव अयाकितं थया wat निट तौ anit

aaa जरा मार्तिने शोको नारतिने मोः

gga पिपासा चन केचिवुपद्रवाः fa तरिं।

स्लाभाविकं निरावाधं स्वश्धोभसुपमातिगम्‌ |

श्रनन्तं Ufa सुखमेव fe केवलम्‌ ततद

एव तयाखितं तेनं Teg ay |

येम तस्यां संप्राप्तो जावसिन्ताविवक्िसः न्यच |

थो राच्यदाता प्रागासौच्िता waza: |

कमपरिशामाख्यसेन जिया farce:

agn: खा wien पुरौ बायु्तमो यतः ततश्च |

क्मपरिण्णमव्य ढौ क्वेव aaa

वरः प्ररूदः।

कि afe

ad.

अमन्ानन्दषदोवंश्चानदश्रनपूरितः। सततं मोदते धन्यस्तस्यां निःगे षितक्रियः चिन्नटत्तिम हाराच्छ फलमेतत्सुपाशिते | uaa भवेत्काखमवश्यानं fe निदतौ तदेवं 2a तद्राश्यं परिपाश् विधानतः | संप्राप्तो निदं तौ पुर्थामुल्तमः aelafa: अय षष्टे पुन्वधं तज राच्ये नियोजितः | वरिष्ठो नाम TAK: खपुचस्तेन ways विहितं चोषं देशे डिण्डिमेन थयाक्रमम्‌ |

पर्यालोचादयो भावाः प्रठन्नाख महौसुजाम्‌ I -

au निश्चित्य aga महामोषादितस्कराः | मिर।नन्दा निराटोपाः संजाता ग्टतकण्पकाः इष्टाख्चा रिजधर्मा्ा मुदितं साधुमण्डलम्‌ | संजातं सखदेशरेषु महावधेनकं परम्‌ यद्ोत्तमस्य Al टन्तान्तो राञ्यसाघने |

सख एव वरिष्ठस्य विग्रषस्ठ॒ निगद्यते श्रासौत्यरिचयस्तस्य fasta पुरा gy: | fafed aceaa वरिष्ेन सुमेधसा

aaa विदमासाद् राच्यं तेन महाद्ममा `

a ve: किंचिदप्येष सिद्धान्तो राश्यसाधनम्‌ ` 119

€0N

éed. उपमितिभवप्रपञ्ा Sut |

खत एव विजानौते sat creafeta faa! सख वरिष्ठो महाभागो भान्यस्तस्सोपदे शकः अन्य | | सौराज्ये fasatae विदिते तेन भूभुजा बहिरक्ा महात्मानो जातास पदातयः बहिरङ्गपदातयेनां धारयन्ति यतो गणम्‌ | ततस्ते विश्रुता शोके arafa गणभारिफः # ततस्तेन वरिषेन तेरात्मगण्धारिभिः | छपकारोति fanra सिद्धान्तो निरूपितः अयोपलखन्य शिद्धागतं THETA सादरम्‌ समारथन्ति ते त्य श्ररोरमति्न्दरम्‌ ti ततखाङ्गान्युपाङ्गानि ema शतनिश्चयाः | संस्थापयन्ति ते तथ्य सथ्जानि गणएधारिणएटः एवं faa सोऽजरामररूपोऽपि शिद्भान्तः परमाघंतः | शोके प्रसिद्धिमायातो वरिष्ेनेष कारितः मोपदेष्टा वरिष्ठश्च तेनाौ राच्यसाधने | मिजन्ञा बलेनैव तद्वाच्यं तेन श्यधितम्‌ जिरपेच्ठो महाभागः वरिष्ठो नरेश्वरः | तदा परोप्देशानां संजातो निखवोयेतः fa ai | कमंपरिणणमेन arymt जनितो नुपः।

षदः GSTs | 88

तन्ते गिवेदयिष्येऽहं विश्चातं णो कवातंया

हि देव भगवान्‌ वरिष्ठो ate: सकलकाशं wae उपषजेनो शतखायं उचितक्ियावान्‌ देवगदवडङसानौ sata इटरयः सफलारम्भो BAMA परमेश्वरो दृढागु श्यो किकलोऽत्य- न्तधोरगम्भौराश्यः। WTS परोवड्ेषु भयञुपलगेषु चिन्ता- पोौद्धियवगं गणनापि महामोहादिश्रचुवभं साद्मौभाक्चारिभ- धमेराजारिक जिजबखे ऽभिरतिथुबोपकार करणे अन्यश्च |

प्रविष्टश्ञ महाराज्यं तज AS ANI: | संजाते aT LAY चरटादिषु

राश्धं परितं fea yaa: ख्ततोस्छबम्‌ | afecyt ससुद्खता अतिया at faate 2 i WaT SRITTUTTH TMAH: wifaarmafeg wnt: WHT पदातयः 4 ददं जिनं देव खदेवमतुना्रम्‌ |

तदा वरिष्ठराजख्छं ख्व किरतः मतम्‌ ara fayat देद fafa: खा महात्मनः ` तस्य श्वापि daa कितु तष्यांस Free: anat चितौ बेन aig मरेश्वरः। अख्ितसखं Taal wept दे प्रथत्धलम्‌

तं रेग्रयतस्तश्य वेभ॑क्रिभर निर्भरः | सुरासुरनरे टव थत्छतं तज्निवेदये राजतक्तपनो याद्चख्धिबरङ्रेश्च निर्मितः |

égs

उप्रसमितिभवप्रपश्चा कथया |

एते चयः प्रभोर्भान्ति प्राकारास्तस् निर्मलाः

` भ्वमह्वमर विस्तारतारद्यङ्धारबन्धुरः

अशोकपादपो भाति मनोनन्दनपक्वः रणद्िरेफसंकोणा सुरासुरकरेरिता |

grate: पततधु्चेगंन्धामोदितदिकूपथा तथा

प्राकार यमध्यस्ये कुर्वाणे मागर श्नाम्‌ | afte खततानन्दिनिर्धोषः भूयते किख म्टणालनालसन्तम्तखन्तानाकारधारिताम्‌ चरन्ति विराजन्ते चामराणि sant: विरिषरबविच्छिलिभिमिंतामि मडहाभ्ति सिंहाथनानि शोभन्ते चतवारि चत्रारतेः प्रकाशितिनभोभागं भाख्कराकारधारकम्‌ | राजते तन्तनुल्लाि प्रभामष्डशसु्तमम्‌ eurfaanarera: सुरकिदुरताडिवः | wat दुम्दुभिर्दिंष्यो जगतां कपे ग्रसः आतपवजयं भाति भुवमचयमायकः |

अयं वरिष्ठ इत्येवं ख्यापनायंमिव प्रभोः इत्येवमादि भिदैव देवदानवनिर्मितेः | प्रातिहा्चरमहाभागः वरिष्ठो विराजते

अन्यच्च |

सुगन्थिरविंमलो देहः प्रसेद्‌ा मयव जितः |

aS: प्रस्तावः | ९8९

गोचोरहारसङ्धाश्ं TH मांसं waa: निरहाराहारचेष्टा gear मांसचचुषाम्‌ | निश्वासः सुरमिस्तस्य sad gaa कोटौकोग्ोऽपि ATMS: GI योनमाचके एकापि भारतो भाति सर्ववां निलभाषया qaqa: प्र्राभ्यभ्ति वैरमारौोरुगौतथः | mena area भाविन्यस्तष्य तेजसा थोजनाभां शते मास्ति दुभिंचं aman: अटृषश्टिरतिषटटिखि स्तः सेनादितख भीः इत्येते BUA मडहामोहादिवेरिणम्‌ | समुद जगतो देव GAT वरश्डपतेः

चक्र EW ध्वजो रेख सिंतखारूदिश्वमः भाति राजौवराजिख क्रामतः कमवर्तिनो suger तिष्टन्ति कष्टकास्तप्रभावतः | अवल्धितं तदा ae नखरोमादिक प्रभोः शब्द खूपर षस्यशेगन्धा इदयदहारिणः | तवद्य भवगध्ेः प्रभावेए जगत्रभोः ग्मिगेन्धोदकाषिक्ना पुष्यप्रकरराजिता। श्राजागृत्सेधिभिः Ga: पचवर्थेः सुगस्धिभिः ufautsfa अगन्लायं तं gata प्रदङिणम्‌ | वाति तस्य सदाकालमनुकूलः BATT: भमन्ति पादपास्तस्य aad भक्तिनिभेराः |

षडपमि तिभवप्रपच्ा कथा |

कोटिन याति देवानां पादम्‌ शात्कदाचन इत्येतेऽतिश्रयासस्य हैवभक्रिविनिभिताः | प्रदुश्धेता निजं राव्यं शुश्चतौ वर्तेः एवं सञ्खकशाणसन्डो होहामलासिनो तिबेरि्राजस्य रेव वाम्योखरातिमा दूत्यं जिभुवनानन्दकारकः ATT. | म्या निरतौ War प्रापयेग््ागंरे शकः ATMATTH राच्यं BART वर्ना | असावपि शतो देव faaat we लिप यद्योन्तमच्छ fafest उन्तालोऽरिदधादिकः | श्च एवास्यापि विश्चेयो वरिष्ठस्य संश्रवः अन्यच्च | | | विहिता wtwrerfa gfe: परमयोगिनौ aarfafeentl रेव after महौभुजा निखनन्धवियुक्षा पा सवंश्नक्तितिव जिता | ततो दृष्टिर्विशकेव vader awe गता तदेवं कतत्थवाज्निदंतौ नरेश्वरः | आस्ते शान्तो गिराबाध्रः खतताजन्दपूरितः a एवं fe | तद्धवद्धिर्वंदा दिष्टं crenegfatiwar | तदेवं देव छलाहमामतस्तव afaut aad वितर्कश्च भावितं awlafn: |

षषः Wes: | EUR

WHA: खमाकश्यं चेतसा पथंचिनतयत्‌ अये यथेव fee पूवे मे सिद्धान्तेन मशदाक्ममा | तयेव सकलं जातं नान्यथा ae भाषितम्‌ AMVs तेन fag भाषितं warty | awa किल्ेकमपि तद्राश्धं कारणं सुखदुःखथोः | भवेत्पालममाभिल्य Fut पाणविग्रोषतः waz मे fanaa तथेवा् निषे, दतम्‌ | सभवेदन्यथाभावः oa: डिद्धान्तभाषिते तथाहि | निरुष्टाधमयोजांतं तदुःखष्येव कारणम्‌ | दुष्यािति इतं ताभ्यां ary eter यतः विमध्यमस्य WH तत्खन्पसुखका रणम्‌ | थतः afeiaa wad विहितं मन्दपाशितम्‌ मध्यमस्य wand तो धंसुखेक।रएम्‌ | चतः प्रविश्य तेनेदं पालितं किबिदादरात्‌ a निःगेषसुखसम्भारकारणं राच्यमु कैः | विशिष्टपालनाग्नातं तदुत्तमवरिष्टयोः far a एतदा विंकराञ्यानां षटं कखयता मथा | घवमेव हि fad यतः ain ननोविभिः 4

४१ डपमितिभवप्रपश्चा कथया |

येन सवश्छरो दुष्टः सशत्कामख सेवितः | तेन wafad इष्टं पुनरावर्त॑कं जगत्‌ तख्ि्धाम्तप्रसादेन fanra सुखदुःखयोः | चतु जातः मबुड्धोऽहं विनष्टेवाप्रबृदधता एवं परितुष्टात्मा प्रबद्धो मराधिपः। agree fafa marenat facrac: CF Wap: सवै तुभ्यं UfTaqVng निवेदितं मथा aise. mgad निबोध मे धया दोषाय सजाता मदहामोहादिश्चवः ` साच दृष्टिरविगरेषेण निषृष्टाधमयोखूया तयान्येऽप्यन्तरङ्म भो लोका दोषाय रेडिनाम्‌ | दुष्टा fanart जायन्ते नाच संशयः धतो URI wag धनगेखरम्‌ | भरमन्तमन्तरक्गाभ्यां fameal परिपौ डितम्‌ थथयान्यस्लापि दोषे किं दोषो जायते शरः | येनाखौ भिषदोषेण पद्यते धनगेखरः तदेवं भो महाराज युश्यते धनशेखरे | argafayaide arena विचेहितम्‌ हरिमरेणष्दरेणोक् | [ee ef 4 एवमेतग्महाभाग नष्टो मे संश्योऽधना | किं aatsfe ममाध्ापि सन्देहः शोऽपमोयताम्‌ ये कमेपरिणमख्छ षडमो परिकौतिताः ..

षष्टः Wea | €aQ

Gueg wed परतः किमजायत

fa षडेव fe जातानि तामि cena नापरम्‌ | fa वा भवन्ति ताढूशि रोब्धान्य पुनः पुनः खूरिराह महाराज एते भुवनोदरे | विद्यन्ते Zier: केचिन्नागाकाराखराचराः a

ते कमेपरिणामख्य सर्वेऽपि परमार्चंतः विज्नेयाः षड्विधाकाराः पुजा नाश्य संशयः ततस्तेषु ANAT तद्रा्धमपरे Gar: |

तादृश्रा एव yet दत्तं तेन महोभुजा तेषामपि भवत्येव तल्छुखासुखकारणम्‌ | निशृष्टाद्याभिधानं age: शमवते

|

तिष्टन्ति दूरगास्तावदपरे तश्च इनवः |

मामेव fe महाराज तस्य ge विशोकय

थः कमेपरिामेन दन्तराच्धस्ततः परम्‌ | सिद्धाग्तादिष्टसक्मार्गो वेराग्याभ्वाससंयतः शतपूरवं्रियो wey प्रविष्ट सुन्दर इतारिव्ेखा रि ्धर्मयेन्यश्य पोषकः सोऽदमेभिः खमायुक्ः werada साधमिः | राच्यं Palen उन्मो नाम तस्तः ये गुणा wed या fray चेष्टितम्‌ | मथा निवेदितं पै त्य पञ्चमगरपतेः

120

९५8 | sufafawaguat AUT |

ते गणास्तु सा fafa चेष्टितम्‌ ` AAD महाराज Vs भासि संशयः ददं हि राच्यं कुर्वाणो भिग्रहः सुरादिभिः) अरु गृणगणोपेत इति waren स्तः तथा | खष्वे रनससिद्भ यदच परमं सुखम्‌ | राञ्ये मे तिष्ठतो शप तत्त्‌ ah पायते तया कोटयो रन्नराश्यगामसद्यातं मे वलम्‌ चतुरङ्ग महाराज विगश्ठतिरियमोद्शौ तया | | यस्सिद्भान्तोदित wal छत तेन महहाद्मना | छन्तमेन तु देवाह करोमोति विचेष्टितम्‌ तत्कमंपरिणामश यथाहमधुनोन्तमः | जातः सुतस्तयान्येऽपि fawsrer dna: ॥: अविख्छिन्लप्रवादेण तद्राच्यमयरे ऽपरे | एकरूपमनेकेऽपि युग पटुश्चैन्ति पािवाः ततो ग्रदोतभगवदवनभावार्थनाभिदहितं इरिनरेद्रेण | भदन्त aga भुवनोदरर्विवरचारिणएः सर्वेऽपि tae क्मंपरिणम- महाराजस्य Gas परमार्थेन यदि तदण्रङ्ग चिन्तटत्ति- मराग्डमिराञ्ये तेभ्यः eae क्मपरि णामेम saa aq दन्तं सरेकरूपमपि पाचविश्रवादनेकष््पतया परिणमति नानाशूपाणं

aS: Wala | , ५५

तेषां देहिनां fafaugeq-aeaa प्रतिपद्यते तदेवं सिते वय- मपि wea क्मपरिणममदाराजस्य सुता alas | ततश्चास्माक- मपि तद्राश्यमाभवल्येव उन्नमख्रिष्णाभिहितं। महाराज सम्यग्‌ fafya बाढमाभवव्येव तद्वाच्यं भवतः पालयसि तं विमध्यम- राज्यं केवलं छच्यसि यतः साधयसि लं विभन्य राजिदिवं धर्मायैकामलकएं परस्यरमवषाधया fea एतदेव विमध्यम- राञ्यज्रचणं प्राग्व्याख्यातं तक्कि नावधारितं भवता हरिराजे- मो क्रं We ममानेन विमध्यमराच्येन | भदन्त दाता मद्यमपौ- दमात्मोयसुत्तमराच्यं। खरिराद | महाराज सुन्दरमिदं। केवलं

aad: साधमिशेन्धमिदं Tey नरोत्तम

तथेव WAN मनं MIL शाभकारणम्‌ |

एतेऽप्यस्मिन्‌ मयाख्याते खराख्येऽतिममोशरे |

शरत्यन्तसस्हा जातास्तक्लाभायं बथा भवान्‌ `

ततो मयोदिता शप yaaa सुसाधवः |

यया भागवतीं दौचां विना नेतदवा्ते `

ततोऽमोमिः WAST सा Stat कल्मषनाश्रनो

प्राप्न WHET सुखसम्भारकारणम्‌ |

शतस्तवापि यद्यस्ति तज वाज्छा नरेश्वर |

राज्ये तद्द्यतामेषा gar भागवतौ वथा

इरिराजेनोक्कं एतावग््माचतो नाथ सुखखन्दोददायकम्‌ | aera महाराच्यं तत्ततः कि विक्लग्न्यते `

९४ उपरि तिभवप्रपषा कया |

तरौयतां प्रसादेन AYA WA लया |

लाय भागवतौ eter मा विलम्बो विधौयताम्‌

ततः often इषं विस्फारितेषणः |

इरि HATE चारू TE लार्‌ मरेश्वर warty |

इटं faura azregq दोशालभ्यं सुखप्रदम्‌ |

wat enel नादाय Bay बड ₹ारयेत्‌

योग्यश्मसि दाया भागवत्या ENT: |

अपा वथं Hat aa तट्‌ ग्ट्यतामिथम्‌

ततसश्तचेति भावेन परतिपद्य गुरोवंचः

afaae: varete समं मण्तिमहक्तमेः &

feared संस्याप्य पुजं शादु खमामकम्‌ |

दिगान्यष्ट जिनेश्रा्णं प्रविधाय मरोत्छवम्‌

प्रयिलाथिंख्वातं मानयिला गुरूगखम्‌ |

विधाय नगरानन्दं wat सवे यथोचितम्‌ समं मयूरमच्चया प्रधानेख नरेश्वरः |

neta: पाञ्च ferret पिधिपूवेकम्‌

ततः संप्राप्य ATTA खतताननब्धसुम्दरम्‌ |

मोदमानो महाभागो fare weirs दत |

HESTEATHA FTAA समेथुषा |

तेन सागरमिजरण नाटितोऽदमनेकधा

we ~ Pe re inn SES LIC Ne er

षष्टः Geta: | ९४9

नानारूपेषु SITY ततोऽदं wate: | euufaframan पर्यटामि पुनः पुनः अथान्यदा ANTS पतितोऽदं सुभौोषणे | उपविष्टः अमोपेतो बिष्वपादपसन्िधौ ततस | ATA Ter प्रारोदं भूमिगामिनम्‌ | wetwfed भद्रे मथा तच fara ततः सागरो AF भातो मे प्रेरकस्तदा। छत्‌श्वनेदं यथा शौचं निधानं घनगेखर ततः खाता मया wires: सद्रपूरितः। AUK प्रभाजाजेः प्रकाभ्ितदिगन्तरः ततः प्रञ्ुदितसिन्ते were acetea | FEM UES AW खागरस्याश्चया द्रुतम्‌ धावद्भोषणटनादेन atzafaa दिकूपयम्‌ | SRAGY वेताखः कालाकारः सुदारुणः गयनोक्ासितश्वाख्ः फेत्कारारावभासुरः | दोषेददाकरालेन वदनेन थमाधिकः तेनाहमारटश्ैः छवा वदनकोटर | विपाटितो बचाद्धद्र माढं कटकटायता wart अरां प्राप्ता गुडिका मे चिरम्मनो wat TAIT Be भवितव्यतया तया | ततसदोयमाहाग्यासखपराप्नोऽदं थया पुरा |

४८ उपमिलतिभवप्रप्ञ्चा AUT |

तस्यां पापिष्ठवाषायां gat सप्तमपारक्े AVIA दुःखानि भयो श्वयो वरागेने | WAM पुनः काशं शवेखानेषु वेया तदुःखं जगल्धस्ति यन्न प्राप्तं मयानघ | अन्यदा ङतसत्कमां प्रोक्रोऽहं भायेया तया थथा | अख्या्थेपुज fae sere माम प्लगम्‌ | बहिरङ्गं लया aw मला BE यथा पुरा मयोक्तं | यदाज्ञापयति देवो ततः wae भम पुश्योदयः सहचरः | वितो गुडिका विहितं मया प्रश्यामभिति यदिदमसुखभं भो waafiriqe- वं विधभवचारात्यन्त रोने रवम्‌ | त्दपि सयनखोखा भेयनेच्छापरोती खघ धगवखशबग्धा ATTY मूढाः तत | | | fanfeara इमे भरभावतः प्रबशकर्ममहाभरपूरिताः सततदुःखमरज्ति पुनः पुनः सकशेकारममन्तभवारकोम्‌ तदिदमच निबेदितमश्सा fanaet aq भग्यजना मया ददमवेत्य गिराङुखत xa मनसामरमभेथुनलोखताम्‌ इत्युपमितिभवप्रपश्बायां कथायां लोभमैश्चन चक्ष रिन्दरियविषाकवणेनः ष्ठः प्रस्तावः समाप्तः

र्य तत्तमः प्रस्तावः | ee

अयासि अगदाह्कादं BETS माम तत्पुरम्‌ | निःगरेषभुवनाञ्चयंकारणं दुःखवारणम्‌

यच sow jay मिचःखेहेन रेया | भिथनानि प्रक्ुवंन्ति रतिमन्यविथमम्‌

तच निदेडिताग्रेषश्रच्पूगो महारथः | तेजःप्रणतघ्चामन्तो जोमूतो माम पायवः तस्यास्ति रतिसङ्ाश्रा रतिषन्दोहरायिका | गेला माम महादेवो सर्वाग्भःपुरनायिका अयाग्रदोतसङते भदितव्यतया तया |

तदाहं डिका दानात्तस्ाः कलौ प्रवेशितः ततोऽहं मरकाकारे ATTRA SHASTA | aa feet विनिग्छान्तो यो नियन्तनिपौडितः अय मां वोच्छ सा ater खिग्धलोखविलो चना | जातो में पुजकञ्चारूरिति तोषश्रुषागता

जात एवं मया साधं सोऽपि पुण्णोदयस्तथा | कवं AMPA दुष्टो क्त शोलया ti

अथ जोमूतराजाय frageal निवेदितः |

९९१ उपमितिभवप्रपच्चा wat |

दन्तं AG महादानं तेन संतु्टसेतथा

प्रवर्तितो महानन्दः शतं बन्धममो चनम्‌ |

प्रष्टं fafed राच्यं वादितानन्दमदंलम्‌

गानपानमहादामखादमप्रवणे अने |

अथय निर्वर्तितप्राये ay जग्ममहोत्छवे

व्यो तिः्रास््े शतोद्योगः सिद्धार्थो नाम fas:

yet ओमूतराजेम महार्षावल्छर स्तदा

थथा निवेदयलार्यः कुमारजसमनचचस्य Alem ग्हावणलोक-

नेति fagraate यदाज्ञापयति देवः समाकण्ंयत तावत्‌ | अरयमानन्दः FIT | SA श्रत्कालः मासः afin | तिधिर्दितौयेऽति भद्रा। वारो हस्यतिः। aed इन्तिका राजिरटषः 1 थोगो तिः सौम्यग्रहनिरो कितं eae crea खिताः Gf गहाः | Seager UIT एकादश्खानखिताः एभ- तराः पापग्रहा ष्ति। | afte

HAAN राशौ छुमारो देव Ger

Vara wigs भविष्यग्ति संशयः

राज्ञाभिहितं श्राय एते राशयः के वामोषां दण शति

ओतुमिच्छामि | सिद्धार्थनोक्रं देव समाकणय | राश्रयस्तावदेते मेषो ant मिथुनः aa: सिंहः कन्या तुला टधिको धनुमेकरः कुम्भो मोन दति एतेषाममो Ju त्यया

चोलः सदारोगौ wate शतनिखयः |

wae: तन्न विक्रान्तो राजपूजितः

सपत्रमः प्रसताबः।

कामिनौदद यानन्ददायको AWA: | चण्डकर्मा ATA मेषे जातो भवेश्ञरः श्रपन्डल्युभेवेत्तस्य किशाष्टाद्‌ वत्सरे |

पश्च विंश तिपर्थन्तवपे वापि कथंचन भष्टस्ताभ्यां पुनजेविच्छतमेकं धियेत वा शस्िकाखर्धराजेऽसौ चतुदंभ्यां मङ्गले

` भोगौ दाता इएचिदंचः UAT मरागलः | Anal रागबडलः कणष्डरोगो सुपुचकः

सविशासगतिः सत्यो लाञ्छन सखन्धगष्डयोः .

एवं शुरगणोपेतो इषे जातो भवेन्नरः

समानां श्रतं जौवेत्पञ्चविंश्रतिको यदि | भश्येचतुष्यदान्तस्य मरण्टं रोहिणोवुधे युष्टाज्गो टिणोलख भेयुनासक्रमागखः | Way कड्णोपेतः कण्टरोगो जममियः गान्धवेनाखकुश्रलः कौतिभागो गुणोत्कटः गौरो Ze: पटु्वाचि मिधुनोद्धतमामवः जे TUTTI: Weare faa षोडशे | श्रननौतिको बियेतासौ पौषमासे जलानखे कार्व॑सारो धनौ शरो धर्मिष्ठो गुर्वत्सलः | भिरोरोनौ महाबुद्धिः amy: कतवेदकः WATS: कोपान्धो बाय दुःखो सुमिनकः

HATA AAR: कर्कटोद्धूतमानवः 121

Upamitibhavaprapanca Katha, Fasc. XI, N.S. 1154,

<€ ९२९

EGR

उपसिलतिभवप्रपच्चा कथया |

पतनेन सिशेतासौ वर्षाणां fast मरः | अप्नोतो वा पुनः we anne सिते निभि चमौ मानौ क्रियायुक्त वत्सो मध्माखयोः | दे ग्रभमणन्नौ लख विनौतः wate: चिप्रकोपौ BAY जननौजनकप्रियः |

wan प्रकटो लोके सिंहे जातो मनुव्यकः पञ्चाशत्को बिथेतासौ यदि वा शतिको मधौ | aug Mii सुशेत्युष्रेचे wage विशासिनौजनादह्ाददायको wagfta: |

दाता <a: कविषटदधभाभे धमेपरायएः सर्वलोकप्रिथो नाच्यगान्धवग्धसने रतः प्वाश्रणः MTA कन्याज्ातो ART जिशत्को सिथते शस्वाष्बलादा यदि वा am: | श्रौतौ qeqed वेशराखे बुधवासरे अश्वानरोषणो दुःखो स्फटभाषो wen faa: | दलाचद्खलच्ोको ze शितविक्रमः a arfacqzat देवानां प्रूजकीो मिचवल्छलः | प्रवासो सुषदामिष्टस्लाजातो भवेन्नरः मिथेत विंशतौ दुश्यपातादिभ्योऽयवा पुनः | च्प्गोतावनुराधासु Se मङ्गखवासरे ब(खप्रवासौ क्रूरात्मा श्रः पिङ्गललोचनः | परदाररतो मानो निष्टुरः खजने अने

सप्तमः परस्तावः। ede

सारसावाप्तलच्छौैको जनन्धामपि seat: धूतश्ौ रोऽफलारमौ ठश्िकोद्धतमानवः

चेष्दौराददिश्रस्ताननो ियेताष्टादश्ाब्दकः। पश्चविंश्तिको वापि ततो जौवति सक्नतिम्‌ a शूरः सद्यो भिया gm: साल्िको जनमन्दनः | गिश्यविन्नानसंयुक्रो धनाद्छो वरभायेकः मानो शारिजररुपन्लो लखिता चरभाषकः | तेजसो खयूलदे इच कुलघ्नो धनुजातकः

चोत्यञ्िदिनाश्ो चेज्घिथेताष्टादश्रे दिने। ततो जवति वर्षाणां फिलासौ सक्तसप्ततिम्‌ a gua am: खौणां पण्डितः पारदारिकः | Tam लाञ्छनो AW Nat area: धनो wat eere wharedftarara: uftfufanstary seit मकरे नरः faaa विंशतौ eva: शूलेन सप्ततौ | TAQ भाद्रपदे जोवितं विमुश्चति दाताणलसः BAN WARTS: | शाण्रङुङिनिर्भोको went onfien: wagfegel wa मानविद्याहतोद्यमः | Garey: खद रोनख कुम्भे जातो भवेश्नरः चेदष्टादगरे वषं व्याग्रेण Yaa: | लोषेदगोति वर्षाणां चतुभिंरधिकां मरः

€६४ उपमितिभवप्रपश्चा कचा |

गम्भोरचेष्ठितः शूरः Tare ATTA: | को पप्रज्ञारणश्रष्टो त्यागो TTT: गान्धवेबेदको नित्यं सेवकसखेतरे जने | गच्छति ATU मां मौने जातो Aa: ` तदेव देवं ये प्रोक्ता मेषादीनां यणा मया एते va खशियेगभ्यः सवश्ेन निवेदिताः are | atfanta fafa यच्चान्यदपि तादृशम्‌ श्रतौ द्धियायें तच्छास्तं स्वै Tandy ततोऽज व्यभिचारः स्यात्‌ केवशं भरदोषतः। विभागं fe जानोते शास्वस्यास्पश्चतो गरः एवं faa | कुर ग्रेन दृष्टायेदलवन्तञ्च रा श्रयः | ततोऽमोषां शणाः सत्या नान्ययेत्यवधारय ततो नोमूनराजेनोक्ष | एवमेत लास्य सन्देहः सम्यगा- वेदितमार्यण। ततः परिपूज्य दानसग्मानादिना प्रडितः fagre: | ufafea महानन्दयुरःखर समुचितसमये मम घनवाहन इति गाम इतञ्चास्ति तख जोमूतनृपतेः कनिष्ठो भाता नौरदो भाम | तस्य पश्चा नाम महादेवो सापि तभ्भिन्ञेवावखरे दारकं wear! प्रतिष्ठितं तस्याकलङ्क इत्यभिधानं | ततोऽ लालितोऽत्यन्तं नोरदनन्दनः। क्रमेण सुखवषन्दोरेस्तज ठद्विसुपागतौ

सप्तमः पषर्नावः।

करोडितं समं तेन Te धुद्धादिना मया |

पिद्वव्यपुजभाबेन जातो face: क्रचित्‌ ततश्च

कौ मारे वर्तमानस्य भवितव्यतया तथा |

साधं तेनाकलद्धेन मम मेचौ नियोजिता

जातः परस्परं Get निभिथ्यं गाडमावयोः |

एकोपाध्यायदहस्ताञ्च श्टहोताः सकलाः कलाः |

तया लखमानोऽदमकखद्ख्च सुन्दरि |

पराप्तौ कमेण ATO मकरष्वजमन्दिरम्‌

चाकलणद्ो बा्येऽपि कौमारे यौवनेऽपि

शघुक्मतया धन्यो Yet दुष्टचेष्टितः कि afe

प्रशान्तभूतिः पुष्ाक्मा विनतो रैवपूजकः |

परियवादौ श्धिरोऽव्यन्तं निमंखोमसमागसः

स्तोकरागः seca विकाररडितः खदा

अरश्ञातपरमार्थोऽपि तक्तवेदौव भासते

ततः सुसाधुसम्पकाद्भद्रकस्तज्िषेवकः |

व्यास्यानश्रवणाष्नातः ङ्ुश्रलोऽसौ जिमागमे

तयापि qwraa मया साधं दिने दिने |

सोऽकलङ्कस्तदा भद्रे विलसत्थेव लोलया

अरथान्यदा मया ala: प्रभाते विचचणः। मनोहारिणि रोश्षायेमुद्याने बृघनन्दमे

६५.

edd उपभिलतिमवप्पश्चा wut |

ततो ममोपरोधेन wifeaT प्रहरदइयम्‌ |

अथ मध्याक्ृकालेऽसौ प्रखितो खरमंसुखम्‌

amma विश्रम्य मन्दिरे काननान्तरे |

ततो गेहे गमिष्यावः Saat खणएमाचकम्‌

ततो ऽकलङ्कस्तचरत्वा मामकं वचनं तदा |

उद्यानमध्यभागस्छे प्रविष्टो जिनमन्दिरे

तभाजिषटूय TAM भगवन्त जिनेश्वरम्‌ |

निर्गतेन मया साधं दृष्टास्तेन सुसाधवः

ते तचाष्टमौ मला खकौयवसतेस्तदा |

TAT लोकनायस्य वम्दमाथंसुपोषिताः

ततस्ते विधिवत्छवे वन्दित्वा भुवनेश्वरम्‌ |

बहिः लिद्धान्तस्बाणि दणणयन्ति wag weg

परस्परं far दुरे fea निमेलकाम्तयः |

afeataegzy war दव महाधियः

अ्यम्तपुम्दराकारा यथेष्टफलदायिनः |

तदान ते विराजन्ते कश्यपादपषज्निभाः

ततोऽभिहितमकलङ्न | कुमार saw पश्च qa

सुनयो भगवन्तो मकरकेतना cq रूपेण दिमकरा इव तेजखितया सुरश्िखरिणए इव स्थिरतया सागरा दव गश्मौरतया मद्धि BAU इव लावष्पसमुदथेन दृश्यन्ते तत्‌ किं पुनभेग- वताममौषानेवंविधगुण्योगेन ुवनराश्यो चितानामपोदृश्ामत्यन्त- दुखरकष्टवर्याग्रइणे कारएमग्डदिति सकौतुकं नेतः ate

सप्तमः प्रस्तावः | 9

तावत्‌ एच्छामोऽमृब्धुनिपुङ्गवान्‌ भगवतः प्रत्येकं यथा किं कश्य वेराग्यकारणएमिति | ate एवं भवत्‌

ततो गतावेकस्य qt समीपं वन्दिल्ाकखद्धेन gets सुनिः। भदन्त किं ते वेराग्यकारणमिति। gare! भद्राकएंथ लोकोदरे ग्रामे aes: कुटभ्बिकोऽषं। तजर ग्रामे cat waned प्रदौपनकं। waht घूमवितानं। प्रदो श्वालाकलापः। egufadt वंशस्फोटरवः | wafer लोकाः संजातः कोला- we: इदन्ति डिम्मरूपाणि धावन्ति ater) soca sat: |) क्रोशन्ति पङ्गवः। किलिकिखायन्ते विद्धाः quate तखाः ददन्ते wears: afta wou; सर्व॑या सजातममातापुचोयमिति | ततस्तादृओे समसत UTAH ely प्रदौपनेके fagg: afatat मन्वादौ चोत्थाय खितो ग्ाममध्यवतिंमि गो चणक हतमनेना्मकवचं विहितं रेखया विशाशं मण्डलं wat महता शब्देन ते रामेयकलोकाः | यथ गच्छते यूयम मदौोयमण्डले प्रविश्रत थेन a SYA भवतां सवंस्लानि श्ररोराणि ततस्तथा पूत्कुवंलसतस्य वचन- aaa केचित्खण्यतमा लोकास्त तदौोयमग्बमष्डले प्रविष्टाः | शेषाः FAUNA इव मा TI इतददथा दवात्मवेरिका दव cee इव तस्िन्नेव तथाविधे प्रदौपगके दद्ममानेषु तथा wag प्रिपन्ति दएकाष्टभारान्‌ विष्यापयन्ति एतश्तघटक्षैः | ततच्ेलो्मष्डलससैः परोक्षाः भो भो भद्रा नायमस्् प्ररीपनकस्व प्रणमोपायः | fa तहिं यूयमिदं जलेन वा विध्यापयत oy

शख उपमिविमबप्रपन्चा wut |

वानेन awa विरचिते मग्धमण्डले प्रविशत येनेदं प्रशाम्बति भवतां ययाख्हेषु प्रशान्तं ते तु लोका त्तेषां वचनं केचिन्ञा- कणेयन्ति केचिदवधोरयन्ति केषिदु पसम्ति केचिदुष्टथन्ति afefeayia केचित्मतिकूल यन्ति के चिन्तागरति रुष्यन्ति केचिश्मह- रन्ति ततस्ते मण्डलस्था लोकाः खितासताश्रति मौनेन केचिन पुष्यभाजस्तेवां वचमं कुवन्ति ततो ममापि तथाभव्यतया प्रतिभातं तन्सेषां मण्डलस्थानां लोकानां सम्बन्धि वचनं west NHI AY मण्डले TES मया य्रामोणलोकाः प्रबलपवम- प्ररणदतिभरोग्छतेन तेन प्ररोपनकेन बलादारटन्तो SPAM: | ते तु aewer शोकाः कियन्तोऽपि प्र्रजिताः) ततोऽहमपि तेषां wa प्रघ्रजित तदिदं भद्र मम वेराग्यकारणमिति ततो इष्टोऽकलङखेतसा चलितो दितोयमुनेरभिसुखं बुद्धो

मया कचथानकभावाथेः | ततः Vt मयाकलदः यथा श्लुभार

किमनेन arrearage वेराग्यकारणम्‌ |

ददं way खसा fa वा इष्टोऽसि चेतसा a

RET श्राकश्य

योऽय खोकोद्रो ग्रामो मुनिना भो faafea: |

यत्न वास्तव्यको OI sarc: प्रतोयताम्‌ +

राजिरेव खदा तच मशामोइतमोमयो |

tinea तस्यां नित्यश प्रदोपनम्‌

धुमोऽज तामखो भावः तजन प्रसपेति |

उवालाकल्ापसंकाशो राजसो भाव उच्यते

सप्तमः प्रसादक. |

अन्यश्च | तजर संसारप्रदोपमके बसुलसन्ति कलहा वंअ्स्फोटरवेः समाः 1 रागदेषाग्भिनोन्तप्नाः समुन्तिष्टन्ति AAT: ते कोलाहलं तच Raw सुद्‌ारणम्‌ | क्रन्दन्ति डिम्भरूपाभाः कवषायाञित्ततापिनः अरणद्लेष्धासन्नाख धावन्येता मडेखिकाः | अन्धा इव रटग्धच्र मूर्खा रागाभ्ितापिताः जानन््ोऽपि कियाहोना ac: क्रोशन्ति aya: सदा किलिकिलायन्ते नास्तिकाः पिद्धसज्निभाः मुष्णन्ति धमेसवंखं मुष्णामिद्धियतस्कराः | तथाक्रभेहसाराणि cya रागवद्धिना॥ केचित afta ager पण्णा इव

किं कुमः शक्यते नेदं विध्यापयितुमोड्शम्‌ तदेवमोङशं भद्र सदा गाढविसंष्युलम्‌ | भक्रदौपनं रौद्रं साधुना तेन वणितम्‌ परस्यरं fe लोकानां तजर जातान विद्यते शरमातापुचकं सैन कारणेन भिबेदितम्‌ मन्वादौ पुनस्तज विबुद्धः परमेश्वरः सवेश्रस्तेम चोत्थाय विहितं तौथेमण्डलम्‌ तश्च MGR मध्यलोके प्रकाशितम्‌ RAHA WITS Wet

आहां जोवलोकानां WASWAGT BAF | 122

eqé

९७९ डपमितिमवप्पष्चा कष्या |

safeay ते तेन areata ` ततः Afra भव्याः क्याणभागिमः | श्रता भगवतो वाक्यं स्वितास्तत्तोथेमण्डले ते केवशमतिस्तोका aad भवचारिष्णम्‌ | अरनम्तभागे वर्तन्ते ते सुकराः प्रदोयमात्‌ अन्ये पुनम॑शामूढा रागदेषाग्निदोपितम्‌ | विष्यापयन्ति विषयेस्तत्छंखारप्रदौपनम्‌ बद्धाः पुजकणलचादौ कुवन्ति धनसञ्चयम्‌ तदिदं दएकाष्टानां भारे गाढं विवधनम्‌ तया | | मायाच्ोभमदक्रोधान्‌ कुवन्ति सततं जनाः एष तक्ुम्भानां प्रचेपस्तस्य वधेकः तथेमण्डलमध्यस्थेनं तिष्टन्ति निवारिताः, नापि प्रशमतोयेग aa विध्यापयन्धहो प्रवेशं gata तजर सत्तोरयमण्डशे। ` माकयन्ति तदाक्यमुपडाषादि कुवते केचिदेव प्रबुध्यन्ते यथायं मुनिसम्तमः ` रुद्धो वशनान्तेषां प्रविष्टो चेमण्डखे दृष्टाञ्चानेम ते लोकाः श्सारोद्रचारिशः। रागदेवाग्रिनात्यन्तं दद्यमानाः Blaser: अ्दद्भधाष्यवसाथाख्यः पवनः प्ररयत्यसम्‌ | तच शोकोदरग्रामे तं रागदेषपावकम्‌ ॥.

सप्तमः GTA: | 9१,

ततः सोऽतिभरोग्तो जोवान्‌ यामेयकः निव दहत्यारटतोऽमौषां सुनोमां पश्यतामपि यत्पुनरनेन gfanfafe थया ते तु awea शोकाः किथन्तोऽपि प्रत्रजिताशतोऽहमपि तेषां मध्ये प्रत्रजितः तद्भद्र घनवाइन वक्रोकिग्भमवगन्तग्य wate) कुमार कथमोद्शषै पुनर वक्रोक्तिः | अकलङनो | न्तो थेमण्डले तज यतो सोकाखतूर्विधाः | साधवः आवकाः साध्यः आ्राविकाखच Bataan: ततः म्रत्रजितास्तज कियन्ोऽपि sent: | एषोऽपि मुभिखेषां मध्य wafer: स्फुटम्‌ तदेवमोदृ भरं भद्र ate तेन साधुना प्रदौपमकमु दिष्टं चा वेराग्यकारणम्‌ ददं सकलं बुद्ध च्चमत्कारकारष्म्‌ | मथा कथयतोऽख्येव इष्टोऽहं तेन चेतसा चिन्तितं मया भद्र BAAR: | खतां खदा प्रदीप्तो fe भवो वेर!ग्यकारणम्‌ तथाहि | | प्रदोपगकदाडेन दाह्यग्तौह मानवाः | आत्मान ये जडासस्माज्िद्यरम्ति महाधियः अन्यच | saat: प्रतिबोधायेमिदमेतेन शाधना प्रदोपनकमुदिष्टमात्वेराग्यकारणम्‌

ख्य उपमितिभवप्रपच्चा wat |

तथाडि fae प्रदीपनकसद्धा शे संसारे THAT: | युवथोरपि युकं हि प्रवेष्टुं तौथमण्डले भावतोऽच प्रविष्टानां धन्यानां alae | - रागदेषाग्िना दाशो मसि कदाचनं ` एतश रोचते AY सुनेराकूतसुन्तमम्‌ | तुभ्यं fa रोचते नेति a जाने चनवाइन तलो मवाकलद्धस्छ तच्छरला वष्वन तदा | मौोनमाखम्नितं भद्रे पापपूरितचेतशा श्रनान्तरे दितौयस्य सुनेमलं मया बड सोऽकलष्स्तदा प्राप्रे विहितं तस्व वन्दनम्‌ पष्टञ्चावसरे साधः fH ते वेराग्यकारणम ` मुभिराह ` यथा सौम्य समाकणंय. साग्मतम्‌ MMAR मया दृष्टं मद्पामपरायणएम्‌ | तदेव मम संजातं AX षेराम्यकारणम्‌ मदाधूणितिसर्वाङ्गस्तज्ाश मन्तपालकः | आसं ततः शपोपेतेर््राह्यणैः प्रतिबोधितः GRAM |: यादूगापानकं तद्धी Hates यया fea: १. ये ते ब्राह्मणाः सवभेतदाष्यातुमरंसि मुनिमोक्घ ` श्रनेकट्न्तटग्तान्तममम्तजनसङ्ुलम्‌

सप्तमः प्रस्त्रावः। ESR

यथाख्ितं तदापानं को fe वषयितु wa: तथापि लेशतः किचित्तत्खदूप नरोत्तम | पुरस्ते वणंयिव्यामि तल्म्यगवधारथ तद्यथा बड्कभेदवरासवतुष्टजनं वरभाजमराजि विदिषसुरम्‌ fafanicatigarera जममोदनकारणषत्छरकम्‌ मदि रामदधु णितखवजनं बङलासविलाकषविकाश्करम्‌ | खसदुद्भटबोलविगानपर शततालमहारवराखश्तम्‌ न्यञ्च | रौ ढमनो रमकान्तजनाद्धं MATH षिदुपेतम्‌ | श्रादिजिबेश्विद्ोनमनम्त शोकनभोभिधश्डमिनमिविष्टम्‌ वारितमदेलकोटिषरकांश्यं वैणिकनादविषर्धिततोषम्‌ वशर किरावषमुद्धतगोग्र वोङ्विधो षितगो चसदखम्‌ ` एवं च। | मतेनगानविलासभपानैः खादनदानविश्धषएमानेः | संततभावरशैः VARNA खोकवमत्छतिकार णएमेतत्‌ तदेवं खवेसामयौयुक्तं शित विभमम्‌ | पानकं मया ax तश्च नित्यं निषेवितम्‌ लोके नास्ति तदाद्यं नापि तक्छंविधानकम्‌ यत्तचापानके stay मया प्रविलोकितम्‌ अनन्तास्तभ विदन्ते वे लोका मदधूषिताः ` Hea माषन्तं -चिन्तधन्ति किशन

€98

उप्मितिभवप्रपद्चा कथा |

संव्यवहारं ते कचित्कुवंन्ति सौ किकम्‌ | स्तमूङितदूपेण खदा तिष्टन्ति केवलम्‌ अनन्ताश्चापरे लोकाः सदटरूपाकारधारकाः |

fa a ते लोकका्यांणि विदधत्यन्तरान्तरा॥ तथान्ये तादृशा एव मदिरामदघूषिताः | असंख्यास्तच विद्यन्ते नरा भोः पाथिंषादयः aa पुनरसंख्याता निभर मद्यपायिनः |

जिघ्रन्ति पश्यन्ति नापि suf किंचन लटन्तः केवलं ग्मावारारौमुश्चमागकाः | शिदन्ति जिया किं चिक्मदेन इतमानसाः तथापरे युमस्तच लोका जिघ्रन्ति किचन |

wut पश्यन्ति तेऽस्याः प्रकौर्तिताः wal तु छोचनोगोषात्पश्छन्भोऽपि पुरःख्ितम्‌ | माकणएेयनगयसख्याता मदाधूण्तिचेतनाः सख्यातौताः पुनभद्र शोकास्तचापरं मया मदिरामददोषेण afer: शुन्यमानसाः

अन्ये पुमरमख्याता दृष्टाः HUTA:

केवलं तेषु दु मंदं सदाकालमवस्धितम्‌ .

aga

किद्यन्ते uz भिद्यन्ते wera रुषटवेरिकैः | परस्यरमदटाश्चाताः कुव॑न्ते TATA: सख्याः पुमरन्येऽपि शोकास्तज्र विलोकिताः |

सत्तमः Weis: | ecg

आपानके मथा सौभ्य afettgrntas: मासि तेषामकतये विश्वतां पद्रदरूपताम्‌ | आराटौस्तेऽपि सुश्चम्ति गच्छन्ति जननोमपि ` धर्माधमं जानन्ति ख्वैकार्थाणि. कुवते | अ्यक्रघोषालिष्टन्ति wera मरहोतले केचिद्‌त्‌ व्य मख्छन्ति मदिरान्धा विहायसा | afer जिमष्जन्ति नितरां मदनिभेराः अन्यच्च | ; | तेऽपि ङवंन्ति gat awa परस्परम्‌ 1 . awn तोबरदुःखानि मद्यं सर्वापदां पदम्‌ ` तथान्ये तच विनत सष्यातोता मनुखकाः ते पुमदिंविधा Har गाढमत्तास्तयेतरे , ` we ये गाढमन्नासते लोलमाना YTS ` वान्त पित्तं merge भकद्न्ति वराककाः॥ Cat भद्र संख्येयास्ते पुनमेदिरातुराः | युध्यन्ते TE वश्गन्ते नृत्यग्धचे्सन्ति arate बड़ भाषन्ते पयंटज्ति facia wafer यो धावन्ति frerdtereaac: मलाविलानि जाम्बालश्चशपू्णानि योषिताम्‌ | चम्बम्ति वक्कनेचाणि श्राचरनधषमश्चखम्‌ अ्रनेकविष्बोकपरा मातापिच्ादिमारणम्‌ | अना्यंकार्यचौर्यादि सवे ते कुवते नराः

६.9 उप मितिभवप्रपश्चा कथा |

REA राजपुर्षेः स्दने तेत्रवेक्काः | मद्ान्नेव faced मायेमाण aft खरम्‌ अन्ये पुनरषख्याताखतुदन्दव्यवद्धिताः | लोकाः सभ्ति मदाश्राताः vat कलकल्लम्रिधाः बेणवोणाकच्चं गौतं nse farererqafatie नोपशाग्दन्ि तत्पुरः तेऽपि मृष्यन्ति वकषगम्ते eae zien साध तेऽपयाक्मयोषामिः ङ्ुवेनधात्मविडम्बनम्‌ किं a मदिरामददोषेण wtaatrafager: | चतुष्टयेऽपि ते शोकाः सदुःखाः सुखमानिनः संस्याताः WATT सनधापानकवतिनः ` ये मो पिबन्ति तकाद्यं aren: परमासते avg तेन लोकेन ead मध्चपायिना श्रपिवन्तोऽमिधौयन्ते ब्राह्मणा TIBIA तया

तस्मादापानकादन्ये बदिन्डेता महाधियः |

अमन्ता भद्र विद्यन्ते ware मद्वजिंताः श्रापानक हि TRAE ते विसंखलम्‌ | Tara: प्रमोदन्ते निर्वाधाः सततोक्छवाः

दत्य |

सत्रमः प्रर्तावः |

wag HZ लोकेषु fare मदचूणितः | शठन्नितस्ततः प्राप्तो दितोचेषु aren ततस्तेषु पुनः खिला तथेव मदघूषितः | मतत यशोकेषु ESATAST लया fear aafa wate are मद्येन fage: | गतखत्‌ चंशोकेषु aatse मदिरातुरः॥ एवं ये मया पूरवे कचितास्ते water! लोकभेदाः समासेन Beta वणिता Aware यो भेदो यौ. पयंनवतिंगौ | एतच्यं विमुच्याहं गेवभेदेषु हिष्छितः दशापि ते मथा मेदा भद्रापानकबतिनः। WMA: पापेन गयो wet निषेविताः aay वान्त पिता चिश्ेश्रमूबजाम्नाशपिष्डिखे | अतिबौभ्षद्‌ गन्धे wares afeyen कचिद्विङ्खन्‌ कचित्छपन्नितखतः | उत्तिष्टज्निपतन्ुेरारटग्द्तेगतः WHET रदन्‌ धावन्‌ य॒ध्यमानो शमे: सड आस्फोखमानो afafa: कुखखमानः चणो प्रहारजजेरो देहे दुःखलचेः प्रपौडितः | एवं विचरितस्तच भद्रां कग्रस्तदा

€ॐ9

अन्यदा TEE तेरापामकमध्यचयत्ाष्टरेः। संजाताः तेशं

123

९.७८ उपमितिभवप्रपश्चाश्या।

भगवतां ममोपरि कर्ष्ण चिन्तितमेतेः। यथा श्रयं मद्यदोषे शरि दुःखमरुभवति वराकः। ततः कथंचित्कारयामोऽु मद्यविरतिं येन यया वयं सुखिनः सपन्नास्तथायमपि सुखितो भवति ततो विहितसमम प्रतिबोधनाथे aa we तु मदिरामदाघुरितः पूत्कवंतामपि तेषां a ॒किंचिच्चेतथामि श्रलब्धचेतभख ga: पुमः पथेटामि तेषु सर्वेवु लोकभदेषु बशो वदतां पुनः कचिन्टषां ब्राह्मणनां दन्तो मया ङकारः ततस्तावन्तंतितं थावदपगतो मे मदिराधस्मरकः। समासादिता चेतना दन्तं प्रतिवनं | ततः कथितास्तेमंम मद्दटोषाः प्रत्यायितोऽहं कारितो मध्विरतिं। संजातोऽइमपि तादृश्यो ब्रणः ते तु ब्राह्मणः स्वेऽपि ्र्रजिताः। ततोऽहमपि तेषां मध्ये प्र्रजितः केवखं a जयेति ममाद्यापि निःगेषं aerte) तदपि प्र्रज्यया जरयिथामि। तदिदं ux मम वैराग्यकारणएमिति। तदेवं भदट्रेऽग्टरोतसद्ते यावदिदमाबेदथति साधुस्तावद्कलङ्कख्य किमनेन निवेदितमिति want विमभ्रः। ततो विचारयतः संजातं जातिस्मरणं wa पूवेभवाभ्वस्तं रतं ततो सितो सुनिवचनश् rare: प्रमुदितो मनसा | वन्दितो मुनिवरः | प्रटृत्तखतोयभुनेरभिसुखं |

पू्ववत्पुमः vet मया यथा किममेनाख्यातमिति ततो- ऽभिहितमकरङन | भद्र घमवाहइन श्रयमपि संसार एवापानक- ङूपतयानेन सुगिमात्मभो वेराग्यकार एमित्याख्यातः तचाडि स्चमापानकश्प एवाय इन्त संवारो aia यतोऽ sur वेतेन्ते वन्य न्ति चागन्ता STAT! | मकपालकायम्तेऽजानन्ता जवाः |

सत्तमः THT | <

विविधमद्यायतेऽष्टविधं कमप्रतिजाल्ं विशेषतः पुनरासवायभ्ते कषायाः सरकायन्ते गोकषायाः सुरायने ाविकर्माणि | विचि्रभाजनायन्ते श्रायुंषि। तदाधारतया चषकायन्ते अन्तु- Wife) कममद्यो पयो गडेतुतख मोलनोरजायन्ते तेषु इषौ- काणि तद्विश्षकतया लौखदेतुतया धचुेन्ते adage: Sasa जन्तवः | कुवन्ति राखविलासलासविकासदहासविभ्बोकादि- कलकलं ACMI कलहाः RATING शगसगायन्तः wer: ature दुःखितअनपरिदेवनामि वंशरवायन्त सश्नोकलो ककरूणकूजिता नि yeaa श्रापदतजनतिमिति- मायितानि। कसिकायन्ते प्रियविभ्रयोगादौ जमदेन्यङ्ष्डितानि। वोद्रन्दायन्ते गाढमन्नतया Feat: | कमनौयनरा यन्ते विबुधाः। प्रौ डललनायन्ते aya: श्रमादिनिधनं चेदं संषारापानकं ua निविष्टं शोकाकाश्छमौ युकं मतेमगानविषशनदादनपान- दानमानविग्वण्णदिभिः समस्तभावेर्बोद्ाभिदद्धिकारणं जडानां विरागताहेतुर्विवे किणं ये चानेन मुनिना तचापानङ़े witen- भेदा शोकाः कथितास्ते tat दरष्टयाः। तथाहि प्रथमं प्रतिपादिवस्तावदषांब्यवहारिको जओवरागमिः। तदनन्भरं निवेदिताः सांवयवहारिका वनस्पतयः। ततः कथिताः एथिव्यकत्तजोवायवः। ततो afar दोख्ियाः। ततो निदि्टाखोश्ियाः | ततो afwarge- रिद्धियाः ततः प्रद्यापिता श्रसंज्चिपश्चेश्धियाः ततः प्रकीर्तिता मारकाः | ततः संगौताः पञयेद्ियतियेश्चः। तदनन्तरमुदिष्टाः संमूकनजगभेजभेदेन दिविधा agen: | ततः पकाभिताश्तुनि-

(3 उपमिलिभ्वपपस्चा कया |

कायवर्तिगो देवाः ततः प्रकाशिता ayer दति वाचोयुश्षा संयतमनलुख्ाः। ततः संश्ष्दिताः ससारापानकाहदिण्ंता भगवन्तो सुक्रात्मानः | उद्योतितं स्वेषां सम्बन्धि seman: निगदितं ante wed) सूचितानि तेषां शम्बन्धोनि विविधसंविधान- कानि। ्रभिदहितश्च तदा aaa कमंमश्चपानेन giana | आआख्यातमवां व्यवहारिकजोवराभिमष्ये प्रथममाक्मनोऽवस्चामं | प्रकटितमनन्तकाखात्कयं चिश्लतो निगमनं तदनन्तरमा विभावितः साग्यवहारिकवनस्यतिष्वा्मणो गिवासः। श्वो area दशखपि खानेषु wat we: wed fafigasteauftadenade- gurag गमनं विस्फारिवास्तेषु eng eta: संभविन्ब- शोत्रदुःखविडम्बनाः |

तदेव AT संसारो महापानकसभिभः।

यामनो दुःखेतुच्च मुनिना तेन दौपितः `

यन्तु ante: `पञादृष्टोऽहं प्रतिबोधितः

यन्ननेत्यादि aed यु्धमागसु दाइतम्‌

बयाडहि

अनादिभिवभावस्य तद्छभावत्वयो गतः |

उन्लष्टाश्चाखतोतास् तथा कमं ख्थितिव्बशम्‌

भयो गवः सुलाधूनां सन्पकेऽपि नरारिषु |

रे दरयश्ुते रिवार घषेएधुष्नात्‌

यलावाभ्रोति aaa ज्ञान मापि सत्किम्‌ |

जौवः सुघाधुमथ्ेऽपि anaes धरूश्ितः

सप्तमः WATS: | ESR

सोऽव BBTH भद्र चोरो गरिभवावहः |

येन विश्राकचिक्लोऽथं बम्भरमोति पुनः पुनः

अम्ेम्यलुकुदेषु ततः कालादिद्ेतुषु |

राधावेधोपमं भद्र जोवोऽयमतिदुशेभम्‌

सह शेनमवाप्नोति कमेगन्विं सुदाडकम्‌ |

निभिं श्टभभावेन कदा रित्कखिदेव fen

ससाधुतराह्यशानां भो जोवं पूकुवेतामलम्‌

धमे श्नथा बोधः सोऽयं ङकार THA

aia सुक्रिनोजं wag तच्वमेदनम्‌ |

TMS: Tatars कौ तिताः

सति etfwuet धन्यः सम्बग्दशभंनसयुतः |

तच््रश्रद्धानपरतात्मा रमते भवोदधौ

Wage aga भावतो बुद्धिचुवा |

सम्यक्‌ काच्तासुसारेख खूप warfare a `

ager famed प्रशान्तनाकरक्मना |

arama धचाभाव्रं पर शंबेगमाजितः # यदुत | HUTA ACTUATE: | aie Raa qaraet wat भवोदभधिः सुखाय तु परं wet लन्भमादिङ्गेश्रवजितः। भयग्रह्या विनिमुक्ो ग्याब्राधावजितः षदा # हेठभेवस्य हिंसा दिङ्‌ .खाचन्वयदशंनात्‌ |

ese उप्रमितिभवप्पश्चा कथया |

gm: पुगरडिंषादिर्व्याबाधा विभिदज्तितः बदधेवं wate शुकरेश्च गणङूपताम्‌ | तदथ चेष्टते नित्यं fergie यथागमम्‌ दुष्करं चद्रसत्वानामनुष्टानं करोत्यसौ | gat दूढासुरागलात्कामौव वनिताम्भरे उपारैयविश्रेषस्य घम्यकूप्रसाधमम्‌ | दुमोति शेतोऽनुषटानं तद्भावप्रतिबन्धतः ततस दुष्कर तन्न सम्यगालोच्यते यदा | WAAR न्यायाद्धेषवस्तप्रसाधनम्‌ व्याधिगस्तो यथारोग्यलेशमासाद्‌ यन्‌ बुधः | कषटेऽ्यपक्षमे WIT: SAAT प्रवते ससारब्याधिना यसशद्िश्चेथो ate: | WATTS प्राप्य भावतस्तद्‌ पक्रमे प्रवतेमान एवं खयाश्क्रि ख्विराश्रयः। We सारिबमाशद्य Rae लभते क्रमात्‌ ततः aafager भवोपद्राहिक्भेशः | WANNA Bar मोकमाप्रोति शाश्वतम्‌ खल्छाधृग सखाया सेय RANT TT | प्रायेण WTS जवस यतः परोक्तं मनो विभिः कि तत्‌ साधसेवा सदा भक्षा AK Veg भावतः | आत्मोयगरमोख्ख घमंहेतुप्रसाघधनम्‌

सप्तमः प्रस्तावः | €<

उपदेशः wut मित्थं दशंनं धमंचारिणाम्‌ | ख्याने विनय इत्येतत्‌ साधृखेवाफषं मरत्‌ तचा | | मेचौ भावयतो fray wat मावः प्रजायते | ततो भावोदकाष्न्ोदंवाग्निरुपश्नाम्यति तथा | | श्रशेषदो षजननो निः गेवगणघातिनो | आत्रोयग्रमोच्ेए aur fe विनिवतंते एवं गणगणोपेतो वि शएद्धात्मा स्थिराश्रयः | तत्वविद्धिः Galera: सम्यग्ध्मस्य साधकः ` ततोऽनेनापि सुनिना ब्राह्मणाकारधारकेः Be बोधित con साधुभिः करुणापरः ततोऽसुनानुसारे यदनेन कथानके | TYR Aa योख्धं स्यष्टेलाल्ञाभिधोयते अपि च। HARTA: सवं भद्राविरतजनवः | भवापानकमध्येऽपि AUT GST: ` तेरेव यत्नतः साधः कर्ममधान्निवारितः | ततः प्रत्रजितो जात इदं वैराग्यकारणम्‌ TI तत्कमे मद्याजोण्मयं सुभिः ` जरयिता भवापानाददिण्डेतो भविखति fa च। |

शस. डपमिति्भवप्रपश्चा कथया |

युहृमौदृओे खातुमाकव्थोरपि पिच्छ | ससारापागके भद्र दुःखदेः WATS ॥. AMRSATEA UT वन्तादृशं वचः | WHRIE मेश्यापि बोधकारणतां गतम्‌ खितोऽहइं मौनमाश्स्ब्य शन्यारश्ते शनिर्यथा | अथाकलङ्ूः संप्राप्तो gaia मथा सड तदङ्ियुगखं गला भक्निपूरितचेतसा | ततः एष्टोऽकशद्धेन सोऽपि वेराग्यकास्कम्‌ तेगोक्रमरघट्नो मे आतो वेराग्यकारणम्‌ | तदाक््छांकणङेन चेतसा परिचिभ्तितम्‌ अये | यादृशं सुमिना पूवे प्रदौोपनकमौरितम्‌ | STITH तूनमरषहोऽपि तादृशः अथोक्षमकणङन तदान सितबन्धेरम्‌ | निवेदयथ महाभाग तं मम प्रकटाक्षरेः ञुनिनोक्र मया दृष्टः सोऽरघहो नरोतम | नित्ये Get aqme: ger भवशामकः रागदेषमगोभावमिश्यादशंभनगामकाः | WANT BUHAY ते शारथथो मताः महामोहः. पुनस स्वंसोरपतिः सृतः सोऽरथडो AAS प्रतापेन महात्मनः विनापि चारोपानौय वेगवन्तो बलोद्धताः |

SHA! प्र्लावः।

कषायसंन्नकाखन बशगोवर्दास्ठ Gen | हास्यश्ोकभयाथास्द्‌ fier: क्म॑कारकाः ATTAIN परिचारिकाः दुषटयोगप्रभादाख्य AW तुम्बदय AW | विखासोल्लाख्विभ्ो करूपासतचारकाः Har: पापाविरतिपानौयपृणोऽदृष्टतशः सदा तजासंयतजोवाख्यः कूपो दृष्टो भवद्रः पापाविरतितोयौघ्रमग्नपूरितरेचितम्‌ | gare जोवलोकास्मं घटोयन्सुदाइतम्‌ aqurer qafaa वेष विभाव्यते पटिकाषटृखाह्ारेदुःरादपि विवेकिभिः # श्रन्नानमलिनाक्माख्यो HANI] WATER: | दृढं faerfiarne ae टदापरिकं नसम्‌ संक्िष्टचिन्तता भाम तजर faawet मना |

भोगशज्ञोखपता माम ger तजातिदौधिका `

THINGY तु तजर यावञ्ुटाइतम्‌ | अपरापरजन्प्राख्यास्तन केदारका AAT: क्मप्रतिजाल्लास्यं AW बोजमुदाइतम्‌ | तश्जोवपरिणमासख्यो वापकस्तस्य कोतिंतः

ततस्च |

Si तेनारबहेन fam मिष्यन्तिमागतम्‌ | सुखदुः खादिषद्टौघभमकं तदुदाइतम्‌ ` 124

< <

ex sufafaranqer Wut

सेनां पुनस्तस्य सदोत्साशपरायण्ः | पानाभ्तिकोऽख्छयद्ोधो महामोहनिरूपितः तदेवं सवेशामयोसंयुक्रं खततश्चमे | भवार चङे AW प्रसुक्षः सुचिरं fea: Cay वि योऽय सुभिवरो भद्र दृष्यते ध्यानतत्परः | TAA महाभागो JRL ममाधुना 4 BAH तज GAY गाढसंमूढचेतभः | छपापरोतचिन्तेन aaa: प्रतिबोधितः a ततः wafaatsta समस्तोऽपि यथास्थितः भवारघहो मे ug ततखेदं भिवेदितम्‌ -॥ यदुत | सामो SAS GAG Geter Gwe: | जन्तो भवार चस्य fa जानासि मूढक केवलं | oo, अमम्तदुःखसन्तागहेतुस्ते माच GWG: . . जन्तो भवारषघटोऽयं ततखेमं परित्वज .. Aa | | Ee = | - यथा त्यक्रो भवत्येष शधो aw farce | gfaate महासत्त्व प्रतरज्छा उहयतामियम्‌ एनां भागवतो grat ये रन्ति achat: | wane: प्रोणोऽयमरघहो भवत्यलम्‌ `

सत्तमः प्रस्तावः |

ततस्तथेति भावेन प्रतिप मुनेर्वचः ` हतं मयेदं मे भद्र जातं वैराग्यकारणम्‌ ततोऽकलङ्ुस्तचछरला तं सुनिं परत्यभाषत भदगम चार GUS तव वैराग्यकारणम्‌ ` कस्य वा wage सकण विर क्ये | भकरषहो Wire gfertacat गतः ततोऽभिगन््य तं साधु वन्दिला भक्तिभिभैरः सोऽकणङ्ो मथा wa adverse गतः ` अथ वन्दनक Wal मम बोधविधित्था | धरषटस्तेन महाभागः सोऽपि बेराग्यकारणम्‌ ` मुनिराह वयं eat नानारूपाः कचिग््टे | तिष्टामष्तच चायातमखङ्धकषं कुटुम्बकम्‌ ¢ BARAT पञ्चमादुषतन्तितम्‌ अस्माभिः प्रतिपनलं तत्किखेदं हितवत्सलम्‌ a NIST ART वतेते परमार्थतः | ततस्तेन शृतं fer सादरं ङाजभोजनम्‌ अयाविन्नातशङ्गावा्चिषभोजनशोखपा; | ते erat waurenrat नितरा पूरितोदराः # तच्च तर्मानुषेलादृडमन्तरयोग विंनिरसिंतम्‌ | भोजनं थेन aad खननिपातस्वं कारणम्‌ तथोग्मादकरं AT जौयमाणं भवत्यलम्‌ | केषां चित्त चहयानां तदश्नमतिदारुणम्‌

<

उपमितिभवप्पश्चा कथा |

ततो faqgueart जिहाखलातवकष्टकाः | कष्ठे चरचघरायक्ो मष्टसन्नाः सुविणाः कचिन्तापार्तिंदग्धाङ्गाः कचिच्छगेतार्तिंबाधिताः.। कचिद्‌ ब्ान्तचित्षलाल्लोलमाना भुवस्तले सज्निपातवश्रादन्ये एयेवादंवितदेकम्‌ |

क्र चिष्द्यगद्मगायन्ते ते Ere: शोच्यतां गताः

ये SAU: समापलाखट़ा भोजनभख्ण्ठात्‌ |

ते zagfrarrt निन्दां कुवन्ति पापिनः शपन्ति विपरोतानि gaa दुटचेषटितम्‌ |

सदो पञ्चतचिन्तानां किं wraat हि gata Resta ते SIV: पषूवनष्टधर्मकाः | fararftaagqet जाता भोजनदोषतः

ततस |

योऽयं साध्यायपूताक्मा gad सु निषुङ्गवः | मशावे्यकशास्लस्य विद्यतेऽतिश्रयो महाम्‌ ततोऽहं भद्र चानां तेषां मध्ये कथंचन | खज्िपातातिमूढात्मा इष्टोऽनेन महात्ममा ततः कङणयानेन afar निजो षधैः ममापनोतो जातोऽहं मनाग्‌ AUVs: ततो मे काजससमादु क्मादो ऽ्वभक्तदा | सोऽप्यनेन महायन्नादपनोतो महात्मना ततखायं महाभागो इदा मां VARMA |

सप्तमः प्रसदः | |

saa सन्निपाता waaay

दृष्टाश्च ते मया EW: वूजन्तो चुणंमानकाः |

प्रखापिनः सुदुःखार्ता गाढ आत मे भयम्‌ faite |

भद्र भोअनटोषेण त्वमप्येवं विधो ऽभवः |

विद्यते किंचिदथापि aaa शरोरके

ततो मदुपदिष्टं tw क्रियां करिष्यसि |

गयोऽप्येवविधो भद्र cael भविग्यसि

ततः प्रत्ययसम्पन्तेभयाख सुनिनोदिता |

ग्टहोतेयं मया slat भोजनाजोणं श्रोधनो अधुना तु

at यामुपदिश्ल्येष क्रियां मे मुनिपुङ्गवः |

तां तामहं BUNS वेराग्यकारणम्‌

ततोऽकखङ्कस्तचछला पोतिविस्फ़ारितेखशः

वम्डिला तं मुनिं wa: प्रटृलोऽन्य सुनि प्रति aay |

fama मयाद्यापि sae सुनिभाषितम्‌

सम्यगेतदतो व्यक्तं मन्ममाद्धातुमरेसि ` अकलद्धनो |

अनेनापि सुनौन्दरेण संसारो चनवाइन |

इृष्टखहमटाकारः चेत्थं मे निवेदितः

अयःश्थाकासङ्ाज्ना नानारूपा नन्व |

€€ ° खप्रमितिभवप्रपश्चा क्था |

परस्परमसंबङ्धाखहप्रायाः प्रकटिताः तयाडहि। नामोषां विद्यते माताम faat 4 बान्धवाः घनं परमायन च्ि्ञच्छोरा हि जन्तवः तेषां जोवषहागां संसारमटव्तिंनाम्‌ | श्रा गच्छत्येव TAM बन्धहेत्‌ङघदुम्बकम्‌ fafwares विद्यन्त aatet बन्धदेतवः। तेषां क्यहकाः पश्च TH मानुष पञ्चकम्‌ थतः प्रमादो योगमिष्यालये कवायाविरतौ तथा एत एव fe saat पश्च बन्धस्य हेतवः अनादिमोहसामर्ष्याह्भा तौदं हितवक्छलम्‌ | wea जोवचडानां बन्धडेतुञचटुम्बकम्‌ अरातिरूपमेतश्च वतेते भद्र रेदिनाम्‌ | तवास्य जनन्ति खरूपं मन्दबुद्धयः ti faatafa vena च्छाजभोजनमसन्िभम्‌ | विचि acd जोव चलौ खविधाथकम्‌ तग्महामोरमन्लास्छं श्रानावरणयौ गिकम्‌ बन्धहेतुकुटुम्बेन ढौ कितं कमेभोजनम्‌ TART: FATTY मो दादत्यमशोखपाः | आत्मानं, ES जागज्ति rea avg तद्धिषाकेन Gur खुटार्शम्‌ |

सप्तमः TTA! | €<२

अ्रनभिग्रहमिग्यालसन्िपातः कौरतिंतः॥ ततोऽमो जम्तवस्तेन मिथ्यान्नानमयेम महातमोखूपेण भाव- सभ्िपातेन सन्निपन्नाः war: काष्टवन्नष्टचेतमा भवन्येकेन्दरियाव- erat श्रव्यक्रघोषतया घरषरायन्ते इीद्धियद शायां cgay wie जोद्धिधत्वावसरे दयणद्मणायन्ते चतुरिखिवदूपतथा | शरद्‌ वितदेकं चेष्टन्ते अरसंननिपद्े श्ियाकारेण आलां इ्यगद्मगा- यन्ते गभेजयपश्चेद्धियाकारधारितथा | निरद्धगण्का दव वर्तन्त श्रपय्षकावस्थासु | विष्डतजिह्ञाकष्टका va deer दृश्यन्ते वि विधदुःखविध्रतया.। बध्यन्ते लौत्रतापेन भरकेषु पौद्यन्ते daa णता तिबेदगतया saan किं चिङ्‌ ग्रतपश्भावमापश्षाः। सु डमुखसुद्धग्ति खम्धमरु यभावाः | we महामोडइमिद्रवा देवावख्ायां | नष्टधर्मसश्चा जायन्ते सर्वावस्थासु | तदेवं भद्र Marat कमंभोजननिमिंतः। भिश्यान्नानतमोरूपः सन्निपातः सुदाङ्णशः येषां पुनजन्ूनां नारकतिथेङ्नरामरभवेषु विवतैमानानाम- कद्याएभाजनतया संजातो मनसि सवेश्ञशासनविपरोतोऽभि- निवेशः तदगेन येग्होतो रागदेषमोदकश्चषितः परमात्मा प्रति- पन्न एकान्तमित्यः चण्णिको वा सवेगतो वा पञ्चश्वतात्मको वा श्ामाकतण्डुलादिरूपो वा श्रात्मा wT: wearer: शतः गेषततत्वानामपि विपर्यासः तेषां जन्तूनां तदमिग्टरौतमिश्यादग्रन- कमभोजनसामभ्येजनितसुग्माद इत्युच्यते यतस्तेमोपञ्ुत चिन्तास्त प्रलपन्तोव WHIT warts तपो निङ्कवेन Fala ययेष्ट-

९९ डपरमितिभवपपश्चा कथा |

चेष्टाचारितोपरेत्रन वस्ामोव area नास्ति eta नास्ति qe नासि पापमित्यादि wearer: ङदग्तौव waqarefac- क्रियनाण्ण गायन्ति निजतकंदण्डोखकाम्‌ चोषयन्तः। एवं खिते। ` इति गर्तनवशषानगानपरा इसणप्रविश्ापश्रोदगकाः ` my भद्र भवन्ति जिनेष्धमतादिपरोतदृशो ग्दरूपथराः ` अन्यच्च | Basal जन्तवः कमेविषवेगेन धारिताः | विनष्टधमेशंश्चाख वर्तन्ते माज संश्रयः agin सुनिनानेन यथायं मु जिपुङ्गवः | ARENT शास्ते शतगाढ परिश्रमः शपापरोत चिन्लेन सजिपाताक्छुदारुणशात्‌ | मोचितोऽहं ततोऽनेन सुभिना निजमेषजेः चरमानमिदं भद्र यतोऽमो मुनिपुङ्गवाः ` सिद्धान्त बेद्यकाकारे भवन्छेव इतसमाः ततः समस्तजग्ूनां WAT STATA | . THR Veuwa wed सु गिसनमाः aay कमेभोजनमजन्धेन afearay पौडितम्‌ तं जोवखोकमाखोक्य wafer कर्णापराः चिन्वन्ति ते धन्याः कथमेते वराककाः। संसारक निसुंक्ा विव्यम्तेऽख Sen:

सप्तमः प्रस्तावः | ` -- €<

एत एव सुसाधूमां जिन्दाक्रोश्रनसाख्नम्‌ ` ` MICAS कोचकारणं भवजन्तवः ` waite | ¬ ये कमंसनिपातेन वराका mea fear: | मिथ्यालो ादसंतत्ताः सपापविषधुष्डिताः ` सदा दुःकभराक्रान्ता AURA: परायत्ताः wean निन्दाक्रोश्मताडनम्‌ तेषाजुपरि कः -कोपं facia विचक्षणः ` चते fe weed कुवन्ति हपापराः # - ; a | NaS शपाश्चानं कमवे ितजन्तवः | ~ विवेकिनां भवोदेनकारणं भवन्ति ते॥ ` ` तथाहि | एतानेव विधान्‌ get जौवाम्‌ संसारचारिशषः। ` ` - छ््मन्मन्तसङान्नाम्‌ भावतः सज्िपश्नकाम्‌ wal मनुखभावेऽपि जिनेश्रमतबेदकः | सकण्कोऽअ को माम रब्येत भवचारके | ततोऽयं TIT भद्र BLATT ` खकमेसन्िपाताते बोधिते सुमिपुङ्गवः एव. हि महाबेधो येनायं ervafea: - सधः. ख्ोरतो भद्र वयनाश्तभेषजेः THM | ४४ (न

125

€.€ 8 दपनितिभवप्रपश्चा Rut |

ततो मे हाचसंसगाद्‌ काटोऽयभवन्तद्‌ा | सोऽप्यन॑न. मंहायन्नादपनीेतो मशत्मनाः तदेवं बोद्धव्य यदुत आआभियहिकमिश्याले विधायाबुधबोधनम्‌ | महाच॑सररकाकारे माभि wears भोः॥ ` ATARI ZANTE Tz uarfiafenfautea मरुणा तदपि चतम्‌ # ततदडमटाकारः अम्बग्भावस्वितचय भोः ।. सवैः darcfrentt गुणशाख्ठ प्रकाभितः दृष्टासततोऽञ्ुना जौवाखहय इव पुरोदिताः। sar: efeuiatal: क्मभोजनदोषतः गाढं दुः भरा कान्ताम्‌ FATT चृणेमानकान्‌ ` प्रलापिनख तान्‌ इदा जातमस्य महाभयम्‌ ` ततोऽभिर्हिती निजगुररनेन मुनिनां यदुत चतुगं तिकेर्बडारे वधानो दंर्िताः स्फुटम्‌ ममोदेगकरा भाच दुःखिताः sew: ATH. , यादृशा दुःखं्न्दोशयस्तोस्वाणविवजिताः TMA HT पवेभश्धद्वद्र भवानपि i विद्यते aarerfa कर्माजौशे woe | विधेहि wares जरणाये aa. frat ay a afanaat षत्कियां afcafe

SW: WT | . ` ९९६

ततो गसलोऽपि wert दुःखयर्लो भ्वसि ततः FAT मुरोरवाद् भर्या पारमेश्ते। ग्टहोतानेनं शनिना सक्ता प्रसेविका # तत्कमन्नोकक्राजौश्चं TART तिति gfate aurea भद्‌ तरे सात्रकारणम्‌ # few . केवलमयं खाध्रज्ाजोणेन बाधितः वयं वाभित्रास्तेन dart qaarya ` ततः सत्रा्य माच्यक्मव्रचोरुपि Te | दौचाविधागतः कतुं कर्माश्नाजोणंश्ोधनम्‌ हि Vee भरिणच्छादिक्सद्‌ा | MATS वथो मोहाद वाजो गणभो दृशम्‌ a wed भाषमाणोऽसौ मया edgar: 4 THAT गत; साधोः पञ्चमस्याछ्िसक्िधौ ततः प्रणम तं साधुं शत्या तद्धमैरे शमाम्‌ | प्रस्तावे whe: ऽपि तेन वेराग्धकारशम्‌ मुनिराह ममाख्यातं सूरिशेकं कथानकम्‌ | तदेव मम GANA भद्र वेराग्बकारण्म्‌ THA | UAH भाष HTH तदा वैराग्यकारणम्‌ | ACTIN इला कथ्यतां मे कथानकम्‌ gfaate श्राकरथ |

€८९ उपरमितिभवप्पश्चा कथा |

वषन्तपुरवाखब्या्चलारः मौतिनिर्भराः। साथंवाषसुताः केचित्परस्यरवयस्यकाः WARMTH TATA STAT HTT | खङह्ृयिला sax ते. caste qa: 4 लाद्यीग्योः fang मूढेति वचाक्रमम्‌ | तेषां नामानि arate थथार्याजि actuate .. स्ववां रजराक्नौगामाकरसदुराइतम्‌ रब्ररौपं विना पुष्दुष्यापमतिशन्दरम्‌ fa ai. : तजापि a. विभोपायं प्राप्यन्ते रन्नराश्रयः | को डि. इक विना शुके पुरोवल्यंपि भोजनम्‌ एवं fea ।. Wes sea शेवाकांचाविवजितः 1 रत्रग्डणएवारिग्ध HCA WHEATAT: TAMIA तल्लोकाज्ञामो पाथ Ca eae: fart cacratat सञ्चयं fer fat a तथा वतंमानस् ae fafyaeae: |. अरकालदोनं बोहित्थं carga पूरितम्‌ जानाति र्नानां गणदोषपरोश्णम्‌ .।. विधातुं. .च तस्यासि काननादौ gaweq ततः ACMA सदाचारपरायणः |

. सप्तमः प्रस्तावः .

Wa दोपे गतो भद्र संजातः खा्येसाधकः ` योग्योऽपि axa किंचिदाणिष्धं रन्नरकाम्यथा | केवखं विद्यते ae कौतुकं कानमादिषु जानोते सोऽपि carat शणदोषविचारण्म्‌ | HA कुठदखनोखेः केवशं frat बलात्‌ a ततश्च .. | | आरामकाननोद्यानसरोवरदिद्क्या | waa तशय SIT गच्छन्ति वासराः कचिदेव भयाच्ारोराजवेष्टिषमागकम्‌ | TUT कुरते स. रत्रानासुपानेगम्‌ तथापि भिशितान्यश्च wz कालेन wae) तथाविधानि योग्यश्च माण्िक्धानि fafa ॥# केवलं | विशिष्टरब्रषन्भार मादन्तेऽषौ FAR | रज्ञदोपेऽपि संप्राप्तः सोकेन बह हारयेत्‌ हितन्नस्ह जानौते qa रब्रपरौचणम्‌ | कदं Wy Fae ल्यत्यसौ विषारारामविचादिद्ेने महत्तमम्‌ | gare feawe रव्रवाणिच्यबाधकम्‌ ततोऽसौ रत्रवाणच्छं करोति प्रमादतः | gray मूखनाडूते लोकेन awa यतधिकिगिकायन्ते श्रङ्ख्काचकपदेकाः

उप्मितिभवप्रपच्चा कथा |

रनोपाजनवेषेण रनदौपञ्पेयेषः

qed ते ad कानना दिङुद्वशखम्‌ तदाक वचथारोहितश्नेन विचिन्तितम्‌ श्रो TAA चारोरहो वचकौ गरलम्‌ जानात्ययं महाभागः स्वे यको हिताहितम्‌ | तदेनमेव च्छामि यत्कं मयाधुना ततः प्रोक्तो feasa चाडमिचवन्छलः | माधुनाड करिव्यामि काननादिङकुदढइक्षम्‌ रत्नानां एणदोषाख fret sary ' काचादिपरिशरेण येन तान्यहमाददे ततस्छदु पदे गेन शला बोहित्थमश्चशा |

लया साधे गमिव्यामि प्रतौचख नरोत्तम area fafa योग्बो यथा जतो ` यथायेकः हितश्चोऽपि तथा नुनं गृनिष्यन्ननामकः ततो भिवेदितास्तेन Va रत्रगुणगुणाः ufery प्रयनेन दितन्नस्तदुपाजेनम्‌ ततचचारूपदेगरेन fear सवे Faw! काचादिपरिहरेश छुवेन्‌ द्रत्रसङ्ग्दम्‌ aa: प्रष्टति संजातो feastsfa faze: | खथं परोखकरोषां रन्नानामजेने रतः

श्रथ TEA: पाच AU मूढश्च सादरम्‌ | सोऽणुक्ोऽहं व्रजिग्यामि fara किं वतेते तब.॥

eee ------- STE

सप्तमः Tea! | १००१

qe: प्राह वयचछ त्वं fa गतेन करिव्यसि। | रमणयमिदं HG किं पश्यसि खवेतः॥ पद्मखण्डग्टहोद्यानसरोवेरविग्धषितम्‌ | विदहारारामपुष्याद्छं बमराजिविराजितम्‌ तदच सुषिरं तावद्मागयित्या पर सुखम्‌ | पखात्छस्थामगमनं करिग्यामो यथेच्छया सतं मयापि afer carat भिर वतेते | ततस्तद्शितं तेन water अ्रयाचश्ङ्खनको स्मिश्रकाचखण्ड़ा दिपूरितम्‌ | ager चिन्तयत्येवं चारुखादसेतमः हो वराको मूढोऽयं मूढ एव Vw: | ग्रस्तः इदढ.इेगो चधरतष्लोकेन वञ्चितः तथापि शिच्यामोमं यद्येष विनिवर्तते | एव विचिभध arte ॒चादणा बुद्धिषाङणा यकं कौतुकं aaa मिभ वनादिषु | आत्मवश्चनमेतद्धि रल्नवा णिव्यबाधकम्‌ afeaq qe भिज पूतेखोकेन पापिना | अरन्नानि ग्रहोतानि Taga यतस्वया ददं कचवर सपं AE संपरिव्यज Grafs गहाण त्वं तेषामेतञ्च waa ।॥ ततो यावत्किलाचष्टे WS रत्रलचणम्‌ | तावदुत्तेजितो Ase प्रतोदमभाषत

126

| eo |

उपमि तिभ्वप्रपश्चा कथा |

नाह चाश्छामि गच्छ प्रटृक्लो यम कुषचित्‌ वयस्य एवमेव नं WRT प्रभाषसे निराकरोषि लवं तावदेकसुत्कलचारिताम्‌ | दितोयं मामकं रत्रसञ्चयं दूषयस्यलम्‌ प्रभाखराणि aad catia भवन्ति ते। पर्थाप्रमपरेस्लात तावकेमम र्कः

ARSE: पुनर्थावद्धाषणे स्फरिताधरः VSAM AAT परतोदमवोचत

शतं शतं ममानेन तावकोनेम मिजक | frees fared गच्छ ate गिराङ्ुशः तदाक faa fea ween परि चिन्तितम्‌ | ware fawe aa मूढस्य वत पा्थते

Taq |

ages खदा wea चारोः gaiwatgar |

ते ua रननो हित्वे aataisfeaweart: ततखारः परित्धश्थ मूढं इत निखयः |

साधे योग्यडितश्चाग्यां गतः खखामञुश्करीः carat बिगिधोगं gaturay ते ve: | अनम्तानन्द सन्दोइपूरिताः सुखमासते WG दुःखरारिश्चभाजनं समजायत | निष्काशितरततो दोपात्‌ केनचित्क इश्टसचणा प्रिक्तः सागरे चोरे चादोमिः परिपूरिते |

सप्तमः प्रस्तावः | १००३४

्रदृष्टतखपयम्ते दुरण्लायर्तमौ वे

तदिद ते मयाख्यातं खरिप्रोक्र कथानक्रम्‌ |

यत्तदा मम संजातं AT वेराग्यकारण्ठम्‌

ततो CTA: THATS: |

amet मुनि नता प्रद्तोऽग्यसुनिं प्रति a

मथोक्र श्राख्थाडि fad भावाय ve वैराग्यकारणम्‌ | असंबद्धं किमास्यातं सुभिनेद कथामकम्‌ अरकशङ्मोक्र। भद्र चमवाहन ATHGISTSNTETS | Tawa

SHAQ भावाय | मयोक्र' 1 एष दन्तावधागोऽसि THEA! वसम्तपुरख्थानयोऽजासांयवहारिको नो वराः) वाणिजकाः युन- येथा्थेनामानस्ततो निमेताखत्‌ विधा ata: समुद्रः पुवरच नव्य sweet भिथ्याद शमाविरतिगन्नीरो महाभौषशकवाय- पातालः सुदुशेष्यमहामोहावतेरोदरो विकिषदुःखोधदुषटजखचर- पूरितो रागदेषजवनपवभविो भितः संयोगवियो गनौ चौ गियवषटुखः प्रबलमनोरथवेलाङलोऽनवखोकितपरापरपारः संसारविष्ारे विश्चेयः रन्रदौपख्यानौधो ऽयं मनुग्यभवो ame: काननादि- . शुठदशं तु विषयामिलाषो zee: अशश्ज्खुःकपदंककाचश्रका- लादिकण्पाः सव॑न्ञप्रणोतधमविपरोताः कुधमां बोद्धन्याः। धूतेकोकः कुतौधिकवगें maa) बोहित्थस्ानोयानि पमरष जो वस्शूपाणि वर्तन्ते | सखस्थानगमनं मोचावातिमेन्तया श्रा्मशामरूपत्वास्याः | ag मूढस्योपरि mgt ate: खकमेपरिणमो faye: |

१००४ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

घमुद्र मध्यप्रचेपस्त॒॒मूढस्यामन्तभवभ्रमण द्रष्टव्यमिति ` एवं faa भो भो घनवाहन खवेःकथानकष्ास्य भावाः सुपरिस्फुटः | तचापिते प्रबोधाय विरेषेणाभिधौयते

तज um तेन wear faa वसन्तपुराक्लहवित्वा समुद्र समासाश्च tala fama: कननिमाहृजिमरनविगरेवः न॒ शतं काननादिषु कौतुकं afer धू्तेलोकाः aes रनिम- रज्ञानि wa विशिष्टरनगणएवाण्िञ्यं sara: सुन्दररननिचयः आवजिता विशिष्टशोकाः पूरितं tft संजातः सखाथंसाधक इति तथा भद्र भव्यतया सुन्दरतमा जौवा निक्रम्यासां ग्यवहारिक- AAACN संखारविस्तारं संप्रा मनुव्यभावं खलघुकमेतथा किनानन्ति हेयोपादेषविभागं। चिन्तयन्ति ते। यथातिदुरंभ- मिदं मानु्यमाकरो भवरन्नानां कारणं fralugee सप्राप्त- भिद मधनास्मामिः षमाङूढा वयं मन्तरं कोटि तश्च यक्रोऽस्माक- मधुना विषादपि विषमतरविपाकेषु विषयधनादिषु प्रतिबन्धः समासादथन्ति ते सवंश्नोपन्चं wena | ततो विप्रलम्धनो कतौ चिंकेः। प्रवतन्ते कुधरमेयदणे। कुवन्ति साधुधरमाद्गो करणं बाणिव्धं गकन्ति खान्तिमादंवानेवसुक्रितपःसंयमसत्यश्ौ चाकिञ्च- मलब्रह्मचयंसन्तोषप्रशमादिकं प्रतिकणं णर ब्र निचयं श्रावजेयन्ति सहुरुमाधमाधमिकजमं पूरयन्ति सहुणानामाक्मागं संजायन्ते खकायंनिष्यादका इति |

यथा च. योग्येन तत्र Tale विज्ञातं गणदोषविचारफं

सप्तमः प्रस्तावः | १००५

wi तिं चित्तर्यणाथं वा शिच्यं केवलं संजातमखय काननादिरदग्रन- व्यसनं तत्परायत्तेन गभितोऽनयेको as: कालो मोलितामि area waar कियन्धपि रन्नकानि विहितो विशिष्टरन्रसंचय दति तथा भद्र FAA eA भव्यतया सुन्दरतरा जवाः संप्राप्य मनु्थ- जग्ध लघुक्मतया जानन्ति गणागु एपरौचणं कुवन्ति wea मवाणय आआवकोचितं कियदपि सहुणएयहएवा णिष्चं केवखं॒दुजेय- त्वेन लोभस्य चटुलतयेद्धियग्रामस्य संजायते तेषां धनविषयादिषु waaay तत्परायन्ताश्च ते गमयन्ति निरर्थकं wate कालं तयापि मौलयग्ति ते waar कालेन आआवकधर्मोचितानि कियन्धपि गुणरलकानि विदधति साधुधमेसाध्य विशिष्टगुण- रन्रसद्चयमिति | |

यथा तेग feana प्राभनेनापि tacit fama खयं रन्रपरोशण धारिता परोपरेश्योग्यता शतं विदारारामादिषु महत्तर कतुकं विहितं सुरन्नग्रणं लकितास्ते agar धूतलोकाः ` awn चिकिदिकादमानानि काचश्रकलादौनि जनिता तेषु सन्दराणौति बुद्धिः व्चितद्चाङूपदेशरात्पुवेमात्मेति तया AL चनवारम भव्यतया सुन्दरा जोवाः समाशद्च भनुव्यभावं मनाग्युरुकमंतया 4 fanafa ed कतुं ` घमेगुशदोषपरौ णं धारयन्ति परोपदेश्रयोग्यतां gifa विषयधनादिष महत्तरं प्रतिबन्धं facufa सवेश्रप्रणोतशद्धर्मोपाजमं खच्यन्ति कुतौर्चिकवश्चकतां zefa प्रश्रमदयादमादिखाररहितानि दम प्रधामतया बहिशिकिचिकायमामरनिमरत्रतुख्यानि कुधर्मनुष्टा-

१००६ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

नानि जनयन्ति तेषु सुम्दराणोति बुद्धि वञ्चयन्ति बहुरूपे- तपूव माव्माममि ति।

यथा तेग मूढेन रन्नदौपमतेनापि विहितं खयं रव- यशदरोषपरोरणं नापि प्रतिपन्नं परोपदेगेन श्रलुश्मो शितं वभदेव- कुखादिगोचरमनत्यम्तकौतुकं विदिष्टानि सत्यरनानि avira काचग्रकलादौनि शतस्तेवु सद्रनाभिगिबेशः मोषितो धुतेशोकेन वञ्चितो नितान्तमात्मेति तथा भद्र anaes खन्धापि मनुब्य- भवमभग्यतया Ue वातिक्िष्टतमा जौवाः द॒ङ्तरकम- भराक्रान्ततया. विन्दल्येव खयं कतु धर्मश्ण्दोषपरोखणं नापि प्रतिपद्यन्ते परोपरेगेन अनुग्रौखवन्ति विषयधनादिषु गाटणोदयं विदिषन्ति प्रश्रमदयादौनि ख्गूतानुष्टानानि गन्ति धमेद्या खानरहोमयागदोनि जौवधातोपमदेकारोणि कदगुषटानानि waif तेषु तत्वाभिनिवेशं मोषयन्ति कुतो चिकेः तदेवं वञ्चयन्ति ते निताग्तमाद्यामभिति |

यथा चख ae पूरयिता ate weg: खयं गन्तुकामः Bat योग्यं प्रत्याह any गमिष्यामि faw किं वतते तवेति धोग्येनोक्रं पूर्यते ममाद्यापि बोदहित्यं स्तोकान्येव मयोपाजितामि रज्नानि चारणोक्र किं पुनरच कारणं ततो योग्येन कथितं तदु पाजेनविन्न्तमात्मनः कामनादिकुठरहशं तया भद्र जमवारहन WTS भगवन्तो मुनयो शलात्मामं तपःसंयमप्रशमवन्तो षन्ञान- दशनादो्नां भावरनानां मिटितार्थाः खथं जिगमिषवो ate wad aaa योग्यकूपाणं देश विरतानां मोचगममार्थमा मन्त्रण-

सप्तमः प्रस्तावः | १००७

मिव saw: gafa धमेदेग्रनां ते तु निबेदयन्धात्ममः स्तोकगणत्वं ततः साधवो ब्रुवते भो .भद्रा मनुखभावे खाधौनं स्वेषां ayes तत्कि सुपूगृणा जाता यथं यथा वचं aM: कचयग्ति देश्रविरताः संपूेगणोपा ज्रनविन्नश्धतमात्मनो धघमविष- यादिषु ममलब्यखनं ततो यथा शरणा योग्यं em यथा भद्र युक्ते प्राप्त TART कागनादिङुवरहणं कलु वश्चन- मिदमाद्मनो मा विन्नः graye जामास्ि a सुरन्नामां सुखहेतुतां तथाप्यनाद्रमेवं तेषु gate: किमात्मनो वैरि कासे चिरेशापि ते कौतुकपरिपूर्तिंखलदर we धतितमितरथा निर येकं रब्रदोपागमनं ततो मद्र ge वमादिकौतुक कुर्‌ मयि efufea सुरत्रोपाजेनमन्यथा खाथरष्टोा भविव्यसि ततोऽत्यम्न- wfemt योग्यः प्रतिपन्नं चाङ्वचनमनुष्ठितं विधानेन aor: सुरलानां athena खाथेखाधक इति तया भद्र eases जुगयोऽपि देश्रविरतानेवमाचदते। यथा भो मद्रा YR यभ्रा- quraaa मरुग्यभावे जानतां जिनव्वनाग्टतरसं लखयतां भवने- मे खमाकलखयतां कायकज्जिशछमला विललतां वेद्यतां dane सन्ध्या अभरागभङ्गुरतां wat जोवितश्च घर्मोपतप्तशकुनिमखचश्चलतां भावयतां खजनवमेखहादेरचिरुतिविलङितदृष्टनष्टतां ates चमविषयादिममलयथसमं वद्चनमिदमाक्मगो महान्तरायो श्ानादि- साधनस्य जानन्ति age) षया परिणमटारण्ट विषयाः कारणं feafagarat acteyzar योषितोऽभ्रमिः egragerat हेतुत- मातरो द्रध्यानानां सुगतिमामंप्रदोपो wi wa arrerererat

१००८ डपमितिभवप्रपच्चा wut |

करयो निगर्तातिपातदस्तावछम्नो ei सन्पादनममन्तमनःप्रमोदा्नां सुचेमाचेपमो निच्छपएं चारिजं समपेकं निरन्तर चिन्तोत्छवानां अनादिजोववस्तमलच्ालमषलिलं तपो दायकं भिःषङ्गा दि षन्दोहा- मामनागतकमेकचवर निवारकः संयमो भावको भवभ्रमणएभया- भावितन्डरिभावदर्षाणां तदेवमपि जानतां भवतां भो भद्राः केयमविद्या ` कोऽयं मोहः केयमात्मवश्चनता केयमात्मवेरिकता येन युयं were विषयेषु que कलेषु qa धनेषु fey जनेषु wey यौवनेषु aay निजशूपेषु gaa गियसङ्गतेष इव्यय हितोपदेशेषु cae गुणेषु nay सम््ागातसत्खप्यसमादृ रेषु शहायेष Hea सांसारिकसुखेषु पुगचयमभ्वद्धय श्वानं मानु्ौलयय qua नानुतिष्टथ wits areca तपः कुरुथ संयमं संपा- qaqa खद्भूतगु णसम्भारभाजनमात्माममिति | एवं तिष्ठतां भवतां भो भद्रा मिरथंकोऽथं मनुव्भवो निष्फलमस्मादु शसन्निधानं निष्ययोजनो भवतां परिज्ञानामिमानोऽकिं चित्करमिव भगवदभे- नासादन। एवं हि area: परम विभिव्यते। भवतामन्चव- areqwafa a gafauefa विषयादिषु सन्तोषः। तन यु क्रमेवमासितु भवादृशां रतो gua विषयप्रतिबन्थं परिशरत सजमखेहा दिक विरयत धनभवनममलब्यघनं परित्यजत निः गेषं घांसारिकमलजाम्बाखं zeta भागवतौ भावदोखां विधन खन्ना भादिग रगएसश्चयं पूरयत तेनात्मानं भवत खाथेसाधका याव- efafen भवतां वथं अन्ययास्मदुपदे श्राभावे शदुद्धिविकणा यथं खायगष्टा एव wae भविव्ययेति तदिदं भगवतां aa

सप्तमः प्रस्तावः | १००९

गौमामुपरे श्वचमाण्टतमुपालम्भग्भमु पलभ्यते | waa दे ग्रवि- रता नितरां wer खचरितेम a ददति वष्टो्तराणि कुवेभ्ति ममोदुष्प्रणिधानं किं afe प्रतिपद्यन्ते हितमिति तल्छाध्वचनं श्राचरन्ति यथोक्रविधानेन सख्ौकवंन्ति पारमेश्वरं महाव्रतं तिष्ठन्ति पूरयन्तो गणरबनैरात्मयानपाजमिति

यथा चारुगेलो हितश्नाग्यणं विहितं सखश्यानगमनाथं ` तदामन्धणं ततो cfd aa हितश्ञेन खयभुपाजितं . तत्काचश- कलादिकं भिषेदितं काननादिकौतुकसारमात्मचेष्टितं तया भद्र चमवाहम wget भव्यमिश्यादृषटिग्वः ager: सुखाधवो यदज सद्धमंकथनायामिसुखोभवन्ति तच्वारुणा fanaa पगमन- मभिध्ौवते। ततः gaff ते साधवस्तेषां भद्रकभवयमिश्या- दृष्टौनां धमंदेश्नया मोच्गमनं wera) तेऽपि तेभ्यो दशेयन्ति यथा वयमपि ga एव wa थतोऽनुतिष्टामो निव्य्ञानं जुङमोऽप्निहोज दहामस्तिलिसमिधः प्रयच्छामो गोग्धमिदहिरण्या- दौनि कारयामो वापौक्ूपतडागप्रश्तौनि परिणयामः कन्यका इत्यादिकं काचश्रकललारिदग्ेनं। wey! ते सुसखाधन्यो निवे- cafe थथा भो NTH: सुखेन वथमास्महे यतो wear aie पिबामो मद्यं श्राखादथामो विचिचर सुरखं भोजनं रमयामो वरख्ियः uftew: सुङ्ुमारोज्चलवसमानि मामयामः पञ्चसुगस्ि- atest ताम्बूलं विशसामो विविधमाखविद्धेपनेः मोख्यःमो धननिचयं विषरामो यथेष्टचेष्टया सहामो रिपुगन्धं sme-

यामो निजकौर्तिं दग्वामः खस्य देवरूपर्तां श्रदुभवामो मनुख- 197

Vere उप्रमितिभवप्रपण्ा कथा |

भवसार मित्यादि तदिदं काननादिकौत्कशारमातमरेषटितकथनं ततो यथा तेन arqur शपापरिगतददयेन शित्च प्रत्यभिहितं यदुत वयस्य वश्चितोऽसि त्वं पापिना धूतेशोकेन gre are विधातुं रबगण्टोषपरोकां अन्यश्च ge तव करै रब्ररीपमा गतस amarfegaew विप्रशम्भस्तवैष परमान ततो feavia fafaa aciaageat खितः परिज्नानातिरेकः ततो निवर्तितं कानमादिकौतुकं wey चारू रशं दग्ितः जिष्वभावः शादरपि cthaaage: निवेदितं caewed गराडित- स्तद्‌ पाजनो पायं दितशञचादणा dort विकचः heat tami ततः oftwe हजिमरनामि are: सत्यरनरग्रहणणोद्यत इति तथा भद्र WIT earache करणापरिगतमानखासानेव वदन्तो भद्रकभवयमिश्यादृष्टौनित्यमाचकते | यदत भो भद्राः त्यं धमे- Mer धयं कुश्च wage कवलं सुग्धतया wale तदिगेषं वञ्चिता युय श्वधमेास्लकारेः | खलश रकम शि धममेसाधनानि भवन्ति सवग्रलदयाप्रधानो हि भगवान्‌ विष्डू- धमेः। तदिरोधौनि यागरोमादौनि। ay युक्तं धमबुद्या भवतामधमेचेवमं | चत्पुगष्रैय Tel यथा Gee Te तिष्ठामो यतो भवयामो मांखमिद्यादि तदपि सुग्धता विलुभितमेव भवतां we- प्रायं विवेकिनां यतः षज्िहिताग्रेषापाये काये aemg विविध- रोगेषु व्रागामिन्यां जरायां ममःशरोरसन्ापकारिषु रालायुप- दवेषु चाथावरे थौवने स्व॑व्यसनकारिणौषु षण्पव्छु aniarfene- वियोगे चिक्षवेधुथंकारिणि विप्रिथस्मयोभे सततमागाञुके मरणे

सप्तमः प्रस्तावः | १०१९

सर्वथादचिभिक्षाने श्रोरे पुद्खपरिणाममाजनिःसारेषु विषयेषु असंख्यद्‌ःखलचपरिपूरिते जगति वतेमानानामस्मतां कौशं भाम सुखं परमाथतो दुःखेऽपि सुखविपर्थास एष भवतां कमे- नितः wae विम: कारणममम्तभवधरमणशस्य | ततो भो भद्राः BRU प्राते aaNet सन्निहितायां धमेखामभ्यां सत्यस्मदु पदे शे खाधौने YUU प्रकटे श्रानादिमोकममें श्रनम्तानन्दरूपे जवे तस्य खशूपलाभखसणे WS न्ानश्द्भामुष्टानमानायत्ते तद्वामे युक्तं भव॑ता मोदृग्रमात्मवश्चनं ail तदिदं सद्ममिवशममाकष्ये ते डितश्चतुख्या भद कभव्यमिष्यादृष्टयो ata निशिष्वन्ति तेषां भग- ant wartiat ageat खष्ठयन्ति परित्नामातिरेकं ततो मिवतेयन्ति तदुपदेग्रेनावाप्तरभवासनाविगरेषाः सन्तो धनविषय- सद्धिमतिबन्धं vata विग्रेषतो gfe ते wan द्भ धन्ति शियभावं coats genta विनयादिएएेः। ततः प्रसन्न. दया FAS गशस्यावस्योषितं ayemeata प्रतिषाद्‌- यन्ति धमेमागे ग्राहयन्ति तदुपाजेनोपायं महायन्रेम यदुत भो भद्राः शुमंषाधनयोग्यवमाक्मनोऽभिषषद्धिभवद्भविस्तावदिदमादौ aig भवति दुत Banter दयालता विधेयः परपरिभवः मोक्षा को पनता वजेनौयो sided: विर हितव्याशौकवादिता wate शएणनुरागः कायां चौयेनुद्धिः व्यजनौयो मिथा- भिमानः वारणशोयः परदारामिशाषः परिहतयो धनादि्गिवः. विधेया दुःखितदुःखचण्च्छा पूजनोया गुरवः वन्दनौया Baar: warts: परिजनः gale: प्रणयिलो कः श्रनुवतंनौयो farsa:

९०१२. उपमि तिभवप्रपश्चा कथा |

भाषणेयः परावशेवादो यरोतव्याः agar: west निज- एएविकत्थनेम खतेव्यमणणोयोऽपि ged यतितथं woe संभाष- wie: प्रथमं fafrewta: श्रतुमोदनोयो धामिंकणनः विधे परमम भवितय्यं सुवेषाचारेः ततो भविति भवतां सर्वन्नो- पश्चसद््मानुष्टा नयोग्यता तच zwe: सद्भिः परि ह्तयोऽक- werufavaa: सेवितव्यानि aereferarfe लङनोयो चित- fafa: श्पेकितव्यो लोकमागंः manta गदसंदतिः afa- तव्यमेतन्नन्ेः प्रवतिंतव्यं दानादौ anata भगवता निरूपणटौयः साधविगश्ेवः ओओतययं विधिना wime wana महायत्रेन श्रगुषटेयस्तदयौ विधानेन अवलम्बमोयं धेये पर्थालोश- नोयायतिः अवद्ोकनौयो ae: भवितव्यं पररूोकम्धानेः सेवि- तव्यो शुरुजनः RAG योगपडृदशेनं eas aguite मानसे निरूपयितव्या धारणा परिइतंव्यो विचपमागेः प्रयतितब्यं योग- Vet कारयितव्य भगवद भुवमंबिम्बादि कं लेखनौयं भुवने शवचनं कतेग्यो aye: प्रतिपत्तव्यं चतुःशरणं गादितव्यानि दुष्कृतानि sacar gre पूजनौया मन्त्रदेवताः ओओतव्यानि सच्च्ि- तामि भावनौोयमौदाथै वर्तितव्यसुन्तमन्नानेम ततो भविच्छति भवतां रधुधर्मागुष्टानभाजमता | ततः हतबदिरन्तर ब्र॑सङ्गत्यागेः परदन्तभो जिमिभावमुनिभिः सद्वि भवद्धिरासेवमोया यषणशि्षा विधेया agaafame arate: खपरतम््मेदिना परदहितमिर- तेन पराश्रयवेदिना थयार्थाभिमानेन Fear सम्यकू aa: प्रयो- व्यो gitar: श्रनुषेया विधिपरता anal मण्डलिनिषद्याच्ादौ

सत्तमः Weta: | १,०६.२

यन्नः श्रमुपाखनौोयो व्येष्टकमो भजनोयोचिताश्गक्रिथा Bet विकचयादिविकेपः wheter भावकशारसुपयोगप्रधानता fara- wats अवणएविधिः श्रादरणौया बोधपरिएतिः यतितं सन्वम्ब्रानख्िरतायां काथ aed विधेयो शचानदयत्ेकः गोप- wana: परित्याश्यो विवादः परि शयैमबुद्धबुद्धिभेद करणं a विधेयः gua शास्लनियोगः ततो भविव्यति भवतां पाचता बङ्मता गुणएन्नानां वियहवतौ sat: खाश्रयो भावसश्पद्‌ं | aa: wafer भवतासुपरि सप्रषादा शरवः सप्रदापयिव्यन्ति सिद्धान्तसाराणि प्रवधिष्यन्ते भवतां वएश्रवाञ्रवणण्डणधारणो- हापोदतत्वाभिभिवेश्ाः wager इति तथातुश्रौलनोया भवद्धि- रासेवनागिका सख्माचरणोवा प्र्युपेखण्ण भजनोया प्रमाजेना साद्योभावमानेतव्या भिचाचर्यां प्रतिक्रमणणे य्था पथिका दातब्या- wtean शिया fazrat भोजनता विधेया भाजनपरिकमेणा saqsanfant fanceat निरौशंणोयाः afte: Hae समस्तोपाधिष्रएद्ध मावश्यक प्रवतिंतब्यं यथागमं काश्चग्र्णे श्राखातवब्यः पञ्चविधः खाध्यायः तरेवमभ्बसनोवा प्रतिदिनगक्रिया पाणनौयः पञ्चविधोऽप्याचारः श्रासेवनोघे चरणकर णे श्र्गाङ्गोभाव- मानेयोऽप्रमादः श्थातव्यमल्युयविहारितया ततो भविति भवतां मोकगममप्रवणो गुणएखन्दोहः। तदेवं ते भगवन्तः सन््मनयो quater तेभ्वः सहुणजगोपायं ततस्ते again भद्रकभथभिश्यादृष्टयः संजायन्ते विशचणाः भवन्ति परोक्षा भावर न्नानां विरहयन्ति कुधमसिवनं रमन्ते सहुणोपादाने वदन्ति यथाभो भो भदडारकाः

१०१४. उपमितिभवप्पश्चा Fut |

अपाचहेतुभिभ गोषा कारो afer:

Waray वयं are वशिता मोडहदोवतः

अधुना बोधिता धरेभवद्धिरतिवसकेः |

यथादिष्टं करिष्यामो नायाः सवं पुरोदितम्‌ `

श्रयोष्डडिता area: साधुभित्ते मगो हरीः |

यथोपदिष्टं Rarer जायन्ते खाथेसाधकाः

थथा Meat मूढसमौप शेतं गमनायेमामंन्कं मूढ

am वयस्य किं गतेन करियसि रमणो यतममिरं दपं ताहि we पथ्य भषितमिदं पद्मखवण्डेविंराजितं खरोद्ाने्म्डितं मरोवरैः कमनोयं विहारारामेः quate खगन्थिपुष्यभरवबन्धराभिवनराजि- भिरभिखषण्तीयं सुन्दरशोकयोगेन acy मानयिता सुचिर ed पयात्छखानगमनं करिष्यामो मे गमनं रोचते wi अथापि बोदित्ं वर्तते ततो दितं तत्काशश्रकलादिपूरितं SUNTAN संजाता चारोः कर्णा दश्वसस्मोपदेश्ो यथा युक ते कामनादिकौतुकं करनानि लया गहौतानि रत्रबुद्या तत्यरिव्यज मिजामूनि गहाण सुरल्नानि तेषां चेदं wee ततः प्रदिष्टो मूढः ae नाहं याश्टामि गच्छ त्वं GW प्रट्लोऽसि मिज्रमेव भवसि तवं मे यसं मामकोनानि भाल्लररनानि दूष- यथि we मे तावकर न्नः पुनः शपयो पदे ्रदागोद्तो निरारत- दाङ्रनेन संजातस्ारोरपरन्नापमोयोऽयमिति fage: तथा भद्र SMITE CEH भगवन्तो सुनयो मूढखानोधेग्यो दुरभयये- wiser वा वदा ध्मौपरैग्राथेमभिशुखोभवन्ति तरा तेषां

सत्तमः प्रस्तावः | Pore

तन्तस्मोपगमनम मिधौयते। ततः Balen ते षद्मेरे शया मोच- ममनं प्रति तदामन््रणं ततस्ते SRT जम्तवः खल्वेवमा TTT | यदुत भो भोः अमणकाः किं तेन यौ द्माकौनेन alee नः प्रयो- जनं मवतामणशमेव ay गमनेन तथाहि

तच खाद्यं नो. te faarar भूतयः |

a fea: fradatat कान्ताः waewar:

भाषणं विश्रम्भं Ma भापि गतनम्‌ |

HWS इन्त VNTR: मोखो ननु बन्धनम्‌

अत्यन्तरमणो योऽयमस्माकं प्रतिभाख्ते |

सदा संसारविस्तारखिश्लाद्कादविधायकः॥

यतोऽ afr संसारे are पेयं विग्रूतयः।

विलाषा दषणं नाथः कामदाः aera:

ययष्टचेष्टाचारिलं THe नृत्यं विचेपनम्‌

विद्यते wiaary संपूण सुखसाधनम्‌

अतो विमुच्य wat सुखसन्धारपूरितम्‌ |

भो भोः मशका धूयं मोचं गम्तुमेय

तदथं मोख्वादेन संसारे सुन्दरा fafa: |

मानयिला ge fee warty afawe

चख सद मेवाटोऽथं भवतां मनसि ख्वितः |

शअरसाकमपि सोऽख्छेव किं ge धर्मम्विताः #

तथाहि खरिभि्दिषेन्डागेः शूकरे निपातितैः -

१०१६

उपमितिभवप्रपस्ा कथा

कुग॑हे शष्डिकादौनां वधं सधिरत्पंशम्‌ गोमेधमश्वमेधं नरमेधं तचाजकेः |

कुमा धागं चतुर्भरं waayiaaeaa छयो निव तिमः सत्वान्‌ निःपरषान्‌ दुःखपौडितान्‌ | इत्वा इत्वा वय दुःखाग्मोख्यामः ANAT: पापद्यां ओवसङ्कातं मारयित्वा दिने fer मांसावारितसजं प्रयच्छामो यथेच्छया इत्येवमादि भिधैर्नैः Wawa वधम्‌ | भावत्कस्यास्य धमष afi वत Faw तदिदं मूढकसख्पानामभव्यानां प्रभाषितम्‌ | WRG सुनयो धौरा भायन्ते BUTI: ततस्ते तमरबोधायंमित्थमाचच्ते तदा |

भो भद्रा भेव यक्घोऽयं भवतां भवविभमः एते हि भोगा भागानां भोगा दव gereu: | पयैन्तकटुकाः पापास्तौत्रबक्घ वधाः ना्यीऽनार्याः BAKA: ख्वंमायाकरण्डिकाः | विखासनुत्बङ्गोतविम्बोकाद्या विडम्बनाः AVY भद्राः सततमनन्तानन्दसुण्द्रः | जोव्यात्म्यवस्वामं निःरषङ्ग शवजितः मनुखभवमासाच्च AT YR भवादृशाम्‌ | खाद्यपेयविासादिकौतुकेनातमवञ्चनम्‌

एतेषु wat भोगेषु कतिविहिगभाविषु `

सप्तमः Tels: |

मा मोकमायेसुदव्य गच्छतामन्तके भवे धर्मानुष्टानवुद्या यदिदं मारणादिकम्‌ | शयं BCT तत्पापं wa संसार वर्धनम्‌ HUMANS मा HIATT | अरिसाय्ात्मकं wa ge दोषसूरनम्‌ wags gaat ते वाक्यमाकण्ं पेशलम्‌ | मूढकश्या WATS yee थान्ति पापिनः वदन्ति ततो रुष्टा भो भोः अमणएका वयम्‌ | faeuter युश्नाभिर्यात यात यथागताः भोगान्निम्दथ पापिष्ठा wa राखन्निषेवितम्‌ | ततो भो वैरिका ad नेयामोऽन्तकमन्दिरिम्‌ देद्श्ोऽपोड सद्धमौ यद्ययं वो a Tea | ततोऽच्ं युश्रदौयेन WAG पुरुषाधमाः मिवेदयत aga निचेभ्यः श्रसणाधमाः। WAI भो TAH प्रयोजनम्‌ तदिदं मूढजन्तूमां वाक्यमाकश्ये साधवः |

BY: करुणया Sagat धरमेस्य लघ्षणम्‌ तावन्ते fact gt द्टौष्टा रक्खोचनाः | माढग्रहारदानादौ प्रवर्तन्ते संशयः aaa sey सुनयो मूढचेष्टितम्‌ |

faferafen निजे fea नेते साध्याः कथंचन्‌

ततस्ते साधवस्तषासुपेां कुवेते यतः | 128

+

६९९ उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

भवेहो शमे चन्तं बन्ध्धाभावे विगि्िते ततो थथा शारूपदेशं ङूर्व॑तो स्तयोथीग्य दित न्योग्ैते carat af ते तौ «aoa गतसाङः Set जाताखयो रत- विनियोगेन सखततमगन्तामन्दभाजनं मूढस्त दुञ्धरितक्रद्धेन नर पतिना निष्काषितस्ततो दौ पात्‌ प्रकक्ः समुद्रे खजातोऽनन्तद्‌ःख- भरभाजममिति तथा भद्र घमवाहन सुनो मामुपरे शरं पीक Haat तेषां रेशविरतनमां भद्रकभयमिथादृष्टौमां क्रमेण छते पारमे- श्वरे ब्रते वर्तन्ते श्चानादथो yur सिन्ते Aaa ततः सऽपि गच्छन्ति परमपदे जायन्ते सततमनम्तानम्दसम्दोहभाओ भ्लानद्‌ शनलारिजविनियोगेन मूढजन्तवस्त॒ gif पापभरपूरणं ततः Bend खकमेपरिणामश्चसुजा fae मनुब्यभवरबरदौपात्‌ पात्यन्ते संसार खागरे भवन्ति निरन्तरदुःखसम्भारभाजेनमिति ततख् एवं कथानकस्याख्य Wat भावा्थमोदु शम्‌ | अयं प्रव्रजितो जातः साधुमौ waren एवंविधविवेकख्य कारणे कमेदार शे | कोवा कथानके Ee aa नो सुनितां भजेत्‌ रत्रदौपसमे प्रापे मानुव्ये भद्र भाविकः | रन्रेभलातमबोहित्थं को गच्छेच्छिवाखयम्‌ ततो भद्रेऽगहोतसङते तदिदमोड् श्मकशङ्ूवचनमा कणयतो मे सिता बहो क्मेख्ितिः संजातो भद्रकभावः सुखावितं मनागाकशद्धं वचनं तथापि featsy मोनेनेव प्राप्तोऽकशः

सप्तमः GST | LORE

afeat war वष्ठसुभिसमोपं वम्दितो afaat: | धमं- छाभितोऽनेन war प्रस्तावना ye: सोऽपि बैराम्यकारणं। मुनिनोक्रं मगरो wefaata श्रद््यनादिरमन्तिक्षा | तदीयो Weal मे लातो वेराग्पकारणम्‌ sawen चिन्तितं | mae: पुरा arg सुनिना मे निषेदितः। बनं भो इहमागऽपि तादृश्नोऽयं भविव्यति ततः प्रोक्रमकक्षद्म निवेदय महाभाग मद्यमेनं स्फ़टाचरेः | इहमामेः संजातो we वैराग्यकारणम्‌ सु जिराइ महाभागो योऽव ध्यानख्धितो मुनिः | ्रनेन जक्मसन्तानः इडो मम Sa: ti विराजितः सदोर्बाभिभेवावपनपंक्रिभिः। ऋरिभिः सुखदुःखास्थेः .पष्छेः परि पूरितः WAS: सञ्चयोयुकषेः क्यविकयतत्यरेः | जौोववाणिजिकेरनित्यं खार्यं मिषठे निषेवितः पुष्ापुश्वामिधानेख स्तो कोत्छष्टविमध्यमेः | qe: प्छानि wa खानुङूपाणि तच भोः नित्यं व्यवहरत्येष सदेवोहा टितापणः | श्रपुष्यजोवरोरोख wef परिपूरितः महामोहामिधानोऽच बलाधिहत उच्यते .।

१०२० उपमितिभवप्रपश्चा Wat |

कामकोपादयसलस्य पुरूषाः परिचारकाः चोरेजवाधमर्णानां कर्मास्येर्धनिकेः षदा करियते धरणएकं तज दु्भौवमतिदारणम्‌ सदा RIAU शोकोदधगविधा यिनः | HT: कषायनामानस्तच दु दाम्तडिग्भकाः श्रनेकाश्येग्यिष्ठो विचिः सतताङुखः | नान्यो अगति तादो टमा aaa eae ते मथा Stat cage निरोदिताः | VE सर्वेऽपि विन्नातास्तावदत्धन्तदुःखिताः quay महाभाग मुनिना मम ate | afqat BIG भद्र ज्ानाश्चनशखाकथा ततो fanugfeatest दूरे श्वखितः | भथा इटराससुक्लौणा Hat नाम fwarea: AMAA मया दृष्टाः सततामन्दसुन्दराः | सदुद्धिश्ष्या भो लोका सुक्ताख्या बाधवजिताः ततो मे तज खंपन्नो दहमागे शन्तमः | वतो भद्र मिवदो astra एव च॥ तबतञख्चायं महाभागो भुमिः प्रोक्स्तदा मथा | ead परित्यञ्य मठे यामः fraee यतः | नास्ति मे away रतिनाथ सुदारुणे RIA ब्रजामोऽतस्वया साधं भिवाखथे

सप्तमः प्रस्तावः | १०२९

सुमिगोक्ं धदोच्छा ते as गन्तं भरोत्तम

ग्टहाण मामिकां stat ततोऽस प्रापिकामरम्‌

aa saat नाथ मा fawat विध्यताम्‌

ततो दन्ता ममानेन TAG पारमेश्वरो

उपदिष्टं HAY मटग्रापणकारण्म्‌ |

अदं तदेव gaat uz तिष्ठामि शाम्मतम्‌

SHAE | HTT भाय कतेद्यं yout ते निवेदितम्‌ यदलेन मठे तज भगवन्गन्त मिच्छसि gfe wate | अभिहितोऽदं भगवता तदानेन गरुण |

यथा सौम्य अस्ति aragaa: परिये कायामिधानः पञ्चाचनाम- warat मिवासाथेमपवरकः। ay का्मणश्ररोरनामकमपवरक- गवाचाभिमुखचयो पश्रमामिधानरन्नं mien तच चिन्तामि- धानमतितरलं वामरणोवरूपं | मयोक्क बाढं समस्तमस्ि दङ्‌ Win! Gad ततो welana तेम सर्वेण तावद्धवता प्रब्रजितय्य | थतो wert azarae एव विरहयितु मयथोक्र यदान्ञाप- यति नाथः ततः प्रब्रजितोऽदह। शङ्णोक्क भद्र त्रयेदं वानर- Saeed gcfed कर्तयं। aati) अदादिश्ति गायः केवलं gat भयभिति कथयन्तु भगवन्तः ततोऽभिदितमनेन सुजिना | यथा सौम्य विच्न्ते तज mies वतोऽ wate: खष्पद्रव- कारिणौ यतो vega वराकमिदं कषायनामकेशटुलमूषकैः तरल- तरौक्रियते मोकषा षास्यवेधपट्‌ भिरदंटटचिकेः खाद्यते serena:

१०२९ उप्रमितिभवप्रषच्चा कथा|

कूरमार्बारोभिः feat रागदेषनामकाभ्वां deere wat TVA महामोहसन्ञेनातिरौद्माजरिण saree परौषदोप- aig: सततं चोटयद्धिरे मरकः fagetfnet zarfirafea- faaatetgqawsiwalgaege: SUA SelM TL ग्ेहकोकिशिकामिः sfingat दारुणाकारः प्रमादरृकलासेः तु्यतेऽनवरतमविरतिलाम्बाशनामकेभ षट्पदिकाजाङेन -श्रन्धौ- feat मिण्यादशंनसद्चेनातिघोरेण तमसा। तदैवमेते ax तज गभेग्टहके सततस्थायिगोऽख् वराकस्योपद्रव विशेषाः | तदिदमेव- मादिभिरपद्रषेरुपद्रुतं चिन्ामिधानं वामरलौवशूपं बेदनाभर- ` जिःखदतया निपतति रौद्रध्यानामिधाने सुज्वशितथादिराङ्गार- ee कचित्युनः प्रविशत्यनेकङ्ुविकच्पाख्यशृतातन्तुजाखावमद् सुखे मोषे गाढमातध्यामामिधाने महाविशे। तदिदमप्रमन्तेन भवता सततं रणोयं। Raw! ATA कः पुनरस्य रश्णोपाथः। गदरा भद्र खेते विद्चन्ते तज्रापवरके पश्च गवाखासतेषां दारेषु विषयनामानः wea विषष्टश्ा विद्यन्ते ते चातिदारुणाः खरूपेश तस्ते wane वागरललौवरूपं विखयन्ति मन्धनापि seater quanta aceafa खरणमापि मारयन्ति स्यशरेनेमाखादमेन एुमयंदिरं भिपातयन्ति av किमाखथं : ते चास्यामोमिरप- दवेश्पद्भुतष्य विडणंतथा सहकाराखका इति प्रतिभासन्ते ततो निगच्छति तदमिभुखं तेगंवाचकेर्गाढा मिलाषेण रच्यते सुन्दरा- wift बुद्धा केषु चिकरत्फष्ेषु विद्रेष्टि gece बुद्या कानि- चिन्तत्फलानि बंभमोति शौद्यातिरेकेणामवरतं तच्छाखानरेषु

सप्तनः Veils | VeRQ

शठति नितरामयंनिसयसंज्ञे तदधोवतिनि पचफलक्ुस॒मरजः- कचवरे ततस्तेषु परिथमदिदसुह्भुड्य _कमंपरमाणमिचयश्चेन तदौयफशङ्ुसुमरेणमा श्राद्रो करियते भोगख्हमामकेन मकरन्द- जिन्दुनिस्यन्दसन्दो इवर्ण ततो मया ग्टहोतवसमभावार्थन विज्तितं। श्रये टच्ास्तावेदते सामान्यरूपा श्ष्ददूपरसगन्धस्प शा भवि्यन्ति कुखमानि पुनरपरिस्फटास्तदि शेषाः फलानि तु परि- Bean एव श्राखाम्तराफि युनसतदाधार वस्स्यानानि तेषु स्वरणं चिक्तवानरलोवशूपस्य लसोकोपरारेणामिहितं aers- लौकिकाः waw गतं मे चित्तमिति। एवं fea बुद्धं मयेदं तावत्छमस्तं॒सुभिना भाषितं wet चति fate मयाभि- fea) भदन्त ततस्ततः दर्रा ततो ag भोगचशा्रोश्वते कमेपरमाणप्रचयरजोशष्डिते तज चिन्तवामरलोवरूपश्ररौरे विकण- तया Waa भेरकतया विषरूपतान्तस्य रजसः संजायन्ते चतामि संपद्यते अभेरोभावः व्याप्यते समन्ताकमध्यदेशः दद्यते favetu तैन रजषा ततो भजते छृष्णरूपतां aware कचिल्छपद्यते रक्षोभावः। ततस्त ER वतमानं तत्तेषां सवेषां पूवौक्रा- मासुपद्रवविगरेषाणणं गम्यं भवति ततो बाध्यते मानाविधं तेरिति। तदेष भद्र ae चिन्तवानरलौवरूपस्य संर्षणो पायो यदुत हौवा wana Tareas wee तञ्धिन्तवानर- लोवरूपं तेरच्नामकेगेवाचेविंषयट्फलभवणसप शया निग॑च्छदा- wry निवारणोयं तथापि चटखतथा नि्चरत्पुनः पुनराकरोड- नोयं ततो निषिद्धबहिमंमनस्य भिटत्तयहइकारा्रकामिलाषस्य `

१०२९ उपमितिभवपपश्चा क्या |

तस्य श्रोषमुपयास्यत्यसौ भो गच्छेदसपादितः शरौरादरौभावः ततः बरष्कशरोरात्परिश्रिख्ति प्रतिचणं तद्रजो रोच्छन्ति ware अपयास्यति अ्नेरता भविव्यति aun विनंच्छति रक्रौभावः आविभविव्यति धवलता aaa wae eset दशं- ala ant प्रभविव्यन्ति ते प्रागप्वरितास्तजापि aye वतंमानख्य तस्योपद्रवविग्रेषाः। किं तेऽपि मार्जारमूषक- कोोन्दुराटथसच्य ATS वरूपस्योपद्र वकारिणः समस्तासेनेवा- प्रमादमामकेन कश्चदष्डेन भवता Tater: | aay संचूितेषु तद्रभग्टदकमागेस्चरिष्णु वानरखौवरूपं निर्वाधं भविद्यति aca भद्र तस्य संरणोपायः। aati भदन्त तत्किं पुनसतनेत्थं सरचितेन मम Bafa प्रयोजनं भगवताभिहितं। भनु भटर यद्ववतोऽमिपरेतं शिवालयमटगममं तस्येतदेव चिन्षवानरश्ोवरूपं सुसर खितसुपायग्धतं वतेते

एतङ्धि रितं सम्यक्‌ संभवत्येव कारणम्‌ |

निर्बाधं गमनस्योचचेः पुरुषस्य शिवाखये

ततखेन्तज ते भद्र विद्यते गमने मतिः।

अस्य GI saa ततो aa समाचर

fa a WHA TBARS वतेते AT दुस्तरम्‌ we वानरल्ोवस्य यदिदं ते मयो दितम्‌ a तयाहं | तन्तेदपद्रवेर्गाड़ पौडितं मूषकादिभिः।

सप्तमः THN: | १०२१

वेदना विशं मोदा दाञ्केषु प्रवतेते aay TEA रजखा wet जिद्यते wea fee far: | aa: चताजि जायन्ते बाध्यते मूषिकादिमिः॥ ततसद्धचणणासक्रा ale मूषिकादयः | way बाध्यमानं तेरा सकेव्वेव धावति पुनगेष्डममेवास्य Sky FAULT | Gay चतसन्पन्तिः पुनः सवेऽपयणद्रवाः तदेवं चक्रके भद्र गतमेतदनिष्टिते | Gar avant cat निर्बाधं इम जायते ततो योऽयं मया प्रोक्ष Bq: Scag वरः | एव भवता नित्यमनुष्टेयो नरोत्तम ` ततो गदोतभावायेस्तदाडं पयचिन्तयम्‌ | इदं मदय भद न्तेन प्रपञ्चेन निवेदितम्‌ यदुत | रागाययुपद्रुतं fed विषयेषु प्रवतेते ।. तेषु चास्य WRB aad कमंसश्चयः अङ्गङ्गोभावमाधत्त सा AAPA | ततः VATA: संजायन्ते चतोपमाः ततोऽच प्रभवनग्येव सवं रागायुपद्रवाः मूषकादिसमास्ते विवधन्ते प्रतिकणम्‌ श्रय प्रय॑माणं तेविषयेष्वेव धावति . 129

१०२६

उपितिभवप्रपश्चा क्षया |

एनः कमं पुनः GE पुनः सर्वेऽणुषद्रव।ः अदूषटत खपे तरे वं विधसक्रके |

निमप्मं दुःखकी टौमिचित्तमेतन gue ASS: वमाख्यातो TEE] रकः | Belat Tawa Pswareise सन्तमः॥ ततखेवं afcarfa ead सुखमादडितः | गरूदिष्टाप्रमाद तस्याइमनुग्ोखनम्‌

यदुत |

खप्रोऽयभिन््रजाशं वा इरिखग्रपुरं तथा शरौर लयो भोगा यश्चान्यत्छजनादिकम्‌ एवं fafye ager भावयामि त्वतः | ततः संसारजाशान्ते चिन्हवन्धो गिवद्छंति अनाद्यन्धाखथोगेन जिखरश्च पुनः पुनः | ्त्मन्येवादहितं fart धारयिष्यामि धनतः तथेदं शियिग्यामि चित्तं fa निगंतेन वे। afe: खरूपे तिष्ठ ल्व Saree निशोयसे संसारस्ते बहिश्चरः दुःखभराकरः। मोः WSN सानग्दभराकरः ततो बदिन युक ते fan मुखिया युक्रमात्मन्यवस्छाने fer fear बदिभवंमम्‌ आआत्मन्यवख्ितस्येह जगमन्र्व सुखं तव | बहिरनिःखरतोऽेव दुःखं तथदि बुध्यसे

SAA: WRT | १०२9

तथाहि | सवे दुःखं परायत्तं सवमात्मवशं सुखम्‌ afeq ते caw arly सुखमात्मनि 4 अन्यच्च यदात्मनो afera aged aa fier aaa श्वर दुःखं निःखभावं मला विशम्‌ श्रतसदथं हे चित्त किं था परिताम्यसि fa वात्मानं विश्ुश्येत्थं बथ्रमोषि पुनः पुगः यदि स्यात्छुन्दरं किषिददिस्तस् निवारणम्‌ | संभवेत्तव दुःखाय तश्च चिन्त विद्यते SHAH पुन रभ गाङ्गारे निवारितम्‌ | अ्त्मन्यानन्दरूपे लं मुधा ताम्यसि धारितम्‌ a अमन्तद शेनन्नानवो यानम्दप्रपूरिते चिन्त शलात्मनि eri भब wid निराशुलम्‌ av ते तिष्ठतो नित्यं भोगच्छशख्य शोषणे | संजाते जायतेऽबश्छं रजःपातो संश्रयः ततश्च संक्किष्टवाषनाजन्या व्रणा रोहन्ति दाद्णः | ततस्तदाक्चनिभशुक लं भोगेषु THT पिष्डौप्रा्या qu: ster भोगा्िन्तच्चतेषु ते। अत एव yea ते भाषन्ते खार्णकारिणः मुहतेख्खमाघधाय ते भुक्राः चवधेनम्‌ |

१०२८ उपभितिभवपप्ञ्चा कथा |

संक्तिष्टवासनाध्यामाष्मनयन्ति सुदारूणम्‌ इतरया | संलिष्टवा समोग्युके रूढे तव TIT | निर्वासे सततानन्दे तदिश्डेव जायते तदेवं संख्िते feu feat सवं बहिभेमम्‌ | खरूपे सततं तिष्ट ala इम निरातुरम्‌ एवं शिचयिलेदं fad सम्यग्‌ विधानतः | अस्यैव Taman भविव्यामि समाहितः तथानुशिष्टमेतञ्चलत्येव दुरात्मकम्‌ | यज्ञाजिराकरिष्यामि बहिर्धावत्पुमःपुमः कषायमोकषायाद्या ये चोपद्रवकारिणः | शरस्य तानपि निःग्रेषान्‌ इनमिग्धाभ्यप्रमादतः fanizaa ध्यानेन प्रतिपच्चनिषेवया | याखन्ति प्रलयं सर्वं तं रागादयुपद्रवाः ततस्तेषु way भविव्यन्ति बाधकाः परौषष्ोपसर्गाद्या बहिःख्थास्तदुपद्रवाः ्रत्मारामं ततो गत्वा मलिन्तमबद्दिश्चरम्‌ | रागाशुपद्रवसुक्ं मोचायैव घरिग्यते एवं परिकलय्यां wea सुविनिचितः। तदेव gaafanas तिष्ठामि साम्मतम्‌ श्रकशद्धेमोक् साधु भदन्त साधु सम्यग्‌ बुद्धं भरन्तेम ae सम्यक्‌ चारब्धं तदाषरणं मयापौदं सक्रक भगवन्िने-

सप्तमः परावः |

१०२९

दितमाकष्ान्यद पि चक्रकमभ्यूहितं तचुक्तमयुक्षं वाकणयतु भग- वान्‌ सुनिनोक्ं निवेदयतु भद्रः WHAT |

एवं

fanaa दिधा तावदट्रयतो भावतस्तथा |

राद्यं पर्या्चियुक्रात्मा weld पुद्गलाक्मकम्‌

तजर प्रयुक्रो Mag भावचरित्तं निगद्यते | तत्कामेणएश्ररोरसखं तेन भिन्नं निवेद्यते

तचत्तं नियमाष्नोवो जोवचिन्तं वा भवेत्‌

यतः केवसखिनो जवा भाव विन्तविवजिंताः स्थिते |

मिथ्याज्ञान विपर्याघाष्जोवो रागादिसंततः। सततं दुःखूपेषु YVR! प्रवतेते

ततः कर्माणएसङ्गातमादन्ते खेदतन्तुभिः | ततो sarees विधत्ते तदशाद यम्‌ पुनस्त विपर्यासः gar रागादि षम्ततिः | पुनख विषयाकांचा पुनस्ते खेहतन्तवः पुनख RATT पुमजेग्मसमुद्धवः |

पुनस्त faqate: पुमा रागादिकः क्रमः एवं यावद्‌ विच्छिन्नं विपयांसा दिचक्रकम्‌ | sae वतेते तावद निष्टा भवपद्धतिः ददमन्यूदितं नाय मया चक्रकमश्चसा | युक्रमेतद युक्तं वा यूयं विज्नातुमरेय मुनिनोक्तं महाभाग युक्रमेतश्ज संश्रयः |

०९० उपिदिभवप्रपश्चा कथा |

कथं ASMA भतन्तोड भवादृशाः मयापौदं ततो wre हदभिनच्च समथितम्‌ | ufafeaaa हेतूरविपर्यासादिशक्रकम्‌ अरत एव प्रित्याश्यो विपर्या्ो विबेकिना | तदुच्छेे velar निमूललेन गेषकाः श्रयमेव विबेकोऽच anmafad मतम्‌ | wa facreat war डदि पर्यांसवजेनम्‌ अविपयेषूविन्नातुः पुरुस्याप्रमादिनः | ममो विकारजालं हि खसमा द्धिन् प्रकाश्ते ततो विगिक्मात्मायं सदानब्दं प्रपश्यतः | नाश्य संजायते देषो दुःखे नापि सुखे GW भिर भिबज्गचिन्तोऽ्ौ ततः कर्मालश्चधम्‌ | विषयच्छेहसुकत्याश्च faun acres ततोऽखौ बौजविरहाज्िःस्यहतग्डवामरम्‌ | सुकवान्ञारभेतातखक्रकं विमिवतेते

एव fea यत्कमेबम्धनं AH धच्चेदं भवचक्षकम्‌ | अमयोधौ विजानाति प्रवतंननिबर्तेने कि शरोरे भोगेषु धने वा मक्भाविनि। अन्यत्र वा पदां भो रागं कुर्धात्कटा चन aq सांसारिके gaia दन्त जिरेतिम्‌ | नाद्यापि तश्बतो श्रातं तेनेदं रक्रकदथम्‌

" ~ - ~ = ----- oe =

ad.

सप्तमः ARTF |

फलं न्ञामक्रियायोगे सवेमेवोपपद्यते | तयोरपि तद्भावः परमार्थ॑न नान्यथा साध्यमथं परिश्नाय यदि सम्यकूप्रवतेते | ततस्तत्छाधयत्येव तथा AWE महामतिः ti सम्यकुप्रठ्तिः sree प्र्युपायोऽमिधौयते , तदप्राप्ताबुपाथत्व तस्या प्रयते ¢ असाध्यारभ्भिणस्तेम सम्यग्भरानं जात्‌ चित्‌ | साध्यानारमभ्िणश्चेति इयमन्यो न्यसंश्रयम्‌ अत एवागमश्चष्य या क्रिया सा क्रियोच्यते। wast यस्तस्यां serie प्रवतेते चिन्तामणिखरूपन्नो दौर्गव्योपहतो डि | AMATI चिक्ये TAT प्रवते #

चासौ तत्छरूपन्नो चोऽन्यज्ापि aia | मालतौ गन्धगुएविदभं रमते wie: तदेवं भवाभावाश्युकरिमाप्रोति TAT: | अलम HUTT सम्बगभ्यूदितं सया तदिदं qafunx aaa मे मिवेदितम्‌ | तस्य वानरणौवस्य waa परिरक्णम्‌

WAAC |

केनोपायेन तन्ञाय वामर नयमच्मम्‌ | fuaraaas तज gear प्रतिपादितम्‌

१०६९

१०६२ उपनमितिमवपप्श्चा SUT |

सुनिनोक्ं श्राकणेयतु agi) प्रोक्रोऽडइ तदानेन भगवता रुणा यथा सौम्य aw MEA Sen इति Mea प्रसिद्धाः शष्णनो सकपोततेजसौ पद्मशक्कनामानः षडङ्गनाः परिपाशिका विद्यन्ते avg aaa गर्भ्टदके समुत्यन्नस्येव wear खंवर्धिता- waa चोपचयकारिश्छो वर्तन्ते। तासां aa प्रथमासिरो नायो यथाक्रमं करूरतमक्ररतरक्रुराः खरूपे कारणमनथेपरपराण्णं शचश्डतास्तस्य वानरलो वरूपस्याश्रुभद द्धिहेतुग्छतास्तस् गभेग्द- we धारिकास्तवाप्यभैव दुःखसङ्ुले warn निवारिकाः मटगमनख्य डपरितनाः पुनर्द्र fast नाया यथाक्रमं शद शद्धतरषड्धतमाः WENT कारणमाह्वादपरपराणएणं बन्धष्डता- सतख वानरलौवरूपस्य श्रद्ध टङ्धिेतुग्डतास्तस्य गभेग्टहकस्य निःखा- रिकासलवा्यस्मादषातसन्ततिपूरिताद्धदइमारगादनुकूलकारिका As- गमनस | ताभिखच षडभिरपि नारौभि्विंरविितस्तज गभग्ट्क सखसामर्थ्यादु पुप्यांरोहणथे परिणामो भाम ददंरः। ay ताभिरेव नारौभि्ेथानुपूवे उपयैपरि विरचिताः weave: ` समस्ता wae विद्यन्ते वयवसायस्थानाभिधानाः पदिकाः | तया प्रथमया विरचितास्तावदसस्येवाः प्रथमाः हृष्णावर्णाः एवं दितोयया दितौया नौखावभासाः ठतौयया उतौयाः कपोताभाः चतुर्थ्यां चतुर्यास्तजभाखराः पञ्चम्या पञश्चम्यो घवलपद्मश्छायाः षष्ट्या वषयो विष्रद्धस्फ टिकनिमंलास्ताः पदिका इति तजाद्ययो- षिचितयनिमिताख पदिकाख वतमानं तदानरलोवरूपमुत्त्यो- रभुत्य बलात्‌ धावति गवाचकेसतेश्वास्केषु wala तच रजःकचवरे

सत्तमः WHIT: | १.०६

mega तेन रजसा भिद्यते तैः खेहभिखन्द िन्ुभिः ततस्तथा चतग्रतेजेजेरोग्धतं तेषां मूषकमार्जारकोलोन्दुरादौनां सवेषामुप- दवविगेषाणमभिभवनौयं भवति ततः कचिश्लष्टमिव weet कचिद्रणितमव तिष्ठते कचित्बूरलां धारयति सवधा खततसंत् तदास इति। तवापि चानन्तदुःखपरपराकारणं संपद्यते तस्माद्भवता तदागरलौवं ताभ्यः परिकाग्यो निःसारणणेयमुप्यारोदणपणैयं amqauatfafafiag arg पदिका प्रतिचणएमारोशतस्तस्य वानरलौवरूपस्छ स्तो कोभविव्यति सन्तापः प्रततुतां यास्यन्ति बाधाकारिणस्ते मूषकादयः चुद्रोपद्रवाः मनाक्‌ खश्पोभविवख- TAR aa: | ततः शोषमोषदु पयास्यति सा मकरन्द निष्यन्दा- gm परिशखिग्यति किंचिद्रजः। ततो wad मनाक्‌ सुखासिका [xxx] भविव्यति खतापः प्रतसुतरा भविद्यनधुपद्रवाः खस्यतरः संपश्यते ऽपथ्याच्चका भिशाषः saat ufaafa श्रौरकं निप- तिव्यति तस्मार्‌ बहतरो रेणभिचथः ततो मनागस्य Tafa उत विग्रेषाः श्राखकन्दिव्यतौदमाह्ारं धारयति घधवलतां वर्धि- व्यति utility भविव्यति विश्ातरः। ततः षष्टश्लना विर चित- पदिकासु भवता तदरोषदणोयं। arg चारोहतसस्य स्तोकतमौ- भविष्यति दुःखाशिका wee यास्यनधुपद्रवविगेषाः अत्यन्तं खश्य- तमौभ वित्या्काभिलाषः चटिष्यति रअःकचवरलोटनेच्छा waar श्नोषसुपयाश्यति मकरन्दरषाद्र॑ता | ततः शृदष्कतर ्रीरा- दिच्ेषमनुभविव्यति wfast रेणनिचयः संजनिष्यते agaareiz

भविति शभ्रस्फरिकनिमलता | 130

२०२४ उपमितिभवप्रपश्चा श्या

अन्यश्च तच यो पित्तितथसंपादितिपदिकामारगेऽलुकणमारोरत- wae सगिग्धति मन्दः सुखकारितया Wa: सन्तापारितया सुरभिः खद्भुतगुएगएकमशवममकरण्ट्रेएधारितया धमेष्यानाभि- धानः पवनः तन्छंग्बन्धे भविव्यति agai प्रमुदितं wag भोतभिव तेभ्योऽधसूनेभ्यौ मूषकमार्जारकोखो रुर टसिकरकशास- सको किलिका दिभ्यो मानाविधोपद्रवेन्यः ससु दिग्नमिव तेम विततेन बरलान्धकारेण श्राद्यनारौजयविर चितं पदिकामागंमपडहावय ay पञ्चिमयोषिच्यविनिर्मिंते भयविरदिते सततप्रकाे पदिकामार्गं निलोगमास्ते तरू वामरलोवरूपस्छ सम्बन्धि वानर धुय ततस्तना- Cwawe तदग्रेवमधिषठितं प्रशमदमसन्तोषसयमसदहोधादि- नामकवानरपरिवारेण fagguaawamatey समन्वितं टति- अङ्काखखासिका वि विदिषाविश्च्तिद्तिबुद्धिधारण्णसेधारान्तिनिः- स्यहतादिरसं्चाभिवेरवानरोभिः age धेयवोयौदायेगामौये- प्रौष्डोर्यन्नानद गरेनतपःसत्यवैराग्धाकिञ्चन्यमादंवाजवन्रह्मण्णचादि- नामकरवंरवानर रगोवसूपेरा विभ विष्यति कि चित्कद्‌ चित्वस्या चित्थ- दिकायां। तच्च तस्य भवदौयवामरलौ वरू पस्य शरोर जौ वितं aq wenafafeantame वतते fa ©) तद्ानरयथमपि fax wey दिमकरभाख्रं aargreeqarat निरभिच्ापुक तेषु गवाच्वद्वारस्धितेषु षकारा षरूपतया कण्ितेषु विषयड्खषु विगत- QE तज्रायनिचयसम्पत्फणङुसुमरजःकचवरलोटने | ततश्तनात्मोय- वानरयुयेन ay मो लितं तन्तावकं ` चिन्तवागरलौ वमत्यनाप्रसु दितं Tw याखधत्युपथुपरिपदि काद चावत्पर्थन्तमारौ विर वितपदिकामागै।

सप्तमः प्रस्तावः | १०२४

तज करिष्यति तद्य तद्वानरयुयं KAMA UTA गो णोषेचन्दन- रसेन सेचनं ततोऽतिक्रान्तेऽ्धमागं माने गाढानन्दनिभरं fafa तज्जिःखदं ततो नारोच्छत्युपरितनपदिकासु तस्िं्ारूढ़े भद्र त्वमप्यारूढो भविच्यसि यतस्ते वितमन्तधनमात्मग्छतं तदामर कं | ततो भिःखदोग्ठतं तदिसुच्य भवतोपरितनपदिकासु quate Wai ततः we पदिकामागमपि परित्यव्य खसामर्थयेन खिता पञ्चद्खाक्षरोद्विरणणमाजकालं मिरालम्बनतथा गगने ततो विमुच्या पवरक मवर्ञ्य mien परित्यख्य वामरकं विधायोत््जवनं arfaat wah गन्तव्ये कक्रमेणोड्धोय तच as श्यातव्यमनन्त- काणं पूरवंगतलो कमध्येऽनुभावयोऽनम्तानम्द tft नयोक्ं। यदा- च्नापयति मायः | तदैवमनेमोपायेन भद्र तदागरकं aw a2 नयनम गरमिमं निवेदितमिति |

अरय निखित्य atx खभावार्थमिदं वचः |

ततोऽकषङ्ःस्त भत्वा सुनिमित्थमवो चत

चार्‌ weufes ते गुरुणा मुमिसत्तम |

Brat भवतारम्मि युक्रमेतद्धवादृश्राम्‌

ततोऽगङोतसद्ते सम्यग्बोधविधिक्छ्या |

सोऽकलङ्ो महाभागो मां प्रतौदमभाषत॥

एवं Geet: सवे यदनेन भिबेदितम्‌ |

तत्तया विदितं भद्र fa at at anaes on

अनेन fe समाख्यातं क्त श्रनिसुकमश्चसा |

चिन्तमेकात््मगो ge सुसारोत्तारकारणम्‌ `

Yeas safafararqet Sut |

मे चोकारष्छमाश्थस्ययप्रमो दोदामभावनम्‌ | Ut AAU तत्तदा ते परमं सुखम्‌ दति faa विदायान्यो मास्ति भो waarea | ATE सुख्न्दोडहे fugit रेतजगच्ये ततोहहमकखद्स्य ATU: | सिक्रोऽग्टहौ तषङ्ते मनाक्‌ प्रह्वादमागतः॥ यतः | fafaerate तादृकमंम दृष्टामभुद्ररेः | विदारिताकश्ङेन यसो anager: कमेखितिमतोत्याड wfast पूवेबतियोम्‌ | wad: Wert भद्रे awe: सदुभिंदः द्तख $ | aaracarera मथा ya निवेदितम्‌ ` सरि लं विन्रालाकि queftaeeer तवोऽग्योवषङेता तं प्रतोदमभाषत सारामि विशेषेण समारयातस्छमेव मे ततः ससारिजोवेन सा प्रोक्ता तारखोष्वभा | wz निवेदितं भद्र Get quafcar धया मत्प्कः पूवे देश्रकाकिकया मतः SMA बहोः कालाद्विषारो नाम दारकः॥ मागालुखारिताथुक्रो भवचक्र निरोच् सः 1 RAI THUGS मष्ठामेतश्यवेदयत्‌ `

सप्तमः प्रस्तावः | Voge

यदुत | चवारिजधमेराजेन ATA KATAT: सबलो बलयुक्रन य॒ध्यमानो Hafan: ततञ्चारिजधर्मोयं aa निजित्य zfia: | बेष्टयिला faaara महहामोहनरा धिपः अय तत्तादृशं वोच faag तेन efor | बलं चारि्रधर्मोयमागतोऽदं तवान्तिके

श्रग्टहोतसङतयोक्र | | | wd खतं मया तात adanfaafena 1 पूरवैमेव त्वया च्राणदोषद श्रं मकाम्यया श्रतः पर grag तात किंबिदिवखितम्‌ | त्म्यं सतपूर्वाये सवंमास्यातुम्ईसि y ततः संसारिजोबेन सा mw गकोचणा। एषोऽहं कययिथ्यामि समाकण्य सागमत्‌ p चित्तटरत्तिमशहारव्यां afeag समन्ततः ` स्थितं चारिबधरमस्य सेन्यं काणभममन्कम्‌ ततस्तराकणङ्स् समोपे मम तिष्ठतः ।. aq यस्तज sare: sane fate मे॥ सवै विषश्षमालोक्ध तदलं रिपुपौडितम्‌ | चारिजध्ममुरिश्य सदहोधः समभाषत arent विषादोऽच देवास्माभियंतोऽधुना | मगमागोरयदकस्य FRA BEATA: li

१०४० छपमितिभवप्रपद्चा कथा |

तयाडि | यावस्छखारिजोवोऽस्नान्‌ लानोते महाप्रभुः | विपदस्तावदेवेता देवास्माकं रिपूङ्खवाः यदातु विनाभौयादस्माकं रूपमश्चसा। तदा सपो षितास्तेन भवामो रिपुधातकाः॥ ca Tat देव चिन्तटेत्तिमहाटवौ | यथाधुना मनाक्‌ Wal गाढता मखवभिता तथाहं तक्यामौदं देवोऽसौ सर्वेनायकः | अस्मदि शेष विश्चानसषमोपे aq वतते वयं fe तामे am दृष्टास्ते जातुचित्‌ अधुना दशेनस्यास्ति वेमश्धं तसं कोरणम्‌ एवं fea) तं क्मपरिणा मास्यं ver राजानमुन्तमम्‌ | पाश्वं खसारिजौवचख्य Haat कोऽपि मानवः ततो ऽनुङ्कखितस्तेन देव कालेन यसा | ufaaaa निर्भिंथ्यं सोऽस शेनलालसः तता रिजधर्मेण est प्रति भाषितम्‌ | wry भो गदितं साधु ब्रूहि कः प्रषणोचितः o ततख्ा रिबधर्माय षडोधेन मिवेदितम्‌ | अथं खदागमस्तच देव प्रस्यापनो चितः asm: परि शयस्तस्य यदानेन भविश्यति | तदास्मह्‌ शनाका तस्य संपच्छते भ्रुवम्‌

सप्तमः प्रस्तावः। १०७१

कमपरिणामाख्यस्ततोऽस्माञ्न्नापयिग्यति | तस्मै वयं भविव्यामस्ततः श्चविघाठुकाः ` ततख्चारिषरधर्मण प्रपन्नं मन्तिभाषितम्‌ | प्रवतितो यथादिष्टं at प्रत्येष सदागमः ` छक्र राज्ञा षदोधः किमेषोऽपि प्रडोयताम्‌ सम्यग्द्शेनसन्लामा तस्य पाश्च महत्तमः द्दोधेभोदितं देव wate महत्तमः | तस्य संसारिजौवस्य गतः पाश्चं संश्रयः

fa च। सदागमोऽपि खफलो थक्तोऽनेगोपपद्यते ` अनेन सहितः सोऽस्मान्‌ सर्वानप्यवभोद्छते किंतु नावखरोऽद्यापि तेन नेष प्ररौयते। ` प्रसावरडितं कायै कुवन्ति विचणाः॥ `. `

qatar _ 4 & कदा पुनरहो मन्त्‌ प्रसतावोऽस्य भविश्यति | सदोधेमोदितं 2a स्माकणेय कथ्यते | यदा षटाममेनोचचे रन्ितोऽसौ भविव्यति ।: `` ` We तस्य तदा दैव Teh महदन्तम wat श्यो युतोऽनेन वोर्वमासादयेधदा संषारिजौवः प्रस्तावस्तदास्याणपपश्यते ` | ततोऽभ्बपगते are मन्तरिए्तेन भुणा :* समागतः क्रमेणावं मश्छमौपे घदागमः 4 `". 131

3

१०४२ उपमितिभवप्पश्चा कया |

इतच्‌ प्रयुक्तः पूरवमेवाखौकहामहादिभिबौ WALA माम AQAA मराधिपः॥ fe afiwiafa तिरोधत्ते षदा बलम्‌ |. AMARA कं खवंदा Wasa एवं fat तदलेमेव fafyent निनेष्टभयकारणाः | fear रिपूज्िराहत्य महामोदहदादयः sat ti ततः Veta Tey प्रद्यासन्न समागतम्‌ ` Wagar: Ms Mann व्यवसितः अरयाकशङ्ः Gat ष्यानारूढस्य सन्निधो ।. Tae मया साधं विहितं पादवन्दमम्‌ + समाप्तध्यानयोगेन धमेखाभपुरःखरम्‌ | द्ूरिण कोविदाख्येन तेन सम्भाषणं हतम्‌ अथाकशङ्ष्टस्य Fadl धमंदे ननाम्‌ | तस्य पाश्च AMT मया दष्टः सदागमः भ्नापितञ्चाकशद्रम यथा भो wares | BTN साधूनामेषामेष सदागमः एते इष्य Vales कुवन्ति नतमस्तकाः | एषोऽखछ खरिजानौते रएसन्भारमोरवम्‌ लदेष ते feat भद्र धर्माधमेविवेखकः। अतः दुपदे शाथमेव विन्नातुमरखि

SHR: Weng: | १.०8४९

ममामौर्षां साधुनां शूरश्च परिस्पटम्‌ | यज्नं भद्रे TMAH वदागमात्‌ अतोऽयं को विदाचायेः सम्बन्धं ते. करिग्यति + aa श्दागमेनौषेरमुमा दहितकारिणा ततस्वमस्य खम्बन्धात्वेमादमहिताहिनम्‌ | क्रमेण MAY तात तदैनं WAATAS ततस्तद्‌ परोधेन मया भद्र सदागमः | प्रतिपश्स्तदा किंकिन्तषटेनेकाम्तरात्मना ज्ञापिता गणाः केचित्तेम कोविदद्धरिणा दथितं श्य famed अद्धानं. मन नाभवत्‌ केवश | अकल ङनोपरोधेन विदथे चेत्थवन्दभम्‌ | ददामि दामं साधुभ्वी भावद्युन्वमंहं तरा एव # भद्रकः किचिदकलशङ्गनुरोधतः | संजातोऽष तदा भद्र नमस्कारादिपाठकः wae are marfenfen जनम्‌ | प्रतिपन्नश्षदा fret कोविदाषचाचैसन्निधौः # तत | | सुशाघुपरिवरिशं तेभ कौविदश्रिण t साधं गतो किंहाराय सोऽन्ध सुभिचेर्येथा' Cay | यावल्छदागमस्तच AGATA: |

१०8. उपमितिभवप्पश्चा कथा |

महामोहबले तावण्जातं aafsaty मे + NMAC Weal शदागमभयातुरम्‌ | ततः प्रोक्नो महामोदो cratefcafierar एतावन्त वय ara fafyan देव संखिताः ` wee विरसो भ्नानसंवरणो नृपः यतः | वष्टः दागमस्तच गत्वाभ्यं wafer: | देव संसारिजोवस्य विष्द्धः wa: on RIS देवेन तस्मादेतक्मयोजमम्‌ | कुटारच्छद्यतां इर्यान्नखच्छे्यं पण्डितः श्रयामात्यवचः शला माहामोहौ महाषभा | सा खदागमरोषेण सर्वां चोभसुपागता शतथृद्टिद्धारा eter शमिताडिनः। एककालं महायोधाः सवे भाषितुसुद्चताः कथं ` मया देव दकथो गला पापः Serra: | द्धेकेको महायोधो महामोहमभाषत तिनापि गदितं वल्छाः gaane भवादृश्राः | fa q खयं ₹न्तव्यो मथा गला दुरात्मकः॥ Varn: पापेन श्रानसवरणो नृपः , WHIM: VEST मे बरंणमरंति न्यञ्च

सप्तमः THATS? |

समुदायात्मको WHT avy भो भवादुश्राम्‌ | अतो मया इतः सरवेयेद्मामिेत एव सः तथा | | गते मयि गताः शवं युयं चाताथंम्थेतः शतो गच्छाम्य वा यूयमेव तिष्ठत किं ai QAM ACTA SY गतस्तचान्तरान्तरा | waza यथायोगं भवद्भिः खामिवत्षलेः अन्यद्च | योऽयं परियो वत्छा amit मे विग्रेषतः। रागकेखरिपुचस्य शागरस्य वयस्यकः ` नामेन परित्यव्य तच गन्तु VAS! अयमेव AAG: सहायो मम सुन्दरः तत | TWA टौ तेनं तसदहायं परि ग्रहम्‌ | गच्छामि त्रित aw सदागमजिर्घांसया ततो विश्वाय निबन्धं सर्वेः प्रणतमस्तकरः | एवं विधोयतां 2a axe: परिपूरितम्‌ ततः समागतौ भद्र महामोहपरिग्री | AMAT शतोत्ाशमै मया चेम विलो कितौ ततो मे खेहसम्बन्धस्ताभ्यां साधं सुनि्भरः। अनाद्यग्वासयोगेन सजातस्तारखोषने

१०४५

Load उपमिसिभवपपच्चा कचा |

TAMIA: जोमूतो नरेश्वरः शरं स्यापितो राच्ये बन्ध्मन्तिमरन्मेः प्रणताः सवंखामन्ता रिपवो शत्यतां गताः | ततः परिणतं राच्यं भूरिग्डतिमनोहरम्‌ युश्योदयसस्य मम राव्य कारणम्‌ | महामोदयुतेमासौ.कितु मो शकितो मया इतस | रौर विषया राच्यं विविधाश्च fans: | यच्च vistas किचिद्िन्ताबन्ध विधायकम्‌ सदागमस्तदाचष्टे ययेदं चणभङ्गरम्‌ | दुःखात्मकं मख्धिन्नं frend बदिखरम्‌ ir तदच मूक मा Ararat कार्वोचंनवाहनः। Wat ते ज्रानसदौयंद शेनानन्दपूरितः ततस्तव owed चित्ताबन्धो नरोत्तम | येन तवं निरति याकि बतताहादसुन्दराम्‌ AUAey मे सवं aS ary सम्पदः | गार श्रष्दादिभोगांख्च यच्चान्यदपि arenz fat qerart चास निभेशं हितमुत्तमम्‌ | इत्येवं कथयल्वेशपदे शं यच्छति यदुत | मासि नोकोनवा देको atet पुनरमंबः। पुष्पापे aga wrarefae जगत्‌

सत्तमः प्रस्तावः

अतो यावदयं देहो विश्चते घमनवाइम। यथेष्ट सेष्टया तावत्पिब खाद दिवानिशम्‌ 8 BRIA: मरौ एवात्मानं मागयामलसो चनाः | सुखं YS ययाकामं मा मृढवदखन हयाः ufcayyg मां wa खया भो चभवाहन | चिरष्छधान्यरनबारि सम्भार He यतः यः प्राप्तं Wea रौकयत्यलम्‌ सन्नोषमादत्ते तस्य सौ स्यमनारतम्‌ we तु जितयस्यापि वाक्यमाकश्य arena | ईैषदोखायितञित्ते यावष्नातः सुलोचने महामोहवखेमासौ ज्नानखंवरणष्णो नृपः तावद्भयं परित्यज्य मम पां यवख्ितः॥ ततः सदागमेनोक्ष GHA मनोहरम्‌ | aaa मया wads चन्तं chaz यदादइतुः Thais महा मोदपरिग्रहौ |

aad मामके चित्ते यथा रङ्कः सुपाश्ति ततोऽहं तत्परित्यश्य देवबन्दमपूजमम्‌ | नमखारादिपाठं Gat भोगमूदितः॥ दामे शाधुवगादेविनिवायं ततः परम्‌ धमशकुहे रकः पौडयामि करो$ंमम्‌ सदसांसारिकार्थेषु gat गाढं विवर्धते।

महामोहवोयण रोचते सदागमः

६०७७

२०४८ | उपमि तिभवप्रपश्चा कथा |

तथा परिपश्य aye सवया न्यृनचेतसः | AR तदा पूर्णा we: सवंधनेरपि * ततो at ated मला दुरोश्रतः सदागमः। लन्धात्मलाभौ सतुष्टौ महामोदपरियद्ौ श्रथान्यदा समायातः सोऽकलङ्यतः पुनः | सुखाधुभिः समाकोणः aft: कोविद्नामकः ततोऽकलङ्दा किष्ाद्गतो ऽदं तस्य aa | तदाकलङ््धरिख वन्दितो सुनिभियेतः Tay | | wrarenata विज्ञातं तेन कोविददूरिण i .. मदोयं चरितं लोकादकलङ्कन चाखिलम्‌ ततः भोक्रोऽकलङधेन सूरिर्नाय निवेद्यताम्‌ सदागमस्य AWAY YATE तथा दुजनसङ्गं ये दोषाः सन्ति देहिनाम्‌ | निवेद नयास्तेऽ्यसम विग्रेषं येन बुध्यते ततः षदांगमे wat दुष्टसम्पवांवजितः। LUIGI येनायं सुखसन्दोहमाप्रुते कोविदस्रिणाभिदितं | एवं क्रियते समाकरएंयतु मशा- TS: | ततोऽकलङ्को परो धन श्रवणाय -खितोऽष्ं at: प्रहृतरः। द्ूरिणभिहित | | श्य * रस्ति walad नाम नगर | aa खमलनि्यो ata राजा।

सप्तमः प्रस्तावः। १०९९६

तस्य तदलुशतिर्माम महादेवौ aaty कोविदबालिग्रामिधानौ at तमयौ | इतश्च जग्धाकरे तख atfaceraiada सदागमेन Be परिचयः ततो यावत्पुनदृष्टोऽधं तावदरोहापोहमागेएगवेषणं gaa: संजातं तस जतिरखगणं negiamae: | ग्टहौतोऽयं हितद्र्वुद्या निवेदितं बाशिश्राथ ace खद्पं प्रतिपन्नं तेन पापात्मना) cag क्मपरिणाममहाराजेन प्रहिता तथोः कोविद्बाशिश्रयोः खयवरा श्रतिर्नाम कन्यका तस्यास प्रहितो- ऽ्गामो वष्टोऽतिचतुरः सम्दन्धधटमापटुः सङ्गो नाम दाष- दारकः। WTI टतौ arate तौ तया भावस परिष्पीता सा arati afa तयोः कोविदभालिश्योः ofa fas- देहो नाम waa) aenfea मूर्धाभिधाममुपरि महाकूटं तस्यो- भयपाश्ेयो विद्येते शपरिष्ेपे शरवणएनामिके श्रपवरिके। दृष्टे ते तया श्रमिङचितसश्तस्यास्षयोिंवासः। ततः खिता anita सा भवेतुज्चाता सतो तज हतनिवाखा खा afranat कोविद- बालिशाभ्यां साधं विचरतौति।

taq तां मासा परितुष्टः बालिशः,

arg feat महाहषेवशं गतः

धन्योऽहं शतरृत्धो ऽह Te मम सुन्दरे |

मनोहरा अ्रतिभार्या संपन्ना Gena:

ततस्तं ATG मला अतौ केहपरायणम्‌ |

बालिश मधरोवाक्यः Vy: समभाषत

अत्यन्तसुन्दरौ दद देवेन हितकारिणा |

132

६.०५ * उपमिबिभवप्रपच्चा ut |

San ard खाभिन्वाः सथोगो भरितो शवम्‌ # तथाहि CG कथः Ga MS VIG परस्मरम्‌ | दन्यो प्रमखडितमनुरूपं खदुखेभम्‌ एतश्च चवथोः ख्व Gwe एुष्छकमेण्ण जवं TA WAAAY मनोहरः ततः बाश्धिशरेनोक्रः शटात्मा दाख्टारकः | यथा कणं वर्धेत ary मिषशेवनात्‌ atfes: sty कि ae: fra ay निवेद्यताम्‌ ayn wer देव firitcer मधरो ध्वनिः बरालिश्नः sry यद्येवं ततस्तस्य जिषेवणम्‌ | ware: कारथाग्येनां ee ety भिबेद्वितम्‌ AUNTS इत्येवं RUT दारकः। दशा शिवे शितस्तेन wea बाशिग्रन भोः # ततख RAHM MATA TAA | at ति srawan wife इदि मोदते चिन्तयति wi अहो सुखमहो Wisse मम धन्यता | qaqa अतिभा ख्ततानक्दद चिका तत | | इदये TH शला तं VF सेदनिभेरः | श्तेः खलं glare नित्यं weet:

सप्तमः Weg: | १०५९

त्यक्षं तेनान्यक्रतंग्यं धर्माहूरेण fea: शिद्धप्रावतया जातो दास्यद्चासौ विवेकिनाम्‌ ara को विदेनांपि प्रभचितोऽथं शदांगमः। aude हितां भायां किं वा मेति गिषे्ताम्‌ ततः warner हितां तें acta | aye अ्रतिर्भाथां तजाकणंय कारणम्‌ दयं fe प्रहिता पूवं रागकेपरिमग्तिणा इदं जगदशौकतुं पञ्चमानुवमध्यगा Taq | सं कभेपरिणामस्य weet रागकेषरीं | प्रखिड्खरयो शोके तस्यामात्यो faves: कभेपरिणामास्यः सावंभौमो नराधिपः | शएभाग्रदभकरत्न लोके fegreat गतः एवं fea | wy च॑रटकन्धेति भवता नाक्रमेकरि यति | श्रय sada रागकेसरिमग्धिणा दाश zion: ata ay सम्बन्धकारिएम्‌ | महाराजसुतालेन writs अरतिः पुरा तत्केमेपरिणमोऽस्या TAHA TAA | सुतेयं warms रागकेषरिमग्तिणः जगतो वश्चकलेनं चां तेनं दुरात्मनां | प्रय क्रेयं कुतसश्या दितलवं ew वियते

१०५ब्‌ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

aay यद्यपोयं छता भार्यां भवता भदेवश्िका | मा कार्षौभिद्र विश्वासं तयाणस्यां कदाचन चेयं शक्यतेऽद्यापि विष्ातुं मिजपल्िका केवलं वजेनोयोऽय सवया दासदारकः ॥. अनेन रहितात्धन्तं अतिः सङ्गेन पापिना। xa विद्यमानापि भद्र वे दोषकारिणे॥ यतः अनिष्टशम्द विदिष्टा मधृरध्वनिलोक्पा | अस्मात जायते सङ्गच्छ तिरेषा तु खयम्‌ यावच प्रेरयल्येषा रागडेषपरायणा | at ayafear तात तावन्त दुःखमाङिका अतोऽख्िन्‌ वजिते सङ्गे श्दश्नव्तत्परा naar waren ते तात विबाधिका तदेष वष्टो दुष्टात्मा सवया दाष्टारकः | दुःखकारणश्डतस्ते सङ्गस्यजनमरंति ततः प्रपद्य नसेण तक्छदागमभाषितम्‌ | कोविदेन परित्यक्तः सङ्गः अतिदारकः ततः ल्या युतोऽथेष . ष्टौ त्ुक्यविवर्जितः | TGA ATS MERA ज्ञाष्योऽभवस्सुखो एवं मानौ तौ wat कोविद बालिगौ CHATTY सखदुःखप्रपूरितौ

सप्तमः VTA: | १०५३

अथास्ति तुङ्गशिखरो बहिरक्नो महागिरिः | तचान्यदा समारूढौ भप कोविदबाशिग्नौ तज्रास्ि frat cai विशालं देवजिभितम्‌ | अदृष्टमूखं मानुधेगेवा wat प्रतिष्ठितम्‌ ` Tay एकं गान्धवमिथनं fast तथापरम्‌ | गेये परस्यरस्यद्धा तदा जातानयोदंयोः ततः These ते Ta तजर Vad एकान्मिति fara परोकार्थमुपागते अय ताभ्यां समारभ AUT कणपेशखम्‌ परस्परेग्येया मोतं परिपाया मनोरमम्‌ ततस्तौ श्िखरारूढौ wa कोविदवालिश्ौ | रन्रखमिधुगोङ्गौतं श्रुत्धा गाड प्रबोधितौ ततख | | इउदयसख्धितसङ्गेन atfein दुरात्मना सा शरुतिः ख्यापिता इरे तश्ाकणंगतत्परा तस्यामपितसद्धावः सोऽपि तादाग्यमागतः | रसेन निभेरौश्लो ने वेदयति किंचन ततः तेन सङ्गन खतोर्थेण तया हतः | TENET रगे Zee पतितो यथा शहदास्फोटपातेन तेन maaan: | गाजपातादवष्टथा बाल्िग्रे रोषमामताः .

१०४8 उपमितिभवप्रपञ्चा क्या |

ततोऽभिदहितमेतैः परश्यरं wt रे Rete लात wats ततो agy बालिशः चूषित समक सवेदुःखमारेण मारितः A

Tay | | | सदागमोपदे ग्रेन waaay: कोविदः। तच गोते तदा मूषकं अत्या चुक्रोऽपि wt गतं; ततस्तं पतितं ger बालिशं शन्यमानेकम्‌ AAT HUTT fat: श्टङ्गाल्छं कोविदः सदमंबोषनाभानं aftarery सं्दरम्‌ | जातो afenecared er सध प्रयद्धधौः mare गुरुणा तेन निअश्थाने निवेशितः | एषोऽ महाराज fata: कोषिदस्लयी ` तदेवं अभिर तेन सङ्गेन नाभितः | महादुःखभराक्रान्तो धाता मे भूप बाकिश्रः॥ ` WE तु मोरितोऽनेण सवया हितकारिणा | सदागमेन निःप्रषाजञादृराहुःखजालशर्कात्‌ जातश्च सतताह्कादः Arad अर्सयरमः | श्रत uae नि्देगमघनापि करोभ्टहम्‌ तदेवोऽखिलग्ध॑तानां हितकारो सदागमः | दुषटाभरङ्गशोकेन मेचौ पयन्तदारणो एवं fet were पुश्षेण हितेषिशा | amet seat Me: सदागमः +

SHA GBT | २१५७४

ततश्चेदं Paley ay | Hz ऽ्यशतौतसङते तदा मे इदि संख्ितम्‌ श्रये मां व्याजयत्प्रेष महामोहपरियद्दौ | AUG कारयत्युशचरादरं श्दागमे एवं faa | अहं fa acaretfa याव्धिन्ताञ्जुपागतः | तावग््माश्रयज्चानाद कलङ्कन TTT यदुत | | ` बुद्धं भगवतो वाक्यं किंवा नो घकवाहन्‌ . wate सृष्ट भो बुद्धं प्राह कियतामिदम्‌ # ततो गाढरूढतयाकखङ्गम BY प्रणयस्या चिगप्रभावतया भगवत्को विद्ख््रि सन्निधानस्य प्रत्यासन्नवतितया aaufeurre प्र्यृत्तरदानणामश्य विकलतज्ञा प्रतिपन्नं तराकलद््वचनं श्भ्यणेग्धितो यः सदागमः भनु कितं चेत्यवन्दना दिकं अनुगुणित पवंपठितादिकं प्रतितं पुम्दानारिकं tagcat महामोहपरिय्रशौ दग्तोऽकलङ्शव्लया न- gaara | ततोऽहं विगतमृ्कं इव शांघारिकपदार्यु संतुष्ट चिकन दव विभव- निचयेषु तदाक शितोऽकलङ्कन्‌ ant गतः ster विहाराय Ue सूरिणा | aad xi मना महामोहपरिय्नौ | watsaufeat भद्रे gohan: सदाममः ततः शरि यिषितं शत्य दिष्ता धमदेग्रना |

१०४६

उप्रमिविभवप्रपश्चा कथा |

संजातोऽइ पशोस्हद्यस्तदो ्घास्ते पलाश्रकाः ततो favaqetat धनसञ्चयतत्परः | गरिकन्या हिरश्यायं पौडयामि मरोजनम्‌ शअन्तःपुरसषस्राणि ्रिभोगपिपासया | fecquaguat मो णितानि श्रतानि श्रहिरण्णौष्ता geal महा मोवश्ेन | तत्पापं जगद्यस्ि यत्तदा हतं मथा पुष्ोदयोऽभौष्टं सवं ढौ कयते मम | मथा तु तन्न famed ततोऽषौ कुपितो मनाक्‌ ततश्च मे महादेवो नाशा मदनसुन्दरो | अल्यन्तवल्लभाग्धष्ा शता शूखेन fagar अचाकरे समायातः खामिमूलं विनो तकः | प्रतिजागरको भद्र श्योकनामा मनुव्यकः

प्रणम्ब महामोह स्ञामिनं fafeatec: | ततश्चावसरं WaT मामाश्जिङ्गति मायया ततोऽहं MATA रेन्याक्रब्दनरोदनम्‌ | HAT BA करोम्येवं मदनसन्दरोम्‌ द्यक्ष: शरोरसत्कारो राञ्यकायं प्रमादितम्‌ | Mat ग्रहग्टहोताभस्ततोऽहइं दुःखपूरितः श्रय मामकटन्नान्तं कथं चिष्मवातेया | श्रलाकलङ्कः पया ASAT:

ततः समां महाभागो दृष्टा शोकवश्नौकृतम्‌ |

सप्तमः प्रस्तावः | १०५७

विसुक्राशेषसत्छल्थं दययेद मभाषत

किमिदं भोः समारग्धं भवता घनवाहन |

fa मे विस्मारित वाकं किं वा am: सदागमः y

किमेष दूष्टलोकेन भवानेव खलो कतः |

शतं न्नाततत््ेम किमिदं बासचेष्टितम्‌

यांच ते सरतो fag देवीं मदनखन्दरोम्‌ |

शरो कोऽयं बाधते चित्तं तत्का कि बुध्ये तथाहि |

सरवेऽमौ जन्तवो नित्यं ृतान्तमुखको ररे |

वतन्ते ऽतः wu भूप यष्नोवन्ति तदह्ुतम्‌

हि नापेचतेऽवश्छां प्रमाबन्धनद्न्दराम्‌ |

दलयव्येव तामि मत्तवद्भन्धवारणः

यद्यत्छष्छमसत्पदं जमनेचममो हरम्‌ |

तत्तज्निपातयत्येष शतान्तहिमश्नोकरः

मन्ता धनं भूरि वेद्या मग भेषजम्‌ |

बान्धवा Zag wat रन्ति देहिनम्‌

दूत्यदुष्टप्रतौकारेः जाते मरणविद्खरे।

fagisa मागे इत्येवं शाला at faget भवेत्‌

तदेवं कुर्ते नित्यमश्रान्तो धमंदेश्नाम्‌ |

MATS महाभागो मन्तः शो कगमेच्छया

WE पुनंहामोहवश्गस्तां wae |

नष्टबुद्धिः प्रलापेन तं श्रोकमनसुवतेयम्‌ 133

Upanitabhavaprapancakatha, Fasc. XII, New Series, No, 1171,

१०५८ उपमि तिभवप्रपश्चा कथा।

कथं wwe w प्रिये मुग्धे हा चावङ्कि वरागने। डा पद्मनेजे हा By हा कान्ते वर्मभाषिणि॥ हा भटेवस्सले दैवि हा हा मदनखन्दरि। क्त गतासि fagiaa <n जनवाहइनम्‌ दीयतां दर्शनं gu भाषो मे विभौोयताम्‌ | खौयतां मामके देडे वोद्गष्यमपनोयताम्‌ wad प्रलपच्रकखङ्सख घौमतः। भटर THIET वाक्यं जानामि fata a दवापरोबविन्नोऽमौ ततो मां वौच्छ तादृश्रम्‌ | अकखद्स्तदा भद्र पुमः प्राह महामतिः यथा भो भो मद्यराज चनवाइन युक्रमोदभ्ं भवादृशां विधातु बालषरितं। तत्थरित्यज क्तोबतां उररोकुङ्‌ धीरतां | खखतां नयान्तःकरणं समरात्मान विरेममेकान्तेनाडितं महामोहं सुश्च शोकं शियिखय परिग्रहं अशुवतेच सदागम समाचर AQIS अमय मम चित्तमरमोदं कि कतं भवतो ऽधुमेव तत्छाधुनिवेदितं भवप्रदौपमकं किं wife तलंसारा- पामकं। fa fewafa तं waa fa ध्यायसि a सकमेकजो वचहमब्डनत्तान्त i किं पर्याश्ञो चयसि तां मलुब्धजग्य- रत्रौ पदु खभतां। कि मिर्वि्चसे aig seman | fa विस्ारयसि तां चित्तवामरखोवरङ्ूपतरलतां ।. कि मानुग्नोख- यसि waa सततं ww) कि बंभरमोषि तेषु विषयविषट्ेषु |

RHA: WRT: | १०५९

fa esfe तस्मिशवं मिचयसंश्च पचङुसुमफलरणःकचवरे किं जिपातथधि जानन्नपि मोखमागंमात्मानं घोरेषु महानरकेषु | किं नारोश्यसि तेनोपायेनात्मानं तच सततानन्दे शिवा ख्यमरे | संसारे fe faaeat महाराज देहिनां acawerfa wena सुलभाः प्रियजनविप्रथोगाः agin महाव्याधयः प्रत्यासन्ञाजि दुःखानि श्रवश्टमावोनि मरणानि ततः पुरुषस्य विमशविबेकं एवा wre नापरमिति वतोऽहं भद्र ऽगृोतख्हेते गाढप्रसप va प्रतिबोधकष्वनिपरपरया विषधूणित इव सस्फुरमण्तापमाओे- नया मदिरामनत इव श्ौप्रमयदग्रेनतया aféa इव afeu- श्नकरब्यजनफ्रियया SHAH टव सुवेधप्रयुक्रमेवजमालिकया तेथा- कलङ्वचनपड्त्या संजातः प्रत्यामतखेतनः ततः शोकेम प्रएम्या- fafeat महामोहः | यथा देव वरजाम्य भायमकलङो ay- fawfad ददाति महामोहः प्राह ae farts प्रतारयति BAST घनवाहनं | श्रावयोरपि यत्किमणच भविष्यति तलाद्यापि जानौमः। ages तावं केवलं qu: प्रतिजागरणं विधेयं केनापि भवसामावयोरिति man) यदाज्ञापयति देवः aat गतः शोकः प्रतिपन्नं wernegaed atten: wana: अवं्ौरितौ मनाङ्‌ मंदामोरपरिथहौ उञ्चखितं qivfad विदहितोऽप॑श्चतगरहणादरः कारितानि जिभभवन- भिन्नानि त्रवतितानि याचाखावपाचदामप्रशतौनिं aa: weit war तावदेष तणभागनगमिति सतुष्टीऽकलद्कः amet भिय- fasafcavtaraaa विधुरितडदयः went मन्षमोपांगमनाव

१०९० उपमि विभवप्रपश्चा कथा|

महामोद्प्रतिजामरकः सागरः | पष्टोऽनेन TART! रता तेनानुन्ना। बहखिकयोक्र। तात यच सागरो गच्छति तज मयापि aaa यतो विदितमेवेदं तातस्य quay सागरः चणमपि मया विना ada) रागकेषरिणेक्रं ae agd ततो गच्छतु भवतो | किं चेयमपि शपणला सागरस्य श्ररोरग्रता जौवितनभ्डला वतेते तदेषापि गच्छतु येनास्य तिः मंपद्यते। सागरे- WI | तात मददाप्रसादः। aa: समागतानि तानि aaa) ष्टो तदग्रेनेन महामोरपरियहो | समालिङ्गितोऽहं रृपणतया ततः प्रहन्ता ममेच्छा यदुत किमनेन ममादृष्टपरलोकसाधनेच्छया दृष्टसुखदेतुना धनेन व्ययिवेन प्रयोजनं aa weg: प्रति- दिनं मामुव्छाहयति यथा दि wmagaacaarerfa तवो- QE: ततो महाराज Baw द्रग्वस्तवकरणे सावदादरं ङुड- व्येति ययितं कारेण agua धनं addi तद्ज fa कर- वाति चिन्तरथतो मे विहितं बछिकथालिङ्गम ततः प्रादु- शता मे ङनुद्धिः। यचा प्रेषयामोतः केनचिडनविन्धासेन ताव- देममकलद्धः | ततो a भविव्यति ममायं धनव्ययः | aatsfaf at मयाकलद्ः अथा भदन्त मदुपकाराथेमिषागता यूय wa: खंपादितो ममोपकारः agar भबतां arene 4 aay युश्न- saga भगवन्तः कोविदाचायेः। संजनिग्यतेऽस्ाक- मुपालम्भः। ant विरत ad) वथं करि ्मो युश्नद्‌ादं रं | भगवद्धिखिन्ता कांति, acrene faqatseee: प्राप्नो शरूषमोपं |

^" pp gS - = 2 oe _ [4 uf ---- Sie SAL ~ + --- = ae rg ----- ~~ ` ` नक ha pp ne re

सत्तमः VST |

ततौ watsfe wate विनिवाय धन्यम्‌ -

संजातः सानरारिश्रादद we: परिष्रडे॥ ततः परिथद्ेणोक्रः सामरो जिभ्रवत्छल |

waar: चयं सादाद भो thane `

तल्रत्नोऽपि मे विशेषेण सप्ना भाटव्छला एषा wawar faw मम ओविषदायिका गाढं बहृशिकाष्येवा Har मदुपकारिणणौ | सोऽकलङ्ो महाशवुर्गाढं मिर्वासितो यया aaa विहितं qe यदागत्य गरोन्तम सद्‌ ितायेके भक्तिः पाखितोऽयं त्या जनः a एवं भाषमाणं तं महामोहः परि यम्‌ t WETS यथा ay ary साधूदितं लया aq हि सागरो ag waa मम Haag |

aziaara निःशेषं भावोऽ प्रतिहतम्‌ ` ` अयं निभिंभक्रो मे सागरो मामके qt `

ATT राच्वयोग्योऽधमयं ते रष्वरचमः ` एवं Certara महामोहेन सागरः | संजातो मां वभ्नौश्य सदागमवबाधकः ततो विवधितार्काको दूरौशतसदागमः संजातस्यक्हत्यो ऽहं थथा Ga तथा पुनः ततौ ACSA VARS छषापरः। `

यः प्रचलितो ag बोऽकखद्को मदन्तिकम्‌

९०६९

१०६२ उपमितिभवप्प्श्चा fut |

ततः हृतप्रणामेन तेन atfazeca: | विन्नापिता ऋ्जामोति दौपचिलवा seater su fafaa सद्भावं प्राः कोदिदद्रयः। facdatsa ते ज्ञ श्त मा माखलद न्तिकम्‌ # तथाहि | याव्सख्छ खमौपस्थौ मामो इपरि ग्रहौ तावज्ञाद्यापि कमेः तात घनवाहनः aa: | श्रागच्छन्ति तयोः ory निवनाल्छागरादयः तेषामाअ्रयग्रतौ at wiat genset. वभे वतेमामस्य aw. तेषां दुरात्मनाम्‌ | SIT वा Ua: Vee बधिरे कणजापोऽथमम्धे नृष्तप्र शरम्‌ | ऊषरे Mafra. चा weve धतः .. | अत्य्पससख्छ रंख्कारस्तावकोनेन जाचते | वचनेन धतिेर्वो साध्याय भवादृशाम्‌ & बोधितो बोधितो wa: शेते भावनिद्रया। थावदेतौ बमोपग्यौ महामोहपरिणद्यौ age ते मतेनायं जनवाह्गघ्रजिधौ waraurfadt ae न्‌ ain faqwor:

a a te a cane SS EO > ° eS ~ eee ने,

सप्तमः WHATS: | १०६द्‌

अकलणङ्नोक | भदन्तान्थेतुग्यां ताभ्ां साधं तपख्िमः | कदा पुनविंयोमः स्ाहमवाहनश्वमुजः & yawn विजानन्ति तं प्रायेक भवादृशाः | तारिबधमेराजस्य प्रसिद्धो यो मदन्तमः चारिज्रधमेयुक्रम सखवोयंख विभिमिता | तेनासि मानसौ कन्या विश्या माम मनोष्रा ar सुरूपा विग्रालाचो जगर्‌ाहादकारिशौ। famafaguraral सर्बावयवसुन्दरो `. विशन्तो सा कन्या सततोहामलोख्या | संसारातोतखाव्या सुनोनामपि aw सा ख्वेसन्पद्‌ां qe सा wana) निरन्तानम्दसन्दोदटायिका खा निमधते + ` अतस्तं कन्यकां विशां यदासौ घनवाहयः | जयते भोस्तदामुभ्रा सहामोशो वियो च्छते ¢

यतः सा कन्या fanaa faegray पापिना | a विद्यते शहावख्छा अमयोस्तेम हेतुना

fa a) तया निरौहता नाम कन्यान्या fauasrar | चारिचधमेराजस्य दुहिता सा मनोरमा विरतेः दिशता भ्नाजोरत्यन्तपूजिता |

Wha

१०६४ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

लारिचधर्मराओये राव्ये खा सवसारिका मरमं water सहोधस्यातिवक्षभा | watered खामिभक्रन वर्धिता | WAZA बाला aiwtegr वाञ्छति | | वश्छाञ्चङ्ारमाल्या दिसंपाद्यं सा विग्डषणम्‌ waa वि विधेभौगे विं चिच र्नराशिमिः | शक्या लोभमानेतु कन्यका सा निरौरता a सा निःग्रेवजगदन्द्या सा मुनोनां मनोहरा | सा दुःखोच्छेदिका धन्या सा चिम्सानन्ददायिका तां कन्यां eeeraet यदासौ घनंवारनः। श्यते विलयं यायात्तदा नुनं परियः विरोधोऽस्ि तथा साधं यतस्तस्य दुरात्ममः | saat वोच पापोऽमौ area विलौयते अकलङ्गोक्त | कदा पुनरसौ धन्ये ते कन्ये परिणेग्यति | तयोरंशनकारिश्यौ भदन्त चनवाहनः कोविदष्रिशोक्त | भ्ूयसाद्यापि Aaa तयोललांभो नरोत्तम | way भवेशयून सख तयोः परिणायकः 1 अथाकललदः TATE GMA यदि रोचते | ततोऽदं लम्भयामौति तै कन्ये घनवाहनम्‌ गुङूराड BTA नाधिकारो भवाद्ग्राम्‌ |

` " ~ tage penny a - ~ nae Mi Bona are nat

SEE eee CS oo ep ee

सप्तमः प्रक्लावः। १०९१४

कन्ययोः प्रापणठऽद्यापि तथोरेतेन हेतुना कमेपरिणामाश्स्ते कन्ये दापयति | चमवाहंनेराजाय AST रापकसथोः दाणमागे पुनस्तेन ते स्यातां कन्यके यद्‌ | WANs भजनधेव तदा यद्मादृशा श्रपि wa faa | एव योग्यतां मत्या afea दापयिव्यति | कन्ये सुखप्रदे धन्ये चनमवारमग्डसुजे अतो विषाय afent खाध्याबध्यानतत्परः | विदुकावद्धमिबेन्भस्तिष्टा्वं लं निराकुलः ततस्तथेति भावेन प्रतिपद्य Faas: | fectsawet fafqaraar az निरातुरः WE तु तौ समाभित्य महामोहपरिग्रशौ | ATTA aR Ta कद्‌ fia: तथाहि | एके गच्छन्ति . ART: प्रत्या गच्छन्ति चापरे अन्ये तिष्टम्ति acre किंचिदाषाद्य कारणम्‌ | fa ae बहकमोक्तम समासान्ते निवेदयते afonfaan लं मां वाचालं मावजौगणः | fruafrawzat या भदौ सा wana तन्त दिख्चसितं नाम aren पुलिनं पुरा ` afed तज चोदिषटचिन्तविकेपमष्डपः

134

१०६६

उपमितिभवप्रपष्चा कथा |

am वेदिका करां विषर्वालाख्धविष्टरम्‌ | तज्िषषो महामहस्त ख्याविद्या aqear विमथन प्रकर्षाय घा खा पूर्मं गिवेदिता | wife लं faurerfe fer स्वमिदं a at. ततोऽ्टदहोतसद्धेता ATE बाढं अरामि wt: o

संसारिणोवस्तां प्राह यद्येवं शाङखोच्ने |

ततस्ते ये विमर्शेन प्रकर्षाय विवकिताः मिष्याद्ग्रनर्चाचा watet वेदिकाष्िताः | अन्ये सेवापरास्तत्र fear सुत्कलमण्डपे

ते खवं WYRM भद्र सकचा; सबान्धवाः | सश्वत्यपरिवाराख प्रयेकं समुपागताः महामोहे TAY तदा मे. स्वंनायके |

सोऽसि कचिन्नयन्ये येनाहं निकेवितः `

ततद |

agi विमूर्कितरेष भावेषु भवभा विषु | कतो ऽदं मष्टसन्धरागा महामूढतया तदा सदागम परित्यश्ध विधाय मतिविश्रमम्‌ | मिश्याद्‌ श्रेनसंन्नेन wetsy वाधितसदा ` पापानि घमेबुद्याहं दाङ्णानि पुनस्तदा | afin: कारितो भद्र क्ुङ्षटवा तारलया शन्दादिविषयप्रामे जिःसारे साधुभिन्डिते। विधापितो मनःप्रौति राभकेसरिणा पुमः

| चरणन

सप्तमः परस्तावः। १९०६९

ve wet gaat सा मूढता नाम fear | तदगरेन मथा नैव वि्वाता भवदुष्टता तथा Senate सनिमि्वानिमिश्कम्‌ वेमो तिखन्ापं नितरां मे विजभ्भितः AUT | vTerfaafaat भार्यां arafarefaerced ` कवन्तं वारवन्युचेस्तदा at वशवर्तिनम्‌ तचा | शब्दे रूपे रसे गन्धे स्पशं चात्यकणोखपः | anreatse saat रागकेषरिमग्तिणा `. may माढमूरान्धो ऽपराप्नाकांचा विडब्बितः ` शतो भोगेषु asa भायेया भोगदष्णया तचा भिर्वादितसुखो हा हा हासितोऽहं निरथंकम्‌ | हासेन TEM भद्रं सद्गा्मौयं विरोधिना मू जान्त्क्तदजाम्नालमखपू्ेषु यो षिताम्‌ गाचेषु रमितो भद्र रत्यां aera | श्रल्यापि महोडेगसन्तापाक्रान्तमानसः | सतोऽहं भरिभ्रो भद्र कारशेरपरापरैः मरिव्यामौति विआआग््ो ce वा मे इरिष्वते। इत्यादि कारणं प्राय भयेनाहं faarfea: .. मरण किग्धवन्धूमामथनाश्रादिकं तथा.

१०६८ उपमितिभवप्रपश्चा wat!

हेतुं arg शोकेन श्यो भयो विडजिितः तत्वमागं विचुक्रा्मा भिश्धाबुद्या तिरोहितः | विवे किहाख्छ्तां atreary हि sage तया। | रागकेसरिणः पुजा येऽष्टौ ga विविताः | सुता इषमनेन््रस्य ये चाष्टौ परिकीर्तिताः AAT मे कषायाच्छेमेहामोहपितामरे | VATS शृतं चन्त तदाख्यातुं TET + ¦ ज्ञानप्रकाश्रलेग्रेन रहितो भावतस्तदा | ज्ञामसंवरण्नाहं प्रबलेन कृतः पुनः तथा | BIT TAC काषटवन्नष्टदेतनः | दभरेनावरणेनादं खञापितो AAT: तथा | चिदाह्ादितोऽत्यन्त कचिन्छन्तापविहलः | watse तेन wate बेदनोयेन सुजा . तया श्रायुष्कमामकेनापि AoE सुखोचने चमवाहनरूपेष aay धारितञ्िरम्‌ ।॥ तथा | तेन मामामिधानेन सुजा वरवोखणे TAL मामके few farsa निदितम्‌

a ee | णद -- ~

संत्रमः परस्ावः।

तथा गोषाकराथाभ्वां Wares वरानने |

हृतमेव ममात्यथें चरितां तदा ` पुनः तथा | | रौद्रातेष्यागसंयक्षः पापात्मा पापचेष्टितः fafeatse fanrenfe तेन दृष्टामिसन्धिभा # तथान्येरपि तत्काले महामोडे alge | ममाविर्भावितं भद्रं खं खं Ta महाभटेः॥ ` SHOE सुक्रलादनाय इव निभयेः | दत्ं खलोरतोऽत्यकं ATE भावशकरभिः WUT षमायातो मत्कदर्थनकाम्यया AVM समोपे मकरध्वजः सख Get रतिं भाथा रागकेखरिमग्धिणम्‌ | पञ्चमालुषसंयक्ं तच्च तख हुटुम्बकम्‌ एतां सवे मासाद्य खामयौ' कार्यषिद्धथे | संनद्धबद्धकवचरदा प्राप्तो AGW ¢ ARTSY महामोहो मकरष्वजमौोखनात्‌ | सोऽप्यासाद्च महामोहं परं इषमुपागतः ततस्तेन युतः Vey गन्धवारएः | संपन्नोऽखौ महामोहो जातो मेऽल्यन्तवाधकः शब्दङूपरवस्प शंगन्धजभोऽन्धसन्निभः गाढं निनेष्टषदोधः संजातोऽहं ततस्तदा गर्ताशूकरसद्धाश्ो frre feast |

१०९९

१०७० उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

राजिंदिवं निमद्माक्मा featsé विनतबषः॥ ` सुभ्धवसापि aay भोगीदधतषिमागतः | एतपानेन किं जातः पौनगण्डोऽच वानरः Bars मे भोगान्‌ वेते भोगदष्णिका सुतराज्ुद्वसत्थेव way वड्वानखः VRAIS श्रग्राङ्करनिमेषलाः | तदा मे faga: षवे महामोदघनादताः ततो at तादृशं दृहा भावशजविचेष्टितम्‌ | मेऽवखर Cee गतो दूरं खदा गभः धयाभिमतकामांख संपादयति मे तदा | असौ पुष्छोदथोऽह तु विमूढस्तं a wee ततो विञ्ुक्निःगरषराञ्चका्ौ दिवानिग्रम्‌ अन्तःपुरगतः GG भुश्ागोऽहमवख्ितः AUT | at at act प्रपश्चामि गगरे चार्विग्रडाम्‌ | gearagent वा यां वा कञ्चिभिवेदधेत्‌ at at सवा area जनेभ्यो बखवन्तया | WATT Tae करोमि faorafaary जानामि महापापं नापे कुललाञ्छनम्‌ | गणयामि साधन्यो वारक मग्तिमष्डखम्‌ ततो facet: सामन्ताः पुर चोदधेगमागतम्‌ | ताषृशाधमश्नौलेन लष्िता मम बान्धवाः

- ~ et ^ ~~ a "` (=. pe चक ०" य" पा "वाक ककव - - = i tia al i et i ee a eee

= सामः प्रस्तावः। १०७१

पदातयोऽपि. संपन्ना मम. निन्दाविधाधक्राः | यणाः Gay Gey सम्बन्धो नाच क्रारणम्‌ श्रं तु AEM खोकाश्जानानोऽप्या्मगहशाम्‌ महामोडदषश्नोग्धतो निन्डकमेरतः खितः

या नोशङ्कलसंजाता याञ्चागम्याः feat मृष्णाम्‌ | सर्वाः खेऽन्तःपुर ferret मचा पापकर्मणा अथासोश्च कनिष्ठो मे राता नोरदवाहनः | सष्लापरो fanaa wena: शारपौडवः

aay मन्तो face: arama: पौरमग्तरिमहन्तमैः | एकवाक्षतया a: प्रोक्तो रहमि खितः . यदुत।

sara निमर्बादो विमूढघोः | नष्टधमां पशोख्श्ो एवं Faas: सोऽयं faureneia सारमेयो नराधमः |

अस्य योग्यो TAG कुमार Wares: may हारितं Tey वंश्यानां लाघवं हतम्‌ | यच्धते adiswra बिनाश्रोऽयञुपेकितुम्‌ अतोऽयं प्रतिराश्येषु Sua नावमम्खते | यावत्तावत्कुमारोऽज राजा भवितूमहंति + अन्यया नेष ते. जाता राच्च तयः | वयं यशो नेव मगर भो भविति

१९७२ उप्रमितिभवप्रपश्चा क्या °

एवं चोक्षः Rafiq मौरदवाइनः | तथेव Taree: पर्यालोशसुपागतः इतश्च मामको भद्रे वयश्यो दुषटचेश्टतैः | गाढमुदेजितखिन्ते गष्टः पुश्णोद य्या पापं चाव्यगे्लौयतं प्रबद्धा wane: | ATR Garay we: सा कर्मणः fafa: avg awl we यज्ञोकेमेग्तितं पुरः तिक्ते युक्ियुक्षलाद्रं मे भातुखकेः

सतन | एवं भवतु Aaa ae ` WANE इटं बद्धो मदिरामर बिडणः तावतः परिवगेस्व मध्ये जातो REA agg ert भद्रे येन मा मेति अशितम्‌ ततो गरकपाखाभेस्तेवेद्धा नरकोपमे | किक्तोऽहं चारके gy ज्रातिमग्तिमरन्तमेः षंखापितो we राजा गोरद वाशनः | महाकलकलेनोचेर्मतयद्धिस्तोषनिभरेः इष्टाः कुखामिनायेन तुष्टाः सुखाभिनो ga: | ते पौरवैनिका खोकास्ततः किं किंन gat a we तु चारके त्र पुरौोषमलपिख्छिखे | मूषाग्धक्तदजाम्नाखद्‌ गन्धे TASHA चुधाक्ामोदरो ag: परिश्डलो विगरितः

सप्तमः TTA: | १०७४

खृतदुचेटितेः ब्दैवाखकंरपि ताडितः ॥. . ..

अनेकथातनास्याने खवगेशावधौरितः

पराप्तः शारोरषंतापं नरकेख्विव भारकः

महामोहवशोग्रते राच्छभरषटे तया मयि |

थः संजातो मनस्तापः लाख्यातु पायते .॥ तथाहि |

ममेदं fage राज्य मामकौोना faraa: |

अधुनान्ये mite इति शोकेन पोडितः .

सुखलाशितदे होऽदमधुना stent गतिः।

wie परिश्तोऽहभित्यरल्या कदथितः #

शन्पन्ि मामकमिद रबख्णादिकं जनाः

एते हाहा इतोऽस्मोति बाधितो घममूङेया

तदेवं ACHAT चारके दुःखपूरितः।

तनां संख्धितो भद्रे सुचिर पापकम॑णा

परिवारसमेतखछ महामोडस्य दोषतः |

aarae निर्विलः संसाराचारखोषने

करो धान्धस्तेषु लोकेषु चिन्षकलोखदूषितः |

रौद्र्यानातुगो fay शरिकाणलमवखितः.॥ ..

अथ mul कमेणेव डिका मे चिरन्तशौ। `

ततो faatel सा ay भवितब्यतयापरा

गतः पापिष्ठवासा्यां पुरि सप्रमपाटके |

अदं AST: प्रभावेण जातः पापिष्टरूपकः

135

१०७९ उपमितिभवप्रपश्चा क्या |

ze तचजाप्रतिष्टाने निर्मिंलो agent: | सागराणां qeftareey कण्वुकक्षोखया तदन्ते ठरिकादानाद्धवित्यतया लमा TETAS TAS WHT: पुनर्नो तोऽप्रतिष्ठाने कमा गौोतल्ततोऽष्दम्‌ | ` इत्च रडिकादामाश्छादुलाकारधारकः खयः षापिष्ठवाशयथां नोतोऽद तुयेषाटके | ततोऽपानौय fafeat मार्जाराकारधारकः # ` तदेवं विधद्ूपाणि जनयन्धा सुखः | TRUITT TMT VS चवे ageeaerray विहाय are परम्‌. + प्रायः शमखस्थानेधु भमितोऽदं महेता ॥. gm: खपरिवारेक महानोद्ेन सुन्दरि | रुर्वा गिजमार्या्नां के कां a विमारिनः तचा परिब्मडेष्णहं ewer faerie | युक्रेन बधो भद्रे योनौ योगौ विडम्बितः | यतः | | 4 ग्टरकीकिशिकासपेमूविकस्कारधारकः | wet निधानमाकद् तजनागरे faget an: ¢ एवं WATS मे भमतो गजशामिनो चषशाचुषेन्वाया्मसला भविता + = अन्यच्च |

तज

` सप्तमः प्रस्तावः |

आन्ता CA मयां साधं भमतोऽमभवद्मनि किंचित्ते दुबेलोश्ता मंशामोषाटवस्तदा t qd = TAROT TRA CATT पुम्न्बिः समोपस्छा संजाता मे वरागने ततो मनुजगत्यन्तः Wee भरताभिधे, साकेतेऽह पुरे मोतो भवितव्यतया तथा वणिजिसतस्य नन्दस्य aay ange

. अमितसह्युतलमेन रा डिकादानयोमतः #

प्रतिष्ठितं मे नाम ययायमग्डतोदरः |

अथ mae Sorat यौवमं काममन्दिर्म्‌ ` दृष्टः GIN जाम GUY: कानने मथा | `

ङपापरोतरि्तेन रकता मे तेम देशमा

ततो Wat मथा Az महामाय Fara |

fawtfan: वमौपश् श्छ aritderar: कि चिद्धद्रकभावलान्नमख्कारादिपाठकः | जातोऽ आआावकाकारधारको द्रयतसदा ततस्तदनुभावेन ` पुरेऽइ विषुधाश्ये भवचक्रख्धिते मोतो fears: प्रभावतः 3

भावना act watfrerite: कश्यवासिनः

पाटकेषुः वन्यते विवुधाः इखपु्काः ` दश्राष्टपश्चमेष्यसे भयः पूरं यथाक्रमम्‌

Loe

१०७६

ततस

उपमितिभदप्रप्चा कया |

कच्यखासदतौताश्च दिमेदास्द्थेपारके कर्पा दाद शावाखषख्िताः बमुदाइताः | मवपञ्चनिवासथ्थाखदतोताः प्रकोर्तिताः AWE पारक भद्रं जातोऽहं भावगस्तटा | श्राद्यभेदखितेष्वेव विबुधः कुलपुत्रकः

गतस्य ay wife विस्तो मे सदागमः स्ितोऽयमपि मां fear gate: काखयापनाम्‌ ततो महद्धिसंपन्नः साधे पश्योपमं सुदा | सुखं wae भुश्ानः खितोऽद wewlear तदन्ते Ufeat cer भार्यया तुष्ट चिष्था | पुरोऽ मागवावासे समागतः पुनस्तया तजासि बन्धदन्तस्य वणिलः प्रियद्मा | भायां तसाः Trea जातोऽहं चन्धनामकः संप्राप्नयुवभावेन GRITS सुनोश्वरः |

दृष्टो मया समोपस्यसतस्य we सदागमः fafea पुनरप्यश्च waf शन्नानमश्यकम्‌ | जातदाहं तदा We मणो भावव्जितः गतस्तदनुभावेन योऽहं faquree | मदड्धिविनुधस्तच जातो यन्तरपारके

नोतो विख्यृतलेन मथा ay सदागमः | गतेन मागवाबासे पुन प्रविखोकितः

यतः

सत्तमः TAT: |

एवं faecara भवचक्र पुनः पुमः तथयागन्ेन कालेन मया भार्थानियोगतः अयं सद्‌ागमो भद्रे महात्मा प्रविख्ोकितः | अनन्तवारा दुष्टोऽपि fawayg पुनः पुनः॥ विष्छृते पुनर््रान्तं भवचक्र निरननकम्‌ | आसादितः aufey पुनरेष सदागमः अमन्तवाराः GIS: आवकोऽहं Fares | zum यतिरूपख तच दृष्टः सदागमः विसुश्येमं महाभागं खयो योऽन्तराग्तरा | भ्रान्तः खमस्तश्यानेषु Bat नानाविडम्बनाः कुतोधिंकयतिखाहं शदागमविदूषकः | श्रनन्तवाराः GTS भवचक्र निरणम्तके अन्यश्च भमलतस्तच भवचक्र ममाशिले |

afectal कचिद्रसखा संजाता कर्मणः स्थितिः

कचिश्चं प्रबला जाता महामोहादिगश्रचवः। कचित्छदागमो जातः प्रबश्टस्तन्निवारकः ततञ्चानन्तवारा भिर्यावदभ्यासमागतः

अरय खदागमस्तावष्णातं यक्तज्निबोध मे॥ खा किचिन्निमेलोग्ता चिन्तटनिमंहारवौ | ततश्चाव्षर शाला प्रखितः महत्तमः SMYTAT सदह्ोधो AGATA |

१०७४

६.०७ = उपिमितिभवप्रपश्चा क्था |

श्रायं विन्राप्पतां देवः gaa मम्बतां मथा यस्या yafafest Tawa ana | सोऽधुना वतेते GT: प्रस्तावो WH माद्‌ शाम्‌ सदहोधेमोक्रं | VIE Wefed तात सम्यक्‌ सलचितोऽवधिः | ततो विज्ञापितेन सदोधेम सरे शरः ततख्च। चारिषधमेराखेन वचनान्त APU: | प्रहितो मश्छमोपेऽसौ सम्बम्द भ्रं ननामकः तेन चोकं | विद्येयं नौयतां देव प्रातं कन्यकानचा ae daria येन तोषोऽस्य जवते खदोधः ME माद्यापि प्रस्तावोऽख्ा AeA | नयने इन्त विद्यायास्तजाकणंय कारणम्‌ fe संसारिजोबन्तां मुर्धनुद्धिने भोक्छते विेषतसख्ततस्छबर्षामान्भेन प्रप्ते एवं fra यावन्न ताल्िकं ङ्प तवानेनार्वेधारितम्‌ | तावश्न FAA दातुमेषा TH सुकन्धका | अन्चातङ्कवश्नोणो fe gaze: पराभवम्‌ | ततः स्याञिन्नस्तापो aut तजिमिष्तकः ततो गच्छ बिना fagt लं तावन्त afeut

सत्तमः THT |

कालेन वसा Sy भोक्यते हि तावकम्‌ ततस | यदा स्यात्तेन fat qd तव परिस्छ़टम्‌ | तदडाइमाममिव्यामि विद्यामादाय वेऽग्तिक्षे सदागमस् Bars महामोहादितामवम्‌ तथा संसारिजोवख्य सुखस्वा दादिषेदनम्‌ देवे शाभिमुखौ भावस्तस्य cman | विद्यबा रडितस्थापि गच्छतस ते यणाः ततो yaifewanal यच्ान्नापयति wy: | इत्युक्ता प्रसखितद्धणे मश्मोपं ATTA: TATE तदा NS मगरे जनमन्दिरे | दमुरानन्दगन्दिग्योजांतो माखा विरोचभः ततः श्पा्नतादष्छः कानने Fer TASTY मखा दृष्टो धमंघोषो FAT: ` दूतश्च मे तदा pat वतेते कमेपद्कतिः। `. महामोहादथो जातास्तमवो भावग्रचवः तत - अणम्य तं महाभागं frre: agua | MAY BERG शानाद्नोकेन भोमता favs . QAM मानसानम्दमग्डतशरकशोषमम्‌ ततो मे कतमारमा. सुनिगा चमेरैशना

१०८० उपरमितिभवप्रपश्चा कथा |

कथम्‌ मरुजजग्मजगत्यतिद्‌ खंभं जिनमतं yaa विग्रेषतः | तदिदमाप नरेण सुमेधसा विठटपमोयमतोऽपि पर पदम्‌ इतरथा पुनरेव निरन्तके निपतितस्य सुभौ मभवाध्वके | कु शखग्म्बलमुत्कलमौ दनं गमु विनातुखलदुःखपर परा ददमवेत्य जनेन विजानता gueaa भवोदधितारकम्‌ | दइ विधेयम्ो विफलं सुधा करणोयमिदं भरजन्मकम्‌ SWC प्रत्यरोग्ठतो मे aw मुनेः समोपे योऽपि भग- वामयं खदागमः। ततो बुद्धं मथा तस सुनेवेचनं। अरभिदहितं यद्मया wae तदादि शन्त भगवन्तः। मुनिनोक्तं भद्राकणेय | अवधोरण्णीयो भवता भवप्रपश्चः। श्राराधनोधो विखौोनरागदेष- Mussa ee: परमात्मा उन्दनौयास- दुपदिष्टमागवतिगो भगवन्तः साधवः | प्रतिपत्तव्यानि जोवाजौव- पुष्छपापाखवसंवर निओराबन्धमो चलच्णानि नव त्वानि eer | पेयं जिनवच्माग्डतं | नेयं तदङ्गाङ्गोभात्रेन अनुष्टेयमात्महितं | उपचेयं क्ुग्रलानुबन्धिडुग्रश्ं | विधेयं निष्कलङ्मन्तःकरणं | हेयं ganas अवसेयं भगवद चनसारं | faved रागा- दिरोषन्दं खेयं सुश॒रूखदु पदे ्रभषजं देयं सततं शदाचरणो मानसं wala दुजेनप्रणोतकुमतव चमं free महा पुरुषवगे- मध्ये खरूपं खेयं निष्यकन्पचिन्लेनेति एवं चोपदिश्ति मधुर- भाषिणि भगवति घर्मघोषतपसखिनि संप्राप्नोऽषौ सम्यम्द शेननामा aera: | विलोकितो दुमद क्मेयन्विभेददइारेणणखौ मथा ततः

सप्तमः TENA: | १०८१

संजातं मे ay gfe सस्या agri प्रतिपश्ोऽसौ हितबन्धबुद्धा aura: अभिहितो बुणिवररः। | were यति aramzae afta ततोऽभिवन्् तं सुमिबरं antsy सभवने |

ततः प्रश्चति आतोऽहं स्डग्द श्नसंवुतः |

तस्व्रद्धानपूतात्मा fafaewrersfern:

तदेव सत्यं निःशङ्क afenae: भरवेदितम्‌ |

एतावन्माचतुष्टो ऽहं तदा जातो वरानने

सदागमो fy विज्ञानं खभाषेदधते तहा |

केव Daag मे बोधः प्रतते

संजाताख्ञदा सुख विविक्रन्लान्हेतवः |

ava: पटदुवाचोऽपि किना मे भिजवोग्यताम्‌

यतः सखयोग्यतेव wafy अह्धार्गच्चानकारकम्‌ | Ua: केवलं तलां भवन्ति सहकारिणः ताहि |

WHAE तथा Gy बोधाथं भे शकोविदि

श्रद्धानं AAT तदा चक्नश्रतेरपि A

ततः परं पुन्जातोऽनम्तवारा वरानने

सदागमेन सम्बन्धः अद्धा शन्वस्याणश्त्‌

sat Gar यदा Yat धावतो योग्यता भवेत्‌ |

तदा तदा भव्यस्य तावानेव मुणोङ्खवः 136

१०८२ उपरमितिभवप्रपश्चा कथा |

अतः अरद्धागमाचं मे खष्न्नानविवजितम्‌ | धमंघोषोपेद ओत्ेः संजातं योग्यतानुगम्‌ अन्यश्च | _ qaqa तु ate कमेसख्थितेस्तदा | afeaat मया दुष्टः सामान्याश्न fasted: पालितानि तवदादेशाद्भतानि नियमास्तथा | केचिदा मया भटर अरद्धारुणद्धबुद्धिना ततस्तदनुभावेन सत्पुरे विबुधाशये | कण्पवासिषु Fate डिकादानपूवकम्‌ श्रय सौधर्मकश्पेऽहं भाखराकारधारकः | समुत्थितः aay शयनान्तश्च ate दिव्यपख्डसत्तुश्ञौरचितं स्यशपेश्रलम्‌ | कोमल्रामलसच् लच्छा दितं चित्षमन्दनम्‌ सुमनोगन्धेषद्ूपलसदामोद सुन्दरम्‌ दिगां एकवरोक्ञो चदु टमो चरबन्धरम्‌ तजर Sawa areqaa विस्तः | fadenrareregaes (ea: ATF UMA लवनमाला विराजितः उपविष्टः च्णाघष्वातो श्योतिताखिलदिक्‌पयः ततोऽलं जय नन्देति जय भद्रेति भाषिशः। सष्ेखा लखना लोका शोललोचनलारवः gait मां मनोहारिवचनेः कणंपेशलेः।

सत्तमः TAI: | ९,०८३

देवोऽसि खामिकोऽस्माकमिति किङ्करतां गताः

ततोऽहं विख्मयोत्पु छो चनः पयं चिन्तयम्‌ |

तां wafe विख्ोक्धेदं कि मया ged छतम्‌

ततः प्रादुररज्त्रानं विमलं विमले्णे ¦

मया विरोचनावश्वानेन सर्वावधारिता

श्रभानरे TAMA मडइन्तमसदागमौ |

तौ get मथा wa माहाद्यमनयोरिदम्‌

ततस्तौ पूरवेवद्भद्रं प्रतिपन्नौ खबान्धवौ |

कतं चोत्थाय निःशेषं aa विबुधो चितम्‌ तथाहि। विविधरब्रखदौधितिरश्चिते विकचनौरणशण्डसुमण्डिते | गृङ्नितम्बपयोधरणारभिः VE वधूमिरमच्नि सरोवरे तदनु निमेशहाटकनिरभिंतं fanecafacfaagtzad we सलोलमवाण्य जिनाखयं gests ad जिमवन्दनम्‌ श्रथ सुनिमंशपचकसश्चयं मणिमयं जिनभावषितबन्धुरम्‌ पुलककारि रसेन तु वाचितं wa faery मनोरमपुश्लकम्‌

ततो यथेष्टशब्दादिखंभो गसुदिता श्यः |

, सागरदितयं aa किंचिदूनं व्यवश्ितः

तदन्ते मानवावासमामौय विडितस्तया |

MASE कथन्दास्थः सूनुमदनरेणयोः Aq |

aaa way मम तौ चाद्वान्धबौ |

wufafanagret क्या |

भागतो FARA सदलन्नसदप्म्ो #

सुतरां fege भद्रन ESE तरः मयाः फदिधसेा qa निक्तो दुष प्राचोनवपव aT केवलं OTP: feat agen are ददगाजिि a पुनस्तद मुभागिनं GAYS Fay yTSe: wifawifcg सोतोऽहं सकिकारप्नपूकेकम्‌ # . खितखवापि शद्ग्कयन्पन्तिमौ पिके fice: सुचिर far तुः तौ gat weretecttaet # संजातश्च AAT: परच्चपातो BLT: |

` च्छिस्तं चि्छतादेतो महन्तत्रसदागखौ

तत्रो waiaers at fetta afeat or श्वापद सं्ाये ATW. ST तथा Fafa ददुराकार्श्चरकः Bieter | कत; षं Oat अभितो ऽदंवितष्कम्‌ काचा पिेदु क्ायेचु भमचिला सभावे ` TAN साक्छाकासं पुरे काष्वि्छान् गये धराया AQAA. GENRE: | Vase Veena TAA RANT: तच चाका्च. HME GL EWAN gefadt quis महत्तमसदागमो

ततः. षरिचव्राद्न्वां ANT: YHA:

स्रः HAT | १०८५

शचवः YRCTHTAT महाभोदाटरथष्ठदा अयाषहबभयोः प्राष्य काहाक्य wenfafs | दितौयकसे dara: सत्पुरे fared ATAU Het बलेभो सरतिगोचरौ | qn सुचिरं feu सुखं at सयातुखम्‌ ततो मनुजगत्यन्तः Wer काञ्चने Ge | आगत मदम्मोरदोषतो विता किमिः दत्य सष्याधिका वारणं हृष्टो दृष्टः पुनः Ts | सदागसचुत्रो भद्रे मष्टोऽसौ ले. महभ: ` यतः | [र विना विरतिभावेन सस्यातोतेषु wag! अङ पलमाचचलुष्टो जप्त ऽहं WITH: FT तचा | | जलावुप्तोधादा Hegre: | जातः BATRA SE facrgr रदिते इदि अन्यच्च | संख्यातो मया वादा यच वन विलाकितः | महन्तमः पुगदृष्टस्तच तच सदागमः गहिथमेऽपि Taye ष्टः ATTEN: | कचिक्क चिक दृष्टोऽपि .मरत्तकपाशगः VITAL TUNA साभाप्यद्धपौः तो भद्र MATT fet कितो

youd उपमितिमवप्रपश्चा कथा।

तदेते बहशो दृष्टास््रयोऽपि वरबान्धवाः |

जावा सुखटास्तच विमुक्राञखान्तरान्तरा wUz |

दृष्टख केवशोऽपेषोऽमन्तवाराः षदागमः |

a aaa विना दृष्टः सम्बग्दशेनः कचित्‌ श्रन्यच्च |

यच यच GANT: संजाते मे ATA: |

तच तज वयस्यो मे जातः पुश्छोदयः AT i

तेम चोत्पादिताः wat यथेष्टा भोगसन्पद्‌ः |

वसतो मानवावासे पुरे faqurea तथा | |

खिता aafafaest भोतभोताखच waa: |

श्रन्तर्लौगाः स्थिता ag महामोहादयस्तया

QI यन्न पुनर्जाता प्रबला भावश्रचवः।

मत्तः पुण््ोदथो नष्टस्तच तज वरानने

aS तज जाता मे सर्वां दुःखपरपरा |

भ्रमितोऽमन्तकाखं भवितव्यतया तया तथा |

ख्वितिरदराधोयसौ जाता कमंणः क्िष्टतां गतम्‌ |

मानसं पुनर्जातं तत्वश्रद्धामवजितम्‌

श्रत VAST जाता AI यन्न AST: |

ते away तजैतौ That सबान्धवो

सप्तमः VHT: | १०८७

विशेषः पुमरेषोऽज कथ्यते ते fatied: | मिश्यादग्ेनासख्येन सम्यग्द्‌ शेननामकः ज्ञामसवरणेनापि दूरं नोतः सदागमः, क्चिन्तावपि भिजिंत्य ताग्यामपि facrart एवं चानन्तकाशं ते जयभक्गपरायणाः | SURAT प्राय जाता भद्रे WTA Tae | मामकः पपातोऽग्द्ययोरेव वि शेषतः | तयोरेव तदा जातो जथो weet: अन्यदा मानवावाषमध्यवतिंनि सुन्दरे | पुरे सोपारके प्या नोतोऽहं TMT वणिजः शालिभद्रख्य भार्यास्ति कनकप्रभा | HAMA: सुतोऽस्मोति ay arer विश्वषणः श्रय aft सुघाश्तमाखाश्च Nw | Gaget मया भद्रे महत्तमखदागमो ततश्च | तक्व्द्धानसपन्लो भावतो विरति विना, जातो गुरूपरोधेन अ्रमणोऽहं तदामघे ti ततो wetafeye areata तिष्ठतः | जातं मे कर्मदोषेण वेभाव्यनिरतं मनः ततः प्रबलतां प्रात्रा महामोदहादयः YA: | जातौ भावतो दूरे महत्तमसदागमौ

x ect

उपमिति्भषप्रपश्चा कथा|

ततो निभिन्मासाञ्च निमिन्तविररेण वा | सखभावादेव सश्वन्न्छदाइ परनिन्दकः .. aufaat सुश्यलानां seasrrefrera | श्रव्येवामपि कुर्वाणो निन्दां at ग्रङ्धितक्षेरा

fa बहना

एव

Meare aa waa गणधारिष्णम्‌ | ्रश्रातनां दधानेन मया ye वोक्तितम्‌ | गहोतथतिवेषोऽपि पाप्राह्मा गणदूकः | महामोहवग्राष्जातो भिथ्यादुष्टिः geteu: ततोऽतिधोरदुमंदकमेसह्वातपूरिभः संजातोऽडइ FAT ATI पापचेष्टया ततोऽनन्तं पुनः काञ्च दुःखमसाभरंमध्यगः |

` प्रायः समसस्यानेषु भरभितीऽ खभायेया

समसद्रव्यर शरश्च युबमोदरचारिशः। तदा YE मयोपाधं भ्रमता sidear

सा विपश्च age सा गाडविडम्बन | लोकेऽस्ति पद्मप्ाडिया ater तदा मया॥ एवं वदति ससारिजोषे विस्मितमानसा | जातागहोतसङेता कि चिद्धा वार्थकोविदा तथा प्रज्ञाविन्नालापि WaT तन्ताईूशं वचः |

अत्यन्तजातसबवेगा विन्तयामौम मानसे

Zk १२14 12८५४ lp 9 we

६।५०५| 1०५०।४०।४1 ७(६ 9101८ (19

| 2199 0612 BR RP) {०2०।७४

०१०५७ ५९९०।०५

| ९।०।५४ DP) : (61४ [५1118 Pe ¢ Me}

७०।१।।६।९] (16 PPL ५1४

1981 1 mine bR £. BR {>

lab) > Yo} ४२2116१2 B

| 1१10011४ 9 [(& Pile | 1६६] babe

cbis (५१००४ iSphe> 0 1122

19221 1 Mimi 12४ {199

Be Db ५९] mb iol) bie) 2914

Ib) dpitmbib bie BIhIh 9० h}lab

००१. ००७१७) 92

| ०९11५५७ २२] {21191५1 0919

9 1००५१ ०७>

199 leBiepMa) ।७।६६] 9. bet

:0120 :19& BB ०६।१०४९।०४

| ।७। 2५ 29 te 1४९] Me ९1105 & |

| lw 1 115 ०।६९}}0. oper

LE1

Pha > 9०८६।५०।१४] Biles

| 1४०० 2।११1४४ ९9 bible bb ip 9

1८2१०9७0 (199 {ile

| Wehbe bbb bibisnie (०५

५०२1१७७९) ja JARI A) 8

(ह. ह. - 1:

Wij A) 9.19 [bliin 2 98

|b? ०21 ७६8 RB £ AP leh [blots

jaDdjnayeiale be jpdi> bell

| Ubhink)blbib ५10901५9 {५०५

1१५०1040. be ५5६19

०६१५2५५ be 2५0 [hells

९०१५५९1४ 10४ (अऽ ५।।४।> 19

धभ Beh Blane vp

२४०७ elie 2६४9 cba} belle 1 2/9

| 1५०५।०५।०1 1B {०५२ | 1 Late

12110 8 29 ४4

०५०१८५१५ ००७१७. 39 | ५४३

Fae’ | ‘PIs ६9

सप्तमः प्रस्तावः | ६०९१९

सुतः स्फरिकराजस्य जातोऽहं विश्रदस्तदा विमलानन्दनशांरस्तारश्प TATA: | सुप्रवृद्धमुनि gar प्रबुद्धो जिनशासमे अतो wat मया दृष्टौ मदश्मसदागमौ | महिधर्मयुतौ भद्रं पाणिताख त्रतादवः तत्वथ्द्धानन्रद्धात्मया fearare चिर तदा किंतु qararay विविक्रश्चागवजितः॥ ततस्तंद शुभावेन जातः पुण्छोदयोऽनघः नोतस्ततौयकल्येऽहं age विबुधारये तथाभिमतश्रब्दादिभो गसम्मदेखुन्दरे | धारयित्वा सुखेनो घेस सागरसप्तकम्‌ ततोऽपि मागवावासे ang faqure इत्यं कारितो भद्र afer गमागमम्‌ किं बहना | | बान्धवचययुक्रम दादश्रापि विखो किताः। प्रत्येकं ते मथा कल्याः whey बान्धवेः एव faa ततो WAST मामवावाससष्यखम्‌ | Tart कारितो भद्र भवितब्तषा तथा दतिः

१०९ द्‌ उप्मितिभवपपश्चा कथा |

विमलखलमपि गुरूणां भाषितं शरि भयाः प्रबखकखिणरेतुयो महामोहराजः | खगयति गु द्वोर्योऽगन्तसंवारकारो मनुजभवमवाप्ताख्तस्छ मा त. ART: - सक खटोषभवाणेवकारणं त्यजत लोभसखं परिगम्‌ | दह परण दुःखभराकरे सजत मा बत करंसखे ध्वनौ एतज्िवेदितमश्रेषवचोमिरण प्रस्तावने afecarnfuer विचिनध we दितं यदि वो चितं कथं चिन्त तदस्य करणे Gant छुरध्वम्‌॥

दत्युपमितिभवप्रपष्डकथायां महामोहपरिग्रह- अवणेद्दरियविपाकवयेनो नाम सत्तमः प्रस्तावः समाप्तः

रय अष्टमः Wels: | श्रयास्ि मानवावासे WaT खततोक्छवम्‌ | सप्रमोदमिति ख्यातमचिग्धयशण्डषितम्‌ दानवारिङृवाह्वादो मरेभगतिविथेमः ` एुरदरसमो ay मरवा विराजते ङूपलाव्यनेपश्यनिर्विंशेषोऽमरौखनेः विद्ासिमोजमो यज मेनो कोषेवविंशिग्यते तज्रारिकरिसहगतविपारितकरसख्छसः | निर्याजपौदवस्यातो राजासि मधुवारणः सवसाधारणं wer विततौ येन at धनम्‌ | खूपरदितदारेण atfacer धारिताः॥ तस्यासि arrest रूपलावश्यश्राखिनौ | प्रधागवंश्रसथता महादेवो सुमाखिनो या इदि न्यस्लराजापि trent इदयवतिनो | <u दभितचिज्ापि विचि्रशुटयो गिनो श्रय quigaqry dant निजमा्येथा | भदटरेऽग्होतसङूते तस्याः कुचौ प्रवेशितः निका: काणपर्यायास्छर्वावयव सुन्दरः | ea: साऽपि मया साधं जातः पुष्छोदयोऽगचे जाते मयि षंजातमानन्दरसमिभरम्‌ |

Yoda उप्रमितिभवप्रपश्चा कथा|

उदामनृत्तसंगोतं मधवारणएमन्दिरम्‌ तथा | विहितं मरेश्वरतोषकर वरराषशला सविलासघरम्‌। बह्वादनखादममानपर मदिरामदघ्‌ णितचादगरम्‌ विलयाजननर्तितवामनकं शतकुलकक्ु aerate विदहितार्थिंमनोरथपूरणकं छतो कचमक्छति वधनकम्‌ ततः समुचिते काले महानन्दपुरःषरम्‌ | जनकेनेव मे नाम खापितं Yura: पञ्चामिखाडधाजौभिशेशितोऽमरवहिवि | ततोऽहं टद्धिमायातः सुखकागरमध्यगः दूतश्च | सगोजो afaafas जौ वितादपि awa: मरेन्द्रोऽखि विश्राणलाचसखश्य G4: FAUT: सप्रमोदे तचेव तातदेहेन Sher: | ततो ममापि सपशः वयस्यः Hwa: GBs धन्यः सुरूपः सुमगः eit | समस्तमुफूसपन्नः शत्य एव कुकंधरः ततः संव्धमानोऽहं तेन ae सुमेधा | संजातोऽपिकतसन्गावः खरनिभेरमानेशः ततस | | समं eae कौ डारसपराबणी | संप्राप्ते qearqwaral मदनमन्दिरम्‌ #

WTA: प्रस्तावः | १०६१५

TAY नन्दनाकारं पुरदूरे मनोरमम्‌ | आआह्ादमण्डिरं ara aula वरकाननम्‌ aq चिन्तचमत्कारि शो चनाह्ाददायकम्‌ | अद्यम्तमावयोर्जातं सेदितं दिने दिने॥ शरन्यदा गतयोख्तज दूरवतिं परि्फटम्‌ | यो षितोदिंतवं किं चिद्ृष्टिगो चरमागतम्‌ तचेका Soares: कामगेडिनोम्‌ | हसषतोव fanreral दितोया नतु तादृशो श्रय शा सुन्दरो दूराश्चचुर्गोचरचारिएम्‌ | मां भूश्ताधनुकेदु शिवारेरताडयत्‌ तथा | सुतश्राखां समाम्य कोखयोल्ला धित सनो | अजिरोषदिलासेन wast मामकं मनः तथा। चकितं विस्थितं fara ॒साकूतमतिलण्वितम्‌ | बहिशिङ्धः aurfed वत्छरूपं मये्चितम्‌ aaet तादु ate भमोमयममन्दनोम्‌ | निमिंथापितसद्भावां रञ्जित मम मानसम्‌ ततो मया चिन्तित | किमियं सा रतिः साचाक्किं पुरदरकामिनो। कि. वा welitgaer वर्तंते तनुधारिषै एवं दिन्तयन्नौषद्श्रोर श्ररेरितः।

१०९६ उपरमितिभवप्पच्चा कचा |

धावदिकारखेगेन युक्तो आतः WHat तावज्निरौकितस्तम साकूतं श्नातचेतसा | TIAA मयाण्वेराकारवरणएं तम्‌ fefaa मया wa aerate विवेकिनाम्‌ | ददं षकामया TAT यत्परखलो निरो चणम्‌ तदस्यां दृष्टिपातं मे दृष्टा निमेखचेतसा | अरहो कुखशंधरेणाच जने कि विविश्तितम्‌ ततो WAVE सुख AG पुमः पुमः | श्रपश्छतः परोदाथे acre निभाखये अथ विज्ञातसद्वावः कलाक श्रलको विदः | faye काकलं wer मामाइ HAUT: | कुमार fa खितेनाच गम्यतामधुना ग्रहे mifed eeat वेखामपराहो हि वतेते मयोक्ष रोचते ad तदैव क्रियतामिति | am we गतावावां कतं दिषंसोडितम्‌ अथ राजौ fafamat warat मम तितः | सा चेतसि कुरङ्गो Sree पुनरागता नाभविय्यश्च नेदिष्ठो यदि पुण्योदशोऽनचः। ` तथा मे AAG तदा भद्र सहायकः ततः सा wees मे चित्ते विश्षगन्तो Gwqs: | अकरिव्यदवश्छां al arena नेव पायते

WEA: ATT | १०६५.

wae निकटस्वायो wr पुश्डोरयोऽनचः | HATHA सा लाता गत्यथ बत बाधिका) अनधः ala यतः पुष्छोरषो Ferq | खांघारिकपदार्यषु निराबन्धमिदं मनः तथापि ता्मणुसृच्य मनाक्‌ चिन्तनं नतः | यथा कल्य पुनः सा MAMAN crete feufaet गतो निद्रां विभावता विभावरो। प्रभाते शमाधातो HEAT इखधरः रेष शनशोभेन तखाः खोऽभिदहितो मथा वयस्य fa ब्रजावोऽद् पुनरादादमन्दिरे a ततः कुखधरे्लोक्तं समितवबन्धुरथा गिरा किमिदं मम्यते कि ते विस्मृता we ghar अथे wat Harty भावं Cea मया शोऽभिदितो fare परिहासो frequen ग॑न्बतां पुनरूथाने का कस्येति वौच्छताम्‌ | छविता कन्यका चेति नेति वा घा परौच्ताम्‌ अन्यं | ` परभार्था ग्डोयेऽहं विकसश्षमिति भा eer: | कन्वका चेश gerfa तामिष्शापि धावतः ततः gua: ary fw मोन्ताखतां गमः | गच्छावः feet wa axaera we ततो गतो grey कानने तजिरूपितम्‌

138

१०९७ उपमिवतिभवप्रपश्चा कथा |

स्थानं ay पुरा दृष्टं योषितोदितयं परम्‌ अयादृष्ठा aay तां कुरक्रमवोखणाम्‌ | अहं afawar किं चिचिन्नोदरगेन पौडितः aay | वने wey तं गुनं वौचमाणो yey: | कुणधरयुतो यावन्निषशश्स्य तले तावन्तूणंपदन्यासेः पचममेरमिखनम्‌ | mae कस्छचि्पुष्टे वलिता मम कन्धरा अथेका AIT दृष्टा नारो सुविग्हा | featar सा समाधाता यासौश्नख्या दितोयिकषा ततः सक्ुखधरेख मया BMI मामितमु्माङ्ग ततः afand विलो कितोऽहं तया प्रौढनावां श्तमाभन्दो दकविन्ु- परिभुतनयनयुगलं। अभिहितं ag चिरं Ma मरौय- जोवितेनापि। get | पुज दौ्घायुभंव लं safe भव्यां सह किंचिदक्रव्यं wat राजपुचमुपषेश यितुमहेति वहसः | कुलंधरे णोक्ं | यदा टि शत्धम्बा ततः waaay तलं उप- विष्टानि वयं ततो मासुदिश्छ तथामिडितं वल्छाकणेय | अस्ति विध्चाधरालयो वेताद्छयो माम महागिरिः तज गन्ध- wag नाम ant! तदधिप्तिविद्याधरचक्रवर्तो कभकोदरो नाम राजा | तस्याह कामखता नाम महादेवौ qari | गतो रिकालः विषण्ठोऽसौ निरपत्यतयाडं ख्‌ ततोऽपत्याथे प्रयुक्तानि भेषजानि विहिता cena: त्तान्टेपया चितश्रतानि

SSA: प्रस्तावः। , ९०९६

ver नैमिन्तिकाः उपचरिता मग््रवादिनः विन्यस्तानि तश््ाणि पौतानि मूलजालानि हतानि कौतुकानि निःखारिता way: श्रोधितानि जातकानि श्रवतारिताः प्रश्नाः प्रायिताः प्रश्रस्तखक्नाः mafia योगिन्यः शतं सव age विंरित्केमापौति। ततो मध्यमे वयसि प्रादुश्डेतो मे गभैः। प्रष्टो राजा। करमेण प्रखु- तां जाता Beans दिकूषक्रवालमुद्धाश्यन्तौ दारिका faafeat राक्ञे। परितुष्टोऽसौ कारितं aeradaa प्रतिषितं प्रशस्तदिने माम मदममश्चरोति। वर्धिता. सा सुखखन्दोहेन। संजातेयमल्यन्तमभौष्टा भमकप्रियपद्‌ तिनरसेनवह्ञरिकाद्‌ हिता तस्याः faawe} सवसिका याहिता साधंमगया सा सकलाः at: | प्राप्ता यौवनं ततः कलासौष्टवेन रूपातिश्रयेन ममोचितः geatsatfa ger संजाता पुरषदेषिएौ सा वता ACMA | तश्च छवखिकावदनेन विज्ञाय तद्‌ाकूतं विषष्षाद्‌ | faafed महाराजाय संजातोऽखौ सचिन्तः कथमिधं करित दूति 1 ततः समुत्पन्ञास्छ gfe: 1 कारितोऽनेन खयवरामण्ड़पः | समाष्ताः wa विद्याधरनरेद्राः। खमागता ata | शतासप्मति- ava: विरचिता मच्चाः। fear स्वे यथाख्यानं उपविष्टः सखयवरामण्डपमध्ये सपरिकरो राजा प्रविष्टां विरच्वितत्ररने- पथ्याशद्धाराक्ररागमास्या टि विच्छिन्तिचवचेनां wat sat मदन- wart सह शवलिक्था तां चापहसितामरखन्दरोलावष्यां कन्यासुपलभ्य प्रबलचित्तकशलो छेरखमुशल्लमाना श्रपि तस्यां विनि- विष्टदृष्टिचष्टाः खिताश्विचन्यस्ता इव॒ निखला; सवं ऽम्बरचराः |

१९०० उपमि तिभवप्पश्चा कथा |

after मथा भामतो stent विभवतो निवातो रूपतो, Te तचिङ्कतस प्रत्येकमेते तद्यथा वसं मद नमश्जरि | एवोऽन्मितप्रभो गाम विदयुदन्तश्छ नन्दनः | aaqufsg वास्तव्यः पुरे मभगनवज्ञेभे सुराकारधरोऽरेवक्शा कौ शशको विदः | केलौ चासमधुरे् लसतां विराजते .॥ तथा एष भाजुग्रभो नाम मागकेखरि नन्दनः | महङ्धिको महाव मान्धर्वपुरमायकः कमनौयाङृतिवेस्छे भरि विद्याविश्रारदः। श्रकरो रषरनार्नां प्रषिद्धो मद्डष्वजः तया | श्रयमपि रतिविद्ासो रतिभिभसुतो मरद्धिखंपशः। तदधिपतिरेष निवक्षति रचनुपुरचेक्रवाखपुरे ॥. कगकावदातवपुरेष निखिशविन्चानशषणगणोपेतः | मनु पश्च मदनम्लरि वरवागरकेतु ष्टुतः 4 तदेवं यावरैकेकं वक्षामि गरेश्वरम्‌ | तावदिषादमापन्ा THT मदनमश्जरो तथाहि | दृष्टा सा तदा मधा दुर्भगनारौव ` षपनोदकेवु विपद्रतस्भट इव. भजुोरयैषु समत्छरवादौड परतिवादिशौषवेषु Ww इव nfatesinay धोक्छेकविश्चानिक इव. प्रतिविश्चोणिकमेपुचेषु

अमः धावः | ११०१

केण चिच्ठा द्र सुपवश्ेमानेषु तेषु विद्याधरनरेश्वरेषु मया तथा काद्य मानेषु दृष्टो श्रपातथन्तौ. संजाता गाढं विद्राणवदना वन्धा AeA मश्जरो ततो हा किमेतदिति fafer मयाभिदिता a aa वसे मदममश्रि किममिङचितः कशिदेतेषां मध्ये agree विच्चाधरनरेनः तथोक् wa तु शेमपक्रमामो वथमितः स्थानात्‌। waadat quam! शिरो दुब्धति ममानेन यु्दुपवरितालौक- aguas | तदाकष्य विषां निवेदितं राच्चे गतोऽबौ चिन्तां अभिहितमनेन नोचतां भवने वसा मा भचिनद्‌ःखा- विकथास्याः श्रोरापाटवमिति। arat सहता fray खयंवरा- भण्डपात्‌ | प्राप्ता खभवनं। बिकखेयं wafeenr) अभिहितमनया | यथाम्ब कः पुनभंदढेदारि कायाः परिण्गोपायो भविति wate | ag wafea वयमपि जानोमः। अरतिदुष्कररोचिकेदं तव जिधसखौ प्रष्टव्येबमेव . भवत्या age करणौवं समा्तोऽस्माक- faarat मन्दभाग्यानां . veletentuc cf. sent एलमुका- फलकखापकश्पेगेबनसखिखविन्दुखन्दोहे रोदितुं wen) शव- खिकयोक्रं सखामिनि सुश्च विषादं प्रञ्चिग्धाम्बदं भटेटारिकां। ewer विगथसवेखं quiere: सन्धापकारिष्यौ भवि- व्यति। कथविश्ति यद कर्णौ वं ततदेवं . खस्ौहताहमनथा अवजिकया

wre तेः विद्याधराः खवंवरमष्छपादटतवरामेद . निगेष्छग्लो- weary तां .वल्छां . मदनमश्ञरौ ween इव गष्टर निधाना दव. मुद्ररताङिता इव दिगलितविद्या इव स्वधा भषटच्छाया

१९०२ उपमितिमबप्रपञ्चा कथा |

faedhan: सकोपाः सन्तः कनको दरनरेन्रमसंभाष्य निगेताः खयवरमण्डपाङ्गता weraat दिशं ततो राजा ara: शओोकाति- रेकं। wird वर्षमिव तदिनं। श्मागता रजमौ। दतं प्रादोषिकमास्थानं। gaa awrar गसितप्राया चिन्तया विनिद्रेणेव रान्ना विभावसौ ततोऽतिभरेण wast निद्रा लवः जातं तज ayer! दृष्टानि जाग्रतेव werft मानुषाणि at पुदषो हे ew) तेरमिहितं। aww कनकोद्र कि are छत safe नृपतिराह जामिं ae ata ततो qq विषादं। निशूपितोऽस्माभिः sata वरो मदनमश्चर्याः एव भविश्यति se भवतामन्यवराग्वेषणेन श्रस्माभिरेव इथ्याः संपादिताः aware विद्याधरमरेश्राः यतो प्रयच्छामो वख- Trae वरेति ब्रुवाणानि तानि गतान्यदशनं WITT सुजातः प्राभातिकढ्य fara: प्रबुद्धो राजा Her:

खप्रायः प्रष्टेतसा पठितं कालनिजेदकेन

SSA भो लोका AWE कथयत्यलम्‌ |

मा wy चिन्तशम्ताप मा इषे मा विक्तवम्‌

यथेवानादि सिद्धोऽथमस्माकं भो दिने दिने.।

उदवादिक्रमः सवेस्तया वोऽपि भवे भवे +

एतच्चा कच्छं चिन्तितं मरपतिना wa युक्रमुक्रममेन | समयितः

खध्रा्यंः। तथाहि यथा aed: पूवं निरूपित एवास्मा भिभंदन- मश्नरौवर cam तथनेनापि पठता भाद्करस्व प्रतिदिनबुरथ- प्रतापास्तमय। शेनपुमङ्दयादि वदे डहिनां अगानि wafe सुख-

अर्मः प्रस्तावः | १९ ०ह

दुःखज्ाभादिकं सवं चिर निषूपितमेवो पममते तदलं तजर. विषादा- दिभेत्याबेदितमिति wa: सुतग्लितमेवेदं सवंमास्ते | किं afa- न्तयेत्याकलय्य निराङ्खलोग्धनो राजा

इतश्च किमधुना कतग्यमिति ver लवलिकया मदनमञ्चरौ | aaa यदि तातोऽम्ना मासुक्छंकशयति ततोऽ खयमेव पेच वसुन्धरामात्मामिर्चितं at इणोमोति। ततः कथितं मे शव लिकया तदम निवेदितं मया un विन्तितिमनेन | सुन्दरमेवेदं afd agar: श्रयमेव तस्य देवनि्दिंष्टस्य वरस्य लाभोपाय इति विचिन्धानुज्ञाता ver मदनमश्जरौ ततो ग्टदौल्मामात्मस ह्रौं लवशिकां निगेता सा वरां खकलग्रत- लावलोकमाय। गतानि कतिविदिनानि। स्थितो राजाह वत्ाखदेन सोग्छायकौ दिशो निभालथयन्तौ श्रन्यदा saa सविषादा छवलिका दृष्टा चेमां द्राङ्त्य पतितमावयोशदयं हा किमितौयमेकाकिनो सविषादा stone इति भावनया कतोऽनया प्रणामः। मयोक्रं ¦ श्रपि भद्रे लवलिके कुशल agra: | SAM) Wa कुशलं wate atte’ aaa वशा | अरनयोक्रं श्राकणेयलम्बा श्रस्ि aafedt fag fae- शितमावाभ्याममेकयामनगरादिविश्रूषितं विविधटन्तान्तग्दरिभ्व- मण्डलं प्राप्रे सप्रमोदपुर इष्टं ततो बहिराङ्कादमन्दिरसुद्याम | संजातमावयो स्तदिलोकगकुलदशं fat तस्योपरिष्टात्‌ दृष्टौ सुरवरकमाराकारधारकौ तत्र दौ राजपुरषौ | Tatas यन्तो प्राप्नाल्यन्तमश्ररौरग्ररप्रहारगोच्र प्रियसखो | ततस्तदेदना-

Ves डपमितिभवप्पश्चा Sut |

भरभिःखद्ेवावतौा मया ard ame खिता aatgfestet मनाग्दूरवतिनि erat तमेव Crengercafafafaaret निरमा ततः पातिता तेनापि तदभिसुखं दृष्टिः ततः साग्तसिक्रेव fara सुखसागरे | afararat दृष्टा मया यान्तो रषान्तरम्‌ Hage Gare मेषग्ष्दं मधुरिका | विजजग्भते तथा aren ते rere विलभ्मिता विशाखबन्धेरं am सरख श्ररोरकम्‌ | करि्कःदम्बपुष्याभं धारथन्तो भयेकिता , नत्धतौव Tareas सुडमुंजजः इसतोव fanreret दृष्टि ददति वक्षे ततस्तां ताशुश्नौं वोच तज निचिन्नमानषाम्‌ | कलै प्रत्ता TETAY षमुपागता wea | अहो विदग्धा निर्भिष्यमहो दुष्कररोचिका | तथापि तोषितानेन सुधमा भटेदारिका श्रहो अरस्य सुरूपलमहो Baa | wet युक्रोऽमथोधोगो रतिमद्मचथयोरिव अहो चटितमेवेदं frat aq वेधसा agraareatea dae नः समोडितम्‌ a श्रय qurg केनापि कारणेन ससम्भ्रमः | साधं तेन वथस्सेन ततः Srargat sar

° [विष = $ a गि द्र नन ~~~ ~ pees, alti ee 9 = ~ ees a

अद्मः प्रस्तावः। १९१०४

, गते तच घा बाला शून्या तरथ्तारिका। संजाता विहलात्यन्तं यथा नष्टनिधानिका ततो wate भटेदारिके यश्यभिङ्‌चितस्तुभ्यमेष aquaat गम्यतां ताताग्बाखषमोपे | निखितमेषोऽसयेव सप्रमोदपुराधिपते- मेधवारणएराजस्य gifts कस्यान्यख्ेदृश्ो रूपातिगश्रयः | ततो द्यतामस्मे तातेनात्मा। किमधना विशम्वितेनेति। vate खि wafaa इचितोऽय मे अनः, केवलं GUE मम इदयं | न॒ र्चिता प्रायेणाहमख्मे | कथमन्या Wawa | मयोक | स्ाभिनि मा मेवं वोचः | तथाहि fa a ते प्रहिता दृष्टिः किंग जातः सतोषकः | राजपुषस्ां दृष्टा येनेत्थममिधौयते अत्यथं इचितासि a wet सुश्च वराभने | मधौ मधुकरायेव सरसा चतमश्चरौ वेर ग्धयादेव तेनेदं WITHA शतम्‌ | ततोऽनुष्टौ यता मेतत्छामिन्या मम भाषितम i ततः खस्ता किं चिद्राजदु दिता | तयाणुक्रममथा मखि wafer are गन्तं पारयामि। Wee मे VT! aime मयेदमुद्यानं ततो गच्छतु au भवतो संपादयितुं ताताम्नयो- वार्तामिति ततो weftearfraia तस्या निबन्धं खापयित्वा at गप्ततरूगहनमध्ये रचयित्वा भि शिरपल्लवश्रयनोयं कारयित्वा

चलितव्यमितः ख्वानान्न विधेयमन्यदपि वकिंचिदसमश्चसमित्य्ार्ये 139

ro उपमितिभवप्रपश्चा wear |

श्रपयश्रतानि खमागतादं चणा्ञिष्ैता सि्ठामशं गगनञुत्यतम्तो बेगेन | इत्येतदाकथश्यं देवोऽम्ना प्रमाण ततो राश्नोक्र, रेवि तावत्‌ त्वं तरया गच्छ AMAT) संधौरय वल्छां मरनमन्नरैँ | श्रहं तु सामों विधायागमिबानमि। यतः awe मे मनः सकोपा निगेतास्ते विद्याधराः प्रयुक्रञ्च॒तहृन्तान्तोपलम्भाय मथा चटुलः ततः कतसामयौकस्येव मे तख गन्तु युक्तं Aaa as गच्छद्धिः किंचित्मातं | श्रतसतङगतो भविग्यति मे arefaer: ` तन्तं गच्छतु देवौ मयोक्त यदाज्नापयल्धार्थपुः ततः पुर छत्येमां लवलिकां wear चात्मवज्ञभां दासदारिकां धवशिकां समागतां वेगेन दृष्टा तजेव गिशिरपल्लवश्रयभये fare परमयोगिनौव निरालम्बनं किचिद्यायन्तो ser भदनमश्चरो तया तु लक्तितमस्मदागमनं उपविष्टा वयं निकटे शवलि- कयो भटेदारिके समागतेथमम्बा किमेवं तिष्ठसि ततो Sat war चेतना मोटितमनया श्ररौरकं व्ापारिते लोचने विलो किंता ततः ससम्भृमसुत्था् निपतिता खा मश्चरणथोः | wan वत्से मदौयजौवितेलापि चिरं जोव दणेमाभ्रुहि इद्‌ यवल्लभं श्रविधवा भव सुभगा सपद्यखेति। ततश्चोत्थाय समाशिङ्गिता समात्राता मृदेश शापिता निजोस््गे शुम्बिता वद्‌ नकमलेऽभिडिता wi ag मदनमश्नरि धौरा भव gg विषादं सिद्धमेव aw शमोहितं। saan एव व्ततेते जनकः घटिकाः खल्व प्रथोजने जस्यन्तौति ' ततः कुतो ममेयन्ति भागधेयानोति गनैवंदन्तौ खिताधोद्ुखो वसा

शमः TAT: | १९ ०७

श्रभाभ्तरे गतोऽस्तं दिनकरः wyufed तिमिरं विस्फरित- स्तारकानिकरः विय क्रा्क्रवाकाः मुकुलितं aaa निलोनाः श्रकुमयः प्रसारिताः कौशिकाः प्रष्टा गतवेतालाः समुदतः smut: faafaar efxart ततञित्तप्रमोदकारिणौमिः कथा- भिविनोदयन्तोभिल्तां वतां मदनमश्जरोमतिवाहितास्माभिः कथंचिद्रजनो | sggat दिमकरः। aati wa वलिक fam गगनमागं निरूपय गिजखराभिवर्तनौ किमसौ चिरयति | ततो यदाज्ञापयति खामिनोति वदन्तौ fede awe शव- लिका | fear quart समवतोणा सरर्षा मयोक्र ta fa ख््घासि किं समागतस्तेः सञामो श्रनयथोक्ं a नाद्यापि समागतः खामो। किंतु समागतौ तौ राजकुमारौ | facifad ताभ्यां भरेदारिकादशरेनाये saga) केवलमतिगदनतयास्य प्रदेशस्य दृष्टा भदेदारिका। ततोऽसौ भटेदारिकाददय- दयितः खविषादः wynea दितोयेन यथा मार गणधारण wlaat तावन्तच्व Gat तस्येव Qa यन FETA RAAT शा चटुललपवनचखितङ्ुवलयदणलोलरो चना इद्यतस्करौ किमन्य qifeaa कद्‌ चिहेवयो गात्पुनस्तनरेवोपलन्यत इति तेनोक् एवं भवतु ततो गतौ तौ तद मिञुखं | इदमम्ब मे Weare | awa भवतु मातः किम्वं मां प्रतारयसि ततोऽनथा तत््रह्थायनायं शतानि शपयश्तानि तथापि प्रत्यायिता ar मदममश्जरो | Hate | ea safer किमनेन बहना दशय तावन्ये कुमारं येन तं खयमेवेहानोय वत्षामाह्वादयामि।

{ior उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

्रनयोक्रं। एषा सष्ला स्मि प्रवतेतामम्बा। ततो विस्य वल्ासमोपे तां धवश्िकां प्रत्तां aay नोतादहमेवमनया खवलिकया भवतः BATT | तदेषोऽच कुमार WAIT: |

qet augramet तां मे दुष्कररोचिकाम्‌ |

खत्यायानुग्रहं छता FAL TAA

ततो विलो कितं मया ज्ुलंधरवदम Gate कुमार गम्यतां

कोऽ विरोधः | ततः शतमस्मामिम्तब गमनं! दृष्टा ययानिदि्टा मदभममश्नरौ ततोऽहं निमग्न इव gerd age WANG इव रतिरसमये महासमुद्रे वतेमाम दव सर्वानन्दसन्दोद्े परिपणे इव शवेममोरथभरेण प्रो णितागरेषेद्धिथग्राम इव सर्बान्छव- समुदये संजातस्तदभेने सतौति तथा सापि मामवल्लोक्य प्राप्तः a एवायमिति wer विराट इव्युत्कष्डिता छुतस्तस्यागमनमिति afaaat खप्रोऽय भवेदिति शविषादा स्थिरः प्रत्यय इति जातमिणेया विरहेऽपि जौवितेति eee कथं मामेष प्रतिपद्यत दति Wn निरौचते मामयमिति सप्रमोदेति सपना सको रसनिभेरदया | sa एव wees पुलकजाखकेम fafa खेदबिन्डुमोक्रिकनिकरेण बन्धुरा समुन्ताशश्चसितपवनेन इदय- हारिणो सुललितखतेव कम्पमाना eae |

mare रसं कं चिदत्धन्तप्रौ fafa |

मथा खा लिग्धशोखाचौ भजन्तो प्रविलोकिता

ततोऽभिदिता कामणतया ae किं भातस्तेऽधुना लवलिका-

awa सरप्रत्ययः ततः सितेन रश्जयन्तो मम इदयमिव

अद्मः Weta: | ११९०९

सुधाधवलेनापि विमखकपोलौ fear enitgel wa: सदवां प्रमोदः | Waraye

खसद्धषणरनो घप्रभाजाकतेः समन्ततः

प्रकाशितमभोभागेदंवाकारानुकारिभिः

श्रिविद्याधरेः a अक्रव्चारखगेखया |

. रब्रेग्धवा विमागौ मागतः कमकोदरः सप्रमोदपुर वौच्छ शोऽवतोणेः सखेचरः | आआह्कादमन्डदिर प्राप्नो दृष्टोऽस्माभिः afaqay ततः डतमस्माभिरभ्यत्यानं नामितञुत्तमाङ्गं विदिता

प्रतिपत्तिः उपविष्टाः खवं यथास्थानं विशलोकितोऽइं लिग्धद्ष्चा सुशिरं कनकोदरेश | गनं एवायमिति fafa तुष्टचेतसा VST कामलता कयितोऽनवा इन्तान्तः | कमकोदरेणोक्ष देवि निवंटितमेव वद्छाथा दुष्ररो चिका वमोदृशरपुरषरने ययानया शतो मनो निबन्धः खख wet पुरदरादन्य् afew निवेश्यते | RAGA | VARA सन्देहः श्रजामरे समागतो वेगेन eee: तेन निषेदितं किमपि कगकोद्राय wehbe ततोऽखमच काशविलम्बेनेति arent प्रति वदता समालोच्य सद FAN asa BMA Gaga: कारितोऽदइं पाणिग्रहणं aza- मश्नर्याः। कमकोदरेए निवर्तितो विवाहानन्दः प्रकटितानि ताभि Aa TERA लमहानोलककेतगपद्मर।गमरकतचुडा मणिपुष्यराग- चन््रकान्तङलकमेचकाद्यमघं यरन्नराश्रिपरिपूरितानि विमानानि ततोऽभिदितः GANT: कनकोदरेण | भद्र राजपु कोशायेमे-

११९० उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

तैषामिदहानयनं | ततो aurea weg® Wea मदममच्नरो वद्धा तथेतान्यपि सखौकतमरंति राजपुजः .. कुशंधरे शोकं यथमेव प्रमाणं feaw राजपुजच्य | खल शरवो wis कारयन्तो राजपुषाग्ययेनां कतुमदन्ति। ततः परितुष्टः कमको- ` दरः wrwansefaert fafa aer मद नमश्चरोति भावनया गता परमपरितोषं कामता इष्टो wafearfe: परिजनः तचा |

कन्या WHR Sar atectarfaar |

वितिकंकारिण्टौ दाने दौग्ये गाडदुःखदा

खागुरूपाय wera धार्मिकाय धेयेता |

faa जिखिन्तताडेतुः age प्रतिपादिता |

saat Taya दत्वा मदनमश्जरोम्‌

मद्यं We: सपशः सबन्धः कनकोद्रः

सप्रमोद पुरस्माये मेघजालमिवातुखम्‌ |

गिद्चाधरबखं दुराहृष्यते गभसले

तश्च चक्तातिद्णोरङ्कनाराच्रभोषणम्‌

श्ज्रिप्रासधनुदंष्डगदाशलभयानकम्‌ ॥.

प््कद्धेतिप्रभालाखकराशं दपनिभरम्‌ |

WEAN ASIII

सिंहनाद महो छि मिष्वानश्त दिकूपचम्‌ |.

. खमद्ूबद्भ कवयक्रोधान्धभरद्ादइणम्‌ - ~.

VISA: TH | १,९.१९,

अथ सद्ग मशौष्डौ रस्पधमानं तदु कैः | चणादागतमग्यसं TOAST ACTS: ततः कनकोदरेएोक्रं | भो भो विद्याघराश्णे seth समलाः | खोऽयं चटलटत्तान्तः BA स्फुटतां गतः तथाहि | सकोपा ये गताः WA मामसंभाग्य मण्डपात्‌ ` स्थितास्ते मोखकेनेव मत्सराश्रातयेतसः एते खेचराः सवे पर्यालोच्य परस्परम्‌ | खमागताञ्रे राला दत्तां मदममश्नरोम्‌ एतषामिदमाक्ूतं किलाय JUNTA दोनो श्रगोचरोऽख्मन्तो वयं विद्याधरोत्तमाः ` तदे ते faa यावदाह्वादमन्दिरे। प्रेरयामः GUTMTARAST दव वायसान्‌ अरपसारयत वेगेन ग्मिगोचरग्व्यकाः | सन्तो यूयममौषां हि मिथ्यामानं खगोचरम्‌ श्रय तत्छाभिमो वाक्यमाकण्ये Tanta: | ससुत्पतितुमारभास्ते मिष्टा मभञ्वराः ` अ्रलाम्तरे मया चिन्तितं अहो सुन्दरं जातमिदमेतेन हेतुना | यतो मत्कारणेऽमोषां प्रलयोऽज भविति श्रथोत्पतितुकामेषु तेषु तल्लं तदा |

१९१२

उपमितिभवप्रप्ा Wut

मभःख्िते परानोके werd तन्निबोध मे fraint गताटोपं fame स्थिरलोचनम्‌ केनचिक्लेयतां Ta afar तदशदयम्‌ ततो निष्यन्दमन्दाश्यं तल्सेन्यदितयं तदा | ग्ठम्याका श्स्यमन्योन्यं few

श्रय तेषां meat गतोऽहं दृष्टिगोचरम्‌ समं मदनमन्नर्यां निविष्टो वरविष्टरे ततोऽश्मद्‌ शरेनान्तेषां सर्ववां ममसि स्थितम्‌ श्रहो रूपमहो मूर्तिरहो काम्तिरशो णः अहो भेयेमहो Gi avers महात्मनः | अहो मदममश्नर्थाः पर्याशो चितकारिता यथायमौदूग्रो भर्तां zeta: खपरोचखथा | शरसुनेव वयं मुनं सम्मिता गिजतेनसा

aarte |

समं मदनमश्च्यां दृष्छते सुत्कशः खयम्‌ | अथ खद वथस्येन TAG शेषकाः Age छतमस्माभिनेररनं यदौदृश्रम्‌ |

जिघां सितं महापापः प्राप्तमेतद्भि तत्फलम्‌ तदेष खामिकोऽस्माक वयमस्य पदातयः एव चिन्तयतां तेषां प्रशान्तो मत्छरानलः ` ततस्ते तत्षण्णादेव केन चिन्पत्कलोहताः आगत्य पादयोश््रफे पतिता मे argc: 1

GVA Nee | ULB

अथाभिधातुमारग्ा GAS CARSAT: | SAY THA भाय WATT WaT वथम्‌ ततस्तचेष्टितं FET संपश्ो गतमत्छरः | MAY FRE भद्रे Vea: कमकोदरः ततो मभखराः VF उमयन्नः WATT | MATHIAS: सजाता बान्धवाचिकाः ` तं टन्तान्तमाकष्छं राजा मधवारणः जनको मे समायातस्तवेवाह्ादमन्दिरे aay | AMATI: सवः छवाभ्यत्यानमादरात्‌ | सम मदनमश्चयां नतं तातांद्धिपङ्जम्‌ ततोऽम्बान्तःपुरैः साधे ओेषलोकाखच ते मथा खेचरे प्रणमादिविधिना बङमानिता तदनन्तर | श्रामन्दपुखकोद्धेद सुन्दरं दधता वपुः | ₹षेनोरश्जताखफ तातेनाजिङ्गनं रतम्‌ ततः कुखंधरेणाखे टत्तानो निखिशस्तदा | wet विनयनबेण थयाटृन्तो निवेदितः ` अरय ते खेचराः सवं तातस्याये प्रभाविताः | देवोऽवं खाभिकोऽस्माकं age जोवदायकः ` अयं धन्यः छतार्योऽयं षितानेन मेदिनो | अचिभवरवोर्योऽयं नास्ति लोकेऽप्यमद्शः

140

१९११९ sufafawanrer अथा |

AMATI खथमानं विशोष्य माम्‌

तातः WETTATIST जननो सुमाछिनो तथाडि | |

श्रनतःदुर पुर Gal Wage: THe |

agfa तादशं ger eed दर्वंमिभेरम्‌

ततः शवं प्रमोदेन सप्रमोटे तदा qr |

प्वेष्टुकामासतोषेक अनाः किं कि gat

तथाहि | |

गगनचारिगणे विथति fat मयि तातयुते sage | करिवरामरवतिकुश्चधरे करिशिकानिदडिते दथिताजने विविधश्चासवि्ठाखपराथणे प्रमद निभेरगायनवन्धूरे | वरविग्डषणमाश्यमनोहरे विबुधटन्दसमे मिखिले जने गु परिस्फ़टमेव तदा at: प्रसुदिताप्रयशौष्यभरोङ्करे अमरलोकसमानमिदं वनं पुरवरं मुदेति विभिचितम्‌ एयुनितम्नपथोधरचाङभिः प्रमदगृक्षपरेः प्रमदाजनेः इति विक्षासग्रतेरवलोचने प्रविशति सख wien: पुर

ततो विद्याधरः साधं सबन्धः कमकोदरः

MAMTA AT दानसन्भागपूजनेः कि बहना |

सत्ररब्रमथं किंवा fa वाद्धतदिनिर्मिंतम्‌

किंवा सुखरखापूषं किं वा वग्गो दरातिभम्‌

Mergent fed पूणखवं मनोरथम्‌ |

VLA: परावः | १९१४

भदरेऽखहौतसद्ेते afd मम तदिनम्‌ तथाहि | | Ud RA War मदनमश्वरो | लाभा रन्नराश्नौनां शपूर्णीऽर्थममोरयः तया | तातान्नाचिष्षतोेण बन्धुपौ रसुखेन gut प्रतिघातेन तचिन्तोक्छवो महाम्‌ ततखाह्कादसन्दोहपरिपूरितमामसः | fear प्रदोषे ararfzefeatse ययेश्छया ततः खकलसामयोखमाये Valea साधं मदनमच्जयां खितः संवासस्रनि तज्ावमाहितो दिव्यः सुरताष्डतक्ागरः | केवलं खो खसु क्लाशरासञ्ि भितरां मया जगथनिद्रासुखोऽत्यन्तं प्रबुद्धः बह कान्तया | हृतं miata ताताम्बावन्दमादिकम्‌ अथायातः प्रभातेऽसतौ ASAT कुलंधरः | समां प्रत्याह दृष्टोऽद्य मवा Gy: ATW: | मानुषाणि मथा पञ्च भो इष्टानि परिस्फ़टम्‌ भयः Quiet मारयो agg तव भाषितम्‌ यदुत | | : एष सुश्चखन्दोहषागरो FUT | Ura हतोऽ स्साभिः स्वां ars संशयः

१९६९

उपमितिभवप्रपश्चा शचा

तचान्यदपि यत्किचिदस्व पूवे परब | संपद्येत तदस्माभिखग्तितं भो ङुरुंधर

एवं तानि ब्रुवाणानि मानुषाणि Hara: गतान्यद्‌ श्नं बुद्ूस्ततोऽहं THAT

जाने कामि तान्य मानुषाणि fase: | तन्लयन्ति खदा थानि कार्याणि तव भावतः | मयोक्र कश्यतामेष तातारिग्वस््याधुमा खनो विन्चायते येन भावार्थोऽच्छ परिश्फंटः ततो निबेदितस्तेन विद्त्घङ्गगातपूरिते | ताताश्थाने fasrast मदयस्ेन धौमता ततस्तातादिभिः सर्वेरेकवाक्यतथा तदा | निजनुद्या fafafaer खनार्थोऽचं प्रभाषितः अनुकूलानि वतेन्ते देवरूपाणि कानिचित्‌ | Gog कुमारस्य war कल्पाणएमा लिका तेरेव प्रियमिनाय gaze निवेदितम्‌ | तोषात्छश्रान्तरे स्वं यचास्माभिरिदं रुतम्‌ एतश्चाक्प मे चित्ते पूर्वापर विरोधतः | WAT कामखलतावाक्धं सन्देहः समजायत.

यतो मया किन्तितं |

कमकोदरराजेन कि चत्वारि पुरा aa | fa a ुशंधरेणाद्य पश्च दृष्टानि तानिवे॥ कामि वा देवरूपाणि aad कायंचिन्तनम्‌ |

द्मः THT | ALLO

magetfa safer कि वोरोङ्त्य कारणम्‌ सर्वया स्वमेषेदं ग्नं प्रतिभासते | ममाद्यापि जानेऽहं fart बत कारणम्‌ एवं fed | यद्यतो द्दियवेन्तारं कंचित्यश्यामि waa | ततः षृहा्मसन्देभेनं gat विनियम्‌ तदेवं विधसङख्पा स्न्देहकखितो ऽप्यहम्‌ | तदा तातादिभिर्दिंष्टं aa तं gaa श्रथ ते खेचराः सवं दिनानि afafener | कमकोदरसंयुक्ताः संखिता मम मन्दिरे अथाह्धाटाग्टतच्ो पौ aaa GIA | सखस्थानमन्यदा प्राप्ता WATT प्रपद्य मे ततो मदनमश्जयां साधं मे रतिसागरे मिमग्रस्यामरस्येव Sear यान्ति वासराः वर्धते तया सार्धमाहादरोऽग्डतदायकः | सद्भावमोखिकासारः प्रेमाबन्धो AAW: तातचिन्तितकायस्य प्रणताखिशग्मुनः | नमे तदा famrerfe चिन्तागन्धोऽपि विद्यते fa wi विधाधरोपनोतेख arenrafefiaa | संपू्ंसर्वकामलाष्नाता उत्िसखासिका तदेवं शौखरोनात्मा प्रविष्टः सुखसागरे

९१६८ उपमितिभवप्पद्या कथा |

स्थितोऽहं तच aafy ware: सङुलंधरः sag भिभयक्रिन गतेनाह्वादमन्दिरे |

खभा्यंण मया दृष्टः कन्दनामा सुनो श्वरः

ततो विभयनस्रोऽदह प्रणिपत्य यतोश्वरम्‌ |

vara wae श्रद्धे गिषष्यो धर्मकाम्यया

श्रथ प्रह्धारजनगनो VAG: कणपेश्रखा |

विदिता मे यतोग्देण तेग सद्धमेदेग्रना

तं चाकंयता भद्रं विशद्धेनान्तरात्मना |

श्रावितो मया get पुनस्लौ वरवान्धकौ

avg प्रद्यभिन्नातौ यथायं श्दागमः |

श्रयं चासौ महाभागः TIAA:

श्रय प्रपन्नौ भावेन तौ भया वरलोचने |

यरवाक्धपवुद्धेन भद्रे हिततया भरौ

cay |

बेदमोयमरेश्रशय पदातिः परिकौतितः।

यः धातेनामा Tiss सत्पुरे विबुधालय

सोऽत्यन्तं भयि onan भिच्रभावविधित्छया |

yaaa मया साधं सप्रमोदेऽणुपामतः

org केवलं तिरोग्धतः सोऽकार्घो के खखासिकाम्‌

वि्भंतक्तदा जातो चदा जातौ सुबान्धेवौ

ततश्च या CARCI चभो गजन्या सुखासिका |.

QCA: परस्ताबः। १९११९

तदानौं Jaa मे सानन्तशतां गता TTS |

तदा ङुशंधरेणापि महन्तमसदागमौ |

तथा मदनमश्नयां तो प्रपन्नौ यथा मया

ततोऽधिकतरं aware yaa git

विशेषतः करोत्येव we: सड्धमेदे नाम्‌ watt

चिन्तटृत्तिमहार्यां शौमलोनाः waft:

भयेन cua feat महामोहादयः खिताः ततश्च |

चारिज्रधमेराजेन मन्तो सद्ोधनामकः |

ददसुक्स्तदा We AAT संतुष्टखेतसा uaa |

सन्दरोऽवशषरो wy विद्यामादाय तेऽधुना

श्रयं संसारिजोवसख्छ पाश्वं AS Gane: तथाहि |

mabye किंचिचिन्तरृज्िमहारौ

निटन्तो रोधकोऽस्माकमोषहूरे waa:

तं कमेपरिणामाख्यं ततः VET नरेश्वरम्‌ |

गच्छ त्यं शोघ्रमादाय विद्यामेनां खुकन्यकाम्‌

कन्दसाधसमौ पश्वः WHA GAT |

विश्नातस्ठ्न चावश्यं भवन्त प्रतिपक्छते

१९१९०

एव

fa

उपमितिभवप्पल्चा कथा |

बोधेनोदितं देव थक्रमेतश्न ae: |

किं तु कालविलम्बोऽज थुक्ोऽद्ापि प्रयोजने हि quicaqe खघ खातो वयश्यकः | कियन्तमपि तत्कालमेतौ भोगफलप्रदौ अतोऽद्यापि बल्लादेतौ we तं शएधारणम्‌ | शब्दा दिखुखसंपूणे वात्धद्याद्भारयिव्यतः

स्थिते |

अध्यास्ते WE थावदनुवतेगया तथोः | श्रष्दा दिविषयग्मामं सुखष्ेतु मन्यते तावन्न युष्यते देव मम गन्तु तदन्तिके मयनं विद्याया जाघटीति कथंचन aaa प्रे्यतासेष देवेन निजदारकः | तदन्तिकेऽधुगा दण whew: wares: TARA देव तस्छमोपेऽति्धन्दरः | गन्तुः सषपरिवारश्य वतेते कायेसाधकः गतमाचभिमं रेव भावेन प्रपद्यते | भविष्यतौष्टा were भाथा सहुणएरक्षता चु

यदा खदागमश्लावन्तद्छ We गतः पुरा aaa xara रिवारा विशोकितः UT तु तत्पाश्वेगतः सम्यग्दशेननामकः | मदत्तमोऽतिवाल्द्यान्नौतस्तेनाययं तदा

ne =-= ~= _ ~~ --

भि ~

USA: प्रस्तावः | १९४९

पश्यो पमण्थक्रं लक्धिते तेन भावतः | Wet गटदिधर्मोऽयं gaara: पटम्‌ यदा यदा पुनदृ्टौ मदन्तमसदागमो | RISB भावतो वाराः प्रपश्लोऽयं तदा तदा श्रधना केवल देव यतोऽभ्य्ं गतो मम | तेनैष इन्त aay विशेषे meen TTT यातु तत्पाश्ं रश्जयलेष AAG: प्रस्तावो मादृशां तच ततो याने भविष्यति अन्यश्च | महामोहादिसन्तास्ित्तटन्तेरविष्टद्धता | ग्टददिधर्मेऽपि ave भवेदेव विग्ेषतः तथा | स्यादमिमुखोऽस्ाकमकेपेण दिद्चया। अनेन ग्टहिधर्मण wea प्रचोदितः चेतःखखासिका gal सन्तृषटिः कमेतागवम्‌ भवभोतेरभावशख ग्टदिधमेण ते शणाः तस्माग्रस्याप्यतामेष गरदिधमेस्तदन्तिके | यास्यामोऽवसरं ज्ञात्वा पश्चा्छवं वयं पुनः तदिदं afaut वाक्यं शूला सन्नोतिनगिमेलम्‌ | चारिचधममेराजेन प्रहितो निजदारकः कमपरिणशामस्य गला मूलं ASTHAT |

समागतो ममाभ्वणे तज्ैवाद्वादमन्दिरे 141

१९२ब्‌ उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

अरय RCRA, WWI wasn |

्राविश्ैतो ममापेऽसौ सुभिना प्रकाशितः

णर क्रतया GHAI द्वाद श्मानुषेः |

मथातः प्रतिपन्लीऽसौ बन्ध्या ates:

तया कुखंधरेणापि कान्तया सबान्धवः |

प्रपश्ो ग्टदिधर्माष्यो नातात्यन्तं सुखाथिका

अय कन्दमुभिः ye: wee पूवंचिभ्तितम्‌ |

तं मया ख्रसंबद्ध सद्धा वायेबुभुत्छया

ततः agin प्राह खभ्रायेस्य fafawe: |

श्र्टातौद्धियवेश्षारं विना नैवोपलभ्यते

सन्तिमे केवसालोकभाखरा वरसूरयः |

गरवो fata नाम दूरदेश्विहारिणः॥ एवं

तत्पादमूलं यास्यामि वन्दनायेमहं चदा |

तदा ताश्रञ्रयिष्यामि भद्र तावकसंश्रयम्‌ A यतः |

योऽयं खभ्रदयाष्लातः BAVA मनोगतः

विविक्रं त्य भावार्थं विज्नासटन्ति महाभिवः मयोक्तं |

भदन्त यदि Aska गुरवस्ते कथंडन |

UA AVANT AULT सुन्दरम्‌

frre महाभाग गतोऽहं वचनेन ते ,.

ˆ~

अद्मः Ga | ` ६१२

Tey fama ते नमं पूरचिष्धे मनोरथम्‌ अथवा कवलालोकालोकिताखिलचेतखः fanra भवतशिन्नमागमिय्यन्ति ते खयम्‌ केवलं ग्टददिधमऽज सम्यग्द शमसंय॒ते सद्‌ा गमे कतेब्यो भवता तावदादरः ततद | ददं कन्डमुनेरवाक्धमा क्पे चच॒तिपेग्रखम्‌ | महाप्रसाद इत्येवं ब्रवाणोऽदं सभार्यकः # खमिजख्च तदा ug विनयागब्रमस्तकः | प्रशमय तं महाभागं AAA RAs गतः ` ततः सोऽपि महाभागो सुनिमुंनिवरवैतः | गतो निमेश््रौणणां गुरूणां पादवन्दकः अय कालक्रमाद्धद्रे राजा मधेवारशः | तदा जोकान्तरोशतः पिता A waa `` ततो रा्येऽभिषिक्रोऽहं बन्पुमन्तिमहन्तमैः ` महानन्दविमर्देन इषेनिभेरमामसेः ततः परितं Try TH मे राजमण्डलम्‌ waa: किङ्करोग्डला वशोग्रताख्च खेचराः ` fa बहना | मरतोऽपि ममाज्ञां वतेन्ते नतमस्तकाः | वर्ध॑ते कोशदण्डौ शायन्ते सवंसन्पदः ` fa च। | `

११९२8 उपमितिभवप्रपश्चा कथा|

नाङ्ुधित क्चिश्चापं wat कोपदारूष्ण | दृषिस्तथापि मे जातं राच्यं कष्टकवजिंतम्‌ तया्येवं विधे ऽनश्प सुखसन्दो इकारणे | विद्यमानेऽपि at जतं मम लौखाकुखं मनः कि तडि VAAN सदोद्योगौ सम्यग्द्‌ शंमतत्यरः | पुष्मोदयेन संयुक्तो ग्टडिघमं wee सातेनाह्वादितो जित्य स्थितोऽहं सङुलंधरः | समं मदममश्जयां देववदहिवि लोलया एवं तिष्ठतस्तज मद्मस्यानन्दसागरे | साघाग्ये मम Wafy ्रिकाखोऽतिलङ्कितः अथान्यदा ware प्रविश्य प्रिधदारकः। RSM नाम मामेव प्रणिपत्य वयजिश्चपत्‌ यदत ्रह्वादमन्डिरे देव देवदानवपूजितः | समागता महाभागा fase माम सुरथः तच्छ्रुलाहं तदा भद्रे कख णएवच्न सुदा | मामि देहे भो गेहे Gt HWA ततो ऽङ्गलग्रसयुक्ं तख संतुष्ट चेतसा | दौनाराणणं मधा खच दापितं प्रिथभाविणे नतः सर्वाद्रेणडं BAT: सभायंकः | निर्गतो नगराद्धटरे goat पाद्वन्दकः

अष्टमः प्रस्तावः | | ११२५

अ्रयामरशते दिये सत्कातेखर भास्वरे |

ते दरयो मया दृष्टाः कमले सितमूर्तयः

वेष्टिता सुनिदटन्देन देवदानवखेशरोः |

तेभ्यो नतोत्तमाङ्गन *alwt धमंदे श्नाम्‌ ti ततस

ङरदानन्दरो माश्चण्डषितः सह राजकः |

अहं um विहायेदं ats चिङ्पञ्चकम्‌ तद्यथा `

कचं ag fade वाइन शघचामरम्‌

ततः एतोत्तरासङ्गः प्रविष्टः सुर्यंवयहे

ततो भगवतः सम्यग्‌ दाद शावत्तेवन्दनम्‌

दत्वा यथाक्रमं TTA सुनिपुङ्गवान्‌

लभागोर्वादतुष्टात्मा यो नला सुनो श्रम्‌ |

~ प्रोतः सपरिवारो ऽह fare: ugar

अरय कमंविषोत्तारकारिणौ was fears `

श्रष्टतच्लारिवाक्येन गरणारम्मि दे श्ना कथं |

भो भव्याः शरणं wal माख्यन्यस्षततभ्रमे |

लसद्‌दामद्‌ःखौ घसङ्कुले भवचक्रके

मरणाय भवे जन कायो रोगनिबन्धनम्‌ |

तार्प्यं जरसो हेतुवियोगाय समागमः

निमित्तं विपदां लोकं देडिनां waa: |

१९९६ | डपमितिभवध्पष्चा कया

तज्नास्ति यन्न दुःखाय ay etafta नगाः एव faa श्रमूताः सवभावन्ञास्पेखोक्धो परिवतिंनः SQV महात्मानः केवलं सुखमासते 1 सवंदम्हविनिुक्राः सर्वाबाधाविवजिंताः | सवसं सिद्ध सत्कार्वाः ge तेषां faqeata | fa च। MAA अराग्टत्व्योरभावो Barada: | तदभावे मिःओेषदुःखाभावः सदेव fy परमानम्दभावद्च तदभावे fe wre: | व्याबाधाभावसंसिद्ध fugrt सुखमिव्यते अथवा | | | त्यक्तवा द्ेतरयन्धा PGE भवचारकं AST ध्यानथोगेन wwe: निःसङ्गा निरहद्भरा भिमो खतचेतसः | सुखिनः sae ate देडिमोऽपि सुखाधवः सुखमेव assaf सं अगति जन्तवः | तञ्च मादेव संसारे विहायेकां सुखाधुताम्‌ तदिदं भो महास्वना fafafae विधौयताम्‌ | विञुश्थासार्खंसारं भवद्भिः सा साधुता ततो भद्रे ACT AY Te TAY: इदं भगवो वाक्यं चिक्रो त्यम घुखायितम्‌

SSA: प्रस्तावः | ९९६९७

चिन्तितं भथा करोभोदं थदादिष्टं भदन्तेः सुखकारणम्‌ | ततः ङतं मया भद्रे प्र्रज्याभिमुखं मनः

sare facazefa भगवति वसनसुधासेकवर्षिंणि निमंल- सूरिकेवशिभि कन्दमुनिना बद्धकरकमणमुकुलं विधाय शखाट- पटेऽभिहितममेम भगवज्िह जगति कस्य दुःशकः काणंविशम्बः कतुं भगवतोक्ं जिश्नाखोगै रमूले ससग्दे इस्य कन्दमुनिरा₹ AGA ततो युश्धारएराजस्येदानोः सेशयमपनेतुमरेन्ति . भगवन्तः | भगवतोक्तं | एवं feat wate) महाप्रसाद | तथा ayy प्र्यभिर्हितं भदन्तानुगदोतोऽदहं भगवता भगवन्तं प्रञ्मथितां सुतरामनेनं वश्वनविभ्यासेन कन्दमुनिनोक्र महारालानुगहाहां ` एव युधं wad भगवदचममाकष्ेतां ख्ितोऽदहं महृतरो मतोष्छमाङ्गः ततो भगवतोक्र महाराज यशधारणायं ते सन्देहः थथा धानि कनकोदरराजेन as इष्टानि चलारि arautfa याजि gute पञ्चोपखमानि कतमानि ताजि कथं वा मदौयकाथैपररपरानिवेतेकानि किसु वेकेन चत्वारि श्रपरेण पश्च ताभि तथा किंदेवशूपाणि तानि किं aria aya तद्ुयमपोति A संश्यः। aah | भगवश्नेवमिदं यदादिष्टं भगवता | भगवानाह | महाराज यद्येवं तनो Heals कथा कथं निवेद्यतां कथं वा gat मयोक्तं तथापि ममातुगहेण कथयन्तु भगवन्तः ततः कथिता भगवतासव्यवहारनमरादारभ्च सर्वां शवसंविधानकोपेता संखपेण मदौयवक्रव्यता अ्रमिडहितं

१९६५८ wufafaaqaugr कथया |

तदिवमस्ि ते महाराज afenent विविधनगराकराघाकुल- मन्तरङ्गमहाराच्यं | केवलममिग्धय तान्‌ य॒श्मद्धितकरणशोलांखारिच- धमेराजादौन्‌ बहिष्कत्य भवन्तं महामोहादिभिस्तदिथनतः काशमुहाशितमासौत्‌ | warafa कमंपरिणणमो भवतः प्रति- Rw तदेव मदामोहादिबशं पुष्णाति wi waa पुनरसौ भवतोऽमुकूखो वतते तेनेव भवन्तं प्रति प्रगणएौरतात्मौय- महादेवौ कालपरिणतिः प्रसादिता ते भार्यां भवितव्यता प्रह्ञोतो निजमरन्तमस्तेऽङ्गण्तः खभावः प्रोत्छा हितस्तव सहचरः quizes: तयावधोरिताः किचिकमहामोहादयः श्राश्चासिता- खारिज्रधमेराजादयः दशिता ते पूवंमत्यन्तसुखमाखिका। यतःप्र्ति पुनस्ते वल्लभोग्तः सदागमोऽभो्टौगतः सम्यग्द्‌ शेनाख्यो महत्तमः तत श्रारभ्वानुकूलतरोऽखौ कममंपरिणणमो वतते ततो अनिता सपरिवारेण तेन विवुधाखये fare विग्िष्टवरा सुखपद्कतिः। श्रधुना मधुवारएराजमन्दिरिमवाप्रस्य ते सुखसन्दोह- faga सुतरां प्रोख्ाहितोऽखौ तव वयस्यः पु्छोदग्रः ततस्तेन संपादितेषं तव बहिरङ्गभार्या मद नमश्चरौ | तेनेव महापुरुष- तया किलाह कोऽच कायेसन्पादनस्य नुनमेतान्येव सकशकार्याणि चटथयन्तोति मन्यमानेन कामरूपितया दगितानि ay कनको दरराजस्य तान्येव कर्मपरिण्ामकालपरि एतिखभावभ वितता - weufa भिरूपितोऽस्माभिरेव वरो मदनमन्नर्थाः aatse भवता मन्धवरान्वेषणनेति ब्रवाकणन्येव wale . मानुषङूपतचा | तेषु विद्याधरेषु igeuer मदनमश्नयस्तिनेव तव quan

अद्मः प्रस्तावः | ११२९

पु ोदवेन जनितं किं a महासुभावतया तदपि कर्मपरिणामा- fefufafenfata wy तश्खनेवानेन प्रकाशितं | ततोऽभिहितः कमेपरिणामेन Gates: | धदुताचं सखुन्दरमाचरितं भवता देवं wer खयमेव प्रयोजनं तथापि aaa प्रच्छादितो वधं पुमरेवं तत्कटेतया प्रकाशितानि qutze: प्राइ देव मा मेवमाश्ञापयत युयं श्रादेग्रकारौ wey किद्धरजनो शयमेवाच परमायेवः Bala) तान्येव मया कमकोदरराजाय प्रकटितानि। ततः किमबानुखितं क्मपरिणामेनोक्ष श्राय सत्यमेवमिदं तथापि aaare परमो हेतुः यतो a सुखसाधनानि सुब्दर- कार्याणि wafece वयमपि कठं पारयामः ततः प्रकाग्रनोधः खण्वाक्मापि भवता। नान्यया मे चिक्लनिदेतिरिति। पुश्योदयेगोक्ष। यदाज्ञापयति देवः। ततः gaara Ge प्रकाग्रितानि पुनरात्म- पञ्चमानि तान्येव पुश्योदयेन स्थापिता शकशकायसाधकता | तदेवमेतानि महाराज मानुषाणि तथेव तेषां चतुरो पञ्चानां aia कारण्मेतान्छेव वा तै सम्बन्धौनि भिःपरषप्रथोजनानि तन्तयन्ति मा कार्वोः सन्देहभिति wate: भगवनिदानें योऽयं acacia मम faq: सुखाग्डत- सागरावनाहः किमेषोऽपि तेनेव क्मपरिणामादिभिदत्याहितेन quizay जनितः भगवागाहइ बाढमपि चं महाराज कवश्चमेषर एव अगितसख्छवानेन कि सङि qaaagar पुश्येदयेन विदितानि भवतो भर्यांसि खुन्दरप्रयोजनानि तथाहि af aint जनितस्लवानेन कमबकमश्जरोसम्बन्धः रिपुट्‌ारणएकासखे

142

११.२० उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

विदितो भरसन्दरौमौलको वामदेवद श्राया चरिता शह्ुएनिर्म॑लेन fafieagea विमलेन ae मेचौ धनशेखरावसरे संपादिता नानाविचिज्ा रब्राश्यो घचनवाहनभावे ससुत्पादितो निर््यान- faquagge तवोपर्थकलद्स्य aren: aera) श्रा विभावितं aa महाराश्यं तथा विरचिताः erty सुखपड्तयः | केवरं fama वथस्यपुश्योदयस्य तदा भवता areas भवतारोपितो हंखावेश्वानरण्डषावा गेलराजस्तेयव डलिकामेथन- खागरपरियहमहामोहादिषु निः्ेषदोषपुश्चेष्बपि guests: | aam | भदन्त यदि ममायं सुखपरपराहेतुः पुष्मोदयो वयस्यः प्रागघयासौत्‌ ततः किमिति मे तावन्ति दुःखकटम्बकानि संजातानि किमिति वानन्तकालमित्थमदेवितदंकं परिभ्रमणं मे संपश्ञमिति | भगवानाह महाराज यद्येवं ततः wear कथयिय्ये येन wage सन्देशो विदशतोति मयोक्तं भगवन्ननुयदो मे भगवतोक्कं महाराज कथितं तावन्तश्वमिदं | यथा शअस॑ग्यवहार- नगरे संखारिजोवाभिधानो वास्तव्यः कुटुन्बिकसख्छमधि तव सेदमनादिरूढमन्तरङ्गं चिन्तटत्तौ महाराव्यमिटं चारिष- धर्मराजादिकं महामोहनरेन््रादिकं तज Saad ` परस्पर- faxgafa सकणकालमवख्धितमेवाण्डत्‌ तु कमेपरिणामो wer तावकौनं वोयमुप््वधसनेव निनवगेतया महामोहादि- वल्छल्ोऽपि भवतोऽच awa साधारणमात्मानं दशयति | श्वख- दितापकः खल्वेष GEetu यदा uta तथो्बलवत्येन्यमुपञचभते तदा तदेवोपष्दयति | aw कर्म॑परिण्णमख्य xt सेनापतौ

अर्मः प्रस्तावः। VRE

शकः पापोदयो दितौयोऽयमेव पुष्छोदय इति। पापोदयसे गाढं ufage: Gate) श्रत एव क्मंपरिणमस्य सम्बन्धि यत्तव वेरिग्छतमेकान्सेनासुन्दर si तरेवासावधिङ्खुरूते quicayg तवानुकूलः अत॒ एव कमेपरिणामस्य सत्क यत्ते Trg सुन्दर- ममोकं तदेवायमधिष्कुर्ते पापोदथस्तवानादिरूढोऽसग्यव- हारमगराटारभ्बागिव्यक्ररूपः सखाण्डटेव | ततः सुप्रसिद्ध्वाश् zfaaa afecodt विशेषतो भवितव्यतया average महाराज गुणधारण समस्तं AEG eH रुपल्लमनन्नकाणमेवं परिभ्रमणं स्ता गरिदुःखसन्ततथः परिकश्पितं fearfey feaa खकितोऽथं हितकरणश्ोलः पुष्योदथः अन्यश्च तेनैव पापोदयेन afeare तसा चित्षटत्तिवतिनः खकौया- दन्तरङ्गमहाराच्यात्‌ | Aha चाभिन्धय प्रच्छादितं तव खाङ्गिक- मेकान्तडितं चारिचधर्मराजादिकमन्तरङ्गब्ं तेनेव aac पारितोषिकमेकान्ताहितमपि बन्धुश्वतं दभितं महामोहादि- सेन्यं वष्टतया प्रकटितस्ते पुरतो वल्छखलमिचरूपतयात्मा | तथायमपि पुश्पोद यस्तदा तेम पापोदयेमानुबरद्धो यद्यपि a ganas तथापि कच्ा्परपराहेतुतां प्रतिपन्न इति aaa वराकस्य दोषः fa तदं तस्येव qa: सर्वोऽप्ययं दोष fai मयोक्तं भगवन्निदानौं किभित्यसो पापोदयद्धण्णौोमास्ते | भगवतो महाराज Qa: खल्वसौ किं तरिं सोऽप्वमोषां कमंपरिणमकाखपरिएतिखभावभवितब्यतादरौनामाचन्तो वतेते ततोऽमौभिरेव Wa भवतः शका श्ादूरौह्ृतोऽसौ दुरात्मा

११.९२ उप्रमिलिभवप्रप्चुा कथा|

aerfe + थतः mefa भवत्छमनौपममौभिरण्न्नातः मागतः सदागमस्तत एवारभ्य मिरवर्तिंता तस्याम्नौभिः प्रवता ततः | दैषदूरख्ितस्तेऽसौ जातो दुःखकारणम्‌ | पापोदथोऽवकाशस्वु लसः पुष्योदयेन ततः Varta Tift: संजाता तेऽन्राग्तरा | Sq सुखं wares किंचन कचित्यापोदयो यस्तेरेव निकट शतः | ` तच्छं दुःखितो ' जातः परित्यक्तः सदानमः एवं

अआशोच्यालोश्थ धक्छत्धमेकवाक्छतया पुरा | अमो मिन्दंप निः रेषभवत्कायवि चिन्तकः अनन्तवाराः संसारे पुण्योदथवमण्वितः |

` पापोदयं तिरोधाय मौखितसे सटाममः # यंदा तु afeudia सन्दम्दशेननामकः

युक्षः पाश्च तवानौतोऽनौ भिरेव खकतेनसा . तदा पुनरसौ बन्ोऽमौभिदूंरतरौश्तः | पापोदयः deeper शोत्यादितं सुखम्‌ तः पुश्धोदयोपेतो ale faqurad आआगौतो मानवावासे शता कलण्पाणमाशिका a पुनश्च wa: संव Ata fencer: |

` . पापोदयः ada त्याजिताञखच सबान्धवाः

एवं was हतो विरश्मोखकौ |

ATLA: THN: | १९१३३

अमो भिर्यावदागोतंस्मच नृपमन्दिरे ततोऽधुनासि Fat गाढं पापोदयस्तव | सेन्यो वतेते तेन द्वभ्णौमास्ते aca A तेः क्मपरिशामा्येरेते तु भिकठौरताः साग्मतं ते महाभागाः घातपुष्डोदयादथः fa च। विद्यतेऽशबन्धोऽख्य तेने पापोदयेन भोः तेमायं तेऽधुना शष नातः पुष्णोदथोऽनघः श्रमेन torn wer लौ खनिसुंक्रमानसा | ईैदृशोयं महाराज जनिता qearfwar # fa बहना | | चेष्टन्ते wialdy छन्धरासन्दरेषु ते तान्येव Wy दृष्टानि मल्षाणि eng: यदा डि प्रतिकूलानि वतन्ते तामि ते तदा। पापोदयं Wes दुःखमुत्पादयगबलम्‌. ` `. अतुकखामि तान्येव कारशेरपरापरैः - quicay. ते तात कारयन्ति सुखासिकाम्‌ # UNA At यच्च भवता धरभाष्डभम्‌ | जित्य तजोपयुक्रामि ata नस कारणम्‌ मयोक्रं waaay विधालये Wares | किमकिित्करो वते सर्वथाहं eat सूरिरा मारा मेवं मखाः कदाचन

११९९ पमि तिभवप्रपञ्चा कथा|

परिवारस्तवामूनि भवानेवाच नायकः तथाहि | भवतो योग्यतापेड चेष्टक सवकर्मसु | ते RAT LUTTE ATLA: ततस्ते निजयोग्यलं प्रधामं कारणम्‌ सुन्दरतरवदख्छनां ते पुनः सहकारिणः राजन्ननादिरूढा सा विद्यते तव योग्यता थथा संपादितः खवः प्रपञ्चोऽयममढशः तथा विना पुगः खव सुन्दरे तरवस्तुषु | a केपरिणामाधथाः किं कुवे वराककाः ततस््लमच प्राधान्यात्कारणव्ेन गोयसे | सुन्दरेतर कार्याणां सवेधामात्मभाविनाम्‌ HA नाय यद्येवं मम कार्यप्रसाधमम्‌ | ततः किमियदेवाअ् कारणार्मां कदम्बकम्‌ किंचान्यद्पि विद्येत मम कार्यप्रसाधकम्‌ | खूरिराह महाराज समाकणेय TAT याख्यसौ निरतिर्माम ancl सुमनोहरा जिरन्तानन्दशन्दोहपरिपृणां निरामचा तस्यामनन्तवौर्याख्छः Tay: ies: | अनन्तानन्दसंपूणेः सुखितः परमेश्वरः थो विद्यते महाराज सर्वस्य अगतः wy: खन्दरेतरकार्याणं ते परमकारणम्‌

USA: THN! | १२९५

अरनेकोऽेकरूपोऽसौ गौयते वरस्ूरिभिः। अचिग्धवोययुक्रात्मा परमत्या गद्यते ` ` बुद्धः विरिश्चाख्यः विष्णः महेश्वरः निष्कलः जिनः dint दुष्टतचचेर्महात्मभिः चेच्छया करोत्येष तव का्यंपरपराम्‌ | वौतरागो गतदेषो निरि च्छोऽथं थतो मतः यथा तु कुरते तात तवावं सुन्दरतरम्‌ | कायजातं तथा वकि स्मतं विगश्रदाचरैः ,. fagr भगवतस्तस्य निखला सुप्रतिष्ठिता | ATA सवंशोकामामाकालं करणणोचिता यदुत जिरन्धकारा aden चिन्तटत्निः प्रभाखरा | गो ्ोरहारनोारङुन्देन्डुविश्रदा सदा eter रिपुवुद्या महामोहादिकं बखम्‌ | aaa निरन्तव्यं घोरसंखारकार णम्‌ qaqa Tews सवेदा | चारिजधमंराजाद्यं सैन्यं कर्धाणएकारण्ठम्‌ दयमेतावतौ TS सवंलोकसमाअया | वतेते quatre विधातुरंतकारिणौ सपूजनेन ध्यानेन स्तवेन व्रतचर्यया | इयमेव विधातव्या तदाश्चा तस्य सेवकैः निषिद्धाचरणैः सर्दीरियमेव विराध्यते |

१९.६६

उप्रमिलिभवप्पश्चा aut |

तदुक्रदादशाङ्गायेः watsmat यषस्थितः तांख यो यावतौ शोके विदधाति मरः षदा | wares तद्रूपं तस तावद्धबेषुखम्‌

केव |

एव

ag at wraant faut विचेष्टते | araafa तद्रूपं भवेदुःखभाजनम्‌

थो ावत्कुरते AAT HTS अनः | तस्य तावद्धवेदुःखं यथा तत्करणे सुखम्‌

fea |

तटाज्ञाण्ह्नाहुःख AAMAS |

यतः संपद्यते सवे श्वंषामपि Benz अणमार्मपि aware भुवनेऽब प्ुभाष्भम्‌ तदाक्ञानिरपेषच fe यष्लायेत कदाचन तेनेच्छरामविदेव्ररद्हितोऽपि श्पतिः। fadferentsfa araiat न्धः परमकारणम्‌ एव परमो हेतुरतस्ते फधारण्य | सुन्दरेतर कार्याणां सर्वेषां are संश्रयः तदाच्चाखष्वमात्परवै णाता ते दुःखमाखछिका | अधुना AMT सुखले्रोऽयमोद शः

यटा तु we dquiareath at aftafe तदा थः सुखसन्दोरखस् fayred रषम्‌ ` तदेवं परमाथेन शं ऽमौ तब हेतवः |

GEA: THA: | ९६२०

प्रधानगरभावेन विज्ञेयाः wag एकेनापि विना शप कायंसिद्धिनं विद्यते अमोषां HVAT समाजः HIATT: मयोक्तं कारणयामः किं पूर््णीऽथं निबेदितः। एतावानेव कि वास्ति नाथान्यद्पि कारणम्‌ सूरिरा महाराज प्रायशः प्रतिपादितः ।. एतावानेव हेदनां मोखलकः कायेसाधकः अतेव ेषद्ेद्नामन्त्भावो fe विद्ते ` यथा यदृच्छा नियतौ प्रविष्टे भवितव्यताम्‌ ततो मिनेष्टसभ्दे इस्तदां वरलोशमे | प्रतिपश्च ग॒ रोर्वाक्धं तत्तथेति कताश्चखिः WTA BC wey माने खितम्‌ | गाढमहरुतेतुलातपूवेका डे वितकितम्‌

यदुत भगवन्‌ ` [त एकं वमौ aed वतेमानं डितौ यक्रम्‌ ` AAT सैन्यं स्तम्भित केन Baar VATE महारा तजापि परकारणएम्‌ | चैव guzel wa: गेषकारणचोदितः ` aad ae Tae vee वनरेवता | क्वोपरि तया स्वं खुभ्भितं agecea रितं ace तेषां Secret तवेच्छया fegwrecfiin जनिता बान्धवोपमाः .

143

११३९८ उपमिविभवप्रपन्चा KUT |

तथापि wa ae हृतं तेनाभिधौयते |

यतः प्रवोदकस्तस्याः a पुष्छो दयोऽनघः

अधं fe काये gaia: सुन्दरं ते गरोक्म

SHE TITRA UTA पुगः खम्‌

पापोदयोऽपि Qatwga काथंमघन्दरम्‌ t

प्रयो कारयतथन्येतु भिने पुनः खयम्‌

तदन्ये हेतवो भप न्दरेतरवस्ठष्‌ |

अप्रधानाख्था शेयास्तातेव परमौ यतः

तथाहि

ga पापोदयेनेव कारैरपरापरेः |

कारितानि विचिज्ाणि दुःखानि wee

ददान कारयत्येष GUAT ते सुखम्‌

निमित्षमाज बाह्यानि vey गशधारण `

मयो | भगवननषटो मेऽधुना समससन्देहः अ्रवधारितमिदःं

मया भगवदचनेन | यदुत यदाहमन्नानालिष्टामि निदेतिनगरौ- परमेश्वरमदहाराजसुख्ितान्नाखङ्ग्ने करोमि भावानग्धकारमिर्गां feugf पोषयामि ` महामोहादिबलं तदा तन्तादृभ्रं मदौोय- खरूपमालोक्ध -प्रतिङूलतां मतानि कमपरि्टमकाखपरिणएति- खभावभवितव्यतादौनि तैन ` कमेपरिणमसेमापतिना -पापोदयेन मततिकूलाक्मोयानौकसदहितेन मम विविधदुःखपरपरां तत्छन्पा- दकपरापरबाद्याग्वन्तरवस्युमेरुणदारेण wrafey . चदा पुमरं खयोग्यतामपेच्छ तस्येव भगव्तः श्खितमहानृपतेः परसादेनावान्न-

VTA: Wea: | ` ११९९

सश्चागो भवामि ततस्तदाज्चायां वते विदधामि भावतमःचालमनेग निमेलां frashi प्रौएयामि चारिब्रधर्मराजादिकं सेन्यं तदा तत्तादृशं मदौोयचरितमाकलय्ामुक्कलतां गतानि कमेपरिणाम- कालपरिशतिखभावभवितव्यतादौोनि अनेन दितौयेन कमेपरि- णामसेनापतिना gutcia मदनुकूखात्मौ वसेन्यखदहितेन मम we तव्गकान्यबाद्याध्यात्मिकवस्तमरथोद नसुखेनेव संपाद- यन्ति | तदेषां aan जनिका पुनरेकं किचित्कस्यचि- च्ननकमस्तोति कवं यदादिष्टं भगवद्धि्यावं तवामुना पुष्ोदयेनदानो मौदश्ः सुखलेशः संपादित इत्यनेन वाक्येन जनितो मे कुतदलातिरकः। यतिन्तितं wari we यस्मिन्नहनि मथा खमा मदनमश्चरो तथावान्ना अनर्धया भरिरन्नराश्यः wafer चिन्तितमाजेण खेचरा रणविद्धर ससुत्पसस्तेषां परस्पर wanna: गताः सवेऽपि मम wart भनितस्ताताम्बादिपरितोषः ream aves: समुत्थादितो नागरकानन्दः प्राप्ता मद्धवभे sacar: विहितं तातेन त्न्मामादिक चाधितोऽहं स्वैः उल्लासितो यश्नःपटदहः तरहमेम खुखनिभेरतथा ऽ्टतमयमिव प्रतिभासितमासौत्‌ | तथा stat मदमगमश्चर्या शह प्रेमाबन्ध जाते wager मिभतामुपगतेषु खातसदाममसम्यग्दशेनग्टडि- धर्मेषु परिणते महाराज्ये विशसतो यथेच्छया सुखसन्दोहपरि- gern [संजाता मम देवशोकसुखेऽणवन्चा ay इट भगवति बन्दिते शविनयं ae सन्देहे watt भगवददनकमण- माकणंयतो Tea मम सुखातिरेको वामगोचरातोतो aa |

१९९० ` उषर्मितिभवप्रपश्ा Fur |

तत्कथं भगवद्धिरादिष्टं थथाधुना संपादितस्तवानेम पुख्खोदथेनायं saan इति तथाहि यद्ययमपि सुखष्वस्तदि wigs gargs ge स्यादिति संजातो मे मनसि faa: ततः कथयन्त भगवन्तः कौदृशं पुनः श्रौरिणस्बसपू्ं खमिति निर्मलख्रिणोक्तं। महाराज गृणधारण खानुभवेमेव विश्वास नं Ae किं तस्व कथनेन wa भदन्त कथं { भगवाना महाराज परिणव्यसि लं au कन्यकाः। भविष्ति ताभिः aw GAMERS प्रेमाबन्धः | ततस्तदोद्‌ामलो णवा fawn awe age संजनिख्ते तदपेख्या qewa एवायमधुनातगो वेके | wate भगवल्लवधारितमिदटानँ मधा यथाहकेनामकिं .मदन- मश्नरो परित्यज्य भगवत्या दभूले प्रव्रजितकों भविन्थामि aca कन्यकादश्रकं परिणे्ये anata) wa लया परिणेतव्यासाः कन्यकाः किं युक्तमेव ताभिः प्र्राजयिष्धामो भवनं विरुध्यते ताभिः साधं wae कि वा तद्रहितस्य ते प्रव्रजिते न॑ वलते fe प्रव्रजितो विरदिततादृशरकुटुम्बिनोभिः। ततस्ताः परिफौय गियमाद्धवता प्रत्रजितव्यमिति | एतशाकष्णे किमेवं भगवान्‌ भाषत इति विमश्रेन खितोऽहं fafa: कन्दसुनिनोक्रं मदन्त कतमास्ताः कन्यकाः याः परिणेतव्या महाराजेन मयकानाह यास्ताः पूव faafaar wares. चिर नानटन्तान्तं कथयतां ता एब लाः कन्यका मान्याः कन्दमुनिरा₹ | भदन्त faa मेऽधना t Sat ममानुखदेश यच ता वतन्ते यस्य वा सम्बन्विन्यो qarfant वा wafad भिबेदयितुमरज्ति भगवभ्तः। भगवतोककं ्राक्य 1

अद्मः Vera: | ९४९

असि fendi नाम मगर तच द्रुभपरिशामो राजा न्य निष्यकन्पताचाङते दे भां तयो्वंधाक्रमं erie कम्बके विद्येते तथापरमस्ति इग्चमानसं नाम नगर तच ब्भाभि- afatite: तख वरतावयेते देव्यौ तयोण्डंद्ताबल्यते कन्यके ard इति तथान्यद्‌ स्ति विशदमानस नगर | तच WET- भिशन्थिनेरेश्वरः ae शङ्तापापभोरते feet) aay जतायोरते नाम दे कन्यक्ञे wrt एति तथा शभविन्तपुरे ऽसि सदाश्यो नरपतिः तस्य वरेष्यता देवौ तखा दे कन्यके) तच्चा | wexfagear चेति तथान्यास्ति तेभेव wants ative निवर्तिता मानमसौविद्या माम कन्यका तथापरा तारि चधर्मराजष्य विरतेमंहारेव्याः कुचिसडतास्ि factiva are कन्येति तदेतानि ana aga तासां दन्रानामपि कन्य कानां वासाभिजननामानि ते निवेदितानि। कन्दसुकिनोक्कं | नाय महाप्रसादः | VAS कवं पुनरेता: कन्यकाः प्राप्त्या महा- राजेन भगवतोक्तं श्रालोश्थ सह कालपरिएत्यादिभिग्टेहोनाः तदनुमतिं wal पुरतः quled गला तेषु पुरेषु sage तव्जननो जनकान्‌ एव कमंपरिणणामो दापयिव्यति समस्ता अषिःताः कन्यका महाराजेति केवलमनेनाणन्बनौयाः बहुणाः करणौयात्मथोग्धता येमानुक्कृखतरो war परति कमेपरिशामः तदामामिश्ुखा जायन्ते खयमेव तासां पितरः ATS खत एवानुरञ्यन्तेऽस्छ | ततो भवति निष्कनिम प्रमाबन्धः। खश्च राजाक्राग्या प्रेमाबन्धो घटितः gafeat भवति

११४२ उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

wcfaa शक्यत इति कन्दमुनिराह भदन्त fant ang- मधनेवाथं भगवदचनकरण्छेम यथायो भविष्यति शणधारणः | तत्करोल्येबेष थटाश्ञापयन्ति भगवन्तः | केवखमादिशरन्तु विषेण नाथाः के पुनरनेन ताशां कन्यकानां wa GRU: सततमनु- wera: भगवतोक्कं

आये चाम्तिमिभिवाञ्कता तावदनेन भावनया saws मेनो शहनोयः परविदडितः परिभवः अरतुमोदनोषस्हारेष परप्रौतिधोमः ferent: भिन्दनोयः परिभावकदुगे तिहेतुतात्मा ाचनोधाः परकोपकारणभावरडिता धन्यतया भगवन्तो HAT: Ute: कमंभिनेरणरेतुतथा Tecan हितबुद्या प्रतिपन्नाः संसारासारलदभितया एव शङ्भावेन eter विधेयं निष्मकन्पमन्तःकरणमिति |

दयां पुनः परिणिनौषतानेन waar व्जेनोयः शोकोऽपि परोपतापः aime: सवे देहिनां बन्धुभावः प्रवतितव्ये परोपकार- करणे गोदासितव्य परब्धसनेषु waar भवितव्यं खमस्तजगराहाद- कराब्टताश्यधारिणति |

ant पुनराथं विवाइयिषता महाराजेन मोक्षव्यो जति- वादः परित्थाच्धः ङुलाभिमाभः वजेनोयो बल्ोद्रेकः रदयितध्यः ूपोत्सेकः परि इतेग्यस्तपोव्टभ्भः निराकरण्णौयो ward: निर्वा- SANT श्ुताहद्ारः woenet लाभमदः भिधिखयितव्यो वाहञभ्वकानु श्यः lar want अभ्वषनोथो fare: salut Hae गवनोतपिष्डोपमं इदथमिति

GLA प्रस्तावः | १९४३

तथा परिहरतः परेषां मर्मेादडनं asa: tua विसुञ्चतो ऽववादं गिचिलयतो वाकूपारग्यं गरेवतो ati श्रनाचरतः ` परिहार श्रवदतोऽलौकवचनं त्यजतो वाचाटतां विदधतो भता- थेद्धावनं प्रद्एौभविद्धति गणानुरक्षा महाराजस्य खयमेव सा सत्धतेति |

तथा निभ्॑तेयता कौ रिद्यं दश्रंयता way acer परिव्य- जता परवश्चनं विमख्जयता मानसं समनुश्गिखयता प्रकटाचारतां MAMA सद्भावप्रधानतां सवथा Baar AY णदष्डोपममात्मान्तः- करणं महाराभेन सा खजुता वग्रोकतेश्येति |

तथा धारयति परपौडाभौरतां निराङ्खवंति परद्रोहं वजंयति WATE खच्यति तदपायदेतुतां zea दुगं तिभयं महाराजे संजातानुरागागमिब्यति BIRT खा नुनमचोरतेति

मुक्तां पुनरभिशषतावं महाराजेन शाद्मोभावमानेतव्यो विवेकः द्रष्टव्यो बाद्याग्न्तरग्न्धाद्धिलः qwrt शमनोया गन्धपि- पाला धारणौयं भावतो बदहिरन्तखालग्ममम्भःकरकं wer Te जखाग्वामिवायेकामाग्वामन्िष्टः पश्मवष्णमयितग्धो निनभाव इति |

meta पुनः पाणौ free सुने महाराजेन प्रतिपन्तग्याः waar अपि मातर्‌ इव शुरनरतिर्चां भायः awe तदलतौ a कार्या तत्कथा भजनोया तज्निषद्ा a विलोकनौयानि तदिद्धियाणि ema रतिष्छमिथगङ्खख्याभ्वणं रणोयं पूवंलखितं areata: प्रणोताहारः रख्फौया aga करणीया WAST श्वंयोदलनौोधा रतामिखशावितेति |

Vlas खपमिदिभवप्रपश्चा कथा।

तया सवेपुद्रशद्रब्याणां देदधन विषथादौनां भाक्वते स्तत- मन्यतां चिन्वते गाढमष्टचिरूपर्तां ध्यायते दुःखात्मकतां खत्रथते चात्मभिन्ञद्लभावतां. विरश्यते सकलं कु वितकं जाखं faa- प्ते. चमसवस्हतत्वमणश्मे महाराजाय गुणधारणय सदोधः समानोय दास्यति at सम्यग्द॒ग्ना्मजां विद्चाकन्यकामिति |

तचा चिकसन्लापायेच्छा मनोदुःखाय भोगाभिच्लाषो मरणाय wn तियो गाय प्रियवङ्गमः ` atwareizea नन्तुलन्लानर्ना fafa Taw area ज्ञत्रायाधाय we aye प्रटन्तिदुःखं fasta: सुख्मित्येवमनवरतं भावयतो महाराज भविष्यति गाढमतुरक्षा सा निरोहतेति

तरेते श्हुणस्ताशरां Taras कन्बकागामवाप्तवे मदाराजे- गाग्ववनौयाः | TIS कुर्वतोऽप्ठानुक्ूलतयेवावखरं विज्ञाय zi- जिग्यति aad चारि चभमेराजादिकं fared कमेपरिरामः। ततः प्रत्येकमसुरूषद्रणान्वासेनेवात्मन्यर रागमाभेत्याशते महारा- चेन guar: ततः erage विराकरियण्ति तकाहामोह- fede | तवोऽयमवा त्रभावराष्यः ऋवसक शितो विनि जितभाव- अचण्ताभिः प्रियका मिक्ौभिः साधे खश्मानोऽतवन्तसुखितो भवि- चति महाराजः afecaaraa लावदमुषेधमिति | कन्दसुमि- are) भदन किथता पुनः. aren महा राजस्तेदं wala प्रयो- मे भगवतोक ऋचं वण्छासमाजेश ततो मधोक्र गाय खरथति मामतोव म्र्व्याग्रणायाम्भःकरणं वाखेव काशवि- खम्बः | तत्कथमिदं भवानाह | राज्ञललमज ATE Cae

वि OO eee नि धि

अषमः प्रस्तावः ` १९१४५ `

fe परमाथतः wet aca मदुपदिषटस्यानुषटानं | दइव्यशिङ्गं हि भवता weld पूर्वेमणयनन्तवाराः | चेतट्युतिकरब्यतिरेकंण भवत- स्तेन zafaga afafsfusac: खन्पादितो ul तदलं तावन्त तदथेसुत्तरितेनेदमेव मदुपदिष्टं क्ुवांएस्िषठेति | कन्दसुगिनोक्र भदन्त केन पुनः करमेण ` महाराजेन ताः कन्यकाः परिणेतवाः | भगवतोक्क Wa मदुपदे ग्मतुतिष्ठतोऽस्य समौपमागमिव्यत्यसौ विद्यामादाय agiut मन्तो विवाहइयिययत्यमेम तां कम्यकां wre- व्यस्य समौप्खः ततः किमनेन बहना धदसौ किमपि aa तदेवानेनानुष्ेयं | जानात्येवासौ ANAS स्वे कारयितुं तस्या- गमने हि षमाश्यतेऽखादुशासुपदेशावकाश्ः। aT एव were: सवं महाराजेन प्रमाणणौकतेय इति मयोक् ! नाय महाप्रसाद इच्छामोऽनुशरासिं। ततोऽभिवन््य खपरिवारः शपरिकर भगवन्तं प्रविष्टोऽहं नगरे प्रारथोऽमुष्टातुं भगवदुपदेश्रं . गच्छन्ति दिनानि भगवत्पयुंपासनयथा श्न्यदा भावयतो भगवदपदिष्टा भावमा राजौ समागता मे निद्रा प्रब्ृस्तयेव वासमथा ततः VIET गाढतरं भावनाः ततो रा जिश्ेषे संजातो मे प्रमोदाति- रेकः ततः किमेतदिति विस्मितोऽदईं थावत्छमागतो agar सद्ोधो मन्धो विलोकितोऽखो मया तदश्यशं

आमन्ददर्‌ायिका दृष्टेः शर्वावयवसुन्दरा |

चरा स्तिक्ययारुवदना चवलामललोचना

तच्वावगमख्वेगना मकं. सनमण्डलम्‌ |

धारयन्तो नितम्बं प्रशमाख्य ` मनोहरम्‌ 144

१९४६ उपभितिभवपपच्ा श्या |

‘eter quealagetien fentriwefca. at fac fofaaree wer ftorwutfaar ay | घा agian मे दन्ता परिशोता भयानक | भातः सदागमादौनामागमो wire fren 8 प्रभाते तु सभुत्थाय परिषवारविगेशिवः 1 मतोऽ भगवन वन्दिताः WATT: ततो विगयनसेख faferrafern sre | wag राचिराणं vet सिश्रथः # ae | fa मे argv} ave प्रकत ` वरमाकभा 1 fa वा argeaggat दर्षोश्नाणोऽतिष्धन्दरः + सूरिराहइ महाराज TATE कथ्यते कमेपरिण्णामाख्छम्तटसते साधुकर्म + ततस्तेन आय गत्वा सदोधोऽवं ates: | प्रोल्धाडहितो चथा गच्छ WH गरभार्कम्‌ अय चारिजधर्मंण साथमाशोश्य पण्डितः | ततः प्रथखितोऽच ते बनो पगमनेच्छथा 4 विन्नायाभु -च care मरहामोहादिश्यकदः पापोदय पुरद्छग्य पर्थाशोचलुष्गवाः | fararfaartate |

अर्मः VATA: | ११९४७

विनष्टाः avert शं wetut इतको यरि | तस्य खंघारिजोक् TY जायात्युवषटकः तस्छाग्मते SAWN कुष्य ag naz | मामे तिष्ठतं सर्वेऽपि wer सडशनतत्पराः ततः पापोदशेनोक्नाचे किं क्रियतेऽधवा यडा देकोऽपि नः erat तेषां पर व्यवसितः तथाहि | | कमपरिष्यमास्थो रेवोऽखत्पशचपूरकः | UHR: FIA क्छवकस्तदरा वथम्‌ छदासोगोऽपि यथे खारेवोऽब way | तथापि युग्धतेऽ्माकं city तैः भराधेमश्चला xeral देवनििष्टो थः पुनर्याति सलरम्‌ | सोऽ सदोधविवो नेव खवशनमदंति चधा ममादे्ो रेवकोयोऽ विते Wigs शवा चसमानतेक The व्रम्‌ ata शंखा एवं med warts | वारु rage तस्य Wy महोधनामकः एतथाकष्ठे वचनं रोषेण रढुरिताधरः रणाय चितः she ऋानसवरफो aa: a छक बेन | aya प्रतिपश्चो मे तत्पाश्च थाति लौशया | मभा किं जौवितेनेद अननोङ्ञेशकारिथा॥

१९४८ उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

we हि यात मा यात भयेन GUE: |

मया चातग्धमेवास्छ प्रतिखूवखनकाम्यया

चलिते चाभिधायेत्यं श्ानसवरणे मुपे

wera ufwarasfa श्वं पापोदथादयः

सद्धखागत्य तेमां गे्तदा सद्दोधमणग्विणः |

SINE: Fae सवं भोः किमच भविग्यति इतस |

चारि्रधमेराजौयं सेन्यं सदोधमग्विणः

तदानुत्रजनं कवं दागतं तावती भुवम्‌

ततः परस्पराश्ातचण्डनिर्षोषभोषणम्‌ |

Beaty दृटस्यधेमाखद्मं बज्योस्तयोः

श्रपि च।

विश्रद श्ङ्खखमप्रभमेकतो मधुकर च्छ विखज्निभमन्यतः | चिपथगाथसुगाजखवन्तदा मिखदखं प्रविभाति बशदयम्‌ रयविष्छद्रषयोधमहारयं गनघटापतितापरवारणम्‌ | हइयनिर्दलसद्धरिसाधन वरपदातिगिपातितपन्तिकम्‌ अथ विपारितयोधगश्रतोत्करं प्रकरटक्सियकायेपि योगिनाम्‌ | अभवदुद्धटपौ रुषशरालिनोखदिति सङ्कुलयुद्धमनोकथोः

AAG तादृश वौच्छ संश्यारूढमुश्चकेः |

कमेपरिणणमाख्योऽचिन्तथत्तत्मयोजमम्‌ अये `

मया तावन्न कतेव्य्िन्तमेद विधायकः |

gat aga "वभि wr कीर < > as

are ee ld ee tp hes ont _ c+, 4 oe Po i 2) ea Eee

अद्मः प्रस्तावः | ११४८

प्रकटः पच्चपातोऽज श्वंसाधारणो इयम्‌ यतः | wa मत्तो fac पपाते खवान्धवाः | महा मोहादयोऽतो मे युक माकाण्डविद्धरम्‌ तथाहि ay चारिचधर्मोयं ami मे महाबलम्‌ | ष्णः संसारिजोवस्य खुन्दर प्रतिभासते अरय clay aaa शयोऽपयेष थथा पुरा ततञिरन्तनश्ितव्या afta मिनबान्धवाः तस्मात्रच्छलरूपेण तस्येदं हितकारकम्‌ | बलं चारिबधर्मोयमहं पुष्णामि aad येनेदं जओोयतेऽनेन ad पापोदयादिकम्‌

॒च मन्तो विरण्यन्ते मामो हादिबान्धवाः ततः सम्यम्विनिच्िव्य तेगोपां महात्मना | तथा मदुपदिष्टास्ते वधिता वरभावनाः यावन्त्‌ भावनारूढः खितस्लं FAUT |

AAAI BRIA ed Ts

थतः | मणिमन््ोषधादौनां भावनानां fate चिनध मिह विश्चेयं वौयेमाश्च्ंकारकम्‌ ततो यथा यथया शप प्रठद्धास्तव भावनाः | तथा तथा रणे BU महामोहादयः खयम्‌

१९४० उपमितिभवप्पच कथया |

ततः प्रषश्चतां प्राप्यं quran विभि्जिंतम्‌ तेन सद्धोधसेन्येन बं पापोदथादिकम्‌ aa प्रहारिताः प्रायो भदहामोदहादिगश्रभवः | शितः विशेषेण श्चानसंवरण्टो au: fant निष्यन्दमब्टाख्ते at पापोदयादयः ` fratfen: सख्लसेभ्येम शोधः ae विधा गते चान्विता तव सद्ोधमण्लिषि ताष्थस्लद्‌ा आतो शर्वा्ावोऽतिसग्दरः wgiwafeat ge: परिष्णैता काम्यका TMU शवे WATT ततः षरम्‌ ` तदिदं कारणं wa भावनानां विशटडये waterara चापश्च राजौ तै नाभ are: ane | अधुना किं प्रकुर्वन्ति ते ममाण्तरभजवः | सूरिरा महाराज शवेते Areas fa श। SAY नता नादसुपशाण्ताख्यापरे | wasfa चिन्लटष्तौ ते खौनगलौगतथा खिताः ¢ पुनः प्रश्षावभाषाश् ` शला ते सर्वे भौ शनम्‌ agra शगिखभ्ति मसराश्मातचेतसः ATA भंहाराज सहमेधवथनाश्तदा | सारिषधमैसुभटेवारण्लीयाः wey एव्‌

GEA: TAT | ९१४१.

wate चडान्नापयवि भाषः `

wg शंपूरशो मासकण्पः। ततो AAT भगवन्तौ निम exe: विशेवतोऽनुषिता मवा agate: प्रघादितमन्तःकरणं परिकर्मित शरोर विदितजधिकषदर्ौ मे agin म्रबेषरः दरतो, सामान्यलः समाधिनामानौ डौ पुरुषौ वलौ वन चार्‌ दशनेन सुखदौ खरूपेष ततोऽभिदहितं शद्ोधेन देव विरेवतो wi- एक्ताभिधानाविमौ get staat भवतोऽारङ्गराज्ये तदम- थोमेहायादरो fave: मयो घटादि ग्ल्माथैः ततो दर्ता atten विधयुत्पश्स्फटिकवः सन्दराकारधारिठः geared Sar इति गेय Tagger इति नाका sfegrinet नायः श्रभिदितं तेन चदा टेव

Ware नगरद्यमास्विखोऽपि परिशारिकाः | wean दितीयस्छ णायते परिपोकिकि

तदेतासु शम्यम्बतितर्यं दमेन वर्तेते eras तव परमोपकारिणाविमौ get अनयोश्च वरेन भवता agre- मासादनोषं ततः सम्यक पोषण्णोया Vata नायं chr, मयोक्तं एवं करिष्ये ) ततः STIS तदु परप्रकरणे प्रविभ्रामि qu पनित्तडलौ fawerfa ww विश्वया मकापामि gede: अहोधेन a उक्ानयामि सदाममशन्यग्दओगम्ददिधर्माम्‌। एवं कुवती मे गते भमवति wefea fatal पश्चमाख्माभरं संजातो age: समावजिंतददषः कभंपरिषामः ततो मतस्तव तेषु भगरेषु ममितास्त राजानः कताः षदं मे मिनि

१९१५२ छपमितिभवप्रषन्चा श्या |

RANE AGM: | ततः मागतो AS प्रवेशितोऽहं तेन Wwrguicar कालपरिणत्यादिपरिवारोपेतेन क्परिणमेण तारां कन्यकानां विवाहा waftatfgnent ततस्तखिन्‌ सालिकमागसवतिदिवेकगिरिशरिखरमिविष्टे जेनसत्पुरे षमाह्ृतास्त समस्ताः प्रभपरिणामादयः शमागताः सपरिवाराः शतसतेषां समुचितोपारः गणितं विवादिनं | |

अथान्तरे Wat महामोहादिबले सवंसमाजः | ww: पर्यालोचः अभिहितं विषयाभिलाषेण देव ayaa संसारि- Hata: चाग्धादिकाः कन्यकाः परिरौताः wee awh एव aafafa ममयं Sat नास्माभिर्पेाज विधेया wae Waa यन्नो ऽवखम्बनोय साहसं मोक्रव्यो विषादः |

wa fe तावत्कतेगयं यावदन्तो इृष्पते। प्रयोजनस्य ATH AEA सुनिभयेः

ततोऽमुमतं waist वचनं महामोहेन समथितं गेषसु- ae: विहिता साममौ संनद्धं वलं समागतास्ते स्य रणोल्ा- देन केवखं इृषटभयतथा कमेपरि्णमप्रतिकूलताभोङतथा पर्या- कुश्ाचिकेन ततः पृष्टामौभिः सविनधं भवितव्यता यथा भगवति किमस्माकमधना प्राप्नकाखमिति aati भद्रा SAR TATA: थतः खमादूतोऽयमधुनायेपुचः कमे- परिणामेन मिखिता विग्रेषतः इएभपरिणमादयः संलातमायेपुष- wun विगरेषतो निजवखद रमौ क्यं दभथिव्यति तदपि कमे- after: करिव्यत्याथपुजखूश् पोषणं ततोऽधुमा रग लगता

Nyayabindutika, (Text) ..: Nyava Kusumafijali Prakarana (Text) Vol. I, Fase. 1-6; Vol. ET, Fase 1-3 @ /6/ each Padumawati Fasc. 1 and 2 @ 2/ Tes 5३ Paricista Parvan, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... Ses Prithivirij Risa, (Text) Part IT, Fase. 1-5 @ /6/ each ~ Ditto (English) Part II, Fasc. 1 == ,., Prakrta Laksanam, (Text) Fase.1 .. ec it Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. II, Fase. 1-6: Vol. III, Fasc. 1-5 @ /6/ each १८ = + Paracara, Institutes of (English) ... *Sima Véda Sarnhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; II, 1-6; IIT, 1-7; IV, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fase ^ sect Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each 5 Ditto English) Fase. 1~3 @ /12/ each ... Fob Sucruta Samhita, (Eng.) Fase. 1 iat Zt *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 11-42 s /6/ each ak , 22 Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/each = Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fase. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-10, = Vol. III, Fasc. 1-2, Vol. 1 ए, Fase. 1, Vol. V, Fase. 1-5, Part 1V, Vol. IT Fasc. 1-7 @ /6/ each न्दः Trikanda-Mandanam, (Text) Fasc. 1 & 2 @ /6/ .. Tul’si Sat’sai, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ a Uviasagadasao. (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ ite Varaha Purana, (Text) Fase. 1-14 @ /6/ each *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Fase. 1-7, @ /6/ each Visnu Smrti, (Text) Fase. 1-2 @ /6/ each Vivadaratnakara, (Text) Fase. 1-7 @ /6/ each Vrhannaradiya Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ Vrhat Svayambhi Purana, Fase. 1 to V 1 Tibetan Series Pag-Sam Thi 87, Fase, 1-4 @ 1/ each Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Fase. 1-3; Vol. III, Fasc. 1 to 4 @1/ each . Rtogs brjod d hkhri 3470 (Tib. & Sans.) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. IT

Fase. 1-5 @ lfeach ... A 80811, with a Sa 1-13 @ /6/ each *Alamgirn wi (Text) Fasc. 4 -Al-Muqaddasi ( lish) Vol. ४११ (५ aay Pe 0 : Ain-i-Akbari, (Text) Fase. 1-22 @ 1/ each i 99 Ditto | (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. III Fasc. 1-5, @ 1/12/ each a पहः ^. Akbarnimah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @1/each ... थ. . 3 0 7 3

{कनं

"~ 2 # WROD

eee

न~

. see

# ॥#

Ditto English Fasc, I-JII @ 1/ each .., a ees Arabic Bibliography, by Dr. A. Spreng Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ... Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the

Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each BP of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fase. 1-21 @

1 each +. var 21 Farhang-i-Rashidi, (Text) Fase. 1-14 @ 1/ each 14 Fihrist-i-Tisi, or, Tasy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fase. 1-4 @ /12/

each ae Futih-ush-Sham of Waqidi; (Text) Fase. 1-9 @ /6/ each ...

Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @./6/each =... Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @/12/each ... Iqbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fase. 1-3 @ % each ate Isabah, with Supplement, (Text) 51 Fase. @ /12/each = ,,, Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fase. 1-9, Vol. 11, Fase. 1-9; १० III, 1-10 Index to Vol. I Fasc. X & XI & Index to Vol. III, Fasc. XI & XII Index to Vol. II Fasc. X, XI & XII @ /6/ each ५११ ५४१५ 13 2

ee [कवं id,

* The other Fasciculi of these works are out of stock, and complete copies cannot te

Digitized by Google

Maghizi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/each , weer

peri: Muntakhabu-t-Tawarikh, (Text) Fase. 1-15 @ /6/each = + ०. uF pd Muntakhabu-t-'awarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Fasc. - 1-6 @ 12) each ' ~. ङः 4 RS Muntakhabu-l-Lubab, (Text) Fase. 1-19 @ /6/ each es "२ Moa’isir-i-’Alamgiri, (Text), Fase. 1-6 @ /6/ each 5 क. > ~~ Nukhbatu-l-Fikr, (Text) Fase. 1 =e 4: ihe ee, - = 8 Nizami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Tex t) Fasc. Land 2 @ /12/ each 1 _ Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each. ... iss ene *Suyuty’s Itqan, on the Exegetic Sciences of the Koran, with Supple- ment, (‘Text) Fasc. 7-10 @ 1/ each ve. ५. eer "य J'abaqat-i-Nasiri, (Teat) Fase. 1-5 @ /6/ each ... ae cate et S| Ditto (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each aS 30, . 28 Ditto Index nad चः £ es ~ 0 Tarikh-i-Firiz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Faso. 1-7 @ (6 ९9९0. 2 Varikh-i-Firizshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fase. 1-6 @ 01 each... > ` Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1 & 2 @ 1/8/ each > = Ue Wis 0 Ramin, (Text) Fase. 1-5 @ /6/ each ote ae ke ose : Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. 11, Fase. 1-8 @ /6/ each १. Tuzuk-i-Jahangirl, (Eng.) 886, 1 = = ,,* at or. 0 वि. ^: ASIATIC SOCIETY'S PUBLICATIONS. ४.

1, Asiatic Resgarcues, Vol. VII, Vols. XIII and XVII, and Vols. XIX ~~ and XX @ 10/each ... 9 : 2. ProcrEptnes of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (inel.) @ (61४ = = ++, ०.४ and from 1870 to date @ /8/ per No. च: ~ os 8. JouRNAL of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 ( “300 | ~ ei at (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 ,18 (8 38 9 ए. 1871 (7), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1871 (8); 387 pn: (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1863 (5), oo 18 ieee -- ` 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 1892 (8), 1893 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), @ 1/8 per foto. ~ ~

~

# 6 * |]

Members and @ 2/ per No. to Non-Members. = whew wot : N. B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos.in each Volume. - —— | 4. Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1883 ... 3 0. 28 "General Cunningham’s Archwological Survey Report for 1863-64 (Hxtra on No., J. A. 8. B., 1864) ... a i ad Ree ao or Theobald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society -- 2 - | (Extra No., J. A. 8. B., 1868) saad abe ee 9.9 ee ~: Gatalogue of Mammals and Birds of Burmah, by ए. Blyth (Extra No, = “J. A. 8. B., 1875) cae. 5 se 1-4४-5 Iniroduction to the Maithili Language of North Bihar, by ७. A. = Grierson, Part Il, Chrestomathy and Vocabulary ( Extra No., - >. A. 8. B., 1882) aee eve eee see ५५४ 4 0 > 5. Anis-ul-Musharrahin... + +e nel TCAs oa ee 6. Catalogue of Fossil Vertebrata 8५ vas ५३६, ५२19-0. 7. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, by W.A. Bion 3 8 | 8. Istilahat-us-Sufiyah, edited by Dr. A. Sprenger, 8vo. छ, 0 < 9. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. 11 and.lV, @16/ each... 0 = 10, Jawamlu-l-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part I a ae oe 11. Khizanatu-l-’ilm Cage nes + tas ve A 0 a 12. Mahabharata, Vols. 111 and IV, @ 20] each= ~~ 7 | 9. = 13. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera, + = Fart Parts 1-111, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each , ६५० सक: 0. = 4. 14. Sharaya-ool-Isiam ०४ ७७४ ५५४ ee ५११ ob 0 - Bt 15, Tibetan Dictionary, by Csoma de & ५708 és (> ° + ~ 0 16. Ditto Grammar » १४१ one ae 8 0 \

17, Kagmiragabdamrta, Parts 1 & Il @ 1/8/ . ras asi geet -O. es ०४९९३ of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-26 @ljeach ... 0.98: 0 PA, ~ by Dr. 3s Mitra 6 - 0

3 .5.-- ९११९७, Money Orders, &., must be made payable to the “Treasurer 4 Fe nits Asiatic Society,” only. >; payable to th T j पर. 9 = F li 1-2-५9, sis are supplied by V-P. P. . ~. yee lao xt स्र `

Digitized by Google

——— oe

7 BIBLIOTHECA INDICA:

| ae | (COLLECTION OF PRIENTAL Works

PUBLISHED BY THE | ASIATIC SOCIETY OF BENGAL, Sk New 8४8, No. 946

उपमितिभवप्रपश्चा

| सिद्कषिप्रणोता | = § रलपिन्स्तन विद्यालयस्थसंस्वा ताध्यापकेन Stax Het पौटसंनाख्येन < | प्रकाशिता | ` 3: THE UPAMITIBHAVAPRAPANCHA KATHA =.

- CFs

SIDDHARSHI,

EDITED BY PETER PETERSON, M.A, 7450८णए8 ITI, =

aT |

CALCUTTA; | PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISHED BY THE 7

ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET,

1899.

Digitized by G oogle

वि ws | ,; क, + = सथ pe a ; 2 eee < eo ae +& > | 0 | erates LIST OF BOOKS FOR SALE ^. AT THE LIBRARY OF THE > Py

~

4 = frsiatic POCIETY OF PENGAL,

“No. 67, PARK STREET, CALCUTTA,

~~ 3 a Sn

+ +

AND OBTAINABLE FROM ; < THE SOCIETY’S AGENTS, MESSRS. LUZAC & CO.,, 46, GREAT Russent STREET, Lonpon, W.C., anp Mr. Orto ©

Harrassowi1z, Bookseruer, Lerpziec, GERMANY.

a ot ^ ~

Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot be supplied—some ey is * 9 ररर 2 baer oe of the Fasciculi being out of stock. ~ कै 2 : ~ मि

BIBLIOTHECA INDICA.

| ae ee Sanskrit Series. | + ~ 1 Beha Advaita Brahma-Siddhi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ६०२ Rs. 1 8 ee - # 4 7; Purana, (Text) Fasc. 4-14 @ /6/ each... a 4 -3 a Aitaréya Aranyaka of the Véda, (Text) Fase. 1-5 @ /6/ each दक, > Aitaréya Brahmana; Vol. 1, Fasc. 1-5 and Vol. I, Fase. 1-5 Vol. III, Ae त. - ५. Fasc. 1-5 Vol. IV, Fasc. 1-5 @ /6/ ५०५५ ~ ११५ one 7 1 8 Anu Bhiasyam, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each जी wo 1 14 Aphorisms of Sandilya, (English) 1880. 1 ~ ५, += lac la ` aes Astasahasrika Prajfiaparamita, (Text) Fase. 1-6 @ /6/ each १.9 4 Aovavaidyaka, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/each „^ ai eet Pec t | BEES Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. II. Fasc. a | न+ 1-5 @ 1/ each ese ५५५ ae seers” vee 10 0 ae ~ = 3 *Bhamati, (Text) Fasc. 4-8 @ /6/ each oe oer ११५१ 1 £ 14 Bhatta Dipika Vol I, Fasc. 1 ५५१ oon vee 6 y; Brahma Sitra, (English) Fasc.1_... ~ ५५ १२४ "09 Js १२ Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ewe 1 ११५ 1 न्वः 8 Brhaddharma Purana, (Text) Fase. 1-6 @ /6/ each ni tier BE 4 i - *Caturvarga Chintamani (Text) Vols. 11, 1-25; III, Part I, Fasc. 1-18. AER. Rimes Part II, Fasc. 1-10 @ /6/each =... | ci aac = pe” Idea es *(rauta Sitra of Apastamba, (Text) Fasc. 3-14 @ /6/ each eat = : Zep aces Ditto _ Acvalayana (Text) Fasc. 1 toll @/6/ = ,,, ^ Be ~= SEO. SBD Latyayana, (Text) Fase. 1-9 @ /6/ each ... iets < Os res Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc. aie; ~ ee 1-4, Vol. III, Fase. 1-4 @ /6/ each =... ४20. Cri Bhashyam, (Text) Fase. 1-8 @ /6/each .., os Ae a 5 ~ 9. - = es Yo Madhava, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each vee soe -~ + ae 1 4: 4 Kala Viveka, Fase. 1 to 8 25 at Se eg 2 = | ~ | Katantra, (Tetx) Fase. 1-6 @ /12/ each = at hea. AS aS es Katha Sarit Sagara, (English) Fase. 1-14 @ /12/ each 4... sn ss Kiirma Purina, (Text) Fase. 1-9 @ /6/ each =... isi "५-3-90 | 1 | ०- ए) 898, (English) Fase. 1-3 @ /12/ each aus oe, eS ss Madana Parijata, (Text) Fase. 1-11 @ /6/ each... sie वि ey aka aha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each ` ५३ ok éya ae : nurana, (Text) Fasc. 4—7 @ /6 -each + ५५१ eee 1 §. Mir’ OT 106, 1641 Parana, (English) Fasc. 1-5 @ 12 each dite ११४ 8 = 12. = msi Dargana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/each a. wa # - i ah Smrti, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ St Seah Clee ¦ >^ ka, sa Fasc. 1-4 @ 41 +> ee 1 item 8. Text) Vol. JIS, Fasc. 1-6; Vol. IV, Fasc. 1-8.@ /6/each,, 5 4 ©

, - 7 ,-9 ~— : E —. “a oa > (= # = _ न= ; ee - == .9 = + . - = ~ a re = ^ = > > . : Tn ` कर छि - => = 4 - = ~> 7” |. tS Oe चै =) 9 » . . Se aA Eu aed (र 008 ie - "~" 11 नी ^ ` ag Oe (~ = | ^ YT A = Digitized by NIT es = we = ay ye , es a. Pe fm = —— ~~ a a त) _ _ La ca > oe > a | _ _

Nyayabindutika, (Text) .., Nyaya Kusumiafijali Prakarana (Text) Vol. I, Fase. 1-6; Vol.II, Fase 1-3 @ /6/ each one : . Padumawati Fasc. land2@2/ =, Sas Paricista Parvan. (Text) Fase ] -6 @ /6/ each [१११ toe Prithiviraj Rasa, (Text) Part IT, Fase, 1-5 @ /6/ each = =... ine Ditto (English) Part II, Fase, 1 पि रण Prakrta Laksanam, (Text) 788९. 1 ,,, Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fase. 1-8; Vol. IT, Fase. 1-6; Vol. IIT, - Fasc 1-5 @ /6/ each ५१५ tee ane Paricara, Institutes of (English) _.., *Sima Véda Samhita, (Text) Vols. I, Fase, 5-10; IJ, 1-6: IIT, 1-7; IV, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fase ey 1 Sinkhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each द; etch Ditto (English) Fase. 1~3 @ /12/ each Sucruta Sarbhité, (10०. ) Fasc. 1 @ /12/ ve 2 *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 11-42 @ /6/ each a ~~ Tandya Brahmana, (Text) 788९, 1-19 @ /6/ each Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fase. 1-9, Vol. IT, Fase. 1-10 Vol. III, Fase. 1-2, Vol. [V, Fase. 1, Vol. V, Fase. 1-5, Part 1V, Vol. IT Fase. 1-7 @ /6/ each a eke Trikinda-Mandanam, (Text) Fase. 1 & 2 @ /6/ ... वि Tul’si Sat’sai, (Text) Fasc. 1-5 @ {4 each ive कः Uvasagadasao, (Text and English) Fase. 1-6 @ /12/ > ४५ Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Fase. 1-7, @ /6/ each Visnu Smrti, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ each vis aa Vivadaratnakara, (Text)-Fasc. 1-7 @ /6/ each tates “a Vrhanniradiya Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ ies fe Vrhat Svayambhi Purana, Fasc. I to V १४ ०९४ ers Tibetan Series Pag-Sam Thi 847, Fasc. 1-4 @ 1/ each 4

Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. 11, Fasc. 1-3; Vol. II], Fase. 1 to 4 @ 1/ each ... 1 Rtogs brjod aoe hkhri 8440 (Tib. & Sans.) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. iI Fase 1-5 @ 1 each ५५१ “Spee 10 Arabic and Persian Series ee

Alamgirnimah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /6/each.. = `=, 4 | Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Fas 2.

Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each Ditto (English) Vol. I, Fase. 1-7, Vol. II, Fase. 1-5, Vol. IIT

Fasc. 1-5, @ 1/12/ each 29 3 Akbarnimah, with Index, (Text) Fase, 1-37 @1/each .., ~ | sence Ditto English Fasc, I-III @ 1/ each ... we Bie ae Oe Arabic Bibliography, by Dr. A. Spreng १.3), 6 ` Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ... : < ae Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the siatic Society of Bengal. Fasc, 1-3 @ 1/ each 9 -0 Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fase. 1-21 @ heey 1| each ५५५ 21 0 Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ ९४८ 14 0 Fihrist-i-Tusi, or, Tasy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fase. 1-4 @ /12/ ae each aes ype OO kes Futih-ush-Sham of Waqidi, (Text) Fase. 1-9 @ /6/ each =... oy: 8 Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/each ... 4 1 8- ~-~ Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 _ =P) See | a History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/each ..,. Cie 8 Iqbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ 1 each ft FO See eee Isabah, with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/ each OB the 5 Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fase. 1-9, Vol. If, Fase. 1-9; Vol TII, 1-10 tS Index to Vol. I Fasc. X & XI & Index to Vol. III, Fase. XI & XII ats Index to Vol. 11, Fase, X, XI & XII @ /6/ each ey | es & ee * The other Fasciculi of these works are out of stock, and complete copies cannot ke sapplied,

-Digitized-by (> OO

~

"न = # ककं ~+ ; = ~ Sa ~ <= poe =

~ > १५ ~ on votes ©

~<*

be

Maghizi of Waaidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each Pay Muntakhabu-t-T'awarikh, (Text) Fase. 1-15 @ /6/ each Muntakhabu-t-awarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II

& | i

© +~ ५० wot Che +~" ८०-०० oF

1-5 (@ 12 1 each eee one a Muntakhabu-l-Lubab, (Text) Fasc, 1-19 @ /6/ each “eae wae Moa’ isir-i-’ Alamgiri, (Text), Fasc, 1-6 @ /6/ each ms fen

Nukhbatu-l-Fikr, (Text) Fasc. 1 is

Nizami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1 and 2 @ /12/ Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc, 1-5 @ /6/ each .,

*Suyity’s Itqan, on the Exegetic Sciences of the Koran, with Supple-

} ? *

ment, (Text) Fasc. 7-10 @ 1/ eac = ~र a Tabaqit-i-Nasiri, (Teat) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... oa ४९ Ditto (English) Fase. 1-14 @ /12/ each a ie Ditto Index ee Yarikh-i-Firiz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each... 10 Tarikh-i-Firizshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each... 4 Yen Ancient Arabic Poems, Fasc. 1 & 2 @ 1/8/ each ies a 9 ae, Wis o Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each “is 14 Zafarnimah, Vol. I, Fase. 1-9, Vol. 11, Fase. 1-8 @ /6/ opt Tuzuk-i-Jahangiri, (Hng.) 2880, 1 = ,,, eee ५० 1

48147110 SOCIETY’S PUBLICATIONS.

1, Asiatic Researcues, Vol. VII, Vols. XIII and XVII, and Vols, XIX भः and XX @ 10/ each 50 0. 2, Procrepinas of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (incl.) @ /6/ per ^+ र. No.; and from 1870 to date @ /8/ per No "द = 8. JourRNAL of the Asiatic Society for 1843 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846 EF (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1570 (8), 1871 (7), 1872 (8), 1873 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1883 (5), 1884 (6), 1885 (6), 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), @ 1/8 per No. Members and @ 2/ per No. to Non-Members A | . N. B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. in each Volume. = ` | &,- Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1883 .., 3 General Cunningham’s Archeological Survey Report for 1868-64 (Hxtra EES No., J. A. 8. B., 1864) ... 200 2 4

Theobald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society (Extra No., J. A. 8. B., 1868) Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by 9. Blyth (Extra No., J. 4. 8. B., 1875) 94 Introduction to the Maithili Language of North Bihar, by G. A. Grierson, Part Il, Chrestomathy and Vocabulary (HExtra No., J A 8 B 1882) ५१४ ५४ ५१४ ११४ 4 १४१ 5. Anis-ul-Musharrabin owe Th) ५५४ f १११ oe 6. Catalogue of Fossil Vertebrata nb 7. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, by W. A. Bion 4 8. Istilahat-ng-Siifiyah, edited by Dr, A. Sprenger, 8ए ~ 9. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. II and IV, @ 16/ Ps 10. Jawamlnu-lilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 400, Part I 3 क. at. Khizanatu-l-’ilm ~ ७५१ we ५५३ 12. Mahabharata, Vols. III and IV, @ 20/ each =` = 13. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera,

5 : =. # = = + y- eo > 7 Je 4 . श्रः . (2 न, ; ९.

|= a

SS ted

$ कक २४

Parts I-I1l, with 8 coloured Plates, 410. @6/each == {> 14. Sharaya-ool-Islam see : १७१ ५१५ 15. Tibetan Dictionary, by Csoma de 16168 ise eh PS cept : 16. चि Grammar ११५१ 8 wee ag

4 j

AME, दण Parte 1-4 1 @' Ye) be 1 - Notices of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-26 @1/each = es ~ 8. Buddhist Sanskri Literature, by 4 ae ` अ.8.-- 411 Chec oy Money Orders, &c., must be made payable to the “Treas Books are supplied by ए-2, 2, =

g toe Om = & > bk ०० ००८०

Digitized by DOQ@T

`~ ee ~ ~ _ -- ~

ति 0198110 11६04 INDICA:

A

|

COLLECTION OF ORIENTAL Works

| PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY OF BENGAL. New Senses, No. 971.

RY 9. ? ry शा = = | (९4: 9, T -प्रापण्‌ प्रख्प्ने द्मे ता --- (ल्द £ ++ ५4 9 ++ EY ककर वके - + eka ibd eb esas: +

न्द > कवेर््ग्ण्ण्ण्कस््ः

| == ~ >. + + ~ ¬ ~ ¬ ~ ¬ 3 See ee ee 1

4 ; 1 =

उपमितिभवप्रपश्वा कथा। सिद्धषिप्रणोता।

खरल फिम्स्तन विद्यालयस्यसंस्क ताध्यापकेन sat पटर पौटसनाष्येन

प्रकाशिता | THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA OF SIDDHARSHI. EDITEyD BY

PETER PETERSON, M.A, Fascicunus III.

Ot

CALCUTTA :

NN TN

PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET,

1900. A

- 7 ' _ ' : j - r : 1 7 ¢ iT if 4 : ^. iL uJ P 2 f 1 9 t ' « - = + ca! 1 1 ' 1 ५५) | | a > : 97 4 ` ~ 4 7 = =

Nyayabindutika, (Text) oes ss re Rs. Nyaya Kusumaijali Prakarana (Text) Vol. I, Fase. 1-6; Vol. II, Fasc. 1-3 @ /6/ each ees ate a Ss or Padumawati Fasc. 1-3 @ 2/ = oy Paricista Parvan, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/each ... Prakrjta-Paingalam, Fasc. 1-2 @ /6/ each ead Prithiviraj Risa, (Text) Part IJ, Faac. 1-5 @ /6/ each Ditto (English) Part II, Fase. 1 is Prakrta Laksanam, (Text) Fase.1. ... , Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8 $ Vol. Fasc. 1-6 @ /6/ each Paracara, Institutes of (English)... oe Prabandhacintamani (English) Fase, 1-3 @ /12/ each tus ee “Sama Véda Sarbhita, (Toxt) Vols. I, Fasc. 5-10; II, 1-63 III, 1-7, IV, 1-6; ४, 1-8, @ /6/ each Fasc. shes we Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Ditto (English) Fase. 1-8 @ /12/ each Sucruta Samhité, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ es *Taittereya Sarbhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1~19 @ /6/ each a se Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fasc. 1-9. Vol. II, Fase. 1-10, Vol. IIT. Faso. 1-2, Vol. IV, Fasc. 1 » Vol. ए, Fasc. 1-5, Part IV, Vol. IT, Fasc. 1-10 @ /6/ each oh bi , ue Trikanda-Mandanam, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ Tul’si Sat’sai, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each a ee Upamita-bhava-prapafica-katha (Text) Fasc, 1-2 @ /6/ each Uvasagadasio, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ ies Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each ... ae be *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6 3 Vol. II, Fase. 1-7, @ /6/ each aor Se ee ie = wad Visnu Smrti, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ each ae Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1~7 @ /6/ each ... Vrhannaradiya Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ Vrhat Svayambhi Purana, Fasc. 1-6 सि Tibetan Series. Pag-Sam Thi 819, Fasc. 1-4 @ 1ffeach ४६ oe ee Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. 11, Fase. 1-3; Vol. III, Faso. 1-5, @ 1/ each ... ig =~ si ts Rtogs brjod 1 hkhri 346 (Tib. & Sans.) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. IT. Fase. 1-5 @1/ each =... Giz 7

“—Om Om < fom) bund ne

II, Fasc. 1-6; Vol. TIL.

e

| hand “JTW © (अ tA won

(कष

Um OMS pl a

09 £ ¢ OS me —_ -)

(el Co ~ @

Arabic and Persian Series. ’Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /6/ each... Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Fasc. 1-2 @ /12/ ‘as Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each 1a ae ae Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. IIT, Fasc. 1-5, @ 1/12/ each Ses mee ic Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @ 1] each Ditto English Fasc, 1-6 @ 1/ each

fon

# 82 06 2 02 CO ONROON COR

=

te js

Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger sai Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ... Catalogue of Arabic Books and Manuscripts... a bie Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each aay am 1 of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @ 1/ ea wes fe ae ५५ oo ¥arhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each 0 as ne or, Tusy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fasc. 1-4 @ /12/ eac igs ५८4 eg Wee $ 4 Futuh-ush-Sham of Waqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each Ditto of Azadi, (Text) Fasc, 1-4 @ /6/each =... Haft Asmin, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc, 1 History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/ each Iqgbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each 1580811; with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/each Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9 ; Vol. III, 1-10; Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. III, Faso. 1119; Index to Vol. II, Fase. 10-12 @ /6/ each 2 18 2

* The other Faeciculi of these works are out of stock, and complete copi supplied,

aga

ॐ) @ += ^ © ध्न्य

bt RQ

& +~ ५. © +~ eo

88 Cannot be

1 2

Maghazi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each we Rs. 1 Muntakhabu-t-Tawarikb, (Text) Fasc. 1-15 @ /6/ each 5 Muntakhabu-t-'awarikh, (English) Vol. I, Fasc. 1-7; and 2 Indexes Vol. LI, Fasc. 1-5 and Index; Vol. III, Fasc. 1 @ /12' each .. 12 Muntakhabn-l-Lubab, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each re | Ma’asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each 2 Nukhbbatu-]-Fikr, (Text) Fasc. 1 bes a ४४ 0 Nizami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1-2 @ /12/ each 1 Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... 1 *Sunyiuty’s Itqan, on the Exegetic Sciences of the Koran, with Supple- ment, (Text) Fasc. 7-10 @ 1/ each te 4 ‘Nabaaat-i-Nasiri, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... (9 Ditto (English) Fase. 1-14 @ /12/ each an ... 10 Ditto Index 1 Tarikh-i-Firuz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/each... 2 Tarikh-i-Firuzshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each 2 Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each . 3 Wis o Ramin. (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each . 1 Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8 @ /6/ each 6 Tuzuk-i-Jahangiri, (Eng.) 0886. 1 = ,,. ०, 0

ASIATIC SOCIETY’S PUBLICATIONS.

Asiatic ResgarRcHes. Vol. VII, Vols. XI and XVII, and Vols. XIX and XX @10/each ... ... 50 ProcreEpines of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (1४९1. @ /6/ per No.; and from 1870 to date @ /8/ per No

3. JoURNAL of the Asiatic Society for 1843 (12), 1844 (12). 1845 (12). 1846

(5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 (8) 1871 (7:, 1872 18 , 1878 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1860 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1883 15), 1884 (6), 1885 (6;, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8,, 1893 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), @ 1/8 per No. to Members and @ 2/ per No. to Non-Members

N. B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. tn each Volume.

4. Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1883 3 A sketch of the ‘Turki Langunge as spoken in Eastern Turkistan by R. 8. Shaw (Extra No., J.4.8.B., 1878) : 4 Theobald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society (Extra No., J.A.S.B., 1868) 2 Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by 1. Blyth (Extra Now., J.A.8.B., 1875) 4 Introduction to the Maithili Language of North Bihar, by G.A Grierson, Part II, Chrestomathy and Vocabulary (Extra No., J.A.8.B.. 1882) ean ia vy i + 5. Anis-ul-Musharrabin ; 3 6. Catalogue of Fossil Vertebrata 3 7. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, by भ. A. Bion 3 8. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and 1V, @ 16/ each.., 32 9. Jawamlzu-!l-’ilm ir-riyazi, 165 pages with 17 plates, 4to. Part I + 9 10. Khizanatao-l-’ilm ea . 4 11. Mahabharata, Vols. III and IV, @ 20/ each 40 12. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each re , 18 13. Sharaya-ool-lsiam oe 14. Tibetan Dictionary, by Csoma de Kordés , 10 15. Ditto Grammar bey . § 16. Kagmiragabdamrta, Parts I & II @ 1/8/ ae be . 8 9 Notices of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-29 @ 1/each ... 29 Nepalese Boddhist Sanskrit Literature, by Dr. R. L. Mitra 8

bad pond Oh

me < # 08

हिणी

bud ond तः © # ODT OS

(ऋक w

थे

{\ {:

N.B.— All Cheques, Money Orders, &c.. must be made payable to the Treasurer,

Aajatic Society,

only

15-9 -1 900, Books are supplied by V-P.P.

~ ee

—— —;,

<i - दोः

aa: ae

4 ees BLIOTHEGA INDIGA:

A

(COLLECTION OF p RIENTAL Works ve PUBLISHED BY THE = ~

4.914.116 SOCIETY OF BENGAL. धः

New Serizs, No, 995. oe

=

उपमितिभवप्रपच्चा कथा| सिद्धषिप्रणौता।

THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA OF SIDDHARSHI, ORIGINALLY EDITED BY

THE LATE PETER PETERSON, M.A.., AND CONTINUED BY . PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI,

of the University of Bonn. Fascicutus IV,

CALCUTTA : PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS,

| AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY, .57, PARK STREET,

ee 901.

Digitized by us oogle

LIST OF BOOKS FOR SALE

AT THE LIBRARY OF THE

0319716 SOCIETY OF PENGAL,

No. 57, PARK STREET, CALCUTTA AND OBTAINABLE FROM THE SOCIETY'S AGENTS, MESSRS. LUZAC & CO., 46, Great Russert Street, Lonpon, W.C., anp Mr. Orto HaRRASSOWITZ, BooksELLer, Leipzig, QERMANY.

NNN

Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot be supplied—some

of the Fasciculs being out of stock. BIBLIOTHECA INDICA. Sanskrit Series

Advaita Brahma Siddhi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ses Rea. Advaitachinta Kaustubhe, F l es “Agni Parana, (Text) Fasc. 4-14 @ /6/ each .. Aitaréya Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-6 and Vol. II, Fasc. 1-5 Vol. ITI, Faso. 1-5 Vol. 1 ए, Fasc. 1-5 @ /6/ wa ; ses Anu Bhasyam, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each saa ea Aphorisms of Sandilya, (English) Fasc. 1 Astasahasrika Prajfaparamita, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Acvavaidyaka, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/each =. Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fase. 1-5; Vol. II. F 1-5 @ 1/ each f - ४४ *Bhamati, (Text) Fasc. 4-8 @ /6/ each wis a rs Bhatta Dipika Vol. 1, Fasc. 1-3 ००७ sae See Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ses ie Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each (त Bodhicaryavatara of Cantidevi, Fasc. 1 ध्‌ Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Fasc. 1-3 @ 2/ each Qatapatha Brahmana, Faso, 1-5 *Caturvarga Chintamani (Text) Vols. 11, 1-25; III. Part I, Fasc. 1-18. Part II, Fasc. 1-10 @ /6/ each =... ase a Qlokavartika, (English) Fasc. 1-2... ay *Crauta Siitra of Apastamba, (Text) Fasc. 4-15 @ /6/ each Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc. -4, Vol. III, Fasc. 1-4 @ /6/ each _.... 0 011 Bhashyam, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ each =. re Gadadhara Paddhati Kalasara Vol I. Fasc. 1-3... eee nea Kala Madhava, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each _... es sag Kala Viveka, Fasc. 1-4 aes ००७ Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each is Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each Kurma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ /12/ each Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each... Maha-bhasya-pradipddyéta, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each Manutika Sangraha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each ins Markandéya Purana, (English) Fasc. 1-6 @ /12 each ee “Mimamea Dargana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/ each oat si Narada Smrti, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ ies Nyayavartika, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ *Nirukta, (Text) Vol. IIJ, Fasc. 1-6; Vol. IV, Fasc. 1-8 @ /6/ each .., Nityacarapaddhati Faso. I (Text)... bus ide Nyayabindatika, (Text)... Nyaya Kusumaijali Prakarana (Text) Vol. 1, Fasc. 1-6; Vol. 11, Faso 1-8 @ /6/ each . Padumawati Faso. 1-8 @ 2/

bat | me © = dO © ॥=~ HO i 8S CO ht ay कीर © =

@ © @ © *~ = bw >> ।=» ORO कव me == @द fe

oe eee

bo ad Cc NOY BOG» Oh

नं

OMAP 0 > 06 ¢ > A BOOM OHH

ca 6

Parigista Parvan, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... = Rs. 1 14 9 Prakrjta-Paingalam, Fasc. 1-6 @ /6/ each “ae es Prithiviraj Rasa, (Text) Part 11, Fasc. 1-6 @ /6/ each ss... io ^, | Ditto (English) Part IT, Fase, 1 ase aes av, OOS as Prakrta Laksanam, (Text) Fasc.1 =... 1 8 Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fase. 1-8; Vol. II, Fasc. 1-6; Vol. III Fasc. 1-6 @ /6/ each .. ~ ae Bs, 7 8 Paracara, Institutes of (English) =... ०५५ ee ees / Prabandhacintamani (English) Fasc, 1-2 @ /12/ each 1 8 * 88118. Véda Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; II, 1-6; III, 1-7 IV, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc i er Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each AE. SE s Ditto (English) Fase. 1-3 @ /12/each =... Tye Sw Sucruta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ oF ead | SS a *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each es ,„ 19 0 Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each 7 2 2 Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fase. 1-9, Vol. IJ, Fase. 1-10 Vol. ITI, Fase. 1-2, Vol. IV, Fasc. 1, Vol. V, Fasc. 1-5, Part IV, Vol. II he Fasc. 1-12 @ /6/ each ae ०५७ 14 10 Trikanda-Mandanam, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ =... 9.0 19 Tul’si Sat’sai, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ves ies ae Upamita-bhava-prapafica-katha (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each a ee | Uvasagadasio, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ aap 1.8 y Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each ... vs 98 4 } Varsa Krya Kaumudi, Fasc. 1-3 @ /6/ 1 2 a *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Fasc, 1-7, @ /6/ each vas ein a 8 Visnu Smrti, (Text) Fase. 1-2 @ /6/ each ५. ues किः ; Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ is) yee 0 Vrhanniaradiya Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ ey wee, ae 4 Vrhat Svayambha Purana, Fasc. 1-6 vas ie 4 Tibetan Series 7 Pag-Sam Thi 87, Fasc. 1-4 @ 1/ each + 0 Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Fase. 1-3; Vol. III, Fase. 1-5 Te @ 1/ each ... 13 0 ; Rtogs brjod d hkhri 8’ii (Tib. & Sans.) Vol, I, Fasc. 1-5; Vol. IE Fasc. 1-5 @ ee each .,, ares!) 0

Arabic and Persian Series

» ?Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 /6/ each 1.43 कः, = Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Fase, 1-2 Ses Deen Ain-i-Akbari, (Text) Fase. 1-22 @ 1 22 0 |

Ditto = (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fase. 1-5, Vol. III, “4 Fasc. 1-5, @ 1/12/ each .„ 29 12 [५ | Akbarnamah, with Index, (Text) Fase. 1-37 @1/each =... ice 87 0 ee | Ditto English Fase, 1-6 @1/ each =... अर ^ Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger nx O56 Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each Neer) ae 9 Catalogue of Arabic Books and Manuscripts 1 0 | Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the | Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each 3 0 Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @ | 1/ 6467 =. oe 21 0 | Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each 14 0 | Fihrist-i-Tisi, or, Tusy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fase. 1-4 @ /12/ aie 3 0 Futuh-ush-Sham of Waqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each ... tt 8 4. Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ... mt 8 | Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 (ae. 12 History of the Caliphs, (Hnglish) Fasc. 1-6 @ /12/each =... 1 ` 8 Iqbajnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each 4 i 2 Isabah, with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/ each 38 4 | Maasir-ul-Omara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. LII, 1-10; hy? Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. ILI, Fase. 11-12; Index to Vol. II, Fasc. 10-12 @ /6/ each . ive tea 0 2 Maghazi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ००४ नश 9

* The other Fasciculi of these works are out of stock, and complete copies cannot

Zz Digitized by in oogle zg

| be supplied.

i ॥। eile ५४.

Fz

Muntakhabu-t-Tawarikh, (Text) Fasc 1-15 @ /6/each .. Rs. 5 0. Muntakhabu-t-Tawarikbh, (English) Vol. I, Fase. 1-7; Vol. Il, Fase. 1-5 and 3 Indexes; Vol. 111, Fasc 1 @ /12/ each Ay; ios Se Muntakhabu-l-Lubab, (Text) Fasc. 1-19 @ 6/ 6५०४ ~— « ५9 Ma’asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each _ ies Nukhbatu-l-Fikr, (Text) Fase कि". ! Nizami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1-2 @ /12/ each > ee Riyazu-s-Salatin, (Text) Fase, 1-5 /6/ each ... (८ eds Eee 4: Yabaqat-i-Nasiri, (Text) Fasc 1-5 @ /6/ each Ditto (English) Fasc. 1-14 @ /12/each ss ^

Ditto Index 0. arikh-i-Firaz Shahi of Ziyau-d din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ (0 I~ 105 Yarikh-i-Firazshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each... a5

Ten Ancient Arabic Poems, Fase. 1-2 @ 1/8/ each £ 449 Wis Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ | Zafarnimah, Vol. 1, Fase. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8@ /6/ eaoh = = 6 Tuzuk-i-Jahangiri, (Eng.) Fase.1 = rich fe cae AS Se

ASIATIC SOCIETY’S PUBLICATIONS

1. Asiatic Resgarcues. Vol, VII, Vols. XI and XVII, and Vols. XIX XX @10/each ... tN 2. ProcrEpines of the Asiatic Society from 1865 to ) @ /6/ per oe No. 7 and from 1870 to date @ /8/ per 20. + -/ Bers Fe oe = 3. Journat of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1840 (5), 1847 (1 9: 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 869 1871 (7), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1875 Or

-@ 1/8 per N figures

Catal f Mammals ष्ठ. Blyth 6, Extra } 4; JA 8 B., 1875) re of eet oO 1.9) [= IM; hice : 4 Introduction to the Maithili Torth Biha ^

Grie Il, Chrestomathy

ei

1, ++

Aad

a ` 9181101॥60॥ INDIGA: ` 4

A

| COLLECTION OF 9 RIENTAL Works “UBLISHED BY THE . | SOCIETY OF BENGAL.

tw Series, No. 1023.

~ the =+ ~ ~ - te - ~ came -- ae ~ ae

|||

un ng “we

aM il

उपमि तिथवप्रपञ्डा कथा | : सिद्धक्प्रणोतम |

THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA OF SIDDHARSHI. ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., ^ AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. Fascicunus VY.

CALCUTTA: PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET, र.

Ls | 1902, = ` | | A

LIST OF BOOKS FOR SALE

AT THE LIBRARY OF THE -ASIATIC pOCIETY OF 9 ENGAL,

No. 57. PARK STREET, CALCUTTA, ` AND ORTAINARLE FROM THE SOCIETY'S AGENTS, MESSRS. LUZAC & CO., 46, Grear Russert Street, Lonpox, -0., anp Mr. 0110 Harrassowi1z, BooxseLuer, Leipzic, Germany.

NININ

a

Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot be [ण शौ

= ~ शः

of the Fasciculé being out of stoek.. BIBLIOTHECA INDICA. Sanskrit Series.

Advaita Brahma Siddhi, (Text) Fase. 1-4 @ /6/ each Advaitachinta Kaustubhe, Faso. 1... ges *Agni Purana, (Text) Fase. 4-14 @ /6/ each Aitaréya Brahmana, Vol. I, Fase. 1-6 and Vol. II, Fasc. 1-5 Vol. IH

९.७ Be.

= @ 29 @

Fasc. 1-6 Vol. 1V, Fase. 1-6 @ /6/ ar Anau Bhasyam, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ad 1 44 Aphorisms of Sandilya, (English) Fase. 1 . 0 172 Astasahasrika Prajhaparamita, (Text) Fase. 1-6 @ /6/ each 2 4 Acvavaidyaka, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each __... 1 14

Avadans Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. 1, Fasc. 1-5; Vol. 11, Fase - 1-5 @1/ each bap wel *Bhamati, (Text) Fasc. 4-8 @ /6/ each ४9६ Bhatta Dipika Vol. 1, Fasc. 1-3 Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Bodhicaryavatara of Cantidevj, Fasc. 1 Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Faso. 1-8 @ 2/ each Qatapatha Brahmana, Fasc. 1 Catasahasrika Projnaparamita, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each *Caturvarga Chintamani (Text) Vols. 11, 1-25; HI. Part I, Fasc. 1-15 Part II, Fasc. 1-10 @ /6/.each =. ae Catasahasrika-prajna-parimita Part I Fasc. 1-3 @ /6/ Qlokevartika, Fasc. 1-3... *Qrauta Sitra of Apastamba, (Text) Fasc. 4-16 @ /6/ each Ditto ankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. I], Fasc. 1-4, Vol. IIT, Fasc. 1—4 @ /6/ each = Bhishyam, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/each =... adadhara Paddbati Kalasara Vol I. Faso. 1-8... Kala Madhava, (Text) Faso. 1-4 @ /6/ 5800 = ,,, Kala Viveka, Fasc. 1-4 ea Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each Katha Sarit Sagara, (English) Faso. 1-14 @ /12/ each Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each, ... on Lalita-Vistara, (English) 1-3 @ /12/ each Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each Maha-bhasya-pradipddydta, (Text) Fasc. 1-9 & Vol. II, Fasc. 1-6 @ /6/

Tse

NS = © |

बी

8० + 0 @ # > © @ 0 ०वै @ ® 63 ~

|

bh Manutika Sangraha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ eack Markandéya Purana, (English) Fasc. 1-6 @ /12 each *Mimasmea Darcana, (Text) Fasc. 7-19 @& /6/ each Narada Smrti, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ Nyayavartika, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ *Nirukta, (Text) Vol. वा, Faso..1-6; Vol. 1 ए, Faso. 1-8 @ /6/ each Nityacatapaddhati Fasc. 1-6 (Text) @ /6/ bee 1 (Text. ... Nyaysa Kusumafijali Prakaravua c. l- a 18 @ £ oy na (Text) Vol. 7, Fas 6 Vol. 11, Fasc: Padumawati, Fasc. 2 -8 © 2/

न्वं one

Om Sade

का , oe त, ता ~

@ @8 CNA KH @द > 62 6 © > MH mE कै

Parigista Parvan, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... १११ Re Prakrita-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /6/ each de Si Prithiviraj Rasa, (Text) Part I], Fasc. 1-5 @ /6/ each = ,, Ditto (English) Part IT, Fasc. 1 ४८; sat Prakrta Laksanam, (Text) Fase.1 =... Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. If, Fase. 1-6; Vol. III Fasc. 1-6 @ /6/ each (& Paracara, Institutes of (English: ... nee Prabandhacintamani (English) Fasc, 1-3 @ /12/ each % ® 87118 Véda Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; II, 1-6; TIT, 1-7; 1V, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc | Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ia Ditto (English) Fasc. 1-3 @ /12/ each... en Sucruta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ a *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each as Tandya Brabmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ५३ Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-10 Vol. IIT, Fasc. 1-2, Vol. IV, Fasc. 1, Vol. V, Fasc. 1-5, Part IV, Vol. II Fasc. 1-12 @ /6/ each aa Trikinda-Mandanam, (16४४) Fasc. 1-2 @ /6/ Tul’si Sat’sai, (Text) Fasc. 1-65 @ /6/ each sss Upamita-bhava-prapajica-katha (Text) Fasc. 1.5 @ /6/ each Uvasagadasao, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ 3 Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each ... Varsa Krya Kaumudi, Fasc. 1-6)@ /6/ dag sue *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Fasc. 1-7, @ /6/ each wwe Visna Smrti, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ each Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @-/6/ each .., Vyhannaradiya Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ ९५ Vrhat Svayambhi Parana, Fasc. 1-6 axe + Tibetan Sertes Pag-Sam Thi 8410, Fasc. 1-4 @ 1/ each Sher-Phyin, Vol. I, Faso. 1-5; Vol. I1,-Faso. 1-3; Vol. III, Fauo. 1-5 @ 1/ each ... Rtogs brjod dpag hkhri 8416 (Tib. & Sans.) Vol. I, Faso. 1-8; Vol. II Fasc. 1-5 @ 1/ each ... Arabic and Persian Sertes. _ ’Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc.1-13 @ /6/ each so Al-Muqaddasi (English) ०1. 1, Fasc. 1-8 @ /12/ ioe ‘aie

` Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each

Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. LII

Fasc. 1-5, @ 1/12/ each we 2

_Akbarnimah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @1/each =...

Ditto English Fasc, 1-6 @ 1/ each sis se «. Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger on Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each... ai Catalogue of Arabic Books and Manuscripts Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the

Asi $ Society ०286०९91. ०8९. 1-3 @ 1/ 6860 = . Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @ 1/ each ; Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each Fihrist-i-usi, or, ‘Tusy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fasc. 1-4 @ /12/ each ai Futin-ush-Sham of Waqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each ... Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ea Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 A History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/each =... Iqbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each eine es Isabah, with Supplement, (Text) 61 Fasc. @ /12/ each =... Maasir-ul-U mara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. [II, 1-10 Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. III, Fasc. 11-12; Index to Vol. 11, Fasc. 10-12 @ /6/ each os vee Maghazi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ene ane

= C Pt AD bat

i) NroOQnwmeh won

6 6७ & Oe

| ^

18 1

©

pus

: a 0 @ © © Nw @ @ ON oO की

| mew Oe

2 14

® The other Fasciouli of these works are outof stock, and complete copies cannot be supplied

Muntakbaba-t-Tawarikh, (Text) Faso. 1-15 @ /6/ 5६00 =... Re

Muntakhabu-t-Tawarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. LI, Fasc

1-5 and 3 Indexes; Vol. III, Faso. 1 @ /12/ each ie Muntakbabu-1-Lubib, (ext) Fasc. 1-19 @ ee 58011 a rs Ma'asir-i-’ Alamgiri, (Text), Fase. 1-6 @ /6/ each eas {4 Nukhbatu-l-Fikr, (16४) Fasc. 1 se

-Nizami’s Khiradnameh-i-Iskandari, (Text) Fago. 1-2 @ /12/ each Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ 16/ each,

Ditto Ditto (English) Fasc. I-IJ ug ~ ०७४ Tabaqit-i-Nasiri, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ee See ~ Ditto (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each ५७ re

~ Ditto Index

Tarikh-i-Firaz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each Tarikh-i-Firizshihi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Faso. 1-6 @ /6/ each Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1.2 @ 1/8/ each 2 Wiso Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ves Zafarnamah, Vol. J, Fase. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8 @ /6/ each ~~... Taznk-i-Jahangiri, (Eng.) Fasc.1 ... ०१७ vos ०००

4814710 SOCIETY’S PUBLICATIONS

. ABIATIC Reskarcnes. Vol. VII, Vols. XI and XVII, and Vols. XIX

and XX @ 10/ each avo

. Procexpines of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (inol.) @ /6/ per

No.; and from 1870 to date @ /8/ per No. `

„+ Journat of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846

(5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 186716), 1868 (6), 1869 (8), 187C (8), 1871 (7), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7),:1877 (8), 1878 8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 :7), 1882, (6), 1888 15), 1884 {6}, 1885 (6) 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), .1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), @ 1/8 per No. to Members and @ 2/ per No. Non-Members

N. B.—The figures enclosed in bracketa give the number of Nos. in each Volume. -

Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1888

A sketch of the Turki language ag apoken in Eastern Turkistan, by R. 8. Shaw (Extra No., J.A.9.B., 1878)

Thec bald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society (Extra No., J.A.8.B., 1868)

Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by E. Blytk (Extra No., J.A.S.B., 1876)

Introduction to the Maithili Language of North Bihar, by G. A Grierson, Part II, Chrestomathy and Vocabulary (Extra No.,

J.A.8.B., 1882) ve Se ‘ss ०० aa 5, - Anis-al-Mush&rrahin __.., ie ~ sds soe ०५५ 6. Catalogue of Fossil Vertebrata . Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, by W. A. Bion Ss. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and 1V, @ 16/ exch 9. Jawamlu-l-’m ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part | 10. Khizanatn-l-’ilm us su. i 9 ,,, 11. Mahabharata, Vols. 111 and LV, @ 20/ each 12, Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera, Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each dis des 13. Sharaya-ool-Islam os ei ०० vee 14. Tibetan Dictionary, by Csoma de Kords ves wes 15. Ditto Grammar ai oes ~ ५७ 16.’ Kagmiragabdamsta, Parts I’ & Il @ 1/8/ 17, A descriptive catalogue of the paintings, statues, &c., in the rooms of

18

N.B.—All Cheques, Money Orders, Asiatio Bociety, only

+ the Asiatic Society of Bengal by ©. R. Wilson... . Memoir on maps illustrating the Ancient Geography of KaSmir by M A Stein Pu D Jl Extra No, of 1899 eee ° one

~~

Notices of Sanskrit Manusoripts, Fasc. 1-29 @ 1/ each = ,,, Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. R. L. Mitra

, 12

or

}

3 4 2

|

a we NS CE GO im

ae oe

. 29

3 =. 9- 02 ®

Books are supplied by V.-P.P.

@ @> oN &69 +~ Oe wm Ow NB

< ~ < £ © < © <

| © ~ > <

tot = = | " ००४ © > © @# ^~ ८3 * १५० @

| |

0 0

&c., must be made payable to the `" Treasurer,

| BIBLIOTHEGA INDICA: हि

CoLLEcTION OF Parentat Works

PUBLISHKD BY THE

ASIATIC SGCIETY OF BENGAL. New 8197198, No. 1058.

_ ORIGINALLY EDITRD BY THE LATE PETER PETERSON, M.A.,

उपमितिभवप्रपष्वा कथा = | सिद्धषिप्रण्णैता i | THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA ; SI 11

AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, | of the University of Bonn. | Fascicunus VI.

CALCUTT PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS,

|

| L | , 1908. a | ॥. | |

AND PUBLISHED BY TRE ANIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET,

LIST OF BOOKS FOR SALE

AT THE LIBRARY OF THE

0519716 DOCIETY OF BENGAL,

No. 57, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINABLE FROM THE SOCIETY’S AGENTS, MESSRS. LUZAO & OU., ~ 46, Great Russert Street, Lonpon, W.C., anp Mr. Orto Harrassow!l, Booxserier, Leipzig, Germany.

OD al PO ed! Nae

Gomplete copies of those works marked with an asterisk * cannot be supplied—some of the Fascicult being out of stuck. BIBLIOTHEOA INDICA. Sanskrit Series. :

Advaita Brahma Siddhi, (Text) Paec. 1-4 @ /6/ eack ies Re. 1 Advaitachinta Kaustubhe, Fasc. 2 . ous on 0 *Agni Purana, (Text) Fase. 4-14 @ /6/ each... 4 Aitaréya Brahmena, Vol. I, Fase. 1-5 and Vol. II, Fasc. 1-5; Vol. III, :

Faso 1-5 Vol lV Faso 1-5 @ /6/ 999 eee 7 8 Anu Bhasyam, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each av ves wo Ll 14 Aphoriems of Sandilya, (English) Fasc. 1 „०, O 12 Astasibhasrika Prajfiaparamita, (Text) Fase. 1-6 @ /6/ cack ae | 4 Aovavaidyaka, (Text) Faso. 1-5 @ /6/ each =. 1 14 Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fase. 1-6; Vol. II. ०86. = ,

1-5 @ 1/ each ‘as as 10 0 *Bhamati, (Text) Fase. 4-8 @ /6/ each a es w. 1 14

“Bhatta Dipika Vol. 1, Faso. 1-4 ००० eos es 8 Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each es a | Brhaddharma Purana, (Text) Faso. 1-6 @ /6/ each “iss we 4 Bodhicaryavatara of Cantidevi, Faso. 1-2 ००७ ००७ . 0 12 Catadusani, Fasc. 1 oe O 6 Oatalogue of Sanskrit Books and 2188. 7980. I-8 @ 3/ each ०, 6 0 (नु Brahmaga, Vol. I, Faso. 1~7; Vol. II, Faso. 1 ... sa: (8° 0

atasahasrika Prajnaparamita, (Text) Faso. 1-5 @ /6/ each 1 14 *Oaturvarga Chintamani (Text) Vols. II, 1-25; III. Part I, Faso, 1-18

Part II, Faso. 1-10 @ /6/ each __... sos ins . 19४ 14 Catadusani, Faso. 1 ove + 0 6 Qlokavartika, (En ) (ज Fasc. 1-8 =... or 3 4 *Qrauta Siitra of Apastamba, (Text) Faso. 4-17 @ /6/ each 6 4

Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc

1-4; Vol. ITI, Fasc. 1-4 @ /6/ each ००९ & 16 0५1 Bhishyam, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ 59060 = ,.. ` eee ५१. | Dan Kriya Kaumudi, Faso. 1-2 ००७ = 0 12. Gadadhara Paddhati Kilasira, Vol I, Faso. 1-6... ००७ ०० 2 4 Kala Madhava, (Text) Faso. 1-4 @ /6/ each = ,,, ses ae 8 Kala Viveka, Fasc. 1-5 ... sak ‘6 .. 1 19 Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each ed ०० 4 8 Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each ४५६ » 10 8 Kurma Parana, (Text) Faso. 1-9 @ /6/ each _... sei ,,, 8 6 ` Lalita-Vistara, (Rnglish) Faso. 1-3 @ /12/ each ies 2, Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each 4 2 Maba-bhasya-pradipoddydta, (Text) Fasc. 1-9 & Vol. II, Fase. 1-9 @ /6/

e \ eee 1 Manutika Baggrah a, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each 1 2

Markendéya Purana, (English) Fasc. 1-6 @ [ह each ,० ¢ 8 = 24 110 22085 Dargana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/ each aes ००, # 19 Narada Smrti, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ _ es ४० 3 Nyayavartika, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ 1 अ+ = °Nirnkta,,(Text) Vol. III], Fasc. 1-6; Vol. IV, Faso. 1-8 @ /6/ each 5 $ Nityacarapaddhati Fasc. 1-7 (Text) @ /6/ ae « 2 10 Wityacarapradiph Fase, 1 oat ass see ०० O 6 Nyayabindutika, (Text) .. 0 10 Nyaya Kusumifijali Prakarasa (Text: Vol. I, Faso. 1-6; Vol. (1, Fasc.

1-8 @ /8/ each wa, oe ee 3 9

P

COLLECT! ON OF p RIENT

BIBLIOTHEGA INDIGA

A

PUBLISHED BY THE ASIATIO SOCIETY OF BENGAL. New Series, No. 1089.

| | 1 | ङ्त

उपमितिभवप्रपण्बा कथा | सिद्धषिप्रणणेता। THE UPAMITIBHAVAPRA PANCA KATHA ति OF SIDDHARSI.

ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, _ of the University of Bonn. FASCICULUS VII.

CALCUTTA -PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS,

AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY, 567, PARK STREET,

1904,

AL ORKS

|

[+

LIST OF BOOKS FOR SALE

AT THE LIBRARY OF THE

ASIATIC POCIETY ‘OF PeNGcaL,

Wo. 57, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINABLE FROM

THE SOUIBTY'S AGENTS, Mz. BERNARD QUARITCH, |

15, Piccapitiy, Lonpon, W., anv Mr. Orro HarnassowiTz, 300४881. 1२, Leivzic, Germany.

Nee! we” ~

of the 486१८1४ being out of stock.

BIBLIOTHECA INDICA. Sanskret Series.

Advaita Brahma Siddhi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ००७

Advaitachinta Kaustubhe, Faso. 1-2 ८४

Agni Purana, (Text) Fasc. 4-14 @ /6/ each = ,,,

Aitarédya Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-5 and Vol. II, Faso. 1-5 ; Vol. III Faso 1-5 Vol lV, Fasc 1-6 @ /6/ ose eee

Agu Bhasyam, (Text) Fasc. 2-5 @ /6/ each itis

Aphorisms of Sandilya, (English) Fasc. 1

Astasahasrikaé Prajiaparamita, (Text) Fasd. 1-6 @ /6/ each

Aovavaidyaka, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each = ,,

Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II. Fasc

1-5 1/ each gee ७९४ Bala Bhatti, Vol. I, Faso. sue Baudhayana Srauta Sutra, Fasc. 1-2 @ /6/ each ee *Bhamati, (162४) Fasc. 4-8 @ /6/ each usa Bhatta Dipika Vol. 1, Fasc. 1-4 bai ००७ es

Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Bodhicaryavatara of Cantidevi, Fasc. 1-2 ae dab Catadusani, Fasc. 1 eas

Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Fasc. 1-4 @ 2/ each Qatapatha Brahmana, Vol. I, Faso. 1-7; Vol. ITI, Fasc. 1-4

Qatasahasrika-prajnaparamita (Text) Part I, Faso. 1-7 @ /6/ each ... *Oaturvarga Chintamani (Text) Vols. 11, 1-25; III, Part I, Faso. 1-18

Part. II, Fasc. 1-10 @ /6/ each; Vol IV, Faso. 1 ४४

Dlokav

ika, (English) Fasc. 1-4 ...

*Qrauta Siitra of Apastamba, (Text) Fasc. 4-17 @ /6/ each

Ditto

-9

Vol. III, Fasc. 1~4 @ /6/ each Vol 4/ Faso, 1 ति

Ori Bhashyam, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each == ,,,

Dan Kriya Kaumudi, Fasc. 1-2... Gadadhara Paddhati Kilasira, Vol I, Fasc. 1-6,,, eas Kala Madhava, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each = ,,, Kala Viveka, Fasc. 1-6 ... dod Bo! Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each Katha Sarit Sigara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each a

Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each =... sai Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-8 @ /12/ each ses

Madana Parijata, (‘'ext) Fasc. 1-11 @ /6/ each

Maha-bhasya-pradipody5ta, (Text) 2850. 1-98 & Vol. II, Faso. 1-11 @ /6;

eac

Mannutika Saygraha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ ७४८४ oe Markandéya Purana, (English) Fasc. 1-8 Toles each sie

*Mimamea Darcana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6

eac be eee

Nyayavartika, (Text) Fagc. 1<6 @ /

_ *Nirukta, (Text) Vol. 11, Fasc. 1-6; Vol. IV, Faso. 1-8 @ /6/ each Nityacarapaddhatifasc. 1-7 (Text) @ /6/ sds Nityacarapradiph Faso, l- Nyayabindutika, (Text) ... Nyays Kusumiaijali Prakarana (Text) Vol. 1 F ~

1-8 @ /6/ each +

00

Gankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc

Vol. 11, Fuse.

: 89० 1

CO’ mm OO O me ©

\

8 OO

eee

eo CaN €, 63 FAKE न्ये BH 63 © £ ^~ £ €> += @ Mo

Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot be supplied—some

On ww 0

| क॑ ba कन

|) 1 © ©> Ss 0 @ १८ ©>

Con © # © @ # © # {उ ९० © pp

-_ Put 1 am 2 OCONORHRE

Padumawati, Faso. 1 -+ 2/ ‘ea es oe Re.

Paricista Parvan, (Text) Faeo. 1-5 @ /6/ each ... | i a

Prakrita-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /6/ each sae ie az

Prithiviraj Rasa, (Text) Part 11, Fasc. 1-5 @ /6/ each = ,,, isi Ditto (English) Part II, Fasc. 1 ५६

Prakrta Laksavam, (1९६) 7880. 1

Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. IF, Fasc.1-6; Vol. III

Fasc. 1-6 @ /6/ each 3 ne a 28150878, Institutes of (English) =. ae Prabandhacintamani (English) Fasc. 1-3 @ /12/ each ५९ Se Sama Véda Samhita, (Text) Vols. I, Faso. 6-10; II, 1-6; LIT, 1-7;

IV, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc ४. 3 885105४ Sitra 061, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each

Ditto (Hnglish) Fasc. 1-8 @ /13/ each Sraddha Kriya Kaumudi, Fasc. 1-5 eee ७७७ Sucruta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ लि *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each wee -Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each Trantra Vartika (English) Fasc. 1-2 @ /12/ = ,., oes Tattva Cintamani, (Text). Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasv. 2-10

Vol. III, Fasc. 1-2, Vol. 1 ए, Fasc. 1, Vol. V, Fasc. 1-5, Part IV, Vol. IT

Fasc. 1-12 @ /6/each - des ig Tattvarthadhigama Sutrom, Fasc. 1-2 8 Trikinda-Mandanam, (Text) Fasc. 1-8 ad Upamita-bhava-prapafica-kathia (Text) Fasc. 1 é /6/ each Uvasagadasao, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12 ~ Vallala Carita, Fasc. 1 Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each Varea Krya Kanmudi, Fasc. 1-6 @ /6/ ®Vaynu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. IJ, Fasc. 1-7, (८ /6! each Vidhano Parigata, Fasc. 1-5 ०७० ~ - Visnu Smrti, (Text) Fasc: 1-2 @ /6/ each 2 Vivadaratnikars, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each ...

Vrhannaradiya Purana, (Tet) Fasc. 2-6 @ /6/ ... Vrhat Svayambhi Purana, Fasc. 1-6 sae Tibetan Series ` Pag-Sam Thi 840, Faso. 1-4 @ 1/ each Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Fasc. 1-3; Vol. III, Faso. 1-5

@ 1/ each ... 18 0 BRtogs brjod @pag hkhri 8118 (Tib. & Sans.) Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II.

Fasc. 1-5 @.1/ each ... 10 0

Arabic and Persian Series | *Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /6/-each... ... ५4 Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Fasc. 1-8 @ /12/ wwe 2 Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each . „५.98 Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. LIT,

Fasc. 1-5, @ 1/12/ each ne wa ४9

Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @1/each = ,,, we 87

Ditto English Fasc, 1-8 @ 1/ each; Vol II, Faso. 1 . 9 Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger w. 0 Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ... re | Catalogue of Arabic Books and Manuscripts 1-2 2 Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the

Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each 3 Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @

1/ each ; ar we 2] Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each 14 Wihrist-i-Tusi, or, Tusy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fasc. 1-4 @ /12/

each ५१ Futih-ush-Sham of Waqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each =...

Ditto ` of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ` Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 History of the Caliphe, (English) Fasc. 1-6 @ /12/ each Iqbainamab-i-Jahangir!, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each See vr Isabah, with Supplement, (Text: 61 Faso. @ /12/each ==... Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. (11, 1-10

Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index: to Vol. II, Fasc. 10-12 is ;

Index to Vol. III, Fasc. 11-12@ /6/ each ss ww. 48 2 Maghasi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ eavh ee . L 14

® The other Fascicali of these works are out of stock, and complete copies cannot be supplied

कर =a ©) OD be GO aw ^ | 1 08 ९8 @ 6 #>> #&> 0 @ HNO ©

f=’ tos

won

@ॐ = OS Om DOO PD = © p=

CO hm ॐ» 00 mh ६3 OO धै

~ „©

tone @ >

कथं aro © @ @ © ROOW

© = > @ rm w OO =

& &

2. 8,

4.

J.A.8.B., 1875) spe wv 4 6. Anis-ul-Musharrabin ._... ihe aes mee 9 6. Catalogue of Fossil Vertebrata : 3 7. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal ... 3 _8. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vola. JI and [V, @ 16/ each... 82 9, Jawamlo-l-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part I ४. 2 10, Khisanatu-]-’ilm es ce :4 11. Mahabharata, Vols. [1] and IV, @ 20/ each =. 40

12, Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptern ˆ Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each ast we 18

18. Sharaya-ool-Isiam en ,„ +.

14. Tibetan Dictionary, by Csomade Kérés ,,, see ,,, W 16. Ditto Grammar ००, ng. 8 16. Kacmiragabdémpta, Parts I and Il @ 1/8/ oe 3

17, A descriptive catalogue of the paintings, statues, &c., in the rooms of

the Asiatic Society of Bengal, by C. R. Wilson 18. Memoir on maps illustrating the Ancient Geography of Kasmir, by M. A. Stein, Ph.D., Jl. Extra No. 2 of 1899 ,,,

Notices of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-29 @ 1/each ... we 29 Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. 2, L. Mitra 5

Muontakhabuo-t-Tawarikb, (Text) Fasc. 1-15 @ /6 each... Re Muntakhabu-t-Tawarikh, (Bnglish) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Fasc 1-5 and 8 Indexes; Vol. III, Fasc. 1 @ /12/ each 1 Muntakbabu-l-Lubab, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ais „६ Ma’asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each sug sai Nukhbatu-l-Fikr, (Text) Fasc. 1 + din Nizami’s Khiradnamahb-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1-2 @ /12/ eact: Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ... fas ai Ditto Ditto” (English) Fasc. 1-5 sais se Tabaqgat-i-Nariri, (Text) Fasc. 1-65 @ /6/ each ... re ie Ditto (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each ais ee | Ditto Index Tarikh-i-Firiz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each arikh-i-Firuzshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each ०* Wis 0 Ramin. (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each : Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8 @ /6; each Tnzuk-i-Jahangiri (Eng.) 2886. 1 ... ve

Omak OH OM @ += + © ve 80

ASIATIC SOCIETY'S PUBLICATIONS.

Asiatic Researcues. Vola. XIX and XX @10/each ... 20

ProcrEpines of the Asiatic Society from 1866 to 1869 (incl.) @ /6/ ne No.; and from 1870 to date @ /8/ per No

JouRNAL of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1846 (12), 18446 (6), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1847 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 (8), 1871 (7}, 1872 (8), 1878 {8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1888 (6), 1884 (6), 1886 (6;, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10); 1880 (11), 1891 (7), 1892 (8), 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1908 (8), @ 1/8 per No. to Members and @ 2/per No. to Non-Members

N.B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. in euch Volume.

Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1888 3 A sketch of the Turki language as spoken in Eastern Turkistan, by R. B, Shaw (Extra No., J.A.8.B., 1878) 4 Theobald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society (Extra No., J.A.8.B., 1868) Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by E. Blyth (Extra No.,

&<

<< ><= oc

\

S €> < <

ons Oe

<

¢ 0

N.B.—All Cheques, Money Orders, &c., must be made payable to the Treascrer Asiatio Society,” only

9 9 = 0 4,

Books are supplied by V.-P.P. ES

@ 4

oy BIBLIOTHEGA INDICA

COLLECTION OF PrienTaL |

PUBLISHED BY THE ASIATIO SOCIETY OF BENGAL. New 3४८1४188, No. 1110.

TT 0

उपमितिभवप्रपष्वा कथा | सिद्धर्षिप्रफणोता।

THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA 8 OF SIDDHARS1.

ORIGINALLY EDITED BY

THE LATE PETER PETERSON, M.A., AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. FASCICULUS VIII.

CALCUTTA PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS,

AND PUBLISHED BY THE 2 ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET,

= _ = ___ 906, = 4

LIST OF BOOKS FOR SALE

AT THE LIBRARY OF THE

ASIATIC SOCIETY OF BENGAL,

No. 54, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINABLE FROM THE SOOIRTY’S AGENTS, Mr. BERNARD QUARITOH 15, Piccapituy, Lonnox, W., ano Mr. 07710 Barrassowitz, BooKsBLuier, Leipzig, 6 १५८ तद.

~ ~~ PAROS

Complete copies of those works marked with an asterisk © cannot be supplied—some coptes of those works marked with an asterisk © cannot be supplied—some é of the Fasciculs being out of stock. |

BIBLIOPHECA INDICA. Sanskrit Series

Advaita Brabma Siddhi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Advaitachinta Kanstubhe, Fasc. 1-2 *Agni Purana, (Text) Faac. 4-14 @ /6/ each _...

Aitaréya Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-5 and Vol. II, Faso. 1-5 3 Vol. ITI Fasc. 1-5, Vol. ]V, Faso. 1-5 @ /6/ pai wee Ann Bhasyam, (Text) Fasc. 2-5 @ /6/ each 4 70078708 of Sandilya, (English) 86. 1 Agtasthasrika Prajiaparamita, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Agvavaidyaka, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ 6६0 =. Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fasc. 2-5; Vol. II, Faac 1-65 @ 1/ each ~ Béla Bhatti, Vol. I, Fasc. 1 Baudhayana Srauta Sutra, Faso. 1-2 @ /6/ each *Bhamati, (Text) Fasc. 4-8 @ /8/ each Bhatta Dipika Vol. 1, Fasc. 1-6 Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. I-6 @ /6/ each Bodhicaryavatara of Cantidevi, Fasc. 1-3 Catadusani, Fasc. 1-2... Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Fasc. 1-4 @ 2/ each Qatapatha Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. III, Fasc. 1-65 Qatasahasrika-prajnaparamita (Text) Part I, Faso. 1-8 @ /6/ each ... *Caturvarga Chintamani (Text) Vols. II, 1-26 ; III. Part I, Fasc. 1-18 Part II, Fasc. 1-10 @ /6/ each; Vol IV, Fasc. 1-8 roe pre Qlokavartika, pre tine ) Fasc. 1-65 ... *Qrauta 871४1807 Apastamba, (Text) Fasc. 4-17 @ /6/ each Ditto C(ankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Faac. 1-4; Vol. III, Fasc. 1-4 @ /6; each; Vol 4, Fasc. 1 Ori Bhishyam, (Text) Fasc. 1-38 @ /6/ each Dan Kriya Kaumnudi, Faso. 1-2... Gadadhara Paddhati Kalasara, Vol I, Fase. 1-7... Kala Madhava, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/.each Kala Viveka, Fasc. 1-6 ... Katantra, Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each _... Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ /12/ eack Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each Mahi-bhasya-pradipédySta, (Text) Fasc. 1-9 & Vol. II, Fago. 1-12 @ /6/ enc

-Manutika Saggraha, (Text) Fasc..1-3 @ /6/ each Markandéya Purana, (English) Fasc, 1-8 @ /12 each *“Mimamea Darcana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/ eack Nyayavartika, (Text) Fasc. 1-6 @ /6 *Nirnkta, (Text) Vol. IIT, Fasc. 1-6; Vol. IV, Faso. 1-8 @ /6/ each Nityacarapaddhati Fasc. 1-7 (Text) @ /6/ Nityacarapradiph ¥ eee eee eee eee Nyayabindutika, (Text)

Nyaya Kusumiijali Prakaraya (Text: Vol. I ey wee 1-8 @ /6/ each va (Text: Vol. I, Fasc. 1-6 Vol. II, Faso.

eee Re.

७०९ eee aoe

mm 06> © wt al eo” bs a

ad PRNOO 6

ooo

१०९ 9७9 oo,

4

1 3 | ऋं व. p= pod Oe bo 83 0 mh

#> हॐ © © © 62

Ime (>+ #ॐ ॐ» © @ &~ MOSH @

e s e oe e e p=

७०8 soe

© ` @ +~ # © & #> Aw ~ SHWDORBH DOM MO

eon

Padumawati Baso. 1 - 9 @ 3/ ००७ 996 eee Ra Parigigta Parvan, (‘Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... Prakrjta-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /6/ each Prithiviraéj Rasa, (Text) Part 11, Fasc. 1- 6 @ /6/.each 01 bee Ditto (English) Part IJ, Fasc. 1 २० ose Prakrta Laksanam, (Text) Faso. 1... ००१ ०5 6818. Smrti, (Text) Vol. 1, Fasc. 1-8 Vol. II, Faso. 1-6; Vol. IIT, Fasc. 1-6 @ /6/ each (0 Paracara, Institutes of (English)- ... Prabandhacintamani (English) Faso. 1-8 @ /12/ each ००५ *Sama 608. Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 6-10; I], 1-6; Ill, t 7; IV, 1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc .* Sankhya Sitra Vytti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ies . Ditto (Hnglish) Faso. 1-3 @ /12/'each _..,. Sraddha Kriya Kaumudi, Fasc, 1-6 Sucruta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ _ *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each Trantra Vartika (English) Fasc. 1-8 @ /12/ ies Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Faso. 2-10 Vol. III, Fuse. 1-2, Vol. IV, Fasc. 1, Vol. V, Fasc. 1-5, Part 1V, Vol. II Fasc. 1-12 @ /6/ each Tattvarthadhigama Sutrom, Fasc. 1-2 Trikinda-Mandanam, (Text) Faso. 1-8 @ /6/ =. Upamita-bhava-prapafica-kathi (Text) Faso. 1-7 @ /6/ each U vasagadasao, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ Vallala Carita, Fasc. 1 Varaha Purana, (Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each di Varsa Krya Kaumudi, Faso. 1-6 @ /6/ ®Vavyu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Fasc. 1-7, @ /6/ each Vidhano Parigata, Fasc. 1-6 Visnu Smrti, (Text) Fasc. 1-2 @ /6/ each xe dei Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each ... Vrhannaradiya Purana, (Text) Fasc. 2-6 @ /6/... Vrhat Svayambhiu Purana, Fasc. 1-6 Tibetan Series Pag-Sam Thi 8’if, Fasc. 1-4 @ 1/ each ००, Sher-Phyin, Vol. I, Faso. 1-5; Vol. 717, Fasc. 1-8; Vol. ITI, Faso. 1-6 @ 1/ each ... Rtogs brjod dpag Akhri S’iA (Tib. & Sane.) Vol. I, Faso. 1-6; Vol. Il Fasc. 1-5 @ 1/ each ... Arabic and Persian Sertes. | *Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-18 @ /6/ each Al-Mugaddasi (English) Vol. I, Fasc. 1-8 @ /12/ Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each ; Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. 1, Fasc. 1-5, @ 1/12/ each Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-37 @1/each .. ds Ditto English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. II, Fasc.1 @ 1/ each ... Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger 8४ Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each... Ontalogue of Arabic Books and Manuscripts 1-2 ose Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @ 1/ each Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each Fihrist-i-Tisi, or, Tisy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fasc. 1-4 @ /12/ each Futin-ush-Sham of Waqidi, (Text) Faso. 1-9 @ /6/ each Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. Hiatory of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/ each lqbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each Isabah, with Suppiement, (Text) 51 Fasc. @ /12/ each __... Maasir-ul-Uniara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Faso. 1-9; Vol. L11, 1-10 Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Faso. 10-12 * Index to Vol. II], Faso. 11-12@ /6/ each Maghasi of Waqidi, (Text) Faso. 1-5 @ /6/ each

wm ००४ eee ~

eon eee e@e

een eee हि

५०७

oes ous

oe ४७6

pad

b= bo ° ¢ @ bo ४ॐ ^~

wos + @ शन्न 68 ^= 08

1

~ £ $= 69 ¢ 63 &#> £ AO ४» ¢ += ©

18 1

# 6० © (ठ RADA BNO

कद | +)

bas ४» OP ih WO ९७ bo

font fond कव धै» च> © bo

वि @ Oo ©

© @ @ @ ¢ Chr

#> ६० 0 {2 WAS oo <

we

a 14

® The other Fascionuli of these works are out of stock, and complete copies cannot

be supplied.

Muntakbabu-t-Tawarikh, (९४) Faso; 1-16 @ /6 586४ =... Kk. Muntakhabu-t-Tawarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Faso. 1-6 and 8 Indexes; Vol. IJ], Faso. 1 @ /12/ each wis Pe Muntakhabnu-]-Lubab, (Text) Fase. 1-19 @ /6/ each 8 we Ma’asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each és is Nukhbatu-]-Fikr, (Text) 0886. 1. = ,., es ais ; Nizami’s Khiradnamab-i-Iskandari, (Text) Faso, 1-2 @ /12/ each Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... re Ditto Ditto (English) Faso. 1-5 et ५०५ = Tabagit-i-Nasiri, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ... 18 cei Ditto (English) Faso. 1-14 @ /12/ each ee ‘ae Ditto Index aa dei he es Tarikh-i-Firdz Shahi of Ziyaéu-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each... Tarikh-i-Firizshahi, of Shame-i-Siraj Aif, (Text: Faso. 1-6 @ each... Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each ee Wis 0 Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ead पिः Zafarnamah, Vol. I, Faso. 1-9, Vol. II, Faso. 1-8 @ /6/ each Tusuk-i-Jabangiri { Eng.) Fagc. 1 ७०९ eee ace eee

ASIATIO SOCIETY’S PUBLICATIONS.

AsiaTic ResxearcHes. Vols. XIX and XX @10/each .., eu

Procerpines of the Asiatio Society from 1865 to 1869 ‘incl.) @ /6/ per No.; and from 1870 to date @ /8/ per No. -

JourRNAL of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846 (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 18), 1871 (4), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1876 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 17), 1882, (6), 1888 5), 1884 16), 1886 16}, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1802 (8), 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1908 (8), @ 1/8 per No. to Members and @ 2/per No. to Non-Members.

N.B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. in each Volume.

Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1883 .., A sketch of the Turki language as spoken in Eastern ‘lurkistan, by R. ए. Shaw (Extra No., J.4.8.B., 1878) we .. = Theobald’s Catalogue of Reptiles in the Musenm of the Asiatio Society (Extra No., J.A.8.B., 1868) “aj ss wi Catalogue of Mammals and Birds of Barmah, by E. Blyth (Extra No.,

J.A.8.B., 1875) ००५ + ००५ “es ee 5. Anis-ul-Mushbarrabin one ०९१ 9७४ ०७७ 1 ee 6. Catalogue of Fossil Vertebrata ae ११, ००५ vee 7. Oatalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal... aa 8. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and IV, @ 16/ each... 9. Jawamln-l-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part I shi

. Khizanatu-]-’ilm

Mahabharata, Vols. III and IV, @20/each =" . ei Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidopters,

13.

Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each re

18. Sharaya-ool-[slam 2. be abe 14. Tibetan Dictionary, by Csoma de 6158 ba oan 15. - Ditto Grammar ur ०७७ tee ous 16, Kagmiragabdémysta, Parts I and II @ 1/8/ ate ay eee 17, A descriptive catalogue of the paintings, statues, &o., in the rooms of the Asiatic Society of Bengal, by O. RK. Wilson... : ६; nde 18, Memoir on maps illustrating the Ancient Geography of Kasmir, by M, A. Stein, Ph.D., Jl. Extra No, 2 of 1899 ,,, ann 4

e +

Notices of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-29 @ 1/ each ,,, tee

. § N.B.—All Cheques, Money Orders, &c., must be made payable to the Trees

Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. 2. L. Mitra -

Agiatio Bociety,” only.

12-12.04, Books are supplied by V.-P.P.

b=

की © @> = @ @ BS ®= OH 00 (ॐ © कड नद DD | = |

3

|, 1

om ee ©< wm & ND Oo €>

b= #> ~ © 00 © ®>

29

a

© © @©@©©©@ COCOMOCO9O @ 2 o

urer

BIBLIOTHECA INDICA:

CoLLECTION OF PRIENTAL Works

PUBLISHED BY THK ASIATIO SOCIETY OF BENGAL, New 83४४11४४, No. 1140.

~~

उप मितिभवप्रपणन्बा कथा | सिद्धषिप्रणोता। THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA OF

SIDDHARSI. ~ ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., AND CONTINUED BY ` PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. ˆ PASCICULUS IX.

OT OO OO al

CALCUTTA : PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS,

AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREBT.

906.

a ------ _ ~ ———

LIST OF BOOKS FOR SALE

AT THE LIBRARY OF THE

ASIATIC NOCIETY ‘OF PENGAL,

No. 67, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINABLE FROM 1 THE SOCIETY'S AGENTS, Mz. BERNARD QUARITOH, (15, 21664 णाग, Loypoy, W., anp Mr. Orro HARRASSOWITZ, BOOKSELLER, Lerezicg, GERMANY.

Oomplete copies of those works marked with an asterisk © cannot be supplied—some

of the Fasciculs being out of stock.

BIBLIOTHEOCA INDIOA. - Sanskrit Series.

` Advaita 18180018 Siddhi, (Text) Fasc. 2-4 @ /6/ each ०० Bs. Advaitachinta Kanstubhe, Fasc. 1~ se ove ee “Agni Purana, (Text) Fasc. 4-14 @ /6/ each... Aitaréya Brihmana, Vol. I, Fasc. 1-6 and Vol. II, Faso. 1-5; Vol. III Faso. 1-5, Vol. 1V, Faso. 1-5 @ /6/ su ००५ ००५ Aphorisms of Sandilya, (English) Fasc. 1 ०५९ Astasshasrika 8] 68708 1160105, (Text) Faso. 1-6 @ /6/ each wee Agvavaidyaka, (Text) Fasc. 1-65 @ /6/ each... Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Faso. 2-6; Vol. II. Fasc. 1-5 @ 1/ each ee eae १५१ A Lower Ladakhi version of Kesarsaga, Fasc. 1 ००७ vee 8818 Bhatti, Vol. I, Fasc. 1-2 ‘eee wae Baudhayana Sranta Sutra, Fasc. 1-3 @ /6/ each ०० ००७ , Bhatta Dipika Vol. 1, Faso. 1-5 oie ००४ ae ee Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each si ues Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ‘aaa wa Bodhicaryavatara of Cantidevi, Fasc. 1-3 oes ००० ` ^ Oatadusani, Fasc. 1-2 ee Ty) eee Catalogue of Sanskrit Books and MSS8., Fasc. 1-4 @ 2/ each oetepe tis Brahmana, Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Faso. 1-3, Vol. III asc. 1-7 Qatasahasrika-prajnaparamita (Text) Part I, Faso. 1-10 @ /6/ each ... @Caturvarga Chintimani /Text) Vols. II, 1-26; III. Part I, Faso. 1-18 Part II, Fasc. 1-10 @ /6/ each; VolIV, Faso. 1-5 ae Qlokavartika, (English) Faso.1-5 .. ५०९ *Qrauta 87078 of Apastamba, (Text) Fasc. 6-17 @ /6/ each Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc. 1-4; Vol. III, Fasc. 1-4 @ /6/ each; Vol 4, Faso. eu oe Qri Bhishyam, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each... cee es Dan Kriya Kaumudi, Faso. 1-2... ००५ ove Gadadhara Paddhati Kalasara, Vol I, Fasc. 1-7... ove 8 Ditto Acarasara, Vol. II, Faso. 1 ie ००७, ii Kala Viveka, Fasc. 1-6 ... ०५४ ००० Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each ae ive Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each is see Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each = ,,, ee ५०५ Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ /12/ 6६०४ ea (6 Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each vas Maha-bhasya-pradipddydta, (Text) Fasc. 1-9 & Vol. II,|\Faso. 1-12 Vol. ITI, Fasc. 1-4 @ /6/ each ane ००९ ०१९ vee Manatika Saygraha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each ०५७ ee Markandéya Purana, (English) Fasc. 1-9 @ /12 each aes Kan ` *Mimamea Daroana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/ each 9 ee Nyayavartika, (Text) Faso. 1-6 @ /6 १०५ + *Nirukta, (Text) Vol LV, Fasc 1-8 @ /6/ each ene ae Nityacarapaddhati Faso. 1-7 (Text) @ /6/ a ०७१ on Nityacarapradiph Fagc. 1 ov cae as avi Nyayabindut:ka, (Text) ति ao es (क

ro Coe 952 © ४8 ^ ©> AoO™ BH CO m

| _ |

© & ¢ af @ + © Fm BS O9

we + ~ + @ 9 न्द ROM

=,

-8 @ /6/ each ee 53 es «Rs Padumawati, Faso. 1-4 @ 2/ ves ees ०८९ vee Parigista Parvan, (Text) Fasc. -5 @ /6/ each ... ves see Prikrita-Paingalam, Faso. 1-7 @ /6/ each vee Prithivirij Rasa, (Text) Part LI. Fasc. 1 5 @ /6/ each ine ००५

Ditto (English) Part 11, Fasc. 1 eae “र ००५ Prakrta Laksavam, (Text) 2880. 1 =... aragara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8 Vol. II, Fase. 1-6; Vol. IIT Fasc. 1-6 @ /6/ each as ive ae Paracara, Institutes of (English... ०५१ Prabandhacintaman i (English) Faso. 1-8 @ /13/ each a vee *Sama Véda Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; IJ, 1-6; 171, 1 71 IV,1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc ००* 8१४8 8०४८8 Vytti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ea ‘ag Ditto (English) Fasc. 1-8 @ /13/ each... vas Sraddha Kriya Kaumudi, Faso, 1-6 ane wis ५१० Sugruta 399111४६, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ Sit igs es Snddhi Kaumudi, Faso. 1-4 ae wis vee Shaddarsana-Samucchchaya, Fasc. 1 oes ०० *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 22-45 @ /6/ १५४ ०५५ Tandya Bréhmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each =. Pe a

Trantra Vartika (English) Fasc. 1-4 @ /12/

*Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Faso. 1-9, Vol. 11, Faso. 2-10

Vol. III, Fasc. 1-2, Vol. IV, Fasc. 1, Vol. V, Faso. 1-5, Part IV, Vol. Il

Fasc. 1-12 @ /6/ each aes ee _Tattvarthadhigama Sutrom, Fasc. 1-8 ०५७ ane ove Trikinda-Mandanam, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ =... ०५९ _ पाशं Satsai (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ ०९० Upamiita-bhava-prapafica-kathé (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ each os U vasagadasio, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /)2/ sa ves Vallala Carita, Faso. 1 $ tee ae ०७४ 8788 Krya Kaumndi, Fasc. 1-6 @ /6/ *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. [I, Fasc. 1-7, @ /6/ each Vidhano Parigata, Fasc. 1-7 ००७ vee Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each ४४ - sees

Vrhat Svayambhi Parana, Fasc. 1-6 ५०, ne ! Tibetan Sertes Pag-Sam Thi 8/9, Faso. 1-4 @ 1/ each Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Faso. 1-8; Vol. LII, Fasv. 1-6 @ 1/ each ... Rtogs brjod dpag hkhri 876 (Tib. & Sans.) Vol. I, Faso. 1-6; Vol. II

Fasc. 1-5 @ 1/ each ... nee 2 # Arabic and 7261501; Sertes

‘Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /6/ each... ५०७

Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Faso. 1-8 @ /12/ + aes

Ain-i-Akbari, (Text) Faso. 1-22 @ 1/ each ; Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Faso. 1-5, Vol. ITT,

Fasc. 1-5, @ 1/12/ each ५०१ ne Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @1/each_.. * Ditto English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. 11, Fasc, 1-2 @ 1/ each Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger vee Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each... _ ००५ Catalogue of Arabic Books and Mannscripts 1-2 = ` ११

Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each 4 of Arabic Teghnical Terms, and Appendix, Faso. 1-21 @ 1 each oe ७७५ a8 Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each Fihriat-i-Tusi, or, ‘'asy’s list of Shy’ah Books, (Text) Hagc. 1-4 /12/ each és ¥Yutin-ush-Sham of Waqidi, (Text: Fasc. 1-9 @ /6/ each ... ve Ditto of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each... vee Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Faso. vee distory of tne Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/each =... we Iqbalnaman-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each bee vee Isabah, with Supplement, (Text: 51 Fast. @ /12/ each Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. Lil, 1-10 index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Fasc. 10-12 Index .to Vol. III, Fasc. 11-12@ /6/eaon ec Maghasi of Waqidi, (Text) asc. 1-5 @ /6/ each ०७५ ses

be supplied

Nyaya Kusumiaiijali Prakaraya (Text) Vol. I, Faso. 1-6 Vol. (1, Fasc. =

wo ees as

| वां

| ff £ 88 @9 © 09 O &>> OO की कि क्षी P

10

18 1

(कयो fant One भ» ©

(कं be 08

+ f= © © @ @ ४७ PHL 00 @ wz

|

pat pat #> ~> @> 0 #> @ 08 © क» £3 dS

<~ £ @

| 1

ac cc oO Owe o @ th Op >

= mw &

2 1५

© The other Fagcionli of these works are outof stock, and complete copies cannot

1. 2.

\

Montakbaba-t-Tawarikhb, (Text) Fasc. 1-15 @ /6 esch ...

Ka.

Muntakhabu-t-Tawiarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. 11, Faso,

1-5 and 8 Indexes; Vol. ITI, Fasc. 1 @ /12/ each eu Muntakhabu-I-Lubab, (Text) Faso. 1-19 @ /6/ each oe Mo’ asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each Nukhbata-l-Fikr, (Text) Fasc. Nigami’s Khiradnimah-i-Iskandari, (Text) Faso. 1-2 @ /12/ each Biyasu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... oe Ditto Ditto (English) Fasc. 1-5 © ५५ Tabaqit-i-Nagirl (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each as Ditto Index

Yarikh-i-Firis Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ | | Ouchi ee

Tarikh-i-Firitzshahi, of Shame-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8] each vi Wis o Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each vas

2818118 87, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8 @ /6/ each Taznk-i-Jahingirl (Eng.) Faso.) ... ०७७ ०५७

48141116 80601018 PUBLICATIONS, 6814710 RESEARCHES. Vols. X1X and XX @10/each ...

each...

९80०6५४ 71 68 of the Asiatic Society from 1866 to 1869 (inol.) @ /6/ per

No.; and from 1870 to date @ /8/ per No

3, JouRNAL of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1846 (12), 1846

a

(6), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 (8),

1871 (7), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1876 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1888 16), 1884 (6), 1886 16, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), 1898 (11), 1804 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1908 (8), 1904 (16) @ 1/8 per No. to

Members and @ 2/per No. to Non-Members

tm

bas oo £ bm © @ ^= ^“ @ 26 ~उ @ oN

© 4

t

N.B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. in each Volume,

Journal and Proceedings, N.S., Vol. I, Nos. 1-10, 1905, @ 1-8 per No. to

members and Rs. 2 per No. to non-members ०२ Memoirs Vol. I, No. 1, 4, 5, @ 1/8 to non-members and to members ... 1 Ditto No. 2 @ 1/ . Ditto Ditto , ०० 0 Ditto No. 8 @ 2/ Ditto Ditto 1 5. Oentenary Review of the Researches of the Society from 1784-1888 8 A sketch of the ‘lurki language as apoken in Eastern ‘lurkistan, by R. B. Shaw (Extra No., J.A.8.B., 1878) : Theobald’s Catalogue of Reptiles in th Museum ofthe Asiatic Society (Extra No., J.4.8.B., 1868) Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by E. Blytk (Hxtra No., J.A.8.B., 1876) Set ies ee 6. Anis-ul-Musharrabin ee eee ene eee oes 7. Oatalogue of Fossil Vertebrata a ५०९ 8. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal ... 9. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and IV, @ 16/ each... 10. Jawamln-l-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part] = ... 2 11, Khizanatu-l-’ilm ०५७ ues ०० 4 12. Mahabharata, Vols. III and ए, @ 20/ each _... . 40 18. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera, Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each sas ,,, 18 14. Sharaya-ool-Islam ४५ ues ०० ¢ 15. Tibetan Dictionary, by Osoma de 6168 ०९५ tee ,० 10 16. Ditto Grammar ०५७ ose ae 8 17. Kagmiragabdémyta, Parts I and II @ 1/8/ a oe ,,,

18. A descriptive catalogue of the paintings, statues, &c., in the rooms of the Asiatic Society of Bengal, by O. R. Wilson... ` 1

19, Memoir on maps‘ illastrating the Ancient Geography of Kasmir, by M. A. Stein, Ph.D., J]. Extra No. 2 of 1899 = .. 4

20. Persian Translation of Haji Baba of Ispahan, by Haji Shaikh Abmad-i-Kirmagi, and edited with notes by Major 7, 0. Phillott 10 Notices of Sanskrit Manuacripts, Faso. 1-29 @ 1/ each _.,.. ०० 29 Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. RB. L. Mitra we «6

2 ® ०९७

@PSSOO SOCCRMOOS =

<~

0

0 0

N.B.—All Obeques, Money Orders, &o., must be made payable to the “Treasurer Asiatic Society,” only.

14.7.06

Books are supplied by V.-P.P.

| ey BIBLIOTHEGA INDICA: हिः

(oLLECTION OF PrienTaL Works

PUBLISHED BY THK ASIATIC SOCIETY OF BENGAL. New 81188, No. 1153.

उपमितिभवप्रपश्वा कथा |

सिद्धषिप्रणोता | THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA

a OF SIDDHARSI.

I-MDCCXCIV

ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. FASCICULDS इ.

~~~ ~

| CALCUTTA: PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS, AND PUBLISARED BY THE

_ASIATIC SocIETY, 67, PARK STREET. 1906.

LIST OF BOOKS FOR SALE

AT THE LIBRARY OF THE

ASIATIC SOCIETY OF BENGAL,

No. 57, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINABLE FROM 189 SOCIETY'S AGENTS, Mz. BERNARD QUABRITOH, 15, Piccapitiy, Lonpon, W., anp Mr. Orro

HaAsrassowiTz, BooKseLLer, Leipzig, GeRMany,

NTN 9)

Complete coptes of those works marked with an asterisk * cannot be suppléed—some

- of the Fasciculs being out of stock.

BIBLIOTHECA INDIOA. x Sanskrit Series

*Advaita Brahma Siddhi, (Text) Fasc. 2,4 @ /8/ each Advaitachinta Kaustubha, Faso. 1-2 ®Agni Purana, (Text) Fasc. 4-14 @ /6/ each...

Aitaréya Brahmana, Vol. 1, Fasc. 1-5 and Vol. II, Faso. 1-53 Vol. III Faso. 1-5, Vol. 1 ए, Faso. 1-8 @ /6/ Aphorisms of Sandilya, i English) Fasc. 1 Agtasshasrika Prajiiaparamita, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each

Agvavaidyaka, (Text: Fasc. 1-6 @ /6/ each `

ees eee eee eee

*Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Faso. 1-6; Vol. II. Faso

1-5 @ 1/ each A Lower Ladakhi version of Kesarsaga, Faso. 1-2 Bala Bhatti, Vol. I, Faso. 1-2 Baudhayana Srauta Sitra, Faso. 1-3 @ /6/ each Bhatta Dipika Vol. I, Faso. 1-5 Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Brhaddharma Parana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Bodhicaryavatara of Cantideva, Faso. 1-4 Qatadigani, Faso. 1-2... OM clas Catalogue of Sanskrit Books and M8SS., Fasc. 1-4 @ 2/ each ‘Qatapatha Brahmaga, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Faso, 1-3, Vol. III Fasc Qatasthasriki-prajnapiramité (‘l'ext) Part I, Faso. 1-12 @ /6/ each ... *Caturvarga Chintamani ' Text) Vols. II, 1-26; III. Part I, Faso. 1-18 Part ‘II, Fasc. 1-10, Vol IV, Faec. 1-5 @ /6/ each Dlokavartika, (English) Faso. 1-5 @ /12/ each “Qrauta Siitra of Apastamba, (Text) Faso. 6-17 @ /6/ each Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Fasc * 1-4; Vol. ITI, Fasc. 1-4 @ /6/ each; Vol 4, Faso. 1 ` Ori Bhishyam, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ each Daén Kriyé Kaumudi, Fasc. 1-2... Gadadhara Paddhati Kilasara, Vol I, Faao. 1-7... Ditto Acarasara, Vol. II, Faso. 1-2... Kala Viveka, Fasc. 1-7 ..., Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each Kurma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each __... ss ss Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ | each Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each Mahé-bhiasya-pradipody ota, (Text) Vol Fasc. 1-9 & Vol. II, Faso. 1-12 Vol. ITI, Fasc. 1-4 @ /6/ each ne Manutika Bag aha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each Markandeya Purana, (Knglish) Faso. 1-9 @ /12 each *Mimamea Daroana, (Text) Fasc: 7-19 @ /6/ each Nyayavartika, (Text) Faso. 1-6 @ /6 ` ०९० ००९ *Nirnkta, (Text) Vol. IV, Fasc. 1-8 @ /6/ each NitydoBrapaddhati, Faso. 1-7 (Text) @ /6/ Nity&carapradipa, Faso. 1-7 Nyayabindutika, (Text)

e+e aos

@e 8०

@ & © # ©> „~~ @ > 6 ०० © #> ® (> 89 2 ++ @ BOM

= #> ©> @ © `

b=: ‘PO @ ।== 69 ®= KH MONO

००६ FA

puso = { <€ ००६६६ OS CHORMARH

1 & OO ©

1 हि SSeS OMe ६० ४० @

Nyaya Kusumiadijali Prakaraya (Text) Vol. I, Faso. 2-3 Vol. Il, Fasc. -8 @ /6/ each ` ies : a Re Padumawati, Faso. 1-4 @ 2/ i si aa Parigigta Parvan, (Text) Faso. -5 @ /6/ each ... ea ae Prakrjta-Pningalam, Fasc. 1-7 @ /6/ each a sie Prithviraéj Rasa, (Text) Part 11, Faso. 1-6 @ /6/ each ss ५९१ Ditto (English) Part II, Fasc. 1 Sue os Prakyta J.aksanam, (Text) 0886. 1 ,,, Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Faso. 1-8 Yol. 11, Faso. t-6; रणे. 1 1 Fasc. 1-6 @ /6/ each sais a Paracara, Institutes of (English)... Prabandhacintamayi (English) Faso. 1-8 @ /12/ exch ०857189. Vida Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; If, 1-6; UCT, 1-7; IV ,1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc “ee ea Sainkhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ae Ditto (Englieh) Fasc. 1-8 @ /12/ each... a Sréddha Kriya Kaumuadi, Faso. 1-6 ‘ae ye 8४०1०७४. Sarhhitd, (Eng.) Faso. 1 @ /13/ Spddhi हभ ०, Fasc. 1-4 ss sad Saddarsana-Samuccaya, Faso. 1 sas - <= ©aittiriva Sambita, (Text) Fasc. 22-45 @ /6/ 6 aia Tandya Brahmana, (Text) Faso. 1-19 @ /6/ each a Sa Tantra Vartika (English) Faso. 1-6 @ /12/ .... = *Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. 11, Fasv. 2-10 Vol. ILI, Fuso. 1-2, Vol. IV, Faso. 1, Vol. V, Base. 1-5, Part IV, Vol. Ul Faso. 1-12 @ /6/ each 1 Tattvirthadhigama Sutram, Fasc. 1-8 ०९७ see Trikiyda-Mandanam, (‘l'ext) Faso. 1-8 @ /6/ __... ‘aes ; Tul’si Sateai (Text) Faso. 1-5 @ /6/ ss ००७ U pamita-bhava-prapajica-kath& (Text) Faso. 1-9 @ /१/ ०१५0 ५६ . U vasagadasao, (Text and Hnglish) Faso. 1-6 @ /12/ a ‘oe Vallila Carita Faso 1 see ००9 eee Varga Kriy& Kaumadi, Faso. 1-6 @ /6/ + ®Vavu Parana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II, Faso. 1-7, @ /6/ each Vidhana Pirijata, Faso. 1-8 ०० ००९ Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each i ००५ Vrhat Svayambbi Purana, Fasc. 1-6 sis sae tee Tibetan Sertes. Pag-Sam Thi 8119, Faso. 1-4 @ 1/ each Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Fasc. 1-3; Vol. If], Faso. 1-6 @ 1/ each ... 14 Rtogs brjod dpag hkhri 8’iA (Tib. & Sans. Avadanua Kalpalata) Vol. I Faso. 1-6; Vol. II. Fasc. 1-5 @ 1/ each eu ४; ., 10 Arabic and Perstan Sertes Alamgirnamah, with Index, (Text) Faso. 1-13 @ /6/ each... Al-Muqaddasi’ (Hnglish) Vol. I, Fasc. 1-3 @ /12/ va 2 Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each 22 Ditto (Bnglish) Vol. I,-Fasc. 1-7, Vol. II, Faso. 1-5, Vol. 117, Fasc. 1-5, @ 1/12/ each ५५ 29 1 Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-87 @ 1/ 580) = 87 Ditto Hoglieh Vol. I, Faso. 1-8; Vol. II, Fasc, 1-8 @ 1/ each 11 Arabio Bibliography, by Dr. A. Sprenger we 0 Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each... aes | Oatalogue of Arabic Books and Mannecripts 1-2 2 Catalogue of the Persian Books and Manusoripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-83 @ 1/ each 3 Dictionary of Arapio Technical Terms, and Appendix, Fasc. -21 @ 1/ each ‘a १३४ 21 _ Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each 14 Fihrist-i-Tusi, or, Tusy’a list of Shy’ah Booke, (Text) Faso. |-4 @ /12/ each wae 3 Futin-ush-Sham of Wadqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each .., wa 78 Ditto of Azidi, (Text) Faso. 1-4 @ /6/ each... ae | Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fago. 1 we 0 History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/each.... wa & 1 38

1

fat Ome 0 ¢ क» © @ॐ ©> @

bm mm = © O = © & bo BO wHNnon mOnmnw © © ©

0 & © @ 0 ¢ &> > 02 @> PNW

~)

# © 02 #> @ @ @ ६० ७७ #*

> o Oo 86

o> im

@ C$ © © AHP

Iqbalnamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-8 @ /6/ each Isabah, with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/ each =... : Maasir-ol-Umara, Vol. I, Faso. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. 111, 1-20

Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Fasc. 10-12

Index to. Vol. III, Faso. 11-12@ /6/ each ६४ we 18 2 Maghast of Wagqidi, (Text) Faao. 1-6 @ /6/ each ae . 1 14

© The other Fasoiculi of these works are ont of stock, and complete copies cannot be supplied.

se

QR

Muntakhaba-t-Tawarikh, (Text) Faso. 1-15 @/6 each... Ks. Muntakbabo-t-Tawarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Fano.

1-6 and 8 Indexes; Vol. 111, Fasc. 1 @ /12/ each re ४४ Muntakhabu-l-Lubab, (Text) Faso. 1-19 @ /6/ each cas , , Ma’agir-i-’Alamgiri, (Text), Faso. 1-6 @ /6/- each ee age Nakhbatu-l-Fikr, (Text) Fasc. 1 ee Sis! Nigami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1-2 @ /12/ each Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ..,

Ditto Ditto (English) Faso. 1-5 Fs Tabagit-i-Nigirl (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each १६

Ditto Index

Tarikh-i-Firis Shahi of Ziyaa-d-din Barni (Text) Faso. 1-7 @ /6/ each Tarikh-i-Firiizshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1 -6 @ /6/ each Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each a Wis 0 Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Faso. 1-8 @ /6/ 6९५7 Tusuk-i-Jahangiri (Eng.) Faso. 1 ,,, “ah as

eae ae eee ae

ABIATIO BSOCIETY’S PUBLICATIONS,

1, Asiatic Researcues. Vols. 212 and XX @10/each ...

2. २६००४ ४7168 of the Asiatic Society from 1866 to 1869 (incl.) @ /6/ per No.; and from 1870 to date @ /8/ per No

_8. Journat of the Asiatic Society for 1843 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846

(5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 187018), 1871 (7), 1872 (8), 1873 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1888 :5), 1884 (6), 1885 16}, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8) 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1908 (8), 1904 (16) @ 1/8 per No Members and @ 2/per No. to Non-Members

^~

N.B.—The figures enclosed tn brackets give the number of Nos. in each Volume,

4. Journal and Proceedings, N.S., Vol. I, Nos. 1-10, 1905, @ 1-8 per No. to members and Ra. 2 per No. to non-members ue 6, Memoirs Vol. I, No. 1, 4,5, @ 1/8 to non-members and to members Ditto No. 2 @ 1/ Ditto Ditto - Ditto No. $ @ 2/ Ditto Ditto 6. Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1888 A sketch of the lurki language as spoken in Eastern ‘luarkistan, by R. 8. Shaw (Extra No., J.A.8.B., 1878) Theobald’s Catalogue of Reptiles in th Museum ofthe 4818616 80७1९७१ (Extra No., व. 4.8.8., 1868) Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by E. Blyth (Extra No., J.A.8.B., 1875) १; vis wee : प्र, Anis-ul-Musharrabin |... ae ००७ ses ‘aie 8. Catalogue of Fossil Vertebrata ee ai as 9. Oatalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal =... 10. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and [V, @ 16/ each... 3 11. Jawamla-}-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part I as 12. Khizanatu-l-’ilm da 18. Mahabharata, Vola. III and IV, @ 20/ each - 14. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera

& = © bs

>

> bo Ww eo की

- cS

Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each es we (18 15. Sharaya-ool-Islam sie ais w 4 16. Tibetan Dictionary, by Caoma de 6768 ५४. “as fa 10 17. Ditto Grammar the me छ. 18. Kagmiragabdimsta, Parts I and II @ 1/8, 3 19. A descriptive catalogue of the paintings, statues, &c., in the rooms of

the Asiatic Society of Bengal, by ©. RK. Wilson.., 1

20. Memoir on maps illustrating the Anoient Geography of Kaésmir, by M. A. Stein, Ph.D., JI. Extra No. 2 of 1899 ... 21. Persian Translation of Haji Baba of Ispahan, by Haji Shaikh Ahmad-i-Kirmasi, and edited with notes by Major D, 0, Phillott. 10

Notices of Sanskrjt Manuscripts, Fasc. 1-83 @ 1/ each ,.. we 33 Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. RK. L. Mitra ०० 0

bes

Ld ८७००४८८०

[न

\

< coc © @@< => @©>०>©०८< < © © ५०

0 0

N.B.—All Cheques, Money Orders, &©., mnst be made payable to the +" Treaasarer

Agiatio Society,” only . 12- 1 006. Books are supplied by v.P.P.

NP COA No \

e

= ~ ससस 7 ; EE | oy BIBLIOTHECA INDICA: SS

COLLECTION OF PRIENTAL Works

PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY OF BENGAL. New Series, No. 1154. उपमितिभवप्रपष्वा कथा |

सिद्ध िप्रणोता | THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA

0४ SIDDHARSI.

- ISIRWILLAMJON tn कणिरेके

> क्के it) ||

|| | |

mn

| | | | |||

| E

||

0. "1717

कः = [

ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. FASCICULUS XI. CALCUTTA: PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS,

|

|

AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET.

Ew A

LIST OF BOOKS FOR SALE

x AT THE LIBRARY OF THE ASIATIC p OCIETY OF 9 ENGAL ge. 1 qa No. 57, PARK STREET, CALGUTTA, AND OBTAINABLE FROM THE SOOIERTY’S AGENTS, Mr, BERNARD QUARITON,

13, Piccapitiy, Lonpon, W., anp Mr. Orro Harrassowitz, Booxse.ier, Leiezic, हएत वह,

SO Nw

Complete copies of those works marked with an asterisk = cannot be supplied—some asterisk ® cannot be lied —soine

of the Fasciculs being out of stock.

BIBLIOTHECA INDIOA. Sanskrit Series.

“Advaita Brahma Siddhi, Fasc. 2, 4 @ /10/ each ०७० Bs. Advaitachinté Kaustobha, Fasc. 1-8 @ /10/ each ०७ ०७४ *Agni Purana, Fasc. 3-14 @ /10/ each ie 5 Aitaréya Brahmana, Vol. 1, Fasc. 1-5 } - १०1, II, Faso. 1-8; Vol. III,

Faso. 1-5, Vol. 1V, Faso. 1-8 @ /10/ each = ,,, Si ase *Anu Bhashya, Fasc. 2-5 @ /10/ each sie aise ००९ Aphorisms of Sandilya, (English) Fasc. 1 @ 1/- eee ry Agtasshasrika Prajiaparamita, Fasc. 1-6 @ /10/ each ००७ oon *Atharvana Upanishad, Fasc. 2-5 @ /10/ each aoe ove Aovavaidyaka, Fasc, 1-6 @ /10/ each ५७० tes ०७७ Avadana Kalpalati, (Sans, and Tibetan) Vol. I, Faso. 1-6; Vol. I]. Faso

1-5 @ 1/ each ०७७ ° eee 9७७ ४७४ eee A Lower Ladakhi version of Kosarsaga, Faso. 1-2 @ 1/- each ७७९ Balam Bhatti, Vol. I, Faso. 1-2 @ /10/ each .., ` ss Baudhiayana Sranta Sitrn, Faso. 1-3 @ /10/ each “33 ०७ *Bhamati, Faso. 4-8 @ /10/ each... as ie 5 ५१७ Bhatta Dipika ४०1. 1, Faso. 1-6 @/10/each ... |... Brahma Sutra, Fasc. 1 @ /10/ each Hs 9४३ Brhaddévata, Fasc. 1-4 @ /10/ each ess 966 +

_ Brhaddharma Purana, Fasc. 1-6 @ /10/ each ... ove ४4 ` Bodhioaryavatara of Odntideva, Faso. 1-4 @ /10/ each... @ ४५९१०१४२), 7980. 1-2 @ [10/ each .., . eco eve

Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Faso. 1-4 @ 2/ each 9०९ Qatapatha Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Faso. 1-6, Vol. ITI, Faso. 1-7 @ /10/ each a

Qatasthasriki-prajuapiramit&é, Part I, 7986, 1-12 @ /10/ each ०७७

®Caturvarga Chintamani, Vols. 11, Faso. 1-25; Vol. III. Part I, Faso.

1-18. Part II, Faso. 1-10, Vol IV, Faso. 1-5 @ /10/ each <a Qlokavartika, (English) Fasc. 1-5 @ 1/4/ each ००० ०७७

. *Qrauta Siitra of Apastamba, Fuso. 6-17 @ /10 each a zai

‘Ditto Qankhayana, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Faso. ००५

1-4; Vol. IIT, Fasc. 1-4 @ /10/ each; Vol 4, Faso.1... ans

` Qri Bhishyam, Fasc. 1-3 @ /10/ each as wes oh

7087 Kriyé Kaumndi, Fasc. 1-2 @ /10/ each... asi ००७

Gadadhara Paddhati & 19851, Vol. I, Faso. 1-7 @ /10/ each oe

Ditto Acirasira, Vol. II, Faso. 1-2 @ /10/ each ...

Gobhiliya Grihya Sutra, Faso. 1-12 @ /10/ each ~ १९ ०५५ Kala Viveka, Fasc. 1-7 @ /10/ each ses ०९९ “es Katantra, Fasc. 1-6 ॥4 2। each. ` ००७ ७०७ ees awe Katha Sarit Sagara, $ 0811611) Fasc. 1-14 @ 1/4/ each ०७० wor Kurma Purana, Fasc. 1-9 @ /10/ each ose das Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-8 @ 1/- each sae iva *Lalitavistara, Fasc. 3-6 @ /10/ each eee ose ene Madana Parijata, Fasc. 1-11 (@ /10/ each oa vas aes Maha-bhagya-pradipodyotn, Vol. I, Faso, 1-9; Vol. II, Faso. 1-12 Vol, III, Fasc. 1-4 @ /10/ each. eee: sts „` ~ Manutika Saggraha, Fasc. 1-3 @ /10/ each ००४ 7११ Markandeya Purana, (English) Faso. 1-9 @ 1/- each 6 see *Markandeya Purana, Faso. 4-7 @ /10/iench =, ia 9७० *Mimarnsa Dargana, Fasc. 8-19 @ /10| 6900 == ,,८ 2a;

Nyayavartika, Faso. 1-6 @ /10 each *Nirnkta, Vol. IV, Faso. 1-8 @ /10/ each *Nitisara, Faso. 2-5 @ /10/ each :

किक

छी

punt 02 m= bo © 89 © ©8 © meet हो © bo ©8 ms OT et कष

p= J [ष

© TIO ~

(न्‌

हिक 88 @ @ ® @& ,- ©8 Sea awh #> ~~ +~ Pw ©

p=

bunt

om —_

CA CNMWOHDHOKPROSC WWHWOOH Orr

jdt p=

—=

GO mb 08 ih»

|

=> @ @ॐ @ # @ #*

nee ea ute -_=——__. oe oe es धि

NitydcSrapaddhati, Faso. 1-7 @ /10/ each ५५४ ‘ee Re.

4 6 Nity&cirapradipa, Faso. 1-7 @ /10/ each ००७ = ¢ 6 Nyayabindutika, 79.86. 1 @ /10/ each ‘ae ^ wv 0 10 *Nyaya Kusomaijali Prakarapa Vol. I, Fasc, 2-6 Vol. II, Maso.

1-8 @ /10/ each ry 9४ aa ००९ . 5 0 Padumawati, Faso. 1-4 @ 3/ gu ०५१ aa we 8 0 Parigieta Parvan, Fasc. 1-5 @ /10/ each sea is ०० 3 2

! | Prakrjta-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /10/ each we ah aw «4 6 Prithviraj Rasa, Part II, Faso. 1-6 @ [10/ each ae a2 9 a Ditto (Hnglish) Part II, Fasc. 1 @ 1/- each... 1 0 Prakyta Laksanam, Faso. 1 @ 1/8/ each ee ००* ow 1. 8

: Paragara Smrti, Vol. 1, Fasc. 1-8 Vol. II, Faso. 1-6; Vol. (IT, Fasc.

1-6 @ /10/ each - i ०४ ay ` 12 8 Paracara, Institutes of (English: @ 1/- each ,, ` aie » 1 0 Prabandhacintamani (English) Fasc. 1-3 @ 1/4] exch... . 8 12 Saddarsana-Samucoaya, Fasc.1, @ /10/ each... ia . 0 10 98578 Véda Samhita, Vols. I, Fasc. 5-10; Il, 1-6; 11), 127;

IV 1-6; V, 1-8, @ /10/ each ses Sai ed . 20 10 Sankhya Sitra Vrtti, Faso. 1-4 @ /10/each ... iis w. 2 8

Ditto ` (English) Fasc. 1-8 @ 1/- each aw 3 0 *Sankara Vejaya, Fasc. 2-38 @ /10/ each ००४ sis bey, 0 4 Sriddba Kriyaé Kaumnodi, Faso. 1-6 /10| each aw 9 12 Sranta Sutra Latyayan, Faso. 1-9 @ Col each sa we 6 10

,, Asbalayana, Faso. 1-11 @ /10/ each se . 6 14 Sucrnta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ 1/- each... ae ia 0 Snddhi Kaumndi, Faso. 1-4 @ /10/ each vas c w 2 8 *Taittreya Brahmana, Faso. 8-25 @ /10| each... ४६ 14 6

p . Pratisnkhya, Fasc. 1-3 @ /10/ each .. 1 14

PS *Taittiriya Samhita, Faso. 22-45 @ /10/ each ति . 16 0 Tandya Brahmana, Faso. 1-19 @ /10/ each = °, 11 (14 Tantra Vartika (English) Faso. 1-6 @ 1/4/ oes es + "4 8 *Tattva Cintamani, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. 11, 7५४५. 2-10, Vol.

III, Fasc. 1-8, Vol. IV, Fasc. 1 Vol. V, Fasc. 1-6, Part lV, V ol. Il,

Faso. 1-12 @ /10/ each a aes ia . 28 13 Tattvirthaédhigama Sutram, Fase. 1-8 @ [10] ,* ०० 1 14 Trikinda-Mandanam, Faac. 1-8 @ /10/ ts Sales se . 1 14 Tul’ si Satsai, Faso. 1-5 @ /10/ pee 9०७ coe eee 8 2 Upamita-bhava-prapafion-kath6, Fasc. 1-9 @ /10/ ench ==, a. 6 10 Uvasagadasio, (Text and English) Faso. 1-6 @ 1/- = . 6 O

wy Valléla Carita, Faso. 1 @ /10/ si a “ee 0 10 Varsa Kriy& Kaumadi, Faso. 1-6 @ /10/ a ue . 8 12 , ©Vayn Parana, Vol. 1, Fasc. 2-6; Vol. 11, Faso, 1-7, @ /10' each ५. | 8 Vidbana Pirijata, Fasc. 1-8 @ 10) ५०७ eee vee we @ 0 Vivadaratnakara, Fasc. 1-7 @ /10/ each bbe ai wv 4 6 Vrhat Svayambhi Purana, Faso. 1-6 @ /10/_... . 1 * ®Yoga Aphorisms of Patanjali, Faso. 2-56 @ /10/ each jas . 2 8 Tibetan Serses. Pag-Sam Thi 818, Faso. 1-4 @ 1/ each os wa 4 0 ` 8016-९} 19, Vol. I, Faso. 1-5; ०1. 11, Fasc. 1-3; Vol. III, Faso. 1-6

@ 1/ each ... Sai aes it es vw 14 0 Rtogs brjod dpag hkhri 8.19 (Tib. & Sans. Avadana Kalpalata) Vol. I,

Faso. 1-6; Vol. Il. Fasc. 1-5 @ 1/ each es ede . 21 QO

Arabic and Persian Series.

* Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /10/ each = sa 8 2 | Al-Mugaddasi (English) Vol. I, Faso. 1-3 @ 1/- ws w 8 0 Kin-i-Akbari, Fasc. 1-22 @ 1/8/ each = ` ५६ - 8 ©

Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Faso. 1-5, Vol. If], Faac. 1-5, @ 2/- each eee eee oes ene 84 4) A Akbarnamah, with Index, Fasc. 1-37 @ 1/8/ each a . 5 8 2 Ditto --_ English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. If, Faso 1-8 @ 1/4/ each 18 - 12 Arabio Bibliography, by Dr. A. Sprenger @ /10/ ae w 0 10 ®Badshahnamah, with Index, Faso. 1-19 @ /10/ each =... ` . ll 14 Conqnest of Syria, Faso. 1-9 @ /10/ each sis ons . & 10 Catalogue of Arabio Books and Manuscripts 1-2 @ 1|- each vw 2 0

Catalogue of the Persian Books and Manascripte in the Library of the : Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-83 @ 1/ each . 8 0

Dictionary of Arabio Technical Terms, and Appendix, Faso. 1-31 @ "< 1/8 each eee ° eve 200 aee soe eee $l 8 Farhang-i-Rashidi, Fasc. 1-14 @ 1/8/ each see ves we ॐ] 0 - Kihrist-i-Tasi, or, ‘Tisy’s list of Shy’ah Books, Faso. 1-4 @ 1/- each... 4 0 Futiin-ush-S)am of Wagqidi, Fasc. 1-9 @ /10/ each ae w 6 10 Ditto of Asidi, Fasc. 1-4 @ /10/ each eee eee 2 8 ® The other Fascicnli of these works are out of stock, and complete copies eannet

be supplied.

~~~ का

we

4

les Society,

, 4 ९।..५1५ ReskarcuEs. Vols. XIX and XX @10/each .,, . . Proverpines of the Asiatic Society from 1870 to 1904 @ /8

Haft Asman, History of the Persian Masnawi, Fasc. 1 @ /12/ each History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ 1/4/each ... _ Iqbalnamah-i-Jahangir!, Fasc. 1-3 @ /10/ each जगि Isabah, with Supplement, 51 Fasce.@1/-each = ` = Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fase. भः 9; Vol. index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Index to Vol, III, Fasc. 11-12 @ „1 each

Maghazi of Waaidi, Fase. 1-6 @ /10/ as 2. tgs Muntakhabu-t-Tawarikh, Maso. 1-16 @10/ ५५०४५ ane | Rae Ditto sh) Vol. Fasc. 1-7; ०1. 11, aac,

1-6 and 8 Indexes; Vol. II], Fase. 1 oi} Muntakhabu-I-Lubab, Fasc. 1-19 @ /10/ Mo’ asir-i-’Alamgiri, Fasc. 1-6 @ /10/ each Nukhbatu-l-Fikr, Fase. 1 @ /1 Nizimi’s Khiradnamah-i-Iskandari, Fase. 1-2

Riyazu-s-Salatin, Fasc, 1-5 @ /10/ each fe ary Ditto (English) Fase. 1-5 @ 1/ =... Tubaquat Nasiri, Faso. 1-5 0 ou i} Ditto | (Bnglish) Fase. 1-14 @ 1/ a ae / Ditto Index ae |

Tarikh-i-Firiz Shahi of Ziyau-d-din Barni, Fasc. 1-7 @ Tarikh-i-Firizehahi, of Shams-i-Siraj Aif, Fasc. 1-6 @ Ten Ancient Arabic Poems, Fasc.1-2 @1/8/each == ~ ++ Wis o Ramin, Fasc. 1-5 @ /10/ each & Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-8 @ /10/ Tuznk-i-Jahangiri ( 12.) Fasc. 1 @ 1/ rae

ASIATIC SUCIBTY’S PUBLICATIONS,

Journat of the Asiatic Society for 1870 (8), 1871 (7), 187 (8), 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 8), 1879 (7), 1881 (7), 1882, (6), 1883 (5), 1884 (6), 1885 (6), 1886 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), 189 8 (11), (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) (7), 1902 (9), 1908 (8), 1904 (16) @ 1/8 per No, to Members

@ 2/per No. to Non-Members Ae ‘N.B.—The jigures enclosed in brackets give the number of Nos. in euch Vol Journal and Proceedings, N.S., 1905, to date, @ 1-8 per No. to Members and Rs. 2 per No. to Non-Members. ‘oo, + | Memoirs, 1905, to date. Price varies from number to number,

Discount of 25°/, to Members + Centenary Review of the Researches of the Society from 1784- न“ | A sketch of the ‘Turki language as spoken in Eastern Tnurkistan, by

R. B. Shaw (Extra No,, J.A.8.B., 1878) arty Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by ए. Blyth (xtra No., J.A.8.B., 1875) es Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, 1884. +> Mahabharata, Vols. 111 and 1V, @ 20/ each = ,,, feed Moore and Hewitson’s (> 4 tions of New Indian Lepidoptera Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each +n : Tibetan Dictionary, by Csoma de & 6106 = ess Satie | ee = Ditto Grammar "० = “pha Kagmiragabdémrta, Parts I and 11 @ 1/8/ ip

A descriptive catalogue of the paintings, atutues, &., the Asiatic Hee of Bengal, by 0, R. Wilson Memoir on maps illustrating = Ancient Geography M. A. Stein, Pb.D., 41. Extra No. 2 of 1899 $m Ibn, by Persian ree Translation Haji Baba of Ispahan imad-i-Kirmasi, and edited with notes by M Notices of Sanskrit ts, Fasc. 1-33 Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by

.B.—All Cheques, M

भे

‘hrm 8

wise | OM CE NEE

31 = ¦ SIDDHAng "25607 / The y 189 | ie | Prana hay 1603 kat | | 623875 (! /' I

PK3981.S56U7 1899 6.1 amitibhavaprapancha Katha of Siddh

MONI

lil

085 823 695 UNIVERSITY OF CHICAGO