COLLECTION OF PrienTaL ! _PUBLISHED BY THE

ASIATIO 80011 OF BENGAL. New 3 ४४1४8, No. 1110.

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== MUSEU ASIATI OCIETY CALCUTTA”

उपमि तिभवप्रपब्वा कथा | सिद्धषिप्रणोता |

THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA OF SIDDHARSI. ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A.,

AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. ^ ~= FASCICULUS VIII.

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CALCUTTA PRINTED AT THE BAPLIST MISSION PKESB,

& AND PUBLISHED BY THE . | ASIATIC socreTY, 57, PARK STREET,

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LIST OF BOOKS FOR SALE

AT THE LIRRARY OF THE

ASIATIC SOCIETY OF PENGAL,

No. 57, PARK STREET, CALCUTTA, AND OBTAINARLE FROM THE SOGIRTY’S AGUNTS, Mz. BERNARD QUARITOH, ` 15, Piccapiniuy, Lonpoxn, W., ano Mr. 0110 HarrassowiTz, Bookse.ver, Lerezic, Germany.

Oomplete copies of those’works marked with an asterisk » cannot be supplied —some of the Fasciculi being out of stock. ~

BIBLIOTHECA INDICA. Sanskrit Series

Advaita Brahma Siddhi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each १७१. Re. 1 8 Advaitachinta Kaustubhe, Fase. 1-2 ie ees jas? JO. 3 *Agni Purana, (Text) Fase. 4-14 @ /6/ each =... 4 2 Aitaréya Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-5 and Vol, II, Fasc, 1-6; Vol. III

Fasc 1-5, Vol. 1V, Fasc. 1-6 @ /6/ aK = ५१ eee 7 8 Ann Bhasyam, (Text) Fasc. 2-6 @ /6/ each _... $ ०४०." 8 Aphorisms of 87११1) 8, (English) Fase. 1 ie ek. 12 Astasihasrika Prajiiaparamita, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each oe 9 4 Acvavaidyaka, (Text) Fasc; 1-5 @ /6/ each =... 1 14 Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fasc. 2-5; Vol. II, Fasc.

1-6 @ 1/ each see ५४४ ane 9g 0 Bala Bhatti, Vol. I, Fasc. 1 "ORs : ०७७ £+ tO 6

Banudhayana Sranta Sutra, Fasc. 1-2 @ /6/ each *Bhamati, (Text) Fasc. 4-8 @ /6/ each Bhatta Dipika Vol. 1, Fasc. 1-5 . ... Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each aw va aes i Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each = ` Bodhicaryavatara of Cantidevi, Fasc. 1-3 Catadusani, Fasc 1-2 een ag Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Fasc. 1-4 @ 2/ each = ~Qatapatha Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. III, Fasc. 1-5 Qatasahasrika-prajnaparamita (Text) Part I, Fasc. 1-8 @ /6/ each eve *Caturvarga Chintamani (Text) Vols. II, 1-25; III. Part 1, Fasc. 1-18 Part II, Fasc. 1-10 @ /6/ each; Vol IV, Fasc. 1-3 ae oe 2 Qlokavartika, (English) Fasc. 1-5 . *Qrauta Siitra of Apastamba, (Text) Fasc. 4-17 @ /6/ each sis Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc. 1-4; Vol. III, Fasc. 1-4 @ /6/ each; Vol4, 7५86. 1 _ Ori Bhashyam, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ eac ५: Dan Kriya Kaumudi, Fasc..1- Gadadhara Paddhati Kalasara, Vol I, Fase. 1-7 Kala Madhava, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each Kala Viveka, Fasc. 1-6 ... Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @/12/each = Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each -Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ eac i ate Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ /12/ each | ( Madana Parijata, (Text) Fasc, 1-11 @ /6/ each... | ‘a Maha-bhisya-pradipody6ta, (Text) Fasc. 1-9 & Vol. II, Faso. 1-12 @ /6/

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- Manutika Say graha, (Text) Fasc..1-3 @ /6/ each Markandéya Purana, (English) Fasc. 1-8 @ /12 each *Mimimea Darcana, (Text) Fasc. 7-19 @ 1 each Nyayavartika, (Text) Fase. 1-6 @ /

*Nirnkta, (Text) Vol. II], Fasc. 1-6; Vol. IV, Fasc, 1-8 @ /6/ each Nityacarapaddhbati Fasc. 1-7 (Text) @ /6/ ob Nityacarapradiph Fasc. 1- asp Nyayabindutika, (Text) ... ५०५ ee Nyaya Kusnmafjali Prakarava (Text’ Vol. I, Fasc. 1-6 Vol. II, Fasc. 1-8 @ /6/ each ति or rr)

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fadhia तदिष्सितपु खिन परिभग्रचित्तविक्ेपमण्डपः निर- स्ता दरष्ावेदिका faafea विपर्या्चविष्टर | संचूरिता सा- विद्यागाचयष्िः1 watt awateas: | उचारितो महा- मिश्याद शेनपिश्रा चः निनष्टो रागकेसरौ fafiist देषगजेग्धः | विपारितो मकरध्वजः | विदारितो विषयाभिलाषः | निवासिना महामूढतादयलतद्भार्याः विदिशति wees विकर्तिते जु एारतौ निषूदितौ wastat विदल्िता दु्टाभिसन्धि- अग्डतयञ्चरटाः | पल्लायितानि डिग्मरूपाणि विद्राविता ज्ञानसंव- रणाद यस्ते जथो दुष्टनरपतयः | अनुकूलो तास्ते चत्वारः सप्तानां मध्यतवर्तिगो बेदनोयाधाः। au चतुरक्गमपि तससकलं बलं waren विष्बोकाः। विगजिता faerer: 1 तिरोश्ताः समस्तबि- काराः किं बहना eae

ues भवता तसां वश्ितं मया पुरा

ag किं चिष्ठमस्तानां दुःखदं बाहदेडिनाम्‌

fenafaagizat तच्छवंमिदह सख्िताः |

प्रलोनं ay पश्चन्ति quart महाधियः

सा सर्वोपद्रवेुक्रा खता रन्नौ पूरिता |

एतेषां ध्यानयोगेन चिन्तटत्तिः प्रभासते

तदेते ते महात्मानो ये मया ag afaar:

पूवं तपोधनाः सम्यक्‌ पश्च विस्फारितेक्षणः

प्रकर्वेणोक्र | चाड चाह हतं माम विहितो बदनु, | 89

qse उपमितिभवप्रपश्चा कथा

अनितः धृतपापोऽइमेतेषां quarter R wai मानसनिर्वा fafea: पटुलोचनः | च्रानन्दाग्दतसेकेग ms जिर्वापितं मे॥ eae द्ंनोयोऽसौ ममाध्ापि नमु त्वथा। यो afaat aeratat ara संन्तोषग्धपतिः विभरगनेाक्र एष इश्यते TY दृष्टेः सुख दायकः | Wafynsararar नाम विक्तोशंमण्डपः wdat वलमोऽमोषां जनानां पुरवासिनाम्‌ खन्तोषमहण्डपो नुम भविति wad: प्राह यद्येवं तलोऽचेवं प्रविश्यताम्‌ | एवं भवतु वत्छेति बभाषे AS wae: प्रविश्य चोचिते देशे ताभ्यां दृष्टः Aw | निजप्रभावविचिक्तजमसम्तविसुन्दरः तजर च| राजमष्डलमध्यश्यं दौ्िनिर्धेततामसम्‌ afed शरिशोकेनं सचिन्तानन्ददायैकम्‌ a विश्रालवेदिकारूढसु पविष्ट वरासने | THT ATS तौ waa: Weyer ततः प्रकषेशं atey मनसा इषेभिंभेरः | मनाक्‌ GUAT AAS प्रत्यभाषत श्रो रम्यमिदं अनं पुरं यजदृशः प्रभुः |

चनु वैः gerd | 24

teat मण्डपो शोका we यज SENT: wa fea

BIEN मुर मान विभेकवरपवते |

किं सोऽयं अवचक्कऽज वतेते टोषपूरिते

विमर्धेमो दितं aq चस्मिन्नेष महागिरिः

वतते acy वच्य खानमसख्छ निशामय

feugfaauesi वर्तेते award: |

भवचक्र तु विदद्धिरूपच्वारेण कथ्यते

यतोऽ विद्यते aq सललोकपरिभूरितम्‌ 1

अन्तरङ्ग GMS धुरं सात्िकमानसम्‌

तचयं संख्छितो aq ॒विषेकवरपवेतः |

आधाराधेद्यशमनग्ध स्तमेव परिकोतिंतः

प्रकर्वेणोदितं | WA यदेवं ततो ufeqaw waren

साल्विकमानस्र yt खे तक्रोविनो बहिरङ्गकोका agri faata- महा मि रि्यचचेदमगप्रमत्तनं feat weet जेन मुरं ये as fern aay: यद्यं चित्तखमधागमहामण्डपो चेयं वेदिका यच्चेदं खिंहासनं यश्ुपयं जरेन्दरो aqraae परिवारः तदिदं सव अम WTS 1 तत्रो ममानुयहधिथा nea विष्रेषतस्तदणंयितु- अंति मामः विद्न््रेनोक्कं aq aa ततः खमाकणय 1

यदिदं Vat युर साच्िकमानसम्‌ |

तदन्तरङ्गरत्रानां सवंषामाकरो मतम्‌

अने कटोषपू्ंऽपि waa व्यवसितम्‌ |

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उपमितिभवप्पश्चाः कथया |

नेदं खंरूपतो aq steamers धन्या भवचक्रेऽच वतमाना मनुव्यकाः ददं खशरूपतो क्छ Taf कदाचन # यानि भिमेलचित्तीदिपुराण्छन्त रण्डमिषु | अदेव प्रनिबद्धामि तानि जानौहि भावतः॥ कमेपरिशामाख्यो राजा नेदं महापुरम्‌ ! सथुक्रिकं cara महामोहा दिग्धजुजाम्‌ #

कि afe |

खयमेव yams तयान्ेवंरश्धमिपेः |

एएभा श्या दि भिवत weg समभुक्रिकम्‌ ददं fe जगतः सारमिदं निरुपद्रवम्‌ इदमेव ware? बहिञेनमनोहरम्‌ तदिदं ते saraa at षाज्विकमानखम्‌ निबेदितं मया aq wu चाचजाधुना जनम्‌ ये रोका निवसन्त्य पुरे साल्तिकमानसे बहिरङ्गा मवन्देवां शौर्यवौयांदयो गणाः बहिरङ्गा जनास्ते हि निवसन सत्पुरे | पुरमाशा्यमादचेण गच्छन्ति विवुधाश्ये HUY AAAI पुरे साल्िकमानसे। प्रत्याषन्नतया याति विवेको sfearet ॥#

नतेख |

यद्यारोदन्त्यञ्ु शोका fanaa |

चतु थैः प्रस्तावः | ६७9

ततो जेन समासाच्च yt alfa सुखाश्यदम्‌ wa fed!

पुरप्रभावमातरेण सदेते सुन्दरा WAT: |

विवेकगिखरारूढाः पुनः स्यरतिदन्दराः fa च।

saat पापिनां ae भवचक्रनिवासिनाम्‌।

सदा प्रतिभातोदं जनानां जेनखत्पुरम्‌

मिवसम्ति quasy पुरे सालिकमानसे

बहिरङ्गणनारेषां MNT बेनसत्पुरम्‌

तदमो भाविकड्याणा खोका मार्गानुयायिनः |

AMAR: पुरे Bow सदा प्रशृतिसुन्दरे i

तदेते कथितास्दभ्च पुरे सालिकमानसे |

लोका महागिरे रूपं समाकणय सास््मतम्‌

तावदारूणद्‌ःखातां भवचक्रनिवासिनः |

अमा यावन्न wef ते विबेकमहागिरिम्‌ |

तदा रमते तेषां भवचक्रे मतिर्गृणम्‌ arg |

fara waem ते carey महागिरिम्‌ |

fage दुःखं जयन्ते निदन्दामन्दभाजिनः यतोऽ fra तुङ्गे स्थितानां vq देहिनाम्‌

भवच्क्रमिदं सवं करख्छमिव भाषते

ततो विविधडन्तान्त दुःखसङ्कातपूरितम्‌ |

ges उपसितिभवपरपश्चा कथा |

fasted विर्न ननर केऽहुतो जनाः facarg wares प्रतिबद्धा महागिरौ | विबेके भावतः dheatate मद्धिरिः तत | विवेकशद्धिरेवं्ष माहाक्येनास्य ते जनाः | भवन्ति घुद्िनोऽत्धन्' भवशक्रेऽपि dfizar: ` तदेष सब्द्लोकानां सुखडेतु्मशाभिरिः | विवेको वणितष्ठभ्बमधुना fret शण दरदं fe जिष्ठर तात्र सवेरोषनिबद्णम्‌ | SUARTH AA दुष्टान्रमद्ोसुजाम्‌ | यतः | fatarecatarat aqagaatfca: | आगच्छयुः कचिद्धद्र सहामोहादि श्रवः ततस्ते मिदं येग्रला विबेकारूढजन्तभिः | गिखरादप्रमल्लला्ोखखन्तऽस्माश्न Sea: ततस्ते चुष्ठितारषश्ररौरात्रयकाः पुनः दूरतः प्रपलायन्त श्रिखर वोच्छ कातराः तदिद्‌ quaaet ceard विनिभिंतम्‌ | विवो्रीबाभिश्सृश्रामन्तरङ्गंमरोसुजाम्‌ fa a1 | wy विश्ाल्मुन्लङ्गं सुवं लोकसश्वा वहम्‌ वल्छेदमप्रमश्चत्वे frat गाढसुन्दरम्‌

UTE WHT: |

तदिदं ते समासेन afad fret भयो श्रधना वंति जेनं पुरं तत्वं भिशाभथ ददं डि aut ag भिरन्नानन्दकारशभ्‌ | qe भवचक्र हु जन्तुभिः पुष्धव॑िंत्िः यतः कालेन Wear ल्लोकाः ase: कर्थर्थन | ्रासादयम्ति wee पुरं शाचिकभानषम्‌ खिला aa पुनर्यान्ति भवचक्र farm | एनं aa मं पश्यन्ति विवेक्रवरप्वेलेम्‌ ग्रिभिर्विं हितेस्तातं ततस्त्य गमगः | कद्‌ चि्तेऽज पश्ययुरविंवेकवरपद॑तम्‌ nuvi gest तथान्ये वह शङ्करै | प्रयान्ति विदम्भोऽपिं भवचक्र सवैरिणः श्रारोद्युः Taree aaresr: geet | fuer ते 4 पश्मयुरिदं वषा निशचन्देरम्‌ eect मामुतिष्टन्ति त॑जारोणभुश॑केः | जैधिद्धेनेव faster भवचक्र gata: Sat तु घन्याः frecarctefia मनोहरम्‌ | दद Aw अना जनं पश्चन्येवं तदा धुरम्‌ खा चेषा भवचक्रेःच वतेमानेः सुद्‌ कंभां सामयौ अन्तुभिव॑सख are दशेनकी।रिण्यौ तेनेदं ततामन्दकारणं जेनसत्धरम्‌ |

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४८० उपमितिभवप्पन्चा कथा |

भवचक्र मया तुभ्यं gaa प्रतिपादितम्‌

ददं talaaqufad सर्वसुखाश्यदम्‌ |

इदमेव HIT सारात्छारतरं मतम्‌

तदिदं ते समासेन वर्तं लेनसत्पुरम्‌ |

अधुना येऽत्र AGM लोकासानवधारय

एते हि सततानन्दाः सर्वाबाधाविवजिताः |

पुरमरभावतो ag वर्तन्ते जेनसष्लमाः

प्रश्छिता नगरी af निवैतिं कतभिश्चयाः

श्रारास्मयाणकेः किंचिद्रसन्ति विबुधाय n

वो वोच भयोद्धान्तेमहामोहादि श्चभिः।

एते जना जमा ag दूरतः परिवजिताः

प्रक॑णो दितं। माम नेतदेवं। थतः यथेव ते मया दृष्टा भवचक्रनिवासिमः | महामोहादिभि्यस्तास्तयेतेऽपि संश्रयः तथाद्येतेष्ठपि salty gee सर्वाणि तत्कार्याणि

यस्मादेतेऽपि Zeta भगव दिगम्बेषु wan खाध्यायकर णेषु सिन्त साध्मिंकजनेष Tem सदनुष्टानेषु तुव्यन्ति गृरुदगनेषु इष्यन्ति सदयोपलम्मेव दिषन्ति ब्रतातिचारकरणेषु क्रुध्यन्ति सखामादारौ- विशोपेष॒रब्यन्ति प्रवचनपरत्यनोकेषु मान्ति कमेनिजेरणेषु श्रह- कुवन्ति प्रतिश्चातनिवादणेवु अवष्टकन्ति परो षेव स्यन्ते दिव्या- gray गृदयन्ति प्रवचनमालिन्छं वद्चय नतो दविवधूतेगणं wafer तपञ्चरणेष wan वेयाटत्याचरणषु WITTE सद्यानयोगेषु

चतुः प्रस्तावः। ६८१

wafer परोपकारकरणेव fanfia प्रमादचौरढन्दं 1 विभ्यति भवचक्रथ्वमण्टात्‌ | BTU विमागेचारितां। रमन्ते निटेतिनगरौ- Tamara | उपहसन्ति विषयसुखग्नोलतां उदिजन्ते गेयिख्या- सरणात्‌ शोचन्ति चिरन्तमद्‌ञ्रितानि.। wen निजभ्रलस्छल्ि- तानि निन्दन्ति भवचक्रनिवासं श्राराधयन्ति जिनाश्चायुवतिं | प्रतिखेवन्ते दिविधशिलाखलमां तदेवं षवेकार्थाणि महामोहा दिश्वमुजाम्‌ .. एतेषु माम ERA. जनेषु सुपरिस्फटम्‌ | तत्कथ भवता म्रोक्रमेव सति ममाग्रतः | यथेते TON महामोहादिग्रजमिः विम्गोदितं ag एते भवतोदिताः। मरहामोहादयस्तेऽन्ये WHT अगवान्धवाः एते हि दिविधा . ag महामोडादयो मताः | एकेऽरयोऽ जनतृनामपरेऽदुलवान्धवाः यतः . | प्रथमा भवयक्रेऽज पातयन्ति सदा जनम्‌ | sare तेषां wets: we तादशो इतरे faafa ata मवन्ति निकटे स्थिताः प्रश्रतास्ते यतस्तेषां प्ररूतिः सापि arew तदेते wefan बन्धभिः परिवेष्टिता | महामोहादि भिवन मोदन्ते Sree: एव 86

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उपमितिभवप्रपक्चा GU |

अम खकणशकखाण्ठभाजिनो MTT: निबेदिता मया तुग्वमधना शरश मण्डपम्‌ aq चिन्तसमाधानो मण्डपः सवंदेडिनाम्‌ ` संपा प्तः कुरते steraqe निजवो्धंतः wea पतेन्‌ नमाखाना्े विभि्िंतः | वेधसा जिजगदन्धोरादरादेष मण्डपः ATS भवसक्रऽज सुखगन्धोऽपि खुन्दर यावश्चिन्तसमाधानो नेष संप्राप्यते अने: तदेष शतो ag afaat वरमण्डपः |

एषा निःख्ुहता नाम वेदिका ते fara ये लोका वेदिकां we ace पुनः ge: | तेवां शब्दादयो भोगाः प्रतिभाग्ति विषोपमाः तेषु वर्तते fen wet कमंसञ्चयः लायम्ते fatwa भवयक्रपरार्मुखाः येषामेषा खिता fad धन्यानां वेदिका aaa देवने श्पेर्मान्खेस्तषां प्रयोजनम्‌ एषापि नुगमस्येव निविष्टा वरण्ड पतेः | आरख्ानायं विधाजेति aq खुन्दरवेदिका <a निःस्पृहता तात विता ते सवेदिका ! जो ववौयेमिदं नाम erat yew विष्टरम्‌ जोववोयेमिदं येषां परिस्फुरति मामसे | सुखमेव परं तेषां दुःखानामुद्धवः कुतः

चतुः Teas | Ese

अथं डि राजा fhyt Fea aay:

fafaatss जगदन्धदं लाखानो मनोरमः

यः शभः परिवारोऽख्य यद्राश्ख ar fara: |

यच्चातुखं ayaa विष्टर तच कारणम्‌

fa वाज बहनोक्रम पुर लोका महागिरिः

frat सत्पुर लोकः मण्डपो वरवेदिका

राजायं VE सेन्येन राज्यं भुवनसुन्दरम्‌ |

जमञ्च्येष्टमिदं स्वे माहाम्यनाख मन्दति तथाहि |

यथ्ेतश्च waa Haas वराखनम्‌ |

महामोहादिभिः खव तदिदं परिश्वबते

विद्यमाने qaag जौोववोयेवरासने |

महामोहादथो मेव ww मण्डपे अन्यश्च |

afefacer तात महामोहादिभिबेखम्‌ |

इदमा विभंवत्येव जीववोयप्रभावतः

इद सिंहान वद्ध यावदच प्रकाशते |

तावद्धि सवंतोभद्रं राजा aay गिरिः पुरम्‌

तदिदं वितं वल्छ जौववोयंवराखनम्‌ |

परिवारयतो राजा aad ते fata nae चिन्तितं, श्रये यान्येतामि प्रतिपादितान्यनेन मे

waa तेषामेष भावार्थो मम स्फुरति इदये यदुत |

{cs उपमितिभवप्प्चा कथया |

श्रकामनि्ेरापेख अन्तुवौयं थदुत्कटम्‌ |

मिश्यादृष्टेविनाशन्चामं तद्धि साल्तिकमानसम्‌

ये तेन saat लोका वासतव्याे प्रकौर्तिताः

एव तत्मभावेण प्रयान्ति faqurera

धमपुजकल्रादेः श्ररौरात्क्मंणस्तथा |

अन्योऽहं भेदतो दुष्टा मरामोहादि शवः

अश्चातजेन सिद्धान्ते कमनिजेरष्टष्छने |

या स्ादेवविधा बुद्धिः विवेक ceed #

विबेकादप्रमन्तत्वं कषायादिनिवतेने |

यद्धबेलघुदोषाणां शिखर तदुदाइतम्‌

चतुव फमहासहप्रमोदपर कारणम्‌ |

दादशराङ्ग GAIT वचनं पुरमुच्यते

AAA HTN तदादे श्रकारिशः |

एव aqaal यथोक्रगुणए्डषणाः

एक एव MUST यथार्थो वरमष्डपः | थतः

विना चिक्नसमाधानं पुरमेतन्न शोभते

बेदिका वानं वेदं कथितं प्रकटाचरेः |

यथा थमेव fagafad दितयमश्चसा

ततो येन मया सुवेभिदं भावाथंखयतम्‌ |

बद्धं णोऽहं qa द्यं भो ore संग्रयः ततस्‌ |

age Tea: | ९८५

बोधावष्टम्भतुष्टात्मा ory निजमातुलम्‌ | माम वणेय राजानं यभाहमवधारये TARAS वत्स योऽयं नराधिपः | शोके चारिजधर्मोऽयं परथिद्धोऽत्यन्तसुन्दरः अनन्तवीर्यो विख्यातः प्रशष्णो अगते fea: | wag: को श्रदण्डान्धां Ha: TITHE: यान्यस्य वद Ta चत्वारि वदनानि भोः | तेषां नामानि ते वच्छे वौर्याणि निबोध मे॥ दानं श्रोणं तपस्तात चतुथं श्द्भभावनम्‌ | एतानि मनु amet Maret यथाक्रमम्‌ ANTS STITT WAN जेगसत्पुरे asa मोदन्नामायेमभयं जगतः मिवम्‌ तथा | | सद्धमाधारदेदानां यद्‌ पद्महकारणम्‌ | आहारवश्छपाज्। दि दौोधतामिति भाषते दोनान्धहृपणेञ्चख दौयमानं हपापरेः | श्राषहारादिकमेतद्भो वदनं निषेधति गवाश्वश्छमिषेमानि यच्चान्यदपि arguq | तन्ञेष्छति शाभावादोयमानमिदं सुखम्‌ ¢ अन्यच्च सदाश्यकरं वक्नमायदच्छद कारकम्‌ | ददं जगति शोकानामनुकम्पाप्रवतंकम्‌

उपमितिभवप्रपश्चा कथा }

दानाश्ये तदिदं uz वणितं प्रथमं भुखम्‌ ` शपतेरस्य were fetter भरण

एते साधवो a वर्तन्ते जनसत्पुरे यदिदं भाषते वक्रं तन्ते aa yeaa अष्टाद शषसा णि नियमानां acta: | अस्यादेगेन कुर्वन्ति aed ay साधवः «aa fe सवंखमिदमेव विश्ड षणम्‌ | ददमालम्बनं वत्छ साधुनां Tega तेभ्यः खंपूणमादे शं सुखमेतस्रयच्छति | fafeurs प्रकुवेन्ति वचोऽस्य सुनिशेषकाः ` Tine वदनं ag तदिदं वणितं मया | तोयं तु तपोनाम aca तन्निवोध मे॥ SAITAMA वक्कमेतन््नोहरम्‌ | wMagiaania जनेऽ कुर्ते सुखम्‌ विशिष्टज्ञानसवेगश्रमसातकरं परम्‌ तपःसन्चमिदं वक्रमव्याबाधसुखावदम्‌

इद मस्य मरेष्धस्य वदनं sey सव्लनाः | आराध्य aurea frefa यान्ति लोलया तदिदं ते तपोनाम शपतेवंदनं मया | कथितं साश्मतं वच्छे चतुथं Wea wa निरो शितं भक्षा सध्ननेरिदमश्जषा | निःगेषपापसषमतद लनं Bat सुखम्‌

चतुः THT: |

श्रस्ादे श्रादिमे जेमा भावयम्तो हइ सव्छनाः 1 समस्तवद्ध विस्तारमतितुष्छं विमश्वरम्‌ MME शरणं लोके दुःखपौडितदे हिनाम्‌ | एकञ्च आयते जन्तर्िंयते भवोदधौ यदिदं देहिनां किचिखिन्लावन्धविधायकम्‌ | शरोर धनमन्यदा शवे तद्विशमात्ममः मूबाग्लक्गदजाम्बाक्पूरितं कशेवरम्‌ | तदजात्यन्तबौभन्छे शएचिगन्धो विद्यते माता wat qaatal भवत्यज भवोदभौ | कममांखवो भवत्येव पापानुषटानकारिणम्‌ निटन्तामां कदा्वाराश्वाथते वरसवरः | तपसा तु भवत्येव सततं RATA

Hal जाताख सर्वेषु लोकोह शेषु wa: | भितानि स्वेषु रूपिद्रवयाफि जन्तुना संसारसागरोत्तारकारकख जिनोदितः | धमः सुद्‌ लभा चाज बोधिः siyewa ये चेवं भावयग्धव WEI: संश्द्धबङूयः | WW aaa ते धन्यास्ते aafen: चा रिचधमेराजस्य वदनं चार श्नम्‌ |

ददं वल्घ प्रत्येव सर्वसौख्यकरं परम्‌ तदेष agaae चत्‌भिः पुरवासिनाम्‌ एषां निःगरेषसोखधानि करोत्येव महानृपः

९८७

qcc उपमितिभवप्पश्चा कथा |

fa च। सर्वेषामेव geet भुवनोदरचारिणाम्‌ | ag चारिचधर्मोऽयमग्टतं कस्य दुःखदम्‌ तथापि पापिनः सत्वा भवचक्रनिवासिनः | एके नेमं विजानन्ति fara विपुष्काः तदेष ते मडहाराणखतुवंदनमसुन्दरः | वणितिः सान्मतं वच्छे परिवारमथाधना येषा विणलोक्धते aq परद्स्फटिकनिमेला | autaa fafasra नारौ सर्वाङ्गसुन्दरो xa हि विरतिनांम arate aca: 1 समानगणवोयां ग्दमुजानेन ada

तथा इडि। आआल्हादजमनौ खोक निदेतेर्मागंदेभरिका | गता तादाब्धमेतेन मिन्नेय प्रतोयते एते पञ्च दृश्यन्ते राजानोऽभ्यणएवतिनः | एतद्धैव ACMA खाङ्गग्ता वचस्यकाः `

तत्र are: सामयिकास्योऽयं ्पतिर्जेगसत्पुरे निःगेषपापविरति वश्च कारयते सदा केदोपस्थापनो माम दितोयो ag पतिः | पापानुष्टानसद्वगतं विशेषेण निषेधति परिहार विश्द्धोयस्ततोयस्ठु नरे शरः |

चतुर्थः THT: |

सधनां शेयह्ययं तपोऽष्टाद रमा सिकम्‌ 11 Vea दृश्यते वत्स चतुर्थो वरण्डपतिः।

खष्मसंपरायास्यः खष्छपापाणना शकः अल्यन्तनिमश्ञो वत्स निरता गेषकस्मषः |

एष सारो यथाख्यातः पञ्चमो वरण्डपतिः 4 शरोर जो वितं wer सवख तत्वमुत्तमम्‌ | सारिचधमेराजस्य TAG वयस्काः wey निकटे ag दृश्यते मूलग्पतेः | सोऽसेव यतिधर्मास्यः सृतो राच्यधरः परः बहिरविलोकिता भद्र ये तया मुनिपुङ्गवाः अत्यन्तवह्ञभस्तेषामेष राजसुतः खदा ave श्रभिर्वह् परिवारित वियः | मानुषाणि प्रङ्वेन्ति तानि यत्तन्निबोध मे यो षिदाद्चा चमा नाम मुनौनामपि awa | तेषासुपदिश्त्येषा ख्दा रोषनिवारणम्‌ डिम्भरूपमिदं तात दितौयमिह मादेवम्‌ | करोति निजवो्थेण साधृनामतिन्ताम्‌ दतौयमाजेवं नाम डिम्भरूपमिदं ख्दा waa सरलं भावं विधत्ते ae सद्धियाम्‌ एषा तु मुक्ता तात चतुर्थो लना eer) निःसङ्गं बहिरन्तश्च gaat कुरते aa: तपोयोग इति ख्यातः ag: पञ्चमो गरः | 87

९६० उपमितिमवप्रपष्चा कथा |

UM दादभ्भिवेत्छ खनाक्रिकेवंरमानुषेः एतेषां प्रभावेण मानुषाणां नरोत्तमः | यदेष gid जने पुरे तन्ते मिवेदये सवांहारपरित्थागाक्निःस्पहं कुरुते जनम्‌ ala वर्धयत्येष कारयद्यूमभोजनम्‌ waren gated नानाभिगशसुन्दरम्‌ | मुमयो टन्तिसङ्कपं शमसखात विवर्धनम्‌

तथा Titi gaff मोशोद्रंकादिकारणम्‌ | अस्यारे शरा ज्निषेवन्ते AMAT Faraway कषायद्दिययोगख संलौनास्तात साधवः | विविक्रषयेया नित्यमासते तेन चोदिताः प्रायञित्त दश्धा विनयं चतुर्विधम्‌ | वेयाएव्यं कुर्वन्ति शधैवास्य Tela: पञ्चप्रकारं खाध्यायं sar ध्यानं सन्तमम्‌ | सतत कारयत्येष मुनिलोकं नरोत्तमः गणणोपधिश्रोराणामाहारस्य निःस्पृहाः प्राप्ते काले प्रकुवन्ति त्यागमेतेन चोदिताः लेश्ोोदे शादिदं aq तपोयोग विचेष्टितम्‌ | वणितं विस्तरेणास्य aaa नास्ति निषितिः यस्वयं Ta वच्छ षष्ठोऽमौषां ममोरमः | वल्लभो सुनिशोकस्च gaara नरोत्तमः

चतुरधैः wera: | १९९

सप्तद ्रभियेक्ठा मानुषेजिगसत्पुरे | wer विजम्भते तात तन्ते ad निवेदये पापाख्वपिधानेन शाकबोधनिराङ्गलम्‌ | पश्चेद्दियविरोधेन संतुष्टं farmer कषायतापप्रश्रमाचिन्तनि्वाशषन्धरम्‌ ` मनोवाक्षाययो गानां नियमेन मनोहरम्‌ ` सततं धारयत्येव सुनिशोकं नरोत्तमः | संयमाहः खवोर्य मिमं टतिषागरे अथवा द्लाजलानलगताममिला fanaa | feet fafaequgetaret निषेधति aferafa aaq fearacagety | UWS AG यन्नेन वारयत्येष संयमः Wee ण्डिलादौनां ग्टदस्धामामुपेचणम्‌ | खानादिकरणं सम्यक्‌ तद्भूमो नां waste ्रहारोपधिशय्यानामश्द्भाभिकभावतः | परिष्टापममन्तख्च मनोवाक्राययन्त्णएम्‌ faqwaaaaa: सततं सुसमाहितैः | मुनिभिः कारयत्येष सर्व॑मेतश्नरोश्तमः तदिदं लेशतो aq चरितं परिकीर्तितम्‌ | नरस्य संयमाख्यस्य गरेषाणां we सा््रतम्‌ एष सप्तमो वल दृष्यते पुरूषोत्तमः |

१९२ उपमितिभवप्रपच्चा war |

यतिधमेपरौवारे सत्यनामातिसुन्दरः fea मिताचरं काले जगदाख्हाद कारणम्‌ श्र्यादे शेन भाषन्ते वचनं मुनिपुङ्गवः

शनौ चाभिधानो at aq वर्तते चाष्टमो नरः ! द्रव्यभावाद्धिकां शद्धिमस्यादे ग्रेन कुवते यदिदं नवमं तात डिम्भरूप मनोहरम्‌ | ्रकिञ्चन्यमिदं नाम मुनोनामतिवद्लभम्‌ श्रवाप्नसोष्ठवं am बाद्यान्तर परिदम्‌ | मुनिभिर्मो दयत्येतच्छद्स्फटिकनिमंलम्‌ दरदं तु दशमं तात WAG मनोहरम्‌ | agwafafa ख्यातं सुनोनां इद यपरियम्‌ दिब्ौदारिकसम्बन्धं मनोवाद्काययो गतः | RAE] वारयत्ये तत्छतकारणएमोदनेः

तदेष श्भिवंन्छ मानुषैः परिवारितः) पुरेऽज विलसल्थेवं यतिधर्मः खलोलया एषा विलशख्टो्ि्वा लिकामललो चना | सद्भावसखारता नाम भार्यास्य gfaawar sat Tafa Haat मरफऽस्या जवति श्रत्ययेरतचित्तोऽस्यां राजष्ूनुरयं सदा fa चेह aaa दाम्वत्यमिदमोदृश्म्‌ | fafiagennta ce कुच दिग््रया यः पुनदृश्छते तात दितोयोऽयं कुमारकः +.

चतुः प्रस्तावः | ९१९ द्‌

सटडिधर्माभिधामोऽषौ कमिष्ठोऽस्य aster: यदेष कुरुते ay Bw sewage: | जेनेखसत्पुरे चित्तं लसन्दामलोखलया acy aufaarfa पुरतस्ते atau | चेतः समाहितं wat तच वत्सावधारय शरत्यश्तस्यलवत्सायाः क्रसिदिरतिसुन्दरम्‌ | wean करोत्येष पुरे जनम्‌ स्लस्तय निटन्तं परदार पराडमुखम्‌ | क्चित्छंदिक्तमामं सकलेऽपि परिग्रहे | परितव्यक्रनिशाभक्र शतमानं संवरे | यु क्रोपभो गसम्भोगं कममानुष्टानकारकम्‌ अनयेदण्डविरतं सामायिकरतं सदा | देशावकाशिके सक्र पौषधे शतनिश्चयम्‌ श्रतियेः विभागेन परिप्रूतमनोमलम्‌ | करोत्येष जमं वस ग्हिधर्मोऽच war कि a1 यो यावन्तं करोत्यज निदेशं what जनः | तस्य तावत्करोव्येष फलं नास्य संशयः या त्वेषा बालिका aq विस्फारितवरेचण्ण Tada mea Wer सहुणरक्रता qee सुनिलोकसय qeut विनयो द्यता | भतेरि खदबद्धयं WG सहुएरक्रता

९१९8

उपमितिमवप्पश्चा कथा |

तदेतौ जेनखोकानां राजपुौ saat | विज्ञातग्यौ प्रृल्येव सततानन्दकारकौ शरमयोख सदा faa विहितः परिपाकः | अयं महम्तमो वत्स सम्यम्द्‌ शेममामकः श्रनेन रहितावेतौ sad कदाचन एतौ इहि वर्धथत्येष निक टस्थोऽतिवनत्छलः

अन्यच्च |

यानि ते कथितान्यचर सत्त तत्वानि सत्परे | ूढनिद्धयमेतेषु भवचक्र पराङ्मुखम्‌ श्रमसंवेगनिवेदङूपास्तिक्य विराजितम्‌ |

मेनो प्रमोदकादश्छमाध्यस्छेभां वितात्मकम्‌ सद्‌ा प्रयाएकारूढं fasat गमनेच्छया | करोत्येष जनं Ay सम्यग्द शेननामकः

या त्वेषा इश्यते ae इभव्णं मभोहरा | दयमस्वेव सद्भायां aefeata विश्चता va fe जेनलोकानां aan वौर्यश्रालिनो | feneaatl war विधिना पयैपासिता

एवं faa |

योऽसौ निबेदितस्तभ्यं कुदृष्टिसहितः पुरा विचिच्रचरितस्तात ayratqaera: तदाचारविष्द्ध fe सवमस्य विषेष्ितम्‌ | fata जगदानन्द सुविचारितसुन्दरम्‌

Aa: प्रखावः। १९४

तन्यति यन्नेन महामोशबलं खदा | सारि्रधमेराजस्य TRG ACMA: सम्यग्दशेनसन्नस्य तस्माद Batya: | ख्व श्चुः परमो भिथ्यादशेननामकः wa fad | frecy wage fafecrarg कारणम्‌ | eau प्रति पचचस्य प्रश्मेनोभयेन वा तश्च रूप्यं AH जायेतास्य खभावतः | यदा सपादयेदेष HM सद्दोधनामकः aa fe सचिवो aq बोधो भुवनोदरे | तल्ास्ि aa जानोते पुरुषायेप्रमाधकम्‌ भवद्भू तभविव्यल्ु भावेषु भवभाविषु | विज्ञातुं प्रभवन्धेष खश्छव्यवहितेषु किं चाज बडनोक्रेम जगदेष चराचरम्‌ | अ्रमन्तदरव्यपर्यायं ated विमलेखण्ठः निपुणो नौतिमार्गेषु वल्छलख महो पतेः | चिन्तको राच्यकार्यांणां बणे विहिताद्रः.॥ प्रियो मदन्तमस्योचचेस्तश्य स्थिरताकरः | सकलेऽपि anya सचिवो माख्यमूदृश्रः 1 कि a भ्ञानसवरणस्याय प्रतिपक्तया faa: | चयोपश्रमतस्तस्य ware दिविधो मतः

eq

उपमितिभवप्रपञ्चा कथा |

wa तु निकटे ag fare सुलोचना | ufeutsanfaata wales वरानना खरूपं जोवितं प्राणः सवैखं वर्ततेऽमघा | इयमस्य सदा पल्लो श्रोराव्यतिरेकिण्णौ

लया |

एते पञ्च इश्वन्ते इमे पुरुषोत्तमाः | श्रस्येव तु agua खाङ्गोश्ठता वयस्यकाः ्रद्योऽचाभिनिबोधोऽथ वयस्यः पुरवासिनाम्‌ | tearfafeanra जनानां ननयत्यलम्‌ दितोयः पुरुषो भद्र प्रसिद्धोऽयं सदागमः | यस्यादेशरे खितं wa पुरमेतन्न संश्रयः कार्याणि aay मिखिलान्यपि wy वचःपाटवय॒क्रोऽयं मूकाः शेषा ATA: यतः सदागमस्यास्य दृष्टा वचनकौ शलम्‌ | सद्दोधोऽनेन पेन मग्रे ापितः पुरा रयं सदागमोऽमोषां स्वेषां वत्स WYRM | बहिश्च जेनलोकानां ज्यः परमकारणम्‌ अनेन रहितं ag कदाचिदिदर बलम्‌ | पुर चेदं जगत्यच खरूपेण प्रका शते

तदेष स्वेकार्याणामुपदेष्टा सदागमः | दितौयः पुरूषो aq प्रधानो ऽमेनं Yar दतोयोऽवधिनामायं egies वयस्यकः |

चतुरैः प्रस्तावः | १९७

शरनेकङ्पविसारकारकोऽचसुदा इतः कचिदहौधं कचिद्रख् कचित्‌ ata afer | qa ane विलोकयति weary चतुथः पुरुषो ae मनमःप्याथमामकः। साचात्करोति are परेषां waar मनुव्यलोकं नाद्र चन्तं तत्तात किंचन अनेन यन्न दृश्ेत Whaat भाववेदिना पञ्चमः पुरषो वस केवलो नाम विश्रुतः | निःगरेषन्चेयविस्लारमेष पश्चति सवदा निरेति act यान्ति ये जना जेमसत्पुरात्‌ तेषामेष प्रत्येव नायकः पुरषोत्तमः तदेष पञ्च मिवत ave: परिवारितः | सद्दोधसचिवो लोके arerfea दिवाकरः प्रकर्वेणोदितं. माम सन्तोषमरोपतिः | दर्शितस्वयाद्यापि यच मेऽत्यन्तकौतुकम्‌ TAMAS वत्स योऽयं पुरः शितः | संयमस्य faa: सन्तोषो माच संश्रयः WHAT यस्योपरि समायाता महामोहादिग्वमुजः ¦ ` fadtw सन्तोषो नेष किं मूलनायकः विमर्ेगोदितं ae Aare मूलमायकाः | चारिजधमेराजस्य पदातिरिति रुद्यताम्‌ 88

१९८

यतः

एवं

उपमितिभवप्रपञ्चा कथया |

शूरो नौतिपरो ze: सन्थिविद्यवेदकः | तेनैष तग््पालले नियुक्तो मूखग्यमुजा संपूणवलसामग्या रमतोहामलोशया | अनेन स्पश्नादौनि तानि इष्टानि कुबचित्‌ ततोऽभिगश्रय तान्येष wares निदेतौ नयति खम जनं कंचिद्टेनेषां भरोभुजाम्‌ ततो विञाय टन्तान्मेनं ते जमवातेया | महामोषादिश्धपाशाशलिता CURA aaa: खधिया aq कश्यितो मृशमायकः | पदातिरपि सन्तोष्लनेद इन्त कारणम्‌ aaa जमो Aha areas freee | यतः सितादरोऽपौर wu: सर्पोऽभिघोचते may श्यश्रमादौनि निहतामोति वातेया | श्रस्योपरि चया रोषरेषां शेषेषु मो तथा न्तोषमुररोरत्य ततौ विग्वाञ्कया महामोशादयो ag खपुरेग्यो विनिगेताः चिन्तटृश्तिमदहाटव्यां रणएमेषाममेकश्चः | संजातं संजातौ स्फुटौ जयपराजयौ # ' | afeexafa सन्तोषखन््पाशोऽरिसदतिम्‌ प्रभवन्ति wfensta मदहामोहादिग्ञ्चजः faa}

UY: THATS: | dee.

सदा सेन्यदयष्याख्च इषान्योन्यं जिगौषतः | काले गच्छति agra जाने fa भविति एष दशितस्तश्ं मया eater: | अआख्ातखाख्य sat यज तेऽ्यन्तकौतुकम्‌ या लख्य Ue पद्माकौ इृष्छते ay afer खा निष्धिपाख्ता माम भाषास्तेव वरानना शब्दरूपरसस्यग्रेगन्धेषु सुधियां मनः | निखष्क करोत्येषा रामदेवविवजितम्‌ लाभालाभे सुखे दुःखे सुब्दरेऽसृन्दरेऽपि | तथाहारादिके जते सन्तुष्टं TIAA ` तदेवं ag वुष्यसञ निविंकश्पेन चेता | चारिषधर्मराजोऽज सायकः परमाथेतः

शरस्य धतिधमेः git ara गटद्दिधमेः कनिष्ठकः 1 wet उद्ोधनामाथं निविष्टो राष्यचिग्भकः मडन्तमस्छ fase: सम्यम्द शेनमामकः | सन्तोषस्तन्तपाणोऽयमेवं बह्यावधारय.॥ महामोहारयः सर्वे यथा भुवनतापकाः | aaa aay faster भुवनाष््ारकारिएः एवे fe aacrear एते हितविधाथकाः | एते aaengat पारमार्भिंकबान्धवाः एते निरन्तधंषारसागरोत्तारकारकाः

Gee उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

श्रमन्ताखहादषन्दोहदायका जगतो मताः # लारिचधर्मराजादाः Sasaa ACA: | सुखदेतव vay स्वेषामपि देहिनाम्‌

तदेते खाङ्गिकास्तात तावदित्थं मयाखिश्ाः

चारिचरध्मराजस्य बान्धवास्ते निवेदिताः ये ant वेदिकाग्वरं वर्तन्ते मण्डपख्धिताः | इरएभाग्रयादथस्तात aswea पदातयः a अस्यारेभेन Zafer सुन्दराणि षदा अने | एते कार्याणि पाशा निर्मिंथ्यमन्हतोपमाः किं a1 | | age योषितो fear ये णोकसुखदहेतवः | विवतन्ते समस्तास्ते मध्येऽमोषां मरोशुजाम्‌ ततख | seers वत्स पूरितं भ्रिग्रभिपेः निःगेवमिदमाखानं को हि वपरंयितु कमः ततो मयेदं ते ag समासेन निवेदितम्‌ | गच्छावः BHA Tet यदि Wi ट्र रणम्‌ एवं भवत्‌ तेनोक्ते विनिगेत्य विलोकितम्‌ चतुरङ्गं ae ताभ्यां ald aw कौदृशम्‌ गानर्योदा्शौयांदिनामभिः खन्दनैः षदा प्रं खद्घणघण्रारावपूरितागरेषदिकुपथम्‌ यश्रःसौ एवसौजन्यप्रभयादिमहागजैः |

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चतुर्थः Wea: | ७०९,

विलसत्कष्ठ निर्घोषसर्द्धभुवनोदरम्‌ बुद्धिपारवव्रा समिन पुष्या दितुर क्रमेः | महाहेषार वापूणषत्मजाकणंकोटरम्‌ अरचापल्षमनख्वित्वद्‌ाचिष्छादिपदातिभिः। अरलब्धगाधविस्तोणे स्तिमितोद धिविभमम्‌ ततसेवं विधं वोख्य चतुरङ्ग महाबशम्‌ | प्रकषेखेतखा तुष्टः प्रोवाख निजमातुलम्‌ यथेष्टमधुना माम पूरितं मे कुददलम्‌ | यद fafeges aaa efi लया तथाहि | द्‌ शितं भवचक्रं मे नानाट्न्तान्तसङ्ुद्म्‌ | महामोहादिवौये कारणैरपरापरः विवेकपवंतखायं दितो मे मनोहरः | निवेदितं सल्लोकैः पूणं षाल्िकमानसम्‌ fret चाप्रमन्नलं जेनं चेदं ALITA | an महात्ममिर्खोकेदंभितं मम खन्दरम्‌ an च्ित्तखमाधानो मण्डपो वेदिका मे। लया निःस्यहतास्थाता जौववौयं विष्टरम्‌ वणितश्च महाराजः साकात्करणपूवंकम्‌ | प्रत्येक वणिताः स्वे warerqe सेवकाः ददं दितं रम्यं चतुरङ्ग महाबखम्‌ एवं gam माम मास्ति तद्यश मे रतम्‌

०२

उपमितिमवप्पञ्चा कथः |

जनितः पूतपापोऽह wat दद नुग्रहः | छपापरोतचि्न पूरिता मे मनोरथाः तयापि रमणौयेऽच वस्ठुमिच्छामि बाश्मतम्‌ | दिनानि कतिचिन्माम लौलया saat

fa ai

यया aura तिष्ठामि सदिषारपरायणशः | पुरे तथा तया प्राज्ञो जायेऽहं वप्मभावतः श्र परमां काष्टां नेयो Alaa Baer | wat जेनपुरे तावद त्वं वस्तमरेसि ततस्तकमातुलेनोक्क या तवेच्छा प्रवर्तेते |

तामेष STAT किं भनक्ति वशो जमः महाप्रसाद THA ATTA सत्पुरे

स्थितो मासदथं थावलछ wae: Tae: aq भमानवावासे वन्तो शदितस्तदा | श्रदेगेन महादेव्याः ATAt UW: खुदाद्णः

aa aw |

जगत्कोषटकमध्यस्थो लोहगोशकसज्निभः | यायते Waray जगद्‌ाहकरो रविः

जायति पचश्रारस्तरूणामखं Var देहिनां थच देहे वशम्‌ | Part प्रारिमिर्ैरिधाराजशं wat चास्समेषां टषात्यगं खम्‌ द्यते तौत्रतापेन wal जमः खिद्यते निवंदितं तन्मनः वान्ति वाताः सतप्ना जगत्तापिनः इएष्कपवावलौममेराराविएः

चतुः WTA: | ७०द्‌

श्रपि ai भानोरिव प्रतापेन eae वर्धितं दिनम्‌ | watford wa: सन्तोषाद्‌ मिवर्ध॑ते यच विद्खिता म्जिकाः। विकसिता जाद्यपारलाः | श्वामशितं gqaate fader) सुभगो ताखनद्किरणाः | इदयद चिता जलाश्रयाः मनोभिङ्चिता मौ क्रिकहारयष्टयः | अतिवल्लभानि विमशम्येत्लानि | प्रियतमानि चन्दमविलेपना- नि marred ताजटन्तव्यजनकानि सुखायन्ते नरिशिरकिषल- यङ्ुसुमसस्तराः। ants बदहिःश्ररौर निहिता wf अनानाम- न्तर्मानसे चन्दभजलाद्रां दति ततस वं विधे are भा गिनेयमभाषत | गच्छावः Waa वल खस्थानभिति मातुलः प्रकषैः प्राङ्‌ गमने दारुणेऽवखरोऽधुमा THE माम vata गम्तमेवं विधेऽष्यनि ततो माबद्यं तिष्ठ माम सन्तापटारुणम्‌ | येनाहं शोतलोग्धते feqet यामि सलरम्‌ किच | विचारपरयोः ानमावयोगेएकारणम्‌ | श्र जओनपुरे माम मा मखा निष्मयोजनम्‌ यतः मम GG भवेदेवं घुरस्याश्य TUR | ततद्ञातोऽपि जाचेत महुणादच बद्धपौः

०8 उपमितिभवपपष्ा wat |

एवं भवतु तेनोक्ते ततस्तव सत्पुरे

तिष्ठतोः प्राटृडायाता तथोः सा इन्त ate चघनतुक्गपयोधरभारधरा अषदुश्वखविद्युदलङ्करणा | हत सम्ततगजिवधौररवा दृढगोपितभासछरणाररता रटदुद्धटददुंरिश्ननरा चलश्एश्नवलाहकहासपरा | गिरिकोटरनृत्तश्िखण्डिवरा बहलोकमनोहररूपधरा सु सुगन्धिकदम्बपरागवदडहा विटकोटिविद्‌ारणएमोदसहा | दति रूपविलाषश्चसत्कपटा भुवनेऽज रराज यथा Ree

श्रय तां तादृशौ Tey sree इष्टमानसः |

प्रकर्षो wate: प्रोवाच निजमातुलम्‌

गम्यतामधना माम त्वरितं तातसन्निधौ

यतोऽमौ WAST वतन्ते सुगमाः पथाः

faatintfed aq मेवं वोचः कदाचन |

अतोऽधुना व्यवच्छिन्नौ विगरेषेणए गमागमौ तथाहि

gear: खाघधोनद यिताननाः |

वर्षासु धन्या wera saa safes: ` तथाहि | पश्यतु वलः

जलपूरितमागगेषु पङजिन्नेषु गच्छतः |

wfaar पतितानेते हसन्ति कुटजोत्कराः

निपतद्ारिधारौघहता ये यान्ति पापिनः |

देशान्तरेषु तान्मेघो मारयामोति गजंति

चतुः प्रस्तावः

एवं वख्धिते तात मुच्यतां गमनादरः | धयेयकं खितः are तिष्टाचेव तचाधुगा

fa a)

TERT TW: काणो टोषाय Fura: | धतः सोऽनुदणं aq आयते . तव sea

एवं भवतु तेनोक्तं पुमर्मासचतुष्टयम्‌ |

खिला .खमागतौ गेहे इष्टौ खसोयमात्लौ अरय प्रविष्टौ तौ RB cares श्भोदये | मार्थायुक्ते awa france freed

ततो विधाय ager प्रणामं fafeareat | तेषां सुरो निविष्टौ तौ विगयाच्छुदूभ्रतले बलादुत्याण geet fai: छिग्धचेतसा . sifafea: प्रयत्नेन agal पुनः पुमः प्रकर्वोऽपि खमाशिश् खहनिभेरमामसेः . -. निनादे खापितः सर्वेः परिपाखखातिवक्लभः ` WHat Fe कुशलं Fuge: | श्रानन्दोदकपू्ण्चेः ve: aa! समातुलः ततो थथा विनिगेत्य गेदादाद्येषु दिष्ठितौ ततोऽकरङ्गदेशेषु यचा पर्यटितौ पुनः यथा We दृष्टं यथा दृष्टा महाटवौ | विलोकितं यथा खानं महामोहादिग्धसुजाम्‌

रसनामूखशङ्धिख्च थथा सम्यम्विनिथिता `. 89

७०४

ood

उपमितिभवप्रप्श्चाक्या।

gud ade Get Waseca: कुठहणदनेव्र भवचक्र रया मतौ मिरौ शितं aaa नानाटन्तान्तसङ्कुलम्‌ ` ` यवा EST महाद्मादो aaa लारिजधमेराजख war खान विोकितिम्‌ यथा दृष्टः सन्ोषो wy तेन॒ विचहितम्‌ यच्च कारकषष्धदिष्र गरिकाणोऽतिक्मडितरः तदिदं तेन निःशेषं विमेन परिष्फुटरम्‌ | gut किचक्रणणरोगां fate जिवेदिवम्‌ Vay मांसमचाचेकालबस्तामसौ जड़ः cant अोलतावा द्येन Sayfa किंचन तस्ता GMA सक्तः Fae: कमं प्रह्धितम्‌ पष्यति महापापं wert क्ुख्कमम्‌ अन्यदा RATATAT | aU मारयामौवि मारितः पश्पाखकः ang तमार प्डुभाग्धा तिपातितम्‌ | faci लोखतादुःखाव्वडेवेदं विचिल्तितम्‌ 9 लालिता रखना नुनं म्सिर्ाना विषेद्या ददं तु mat मांसं नेव दत्त Tere ततोऽधुन्ञा ददाममेदमखे पश्चामि ATED: | KIT HAA तरोप्रो THAT: PATqE: ततः HER TR तेनु ज्ञात पमोदिता

` ` चतुरं rere: |

THAT Wea तुष्टा शोऽपि दवेशुपार्गतः WAG लोलतावाक्येरपरापर मानुषान्‌ | fae, araar साधं ares: बं रोशसः ततो बाष्ठजमेनापि भिन्दितौ बंन्धुवजितः | लोकेन afta जातः पांपकमेणा अन्यदा Bream aqeret frwtea ` परविष्टखौरवद्राजौ गे शरङ्ुटुम्िमः ततः प्रं MER टोला निःसरनं बहिः दृष्टस्तेन YT जड़ः क्रोडान्धचेतंसा ततः कणलकशारावं Bar सद बान्धवः | तेनास्फोख् faagisat मारितो चातनांश्वेः प्रभाते TUM: संजातः प्रकटो जने | तथापि किंचिंच्छरस्य नं शतं जडङबन्धभिः fa afe प्रत्यृत afafad चदुल शूरेण fated चार यदसौ कुशदुषणः | श्रस्माकं शाघवोत्यादौ जडः पाषो निपातितः aq avec fatten frau: | ततस्च चिन्तयत्धेवं निमेशोमसमानंसः अये | दइ लोके Weed रखनालाखने फलम्‌ | संजातं परलोके तु दु गेतिः शंजनिय्यतिं ततोऽव्ययं विर क्रोऽखौ रसनालालनं प्रति . .

उपमितिमवप्पश्चा WUT |

fart free: पूव arent squat ततद्च | afearat faatian मूल्ररङ्धौ faqs: रना त्य ्रकामोऽसौ पितर प्रत्यभाषत तात इृष्टविपाकेथं रसमा साग्मतं जडे | दुहिता टोषपुश्चस्य रागकेषरिमन्तिएः तदेनामधुमा दुष्टां भावों दुष्टङ्खणोर्गताम्‌ | waar त्यक्षमिच्छामि ताताहं वदनुञ्चया ततः शएभोदयेनोक् भांति प्रथिता अने तवेथं रसना तस्मान्नाकाण्डे त्थागमरेति अतः क्रमेण MMI त्वयेयं TV स्वंथा | दज WARS ते तद्‌ाकणेध Asa ये ते तुभ्यं महात्मानो विम््रेन निवेदिताः | विवेकपवेतारूढा महामोहादिषदमाः तेषां wa fase acrerte तिष्ठतः | दुष्टापि रसना ae ते किचित्करिव्यति तस्मादारुह्य यत्नेन a विवेकमहागिरिम्‌ | रसनादोषनिमुंक्सिष्ठ त्वं सकुट्म्बकः ततो विचक्षणेनोक्कं तात दूरे पवतः | कथं कुटम्बसहितस्तजाह गन्तुमुत्सहे शएभोदयोऽतरवौदस्ष काय भवता भयम्‌ | faant ae ते बन्धुचिन्तामणिरिवातुणः

Be: प्रस्तावः

watse विद्यते ae faare वराश्जनम्‌ | तदाह भेयत्येष afaea महागिरिम्‌ अकर्वेणोदितं तात सत्यमेतन्न संशयः | अतगत aa यो गाश्चनविज॒म्मितम्‌

fa बहना |

यावदेष महावौयं TI वराश्ननम्‌ | तावदेव दृश्यन्ते ते पवेतपुरादयः

यदा तु विमश्ाखोकमयं 9g तदश्चनम्‌ तदा सवच भासन्ते ते पवेतपुरादयः

ततो विषचणेनोक्रा विमर्शो भद्र दौयताम्‌ मद्यं ATA फं af तव तादृशम्‌ ततोऽनुग्वुद्योव सादर प्रतिपादितम्‌ | विचचणएाय fad विमर्भेन तदश्चमम्‌ ततस्लदुपथोगेन चणादेव पुरः ख्ितम्‌ | favaua age afeerat मिबोघत यन्तल्लोकश्नताकौणे पुरं षाल्िकमानखम्‌ | agra विमलस्तङ्गो विवेको भाम waa: यञ्च तच्छिख्ठरं रम्यमप्रमम्तत्नमामकम्‌ यद्चोपरिष्टान्तस्देव निविष्टं भेगसत्पुरम्‌

ये लोका महात्मानः साभवस्तल्िवासिनः | धद्य चिन्तषमाधानो THAT मण्डपः धा fray नाम वेदिका तज सखिता

०€.

ore उपमितिभवप्रपच्चा Tat |

तखखाख्चोपरि sare जौववो्यै महाबनम्‌ `

चारिज्रधभेराजखं परिवार विवेष्ठितः |

ये तस्य' गुणाः wat ये तेषां मरीसुजाम्‌

तदिदं भो महाराज तदानीं avarea |

विचक्षणेन निःशेषं साक्ारैवावलो किलम्‌

ततश्च भोभो मशानरेन्द्र नरवादहन विचच्णः सदैव तेन

बभोदयेन पित्रा gm एव तया निलचारंतंधा माचा श्रालिङ्गित एव तया भ्रियभावेधा ger सहित एव तेनं ante fanny श्रन्वित एव वचःखशंश्रायिना तेन प्रकर्षेण प्रियतमे समुपेत एव वद्नकोटरवने वतेमानया Teaser सर्वथा सकुदुम्बक एव केवलं तामेकां लोलतां टासवेटौ aftaey निरारूत्य परूषक्रियया संप्रा गणधरनामानमाचाये प्रत्रा जितस्तन fea- स्तेषां जेनपुरनिषासिनां भगवतां साधूनां मघे किलाह प्र्रजित दति मन्यमामः। ततः fafaa: सभस्तोऽपि तेनं तेषामाषारो निषेवितः owen विजिता सा रसना स्वंथा विदहितात्ययं- मकिञ्चित्करो ततः स्थापितस्सेन gear निजपदे विचक्षणः | स॒ चान्यजापि दृश्यमानः wana विवेकगिरिगिखर- वासिनि जेमपुरे zee: 1 यतो भो महाराज मरवाइन विचच्णोऽदमेव विज्ञेयः एते ते महात्मानः साधवो मन्तव्याः| ततो महाराज यह्ववद्धिरभ्यधायि aga किं ते वैरग्धकारणमिति तदिदं भम वेराग्धकारणं। इयं Gem acter अक्व्येति एवं व्यवश्थिते | |

चतुचैः प्रावः |

भार्यारोषेण थो नरम प्रबण्थां म्रुपागतः | च्‌ सापि afta saat येन पापिनौ aq पाश्चयतेऽद्यापि goa तदक्डख्ितम्‌ | we मे BEM माम wT TAT तथापि ते महाराज aaataft गौरवम्‌ | ARIAT AWS AA बत कारणम्‌ | थतः सदोषेऽपि FACT ATTACH: | किमेषोऽचिनधसौन्द्वः सष्लनप्रहटतेगे फः warts | नुनमेषा unt दृष्टिापयष्टिरप्रविंका श्रकारष्टेऽपि या नित्यं रणारोपपरायण्ठा कि वा श्ुबनदब्धस्छ guise इतविदिषः। Weg जेनणिङ्गस्य यतेते sft बयम्‌ तथाहि | wear अपि वन्दन्ते तं भक्रिमरपूरिकः। करसं यख पथ्ग्ति aa farsa विं ब्रान्यल्कारणं किचिद्गदस्थाचारधारकः येनेदृश्ोऽपि वे रानश्नहं दुष्करकारकः `

Ore

एवं बदति भगवति fanfecacenfs faeavact मरवाहनराजेन चिन्तितं श्रो निजचरितकथनेन अगवता अमितो मे atefrwa: | wet भयवतां वखवब्रिन्माङः avi

७९२ उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

विवेकिलवं wet मग्यनुगरहपरता wet दृष्टपरमा्थतेति | विज्ञात मया were भगवद्भाषितष्य गर्भार्थः | ततोऽभिहितमनेन भदन्त यादृशं MR सपन ते कुटुम्बकम्‌ | अधन्यास्तादृश्च नून प्रात्रुवन्ति मादृश्राः ददं पोषयन्नच Safey ंख्ितः भदगम भगवानेव Veal भवतोद्श्रः अन्यच्च | शता किञित्करो येम रखनापि aera | श्रत्यन्तदुजेया खोके ata face महामोहादिवगंच जित्वा यो जेगसत्पुर | श्ितोऽसि साधुमध्यस्थः कुदुम्बसदितो मुने चेत्वे HITT WH दुष्करकारकः | ALENT भवनधन्ये ब्रूहि दुष्करकारकाः agra तव Va Tart जगदहुतः | एतदृन्तान्तयुक्षा ये ते वन्द्याः प्रतिभान्ति मे agent किमेतेषां साधूनामयमौदश्ः | संपन्न एव awa: कि वा नेति निवेद्यताम्‌ ततो विचचषणेगोक्तं सर्वेषामयमोदश्रः | धनां शप संपन्नो Ture गाति संधयः a | संपद्यते तवापौद SHAT नरेश्वर |

चतुर्थः VAT: |

यदि लं कुरुषे श्यो यादृशं age: इतम्‌ दग्ेयामि चष्टनेव तं विवेकमहागिरिम्‌ | TACHA तेऽज खयमेव कुटुम्बकम्‌ तलत | महामोहादिवगे खधमेव विेव्यसे | खछोलतां निरार्त्य Tae साधुमध्यगः ततो भगवतो AMAT मनोरमम्‌ fat चिन्तयत्येव भरवाहनपा धिंवः wet भगवता प्रोक्रमिदमच परिस्फुटम्‌ | एवोक्छइते qhat asa प्रभुता करे ततो भागवतीं दोश्भं गहाण fae शपते | तव संपद्यते बेन Ves यत्त॒ मादृशाम्‌ अहो भगवता VE ममादिष्टं महात्मना | away Zefa चिनेऽवधारितम्‌ ततो विघटिताजिष्टदुष्टपापाश्षद्चयः | अवोचत गरं भावा राजा नरवाहनः 9 भदन्त यदि मे काविदिद्चते योग्यतेदुशो | ततः करोग्यशं ATTY तं AYA भवादृशः किं चानेन | दौयतां fractar मे किथतां मदनुग्रहः | ततो युश्मप्रसारेन सवं चार्‌ भविव्यति

aftarfafed gata विनिखथः | 90

७१8

उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

युक्रमेतद्धि भव्यानां MIRREN

qi मदोयवाक्यस्छ खद्वावाधोऽवधारितः

SMART ते शप ARATE: लथयाहि |

ताङृचु वखामनेषु महामोहादिगशजषु |

को वा नाश्रयते दुगे सुकेभं भेनसत्पुरम्‌

निञ्िन्तो ग्टश्वाशेऽज को वा दुःखौघपूरिते |

श्रासौत विदिते AA सत्पुरे सुखसागरे

अरं काशविशम्नेन राजन्नव महाभये |

एवं ते Maree srry प्रवेशनम्‌

ततो भावगतं वाक्यं HAT संतुषटवेतसा |

तदेतञ्िग्ितं राश्चा दौचाग्हणएकाम्यया

राज्ये कं ख्वापयामोति को वा योम्योऽस्छ मलतः |

ततो विश्फारिता दृष्टिर्न लालदलन्ासिनौ ii

श्रयाग्टहौतसङ्धते तदाहं रिपुदारणः |

तथा निषखसजेव निर्भाग्यो रोररूपकः दतख |

कृशोऽपयसौ शरीरेण तथा तातस्य पश्यतः

एुष्छोदयो wet मे ang सस्फुरतां गतः तत | |

get भिरौख्छमाणेन तातेनामलचेतसा |

ततो मां वोच तातख्छ पुनः प्रत्यागतं मनः

चतुर्च॑ः TATA | ७१४

चिम्तितं aaaa एव रिपुदारणशः | मया बहिष्वुतो गेहाशषपस्लौ श्रोच्यतां गतः हा हा मयेदं नो चार्‌ छतं BETTE विषटोऽपि dae खयं केन्मसास्प्तम्‌ तदिदं प्राप्रकाशं मे तथेदं जनकोचितम्‌ | इदमेव खतां युक्षमिदं दुष्कतश्रोधनम्‌ यदुत एनं रच्धेऽभिषिश्चामि संपश्य रिपुदारणम्‌ | arg रतहृत्धोऽदं दों सामि भिमेलाम्‌ a भद्रेऽग्यहोतखङ्धंते तथाहं दोषपुश्जकः | तातस्य तादशं चिन्तं तेद्‌ इन्त कारणम्‌ नवनोतसमं मन्ये सुकुमार सतां मनः। तत्पञ्चाग्लापसभ्यर्कार्‌ TAT संश्यः Tat सछटिकग्द्धोऽपि सदोषः प्रतिभासते | weg दोषपुश्चोऽपि मिमेलोऽमखचेतसाम्‌ परोपकारखाराणएणं कारणेऽपि निष्रम्‌ | कृतं कमं करोत्येव पञचात्तापं महाधियाम्‌ ततखाह्य तातेन fates निशितः Ae प्रभ्नितखत्थं खूरिगदरदभाषिण्ण भदन्त विदितस्तावश्ूनमेष भवादृशाम्‌ | ज्ानाशोकवतां शोके यादृशो रिपुदारणः | ATS सत्कुले जक सामयोयं ANT

७११ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

संजाता कि परनर्जातं aren चरित पुरा॥ सूरिणभिदित शप दोषो sea तपखिनः। TRIMS सर्व॑स्य कारणम्‌ तातेनोक्क | अमथंसायेतुभ्यां भदन्तेह कदा पुनः | sat पापवयवश्या््यां वियो गोऽस्य भविष्यति i सूरिरा महाराज विथोगो sofa qe: | गलराजग्षावादौ यतो surat कारणेन gay वियोगोऽस्य भविश्यति श्ररिकाले गते तत्ते संप्रत्येव मिबेदये इएद्धामिसन्धि विंश्यातो मगरे wear | राजासि ve दे we वरताव्यंते किल खटदुतासत्यते नाम तस्य बे कन्यके WH | विद्येते भुवनानन्दकारिके चारूदशेने साच्ादग्तशूपे ते ते सर्व॑सुखदायिके | अत्यन्तदुलेभे श्प दु तासत्यते शनेः एवं fea कद्‌ाचिदिष ते कन्ये Gea रिपुदारणः | aga वयस्याभ्यामाग्यामेष वियोच्यते धतः | | गृएसन्दोदग्ते ते तयेमौ दोषपुश्जकौ तस्मान्ताभ्वां सदावस्ा AAMT पापयोः

चतुर्थः प्रस्तावः | €१७

ततः प्रयोजनश्यास्य कथिदन्यो विचिन्तकः | यत्त॒ तेऽभिमतं श्प तदेवा चर ara तच्छरुला चिन्तयद्राजा तदा मरवाइमः। अदो कष्टमहो कष्टं Gataa तपखिनः wegut fog भित्यं पाशचखौ द्‌ःखदायिनौ | अरहो वराको नेवासौ यथार्थो रिपुदारणः ततः किं क्रियतामत्र saree प्रतिक्रिया | त्यक्रसक्गो YATE तत्करोमि डितमात्मने ततोऽभिकष्य मां राच्ये हृत्वा सवं ययोचितम्‌ | विचच्फएगरोः पाश्वं निक्रान्ो भरवाहनः लत | विबेकशिखरस्थोऽपि विचचणसूरिणा | साधं बाह्येषु Say विजहार महामतिः ममापि राच्ये संपन्ने लभावसरसोष्टवौ | शेलराजग्टषावादौ नितरामभिव्ितौ a दण्तुख्धं Wed पश्यामि Bact ततः | जलगण्डुषसंकाग्रमनतं प्रतिभाति मे॥ एवं

पिद्धेरुप्रास्यमानस्य निन्यमानस्य पण्डितः |

are धूततवचनेरलौ कंखाटुकमेभिः पुश्थोदयस्य माहाव्ाद्राज्यं पालयतो मम गतानि कतिचिद्धद्रे वर्षाणि किल wear

aye उपमिलिमवप्रपश्चा कथा |

इतञ्योयप्रतापश्नः सावंभौमो दिषंतपः | चक्रवर्तो तदा शोके तपनो नाम शपतिः सवेवलसामग्या महोद शेनलो खया | was समायातः पुरे सिद्धाथेमामके ततो fafeaaatace मन्तिमहन्मेः | हितकारितया प्रोक्तो विश्चातनपनो तिभिः यदुत 1 GHIA नगज्ज्येष्ठस्तपनोऽयं ANA: | तदस्य क्रियतां देव wet wary पूच्योऽयं शवेग्धपानामवितस्तव gas: | विगरेषतो wera: aad मानमदेति श्रं तु शेराजेम विधरोशतचेतमः | आश्मातस्तभसर्वाङ्गस्तानाभाषे तदे दश्रम्‌ यदुत } श्रे विमूढाः at नाम तपनोऽयं ममाग्रतः | येनास्य पूजनं Haag पुनरेष मे तदाकश्यं मग्तिमन्तमेश्क देव मा मेवं वदतु 2a) अरस्य हि पूजनमञ्ुवेता देवेन शङ्कितः पूवपुर्षक्रमः परित्यक्रा राजनो तिः wea नोता: प्रकृतयः समु चद्तं राज्यसुखं परिषशापितो विनयः श्रपकरितमख्मदचनं भवति asd वदितुमरंति देवः | कियतामस्माकमनुरोधेन तपनराजस्याभ्यद्गमनं देवेनेति वदन्तः पतिताः waste मम चरणथोः। ततो wait मनाङ्‌ मे

BAW: Tea: | ७१९

जेलराजौयदइटया वले पनावष्टम्भः। केवलं संज्नितोऽहं सषावादेन | ततो मयामिदहितं। ममा au चिन्तोत्ाषः। axed य॒य श्रुत यथोचितं ae ठत पखादागमिग्यामि। दन्ता्याने राजनि प्रवेच्छामोति। ततो यदाज्ञापयति देव इति वदन्तो निगंतासतपनाभिञुखं मणग्विमहन्तमा रानलोक्ड सन्ति Ta तपननपते वि विधदे श्रभाषावेषवणखरभेद विश्चागान्तधांन- विश्चातारो बहवखर विशेषाः ततः केनचिश्वरेण विदिवोऽयं aunt निषेदितस्तपनाय इतख मण्तिमरन्मरविंडिता तपन- राजस प्रतिप्तिरूपश्यापितानि महाद्प्राखतानि समावजितं इदयं दन्तं Wer तपननरेष्रेण। प्रष्टा रिपुदारणवा्तां | मणग्विमहन्तमेदक्तं 2a देवपादप्रसादेन guet रिपुदारणः। समागच्छति चेष देवपादमूलमिति ततो दन्ता ममाहायकाः | विजञभ्भितौ शेखराजग्डषावादौ | ततस्ते मयामिङिताः चदुत अरे वदत तान्‌ गला खवांश्िमहन्तमान्‌

चथा केना प्रहिता युयं दुरात्मानो नराधमाः

ततो मया नागमव्यमेव। BUA धयं इतरथा मालि भवतां जोवितभिति तदाकण्छं गतास्तत्धमौ पमाहायकाः। frafea मग्निमहन्तमानां agar) ततस्ते तच स्थाने श्वेखच्छाः Ter: sem नष्टजोविताश्राः परस्यराभिश्ुखमोक- माणा अहो रिपुदारण््छ म्यादेति चिन्तयन: किमधुना कतव्य भिति विमूढाः सवेऽपि मदोयमणग्धिमहन्तमाः afearaqa- मरे गे ततोऽमिहितमनेन भो भो खोका धौरा भवत।

७२० उपमितिमवप्रपच्चा कया |

मा भेषने दोषोऽयं भवतां प्रतोतं मे रिषुदारणखय Me ततोऽहं खयमेव तेन भजिष्यामि | aad भवद्भिरवस्ड निबन्धधरेन भाव्य | मो क्रव्यस्तस््ोपरि «atfaqsarm: | atfeatset राजलद्धधाः | योग्यो युश्रदिधपदातोनाम्‌ तथाहि इशशररूपाणणं रतानां शदधमानसे | मग जातु राजदसानां काको भवति नायकः

ayy wae . तस्योपरि खेहमावं ततो मयि विरक्र- लवात्तेषामभिदहितं स्वैरपि यदान्नापथति देव इति। ततो $भिरहितस्तपनमराजेन योगेश्वरनामा तन््रवादौ कफे। यदत गला तखेदमिदं कुर्ब्वेति योगेश्वरेणोक्क। यदाज्ञापयति देवः ततः मागतो. AGA सर ग्रिराजयुश्षर्योगेश्वरः। दृष्टो ऽह कृतावष्टम्भगेलराखेन समालि ङ्गितो anaes परिषे्टितिखोपास- नपरोबेडिरङ्गैः fageta: 1 ततः पुरतः feat तेन योगेश्वरेण तन््वादिना प्रतोऽह सुखे Stranger) ततोऽचिन्धतया मणिमनग््ौषधौनां प्रभावस्य afetia we संजातो मे प्ररति- विपैः संपन्नं शून्यमित्र दयं प्रतिभान्ति विपरैता श्वेद्धि- धार्याः for टव महागरे जआानाम्यात्मखरूपं तपनसत्कोऽयं योगेश्वर इति wat मदीयपरिवारः fea: किकतव्यतामूढो मोहितख्च तेन aaa ततो विहितश्कुरिना ot: पाप दुरात्मल्लागच्छसि त्वं देवपादमूखमिति वदता ताडितोऽहं बेजख- तया योगेश्वरेण | say मे भयं गतो Tad पतितशूश्चरणएयोः | अरचाम्तरे Ait मदयस्ः getee:) तिरोग्रतौ शेखराज-

ek mere) SRY

ब्हवावादौ ततः संजिता योगेश्वरेणत्ममनुब्यकाः ततोऽ खणेनेव संजातोग््ादो वेदयमानस्तौव्रमन्तस्तापं विदितसेर्यथालातः छतः पञ्चजटो fafeat शल्या चितो ages: | प्र्तञासत तालारवं कतुं समवतारितोऽशं Trea | ततो मां नाटयन्तः WATS मनुग्याख्ितालकं रासं दातु कथम्‌ | यो fe गवेमविबेकभरेण करिष्यते बाधकं जगतामनृतं वदिष्यते | नुनमज भव एव तौत्रविडम्बनां arate निजपापभरेण ष्ट जनः प्रुवकः एवं UMMA ANAT: Feary मां wear fasfar प्रत्ताः। ततोऽहं पतामि तेषां प्रत्येकं पादेषु गृत्थामि हाख्छकरं जनानां equate तेषू्समानेषु ददामि तालाः | ततस्तेरभिदितं Tay भव एव जनाः FAS शओेलराजवरमिजविलायहृतं फलम्‌ | यः पुरेव ्द्देवगणानपि at नतः सोऽद् दाखचरणेषु मतो रिपुदारणः gan: | यो हि गवं मविवेकभरेण करिष्यत इत्यादि | ततो ममापि शुखं स्एुटिवेदमागतं | यदुत शरेखराजवश्वतिंतया निखिले जने हिण्डितोऽहमनृतेन टया किल पण्डितः |

मारिता अमनौ हि तथा नरसुन्दरौ 91

ORR wufafanqurgt कथा |

वेन पापचरितचच ware fave छमधरैवकः थो fe गवेभविषेकभरेक करित इत्यादि त्तो राश्डटाकाः ste विदितपूेडन्ताभेन योगेखरेख अरेरे एवं मायत इदं चछुडत | थयोऽज शग्धमतिदाविहरूगवमन्धते सोऽच दाषचरश्ातश्चेर पि इन्धते UTA HAT TTA] re तपननुप weayreants विधाष्येत्‌ gaan: थो हि भवेमिद्यादि amas meme गाढं पाश्िपरहारजों fed wife newt: | amt fafaewtefasica खभमकाशं जगियतद्धिरेतावद्धिः पादैर शितं मे श्ररोरं विमूढ माडतर भे Saar: तथापि ते राजपुरुषा नरकपाला इव भम कुख्छका जिःखारम- TSAI मां कच्दाकेढयग्त स्तिलकं रासं दद- माना एव प्रात्ता सपममरेाख्छाय। द्‌ भिस ay विग्रेशतश्लतोखएकं | yan eat | दृशय्छेव योग्योऽवं इ्रान्मेति seat arc: | ततो योगेश्वरेण रासकदाबकमथ्ये खित्वा भिदिवम्‌ चथा | भो मतोऽसि feta मातर fa इतोऽखि रिपुदारख weafe कारम्‌ मृत्य मृत्य fafeareia देवपुरोऽघुवा निपत faut शरण्छवु ख्वमरटोखष्णम्‌ $ Gyan: | wt fe गवेमविवेकभरेख करि वल ब्धा दि

चतुथ, were? = ततौ ऽदसुग्धादवररेन वितभयेन देन्यशुररोशब्ये भाटि- तोऽभेकधा पतिलोऽगयभानामपि ररणेषु संनातयाव्दन्डतः & vate तु acta एव कनिष्ठो भाता quae? मामाभिकेषितः fagrigt राच्ये , ततो भद्धेऽगसेतशङ्धेने wer तेर्गाढपाश्विप्रहारेजनेरितश्रोरख्य मे निपतितद्बुदरे रकं सनातः खन्लापातिरेकाः ततो et मे ठैकभववे्या given) रला awen शडिका भवितग्धतथा तक्ाराग्येन गतोऽहं vet पापिह- जिवासावा नगर्या मदहातभःपभामिषधाने wee agra: पापिष्ठक्ुखपुजकर्पः fanaa जयस्तिंशरस्ागरोपमानि कण्डु- कवदुललखमागो WATT वखकष्टकेष्ठद्यनानः। तदित्वमव- afer मयातितौतरदुःखमरलागरः ततस्त्यर्थन्ते नोर्थार्णा पूवद लमुङिकायां दन्ता ware ग्‌ ङ्का भवितन्धलवा | तत्तेजसा समागतोऽह पञ्चाखपशसंस्छाने गगरे दितरतज अन्बकाकार- धारको मवितग्यतथा। एवं भद्रऽग्टरौतसंद्ेते केशिषरतथा तया निजनाकंय भवितश्चतया तशवां पापिष्टनिवासा्थां नगर्या ञुपयैपरि ख्ितेषु eng पाटकेषु तथा werewguer® चिक- wafers एकाक्चनिवाशे मङुलगतौ निं कहना कद संग्यवहार- गगरं विडायापरेषु sae स्वेष्वाभेषु + जोकी्थां तस्तामेकभव- वेद्यामिधानायां क्मंपरिशममशराणश्नर्विलायां - पुगरपरापरां गुडिकां योजयनधारषहचटोभन्लम्काकेन भमिलोऽरमननां कालं पतिख्ागमनन्तवाराः | were स. weet मे aaa जाति-

exe. wufafaranagt wut |

निन्दितं ge samets ae ated ea fore] तपद्चरणं भा लया दारिद्च सततं मूखता श्रलाभसम्तापदारूणं UTI VHS जमानिष्टवं डिकाप्रयोगेणेव प्रकटितं भवितव्यतया तथा fasted anna मूकत्वं ward fastectaante विधापितवतौ एवं वदति daft प्रन्ञाविश्ाखया चिन्तित at

मागग्टषावादयोटांङुणता तथाहि तदश्वर्तिमानेन संसारि- naa हारितो मरुग्यभावः प्रापनास्तचेव fava: श्रवगाडितो ऽनन्तः संसारषागरोऽनुश्धतानि विविधदुःखानि प्राप्तानि af eatin नात्यादौनौ ति संखारिनौवः ATE ततोऽन्यदा दर्भिंतोऽहइं भव- चक्रणुरे ममु्यरूपतया | संजाता मे तजर मध्यमगु एता | ATPST ममोपरि भवितव्यता श्रा विर्भावितस्षथा पुनरपि सहचरो मे gules: | ततोऽभिडहितममया sage गन्तव्यं मनुजगतौ भवता वधेमानपुरे। स्थातव्यं तजन यथासुखासिकया | wi तवा- GW पुष्पोदयो भविव्यति। मयाभिडहितं। यदाश्चापयति देवौ | ततो जौर्णायां प्राचोनगङिकायां दन्ता पुगरेकभववेश्या सा ममा- परा fear भवितब्यतयेति

भवगहनमनम्तं wee: कथचि-

लरभमवमतिरम्यं प्राय भो भो मनुखखाः।

जिरुपमसुखष्ेतावादरः संविधेधो

पुनरिह भवद्भि्मानजिहानृतेषु

इतरथा बदुःखग्रतेता

चतुरैः Tere | , ७२५

मनुजग्डमिषु खब्धविडम्बनाः | मद्‌रसानृतग्टद्धिपरायणा

मनु भविव्यय दुगेतिगासुकाः एतज्िवेदितमिश प्रकरं मया भो wee विग्रद्धचिन्नाः। मानानृते रखगथा सह संविदाय

तस्माख्विनेश्रमतलमन्पटतां कुरुध्वम्‌

इत्युपमितिभवप्रपश्चायां कथायां ater. वाद्रसनेन्द्रियविपाकवशेनश्चतुधैः

प्रस्तावः समाप्तः

अर्थं TA: Weis | Oe

अरय तन्लोकविख्धातं सर्वसौन्द्य॑मन्दिरम्‌ बहिरङ्गं जमव्छस्ति alan पुरोन्नमम्‌ t पूर्वाभाषौ श्टकिः arent zfwet जातिकन्च्ः | गरवः GET खच जेनधमेयरायकः विनौतः Thedre: सर्वावयवसुन्दरः | weenrarert ae भामिंकः सुन्दरोजनः तच द्पोङ्करारातिकरिङ्कग्धविद्‌ारणः श्रथ जिर््याजसदोर्यो धवो नाम wats: थः warerad नित्यं खबन्ध्ुखुदाकरे | कटोरभारकराकारं बिभति रिपुतामसे तस्यास्ति सर्वदेवौोनां मध्ये सभपताकिका | सौन्दयैग्नोखपूर्णाक्गो देवो कमलसुन्दरो तखा गमं खमुद्धतः सद्धतद्एमन्दिरम्‌ | सुतोऽस्ति विमलो भाम तयोदवोमरेष्रयोः यस्तदा बारकाशेऽपि वतंमामो महामतिः | wearer धन्यो Yet वाखचेष्टितेः Bq तच पुरे स्यातः समस्तजनपूजितः | agate: Bel सोमदेवो महाधनः धनेन UAT धन्यो रूपेख मकरध्वजम्‌ |

QUT TE: 1

fear que धौरो थो विजिग्ये ange # WRITS Wwe खावखद्धतज्राजिनौ ` भटेमक्ताभवद्धार्था नाला TAGES वतोऽ र॒ङ्कारानाद्धवितव्यतया तथा wer: मवेशरितः कुचौ भद्रे पुष्छोदवाग्वितः अथय aquarey प्रविभह्न्ररोरकः | खितखारं afe@it गङ्गमथथे यथा az: # ततः कि agate जातो मे पुजकोऽनधः | इति भावक्या Fer separ प्रविश्लोकितः § शोऽपि पुखोदयो वातः वेवं नेकितश्तथा TEEN TaN तेऽनारङ्गजमा चतः 4 Watse सोमदेवेन परिवारगिबेदितः + ` तत ङा रितच्तेग सुतनगामहोद्धवः §

दकानि रिदाकावि पूकिता शङ्संइतिः प्रनृष्ता बान्धवाः स्ये वादिशानेकमरदंश्यः 9 श्रथातौवेऽकिवोषेण eres शोन्धवम्‌ | ततो बे विदितं बाम वामदेव इति कटम्‌ | ततः स्वधेमागोऽदमा्नसुखलशाज्ितः CARL SATS eae: #

तावदहृष्टौ मवा NE चण्काकारधरो जरौ तयोख free amr वारो afeattear a चिन्तितं कवा wer किमिदं aegrweR

उपमितिभवपपच्चा कथा |

मन्षमौपे खभाथातं किं वाजित प्रथोजनम्‌ wanay at गाढं बलादाशिग्य मानवः | निपत्य पादयोखेषां ततखेत्यमभाषत

मिज प्रत्यभिजानोषे fai at किमेति वा पुनः। vain नेति ager जातः शोकवशः wate तात किं जातस्मेवं शोकविहशः | tate चिरदृष्टोऽपि यतोऽ विसतसख्तव मयोक्तं कु दृष्टोऽसि त्वं मया वरोचन | तेनोक् कथयाम्येष समाकणेय waa पुरेऽसंब्यवहारे तलमासौर्वास्तवयकः पुरा | तजासश्मादूश्रास्तात बहवस्ते वयस्यकाः केवलं तच नाश्छवमहदमद्यापि ते सखा | अन्यदा निगेतोऽसि @ ततो भमणकाम्यथा ti तत्ेकावासे त्वं विकलाचपुरे भमन्‌ पञ्चाचपश्संस्थाने कदा चित्पुनरागतः

तज ये anion सन्ति संज्निनः कुखपुजकाः | च्रन्यख्ानानि wey तेषु प्राप्तोऽसि सुन्दर अथ ay fener जातस्तव वयस्यकः | तिरोग्तपरतवेन सम्यग्‌ लकितसू्लया ततो अमणग्योलतवान्तातानन्तेषु धामसु | अनन्तवारा आाग्तोऽसि सह सखो यमदेखया कुदडखवशरेनाय पुरे धिद्धाथेनामकरे |

पञ्चमः प्रस्तावः |

afecg गतस्तात कदाचित सभायेकः | गरवाइनराजस्य भवने तवं तदा fea: ti दिनानि afafearar प्रसिद्धो रिपुदारणः। संसारिनौव दत्येतत्तात ते नामपूवंकम्‌ | वासके वाके माम जायते चापरापरम्‌ ततस्त ख्ितेनाह भवता वरणोचन |

are waft amare इति स्फटम्‌ ततस्त मया साधं शशितोऽसि वरानन | संजाता परा प्रौति्दोयश्ञानकौ शले ्ष्टशचाहं लया तोषाधयेदं तव कौशलम्‌ | जातं कस्य प्रसादेन ममानन्द विधायकम्‌ मयो प्रतिपन्नास्ति भगिनौ मे महन्तमा | मूढतानन्दिनो माया रागकेखरि णोऽङ्गला इदं त्याः प्रसादेन संजातं मम कौशलम्‌ | सा fe afafen faa मम मातेव ager tt यज UI ग्टेषावाद सतज AAG मायया | भवितव्यमिति प्रायो faa बाशकेरपि wate दशेनोयेति सात्मोया भगिनौ मम | मयापि प्रतिपन्नं तश्ावकोनं वचस्तदा ti ततस्तद चनं तात THREAT AA: | भगिनौ पुरतः wat दशेयामौतिं ते किल

यावता | | |

92

उपसितिभवप्रपश्चा कथा |

तदा AEM: SCSI तात मथा Ty!

ते ATM: SAW: aN waiters तथापि

प्रत्यमिजानौषे दृष्टमग्यधना जनम्‌ |

महन्तरमतोऽपि शात्किं शोकभरकारशम्‌

तदेव ARATE मवता परिषजजितः।

यामि क्ष. तिष्टाजि संनातसिग्णनातुरः

AGM AURA CHET भद्र भावतः | तथापि qe मेऽसि यथा a facade: धतः | |

gfed maths चिन्लमानन्दपूरितम्‌ |

af Hx BAAS जाते रशेलगोच्वरे

नुमं जातिखमरा मन्ये gfeter श्ररौरिणाम्‌ |

faa fe विकश्त्येवा धृष्टे दन्दद्यते ऽप्रिधे।

लखादज कर्तव्यः शोकौ भद्रेण seals |

वयस्यः VW afe Ue Tata

Aaa मन तात प्रयोजनम्‌

यदै ब्राह्मोक्भगिनौ often तेऽतिकस्छला

मायेति सुपरधिद्धापि saefiactae: |

इयं बङणिका तात भिथनाचाभिधोखते

लदोनथा चमं ताल वर्तिते चथा मया |

we तिरोभविब्यामि नासि मेऽवखरोऽधुना #

WER: WHT | ORY

fa a यजेयमाशे THE स्थित शवे न्वतः | परस्परासुविद्धं fe खङ्पमिदनावकौः # अयं तु GRU कनिष्ठो मे सोदरः | युक्तस्ते farce तेन defiant मवा tr Gaara. महावोयंलिरोग्डतः खितः पुरा . परजावम्धुना शाना शोऽथ ताते समागतः तदेषोऽफि लया faay यथास्मवखोकितः | तथेव quaray xem: जियवान्धवः Aah | येवं ते ufaal ax खा ममापि a awe: | यस्ते श्होदरो भाता सं AAAI बान्धवः Aah aut मशा्रखादो मे विहितो मदनुग्रहः | संजातः रतशृत्योऽहइमेव सति नरोल्म इत्युक्ता सषावादस्तिरोभावभुपागतः। ततो मे इदि खंजातो fara: कोदन्नः॥ चरो मे धन्यता नुनं खुपन्नं जनः फलम्‌ भगिनौ आातरौ ee मापन्लो मनेदश्ौ ततो विश्चसतस्ताग्वां साधे मे मनोदु | जाता वितकंक्लोखा भद्रे विश्वान्तचेतसः # वद्चयामि HET मानारूपेः प्रतारणे

ORR

उपमितिभवप्रपश्चा कया |

परेषां धनसवंखं मुष्णामि यथेच्छया | ततोऽहं वश्चनेऽन्येषां इरण चान्यसम्पदाम्‌ | प्रवतंमानो निःग्रहृष्ठणितो लोकबान्धवः ततस्तन्तादृशं sey मामकोन कुचेष्टितम्‌ गणितिसतणतुख्योऽहं तेः सर्वेलकबान्धवैः way नृपतेर्भा्या या सा कमलसन्दरो | साश्त्कनकसुन्दर्याः सवकालं सखो मिया ततोऽसौ तमयल्लस्या विमलो राजदारकः। जातो मे मादसम्बन्धात्छखा निर्व्याजवत्सलः सदोपकारपरमः शेदनिभेरमानसः |

AUT मया साधं wae: प्रमोदते श्रं तु तस्या aay भगिन्याः wars: | निमलेऽपि were: संजातः कौ टिलालयः | निर्मिंथशाद्यभावेन तदेवं वतेमाभगयोः | अनेकक्रोडनासारमावयोयांन्ति वासराः

ततद |

कौमारे वतैमानेन विमलेन महात्मना | WAY सदुपाध्यायं ग्टहोताः सकलाः कलाः योषितां नयनानन्दं मोनकेतनमन्दिरम्‌ | लावण्छसागराधारं तारष्कमवाप षः GUAT मया साधं MCA महामतिः | क्रौोडानन्दनं नाम FATA वरकाननम्‌

पश्चमः Weta: | ORR

तच्च RETA | AM HRA ATH AMMA az चन्दमागरकपूरतरुषण्डमनोहरम्‌ द्वाामण्डप विक्ञारवारितातपसुन्दरम्‌ | विषसत्कतकौगन्धगद्यान्पौहतषरपदम्‌ श्रनेकतालिंतालनालिकेरमहाद्र मेः | यदाहयति Vara: सन्पधमिव नन्दनम्‌ अपि श। विविधाहुतश्तलताग्टदकं क्विदागतसारषदसबकम्‌ | सुमनोहरगन्धरण्मर चुषदामपि विश्यतोषकरम्‌ तच मया सहितो विमलः सरलो मनसा बहपूतमलः | उपगत्थ तदा सुचिर विजने रमते सम ्टगा्वि मनोश्ञवने ware fa संपन | मूपुरारवसमिश्रः arnet feat ध्वनिः। कयोद्धिव्लक्यतो दूरादागतः कणेकोटरम्‌ ततो विमलेनाभिितं | वयस्य वामदेव कसायं ध्वनिः शरूयते मयोक्क | कुमार श्रस्फुटाचरतया सम्यङ मयापि शितो बहनां चात्र ध्वनिः सभाव्यते। यतोऽच काननाभोगे विचरन्ति यकाः परिभमन्ति awa: aaa विबुधा रमन्ते सिद्धा दिष्डन्ति पिश्राचाः सभवन्ति शता गायन्ति किन्लराः पयैटन्ति cee जिवखन्ति किम्पुरुषा विलसन्ति महोरगा waa गान्धर्वाः क्रीडन्ति विद्याधराः तस्मात्यरतो गला निरूपयावः येन भिद्ौ-

०६8 उपमितिभवप्पश्ा कथा |

यते कस्यायं शब्द इति प्रतिपनज्ञमनेन गतौ शोकं भूमिभागं | दुष्टा पदपद्धतिः | fame wre वामदेव मरुवमियभख कस्यचिदेषा पदपद्धतिः | aa |

पश्येकानि Getary कोमलानि waft

दृश्यन्ते Teas सखु्छरेखाद्धितानि ॥#

तथान्यानि पुनव्येक्षचक्रङ्कुशद्यवादिभिः।

लाञ्कितानि विभा्यन्ते पदानि विरशानिःच

लगन्ति देवाभां पटानौह भुवस्तले |

ामान्यपुदषाण्णं Aga पदपद्धतिः

तदच वयश्च वामदेव विशिष्टेन केमचिन्नरमिथुनेन मायं

मयोक्तं | कुमार सत्धमेवमिदमग्रतो गत्वा निङूपयावः। ततो गतौ पुनः स्तोकं wa) दुष्टमतिचमतदगहनमध्ये wees! निरू- पितं शतावितामविवरेण तज faatd दृष्टमपडइसितरति- मकथसौन्दये तश्धिुनं विलोकितं विमलेन मखागेभ्बो वाशा- mfe यावत्‌ get मिधनेनावां श्रपड्तौ कतिरित्पदानि fanaa) are ॒सामान्याविमौ स्लौपुरुषौ चयतोऽनयोः WU विशिष्टानि खवशान्वुपलभ्यन्ते मयोक्तं Fowl नर- नायीलेकशानि भवन्ति मर्क रं मे ततस्तान्येव ताव॑जिवे- दयतु कुमारः | विमद्धेगोक्न |

लचयन्धसषमाख्यातं विस्रो वराम्‌ |

Gwee gfeaa कस्तद णटंयितु चमः

तयेव wee नार्यां fawd विस्तरम्‌ |

पञ्चमः प्रर्तावः |

तदेनं हि को नाम पारथेत्कोऽवधारथेत्‌ अतः समाख्तस्तुभ्व यदि गाढं कु दरखम्‌ | ततोऽहं कथयाम्येष ee मरयोषितोः मयो अनुग्रहो मे विभखेगोक्र रकखिग्धमवक्र पद्माभं खद्‌ कोमखम्‌ ame वर्णितं we: सु्धिष्टं eaten शशिवओाङकुशच्छलगङ्खगदित्ाद यखखे | UMA दृश्यन्ते. धन्यः TARA: एत एव GRE यद्यसपरणभिञ्नकाः | भवेयुः पञ्चिमाभोमाः say तदा नरे Tet वा वरा्ो वा जम्बुको वा परिस्फुटम्‌ Ta पादतश्थो्द्यासो दुःखितो गरः मयोक्र | Sq प्रस्ठते वक्रं लयेदमपखशणम्‌ | किसुक्कं विमलः प्राह समाकणेय कारणम्‌ लच्छते दृष्ट माज मरष्येड इएमाहभम्‌ | येन तच्च प्रोक्तं ARNT सुन्दरतरम्‌ ततः खव WY सुखदुःखिवेदकम्‌ | शरोरसंख्ठितं चिक्र eau विदुषां मतम्‌ तेनापणशचश्छखापि दिर प्रतिपादनम्‌! युकं wax amie wad बरलचणो मयोक्र |

ord उपमितिभवप्रपच्चा कथा |

कुमार परि सोऽयं वयत्यत्यथं मया शतः तद्रू हि wa sere] दगु णोऽयमनुयदहः # विमलेनोक्रं छन्त्ङ्गाः ए्यलास्ता्ाः far दपेणन्निभाः। नखा भवन्ति धन्यानां चनभोगसुखप्रदाः fad: ्रमणएता Ser ूपुष्ितक्तेः पुनः | आयते किल दुःशोलो नखेलेकेऽच मानवः मध्ये संक्रपादस्य स्तौ कार्थं मरणं भवेत्‌ | निमा सावत्कटौ पादौ प्रगरसतावदाइतौ कर्मोज्ञतौ घनौ fart मांसलौ समकोमलौ सुचिष्टौ wut धन्यौ मरां gaerait ये काकजहृगः FRIAR पिण्डिकाः | ये दौषेख्यूलज्गाख दुःखितास्तेऽष्वगामिनः ये इसश्िखिंमातङ्गटृषगत्यनुकारिणः | नरास्ते सुखिनो लोके दुःखिनोऽन्ये प्रकौतिताः जानुदयं WAGE Tea वा सुसमाहितो | यस्यासौ सुखितो Heat घटजानुने सुन्दरः Fe राजौ वसच्छायमुन्नतं मणिके waz | वक्रं ara विवशं लिङ्गमिर शस्यते दौघायुष्का भवन्तो प्रलम्बृषणा नराः | छत्कटाभ्यां पुनस्ताभ्यां इखायुष्काः प्रकोतिताः मांसोपचितविस्तौणं एभकारि कटौतरम्‌ |

aD amy

पश्चमः प्रस्तावः |

तदेव दारिश्चकरं fad purged यद्योद्र wayel सिंहव्याप्रशिखण्डिनाम्‌ | तथेव षमद्यानां भोगभोगगे मानवः ` इृन्लोदरोऽपि भोगानां भाजनं किल waa | शरो निवेदितः प्रा्मेष्डुकसमङ्ुचिकः गम्भौरा दिणणवर्तां नाभिर्क्रड सुन्दरा | वामावर्ता तुङ्गा नेष्टा शच्णएवेदिमिः विश्राखमसुलतं ay खिग्धलोमश्मादेवम्‌ | Tye भवेद्धन्यं विपरोतमतोऽपरम्‌ कूमेसिंदाश्मातङ्गसमषष्ाः सुश्रोभनाः। SEEM दुष्टा TITY TIAA: प्रखम्नबारवो धन्याः प्रशस्ता दौ्धंबादवः | अरक्मकटिनौ शस्तौ विज्ञेयाः Weare:

Jal मेषसमः स्कन्धो जिमोंसो भारवाहकः |

मांखलशो सचणन्नानां अचुखकन्धो मतः किण

कष्टो दुःखकरो Ha: शृणो weg at भवेत्‌ |

कम्बसन्निभः Set वलिजयविराजितः

सष्वोष्ठो दुःखितो नित्यं पोनोष्ठः सुभगो भवेत्‌

विषमोष्ठो भवेद्धौरलेम्बोष्ठो भो गभाजनम्‌

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Wet: समाः शिखरिणो दन्ताः fever घनाः War: |

विपरौताः gaifar मराणणं दुःखहेतवः दाजिंण्द्रदनो राजा भोगो Benes: | 93

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wafafawreyagr अथा |

जिश्ता ast Weetswery EET wing श्रतिदन्ता wragnre ax: 1 qua: wey ते पाषा, often: Tuag arreg cafaenefea: | तेऽ्यन्तपापित्रो Wat दुएग्रोज्ना नराधनाः॥ या पद्मदशव्रकाच्रा Sar का जाक्तेदिनाम्‌। waferer fanrertyfetwar मद्या चिनान्‌ UTE TTT MT जनोरनम्‌

BU कुखचद्रवार नोक दुःखश्य कारणम्‌ हससारसमादारुकारिणएः YW ATT: | भवन्ति fea; wrnecareny दुःखिताः दौर्था छखिनो नित्य खभगच्छ विश्वा | नसा fefazer वाप्श्चौरः कुधितना शिकः

नो लोत्पश्दशच्छाद्या fetter warfare ayfayr ameia पापा नार्जार्न्िभा घरहटटिजिंददृ्टि रा द्रष्ट केकरा दौनालिरक्रा wet पिङ्गला विमर्दं acacia धन्यानां मोरा शिरजौविनाम्‌ | विपुला भोगिनां दृष्िङ्ष्कला स्तोको विनाम्‌ काश्चादरतरोऽन्भः VATE काकः | वरमन्धोऽपि काष्णोऽपि ककरो$पषि कातरः॥ अबद्धलच््ना ततं BVA ATS विना

weer ters

Ware शवभश्पा चका Efe: पापकर्मणाम्‌ अधी निरौखते ara acd खजुरोखते ett facet धन्धसिश्यौनं तु कोपनः OE versed चं भागसौभागयग्राखिनाम्‌ | wat acret Ha ठु योषिदं महापडाम्‌ + wget महाभोगौ कशो तौ घनभागिनाम्‌ | आराखुकर्णं Hater शोमश्रौ विरजो विनाम्‌ a अला टषटो विपुखथैनाभः सेन्वशाकरः | दुःखिनाभतिविशौणेः संकिप्तः wert विनाम्‌ वामार्वता भवेदस्य वामांयां दिशि wat) मिणः चुधाचामो freee रूचिकाम्‌ दंखिशो दि भागे qerig मस्तके | तख निं प्रजायेत कमला करवर्तिनौ यदि wigfee वामो cfwat वामयाश्ेके। पञात्काखे AAA भोगा ATS संश्रयः egfzar रूकमलिभाः कधा दा रिद्च हेतवः | GUTS खद्‌ खिग्धा wy: केजिद्धेतवः अन्यश्च | उरोसुशशलाटानि waft छखमागिनाम्‌ | गम्मौराणि grate नामिः सलं खरस्तथा Wu: Br मवि Gaya: | कण्डः VE तथा जहे ww fay पूजितम्‌

०8०

उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

रक्रा fast wagen पाणिपादतलानि 4) waar: wifwarerg धन्यानां दोधेजौ विनाम्‌ खिग्धदन्तः इएभाडहारः gaa: खिग्धलोचनः | नरोऽतिदषे way we: ष्णश्च निन्दितः afe रोमसु दन्तेषु fasrat festy मेजयोखातिरूला ये ते धन्याः प्रकोर्तिताः पश्चमिः गतमु दिष्टं चतुभिंनेवतिस्तया

जिभिः षष्टिः egfeat लेखाङ्धैर्भालवतिंभिः सत्वारिगरत्पमः प्रोक्त वर्षाणि नरज वितम्‌ | anat spat तयेकेन जिंश्दर्षाणि सन्दर

fa ख।

अस्थिष्वर्थाः सुखं मांसे लवि भोगाः स्ियोऽशिषु गतौ यानं खरे We wa सत्वे प्रतिशितम्‌ गतेर्धन्यतरो वर्तौ वर्णाद्धन्यतरः सरः | खराद्धन्यतर सत्वं wi an प्रतिष्टितम्‌

यथा वस्तथा ST थथा रूपं तथा ममः |

यथा मनस्तथा सत्त्वं यया सत्व तथा AT: तदिदं ते समासेन वणितं नरल्वणम्‌ |

अधमा योषितां भद्र wee मे निग्रामय

मयोक्र |

कुमार भवता तावदाधारमिडइ को तितम्‌ वेद्य रखणएस्सास्य सस्वमत्यमनिमेलम्‌ |

पञ्चमः Wes |

तश्च fa यादृश जात ताद्ूगेवावतिष्ठते | fa a कथंचिदर्घत नराणामिह जन्मनि

विमखेनोक्र |

यतः

wa

सन्ति संवर्धनोपायाः awearsa orate |

ते चेमे शरान विभ्नानधेयंखतिसमाधयः aged दया दानं भिःसृहतग्टतं तपः ओदासौन्ये सवज सत्वसंश्एद्धिेतवः एतैरविमशं सतं श्टदयुपायेरविशष्यति | BATA इवादभेः लारचेशकरादिभिः॥

waaay facrea रूचयन्ति संश्रयः | भावा एतेऽन्तरात्मानं VAT: पुनः पुनः खूतोगभ्तात्यतत्यस्मादाद्यनो मशसश्चयः | ततः श्रद्धा VAG सा सत्वमिदोश्यते Re सप्ते कुर्वन्ति शखफानि बदिगुणम्‌ | अपलच्णदोषाखच जायन्ते नेव बाधकाः तदेवं भद्र विद्यन्ते ते भावा थेविवर्धते। खमस्तग्‌ णएसम्भाराधारं तस्पत्वसु तमम्‌

वदति विमले

मया भद्रे a famat wares कञ्चन तथापि भगिमौदोषात्तं प्रतोदं प्रजख्यितम्‌

कुमार TY साधूक्तं मष्टो मे संश्योऽधुना ..

७९९

७8९ | प्रमितिमवप्पश्चा कथया |

तन्तावदणवेदानौ wet ममं योषिताम्‌ अन्यश्च ated तावदिदं ते प्रतिभासते | भिधुनं शचणे्ेन जातस्त विसमथोऽतुलः विमलेनोक्कं wrens | | चक्रवर्तो भवत्येवं मरोऽमूड्‌ wera’: | Sergent मद्र भार्यां waa जायते तेन भे विस्मयो जातो ged मिथुगोन्तमम्‌ निश्रामय ततो ax wad चोषितीऽधुना ` TAM कथयतु Hare: | विमलेनोक्ं | सुखमधं WTS स्वे वा मुखमुश्थते | ततोऽपि भासिका ओषा नांसिकातोऽपि शोरने Gm पदं ध्वजं कवं afer वधेमानेकम्‌ यासां षादतले विधासाः ख्यो राजयोषितः दाशलं vee: aredm: शूषैनिमेस्लंथां | एष्कैर्दारिश्यमाप्नोति शोकं Sf anda: अङ्गो विरला Gat वेशाः aaa att सवूलाभिदुःखमाभोति दारिश्छे aire: wef: धंहताभिख सुट लामिंस्तयेवं चे रक्राभिर्मातिदौर्बाभिरङ्गलोभिः इखाभिता पमौ खसंहतौी खिग्धौ सिरारोमविवं्जितौ इस्तिशकनिभौ ver ne सा प्रशस्ते fagiveataer ध्वी बहरा तिश्रोभनीा |

पश्चमः Wwe: | o88

ब्रह्मक्रतनितात्रा कटिः Brat प्रश्श्यति

wate सिरा निजेन चधार्दिंता |

विदद्मनश्यक्नोभेन तेनेव सुखभागिननो

wre: wae: खिन्ेविखोरि रोमशः wt: |

विदल; rest Geni wa: सद्ुःद्िताः

aews faa fagty faacfeafs मम archew

faneraqares एव कि संपन

BIRTH भास्कराकारौ निष्कृष्टासौ विभौषण्णै |

मरौ विश्लोकिनौ aearieeit लदा नधा

ततः स्षम्नमं तदमिसुक्मरवखो कथयता aarfafed कुमार

gurefai ततो विन्रशिनामि विष्कारिला किमेतदिति जिष्छयता acfugy विमलो मणक दश विलाघलाश्िनो gfe: 1 wart met अताग्दक्रष्योपरि तौ gent: तततोऽभिदितमनेकेग weet freon पुदव्राधन्र ofa mentsfa want ate: ) परिदानं UTE कषर Meets! Gteeaat gear वा भवेति uae aeint wrraenneant get प्रोरा भवेति sere तां Waaate नअ विखतेग्यमिदमाक्मत्रख्ितं waa को व्राज TATA HATS: समार्य कावाखधुत्पतितस्द भिश्च |

aay GA ae विष्खत्‌शङ्गवारश्म्‌ |

TAHT a दलादातिभोषष्रम्‌

ARTA EMIT ड्‌ ATATA

SMATTNN मोमभाक्राधे कमाविषद्मचत्‌

O99 उपमितिभवप्रपद्चा क्या |

TREN: पुरषो समुखसुङशेताग्टदक भवेष्टुमभिवाभ्ति सख ततः सा बाला wafager वेपमामपथोधरा हरि शिकेव सिंह- जासिता दश्रसखपि दिषु wa: fart निगेत्य पलायितुं sear ततो ger विमलक्ुमारममिदहितममया | wea पुरुषोन्तम जायख गतासि तवाहं शरणं विमलेनोक्रं सुन्दरि धौरा भव नाश्छधुना ते भयं श्रचान्तरे तद्भदणाथं प्राप्तः पुरुषः a च॒ विमशकुमारश्चएगण्णो पाजिततया afasia गगने सम्मितो वनदेवतया |

ततो वि्फारिताकोऽसौ fawet विगतक्रियः | वि्रमित्ताविव न्यस्तो गगनस्थः feat नरः

marae a ae दितौयः पुरुषो निजितस्तेम मिथुनेन पलायितुं Hen: शग्रस्त्प॒ष्टतो मिथुनकः ge: सम्मितनरेण | ग्टरौतोऽसौ रोषोत्कर्षेण nant yeat गमनेच्छा शितो देवतथा तद्भावः | ततश्चोष्तम्मितोऽषावनया sew: weat वेगेन arg wfeat इृटरगोचरमितरौ | गतः सोऽपि तदनुमार्गणाद मं ततः सा वाशा आथेपुज हा BIN a यासि मां मुक्ता मन्द भाग्यामिति प्र्पितु प्रहन्ता denfan कथंचिदिमलेन मथा च। गता किथल्यपि वेला warez

जयभिथा परोताक्गो लसत्काभ्तिमनोश्रः | समागतः Faq तस्या भिधुनको नरः

ततस दृषदा खा बाशिकाग्डतसेक सिक्रव गता परमपरितोषं निवे- दितखच तथा तख टन्तान्तः | ततः पुरुषो विमशकुमार प्रणन्येदमार।

पञ्चमः प्रस्सावः | ७७६

बन्धर्भाता पिता माता नौोवितं मरोत्तम। त्वं मे येन भिया wit रकितिषं मम त्वया अथवा | दामोऽश्ं किङ्करो ama: प्रेयस्ते कमंकारकः agiaat aaren: fe करोमि तव पिम्‌ विमखेनोक्ं AWTS THAT सम्भृमेण के वयम रितु रक्तेयं खमाहात्येगैव भवता Faw महत्कौतुकं मे कथयतु भद्रः कोऽयं eura: किंवा ते मतस्य संपश्नमिति। तेनोक्र। aaa ततो निषोदतु gat: | awit कथा ततो निषा: सर्वेऽपि खताग्यशके। प्राइ SATAN | अस्ति अ्ररच्छश्रधरकरमनिकरधवसलखो रजतमयो ame नाम पवतः तजर Wace इे अष्टो तयोख वष्टः ver were विच्वाधरषुराणि वसन्ति तज qfeesiqrafe गगन- TEC माम पुर तज मण्िप्रभो राजा aw कनकश्रिखा Fat) Tere wart रतग्िखामरिग्िखे दुहितरौ i तच रबभिखा मेघमादष्य दत्ता मशिशिखा त्रमितप्रभस्य ततस्तयो रत्न्चिखामेषनादयोर्जातोऽह तनयः प्रतिष्ठितं मे नाम रनु दति मणिश्रिखामितप्भयोष्ड डौ ay जातावचलद्च weg रबभ्रखरख रतिकान्ता wall waar चूतमश्रौ दुहिता जातेति सदक्रोडितामि सर्वाष्छपि बयं areata | प्रन्नानि Barada) wzelat: इुलक्रमायाता विधाः इतश्च रतरभ्रखर बाशवयस्योऽस्ति चन्दनो नाम खिद्धपुजकः। 4) 9४

99 उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

सवेना गमसद्भावभावितो निपुणएस्तया |

निमिन्ते ज्योतिषे we aaa aca

ततस्तदौयसम्पर्कात्छंजातो TANT: |

गाढं TH FS WH धमं सवंन्नभाषिते

ततो मदौयताताय मेघनादाय सादरम्‌

दन्तस्तनापि द्धम भगिन्यै agqaa

इतस | fafzsqraary किंचिदाशोक्य लच्णम्‌ | यथायं दारको विद्ाचक्रवर्तौ भविष्यति अरबान्तरे Aa! कुमार संवदति तन्तावकौनं वचनं

fandain वयस्य वामदेव मामकनं तच्किं ayaa | लज कुतो विसंवादः रतचुडेनोकषं ततस्तेन मदौयमातुलेन रन्नगरेखरेण शाधर्मिंकोऽयमुचितोऽथं खलकणोऽयमिति मला दत्ता महममिय gaara) परिणता मया ततः प्रङ्पिता वचल- शपलौ at परिभवितु maa: | anata दिद्राणि ततो मथा कलघाताशङ्सया Yt सुखरनामा wi तेन चागत्य निवेदितं मे। यथा gafacarat ताग्यामचलचपलाभ्यां कालो विदथा तत्छाघनाथे तौ छुषचिद्गताविति मयोकं ax यदा तावागच्डतस्तदा निबेदनोयं भवता मुखरेणोक्रं यदान्नापयति शिवः ततौऽद् प्रभातसमये मिषेदितं तेन मे। यथया देव खमा- यातौ at) सिद्धा aret विदा जातं तयोर्मन््एं श्रमिहित- भयेन था चपल मथा Tages षड योद्धव्ये भवता तु

UGA: पस्सावः | ese

इतमश्नरौ wea) Une देवः ware) ततो मथा चिग्तितं। शकोऽह सविद्ययोरपि तथोनिराकरणे। केवलं मारयितव्यौ माटग्बसुः gat तौ तावदचशचपशौ मया ध्मेखति- भयाज्ञोकापवादभयाच्च | दुटशौश्ासौ चपलः ततग्कलेन इवा dat सूतमश्जरौं विमाग्यिख्यति ततो मे गतो सुश्चत्ेनां लाचवं संपद्यते चान्योऽस्सि मे सहायो थो युध्यमानस्य मे रतमच्नरौँ र्ति तख्छाद्चावसरे ममापक्रमणं श्रेयः ततो खोला चूतमश्नरौ मपक्राग्तोऽहं TEs Ae बहशः क्रोडानन्दमसुद्यानं | ततोऽ wary feat खताग्टहके चाव- दनुमागेरेव मे समागतौ तावचलचपलौ समाहता गगन- वतिनेव सतिर सकारं सस्पधं निष्टुरमचसेन ततसख्तदचममाक यतो मे इदयं कौदृशं संपन

इतः भ्रियतमाखेहतन्तभिबेन्धकौ शितम्‌

Cay शचुदुरवाक्येः सद्गमरसभासुरम्‌

तिष्ठति नवा याति मूढं कतेव्यताङ्ुलम्‌ |

डोलारूढमिवाभाति ae मे इदय तटा

तथापि गाढाम्ैवशे समुत्पतितोऽहं तदभिमुखं | शग्रमा-

योधनं इष्टं तप्प्रायो युद्माभिः। यावन्ञष्टोऽचखो गतोऽहं तदनुमार्शंण यावक्पाप्नोऽसौ मया उन्तेजितः Teaaea: afwat मरमिञुखं पुमशेग्रमायोधनं ततो मया दक्वा बन्धमास्फोरि- तोऽसावचखो गगनखेनेव तजे ततस्तस्य चुणितान्यङ्गोपाङ्गानि विगलितं पौर्षं संजातं दैन्यं वदन्ति विद्या निष्यन्दं wot!

esc उपमितिभवप्पष्चा कथा |

amt मथा चिन्तितं) waar तथा संपन्नो यथा पुनरा- weafa fa ai

इतं बुष्टिभिराकाश्रं कण्डिताख तुषा मया |

थोऽसार एषतो खम्रस्तां fear चतमन्नरोम्‌

चतः सेकाकिमौ बाला भयेनेव मरिष्यति।

अथवा woe: पापः तां नुनं इरिव्यति

wat faery ama इतेव भनु वालिका

महोवा at मतो दुष्टः fH a at दिता मया

तदधुना थाति दुरात्मति विचिक्य शखितोऽडं aa

Sel मया बक्षख्मागच्छद्चपलः। तता मथा चिन्तितं श्रये fate. woe: खमागतः। किं दृष्टानेन ware किं वाजिच्छन्तो सुरतं रोषाज्जिपातितानेन पापेन wear aet सख्ाधौनायां जोवश्यां वा कथयचिदद्लागमनं युश्यते तया

शून्ये दधिघटं get काकः खगमवजिताम्‌ |

शभस््नादोऽपि at gal कचमन्यन गच्छति

तते निचितं लौवति मे भरिथतमा। यावेवमदं चिन्त-

याभि तावदापतितश्चपलः | wa युद्धं ततः शोऽपि मघा तथचेवा- watfaat waa) जाता तष्यापि सेव वार्तां तते हा इन्त किं wat at fa wet at fa favor ar किं क्चिद्धोपाचिता सा fanaa . कश्यचित्करोश्वतेति मरियतमागोशरानेककु विकष्पलोख- कशोख्जालमाशाङ्खखकरेतानदोखोतः शवे अवमानः sratsefer- सुरेशं दृष्टा प्थितना ततः ससुष्ड सितं wees पुखकितयङ्गेन .

पञ्चमः प्रश्ावः। Ose

faciad चेतनथा शतमाश्यदं WI? gerfana विगतं fout- दइगेनेति। कथितं शानया मे waaay भवदौयमाडहाव्यं | तदेष मया निवेदितः समासेन प्रम्तुतदट्सान्तः एवं fear) तदेमां र्वता तात रचितं मम जोवितम्‌ | छता इुलोशतिर्भोर दन्तं मे faae यशः fa ara बहनोक्रेन मास्ति तदस्तु किचन | महानुभाव शोकेऽज ae मे fated war i सप्रसिद्ध चेद wa यदुत रते प्रत्युपकारोऽज विगम साधा चे तु anfa gui प्रवस्ते मामुषाः॥ तदौयतां waren: करियतां मदनु यदः | येन संपादयत्येष प्रियं ते किङ्करो जनः विमखेनोकष wet शतश्गेखर अशमनिख्मेण किं वा रुपन्मस्माक युद्मद्रेनेग किमतेऽषयपरं प्रियतरमस्ति तथाडहि। वचःमहसेण शतां सुन्दरं हिरण्छकोव्यापि वा भिर शितम्‌ अवाप्ते सव्जनललोकचेतसा को टिलचैरपि maaan fa वाच मया fafed ते येनेवनात्मानं पुनः पुनः संभमयति भद्रः | इत्येवं वदति विमले कतः quasfid कताय मया कञ्चित्मत्यपकारो war मे fenfrefatcta मन्यमानेन प्रकटितं रन्नचुडेनेकं रं Wee | तख कौदृशं किं tra किमिदं wa किं पौतं जदि वा सिनम्‌ | fa हश्णमिति ges wager ead i

oye उपमितिभवप्पश्चा कथा }

द्यो तिताग्रेषदि कूचक्र सवंवणे विरा जितम्‌ | लसद च्छप्रभाजालेदिं बद्धष््रकामुंकम्‌ ae शेयिलामिहितं रबचूडेन कमार

सवंरोगश्र धन्यं जराद्‌ रिद्माशनम्‌ |

गणेखिन्तामणेष्धव्यमिदं wa सुमे चकम्‌

दन्तं aad देवेन तेाषितेन aaa |

दह लोके करोत्येत्सर्वाश्च पूरणं नृणाम्‌

तदस्य ग्रहणेन AAAI करोतु कुमारो नान्यथा मे तिः

संपद्यते | fanaa) मरात्मन्न कतंष्यो भवतायदो विधेया चेतस्यवभावना दत्तमिदं त्था zelda मया केवलं तवेवेदं BRT श्रत: खगोष्यतामिदं सुच्यतामतिषष्ुमः। ततचूतमश्जे- Gia) कुमार aaa भवता्॑पुचस्यायमनग्य्थमाभङ्गः | तथाहि

निःख॒हा श्रपि fara दातरि प्रण्योद्यते

सन्तो aay दा चिष्छादेव इवते

एवं ख॒ चतमश्जयौ वदन््धां विमलः fara |

किमुत्तरं ददामोति यावखिन्तयते इदि

तावदस्ताच्चले तस्य रञचृडेन सादरम्‌ |

axa बद्धमेवोच्ेदिंव्यकपेटके स्थितम्‌

श्रय तादृशरबस्छ लाभेऽपि विगतस्ष्म्‌ |

मध्यस्थं द्षनिभुक्रं विमलं वोच चेतसा

Tage: खे चित्ते तहुणेगाढभा वितः |

तदा विचिन्तयत्येवं विस्मयोत्फुष्ठलो चनः

पञ्चमः प्रस्तावः | OUR

aut श्रपूवे माहदाग्यमददो निःसपृहतातुला |

Tae कुमारस्य लोकातीतं विच ्टितम्‌

यदा VT आजातं चित्तरन्नं महात्मनः |

AMA बाद्ेलेकेऽज किं वा Ta: प्रयोजनम्‌

एतदेवं विधं चित्तं जायते Genz |

प्रायोऽनेकभवेधमकमेर शितचेतखाम्‌

धे तु पापाः षदा नोवाः शएद्धधमेबहिष्कताः।

तेषां संभवेत्रायो fade चित्तमोदृ श्रम्‌

ततद्चैवमवधायं चिन्तितं रतरचूडेन श्रये च्छामि तावेदन-

मस्य कुमारस्य सहचर ¦ यदुत कुजल्योऽयं कुमारः किंनामा fants: किमयंमिदहागतः किं वाख्यानुष्टानमिति। ततः ष्ृष्टोऽश धयाविवकितभेकान्ते रला Tagen! मयापि कथितं aa यथा wea व्धमानपुरे चत्रियस्य धवलनृपतेः पुजोऽयं विमलो भाम श्रमिहितं चाद्यानेन यथा वयस्य वामदेव यदिदं क्रौडा- नन्दनमुद्यानमतिर मणौयं जनवादेन श्रूयते AAA लन्मापूवै ततो ऽद्य गच्डावस्तद्‌ शेनायं | Atm) यदाज्ञापयति कुमारः ततः खमागता विह Wat युवयोः शब्दः। तदनुसारेण गच्छद्यां दृष्टा पदपद्कतिः। तया लकितं भरमिथनं तेता शतागदके दुष्टौ युवां निरूपितौ कुमारेण कथितं मे wae fafes यथायं चक्र- वर्मीयं wea weal भविव्यति। तदिदमिहास्यागमनप्रयोजगः | श्नुष्टानं पुनरस्य सवं थथा चेष्टितं क्ञाघनौयं विदुषामभिमतं शोकानामाहाद्‌कं Taare वयस्यानां स्यइणोयं सुनोना-

७४२ उपमितिभवप्पच्चा कथा |

मपौति। केवलं प्रतिपश्नमनेनाद्यापि कि चहशरेमं। रत्रचूडेन चिन्तितं। श्रये wa सुन्दर माश्यातमनेन तदिदमत्र प्राप्रकालं | शेयाम्यस्य भगव ङि्बं | stead तहगेमख् षयन्यतेऽस्य तद्‌- शेनेन महानुपकारः। एवं कुवंतो ममापि प्रत्युपकारकरशमनोरयः परिप्रण भविव्यतौोति। विविनधाभिडितेाऽनेन विमशङ्ुमारः। थथा कुमार CE क्रोडामन्दने समागतः कचित्पे मदोयमातामषो मणिप्रभः। प्रतिभातमिदमतिकममोयं काननं। ततऽ पुनः पुनर्विंद्याधराणणमवताराथं महाभवभं विधाय प्रतिष्ठितं तेन भग- बता चुगादिनाथस्य fad श्रत एव बहङशोऽदमिहागतः पूरवे तते ममाशुयहेए तदट्रष्ुमरति कुमारः विमलेगोक्तं यडद्‌- MG: | ATH इष्टो रजचृडः तते गता वचं भवनाभिमुखं | दृष्टं भगवते मन्दिर तच कोदृग्रम्‌ |

विमलस्फरिकष्छायं खण्ठराजि विराजितम्‌ |

तडिडक्लयखयु कश्चरदग्बधरोपमम्‌

` विलखदखजवेडू यंपद्मरागमणििलिषा |

गष्टान्धकारसम्बन्धमुद्योतितदि गन्तरम्‌

अपि च। ससद च्छाच्छमिमेलस्फटिकमफिनिमितङ्खटिम संक्रान्त विलसन्ता-

पनोयस्तम्नं सम्भविन्यस्हविद्रु विर एकदम्बकर कसुकराफला वचूलं श्रव- चुलविरदितमरकतमधु खश्ामायमानसित चमर निकरं सितचमर- भिकरदणष्डलामौ करप्रभा पिश्चरिताद ्र॑मण्डलं श्रादश्मष्डलगतवि- राजमानादशमण्िडहार निकुरम्ब हार निकुरम्बावखम्नित विश्दहारक-

पञ्चमः प्रावः | OUR

fafeetorafafa | तत्र चेवं विधे भुवननाथस्य भवने uf तेरवखो कितं भगवतो चुगादिनाचस्छ विम्बं ae

रिक प्रङ्खगपभाजाशं ्रातङ्खम्भविनिर्मितम्‌ |

श्रान्तं कान्तं निराटोपं निर्विकार ater

ततः स्वैरपि विदिता शषभरविस्फारिताचेः wera: | वन्दितं

विग्दानन्दपुलकोद्ेदखन्दरं वपुदेधानाभ्यां विधिवशूतमश्चरो- Targerat vagy सचराचरमुवमबन्धोभगवतेा बिम्ब निरूप- यता विमरशक्ुमारस्य aver समुक्षसितं Masta विदारितं शरि- HAMS इद्धिश्चपगता सदुद्धिः wear इृढतरं शणतुरागः। ततञिग्तितमनेन set भगवतेाऽस्य देवच्छ SG wet सौम्यता aut निविंकारता set सातिश्रयल्ं श्रो श्रविगधमाहाक्यता। तथाहि |

आकार एव ares निष्कलङ्को मनोहरः |

WAMAG देवस्य शरषम्भार गौरवम्‌

वौतरागो गतदेषः way: सवद शमः |

ufafaaaa देवो बिम्नादेवावगम्यते

TAG AIG मध्यस्धेनान्तरात्मना |

विमणः लालयन्नचेभेलमात्मौयचेतसः `

TITAS TCI खजातेः सरण तदा

श्रतोतभवषन्तानटन्ता शास्मृतिकारणम्‌

अय संजातमू्धोऽसावचिग्धर सनिभरः |

पतिते wae ay: सवषां रतसंभमः

95

©ys उपमितिमवप्रप्चा wut |

अय वायुप्रदाभेन संजातः Ween: | we किमेतदिल्थेवं cree सादरम्‌ ततः प्रादुभवद्भक्रिः स्फटरोमाश्च्डषणः इघात्पुलविश्ालाचः प्रबद्धा णिबन्धेरः विमो Tarysa aver चर णएदयम्‌ | आनन्दो कपूर्णाः प्रणमाम FRY: प्राह च। WUC Mad बन्धर्नायो माता पिता Te: देवता परमात्मा चत्व मे नाख्यच संश्रयः धेनेदं cums पापप्रशालगखमम्‌ | त्या मे दभितं धौर खदिम्बं भवभेदिनः॥ एतद्धि quer Taye भवता दिता मे stems: रतं परमसौजन्यं दिता waa eafed gene zi सुख- mama प्रापितं शिवधामेति रनचडेनोक्त gant गादमचापि विगरेषतेाऽवगश्छामि faaw dad भवतः fanaa) श्राय aay RH जातिष्मरणं। श्ृताऽद्यदिनमिवातीता अरिभव- सन्तानः | यतः पुरोऽपि निवेशिता मया भक्रिभरमिभरेण azfx- wag वतंमानेन भगवद्धिम्बे दृष्टिः निर्मोशतं सम्यग्श्ञान- निमेलजलेन feata रचितं सम्यग्दश्ेनेन मानसं waned खदनुष्टानं भावितो भावनाभिराक्ा वाशितं तत्षाधुपयैपाषन- यान्तःकरणं Taw मे समस्तेषु भरी गतेाऽङ्गाङ्गोभावं एषाधिकरेषु प्रमोदः धारितं बडग्रचित्ते क्तिष्टमानेषु कारण्यं

पञ्चमः प्रस्तावः | ०५१

Wham दु विनोतेषूपे्ा निखज्ञोभतं वेषयिकसखद्‌ःखयोरौ दा- सौन्यं तथा often: प्रशमः परिखितः dam: चिरखस्तता wafaae: प्रशुण्िति कर्ण श्रनुशुरणितमास्तिक्यं ्र्यष्णेभ्ता weufe: Ghat तपःसंयमाविति तता चाकृष्टं aad भुवमभतुभगवतेा frag बिम्बे तावदहं fam इवाग्छतरसेन afta इव रत्या खत इव सुखाश्िकया wa ta प्रमोदेन नतः स्फुरितं मम Wea) यदुत

रागदेवभधाज्ञानश्रोक चिद्केर्विंवजितः

भ्रशाज्नमून्तिदवोऽयं लोचनामन्ददायकः

TAT यणा WU मनाह्कादं तथा पुरा

गुनं wives मन्ये दृष्टोऽयं परमेश्वरः

एवं femusa शोकातौतं रषामरम्‌ |

प्रविष्टोऽसुभवदारषबेच्चमतिखुब्दरम्‌

यता WAAC प्राप्न सम्यक्घभुन्तमम्‌।

ततः स्मृता मया सवे तदाराजिखिश्षा भवाः +

तदिदं महात्मन मे dae भरतः रतं TH भवता यत्परम-

रवः Bafa ब्रुवाणो रब्नच्डचरणयो निपतितः पुगविं मल- कुमारः | तते नरोत्तम अ्रलमलमतिषभ्रमेशेति वदता समुत्था पि- ताऽसौ Tages साधर्मिक इति वन्दितः सविनयं अरभिदितं कुमार सपन्नमधृना मे षमो दितं परि पृण मनोरथाः wag प्रत्येप- कारो add मादृश्रजनोऽपि ते परिचिततक्वमागेप्रत्यभिन्नाने area प्रतिपन्न दति। स्थाने कुमारस्याय ₹इर्षातिरेकः।

oud उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

यतः

amet सुते tree द्रविणे रन्नस्श्चये |

अवाप Bate नेव तेषो महात्मनाम्‌ तयाहि

तुच्छानि सखख्पकालानि सवांणि परमायतः |

एतानि तेन सौरा भेव Area कारणम्‌

HAE पुनरासाद्य मागे भौमे भवोदधौ |

सुदु लंभं मदात्मागो जायन्ते इवेनिभेराः तथाहि |

सप्राप्तस्त्छण्णादेव मागः स्वेश्षभा वितः |

श्रमसाताग्दताखा दसंबेदनकरो नृण्ठाम्‌

अनन्तामन्दसंप्ूरणेमोश्ेतद्च निशितः |

अतः सतां कथं भाम इधौक्लासकारणम्‌ अन्यच्च

स्वानुरूप वाञ्कम्ति we सर्वेऽपि जकवः |

a हि qufa पिण्डेन गजघातेम केसरो

मूषको भ्रौदिमाखाद्च गुत्यत्युन्तालदस्तकः |

गजेन्द्रो ऽवन्चया YR VAS सुभोजनम्‌ तथा

अदुष्टत्वा ये मूढाः स्ोकचिन्ता AeA: |

धनराच्यादिकं प्राप्य जायन्षे ते मदोत्कटाः aay

पञ्चमः THT | Sys

चिन्तामणिसमे ta wal मध्यस्छतां गतः खचित मया भौर रषेटोषकशद्धितः श्रपुभेवं TAT: स्टरोमाश्चसुन्दरः | BMA तुष्टोऽसि wy ey नरोत्तम केवलम जने नेवमतिगुरुलमारोपणोयं gate! किम मया fafea gare निमिनमाजं we संपनलोऽदं auaa aust लमेव विधकख्याणएपरन्परायाः। मथापि fe तावकोमां पाचतामुपलच्छयाय विहितो यन्नः तथाहि | सखयंविन्नातसद्धावा शोकाग्तिकसुरेष्दा | यदि भाम प्रबोध्यको Mare: कथंचन तयापि ते सुराखतेषां भवन्ति महात्मनाम्‌ | गुरवस्तादूओे TS द्रव्योऽयं लया जनः विमलेगोक्कं महात्मना मेवं वोचः सदृ श्मिदमस्यो दितं भवता मडि भगवति बोधयितव्य शोकान्तिकसुराणां निमिन्त- भावः भवता तु दभ्रेयता भगवद्धिम्नं शंपादितमेव ममेदं wae RATT इड निमिन्तमाचतां योऽपि धमं खवेन्नभाषिते | प्रतिपद्येत Share गरः पारमार्थिकः एवं भे विदधामस्लं Teta संशयः | उचितं तु wat कतु बहुरो विनयादिकम्‌ तस्मादु चितमेषेदं सवे तावकोपकारस्येति किं एवा भगवतामाज्चा सामान्यस्यापि सुन्दरम्‌ |

oye उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

कायैः साधिंकस्येह विनयो वन्दनादिकः॥ fa पुनस्ते महाभाग नैवं खद्धमंरायिनः। युव्यते विनयः कतुं निरभिंयद्यापि सहुरोः रनरचुडेनोक्त | मा मेवमादिश्तु कुमारः | तथाहि | गुणप्रकवरूपस्लं पूजनोयः सुरोरपि | लमेव ATS Aa वक्तुमहसि विमलेनोक्र | गणप्रकषेरूपाएं BTA महात्मनाम्‌ इदमेव ae लिङ्ग यहुरोभेक्तिपरूजनम्‌ महात्मा GSA धन्यः HANA: | awit: aay: तपस्नौ पण्डितः॥ यः faeta Waa क्मकारत्रमश्चसा | दाषत्वमपि gaiw: agent म॒ werd कायः atfan: gut at गुरो विंनयोद्तः | खा are} या गरोः ATHY त्मनो यहुरौ रतम्‌ अनेकभवको टौभिरूपकारपरेरपि | धममीपकारकटष्णं नियो विधोयते a अन्यच्ेद मधूना पर्यालोच्य भवता साधं मया यदुत विरकं तावन्मे भववचारकवासाचिन्तं ग्टडोता दुःखात्मकतया विषयाः भाविते लोकोत्तरायाताखाद रूपतया ATA | स्थातव्यमधना ग्टपश्चरे Wiaa भागवतो ster) केवलं सन्ति मे तात- प्रतयो बहवो बान्धवाः तेषां कः प्रतिबोधमोपायः स्यात्‌ |

पचमः प्रस्तावः) ` eye

एवं हि तेषां मया बन्धूवकायेमाचरितं भवति यदि तेऽपि afe- fama भगवद्भापिते धर्म प्रतिबुध्यन्ते नान्यथा Tres रस्ति बुधो मामाचायैः। यदौह कथचिदागच्छेलतस्तामपि तव ज्ञातोनवश् प्रतिबोधयेत्‌ हि भगवाज्निधिरतिश्रयामामा- करञिन्तश्नतानेपुष्छस्य प्रकषैः प्राणिप्रश्रमलम्भेरियन्ताग्डमिवेंचन- विन्वाखस्येति विमलेमोक्तं श्राय पुनरसौ get बुध- सूरिर्भवता रत्रचुडनोकषं श्रचेव क्रौडागन्दने cela भगव- RIA डारग्धमिभागे दृष्टोऽखौ मया यतः समागतेऽहमतौता- eat परिकरो भगवत्पुजनायेमिह मन्दिरे प्रविश्रता दृष्ट मया शृन्तपोधनमुनिटन्द तस्य मध्ये fea: wut aon Thret दशनेन भिकोणेन भिरा वक्रदौधया facture चिपिटथा नासिकया विरशविकरालेम दशनमष्डलेम खम्बेगोद्रेख व्वेया कुरूपतयोद्ेगहेतडृगश्छमानः केवलं परिशद्धमधुरगम्भौरेण ध्वनिना fanaa वौीश्ारणेमाथंसमर्पिकथा गिरा धर्ममारचाणो दृष्टो मयेकस्तपद्ौ | day मे चेतसि fare चथा बत भग- वता गुणानुरूपं पं प्रविष्टोऽहं चेत्यभवने निवेशिता fie सार भगवद्िम्बे दृष्टिः श्रवतारितं भिर्माद्यं विधापितं सश्मा- लेनं कारितसुपलेपन विरचिता gat: fate: पुष्यप्रकरः। मरष्वालिता मङ्गलप्रदौपाः | समुक्ञाशितः सगज्धिधरूपः। भिःगरेषितं पूर्वंकरण्णौयं प्रमाजिंतमुपवेश्रनस्थानं न्यस्तानि भूमौ नानुकर- तलानि faagr भगवददने gfe: प्रवर्धितः सद्धावनथा इभ- UTA ख्जाते भह्मतिश्रयः क्ञावितमानन्दयोदक बिग्दुनिष्यन्द्‌-

eo उपरमितिभवप्रपश्चा ut |

aaitu ater संपन्नं कद म्बद्ुसुमसन्निभं शृददाभन्द्‌- विश्रदपखकोद्धेदसुन्दरं भे शरीर पटिता wmaralqacend भक्रिनि्भरतया शक्रस्तवः। हतः पश्चाक्गप्रणिपातः। निषष्यो तले | सुतः सर्वश्चप्रफौतप्रवचनोशतिकरधौ गमुद्रया प्रधानस्तोजेर्भावसारं भगवाम्‌ | Thea भगवहुशेरनःकरणं विहिता शयः पश्चान्नपरणि- पातः। तदवस्येनेव वन्दिताः प्रमोदटद्धिजनकाः सूरिप्रशतयः। wy- fea जिनश्रुद्रया संपादितं चेत्यवन्दनं तदन्ते शतं प्रणिधानं सुक्रारएक्रिमुद्रथा अजान्तरे मत्परिवारेण निव तित भगवते बज्ि- विधान सष्लोहतं चखाजोपकरणं विस्तारिता विजिषवश्लाश्हारो- Ma: | प्रार्य Via समापूरिताः कशकाडइलाः लालिताः षुचोषचघण्डाः। राणितानि कणकणकभाणएकानि | च्वानिता दिव्यदुन्दु- भयः भादिता मधुर शङ्खणः | वादिताः पदुपटहाः आस्छाखिता जभेरिकथा खदङ्गाः। सयुष्छलितानि कंसाशकानि विजम्मितः स्लोजरवः। प्रवर्तिते arora: विमुक्तं कुसुमवषे। इणएद्यणटायिता ayaa अभिषेचितं महारंरसगन्धौषधिसत्नो्ीदकेरविंधिना जगष्लौवबन्धोभेगवते fad TAT मन्रं चूतमश्वरो | विल- वितमुहामानन्दोचित शेषविला सिमोजनेन दन्तानि महादानानि। तसु चितकरणोषं एवं महता विमर्दन विधाय भगवद्‌ भिषेक- पूजनं faite aye wane ae सुसाधदन्दख् awa fea: aval निविष्टः कमककमसे रतिविरद्ित दव मकरकेतमो रोदहिणोवियोजित इव arensan: श्चोविमारत द्व पुरन्दरः उन्तमकातंखरभासखरेणा कारेण उल सग्महा प्रभाप्रवाह-

पञ्चमः THT | oft

पिश्चरितसुगिमष्डखः gaiutr पादतलेन शुढसिराजालेन प्र्स्तशाञ्छनलाञ्द्ितिम दपेणएकारनखेन खच्िषटाङ्गुणिना we- युगलेन वरकरिकराकारेण mea कठिनपोनद्धटकविल्लोन केसरि किश्योरखोलशाविडम्बिना कटोतरेम चुरितमनोहरेणोदर- देशेन famaa वकःखलेन प्रखम्बेन भुजदण्डयुगलेन मन्मदेभ- gaara करार्वां चिवलिविराजितेन कण्ठेन अधरित- शश्रधरारविन्दश्ोभेन वदनेन उन्लङ्गएखंख्ितेन नाखिकावग्रेष सुच्धिष्टमांसखप्रशम्बेम कणेयुगखेन अपरसितकवलयदलाभ्यां लोच- माभ्यां serena स्फुरत्किर एजाशरज्िताधरपुखया नप्त्या सुिष्टाष्टमौ शश्रधरलज्निभेन सलाटयपडेन अध कगावयवचूडामकि- मोन्तमाङ्गभागेन किं बहना शवंयोपमातौतरूपधारौ get set मया aaa धर्ममाचद्ाणएः। मप्रव्यमिन्ञातख्च तेन प्रवावधारि- तेन ध्वनिना संजातो मे मनसि fame: | aafafaa मया | षष एवायं तपसौ कथं पुगरोदृश्कमनोयरूपः चश्ारेव संपन्न इति। अथवा किमभाद्थं निवेदितं मे पूवे wager चन्दनेन | यया भवन्ति भगवतां Gayest ware) तम्ाहाम्येन भवनगदेते अचेच्छथा विविधरूपभारिणः | जाथन्ते परमाणवलृच्छाः संपद्यन्ते पवंतवहुरवः | वतेन्तेऽकंठलवल्ञषवः। पूरयन्ति खरे हविश्तारेण भुवनं waren किङ्कर मिव taut! निमष्लन्ति कटठिन- शिलातले | कुवन्येकघटाद्वट ्रतसहस्तं शयन्धेकपटात्पट श्रत- सहस | seawater सर्वाङ्गोपाङ्गेः। दरन्ति खग्रेमाजेण निःगेष- are गछन्ति garage गगने सवया नासि किंचिरसाध्य- 96

न्द्र उपमितिभवप्रपच्चा कथा |

मेतेषां भगवतां gereat प्ाप्तलम्यो Wa सवस्य करणपटवो भवन्ति | अतोऽचं मुनिखन्तमः पूर्वै तथा रूपो मया दृष्टोऽधना पुनरेवविधरूपधारो wad | vet प्रा्तलसिरेष भगवाभित्यद्ो भगवतोऽतिश्रयः। ततः प्रइष्टचेतसा वन्दितो मया भगवानन्य- qaay अभिनन्दितोऽहं सवे: खर्गापव्गंमागं संसर्गं निसर्गं हेतुना धमेलाभेन निविष्टो तले श्रुता चाग्टतकश्या श्राकेपकारिणौ wafeurat विषेपजमनो विषयविषामिलाषख्य श्रभिलाषोत्यादनौ गिवखुखे भि्वेदसन्पादनौ aang arent विमार्ग भगवतो धमरे शमा | रज्ितोऽदं तस्य शणप्राग्ारेण प्रष्टख निकटोपविष्टः शरनेरेको सुनिर्मया। aga कोऽयं भगवान्‌ किमामा कुचल्यो वेति। तेनोकषै ख्रिरष Tatars बुधो नाम धरातल पुरवास्तश्यस्लद धिपतेरेव एएभविपाकनुपतेख्तनयो निजसाधृतानन्दन- सणवद पाय राच्यं निक्रान्तः सास्मतमनियतविष्ारेण विषर- तौति। aatsearaag तच्चरितं ger acfawa निरो रूपं FAT धमेदे ग्नाकौश्रलं संचिन्ध इदये यथाहो रनाकरकसश्प- भिदं भगवतां ait यज विधानि पुरूषरन्नान्यपशभ्बन्ते ततः संजातो भगवद हेत्रणोते मागें मेरुशरिखर वज्निष्य॒ कम्पः 1 स्थिरोग्रतख wa तेनैव बुधद््रिदग्रेनेन मदौयः सर्वाऽपि परिकरः ततोऽभि- ay भगवन्त गतोऽ eer भगवानपि afacayq विर Mfr तेनाहं ब्रवौमि। aed बुधसूरिरागच्डेन्ततस्ते बन्धुवगे बोधयति परोपकारकर शेकव्यसनौ हि भगवान्‌ यतस्तदापि मम मत्परिकरस्छ aga gaia विहितं तेन and

पञ्चमः परावः | ode

afmascfata विमसेनोक्रं wa सोऽपि कथंचिदिषशागम- माय भवतेवाभ्यथंनोयः। Taye) थदादिश्रति Hae | केवलमस्रदियोगेन ead faucet fergie वतेते तद्च्छछामि तावदडं तयोः संभोरणाथं खथ्थाने ततः करिष्यामि quarey | नाज कुमारेण fant विधेध इति विमेगोक् | आयं किं गन्तव्यं रन्नचुडः प्राइ HAT

युश्रतसक्राग्डतच्ोदलम्धाखरादस्य मेऽधुना |

मन्तव्यमिति ame भारतो प्रतते

तथाहि |

लडोऽपि wat दृष्टे जायते तोषनिभेरः |

उदिते विकसत्थेव ware छ्ुसुदाकरः

त्र चणमाचेण प्रो तिखंबद्धमानसः |

sata तं सुक्रा नुनमन्यज गच्छति

क्ति

सखारेऽमन्तदुःखौ घपूरितेऽपयग्टतं परम्‌

इदमेक qian यसद्धिशिषमौशनम्‌

कोऽधं कतं समयौऽ्र सतां सङ्गस्य तले |

यदि तदिघटने हेतुमं स्ादिरहमुद्ररः

चिन्तामणिमिशारन्नमग्टत कल्पपादपम्‌ |

सदष्टं संत्यजञेष्ूढः waa थो विसुञ्चति

कमार विरहोच्ाखाश्जिह्ा लगति ताके

तवापि पुरतो acy गन्तव्यमिति नश्यतः

edgy उप्रमितिभवप्पच्चा कथा |

इदं वक्ाश्ननेस्ठखमिदमत्यन्तनिष्टरम्‌ | UR भवादृश्रामये गच्छाम इति जस्पनम्‌ तथापि | ताताम्बाचिन्तसन्तापड्ूपं afer कारणम्‌ | मशद्न्तब्यमेवेति मयेदमभिधोयते विमलेनोक्षं | श्राय यद्येवं ततो गम्यतां भवता fae विखारण्णौयमिदमा्ंश मदोयमभ्व्येनं श्रानेतब्यः कयंचिदज बुधस्रिरिति। रत्रचुडेगोक्षं कुमार कऽ विकश्यः। ततो भाविसुजनद शेन विच्छेद कातरददया चृतमश्नरौ सबाष्यगद्गदथा गिरा विमलं प्रत्याह | Fax सद्ोदरोऽसि मे राता देवरोऽसि नरोत्तम ` wat नौोवितं nae मे भवसि खुन्दर तदेष guest सर णोधः wien: | भवादृशां महाभाग धन्या fe समृतिगोचरे विमलेनोक्ं श्राय रुख erat चदि Hamer | ततो मे कौष्श्रो wa: किं वा सौजन्यमुच्यताम्‌ एवं हृत्वा मयापि खड सम्भाषणं गतौ चूतमश्नरौरनचुडौ | मम पुनरण्टहौतसद्धेते भद्रे समाकणेयतोऽपि तथा विमलरन्न- चुडयोः सम्बन्धिनं wine ERAT FATT AAA guaaq fafwafenea मू तस्येव प्रो षितस्येव wae तदा परिशतमेकमपि ward yee वञ्जभ्रिलाश्कशचटितमिव मना-

UYA: ONT: ody

गपि द्रावितं जिगवचनाग्डलरखसेकेनापि fed ततो विशेषतः gay भगवन्तं निमंतसयेत्यभवनास्मया afent विमलः ततोऽभि- दितमनेन वयस्य वामदेव यदिदं THETA AG दन्तं Ta महा- प्रभावमिदमाख्यातं तेन ततः aetfafecqugedt wfwarela WIAA मम TET रन्ञादिके ततो गहौतमिदमना- दरेण कथं चिक्लच्छति तस्मादजेव gufenes निधाय गच्छाव दति मयोक्रं यदादिशति कमारः ततो विमोश्य aargd wafaa aga मे विमङेन। निखातं मयेकज शप्रदेग्े। wat निङपणशः प्रदेशः प्रविष्टौ anti गतोऽहं सखभवने रतः Waqsfeanst मम शरोरेऽनुप्वेश्रः। ततसिन्तितं मया

AKA रजचडेन सवेकार्वकर परम्‌ |

निवेदितं ware मे qe चिन्तामणे शैः

AMET Ta को नाम Geta |

इरामि afta गत्वा fa ममापरचिन्तया

ततोऽवलम्ग्य जघन्यतां विस्मृत्य विमलं श्रविगणय्य सद्धा-

aaa अपर्याशोच्यायतिं श्रनाकखथ्य महापापं श्रविषा्यं कार्याका्े अधिषितः @uasfwarat गतोऽहं तं प्रदेशं। उत्खातं aga निखातमन्यच प्रदेशे चिन्तितं मया कदाचिदधुनेवागच्छति विमञ्ञः। ततो रिक्रेऽख्िष्दृष्टे प्रदेशे wace विकश्यो यथा वामदेवेन weld axa यदि पुनर प्रदेशे ae कपैटाव- गष्छितं निखातं तथेवान्यस्तत्ममाणः पाषाणो निखन्यते ततो विम- Wa तं Ter भवेदेवं विधो वितकंः aut axa aaarqeta

edd उपमितिभवप्रपश्चा कथा|

पाषाणटौश्व्लमिति एवं fafa मया मिखातस्तव्ममाणः कषे- टावगृष्ठितसतज aes पाषाणः, समागतो गदं ated तदिमं समायाता रनौ | faatsye vas) समुत्यनल्ला मे चिन्ता wa विरूपकं मथा शतं यन्लानौतं aga) दृष्टः केनचिदहं तथा gin: योव्यति कञिदन्यसद्रन तदधुना किं करोमौति। वितकंकक्लोलमालाङुसित चिन्तट्न्तेखिन्तसन्तापेन विनिद्रस्येवातौता सर्वापि wath प्रभाते agenrafaafta गतोऽशं पुनस्तं प्रदेशं Tay समागतो मद्वने विमलः दृष्टोऽहमनेन ! vet मत्परिजनः क्र वामदेव दति कयितमनेन यथा क्रौडानन्दनो- द्यामाभिसुखं गत इति aa: मागतो ममानुमा्गेश विमलः | चागच्छन्‌ दूरे दृष्टो मया | ततः संजाता ममाङ्कलता | विस्मृतो रल्नप्रदेश्रः। समुत्खातः पाषाणो गोपितः aztaat: wat जिरपलच्छः usm: | गतोऽइमन्यज गहनाग्तरे संप्राप्तो faa: | दृष्टोऽदमनेन afaat भयतरशलोचनः। ततोऽभिडहितमनेन | वधस्य वामदेव किभेकाकौौ त्मिहागतः। fa वा भौतोऽखि। मयोक् श्रुतः प्रभाते मया त्वमिहागतः तेनाहमागतः | ततो दुष्टस््मज। तेन संजातो मम इदये चाषः कुमारो गत दति चिन्तया aaa तु लयि दृष्टे थदि पर खस्थौभविष्धामोति। विमलेनोक्ं | wad ततः खुन्दरमिदं संपन्नं थदिडागतो anna गच्छतो Wagar | मयोक्रमेवं भवतु ततो गतौ जिनमन्दिरे भरविष्टोऽग्बन्तरे विमलः। स्थितोऽहं दारदेशे। चिन्तिति मया qa विज्ञातमनेन ततो नश्यामि लरितं। इतरथा ममेद-

पञ्चमः प्रसमावः | 549

मेष रन्नसुदालयिव्ति qe पुरे तिष्ठतो ममाख्यस्माश्मोच्ः | अतः पतामि faen इति। ततः पलायितोऽह बेगेन। क्रान्तो बडविषयं। ऊडस्तौणि राचिदिनानि गतोऽष्टावि श्रति्योजनानि। कोटितो रन्नयन्धिः। get जिष्टुरपाषाएः। ततो हा इतो satfa गतो मूकं लया wea चेतना wela: पञ्ान्तापेन प्रारभेः प्रलयितुं श्ष्टो ऽदं कथं चिन्ततः स्वानात्‌ तत्पुनगष्ठामोत्यभिप्रायेण वखितः खदेशाभिमुखं |

इतख जिनसदनान्निगेतेन दुष्टोऽद विमलेन ततः संजाता विमलस्य चिन्ता क्ष gaat वामदेव इति, गबेषितः सवे कागने चोपलभः। ततो भवने पुरे सवेज मबेषितो यावन्तजापि दृष्टः ततः wafeg प्रहिता ममाग्बेषकपुरुषाः प्राप्नोऽहमेकीर्मो तस्तेभ्यः अभिदहितस्तैः। यथा वामदेव शो कार्तसश्लदि योगेन विमो वर्त॑ते वयमानेतारस्तवानेन प्रितास्तेम गम्यतामिति ततो मया चिन्तितं। अये ufaatsy विमलेन ततो विगतं मे भयं नतोऽहं afa- मखसमोपे | दृष्टो विमलेन समाशिङ्धितः ata. सुक्रसुभाग्यां नयनेविमरूषशिलं किं तु मथा कपटेन प्रियमौलकमुदा विम- खेन निवेितोऽदमर्धासने अ्रभिडितञ्चनेल वयस्य वामदेव avy feared भवता मयोक् कुमाराकणेय श्रल्ि ताव ufase जिममन्दिरे ततो धावन्त किलारमपि प्रविशामि तावहृष्टा मया वणमा गच्छन्तो गगनतलेऽम्बरचरो | सा AE |

प्रका ग्रयन्तो दिकुचक्रं शूपलाव्छग्राशिनो | अहृष्टकरवाला यमजिष्टेव भौषणा

७६८ उपमितिभवप्रपच्चा KUT |

ततस्तां दृष्टा थावदरमभिलाषो्ाससंकौ णे रसान्नरमशुभवानि ताउदुत्पाटितस्षया नेतुमारगो गगनमागें ततोऽहं हा कुमार कुमारेति wee: gfase: नोत एव तया दूरं भो विद्याधरथोषिता किं प्ोधरभरेणोषवेः सच्ेहमवगूहितः लुम्बितख्च were प्रातो रतकाम्यया तया carta सा बाला विषङूपा प्रभामते। कुमार वरमिजेर त्वया विरदहितख्यमे॥ चिन्तितं तदा मया यदुत | MAC सुरूपा यद्यप्येषा तथापि मे वरमिचवियुक्रस्य सुखाय प्रकल्पते अजाकरे समायातान्याम्बरचरौ | विशोकितोऽदमभया गतप सापि मव्यभिलाषं | want weet) aay आः पापे कुच areifa weqarqualgeq | जातं Wat युद्धं तथोः ख्रयो षितः ततो व्याङ्कुलितायां निच्युटितोऽहं इस्तात्यतितो तले yfarit mate | चिन्तितं मया यद्यपि सितोऽह शक्रोमि बेद- नया ae तथापि arazaattar खाति मां aaa येन Nasa विमशक्ममारवरवथस्यं पश्यामि aa: पलायितो त्वरथा दृष्टश्चामो भिर्मनुगयेः प्रापितः कुमारसमोपं तदिदं कुमार मवानुतमिति aweat Theat विमलो मदौधनिष्कृजिम- खेदेन इष्टा मेऽन्तगेता बलिका किल प्रत्यायितोऽयं मया

E Faso, 1-4 @ 2/ ea a a > Re Paricista Parvan, (16४६) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... १५५ ; Prakrita-Paingalam, Fase. 1-7 @ /6/ each नु ५०७ १०४ Prithiviraj Rasa, (Text) Part 11, Fasc. 1-6 @ /6/ each | Ditto (English) Part 11, Fasc. 1 ०७४ ` < ०५ a Prakrta Laksanam, (Text) 7686. 1 ... ¦ Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8 Vol. II, Faso. 1-6; Vol. II Fasc. 1-6 @ /6/ each is Paracara, Institutes of (English) ... ies a Prabandhacintamani(Hnglish) Fasc. 1-3 @ /12/ each nie WE fers *Sama Véda Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 6-10; 11, 1-6; [1], 1 7; 1V, 1-6; ए, 1-8, @ /6/ each Fasc 4 és Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Fase. 1-4 @ /6/ each ieee! Ditto ˆ (English) Fase. 1-3 @/12/ each... Sraddba Kriya Kaumndi, Fasc. 1-6 8९०४४. Samhita, (Hng.) Fasc. 1 @ /12/ *Taittereya Samhita, (Text) Fasc. 14-45 @ /6/ each Tandya Braihmaya, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each Trantra Vartika (English) Fasc. 1-38 @ /12/ =, eas Tattva Cintamani, (Text) Vol, I, Fase. 1-9, Vol. Il, Fase. 2-10 Vol. 111. Fasc. 1-2, Vol. 1 एर, Fasc. 1, Vol. प्र, Fasc. 1-5, Part 1V, Vol. I ` Fase. 1-12 @ /6/ each re 1 ` Tattvarthadhigama Sutrom, Fasc, 1-2 ve ५० नं Trikinda-Mandanam, (Text) Fase. 1-3 @ /6/ (33 v7 Upamita-bhava-prapafica-katha (1९६४) Fasc. 1-7 @ /6/ each | Uvasagadasao, (Text and English) Fasc. 1-6 @ /12/ ve = ~ Vallala Carita, Fasc. 1

YVaraha Purana, 1 Text) Fasc. 1-14 @ /6/ each

Varsa Krya Kaumnudi, Fasc. 1-6 @ /6/ _ *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. Ll, Fasc. 1-7, 2 /6/ each =< Vidhano Parigata, Faso. 1-6

Visnu Smrti, (Text! Fasc. 1-2 @ /6/ each

_ ` YVivyadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each cf YVrhannaradiya Purana, (Text) Fasc. 2-6 @ /6/ > _ Vrhat Svayambhi Puriya, Fasc. 1-6

Tibetan Series STS Pag-Sam Thi 819, Fasc. 1-4 @ 1/ each >+ Sher-Phyin, Vol. 1, Fasc. 1-5; एण. 1, Fase. 1-3; Vol. 11, Faso. 1-6 1/ each 14 Rtogs brjod dpag Akhri 8179 (Tib. & Sans.) Vol. I, Fasc. 1-6; Vol. II = Fasc. 1-5 @1/ each =... ete 10 >. =z + Arabic and Persian Series | . *Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /6/ each yf ~ | Al-Muaaddasi® English) Vol. I, Fase. 1-3 @ /12/ ose 19 << Ain-i-Akbari, (Text) 7886. 1-22 @1/ each... 22 4 ~ Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. III Base. 1-5, @ 1/12/ each wt a 9. Akbarnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-37 @1/each .. ven, 9 ata » English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. II, Fasc.1 @1/each ... 9 a = Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger ator aes Badshabnamah, with Index, (Text) Pasc. 1-19 @ /6/ each cated. __—sC Watalogne of Arabic Books and Manuscripts 1-2 » 2 e of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the ^ Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each 3

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nttuh-nsh-Sham of Waqidi, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each Di of Azadi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each = ,., १6 ft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 ; History of the 0811008, (Hnglish) Fasc. 1-6 @/12/each =... a fabalnam -i-Jahingiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each gah, with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/each =... शपा mara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. L11, 1-10 to 44 I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Fasc. 10-12 to 1. III, Fasc. 11-12@ /6/ each 48७ we 18 ~ 9 Waqidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ०६४ पि.

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5 Muntekbabu-t-Tawarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Faac.

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2, 8०५४४188 68 of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (incl.) @ /6/ per No.; and from 1870 to date @ /8/ per No.

8, Journal of the Asiatic Society for 1843 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846 (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 (8), 1871 (7), 1872 (8), 1873 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1883 (5), 1884 (6), 1885 (6), 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), | 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1903 (8), @ 1/8 per No. to Members and @ 2/per No. to Non-Members.

N.B.—The jigures enclosed in brackets give the number of Nos. in each Volume.

4; Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-18838 ... 3 0 ~ A sketch of the Turki language as spoken in Eastern Turkistan, by 1, B. Shaw (Extra No., J.A.8.B., 1878) = ie Sa, | 0 T'heobald’s Catalogue of Reptiles in the Museum of the Asiatic Society (Extra No., J.A.8.B., 1868) क, i a 9 Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by E. Blyth (Extra No., J.A.8.B., 1875) ०७७ र? oa sie, ee 0. 5. Anis-ul-Musharrabin «ee ४१४ vee see een 3 0. 6. Catalogue of Fossil Vertebrata 586 ते sa ake 0 7. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal _.. NS 8 8. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. JI and IV, @ 16/ 6860... 42 9. 9. Jawamlu-l-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 40. Part I (72 9. 10. Khizanatn-l-’ilm see ५५४ eee “see “> 0 11. Mahabharata, Vols. 111 and IV, @20/each_... an oe 40 0 12. Moore and Hewitson’e Descriptions of New Indian Lepidoptera,

j Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each ०७७ ie 0 18. Sharaya-ool-Islam (१7) (4 eer ४४४ ee eee 4 0 ~ 14. Tibetan Dictionary, by Csoma de 666 cue ५०३ + 0. 15. Ditto Grammar ”» eee eee ५४१ 8 0 16, Kacmiragabdémyta, Parts I and II @ 1/8/ Th ०१७ » "ड ति 17, A descriptive catalogue of the paintings, statues, &c.,in the rooms of

the Asiatic Society of Bengal, by O. R. Wilson... ~ > स्किः ` 9 18, Memoir on maps illustrating the Ancient Geography of Kasmir, by M, A. Stein, Ph.D,, Jl. Extra No. 2 of 1899 =, 9.५ » {क Notices of Sanskrit Manusoripts, Faso. 1-29.@ 1/ 586 = „९, 29 शि Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. R. L. Mitra wo 6 OF

N.B.—All Cheques, Money Orders, &c., must he made payable to the Treasurer = Agiatio Society,” only. = ae टः 2-12.04,

Books are supplied by V.-P.P.

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OLLECTION OF PRienTaL Works

PUBLISHED BY THK ASIATIO SOCIETY OF BENGAL, . 4 ८८ New 3४11148, No. 1140, of ee

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BIBLIOTHEGA INDICA

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+ उपमितिभवप्रपच्चा कथा। 3 सिद्धषिप्रणोता | Ss THE UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA 25 - OF - eu SIDDHARSI.

ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., AND CONTINUED BY ` PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. FASCICULUS IX.

4 CALCUTT PRINTED AT THE BAPYLIST MISSION PRESS,

_AND PUBLISHED BY THE >t ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET,

1906,

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LIST OF BUOKS FOR SALE

AT THE LIBRARY OF THE

fAisIATIC SOCIETY OF PENGAL

No. 57, PARK STREET, CALCUTTA ` AND OBTAINABLE FROM THE SOOIHTY’S AGENTS, Mr. BERNARD QUARITOCH, 115, Piccaprtiy, Lonpon, W., anp Mr. 0710 Harrassowitz, Bookse.Ler, Leipzig, Germany.

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Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot be swpplied—some copies of those works marked with an asterisk * cannot be swpplied—some

a yayabindutika, (Text) ,.. ५१ os

Part II, Fasc. 1-10 @ /6/ each; VolIV, Fasc. 1-5 ०१७ = Olokavartika, (English) Fasc. 1-5 ... ५०७ *Qranta 8४8 of Apastamba, (Text) Fasc. 6-17.@ /6/ each

Ditto Cankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc

1-4; Vol. III, Fasc. 1-4 @ /6/ each; Vol 4, Fasc. 1 or ५०९ Ori Bhashyam, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/each = ,,. “se Tt Dan Kriya Kaumudi, Fase. 1-2 . ४०, cos Gadadhara Paddhati Kalasara, Vol I, Fasc. 1-7... £ ~ गी | Ditto Acarasira, Vol. II, Fasc. 1 ‘oe eve Kala Viveka, Fase. 1-6 ... cnt’ see ae Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each . ०९ Tos Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each sey Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each... des ५९५ Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ /12/ each ५४९ ५५१

of the Fasciculi being out of stock. BIBLIOTHECA INDICA. + Sanskrit Series.

Advaita Brahma Siddhi, (1९6४) Fasc. 2-4 @ /6/ each ००9. 88.

Advaitachinta Kaustubhe, Fasc. 1- ose” fea >~ गि

*Agni Purina, (Text) 1788९. 4-14 @/6/each ...

Aitaréya Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-5 and Vol. II, Faso. 1-6 ; Vol. III Fasc. 1-5, Vol. 1V, Fasc. 1-5 @ /6 “se ४4४ ry

Aphorisms of Sandilya, (English) Fasc. 1 ०५

Astasahasrika Prajiaparamita, (Text) Fase. 1-6 @ /6/ each ok Agvavaidyaka, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ...

Avadana Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. II. Fasc.

1-5 @ 1/ each ४४ oar eae A Lower Ladakhi version of Kesarsaga, Fasc. 1, ००७ ese 8819 Bhatti, Vol. I, Fasc. 1-2 ०१५ cee Baudhayana Srauta Sutra, Fasc. 1-3 @ /6/ each ०७३ en Bhatta Dipika Vol. 1, Fasc. 1-5 ose tee see Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ` ree ५. Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each see Bodhicaryavatara of Cantidevi, Fasc. 1-3 ede ~ _ ae ०० Catadusani, Fasc, 1-2 asd 4 on

Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Fasc. 1-4 @ 2/ each

vokayathe Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc, 1-3, Vol. III asc. 1-7

Qatasahasrika-prajnaparamita (Text) Part I, Fasc. 1-10 @ /6/ each ...

*Caturvarga Chintamani /Text) Vols. 11, 1-26; 111. Part I, Faso. 1-18.

Madana Parijata, (Text) Fasc. 1-11 @ /6/ each Maha-bhasya-pradip6dyGta, (Text) Fasc. 1-9 & Vol. 11, (2५86, 1-12 Vol

III, Fasc. 1-4 @ /6/ each Jes ११४ Manutika Bay graha, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each ०७७ os Markandéya Purana, (English) Fasc. 1-9 @ /12 each १५१ अवी *Mimamea Darcana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/ each ite us Nyayavartika, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ avs se we Nirnkta, (Text) Vol. 1 ए, Fasc. 1-8 @ /6/ each ०७१ मून 94 ityacarapaddhati Fasc. 1-7 (Text) @ /6/ ons ९०७ ous. pradi h Faso. 1- see one 111; ५७४

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पञ्चमः प्रस्तावः ode.

fanart सुग्बुद्धिरिति। श्रच्ान्तरे ce इव मकरेण दशित इव TRY समाघ्रात दव रतान्तेन जाने कां प्राप्नोऽदमवखां यतः खमुग्लयदिवान्नाणि मे ्रादुग्रँतसुद्‌ रशं त्पाटयन्तौव wee ्रहद्भा भिरोषेदना प्रकन्पितानि सन्धिबन्धनानि प्रचश्ितं रदन- aa wqufad: श्वाखसमोरणः wa नयने faegr भारतौ समाकुशोश्रतो विमलः wat हाहारवः समागतो wae: | भिञ्जितो जनसमृः। समाहृतं वे्मण्डलं प्रयुक्तानि भेषजानि | जातो fama | qa विमखश्य तद्रतं अ्रथमवषरकसेति मला गतो वेगेन त्रदे निरूपितं aaa यावन्न दृष्यते axe ततो जाता विमजष्य मदौखचिन्ता कथमसौ जोविव्यति ) ततः समागतो मम समोपे चामरे विजुम्मितेका sare मोरितमनया शरोर उदितं भुजयुगखं मुत्कखोग्रताः केश्राः शतं feared सुक्राः फेत्कारारावाः वर्गितमुहामरेह्या भौतः बराजको अनः ततो विधाय पूजामुत्पाचच yo एषटाषौ agr- रिकिका ल्रमसौति। शा प्राह वनदेवताह। मयायमेवं विहितो वामदेवो यतोऽनेन पापेन सद्भावप्रतिषन्नोऽपि व्धितोऽचं सरलो विमलः wae रन्न निखातमन्यप्रदेगरे qaowet ap: पुनरानौतेग रचितमाणलाशं एवं कथितं तया वनदेवतया afaat acta faafaa दशितं तच प्रदेशे wa) आह च| तदेष मया चृफेनौयो दुष्टात्मा वामदेवः। विभलेनोक् सुन्दरि मा मैवं कार्षो्ंहानेवं क्रियमाणे मम चिन्तबन्तापः संपद्यते | ततो विमलाभ्ब्यनया gutsy वनदेवतया। निन्दितो ऽइ 97

७७० डपमितिमवप्रपच्चा कथया |

खोकेन fearfta: fiesta हसितो areata बरिष्कतः खजमवगंश जआतस्तृषणद पि जनमध्ये लघुतरो ऽहमिति तथापि महानुभावतधा विमलो मामवलोकयति चिरन्तनख्िद्या 4 दशयति विप्रियं सुश्चति aura a ग्रियिलयति प्रसादं a रहयति मां चणएमणेकं वदति वयस्य वामदेव भवता मनाग्यज्ञजमवचनेिन्नोदेगो विधेयः यतो दुराराधोऽथं Sagat भवादृशामेष केवशलमवधोरण्णामरेतोति mata aw महात्मनो विमलस्य तदा actaefta तथापि

श्रहं बङशिकाटोषान्तादृ्ो दुष्टचेष्टितः |

तादृशो महाभागस्तजेदं विद्धि कारणम्‌

वारष्ामुदये गच्छेद प्राच्यां दिवाकरः |

ayaa खमर्यादां यदा चौरमहाणटवः

RAT |

वद्किपिष्डोऽपि जायेत aerfafganiag: |

श्रलानुवन्तरे ्नौरे निचितो मेरुपवंतः

faatrguaree: सदाकतिष्छमहोदधिः |

तथापि सुजनो भद्रे प्रतिपन्नं a gyfa

अन्यश्च |

जानन्नपि जानोते पश्यलपि पश्यति |

श्रद्धत्ते Vela was: खलछचेषटितम्‌ `

ततोऽहं बन्धेमिख्यक्रो शोके संजातलाचवः |

विचरामि तदा aa विमदेन aera

पञ्चमः प्रस्तावः

अथान्यद्‌ मथा om विमो विमले GAAS Arafat वन्दनेच्छथा विधायागरेषकतेग्यं प्रणिपत्ध जिनेश्वरम्‌ | meet सोतुमारमो विमलः कलथा गिरा अवान्तरे बहोतिर्विंधो तितदिगन्तरः | STAGE: संप्राप्तः खचरः परिवेष्टितः Tae मधुरध्वाममाकश्यं ख॒ तिपेशखम्‌ | सतः संचिन्तवल्येवं Taye: प्रमोदितः 1 श्रये स्तौति waren विमलो जग्नबान्धवम्‌ | भगवन्तं महाभाग तत्तावच्छरयताभिदम्‌ ततो निश्तखश्चारो मूको शत्य खखेचरान्‌ | सहैव चूतमश्चयां fara ca fer: श्रय AACA: स्फुटकण्डकड्वणः | आनन्दोद कपूर्णा्चः चिप्नद्हिजिंमागने सद्भश्षावेग्रयोगेन साक्लादिव पुरः feaq | जिनेशं परमात्मान भगवन्त सनातनम्‌ | aires; खविख्रन्भ ससं प्रणयाज्ितम्‌ ततः सस्तोतुमारभो विमणोऽमललमानसः | अपारघोरससारनिमद्रननतारक | किमेष धोरसषारे नाय ते विस्मृतो जनः सद्भावप्रतिपन्ञस्य तारणे लोकबान्धव | ITS भुवनानन्द Gaeta विलम्ब्यते

ork.

७५

उपमितिभवप्रपश्चा wut |

WINS TIA REUTAAINAT |

युक्रमोदृशं कतुं जने नाय भवाङ्शाम्‌ MAy भवकान्तारे सगशावकसन्निमः | विमुक्तो भवता भाय किमेकाकभौ caret ` xagay मिचिप्रचचुस्तरलतारकः |

निराखम्बो भयेनेव fancy लया विना अनन्तवो येसम्भार अगदालम्बदायक |

विधेहि निभेयं नाय मासुक्लायं भवारवौम्‌ भाखरादूते नाथ कमलाकर बोधनम्‌ | यया तया waa ara नास्ति fasta: किमेष कर्मणां दोषः किं ममेव दुरात्मनः fa are waaree कि वामे नास्ति भव्यता e fa वा सद्भक्िनिर्याद्य षद्रक्िसखवि arent faqerafa aaa मे yanza लौलादलितनिःेषकमेनाल हपापर | मुक्रिम्येयते नाथ येनाद्यापि दौयते Be जगदाम्ब wig ते निबेद्यते MAME शरणं शोके भगवन्तं विसुश्थ मे

लं माता त्वं पिता बन्धृख्लं erat त्वच मे गरः, aaa जगदाभन्द जो वितं जौ वितेश्वर बयावधौ रितो गाय मौनवव्नलव्जिंते | facrat देन्यमाशम््य जियेऽहं जगतौतसे y `

पञ्चमः प्रस्तावः |

` खसबेदनसिद्धं मे निखलं त्वचि मानसम्‌ |

साचाद्भूतान्यभावस्य यदा किं ते निवेद्यताम्‌

afer पद्मवन्नाय ge भुवमभास्करे | ade विकसत्येव विदणत्कमेको शकम्‌ अनन्तजन्तसन्ानव्यापाराचणिकस्य ते ममोपरि जगन्नाय जने Atel दथा squad जगन्नाय लयि agate | FHA मयुराभो महोद ष्डशरिखण्डिकः ace किमियं भक्तिः किमुन््ादोऽयमोदृश्रः | दौयतां aaa भाय wae मे निवेद्यताम्‌ मश्चरौराजिते नाथ स्ते कलकोकिशः | यथा FS भवत्येव शसत्कलकलाङुशः तेष खरषामन्द बिन्दुसन्दोशदायक

त्वयि दृष्टे भवल्येवं मूखौऽपि gett जनः `

तदेनं मावमन्येथा मायासंबदभाषिणम्‌ | मत्या जनं जगञज्येष्ठ wet हि मतवल्धल्लाः कि बाखोऽरोकवालाल श्राखजाशं लपन्पि जायते जगन्नाथ पितुरानन्दवधनः तथाङ्ञौशाचरोल्लापजल्या कोऽयं जनस्तव |

किं विवधेयते नाथ तोषं किं नेति कश्वताम्‌

अनाद्यन्यासयोगेन विषयारचिकदंमे | गते GATS थाति मे wee मनः

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ae नाथ शक्रोमि तजिवारयितु चलम्‌ | अतः Wale ATA देव वारय वारय | fa ममापि विकल्पोऽस्ति नाथ तावकशासने येनैवं णयतोऽधौश् नोत्तरं मम दौयते ्रारूढमियतौं atel तव किङ्रतां गतम्‌ | मामण्ेतेऽनुधावन्ति किमद्यापि परोषहाः fe wat प्रणताग्रेषजनमवौयेविधायक | उपसर्गा aaretfa ve मुञ्चन्ति at खलाः पश्चन्ञपि जगत्छवे नाय मां पुरतः खितम्‌ | कषायारातिवर्गेण किं प्छसि पौडितम्‌ कषायाभिद्रुतं वौच्छ मां fe कारुणिकष्य ते विमोचने समयस्य atte माथ gout विद्लोकिते महाभाग तवयि संसारपारगे | श्रासितुं wana संसारे नासि मे रतिः॥ किंतु किं करवाणोह नाय मामेष दारुणः | श्रान्लरो रिपुसहातः प्रतिबध्नाति सत्वरम्‌ विधाय मयि कारूष तदेनं विनिवारय | उहामलोलया नाय येनागच्छामि तेऽज्तिके तवायन्तो भवो धौर भवो्नारोऽपि ते व्रः एवं waferd किं वा Slat परमेश्वर तरौयतां भवोन्तारो मा विलम्बो विधोयताम्‌ नाय निगेतिकोक्ञापं weft भवादृश्राः॥ ;

WEA: प्रस्तावः | ७७५

wea विमलो यावल्शद्भाव पितमानसः | तमाचमभिष्ुत्य पञ्चाङ्गपमएतिं गतः तावदुह्लासितानन्दपुखलकोद्भेदसुन्दरः | संतुष्टस्य भारत्या THER: खेचरः साधु साधु wa धौर सवनं भवभेदिनः | लधेत्येव ब्रुवाणोऽसौ प्रादुरासौत्तदा पुनः धन्यस्लं Bare जातोऽसि लं aaa | TATA महाभाग मक्गि्वनवान्धवे सुक्र एवासि संसाराजिखितस्तं मरोन्तम | प्राय चिन्तामणिं मेव मरो दारिग्यमरंति एवं aware विमशं खच्रासिपः। अभिनन्द्य ततो नायं वन्दिला भक्िनिर्भरः तदन्ते विमशस्योचवंन्दनं प्रविधाय सः प्रथमं वन्दितस्तेन निविष्टः weaaa ततो विदितकतेया निषा चतमश्चरो | विद्याधरनरेग््राञख्च निषष्ा नतमस्तकाः श्रथ VERA जाततोषौ परस्परम्‌ | विमलो रनचृडख wand कतुसु्यतौ उक्र THEA महाभाग fara | हेतुना चेन संजातं मम कालविलम्बनम्‌ नानौतो भवदादिष्टः सरिवधनामकः | तत्रापि कारण किचिक्ाहाभाग निश्रामय

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ततः खसभ्भृमोत्थानविहितातुलपूजनम्‌ | तामिमेों ज्ञाचयन्नोमिरिदसमुक्ं वचस्तदा धन्योऽसि इतशत्योऽसि पूजनोयोऽसि मादृशाम्‌ | यस्य भागवतो wa: fata नरसन्तम रोडिष्याश्चा वयं विधास्तव Gea चोदिताः 1 wale योग्यतां मला समायाताः खथवराः श्रावजिता गणेस्तात तावकैः सुनिर्मलः | HAAS सर्वाः सर्वात्मना वथम्‌

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रौर ऽनुप्रवेश्ः। प्रारभो विद्याधरसमेभं राच्याभिषेकः शतानि क्तैतुकानि विदितानि माङ्गशिकानि समुपनौतानि सन्तौर्योद- कानि प्रकटितानि रलानि सष्णोरताः कमनकरनकखश्चाः | एवं ava विमदेन निवर्तितो मे राब्धामिषेकः। ततः पूजयतो देवाम्‌ GATTI AGH श्ापयतो राजनोतिं निरूपथतो wey- बभे gaat यथारप्रतिपन्तिं समाचरतोऽभिनवराख्योचितं सवै करणोयं ufrafa मम feat दिनानि ततो निराङ्ख- शो तख मे संस्मृतो युश्मदारेश्रः। चिन्तितं wa नाग्वेवितो ऽसौ मया बुधदरिने नोतो विमलखमोपं श्रहो मे sere ततसङ्कबेषणणाथे खयमेव भ्नाग्तोऽहं भरिग्धमिमष्डलं Tea नगरे मया quate: निषेदितो यु्रहृन्ताश्तः ततोऽभिडित- मनेन गच्छ त्वं तावदिदमिदं विमलाय निवेदय we a पञ्चादागमिव्यामि श्रयमेव हि विमखबन्धूनां प्रतिबोधनोपायो भान्यः ततः BUNA fear wa: कथितो विमलाय रतरर्डेन ares बधसूरिषन्दश्कः। सतु मया नाकणित दति ATE TAGS: तदनेन कारणेन संजातो मे काण विशम्बः agar हेतुना मानोतो बुधद्धरिरिति | fanaa सन्दर- मलुषितमार्थे | ततः प्रविष्टाः aasfe नगरे खित्वा महा- प्रमोदेन fasta दिनानि गतः Gera TAGS:

विमशस्तु ततः प्रञ्टति गाढतरमभ्वस्ततया कु श्खभावच्य wee तया wares विश्टद्कतया ज्ञानस्य हेयतया विषयाणां उपादेथ- wer प्रग्रमस्य ्रविथ्चमानतया दुरितानां प्रबशतया waste

पश्चमः Gana: | So¢

भरत्थाखन्नतचा परमपद सम्पततेने बडमन्यते Tas कुरते शरोर- संसार चलति fafewaterfe: नामिलषति पराम्यधमंसम्बन्ध- गन्धमपोति | tae भवचारकविरक्रचिन्तः इएभध्यानानुगतः काशं गमयति तं तथा विधमवलोक्य यितुधेवलनृपतेर्मातुख कम- agua: agaa चिन्ता यथेष विमशक्मारः सत्यपि मनो- इरे MV विद्यमानेऽप्यपर शितधनद्‌ विभवे विभवे पश्यन्नपयधरिता- मर सुन्दरो खावण्छा नरेश्रकन्यका श्रधःहतमकरकेतमोऽपि रूपाति- शयेन संगतोऽपि कशचाकलापेन नौरोगोऽपि Ba संपूराऽपोडशिय- सामथ्या रदड्ितोऽपि सुभिदशेनेन arated यौ वनविकारेनै निरौ- चते ऽर्धाचिनिरौोचितेन sft मग्ममरूबलितवचनेन सेवते मेयादिकला बहुमन्यते श्रषणामि गद्यते मद्‌ान्धतया 4 विश्ुच्यते सरलतया विषहते विषयसुखनामापोति तक्कि- भिदमौदग्रमस्य संसारातोतमलौ किक चरितं aade fia qual विषयसुख विसुखः awa मु गिवदवतिष्टते ताव्दावयोरिदं निष्फलं राज्यं श्रकिञ्ित्करो प्रयुता निष्प्रयोणना विभवा aza- खमानं जौवितमिति ततः कथ पुमरेष विषयेषु प्रवतिंष्यते कुमार इति सपशो देवौनृपयो रहसि पर्थाशोचः श्यापितः fagrn: | यदुत थमेव तावद्मिधौयतां विषथसुखासुभवं प्रवि gar: fe विनौततया दारिष्छधनतया कदाचन famtdenafaerfaanifa मला ततोऽन्यदामिदहितो रहसि जननोजनकाभ्वां विमलक्कुमारः | यथा पुज मनोरथग्रतेखूखलमावयो- जातोऽशि राज्चधू्रण्मश्च वतसे तत्किमिति नारु्चो यसि

Oto उपमि तिमवप्रपश्ा कया |

निजावश्यागुरूपं | fa नाधितिष्ठसि राच्थं कि ged दार- day fa नालुभवसि विषययामं। किं वधेयसि gwewf | fa नोत्पादयसि प्रजानामानन्दं fa माह्ादथसि बन्धवे | fa qafe प्रणथिजमं | किंन तर्पयसि fasta! किंन wuaufe fava fa a जनयसि वचनमिदं gaara: प्रमोदसन्डोहमिति विमलेन चिन्तितं सुन्दरमिदमाग्बामभि- fea विव्धल्ययमेव प्रतिबोधनोपायः ततोऽमिदहितमनेन | अदाभ्ाप्ति तातो यद्‌ादिशव्यम्बा aga aut करणशो- fet नाच fare: | किंतु ममायमभिप्रायः। यरि षर्वेषां wired दुःखितलशोकानामपदत्य बाधां सपा सुखं ततः खयं सुखमरुग्धयते तल्सुन्दर एवं हि प्रञुल्वमाचरितं भवति नान्यया तथाहि |

विधाय शोकं निर्बाधं खापयिला gesfeaq

यः खयं सुखम ज्िच्छत्छ राजा प्रशुङ्च्यते

ag शोके goad ge शुक निराङ्कलः |

mya fe कुतस्तस्य कुकिभरिरसौ मतः

तदिदमणन प्राप्नरकालं वर्तंते तावदेष संतापिताशेषग्मण्डथो

Twas: ततोऽइमजेव मनोमन्दनाभिधागे tue ent बन्धेवरगेए परितो मिच्न्देन सेवमानो श्रमेखमयो चितां राण- eat संपादयामि ताताम्नयोः wafamaredt केवकं निथ्‌- at राजपुरुषा ये सवे दुःखरौगेव्योपहतं शोकं गवेषचिला समानौय मया सधं सुखमनुभावयवन्तोति | एतच्ाकण्छे weet

पञ्चमः प्रस्तावः | Ort

धवख्लराजः प्रमुदिता कमलखुन्दरो aatsfaferanat ary ररूवस्छश साध चार्‌ afed aga य॒क्रमिदमेोदृश्रमेव भवतो विषेकस्येति ततस्त मनोनगन्दने ग्टङोपवने सष्लौकारितमति- fame मरे ferry तश्चाच्छादितं निरन्तरं मखिनोदशेः समन्तादुपगूढं मरकतडहरितेः कलौ वनेव er सततवा हिन्वा कपूर पूररितोद कप्रवाह्या wzeaqr fadfad मलयजकपूरच्तोदगार्या कत विभामसुप्रौरब्टशाखनाखकच्पिते भिस्िभागेः ततस्त तादृशे गौद्मषन्तापहारिणि भ्रिथिरखखोत्कन्पकारिणि महति दिमभवने विरचितानि भिभिरपल्लवश्रयनानि कर्तानि शिभिरखखदग्डदू- न्यासनानि प्रवेशितः ay शोकसमूरहेन fanart | ततः समस्तेनापि भभसमुदयेन सदत एव विखि्तः सरसयन्दनेन ख्छितः कपूंररेणना afer: सुरभिपाटशादामभिर्विंराजितौ मल्िकाङुघमखवकेरालिङ्गितः शृखसुक्ना लकलापेन निवपितः सखच्मकोमखवसनेर्वौष्यमामः गि शिर बिग्दुवर्षिभिस्ताणट्न्तेलाशितः खञादुकोमखेनाहारेण Ha द्व सुरभिताम्ब्ेन प्रमोदित इव ममोदारिकाकलिगौतेन सानन्द इव विविधकरणणङ्कहारहारिणण yay Vere इव शखितविलासिनोखोकङ्ुवलयद ललोखलो चन- मालावश्ोकनेन प्रविष्ट इव ay लोकेनावगादितु chara | तदेवं अननौजनकयोः प्रमोद सन्दाहदानाथं सर्वेवामपि शोका- नामात्मनोऽप्यधिकतरं afegd सषपादयन्नाबितुं vent faae- कुमारः प्रवेशयन्ति «away राजादेगेन गनियुषपुवा दुःखदौमेत्योपदतं तज eta ततः feet तेषां दुःखापनोदः संपाद्यते शानन्दातिरेक इति i एव च।

७८२ उपमितिभवप्रपश्चा KUT |

नृपतोषविधायिविखासकरे सुखसागरवतिंमि राख्यधरे | अरय ay सुते सुभगे विमशे प्रमदः करियते ant शकले एवं wafea राजनि तुष्टायां महादेष्यां प्रञुदिते सकले जने विमशस्खसागरावगाहनेन प्रविष्टाः केचिज्जियक्रपुदषास्तच हिमग्हे दन्ता तेरन्तरा जवनिका तया व्यवहितमेकं पुषं संस्थाप्य शतप्रणामेरविंश्षपितं तैः यथा देव देवादेशेन विषर- द्विरस्माभिदृष्टोऽयमत्धन्तदुःखितः पुरषः खमानौतख देवसमोपं | चेष गाढकौभत्छतया देवद गरेनयोग्य इति मला जवनिकथा व्यव- हितोऽस्माभिरि प्रवेशित इत्येतदाकष्छं देवः ward | धवल्रा- Sami भो भद्राः दृष्टाऽयं युश्नाभिः कथं चात्यन्तदुःखित दूति ततोऽमिहितमेकेन टेव aft तावदितो fain वयं देवादेभेन दुःखदारिग्योपडइतशोकानयनाथे निरूपितं नगर Uae समस्तमपि MAMAS | ततो गता वयमर ष्ये यावदृष्टा FUSS पुरषः कथं वतेमानेऽतिमध्थाङ wre वङ्किसन्निभे उन्नप्रशोरपिष्डाभे जगन्तपति भास्करे | निदाडहिमुसुराकारे खष्छधूलो महा चये पादजाणविनिसुंको गच्डछशेष विश्लो कितः | ततोऽयं दुःखित इति श्वा दूरादुशेरभिदितो ऽस्माभिः दुत भोभो भद्र fae तिष्ठेति। ्नेनोक्तं। भो भद्राः fanitse qa तिष्ठतेति ब्रवाणो wey seni ततो मथा गला वेगेन बशादानोतोऽयं तरदमूखे निरूपितः ea राज-

पञ्चमः प्ररावः। OTR

पुरुषेः थावहवदग्धस्लाणरिवातिषृष्णो वेन वबुभुकाशामेषोदरेण पिपाषाशोषितेनाधरोष्ठेन श्रध्वखेदनिःसरेनाङ्गन बदिरन्तस्ताप- aay खेदजलेन कुष्टेन गणता हमिजालोखुषणेन Zeq we शखनिषेद कैयुखभङ्गेः प्रकन्पमानया जराजौणेकपोलया गाजथश्चा मशाष्वरस यकन दौचाष्णनिः श्रा सजालसेन मला विलेनाशुगणना- विकलेन लोचनयुगलेन प्रविष्टया मासिकया श्ररितप्रायैः करचर - देरभिमवल शितेन मसकेनात्यन्तमखिने्ौ वरणेण्डेलंलमानेन कम्ब- खेन Tan सदष्डनालाबदयेन करतलविलबम्विनौ फक पिच्छेन | सवेथा

भिधानं सवेदुःखानां दारिद्रस्य परा गतिः |

अयमेवेति सवषां तदास्माकं इदि feaa

एनं Tey नरं माय गाढं बौभत्छद ग्रेनम्‌ |

fafa arent: सोऽयं प्रत्यच्चनारकः

ततो ऽभिदहिवोऽस्नामिः। ax किमिन्येवंविधे were waz

मोषि। किमिति शौतलच्छायायासुपविष्टः सुखासिकया तिष्ठ- सौति waite | भद्रा खण्वहं क्ञायन्तोऽसि atten पथेटामि वदायन्तोऽह श्रस्मामिधिन्तितं श्रये परवश्रोऽथं वराकः श्रो कष्टमिद मस्य महदन्तरं Tend यदद्‌ शरावख- श्चापि पराधोौनलं नाम ततोऽभिदहितमस्माभिः भद्र कि पुनरे- वमहनिश्रमादे श्रं कुवंतस्ते ge: करिव्यति श्रनेनोक् भद्राः सन्ति मम शताग्तसद्शा बलिनोऽष्टाटणिकाः तेभ्यो यन्धिदा- मेन मां मोचयिव्यति | ततोऽस्माभिञिन्तितं श्रो कष्टतरमि-

ers उपमि तिभवप्रपच्चा GUT |

दमस्य वराकख्छ ayn peas अदेव विधावख्चच्यापि दान- ग्रहणं तन्भो चनदुराश्रा चेति eae नातः परतरो SS जगति लभ्यते | AMPH | AT AAAS गच्छ TAGs येनते वेदुःखटदारिद्चच्छणविमोखः क्रियते wate ww भवतां मदौयचिन्तया खल भवादुभ्मोचितो qusefata बवाशो गन्तु mew: ततञिज्तितमस्माभिः। wt stare इवाय दुरात्मा | तथापि केश्यं came मेतथोऽय देवषमौपमि- THAT तोऽस्मामिरिति | धवश्राखेनोक् | ALTE मे पन्साम्येनं श्रपनयत जवनिकामिति ततोऽपनौता तेजेवनिका | दृष्टो यथागिदिं्टख्खरूपः पुरषः विदितः परिवारो राजा विमलेन feferd we समागतः एव भगवान्‌ quale: | अरदो भगवतो वेक्रियरूपकरण्ा तिश्रयः wet ममोपरि ककण अहो परोपकारकरणेकरखलं अटो खसुखकायंनिरपेषता wt निब्यां - लसौजन्यातिरेक इति ताड

कार्यं मवधौर्येव परकार्थं watqar: |

भवग्ति सततं षन्तः प्रत्येव संश्रयः ्रथवा

खकायं मिदमेतेवां यत्प रार्थे प्रवर्तनम्‌ arnt: कि किचिदष्छन्यल्लोकोद्योतादृतेः फलम्‌ ti अथवा |

निले सत्यपि सानां काथं नैवादरः कचित्‌ | सलशाच्नो ancy इृष्टान्तोऽज निशाकरः

पमः WaT: | Ory

नाभ्बयिताः प्रवर्तन्ते परकायं महाधिथः | केम fe प्रार्थिता शोके ठष्टये भौर Avan: खभ्रेऽपि खदेदष्य ge वाञ्कन्ति साधवः fara चत्परा्थ ते केव तेषां सुखासिका a aufuatquara नौवनाय यथाब्डतम्‌ | खभावेन तया GA Gat खाधेखन्ततिः कथं ते भाब्धतं at ये परायेपराथणः | - wurerfa मन्यन्ते age धनज विते इयेवं ते महात्मानः परां शतनिखयाः | आ्ममोऽपि भवन्धेव qe सिद्कप्रयोजनाः ` कुलकम्‌ तैव भगवानेवं रूपमास्वाय वैक्रियम्‌ | aware warearat मदन्धरनां writer: रिष्टं चानेन मम भगवता रवस्य wl यथा- इमागमिखखामि erate भवता दुःखितसत्तान्वेषणं काथ चाहं विश्चातोऽपि वन्दनोयः। तावदात्मा परै्शखयितब्यो भवता यावल्ार्थ॑सिद्धिने sasifa | ततः wnt विमलेन बधद्- रेर्मांगशिको नमखारः कथय | NAA YAIR AAG भव्यवन्छल | AAG aout सम्बोधकरण्छे पटो अश्चानापारनोरेग्रसन्तारणए्परायण |

Wt ते महाभाग WE WE तथा क्षतम्‌ इति | 993

ocd छपमितिभवप्र पश्चा कचा |

भगवतापि मनशेवामिदहितं शंषारवागरोत्तारो श्वंकश्ादशकारकरः | उखका्थबिद्धने ug wieniicg Ara अथाग्रे दिमभवनमथ्ये प्रबेभितः राणपुशयेः YET | खेद निःखदतथा xem निषशो awe प्रयलायितुं venus: | ततस्तं ताद प्मवशोक् के चिदु पदश्मभ्मि. . के चिच्छो्चन्ति केचिजि- wafer केचिदवधौरथन्ति तथान्ये एरग्यरं जश्पन्ति यदुत दुःखो दोनो Taner: आन्तः ज्ञानो gyfer: एष प्रेखकप्रा्ः मायातो भराधमः- ` कानत: केन वानोतः जिं चिरेव सुदुःखितः | वराको विनानौते कवं प्रचशायते एतच्ाकश्ठे तेन रूपाकारवर्तिंना बुधद्रिग्काः कि कतम्‌ TSG शला Wanrafentent | कोपाटोपाश्छदास्तानं wade गिरौ ङितम्‌ aw | -* आः पापाः किमदं जातो युश्र्लोऽपि fee: 1 ` दुःखितो वा धतो मामेवं wear: 8. ह्यावां बुसुचार्ताखष्णार्ताः खेदनिःखडाः | तापाताः हिनो यूयं ary भो श्रूहमानबाः # ART TTT महाव्वरविवाध्िताः खोग्ारा fanarerg शख ATE नराधमाः # यूथेव पराया wate खादिताः |

wea: Weng: |

Be प्रचलायष्ये नाहं भो मूढमाभेवाः

दे पापाः afer धुं नुनं area afew:

सुनिं मां दुरं मला तेनेवं wearer

अथे तौ भासकराकारौ ger तस्ताकिगोखकौ |

भाज्वखमानौ खसा प्रकाभितदिगन्तरै `

fast विद्युदाभं cacti are |

दृषा yer चरतां वाचं जगतः कन्पकारिषयौम्‌

अणादेव acre भौतकमन्पितमानखम्‌ |

संजातं सिंहनादेन बया इरिणथयकम्‌ A

ततो धवलराजेन fare प्रति भावितम्‌

कुमार भेष ` कोऽपौड गरः प्रतिमान; # तथाहि

मजञाविकं पुरा TyTN भारकराधिकम्‌ |

wa दे दौग्यते वख तेजसा sweater

अनेकरणवहृहभटकोटटिविदारिषः |

FATS भारतीं वस कम्पते मम मानसम्‌ |

तदेष भवत्येव तावस्ामान्यमागवः `

देवः कञिदिशहाथातः प्रच्छन्नो सु निवेक्कः एव fae |

यवै तेजसा we सर्व भक्ौकरोव्यवम्‌ `

तावक्रसादयाम्बेनं क्रोधान्ध सुभिपुङ्गवम्‌ fanaa | |

QT wufafananqg! Rut |

एवमेतन्न eee: सम्यक्रातेन fafaaz | नेष खामान्यपुरूषो विषमः कोऽप्ववं महान्‌ # ततश्च gu प्रसाद्यतामेव araet याति विक्रियाम्‌ | भक्रियाद्या महात्मानः कियतां पादवन्दनम्‌ तच्छा विश्सच्लोलकिरोटकटङ्ुष्डल्लः | waged सुने; wana गतः ततो SET महाराज पतितं क्रमयोकथा तथैव प्रणतं सूरेः wa जनकदम्नकम्‌ खक्ष नरपतिना | | चाम्यलेनं महाभागो टरोषमश्चजनेः कतम्‌ | ददातु maaan खौयं मे दिव्यद श्रमम्‌ ततो STAT गमेर्त्याय GUAT | aay aleve aera विलोकितः erearafeqeraufafaaracfane: | fawagifuftent: साक्षादिव दिवाकरः अरोषलचणोपेतः सर्वावथवसुन्दरः | faqa: aaa दिये सत्कातेखरभाखरे श्रथ तं तादशं sey कान्तकूपं सुनोश्वरम्‌ | खनुपास्ते जना जाता विस्मयोत्‌ कुललोचनाः UT गश्ितु ASAT: AAA कथं वा तादृशः ya कथमेवं विधो ऽधना } `

पञ्चमः प्रर्तावः | ere

AMAT महाभागो देव एव Sma: ततः GAT नरेण GATS करङ्शमशम्‌ | yet भगवानेवं Hey भो नाय कबष्छताम्‌

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तिरसि महाराज नग देवो नापि दानवः | विरेषयतिशूपं तु लिङ्गा देवावमम्यते

धवश्राजेनोक्त |

waa किमिदं भाय विहितं भवताहुतम्‌ दुशं पिरमाण पूरवे बौभत्द गेम्‌ हृष्णवर्छादयो दोषा निनदे शइविवतिनः | अस्माकं भवतादिष्टाः किं वा शखचिन्ध कारणम्‌ कथं वा चमा दिव्यषूपधरः परः | भगवान्ञाय eae arent हत विस्मथः तदिदं मे प्रघादेन aa नाय निवेदय | HANTS मनोमध्ये मद कुठइलम्‌ सुभिराडइ महाराज हत्वा मध्यश्चमानखम्‌ | कथ्यमानमिदं से समाकपय साश्मतम्‌ ददं विरचितं ya मथा पं गरेर जिदशरेनाथें Kart संखारोदरवर्तिनाम्‌

एवं भता इमे OF Mar: संसारवर्तिनः | तथापि विजानन्ति खरूपं मृहमामसाः

sufafanagqer eur |

अरतोऽमोषां प्रबोधाय ताडम्‌ वौोमन्छद बरेनम्‌ दृष्टा कगत गतानां रूपं भप frelon सुगिवेषधरः तच्च waren शप निमितम्‌ | कृष्णवर्णणादयो दोषा awe धे योजिताः॥ ` तज्ापि कारं गप seat नया खरम्‌ faura निपुणां afe धौर चित्ते ऽवधारब grat चे महात्मानो बुद्धाः सवशदभेने तपःसयमयोगेन चाखिताखिखकख्षाः

ते शष्णवणां Here: चुत्पिपासादिषौ डिताः | छुहिनोऽपि बद्धे eet: परमार्थतः ` तेतु शोका राजेश ये सद्धमेवदिष्क्वाः zwar, पापनिरताः विषामिषग्यप्नवः

एते यद्यपि gen नोरोगाः सुखनि्मराः तथापि त्वतो wer दुःखिता रोगपौडिताः

किं |

euqeice रोवा afeat सन्ति ते यथा| तथा afer बाधुर्ां तदिदं ते निकेते बहिः कनकवर्णोऽपि ofega: परमा्च॑तः | अन्तः पापक्मोणिप्तः शष्छवर्हीऽभिपौयते बदिरङ्गारवर्णोऽपि चित्ते स्फटिकनिर्मल्षः | मरो विचक्ष adel ऽभिधौयते |

एवं शष्शवर्थोऽपि साधुः sugar: |

पञ्चमः WETS: |

विच्चेवः परमार्थेन ख्व गराधिप ` TUS VET WT WMATA: | Varaaraawisha विशेषः waren: अनेन परमार्यन मयोक्मिदमश्नघा | छन्डवरये[ऽइं खोका Tera तथाविधाः ` तया संप्राक्तैरपि शो उर्निर्विंष्े्थां नराथिष। विद्वद्भिः aerate घा qywr प्रकोर्तिता + तथा wafer: सवे सुवनोदर्ारि कः ` Wal वराकाः बद्कमंविकला i # ते fe चथ्यपि gam aa: संपूरिकेदराः ` तथापि merit Wer बुसुषाशामितोदराः ` साधवश्च AYIA: खदा सन्लोषपोषिताः ` पोडिताख्छया aa भौोमभावनुशुश्या तेन चद्यपि gen विरिक्ननटराः परम्‌ | तथापि त्वतौ Weare दत्ताः खख्वमानसा ददं कारणमाशोश्य बशुकार्ताः पुरा भवा | ुयसुक्ना धरानाय SHAT प्रकाशितः तया | अनागतेन witty चोऽनिलावौ नराचिप | खा पिपाषेति fawer भावकष्ठश्य test तथा पिपासिताः ` we पिबन्तोऽणदकं जनाः `

eufafananyg! KU |

ये afeqa इष्यन्ते जेनधर्मबदिष्कुताः qrag खदा धन्या भाविभोगेषु निःस्पृहाः | तेगोदकं fanaa पिपाखादूरवर्तिनः श्रतः प्पाखिता धयम तु दषादिंतः | मेदं कारणं HAT पुरा राजभिवेदितम्‌ तचा | quasars दोषयोर प्रताङ्कखः | विषमो विषवब्धालो दुःखधुष्धा प्रपूरितः aq भरे शंसारो विदद्धिभांवचचुषा | अध्या facifedt att: खेदहेतुः श्ररौरिण्णम्‌ एते धततं MN Vela कमेशम्बलम्‌ | वहन्तो भवमागेंऽज कुवेनदयत्मयाएकम्‌ तेनामी जेनसद्धमेर हिता मूढलन्तवः | सलाराध्वमदाखेदखे दिताः सततं मताः ततो यद्यपि दृश्यन्ते Ze Were | तथापि तखतो wear गच्छन्तः पथि ते षदा grag खदा wa विबेकवरपवेते | UST, सतताह्कादे TAM जेनसत्पुरे ay चिष्लसमाधानं मण्डपं हिमश्नोतलम्‌ | आसा निदेतात्मानस्ति्ठन्ति farsa: तलो यद्यपि gam ते बहिः खेदनिःशंहाः | fama, खेदगिस्काशकापि परमायेतः

पश्चमः WRT | ॐ€ हे

afee कारण मला vam: Sefer: |

WW तु गेति Tae मया ya भिषेदितम्‌ `

तथा | | क्रोधो मानस्तया माया शोभखेति चतुर्विधः | तापः शसारिणां श्प सर्वाङ्गीणः सुदाङशः तेन दन्दद्यमानास्ते तापार्ताः सततं मताः | यद्यपोह विशोकषधन्ते चन्दभादि विशेषिताः VU महाराज सतत शान्तमानसाः | निष्कषाया aera निस्तापाः wegen: ततो यद्यपि gan ते बहदिसापपौडिताः | तथापि परमान विञ्चेधास्तापदूरगाः इदमेव मया Wear ya तापादिताः पुरा) अहं तु नेति राजष प्रतिश्चातमशङ्या

तथा | कुविकस्पह्मिस्ानं मिथ्यात्वं गप देहिनाम्‌ | गखदासिक्यजाम्नालं gegn मनोषिभिः ` विनाशयति aga खदुद्धिवरना सिकाम्‌ Wate नर धत्ते मदोद्धतम्‌ शमर्वेगगिर्वेदकारष्यानि मखतः इस्तपादसमान्येषां waa देहिनाम्‌ तेग मिश्यालकुष्टेन विदधदुदेगहेतुना |

आक्रान्ताः एथिवौनाय सदामौ aera: 100

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उपमितिभवपपण्ा कथा |

ततो यद्यपि Twa वर्वावधवसब्डराः | तथापि भावतो Ser: शमिनालखताक्चकाः ti सम्यगावेन पूतानां gaat पुनरोदृश्म्‌ | कुष्ठं area Antal सर्वावयवसुन्दराः

ततद |

कर्थचिद्पि aaa बहिः geet: | भवेयुभावतो शप तथापि तथाविधाः #

अत॒ एव मया पवंमिदमाणोश्थ कारणम्‌ | तथोकाः ofeat ge are guetta चोदितम्‌

तया |

ate देषदुष्टानां wate वौच् दे डिनाम्‌ tal चा जायते श्प सा शूलमभिधौयते tained चाक्रान्ताः परेषां वसने qa: | Sarwar: WHat aay पुनः पुमः aq नास्ति age जुनोनां धरणौपते | way समचिन्तास्ते वोतदेषा हि साधवः TS ATMA ay अलाक्रान्ताः पुरा मया | TAQ MATT TAT: HATHA: HASNT ऽज यथा ताः HTT ` तथाद्यापि प्रवतेन्ते खदामौ भूप जन्तवः कदाचिन्न पुनः प्राप्तं fauna मनोहरम्‌ | भेतेविषेकतारुष्छं AAT भावण्टत्युना

Wea: TST: |

अराज शाशतो भूप यावल्छंखारजो विनः जकावोऽनकादुःखाखोवलौपखितसंगताः बदिखे तद्णाकार धारयन्तोऽपि मागवाः वि्वेवाखत्तो भूप जराजोणंकपोखकाः साधुभिभंपते wai faery ममोदरम्‌ | ara विवेकतार्च्छं टोष्वाषम्भी गखुन्दरम्‌ अप्रा तां act बोरां area वतंमागकाः | तथा ते मरियन्ति यथोत्यन्तिनं जायते अतः खवं जरानौष्णं ये भवे दौर्घनोविनः | Way यौवमाङरूढाः कर्मनिदखलनचमाः लया ,. | चतोऽनौ देहिनो ger रागखम्तापतापिताः तेनोच्यन्ते मथा भूप महाण्वर विबाधिताः सराधूनां युमर्भेव रागगन्धोऽपि विधते | ते बददि्रवन्तोऽपि विश्चेास्तेन विश्वराः . तथा | यत्‌ शत्यं सदनुष्टानं तन्न Balen मृढकाः ` वारिता aft कुवन्ति पापानुष्टाममश्चसा ॥. ततोऽमौ जगतोनाथ Ashe पण्डितमानिनः ।. atarer इति विच्चेयास्तेऽपि भावेन दे हिमः. खदगुषानर कानां साधुनां पुरोडशः | गोक्मारोऽल्ति घराना तस्मात्ते ETERS: .॥ `

उपमितिभवप्रपञ्चा KU |

aaa उजाकान्ताः Vener इति तत्पुरा ed नाहमिति tw ख्वेमेतेन हेतुना

तथा पश्न्तोऽपि विभ्ाखेग चषा afecaer | AGUS कामान्धा मूढनन्तवः विकला मया ya तेनामौ परिकौतिताः साधूनां विकलाचलं कामजन्यं विद्यते # अतो यद्यपि quai ते बहिर्वष्टदष्टयः | तथापि साधवो नेव विकला नराधिप Amal अन्तवः प्रोक्का विकाश मया पुरा। रामा प्रकाशितो भूष सव्नाक्खाङ्ख्ो चनः राजन्नेते WITT यथा Awana: | साधवस्लपरायन्ताख्लथा ते कथ्यतेऽधुना निः खें परमार्थेन भिशकमेविनिमितम्‌ | ददं कञखजपुजादि तत्पोवणशदोच्ताः अदृष्टपर मार्थानामल्यने मनसः faq | तत्वभूतमिद्‌ं तेषां मूढानां प्रतिभासते ततस्तदथे CHAM दासाः कमेकरा TAT | राजौ दिवा मोदेन UT वराककाः 0 आदहारयन्ति खस्था राजौ fagifaafsen: चिन्तयाङ्ुखिता गिद्य धनध्यानपरायण्ठाः तदेवं ते game खदेवादेगरकारिषः |

पञ्चमः Tera: | 9

परायन्ता आमनि परमाथेममेधसः तथाहि |

माता भ्राता पिता भायां दुडिता पु इत्यपि

सर्वेऽपि अगन्तवो आता निरादिभवशक्रके

ततो विश्ञातषद्भावः को हि नाम wana: |

तदायक्षो शशं भूला काथं हारयेश्नरः

अत एव मदहाक्मानस्तत्कश्चबादिपश्चरम्‌ |

संपरित्यव्य frend जाता निःसक्गबुड्यः

हव MUTA एव Barat नराः |

एव स्ञामिगो भूप wae अगतोऽनधाः

yeu ते quam anise महाधियः

frat waa तस्मादव्यन्तसुत्कलाः

इदं इदये श्वा कारणं Aaa |

SAG: WTA मयात्मा aftxwae: 9 तथा |

ये तेऽष्टौ मया पूर्वंद्धणिकाः snarfirn: |

विद्धि ares कर्माणि दुःखदानौह देहिनाम्‌

ते wat सततं जोवाः aca Gees: |

दानग्णिकेभूष कमेभिखौबरदादणेः

बुसुकिताः कचिहोना धायन्तेत्थनविहखाः |

wfagre प्रपोन्ते feat गरककोष्टके

खाधूमामपि ते षन्ति खणिकराः कितु at a

उधमितिभवप्रपश्चा कथया |

कदथंनं प्रकुव॑न्धि शद्पाधब्डणं यतः miwafia ते नित्यं area: शतनिशयाः | षं तत्तेन ते Aerafent भेव बाधकाः खादिता मया पूरे यथमेतेन हेतुना | HUT भूप तथात्मा खणड्ुक्ः प्रकाशितः यथा TAWA भावतोऽमौ ATT | जेनधमेबहिमूता जम्तवसन्निश्ामथ

दुरन्तः RATATAT घोरः संसारसागरः | रौद्रा रागादयो दोषाश्तरण देहिनां मनः wwe faut दृष्टनष्टं जोवितम्‌ | wer विग्धतथः खवा देच खणएमभङ्गुरः. WY: प्रमादो जोवानां दुखरः पापसञ्चयः | असंयत दुःखाय भोमो नरककरूपकः अनि्याः fraser भवगधपरियसक्गमाः | चणरक्र विरक्राञ्च योषितो मिजबान्धवाः उग्रो निष्यालवेताल्लो जरा करकिवतंनौ | भोगाञ्चागन्तदुःखाय दारुणो AAT: CHUAN SAT पादपरसारिकाम्‌ विषेकचचः date सपन्ति नलु जनावः महाघुरघरारावं कुन्तो नष्टचेतनाः | कथंचिन्न ager श्न्देरपि विवेकिनाम्‌ विबुद्धा श्रपि wage चृएेमानेन शचुषा |

पञ्चमः परावः | Gee

weit wa: wus ते महामोहनमिद्रथा अन्यश्च ङतो ववं समायाताः प्रापिताः केन कर्म॑णा | WaT: Great face मूढकाः ततो द्यपि दृष्ठनतो वख्गमानाः THOT: तथापि तत्वतो शप विश्चेयाः प्रचलायिताः साधूनां पुनरेषा भो महामोहतमोमयौ | निद्रा ar@ia धन्यानां तेन ते निव्यजागरा, स्वंन्नागमदौपेन साधवस्ते महाधियः | गत्यागतो Wah खस्यान्येषां देहिनाम्‌ ततस्च ते बहिर्गिद्रया भूप Gar wie कथंचन agar इति विन्या विवेको कौ खितेखणाः इदमेव मथा सवे संचिनध qa पुरा यूथं भोः प्रचशायध्वे नाहमिन्येव भाषितम्‌ तचा यमेव जानौय खरूपं मोहनिद्धिताः | मम पर्यक्मेवेदं विवेकस्फ़टचच्षः saad अवसिते | ये wgaaferara एव परमार्थतः | Sheet शप विशेथा दारिग्याक्राकामू्तेयः ताहि

fe

उपमितिभवप्पञ्चा कथा |

श्रानदश्रनवारिषवोर्थादोनि नरेश्वर |

aq af भावरन्नानि वेषां पापडताद्मनाम्‌ तान्येव धनसाराण्ि तान्येवेशव्यंकारणम्‌ | तान्येव खन्दराण्ौह तैर्विना कौदृशं धनम्‌ अतस्ते रहिता येऽ gern धनपूरिताः | fawaresfa राजष निधेनाः परमार्थतः तानां पुनस्तानि भावरब्नानि शपते चिन्लापवरकं नित्य rege महात्मनाम्‌ अतस्ते धनिनो धन्यास्त एव परमेश्वराः |

ते wer सुवमख्यापि पोषणे नास्ति awe: मिना afemia बददिश्तौवरखण्डकेः | अश्लावडस्ता दृश्यन्ते दरिद्रा इव मुग्धकेः तथापि परमान ते महारब्रनायकाः | faster: पण्डितेग्डंप qua: परमेश्वराः

ख॒

दशायाद्रनकोटौख पातथग्ति खतेजसा | धदि काथं भवेन्ताभिस्तेषां शप aera अतः SRS दारिद्चमनाशोश्य भवादृशः | महाधगोऽपि मादः कथसुक्षो दरिद्धकः मणिमोऽपि एवा यः कमेमशपूरितः | afe: चाखितसद्भाचवस््लोऽपि अगतोपते ATCT STAM ATA:

Wea: प्रस्तावः | Tor

नहिमेखधरोऽप्य्र भिमेलो मानवेश्वर

तदिदं भावमा शिन्यमविचा्थांक्मनि सितम्‌ |

श्रं हा हसितः केन कारणेन पुरा जनाः

सुभगोऽपि ways सद्धमेनिरतो मरः |

विषेकिमां समस्तानां यस्मादव्यन्तवल्लभः

सुरा छुरसमायुक्र जगरेतञ्चराचरम्‌ |

aang fe वर्तेत सद्धमंगतचेतघाम्‌

ARMY: सदाचारो शोके सौभाग्यमरेति

तज थे gaa इषं पापिष्ठास्ते नराधमाः

एुमानधमेभविष्टो दुरभेगो भावतो मतः |

निन्दन्ति तं यतः aad महाराज विवेकिनः

तस्मात्पापे रतः प्राणौ लोके दौर्भाग्यमरेति

तमण्यच प्रश्रसन्तिये ते पापा मराधिप॥

wa faa | | धार्मिको सुभिवेषेण प्रकटोऽपि पुरा जनेः qin: सुभगोऽप्यसि कन कार्येण निन्दितः एवं fat महाराज इले जिनवचनाष्टतवदिर्मूताः

संसारोदरव्तिंनो जन्तवो ऽमवरतं वराका बध्यन्ते दृढकर्मसम्तान- रज्ज्वा पौद्यन्ते विषयासन्ताषबुभु्या wafer विषयाश्रा पिपासया खिद्यन्ते निरम्सरभवचक्रभ्रमणेन सततोपतप्ताः कषायघर्मेश्रिणा गद्यन्ते मिथ्यालमरहाङ्ु्टेन awa परेव्थांशलेन नोर्यन्ते दीध- संसारावस्छानेन TBA रागमंहाज्वरेण श्रन्धौ कियन्ते कामकाष-

101

coz उपमितिभवप्रपश्चा wer |

पटलेन BHI भावदारिश्चेण WIM भराराचष्या WeET- aa atefafatu sim इषोकत्रङ्गमेः पापश्यम्ते क्रोध- तौ त्रवह्धिना saw मानम हापवंतेन वेष्यन्ते मायाजालिकया ara लोभसागर वेन परिताप्यन्त इष्टविधोगवेदगया steam ऽनिष्टसङ्गमतापेन दोलायन्ते कालपरिएतिवगरेन ama कुटम्ब- पोषणपरायषतया कद श्यन्ते कर्मदानयदणिकेः अभिदरूयनो महा- मोहनिद्रथा कवलौकरियन्ते श्ल्युमदामकरेएेति, दमे महाराज शन्तवो wate श्ण्ठन्ति वेणगोणाग्डदङ्गकाकलौ गोतामि alte विभ्रमविष्बोककारिमगोहारिरूपाणि श्राखादयन्ति giganta- खपे शलदयेश्विशिष्टाहारपकारजातं आजित्रन्ति aig रि कापारिजातमन्दारनमेडहरि चन्दनसषन्तानगकखमनो इरकोष्टपुट- पाकादिगन्धजातं आलिङ्गन कोमशखलितलणनादल्दया दिश्यशंजातं तथा wad ey खिग्धमिभटन्देन fawefn मनोरमकाननेषु विचरन्ति ययेष्टचे्टया क्रोडन्ति नानाक्रतडाभिः भवन्ति सुखा- भिमानेनानाख्येयरसवभ्रनिभेरा निनो शिताः तथाप्यमोषां wnat Rwet एवायं थथास्खानु श्रयः एवं विधविविधदुःखहेतुशरतत्रात- gfearat fe महाराज कोशं सुखं का वा मनोजिषेतिरिति |

तदिमे SAG पूरिताः परमाथेतः।

AT Saal NMI: सुखमात्मनः tt

qrafaaararre श्रक्तिनाराचतोमरः

age wee aga प्प गेडिनाम्‌

गेन ग्टद्ममाणस् fag तालममके

पश्चमः Weve: | con

age मूढमोनस्य age wz गेहिनाम्‌

एतावहुःखठसङ्ातपातमिभिंश्ञमस्तकाः

सद्धमेर डता गप गेडिनो मारकोपमाः

weet पुमभेगवतां महारा न्पन्येवामो पूर्वोदिताः aq

ऽपि qxraxat: यतस्तेषां भगवतां wre मो हतिमिरं आरा विष्डंतं wane fron: सवेखाग्रइ विशेषः परिणतं eater ग्यपग- ता दुष्टक्रिया जुटितप्राया भववक्षरौ श्विरोभ्रतो धमेमेचसमाधिः, तथा गाडानुरश्षमम्तरङ्गमम्तःपुर यतस्तेषां भगवतां सन्लोष- दायिनौ vufagett चिन्तप्रसादद्ेतुः अद्धा श्राश्हादकारिण्ण खुश्चाशिका निर्वाणकारणं विविदिषा प्रमोदविधायिनौ विश्च्धिः सहोधकारिणौ मेधा प्रमदातिरेकनिमिन्तमनुप्रेा अशुकूलला- fret AN श्रकारणवत्छला aqua सशदानन्ददायिनौ मुदिता सर्वेदिगघातिनो डपेखेति |

तदेताभिः समायुक्षाः खन्दरोभिनेरेश्वर |

दइष्टामिदढरक्राभिर्मोदन्ते ते gaat:

संखारस।गरोक्णौ णं निर्वाणएसुखसागरे |

निमग्नं ते षदात्मानं मन्यन्ते सुनिपुङ्घवाः

मेषाणां aw देवामां नापि तथक्रवतिनाम्‌ |

सद्यानपरिपूतानां wg” शान्तचेतसाम्‌ ti

ये सकेऽपि महात्मानो वर्तन्ते देहपश्ञरे

परा इव Ee तेषां शप कः प्रषुमरंति

खंखारगोचरालोतं waa वेदथन्ति ते |

८०४ उपमिलिभवप्रपश्चा कथः |

एव यदि raf रसं तस्य UTI एवं व्यवख्धिते राजन्‌ दूःखिभिः सुखपूरितः | परमार्यमनालोच्य निन्दितोऽसि सुधा जनेः किंवा सुखाभिमानेन चूथमेवं विनाटिताः | AMAT THX पर माथेसुखं परम्‌ नुपतिरूवाच भगवन्‌ यद्येव विषया दुःखं प्रशमः सुखमुत्तमम्‌ | तदेष लोकः सर्वोऽपि Haase प्रबुध्यते मुनिराह महाराज महामोहवशादिदम्‌ | बुध्यते जनस्तत्ं यथासौ वटरो YT धवणराजेनोक्तं भदन्त कोऽसौ ATT: कथं erat बुध्यते सा तत्वं बुधद्रिराइ | महाराजाकणेय | अस्ति भवो नाम विस्तोणौ aa: | तस्य मध्ये खरूपं नाम शिवायतनं aq सदा पूरितमनर्धेयरन्नेः wa मनोननेविं विध- Suan: समायक्ं द्राच्ापानादि पामकेः wag धनेन निचितं धान्येन das हिरण्येन पर्याप्तं कनकेन श्रज्वितं वरचेलेन पुष्ट- मुपस्करेण | सवया GARTH सथुक्षं सुखकारणम्‌ | तदेवमन्दिरं a ay स्फटिक निर्मलम्‌ aa शरिवभवने तस्य art armenia ware: स- gene: प्रतिवसति चोग्छत्तको हितमपि वह्षलमपि खुन्दर मपि तदात्मौयं कुटुम्बकं पाशयति जानौते तस्य खरूपं

UYA: प्रस्तावः | coy

लच्छयति at fuawaqeafe i ततो विज्ञातमिदं तस्य चेष्टितं तद्वामवासिभिस्तस्छरः ततो धूर्तता तरागम्य शृता तेन भोतेन सद मेषो तस्य Maras ते तस्कराः सुन्दरा TUT हितकारिणो वक्षभाख्च प्रतिभासने। aatsae azar कुटुम्बकं तेरेव साधमनगवरतं विलसन्ञासते ततोऽसौ वारितो माहेश्वरः | यथा भहारक चौराः खल्वेते मा कार्षौरमोमभिः ee सभ्पकमिति। सतु uti तदचनं | ततो ae इति मला aaleut: सारगुरूरिति मामापद्य तस्य वटठरुरुरिति नाम श्वापितं afte सवेमदशवरेधृ तेतस्करपरिकरितं तम्मि- जभावमापन्नं वठरगुरमु पलभ्य तदेवमन्दिरं ततो लमधप्रसरतध त॑तखरेर्योगदानेन तस्य वर्धितो गाढतरसुन्मादो anted शिवाय- तनं श्रभिन्डतं तत्कटुम्बक fed मध्यापवरके तालितं we दार ततो वशौग्धतमस्माकं wafafa मला तुष्ट चित्तेररेकः स्थापितो महाधूतेस्तस्करो नायकः | ततः छततालारवास्तस्याग्रतस्तं वठरगुरं माटच्न्तस्तिष्टन्ति गाथन्ति चेदं Tat यदुत |

धूतेभावमुपगम्य कथंचिद हो भना

वश्चयघ्वमपि भिजजमं इतभोजनाः |

मन्दिरेऽज् asta यथेष्टविधाषका

एत एत नसु पश्य वयमिति नायकाः

कचित्पुमरोवं गायन्ति यदुत वठरो गुरूरेष गतो वश्रतां वसति वयमस्य सरन्नश्रताम्‌ |

co उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

निभधरतेतया प्रकरं जगतां area पिनेम waa ख॒ gaat वढरगरूने श्यति तामातमविडम्बनां माव-

qua निजकुटुम्बव्यतिकर जानोते शण्डद्कशिवायतमहर एं नाव- गच्छति तैषां रिपुरूपतां मन्यते च॒ महामिज्रभाव ततो इष्ट- तुष्टो राभौ दिवा तेषां तखराणणं कुटुम्बस्य मध्यगतो नुत्य- NA! तच यामे चत्वारः पाटकाः प्रतिवशन्ति। ae जघन्योऽतिजघन्य GRE उत्‌षष्टतर्ेति ततोऽसौ बठरगसरबृ- YA भोजनं थाचते ane: षम्पितं तद्य तस्करे - हाघटकरपेरं। चितो मवौपुष्डकंरमिदितख्च | वयस गुरो भिचा- az विदितमेव ani aaa: परिवेष्टित एव गतोऽषौ तजातिजघन्यपाटके frend | ततो ze ze नृत्यननसौ वेष्टित- सोर्विंडिततालारवेर्विचरित्‌ुं प्रहतः संज्ितास्तस्करः पिक्गलोकाः चथा चुषंयतैनं ततस्तैः किं शतं

afsgfenuretenucenfeat ग्रम्‌ |

वराको THe: शतानैरिव दारणेः

aaa महादुःखं चिर भिचाविवजितः |

निगंतः पाटकान्तस्मालतोऽसतौ भप्रकपेरः

ततः wafdd aware शरावं Hae जचघन्यपाटके

तचापि लभते भिचां बाध्यते षिद्रजनेन |

ततस्लजापि पथेग्ध चिर ay शरावके |

उत्‌हृष्टपाटके Naser ता्रभाज्ननम्‌

पञ्चमः प्रस्तावः | <०ॐ

तचासो विरलां faret लभते छायया तया यथाथं VTE रन्नपूणेस्य नायकः कद्ष्येते तन्नापि विद्गलोकेस्तथा परः | अथान्यदा wens A तत्तास्भाजनम्‌ TT भद्रे पुमः पा दत्वा राजतभाजनम्‌ | तथेव बे्टितश्चौ रर्नौतोऽसौ qaqa तच चात्यन्त विख्यातः fara रन्नमायकः | ततः सुसंस्कृता fret लभतेऽसौ we we एवं ते AMATI पाटकेषु पुमः पुनः anata तं भौतं माटयन्तो दिवाभिश्रम्‌ इसम्तशणेयनतख AGATA WF wy | कृतताखारवा इष्टा नानारूपे विंडम्बमेः तथा क्रियमाणोऽपि तस्छरकंठरो गरः भिकामानचेण wera aera grater: गायति कथम्‌ |

अतिवत्सश्ेको मम faa:

कुरते विमय समस्तजनः |

तदिदं मम राश्यमहो प्रकट

faqaa wet सुधया विकटम्‌ रात्मानं मन्यते मूढो AT सुषसागरे | इष्टि तखरदोषाणणां कथकं जडो जनम्‌

gael वराको बरहर्भावितं रन्नादिसण्द्धादात्मौयभवना-

cece sufafanquag? कया |

च्यावितमनुरक्सुन्दरनिजङ्ुदुम्बात्‌ पातितं दुःखससुद्रे शोच्यमा- TAA HAA A | तदेष महाराज भिवेदितस्ते मया वटरगुरयेन सदृ श्रोऽयं

लोक दूति मृपतिरा कथमेतत्‌ भगवतोक्षं TNT यामोऽच wa संखारो विस्लोणेष्तस्य मध्यगम्‌ | aed जोवलो कस्य fata शिवमन्दिरम्‌ तदेव श्नागवोर्या दिरत्रपूरेश्च पूरितम्‌ | GW सवं कामेच परमानन्दकारणएम्‌ जोवणलोकख तत्खामौ भौताचार्यो निगद्यते तस्य खाभाविकाः सवं ये गुण्णस्तत्कटुम्बकम्‌ तन्त खाभाविकं तस खुन्दर हितकारि तयापि Slavia fea प्रतिभासते सोऽयं लोकः aaa: कमेयोगेन वतेते male fas रूपं गणएरन्नादिपरितम्‌ रागादिटोषाः सर्वेऽपि तस्कराः परिकोतिताः एव हि महाधर्तां भोवलोकस्स वश्च काः सुदस्ते प्रभाषन्ते जोवलो कस्य वल्लभाः | ते गाढं प्रकुवेन्ति कर्मेग््ादस्य वधेमम्‌ ते खरूपं वशोरुत्य जोवलोकस्य ये गणः | कुटुम्बमन्तसल्विधा fens निरन्धते तदेवं ते धरानाय गुएसम्भार पूरितम्‌ Bey जोवलोकस्य war मन्दिरसन्निभम्‌

WEA: प्रक्ावः

अमिग्डय तिरोभाव तस्व भावश्युटुम्बकम्‌ | इदटू्तोपमं Treg महामोहं निधाय ea राणादिदोषाः aasft vend इष्टमानस्षाः 4 लोक afaatare भाटथण्ति antec एष श्रूयते भप महाकोलाइलः सदा गौतताखरवोग्धिभः शतो रागादितस्करेः meaty faa जोवा जेनदश्रेने | wagial दितं शोकं वारयन्ति we खरे कथं | जोवशोक awe खङ्गो रागादितसछरः | अर्ेखष्हारका दुष्टाखवेते भावश्रचवः तु कर्ममरोकमादविहललौग्रतचेलनः | हितं तादशं ara नौवखोकोऽवमन्यते सुन्दराः शदो धन्या ममैते हितहेतवः | एवं fe मन्यते मूढो रागारौनेष भावतः ततो मश्वराकारैः सारग Katee: तश्वाततचेमृखेलाद्टरो गुदरच्यते तं खोकभौतं favre aa रागादितस्करेः | जेनम। हेश्वराख्लस् त्यजन्ति शिवमन्दिरम्‌ चथा याचितास्तेन GUITARS भोजनम्‌ QAI करे CH तैस्तस्य घटकर्पंरम्‌ fafery मौपुष्डर्नोतो भिचाटनेन सः |

102

Gok

उपमितिभिवप्रपष्चा कथा |

तदिदं नोवशोकेऽपि समानमिति ग्टद्धते तथाहि | भोगारकांशाकधाचामो जोवलोकोऽपि वतेते रागादौगेष यनेन याचते भोगभोजनगम्‌ ततस्तेऽपि भवथामे भिखाटमविधित्छया | जिःखारयन्ति दर्पिष्टाङं खोक भौ तसननिभम्‌ कथम्‌ | | कृष्णपापमषोसेपयुष्छकंर्गाडचचितम्‌ | विश्राश्नरकायुष्कवितौेवटकपेरम्‌ तिचंड्नारकमामुव्यदेवसम्नन्धिगो भवाः | विच्धेधास्ते wane चलारः पाटकाखया ` जघन्यातिजघन्यौ दौ awet परिकीर्तिते छत्षृष्टो मानुषो ज्ेयस्थोत्‌कृष्टतरः परः कपेरं शरावं ae राजतमेव भाजनं शोकभौतस्य तदायुष्कमुदा इतम्‌ एष नोवश्ोकस्तंष्टितो ware: | पापात्मा नरक थायादाद्यपाटकसन्निभम्‌ तासौ धाचमानोऽपि नाश्रुते भोगभोजगम्‌ | चोरेनैरकपालेख्च tea fryer: तोव्रानम्तमहादुःखसङ्गगतमनुश्य श्रायुष्ककर्ेरे wy मिगेच्छेख ततः कचित्‌ a श्रथ ति्यग्‌भवं प्राप्य दितौ यमिव पाटकम्‌

WSR! प्रस्तावः | ८१९

ततोऽसौ पर्वटे्ल भोगभोजनखम्पटः अय तापि Maret लभते भोगभो जनम्‌ | चुटादिविद्गलोकेन केवलं परिप्यते a gry तिर्यगायुष्के कचिन्िष्ठां गते बति ` दतोचपाटकाकार मानुखकमवाश्नुते अथ तज HATS पुश्छलेश्ः कथचन | शआआनतरशयेयुक्रले सा काया परिकौ तिता तत या SATS महाराज खा Gower | तया हि भोवलखोकोऽज wart भोगभोजमम्‌ तथा मनुव्यभावेऽपि राजदायदतख्करेः रामादिभिख Tea धूतेाक्षजनगसभिभेः ता्भाजनाकारे नरायुष्केऽतिशङिते mega खोकख्तयेपाटकसन्निभम्‌ अनर ङ्रमहारनच्छाया AY ATTY ate Magne देवलोके विभाव्यते ततस्त भवे wit Gad भोगभोजनम्‌ | SAAT राजताकारममरायुष्कभाजनम्‌ एवमेष महाराज शोकभौतो दिवानिशम्‌ बुशुचितो भवय्रामे बन्भुमोति पुनः पुमः wy खगान्तः aaa aaa विलेपितः | रागादिभिः wercraa feat. werent:

शष्ट

वया)

उपमितिभवप्रपच्ा कथा |

न्‌ rey रशना तेषु तेषु महाराज योनिगेडेषु feat थथा दये तुष्टः भौतो भिया तया वराको भेव जानते इतं Te ग्रहम्‌ अमिग्तं कुटुम्ब खुन्दर गाढवत्छम्‌

म्‌ श्यति चात्मानं दुःखखागरमध्यमम्‌ केवलं मोहदोषेण संतुष्टः सुखनिभंरः | बश्गमामो जने गाढ करोत्यात्मविडम्बमम्‌ नयायमपि राणे जोवशोकः कथं चम | wat बद्यवाभ्नोति awe वैषयिकं सुखम्‌

दशल विवुधल वा राव्यं रव्धनादिकम्‌ GY कचजमन्धदा waa यदि किचन

ततोऽखौ काभिमानेन किलां खुखनिभरः मोलज्िःखन्दमन्दाखो Grafs किंचन

ततद ?

अष्टो Gaawt खार्गा धन्योऽहमिति भावितः + .. एव विचेष्टते ae यचावं तावको अनः अनन्तद्‌ शेनश्चागवौर्थानन्दादिमिः बदा WA लात्मखरूपं TTA & वराको THe अथेदं भावतख्छर; | इतं रागादिभिर्भंऽज खरूपं मब्दिरोपमम्‌ &

Wea! wets: | ५१६

चमामादंवसत्थादिशरूपं भावक्षुटुम्बकम्‌ | Hae बुध्यते शोकः Gat हितवत्सलम्‌ ददं fama चिक्षापवरके थथा | अमौभिरेव रागाेरभिश्य तिरोहितम्‌ ततोऽयं तादृशेश्र्यादनन्तानन्ददायिनः | afer: getty कुटम्बात वियोजितः fergra wane दुःखसद्गतपूरिते | तथापि शोको रागादौन्‌ वयस्यामिव मन्यते मिखाग्तमिदं weyt तया वैषयिकं सुखम्‌ इष्टो गृत्यति मूढात्मा यथासौ वठरो रः तदेवमेव राजेन्दर जनस्तस्वं बुध्यते | दुःखसागरमध्यस्वः सखित्व तेन मन्धते

VANTIN | भदन्त यद्येवं ततः खततमुग्मन्ता वयं विषमा रागादितस्कराः faa खषूपश्िवायतमं नाशितं maged पर्वंटामो wae Bsa भोगसमिष्ठा away तुष्टा वषं निमग्नाः परमाथतो दुःखलागरे। wa: कथं पुनरितोऽस्माकं Att भविव्यतोति बुधष््रिणोक्तं महाराज भविव्यति भवतामितो भवविडम्बनाकोश्ो यदि यादृशं तद्य वठरदरोटेष्ताभ्तान्तरं dae aga भवतामपि संपद्येत गुपतिराइ भदन्त किं gree संप भगवतोक्ं महाराज तं तयानवरतं तधू तेतखरेः खच्ौ- कियमाणं वठरशुङसुपशग्य eye कश्थचिदेकख्य महामाद्ेश्वरस्य गस्लोपरि कर्णा यदुत कथमस्व दुःखविमोखो जायेत ततः

८९४ उपमितिभवपपश्चा कथया |

एष्टोऽनेनेको Alay: | दन्तस्तेमो परे शः | सम्यगवधारितोऽजेन | ग्रहोतमुपकरणं | गतो राजौ श्िवायतनं i इतख हतो Feat भाटयिला वटर श्रान्ता TA AERTS तस्िश्नवसरे धूतेतस्छराः | ततः प्रविष्टो मादेश्वरः। प्रष्वाशितोऽनेन शिवमन्दिरे seta: | ततो इृष्टोऽसौ ASTYRUT माहेश्वरः तथाभव्यतया | संजात- खेदेन याचितोऽसौ जशपानं माहेश्वरः ATE) भहारक faa? AMV नाम शन्तोधौदकं पौतमनेन ततः AAS: चणदु- कदो निमेलौगता चेतना विश्लोकितं भिवमन्दिर दृटा wi- तस्कराः | किमेतदिति vet माेश्वरः कयितोऽनेन शनेः we: सर्वोऽपि caren: ततोऽभिदहितं waa तहिं किं मयाधुना fata ततः समपिंतो माद्ेश्वरेणाख्य वद्दण्डः। प्राह ween afcawaa ततो निपातय मा faefiaer: 1 ततः agara चूर्णिता वयदष्डेन ते सर्वेऽपि तखराः जैवेन प्रवि- धाटितवित्षापवरकः | प्रकटौभ्तं gem) चआविग्डेता रनरा- श्रयः प्रविलोकिता सर्वापि निजशिवमन्दिरविश्तिः। सजात: प्रमोदातिरेकः ततो बडतखछर afte तं भवग्रामं खित- ant afeia निर्पद्रवे शिवाशयाभिधाने गला awed UCSC | तदथमौद्श्ो ठन्ताग्त सखस्य सपन्ञः

गृपतिख्वाच wer कथमेष टन्तान्तोऽज जने समानः | भगवानाह महहाराजाकणेय | महामदेश्वरप्ानोयोऽब बद्ूमे- प्रगोधकरो गस्द्रेष्टव्यो | यतः |

विडम्ग्यमानं रागादितख्करेदुःखपो डितम्‌

Tet: GVa: | ०९४

भवेशर्यपरिभष्टं खङटम्बवियो गितम्‌ #

शोकभोतं waa ae मिलाचरोपमम्‌ |

wag संतुष्टं क्मोग्मादेन fase

सद्धमेग ररवा जायते करणापरः |

असुश्नादुःखसन्तानात्कथमेष वियोच्छते इति

ततो जिनमहावेशयोपदेशादवधारथति सद्धमेगरुखचोपायं |

ततो धूतेतस्करेष्विव Gag रागादिषु खथोपश्रममुपगतेषु प्ष्या- wafa जौवस्रूपशिवमन्दिरे षज्छानप्रदोपं पाययति सम्यग्दशेना- were खमपेयति चारिजवश्जदण्ड | ततोऽयं नोवशोकः सज्ता- गप्रदौ पोद्योतितखरूपशिवमन्दिरे महाप्रभावसम्बम्दग्ेनसलिखपान- मष्टकर्मो मादो गोतचारिषदण्डभासुरो गरवचनेनेव निदंलयति TOA SA महामोहा दिधूतेतस्कर गणं तं © निदंशयतोऽखव aetna विशा लोभवति कुशलाश्यः waa प्राचोनकर्माणि gerd नूतनानि विज्ञोयते दुखरितारुबन्धः समुह्नसति जौव- वौ ये निमेखोभवल्धात्मा परिणमति गाढमप्रमादो भिवतैन्ते मिष्या- farmer: खिरोभवति warfare प्रहोयते भवसन्तानः ततः रविधाटयग्येष जौवशोकञिन्नापवर कावरणकपाटं | ततः प्रादुरभ- वति खाभाविकग णङ्ुदुम्बकं facia ड्ध विगरेषाः | विलो- कयति तामेष नौवणोको विमलसवेदमाशोकेन ततः संजायते निरमिष्वङ्गामन्दषन्दाहः समुत्पद्यते बहटदोषभवग्रामजिदहासा उपश्राम्यति विषयग्डगदष्णिका | रूचोभवत्धन्तर्यामौ विषरज्ि सश्मकमेपरमा णवः | व्यावर्तते चिन्ता संतिष्ठते विश्द्धध्यानं |

See उपमितिभवप्रपश्चा GUT |

इूरौभवति योगरननं जायते महासामा धिकं प्रवतेतेऽपूवंकरणं fara qn) fread कमेजाखशक्निः विवतेते शक्त ष्यानानणः। प्रकटौभवति योगमाहाब्वं। विमोश्यते eter चाति- कममैपागेभ्यः GY Ta were: टेदौष्यते विमलकोव- लाशोकेन ge जगदनुगं विधते safeegea | घमानयति waned संपादयति योगभिरोधं समारोहति शेखे- wat) नोटथयति भवोपग्राहि कममंबन्धनं विसुञ्चति wer देदपश्जर ततो fawa waaay जवशोकः खततानन्दये निराबाधो भला तजर भिवाखथामिधाने महामे wets wage: wae तिष्ठतोति अनेन हेतुना महाराज AAG यथा थादृशं तस्त सारग्रोदेन्तान्ताग्तरं संपश्चं ATE चदि भवतामपि संपद्येत ततो भवेदितो विडन्बनाग्मोच्ो ara- येति |

ततः शला इुनेर्वा्यमिद मत्थग्तखन्दरम्‌

इष्टः धवलो Tar a लोकाः प्रभोटिताः॥

ततश्च

facut: समनस्तेभङ्किनिभरेः |

ददमुक्रममूचानेखंलाटे रतङुदमशेः

चेषां गो wars: सयच्ोऽव्यन्तवन्चखः |

तेषां दुखमो नाम टत्ताशोऽं BATT

अतो भगवतास्माक निर्विंकश्पेग चेतसा |

दौयतामधनादेशो aga: किं विधौयताम्‌

` पञ्चमः प्रस्तावः

quar we wefan भद्राः सुन्दरा भवतां मतिः | विज्ञात ननु auf: श्वं मामकभावषितम्‌ बुद्धो मदोयवाक्याथैः खभावार्यो ate: | aaa हि महाराज सफलो मे afta: इयानेव. ममादेशो भवद्भिः कियता मिह | यन्या विहितं तद्धवद्धिविभौयताम्‌ .. गुपतिरूवाच भदन्त किं भवद्धिरविंडितं quaftere | पर्यालोच्य warert dart शारको पम्‌ | dha भागवतो aa wear तज्िवर्दिणौ Sway serait मदौयवंचनेन भोः | अमनदुःखविस्तारे निवेदो way ततो awta तां ztet संषारोच्छेदकारिणष्णम्‌ 3 शोका मा fae धर्म्य त्वरिता गतिः qataqare | varied भंदमेन fat waa मागे fafeu भवता तावत्कष्यतां मे gawey एते प्रबोधिता भाय aaa भवता वयम्‌ | watg बोधितः केन कथं वा कुच वा पुरे किं वा जातः ख्थवुद्धो भदन्त परमेश्वरः wd निवेद्यतां ara ममेदं हितकाम्यया

खरिराह महाराज साधरनामातमक्ेगम्‌ 103

Sys

sufaferranqgt खया

भवेह get wa तद्धि खाचवकारणम्‌ ¢ ममात्मचरिते तच्च कब्चमाने परिस्छटम्‌ यतः STG तस्मान aH तस्य कौतेगम्‌ # लतो धवशराजेन WEY चर शदयम्‌ | षष्टः कौ तुकावेश्राजिबेन्येन पुनः पुनः अथ fawra निबन्धं तादशं ae waa: | SACs saat aa: सूरिरमाषत यद्यस्ति ते महाराज ALY Hawer | ततो fated तुभ्य समाकणेय साश्मतम्‌ ॥. अस्ति शोके सुविख्यातं विस्तोणेमतिखुन्दरम्‌ अनेकाटभुतटन्तान्त पुरं नाम धरातलम्‌ ॥. तच प्रसिद्भमाहाभ्यो अगदाह्वादकारकः | राजा शभविपाकोऽस्ि प्रतापाक्राम्तश्डतणः तखा तिवल्लभमा Beal समस्ताङ्गमगोहरा | विद्यते विदिता शोके खन्दरो निजसाधुता अन्यदा काखपर्यायादासाद्य निजसाधृताम्‌ समुत्पश्चो Fat माम agat लोकविश्रुतः \ ` आकरो गरणरलानां कलाकौशखमम्दिरम्‌ | वधमान: खातो SAG मकरध्वजः WAT इभविपाकख्च . जगन््ापकरः परः तथाश्मविपाकाऽस्ति भषणे जनमेजयः तश्च freeman लोकसम्तापकारिष्णे ;

TEA: प्रस्तारः

देवौ परिर्तिर्नाम विद्यते भौमविग्रहा अय ALA ससुत्पश्नो दरूण्यकारधीरकः विषाङ्करोपमः क्रूरो मन्दा माम सुताधमः आवासो दोषकोटौनां अ्ष्ठगन्धविषजितः 1 duet वधमानोऽसौ तथापि afew: + पिदरव्य एुचभावेन तयोख बृधमन्दयोः 1 यदृच्छया वा संशा भाभोर्मेचौ AMET # खदिताथेव तौ faa मगरे काननेषु ` ततो विचरतः खेच्छाक्रौडारसपरयणष्डौ # अथास्ति धिषणा नाम qt fanwarae 1 श्टभाभिप्राथराजस्छ दुहिता चारदगेगा सा तेन धौवनस्वेन बुधेन वरो चना | ग्रे खयंवरायाता परिणौता write 4 wary कालपर्यायाज्निःगरेषरखमम्दिरम्‌ | मनोरथप्रतैर्जातो fact नाम पुजकः अथान्यदा निले Be करोडतो वु धमन्दयोः aga समापो surreal निबोधत A अस्स शेषस्य पर्यन्ते Tegal मनोरमः | werzaaarat विशाखो वरपवतः तस्योपरिष्टादुनूङ्गे शिखरे खमभोदरा ,

निनोनाशिकुलच्छाया कबर्याख्या वमा वस्मे

शलाटपडनामानं wa तं नियो खितुम्‌ |

+ व,

उपमि तिभवप्रपश्चा कथा |

अय at MwA तच प्रदेये षमुपागतौ araget getulfar: fwenfa: परिभिभिता AAV FC नाधिकाख्या AW अथ तां तादृशो atey रमणणेयां महाग॒हाम्‌ | तज्निरूपखल्ान्पश्च संजातं वुधमन्दयोः अथाणे संख्ितौ तद्दासजिरौख्णलाससौ | याबहृष्टं FIM तनापवरकदयम्‌ युक तदन्धकारेणख twang | अङ्ष्यमागपयन्तं इाराभ्यासुपणितम्‌ ततो भन्दा बुधं प्राह पश्यापवरकदयम्‌ अनेनैव famed नासिकाद्या महा रुहा ACTH atom भातः सम्यजिनिखितम्‌ ` एषा त्रिलानयोमष्ये विभागार्थं विनिर्मिता ` एवं MEATS तदान बु धमन्दयोाः 1 guilt निर्गता काचिहारिका ezerefa: & AUR पादयोख्णं AG: सा राजपुज्यो: | पुरतो दर्चिंतपौ तिस्ततसेत्यमभाषत wired भवतोरज विहितो मदनुयद्ः | प्रतिजागरणं asq युवाभ्यां यदतुहितम्‌ ततो मन्दो लघन्लोषो दृष्टा वचनपाटवम्‌ | at दारिकां aged: way समभाषत कथम्‌ |

पञ्चमः प्रखादः | - SR

निषेदयावयोर्बालि कासि त्वं वरखोचने | किमथे वा ame गुदाकोटरचारिणो एतच्च वदनं शूला सा शोकभरपौडिता aeer पतिता aret तसे नष्टचेतना

ततो वायुप्रदानाधचमेन्देनाश्वाषिता पुनः ।. खुखयुक्षाफलानोव साजरुविन्दूनसुश्चत

भद्रे किमेत दित्थेवं एष्छतख्च पुगः पुनः | मन्दस्य सात्रवोदेवं खेहगङ्भदया गिरा . नाय मे मन्दभाश्चाथाः किं शोकं शोककारण्ठम्‌ | युवो विश्मृताश्नोति चाहं सखस्ामिनोरपि WY YAAT नाम भवतोः परिशारिक्षा | यवाभ्यामेव gaat गुहायां विनिधोजिता swt fe भवतोरस्ति त्राणनामा वयद्छकः ` तिष्ठामि यश्मदाटे्ा्च्यादं परिचारिका चिरकाच्प्ररूढं हि थ॒वचोखोग खंगतम्‌ |

थया खेदं तथा भाय समाकणेय सान्मतम्‌ ` TUG पुर ण्डद्वतोः ख्वितिः

ततः प्रचशितौ कमंपरिषामस्य शासनात्‌ गतावेकाशसंख्ाने विकचा Fae: | afretarge तज विद्यते weave fFENA पाटके सन्ति बरवः कुश्ञपुजकाः |

तजर जिकरणे नाम तन्मध्ये eft gary `

RR .

छपमितिमवप्रपश्चा कथा |

कमेपरिशमाख्यो नरेष्रस्तज तिष्ठतोः |

सजो युवयोसेभ THY वां AAT

अयं चाणसंश्चोऽज वयस्यो हितकारकः | वयो विहितस्तेन gure: परिपाशकः सखसागरद्ेतुख्च युवयोरेष वत्सलः | वयस्योऽचिगधमाहाक्रयस्ततः प्रति वतेते

fa a

UMs dames a गाथा विनिगंतः। तजेव वर्तमानोऽयं युवाभ्वां लाशितः पुरा तथाविधेष॒ ety यज ay गतौ युवाम्‌ | लालितसतज awe गन्पैर्नानाविधैः पुरा पुरौ मतुजगत्धाख्यामन्यदा क्षचिटागतौ | Tat gafande धुवाभ्यामेष शाश्ितः ay विहिता auzea परिशथारिकां | युवाभ्धासेव मिषस्य मन्दभाग्या मुजङ्गता तदेवं चिररूडेवा घ्राणेन ay मेजिका | SANTA शोक प्रसिद्धां सुजङ्गता तथापि देवौ यदेवं कवते गजमौोखिकाम्‌ | अतः परतरं माय कि शोकभरकारणम्‌

` तश्ाचिरन्तनख्ित्या gaat किङ्करो जनः

ganat नाच निर्भिष्यं create बान्धवः एवं वदन्तौ सालौकखेहदभितखम्भमा |

TEA: Tea: |

पादेषु पतिता ae बाथिका बुधमन्दयोः वेन चिन्तितं इन्त दारिका नेव सुन्दरा | शयं दि waver कारणः प्रविभाव्यते यतः | कपोशद्धचितं we सखष्य क्टद्भावितम्‌ | भवतोह कुशस््ौणणां मिविंकारं निरो ङितम्‌ एवा तु .शडटारोपा faereterfeatear | वागाडम्बरसारा च. ततो TST A ख्शयः॥ ततोऽवधायं feta बुधेनेत्ं महात्मना ।. हृतावधौरणा तस्याः किचिलो दन्तमुष्छरम्‌ wag पाद पतितां Ty भुजङ्गताम्‌ | संजातनिभरखेदस्ततखेदमवोचत विषादं ge चावङ्गिं भौरा भव वरामने | एवं हि गदितुं बाणे युकं ते दारशो चन शान्तो विद्युतोऽपयेष तथा संपादितस्लया | अगेन खेदसारेण यथा प्रत्यतां गतः ` तदषभवतौ तावन्निवेदयतु मेऽधुना | यदेष Aid भद्रे Guat जनस्तव तथोक्रमियदेवाज RA नाय साग्मतम्‌ | aq चिरकनख्धित्या arettat Taam: मन्दः प्राह यथा कायं लालनं कमलानने | aurea वरमिजस्य mea मे निवेदय

Tg wufafanquret कथा |

YAFATY सद्न्धलगबुद्धिरयं खदा | अतः सुभज्विभिद्रे्ेः fixers खालनम्‌ सन्दनागदकपूरकरङ्मदभिर्ितम्‌ | दुङ्कमशोदगन्धा्य Tease विलेपनम्‌ UMA IPH ARTS तथा सुगज्धिताम्बृशं खदतेऽसम मनोरमम्‌ सूषा विविधा गन्धा वर्तकाः पुष्यजातयः | यत्किचित्तौरभोपेतं तदे वाख्धातिवह्लभम्‌ दुगेज्थिवष्नामापि भेवाख प्रतिभाषते ARSE तदश्च सुखमिच्छता तदेवं क्रियतां तावन्ञालनं fave | एतद्धि भवतोदु;ष्ववारणं सुखकारएम्‌ | यदेवं शाशितेने way भवतोः सुखम्‌ | dufaafa aga को fe वणयितु चमः anim विश्रालाकि gat गदितं लया wa विधौयते oy fae भद्रे निराकुखा एवं वदतो मन्दस्य पादयोः पतिता शयो इषंविश्फारितेच्णा | महाप्रसाद Tea वदन्तो सा मुजङ्गता बध ओनमाखग्ग्य ITE सुनि्ेया अवस्थितो यतस्तेन श्ठोऽयं जङितस्षया ` ततो किंचिद्क्रोऽसौ काकलौ विहिता प्रम्‌ |

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WEA प्रस्तावः |

बुधेन हु तदालोक्य fenad विवेचितम्‌

चनं मदोयं शैलख मामिकेयं महागुडा }

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satset a: feat are: समे पाष्यो संशयः

कवलं यदियं वक्ति दारिका शाद्सारिका। THAT नास्य TAT लालनं सुखकाम्यया

(६

यावत्‌ aa सुश्चामि तावदस्यापि पाशमम्‌ काथं विष्रुद्धमार्गेण लोकया जातुरोधतः एवं fafa चित्तेन aud पालयन्नपि प्राणं युष्यते Weed सुखमुत्तमम्‌ weg तां qe श्ठचिन्नां सुजङ्गताम्‌ MUNA IITA दुःखसागरम्‌

कथ |

सुगस्थिद्रव्यखन्भारकरणणोश्तमानसः |

तन्तम्यते था मूढस्तन्िमिन् दिवानिशम्‌ दुगन्धपरिहारं कुर्वाणः faut gur | wagtel wala waa चख विवेकिभिः तथापि मोहदोषेण सुखसन्द्भनिभेरम्‌ | आत्मानं मन्यते मन्दः VaR प्राणलाणमे

Taq योवनाङूढो विचारो राजदारकः | 104

८९६ उपमितिभवप्रपश्चा कचा |

कथंचिज्ञौखथा गे दारे शकाणिकथा गतः &

बहिरङ्गामरङ्गेवु She पुनः पुनः

पयय कचिदायातः WIS राजदारकः o

अय तजन समायाते प्रष्टौ भिषणवुधौ |

संजातो हदामन्दः संतुष्टं राजमन्दिरम्‌ ततद

Za महा विमदेन समागममरहोत्छवे |

a mia मैजिका तेन घ्राणेन बुधमन्दयोः

ततो रसि wera तमात्मपितरं बुधम्‌ |

विचारः प्रणभ्येत्यं प्रोवाच शतकुडमः

तात यो युवयोर्जातो Ararat वयस्यकः |

सोऽयं सुन्दरो दुष्टस्लबाकणेय कारणम्‌

अस्ति तावद तात टेश्रदगेनकाम्यया |

अष्टा तातमम्नां निगंतो भवनान्तदा

ततोऽनेकपुर ग्रामखेटाकरममोषरा |

विलोकिता मया तात WUT BTN वसुन्धरा

अन्यदा MAUS संप्राप्तो मगरे परे |

रामां मया दृष्टा ततचेका वरसुन्दरो

सा मां वौच्य fanrerst परितोषजुपागता |

दसान्तर भजन्तो कोशन प्रविशोकिता #

सिक्रेवाण्डतसेकेन कश्यपादपमश्चरौ

wer नोरदनादेन नृत्यन्तोव मथूरिका

पञ्चमः Wea: |

wa awecea भिशिता चक्रवाकिका |

अन्भा दबन्धनेनेव faqar exafear

Tia हताभिषेकेव feta सुखधागरे |

मया घा fant areat प्रोतिषिस्फारितेखण्ला ततस्तां ateq संपन्नो ममापि प्रमदस्तदा | feed ज्ञाभषेहष्टे cent aefenit

ततः कतप्रणमोऽह Att दन्ताशिषा तया | afe वस छुतस्योऽखि लं मे इदयनन्दनः मयोक्रमम्ब जातोऽहं furan धरातले | Gvise बधराजस्य दे ्रकाणिकया गतः एतच्वाकण् सा मारौ विखसन्ञयमोद का | खेन मां परिव्वच्य afar aaa gy: ततः ATE महाभाग WE चार्‌ छतं वथा | [व्वमादावज मे ve विदितखिन्तशोचनेः जातिद्मरे अनस्येते Bet इदयं भोः | यतोऽमूनि विजानन्ति द्ष्टमाज् प्रियाप्रियम्‌ ni) aq नेव जानौषे मां प्रायेण विग्रेषतः | afastsfa मया ag विन्युक्रो बालकस्तदा ay fe मातुस्ते ae धिषणाया वथस्विका | वल्लभा दधराजष्ट Ae मागातुसारिता शरीरं stadt प्राणः सवेखं मम सागधा |

तव माता महाभाग पिता ते जोविताधिकः॥

Cee

cau

उपमितिमवप्रपश्चा कथया |

तथोरेव समादे शाद डं शोकविशलोकनम्‌ | aa विनिर्गता ag जातमाच पुरा लयि॥ अतोऽमे भागिनेयस्लं gra जोवितं तथा wig परमात्मा स्वे भवसि सुन्दर सुन्दरं रतं वलस दे शद शेगकाम्यथा | यदेवं निगेतो गेहाख्जिगोषुखं संश्रयः तथाहि यो निर्गत्य निःगेषां विलोकयति मेदिगेम्‌ श्रनेकाहुतटन्तान्तां स॒ नरः RIT थतः विच्ासाः पाण्डित्यं बुद्धिः विदग्धता | क्र देश्रभाषाविन्नानं चेषाथारचारुता ावदधूते्रताको षा नानाढन्ताग्तशङकुला नानेकश्ः परिभाग्ता पुरुषेण वसुन्धरा येदं सुन्दरतरं aaa विदितं fear | भवचक्र यदायातस्बमज नगरे परे इदं fe नगर ae श्रिटन्ताम्तमन्दिरम्‌ | stages विदग्धजमसङ्गुलम्‌ विलोकयति यः सम्यगेतद्धि नगरं जनः | तेन aafad दृष्टं भुवनं TTI

gual किमनेन ASAT |

पश्चमः VAN: | ८२९

धन्यासि श्तहत्यासि यस्या मे दृष्टिगोचरम्‌ | खत एवागतोऽसि वत WATE: मयोक्रमम्ब यद्येवं ततो मे चार्‌ वेधसा | दद संपादितं इन्त मोशितोऽहइं यदम्बया अधुना गेयलम्बा प्रसादेन विशेषतः | ममेदं बत निःशेषं भवचक्र महापुरम्‌ ततः सा बाढमिन्धुक्का तात मागांनुसारिता | समस्तं भवचक्र मे सट्न्तान्तमद शेयत्‌ श्रथेकच मया FE पुर aw महागिरिः | तच्छिखरे रमणौय निविष्टमपर पुरम्‌ ततो मयोक़्ं निवेदयाम्ब किंनाम पुरमेतदवान्तरम्‌ | किंमामायं गिरिः किं fret दृश्यते पुरम्‌ मार्गाजुखारिता प्राह ae at खचितं त्या सुप्रसिद्ध मिदं लोके पुर साल्िकमामसम्‌ एषोऽपि gufagiss विवेकवरपवंतः | प्ररूढमप्रमन्तत्मिदं शिखरं जने इदं तु भुवनख्यातं Aw जेनं महा पुरम्‌ | तव विश्जातसारस्य कथं प्रष्टव्यतां गतम्‌ aaa Awad मम मार्गानुसारिता | तावष्लातो ऽपरस्तच surreal faaty मे गाढं प्रहारनिभिक्लो Team: gave: |

८९५ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

एुदबेवष्टिसो दृष्टो मेको राजदारकः ततो Hath | एष दारको ara: fa षा गाहप्रहारितंः। कुवा Maat aq: के वामौ परिचारकाः मार्गानुसारिता प्राह विद्यतेऽ मशागिरो | राजा सारिषधर्माख्थो यतिधमस्त॒ तत्सुतः aaa संयमो ara पुरषः च्यातपौरुषः | एकाको afeget महामोहादि श्रषुभिः ततो बङलाच्छनु्ण प्रहारोेजरोषतः | अयं faatfeadt ae cura: पदातिभिः रमौ पदातयो we नेव्यन्तौम श्मन्दिरे | अस्य चाज पुरे अने af तिष्टन्ति बन्धवाः मयोक्तं feat

देम यत्करिव्यन्ति wets: परिपौडितम्‌ | चारिजधममेराजाथ्ा THR तच कौतुकम्‌ अतो महाप्रसादेन नौत्वा मां गिरिमस्तके | अधना शेयतम्बा खामिनोऽस्छ विचेष्टितम्‌

मार्गाजुषारि तयोक्तं | aaa कियते ततस्तदशु मागे विवेक गिरिमस्तके

आरूढा शा मथा शाथे ae मारगाजुसारिता अरय तज पुरे FA राजमण्डलमध्यगः |

WA! TRE: | ८९१

दृटटखिकरसमाधाने मण्डपे महानृपः नामतो yur: सवं वणिताख way एयक ममाये ते महोपाशास्तथा विश्चाततत्वथा ay तेनैरेद्दरणे समानोतः संयमः | दशित नरेन्द्रस्य sarang निवेदितः ततस्तं तादृशं शाला WII पराभवम्‌ | तचाश्चाने VATS सुभटाः चोभमागताः ततख भोमध्यानेः कराचातप्रकग्पितमरोतन्चेः aati mec: बोभविभाग्ोदधिखज्जिभम्‌ केचिन्यश्चणि wart कुपिताग्तकसन्निभाः | भुजमास्फालयन्धन्ये युशकोद्धेदसुन्दराः रोषरकाननाः Area wafsatear: | अन्ये दन्ता नितोरस्काः wy विन्यस्तदृष्टयः maga: Aga CTT: | wa स्फ़टाहृदासेन warfewswT: TAM AM TITRA विग्वः केचिद्रक्नाङ्गभौमाभाः ararfea हशश्रानवः अतस्तं तादशं Tey चुभितं रानमण्डलम्‌ | चारिजधमेराजेन्ं सदह्ोधः प्रत्यभाषत देव नेष खतां gat धौराणां कातरोचितः | अकाचनोरराराववज्निभः शोभविशमः

SRR उपमितिभवप्रपश्चा wet |

तस्मादेते निवायेन्लामथशमुश्ताख्मानसाः |

राजानः क्रियतामेषाममिप्रायपरोचणम्‌

ततो भिवारण्णक्ूतलोखया प्रविशोकिताः |

चतारिबधर्मराजेन oy मौनेन ते खिताः emg ते तेन नराधिपेन |

यथा भो भो मरौपाला रत यदो विवखितम्‌ |

एवं व्यवसिते कायं किम क्रियतामिति एतच्ाकष्ये

Saar TBS नराधिपाः |

प्रदद्धरभसोत्छाहा UT RATA: प्रभाषिताः

दूत्यं महापराधे मैः संथमच् RUA |

ney विदिते देव किमद्यापि fragt

येऽपराधशमापष्यसेवथा sigan: |

तेषासु च्छेदनं देव Fad परमौषधम्‌

अन्यद कुतस्तावच्छुखगन्धोऽपि argue |

यावन्ते इताः पापा महामेदा दि शवः

यावच्च टेवपादानां नेच्छा तज प्रवतेते |

संपद्यते तावदहातस्तेवां दुरात्मनाम्‌ यतः

एकैकोऽपि भरो नाय तावकौनो महाव

सर्वानिदं लयल्येव कुर ज्रम निव केषरो

णेन ज्ञावयन्तोमे चमिताम्भोधिविभ्रमाः |

पञ्चमः प्रस्तावः |

fred Seat स्याक्षवाश्चा विधारिका

एवं ते मरोपालाः शौण्डौरा रकशाखिनः

सर्वेऽपि खाभिगोऽध्यचमेकवाक्धतया स्थिताः # रणकष्डूपरोताङ्गस्तानेवं are भूभुजः दुदांममन्तमातङ्गनिदः रिदरिसज्िभान्‌

राजा मन्त्रा साधं aE सभाग्तरे प्रविष्टो AMAT ACHAT श्रय तजापि शा तात areal मार्मालुषारिता | writ विधायोचैः प्रविष्टा सदिता मया ततसबोचितं राज्ञा wet मण्तिमहन्तमौ |

सम्यग्दगेनसतावद्राजानं प्रद्यभाषत

देव age: stm सताः प्रत्यविकमेः तदेव WARTS ते कदं को WT sna:

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वध्यानां दुष्टचिन्नानामपकारं सुदुःसहम्‌ `

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वर wat at दग्धो मा सगतो वरं aT: | वरं गभं विलोगोऽसौ चोऽरिभिः परिभूयते धूलिः ठठ लोके भसम a किंचन योऽरिभिग्टेधमानोऽपि खस्थचिन्तोऽवतिष्टते यद्येकोऽपि भवेद्रान्चः wy: सोऽपि जिगौषति |

तन्तम ज्यते VITA यस्य WW: 105

SRR

S28

ततः

छउपमितिमवप्पच्चा कथा |

sat निर्भिद्य fad श्रजुवगे नराधिप निष्कष्टकां मरो wert ततो भव निराङ्ुखः तदेवजुद्धतं वाक्वममिधायं ALTA: | मौनेमावख्धितः सथः wer काये विनियम्‌ अथामिधातु aay खौलामन्धरवा ENT | शारिजधमेराजेन were: प्रविखोकितः ततो गिर्णोय गर्भाथें कार्वंतच््रस्य कोविदः | सद्धोधः सचिवः सारं वाक्यमित्थमभाषत ary साधूदितं देव विदुषा तेम ते पुरः WTA am माड त्रामन वस्ठनि तथापि ते महाराज यन्ममोपरि मौरषम्‌ | तदेव लम्मितोलखाहं वासाखयति मादृशम्‌ UA WATT |

अरहो तेजःप्रधागलमडहो वाचि wear | aut ते खामिभक्रलं चार्‌ TE महन्तम ल्यं मामवतां घौर दुःखहोऽरिपराभवः | सत्यं पराभिग्रतस्य शोके निःखारता परा Wt सत्थं दष्टाः HST वध्या महामोहादि श्चवः | सत्यं तद्वातुकाः सवं देवपादालुजो विनः

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तिष्ठन्तु पुरूवास्तावहवश्रा सनवतिनः | नार्योऽपि देवसेन्यस्च तेषां निर्घातने qa:

प्रचमः TAT: | TRL

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weracfed काथ aqua fara: \ नोतिपौदषयोर्यस्मात्रश्लावः कायेसाधकः अथवा देवपादानां भवतश घुर मथा | Nama aqua wa तत्पिष्टपेषएम्‌

aute

षड शण्णः पञ्च चाङ्गानि शक्रिजितयसुन्तमम्‌ | सोदयाः सिद्धथसिषलस्तया नौ तिचतुष्टयम्‌ चतस्रो रानविद्याख यद्चान्यदपि वताष्श्म्‌ ` mati युवयोः सवं तद्धि fa we aaa

यतः |

शानं यानं तथा सनिविरविं रश्च परेः संश्रयो इधभावख्च षड्‌ TU: परिकौतिताः

तचा |

उपायः क्मसंरम्भे विभागो देश्रकाल्लयोः | युरूषद्रवयसम्पच्च प्रतोकारस्तयापदाम्‌ पञ्चमो arfefeq प्यांलोश्यमिदं किल | अङ्गानां पञ्चकं रान्ना मग्वमागे विजामता

लया

Sarente: प्रथमा प्रसुश्रक्रि्दिंतीयिका | तोया मन्लश्रक्रिख ufawafae प्रम्‌ शक्रिजितयसपाद्याख्जय एवोदयास्तया |

ead उपमितिभवप्रपश्चा कथा

fecufawmsatat लाभाः सिद्धिजयं विदुः तथा सामभेटोपदानामि दष्डयेति चतुष्टयम्‌ | नोतोनां खवेका्थंवु पर्यालोच्य विजानता तथा sraifent जयौ वातां दणष्डनौतिस्तथा परा | frargret aarat किलेताः सन्ति गोचरे तदेतदेवपादानां भवतस fare: | भरतौतनेव भिःगरेषं cent किं aetna aaa wrametsf are यो बुध्यते | तस्या किञचित्कर न्नानमन्धस्येव सुदपंणः प्रवर्तिता विवेकेन इसाध्येऽपि agit | AAG | | लोके जायते we: auy विनश्छति xe मृखलविगष्टं हि तात अवे प्रयोजनम्‌ | अतोऽ तावकोक्छाहः कुच नामोपयुष्यताम्‌ यवः | भवशैकमिदं सवे वयं ते AWTS: | कमेपरिणमाख्यो यख राजा महावलः आयन्तं VARA TASHA महात्मनः | तात संखा रिजौवस्य यस्यायत्ता महाटवौ चाद्यापि जानोते भामापि ae मादृश्राम्‌ |

Wea: Tea: |

महामोहादिसेन्यं तु मन्यते. गाढवक्नभम्‌ Cay ay संञ्ञारिजौ वश्य पश्चयातो बलेऽधिकः | aaa विजयो नुनं fe सर्व मायकः ततो यावन्न जानते ssa saya | यावच्च पच्चपातोऽख्य नाद्या्यस्मास्ु जायते तावन्न युषः संरम्भो यानं विग्रहः ae साम AZT ख्वानगसुपेखा गजमोखिका संकुचन्ति fe facta: ara fen किंचन | केसरो गजनिधति aatarafafrgar पौरवं wea मश्छतोऽपि विलानतः | मेषो दपसरत्येव wecratefewar अम्यम्द शेनेनोक्घ | ara खंसारिजौवोऽसौ जने न्नाखते वा। शअस्मानेतेऽरयो नित्थमधुगेवं विबाधकाः तदश्च संथमस्तावदित्थमेमिः कदर्थितः | शः सर्वानपि इन्तारस्ततः खातु Gad सदोधेनोक्रं | श्राय मोश्ताखतां कार्षोः काखसाध्ये प्रयोजने | ya संसा रिजोवोऽसौ शाते मः कटासन यतः कमेंपरिष्णमाश््ो ALI TAT |

Sas

ot sufafararrgt कथा |

समानपश्चपातेन सदा प्रायेण वर्तेते दूतस तस्य शंसारिजौवोऽपि निःशेषं कुरूते वचः अतोऽस्मानेष तस्योचेः कदा चिज्त्रापयिय्यति ततश्च wat: संसारिजौबेन सप्रषादेन प्रूजिताः | वयमाय भविवथामः शरुनिदंलनच्माः केवलमसावपि कमेपरिणामः कचिदवसषरे पर्यालोच्य महन्तम- भगिन्या ae शोकथ्धित्था ver चावसर fora काखपरिएति कथयिलात्मौयमहन्तमाय सखभावाय wear विदितं मियतियद्च्छा- दीनां निजपरिजनानामनुकूलयित्वा संसारिजौवश्येव महादेवो भवितव्यतामपेच्छय सप्रसादोऽयमिति विश्च्भिकावसरं ततः सषारि- जोवस्य wang न्तं सवषा मभिरचिते सति विन्नापयिथति | ततः प्रतिबन्धकभावाञ्वगिव्यति सा fanfrars भविति VAM ASANTE WATS: | ततश्च | निमूलाजना्रचिव्यामः शणनेता्महन्तम तेन काणविश्लम्बोऽच रुचितो मे प्रयोजने सम्यग्दरेनेमोक्र यद्येवं प्रयतां तावद्रतस्तेषां दुरात्म माम्‌ erafiq मयादां येन ते दूतभस्िताः सदोधेनो क्रं | कायं लज दूतेन प्रितेन महम

पञ्चमः परावः | SRE

faeraaracsa aaafeuafxar: सम्यग्दश्रेनेनोक्ं | a माख्मतिभोतेन भक्ता पुरषोत्तम | सुद्ष्टा श्रपि ते पापाः किं करिखखन्ति मादृशाम्‌ अन्यश्च | यदि भो रोचते तात दूतस्ते दष्डपूवेकः | ततः सन्धिविधानाथें सामपूवेः प्ररोयताम्‌ Veta श्राय मा मेवं वोचः यतः | कोपाश्राते रतं साम कदस्य विवेकम्‌ | जाघ्वश्ोति fe तोयेन an सपने संशयः अथवा | फलेन दृग्ठतामेतत्पूथेतां ते कुत्रदखम्‌ | येन संपद्यते तात प्रत्ययो मम असिते दूतः प्रहौयतां तेषां यदि देवाय रोचते | ततो विज्ञाय agragfea fe करिष्यते श्रय चारिजधमेख तदाक्धमनुमोदितम्‌ | ततस्तैः प्रहितो दूतः खत्याख्यः श्ुसंहतेः wy दूतानुमागेण सापि मार्गाजुसारिता गता तात मया साधं महामोहबले तदा प्रमन्ततानदोतोरे चित्तदिच्चेपमण्डपे दृष्टश्च fafearerat महामोहमहानृपः ti श्रथ दूतः सख स्धास्यस्तजाखानेऽरिप्ूरिते

Sgo

उपनमितिभवप्रपस्चा कथया |

प्रविष्टः प्रतिपश्या निविष्टः शभविष्टरे

ततः षृष्टतनुदन्तो वाक्धमेवसुदारधोः |

प्राह arwarentsta कोपाप्मेः शज्तिकाम्ययाः॥ चिन्तटरन्तिमहशारव्या यः प्रभुः परमेश्वरः |

लोके ससारिजौवोऽसौ aagt wears: बदिरङ्गान्तरङ्गाणणं संसारोदरचारिणम्‌ |

राज्ञां यामपुराणणं ख. खामौ माज संशय

fea

थं वयं ये चान्ये केचिदान्तरण्धभुजः ते क्मपरिणामादाः ef wea किङ्कराः > सेकमिदं e ot aa Wey] खवधामेक एव सामो संसारिजौवोऽतः को विरोधः परस्परम्‌ .॥

* I

श्क्राः खख्लाभिगो भक्राः संहताय भवन्ति. ते शत्या बन्धूपमा मेव खपश्तचथकारकाः aqazy सततानन्दमतः wwf सुन्दरम्‌ | qwifa: सह care प्रेम नः म्रौ तिवधेनम्‌ इद्‌ सत्योदितं सतं वाक्चमाकण्छे सा सभा | माहामोषो HUTS TAT. AST ॥.

ततद |

Sorel रक्रसवाक्ञा श्मिताडनतत्पराः | को धान्धवुद्धयः सवं समकालं प्रभाषिता:

पञ्चमः प्र्ावः। ८४१

wt रे दुष्ट केनेदं TUS निवेदितम्‌ | यथा ख्सारिजोवो मः सामो . सम्बन्धिनो वयम्‌ ४. पाताखेऽपि प्रविष्टानां मासि मोखः कथम्‌ युभ्राकमालजाखेन किमनेन नराधमाः ॥. ` कसारित्रोवो नः सामो यं सम्बन्धिनः किख We सम्बन्थघटना wet area रणाः # ree गच्छ गच्छति रेवतास्मरणोद्ताः | यूषं भवत श्रागधथसेते वो व्मागताः ¢ एवं खहस्ततालमुन्ताखाः प्रविस्य war, | तथान्ये frecate: कला दूतकदर्थनम्‌ चखिताखत्कशादेव कोधान्धासते . मरोसुजः | संमङ्ूबडूकवला महामोहपुरस्राः सत्येनापि खमागत्य al. तखेष्ितं प्रभोः $ चारि्रधमेराजंस्य विखरेख निषेदितम्‌ अधाग्वकंगतां मला AWARE चारिभधमेराजौयं शुमद्धमखिलं वशम्‌. ततः परिषरे WA लग्रमायोधनं तयोः.।.. चिन्षटन्िमश्षटब्धां सैन्ययोः रतविसख्यम्‌ ॥- तच ales | , - विश्चवितभट्कोटिषङ्ातह तिप्रभाजाखविसारसश्चारनिर्ाशिता-

रषतामिखमेकच Witenes. दुष्टा-

106

TBR | खपमितिमवप्रपश्चा कथा|

मिखण्ध्या्नेक - प्रचष्छोगगपेकष्टङ्ग PTAA ATA TSA TA कारप्रतानप्रनष्टाखिशन्ञानसद्योतसन्तानजातं ततो are args कातराणां गराणां महाभौतिखग्पादके afematnfaentnaries- निर्वातशच ar fa CTA TAT TT a a AT-M fan fl दविद्याधरे भो रणे ते aa भटाः पाटयनतः परानौकनुदेजिता दति ततस्च |

बहदादणशग्रष्ठश्रते £ प्रतं दशिताखिछवारणवाजिरथम्‌ |

अतभौषणवे रिनिनादभया सदगेषमकम्पत धरमेबलम्‌ `

ततश्चारिबधमऽसौ खवखो बणश्रालिना

महामोहनरेग्डेण जितस्तात ARTE

नेहा प्रविष्टः wena ततस्ते रिपवस्तकम्‌ |.

लसत्कछलकलारावा रोधयिला wafer:

ततः परिणतं राच्यं महामोहनराधिपे

लारिजध्मराणस्त निरङ्धोऽभ्बन्तरे fea:

मार्गानुषारिता प्राह दृष्टं तात कदश्लम्‌

सुष्टु इष्टं मयाणुक्रमन्निकायाः प्रसादतः |

केवरं Tavera मूखमम्ब परिस्फटम्‌ |

हं विज्ञातुमिच्छामि तजिवेदय सास्मतम्‌

मार्गानुखारिता प्राह रागकेसरिणोऽग्रतः | :

योऽयं eae ay wet भिर््याजनेपुणः

श्ननेन मज्तिणा पूवं जगत्घाधमकाम्यया

पश्चमः Wea! | [aR

माशुषाङि semfa पञ्चातमौयानि safe अभिग्धतानि arte सन्तोषेण पुरा किल चारिधर्मराजस्य TATA VAT तन्निमित्तः समश्तोऽयं जातोऽमौषां परस्यरम्‌ HAG Ay साटोपमन्तरङ्गमरहोसुजाम्‌ मथामिडित afaa किज्ञामानि तानि माशुषाणि कथं वा daria जगद्धाधयन्ति मार्गाशुखारितथोह्क ae विशार सपशर षनाघ्राशद्‌ हि ओजा खि तान्वभिधोयन्ते | तानिश QI रसे गन्धे रूपे wee देहिनाम्‌ | TAG मनसः शला साधयन्ति TATE एकेकं प्रभवत्येषां Tat जगन्नयम्‌ eqaag पञ्चापि तज किं चिजमुच्यताम्‌ # ततो मयोक्रं संपू श्रद शेनकोौतुकं | श्रधुना तातपादानां पाञ्चं याखामि सलरम्‌ ate गम्यतां ag निरू अनरेष्टितम्‌ | श्रहमपागमिय्ामि asa तव सज्िधौ अयारमागतश्टकं निचित्येरं प्रयोजनम्‌ | AMMA वधस्योऽयं श्राणनामा सुन्दरः वञ्चको qraqgint पयटन्येष देहिनाम्‌ | मारुषाणां उतौधोऽयं रागकेसरिमग्िणाम्‌ यावज्िवेदयत्येवं बधाय निजदारकः |

Sag उपमिविभवप्रपश्चा कथा |

भमार्गानुषारिता तावदाथाता भो नरेश्वर ` खमर्चितं तथा स्वे विचारकथितं वचः | त्यजामि arated quenfa इदि fen दतख | | QIAN ATTA: मन्दः सुगसज्विगन्धानां खदःन्वेषखतत्परः 4 “Waa मगरे श्प Pera: कथंचन | देव रान्नभा्रा्रा भगिन्या भत्रे गतः AY | 'सपन्नौ पुजघालाथै तस्मिन्नेव ea तया WR डोग्बोकराद्रन्भस्वोगो मारण्शत्मकः Tag तां मन्धरेषुटिकां इरे gan लौलाबतो zy प्रविष्टि सपराप्नो मन्दः aT तेन वौकिता `ततो भुजङ्गतादेश्ाच्छोटयिल्ला frefaar | SH ATTY ते ATS TTA ततखाधूफिति we Miaka aeer | खेहमो हितचि्लान् मन्दः प्रवं मतः ततो विनहमालोक्ध प्रा्लाशमलन्परम्‌ | मन्द धारसम्बकांदिरक्रो नितरां बुधः aay सा बुधनेदं ष्टा मार्गालुखारिता | भद्र कथं मानेन Gent भविश्यति

पञ्चमः Tea! |

मार्गालु्रिवा प्राह देव fear शुजङ्गताम्‌ तिषठ लं शाथे were: सदाारपराय्टः ततोऽयं विद्यमानोऽपि टोषसश्ेवकार्म्‌ | ते aed देव ततख्छक्रो विग्छति quarfa शतं उवे विश्वाय हितमात्मने | मार्गाजुख्रि तवाक ब्दा प्राप्य सुरम्‌ ततो गरोतरोकोऽखो साध्वाचारपराथष्डः | विश्चातागमसद्धावो दर्प्रासजतत्परः sree: पाजतां मला गच्छनिखेपकाम्यथा छत्परन्रशस्िमाडाम्यः Brant निवेशितः एष भवतां अपर खत्मबोधविजिद्छया | विहाय गश्कमेकाको qwait: खमामतः ase गिवेदथक्येवं safe भवादृशाः | सोऽहमेव धरानाय बुधनामेति VT 9 प्रबोधकारणं we चदिदरं सषिधानकम्‌ | मम संपक्नलेवद्धि ae शुन्राटृद्यासपि # यतः | | विषठरज्ि खदा तानि मानुषाणि ara तत्पष्तोऽनुधावन्ति महाम्रोहादिग्चत्रः ततद | यो wa प्राप्ये प्राणौ सर्वो गाहदादइकेः | निर्भिद्य खच्छः war wats विचप्यते

cad

ङपनितिमवप्रपचा कया |

इदमेव परं शष निभेयस्वागसुष्तमम्‌ |

श्रमो मिश्यमानख्छ TE वरग्राखनम्‌

एवं श्चाततच्वानां vagy युष्ते |

युकं चणमेकं धरानाय विखम्नितुम्‌ wert विषया श्प काशकूट विषोपमाः ्खाद्यतामिदं दिख प्रश्रमागतसु ल्मम्‌

ततो धवश्राजेन fawe विमलः चणम्‌ |

तथा सर्वेऽपि ते लोकाः orga प्रविशोकिताः

CN शु |

भोभो शोका यदादिष्टं भदन्तेन महात्मना | ददमाकणितं चित्ते aq भवतां क्वः

ततस्ते बुधसद्भामोः प्रतापेन प्रबोधिताः

कमश्चाकर सद्धा शा प्ोत्फक्ञमुखपङ्जाः

भावा weary विन्यस्तकरङ्म्ाः | सर्वेऽपि लोका शजेदं समकालं प्रभाविताः बाढमाकणितं देव वचोऽस्माभिर्महात्ममः | विन्नातशद् सद्भावो महाभागप्रसादतः विधूयाश्ानतामिखं मनोऽनेन प्रकाशितम्‌ ` जोविताञ्ान्तेनेव भिग्धालविवधूिताः त्लद्रमिदमस्माकं feu गाढं Faas: | waeat तदादिष्टं भा विलम्बो विधौयताम्‌ एतशाकष्टं wax: पर इर्धसुपागतः |

WEA: Tea: |

` ततो Trearfartara fae प्र्यवोचत सामि पुज amet tre} arate | Gad भगवानेष wt एदरन्तमः विमलः are किं तात माइ ते चिन्तवल्लभः | येन दुःखाकरे राच्ये मां खापथितुमिच्छसि दृत्यं feats at तात kart दःखपूरिते | खथ गच्छसि faqiwagt ते तात चारुता ततो गाढतरं तुष्टच्छरुला वेमलं ae: साधु खाधूदितं वल 4 सुश्धामौल्यभाषत ततः कमलनामानं राच्ये TTY Twa | विधाय जिनपूणां दिनान्यष्ट मनोहराम्‌ ` तचा दश्वा महादानं विधाय नगरोत्धवम्‌ | विहिताेषकर्तश्यः ware समाहितः विमलेन समं राजा सपन्नौकः सबान्धवः | सपौरखोकः शसाः frat विधिपूर्वकम्‌

किं बहना | | | येः warned दरेखशदाक्धमन्टेतोपमम्‌ | तेषां मध्ये जनाः शोका ये aty व्यवसिताः तेऽपि चावाप्तसभ्यक्का त्रतरनरविश्षिताः। जाता THAT प्राप्ते कः श्याद्‌ारिद्यभाजनम्‌ .॥ अहं तु भद्रे तचापि वामदेवतथा खितः |

Wl AMS सूरे रूपनिर्माणएकौ शम्‌

wget उपमितिभवप्रपचा wut |

FAT PATE वाक्धं महा मोहतमोपहम्‌ तथापि नं बुद्धोऽसि. awe कारणम्‌ यासौ बहलिका yi योगिनौ भगिनो . मम शरोरेऽकुपरविष्टासोत्छा मे तज faster यतोऽरहो सङ्केते ATTY दुरात्मना तादशो aim वञ्चकः. परिकण्ितः चिन्तित मयो wa सुनिवेवविडन्बकः | fagxmenaa: कञिदेष ear: अहो शखमदहो Weel वाचाखतातुखा अदो मूढा AORTET Asgarfa प्रतारिताः तथाहि | | wy बलिका येषां fasta corn | ते हि aa शटप्रायं मन्यन्ते भुव्नजयम्‌ तदेवं तं बुधाचा्थं तदाश्ञोकविकर्पनेः विकख्पयन्नहं HT A प्रबुद्धो दुरात्मकः प्र्रब्धावक्षरे तेषां राजादोनां मया पुनः | ददं विचिन्तितं भद्रे afer पापकर्मणा ॥. wa wat याहइवेदेष विनो मां बशादपि। आदितो वश्चयित्वेल ततो मश्लामि सत्वरम्‌ .. ब्धा बुडवं गाढं ततोऽहं तारणोचने. तथा नष्टो चथा भेव गन्धमेष बुध्यते .॥

पञ्चमः प्रस्तावः | Sse

ay ctafed ota विमलेन महत्मना |

वामदेव cad waare निरूपितः

Sear मां पुगः vet वध्रि मेहत्ममा |

गतो वामेदवोऽसौ किंवा afew कारणम्‌ भानालोकेन विज्ञाय विमखाय निबेदितम्‌ | ततो मदौयचरितं fave बुधष्रिणा विमलेनोदितं ara fa a भयः खमे सुत्‌ | masta तावके वाक्ये येनेवं बत चेष्टते afturfafed भद्र ana: किंतु कारणम्‌ | यत्तस्य तादृशे me तन्ते सवं निवेदये

एका बलिका नाम भगिनौ aw वल्लभा | श्रद्छन्तर ङ्गा ata दितौयः सेथनामकः तान्वामधिषहितेनेदं वामदेवेन चेष्टितम्‌

पुरा विहितं तात रत्नस्य शरणादिकम्‌ TRIMS दोषोऽव waa सुन्दरो हि सः | स्तेयो बहजशिका we टोषसंद्धेषकार णम्‌ | विमलेनोदितं नाय far ताभ्यां वराककः। कचिन्मुष्येत पापाभ्यां किंवा नेति मिषे्ताम्‌ सूरिरा महाभाग भरिकालेऽतिख्हिन्ते |

meat मोचयते aw ace a farang ` शभाभिखन्धिनृपतेः पुर विश्रदमानसे 1

भा स्तो निमेलाचारे एद्धतापापभीरते | 107

<ye उपमिततिभदप्रपश्चा कथा |

तयो away जमलानन्ददाबिके

MINTS माम विद्येते कन्यके शभे

अत्दन्तसरखा साध्यौ स्वलो कसुख्ठावहा |

GAA सा महाभाग प्रतौतेव भवादु शाम्‌

रथोरतापि लोकेऽ निःसप॒हा ferme |

सर्वाङ्गसख॒न्दरो नुनं विदितेव भवादृशाम्‌ +

ते कन्ये कचिद्धन्ये yea परिणेष्यति |

सेयो ऽयं WaT चास्य ततो भो fae

तयोराग्धां षावख्छा प्रत्येव विद्यते |

ततस्तात ARMA दाग्याम्येष मोच्छते

ततो 4 योग्यताद्यापि वामदेवस्य विद्यते |

wa प्रतीति fate Qe तस्यावधौरण्म्‌

ange सुनेवाक्यं विमञ्ञेन महात्मना

खुला तयेति वदता विदिता मेऽवधौरण्णा

अहं तु प्राततः BEAT प्रविष्टो weary दृष्टः सरो माम

वाणिः गतस्तस्य पणे | विजभ्भिता asfeat तमस्य पाद्‌- पतनं | मटेनेव WARTS नयनयुगलं तद वालोक्धा- Sign: ate: ततोऽभिदितमनेन भद्र किमेतत्‌ मयोक तात य॒श्चानवखोकय मयात्मजनकस्य स्मृतं सरलेनोक्क | यद्येवं ant aq पुज एवासि ले। ततो नौतोऽहमनेन Guat खमपितो बन्धमल्याः खभार्यायाः कारितः खानभोननादिकं vet qragertza | निवेदितं मया खजातौयोऽयमिति qe: सरः अभिडितमनेन |

पचमः प्रावः ८५१

agent: fra qat aget: परिपाशकः दत्तः शंचिग्ध देवेन वामदेवोऽयमा वयोः 4

तदाकण्टं इष्टा बन्धुमतौ निचितं ada मथ्येव wet दर्चितमापश्मिदहितं रन्नादिकमन्तर्धमं aaa भूया मथा सहितस्तचेवापणे खपिति अन्यदा सन्ध्यायामावयोगेहे ति- तोः खमा गतः wee qa: प्रिवमिचश्य गटहादाङ्ायकः यथा मम पुजस्य षष्टौनागरे भवतागत्ये् बसशब्यमिति -ततो- ऽभिदितो ऽहं सरलेन gy बामदेव गन्तव्ये भया saree लं पुनरापे गत्वा वशेति मथोक्र wa से तातरङितश्यापणे गमनेनाद्च तावदम्बया पादमूले बहयामि ated केहसा- रोऽयमिंति चिन्धयन्तेवं भवलिति वदन्‌ am: सरलः ख्ितोऽहं गरे राजौ fafa: स्तेयः चिजतितं मथा हरामि तद- नधनं | ततोऽधराके गतस्तमाचणं | उद्ाटयतखं समागता दाण्ड- पाकाः | getseaa: wefan ततः पश्तामस्तावत्कि- मेषो ऽचैराचे करोच्यापणमुषहाख्धेति संचिनध खिता ब्यैमावेन TER: | उत्‌ खातं मया Azad निखातं तदेवापणल धञादू- भागे विभातप्रायायां रजन्यां wat हाहारवः | fafeat नगरलोकः संप्राप्तः सरणः प्रकटीग्डता टाण्डपाशिकाः | प्रत्तः AHS: | सर लेनोक्त ag वामदेव किमेत्त्‌। मयोक्रं | a तात मुषिता सुषिताः a इति दशितखोद्धारितापणो निधा- Ha सरलेनोक्र पुज सया कथमिदं wa मयोक्त afew ताव्रज्निग॑तक्लातः 1 ततो मे तातविरहषेदनया नागता भिद्रा |

८५२ उपमितिभवप्रपच्ा क्था |

fea: शय्यायां विपरिवतेमानः ` राजिगरेषे तचिक्ितं मया | अयि यदि परमेतस्ां तातस्य श्ेपूतार्यां ्रापएशय्यायां निद्रासुखं संपद्यते मान्यजेति afer समागतोऽहमापणे gefacaiey शोर विखसितं ततः wat wera दति दाष्डपाग्रिकेखि-. fad भिखितमेतन्तसछरोऽयं दुरात्मा वामदेवः श्रो श्रा. लजाख्चातुये Wt वाचालता अरहो agaad we हतत्रता am विओ्म्भघा तिल्रमहो पापिष्ठते ति aden अओशटिनिरा- wat भवं wa एवास्तेऽस्मामिष्चौरः | ततः साकूतमवशो कितं सर्वेमद भिमुखं | श्रातोऽदमेतेरिति संजातं मे भयं ततः पुनः सखो ग्रडोग्याम इत्यालोच्य गतास्तावदाण्डपाश्िकाः। दन्तो ममावरच्कः। अनेककुविक्याङ्ुशस्य मे. wird तदिन सन्ध्यायां. सुरोवा AANA पलायमानोऽदं गरहोतो दाण्डपाशिकेः | जातः AAT. we: | मिद्धितं पुनभ्गर कथितो दाण्डपाशिकेः सम्लोऽपि. लोकाय मदोशग्यतिकरः | wnat मच्चरितेन faq गोतो ऽहं रिपुखरमराजसमौ पे शआ्राक्ञापितस्तेन वध्यतया समागतः. awe: पतितो नृपचरणयोः श्रमिहितमनेन | ममायं quant देव वामदेवोऽतिवष्वभः। अतो मेऽमु दं Wal सुच्यतामेष बाखकः zyat मम wae मेष देव निपात्यताम्‌ | TET आयते देव मरणं मेन संग्रथः॥ ततोऽतिषरणं मत्वा सरलं तं नराधिपः RHQ प्रखादेन AIS तद्धनम्‌

पञ्चमः प्रस्तावः `

BAG VU तदा stat मह भुजा | afese quv समौपे मम तिष्ठतु यतः अयं विषाङ्कुराकारस्तखकरो HATTA: | तदेष मद्ग्टहाद्ाद्मो वामदेवो सुन्दरः Taz | एरापि दुबलोतः aad नष्ट एव सः - पु्णोदयो वयस्यो मे ger तदष्टचे्टितम्‌ tt ततस शरे्ठिना प्रतिपन्नं तश्नरेवचनं तदा | frarcfaeat cla: खितोऽडइ राणमन्दिरे TASHA TAT RAI TWA गते | भद्र निवखतस्तज ते मे स्तेयबह्लिके तथापि शोको मां भद्र श्वंकार्थेषु wea | श्न्येनापि हतं चौयं ममोपरि निपद्यते ब्रवाणस्यापि wgd प्रत्येति मे जनः | धिक्वारेदेन्ति मामेवं दृष्टा ते सग्यवादिता स्ेष्योदेगजमकः शृष्णाहेस्तद्यतां गतः तचाग्हो तबद्ते aware विडम्बितः wag Mey Ue विदासिद्धेन केनचित्‌ निःशेषं मुषितं भद्र सच चौरो खचित: ` ततोऽ इष्टदोषलादश्येवं विधसाहषम्‌ |

८५७ उपमितिभवप्रपस्चा कथा।

संभायं नापरस्तेति थाहितस्तेन श्व भुजा अरनेकयाधनाभिशच भागारूपेविंडम्बनेः | ततोऽहं गाडढर्ेन तेन मद्र कदर्थितः खितः acererfa sea नराधिपः | sufam fanrenfa ततोऽहं विरटल्खम्‌ ware सा जोरा गुडिका मम पूर्विका |

भवितव्धतथा sat ततोऽन्यां गुडिका मम Aw प्रभावतो भद्रं तौगरदुःखौ घसम्पदि गतः पापिष्ठवासाथां नग्यांमन्यपारके तचानुग्य दुःखानि तौत्रानन्तानि fage: अ्रसे्यकाखं ग्छयोऽपि एडिकाटानयोगतः पश्चाचपद्ररसखाने खभागत्य पुरे ततः | भ्रान्तोऽद बहशो ऽन्येषु नगरेषु पुनः पुमः aafa नभर भद्र यामो धा acetal | मुक्वासिव्यवहाराख्थं went we वोखितम्‌ a तथापि aera धोषिदाकारधारकः awit aefearctafxtde feof: खोढानि नानादुःखानि wrt ert मथा तदा ताभ्यां qraawenat प्रेरितेन वरानने

एषं वदति Sara प्रज्ञा विश्राखया | दरं विचिन्तितं गाढं शंवेगापश्नचिन्तया रहो दुरन्तः Seated माथा चात्यन्तदारणण |

पञ्चमः ABTA | ५८५५.

यथोराख्क्रचिन्तोऽथं वराको aft भारितः तथाहि | वश्चितस्तादृश्नोऽनेन मदात्मा fare: पुरा | AMET MB गतोऽचं वण्तुष्यताम्‌ सरलो age: favat सुषिला प्रतारितः | Wace तद्मशारेव लच जोर विड़म्बमम्‌ 8 तया | | यदयं तादृशेनापि महाभागेन gia | बुधेन बोधितो arate माचा तच कारणम्‌ ब्रवाणस््ापि aga प्रत्येति ae: धिक्करोति तन्नापि सेव मायापराध्यति यदन्यजनितेनापि acura विबाधितः | संसारिजोवस्तजापि स्तेयो माथा कारणम्‌ एवं शानन्तदोषाणामाकरखू TUT तथापि शोकः wifes: waar gyfa अन्य तथा संसारिजोवे भोः कयथत्या्मचेशितम्‌ | भव्यपुद्षस्तज्र चिन्नथामास fafa: श्रपूवेमिदमख्छाहो तखरस््ातिजण्पितम्‌ | अतिषिच्रमखभाव्ये खो कमार्गांतिदूरगम्‌ अप्रसिद्ध HAMM इदयाकषेपकारि | ATW WAG यः मथा नावधारितः॥

८५६ उपमितिभिवप््ञा कष्या |

तथाहि | | ga तावद नेगोक्ं चयासौस्किल सवेदा | पुरेऽसंव्यवहाराख्ये वास्तव्यो ऽह कुटुम्बिकः कालं तच ख्ितोऽनन्तं भवितव्यतया ay | खकमेपरिणणमाख्यराजादे गेन fata: एकाषपशटसस्वाने तथान्येषु रिष तथाविधेषु ety भान्तो दुःखेः प्रपूरितः अरन्ये दमनेनो क्रममन्तं AGATA: | way तेषु खानेषु मारितः fae भार्यया

तथाहि | | नण्दिवधेमरूपेण रिपुदारणसतौलथा वामदेवविधानेन faery ्रमितस्तया श्रतोतो ऽनन्तकाणख सवेवामन्तरान्तरा | हतान्यनन्तरूपाणि तथान्याजि खभार्यया इडिकारानयोगेन free विहितं तथा ` तदस्य चरितं खवं विर्द्धमिव भासते

तथाहि | पुरुषखेत्कथं तस्य fafa: कालमगन्तकम्‌ | fa वाजरामरो wa भविग्यत्येष aenc: तावत्कवालश्ितिषन्तः का - चेयं भवितव्यता कथं वा निजभार्यां पिं प्रतिकूललमागता का चेयं गुडिका नाम awatal यया शतः |

पचमः Wee: | <५ 9

एकोऽप्यनन्तरूपोऽय भवितव्यतया तया अन्यच्च | नगराश्यन्तरङ्ाणि AIT खजमास्तया | येऽमुना गदि तास्तेऽपि मया परिमिखिताः a तदिदं खम्रसद्धा शमिद्रजालाधिकं गणः 1 अस्य संसारिजोवस्य चरितं परतिभाति मे॥ द्यं मुखरागेण बुध्यमानेव खच्छते | साध्यौ प्रन्नाविशालेदं निःशेषं चरितं इदि अन्यच्च i ददं मे Qua: सवं निर्दिंष्टमनया पुरा अस्य संसारिजोवस्य sd प्रज्ञा विशालया a केवलं aga मम तदर्ततेऽधना | अकाण्डे एच्छतसखेत्य' संजायेत ममाश्चता तन्तावत्कथयत्येष तस्करो यदधिवकितम्‌ | रदं तु wafaerfa पञ्ादेनां रदःख्थिताम्‌ इदं fafae इदये भव्यपुरषस्तदा | वचः संसारिजोवस्य द्वष्णो माकणंयम्‌ खितः it सुखं संसारिओो वस्य पश्यन्तो fafatwar | खिताग्टहोतसङ्ेता सम्यगन्नातभावना सदागमस्त॒ भगवा ज्जिःग्ेषं aa चेष्टितम्‌ | afa संसारिजौवस्य ततो मौनेन संस्थितः खंषारिजोबेनोक्रं WIAA Nx Asal मिजभायेया | संजातहृपया vim: केगचिष्छुभकमेणा 108

Sys

wufafaranqg! aur

STAY नम्तव्यमधुना शोकविश्चुते |

आनन्दनगरे AY वस्तव्य VESTA aan 1

चटेवि रोचते तुभ्यं कत्य तम्या भ्रुवम्‌

ततः पुष्पोदयो za: तया मे मिदभितः

तयान्यः सागरो माम सहायो मे निरूपितः |

प्रस्तावोऽस्येति fanra भवितव्यतथा तया a उक्र TI

मूढतानन्दमो माम रागकेसरिणेऽक्गजः |

मयायं fafearsga aurea मनोहरः

aatse घडदितस्ताभ्यां aqranat प्रवतितः |

आनन्दनगरे wey ग्‌ डिकादागयोगतः इति ये प्राएमायामृतचौर्यरक्षा भवन्ति पापिष्टतथा agen: | इहेव जन्मन्यत्खानि तेषां भवन्ति दुःखानि विडम्बना तथा परजापि तेषु रक्ताः पतन्ति घंसारमडहासमुर | अननतदुःखोषचितेऽतिरौ दर तेषां ततखोत्षरणं Faery जेनेग्द्रादेता वः कथितमिदमशो ua: किंचिद प्रस्तावे भावसार शतविमलधियो गाढमध्यस्ध चिन्ताः | एतदिन्नाय भो भो मसुजगतिगता श्नाततत्वा मनुषाः स्तेयं मायां fear विरहयत ततो त्राणशा्पसुष्वेः

इत्यु पमितिभवप्रपश्चायां कथायां मायास्तेयघ्राणे- न्द्रियविपाकवशेनः पञ्चमः प्रस्तावः समाप्तः

अध षष्ठः As: |

अथास्ति खततानन्दमन्डिर टोषदूरगम्‌ | श्रागन्दनामक शोके वहिरङ्गं मदापुरम्‌ विलासोक्षासलावण्छलखिता लोचनेनेरा | Was भाव्यन्ते देवेभ्योऽमिशमूर्तयः ्षृष्टदृष्टयो नृणां मायां जिष्यन्दलो चनाः | यर खपादथनदशेरमराकारधारिताम्‌ Pincay as विभाव्यते ्राखण्डलधनुदंण्डखण्डमण्डितमम्बरम्‌ | परेभङ्घम्भनिर्भंद वधितोत्छादइसारसः | तजाक्राकलमरोपौठः केषरौ नाम अपतिः श्रनेकसुन्दरो हन्द मध्ये लम्भेपताकिका | देवौ कमणपजाकौ तस्यास्ति जयसुन्दरौ अथासि गगरे तज वहषभसस्य was: | भिःशरेषममराधारो वाणिजो ₹हरिगेखरः aa भेधायितं दामाद चिसष्येषु स्वेदा | सुडहत्कमखखण्डेषु सततं भास्करायितम्‌ तच्यासि इदयणछेष्टा लावश्ाग्डतङ्ुष्डिका | areal बन्धुमतो नाम भार्वावङुखसमावा # या रूपमिव पुश्य waren इव भियः |

उपमितिभवप्रपश्चा KUT

श्रावाख दव wee aang मन्दिरम्‌ अथाग्टहोतसते भवितब्थतथा तया | तदाद गडिकादानान्तस्याः gat प्रवेशितः ततः खप्रणकालेन भिजाभ्यां परिवारितः | मरकादिव fast थोभियन्लनिपौडितः ततो बन्धूमतो तुष्टा मुदितौ हरि शेखरः | संजात पुजजग्ेति कारितञ्च महोक्छवः maaan ताभ्वां दादशदडेऽतिलङ्िते | प्रतिष्ठितं मे नाम यथायं धनशरेखरः लातावपि मया साधं तौ पुश्छोदयसागरौ | श्रन्तरङ्गवयस्यौ मे जनकाभ्यां शक्तौ ततोऽहं डहितस्ताभ्वां वर्धमानः ge: किख | संप्राप्तो यौवनं भद्र मौनकेतनमन्दिरम्‌ अरय कंचिश्छमासाथ कलाचायं तदा मया | एकां waaet gar ग्टहोताः रुकलाः कलाः संपादिताः खवौयंण चिन्तकल्लो लकाख मे | तदानेन वयस्येन गरेण GT GE `

अरय ATW: पुनस्ते सागरवोर्योल्लासिताचित्तकल्ञोलाः सपा- fear:

घनम WIT धनमेव सुखाकरः | धनमेव WITS धनमेव TUfanq धनमेव Ny धनं तन्तत्वनयुष्तमम्‌ |

WS: Weg | Sqr

धनं fe परमात्मेति धने सवं प्रतिष्ठितम्‌ धनेम रद्ितो शोके पुरषः परमार्थतः | दषं भस्माए ae feet aia किशम धमादिश््रो धनादह्‌वा धनारेते महोभुजः |

अन्येभ्यो ऽभ्यधिका भाग्ति नान्यक्किचम कारणम्‌ एको दाता परोऽर्योति araa: सेवकोऽपरः | पुरुषत्वे समानेऽपि धनस्येदं विजम्भितम्‌ तद परमायोऽयं सव॑यन्नेन तद्धनम्‌ | aig मरेणो चैरन्यथा अगम निष्फलम्‌

एवं fea | कुशक्रमागत गरि यद्यप्यस्ति ग्ट धनम्‌ | aaa तया्यन्यदजयामि ततोऽधिकम्‌ कुतः सुखासिका तावश्नायेत मम मानसे | विशस प्रयो यावन्न दृष्टा रन्नराश्थः गला देशान्तर शता स्वकर्माणि श्वेधा | मयात्मभवनं काथं रजराग्िमपूरितम्‌ AMSA AAAS S RAAT: तदाग्टडोतखद्ते ATARATAY गतः

om मया | | तात मामनुजानोहि धनोपाजेनकाम्यथा गच्छाम्यहं विदेशेषु करोमि पुरुषक्रिथाम्‌

इरिगेखरेष्णोक्क

रधर उपमितिभवप्पश्चा कथा |

विद्ते विपुश aq कुखक्रमषमागतम्‌ | धमं ते दानसम्भोगविलासकरणएष्ठमम्‌ awed घनं ag नियु्नानो यथेच्छया | zz fae शक्रोऽसि ura fe रहितस्छलया ate या पूर्वपुरषेस्तात शरि शशो रुपाजिता | at शुश्चानस्य सत्पुसः कथं जपते मनः मातैव सगपानेन सा are: परिभुश्यते | शअवाप्रपौरुषाणां तु agit खष्ननोयकः मुष्यमाना घा तात कियत्काशं भविग्यति। बिन्दुभिः खयमाथाति समुद्रोऽपयलुपानेगः तन्मे MATTE तातो भंक्मरेति अत एव विसोढश्या तातेन विरहव्यया किं बकना | धावद्ुनवेगोचर्नोपात्ता रत्रराश्रयः | गत्वा देशान्तर तात ताके सुखाधिका तदछवंयापि गन्तव्ये मदौयमनसि fut कथं विघातस्तातैन गमनस्य विध्यताम्‌ ti ततो विज्ञाय निबन्धं तादशं इरिगेखरः | मामुवाच तथा भद्र खेर तमानसः यदेष नियो ag ख्ितस्ते मनषि fer afaufe निभाकूतं पूर्यतां ते मनोरथः #

WE! प्रखावः। ` २१.

केवलं वस सुखलाकितसख्छमसि ecw: neat) Tat Var | विषमा मागाः gfeewqear ओोकाः seamen: कामिन्यः ऋयांसो दुजेनाः facefacen: सष्णनाः प्रयोगचतुरा धृताः मायाविनो वाणिजकाः दुष्यरिपाखं भाष्डजात विकारकारि मवयौवमं दुरधिगमा: का्थंगतथः wig: aren: श्रनपराधक्रद्धाञ्चौरचरटादयः | aga भवता क्षचित्यण्डितेन कचि्छूखंफ कचिद्‌ चिरेन कचिन्निष्टरेण शचिदयाशना कचिज्ि- व्कुपेण कचित्सुभटेन क्चित्कातरेण कचित्यामिना कचित्कुपणेन कचिदकटत्तिना कचिदिदग्धेन सवया परेरखन्धमध्यागाधदुग्धनो- रधिधौरगम्भौरधिषणेन भवितव्यं मयथोक्क' तात महा प्रसादः। खम्यगनुशिष्टोऽस्मि तातेन waa तातो मे बद्धिपौरुषमा- हाक्यं तथाहि सत्वमाज्रधनो गला रूपकेण विवजितः | आगच्छेयं छृतार्योऽहं यदि तात पुममेदम्‌ ततः धनशरेखरमामाहं तव GAA संश्रयः | न्यया aq एवासि दातव्यो मे जलाञ्जलिः यतः | MUTNwWIAearaay धनसाधनौम्‌ | प्रा्याजेयति यौषापि धं fag युवा नरः मम त्वेष विशेषः areradizfeatsta यत्‌ पूरयामि गह तात Sara रन्ररागरिमिः॥

<¶8 उपमितिमवप्रपच्ा क्षया |

एवं ग्रवाण्ातस्य वन्दिला चरष्दयम्‌ | नला चाम्ना सतल्ञेहजाताशुतदु दिंनाम्‌ # कता्धेस्फालको गेषशाजनिगंतः कतनिखयः | साधेमन्तरमिजाग्वां ततोऽहं Katee: ततः पौरषमवलम््य खापिता ean इर गरेखरोश बन्धुमतो | अभिहितमनेन प्रियतमे मा र्दिडहि हषेष्यानमेतत्‌ ante! था arwefafirgmarerd टेवतत्परम्‌ | निर्वो जनयेत्युजं सा fe रोदितुमरेति # लया तु जनितो घौरः सुतोऽय जुलग्डषणः | निर््याजसाहसस्तस्माश्ञास्ति रोदनमकारणम्‌ श्रयं गूनं शणोऽस्मा कं व्यवसायपरायणः | यदेष quant जातस्ततो ge विषादिताम्‌ दति इतश्च निगेतोऽहं नगराद्न्तु' went चिणथसु- द्रषेाकूलाभिमुखं | प्राप्तश्च क्रमेणोदधितटाभ्वणेवतिमि जयपुरे | favat बहिष्कानने तज तु विन्तितु vam कथ विलसक्षोलकल्लो लमालं किं मकराकरम्‌ - arte Aas रदौ पे धनाकरे fa at रणे विभिभिंद्य दटादौश्वरमण्डलम्‌ | amet सखो करोम्यस्या दुष्टो हि खथंग्रहः किंवा पाटितदोदंष्डखण्डे रधिरपिच्छिरः | ufeat तपेयिललोखेस्यष्टां तां wade fa ar राजि fea शेषव्यापाररश्ितः खयम्‌ |

Wyiya Kusumiijali Prakarapa (Text) Vol. I, Fasc. ) 1-8 @ /6/ each aes oss vee

Padumawati, Faso. 1-4 @ 2/ ००४

Parigigta Parvan, (‘Text) Fasc. -5 /6/ each ,,,

Prakrijta-Paingalam, Faso. 1-7 @ /6/ 6611 ose ००७ Prithiviraj Risa, (Text) Part If, Fase. | 5 @ /8/ eavh ea Ditto (English) Part 11, Fasc. 1 aes .

Prakyta Laksanam, (Text) Fasc. 1... es ses Paracara Smrti, (Text) Vol. I, Fasc. 1-8 Vol. II, Paso. 1-6; Vol. 1 Fasc. 1-6 @ /6/ each ... si ate ~ eee ae Paracara, Institutes of (English: ... ००७ nee ee Prabandhacintamani (English) Fasc. 1-8 @ /12] each dai see ०8६८९ Vaéda Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 6-10; IJ, 1-6; 111, 17;

‘IV,1-6; ए, 1-8, @ /6/ each Fasc. ii = se A Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Faso. 1-4 @ /6/ each ae

` _ Ditto- (English) Fasc. 1-8 @ 118| 800 ... sae ra Sraddba Kriya Kaumuadi, Faso 1-6 ... oo a ee Snoruta Sarnhité, (Eng.) Fasc. 1 @ /12f ४.

87९४1 Kaumudi, Fasc. 1-4 Shaddarsana-Samucchchaya, Fasc. 1, *Taittereya Sarbhita, (Text) Fasc. 22-45 @ /6/ a Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each say aes Trantra Vartika (English) Faso. 1-4 @ /12/ = _ ..* sis : *Tattva Cintimani, (Text) Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. 11, Faso. 2-10, | Vol. III, Fasc. 1-2, Vol. IV, Faso. 1, Vol. V, Fase. 1-5, Part IV, Vol. II,

ao @ += © 83 tw =“ bo | [| 89 © @ 08 © eS ”’

Fasc. 1-12 @ /6/ each es ee + 14 4 -Tattvarthadhigama Satrom, Fasc. 1-8 de ४६ wo { 2 Trikinda-Mandanam, (Text) Faso. 1-8 @ /6/ =... at ६. | 2 Tal’si Satsai (Text) Faso. 1-5 @ /6/ 8 bag te 1. 10 Upamita-bhava-prapafica-katha (Text) Faso. 1-8 @ /6/ exch . 8 O Uvasagadasao, (Text and English) Faao. 1-6 @ /32/ a a 4 8 Vallala Carita, Faso. 1 ws ००९ ०० 0 6 Varea Krya Kaumudi, १82. 1-6 @ /6/ ` | ~ - ~ 2 4 ®Vayn Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. {I, Basco. 1-7, @ /6/ eacao 4 8 Vidhano Parigata, Fasc. 1-7 coe eee ooo ००५ 2 10 Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each ... a . 10 Vrhat Svayambhi Purina, Faec.1-6 = ` oa ४४ ae -2 4 : “betan Series. Pag-Sam Thi 8719, Fasc. 1-4 @ 1/ each eas 9७४ ०७४ 4 0 Sher-Phyin, Vol. I, Faso. 1-5; Vol. II, Fasc. 1-3; Vol. 111, Faso. 1-6 ` @ 1/ each ... es Ses ste . 14 0 Rtogs brjod dpag hkhri 87 (Tib. & Sans.) Vol. I, Faso. 1-5; Vol. If. Fasc. 1-5 @ ] each oe ees ७७४ eee eve 10 0 ‘Arabic and Persian Sertes. ‘Alamgirnamah, with Index, (Text) Faso. 1-13 @ /6/ each... , $ 14 Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Faso. 1-8 @ /12/ es aw 2 4 Kin-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each = = ,*, vat vee 22 C Ditto (English) Vol. I, Faso. 1-7, Vol. 11, Faso. 1-5, Vol. LII, Fasc. 1-5, @ 1/12/ each eee eee eee eee 29 12 Akbarnamah, with Index, (Text) Faso. 1-87 @ 1/ 6800 ... „87 0 Ditto English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. If, Fasc. 1-2 @ljeach 10 09 Arabio Bibliography, by Dr. A. Sprenger as vege . 4 6 Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ... ५. 1 2 Qatalogue of Arabic Books and Manuscripts 1-2 ०० we 2 0 Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each eas w 3 0 Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 | 1/ ७९०० =... ais as (४ ss wv ४1 0 Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each <2 . 14 9 Fihrist-i-‘Sasi, or, 1288 list of Shy’ah Books, (Text) Fasc. 1-4 @ ।12/ ` eacn eee ५०७ eae ००४ eee oes 3 U ` Futin-ush-Sham of Waqidi, (Text: Fasc. 1-9 @ /6/ each ... w 38 6 Ditto of Azadi, (‘Text) Fasc. 1-4 @ /6/ ०960 =... oe ae Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. 1 ` 0 12 History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ /12/ 6४0 ... a 4 8 iqbalnamab-i-Jahangiri, (Text) Faso. 1-3 @ /6/ each _ = ,,, eu, 2 Isabah, with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/ each =, .** we 38 4 Maasir-ul-Gmara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. 111, 1-10; Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Faac. 10-12 ; Index. to Vol. ILI, Fasc. 11-12@ /6/ each raat ,० 18 2 Maghazi of Waqidi, (Text) Fasc..1-5 @ /6/ each se wv 1 14

® The other Fasciouli of these works are out of stock, and complete copies cannot ‘be supplied. :

3.

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Memoirs Vol. I, No. 1, 4, 5, @ 1/8 to non-members and to members ... Ditto No 2 @ 1/ Ditto Ditto eee Ditto No. 8 @ 2/ Ditto Ditto oi 5. Centenary Review of the Researches'of the Society from 1784-1888 ... A sketch of the Turki language as spoken in Hastern ‘Turkistan, by

R. 8. Shaw (Extra No., J.4.8.B., 1878) Theobald’s Catalogue of Reptiles in th Museum ofthe Asiatic Society

(Extra No., J.A.8.B., 1868)

Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by ए. Blyth (Extra No., J.A.8.B., 1875) ५०४ ५१६ ave

6. Anis-ul-Musharrabin see see ae ५११ eee

7. Catalogue of Fossil Vertebrata ¢ वन ae

8. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal ...

9. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols. II and IV, @ 16/ each... 3 10, Jawamla-l-’ilm ir-riyazi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part I Aw 11, Khizanatu-l-’ilm ee te ve, 4 12. Mahabharata, Vols. II] and IV, @ 20/each = 40 18. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera, _

Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each ५७३ wn 38 14. Sharaya-ool-Islam 4१५ ona ws & 15. Tibetan Dictionary, by Csoma de 15158 on १६५ > . wad 16. Ditto Grammar ans ain ae 17. Kagmiragabdarmrta, Parts I and 11 @ 1/8/ ; 3 18. A descriptive catalogue of the paintings, statues, &c.,in the rooms of the Asiatic Society of Bengal, by C. R. Wilson 1 19. Memoir on maps illustrating the Ancient Geography of Kaésmir, by ` M. A. Stein, Ph.D., 41. Uxtra No, 2 of 1899 ... +b 20. Persian Translation of Haji Baba of Ispahan, by Haji Shaikh Ahmad-i-Kirmasi, and edited with notes by Major D, O. Phillott Notices of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-29 @ 1/ each =... 14. Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. R. L. Mitra ०५५

N.B,—All Cheques, Money Orders, &c., must be made payable to the | Asiatic Society,” only a

_vu-t-Tawarikh (Text) Faso. 1-15 @/6 each ... Ka. «xhabu-t-Tawarikh, (English) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. 11, Faso.

and 8 Indexes; Vol. III, Fasc. 1 @ /12/ each See ५७० stakhabu-l-Lubab, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each vi ९०७ ‘asir-i-’Alamgiri, (Text); Fasc. 1-6 @ /6/ each ie ive

ukhbatu-l-Fikr (Text) Fase 1 or vee Nizimi’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Text) Fasc. 1-2 @ /12/ each Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ... ee oa Ditto Ditto (English) Faso. 1-5 ५१ ~. 8०९१8 ४.1- वि दक (English) Fasc. 1-14 @ /12/ each ine Ditto Index ६५

Yarikb-i-Firiz Shahi of Ziyau-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ | 6४५७५१५... Tarikh-i-Firizshahi, of Shams-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each... Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each

Wis o Ramin, (Text) F 1-5 @ /6/ each ou van Zafarniamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. 11, Fasc. 1-8 @ /6/ each 9 Tuzuk-i-Jahangiri (Eng.) Faso. 1 = ,,. 4०७ ae

ASIATIC SOCIETY’S PUBLICATIONS, AsiaTic ReseaARcHES. Vols. XIX and XX @10/each ..,

. Procerpines of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (incl.) @ /6/ per

No.; and from 1870 to date @ /8/ per No

JouRNAL of the Asiatic Society for 1848 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846 (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 (8) 1871 (7), 1872 (8), 1873 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 8), 1879 (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1888 (5), 1884 (6), 1886 (6, 1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), 1898 (11), 1894 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1908 (8), 1904 (16) @ 1/8 per No. to Members and @ 2/per No. to Non-Members,

N.B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. in each Volume, Journal and Proceedings, N.S., Vol. I, Nos. 1-10, 1905, @ 1-8 per No. to

members and Rs, 2 per No. to non-members

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PUBLISHED BY THK | ^ ASIATIC SOCIETY OF BENGAL, ` ९८ New 8 रा 28, No, 1153. A

उपमितिभवप्रपच्चा कथा |

सिद्ध षिप्रण्णैता | प्ण UPAMITIBHAVAPRAPANCA KATHA SIDDHARSI.

SIRWILLAMJONES

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ORIGINALLY EDITED BY THE LATE PETER PETERSON, M.A., AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn, FASCICULUS X,

CALCUTTA: PRIN'ED AT THE BAPTIST MISSION PRESS,

AND PUBLISHED BY THE ASIATIC SocIETY, 57, PARK STREET. Digitized by kas 4

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LIST OF BOOKS FOR SALE

AT THE LIBRARY OF THE =

ASIATIC OCIETY OF PENGAL,

No. 57, PARK STREET, CALCUTTA, | | AND OBTAINABLE FROM | THE SOOINTY’S AGENTS, Mz. BERNARD QUARITOH, 15, Piccapiniy; Lonpon, W., anp Mr. 0110 Harrassowitz, Booxsetter, Leiezic, Germany.

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BIBLIOTHECA INDICA.

Sanskrit Series. <

*Advaita Brahma Siddhi, (‘Text) Fasc. 2, 4 @/6/ each... Rs. 0 12 Advaitachinta Kaustablia, Faso, 1-2 abe ००७ १०.00, ` -9ड ae *Agni Purana, (Text) Fase. 4- 2 4 @ /6/ each . 4 2 Aitaréya Brahmana, Vol. 1; Fasc. 1-5 and Vol. II, Faso. 1-5; Vol. III

Faso. 1-5, Vol. 1V, Fasc. 1-8 @ /6 “a se 0 8. 20 Aphorisms of Sandilya, ४1118} ) Fasc. 1 +$ 9 29 | Astasahasrika Prajiiaparamita, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each 3 4 Aovavaidyaka, (‘'ext) Fasc. 1-6 @ /6/ each ©. 1 14 *Avadana Kalpalata, (Sans, and Tibetan) Vol. I, Faso. 1-5; Vol. Il. Faso |

1-5 @ 1/ each sed ~ 20 . ---9 ति A Lower Ladakhi version of Kesarsaga, Fasc. 1-2 - ००७ os 0 Bala Bhatti, Vol. I, Fasc, 1-2 १५९ ». 0 12 Baudhayana Srauta Sitra, Fasc. 1-3 @ /6/ each ०९७ ०० Les | Bhatta Dipika Vol. I, Fasc, 1-5 > ००९ ५९३ ककि | Brhaddévata (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each ons see 8 Brhaddharma Purana, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each ७७७ भ. 4 Bodhicaryavatara of Cantideva, Fasc. 1-4 ses ०७७ = 8 Qatadigani, 7880. 1-2 .. | oes ०० 0 - 1 = Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Fasc. 1-4 @ 2/ each 8 0 Qatapatha Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Faso, 1-3, Vol. III

Faso. 1-7 6 6 Qataséhasriki-prajnaparamita (16४६) Part I, Faso, 1-12 @ /6/ each... 4 8 | *Caturvarga Chintamani “Text) Vols. 11, 1-25; III. Part I, Faso, 1-18 |

Part II, Fasc. 1-10; Vol IV, Fasc. 1-5 @ /6/ each inn w 21 12 Olokavartika, (English) Fase. 1-5 @ /12/ each we 8 12 < *Qranuta Siitra of (Text) Fasc. 6-17 @ /6/ each 4 8

~Ditto Qankhayana, (Text) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. II, Fasc -4; Vol. III, Fasc. 1-4 @ /6/ each; Vol 4, Faso. 1 १३२ „+ 6 0

Ori Bhashyam, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each ,,, ites > 3 2 Dan Kriyé Kaumndi, Faso. 1-2... "ग 0 12 | Gadadhara Paddhati Kilasara, Vol I, Fasc. 1-7 ०७४ कः> er |,

Ditto Acirasira, Vol. II, Faso. 1-2 .., ००९ oe -90-90 ~ Kala Viveka, Fasc. 1-7 न्क abs ~~ ॐ; 49 Katantra, (Text) Fasc. 1-6 @ /12/ each ae नि 4 8 Katha Sarit Sagara, (English) Fase. 1-14 @ /12/ each rr ,*„ 10 8 Kirma Purana, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each... “9 « 6 | Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ Val each Tae ०००. 4 | Madana 2९१1] ६५९, (Text) Fasc, 1-11 @ /6/ each 4 2 Mahi-bhasya-pradipodyota, (Text) Vol. I, Fasc, 1-9 & Vol. II, Faso

-12 Vol. III, Fasc. i-4 @ /6/ each = zs ac Oe Oe Manutika Bag a, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each ase we il Markandeya Purana, (English) Fasc. 1-9 @ /12 each in on 8 AAR *Mimamea Dargana, (Text) Fasc. 7-19 @ /6/ each ops w # 19 Nyayavartika, (Text) Fasc. 1-6 @ / <a ४७६ ००० 9 *Nirukta, (Text) Vol. LV, Fasc. 1-5 @ /6/ each eve ee | 0 Nityacirapaddhati, Fasc. 1-7 (Text) @ /6/ =, ५०७ wwe 2 a Nityacirapradipa, Faso 7 wee see eee oo 2 10 *

Nyayabindutika, (Text) * ee ef eee 0

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षष्टः प्रस्तावः | =e

anfa रोण यावत्पाताखतलमुश्चकेः

रहो गिरिदरौं गला one रसकूपिकाम्‌ |

धातुवादबलेनेव दधे QW ययेच्छया

एवं विविधकक्लोकेधनो पाजेनकाम्यथा

भिन्रसागरवोर्थए हतोऽहं बहश सदा

श्रबान्तरे खचिन्तस्य दृष्टिस्तरणतारिका `

भुरःश्थिते गता az मम किंएकषादपे

धावद्धिनिर्गतसच्य शाखाया वौकितो मथा |

भ्रारोहो खमिसंप्राप्तः antares रुतविद्छथः

तं किएकपादपप्रारोदमवल्ोक्य सतो मयाभिनवशिखितः

खखन्यवाद्‌ः। चिन्तितं च। मुनमद्यन किं चिद्धनजातं यतोऽभिरितं Baars |

नाख्येव चौरटचस्य प्ररोहो धमवजितः

स्लोकवा aft वा तच भुवं विश्वपलाश्रयोः

प्ररोह wit तत्‌ स्थले ततुके स्तोकमुश्यते

राजौ ज्वलति agit etufe खण्पमौ रितम्‌

fag तज भवेद्रक थदि रत्नानि weaz |

श्रय चोरं ततो शूष्यं पोतं चेत्‌ कमकं भवेत्‌ `

प्रारोहः स्यादुपथक्ेयेग्धाचेऽधोऽपि तावति |

अदेशे fated qa विद्यते तज्िधामकम्‌

उपरिष्टा्नुखेद्यादधस्तात्‌ wet यदि

भारोषहोऽसौ निधि प्राप्नो विपरौतश्च सोऽन्यथा

109

Upawitibbavaprapafica Katha. Vol. I. Fasc. इ, N.S. No. 1140,

<q उपमितिभवप्रपच्चा NUT |

ततो निरूपितोऽसौ मया warrant यावन्न लुकः तज चिन्तितं मथा। शोकम द्रविणं, ततो anager विद्धोऽसौ मथा धावजनिगेतं Tage सौरं ततः खितं मम मानसर यथा aaa भवितव्यं ततः पररितोऽहं सागरो तस्योत्‌ खननायं ततो नमो धरणेश्राय नमो धनदाय नमो धनपालायेति wea पठता खातः प्रदेशो मया | दृष्टं दौनारण्डतं ताबभाजनं इष्टः BAT: | परिगणित प्रयतनेन धावत्छदख्माजं तञ्च मे तेन पुष्यादथेन निजदीर्येण संपादितं ममतु तदा महामो इवश्राल्छंजातः सागरे पच्पातो ममेदमनेन जनितमिति भावनया | ततः संपन्नं मे तावद्धाष्डमृष्मिति तुष्टोऽहं Saar | विष्टो जयपुरऽवतीर्णो हमारे eet ageafear चोदितोऽसौ मत्‌ पुश्योदयेन समागतो मम BAT रतं सम्भाषण संजाता प्रौ तिः प्रसारिताः खेशतन्तवः Tate खभवने समादिष्टा भायां मोगिनौ gwenfatana ततः कारितोऽडइं went परिधापितो कोमणदुकूणयगल्लं निवेशितो वर विष्टरं भोजितो मनोहारि भोजनं ay sifear afer: रमि ange षष्टः सप्रणयं कुलाभिधानमादिकं थथावश्धितमेव निवेदितं ea मथा | ततः Hea Waa alata रूपेण सवंयायश्चुचितो महुदितुभे- तेति सचिन अमुपस्ापिता मेऽपकणितिमकरकेतगवधूरूपविभवा कमखिनो माम कन्यका प्रभञ्ुह्तिं याहितोऽहं पाणिमस्याः | ततोऽभिहितोऽहं ageafear ae खभवनमिदं ते ततो sa faxfaat agar ay शखमानस्तिष्ठेति मयोक्तं तात

WE: परावः | ८६७

यावज्िजभुजाभ्यां भो माजिता रन्नराश्यः |

ताव्स्वांमडं मन्ये भोगसौ शां विडम्बनाम्‌

AANA दातव्यो ममादेशोऽयमोदूशः |

WATTS सुखार्येम रब्रदोपं त्रजाम्यहम्‌ Sfeatw यद्येवं ततः

श्रं ते वत दुरष्यसागरोत्तर एेच्छया

मदौयधनमादाय BAIA धनाजेनम्‌

मयोक्र तात यद्येष ते fatal यदुत गन्तव्यमन्यच मवा

ततः

WTS Aaa Zefa तावकम्‌ | एयग्‌ गदे स्थितस्तेन Tse एयगापणे

THEVA एवं कुर्‌ ततः प्रारगोऽहं वाणिष्यं विधातुं | तेन सागरेण प्रियमिजे् प्रतिचण प्रर्माण््य मे विवर्धन्ते मगोरयकल्लोखाः विमलति धमेबुद्धिः अपसरति carga गन्ति सरखजता प्रभवति धने तत्वबुद्धिः विघटते दारचिष्ं प्रलोयते बन्तोषोऽपोति ततः संग्हामि धान्यानि भाष्डशाखयामि कार्पाखतेश्ञ दिकं winctfa शां व्यवहरामि दशिकथा पौडयाभि जन्तुसंसक्षतिखान्‌ दाषवा्वङ्गारान्‌ ेदथामि वनं Tena) सुष्यामि मुग्धजनं वद्चयामि विश्रथ- कायकं | करोम्यूनाधिकं मानोग्मानेन विनिमयं ae

पिवामि उषान्तौऽपि भुञ्जे qyfaa: | राजावपि सुप्तोऽहं धनोपाजेनलोशुपः

cis उपमितिभवपपघ्ा KUT t

नेव अङ्गायितं तस्याः anafera: afwrar azarae fea धनाघुरितिचेतसा तत तावता ARIMA कालेन कमलेक्षणे | तहौनारषडसं मे साधं वधेयतः स्थितम्‌ ततः ASAT A वाञ्छा सश्सदयमोखने | तजापि जाते जातोऽहं दौनारायुतल्लालघः it कयं चिन्लतश्च wt ततो wa मतिगता | नानोपाये्मया भद्रं शतं तस्यापि मोणनम्‌ ततोऽपि लचदश्के. सागरप्रेरितस्य मे | बुद्धिर्धावति कालेन weet तच मोलितम्‌ ततः सागरो we: कोटोमौलनकाम्बया | eereafa मां भद्रे नियुश्ानः खणे खणे at पूर्वोक्रवारिश्येने कथं चित््पू्येते | ततः WAT बहपायास्तस्याः पूरणकाम्यया तद्यथा प्रवर्तिता Sate इरद्न््ोसार्थाः | प्रश्यापिता मदो द्मण्डलिकाः | प्रेषितान्यनेकबो हित्यानि प्रवाहितानि रास- भमण्डलानि। निरूपिता भामदवाणिजिकाः। zeta राजङ्लद- men: | कारितानि षष्डपोषणानि। विहिता धनोपाजनगणि- | काः षमाभिता हेयटतदृन्तिका विधापितो रससन्धामविक्रयः . कापिता वरकरिदशग्रनाः। वापिता विविधकृषिषष्कताः प्रकौ- णानि महेचुकरणानि स्वेथा

aS: TST |

नालति प्रायेण तक्षोके धभोपाजेनसाधनम्‌ | Qu हतं भद्रे सागरब्येच्छया मया नास्ति मे पातकाश्डा तदा HATA | GSE वा तोषस्तस्यान्ञावश्वतिंमः अ्रथानेकमशापापेमेया कालेन WAT | quigee arama कोटिः परिपूरिता a ततः सागरो Wa प्रटन्तोत्छाहसाहसः | अवाप्तप्रसरो नित्यं प्रेरयत्येव मामजम्‌

कथं यथेदं मत्मसादेन संपन्नं fags धनम्‌ | तथोत्छाहेन ते रब्नकोटयोऽपि Tea: ततः शंपादिता तेन बुद्धिः सागरे | मम cater देवेरप्यनिवर्तिका

ततः कथितो apersaifea मया निजोऽमिप्रायः तेनाभि-

हितं | a)

यया थयायं पुरुषः पूर्यते रिभिर्धनैः | तथा तथास्य शरवो विवधेन्ते मनोरथाः नेव ते विनिवर्तन्ते cantfenacte | को fe वेश्वागरं दौप्तमिन्धनेस्तपे चिव्यति mete: परं भ्रेयाश्नाजितं विपुलं धमम्‌ | इदमेव नियज्चानसिष्टाचेव निराकुलः

aan | तात मा aa az यतः।

THe उपमितिभवप्पष्चा कथा |

यावश्नरो निरारम्भस्तावल्ल््ोः Weyer | awa तु नरे wat: खिग्धलोल विशो चना आश्िष्टमपि quar at साहसवजितम्‌ | कुलटेव fazaren weld दुभेगं नरम्‌ निर्माय ara योऽन्य दन्तधौस्तं निरते | कमला कुलबालेव afer waar प्रियम्‌ i विषमखोऽपि यो धौरो धनोष्छाष सुदति | AGUAS पतव्युचैसतस्य Tt: BAIT यो बघ्नाति पिया धोरो विक्रमेण aaa «| पद्मा प्रतोचते तं भो यथया प्रोषितभ्ेका ag स्तोकां warery wat तुति मामवः | तं तुच्छप्रकृति मत्वा सा ल्छरौर्मामिवर्धते देवं Wye: पद्मां यो नरो नेव Tea सिद्धोऽपि wane प्रमाबन्ध्िरं तथा तस्मान्न तोषः कतेव्यो विदुषा wage श्रतस्तातोऽनुजामातु रनदोपे गमं मम afedtm ag पाताले मेरग्रिखर रनदौपे wesfe gala भवेत्‌ पुषः सोश्चमस्तेतरस्स तथापि यदि निबन्धस्तवायमतुलस्ततः | WANA AMA गम्यतां ay रोचते Hah | ताव महाप्रसादः। ततो गह्यन्ते भाण्डानि डउप-

षष्टः प्रस्तावः | ८७१

wan निर्यामकाः गच्छते गमनदिनं विषायते anufe: निरूपन्ते निमित्तानि किथन्तेऽवश्चतयः संखयेन्तेऽभोष्टदेवताः yet शमुद्रदेवः सष्नौक्रियन्ते सितपटाः ऊर्ध्पोक्रियन्ते कूष- RII: TH काष्ठसञ्चयः faa जखछभाजमानि wad भाष्डोपखछरः विधौयते रणषामयो Men तद्ोपगामिनः सांयाजिका इति संपूण स्वसामच्या सममन्येमेदाधनेः | ख्वितोऽं गमने cert हित्वा भायां पितुग्टेडे अय प्राप्ते WH काले शतनमिःगओेषमङ्गलः | args समारूढो faweat परिवारितः weg यानपाचेषु प्रहतानि राणि प्रवादिताः wy: प्रगोतानि मङ्गलानि पठन्ति पटुबटवः श्राशिषं ददतो भवतन्त Ten: देन्यमवलम्बन्ते सुक्रप्रियतमाः yefavat मिजलोकः मनोरयप्रवणाः wera इति | एवं पूरयिता यिसषगतं शला काणलमरहोत्छवम्‌ | असुकूले शसद्वाते Basta चलिता वयम्‌ ततः पूरिताः सितपटाः। eferat नक्रा | चशितासावन्यकाः। दन्तावधानाः कणेधाराः | पतितामि वतन्यां यानपाभाणि। seat मनोभिमतः पवमः | aay AAA TATA SAT TT STA AS HAST TT aa स्तथाद्‌ःषमूहेम संबन्धफेनेन निनेष्टकूमण aia गन्तं प्रटत्तानिं तानि प्रथतामि बोदित्रूपाणि विष्तौणेदोघं mid समुदधेऽज

SSR उपमितिभवप्रपश्चा SUT |

शरिप्रकारेण suas azarae awelyge: प्रयातानि तानि प्रमोदेन gufafe ti

ततः agaret वाणिजकाः zeta दशगोयं। दृष्टो मर- पतिः विडितोऽनेन प्रसादः वर्तितं seni परिकलितं भाण्डं दन्ता wae: | विक्रौतं खद्च्या weld प्रतिभाण्डं। वितोणं arti प्रतिजिटन्ताः खकूलाभिसुखं गेषवाणिजिकाः Vasey सागरेण | उकं चानेम | वयस्य |

निम्बपचादिभियेब waa TATE: | fage तदिदं दपं fa afewa गम्यते

लतः featse विधायापणं arc रन्नरयहणवाणिव्यं

अन्यदा समागतैका sea aafafed : वत अस्ति भवता ay fafeame | मयोक्र वदतु भवतो wate 1 अस्लानन्दपुरे केषरो माम राजा। तस दे भां जयसुन्दरो कमलपुन्दरो राञच्यसुखलोशतया जाताश्नाताल्िज- सुतास्मारयति 1 अतः सा कमशसुन्दरो शंजातगर्भापल्यस्ञेहमोडिता मां सदर atten राजन पलायिता पतिता महार्यां | sam afta: | संजातो राजिगशेषः। श्रषान्तरे तस्यामे wit fared नितम्बविम्बं स्फुरितं स्वेदनं माभिमष्डलशं प्रहत्नानि दारुणानि उदरश्ूलानि स्तम्मितमूरूयगशं विद्लन्ति चाङ्गानि समुदलितं इदयेन मुकुकिते eter sew जम्भिका | ततोऽभिहितमनया | सखि वमति matey गन्तु मतौ से शरोरबाधा वतेते मया चिन्तितं हा इन्त किमेतत्‌ ततो

षष्टः Terra: | <OR

शकितं मथा अथे प्रल्यासश्ोऽख्थाः परखवसमथः ततो भौरा भवेति वदना एव मम ङुरवंत्यासत्काशओोचितं कमं बेदनाविडला xiewe पतिता aft ane तक्िखेतखेतख war weurfa कूजितु rear निगच्छति योनिद्धारेण दारके Faget प्राणः निगेतो दारकः ततोऽहं मन्दभागा तं तादृ इन्ताम्तमुपलग्य agqreaa भोतेव fawea avedaa मृदिव स्तेव य्टहोतेव सववा eau भाने कि करोमि केवलं faufaa प्रहन्ता कथं

डा देवि देहिमे are किं जश्पसि सुपिवे।

“mae तनयो दिव्यः पष्येमं शाद्खोचने

यस्यायं सन्दर Wey भर्तारमतिवष्छलम्‌ |

feat कचित्‌ प्रट्तासि wed तं सुपुषकम्‌

हाडा waa दैवेन गाढैश्खकारिणा।

येन श्पादितो ae: सखामिनौ निपातिता.

डा शा वत्स EM ते यक्ते रणतत्परा |

मातातिवत्था साध्यौ जायमानेन घातिता

faa पुचसौख्यानि प्राते awadar `

यावदोदृकखखं मादुसलया ae विनिर्मितम्‌

एवं wea एव मे विभावा रजनौ समुद्भतो . दिनकरः |

खमागतस्तेन पथा ATG: दृष्टां प्रलपन्ती weary der- पितानेन vet warn: | कथितो मया विजजितोऽसौ शष्ट

मथा यातव्यं भवता | Ate Ferme प्राण . बोरित्वेन 110

see उपमितिभवप्पश्चा कथया |

Tas वाद्धामि मया चिन्तितं श्रतो मयास्ति रब्रदोपे कमजसुन्दर्याः VT गोखकष्टो राला तदेनं दारक भाभि- नेयमनेनेव सुसान गत्वा तस्मे मातुखाव समर्पयामि | ततः कमामतादं तेन Tea साथेवाद्ेन साधेमिमं TG | दारकखहेग प्रतं मे qagqre वर्धितोऽषौ मदौयस्तन्येन दर्ितो गोखकण्टाय | कथिता कमलसुन्दरोवार्ता। जातो tense विषादगर्भो इषेः प्रतिष्ठितं दारकस्य हरिरिति नाम aft a) वर्धमानः कमेणाखौ जो वितादपि awa: | भागिनेयोऽख संपन्नो नोणलकण्डस्य शपतेः ततो याहितः कलाकलापं संप्राप्तो यौवनं संजातः सुरकुमारा- कारधारक इति कचितञ्चासख मया पूवको Sar: | श्रुतश्च तेन भवाम्‌ यदानन्दपुरादागत दति ततो दरिङ्ुमारो भवनं खदे रजं मला द्रष्मभिखषति | ततसस्षमोपं गन्तुमर्हति वन्धः मयोक्र यङदान्नापयत्यम्ना ततः षड तया वसुमत्या गतोऽहं इरिङ्खमारषमोप | दष्टो भिषटन्दमध्यगतो इरिङ्मारः | विहितो मया पादप्रणमः | निवेदितोऽहमस्मे वसुमत्या ततः agua लुष्टा्मा भौ तिविस्फारितेच्चणः माढमाक्चिष्य मां खौये खापयत्धधविष्टरे छक्र चानेन भद्र अम्बया कथितस्तात वयस्यो हरि शेखरः | मया तस्य सूनुस विज्ञातो जमवातेया ततो भ्रातासि मे भद्र शरौरं जोवितं तथा

WS: WRT: | Ou

संपन्नं सुन्दर चेदं यदजागमनं तव मयोक्र

देव amt मथा सर्वां caret: कथितोऽम्नया

Met व्यजने देवः कतुमर्ेति

यथानुजोवो तातो मे तच केसरिण्डपतेः |

तथाहमपि देवस्य faect नाच संश्रयः

ततो गाढतरं तुष्टः अला AMAR वचः |

हरिः कारयल्यशेर्मिंजागममशोत्छवम्‌

ततो eftgarcy साधे मिभषमायुजा |

खखमानस्य मे तज शौशया यान्ति वासराः अन्यदा मकथोहोपो वनराजिविग्डिषशः |

प्रमोदडेतुजेन्तृभां वन्तः समुपागतः

ततो ₹हरिङ्मारोऽखौ ग्टहोता मिबमण्डलम्‌ |

ब्॑वमोति मया युक्तो fege: array

श्रथ चूतवनं प्राय प्रकरूजत्कखको किलम्‌

सदितो भिचटन्देन fafacers शौ शया

यावच्जराविशोषङ्गौ रौद्राकारविधारिषणौ

आशोर्वादं gater अतिनौ काविदागता

श्रय प्रणामषन्भाषैः कुमारेणाभिनन्दिता |

सा दशयति सामन्दं चिचविन्यस्तकन्यकां #

at चार्पयिला सा प्रौढा माढदर्चितविक्निया |

करुमारभावं wet सखिता fafaargar

cog wafafararrg कथः |

ततः garcatfer अविकार विशोक a |

्रलामोत्य मिधायोखेः stwaa विनिगेता

कुमारोऽपि तां पश्लन्नशरौरप्ररोरितः |

विकारकातरः waaaeqrefen:

चतः |

WE BETH GG ay: प्रकम्पनम्‌

eG स्डोरिकादामं कणमग्यक्रभाषणम्‌

चण दोचौष्यनिः शास थं ACY |

ququfaurat at वौच्छ get इरिः

BY सोरमुखोऽत्यन्तं विस्फारयति लोचने |

we निष्न्दमन्दाखः छिग्धचचु भिरोचते

ततोऽभिहितं सितबन्धुरं मगयेन कुमार किमिदमात्मगत-

विविधरषशारमप्रकटितकरणटङ्गहार गरौनृत्यते ततः ea कारसंवरणं इरिणा। अभिदडितमनेन aut रश्ितोऽहमनेन चिष्- करकौश्रद्धेन। तथाहि we gfangr रेखा संगतानि षणानि छचितकमा aerate: परिस्फृटो भावातिश्रय इति दुष्कर fee भावाराधनं तदेव चाभिमतमतिविदग्धानां। तस साक met: परिस्ुटो qt! यञ्मादुपारूढयौवमा समदना चेथमाखि- खिता कन्धका तदष्ां wafamag भावविग्रेषमनिबेदितमपि जञखधन्ि बालका अपि faga facta: तथाहि |

खावष्छमुद्धिरण्लोव दविज्स्तनश्चुका |

एषा WTA ST ATTA

QS: प्रस्तावः | coe

न्नामितेकभूभङ्गलोलामन्बरिते्णणा |

at fatzuaa वयनेरिव कन्यका

AREA: स्मरवक्कालगन्धूरा |

farraasfrateral वहन्तो मकरष्वजम्‌

तदनेन केनचिचिचकरेणाशिखतामू्‌ कन्यकां जनितो मे

चखेतख्मत्कारः। स्थितमिदं ममसि मे यथा गाख्तौदुशमन्यस्य जगति atwafafa wars: ore) waar किं सत्थमिदं पश्च केखरेणोक् ea सत्यं wae fafewer: प्राणिनां feu wwe) ततो a चिजकरादपि fet ङ्लश्रलतरोयमेव कन्यका प्रतिभाषते शजणितेनोक्रः सखे किमनया विरहितं afe- िजमवस्ो कितं भवता पद्मकेषरः प्राह बाढमवशोकिंत | विलासेगोक्र' खे ate तत्कोदुशं पद्मकेसरः प्रार्‌ थद नया कन्यकया दुगेममन्यनारौणां THAT UTA FAT अरसाध्यममर सुन्दरोणां श्रविषयो गन्धर्वादिपुरमौणां मदमातुरा- wate सत्ेकथारमपहस्ितरजस्तमोविकार कुमारमानसं fe विन्यस्तकूपयापि इृढमवगाहितं श्दमनया कन्यकया चिं विहितं! तञ्च मयेव केवलमवलो कितं किं तरं Gent भवद्धि- रपि। विभमः प्राह गन्वाञ्चयेमिदं कथं fet पद्मकेसरेणोक् जु मूखंचुडामणे श्राख्मेव चिभग्रब्देनोच्थते कपोलः पाह कथमिदमवगतं भवता यथा कुमारमानषमनयावगाहितमिति | पश्चकेरेष्णोक्ं गनु वटरगरेखर किमिदमेतावक्माजमपि शचदयसि | तथाहि |

Cec | उपमितिभवप्प्या wut |

गो डङ्ारादवसावद्धवगधेवं परिस्फ़टाः भद्र कश्नोखका VIG Gy ATG सरः | afe मदचमे प्रत्ययो भवतस्ततः कुमारमेव wes

येन ॒परिख्फुटोभवत्थेषोयेः दरिङ्कमार णो wa पद्मकेषर अलमनेनासबद्धपर्ापेन | पठ तावत्किचिच्ाङ्प्रश्रोत्र ततः सहाखमभिडितमनेन यदाश्चापयति gare पटितं |

पश्यन्‌ विस्फ़ारिताच्ोऽपि वाचमाकण्यन्नपि |

क्स्य कोयाति गो ate किच संघारकारणम्‌

इरिङ्मारोण तु तया रिजोपजभकन्यकयापडत चित्तेन दन्तः

Wat Bere: aqaecy चिन्तितं भेदं ave: सम्यगवधारितं कुमारेण | ततः पुनः Bent पठामि पठटितमनेन पुमदंन्नो इरिङ्कमारेण शून्य एव BET | ततो खचितं पद्मकेषरेण यथा Qatar चिकन्यकया ततो ₹हशितमनेन निरूपितानि ane: सितगमे परस्परं वदनानि aceite प्रत्यागतं इरिङ्ुभारस्य चिन्त) अमोभिरप्याकलितोऽइमिति संजातोऽख्तामिमानः। संहतः ofa: 1 विडहितोऽवष्टम्बः | संपन्नो दक्ावधानः | प्रवर्तितो faa: ततोऽमिरितममेन मा दस खखे पुनः पठ पठितः wtete पश्छन्नित्यादि पुगः प्रश्नः | ततोऽनन्तरमेव इरिङ्ुमारेणोपशभसुन्तर | उक्रमनेन डं ममत्व- fafa fafa: पद्मकेषरः पुमरन्यत्यटितमनेम |

wer fragien भवति सङ्खममशन्पटमनस्कः |

वाताकम्पितटा निदाघकाले Alea:

BS: ATT | Sod

eftgertetw पुनः पठ परितं पश्मकेषरेण fafa. mite इरिणा इदमजोक्तरं दखनायाः | ततोऽददग्रनवासित- afanfafea विल्लास्न कुमार मथापि चिन्तितं किचिक्मश्नो- षर | eftgarcute as परित विलासेन | | कौडूपाजकुललं विषौदति विभो नश्यन्ति के पावके बोध्ये काननमच्युतखच बहवः काले भविष्यग्धलम्‌ | atgery जिनेश्वरा वद विभो कस्ये तथा रोते गन्धः Higa मागे जिनवरे afr सपद्यते हरिकुमारः प्राह श्दिदं व्यस्त Bae श्रतो भयः wert पठतु भवान्‌ पठित विलासेन विन्डभ्ोक्ष दरिणा | इटमचोक्रं | श्रकुश्लभावनाभावितमामसे ee faqae कुमारेणोक्क ax किमेतत्‌। विभ्नमेषशोक्र कुमार ae विहितं भवता aca विशासस्यापनौतः sata: | शममिदमस्मा- भिरासौत्‌। ततोऽयं गर्वितोऽश्वदि ति वि्ासेगोक्क वत्स tae मम fa तरिं निर्दंलयति edaracreg गवे कुमारः। पठटलन्योऽपि येन यक्किचिचिन्तितिमिति | मन्मयनोक्र' कुमार मया wera चिन्तितं कुमारेणोक्क'। स्यटिति पठलायेः परितं aaa दास्यसि प्रकट तेन ग्टह्ाभि करान्तव। भिचामिल्युदिता काचिद्धिचुष्ण afer fae तथा करोति करिनो राजश्नरोभकरहमम्‌ | विधत्ते करवालस्ते निमूलां ्रचुसंहतिम्‌

cce sufafaurarqe! कथा |

ततो fawete इरिकुमारेख प्रथमं तावदेवं भग्धते दासौ श्रषि गणिका भवसि. तेन area तव wenfgut a. गक्ञामि we weed दितोयस्य gate भङ्गः करो इसो- ऽतिकटिगो गाढनिष्टरस्तव हे राजम्‌ weasel wyaft- gurerad विधत्ते get तथा करवाखखे frget शरुसंहतिं विधत्त इति aac) aqua श्रो Hace प्रज्ञाति- श्रयः इत्च तञ्धिन्नेव ae मथापि चिन्तितं गृढशतुथकमेकं | निवेदितं दरिङमाराय | ततस्तदुक्रन पठितं मया aga fafa: सर्वसामान्या परं Me जपा मदे शल्ये यस खतः प्रन्ना fare ₹हरिकुमारेण wal इदये। तष्टख्ेतसामिहितमनेम। WY सखे धनगेखर साधु चार विरचितं गूढकतुं भवता ततः ATCT | कुमार RMI TG: पादः कुमारे- win) “arma: wofa:rcfa 1 एतदाकष्छें fafa वयस्याः कपोखः ame: मदौयमपि गूढचतुयेमाकणेयत्‌ कुमारः | वद्‌ aren शरिष्ण पठितं कपोशेन | भाषणः परावरं थः समो रोषवजितः। गतानां गोपकोऽषस्तः ` तदनन्तरमेवोक्र इरिकुमारेण “स नरो गोचश्षणः"” | कपोलः प्राह मादृश्रामिदं gaat केवलं काणलविखम्बोऽग्श्न पुनः SATE | wet स्वेनाप्रतिरतश्रक्तिः कुमारस्य बुद्धिप्रकषेः wacfafed | एवमिदं माज खन्देदः

वष्टः प्रस्तावः | ससश

एवं THAAD इरेः प्रश्रोत्तरादिषु |

सा चिनकन्यका भद्रे विस्मरताकोत्तदा चणम्‌

श्रय पारापत दृष्टा खड्िश्वाश्चादुकारिणम्‌ |

सा कन्यका पुनशित्ते तस्य we समागता

ततः प्ररौप इव खरतरपवनोत्कलिकथा we इव पतश्धा

महाश्िलया ` दरिद्र wa निजङ्ुटुम्बभरणएवचिन्तया मानधन टव परपरिग्त्या श्रविरतसम्यग्दृष्टि रिव खसारभौरतया चणादेव चेतसि विव्तमानया तया गाढमाचूफएितोऽसौ दरिक्मारः ततश

afeataafagm: सोऽस्माभिस्तत्यरायणः |

धोगोव ध्यानमारूढः चणादेव निरौोकितः

ततो wath.) कुमार किमेतत्‌ | कुमारः प्राह सखे

धनश्रेखर नागतासोके शिरोवेदनया राजौ निद्रा . तथाद्यापि मे मनाक्षणकणायते मसकं तरेते गच्छन्त Bassa वा wis विद्रन्त्‌ तरमेकोऽच मे पाशचेवर्तो भव .। येनाच प्रविश्य चन्दनखताग्टहकं तावन्निद्रामासादयामि wate यदादिगश्ति कुमारः ततो गता aurea: | यतोऽहं प्रविष्टो खताभ- वने कुमारः | facfed मया शरिशिरपह्लवश्यनोयं समारूढो ऽसौ तजर म्यक दव तप्तसेकते दन्दद्यमानो A लभते रतिं ततो विहितं . मया कोमलमासनं। उपविष्टो दरिकुमारः। तचापि शखिकाशिरःप्रोततख्कर दव प्राप्रोति खखासिकां। ततो मदौचयखन्धावशप्रः करोतोतश्चेतश्च wad यावता

-सयापि मुच्यतऽन्तस्तापेन | सवथा 111

TER

उपमितिमवप्रपश्ा कथया |

Git नोपदिष्टोऽसौ नोयो ्रमण्टो दतः खखमाभ्नोति दुःखान्तं मरकस्विदव गारकः एवं टन्दञ्जमागस्य दरेमेट गवदल्धिना | शङ्धिता महतौ ter शोतलखेऽपि शतपदे garwanrng प्रच्छनेमेन्मयादिभिः | faafaafed वें gace freeads अच्रान्लरे पूत्कुवेजिव नामेदं कामस्लापाय रेडिनाम्‌ | मध्याषमये De: शङ्ख्नादः समुत्थितः ततः खवेऽपि Saxe क्थखा म्मयादयः | निनोषवो इरि TY खताग्टहमुपागताः मतेः समस्तेर भिहितं | गम्यलां wat देव मध्या वतेतेऽधृना | क्रियतां Qayerfe aaa दिवखोचितम्‌ः # VIANA | | चात यात VS युयं विच्य धगजेखरम्‌ | अहमणामनिगव्यामि warts वेदना मे face: शुलमन्तस्लापोऽभिवधेते | aise wiafrearfa शोतलेऽच wars aq प्रतत saat तस्याग्तस्तापकारणशं | तणापि केतसस्मिभेरित्य sea: wafaa: भो भो कपोश निपुणोऽङि लमायुङरे afeere किनि-

WS: Gala: | ceca

faa: खण्वयभोदुश्ः क्मारस्य nti को ae अध्रमनोपायो भविष्यति कपोखेनोक् 1 एवं भो तावर्‌ वेद्यक- शास्रे पद्यते | यदुत वायुः पितं कफदोक्ः भ्रारोरो stwagre: मानः पुनरदिष्टो रजश्च तम एव ततः marae: पूर्वो रेवयुक्र्थपाश्रयेः | भागसो श्ागविभानपेेणृतिषभाधिभिः अन्यच्च | Sa: श्रौतो we: qergetsy विभः खरः | fradiagigaatea: संप्रशराम्यति [घखदमुष्णं तो सं द्रषमद्डं रसं पटः विपरौतदुकैः पित्वं द्रषेराद्ट प्रभाग्बति 4] एर्शोतखदु किग्धमधुरद्द्यपिच्छिलाः awe: प्रहतं धान्ति विपरोतदणेगीषः सखादुरब्डोऽय wae: कटुकस्िक्रि एव | कवाय इति षहोऽयं रानां eget मतः तत्र कफं QT: कषायकटुतिक्रकाः जनयनग्धनिलं पिन्तं कद्ब्शूवणा रथाः ACTEM वायु कषायखादुतिक्रकाः | जयन्ति पिन्तं Gard कषायकटुतिक्रकाः

८८४ उपमितिभवप्रपश्चा कया |

श्रामे खदु ्रगन्धेः स्यादिदग्धे धूमगन्धता | विष्टसे गाचभङ्गखच रषशेषेऽन्नद षिता श्रामेष वमनं कुर्या दिदग्धे area पिबेत्‌ | विष्टे Sed कु्याद्रसगेषे तया पेत्‌ ५] अन्यच्च | | | | SAU रोगास्तश्वाजो पं चतु विधम्‌ | आरामं विदग्धं विष्टथं Tend तथा परम्‌ एवं fed यथायं कुमार ख्ान्तस्तापस्तयाजौणं विकारो wad | विदग्धावख्यां गतेन fe तेन चोभितमस्छ वायुगा afed पित्तं ततो जनितोऽयमन्तस्तापः विहितं शूल यत एवं पयते | भुके जयंति TRA जण ye जय॑ति | NIT जोति yaa दोषर्नानाभिश्यते विथभेोक खे कपोख सम्यग्‌ लितं भवता वेदेन wat निरूपयता रोगनिदानमेवमुपलमधव्य | श्रादित एवातुरस्व समुपलचणएोया प्रशुतिः पर्यालोच्य woe विचायं संहननं विन्नातये प्रमाणं लंचयितथ aaa afeag सत्वं मन्तव्याहार- शक्रिः agai वयायामषौष्टवं परिकलनौयं वयःप्रमाणएमिति | ATS | सचयं प्रकोपं चं प्रसर स्थानसंय्यम्‌ | वयक्रिभेदांख्च यो वेत्ति दोषाणं मिषन्बरः ` सचयेऽपडता दोषा रभन्ते नोन्तरां गतिम्‌ |

षष्टः प्रस्तावः | ८८५

ते ang गतिषु भवन्ति बलवत्तराः त्रया पुनर किचिन्नालो चितं | केवलमुद्ाटमुखतया विहितः कुमारग्ररौरविकारनिरदेश्ः। कपोलः प्राह ननु प्रतोता एव gare सम्बस्धिनो. मे प्रशत्यादयः संचयादयोऽपि टोषाणां maa एव तथाहि | सो भ्राोराचवयसामन्तेऽजोणष्य चाजिलः | कफस्तदादौ त्म्ये पित्तं कुथेच्छरद्यपि drag ware पिन्तख्य प्राटृढादिषु | चयप्रकोपप्रशमाः कफस्य fafaufeg हेमन्तभिभिरौ तुख्यौ ग्रिथिरेऽल्पं विग्रेषणम्‌ मादा नजं शत मे घमारूतवषंजम्‌ | श्रयवा परिस्फुरति मम Wee . सवंभिदं कि awaretfe- तेन श्रजोणेविकार एवायं कुमारश्य ततोऽहो विमूढताख्य कपोल्लस्येति चिन्तयता सितं श्रिङ्कुमारेण वयस्क कुमार किमेतत्‌ कुमारेणोक्क भो भावितोऽहमस्य कपोखश्य मूखंतया | ततः सभुद्धतं मे धारयतोऽपि इसमं पड्केसरेणोक्ता | कुमार महाप्रषादः | fag नः समोडतं तथाहि कुमारस्य विमोदाथं मनस्तापनिटृन्तये दृदमस्माभिरारमालजालप्रभाषणम्‌ | यतः | चित्तोदेगनिराषाथं सुदं तोषटद्धये | asa: प्रइसन दिव्यं कुरवभ्येव विचचणाः

erg उपमितिभवप्रपच्ा कथा |

भेषजं पुनरद्य निमंो च्छेदकं भवतो विकारश्य चदि परं सेव परिव्राजिका विज्ाख्यति सपादयिखति वा नापरः तदिधौयतां कुमार तस्याः परथेषणमलशं काश्चविखम्बेन कुमारेषोक्त Tees aw जानासि तदेव करियतां प्मकेसरः ae) यद्येवं तरिं कस्तदन्वेषणायं प्रहोयतामिति ततः गेवमिनेव्वविश्वाात्कमा- रेणोक्रं धनशेखरः प्रखाप्यतामिति मयोक्रं महाप्रसादः |

ततो fafaatse मन्त प्रटृ्नो नगराभिमुखं इष्टान्तराले खा परित्राजिका विहितः wera: vet भगवति कोऽयं चिच्रपटिकाटत्ताकः का सा कन्यका किमथं चोश्चलितासि। vate श्राकणेय wie arama प्रविष्टा इं कणएभिाथं इतचा- wa नौशकण्टमरपतेरस्ति freftat भाम महादेवो प्राप्तां तस्या भवने यावदृष्टा मया सचिन्ता महादेवो wyfen: परि- करो fave: कन्यकाणनः पर्याकुलाः कष्चकिनः श्राोर्वाद- भुखरः स्विरिकाशोक इति ततो मया चिन्तितं a किमे- तत्‌ छउपस्पिता frafrat विडितमाशौर्दानं शतस्तथा मे शिरःप्रणामः। टरापितमासनं। उपविष्टा अ्रभिहितमनया | भगवति बन्धले wilde तावदियं भगवत्या मम जौवितादपि वहभतरा AIAG वन्धा इथं चाच दर्योद्यादारग्च केन- चित्कारणेन शमध्यासिता fener zeta रणरणकेन सखौशता ङृददरत्धा प्रतिपन्ना विकारजालेन syle शून्यतया Wasa AUT | परिग्यक्रमनथा राअकन्योचितं करण्णैय | करोति waged | परिवतयति राचिवस्लाणि। erin

aS! Terra: | सच्छे

wares | विदधत्यङ्गरागं। समानयति ताम्बर प्रतिजागतिं खयमारोपितं बालारामकं सब्मानयति वयस्या जनं संमाशयति शकथारिकागणं wed शोखाकन्दुकेन्‌ आ्ाणिखति विद्याधरमिथनानि प्र्ोकयति सारसयुगखानि धावति पुनः पुनरदाराभिमुखं। निन्दति सुमु रस्फटाक्रोरा- त्मानं | रुवति निष्कारषमेद खशोजनाय ददाति ष्ष्टापि प्रतिवचनं कि बहना ema शून्येव अता विष्टेव सव॑दा | मयूरमश्चरो दता च्छादन्येव संखिता तत्कथय भमवति-निपुशासि लं faftrnma—fa पुनरेषा चिन्तयति wag) wed तदभोष्ठं aa वा कियता वा कालेनेति arate एषा निरूपयामि | ततः क्रष्टमारथा मथा होरा न्यक्तं सिद्धिरिति vz) ्राशिखितं षरखतौवदनं। विन्यस्ता ध्वजादयोऽष्टायाः | विर चितं मारौडरयवतिंनौ कौरिखमोमूजिका- wa gmat fare fewest: | पातितमलुकमं तच्छषानु- सारेणाद्ूबरथं | ततोऽभिरहितं मया महादेवि समाकणेय | ध्वजो wager सिंहः श्वा ated wate खरो wat wteq wera: परिको तितः a Vaal wernaqremtagiay क्लं भवति aaa + कालकसरवेलागां सुहतेकङुभोखया | गचचगरयोदेव निसमेवखमहमम्‌ तामौ AUVs |

ccc उपमितिभवप्रपञ्चा कया |

ध्वजः खरस्तथा sate: Headey प्रयोजने | समापन्ना खयो HIG वुध्यख यत्फलम्‌ प्रयमाज्त्रायते चिन्ता दितोयात्तु WIA ठतौयात्कालनि्देशं कर्यादायादिति अतिः तच —_ _ ष्नि ws ठषे चेव जौवचिन्ता प्रकोतिता सिंहवायसयोमूशं धात्‌ धूमेभराखभे श्रतो ध्वजस्य प्रथमं पातादियं मथूरमश्नरौ वला नोवं चिन्तयति कालवेखादिभिख लचयामि तमपि भोवं पुरुषं तमपि राजपुचं तमपि शरिनामकमेषा चिन्तयति तस चावश्च wat लाभो थतो धमस्योपरि निपतितोऽज रासभः | तच चव पच्यते | | खानं लाभं कुरुते रासभो ष्वजघूमयोः | सिंदस्योपरि नां भोः Teg तु मध्यमः तस्य तु areata लाभो भविति यतोऽ ठतौयो निपतितो wate: तच षेद मुक्तं | ध्वजक्ुश्नरयोवषं मासो टषभसिंहयोः | पः श्वखरयोरजंयो धमवायसयोदिनम्‌ ततः संजातप्रत्यथा चिन्तानिर्वाटनेन इष्टा प्रत्यासन्नेष्टजामाद- लासन निपतिता मच्वरणयोः श्रिखरिण्णौ प्रार्‌ भगवति महाप्रसाद: | सत्यमिदं यदादिष्टं भगवत्या कथितं हिमे aera मधूरमश्चयाः प्रियसख्या लोलादत्या | थथा दृष्टोऽनया

WS: Vela! | cre

खयो वसमये भिचदन्दपरिकरितो लोलाञुन्दरमुधानं प्रति wem इरिक़मारः। किरं विलोकितो लोललोकनया वक्छया कयचिहटटिमो चरमामता तख TE मयूरमश्नरो | ततस्त- efrnwe Seng चात्मनस्तत एव उणादारग्ययमोदृगौ- aret प्रेति तदिदं न्रानालोकेन थयावश्लो कितं aaa तथा भगवत्येव करोतु तेन वसाः समागममिति | जयोक ¦ यद्येवं ततो निरूपयामि तख कुमारख्छ कोडदृप्ोऽभिप्राय इति) महादेवो पाद यज्नं mate किमच वयं ब्रूम इति | ततो fare लिखिता मया तथा feanfearat मघूरमन्नरौ | गता शोलासुन्दरोद्यने get इरिङकुमारः समर्पिता चिच- ufear fagfaatse भावः, wfadtse खामिलाषः। ततः fag गः walfea एच्छामि यदतः W ae महादेवोमिनि चिन्तयन्तौ भत्रं ततोऽषक्तान्ताषं निवेदितं AUS यया सुष्टिम्ये मम वर्तते हरिकुमारः तत्कथय किमधुना क्रियता- fafa तदाकण्यं इष्टा शिखरिणो दुहितर. sare) ae मयू- रमश्चरि ख्माकर्णितं att भमवतोवचनं GME इदयवलभ दति मयुरमञ्जरौ प्राह ऋः मातः किमित्येवमाखजाद्ञेन मां विप्रतारथसि + ततो aren: संप्रत्यय इति किं कारूश्पेणति कथितो बशाराःजाय firafter समस्तोऽपि व्यतिकरः ततो- $भिरचितो Merwe मयुर मश्जर्या वरो हरिकुमारः | ततस्त- दानयनाथमहमेव प्रहिता ताभ्यामिति। तदेष ax चि्रपटिकाट- WH: | रषा सा कन्यका एतदयं पादमुदकितास्ि nein 112

mee उपमिविमवप्रपश्चा कथा t

भगवति किं पुनरिदं करे तव इृष्ते बन्धुखयोक्त भद्र मय्‌- रमश्नरोखदस्तशिखितं frufad adie किमयेमिदं गोत भगवत्या TATUM | मा चल्कुमारस्य मदटोयवचमादखमत्ययः | RAVAN: खभावद्दकमेतत्‌ | मयोक्तं ae विहितं भगवत्या दन्ता HATS प्राणाः | ततो मया सहिता गता सा इरिङकमा- रखमोपं निवेदितं राजग्राखनं बन्धेखया कथितो मथापि तज्निबेदितः समस्तोऽपि शन्तान्तः। agen इरिङमारः। ततः समर्पितो बन्धुखयासौ दिपुटसंवतितञ्धिपटः | भविघाच्छ निरूपितो इरिकुमारे | यावहष्टमाशिखितमेकपुटे सुविभक्रो- SHIA वर्णक्रमेण अरलच्यमाणेख्ध शिकापदकरगुरूपथा खच्छरेखया प्रकटद ग्नेन निशोक्नतविभागेम समुचितेन गषणएकशापेन gfa— भक्षयावयवरचनया ति विखश्णथा बिन्दुवर्तिन्या अभिनवसखहरसोत्छु- कतया परस्परं शर्षोत्फुलवद्धबृ्टिक समारूढमेमा तिबन्ध्रोकतयाल- हितिचित्तनिनेश्र॒विद्याधरमिथमकमिति ge तच्याधस्तालषि- खितमिदं दिपदोखण्डं तद्या

प्रियतमरतिविनोदसभाषणएरभस विशासलाखिताः।

सततमडहो भवन्ति नतु धन्यतमा HATE योषितः A

अभिमतवदनकमल्रसपायनणशाशितलोललणो चनाः |

सचरितफलममष्यंमलुभवति शमियमम्नरवरो यथा

ततो facifad राजतनयेन दितौयं चि्पटपुटं यावत्त दृष्टा दवज्ञो षितेव वनलतिका हिमहतेव नलिनिका दिनकरकर- निकरशुषितप्रमेव चन्ररेखिका इत्खो रित्डानेव चतमश्चरिका

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विनष्टसवंखेव wafeat saat गतच्छाया शोकातिरेकपरिदुषे- wet aware -शिखिता राजरंषिका दृष्टं काधल्ता- जिखितमिदं तस्या दिपदोखण्ड | तद्यथा | इयमिह भिजकदद यवक्ञभतर दृष्ट वियुक्षदसिका तदलुखरणचछेद विधरा बत wats राजं सिका रचितमनन्नमपरभवकोरिषु TATA यथा | पापमौ नितान्मदुखारुगता wate जनाः ततः खितं हरिङ्कमारख्य wea थथा श्रहो राजदु दितुः wine अहो रसिकलं अरहो सारग्राहिता wet षद्भावार्पणं अशो मयि दृढातुरागः तथाहि विचाधरमिथमातुखेखनेन दभितो ऽनया साभिलाषातिरेकः राजरषिकाविन्यासेन प्रकरितमभिल- पितवस्छपातितमात्मनि ai) भावदानेनेव परिस्फुटं दिपदौ- खण्डदयेन पुन्ितरां परिस्टोरुतोऽयमेव भावाः ततो दितो मन्मथादौनां fewe 1 तैरभिदहितं। कुमार गत्वा संधा्यंताभियं वराको wefan) we भरिथमाणयोपेशि- सथा | कुमारे ष्णो | एवं wary तत्तो गताः Basta राजषदने | दन्ता VBA Teas राजेन इरिक्माराय मध्रमश्चरो | ततः Wales प्रक्षा विवा- Wawa: RTT: | मधृमत्तविधूर्णितश्धरिजनेा बङलेाकयथेितदन्षधनः ुसदामपि विश्मयतेिषकरो जनन्तेनच्ादनपानपरः ततः पूजिता देवगुरवः श्श्रानिताः सामन्ताः पूरितः

ez उपमितिभवप्पश्य कथा |

प्रणशयिवर्मः; safer राजलाकः तेाषिताः vee: इत्च चित- करणमेव एसा विदाहागन्द इति, अय तां नोणकष्टश्य जोवितादपि वक्षभाम्‌ भथरमश्चरो प्राप्य भायां स्वाङ्गछन्दरायम्‌ ₹ररिभिंजटग्देन परिवारितविग्यहः | wear: परां ख्याति रनदोपे तदा गतः WAT लकष्डस्य परिवारः सबान्धवः | ARTA: STAT WET -रिगणणेत्करे अन्तःपुर युर शोकाः सदेश राजमण्डलम्‌ | ` भाथा इरिकुमारब्य जायते तोषनिर्मरम्‌ इतश्च ` ममाग्टदधोतषदडधेते wit: खेहनिभेरः | वियोगं चंणमणयेक नेच्छत्टोव aciarm # अम पु्पोदयेनासौ जमितसेन area: | शद्वावद्खेहसारेण वयस्येन महत्मना तथाहि तेन ay तिष्ठतो मे निरुपमं `विषयदुषं देवदुखेभ विलासा विशिष्टजनस्यदणणैया गोठ ada प्रञ्ञातिश्यः समु हसति लोके amaze: संपद्यते गौरवं | तयापि qaqa सागरेण ea qa) ` मम भातास्तदा भद्र fran मनसोदुश्ाः यदु तार्थोपाजेनचतिहेतुरेष मम श्रिकुमारसब्बन्धेः। GAT मे AWN | wrk: पथ पश्थितोऽयं कतोऽहम्मने

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faqenancsta इरिणा | fasfrara aeerfa प्रापे नाभौोष्टा «Wega: \ वदिदम्पपरतितं अहोयते शोके यदुत | रासभः किल अप्राप्तः खसं शवंसखाकरे | याचन्त पि ख्प्नो THA दामदस्तकः तयाडहि | fafin: किल खाश्यामि रनधातसुश्वकेः | धाचदचापि सभातो विज्नो$व जिनश्प्कः 9 चेषोऽधना सवं था afte wet eat राजपुजोऽयं प्रच- GY र्टः सवंखमप्रहरति 1 AW चिदत्यम्तदूरे्ठ कचिदासन््बरतिंला क्चिन्छामान्यहूपेण afaaa जया खटा रत्नो पाजेनतन्निष्टः खा चेखतिविगजेकः 1 हरेरपि wien करि ख्ये frac # ततः इतं मथा थथा चिन्तितं मौलितो carci तज मूतः करोमि विवेकिशोकाख्प नागाङ्पा fase: | तथाहि ताजि रलानि सृर्ंरिकलतेतनः \ चिदिस्फारि वाश्ोऽदं सपष्यामि Wa: पुशः ` करिस्यामि रसेन सुरुच्छालयामि कचिदचःस्यले cat इष्टतो भवामि ॥. _ ` निखनामि afega कुं चिषत्रतानि च) Te: गेन चिदित्थेवद्त्वनामि ga: wT ¢

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sufafararagt कथा |

निखाय पुमगरन्यबर शाज्कितप्रतिशाञ्डितम्‌ | हत्वा निरौचमाणस्त निधिं तिष्ठामि स्वतः अविश्वासान्न मे ast निद्रा नापि दिवा खश्ठम्‌ धने qfeafena भद्र घागरदोषतः ततोऽकरान्तरा गल्ला क्चित्पष्ामि a हरिम्‌ | तिष्ठामि खततं गेहे रन्रोपानेनशेलुपः # चिन्तथामि रानि दोपे चान्य कामिरित्‌ | wae तामि सर्वाणि aeter थामि पन्तनम्‌ एवं तिष्ठतस्तज रनदोपे तदा मम भद्रे योऽन्योऽपि संपन्नो sare निशामय ar क्मपरिणमस्य महादेवो पुरोदिता | सा काशपरिणएत्धाख्या प्रसिद्धा भुवनचये तस्या WER लेके ख्यातौ यौवनमेयुनौ | अत्यक्मरसिकौ भद्र कचिदेवं प्रभख्पितो

धोवनेनाक्रं |

भिज संसारिनोवोऽसौ संप्राप्तो वश्वर्तिताम्‌ | धनगरेखररूपेण वतमानो ममाधुना तेऽस्ति तत्छमोपे भो भवताऽपि संश्यः। प्रस्तावो गन्तुमित्येवं संख्विते गम्यतामिति

मैयुनेनोक्रं

ada शेयेन मे कुजचिदड्नशेखरम्‌ | way ममानेन मित्र याजय साश्मतम्‌

aS: THA: |

यौ वनेनेक्गं | MAY CRT GANT सेवितो मया तता बाढ नयामि at सम्बन्ध लगयानि एवं तौ शतसम्धाषावन्तरङ्गवयस्यकौै | अथ तज समन्य प्राप्तौ यौवनभेयमौ यौवनेनेक्षं अयं मया घमानोता वथस्योऽव्यग्तवत्षशः | अते मामिव aay पश्येमं धमशेखर अत्यमखकडेतुस्ते वथस्योऽयं मथा युतः wat नियुक्षवत्छा atat ञाचनमरंति लाननमदादुःखगतेसम्पातकारणम्‌ | तथापि मया भद्र मोहदेषान्न खितः a खितः सागरं शला ave मे विधिस्तदा | मेनं चाकरादेष तदिदं छोकशखियितम्‌ यथा | महाभारषमाक्राकमर्तैरारारिकारिशः age माति नेद्रख्य गजके तज्निबध्यते तते यौवनवाक्येन मेद विहलचेतसा | afrawt मया भद्र तौ हि मौतानरात्मना इतश | | ममान्तरङ्गप्रासादा विद्यते खाश्तनामकः | अथ AG हृतः Gat तदा भेयने मया

kg sufafewanng! श्या |

AUT awa प्रतिबद्धोऽस्ि दिनोयो गाभनामकः | rare: स्थापितसभ मया थौ वमस्तदा श्रय तौ निजी ततः प्राखादयोखूयेः | शलमानौ मया ari किं किं कतु saat यौवनेन wal भद्र बलान्मेऽतिमनेाहराः | लोलाविल्ाखविन्बोकहाख्डशोर्यादयो गुणाः मेनेन पुनभंद्रं श्तेऽहं योषितां श्रतेः + घुभुकरेरथदप्तात्मा दावानल CAAA: प्रधानगण्णिकासङ्ग gate Seager | मामसौ वारय्युशेः शमरो घमलन्पटः इतो Fe मैथमच्याक्चा इतः शागरवारणम्‌ | भ्याच्रदुस्रौन्याबः संजाते मे खदुलरः तथाकिवक्षमोः भद्र सागरा मे fader | केवलं मेथनस्यान्नां नां लद्गयित्‌ चमः उभयस्यामि कर्तव्यं भयेति वचन कि एवं संचिन्् विहितं मयेदं कमे -दारुएम्‌

fa तत्कम | याः atfagrafauar cer: प्रोषितमदेकाः | ब्रतिन्योऽन्याश्च मूल्येन fata ane: fers: ATS सागरमौतेाऽहं AAT: |

STANTS NSM मृडचेतनः

ae: प्रस्तावः | -

ततेाऽहं wmaraar गाढं निशंष्लतां गतः WMATA WERT मेयनेच्छया . ` तत | . . बहग्रस्ताडिता भद्र बद्धा गाढं विगापितः। - प्रापिता ered केके याषित्सम्बस्थिमिमेरेः aaa हरिदाचिष्धात्पुश्ोदयबलेन मारितस्तदा स्लौणटणं anata दण्डितः धिङ्कार विहितो लोके fare: सवे विबेकिमाम्‌ ` तदा AIAG संजातोऽदं सु्ोचने तचापि qefere तदा भद्रं मेन सुखसागरेतुरमं जिर््याजं प्रतिभाषते ` चिन्तयामि यदायं Saat area: | fa तेन. जौ वितेनेह Tada war wet ततोऽहं तज निर्भिथ्यख्हमिर्भरमानखः . . ` `. aa दोषान्न पश्यामि पश्यामि गण्सहतिम्‌ . एवं विपर्वस्तभियः मे amt गतः . ततेाऽपि वक्नभतरः art मे विग्रेषतः a. चिन्तितं तदा मया | _ प्रभावः खागरस्ायं यदेते देवदुखंभाः | - अकि्चनेन संप्राप्ना मथा माणिक्यराश्यः a तदेवं मिषयुग्रेन तेन ge: प्रपीडितः ` तथापि खख्धितमन्यो atecfa श्ितोऽनघे

113

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wi तं ASS TAT इरस्‌ TAU हृतौ अतं सोकनि्भंरमालक्षम्‌ ततः; atin दण्डेन इरिदट्धिसुपागतः | STATIN, Weg डि WaT: # weet गजकोजेनं Ment वरङ्धश्वदम्‌ आरूढो त्रिकट ant कोककरिलोकितः 9 हदष्छदष्छ सेक fan श्ज्गवत्‌ ATE किद्‌ परऽ ततद rae शते Shey ATH dori Fiqwwe किकी काशत विनम्‌ विभिन तद्रसेन गधो एच्वक्लिः | SHU शरो वे AW सनतं Tyr एवं व्यवद्धिन्ने werate AT Gla नकलः | इरिररिग्ते WA अभ CTV सग्रहः तस्दणलोपरेकषौयोध्यं भौतं नोतिविश्रारदैः | अर्धराच्यषहरं अत्यं Ut YEG WHA अतः Byte श्राषे पर्ांशोष् 'हतन्तिषवा इरि विपातलाभोति चित्ते तेताधक्षादितिम्‌ + RUAN Tee तं दुषु द्धिवरमन्निषस्‌ बौोशक्कदटराजेकः, wifi! ATT #

WS! बशः |

चं MGMT Tee इवामराः . तथापि नौखकाष्ठसलं शतवागशु वतेनम्‌ खक्ष तेन रुवुद्धिभन्तिर्णा aye एवं विनीयतां देव ad मनसि died | अयुक्ते प्रवर्तनं बुद्धयो fe मर्मगाम्‌ तत सुनुद्धिनेरेष्रखच aig हरिमारणम्‌ | एवं शंखाय सिद्धान्तं खं खं गेदमुपागतौ श्रथावद्‌ातसखदुद्धः खनुद्धेमनसोदूघ्राः | तदा विकश्पाः Tarawa राजजश्पितम्‌ भिग्‌ धिग्‌ भोगद्खाखङ्गं धिगन्नागविजुभ्मितम्‌ | fret राग्यलान्पखं कु विकश्यश्रतालयम्‌ धरेव ya देवस्य जौ वितादपि ane: | लामाता भागिनेयस्च इरिः TAYWINT: अधुना वतेते Tat वध्यः शजोः समगेखः तदच भोगदरष्णाग्ध्यं विद्खुच्यान्यन्न कारणम्‌ | wate | . ae विनीतः xervar निले: पापभौश्कः | eft: qqarasft etre भाषनम्‌ Hea राच्धभोरनं मूढो राजा नं ene: | तैवा पि रषफौवीऽसौ canait मथा eft:

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geo उपमितिभवप्पश्चा कथा |

ततो दमनको माम Wee मन्वा | प्रच्छकं परहितस्दरणे इरे टेत्तान्तद्चकः संदिष्टं चव VAT MA कुमार Her | लया ममासुरोधेन SW: सत्यव्यतामयम्‌ ततो दमगकाच्छरला सुनु्यभ्ययेनां हरिः | wqgera चित्तमभोतोऽपि चकार सः अयेकान्ते ममानेन sar निखिखस्तदा | कयितो efcar भद्रे गाढं विश्रथचेतसा en हरिणा) अ्रकायद्ुपितो राजा समादिष्टं मन्तिणा अतः समुद्र सुदध्य गन्तव्य भारते मया चां uaa शक्रोमि रहितस्लथा wie ततः प्रतिष्ठख गच्छामो wav मथा चिन्तितं! | रन्नोपाजेगविघ्नो fe wierd इरिर्मम | तथापि का गतिनूंनं गन्त्यमञुना सह ततो मयोक्तं कुमार यत्ते रोचते किमच वयं ब्रूमः इरिराइ यद्येवं ततो वचस्य निरूपय किं चिश्िषटरं थानप eas मे भाण्डागारे महन्तमो रन्नराथि्तं ग्डोतला गच्छाम इति wate, aerfenfa कुमारः ततो निरूपिते दे थान- पाज | तमेकं ₹दरिरत्रानामपरमात्मरनानामिति | ततः संजातः प्रदोषखमयः गतो वश्चयिला निःशेषं परिजनं वदुमतोमयुरम-

| BS: WET | €oy

रोहितो safer शरिकुमारोऽहं निरूपिताः सांया- भिकपुरुषाः अतिलदठिता स्तोकवेखा समुद्धतः कामिनौ गण्ड- पाष्डरः शश्रधरः | समागता संख्ोभितजखचरनिनादगभां समुद्र वेला समारूढो यामपाजमात्मोयं सपन्नौको दरि क्मारः श्र तु wate धानपाज्रमाररुचदक्षो हरिणा यथा धनशरेखर त्रम्यचेव मदौधपोते way matey भवन्तं विहाय मिमेषमप्या सितुं ततः समारूढोऽहमपि तत्छमोपे शतानि मङ्गलानि उपयुक्षः कणंधारः श्रापूरिते थानपाजे प्रदत्त पवनवेगेनं तथा वतां गतानि कतिचिदिनानि शितो बंहोयान्‌ समुद्रः | श्रचामनरे ममाग्टहोतसङकते भद्रं पापवयस्यकौ | सागरो मैथन प्रेरकौ शसुपखितौ

TAZ | | सागरेण हता बुद्धिममेषा पापकमेणण |

यथेदं रसू बोरित्यं कस्य मुच्यते ततो मया चिन्तितं श्रहो मे भाग्यातिश्रयः। तथाहि |

एकं maaan sheer रनपूरितम्‌ |

दितौयमिदमायातं agar मे मनोरथाः

विदिता मेथुनेनापि मम बुद्धिदुरा्मना |

ACTEM महापापपूरपूरितचेतसः

HALAS यावन्न YRS वरानना

weet विग्रालाचो लाममध्यातिकोमशा

९०६

उपमितिभवपय॑स्चा शया |

रेनितणिगनिग्नेमं भन्दयश्वरिभन्धरां | erdtaradtgtigt wet सुवनातिगा # atafes वितेने fragt प्रयोजनम्‌ | श्रतौऽई भागथेन्येणं श्वयो ereeltenrt afed रवौ रित्वमेषां चं eftdet |

मै संपथते तावधावन्नो धातितो इरि am वीौतैरकेपूरंण निनदयवशत्तिदा |

eft areata मयां ववित्तेऽवधारितम्‌ ।॥ नखौ वितं Wifi’ भिर्थाजख रनिभेरम्‌ |

विज्नातं महापापं इष्टं दुर्शदुषणम्‌ frat च॑ परां मेचौ विशता सार्धकारिती | उपचारः परिधष्टा fate सत्यषौश्वेम्‌ श्रथ बो हित्यपरयन्ते राचावत्थाय संख्ितः eft: शरीरलिन्धाथे पापेन प्रेरितो मेधां ततो मां ateatutsdt किंमेतैदिति feet | व्याकुलो विषमेखलीद्राहल्य पतित अले द्राह्वारदत्विषा लोकाः कौलादेशपराथणएांः | मय्रमैश्चरौ जसौ चितौ ऽद yer: ¢ अय wate dhe quid कमे भारमरकम्‌ | समुद्राधिपतिर्दवौ गतः कोपं भमो परिः तुष्टो इरिकुमारस्ध छुशदनदुविभदेगृणेः

वां Aled शपमायातो जीरभागसः

BE: TET |

तेन ait wares देवेन विडिताडदम्‌ | ST Marea चित्य Beat शिः इत CALTON नाम TATE: HMR भटो मे इष्टवहुएकमेणा अरथाका्रे VET सि विश्मोतितद्विगकारः देवो Mind SINTRA मम ETH ततो रे भरे MWTITY वे हे कुकदृननश्च | मिखेष्न त्कनर्ब्ाद् Wye ACTH faureratgs कथे चौरं रौद्रेण Fae aaa न्न ह्रहनद्यापि श्रतश्चकरतां मह; एवं बुक्नो ERE भौ्भुदुदिरारशचः | देव) med लां Belay ममते सितः ततो URNS देवं श्रणतमस्क। <a विक्लापप्रलुशर मेधि लोद्पदामग्रः चया i ममोपरि दथा देव Kula तब मानते | शत, WETS FST Pwat सम WiMRISY ANT ठे छतान्तबदसादिब | wa: प्रियङयनय मे देवो GNA Tera ममानेन निष्ठ बत जौ बित्म्‌ | शरनं GS WUT घ्र डेव तरमव्यताममम्‌

९१९

éog उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

विज्ञातेऽपि महाभागो ala awefed | ` तथापौद्खदिन्तोऽसौ निविंकारा fe साधवः @ aq देवो महाकोपादाकष्पे इरियाचनाम्‌ | मयि गाढतरं qe प्रतोद मभाषत grasa लं महाभाग गच्छामिमतपन्तनम्‌ | ्रहमस्यानुरू्पं तु करोम्येष दुरात्मनः ततञ्चोकहलमानेन AWAY महोदधौ आस्फोरितस्तथा भद्र ययावभितश् गतः ` ततस्तमोन्धपाताशे नरकेथिव नारकः.। खिला qaegat भद्र पापेन "कर्मेण षतु देवो खतं मला at खश्यानसुपागतः | बेल कखे संप्राप्तं W Tass कमात्‌ दत्चामन्दनगर केसरिनराधिपः। ` await हरिकुमारए विन्नातो जनवातेया ततो इरिकरुमारण शप्र गला सबान्धवम्‌ | भटर तत्पेदकं राच्यं के ्ररौममधिषितम्‌ यतो निवेदितो वसुमत्या सषमस्तोऽपि बान्धवानां कमलसुन्द- रौदन्तान्तः ापितः केश्रिराजपु्तया हरिकुमारः ततोऽनुरक्षाः सर्वेऽपि इरिक्ुमारे शोकाः परिणतं राच्यं जातो भरिमण्ड- लाधिपतिनिजपुष्यप्राग्भारेए | उम्पितं मटौयपितुरेरिग्रेखरस्य त््ामक रब्रबो दित्थं हरिकुमारणति श्रतञ्चाहं तथा पातालतन्ञादुगग्रलतः ` Taare: शेशवू-

Be Wea: | Eoy

विकटैः चारजश्कलो लेरास्फाष्यमागो TUNG ECTET A ध्यमानस्तनुकुतनजनगुखन्तानेविशोलमानो = CASTER ATTA we विसुद्यमाने चलविद्रुमवनगडहनेषु जनितभषो विषिधमकर- जलमानुषविषधरनक्रचकेरकिस्यमानः कटिगकमढग्ष्टकष्छकेः कथं- चित्कष्ठगतप्राएः सराण सप्रान्नो जखधितोर श्राश्वाखितः पवनेग रम्भा चेतना ततो बाधते मां ayer अभिभवति पिपासा ततोऽहं फएलजशार्यो पथंटितु प्रको यावत्‌ पुष्छो दय ACATRAMY मया वनम्‌ | प्रततं UES: YR AGIA: समप्रभम्‌ तथापि तच धने | sata करशोयं मे यतोऽस्ि बङ्पातकम्‌ ततः BRB Gear प्राणटश्तिः कथंन अरय ग्रामपुराकतौशे बसना देत्रमागतः | शन्वाभिमानेन fa: wane गतः कितु नष्टपुष्णोदयस्ाग्यां fawat परिकरितः। ` भान्तो विविधदेगेषु श्यो श्यो धनेच्छया ` तच यद्चाचरामि गार्य STeTy प्रजायते | करोभि wad तथ afeenste गनपति ततः सेवां करोग्दश्चविगयोद्यतमानबः |

यावन्मम विना कायं राजा रोषमागतः . 114

god उप्रमितिमवप्रपश्चा कथा

तोषायं खामिनो भौमे रणे योद्धसुपागतः | तचापि तीच््एश्रस्तौघप्रहारेः पौडितः परम्‌ श्रथान्यदा बलोवदंवाहनं विहितं मया | यावत्तिशकरोगेण wat: सर्वेऽपि ते टषाः श्रथ राखभसार्थेन वाणिष्यं कलतुमुधतः | aragit: पतिलासौ सवैः सार्थो विलोपितः ततः Bafa TE जातोऽहं RAAT | चोक्रामपिमे afd a ददाति guia o ततो श्रयः समुद्रेऽहं वणिजोऽन्यस्य सेवकः | wat प्रविष्टो बोहित्थं समार्य वरानने यावग्छमानुभावेन तदपि WaT गतम्‌ | धानपाचं ससुभ्तोणेः फणकेन कर्थ चम

AY रोधनमासाद्य दोपं GAA: . ` ततः खनितुमारभौ ावद्ूजिः पर करे BUTT पुनगेला AVL प्राय कचन | घधातुवादः समारभो विधातु धनकाम्यया पाषाणेभूलजालेख af: पारदमदनेः | .. afaatse तदा भद्रं जातः चारः पर करे ततो ud मया चिच शिक्तं धनकाम्यया यावन्लजापि Pare बद्धो धतकरनरः भ्रष्टः कथ चिन्तेभ्योऽपि समासाच्च पर नरम्‌ +. सहोतपुखको राजौ प्रविष्टो रसकूपिकाम्‌

WS: TRUS: | ०@

wages शाक्रलोक्लासकारिणा want ख्गनायेन कथं चिन्न ग्टतस्तदा Ta बहना | aged मया कमं तदानीं धमकाम्यया | तन्तत्पुष्ोदयाभावादिपरोतसुपस्धितम्‌ किं वापरं fara बुभुचाचचामङुचिणा | मिच्ापि waret मया पुष्योदयं विना॥ ततो विषाद्मापन्ञः श्वंक्मपराङ्सुखः fentsy मौ नमालम्ग्य war पादप्रसारिकाम्‌ ततः सागरो भद्र ममोत्छाइविधित्छथा 1 दितोपदे ्दायोति तवाहमिति wife: छक्र तेनं सागरेण यथा | a विषादपररथेः प्राणयते धनशखर | श्र विषादः भियो मूलं चतो धोराः wees ` ततः war विषादं face प्रतिकूलेऽपि faut पुरवः पुडषकारेण धनमुपाजयन्नेव पौरषं खभते नान्यया कि TWAT श्रल्लोकमपि गदिला परमपि मुषिता भिचद्रोहमपि wear मात- waft vat पितरमपि व्यापाद्य शोदरमपि निपात्य भगिनौ- मपि fama बन्धवगेमपि मारयिला खमस्तपातकान्यपि विधाच युरूषेश सर्वथा धनं Vas यतः हतपातकोऽपि qeat wat wre wat शोकेन परिवाचते बन्धवे weet बन््दिटन्देन बज्जमन्यते facta गम्यते विष्एद्भधामिंकजनादपि

ges. sufafawanwet कथा |

amiaaat धार्मिक इति ant at भो warner: fagg विषादं श्रवलम्बख भेथे Oe Nae we मदौोय- ata विधेहि मामकमेनसुपदेश्रमिति | | ततोऽहं तेन way arate दुरात्मना | एवं विधाय दुद्धं aay भव्तिंतः तामि मया तानि नानादेश्विचारिणा | यानि यान्युपदिष्टानि तेम पापानि बन्धुना केवलं पापकर्माणि gaatsafay मम | जातो धमगन्धोऽपि भद्र पुष्छोदयं विना ¢ अन्यच्च पुष्योश्यविनिङुक्तो मिष्यामानेग सुन्दरि | गतः aera wee we तदा # fa ai धौवनवयस्येम युक्तो मेयननामकः at तस्रामष्वखायां Aveda तिष्ठति केवलं तद्वस्छं मां पुश्योदबविवभिंसम्‌ | भारौ निधनसेकापि काणत्तषापि abet a ततो दन्दद्धते चेलो गाढं मे मेनेच्छवा संपद्यतेऽभोष्ट कि चित्पुष्छोदयं विना एवं विविदे रेषु दुःखसङ्गातपौडितः | भेयुनेष्छापरोतोऽहं बम्भमोमि धनाग्चा दलैश्चानन्दनगरे तेन श्रिगृशाकरः

WS: प्रशावः |

दृष्टो ₹हरिनरेग््रए सूरिङ्न्तममामकः सतसा्टसङ्मध्यद्मयोद्याने मनोरमे | Zar तमुक्लमाचायं इरिसोषमुपागतः aay | रहितो राणटन्दम तं मुनिं भरेश्वरः | वन्दित्वा शपरोवारं fare: wears ततो भगवता तेषामष्टताखादमोपमा | सवेषामेव जन्तूनां विदिता धमेदे्रना ततो भगवतो वाक्यमाकष्ये मरहोपतिः | अत्यन्तं रश्ितित्ते ततद मचिन्तथत्‌ सखव्यवदितातोतभाविभावेषु श्रिषु | नुमं भगवतो ज्ञानमस्य सेषु विद्यते a तदेनं waaay aft कि aw कारणम्‌ | येनाहं ufireia ववब्येन जखे तदा वह्लभोऽह पुरा तश्च मे wrasse | किं पुनः ware तेन aren विदितम्‌ fa at qe: देवोऽख्य wanererfenerar | fai नोवति खतो वा मे वयसो wave: § wag चिन्तयत्येव चेतसा शरिपार्थिंवः | तावदिज्जाय ama दरि रित्थमवोचत afafad त्या श्प किं पुनश कारणम्‌ | वल्छजेनापि fata यरद प्रेरितो जले

ere

eve sufafaranyyt KUT |

तजाकणेय | शरन्तरङ्गौ fe fata ve सागरमेथुनौ वषै तयोरेष नेव तस्य तपखिमः aft चारः BEd भद्रको धमशेखरः | ताग्वां पापवयस्याभ्धां केवलं क्रियतेऽन्यथा

तथाहि तस्य वराकस्य धनशेखरस्य WAG Ya मेनेन हता मतिः t हरामि रत्रबोषित्य सागरेण हतं मनः aay तदशात्तेन tae तथा जले | अत एव गतः कोप समुद्राधिपतिस्षदा तेन लं रचितो नौतः पातालतष्ं तथा| तथापि gage: wax धनगेखरः | श्रधुनानेकदे गेषु नानारूपा विडम्बनाः | ताभ्वां पापवयस्याभ्यां @ वराको विधायते ।॥ एवं तेन चतु मयुक्रेन वरंखूरिणा | निवेदिते तथा भद्र acta दष्टचेष्टिते इरििन्तयव्येवमहो ज्ञानं महामुनेः | aw निपतितः au वराको धनशेखरः ततो हरिनरेग््रेए करुषणागतचेतसा | षष्टः सष SHAM: प्रणएन्येदं सुमेधसा

यथा | ताभ्यां पापमित्राभ्यां भदन्त धमशेखरः |

षष्टः THs: | ERR

कटा पुम विंयुख्येत येम स्याद्सुखभाजनम्‌ सूरिद्वाच | अस्ति भोः सततानन्दं शभचिन्तं महापुरम्‌ | विद्यते भुवनानन्दस्तच राजा सदा श्यः ae चास्ति महादेवो लोके ख्याता वरेष्ता | तस्या दे कन्यके धन्ये विद्येते चारलोचने एका ब्रह्मरतिर्नाम दितौया मुक्रतोच्यते | तयोख गुएविस्तारं कोऽ वणेयितु चमः तथाहि . यं नरं चार्षर्वाक्गो विशोकयति लोलया शोके ब्रह्मरतिः साध्य afast fara सा हि sarang सा वन्द्या योगिनाभपि। सानन्तवोग्रसन्दाइदायिनोति निगद्यते सा ara fee धनग्रेखरवेरिणः तिष्ठतो मिचश्ूपेश केव नाश्रकारिणएो gaat हि महाराज निःरेषगुणमन्दिरम्‌ . श्रशेषदोषसंशणोषकारिणौ ara: विरोधोऽस्ि तया साधं खभावेनेव सर्वदा धनशेखर मिचस्य शागरस्यास्य पापिनः तां शद्धधमंपूर्णाक्ोमेष सागरनामकः। पापात्मा कन्यकां इषा दूरतः प्रपलायते `

एवं faa |.

९१२ उपमितिभगप्रपश्चा कथा।

यदा ते awe भां Tas wae: | agrat पापमिचाभ्यां निःखन्द दं वियोच्छते ललमामस्ततक्षाभ्वां शाकमेव खलोलया | अनन्तानन्दषम्दाइभाजनं Haas तलो इरिगरे करए श्ययोऽपि सुनिस्तदा | vet जरलादरविन्बस्तकरकुडमलग्राणिणा यथा | | गुणबन्दरोहसंप्रणं पापमिचवियो जिके कथं ते श्यते कन्ये भदन्त धनश्रेखरः खरिणोक्र अन्तरङ्गो महाराजः प्रतापाक्रान्तमण्डल्ः | कमेपरिणामाल्यः प्रोतो दि भवादृशाम्‌ खघ तोषितो aurea are भाविनि नातुचित्‌ | तत्पिचा तव मिचाय ते कन्ये दापवि्यते ` ततो TAY we: wa परमं सदम्‌ | नान्यः कञचिदुपायोऽस्ति विमुश्चाङ्लचिन्तताम्‌ तदाकद्य gated मां प्रत्येष निराकुलः | संजातो इरिराजरन्द्रः पुमरित्थमभाषत भदन्त AEH भगवता चया तेन धमग्ेखरेश पाप्रमेयनाग- रदोषान्तादृ श्रं कर्माचरितं खरूपेण पुमभद्रकोऽसौ धनगेखर दति तच ममायमधुना वितक्ां चथा कि खरूपेए fade: परदो- षेणापि दुष्टः पुरूषो भवति खूरिणोकं मद्ाराज भक्तये

ae: Wala | EUR

सयाहि दिविधोऽच लोको afecpiontype तच बहिरङ्ग wae: पुरषस waif वान वा अन्तरङ्खोकदोषाः Tera | aqweatpaiart दोषकारिखदवकम्‌ | RAGA मदाराज Taya कथानकम्‌

quarry निवेदयतु भनवान्‌ रिष्टोक्त प्रतोतमेव तावदिदं wargni यषा ancients कापरिषतेख anger: खष्वन्धौन्यपत्यानि दुनेनचशुरेषभवाद्‌ विवेकादिभि- अन्तिमिगुबने मोपितानोति cage wget समश त्वसङ्ातडहितकारो कवेभावस्ञभाववेरो at: कारपरिटतिकम- परिणामयोदेषौ मुपयोः सम्लर दस्छशगेन्वत्यमभेदन्नः सिद्धान्तो नाम WAGES: तख शाप्रबुहो माम सुपो fate: | चख तं पप्रच्छ wnafay qere किमिष्टं कि वाबिष्टमिति। सिद्धान्तः पराङ्‌ भङ खं पुरुषच्ष्टं दुखं एुवरनिष्ठमिति। gare हि खद पुरुषाः प्रवणेन्ते दुःखा तु सवं निवतेन दति weg: प्रर भदन्त किं gage gee कारणं fae at gees सिद्धान्ते नो TY] GSS कारणं AAT YS श्रावुद्धः ATE भदन्त रकनेव इयस्वापि कारश ननु faxgfag | सिद्धान्तेनोकर | Te विरोधः यतः छपाशितं mgee कारण दृष्याकित तदेव दुःखेति शअग्बुद्धः प्राइ किं राग्यमेव पुखद्‌ःख्योः कारश नापर fafezfa 1 fegrn: are: बाढं राच्चमेव

Baw: कारकं नापरं किंचिदपि ऋम्वुह्नोक् : नशु 115

EL8 उपमि तिभवप्रपच्चा कचा |

saafaagfad यतः खण्पतराणमिह Marat राच्यसुपलभ्यते यावता श्वंऽपि star: सुखं दुःखं चानुभवन्तो इष्यन्ते | बिद्धान्ते- नोक्त भद्र बदहिरङ्गमिदं राच्यं यक्छुखद्‌ःखयोः कारणं कि तद्यन्तरङ्गं तच्च स्दषां संसारोदरविवरवतिनां जौवानामश्येव | ततो ये जोवास्तत्छम्यक्‌ पालयन्ति तेषां सुखं पादयति येतु दुष्यालितं तद्राज्यं कुवन्ति तेषां दुःखं जनयति ततो नास्ति परत्यचचविरोधः | Wg: प्राह भदन्त तत्‌ किमेकरूपं राच्यं किं वागेकर्ूपं सिद्धान्तेनोक्र | खामान्येनेकरूपं विषेण पुमरनेक- रूपं WIE: प्राह यद्येवं ततस्त सामान्यराञ्छं तावत्को राजा कः कोशः fa qe ara ufa: केदेशाः का वा साम- Tifa ओतुमिच्छामि | बिद्धान्तेनोक्र agrawe |

सवेस्याधारग्छतोऽख TWAT खुन्दर |

एकः खसारिजोवोऽज् महाराओ निगद्यते

कोशस्तच महाराच्ये भाविक रन्नराश्रिभिः |

परिपूर्णः श्मध्यानन्ञानवौर्यादिमिः परैः

भुवनामन्दखन्दाषदायकं चाज सुन्दरम्‌ |

चोरनोरधिषडाश्र चतुरङ्गं महावलम्‌

तच महाचेन्यं मम्रौर्योदार्यशणौर्यादयः खन्दमाः चश्रः-

सौ वसौ जन्यप्रञ्रयादयः करिवराः। बुद्धि पाटववाम्मिलनैपुण्यादयस्ठ- Tran | श्रचापल्लसौमनस्यमम खिलदाचिष्ादयः पदातिवर्गाः | खंसारिनोवमहाराजहितकारो चत्मुखद्यारिबधमेनामा प्रतिना- यकः तस्य सम्यग्द्श्ेनो नाम महत्तमः seit ant यति-

WS! प्रस्तावः | ere.

waafeual सुतौ सन्तोषशशन्धपालः इएभाश्यादयो महाभटाः | अपि च। संसारिजोवराजेन सौराण्य प्रकरौरतम्‌ | चतुरङ्ग Aye णदणेयित्‌ं चमः अनन्तराणसम्भार गौरवं तस्य सुन्दरम्‌ | सख एव विमञोग्तः केवलं यदि बुध्यते मिस्तच amie चित्तटनतिमंहारटवो | सर्वाधारतया वतेते wat निविष्टानि शच्िकचिन्तजेमपु- विमखमानस रभ चिन्तादौनि नानारूपाणि नगराणि तदनुका- fet ग्रामाकरादयः। तदुपशकिता fafaweqt देशाः) त्यां राष्यभुक्िश्मो विद्यन्ते घातिकमंरुज्ञा यांसखरटाः सनती- दियनामानस्तस्कराः परिग्वमन्ति कषायरूपा aaa: विच- रम्ति भोकषायाख्या wera: उपञ्वन्ते परौषडाह्ाच्चारभटाः संभवनधुपसगाभिधाना दुषटमुजङ्गाः विखसन्ति प्रमादनामकाः विद्धाः तेषां स्वेषां दौ आतरौ aise कर्म॑परिणमो मदामो इख | एतौ चात्यन्तदरपिष्ठौ eagt cumfaat | चतुरङ्गबलोपेतौ भटकोटिभिराटतौ ततख्चमौ मन्येते यदुत कोऽयं संसारिजौवोऽख कोवा चारिबरध्मंकः। ्रावयोभुकिश्डरेषा चित्तटस्तिमंहारटवो अर्मदरोयमिदं राज्यं area: पररिपञ्धिकः |

ar¢ उपमिकिभवप्रपश्चा कथा |

क्ेपरिशामाद्मरतो राजा wafer: ` जिवैशितानि राजसचिन्ततामसचिन्तरौद्रचित्तपुरादौमि ` भिह्नपक्षिप्रायाणि भानाविधनगराशि ! प्रशा पितसतेषु मरामोदम- ix: समर्पितं ae चतुरश्रं क्लं यक्द्ाविता समस्राञ्यनो- तिः न्यस्तः समस्तोऽपि बहामोरे Tepe) खं पुनरसौ कर्मपरिणामः ee मरारैया arecicua मनुजमनतौ संसारा- भिधानं माटकं wewe ade कमेवरिषशटामो जानन्िव संशारिजोषमरारःअवो्वंमाकलथन्निव चारिच्धर्मप्रतिनायकसा- ae लचथ निव सद्चोधमन्विमन्लत्रक्रिं परिख्छिन्दन्तिव eae मरूतमवलं fafgufea सम्तोषतन्लपाशव्यवसायं waft इभा - शयाद्नेकभट रिकुक्रचलुरङ्गबलो सारं नात्यन्तमिरपेचः सलारि- Hr Vat waa कुरते शरिषधर्मारोकाममुव्मे ce wear वधेयति fa aacafa कामिच्विक्छुब्दरत्रयोज- नाभि [तकन्ञेरपि wfcwwalfatnieutsefata war ग्रहौ तोऽखौ कर्मपरिणमः खामिवृद्या ¦ जातः संखारिजोवमदहाराज- af प्र्टयस्थाने)। महामोहः पुनरनिंजभुजबलावलेपेन सांसारिजौवं चारि चधर्मादिकं तावल बं auqe मन्यते तनो यावक जानोते रुसारिजोवस्तदात्मोयं acre quale wane महाबलं वेदयते तां महासष्डद्धि नो aaa: बरकेश्वरतां ताव- दसौ महामोहो शब्धावसरख्रटद्म्दपरिकरितः समाक्रामति समस्तां तां राजुक्तिं सलोकरोति जिःजषनगरम्रामाकरादोन्‌ विल्लखति ययेश्छषा करोत्यकि रित्कर संसारिजोवं fauivafa

WS: WaT | eve

age भवति खयमेव तच संवारिजोवमहाराश्धे प्रभुरिति चरा नु कय चिष्छंलारिजौवस्तटात्मौवं wee वशं wafe wed weaq तरा किण्ट्ाति तेम महामोहेन माधसुत्कषेयति farsa वधेयति स्तसण्डद्धि किदहारूढख बहशो महामोहं विंजथते Stat मदामो रनायसो feat: eran यंदा यिवयते aaa तदा सुखमाग्नोति। acme eer विजयते तावन्मां तदा दुःखमासकन्दति | यदा तु वोयंमाभ्राति ब्ममाभ्वासयोगतः। az बसारिशोवोऽवावचिगवमतुखं किल तदा factaqare महामोधुरःखरम्‌ | mya aararia trey free fe शः ततो किगतकिन्तोऽखौ स्ततानन्दपूरितः | SUH: सुखेनास्ते VAT सुन्दरम्‌ ff Tea TS ATH WG Gag ae: | Wrewqreqrenaanata संश्रयः सखद्ःखनिमिलतसं शामान्वख ate | WAAR सामो भद्र कोर्तिता # sagen भदन्त fare लख defies सौराज्य fe वा दौराष्वनिति धिद्धान्तः प्राह मद्रा प्राव arr दौराश्यं ade जानीते क्राकोंऽशापि series ara =e ae wate नपि weenie fe ave? वंशारिजोवो करिरङ्गेषु देगेष दुःखघागरावगाढौ मैधुनसागरा-

Exe उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

भ्यामधृना शम्यते तत्पुनस्तस्य सम्बन्धि चारिबधमांदिक समसमपि AUIS महामोहादिथ्रचुभिर्भिरुदधमाप्ते Wag! अतं तावदिदं मया सामान्येनेकरूपं सुखदुःखकारणं तद न्तरङ्गराव्य | श्रय यदुक्तं भगवता यथा तदेव ॒विग्ेषेणानेकरूपभिति तदधना ओ्ओोतुमिच्छामि डिद्धान्तेनोक्क श्राकणेय |

कर्मपरिणमास्यो यो मथा वर्णितः पुरा।

प्रमाणं हतस्तेन राज्ञा Vay TAG

ततख |

इदमेव महाराज्यं परि प्रण way veg

स्वेभ्यो निजपुचेभ्यः ददाति यथेच्छया |

GATS चानन्ता सेभ्यस्तद त्सु चकः |

manera याति राच्यं पाचविगशेषतः

ततस्तेषां भद्र कमेपरिणममहाराजयपुच्ाणमनन्तरूपाणां

agra केषां चिदुःखकार केषां चिद्सुखकारणमतो विगेषेणनेक- wo भवति waged भदन्त तेषां कमेपरिणामसतानां तद्राश्य' gaat कस्य fa संपलमभिति ओ्रोतुमिच्छामि सिद्धान्ते am निबेदितमेव भद्राय यथानन्तास्ते कर्म॑परिणमपुचाः | ततः कियतां सम्बज्धि खूप भद्राय कथयिव्यते तथापि यदि ACHING भद्रस्य ततोऽस्छेका व्यापकः कथनेपायः तेनेव कथयिये saga अनुगा मे सिद्धान्तेनोक् | भद्र सन्ति तस्स कर्मपरिणमसख षट्‌ Tar) agar) निषृष्टोऽधमो विमध्यमा मध्यम उत्तमो वरिष्टश्चेति तेभ्याऽदं कथय चिदवनवि-

षदः प्रस्तावः | ९१९

न्यासेन क्मपरिणममहाराजमभ्य््े कैक TAB राज्य दापयि- ग्धामि। ततो waar तेषां षस्ामपि cena मिरौचणाथं प्रहेतब्याऽन्तरद्वा वितको मामायमाद्मोयोाऽनुषरः | ततस्तेषु षट राज्येषु Tey भवतः सर्वोऽयथेः प्रतता भविब्यति wag- नक्रं यदाज्ञापयति भगवान्‌ ततोऽरुष्ठितं सिद्धान्तेम aa aim प्रहितोऽपनुद्धेन निरो णाथं fart: | समागता खङ्िति तकानु यजन्धाभिधाने seg इृष्टाऽप्वद्धः। विहिता प्रतिपन्तिः | अमिहितमनेन। देव श्रि तावत्र विष्टोऽङहं तस्यामम्तरङ्गराच्यसुक्रौ | am मया भगरप्रामादिषु दौयमानस्तन्मनुव्यभावावेदनाभिधामो रिष्डिमकः aa खेरसुद्धोषितं यथा |

निष्ट वतेते राजा प्राकुप्रवाहेम हे जनाः |

समाचरत श्त्यानि तया पिबत खादत

ततस्तां घोषणं श्रला सवं तद्राजमण्डलम्‌ |

कोड्कू wey राजेति चिन्तया चोभमागतम्‌

आआ्ोचयन्ति राजानः SMM परस्परम्‌ |

मन्यन्ति facta इति भोः fa भविष्यति

सप्रसारं प्रकवेन्ति खगेरेषु geen: |

कौढदु श्ोऽयं भवेद्राजा नहृष्ट इति चिन्तया

ते सर्वेऽपि संग्रय चरटा निजसंखदि |

महदामोहादयो टेव पर्यालोचमुपागताः

ततो विषयाभिलाषमणग्तिण महामोनरेष्र प्र्यमिहित |

अथा

eRe sufafawranqey: कथया |

किष्ेव wer corat frevt चलत्करिष्यति | तन जानोम waa लाताचिन्तातुरा वचम्‌ तदेष देव dara: wat at fafaferwa: | SUMAN AAT Atay प्रथोने a यलः | कमेपरिणशमेय निशृष्टः खयमेव भोः | afanenrgut यादृग्‌ च्षमोऽसमत्रपोडने किं aft

ara? सरास््माकमाश्चानिदटगकारकः असखमत्पदा तिवभऽपि किङरः कर्मंकारकः तत्कमेप रणामेन tea विनियोजितम्‌ | इटं राच्च ततो देव वमेवा भायकाः wa निष्कष्टके राच्यं तदेवं देवै भावतः इर्ंस्वाने किमद्याभिरातुरेवंत भवते श्रच ATE महामोहो द्रुतमावं मिवेदयताम्‌ | कर्मपरिशामेन alge जनितः किल a

विषयाभिलाेणोक्कं | देवाकणेख |

कूपो FAT क्रूरः परलोकपराङ्सुः | धर्माचेकाममोचेखच दूरतः परिवजितः yout बिन्दकः पापो देवविदेषकारकः | किष्एिद्धाष्यवसाथस्य गन्धेनापि विभारतः जगदुदेगहेतुख्च water विषाङ्कुरः |

षष्टः weal. ERC

fatudteare a faaet निकेतनम्‌ गाौर्योदा्वं शौण्डोयधेयवौर्यादथो दषाः | लतो frweraea STEAL गताः tent महाराच्यं खथेऽप्यबाधमाधमः | fasivafeaenran . किमस्माकं करिति अन्यश्च म्‌ जानौते वराकोऽसौ wey भापि निजं बम्‌ wafe वा As: खरूपमपि तत्वतः . चास्मान्‌ ATT चरटान्‌ राच्यहारकान्‌ मन्यते quanta खामिग्धतांख भावतः - तदेवं संस्थिते देव विदहायाङ्ुशतां इदि | महावधेनकं युक्तं विधातुं अमतुष्टये ततो चदादिशव्याये cea इषेनिभरः . . तरेव कारयन्युशेमं हामोहनराधिपः अरय तद्चरितं शोके fend मणन्तिभाषितम्‌ | ततो वधेनकं तुष्टाव नृत्यन्ि ते अनाः ` गायमि महामोहराजपादागुनौ विनः | wren freecrey तन्निभेरानन्दपूरिताः कथ येनेदमवाप्रमोद्शं राञ्यमनन्तविग्तिपूरित | ओोऽस्नाकमहो वशे fear नृपतिः wert .बुष्यते तदिदं बत aqua geacay निह्ृष्टराष्यकम्‌ . 116

ERR उपमितिभव्प्रपस्चा SUT |

द्वादत पिक्ताच area प्रसभं भृत ae डे जनाः एवं तेषु भिपिप्राथेव महामेहवम्बज्धिवु भगरयामा- करादिषु ved महावधेनकं कारिता erin: | सभु्छायिता ध्वजपताका: | प्रभविष्यामं इति सशुक्षैसिता धातिक्भचरटाः | हरिथाम इवि परितिष्टा शडियतखराः। शषविष्याम दति प्रसादिताः कषायल्षकाः | खुष्टयिवाम इति इष्टा नेाकषाधलु- ष्टाकाः | छइपद्चाबयिव्याम दति शमानन्दिताः परोषश्यारभटाः शिन्ञासयियाम इति विशुन्निता उपलगेकृषटशेजङ्नाः उपरसि- ara इति तरख्िताः प्रमादंविद्रखोकीाः श्रपि © | येऽन्यदापि मदेनाग्धा महामेडहादथः षडा | निद्छष्टराण्धे cara किं fa fa a gaan तदिदं तावशाश्थातं गहामेाहादिषेश्टितम्‌ | सारिजधर्देन्येऽपि went afwary मे तेऽपि चारिषधर्नाधाः . अला. तां राश्यघोषणाम्‌ Rey Wee राजेति पर्षालाचमुपागताः ` सहोधमणग्लिणा प्रों देव विन्वातमेव ते निष्टा धद पमेकानतेन दुरात्मनः अयं दुरात्मा TG AHS TWA चास्मान्‌ गणयल्येष शचश्छतां खच मन्यते VATA CTT वधेषल्यलम्‌ खराष्यलोकरे्ानां वा्तामपि एच्छति + ततस |

वष्टः WET £22

एकं aa महामीहादिमिवेयम्‌ | दितौयमौदृशो राजा देवो दुब॑लघातकः एवं खिते i fawecrey टेवेदं wend देवदोषतः | RE प्रलयकाशेाऽथं जातेाऽख्नाकं awa: तदाकण्छं महामन्तिवचनं ते भरेश्वराः | सलेकास्तत्षशाटैव विद्राणवदनाः स्थिताः यादृशो बन्धुवर्गे खे गते लोकश्च awe | संजायते महाश्नोको रैन्यवेक्षग्यदारुणः निषृष्टराच्ये संलाते wer सद्वोधभावितम्‌ | चारिबधमेखाकानां जातस्तादृश्च एव भोः तथा | | चारिजधर्मेशाजस् वतन्ते थानि yfieg तेष सालिकचित्तारिपुरोष बत रिष्‌ ।॥ मिराभन्दा निराटोपास्ते लोकाः ओोकपूरितीः। शला freee तल्छजाता देन्यविशाः = श्रय TUTE वच्छ सेग्ययोमंहदन्तरम्‌ ` श्रानन्दशाकसन्पतर्बातं मम FILA Ua | | वतेते निश्षटोऽसौ राजा चच्येदूश्ा Fu: | दच्छामोहामतं यदा Te तं AIT चावत्तख्य वराकस्य राज्य तच TNA `

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दत्तमेव ASA महामोाहादितस्छरेः

किं तहिं खयमेव ameq निःगेषं शमिमण्डलम्‌ चारिबधरमेसेन्यं विनिजित्य विनाश्च तदन्तरङ्रतद्राच्य महामोरादितखरेः | अधिष्ठितं afeqer free खयमेव भोः ततखन्तादूशर दृषा देव सवे विसंखुखम्‌ | गतेाऽहं बहिरङ्गे तं दिड्चुअेनेषु ar: श्रय दृष्टो मया देव निष्टा मराधिपः। बहिरङ्गेष दशेषु Tena: सुदुःखितः

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पापकमंरतेा दौनः कराम लाकनिन्दितिः | जिःेषपु रुषायभ्बः परिष्षटो नराधमः स्फुटिताङ्गे wafers: पापयुश्चक सजिभः | निरा मया दृष्टः परपरेद्करः सदा सखोथराष्यपरिष्व्टो डके दुभेगतां गतः | यो zy परिण्धताऽज चख बहिः परिश्यते॥ विक्रौय दएकाष्टानि wat वा इलखेटनम्‌ | इत्वा वा AVA नौला वा लेखमालिकाम्‌ विधाय निन्धकममाणि सेाढाक्रोश्रशताजि «| निषृष्टः ATES TUTTI ¢ चे केचिदुःखिताः पापाः करूरकमेविधाधिनः |

BS: TN: | ER

शेक मातङ्ग्ोम्बाथ्ासेवां ST भजनव्यसौ तयापि वश्मभास्तेऽस् महामेाहादितस्कराः | चारिजध्मसेन्यस्य WAIT बुध्यते fa च। दुष्याखितं शतं Trey wade चोपरि | कमेपरिणामास्यो राजा रोाषसुपागतः तताऽसि भवचक्र UEC पापिपश्चरम्‌ | ares निषृषटाऽषौ तिन रान्ना वराककः पौख्यते महाद्‌खेश्तवानन्तेरनेकशः | कमंपरिणामेन निष्ट इति विश्रुतम्‌ तता मया चिन्तितं | एकं राच्यं प्रवेओाऽपि Mae ABA: | हारितं निजं राव्य wag सेन्यसुश्मम्‌ & श्विलखेहापि दुःखार्ता राव्यशवष्टा बदिष्कृतः दितौथं Trea aw निष्टा निरर्थकम्‌ AS GHG इन्त HARTA दुरात्मनः | शअरन्नानदेाषतेा जातमिदं दुःखकटम्बकम्‌ तथाहि | धदाद्मानं विजानौत agree रननपूरितम्‌ | शारिबरधरमेेन्यं प्रपद्येत GHA महामोहादिषेन्यं यद्चसौ शचसभिभम्‌ | अरवगच्छेलतखश् FAT दुःखपरण्यरा ¢

cad उपमितिभवपपश्चा कथा

इला Ceara गयपौरषसंयुतः | सद्‌ा निष्कष्टकं राज्य सुश्चोत भं संशयः अथय वा। किं तस्य चिन्तयास्माकं राजाशशो मया परम्‌ | कतेवयोाऽतः sofa दितौयस्ापि चेष्टितम्‌ ततेाऽधमस्य AY BHA देव ABC . .. fama घोषितं vests यथा पुरा समस्तोऽपि सपनो sure at निवेदितः | निशृष्टराग्ये शोऽस्यापि usp Fag तथा ¢ afwary रणस्तस्य महामोहस्य मण्णा | यादृशाः परिषग्डध्ये तानं ते निवेदये an fe तदा पिषयामिलषेण मण्तिशा। यचेवंविधोऽसाव-

धमराजो जनितः कम॑परिणाभेन निजयपिचा aa TMA गाढं परशोकपराङसुखः | ध्ममोकशतदेषः प्रतिबद्धोऽयेकामयौः ष्टे रूपे रते गन्धे GT Treaty: | तपोदानदयाश्रौलब्रह्मचयं विदूषकः TAMAR SAH सदेकादेश्रकारकः ` चारिजधर्मधन्यस्य विदिष्टो देरिषज्निभः मं चायमपि जाभौते राव्य" नापि निजं बम्‌ खरूपं मं चास्माकं तद्छराकारधारिताम्‌ ॥.

AS: प्रस्तावः |

तत ्रधमश्यापि दर्थं तंडष्य परमार्थतः | अस्माकमेव dog देव are ane: केवखं प्रवेश्रौऽशच दातो भुक्िभण्डले | प्रविष्टो fe विजागौयादास्माकौनं विकेषितम्‌ अस्ति कि नमां हि are cena: | दिष्करणमेवातो on भाच sana ततः माह महामोहो यः स्ादख बददिष्कुतौ उपायः कोऽपि निःशेषं तभ्यो वक्षमरेति ` ततः प्राह Hera रेष विज्ञापितं नथा | यथासावधमो राभा प्रतिबद्धोऽर्थकामयोः ततः सर्वेऽपि सथ ae तैं धगकामयोः | आसक्त MUSHY धारयामौ बदिग्कतम्‌

ततः | | ` | एवं विधौयतामाचं महामोहेन अखितम्‌ | बहिष्करर्कनिभ संन्णीगूताखं तख ते ` अथास मन्निण्सख्य सुता परमयो गिनौ | qfenty faurerdt कषा तजेदमभाषत देव ae जिताशेषदेवदानेवमारुषाः 1 ओोऽधमः कियतौ arn ere प्रति mean: तहोधतां ममारेणो येन तं वश्वर्तिनम्‌ 1 Waray करोग्येषा gure कि विचिन्ता `

ERS उपमितिभवप्रप्ञ्चा था |

राव्यभष्टं afeia भवतां कमैकारकम्‌ | Was तं देव करिग्यामि awe 4 TTS aq मे प्रभवो टेव aaa खडचारिणः | QING भवन्धेव सोदर्याः सखौ यमारुषाः सन्निधानं भवल्येव भावतो भवतामपि | सवधां तज पुरषे थो वश्नौक्रियते मया तयाहि | धनगकामविहौनोऽपि भवद्धियक्षथा मया | fawatsft qu देव प्रापितः पापिपश्चरम्‌ agraat ममादेश्ो मा विशम्बो विधोथताम्‌ | गच्छाम्यहं बददिष्कतुमधमं तं नरेश्वरम्‌ ततो SAMARIA ALTATKAV YI | खा इष्टिः प्रगता ay चास्ते सोऽधमे नृपः TAG Sami तादृशं Fe सवं तद्ूमिमण्डणम्‌ | शारिचधर्मसेन्यं जातं चखप्रकग्पितम्‌ निशृष्टराख्च चे वाताः शाकाक्रन्दादयः पुरा | अरधमख्वापि ते Wey GAT: WITS अय सा योगिनौ गला शतान्तधानविथमा | अधमस्य भरे्रख्य तस्य जोचनयोः स्धिता तत तदञेनासौ रूपालोाकनदाशपः।

ae: प्रश्लावः। ERE

संजातेऽन्यन्न WAA संसारे सुशकारणम्‌ स्लोणां कटाखविकेपविभवमेद्गितसंख्ितम्‌ | wag हसितं Heat शोखचथर्निरो चते नेजवङ्कस्तनायेषु ATFT ATU: | नोखालेन्दुलसत्कुम्भ कल्पनां प्रतिपद्यते विलाखलाख विभ्बो कंडावभावविराजितम्‌ | SUNY सुन्दरोखार Hae aleg मोदते विचिजरशिषविन्धाशांस्तयान्यच्च सकौतुकम्‌ | खोऽधमो रूपसुत्पश्यन्नानन्दमवगाते चिन्वयति च। अहो सुखमहो सग शयाहो पुष्छक्मेता | यस्य मे maa faa साख्य ङ्पदग्रेमम्‌ ततो राजिदिवं मूढो रूपद शेनलोशपः सोऽन्यत्कि चिन्न sent कोऽहं किं वा मया हतम्‌ तथा वर्तमानस्य स्य्ेनाद्येस्तथापरः ` महामोहादिभिस्तस्य छं खं ate मिदर्थिंतम्‌ # अय तेशुप्तसंज्ञानः सोऽधमो निजराञ्यतः | afeia: wat देव प्रसक्तो धमकामयोः ज्ञातं तेन agry निजं मं महाबलम्‌ | म्‌ सब्डद्धिने वा तेम राजाहमिति fafaaq सहता बन्धनृद्या सा दृटिकन योगिनो महामोरमहासेन्यं खुडद्धतं निरोकितम्‌

117

९३

उपमितिभवपपश्चा कथा |

ततर टसेन्येन तेन तद्राश्यमश्चा | amtary इताः सवं तच्यानुचरपार्थिवाः

तु राच्यपरिषष्टः सखौयबान्धवव्जिंतः | रिपुभेन्यदटतोऽणरमन्यते सुखमात्मनः दुःखरूपं TAT SRT दुःखजन्मकम्‌ | मन्यते fe विपर्याशाच्छब्दाश्यलुभवं सुखम्‌ राजरेवकथेलूषवन्दिध्ुतकरो पमः

संजातो वरिरङ्गेषु देशेषु मरौपतिः fagurat महापापः हपास्थामं विवेकिनाम्‌ | नास्तिको इतमयांदो धर्मानुष्टानदूषकः मन्यते धाभिकं लोकं सहास्यं भोगवश्ितम्‌ | विदग्धं मन्यते मोहादयेकामपरायणम्‌

चिन्तयति

यस्य रूपेण नित्य ग्रहिणौ वश्वतिनौ | धनं रि aay ate: शेषा विडम्बनाः एवं बहिरङ्गषु देशेषु विचेष्टते |

राजा विलपसवंसखठः सुखमन्यस्तथापि श्रन्यदा तेन aragt aifeat रूपश्ालिनौ | तश्यामध्यपपन्ञे्च ततोऽसौ दृ टटिदोषतः

ततस |

अ्रमालोश्य FUSE: कशङ्धमतिदारुणम्‌ | ATG पापसहनतमरलायतिवौचणम्‌

WS: VENA: | ११

अनाकलग्य खोकेऽसौ wad चात्मनोऽतलम्‌ | कायाकाय विचारे हतात्मा पार्थिवः तां मातङ्गं समादाय सद्र पालोकलम्पटः | तदक्षमौ्षमाणोऽसौ नान्यत्किंचन बुध्यते ततस्त तादृश वच्छ टत्तान्तं सोऽघमो नृपः | बहिर प्रणनेऽणबे निंन्दायाः पाचतां गतः VAY शुशय गाडढाकार्यंकारकः | राञ्धाजिष्कासितो खोकेगुण्ठाः wa पूजिताः ततो दुःखग्रतापूषेः क्लिशिलासौ बदिजेने प्राप्नो जिृष्टराजोयामवसख्छां पापिपश्चरे कमंपरिणामेन Trey दुष्टं शतं तया Wat Mya दुःखेरनन्तेखच रोषतः ततो मया चिन्तितं | CAT संजातमधमस्येदृशं फलम्‌ | श्रभ्षागदोषतो ea नान्यत्किंचन कारणम्‌ | कतोयवल्छरे देव आतो राजा विमध्यमः राञ्ख awe विदितं घोषएादिकम्‌ | समस्तोऽपि sare: पर्यालो चा दिकस्तया ततः सेन्यदये जातो यथानन्तरराश्ययोः | aay | महामोहमहाराजो Aaa प्रत्यभाषत | श्रावं वणंय algal gure विमध्यमः

ERR उपमितिमवप्रपद्ठा कया |

APA महाराज व्छणोऽय नराधिपः | sara fa तु चारिचधर्मसेन्यमपौष्वते तयाहि | थथास्माग्छन्यते चित्ते बन्धग्डतानथं सदा | तयानुवर्तयत्येष aa तद पि पाथिवः केवलं पद्पातोऽस्य गाढमस्मासु इश्यते | चारिबधर्मसेन्ये तु राजाय श्रियिलादरः॥ eats यथा am चिन्तमस्य महोमुजः | तथान्तराम्तरा किं चित्परश्ोकमपोचते प्रतिबद्धं ममो faa यथास धनकामयोः | तथानुश्रौलयत्येष धमेकायेमपि कचित्‌ भद्रकः सवदेवानां ata सवंतपसख्िनाम्‌ | दानशोखपरः fates सच्छास्लविदूषकः तदेवं टेव राजायं नास्माकमतिषन्दरः | यस्माश्चा रिजधर्मादिसेम्यं जानाति किंचन तद्चावहिनैरभाव्यं देवास्माभिः प्रयोजने | Watcha Wey दातव्यः कथंचन प्रविष्टो fe भवेदेष ससेन्यपरिपालकः | areata पुनः Se बाधते नाच संशयः afeia: खसेन्यस्य यद्येष परिपालनम्‌ | gaat मास्माकं भवेदत्यम्तबाधकः ्रस्यापि तदेवाच बहिष्करणएकारणम्‌ |

aS: Tera |

Taq सडह यदस्मा मिरधमस्य हतं पुरा Saree भो देव तत्तदेव विधौयताम्‌ | थावन्ञाक्रामति प्राष्य राज्यमेष विमध्यमः एवं भवतु तेनोक्रे महामो इमरोभुजा | बहिष्कृतः agit: सरवेदृ्टिपुरःषरेः anted axe fa तु नात्यन्तपोडितम्‌ | सारिब्रधर्मसेन्यं ममागेतेरपे शितम्‌

खतु राजा afesat मागघन्मानपूजनेः | AAAS TY पालयत्यन्तरान्तरा प्रविभागेण संख्याय शोऽहोराचं खणे wy | wa धर्माथकाभेष काथ aretha सद्‌ा तेऽपि चारिषधर्मा्चा ममागाणयायितास्तया | तेन WH Safer शोकाक्रन्दनरोदनम्‌ राजागो ब्राह्मणाद्ाख्च ये सद्‌ा चारवतिनः | जिवगेराधमोदयुकासतेषां रूप भजत्यसौ

अय TREN कुवेज्िजराच्यं स. पाधिंवः | जनमध्य गतः BTA धन्योऽयं पुण्छकमेकः कर्मपरिणामाख्यो यः पिता ae शपतेः | असावपि मनाक्‌ तुष्टो द्वा तन्त चेष्टितम्‌ ततस्तं Weert कदा चिक्छुखकारणे | कटाचिद्मागवावासे भगरे सुखपूरिते कदाचि सुखोपेते नगरे विषधाखये |

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eRe उपमितिभवप्पद्चा SUT |

प्रापयत्येष Tat मयेत्याकणितं तदा अयातोते पुनस्तच भुक्रराञ्ये विमध्यमे | जातोऽन्तरक्गराज्येऽषौ मध्यमो नाम पतिः विदितं ated आतः पर्यालोचो मरहोभुलाम्‌ | faafearg तस्यापि guaaa मन्तिणा कथ | अयं राजा महाराज मध्यमः सततोद्यतः | धर्माथेकाममोकेव्‌ पुरवायेषु भावतः परमां ATER मन्यते AAG | तद्धेतुश्तं धमे प्रसक्रोऽयकामयोः उदारस्तविर हात्केवज्ं धन कामयोः | प्रटत्तिं कुरते नित्यं तदेषां खिन्तयज्लपि बन्धूपुजकखजादिषरूपं यद्भावबन्धनम्‌ | तन्चोटनं शक्रोति कतुमेष af: तदिदं मज्विणा तावक्महामोहादिश्ञेजाम्‌ निवेदितं मया तज श्तं जनवातेया अप्रुदधेनोककं किं पुनरपरमाकणितं अनवातेथा भवता | वितकंणोक्क श्राकणेयतु देवः | येन ते कथितं देव सिद्धान्तेनाखिष् पुरा | सां परि चयस्तम तस्यास्ति मरोपतेः ततस्तद्‌ पदे ग्र मानेन ALMATY | Agana महाराच्यं AMEN शितम्‌

aS: TR | €Ru

ay सारिचधर्माद्यं सेन्यमौषद्धि भावितम्‌ 1 सण्टद्धिनिंनरूपं विज्चातप्रायमश्जसा i महामोहादि शचा तेषां शरटद्न्तिता | तेनावघारिता राज्ञा सिद्धान्तवचनात्किल्ल ततोऽसौ मध्यमो राजा Rate कियतोमपि | ame ग्मि राज्यस्य मध्यभागे व्यवसितः अय चारिबधर्माद्याः खाङ्ण्धताः पदातयः | मनागाह्धादितास्तेम चोराखेषन्निपौडिताः ततस्तदोयैमुदौच्य महामोहादितस्कराः | खेवका इव awtar: खिताः कम्पितमानसाः मनागाहादिताखिन्ते खामिवोये facie ते नुपाश्चारि धर्माद्याः खषेन्यपुर बान्धवाः यया वशौहृताः पूरं राजानः सापि योगिनी | qa मध्यमराजख इष्टिनात्यन्तबाधिका ततोऽसौ मध्यमो राजा मनाङ्निजिंतमष्डलः Tey यापनधात्मोयं कालापे्ो भुनक्कि तत्‌ बहिरङ्गंष देशेषु ant इ्ञाष्यतां गतः | धन्योऽयं पुष्यकर्मति wera मराधिपः किं बहना | ये केचिद्लभसव्मार्गा जवा अनेद्रश्ाखने | जौवा दितत्वेन्तारः श्रद्धासण्णद्धमानसाः यथाशक्ति कियद्योऽपि पापेभ्यो विरतास्तया |

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wufafanauug! कथा |

समस्तभुवमाह्वादकारिएः WEBWaT

तेषां fe यदलुष्टामं तत्तेमापि निषेवितम्‌ |

देव मध्यमराजेन तद्राज्यं भुश्चताखिलम्‌ w

ये चान्ये तादृशा Star: परलोकङतोद्यमाः `

गहोतमोचत्ार्ाखद्रुपोऽखौ नराधिपः

ततोऽसौ a: पिता तस्य सावंभोमो acu: `

कमेपरिणामाख्यस्तोषितस्तेन HAUT

ततोऽषंस्थसखापूएं नगरे विबुधा लये

राजा मध्यमस्तेन नोतो राञ्येऽतिशचि्ते ततोऽहं चरितं वौच्य चतुर्णामपि अभुजाम्‌ |

तेषां षकौतुको जातः पञ्चमः किं करिति

धावन्त महाराच्ये यामेष नगरेषु |

घोषितं डिष्डिमेनो शेरन्तमोऽ मशोपतिः

ततस्तां घोषणां sat तेऽन्तरब्गनराधिपाः |

पुनः पर्याकुलौग्ताः gett इतरेऽपि

ततञखारिज्रधमांय तेन सदोधमग्तिण |

सन्धौरणाथें dara ager प्रतिबेदिताः

an हि तेन aatuafeaar |

मा भैषुरज भो लोकाः सुन्दरोऽयं नराधिपः | श्रत्यन्तवत्छलोऽस्माकं मश्ानन्द विधायकः जानात्येष निजं राव्यमिदं रत्नौ चपूरितम्‌ | श्रस्मां खच Beas नामतो गणतोऽपि

BS प्रस्तावः | ERO

aaa ये FUG ये यामनगराकराः | ये देशा येऽ रटा ये लोकाः WETTe: |i या राच्यख्ितिः कावद राञ्येऽतिसुन्दरा। तदिदं बुध्यते देव शवसु्मग्डपतिः वधकोऽखरदलस्यायं मदामोदादिद्धदनः | स्वरनुपरणेयं कथार्रष मरौ पतिः तदस्य afer राज्यं तद्राच्यं परमार्थतः | अस्माकमेव संजातं देव ATTA सशयः सदहोधमन्तिणो वाक्यमेवमाकष्छे ते नृपाः जातास्चा रिचधर्माद्याः प्रोत्फुषलसुखपङ्कजाः ततश्चारिचधर्माथेः श्तलोकचमत्छति | शतं वधेनकं तोषाद्‌ानन्दरसनिभरम्‌ गायन्तिश ते. यथा।

ददसमुन्तमराञ्छमद्ा NqG

दलिताखिलतस्करदन्दबणम्‌

अचिर भविव्यति age

प्रमदाय शच साधुजनस्य अश्रम्‌

दतख | |

मामो हादयः खवं Bat Tey तदौन्लमम्‌ | प्रलोमा वयमित्येवं gare इव स्थिताः क्र यामः नश्यामः कथं जौ वितरणम्‌ -

इ्येवमाङ्खक्ोग्ड तास्ते किं fa किम gaa 118

दख उपमितिर्भवप्रपश्चा war |

अथ Uieq समाषाद्य faq Avaya | उत्तमेन सिद्धान्तः vet ceafefl तदा तद्यथा कथं नाय प्रवेच्छामि aa राव्येऽतिदुगमे कथ वा निहनिष्यामि प्रचण्डलरटागश्म्‌ ii कया वश्रौभवेन्नोत्या तत्छराष्यं ममाखिशम्‌ चर स्याने मया भाय नियोच्यं निजपौ रुषम्‌ सर्वोपायविधवेन्ता & महाभाग वर्तसे | यथा निष्कण्टकं Tey स्यान्मे ATMA तरेवसुन्तमेनोक्े सिद्धान्तः समभाषत | ag योग्योऽखि राञ्यस्य तस्य नाद्य संशयः तथाहि | atentenarre तदयं धर्म॑साधकः | संसारादिरतोऽत्यन्तमथेकामपराखःसुखः मोखे प्रवतेमानश्य था कौर्तियश्च ते सुखम्‌ प्रसक्गजनितं तकत ay गो बन्धकारणम्‌ भवपरपञ्चः सर्वेऽपि विदितो भवतः स्फुटम्‌ तच्च Wey sar wma यत्पिवा ते निवेदितम्‌ प्रवेश्नो पायस्तज राच्ये ATT ते गिवेदयिव्यामि गिःपरषमवधारय तज भोः प्रविश्तान्तरङ्गरान्ये नरपतिना प्रथममेव near Uva: | शम्यमनुष्टयशशदु पदेशः. विधथाडहिताभ्रिनेबग्रे शद्‌ पचर्था |

BS! URI: | ९३९

कत्य धर्मश्ासखपारगमनं विमनो यस्तात्पर्थेण तद्भावार्धः | जमयितव्यस्तेन चेतसोऽवष्ट्भः | श्लु शनो शनोया धर्मश्ास््रे Gale: feet: पयैपासनोयाः सन्तः परिवजेनोयाः सततमसन्तः | रच्रौयाः खरूपो प्रमथा sass: भाषितव्यं सत्यं सवेश्तडि- TAINAN ATTA परोच्य वचनं ग्राद्यमष्णोयोऽपि परधन- मदन्तं | विधेखं सर्वासामसख्मरणमसंकण्पनमप्रा्ंनमनिरोकणमनमि- भाषणं स्लोण्णां | कतेव्यो बदहिरङ्गान्तरक्गसक्गल्यागः। धारणोयः संथमोपकारौ महायतिवेषः | थापनौयं मवको टि विश्द्धनाहारोप- धिश्रथ्यादिनात्मश्ररोरं विहतेव्यममियतविषारेण दातव्यस्त- श्रानिद्रालख्यविषादादौनामवकाश्रः 1 गन मू्िंतव्यं aquily | गर्धितव्यं खादुरसेषु मोडितव्यं ुरभिमन्धेषु नध्युप- THe कमनोवर्ूपेषु | मामिकां कितव्य कशध्यानेषु गोड जितथ्य TAINS: | लगष्ठनोयानि बौभत्सरूपाणि देष्टव्यमम- aay fafa दुरभिगन्धाः। गद्फोयमकाम्तस्प - रेषु प्रतिचणं चाशनोयो विशद भावनयात्मा भवितव्यं षदा संतुष्टचिलेन | खमाचरणौ यं विविच तपश्चरणं विधातब्धोऽनव- दतं पञ्चविधः खाध्यायः प्रणिधेय परमेश्वरे खततमन्तःकरणं | afaael खभितिगुक्तिपरि पूतेन मागण परिसोढव्याः चत्िपा- खादयः wee: तितिचितव्या दिव्याञ्ुपसगाः च्रभ्यसनोयं धोष्टतिष्मेतिबल्ाधानं थतितव्यमसंपन्नयोगेषु एवं fe gaat मृपतेभेवति तन राज्ये प्रवेश्रः। तद्भवताण्येवं तच प्रवेष्टं उन्त- Ram) यदान्चापयति नायः | सिद्धान्तेनोक्ं | aq यद्येवं ततो

ege उपनमितिभदप्रपञ्चा wear |

भविश्यति तच राश्ये तव प्रवेशः Raw यररोतवयस्वथायमन्तर- करनोऽभ्यासनामा खाङ्गिकः eure: | तया चारिजध्मसेन्यादागमि- afa a वैराग्धामिधानो दितौयः सहचरः ततस्ताग्यामन्बा- सवैराग्याण्यां सदितेन भवता तत्र राच्ये प्रवेष्टं निरोद्धव्यो मदहामोदादिसेन्यस्य यन्तो बहिःप्रचारः। निहन्तव्या aed बलान्निगेच्छन्तसत्सेनिकाः। संभौोरणणयं चारिबधर्मवेन्यं खिरो- aden चिन्तटन्िराञ्यश्डमिः प्रवर्तितव्या मेचौसु दिताकद्णोपे- चाभिधानाखतस्तो ANTS: | ततः समयसामग्रौकेए खता पूरवंदा- रश प्रवेष्टव्यं तच राच्यं भवता तख्य वामे दिग्भागे महा मोशादिसेन्याधारण्तानि सर्वाश्छपि याममगराकरपवेतनद्यादनि प्रतिवसण्ति। दचिथे तु दिग्भागे चारिचधमरेन्यस्य aati प्रामादौोनि विद्यन्ते। सर्वाधारा पुनस्तेषां चित्तठल्निरमंहाटवौ वतेते तस्याञ्च पथमो पञ्चिमे दिग्भागे विद्यते नि्वैतिनाम गगरो सा हि तां महाटवोमतिश्य वयवस्विता तां निर्वृ तिनगरौँ प्राप्तस्य ते परिपणे भविय्यत्यस्य राज्यस्य फलं अतखद्ग- मनाथमेव प्रस्थानं विधेयं a कतेव्योऽन्य् भवता प्रतिबन्धः | गन्तव्यं तस्यां नगर्यामनवरतप्रयाएकेदिन्तटन्तिमध्यभा गवतिना- ray महामोहा दि सेन्यारष्टन चारिजधमांदिसेन्यातिवहनभेन सततम दासौन्यनामकेन महाराजमार्ेण | तखादावेवा स्ति ताव- दध्यवसायो माम AYES: | यदा पङ्ूकशषो भवति तदा neaa महामोहा दिषेन्यं पोषयति चारिबधर्मानोक तु पोड- धति चदा पुनः प्रसश्नतया wet भवति तदा सोऽध्यवषायम-

WS: VAT | est

हाद रिजधमसेन्यं तत्छभावतया trata महामोषहादिबल तु केति श्रत एव॒ महामोादयस्तं teary कणश्षयन्ति चारिचधर्मादयस्वात्मोपकाराथेमेव तं प्रसादयन्ति भवता तु तख्ाध्यवसायमहाषदस्य प्रसादनाथं ताञ्चतखोऽपि महादेव्यो fatten: | यतो निपुणास्तास्तस्य नितराममशताकरणे ततः प्रसन्नोग्डते तजादिमराषदे पुष्टोग्तेषु शारिजधमादिषु ate mang कथितेषु महामो हादितस्करेष पुमरग्रतो we) ततो भविव्यति तस्मादेव मदाददात्‌ प्रत्ता धारण नाम महामदौ | साच स्थिरसुखथानासनोपविष्टनोच्छासरदहितमतिवेगेन गच्छता परित्यञ्य निःग्रेषमिद्धियव्याच्चेपं भवता प्राप्तव्या aet wafaafa ते महामोहादिगश्रचवो विविधविकण्यकण्यकल्लोल- कान्‌ ते भवतात्यन्तावडितेन agate: ततो xeafa लं धमेध्याननामानमतिप्रगुणं दष्डोलकं तेन॒ aH गत्वा पतिष्यति सबौजयोगाभिधामे महति मां तेन गच्छ तस्ते प्रतिक्षणं प्रलयोभविव्यन्ति सवेंऽपि महामोहादिश्जवः। खमुखलिष्यन्ति तेषां खम्बन्धौ नि समस्तच्यानाभि प्रबलोभवि- वयन्ति चारि चधर्मादयः घवणलतां धारयिष्यति समस्तापि राण्य मिः ufaafa रजस्तमसोर्नामापि ततो wad लं शङ्कध्यानाभिधानं दण्डोलकं तेन गच्छतो भविति ते विमशकेवलालोकः। ततः सष दण्डोलको गला fafeafa मिर्गोजयो गाख्ये ददति मागं तच fata तया विषमरि- पुसमोकर णाय विधातव्यः केवलिसमुद्धाताख्यः waat भिहन्तव्याख

2 gr उपितिभवपपञ्चा कथा |

arena दुष्टवेतालाः ततः परं भविव्यति tan नाम वतेनौ तथा गन्तव्यं सेव aet निर्वतिगगथो भवन्तं प्रापयि- चति a धतोऽनारतसिष्ठतौति। एते ad तमौदासौन्य- नामकं मशाराजमागंमसुञ्चत एव भवतः suena यतिकराः | अन्यच्च तच गच्छता भवता ग्रडोतन्या समता भाम योगनथिका | wat पातनौया निना दृष्टिः ततस्तस्यां मतायां पतित- sews भविति ययावख्ितपटा्थदशरेनं ततः खयमेव विन्चाय प्रतिकणं यथो चितं करिष्यि fa बहूनोपदिशेनेति।

तस्यां मि्टैतौ aq प्राप्तस्तं सततोत्छवः |

तथ्यान्तरङ््राच्यस्य फलं भोक्ता भविष्यसि

निर्बाधो नष्टनिःयेवश्रचुसह्मतमिभयः |

स्यास्यसि त्वं महाभाग सततानन्दपूरिवः

ये तेऽन्तरङ्गाप्ते ग्पास्तेऽपि शतिषमन्विताः |

मो दिषयन्ते त्वया साधं स्वँ तल्लयतां गताः 4

अन्यच

कलापे रिपुन्तारं we वेराग्यनामकम्‌

जिधाथात्यन्तनिपुएमन्धासं मार्ट शकम्‌

राख्छप्रवेशरादारभ्च AEA पटे पदे

वमाना महाभाग मविष्यन्ति faa:

किं बना | ange मार्गो faery waa: | नागुषक्गो दिधानव्यो बहिरङ्गविन्डतिषु

BS! प्रस्तावः | £08

USCA: GAT मामक वषः |

एवं ते कुर्वतो awe va ae भविष्यति

तद्‌ च्छ वत fafa ge cee सुनिमेशम्‌ |

तया USNS प्रापे swat मे परिश्रमः ॥. . उन्लभेनोक्ष | यदाश्चापथति भायः |

ततो ययोपदिष्टं afegray महात्मना

तथेव विरहितं सर्वसु तमेन सुमेधसा

ततः प्रविष्टोऽसौ तज राच्यं तेरेव aaa ..

विहितागरेषकरतैग्थो रेवोन्तममहोपतिः

रय सा atten दृषटिमंहामोशादिश्चुभिः |

तष्यापि थोजिता देव वश्ौकरणकायुकेः a

याबता AAG: दृष्टेव्रवर्तिताम्‌ |

fa a निर्जित्य at तेन तेऽपि सर्वेऽपि निजिताः

ततो faefetiensant विकण्टकम्‌ |

wg तिकं स्फीतं TAY खन्दरम्‌ .

पाणवभ्िभेन्यानि धर्वाखाह्वादर थन्‌ प्रजाः |

अमुद्चभिवुतेमागे लोकते areata कथं |

धन्योऽयं BBs महात्मा नरसत्तमः |

येनेदशं भहाराश्य' पालितं पुश्थकमेणा ` aay

देवदानवभानुख्छ श्रक्रयक्रधरोः खतः

€898

उपरमितिभवप्रपश्चा कथा |

गच्छनि aaa सप्रात्तः परपूजनम्‌

तदेवं भुवनख्यातं सुखसन्दो्पूरितम्‌ |

तद्राष्यमन्तरक्ग भोः VTS मनोहरम्‌

तेनौदासौन्यमार्गेण गच्छन्निःगषचष्टितम्‌ |

सिद्धान्तोकत प्रकुर्वाणः gain दृढसंस्मृतिः

तस्यासुन्तमो राजा निदं तौ सततोत्छकवः |

संप्राप्तः MAM देव YER राच्यस्य सत्फलम्‌ अन्यच्च | देव मयाकरणिंतं यथा तस्यां निट तौ नगर्यां

ea जरा नार्तिन गशरोको नारतिने भीः

gga पिपासा केचिदुपद्रवाः far तदहि |

qrarfan निराबाधं खाघौभसुपमातिगम्‌ |

mae योगिगम्य सुखमेव हि केवल्तम्‌ तत

एव तत्पाछितं तेन राष्यसुन्तमण्भुजा |

येन तस्यां संप्राप्तो जातथिन्ताविवजिंतः अन्यश्च |

थो राच्यदाता प्रागासौत्पिता danza: |

कर्मपरिणामाख्यस्तन जित्वा farce:

age: सा छतिक्रान्ता पुरो यामुत्तमो गतः ततश्च

क्मेपरिणामाय ढौकमप्येष यच्छति

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far afe अनन्तानन्दसदो्यंन्ञानदशेनपूरितः। सततं मोदते धन्यस्तस्यां मिःओे वितक्रियः चिट्तिमहाराच्छे फलमेतत्सुपाशिते | यदनन्तं भवेत्काशमवस्यानं fe भिटतौ॥ - तदेवं देव agrey परिपाद्ध विधानतः | संप्राप्तो निं तौ पुर्यासुत्तमः मद्ौपतिः

अथ षष्ठे पुनवेषं तच राश्ये मियोजितः |

वरिष्ठो नाम TAR: BTA भुजा विहितं Wed रशे fefeta यथाक्रमम्‌ | पर्यालोचादयो भावाः way मरोसुजाम्‌ ` अय fafaa agg महामोदहदादितसखकराः | facineat facretar: संजाता श्टतकण्यकाः इष्टाखा रिजधर्माद्या मुदितं साधुमण्डलम्‌ संजातं खदेगेषु महावधेनकं परम्‌ यद्चोत्तमस्य पन्नो saat राष्यसाघधने | एव वरिष्ठस्य विगशेषस्त॒ निगद्यते आआसौत्परिषयस्तस्य सिद्धाकेन पुरा aE: | विहितं तदचस्तेन वरिष्टेन सुमेधसा wag facmare राच्यं तेन महात्मना |

ve: किंचिदण्येष सिद्धाग्नो राञच्यसाधनम्‌ `

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खत एव विजानौते sat weafefa fare | वरिष्ठो महाभागो नान्यसखस्लोपदेश्रकः tt

अन्यद |

सौराज्ये निअवौच विदिते तेन भभुजा | बदिरका महात्मानो Wares पदातयः बहदिरङ्गपदातेनां धारयन्ति यतो गणम्‌ | ततस्ते विश्रुता शोके नाच्ेति गफधारि्टः # ततस्तेन afte ैराक्षगणधारिभिः इपकारोति विश्वाय सिद्धानो निरूपितः अयोपखभ्व fegiai राजारेगेन घादरम्‌ |

. समारथयण्ति ते सस्व श्रोरमतिषुन्दरन्‌ tt

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ततखङ्गान्यृपाक्रानि See रतनिखयाः werqafay ते तथ्य weary भरूधारिः faa

सोऽजरामररूपोऽपि शिदङ्धान्नः ware: | शोके प्रसिद्धिमायातो वरिेनेष कारितः 4 नोपदेष्टा वरिष्ठश्च तेनाश राख्यशाधने | मिलश्ञानवलेनेव agrey तेन साधितम्‌ निरपेष्ठो महाभागः afcet नरेश्वरः तदा परोपटेश्ानां संजातो निजवो्थेतः a

कमेपरिणामेन aye जनितो गृपः |

WS: OTe | ९89

wa fatcfaase विश्चातं शौ कत्रातया

fe देव भगवान्‌ aftet te: सकखकाश्चं॒राथव्यसनो उपसजेनोशतख्ञाच्रं उचितद्िवावान्‌ देवगुरवजमानौ रेन्यरौन- इदयः सफञारम्ौ Wawa परजेश्वरो awe चिकलोऽत्य- न्तधोरगम्भोराग्रयः। WITS परोषहेषु भयसुग्सगेषु चिन्ता- Dikaat गणमापि महामोहादि शुवे सात्मौभाव्रच्ारिष- wren निजबले ऽभिरतिभुंवनोपकारकर खे अन्यश्च |

प्रविष्टश्य AUT AW AG AYA: | संजाते oI इतेषु चरटादिषु #

राण्य परिष्तं faa yea: सततोत्छवम्‌ | afecyt agama wfaal तां faaty मे रसत्किरीटकेयुर सारङ्ुष्डखग्ध पिताः

श्यो तितागेषदिङ् चक्राः श्रकास्तस्छ पदातयः 9 ददं feyat देव खदेवमनुला रम्‌ |

तदा वरिषसजख्छ aq किद्धरतां मतम्‌ ara जि्युवने देव fafa: सा aura - तस्य श्वापि daar किंतु त्यां a निःखूहः गगरयो facat चेन मार्गे मरेशरः। मश्वितख्ं खमसेभ्को जनुभ्बो Senay +

तं दे श्रयतख्च्य तेम क्रिभर निर्भरः | सुराश्ुरनरं टव ua afeaza a राजलखपनोयाद्यञ्धि नरनेख fafa: |

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उपमितिभवप्पश्च कथा |

एते अयः प्रभोर्भान्ति प्राकाराखस्छ निर्मलाः MAHATMA ETAT: श्रश्ोकपादपो भाति मनोनन्दनपश्लवः रणद्विरेफसंकोरणा सुरासुरकरेरिता | quate: पतत्धुशेगं नामो दितदिकूपथ।

तया |

WATTS Zale मागं श्ननाम्‌ | afte खततानन्दिनिर्घोषः भूयते किख UTA AIA ATA HTT TATA recta विराजन्ते चामराणि जगतभोः विचिषरनविच्छिन्तिनिमिंतामि महान्ति च। सिंहाषनानि शओोभन्ते चलारि चतुराषतेः प्रकाजिवनभोभागे भाखराकारथारकम्‌ | राजते तन्तमुल्ला सि प्रभामष्डशमुश्तमम्‌ A छष्लासितजमादादः सुरकिङ्करताडितः | wae दुन्दुभिर्दिभ्यो जगतां autre: | श्रातपजयं भाति भुवमजयनायकः

अयं रिष्ट इत्येवं ख्यापनाचंमिव प्रभोः दत्येवमादिभिर्देव देवदानवनिरभितेः | प्रातिरा्येमहाभागः वरिष्ठो विराजते tt

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सुगन्धिरविंमशो देहः प्रखेदामयवजितः |

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गोखोरहारसङकाश्ं TH मांसं waa: निर्हाराहारचष्टा gar मांसचषुषाम्‌ | निश्वासः सुरभिसस्य ama रण वसो RSMAS मागधैः GI योभममा जके | एकापि भारती भाति सवेषां निजभाषथा पूरवोत्पन्लाः प्रशराभ्यन्ति वैरमारौरुगौतयः | mena area भाविन्यस्तस्य तेजसा योजनानां we नास्ति दुभि त्प्रभावतः | अटष्िरतिशृिखि स्तः स्तेमादिगख भौः इत्येते VME महामो इा दिवेरिणम्‌ | समुदहखनतो देव GAT वरग पतेः

चक्रं ET ध्वजो रबेख चितख्चारविभ्मः | भाति राजौवराजिच्च क्रामतः कमवर्तिनौ अधोमुखाय तिष्ठन्ति कष्टकास्तत््रभावतः | अवख्धितं तदा ay मखरोमादिक प्रभोः शब्द खूपर सस्पशेगन्धा FTA TU: | तवस भवगध्ेः प्रभावेण जगत्रभोः ग्मिगेन्धोदकासिक्रा पुष्यप्रकरराजिता |

श्राजागुल्सेधिभिः पुण्यैः पञ्चवर्णः सुगन्धिभिः

ufautsta snare तं कुवन्ति प्रदङिएम्‌ | वाति तस्य सदाकालमनुकूलः समोरणः नमन्ति पादपास ware भक्तिनिभेरः

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९४०

"डप मितिमवप्प्चा कथा |

कोटिन याति देवां पादम्‌ शात्कटाचन a इ्येतेऽतिग्रयास्तस्य देवभक्रिविनि्भिंताः | niger भिं राज्यं ya ATTA: एवं सङ्खकख्याणसम्दो हो ATTA | ग्डतिर्बरिष्ठराजस्य रेव वाम्मोकरातिमा दूत्यं जिभुवनानन्दकारकः RYT | नन्या निदतौ लोकान्‌ प्रापथेन्यागंदे रकः AACHEN Te ङुर्वाएणोन वमना | अशावयि मतो हैव जितौ we wing: + uginae मिरदि्टो शक्नाम्तोऽरिव्रधादिकः 1. uefa faget aftea संशयः

अन्यद |

विदिता लोकापि gfe: परमयोभिनौ तेनाकिंचित्कलि देव after मरौभुजा

निजवन्धुवियुक्षा सा सर्वशक्रिधिवभ्निता |

ततो efefaerea ध्वेथा wee मता तदेवं शेतरत्यलालिष्ं तौ मरे श्वरः | आसते शान्तो निराबाधः सततानन्डपूरितः #

एवं feat

तद्वबद्धियैदा दिष्टं राश्यवह गिरौ र्णम्‌ | तदेवं देव रखादमायतस्तव afawt & ततखेदं fanaa भाषितं महहोषतिः।

WS प्ररावः। ERR.

शरप्रबद्धः CATHY चेतखा पथंचिन्तयत्‌ wa | ययैव दिष्टे ga मे सिद्धान्तेन महाकमा | तथेव सकलं जातं नान्यथा ae भाषितम्‌ तचारौदं तेन fagiain भाषितं पूरवमाषोत्‌ तद्यथा | किचेकमपि तद्राज्ये कारणं सुखदुःखयोः | भवेत्पाखनमाभिल्य get पाणविग्रेवतः wee मे fase तयेवाच भिवे, दतम्‌ | संभवेदन्ययाभावः कुतः शिद्धाग्तभा षिते तथाहि निशृ्टाधमथो्जातं तहुःख्धेव कारणम्‌ दुष्याखितं छतं ताभ्यां तद्राज्यं वया थतः # विमध्यमम्ब GT तत्छनपसखका रम्‌ | यतः afedan aad विहित मन्दपाशितम्‌ ॥# ATA YAMA तहोषंषुशक।रणम्‌ | aa: प्रविश्च तेनेदं afen किचिदादरात्‌ मिःग्रेषड्धखसनम्भारकारणं राग्यमु चके: | विशिष्टपाशनात्नातं तदुत्तमवरि्योः a कि a | इता विकराश्यानां चहं near बथा सर्वमेव fy faure जतः प्रोक्तं लनोविभिः #

९४. डपमितिभवप्रपश्चा कथा |

येम संवत्छरो दृष्टः सहत्कामख सेवितः ।'

तेन wafad दृष्टं पुनरावतेकं जगत्‌ Op

तख्िद्धान्तप्रषादेन fara सुखदुःखयोः |

देतु जातः प्रबुद्धोऽहं विग्टेवाप्रबुदधता `

एवं परितुष्टात्मा प्रबद्धो नराधिपः |

तद्राश्यषट fafa wrarenat निरातुरः ददं प्रसङ्गतः ख्व तुभ्यं हइरिनरेशवर |

निवेदितं मया योऽथः प्रस्ततसं निबोध मे

यया दोषाय संजाता महामोहा दिशजवः |

साच इृष्टिविंगेषण निृष्टाधमयोखया

तथान्येऽप्यन्तरक्ा भो शोका दोषाय देहिनाम्‌ |

दुष्टा विज्ञानशएन्यानां जायन्ते नाज संशयः

थतो यद्भवता VATA WNIT |

भरमन्तमनम्तरङ्गाभ्वां famat परिपौ डितम्‌ `

थथान्यस्यापि दोषेण कि दोषौ जायते मरः |

येनासौ मिषदोषेए पौद्यते water:

तदेवं भो महाराल get धनशरेखरे |

तादृमिचदोषेण तादृग्डतं विचेष्टितम्‌

₹दरिनरेग्दरेणोक् |

VARTA HST मे संश्रयोऽधना |

किं aatsfa ममाद्यापि सन्देहः शोऽपनौोयताम्‌

ये कमेपरिणमख्छ षडमो परिकौतिंताः। `

AS: Was |

पुणासतेषु wed परतः किमजायत

किं षडेव डि जातानि तामि cents नापरम्‌ | fat वा भवन्ति arefar रा्यान्यच पुनः पुनः सूरिराहइ महाराज एते Yaz | विद्यन्ते देहिनः केचिन्लानाकाराखराचराः

ते क्म॑परिणामस्छ सर्वेऽपि परमार्थतः ` fawer: षडविधाकाराः पुजा ae Swe: ततस्तेषु NAAT तद्राग्यमपरे सुताः |

तादृशा एव भुश्जन्ति दसं तेन महौभुजा तेषामपि भवत्येव तल्छुखासुखकारणम्‌ | निषष्टादयाभिधानं age: संप्रवर्तते #

fa ai | ` तिष्टन्ति इूरगास्तावदपरे तश्च नवः |

मामेव fe महाराज aa पुं विश्ोकय

चः कममपरिणामेन दन्तराव्यखतः परम्‌ सिद्धान्तादिष्टम्भागो वेराग्याभ्वाखसंयतः हतपूरवं क्रियो राच्ये प्रविष्टस्तज सुन्दरे

` चतारिवगं्ारिबधर्मसेन्यस्छ पोषकः सोऽदमेभिः समायुः ब्ायेबेत साधभिः | राच्यं शुश्चनिहायात swat नाम तल्सृतः

ये गुणा weg या विति चेष्टितम्‌ मया निवेदितं ya तच्च पञ्चमग्डपतेः

120 |

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<४४

उपमितिभवप्रपद्धा KUT |

ते गणाद्धसुखं खा विग्धतिखव चटितम्‌ ` मारोह महाराज संपन्नं नाकि स्यः इवं fe राग्यं कुर्वाणो भक्रिप्रेः सुरादिभिः। अशं TYG इवि waa स्यतः तया | | स्षबे मुख सिद्धं यद परमं सुखम्‌ | Trey के तिष्ठतोः wa तत्त्‌ वह्ुन्‌ पायते तचा | ` - | कोद्यो Taser से बम्‌ चतुरङ्गं महाराज विग्डतिरिवमौड्भ्ो a तया 7 यत्छिद्धान्तोदित way wa तेन महाद्मना | छन्तमेन तु देवादहं करोमोति किचि्टितम्‌ & तत्कन्ंपरि णामख ययाहमधुगोन्तमः नातः सुतस्तयान्येऽपि निद््ाद्ा संगयः अविष्छिश्प्रवाहेण तद्राच्मपरे ऽपरे एकरूपमनेकेऽपि चुगपहुश्चम्ति पाथिवाः ततो ग्ट्ो तभगवद्वनगभ् वार्था मिद्दितं इरिनरेष्दरेड भदन्त

ada भुवनो दर विवरकारि णः wife tara कर्मधरिणम- महाराजस्य सूनवः wala यदि = तदकारङ्गं चिकषटन्ति- महाग्डमिराञ्यं तेभ्बः Wage कर्मपरि रामेन Fed तच्च दन्तं सदेकशूपमपि पाचविशर षादनेकख्षतया परि मति बानारूपाणणां

WS: cata | ९५१५

तेषां देरिनां faftugecceude प्रतिप्॑॑ते तदेवं fad वय- मपि wa कर्मपरिणाममहाराभस्य सुता tata’ ततेशास्माक- मपि तद्राव्यमाभंवल्थेव | उन्त्मखरिणाभिरितं arta सम्यग्‌ fafa areata agte भवतः पालयसि त्वं विमध्यम- राच्यं केवलं wwafa) यतः साधयसि a fay राजिंदिवं धर्माथकामलवंणे परद्यरमवाधथा fat) एतदेव विमध्यम- राव्यजखणं wearer तत्किं नावधारितं भवता wicca मोक अखं ममानेन विमध्यमराण्येन | भदन दाप्यतां भद्यमप- Saray aay | BTS महाराज सुन्दरमिदं केवलं

eda: साधमिखंशमिदं ced Weta

तथेव WAN ye नापरं शाभकारणम्‌ #

एते्यसिन्‌ Hares खराज्छेऽतिमर्मोदर |

अरतव॑न्तशसयहा जतासंलाभाये यचा भवान्‌

ततो मधोदितीं yaaa खुधाधवः |

यथा भागवतीं Fret विना नेतदवाष्यते

ततोऽमौभि। भला सा दोक्षा कलावनाश्रनो 1;

ATH AHR सुंखंसम्भारकारणम्‌

अतस्तवापि शधि तंज वाञ्का नरेश्वर

राच्ये तदक्चैतामेषा Frat भागवतौ लया #

WTI एतावग्म्रा्रतो भाय दुंखंसन्दोरदायकम्‌ | aaa wate तत्ततः किं वि्स्ग्यते

९५९

उषरमितिभवप्रप्ा कया |

तहोचतां प्रसादेन AMAT घ॒ वया

नाच भागवतौ eter मा विखम्बो विधौयताम्‌ ततः सूरिस्तदाकण्यं इषविस्फारितेखणः |

इरि प्रत्या MEM TE VTE ATV

तचाहि |

इदं fawra agra shared सुखप्रदम्‌ | wat षका ware शोकेन as हारयेत्‌ चोग्यस्लमसि stare wera ana) . ` .. SUN वयं छमा. यत्रं तट्‌ ग्ह्मतामिवम्‌ ततच्तयेति भावेन परतिपद्च गुरोव॑शः ` धविवेकेः षमाखोच्य समं मभ्तिमहकमेः | frac संस्याप्य पुषं शादूंखनामकम्‌ |. दिगान्यष्ट जिनेश्धाणां प्रविधाष महोक्छवम्‌ ` पूरचिलाचिंसद्गतं मागचिला rene | विधाय गमरागन्दं war सवे यथो चितम्‌ शमं मयुरमश्जयां AUT TAT तस्लोत्षमग्रोः we ferent विधिपूवंकम्‌ # ततः सप्राण ARTSY सतताभन्दसुन्दरम्‌ | मोदमानो महाभागो विजहार मरोतखे

इतद्च |

भद्रेऽोतषद्केते संयमेन TATA | तेन शागरमिन्रेण नारितोऽममेकधा

WS: Teta | cud

नानारूपेषु देशेषु ततोऽहं धनलोशपः। क्ते शरागिमिमद्मा्मा पर्यटामि पुनः पुनः अथान्यद्‌ HUTS पतितोऽहं भोषणे | उपविष्टः ्रमोपेतो बिष्वपादपसन्िधौ ततस तच्छाखानिगंत Cer प्रारोडं wlan faa | wetefed wz मया ay निधागकम्‌ ततः सख WMA Ae भातो मे irae | छत्‌ खनेदं चथा Whi निधानं waar ¢ ततः खाता मथा मिदृष्टः सद्रनपूरितः। AURA: प्रभाजाखेः प्रकाश्ितिदिगन्तरः ` ततः प्रसुदितचिन्ते तदाहं aceted HEM UNG AW सागर ्याश्चया इतम्‌ , यावद्धोषण्ठनादेन wizufaa दिङपवम्‌ | उद्भतष्ठज वेताः AWAIT: सुदारुणः गयनोल्ञाशितश्वाख्ः एत्कारारावभाषुरः | qragyrancray वदनेन यमाधिकः तेनाइमारटनशुधैः शला वदगकोटर | विपाटितो बलाद्धद्र गाढं कटकटायता wart अरां प्राप्ता गडिका मे चिरन्तनो भयो Sure ae भवितव्यतया तया NATTA TANG ASE AIT पुरा |

उपमितिभवप्पश्चा कया |

तस्यां पापिष्ठवाषायां get षप्तमेपाटके तजानु्ढयं दुःानि शयो गयो arg | भाग्तोऽनन्तं पुनः कालं सवख्यानेषु सर्वया तदुःखं शगव्यत्ि श्नं प्राप्त नयानचे | WaT BASHA प्रोक्तोऽदं भाथा तया धथा अद्यार्थपुच fered sige मामं पत्तनम्‌ | बदिरङगं वथो तज tet Sd धया पुरा मयोक्तं यदाश्चापर्थति B21 ततः हेतस्तया मम पुख्धोदयः सहचरः | वितो afeat विदितं मया प्रस्थानमिति | यदिदं मसुलभं भो शम्मेभिर्भतुखये- वंङविधमवचारात्यन्तरःीरेनरतवम्‌ ` तंश्पि नेयगलोला Faience Oy धनबखशमा ATTEN मूढाः ततश्च | _ विगखितास्तं tH भंरमावतः प्रवंखकर्ममहाभर पूरिताः सततदुःखमटन्ति पुनः एनः भकशंकारमनेन्तभवाट कम्‌ afeqay fatferage जिंगवधो ननु भव्यजना मया | इदमवेत्य fatrgen xa नयमसागरर्गेयुनलोखताम्‌ इत्युपमिंतिभवप्रपश्चायां कथायां लोभभैधनचष्ु- रिन्द्रियविधाकबशेनः षठः wera: समाप्तः

अथय AAA: प्रस्तावः |

espns

अथास्ति जगदाङ्कादं खाष्वादं नाम तत्पुरम्‌ | निःगेषभुवनाख्चयेकारणं दुःखवारकम्‌

ay eve Dau fargta लोलया ` भिथनानि ngafn रतिमद्मयविभरसम्‌

तच निदेजिताश्षश्नचपूगो महारथः | तेजःप्रणतसामन्तो लोमूलो नाम पायिवः तस्छाख्ि रतिषडाश्रा रतिषन्दोददायिक्रा | खोदा नाम महादेवो सर्वान्बःपुरनायिका अथाग्टहोतसदहेते भवितव्यक्या तया |

तवां इडिकादानात्तस्याः कुचो प्रवेशितः ततोऽहं RAAT माखाश्नव TASTE |

तच feat विनिष्छान्तो योनियनग्ठविपीडितः अथय मां ate खा लोखा ङिरधलोखविलो चना | जातो मे पुचकश्चार्रिति. तोषभुषागता

भात एवं मया साधं षोऽपि पुष्णोदयस्तथा | कवं माल्सरङ्गलात् दुष्टो क्त लोलया

अय जौमूतराजाय fragal निवेदितः |

६९० उपमितिभवप्पद्चा कथा |

दन्तं aM Asa तेन संतुष्टचेतसा

प्रवर्तितो महानन्दः हतं बन्धनमो चनम्‌ |

प्रष्टं fafad crea वादितानन्दमदंखम्‌

गानपानमदहदादानखादमप्रवणे अमे

अथय भिर्वर्तितप्राये तजर जम्ममरोत्से

ष्योतिःग्रास्े हतोद्योगः fagrat नाम विशतः 1

ष्टो जौमूतराजेन weet `

थया निबेदयलायैः कुमारजग्डनचचस्य कोद शौ गरडावलोक-

नेति fagraata यदाश्चापयति देवः समाकणएेयत तावत्‌ | अयमानन्दः GIT | तुः शरत्कालः मासः aria | तिथिर्दितयेऽति watt वारो ewafa: नच्च शृन्तिका राज्िदषः 1 योगो शतिः। सौग्य्रनिरो दितं लग्रं see खिताः श्वं गहाः | Seager दोरा एकादननस्धागख्िताः शएभ- तराः पापग्रहा इति। श्रपिष। a

जातोऽयमीदूग्रे Tut कमारो देव gets

येनाश्य शंपदस्तद्म भविष्यन्ति संशयः

राज्नाभिरहितं ard एते राशयः के वामौषां ger इति

ओओतुमिच्छामि | सिद्धा्यगोक्तं देव समाकणंय | राश्रयस्तावदेते मेषो ठषो मिथुनः ककः सिंहः कन्या तुखा afyat धरु्मकरः कुम्भो मौन इति एतेषाममो इणः त्या `

qatar: षदारोगो wate रतनिद्धयः |

gay: way विक्रान्तो राजपूजितः

सङ्क = _ Aaa ee 7 ~

Nyaya Kusnumiifjali Prakarava (Text) Vol. 1 Fasc. 2-6 Vol. Il, Fasc.

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1-8 @ /6/ each me Re 8 9 Padumawati, Fasc. 1-4 @ 2/ 2. ‘an eA ws 0 Parigista Parvan, (Text) Fasc. -5 @ /6/ each ... नः wee 6

-Prakrita-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /6/ each ¥ 7 ४. 2. 20 Prithviraj Rasa, (Text) Part IT, Fasc. 1-6 @ /6/ enol me int? be ke Ditto (English) Part 11, Fase. 1 he ae ग~ OS Prakrta Laksanam, (Text) Fasc.1 .. 1 8 Paracara Smrti, (Text) Vol. I, 7४66. 1-8 Vol. 11, Fase. 1-6; Vol. 17

Fasc 1-6 @ /6/ each «oe ar * oer 7 8 Paragara, Institutes of (English) =... db ni 9. 49 Prabandhacintamani (English) Fasc. 1-3 @ /12/ each 2 4 "Sima Véda Samhita, (Text) Vols. I, Fasc. 5-10; 11, 1-6; 1, 1-7;

IV ,1-6; V, 1-8, @ /6/ each Fasc oz w 12 6 Sankhya Sitra Vrtti, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each + hy pala 8

Ditto (English) Fasc. 1-8 @/12/each =. . 2 4 85११११४ Kriya Kaumndi, Fase. 1-6 ue os 2 4 Snernta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ /12/ < Be OF} ia, = Suddhi Kaumndi, Fasc. 1-4 nike ia = 8 Saddarfana-Samuccaya, 880, 1, .. ee 0 6. *Taittiriya Sambita, (Text) Fasc. 22-45 @ /6/ eyes o 40 Tandya Brahmana, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each rs wae 2 Tantra Vartika (Euglish) Fasc. 1-6 @ /12/ we One eo S

*Tattva Cintamani, (Text) Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. Ll, 2५५५. 2-10 |

Vol. ILI, Fase. 1-2, Vol. [V, Fasc. 1, Vol. V, Fase. 1-5, Part 1V, Vol. Il

Fasc. 1-12 @ /6/ each 14 4 Tattvarthadhigama Sutram, Fasc. 1-8 = - +f ९. ~ ue id 2 Trikanda-Mandanam, (166) Fasc. 1-8 @ /6/ =... १. ५8 2 Tul’si Satsai (Text) Fasc 1-5 @ /6/ oe eee 1 14

_ Upamita-bhava-prapajfica-kathi (16४४) Faso. 1-9 @ /6/ exch ie: ae Uvasagadasao, (Text and English) Fase. 1-6 @ /12/ ea To Faia Vallala Carita, Faso. 1 vas onl wv -9 6 Varga Kriy8 Kaumndi, Fasc. 1-6 @ /6/ 9 - ` ..9 *Vayu Purana, (Text) Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. 11, Faso. 1-7, @ /6/ each 4 8 Vidhiana Parijata Fasc 1-8 eee see 3 ve 0 Vivadaratnakara, (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each +न wu 2 10 Vrhat Svayambhi Parana, Fasc. 1-6 > ee 4

Tibetan Series Pag-Sam Thi 816, Fasc. 1-4 @ 1/ each = कि, Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Faso. 1-3; Vol. LIT, ४५७५. 1-6

@ 1/ each ... 14 0 Rtogs brjod dpag hkhri 810 (Tib. & Sans, Avadana Kalpalata) Vol. I

Faso, 1-6; Vol. Il. Fase. 1-5 @ 1/ each ६६ van seh. > TO

Arabic and Persian Series *Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /6/ each... Tet ont Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Fasc. 1-3 @ /12/ .„ 2 4 Ain-i-Akbari, (Text) Fasc. 1-22 @ 1/ each , 22 - 0 Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Faso. 1-5, Vol. 117,

Fasc, 1-5, @ 1/12/ each ५०५ 29 18

Akbarnamah, with Index, (Text) 0९8९. 1-87 @1/each .. 37 0

Ditto English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. II, 7९86, 1-3 @ 1/ each 11 0 Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger oe O 6 Badshahnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-19 @ /6/ each ae | 2

+ @atalogue of Arabic Books and Mannscripts 1-2 2 0 Cataiogne of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the |

Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each a. 9. Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Faso. | -21 @

1/ each ४४, ww» ४1 0 Farhang-i-Rashidi, (Text) Fasc. 1-14 @ 1/ each 14. Fihrist-i-Tisi, or, ‘Tasy’s list of Shy’ah Books, (Text) Fasc. 1-4 @ /12/

each ०५० ०७ ~ 0 Futun-ush-Shim of 58414, (Text) Fasc. 1-9 @ /6/ each =... ms 6

Ditto of Azidi, (Text) Fasc. 1-4 @ /6/ each = ... ou a 8 Haft Asman, History of the Persian Masnawi, (Text) Fasc. | wee 238 History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @/12/each =... pita ae Iqbainamah-i-Jahangiri, (Text) Fasc. 1-3 @ /6/ each नी 9 => Isabah, with Supplement, (Text) 51 Fasc. @ /12/ each 4 38 4 Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol 111, 1-10

Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Fasc. 10-i2

Index to Vol. III, Fasc. 11-12@ /6/ each tis ue 18 2

Maghazi of Waqidi, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each pe eC © The other Fasoionli of these works are out of stock, and complete copies cannot

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Muntakhabn-t-Tawarikh, (Toxt) Fasc. 1-15 @/6 each Ke. Muntakhabu-t-Tawarikh, (Hnglish) Vol. I, Faso. 1-7; Vol. 11, Faso, 1-5 and 8 Indexes; Vol. 111, Fasc. 1 2 /12, each a an Muntakhabu-l-Lubab, (16४) Faso. 1-19 @ /6/ each oo Ma’ asir-i-’Alamgiri, (Text), Fasc. 1-6 @ /6/ each A Nukhbatu-l-Fikr, (Text) Fasc. 1 ^ Nizami’s Khiradnamah-i-Iskandari, (Text) Faso. 1-2 @ /12/ each Riyazu-s-Salatin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each .., ee १4, Ditto Ditto (English) Faso. 1-5 2) Tabaqat-i-Nasiri (English) Faso. 1-14 @ /12/ each ‘te Ditto Index Tarikh-i-Firdz Shahi of Ziyaa-d-din Barni (Text) Fasc. 1-7 @ /6/ each... Tarikh-i-Firizeshahi, of Shames-i-Siraj Aif, (Text) Fasc. 1-6 @ /6/ each Ten Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each Wis o Ramin, (Text) Fasc. 1-5 @ /6/ each ads Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. 11, Fasc. 1-8 @ /6/ each Tuzuk-i-Jahaingiri (Hng.) Fasc. 1 ,,., a Re

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Asiatic Researcues, Vole, XIX and XX @10/each = ,,,

९६०५ 81174 88 of the Asiatic Society from 1865 to 1869 (inol.) @ /6/ per No.; and from 1870 to date @ /8/ per No

Journat of the Asiatic Society for 1843 (12), 1844 (12), 1845 (12), 1846 (5), 1847 (12), 1848 (12), 1866 (7), 1867 (6), 1868 (6), 1869 (8), 1870 (8), 1871 (7), 1872 (8), 1878 (8) 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879. (7), 1880 (8), 1881 (7), 1882, (6), 1888 (5), 1884 (6), 1885 (6),

5

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1886 (8), 1887 (7), 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), .

1893 (11), 18४4 (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8),

1900 (7) & 1901 (7), 1902 (9), 1908 (8), 1904 (16) @ 1/8 per No. ४० `

Members and @ 2/per No. to Non-Members

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N.B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos, in each Volume,

4. Journal and Proceedings, N.S., Vol. I, Nos. 1-10; 1905, @ 1-8 per No. members and Rs. 2 per No. to non-members s 6, Memoirs Vol. I, No. 1 5, @ 1/8 to non-members and to members... 1 Ditto No. 2 @ 1/ Ditto Ditto भक Ditto No. 3 @ 2/ Ditto Ditto l 6. Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1888 .,. 3 A sketch of the Turki language as spoken in Hastern ‘l'urkistan, by R. 8. Shaw (५8 No., J.A.8.B., 1878) = 4 Theobald’s 6 ॐ, ogue of Reptiles in th Musenm ofthe Asiatic Soociaty (Extra No., J.A.8.B., 1868) 2 Catalogue of Mammals and Birds of Barmah, by H. Blyth (Hxtra No., J.A.8.B., 1875) = ५३७ ४४४ tes a4 7. Anis-ul-Musharrabin oes ०१५ ae 986 ~. 8. Catalogue of Fossil Vertebrata a. as dey 9. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal .., 3 10. Inayah, a Commentary on the Hidayah, Vols, 11 and LV, @ 16/ each... 82 11. Jawamla-l-’ilm ir-riyaézi, 168 pages with 17 plates, 4to. Part I Pas 12. Khizanatu-l-’ilm sas ५: ५7 18. Mahabharata, Vols. II] and 1V, @ 20/ each = ,,, cata 14. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidoptera, Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each vi tan, भि 15. Sharaya-ool-lslam = ; "+ 16. Tibetan Dictionary, by Csoma de 6८68 Se Tos ,,, 10 17. Ditto Grammar ७७ oval 2 18. Kacmiragabdaimrsta, Parts I and II @ 1/8, * ` 19, A descriptive catalogue of the paintings, statues, &o., in the rooms of the Asiatic Society of Bengal, by C. 1. Wilson... ` 1 20; Memoir on maps illustrating the Ancient Geography of Kasmir, by M. A. Stein, Ph.D., Jl. Extra No, 2 of 1899... 4 21. Persian Translation of Haji Baba of Ispahan, by Haji Shaikh Ahmad-i-Kirmasi, and edited with notes by Major D, 0. Phillott. 10 Notices of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-83 @1/each .,.,, ia Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. R. L. Mitra on 76

N.B.—All Cheques, Money Orders, &c., mnst be made payable to the Treasurer Asiatic Society,” only

12.10.06. 5००४ 8 ‘are supplied by v_P.P.

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15, Piccapitiy, Lonpon, W., and Mr. Orro Harrassowi1z, Booxsen.en, Leipzic, Germany,

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“Advaita Brahma Siddhi, Fasc, 2,4 @ /10/ each ges: oe a Advaitachinta Kaustnbha, Faso. 1-8 @ /10/ each ००७ ow = ‘*Agni Purana, Fase. 83-14 @ /10/ each sat wis Aitaréya Brihmana, Vol. 1, Fasc. 1-5; Vol. II, Faso. 1-6; Vol. III, Fasc. 1-5, Vol. 1V, Faso. 1-8 @ /10/ each ,,, ae 14 *Anu Bhashya, Fasc. 2-5 @ /10/ each ah ane oe 2 Aphorisms of Sindilya, (Hnglish) Fasc. 1 @ 1}- ese ye | Astasihasrika Prajiiparamita, Faso. 1-6 @ /10/ each ०० iw 8 *Atharvana Upanishad, Faso. 2-5 @ /10/ each १५५ oe 2 Agvavaidyaka, Fasc. 1-6 @ /10/ exch 3

Avadina Kalpalata, (Sans. and Tibetan) Vol, I, Faso. 1-6; Vol. 11, Faso. 1-6 @ 1/ each ~ on pie ass sree | A Lower Ladakhi version of Kesarsaga, Faso. 1—2 @ 1/- each we 2 Balam Bhatti, Vol. I, Faso. 1-2 @ /10/ each eee eee eee 1 Baudhayana Srauta Siitra, Fase. 1-3 @ /10/ each eed 1 *Bhamati, Fasc. 4-8 (@ /10/ each ००७ vee eee ०० Bhatta Dipika Vol. 1, Fasc. 1-6 @/10/ each = (४; un 8 Brahma Sutra, Faso. 1 @ /10/ each Sav one ०१०-* O Brhaddévati, Fasc, 1-4 @ /10/ each ५७ ०५१ , 2 Brhaddharma Purana, Fasc. 1-6 @ /10/ each .,.. “ee om Bodhicaryavatiara of (81111१6 ९४, Fasc. 1-4 @ /10/ each... . . 2 Qatadigani, Fasc. 1-2 @ /10/ each ..,, A ane ०० 1 Catalogue of Sanskrit Books and M 88., Faso. 1-4 @ 2/ each ००७ 8 Qatapatia Brilimana, Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Faso, 1-5, Vol. III, Fasc. 1-7. @ /10/ each ५५७ fn cite oS) ona ^ किः +. Qatasaliasrika-prajnaparamita, Part I, Faso, 1-12 @ /10/ each ०० *Caturvarga Chintamani, Vola. IT, Faso. 1-25; Vol. IIl. Part I, Faso. 1-18. Part II, Fasc. 1-10, Vol IV, Fasc. 1-5 @ /10/ each soe 36 Dlokavartika, (English) Faso. 1-5 @ 1/4/ each ` eve 6 *Qrauta 8118. of Apastamba, Fasc. 6-17 @ /10/ each ‘us sos Ditto (Vankhayana, Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, ४९६86. ०५१ 1-4 ; Vol. III, Fase, 1-4 @ /10/ each; एण] 4, 7880. 1 =, ve LO" Qri Bhaishyam, Fase, 1-3 @ /10/ each ४३ ine oe it Dan Kriya Kanmudi, Faso. 1-2 @ /10/ each ,,, ०५१ 1 Gadadhara Paddhati Kalasira, Vol. 1, Fasc. 1-7 @ /10/ each a. Ditto Acarasira, Vol. II, Faso. 1-2 @ fio) each ... 19 Gobhiliya Grihya Sutra, Fase. 1-12 @ /10/ each det * "न. Kala Viveku, Fasc, 1-7 @ /10/ each - * ००४ ee Katantra, Fasc. 1-6 @ /12/ each _ ... ‘a on , 4 Katha Sarit Sigara, $ nglish) Fase. 1-14 @ 1/4/ each = ,,, "+. AZ Kirma Purina, Fasc. 1-9 @ /10/ each _ ६० १७ we 5 Lalita-Vistara, (linglish) Fasc. 1-8 @ 1/- each ५५९ , *Lalitavistara, Faso. 3-6 @ /10/ each ues ५४ a. 2 Madana Parijata, 1880. 1-11 @ /10/ each ne sie , 6 Maha-bhiyya-pradipodyota, Vol, I, Fasc, 1-9; Vol. Il, Faso. 1-12 Vol. ITI, Fasc. 1-4 @ /10/ each, ape sve » 16 Manutika Saygraha, Fasc. 1-3 @ /10/ 6७०४ = ,,, ~~ a F | Markandeya Purana, (English) Fasc. 1-9 @ 1/- each od ~ 9 *Markandeya Purana, Fasc, 4-7 @ /l0/ieach =... ous oe 2 $y ~ Dargana, Fasc. 8-19 @ /10/ each =... es 10 ayavartika, Fasc. 1-6 @ /10 each sug (० aw 2 ita, Vol. : 1111६४४, Vol ९.९ Fase. 1-8 @ /10/ each eee one १०, 5 ira, Faso + Faso. 2-5 @ /10/each == „.. ise *Btitized by GOR

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BIBLIOTHECA INDICA. Sanskrit Series.

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समानां शतं जौवेत्यञ्चविंश्तिको यदि | अश्येचतष्यदरा्तस्य मरणां रो दिष्नुधे gent दृटिलोखच मेयुनासक्रमामसः धमाः RITA: कण्टरोगो जनप्रियः * गान्ध्वेनाखक्ुश्रलः कौ तिभागो गृणोत्कटः ।. ` गौरो Ze: seat मियुनोद्धतमानवः. भसे TUTE: स्वा दत्सरे किल. षोड शे. अग्नो तिको भियेताधौ पौषमासे जलानले का्ंषारो धनौ शरो धर्मिष्ठो. wae: |. भिरोरोगौ भशावुद्धिः. शाङ्ग. शतवेदकः. प्वासश्नखः कोपान्धो wel दुःखो सुमिचकः |

WAG मनाम्वक्र. ककंरोद्धूतमानवः ॥. 121

Upamitibhavaprapafica Katha, Faso. XT, N.S. 1154,

प्रमितिभवप्रपश्चा KUT

पतनेन सियेतासौ वर्षाणां fast ac: amiat वा पुनः पौषे are सिते निभि चमौ मानौ क्रियायुक्रो aeet मद्यमांसयोः | देश्भरमणश् शख विनोतः weiter: चिप्रकोपौ सुपुजश्च जननोजमकपरियः |

went प्रकटो लोके सिंहे जातो मनुव्यकः पञ्चाशत्को सियेतासौ afe वा शतिको मधौ मघासु Nf सुशेत्पष्छरेचे ष्नेखरे ` विलासिनौजनाद्वाददायको wagfta: |

दाता दकः कविदटद्धभावे धमेपरायष्ठः सर्वलोकमप्रियो नाखगान्धवव्यसने रतः | TAGS: BTS कन्याजातो भवेक्लरः जिश्रत्को जियते शस्ताष्जलाइा यदि वा aa: | अशीतौ मूलनचजे वेशराखे बुधवासरे अद्दानरोषथो दुःखौ qed safe: | qauraquemiat ze भरितविक्रमः वारिष्यदच्ो देवानां पूजको मिचवन्छलः | प्रवासो खदा मिषटस्त॒खाजातो HAT: faaa विंश्रतौ कुश्यपातादिग्योऽथवा पुमः श्रमितावनुराधास्‌ 8 मङ्गलवासरे ASAT HUTT शूरः पिङ्गललोचनः | परदाररतो मानौ जिष्टरः Gat जने

सप्तमः Wea: | eda

सा दसावाप्तलच्छोको जनन्यामपि Fut: | धतेचौ रोऽफलारम्भौ ठ्िकोद्धतमागवः

येखौराहिश्स्वान्ो बियेताष्टादशाब्दकः | wefanfant वापि ततो जौवति शक्ततिम्‌ शूरः wet धिया युकः सात्विको जनमन्दनः गिच्यविश्नागसंयुक्तो warat वरभार्यकः माने चारिजसंपन्नो लखिता श्षरभाकष्कः | तेजसो खूलदेइद्च Haat धलुजातकः

लोत्यन्तिरिमाज्नो Sfaaareren दिने | ततो जौवति वर्षाणां किलासौ सप्तसप्ततिम्‌ guast aw: wiut पण्डितः पारदारिकः | गोतश्चो लाञ्छनो गुद्धे TU माखवस्लः धनो त्यागो Tere Wares रिबान्धवः परिचिन्तितसौ स्यश्च serait मकरे गरः भिथते famit meu: शूलेन शक्तौ | wage भाद्रपदे जौवितं विसुश्चति ।॥ दाताखलसः WARY AACA: | ाश्रछुकिनिर्भोको धनभागौ orien: Wageyet we मानविध्ारृतोयमः | पुष्याग्धः Seely कुम्भे जातो wae: Seven a Aw इतस्ततः लोवेदश्येति वर्षाणां चलतुर्भिरधिकां नरः

ede खउपमितिभवप्रपश्चा aur |

TAA: YX: पट्वाक्यो गरोक्मः कोपप्रन्चारणशेष्ठो त्यानो बन्धवत्स्ः गान्धरवबेदको नित्यं सेवकख्ेतरे अने | ग॑च्छति aca मानं मौने जातो मगुखकः तदेव देव ये प्रोक्ना मेषादोनां शण मया एते ya शिष्येभ्यः asia निबेदिताः तथाहि | atfnta fafa यश्चामग्यदपि तादृशम्‌ | Rafa तच्छास्त्रं सवै सवं पूर्वकम्‌ ततोऽ BAT: श्यात्‌ Ras शरदोषतः। विभागं fe जानोते शास्तस्याश्पञ्चुतो मरः एवं faa | | कूर पदेन इष्टा खेहलवन्तद्च रा शयः ततोऽमौषां शणः शत्या मान्ययेत्यवघधारय ततो नोमूतराजेगोक्तं | एवमेतन्नाख्यच सन्देहः | सम्यगा- बेदितमा्य॑ण। ततः परिपृष्य दानसन््रानादिना परितः fags: | ufafea महानन्दपुरःखर समुचितसमये मम anarea इति नाम | carafe तस्य जोमूतगृपतेः कनिष्ठो राता नोरदो नाम | तस्य पद्मा नाम महादेवौ। सापि तस्मिन्नेवावसरे दारकं Tear! ufafea तस्याकणङ्क इत्यभिधानं | ततोऽ लाख्ितोऽत्यम्त नोरदमन्दमः | MAW सुखषन्दोदेखच दद्धिखुपागतौ

सत्तमः WRT: | ६६५

करोडितं समं तेन वाद्ये धृष्यादिना मया

पिषव्यपुजभावेन जातो face: कचित्‌ ततस्च

कौ मारे वर्तमानस्य भवितव्यतया तया |

साधं तेनाकशङ्धेन मम AT भियो जिता

जातः Wt Gut fase गाढमावयोः |

एकोपाध्यायस्ताश्च VET: THAT: कलाः

तथा खखमानोऽहमकषखङ्य सुन्दरि

पराप्तौ MAY ATE मकरध्वजमन्दिरम्‌

चाकणङो Tess कौमारे यौवनेऽपि च।

लचुकमेतथा धन्यो Yet दुष्टचेष्टितः कि तहिं |

warada: पुष्याद्मा विनौतो Sager: 1

प्रियवादो खिरोऽव्यन्तं मिमेलोमसमागसः

सोकरामः प्रहत्येव विकाररद्दितः ear |

अरन्लातपरमार्योऽपि तत्ववेदौोव भासते

ततः ससाधुसन्पकाङ्भद्रकस्तभ्निषेवकः |

व्याख्यानश्रवाव्वातः कुश्रखोऽसो Fearne

तयापि खेदभावेन मया साधं दिने fea |

सोऽकणङ्कस्तदा भद्रे विलसत्थेव whee

अथान्यदा मया Ala: प्रभाते fava: | मनोहारिणि लोशायेमु्याने बुधगण्दने

९६६ उपमितिभवप्रपश्चा aut |

ततो AMI क्रोडित्वा प्रहरदयम्‌ |

अथ मध्याकृकालेऽसौ feat रइसेमुखम्‌

मयोक्रमज विश्रम्य मन्दिरे काननान्तरे |

ततो AB ममिश्वावः Gtaat शएमाचकम्‌

ततोऽकलङ्सच्करला मामक वचनं तदा |

samara प्रविष्टो जिनमन्दिरे

तजामिष्टूय TAM भगवन्त जिनेश्वरम्‌ |

निर्गतेन मया साधे इृष्टास्तेन सुसाधवः

ते तचाष्टमों भला सकोयवषतेस्तदा |

WIAA लोकनाथस्य वन्दनाथंसुपो षिताः

ततस्ते fafuaga वन्दा भुवनेश्वरम्‌ |

बहिः fagrngurfu qwafa एयक एयक

परस्परं स्थिता दूरे सथिरा भिमेलकान्तयः |

बहदिर्योपसमुद्रेषु war इव महाधियः

अत्यन्तसुन्दराकारा यथेष्टफलदायिनः |

aarat ते बिराजम्ते कच्यपाद्पश्ज्िभाः

ततोऽभिहितमकलङ्ेन कुमार WET we qua

मुनयो भगवन्तो मकरकेतना इव रूपेण दिगकरा दव तेजखितया सुरग्िखरिण xa स्थिरतया सागरा इव गश्मौरतया aefg- QUANT श्व लावण्छसमुदथेन yaa) तत्‌ किं पुनभंग- वताममौषामेवंविधगणधोगेन yarn चितानामपोदृग्रामत्यन्त- दुखरकष्टचर्यागरणे कारणएमश्वदिति सकौतुकं waa: तदेहि

सप्तमः प्रस्तावः | ede

तावत्‌ एच्छामोऽमृन्छूनिपुञ्गवान्‌ भगवतः प्रत्येकं चथा किं कस्य वेराग्धकारणमिति | HUH | एवं भवतु

ततो wane ga: समोपं वम्दित्वाकलङन vetset सुभिः। भदन्त किं ते वेराग्यकारणएमिति। gfe! भद्राकरंय शोकोदरे ग्रामे area: gefaatsy तच ग्रामे राजौ खमन्ताषग्रं प्रदौपनकं। प्रसपितं धृमवितानं। प्रदद्धो श्वालाकलापः। ugufant वश्स्फोटरवः | समुत्थिता लोकाः संजातः कोला- इलः | दन्ति सिम्भरूपाणि। धावन्ति ater Wace sat) क्रोशन्ति पङ्गवः किलिकिशायन्ते विद्धाः मुष्णन्ति तराः | wen स्वद्ञानि परिदैवन्ते हृपण्णः सर्व॑या संजातममातापुक्धयमिति | ATEN समस्ते गामजमदादिनि serene fagg: कश्चिदेको मन्वादौ चोत्याय शितो गाममध्यवर्तिनि weet) छतमनेनात्मकवचं विहितं रेखया विशां मण्डं श्राषता महता शब्देन ते Taare: | यथागच्छत यूयम मदौयमस्डले fam येन cay भवतां ederfa शरौराणि ततस्तथा पूर्कु्वतस्तस्य वचन- माके केरित्छश्पतमा etary तदोयमन््मण्डले प्रविष्टाः | RU: YANN इव मन्ता इव इतडदया इवातमवेरिका टव aezeiat दव तस्मिन्नेव तथाविधे प्रदौपनके द्ममानेषु तथा wie प्रचिपन्ति दणएकाष्ठभारान्‌ विध्यापवन्ति एतश्तचघरटकैः | AMAA: परोक्षाः भो भो भद्रा माथमख aston प्रश्मोपायः | fa तरिं धुयमिदं जलेन वा विध्यापथत wy

ets उपमितिभवप्रपश्चा Sut |

वानेन aera विरचिते मन्त्रमण्डले प्रविश्रत येनेद्‌ प्रश्माम्यति भवतां चयाखह्हेषु प्रानं ते तु लोका शत्तेवां वचनं केचिन्ना- कणेयश्ति केचिदवधोरथन्ति केचिद्‌ पदसन्ति केचिदुलुष्डधन्ति केचिदिवत्रन्ति केचिक्मतिकूलंयनिति के चिक्लाग्रति ष्यन्ति केचिद्मह- रन्ति ततस्ते मण्डलस्वा खोकाः ferrets भोगेन केचित्त genet वंचनं att ततो ममापि तथाभव्यतया प्रतिभातं तन्तेषां मण्डलश्यानां लोकानां सम्बस्धि वचनं प्रष्टो NIA तजर AGS | दृष्टास्ते मथा यामोणष्वोकाः प्रबलपवन- प्रेरष्णा दतिभरोग्तेन तेन प्रदोपनकेन बलादारटन्तो दद्यमानाः | ते तु. agwer लोकाः fants प्रब्रजिताः। ततोऽहमपि तेषां wa प्र्रजित तदिदं भद्र मम वैराग्धकारणमिति ततो इष्टोऽकलहसेतसा चखितो दितोयमसुमेरभिसुखं qgt

भया कथानकभावा्यः ततः Val मया कलङ्कः | GIT कुमार

किमनेन तवाख्यातम ग्‌ ब्ैराग्यकारफम्‌

ददं WHY सषा किंवा इष्टोऽसि चेतसा

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योऽय लोकोद्रो रामो gfam भो faafea: |

धज वास्तव्यको देष ससारः प्रतोयताम्‌ ti

राजिरेव खदा तज महामोहतमो मयो |

रागद्ेषाग्चिना wat जित्य श्रं प्रदोपनम्‌

धुमोऽज तामखो भावः त्र तच प्रखपेति |

छ्वालाकलापसंकाशो राजसो भाव इच्यते

स्मः प्रशतावः |

अन्य | तच संघारप्रदौपगके

खसुदष्न्ति कलहा वंश्रसोटरवेः समाः | रागद्ेवाग्निनोक्सप्नाः षमुन्तिष्ठम्ति जम्भवः

ते कोलाइशं तज gas सुद्‌ाङ्णम्‌ | afer सिम्भर्ूपाभाः कषायाखिन्ततापिनः अश लेष्तासंन्नाख्च धावनदेला मेशिका | अन्धा दव रर्गधनच्र मूर्खा रागाप्नितापिताः॥ जानन्तोऽपि fieareter नराः statin aya: | सदा किखिकिलायन्ते नास्तिकाः firgafepr: सुष्न्ति धमेखवंखं नुणामिचियतस्कराः | तयाह्मगेसाराशि cya Tafa केचितु परिदेवते कहा शपथा इव `

किं ga शक्ते नेदं विध्यापयितुमोदू श्रम्‌ + तदेवमोदूशं मद्र षदा गाढविसष्यलम्‌ भवप्ररौपनं रौद्रं साधुना तेन वकितम्‌ः॥ . ~ - परस्यरं fe शोकानां aw जाता म. विद्ये अमातापुचकं. तेन कारणेन निवेदितम्‌ tt मन्तवादौ gras विबुद्धः परमेश्वरः |

सर्व श्नस्तेन चोत्थाय fafed. तवैथमष्डलम्‌

तश्च गोग्वन्दकांकारे मध्यलोके प्रकाशितम्‌ | इताताकवचेनेव Gere रेखया

आह्वानं जोवकोकानां धमरे शमया हतम्‌ | 122

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ATM ATMA Haley सततं HAT: | एष eagarat were वधकः तौ्ंमष्डलमध्यस्वेनं fasten निवारिताः | नापि प्रग्रमतोयेन तन्ते विध्यापयन्धहो ` प्रवेशं कुर्वन्ति त्र सजोथेमष्डले | नाकणंयन्ति तदाक्यसुषदाषादि Had केचिदेव प्रबुध्यन्ते यथायं सुनिखन्मः। बुद्धो वचनान्तेषां neers दृष्टाखानेन ते लोकाः ससार) दर्ारिष्ठः `` रागदेवाग्निनाव्यन्तं cyan: सुविडलाः अद्रङ्धाध्यवसायास्यः पवनः प्रेरयत्यखम्‌ | तज खोकोदरपामे तं रागदेषपावकम्‌

सप्तमः OTT

ततः सोऽतिभरोग्डतो जोवान्‌ ग्रामेयकानिव | दहत्यारटतोऽमोषां सुनौनां पश्तामपि यत्पुनरनेन gfanfufed यथा ते तु मण्डलख्ा शोकाः चियम्तोऽपि प्रव्रजितासतोऽहमपि aat मध्ये प्रव्रजितः तद्भद्र चनवाइन्‌ वक्रोक्तिगभेमवगन्तव्यं | aaa कुमार कथमौदृण्ै TACT वक्रोक्तिः | अकलङ्नोकठं खन्तोथेमण्डले तच यतो लोकाखतूर्विधाः | साधवः श्रावकाः साध्यः आविकाख wafer: ततः प्र्रजितास्तच किथयन्तोऽपि Seat: | एषोऽपि मुनिरतेषां मधये wafer: wer तदेवमोडु रं भद्र वक्रोकषा तेन साधुना | प्रदौप्नकञ दिष्टं चाड वैराग्यकारणम्‌ ददं सकलं बुद्धं यच्चमत्कारकारशम्‌ | मया कथयतोऽस्देव इष्टोऽरं तेन Saar - चिन्तित मया भद्र सत्यमेतन्नेवेदः। ` wat खदा प्रदीप्तो fe भवो वेरःग्यकारणम्‌ तयाडहि। प्ररौपनकदा डेन दाइयन्तौह मानवाः | आत्मानं ये जडाखलस्माजिस्सरम्ति महाधिथः अन्यच | : आवयोः प्रतिबोधायेमिदमेतेन खाधना ` प्रदौपमकमु दिष्टमात्मवेराग्पकारणम्‌

&७र. उप्मितिभवप्रपच्चा SUT |

तथाहि किल प्रलोपनकसङ्ाच्रे GAT दद्यमानधोः ` युवधोरपि ge fe प्रवेष्टु aan भावतोऽच प्रविष्टानां धन्यानां तौयेमष्डले | रागदेषाच्चिना दाहो षमस्ति कदाचन Ure रोचते मद्य सुनेराङ्तसुनष्तमम्‌ | तुभ्यं किं Dest. नेति MA जनवाहन : ततो मयाकलङ्कस्ट AWA वनं तदा | मौनमाज्ञन्वितं भद्रे पापपूरितचयेतसा अचजाग्भरे दितौधय्य gage मधा खड सो ऽकलद्स्तदा प्राप्नो विहितं ve वन्दनम्‌ a एष्ट्ावसरे are: किं ते वैराग्यकारणम | मुनिराह यथा सौम्य खमाकणंब साग्तम्‌ tt WMI मचा इष्टं AYMAN | तदैव मम संजातं WE बेराग्यकारणम्‌ मदाधूरितिखर्वाङ्गसतजारं AMAT TH: | आसं ततः शपोपेतेत्राह्मणेः प्रतिबोधितः SHAG | थादूगापागकं ARE भर्वास्त्र चथा खितः | ये ते ager: सर्व॑मेतदाष्यातुमरंसि सुभिनोक्क अनेकट्कटन्ताकमगन्तजनसकुशम्‌ |

GAR: WVTs | हे

यथाश्ितं agra को fe वश्यितु चमः तथापि dua: किविन्त्छरूपं नरोतम | पुरस्ते वणंयिष्यामि तत्घम्यगवधारय तद्यथा | बड्भेदवरासवलुष्टजनं वरभाजगराजि विचिबखरम्‌ | श्ितिनोरजरच्ितसशवकं भनमोदनकारएसत्छरकम्‌ मदिरामदधु रितिखवेजनं बङखासविशासविकाखकरम्‌ | लसदुद्धटबोलविभानपर BATTAL LATINA अन्यश्च | | मौ डमनोरमकाण्तनाय्ं SATA IAT ` आदि निवेश्रविरोनमनन खोकनभोभिध्ग्डमिनिविष्टम्‌ वादितमरेलकोटिषर्काश्चं वे णिकनादविवर्भिततोषम्‌ वंश्रविरावखमुद्धतवोग्रं वो ग्र विघो षितगो चसदस्तम्‌ एवं च। गतेनगानविखाषनपानेः खादनदानविशरवण्मानेः | संततभावर चैः TELA जोकथमत्छतिकारण्मेतत्‌ तदेवं श्वेखामय युकं भित विधमम्‌ | Saree मथा भद्र we fae निषेवितम्‌ ara नास्ति तदाश्धं नापि त्छंविधानकम्‌ | यन्सजापानके ate मया प्रविखोकितम्‌ अनन्ता विनते चे लोका मदधूषिताः | tem भाषन्त चिन्तयन्ति किचन

€98

उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

स्यवहार ते कचिल्कुवंभ्ति शौ किकम्‌ | म्टतमूक्िंतरूपेण खदा तिष्टम्ति केवणम्‌ अनन्ताश्चापरे खोकाः सद्रूपाकारधारकाः |

fa a ते लोककार्याणि विदघल्यन्तरान्तरा तथान्ये ताषुशा एव मदिरामदधूणिताः | असंस्थास्तज दिद्यन्ते नरा भोः पाथिवादयः अन्ये पुमरसंख्याता faut मद्यपायिनः |

जिच्रन्ति मन पश्चन्ति मापि swf किंचन set: केवलं ग्डमावाराटौसुंश्चमाभकाः | faefa जिया fafeaca इतमानषाः तथापरे qaay लोका faafer किचन |

wef पश्यन्ति तेऽप्यसख्याः प्रकीर्तिताः अन्ये तु लोचनोग्मषात्यश्छन्तोऽपि gz fea | माकणेयनधसंख्याता मद्‌ाधूरितिचेतनाः SSAA: THA खो कास्लनापर मथा | मदिरामददोषेख afer: शन्यमागसाः

अन्ये पुनरमंख्याता इष्टाः WIS AAT: |

केवलं तेषु gay खदाकालमवस्थितम्‌

ततरते

feu भद्र भिद्यन्ते crea दष्टवेरिकैः | परस्परमदाश्राताः वन्ते तौत्रबेदनाः Ree: पुमरन्येऽपि लोकास्तज्र विशो किताः |

सत्तमः WAT: | 0,

mamas मया सौम्य मदिरोद्धाग्तचेतसः नासि तेषामकतग्ये वितां पष्टरूपताम्‌ ` आरारोस्तेऽपि सु्न्ति गच्छन्ति जनमोमपि धर्माधमं जानन्ति सर्वकार्याणि ga | SIMA ele लोलमाना ATS केचिदुत्‌भ्ुत्य गच्छन्ति मदिरान्धा विहायसा | केचिश्ल्चं निमष्ञन्ति गिलरां afc: श्न्यञ्च | तेऽपि वन्ति gay युध्यन्ते परस्परम्‌ awa तौव्रदुःखानि मद्यं सर्वापदां पदम्‌ तथान्ये aw fare senda मगुव्यकाः ते पुनरिंविधा ज्ञेया गाढडमन्तासयेतरे रन ये गाढमन्तास्ते शोलमाना भुवस्तले | वान्त पित्तं wergy भकच्यन्ति .वराककाः इतरे भद्र संख्येयास्ते पुममेदिरात्राः | युष्यन्ते Tse वर्गन्ते मुत्यग्धचदेसन्ति गायन्ति बड़ भाषन्ते पयंटज्ति निरर्थकम्‌ | लटन्ति श्वयो धावन्ति विलासो छ्ासतत्पराः मलाविलानि जाम्बाल्चश्रपूर्णानि योषिताम्‌ | सम्बन्ति वक्गनेचाणि आआचरग्धषमश्नसम्‌ अनेकविष्बोकपरा मातापिज्ादिमारणम्‌ | अनार्यकार्यंचौर्यादि सवे ते कुर्वते मरा:

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छप मि लिभवप्रपश्चा कथया |

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लोकाः afta मदाश्चाताः खदा कलकलम्निधाः वेणवो काकञं गोलं. नाटकमेानि विशासाख्धर्यनिौवा नोपशराम्बभ्ति तत्पुरः तेऽपि qafer cera wore ददन्ति ard तेऽप्याकयोषाभिः कुवेगधा विडम्बमम्‌

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मदिरामददोषेख शओोकेर्व्यागवं विहृलाः | चतुषटयेऽपि ते शोकाः wer: सुखमानिमः संख्याताः पुनरन्येऽच सम्धापानकवतिनः |

a at पिबग्ति त्म्यं were: परमासषते ततस्ते तेन शोकेन सततं मद्चपायिमा | अपिबन्नोऽभिधयैयन्ते ब्राह्मणा इत्यदयया

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तस्मादापानकादन्ये बरिश्ंता महाधियः |

अनन्ता भद्र विद्यन्ते Rae मदवजिंताः आपानकं हि Menge ते विसंख्यलम्‌ | rere: प्रमो दन्ते निर्बाधा: सततोत्छवाः

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wag भद्र लोकेषु fare acyfer: | शदनज्नितस्ततः प्राप्तो दितोयेषु कथंचन ततस्तेषु पुनः feat तथेव मदधूषितः | मत्तो यशोकेषु शुरशनहामश्चोलया feat तेव्वपि गयांश are मदेम fase: गतत चंलोकेषु ततोऽहं मदिरातुरः एवं खे मया पूरव कचितास्ते yates | लोकभेदाः wea खशूपेए वणिता तेषामाद्यख यो भेदो यौ पथन्तवर्तिंमौ | wae fagene गेषभेदेषु हिष्डितः + दशापि ते मया भेदा भद्रापानकवतिमः। WANT: पापेन श्यो wat निषेविताः ame वान्तपिन्छाचिद्चेश्रमूबजाम्बालपिच्छिखे अ्रतिबौभव्छदुगन्धे तज्ापानकगतसे | कचिन्नटन्‌ कचिद्धिङ्खन्‌ कचित्छपन्नितद्तः | ,, उन्ति्टज्निपलशु्ेरारट कायवेगतः

WORE रदन्‌ धावन्‌ युध्यमानो जनेः सड आस्फोखमानो बलिभिः कुखमानः चणे चण WITHA दरे zeae: प्रपौ डितः एवं विचरितस्तच भद्रां TWIT Il |

अन्यदा दष्टोऽहं॑तेरापानकमधय्े्राह्रेः | संजाता तेषां 323

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भगवतां ममोपरि करूणा चिन्तितमेतेः। यथा श्रयं auTlie aft दुःखमनुभवति वराकः। ततः कथंचित्कारयामोऽमुं मद्यविरतिं येन यथा वय सुखिनः संपन्लास्तयायमपि सुखितो भवति तती विदितस्तमंम प्रतिबोधनाथे aa अं तु मदिरामदाधूर्पितः परल्कुवंतामपि तेषां ॒किचिच्चेतथामि श्रलब्धचेतनसख्च पुनः पुनः पथेटामि तेषु सर्वेषु लोकभेदेषु। बहशो वदतां पुमः कचिकूषां ब्राह्मणानां दत्तो मथा ङकारः | ततस्तावननर्थतितं यावदपगतो मे मदिराघस्मरकः। समासादिता Saar दन्तं प्रतिवचनं ततः कचितासतेमम मद्यदोषाः प्रत्यायितोऽहं कारितो मद्यविरति। संजातोऽइमपि तादृशो ब्राहयणः। ते तु ब्राहमणः सवंऽपि प्ररजिताः। ततोऽहमपि तेषां मध्ये प्र्रजितः | केवलं जयेति ममाद्यापि faite aurea: तदपि ans जरयिव्यामि। तदिदं ax मम वेराग्यकारणएमिति। तदेवं भद्रऽग्टहोतसङते धावदिदमाबेदयति शधुस्तावदकणद्स्य किमनेन निवेदितमिति प्रृतो विमश्रेः। ततो विचारयतः संजातं जातिदख्मरणं सतं पूवंभवाभ्यस्तं श्रतं ततो afeat सुनिवचनस्छ भावाः प्रमुदितो मनसा वन्दितो मुनिवरः ! प्रटृत्तसततो यसुनेरभिसुखं |

qaqa: yet मया यवा किमनेनाख्यातभिति ततो- इभिदडितमकलंद्न 1 भद्र घमवाइन श्रथमपि संसार एवापानक- ङूपतयानेन सुनिनात्ममो वेराग्यकार एमित्याख्यातः तथाहि सत्यमापानकशूप एवाय न्त संसारो aad यतोऽ aur बतन्ते व्यन्त चानन्ता ठन्नान्ताः) मन्पालकायनोऽचानन्ता NAT: |

सप्तमः THT | ESE

fafunqraassfad क्मप्ररृतिजाछं विग्रेषतः -पुमरासवायन्ते कषायाः खरकायन्ते गोकषायाः सुरायन्ते घातिकर्माणि | विचिचरभाजनाधन्ते श्रायुंषि तदाधारतया चषकायन्ते जन्त॒- अरौराणि कर्ममद्यो पयो गहेतुतखा नोखनोरजायन्ते तेषु इषौ- काणि तदिभ्धवकतया। लौषदेतुतया धुणेन्ते कमेमद्यमन्नाः अर्वऽमो जन्तवः कुवन्ति राखविलासलाखविकासदहासविष्वोकादि- SORE) मदला यन्तेऽच कलहाः कंसाणक। यन्ते सगसगायनम्तः west: | aurea दुःखितअनपरिदेवनानि | वंश्ररवायन्ते सद्रोकलोककरणकूजि तानि सुगुभ्द शब्दा यन्त श्रापद्तजमतिमिति- मावितानि। कसिकायन्ते प्रियविप्रयोगादौ जमदेन्यरष्डितानि | वोद्रढन्दायन्ते MEAN मूखेलोकाः। कमनोयनरायन्ते विबुधाः | Sewer acre: | श्रमादिनिधनं चेदं खसारापानकं wer निविष्टं लोकाकाग्रश्चमौ युक्तं मतेनगानविञ्चसमखादनपान- दानमानविग्रवणादिभिः समस्तभावेर्खोष्याभिदद्धिकारणं जडानां विरागताहेतूरविंबे किं ये चानेन मुनिना तचापानके षयोद्‌श्र- मेदा शोकाः कचथितास्तेऽज जोवा REM) तथाहि प्रथमं अतिपादितस्तावदसांग्यवदारिको Stacia: तदनन्तरं निवेदिताः साव्यवशारिका वनस्यतथः। ततः कथिताः एचिव्यप्ेजोवायवः। ततो afiiet दौद्ियाः। ततो fafeeretfca: | ततो वण्ितिखत्‌- रिखियाः। ततः प्रख्यापिता असंन्निपशचेदियाः। ततः प्रकोतिता नारकाः ततः dite पञचेद्ियतिवेचः तदनम्तरमुदिष्टाः समूरनजग्भजमेदेन दविधा ager: | ततः प्रकाशिताखतुनि-

éce उपमितिभवप्रपश्चा क्या |

कायवर्तिमो देवाः ततः प्रकाशिता ब्राह्मणा इति वाचोयुत्षा संयतमनुाः। ततः संश्रष्दिताः संषारापानकाडहिणश्ठेता भगवन्तौ quran: | उद्योतितं saat सम्बस्यि server: निगदितं लेोरेश्रतो wea gfenfa तेषां बम्बन्धो वि विविधसविधान- काजि। wfiferg तदा ane कर्ममद्यपानेन सुनिनात्मा | आख्यातमर्वा यवहारिकजो वराश्रिमध्ये प्रथममाद्मगोऽवस्थानं | प्रकरितमनम्कालात्कथं चिन्लतो निगमनं तदमैनरमावि्भाषितः साग्यवदहारिकवनस्यतिव्वात्मभो जिवासः। ततो eared craft स्थानेषु wat श्यः पर्व॑टनं मिषिद्धमर्षा यवदहारिकसंयतमनुय- सुक्रत्मस्‌ गमनं विस्छारितास्तेषु eng ख्ानेष्वाकमनः संभविन्द- सोतरदुःखविडम्बनाः

तदेव भद्र ससारो महापागकसन्निभः।

Want दुःख्ेतुख मुभिना तेन दौपितः

यत्तु तेत्राद्धणेः cereatsy प्रतिबोधितः,

यत्रनेत्या दि aed युज्यमानसुदाइतम्‌ |

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श्रनादिभवभावस्य तत्छभाव्रत्योगतः |

उत्लष्टा्याखतौतासु तथा कम स्थितिष्वलम्‌

भ्यो श्यः सखाधूनां सन्पकंऽपि नरादिषु

र्ते द्रयश्ुते श्ूरिवाराघषेणचूषएनात्‌

यन्लावाप्रोति सम्यक्क मन ar भापि सक्कियाम्‌।

ala: सुसाधुमधयेऽपि कम्मदेन धूपितः

सप्तमः प्रस्तावः |

सोऽय चघंसमरको भद्र धोरो रिभवावहः |

येन विश्रान्तचिन्तोऽयं भग्भमो ति ga: पुमः *

VHGAARVY तनः का लादिदेतूषु राधाबेधीपमं भद्र जौवोऽयमतिदुखेभम्‌ a सद्‌ शंब॑मवाभ्रोति कमेग्रन्विं ETNA |

निभिं ्एभभावेन कदाचित्कथिदैव fen

सुसाधत्राद्यणानां भो जवं पूष्क्वेतामखम्‌ धरममेदे श्नया बोधः घोऽधं Ware Gas zim सुक्िनौजं waa तजवेदनम्‌ Tega पर्यायासष्छ कौरतिताः सति चाक्िशसौ घन्यः सश्यग्दशेनसंयुतः | ARIZA रमते भवोदध्यै पत्य यद्रूपं भावतो नुद्धिषचुषा | सम्यकू ` डास्तानुसारेण रूपं गटटादिरोगवत्‌ a AEG PEMA प्रशचान्तेनाग्बरात्ममा | भावग्मं ' यथाभावं पर संवेगमाजितः - यदुत

जग्मन्डायजराव्याधिरोगशोकादयुपद्रुतः | ama केवलं Gara भौमो भवोदधिः

सुखाय तु परं मोको जन््मादिङ्गेश्वजितः

arama चि निभुक्ो ग्यायाधाक्जितः: षदा. Rasa ईसा दिद्‌ःखाधन्वयदशेनात्‌-।

ESR उपमिलतिनवप्रपश्चा कथया |

gm: gacfearfeatarnfafaataa: qa भवनेगृष्यं QRQ गुणरूपताम्‌ | तदथं Gea faa विष्डद्धाक्मा aay ` दुष्कर चुद्रसत्वानामनुषाभं करोत्यसौ qt दृढानुरागत्वात्कामगेव वनितान्तरे उपादेयविशषष्य सन्धकूप्रसाधमम्‌ | द्गोति चेतोऽनुष्टानं तद्धावप्रतिबन्धतः ततस दुष्करं तन्न सम्यगालोच्यते यदा | अतोऽन्यदुष्करं न्यायाद्धवव्ुप्रसाधनम्‌ व्या धिधस्तो यथारोग्यलेश्रमासादयम बधः | कष्टेऽणपक्रमे धौरः TAA AT परवर्तते संखारब्याधिना यस्तशदिश्चेयो भरोत्तमः | शमारोग्यखवं प्राय भावतस्तदु पक्रमे प्रवतमान एवं थथाश्क्कि शिरागश्रयः। WE चारिबमाशाद्च Aas लभते क्रमात्‌ ततः wafaget भवोपध्ाहिकमेणः। चानयो गात्षथयं wa मोखमाप्नोति शाश्वतम्‌ VRPT सेव कख्याणमाणिका | प्रायेण we Mas यतः प्रोक्तं मनोषिमिः कि तत्‌। SUA सदा भक्षा भेजो Vey भावतः | आकत्रौयग्रशमोकख धमेहेतुप्रसाधनम्‌

सप्तमः प्रस्तावः | ecg

उपदेशः wet faa qua waerfcar | खाने fara इत्येतत्‌ साधखेवाफं मरत्‌ तथा | मेचौ भावयतो frat wet भावः प्रजाचते ततो भावोदकाष्लन्तोदंवाद्धिरूपश्राम्यति तथा | श्रेषदोषजननो निःगषगणचातिनो | आत्मोयग्रहमोचेण zur fe विनिवतंते एवं गुणगणोपेतो वि ष्ट gi स्विराश्रयः | तत्वविद्धिः समाख्यातः सम्यग्धमख्य साधकः ततोऽनेनापि सुनिना ब्राह्मणाकारधारकेः | we बोधित com साधभिः करुणापरः ततोऽसुनासुसारेणख यदनेन कथानके | प्राकर तत्छयं योज्यं स्यष्टलान्ञाभिधौयते अपि qi | कममश्चरताः सवं भद्राविरतजग्तवः | भवापानकमध्येऽपि ACAI TTS: तैरेव eae: साधः क्ममद्या्निवारितः। ततः अरब्रजितो जात इदं वैराग्यकारणम्‌ THT तत्कमे मद्याजोणेमयं मुनिः | जरयिता भवापानाददिष्डेतो भविखति fa a

sufafauranger कथा |

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थोऽय सुनिवरो भद्र इष्यते ध्यानतत्परः |

दूरवर्तो महाभागो FACT ममाधुना

अनेन तज Gutsy गाढसंमूढचेतनः |

छपापरोतरिष्तेन यन्तः प्रतिबोधितः

ततः संदर्भिंतोऽनेन रुमस्तोऽपि यथयाख्ितः |

भवारबहनो मे भद्र ततचेदं निवेदितम्‌ यदुत

सामो ARS सवं खख फलभोक्रा संश्रयः |

अग्नो भवारघटस्य कि जानासि मूढक केवशं

अनम्तद्‌ःखसन्तागह्ेतुस्ते माज संश्रयः |

जन्तो भवारघहोऽयं area परित्यज ` AA | a

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एनां भागवतो दोलां ये गन्ति नरोत्तमाः |

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सत्तमः DATs |

ततस्तथेति भावेन प्रतिपद gaa: | छतं मेदं मे भद्र जातं पेराग्यकारणम्‌ ततोऽकलद्स्च्छरतल्वा सुगि प्रत्यभाषत | भदन्त चार GTS तव वैराग्यकारणम्‌ कस्य वा wage सकणेख विरक्ये | भवारघहो Nae इषटिगोचरतां गतः ततोऽभिनन्ड तं साधु वन्दिवा भक्तिनिर्भरः | बोऽकलङ्खो मथा ee तुर्॑साष्वन्तिके गतः अथ AHH हला मम बोधविधिद्था | स्तेन महाभागः सोऽपि वैराग्यकारणम्‌ मुनिराह वयं vet मानाङूपाः afwas | विष्टामस्तच् चायातमखमद्धक कुटुम्बकम्‌ अनेकमारुषेयैकं पञ्चमानुवतन्तितम्‌ | अस्माभिः प्रतिपन्नं त्किलेदं forage, शष्पं तद्धद्र वर्तते परमार्थतः ततस्तेन wi fed सादरं arate ` अथाविश्चातशद्गावा चिजभोजनलशोशपाः | ते काचा भवणाष्जाता नितरां पूरितोदराः तच तेर्माुषेस्तादृङमन्त योगेरविनिर्भितम्‌ | भोजने चेन तष्नातं सज्निपातस्तर कारकम्‌ तथोख्माटकरं भद्र HIATT भवत्यशम्‌ | केषां वि्िज रानां तदन्नमतिदार्णम्‌

sufafawanqer कथा|

ततो faegueant जिहाखजातकष्टकाः | कण्ठे घरघरायन्तो Awe: सुविहलाः कचिक्लापार्तिदग्धाङ्गाः कचिष्डषेतार्तिबाधिताः। कचिद्‌ द्वान्त चि भसत्वालो लमाना सुवस्तले सन्निपातवश्ादन्ये ठथेवादंवितदेकम्‌ ` क्रिन्छ्मगद्यगायन्ते ते arm: शोच्यतां गताः ये. BHA: समापनाखड्ा भोजनभच्ण्णात्‌ |

ते देवमुनिस्काां जिन्दा कुवन्ति पापिनः # : लपन्ति विपरोतानि gaa दुष्टचेष्टितम्‌ | खदोपञ्चुतचिन्तानां किं खान्तषां fe न्दरम्‌ अन्यार्वेऽपि ते Sarat: पश्वनषटधमकाः विषधारितवग्शूढा जाता MAT:

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योऽयं सञाध्यायपूतात्मा Tad मुनिपुङ्गवः | - naam विद्यतेऽतिश्यो महाम्‌ ¦ ततोऽङं भद्र शकानां तेषां मध्ये कथंचन सज्िपातातिमूढात्मा इष्टोऽनेन AeA oC ततः कर्णयानेन सन्निपातो निजौषपैः | ममापनोतो जातोऽहं मनाग्‌ विस्यष्टचेतनः . ततो मे काचससर्गदुकरादोऽषभक्त्तदा | ,. सोऽप्यनेन महायन्नादपनौतो महात्मना ` ततश्चायं महाभागो इषा at Aaa .

सत्तमः प्रावः |

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परस्यरमसंबद्धाखहप्रायाः प्रकटिताः तथाहि | नामोषां विद्यते मातामपितान बान्धवाः। धनं परमा्यन द्िनच्छोरा हि जन्तवः वेषां जोवशागां संसारमठवर्तिनाम्‌ | अआ गच्छत्येव ARH बन्ध्ेतुङ्चटुम्बकम्‌ विचिजाखरज् विद्यन्ते wate बन्धड्ेतवः ` तेषां SOWA: पञ्च तत्त्‌ मागुषपश्चकम्‌ ` यतः | | प्रमादो योगमिश्याते कषायाविरत aw | एत एव fe art पञ्च बन्धस्य हेतवः अनादि मोदसामर्याद्धातौदं हितवत्खम्‌ | da Hawg बन्धहेतुक्टम्बकम्‌ + ` अरा तिरूपमेतख वतते भद्र देहिनाम्‌ | तया्यस जमन्ति खरूपं मन्दबुद्धयः faadafa तत्कमं च्छा जभोजमसुजिभम्‌ | विचिषं घरसं लोव चलौ खविधायकम्‌ THETA EMTS न्रानावरण्योगिकम्‌ बन्धडेतुङ्टुम्बेन ढौ कितं कर्मभोजनम्‌ ` HARA: समाघाद्यं मो हादत्यन्तज्ञो खपाः | आत्मानं WSS भानण्ति चायतिम्‌ arg तददिपाकेन acuta सुटारुष्छम्‌ |

सप्तमः प्रश्तावः। ९९१

अमभिग्रहभिष्यात्वसन्निपातः कर्तितः

ततोऽमौ जन्तवस्तेन fara मरहातमो रूपेण भाव- सन्निपातेन सन्निपन्नाः . स्तः काष्टवश्नष्टसेतना भवन््ेकेखियाव¬ स्थार्थां अव्यक्रघोषतया aca इद्ियद शार्थां दत्तश्च wie जोद्धियतवावशरे gaya . चतरिश्िवरूपतथा | अद वितरकं tem wifeuefxararte | श्रा जां इगद्यगा- यन्ते गभेजपञ्चेदियाकारधारितया | निरद्धगल्षका दव वर्तन्ते श्रपय्षिकावस्ासु | ्राविभरंतचिड्णाकष्टका xa विसख्युला दृश्यन्ते वि विधदुःउखविधरतया बध्यते तोत्रतापेन नरकेषु पौद्यन्ते तेष्वेव श्नौता तिवेदगतथा देतथन्ति किं चिङ्‌ श्लपदभावमापन्नाः। मुडरुंडङमुद्यन्ति खथमतुव्यभावाः www मरामोहनिद्रया देवावश्था्यां | गष्टधर्भसन्चा जायन्ते उर्वावच्यासु |

aad भद्र Marat क्मभोजमनिमितः | मिच्याश्ामतमोरूपः सज्िपातः gereu:

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<€ उपमितिभवपपल्ा कथा|

चेष्टालारितोपदेशेन ante area नासि acetat नास्ति पुष्यं नास्ति पापमित्यादि भाषमाणः खदन्नौव सर्व॑न्नमतननेर्भिंरा- क्रियमाण गायन्ति निनतकंदष्डोखकान्‌ घोषयः एवं faa | दति न्तंनवस्छानगानपरा इसनप्रविल्ापश्रोदगकाः | मनु भद्र भवन्ति जिनेष्धमतादिपरोतद्शो ग्रदरूपधराः अन्यच्च | Basal जन्तवः कमेविषवेगेन चारिताः | विगष्टघमेसंश्चाख वर्तन्ते माज संशयः aa सुभिनानेन यथायं जु निपुङ्गवः | ARTA WTS हृतगाढपरिअमः शपापरोत चिन्नेन सन्निपाता्सुदारूषात्‌ | मोचितोऽदं ततोऽनेन सु निना निजमेषजेः चटमानमिदं भद्र तोऽमौ मुनिपुङ्गवाः | बद्धान वेद्यकाकारे wea waar: ततः werent संषारोदरषारिणशम्‌ | प्रत्येकं खचयन्धेते aed giana: TTT कमेभोजनजन्येन सन्निपातेन पौडितम्‌ | तं नोवखोकमालोक्छ भवन्ति कर्णापराः चिन्तवण्ति ते धन्याः कथमेते वराककाः | संसारक्गेश निमुह्ठा भविष्यन्तेऽख देहिनः

सप्रमः WATS | ? <€

एत एव सुसाधूनां निन्दाकरोश्नताडनम्‌ |

आचरन्तोऽपि MARTE भवजन्तवः तथाहि |

ये कमेसज्निपातेन वराका माढपौडिताः) -

भिथ्यालो माद संतप्ताः ख्प्रापविषघू शिताः

सदा दुःखभराक्रान्ता गष्टसद्धमेचेतनाः।

परायत्ताः प्रङ्ुवंन्ति भिन्दाक्रो श्नताडनम्‌

तेषामुपरि कः कोपं facata विचच्णः।

चते fe wicfaed छूर्वन्ति way | fa ar ` : |

hae छयाखानं waafsarya: 1

विबेकिनां भवोदेगकारणं भवन्ति ते ` तथाहि te &

एतानेव विधान्‌ इद्धा जोवान्‌ खंषारचारिशः 1

छग्मन्तमत्तसङ्धाग्रान्‌ भावतः सज्िपन्नकाम्‌

wal मनुग्यभावेऽपि जिनेष्धमतवेदकः 1

SHIRT को नाम CHa भवचारके॥ .

ततोऽयं Yt HE कदणादइतचेतषा। = `

खकमेषन्निपातार्ते बोधितो स्रुनिषुङ्गवः .

एव fe महावेद्यो येनायं काजषन्निभः | साधः HAST HX वचना्डतभेषजेः THN | |

125

cee उपमितिभवप्रपश्चा XUt |

ततो मे काजसंसर्गादुग्मादोऽप्यमवन्तदा | सोऽप्यनेन महायन्रादपनौतो मात्मना tt तदेव बोद्धव्यं | यदत आभिग्रडिकमिश्यालवे विधायाबृधबोधगम्‌ मदास्मरकाकारे नाभरिते गरुणाख्य भोः ततस्तौ ARIAT MTA आसिग्रहिकमिथ्यालं गरणा तदपि चतम्‌ ततचहमटाकारः खमभ्यग्मावय्धितस्च भोः | wa: संघारविख्तारो गुङणाद्टा प्रकालितः दृष्टास्ततोऽमुना Marge ca पुरोदिताः। sare: षंज्िपातार्ताः क्मंभोजमदोषतः गाढं दुःखभराक्राग्तान्‌ कूजतो चुणेमानकाम्‌ | प्रलापिनख तान्‌ इहा AAAS महदाभधम्‌ ` लतोऽभिदितो framerate मुनिना चदुत चतुग तिकखंषारे तथामौ दर्गिताः स्फुटम्‌ | ममोदेगकरा नाय दुःखिताः Tio: # गुरवो CEM दुःखलन्दोहयस्तास्लाणएविवजिताः दृ ष्यन्तेऽमौ तचा wes भवामपि विद्यते तवाचापि कर्माजौशे श्टीरके। विधेहि saree अरणायं मम क्रियाम्‌ ti अथय त्वं मामिक्रामेगां स्यां afcafe

सप्तमः प्रस्तावः | Cee

लतौ भषोऽपि cart दुःखग्स्तो भविस + ततः अत्रा ALIA AVG पारमेग्वरो च्छरौताभेन gf सक्किथप प्रसेवित 4 nein acaae तिष्ठति | सु मिनेदं ममाख्यातं भद्र वेराग्बकारणम्‌ 9 कि च। | Raed घाधरशाजौरन बाधितः | वयं बासितास्तेन dart चनगवाइन a ततः GAT मानुख्धमःवयोर पि Fuad ठोखाविधानतः कतै कर्माज्नाजौणेशो धनम्‌ WE लु पायभारेण ररिणश्डादिवस्तदटा MAAS वथो मोहादवाजोगण्मोद्‌ शम्‌ wad भाषमाणोऽसौ मया algarve: | अकलङ्को गतः साधोः पञ्चमस्यांहिखज्निधो + ततः प्रणम्य तं घाधु भुला तङ्कमेदे नाम्‌ | mera प्रञ्रितः सोऽपि तेम वेराग्यकारणम्‌ ` खु निराड ममाख्यातं afte कथानकम्‌ | तदेव मम संजातं AK वैराग्यकारणम्‌ | TRAST | Sa ATT HTH तदा वेराम्यकारणम्‌ | तदे वानुग्रह Bat कथ्यतां मे कथानकम्‌ सुनिगोकं श्राकणय |

९९4

उपमितिभवप्रपञ्चा कथा |

SOMATA ATT: परौ तिनिर्भराः। साथेवाहसुताः केचित्पर स्यरवथस्यकाः श्रनेकावर्तसत्नौवमयकोरिषमाङ्खलम्‌ | खहृयिला समुद्रं ते रनदौपे परागताः चाङ्योग्यो ferry मूढेति यथाक्रमम्‌ | तेषां नामानि जानौडहि carats नरोतम

दतञ्च |

सर्वषां रबराश्नैनामाकरण्तद्‌ दाइतम्‌ | रनररौपं विना पुष्धदुष्यापमतिख॒न्दरम्‌

fe a)

aarfa विनोपायं प्रायन्ते Tarra: | को डि wa विना am पुरोवलत्धपि भोजनम्‌

एव fea |

चार्स्तज seta शेषा काचा विवजितः | रन्र्रदणएवाणिज्यं कुर्ते एद मानवः tt श्रावजेयति तद्लोकान्ञागो पा विचच्वण्ठः

fava रन्नराश्नौनां सश्चथं fer faz ti तया वतैमानस्य ae fafyadae: | ्कालद्ोमं aes रन्नपूगेन पूरितम्‌ जानाति रल्ागां दुणदोषपरोशणम्‌ 1 विधातं तस्यास्ति काननादौ कुटलम्‌ ततः MWA सदाचारपरायणः |

सप्तमः प्रखादः |

aa रौप्रे गतो भद्र संजातः खायेसाधकः योग्योऽपि gua fatwarfuey रन्नकाम्यया | aaa विद्यते ae nian कागनादिषु लानोते सोऽपि रत्नानां रणएदोषविषशारण्ठम्‌ | कत्‌ कुद्रदखेगोचेः केवरं faa बलात्‌ ` ag t | ्ररामकाममोद्यानसरोवरदिद्चया | भमतोऽहर्निंशं तशय ठया गच्छन्ति वासराः ` काचिदेवं भयाचारोराजवे्िषमानकम्‌ | अनादरेण ज्खरते रल्नानामुपाजेनम्‌ तयापि निलितान्यख्य भद्र कालेन waar) तथाविधामि योग्यस्य माणिक्याजि frames केवलं | | : विचिष्टरनषम्भारं नादन्तेऽसै BART | रब्रदोपेऽपि eae: स्तोकेन बड़ हारयेत्‌ ` fears जानौते खथं रल्ञपरौोचणम्‌ | कटै परोपदे प्रान्त केवखं लश्षयत्यसौ विष्ारारामविचादिद शने महन्तमम्‌ i gard frawe रन्नवा णिच्यबाधकम्‌ ततोऽसौ रन्नवाणिष्यं करौति प्रमादतः | क्ुवेलपि मूखेलादधूतंलोकेन वच्यते यतशिकिचिकायन्ते शञ्काचकपदंकाः |

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उपमितिभवप्रपच्चा कथा |

TANI धूतेलोकेन वञ्चितः TASHA संप्राप्तः संजायेताङतायेकः 8 qzg विजानौते खयं रलपरोखणम्‌ | wa नापि परेणोक्ष मोहादेष प्रपद्यते पद्मखण्डवगोद्यान चिदे वद्खुखादिषु |

तथाद्य भद्र मूढस्य विद्यतेऽत्यन्भकयौतुकम्‌ #

aaq |

a ष्टि सत्यरलानि fea काननादिषु गक्वाति धूर्दस्ताचच शङ्ख काचकपदे काम्‌

अय RAAT: खश्यानगमने च्छया |

fa वर्तते मदीयानां मिषाण्ामिति ferret TTA योग्यस्य तदा मृष्छद्युपागतः |

डक चाहं गमिव्यामि fara fa वतेते तव योग्यः प्राह मेऽद्यापि बोहित्थं बत पथते स्तोकान्येवाजिंतानोह मथा Tarts काभिचित्‌ लार्षाभिदहितं भित्र कि पुनमेशदन्तरम्‌ | ततो योग्येन कथितं सवंमात्मौयचेशटितम्‌ qe a aw ते कामनादिङ्दरहलात्‌ | अनादानेन रब्रानामात्मवश्चनमोष् गरम्‌ STAG तात Carat लभमेषां सुखेत्ताम्‌ | तथाणयनादर Baraat वे रिकायसे चिरादपि a सन्तोषो भद्र ते काननादिषु।

सप्तमः Teta: | €<

aat विहितः ara: सखाथो fe मूखेता प्रा्नोऽखि THT = रोपाजेमकाम्यथा | अदुवल्लजेनं तेषामात्मनः किं Tee अतो away कानना दिङ्ुद्इलम्‌ | Qt भद्र सुरन्नानां खततं समुपाजेनम्‌ way गमिष्यामि dae मे प्रयोजनम्‌ | एवं विचेष्टमानसख्ं स्तायेभ्रष्टो भविग्यसि it ततख्येदं THEE: WaT योग्यः GAA | अत्यम्तलख्वितः aq चेष्टितेन प्रभाषितः गन्तव्ये लया तावग्महाभाग करोग्यद्म्‌ | दादिशि तत्सवं किं कर्तव्यं ममापरम्‌ ततो विसुश्य aed कानना दि कुतरइलम्‌ | रन्नोपाजेने शप्रो योग्यो वाक्येन ahaa: अय weit qe fase ततः परम्‌ | खोऽणक्रोऽहं aferearfa मिभ किं वतेते तव ` ततञ्चारोर्हिंतश्चेन दशितं यदुपाजितम्‌ | ससंभ्नमेख सहसा तत्काचश्रकला दिकम्‌ च्रत्यन्द्धेदसारेण कथितं warefeaq | ततञ्चारः शृपोपेतो fey प्रत्यभाषत वेयस्छ वश्धितोऽसि लं धूतंलोकेन पापिना | qr हि ome कतुं रन्रपरोकचणम्‌ अन्यच्च | | |

१६००० उपमि तिभवप्रपश्चा कथा |

रनोपाजेनवेषेण रब्रदोप्डुपेयुषः _ yea ते कतुं कानमा दिकुठहलम्‌ AAG वदश्चारोरितश्नेन विचिन्तितम्‌ | शरदो TEMA चारोरद्ो वचमकौ गणम्‌ ` जानात्ययं महाभागः स्वे यन्मे हिताहितम्‌ | तदेनमेव TRA यत्करतग्यं मयाधूना

ततः प्रोक्तो feria सार्भिंगवत्छणः। mye करिव्यामि काननादिङटददम्‌ रज्ञानां शएदोषाख मिवेद्यन्तां sare | काचादिपरिहारेणए येन तान्यहमादरे ततस्छदु पदे थेन श्टला बो हित्थमश्चघा |

लया साधं गमिष्यामि प्रतौचष् नरोत्तम ` सारणा चिन्तितं योग्यो चथा जातो यथाथेकः | दितश्नोऽपि तथा नुमं गुणनिष्यश्ञमामकः ततो निवेरितास्तेन सवं र्नगष्णमषाः | afer saan हितन्ञस्तदुपाचेनम्‌ ततद्यारूपदेगेन हिता सवे कुठहशम्‌ ` काचादिपरिहारेए कुवन्‌ शद्रलसङ्खनहम्‌

ततः mafa संजातो इडितश्चोऽपि विचचणः | we परोचकसेषां रत्नानामजेने रतः

रय TMA: पाशवं AG ASS सादरम्‌ | सोऽण्ुकोऽदं afaenfa faa किं वतेते तव

सत्रमः Ferg |

मूढः wre क्यस्य लं fa गतेन aitatas रमणोयमिर दपं किंन पश्चि wis: i पद्मखण्डग्डहोद्यानसरोवर विश्ूषितम्‌ | विहारारामपुष्पा्छं वन॑राजिविराजितम्‌ तदक gfe तावग्मार्गयिला पर सुखम्‌ प्ात्छस्थानगममं afters यथेच्छया a wa मयापि गोहिरत्थं carat मिच वतेते | ततस्तद्‌ शितं तेन चारोगादित्थमश्चषा RITTER Aas दिषूरितम्‌ | ager femadid ereqretas: षहो वराकी मूढोऽय गृढ UA नं Gwe: | ग्रस्तः FILS Geta afya: तथापि शिच्चयामौमं यद्येष विनिवर्तते | एवं विचिन्ध तेनोक्र सरण बुद्धिसरूणा ii यकर कतुकं aa मिज वनादिषु | आदवश्चनमेतद्वि रल्नवाणिञ्यकाधकम्‌ afwy qs मिज धूतेखोकेम पापिना | अरन्नानि ग्टहोतानि रननुद्धा यतस्वया दरदं HW क्वं ae संपरित्यज | सुरनानि ग्रहाण लं तषामेतख- शेखशम्‌ ततो यावत्किलाच्टे VTE THETA | तावदु AMT मूढस्तं प्रतोदभमभाषत |

` 126

९००

उपमितिभवपपश्चा कथा |

भाइ धास्यामि गच्छ लं att यज Bula वस्य एवमेव लं यस््रमेवं प्रभाषसे निराकरोषि लवं तावदेकमुत्कलवारिताम्‌ | दितोयं मामकं Taree दूषयस्यलम्‌ प्रभाङ्धराणि aed रलानि भवन्ति ते। पर्याप्रमपरेस्तात तावकेमम रलकैः

ततरः पुनयावद्धाषणे स्फुरिताधरः भटृत्तस्तावदितरस्तं प्रतौ मवोचत

शत शतं ममानेन तावकौनेन मिचकं | frees fared गच्छ whe निराकुलः तदाक निजे fea area परि चिन्तितम्‌ | नेवास्य श्चिणं aa मूढस्य वत पार्यते `

Tay |

SIN खदा AQ चारोः कुर्बाणयोभुंदा |

ते wa रनबो दित्ये तयोर्योग्यरितन्ञयोः ततश्चादः परिव्यष्य मूढं शतमिखयः

ara dhafeannat गतः खस्था ममुञकेः रत्नानां विनियोगं gaturae ते ae: | अनन्तानन्द सन्दो इपूरिताः सुखमासते Weg दुःखद्‌ रिश्चभाजनं समजायत | निष्कासितिसतो stor केन चित्कडधग्ञचेजा afer: सागरे घोरे धथादोभिः परिपूरिते |

सप्तमः प्रस्तावः | १००४

अदृष्टतशपयम्ते दु रन्तावतेभौषणे

तदिदं ते मयाख्यातं द्रिमोक्र कथानकम्‌ |

यत्तदा मम संजातं भद्र. वेराग्धकारणम्‌

ततो AAA: MASTS: |

सोऽकलङ्रो afi aa प्रटष्लोऽन्यमुमिं प्रति

मयोक्क | sree fara ware ve वैराग्यकारणम्‌ | waag किमाख्यातं gfate कथानकम्‌ WATE! भद्र घनवाहनम्‌ नेदमसबद्धमुदाइरणं | श्राकर्फय

त्वमस्य भावार्थे | HAW एष -दन्तावधागोऽस्ि श्रकलमो कर वसन्तपुर ख्धामौ योऽजासा व्यवहारिको जो वरा्िः। वाणिजकाः पुन- येयाथेनामानसततो निगताखहुविधा जवाः | समुद्रः पुनरज नका जरामरणसलिचो मिथ्यादशेनाविरतिगम्भोरो महाभौषणकषा य- पातालः सुदुेष्यमहामोहावर्तरौद्रो विचिबदुःखौघदु टजशचर- पूरितो रागदेषजवमपवनविचो भितः सयोगवियोगवौ चोभिचय चदुलः प्रबलमनोरयषेलाङ्लोऽनवलोकितपरापरपारः ससार विस्तारो fasia: रब्रदोप्थानौयो ऽयं मनुखथभवो मन्तव्यः कामनादि- gave तु विषयाभिशाषो zee: च्रलश्ञ्यनः्कपदंककाचश्रक- लादिकण्याः सरवनचप्रफोतधमविपरोताः कुधर्म बोद्धग्याः। धूतेशोकः कुतो थिकवें mae: | बोहित्यस्यानोयथानि पुनर जौ व्लशूपाशि वर्तन्ते सखख्यानगमनं मोख्ावार्िमेन्तव्या श्रात्लाभरूपत्ान्स्याः | wg qeuteft mgt ate: खकमेपरिणामो विश्वः |

१००४ उपमितिभदधपनश्चा कया |

समुद्र मध्यप्रच्यस्त॒ «aera इष्टव्यनिति ` एवं स्थिते at भो चमषादन सवेःकथानकश्यास्य भावार्थः सुपरिष्यदरः तयापि ते satura विग्रषेफाभिष्ीयते तच जया तेन चारणा faa वसन्तपुराह्नङ्कभित्वा समुद्र समासाद्य taste fama: हतिमाशृनिमरन्रविशेषः न॒ रतं कानगादिषु stan शक्रिता grater: ग्दौतानि रचिम- रल्नानि शतं विर्िष्टरनग्रहणत्राखिन्यं उपानः सुन्दररनमिचयः wafaa जिश्िष्टलोकाः पूरितं afar संजातः riers हति तया भद्र भव्यतया seca Mar निक्रम्याथां यबहारिकः- aa EMR संसार्‌ विस्तारं dry मनुग्यभावं खघुकमेतथा विल्लानमि हेयोपारेखविभाग। चिन्तयन्ति ते। यथातिदुखेभ- चिदं मानूख्माक्ररो भ।वरन्ना्मां कारणं faatagqaa sary भिदम्रधनास्मनाभिः cares ay AUTH कोटि तन्न युक्रोऽख्माक- मधुना विषादपि निषमतर्‌ बिपाकेषु बिषद्यधनादिषु प्रतिषन्धः ! प्रमाखादयन्ति ते way wis ततो 4 विपल्भ्बन्त इती धिके: प्रवतेनो Garay es fea साधुधमाङ्गकरपलखशं aifeay 1 ग्हन्ति बान्तिमादंताशंवसुक्रितपःसुयमसत्यघ्ौ काकिष्च- मलब्रह्मच्ंसन्तोषप्र्मादिकं प्रतिं एरक्ननिचब्रं। श्रावजेयन्ति सहुरुमाधमाधमिकननं पूरयन्ति सहुणानामातमानं संजायकत सखकार्यनिष्यादका इति | यथा योग्येन तत्र रन्रदौपे विज्ञातं गणदोषविचारणं

सप्तमः VENTA: | ११०५

wi निंचित्तरयदष्षाथं वाणि्यं tae सजातमस्य काननादि शरेन- व्यसनं तत्परायत्तेन गमितोऽनर्थको ae: कालो मोलखिताभि कालेन weer fama रब्नकानि विहितो विशिष्टरन्रसंचय ति त्या भद्र घनवाइन भव्यतथा सुन्दरतरा जोवाः GAT मगुव्य- ma लघकमेतथा जानन्ति गफागुणपरोषणं Bal Taq मवाण्य आवकोचितं कियदपि सहुणयहएवाणिच्छं मेवं ॒दुणेच्- लवेन लोभस्य चटुलतचेद्धियय्यामस्य संजायते तेषां धघनविषयादिषु ममलब्यस्रमं तत्परायज्नाश्च ते गमयन्ति facia aid काशं तथापि मोखलथन्ति ते अयसा कालेन ओ्रावकधर्मोचितानि कियन्पि गृणरज्ञकानि faewia खाधधमेषाध्य विगिष्टगुए- रन्नसञ्चयमिति |

यधा तेन ferna mamfa रज्नरौपे fama खयं दरत्परोकशषण धारिता परोपरदेश्योग्यता रतं विदारारामादिषु aent कतुकं a विहितं सुरत्रग्रदणं afenre agar धूतशोकाः ग्टरौतानि रचिकिविकादमानानि काचश्कशादौनि लनिता तेषु खन्दराणौति बुद्धिः व्चितखाखूपदे ग्रातपुवंमाकेति बया भद्र चनवाहन AAA सुन्दरा जोषाः समासाद्य ममुव्यभाषं मना गारूकमेतया षिजानन्ति खयं कतुं vague भारयन्ि परोपदेश्योग्यतां कुवन्ति विषयधनादिष aynd प्रतिबन्धं विदधति स्वेन्प्रणोतश्दधर्मोपाणेनं लचधन्ति कुतो यिकवश्चकतां wefan प्रश्मदयादमादिसाररहितानि दम अधानतया वदिशिकिचिकायमानरनिमरन्रतुष्यानि कधर्मामुष्टा-

१००६ उपमितिभवप्पश्चा इया |

नानि जनयन्ति तेषु सुन्दराणोति बुद्धिं वञ्चयन्ति च. बहुरूपे mega arena fate

यथा तेन मूढेन रल्ञदोपगतेनापि fafed खयं रतर- गरणदोषपरोचणं नापि प्रतिपन्नं परोपदे गेम अ्रनुश्नो खितं वनदेव- करुलादिगोचरमत्यम्भकौत्कं विदिष्टानि श्त्यरवानि गहौतानि काचगश्रकलादौनि BAY सद्रन्नाभिनिबेश्रः मोषितो धूर्तंखोकेन afaat मितान्तमात्मेति तथा भद्र चनवाहन wanfa मनुथ- भवमभव्यतया Vaan वातिक्किष्टतमा जौवाः य॒डतरकमं- भराक्रान्ततया विन्दत्येव खयं कतु ध्मंदुण्दोषपरोचणं नापि प्रतिपद्यन्ते परोपदेशेन अ्रनुग्रौशयन्ति विषयधनादिषु गाठणोख्यं विद्विषन्ति प्रप्रमदयादौनि शद्ूतानुष्टानानि ef धमबद्या खानरोमयागदौमि जौवघातोपमदेकारोणि कदलुष्टानानि कुर्वंन्ति तेष तत्वाभिनिवेशं मोषयन्ति कुतो धिके: तदेवं वश्चयन्ति ते नितान्तमाद्यानभिति |

यथा चस चारः Whaat बोदहित्य Brey: खघ गन्त॒कामः खस्थाने योग्यं प्रत्या eure गमिष्यामि faw किं वतते तवेति योग्येनोक्रं पूयते ममाद्यापि बोरित्यं खोकान्येव मयोपाजितामि र्नानि शारणोक्र किं gam कारणं ततो योग्येन कथितं तदु पाजेनविन्न्तमात्मनः काननादिङ्ुदररशं तथा भद्र घनवाहनम्‌ SEIN भगवन्तो सुनयो Waray तपःसंयमप्रश्मसन्तोषश्चान- दशंनादौनां भावरन्नानां fafearat: खयं जिगमिषवो मोक- wad aera योग्यरूपाएं देश विरतानां मो चगमनायंमामन्तण-

SHA: GETS | १००७

faa sau: कुर्वन्ति धर्मदेशनां ते तु भिवेदचनग्धात्ममः स्लोकगणलं ततः साधवो ad भो भद्रा मनुखभावे ails सर्वेषां aguas तत्किं सपूृणंगणा जाता ee थथा वषं ततः कथयन्ति देश्विरताः संपूगफोपाजनविन्रश्चलमात्ममो धनविष- यादिषु ममलव्य्षगं ततो थया चारणा चोग्यं प्रत्यक यथा भद्र युक्ति प्राप्तस्य Tay कागनादिङ्ठइणं कतु वञ्चन मिदमात्ममो aufan: सुरन्नग्रहणस्य जानाधि लं सुरन्नानां सुखषेतुतां तथाग्यगादरमेवं तेषु क्वाणः किमात्ममो वेरिकायसे चिरेणापि ते कौतुकपरिपूर्तिंखदर we यतितमितरया faa रन्नदोपागमनं ततो भद्र ge वमादिकौतुकं कुर मयि सन्निहिते सुरन्नोपाजेनमन्यथा सखार्थभरष्टा ufaafa ततोऽत्य- छख्ितो योग्यः प्रतिपन्लं लाङ्वचनमनुष्ित विधानेन जातः सुरन्नानां बोदित्थभरणेन खायेखाधक इति तथा ax घमवाहम मुमयोऽपि देश्विरतानेवमाचचते। यथा भो भद्रा युक्त यश्ना- guage aged आनतां जिनवचनाश्टतरसं जयतां भवने- गे्माकलयतां कायकलिलमणाविखतां वेदयतां dae सन्ध्या- अरागभङ्गुरतां wat नोवितश्य चर्मोपतप्तशकुमिगणचश्चलतां भावयतां खजनवगेखहादेरचिरद॒तिविलडितदृष्टनष्टतां ates धनविषया दि ममव्व्यखनं वञ्चनमिदमात्मगो महानरायो न्नानादि- साधनस्य जानन्ति ag) यथा परिणमदाङणा विषयाः कारणं fenfagarat aceyzar योषितोऽग्भिः सद्वावसुखानां रेतुशत- मातेरौद्रध्यानामां सुगतिमागंप्रदौपो wri जनकं मानसाष्ादानां

१०० उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

क्यो जिमर्ता तिषातहस्तावशम्नो aia सम्पादनमनन्तमनःपमोद्‌ानां सुरेमादेपमोखनिषेपणं wits was मिरन्तर चिष्लोत्धकानां अनना दिजोववस्छमलकालनखलिख तपो दायक मिःबङ्गादि शन्दोदा- माममामतकमेकचवर निवारकः संयमो भावको भवभ्नमशभया - मावितन्डरिभावहर्षाणां तदेवमपि आनतां भवतां भो भद्राः केथमविद्या कोऽयं मोहः केथमात््मव्चमता केयमातवेरिकता येन युयं ery विषयेषु que कलभेषु wee धनेषु विद्ध जनेषु way यौवनेषु qe निजर्पेषु पुय प्रियशङ्गतेषु इय हितोपदेशेषु Tau गणेषु aay म्मा त्छत्छणसा गेषु Teas जीवथ खांसारिकसुखेषु पुगचरयम्वस्दय ari नामुग्रो शयथ दशमं नानुतिष्टय चारिणं नायरय तः कुरुथ संयमं संपा- दयय सद्भूतमुणसम्भारभाजममात्मानमिति | एवं तिष्ठतां भवतां भो मद्रा निरयेकोऽथं मरुगमवो गिष्कलमस्मादु ग्रसजिधानं निष्य॒योजगो want परिज्ञाकममिमागोऽकि चित्करमिव भगवनन arated | एवं fe quae: परमविशरिगयते। भवंलामश्चव- arewafa i पुमिरादपि विषयादिषु सन्तोकः। तनं यु कमेवमाखितुं मवाङृश्रां श्रतो gua विकषषयप्रतिबन्बं परिहरत खजनदेहादिक विरहयत धनभकमममत्वव्यसमं परित्यजत निरों शांसारिकमलजाम्नालं zeta भागवतो aactrel विधन्त ew- मादिम णनशसश्चयं पूरयत Vara मवत Qa याव- सभ्मिडिता भवतां वथं अन्ययाखमदुपदेश्ाभावे शदुद्धिविकशा qe are एव wan भव्येति तदिदं भगवतां wa

सप्तमः VHT | १००६

गौमामुपदेशव चनाग्टतमुपाखम्भगमभमुपलन्धते.। योग्यकण्पा देशवि- रता faatt wera सचरितेन ददति वष्टो्षराणि ुवेभ्ति मनगोदुष्परफिधामं fa तदहि प्रतिपद्यन्ते हितमिति तत्छाधेवचमं aration यथोक्र विधानेन Giga पारमेश्वरं महाव्रतं faster पूरयन्तो गंणरननैरात्मयामपाचमिति

यथा खं teint हितन्नाग्यणं विहितं. ख्यामगमनायं तदामन््णं ततो afd तस्मे हितप्चेन खयभुपाजिंतं तत्कादश्न- कलादिकं निवेदितं काननादिकौैतुकषारमात्मचेष्टितं तथा भद्र चनवाहन भद्रकेभ्यो भव्यमिश्याद्टिग्यः agen: सुसाधवो यद्र सद्धमकथनायामिमुखौोभवन्ति vera fanaa पगमम- ममिष्मैयते। ततः कुवन्ति ते साधवसेषां भद्रकभयमिथ्या- qetat धर्मदे ्रनया मोखगमनं प्रत्यामन्णं तेऽपि तेभ्यो द्यन्ति यया वयमपि ga एव धमे थतोऽसुतिष्टामो fara लुमोऽग्रिहोज दहामस्तिलसमिधः प्रयच्छामो गोग्धमिहिरशा- दौनि कारयामो attorney परि्यामः कन्यका इत्यादिकं काचश्रकलादिदगेनं। wag) ते सुसाधन्यो निवे- qatar बथा भो weiter: सुखेन वथमास्मङे यतो भ्याम मांसं पिबामो ag श्राखेदथामो fates सुरसं भोजम रमयामो वरश्ियः परिदश: सुकमारोऽज्वलवसमानि मानयामः पश्चसुगस्ि- aif ange fawarat विविधमाष्यविद्ेपभेः मौख्याःमो धननिचयं विचरामो यथेष्टचेष्टया सहामो रिपुगन्ध ` swa-

धामो निजन्लोतिं ciara: खस्य देवरूपतां श्रतुभवामो मनुख- 127

१०१० उपमितिभवप्रपश्चा कथा|

भवसारमि्यादि तदिदं काननादिकौतुकषारमात्मचे्टितकथनं | ततो यथा तेन चारुणा शपापरिगतददयेन हितश्च wafufed wa वयस्य afyatsfa a पापिना धूतेलोकेन सुग्धतया aye विधातु रबगणदोषपरौचां अन्यश्च gm तव कठं र्नरौपमा गतस्य कानमादिङ्कुदशं विप्रलम्भस्तवैषव परमार्थेन ततो हितश्ेन fafaa तदौयवल्श्चतां शितः परिज्चानातिरेकः ततो निवर्तितं काममादिकौत्कं vey चारू रन्रख्णं afsa: चिष्यभावः चाङरपि रञ्ितस्तहुेः निवेदितं Tawew ग्राहित स्तदु पाजनो पायं Ferree संजातो विशचणः परो को carat ततः परिश्त्य रुजिमरन्नानि संपन्नः सत्यरन्नदण्णोद्यत इति तथा भद्र चमवाइन खम्ममयोऽपि कङणापरिगतमामसास्तानेव वदन्तो भद्रकभवयमिथ्यादृष्टौ मित्यमाचच्ते | यदुत भो भद्राः सत्यं धमे- Mer ys कुरव धमेमादमबुद्या केवलं सुग्धतया जानौच तदविगरेषं। afgat यूयं guinea: 1 खल हिख्कर्माखि ध्मेसाधमामि भवन्ति सवग्रतदयाप्रधानो हि भगवान्‌ विषश्डू- धमेः। तदिरोधौनि यागरोमादौनि। तज युक्तं धमबुद्या भवतामधमासेवमं | aera ae थथा सुखेन वथं तिष्ठामो थतो भख्यामो मांसमित्यादि तदपि बुग्धताविभम्भितमेव भवतां हाख- प्रायं विवेकिनां | यतः सज्जिरहितागरेषापाये काये aemng विविध- रोगेषु व्वरागामिन्यां जरायां मनःशररौरसन्तापकाररिषु राजाययुष- द्रवेषु थायावरे यौवने सर्व॑व्यसनकारिषणषु सम्पत्सु मनोटादिनौष्ट- वियोगे चिन्तवेधुयंकारिणि विप्रियसम्रयोगे सततमाभासुके मरणे

सप्तमः प्रस्तावः | १०११

warfare att पुदखपरिणाममाजनिःसारेषु विषयेषु श्रसंख्थद्‌ःखल्लचपरिपूरिते लगति वतेमानानामसमतां ates गाम सुखं परमाथतो दुःखेऽपि सुखविपर्यास एष भवतां aa जनितः खष्वेष faa: कारणममन्तभवसभ्रमणस्य ततो भो भद्राः WSU प्रापे मनुखभवे सन्निहितायां धमंसामग्यां शत्थस्मदु परे खाधौने शुणाधने प्रकटे श्ामादिमोकमागे श्रमन्तानन्दशूपे ma तस्य QIANG मोखे WA asad aq gn भवतामोौदृग्रमा्मवश्चनं कट तदिदं सन्छमिवचनमाकष्यौ ते ferncen भद्रकभवयमिच्यादृष्टयो star मिखिन्वन्ति तेषां भम- वतां सद्मनौनां agent श्यन्ति परिन्नामातिरेकं। ततो निवतेयन्ति तदुपदे ग्रेनावाप्तशएभवा सनाविग्रेषाः सन्तो धनविषय- गद्धिमतिबन्धं vate विगरेषतो सुनिजनं ते waa z- ufea भिग्यभावं रञ्जयति genta विनयादिद्ुणेः ततः प्रसश्न- इदया WAR गहस्या वख्ोचितं साधुद ्रायोग्यं प्रतिपाद- यन्ति waar याइथन्ति तदुपाजेनोपाथं महायत्रेन यदुत भो भद्राः सद्भर्मसाधनयोग्यवमात्मगोऽभिलषद्धिभवद्विश्तावदिदमादौ केयं भवति aga Rater दयाशता fate: परपरिभवः मोक्र्या कोपमता वजेनोयो दुजेनसंसगेः -विरहितव्यालौकवादिता were शण्नुरागः कार्यां चौयबुद्धिः त्यजनौयो मिथ्या भिमानः areata: परदाराभिलाषः परिहतव्यो धनादिगवंः विधेया दुःखितदुःखचराशेच्छा पूजनोया रवः वन्दनोया Veer ` warraie: परिजनः पूरणोयः प्रणयिलो कः श्रनुवर्तमोयो fara:

१,०९.२ उपमितिभवप्पश्चा SUT |

भाषण्णैवः परावणवादो wire: aye: wate faa- qufaaaaa सरतव्यमणौयोऽपि ged यतितग्यं wer संभाष- Wea: प्रथमं fafrewtn: wartealet धामिंकलनः विधेचं परममौदृहनं भवित्यं सुवेवाचारेः ततो भविति भवतां. सव्नो- पश्चषद्धमांगुष्टा मयोग्यता | तच wee: सद्भिः परिहतेन्योऽक- ारूमिचयोगः सेवितव्यानि कष्याणमिनाणि शङ्गनौ यो चित- fafa: श्रपेकितव्यो लोकमागेः manta ददखहतिः भवि- aman: प्रवर्तितं दानादौ कर्त॑थोदारपूजा भगवतां faerie: साधविश्ेषः stag विधिना wine भावनोयं मरहायव्रेन श्रतुेयस्तदथौ विधानेन श्रवशम्बनोयं धेये पर्थाशोच- Marais: अवजोकनौयो ae: भवितव्यं पररोकप्रधानेः बेवि- व्यो TRI: कलेग्यं atria erates तद्रुपादि wae निरूपयितग्ा : weer परिइतव्यो faquart: sefaad ` योग- wet कारयितव्य भगवद्‌ञ्ुवगविम्बादिकं Fee yaw wat ayers: प्रतिपन्तव्यं चतुःश्ररणं गारहितब्याभि दुष्कृतानि अरनुमोद थितव्यं gre प्रूजनौया मन्त्रदेवताः saga wfe- ताजि भावनौोयमौ दाये afaaequamaa ततो भविष्यति भवतां शाधुधर्ांनुष्टानभाजमता | ततः इतबडहिरन्तर ङ्गसङ्गत्थागेः परदन्तभो जिमिर्भावसुनिभिः सद्विभेवद्धिरासेवनोया यदणशिखा विधेया वस्य॒तत्वजिन्चासा arate: खपरतनग्छमेदिमा परडितमिर- तेन परागश्यषेदिना थथार्थामिमानेन gear सम्यक्‌ aaa: प्रयो- mat ytfare: अनुष्टेया विधिपरता केश्यो मण्डकिनिषध्राखादौ

सप्तमः WTA | १०९

यनः श्रगुपाखनोयो व्थे्टक्रमो भजनो ग्रो चिताश्नक्रिथा देयो विकथादिविेपः wheter भावकषारसुपयोगप्रधानता fire- Wats अवरशविधिः श्राचरण्णैया बोधपरिणतिः यतितव्यं सम्यम््ानस्धिरतायां काये aaa विधेयो wages: ate इसनोयास्तदश्नाः परित्धाश्यो विवादः परिशहायंमबुद्ूवुद्धिभेदकरणं a विधेयः gq wrafedta: ततो afaafa भवतां पाता बज्मता geerat विददवतो wast: खाश्रयो भावश्न्पद्‌ं | ततः संजनियन्ते भवतासुपरि खप्रषादा शरवः संप्रदापयिय्न्ति चिङ्धान्तसाराफि safiert भवतां शएशवाश्रवणण्हणएधारको- watwaenfafater wager cf) तचानुश्गैखनोया भवद्भि- दाखेवनाश्ि्ा eaeTeter satqer भजनोया प्रमाजेना साववौभावमानेतव्या भिकखान्वर्या परतिक्रमणोयेर्या पथिका दातब्या- wren faewten निदाषा भोखमता विधेया भाजनमपरिक्मशा wasamfant विषारचधां निरोचणौयाः आण्डिलग्धमयः करतें समस्तो पाधिष्ररदध मावश्यक प्रवतितश्यं यथागमं कारणे srg: पञ्चविधः खाध्यायः तदेवमन्धषनोया प्रतिदिनक्रिया Weta: पञ्चविधोऽप्यासारः Heals चर शकर श्रह्गाङ्गोभाव- मानेयोऽप्रमाद्‌ः खातग्यमल्युविडा रिता ततो भविव्यति भवतां मोखगमनप्रवणो सन्दोहः | तदेवं ते भगवन्तः स्मनयो were ea: शहुणाजनो पायं | ततस्ते तदुपदेगेन भद्रकभवयमिश्यादुष्टयः संजायम्ते विखचण्ाः भवन्ति परोखका भावरन्ञानां विरहयन्ति बुधम्माभिववं रमन्ते सहुणोपादाने.वदन्ि च। यथा भो मो भहारकाः

१,०१.४ उपमितिभवप्रपच्चा क्या

अपायरेतुभिमे गेभूर्ता कार तौर्थिकैः। `

एतावन्तं वय are वञ्चिता मोशदोषतः

अधुना बोधिता धरै्भवद्धिर तिव: |

यथादिष्टं करिष्यामो नाथाः सवै पुरोदितम्‌

श्रयो पषडिता ara: are fare मनोहरः

यथोपदिष्टं Fara waa खा्थंसाधकाः

यथा Meat मूढसमौप हतं गमनायैमामन्णं मूढ-

मोक वयस्य किं गतेन aftafe रमणोयतममिदं Sy तथाहि पश्च पश्च श्रषितमिदं पद्मखण्डे विराजितं गशोदामैमण्डितं षरोवरैः कमनौयं विहारारामेः सहपौयं सुगन्धिपुष्यभरवन्धराभिवनराजि- भिरभिशषणोयं सुन्दरशोकयोगेग तदच मामयित्वा सुचिर सुखं पसा त्छस्यानगममं करिष्यामो मे गमनं रोचते wi चख मथापि wife वतेते ततो दितं तत्काचश्कलादिपूरितं चारोरनेन संजाता चारोः करूणा दन्तस्तस्योपदेशो यथा युक ते कागमादिकौतुकं graf त्वया रर्हौतानि wager तत्परि त्यज मिचरामूनि ग्टहाण graf तेषां चेदं wea ततः ` प्रदिष्टो मूढः प्राह नाहं यास्यामि गच्छ त्वं यन्न प्रटृत्तोऽखि मिचमेव भवसि तं मे यसं मामकोनामि भाख्लररनानि दष- यसि we मे तावकरन्नेः पुनः श्पयोपदेश्दानोद्यतो facraa- qa संजातञ्चारोरप्रन्नापनो योऽयमिति निखयः तथा भटर चनवाइन UAT भगवन्तो सुनयो मूढसखानोयेन्यो दूरभये- ग्योऽभवयेभ्यो वा यदा धमीपरिश्ा्यमभिभुखोभवन्ति तदा तेषां

सप्तमः प्रस्तावः | Vous

तन्तत्छमोपगमनममिधौथते। ततः कुवन्ति ते सद मदे नया मोच- गमनं प्रति तदामन््रएं | ततस्ते मूढकस्पा जन्तवः खण्वेवमा TST | यदुत भो भोः sewer: किं तेन यौश्नाकौनेन मोखे भः प्रयो- लनं भवतामण्यल्लमेव ay गमनेन तथाहि `

तजर खं मो पेयं विलासा wa: |

दिव्यः fradatat कान्ताः कमर्णः

भाषणं सविश्रभ्मं a गोौतं नापि मतम्‌ |

हास्यं इन्त योश्राकः मोको मनु बन्धमम्‌

RAMANA AR प्रतिभाषते |

खदा संसार विक्लारसिन्ताह्वादविधायकः॥

यतोऽ सन्ति संसारे खाद्यं पेय faa: |

विलाशा षरं नाथः कामदाः पद्मलोचनाः

यथष्टचेष्टाचारिलं गौतं मृत्यं दिखेपनम्‌ |

विद्चते सवंमेवाज संपूणं सुखसाधनम्‌

रतो विसुश्य ससार सुखसम्भारपूरितम्‌ |

भो भोः अमणका यथं मोक TYAS

ae मोखवादेन ware सुन्दरा fafa: |

मानयित्वा सुख दिव्यं पञ्चाम afaaa `

aq सद्ध मेवादोऽयं भवतां मनसि खितः |

waranty खोऽख्लेव किं ge ध्मेगविताः

तथाहि ` गरिमिमेदिषेग्डागेः acy निपातितः `

१,०९.६ उपमितिभवप्रपश्चा कथा|

Bae चष्डिकादेनां ad रुधिरतेर्प॑णम्‌ गोमेघमश्वमेधं ATG तथाअकेः | कुमा थागं Weis शतवद्ातमर्दनम्‌ यो गिवतिंनः सत्वान्‌ निःगेषान्‌ दुःखो डितान्‌ | इला हतवा वयं दुःखा ग्म चयामः रपा पराः पापद्यां sae मारयिला fer fea | aterarfcaay प्रयच्छामो यथेच्छया इत्येवमादिभिधर्मैः eee वयम्‌ | भावत्कस्याख्छ धर्म्य Shh वत कुमे तदिद मूढकण्पानामभग्यामां प्रभाषितम्‌ | TAS मुनयो धौरा जायन्ते कदणापराः ` ततस्ते AMMA मित्थमाचचते तदा | भो भद्रा भेव शक्रोऽयं भवतां भवविभमः एते fe भोगा भागानां भोगा इव सुदारणाः। पयन्तकटकाः STAT ्रवधैनाः ` भायीऽनार्याः शताकार्याः सवंमायाकरण्डिकाः विललासनुत्तसङ्गोतविष्बोकाद्या विडम्बनाः मोचस्त॒ भद्राः सततमनन्तागन्दसुष्दर'ः | जोवखात्मयवखानं भिःगरेह् वर्जितः ` मनुव्यभवमासाद्य तन्न YM भवादृशाम्‌ | खाद्यपेयविशासादिकौतुकेनात्मवश्चमम्‌ एतेषु क्ता भोगेषु कतिदिहिनगभाविषु

सप्तमः TEATS |

मा मो्मागेमुतसच्य THAT IAT भवे धर्मामुष्टागवुद्या दिदं मारणादिकम्‌ | शयं कुरुथ तत्पापं सवे संसारवधेनम्‌ कुगश्रास्लकारमोदेन मा ङुरष्वमयदुश्म्‌ | अरिसाचातमकं धमे कुरुध्वं दोषस्टम्‌ 6 अथेदं gaat ते वाक्धमाकष्पै. पे्रखम्‌ | FSR जमाद्धणे vee afer पापिनः agf ततो श्छाभो भोः अमणका वयम्‌ | शिक्षया a यु्नाभिर्यात यात यथागताः भोगाज्ञिम्दथ पापिष्ठा धमे चास्मन्जिषेवितम्‌ | ततो भो वैरिका नेव्यामोऽन्तकमण्दिरिम्‌ देद््ोऽपोड agar aad वो रोचते | ततोऽ Guta धमेण पुरुषाधमाः गिवेदयत aga गिजेभ्यः असणाधमाः। आत्मोयजमकेभ्यो भो TAH प्रयोजनम्‌ तदिदं मूढजन्तूनां वाक्यमाकष्यं साधवः,

HY: करुणया वद्यो waa way aati नितरां कुडा cater Tweet: | मादढग्रशारदानादौ प्रवर्तन्ते संशयः | AAMAS वोच सुनयो मूढचेष्टितम्‌ | मि्िन्वग्ति निजे fra नेते साध्याः कथंचन | ततस्ते साधवस्ेषासुपेखां कुवते यतः |

128

९०१७

१०१८ उपमितिभवप्रपश्चा क्या |

भवेहोहने fori बण्ध्याभावे विंभिखिते ततो यथा चाषूवदेशं॒शुवतो सयोधीग्य हित ्थोग्धेते रत्नानां बोरित्ये ते तौ गदहोला AAV BAX जाताखयो रब- विनियोगेन उततमनम्तागग्दभाजनं मूढस्द दुद्धरितकद्धेन गर- पतिना निष्काखितस्ततो sor afer: समुद्रे संनातोऽननाद्‌ःख- भरभाजनमिति तथा भद्र चभवाहन मुनोनासुपदेगं पूर्वकं gaat तेषां दे शरविरताां भद्रकभग्यमि्यादृष्टौमां क्रमेष शते पारमे- श्वरे AAT वतन्ते ज्ञानादथो ger: सियन्ते तेषामात्मानः ततः सऽपि गच्छन्ति परमपदे भयन्ते सततमनन्तागम्दसम्दोहभाजो भ्लानद शनचारिभ्रविनियोगेम मूढजमवस्तु gif wc ततः ene खकमेपरिणामग्धसुला निर्वा्न्ते मरुव्यमवरब्रदोपात्‌ पात्यन्ते संसारसागरे भवन्ति गिरण्तरदुःखसम्भारभाजनमिति ततस्च एवं कथागकस्यास्य Wear भावाथंमोद्शम्‌ | we प्रत्रजितो जातः साधुभौ चनवारन एवंविधविषेकष्य कारणे क्मदारशे | कोवा कथानके qe श्रते गो सुनिर्तां भजेत्‌ रज्नदौपसमे प्राप्ते BATTS भद्र भाविकः | रन्ेैत्वाताबोरहित्थं को गच्डेच्िवा थम्‌ ततो wget तदिदमोश्ग्रमकशदूवचनमा कषयतो मे हसिता amt कमंश्थितिः संजातो vz: सुखायितं मनागाकखद्ं वचनं तथापि ferisy मोनेनेव प्राप्तोऽकशद्धः

सप्तमः TET: | १०१९६

afeat मया वसुनिश्मोपंः। वब्दितो सुनिवरः। धमे खामितोऽनेन शृता प्रस्तावना ove: खोऽपि वैराग्यकारणं जुनिनोक्कं | गगरो संङतिर्नाम श्रद्छनादिरनग्तिक्षा | तदवो इहमाभौ ने जातो वेराग्यकारणम्‌ः sawen चिन्तितं ।. अरः पुरा यादृग्‌ मुनिना मे निवेदितः | गूनं भो दहृमारभीऽपि तादृग्ोऽत्रं भविष्यति ततः प्रोक्रमकक्षद्धेन भिवेदय aura aged aera: | इडमामेः Goat चस्ते वेराग्यकारण्म्‌ gfe महाभागो योऽयं erafeat मुनिः अनेन TRI: इटो मम दशितः विराजितः सुदो्घामिभेवा वपनपंक्गिभिः शरिभिः सुखदुःखाय्येः TG: परिपूरितः WEG: सश्चयोदयुक्ः करयविक्रयतत्परेः | जौववाणिजिकेर्निद्यं खाय निष्ट निषेवितः पुषा पुष्याभिधानेख स्तो कोत्छष्टविमध्यमेः | qa: षष्ानि wa खानुङरूपाणि तच भोः नित्यं व्धवहरत्ये सदेवोष्ठा टितापणः | श्रपु्ठेवरोरे खच wit परिपूरितः महामोहमिधानोऽज Tau उच्यते |

१०२० उपभितिभवप्रपश्चा कथा |

कामकोपादयसतस्छ TNT: परिशारकाः चोरर्जोवाधमर्णानां wale: षदा | feat ucwa तज दुरभीचमतिदाङणम्‌ खटा कलशकलायमो शोकोदेगविधायिनः | मकाः कषायनामानसच TATA: अनेकाद्ेग्धयिष्टो विचिः waarge: | नान्यो अगति arget wart ahaa aad ते मथा शोका cage निरौकिताः। WE सर्वेऽपि विज्ञातालावदत्यन्तदुःखिताः थानेन महाभाग मुनिना मम शोचने। अख्छिते Bal Ax श्ञानाश्ननश्लाकथा ततो fanagfeatest दूरे व्यवख्ितः भथा इटातससुक्नौणा मठो नाम शिवायः AMAR मया दृष्टाः खततानन्दसुन्दराः | डुद्धिदृष्बा भो शोका gare बाधवजिंताः ¢ ततौ मे तच संपन्नो ERAT TERA: | व्षतो भद्र निर्वेदो मटोग्माथक एव AAAS महाभागो सनिः प्रोक्रस्तटा मथा इटमेनं afta मठे यामः ग्रिवाखवे ` यतः भासि मे शशम्यज रतिनाथ Gere | REA बजामोऽतस्वया साधं शिवाखये

सत्तमः Wea: | Vere

सुनिगोक्रं यदौच्छा ते as गन्तु नरोतम

गहाण मामिकां fat ततोऽस्य प्रापिकामरम्‌

मयोक्रं staat नाय मा fawat दिधौयताम्‌ |

ततो दन्ता ममानेन SAS पारमेश्वरो

उपदिष्टं HAT मटप्रापणकारणम्‌ |

RE तदेव Haat भद्र faerfa साग्मतम्‌ ti

GHAEAM | alee नाथ aaa geet ते faafeaq | यदलेन as aw भगवम्गन्त मिच्छसि gfarate senda) अ्रभिहितोऽहं भगवता तदानेन gear |

यथा खौम्य रसि aragaa: परिग्रहे कायामिधाभः पञ्चाचनाम- गवाचो मिवासाथंमपवरकः। तज कामंणश्ररोरमामकमपवरक- मवाचाभिमुखष्वयो पश्चमा भिधानरनरं गभेग्टहकं तज चिन्तामि- चानमतितरलं वानरौ वरूप | aan) बाढं समस्तमस्ति गड Win | यद्येवं ततो खहोतेनेव तेन सर्वेण तावद्भवता प्रपरजितय्य यतो शर्धते तदकाण्ड एव विरहयितु aaa) यदान्नाप- अति नायः aa: प्र्रजितोऽह geute भद्र aad वानर- aed सुरखितं aaa मयोक्र यदादिशति are) tae कुतो भयमिति कथयन्तु भगवन्तः ततोऽभिडितमनेन gitar यथा सौम्य विद्यन्ते तज गभग्टदके awaits wate: saa कारिणो यतो भच्छते षराकमिदःं कषायनामकेशदुखमूषकैः तरल- तरौक्रियते नोकषाथास्यवेधपद्‌ भिदंषटटचिकेः खाते संशास्याभिः

१०८२ उपमितिभवप्रपच्चा कथा |

करूरमार्बारोभिः feat रागदेषनामकाभ्वां भोवशकोखोग्ुराग्वां Tea मरहामोहसंन्नेनातिरौद्रमार्नारेण sqrt wove wig: aad चोटयद्विरे रमश्रकेः fagelfnaa दृष्टाभिसम्षि- वितरकास्थेवेञतुष्डभंषय द्विमेत्कुणेः waged sw aera Mia ग्ेहकोकिखिकाभिः wfingat <eeerat: sarcaaere: ठ्दयतेऽनवरतमविरतिनाम्बाखनामकेन wufearnesy wail- क्रियते मिष्यादशनश्द्येनातिघोरेण तमसा तरेवमेते ag aw गभेग्टहके सततस्वायिगोऽख्च वराकस्योपद्भव विशेषाः | तदिदभेव- मादिमिरुपद्रवेरुपदतं चिश्ामिधानं वागरलौवशूपं बेदनाभर- जिःषहतया निपतति रौद्रध्यानामिधाने सुष्वणितन्छडिरान्गार- ae चित्पुगः प्रविश्रत्यनेककुविकश्याख्यलतातन्तुजालावमदभ सुखे Wwe गाढमातेष्यानामिधाने महाविशे। तदिदमप्रमश्तेम भवता खततं रचष्टोवं मयोक्ष भदन्त कः WS Teter: | TRUE मद्र ये ते faq तचापवरके पश्च गवाकारवां दारेषु विषयनामानः wea favew विदन्ते ते चातिदारुणाः अरूपेण अतस्ते नाखापौदं वालर्ोवरूपं विखयन्ति गन्धेनापि wafer quate तरखयन्ति अरणनापि मारयन्ति खशेमेमाखादमेन पुनयेदिरं निपातयन्ति aw किमाखयं ` ते चाश्दामौभिरप- द्रवेशुपद्भुतस्य विहृणंतया सहकाराका इति प्रतिभासन्ते ततो निगच्छति तदभिमुखं तेगंवाचकेर्गाढा भिशावेण wet सुन्दरा- Wiha gen केषु चिकत्फष्ेषु विदेष्टि खन्दराणोति gar कानि चिन्तत्फलानि बंभ्रमोति लौद्ातिरेकेणानवरतं तच्छालान्तरेवु

सप्रमः प्रस्तावः। VER

wats नितराम्मिचवमंन्े तदधोवतिनि पचफणङ्ुसुमरणः- कचवरे ततस्तेषु परिभरमदिदसुहुण्डय कमेपरमाणमनिचथसन्नेन तदोयफशङ्कसुमरेणमा श्रा क्रियते भोगच्हनामकेन मकरन्द बिन्दु निस्यम्दखन्दो इवर्वेण ततो मथा ग्टहोतवचनभावार्थेन चिज्तितं। श्रये टक्तास्तावेदते सामान्यरूपः शब्रूपरसगन्धस्यरशां भविग्यन्ति कुसुमानि पुनरपरिस्फुटास्तदिशरेषाः फलानि तु परि- श्एुटाश्लदिगरेवा एव श्राखाग्तराशि पुनखदाधारवस्टख्यानानि तेषु wage चिष्मवानरलोवरूपस्य शोको पकारेणाभिहितं यदाड- सिकाः अशुभ गतं मे चिन्तमिति। एवं fea gg मयेदं तावन्छमस्तं सुनिना भाषितं ated चेति fae मयाभि- fei vem ततस्ततः रूराइ ततो मद्र भोगखेहादट्रग्डिते कमेपरमाणप्रचयरजोरष्छिते तज चि्वामरलोवरूपश्रौरे awe तया wae भेदकतया विषरूपत्वा्लस्य रजसः doen चलानि संपद्यते wha: व्याष्यते समम्ताश्मध्यरे श्रः cat विषरूपे तेन रषा ततो भजते रृष्णङूपतां awit शचित्छपदथते THATS | ततस्त MAGA वतंमामं त्तेषां सवेषां पूवाक्रा- arguzafanarat गम्यं भवति ततो बाध्यते भानाविधं तेरिति। तदेष भद्र तष्य चित्तवानरलौवरूपस्य संरक्षणोपायो यदुत Vwelar खवौयसंन्ेनात्महखेम इृठमप्रमादनामक वख्जदण्डं तश्चिन्तवामर- शौवरूपं तेरचमामकेगेवाचेविषयटचफलभएसपृश्या निगेच्छदा- watz निवारणोबं। तथापि चटखतवा निखरत्पुगः पुनराकोड- wai ततो निषिद्धबहिगं मनस्य भिरटष्तशहकारा कामिलाषस्य

१०२७ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

तस शओ्ोषमुपयास्यत्यसौ भो गचेहसपादितः wesley: ततः पष्क शरौरात्परिश्रिखखति प्रतिं तद्रजो रोचयन्ति तानि अपयास्सति asc भविष्यति छष्ता विच्छति रक़्ौभावः विभंविश्चति धवलता qed wove संजनिव्यते दशं- नयता ततो प्रभविष्यन्ति ते प्रा्रपवणितास्तजापि मभेग्टहके वतेभानश्य तस्योपद्रवविशेषाः। किं तेऽपि मार्जारमूषक- कोलोन्दुरादवस्तस्व AACS वरूपस्यो पद्रवकारिएः खमस्तास्तेनेवा- MACAW AILSA भवता चणंनोयाः। Ay syfedy तद्रभंगइकमागेसञ्चरिष्णु वानरलौवरूपं निर्बाधं afsafa तदयं भद्र त्य संर्णोपायः। aah) भदन्त तत्किं पुनस्तेनेत्यं सरज्ितेन मम से्यति प्रयोजनम भगवताभिंहितं। ननु भटर यद्भवतोऽभिप्रेतं ज्रिवालयमटठगमनं तस्छेतरेव चि्तवानरखौवरूप सुसर चितसुपायण्डतं वतेते

एतद्धि रचितं सम्यकू संभवत्येव कारणम्‌ |

निर्बाधं गमनस्योश्ैः पुरुषस्य frrarea

ततस्त ते भद्र विद्यते गमने मतिः।

HU संरच्षणेऽपयेवं ततो यत्नं समाचर

fa a UHR TRG वतेते भद्र दुस्तरम्‌ | aq वानरशोवसख्य यदिदं ते मयो दितम्‌ तथाहि | तम्तैरपद्रवर्गाढं पौडितं मूषकादिभिः।

SHA: TENS | १०२५.

वेदना चिहृशं मोहादाखकेषु naa ततच्च | | NEA रजसा न्यो जिद्यते छन्द विन्दु भिः | ततः उतानि जायन्ते बाध्यते मूषिकादिभिः॥ Aaa वधको मूषिकादयः। wag Waar तेरा खकेष्वेव धावति Tigray Gq GUT | Gay खतसन्पभ्लिः पुगः Taga: तदेवं चक्रके भद्र गतमेतदनि्िते मुक्ता तावकौ रां निर्बाधं इन्त जायते ततो योऽयं मया प्रोक्तो हेतुः संरचणे वरः | एव भवता निव्यमनुष्टेयो मरोलम ततो गटङोतभावार्थस्तदां पथे चिन्तयम्‌ | इदं मद्यं भदन्तेन प्रपञ्चेन निबेदितम्‌ aa | रागाययुद्रुतं fen विषयेषु प्रवतेते तेषु WS TENS वते BAGH: i. श्ङ्गाङ्गोभावमाधन्ते सा भोगख्ञेहवाख्मा | ततः VATS: GNI SUIT: ततोऽ प्रभवन्धेव VF रामादयुपद्रवाः। . ` मूषकाटिसमास्ते विव्धन्भे प्रतिम्‌ un. यख Gaara तेविंषयेष्बेव धावति 129

ond

उपषपमितिभवप्रपश्चा या |

पुनः कमं पुणः GE पुगः सर्वेऽयपद्रवाः अदू एतजप्यन्ते तरे वं विधचक्रके |

frat दुःखको टौ भिञित्तमेतश् gua AALS: समाख्यातो गुरुएानेन THA: | गोतो कौर्यंदस्तेन सोऽप्रमादोऽख ua: aaaa करिग्यामि सततं सुसमाहितः | गरूदिष्टाप्रमाद स्य तस्याहमनुग्ोखनम्‌ &

यदुत |

स्लभ्रोऽयमिन््रजाल वा इरिखब््रपुर तथा | TAT श्तयो भोगा यच्चान्यत्छजनादिकम्‌ | एवं नििव्य agar भावयियामि त्वतः | aa: संसारजालाक्म रिन्तबन्धो निवक्छंति अनाद्यन्वासथोगेन निद्यरच्च पुनः पुनः | अत्मन्येवाहितं चन्तं धारयिय्यामि aaa: तथेदं fawfaenfa चित्तं fa निगंतेन ते। | afe: aaa तिष्ठ a येनानन्दे निरूौौयसे संसारस्ते बहिश्चारः दुःखभराकरः। WS खरूपेऽवस्थामं चानग्टभराकरः.॥ ततो बदिन ym ते fara सुखलिष्या | युक्रमात्मन्यवस्थानं चिन्त fear बहिभेमम्‌ MAMIE WILT सुखं तव | बहदिनिःखरतोऽचेव दुःखं तदि geet .

SHA: प्रक्ञावः। १०२५

vate | ai दुःखं परायन्तं VARTA सुखम्‌ afeg ते पराधौमं areata सुखमादनि॥ अन्यच्च यदात्मनो afeia वस्त॒जातं तव fire | तत्वे wat दुःखं निःखभावं मला विणम्‌ श्रतस्तदथं & चित्त fa gar परिताम्बसि | fa वात्मानं विसु्थेत्थं बश्चमोषि पुमः पुनः यदि श्याद्छुन्दरं किचिदहिष्तश्य निवारणम्‌ | संभवेन्तव दुःखाय aq चित्त विद्यते SYA YAR रभीगाङ्गारे निवारितम्‌ | आदमन्यानन्दरूपे सुधा ताम्यसि धारितम्‌ श्रनन्तद शंमन्नानवौर्यामन्दप्रपूरिते | चिन्त रवात्मनि खानं भव wa निराङ्खुलम्‌ aw ते तिष्ठतो faa भोगच्खेशस्य शोषणो | संजाते जायतेऽवश्यं रजःपालो संशयः ततश्च संक्किष्टवासमाजन्या व्रण रोदन्ति दारुणाः | ततस्तद्दाधनिभुक् त्वं भोगेषु रज्यसे पिष्छौप्राया qu: ster भोगाद्धिन्ततेषु ते। अत एव YEA ते भाषन्ते खाख्थकारिणएः सुहृषैसुखमाधाय ते युक्ताः चतवर्धनम्‌ -.

१०२८ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

सक्लिष्टवासनाध्यानाष्वनयन्ति सुदाद्णम्‌ इतरथा | खंक्तिष्टवाखमोगश्क्त रूढे लव WOT | निर्बाधे खततानन्दे तदिष्छेव जायते तदेवं संस्थिते चिक हित्वा सवे बदिभमम्‌ | wen सततं तिष्ठ att इन्त मिरातुरम्‌ एवं शिश्चथिष्वेदं चित्तं सम्यग्‌ विधामतः | meq Teele भविष्यामि समाहितः तथानुगि्टमणेतश्चखत्येव दुरात्मकम्‌ यन्नाभ्िराकरिग्यामि बददिर्धावल्पुमःपुनः कषायनोकषायाद्या ये शोपट्रवकारिणः। we तानपि निःशेषान्‌ हनिग्याम्यप्रमादतः fagtzaa ध्यानेन प्रतिपखनिषेवया | याख्धन्ति wed सवं रागायुपद्रवाः # ततस्तेषु प्रलोनेषु भविव्न्ति बाधकाः | परौषरोपसर्गाद्या बदहि.स्थासदु पद्रवाः आत्मारामं ततो गला मचिन्तमबददिशरम्‌ | रागादुपदरवेसंक मोच्ायैव घरिग्यते एव परिकशय्या wea gfafafya: | तदेव giafanaa तिष्टामि सास्तम्‌ TRESS साधु भदन्त साधु सम्यग्‌ बुद्धं AMA वचनं सम्यक्‌ चारब्धं तराचरणं | मथापौदं चक्रकं भगवल्निषे-

सप्तमः THT | १०२९

दितमाकष्छान्यद पि emanated तचुक्रमयुक् वाकणेयतु भग- वाम्‌ faite) भिवेदथयतु भद्रः अकलङ्को कग

एवं

चिन्तमेवं दिधा तावद्रष्यतो भावतस्तथा | are पर्याियुक्रात्मा खरोत पुद्रलाक्मकम्‌ तज प्रयुक्रो Tag भावचित्तं निगद्यते | तत्कामेशश्रोरस्यं तेन fare निवेद्यते aferdt नियमाष्णोवो safe वा भवेत्‌ | यतः केवखिमो war aafenfaafaim: faa | |

मिष्याश्ञान विपर्याषाष्नोवो रामादिषंततः | सततं दुःखरूपेषु खुख्बुद्धया प्रवर्तते

ततः कर्मासङ्गगतमादन्ते खेहतन्तुभिः।

ततो paras विधन्त तदश्ादयम्‌ पुनस्त विपर्थाखः पुना रागादिषन्ततिः। avy विषवाकांखा gna Guan: पुनख कमेग्रणं पुगजंख्मसमुद्धवः |

gray विपर्थासः पुना रागादिकः क्रमः एवं धावद विच्छिन्नं विपर्थांसादिष्क्षकम्‌ | wae वर्तते तावदनिष्टा भवपदड्तिः CIs नाच मया चक्रकमश्चखा | युक्रमेतद युक्तं वा यूयं विन्नातुमदेथ सुभिनोक् महाभाग युक्रमेतल संशयः |

xen?

एवं

उपमितिभवप्रपश्चा कथा।

कथं वायुक्रबे्तारो भतन्तोह भवादृशाः मयापौदं ततो wad yfity मथितम्‌ 1 अनिटहितभवे हेतुविपर्यासादिशक्रकम्‌ अत एव afters विपर्याश्ो विबेकिभा | तदुच्छेदे प्रलोयमो निमललेन Tea: अयमेव विवेकोऽच तत््वन्लागमिदं मतम्‌ | अयं facreat war दिपर्यासवनेनम्‌ अविपयेसछ विश्चात्‌ः पुरुषस्याप्रमादिनः | मनो विकारजाखं fe खसमा द्धि wad tt ततो विविक्रमाक्मानं aerate प्रपश्यतः | नाश्य संजायते देषो दुःखे मापि सुखे qu निर भिष्वज्गचिन्तोऽसौ ततः कर्माणसश्चयम्‌ | faqaquqmars faut कदाचन ततोऽसौ बौजविरहाजिःसयदलाद्भवाग्तरम्‌ | सुकवाक्नारभेतातखक्रकं विनिवतेते

faa |

यत्कमेबन्धनं WIM AHS भवचक्रकम्‌ | अनयो विजानाति प्रवतेनमिवतेने

a किं waz भोगेषु धने वा भवभाविनि। WUT वा UIT भो रागं कुर्यात्कदाचन aq खांसारिके gaia रिष्त निदेतिम्‌ | गाद्यापि तत्वतो ज्ञात तेनेदं चक्रकदयम्‌

सप्तमः GRITS! | ९०३९

यतः |

फलं Wawa सर्व॑मेवोपपश्चते | तयोरपि तद्भावः Warts नान्यया wren aftr थदि सम्यकूप्रवरतते | ततम्त्साधयत्येव तथा शाह महामतिः सम्यकृप्रहृत्तिः साध्यस्य प्रष्युपायोऽभिधगेयते तद्‌ प्राप्नाबुपाथतल्र तस्या प्रपद्यते ¢ श्रसाध्यारभ्भिणस्तेन सम्यग्ज्ञानं जात्‌चित्‌ साध्यानारभ्भिणश्ेति इयमन्योन्यसंञ्रयम्‌

अत एवागमश्चस या क्रिया सा fate? | आगमन्चोऽपि यस्तस्यां aura प्रवर्तते चिन्तामणिखरूपन्नो दौर्गव्यो परतो म्‌ हि ` तपप्राद्युपायवे दिश्ये सत्थन्यच् प्रवर्तते

चासौ तत्छरूपश्नो योऽन्यचापि प्रवर्तते | मालतौ गन्धद्यणएविदभं रमते हलिः | तदेवं भवाभावान्मुक्तिमात्नोति Tae: || WHAT प्रसेन सम्यगभ्यूहितं लया - तदिदं य॒ङभिभेद्र कर्तव्यं. मे िवेदितम्‌ | तस्य वानरणौवस्य सततं परिरक्षणम्‌ 1.

THAT |

केनोपायेन तनाय वानर नयनच्मम्‌ | शरिवालवमटे ay दरण प्रतिपादितम्‌ `

VeoRR sufafawanug! कथया |

सुनिनोक् caraway az: प्ोक्रोऽङ acta भगवता रषा थथा सौम्य तज mies Ser इति wwe प्रसिद्धाः हष्णनो लकपोततिजसो पद्महटक्कनामानः wy: परिपालिका विद्यन्ते avg ata गर्भष्टरके समुत्पलष्येव सण्टद्या खंवर्धिता- wea सोपचयकारिष्छो वर्तन्ते ताषां मघ्ये searfeet नाया यथाक्रमं TARTAR, खष्ूपेण कारणमगेपरपरा णां TWATTS वानरो वरूपस्याश्टुभट दिहेत्ग्धतास्व गभेग्टड- we धारिकाखवाष्यतेव दुःखसङ्कुे wea निवारिकाः मटगमनस्छ | इपरितनाः gag fast नाधो यथाक्रमं we- शद्धतरशडूतमाः खरूपे कारणमाह्कादपरपराणटं बन्धषधता- We वानर खौवरूपस्त रद खद्धिेतग्डतास्तस्य गभग्टहकस्य निःवा- रिकास्तवाषस्मादशतसन्ततिपूरितादहमार्गादलुकूखकारिका मट- Tare atfirg वडभिरपि गारोभिरविररितष्लच गभेग्डहके सखसामर््यादु पयुपर्थारोहकाथे परिशामो नाम ददंरः। तजर ताभिरेव मारौभि्यथानुपूरवै उपथेपरि विरचिताः प्रत्यकमसस्थेवाः समस्ता wae विदन्ते व्यवसायश्चानामिधानाः पदिकाः तया प्रथमया विरचितास्तावदसस्थेषाः प्रथमाः wurael: एवं दितौयया दितीवा नोखावभासाः ठतौयया water: -कपोताभाः VAM चतूर्यासेजो भाखराः पञ्चम्या पश्चम्यो धवखपद्मच्छायाः weq wert विष्टद्धस्फरिकमिमेखालाः पदिका इति aweat- पिच्चितयनिमिंताघ् पदिका वतमानं तदानरखोवरूपसुत्हत्थो- रत्य बलात्‌ धावति गवाशकैसेव्वाखकेषु जटति तज रणःकचवरे |

लप्तमः TENT: | १९०९४

wega तेन रजसा भिद्यते तेः छेनिष्यम्द बिन्दुभिः ततस्तथा चत गरतेजेले गतं तेषां मूषकमार्जारकोलोग्दुरा्योनां wage द्रवविद्रवाणाममिभवबेयं भवति ततः कचिन्ञष्टमिव खच्छते कचिदूणिंतमवतिहते कदित्यूरतां धारयति ख्या सततत Aare इति। तवापि चाननादुःखपरपराकारण संपद्यते तस्माद्भवता तदानरलोवं ane पदिकान्वो निःखारोयसुपर्थारोडदणोयं | ततखतुर्चंयोषिजिर्भितासु तासु पदिकासु प्रतिरण्मारोडतसस्व वानरखौवरूपद्छ स्तो कोभविव्यति ea: प्रतसुतां याख्न्ि बाधाकारिशस्ते मूषकादयः yi: wre सखस्पौभविग्य- त्याच्रकाभिख्ाषः। ततः प्रोषमोषदुपयास्सति खा मकरन्दनियन्दा- देता परिश्रटिखति किंचिद्रजः। ततो ख्यते ang gerfeat [xxx] भविष्ति eara: manu भविव्यन्युपद्ूवाः want auane suereatfirera: श्एष्कतर ufaafa श्रोरक निप तिव्यति तस्माङ्‌ बतरो रेएनिचवः | ततो मनागद्ध रोच्छन्ति खतविगशरेषाः wefeatizaee धारयिय्यति भवलतां afi- ति woity भविष्यति fanreat: ततः षहश्खनाविर कित- पदिकासु भवता तदारोदकोयं। तासु शारोहतसस्य शोकतमो- afrafh दुःखाश्िका awa चा्यनधुपद्रवविगेषाः sani खस्य तमोम विच्त्याल्लका मिलावः waft रजःकचवरण्ोठनेच्छा शर्वथा WIRTH मकरण्दरसाद्रता ततः इव्कतरग्ररोरा- frdwaqufaafa गविष्ठो रेडनिचयः संजनिद्यते agaaygiz

ufaafa इशरस्फरिकनिमेक्लता | 130

१०६७४ उपमितिमवप्रपश्चा कया |

श्रन्य्च तज यो षिन्नितयसंपादितपदिकामागेऽनुचणएमारोडत- wa शलगिब्यति मन्दः सुखक।रितथा We खन्ताप्हारितया सुरभिः सद्भृतगु एगएकमखवनमकरण्द्रेणुधारितथा धमेष्यामामि- धानः पवनः। adaa भविष्यति agai प्रमुदितं we भौतमिव तेभ्योऽधशनेन्यो मूषकमा्जारको लोन्दुर टखिकरकजास- ब्टदकोकिशिकादिभ्यो नामाविधोपद्रवेभ्यः खसुदिग्रमिव तेम वित्तेन बद्णान्धकारेण श्राद्यनारोश्रयविर चितं पदिकामागेमपष्ाय तज ufyaafruafafafaa भयविरहिते सततप्रका्रे पटिकामागें गिलौनमास्ते ce वागरलोवरूपस्य सम्बन्षि वामर युयं ततस्तना- रोहतस्तस्य तद गरेवमधिहितं प्रशमदमषन्नोषस्यमसद्दोधादि- नामकवानरपरिवारेण विषद्धधमेमहावानरेण समन्वितं ufa- अद्धासुखासिका विविदिषाविश्च्िखतिबुद्धिधारणमेधाचान्तिनिः- शयहतादिसन्चाभिवेरवानरोभिः शङ्खं सेयंवोर्थौदार्यगारौ्यं- श्नौष्डोर्य्ानदभ्रनतपःसत्यवेराग्याकिञ्चन्वमा दंवाजैवन्रह्मणौरादि- लामक्रेवरवानरश्गेवरूपेराविभ विष्यति किं चित्कदा चित्कस्सां चित्य- दिका्यां। तश्च तस्य भवदोयवामरलो वषूपस्य शरोर जौ वितं श्वं सजमतिदितकरफश्यैलं वतेते fa च। तद्वानरथयमपि खिर away दिमकरभाख्र वनाह्वादड्ेतुजेगतो निरमिश्ाषुकं तेषु गवाचदारख्ितेषु षडकाराषरूपतया afway विषवट्षु विगत- Oe तचायेनिचयसत्पत्फलकुसुमरजःकचवरलोठने | ततस्तेनात्मौच- वानरथूयेन ख़ मौ छितं तन्तावकं दिन्तवागरलौ वमत्यन्तपरमु दितं भो चरं याखल्युपथुपरिपदि काद चावत्पयेन्तनारौ विर चितपदिकामागे।

सप्तमः प्रशतावः | LORY

त्र करिव्यति ae तदानरघुथं एक्तध्यानाभिधानेन गो शोषं चन्दन- रसेन सेचनं ततोऽतिक्रान्तेऽ्भमागंमाचे गाढानन्द निर्भर भविय्यति तज्निःखं ततो नारोच्छल्युपरितनपदिकासु | तस्िंखाूढे भद्र त्मणारूढो भविग्यसि यतस्ते जो वितमन्तधनमात्मश्डतं तदानरकं। ततो faethad तदिसुच्य भवतोपरितनपदिकाष्ु uaa Wat ततः waa पदिकामागेंमपि परित्यव्थ खसामर्थेन feat पञ्चष्ख्ाखरो द्विरणमाचकाणं निरालम्बनतथा गगने ततो विमुच्या पवरकमवरूच्य mien परित्यज्य वानरकं विधायोत्ञ्ञवनं लङ्यित्वा wea गन्तव्ये कक्रमेणोङोय तज मठे खातव्यमनन्त- कालं पूवंगतलो कमध्येऽनुभाव्योऽमन्तानण्द इति wate यदा- च्ञापयति नायः। तदैवमनेनो पायेन भद्र तदागरकं तज मठे नयनचमं गुरुमिमं निवेदितमिति

ay fafa athe सभावार्थमिदं वषः |

ततोऽकलङ्कस्तं मत्वा सुभिमित्थमवो चत

चार चारूपदिष्टं ते गुरुणा मुनिसन्तम

Gat भवतारम्मि युक्रमेतद्भवादुशाम्‌

ततोऽगटङोतसङकते खम्यग्बो विधिक्छया |

सोऽकलङ्को महाभागो मां प्रतोदमभाषत

एवं Geret: सवे यदनेन निबेदितम्‌ |

तत्त्वया विदित ax किंवा नो चनवाहन

अनेन fe समाख्यातं क्तं शजिसुंक्रमश्चसा |

चिन्तमेवात्मनो ge संसारोत्तारकारणम्‌ J

RoR उपमि तिर्भवप्रपश्चा कथा |

तक्ेश्लापरि शेन क्तो निर्मोरनदमम्‌ | faggraanay गच्छे वो पपद्यते fa ख। गवं foretefenaay कारणम्‌ | भवश्यापि तदेवेति सुनयः anew धतोऽपवरको योऽथं ses गर्भगेरकम्‌ | यच्च वानरकं भद्र तद्वै प्राणिनां समम्‌ ततस्च | are भो वताः पूवं पदिका cet | तदानर aged विचिकभवकारणम्‌ यस्वी wat तदारुह्य करोत्यत्‌ क्ञवनं किल mw तत्पदि कास्येषु we नयति देहिनः मयोक्ं are कोऽ भावषितस्लायेः। wet | MAUS | | यलेश्याध्यवसावेषु सियन्ते किख देहिनः | MSS ATA, जायन्ते ते भवान्तरे अरसद्ाष्यवसायेषु afew वतेमानकम्‌ | विकिब्रयोनिरूपसख्छ भवस्यास्य विधायकम्‌ सदोषं भवद्ेतुस्ते ममान्येषां देहिनाम्‌ | faziad मोख्ेतुस्ते fed भो घनवाहनम्‌ i रेदं चिन्छसद्रलं तस्मा दन्तधेनं परम्‌ | udisnk: सुखं दुःखं यज स्वे प्रतिहतम्‌

VHA: Wea: |

mary wafeure नास्ति भेदः परस्परम्‌ | अत्मातो tfanea fed येनेह रचितम्‌ अचां भोगलौख्ेन यावद्धावति सर्वतः | चित्तं कुतद्छस्ते तावससुखगन्धोऽपि विद्यते ued fame wer परित्यश्य afin | fut dua fad तटा ते परमं सुखम्‌ भक्तं सोतरि ator निन्दाकतेरि etfs | यदा wa भवेच्िन्तं तदा ते परमं सुखम्‌ सजने queag रिपुवर्गेऽपकारिणि | ways ते यदा fen तदा ते परमं खम्‌ शब्दादि विषयग्यामे खन्द रेऽखुब्दरेऽपि च| एकाकार यदा fed तदा ते परमं सुखम्‌ ama चन्दना पिवारौदे रकयोचदा |

मिनलचिकष्लटस्तिः Braz ते परम सुखम्‌ खांखारिकपदा्ेवु जणकस्पेष ते यदा | अदिष्ठं चिग्सपस्ं aruat ते परमं सुखम्‌ दृटवहामखावण्छबन्धर ङ्गव योषिताम्‌ निर्विकारं चदा fed तडा ते परमं सुखम्‌ F यदा शच्वेकसारलादयंकामपराङसुखम्‌ |

wa रतं भवेिन्तं तदा ते परम सुखम्‌ रजशमो विनिसुक्रं स्तिमितो दधिसन्िभम्‌ | निष्कल्लोखं चदा चन्तं तटा ते परमं खुम्‌

१६०९०

१०६२८ उपमितिभषप्रपश्चा wut |

मेनो कार्यमाध्यश्यःप्रमो STANT AAT | यदा AIR तन्तदा A परमं खम्‌ इति fad विदहाथान्यो मास्ति भो चनवाहन। ATG सुखसन्दोडहे सिद्धो हेतुजगस्ये ततोऽहमकणशद्धस्य AEWA VATA: | fantszeiaeea मनाक्‌ प्रहादमागतः॥ थतः | निविडापौड तादृचरमम दृष्टाभ्तसुङरे | विदारिताकणदेन wast कमेपद्धतिः कमेख्वितिमतोत्ां wfeet पूवेवतिनोम्‌ | अभ्यः संस्थितो ug कर्मग्न्धेः सुदुभिंदः इत्च | यदामदे वप्रष्तावे मथा पूवं निवेदितम्‌ | सरसि त्वं famenfe quaftaver ततोऽग्रहोतसङ्धेता तं प्ररोदमभाषत | सारामि विशेषेण स्मारथातस्मेव मे ततः सथारिन्नोवेन घा प्रोक्ता तारणलोष्वना | ददं निवेदितं भद्रो Get quafrar धथा मत्पु जकः yl देश्रकालशिकथा गतः | आगत Tet: कालाद्िचवारो मान दारकः॥ मार्गामुसारितायुक्रो भवचक्र निरौच्छ सः समागतो Tee मद्यमेतच्यबेरथत्‌

सप्तमः Wena: | Voue

यदुत | तारिचधमेराजेम AWA WATT: | सबलो वलयुक्रेन Gear मयेकितः ततसखारिच्रधर्मोयं aa निर्जित्य fie: | वेष्टयित्वा fener महामोहनरा धिपः अथ तत्तादृशं वौच्छ fag तेन दर्श | बलं लारिभरधर्मोयमामतोऽदं तवाम्तिके च्रग्टोतसदहतयोक् | खतं खतं मया तात सवंमेतश्िवेदितम्‌ | पूवमेव त्वथा च्राणदोषदभरेनकाम्यया अतः पर gaay तात किंचिदिवखितम्‌ | TH Wag सवंमाश्यातुमरेसि ततः श्ंसारिनोगेन सा diet शटगवौकणा। एषोऽहं कथयिष्यामि समाकषणय साग्मतम्‌ विन्तटस्तिमदहारग्यां afeeg समन्ततः | स्थितं wide सेन्यं कालभगन्तकम्‌ # ततस्तदाकणङ्कस्स Bala मम तिष्ठतः | aa यस्तच टन्ान्तः sana निबोध मे।॥ सवै faqaareate ase रिपुपौडितम्‌ | चारिचधर्मसुदिश्य सद्ोधः समभाषत aden विषादोऽचर देवास्माभियतोऽधुना ,. मगानोर यशस्य दृष्यते HATA: i

११४० उपमितिभ्बप्रपच्चा कथा |

तथाहि | यावत्छसारिजोवोऽख्मान्‌ नानोते महाप्रभुः | विपद स्तावरेवेता देवास्माकं रिपूद्धवाः यदातु विवानौयादस्माकं रूपमद्धसा। तदा शपो षितासेन भवामो रिपुघातकाः इथं quad देव चिष्ठटेभिमहारकोौ | यथाधुना मनाक्‌ इरा गाडता मसवजिंता तयां तकयामौ दं देवोऽसौ सवेनाथकः | अस्मदि शेवविश्चागखमेपे नशु वतेते वयं हि तामसे am gorda जातुचित्‌ | अधुना दशेनष्यालि fae तख कारणम्‌ एवं fea) तं कमेपरिणामाश्यं ver राजागसुन्तमम्‌ | पां षंवारिनोवश्य प्रव्यतां कोऽपि maa: ततोऽसुकूखितस्तेन देव काषेन wear | भवित्येव fafaiel सोऽखमह्रगखाशसः 4 ततचारि धमे wet प्रति भाषितम्‌ | ary wt भदितं arg ब्रूहि कः प्रेषशोदितः ततश्चा रिबधर्मांय vette निषेदितम्‌ | अयं खदागमस्त् देव प्रस्वापनो चितः ayu: परिष्यसस्च अदनेन भविष्यति | तदास्मह्‌ गेनार्काला AS VHA धवम्‌

सप्तमः TATA | ६१७१

कमेपरिणशमाख्यसूतोऽसराञ्त्नापयिथति | तदये वयं भविद्याभस्ततः शभ्विषातुकाः ` ततचारिषधर्मंश प्रपन्नं मन्विभावषितम्‌ |

प्रवतितो यथादिष्टं at प्रत्येष षदागमः-॥ omy राना सदोधः किमेषोऽपि weer + सम्यग्दश्नसभ्नामा तस्य पातं महत्तमः खद्ोधेगोदितं देव wate aes: | तष्य संवारिजोवस् गतः पाशं awe:

किंच।ः |

शटागमोऽपि amet थक्रोऽनेगो पपदते | अनेन afta: बोऽस्मान्‌ सर्वागप्यवभोश्छते किंतु भावसरोऽद्यापि तेन नेष प्ररोयते। Taracted ard कुवन्ति पिचकखणाः

गुपतिगोक्क | कदा FACT मन्तिन्‌ प्रलावोऽसख भविष्यति | सदोधेगोदितं देव saranda कथ्यते . यदा षदागमेमोचे रच्छितोऽसौ भविव्यति we तष्य तदा हेव प्रेषष्यीयो महत्तमः | श्यो भूयो यतोऽनेन षो्मासारयेधदा ` संसारिजौवः प्रस्तावसदास्वापयु पपस्यते # | ततोऽभ्बुपगते वाक्धे -मन्तिएत्तेन ayer - खमागतः HAUT AAT सदागमः ` .. 131

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एवं

HEM: पूवभेवासोकहामोहादिमिवेशो | श्ञानसंवरणो नाम weal मराधिषपः॥ fe चारिबधर्मोयं तिरोधत्ते षदा बम्‌ म्रहामोहमडहानोकं सवदा पोषयत्धणम्‌ स्थिते तदलेनेव भिचिन्ता भिर्ग्॑टभयकारण्णः। स्थिता रिपूश्िरारत्य महामोहादयः षदा ततः शदागमं Tey प्रत्यानं षमागतम्‌ | madara: iy Great यदख्ितः WURTE: संप्राप्तो wraresea सन्निधो शरोखस् मथा साधं विहितं पादवन्दमम्‌ समाप्तध्यानयोगेन धमेखाभपुरःसरम्‌ | सूरि कोविदाख्येन तेन सम्भाषणं शतम्‌ WURVCWG Haat धमरे ननाम्‌ | AG WA AMT भथा दृष्टः सदागमः भ्ञापितशाकशङम यथा भो चनवादम्‌ | आराधनोयः धाधूनामेषामेष खदागमः एते छस्य Belew कुवन्ति भतमस्तकाः | एषोऽस्य रिर्जानौते रएसम्भा रगौरवम्‌ a तदैष ते feat भद्र धर्माधमंविषेचकः। अतः सदु पदे शाथेमेव विज्ञातुमदसि

सत्तमः Teg: |

ममामौषां साधुनां qtere परिस्फुटम्‌ | UIT UX AGM AAU सदागमात्‌ .. अतोऽयं को विदाचायः सम्बन्धं ते करिग्यति। खा षदागमेनोष्ेरमुना दितकारिणा TAHA सम्बन्धात्छवेमात्महिताहितम्‌ | क्रमेण WAY तात asa WATS ततच्जदु परोधेन मथा भद्र ITT: | प्रतिपन्ना कि चिन्तषटेमेवाम्तरात्मना ज्ञापिता गुणाः केचिन्तेन कोविदद्धरिणा

afad are विज्ञानं श्रद्धानं मम नाभवत्‌ `

केवलं | अकशङ्धो परोधेन विदे Garay | ददामि दानं शाधुभ्यो WaT TAY तदा एवं भद्रकः किचिदकलङ्धानुरोधतः। `. संजातोऽं तदा NS नमखारादिपाठटकः wR wre माता पिबादिक. जमम्‌ |

परतिपक्नलदा. zat. कोविदाचायेबन्निधौ `

तत | सुखाधुपरिवारेण तेन कोविदषरिण ।. are गतो विदाराय सोऽन्य gfredar # दत | . | यावश्चदागमसज मत्मोौपञुपागतः |

ey ee ------- +

छि , वा ~ 1 + रः

६०७९

६०४४ उपमितिभवषपपच्चा कथा |

away तावष्वातं यक्षजिगोधबे॥ ` VMPC भात्या बदागमभवातुरम्‌ | ततः Wht महामोहो रागकेषरिमण्निशा एतावन्तं ay are fafyen देव संख्िताः। aca विषशो भ्ावसंवरणो नृपः थतः | वष्टः UTA FAT eater: | देव sarftetaw fag: aaa: MIN VWI तस्मादेतक्रयोजनम्‌ | gacegat guiweae ofan: अथामात्यवचः BAT माहामोदहौ महाभा | सा दागमरोषेख wat खोभमुपागता ॥# शतचुङुरिकङारा दष्टो शमिनाडिनः। एककाकं महायोधाः सवं भाषितुमुधताः # कथ मयाः देव इमश्थो गला पापः शटागमः। CAAT महावोधो महामोहमभाकत तेनापि गदितं वसाः glans waren: | कितु खव Wael मदा गला दुरातमकः॥ येनाभिश्तः पापेन क्ञानख्वरणो मृषः | AHI: खरग मे बरंमरंति अन्यश्च |

सत्तमः Ges |

समुदायात्मको TT aoe भो HATS MA wit मया दतः खर्वेवेद्मामिेत एव बः तया | गते मधि गताः सवे oe BATS TET: | अतो TETAE FET य्मभेव तिष्ठत कितु) भरतिजामरणोयोऽह AAA ATT ATT Weta यथायोगं भवद्भिः writes: अन्यच योऽयं ofcagt wet awit से fanaa: | TIAMAT SATA AAA: गारमेन परित्छब्य तच गनौ TEST) अयमेव महावो्यैः Treat मम GAT ततश्च ` अहमेकं zea तदायं परि यहम्‌ गच्छामि afta तज सदागमजि्धांसथा ततो विश्चाव निकेभथ सर्वेः प्रणतमसकेः | एवं विधौथतां रेव awe: परिपूरितम्‌ ततः खमागतौ WE महामोहपरिग्रशौ | AMAT शतोल्छारौ मथा चेमौ विलो कितौ ततो मे qyeaaranat साधं efi: | अनाद्यभ्वाखयोगेन CHAM TATE

१०४५

१०४६ उपमितिभवप्पष्ा कथा |

दतञ्चोपरतस्तातः जोमूतो नरेश्वरः | श्रहं स्थापितो राव्य बन्धमन्तिमहकतमेः प्रणताः सवंसामन्ा रिपवो wayat गताः | ततः परिणतं wee श्रिग्डतिमगो हरम्‌ पुष्मोदयस्तश्य मम MAYS कारणम्‌ | महामोदयुतेनासौ किंतु मो शकितो मथा Tay | | WOT विषया cree विविधाञ. विश्रतथः। यञ्च पौद़खिकं किंचिचिन्ताबन्धविधायकम्‌ सदागमसदाचष्टे TIE चणभङ्गुरम्‌ | दुःखात्मकं aaa frend बहिद्यरम्‌ तदच ST मा Aaa कार्षौिनवाइन | Wat ते ज्ञानषदौोयदशनानन्दपूरितः area ane चित्ताबन्धो acta | येन लं निरतिं af खतताद्वादसुन्दराम्‌ ANTS भे स्वे age ताञ्च सन्पदः ` गाज शब्दादिभोनांख्च यचान्बदपि ताष्श्रम्‌ शिर सुखात्मकं we नि्ेशं हितसुन्तमम्‌ | इत्येवं TUNIS यच्छति यदुत | | | मासि नोवोनवादेवो मोषो पुनर्भवः | पुश्छपापे eget anata जगत्‌

` सप्तमः प्रस्तावः | , ६१४७

अतो यावदयं देहो विद्यते घमवाहन। यथेष्टचेष्टया mafaa खाद दिवाभिगश्रम्‌ agit: मौएवात्मानं मागयामलखो चनाः | सुखं शुच यथाकामं मा मृढवचन Ge: परिग्रस्तु मां ब्रूते यया भो चमवाइन | हिरष्यधान्यरतादि सम्भार कुङ्‌ यत्रतः

थः प्राप्तं पालयत्य्थमप्राप्नं SHAT

सम्तोषमादत्ते त्य सौ ख्यमनारतम्‌ अहं तु जितयस्यापि वाक्धमाकष्ये तादृशम्‌ | ईैषदोखायितचित्ते यावष्नातः सुलोचने महामोशवखेनासौ न्नानष्वरण्टे नृपः ` araga परित्यच्छ मम पाश्चं वयवस्थितः ततः षदागमेनोक्रं VHA मनोहरम्‌ | aera मथा श्ञातंस्तेम चित्तं रचितम्‌ यदाइतुः Wig महामोहपरिहौ

aed मामके चित्ते यथा रङ्गः सुपास्ति॥ ततोऽइ तत्परित्यज्य देववन्दनपूजनम्‌ | ममस्कारादिपाटं जातो भोगमूद्िंतः दानं साधुवगादिविनिवायं ततः परम्‌ धगसङ्खहणे रक्तः पौडयामि करोजंनम्‌ wautarfcarag मृडा गाढं विवधते। ` महानोइवौोयंण रोचते सदागमः

६०४७ उपमितिमवप्रफञचा कथा |

तचा | | aftawe वों स्वा rae: | Ree तदा पूर्णं ma: सर्वधनेरपि ततो at दृधं मला दूरोग्लः षदाममः। शन्ध्रात्मणाभौ Tet महामोरुपरिग्रजयो अथान्यदा समायातः शोऽकलङ्दतः पुनः, सुणाधुभिः waranty: aft: कोविद्नामकः ततोऽकणलहदाचिश्याड़तोऽं तस्य वम्दकः | तदाकशङख्रिख वन्दितो सुनिभिर्येतः इतस ज्ानालोकेन विज्ञातं तेन कोविदसूरिण। मदोयं. चरितं णोकादकलशद्ेन साखिणम्‌ ` ततः भोक्षोऽकणदेन afcaty निवेद्यताम्‌ | सदागमस्य AWA चनवाहमग्धमुले तथा दुखंगसङ्गे वे दोषाः सन्ति देहिनाम्‌ निबेदनोधासेऽयद्े विषं केन बुध्यते ` ततः VAAN भको दुषटसन्पकंवर्जितः | TUT Vary सुखसन्दोदमाप्रुते कोविदद्ूरिशभिदितं एवं feet समाकश्यतु महा- राजः। ततोऽकलङ्लोपरो धेन अवशाय खितोऽहं |r: प्रतरः | सूरि शभिहित | | 7 ? अस्ति GAAS नाम नगर तज खमलनिचयो ara राजा |

eae: प्रस्तावः | १०९९

we तदनुशतिर्नाम महादेवो aay को विदबालिध्ामिधानौ at तनयो दत wart तस्य atfaceraizay सदागमेन Be परिचयः ततो यावल्पुगदृष्टोऽयं तावदोहापोहमागेखगवेषणं gan: संजातं वस्स जातिस्मरणं प्रबद्धबिन्तानन्दः। ग्टहोतोऽयं feagegqar गिषेदितं बालिश्राखच धटस्य aed) प्रतिपन्नं तेन पापात्मना। इतश्च कमपरिणभमडहारालेन प्रहिता तथोः को विद्वाखिश्रयोः खवंवरा तिर्नाम कन्यका aere प्रडितो- ऽप्गामो वष्टोऽतिच्तुरः सम्दन्धधटनापदुः शङ्को नाम दास- दारकः। श्रामश्य Bat इावपि तौ तया भातरौ परिषणता खा तार््वा। रस्ति तयोः कोविदबाखिश्रयोः परिग्रहे निज- देहो माम पर्वतः nerf मूर्धामिधानमुपरि agg तस्यो- भयपाश्वयो विद्येते शपरिखपे अवणशगामिके दे श्रपवरिके | दृष्टे ते तया whrefeaqerenfiae: | ततः खिता तयोरेव a भवनुक्ञाता खतो तच हतनिवाखा खा Afaanat कोविद- बालिश्राभ्यां साधं विषरतोति।

दतख तां समासाश्च परितुष्टः arfaw: |

ang चिन्तयत्येव महाइषेवशं गतः

धन्योऽदइं HABA TG मम सुन्दरो |

ARE अतिर्भावां sar पुख्छकमेफः 4

ततस्तं तादशं मला श्रुतौ केहपरायणम्‌ |

बालिश्र मधरोवाक्यः सङ्घः खममाक्त॥

अत्थनतंसन्दरोौ देक tay हितकारिश। `

132

Roye ङपमिविभवप्रपद्चा कथा |

देवेन साधं खाभिन्याः संथोगो चरितो इयम्‌ तलथाडि

GG वथः कुशं WS aay परस्परम्‌ |

दम्पत्योः प्रमसडितमनुरूपं सुदु खंभम्‌

एतश्च थवथोः रुवं संपन्ने पुष्यकमंप्ण

Bae वर्धनौयोऽयं प्रेमाबन्धो ate:

ततः बाञखिग्रेनोक्रः Wart दासदारकः।

थथा कथं वर्धेत प्राह प्रियखेवनात्‌

atfem: प्राह किं त्याः प्रियं ey निवेद्यताम्‌

सङ्गेनोक्त थथा देव fratser मधरो ध्वनिः

बालिशः प्राह यद्येवं ततस्तस्य निषेवणम्‌ |

अश्रान्तः कारयाम्येनां साधं साधु भिवेदितम्‌

AUNTS CHT AAT: दारकः।

खशाज्जिवेशितस्तेन yea बाशिश्रेन भोः

aay काकलौ गोतवेपवोएाकणस्जमम्‌

तां श्रुतिं श्रावयश्नष aifest इदि मोदते ` चिन्तथति च।

अहो सुखमहो खगस्तयाहो मम धन्यता |

aug अतिर्भाधां सततानन्ददा यिका तत |

इदये टारकं शला तं सङ्गं खेहनिभरः।

Ba: wet gage fae wee: `

Suna: Weira: | Pour

aM Aarne धर्माहूरेण afer: | faguranar जातो yrereret विषेकिनाम्‌ इतश्च को विदेनापि प्रञ्नितोऽयं खद्‌ागमः।

मद्यमेषा fear भार्या fa वा नेति मिषेद्यताम्‌ ततः सदागमेनोक्र feat ते नरोत्तम | ससद्गेयं ्रतिभार्था तजाकणेय कारणम्‌ va fe प्रहिता ga रागकेषषरिमण्धिणा | CS AMA पञ्चमानुषमध्यगा

इत) क्मपरिणमस्य भाटव्यो रागकेषरौ | प्रथिद्भशखचरटो शोके तखामात्थो fave: कर्मपरिणामाख्यः सार्वभौमो नराधिपः | शभाग्ूएभकरत्वेन लोके विश्वाख्यतां गतः

wa faa इथं चरटकन्डेति मत्वा माङ्गनोकरिव्यति | अथं जनस्ततस्तेन रागकेसरिमण्तिषणा दाक दल्वागरतः Gls VF सम्बन्धकारिएम्‌ महाराजसतालेन श्यापितेयं अतिः पुरा तत्कमेपरिण मोऽस्या HHH TIT wea परमार्थेन रागकेशरिमग्विएः जगतो TRAM या तेन दुरात्मना | परय क्रेयं gree fers रन्त विद्यते

१९०५९ उपमितिभवप्रपष्ठा कथा |

aang

aqare war भायां भवता weafear | मा arafag विश्वाषं तथाणस्यां कदाचन चेथं शष्धतेऽद्यापि faerd मिजपलिका eae वेनो योऽय सर्वथा दाषदारकः अनेन रडितात्यमतं श्रुतिः सङ्गेन पापिना | xa चिद्यमानापि भद्र ते दोषकारिणौ॥

यतः | अनिष्टश््दविदिष्टा मधुरष्वनिशोलपा | असमा्धजाखते सङ्गाच्छृतिरेषा तु खयम्‌ यावच प्ररयत्येषा `रागरेष्परायशा | at agafeat तात aah दुःखमालिका श्रतोऽखिन्‌ विते सङ्ग परष्दञ्वशतत्पराः nagar मध्यया ते तात विषाधिका तदेष वष्टो दुष्टात्मा स्वया दाण्दारकः दुःखकारण्न्डतस्ते VFA ततः प्रपद्य वेण तन्छदाममभावषितम्‌ | कोविदेन परि्धक्षः ag: शरुतिदारकः # ततः भरत्या युतोऽणेव ््टौ्सुक्धविव्िंतः | श्रावयन्लपि ताञ्‌ण्ब्दाक्ञाके ्ञाष्योऽभवल्सुखो एवं खछमानौ तौ शला को विद्वाक्ि्रौ | धक्रत्यागपहाष्नातौ सुखदुःखमपूरितौ `

सत्तमः WHA: | ६०४२

यासि तुद्गगरिखरो afecet महागिरिः | तजान्यदा समारूढौ भप को विदबालिश्नौ तजास्ति शिखरे vai fame देवनिर्मितम्‌ | अदुष्टमूखं मानुखेगंता शमौ प्रतिष्ठितम्‌ Cay | | एकं गान्धवमियनं feat तथापरम्‌ | गेये परस्यरस्यद्धां तदा जातानथोदंयोः ततः परौचकेयेक्रे ते TA aw दे चिक एकान्तमिति विन्षाय परोकखाथंसुधागते श्रथ. तार्या समारथं मध्र कणपेश्रलम्‌ परस्यरेव्येया गतं परिपाया मनोरमम्‌ ततस्तौ frrecrest शप atfacerfent | रनरखमिथुगे रीतं sar are प्रबोधितौ ततश : ae | wzafenaga भाशिगेन दुरात्ममा सा श्रुतिः ख्यापिता दारे तद्याकणनतत्धरा # तस्यामर्षितख्डवावः सोऽपि ताराव्यमागतः +. रसेन निभेरोश्तो ने वेदयति किंचन ततः तेन शक्रम सतोरण तथा हेतः | गण्डशे्चसमो रमर zeae पतितो थथा ददा स्फोटपातेन तेन गान्धवकिञ्नराः | गाच्रपातादवष्टथा बालिग्रे रोषमागताः

१०५४ उपमि तिभवप्रपच्वा कया |

ततोऽमिदहितमेतैः परण्यरं Ht रे कसकोऽय शात wats ततो age बालिशः | शितः खमकं सवेदुःखभारेण मारितः इतस | सदागमोपदे गेन away: को विदः। त्र गोते तदा get रत्या युक्रोऽपि गो गतः ततस्तं पतितं eer बालिशं इन्यमानकम्‌ | तस्माज णेमपक्षान्तो fat: श्टक्ात् कोविदः सद्ध मचोषनामानं सूरिमासाथ सुन्दरम्‌ | जातो बािश्रट््ानं दहा साधः प्रबुदधोः mare gout तेन निजख्याने निवेशितः एषोऽहं महाराज fana: को विदद्छया तदेवं शरचमिचेण तेन सङ्गेन afi: महाद्‌ःखभराक्राको शाता मे ag बािश्रः अदं तु मोदितोऽनेन ader हितकारिणा | सदागमेन निःेवा्ादृ्ाहुःखजालकात्‌ जातञ्च VAIS: WHA खमसंयमः | अत ware faguawanty करोम्यहम्‌ तदेषोऽखिखश्डतार्नां दितकारोौ खदागमः | दुष्टा्रङ्गलोकेन मेषौ Tee एवं feat महाराज पुरुषेण हितेषिणा | त्यक्तव्यो दु टशन्पकं ANY: सदागमः

सप्तमः GSTS: | १०५५

ततखेदं शरोर्वाक्यमाक्यात्य न्तपे शणम्‌ | भद्रे ऽ्टहोतसङ्तेते तदा मे इदि संख्ितम्‌ श्रये मां त्याजयत्येष महामोदपरि ग्रो | तथेव कारयत्ुशरादर खदागमे एवं faa | ae कि करवाएोति यावञ्चिन्ताञुपागतः | तावग्ममाग्रयज्ञानादकलशङ्कन HTT यदुत ag भगवतो वाक्यं कि वा मो घमवाहन। Ham सृष्ट भो बुद्धं प्राह क्रियतामिदम्‌ ततो गाढरूढतयाकणद्धन साधं प्रणयस्याचिग्धप्रभावतया भगवत्कोविदद्ूरिसन्निधानस्य प्रत्यासन्नवर्तितया aay ्र्यृत्तरदानखामथ्येविकलतया च॒ प्रतिपन्न तदाकलङ्वचनं mau यः सदागमः भ्नुशौलितं चेत्यवन्दनादिकं saifed पूरवेपटितादिकं प्रवर्तितं पुनर्दानादिकं दषहूरौग्वलौ महामोदपरिय्हौ द्रव्यतोऽकलङ्धलब्वया पुनर्भावसारतया | ततोऽहं विगतमूङ्कं दव सांखारिकपदार्थेषु संतुष्ट चिन्त इव विभव- निषयेषु तदाक लितोऽकलङन ततो गतः सोऽन्यत्र विदाराय सइ सूरिणा | ततस्तं दूरगं मला महामोहपरियहौ | शयोऽणुक्नसितौ भद्रे दृरोग्तः सदागमः ततः शिथिशितं शत्य विशता धमरे श्ना |

१०५९

उपमितिमवप्रपश्ा कथा |

संजातोऽइं पश्ोश्ष्यसदो वासते GVA: तत्तो fawaqaiat धनसश्चयतत्परः | श्दरिकम्याडिरणष्टायं पौडयामि मर्तौजनम्‌ श्रन्तःपुरखदस्चाणि ग्डरिभोगपिपासया |

हिर ष्स्टतकूपानां मो लितामि शतानि च॥ द्दिरष्छौषता val महामोहवश्रेन | तत्पाप anyfa यत्तदा शतं मया पुष्ोदयोऽभौष्टं सवं ढौकते मम | मया तु तन्न विज्ञातं ततोऽखौ कुपितो मनाक्‌ ततद मे महादेवौ नावा मटमखुन्दरे | SUMMIT wat Waa fawer अचान्तरे Waar: खामिमूखं fanaa: | gfamacal az णोकनारूा AAW: प्रणम्य महामोह arfaa विहितादरः | AAAI Meat सामालिङ्गति मायया ततोऽहं BTA देन्याक्रन्दनरोदनम्‌ | कला खला करोग्य्ेदंवों मदनसन्दरोम्‌ WIM शरौ रषत्कारो राच्यकायं प्रमादितम्‌ | जातो प्रहन्टहोताभस्ततोऽहं दुःखपूरितः श्रय मामकटन्तान्तं कथं चिष्लमवातंया | BUTTE: BIA AGATA:

ततः मां महाभागो Tet ntaamlaagq |

-- -- च्छ -र्‌-

Ditto of Azadi, Fasc. 1-4 @ /10/ each ५९७

Nityacirapaddhati, Fasc. 1-7 @ /10/ each ००१ age Rs, 4 6 Nityacirapradipa, Fasc 1-7 @ /10/ each 11, ee ०० 4 6 Nyayabindutika, Faso. 1 @ /10/each `` ०2 0 10 Nyaya Kusumifjali Prakaraya Vol. I, Faso, 2-6 Vol, II, Fasc. 1-8 @ /10/ each न्ध se ail Fae | 0 adinmawati, Faso. 1-4 @ 2/ sos ee “ae 8 0 Parigista Parvan, Fasc. 1-6 @ /10/ ५५५) Kab -+-4 गत, 2 Prikrjta-Paingalam, Fase. 1-7 @ /10/ each ५५७ in $ 6 Prithviraj Rasa, Part 11, Paso. 1-6 @ /10/ each © wie १५ © 2 Ditto (English) Part 11, Fasc. 1 @ 1/- each =... fee Sey 0 Prakrta Laksanam, Fasc. 1 @ 1/8/ each sins a 4०9 Paragara Smrti, Vol. I, Fase. 1-8 Vol. IT, Faso. 1-6; Vol. UI, Fasc.

-6 @ /10/ each see ee ५४४ 12 8

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, Prabandhacintamani (Unglish) Fasc. 1-3 @ 1/4/ each =... >" 9. 218 Saddarfana-Samuccaya, ९980. 1, @ /10/ each =. oye we O 10 *Sima Véda Samhita, Vols. I, Fase. 56-10; 11, 1-6; III, 1-7;

IV 1-6; ए, 1-8, @ /10/ each 4 ke BOAO

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Ditto (English) Fasc. 1-8 @ 1/- each +7 क. 0 *Sankara Vejaya, Faso. 2-3 @ /10/ each ep ses २. 4 Sriddha Kriya Kaumudi, Fasc. 1-6 @ /10/ each Sees "~ Srauta Sutra Latyayan, Fasc. 1-9 @ Cul each on © 39 Asbalayana, Fasc: 1-11 @ /10/ each ie uae 2am

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9 Pratisakhya, Fasc. 1-3 @ /10/.each = ,,, ३०६ os 2 Ih *Taittiriva Samhita, Fasc. 22-45 @ /10/ each wee 0 Tandya Brahmana, Fasc. 1-19 @ /10/ each ¥y eo: 0. Tantra Vartika (English) 7886. 1-6 @ 1/4/ aa ९५ 0 8 *Tattva Cintamani, Vol. I, Fase. 1-9, Vol. 11, Fase. 2-10, Vol.

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Fasc. 1-12 @ /10/ each ‘na ,„„ 23 12 Tattvarthadhigama Sutram, Fasc. 1-8 @ /10/ ,,. a oo. 1 KO Trikinda-Mandanam, Fasc. 1-3 @ /10/ 7 ००९ ei, bee Tul’si Satsai, Faso. 1-5 @ /10/ ce we 3 2 Upamica-biava-prapafica-kathi, Faso. 1-9 @/10/ each = ,,, ee ad | Uvisagadasio, (Text and English) Fase, 1-6 | ne kT Ae Vallala Carita, Fasc. 1 @ /10/ wes nao * 0 10 _Vargn (६1158 Kaumndi, Fasc. 1-6 @ /10/ wae SS eee *Vayn Pnrana, Vol. I, Fasc. 2-6; Vol. 11, Faso. 1-7, @ /10' each ~ ... 7 8 Vidhiana Parijata, Fasc 1-8 @ /10/ one ore one 5 0 Vivadaratnakara, Fasc. 1-7 @ /10/ each os ied Tos 6 Vrhat Svayambhii Pnrana, Fase. 1-6 @/10/ ... mt SAK *Yoga Aphorisms of Patanjali, Faso. 2-5 @ /10/ each we wee US

Tibetan Series . Pag-Sam Thi 8719, Fasc. 1-4 @ 1/ each 4 0 Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. H, Fasc. 1-3; Vol. 111, Faso. 1-6

@ 1/ euch ... 14 0 Rtogs brjod dpag hkhri 810 (Tib. & Sans, Avadana Kalpalata) Vol. I

Faso. 1-6; Vol. Il. Fasc. 1-5 @ 1/ each ane ५22 0

Arabic and Persian Series *Alamgirnamah, with Index, (९६४) Fasc. 1-13 @ /10/ each ००५ 8 2 Al-Muaaddasi (English) Vol. I, Faso. 1-8 @ 1/- 9२७ ॐ. 0 Ain-i-Akbari, Fasc, 1-22 @ 1/8/ each 90.

Ditto (English) Vol Fasc. 1-7, Vol. II, Fasc. 1-5, Vol. ILI,

Fasc. 1-5, @ 2/- each ake we 34 9 Akbarnamah, with Index, Fasc. 1-37 @ 1/8/ each 55 8

Ditto English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. If, Faso 1-3 @ 1/4/ each 13 13 Arabic Bibliography, by Dr. A. Sprenger @ /10/ 9 09 *Badshitinamah, with Index, Fasc. 1-19 @ /10/ each ०९७ ०27. | Conquest of Syria, Fasc. 1-9 @ /10/ each ie S30 Catalogue of Arabic Books and Mannscripts 1-2 @ 1/- each is “2-8 Catalogne of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the

Asiatic Society of Bengal. Fasc. 1-3 @ 1/ each ~ . 3 0 Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix, Fasc. 1-21 @

[8/ each “ep 31 & Farnang-i-Rashidi, Fasc. 1-14 @ 1/8/ each ३०५ ,, 21 0 Fihrist-i-‘Tisi, or, ‘Pisy’s list of Shy’ah Books, Fasc. 1-4 @ 1/-each... 4 0 Fatun-ush-Sham of Waqidi, Fasc. 1-9 @ /10/ each ४५४ 9

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. Haft Asman, History of the Persian Masnawi, Fasc. 1 @ /12/ each __ History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @1/4/each ... ` Iabalnariah-i-Jahangiri, Fasc. 1-3 @ /10/ each ve Isabah, with Supplement, 51 Fasc. @ 1/- each ae Maasir-ul-Umara, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. II, Fasc. 1-9; Vol. 111, 1.10; _ Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Faso. 10-i2 ;

Index to Vol. III, Fasc. 11-12 @ /1/ each ms Maghazi of Waaidi, Faso. 1-3 @ /10/ each ... ~~ Muntakhabo-t-‘’awarikb, ४४४५. 1-15 @ 10/ 5४५४

Ditto (English) Vol. I, Fase. 1-7; Vol, 1!

1-65 and 8 Indexes; Vol. Il], Fasc. 1 @ 1/ each nal Muntakhabu-l-Lubab, Fasc. 1-19 @ ie each "वि ` (श 18" 8 8111. & 1817, Fasc. 1-6 @ /10/ each ae ‘ot > oe

Nukhbata-l-Fikr, Faso. 1 @ /10/ ~ | | oe +य Nigami’s Khiradnamah-i-Iskandari, Fase. 1-2 @ /12/ each Riyézu-s-Salatin, Fasc, 1-5 @ /10/ each 9०७ स^, Di (English) Fasc. 1-5 @ 1/ =... its ‘ces Tubaquat Nasiri, Faso..1-5 @ /10/ each » een rr 3 Ditto (English) Fasc. 1-14 @1/ each . io. oe Ditto Index CRS, .

Tarikh-i-Firiz Shahi of Ziyau-d-din Barni, Fasc. 1-7 @ for eavoh ee कि ^ Tarikh-i-Firizshahi, of Shams-i-Siraj Aif, Fasc. 1-6 @ /10/ each Ten-Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @ 1/8/ each Suet ~

Wis o Ramin, Fasc. 1-5 @ /10/ each

Zafarnamah, Vol. I, Fasc. 1-9, Vol. 11, Fasc. 1-8 @ /10/ each”

Tnenk-i-Jahangiri (Hng.) Fasc. 1 @ 1/ Son ००८, ee ~ -----~ + 4 8141106 80611 * '8 PUBLICATIONS, -

4 ५५५1८ Res#arcues, Vols. XIX and XX @10/each ,,, ` : ~ Pxoceepines of the Asiatic Society from 1870 to 1904 @ /8/ per No. = + JournatL of the Asiatic Society for 1870 (8), 1871 (7), 1872 (8), 1878 (8), 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 8), 1879 (7), 1880 (8), ` 1881 (7), 1882, (6), (5), 1884 (6), 1885 (6), 1886 (8), 1887 (7), ` 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892 (8), 1898 (11), 184 ` (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7) (7), 1902 (9), 1908 (8), 1904 (16) @ 1/8 per No. toMe @ 2/per No. to Non-Members a N.B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos, in euch Voiume, ` 4. Journal and Proceedings, N.S., 1905, to date, @ 1-8 per No. Members and Rs. 2 per No. to Non-Members, 1१६. 4 5. Memoirs, 1905, to date. Price varies from number to nom Discount of 25°/, to Members ` 6, Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1888 ... 8 ` A sketch of the ‘lurki language as spoken in Hastern ‘Yurkistan, by _

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R. B. Shaw (Extra No., J.A.8.B., 1878) ete ee Catalogue of Mammals and Birds of Burmah, by E. Blyth (Extra No, J.A.8.B., 1875) .— 7. Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, 1884 8. Mahabharata, Vole. 111 and IV, @ 20/ each = .., ote >s if 9. Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidopn = Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to. @ 6/ each रभे " + 10. Tibetan Dictionary, by 08008 de ८08 प्र "+" ll. Ditto Grammar a . a ae 8 `

12. Kagmiracabdimrta, Parts I and Il @ 1/8/ Po mrs 18. A descriptive catalogue of the paintings, statues, &o., in the ६००४७ 3 the Asiatic-Society of Bengal, by C. R. Wilson... = ees 14, Memoir on maps illustrating the Ancient Geography of Kaémir, M. A. Stein, Ph.D., Jl. Extra Nov2 of 1899 ., 16. Persian Translation of Haji Baba of Ispahan, by pats, Ahmad-i-Kirmasi, and edited with notes by Major D, 6. Phil

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Notives of Sanskrit Manuscripts, Fasc. 1-338 @ 9 ७४९४ बक ~ Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. R.L. Miwa ,..

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N.B.—All Cheques, Money Orders, &c., must be made payable to the

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No. 57, PARK STREET, CALCUTTA,

AND OBTAINABLE FROM The Society's Agents

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Complete copies of 1 copies of those works marked with an asterisk * cannot _be_supplied—some works marked with an. asterisk * cannot be oh ee of the Fasciculi heing out of stock. ue # ST =

BIBLIOTHECA INDICA. ; Sanskrit Series.

“Advaita Brahma Siddhi, Fasc. 2,4 @ /10/ each =. oat Rs. | Advaitachinté Kaustubha, Fasc. 1-3 @ /10/ each “Agni Parana, Faso. 3-14 @ /10/ each = 1 F तन Aitaréya Bralimana, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. 11, Fasc, 1-6; Vol. ` III, Faso. 1-5, Vol. IV, Fasc. 1-8 @ /10/ each ५०१ ow 14 Aitareyalocana Jos ००० ont ००७ ५५५ ˆ #.47प्. Bhashya, Faso. 2-5 @ /10/ each Aphorisms of Sandilya (English), Fasc. 1 @ 1/- Astasahasrika Prajfiapiramita, Faso. 1-6 @ /10/ each *Atharvana Upanishad; Faso. 8-5 @ /10/ each . Atmatattvaviveka, Fasc. I a ost 0 ‘a Agvavaidyaka, Fasc. 1-5 @ /10/ each ७2० = eae ०७5 Avadina ५।[0819.15, (Sans. and. Tibetan) एण, . 1, Fasc. 1-6 3Val.- II, Fasc. 1-5 @ 1/ each b ~~ दः A Lower Ladakhi version of Kesarsaga, Faso, 1-3 @ 1/- each Balam Bhatti, Vol. I, Fase, 1-2, Vol. 11, Fasc. 1, @ /10/ each Baudhayana Sranta Sitra, Fasc. 1-3; Vol. II, Faso. 1 @ /10/ each *Bhamati, Fasc. 4-8 @ /10/ each ie Bhatta Dipika, Vol. I, Fasc. 1-5 @ /10/ each

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see 2 Brahma Sitra, Fasc. 1 @ /10/ each ७०५ vee see 10 Brhaddevata, Fase. I-4 @ /10/ each ee see ane 8 é rhaddharma Purana, Fasc. 1-6 @ 110/ each - See the i2 Bodhicaryavatara of Qantideva, Fase. 1-5 @ /10/ each | मि 2. Qatadiisani, Fasc. 1-2 @ /10/ each igs ०१५ aes 4 Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Faso. 1-4 @ 2/ each ass 0. Qatapatha Brahmana, Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. Il, Fasc. 1-6; Vol. 111, Fasc. 1-7; Vol. ए, Fasc. 1-4 @ /10/ each vee 1 =e 6 Ditto Vol. V1, Fasc. 1-2 @ 1/4/ each ... धष a ae Oatasahasrika-prajfiapairamita, Part I, Fasc, 1-12 @ /10/ each iss Bam *Caturvarga Chintamani, Vol. II, Fasc. 1-25 ; Vol. [7 Part I, ~ = Faso, 1-18, Part II, Fasc. 1-10; Vol. IV, Fasc, 1-6 @ /10/ ९५५ ... 36 14 ` Ditto Vol, IV, Faso. 7,@1/4/each =, ` ` ,, 1 4 Olokavartika, (English), Fasc, 1-7 @ 1/4/ each oc, 9 ee ae *Qrauta Sitra of Apastamba, Fasc. 9-17 @ /10/ each... 6. So ‘Ditto Oankhayana, Vol I, Fasc. 1-7; Vol, II, Fasc, 1-4; Vol. III, Faso. 1-4; Vol. 4, Faso 1 @ /10/ each > ET ae Ori Bhashyam, Fasc. 1-3 @ /10/ each न्क yee ~ ¢ 'F Dana Kriya Kaumndi, Fase. 1-2 @ /10/ each ,.. =r oe शर. he Gadadhara Paddhati Kalasara, Vol. 1, Fasc. 1-7 @/10/each ~~... 4 + Ditto Acirasara, Vol. II, Fasc. 1-3.@ /10/ each स्व. 14 *Gobhiliya Grhya Sitra, Fasc. 4-12 @ | 10/ each* it ३.४ 10 Ditto Vol. IT, Fasc, 1-2 @ 1/4 /each rae} 8 Kala Viveka, Faso. 1-7 @ /10/ each ~~ Fe ol a ee Katantra, Fasc. 1-6 @ /12/ each sts wos TS Katha Sarit Sagara, (English) Faso. 1-14 @ 1/4/ each 7 8. Karma Parana, Faso. 3-9 @ /10/ each हभ as aa 6. ` Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-8 @ 1/- each As +. 0. *Lalitavistara, Fasc 3-6 @ /10/ each one “eee | 2s 8 Madana Parijate, Faso 1-11 @ /10/ each 6 9 ~ a=

Mahi-bhisya-pradipodyota, Vol. I, Fasc. 1-9; Vol. II, Fasc. 1-12;

Vol. III, Fasc. 1-8 @ /10/ ench fe गगन 1 Mannutika Sa ha, Fase, 1-3 @ /10/ each oer tee 5 HY =< Markandeya (English) Fasc. 1-9 @ 1/- each Ya

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सप्तमः प्रस्तावः | oye

विसुक्रागेषसषत्छत्यं azarae

किमिदं भोः समार भवता चनवाइन |

fa मे विस्मारित arg किंवा am: बदाममः।

किमेष दुष्टश्ोकेन भवानेवं eater: |

शतं maaan किमिदं बालचेष्टितम्‌

यांचते सरतो faa cat मदनदन्दरोम्‌।

शोकोऽयं बाधते चित्तं तत्का किं बुध्यसे तथाहि

सवेऽमो जन्तवो नित्यं कतान्तमुखको टरे |

वतन्ते ऽतः ऋणं श्प aerate तदहुतम्‌

a हि नापेचतेऽवस्धां प्रमाबन्धनसुन्दराम्‌ |

दलयत्धेव waht मन्त वद्भन्धवारणः

यद्यत्छव्ननसत्यद्मं जननेचमनोइरम्‌ |

तन्तन्निपातयत्येष रताम्तहिमश्नो करः

मन्न धमं भूरि वेद्या भेषजम्‌ |

a बान्धवा Zax ष्टव्यो रचन्ति देहिनम्‌

दृत्यदृष्टप्रतौकारे जाते मरविद्धर |

fagisa मागे इत्येवं भ्राता at faget भवेत्‌

तदेवं श्रुते मित्वमश्राम्तो धर्मदे अ्रनाम्‌ |

MATT महाभागो मत्तः शो कगमेच्छया

RE पुनमंहामोहवश्रगस्तां Awe |

avqfg: प्रलापेन तं ओरोकमनुवतेयम्‌ 133

Upamitabhavaprapancakatha, Fasc. XII, New Series, No. 1171,

१०४८ उपमितिभवप्रपच्चा कथा | `

कथं |

डा बद्धे हा प्रिये मुग्धे हा wale वरानने।

हा प्मेजे हा सथ्वुहा कान्ते वरभाषिखि॥

w auzage रेवि शा हा मदनसुब्दरि।

गतासि fawaa cca धगवारनम्‌ #

दीयतां दशनं ae संभाषो मे विधौ यताम्‌ |

Saat मामके BY वेक्ठव्यमपनोयताम्‌

cad प्रणपशचेरकखङ्ष्ट when: |

भद्रे THEM are जानामि fades

दयापटोतचिन्तोऽखौ ततो मां shy तादृशम्‌ |

WREST भद्रं पुनः प्राह महामतिः

थथा भो भो महाराज arava युक्मोदृश्ं भवाद्श्रां

विधातु बाखथचरितं। तत्परित्यल क्रोवतां उररौङङ dat | weat भयाग्नःकरणं waar! विरदयेममेकान्तेमा हितं महामोहं gy sta श्रिचिखय परिग्रशं श्रसुवतेय सदागमं समाचर तदुपदे श्रं | जनय मम चि्तप्रमोदं कि faq भवतो ऽधुनेव तस्ाधुनिवेदितं भवप्रदौपनकं किं सरसि तन्छंसारा- पानकं। किं a चिन्तयसि तं ances. fai a ध्यायसि a सकमेकजोवचद्रमदटन्साग्त | fa पर्थाश्ो दथसि तां मनुग्यजन्ध- रन्दो पदुखेभतां। किं a निर्विद्यसे aie seman कि faarcafe तां चिन्सवानरशोवशूपतरखतां किं मामुग्नोख- यसि ada and wad) कि बंशमोषि तेषु विषयविषटचेषु

सत्तमः प्रखावः | Vou

किं safe afertfready oggawecaaeat) किं निपाक्थथि जानशनषि मोकमागंमात्मानं wity महानरकेषु | किं नारोश्यसि Adare तच उततानगन्दे गिवाजयमटे | ware fe निवसतां महाराज देहिनां acawerfa वसनानि ger: भियवनविप्रथोगाः अदूरगा मरहाग्धाधथः प्रत्यासन्नानि दुःखानि शअवक्षभावोनि मरण्टानि षतः gare विभलखविवेक एव्र जां गापरमिति ततोऽहं भद्र Te EEA माढभसत दव प्रतिवोधकष्वनिपरपरथा विषधुणित इव खष्छुरमन्तत्यमान्र- गया मदिरामस va श्नौत्रभयदग्रेनतया qféa टव afeu- TATE SHAH इव सुवेशप्रयुक्तमेबनमालिकथा AUT PACT संजातः प्रत्यागतचेवनः . वतः शोकेन प्रणन्धा- fafert महामोहः यथा देव व्रजाम्बह भावमकलङ्लो ay- निहालित्‌ ददाति भराभोहः प्राह ae विषमोऽक्मकश्चदः miata wise wre | शअावचोरपि यत्किमप्यच भविखति warearfa att) ae aad | Baw एलः प्रतिभागरणा विषयं कलापि भवतामाववोरिति wai) यटाश्चापयति Qa. ततो गतः शोकः Afar wae awit: खदागमः अकभौरितौ मनाङ्‌ महामोपरिशहौ osetia परंपर विहितोऽपवंश्ुतपहशादरः कारितानि fern fearetin पवलितानि बाजाख्ाचपाव्दानप्रष्तोनि। वतः हके war तावदेष दख्भाननमिति wautsnere: अनाकारे मिथ भिचपरि ग्रहो्मायकेम विधुरितडदयः watt मश्ठमो पागमनाश्

१०६१ उपमि तिर्भवप्रपश्चा कथा |

महामोदप्रतिजामरकः BAT: | प्ष्टोऽनेन Waal! शता तेमानुश्जा। बङल्िकथोक्क। तात aa सागरो गच्छति ay मथापि ara यतो विदि्तमेवेदं तातस्य खल्वेव सागरः चश्मपि मथा विमा वतेते रागकेखरिणणोक्कं ae aed ततो गच्छत्‌ भवते | fa च्थमपि कृपणता सागरस्य acto जौवितभता वतेते acuta गच्छतु येनास्य तिः संपद्यते चागरे- कोक | तात महाप्रसादः। ततः समागतानि तानि Ace | दष्टो तदशेनेन महामोहपरिहो | समालिद्गितोऽहं agers ततः प्रहन्ता ममेच्छा aga feat ममादृष्टपरलोकसाधनेच्छया बृष्टसुखड्ेतुना धनेन व्ययितेन प्रयोजनं we wae: प्रति- दिनं arqgarwafa.) यथा afe भावसवकरणेनाच्ापि तवो- QE: ततो महाराज घगवान TIGHT तावदादरं कुद- व्वेति व्ययितं तद्भारेण agaa घमं वतेते तदच किं कर- वाएौति चिन्तथतो मे fafed बङखिकयालिङ्गन ततः प्राद्‌- श्वेता मे ogg: | चथा प्रेषयामौतः केनचिद्रदनविन्यासेन ताव- देनमकणशङक ततो भविखति ममायं waa: aatsfafeat मयाकशद्ूः। थथा भदन्त मदुपकाराथेमिहागता यूय अतः खपादितो ममोपकारः | agar भवतां मासकश्यः ततस्ते युद्म- दचेबुनोभविवखन्ति भगवन्तः को विद्‌ालायेः। संजनिखतेऽख्ाक- qian: | ततो विहरत यूयं वयं करिग्यामो युश्मदादें | भगवद्धिचिन्ता काथंति। तदाक्यं विइतोऽकखहः प्राप्तो गषमोप | [र

` सप्तमः Wea "^

ततो योऽपि wate fafaara धनव्ययम्‌ | संजातः ागरारे्ादह TH: परिये ti. ततः परियद्ेणोक्रः सागरो firarge | नोयमानः चव Bare भो रकितस्वया ti त्रन्नोऽपि मे विगरेषेण संपन्ना weer) एषा woud fay मम नोविक्दायिका गाढं बहशिकायेवा Har मदुपकारिण्णौ | सोऽकखद्ो महाश्रचुर्गाढ़ं निर्वासितो यथा aay विहित चार्‌ यदटागत्य नरोत्तम =

संद शितायेके भक्तिः पाखितोऽयं वया जनः `

एवं भाषमाणं तं महामोहः परिम्‌ | TEATS यथा AG साधु साधूदितं तथा|

wa डि सागरो aw सवख मम जोवितम्‌ |

मदौयकवौे fad भावतोऽच प्रतिहितम्‌ चरथं नि्भिं्यभक्रो मे खामरो मामके बले | wae राष्यधोग्योऽथमयं ते रचणएकमः एवं चोलाधितस्तेम महामोहेन सागरः | संजातो at ante सदागमबाधकः tt ततो विवधिताकां्ो दूरौषतख्टागमंः | SHAVE यथा पूवे तथा पुनः ततो AKITA FAK कृपापरः + गयः प्रचछितो az सोऽकलदो मदन्तिकम्‌ a

१०६१

YoeR उपमितिभदप्रपश्चा कथा

ततः wana तेन कोविदस्रचः | विज्ञापिता अखामोति दौपदिला watery अय निचिव्य sgra प्राहः कोविदस्रथः। faciatsa ते awent मा नाखद न्तिकम्‌ तथाहि | यावन्तख WT महदामो इपरिप्शौ | AAAI BAG: तात दनवादइनः यतः | श्ागच्छष्ति तोः arg निषन्राद्धानरादवः | तेामाग्रयन्धतौ at wat सूखनायकते वशे adm तष्ट तेरा दुरा्शाम्‌ | SI: कवा धर्मः ATE: # बपिरे कषेकाषोऽयमन्धे ec ऊषरे Tafa चा धर्मद रना धतः | WATTS CONTAIN जादे | वचनेन तिगे areree भवादृशान्‌ अन्यश्च बोधितो wtf we: BF भावनिद्भया यावदेत बमौपश्यौ महालोदपरि पौ AS ते NAAT चनवरहनपकिध्ते सकस जिह ee sae frower:

सप्तमः Tea: | १०६९

TRAST | भदनागयेदेत्न्धां ताग्धां साधं तपस्िनः ` कटा पुगविधोमः खाहइनवाहगशमुजः एरर किजामन्ति तं mae भवावृश्ाः | सारिकधमेराजख्य प्रसिद्धो थो aera: चारिजधमेयुक्रेम खवोकंश विभिमितो | नेनास्ि मानसो कन्या विद्या गाम मनोर सा सुपा fawreret जगदाहादकारिशौ | विश्चातविश्वभावार्थां सर्बाबयवसुन्दरो ` विष्ठसन्लो सा sat बततोहामलौखया | संसारातोतखाव्ला FATA वह्लभा सा श्वेबन्पटां qe शा सर्व्तेश्ननाश्रनौ | निरन्तानम्दथब्डोहदायिका at fared अतस्तं कन्यकां faut थदाखो घनवादइनः | ख्यते weegurnwaw विबोच्छते

थतः सा कन्या निनकवौ्थंण विङद्धानेन पापिषा | विद्ते aera sate हेतुना

कि wi तथा भिरोहता नाभ कन्धान्या विद्यतेऽनचा | चारिजधमेराजस्य दुहिता सा मनोरमा face: इुदिषग्डता भाभोरव्थगम्तपूजिता |

२०६४

उप्रमिविभवप्पश्चा HUT |

चारिजधर्मराजौये राच्ये सा खवंखारिका॥ महनत्तमसख Walter सद्ोधस्यातिवक्षमा | सन्तोषतन््पालेन खामिमक्रेन बधिता a खभावसुन्दरा wer सपरंच्छा वाञ्कति | Terwercarenfesary शा विग्दषण्म्‌ खेन विविधेभौगेरविंचिषे रबराश्चिभिः |

We शोभमागेतु कन्यका सा निरोहता सा मिःरोषनगदग्धया सा सुनोनां मनोडरा |

सा दुःखोच्छेदिका धन्या सा चित्तामन्ददायिका तां कन्यां चारशावर्छां यदासौ चनवाहनः। लप्यते विलयं चायात्तदा नुनं afta: विरोधोऽस्ति तया साधं यतस्तस्य दुरात्मनः saat The पापोऽसौ गाढभौतो विलोयते

अकणङ्ेनोक्र |

कदा पुनरसौ धन्ये ते कन्ये परिणेष्यति तयोदखनकारिष्ौ भदन्त चनवादनः

कोविदद््रिणोक्र

ग्रूयसाद्यापि aaa तथोर्लाभो नरोत्तम | wary भवेशून तयोः परिणायकः अथाकललङ्कः TATE GMA यदि रोचते | ततोऽहं शम्भयामोति ते कन्ये लनवाहनम्‌ गङ्राडइ महाभाग नाधिकारो भवादृशाम्‌ |

सप्रमः प्रश्लावः | १,०६४

कन्ययोः TITTY तथोरेतेन Yaar क्मंपरिशामाश्यसे कन्ये दापचिखति . VATE AUT टरापकखयोः SHAT पुनस्तेन ते wat was यदा `. Ws ws तदा awe अपि एव चख fea | | एव योग्यतां मलना afer दापयिष्यति | कन्ये YAS धन्ये जनगवारमग्ह सुखे अतो विषाय तचिन्तां खाध्याबध्धानतत्थरः | विञ्युक्षावस्तुनिबेन्ध सिष्ठायं लं facrge: ततस्तथेति भावेन प्रतिपद्य Foss: | fentsnegt निचिन्तखदा भद्रं निरातुरः SE A तौ खमाभित्य महामोहपरिग्रशौ | BUNTY ART HAM कद थितः लथाडि | . एके गच्छन्ति ABU: प्रत्यागच्छन्ि चापरे ` अन्दे तिष्टन्ति ware किंचिदासाद्च कारणम्‌ ।` fa चाच बहगोक्रन समासान्ते निवेदयते गरिभाषितवा लं मां arve मावनौगणः | ` विश्रटन्िमहाटथ्यां या गदौ सा प्रमन्तता anfcufad नाम aren: पुखिनं पुरा वष्डितं aw चोदिष्टखिष्तविक्धपमष्डपः

134

१०९६

sufaferanqer कया |

aqr afear लां विपंर्यासाश्यविष्टरम्‌ | तज्िषसो भहामोदस्त खखाविद्ा squat faaiian प्रधार्घाय ar er ga भिवेदिता। रसि a faery fea खवमिदं a वा। MATS ATEAT ATE ATS अरामि भोः संसारिनोवस्तां प्राह यदेवं चारखोयने ततस्ते धे fanaa प्रकर्षाय विविताः मिष्याद्‌ शंस्या waetet बेदिकाख्धिताः | sq सेवापरास्तज्र feat सुत्कलमष्छपे

ते Wa WYRM भद्र THAT: सबान्धवाः | WAAC प्रयेकं ससुपागताः AUR GATS तदा मे खर्वनायके

सोऽस्ति afar येनाहं निषेवितः a

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agi विमूर्ितसतेव्‌ भावेष भवभाविषु | Sate गष्टसग्धागंा महामूढतया तदा सदागमं परित्थब्य विधाय मतिविभ्रमम्‌ | मिच्यादशेनसंन्नेन भयोऽदं बाधितस्तदा a पापानि धमेबुृद्याहं दाङणानि पुनसटा | भूरिशः कारितो भद्र कुदा aCe शब्दादिविष्षययामे निःसारे साधुनिण्डिते | विधापितो मनःप्रोति रागकेसरिण्णा पुनः

SHA: THATS | Lode

we भां gael सा मूढता माम विश्रुता तङगेन मया भेव विश्चाता भवदुष्टता i तचा देषमजेष्छोऽपि समिमिश्लाजिमिन्कम्‌ | छुवेशपरो तिखन्तापं नितरां मे विज्ञभ्भितः स्या | | तस्या विवेकिता भार्यां का्याका्वेविचारणम्‌ | | gia aceasta मां वश्रवर्तिनम्‌ तथा | | Wee रूपे रसे गन्धे स्पशं चात्यमखोखपः | amense set रागकेखरिमग्छिणा wag माढमूरकान्धो ऽप्राप्नाकांा विडम्बितः | हतो भोगेषु तष्टेव arse भोगटरष्छथा तथा | | जिर्वादितसुखो wow हासितोऽहं facdag | हासेन ae भद्र सद्राौयेविरोधिनय मूजानग्नङ्घेदजानासमपूंषु यो षिताम्‌ | गजेषु रमितो भद्र Tae बङश्रणदा TTY मरोदगसन्तापाक्रान्माभसः हतोऽहं गडरिप्रो भद्र ACETATE: मरिग्धामौति विश्रान्तो राच्यं वा मे इहरिब्धते। cafe कारणं प्राय watery विनाटिकः . मरणं framerate कवा

१०९८ उपमितिभवप्रपच्चा Kur |

हेतुं संप्राप्य शोकेन wat wat favfiar: तत्वमागं विवुक्रा्मा भिथ्याबुद्या तिरोहितः | विबेकिषाखतां गोतसख्तदाइ fe aaa तथा। रागकेखरिणः पुजा येऽष्टौ ya विवरणिताः | सुता देवगजेष्रस्य चे चाष्टौ परिकौतिताः AVS A कषायाख्येमेहामोहपितामर | SATS हतं यन्तु Aaa Wet # न्नानप्रकाश्लेेन «feat wane | WAGACSNTY प्रबलेन हतः पुनः ` तथा कुवन्‌ चरधुरारावं काष्टवश्न्टरेतनः | दधनावररेनाहं पितो मतद भेन: AUT | कचिदाह्धादितोऽत्यन्त कचिन्न्तापविङलः | कृतोऽहं तेन arate गेदनोयेन ager तया शआयुष्कमामकेनापि भरे खलोचने | चनवारइनसूपेण तदाहं धारितखिरम्‌ तया | तेन नामाभिधानेन ayer azarae | BAT मामके. few गिनवौये निदितम्‌

SHR: TRA: |

तथा गोजाग्तराथाभ्वां GATT वरानने | हतमेव ममात्यथं चरितां तदा पुमः

वचा |

रौ द्धातेष्यानसंयक्षः पापात्मा पापचेषटितः | fafertsy fanrerfe तेन दुष्टाभिसन्िना तथारप तत्काले महामोहे satay `. ममाविभावितं भद्रं खं खं TE महाभटेः श्रकच्चङेन सुक्रलादनाय इव fae: |

इत्यं Seats ATE भावश्नचुभिः ` अथान्यदा मायातो मत्कदं्थनकाम्बया महामोहनरेष््रस्य समोपे भकरध्वजः

खच aat रतिं भार्या रागकेसरिमण्लिणम्‌ | पश्चमानुषसंक्र तच्च AS कुटुम्बकम्‌

एतां wal समाषाचच सामयी arafyge | संगङ्धबद्ूकवशस्तद्‌ा प्राप्तो ANGE ` ARZSt महामोहो मकरष्वजमोखनात्‌ MMA महामोहं परं WIAA: ततस्तेन य॒तः शाात्धभङ्धो WATTS: | ंपश्नोऽसौ महामोहो जातो मेऽ्धन्तवाधकः शब्दरूपरसश्यश्गन्धखन्धोऽन्धसन्निभः

मां मिनेष्टशद्ोधः संजातोऽद ततस्तदा गर्ताशचकरसद्धाशो विषयाशएविकरंमे |

१०६९

%

उपमितिभवपषरपश्ा wer |

राजिडिव निम्मा स्थितोऽहं विभतच्पः॥ WITTY कें भोमेशकषिमागतः | एतपामेन fa जातः पौनगण्डोऽज वानरः gave मे भोगान्‌ वेते भोगटष्छिका | सृतराश्ल्खधेव जलेन वडवामश्चः अकशङो-परे शास्ते शङ्राहकरनिमन्नाः |

तदा मे fage: wt महामोङ्धनाटताः ततो at aed gar arawefadfeaq | मेऽ्रसर इत्येवं गलो दूरं सद्रागमः यथामिमतकामांख wrest मे कटा | wet पुष्ोदष्योऽहं तु विसूत चये ततो faguftrsecreqarar विवाजिश्नम्‌ WHITH: SG युखासोऽरमदखितः

AUT |

at at act प्रपश्ामि ane काहविग्रहाम्‌ | कुलणामह्वजजां वा ui वा कञ्चिजिषेदथेत्‌ तां तां सद षम्य what बद्वश्चद्रा | WATT Tay क्रोमि चिजघ्रक्रिक्राम्‌ लावामि aad नापेके कुश्रवाञ्क्नम्‌ ` गणयामि erat aca wim ततो face: wrt: पुरं शोदंगमागनम्‌ | तादृध्ाधमश्रौखेन सचति AA ब्रामत्राः

सक्नमः प्रस्तावः | १०७९

पटातथोऽपि संपा भम गमिन्दाविधाथकाः | गणाः Vay Wa सम्बन्धो नाच कारणम्‌ श्रं तु तादृशं शोकाष्नानानोऽप्याद्मनरेशम्‌ | महामोहष श्रौतो निन्यकभेरतः शितः या नौचङुशसंलाता याञ्चामम्याः feat qq | wal: स्ेऽन्तःपुरं दिप्रास्ता मवा wearer अथासौ कनिष्ठो मे नाता नौरदवाहनः | शष्लापरो विनोतात्मा प्रख्यातः खारषौदषः aay मन्तो face: सामन्तैः पौरमग्िमहन्तमेः | एकवाक्यतया wear: प्रोक्तो रहसि खितः यदुत, अनम्यगमनाखक्रो निमर्यादो fase: | मष्टधरमां पोस्ठख्ो एवं कुखदूषणः सोऽयं सिंडाखमस्येव शारनेयो नराधमः | अशठ चोग्यो WAG कुमार अनवाइनः अनेन हारितं trey वंभ्सानां ered कतम्‌ | Had antisera विनाशो ऽवसुपेकितुम्‌ ti अतोऽयं प्रतिराच्येषु Sart माबगम्यते | यावत्ताकल्कुमारोऽच राजा भवितुमंति अन्यथा नेष ते भ्राता Teg नग तयः | वयं यशो नेव नगर भो भविद्यति

१०७२ उपरमितिमवप्रपच्चा कथा |.

एवं चोक्तः तैयैक्ियुकं नोरदवाहमः | तथेव दृष्टतचेष्टः पर्थालोचमुपागतः ॥. . RaQ मामको भद्रे वयश्लो दुष्टचेष्टितः गाढसुदेजितचिन्ते AS: पुष्टोदयस्तदा पापं चात्यगखो गतं प्रहद्धा. भावश्रचवः | द्ाच्मैवसो जाता we: सा कमणः fafa: तत वचनं तच्छ .यल्लोकेमेज्धितं पुरः ` तचचित्ते युक्गियुक्रलाषनग्रं मे भातुरचकेः

aay | एवं भवतु तेनोकरलेश्कर्वेरिकेरिव आगताहं TE बङ्को मदिरामद्‌ बिल्ल: तावतः परिवेश मध्ये जातो कञ्चन त्प wat भद्रे येन मा मेति अस्पितम्‌ ततो नरकपाशाभेसेबं्धा नरकोपमे | चिप्तोऽहं चारके Gy न्ातिमग्तिमहस्तमेः संश्यापितो Tey राजा नौरदवाहमः | महाकणकलेमोचेर्गतय द्विस्तोषनिभेरेः . wer: कुखामिनाग्रेन तुष्टाः सखामिनो गरेः | ते पौरसेनिका शोकास्ततः किं fa gat अदंतु UTA तच पुरोषमशपिच्छिखे मूचाग्डक्तेदजाम्नाखदु TACHA चुधालामोदरो बद्धः परिश्तो विगतः |

सप्तमः प्रस्तावः | YeooR

qagefea: wgaiwacty ताडितः

अने कयातनास्ाने खवगेंणावधोरितः |

प्राप्तः शारोरसंतापं मरकेष्विव मारकः

महामोहवशोगश्डते Teas तया मयि |

यः संजातो ममस्तापः त्ख्य पायते तथाहि |

ममेदं विपुलं राञ्य मामकोना fara: |

अधुनन्ये प्रभोक्तार इति शोकेन पौडितः

सुखलालितदेष्ोऽमधुना stent गतिः |

wie परिगतोऽइमिल्धरत्या कद थितः ५.

शम्पम्ति मामकमिदं रनखणादिकं जनाः |

एते हा हा इतोऽख्मोति बाधितो waqeat

तदेवं नरकाकारे चारके दुःखपूरितः |

तचा संस्थितो az सुचिर पापकम्णा

परिवारसमेतस्य महामोहस्य दोषतः |

तथाप्य fafae: सुसाराचाङलोसने

क्रो धान्धस्तेषु लोकेषु चित्तकलोखदू षितः |

रोद्रष्यानालुगो नित्य श्रिकालमव खतः

अथ mul aaa डिका मे चिरन्तनो

ततो वितौरणा सा ag भवितव्यतयापरा

गतः पापिष्ठवासायां पुरि snag] |

BE तस्याः प्रभावेण जातः WISH:

135

१०७8४

उपमितिभवप्रपश्चाङ्द्ा।

ग्रहे तजाप्रतिष्टाने निर्भिंलो anes: | सागराणणं जयस्तिश्षखम्‌ agate ama एुडिकादानाद्भवितब्यतच्या वथा पञ्चाख्पएएस्खानमानोय VATA: पुमर्नतोऽप्रतिष्ठाने समामोतसतोऽपषम्‌ | BA शडिकादामाश्छादूलाकारधारकः ग्यः पापिष्ठवाषायां नोतोऽङहइं qaqa | ततोऽ्ामोय विहितो मार्जाराकारधारकः तदेवंविधश्ूपाणि wa मुञ्च: | दु:खसागर विस्तारं शेयग्धा चणे Ts

तद षन्यवहाराद्यं विहाय मगर परम्‌ |

प्रायः waaay wafaatsy ayaa am: खपरिबारेण महामोहेन सुन्दरि | gaat निजभार्यां are मं विनारितः तथा परिग्रेणाइ सन्या निनभाषया | युक्तेन बशो भद्रं योगौ योनौ विडम्नितः

यतः |

ग्टइकोकिलिकासपेमूषिकाकारधारकः | इष्टो निधानमाधाद्य agra विणो aa: एवं Waa मे want गजगामिनौ | चषशाचु्ंगन्यायास्मसन्ञा भवितव्यता

अन्यच्च |

aq

सप्तमः TTT: |

आन्ता इव मया साधं भमतोऽनन्तवत्मेनि fafer दु लौभ्वता महामोहाद यस्तद्‌ पापं प्रतमृश्चतमोषत्कमेखितिल्लथा पुगर्थभ्विः समौपस्या संजाता मे वरानने ततो मनुजगत्यन्तः WSR भरतामिधे। साकेतेऽह पुरे Ala भवितब्यतया तया i afenera मन्दस्य भार्वासि चनसुन्दरो | लनितस्लत्सुतत्वेन श॒ डिकादानयोगतः प्रतिष्ठितं मे भाम यथायमश्टतोदरः | अथ क्रमे संप्राप्तो यौवनं काममन्दिरम्‌ दृष्टः सुदशेमो नाम gary: कानने मथा | हृपापरौतचित्तेन छता मे तेन देशना ततो भयो मवा भद्रे माद्यां षटागमः | विशोकितः षमोपखष्तस्य साधोमंहातमनः कि खिद्धद्रकभावतान्नमखारादिपाठकः | MAS आवकाकारधारको दवयतस्तदा ततस्तद लुभावेन पुरोऽह विवुधाशये

भवशक्रख्िते नोतो एडिकायाः प्रभावतः

|

भावना अन्तरा श्योतिख्चारिणः केश्पवासिनः |

पाटकेषु वसमगधेते विवुधाः कुशपुषकाः दशाष्टपश्चभेदास्ते जयः पूवं यथाक्रमम्‌ |

१०७५.

उपमितिर्भवप्रपच्ा कथया

कच्प्ासदतोताञ्च दिभेदास्त॒थेपाटके HOS दाद्‌ शावाखषख्िताः षमुदाइताः नवपञ्चनिवासस्यास्तदतौताः प्रकौर्तिताः AWG पाटके भद्रे जातोऽहं भावमरूदा | आद्यभेदख्धितेष्वेव विबुधः Gagan:

तत्व |

गतस्य ay wots विरतो मे सदागमः | famsaafa at fear कुर्वाणः काखयापनाम्‌ ततो मरहद्धिसंपन्नः साधं पद्योपमं मुदा |

सुखं यथेष्ट yur: ख्ितोऽहं शारुलोखया तदन्ते Ufeat दत्वा भार्यया तुष्ट चिष्लया | USE मानवावासे समानोतः पुमस्तया wife बन्धदन्तस्य वणिलः प्रियदण्ना | भार्या तस्याः सतलन जातोऽहं खन्धनामकः संप्ाप्रयुवभाषेन सुन्दरास्थो मुमौ्रः |

दृष्टो मया समोपस्यस्तस्य लायं सदागमः fafed पुनरध्यस्य सम्बन्धि ज्ञानमश्पकम्‌ | HAAS तदा We मणो भाक्बजितः गतस्तदनुभावेन warsy विबुधालय मदद्धिविबुधस्तज जातो व्यन्तरपाटके

मोतो fag मया ay सदागमः | गतेम मानवावासे gary प्रविलो कितः

यतः

सप्तमः प्रस्तावः |

एवं विशरतामन्ते भवशक्र पुनः पुनः | तथागन्तेन कालेन मया भार्यानियोगतः अयं सदागमो भद्र महात्मा प्रविल्लौकितः | अनन्तवारा दृष्टोऽपि faway पुनः पुमः विष्छते gral भवचक्र निरन्नकम्‌ | आसादितः कथंचिच्व पुनरेष सदागमः॥

|

VARA: WS Blantse सुलो्ने | zum यतिरूपख्च तच दृष्टः षद्‌ागमः विसुच्येमं महाभागं शयो शयोऽन्तरान्तरा | भ्रान्तः समस्तस्थानषु Bat नानाविडम्बनाः कुतोयिक्यतिश्चाहं सदागमविदूषकः 1 WAM: Bat भवचक्र निरन्तके शरन्यद्च भ्रमतस्तच भवचक्र ममा खिले |

aferat afager संजाता aaa: fafa:

कख प्रबला जाता Aarefensa: | कचित्छद्‌ागमो जातः प्रबशस्तन्निवारकः ततखानन्तवारा भिर्यांवदभ्यासमागतः |

अयं सदागमस्तावश्वातं यत्तन्निबोध मे सा किंचिन्िमेलौग्धता चिन्नट्ति्महारौ | ततश्चावसर wat प्रखितः महन्तमः॥ उक्रश्चानेम सदोधो AGATA |

९०७७

१०७८ पमि तिभवप्रपश्चा कथा |

ae विन्नाखतां देवः aaa गम्यतां मथा wear पूवेनिदिंष्टो देवस्याये मरोक्षम | खोऽधुना वतेते GT: प्रस्तावो इन्त मादु श्राम्‌ # सहोधेनोक् चार्‌ wefed तात सम्यक्‌ aafanisafy: ततो विज्ञापितेन शद्ोसेन नरेश्वरः + ततख। ारिचधर्मराजेन वचनाशस्य मन्तिः | प्रहितो मश्छमौ पेऽसौ सम्बण्द शरं ननामकः तेन atm | | विद्येयं नभेयतां देव wea कन्यकानघा तस्य संसारिणोवस् येन तोषोऽख्य जायते gta: प्राह नाद्यापि Neate मन्तम्‌ | नयमे इन्त विद्यायास्तचाकणेय कारणम्‌ fe संसारिजौोवशां मुग्धबुद्धिमे भोष्ते | विशेषतस्तस्तावत्छामान्येन wed एवं faa | यावन्न ताक्तिकिं डप तवानेनार्वधारितवम्‌ तावन्न BY दातुमेषा AH सुकन्यका amagenen हि gaze: पराभवम्‌ | ततः खाञचिन्सतायो arent तन्निमिन्तकः ततो गच्छ विना विद्यां लं mane सन्निधौ

सप्तमः प्रस्तावः | १.७९

MISH यसा रूपं भोद्छते हि तावकम्‌ ततस | यदा area विज्ञातं रूपं तव परिस्फटम्‌ | तदाइमागमिव्यामि विद्यामादाय तेऽज्तिके सदागमस्च Waray महामोहाडितानवम्‌ | तथा रुसा रिजोवस् सुखा दादिषेदमम्‌ देवे शाभिमुखो भावस्तस्य ciara | fagart «fata गच्छतस्तच ते गुणाः ततो यदा दि श्व्यार्यो यशाज्ञापयति प्रभुः | Twat प्रसिद्धे aad महत्तमः CAGE तदा भद्रे गगरे जनमन्दिरे | खनमुरानन्दनन्दिन्यो जातो aver facta: ततः सपराप्नतार्ष्यः कामने चि्तनन्दने | MATT मया दृष्टौ घ्मंघोषो सुनौश्वरः ti wy मे तदा par awa कर्मपद्ूतिः | महामोषशारयो जातास्तनवो भावश्रजवः Ary | प्रणम्य तं महाभागं fare: wea | MAE AAG श्ानालोकेन waar fa च। VAN मानसामन्दमद्डतचरणोपमम्‌ | ततो मे adaten gfarat धर्मडेशना

१०८० उपमितिभवप्रपञ्चा RUT |

कथम्‌ मनुजजन्मजगत्यतिद्‌ छंभं जिममतं पुनरज् विशेषतः | तदिदमाष्य नरेण सुमेधसा विटपनौयमतोऽपि पर पदम्‌ दूतरथा पुनरेव निरन्तके निपतितस्य सुभौ मभवाध्वके | कु शखग्रम्बलसुत्कलमौदनं ननु विनातुलदुःखपरपरा दूदमवेत्य जनेन विजानता grea भवोदधितारकम्‌ | दूह विधेयमहो विफलं सुधा करणशोयमिदं मरजन््मकम्‌ HMRC प्रत्यदौश्वतो A तस्य qa: समोपे श्योऽपि भग- वामयं सदागमः। ततो बुद्धं मया awa सुनेवेचनं। अभिहितं यद्या केयं तदादिग्नन्त्‌ भगवन्तः। मुनिनोक्तं grate | WANTS भवता भवप्रपञ्चः श्राराधनौयो विकनरागदेष- मो होऽमन्त्नानद शनवोर्यानन्दपरिपूणेः परमात्मा। वन्दनौयास्त- दुपदिष्टमागेवतिमो भगवन्तः साधवः प्रतिपन्तव्यानि जौवाजौव- पुष्छपापाख्वसंवर निजेराबन्धमो चशचणानि नव तत्वानि सर्व॑या | पेयं जिनवचनाग्टतं नेयं तदङ्गाङ्गोभात्रेन अनुषटेयमात्मडितं | उपवेयं कुश्लानुबन्धिक्कुग्रशं विधेयं निष्कलङ्मन्तःकरण | हेय कुविकल्यजस्यजाषं | श्रवसेयं भगवद चनसारं | fava रागा- दिरोष्न्दं लेयं सुगुरूसद्‌ पदे श्रभेषजं देयं सततं शदाचरणे मानसं अ्रवगेयं दुखेनप्रणोतङ्ुमतव चनं fata महा पुरुषवगं- मध्ये खरूपं खेयं निष्यकन्पवित्तेनेति एवं चोपदि्रति मधुर- भाषिणि भगवति धर्मघोषतपखिनि खंप्रापतोऽसौ सम्यम्दश्ेननामा aera: | विलोकितो दुमद कर्मगरन्विभेद इारेणासौ मया ततः

सप्रमः TATA: | १०८९

संजातं मे तज सुनिवचने खरच्या agri प्रतिपजोऽसौ दितबन्धुबुद्या ayaa अभिहितो सुनिवरः। बद्‌ान्चाप- यति माथस्तदेवाह afta) ततोऽभिवश्ध तं मुभिवरं गतोऽ खभवमे |

ततः प्रष्टति जातोऽहं शम्बग्दभ्ेनसयुतः |

तत्वश्रद्धानपूतात्मा विशिष्टञ्चानवजिंतः

तदेव स्यं fame च्विनेद्धः प्रवेदितम्‌ |

एतावन्माचतुष्टो ऽदं तदा जातौ वरानने

सद्‌ागमो fe विश्चानं खमाबेरयते तदा |

केवल wag मे बोधः प्रवतेते

सजातास्तदा amfafamaasaa: |

Uta: पदुवा थोऽपि विना मे भिजयोग्बताम्‌

यतः खयोग्यतेव aay अङ्धानच्चानकारणम्‌ | श्रवः केवले तस्यां भवन्ति सहकारिणः AUS |

TRUE तया aN बोधाये मे सकोविदे |

gle ममोत्पन्नं तदा यन्ल्रतेरपि

ततः परं पुनर्जातोऽनम्वारा वरानने |

सदागसेम सम्बन्धः श्रद्धा श्न्यष्ठथाप्यश्छत्‌

तो चदा यदा पुंषो धावतो योग्यता भवेत्‌ |

तदा तदा HAHA तावानेव Natya: \ 136

१०८२ उपमितिभवपपश्चा कथया |

अतः अद्धानमाचं मे खश्जन्नानविवजिंतम्‌ धर्मघोषोपेदजेत्तेः संजातं योग्यतातुगम्‌ ` अन्यच | | qaqa तु ate कमंखितेस्तदा | afeual मया ge: ararare दिगश्ेषतः पाशितानि acremigaia नियमास्तथा | केचित्तदा मया भद्रे अद्धाण्श्ड्धबुद्धिना ततस्तदनुभावेन age विबुधाखये | कल्पवासिषु नौतोऽ हं डिकादानपूवेकम्‌ श्रय सोधर्मकल्येऽहं भाखराकारधारकः | समुत्थितः चएाधन Waray कौदु ग्रम्‌ दिव्यपच्ङ्सन्तुरौरचितं स्पे गरलम्‌ | कोमद्ा मलस लच्डादितं किं्तगन्दनम्‌ खमनोगन्धशदधुपलसदामो TIAA दिव्यां एकवरोद्चो चदष्टिगोचरबन्धरम्‌ तज चोदेष्लमानेन aqua fafa: | किरोटकटकेयूर हारङ्घष्डलब्डषितः श्षाङ्गरागताम्ब्‌ लवनमालाविराजितः उपविष्टः शंणाष्लातो ोतिताखिलदि कपयः ततोऽखं जय मन्देति जय भद्रेति afer: | aver ween लोका जशोलणो चनचारवः gant at मनोषारिवसनेः autre: |

सप्तमः Tea: | १०८१

देवोऽसि खामिकोऽस्ाकमिति किङ्करतां गताः

ततोऽहं विद्योत ््लोचमः पयेचिकयम्‌ |

तां wafg विखोक्धेदं fa मया ged हतम्‌

ततः प्रादुरण्छञ्छरानं विमलं विमलेचणे |

मथा fattenaerta स्वावधारिता

GUA समायातौ मडन्तमसदागमौ |

तौ gel मथा Wa मा हाक्यमनयोरिदम्‌

ततस्तौ yaage प्रतिपन्नौ खबान्धवौ |

शृतं Sarre fad कर्तं विबुधो चितम्‌ ate | fafaucagetfufacfaat विकशनौरनशण्डसुमण्डिते | ग॒ङनितम्बपयोधरचारुभिः TE वधूभिरमष्जि सरोवरे तदनु निमंलहाटकनिभिंतं विश्दरन्न विराजितक्ुडिमम्‌ | we सलोलमवाप्य जिनाखयं सुदढभक्रि ea जिनवन्दमम्‌ अय सुनिमेखपचरकसश्चयं मणिमयं जिनभाषितबन्धूरम्‌ | एलककारि रसेन तु कितं we विघाख मगोरमपुख्लकम्‌

ततो ययेष्टश्रब्दादिसंभोगसुदिता श्रयः |

सागरददितयं तच किचिदुनं व्यवद्ितः

तदतो मानवावाखमानोय विडितस्तया

TAU कणन्दास्यः सूलुमेदनरेएथोः Tay

AWA Naty मम at चादवान्धवौ |

उपभिलिमवप्रपच्चा BUT |

नागतौ विखुतवेन महन्तमसद्‌ागमौ सतरां विसृतो भद्र दृष्टच तदा wat! afquat बतस्ताभ्यां निमुको gua 1 प्राचोनवाशनाबन्धात्‌ केवलं पापभौडकः | feat भद्रकभावेन vary इसगामिनि पुनस्तद मभावेन eat faqurae व्योतिश्चारिषु गौलोऽह गडिकादानपूवकम्‌ ख्ितस्तच्रापि सद्धोगसन्पज्तिपेणितेणियः | सुचिरं किंतु तौ दृष्टौ महामोरपरिदौ संजातश्च तयोग्धयः पकच्चपातो CLT | नितरां विष्यृतावेतौ मदन्तमसदामभौ ततो जर्णावसाने तां वितौथं गडिकां पुनः पञ्चाचपशएसस्याने गोतोऽहइ इया तथा

विहितौ ददुराकारधारकः केखिश्ौलया |

ततः परं gmate रमितो ऽदं वितदंकम्‌ नाना विधेषु स्थानेषु अमयित्वा queer | MATA मामवाचासं पुरे काश्िश्यनामके UWA वसुबन्धोख सूलुवांसषना मकः | हतोऽ Basal राजपुणौ मनोरमः तच लाषाद्य शाग्धाख्ये aft agatuaa | दृष्टा विमौ पुनभ॑द्रं महन्तमसदागमौ

ततः परि चयादाग्वां repeat: पुनमेम

सप्रमः TRI | qos

चवः सुददटाभाषा बहामोष्टारयस्तटा अथांडमनवोः ATA माहादय चाङभाषिशि | fatten संप्राप्तः सत्पुरे विबधाख्ये areata east ममेमौ खतिगोचरौ | मुकं श्युचिरं fa qa तज मधातुखम्‌ ततो ACMA: Wer काञ्चने पुरे | आनतस्व महामो ददो षतो विस्रताविमौ दत्थ संस्थाधिका वारा Cet दृष्टः पुनः पुणः | सदाममयुतो भद्रे गष्टोऽसौ मे मरत्तमः यतः | | विना विरतिभावेन संख्यातोतेषु धामसु, अङ्धानमाचरषतुष्टो जातें आावकः पुरा तया | जलादुपरोभादा कचिष्कृट्धानखयुतः | जातः अमण्वेधोऽइ विरष्धा रहिता इदि a अन्यच्च | संल्यातौता मधा वारा चज ay चिल कितः | महन्तमः पुनदुष्टस्तच तज सदागमः गटदिधरमेऽपि Age दृष्टः सामान्यरूपतः | afvatwa दृष्टोऽपि मरक्तमपाश्नः सम्यन्दओणयुक्ौ ग्टहिधर्मषदागमौ | खाभान्यषूपौ तौ भद्र ऽवंश्थवारा विशोकितो

Youd डपमितिमवप्रपञ्चा कथा |

तदेते बहशो इष्टास्तयोऽपि वरबान्धवाः |

जातास सुखद्‌ास्तच विसुक्षाञ्चाम्तरान्तरा अन्यश्च |

दृष्ट केवखोऽप्येवोऽनन्तवाराः षदागमः |

त्वनेन विना दृष्टः सम्यग्दश्ेनः कचित्‌ अन्यश्च |

यज यच खमोपस्वः संजाते A मरन्तमः।

तच तज वयस्यो मे जातः पुश्ादयः पुरा

तेन चोत्यादिताः श्वा ater wired: |

वखतो मानवावासे पुरे faqured तथा |

fan कमेंख्ितिषष्यौ भोतभोताख श्रवः |

श्रन्लर्लोनाः खिता भद्रं महामोडहादयस्तया 8

यच AT TAMA: प्रबला भावश्रचवः |

मन्तः पुण्योदयो ACA तज वरानने

a तज लाता मे खां दुःखपरपरा |

भ्रमितोऽनन्मकाशं भवितव्यतया तया तथा |

fafagiataat जाता कमणः क्विष्टतां गतम्‌ |

मानसं पुमर्जातं तच्वश्रद्धानवजिंतम्‌

अत एवेात्कटा जाता यच ARITA: |

ते anes तजेतौ दूरौग्तौ सबान्धवौ #

SHA! THT | १०८७

fama: पुनरेषोऽ्र कथ्यते ते निराङूतः। मिथ्याद शेनाख्येन सम्यग्द्‌ शंनमामकः श्चागखवरणेनापि दूरं नौतः सदागमः | कचित्तावपि fatty ताभ्वामपि निराङृतौ एवं Wawa ते जयभकङ्गपरायणः | दे श्रकालबशं प्राय जाता भद्रे WT अन्यश्च | मामकः पचपातोऽग्धदचयोरेव faxed: | तयोरेव तदा जातो जयो भङ्गस्तदन्ययोः MU मानवावाघमध्यवतिंनि सुन्दरे | पुरे सोपारके पन्या भोतोऽहं नौरजेष्वणे वणिणिः श्ालिभदट्रख्छ भार्यास्ति कमकंप्रभा | Maa: gaat तच aren विष्धषणः श्रय alt सुधग्डतमासाद्य waa | पुनदुष्टौ मया भद्रं मरत्तमखदागमो are तत््वञ्रद्धानसपश्लो भावतो विरतिं षिमा। जातो Falla मणोऽ तदानघ ततो ग्यदोतल्िङ्गस्य साधमध्येऽपि तिष्टतः | जातं मे कमेदोषेए वेभाव्यनिरतं मनः ततः प्रबलतां प्राप्ठा महामोहादयः Ta: | जातौ भावतो दूरे मरत्तमसद्‌ागमौ

१०८८ उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

ततो भिभिन्तमासाद्च निमिन्तविर्ेष वा खभावादेव GURY परनिन्दकः तपस्िनां सुश्नैलानां दनुष्टानचारिण्णम्‌ | अन्येषामपि कुर्वाणो निन्दां नो शतसा fai aE | तौयेश्वराणणां BPS BTS Awaaz | आश्रातनां दधानेन मया ve वोचतम्‌ एव | गहोतथतिषेषोऽपि पापाह्मा गणदुषकः | महामो उवजग्राष्जातो faargfe: खुद्‌ारूणः ततोऽतिघोरदुमंदकमेसद्ठातपूरितः | GAAS WE तादृश्या पापचेष्टथा TAMA पुनः काण दु्‌ःखसागरमष्वगः | प्रायः समस्तस्धानेषु ्भितोऽहइं GAIA समतस्तद्रव्यरा शेख भुवमोदरशारिणएः। तदा स्पष्टं मयोपाधं भ्रमता वगंणे्या सा विपन्न age a सा गाढ़विडन्नना। लोकेऽस्ति पद्मपचाजिथा सोडा तदा मया॥ एवं बदति ससा रिजोवे विस्ितवमानषा | जाताग्टदोतसङता किं चिद्धावायथकोविद्‌ा तथा प्रन्नाविश्रालापि WaT तत्तादृशं TH 1 अत्यन्तजातमवेगा चिन्तयामौस मामसे॥

सप्रमः Tea: | Roce

यदुत | aut derfiaae महामोहपरि यक्ौ | मन्येऽहं सवं पापेभ्यः सकाशादतिद्‌ार्लौ तथा क्रोधा रिभ्यो यदा जातमखान्कदम्बकम्‌ | तदा नानेन कथितः सग्यम्दगरेनमौोखकः ततस्तनिग पसा wags विजितम्‌ | श्रालोष्यमानं तग्ेऽद्य नाद्यं प्रतिभासते Beat पुनरिदं सवे सम्यग्दभ॑नमौलके | संजातेऽपि छतं दोघशसारपतनादिकम्‌ तदेतौ anwerfa चावनधं विधायक | तावेव दारूणौ नुनं महामोपरिगरशौ अथवा | wat तच ते खवँ सन्ति कोधादयः स्फुटम्‌ | समुदा यात्मकस्तषां महामोहो fe वर्तः परिग्रहोऽपि सवेषां तेषामाधारतां गतः | हि जोभसद्छो लाभो महामो इवलेऽधिकः | तदेतौ गुणघाताय wet मूलनाथकौ | जातौ घंखारिजोवस्य यत्तन्नाखय॑मौदृश्रम्‌ fa च। सद्ूतगृ एाताय सन्ति क्रोधादयोऽप्यलम्‌ |

waa विगेषार्थमनेनेत्य्ुदा इतम्‌ 137

Vode उपमितिभवप्रपश्चा कथा।

अन्यश्च | asanat wa भिसुक्रा स्येव कदाचन fa q प्रवतंकावेतौते तु Sar पदातथः॥ अच्येव विग्रेषस्य faquaga शता दोषषन्दशिकामौषां करमेरेत्थमुदाइतिः waarmee तदित्थं जनका विमौ | we खंसारिजोवस्य महामोहपरि गरहौ तयापि लोकः पापात्मा गृरूवा्यश्रतेरपि नाचरत्यमयोख्यागं तज कि बत कुमे एषापि दुष्टा ब्याखाता श्रतिः कोविदद्धरिणा। तयापि रब्यतेऽ्य यमस्यामेष जडो अनः ay प्रभ्ञाविश्रालां at गाढं sateg भाविताम्‌ भव्यपुरूषोऽवादौदम्ब fa चिन्तितं ल्या तयोक्कं पुज ते aa कथयिष्ये निराकुला | SHANA तावदस्य वाक्ये निशामय कि च। ag atureat कार्षः किलेदं समा्यते | कथितप्रायभमेतेन सर्वंमात्म विचेष्टितम्‌ ततद्धष्णं fea तच राजपुरे सादरम्‌ | संसारिजौवः प्रोवाख शेषामात्मकयानिकाम्‌ उक्र तेन। अन्यद्‌ भावया भद्रे Macy भद्विशे पुरे |

एव

सत्तमः प्रस्तावः।

सुतः स्फटिकराजस्य matse विश्दस्तदा विमलानन्दनखारस्तार्छे TATA: | wag ger प्रबुद्धो जिनश्रासने श्रतो wet मया दृष्टौ मरन्तमसदागमौ ufeudga भद्रं पाछिताख ब्रतादयः # तच्वश्द्धामब्डद्धात्मा feaqre चिर तदा | किंतु खुच्छपदार्थंषु विविक्रन्चानवजिंतः॥ ततस्तदनुभावेन जातः पुष्योदयोऽनघः | नोतस्ततौयकश्यऽदहं सत्पुरे विवुधालये तथाभिमतश्नष्डादिभोगसग्मदंसुन्दरे | धारयिला घुखेगोशेस्तच सागरषप्तकम्‌ ततोऽपि मामवावासे aay faquree |

<a कारितो भद्र शरिवारा गमागमम्‌॥

बहना |

बान्धवजययुक्रन दादश्रापि विलोकिताः। रत्येकं ते मथा TT: कचिकुक्र्च बान्धवेः fad)

ततो दाद्‌ ्रकश्यच्छो मामवावाखखष्भखम्‌ |

ra कारितो भद्र भवितव्यतया तथा इतिः

९०९६

१०९२ उपमितिभवप्रपष्चा कथा |

विमलमपि गृरूणां भाषितं aft भव्याः

प्रलकलिखरेतूर्थो महा मोरराजः |

खगयति रुवौर्योऽनन्तसंवारकारौ

मनुजमवमवाप्ाखस्य मा गत वश्याः सकश्टोषभवाणेवकारणं त्यजत aad परिग्रहम्‌ | दृद परज दुःखभराकरे सजत भमा बतं HGS ध्यनौ एतज्िवेदितमगरेधवचोभिरच प्रस्तावने afezarafear विदश्च | we दितं यदि वो दितिं कथं चिन्तृणं तदस्य करणे घटनां कुरष्वम्‌॥

इत्युपमितिभवप्रपश्कथायां महामोहपरि्रह- अवशेद्द्रियविपाकवणेनो नाम सत्तमः प्रस्तावः समाप्तः

अथ WEA: प्रस्तावः |

श्रथास्ि मागवावासे wat खततोक्छवम्‌ खप्रमो रलिति ख्यातमचिन्धदण्डषितम्‌ टानवारिङृताह्वारो महेभगतिविशमः | पुरंदरसमो ay मरव्मों विराजते ङूपलावण्यने पथ्य निर्धिगरेषोऽमरौजनेः | विलासिमोजमो ay नेबोगधोपेविंशिग्यते तजारिकरिसदातविपाटितकरस्यसशः | निर््याजपौरषस्यातो राजासि मधुवारणः सवसाधारणं हृता fare येन भो धनम्‌ कूपरचितदारेण atfaem धारिताः॥ aera पद्मपचरास्तौ ङूपलावश्यश्राणिनो | प्रधानवं शस्ता महादेवो Barter

था इदि न्यस्लराजापि wm इदयवतिंगौ | <a दर्ितचिजापि विचिजरगुणएयो गिभ अथ पुष्धोदयेभाहं संयुक्तो निजभायंथा | भद्रऽग्टहौतसद्धेते तस्याः कुषौ प्रवेशितः frp: कालपर्थायाल्छर्वावयव सुन्दरः |

wa: साऽपि मया साधे जातः पुश्थोदयोऽमधे

जाते मयि संजातमानन्दरसनिभरम्‌ |

१०९ 9 उपमितिभवप्रपश्चा कथा।

उदामनृत्तसगौतं मधवारणमन्दिरम्‌ तथा | विहितं नरेश्रतोषकर वरराशखशा सविला सधरम्‌। बडवादमखादनगानपर मदिरामदघ्‌ फितचारनरम्‌ विशयाजननतिंतवामनकं कहतङुलककश्चु freer | विडहितायिममोरथपूरणकं शतलो कचमत्ति वधेनकम्‌ ततः समुचिते काले महानन्दपुरःखरम्‌ | जनकेनेव मे नाम स्थापितं णएधारणः पञ्चामिखारधाजौ भिरंशितोऽमरवदिवि ततोऽहं इद्धिमायातः सुख्धसागर मध्यगः दूत | सगोजो मत्पितूर्भिंचं जौ वितादपि ae: | नरेन्द्रोऽस्ि विश्रालाचस्तस्य दनुः जलधरः सप्रमोदे तचेव तातश्ेहेन संख्ितः। ततो ममापि संपन्नः वयस्यः कुलधरः सष AAs धन्यः Gar सुभगः हतो | समस्तगृ एसपन्नः सत्य एव FRUT: लतः संवर्धमानोऽहं तेन साधे सुमेधसा | खंजातोऽपितसद्धावः खेदनिभेरमानसः तत | | समं BAREIS क्रौ डारसपरायणौ | संप्राप्तौ चारुतारुष्मावां मदनमन्दिरम्‌

QATAR: VAN: | १.०९

इतश्च नन्दमाकारं पुरदूरे मनोरमम्‌ | ्रहादमन्दिरं नाम तजास्ति वरकाननम्‌ तश्च चिन्तचमत्कारि शो चनाद्वाददायकम्‌ | अत्यन्तमावयोर्जातं सेवितं दिने दिने॥ saat गतयोस्तच दूरवतिं परिस्फटम्‌ | यो धितो्दिंतथं किं चिहृष्टिगो चरमागतम्‌ तरेका खूपलावण्यविष्ासेः कामे हिनौम्‌ | sana विशालाचतौ दितोया तु तादे श्रय खा सुन्दरो दूरा्चगोवरचारिणम्‌। मां भूलताधनुङुकेदृंटिबाणेरताडयत्‌ तया | SAME समालम्ब्य सोखयोक्ञा शितस्तनो | अरजिरहोषदिलासेन चावङ्गौ मामकं ममः तया | सकितं विस्मितं fava ॒साकूतमतिलष्जितम्‌ | afefas: चणा खिन्नं तत्खष्प मयेच्चितम्‌ ततस्तां तादृौ वौच्छ मनोगयनमन्दनोम्‌ | fafaarfaaagrat रञ्ित मम मानसम्‌ ततो मया fafa | fafa सा रतिः साक्चात्किं पुरदरकामिनो। कि वा जच्छोरमुनेत्य aaa तनुधारिणो एवं दिन्तयन्नोषदश्ररौर शरेरितः |

१,०८ & उप्रमितिभवप्रपद्चा क्या |

यावदिकारलेश्रेन युक्तो जातः Waa तावज्निरौकितस्तेन arya श्ञातचेतसा TIGA मथाणुच्चेराकारवरणं छतम्‌ चिन्तितं मया wa छष्नाकारि विवेकिनाम्‌ ददं खकामया FHT यत्परस्तौ निरौचण्म्‌ तदस्यां दृष्टिपातं मे दृषा निमलखेतसा | अहो geutury जाने किं विचिन्तितम्‌ ततो शखव्नाभरेणादं सुख तख पुनः पुनः | अपश्छतः ater तदव्ययं fare’ ` अय विश्चातसङ्घावः कलाकौ शरलको विदः | निगूढं काको war मामार Feu: | कुमार fa खितेना् गम्यतामधुमा गहे करो डितं weal बेशामपराङो हि वतेते aan रोचते यत्ते तदेव क्रियतामिति | ततो गहे गतावावां wa दिवसोखचितम्‌ अथ wat fafamat शथ्यायां मम तिष्ठतः | सा चेतसि gcgral Size पुमरागता नाभविय्यनच्च नेदिष्ठो यदि पुष्योदयोऽनघः। तथा मे वतंमामस्य तदा भद्र षडायकः ततः सा श्रख्छन्डता मे चित्ते विखगन्तो Guqy: | अकरिव्यदवम्ां यां षास्यातु नेव पायते

GTA: GATS | १०९७

eae frazeral यतः पुण्णोद योऽनघः Hansa सा जाता aay बत वाधिका॥ अनघः करोत्येव यतः पुश्योदयो नृणाम्‌ | खांसारिकपदा्यंषु निराबन्धमिदं मनः तथापि तामनुसृत्य मनाक्‌ चिन्तामडह गतः | यथा कस्य पुनः सा स्वान्लौलनौरजशोचना चिन्लयित्वा गतो निद्रां विभाता विभावरोौ। प्रभाते मायातो AGA HAUT: दैष्‌ शेनलोभेन तस्याः सोऽमिडहितो मया | वयस्य किं ब्रजावोऽद्य पुनराह्वादमन्दिरे ततः ङुखधरेणोक्रं समितबन्धुरयथा गिरा | किमिदं गम्यते किं a विस्मृता aw कुञ्चिका अये नातो ममानेन भाव TANS | मया atsfafeat fara परिहासो विमुच्यताम्‌ गम्यतां पुनरूद्याने का कस्येति वौच्छताम्‌ | उचिता कन्यका चेति नेति वा सा परोच्छताम्‌ TTS | परभार्या awiaise विकल्पमिति मा wea: | aaat We gefa afaxerta धावतः i ततः gear: प्राइ fre atareat aa: | agra: क्रियते खवं यद्यस्याय रोचते

ततो गतौ पुनस्त कामने तजिरूपितम्‌ 138

१०९८ छपमितिमवप्रपष्ा कथा |

सानं यच पुरा दृष्टं योषितोदिंतयं परम्‌ ANG GAs तां कुर ङ्गमवोचणाम्‌ | अहं afauar किं चिचिन्तोदभेन पोडितः॥ ततस | वने Was तं नुनं TGA FRE: | garg यावभिषश्वसश्य wang MATTIAS: पचममेरनिखनम्‌ | sae कस्यचित्पुषटे वशिता मम कन्धरा अथेका मध्यमावस्था दृष्टा NT सुविग्रह | दितौीया सा समायाता याकतौत्तस्या दितीयिका ततः सङ्ुलधरेणए मया aaa मामितसु ्तमाङ्गं ततः afand विलो कितोऽहं तथा sternal शतमानन्दो दकविन्दु- परिञ्ुतनयनयुगरू अभिहितं ay चिरं जोव मदौय- जौवितेनापि। इुकधरोऽणक्ः। gy दौर्घायुभेव लं श्रि wagt सह fafeame sat राजपुचमुपवेश् यितुमरति ag: | कुलंधरेणोक्ं यदा दि ग्रव्यम्बा ततः प्रष्टमनेन तलं e- विष्टानि वधं ततो मासुदिश्च तथाभिहितं | aad) afe विध्याधराखयो data माम महागिरिः तजर गन्ध- wag भाम ant! तदयिपतिविधाधरशक्वर्तो कनकोदरो भाम राजा | तस्याह कामता माम महादेवो चगन्तस्यापल्य | गतो शररिकालः faratset निरपत्यतयादं ततोऽपत्याये प्रयुक्तानि भेषजानि विहिता oem: दत्तान्दृपयाचितश्रतानि

अषमः प्रस्तावः। १०९९

ver नैमित्तिकाः उपचरिता मग््वादिमः विन्याड्तानि तन्छाणि पौतानि मूलजालानि तानि कौतुकानि भिःसारिता sage: श्नोधिताजि जातकामि श्रवतारिताः wat: प्रथिताः प्रशरस्तखश्राः अरभ्ययिता योगिन्यः wi सै aan किंरित्केमापौति ततो मध्ये वयसि प्रादुग्॑तो मे गभैः। TEST राजा। क्रमेण TE ताह जाता देहप्रभया दिकूचक्रवालमुद्धाख्यन्तो दारिका निवेदिता राज्ञे, परितुष्टोऽसौ कारितं aerators प्रतितं qmafes नाम मदनमश्चरौति। वर्धिता सा इखसन्दोहेन | संजातेयमनत्यन्तमभीष्टा जनकपरियपद्‌। तिनरसेनवक्षरिकादु हिता तद्या; प्रियसखो wafer याहता साधममया सा खकलाः कलाः Wat यौवमं। ततः कलासौष्टवेन खूपातिश्येन ममोचितः पुरुषोऽस्ति ger संजाता पुद्षदेषिणौ सा वला मदनमश्चरी तश्च छवखिकावचनेन विज्चाय तदाकूतं farere मिवेदितं महाराजाय घंजातोऽखौ afer: कथमियं करियत दूति 1 ततः समुत्पन्नास्य बुद्धिः कारितोऽनेन खयवरामण्डपः | समाहृताः स्वं विद्याधरनरेष््राः। समागता बेगेन इतास्तत्रति- पन्लयः विरचिता मध्चाः) सिताः सवं यथाख्यानं उपविष्टः सखयंवरामण्डपमघ्चे शपरिकरो राजा प्रविष्टां विरचितवरने- पथ्यालङ्काराङ्गरागमाद्छा दि विच्छित्तिचचेनां ग्डोला vat मदन- मन्नलै सह शवलिकथा तां चापसितामरखन्दरोलाव्ा कन्यामुपलभ्व प्रबणचिनत्तकलो केरणमुल्ललमाना wit तस्यां विनि विष्टदृष्टिचेष्टाः ख्िताञ्चिभन्यस्ता इव निख्चलाः सवं ऽ्बरचराः |

१९१०० उपमिति्भवप्रपश्चा कथा |

विता मया नामतो गोतो विभवतो निवासतो रूपतो qe- तचत प्रत्येकमेते ager) ae मदममश्चरि | एषोऽमितप्रभो नाम विच्युदन्तस्व मन्दमः | aqufeg area पुरे गगनवज्ञमे सुराकारधरो ऽग्रेषकला कौ शलको विदः | केतौ चारमशरेण eae विराजते तया ` एव भानुप्रभो माम नागकेषरिनन्दमः। महद्धिको महावौ्यौ गान्धरवंपुरनायकः कमनौयाहृतिवेर्छे रि विद्याविश्रारदः। आकरो गशणएरन्नानां प्रशिद्धो गर्डष्वजः तया | | | अयमपि रतिविलाखो रतिमिचसुतो मरद्धिसपन्नः | तदधिपतिरेष fraata रथन पुरचक्रवालपुरे कनकावद्‌ातवपुरेष निखिल विश्चानगणगणोपेतः | मनु पश्च मदममश्नरि वरवागरकेतुचष्टियुतः # तदेवं यावरैकेकं qwerty गरेश्वरम्‌ | तावदिषादमापन्ना THT मदनमश्जरौ तथाहि | दृष्टा घा तदा मया दुभेगगारौव शपन्नौदुरेषु विपद्तसुभट द्व शरजरवोरयेषु समन्छरवादौव प्रतिगादिशौष्ठवेषु Way इव प्रतिवे्कौश्जेषु सोत्सेकविभ्चानिक दव प्रतिविश्चानिकनेपुरेषु

GLA: प्रस्तावः | १९१०१

केणचिश्ठादरसुपवश्यमानेषु तेषु विद्याधरनरेश्वरेषु मया तथा ज्ञाष्य- मानेषु दृष्टौ श्रपातथन्तौ संजाता गाढं विद्राणएवदना वत्सा मदन- auc ततो हा किमेतदिति विचिश्ध anfafer a यथा ag मदनमश्नरि किमभिङकितः किदेतेषां मध्ये वत्साय विद्चाधरनरेष्ड्ः | तयोक्तं श्रा द्ुणेमपक्रमामो वयमितः स्थानात्‌ | अशमेतेषां दशनेन शिरो gata ममानेन युश्नदुपवणितालोक- aguas तदाकष्छं विषलाहं निदितं cay) गतोऽसौ चिन्तां अमिहितमनेन Seat भवने वत्छा मा भचिष्लदुःखा- विकथास्याः शरोरापाटवमिति। ततस्तां ग्टहोला निगंताहं खयंवरा- मष्डपात्‌ ¦ wat खभवनं। विषयं लवलशिका। श्रमिहितमनया | यथाम्ब कः पुनभटेदारि कायाः परिणएयनोपायो भविष्यति | wat | aq wafea वयमपि जानोमः। तिदुष्कररोचिकेथं तव frawal | प्रषटव्येयमेव भवत्या यद्र करणौयं समाप्तोऽस्माक - faarat मन्दभाग्यानां पर्याशोचगोचर दति वदन्तौ wag फलका पकण्पेनेयनसलिखविन्दुखन्दोहे रोदितु प्रटन्ताहं wa चखिकथोक्रं खामिनि gy विषादं प्रश्रयिग्धान्यद्ं भटेदारिकां। खल्वेषा विगयसवंखं खजननोजनकयोः सन्तापकारिणौ भवि- व्यति कथविव्यति चद करणौयं | aad खख्छौहतारमनथा खवजिकया

इत्च ते विद्याधराः खयंवरमण्डपादटतवरामेव भिगच्छनो- मवलोक्य तां वत्छां मदनमश्नरौः wade इव गष्टरननिधाना दव सुद्धरताङिता इव विगलितविद्या इव सवंया भष्टच्छाया

१९६०२ उपमितिमवप्रपश्चा SUT |

faadhaat: सकोपाः सन्तः कनकोदरनरेष्रम्षभाव्य = feria: खयंवरमण्डपाद्रता wzelaat few) ततो राजा प्राप्तः शोकाति- रेकं wird वमिव तदनं) मागता wat) a zt ॒प्रादोषिकमास्थामं। सु्तके awn गमितप्राया विन्तया विनिद्रेणैव राज्ञा विभावरौ। ततोऽतिभरेण शोऽनेन निद्रा लवः जातं तच Ayer ' दृष्टानि sada waft मानुषाणि दौ geet दे लष्छने तैरमिहितं महाराज कनकोदर किं are उत mate) नृपतिराह जागर्मि aa! यद्येवं ततो gy विषादं। निशूपितो.ऽसमाभिः yaaa वरो मदममश्चर्याः एव भविष्यति | we भवता मन्यवरान्वेषणेम | च्रस्ाभिरेव इग्धाः खंपादिताः खश्वस्यासते विद्याधरनरेष्राः | यतो प्रयच्छामो वय- Reread वराधेति ब्रुवाणानि तानि गतान्यद्ेनं # अरजान्तरे संजातः प्राभातिकदवरव नि्चीषः प्रवुद्धो राजा सृतः सखप्रायेः प्रष्टचेतसा पटितं कालनिवेदकेन | SKA भो लोका भास्करः कथयत्यलम्‌ | मा ug चिन्तषन्तापं मा wa मा विक्तवम्‌ यथेवानादि सिद्धोऽयमस्माकं भो दिने दिने। छद्‌ था दिक्रमः सर्व॑स्तथा वोऽपि भवे भवे एतच्चा कष्य चिन्तितं मरपतिन। sa युक्षसुक्रमनेन समितः wqrt: | तथाहि यथा Bret: पूवं निरूपित एवास्माभिमेदन- भश्जरौवर CaM तथानेनापि पडता भारस्य प्रतिदिनञुरथ - प्रतापास्लमया गेनपुनरूदयादिवरेडिनां wat waft सुख-

wen wena: | ९९.०३

दुःखल्ञाभादिकं सवं चिर निकूपितमेवो पनमते age तच विषादा- दिनेत्याबेदितमिति ' wa: सुतग्धितमेवेदं सवंमास्ते कि afa- नायेत्या कखय्य निराङ्ुशोग्डतो राजा

इत्च किमधुना कतब्यमिति ver लवलिकया मदममश्लरो | aa यदि तातोऽग्बा भासुत्छकलयति ततोऽहं खयमेव qq वसृन्धरामात्माभिर्चितं at दणोमोति ततः कथितं मे छवशिकया aged: निवेदितं मया wus) चिन्तितिमनेम। सुन्दरमेषेदं afad aga) श्रयमेव तस्य देवनिर्दिंष्टष्य वरस्य खछाभोपाय tf विचिन्यासुज्चाता aer मद्नमश्ररो। ततो

ग्णहौल्मामात्मसहचरौ wafwat faa सा वरां सकलग्डत- लावल्ोकनाय। गतानि afafefenfa feat राजाह qerata सोग्भयकौ दिशो निभालयन्नौ अन्यदा समागतेयं सविषादा शवलिका ger चेमां द्र्य पतित मावयोददयं हा किमितोयभेकाकिनो शविषादा चोपलभ्यत इति भावनया | Bata प्रणामः। Ham ¦ रपि भद्रे लवलिके Hwee agra: | अनयोक्रं | Wa GWG! मयोक्र क्र पुमरिदामो वतते वला Sam | आकणेयत्वम्बा श्रस्ति तावदितो faa विलो- शितमावान्यामनेकय्यामनगरादि विग्डषितं विविधटन्तान्तश्रिश्- मण्डलं | प्राप्ने सप्रमोदपुर दृष्टं ततो बहिराहादमन्दिरमुद्ान | संजातमावयोखद्धिलो कन्दरं | fae तस्योपरिष्टात्‌। दृष्टौ सुरवरकङ्कमाराकारधारकौ तच दौ राजयुरषौ | त्योखेक मवलोक- यन्तौ प्राप्नाव्यनमश्ररौर्ररप्रहारगोषरं प्रियसलौ ततस्तदेदना-

१९१०४ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

भरभिःसद्ेषावतौर्ण मया साधं was feat aatgfectet मनागृदूरवतिनि चलवने तमेव राजङ्मारमनिमिषिताच्यौ facraarat ततः पातिता तेनापि तदभिमुखं gfe: | ततः साग्डतसिक्रव fara खसागरे | afaraaet इष्टा मया यान्तो रसान्तरम्‌ Mags यचाकश्ये Haney मसूरिका | fasart तथा बाखा तं sere fasfarar विलासबन्धरं am सरस शरौरकम्‌ काचित्कदम्बपुष्याभं धारयन्तो मयेकिता FAN रसाचेपाह्लव्वतोव FSH: | इसतोव faurarat इष्टिं ददति aaa ti ततस्तां तादृशौ jw तज निचिक्तमानशाम्‌ | कतै AVA TEMAY ₹षसुपागता यदुत aut विदग्धा मिभिष्यमहो दुष्कररोचिका। तथापि तोषितानेन gaat भटेद्‌ारिका अदो GA सुरूपतलमहो लावण्यपूणंता | wet युक्रोऽनयोद्ागो रतिमक्मथथोरिव wut घटितमेवेदं faut aq वेधसा | agranleared संपन्नं नः समो हितम्‌ श्रय चण केनापि कारणेन TEMA: | साधं तेन वयस्येन ततः खानाद्तो युवा

WEA: THT | ११०४

गते AW BT बाखा शल्या तरश्तारिका | संजाता विहखात्यन्तं यथा नष्टनिधानिका amt मयोक्रं भटेदारिके यद्यमिङवितस्तभ्यमेव तरुणस्ततो गम्यतां ` ताताग्बासमोपे निखितमेषोऽखेव बप्रमोद पुराधिपते- मधेवारणराजस सखलभेविव्यति क्यान्ययेदूश्रो रूपातिश्रयः | ततो cae तातेनात्मा | किमधना विशभ्बितेनेति। तथोक्ं खि खव लखिके इचितोऽय मे जनः | केवलं साश्रद मम इदयं | इचिता प्रायेणहमसमे कथमन्यथा Alaa मयोक्र wtfafa मा मेवं are: | तथाहि | fa a a प्रहिता efe: fa a जातः water: | uagvel gy येनेत्थममिधौयते 1 sau इचितासि लं wet सुश्च वरानने मधौ मधकरायेव खरा चतमश्चरौ Amar gaa ARS इन्तापक्रमण हतम्‌ | ततोऽसुष्टौ यता मेतत्छामिन्या मम भाषितम ततः खोता किंचिद्राजदुहिता | तथाणुक्रममथा सखि वल्के are गनौ पारयामि Wee मे शरोर मोक्षय मयेदसुद्यानं ततो गच्छतु ae भवतो शंपादयितुं ताताग्बथो- वार्तामिति ततौ शकयित्वाजिवतेकं तस्या faded खापयित्वा at गुप्रतरूगनमष्ये रचयित्वा भिश्िरपल्लवश्यनोयं कारयिता a

चलितव्यमितः warm ॒विधेयमन्यदपि किंचिदखमश्चसमित्यना्यं 139

९११९ उपमितिभवप्रपश्चा कया |

शरपय्रतानि खमागतारं चणाभि्ला धिष्वा मं agri वेगेन षत्येवदाकष्छं Sata प्रमाणं ततो craim. रेवि तावत्‌ लं तरया गच्छ तत्छमोपं संधौरय वसां मः ममश्चरोँ श्रद्‌ तु maa विधायागमिष्याभि। यतः ane मे मनः सकोपा निगंतास्ते विद्याधराः wary ॒तहु्षाकोपशम्भाय मवा चटशः ततः कतसामयौकस्येव मे aw we an) Rage तच गच्छद्भिः किचिताश्टतं waeguat भविति मे काडविकलम्बः। तकण गच्छतु देवो मयोक्तं चदान्नापयल्या्ंएुबः ततः पुर श्छग्येमां शवलिकां wear चा्मवद्नभां दासदाःरकां wafeat ware वेगेन दृष्टा तरव शिशिरप्लवग्रयनषेये fever परमयो गिनोव निराशम्बगं कि चिद्यायन्तो ver मदनमश्चरो तया तु लखितमश्नदा गममं | उपविष्टा aa भिकटे खवलि- Ham | भटेदारिके खमागतेयमम्बा किमेवं तिष्ठसि ततो war वत्या चेतना मोरितमनथा भरौरकं श्वापारिते wiet विलो किताह ततः ससम्मरुत्था् निपतिता घा मच्चरण्योः मयोक्षं वत्से मदौवभोवितेनापि चिरं Ma atenyfe यवक्लभं अविधवा भव सुभगा शंपद्खेति। ततश्चोत्थाय समालिङ्गिता समात्राता ates enfin faetey चुम्बिता वदमकमखेऽभिदड्िता qi ag मदनमश्चरि धौरा भव सुश्च विषाद्‌ सिद्धमेव ae खमोहितं। श्रथमागत एव वर्तेते ते जनकः afar खल्वे yats® seni ततः gat ममेथन्ति भागधेधानोति गनेवदन्तौ सिताधोञुखौ wer -

Wea: Wea: | १९ ०७

` श्रशान्तरे गतोऽस्तं दिनकरः sywfed तिमिरं विस्फरित- खार ङानिकरः विधक्राखक्नवाकाः gofed कमरूवभं निरोनाः agra: प्रघारिताः कौशिकाः प्रष्टा तवेताखाः west: श्रधरः faafaar efmat | ततञिन्लप्रमोदकारिरोभिः कथा- भिर्विनोद यक्तोभिल्तं aet मदनमच्जरोमतिवाहितास्मामिः कयदिद्रिजनो | want दिगकरः। मोक्षं इले wafer fam गमनमानें निरूपय fasarfaanat किमसौ चिरयति | ततो यदाञ्ापयति ख्ञामिनोति वदन्तो fea awe शव- शिका fear quart gaaaiel सदर्षा मयोक्र va किं सद्षाङि किं ्मागतसतेः सामो अनधोक अन्व नाद्यापि उमागतः सामी | कितु समागतौ at राजकुमार faci far anat भङेदारिकादग्रेना्ें समख्तमुद्यानं। केवलमतिगहगतयास्व अदेश्य दृष्टा भदंदारिका। antset भटेदारिकाङदथ- इयित: खविषादः सृष्टेन दितोयेन | यथा gare गेणधारण Pleat तावक्षरव शूलदने asa greet यज दृष्टारोद्धवता a दु शपवनचसलितङ्घुवखयरखशोखनणे चना Waal | किमन्य पर्यटितेन wqifegaatarqaasatqead इति तेनोक्तं | एवं भवतु ततो गतौ तौ तदभिन्ुखं | ta मे इषेकारणं | aga भवतु मातः faad at प्रतारयकषि ततोऽनया त्मत्यायनाचं शतानि शपयद्मलानि तयापि प्रत्यायिता aver ACAAG | मयोक्कं | wa safes किमनेम बहना | दशेय qa कमर GA खश्मत्रेहानोख वन्सामाह्कादयानि

११०८ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

Sarath) एषा सत्लास्मि प्रवतेतामम्ना ततो विष्य areata at घ्वश्िकां प्रत्ता aay नोताइमेवमनथा शवजिकवथा भवतः GAIT | तदेषोऽब BAT परमार्थः

वलां कष्डगतप्राण्णां तां मे दुष्कररो चिकाम्‌ |

उत्यायानुगरहं BAT कुमारो द्रष्टूमहति +

ततो विलो कितं मया ङुशंधरवदनं Adin) कुमार wat

कोऽ विरोधः ततः कतमस्मामिखज गमनं | दृष्टा यथाजिदिं्टा AAG ततोऽहं fad इव उखाग्हतमथे महाण श्रवतौणं दव रतिरसमये महासमुद्रे MAM इव सर्वागन्द सन्दोह परिपू खवैमगोरथभरेण प्रो णितारेषे शि यग्राम इव watea- समुदये संजातस्तदशेने सतौति। तथा सखापि मामवशोक्ध प्राप्तः एवायमिति इष्टा feces दइ्य॒त्कष्डटिता कुतणस्ागमनमिति सवितर्का खभ्रोऽय भवेदिति खविषादा fax: प्रत्यय इति जातनिणेया विरहेऽपि जौवितेति awe कथं मामेष प्रतिपद्यत दति शोदेगा facet मामयमिति सप्रमोदेति der सकौणै- रषनिभेरदया | श्रत एव wee पुलकजाखकेन विभरषिता खोदविन्दुमौक्रिकनिकरेण बन्धुरा ससुग्साखग्धसितपवनेन इदय- हारिणौ सुलशितशतेव कम्पमाना सर्वथा |

अनाख्यं रसं कं चिदत्यन्तपमौ तिनिर्भरा |

मथा सा fazauterat भजन्तो प्रविशोकिता

ततोऽभिहिता कामणशतया वत्से किं नातस्तेऽधुमा wafer

वर्ने संप्रत्ययः ततः सितेन cael मम `इदथमिव

CoA Wet | १९०९

, सुधाधवदेनापि विमखकपोखौ खिता साधोसुखौ जातः सर्वेषां प्रमोदः VATA

WETS AAT ATS: समन्ततः

प्रकाग्रितनभोभागेदवाकारानुकारिभिः

भरिविद्याधरेः सां शक्रवश्वाररगेखया |

रेकला विमानौचमागतः कनकोदरः

सप्रमोदपुर वौश्छ शोऽवतोषैः TAIT: |

आह्वादमन्डिर प्राप्नो दृष्टोऽस्माभिः बविष्मवम्‌

ततः शतमस्माभिरण्डत्थानं मामितञुत्तमाङ्गं विदिता

प्रतिषन्तिः। छपविष्टाः स्वँ ययाख्ानं विलो कितोऽहं खिग्धद्ष्चा सुचिरं कलकोद्रेश गनं एवायमिति निचित्य तुष्टचेतसा ष्टा कामता कचितोऽनया टन्तान्तः | कमकोदरेष्णोक देवि निवंटितमेव वद्छाथा दुष्कररोचिकालमोदृश् पुरुषरने अयानथा शतो ममो निबन्धः खल wet पुरदरादन्यज fen निवेश्रयते | RAAT | CAAA सन्देहः Warne समागतो वेगेन wee: तेन निवेदितं किमपि कमकोदराय aoa | aatseay काञविखम्बेनेति araeat प्रति वदता शमालोश्य दुखंधरेष ततेव साने संखेपतः कारितोऽहं पारिग्रदणं मरन- awa: कमकोदरेण निवर्तितो विवाहानन्दः प्रकटितानि तामि HS CRT लमहानोलककंतनपद्मरागमरकलचृडामणिपुष्यराग- खच्कामारयकमेचकाद्यनचघं यरनराशिपरिपूरितानि fasta | aatsfafya: Gaur: कनकोदरेण भद्र रानपुच ` कोश्रायंमे-

१११ खपमितिभवप्रपच्चा कथा |

तेवामिहानयनं ततो बथास्माकं wage Glan मदगमश्ये ag तयेतान्यपि शौक मरति राअपुषः।. geutets ययमेव प्रमां किम राजु जख अच Bt यथेष्टं कारयन्भो राजपुचान्ब्ेनां कतुमरन्ति। ततः wae: कनको- दरः सतहव्योऽइमिरानं fafa wer मदनमश्ञरषेति भावनया गता परमपरितोषं कामलता | wet wafearfe: परिजनः तथाहि | | कन्या छ्ोककरो जाता चिन्ाहदथेमानिकरा गितकंकारिष्टौ दाने दौम्य meget खानुङूपाथ Tura धार्मिकाय wear | किञ्च fafgumta: age प्रतिपादिता ` अतस्तं Taga दत्वा मदनमश्लरोम्‌ | मद्यं इष्टः सपनन: Waar कनकोद्रः सप्रमोदषुरष्याे मेचजारमिवातुखम्‌ | विद्चाधरबक्षं greet @ नभमले AQ चक्रासिदढण्णरङ्कन्तनारावभोषणम्‌ | ` शअण्िप्राख्धतुरंष्डगदाद्यूलभयानकम्‌ igen दपनिर्भरम्‌ | -असंख्वखदु हमसे चरा धिपलङ्ुखम्‌ सिंहनाद मर्य fefmarmunfeqgauay | SEEM VAC 1

Gta: were: १९१९

अथ सङ्खममणौष्डोरस्यमानं तदुक्तेः wormed दृ टमसमा भिरे: लतः BARISTA | भो भो तिद्याधराश्णे सकूगेभवत समलाः ` सोऽयं Wear: eral स्फुटतां गतः तथाहि | | खकोपा खे गताः wi मामसंभाद्य मण्डपात्‌ | खितास्ते मौखकेनेव मत्छराद्मातचेतसखः - एते खेचराः सवं पर्यालोच्य परस्परम्‌ ` समागताचरेर्नाला Sat मदनमश्वरोम्‌ `. एतेषाभिदमकूतं किलायं णएधारणशः ` रोगो भगोचरोऽखन्तो वयं विद्याधरोक्षमाः ` तदेते faa यावदाह्वादमन्दिरे, ` प्रेरयामः चणान्तावडङडा इव वायाम्‌ ` अपथारथत वेगेन ग्ंभिगो चैरगग्यकाः | सनतो यूयममौवां fe मिथामानं खगोचरम्‌ BU तत्छाभिनो वाक्धमाङष्छं रणश्रालिनः . ` ससुत्पतितुमारयासते मिष्टा नभदराः Bae मया चिज्तितं। श्रो नं gat भातमिरमेतेन हेतुना ` यतो मत्कारशेऽमोषां प्रजयोऽज भविश्यति ` अथोत्यतितुकामेषु तषु तसं तदा ` `

९९६२ उपमितिभवप्रपच्चा कथा

मभःख्िते ane wend तन्निबोध मे fratat गताटोपं निःशब्दं शिरलोचनम्‌ केनचिक्लेणयतां ata afar तदशदयम्‌ ततो निष्यन्दमन्दास्यं तल्सेन्यदितयं तदा | गम्याका श्रखखमन्योन्यं चिचन्यस्तमिवेखते अथ तेषां गभःख्छानां गतोऽ इृ्टिगोचरम्‌ | wa मदनमश्जयां निविष्टो वरविष्टरे ततो ऽसह भेनान्तेषां सवधां मनसि स्थितम्‌ | अहो रूपमहो aac afte ger: अहो धे्येमहो स्येथे averse महाक्मनः | अहो agrawal: पर्याश्लो चितकारिता यथायमौदूशो भर्तां zeta: खपरोषथा शरमुनेव वयं भूमं सभ्भिता निजतेणसा तथाहि | | aa मदनमश्चर्या Tat सुत्कशः खयम्‌ | श्रयं SE वयस्येन राजपुजो गरेवकाः तहुष्टं शतमस्नाभिनेररनं यदोदग्म्‌ जिधांसितं महापापः प्राप्तमेतद्भि तत्फलम्‌ ` तेष खामिकोऽस्माक वयमस्य WTA: | एवं चिन्तयतां तेषां प्रशान्तो मल्सरामखः ततस्ते aaqurea केनचिक्मत्कशौशताः आगत्य पादयोश्छणे पतिता मे नभखराः

VTA प्रस्तावः | ALLA

अथामिधातुमारग्ा ललाटे BHAT SH दुष्कृतं नाद WET WHAT वथम्‌ aagafed दा Gast गतमत्सरः | MAY FRA Az ससेन्यः. कमकोदरः AM AWYTT: सवं GHIA: परस्यरम्‌ | आ्आमन्दोदकपूर्णाखाः संजाता बान्धवाधिकाः तं SHANA राजा मधवारणः | मको मे समायातस्लनेवाह्धादमन्दिरे mag | मथाम्बरचरः सर्वेः लाभ्यत्यानमादरात्‌ सम मदममश्नयां नतं तातां द्िपङजम्‌ ` ततोऽ्बान्तःपुरैः साधं ओेषलोकाखच ते मथा खेचर प्रणामादि विधिना बहमाजिता तदनन्तर J | ्रानन्दपुलकोद्धेद न्दरं दधता वपुः | Magara तातेनाशिक्गनं शतम्‌ ततः इुलंधरेणखो surat निखिशसदा wet विनयनबेण ययाट्न्तो निवेदितः अरय ते खेचराः स्वं तातस्याये प्रभाविताः | देवोऽथं खाभिकोऽस्माकं वत्पुो जोवदायकः a अयं धन्यः छतार्थोऽयं षितानेन मेदिनो | अचिनधवर वोर्योऽयं नास्ति लोके्यमूदृश्रः

140

११९१४ उपमितिभवपपच्ा कथा |

ततोऽ्बर शररेवं यमानं विक्लोष्य माम्‌ | तातः प्रह्ादमापलो जननो सुमाशिनो तयाडि | - ` अनःपुरं पुर जेन्यं बाशटद्धः समा कुशम्‌ | agfa तादौ ger संजातं द्ैनिभेरम्‌ ततः श्वे प्रमोदेन GAT तदा पुरे | मवेषटुकामास्तोषेणं जनाः किं किं gat rate | गगनलारिगणे वियति fat मयि तातयुते जयहे करिवराग्भरवतिङुशधरे करिणिकानिडिते दयिताजने विविधल्लासवि्वाखपराधणे प्रमद्‌ निरभेरगायगबन्धुरे | बरविग्धवणमाख्यमगोहरे विबुधटन्दसमे भिखिखे जने गु परिस्फुटमेव तदा नरैः प्रसुदिताग्रयसौ ष्भरोद्करेः | अमरलोकसमाममिदं वनं पुरवरं gefa विनिखितम्‌ a एयुनितम्नपयोधरचारमिः परमदगुललपरेः प्मदाजनेः | इति विासश्रतेरवलोचने प्रविश्रतिषम gam: पुरे 8 ततो विधयाधरेः खां सबन्धः कणकोदरः & तातेनाङ्ा दितोऽत्यथं दानसन्भागपूजनेः किं बहना | स्वरन्रमयं किंवा कि वाग्टतविनिमिंतम्‌ fai at सुखरसापूथे किं वा वाम्गो चरातिभम्‌ गाडाह्णारकर चित्ते पू्ंसवं ममोरथम्‌ |

WIA ABTA: | ९९९४

भद्रेऽ्टहोतषङ्ते ated मम तदिनम्‌ तथाहि |

संप्राप्तं AACS GAT मदनमश्नरो |

शाभा रन्नराग्रौोनां शपूर्णोऽयेमनोरयः तया

ताताम्बाचिन्लतोषेण बन्धुपौरखेन |

रिपूणां मरतिचातेन जातसिन्लोत्छवो महान्‌

ततख्चाह्धादसन्दोशपरिपूरि तमानसः |

fem प्रदोषे तातादिश्डितोऽङं यथेच्छया

ततः सकलसामयौखनाये देववहिवि |

साधं मदनमन्ञर्था स्थितः संवाससद्मनि

तचावगाहितो दिव्यः सुरताख्डतसागरः |

aad शौ खसुक्रवाश्ञासश्ि नितरां मया

खन्ध निद्रासखोऽत्यन्तं प्रबुद्धः सडह कान्तया |

हतं प्रभातकतेश्यं ताताम्बावन्दमादिकम्‌

अथायातः प्रभातेऽखौ मत्मोपं कुशंधरः |

सरमां प्रत्यार दृष्टो मया Gy: ATE: |

मानुषाणि मया पञ्च भो इष्टानि परिस्फुटम्‌ |

जयः पुमांसो डे नार्थो age तव भाषितम्‌ यदुत | 2 | एव सुखसन्दोहसागरो शुणधारणे | संजातेऽयं शतोऽस्याभिः सर्वा नाज. dua: Il

१९६९

उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

तथान्यदपि थत्किचिदस् पूव पर्न | संपद्येत तदस्माभिस्तग्धितं भो कुशंघर

एवं तानि warerfa मानुषाणि ममाग्रतः | गतान्यद्‌ शनं बुदस्लतोऽहं रृणटधारण्ट

जाने कामि aaa मानुषाणि विशेषतः | तन्लयन्ति खदा याजि कार्याणि तव भावतः। मयोक् कथ्यतामेष तातादिभ्यस्वयाधुना | aut विज्नायते येन waraise परिस्फटः ततो निवेदितस्तेन विदत्छद्वगतपूरिते | ताताख्ाने निजस्प्नो मदयस्येन धोमता ततस्तातादिभिः सर्वेरेकवाक्यतया तदा fara विनिचित्य खकभार्योऽथं प्रभाषितः tt अनुकूलानि वतन्ते देवरूपाणि कानिचित्‌ GUI कुमारस्य शता कष्पाएमासिका तेरेव भरियमिजाय मारस्य निवेदितम्‌ | तोषात्छप्राग्तरे सवै ययास्माभिरिदं शतम्‌ एतच्चाकण्य मे चित्ते पूर्वापर विरोधतः | WAT RAMA सन्देहः समजायत

धतो मया चिन्तितं |

कमकोद्‌र राजेन कि चत्वारि पुरा तथा। fa a कुजंधरोणाच् पञ्च इष्टानि तानि वे कानि वा देवरूपाणि ममैवं कायंचिन्तभम्‌ |

एव

VTA प्रस्तावः |

श्रगुकलानि कुर्वन्ति कि वोरौरुत्य कारणम्‌ सर्वया सर्वमेषेदं ग्नं प्रतिभासते |

ममाद्यापि जानेऽहं किमच बत कारणम्‌

fad |

यद्यतोद्धियवेन्तारं कंचित्पश्यामि सन्मूनिम्‌ | ततः प्रष्ठा सन्देशेन gat विनिणेयम्‌ ti तदेवं विधसद्धश्यासखन्देहकलितोऽप्य्म्‌ I

तदा aratfefafes ane तं gaa अथय ते aac: सवं दिनानि -कतिचिन्तद्‌ा | कमकोद्रसंय॒क्ताः संखिता मम मन्दिरे + अयाह्धादाष्टतच्ो परौ wary धयेच्छया | WMATA ATAT खद्यभावं प्रपद्य मे ततो मदनमश्च्या साधं मे रतिसखागरे | निमद्मस्यामरस्येव Sear यान्ति वासराः add तया सार्धमाहादोऽग्टतदायकः | सद्धावमोलशिकासारः प्रेमाबन्धो मनोहरः तातचिन्तितकायस्य प्रणता खिखग्डमुजः |

a @ तदा विशाशाञि चिन्तागन्धोऽपि विद्यते

विदाधरोपनोतेशख्च माच्छग्धषादिभिमम संपूणेखवंकामलाष्नाता दश्िसुखासिका तदेवं stavtaear प्रविष्टः सुखसागर |

६,९९.९

Arts

उरपितिभवप्रपश्चा कथा |

स्थितोऽड तच लावङ्गि sare: सक्ुशंधरः श्रन्यदा भिभथक्ेम गतेनाद्वादमन्दिर | सभार्येण मया दृष्टः RATA सुनोश्वरः ततो विनयनखो ऽहं प्रणिपत्य थतोश्वरम्‌ | wera wane we निषण्णो धर्मकाम्यया अथ प्रद्धादजननौ चेतसः कणएपेश्रला . fafeat मे यतौष्धेण तेन सद्धमेटेशना तं शाकणयता ag विष्छद्धेनान्तरात्मना | arfaeiat मया दृष्टौ Taal वरबान्धवौ ततद ्रव्यभिश्नातौ aud सदागमः | रयं चासौ महाभागः सम्यग्दग्रेमनामकः अथ saat way तौ मया वरलोचने एद्वाक्यप्वदधेन भद्रे हिततया नरौ

इत्च

बेदनौयनरेच्स पदातिः परिको तिंतः

यः सातनामा राजेन्द्रः सत्पुरे विबुधाशये सोऽत्यन्तं मयि cata मिच्रभावविधिक्छया | पूर्वमेव मया सां सप्रमोदेऽप्यपागतः

arg wae तिरोग्तः stent इखासिकाम्‌ | आआविश्वतष्तदा जातो यदा जातौ खबान्धवौ

ततस्च | |

था सत्कलजर तौघभो गजन्या खासिका |

QA: THT |

तदा FAAS मे सागन्तरुण्तां गता अन्यच |

तदा ज्ुशंधरेणापि मरण्नमसदागमौ |

तथा मदनमश्चर्थां तौ weet थथा मया

ततोऽधिकतरं Avery चमे मुमिः।

fatten: करोत्येव शयः सद्धरमदे नाम्‌ WAAL |

चिन्तटन्तिमहारव्यां शलौनगलोनाः senfia: |

way रो धकं feat महामोहादयः खिताः Te | | |

चारिकरध्मेराजेन मन्त्रौ सदह्ोधनामकः |

इदमुक्रस्तदा भद्रे मनाक्‌ संतुष्टचेतसा यदुत

सुन्दरोऽवसरो wey विधामादाय तेऽधुना

आर्यं घंसारिजौवस्य Wy ae Weve: warts |

wibaryge किंचिचिन्सटन्तिमहाटवौ |

fasat रोधकोऽस्माकमोषहूरे शजवः

तं कमेपरिणामाख्यं ततः एदा भरेश्वरम्‌

गच्छ त्वे शरो मादाय विच्यामेनां सुकन्यकाम्‌ `

$ कन्दसाधसमोपस्यः WHT चरमया | famrrey qa भवन्त प्रतिपद्छते ॥.

६९१९९

९९९० डपरमितिभवप्पद्चा कथा|

सद्वोधेगो दितं देव थुक्रमेतश्न संश्रयः | fa तु काणलविलम्बोऽज धक्रोऽद्यापि प्रयोजने डि पुष्छोदयस्तष्य सख सातो वथस्यकः | कियन्तमपि तत्कालमेतौ भोगफलप्रदौ अतोऽद्यापि बलादेतौ we तं रण्धारणएम्‌ | शब्दा दिखखसपूे वात्धख्याद्धारयिव्यतः एवं fea | अध्यास्ते WE यावदलुवर्तमया तयोः | शब्दा दि विषयय्रामं सुखेतुं मन्यते तावन्न युश्यते देव मम गन्तुं तदन्तिके मयनं विद्याया जाचटौति कथंचन केवशं प्रव्यतामेष देवेन निजदारकः | तदशभ्तिकेऽधुगा दे ग्टहिधमेः werden: प्रसावोऽस्याधुना देव तत्घमौपेऽतिष्ठन्दरः | गन्तु सपरिवारस्य वतेते कायेसाधकः गतमाजमिमं टेव भावेन प्रपद्छते | भविव्यतोष्टा तस्यास्य भायां सहुणरक्रता fa a यदा VITAMIN WH गतः पुरा | तदायं xeaea धरिवारा विणलोकितः दा तु तत्पाश्वेगतः सम्यमग्द शंननामकः | महष्तमोऽतिवाद्छव्धाश्नौ तस्तेनाप्ययं तदा

GLA प्रस्तावः | ELC er

पश्योपमण्यक्के afra तेन भावतः | प्रपञ्चो ग्टहिधर्मोऽयं पूवंमासौन्ततः परम्‌ यदा Ul पुनरष्टौ मरन्तमसदागमोौ | असंख्या भावतो वाराः प्रपश्नोऽथं तदा तदा WHAT केवल देव यतोऽभ्वां गतो मम तेमेष wa aay fandw प्रहौथते ATG चातु ATT रश्चयलेव AEG: प्रस्तावो मादृशां तज ततो याने भविष्यति अन्यश्च | ABlaterfeaarafynsn raga; | ग्टिधर्मेऽपि ave भवेदेव विगरेषतः तथा | स्यादमिसुखोऽस्माकमशेपेण दिदृक्षया | अनेन ग्टहिधर्मेण ween प्रचो दितः चेतःसखासिका yal सन्तः कमेतानवम्‌ | भवभौतेरभावसख ग्टदिधर्मेण ते Jur: तस्माप्मस्याप्यतामेष ग्टदिधमसदम्तिके ` यास्यामो ऽवसरं WAT Tas वयं पुनः तदिदं मण्तिणो वाक्यं शूला सन्ञोतिनिमेलम्‌ चारिज्धमंराजेन प्रहितो निजदारकः tt कभपरिशामस्य गता मृशं तद्‌ाशन्नया |

समागतो ममाग्बणं तजरवाक्ादमन्दिरे 14]

ULRR

उपमितिभवप्रपश्चा कया |

अथ कन्दमुनेखार्वो' इतो धमरे श्नाम्‌ | ्राविश्॑तो ममागेऽसौ मुनिना प्रकाशितः यणरक्रतथा युक्रस्तथा दाद शमानुषैः |

aera: प्रतिपन्नोऽसौ बन्धबद्या नरोत्तमः तथा ङुलंधरेणणपि कान्तया सबान्धवः |

meat ग्टहिधर्माख्यो जातात्यन्त सुखासिका

एवं

चतः

अरय कन्दमुनिः we: सन्देशं पूवं चिन्तितम्‌ | तं मया सखभ्नसंबद्ध सद्भावा येवुभुल्छया

ततः कन्दमुनिः प्रार aie fafade: | श्रस्यातौ द्धियवेन्तारं विना भेवो पलभ्यते खन्तिमे केवलालोकभाखकरा वरखुरयः। शरवो निर्मला नाम दूरदेश्विहारिणः॥ a

तत्पादमूलं धास्यामि वन्दनायमहं यदा | तदा ताश्रञ्जयिव्यामि भद्र तावकसंश्रयम्‌ |

योऽयं खप्रदयाष्नातः Bees मनोगतः विविक्रं तस्य भावार्थं विन्नास्टन्ति महाधिथः

मयोक्तं |

भदन्त यदि Aska गुरवस्ते कथंचन श्रागच्छयुस्ततच्तस्छातसृन्दराद पि सुन्दरम्‌ fare महाभाग गतोऽहं वचमेन ते |

अर्मः प्रस्तावः | १९२९

गम्‌ विज्ञाप्य ते नुनं पूरयिष्ये मनोरथम्‌ अथवा केवलालोकालोकिताखिलचेतसः | विश्वाय भवतञित्नमागमिब्यन्ति ते खयम्‌ कवलं ग्टददिधमेऽच सम्यण्द्‌ शेनसयते | सद्‌ा गमे कर्तव्यो भवता तावदाद्रः ततञ्च | ददं कन्दमुनेर्वाक्यमा कष्णे श्रुतिपेग्रलम्‌ | महाप्रसाद TAI ब्रवाणोऽहं सभायेकः समिचख तदा ug विमयानघमस्तकः | प्रणम्य तं महाभागं कानमाद्भवने गतः ततः सोऽपि महाभागो सुनिमुं निवरेयैतः | गतो निमेखसरोष्णां गुरूणां पाद्वन्दकः श्रय काछक्रमाङ्खदे राजा ANAT: | तदा शोकान्तरोग्धतः पिता मे लधमेकः ततो राच्येऽभिषिक्ोऽदहं बन्धुमन्तिमदन्तमेः महामन्दविमर्दन इषेनि्भरमानसेः ततः परिणतं Tey TH मे राजमण्डलम्‌ | waa: किङ्करो शता वश्रौश्ताख खेचराः fa बहना | मरवोऽपि ममाश्चायां वतन्ते नतमस्तकाः | वर्ध॑ते कोशदण्डौ जायन्ते सवं सम्पदः fa =!

११२४ उपमि तिभवप्रपश्चा कथा |

नाङुच्ितं कचिश्चापं wat कोपदारणा | दृ ्टिस्तयापि मे जातं cs कण्टकवजिंतम्‌ तयाण्येवं विधे ऽनसश्पसुखसन्दो हकारणे | विद्यमानेऽपि गो जातं मम eters मनः कि तदि। सदागमे acta सम्यग्द्‌श्रेनतत्परः | पुष्छोदयेन cant ग्टहिधमं wee: सातेनाह्कादितो नित्यं खितोऽदं eau: खमं मदनमश्चर्था eaafefa wren एवं तिष्ठतस्तज मद्मस्यानन्दसागरे | ward मम wafy रिकाखोऽतिशङ्कितः अथान्यदा Hara प्रविश्च प्रियदारकः | काशो नाम मामेवं प्रणिपत्य व्यजिन्नपत्‌ यदुत

श्राह्ादमण्डिरे देव देवदामवपूजिताः | समागता महाभागा fare नाम सुरथः .. AWAY तदा भद्र कशा णएवचमं सुदा | मामि देहे नो गेहे पुरे नग अगन्ये ततोङ्गशब्रसयुक् AR संतुटचेतसा | दौनाराणं मधा we दापितं प्रियभाषिण नतः सर्वाद्रेण्णडहं खवयस्यः सभार्थंकः | मिगंतो भगराद्द्े सरौण्णं पादवन्दकः 1

QTR: Gea: | १९२५

अयामररते fea सत्कारतंखरभाखवरे

ते दरयो मया दृष्टाः कमले स्थितमूतेयः

वेष्टिता सुजिडन्देन देवदानवखेचरः |

तेभ्यो मतोत्तमाङ्गेन कुर्वाणा धमरे श्रनाम्‌ तत

ङडदानन्दरो माश्चग्डषितः Ve राजकः |

अहं um विहायेदं ats चि पश्चकम्‌ ti तद्यथा |

कच ug fate वादनं सचामरम्‌ |

ततः छतोष्तरासक्घः प्रविष्टः सूर्यं वदे

ततो भगवतः सम्यग्‌ दाद्‌ शरावन्तेवन्दनम्‌

दत्वा यथाक्रमं शेषाग्प्रणएम्य सुनिपुङ्गवान्‌

सखभथाशोर्वादतुष्टात्मा wat मला सुनो वरम्‌ |

प्रोतः सपरिवारोऽश fare: एड शले

अरय कर्म विषोन्नारकारिण्णौ waa fear |

श्रन्टतच्चारिवाक्येन गडणारम्मि देशना कथं

भो भव्याः शरणं धर्मो नाख्यन्यद्ततसने |

लसदुद्‌ामद्‌ःखौ घसङकुले भवचक्रके

ATU भवे जग्म कायो रोगनिबन्धनम्‌ |

ARG जरसो हेतुवियोगाय समागमः

fafa विपदां शोकं देहिनां waa: |

Read खपमितिभवप्रपश्चा कंया।

awifa यज्ञ दुःखाय ag सांखारिकं जनाः एवं faa | शरमू्ताः खवभावन्ास्वैलोक्थो परिवतिंमः चौएसङ्गा महात्मानः RIG सुखमासते 1 सर्वदन्ड विनियुक्ताः सर्वाबाधाविवजिताः | सवसं सिद्ध सत्कार्याः सुख तेषां किशच्यताम्‌ i fa ai जश््ाभावे अराग्डत््थोरभावो हेतल्भावतः तदभावे निःरषद्‌ःखाभावः सदेव हि परमानश्दभावदख् तदभावे हि शाश्वतः | व्याबाधाभावसंसिद्धं सिद्धानां सुख मिष्यते अथवा | त्यक्रब द्येतर न्धा PGE AAT | सतुष्टा ध्यानयोगेन Wasa: | निःषङ्गा निरशद्धारा निमलोभतचेतसः | सुखिनः कवलं ata देडिनोऽपि सुसाधवः सुखमेव वाञ्छन्ति oat जगति अन्तवः | तच्च नाख्छेव संसारे विष्ायेकां सुखाधुताम्‌ तदिदं भो महासत्वा fafafya विधौ यताम्‌ | विसुच्थासारसेसषार भवद्भिः सा साधुता ततो भद्रे तदा AY प्रलघृशतकमेः | इदं भगवतो वाक्यं चिन्ते त्यन्त खेखायितम्‌

VISA: प्रश्तावः | १९२७

चिग्तितिं मया | करोमौदं थदादिष्टं भदन्तेः सुखकारणएम्‌ | ततः छतं war wg प्रब्रन्धाभिसुखं मनः

अशामारे विरतवचसि भगवति वचनसुधासेकवर्िंणि निमेल- सूरिकेवशिजि कन्दसुनिना बद्धकरकमलमुङुल विधाय were- ug ऽभिडितमनेन भगवज्निह अगति कस्य दुःशकः काशलविशम्बः कलत भगवतोक्षं जिन्ञाखोगै समले ससम्दे हस्य कन्दमुनिराइ यद्येवं ततो गरणएधारएराजस्यदा नो संशयमपनेतुमहेज्ि भगवन्तः | भगवतोक्ं एवं क्रियते wate महाप्रसाद | तथा कन्दमुजिं प्रत्यभिहितं भदन्तानुगरहौतोऽदं भगवता भगवन प्रञ्नयिता सुतरामनेन वचचनविन्यासेन कन्दमुनिनोक्रं मडहाराजानुणडा्हा एव युयं waa भगवदवनमाकष्येतां स्वितोऽह प्रहतरो नतोच्लमाङ्गः ततो भगवतोक्र महाराज गुणधारणायं ते सन्देहः यथा यानि कनकोद्रराजेनम सप्रे दृष्टानि चलारि मानुषाणि यानि कुलंधरेणए पञ्चोपलन्धानि कतमानि ताभि कथं वा मदौयका्यपरपरागिवंतंकानि fag aaa चत्वारि श्रपरेण पञ्च तानि तथा किंदेवशूपाणि तानि fa arg aya तद्ुयमपौति संश्यः। adm भगवन्ञेवमिदं यदादिष्टं भगवता भगवानाह | महाराज यद्येवं ततो weald कथा कथं निवेद्यतां कथं वा श्रूयते wat तथापि ममासुर कथयन्तु भगवन्तः ततः कचिता भगवतासब्यवहारमगरादारभ्ब सर्वां खवैसंविधानकोपेता संखेपेण मदीयवक्रव्यता अभिहितं

१९.२८ उपमितिभवप्रपश्चा कथया |

तदेवमस्ति ते महाराज तचिन्तटन्तौ विविधनगराकरा्ाक्ुल- मन्तरङ्गमहाराव्यं | केवखलमभिन्डय तान्‌ युद्मद्धितकरणश्रोलांचारिष- ध्मेराजादौन्‌ afer भवन्तं महामोहादिभिस्तदियक egw | श्रसावपि करमंपरिणणामो भवतः प्रति- FIT तदेव मशामोहादिबलं पुष्णाति wi wed पुनरसौ भवतोऽसुकरखलो वतेते तेनेव भवन्भं प्रति nae waa TS awa कालपरिणतिः प्रसादिता ते भार्यां भवितव्यता ystent fasawnadspea: aura: परोत्छा डितस्तव सहचरः पुष्णोदथः | तथावधौरिताः किचिग्महामोहादयः श्रा्ासिता- सख्ारिधममराजादयः दिता ते पूवंमत्थन्तसुखमाशिका यतःप्रश्चति पुनस्ते वल्लभोग्धतः खदा गमोऽभोष्टौग्डतः सम्म्दश्ेनाख्यो महत्तमः तत आरभ्वानुक्रलतरोऽसौ कर्म॑परिणामो वतेते ततो अनिता सपरिवारेण तेन विबुधाय fare विशिष्टतरा सुखपड्कतिः। श्रधुमा मधुवारणशराजमन्दिरमवाप्तस्य ते सुद्वखन्दोहइ- faga सुतरां प्रोता हतोऽसौ तव वयस्यः पुश्छोदयः ततस्तेन संपादितेयं तव बदिरङ्गभायां मदममश्चरौ | तेनेव महापुरुष- तया किला कोऽज का्थेखन्पादमस्य नुनमेतान्येव सकल्लकार्याणि चटयन्तोति मन्यमानेन कामरूपितया द्‌ भरितानि खभ्रे कनको दरराजस्य तान्येव कमेपरिणामकालपरि एतिखभावभ वितब्धता - लखणानि निरूपितोऽस्माभिरेव वरो मदनमश्चर्याः ततोऽणशं भवतामन्यवरान्वेषएनेति ब्रवाणान्येव चलवार्यपि मानुषरूपतथा | तेषु विद्याधरेषु वेमुख्यमस्मा मदनमश्न्यास्तिनेव तव वंधस्छेन

GSAT TN: | १९२९.

एु्योदवेन जनितं किं त्‌ महातुभावतवा तदपि कमैपरिणामा- दिभिर्विंहितमिति wa तम्ुखधेनेवानेन प्रकाशितं ततोऽभिदितः कमेपरिणामेन पुष्ोदथः | Ted स॒न्दरमायरितं भवता यदेव war खधमेव प्रथोजनं तथापि लथात्मा प्रच्छादितो वधं gute wendaer प्रकाशितानि ques: प्राह मा मेवमाश्चापयत qa) आदे्रकारो ewe fect यथलेवाज “Caran: Rafa! area मया कमकोदरराजाथ प्रकटितानि। ततः किमजानुखितं। कमेपरिकामेनोक्ं are सखाधमेवमिर | तथापि वमेवा परमो हेतुः यतो सुखसाधनानि सुन्दर aratfe wafece वयमपि कतुं पारधामः। ततः प्रकाश्ननौचः खकवात्मापि भवता। नान्यथा मे चि्तनिदंतिरिति। पुश्ोदयेनोक्ष। यदाज्चापथति ti ततः कुखंधराय ay प्रकाथितानि पुनरात्म- पश्चमानि तान्येव पृश्योदवेन शापिता शकशका्यंषाधकता तदेवमेतानि महारा माशुषाणि तथेव तेषां चतुर्थां पञ्चानां दशने कारणमेतन्डिव वा ति सम्बन्धौमि निःरेवप्रथोजनानि तन्त्रथन्ति मा areal: सन्देहमिति मथो arafacray योऽयं nearer मम निरपमः सुखाग्त- सामरावगाहः किमेवोऽपि तेनेव क्मपरिषामारिभिर्याडितेन | पुष्छोदथेन जनितः भगवानाह वाढमपि महाराज erway एव अनितस्लवानेन किं तहिं पूरवंमणन्ुना gutcea विदितानि भवतो गयांसि सुग्दरप्रयोजनानि तथाहि afte aturaerat अनितस्तवामेन कनकमश्जरोषम्बन्धः रिपुदारण्काङे

142

१२२० उपमितिभवप्रपरच्चा कथया |

विदितो नरखन्दरौमौल्लको वामदेवद शायां घटिता शहुशनि्मलेन fafaaagea विमलेन ae AT धनग्रेखरावक्रे संपादिता नानाविचिन्रा रब्गराश्यो aware ससुत्यादितो निर््याज- विञुक्रकलङ्कख्छ तवोपयकणङष्य ताङ्श्षः खेहभावः चावि्भावितं vag aye) तथा विरचिताः श्वंश्वातेषु सुखपडूतयः | ae fawa aqaaguicaa तदा भवता area: भवतारोपितो रिखावेश्वानरग्टवावादग्रेजराजसेयबडङृचिकामेन्‌- सामरपरियषशमहामोहारिषु निःेषदोषपरुश्ेष्वपि guenty: | wa ¦ भरन्त चदि मनां सुखषरपराद्ेतुः पुष्मोरयो वयस्यः werent ततः किमिति मे तावन्ति दुःखकदम्बकानि खंजातानि किमिति बानन्तकाल्लभित्यमरंवितदंकं परिश्रमशं से संयन्नलिति | WATE! महाराज GA ततः अमूखमेतक्ते कथयि येन aaa want facet: wean भगवन्नुगद्ो मे भगवतोक्कं महाराज कथितं तावत्त्वमिदं थथा ्रग्यवहार- मगरे शंखारिजौवाभिधानो वास्तव्यः छुटजिकच्छमधि लव चेदमनादिरूढमन््रङ्क fenced महाराव्वमिदरं चारिष- -धर्मराजादिकं मदामोहगरेक्रादिकं ay Saad war विदद्कमपि ऽकलकालमवश्धितमेकाशत्‌ तु कृमपरिष्णमो शाना तावकौनं ` तोषसुपणधचन्नेव निनवर्गतया मशमोशादि- SRSA ग्वतोऽत्र ATCA वाक्षारकमाक्मानं दशेध्ति श्वख- for; WHT खषूपेण यदा यदेव autiwaeagueat ‘ql तदेवोपङद्मति ae कर्मपरिष्ाप्नष्य gt वेनापते

ITH: THT | VLA.

शकः पापोदयो दितौयोऽयमेवं quize इति। स. ited. गाढं प्रतिकूलः खरूपेण। अत एव कमेपरिष्णमस्य wale यज्व. वेरिग्धतमेकान्तेनासन्दरः चन्यं azararafeget qutcag ATTA: | WT एव कमेपरिणामस्छ सत्क यन्ते Fans सन्दर - wie acaraafugea पापोदथस्तवानादिरूढो ऽसंग्थव- हारनगरादारणभ्यानिग्यक्ररूपः खथ्ाग्डदेव ततः सुमसिदखाश efiaa afecawt fast भवितव्यतथा ।. anqud महाराज गृणधार् समस्तं माहाग्यं TH संपन्नमगन्तकाखमेवं परिमणं mim श्रिदुःखसन्ततवः परिकर्पितं fearfey fera शदितोऽथं feracette: पुष्छोदथः ware) aaa पापोदधेव वदिष्कतस्छं तस्मा किंशटत्तिवर्तिनः खकोया- Saya | तेनेव चामिग प्रच्छादितं तव खाङ्गिक- मेकाकदितं शारिषधर्मराजादिकमन्तरङ्गग्खं तेनेव waa पारितो षिकमेकान्ता हितमपि wap दभितं महामोहादि- aa वष्टतया , प्रकटितस्ते पुरतो वन्पशमिभरूपतयात्मा | तथायमपि guigagar! तेन पापोदयेनालुबह्ो qufa ते सुश्कारण्मग्डत्‌ तथापि कद्याण्परयरा्ेतुतां प्रतिपन्न दति | ware area दोषः किं afe तस्येव दुरात्मनः wisad दोष इति मयोकं भगवजिदानौ किमित्यसौ पापोदथद्डषोमासे। भमवतोक्ठं महाराज am: खल्वसौ किं तरिं सोऽयमौषां कमेपरिणामकाखपरिएतिख्भावमवितव्यतादौनामाघन्तो, बर्तते ततोऽमौभिरेव MSR भवतः शकाग्राहूरौकतोऽसौ दुरात्मा

१९९२ उपमिलिभवप्पश्चा कया |

तथाहि यतः प्रति भवन्छमौपममौभिरनुज्चातः समागतः

खदागमस्लत एवारन्व निवतिता तच्यामौमिः प्रब्ता ततः। tugchanaisat जातो दुःखकारणम्‌ | पापोदथोऽवकाशस्ठ Ta: पुष्योदथेन ततः SITAR परौ तिः संजाता तेऽन्लराम्तरा | Say सुखं म्प तन्धााग्येन किशन क्चित्यापोदयो भयसतेरेव निकटोहतः | ततश्खं दुःखितो जातः after: सदागमः

एवं

अआणोश्याखोश्य धत्छत्यमेकवाक्चतया पुरा | शअमौमिन्दंप निःग्ेषभवत्कायैवि चिभ्तकेः अनन्तवाराः संसारे पुष्मोदथकमन्वितः | पापोदधं तिरोधाय मौखितस्ते षदागमः यदा तु ्टदिधर्भेण सम्यग्दश्ेननामकः | Gm: पारं तवानौतोऽमौभिरोव AAT kt तदा पुनरसौ Hs भिदु रतरोतः | पापोदथः Gagne चोत्पादितं सुखम्‌ थतः पुष््ोदयोपेतो Tae विवुधालये | SAAT मागवावासे शता कश्पाणमाखिका घुगख्च सर्वेः daa तेरेव निकटोङृतः | पापोदः weal त्थाजिताञ्च सबान्धवाः एवं चाखुख्यवाराके eat विरइमौखकौ |

QA: TH! | ११.२९

श्रमौमिर्यावदागोतस्लमज गुपमन्दिरे ततोऽधनास्ति दरदो गाढ़ पापोदथस्तव | सेन्यो वतेते तेन Stare acne तेः कर्म॑परिषामाचयेरेते तु farastert: , सातं ते महाभागाः घातपुष्ोदयादषः # किं च। वि =e | विद्यतेऽरुवन्धोऽद्य तेन पापोदयेन भोः ` तेनायं तेऽधुना शप जातः पुण्छोदयोऽनघः waa तेऽधना wer शौ खनिसुंकमानखा | tente महाराज जनिता सुखमाशिका कि बहना | Vem watts खुन्दराखुन्दरेवु ते ` तान्येव खप्र दृष्टानि मानुषाणि शंयः wat हि प्रतिकूलानि वर्तंको arf & तरा. UTES WAY दुःखमुत्पादवनधलम्‌. ` ` WARM तानेव कारषेरपरापरैः | परुष्छोदयेन ते तात कारयन्ति सुखासिकाम्‌ UNA ATTA TY भवता Wasa | नित्यं तचोपयुक्षानि aria नतु कारणम्‌ मथो aay fares wags | किमकिचित्करो वतं wdery वतद्मना सरिराह महाराज मेवं मखाः कदाचन |

२.६.९९ छपमितिभवप्रपच्चा कथा |

परिवारस्तवामूनि भवानेवाच are: तवाहि | | भवतो योग्यताप्रें Ven सवं कसु | ते RATT eH: ततस्ते निभयोग्धतवं प्रधानं शप कारणम्‌ सुन्दरोतरवद्धरां ते पुनः खहकारिणः राजन्ननादिषूढा सा विद्यते तव योग्यता चथा सवादितः सवः प्रपञ्चोऽयममूदश्रः ` तया विभा पुनः शवं सुन्दरे तरवस्यषु | ते क्मपरिणामाच्ाः किं इवेन वराककाः. ॥: TASTY प्राधान्यात्कारणएलेन THY | सुन्दरेतरका्यांणां श्वेवामाक्मभाविनाम्‌>॥ ` HAR नायः यद्येवं मन कार्यप्रसाधनम्‌ na: किमियरेवाज कारणानां कदम्बकम्‌ किंलान्यद पि ` विद्येत मम का्प्रसधक्रम्‌ ` Share महाराज समाकणेय घाश्मतम्‌ -॥ ` याख्खसौ निर्तिर्गाम ancl सुमनोहरा ` निरन्तानम्दसन्दोदप रिपू जिरामधा a: MSTA A, TA: GATT: ` अनन्तानन्दसंपूषेः GIA WIT es ` थो विद्यते. महाराज ` ete जगतः Ty! . सुन्दरेतरकर्थाशणां ते परमकारशम्‌

अद्मः TH! | १६२९५

अनेकोऽपेकशूपोऽसौ गौयते वरख्रिभिः | Rieter परमत्मा गदते बुद्धः दिरिश्चाश्यः विष्णुः APU: निष्कलः जिलः sitet दुषटतच्वेमंहात्य्मभिः VHA BCT तव कावेपरषराम्‌ | वौतरागो गतद्धेषो निरि च्छोऽषं यतो मतः चथा तु कुर्ते तात तवायं छन्दरेतरम्‌ | areata तथा वद्धि ere विश्चराचरेः सिद्धा भगवतस्तस्य निखखा सुप्रविहिता SAM स्वश्नोकयनामाकाषठं BCS यदुत | निरन्धकारा aie frasfa: प्रमाख्ञरा | MTSPTATTA ATTRA षदा 8 aie रिषुबुद्या महामोदादिकं बखम्‌ शमु fens चोरख्णारकारणम्‌ बन्धबुद्यावधा्दं Teale wie | सारिबधमेराजाश्चं Ga ReTwaTTe द्यमेताव्रतौ ae शर्वं ओकवमाअया वतेते बृपतेरान्चा विधावुर्दितकारिण्ौ TARY WAS Gay ATT | cqay विधातव्या तदाश्चा ave सेवकः fafagreca: सर्वैरिषमेव विराश्यते

१९.९९

उपषमितिभवप्रपचा Sut |

तदुकदादश्राङ्गायेः सर्वोऽण्यां safe: at q यो यावत शोके विदधाति नरः षडा | अनानश्ञपि तदर्प we तावद्भेष्ठुदम्‌

केवश्चं |

wa

ag at wraannt विपरोतं freer जानन्नपि तद्रूपं भवेहुःखभाजनम्‌

थो थावत्कुरते मोहान्तदाश्चाखष्ध्नं जनः तस्य तावद्भवेुःखं थथा तत्करणे सुखम्‌

fea | |

AAMAS तदान्ञाकरणन्पुखम्‌ | aa: Sagat सवे शवंवामपि Shey अणमाचमपि AUT भुवनेऽ ATTA तदाज्ञानिरपेशं डि यण्लायेत कदाचन तेनेश्छारागविदेषरददितोऽपि शपतिः। निडैतिद्योऽपि कार्याणां Wa: परमकारणम्‌ एव परमो हेतुरतसते गएधारश्च | सुन्दरेतरकार्याणां saat नाज संभ्रयः तदाज्नाखक्षमात्ूवे जाता ते दुःखमाकिका ` अधुना तत्करलेन GUAT: यदा तु ae dguiarafi at करिष्यसि ` तदा यः सुखसन्दोदणष्य विश्वाख्छसे रम्‌ ` तदेवं परमान सवं ऽमौ तव हेतवः |

Gea प्रखवः। ArRe

प्रधागगणभाषेन विच्चेयाः wate | एकेनापि विना श्प arafafgs विद्यते | अमोरषां प्रोक्रेदमां समाजः का्यकारकः मयोक्रं कारणशयामः किं पूर्णोऽयं गिवेदितः। एतावानेव fa वास्ति गाथयान्यदपि कारण्ठम्‌ सूरिराह महाराज sam: प्रतिपादितः | एतावानेव Gant ate: का्थंषाधकः waa रेषहेदनामन्तभावो fe विदे ।. यथा बदृच्छा नियतौ प्रविष्टे भवितव्यताम्‌ ततो निनेष्टसण्देहस्तदादहइं वरलोशमे .. प्रतिपश्च acai तन्यति warefe: ` षृष्टवामपर aft धम्देद . मानसे खितम्‌ | माढमहरुतहेतुलात्पूवकाज्ञे वितकितम्‌ .॥ . यदुत भजवन्‌ . , एकं भमौ तथाकाग्रे वतमानं दितौ यक्रम्‌ AAT सैन्यं सम्मित केन हेतुना . SATE महाराज. तजापि षरकारणम्‌ aq qetcet Qa: रेषकारणचोदितः केवच्चं we Tae yee wea | तवोपरि तथा सवं Wi तदखदथम्‌ रितं ace तेषां खेचराणां तवेच्छया ` विसुक्राखछद भिपेता जनिता बान्धवोपमाः

143

१६२९८ उपमितिभवप्रयश्चा कथा |

तथापिच हतं कायें छतं तेनामिश्ौयते यतः -प्रसोदकस्तस्त्ः सेव पुण्लोदयोऽनघः अथं fe कार्थ gate: सुन्दरं ते गरोन्तम WHS कारयायन्धेंत्‌मिने एनः खयम्‌ पपोदथोऽपि कुर्वाशस्तव कावंम॒न्ड्रम्‌ - प्रचोदय कारयत्यन्ध्ित्‌ भिनं पुनः खयम्‌ तदन्ये हेतवो न्दरेतरवस्तषु | अप्रधानास्लथा Harada परमो यतः तथाहि -- + ; ga पापोदयेनेव कारणेरपरापरेः . ` कारितानि विचिचाणि दुःखानि बह्रा्लव Talay WTI. Baa ते सुखम्‌ | निमित्तमाज बाद्याजिः seit wee # ` ACM | WAS मेऽधुना waaay: श्रवधारितमिदं मया भगवदचनेन | GEA | यदाश्मन्चानान्निष्टामि बिटृतिनगरौ- परमेश्वर महाराज खिताश्ाणङ्गने करोमि .भावान्धकारमशिनां चित्तटन्ति पोषवीभिं महामो हादिबश . act तन्लादुभ्रं मदोय- खरूपमालोक्य प्रतिक्रलतर ` मतानि . कमषरिणमकाखपरिणति- खभावभवितव्यतादोनि नैन कर्मषरिशामसेनापतिशा पापोदयेन मत्रतिकूलात्मोयाकौकखदितेन मन विविधदुःखएरं परां तत्छन्पा- दकपरापरबादछण्यन्धरवष्ठमेरणदारेण - HHI बदा TATE सयोग्यता मपेच्छं wes भगवतः छखितमदानुपतेः अशदेनावाप्त-

See: Wwe | ११९९९

संश्चानो मवामि averse aa विदधामि भावतमःलाखनेन निर्मलां चिन्तटततिं परोणयामि चारिजधर्भंराजादिकं सेशं तदा तत्तादृशं मदौयचरितमाकलम्बानुक्कलतों wath -कर्मपरिष्ान- कालपरिएतिख्भावभवितंव्यतादो जि `` wea दितेन कालेप्ररि- wana पुश्छोदयेन मदगुकूलातोयसेन्य्दितेम ममं ` सुशपरपरां तव्ननकाग्यवाद्याध्या क्िकवम्हभचोद गशुखेगेव dre न्ति तदेषां सामयो afar a gata fafearafe ` sane | केवलं यदादिष्टं भगवद्धिथे्ायं तवासुना पुष्मोदयेगेदानौमश्श्रः ` सुखलेशः safer cate aan’ जनितो मे gawerfata:) यतसिक्ितं मथा अचे यज्िश्नहनि ` मथा Wal - मदनमश्जरो तयावान्ना wae शऋरिरन्नराश््चः प्रश्मितं चिन्तितमाजेए खेचराणां रणविङ्धर squat परस्परः | बन्धभावः गताः सर्वेऽपि भम went जभितस्ताताम्बा दिपरितोषः oem alee: समुत्पादितो नागरकानन्दः ˆ प्राप्ता ` मद्भवने ` saver: विहितं तातेन तत्धक्मानादिक श्लाचितोऽहं aa: घक्ञाशितो wm: तद हसेम सखखनिभेरतया ऊ्तमचमिव ` प्रतिमासितिमासौत्‌ | तथा वधेमाने मदनमश्चयां सद परमान्ते " लाते कन्दमुनिदर्ेने मिबतासुपरगतेषु सातश्चटागमसन्यग्दभेनग्रद्डि- wits परिते महाराष्ये विलयतो यथच्छथा सुखसन्दोदारि- ` पूेतथा संजाता ` मम ` देवद्ाकुखेऽणवन्ना | aw दृष्ट भगवति वन्दिते सविभगचं ae सन्देहे पश्यता भगवददजकम- माकर्णयतो ward मम Gerfatat वामो्वरातौतो at!

Arse | उधमितिभवप्रपश्चा Se |

तत्कथं भगवद्धिरादिष्टं चथाधना शंपादितख्लवानेन पुश्ोदयेनाय सुखलेश इलि तथाहि यदथयमपि gueaefe ate पुनष्लत्ंपू ge सादिति संजातो मे मनसि वितकंः। ततः कथयन्तु भगवन्तः alg पुगः शरौ रिणशस्सप्ररं सुखमिति निमेलस््रिणोक्षं। महाराज गणधारण खासुभवेनेव .विश्चास्छसि त्व तद्रूपं किं तख कथनेन | sete भदन्त कथं भंगवानाइ महाराज परिणव्यसि a दश्च कन्यकाः। भविति ताभिः सद URIS प्रेमाबन्धः ततस्तदोदामलौखलधा विख्जसतस्ते as wage संजनिभते -तदपेचथा सुखलव एवग्यमधुगातनो वतेते | wan | भगवनश्ञवधारितमिदागँ मथा यथाहमेनानकि मदन- aac परित्वश्छं भयक्त्यादमूजे प्र्रजितको.भविखखामि तत्कथमशं केन्धकाद शकं परिये aati) अवश्य wer परिणेतन्धास्ताः कन्यकाः किं चं युक्रमिव ताभिः प्रजाअयिष्यामो भवन्तं विड्ध्यते ताभिः सां smears fa वा तद्रहितस्य ते प्रव्रजितेन वणते हि प्रबरजितो विरदहितस्तादृ्ङ्टुम्विनोभिः। तताः भरिणौय नियमाद्भवता प्र्रजितव्यमिति एतच्ाकष्यौ किमेवं गवाम्‌ भाषत इनि विन्न ख्ितोऽह विख्ितः। acy fran | भदन्त कतमास्ताः कन्धकाः बाः परिणेतव्या महाराजेन भगवानाइ यासा पूवं निषेदिती wares fecal कथथता ता एव ताः कन्का नान्या: | RATE भदन्त विस्णृतास्ता Hse | अतो AAAs यज ता aN यश्य वा aafuat यनज्ञाभिका वा श्वमिदः fatefaqutfen ana: | भगवतोक्त। wees |

द्मः प्रावः | LAB

अस्ति चिन्तसौन्दयं नाम मगर तच द्रएभपरिशामो राजा | लख निष्यकन्पताचादते दे भां तयोयंयाक्रमं शान्तिये कन्यके faye तयापरमस्ि waar नाम नगर तच श्रभामि- afaite: तच्च वरताव्येते देव्यौ तयो्डेद्ताखत्यते कन्यके जाते इति तथान्यद स्ति farqama मगर तज इद्धा- मिसन्धिनेरोश्वरः we श्द्धतापापमौदते दिश्यौ ang WITNCA नाम दे कन्यके Hast दति तया शश्जचिन्सषुरे ऽसि शदाश्रयो मरपतिः तस्य वरेष्ता देवौ तस्सा दे कन्यके। तद्यथा ब्रह्मरतिसुंक्षता वेति तचान्यास्ति aia सम्बर्देनेन wae निवर्तिता मानसौविध्ा माम कन्यका तथापरा चारि षरधमराजस् विरतेभेहादेग्याः कुचिसशतासि facie नाम कन्येति तदेतानि arene कन्दमुने तासां curate कन्य कानां वाषाभिलगनामामि ते निवेदिताजि। agin गाय महाप्रसादः | RAG कथं पुनरेताः कन्यकाः प्राप्तव्या महा- राजेन भगवतोक् चलोश्य सड काश्परिश्त्यादिगिग्ेहोना तदगुमतिं wat पुरतः पुश्ोदयं war तेषु पुरेषु sage तव्जननोजनकान्‌ एव कमेपरिामो दापयिव्यति समला aft ताः कन्वका मशाराजायेति बेवखमनेगाप्य्यसनोभाः age: कर णोयात्मयोग्यता येनानुकरूखतरो waza प्रति कर्मपरिशामः तहानाभिश्रुखा जायन्ते खयमेव तासां पितरः ATS खत एवातुरव्यनोेऽख ततो भवति निष्कृजिमः प्रेमाबन्ध, खल Trae प्रमाबन्धो wfea: gafeat भवति ज्र

११९४२ उपमितिभवप्रपश्चा कथया :

धटयितुं wea दति कन्दसुभिरारह | ace fae वक्रय सधनेवाथं भगवदषमर्करणेम यथायो भविग्यति ` इरूधारणः | तत्करोत्येवेव यदाशज्चापयन्ति भगवन्तः | केवशमारिच्न्तु विेषेष्य भायाः के पुनरनेन ताखां कन्यकानां wars eRe: शततमनु- Theater: भगवतो

आये चाभ्तिमभिवाशष्छता तावदनेन भायमया waaay मे awa: परविडितः afer: अतुमोदनोधसशद्ारेश परमौविवोगः जिग्भगोयस्तत्सण्यादमे नाताणुयहः निन्दनौोयः परिभावकदुगे तिहेत्तथात्मा Batter: परकोपकारणभावरडिता धन्यतथा भगवन्तो Haar: यरौतव्याः कमंनि्नैरणडेततवा न्यक्कारकर्लारो fear प्रतिपन्तव्ाः संशराशारवदगितया त॒व शुङ्भावेन सवया विधेयं निष्मकन्यमन्तःकरशमिति |

zat पुनः परिरिनोषतानेन waar वजेनौयः स्लोकोऽपि परोपतापः दशेनौयः सवं देहिनां बन्धभावः प्रवतिं्व्यं परोपकार- करणे मोटासितव्य परव्यसनेषु सवधा भवितयग्यं सम॑सजगदाहाद- कराग्डताश्यधारिणति॥

vaqat पुमरायं विवाहयिषता महाराजेन मोक्रयो जाति- वादः परिष्याश्यः शुखामिमाभमः वलेनौयो बलोद्रेकः रद्यितव्यः ङ्पोतसेकः षरिश्तेव्यस्पोवष्टममः facracetet ward: निर्वा ane: WATE: श्रपचेप्षवयो eae: भ्रिथिशवितव्यो areantama: सेवनोवा agar weentet fare: ater aaa मवनौतपिष्डोपमं इटयभिति 1

Qs: प्रस्ताबः | (rsa

war परिइरतः परेषां aaiget . वश्वेयतः Gaya विमुञ्चतो sind श्िचिलयतो वाकुधारब्यं गरेयतो . वक्रोद्धिं अनारत: परिहासं अवदतो ऽलौकवचनं त्यजतो वाचाटतां विदधतो गता- येद्धावनं agutafaaia गशानुरक्षा AWTS थमेव घां सत्यतेति | | तचा मिभंत्येयता को रिद्यं दश्रंयता way सरश्चभावं परित्य- जता परवश्चनं faawaqt . मानम समनुश्नैलयता प्रकटाचारतां MAMAN सद्भावप्र्षामतां सवथा Haar प्रगुरदष्डोपममात्मान्नः- करं WW खा Rat वश्रोकतेयेति |

तथा धारयति परपोडाभोडतां निराङ्कवंति परद्रोहव हिं व्यति परधनहरणशं छयति तद पायचेतुतां wets eft महाराजे संलातानुरागाममिग्यति VHT खा PARA

quat पुनरभिलषतायं महाराजेन वाद्मौभावमानेतव्ो fata: द्रष्टव्यो बाद्याभ्यन्रय्न्धाद्धिशः खल्वात्मा ग्रमनोया यन्धपि- पावा WTS भावतो बदिरन्तखाणद्ममन्तःकरणं wer पड जखाभ्वामिवायेकामाग्यामच्चिष्टः प्मवष्वनयितब्यो निजभाव इति

sect पुनः wet free सुने. महाराजेन प्रतिपन्सव्याः wag अपि मातर इव सुरनरतिरखां भायः aswel तदखतौ कायां तत्कया भजनौया afar विलोक्नोयाजि लदिद्धियाङि ` ग॒ wma crafter सरणं Wefan गाहरणोयः wale: रख्णोया तदतिमाषा 4 . WTS श्रोरसटा. वेवोदखनोचा, रताभिलावितेति |

१९४४ उपमि तिभवप्रपर्चा कथा |

तथा सवेपुदधबद्रग्याणां देहधन विषवादौमां भावयते घतत- मनिष्यतां चिन्तयते गाढमष्चिरूपतां ध्यायते दुःखाद्मकतां श्यते wafer विरहयते ane कुवितकंजाणं faa शते शभसवस्ठुतच्वमङे महाराजाय Fucus सदहोधः समानोय दाखति at शम्यग्दशेनात्मजां विद्याकन्यकामिति |

तया ferent मगोदुःखाय भोगाभिलाषो मरणाय अगम वियोगाय प्रियवङ्गमः कोशकारकेटणटेव तन्तुसन्तानरचना जिबिडात्मबन्धनाय Stee weer sma wet aye प्रटत्तिदुःखं faefe: खुखमित्येवमनवरतं भावथतो महाराजस्य भविष्यति mage खा गिरहतेति |

तदेते खद्ुणालाशां श्रानामपि. कन्यकानामवाप्तये AWWA माभ्बसनोयाः। अन्यदेव कुवंतोऽव्यानुकङ्लतयेवावखर विश्नाय zi- faafa wad चारिचर्धमेराजादिकं frowd क्मपरिणामः। ततः प्रध्येकमनुरूपगमण्णभ्यासेनेवात्मन्यनुरागमागेतव्थासे महारा- जेन सुभटाः | ततः खाम्बनुर कासते निराकरिग्यज्ति तक्महामोहा- दिसेन्यं | ततोऽचमवाप्नभावराश्छः खवखक खितो विनिजितभाव- wyenfa: प्रियकाभिनोभिः we छशमागोऽ्यन्तसुखितो भवि- व्यति महाराजः | afecaaraty तावदगुषटेथमिति | कन्दसुनि- राद भदन्त कियता पुमः कालेन महाराजस्येदं सेक्छति प्रथो- लनं भगवतोक्रं श्रयं षण्मासमाजेश ततो Rate नाय त्वरयति मामतौव प्रबरष्धारहशायाकःकरणं zetge काशवि- लम्बः | तत्कथमिदं भगवागाइ | राजन्लमज त्वरया इयमेव

GTA: WHT: | १९४५

fe परमाथतः wT UTE मदुपदिषटष्टानुष्ानं | Ufey हि भवता wWelA पूर्व॑मप्नन्तवाराः। चेतड़तिकरव्यतिरेकंण भवत- स्तेन xufawa क्िदिशिष्टतरः सम्पादितो oul तदलं तावत्ते तदयमुत्तरितेनेदभेव मदुपदिष्टं gaiufasia | negate भदन्त केन पुनः करमेण महाराजेन ताः कन्यकाः परिएेतयाः | Wa . श्राय मद्‌ पदे शमनुतिष्ठतोऽस . समौपमागमिग्त्यसौ विद्यामादाय सदहोधो मन्धो विवाहयिग्यत्धनेन तां कन्यकां wre- त्यस्य eave: ततः किमनेन agar यदसौ किमपि aa तदेवानेनानुषेयं | जानात्येव wae सवं कारयितुं तस्या- गमने हि षमाश्यतेऽखादूग्रासुपदेशावकाश्ः | तस्माच एव Tete: सवं महाराजेन प्रमारोकतेव्य इति मथोक्रं ! नाय महाप्रसाद इण्छामोऽनुश्रासिं। ततोऽभिवन््य सपरिवारः सपरिकर waaay प्रविष्टोऽहं नगरे प्रारम्धोऽनुष्ठातुं भगवदुपदेश गच्छन्ति दिनानि भगवत्पयुपाखनया wearer भावयतो भगवद्पदिष्टा भावना रा्नौ घमागता मे निद्रा | ARMA वामया ततः Vegi गाढतरं भावनाः | ततो राजिशरेषे संजातो मे प्रमोदाति- रेकः ततः किमेतदिति विसितोऽइ -यावत्छमागतो मव्छमोपं खदोधो मन्त्रो विलोकितोऽसौ मचा aaa

आनन्ददायिका दृष्टेः खवांवयवसुन्धरा |

श्रा स्तिक्यचारूवदना धवल्ामललोचना

तक्लनावगमश्षबेगमा मकं स्तममण्डलम्‌ |

धारयन्तो नितम्बं WATS) मनोहरम्‌ .. 144

१९४६ उपमितिभवप्रपल्चा श्या |

` सरवेथा | HRT ATRIA चिन्तमिर्वाएकारिका | | सा fat खिमिताेण मथा विध्यावशोकिता aay | ar agiaa मे दन्ता परिणौता मयानच्रा | ज्ञातः षदागमादौनामानन्दो wfeat frat # प्रभाते तु मुत्थाय परित्रारविवेशटितः। गतोऽहं we वन्दिताः स्रवेसखाधवः ¢ ततो विनयमसेण विहिताश्चलिना मया | aaa राजिद्न्लानतं vet निमेणसूरयः यदुत [र साकिंमे तादृ्रैणै नाच प्रटत्ता वरभावना | fa वा तादृक्छसुद्धतो ₹र्षोक्षाघोऽतिदधन्दरः STE महाराज समाकणंय कथ्यते | कर्मपरिण्णमाश्यसतष्टसते साधुकमेणा ततस्तेन खयं गला सहोधोऽयं सविधकः भरोत्धा हितो थथा गच्छ भज FCAT tl अथय चारिजधर्मण साधेमाशोश् पण्डितः . ततः प्रथखितोऽयं ते षमौपगमनेच्छया विन्नाथासुं carn महामोहादिग्रजवः पापोदयं पुरस्य पथांशोचमुपागताः विषथाभिल्ाषेणोक्ं |

CTA: VATA | १९४७

विनष्टाः साश्मतं थं सदहोधो इतको धदि | Te संसारिजोवख् TY थायाल्ुवष्टकः तत्छाखतं यथाश्रल्वा कुरष्वं यनत्रमुन्तमम्‌ | मानें तिष्ठत सर्वेऽपि तस्य रूवलनतत्पराः ततः पापोदयेनोक्षमायं किं क्रियतेऽधना दा देवोऽपि गः खामौ तेषां we व्वख्वितः तथाहि कमेपरिणामास्यो देवोऽखत्क्चपूरकः | यदासोद्धोः WIA TAMAS वथम्‌ छदासौगोऽपि यद्येव श्यारेवोऽज्र wae तथापि युष्यतेऽश्माकं arg तैः साधेमश्खा ददानो. 2afafest थः पुनर्याति सत्वरम्‌ | सोऽयं सद्ोधसचिवो नेव सूवलनमरंति साधना Harem देवकोयोऽज विद्यते | योद्धव्ये सवथा यस्मात्तेन FCAT वयम्‌ तदेवं संश्विता एवं werd wera यातु यावदथं तस्य Wy षदोधनामकः एतच्चाकष्ये वचनं रोषेण स्फुरिताधरः | रणाय चछितः शो त्र ज्ञानखवरष्णो नुषः छक्र तेन यद्ययं प्रतिपक्षो मे तत्पाश्च थाति लौलथा | मथा fa जौ वितेनेड लननोक्तेश्रकारिणा

rer उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

ययं fe ara aT यात भयेन इयसन्धयः | मया यातब्धमेवास्य प्रतिशूखछलनकाम्यया चिते दाभिधायेत्यं ज्ञा्सवरण्टे मुपे wear चलितासेऽपि ea पापोदधथादयः ` इद्धखागत्य तेर्मागेस्तदा सदोधमणग्तिणः | aver: केवलं शवं भोः किम भविष्यति इतख | सारिचधमरानौयं सेन्यं सदहोधमग्िएः | तदानुत्रजनं कुव दागतं तावत भुवम्‌ ततः परस्यराश्मातचष्ड निर्धोषभो षम्‌ आयोधनं इढस्पधेमाखप्रं बश्योसथोः शपि च। ` विश्रद शङ्खनमप्रभमेकतो मधुकर च्छ विसन्निभमन्यतः | जिपयगायमुनाजचवन्तदा faace प्रविभाति बखदयम्‌ रयविष्ठग्रसयोधमहारथं गजघटापतितापरवारणम्‌ | यनिर्द्धलसद्धरिखाधमं वरपदातिनिपातितपन्तिकम्‌ अथ विपाटितयोधश्रतोत्कटं प्रकट विश्मयकायेपि योगिनाम्‌ | अभवदुद्गटपौ रुषध्ालिगो सदिति सङुखयुद्धमनोकथोः ततस्तं तादृशं hey संग्रयारूढभुश्वकेः | कमेपरिएामास्योऽचिन्तयत्तत्रयोजनम्‌ अये | मया तावन्न करतंश्धिन्तभेद विधायकः |

अद्मः प्रस्तावः | ११४६

प्रकटः पचपातोऽब षवेखाधारणो दयम्‌ ti यतः | wa am विरश्यन्ते पपाते Gara: | महामोहादयोऽतो मे युक माकाण्डविद्धरम्‌ 1 तथाहि | | ay सारिबधर्मोधं ami मे महाबलम्‌ | yur: sarfcalae सुन्दर प्रतिभासते अथ दोषेषु aaa योऽणेष यचा पुरा ततञ्धिरग्तमस्धिव्या गतिम निलवान्धेवाः तस्मास्मच्छश्नरूपेण ase हितकारकम्‌ | qe चारि्रधर्मोयमशं पुष्णामि साग्मतम्‌ येनेदं जओोयतेऽगेन ae पापोदयादिकम्‌ | म॒ मत्तो विरण्यन्ते महामोहा दिबान्धवाः ततः सम्यभ्विभिञिव्य तेनोपाय महात्मना | तथा मदुपदिष्टास्ते वधिता वरभावनाः यावन्त भावनार्ूढः Fare FUT | तावन्तक्रबलोग्धतं षद्दोधदहितं Tay यतः | मणिमन््ोषधादौ्नां भावनां विशेषतः | अचिनध मिह fand वौयमाश्यंकारकम्‌ ततो यया यथा शप प्रटद्धास्तव भावनाः | तथा तथा रणे BIW महामोहादयः खयम्‌ ti

९९५० उपमितिभवप्रपश्च कथा |

ततः प्रबश्चतां प्राय चणादेव विनिर्जितम्‌ | तेन षदो धसेन्येन बलं पापोदयादिकम्‌ aa प्रहारिताः प्रायो महामोहादि शरचवः | चितिः विशेषेण श्चानसंवरणो गुपः खिता भनिष्पन्दमब्टा्े सवं पापोदयादयः | मिर्वाडितः खचन्येन vate: सह विद्यया गते चाभ्वएेतां श्प तव सदोधमन्तिखि | तादूशस्तदा जातो इर्षोक्नायोऽतिसुम्दरः सदहोधसचिवो दृष्टः परिणौता कन्यका | VHGA VT MART ततः परम्‌ तदिद्‌ कारणं wa भावनानां विदद्ये | ₹रषोल्ाघाय way राजौ ते नाच संशयः मयोक्र | अधुना किं प्रकुवेन्ति ते ममान्तर्‌ शवः | QUE महाराज Fad कालयापनाम्‌ fa च। | ` छदौर्णसे गता' नाश्सुपश्ान्तास्तयापेरे | सर्वेऽपि चित्तटष्सौ ते खोनलौनतया खिताः पुमः प्रस्लावमासाद्य शला ते सर्वंमौलनम्‌ | agra शगिग्यन्ति मत्छराध्रातचेतसः ततस्लया महाराज सहोधवचनाश्नदा | चारिजधमेसुभटेर्वारण्यैयाः wry weg

GTA: TATA | ९९११

wate. धदान्चापयति नायः `

इतस संपूर्णो माखकर्पः। ततो गतास्तेऽन्यच भगवन्तो निर्मल- axa: विग्रषतोऽनुष्िता मथा agian: प्रसादितमन्तःकरणं परिकर्मित wot विहितचिन्तटलौ मे agate: दर्भितौ सामान्यतः समाधिनामानौ दौ पुरुषौ Wael वन चाङू Zita सुखौ quite) ततोऽभिदितं emia) देव विगरेवतो घर्म शक्ताभिधानाविमौ geet प्रवेशकौ भवतोऽन्तरङ्गराव्ये तदन- धोमेहानादरो fade: wate | यटादिग््या्थः ततो दर्भिताः खद्ठोधेन विद्युत्पश्रस्फ़टिकवर्ण्णः. खुन्दराकारधारि्छः सुखखरूपा aan इति गोचेण पोतपद्मणक्ता इति नान्रा yfegrfwet नायः | अ्रभिहितं तेन। थदा दव

प्रयमश्य मरस्यमास्तिलोऽपि परिचारिकाः. | waant दितौयस्य जायते परिपोषिका

तदेतासु सम्यम्बतितर््यं देवेन aaa खष्वासामभावे तव परमोपकारि्टविमौ पुरुषौ waite बलेन भवता तद्राण्- मासादनोयं ततः सम्यक्‌ पोषणोया Vata नायं इति मयोक्षं एवं करिग्ये ततः प्रटृन्लोऽह तदुपदेशकरणे प्रविशामि एनः gafynent विष्ठसामि ay fave मन्यामि सुगः सद्दोधेन षाध खन्धानयामि खदागमम्यग्द्रनग्टदिधर्मान्‌। एवं gaint मे गते भगवति ufra fare पञ्चमासमाजं संजातो age: समावजितददयः कमेपरिणामः ततो गतस्तथेव तेषु नगरेषु गमितास्ते राजानः | हताः खवँ मे मिनगिज-

LAS उपमितिभवप्रपष्चा कथा |

कन्यकादानाभिसुखाः | ततः समागतौ aye | प्रवेशितोऽहं तेन पुरस्तपुष्टोदयेन कालपरिरत्धादिपरिवारोपेतेम warfare तारां कन्यकानां विवाहा सपरिकरचिन्तटत्तौ ततस्तश्छिन्‌ साल्िकमानसवतिविवेकगिरिशिखरमिविषट ओेनसत्पुरे समाहतास्ते समस्ताः waftarate: समागताः बपरिवाराः waar ससुचितोपचारः गणितं विवादिनं

अभाने संजातो महामोहादिबले सवंसमाजः.। प्रत्तः qafetey: wfafed विषयामिखाषेश | देव यद्यनेन संसारि- ata: erate: कन्यकाः परिणोताः wea: ahr एव वयमिति मन्तव्यं sat .नास्माभिर्पेचा्र विधेया wae: सर्वेथा यन्नोऽवस्लम्बनौ Vee मोक्रयो विषादः |

भयं fe तावत्कतेग्यं यावदन्ती दृष्यते | प्रयोजनस्य तत्प्राप्तौ प्रहर्तव्यं सुनिर्भयः

ततोऽमुमतं waft वचनं महामोहेन समर्थितं ओेषसु- भटैः विहिता सामयौ | संनद्धं वलं | समागतास्ते ra रणोत्ा- डेन केवखं दृष्टभयतया कममेपरिणएमप्रतिकूलताभौरङतया पर्या- कुलायित्तेम ततः प्ष्टामोभिः सविनयं भवितव्यता यधा भगवति किमस्माकमधना प्राप्तकामिति तथोक्ष भद्रान युकस्तावद्धवतां रण्णरम्भः यतः समाडूतोऽयमधुनायेपुबः कमे परिणामेन मिलिता विग्रषतः एभपरिणमादयः -संनातमायपुच- wun fared निजबणद नौ सक्थं दथेयिब्यति तदपि कमै- परिणामः करिश्यत्यार्थेपुचस्तस्छ पोषणं ततोऽधुना रणेन wat

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Nityacirapradipa, Fasc. 1-8 @ /10/ each ४; शः ate

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Padumiwati, Fasc. 1-5 @ 2/ sts ee |

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Prakrta Laksanam, Fasc. | @ /1/8 each ase

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Paragara, Institutes of (English) @ 1/- each ie ~

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Sankhya Sitra Vrtti, Fasc. 1-4 @/10/ each ...

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*Sankara Vijaya, Fasc. 2-3 @ /10/ each 4

Sraddha Kriyé Kaumudi, Faso. 1-6 @ /10/ each

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*Ditto Asbalayana, Fasc. 4-11 @ /10/ each gn

Suornta Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ 1/- each | dup

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*Taittreya 27811 7918 , Fasc. 6-25 @ /10/ each ons ०५। Ditto -Pratisnakhya, Fasc. 1-3 @ /10/ each és er

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Tattvarthidhigama Satram, Fasc. 1-3 @ /10/

Trikanda-Mundanam, Fasc. 1-3 @ /10/ किल

Tnul’si Sataai, Fasc. 1-5 @ /10/ ..

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Uvasagndasiao, (Text and English) Fasc. 1-6 @ 1/ bee

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Vargh ९1188 Kaumndi, Fase 1-6 @ /10/ yf

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Vidhana Parijita, Fasc. 1-8; Vol. II, Faso.1 @ /10/ =... sl

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Rtogs brjod dpag hkhri S'ifi (Tib. & Sans. Avadafia Kalpalata) Vol. I Faso. 1-6; Vol. II, Fasc.1-5@1/-each .., ie 11 0

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Arabic and Persian Series.

*Alamgirnimah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /10/ each jo. 8 2 Al-Muqaddasi (English) Vol. I, Fasc. 1-8 @ 1/- one ee Ain-i-Akbari, Fasc, 1-22 @ 1/8/ each .. 88 ` O

Ditto (English) Vol. I, Fasc, 1-7, Vol. II, Fase, 1-5, Vol. IIT,

880. 1.6, @ 2/- each thak - Akburnimahb, with Index, Fasc. 1-37 @ 1/8/ each 55 8

Ditto English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. II, Faso. 1-4 @ 1/4/ each 15 0 Arabic Bibliography, by Dr. A Sprenger @ (त ov 0 0 *Badshahnamah, with Index, Fasc 1-19 @ /10/ each =... ave 2३. Conquest of Syria, Faso. 1-9 @ /10/ each + vt! Catalogue of Arabic Books and Manuscripts 1-2 @ 1/- each io

* The other Fascionli of these works are ont of stock, and com te copies ¢plete be supplied Digitized by ९0०

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es —All Cheques, Money Orders, &c., must be made payable (० the Tre ‘Asiatic Society,” only. i

Catalogue of the Persian Books and Manuscripts in the Library of the Asiatic Society of Bengal, Fasc. 1-3 @ 1/- each oc Dictionary of Arabic Technical Terms, and Appendix Fasc. 1-21 @ ९.» भभ कक /8/ each ... en Je पिति ,( ~ 8 Farnang-i-Rashidi, Fasc. 1-14 @1/8/ each =... ° ` शति Fihrist-i-Tusi, or Tusy’s list of Shy’al Books, Fasc. 1-4 @ 1/- each 4, ` + Futiin-nsh-Shim of Waqidi, Fasc. 1-9 @ /10/ each वि ow 6 Ff

Bitto of Azadi, Fasc. 1-4 @ /10/ each 2 Haft Asman, History of the Persian Masnawi, Fase. 1 @ /12/each Rs. 9. History of the Caliphs, (English) Fasc. 1-6 @ 1/4/ each te) = "गा 14819४10811-1-प 8) णहा, Fase, 1-3 @ /10/ each a o Le ee Isibah, with Supplement, 51 Fasc. @ 1/- each he one -OL = Ma’ asir-i-’Alamgiri, Faso..1-6.@ /10/ each =...

Madasir-ul-Umara, Vol. I, Fase, 1-9; Vol. 11, Fasc. 1-9; Vol. IIT, 1-10; Index to Vol. I, Fasc. 10-11; Index to Vol. II, Fasc. 10-12; Index

to Vol. III, Fasc. 11-12 @ /1/ each om ven OO = / Maghizi of Waqidi, Fasc. 1-5 @ /10/ each =... es > we 791 वि Muntakhabu-t-Tawarikb, Fase. 1-15 (@ 10/ each 9: "ae

~ Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7; Vol. Il, Faso. =

1-5 and 3 Indexes; Vol: ITI, Fase. 1 @ 1/- each 16 Muntakhabu-|l-Lubab, Fase. 1-19 @./10/ each... ` ons ‘eve 24 Nukhbatu-l-Fikr, Fasc. 1 @ /10/ ae Nizami’s Khiradnamab-i-Iskandari, Fase. 1-2 @ /12/ each : ae | ee

Qawaninu ’s-Sayyad of Khuda Yar Khan ‘Abbasi, edited in the origi

nal Persian with English notes by Lieut,.-Col. D. C, Phillott Riyazu-s-Salatin, Fase, 1-5 @ /10/ each be 4 नि Ditto (English) Fasc. 1-5@1/- ... ` aba a0 1 नि Tabaquat-i-Nasiri, Fasc. 1-5 @ /10/ each 9 ie 2 8 Ditto (English) Fase 1 14 @ 1/- each oo ee 14 ¢ Ditto Index 4 ate ae 18१1६11 -1- एद Shabi of Ziyin-d-din Barni, Fase, 1-7 @/10f/each ... 4

Tarikh-i-Firdzshahi, of Shams-i-Sirdj Aif, Fase. 1-6 @ /10 each ... 3.

‘fen Ancient Arabic Poems, Fasc. 1-2 @-1/8/ each ne a0) o> नक Tazuk-i-Jahangiri (Eng.) Fase. 1 @ 1/ भ्न 1 e क. es! 2 so Me Wis o Ramin, Fasc. 1-5 @ /10/ each + ae Zafarnamah, Vol. 1, Fasc. 1-9, Vol. IJ, Fasc. 1-8 @ /10/ each \ ore 10

ASIATIC SOCIETY’S PUBLICATIONS, =

Asiatic Researcues. Vols. XIX and XX @10/-each ., = «20 @

2६०८८ 71568 of the Asiatic Society from 1870 to 1904 @ /8/ per No.

JouRNAL of the Asiatic Society for 1870 (8), 1871 (7), 1872 (8), 1878 = (8), 1874 (8), 1875 (7), 1876 (7), 1877 (8), 1878 (8), 1879 (7), 1880 (8), «ss 1881 (7), 1882 (6), 1883 (5), 1884 (6), 1885 (6), 1886 (8), 1887 199 js 1888 (7), 1889 (10), 1890 (11), 1891 (7), 1892(8), 1893 (11), : (8), 1895 (7), 1896 (8), 1897 (8), 1898 (8), 1899 (8), 1900 (7), 1901 ` (7), 1902 (9), 1908 (8), 1904 (16) @ 1/8 pér No. to Members and @ 2/- per No. to Non-Members. १४

N.B.—The figures enclosed in brackets give the number of Nos. in each

Journal and Proceedings, N.S., 1905, to date (Nos. 1-4 of 1905 are | out of stock), @ 1-8 per No, to Members and Rs, 2 per No, to Non-Members

‘Memoirs, 1905, to date. Price varies from number to number Dis- ` count of 28 / to Members

Centenary Review of the Researches of the Society from 1784-1883

Catalogue of the Library of the Asiatic Society, Bengal, 1884 —_...

Moore and Hewitson’s Descriptions of New Indian Lepidop Parts I-III, with 8 coloured Plates, 4to, @ 6/- each...

Kagmiragabdamrta, Parts I and II @1/8/ ... .

Persian Translation of Haji Baba of Ispahan, by Haji Shaikh

Kirmasi, and edited with notes by Major D. 0 Phillott.

१0

Notice of Sanskrit Manusoripts, Fasc. 1-34 @ 1/- each ... Nepalese Buddhist Sanskrit Literature, by Dr. R. L. Mitra

15-10-08

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PUBLISHED BY THE ASIATIC SOCIETY OF BENGAL. New ‘Serres, No. 1205. उपमितिभवप्रपञ्चा कथा सिद्ध षिप्रणता |

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THE LATE PETER PETERSON, M.A., 7 AND CONTINUED BY PROFESSOR Dr. HERMANN JACOBI, of the University of Bonn. | FASCICULUS शा, ५.३

+ ORIGINALLY EDITED BY

CALCUTTA

PRINTED AT THE BAPTIST MISSION PRESS; AND PUBLISHED BY THE

1 ASIATIC SOCIETY, 57, PARK STREET, a 1909.

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LIST OF BOOKS FOR SALE. ` =

AT THE LIBRARY OF THE : ~ 7 fisiatic Society oF PENGAL,

No. 57, PARK STREET, CALCUTTA, . AND OBTAINABLE FROM ~ 1 "+ The Society's Agentsa— -

Mn; BERNARD QUARITOH, 11, Grafton Street, New Bond Street, London, Wi, + = anp Mr. OTTO HARRASSOWITZ, 8००६8४1४, Leipzig, Germany |

+त 4 Complete copies of those works marked with an asterisk * cannot _be_aupplied—some an asterisk * cannot be supplied—s ied—some = ` of the Fascicult being out of stock. the Fascicult being out of stock. वः, te क~ 1 BIBLIOTHECA INDICA. - Sanskrit Series. | *Advaita Brahma Siddhi, Fasc. 2;4 @ /10/ each ०,१९ Re. 2 ~ | Advaitachinté Kaustubha, Fasc. 1-5 @ /10/ each ०६ ean k 14 | *Agni Parana, Fasc. 6-14 @ /10/ each ves ^ ` >+ 9 Aitaréya Bralimana, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. Il, Faso. 1-6; Vol. III, Fasc. 1-5, Vol. 1 ए, Fasc. 1-8 @ /10/ each १०५ ave 16° 6 Aitareyalocana ०७७ 8 -.0 “Anno Bhashya, Fasc. 2-5 @ /10/ each one See 8. Aphorisms of Sandilya (English), Faso. 1 @ 1/ ५५१ be ~ Astasihasrika Prajfiapiramita, Fasc. 1-6 @ /10/ each Pee Jee ta *Atharvana Upanjshad, 7880. 4-6 @ /10/ each one न्त oe Atmatattvaviveka, Fasc. I ies dae eid निद 0 Agvavaidyaka, Fasc. 1-5 @ /10/ each 3 2 Avadina Kalpalati, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Fasc. 1-6 Vol Ws II, Fase. 1-5 @ 1/ éach wee wo 4१ Balam Bhatti, Vol. I, Fasc. 1-2, Vol. Il, Fasc. 1, @ /10/ each ee | ` Bandhayana Sranta Sitra, Fasc. 1-3; Vol. II, Fase, 1-2 @ /10/ Ene *Bhamati, Fasc. 4-8. @ /10/ each Be tes = che "ह ee Bhatta Dipika, Vol. I, Fasc, 1-6 @ /10/ each . ~ 12 Baudhyostatrasangraha - ०७ an ,, Brahma 8०४४, Fasc. 1 @ /10/ each ०५» - “eee w. 0 19 Brhaddevata, Fasc. [-4 @ /10/ each ५१३ ००० ~ ॐ. > 8 Brhaddharma Parana, Fuso. 1-6 @ /10/ each sak „= 8- “18 Bodhicaryavatara of Qantideva, Fasc. 1-5 @ /10/ each ०९4 “Oe ae Cri Cantinatha Charita, Fasc. 1... ०७९ o - -9. ` -- 29 Oatadiisgani, Fasc. 1-2 @ /10/ each "२, 4 Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Faso. 1-4 @ 2/ each 8 0 Qatapatha Brahmana, Vol. I, Faso. 1-7; Vol. Il, Faso. 1-5 णण. = III, Fase. 1-7; Vol. V, Fasc. 1-4 @ /10/ each ms ०, 14 6 Ditto Vol. VI, Fasc. 1-3 @ 1/4/ each ... in Ore ae Qatasahasrika-prajfiaparamita, Part I, Fasc, 1-12 @ /10/ each ‘es 8.

*Caturvarga Chintamani, Vol. II, Fasc. 1-25; Vol. III, Part I,

Haralata —... * Karmapradiph, Fasc. 1

Kala Viveka, Fasc. 1-7 @ /10/ each Katantra, Faso, 1-6 @ /12/ each Katha Sarit Sagara, (English) Faso. 1-14 @ 1/4/ each

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bry Fasc. 1-18, Part II, Fasc. 1-10; Vol. 1 ए, Fasc, 1-6 @ /10/ each ... 36 14 Ditto Vol. IV, Fasc. 7, @ 1/4/ each ess ०" 2 ~> ~क DJlokavartika, (English), Fasc. 1-7 @ 1/4/ each aoe >, *Qranta Sitra of Scotia, Fase. 12-17 @ /10/ each =... 8.~.~ 29 Ditto Qankhayana, Vol I, Fasc. 1-7; Vol. II, Faso, 1-4; i Vol. IIT, Fase. 1-4; Vol. 4, Fase 1 @ /10/ each ०५७ os 10; ^ Ori Bhashyam, Fasc. 1-3 @ /10/ each ais sag? > क. . Dana Kriy&i Kaumadi, Fasc. 1-2 @ /10/ each tee” eee ~Gadadhara Paddhati Kalasara, Vol. 1, Fasc. 1-7 @ /10/ each oe =. Ditto Acarasira, Vol. II, Fasc. 1-4 @ /10/ each = . 39a Gobhiliya Grhya Sitra, Vol. I, @ /10/ each ... 6 न्न 8 ~ = Ditto Vol. II, Fase. 1-2 @ 1/4 /each Tes fT ¢ Ps 1 वि, 49. 17.

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*Kirma 2१६१४, Fasc. 3-9 @ /10/ each $ a: ‘yaa Lalita-Vistara, (English) Fase. 1-3 @ 1/- each ate ~. 9, Madana Parijita, Faso 1-11 @ /10/ each 4 6 Mahia-bhisya-pradipodyota, Vol. I, Fase. 1-9; Vol. II, Faso. 1-12; = ` Vol. III, Fasc. 1-8 @ /10/ each = snd पि, evs Manoutika Saggraha, Fasc. 1-3 @ /10/ each vice Markandeya Parive, (English) Faso. 1-9 @ 1/- each Digittaed ~y GOOG :

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भवतां खव प्रखथः wea तस्मात्कालथापनगां कवं कस्तावद ष्ठ - waar तिष्टत चयं यदा ठु भवतां परस्ञावो भवि्यति तद्‌ाइलेव निवेदयिष्ये दलावधामो डि भवत्मथोजने खकखकालमं वते | का भवतां चिन्ता + ततसदनुरोषेगोपसंदतस्तेः HSE TATA: | केवलं तथापि sere wget एव तैः परच्छलख्ितेरपि निजनिणाः शो गज्रहटयः PETE सजाता. मन चेतसि sate: | ययेदमा दिष्टं भगवता wea परिष्छौतासु तासु कन्वकासु भवन्तै- ay प्रत्राजयिखे श्रतिदुष्करा प्रक्र्या qe wat we- WAIT Hee चत्धनुष्टानं gewfed ने wr | संभविमो रोगातदाः | aa शमिखते प्रायो grea मे खूचटन्तिता कातरददथा वराकै मदनमश्जरो बाधियख्यते द्राघौयसा यादष्लौविकमदोधविधोगेभे इत्यादि foray मे सजातो मनाङ्मनोभङ्गः | तत्चिग्तितं मया तत्‌ किं परि- णयामि तावरेताः तिष्ठामि यचथासुशाखिकया गमयामि यौवभं खाधौोनाख ममेताः ततः पञात्काखे परिण्णीय प्ररजियामौति | श्रयं च॒ सर्वोऽपि दुरवर्तिनि wei मम qua: पर्थालोचः Swat समागतः सद्वोधः निवेदितो vara निजाभिप्रायः सद्ोधः प्रा देव सुन्दरमिद afer देवेन उतिकरमि- दमात्महितस्य विबन्धकं पुशसन्दोहानां चिहमेतदश्नताया | खाभाविकनेतग्छन्तणं देवस्य किं तहिं विश्चसितमिदं तेषां पापात्मनां महामोहादौनां ते fe fafworenea दव

aren: पथेपश्िता सामतं कतान्तधाना विप्रकर णाच देवस्य | 145

१९५७ उपमितिभवप्रपश्चा कया |

त्न AMSAT देवेन ततो शग्मं सद्दोधभावितं afew अभिहितं मया sd कथं पुनरमो facade: | षद्ोधे- मोक्षं देव निनबलेन aut दशय मे fared agty- aim एष सष्वोऽस्ि केवलं तहगेने कमंपरिणमस्याधिकारः | कमेपरिणामेगोक्ं wea मयादिष्टेन aural दर्थिताः परमाथतो मयेव ते द््चिता भवण्ति तन्मा करोतु विकल्पं ciara: | सद्ोधेनोक | यदादिश्रति महाराजः | ततः प्रबेशितोऽङ षद्दोघेन चिन्तशमाधानमणष्डपे दर्िता्ारिषधर्मराजादयः विहिता aa प्रतिपन्तिः सन््मानिताः प्रत्येकं मया गताः पदातिभावं जियुक्ा रिपुभिराकरणे ay चतुरङ्गसेनया

ततस्तेषां समु्ासमाखोक्ध रणश्चाखिनाम्‌ |

प्रयेकं प्रभुणा राज्ञां शतं शरग्मानतोषणम्‌

दूरादेव HART महामोहादयक्षदा |

पापोदयं पुरस्य ABTS Aaya:

AQ भग्रास्तदावासाः शोधिता a महाटवौ |

रिपुनाशेन war शोके जयपताकिका

केवशं ते दुरात्मानः कि चितखयसुपागताः |

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ततो महाविमदेन विवाहोऽतिममोरमः

प्रारथो मे तदा कलु मुदितान्तरबान्धवेः .

श्वापिताः प्रथमं तावन्तनाष्टौ चारमातरः |

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मिषेदितं मे वौयं शहोधेन एक्‌ एयक्‌ मादणणं यत्तदा तासां तन्ते भद्रे fara आद्या डि get माता युगमाजप्रलोकिनम्‌ | मुनिलोकं पुरे जेने मागें थाकेपवर्जितम्‌ 1 डु द्धिपूतवाक्येन तथ्यं wei मिताचरम्‌ fatter भाषयल्येवं माता यतिजन सदा इतौयमाता निःपेषदोषनिमुकमश्नसा आआहारमेषयत्थेव यतिलोकेन कारणे चतुथेमाता मुनिभिः सुदृष्टं सुप्रमाजितम्‌ | याजाद्यादाननिचेपं कारयन्तौ fara यत्किचिद्यात्परिव्याच्यं रे हाषहारमलादिकम्‌ | स्धष्छिखे पञ्चमो माता aman व्याजयत्यशम्‌ षष्टो माता पुनर्नित्यं साधचिन्तममाङ्खखा TEM GUAT टोषसङातमश्चसा सप्तमो कारणाभावे माता मौनविधायिका साधूनां कारणे वाक्धदोषरचचणतत्परा weal Raat सुनिज्ोकमकारणे | धारयेत्कारणे कायटोषविश्चवधारिका तदिमा मातरस्तज शापिताः प्रथमे fet पूजिता विधानेन जगसत्पुरसारिकाः & ततचिन्तसमाधाने तचेवान्तरमण्डपे |

सेव निःसयदता बेदिरविगेषेण मारिता

६९.४५

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विनिर्मितं wae neta famaerer

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AMM TAs मिख सादरम्‌

खामाङ्गरागग्धवादि कधुकमे विनिमिंतम्‌

ताभिरेव awe: wa: सामश्तपार्धिेः |

arfaatsy faferrg श्चषितो वाखितोऽश्टकेः

ततः wet विवाहदानन्दः | fea: agte एव पुरोहितः

यन्ते कर्मनामिकाः समिधः शिष्यन्ते षद्धावनाङतयः विक्यै- aa कुवासनामिधाना शाजाञ्जखयः | ततः कारितोऽहइं सदागमे- भेव सांवत्छरतां भजतातिषन्दरे awayis पाणिग्रहं चा न्िदा- रिकायाः शरचाकरेऽतिदवेण विजभ्मिताः शभपरिामादयः विललसिता जिश््रकन्यतादयः saat aerate: आनानि मण्ड- af | एवं saw तस्मिन्नेव awen often: चेषा aft मयाष्टौ दथादिकन्यश्ाः। उपविष्टः शङहितस्लाभिखशस्िन्नेव जोवदोयनामके fare वरासने नतः शम्मानन्दिताञ्चारिबधरम- राजादयः | veut fafaurafearar: + इतश्च

यदेव faa wt कन्धा परिष्णीता मथा पुरा `

तदेवासौ महामोहः प्रौग: परमार्थतः

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सवेषां सुदाथा्मा VTA: वतेते .

दग्धरब्डुसमाकारस्तेन पाच मे स्थितः

दा तु परिष्टौताखाः चाक्थादिवर कन्यकाः |

` GTA GH: | १९.४० `

सर्वा वेश्वानरादौमां प्रतिपकतया स्मृताः तदा सोऽनौोकसदितः पापोदयघमन्ितः | सारिचधमेराजादिनाशितोऽपि तथा पुरा लोनोऽपि खनतरतां हिशवेश्वानरादिभिः ` साधं तेनेवमिस्वासदूराहूरतरं मतः तथाख्ितेषु age: शओाम्ताबाधः प्रमोदितः sifaet वरनारौभिः खसेन्यपरिवारितः ` अन्तरङ्गविलासेन छखङ्दामजोखया | सखसवेदनतो बेद तदा सत्यं सुनेवंचः `

तया एएभपररिणमसख saat अमि कन्यकाः | तज्िष्कम्पताजातास्तङा agt बिवाडिताः wary ता शेतिश्रद्धामेधाविविदिषासुखाः | मेनो प्रमु दितोपे खा विश्चिकरणटादिकाः | ततस्तेन सुभार्याणं aq ey खोलया

अत्यथं मिभरौग्वता wert मे सुखासिका a. चिकित मया |

एष सुखषन्दोहो यः पूवं afeat मम भगवद्भिमेया इन्त साखादेवानुखयते # यावच्चेवं Raley: GAAS तदा पुरे | श्वितोऽहं तच सपराप्नास्ञावजिमंलख््र यः शिताः खपरिवारास्ते तचरेवाह्कादमन्दिरे गत्वा समस्तघामथ्या वन्दिताः Bet मया

११५८ उपमितिभवप्रपश्चा कथा|

ततो विधाय नसेण were कर ुश्मश्म्‌ | ug भगवतामये मयेदं भाषितं तदा wal भगवदादे श्रः dae: ara यदि | भाय तदहोयतां cter प्रसादः कियतामिति a सूरिरा मशाराज संपन्ञा तव भावतः | खतो भागवतो Stet तस्लाः किं दोयतेऽधना तथाहि ।` यदेतश्तव संपन्ने खदेऽपि वसतोऽधुना | इदमेव विधातव्यं यतित्वेऽपि विगशरेषतः तथापि eats शङ्ृ्नोयो पण्डितैः | अतस्ते awa wa zafay विधोयते a fe ख। wrafayafefesfad Farts | तहोयते महाराल fey ते द्रव्यतोऽधना

AR नाय मडहाप्रसादः। ततो विधायाष्ट दिनानि जिन- qfagat समुत्पा्च नागरकानन्दं संभा बन्धवगे पूरयिताथि- सहगतं श्वापयित्वा निजसुतं जनतारफामिधानं wey समाप तत्कालो चितं fad हत्यविधिं ey मदनमश्चयां युकः कुशंध- रेख प्रधानपरिजनेन «fast निमंशसूरिपादमृल्े विधा- नेनाइमिति ततोऽभ्वस्तः समसः साधुक्रियाकलापः वक्षभौग्तो गाढतरं सदागमः | शिदिति तदुपदिष्टान्येकाद शाङ्गानि कालिकोत्काशिकश्चतानि तयाभौषटतरोग्धतः सम्बम्दशेनः

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संजातखारिषधमं चिन्सावन्धः। famed विशरेववसब्पैन्वं | पालितौ नितरां ंयमतपोयोगौ भ्रानि सुतरां प्रमन्ततानद्ा- दौनि रिपुक्रोडयख्वानानि। fadeteatr feugiat: ata एर्चरणडश्रवारतो fayatsy रिका सुनिचयेधेति तदन्त विदिता ddan हतमनश्रनविधानं। तहशरनाकष्टा मे भवितव्यता SUIT एडका तत्तेजषा नोतोऽहं विबुधाखये कश्पातोतेषु विबुधेषु खापितः प्रथमयेबेधक्ने तज

मनोहारिणि we fea fewigasd |

ब्रदभ्जातिनिमेलाकारः ख्ितोऽहमग्टतोपमे

तल्छागरोपमान्यचेखखछथो वि्रतिमुक्षमम्‌ |

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ततो मनुजगत्यन्तःपातुकं वरपाटकम्‌ |

तरेरावतमाथातो भद्र भार्याजिथोगतः

त्र सिंहपुरे जातः gat वौोणामदेद्योः |

WE गङ्गाधरो माम चदजियः शातपौदवः

जातिख्मरणएषंपनो टौशामादाय सुब्दराम्‌ |

छता yaaa सुघोषायायेखन्निधौ

तदश विधानेन yaenafeamarz |

रेवेयके दितौकेऽहं गतो भार्यागिधोगतः

परिपाग्वानया भटर शताः पञ्च गमागमाः |

भावदी्वां समादाय रेवेयकमिवासिषु

एकेकट्द्या संजाता ख्ितिश् ममाभघे |

१९१६० उपमितिनवप्रपश्चा क्था |

सखामरोपमतो यावत्पश्चमे सप्तविंशतिः शरोररिष्रनिवांशौ शमेसन्दोददायिका |

` इद तच. जातामे wal कश्थाशमाशिका

ततश्च VACA भरते. शङ्खमामने |

पुरे मरुजगत्यन्मर्धांतकोखण्डमण्डले

एनो भद्रामहा गिर्बोर्जातोऽह सिंहनामकः मरेष्वशरे GEV: खुन्दराकारधारकः .. श्रय यौवनेन धर्मबन्धमहासुनिम्‌ ` We भागवतौ टीका मयाक्ना वरल्लोशमे y ततः क्रियाकशापेन. खाधुभां चारगाभिनि fagnise सद्भावः सषा्थेग्डशोद्यतः अय GUA कालेन इादशाङ्गः सदागमः | aga: सालिशरेषो मे ader gaat गतः पुराणस्य मथा wa faa बहश्रो 71 किंतु संपृेपूर्वाणि परान्नानि कदाशम तदा तु सलोककाखेन faa tea मया निःग्रेषमस्य विज्ञानं सवे wa: खमन्वितम्‌ तनो ऽधिमतश्जार्थो गरुण धमेबन्धुना स्था पितो! निजस्थाने सूरिसङ्भ्य aaa: way रृरदामन्दो देबदानवमानवेः | अचा्येस्था पनाथां मे सखमत्कार कारकः गङणा ्रषलोकेशच प्षाचितोऽहं मुङमुडः |

Wee Wea: | १९.९९

Urey wrest धेन ज्ञातः सदागमः तथा | . a | TASES पूजिता शोकबान्धवाः ` विहिता erger विधिना. वसनाश्नेः fe a ते देवास्ते महाभागा मुनथस्ते eer: | ममाृष्टा गुः wader: किङ्करतां गताः तचागक्तोवाजिनोऽनेके पण्डिता विनथोद्यताः खोयगच्छाग्नरेभ्वख मम WITT: ततो विचरतदधिषग्रामाकरपुरादिषु ` कुवेतख प्रबन्धेन व्यास्यागमतिसुग्दरम्‌ अनेकवादषद्ङाटव्यां वाकूखड्यष्टिना कुतोयमनमातङ्गङुमनिरभंदकारिणः खग्राखपर शासा सुढटगर्भायेदभ्चिनः - पूजितखय महाराजवामन्तपरभेश्वरै, . छडामवणेखत्की तिग्रष्दश्चाघापुरःसरः | छक्ञासितो antedt जनेमं पटश्योऽनघः तथा | ४५ ` ` धन्योऽसि शतद्त्योऽसि षिता माय मेदिनी | वयावतरता मद्यं परमब्रह्मरूपिण्ण fafael बत्यसिंहस्लमित्येवं मतमस्तकाः | तौयचिक्रा whe मां सवे gam: पयैपाबदे 146

१२६९ उपजितिमवप्रपच्ा कथा |

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२९५६१ उपमितिभवप्रपश्चा Sur |

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इतस तदेव निमंलोशत्य feat नित्य ।. रिपुवगे feat राच्ये गतः ख्यां fadaraw तदिदमशिष्छं जातं शयोश्रमणएलख्णशम्‌ | निभाया दुष्टरेष्टायाः we नान्यस कश्चित्‌ $

अर्टहौतषङूतयोक्रं | केवलमिदं तात ead यज्निबेदितम्‌ `. away बत तत्व निजं चेष्टाविशभ्धितम्‌ .

तथाहि | | यद्यवर्तिव्यथास्तात ater a निरापदि | vat सुख्ितराजस्य esararat ्िराश्यः माभ विव्यन्ततो दोषां तबेयमतिदारणा ` मोषा श्रयमाणापि तोत्रानधंपरपरा # ससारिजोबेनोक्रं | | चार्‌ चारूदितं gy सप्रति हि aA. `.

147

१९९९

११७० खउपमितिभवप्रपच्चा कया |

माणाग्टङोतशदेता भावतश्चु विचा तदाकणेय Tay सातं चेन हेतुना | जातोऽहमोद्ग्रावखस्तसराकारधारकः अर्टरोतषदेतयोक् | निवेदयतु wx: संवुारिजोगेनोक्नं | तस्माद्धेवेयकादगधादानौतोऽदहं ACTA पुरौ मनुजगत्यन्तःपातिनौ चेमनामिकाम्‌ इत्च जानात्येव भवतो यथा | अनेकापणमाखाख्छे रिविसारखन्दरे | महाविदे दरूपेऽज WATTS वसन्ति चिषरूपांणि सत्पुराश्छन्तराम्तरा | ततः SAW साय WAI मध्यगा सुकच्छविजयसख्यानमिदं भद्र निगद्यते | धच feat वय धयं पुरौ सा मनोहरा wet Sagat | wacufrarfrentuarat निधिः | राला युगधरो भाम भाखकराकारधारकः॥ तस्य शश्नमाभेण भोत्फृषमुखपद्कजा आसौदिष्टा महदिवौ नलिनो नाम विश्चता अयाग्ररोतसङ्ते भवितव्यतया तया | तस्याः प्रवेभितः कुखावदं quicarfan: cay | ` vet राजौ guaret घा सुप्ता कमदेखणा |

QCA: TU: | १,९१.७१

ASN. HUGS समुत्थिता ततः प्रष्टषाख्यातास्ते युगंधरगमुखे | तथा BOLUM महाखप्रा मनादयः Vara चथा देवि देवदानवपूजितः | कुखप्रदौपसते पुजरयक्रवर्तो भविति a. ततः MRM सा AAA मनोहरः अभिनन्ध ACMA धारथतेऽमघा ततः संपूणकाखेन खुन्दराकारधारकः | पुष्योद ययुतो जातस्तोषाहृष्टोऽइमम्नया अरय गला प्रियङ््यां इवेगङ्ूदया गिरा | ्रोत्फुञ्चनेजथा खाने तातायाहं निवेदितः ततः पुकचावङ्गः दश्वा पारितोषिकम्‌ | दाने aa यचाकाममादिदे् aye श्रथ विच्ाखविग्धषणवन्धरः सरखनतेनदादबरखन्दरः मद विचुितशोकमनोहरः प्रवते. सम जकामरोत्छवः MAMAS LATM मानदानमदनादरवनल्तः |. तातवाक्रधेवग्रतो विललसन्तस्तच् गाढमुदिता गतु समकः aia तदनं ag तथान्यदिनपञ्चकम्‌ | गतसुहामणौलामिरेडदुखवसन्दरम्‌ ततः प्रयत्नतः शरदेस्ताताम्नावान्धवादिभिः षटिकाजागरो रम्यः शतो मे नाक्र विभ्रमः ततो anaes wierd aware |

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उपमितिभषप्रपष्ा Ku |

प्रतिषि मे नाम ययायमनुसुन्दरः अथय संवधमामोऽडइं धाणोपञ्चकथ्चालितः | कुमारभावमापननो VAT: सकलाः कलाः ततस यौवनस्धोऽहं यौवराच्येऽभिषेचितः | तातेन महता भद्रो विमर्दन मनोरमे अथासौ भारा कारस्तातोऽलतं समुपागतः afeat गता तेन ard माता ममानचा ततो यावत्करिष्यन्ति किख crease qa | सामन्तास्तावदुत्पश्न THC ARTA

तया |

तामि ग्रेषरन्नानि सुन्दराणि भयोदश्र | भिधयसख समायाता नव ae: सुरङ्िताः ततोऽयं चक्रवर्तोति मला सवं नराधिपाः | गताः किरतां मेऽ सुकच्छ विजये तदा

` ततो निजि्य निः्रेषं षट्‌खण्डं दमिमष्डलम्‌

चेम्ुधों fadia प्रतापेन मयाजिंतम्‌

छतो sen वर्षाणि दाजिंशद्धिमंहौुजाम्‌ |

qwacfatat मे किरीटाटोपराजिनाम्‌ ततो देवौषशसाणां चतुःवष्चा सशाखिलम्‌ | Surana Pat भोगसंइतिम्‌ i Huet was दधानखक्रवर्तिताम्‌ | महति विमदेन aftaread खितः

टमः प्रस्ताबः | (rer

fa बहना | चतुभिंरधिकाश्रौतिपूवंलकाणि whee | उदामराञ्यसम्भोगं BATE चालो चने fata: पशमे काले खपुयां राजलोखया | वट्‌खण्डविजयस्यापि खस्य TARA पुराकरादि करणां तां wey वसुन्धराम्‌ | GUAT समायातः BT शङ्खनामके तत | UVM बं शेषं राजवह्लभवेदितः। प्राप्तित्तरमं चेदमु ्ानं नन्दगोपमम्‌ दतख | यानि शणएधारणवस्ायामग्दवस्तद्यया प्रथमो मे wars: कन्दमुनिः तथा वयस्यः get भायां च॒ मदनमश्ररौ तान्यणाखेटिताजि भवितव्यतया मितानि waren दर्रितानि सुन्दरासुन्दरशूपेण | ततः agi: कचित्लतबहलिका- aaa: खमानौतोऽस्येव सुकच्छविजयस्यानश्वंते इरिपुरे तज WaT राजा | AQ सुभद्रा माम महादेवौ तयोखास्ि समन्तभद्रो भाम तनयः ततः प्रबेश्रितोऽसौ कन्दः स॒भद्राकुचौ fava करमेण जाता दारिका प्रतिष्ठितं ae नाम महा- भद्रेति इत्च समन्तभद्रः dry स॒घोषमाचाये संजातवैराग्यः संभाख पितरौ far: संपन्नः संपूषदादश्ाक्रृधरः शापितो र्मिः सूरिपदे arf महाभद्रा समाप्ता यौवनं परिणीता

९१०४ उपमिविभवप्रपच्चा कथा |

गन्धपुराधिपतिना पदमावतीर विप्भपुेक दिवाकरे गतोऽषै कालवग्रेनास्तं प्रतिबोधिता समन्तभद्रख्ूरिण महाभद्रा | ela भागवती Stet!) सजातेकाद श्राङ्गधारिष्ो Maret खापिता दर्भिः प्रवतिंनगोपदे ततः सा सुषाष्यौभिः परिवा- रिता विहरन्तौ प्राप्ता Tagt awe मगधसेनो राजा | तस्य सुमङ्गला गाम मडहदेवौ | we सा मदनमश्चरो जनिता तस्सुताल्वेन भवितव्यतया तया शृतं तस्याः gufedia माम | प्राप्ता करमेण यौवनं संपन्ना पुदवदेविणौ अङ्कित waftare: | नेष्टो वरगन्धोऽप्यनया ततः कथमिवं वरिवखत दति संजाता जमनोजनकयो चिन्ता ततो aqegt . श्मागतामा- कष्य weer तां सुललितां प्िथपुजिकां गतौ तदुपाये wena देवोगेरेष्यौ वन्दिता सपरिकरा भगवतौ दन्तो ` ऽना परमपष्टकशख्यपादपमिङपरहतबोजश्धतो wae: विडि- ता्टतप्रवाहकश्वा THIN ततः खा Gufwar परिष्फट- मबुष्यमानापि भगवतौवचनभावा्थमत्यन्तमुग्धतया पू्परिश्या- SURG भगवतोवदनकमलावशोकनाजिजलो चमे HTT नेतुमपारयन्त्ौ पितरं अत्याह तात मचा भगवत्धाख्चरण्टयुगश् पर्थैपाशितिवयम्‌ | तदनुजानातु at तातो येनाइमनयेव शा way विचरामोति तदाक प्रदिता समङ्गखा नृपतिराह | देवि अखमज इदितेन। करोतु ae शमौोहितं अयमेवास्ा विभोदनो पायो भविव्यति tae भगवतोपा््ंखयानया साम- Tawar गरस्ठयेव सत्या प्ंटितग्यं न॒ दासम्‌ एष्छयानया

OTA: प्रस्तावः | , ११.७५.

प्रतरव्धाजण्पोऽपि विधेयः। सुखखितयोक्रं तात मदाप्रशादः। ततः खा सुखजितानया महाभद्रया प्रवरतिंन्या ay तथेव मानादे- शेषु विषरित्रं प्रसा tae कमेदि यान्न प्रवतंते तखाः पाठः म्‌ खगति खामाचारोकमः बुध्यते खा परिष्फटमपि कथ्यमान- मागमाथे अन्यदा समायाता भगवतौ महाभद्रा शङ्कुर | fea aque sfeat damerat! cag wet मम मातुलः ओग्भो माम राजा तस महाभद्रामाटष्वसा wafer माम महादेवौ सा निरपल्या तदथं cera पथाचितशतानि पिवत्यौषधमूलजातानि ततो भवितव्यतया उुखंधरो afcy भवेषु तकुश्रलाभ्यासः fier gat दृष्टोऽगया Bt यथा सुन्दराकारधरः Get वदनेन मे प्रविश दयेन निगत्य केन चिन्नरेख साधं ततो गतः कचितोऽनया भज Way: | date) भविथ्थति ते ge: | केवश्जमवचिरेण कथचन शरश my प्रत्रजिव्यति aera तुष्टा कमणिनौ | ततलृतोये माभि संजातोऽख्वाः कुशखक्मकरण्ममोरयः सपादितः ओौगभंराजेन > संपृणेकाले जातो दारकः परितुष्टो राजा कारितस्तव्वक्मा- न्दः इतस समुत्पज्लविमशकेवलाञ्लोकः खमागतोऽसौ समन्तभ- arava: ख्ितोऽचेव fence कानने निगंता तदन्दना्थै महाभद्रा कथंचिन्न fay: gufaaa संजातः कथचिद्राज- दारकजश्यः | भगवतोक्ं एव बडङश्ोऽग्यस्तकुश्रखकर्मा . राजयुषो wets भवने योग्यति ` weet भविब्यति सवंश्चागमधारकः | तदाकण्छामता PAM महाभद्रा | इतख AG AORTA

trod vufaferraraqT कथा |

पौष्डरौक इति प्रतिहितममिधानं। विदितो नामकरण प्रमोदः | इतख सघा सुखिता क्ुव्रहचपरतथा विचरन्तो प्राप्ता we चिक्रमे कानने दृष्टः सङृमध्य्ोऽनया समकभद्रखरि- नपतिसुतग एषब्दोहं aaa: उक्तं च॒ भगवता तोऽव waa क्मपरिणामेम श्नुक्करूोग्धलया कालपरिणत्या wet मलुजगतौ नितस्स्मादेव विधु एवाय भविव्यति wget fe cafe: सभिखिक्ेगु णेटुज्यत एव कोऽच खन्देहः ततस्त- SHO ष्टाः सवं शोकाः | सुखलितया चिम्मित कथं काल- परिणएतिकमपरि्णमथोजेमकलवं कथं चेष भाविशणएजातं जानाति ततो गत्वा वसतिं षष्टानया महाभद्रा तया चिन्तितं saya मुग्धेयं gufeat ततोऽयमेवास्छाः प्रतिबोधमोपाय इति संचिग्ध ofan: समर्थितं महदाभद्रया काखपरिएतिकमपरिणा- Hatten उत्पादयामि सदागमगोचरामस्याः प्रीतिमिति चिन्तयनधा भिडितमनया | भद्रे स॒ तथा wary areas: खदागमस्लेयावलो कितः | fe भगवान्‌ तभवद्धविथद्भावाज्जिः- ओषाना विर्भावथत्येव | Ay way तप््रसादारैव Hae waa fama चिरपरिचितः समे भगवाद्महाप्रभावखत्यादि वणितं शदागममाहाक्य कथितं तस्य तथा परितोषकारणं | सुखखितया भिहितं भगवति ममापि विधेडि तेन भगवता ay परिचयं | महाभद्रा | बाढं ततो नोतानया समकभद्रखरि- समौपे खुशजिता तहशेनाव्लातः सुखजितायाः प्रमोदः ea:

WTA: TATA | १९७

afraid प्रत्ययः श्रभिदितमनया भगवति व्चिताइमि- यन्तं ate भगवत्या यदेष दितो मे महाभागः सदागमः। श्रहो से aru) तदतः परं भगवति cima मे दिने दिने ana येनाहमपि भगवत्या seat पण्डिता भवामि | awa | एवं afta: ततः प्रारब्धा anat प्रतिदिबं भगवत्पयैपाखना लदितो मासकश्पः ततो भगवानाइ | महाभद्र चौएजङ्गाबलासि लमधुना शक्रोषि विर wafae aaa शर्खनुरे ad तु वि्रामसावत्‌ पुनरागमिब्यामः | युश्नत्रतिागर एभेवेहास्माकं मासकल्यकरणे कारणं . sega fe म॒ कष्यते endures GF साधुनां कतुं area: | म्बागप्रतिलागरणं geared | प्रतिषरणोयख भवत्या पौण्डरौ- कोऽयं राजदारकः | भविष्धव्येष वधमानो मे fre: are येति प्रतिपन्नं सूरिवचन महाभद्रया विता भगवन्तः |

प्राप्तः क्रमेण पौष्डरोकः कुमारभावं। प्रादुश्व॑तोऽस्य यथानिर्दिष्टो TURAN: | जातोऽयं खप्रतिबद्धदइदयो महाभद्रावां समा- गता wat भगवन्तः समन्तभद्र खरयः नोतस्तदग्धणे महाभद्रया पौण्डरोकः भाविभद्रतया इष्टस्तकर्तिंद शेनेन रश्ितसहु- waaay प्रोणितिसदचनाकणेनेन | शद्ध सुग्धवुद्धिनया महा- भद्रां were) भगवति किमामायं महाभागः तया चिन्तित | खरश्हदयोऽयं राजपुजो cary भगवह्ुणेरिति च्छते तदख्यापि अनयाम्येतद्रारेणेव श्वन्ञागमविषयां भक्रिमिति संचिनधाभिदहितमनया भद्र सदागमोऽयमभिधौखते get

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१७ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

कोथोक्कं भगवति यथम्बातातयोः प्रतिभाति ततोऽदमरतेय भम- बतः सकारे TATA महाभद्रवोक्ं चक्रमिदं तले निवेदितसदभिपरायो महाभद्रया कमखिन्ये श्ौभभरानाय GMAT: प्रमोदः | ततो गला महानन्देन समर्वितस्ताभ्वां भगवतो निजतनयः ततः कुरते प्रतिदिनमागमाधिममं पौष्डरोकः

ततोऽजेव HUT कावनेऽकेव ated रेत्धभवमे qyegearafed भगवति wom धमे ग्धा ferret मराभद्रायां निकटवर्तिनि पौष्डरौके समागतायां gufenrat धमेकथादिक्नदखे weet ससु्नण्ति agte- वखकखकखः weprercenfta परिषत्‌ aa: wufecar महाभद्रं wee) भगवति किमेतत्‌ सा आइ बाहं जाने i लतो भगवता तथोः सुखखितापौष्डरोकयोः अति- बोधायेदसुक्कं यथा महाभद्र किं wend लं अशिद्धेष तावदिषं मजुजमतिनगेगरो प्रद्यातो ऽयं महाविरैहरूथो इहमा्भो अभाधेना शवेऽपि swarms) ततो ऽद सषारिजोवो भान तखरो atin: eaten शष्टाग्रयादिभिदंष्छवाजिकेः द्वितः कर्मवरिशाभमरहाराजाथ ततस्तेन ver काखपरिणति खभावा- दौचाश्जापितोऽखौ व्यतया ततः सोऽवं warfare: ew | fered राजपुरवेभेहाकलकलेन warren are? fired गोला पापिपश्चरनामके वध्यश्ाने दुःखमारेफ मारजिग्धते | सदेव तसिश्नोयमाने कोलाइलः yet छलकितयोक् भगवति aq शरङ्खन्पुरनिदं a मशुजगतिः feared चेद ar

GEA: THe: | ११०९

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९१८१ उपमितिभवप्पश्चा कथा

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Ha कृतोऽहं watcha पापाजेगपरायणः कथ |

के मारे वर्तमागोऽदं naw मांमभच्छणे |

HINA रतो धति जन्तुसङ्गातपोडक

यौवमे वर्तमानेन पारदार्यादयस्तया |

शोके प्रभवतात्यथं yay विदिता मया तथा |

११८

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उपमितिभकप्रष्चा कथा |

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ततस्तेखथपरषरेनं मजिनतरोकृता fewafe: गितरामभिभरतं चारिबधममेराजबशं धारितं fragment तिरोहितं ततानधा- दिकं अतरामनतरङ्गमन्तःपुरं बदि्भाकितोऽह प्रञुभावात्‌ | भकाशितं कमेपरिशामराच्छं भवशौश्धतः पापोदयः। afenag- CAAT Alaiye सष्यापिताजि निजनगरादौनि vet TS महापूरेफ प्रमन्षतानदौ ¦ fewer afeafed | प्र्ययोतिश्तविखेपमण्डपः समारिता ठण्णावेदिका wart विपर्थाखविष्टर परिपोषिता महामोहेन निजा विद्षागावदहिः | खवेथा yadda मसा सामसौ ततः sentsitet पथांलोचः | अभिहितं विचयामिशणाकेण |

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facid एतच्छक्षा wee राजलोलथा | संप्राप्तश्ेदमुधानं राजव ज्ञभवे हितः

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उपमितिभवप्रपस्चा कथा |

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ततः कन्दमुमिकाले Gracey सता मया नितरामेतद्गोचर- स्याभ्वस्ततया बडमामसख्यानुशोशिततया fare प्रतिपल्नतया qque भाविततया गौरवस्छानुष्टिततथा वन्छल्भावस् प्रादुज्धेत- खेतसि मे faak: दुत कंषा पुनभेगवतौ या दृष्टमाच्रापि मे इट यमेवमाङ्वादयति नयने wiawefs शरोर निर्वापयति श्रष्टतक्ुष्ड इव मां किपतौोति ततः कृतो मया aaa: धिरः प्रणामः। sata धमेलाभाग्ौर्वादः श्रभिहितंष। at at

महाराज |

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शक्रोति ममाग्यणेमागन्ते तमखा पयि 149

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ततो waaay सूयां एनिकरेरितवम्‌

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ततस्तस्य प्रकाशेन THA: प्रणयं गतम्‌ ।.

शब्रमायोधनं रम्यं feneat Sarat:

ततो बलेन निर्भिद्य रिपुवग विबन्धकम्‌ |

खमागतौ मे पारं तौ सद्ोधमरन्तमौ

ततः प्रृतो मे faa: | यदुत किमेषा भगवतो जख्पतोति

ततखोहापोहमागण गवेषणं gaat मे षमुत्यश्च जातिश्मरणं खता YFUNTCUA! | ततस्तदनुसारेण वधमानदभाष्यवसायस्छ मे मागतः षदोधवयस्यो विनिजित्यात्मप्रतिपक्षमवधिः | तदखेग दृष्टा मयासंस्येथा Torey: | विलो कितोऽसंख्येध एव भवगप्रपश्चः med सिंहाचा्यकालाभ्य्तं पूवेपयेन्तं सहहातिश्रथेः wae wafer: oftee इव निमेणद्षरिगिषेदितः समस्तोऽ्या्य- संसारविष्ारः | तदारात्‌ पुनरषंख्येयतया दृष्टः साचादेव fae: परिभरमण्टन्ताकः | ततः पूर्वोक्तेन कारणेन विरशग्येत्यं तख्छर- पतया बद्र पि विडगम्न्यमानमात्मान समागतो sefay aa महामद्रथा | तदाराक्रतौत एव ते मरौयनब्धतिकरः | ततो wz सुलशिते मदनमश्लरोवमिति प्रखुपितच्लेहतन्तना अत्यनमसुग्धेष- मदृष्टपरमार्था वराको ति संजातकरणातिरेकेख स्वेश्चागममो चर- बडमानेन क्िष्टकमेविशयतो भवत्व्ास्तपखिन्याः प्रतिबोध शति भगवतोऽस्य सदागम wWensicizfea मयेदमवधारितमिति

अर्मः प्रस्तावः | ११७७

QCM वङमानभुत्पादयता Fetus षरएमासक यन्तेव भगवन्धाहाव्यादेव महर भयेशेव निषे दिगोऽयमग्डरोतसङ्केते दत्य पता मथा कुदइलपरायै भवत्ये quale बंषेगोपान्तेन समस्तो- ऽयाक्रभवश्मणप्रपचचः | तदौद भद्रे तदमर चौथे eeu विहितं cet तच विडम्बना एवं चाषं खगतं परगतं च॒ SUMAN जानामौति | एतच्चाकण्छं विस्मिता खलखिता भाविता wa पौष्डटो-

कणापि wernt मनाग्मावा्थः | ततोऽभिदडितमनेन we किं aru ते चित्षदटलौ वतेते श्रनुसुन्दरे शोक्तं श्राक्णय |

याव्छबेगमापश्ः प्रारभो निनचेष्टितम्‌ |

गिवेदयितुभित्यं भोः पुरतो vara

तावच्वारिबधर्मोऽसौ खसेन्यपरिवारितः।

प्रस्ताव इति विन्नाय चलितो मम ewer

तेन चागश्छता

आआनन्दितं खवौधंण पुरं सा्िकमानसम्‌ |

saat Heat विवेकवरपवैतः

शिखरं Waa wA_eact वरम्‌ |

उदास्त श्योऽपि पुर जेन प्रतिष्ठितम्‌

चिन्तसमाधानो मष्डपोऽपि समारितः।

खां frqunafe: पुनः wen fafafiar .

तश्चोल्लसत्मभाजाणं MANA वराखनम्‌ |

wi तेभ ससैन्यं eae परितोषितम्‌

११८७ उपभितिभवप्रपद्या कथा |

तत्या गच्छतस्तस्य परि पूणंतयाष्वनि | BANU ANT मामो इमहावलम्‌ इष्टं neared: सवं तच्च ag मयातुलम्‌ ततः परिषरे रम्ये चित्तटन्तरमौकयोः ततः ARTI सम्यग्द्शंमखंयता | मयावष्टभ्भितो जातः राजा जयभाजनम्‌ 8 ततो विघरिताशेषपरपक्ः खलोखया | श्रवाप्तनयलष्छोकः WITTER FATT ग्ोत्ान्तःपुरं Ta मामकौनं चिरण्ननम्‌ | राजा चसारिबधर्मोाऽषौ मस्मोपसुपागतः ते fatseaar: fafeauan faa: | दौनाः GU दृढं wat महामोहादयः खिताः faunontfad भद्र वतेते मम साश्मतम्‌। च्छ जवः AAA प्रष्टा वर बान्धवाः अरन्य | प्रपद्य जिजगदन्द्यं fay स्वंश्चभावितम्‌ | श्रधुना पोषणोयोऽसौ Taal मयान्तरः एवं वदता तेनानुसुन्दरेणोपसंइतं तदिङृततश्करणूपं sifanifad खाभाविकं शक्रवतिंखशरूपं eavgaae निटन्ता तस्कर विडम्बनासाममो | समायाता मण्विमरसमसामन्ताः | निषे- fener भिजोऽभिप्रायः। प्राप्तकालतया प्रतिभातोऽमोषां ततः पुरन्दराय fangiea समपितान्यनुखुन्दरेण राज्यचिक्ानि

BLA: Tea: | १९१८६

अथं भवतां राजेति श्नापिता cede: सविनयं प्रतिपन्नमेतेः। fadfid भगवदभिषेकपूणादिकं भिःजेषकरणवं निगेतः सपोराग्तःपुरः BIT: | हतानेन स्वेषामुचिता afar: | पुनर्भो शिता परिषत्‌ went महानन्दः | _

ततः GUY तादु दृद्ात्यह्ुतसु्तमम्‌ |

मुग्धा gufwaraat भाता fea चमश्छता

संजातः पौण्डरौोकोऽपि सतोषो विस्ितेच्चणः |

QU तत्तादृशं साक्तादनुखुन्द्रचेटितम्‌

अरय विज्नापमापू वमनुसुन्दरग्डभुजा |

छत्साहिते तदा खरो प्रव्रज्यां दातुसुधते tt

सोऽगुसुग्दरराजेष्धः कर्णागतवेतमः |

तां राणपु योऽपि प्रत्युवाच ससंभमम्‌

भद्रं gefat बोधस्वाद्यापि मानसे |

संजातो वर्तसे मुग्धे aaa चकितेक्षणा

दोलायमामचिन्ता तमौषड्धावायेको विदा

संजाता ara किं तु ate at anfadea

BRIA मया देवं गाढनिवंदरकारकः |

भवप्रपश्चो fae: ante: परिकोर्तितः

तदनेन शतेनेत्यं किं ते areata जायते |

अगन्तदुःखविस्ञारे act wanes

fa यन्ते पुरोपमानेन सखजौवस्य विडम्बनम्‌ |

१६९ °

उपर्मित्तिभिवप्रपश्चा कया |

मथास्व्यवहारेषु जोषेषु प्रतिपादितम्‌ तत्किं नो शितं सुग्धेकिंवानमो भावितं wie भवत्या थेन निर््यया संसारे gee रतिम्‌ | एकेडियादिभेदेष यच्च freq तिता |

agua मया दुःखं Us तव कौतितम्‌ ॥.

बद्धसस्य भावाथेः किं लथाद्यापि AAS |

एवं निराकुला मुग्धे येनाध्ापि विलम्बसे मोचसाधनयोग्येऽपि लभं मारुष्यत्रे TS | हिंसाक्रोधातुरो यां प्राप्तोऽद दुःखमाशिकाम्‌ सा fa विभाविता बाले सभावा्थां इदि aer | किं वा कथानिकामाचर भवत्या परिचिन्षितम्‌ a तथा मानग्छषावादस्तेयमायापरायणः | लोभमैयनदोषान्धो यद हं मविडन्नितः azarae ते gra यदि नो द्रावितं मनः ae ततो मन्ये wa तदखनिर्मिंतम्‌

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अनर्थसाचंेत्र तौ महामो परिददौ

मया गिवेदितौ शला सवेदोषसमा्यौ anes वद्धासि feat लं विसिते्णा | तेनाग्टरौ तस्ता मया परोक्ता पुनः पुनः

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QTR: Vana: | ९९९९

यः dim: स्यशेनादौनामिख्ियाणं सुदारूएः

विपाकः सोऽपि dew भवत्या नावधारितः |

शरवे धिका ततो मन्ये areata सुन्दरि तथा

यन्लग््रनौ विणो st यश्च वेचच्णं वलः |

था देशना वधस्तो चेधंद्ोलमविेष्टितम्‌

eq कोविदविन्नागमिष्धियार्णां निबदेशे

तदाकलय्व को नाम Gace विरष्यते अन्यच्च |

अरिबन्धेपमं यत्ते मया मुग्धे निवेदितम्‌ |

चित्तटटभिख्धितं साखादन्तरग्रबलदयम्‌

त्याप्याकख्े sary यदि प्रतिबुध्यसे

तव बौधे विधातव्ये नाख्लुपायसतौ ऽपरः $ तथा |

तदाकलैय्य ATTY SH कानकथेखरम्‌ |

तच्च AMAT Y सौ जन्यं नार वाहनम्‌

विमलं मलरणेनस्य विमणस्य चेदहितम्‌ `

त्यागं इरिमरे शस्य afew रतविस्मयम्‌

विवेकमकशद्स् शमाकण्ये तादृशम्‌ |

gaat afced wer वेराग्यकारणम्‌

तथापि यदि ते few बाखिके a facfeaq

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१९१९ उपमितिभवप्पश्चा कथा|

ततो ऽगदोतसङतेल्य्यमाना FSES: | ATMA वा सुग्धे रोषं गन्तुमहेसि

तया | | fa a स्मरसि aga यत्वं मदममश्नरो | सतौ सतौ ममानौता तया पुष्योदयादिमिः age age: Gwe विलासा मनोहराः | तद्राव्यं ते sara wa fa faq तव कन्दसाधु समासाद्य प्रबुद्धा ferns समं इलंधरे णोचयेथंन्तदा तन्न बुध्यसे यमा ख्यन्निरमलाचार्यः केवलालो कभारकरः | भवप्रपश्चं मेऽनभतं समचं ते स्फुटाचरः किंन बुद्धस्वया सोऽथं किं वा नैवावधारितः। येनैवं कत्धंमानेऽपि aw waa तिष्ठसि विन्यासेनामुना बाले तव बोधविधिष्छया | मया षार विस्तारः एव प्रतिपादितः यथा मे पयिकस्येव सर्वम वाषकोपमाः | एकरूपस्य श्यां सः सपना विविधा भवाः ततः संषारिजोवोऽदमेकरूपोऽपि भावतः | संसारे नारक्षाकारे नानाकारेविंनारितः तदेनमपि Swart निवदस्ते जायते संसारचारकान्तस्मात्ततः किं RATATAT

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ष्मः प्रशावः | Urea

मगराश्यन्तरङ्गाणि थानि ये aq afear: 1 रानानस्तन््ारेष्यस्तासां था TW कन्यकाः प्रयेकं age fear विवाहः ATEN: 1 तजाष्टौ मातरो aE Bawa निवेदिताः तदिदं सवंमाकष्छं बुद्धा यदि बाशिके | इन्त पावाण्ण्डतायास्ततस्ते fa निवेद्यताम्‌ AUT कि सरसि awd ante Gwar | nmegt प्रतिपन्नासि fraererdefaut # Bat ATE: wi प्राप्तासि gearfwarq मवचक्रे VWRLAT QATY मागता fa ai dame यदाख्थातं खम्यग्द्भेनदूषषेम्‌ | srataat तया war जिनादौोनां ुदुःशितिः उपार्धपुद्लावतं यथाइमटितो भवे एतावन्तं पुनः are किं त्वया तन्न वोङितम्‌ तया | | चलुदेश्रापि fara पूर्वाणि यदहं गतः गयोऽणयनन्तकाथादौ मदगोचरदो षतः तदप्याकष्छं संजाता किं चिन्त चमल्छतिः सावकेऽद्यापि येनेत्थं मिःसषेगेव खश्छसे

wate सच्छगोधेन पूवे तक्मामकं वचः 150

ULes उपमिति्भवप्रपश्चा Ut!

faaca faa feet खभावा्णे' पुनः पुनः

मा सुद्ध खार aera मा fawn बाछिके

येन संपद्यते wa: weet मे परिश्रमः

एवं वदति तचानुखुन्दरराजे अमागतमूरकोीऽखौ निपतितः

पौष्डरोकः किमेतदिति संजाता संमा परिषत्‌ | षमाद्धलौ- भतः arias: | हा पुज किमिदं किमिदमिति वदन्तौ तरिता कमलिनौ समाश्वासितोऽखौ वायुदामेन ततः म्ोत्कुक्षलो शः पितर प्रत्या त्रातानेनानुखन्दरराजेन वे क्रियं तसछररूपं धारयताच्यग्त विडद्धमिवात्मभमण्माश्यातं तवागम- नात्पूर्वमासौत्‌ ततो ममाबुध्यमानस् संजातस्हद्‌ा विकश्पः ययानया प्रभ्नाविध्चाञ्चया महाभद्रया भगवत्या aa विषादं खभावाथे भोक्छे चावताधुनेमां सुशखितामनुगरिखमारामाकणं- यतो मे संजातः कञचिदनाख्येयः प्रमोदः | acne dad चेतन्यनिःखडइता ततः meat मे जातिष्मरणं भलतपूर्वऽह- मख कुशंधरो माम TAH | शरुतो मथा तदा नि्मैखस्रिण जिवे्यमागोऽखछ wag: ततः स॒ एवायमनेनेत्यमाख्यात इति शुटितो Aor सन्देह दति विरक्तं मे भवचारकाचिन्तं , mitra यूयं येनाइमनेनेव wy get र्डामौति तदाकण्य प्रददिता कमलिनौ | ओगभंराजेगोक् दैवि मा Tigh | चतः

स्लप्रसचित एवायं पौण्डरीको ates: |

HAD WGKA शएङधमपरषाधकः

अषमः Tae | ११.९१

तन्नास्य धारणं युक्रमावयोः किं तु gts अगुत्रजनमेवाख्य निर्मिंग्यसेदसलकम्‌ तथाहि बाखसत्कुरुते धर्ममेष भोगखो चितः | ततः किं gerd स्थातुमावथोभंवचारकं ततः कमश्िनौ प्राह दषंगद्दया गिरा चार्‌ WE महाराज प्रतिभावमिदं मम a ततोऽलुन्नाय तं aw यावन्तौ रतनिखयौ | ्र्न्धाग्रे जातौ खयं रेरीगरेश्चरौ तावत्तद्रावितात्यधेमरुखन्दरभाषितैः। wea तदोच्छ पौष्डरोकादिचे्टितम्‌ ` agit महाभद्रं प्बद्धाश्नलिबन्धुरा | सा UIT सवेगात्ानुक्रो्रमवोचत fatza महाभागे किं मया पापया शतम्‌ | GU दुरितं येन जाताहमिवमोदृ्ौ # विद्खातस्वभावार्यो धन्योऽयं राजदारकः | संजातः खपमाजेण प्रसङ्गश्रवण्णादपि AG पुनरयं षाखाक्मामवोदिश् सादरम्‌ | एवं निवेद यन्युचेमेदाभागः aaa तथापि मन्दभाग्या कोदधुकामापि चेतसा Ss Tema बुध्ये पद्ुसन्निभा

(req sufafrrauqer कथा |

अन्यच्च - |

एषामेष परिच्छेदः संजातो शज्ञानपू्वकः

चयाणमपि चन्यानामगुसुग्दरवाक्यतः

अदं पुमने जानेऽज कि करोम्यन्धकर्पिका |

शून्या WRIA स्पष्टसद्दोधवजिता

तदिदं मे महाभागे खयं बद्धा शदागमम्‌ |

ver कथष निःशेषं we पापस्य जभ्मितम्‌

ततस्तां तादृशौ dey बा्यक्षतविखो चमाम्‌ |

राजपुज शपावेशादत्रवो दनुसुन्दरः

छक तेम यथा सुग्ध सृशशिते यदि ane खद्‌खरि-

जिज्ञासा ततोऽइमेव तन्ते निवेदयामि se भगवत्या प्रयोजने याचितथा सुशलितयोक्षं wae मे निषेदथला्बैः | अनुसुन्दरेणोक्ं असि तावहुणधारणेन खता मया साधं मदन- HEC संजातवेराग्या प्र्रजितासि तवं wae: करिषाकलापः | छताजि गरितपञ्चरणानि। कवलं प्रहन्ता तदा ते दुबेद्धिः। aga यद्व ade तदेव क्रियतां किमनेन बना रोखेन | ततो सुखखायितस्ते arnanterwe: रसिता aren a प्रतिभाता प्रच्छना नाभिमताः परावता arafeat लथामुप्े्ा नानुश्ोलिता धर्मदेशना) fa afe प्रतिभाश्िता ते veer se स्ाध्याथोदेगेम मोनत्रतलारिता say तोत्रोऽभिभिषेश्ः यतो विहिता श्ञानवतां seater शतमाम्तरायिकं a जनितसदुपचातः aerate: नाशे-

` TST प्रस्तावः | ११९०

वितस्तज्जिक्कवः सपादिता ayant कि तु तया gear तेन श्ानशरेयिष्येन तया प्रमादपरतया ठता भवत्या euat- aay arma 1 ततः समुपाजिंतमिदमौदृश्ं कमे यतप्मभा- वाद संष्येयकाखं arate भवचक्रके जातासि चेवंविधा लं लडबुद्धिरिति। किं खुणशिते पूवभवाग्वासादेव प्राचश्रः प्राणिनां श्यां सोऽनुवतन्ते भावाः। तयाहि। यथा तदा त्व मदनमश्चरौ सतो पुर्षदेषिणणौ dear तथेहापि wa एव खो भिब्रह्मचयं निरततया argent वमाकारिता af fare ते प्रत्ययः | सुलणितथोक्रं wre किं चाज भवडचने मिखति | केवलमहमज मन्दभाग्या येवमपि कथ्यमाने भाखरोदये कौनि- कवन्तमःपूरितेव तिष्ठामौति। वदन्तौ खमु का फलनिकरभिव नयनसञ्िणबिन्टुवषं dig wants ततोऽभिदिता खानुसुन्दर- राजेन राजपु ge विषादं कलौणप्रायं तेऽधुना तत्कर्म | कर्ष्व सदागमे भगवति भक्तिं | TRA शरणां एतदाराधमम्‌ खं fe देहिनां तत्वज्ञानं अरक्ञानतमो दशने भाखरन्डतो भगवाम्‌ | धन्यासि त्वं यास्य पादमूलं प्राप्ता ततोऽमौभि्वंचनेः पवमेरिव सधचिततोव्रसंवेगानला सा सुलशिता सदागमोऽयमिति gar पतिता भगवत्छमन्तभद्रसूरिथरण्योः | श्रमिहितं

श्रन्नानपद्धमद्माया AIST VTA |

त्वमेव मन्दभाग्याया ममो्ारणवत्छशः

शरणं त्वं महाभाग 4 Mat 44 a faa |

तदेष विमो ara करियतां faect जनः

११९ < उपमितिभवप्रपश्चः कथा |

ततो ALMA सदाममबहमानण् YRrar संवेग

सरलतया YAS कशाणडेतूतया भमवत्छज्निधागस् प्रत्यासनतेया मोचश्च विधरितं aftaame पादपतिता एव संजातं लातिसखूमरश i ge. साखाटिव मदनमश्नर्बारिको sare: ततः अमुधैसितः nate) समुत्थाय निपतितासुन्दरयरणयोः | aaa guia किमेतत्‌ सा are! यद्घगवतः प्रषांराद्धग- वैति meer मे यतः संजातं जातिद्मरणं संपननशायक- वचनम निशंयः facta darcacafen | तदसमुग्टदयेताहं मन्द WaT AAMT भवता अनुखुन्दरेणोक्त we खंभकनसु- ग्टाद्येवाय भगवान्‌ | ATTY AU तथाहि

अदं भगवतानेन भरकं प्रति ATER: |

भावशौयंश बद्धोऽपि शाक्षारैवं विभोचितः॥

पापिष्ठा aft से स्वाः समासाथ सशागमम्‌ |

पमं afm again qed ते नं संश्रयः

qe |

wana किल बुद्धा मन्दभाग्येति चिन्तया |

सावभावना कार्या लवा भद्र खगोचरे

यतौऽहमपि तैः पूरवैमकलङ्का दि भिस्तया |

बोधितो areata प्रवं श्रिपातकम्‌

सयोग्धतां पुमः प्राय विलीने ,पापकमेणि

BU: हच्रतरे णाहं प्रवद्धो जेनश्रासने

यद्‌ we विखोयेत पापं कालादिहेतुभिः |

अमः प्रखावः। ११९९

HATE NYS YTS: बहकारि्टः gufeadin sre सत्यमेवमिदं विनष्टा सेऽधना area- भावना केवलं प्रतिपन्नं मथा निजजननोजनकयोयेयाननुज्ञातया मरत्रव्यानामापि AUT | तत्कथं भविष्यति अशुखुग्दरेणोक्रं आये मा Mat) उमागतावेव ते जननोजनकौ wart agufant वदो बशकणकलः। शोकमेखायां प्रविषटलतेव मनोमन्दने जिनभवमे सपरिकरो मगघसेनराजः BE Gaye | ततः प्रणिपत्य भिनेश्वरममिवन्ध इूरिखाधुव्े च॒ शतण्वत्वान- प्रशमः सुखखितया प्रणम्य चानुसुन्दरराज्रुपविष्टस्तस्मौपे | पुमक्गलापि चिदितनिःगरेवप्रतिपन्तिविधाय सुणखिताशिक्गन- ABTS मूधेदे ग्र छपविष्टा तद ज्तिके आरानन्दभरार्‌ गङ्दवागाइ | ag सशषुत्ुकलेन तव Tiare | आवां cred after लतसमौपञ्ुपागतौ लनकस्ते रतिं aa प्राप्नोति लया विना। मन्दभाग्यस्तथा BUSI टन्दद्यते जनः कटोरइदयवेन facqay वां पुमः | त्वया निरग्तर वत्से दत्ता वार्तापि नावयोः इखणितयोक्र | अन्न कि बशनोक्नेन at ware थयाश्ितः | युवयोः Gwegrat गुनं aware तः | अरं वुद्मदरुश्राता प्र्रश्वां पारमेश्वरम्‌

१९०० उपरमितिभवप्रपच्चा कथया |

अधुनेव werenfa संवारोन्ारकारिणौम्‌ ` ततो यदि यवां मेऽद्य वारणं afta: | amet मया ard निर्विकश्यं यरोव्ययः लतो मम तथामौषां जनानासुपरि Bey | प्रतीतः Qwagrat यौग्माकौणो भविव्यति

WAG AWWA: सुमङ्गलां ware) रैवि दन्तौ वद्यावयोशरंखबन्धेः विहितादित एव निदन्तरता खदृटपर- माथंयमधना वतेते कथमन्यो वचगविन्यासः। ततो भवत्धेबेयमयक्रकारिएौ खाध चोक्षमनया | GMAT TET TAT सह cd निर्मिष्यलेदसारख्चकमिदं विगरेषतः ्रा्षकालमा- वयोः | सुमङ्गश्योक्रं। area देवः ततो इष्टा सुशणिता पतिता महाप्रसाद इति वदन्तौ. इयोरपि चरणयोः | कथितया- गथा संचेयतस्तयोरनुसुन्दरादिदन्ताग्तः संजातः सुमङ्गलामगध- शेनयोखं wer तोषातिरेकः। प्रादुग्धैतो भावतोऽपि चरपरिणामः। याचितः aft: seat | परंडितौ TUT |

ततः शसुक्लय्लोषरदुवसन्दरम्‌ निपतरेवखहगतमुद्यो तितदि गन्तरम्‌ विचससृये निर्घोषसंलृग्धभुवनगोद रम्‌ | अनन्त रि विस्तारपृजासत्कार बन्धृरम्‌ दानसन््ागखद्वानविधानकरणोद्यतेः | afi: समाप सुनिषन्देख चार्भिः

GTA: प्रकावः। १२०१

तरामुखन्दरादौोनां सदौ खाग्डणचणे |

QUANG संजातं मनोनन्दमकानमम्‌

ततो मगसेनेन Bee गभुज |

सखौयं पुरंदरायेव Trey पाश्यतयार्धितम्‌

ततो fata भिःग्रेषकतग्यं सूरिभिसखदा |

दौखितानि wena सर्वाणि विधिपूर्वकम्‌ 9

अरय अवेगदद्यथंमग्टता जाद सल्िभा |

सद्धमेरेश्नाकारि एर्भः कलभाषया

aga ते Gata: शेवणोकाः कथंचन |

धयाययं मताः wry Vary इदि भाविताः

ufeara awegrafear yefirerar |

ara: सर्वा fareraqufem ययोचितम्‌

अथा दिल्योऽपि तहृष्ा चरोः शला देश्रनाम्‌ |

श्रक्नोऽडं नेति aaa गतो Thome तदा

हतावश्वककतग्ये सखाध्यायध्यानतत्रे |

ततः खाधुगण्े जाते प्रदोषे चातिखङ्धिते

अत्यन्तपरिदष्टात्मा कतश्त्यतयाक्मनः

विविष्ठि ्थानमापन्नो राजर्विंरगुसृन्दरः

ततो विषश्ष्यमाणाभिज्श्ाभिः संप्राप्वोपश्ममेष्ौ संपन्नः

कसेणासाबुपश्राकमो हः भगवद्‌ पदेशा fanra तस्िस्ेव qa तजिर्थाणकाशं खिताः समाधिकारिणस्तदभ्यकं मुनयः। game समाप्तमायुष्क | ततो fage देदपश्चरं गतः स्वाचंखिद्धिविमामं |

151

CRON उपमितिभवप्रपश्चा कया।

संजातस्थस्िंशरत्धागरोपमो aviges: प्रभाते विन्नाय तमनु- शुन्दरशुमिव्यतिकरं मो खितश्चत्विंधोऽपि ओौ्रमण्यह्घः विधिमा परित्यक्तं सुभिभिश्हच्छरोरं शता गरामरेसतत्पणेति श्रय सङ्मदायौोति ममासाविति दिन्तथा। पूरवाग्यस्तदूडखेदतन्तुबड्धवशेन AGA SIG लरया तथा | fon gufear erat किंचिष्छोकन पौडिताः # ततः ओकापनोदायें तस्यास्ते ATCT: स्वामेव पुरतस्तेष्रामित्यं प्रभाषिता ana श्रोचनोयोऽसौ महात्मा नरसत्तमः | येनेक दिनमा साधितं सत्मथोजनम्‌ यथा पापभरं war प्रतो नरकं प्रति यदि गच्छेन्तयेवाज ततः शोच्यो भवोदधौ थः पुनः प्राय aga निधय भिनकल्मषम्‌ | gatifafy संप्राप्तो नासौ शोकस्य गोचरः # ओचनौयः खतामिष्टो मरः संयमदुरबेखः हि aay संसारे भ्नमेदुःखभरेरितः viteate: दिग्धेन wa: संयमवान्‌ नरः | fe संसारचक्रेऽपि तिष्टेदामन्दपूरितः॥ एव विभेत्युशेमंरणे खमुपखिते | येन नो चरितो wa: परणोकणखावहः बद मपण्यपायेयं यस््ादाय प्रतते |

चऋदल्मः Aas |

मरणं aw anrat भोः fa तु aetea

स्ञानदशरेनलारि्तपोरूपाणमाश्िनो |

९९२०द्‌

MMII Wea यस्य arava कि सतम्‌

आआनन्दोत्पादकासतेऽच भगवन्तो सुनौश्वराः |

ये चालविला पापौचं ताः पष्डितम्डल्युगा इत्यार्यऽना्यंकार्येभ्यो निट्न्तो थोऽलसुन्दरः |

म्तः utente कथं सिद्ध प्रयोजनः

fa Vi

एवं

खितिचयात्ततच्युला gate भारते | अयोध्यायां गान्धारराजद्ुमुरभ विश्यति माका चाग्टतसारोऽसौ पद्पिनोचिष्सनन्दमः |

भविष्यति wagfacaafefa आाजितः

mate यौवनं प्राप्तः कलशाकौश्रङ्को विदः | विपुलाश्यमामाममाचायं प्राप्य सुन्दरम्‌ are पितरौ युवा षदौखां पारमेश्वरम्‌ ग्रोव्यति विष्एद्धात्मा चरिष्यति fet तपः ततो faye भिःगेषं aera समाधिना भवप्रपन्चं faye area श्िवाखये

fiat |

स्वेया सख प्रमोदस्य कारणं vyefeara ` आं ओनोकसम्तापकारणं सख मरोन्तमः

अचान्तरे प्रणम्याह पौण्डरो कमदहामुनिः |

१९०७ उषमितिभवप्पञ्चा कथा|

ददं निवेदिते नायेखन्तं भावि aya: खुन्दरेतरलोकानां तेषामाकालभाविनाम्‌ | fenant grae को ठक्ताग्लो भविति रङमिरकरं rage | RVEANAT VS WHMIS तस्य भोः | खाधोरग्डतसारस्य GANA भवे पुनः चान्तिदंया ते भाय ष्ठदुतासत्धते ते खजताचोरते ये ते ब्रहमरतिञुकते AUT विद्यानिरोौहते ay खितं शौनतथा पुरा a शारि जधर्माद्यं वंमा विभ॑विष्यति aurarg छे तिश्रद्धामेधाविविदिषासुश्षाः | मेनोप्रभ्ुदितोपेचा विश्नपिकरुणादणः तस्याग्तरङ्गसद्धार्थासिन्तटष्लौ महात्मनः सुखसन्दोहदायिन्यो भविष्यन्ति यथा पुरा लतस्तन्ताईूशं WYATT ARTA पालयन्निखिलानुचे रिप्रलुकलयिति it आरूढः कपकश्रष्ां पुनरेष महाबलः | चतुरो जातिरंशचासान्‌ स्वेया चुणंचिष्यति # सप्राण केवलालो कं हत्वा ATI | विधाय aged सखवेयोगाजिरध्य अय पर्यन्तकालेऽसौ Want प्राय सत्कथाम्‌ |

Gor: wera) १९०४

जिःशरेषं रिपु सहगतं ater cufeafa ततो fafenwetset संपू . निजबान्धपैः | संप्राप्तो faant Gut भोखच्छते राग्धशत्फणम्‌ अनन्तानन्दसन्ञानवो्यद्‌ गेमपूरितः निनेष्टसकलाबाधः santa भविखखति इत तेन सा ape भार्यां भवितब्यता | महामोहवखे Ge तदा शोकं करिष्यति i कथं SAS बत लातेबमं भप्रमभोरथा महामोदादिषेन्ये या संजाता पचपातिन. a समस्तमपि जानत्या विज्ञातमिदं मया ufug fafea ate agreacfa Maa fa तत्‌ .. | | धुवाणि थः परित्थश्छ श्रधरुवाणि निषेवते 1 भुवाणि तच्छ nef sya गह्टमेव ` द्धा ममापि को दोषो रूढेयमपि वतिनौ | Gwar जनो Ge समस्तः खप्रयोजने . ` एवं fafaa सा गओेषलनक्राचपरायणा ` डित्वावभावनां ष्णो शंख्िता भवितव्यता तदिदं ते समासेन पोण्डरोकमुने aarti. आनुसुन्दरमासख्यातमन्तरङ्ग' विचेष्टितम्‌ . एतच्चाकश्चं ते तुष्टाः पौष्डरौकादिशाधवः।

१२०६ परमितिभवप्रपश्चा कथा |

fea सुखिता जाता सर्वथा शोकवजिता ततः सा चिन्तथामास गाढ fanaa |

ूर्वाबोधमनुखत्य sere गरकमिंका

तदिदं मामकं नुनं Hace weft |

सवेगानिलसारेण विना तौत्रतपोधिना

एवं विचिग्ध सा धन्या सहुरूणामनुश्चया |

कषटेस्तपोभिरात्मानं fray weiter कथं |

चतु येषष्टदट शमदाद शादि विचिषया |

रराज रागनिसुक्रा रन्नावद्धा विराजिता

चिचचर्यासुवर्छंन भिमितास्याखतुकैता |

VU संख्धिता रम्या We aw चतुर्थादितपःक्मंसन्भरौ किक विष्ङ्कया | aed सा महाभागा सुक्रावश्या विश्डषिता लघुमिख मरद्धिख सिंदविक्रो डितैस्तथा क्रोडा निटन्तवुद्यापि क्रोडितं सिंदलोखया तस्या भद्रा महाभद्र सवंतोभद्रया सड | भद्रोष्छरा प्रतिमा चकार तनुश्धषणम्‌ आचाश्जवधेमानेन वधमाना प्रतिचणम्‌ | क्रियमाणेन षा TY न्नानेन गतकल्दमषा चान्द्रायणं वरन्धा निजं कुलनभस्तणम्‌ | तथेवोद्यो तितं मन्ये चद्धलेखासमानया

अर्मः प्रस्तावः | १९०७

श्रासेग्य यवमथ्यानि वख्जमध्यानि चाना |

सालं सुललिता जाता निःसपहा भवचारके

तदेवमादिभिर्धन्या तपो भि्भिंजकस्मषम्‌ |

सा तदा शभेसदो्यां जाखधन्तो व्यवसिता | दत पौण्डरोकोऽपि श्ानाग्वाषपरायणः |

का्क्रमेए संपन्नो गोतार्थो विजितेष्धिथः

ततोऽसावागमार्थंद्य Bare |r |

fornrgfanatey ge पप्रच्छ भावतः

भदक दादशाङ्गस्य विस्तौश्योदकेरिव |

भगवद्भा षितस्याख्य fa सारमिति कथ्यताम्‌

समनभद्र्ङमिख्ततः प्रोक्रमिद वचः |

श्रयं सारोऽज विज्ञेयो ध्यानयोगः सुनिमेलः

यतः qerucyer. श्वं सवां Ga afefena | gaint आवकाण्ां ध्यानयोमाथेमौरिता तथाहि |

मनःपसादसाध्योऽच सुक्षयं wage |

अहिंसादि विष्डद्धेन सोऽनुष्टानेन्‌ साध्यते

रतः WAL चेतःष्हद्यर्थं मिख्यते |

fang यदेकायं चिन्त तद्याममुन्तमम्‌

ARTIS VTS दाद श्राङ्गस्य सुन्दर |

ध्यानयोगः पर WE: fe साध्यो सुशुचुष्ण

९२०८

उपमितिभवदप्रपञ्च( कथया |

ओषाुष्टानमष्येवं धन्तदङ्गतया सितम्‌ |

मूशोत्तरग ण्यं TSI सारसुदाइतम्‌ WaT Alay पौण्डरौोकमदहामुनिः | पुनः प्रोवाच शान्तात्मा WETS BAYTAS: भदन्त बाणकालेऽपि समासौोदति कौतुकम्‌ | मोमा ततः vet मया भरिकतोर्चिंकाः यथा भो भो महाभागाः किं त्त्वं पर मतम्‌ | निःसर शार TWH परमाखरम्‌

ततो यथायं सर्वेमतमाभित्य aaa | निभेदितं परं an Mae कौदृशम्‌ कै एके mwaar सवं fearfe किथतामिति | केवलं बुद्धिलेपोऽज रचणोथो Faye

we बुद्धि शिष्येत इला सवेभिदं जगत्‌ | ararafara Wet नासौ पापेन feud अन्ये प्रार्वथा श्वे पापं wat fe मानवाः | मुच्यन्ते चणमाकजेए ये arin महेश्वरम्‌

यतः |

fee farat तानि wert पापशतानि चे | रेकं विषूपाचं सर्व॑पापेः प्रसुश्यते

sag TIE विष्णष्यागमुदाइतम्‌ | तद्यरोवमसचाणि यतः प्रोक्रमिदं ae:

CSA THN | १२०९

अपविषः पविचो वा aatae गतोऽपि वा। थः Heaters ayant: चिः अन्ये पापाश्रनं मन्तं प्राहः oe eT अन्ये वायुजयं प्राज्ञाः मामे चस्य साधनम्‌ थथा | | _ ध्यानेनोदतेते वन्त्य ष्डलेकं इदि खितम्‌ | विघारिवदखं रम्ये मगो ्िखुखदं प्रम्‌ तद्वारेण निशोयेत antfe: परमे az | TS थो च्छते नारसख्तन्तत्नमपरे जगुः तथान्ये पूरकं प्राहः कुम्भकं रेचकं तथा | तस्येव पुण्डरोकसछ पवने प्रविघाटिकम्‌ अन्ये पाहः Unie कुन्दन्ुस्फटिकम्रभम्‌ | तिथगृष्वंमधञ्ैव सपन्ते HAR TTT अन्ये परां fret प्राङृ््वाधो लेपितां fre; WANA सा सेवाग्तकलोश्यते नाखाये भूशतामध्ये विन्दुं देवमथापरे ` तुषार हार विमलं ध्येयमाङखलख्धिरम्‌ श्राप्रेयमश्डलसे व्याक लिते रक्रवकः | AVE पौतकः weak वाचये वारुणे सितः तच | पोतः खन्दरचिक्ेन रकापेषु fez रष्णोऽभिचारिके कायं पुष्टिदी wast मतः 152

१९१० खपमितिभवप्रपष्चा KUT t

अन्येऽपयाङवंघा साध्यो नाङौमार्मो F_F_aT इडापिङ्गलयो शंय नाद्यो सञ्चारकम नाखोचक्रस्य fase: प्रचारो दशिणेतरः | agree मन्तव्यं बरिष्कालवलादिकम्‌ बद्माघमं विधायोचचेधेष्टानादाचतं कथम्‌ | ऊकारोज्चार णं प्राङरपरे श्रान्तिदायकम्‌ Aaa प्राहयेथा | at मासेः सरलं प्राणं विसतन्तुखमं गमेः मूर्धामस्ता्रमेण निगच्छन्त विचिन्तयेत्‌ आदित्यमण्डक्स्धं वा व्ोराजोवसंखितम्‌ | ary पुमांसमपरे तथा ध्येयतवा विदुः # इद्नोजि संस्वितं fra पुमांसं परमं तथा ससद श्रताकौे ्येयमाङमेनो पिष्टः आकाश्रमाजमपरे विश्वमन्ये चराचरम्‌ | are चिष्लमित्याह्रपरे ब्रह्म ATUTT एवं fat + यथा ना्ैर्ममाख्यातो STSUTFS सारकः च्यानयोगस्तथा तीर्थः एव प्रतिपादितः tt त्किं aasfa ते drat भवेयमोचसाधकाः | eqqutaqaaa ारो यद्येष वतेते कि चेदं ्येधनानाल्वमपरापरयो गिनाम्‌ ¦ एकज मोखे संसाध्ये TATA संश्रयः

STA! TANT | १२१९

तदेनमधमा नाया रूढं सन्दहपादपम्‌ | खवाक्यदन्ति खवोर्यादु कूलयितुमदेय सखूरिणोक्गं | WY सामान्यगोतार्थेस्छमेवं तेभ भाषसे i विशेषतो विज्चातमेदश्पथे जिनागमे एते fe abet: षर्वेऽपि कूटवेघसमानकाः | जिमसदे चश्रास्लञस्य qaafeat मताः तया WT कथानकं | एतञ्जिन्नमरे रिरोगग्रशसमसशोके विद्यते afaza एव॑ away: | सख चोत्यजदिग्यश्चानः eer eaadfearat नाश्रको निः ेवरोमाणासुपकारभिरतो marat: तयापि ते शोका अधन्यतथा a प्रतिपद्यन्ते तद्य वचनं केचिन धन्यतमाः प्रतिपद्यन्ते चानवरतं विधत्ते खभिष्येभ्वो व्याख्यानं तच्ठोपञ्चत्या प्रसङ्गा गतेरवधारितं WAT किंचदन्यधूर्ते | ततस्ते तल्नवमाबतुष्टाः eye वेधकमाचरितुमारम्ाः तेषां तु शलोकानामधन्यतयेव ते नितरां प्रतिभाषन्ते। aag: पण्डितंमन्यतया विरचिता निजमिजसंडिताः ग्रथितानि केड्धिन्तान्युपश्रुल्यावधारितानि सदेद्यवचनान्यनुषरद्धिः कामिचित्तासां मध्ये वचनानि we: पुनरे काम्तविपरोतशदे्वष्वनानामतिपाष्डित्याभिमानेन संहिता विहिताः | विविधशचयश्च ते रोगिणो मागरकाः ततस्तेषामपि कूटवेश्यानां मध्ये कथिदेव केषा चिच्िन्ते प्रतिभाति गापरः ततः सिद्धिं गता; सर्वेषां अम्ब्धिन्यो वैदग्रा्ाः व्याख्याताः wfaa-

१२१ उपमि विभवप्रपश्चा कथा |

Set मिननिजसंहिता arrears sfegrasfa महत्रै्यतया | अवपौरित इव भूरिलोकैरसौ alway: | एवं faa | ये ते मौशमशावेधसत्कियां विधिपूवंकम्‌ | कुवन्ति रोगिरस्तावसे wees te: fa at तज जौवति eae Cigar यथा जनाः | तस्यां सुवेद्यशाशाथां weatet विहितक्रियाः # तथा wasfa सा शाला शविनेया ससंडिता | संजाता सवेक्षोकार्नां रो गच्छेद विधायि ये पुनः कूटवेश्यानां रोगिणो गोचर गताः | तेषां ते रोगजालेन नितरां परिपौडिताः 2 fa Vi यथा Wa AST AT शोकानामपकारिकाः | waata तथा जाताः सविनेयाः wafer: ag ताखपि दुष्येत वेथशाशासु कथम विशेषो रोगिणं इन्त रोगतागवश्णः सरवैरोगविमोखो वा कथं चिहेवथो गतः | तासु खितानां शलापु afe जायेत देहिनाम्‌ # शाऽपि तेषां गणो गुलं खवेश्याधिनिवरदिषटाम्‌ | धानि सदेशस्य रोतानि पानि तैः तथाडि |

अशमः WaT: | १२१३

यस्तानि ग्ठहोतानि eat दुष्टबुद्धिभिः | एकान्तेनेव ते जाता याधिदद्धेविधायकाः | कि बङ्जना | सा मदहावेदयश्राछेका Ha Tinfaaeat | adfeatzarte war श्रपि कदाचन थतः वातः पिन्तं awafa सवेरागविधायकम्‌ | zai विजानौते gauze भेषजम्‌ कूटवे्ा a जानन्ति we तश विरोधतः | तेभ्यो योऽपि विशेषः ergearat रोगिणां कचित्‌ सोऽयं घणाच्रन्यायः स्याहोषच्रयहा नितः | TRIG एव सदेशस्तज रोगविकिष्सकः तदिदं ते समासेन मथा वै्यकथानकम्‌ | पौण्डरोक GABA सन्देहदशनं परम्‌ भवोऽज मगर Ha: सवेरोगप्रपौडितः | एकस AWAY: सवशः परमेश्वरः संजातः arya: शिष्ट सिद्धाग्तसहितः | सर्वेलोकोपकारौ क्मरोगनमिबरहेएः तथापि गदकर्माणः संसारोदरथारि्ः | wast प्रपद्यन्ते HATS परमेश्वरम्‌ ये भया शघुकर्माणो जोवा ` धन्यतमा: परम्‌ | एव तं प्रपथ्न्ते सद्यं परमेश्वरम्‌

१२१8 उपमितिभवप्रपखा कथा |

सदेवमनुजायां aweat यदातुलम्‌ | frenat देग्यत्यच्चै्मोचमागे जगहुडः तदा देवा agerg केचिन्तां कखषाश्याः प्रसङ्गनागतास्तज wut जिनदे ननाम्‌ tt अनेकनयगन्भौरां तां WAT AQT: | अन्यया Seed भिश्यालाध्यातचेतसः ततस्ते जिनसदेधादु पञ्चतय बहिगंताः & खश्रास्राणि again कूटवेश्षमागकाः तज ये तावदास्िकाः केचिन्तोर््याः सास्थादयो मताः जिनवाक्धानुसारेण तरेन्येषु किथगधपि कृतानि चाङ्वाक्यानि गेषमभ्यडितं खधम्‌ खपाण्डिश्याभिमानेन कूटवैद्ेरिवाशिशम्‌ ततः सवंश्नसदाक्धग्दषितानि alas | तच्छास्वा्पि राजन्ते प्रसिद्धि प्रगतानि ये पुन्नांस्तिकाः पापा हस्य तिसतादथः | सवे तेजिंनशास्वस्य विपरीतं विकल्ितम्‌ तेऽपि वाचालतासारास्तयात्रिधनने गताः | प्रसिद्धिं तच्छरण्येह wae हि महदन्तरम्‌ तया नामार्चिलाक्लोकानां प्रतिभाग्ति यथाशयम्‌ | गेषांचिदेव ते Tal: केचिदेव चापरे

QA: THA | १,२९.५.

अन्यश्च | RUMAH यथे तोर्थ्याः शास्वकारिणः तेस्तानि निजशास्ताणि fuera: कथितानि भोः प्रवर्तितानि तौर्थानि गिष्टानुष्टानमालिका तदिदं वरैथग्रालानामुत्यानमभिधौयते

एवं faa ये सर्वन्नमरप्र्यशालायां कर्म॑रोगिणः | चिकित्छां शवेते धन्यास्ते भवग्येव नोरुजः आस्तिकेषु तौर्थेषु कर्मेरोगस्य तानवम्‌ | aged तथा श्वे मोको वा शूयते कचित्‌ खोऽपि खवंश्चवाक्धानां तेषामेव गुणो नलु | चानि afiearas प्रथितानि कथं चन यदा जातिसमरादीनां तेषां शवेश्चभाषितम्‌ | इदि fad भवत्येव satiated wer दोषनयं ay: शरोर तु चिकिलति | दागदेषमहामोहांस्तथा say एव हि AGIA खव श्चवेदयश्रा ख्लबदहिःख्िता | चिकिष्छा कमेरोगाणणं मुगमेतेन हेतुना

तथाहि | एकाग्विपरीता ये जेनश्राखस्य नास्तिकाः | एकामेनैव ते पापा दौधेसंसारकारकाः तथापि क्तिटजन्नां ग्ट नामयंकामयोः |

१२९९

एवं

तजर

उपमिति्भवप्रपश्चा कथा |

एव प्रतिभाग्धषेनांसिकाः साग्मतेकिणाम्‌ तदेवमायं शेषाणि तीर्थानि जिनभाषितात्‌ विभिगेताजि तेनेदं व्यापकं जिगद शेनम्‌

fats _ यद्रागदेषमोहानां afacerer fea |

सत्थं शतदया ब्रहम णौ चमिद्िय निग्रहः श्रीदाय gat बौ्यंमाकिश्चन्यमद्धाभता |

रुभक्किखलपेा QT waar तादृशम्‌ wifateafa तोयेषु तत्छरूपेण सुन्दरम्‌ | किंहु भे राजते तेषु यथा धादितद्धषणम्‌ तद्धि wafea: रवैः सर्वज्नवचनातिनैः यागहोमादिभिः सधं मौलितं विराजते समस्तोपाधिष्डङ्कानां गुणानां प्रतिपादकम्‌ तदेवं सवेतोर्ेषु शितं सवं शद शनम्‌

तच्च शद्धाविकं नेनं NY सर्वगणात्मकम्‌ | waa संख्धितं शेधं fay धर्मकारणम्‌ wat मदुक्रमारगेए यथा ते तौर्चिंकाखलया | ध्यानयोगबलेभेव कि ष्टम ष्य साधकाः

पद्धागुष्टानविकलं ध्यानं agate: | ध्यायन्ति तद्लोमाच नाख्थाकारि विषेकिनाम्‌ धतोऽच तण्ड़खस्येव Maw तुषसन्निमे |

WSR प्रशषवः। ` ARVO

VE मदे सदाशारण्यानाच्छोष्यसयेतरः चः पुनभलिनारक्मौ बदिर्यानपरो भवेत्‌ मासौ ध्यानाद्वेच्छडः TTT चथा सर्वोपाधिविश्रद्धेन ततो नवेन erat | ध्यानयोगः परं ओष्ठो थः स्याक्मोखष्य साधकः a यञ स्या्ाषग्रो sat faery कथंचन ` तौर्थिंकोऽवि भावेन वतेते जिनश्रासने 8 ARAVA WT भवमाश्नम्‌ `` तौ चिका aft aver भवनधेव भवच्छिदः fa awn वातपित्तकष्ानां भो निःग्ेवगदकारिण्णम्‌ WAST यथा शोके सुभेषजम्‌ `` तस्कूटमिवजायोरह प्रयुकर परमा्थंतः कचिद्ुणाथरन्याथाद्यथा सदे्सातम्‌ ¢ तथा PARLE यद्भवेजाश्कारणम्‌ }. खरागद्ेषमोहानां चिाखिलमलात्मनाम्‌ wee सर्वतोयेषु साशाव्जेनेऽपि वा मते यथा तथा शतं इना शेयं aN चत्पुगसि मा खिन्यकारक मोवारकम्‌ | तिश्नावकरूपेण ge: कमं प्रवादिनः ` TRNAS बाढं Awd संशयः | किं पुनरोकतौर्याणां adel बडदोषलम्‌ 158

LEAS TULARE BAT |

तदिदं ARANETA रजि ओः + WARK Ra Ge Baler यश्च ते RINGS TRISTE | warawe तन्मि पदमा Page पापं fy KEE: पष Tels GAT: | Sra तकर सने NA HGR माव एत Rae TNT TIey | wet पुष्परागं wwe A eS ते freer SETA कत्‌ ara चिन्तकल्लोखा यथापश्याद्भदाखनौ जाया BWW: Tey BRT: feneretvegs yomaiawigya | wiarats aa ate गिक्षसमूमश्कारषम््‌ | तथ मामादिधोफायै समदेव दिमवेः ततो; Gea: प्रोक्तो चः tt fogs भावदो जितः Vik aa कृ दुगि: धतः | | | afufiagarian: Sprain इद्धः | भोषं ar fapeghaay. कन BRU fa ai |

Gar: were | १६९६६

परमात्मादयी Gat येया शवैगकाररिणः

Mra Vadis नै रि fers `

आग्ने विगीषेष्ये Gre: सुन्दरतरम्‌ |

खरूपं st fag खवेदनतो शदः कितु)

areata कास्ववितपात्कायंयनं

केषां शिनतेऽपि निन्दया: शविशटधेविंधाथक्षाः इतरा | तलं विक्ाथं वे मूढाः पवतो ऽवैकामर्थोः f ` Meat निचिनता धोिगोऽच वयं विदं ` तेषां चेलनयुखकान ergy Gaia कोटरान्तैःमविं्टानीं तादृग्‌ Re मेषर्वामिः ते Witaadtfen: सदृष्टिरसरं विनां कौभिकि va Shear नितरां भर्वकीरटरे ` चोमे शानां एदौभाङ्गे ैरिस्छरति भाखर / इदवे हि छतरिटिदर्धकामणयहातेमेः तस्माजिरनेल चिना वेराग्याग्धासेखा विनम्‌ ` चिभर्मलिभिनं पराय माथे प्रवर्तते ` अतोऽमौ @ पुरा ater धयेयमेदाः कतकः | Freee aga eit:

१२९० उपमितिमवप्पख्ा कया |

तत्कूटै्ग्ाल्ावदन्यदशेनमा शिका सरूपेण खदा Heat क्भेरोगविवधेनो तचखानां gre: स्यात्कमेरोगखथः कचित्‌ विषो वा fase: खवेश्ञवचनाहुष्ः इयं श्देचश्राशावदाकाशं तक्मताल्सिका | कमेरोगदरौ HAT TSI खसंडिता agreed लोके कि चिष्याक्छुम्दर वचः | तह शकरणूपा्यां शवे मस्यां प्रतिष्ठितम्‌ it equifgaaa विना रिषादिदन्दरम्‌ | बमस्तपापनाश्ख्च खृतिमाचेण देवयोः . . भ्र क्रमित्यादिकं पूते तौ सत्ववदिशरेः निरेक्तिकं वचोमाजं तन्तु wre विवेकिनाम्‌ ततखेदं शरोर्वाक्धमाकष्ठे पुनरत्रवोत्‌ + पौष्डरोकञ्ुभिष्तस्वविस्पष्टकरण्च्छया अथा माय वचं malt व्यापकं निनर्ेनम्‌ | तचा fret चदि सौय बरुयुस्तज किञु्तरम्‌ः # तथाहि निजबुद्या ते सवं खवेश्चवादिनः | षरतो्ेतिरख्काराः सखयद प्रंनगविंताः 2a ud fas ae मोखे चा विष्टबुद्धथः | तेऽन्यदगेनमस्तौति Gard sha जानते एवं . सखिते | यथा ते cfdaretiel गरनेन चयाययम्‌ |

GTA: THT: | ARAL

तथा भाय वयं Ga को fase: परस्परम्‌ ततो विनिषेवं नायाः सुन्दर कतमय ‘afer लायते सेन सुभेरुशिखरो पमम्‌ ततो विमणशखदन्तदोधितिच्छुरिताधरः | तज्निषेधविधानाय शरूरित्यमभाषत एतज्जिवेदितं व्यापि मया त्ृविनिखितम्‌ धत्सन्बग्ड्‌ टमि ठं भाविकं जगद्‌ शनम्‌ amvea staat खघमेव मणोद्धवाः ` एता डि विनिवतेन्ते मेदहिन्यो मेदबङ्यः ` एकः प्रभाखते देवः सर्वं्चः सर्वद भेन | वौतरागो गतदेषो महामे हादिङ्ूदनः खक भुवमभर्तासौ सरौरा निगद्यते निष्कलो मेाकखमापन्नः एव yay: इद्‌ wed fafaa चैः देवाऽवधारितः। तेषां मानाविधाः श्ब्टा भेदवुद्धिं gaan तथाहि | स॒ बड्धः मराच्यतां लेके गह्या विष्णुमेदेश्वरः जिनेशराऽपि वा इन्त ना्यभेदस्यापि « एवं तं परिज्ञाय wanes ay: | ममासि तव नास्तोति स्वां मल्छरविभमः॥ aaa भावताऽमौष्टसश्ासौ कुरते शिवम्‌ ग्‌ इटङ्गकेण wat चण्डाशष्यापि aed

६९९

उपमितिभवप्रपश्चा wert |

निः येषत्िसु्ः बे समः सवंिदिनात्‌ विश्चतिः कुर्ते मेकं arti ae anef खथाररिर्ण हि नगालंमोतमभौ व्मनिर्भिंत्म्‌ | क्मेप्रपं्चनिशुक्रेः परिमाता नं भित ew: array re IR ELILE | aN Tele भवो यकः fawtat बैनहाभानैः प्रतिपनये wear तेषां निर्य तर्ूपाणां विषादः ga कारश

कवचं

ये कर्पथन्तिः तं गूढा रागेदेवमशो दिशस्‌ | ते शीतत्वे कदेश परैः तदेकं तांलिकस्तावदिवद्दन्व निविरितेः

यः भरम्थिधचिद्धेलीरर्वाः carafe ¢ धर्मोक्तेः overs fate पारमा किरम शिकाडहेतुः sx WEATTAR: चमामादंवशष्छौ चतपःसंयमसुक्रथः व््ेन्ह्माजेवत्यागा एते wing दश्च $ कालेचकं धर्ममेनं विश्वाय पण्डितः सर्गा पयर्गटातारं विक्दने ने केनचित्‌ #. वैस Gea कस्ते aca’: VHS वर धन्तमे कंदणीक्रानतवुडधयेः wee चमः dae यः अरमारपतिखितिः `

ककः WF

एकः कमिनद प्रौच्छसेखसे सका. तथाच TPA EVR: asta इतर fpr SFR: THAT: + तया सत्न Sfaenared Surfers: | Tipe Fe wey Sie पदम्‌ तदिदं weeray fed गर्तो van TRHTI TY WER MET TG & Gq | VERBS FUTH के अर्माधमौ war are Vala कौ वितः # एतच VHF VERS | इदं स्ञ्मबिटङ्धिभ्ां कारक Varig: 4 रोकने भदत्कखिन्‌ मदे समां fees: ae पुगः Sah संधवसन्ति. Fay: # रेशरथेन्नागवेराखभमेकप्मस्ड. STG; TAG, AHH ब्र प्रकाश्रदधे | fates sre vegsiget गणाः तच | रजोवाद्केरास्बडवेग्यं AAT) तमसेव बाद्वाग्याद्श्नाबाषसेन्धवः

९२९४

उपमितिभवप्रपशा शया |

aaa aw नियमाद्धितौयमपि विद्यते | waaaraaa fe भवितव्यं सदा ae waer मजिनं शत्वं हेतुः संसारदुःखयोः तदेव विमं sta कारणं सुखमो कयोः तक्षाभायंमिमे सवं तपोध्यानत्रतादथः। विविजा हेतवो शोके awed पारमेश्वरम्‌ चान तद्धोरं थाखाच्छरङ्धानं तदाअवम्‌ | करिया धनो we मोचमामैः कीर्तितः एतञ्च त्नं a: सच्र्विशनातं इएड्मुद्धिभिः मेडनिष्कम्यचिन्तानां तेवां arin: कुतस्तिका Rae TTA Geeta wa: ` aware चान्तमदं वितदंकम्‌ ` तदिदं ते मासेन ae वाद्भाविकं मथा _ ` आख्यातं धदिनिचित्य ae वाश्वोगिनः `. ददं शाविं लोके Gin मानतः ` खितम्‌ | तथा मोखोऽप्यनेनेकषाध्यः प्रह्ादशुन्दरः आतानोऽनन्तसद्ोधदगनागन्दतौ यणः अमूरतेस्याजिरूपस्य खरूपस्धितिलकिणः संबिड्धिनिठेतिः arin: शिवमखयमब्ययम्‌ | waa ag faate ष्वनयस्तस्य वाचकाः समस्तमितिकर्तवयं जेष्मादरद्ययमौरितम्‌ | खेश््ाएद्भिष् मोखाय चेवं विधलणः

GTA: TTT: | ६२९४.

तदुद्धितारतन्येन षटेवमनुजादिष | अनुषङ्गासुखं तन्तु Ware प्रतिहतम्‌ + ` तदेवं विधसहेवधरममेतत्वनिबेद कम्‌ | यष्छाखमोदृश्स्ेव stew प्रतिपादकम्‌ दृटे्टावयाइतं सवे प्रमाणेन प्रतिष्ठितम्‌ | तदेकभिड सवेच व्यापकं परिकीर्तितम्‌ ` रसुं awe भावाथ परिश्षाय विशेषतः | ` तश्ञरे विं विधेः शन्देथेयेष्टमभिभौयते

वैष्णवं वा यदुच्येत are वा निगदताम्‌ | माहेश्वर वा Maa बोद्ध वाणमिष्मीयतीाम्‌ ` RAE वा निवेदयेत च्नातार्यैरिह ares: | अविनष्टे हि भावार्थे शब्दभेदो ददुश्चति अर्थेन fe प्रलोदनि भष्टमाजरेण भो बधाः | aqaza cam मूखं एव निरर्थकम्‌

एवं fat | एवंविधा चे्षेऽपि वदेयुसो थिका: खकम्‌ | देनं व्यापकत्वेन विवादोऽसि तैः सह आच्छादितानां मोदेन पौण्डरोंकमहासुने वह्कनि दश्नैनानोति मोषोऽवं सपरवतेते TANTS पुनः Gat सददधगोषरं गते ` We सदे गुनं Hagar श्रात्मा साधारणो FT खववामपि वादिनाम्‌ | 154

१२२६

उपमितिनवप्रपश्चा कया |

समलो विजानते ater यथाखितम्‌ मणये Grae मोखमाग यथाख्ितः |

aa aw श्ितस्यापि दटादेष प्रकाशते ततखेदं विनिदित्य दर्भं पारमार्थिकम्‌ |

gece ale तथा चोक्तं मनोषिमिः fina जन्तो्बातखय शुणदोषानपश्यतः | fagan बत केनामो बिद्धान्तविषमयडाः WE UTC Hts चार SH |

aglufafa we were विजभ्भितम्‌

कि Twat 1

यावन्नो देहिनो लोके यथावख्धितदृष्टयः | ते स्वः वर्तन्ते तालिके wea निनेष्टममकारास्ते विवादं नेव कुर्वते | अथ इये स्हतखोभ्यो दातवथेवेकवाक्थता

ये लचौणएमशत्वेन विपरौतविलोकिताः | खतौये व्यापकेन संगिरन्ते TET: तेषां जात्धन्धकष्पानामपकणेमसुन्तरम्‌ | अथवा तत्रमे ते बोधनोयाः wea: मोरदलमादन्यो छपकारो ATTA:

अतो Tem भवता | यदुत

खतो व्यापि Sata ages किमुत्तरम्‌ तदिदं ते मयाख्यातं प्रतिघातविव्जितम्‌

GTA: Tes | १२२७

यावहष्टिविवादाक्गमिःरेवनयघागरे कुद ्टिसरितः सर्वाः पतन्तोदरच्छसि wea तावत्ते BAe धास्यन्ति प्रलयं तदा | wefe लं यथा मास्ति etwas ततो निनेष्टसन्देडः sty शङ्भाषिकम्‌ | संजातः पौण्डरोकोऽसौ विश्रेषागमतत्परः कालक्रमेण FIAT इादश्ाक्रख्य पारगः | समन्तभद्रख्रोणणमसौ पादप्रसादतः mamaria: सातिश्ेषः सविस्तरः | सवंज्ञागमसद्भावः stise aafa fea: ततोऽमुयोगोऽनुश्वातः sree afcfar | दत्तमाचा्येकं We BATA: आचार्यस्छापनायां AMATAYRT | wat विधानतो 2aapge दिनाष्टकम्‌ ततः समन्तभद्राश्या हित्वा खं देहपश्नरम्‌ | ते aca: शिव प्राप्रा ware महाधियः श्रयावाप्तावधिजश्चानगो मनःपर्यायसंयुतः | जातः पौष्डरोकाष्यः सूरिः maton: भव्यपौष्डरोकाणां सूयवहेश्रनांग्ररमिः | विजहार इरजिद्रां मरामोदतमोमयोम्‌ श्रपरापरदेगेषु सुचिरं मुभिच्ेया | faa frat निष्याद्च शण्डषितम्‌

१९९८

उपमितिमवप्पच्ा क्था |

दानश्रौणतपोभावधमेधामयतुष्टयम्‌ | पाखवित्वा दिनाकार प्रकाश्जिनश्ासनम्‌ विज्नायायष्कपयनतं पौष्डरोकदिवाकरः |

ततः संखेखमाग्याजं खण्ध्यारागं चकार खः eee खापितस्तेन aft: खभ्यस्तसक्कियः | STUART माम भिःशेषागमपारगः

ततस्तं fatearay Aca धनेश्वरम्‌ | area निजगच्छं stsafate ददाविभाम्‌ wae येनं fauna: शंखारमिरिदारकः | aqagfagere महाभाग जिनागमः

ददं चारोपितं यक्ते पदं TENT पदम्‌ शहयत्तममिदं लोके महाखत्व निषेवितम्‌ धन्येभ्ये WIA तात VAT एवाद्य पारगाः | MATS पारं ते धन्याः पारं गच्छन्ति Gea: भोतं खवारकाभाराश्छमथेस् विमोचने | साथन्दमिदं शवं भवतः शरण्णामतम्‌ सप्राण ुणएसन्दोडं fae पारमेश्वरम्‌ |

wre संसारभोतानां धन्याः gafin देहिनाम्‌ तदेते भावरोगातांस्लं भावभिषम्बरः | Saat Setar मोचनोधाः प्रयत्नतः शङ्ख मोचयल्येतानप्रमनो हितोद्यतः | TZUN TS ATG fee भवचारके

STH प्रखादः |

mertcafat eat aateutse प्रचोदितः | fasrenrced fe चेश्टितव्यं wat बया nafafe विधायेत्थं Gtae शतानतेः | सूरयः पौण्डरोकाख्याः arg: firarad ततः युञ्ाभिरपि aaa सुखबो हित्थसन्निभः संसारषागरोनलारो विमोकः BATU प्रतिकूशं कतव्यमतुकृलतरेः खद्‌ | भाव्यमस्य Vt धेन वः Veet भवेत्‌ अन्यथा बन्तुबन्धूनामान्चाशोपः हतो भवेत्‌ ततो विडम्बना शेषा भवेद परख

ततः कुखवधृन्याचात्कायं निभख्धितेरपि यावष्णोवं AW WTA भोः ते mart धन्यास्ते खट शंननिमंखाः |

ते निष्मकन्पचारिणा ये खदा गृदसेविनः एवं agg बौरेषु तेषु बमरिषु।

तयेति awe: शवं प्रप प्रणतिं गताः

ततो विदहितकतेयः परित्यव्य गकं कमात्‌ | दरिः पौष्डरोकाख्यो मतः सद्धिरिकब्दरम्‌ अख्िचर्भावगेषेण वपुषा सौ रमागसः | परौषरतितिखायं खितः wefirema

तज ai

SATYAM WANT FWY: |

१२२९

२९०

उप्रमितिभवपपश्चा कथा i

दत्तालोचमः सम्यक्‌ सिद्धागाधाय चेतसि प्रणिधानं महाभागः कारणं waar: | ध्यानयोस्तौत्रसवेगखकारेत्थ' विशद्धधोः ज्ञागद शेनचारिषवौर्याराघनगतत्परः |

एक एवान्तरात्मा मे बयु्युष्टमघमापरम्‌

| रागदेषमहामोहकषायमखधमकः I

विशदः are वते खातकोऽह समाहितः # चाम्बन्तु waa मे चान्तिमें खवजन्त॒षु fade, ere रागतः BT मम वतते यदमार्यायिनः किंचिद्दिश्वेतं पुरा मवा गहोतं Sage तद्ुखषट मधमा सिम्‌ area महात्मानः fagr farfasere: aga: साधवखेति भवन्त मम APE एतानेवो्मत्वेन ग्टामि भुवनेऽप्यहम्‌ | एतानेव WISE शरणं भवभोरकः निटन्तषवेकामोऽहं ममोाणनिरोधकः बन्धैः समस्तानां खनुवस्छवंयोषिताम्‌ स्थितः सामायिके xz सर्वंयोगनिरोधिनि | गसषटचे्टं मां विद्धाः way परमेश्वराः थश्च दु द्धरितं किंचिदिहान्य् मे भवेत्‌ | संजातं जातस्वेगक्षज्जिन्दामि पुनः पुनः ख्वोपाधिविद्द्धोऽहं aaa गति;

VTA: THT! | VRAD

साक्षात्केवलिमस्तत्वं भगवन्तो विजामते स्वेधा .. भवप्रपञ्चविरतो मोचेकगतसेतसा समर्षितो मयातव जिनानां जद्मनाभ्रिनाम्‌ तत एव महात्मानः सद्वावार्पितचेतसः | SUMATRA TSS कुन्तु मेऽधुना waa प्रणिधानेन महात्मा fread | वयत्यष्टकायो निःसङ्गः पादपोपगमे खितः परोषहचमू wat विनिजित्य खतेजसा तिरवग्देवमनुष्याणामुपसभों भैरवम्‌ प्रनष्टश्चरिकमों शनो घ्मेष्यानमनुत्तमम्‌ | अ्रतिलष्य ततः Wa पूरयामास सत्तमम्‌ VIKAS MASTS पितम्‌ | विधाय रपकभरेष्छामारूढः क्रमशो ददन्‌ ततो भस्मोकृते वौयाहातिकमेचतुष्टये | SATA: केवलालोकं सोऽमन्तश्चानगोषरम्‌ ततः WK Tarai: | wee: सहुणेसस्य yor fe महात्मनः ततो squat दिवा दध्वलुमेधरखनाः | जशः किश्लरसद्घाता ननृतुर्देवयोषितः अपनिन्ये रजः ad aad गन्धवारि ). प्रकीर्यते @ देवौभेः पुष्यटृ्टिमनोशरा `

१.६९

खपमि तिमवप्रषरश्चा कथा |

VAFATAA MCI GLIA, |

प्रदेशः चणाष्लातो feanafaafifa: गो शोषेचन्दना सिप दिष्यशदूपवाचितम्‌ चकरदेहं YAKS Ta: बद्धक्िनिभराः तथा अषत्किरौटाले ATE शुनोश्वरम्‌ | दधुः पादरजसच्यं भिरखा पापश्ुडये

एवं प्रमो दषन्दभनिभेरे वैबुे गणे |

Ua महाभागः समुद्ातञुपागतः ततः समोद्धतागेषक मों शः चमा जकम्‌ | खिला ated धोरो faerie क्रमेण सः aay तन्निरोधेन taut प्राप्य सङ्कथाम्‌ 2yuufafigm: प्राप परमं पदम्‌ ततो fanaget ते विधायाभेन्दनिभेराः | गता देवा निस्थानं AAW WATT:

अन्यच्च |

खक्रमेणाञ्चुना सखापि महाभद्रा प्रवतिनो | ea कमं गता मोच fa तु भक्रपरिन्चथा tt तया सुख्लितासाष्यासेस्तपो भिख्तथा विधैः चउाराद्ेरिव sata feuca gfe ततः सापि MAU सत्यञ्च तनुपश्जरम्‌ गता BACT GAT मोचं भक्रपरिश्चथा

ते त्‌ ओ्रोमभराजाथ्याः Brea: सुतपोधनाः |

अद्मः WHT | र्दद

चछमङ्गलाचाः वाध्ययख देवलोकसुपागताः fa awe | यावद्विनंगुभिरज ममोगन्दनकागेने समन्तभद्रख्रोरष्णं पादमूखसुपागतेः इदमाकर्णितं धन्येरनुखुन्दरचेटितम्‌ | Fecha Ia कौतुकेनापि fafwa: ` तावतां भव्यजन्तूनां श्रुतेन जनितं तदा | भवप्रपञ्चविरतं मनो नुनमनेन भोः ततः केचिष्छता ater खिदो wzefen: केचिष्म्यक्कमापन्ाः केचित्छंवेममा गताः wa faa भवद्धिरपि विश्चातमेवं कथयतो मम t भो भो भव्याः खभावाथेमिदं att महात्मनः ततोऽनुषटोयतां दरे asaraarea afer येनेष gat सथः सफलो मे परिश्रमः चतस्तः समस्तानां प्रायः संघारचारिणम्‌ | जोवानामेष wart मया योऽ निवेदिवः तदेतदपि aay चरितं निजश्भिभम्‌ | युष्यतेऽज भो भव्या विघातुमवधरणणा लयाडि धथासौ पौष्डरौको जस्बदोपे परवंविदेशवतिंनि सुकच्छवि-

जयाम्तगेते शङ्खपुरे कमणिनो्रौगभेराजगुचतचापि नातसेन 155

१२३9 उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

भगवता VME तस्यैव शङ्कपुरख्य सम्बन्धिनि force काननान्तभते Bt चेत्यभवने वतेमानेनै गरिभग्धानां पुरतसत्पचपातेन मशुजगतामेष रालदारकोऽनुकूलाभ्बां काल- परिणएतिकमंपरिणामाभ्वां gafriagen जनित दति war भविद्यति faire इति श्या पितस्तदिदं श्वंषां खघुकमेष्णं भव्यमनुग्याणां समानं वर्त॑ते यतो नानाेबोत्पन्ला अपि शवं मनुजगतो वतन्ते बहिरङ्गविविधनननोजनका च्रपि सवं परमाथ तस्ते कालपरिणएतिक्मपरिणएसयोः gar भवन्येव बञङविधाभि- धाना श्रपि सुमतिभव्यपुरूषतवं व्यमिधरन्नौति षटागमः सव॑दा ख्यापयति यथा सा महाभद्रा समन्तभद्र सूरिवचने- नादित एव प्रतिबुध्य प्रत्रजिता प्रन्ञाविश्राख्ा जाता तचेवेहोक्म- पुरषाः सवेन्ञागमो पदे शात्‌ संजाततत्वावबोधाः प्रथममेव qua: dqy त॒ एवं परमार्थतः प्रभ्नाविश्राखा इति थथा तस्याः सशशितायाः पूवंभवाग्ासवश्रेन daar महाभद्रया Se खहसम्बन्धः गएकरोऽत्‌ तयेह शदकमेशामपि केषां- चिद्धाविभद्रा्ण भव्यजनूनां कथं सिद्धवत्येव खखाधुभिः साधं चटना खा भवल्धेव तेषां गण्करो सन्पश्छन्यादको डि कच्याएमिष- थोगो जगको थोग्यताया श्राकरो गुणरन्नार्नां qeat भावि- MENG परायः warty इव निर्वातकः कमे विषचश्मरकस्य यथा तया महाभद्रया तष्याः सुलखितायाः अंमन्तभद्रशरि- इारेण wana भक्रिजेगिता पौष्डरोकस्त तयेव urea भिवाद्मनो शयनध। शतञ्च तेन भगवता ay परिचयः तवा-

QCA: Gla | १,२६.५४

द्यापि सुसाभवः परदितकरणेकशाश्खाः सन्तो गद्कमणां भव्यजन्तूनां निष्कुजिमद्ेहभावमिव emt यथातया सव॑ना ma भागवते भक्तिसुत्यादयन्येव खा हि ययातथाविश्वेता refer कमंमलस्छ शोधनो Tate मो चनो भवप्रप्चस्य दशनौ तक््नमागंख्य साधनो परमपदश्टेति यच तेनानुखुन्दर- यक्रवर्तिमोत्यन्नन्नानेन तेषां पुरतः सविस्तरमाख्यातमात्मभवभ्रमण- मुपमादारेण द्श्खितापौष्डरौकयोः संवेगजननायं ane: सवेषां खंखारिजौवानां समानं वतेते चतः कचिक्मोचसु पागतेतु केषुचि- gay शोकश्धितिभियोगतः कर्मपरिणामादिष्टा ca afar तावग्रेन निगच्छन्ति किवन्तोऽपि जौवा असांवयवहारिकजौवरागेः ततः gaifa वि चिजममन्तभवभ्नमणं हारयन्ति दिंषाक्रोधादिदो- TAT AWN ज्च्छ्ेषणा वापं बशो aged gale ZE_s: हुवा HTT TST TMA TT TT CTA TTA सामगरोका aft gerd सवेज्ञोक्रागमानुष्टामसम्बन्धेन श्रवान्त- संश्चानाख्च wate खयं प्रतिपादयन्ति aha) यथा निहित- भाटकप्रायोऽय प्राणिनां भवप्रपञ्चोऽपरापरवेषकरणणोपमानि शरोर- awa शअन्योन्यस्यालनतेमकश्यानि बड विधयो नि विगेषषश्च- रणानि नानाविधवाशककुटौरकतुखानि विमामभवनालयादौनि करूटनटपेटकदेभ्ानि बन्धुकदुम्कादीनि एकोऽवं द्रव्यमपेच्छ wate efter मनुव्यादिपर्यायेव्वपरापरनाममाला Taree विवेकिनां शोकथ्थितिकाणपरिएतिकमेपरि- पाप्नसखभावभवितव्यता FMT FATT ATT SAT TTY STAT -

१२९९ उपमि तिभवप्रपस्चा Ut |

fan: समखोऽप्यष् भवप्रपश्चः 1 तत्परिपाकणभ्यस्व fawcat प्रपश्चष्टा्च परमेश्वरामुणषः | हि कारणं विमखश्चानस्व तदलादेवाजमात्मा BAA अदत परमेश्वराश्चाकरषणलनिते मम खखदुःखे भवमोचौ शेग्याविश्रोधनं aqua लेष्यामाजिम्यजननं तदान्ना विराधनं | ततः yaad लेश्ा वि्ोध- केषु खद्भतग णेषु निवतेते लेश्सामाशिन्यणनकेभ्यः eae: | ततोऽव्यन्त विश्ोधितां सेश्यामपि विहाय wae: | ततः Sea शितः एवात्मा श्पद्यते परमेश्वरः परमात्मेति थया तदतुखुन्दरशरितं तस भगवतः समनकभद्रसरेः TT महाभद्रा कथ्यमानं ARS तथा संसारिजौवचरितं भगवतः सवश्चा- गमश्च प्रतीतं सुसाधवख भिबेद्यमान प्रन्नाविश्राखतया खत एव युध्यन्ते cong प्रतिपाद नखमर्था भवन्ति यथा तेन पौष्डरो- केण सुखलितामुदिश्च > > x > > > >< > > > = > x x > तदनुखखुन्दरराजसरितमवगतं fae तदशुगमाचुङूपं तथा यूथमपि भो भव्या इदं संघारिजोवचरित- मनुभवागमसिद्धमवबुष्ट्वं अवबोचाशुरूपं wer facwer BATA श्गयताखवदाराणि निराङ्ुडतेश्ियगण दखथत खकलं मनोमशजालं TIT सद्भतगणगणं HHA WATE चात aw शिवाख्यं चेन थुयमपि सुभतथो wagea भवय अथ ate भवतां ant खधुकमेता ततो थथा सुललिता यो गवः प्रचोदिता खप्रण्यं सुडमेडनिंभंष्णिता बड विधसुपाशग्धा पुनः एनः स्मारिता श्तौ गुरुकर्मिकापि प्रतिबुद्धा तथा बुध्यध्वं

WEA: THT | १२६७

केवशं तया प्रतिबोध्यमाना weviaeeat भवि्यय धयं गलता- खश्रोषका गुरूणां तयापि गुरुभिः प्रतिनोधनौया एव युश्ना- भिरपि प्रतिबोद्धग्यमेव यथा खदुद्रितपञ्चान्तापेम सद्रूतगण- पच्पातसारो निखिलकममल विलयकारो सदागमबडहमा नस्तस्य gufwarn: प्रतिबोधकारणं dag: तथा भवद्भिरपि तथैव विधेयो येने संपद्यते भवतामपि विशिष्टखत्वावबोध इति ` इइ च| | श्रेांसब्रह्मदन्ता दिजातिश्मरणतुष्यकः | च्ेयोऽनुखन्दरादौनां arate: सयुङ्धिकः qaqa मतिवासनायाः असष्यकालोऽमुज्ञातो वचो नास्ति वारकम्‌ सुश्धरिभवभाषेऽपि तस्मान्नास्ति विरोधिता आदितः पुनरारण्ब प्रसतावभावार्योऽथयम्‌ | कुश्खकमेविपाकवशादहो जगति किंचिदिरसि दुलंभम्‌ सकखलमभो गदा धिकमसुशवकः wage प्रतिभाति Waar धरमकयोटिगतोऽपि पुनरः प्रबशतासुपगम्य faqs | खलमच्चेरतिभ्यीमभवोदधौ यदि a ate a at तद्रातिताम्‌ नरकयोग्यृतादएभकमेकः पुनसूपेति शिवं गतकाल्मषः | दि शदाममबोधपरायणः चणमपि प्रकरोति wa नरः Cente मनोमखवजेनं we विधाय सदागमसेवमम्‌ gear तेन fe याथ शिवं यथागमवशारनुखुन्दरपार्थिंवः अन्यच्च |

१२६९ उपमितिभवपपश्चा कथा |

ददमनन्तभवभ्रमद्वक मलवशादनुखन्दरचेष्टितम्‌ यदि जातमतः परिकौतिंतं मतिविकाश्नकारि शदे डिनाम्‌ ले निघोगत एव भवेदियं गदितपद्धतिरच at भरे | खद वाप्य जिनेश्धमतं थतः faafaa: प्रगता बहवो नराः जिचतुरेष भवेषु तथापरे बहुमताः पुमरन्यविधानतः | विविधमभव्यतथा भवद्‌ारण निजनिजक्रमतो दधिरे नराः तदिदमज्र giyawt जना इदि विधन्त परं परमाच्रम्‌ | मखविश्ोधनमेव सुमेधसा लघु fadafiera जिनागमम्‌ एतभिःगरेषमज प्रकटितमखिक्ेयेक्रिगभेविवोभिः असावे भावखार तदखिलमधना ware विचिन्य | भो भव्या भाति चित्ते यदि हितमनघं सेदभुचेस्तरां वस्तततूणं भेऽलुरोधादिदितफलमणं स्वायं सिद्धो छरष्यम्‌ squad रचितं मतिमाग्यभान्ना किचिद्यदौदशि मया कथानिबन्पे | संखारसागरमनेन तरौतुकामे- | शत्ताधमिः कतशपेमयि stele .

इत्यपमितिभवप्रपण्बायां कथायां TASMAN TA नामाष्टमः प्रस्तावः समाप्तः समाप्तयभुपमितिभवप्रपश्चकथेति

प्रशस्तिः द्यो तिताखिलभावायेः सद्व्याल्लप्रबोधकः | दर्याचार्योऽभवहप्तः खाच्चादिव दिवाकरः जिटन्तिकङ्गुलोद्भूतो लाटदेशविश्रषणः | आचारपशञ्चको धुक्ष प्रसिद्धो wars magatent Wet रेलमहम्तरः | enfafafanuray: प्रसिद्धो znfaar ततोऽद्शसत्कौ AABN चविश्वषणः | दुगेखामौ महाभागः प्रख्यातः एथिवौतले wat WEA येन VY सद्धनपूरितम्‌ | हित्वा षड मेमाहाव्यं क्रिययेव प्रकाशितम्‌ थस्य तच्चरितं fey शश्राइकरनिमंशम्‌ | बुद्धासत्मत्ययादेव wWatat जग्तवस्तद्‌ा UTI तस्य VU WE गरून्तमम्‌ | भमस्यामि awed ग्गं विसुनिपुङ्गवम्‌ festa दुःवमाकाले यः yagfreder | विजहारेड farayt giant धरातले सरे शर्ांश्टभिखेके थोतित्रा भाखरोपमः। श्रोमिल्नमाङे यो wet गतोऽखतं सदिधानतः तस्मादतुशोपश्रमः चसिद्कषिरग्डदना विशमभस्कः | पर हितनिरतेकमतिः लिद्धान्तमिधिमेदाभागः विषमभवमतेनिपतितननगत्‌ ्लालम्बदागदुखंजितः | दखिताखि्दोषङ्ुशोऽपि सततकदणशापरोतमनाः यः घल्घहकरणरतः सदुपग्रदनिरतबृद्धिरनवरतम्‌ |

१२४० | प्रश्रस्िः।

आआतान्यतुखग फगणेगे षधरबुद्धं विधापचति बङविधमपि ae मनो faciey शुग्दे्दु विश्रदमद्यतनाः। wan विमणलधियः ger Gaya सत्यम्‌ उपमितभवप्रपञ्चा कथेति तश्चरणरेणाकश्पेम्‌ Mane fafenfafeat सिद्धाभिधानेन

अथवा |

रचायेहरिभद्रौ मे धमेगेाधकरो गः |

प्रस्तावे भावतो इन्त एवाद्य भिबेदितः

विषं विनिधरय कुवाखनामथं व्यस्तौ चरद्यः WII मडाश्रये | अचिगधवौर्थ सुवासनासुधां नमोऽस्त तरी इरिभद्रसरये अनागतं परिन्नाय चेत्धवन्दमसंश्रया |

मदर्थेव छता येन ठन्तिल्ंलित विस्तरा थभरातुखरययाजाधिकमिदमिति लब्धवरजयपताकम्‌ | निखिलसुरभवनमध्ये सततं प्रमदं जिनेगद्रग्टदम्‌ यना्ं्टङ्श्राखायां धमः सदेवधामसु |

कामो लौलावतोलोके सदास्ते जिगणो मुदा #

तजेयं तेन कथा कविना निःगेषगृएगण्ाधारे

भिल्लमाणनमरे गदितागिममण्डपस्येम

maaan fufent ener श्रतदेवतानुकारिष्छा | दुगेसञामिगृरूणां शिधिकथेयं गणामिधथा

सवत्र शतमगवके feafsafetstrafea चास्याः

eae शितपश्चम्यां पुगवसौ wafer warfare Tera fags ataafa मनो षिः |

अनुष्टुभं awarfy प्रायश; सन्ति atom

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_*Mimamasa Dargana, Faso. 10-19 @ /10/ each

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-*Alamgirnamah, with Index, (Text) Fasc. 1-13 @ /10/ each oes

"Markandeyn Porana, Fasc. 5-7 @ /10/ each ,., नन Rs,

Nyayavartika, Fase. 1-6 @ /10/ each Ges > के. *Nirukta, Vol IV, Fasc. 1-8 @ /10/ each

*Nitisara, Fasc. 3-5 @ /10/ each é Nityaicarapaddhati, Fasc. 1-7 @ /10/ each ` ... ae +n Nityacérapradipa, Vol. I, Faso. 1-8, Vol. II, Fasc. 1, @ /10/ each ... Nyayabindatika, Fasc. 1 @ /10/ each Ae

*Nyaya Kusomaifijali Prakarana, Vol. I, Fase. 2-6 ; Vol. II, Fasc. 1-3 @ /10/ each =e. eee a iy eee eee Padumawati, Fasc.1-5 @2/-__... *Parigista Parvan, Fasc, 3-5 @ /10/ each Prakrita-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /10/ each Prithviraj Risa, Part II, Fasc. 1-5 @ /10/ each utr? " _ Ditto (English) Part II, Fasc. 1 @ 1/- each” .., jut Prakrta Lakganam, Fasc. 1 @ /1/8 each ae 4 रष Paragara 87001, Vol. I, Fasc. 1-8, Vol. IT, Fasc. 1-6; Vol. III, Fasc. 1-6 @ /10/ each = “7 Pr nee Paragara, Institutes of (English) @ 1/- each... . ~ ~~ Prabandhacint&imani English) Fasc. 1-3 @ 1/4/ each Rasarnavam, Fasc. 1 ... Ot oki कि Saddargana-Samuccaya, Fasc. 1-2 @ /10/ each ०९

“Sama Véda रिक, Vols. I, Fasc. 7-10; IT, 1-6; HT, 1-7; IV, 1-8,

श्र, 1-8 @ /10/ each ... axe are $ re Samaraieca Kaha, Faso. 1, @ /10/ ae ५०९ Sankhya 80४78 Vrtti, Fasc. 1-4 @ /10/ each ... ४} Ditto (English) Fasc 1-3 @ 1/- each

*Sankara Vijaya, Fasc. 2-3 @ /10/ each Tee Sraddha Kriya Kanmnudi, Fase. 1-6 @ /10/ eac Sragdhara Stotra (Sanskrit and Tibetan) *Sranta Sutra Lutyayan, Faso, 4-9 @ /10/ each *Ditto Asbalayana, Paso. 4-11 @ /10/ each Snograta Samhita, (Eng.) Faso. 1 @ 1/- each ., Saddhi Kaumndi, Fase. 1-4 @ /10/ each ; . *Taittreya Braiimana, Fase., 11-25 @ /10/ each Ditto २७५१8१६} $ 8, Fasc. 1-3 @ /10/ each *Tuittiriya Samhita, Fase. 27-45 @ /10/ each *Tandva Brahmana, Fasc. 10-19 @ /10/ each Tantra Vartika (English) Fasc. 1.6 @ /1/4 ..., 54 ००५ *Tattva Cintamani, Vol. I, Fasc. 1-9; Vol. TI, Faso. 2-10; Vol. IIT, Fasc. 1-2; Vol IV, Fasc.1; Vol. V, Fasc. 1-5; Part IV, Vol, IT, Fasc. 1-12 @ /10/ each vie ५८ Tattvarthidhigama Sutram, Fasc. 1-3 @ /10/ Trikanda-M»ndanam, Faso. 1-3 @ /10/ ~ ~ Tul’si Satsai, Faso 1-5 @ /10/ ,., ius ५०७ *U painita-bhava-prapafica-katha, Faso. 1, 5-12 @ /10/ each Uvisagadasio, (Text and English) Fasc. 1-6 @ 1/- Vallala Carita, Fasc. 1 @ /10/ = = Varga Kriya Kaumndi, Faso 1-6 @ /10/ de om *Vayu Purana, Vol. I, Fasc. 8.6; ` ए०. II, Fasc. 1-7; @ /10/ each. Vidhana Parijita, Fase. 1-8; Vol. IT, Faso. 1 @ /30/- Sa Ditto Vol. II, Fase. 2, @ 1/4/ Vivadaratnikara, Fasc. 1-7 @ /10/ each at Vrhat Svayambhi Parana, Faso. 1-6 @ /10/ ... *Yoga Aphorisms of Patanjali, Fasc. 3-5 @ /10/ each Yogaéastra, Fase.I _..,

Tibetan Series. Bandhyastotrasangraha eae ope 9७ A Lower Ladakhi version of Kesarsaga, Faso. 1-3, @ 1/- each Nynyabindn of Dharmakirti, Faso, 1 > 7 Pag-Sam S’hi Tin, Fase. 1-4 @ 1/- each a's ade rae Rtogs brjod dpag hkhri S'if (Tib. & Sans. Avadafia Kalpalata) Vol. I, Fasc. 1-6 Vol. II, Fasc. 1-5 @ 1/- each... oe 9; Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. II, Fase. 1-3; Vol. IIT, Faso. 1-6 @ 1/ each as a. ~ Fan

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Arabic and Persian Series.

Al-Mnqaddasi (English) Vol. I, Fasc. 1-3 @ 1/- Ain-i-Akbari, Faso, 1-22 @ 1/8/ each ue ge न्ख 8 Ditto (English) Vol. I, Fasc. 1-7, Vol. II, Fase, 1-5, Vol. III, Fasc. 1-5, @2/-each = ` ~ 4... १९५ | ९९. Akbarnimah, with Index, Fast. 1-87 @ 1/8/ each

Ditto English Vol. I, Fasc. 1-8; Vol. IT, Fase. 1.6 @ 1/4/ each

Arabic Bibliography, by Dr, A Sprenger @ /10/

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` anp Mr, OTTO HARRASSOWITZ, Booksecter, Leipzig; Germany,

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of the Fasciculs being out of stock. BIBLIOTHECA INDICA. Sanskrit Series.

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Mahi-bhisya-pradipodyota, Vol. I, Fasc. 1-9; Vol. II, Faso, 1-12; Vol. 177, Fasc. 1-9 @ /10/ each

Se Manutika Saggraha, Faso, 1-3 @ /10/ each

113

see 18 :

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3 ८५१

*Advaita Brahma Siddhi, Fasc. 2,4 @ /10/ each ay Rs. 1 4 Advaitachinté Kaustubha, Fase 1-3 @ /10/ each see on 14 *Acni Purana, Fasc. 6-14 @ /10/ each ०७० we 5 0 Aitaréya Bralimana, Vol. I, Fase. 1-5; Vol. Il, Faso, 1-5; jVol. III, Fasc. 1-5, Vol. [V, Faso. 1-8 @ /10/ each ०७७ , oe 14 6 Aitareyalocana ७७ =, ‘0 *Anu Bhashya, Faso. 2-5 @ /10/ each and ननि "1 8 Aphorisms of Sandilya English), Fuse. 1 @ 1/- ००४ न्मः 0 Astasihasrika Prajiiapiramitaé, Fasc. 1 6 (न /10/ each banal 12 *Atharvana Upanishad, Fasc. 4-5 @ /10/ each ००५ oe I 4 Atmatattvaviveka, Fuse I ००७ eel i 10 Agvavaidyaka, Fusco. 1-5 @ /10/ each ^ = 3 2 Avadina Kulpalata, (Sans. and Tibetan) Vol. I, Faso. 1-7 एण II Fasc 1-6 @ 1/ each “ee 13 0 Balam Bhatti, Vol. I, Fasc. 1-2, Vol. 11, Faso. 1, @ /10/ each ws 1 14 Baudhayana Sranta Sitra, Fasc. 1-3; Vol. II, Fage. 1-2 @/10/each 3 2 *Bhamati, Fasc. 4-8 @ /10/ eav iu 2 _ Bhatta Dipika, Vol. I, Fasc. 1-6; Vol. II, Faso. 1, @ /10/ sata Mi 6 | | Bandhyostatrasangraha ७०० * ००५, 2 0 Brahma Sitra, Fasc. 1 @ /10/ each ०७५ ००९ ase Oy, 1, Brhaddevata, Fasc, 1 -4 @ /10/ each ००७ a ` 8 Brhaddharma Purana. Fase, 1-6 @ /10/ each ५५७ oe Toe Bodhicaryavatara of Qantideva, Fasc. 1-5 @ /10/ each +8 2 | Cri Cantinatha Charita, Fase. 1 ... ५१४ => O 10 Qatadisani. Fasc. 1-2 @ /10/ each ode pa &E BS : Catalogue of Sanskrit Books and MSS., Fasc. 1-4 @ 2/ each ०० 8 Q- Qatapatha Brihmana, Vol. I, Faso. 1-7; Vol. II, Faso. 1-5 Vol. IIT, Pasc. 1-7; Vol. ए, Fasc. 1-4 @ /10/ each 14 6 Ditto Vol. VI, Fasc. 1-3; Vol VII, Fasc. 1-3 @1/4/each 3 2 Ditto Vol VII, Fasc. 1-3 ‘a /10/ =^ | 14 Qatasaihasrika-prajfiaparamita, Part T, Fasc. 1-12 @ /10/ each a hee ae *Caturvarga Chintamani, Vol. II, Fase. 1-26; Vol. III, Part I, | Faso. 1-18, Part II, Fasc. 1-10; Vol. IV, Fasc, 1-6 @/10/each ... 36. 14 Ditto Vol. IV, Fasc. 7-8, 1/4/ each ees १२०३ 4 Ditto Vol. IV, Fase. 8 @ /10/ ore ure 10 Qlokavartika, (English), Fase, 1-7 ^ 1/4/ each ade ०० 8 12 # (1११४१ 8१८४ of Apastamba, Fasc. 12- 17 (@ /10/ each... SP. eee Ditto Qankhayana, Vol I, Fasc. 1-7; Vol. II, Faso. 1-4; Vol. III, Fase 1-4; Vol. 4, Fase 1 @ /10/ each oe ०० JO 9 Ori Bhashyam Fasc. 1-3 @ /10/ each “ee ne one 1 14 Dana Kriy& Kaumndi, Faso. 1-2 @ /10/ each ... ae (kal pee Gadadhara Paddhati Kalasara, Vol. ।, Fasc. 1-7 @ /10/ each =. £- Se Ditto & ०३१५8818, Vol. 11, Fase. 1-4 .., ००९ ५.०9, Gobhiliya Grhya 8०८८४, Vol. I, @ /10/ each ... ०५७ ad), Ee Ditto Vol. II, Faso. 1-2 @ 1/4 /each स्न हिः > Haralata... क, om we Lb BO » Karmapradiph. Fasc +न? Sh ^ ae Kala Viveka, Fasc. 1-7 @ /10/ each कय ~ # ~ *9 Katantra, Fasc. 1-6 @ /12/ each ve aw & 8 Katha Sarit Sagara, (English) Fasc. 1-14 @ 1/4/ each ear by *Kirma Parana, Fasc. 3-9 @ /10/ exch xe one 30 Lalita-Vistara, (English) Fasc. 1-3 @ 1/- each <a ~. =+ Madana Parijita, Faso 1-11 @ /10/ cach i ००78; aha-bha

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wate Va gaefcararenfaet नौरमजिधिरिव महा- wwafant कश्ाख्परन्यरेव मनोरथपूरण्णौ जिनप्रशोतप्रत्रच्धेव सत्यरषप्रमो हेतुः खमरादित्यकथेवानेकटन्तान्ला निजितजिञुवनेव waar सुसाधक्रिवेवापुष्येर तिदुखेभा मकुजगति्नाम मगर | साच MEM उत्पज्तिग्धमिधमेस्य मन्दिरमरयेख्य प्रभवः कामस कारणं Aa स्थानं महोक्वानामिति वष्छामुकङ्गानि विश- शानि विचिषरकमकरब्रभक्रिचिच्राणि अतिमनोष्ारितया परम- देवाध्याङ्तानि मेररूपाणि देवङ्कलानि wat चानेकाहुतवस्छ खानभ्रतलेनापरहसितामरनिवाखाः खितिप्रति्ठिता्यनेकपुरकखिता भरतादिवषेरूपाः पाटकाः WAG Ferra: पाटक- परिकेपाः | स्याञ्च मध्यभागवर्तो दौधेतराकारो विजथङूपावपन- पंक्रिमिर्विंराजितो मडहापुरुषकदम्बकसङ्कुलः इरभाग्भमृखयागुरूप- प्छलाभहेतु्महा विदे दरूपो विपणिमागः weary निरदद्धादित्य- चण्रादिगतिप्रषरतथातोतः परचक्रलङ्ृनाया मानुषोशललरपवंताकारः प्राकारः तस्मात्परतो vat fatten waren परिथा wat खदा विबुधाध्याखितानि भदट्रश्राखवनादिरूपाणि arn काननानि | eat बडविधजन्भुसक्ातजलपूरवाहिन्यो मडहा- AAEM ATEN: | seat ममस्तरश्यावताराधारण्तौ शवक aretzeqzedt waa भहाराजमागौ यां च॒ awa arn feet अम्बहोपधातकोषष्डपुष्करवरदो पाधेङूपाणि वबन्ति

१४८ उपमितिभवभपश्चा कथया |

जोष्छेव पाटकमण्डलानि wat खोकसुखहेतवः समुचित- errant: कण्पदर मरूपा भर्यांखः खानानतरौोयनृपतय इति | afa qi तस्याः कः कोरिजिश्ोऽपि qeaancatcag | शक्रो वकंयितु लोके anat: किसु arg: यस्यां तोतो ऽनन्ताखक्रिकेशवसोरिशः | संजाताः संजनिन्यन्ते जायन्तेऽद्यापि केचन या चेह सर्वश्रास््ेषु शोके खोकोक्लरेऽपि च। अनन्तगुएंपूर्णां दु शभतल गोयते छश्चावचेषु स्थानेषु fefisar sara: | प्रान्नाः खेदविगोदेन eat यज निदेतिम्‌ विनताः Beat Tat Gat धन्यतमा नराः | ध्मेमपदहायान्यशरनं चेतसि कुवते ष्टां गार्थः सदाना्थेका्थेवर्जगतत्पराः | पुण्यभाजः खदा धमे Hay पयुपासते ¢ fa are again ag नास्ति are | तस्यां मिवसतां सम्यक्‌ पुसां धन्नोपपद्यते सा fe carat: पूर्णा शा विद्यागमिदन्तमा | at मनोगयनानन्दा खा दुःखोघविनाभिका साखिणाखयग्धयिष्ठा खा विग्रेषसमण्विता | खा मुनौन्रसमाको्णा सा सुञ्चावक्डषिता सा जिनेश्धाभिषेकादितोषिताखिलभव्यका 1

fate: geng: | १४९

सापवर्गाय भव्यानां at सघाराय पापिनाम्‌

जोवोऽजौवस्तथा wea पापाथ्ाः सन्ति नेति वा

aa विचारः प्रायेण तस्यामेव विशेषतः

यसतस्यामपि संप्राप्तो नगर्यां पुरुषाधमः |

युच्धते ररेणेकिः सोऽधन्य इति गण्यते

तां कसुश्य लोकेऽपि ाममस्तोह मानवाः |

संपू थन जायेत पुरषार्थंचतुष्टयम्‌ ॥१२॥

तस्यां च॒ भगुजगतौ मगर्यामतुलबलपराक्मः खवौर्याक्रान्त-

भुवमधः श्रक्रादिभिरप्रतिहतश्रक्तिप्रसरः कमंपरिणामो नाम AUT: |

यो मोतिग्राखबुशघष्य प्रतापेकरषः सदा |

auqe aga fadtaafa Sear

fadat निरसुक्रोश्रः wataerg देहिनाम्‌ |

चकष्डशासनो दण्डं पातयव्यमपेखया

चं केलिपरियो दुष्टो जोभादिभरवेष्टितः |

नारकेषु परां काष्ठां प्राप्नोऽत्यश्त विचच्एः

मास्ति amt जगत्यन्यो ममेति मद्‌ विहृशः |

राजोपद्रवं gre धनायति कस्यचित्‌

ततो TAT शोकान्‌ भानाकारे विंडम्बभेः

सर्वाज्विडम्बथजु्े्ाटयत्यात्मनोऽतः

तेऽपि लोका महान्तोऽपि प्रतापमसहिषः

तश्च य्चदसौ afm तन्तत्छवें Hela

१४० wufafawagug! कथया |

ततख्च | काचिन्नारकर्पेण कोशतो बेदनातुरान्‌ | HAUT: प्रौ तिं मन्यमानो ZEW: 8 धया यथा महादुःखर्विंृशास्तालदोचते | तथा तया मनष्टथेरलसत्येव तोषतः कांचिदर्पोड्रो ला इत्यं बत भाषते मयविहलचिग्लला दाशन्चानिर्देकारकान्‌ अरे रे तियेगाकारं गहौला Tafa | OCs नाटकं aw मम चिन्नप्रमोदकम्‌

ततस | | काकरासभमार्जारमूषकाकारधारकाः | सिंहचि्कग्रादू खब्डगवेषविडम्बकाः AMAT वदं पोतश्येनरू LTT: | यकापिपौलिकाकौटमल्कुणाकारधारिणः # अनन्तरूप स्तिर्यश्चो भत्वा afenatena | ते नाटकं महाहास्यकारणं नाटथन्ि वै कुलवामनमूकान्धटद्धबाधिर्वसंगतेः तथान्यन्माुतैः Wass नाटयल्यषौ व्याशोकभयगस्तेटवबेष विडम्बकेः | विदितं मारकं get तुष्टो बत जायते तथा यथेष्टचेषटोऽसौ पुनस्तानेव सुन्दरैः | आकारे्ौजययचडीकान्नाटककाम्बया

feala: yeaa: | १४१

विडग्ग्यमानास्ते तेन प्राणिनः प्रभविष्णुना चातारमाद्मनः कंचिन्न WaT कदाचन fe विश्नापनातोतः arent घञिकौषेति | तत्करोत्येव केनापि निषिद्धो निवतते ततञ्च कविरटिष्टविथो गाते कचिन्धक्गमसुन्दरम्‌ | कचिद्रोगभराक्रान्ं कचिहारि्यदूषितम्‌ कचिदापदतानेकष्वधषहगतदादणम्‌ | कचित्भ्यक्छसुद्धतमदानम्दमगोहरम्‌ विश्ष्यं guaaict प्रधानङ्धखपुचकेः | अरनायेकायेकारिधात्‌ कषवििहशितविस्मयम्‌ क्चिदनुरक्रमर्तार gufk: ger: | नोचगामिभिराख्थं cui सुङकुशो इमैः कचित्‌ रतचमत्कार गृत्यद्वि्शष्यद्ेतुमिः। ` UTA GHATS MTT SASS: तदेव विधटन्तान्तप्रतिबद्मनाद्शम्‌ | संसारनाटकं fed भारयत्येष शोलया रागदषाभिधानौ दौ सुरजौ तथ नाटके दुष्टाभिखन्धिनामा तु तयोरास्फाणको मतः मानक्रोघादिनामानो गायनाः HARSH: | महामोहामिधानस्तु WTA: | भोगाभिशाषसंश्चोऽच नान्दोमङ्गखपाटकः |

TUR उपमिलतिभवप्रपश्चा शया

अने कविष्वोककरः कामनमामा विदूषकः

छष्णादिलेष्छानामामो वकाः WTA: |

योनिः प्रविश्छत्पाचार्णां नेपथ्यं व्यवधाथकम्‌

भयादिसं्ना विज्ञेयाः कंशिकास्तच नाटके |

लोकाकाशोदरा नाम fanter रङ्गग्डमिका

पुद्रलस्कन्धनामानः शेषोपसकरसश्चयाः |

इत्यं समयसा मयौयुक्े ARITA

नानापाज्पराद्रश्बा घ्वलोक विडम्बनाम्‌ |

अपरापररूपेण Halwiset प्रमोदते

किं वाज बहनोक्रन मास्ति तदस्तु किन

यदौ मगसोऽभिष्टं करोति महानृपः

ल्य Gare जिमण्डगजितवनहस्तिन इव ॒खवेबारूखछित-

प्रषरतया यथेष्ट्ष्टथा विचरतो यथामिरुचितकारिणः कमपरि- WHAT: समस्ताःपुरक्खतिखकग्डता argu Ww: श्रल्षष्छो णामिव छुसुदिनो gyfedtnfas safer कमखिमौमामिव wevfantr aeufenrnfa cerefear agiat faufaareermuniat Zalat मध्ये निलरूपलावश्यव्णं- विज्ञानविख्ासज्ासादिमिगणे रमणौयतेन प्रधानतमा काखपरि- तिर्नाम महादेवो सा ae नृपतेर्जो वितभिवात्यन्तवह्लभा आक्रौोयचित्तटरन्तिरिव सवैकायषु wear सुमग्धिसंहति- रिव खथमपि किंचित्‌ gaat तेन प्रष्टव्या सुभिचसन्ततिरिव विश्वाख्ख्यानं किं बहना तदायत्तं हि तस्य सकश्चमाधिराष्ध-

दितोवः Gea: 1). १४९

मिति श्रत एव चद्धिकामिव शशधरो रतिभिव मकरध्वजो ` watfaa awa: पावंतोमिव जिनयनस्तां कालपरिणतिं मदहा- zat a क्मेपरिामो महानरेश्वरो facwaraqaa कटा- fazarfaat विरहयति fa afe aw गच्छसिष्टखातमसजि- feat धारथति af geaqce भतेरि a तदचनं प्रतिकूदयति परख्यरानुकुखतया fe दण्पत्योः प्रेम निरन्तर संपद्यते नान्यथा ततस्तया वतेमानयोस्तयोर्गाडं निरूडिमागतं प्रेम विच्छिन्ना तदिचखनाश्रङ्का ततासौ काशपरिशतिभेड्तया महारानप्रषादस्योश्मादकारितथा यौवनस्य तुच्छतथा स्तीददयस्य qqeay तत्छभावानां gawesana तयाविधविडम्ननख्य सर्वे SAP प्रभवानौति मन्यमाना चक्रा स॒षमदुःवमा- दिभिः श्रौरण्डतामिः fraseife: परिषेहिता समयावखिका- AeA eT eT RAT TATA TTY TSN TAIT TAT वखपिष्छव्छपिषठो पुद्लपरावर्तादिना परिकरेण विविधकाथेकरण- चमास्ि लोकेऽदमिति संनातोष्ेक्रा तस्सिन्नेव क्मपरिणममहा- रालप्रवर्तिते चिचसंखारमाटके तस्येव cust निकटोपविष्टा सतौ घारङ्ारमेषं निमन्लयति अदत यान्येतानि यो निनवनिका- व्यवहितानि पाजाणि तिष्टन्ति मदचनेन निगेच्छन्त॒ शोत्रमेतानि निगतानि चोपरुतङ्दितथापाराणि गन्तु मातुः स्तन gaat धूखराणि Tey wat पुनथृढमानानि पदे पदे परिष्क्षभ चरणाभ्यां gay मूचपुरोषविमदेनबोभव्षमाद्मानं पुनरतिक्राग्-

बालभावानि धारयन्तु garcat क्रौडन्तु मानाविधक्ञोडाविग्बोकैः 20

tus safafawarrg! शया |

May सकखकलाकलापकौ श्रक्ं॑पुनरतिशितिकु मारभावान्व WTI तदणतां Tey मकमचगुरूपदे धानुखारेख सकलविवे- किश्लोकाश्छकारिष्ोऽनपेकितनिजङ्लकलङ्ाचपाथान्‌ कटाख- विष्षेपादिशारान्‌ नानाकारविखाखखाखविग्रेवानिति प्रवर्तन्तां पार- दार्वा दिव्बनायेकायमु एुनरपगततार्ख्छानि Vein weet mace खत्ववुद्धिपौरवपराक्मप्रकषे पुनर तिवाहितमध्यमवयो- भावानि trey जराजोेतां दग्रेयन्तु वलोपच्िताङ्गमङ्गकरख- विकखलमख्जजम्बाखाविखशरोरतां समाचरन्तु विपरोतसखभावतां एुनग्यवक शितसकलजो वितमावानि देहत्यागेन azar सतरूपतां लतः पुनः प्रविशन्तु योनिजवनिकाभ्वन्तरे wary ay गभेक- खमलानगेतानि विविधदुःखं gre निगच्छन्तु रूपान्तरङ्ुपादाख gaara: waft तदेव षा कालपरिकति- महादेवो तेषां शंसारनाटकान्तगेतानां समस्ठपाजाणमवख्ित- ङूपे चरद्वमणासितुं a ददाति किं afe चरे we acrarfa तान्वपरापररूपेख परावलेवति कि तेषां नृत्यतां ara करणानि पुद्रलसकन्धनामानि पूवमास्यातानि तान्ययतिचपखद- भावतथा Va: ys दशंथन्तौ खणे चशे ऽपरापररूपं भाज- यति। तानि पाजाणठि fa fart तज tener वश्रवर्तो चान्धोऽस्ति कञिदात्मनो मोचमोपाय इति fafer नि्मेतिकानि afar चथा यथा ला काल्लपरितिराश्चापयति तथा तथा arat- कारमात्मानं विडम्बयग्तोति fa क्मेपरिणमादपि श्का- are कालपरिणतिरात्मन्यधिकतरं प्रशुतमावेद षल्येव चरिते; |

दितौयः aera: | १४५

तथाहि कमेप्ररिण्णमस्य संसारनाटकान्त्डंतजन्तुसन्तानापरापर - खूपकरणगोचर एव प्रभावः तस्याः पुनः कालपरिएतेः शुखार- माटकव्यतिकरातौतरूपेष्व पि निढंतिमगरौ निकासिलोकेषु खणे qa ऽपरापरावश्चा करणात TSA wa: खा संनातोत्तेकाति- रेका किन कुर्यादिति तदेवमनवरतप्टत्तेन परमाहुतम्डतेन तेम नाटकेन तयोदंवौगृपयो विंखोकितेन संपद्यते. ena: | तह शेनमेव तौ खराण्यफणमवसुष्येते इति |

तयोख तिष्ठतोरेवमन्यदा रसि fear 1

awe वच्य राजानं सा देवौ तमषोचत

सक्र Vas aime पौतं चत्पयमश्चसा |

माजितं यन्मया मान्यं साभिमानं faa

We WES शोके यस्य नाखादितो रषः |.

WIA खमस्तकखयाणं प्रषादादेवपादयोः

दृष्टं द्रष्टव्यमप्यज लोके Bay सुन्दरम्‌

किंतु पुचसुखं देव मया नाद्याषि वौकितम्‌

यदि तदरवपादानां प्रसादादेव जायते |

ततो मे wfad ज्ञाष्यमन्यया लैवितं इया

मरपतिरूवाच | | ay शाभूदितं देवि रोचते aga: | खमदुःख॒खो देव्या aise स्वकर्मसु fa च। | | |

विषादोऽ्र कर्तब्य देव्या यस्मा प्रयोजने |

१४५६

उपमितिभवप्पश्चा कथा |

श्रावयोरेकचित्तलं ay तण्नायते भ्रुवम्‌ काञ्चपरि्तिरूवाच | चार्‌ लारूदितं mufafent मदनुथदहः | भविव्यतोत्थमेषेदं बद्धो ग्रन्धिरयं मया आनन्दजलपूर्णाक्तो भतूरवाश्थेन तेन सा ततः संजातविश्म्भा सतोषा समपद्यत न्यदा पिमे यामे रजन्याः शयनं गता | सप्रे RACV इष्ेवं सा. व्यबुध्यत वदनेन प्रविष्टौ मे जठरे भिगेतस्ततः | ata: केनापि fata मरः सर्वाङ्गसुन्दरः ततो हषं विषादाद्यं वहन्तो रसमुत्थिता | aq नरनायाय साचे विष्वच्चणा मरपतिरूवाश्च | खभ्रश्यास्य फलं देवि मम चेतसि भासते | भविद्यल्य॒न्तमः पुचस्तवानन्द विधाचकः aae विर गेहे तावके afaafa | धमेसरिवचोबुद्धः खायंसिद्धिं करिष्यति कालपरिएतिश्वाच | जायतां पुजकस्तावत्पर्याप्तं तावतेव मे करोतु रोचते तस्मे यत्तदेव ततः परम्‌ ततश्चा विरण्वद्भस्तं वहनधा प्रमोदतः | अथ मासे Sasa: संजातोऽयं मनोरथः

दितौयः प्रस्लावः। १५७

अभयं wage: सर्वाथिभ्यो धनं तथा | ज्ञानं शनानशल्येभ्यखेद्यच्छछामि यथेच्छया तया विधविकल्यं तं निवेश्य arya | संपूर्ण॑च्छा ततो जाता Fae तदनुश्ञया श्रय GUHA FRA सखुन्दरेऽनघा | सा दारकं Qa दता सवंलच्षणसंयुतम्‌ ततः ससम्भ्रमसुपगम्य निवेदितं दारकस्य जग्म नरपतये पियभिवेदिकामिधानया दासदारिकया दत्तं तेनाङ्कादातिरे- कस्पाद्यमनाख्येयमवस्थान्तरमनुभवता तस्ये मनोरयाभिकं पारि- तो षिकं दान। दत्तानन्द पुलको द्ध दसुन्दरं दें धानेन मदन्त- मामामादेशः। यदुत भो भो मदत्तमाः देवोपुचजन्माभ्यदय- सुदिश्च घोषण्णापूवेकं ददप्वमनपेचितसाराखाराधारविषाराणि महादानानि पूजयत gest समानयत परिजनं पूरयत प्रणयि- लनं मोचयत बन्धनागारं वादयतानन्दमदं लसन्दोहं मृत्यत चयेष्ट- gaara पिबत पानं सेवध्वं दयिताजनं मा avid ne शुत दण्डं श्राश्वासयत भोतलोक वसन्तु GAA: SHAT: प्रजाः नास्ति कस्यविदपराधगन्धोऽपोति | ततो यदाज्ञापयति देव xfs विगयनतोत्तमाङ्गेः प्रतिपद्य संपादितं तद्राजश्रासनं मदन्तमेः | निवर्तितो ऽगेषननचमत्कारकार नन्यदिममरोत्छवः। प्रतिष्टापितं q eget काले दारकस्य नरनायेन सखचित्तेनेवं पर्यालोच्य यतोऽस्य गर्भावतारकाले जननो सर्वाङ्गसुन्दर नर वदनेन प्रवि- शन्तं इृष्टवतौ ततो ऽद्य भवतु भव्यपुरूष इति नाम ततस्तदाकणे

१५८ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

देवौ राजानसुवाच देवाहमपि gene किचिन्नाम कर्तममि- छषामि तदमुजानातु देव इति | मुपतिराइ दैवि कः कच्या- णेषु विरोधः श्रभिधोयतां शमौहितमिति aceite यतोऽ Wie मम कुग्रलकमकरणपच्पातिनौ मतिरण्धक्नतोऽच्य भवतु सुमतिरित्यभिधानं | ततो set चौरे खण्डखेपकसर्पमेतरेवो कौ श्च लेन संपन्न यद्वव्यपुरूषस्य सतः सुमतिरित्यमिधानागरमिति wary: परितोषञुपागतो राजा विशिष्टतरं नामकरणएमशोत्छवं कारयामास

इतखास्ति तस्यामेव मनुजगतौ नमर्यामग्टरोतषदेता नाम ATS सा जनवादेन नरपतिपुचजग्मनामकरणटन्ता न्लमवगम्ब सखो प्रत्या प्रियसखि प्रज्ञा विश्राले पश्य aqua महाख्यं are यथा कालपरिएतिमहादेवौ wagered दारकं प्रह्ूतेति ततः प्रज्ञाविशाखयोक्र प्रियसखि किमजाखधं श्ग्टहोतसङकताह | यतो मयावधारितमासौत्‌ | किशेष कर्मपरि- WAIN निर्वो जः खरूपे इयमपि काखपरिणतिर्भहारेवौ anofa carat पुमरनयोरपि पुजोत्यत्तिः श्रूयत इति महदेव तदाञ्चयं प्रन्ञाविश्ाख्ञाह श्रयि मुग्धे सत्थमगररो तशदधेतासि यतो frame ware: wi डि राजा अरविषेकादिभि- मेन्तिमिरतिबश्वौज इति मा इुजेनचचुर्दोष इति रत्वा निर्शोज दति प्रकाशितो शोके, इयमपि महादेव्यनन्तापत्यलन- fat तथापि दुजेनचचुदेषभयादेव तैरेव मन्तिभिरवश्ध्येति शोके प्रख्याप्यते तथाहि यावन्तः करित्कचिष्लन्ततो जायन्ते

feata: wea: | १५९

तेषां सेषामेताणेव Bat परमवोययक्रतथा परमार्थतया लननोजनक अन्यच किं दृष्टं रतं वा कचिदपि प्रियसख्या अरमयोर्नाटकं पश्यतोयन््ादाक्यं | यदुत राजा समस्तपाजाफि यथेच्छया भारकति्यंडनरामरगतिखचणसंसारान्तगंतानेकयोनि- लचग्रभवजन्तरूपेण माटयति | AUS पुनस्तेषामेव महाराज- जनितनानाङूपाण्ण समस्तपाजाणएं गर्भावख्ितवालकुमारवदणम- ध्यमजराजोणेम्टतगरभप्रविष्टनिक्रान्तादिरूपा्यनन्तवाराः कारय- तौति श्रगरौतखङ्कतार्‌ भियश्खि श्ुलमेतच्मया कि तु यदि ata क्मपरिणामस्य Ue: समस्तपाचपरावतने सामथ्ये काञ्परितेवां महादेव्यास्तेषामेवापरापरावस्याकरणे शक्रिः तत्किमेतावतैवानयोजेनमोजनकलं संभवति प्रन्नाविध्राशाद | रयि प्रियवय्येऽव्यन्तसुग्धासि यतो गौरपौहाधकयितमवबुध्यते त्वं एनः परिस्फटमपि award orate यतः संसार एवा परमा्च॑तो Mee! तस्य यो जनकावेतौ परमार्थतः we लनमोजनकाविति श्रग्टहोतसङ्कताइ प्रियसखि यदि waq- नगव्जमनौजमकयोरपि Sagan apa नृपस्य निर्बोजलं दुजेगचचुदेषभयाद विवेकादिभिमन्िभिः प्रख्यापितं शोके तत्कि- मित्यधुमायं भव्यपुरषोऽनयोः पुजतथा महोक्छवकणकलेन प्रका - शित इति! प्रश्ञाविश्ालार समाकणयाख्य प्रकाशने यत्का रणं श्रद्यस्यामेव anat राड्‌ सत्यवादौो समस्तसत्वसह्नग तडहित- कारो सवेभावस्छभावषेदौ wate कालपरिरतिकमेपरिणम- थोदवौगृपयोः समसर इस्यस्यानेव्वत्यन्तभेदन्नः शदागमो नाम

१६० उपमितिभवप्रपद्चा कथा |

परमपुरुषः श्रस्ि तेम साध मम aati चान्यदा दृष्टो मया wes: षष्टो निबन्धेन edad) तेनोक्र आकणंय भद्रे यदि gawii येवं कालपरिणतिर्महादेवो waar रसि विज्ञापितो राजा aca निर्विंखाहमनेनात्मनो- ऽलौकवश्ध्या प्रवादेन | यतोऽदमनन्त पल्यापि दुजमचचुदेषिभयाद- विबेकादि भिमग्लिभिरवग्ध्येति प्रख्या पिता लोके ममेवापत्यान्यन्य- sagan Naa, सोऽयं खेदजनिमित्तेन ween ama: ) तदिदं वन्ध्याभावश्लचणं AAs wafaqaea देषः ततो मुपेणोक्रं देवि ममापि निर्वोजतथा waraaaz केवलं धोरा भव शयो मयायश्ःपङ्चाखगोपायः। देवया कतमोऽसौ | aye) देवि श्रष्यामेव मनुजगतौ महाराज- धान्यां वतेमानाया भवत्या मज्तिमण्डलवचनमनपेच्छ प्रकाश्यते प्रधानपुचस्य जग्म करियते महानन्दकलकलः | ततञिरकालशरूढ- ayaa भिर्गोजत्ववन्ध्याभावशरूचणमयश्ःकलद्धं साखितं भविव्य- तौति ततः सतोषया प्रतिपन्ं महारानवचनं देव्या शतं यथाल्ोचितं ताभ्यां ततः warfare योऽयं भव्यपुरुषो जातः सष ममात्यन्तवल्लभः | VU WHA सफशमवगच्छाम्ये- त्यतो aqua इति | ततो wate शोभनं ते ₹्धेकारणं | ततोऽयमनेन कारणेन WAGE देवोनुपपुतथा प्रकाशित cia श्रग्टहोतसङ्क तयोक्तं साधु ASG साधु सुन्दरमास्यातं भवत्या atfaat मे सन्देहः यथा व्वल्छमोपसुपगच्छनधा मया w- मानें समाकषितो शोकप्रवादस्तथा देवौनृपयोः erfaataren:-

fata: प्रस्तावः | १९९१

कलङ्कमवगश्छामि प्रन्नाविशालयोक्रं | किमाकणितं freee | तथोक्तं | दृष्टो मया AT बहलोकमध्ये सुन्दराकारः पुरुषः | सविनयं ve: THETA: | भगवन्‌ एष राजदारको जातः कौदृग्गृणणो भविव्यतोति तेगोक्तं भद्राः श्रटएतः समस- श्णएभारभाजनमेष वधमान: Arana भविव्यतौति wat श्क्यन्तेऽस्य सवं yu: कथयितुं कथिता श्रपि पायंकेऽवधार- यितु तयापि लेश्रोदेश्तः कथयामि afaaae frets रूपस्य निलयो यौवनस्य मन्दिरं mage दृष्टान्तः wae निकेतन- मो दार्यस्य निधिर्विंनयस्य सदनं गाम्मौर्य॑स्य wet विज्ञानस्य आकरो दाचिण्छस्य उत्पज्तिण्डमिदचिश्य दयन्तापरिच्छेदः स्थेयस्य प्रद्यादेश्रगो चरो शध्नायाः उदाहरणं विषयप्राग्भ्यस्य सद्भर्ता श्ति- सतिश्वद्धाविविदिषादिखन्दरोणामिति sare श्रनेकभवाभ्यस्त- कुश्रलकमेतया बालकालेऽपि प्रवतेमानोऽयं भविव्यति कलिप्रियः qufaafa अने वक्छलतां समाचरिव्यति गुरुविनयं प्रकटयिव्यति धर्माजुरागं करिति Meat विषयेषु fazed कामक्रोधादि- कमान्तरमरिषद्धगे नन्द यिष्यति भवतां चिन्तानति | arcane सभयं aed fem निरौचमारेस्तेर भिहितं | श्रो विषमश्रौल- तया खमस्तजनविडम्बनाडेतु्तयापि कालपरिणत्धा कमंपरिएामेन चेदमेक सुन्दरमाचरितं यद्‌ाभ्यामस्यां षकलदे शर विख्यातायां मनु- जगतौ नगर्याभमेष भव्यपुरषः खमतिजंनितः। कचालितान्येतव्नन- नेनाभ्यामात्मनः समस्तदु श्चरितान्यपु चलायशरखेति | तदिदं समस्त-

मवदहितचित्तया मयाकर्णिंतं | तत एव संजातो मे मनसि वितकं;। 21

१६्‌ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

कथं पुनरनपत्यतथा प्रधिदयोदंवोगपथोः एुजोत्यन्तिः। को वैष पुरुषः wy दव विब्यत्काखभाविनौं रानदारकवक्रयतां समस्तां कथयतौति aafefad मवा मियसस्ौमेतद्यमपि प्रश्रयि- ग्यामि। gue fe सा सवंटश्तान्तानां। तजापनौतो भवत्या WAGE: | and मे दितौोवमपनवतु भवतो प्र्ञाविन्नाख- योक्त वधस्य कायेदारे णाहमवमच्छामि एव मम परिचितः परमपुरुषः सदागमनामा तदाचचाण्ठोऽकखो कितो भवत्या यत, ॒एवातोतानागतवतेमानकाखभा विनो भावाम्‌ करतखगतामल- कमिव प्रतिपादबितु परिष्टो नापरः थतो वि्यन्तेऽस्यां मनुज- गतौ नग्यांमन्येऽपि तादृशा अभिनिवोधावधिमनःपर्थायकेकश- MAMAN: परमपुरुवाः | केवलं तेषां पर प्रति प्रतिषादन- श्रक्रिरस्ति। मूका fe ते चल्वारोऽपि खरूपेण तेषामपि खरूपं सत्पुरुषचे ्टितिमवशम्बमानः पर्णप्रका ग्रगव्यखनितथा खोकसमख- मेष एव ॒सदागमो भगवासुत्कौतेयति श्रग्टहोतसद्धेतयोकष are किं पुनः कारणमेष रानदारकोऽस्य सदागमस्यात्यष्लवल्ञभः | fa चेतच्यन््मात्मानमयं सफखभवगच्छतोति ओओतुमिच्छामि | परन्लाविश्रालयोक्रं एष fe महापुरुषतथा ead परोपकार- करणएपरायणः THM दितमा चरत्येव केवखमेते पा पिष्टाः मराणिनो शास्य वचने वतन्ते ते हि शचयन्ति वराका aze भगवतो are ततस्तेभ्यो हितमुपदि शन्तसप्येनं सदागम केचिद्‌ दुष्यन्ति केचिदपकणेथन्ति केचिदुपडसन्ति केचिनलदुप- दिष्टाकरणश्चक्िमात्ममो दौपथन्ति केचिन्तद्ववमाद्‌ दूरत एव

facta: sera: | १९९

चद्छन्ति केचिन्तं प्रतारकथिथा wen केचिन्सदयममादित एव गावनुष्यन्ते केचिकदचनं श्रुतमपि रोचयन्ति केचिभ्लद्रो चितमपि नानुतिष्ठन्ति केचिदनुष्टानमधिहृतमपि पुनः भिचिश्षथन्ति। aga fat नास्य सम्यक्‌ संपद्यते परोपकारकरणशकणा समौ- हितखिद्धिः। ततोऽयमनया aad प्राणिनामपाचतया गाडमुदे- जितः। wae fe सहुरूणामपि भिष्फलतथा क्ुपा्गोचरो महाप्रयावयिन्खेदशेतुः। श्रयं तु राजदारको भव्यपुरुषव दति पाश्ग्धतोऽख प्रतिभाखते wages: सज्ञपि यदि दुर्मतिः चयात्‌ ततो पातां wa श्रयं तु राजटारको यतः सुमतिरतः पार्त एवेति TGs FIAMMA: | Te) अयं खदागमो मन्यते। यतोऽस्य दारकव्येवंरूपतया जनकलादेव सुन्दरः anata: जननोलादेव wager काखपरिशतिः ततोऽयं विञुक्रवासभावः सुन्दरतया गिजख्भावस्य प्रश्या्कतया कद्याणपारग्पथेष्य प्रमोदड्ेतुतथेवं विधपुश्वाणं मह शेन्ध मासुप- wea नियसेनाख् भविग्धति मनस्येव विधो वितकंः | यथा gated मनुजगतिननेगरौ यच्यामेष सदागमः wages: प्रतिवसति | ममाखस्ति प्रायेण योग्यता काचिन्तथाविधा यया तेन सद मोखकः ae! ततोऽसुं परमपुरुष विमयेनाराध्याश्च सम्बन्धि च्चानमन्वष्यामि ततो मदगुकूखला'्लननोजनकयोस्ताश्यां समितो भविति aca fre: ततोऽहमस्व संक्रामितनिजश्चानः रल- कयो भविव्यामौति बुद्धाय षदागमोऽस्य सु्मतेभेग्यपुङषस्य जना SRM | श्रत एव संजातपरितोषतया

wds उप्रमितिभवप्रपश्ा कथया |

अनसमशं राजदारकटुणानेव वयति शअग्टहोतशङेतयोक्र , frewfa कि gare भगवतः ema area यदेते arfawawr नावबुध्यन्ते ऽनवनुष्यमानाखच are वचने वतेन्त इति प्रज्ञाविगश्ाणथोक्र वथस्ये समाकण्य ठव स्व॑बा- fanftanfanat: कमेपरिणएमो महारानो यथेह चेष्टया शंसार- भाटकमाव्तवमानः शततमोश्वराब्दरिद्रयति सुभगान्दुभेगयति सुरूपाम्‌ wera पष्डिताश्खंयति शरान्‌ क्ोवयति मानिनो ोनथति facet नारकयति गारकासममुव्यवति मरुयान्दव- थति देवान्‌ पष्ठभावमानयति गरेश्रमपि कौटयति चक्तर्तिन- मपि द्मकवथति ररिद्रादौनोश्वरादिभावान्‌ प्रापयति किं बना अचेष्टं भावपरिवर्तनं facut कचित््मतिशन्धते wane भगवतः षदागमस्व सम्बस्धिनोऽभिधानाद्पि बिभेति गन्भादपि qeraa i तथाहि तावदेष कमंपरिणाम रएताश्यमसतशोका- न्संवारमाटकविडम्ननथा विडम्बयति यावदधं सदागनो भगवान्न ईकारथति। यदि पुनरेष डकारयेन्ततो भवातिरेकखस्त- CART महासमर कातरनर इव mem खथसेव समस्तानपि सुश्धेत्‌। मोचिताखानेनासुश्नादगन्ताः प्राणिनः चग्टसेतसरेतथोक्तं | ते किमिति a get प्रज्ञाविश्माखाह। aftr कर्मपरिणममङहाराजभुक्ेरतिक्रान्ता निहेतिर्गाम महा नभर | ततस्ते अदागमञ्जङरेण कमेपरिणाममप्रभवग्धमा तान्य पखभ्य मोचिता वधं शदागमेनेति मत्वा कमेपरिशामभिरसि पाददाम- इारेणोङौय wat गच्छन्ति wary तस्यां सकलकालं समणशो-

दितौयः verre: | १६५

` चदूव्णासरश्डिताः wagfeafasia तेन कारणेन ते Ay दृश्यन्ते, श्रररुहोतसङतयोक्रं aaa किमित्येव weteres मोचथति कद णिता हेते वराकाः सर्वेऽप्यनेनाति विषमप्रौ शतथा कमेपरिामरालेन | ननन युक्रमस महा पुरषशेखरस्य अत्यामेवं- fauumt तत्क येनस्योपेच्चणमिति प्रश्चा विश्रालाइ वघत्यमेत- त्येवं प्रति रिथमस् भगवतः सदागमस्य यया वच्नविषरोतका- रिषु क्ुपाजेव्वबधोरणां fara) ततस्तेनावधौरिताः सको मायरद्िता इति मला meat कर्मपरिण्णामराजेन Brey | चे त्‌ wena निदश्रकारिष्णो भवन्ति तानेव at प्रति- मशुवतंमानः क्मपरिष्टामकदथेमायाः BATE मोचयति येऽपि शोका भगवतोऽख्य सङशाममस्योपरि भक्रिमन्तोऽप्यद्य सम्बन्धि वचनं तथाविधश्रक्रिविकलखतथा eager ॒ग्क्कुवन्ति कि तर्हि तका्यादतमं Tat Tw सोकं alent स्तोकतमं वा gaia भक्रिमाचकं वाश्योपरि विदधति नाममा re avin यदि वा ase भगवतः कम्बन्धिनि swt ant महात्मानस्तषाञ्ुपरि धन्याः Barat: TERN: सुखम्धजन्भान एत दइग्यादिवचनखिङ्ग- गम्यं WHAT Baler दास्य भगवतो ऽभिधानमाजमष्यजानानाः प्रह्ये ये भद्रका भवन्ति ततख्च मार्गालुकारिषदन्धन्यासेनाना- भोगतो ऽप्यस्य वचनालु लारेक ane ara विधाननस्पविकख्पा- लोकानेष क्मपरिामो awatxt यद्यपि acres किय मतमपि are भाटयतसि तथापि बटाममस्याभिप्रेता एत इति मला नाधमपाक्भावं मारकति्थकुष्कुमारुषकदमरकूप तेषां

१९९ उपमितिर्भवप्रपच्चा कैथा |

विधन्त | किं तरिं केषांचिदनु लरखररूपं दशेति केषां चि दैचेयकामराकार प्रकटयति केषांचिद्‌ परितनकण्पो पपन्नदेवरूपत जनयति केषां चिदघधस्तनकल्पो पपशमहद्धिलेखकरणि कारयति केवांचिदशु विभुरूपतां श्यति केषां चिश्वक्रवतिमहामष्डलिकादि- प्रधानपुरूषभावं भावयति waar प्रधानपाजरूपतां विहाय कदादद्रुपान्तरेष araaafa तत्पर्याप्तमेतावताश्च भगवतः खदागमस्ध area - चदेवं विधामश्येुक्ो पमेव कर्मपरिशशमो ` महानुपतिरेतद्भयाक्रान्तददयः VAT वतेते |

श्न्यश्च कथ्यते तुभ्यं कौतक यदि विद्यते | पं सद्‌ागमस्यास्य तर्‌ बुध्य ग्हगेखणे

एष एव जगज्ञाथो AGA: परमायेतः |

एष एव जगन्नाणमेष एव सुबान्धवः

एष एव fauga पततामव लम्बनम्‌ |

एष एव भवाटब्यामटतां मादे श्रकः

एष एव मह्यः warfare: |

एष एव गदो च्डेदकारणं परमौषधम्‌

एष एव भगौ पः सवेवस्तप्रकाश्नकः |

परमाद्रालसाश्ृणमेष एव विमोचकः

एषोऽविर तिनाम्नाखकलख्मषचा VTA: |

एष एव योगानां दुष्टानां वारणो्चतः

शब्दा दिचरटाक्रान्ते इतधर्मधने अने | समर्यो भगवानेष area विमोशमे

facta: प्रस्तावः | १५०

एष एव मदहाचघोरगरकोडूरणकमः | qa waranty देहिनाम्‌ एष एव कुमानुग्यद्‌ : विच्छेदकारणम्‌ | एष एव कुदेवलममःसन्तापनाश् कः अश्नामतङ् विच्छद एष एव कुटारकः |

एष एव मडहानिद्राद्रावणप्रतिबोधकः एष खभाविकानन्दकारणतेन गौयते | सातासातोद योत्पाद्चमिथ्थानुद्धि विधूनकः एष एव शदकोधवद्धिविध्यापने जलम्‌ | एष एव महामागपवेतोह शने पविः

एष मायामहाव्याप्रौ घातने शरभायते | एष एव महालोभनोरधेः शोषणानिलः एष हाख्यविकारस्य गाढ प्रश्रमनश्षमः | एष मोषहोदयोत्पा्ां रति निणंश्यत्यखम्‌ एष एवार तिथस्ते जनेऽसिखग्डतायते |

एष एष भयो द्भाग्तसत्वसरच्णएचमः

एष wintry संधौरयति रेडिनम्‌ | एष एव भगु ष्छादि विकार श्मयत्यखम्‌ wa कामपिशाचच्य इढसुच्चारने ye: | एष एव मातेष्डो भिग्याल्ध्वाण्तसूदमः एष एव शतुभ॑ंदजो वितोचश्छेद कारणम्‌ | यतो wa ततोऽतत ते नयत्येष frarea

६९८

उपमितिभवपपश्ा कथा |

Wea या नाशा रता शोकविडन्नना | fara तामेष लोकानाममङ्गख्वानदानतः स्वेष्लिमल भक्रानां विधायाचयमव्ययम्‌ | एष एव दिगत्यचचरनो चेर्भाजविडम्बगाम्‌ ` एष एव दानादि श्रक्रिषब्दोहकारणम्‌ | एष एव महावौयंयो गदेतुङदाइतः

श्रन्यश्च ये महापापा निभाग्याः पुदवाधमाः |

ते सटागमस्याख्य नामापि बड़ मन्वते ततोऽनेन भरेष्देण ते पूर्वाक्रविधानतः | संषारनारकेनोचचेः acer निरभ्लरम्‌

एव भाविकद्याणाः पुष्यभानो HAT: |

ते aqmafads कुर्वन्ति विदहितादराः

ततोऽपकश्यं राजानं ते विडम्बगकारणम्‌ | संसारनाटका्यक्षा मोदन्ते frat गलाः TM etsy राजानं Se ` सदागमप्रसादेग मन्यन्ते ते निराङ्शाः किं वाच await नास्ति acy किंचन | सटागमेऽस्मिन्‌ wart खुन्दर oH Wad तदेतदश्य are किंचिेशेन afeaa | विग्रेषतः ge: aioe गणानां वेगचमः

ततः प्रन्नाविश्राल्लाया वाश्छमाकष्छे विख्खिता | इदये feared खा सन्देदघ्ुपामता

दितोषः were: | ade

यदिदं प्रिथसस्था मे विदितं गणवणेनम्‌ |

अदि सत्यमिद तेन नासि तुष्यस्ततोऽपरः

अतः Wafa तं तावत्कर)मि afafrquz |

awa wa a सन्देहो गिवतेते

तत्वं विचिन्ध तचागरहोतसङेतथाभिदहिता प्रन्ञाविश्राला | प्रियसखि सुनिितसत्धवादिनगोमपि भवतोमधुनादमनेन सदा- THETA यगु एवणमेनात्यगेखभाषिणौमिव परिकल्पयामि भवन्ति मे मनसि विकश्याः। faa परिचितमिति wen एषा वणयति श्रन्यवा कथं कमेपरिणामो agate: कुतथिदिभि- यात्‌ कथं वेक पुरूषे एतावान्‌ गणसद्गातः संभाव्येत frawat कदाचन मां विप्रलम्भथति ततः न्देहापन्नं दोखायते मे ममः। श्रतस्तमात्मपरिचितं waged विशेषतो दगयितमरेति भे भवतो प्रज्ाविश्रालाइ | सुन्दरमेतदमिप्रेतमेव मे इद्‌ यस्य श्रभिगमनौयो द्रष्टव्य एवासौ भगवान्‌ ततो गते whe mage) इष्ट ताभ्यां तय महा विजय

ूपावपनपद्भि मिर्विंराजितस्यानेकमडा पुरुषाकौशस्य महाविदेइ- eae विपणिमागेश्य मध्ये वतमानः प्रधानजनपरिकरितो तभ - वद्ध विश्द्धावद्छभावाविभावमं ङुर्वाणो भगवान्‌ सदागमः ततः ्तथासन्नोग्धय प्रणम्य त्चरणयु गणसु पविष्ट ते तज्जिकटे तदारति- दभ्रेनादेव VBA मुहमुंङविंशोकनादग्टौ तसङतायाः प्रनष्ट इव सन्देहः वधिंतयिन्तानन्दः ages विश्रम्भः ama: शतार्थता तहशेनेनेति ततः प्रश्चाविश्राखां परत्यभिडितममया रपि |

32

१७० उपमितिभवप्रषश्चा कथा |

धन्यासि लं महाभागे सुन्दरं तव जौवितम्‌ | यस्याः परि चयोऽनेम पुरषेण महात्मना अं तु मन्दभाग्धासं afyare पुरा यथा | दृष्टोऽयं महाभागः पुषः पूतकल्मषः नाधन्याः प्राग्रुवन्तोमं भगवन्तं खदागमम्‌ निकलचणनरो जेव दिन्तामणिमवाश्ुते संजाता प्ूतपापाइमधुना गणो चमे

तव प्रसादाद्‌ FER महाभाग सदागमम्‌ त्वया कमलपजाचि येऽस्य gafwar इणः | ते तथेव मया सवं दरनादेव fafyar

नादं विगरेषतोऽद्यापि tyre गुणगौरवम्‌ ` नाख्यन्यः पुरुषोऽनेन तुय एतत्तु Aes SNH मन्दभाग्यायाः Tea प्रति संशयः | गणेषु TUTTI साम्प्रतं प्रलयं गतः

` जिगूढचरितासि लं सत्यं बद्वावव्जिता | यथा दर्तः पूवे ममेषः पुरुषोत्तमः ARTA ANG भवत्या सह सुन्दरि ' दिने दिने खमागत्य ade पयपासना गुणाः खरूपमाचारं चिन्ताराधनञुशचकेः | त्वयास्य सवं way md कालेन यसा श्रतो ममापि aed निवेद्यं वह्त्भाषिणि येना हमेनमाराध्य भवामि तव afer

feata: प्रस्तावः | १०१

ततः warfanrare चाद चाङूदित fre | यदेवं कुरुषे इन्त सफलो मे परिश्रमः अरो विगरेषविश्चानमहो वचनको श्रशम्‌ | wut enw गर्वो तवेयं चाहो चने सद्धेताभावतो भद्रे जानौषे षदागमम्‌ | तथापि परमान योश्यता तव विद्यते एवं gaat नित्यं मया साधं विचारणम्‌ ` अश्नातपरमार्थापि न्नातत्वा भविष्यसि ततः SAAN ते nag सदागमम्‌ | पियबश्थौ गते तावत्छश्यानं तच वाश्षरे एवं दिने दिने wet: वेत्योः सेवां तथोः | खदागमस्य गच्छन्ति दिनानि किण शौोशथा a अथान्यदा विश्राखारो ster सा तेन wha | प्रजनाविन्नाल्ला सानन्दं पुरुषेण महात्मना एष स्वगणाधारो भवत्या छखेहनिभरः बालकाखात्छमारभ्च HAM राजदारकः ` गत्वा राज्कुशं vz विधाय दृढसंगतम्‌ | श्राव्य भननौचित्तं धाक कथंचन त्यि सलातविश्रम्भो Bare राजदारकः। सुखं विवधमानोऽपि प्रयाति मम aaa ` ततो fatwa निःगरेषमाक्रौयन्ञानको शखम्‌ | grassy भविग्यामि शतहत्योऽहमश्चसा

१७२ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

ततो चदादि शत्ायं दत्यक्रा नतमख्शका प्रज्ञाविशाला तदाक्यमनुतखौ शतादरा अथासौ भव्यपुरषस्तां धान प्राण सु्दराम्‌ | BUA: सुखेनास्ते देववडिवि रूगेलया क्रमाद्छ॑वर्धमानोऽसौ कश्यपादपसम्निभः | संजातः खवेलोकानां लोचनानन्ददायकः चे ते खदागमेनोर्भाविनो aftr गणाः | श्राविग्डताः gaara कौमारे ae तिष्ठतः # ततः परिचयं aa तया प्रभ्नाविशालया | नौतः सदागमाण्वर्ं सोऽन्यदा राजदारकः तं वोच्छ Gur महाभागं सदागमम्‌ | भाविभद्रतया war पर इषैसुपागतः

, ततः प्रणम्य age निषथोऽसौ तदन्तिके | आकरं मगोहारि तदाक्धमद्धतोपमम्‌ आवजिंतो were शर श्राङकरनिमेकैः | भवपुरष्िन्त ततखेदमचिन्तथत्‌

WETS वाक्धमाधृयेमहो रूपमहो गुणाः | अहो मे धन्यता येम मरोऽयमवलोकितः uaa नगरो यस्यां वसत्येष सद।गमः। सजातः TAINS शेनादस्य धोमतः गुममेष भवद्भूतभा विभाव विभावनम्‌ | भावतो WATTS: करोत्येव TTA:

feata: vena: | १७९

तदेष शदुपाध्यायो यदि aqua मम ततोऽहमण्य नेदिष्ठो गामि सकलाः कलाः ततः प्रन्नाविश्रालायास्ेनाकूतं निवेदितम्‌ ` जममोजनकयोगेत्वा तथापि कथितं वशः प्ादुकंतखयो मोषः प्रविधाय wera | ततः wafaranat सोऽन्यदा इशभवासरे कथं सतक्तौतुकसत्कारः परिपृष्य षदागमम्‌ | भव्यपुङषसशस्य शिब्यतेन निवेदितः सिताम्बरधरो We सितश्छषणन्ड वितः | वितपुष्यभरापूेः शितचन्दमचयचितः ततो महाप्रमोदेम विनयेन विनेयताम्‌ | TITANS पुण्यात्मा कलायदएकाम्यया ततो दिने दिने थाति पां ae धमतः | खदागमस्य जिन्नासुः साध प्रज्ञाविश्रालथा अन्यदा शटमार्गंऽखौ शौखयास्ते सदागमः | भग्यपुरुषोऽभ्बणं युकः प्रश्ना विश्रालथा भूरिनरषह्ातपरिवारितविग्रहः। अगरेवभावसद्भावं वदन्नास्ते षटागमः अथाग्टहोतसङधेता VO: TW समागता | मला खद्‌ागमं सापि faver wea vet पियश्खो art माजितो राजटारकः।

१७8 उपमितिभवधपश्चा कथा

खिता सदागमसुखं want सिमितेखणा

caqaareaanet दिभ्रि wqufent वाकषखकलः शरूयते विरसविषमडिण्डिमभ्वनिः शमाकष्छेते दुर्दान्तखोकङतो उङहासः | ततः पातिता तदमिसुखा समस्तपषेदा gfe: यावददिखिप्न- समस्तगाजो भना चचितो गेरिक्सकेः खरितख्णमषौ पुष्छकं- fanfem लखमानया कणवौरमुष्डमाखया विडग्वितो sea gaara श्ररावमाश्या धारितातप्ो भरत्पिटकश्ष्डेन बहूखोत्रो गच्ेकदेश् आरोपितो रासभे वेष्टितः aang: पुखषेः ` निग्धमानो लोकेन प्रकन्पमानश्ररोरः तरखलारमितखेत- चातिकातरया भयोदभान्तददयो दशापि fent निरोखमाणो नातिदूरादेव दृष्टः संघारिणौवनामा ASAT: |

तंच दृषा सजाता wafameran: क्ष्णा चिन्तित मनया धदि WAN वराकस्यासुश्ात्‌ शदागमाश्काश्चात्‌ We नान्वसमात्कुतञित्‌ ततो मता तदभिमुखं zfiieitcal चलेन खदागमो sfafed भद्रामुं भगवन्तं ued प्रतिपद्ष्लेति सदागमसुपलभ्ब सहसा संजाताश्वाष इव किं खिखिन्तयसमास्ये- यमवख्छान्तर बेदयमानः पश्यतामेव लोकानां निभौ खिताः पतितो धरणौतले fe: कियन्तमपि are fare: किमेत- दिति विदिता भागरकाः। wan कथंचिच्चेतना ततः ससुत्थाय सदागमसुदिश्वासौ जायध्वं मायाख्ायध्वमिति मर्ता शब्देन yeaa! ततो मा भेषौरभवमभयं तमेत्धाग्धसितोऽषौ खटागमेन |

दितोयः venta: १७५

ततस्लदाकष्छं प्रपशोऽयं सदागमस्य शरणं श्रक्गरूतस्चानेन | अतो गोचरोऽधुना राजशाखषनस्येति विचिक्ध विदितसदागम- माहाग्याः समयाः प्रत्यकूपदेरपद्ताः प्रकन्पमानास्ते राजपुरुषाः शिता दूरदेशे तवो विश्रभोग्तो मनाक्‌ संसारिजोवः। षष्टो अ्टदौतसङ्ेतया | az कतमेन व्यतिकरेण गटरोतस्छमेभिः हतान्लखदूरो राजपुरषेरिति |

Rate | अखमनेन व्यतिकरे | ware: खस्पेव व्यतिकरः | थदि वा watiag व्यतिकर भगवन्तः सद्‌ागमनायाः | किमा- STAM खदा गमेगोक् AT ACHAT: | श्रतसदपनो- zie कथयतु भवान्‌, को दोषः ंसारिजोबेनोक्ं यदाज्ञा पयन्ति नायाः | aw जनसखमच्मात्म विडम्बनां कथयितुं पार- atfa | ततो विविक्रमादिश्न्त भाथा इति। ततः serra विद्लोकिता परिषत्‌ शिता गला दूरदेगे प्रजञाविग्राखा्णुन्ति- हन्तो त्वमप्याकणेथस्ेति भणिता धारिता सदागमेन तष्याख निकरवर्तौ सदागमवशनेनेव भव्यपुङषोऽपि fea एव ततस्तेषां चशामपि पुरतः केवश्जमग्टहोतसङतामुदिश् प्रजर्ण्तिऽसौ संसारिजोवः |

VME शोक आआकाशमरतिष्टममम्तजमाङ्ुखमसव्यवहार नाम नगर तज सवे ख्िशञेव नगरेऽमादिवमस्पतिनमामानः कुखघुजकाः प्रतिवसन्ति। aferarea कर्म परिरामश्य महागरे रस्य सम्बन्धिनाव- त्वग्ताबोघधतोत्रमोशोदयनामानो शकशक्रालस्यायिगौ बलाधिरूत- arene प्रतिवसतः ताग्ां सात्यनाबोधतोनरमोरो दथाग्वां सच

rad उप्रमितिभवप्रपश्चा WUT |

नगरे यावन्तो eta श्वंऽपि कमपरिण्णममहारालादे गनेव सुप्ता इवास्पष्टचेतन्यतया मन्ता इव कार्बाकार्थं वषार शून्यतथा afear इव परस्पर लो लोग्धततया war शव लच्छमाणविश्िष्टचष्टाविक- waa निगोदामिधानेव्वपवरकेषु प्रङिष्य सपिष्डताः सकलकाखं Waa | श्रत एव र्ते लोका माढसमूढतया किंचिखेतथन्ति भाषन्ते विशिष्टं चेष्टन्ते नापिते ङिद्न्ते भिद्यन्ते द्यन्ते Wa कुडयमके a प्रतिघातमापद्यन्ते व्यक्तां वेदना- मनुभवम्ति wae क्म लोकव्यवहार gif) इदमेव कारणएमुररोशत्य वतख्गर मसंब्यवहारमिति met Wet) तज नगरे संसारिजोवनामा वासतवयङ्कटुम्निकोऽग्धवं | TAY तज वशषतो ममानन्तः कालः

श्रन्यदा cure तोत्रमोहोदयमहन्तमे तज्निकटवर्तिनि लात्यन्ततामोधबला चिष्ते प्रविष्टा ससूुद्रवषेचिरिव मौ क्िकनिकर- वादिनौ प्राटृर्काललश्छौरिव aquaria मखथमेखखेव चन्दनगन्धधारिषणौ वषन्तश्रो रिव ङचिरपच्रतिशलकाभरणा तत्परि- तिर्नाम प्रतौषहारो | तया लावनितखन्यस्तजानुष समसकया विधाष प्रणामं विरचितकरपुटमुकलया fart) देवेष खुग्टहौतनामधेषस्छ देवश्य कमपरिणामसछ सम्बन्धौ तज्ियोगो नाम दूतो देवदग्रेन- मभिच्षन्‌ प्रतोहारश्चमौ तिष्ठति तदेवमवस्धिते देवः प्रमाण- मिति। ततो निरो कितं तोत्रमोहोदयेन ससंभ्नममत्यन्ताबोधवदमे। प्राइ wis प्रवेश्थतु तं भवतो | ततो थदाश्चापयति देव इत्यभिधा प्रवेशितः प्रतोहायां तभ्निषोगः तेनापि afare-

feta: wea: | Lee

सुपद्छत्य प्रणतो awnat बलाधिरतख्च शअ्रभिनन्दिवस्ताभ्यां दापितमासनं उपविष्टोऽसौ : watfeat प्रतिपल्निः ततो faguret बद्धा AAA शता Tareas तौत्रमो हो दयेनोक्रं अपि gue देवपादानां महादेव्याः शेषपरिजनस्य तज्ियोगे- नोक्त सुष्टु कुशल तोत्रमोहोदयेगोक्तं श्रमुग्रडोऽयमस्माकं यदजभवतः Tenaga वयं देवपादैरिति wa: कथय यदा- गमनप्रथोजममिति तज्नियोगेगोक्कं कोऽन्यो भवन्तं विशाय देवपादानाममु ग्रहाः | आ्रागमनप्रयोजनं Tat? |

अस्ति तावदिदितेव भवतां विगरेषेण माननया प्रष्टव्या सवं- प्रयोजनेव्वशङ्नोयवा क्या चिग्धमाहाक्या भगवतो लोकस्थिति- ata देवपादानां मरत्तमा भगिनौ werg तुषटेदवपादैः सकशचकाखमेषोऽधिकारो fare: . यथास्ति ताक्देषोऽस्माकं सवेदा परिपन्यो कथंचिदु्ूलयितुमथ्क्यः सदागमः Wane: | ततो ऽयमस्मदश्ममभिग्धय कचिदन्तरान्तरा लमप्रसरतथासमदीयभुकेरनिं- स्मारयति कांशिल्ोकान्‌ ध्यापयति चास्माकमगम्याथां निदेतौ नगर्यो | एवं fea विरलोभविष्य्येष ara शोकः ततः प्रकटौकरिग्यन्यस््माकमयशः | तन्न सुन्दरमेतत्‌ | wat भगवति लोकख्िते aad विधेय श्रस्ि ममाविषणितरूपमेतदेव प्रयो- AAAI संरजणोयमसब्यवदारं नाम ATT | ततो यावन्तः षदा- गमेन मोचिता: wat मदौयशुक्ेनिगेत्य निटेतिमगयें गच्छन्ति छोकास्तावन्त एव भगवत्या तस्मादसंब्यवहारनगरादानौ मदोयगरेव-

खानेषु प्रचारशोयाः ततः प्रचुरलो कतया शवेख्धानानां खदागम- 233

Lec उपमितिभवप्रपन्चा ea |

मो चितानां afaqatafa wafsafa यतो भवत्यस्माकं eraretfaftfa ततो महाप्रसाद इति war प्रतिपन्नः atsfa- कारो शोकख्ित्या se यद्यपि देवपादोपजौवौ तथापि विशेषतो लो कसख्ितेः प्रतिबद्धः aa एव agrte तज्ियोग इति प्रसिद्धोऽहं शोके atfearg कियन्नोऽपि साग््रतं aerate शोकाः ततोऽहं भगवत्या लोकखिल्धा quae तावतां लोका नामामयनायेडइ प्रहित इति | एतदाकण्यं भवन्तः प्रमाणं |

ततो यदाज्ञापयति भगवतोति प्रतिपन्नं aan AHA बल्ञाधिषतेन ' ततो महत्तमेनोक्र भद्र तज्जियोग तावदु जिष् दशेयामो भद्रस्यासंब्यव हारनगरलो कप्रमाणं येम गतः खम्‌ fate- यि त्वं देवपादेग्वः कालान्तरेऽपि थेन भवति तेषां atafa- रलौ भवमचिन्ता | तन्नियोगेनोक्रं यदाज्ञापयत्थायंः | ततः शसु लिथिताख्लयोऽपि नगरं fatifed afiat: wafqaate पयेरता तौव्रमोहोदयेनाखस्येया गोखकनामानः प्रासादाखन्निथो- Te | तन्मध्यवतिंनखासंख्थेया एव दशिता निगोदनामानोऽपब. रकाः। ते विदद्धिः साधारणश्ररोराणौव्यमिधौीयन्ते। azeni- ताश्च दिता अनन्ता लोकाः ततो विस्ितस्तज्निधोग ont ACHR भद्र दृष्टं मगरप्रमाणं। प्राह सष दृष्ट ततः सरहस्ततालमदहृटृहामेन विम्य तोत्रमोहोदखेनो | पश्यत विमूढता सदागमस्य हि faa सुग्टशोतनामधेयस्य देवस्य कमपरिश- aw सम्बल्धिमं लोकं निर्वाहइयितुमभिलषति जागते वरा- कस्तप्ममाणं | तथाहि अज नगरे तावदसश्येयाः प्राखादाख्ेषु

दितोयः Gena: | १७९

परत्येकमसेख्येया एवापवरकाः | तेषु सेकेकस्िश्ननन्तलोकाः प्रतिव- af) श्रनादिरूढ्यास्य acinar सोकनिर्वादइणाङूपो ग्रहः | तयापि तेनेयता काले - िर्वाद्यता यावन्तोऽनेकस्मिश्पवरके णोकास्तषामनन्तभागमाजे निर्वाहितं। aa: Fi देवपादानां खलोकविरलोभवमचिन्ता। तन्नियोगेगोक्क सत्यमेतदल्येव चायं देवस्याप्यवष्टम्भः विगेषतः पुनय श्मइचममेतद हं कथयिव्यामि अन्यच्च उक्तं भगवत्या wafer यथा भवता कालचेपः काः | agareat Ww तदादेश्र इति |

ततः खितावु्छारके awnaaerfuadt मरन्तमेगोक् केऽच प्रख्ापनायोग्या इति श्रव्य्नाबोधः प्राह आयं किम बङनालो चितेन न्नायतामेष व्यतिकरो मागरलोकानां Seat पट हकः क्रियतां घोषणा यथा हैवकमपरिणामादेगेन कियद्धि- रपि शोकेरितः स्यानात्तदौयगेषष्छानेषु गन्तव्यं अतो येषामि भवतां तज गमनोत्छाशस्ते Gaeta प्रवतन्तामिति ततोऽनुकूल- तया गेषस्थानानासु्छंक शिता वयमिति मला wzatet लोकाः खयमेव प्रवर्तिश्यन्ते ततो विशेषतो नेथलोकसंख्या ver afe- योगं तेषां aniseed रो चिष्यन्ते तानेव ता वल्छंस्यान्‌ wena इति मदन्तमेनोक्षं भद्र सखयमपि aftfeae भक्तिं a जानोषे लं यतोऽमौोजिलेकिने कदारचिदष्टं खानान्तरं wat जानन्ति तत्छशूपमपि कि पुनस्तस्यासुक्कृशर्तां | अमादिप्रवाहेण शात्रव वसन्तो रतिसुपगताः axa | तथाना दिसम्बन्धेनेव रूढ- हाः परस्पर मेच्छन्ति वियोगं तथा पण्तु भद्रो येऽ

१८० उपमिवतिमवप्रपश्चा कथया |

शोका एकेकस्िन्नपवरके वतन्ते बे ऽतिखिग्धतभाक्मगो माड सम्बन्धसुपद रेवन्तः समक्च्छसज्ति समक निः खन्ति खमकमा- wafer aaa निररियन्ति एकञ्मिम्वियमाणे af वियन्ते एकस्िश्चौवति सर्वेऽपि Mater तत्कथमेते च्यानानरष्णच्चान- रहिता एवं विधपरमबद्धात्मागख खयमेव प्रवतियन्मे तस्माद परः कञिष््रश्वानो चितशलोकपरिश्चागोपायसिन्धतां भवतेति ततः quiguhaat वथा धितः faa विधेथमिति

इतख्ास्ति भवितव्यता नाम मम भार्या काच ज्राटिका- बद्धः Gael बर्तते यतोऽहं नाममाचेेव wer भतति प्रखिद्भः | परमार्थतः पुनः सेव भगवतो Ala ग्रेषखोकन्रहाणां सम्बन्धिनोः समस्तामपि कतेग्यतां तन्यति यतः खा अदिग्ध माहाग्यतया खथममिखन्वितमचै बटयम्तो नापेखतेऽन्यशम्नन्धिषं पुदवकार सहायतया विचारयति पुश्वागुकूशप्रतिकूलभावं गणयत्थवखरं निरूपयत्धापद्धतं निवाते सुरणरुष्पि बुधि विभवेन प्रतिखखद्यते विबुधपतिमापि पराक्रमेण Monat योगिभिरपि तष्याः प्रतिविधागोपायः श्रत्यन्तमसंभावनौयमष्यथे सा भगवतो सखकरतणवर्तिगमिव Mean संपादयति wats प्रत्येकं समस्तलोकानां यस्य यदा aa यथा यावद्यश्च प्रयोजनं SAI ATS तदा AW तयेव तावन्लदेव प्रथोजनं रयन जिश्चुवनेनापि निवारयितुं पायते fa ai यदि शक्रशक्रव्धा- दोनामपि कथ्यते यथा भद्विका भवतासुपरि भवितब्यतेति aa- सऽपि ठव्यन्ति wea दशेयन्ति genet विस्फारयन्ति Wied

हितीयः Gera: | Cet

ददति कथकाय पारितीविकं often बङूमानं कारयति ated वादयनधार्मग्ददुन्दुभिं चिभाथनधात्ममः शतङत्यतां मन्यन्ते सफशं जगति fa qa: weetar tf. wa तेषामपि शक्र amagiatt कथ्यते यथा भद्रिका भवतासुपरि भवितव्यतेति ततस्ते कम्पन्ते भधा तिरेक प्रतिपद्यन्ते deat कुवन्ति चखणेनं euyqea निमौखयन्ति tee cafe कथकाय घषमध्याख्यन्ते चिन्तया eR रणरणकेन परित्यजन्ति शोकातिरेकेणेतिकर्तव्यतां आशोचयन्ति तत्मसादार्थभनेकोपायान्‌ किं बना - खमन्ते तख्वामसष्टा्थां esata चिन्तजिदेतिं कथमेषापि पुनः रंषणै- भविव्यतौल्धुदेगेन किं धुमः समान्यजना इति सा पुनभंगवतेषे यदादमने रोचते तदैव fart a पर fama faa अतिदकवन्तं वापेखते weafa agqaigrafedt षदेव सां किंचित्कुदते खथेष्टया चेष्टया तदेव बज मन्यमागस्तस्याः पतिरपि केकर इव जय Via जय Satis ब्रवाणल्िष्ठामि wha च।

art aay शतोध्ोगा सा ्नातभुवगोचिता |

घा जागतिं wang सा ada निरूपिका

a tae जगत्य विचरण्तौ faciger |

कुतिदिभेत्युधमे'तवद्रन्धरस्तिन

ar aaaftaraa महाराजेन पूजिता |

यतोऽगुवतैयत्येव तामेषोऽपि प्रयोजने

तथयान्येऽपि मशात्मानः gif @ प्रयोजनम्‌ |

चान्तो ऽसुक्रूलतां तस्या चत एतदु दाइतम्‌

YER उपमितिभवप्पश्चा कथा|

` सुद्धिरत्पद्यते यादृग्‌ व्यवसावख तादूशः | सहायास्तादुशरायैव यादौ भवितव्यता

तथ्या मदौोयग्टडिष्ण भवितव्यतायाः सम्बन्धिनमेनं ze- Qe जानात्येव घोऽच्यन्नाबोधो बलाधिशतः। ततस्तस्य तदा पर्याशोचयतञ्चेतसि परि्फुरितं अये किमहमेवं eapana चिन्तयात्मानमाङ्कलयामि यतो sna सा variant भवितव्यता येऽ प्रस्ापनोचिता लोकास्तेषां खषूपमिति। अतस्ता- मेवाहय च्छामि ततः कचितस्तोत्रमोशोरथाय तेन खामि- प्रायः। सुन्दरमेतदिति asad तस्यापि तस्या आकारं ततः प्रहितः gee: समाहृता भवितय्यता समागता वेगेन प्रवेशिता प्रतीहारा महाप्रभावेयं धर्वापि सलौ fae देवतेति विचिनध कृतं तस्याः पादपतमं वाचिक महन्तमवणासिषताभ्वां अरभि- मन्दितौ तौ तयाश्ौर्वारेन | दापितमाखनं उपविष्टा भवित- व्यता ततो बलाधिशतामिभुखं मदन्तमेनं चारिता भूलता | ततस्तेन कथयितुमार स्तस्य तज्िथोगव्यतिकरः। ततो इसितं तया प्राह भद्रो किमेतत्‌ भवितन्यताइ। किंचित्‌ बलाधि- wan | तत्किमकाण्डे इखितं भवितव्यताइ अत एव थतो किंचिदिदं बष्ाधिषतेनोक्ं कयं भवितव्यताइ aaa बोधोऽभसि यस्वमेनमपि व्यतिकर मां कथयसि शतोद्योगाइ- मेवंविधेषु व्यतिकरेषु शखयाम्यनभ्कालभाविनोऽपि सर्व॑व्यति- acre किं पुमः शम्मतिकान्‌ अतो निष्यु योजनत्वाक्न किचिदे- alana ममेति | अ्त्यन्तानोधः प्राह सत्यमिदं faa भै

facta: प्रस्तावः | १८९

तावकं ATU | खोडब्योऽयमेको ममापराधो भवत्या श्रन्यश्च | wey aaa येऽ प्रस्यापमोचिता war: कि at व्यापारेण) भवितव्यतयोक्ं एकस्तावदेष एव मदौयो wal प्रस्धापनयोग्यः तथान्ये च॒ ये arate: | बलाधिङृतेमोक् त्वमेव जानौषे किमजोक्रम |

ततो निर्गता भवितव्यता श्रागता मम समोपे। कथितो व्यतिकरः atm) seal जानौते , ततः समुच्च शितोऽइमन्ये मव्ञातोयास्तन्ियोगाभिप्रेतसश्चानुषारेए। sat भवितव्यतया मदन्तमबलाचिरृतौ यदुत मया युवाभ्यां चामौभिः सड यातव्यं यतो भदरेदेवता नारोति मोक्रव्यो मया darfiatiat यतञ्चा सि युवयोरपि प्रतिलागरण्णौयमेकाचनिवासं माम नगर - तजामौ fata: प्रथमं गन्तव्यं - wat Gert युवाभ्यां etaratat तचासितुं नान्यथा ततो यद्वत जानातौत्यमिधाय प्रतिपनं तदचनं महन्तमबला धिशताभ्वां | wat: सऽपि शमागतास्तदे- काच्चनिवासं नगर `

तज मगरे महान्तः पश्च wear विद्यते ततोऽहमेक पारकं कराग्रेण देयता तौव्रमोहोदयेनाभिदहितः भद्र शंघारि- wa तिष्ठ॒ saw wee) यतोऽयं पाटकोऽसब्यवदहारनगरेण बहतर ast वतेते ततो भवियत्यज् तिष्ठतो शेतिरिति। तथाहि यथा तजासव्यवदारनगरे गोलकाभिधामानां प्राषादानां मध्यवर्तिनो ये निगोदाभिधाना श्रपवरकास्तेषु थे शोकाः प्रत्येक- मनन्ताः सं पिण्डिताः Guaaa प्रतिवसन्ति अजापि पाटके ay-

१८१ उपर्मितिभवप्रपश्चा क्या |

तमा लोकारयेव प्रतिवसन्ति केवखमरुव्वडहारनगरसन्वन्थिमगों कचिश्लोकव्यवकारेऽवतरन्तोति seteauiter cys ते हि यरि परं यूयमिव भगवत्या शोकखितेरादेभेन शरृरेवा- wary गच्छन्ति नान्यथा एते पुनरस्य पाटकष्य सम्बन्धिनो लोकाः कुवन्ति शोकव्यवदार समाचरन्ति Twenty गमागमं | तेन खव्यवहारिका दत्य भिष्ैयन्ते i तया तेषांमसंग्यवहारणंगर- सम्बन्धिनामनादिवनस्यतय इति सवंषामपि सामान्याभिंधाने एत- त्पाटकंसम्बन्धिनां तु amare इत्येतावान्‌ विशरेवः तचा waa चारिणीऽपि भ्राखादापवरकन्यायरिता भुत्फणश्वारेणाज विद्यने तेऽसंख्येवा शोकाः ततस्तं aay पूर्वपरिचितननर समान ward पाटकस्तवेति ततो मयो यदीश्चापयति देवः #

ततः स्ापितीऽहमेकस्िन्ञपवरके गेषखोकास् भेचिग्मादौय- विधानेनेव खापितासभेव wee रे चिंकुष्कशवारेण केचित्पुगर्गोलाः पा टंकान्वरेखिति | ततोऽहं तज साधारणश्ररौरनाजि भद्रे ऽप ate पूरवोकरख्छित्थेव gy इव मन्त wa afea इव दत टवागन्भ- शोकैः संपिष्डितेरौः समकसुच्छसम्‌ was fewer waa हारयन्‌ Gata निहांरयन्‌ स्थितोऽगनकालेमिति

waz कमंपरिणाममहारानादेयेनेवातुमतो महम्तमबलायधि- छृताभ्धां निःखारितस्ततोऽपवरकन्याथाद्‌ भवितव्यतयां धारितस्त्ेव पाटने Caren प्रत्येकचारितयेति

दतं Wea कमेपरिणाममहा राजेम परिश््छ्य लोकस्थितिं खभालोच्य सह काशपरिणत्या श्ापयिला नियतियद्च्डादौनाम-

fetta: प्रस््लावः। १८५

que भवितब्यताया wou विचिबाकार जोकस्लभावमात्मोयसा- wea: -परमाणुभिर्निष्यादिताः सर्वायंका रिण्छ एकभववेश्संजञाः ब्रभानाटिकाः समपिता भवितव्यतायाः सा शाभिहिता तेन॒ चथा ug षमस्सशोकग्धापारकरण्णोद्यता लं आम्ताधि समस्त्ोकानां खणो चण नानाविधसखदुःखादिकार्याणि संपादथक्तौ वतौ गटहाणामूमेटिकाः | AAA तासामेकेकस्य Tee जोर्णायां नोर्वायाभमेकेकस्यां fener दातव्या ततः संपादयियन्धेताः कथमेव विविधमप्येकज जग्धवाखके avg was स्वेषु तवेषं वे प्रयोजनमिति भविच्यति तै निराङ्कललता ततः प्रतिपन्नं भवितब्तया agreed विधे सकणकाशं सनस्तसल्वानां तयेव सा तं उरिकाप्तथोगं |

ततोऽहं यदा AMMAN तदा मम जोर्णायां ह्ौर्णयामपरां सा अटिकां cual | वशं सुष्छमेव मे RIAA सवदा तत्मयोगेश्च विडितवतौ | तच पुनरेकाचनि- वाखनगरे समागता तौव्रमोहोदयात्यन्ाबोधयोः gavefie quam तेन शुटिकाप्रयोगेण ममानेकाकारं qed प्रकटयति Sl यतः हतोऽहं तजर पाटके वतेमानः कचिदवखरे qares: तजापि कचित्र्थाप्तकरूपः कचिद्पर्थाप्नकङूपः तया कचिद्वसरे fafeatsy बादराकारः। तजापि कचित्पर्याप्रकरूपः कचिद पर्या प्त- RET | तथा बाद्रः घन्‌ कचिदपवरकवर्तो alee | अनापि कचिदङ्कुराकारधारः कचित्कन्दरूपः कचिग्मसभाजो कचित्यक्चारो कचित्‌ स्कन्धो कचिच्छाखाचरः कचित्मश्राखागतः

24

१८६ उपमितिभवप्रपश्चा कथा|

कचित्रवालसश्च रिष्णः कचित्यजाकारः कचित्पुष्यवस्ः कचित्फला- ककः क्चिद्रोजसखभावः तथा कचिश्मूशबोजः कचिदयवोजः कचि- aaa: कचित्‌ स्कन्धबोजः चिदोजर्हः | कचित्सशृद्धनजः तथा कचिर्‌ gerne: कचिद्ुर्मरूपः कचिल्तात्मकः कविदलौखखभावः - काचिद्धरितात्मक इति तथारूपेण वतमानं माञुपखभ्वान्यग्रा - मनगरसम्बन्धिनो शोकाः aaa afar: सममेव हिन्दन्ति भिन्दन्ति cafe पिषन्ति मोटचन्ति qa तच्छवन्ति द्‌इन्ति मानाकदयेनाभिः कदथंयन्ति तथापि भवितव्यता तबोपे्छां कुर्ते -

ततोऽतिवाहिते तथा विधदुःखेरनन्तकाे नो्ायां पथवसान- कालदन्तायां यरिका्यां दन्ता भवितव्यतया ममान्या टिका | त्मभावाद्गतोऽदं दितौौयपाटके। तज चख पाथिवसंश्चया शोकाः प्रतिवसन्ति ततोऽहमपि तेषां मध्ये संपन्नः पार्थिवः विडम्बि- agate भवितव्यतयापरापरगुरिकादानदारेण खत्कवादरपवा्त- ATI AHSAN शृष्णनोलश्वे तपौतलो हितवर्णादि रूपतया सिक- तोपशशवणरहरितालमनःग्रिलाश्चनशद्एयिव्याद्ाकारतया रास- we aa तितिङितानि ay पाटके वषषता मया मेदनद- लनचणनखण्डनदरनादौनि दुःखानि

ततः पयंन्तश्चटिकाजरणणवसाने दन्ता भवितव्यतया ममान्वा टिका | गतोऽहं तक्माहाग्येन ala पाटके तज चायाभिधानाः कुटु भ्बिमः प्रतिवसन्ति ततो ममापि ay गतस्य सपन्नमाष्यरूपं | विगो पितस्तचाध्यद जोर्णथां नोर्णयामपरापरां शृटिकां aa

दितोयः grata: | १८७

BAHT: सयादयगधा भविततष्यतया अरसंख्येयमेव . कालं तखा | हतोऽदमवण्याय fear CRT TAR EI दकाद्यनेकभेदकूपो रूपरस- जन्धस्यद्रेभेदेन विखिकाकारस्तथा सोानि-च सज पारक. aa- मानेन मथा WHATS MATT मानादुःखानि तवल्स्कालपयेन्ते -लो्वायामन्यगटिका्यां दका ममापरा रिका भवितव्यतया ` गततोऽशं ` तत्तेजसा wae Tee | - AWTS TATE. ऋणा प्रतिवशन्ति ततोऽहमपि तेषां मध्ये wet aa उष्णः wile awa: कायेन सूचिरूपः संस्थानेन ` संयन्तसेजस्काथो arg: | aay मम तज वसतो व्वाणाङ्रारसुमुरार्चिरलातष्ठद्धाभिविचयुदुरकाश्रनिप्रश्तथो व्यपदेशाः : जातानि विध्वपनादितो भानाद्‌ःचानि। खितः सखच्छवादरपर्थाप्तकापर्याप्तकङूयतया विवतेमानोऽसंस्थेयं are Sal तदन्ते मभापरा एुटिका षपयन्तेगु टिकालरणावखाने मवितन्यतथा गतोऽहं तदु पथोभेन पश्चमपाटके | awe वाचवोधामिधानाः afwar: प्रतिवशज्ति ततोऽहमपि aw गतो ऽकष्डध्रोतः ie श्रलच्छश्चुश्मतां रूपेण पताकाकारः संस्छानेम संजातो areata: af: |) weayq सज वतेमागोऽदसुत्कलि- कावातो मण्डल्िकावातो gerard gga: बंवतेकवातो चनवातसमुवातः Wea इत्या दि भिरभिधानेः। समुदभूतानि तच मे शखाभिघातभिरोधादौनि नानादुःखानि। विलारितस्तजापि HANSA TAT TAT ARNT AAT अणेमानो ऽस्येय कालं भवितव्यतया

१८०८ उर्पममितिभवप्रपश्चा कथा।

दतस्तदवखाने जाते पयन्तग टिकाजरणे eect गटिकां पुनर्नो तोऽ प्रथमपाटके भवितव्यतया ख्थितस्त् gaat are | ततः पुनरपरापरगटिकाप्रयोगेणेव प्रापितो दितौधादिपाटकेषु स्थित्येकेकस्मिश्लसंस्येयं कालं ततख्चानेन प्रकारेण तसिन्ेकाख- निवासे नगरे कारितोऽशमनम्तवाराः घमस्तपाटकपयेटनविडम्बनं तौत्रमो हो रयात्यन्ता बोधयोः समं भवितव्यतया mat मनाकूप्रसञ्नचिन्तथाऽभिहितं यथार्थपु्र feat wate काशं BAW नगरे। ततोऽपनयामि भवतः श्याना नयामि भवन्त ANIMA | Bat! यदाज्ञापयति Vat! तब प्रयुक्रा रिका भवितव्यतया cagifa विकश्ाचनिवासं नाम ant तच अयः प्रधानपाटका विद्यन्ते तस्य ance परिपालकः कमपरिणाम- महाराजनियुक्रमागे एवोग्ागोपदेशो नाम महन्तमः | तस्य माया माम ग्टदिशौ ततोऽहं एरिकामाहाव्येन प्राप्तस्तं प्रथमे पाटके। तसिंख सप्रङ्शको रिलखव तिंमोऽसख्येया दिदषौकामि- धानाः कुलपुबकाः प्रतिवसन्ति ततोऽहमपि संपश्लरोषां मथ्य दिषषोकः। ततो sama मे षा सुप्तमत्तमूढितन्टतशूपता। जातो मनागभिव्यक्रसेतन्यः | ततख watse टिकाद्‌ामदारेणेव ततस्तया | कमिरूपो ऽश्रररिस्धाने महापापः खभायया मू बान्छक्तदजम्बालपूरिते जठरं सितम्‌ | मां पश्यन्तो fanteret ततः सा परितुव्यति॥

fetta: Wea: | १८९

कदा चित्ारमेया दि दुग ्थित्रणकोटरे |

मामन्यकृमिजाखेन संयुतं वौ मोदते

वत पघषराघेषु शोलमामं सुदुःखितम्‌ |

मां द्धा शमिभावेन तुष्टाशद्ध वितव्यता

जम्काभावमापा्च गु रिकादानतस्तथा |

ममेत्य THUS इसन्तो Fe मायया

माये प्छ मदौयस भैः TREAT ENA |

लवमुग्छागौपदे शेन भत्मोयेन गविता

quar वारके जिहतस्ततो निगंत्य मत्पतिः |

fang कषयत्येष व्रणारिं वौवंयोगतः

अरन्य त्धागसामथ्ये WI भतुर्ममेदु ग्रम्‌ |

देष रक्रसवंख्ं ददते इस्धारिणे

AMGAIATEA AS भार्याविडन्वितः |

उपहासेन Aare fare दुःखमागतः

gg गटिकां दत्वा शवा Ty महोदधौ

मामेषा शाङ्धिन्कं ग्नं te वोच्छ तुव्यति

तदेवं Wee AY वतमानः GATT |

अपरापरशूपेण संस्थातोतं विडम्बितः

शरन्यदा पुनययेष्टवेष्टयेव प्रयुक्रा भवितव्यतया ममान्यगु टिका

नोतोऽह agrawa दिनोये पाटके aw wegentferwer- यिगोऽसंस्येयास्िकरणएनामानो ग्टहपतयोऽधिवश्ज्ति ततोऽहमपि तेषां मध्ये arafancat ग्रहपतिः ततञ् |

१९०

एव

उपमि तिभषेप्रथश्चा कथा।

यूका मल्कुमक्षोटङुन्बषूपविवतिमम्‌

पिपौ लिकाटिद्ूपं wear at भवितव्यता

wer बुभु्ाते fread qe: |

दग्ध दृद्दाः तथा नोषादानन्दमवमाइते `

तदेवं wet aw टिकाटानपूवेकम्‌ |

RSA: पापोऽष कारितो ऽनेकदूयताम्‌ श्रथान्यदा पुनदेत्ता गटिका मे <व[म? हेखया

तोये wee नौतस्छधेवो चितेखथा |

RST: Barat वसन्ति नव ay ये।

श्रसस्यास्तेषु विद्यन्ते चतुराः कुटुभ्िनः

ततोऽहमपि सजातखतुरणः geen: |

पतक्रमकिकारश्टथिक्षाकारधारकः .

सोढानि तज दुःखानि मानाकाराणि तिष्ठता

निविवेकअनादटिभ्यो' acarfa विधानतः

NT AT gader टिकामपरापराम्‌ |

असंख्यख्पेस्लचापि ` wea नारितश्लथा

wat way तेष्वेव weedy ` विवर्तनम्‌ |

संख्यातोतानि वर्षाणं ewarfu ` विधापिवः

faa

क्चित्पर्याप्ररूपेण तथापर्थाप्नरूपकः |

तेषु जिष्वपि verse पाटकेषु विनारितः॥ अरयान्यटा प्रष्टेन Saat भवितव्यता |

feats: प्रस्तावः | YER

wren तदुचितं are ततः सेत्थमभाषत आयेपुज भवन्तं किं मयामि मगराम्तरम्‌ | विकञ्ञाचभिवासेऽज मगरे नास्तिते तिः॥ मयोक्तं देवि ama रोचते तदिधौयताम्‌ | किम बमा लवं मे प्रमाशं wands ततो नो aes गुटिकामग्तवर्तिनोम्‌ | मगराग्भरयानायः प्रयुक्ता गटिका तथा saree प्रतिजागरणे fez | पञ्चाशपदरधस्थाने . नामासि a परम्‌ तच साधेजिपश्चाश्त्को रौखकच्प्रमा | वसन्ति gwarra लोकाः पञ्चाचनामकाः HSA: VEIT: | संन्निनस्तेऽभिभोयन्ते wien इतिः ar बुधैः ये पुनस्तव fret स्यष्टचेतन्यवजिताः | wefan इति errata ayer जनाः ततोऽहं तेषु sara: शषठसेततम्यवशितः | पञ्चा ` नाम. विख्यातो गुटिकायाः प्रभावतः Teae fart काये ददुराकारधारकः | केलिप्रियतया ay भवयेधाहं विभारितः तज URL HE खूपेरोवमसस्येयेध्यमयित्वा ततस्तथा | विहितो मभजाकारधारेकोऽदं aterar

१९२ उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

ततञ्च जलचरेवु वतमानः |

ग्टद्ोतो Wace बिभ्राणो मखरूपताम्‌ |

देदपाकादिभिद्‌ःखं प्रापितोऽह खसः तथा चतुष्यद खल रषु वतेमानस्य

WIGHT Pera वितो मम |

व्यापेर्मिंवा wtahe war नानाविकतंमाः तथा भुजपरिपीरःपरिषपंवु वतेमाभेन

गो धाडिनङ्कलादनां रूपं धारवता चिरम्‌ |

अन्योन्यभकखाद्‌ दुखं प्रात कूरतथा मथा तथा |

काकोशृकादिङूपाणां ufeut awerfcar |

संख्थातोतानि दुःखानि सोढानि शुचिर मथा

असंख्यजनमसंको्ं ALT तज THA |

जखसखलमभथारो GUAT FI कुले अन्यश्च | afer पश्चाखपश्संसाने aT

खप्ताष्ट वारा Safe acmae कारितः |

नोतसतोऽन्यख्छानेषु तजानोतः TAIT एवं fat!

EY शवस्छानेषु गला गलान्तराकरा |

मया तच पुरोऽनन्ताः कता रूपविडन्ननाः # कार्तस्तु

ferg नेरनार्येण परं पञ्योपमभथम्‌ |

दितौयः cea: | LER

अष्टं aay पुर fateerfun gaatfeta:

sufsafyene पयपितरभेदतः |

तदेवं ANT तज नानाकारे विडम्बितः

अन्यदा क्ुरङ्गरूपः संपादितोऽहं भवितव्यतथा feat way तरल्िततार भयेन faciwarat दशापि fen उत्‌ञ्जवमानसर- भ्रिखराणोतखेतश्च पयेटामि यावदेकेन शब्धकक्मारकेण कशष्व- जिना प्रारं गोतं ततस्ेनाकिकतं aned परित्यक्मुत्‌ सवनं निर्द्धा च्ष्टा। निखरोहतानि लोचनानि निक्षः गरेषेष्दिय- व्यापारः संजातः करश्ियमाचनिमद्नोऽम्तरात्मा ततो निष्यन्द- मन्दौग्तं AMIE इरिणथूथमवलोक्याभ्यर्णोश्वतो व्याधः प्रगुणणौ- छतं कोदण्डं सज्धितस्ज श्लोमुखखः बद्धमाखो हस्यागकं | ईषदाक्ुशिता कन्धरा समाहृष्टो बाणः Huila यावत्‌ ततो सक्तेन तेनाराद्धागे वर्तमानोऽइ निर्भिद्य पातितो भरतले sat stat मे पूवंदन्ता गुटिका ततो नौर्णाथां तस्यां

इरिणभवमिबन्धनश्तायामेकभववेद्याधां गुटिकार्यां दका ममान्या गुटिका भवितव्यतया संपन्नणन्ाहात्येनाहं करिवररूपः | वर्धितः कालक्रमेण GMAT थूथाधिपतिः। ततः खभावसुन्दरेषु नशवनेषु waaay सल्लक किसखयेषु श्रत्यन्तकमनोयेषु वनविभागेषु परिकरितः करेणकाटन्देन चिन्तानन्दसन्दोहसागरमवगादहमागो qusepar विष्रामि यावदेकदाकाण्ड एव aaa amfted | avatar खापदानि। श्रूयते वेणस्फो टरवः। ससपिंतं भूमवितामं | ततः किमेतदिति favifeat मया पद्चाद्भूभामो यावज्िकरौभ्रतो

29

१९8 उपमिविभवपपच्चा कया |

TMAH दवानलः | ततः HH .मे.मर मयं wai पौरुषं wed ga समाभ्मितात्मम्भरिता -पगतोऽश्ङारः afte au पलावितो ग्टहोलेकां दिशं गतः शोकं भागं तच वालोचचिरन्तमय्मपद्रसम्बन्धौ fame: waits: |) तव॒ तटवतिंद्रणएव्यवड्िततया भयाकुलक्या चः गः लखितो मया धावता aaa ततः प्रविष्टौ मम तचाय्पादौ | तन्िरालम्नमवच्या wee: पथाद्धागः। ततः पतितोऽशसुसानश्ररौरस्तजान्धकूपे शंधुणितो गाच्रभारेण मूष्ितः चणएमाचं। लमा कथचिश्वेतना | चाकल चालयितुं -शक्रोमि wot mada , खर्वाङ्गोश wae aa: संजातो मे garam: चिन्तितं ..मथा। धथेदुश्रमेव qed मादृशानां ये प्रसिपश्नशछत्यभावं चिरकालपरि- चितसुपकारकमापन्निमद्रमनुरक्षमात्मवगे परिल्यश्य . छतन्रतया कुचिम्मरितामुररौक्वन्तः पखायन्ते 1: wet मे feet | मव्यपि किल धूथाधिपतिश्रष्टो रूढः तत्किमगेनाधुना खरेष्ठितानुरूप- मेवेदं मम संपन्नं wat मथा मनसि खेटो विधेयः ततो ऽनया : भावनया प्रतिपन्न मथा मनाडः माध्यस्थ्यं तिकिशिता wat तोव्रापि aan श्ितस्तरवस्यः. arcs यावत्‌॥

‘THA. तुष्टा ममोपरि भवितव्यता aawearfafea 5 Sars `साधु ` शोभमस्तेऽध्यवसायः ` तितिकितं भवता परमं दुःखं ` ठुष्टाहमिदानौँं भवतो ऽनेन चेष्टितेन ` नयामि मवन्त भगरान्तरे मयाभिहितं यदाज्ञापयति देवौ ततो. द्ितस्था सुष्दराकारः पुरषः | श्रमिहितश्चायं यथायेपुच तुष्टया मयाय-

fetta: sere téy

मधुना भवतः सहायो निरूपितः पुष्छोदथो नाम gee तदनेन सङ भवता we) मयाभिहितं यदाज्ञापयति देवौ wet जौर्णा मे ew गटिका। ततः प्रयुक्ान्या गृटिका भवित्यतया अभिहितं. तया यथाधेपु् तव TAG Guiza प्र्छश्नङ्पः सोदरः सदष्वरख्च भवि- व्यलोति

एवं वदति safe wages: प्रन्ञाविश्रलायाः कणन्विं सखिलेदमाइ aera कोऽयं पुरुषः कि वनिन कथयितुमारय्धं कानि चामूनि श्रसंद्यवदारादीनि नगराणि का चेयं गुटिका येकेकवासके caw सतौ नानाविधरूपाणि कारयति विविधस्खदुःखादिकार्याणि दशयति कथं वा पुरुषस्येयन्तं are- मेकस्लावख्ितिः कथं चासंभावनौयानि मनुग्स्य खतः शमिपिपौ- शिकारूपाणि mac: तदिदं सकलमपू्वाखनाखकख्यभस् तखरस्य चरितं मन प्रतिभाषते तत्कथयाम्बिके कोऽस्य ware इति प्रन्ञाविशाल्लयोक्रं। ag यदस्येदानोन्तनं विेषरूपसुपशभ्यते तज्ञानेन कयितं। fa तहिं सामान्यरूपेण संसषारिजोवनामायं पुरुषः | अतस्तदेवानेमात्माभिधानमास्यातमनेन चसात्मवरितं स्व भिदं जटमानकमेव faazfad प्रकरान्तं। तथाहि श्रसाब्यवहा- रिकज्मेवराग्रिरबासंव्यवदहारनगर | एकेद्दियजातयः पञ्चापि एचिव्यरेजो वायुवभस्पतिषूपाः तेषां स्थानं एकाचनिवासं | विकङ्केद्धियाणणं दोद्ियजोश्ियचतुरिद्ियलच्णानां ara विक- शाचनिवासं wefxufacat . मिलयः पश्चा चपग्रएमस्यानं एक-

rad Sufafanareqr कथया |

wed कमेप्रतिणालमेकभवयेद्चा भु दिकिषयुच्यते aqyle wey नभानाविधङ्पाकि संपद्यन्त एव विविधर्खदुःखानि कार्थाणठि अजरामरद्ाथं हदवः ततो युक्रलेवाख्छानन्तनयि काखनवस्ानं संवारिनोवस्य चाच nae छनिपिपोखिकादि- पाणि किलना यथं अथवा qragfgcerfa वन्धो लागते यदस्य GET | AH संभवत्येव सुबगोदरे तत्छं विधानकं age wafetive सम्बन्धिनि सरिते नावतरति axe निवेदयतु arta षवे awed) पञ्चालवारमख भावाथ ficger कयथि्धालि भव्यपुरषेशोक् यद्‌ाज्चाययत्यग्येति

eufweraget भवति fawant व्थंमाणुयमभमी भव्य ATR CANUTE: कमश प्रभावाव्‌ | शतच्ाख्यातमभच प्रथलमतु NAME stuf ब्क्राग्णोऽषथं eae: कथ यितुमलखो जो वदंशारसादः

बटानमवाक्यमपेच्छ भो aware तेनं निवेद्यते | quate विचारपराबण- WET Ha: प्रतिबुध्यते

merase निवेदितं तदतुखं शंशारविष्पूधितं धन्यानामिदमाक्ग्य विरतिः werent नायते |

facta: meat | १९.७

वेषां aq भवो विमूढसनथां भोः सुन्दरो भाषते | ते qa प्रवो सन्ति मनुजाः कार्यं मन्यामहे

इतयुपमितभवप्रप्वायां कथायां संसारि- जौवचरिते तियम्गतिवयीनो नाम

दित्यः प्रस्तावः २॥

१९८ उपमितिभवप्रपश्चा wut |

AAA: प्रस्तावः |

भवप्रपञ्चसि्थचु aera दे डिनः एष set मनुखल्ये TETAS संसारिजोव उवाच ततोऽहं भद्रऽग्टहौ तस्ते षमाख्ञादि- तैकभववेश्चएटिकः HVAT गण्डौ इतचचाद्स्यामेव agent नगरों भरतामिधानः wen) ae च॒ विगरेषकभतमस्ति अयस्छलं गाम मगर तज महानृपतिद्एसण्पदालिङ्कितमूतिः पद्मो नाम राजा तस्य रतिरिि aaa नन्दा नाम प्रधानदेवौ ततोऽहं तस्याः कुरौ प्रवेशितो भवितव्यतया | ` खितस्तजो चितकाशं | निगेतः ay पुष्योदयेन | दृष्टो मन्दया सपश्नस्तस्याः पुज मम जात इत्यभिमानः | निवेदितः प्रमोद- कुम्भामिधानेन दासदारकेण aaa | wea: सुतो दति समुत्न्नस्तस्याणनु श्रथः | ₹इषविगरेषादु सितो wy पुशकोद्धेदः | दापितं fatenercara पारितोषिकं घमादिष्टो मध्नक्ममहो- wa: ततो दीयन्ते महादानानि gen बन्धमानि yom नगरदेवताः कियन्ते दहृदार ग्रोभाः शोध्यते रालमागाः WERT ` श्रानन्दभेयैः आगच्छन्ति विग्रषोञ्वशनेपथ्या Tags गागरक- Star: विधौथने ave: प्रयुष्धन्ते समाचाराः आस्फाख्यनो दयेखङ्काताः wee धवखमङ्गलानि गुत्यज्ति wearetar: सद कश्च किवामनकुलला दिभिर्गरे दन्देन ति | तत्वं ah जक्ममहा-

हतौ सः प्रस्तावः | yee

wet sfamrm मासे तिरोधाय संसारिणोव इत्यभिधानं afafed मे मन्दिविधेन इति माम जातो ममाण्हमनयोः पु दत्यभि- मानः ततो अनयन्नानन्दं जभगोजनकथोः TEP refer: संपश्लोऽहं जिवार्धिकः |

मम चासंव्यवदहारमगरादारण्य wae are fafaw: परिकरो ऽनुवतेते। तद्यथा were बहिरङ्ख तजान्तर क्परिकरमध्ये ऽस्ति ममाचिवेकिता नाम ब्राह्मणजातोया धानो सापि प्रस्ता मत्न्धदिने | जातो दारकः प्रतिष्ठितं तस्य भाम वेश्वामर इति खादित एवारभ्वागभिव्यक्ररूपतयासोदेव केवलमधनाभिव्यक्र- ST SUG: ततो मयाखौ धारयन्‌ वेरकलङाभिधानौ विषम- विच्लौ चरणौ दधानः परिख्यृशकरिनदखे शैव्यासेयाभिधाने SP समुद इश्नलुगशयामुपश्मनामानौ विवमप्रतिष्ठितादृष विभवाः पेशन्यसंश्चकमेकपार््ोक्नतं कटौतटं aie परमरमेोदहमनामकं वक्रविषमं waget कलितो ऽन्तस्तापनामकेमातिषङ्टेगोरःसखलेनं am. चारमन्छरसश्चाभ्धां विषमपरिद्धखाभ्धां बाह्यां विराजमानः करूरताङूपया वक्रया सुदोधेया च॒ शिरोधरथा विडग्न्यमागो ऽखम्बभाषणा दि रूपी विंजितदन्तच्छरे विरल विर लेमंरद्धिदं शरनेविंगोष्य- मागख ष्डलाखडमत्वनामकाभ्यां Wace कणग्वासुय- हास्यखखानं तामसभावसंश्चथा Baas खच्छमाएयातिचिपिरया afar बिभद्वासरतां रौद्धवमुशंसलसज्ञाभ्यामतिरक्रतया गच्ार्धसमिभाभ्वां वतुलाभ्वां eteanat विनाखमानोऽनार्याचर श- aqan महता जिकोणेन शिरसा यथार्थोङर्वाणो वेश्वानरतां

Roe wufafawarwet कथा |

परोपतापसंश्चकेनाति पिङ्गलतया श्वालाकलापकश्येन Fwirtw दृष्टो वेश्वागरो ब्राह्मणदारक इति | ततोऽनादिषपरिशयादाविश्वंलो मम तश्छोष्ररि ay) गरसेतो मिभवुद्या शकिता warmer | अवदिषेकिताणुषो sufafa संपन्लास्योपरि गाढमकरङ्गपरिजनतया हितकारो ममा- यमिति gfe: 1 तलो खकितसतेन agiet भावः अये करोतेव ममोपरि राजपुजः प्रोति। तदेनसुपसर्पामि an: समागतो निकटे शमाखिङ्गितोऽइ | दशितः खेहभावः | vesgiaat: प्रयः WaT मेचौ ततो यज aq afecy संचरामि गे afeq aw तजन मामसौ qeafa geatfa ततो इषः खचिन्तभे नभोपरि पुष्छोदथो वेश्वागरेण ay भमोकरखन | चिन्तितं तेन श्रये मम रिपुरेष वैश्वानरः awa विग्ष्ञोऽषं नन्डिवधेनो Gy मामनुरक्रमवध्निन waagte- राञिरूपेकाश्मनोऽपि परमाथेवेरिष्ठा ay att करोति wear किमजाञख्ये wooed मूढाः पापमिजर्रूपं wager तक्छङ्गकरेदुरकतां बड़ aa लस्सङ्गनिवारकं शदुप्रदेष्टारं परित्यजन्ति ame शम्धिगारि प्रतिपद्यन्ते तदेन gar) ते fe afe परं भावन्तोऽन्धा इव guret गाढं स्फोटलाभेन पाप- निजसङ्गाज्िवतेन्ते परोपदेगेनेति qeqrd गन्दिवधेनङ्कमारो योऽनेनापि सह साङ्गत्यं विधन्त तत्किं ममानेन निवारितेन निर्दिं्टखारमस्छ भवितश्थतथा शवर तेनाव जिंतश्चाइमनिन करि ` ङ्‌ पतया वतेमानेन वेदनाख्चु हातेऽपि निखखतवा माष्यखभावकथा |

wate: aera: | ९०१

तस्मादेव afeningac: पापमिशशक्गतिपरोऽपि arate एव मम तावको युक्त इति प्यालोश्यासौ पुष्ोदयो इष्टोऽपि मम पाशं प्रष्डन्रूपतया तदा तिष्ठत्येव |

जाताखान्बेऽपि बहिरक्रा मम बहवो वयस्याः ततस्ते साधेमनेकक्रौडाभिः wae प्रवधितुं wee: प्रस्ठते क्रोडने मन्तो went अपि fear: प्रधागक्भुलजा श्रपि पराक्रमवन््ोऽपि मां वेश्वानराधिहितमवशोक्छय भयेन at गच्छन्ति मम प्रणतिं क्ुवेन्ति memati प्रतिपद्चन्मे पदातिभाव धावन्ति पुरतो प्रतिकूखयन्ति ace किं बना लिखिताद पि मत्तो बिन्व- तौति त्व सर्वस्यापि थतिकरस्याचिग्यमाहाम्यतया प्रच्छन्न ्ूपोऽपि पुश्छोदथः कारणं। मम तु award चेति परिश्रितं यदुत यदेते हमा sft fear ममेवं qatar वतन्ते सोऽथमश्य वरमिनष्य वैश्वानरस्य UU: | यतोऽयं सभिदितः सभाकौयसामर्थ्ेन वर्धयति मम तेजसितां करोत्यु सारं Meqe- थति बशं संपादयल्योजः feciadfa ममः जनयति धोरतां fara wit किं बहना समस्तपु रषगुशेमामेष योधति | ततोऽनया भावनया संजातो वल्मतरो मे वैश्वानरः

ततः संजातोऽहमष्टवार्षिकः। समुत्पश्ना पद्मनृपते चिन्ता प्राद्मतामधना मारः कणा इति ततो मिशूपितः प्रश्कदि- वखः समाहृतः प्रधानः Heras: पूजितोऽसौ विधिना शतसमुचितकरणयं | aafdatsy तस्य पिशा महतादरेषेति | wafdarg मदौयभ्रातरोऽन्येऽपि बहवो राजदारकाः प्रागेव तस

2b

२०२ उपमितिमवप्रपश्चा कथा |

कलाचार्यस्य ततस्तैः सार्धमहं naw: कला ग्रणं कतुं लतः संपूंतया सर्वोपकरणानां gers तातोल्छा इनश्च हितलवा aerate निशिन्ततथा कुमारभावस्य सन्निहिततथा gatze- स्योत्कटतथा चयो पशमस्यानुकूशतया तदा भवितब्यताया अनन्य इद यतया मथा wea: खण्पकालेनेव सकलोऽपि कलाकलापः। केवजम तिवल्लमतथा षदा सज्निहितोऽषौ वैश्वानरः निमिन्तम- निमित्त वा करोति मम शमाशिङ्गनं ततस्तेन षमाशिङ्गितो ऽइ a समरामि गरूपदेश् गण्यामि HIRT बिभेमि तात- मनःखेदस्य रचयामि परमाथ जानाम्यात्मनोऽन्तस्तापं वेद्धि कलान्यासमिरधंकलं fa तु तमेव वेश्वानरभेकं fd wer तदुपदेभेन Tee विन्द रक्तौ लतलोचमो सुग्रश्टक्करिः करोमि खमस्तदारक्ैः ae say विदधामि सवषां aaiggd उच्ारया- म्यसभ्यवचनानि क्षमे तेषां मध्यश्यमपि वचनं ताडथामि प्रत्येक यथाधन्निरहितेन फलकादिना ततस्ते each बैश्वानरालिद्धित मामवलोक्य भयेन चस्तमानसाः सन्तो वद नधनुकूखं कुवन्ति चाटूनि आराधयन्ति मां पादपतनैः कि बहना मदौयगन्धेनापि ते ्ोर्यवन्तोऽपि राजदारका नागदमनोहतप्रतापा इव विषधरा que Sem ततस्ते Valea: कम्पमाना बन्धनागारगता इव महादुःखेन जननोजनकानुरोघेन BATRA कुवन्तः काशं नयम्ति। न॒ कथयन्ति तं व्यतिकर कलाचार्याय मा त्सवा प्रलय इति भावनया | तथापि मित्यसन्निडितलाल्लयत्येव तक्मामकं चेष्टितं सकलं Raa: Fas away इृष्टविपाकतया भयेन waygat

Sata: WHA: | Rok

ऽखावपि a मम dqeafa frau factet यदि पुनरन्य- व्यपदेग्रनापि मां प्रत्येष किंचिद्‌ ब्रूया्ततोऽहमेनमपि कशाचाये- माकोशानि ताडयामि ततोऽखावपि मम राजदारकवदतेते | ततो महामोहटोषेण मथा चिन्तितं) aut मे acfawe माराव्यातिश्रयः अहो हितकारिता wet कौ शलं श्रो वत्सलता ae स्थिरानुरागः यदेष समालिङ्गनदारेण मम स्वतां संपाद्य मामेवं सवंजाप्रतिरता्ं जमयति नच मां quafa सुश्चतौति। तदेष मे परमो बन्धैरेष मे परमं शरौरमेष a wats मे लो वितमेष एव मे at तत्वमिति waa रहितः पुरुषोऽकि- रित्करतया wagers विशिव्यते ततेव विधभावनया संजातो मम वेश्वानरख्छो परि स्थिरतरातुरागः `

अन्यदा रहसि vt तेन ay विश्रग्मजस्ये मयाभिहितं | वरमिज्न किमनेन बहना afte | werent मम प्राणः | aza भवता यथेष्टं निधोजनोया इति ततञ्धिभ्तितं वैश्वानरेण अये सफलो मे परिश्रमो यदेष मम वश्वर्तौ वतेते दशितो ऽजेनेवं वदता गि्भरोऽनुरागः। अनुरक्ाञ् प्राणिनः समाकणंयन्ति वलनं wwf भिर्विंकश्पं प्रवर्तन्ते ay भावेन संपादयन्ति शयया | afecaa प्राप्रकाशमिति fafer aarfufea | कुमार एवमेतत्कः GI सन्देदः। TY गरटशोतडदयसद्घावानामपि arent पुरतः ganic मन्त्रयति महाप्रखारोऽज कारणं | fe etiensisarariafa वाक्यं बशाद्वार्यति | तत्किमनेन | करोमि कुमारस्यादमच्यान्‌ प्राणान्‌ एष एवमेतज्नियोगः +

Qeg उपमितिमवप्पश्चा Sut |

aarfated कथं तेगोक्र जानाम्यदं fafezeray मया- fafed करोतु वरवयस्यः | तेगोक्रं यदाश्चापयति gar: | ततः शतानि तेन efor ferret वटकानि समुपनौतानि मे रहसि वर्तमानसख | afafeagre कुमार एतानि मदौय- खामथ्यं्रभवाणठि वतन्ते वटकानि कुवग््युपयुष्यमामानि वोर्यो- त्कर्षषंपादनेन TENE सवे यथेष्टं eat चायुष्कम्‌ | तस्र्‌ ग्टहाण लमेतानि |

अज्ाशरे शघुष्यनिना कचान्तरख्ितेन केनाष्यभिरहित | भविव्यति तवामिमते ent कोऽज सन्देहः श्रुतं तक्मा श्तं वैश्वानरेण | ततः संपश्यते मम खमौहितं धाख्यल्थेव वरकोपथोगेग aaa भविव्यति aw गतस्याख दौघेमा- gai) कथमन्ययेवं विधः शब्दः महानरक एव ममाभिमतं श्ानभिति भावनया तुष्टोऽखौ चित्तेन |

मयामिहितं किं संपद्यते मे भवाद्भरि वरमिजेऽलुकूखे | तदाकष्ठं fegurt परितुष्टोऽषौ समर्पितानि वटकानि। ग्टरोताजि मया अभिहितं तेन करुमारायमपरो भम murat विधेयः gate दुत मयावसरे संश्चितेन निर्विंकश्य- मेतेषां मध्यादेकं वटकं भवितव्यं कुमारेति मयामिदहितं | किम प्रार्थनया निेदित एवायमात्मा acfawe | वेश्नरे- urfafed | महाप्रसादोऽनुगटहोतोऽह कुमारेएेति a

cag तातेन away विश्वसनोयो नियुक्तो राजवह्लभो दारकः। दुत अरे विदुर खमादिष्टो मथा मारः धथानन्यमभस्केन

Sara: WHA! | Roy

भवता weraya विधेयं श्रहमपि दरषटवयोऽइमेव भवन्तमा- मत्य द्रच्छामि तदेवं fet मम राच्यकार्यब्ाङुलतया कदा- चिन्तत्मौोपे गममं saya ततो भवता प्रतिदिनं कुमार ग्र- Carat मम seta विदुरेणोक्तं यदाज्ञापयति देवः ततः संपादयता तेन तद्रानश्राषनं afea: सर्वोऽपि मदौयो राजदारककलाचायंकट येनव्यतिकरः तथापि मनःचतिभयेन कियन्तमपि काशं कथितोऽषौ ताताय अतिभर मवलोक्य जिवेदितोऽन्यदा ततञ्धिन्तितं तातेन नेष विदुरस्तावदसल्यं भाषते चापि कुमारः प्रायेशेवंविधमाकरति। तत्किमिज ततत्वं भविव्यतोति जानोमह्े। चयदि कशाचार्यस्यापि कदरथेनं fare कुमारो निष्पन्नं ततः कलाग्रदणप्रयोजनं इति चिन्तया समुदिग्रो ornmafana पुनखिन्तितिमनेम। इदमत्र प्राप्त काशं पृच्छामि तावत्कलाचायेमेव यथयावस्धितं ततो fafaay sar तज्जिवारणोपाये यनं करिष्यामि ततः प्रेषिवस्तदाका- रणाय सबडमानं विदुरः समागतः कलाचायंः श्रभ्यत्यित- स्तातेन दापितमासनं विहिता परिशर्था | ततस्तदनुश्ञातविष्टरोप- विटेन तातेनाभिहितं wd afgegx श्रपि ससुल्छपंति कणा- ग्रहण कुमाराणां | तेनाभिहतं देव agers युश्रदसु- भावेन तातेनामिदहितं | fa परिणताः कासिशन्दिवधनल्भुमारस्य कलाः कलाचार्येणाभिदहितं दष्ट परिणताः देव निष्यन्न एव कलासु नन्दिवर्धनक्ुमारः | ani, सौशतमनेन wad लिपिक्ञानं। waa wefaa गणिति। उत्यारितमिवात्मना

Re उपमितिभवप्रपश्चा कथा।

व्याकरणं चखेजोग्तमस्य श्यो तिषं सात्मोगतमष्टाङ्ग महानि- मित्त ग्याख्यातमन्येभ्वग्डन्दोऽनेन mag qi fufed गेयं प्रशयिनौवाख्य vfafwer वचस दव धनुवदः | fae मिव dua | मिर्दे्कारोव wae: | अनलुचराण्टोव नरश्च शादौनि अधेयविक्रयाणि पचच्छेदादौनि fa बहना नास्ति खा afer या कुमारमाषाद्य प्रत्ना परां काष्टामिति। ततः प्रादुभवदानन्दोदकपरिपूररितमयनयुगलेमाभिदहितं तातेन आय एवमेतत्‌ किमचाखयं कि aa रतोद्योगे संपद्यते HATS धन्यः कुमारो यस्व युश्नाङ्श्रा शुरवः। sfeaqzein देव मा मेवमादिश् केऽज वथं युश्मदमुभावोऽयं तातेना- भिदितं we किमनेनो पवारवचसा | युरप्मसारेनेवाख्मदानन्द- बन्दमेदायिकां संप्राप्तः कुमारः सकखगखभाजनतां बृद्धिसमुदे- Qin यद्येवं ततो देवकर्तयेषु नियुक्रेरतुचरेने setter: खामिव इति पर्यालोचनया किंचिदहवं विशपयितुमिच्छामि तच्च युक मयुक्ं वा चन्तुमङति देवः। यतो यथाथ मनोहरं Teel Te तातेनामिडहितं। वदलावंः | थयावस्धितवचमे कोऽवशरोऽकमायाः। qfgugzuin audi ततो यदादिष्टं देवेन यथा anaye- भाजनतां are: कुमार इति तथेव खाभाविकं कुमारस्य Vey प्तौल्य नाद्य सन्देहः किं तु सकलमपि FATS एखन्दो इं कलङ्नेव wat awaaq तामरसं कारष॑सेनेव विन्तमिचधं नेखेञ्ज्येनेव स्तौननं मोडसेनेव पुरववगे परोपतापेनेव धमं वेश्वागरसन्पकण दूषितमहमवगच्छामि | यतः खकशस्टापि कला-

SAT: WRN: | २०७

कलापक रणस्य प्रश्रमोऽशङ्करणए | एव तु वैश्वानरः पापमिबतया सन्निहितः सन्नात्मौयसामर्थयेन a and कुमार्य नाग्रयति। BAZ महामोहवश्रात्परमा्थेवेरिएमप्येमं वश्वानर परमोप- कारिणएमाकशयति। तदनेनेदृग्ेन पापभिचेणए ae प्रतिहतं mere प्रश्रमाष्टत Hara तच्छ निष्फलो गृणप्राग्भार इति | ततस्तदाकच्पे तातो वञ्जाइत इव गहोतो महादुःखेन तत- स्तातेनाभिहितं ag वेदक परिव्यजेदं शन्दगरषसेकभोोतणं Mies मामेष afearat बाधते | गच्छ समाश्य कुमार येवापनयामि ae पापमिचसंसेवारणेम दुःषदमाक्ानोऽन्तस्ताप- मिति ततो fage ताखटन्त खितिनिडितलानुकरमस्तकेन बेदकेनामिडित | यदाश्चाप्यति देवः। fa तु महाप्रयोजगम- पेश्छ भविय्याम्बहमख्ापितमहन्तमः। ततो तज देषेन कोपः करष्णैयः | तातेनामिदहितं ax हिवभाषिणि कः कोपावसरः। वदतु faafea भद्रः गेदकेनाभिडहितं। देव यद्येवं ततः Bae परि चयादेवावधारितमिदं मया चदुतायं वेश्वामरोऽन्तरङ्गण्तः कुमारस्य awet a शक्योऽधना केना्यपसारयचितु ग्टहोतः Sater हितबन्धेबद्या शक्रोति तदिरहे चफमध्याभितु कुमारः यतो जभते Ula VMs रणरणकेन मन्यते TUAW मनेन Thera ततो यद्ययं कुमारो वेश्वानरसंसगंत्यागं प्रति किंचिदुच्यते ततोऽहमेवं तकंथामि महानसुदगं कुर्यात्‌ श्रात्मघाता- दिकं वा विदध्यात्‌ अन्यदा किंषिदकाण्डविद्धरादिकमनर्थान्तर संपादयेदिति रतो नाभाय किंचिद्र कुमारमति देवः।

२०८ उपमित्िभवप्रपश्चा कथा |

बुद्धिससुद्रेषणोक्ं देव सत्यमेव श्वं मिदं यदावेदितं बेदकेन wate वयमपि कुमारस्य पापमिचखम्बन्धवारणे गाढमुदयुक्ताः सकलकाखमास्मटे | चिन्तितं चास्माभिः यद्ययं इमारोऽनेन वैश्वानरपा पमिनेण वियुष्येत ततः सत्य नन्दिवर्धनः स्यात्‌ | केवखं- Aes कथचिदनयोर्गाढनिशूढं प्रेम येम mAs कुमारो ऽनंभौरतया वियोजनं विधातुमिति अतोऽश्रक्यानुष्टामरूपं SATS वैश्वानरेण खड मेचौवारणएमिति मन्यामहे तातेनामि- हितं आयं कः पुनरजोपायो भविय्यति बद्धिससुद्रेणोक्ं | अतिगहममेतदघमपि जानौमः। विदुरेणाभिदहितं। देव शरूयतेऽज कञथिदतेतानागतवतेमानपदाषेदौ समागतो जिन- aam ara सिद्धपुबो awafafaa: | कद्‌ाचिदनोपायं weafa arcarfatyd साध्वभिहितं भद्र ery wih समा- saat भवता | विदुरेणाभिडितं चटाश्चापथति देव इति।

निर्गतो विदुरः समागतो नेमिन्तिकेन स्तोकवेलकथा | दृष्टो नेमिन्तिकस्तातेन तुषटचेतसा दापितमासनं शतसुचितकर- Wa कथितो व्यतिकरः ततो बङह्धिनाडौखघ्चारेण freq तेनाभिडितं। महाराज विद्यतेऽजान्यः कञ्चिदुपायः। एक एवा परसमुपायो विद्यते दुरंभद्यासौ प्रायेण तातेनाभिहितं alee: दति कथथयल्वायंः। जिनमतन्नेनामिदहितं। महाराजाकणेय |

रस्ति रितं सर्वोपद्रवेनिवासच्ानं समस्तगणानां कारणं HAUT Tee मन्दभागधेयैि तसौन्दयं नाम नगर तथाहि |

Sata: WRT! | Roe

वखतां तज शोकानां amt genau |

रागादिषरटाः सवं जायन्ते गेव बाधकाः

तञ्च चुत्यिपासाथा बाधन्ते तज मो जनम्‌ |

ततस्तदुश्यते पौरेः सर्वोपद्र ववजितम्‌

न्नानादिभाजनं wags जायते |

कलाकलापकौ ग्रद्यं ततोऽन्यज विद्यते

भवन्धौ दा्येगास्मौयेधेयंवौर्यादयो गणाः |

वखतां तजर तत्छवेगुणस्छानमतो मतम्‌

wag वसतां तज धन्यानां संप्रवतेते |

उन्तरोष्लरभावेन विशिष्टा सखपडतिः

सपद्यते तस्याः प्रतिपातः कदाचन |

कख्याणपड तेंत्रतस्तलगरं मतम्‌

सर्वोपद्र वनिकं समस्तगणग्डषितम्‌ |

कश्ाणपद्धते तुयत एव तत्पुरम्‌

अत एव सदानन्दं तत्छपुष्छेनिंषेवितम्‌ |

गगरं चिन्तसौन्दये मन्दभाग्येः सुदु भम्‌

तज गगरेऽस्ि डितकारोौ स्वंलोकानां शतोद्ोगो दुष्ट

निगदे दश्तावधानः श्िष्टपरिपाणने परिपूणः कोश्रदण्डससुदयथेन ब्रदुभपरिणामो नाम राजा |

यतोऽसौ सवंोकानां चित्तसन्ापवारकः |

तया सन्पकं माजेएट मडानन्द विधायकः

सदनुष्टानमारगंऽपि जन्तं प्रवतंकः 24

२६०

उरप्निवविभवप्रपश्ा कथा |

अलो वौोरजनेलेि हितकारी निमद्यते रागदेषमहा मो दक्रो धणोभमदग्माः | काभेर््थाशोकदैम्याद्या ये चान्ये gee: दु टचेष्टतथा नित्यं शोकसन्तापकारिणः | तेषामुदशनं राजा Hawafasa ज्ञानवेराग्यषन्तो षत्धाग सौजन्यशषखणाः |

ये qa जमतादह्कादकारिणः श्िष्टषमताः तेषां सष राजा सततं परिपालनतत्परः | ae मिःरेषकतंव्यव्यापारविश्वुखखः षदा सीट तिषूलिसवेगश्र मादेः परि परथते | भाष्डागारं WTA WTA: प्रतिशणम्‌ दणष्डख Wa AG चतूर्मदवलात्मकः | Treryeraufia रथद न्तिहधादिभिः दुष्टानां frauen: शिष्टानां परिपाखकः | कोशदण्डसन्हङ्खच तेनासौ नोयते गृपः

ल्य शभपरिणामस्य uM ग्डहोतजयपताका शरौर-

Stee विनिजिंतभुवमजथा कलाकलापको शखेनापरहषितरति- विभ्रमा विशाषविष्षरेणधरितारुन्धतमाशाग्या तिश्रया निजपति- भक्तया निष्युकम्पता नाम महादेवो

एकज सवेयनेन छतासङ्ारचचनम्‌ | सुरासुरणरस्वेणं यश्याक्लोकेऽतिखन्दरम्‌ चोभायं gfe कदा चिदुपतिष्ठते |

ढतोषः प्रावः | BLE

meet दिगि wera सा देवो निष्यृकस्पता . हि ्रसक्रिसुंनि दन्तानां तस्यामेवोपनाथते.। . . ; . `` श्रतः श्रोरसौन्दर्बात्सा ग्टहौतपताकिका : .. WRN TET: कलाकौशलग्राखिनः .. ये चान्ये छोकविख्थाता faut gaz: शोभकामादिभिः सवं जितास्ते भावद्रचुभिः कौश्रलमतस्तेषां विद्यते ware: तस्यास्तु देयालत्किंचित्को शं येन wher | ताग्पराजयते तेन Awww रतेर्विंलासाः कामस्य Fae तोष्ेतवः | मुनयस्तु पुनरेषां वार्तामपि जानते i Aa: सक्ताः पुनर्देग्या त्रतनिर्वाहणादथः | faarar सुनिलोकस्य मामसाचेपकारिणः `. अतो ऽपरसिता eal खविशासे रतिखथा . ` यथा aint खा तयेदानो निगद्यते आपज्निमद्रं भर्तारं sara निजनोवितम्‌ | faatwafa Daw तेनासौ vereer 1 अरन्धतौ पुनरेव पत्युः संरचणचमा | जिष्युकन्पतया तस्ञाद्‌ weer जिता fa Sq बङनोक्रेन राश्चः कायप्रसाधनौ AS राच्ये परं खारा खा देवो निष्युकन्यता ॥. तथोख॒भिष्यकन्यता्डभपरिणामचोदेवौनृपधोरख्ि प्रकर्षः

RAR उपमिविभवप्रपश्चा wer |

खन्दराणायुतप्रिन्डमिराखर्याणां AYA एणर्रागः वपुरवेखच-

चेन सुनोनामपि मनोहारिण्णो शान्िनाम siya थतः सा खततानन्दद्‌ यिनौ षथंपाखिता सरकेनापि निःतेषदोषमोषविधाषनौ , faciwt fanreret यं at किल Ghee | पष्डितेः महात्मेति Ga ME प्रश्ख्छते आलिङ्गनं Gree मन्वे at wet गरः | waar want भविग्यति $ अतखओाङ्तर wear नान्धा जगति विद्यते | प्रकर्षः सुन्दरां घा विद दधिस्तेन गोते a सद्यानकेवल्श्चानमरहद्धिप्रशमादयः | लोकानामहूुता भावा चे चमत्कारकारिष्ठः ते भवन्ति भविष्यन्ति खताञ्चानन्तशो चतः | तस्मखादेन स्वानां तामाराचयतां षडा +. erafwafe: सा तस्मादाञर्थाणाङुदाइता चथा रत्रमश्चूवा ava निबोधत a दानश्नो खतपोश्चागङ्खलरूपपर क्रमाः सत्य धरौ चाजेवालोभवौरयशवर्थादयो AT: ये केचित्ुन्दरा लोके वतन्ते रनरूपिशः . afta fe र्देवं तेषामाधारतां मता ` aaret came विदद्धिः परिकौर्तिता

: fener गुणाः सवं whee निराया: हः .

दतौषः vera: | Reh

चान्तिरेव महादानं चाज्तिरेव महातपः ` शान्तिरेव awa चान्तिरेव ane ` ` चान्तिरेव महाग्यलं न्तिरेवे aerge | * चान्तिरेत्र awe arfiata पराक्रमः कान्तिरेव सन्तोषः चामिरिङिथनिहः wfmta महाग्रौचं afta महादथा॥ ` warts महारूपं शान्तिरेव मशावशम्‌ ।` ` शान्तिरेव ated चानििर्धेयसुदाइता ` चानिरेव पर ब्रह्म सत्थं शानिः प्रकीर्तिता शान्तिरेव परा gfe: erie: सर्वा्चसाथिका चा निरोव जगदग्ा चानिरेव safer) ` शान्तिरेव easier afin: कशाएदा विका PST जगत्पच्या चान्तः परममङ्गलम्‌ . ` ऋण्िरिवारिनिर्णाशं चतुरङ्गं away) -. ` किं are ayia शान्तो aa प्रतिहितम्‌ `... " ऋष एवन्‌ वा कन्वा अुनिलोकमनोहरा। ` क्वारोद्श्रङ्पाथां को चिक सचेतनः ` चछ चित्तं समारोहेदिषसनतो शौ सथा 7. सां कन्वा धन्यतां are सोऽपि तद्रूपां iC : - ..

Axe उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

अतः सम्बग्गुणाकाङ्खै कः THAT at इदि guint सदाकालं भ्वंकामसमपिकाम्‌ एवं fad.

सा गणोत्कषेयोगेन कन्या wale ge |

wea वेश्वागरस्योखेः प्रतिपख्तया feat `

तस्या दशेनमाजेण भौतभोतः सुविहणः |

एव वेश्वागरो मन्ये दूरतः प्रपलाथते

निःगरेषदोषपुश्ोऽयं खा कन्या गणमन्दिरम्‌ |

साखादभ्चिरयं पापः at gufeaniaen

सदहावस्छानभेवं हि नानयोर्विधते कचित्‌ |

विरोधभावान्तेनेवमस्मामिर मिधौयते

टैव कन्यां तां धन्यां कुमारः परिणति |

अनेन पापमिजेण तदा aet विहास्यति

अवान्तरे चिनितं विदुरो wa अनेन णिनमतश्चेन नेमि -

्तिकेनेदमभिडितं यया चित्तसौन्दयं यः शभपरिणामः तच्छ धा निष्प्रकन्पता तष्लनिता या arf सेवासु मन्डिवर्धगकुमारस्यानेन पापमिजेण षश्वागरोण ay aan निवारयितु समर्था नान्बशजि- वारणे क्िद्पाय इति तत्छवंमनेन gage अथवा किम- area हि जिनमतश्चः कदाचिद युक्तं भाषते ततरक्नेभि- न्तिकवशनमाकष्ठं तातेमावलो कितं waft afew मडहा- मन्तिणो वदनं तोऽसौ spac अभिदहितस्तातेन आयं मतिधन श्ुतमेतद्धवला | मतिधनेनाजिडहतं देव ya) तति-

RATT परस्ताबः २९५

wifafed ara awa ततो महदिदं मम चिन्लोदेगकारणं चदेव विभिष्टजनस्पदणोवोऽपि कुमारस्य गुणकल्लापः Wf म्नन्धदूषितो निष्फलः day cf; तद्‌ गच्छ wid dee चित्तखौन्दयं वचनविन्यासङ्ुशरलान्‌ प्रधानमरहन्तमान्‌ aw तदेश्रासम्भवोनि प्राखताजि उपदि गच्छतां तेषां निरन्तरसम्ब- न्भकर णपटून्युपवारवचनानि याचय कुमारां एटभपरिणणमं चान्तिदारिकामिति मतिधनेनाभिदहिवं | यदाज्ञापयति रैव | दति निर्गत sent मतिधनः जिनमतन्नेनाभिदहितं मद्ाराज अखमनेनारम्भेण खख्वेवं विधगमनयोग्य तन्नगरं तातेनाभि- हितं ard कथं जिनमतन्ञेनामिहितं महाराज खमस्तान्ये वाच शोके नगरराजभार्यापुजभिचादोनि aafa दिविधानि भवन्ति तद्यथा अन्तरक्गाणि बह्हिरङ्गाणि aw बहिर ग्रव्येव वस्तुषु भवादृशां गमनान्नापनादिव्यापारो नान्तरङ्गेषु एतश्च गगरं राला तत्यल्लौ दुडिता सवमन्तरङ्गं वतेते तज्ञ युव्यते तच महन्तमप्रेषणं | तातेनामिडित wa कः पुनस्त प्रभवति जिनमतश्चेनाभिदितं योऽनमरक्ग एव राजा तातेनाभिडहितं | आये कः पुनरसौ जिनमतश्चेनाभिदितं | महाराज क्मपरि- ara: | ae fe शठभपरिणामस्य कमेपरिणामेनेव ace ZW तन्नगरं श्रतस्लद्‌यत्नोऽसौ वतते तातेनाभिदडितं wa कि भवत्यसौ क्मपरि णामो माद्श्रामन्धर्येला विषयः जिनमत- Safafed | महाराज नैतदेवं fe ययेष्टकारौ प्रायेण गापेचते सत्पुङषाग्व्थेनां म॒ रव्धते खदु पचारवचनेन गद्यते

९९ पमिविभवप्रपखा कथां |

Gay मानुकम्बते दृ्ाणापदतं जमं केवखमसावपि wre विदधानः एष्छति मदन्तमभगिनं शोकलितिं पर्यालोचयति भायां काञ्ञपरिएति कथवयत्याक्रौयमहन्तमाय खनावाव अशुवतेते मन्दिवधेनङ्खमारस्य समस्तभवाकारागुयायिनों प्रष्छणर्ूयां weal भवितग्यतां बिभेति faa नन्डिव्धनक्ुमारवौ्ांरपि खप्रडत्तौ ततेव विधमन्तरङ्गपरिजमं qearera words कमेपरिशाममहाराजः काथ Haret वहिरङ्गलोकं रटनमकि मदयति कि afe agra रोचते तदेव faut तसरान्ा- यमन्वयेनोचितः fa q aera प्रतिभासिग्यते तदा quite कुमाराय रापथ्िष्यति एभपरिणामेन चान्तिरारिकामिकि। तातेनाभिदहितं 1 आये इतास्तरिं क्वं षतो wet कदापि ae प्रतिभाशिग्यते श्रस्िंखामपसा रिते पाषमिज gave ere- गृक्विफ़छतया किंचिदस्माक जोवतोति शला fear wufafed महाराजा विषादेन किम कियते यदङ्श्न- मेवेदं प्रथोकगभिति तथाहि |

नरः प्रमादौ WHIT स्यादुपा्लम्भमभाजनम्‌ |

त्रद्वद्ध विषवे पुरूषो waaay

अषि च।

यो ऽश्रक्ये ऽकं प्रवर्तेत अनपे बाकम्‌ `

mary at wre: खादिपयिताम्‌ 8

तदेवं fea काचं यद्ध विश्यलया परम्‌ |

भवतां व्थक्रचिन्तानाम चितु चुष्यते भुवम्‌

SAA: GUT: | RLe

way aut किचिितसः खाखथकारणम्‌ निराखम्बनतामेत्य मा zea भवादृशाम्‌ तातेनामिदितं are ary! खमाश्वासिता वथमनेन भवतां

पञश्चिमवचनेन तत्कथय किं तदस्माकं चेतः खाख्थकारणमिति | जिनमतश्चेनामिदहितं महाराज wee कुमारस्य प्रक SU Guiqut गाम awe) wage पाश्ववर्ती तावदेष fare: पापमिभ्रतथा यं यमनथे gare संपादयति wise प्त्युतायंरूपतया पथवस्छतोति | adage मनाक्‌ खख्ो- ATA: | WIN दिनकर मम्बर तस्य मध्यभागमाङ्ढं निवेद यन्नाडि- काङ्कदप्रइतपटदनादामुखारौ समुत्थितः शङ्कपष्दः परितं कालमिबेद्केन |

क्रोधाकेजसो द्धिः किं तु werner: |

दभेयज्निति लोकानां gat aereat गतः |

तातेनाभिडहितं | wa मध्याङ्कसमयो ada ततः षसुत्यात-

व्यमिदानौमिति war विजितो राजलोकः पूजितौ कलाचाथ- नेमित्तिकौ प्रज्ञापितौ सबहमानं ततो नेमित्तिकवचनाद कधा - गुष्टाममेतदिति जातनियेनापि तातेना तिमोहहेतुतथापत्य सख समादिष्टो विदुरः | यदुत परोङितग्यो मवता इुमाराभिप्रायः किं शक्धतेऽस्मात्पापमिभादवियोजयितु gat वेति विदुरे- arfafed | यदाश्नापथति देवः ततः समुत्थितस्तातः शतं दिवशोचितं कनेग्खं

28

Re उपमि ति्भवप्रपश्चा कथा |

दितौयदिने मागतो मम समोपे विदुरः विडहितप्रष्टामो निषष्यो मदन्तिके। vet aati भद्र द्यः कि नामतोऽसि। विदुरेण चिन्तितं we खमादिष्टस्तावद देवेन यथा aafe- तव्यो भवता Baise: ततोऽइमसम यत्‌ AT: खका- श्रादाकितमासौग्था दुजेनसंसगेदोषप्रतिपादकमुदाहरकं तस्क थथयामि। ततो विज्ञास्यते खस्वेतटोयोऽभिषन्धिरिति i. a विचिनध विदुरणाभिदहितं कुमार किंचिदाश्च्म्छत्‌ मथा- भिहितं कौदृशं विदुरोणणभिडहितं , कथानकमाकितं | मया- भिहितं ada कौदृशं तत्कथानकं विदुरोणा भिहितं we यामि केवखमवडितेन ओओतव्यं कुमारेण मयामिदहितं एव दन्तावधागोऽस्मि विदुरेणमिहितं

अख्छम्यामेव मशुजगतौ नगर्यामस्मिश्ेव भरताभिधाने पाटे faftafafed नाम पुरं तजास्ि वौयेनिधानन्डतः कमेविखासो भाम राजा तस्य दे श्रयमहिव्यौ BARA wearer aw प्ररभसुन्दर्याः पुजोऽस्ति मनोषौ नाम बाणोऽङुश्रल मालायाः at मनौ षिबालौ संप्रापतक्ठमारभावौ नानाकारेषु कागनादिषु क्रौडारषमनुभवन्तो ययेष्टचेष्टथा विचरतः श्रन्यदा खदेह भिधाने कानने नातिदूरादेव geanrat क्ित्पुश्षः तयोः पश्तोरोव समारूढस्तदुयाभिधानं ae निबडू- सेन मू्धनामकतरग्राखायां पाश्रको fafaa: गिरोधराथां प्रवा- हितखात्मा ततो मा साहसं मा साइसमिति वदन्तौ प्राप्तौ wengqa तत्छमोप कुमारौ दिशनः पाश्को wea! ततः

ata! TRIE: RE

wetvufaget wqetery पतितोऽसौ पुरुषो aaa समाह्का- दितो वाथुदानेन कुमाराभ्वां शलभा चेतना eaifat wet भिरौोदिता दिशः इष्टौ कमारो | wfafeaenat भद्र किमेत धमपुरषोचितं भवता व्धवसितं कि वा भद्रखेदश्ा्यवखा- यस्स कारषमिति कथयत भद्रो यद्यनाख्येयं भवति ततो zeae भिः पुरषेणाभिदहितं श्रखमस्रदोयकथया सुन्दरमनुहितं भद्राग्धां यदहमात्मदुःख्वानकं निषवापयितुकामो waagt धारितः तदधुनापि adet मे fan इति ब्रुवाणः समुत्थितः पुगरात्मागश्रु्षम्बयितुमसौ Fes: तो बालेन अभि- ferg भद्र कथय तावदस्माकमुपरोधेन Saute: ततो यद्यखमप्रतौकारः ख्यातो यदुचितं तत्कु्याः Terrie चदि fadarea: gaat) आस्म श्ररौरमिव शवं खमिव जोवितमिव इदयमिव fea भवजनुर्माम fas चातिष्छे इनिभेरतया चणमाचमपि मां विरहयति किं ate eae कां मामेव areata पाश्चयति wats मां qe we | यदत भद्र ae किं तुभ्यं रोचते। ततो यद्यदहं वामि TH भवजन्तुमैम Tet वत्छलतथा संपादयति कटाचि- wufage विधत्ते अन्यदा मम मन्दभाग्यतया दृष्टेन शदा- गमो माम पुवः पर्यालोचितं way तेम विचिदेकान्ते भव- जमा भावितञित्तेन इष्ट इव शच्छते ततसत्कालादारभ्ब fafaapant ममोपरि खेषावन्धः करोति तथा -शाशशां द्ेषत्धात्मबुद्धि प्रवतेते मदुपदेगेम मम वार्तामपि

२२० उपमि तिभवप्रप्ा कथा |

प्रश्नयति प्रत्युत मां aftaaa मन्यते दशयति विभियाशि wae प्रतिकूलमासेवते ततो मया चिन्मितं हा इन्त किमे- तत्‌ मया किचिदस्य व्यलोकमाचरितं fafaaeanre एव ware: षष्ठिकापरावतित इवान्यथा eee: हा Witsfar मन्दभाग्य CaN «aga इव पिष्ट इव इत सवस दव शोकभराक्रान्तमूतिः प्राप्तोऽहं दुःखातिरेकं ) afer कथंचित्पर्यालोचयता मथा श्रये सर्वोऽयं अदागमपर्याशो चल- जिलोऽन्ेग्यतिकरः विग्रतारितोऽवं मम वय्योऽनेन पापेन चोक्कालयशिव मम इदयं पुनः पुन शदागमेन खड रहि पर्थाणो वयति afwarcurd रटन्तमपि मां नाकणेयति | यथा यथा भवजम्तोः सटागमपर्यालोचः सुतरां परिणमति तथा तथा मामेष नितरां शिथिलयति ततः प्रवधेते मे गाढतरं दुःखं अन्यदा इढतरं पर्याशोच्य eqs ay किचिदेकान्ते भोटितो मया सह सम्बन्धः सर्वेथेव भवणन्तना | ufcfestse feta त्यक्तानि मम वल्लभानि. मदचनेनेव ग्टरोतानि याजि पूवं कोमलौ गण्डपिधानादिसनायानि शयनानि विरहितानि इषपर््मादिपूरितान्याखनानि ania ठहतिकाप्रावाररल्िकाचोनां श्एकपहा शकादरौनि कोमलवस्ाणि | प्रत्याश्यातानि मम सुखटायौनि गोतो ष्णतुप्रतिक्लतया सेव्यानि कद्दरिकारश्चन्दनादोनि विलेपनानि वजितः स्वधा Rae दातिरेकशन्पादकः कोमणतसुलताकणितो शखनासङ्गगतः ततः- परति सख भवजन्त: करोति केश्नोत्पाटनं शेते ठिगन्धमौ धार-

eata: प्रस्तावः | २२२.

यति श्रौरे मलं परिधत्ते जरचचौवराणि वजेयति दूरतः waaay wifes तकिन्‌ करोति प्रायचित्तं aya माघमासे श्रौतं गाति च्येष्टाषाढयोरालपं सर्व॑या परमवेरिक va यद्त्किचिग्म प्रतिकूलं तत्वेमाचरति ततो मया चिन्तितं | परि्थक्षस्तावसछवयादमनेन RA UVR | तचायामरणान्ताः प्रणयाः खज्जनानामिति SRN: ततो waaay सदागम- qufaae विप्रतारितो मामेवं कदेति तथाणकाण्ड एव मया मोक्रब्यः। यतो भदटरकोऽयं ममाक्मोचप्रृत्या afaat बना array wafa यांसि ममानुक्लानि सदागमभोलकजनितो sane विपर्यासः तत्कदा चिदपगच्छत्येष कालेन | ततो भवि- अति ममोपरि परव॑वदस्य aera) एवं पर्याणशोश्य व्यत्रख्धितोऽं बरिष्कुतोऽपि तेन भवजन्तुना ada सम्बन्धिनि श्रौराभिधाने प्रासादे महादुःखानुभवेन कालमुदोकमाणो दुराश्रापाश्रावपाशचितः खम्‌ कियन्तमपि कालमिति : sagt शटागमवचनमनुवतेमान- fercara मां पश्वक्रियया निष्कास्य ततोऽपि प्राखादात्परभाधा भिक इव निधुंणतथा मामाक्रन्दभ्तमवगणय्य रुष्ट इव तज यास्मि यज भन्तं लोचनाभ्यां द्रच्छामोत्यसिधाय गतः gute | येदान fadat नगर्यो प्राप्तः get) खा मादृश्रामगम्बा मगरो ततो मया fafa किमधृमा मया प्रियभिबपरि- शतेन afacfeaa चाजागखसनकन्पेन जो वितेम ततखेदमध्य- वसिलमिति | wradarfafed ary aia . साधु साने want aazem: ,

RRR उपमितिभवप्परञ्ञा WaT |

दुःखह fe प्रियमिजपरिभवदुःखं तदिरइसन्भापखच waa caer यापयिहु तयाडि | शव्धः सदनात्छोढु उमिशापि पराभवः | कनकेन fe निसुंक्रः qreretsfa watet मानिनां मिभविरहे जौवितुं नेव seat | इदं fe mam aw arate निवेदितम्‌ शो ते favagen at ख्विरागुरागः अहो इतश्चता हो aye aut निर्भिंश्यभावतेति भवलन्तोः पुनरहो we रकविरक्रता WET BARAT अहो अश किकलं wet मूढता aut खर इदयतवं अरहो अना्थनुषठानप्रृभ्िरि ति | केवल्मेवमपि faa ्रवोम्बहम किचित्तदाकणएंयतु भद्रः शश्ेनेनामिदहितं वदतु निविंकश्पमायेः | बालेनामिदहितं | अशब्यप्रतिकाराणममिमानावश्बम्निनाम्‌ | खरहेकबद्धकथाणणं युक्रमेतद्धवाद्श्ाम्‌ | तथापि मदनुग्डेश धारण्णीथा भद्र प्राणाः |) water ममापौयमेव गतिः रच्ितोऽहमनेन भवतो निष्िममिष्वा- सखेन | दाकिष्डमरोदधयय सत्पुरुषा भवन्ति सत्पुरवस्च भद्रः कायलो गम्यते | अतः कर्तव्यमेपैतभिर्विंचारं मामकं वनं WES were चतमनोरथा चिच्चिफिकया gael तथापि मदरकन्यया भवता AGA एव भवजन्त॒विरदुःखप्रतोकारग्या मन्तः स्यशनेनामिदहतं साधु sre साधु धारिता एव भवताशुष- हतव्दङेना ति शिग्ध वचनाग्दतसेकेनानेन खयमेव विखौकमाना

दतो यः THN: | | र्ण

मरौयप्राणाः किमज awa! नष्टो मेऽधुना शोकसन्तापः विद्मारित भवता wane: | ग्ौतलौश्चतं नयगयुगखं ऋद्धादितं fed निर्वापितं मे शरौरं भवदूगशेनेन। किं बना त्वसेवाधुना भवजन्तुरिति ततः संजातस्तयो निरन्तर खदभावः | मनोवा चिन्तितं खल्‌ सहजोऽमुरक्रो वयस्यः केल- चित्मरेश्ापूवंकारिणा पुरषेण निरैषच्छ्यते सदागमो fazte कदा चित्याजयति। fe गाढं पर्यालोचितकारौति sama: तदम कारणेन भवितव्यं | सुन्दरः GWE wit: wae तदनेन सद मेचौ gaa विरूपमाचरितं aaa) एवं चिन्यन्नेव मनोषौ सुभाषितः स्यश्नेन रतं मनोकिष्षापि लोकयाजासुरोधेन सम्भाषणं संजाता तेनापि बदिन्कायया मेनो wire | प्रविष्टाः सर्वेऽपि नगरे waa राजभवनं इष्टो दन्ता- WIA कमेविलासः VY मडहादेवौभ्यां हृतं पादपतनं जननौ - जनकानां श्रानन्दितास्तैराश्नौरवदिन दापितान्यासनानि | atcfasray निषष्ा was दितः aia: | कथितस- gut: प्रकाथचितस्चात्ममश्च तेन सह athena: क्ुमाराभ्बां परितुष्टः कर्मविल्लासः जिश्तितमनेम मम तावदपष्याखेवनमिव ग्याेश्पचयद्ेतुरेष Wit इष्ट एव मथानेकशः Ya तल्मुन्दर- मेततंपकं यदनेन awratan मंनातेति Faw प्रशतिरिथं ममानादिरूढा वतेते | aga योऽ खखानुङ्ूलस्तस्य मथा aaa

२९४ डपमितिभवप्रपच्चा कथा |

भवितव्य यः gata प्रतिकूशो निर भिख्वङ्गतया मया aw सुन्दर वर्तितव्यं यः पुनरनमेक।न्ततस्यजति मयापि सर्व॑या ahr एव तदेवं fea निरौच्छ fade garetts प्रति चेष्टितं यथोचितं करिग्यामोति। विचिन््याभिहितं कमेविलासेन भो agt सुन्दरमनुषटितं भव्यां यदेष wie: प्राणत्यागं विदधामो धारितो मेचौकरणेन पुनः सुन्दरतरं | शौरखण्डयोगतुखयो fe वत्छयोरनेन साध सम्बन्धः

अङ श्लमालया चिन्तितं wet मे धन्यता भविख्यत्येतस्घ- way मम यथाथ नाम यो छस्य स्यशेनसछानुकूशः ममा- त्यन्तवक्षभः एव मां वर्धयति पालयति मदौयद्ेशफणं चानुभवति नेतरः बड़ श्योऽनुखतपूरवेमेतन्मया एष मदौयः खलुरेनं प्रति मुखरागेण aaa wet ततो भविखति मनोरयपूतिरिति। विचिन्ध तथा बां प्र्यभिदहितं। we सुन्दरमनु्ठितं | श्रवियोगो भवतु भवतः सुमिजेणेति |

gugeat चिग्तिति। सुन्दरः awa मम तनयस पापमिज्रसम्बन्धः रिपुरेष परमान कारणमनयेपरन्पराथाः | श्रयं ममापि सहजो वतेते कदयिंताहमनेन awa: पू नादेव मयास्य सदावस्धामं | केवखमे तावान चिन्तशन्धारणा- wa यदेष मदौयपुजोऽसुं प्रति बुखच्छायया ुष्टिविकारे farm दव च्यते ततो प्रभविव्यति प्रायेण ममायं पापः। यदिवा wad किं भविग्यति विषमः खल्वेव दुरात्मा इत्या चनेक विकस्पमालाकुलमानसापि गमरौरतया मौभेनेव स्थिता

wala: Weta: | Rey

WHEAT अान्तरे संजातो मध्याः उपसंइतमासखान | मताः सर्वेऽपि खस्छानेषु

ततस्तदिनादारभ्च प्रवर्धते बाखस् स्पशनेन सइ Gua: | चकितज्िष्ठति सर्व॑या मनोषौ a गच्छति विश्रम्भं स्यशनस्त॒ षदा- afafeana कुमारयोरग्तबहिश्च पाञ्च सुश्चति। ततः पर्येटन्ति ते afer एव नानाश्ानेषु क्रौडन्ति विविधक्रौडामिः। ततो मनोषिणा चिन्तितं कोदृशमनेन स्पग्रनेन ay विरतां स्व॑ना- विश्रथचिन्तानां सुखं चेष तावद्थापि सम्यग्‌ wend कद्र wer एति चाश्नातपरमार्थैरेष निर्धारयितुं qed a wea तदिदमन प्राप्तकालं | गवेषयामि तावदस्य aes! ततो विश्वाय यथोकितमाचरिग्यामोति श्ापितः बिद्धान्तः। ततः समाह्कतो रहसि बोधो मामाङ्गरचः | श्रमिहितखासौ az ममास्य स्यशेनस्योपरि महानविश्रम्भः। तदस्य मृष्छश्रदद्धि खम्यगव- aa भनोत्रमावेदथ | बोधेनाभिडितं यदाशन्नापथति gat इति | faint बोधः | ततोऽभ्यस्तममस्तदेश्रभाषाकौश्रलो बडविधवेष- विर चमाचतुरः सख्ञाभिकायंबड़्‌कष्लो लभलच्छो ऽनुपलच्छयश प्रडि- तस्तेना्मौयः प्रभावो नाम पुरुषः प्रणिधि. ब्रादिष्टश्चासौ mga ततो विविधदेगेषु कियन्तमपि काशं प्ख समागतः सोऽन्यदा प्रविष्टो बोधसमौपे। विडितप्रणमो निषणो तले बोधेमापि fauratfeat प्रतिपल्िममिरहितो sat भद्र व्णयातियट्न्ताकं |

प्रभावः प्राह यदाज्ञापयति देवः। श्रस्ि तावदहमितो 29

Rd परमितिभवप्रषच्चा कथा |

भि्गेत्य गतो बरहिरङ्गवु arene wait मया तच प्रख्धत- रट्निगन्धोऽपि ततो गतोऽहइमन्तरङ्गेषु जनपदेषु तज दृष्टमेकज्न मथा भिक्षपन्नौकण्यमाकौेणे समन्तात्कामादिशरटेनिं- वाखः पापिष्ठलोकानामाकरो fauna हेतुरकश्याणपरण्व- रायाः waar aaa विततेन तमसा रहितं प्रकाश्रखेडनापि राजसचित्तं माम मगर तच चृडामणिद्चरटचक्रख कारणं खमस्तपापट्न्तौमां UA: कुश्लमागेगिरेः दुर्नयः श्रक्रादषेनाम- तुखबखपराक्रमो रागकेषरो नाम ATH: | तस्य चिन्तकः सवप्रयोजनानां श्रप्रतिहताश्चः समस्तख्ानेषु निषुण्णो अगदश्रगैकर णश हताभ्वासो जन्तुविमोहने पदुवुद्धिः पापनोतिमागेषु अनपे: खकार्यप्रटृन्तौ -परोपदे शानां निकिक्समशराश्यभारो विषया भि- लाषो नामामात्यः। ततस्तस्िन्लगरे धावद राजङ्ुलस्याभ्वणे- भूभाग प्राप्रस्तावदकाष्ड़ एव सभुश्षसितो awe: ateree: | निर्गच्छन्ति घोषयता बन्दिटन्देन प्रख्यापितमाहान्या aterfz- मरनरायिषिता मिश्याभिनिबेशादयो wate: सखम्दनाः। पूरयन्ति गजलगजिंतेम दिगन्तराणि राजमागमवतरन्तो ममवादवः करि- वराः | चिता हेषारवेण बधिरयन्तो दिकूशक्रवालमन्नानादषो बरवा जिनः | विराजन्ते ग्टहोतनानायुधा रणश्ण्डीरतया वखा- मानाः पुरतो धावन्त्ष'पलादयोऽख्ष्येयाः पदातयः ततः कन्दर्प्रयाएकपटदश्रष्दाकणंनसममम्रं खरपवनपे रितमेचओआखमिव चणमाजेेव विशासष्वजमालाकुशं विष्बोकशङ्ख्कादल्लाष्वनिपूरित- दिगन्तरं भिशितमपरिमितं ae) ततस्तद वशो क्य मया चिभित।

zara: Geta) ` २२७.

we किनेतत्‌ गन्तुमिव ven: कचिदयं राजा. शच्छते + ` तत्किमस्य गमनप्रधोजनमिति | यावदितरकाङ्घलस्िष्ठामि aaget मवा प्थेन्तदाङणः खरूपेणाद धकः संसार वैचिच्यस्य बोधकोऽविद्षां निवंरगमिरविवेकिनामविन्नातश्लरूपो निर्विवेकैसरष्टेव . विषया- firerra मन्तिएः सम्बन्धो विपाको माम पुरषः। ततः प्रिथसम्ा- वकपूरवैकं षष्टोऽसौ मया भद्र कथय किमस्य नरे खस्य प्रस्धाम- कारणं कुहं मे विपाकेनाभिहितं wa यद्येवं तत समाकर्व

पूर्वमिह कचिद्वखरे सुग्टहोतमामधेथेन देषेम रागकेसरिणा- भिदहितोऽमाल्यः। यदुत ara विषयामिलाष तथा कथचिदिधेडि यथा मम समस्तमपि जगत्‌ किङ्करतां प्रतिपद्यते मन्िशमि- fea | थदाश्चापयति देवः। ततो नान्यः aface रानादिष्ट- प्रथोजनष्य निवेतेनखम इति मनसि पर्यालोच्य किं वाभान्येन साधनेन बहना afiaa साधयिव्यन्येतान्येवाचिषधवोर्यतथा प्र्ठतप्रथोजनमिति संजातावष्टम्मेन मन्तिणा माठमसुरक्रभक्ताजि विविधस्लानेष frasarverin wifafa शत्यतया लसजयपता- कानि जनददथाकेपकरणपदूनि प्रत्यादेशः शूराणां प्रकषेखटणामां निंकषश्मिः परवश्चनचतुराणां परमकाष्टा साहसिकानां मिद शं दुर्दाग्तानामाक्रौयान्येव writs पञ्च atts मानुषाणि प्रहितानि अगदश्नीकरणाथै॥ ततो मया चिन्तितं। श्रये मं wine areata विपाकरेनाभिहितं ततो वितते जगति विचरद्विसेवं शौ तप्राथं भुवनं वतेते ofeane

RRC उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

रागकेखरि किङ्रतां केवकं महासश्यससमुदायानामोतिविग्रेव इव तेषाश्ुपद्रवकारो श्मुत्थितः श्रयते किंञ्च कञ्चित्‌ शग्लोषो माम az: | निर्वाहिताख तान्यभिश्चय किल किषन्तोऽपि शोकास्तन प्रेथिताख देवभुक्तेरतिक्रान्तायां fast नगर्यामिति शरूयते ततो मथा चिन्तितं व्यमिचरति मनागथमर्यो यतोऽस्माकं खमखमेव मनोषिबालयोः qian fasat नगर्या भवलजन्तोगंमनं सदागमबलेमाख्यातं | श्रयं तु स्यशेनादोन्यभिग्धिय सन््ोषेश जिर्वाडिता wtat: arfaarg जिटैतौ नगर्यामिति कचति | तत्कथमेतत्‌ | अथवा किमनयाकाण्डपर्याशोखनया ्वहितस्तावदा- कणंयाम्यस्छ वलनं पञ्ादिचारयिश्यामि विपाक्ेनाभिडितं | ततोऽयमाप्तशोकञ्चुतेराकषितोऽ देवेन रागकेशरिष्ण स्रनाच्च- भिभवव्यतिकरः ततोऽतिदुःखडमभ्रुतपूवे खपदातिपरिभव- TTS कोपानलजनितरक्रलो चमु गलेन विषमस्फरिताधरेण कराशग्ङ्टिभङ्गकुटिलौरुतशलार पडेनाबद्ध निर न्तरस्छेद fant

जिदेयकरामिहतघरणो प्ष्ठेन प्रलयश्वलनभासुरं रूपमाबिथतामषे- वश्रपरिरूखलद चनेन देवेन रागकेषरिणान्चापितः परिननः wt ल्वरितास्ताङ्यत प्रयाणएकपरटद्ं सष्नोङ्ुरत चतुरङ्ग ae परि- जनेना भिहित | यदान्ना पयति देवः | ततस्तथा देवमायश्तमागस- मवलोक्य विषयाभिलाषेणाभिहितं देव श्रश्लमवेगेन किया- नसौ वराकसन्तोषः श्रस्यानमादरस्ठ शशु केसरो लोणा- दशितजिगण्डगलितवरकरिनिकरो इरिणं व्यापाद्चतयोददिश्वायस्त- चिन्नो भवति देवेनाभिदितं | सखये सत्धमिदं ¦ केवलं awar-

SALT: प्रावः | २९९

मुषकद येना gaat दृढमुदेजितास्तेम पापेन सन्तोषेण Se तमनुग्यूख मम मनसः सुखासिका संपद्यते मण्तिणाभिडहित | देव स्तोकमेतत्‌ | gaat संरम्भः | ततस्तदचनेन मनाक्‌ खखौ- भतो देवः waand गममो चितं खापितः पुरतः खेदसलिल- पूणः Rae: कनककशशरः | घद्ोषितः केणिजश्पनामको sama: | गौतानि चाट्वचनादौनि मङ्गलानि प्रहतं रतिकलरनामकमुहामातो्टन्दं निवैतितान्यङ्गरागयवणादौोनि समस्तकौतुकानि | eat रथावरोहशाथे देवः swam खतमनेन | श्ये दृष्टो नाप्याषृष्टोऽद्यापि मया तातः | wet मे पम्रमन्लता WE मे दुरविनौतता श्रो मे तुच्छेन खश्पप्रयो- जनेऽपि पर्याकुला यत्तातपादवन्दनमपि विख्मृतभिति ततो नित्य चजितसहगेाथं देवः मयाभिहितं | भद्र कः पुनरस्य तातः ततो विषाकेनाभि-

हितं आयं श्रतिसुग्धोऽसि यतस्छमेतावदपि जानौषे। यतोऽख्छ देवस्य रागकेसरिणो बालाबलादौनामपि सुप्रतौतोऽनेकाह्रुतकमां भुवनचयप्रकटिताजिधानो महामोहो जनकः तथाहि |

महामोहो जगते भ्रामयत्येष whee |

श्रक्रादयो जगश्नाया ae किड्रतां गताः

अन्येषां शष्ट्यनौड शोर्यावष्टम्भतो नराः |

श्रां मग तु जगत्य महामोहस्य केचन

बेदान्नवादि शिद्भाग्ते परमात्मा यथा किल |

खरा चरस्य अगतो व्थापक्ेन यते

२९०

उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

- मामो इस्तयेवाचं अवर्धं awe |

इषाद्यग्रेषणोकानां व्यापकः Tete: ti तत॒ एव प्रवर्तन्ते चाज्ति तच पुनज्ैयम्‌ |

सवं जवाः परे पुंसि यथा बेदाशवादिनाम्‌

ALAA तथा शवं AISA: | लौोयन्तेऽपि ata परमात्मा वतेते

अन्यथ | यजन्ञातपरमार्थोऽपि बुद्धा सन्नोवनं सुखम्‌ | इङ्ियेर्बाध्यते जन्तुर्महामोदोऽज कारणम्‌

muta सवंश्राख्ञाणि नराः पण्डितमानिनः | विषयेषु रताः सोऽयं महामोहो विकृते Senay: कषायवश्वर्तिनः |

(ST SRT STN TET ह्रासम्‌ ` अवाप्य मानुषं Hy WeyT जेनं भासनम्‌ | यत्तिष्ठति ग्टहासक्ा महामोशोऽब कारणम्‌

विश्य महामोहः qalae भिराङ्लः | कांसिद्िडम्नयल्युशचेवेतिभावस्धितानपि tt मनुख्ललोके Wars तया देवाखयेष्वपि ` विशसल्येष महामोहो Tawa ययेच्छया सवंया मिज्भावेन गाढं विभव्चेतसाम्‌ Sif वश्चनं यच्च महामोहोऽच कारणम्‌ fanal निजभर्तार परित्यन्य gufee: |

दृतौ यः प्रस्तावः | RRL

परेषु ANIA AACS तत्फलम्‌ | fade इंशमर्यादां पारदार्थऽपि aac: | वतन्ते विखसन्थेष महामो इमहामृपः यत एव खसुत्पश्ञा MAY YOUTH | ufaget Jawa वशे Ase नराधमाः अनार्याणि तथान्यानि यामि कार्याणि करिंचित्‌ | खौर्यादौनि विष्लासेन तेषामेष प्रवर्तकः इत्थं RASA: परिपाद्य जगच्रयम्‌ टृद्धोऽहमधुमा युकं कि ममेति विचिनध # पाश्वंखितोऽपि शक्रोमि वोण परिरक्ितुम्‌ | ATHY पुराय राव्यं यच्छामि साश्मतम्‌ रागकेखरि्णो दत्वा ततो राश्यं विचच्चएः | महामोहोऽधमा खोऽयं शेते fafgerat गतः तयापौदं HTT WATTS महात्मनः | तस्येव वतेते गुनं कोऽन्वः VEG TIM: तदेषो हूतकतब्यः प्रसिद्धोऽपि wre मरहामोदनरे स्ते कथं प्रष्टव्यतां गतः ततो मयाभिहितं | भद्र कतेग्धोऽज भवता कोपः पथिकः wey) ary मयापि महामोहः पूर्वै सामान्येन पुनर्विशेषतो रागकेसरिजनकतया | तदधुनापनोतं HATTA ATT | तदुन्तर- DHTMAAMA TAA AX: विपाकेनाजिडितं ततो गतो देवः wht जनकपादमूखं |

RRR उपमि तिभवप्रपद्चा were |

qeista तमःसश्चकेम लम्बमानेन yayea अविधा भिधानया प्रकन्पमानया गाजयश्चा अराजोणेकायसष्णा भिधानायां वेदिकायां विपर्यासनाख्ि विष्टरे महत्धुपविष्टो महामोहः ततः शितितल- विन्यस्तहस्लमस्तकेन शृतं देवेन पाद्पतने अभिनन्दितो aw- मोदेन | निषोदतख्च wae देवस्य दापितं महामोरहेनासनं | उपविष्ट जनकखश्मुमवचनेन देवः ver शरोरङ्ग्रखवार्ता faafeaq प्रद्डतव्यतिकरः ततो महामोद्ेनाभिदितं gy ममाधुना अरद्चौवरस्येव ufyat wat वतैते ततो मदौय- wave पामापरिगतमूतरिव wwe यद्वाद्मते ae) ततो युक्तं मयि तिष्ठति भवतः went कतुं तिष्ट लं विपुखं cre विदधानो facrguafen: | अहमेव प्रस्वुतप्रयोजनं साधयिथा- मौोति। देवेन कर्णो पिधायामिहिते। तात मा मैवं वोचः | श्रान्तं पापं। प्रतिहतममङ्गशं अनमतकश्पस्छायि भवतु ata Wi खश्च युश्रदौवश्ररोरजिराबाधामाजपरितोषिकि किङ्रजनेऽस्मिश्ेवमा ज्ञप यितुमहति तातः तत्किमनेन asa गच्छाम्यहं शअरसुजानोत धुयं महामोहः ATE! जात मचा तावङ्न्नव्यमेव भवतस्तु केवलमवश्ानेऽनुन्ञेव्यमिधायोत्थितो महा- मोहः ततो विश्चाय fadai देवेनाभिदितं। तात aga ततोऽहमपि तातपादामुचरो भविथामि प्रतिरूखलनोयस्तातेन | महामोहः ATE! भात एवं भवतु खश वयमपि भवनतं मोक चणमपि पारयामः | केवखं Tere vated मन्तितम- wif: | तदधना खन्दरमिदं जातेन afer देवेनामिहितं |

SAT: VENT: | RRR

महाप्रसादः | ततस्तातोऽपि प्रसित इति wifad समस्तनरेष््राणां देवेन प्रवर्तितं निः्रेषं विशेषतो बशं ततः खयमेव महा- मोहमरेन्द्रो देवो रागकेखरो विषयामिलाषादयख wt मण्ति- महन्तमाः सवेबलेन सन्तोषचरटस्योपरि वियद्ेण चलिता इति वार्तया चुभितमेतत्‌ समन्ताद्राजस चित्तं नगरं ससुल्लसितोऽयं बलः कलकलः |

तदिदं भद्र अरस्य नरेन्द्रस्य प्रस्ानप्रयोजनमिति | एतच्चाति- gavfed भवन्तमालोक्य मया निवेदितं इतरथा तित्वरया मम वचनमाबोच्चारणोऽपि नावसरोऽस्ि यतो ममा परानोके नियमः | मयाभिहितं ara किंमच ama | परोपकारकरणव्यग्रा एव सत्पुषा भवन्ति ते fe परे fra कतुसुद्चताः शरिथिखलयन्ति सखप्रयोजनं कुवन्ति खशुजोपाजितद्र व्यथं विषहन्ते विविधदुःखानि ग॒ गणयन्धात्मापदं ददति मस्तक प्रक्रामन्ति प्राणान्‌ | परम्रयो- जनमेव fe ते खप्रयोजनं मन्यन्ते | ततैव विधैमदौ थवचनेमेनसि परितुष्टो नमामयिला मदभिश्ुखमोषदु ्तमाङ्ग ब्रजाम्यहमधुने- त्थभिधाय हतप्रणामो मया गतो विपाकः

मया चिन्तितं साधितप्रायं मयाधुना राजकायं यतः NAY मूलप्र दधिसुपशभ्य भवत। गन्तव्यमे तावानेव मम राजादेशः | तज थावन्तोऽनेन विपाकेन auaretat gor afta सवं तज QUA घटन्ते | ममासुभवबिद्धमेतत्‌ | वस्मादेतदुपवितिमानुष- पञ्चकस्ताद्योऽसौ भविष्ति war मया तस्य मूखाद्धिः |

केवख्रमेकं सन्तोषव्यतिकरमध्ापि नावगच्छामि | एतावश्च वितकं- 30

२९७ उपमितिभवप्रपश्चा कचा |

यामि। सरागमानुचर एवाथ afagfata अन्यथा पूर्वापर- विड्द्धमेतश्छात्‌ | sua किममेने गच्छामि तावत्‌ afa- पादमूलं | निवेदथामि यथयोपलगधदश्षान्त ततो देव एवा यथो चितं विन्ाष्यतौत्यालोच्य समागतोऽहं waaay देवः प्रमाणमिति बोधेनामिदितं are प्रभाव साध्‌ सुन्दरमशुहितं भवता ततः सदेव प्रभावेण प्रविष्टो बोधः कुमारसमौपं | हतप्रणामेन निवेदितः कुमाराय समस्तोऽपि प्रभावानौतवार्ता- इक्ाग्तः परितुष्टो amet पूजितः प्रभावः

श्ष्टोऽन्वदा मनौविणा aia: | यदुत भद्र किं भवतः सदागमेनेव तेन भवजन्तुना सुमिजेण सह विरहः संपादित उत तज कञिदन्योऽप्यासोदिति स्य््नेनाभिहितं श्राय श्रासौत्‌ केवखमणशं तत्कययथा | खश्वह भय वितथा तस्य ACHAT नामाय्ार यितु शक्रोमि हि खदागमरख्य Fre भवलन्ो- “das ददाति मत्कदथेनविषयं तु AMAA: कूरकमां नामाधातनाभिः erarat कदयेधति भवनन मन्तो fayge- धति तेनेव we शरोरप्रासादाज्िःसारितो aang fest wet प्रापितः एव तज कारण पुरुषः सदागमस्य केवल- मुपरेश्रदाने BUT मनोषिशाभिदहितं 1 we fa veri. धानं स्यशमः ae) कथितमिदमाथंस्य मथा मारं भयाकुल- तथा तदमिधानमुश्वारथामि अत एव gaat मया awa तदाख्यातं कि चातिपापिष्ठोऽसौ ततोऽलं तन्लामग्रदणन | पापिष्टठजनकथा fe freer पापं वधेयति ant दूषयति

तपे बः WHA: | RY

साषवमाधन्ते मगो विज्ञावयति धमबुद्धिं घ्वंसयतौति। मनौ- षिष्टाभिहितं तथापि aware तद्मिधानखरवणेऽखराकं लाखादभ्बरां Waray भवता aga विधातय्यं मामयदए- ave किंचित्पापं wiaftan सुखदाः संपद्यते ततो विश्वाय निर्बन्धं तरखिततार दशापि दिश्नोऽवलोकयता श्यशेने- मामिचितं श्रयं ada ततः सन्तोष इति ae दुर्नामकख्छ नाम मनोषिणा चिन्तितं सम्यद्पलगधा मूखषःडधिरस्य स्ये WS प्रभावेण यतः सन्ोषव्यतिकर एवेकस्तजाचटमानक आसौत्‌ | सोऽणधना जरितः सम्यक्‌ मया पूवे वितकिंतं यथा सुन्दरः खश्वेव ie: प्रायेणेति यतो विषया मिला षप्रयुक्रोऽयं शोकवश्चन- wae: पथेटति | तदशोभन एवायं तथापि प्रतिपश्नोऽथं मथा मिभतया दर्ितो बददिन्डायथा Gena) क्रौडितमेकण बहकाखं तस्मान्न युक्रोऽकाण्ड एव परित्यक्तु केवलं विश्चात- weture मयाधना सुतरां कर्तव्यो fest नाचरितग्य- HUTS ग॒ समपेणोधमात्मखरूपं निवेदनोयं gy नापि दश्ंनोथो बरहिभावः। विषमप्रटतिरेष वतते ततोऽनेन ay थापनया वतितव्यं पूरवख्थित्येव पर्थरितव्यं way afean कर्यं चात्रौयप्रयोजनाबाधकमश्छ वचमं केवशलमभिव्यक्रोऽस्योपरि कार्थो मथा erage सवथा परित्थागावसरो भवति एवं वतेमानस्य मे भविख्यव्येष बाधक इति श्यापितो मनोषिणा खरेतसि सिद्धान्तः | ततः पूरवखिल्येव विखसन्ति ते स्य्रनमनोषि- वाशा नानाख्छानेषु wafer दिनानि

aed उपमितिभवप्रपञ्चा क्या।

. अन्यदा स्पशेनेन शतो जण्यप्रसलावः | अभिहतं aa अरे किमच शोके सार किं वा aa जन्तवोऽभिखषन्ति। ae नाभिदहितं वस्य किमच maa सुप्रसिद्धमिदं Gr: द्ध कथय किं तत्‌ बाखो जगाद वयस्य सुखं wie: ATT! तत्‌ किमिति तदेव षदा सेव्यते waaay | awe सेवनोपाथः | TUNA WE बालो जगाद कथं wie: are) अस्ति मे योगशक्किः। तयां afeat श्योरमनुप्रविश्छ afvong त्वचि लौनल्िष्टामि। any a यदि भक्रिषुरःखर मामेव ध्यायन्ति कोमखखललितस्य शरेसम्बन्धं दुवेन्ति ततो निङ्पमं सुं शभक तेनाहं सुखसेवनस्योपायः | मनोषिणा चिन्नितं | we रचितोऽनेनावयोवंश्चनप्रपञ्चः | बालेनाभिदहितं | वयस्य afte मिधन्तं कालं मावेदिवमिदमस्माक aut वञ्चिता वथमधन्धाः खश्धयेवं विधे gata तदमासेवनेन श्रो ते गशौरता यदेवं विधामपि योगगशक्तिमात्मनो प्रकटयसि | तदिदानौमपि ङु प्रसादं देय Favs Marta योगश्रक्रिं भवावयोः छखसेवन- हेतुरिति ततः किं करिथतामेतदिति efefaartea eter साकूतेन facifed मनोषिएणो वदनं aita ततः ware किं तावत्‌ करोतोति afew मनोषिणामिडहितं cea. क्रिवतां कालभ ।वितं atss विरोधः ततः स्यशनेन विररितं पद्मासनं facia: कायः परित्यक्तो <afefada: निंखलोहता gfe: समर्पिता नासिकाये निबद्धं इत्पौ ष्डरोके ard.) एता धारण SAAT तस्मत्ययेकतानता | समा पूरितं wrt निरुद्धाः करशटडकवः।

SAT: GATT | RRe

stfaia: weage इवायंनिर्भासः। dara: समाधिः. | fafeatonuinea: संयमः waaay असुप्रविष्टौ am- विबाशयोः wat श्रधिष्ठितः स्ञाभिदहितमेदश्षः। विक्ितौ मनो विवाखौ | want इयोरपि कोमशस्यर्च्छा

ततो वालो agi श्यनानि खुखाम्यासनानि कोमलानि वसनानि शअ्स्थिरमांसत्योमसुखदायोमि संवाहनानि शशितलखना- माममवरतसुरताभि खलु विपथंस्तवौर्थाणि सुखस्यशविलेपना नि अन्यानि सोदतेनख्ानादौनि wiafienfe गद्धो मूर्दिंतः सतत- मासेवते | ay श्यनादिक भसमक्व्याधिरिव wear qa: समससुपर्शुकरे | बाणस्य तु गाद्धेव्याि विडशौग्तचिन्सस्य सन्तोषरूप- स्वाखुधाविकखतया पामाकण्डुयन्‌मिव पर मा्ेतशलदुःखकारणनेव तथाप्यसौ विपथांखवगरेन तदुपभोगे षति चिकथति। wit मे सुखं wet ले परमानन्दः। ततो मिथ्याभावनया परमसुखसन्दभगि्भरः fearefafa दथा निमौखिताखोऽनास्येयं रसान्भरमवगाइते

मनोषौ quaguiegral प्रवतमानायामेवं भावति | अये स्यशेनल नितोऽय मम विकारो खाभाविकः परमरिपुखायं मम वतैते खुनिर्णोतमिदं मया ततः कथमयं सुरेतुभै- frafifa मला तदनुकूशं किंचिद चरति | श्रथ कथं चिक्रति- पशोऽथं भिचतयानुवतेनौयस्तावदिति भावनया काल्यावनां guieazcagenta किं चिदाचरति तथापि aw शौश्यरोग- विकशचतया सन्तोषाग्टतस्ख्यो शतमामसष्य रोगरदड्दितश्ररौरस्येव grey वष्छयना दि कमुपञुच्धमानं सुखमेवोत्पादथति तथापि

3 उपमितिभवप्रपश्चा wut |

ark awfiay विधन्ते। ततो भवत्यामामिगोऽपि दुःखद्यावन्धः अन्यदा weeps: wie: | अभिडितोऽनेन are: आपि

wae मदोयपरिभ्मस्छालि fated शंपशजणे कञिदुपकारः। | ae: TE) श्खेऽनुग्टहोतोऽन्ि दितो ममाचिगधाद्धाद- खन्पादनेम भवता साचात्छगः | अथवा किमभाख्ये | परार्थमेव निर्भिंतख्छमसि विधाचा तथाहि |

पराथेमेव जायन्ते SR गूनं भवादृशाः |

मादृशानां तु बन्भूतिख्खकषसादेन साथिका

ददं fe तेषां सौणन्यं aera सर्वदा |

परेषां सुश्वरेतुल प्रपद्यन्ते नरोत्तमाः

quan चिन्तितं wa सपन्स्तावदेष मे नि्यंमिचारः

किरः : प्रतिपद्यते मथादिष्टमेष wa भतं श्वेतं wafafa fafan< एवं विचिनध anaarfafed sae vata गः प्रथोजनं चरितार्योऽहमिदानों भवदुपकारसंपश्ेति |

ततो मनो षिखमौपसुपगम्धाभि हिमनेन i we किं सायकः भवतोऽचेखन्पा दमेन ata: प्रयास उत नेति मने विष्टो भद्र किमनोष्यतां | अनाख्येयस्तावकेऽतिश्यः wits ffir | wa खाभिप्रायकमेतत्‌ दुष्टः ewe मनोषौ शक्ते मादू रश्नयितु ¦ शचितोऽहमनेन Geum: प्रायेण तस्मास्धल्ब्य एव तावदा स्तां गाज बडविकत्यनं ओयस्करमिति fate wire हता Quay काको दितो सुखविकारोऽपि शितो मौनेभेति

तोयः wera: | RRE

aq बाखेनापि खमात्रक्षश्खमालायाः कथितः षमस्तोऽपि सरभसेन यो योगश्रक्रिटीपनपुरःसर सुष्सन्पादनसामथ्यलच्णः सफशेगव्यतिकरः | शद्ुग्रलमाशोवाच शात सूचितमिदमादाेव मया यया सुन्दरस्तवानेन वरमिजेए साधं सम्बन्धः हेतुः सुख- परणन्पराथाः | किंच whe ममापौदृ्ौ योगशक्रिरिति दशे- यिवाम्यहमपि जातस्य gawd) बाखस्दरवाच यद्येवं ततो बड्तरमन्नायाः प्रघादेनास्माभिरधापि zea) अङ्ुश्रणमाशो- वाच | ARENT भवता यद्‌ प्रयुच्छते योगश्रक्िरिति wag मनौषिणापि खमालुः शएभसुन्द्थां मिवेदितः सर्वेऽपि

quasar: तथाभिदहितं वत्छ शाङस्तवानेन पापमिभेण सह संसगः कार एमेष gauge: मनो विणाभिदहितं | सत्थ Bay | केवलं RAAT भयमम्नवा शचितो मयायं खङूपेण | wee यन्नवतोऽपि वञ्चनगोचरः केवलमस्य परित्यागकालं प्रतिषाश्जयामि यतः प्रतिपन्ोऽथं मया भिज्तथा ware एव हातुं BE) इटभखुन्द्येवाच जात सुन्दरमिदमनुष्ठितं भवता | अहो ते लोकश्चता wet प्रतिपश्नवाखखद्डं श्रो नौतिपरता wet TATA श्रो श्र्थातिरेकः तथाहि

भाकाण्ड एव gyfer सदोषमपि सवनाः |

प्रतिपन्ं ग्टहष्यायो तजोटाइरणं fam:

प्रतिपन्नमकाश्े तु सदोषमपि awa |

fre: सातां मध्ये तज्नासौ सखाथंसाघधकः

यस्त॒ मूढतथा wea masts परि्यजेत्‌ |

age उपमितिभगप्रपश्चा कथा |

सदोषं खभते तस्मात्‌ सख्यं नाच संशयः

हेयबुद्या गटहोतेऽपि ततो wath बुद्धिमान्‌

तत््यागावखरापे्ो प्रशंसां णयुमरति

कमेविलासराजस्त॒ महारेवोग्वां सकाशा कुमारब्यतिकरमा-

aq परितुष्टो मनोषि्णे दष्टो बालस्य चिन्तमध्ये बार्नापि ततः प्रति meat कोमखश्यनसुरताद्यासेवनानि श्यश्रेनमिथाख्ि दिवानिश्रमाचरता often राजकमारोचितः ग्रषव्यापारः परि- इतं 2ेवगरूपादवन्दनं fagn कलाग्रडणं शि थिशोहता ewer शङ्कत: agua: ततोऽसौ गणयति शोकवचनोयतां रति QaawE जानोते qataqrant मापेचते gweqw wuts सदुपदेशान्‌ | केवलं aw कुचचिन्‌ भारोग्यनमास- nave किंचित्कोमश्सुपलखमते तथ तजाविचाये awed लौखा- तिरेकेण प्रवतत एव ततो anal संजातकर्णशद्शं भिख्यलि स्यश्रंनख्य qaufgaes वश्चकोऽयमिति दौपयति waaate विश्वखषनोयं परमरिपुरेष ana इति तं are पुनः पुनखोदयति | वाख: प्राह मनौ पि्ञरूमनेनादृष्टायन प्रलापेन एव जे वर- वयच्योऽनन्ता गाधसुखसागरावगाहने हेतुः एव ते परमरिपुरिति केषा भाषा मनषि चिन्तितं मूढः wea weet निवार- यितुं अ्रतोऽखमेतन्निवारण्ठेन | खरख्णे मया यन्नो fade: तथाडि।

अरकावेवारणोदयुक्तो मूढे थः परिखिद्यते |

वाज्विस्तरो इया तस्य भसमन्यच्याहतियेया

नोपदेशश्रतेनापि मूढोऽकार्थाजिबल्यते |

SAT: VN: | २७९

Matawan राङर्वाक्यिनिवारितः . mara दु विनोतेषु प्रृत्तेु ततः दा |

किंचिदुपदेषटव्यं खता कार्थावधौरण्णा waaay wa fer हिला बालस्य ग्िचफएम्‌ | wardacatgm मनोषौ मोगमाजितः

Urey तस्येव कमं विललासस्य राश्नोऽस्ति सामान्यरूपा नाम देवौ तच्लाख्चाभोषटतमोऽस्ि मध्यमबद्धि्माम दारको वह्नभतमो ante area: | क्रोखितस्ताग्वां ay wate काशं प्रयोजन- वश्राद्राभादेग्रेनैव VIM गत ॒श्रासौत्‌ तदानोमागतः, दृष्टौ मनौषिबाखौ ay स्यशेनेन श्राशिङ्गितस्ताग्यां aaa ततः सकौतुकेन मध्यमनुद्धिना कभ निधाय वदनं vet बालः कं एष इति faafeat aradare यथा स्यगननामायमचिन्य- प्रभावोऽखमन्छदहचर इति | मध्यमनुद्धिरूवाच | कथं ततः कथितो aren सौऽपि व्यतिकरः deat मध्यमबुद्धेरपि खपशेस्योपरि aera | बालेनाभिदितं भद्र aia cine aaa माहवं UN: प्राह एष दश्ेयामि ततः प्रयुक्ता योगश्चक्तिः हतमन्तधानं अ्रभिषटितं मध्यमबुद्धेः wot विस्मितो मध्यमबुद्धिः। प्रत्ता कोमलस्पर्ंच्छा | उपयुक्रानि लखितश्रयनपुरतादौनि | संजातञ्धिन्ताह्वादः। प्रोणितो मध्यमबुद्धिः। प्रकटोग्डतः aie: | प्रष्टं खप्रयाससाफद्य | अनुग्टहोतोऽह भवतेति निषेदितं शरभसेन मध्यमबुद्धिना ततः पाचश्छतोऽयमपि दूरयायौ वतत इति विचिन्तितं quite

31

zee उपमित्तिभबप्रप्चा कथा

मनौषि्ण चिन्तितं वश्नौहृतप्रायोऽथमपि मध्यमवुद्धिरनेन पापेन quay sat यचयुपेदशरं खाति ततः जिकखयाम्येमं मा wee सुग्घतयथा वराकश्य वश्चनमिति॥ ततो रहसि मध्यम- बुद्धिरभिहितो मनौषिणा भद्र भद्रकोऽयं शशेन: विषधा- भिलावप्रयुक्रोऽयं लोकानां aan: पर्यटति मध्यमनुद्धिङ्वाच | कथं ततः कचिता मनौषिण बोधप्रभावोपलग्धा समसापि aw aia मूखश्द्धिः | मध्यमवुद्धिना fafa सखातुभवशिङ्धा मम तावदस्य aime सम्बन्धिनो वस्ता चिन्धप्रभावता सुख- Tam अ्रयमपि मनोषो नायुक्रभाषौ तन्न atta: fara an किं वा वथमेवं खिति ga इति अथवा किमनेन चिन्तितेन तावदम्बां प्च्छामि | तदुपदिष्टमाशरिग्यामौति | fafery गतः सामान्यरूपायाः समोपं हत पादपतनं afa- गन्दितस्तया जि विष्टः शितितले | निवेदितो यतिकरः ear पयो क्तं ay तावत्वयाधुना स्यश्रेनमनो षिणोदंथोरपि वचन- मनुवतेधतोभयाविरोेन aes खातं युक काशान्लरे पुनय एव बलवन्तः पचः स्यात्‌ एवाअ्रयण्णेयः | तथाहि |

संश्यापन्नचिन्तेन fae Ae सता | कायः कालविलम्बोऽ दृष्टान्तो मिथुनदवम्‌

मध्यमनुद्धिरूवाच | अग्न किं ara | सामान्यङ्पयोक्ं | पुजाकणंय |

अस्ति तथाविधं माम नगर तज जुनाम राजा ae पर्णा नाम महादेवो | तयोमंकरष्वनाकारो Yast नाम तभघः।

* The other Fasciculi of these works are ont of stock be Supplied Bigitized by

Markandeya Purana, (English) Fasc 1-9 @ 1/- each >. Rs, *Markandeyn Purana, Fase. 5-7 @ /10/ each .., ५१७ *Mimamsi 1) 87९५४. asc. 10-19 @ /10/ each sia oh Nyayavartika, Fasc. 1-6 @ /10/ each: won ०७७ " ene *Nirukta, Vol IV, Fasc. 1-8 @ /10/ each ese | oes ०५6 *Nitisara, Fasc. 3-5 @ /10/ each = ५९७ ee Nityicarapaddhati, Faso. 1-7 @ /10/ each . Nityacirapradipa, Vol, I. Faso. 1-8, Vol. II, Faso, 1-2, @ /10/ each .., Nyayabindutika, Fasc. 1 @ /10/ each *Nyays Kusuméijali Prakarana, Vol. I, Fasc 2-6; Vol. IJ, Fasc. 1-3 @ /10/ each 5४ eee Paduméwati, Fasc. 1-5 @ 2/- र" “a *Paricista Parvan, Fasc. 3-5 @/10/ each `... Prakrita-Paingalam, Fasc. 1-7 @ /10/ each ... ५२६, wer Pariksa Mukhasutra ive ५५५ Prithviraj Rasa, Part IT, Fasc. 1-5 @ /10/ each dee eae Ditto (English) Part II, Fase. 1 @1/-each .., ०९१ Prakrta Laksanam, Fasc. | @ /1/8 each

Paricarn Smrti, Vol. I, Fasc. 1-8, Vol. II, Fasc. 1-6; Vol. III, Fasc

1-6 @ /10/ each one oo Paragara, Institutes of (Wnglish) @ 1/- each ००७ Pariksamnukha Sutram se iss

Prabandhacintimani English) Fasc. 1-8 @ 1/4/ each

Rasarriavam. Fasc. 1-2 obi Sad

Saddargana-Samuccaya, Fasc, 1-2 @ /10/ each eee *Sama Véda Samhita, Vols. 1, Fasc. 7-10; IT, 1-6; IIT, 1-7; IV, 1-6;

V 1 {ध /10/ each aa eee ote ete Samaraicca Kaha. Fasc. 1-2, @ /10/ ‘a Si Sankhya Sitra Vrtti, Fasc. 1-4 @/10/ each .., ii 9००

Ditto (English) Fasc 1-3 @ 1/- each ०५९ ००४ *Sankara Vijaya, Fase. 2-3 @ /10/ each we oe ००५ Sraddha Kriya Kanmudi, Fasc. 1-6 @ /10/ each ०५४ vas Sragdhara Stotra (Sanskrit and Tibetan) an ००७ १०० *Sranta Sutra Latyayan, Fasc. 4-9 @ /10/ each see ०९४

*Ditto Asbnlayana, Fase. 4-11 @ /10/ each =` ००५ soe 87९18 Samhita, (Eng.) Fasc. 1 @ 1/- each ., eee on Suoddhi Knamndi, Fasc. 1-4 @ /10/ each on Dave *Taittreya Bralimana, Fasc., 11-25 @ /10/ each ०७४ ५५१

Ditto Pratisakhya, Fasc. 1-3 @ /10/ each she ०७७ *Taittiriya Sarbhita, Fase. 27-45 @ 110 / each = vee *Tandya Brahmana, Fasc. 10-19 @ /10/ each ०७७ seb Tantra Vartika (English) Fasc. 1-6 @ /1/4 =... eee

*Tattva Cintamani, Vol. I, Fasc. 1-9; Vol II, Fasc. 2-10: Vol. IIT Fasc. 1-2; Vol IV, Fasc.1; Vol. V, Fasc. 1-5; Part IV. Vol. IT

Fasc. 1-12 @ /10/ each ne Tattvarthadhigama Sutram, Fasc. 1-8 @ /10/ hae fas Trikanda-Mandanam, Fasc. 1-3 @ /10/ + Sia awe Tnl'si Satsai, Fasc 1-5 @ /10/ =... ve *Upamita-bhava-prapaiica-katha, Fasc. 1, 5-138 @ /10/ each ave Uvasagadasao, (Text and English) Fasc. 1-6 @ 1/- ००७ Vallala Carita Fase 1 @ /10/ # ' “oF eee Varga Kriyé Kaumndi, Fase 1-6 @ /10/ , ose *Vaya Purana, Vol. I, Fasc. 3-6; Vol. II, Fase. 1-7; @ /10/ each .., Vidhana Parijita, Fasc. 1-8; Vol. II, Fasc.1@/10/ =... sea

Ditto Vol. If, Fasc. 2-3, @ 1/4. iio ७०७ Vivadaratnikara, Faso. 1-7 @ /10/ each Sears =r Vrhat Svayambha Parana, Fase. 1-6 @ /10/ ... ade ००३ *Yoga Aphorisms of Patanjali, Fasc. 3-5 @ /10/ each = ,,, ०५७ _YogaSastra, Fasc. 1-2 ... ne

Tibetan Series, Banddhastotrasangraha, Vol. I ००७ one A Lower Ladakhi version of Kesarsaga, Fasc. 1-4, @ 1/- each ese Nysyabinda of Dharmakirti, Faso. 1 ose ५४९ ०५

Pag-Sam 93“; Tin, Fasc. 1-4 @ 1/- each ea

Rtogs brjod dpag hkhri 8/1 (Tib. & Sans. Avadafia Kalpalat@) Vol. I Fasc. 1-6 Vol. IT, Fase. 1-5 @ 1/- eac oF

Sher-Phyin, Vol. I, Fasc. 1-5; Vol. IT, Fasc. 1-8: Vol III, Fasc. 1-6

(@ 1/ each 9०७ oe Arabic and Persian Series.

Alamgirnamah, with ™dex, (Text) Faso. 1-18 @ /10/ each १९४

Al-Muqaddasi (English) Vol I, Fase. 1-8 @ 1/- eee +

Ain-i-Akbari, Faso, 1-22 @ 1/8/ each

Ditto (English; Vol. I, Fase. 1-7, Vol II, Faso. 1-5, Vol. II, |

Fasc. 1.5, @ 2/- eac and co

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from pp. 243-340.

Mot Ax qa ८, tu Jueohirs Acodihmn | wher bs Sarina Peberrom ०८८५ abot pile,

Zeta: प्रस्तावः | २७३

तस्य रतिसन्निभा श्रकुरटिला नाम भा्यां। ततल्योरुंग्ध- ुरिललयोरन्योन्यबद्धानुरागयो विंषयसुखमनुभवतोत्रेैजति कालः | अन्यदा वसन्तसमये उपरितमप्रासादग्ड्मिका वासभवने व्यवसितः प्रभातोत्थितो मुग्घङ्कमारो मनो इर विविधविकसितङ्खसुमवनरा- जिराजितं गरहोपवनसुपलभ्य संजातक्रोडाभिलाषो भार्यामुवाच | देवि श्रतिरमणो्ेयमुपवनश्रोः | तदुत्तिष्ठ गच्छावः कुसमोचचय- निमित्तं आगयाव एनां श्रकुरिलया भिहितं यदाज्नापयल्या्ये- Ge: | ततो गहीत्वा afwafea कनकश्यूपिके गते ररहोपवमं | WC: FRNA: | मुग्धः प्राह | देवि पश्यावस्तावत्कः कमक- ufiat एरिति पूरयति ब्रज aaaet दिशि श्रं wet त्रजामोति अरक्रिलयाभिदहितं एवं भवतु गतौ कुसुमोखयं कुर्वाणौ परस्यरं दशेनपथालौतयोगंहनान्तरयोः। wart कथं चिन्तं॒प्रदे श्रमायातं व्यन्तरदेवमिथनकं काशलक्ञो देवो विषवश्चणा देवौ तेम गगनतले विशरतावखो कितं तम्भ्ानुष- faa) ततोऽचिन्यतथा कमेपरिएतेरतिखुन्दरतया तस्य मानु- षभिथुनस्यापर्यालो चितकारितया मन्मथस्य मद नजननतथा मधु- मासस्यातिरमण्णैयतया तस्य प्रदेशस्य केखिवडलतया व्यन्तरभा- वस्लातिचपखतयेद्धियाण्णं॒दुर्निवारतया विषया भिलावस we- शारितया मनो इन्तेस्तयाभवितव्यतथा तस्य Ag कालश्चस्या- दङ्रिशार्यां तोतोऽनुरा गस्तयेव सुग्धप्यो परि विचचणायाः | ततः किखेनां वश्चयामोति ger काणक्नेनाभिडिता विंश्णा | देवि बज तमतः तावद्यावदइमितो राजग्र होपवमादवाचंनजि-

२88 उपमितिभवप्रपश्चा कथा

भिन्त कतिचित्क्खमान्यादायागच्छामि | सा तु सुग्दतदद- यतया स्थिता मौनेन | गतोऽ कु रिलाभिमुखं कालश्च: श्रवतो जनतरगदने | शअ्रद्श्नोग्धतो विच्चणायाः विग्तितिमनेन we किं ga: कारणएमाजित्थेदं far परस्परतो दवौयोदे वतिं वर्तेते ततः प्रयुक्षमनेन fae लक्ितं तयोदूंरौभवन- कारणं | ततोऽयमेवाचोपाय इति fafa शतमनेन Sasver- कमनो aime सुग्धद्ूपं निवर्तिता कनकश्ूपिंका war इष मानां | गतोऽङ्खुटिलासमोपं सषम्भममाहइ जितासि fre जितासि | ततः कथमायेपुजो wfeaaraat जिताइमिति विलकतोगश्ता मना गङ्रिला | कालक्नेनाभिहित। प्रिषेऽखं विषा- देम qufag कारणं | केवलं निवंतिंलोऽधना कुस॒मोचयः | व्रभामोऽसुभिन्लुपवन विशषण कदलोलताग्टहके प्रतिपश्चमनया | ततो गल्ला शतमाभ्धां aw पलवश्यनोय इत विख्या चिन्तितं श्रये गतस्तावदेष Arey: ततो यावदयं नागच्छति यावच्चेथं मारो दूरे वतेते तावदवतौये मानयाभ्येनं रतिवियुक्र मकरकेतनाकारं तर्णं | करोम्याक्मनो war ewe) खचि- तख्चानयापि विभङ्गज्ञानेनेव तयो दूंरौभवनदेतुः ततो विधावाङ्ख- रिलारूपं कुखमण्टतकनकशुपिका गतां मुगधसमौपं श्राह जितोऽस्यार्यपु जितोऽसि ततः ससम्भ्रमं at fact gre: पराह भिवे सषु जितः किमधुना क्रियतां विचचण्ठयोक्र | age वदामि। मुग्धः are) fa तत्‌ विचच्ण्ठाइ व्रजामो wana मानयामो विगरेषतः सदु पवनशियं प्रतिपन्ञमनेन |

eaia: Wea: | २४५

ततो गतौ at विचचणासुग्धौ aaa कटलौलताग्णशके दृष्ट afer | निरौकितं fafaanat परस्पराभिमुखं मिचमाभ्यां | a दृष्टसिलतुषजिभागमाजाऽपि सखेतरयोविशरेषः। सुग्धेन चिग्तितं श्रये भगवतोनां वनदेकताभां प्रसादेन दिगणोऽह संपन्नो देवौ ai तदिदं महदभ्यदयकारणं | तज्निवेदयामौदं ताताय ततो fate खाभिप्रायमितरेषां गच्छामस्तावन्तातस- मौोपमित्यभिधायोल्थितो मुग्धः eed चतुष्टयमपि प्रविष्टं जुरा जास्छाने तदिलोक्ध विस्ितो राजा महादेवो परिक- रख किमेतदिति vet मुग्धः प्राह | वमदेवताप्रसादः। WATE! कथं ततः कथितो मुग्धेन व्यतिकरः खजना चिज्ितं। wet मे धन्यता अरहो मे देवतानुग्रहः ततो इर्षाति- रकेण समादिषटस्तेनाकालमशोत्छवो नगरे दापितामि मदादा- नानि विधापितामि भगरदेवताप्ूजमानि | खयं राजा राज- मण्डलमध्यख्ः ATE | एकेन सुतेन सुतदयं वध्वा जातमयो वधूदयं | खादत पिबताय सष्नना गायत वादयताय नृत्यत

ततः प्र्णापि महादेवो एतदेव नरेश्रोक्रमसुवदन्तौ वादि- तानन्द मदं लसन्दोहबधिरितदिगन्ता विहितोष्वेशुजा मतिंलु प्रहन्ता fagure संपन्नेति गता इर्वमङुरिजा प्रनृत्ताः शेवा- माःपुरिकाः प्रमुदितं ant इन्तो दता विमर्दन महानन्द इति।॥

केशिप्रियतया इष्टः कालज्ञः केवल चिग्तितिमनेन। का एुगरोषा दितौया योषित्‌ खंजातेति उपयुक्तो wma श्रातम-

zed उपमितिभवप्रपच्चा कथा

नेन नेवेषा मदौयभार्या विशचक्षणेति ततः संजातः क्रोधः | चिन्तितमनेन | मारयाग्येनं ZT पुरुषं , एषा पुगरमरतया शक्यते मारयितुं तयाणेवं पौख्यामि यथा पुनः परपुङ- वगन्धमपि प्राथेयते एवं शतजिखयस्याप्यस्य कालश्ञस्य तथा- भवितव्यतया seat पर्यालोचना स्फुरितं चित्ते यथा सम्यक्‌ fefafad मया पोडनौया तावद्धिच्चणा थतो ऽहमपि ware: | ममापि समानोऽयं दोषः मारणमपि सुग्धस्य युकं यतो मारितेऽस्िन्नन्यथाभावं विज्ञाय भजते. मामद्खरिश्षा विरच्यते सुतरां विचश्णा तक्किमङ्ुरिणां ग््डो- लादृष्टखकलजधषेण इतोऽपक्रामामि एतदपि नास्ति यतो ऽकाण्डप्रश्यानेन a खाभाविकोऽयमिति खलक्ितविकारा कदा- चिदक्रिष्ामां भजते तया रहितस्य पुनगेमनममन्यंकमेव | तस्मादीरव्याधिमे परिव्यश्य काणलविख्म्न एवा जओेयानिति विशखणयापि चिन्तितं श्रये एवायं मटोयभरतां areyt ऽनेन रूपेण खितः | कुतोऽन्यस्याच् सम्भव इति ततः quae पुरतः परपुरुषेण सह तिष्टामोति anaes अरयमन्यां भजत इति खमुत्यन्नेव्यां दुःप्रकभेवं feat स्थातुभित्या विश्धैतङ्ुखभावा गताया safe a काचिदयेसिद्धिरिति स्थानेना्मानं ater चान्या गतिरस्तोति निरालम्बा सापि यद्धविग्यतया कालविलम्ब- मेवाजित्य asa feat तप्प्रश्टत्यद तवे क्रियौ परिव्यक्रर्व्याधर्मौ देवमायथा समसमानुषकरतव्यान्याचरन्तो wan इयं भजमागौ खितौ विशचष्ाकालभ्नौ प्र्वतकालं

हट ततीयः प्रस्तावः | R89

saat मोहविश्याभिधाने कानने सातिश्रयश्नानादिरन्ाः करो बहगििष्यपरिकरः समागतः प्रतिबोधको नामाचा्ेः। निवेदितो नरेन््रायोद्यानपालेन ततः सपो रजनो निगंतसदन्द- are राजा | भगवतोऽपि देवे विरचितं फनककमशं दृष्टस्तनो- पविष्टसभ्बो धमेमाचच्ाणो भगवान्नरपतिना दरातलविशशि- तमौखिना वन्दितं तत्पादार विन्दं शषसुनयख श्रभिनन्दितः कम- विटपिपाटनपरिष्ठनिषटरङुटारायमाणेन धमंलाभाण्ोवादेन भग- वता शेषयतिभिखच उपविष्टो ` तके कालज्नादयोऽपि naeq समस्तं वन्दनादि विनयं यथास्छानमुपविष्टाः , agar भगवता विशेषतो धर्मदेशना दशिता भवनिगेणता वर्णिताः कर्मबन्धदधेतवः निन्दितः संसारचारकावासः क्ञाधितो मोकमागेः ख्यापितः शिव- सुखातिश्रयः कथिता विषयाभिष्ङ्गस्य भवभ्रमणद्ेतुः frage- प्रतिरोधिका दुरन्तता | ततखङ्खगवद चनाग्टतमा कष्ठ विषणा - कालभ्नयोविंदलितं मोहजाशं श्राविश्ठंतः सम्यम्दशेनपरिष्णमः समुव्व खितः कमन्धनद्‌ इनप्रवणः सुदुखरितपखान्तापानलः॥ अना- न्तरे तयोः श्रौराभ्यां मिते THe: परमाणभिधेटितश्रौरा बोभकव्छा दशनेन wea खरूपे उदेगरेत्‌ विवेकिनां एका सलौ भगवतः प्रतापं Sewer Fria we: Terral खिता दूरवर्तिनि भागे पञ्चान्तापार्दरोहितडदयतथा गद श्रसलिजौ समकमेव विचच्षणाकालश्नौ पतितौ भगवश्वरण्थोः। कालजनेना- भिहित भगवभघमाधमोऽइ येन मया विप्रतारिता सभार्या श्राचरितं पारदायं दुग्धः TAYE सुग्धो जमितो गरे्रम-

& 2२8८ उपमि विभवप्रपश्चा कथा |

eect यशौोकसुतव्यामोहः वञ्चितोऽयं परमा्यंनात्मा | तश्च ममेवंविधपापक्मणः कथं श्द्धिभविखतौति विचचक- am ममापि कथं यतः खमा चरितं पापिष्ठया मथापदं wa किं वा निवेद्यते दिव्यश्चानख्छ प्रत्य मेवेदं समस्तं भगवतः। ARTE | भद्रौ eet युवाभ्यां विषादः भद्रयोदे- वोऽयं | निमेखं भवतोः Ser | तावाहतुः | कख पुन्देषोऽयं | भगवानाइ | चेयं यद्मच्छरोराज्निगेत्य दूर fant नारौ तसाः | तावाहतुः भगवन्‌ किंमाभिक्ेयं भगवताभिडितं भद्रौ भोगटष्णेयममिधौयते | विचदणकाशशाग्यामभिहितं भगवम्‌ कथं पुनरिवमेवं विधदोषेतः भगवताभिडितं | भद्रौ श्रूयतां रजनोव तमिशस्च भोगदरष्लेव सर्वदा |

रागादिदोषन्दस्य सर्द्येषा प्रवर्तिका

थेषामेषा wage प्राणिनां पापचेष्िता |

तेषामकायषु मतिः प्रसभं संप्रवर्तते

दकाया वह्किजंलपूरयेयोदधिः |

तया दृष्यत्येषापि भोगेरासेवितैरपि

यो मूढः श्रमयत्येनां किल श्रब्दादिभोगतः |

अले निशोयिनोगायं हस्तेन faewfa 1

मोहादेनां frat शला भोगदष्णां नराधमाः |

खंसारसागरे घोरे पयंटभ्ति face

सदोषेथमिति wat चे पुनः पुरुषोत्तमाः |

सदे हगेहाज्निःसायं fora faut

तोमः Tera: |

ते सर्वोपद्रवेयकाः swlarienera: sara निमेलोश्त्य vari परमं पदम्‌ येऽनया रदिताः wa TET सुवन जये वरे गताः पुन्यंऽखाः साधुभिस्ते विगर्हिताः अनुकूला भवन्धस्या ये मोहादधमा नराः | तेषामेषा vewa दुःखषसागरदायिका ` प्रतिकूला भवनधस्या ये पुनः पुदषोश्माः | तेषामेषा nea सुखसन्दोहकारिका | तावन्मोखचं नरो देष्टि संघार aw मन्यते | पापिष्ठा भोगटष्णेयं यावञ्चिन्े विवर्तेते i यदा पुनविंलौयेत कथं चित्पुष्छकमेष्णम्‌ | एषो भवस्तदा स्वे धूलिरूपः प्रकाशते तावच्च हचिपुश्नेषु योषिदङ्गषु aah | कुन्देन्दौोवर चन्द्रादि कण्यनां प्रतिपद्यते यावदेषा WTA aaa भोगदष्णिका | तदभावे AMM Wyss प्रवतेते समाने पुरषतये परकिङ्करतां गताः |

मिन्ध यत्कमे कुवन्ति भोगटष्णाच कारणम्‌ |

येषां पुगरिथं देहान्निगेता सुमहात्मनाम्‌ |

मिधेना श्रपिते Who: शक्रादेरपि नायकाः

किं चिन्लामससश्विभ्रे राजसः परमाएभिः | निवेर्तितश्ररोरेय Tar तन्ानरेगष्यपि

32

७९

wye डपमितिभवप्रपश्चा wat |

तदेषा भवतोः पापा पापकमंप्रव्तिका

अतोऽस्या एव दोषोऽयं विद्यते नेव भद्रयोः

eau सदा भद्रौ मि्मलौ aware: |

एषैव सवदोषाणां कारणवेन fear

इह स्यातुमश्रक्रिष्ठा एषा दूरखिताधुना |

भवन्तो मलत्छमौपाख निर्गच्छन्तौ प्रतते

विचच्णएाकालश्ञाभ्वाममिहितं कदा भगवन्‌ पुनरस्याः

सकाशादावयोर्मोशः | भगवानाह भद्रौ Ae भवेऽद्चापि भव- द्यामिवं सवया त्यक्त शक्या केवलमस्या निदंखने महासुद्धरा- यमाणं Ed भवतोः eat | तदुहोपनगेयं पुनः पुनः सुशरसन्निकर्षेण भाचरणौयमस्या भोगढष्णाया अनुकूलं लच्यितब्यो मनसि विवतेमागो ऽस्या सम्बन्धौ विकारः निरा- करणौथोऽसौ प्रतिप्भावनथा ततः प्रतिचणं तनुतां गच्छन्तो भविष्चतोयं श्रोरेऽपि वतमाना भवतोर्बाधिका भवान्तरे CTE: सवेथा त्यागसमर्थो भविथतो भवग्ताविति तदाकश्ं ततो महाप्रसाद इति वदन्तौ विचरफाकालन्नौ पतितौ भगवश्च- रणयोः | ततोऽमुं व्यतिकरमालोक्य श्रवा भगवदयनं जप शणञग्धाकुटिशानामपि sepia: vera we विष्एद्धाष्य- वसायः खणुप्रग णाभ्यां चिन्तित अहो शरलोकसुतवधदिगृणता- व्यामोहेन निरथेक विडम्बितं विदिता सुतवष्वोरुकार्प्रटन्िरा- वाभ्वामिति सुग्धन चिन्तितं | wet शतं मया परष््ौ गमनेन कुशस्य दूषणं wefean चिन्तितं बत संजातं भौखखष्ड-

BATT: प्रावः ९५९

नमिति तत्चतुणांमपि खितमेतञ्चिन्ते aga निवेदयाम एवं खितमेवेदं भगवतां एत ware दुख्रितस्य प्रति विधागसुप- देच्छन्ति wert चतुर्णामपि शरौरेभ्यो fad: परमाणभि- चैटितश्ररोर wa वेन परिगतं तेजशाह्कादक शोचनानां प्रोकं चेतघासुपलभ्यमामं मया रङिताजि मथा रखितानजि यूयमिति बरुवाणमेकं शि्भरूपं सये भगवनुखमोषमाणं fer सर्वेषां पुरतः | तावश्दनुमारगेखेव ay वणन वेभव्छमाकारेष उदगष्ेतुः प्राणिनां तथेव faid fame feared) तस्माच तदाकाररूपधरमेव कष्टतरं weal संजातमन्धदपि उतथं feared) तच्च वधितुमारमधं ततः शक्तङिमिरूपेण मस्तके इर- तलप्रहार दश्वा तदधमानं निवाय प्रत्या धारितं fae भगवदवगहार्‌ दे श्रपि ते we feared ततो भगवताभि- हितं भो भद्राणि यद्धवद्धििन्तितं यथा हतमस्माभिविपरौ- arecefafa aw भवद्भि विषादो विधेयः यतो भवतामेष दोषः fares qe खरूपेण तेरभिदहितं भगवन्‌ we पुनरेष दोषः भगवानाह यदिद Karat ATT Dat fait रष्वे feared दोषः are: भगवन्‌ fimanfad भगवतोक्रं श्रन्नानमिदसुश्यते ¦ ae भगवम्‌ यदिदमेतस्मादन्नानात्रादुग्धेतं दितोयं रृष्ण डिम्भरूपमनेन रशक्तरूपेणस्फोद्य वधेमानं धारितमेतत्‌ किंनामकं भगवा- माह पापमिदं। ats: ) se रक्तरिग्भरूपसय तरिं किमभिधानं। भगवतोक्रं श्राजेवमिदमभिधोयते। ततस्तान्याड्ः |

RYR उपमितिभवप्रपश्चा कया |

भगवन्‌ कौद्ग्रमिदमन्ञानं कथं चेदं पापमेतस्माष्वातं किमिति चानेनाओवेनेदं विवर्धमानं निवारितमिति श्वं विस्तरतः ओतु भिच्छामः भगवामाह | यद्येवं ततः समाकएंयत थय यश्तावदि दमन्ञानं यु्नरैहा दिनिगंतम्‌ | एतदेव BAMA दोषटन्दस्य कारणम्‌ HAA वतमानेन WAT जन्तवो यतः | कार्याकायें जानन्ति गम्यागम्यं तत्वतः भच्छाभच्छं Gerd पेयापेयं सवधा | श्रन्धा टव कुमारेण प्रवतेन्ते ततः परम्‌ ततो fara घोराणि कर्माश्यहृतश्रम्बलाः | भवमार्गे निरन्तेऽज पथेटन्ति सुद्‌ःखिताः शअरज्ञानमेव सव॑षा रागादौनां प्रवतेकम्‌ | खकारं भोगदरष्णापि यतोऽन्नानमपेखते , अन्नानविरहे नैव भोगदष्णा yaad | कथं चिह्ंप्रटृन्तापि fea निवतेते waa: सवैदर्भो निमेलोऽयं खशूपतः | gyrate यात्मा were विशिष्यते याः atfaza aay निर्वाणे fara: | अन्ञानेनेव ताः सर्वां इताः santa BATA मरको घोरस्तमोरूपतया मतम्‌ | अन्ञाममेव दारिश्चमन्नान परमो रिपुः ana रोगसहगतो जराष्यन्नानसुच्यते |

aata: Wena: | RVyR

अश्चानं विपदः सर्वां aw मरण मतम्‌ अश्ञानविरडे नेष घोरसंसारषागरः। warfa वसतां पुसां awa: प्रतिभासते 1 याः काञचिदनवस्थाः स्यां चो व्मागेप्रटत्तयः। या समश्च fatten तज कारणम्‌ एव fe प्रवतम्ते पापकर्मसु जन्तवः | प्रकाशाच्छादकं येषामेतच्चेतसि वर्त॑ते h येषां पुमरि दं चित्ताद्धन्यानां fafaaaa | रटभ्भौ तान्तरात्मा नस्ते सदाचारव्तिनः वन््यास्जिभुवनस्यापि शला भावितमानसाः | श्रशरेषकस्मषो काका गच्छन्ति परमं पदम्‌ एतच्चान्नानमनत्रार्ये सर्वेषां भवतां समम्‌ | संजात तेन टोषोऽयमस्येव भवादृशाम्‌ डिम्भरूपमनेनेव fate पापनामकम्‌ | way अन्यते तस्मादजापि जनितं fawn एतद्धि ख्वेदुःखानां कारणं वित वुधैः छदेगसागरे घोर इटारेतत्मवतकम्‌ ti

मृ सं्घश्रजाखख्य पापमेतदुदा इतम्‌

कर्तव्यमतः प्राज्ञैः सवे यत्पापकारणम्‌ |; हिषानृतादयः पञ्च तच्वाअद्भानमेव | करोधादयदख्च चत्वार इति पापस्य Baa: qa: प्रयन्नेन तस्मादेते मनोषिणा |

Rus

उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

ततो जायते पापं तस्नान्ञो दुःखसम्भवः Sura पुनर भ्ञानाष्ात पापमिदं यतः | अश्ञाममेव श्वेषां दिंषादौनां प्रवतंकम्‌ वधमाममिदं पापमाभेवेन निवारितम्‌ | यद कारण सम्यक्‌ कथ्यमानं निबोधत आजेवं fe खरूपेण शद्धा श्यकर परम्‌ वधमानमतः पापं वारयत्येव देडिनाम्‌ ti एतच्चाजेवमचायं Gat वर्तते षमम्‌ | अश्चागजनितं पाप युश्राकमञुमा जितम्‌ रक्तानि मया यूयमत एव सुमुंडः | सदषंमेतदाचष्टे feed सिताननम्‌ धन्यामा माजेवं येषामेतश्चेत सि वतेते | अ्रभ्षामादाशरन्तोऽपि पापं ते खल्प्पापकाः यदा पुनर्विजागन्ति ते ug मागेमश्चषा तदा विधूय कर्माणि चेष्टन्ते मो दव्कमनि BWA ततो धन्यास्ते Welwyn: | नि्म॑खाचारविस्ताराः पार गच्छन्ति dea: 11 तदेवंविधभावानां भद्राणां बुष्यतेऽघना | अन्नागपापे fate सम्यग्धरमनिषेवमम्‌ डपादेयो fe संसारे धमे एव बुधैः सदा | famgt qua स्वे यतोऽन्यहुःखकारणएम्‌ अनित्यः प्रियसयोग इषेरव्याशोकव्स्ः `

कतो मः Gera: | Ree

अनित्यं यौवनं चापि कुखिताथरणास्यदम्‌

afta: सम्पदस्तो ग्क्त शरवगेसमुद्धवाः |

अनित्यं जो वित चेह स्वंभावमिवन्धनम्‌

पनज पयुगष्तयर्दोना दि स्थामसंश्रयः |

पुनः Faq यदतः सुखम विद्यते

प्रहत्यसुन्दर Us संसारे सर्वमेव यत्‌ |

अतोऽ वद कि युक्ता कचिदास्या विवेकिनाम्‌

मुक्ता VA जगदन्धमकलङ्कं सनातनम्‌ |

परायसाधक Wt: सेवितं भोल्ाशिभिः

ततो भागवत वाकं श्ुतलेदमग्डतोपमम्‌ |

संखारवासानतेः wa: खं खं चित्तं faafiaa

राजाह क्रियते aa यदादिष्टं महात्मना |

प्र्ष्णहइ महाराज किमद्यापि fanaa

शार चाङूदित तात सम्यगम्ब प्रनख्पितम्‌ |

थक्रमेतदनुष्टानं सुग्ेभेव प्रभावितम्‌

Wiiqawattaral तथापि गरुखब्जया

तदुक्तं मन्वाना बधूर्मोनिन सख्डिता

ततः पतितानि चतल्वायेपि भगवश्चरणएयोः | SATA

भगवन्संपादयामो यदादिष्टं भगवता | भगवानाह उचितमिदं भवादृशभव्याननां ततः vet भगवाननेन प्रशस्लरिनं Tear भगवतोकष Wa इध्यतोति ततस्तजस्येनेव नरेशेण दापितानि महादानानि कारितानि cayenne स्थापितः. शरएभाशा-

WE

उपसिविभवप्रपश्चा कथा |

रामिधानः खतमयो राच्ये जनितो मागरिकजनानां fours

इति |

ततो निर्व॑त्यं aaa प्रतरव्याकरणणोचितम्‌ | गृरुणापिं तद्भावं दौ ङितं तश्चतुष्टयम्‌ ततस्ते BUST = fear se पलायिते | शएक्रूपं पुनस्तेषां प्रविष्टं aay war arasa ततचिन्ते सभार्येण विचिन्तितम्‌ | GI धन्यतामोषां que जन्धजो वितम्‌ एतेर्भागवतो star येः प्राप्ता पुष्छक्मभिः | दुरन्तोऽप्यधुगा मन्ये तेस्तौर्णोऽय भवावः चारि्रल।देतस्माल्छषारोन्नारकारणणात्‌ वय तू देवभावेन व्ययकेनाज वञ्चिताः

चअरयवा |

मिष्यालवोद्‌खनं यस्मादस्माभिरपि area | दुखंभं भवकोटोभिः प्राप्तं wag WA अतोऽस्ति धन्यता काचिदस्माकमपि waar नरो दारिश्चभाङ नेव wad Tagen ततः Ewa तौ |: प्रणम्य शरणदयम्‌ | तेनारुगिष्टौ ख्यानं संप्राप्तौ Zaza प्रविष्टा भोगटष्डापि alt गच्छतोस्तयोः |

शद्षम्यक्कमाहाम्यात tae खास बाभिकाः॥

-, ., feewure कालश्नमन्यदा रहसि fea: =. .;,

Bare: परश्तावः | Rye

Magy थदा दृष्टा त्याह शतवश्चना तदा कि चिन्तितं सोऽपि खाभिप्रायं न्यवेदयत्‌ | विचक्णाहइ sam कालज्ञ दति Mae तेनापि vet सोवाच qatate तदातनम्‌ | कालज्ञः प्राह सत्येव aay विचच्छणा यतः काल विम्बेन करियमारेन वल्लभे | भोगा gat: सिता प्रोतिर्जातं माकाण्डविद्धरम्‌ प्राप्नो Wat नृपादौनामुपकारः शतो महान्‌ | ततः काखविशशम्नोऽयं फलितोऽव्ययंमावयोः faqwure को वाच खन्देहो नाय वस्तुनि ` fa aa जायते we पर्थालोचितकारिणाम्‌ ततः परौ तिखमायुक्ौ संजातौ देवदश्यतो | ZAMMIT मन्यमानौ रतार्थकम्‌

ददं पुर मया तुभ्यं कथितं मिथनदयम्‌ | खंदिग्धेऽथं विलम्बेन कालस्य गुणभाजनम्‌

ary | संदिग्धेऽयं विधातव्या भवता काणयापना | TEs यच्च तदेवाङ्गोकरि थते मध्यमवृद्धिराह यथाश्ञापयन्यम्ना

ततो मनोषिणो वाक्यं छरतो नास्य जायते | म्रौ तिबन्धो दृढं तच aur aaafrfe |

बालालापेः Tray वुद्धि प्रवर्तते 33

रै

डखपमितिभवप्रपश्चा Nur |

दोलायमानचि्नोऽसौ कुरूते कालथापनाम्‌ ततख तेन aaa सा प्रोक्ता जननो निजा

wa सद शंयात्रोयं योगश्रक्रिबलं मम

TSI दशेयाम्येषा YT त्वं GVat भव

ततः खा ध्यानमापूये प्रविष्टा away

अयाकुश्रलमाशायाः प्रवे शानन्तर पुनः |

are: स्यशनेनापि गाढं इषादधिहितः

ततः शरीरे तौ तस्य वर्तमामौ ea qa

अभिलाषं aqui कुरतस्तोत्रवेदनम्‌

परित्यक्रान्यकतेग्यस्तावश्माजपरायण्ः |

बाणः सुरतादौनि दिवा राजौ सेवते

कु विन्दडोम्बमातङ्गजातोयासख्पि वदश्रः।

अतिखोच्येन मूढात्मा शलनासु nada

` ततोऽकतंब्यनिरतं सत्कर्तव्यपराडःमुखम्‌ |

तं are सकलो लोकः पापिष्ठ इति निन्दति aise Tawa नि्भाग्यः कुलदूषणः | एवं निनग्द्यमानोऽपि मन्यते निजचेतसि द्यश्रोनाम्नाप्रसादेन ममासि सुखसागरः |

लोको acts तदक किमेतव्लन्पचिन्तया अथाकुश्छलमालापि निगेत्य परिष्च्छति। MEM मामकौ जात योगश्रक्रिविभाति ते॥ स॒ प्राहानुगहोतोऽस्ि निविंकण्पमथाम्बया |

SAT: WHS |

GSMA ययाहं शंप्रवेशितः अन्यचाम्ब लवा far मदलयदकाम्बया | मोक्रथं WC मे यावव्णौवं खतेजघा | अथाङ्ुग्रखमालाइ GY वस्स रोचते | तदेव खततं कायै मया सुक्रान्वचेष्टवा खाभौनां at fatlegd ara परिचिन्ितम्‌ | IAS Aarau: सामयो कावंसाधिका अरो मे धन्यता शोके ave बत मादनः | ततोऽसौ भाडदष्टात्मा खारुरूपं fates अथ निन्दापरे लोके खेहविङखमानसः | खो कापवादभोङलाक्मश्यबुद्धिः प्रभाषते are at यश्यते कठ तव खोकविरङ्ककम्‌ | अगम्यागमनं भिन्् सपाप कुखदूवणम्‌ ii प्राह विप्रलखोऽखि qa fire मनोषिशा | wi विवर्तमानं at Awe कथमन्यथा चे मूढा जातिदोषेए कोमणखं अल्ानादिकम्‌ | aefa ते महारनं qufr arate: तराकष्छं तत्ते इतं मध्यमबुद्धिना = ` aq प्रभ्नापनायोग्धो wat मे वाकूपरिश्रमः # एवं वितां तेषां बालमथ्यमनयेकिषाम्‌ | अथान्यदा समायातो वसन्तः Wes: सजाताः काननाभोगाः समनो भरपए्रिताः 1.

Rue

२९०

उपमि तिभवप्रपश्चा कथा |

भमह्वमरद्चद्ारहारिगौतमनोडराः ¢ कामिनौडहदथानन्ददायकं प्रियसन्निधौ विकम्भते वमानेषु कशकोकिखकूजितम्‌ Meaty पुष्यभारोऽतिरककः | विथोगदशितस््ौषां fafsrmacrat HAAG: सहकाराशामामोदिवदिगन्तराः | इष्टा Tae धूखिक्रोडां weIa ¢ देवकिरखम्बन्थि मिथनेः कथिता वने ' WAG arate act रमण्णेयता wear facta बद्धा दोला zy ze! AMET मन्दः Tet मखयानिषः ` अयेदृशरे वशनोऽसौ सडह मध्यमनुद्धिना | mere निर्गतो बालः कामकालप्रमोदितः जनन्या देइवर्तिन्या संयुक्तः Tia गतो लौलाधर नाम सोद्यानं गन्दगोपमम्‌ nerf मध्यन्भागे wayyt महाशयः | लनतागयनानन्दः प्रासादस्ठङ्गतोरणः कामिनौषहद याह्धादकारको Chase: | अतेः प्रतिषठितस्तज देवो मकरकेतन;

इत्च तस्य देवस्य पूणासत्कारकारणम्‌ | तियिक्रमेए संलाता दिने तज जयोदन्नौ कन्यका वरणलाभाय वध्वः Chimes |

डेतोयः प्रश्तावः |

दुभगास्ल पतिप्रममोडेन इतमानसाः

मोहान्धाः कामिगोऽभौष्टथो षिस्सम्बन्धविद्धये |

ग्टहोताचंनिकाः कामपूजनायं' समागताः

ततो बालो aye awag सविस्मयः ,.

भविष्टः कामखदन. सइ मध्यमबुद्धिमा Toa Canta: प्रणतो भक्तिपूवेकम्‌ | पूनितख प्रत्नेन sgt गुणकोतेनेः

अथ प्रदशिणां तस्य ददानो. Tagg: |

बालो टदे पाख गपतश्याने ग्यवश्ितम्‌ ..

तस्येव रतिनाथ Sra छतकोतुकम्‌ संवाखभवनं रम्यं मन्दमन्दप्रकाश्कम्‌

aves दारि samy . मध्यमम्‌ सध्ये प्रविष्टः सदसा बालसख्य TTA:

अथ ay सुवितो aviet eaten |.

खद्‌ पधानसख्पनञां कोमलामलचेखिकाम्‌ aie रतियुक्तेन क्राम्तमध्यां मनोभुवा ..

दरगे महाश्णां देवानामपि दुखंभाम्‌ _

ततो मन्दप्रकाश्रलात्‌ सवाखभवनख्य. सः ..

किमेतदिति शंचिनध wart wast बाणकः

इतखेतद्च WEN Ura खचर सुदा

ततो विभाविता नेन water माकरध्वजौ `

विचिन्तितं. तत्‌स्यणरकौ मख्यहतचेतसा ,

श६९

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उपभितिभवप्रपश्च। wer |

“ut कोमखता मन्वे aay भवतीदं ततः अ्ररोरवबतिन्या जनन्या शखयश्रेनेव | परथमा WHR शापलेन दूषितः

ब्राखञिन्भबत्येवं मानथामि wager | wat कोमखिकां sat gare खखमाचकम्‌ देवः Gates मदनो Them वचिन्ितम्‌ SUG Vanarat सुक्षख्तेति भावितम्‌ 8 दुष्टस्य Wee छोकेरिति नवे मन्तम्‌ fawra नेति संप wet भध्यमनयुद्धितः अनाशोच्याथतिं मोदात्‌ केवलं ew एव a: | दद्य wat at feat छतं वाखविखेशितम्‌ 8 angel faurerat waret बडमानसंः | caQag. gee: calyrie पुनः ga: # aut सुखमदो Gigent war मम | चिन्तथज्िति waret wear: तिष्ठति p इत्च नगरे तज बदिरङ्गो नुपौन्मः | watcufea महातेजाः vem श्रचम दनः $ aerfe ware प्रारेन्धोऽपि सवन्नभा प्रभाग्कुशसंग्ता देवो मदनगकन्दलो ufearefrat खा परिवारेण dem | चअचाता तज सदने कामदेवस्य पूजिका देवकोहख्तिते खा dye मकरष्वजम्‌

wate: werta: | ade

warevamee प्रविष्टा तस्य पूजिका

afarentgzienrat at शोति रतनिखयः |

खव्नाभयाभ्वां faget are: काष्ठमिव स्थितः

ततो AQHA सा भवने स्गसखोचना |

Twain शय्यायां देवमरयते किख

चन्दनेन gar रतिकामविल्ञेपनम्‌ |

बालः स्वेगानेषु ve: कोमशपाथिमा #

ततोऽङ्ुश्णमा खाया वशेन स्यश्ेनस्य |

बाखञिग्थत्धेवं विपर्यासितमानसः

यादृ श्रोऽयं ्टदुस्प्ा इसष्यास््ानुश्धयते |

भानुमतो मया ayy way कदाचन

अरहो मयान्यस्यरेष ated कर्तं टया

शातः प्रतरं मन्वे जिश्ोकेऽप्यस्ि कोमलम्‌

cay aera परिचये विधाय सा।

QUT प्रगता BTS Tt ATH

ततोऽखौ ae: कथं ममेयं wt सुंपन्छत इति चिन्तया

विहृखौग्डतददयोऽनाष्येयमन्तस्तापातिरेकं बेदयमानो fran तस्यामेव शय्यायां सुधन्नष्योष्णान्दोधंदौर्ाभिःपाखान्‌ मूदधित इव मूक इव मन्त इव भौत दब wee इव तप्तशिशायां fafensras दव इतये परिवतमानो विचेष्टते ततो दारे वतमानेन मध्यमबृद्धिना fof 1 रथे किमित्येव वालोऽस्मात्‌ संवाव्भवनारि यतापि काषेन निरनेष्छतौोति किं

eds ॐपमि तिभवप्रपच्ा wut |

वा करौोतौति प्रविश्य तावज्िरूपयामि ततः प्रविष्टो मध्यम- बुद्धिः। शिता water arama) waft इदयं तत्कोमजतया | ततो frawhaagfent तेन qe: शभ्येकदेगरे विचेष्टमानस्तदवस्ो are: चिन्ितमनेन अरहो किमनेनाका- थेमाचरितं an देवग्रग्याथामधिरोहणं खल रतिरूप- विभ्नमापि gayat सतां गम्या भवति | तथेयं war खुखदापि देवप्रतिमाधिषितेति wat tad वन्दनोया पुलङपभो गमद तौति | ततखोत्वापितोऽनेन at aay किदिष्वश्पति मध्यमबुद्धिराह Wt अकायमिदं युक्तं देबश्रव्ायामधि- रोहएमित्धथादि तथापि a दन्तसुललर बाखेन चाकर रविष्टसदटेवङ्लाधिष्ठायको व्यन्तरः बद्ध सतेनाका ग्रवन्धेः बाः पातितो aaa समुत्पादिताख्च सर्वाङ्गोष्ठा तोत्रबेदना ततो सुमूषेनतशुपशग्व हतो मध्यमबुद्धिना हाहारवः ततः किमेत- दिति warty चलितो रेवक्ुलान्तद भिमुखं शोकः निःसा- रितो व्यन्तरेण वासभवनगाट्‌ afeatet महास्फोटेन किष

WAST भद्रनयनः कष्टगतप्राणोऽवौ इष्टो लोकेन तदमुमागेख . `

रौनमनस्को नि्मतो मध्यमवृद्धिः। किमेतदिति vetset जनेन wer ॒किचिष्वख्पितमनेन . ततोऽवतौये कंचित्पु- इव व्यन्तरेण कथितो जनेभ्वक्षदोयव्यतिकरः | ततो देवापश्थका- रोति पापिष्टोऽयमिति धिक्षारितोऽखषौ बालो aac: कुखदूषणोऽयमस्माकं विषतङरिव संपन्न इति गर्हितः खजातोयेः WII पापकमंणः फलमिदानौमिल्याक्रोितः erate:

gate: cena: | ` ९९५

कियदेतदषमौ दितकारिण्णं arora तेषामित्यप- कर्फितो विषेकिशोकैः ततोऽषौ व्यन्तरः रत विह्ृतरूपः Sere | श्णनोयोऽयं दुरात्मा भवतां ुरतो मयाधुना बाल इति ततः BATT प्रसौदतु प्रसोदतु भहारको ददातु भराद्रप्राणभि- चामिति mare: पतितौ व्यन्तरा धिितपुरूषपादयोमध्यमबुद्धिः | ATTRA AIT शोकेनाप्यमिदहितो व्यन्तरः यदुत भहारक सुच्यताभेकवारं तावदेष पुनः करिग्यतोति ततो मध्यमबुद्धिकरणया शोकोपरोषेन सुक्तोऽखौ व्यन्तरेण बाः wat Saat gett शरीर निःखारितद्धणे देवक्ला- गमध्यमयुद्धिना fa: कृच्छ्रेण सभवन wats यतिकर परिकरात्कर्मविासेन चिग्तितिमनेन कियदेतरथापि मयि afage area यद्धविव्यति aq शखयन्ध्ते लोकाः ततो ऽभिदितः कमेविखासेन परिकरः किमस्माकं दु विनगेतचिग्रया। नोचितः सोऽनुशास्तेः वोडढव्यस्तदौोयः केनापि व्यापारः| परिकरेणोक्रं | यदाश्चापयति देव इति

getsdt मध्यमबुद्धिना are श्भातने किंचिन्तेऽधना श्रलोरके बाधते | बालेनामिदितं। TATA केवशं प्रवर्धते . ममान्तस्तापः मध्यमडद्धिराइ भानासि किनिमिन्तोऽयं | ततो वामन्रभेशतया कामस्य are: ame जानामि Faw SITS भवता तज संवाखभवने प्रविशन्तो गच्छन्तौ वा कि विलोकिता काचिन्लारो at मध्यमवुद्धिराइ विलोकिता |

बाखेनोकं तत्किं शकिता कासाविति भवता मध्यमबुद्धिराइ। 34

२६६ उप मितिभवप्रपश्चा कचा |

Sy afer) सा fe श्जमदेनस्छ cet भायां acre: त्युच्यते | तदाकष्छं कथं खा aguas fem. chete- तरं निःश्वसितं बालेन तदर्थो खल्वयमिति अक्तो . मध्यमब्‌- दधिना. चिग्तितमनेन asia खमे तावदश्वायमभिजिवेश्चः | जनयत्येवं खा AMARA सुन्दरतरा विश्येन खगो चरमभि- शाषं यतो इारशाखाशग्रम मयाप्यतिखहटतया कामसंवाखभव- waive जिगेष्छन्धास्तश्या मदगकम्दश्याः संवेदितोऽङ्गखय wi: | तादृशः प्राकेएान्यवस्त॒नः स्या भुवने विद्यते + दोलायितं ममापि तद्भिषरणगोचर मनसदानोमासौत्‌ किंतुः युकं कुलजानां परस्लौ गमनं तस्माज्निवारयाम्येनमपि यदि निवर्तंते मदनेन | ततः ATS प्रत्याह केथमविद्या भवतः fa a दृष्टमिदानौमेव फलमविनयस्व भवता कि मधुमेव विस्तं घत्कण्ड- गतप्राणः कथंचिग््मरो चितस्छं मथा दुर्विंनयक्घुपिताद्भगवतो मकर- ` ध्वजात्‌ ततो निवतेस्ञाख्माहुरध्यवसायात्‌ | नवचनविषनागभिरौ- wagfene डि सा मदमकन्दलौ तां प्रायेयतस्वे Raw भखो- भाव एवन पुनः काचिदयंसिद्धिः। बालेन. fafa: wa शचितोऽहमनेन तक्किमधृगयभिप्रायगोपनेन भतस्सेगोकतं यद्यं ततः कि ae .मोचितस्लं मया युन षे चथा गाढतरं मारित इति। यतस्तेन कामेन चुद्मद चनेन मां get केवलं मे . शरोरवे- भामाजमपषारितं wea gafifent वितकंपरन्यरारूपः प्रश्वजित- खादिराङ्गारराशिखन ददद्यते मे .सषमन्ताश्छरोर wT काम- बन्धनकाल एवामरिश्यं नेतावगमन्तस्ता पमन्वभविव्यं | ततो भवता

Sela: WHA: | ade

सो चयता प्रत्यत महानयमन्थेः खपादित इति। नाधुना ममेनामन्धतसेकायमानां ` मदनकन्दक्षषः विरदस्यान्धथाश्याभसा- ` स्ोपश्मः। किं away भरिपतेनेति। ततौ लतां सध्यभबुद्धिनाख्लानिवतंको fader: 1 खितोऽसौ aortas `

अचाम्तरे गतोऽस्तं सविता बाख्लषद या दिव egufad तमः- पटलं सहितः प्रथमः sete: | मिःसञ्चारोश्रलो eta) ततो sfawa arated समुत्थितो are: feria: खकौयभवनात्‌ 1 WING Taal | wea: शरजमदंनराजक्ुलाभिसुखं aw) गतः famafl aii we vata fare srea इति चिन्तया frinacqaig मध्यमबुद्धिः 1 get area गच्छता कचित्पुरषः | तेन ` चास्फोख agiset मयूरवन्धेन कूजितं माद्धेल ` प्राप्तः ata इति ware: प्राप्त एव मध्यममुद्धिः | ततः agree बां पश्यत एव मध्यमबुद्धेः खमुत्पतितः पुडवोऽम्बर- ae) श्राररतञ्च sree सखणितं वदनं ven: पञिमाभिमुखो may ततो मध्यमबुद्धिरपि st रे दुष्टविद्याधर क्र यारि ग्टङौला मलैयभ्रातरमिति wet gyarevay: प्रश्वितो भमो तदकुमाजँश। निर्गतो नगरात्‌ अरदगेनौ गतः पुरुषः | निराशे - wat मध्वमबुद्धिः | तथापि बालखेहानुबन्धेन किल कचिग्मोष्ड- तौति gar नासौ धावश्ुपरमति धावत एष wire crit 1 ततोऽतुपानत्कतथा यविद्धोऽनेककष्टककौलकेः परिगतः sae चामो बुसुशया पौडितः पिपासया fase: शोकेन श्ध्वासितो दैन्येन अनेकप्रामनगरेषु एच्छत्‌ ATMA भराग्तोऽपौ सप्राहो-

acs sufafananig! Ut |

xIVife i ara: gawd नास नगरं faage afeuiz | दुष्टोऽनेन लोखा sige) ततः किं pT स्नादरविकङेन भोरितेनेति पकिपाम्बचा्मागभिति wie बद्धा मध्वमनुद्धिना निर्गोक्िगग्रनायमात्मगके भिन्ना दृष्टं तभन्दननाचा राजपुश्केख | लतो स्रा शाइषं मा साहमिति ware: प्राप्तोऽषौ maT | भ्रारितः क्ूपतटोपाग्वर्तो gwar भथमवुद्धिरनेन विमोचितः fireat fatfuat wae ए्टख ax किमिते- दमधमपुङषो चितं भवता aafea ततः -कवितोनिन arefa- त्रोगव्यतिकरः | नन्डनेना भिहितं भद्र यद्येवं ततो न्ना विषादं कार्षः भविष्ति वाचा साधं प्रायेण मौखकः। मश्चम- शुद्धिराइ कथं नन्दनेन समाक TET बमरेऽखाकं WR CGR नाम राजा प्रतिकफुपद्ूयते विजय माठरश्ङ्कादिभिः प्ाल्यन्तिकमष्डखदरलेपतिभिः। इतषाखि दतिक्रेञिर्नाम विद्चाधरः परममिभे अन्यदा षमागतेन जपू- waa देवं तेलाभिदितः। ददामि दुन्बमहं . कूरविष्रां बरत्मभावेन लमेतेः प्ररिग्थसे देवेत्राभिदितं waa मे ततः कारयिता षष्डासिकां gatarfant दिगादह्ने दिने wre: कचित्तेन देवो दरिद्रः कारितो faqrerea श्रातो दितोदिते ay पुख्पेण am aw que atagfuty wafer ay दिनानि विद्यायाः career | Qaserayy ge | एव Mae ae ufsedife मे वितकंः। खं ममेव बमर्पितो. ऽना Vtq मध्यमबुद्धिराद

हेतयः wena: | २१९

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गतानि कतिचिदिनानि नातो मनाक्‌ सर्वेशो are: | vet मध्यमवुद्धिना आतः किं Baar) प्रीहं। अशि aregfanitoe बद्धा भवतः पश्यतं एव गभनंचारिणा Tit: रंतान्तपुराकारमतिभौषरतयेकं शानं | yeas अर्षसिताङ्गारभतोविवौष्डपाश्ववतीं मथा पुरषः ततस्तं प्रति amaceturfafed | महाराज शद्ध ते sunt समौहितं

Roe उपमिलिभवप्रपस्चा क्या।

शम्धोऽयं मया प्रस्ठुतविश्ासिद्धद चितः सलखणएः पुरुषः इतरे णोक् | महाप्रसाद | ततोऽभिदहितो नभञरेख पुरुषः यथेकेकञ्िन्‌ विद्याजापपरयम्ते मया दन्ताङतिरप्नौ भवता Rewer प्रति- पन्नमनेन प्रारमो . जापः ततो विद्याधरेणाहृष्टा यमजि- देवा तितौशछा भाखराकारा श्खिका तथा चोत्कर्तिता मदलोयष््ान्षेन -दौर्बां ateam | निष्यौखय तत एव प्रदेशात्‌ जिर्गाजितं रथिरं ages: swt carafe विद्चापरावर्तनं समर्पिता विद्याधरे इधिरमांषमणौ तख्याङ्तिः। प्रतिशित्ना तेन साश्रिद्धष्डे। पुनः प्रार्थ जापः | ततद्ेवं शोऽम्बरशरो ala श्रं परायरम्रदेश्ना- BATS इव नारक्स्ारटतो A मांसपेश्नौसुत्कतेवति a प्रदेशं निष्यौद्य «fut नि्गांणयति तस्य qua wer आाधकाथाङतये. ददाति विद्यापरावतंनपरिषमाप्तौ ग्रोतवा sama प्रिपति ant aenfaget gear पतितोऽहं लखे fagnivg agence शष्ट . इव निब्धदणो गाढतरं मां विकर्तयति अगाग्भरेऽडरहाचेरंसितमिव प्रकयमेचेगु शृक्ितमिव ware प्रचछितेव ufwat . रसितं दौ्िजिह्ामिः ग्रिवाभिः agi fawretaare: निवतितं afucad ततद्धेवं विधेषु dig विभौषिका विगरेषेषु सल्खप्यषु faafewa तद्य राज्नोऽभिमुखोग्धता बा कूरविधा समास ager ततः सिद्धां भवत इति वदन्तौ प्रकटौग्धता विद्या प्रणता साधकेन प्रविष्टा तच्छरोरे | . ततः शसुत्कतिंतश्ररौरं

तोयः प्ररतावः | ROY

निष्पौडितङ्धिरनोभष्ठं aqua मामुपलभ्व राजा मथि जातः सदयः तोऽनेम दन्तसीत्कारः | ततो वारितोऽसौ विद्याधरेण अभिहितं तेन राजेव एवास्या विथायाः कल्यो यदुत कतेब्याश्लोपरि दथा ततो famute शिप मे केनचिक्णेपेन WAT) ततोऽहं समनाहन्दद्यमान शव लौतवद्किना quam इव aie Tear दव wae प्रविष्टो azarae तथापि gee naan इतो वितं संजातं खेन मे तेनेव जपेन दवदग्धस्लाखकख्पं शरोर ससुत्पाटित- wrat नौतस्तच नगरे खादित श्थथ निमिन्तमच्डभोजनं | शलं मे शरोर ततो वस्नेव विधिना मदौयमांसदधिरा- छतिभिखेन राध्वा द्षमष्टगतमष्ट्रतं विद्याया जपस्य शप्त दिनाकति | yoy acaetse भवता तदिदं भातम॑वा- सुतं | खितं मम Wed यदत प्रायेण नरकेऽप्ेवंविधो दुःखविन्याषो ag ang इति मध्यमवुद्धिराइ हा भ्नातने चितस्लमेवं विधदुःखाणां wt निटता farce अहो रौद्रता विद्याथा

WIM शोकाचारमतुवतेमामो वाक्न्विवणार्यमागतो मनोषौ अतस्तेन दारि feta तथा परिदेवमानो मध्यमबुह्धिः। प्रविष्टो cant कतेतरान्वामावनदानादिका प्रतिपत्तिः विहितं संभाषणं ततो मनोषिशामिहित | मध्यमवुद्े किमिति लं परिदेवसे मध्यमबुद्धिराहइ भ्नातर- शो किकमिदं परिदेवगकारणं। मनोषिणोकं। कथं ततः

RER उपमितिर्भवप्रपश्चा कया |

कितो मथ्यमवुद्धिना शमश्शोऽथद्ानगमनादिविद्याधरविकरतन- quam arrefant: ततः पूर्वमेव श्ातनिःग्रेवश्यतिकरेष्लापि बुग्धेनेव fafeaean समस्माकष्ठं antfworfafen faatgg day wees हा युक्रमिदं। चदि ar चिदं मया sae यथा yatta ate पापमिजेय साधं wa) तव्ननितेयमश्ानर्थपरन्बरा | तथाहि Qavardardeewe | gasses चं प्रबतेमानाः प्राणिनः दंक्तिषटतया fee प्रबलतया qratze- श्याप्राप्ताभिप्रतार्था एव afennwerent इव॒ मच्छका निपत- नधापद् इने समन्ते मरकं | खल्वलुपायलोऽयेसिद्धिः। अभुपाय- qrrdardage: सुखंलाभार्ना fe feat रवं ध्वंसयति fata नाग्थति चन्तं मखिनयति चिर्ननपाफ- नटौरवति ततः प्राणिन सम॑स्तनचंखायं योजयति तत्‌ gnisrdardesen दुख लामगन्धोऽपोति तश्ादिदं af छद्‌ चरितविखखितं बाख योऽयं weet विधन्तं | किम भवतः परिरेषितेनेति ave: प्राह ` मनोषिश- समनेनाखम्बह्धपखापेत्र खख सत्पुरषाणं मंहायखाधनप्रठला- मामपाग्राले वनं मनो दुःख्यति यदद्यापि af कमलं कोमलशजिततरुं acral प्राप्नोमि ततः कियदेतहःखं तदाकष्ठं काणदषट्वदशष्योऽयं सदुपदे शरमन्ततन्लाशमित्याकष- wa मनोविशा wet दक्णागसुजे मथमबुद्धिः cara ततः शख्ानात्‌ ona frat: कथान्तरे, अभिरहितश्चासौ।

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eae: प्रखावः। ROR

भ्वात्े्ोष We: wa बाख दव mafed ana तत्कि भवताश्च vem faana fared weagfgcre बोधितो safagrat भवता शोऽथ भकदुपरे ्रभपि wreafs are खम भाखेनेति अन्व sfrwermtet ऽथ व्यतिकरः तत्किमेव 4 waegran afifeerfafea i केवलेन कि afe मशषगनरोपेतेन wx केन fe प्रभातं परकेना- | wiga | मध्यमवुद्धिराह कच चातः मनौोषिणाभिदित | कामरेवभवनडहन्तानस्ताबदडखोकप्रतोत एव कि तद्य Wwe विच्राधरहरण्ट सान्तस्द ये प्राप्तः ara इति लदोवहाहारवात्‌ प्बुद्धाषठदा शोकारीविंश्छव नगरे प्रलारितः। weagiger fefnd 1 धे faery मातुः पुरोऽ व्यतिकर योपथामि ्ाबता गाढतरं WaT: see: Greeny fated प्रथोजनं प्रायः प्रकाशत एव wth विशेषतः पाप। तस्मडुवदधिरेवा प्राणिनां अवा arefta पापं प्रच्छादयन्ति। श्यं fe केवखमधिकतरं मोहविशसितं सूवधतोति एवं fafa ततद्धेनामिदितं | anifeng ठससान्तदसुपश्धभ्य भवता किमाचरितं. fa तातेन किमम्बारग्वां किंवा नबरशोकेनेति भोतुभिष्छामि मनो षिषामिरहितं भ्रातः ease | मम तावदुपेखा firey तामिति are संजात are प्रति माध्य तणा क्विष्टमानेषु दयावन्तः am इति पर्याशोचनया प्रादुंता तवोपरि मते करणा तथा स्युकोऽ₹ पापभिभाभिष्वङ्गजनिता- नामेदं विधानामपायानामित्याकलनया सजातात्मन्याखाबुडधिः |

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ROB उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

qufuay प्रमोदबन्तो महात्मान इति विमर्ेन धन्यः ga- भागसौ भवजभ्यंनाथं खमस्तानथंहेतुः TM: TTS: सर्वथा निराहत इत्याखोखयतः agufeae प्रति इषेः तातेन तु केवलम हासेन हसितं मया मिहतं तात किमेतत्‌ तातेना- fafei gy यन्धथि प्रतिकूले संपद्यते agua qe | अतो मे इषंः। दा जात गतोऽसौति परिदेवितं सामान्य STAT न॒ षंलातो मामकतनथस्सापाय इति wet चिन्तन aaa नगरश्य तु शंपशलो बाखहरणेन प्रमोदः | संजाता ल्दौखगमनेन RCT | MHA: खशखावसख्वानद्शनेन ममोपरि Gear: मध्थभबुद्धिराइ कथयमेतन्ञङ्ितं ` भवता ।: मनोषिषाभिदहितं निर्गतोऽहमासं तदा नगरे ayaa ्रमणिकया | ततः अता मया परस्परं Hert शोकाः। यदुत | aut gat संपन्नं यदषौ aeeitaiiages दुषटोऽनः- करणेन वजितो मर्वादया बद्िण्डेतः सदाचाराभिरतः खततम- गम्बममने ऽत एवो पतापकरो नगरस्य ae: केनापि awa गापडत दति भरन्येनाभिदितं ge खन्दरमेवं तु सुन्दरतरं भवति यच्चसौ feet fast व्ापादित्च शयते यतस्खिजे- कान्ततः प्रष्णीन एव पापे नागरिकाणां Wheres संपद्यते मान्यथा चअन्देनाभिदहितं | खुन्दरमिदं केव यदसौ मध्यम- बुद्धिष्तपसखौ aw एषतो um fawa ag ayia fe fafwenre: प्रतिभासते.स्माक तत्तोऽपरः sme) भद्र ये. पापप्रटामां ager भवन्ति तेषां कोडृशौ विशिष्टता |

feat: प्रस्तावः २०५

छल्‌ जल्यकनक श्लामिकया सह संगं महेति | अल एव सभन ages द्‌ःखपरन्परा मयग्रञ्च ata किमजाञख्थं ये पुनरादित एव पापामुष्टागामक्रजमसन्पकें इयन्ति तेषां नेव दोषो ऽनुषष्छते | अार्येऽयमेव anal दृष्टान्तः योऽय महात्मा परिडतपापप्रवण- बाखवात्धश्यो fame सुखम जोवतोति ततस्तं खोकवाद- माकणेयता मेदं afeafafa मध्यमबुद्धिना चिन्ितं। अचे

दोषेषु व्तेमानस्छ नरस्याचैव जब्मनि |

area सुखगन्धोऽपि केवलं दुःखपड्तिः

fe दुःखभराक्रान्मस्तावता नेव gee |

्आक्रो श्दानतस्तस्य शोकोऽन्यदेरिकाथते \

एकं दुःखेनिदंगम्धो दितीयं निन्दितो जनेः ¦

गण्डस्योपरि संजातः स्फोटो wera दुर्मतेः

जनानां कङणास्ाभं जातोऽहं बाशमोखकात्‌ |

कलितस्ताद्श्रः प्रायः केचिन्तत्वविलार कैः

दुःखाकरः vat निश्चो ममेदार्नौ विजानतः |

तस्माज युक्रः सगौ aaa सदह पापिना

येषु aa नरस्याचेव अक्मनि |

जायन्ते ez: vat aurea मनौविष्षः तथाहि |

VATE: सुखो नित्यं arattat विपञिताम्‌ |

वाखस्यगरेनसं सगंभो सत्वादेषव वतंते

तथापि शोका दोषेषु waa विडहितादराः।

Red उपमितिभवप्रपञ्चा SUT |

रेषु fafwetere aa monet

तदेवं guztaut विश्रेषं पश्चता मवा |

गेषु aa: aaet आदिष्टो मनोौकषिण्णा

avaa विचिन्धाशौ मावते तं मनौषिणम्‌ |

शक्छमधुना ate प्रकाश्मरितु मया

शोका मां प्र्रथिखन्ि बाखटनलान्मश्चसा |

अतिखष्णाकरं नाडइमास्थातुसुत्घद्े

अन्यच्च दुर्जना शोकाः श्वा मन्तः कदथेनाम्‌ |

adrat नितरां तुष्टा इिग्धग्ति fares:

ATA स्थातु सद्मनि युष्छते |

जनस्य विस्मर त्येतश्चावदाख विचेितम्‌

मनौषिणोक्तं aye रोचते तदिधौथताम्‌ |

केवलं पापमिजौयः eat वार्यते मया

ततः कंचिदपि बदिर निगेच्छंखजेव सदने खितो मध्यमवृद्धिः | गतो मनौषो SAA इतख बालश्ररीरादाविष्ठेतः खगेनोऽङ्लश्रखमाशा

शु ्रलमालयाभिहित साधु पुरक ee) यश्मन्लो जातो ऽनुतिष्ठति azafed भवता यतो facrenqurael- कवाचालो मनोषौ | स्पश्ेनेनाभिहितं श्रम्न युक्रमेवेद्श्मो- दुग्रपुरुषाणामनुष्टानं | दितः खश्वेवमासरता प्िथमिभेए मथि निभेरोऽनुरागः | श्रयवा किमनेम faafeaertt warea- म्यस्माकं WANT खमसुखद्‌ःखला | ये तु रद यंखाधनप्रडका-

Sale: wera: | RSE

नामपाग्भरासे fan wafer तान्‌ को awafa aye: are! वथम्येतदेव aa: केवलमेत मनोषो जानाति स््ेनेना- भिद्डितं किं तव तेन सुखविन्रहेतुरसौ पापकमां भवतः | अयं अनोऽग्ना केवलं ते सुखकारणं बालः we, कोऽ fanart भिःमन्दिग्धघमिदं ततः शतम्तार््यां योगशजक्रिग्यापार- पूवेको श्वयसदौखश्ररोरे प्रवेशः | प्राद्श्धतं मदनकब्दललौ गोचर अशरतर मौतसक्य ¦ प्रहृङ्धोऽन्तस्तापः प्रदत्ता जभ्मिकाः पतितः Wane | तज सानवरतसुद्लमानेनाङ्गन तया विचेष्टमानो ऽसौ दृष्टो मध्यममुद्धिना egw कडणा तथापि मनौबि- वचनमनुखमरता Wet वार्न्तामपि बाखस्सेन ti

अजामरेऽसख गतो दिनकरः | ततः प्रयमप्रदोष एव निगंतो are: | अवधोरितो मध्यमवुद्धिना प्राप्तः weadatrege | परविष्टोऽभ्डन्तरे | दृष्टं वासभवनं | चलितस्तदभिमुखं | ततः प्रचुर - तया शोकस्य सान्धकारतया प्रदौषस्य व्यग्रतयाष्टप्राहरिकाणां aufecufen एवासौ प्रविष्टो वासभवनं विणोकितशग्म- ष्यभागः प्रकाशितो मणिप्रदोपैः सनाथो मदहारश्यनेन we तस्मिश्लवखरे सा मदमकन्दलौ तस्येव वासभवगख्ादूरवर्तिन्वा प्रमाधमश्राखिकायामात््मानं रचंयन्तो तिष्ठति | ATTA मवलोक्य बालो बालतयेवारूढः warat) wa: ataafa भावनथा TERM we: किप्तमुख्छोर्वके प्रावरणं fae तिरख्चौनो भविव्यति यावडिडहितागरेषप्रदो षकतेव्यो विसजिंता- स्ानशोकः कतिचिद्‌ाप्तपुरुषपरिकरो ज्वलस्प्रदौपद शितमामेः

aac खषमितिभवप्रपश्चा कथा |

CATIA: शभमदं नसद्वारदे | दृष्टः प्रविशन्‌ बाखेन ततोऽति- तेजखितथा जमदं नस्य सत्वविकणलतया इद्यस्य साध्वसद्ेत्‌- ल्वाद कार्थाचरएस्य प्रतिकूलतया कमेविलासस्य खफलदागोगखख- तयाङ्खुश्रलमाख्लायाः खविपाकदशितया were भयोत्वर्धेक बेपमाममाचयष्टिजिपनितो बालो amet ततोऽत्यश्चतया पर्स कणकणएटकनथा afwafrae शियिलनिष्टष्टतया wove खसुत्थितो महानास्फोटरवः | ततः किमेतदिति gant प्रविष्टो राजा | geen are: | कथमयमिह प्रविष्ट इति ससुत्पशो मनसि वितकंः। दृष्टसुष्डोर्षके प्रावरणं खचितं शय्थारोडकं quisafafa सुजातो निखयः। मत्कलचाभिलाषुको ऽयमिति सखमुत्यश्नः क्रोधः, विज्ञातं ae दैन्यं तथाप्यतिद्रात्मा खश्वयमपनयाम्बस्य दु विंगयमिति gar दन्तो नाशष््टे मिजचरण्णो राज्ञा श्रामोखितं पञ्चाखमख सुजयुगलं बद्धो विरारब्चमानस्त- त्ावरशेनेव श्राष्टतो विभौ षः अ्भिहितख्चासौ अरे एष पुडवाधमो भवताजैव राजाजिरे यथारमाकंथाम्यस् कङणध्य निं तथा समसरजर्नों कदथंनोयः | विभौषणेनाभिहितं ) aera पयति देवः ततः षमाशृष्टसतन केशेषु सहो च्वारटमामो aret TAMA | बद्धो वज्ञकण्टकाङ्ुले लोरसस्मे जोरितः कशाचातेः सिक्रोऽभ्रिवणेतप्ततेलबिन्दभिः प्रवेशिता अङ्गशादि- ग्बयःग्रलाकाः | ततेव विधेषु नरकाकारेषु दुःखेषु विभौषणेगो- दौ्धंमानेषु क्रन्दतो बालस्य लद्धिता रजनौ तदाकन्दरथे अवएपरन्परया किमेतदिति gayaa प्रभाते sara

BATT: प्रस्तावः | BOE

राजक्ुखे ANT) दृष्टो बाखः। एवायं पापिष्ठोऽद्यापि Maat- व्यादिः wee: wet नागराणां बड्विधस्तदाक्रोश्जश्पः। तमाकणेयतः श्रतगुणणौग्लं तत्तस्य दुःखं कथितो नागरिकेभ्ो विभौषणेन राजिव्यतिकरः। ततोऽहो ष्टतास्येति गाढतरं प्रदिष्टाः सवं विज्ञापितो agua राना यदुत यो देवपा- दामामेवायमपथ्यकारौ तथा क्रियतां यथान्योऽणेवं करोतौति | sf तस्य wet भगवदडंदागमावदातनुदधिः सबुद्धिर्मामामात्यः | केवलं तेन क्षचिदवसरे वर प्रथितो राजा | aga डिखकमेणि नाड पर्यालोचनोयो भवता प्रतिपन्न व॑रो नरपतिना ततः सनुद्धिमपयांलोष्येव दन्तः शचमदनेन राजपुरुषाणां नियमः यदुत कट््थेयिला बडप्रकारमेनं मरापसदं व्यापादयतेति | तदाकष्छे महाराख्धलाभ इव जातो जनानां प्रमोदातिश्रयः ततः समारोपितो रासभे विडम्ग्यमानः प्रावमालया खममाचुष्ठेमानो यष्टिमुष्टिमिहालोष्टप्रहारे रोरूयमाणो विरसध्वमिना तुद्यमानो aafy sone केराक्रो श्- वचनेमेहता mena समस्तेषु जचिकणतुष्कचत्वरदहमारगादिषु बेभ्म्यमाणो विगोपितो बाखः। ततो fanreaam are प्रशएकप्रायत्ा सस्य wawaafanry fei सन्ध्यायां नतो aaa) उल्षम्नितस्सरूश्ाखा्थां प्रविष्टो मगर ata: | ufareatfanda तस्य जटितः orem: | पतितौ तले | गतो yet. feat स्छतरूपतया gat वायुमा | wat चेता raat गन्तु ग्टहाभिञुखं गमिकषणेन कूजमामः

ace wufafranyet कथा |

UMM saelaggaars | हे संसारिनौव तज fafanfa- हितपुरे प्रथमं भवता वोयंजिधामश्लः Hafserat नाम Tet निवेदितः | श्रधुना दश्रापराधप्रभविष्णरेष शजमदंगो निवेद्यते | तत्कथसेत दिति ' संखारिजोवेनाभिडहितं gz मयापि afe- वधेन सता ve wae विदुरः ततो विदुरेणाभिदहितं कुमार कमेविखा सस्तजाग्तरङ्गो राजा शचमदंमस्त॒ बहिरङ्गः तेन मास्ति विरोधः यतो बहिरङ्गाणामेव राज्ञां दश्चापराधेप्रभविष्णता भवति बहिरङ्गनगरेषु नेतरेषां। ते fe केवल सुन्दरासुन्दर- प्रयोजनानि जनानां प्रच्छल्ररूपा एव सन्तः qalea निवेतेयग्ति | तथाहि | कमेविलासप्रतिकूलताजनितोऽयं बाखस्य परमार्थतः सवोाऽप्यनयेः संपन्न इति ततो मयाभिहितं श्रपगतोऽधुमा मे सन्देहः wo: कथय विद्‌ रेणामिहितं

ततः शृच्छरेणा तिक्रान्ते याममाजे रजन्याः प्राप्तः Eee बालः | इतद्चाकणिंतः प्रभात एव तदौयटन्तान्तो मध्यमबुद्धिना | ततो बाङखहले शस्यानुवतंमामतया संजातो मनाग्‌ विषादः | चिन्तितमनेन हा किमोदगर मपन्नं areata पुनः पर्थाशोच्यतः प्रादुश्डेतोऽस्य मनसि प्रमोदः चिग्तितिमनेन पश्छताो मनोविवचनकरणाकरण्योरिह लोक एवाश्तर तथाहि तदुपदे शव्तिनो मेऽधुगा Te: au: नोदोणेमयश्ः | पूवे पुनर्विपरोतच्ारिणो इयमण्यासोत्‌ बाणस्य पुनरेकान्लतो मनौ षिवचनविपरोताचरणएनिरतस्य = aU दुःखसहगता विजञम्भते जगत्धय श्रःपटहः सजायते मरणं तज किमाश्चषं तदसि

wate: प्रश्लावः | २८१

ममापि कालिद्न्बता यया aatfaaet बङमानः ics tfa | तथाहि

नेवाभव्यो भवत्य सतां वचनकारकः |

afm: कांकट्के नैव जाता यनञशरतेरपि

एवं भावयतित्ते array विशुञ्चतः |

प्रमो दपूणेचिन्तस्व afra तस्य afeaa i

ततः भागते बाले लोकाचारानुवतेमम्‌ |

gam विहितं तेन तस्य सम्भाषणं किख

णृष्टचारेषटा गतं विषाद गतवुद्धिमा |

तेनापि कचिता तसम बालेनादा विडम्बना |

म॒ faqwe योग्योऽयं मला मध्यमनुद्धिना |

ततस्तद नुरोधेन शतेषत्परिदेवना

ततञयूितिसवाङगो दुःखविहलमानसः |

तथा राजभयादुग्राट्‌ बाखसतेव संत्रितः

परष्छशरूपः सततं निगच्छति कुजचित्‌ |

एवं तिष्ठतोः कालस्तयोग्डेयान्‌ विल्वः

्रथान्यदा मिजविलसिताभिधाने Meret गन्धरश्लौव

वर कल्लभटन्देम परिकरितः सातिश्रयदएवता निजग्रिष्धवेंण प्रवाहः कड्ष्णारसष्य संतरणसेतुः ससारसिन्धौः WH Usa इनस्य श्रश्ननिर्मानपवतोदखने मूलमुपश्रमतरोः सागरः बन्तोषा- तस्य Me स्व विध्यावताराणणं कुलभवममावाराणां नामिः Wie वडवामलो Mantas महामनग्लः क्रोघञुजङ्गस्य

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VER उधपमितिभवप्रपश्चा aa |

feawact मोहान्धकारस्् निकषोपशः शास्वरनानां दावानख्जो रागपल्लवद इने श्रगेलाबन्धो नरकडाराशां देशकः wearers निधिः सातिश्रयश्नानमणनामायतनं समस्तशुणानां wagaas पुरे प्रबोधनरतिर्गामाचा्यंः

wry wy प्रति प्रतिकूलारिएसुपलभ्य मन वि प्रादुर- शत्कमेविलास्सछ तस्योपरि खरतरः पश्चपातः। ततोऽखौ Vagal were fed खश्यत्येव तावदिदं भवत वथाना- fewest प्रकृतिरियं मम वतेते यदुत योऽस्य सखग्रेनश्यानु- कूलसच्छ मया प्रतिकूलेन we ॒प्रतिकूखख gacaqgerar afer) मम ₹ख प्रतिक्रूलमाचरतः सवच ङुश्रखमाखोपकरकं w- qe विदधतः पुनभेवतौ ममोपकरणट वतेते। तदेवं fea खश्चना- नुकूलचारिणो awe दर्शितो argues. कञचिदाद्मनः sfaqearawen: se तु मनोकिणः wia- परतिकरष्वतिनो a मयाद्चापि निनानुकूखताफशविभेषो दर्भितः | यद्यपि यदिदमस्य स्पेने निरमिग्बज्गतया टद्‌ श्यनसुरतादौन्यनु - भवतः संपद्यते सुखं यश्चायं समुख्ठसितो लोकमध्ये यश्रःपटदो ग॒ aay: कचिदपायगन्धोऽपि विशरतः we समस्तस्य यति- करख्छा इमेव भवत्यो पकरण्ग्तया कारणं तथापि मयि प्रवादे तावा जञेवारय wegred | अतिप्रिये विशिष्टतरफशसन्पाद- नाथमखछ मनोषिएः प्रय कुरव्वेति प्रभसुन्द दैवाच साध्वायंपुज खाधु खन्दरमभिहितं देवेन खितं ममापौदं इदे योग्य एव मनोषौ देवप्रसादानां। तदेषानुतिष्टामि यदाश्चापितं देबेम

WATT: TTT: | RTE

wafiura qrarfiat श्रएभदुन्द्थां थोगगरक्तिः विहितमन्त- धानं। प्रविष्टा गला मनोषिश्ररौरे। प्ादुश्॑तोऽस्य प्रमोदः सिक्रमण्टतसेकेनेव शरीरं yom मिज विशश्तोद्यानगमनेश्छा | भख्धितस्तदभिसुखं चिन्तितमनेन कथभेकाको गच्छामि। qwy कालो रटप्रविष्टश् तिष्ठतो मध्यमबुद्धरतगेतः विकृतो ऽधुना SRG CTSA: | व्यपगतं तस्र STATS | WTA मपि fasfaefat भयामि। cf fate मतो ana मध्यमबुद्धिसमौपं | निवेदितं ae मिजाकूतम्‌ wry कम- fanaa तस्यापि अगन सामान्यरूपा तत्फशविपाकखण्पक्तये ata प्रोत्घाहिता। सा हङ्ुशलमाशाग्णभसन्दथीः षाधारण्वौ्यां विविनफशदायिनी खशूपतो वर्तंते ततस्तयाधिषितमूतर्मष्यम- बुद्धेरपि wear तज गमनेच्छा बाशब्ु भवताप्यवश्दं गन्तय- fafa वदता बल्लामोटिकया प्रवतितो मध्यमबुद्धिना। मता खयोऽपि fanfaafaatar

अथ मानाविपैस्तज fren: Bee: |

भमोदशेशरं माम प्राप्तास्ते जिनमन्दिरिम्‌

तश्च aeacuy विशाल खाधुचित्तवत्‌

देवलोकाधिक मन्ये सौन्दयौषदा्थयोगतः

युगा दिनायबिम्बेन stam तदधिष्ठितम्‌ |

खमन्ताहूरगोनतुङ्गप्राकार परिवेष्टितम्‌

पुरतो लोकनाथस्य athe पठतो मुदा।

aw Araneta ष्यनिमाकश्छं पे गरलम्‌

२८४ उपमि तिर्भवप्रपच्चा कथा |

किमेतदिति afew कौौतुकाचिष्तमानसाः | प्रविष्टा जिमसदने ते बथोऽपि कुमारकाः अथ दकम्‌ तिख्ो देवाजिर विश्षष्यः | विनौतसाधुशोकस्छ weal तपोधनः जिनेष्धगदिवं धर्ममकणशद्धं सनातनम्‌ | खथारषागरोष्लारमाशचाण्ः खरेडिनाम्‌ प्रविश्रद्धि्महाभागस्ष्डवन्तारकेषेतः | प्रबोधनरतिर्भौरः सरिसतविंशोकितः भाविभद्रतथा जेनं faa नला मनोविष्ा ae: गेषसुनौनां विदितं पाद वन्दनम्‌ ततस्तद नुरोधेन HAY संग्रडधनुद्धिना | देवखाधुनमस्कारः Bat मध्यमबुद्धिना पापमादवयस्याग्वामधिषठितश्ररोरकः | वाखोऽकख्ाणभाङ नेव कश्चित््रणतिं गतः किंतु प्रामेयकाकार बिभ्राणः qararee: | मनौ पिमध्यमासन्ने खोऽपि गल्या sete: श्रय संभावितासतेऽपि wage) शरणा aware निषण्टास्तय wa arg सूरिटन्तान्तः कथ चिक्लोकवातंया | afar जिनभक्ेन अतस्तेन सुबुद्धिना ततः परोष्छाडितस्तेन राजा शचुमदेनः। वन्दनां सुनोष््रष्य प्रभाम दति भाषिणा

wate: प्रस्तावः | Roy

विधूतपापमात्मामं वन्दनेन महात्मनाम्‌ | साधनां येऽ कुवन्ति ते धन्यास्ते मनौ षिषः s ततो मदनकन्दखा SUA TTT |

सुबु द्धिवचनाद्राजा faant सुगिवन्दकः ततः शवे पुर तज नपे चति विदितम्‌ | सेन्यं गतशरु्ाने कौतुकाशटष्टमानसम्‌ निपत्य पाद योसत frre सबशो a: | प्रबोधनरतिं भक्षा ववन्दे इष्टमानखः प्रणम्यागेषखाधूंखच THM गेरसाधुभिः | जिषशो ama राजा विनयानघमसख्कः सबुद्धिरपि जेनेकपाद्‌ पड्मशतानतिः | निङूषयति सर्वाणि देवकर्माणि यन्तः देवप्रजनबद्ध पदौ पदाना दिपूवेकम्‌ भलह्षोत्कष्डठितस्वाङ्गो गन्यखकरनानुकः Qe भवकानतारे जन्तुभिजिगवन्दनम्‌ दति भावैनया weit निर्म॑खोग्तमागसः आनन्दजखपूर्णाखः STATHAM तथा भागवते भिन्ने weefefaeee: nme अनेर्पोरः पटिला भक्िनिर्भरः | पश्चाङ्गप्रणिपातान्त fare: were परस्यरतिरोग्तकर श्राखा विनिर्मिताम्‌ | कोभ्राकारकरः छवा योगमुद्रा Taryn:

९८९

छपनमितिभवेप्रपश्चा कया

लतो सुवननाचस्च सोजाशि awer गिरा तदटानौं yea तद्थार्थितमानसः HAG जगदानन्द मोखमागेविधायक जिने विदिताग्रेवभाव सद्वावनायक tt परशलौगाग्रेषसंसार विस्तांर परमेश्वर | नमस्ते वाकूपथातौत निलो कन्रशेखर भवासििपतितानन्तसत्वसन्तानतारक अओरसंवारकान्तारसायेवाइ नमोऽष्ठ ते अनन्तपरमामन्दपूणेधाम व्यवस्थितम्‌ | भवन्तं भक्तितः. साखात्पश्यतौडह जनो जिन & श्युवतस्तावकं बिम्बमन्यथा arate: प्रमोदातिश्रयसिन्ते जायते सुवनातिगः पापाणजनितस्तावन्ताषः संषारिचेतसाम्‌ यावत्तेषां शदानन्द मध्ये नाय वतसे येष qafaadar भाय चित्तेषु देदिनाम्‌ बापाएवः खणान्तेषां ध्वंसमायान्ति सवया ततस्ते द्ाविताशेषपापपड्तया जनाः | बद्धावाग्डतसंसिक्ता मोदन्ते माथ सवेदा ते वराका Herat रागादिवरटेः कथम्‌ | येषां ara मवान्नासि त्तिखानाग्यकारकः भवन्तसुररोषत्य नाय निःशङ्मागसाः | fad यान्ति मदादोनां विधाश्च गलपादिकाम्‌ tt

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भ्यपतिखदिद्‌ं नाय जगन्नरकङ्पके अडिषाहस्तदानेन यदि लं नाघरिथययाः विद्ौनखकशक्तोशरं निविकार मनोहरम्‌ | TOC waat ara तावक्धैनमदो वरम्‌ WAMU: BAR वौ तरागस्लमश्ञघा | भासि यदभव्यानां त्तेषां पापजभ्नितम्‌ रागदेषमदहामोडस््वर्वो THAT | wWUsfafamnaraaeraera ते नमः अनमन्तरएसंप्रणे faa वदिति | तावकसख्लवने नाथ जडङ्वुद्धि रयं जनः तथापि गाडढबद्भावबद्धोऽ्धयंमयं जनः | शद्धावोऽप्थवा नाथ भवतेवावनुध्यते तदश्च aqut wat विधातव्या मवे भवे ` भवोच्छेदकरो नाय भक्िरात्मनि निखा सस्दत्येव wager निनसुद्रया . विधाय वन्दन गयः पञ्चाक्रनमनादिकम्‌ लदन्ते प्रणिधान मुक्राष्टश्यादिखन्दरम्‌ | GAT CATIA मन्यमानः सुकर्मणा खरः पादयुग सिञ्चल्लानन्दोदकविन्दुभिः | वन्दनं इादशावते ददौ रोषखदमम्‌ छतसामायिकोऽगेषसाधूमानम्य भक्रितः अवा प्रधमेशाभोऽसो fave: VEIT

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Ace छपमितिभवप्रपच्चा कथा |

ष्टद्रितगूदन्ते खबुद्धौ तज मन्तिशि अथाचार्या विशेषेण चक्रिरे ध्मदेशनाम्‌ ti कथितं wate after: कर्महेतवः | प्रख्यापितं faaty दशितं awe कारणम्‌ ततखाग्तसंसेकचादणा वचसा सुने: | जातास्ते जन्तवः खवँ चिक्नसन्तापवजिताः WAAL मां शविश्रदं war were करक्ुङ्मखम्‌ | गाद भारतौमेवं राजा WAST: भगवश्च संसारे नरेश सुखकामिना | किमदेयं प्रयन्नेन स्व षन्पन्तिकारणप्ठम्‌ खरिरूवाच | MEAS महाराज Wa: सवेश्चभावितः | एव भगवाम्‌ खवेपुडवायप्रषाधकः सओोऽनमन्तसुखसंपूणं मोखे नयति देहिनम्‌ | अगुषङ्गख संसारे Bq: Gauge: नरपतिङवाच | थेवं mae कुवन्ति तं ख्वंसुखसाधनम्‌ | wa शंारिएः किं वा fat genre | सूरिरा सुखाभिशावः सुकरो दुष्करोऽलौ yates यतो जितेश्िषग्रामस्तं शाधयति मानवः

SMa प्ररूावः QTE

अना दिभवकान्तारे प्राप्तानि परम wer | दुमधोभिने शक्नो जेतुं aA arte वै तेनेव जन्तवो मूढाः सुखमिच्छन्ति Bra | धम पुनः सदूरेण त्यजन्ति सुखकारणम्‌ मरपतिङ्वाच | येषां जयमश्रक्रिष्टाः aa भो पारथग्धमौ + धमेतः TEI ततो नवाः सुखैषिणः कानि तानोद्धियाण्णौहं किंखरूपाखि वा सुने कथ वा दुजयानोति ओतुमिच्छामि तत्ततः मुनिदवाच | OUT रखना त्राणं चुः रोज पञ्चमम्‌ एतानि तानि राजेश इषौ काणि प्रथते CS: स्य्रादिभिखोषो Teafyqaae: | एतत्लरूपमेतेषाभिद्धियाणां नृपोत्तम द्जेयानि यथा तामि aan तयाधुना | दन्तावधानस्लं खवेमनुश्रुत्यावधारय अनेकभटसकोर्णे समरे योधयन्ति ये | मन्तमातङ्गसङ्कातमेतेस्तेऽपि विभिजिताः aye निधायेदःं सुवनं नाटयन्ि धे श्ररादयोऽपि श्,ासतेऽपमोमि्वं शीताः दिर छगभेवेश्घष्टमहेश्वर पुरःसराः |

एतेनिंरारताः सनः ef किद्रतां गताः 37

Reo

उपमि तिभवप्रपश्चा कथ। |

swe शव श्रास्नाणि परमाये विदो een: एभिविधुरिताः wage aie दव. एतानि fe सवो शसुराखुरमादषम्‌ ` वराकमिव मन्यन्ते सकलं भुवमचयम्‌ esata ततोऽमूनि इषौकाशि मराभिप एवं सामान्यतः रत्वा इषौ कशुणव मम्‌ तत | | = MAAS टम्तान्तं बोधनाय मनौषिरएटः | खरिबेभाषे खदन्तदौ धितिश्छरिताधरः अथवा महाराज | तिष्ठन्तु तावच्छेषाणि witarfe sera | auafcataa aed बत वतेते यतो म्‌ शक्यते शोकेजंतुमेकेक मष्यदः | शोखया जयतोदं तु YAH सचराचरम्‌ गरपतिश्वाच | . wate जेतारो ac: किं षन्ति guyz: आहो ख्िक्ैव विद्यन्ते भुवनेऽपि तथाविधाः बुनिरूवाच | राजसडि विद्यन्ते tae facer जनाः | ये qe विनिहन्तार स्तजाकणंय कारणम्‌ जघन्यमध्यमोत्छष्टास्तथोत्छष्टतमा YE: | चतुविधा भवन्तौह पुरुषा भुवनोदरे

SAT: प्रशलाबः।

तयोत्छष्टतमास्तावचेरिदं GAA अमादिभवसम्बन्धलाखितं पाशितं fire ti लेनेन्द्रागमशन्पकादिश्चाय बङदोषकम्‌ |

ततः षकोषमादाथ MUTT CTE ager शपि ते सको wraaer जिनागमे सपर्भनेखियलौ खेन नाचरन्ति कुचेष्टितम्‌ यदा qufanee तिष्टनधेते farsa | auafxuemal जोटथयन्ति तदाखिखम्‌ यतो दौरा warere निैश्लोमसमानसाः | SATA धन्या जायनेऽत्यन्तनिःखहाः ततस्ते भवकान्तार निर्विप्रा fener: | स्यशेमप्रतिक्ूलानि सेवन्ते धौरमानसाः

भूमौ ग्रयमखो चादिकायक्ग विधानतः |

ततः geet हिला जायने ते निराशाः ततः SHAR श्र विच्छेदभाजमम्‌

wert ते निषेतिं afin निजित्य खयश्ेनेद्धिधम्‌ |

Ammer राजजिर्दिं्टासे विचः | ये चेवमसुतिष्टश्ति facara जगस्य

ततो भागवतं वाक्छमाक्यंदं मनयैषिशः | शरभचेतसि SEMEN VERT: = अथे भगवता यादृग्‌ वर्त quafixad | अत्य विषमं शोके WIEN: परम्‌

REX

RER

उपमि तिभवप्रपश्ा या |

यतो बोधप्रभावेश मम पूर्वै निवेदितः | धयान्तरङ्गगगरे वाखव्योऽय महाव: ae पुरुषव्याजखख्ित स्यथेने शिवम्‌ | WHY प्रतारयत्येतदन्वेथा कथमौदु जम्‌ ततो भगवतादिष्टा बे चोत्कृष्टतमा भराः | कथितः स्ेनेनापि भवलम्भुख्लथा विधः तथाहि at निराव्य errata: | amtarfucta प्राप्त दति तेन निवेदितम्‌ ARTSY VE: VT GANTT) शलाशरेषं विजानामि ew परमाषरम्‌ श्रय हि भगवान्‌ सूरिभुंवन सचराचरम्‌ | WATS जानोते शन्देहदलमः परम्‌ धाव चिन्तथत्येवं साकूतो विशिते्णः | तावह्ञङितिचिन्तन yet मध्यमवुद्धिना &

कथं |

मनोषिल्ितरां fan भाषितसख्छं विश्चोष्धसे | किम भवता कि चित्छतश्वमवधारितम्‌ मनोषिणोक् किं भातभेवता fa a afer किमेवं श्ुटवाक्येम कथयत्धपि weit अनेन हि समादिष्टं यादृशं स्पशेनेद्धियम्‌ | वयस्छस्तावकस्तादृक्‌ स्पश्रनो भाज संश्रयः कथमेतन्ततः TE पुममे्थमवुद्धिगा

wate: wena: |

red कारणं तेन fae तु aatfrar i वास्तु पापकमेलात्केवशं atet fem: 1 मादरपरस्तज् हितेऽपि वने AT: रच राशः खमोपश्था पिबन्तो वचनाग्टतम्‌ | areata विश्रालाचो राशो मदनकन्दशो सा दृष्टा तेन बालेन ante wie संखितम्‌ | गुनं मे इदयस्ेष्टा चेयं मदनकन्दल धतो ऽबदातमेतखास्तापनोधसमप्रभम्‌ | wot दशनाव खटदुतां उ्षथत्यलम्‌ रक्रराजौ वसच्छावं विभाति चरणदयम्‌ | श्रश्कितसिराजाथं कूर्मोनलमसुक्तमम्‌ बिभति तोरणाकारं भवने माकरध्वजे | ag खसौन्दयादेतस्ाखेन राजते .॥ RIAN: कलापेन बद्धमग्मथवारणम्‌ | जितम्बमिम्बमेतस्या विश्राखमश्टतायते - भारेणेव हशर श्वो विराजितवलिषयः एतच्चा राजते मध्यो रोमराजिविग्धषणः गौरा GHIA इदयं सुममोहरा | राजते नाभिरेतच्याः शत्कामरष्कूपिका वदत्येषा wait eat पौवरौ कुम्भविभमौ | उकङ्गकम्मौ चारू इटयेन पयोधरौ अन्यच्च धारयत्येषा सुङ्कमारमगोहरम्‌ |

RLR

REB

उपमिति्भवप्रषच्चा कथा

पु्छप्रागभारसमापयं रभ्य बाडखषतादयम्‌ कराभ्वां निजितौ भन्ये gaat रागसुन्द्रौ एतस्याद्चाररूपाग्वां रक्षाश्नोकखछ पल्लवौ दध्यां पारिमाष्छद्य कन्धरायां gawar | wai रेखा्रयं मन्ये जिशोकनयसूचकम्‌ ti अधरो विद्र्‌मच्छेदसन्ञिभो भाति ane: | uaa विलसति कपोलौ aiteervet ये कुन्दकलिकाकारा विशषत्किरणणेत्कराः | एतस्या वदने दन्ता मास्ति ते yaaa शितासितं सुविस्लौणे ताबराजिविराजितम्‌ t पश्छाखं Arata wee सङ्गो wena सूखते दोधपश्मखे | अश्या शखाटमखकेः कलितं बत राजते WAST करोमोति गुनं जातः प्रजापतेः + बडमामो faa for waver: अवष्दवम्‌ माखतोङ्चसमामोदमोदिताखिदुलाङ्खखः | अष्याः gfasgfee: केशपाशो विराणते एतस्या मकयोल्ञापानाकष्ठे शरतिपेश्रशान्‌ | मन्ये खविखरत्येन शख्िता कच्को किला # Sfeatfya चल्छारमेतश्चा वरपुदखेः | धाचा fafafad Sarre कथमौदुश्रम्‌ अतोऽख्वाख्ादृ प्रः Ut ew एव संश्रवः |

Ate: परश्वः | REY

जालद्धतद्ुष्छेषु कटलमिव तिहते एषाणभिणवल्येव मां यतोऽ्धनिरौकनिः | निरीचतेऽतिलोखाचौ faragat g¥gw: एवं विधविपर्यासि विकण्पाद्खमानवः | बाखोऽलौकखौभाग्यगर्वितो gent मतः afcware | तदेव कथितास्तावन्ध्वोक्छष्टा मथा गराः Leaguer यत्छर्ूपं तदु श्यते | वं वदति भगवति at wen सूरिणा चार परिकिनध मनोविशा ।. aime भवतापौदं मध्यबुद्धिः प्रशोदितः afceare | | SMCS गरा Wart fee wiafeag अवाप्य AAT TH श्रचवद्यावधारितम्‌ भाविभद्रतथा तेषां परिश्छरति मानसे नेवेतद्छुन्दर इनत Sarat wiafean ततो ature खच्धन्धपि ते गराः | कुन्तो ऽन्वेवणं त्य मृखष्एद्धिं परिस्फुटम्‌ # ततो fagra ते ae शोकवश्चकतां नराः | सवच चकिता नेव विश्वसन्ति कदाचन सानुङ्कखचारिलं भजन्ति विजितस्पृडाः | ततख्ष्जनितेदेषेनं ger frewer:

२९६ उपरमितिभवप्रषश्चा क्था |

ग्ररीरख्ितिमाजायंमाचरग्तोऽपि तसममिषम्‌ | तच ग्टद्धेरभावेन भवन्ति सुखभाजमम्‌ प्राभरुवन्ति बशः प्रुभमिह शोकेऽपि ते गराः सखर्गांपवगेमागेख निकटे ताद्शाश्रयाः रवः Raw तेषां भाममाजेश कारणम्‌ | मोखमागे प्रवतो खत एव fe ते गराः च्रभ्येषामपि कुवन्ति ते सन्ार्मावतारणम्‌ | Aare ये प्रपद्यन्ते विशाय हृणकारणम्‌ |i ये पुमने saga aera बाखिश्ण जनाः | तेवामनादरं शता ते तिष्टन्ति गिराङ्खशाः प्रत्येव भवन्ते देवाचार्यतपखिनाम्‌ | पूजाखत्कारकरणे रतचिन्ला महाधियः एवं भाषिणि भगवति प्रगोधमरतिखरौ मनषि चिन्तित | यथयेदसुक्छष्टानां ्षाचितं चरितं नृण्णम्‌ | तथागुभवसिद्धं मे कि चिदात्मनि भासते मध्यमबुद्धिना चिन्तितं | खक्ृष्टपुखां agen गरणा वरिता इणः एते Tat: पर VF चटन्तेऽच मनोषिणि TRATES | तदेवं तावदु्ष्टा वताः पुषा मया अधना मध्यमानां चत्खरूपं तज्निबोधत

Saty: प्रर्तावः |

मध्यमास्ते मरा Ret Vite श्यर्भे द्दियम्‌ अवाप्य मानुषं जग्म मथ्थवुद्यावधारितम्‌ स्फशनेश्िवस्पाथ ते सुखे खुद मानसाः | पष्छितेररु शिष्टाखं cere सचेतसा चिकयन्ति fre चित्त ते eterferggze: | विचिषरूपे सखारे किमव वत gaz भोमानेके प्रहसन रमन्ते सुखनिर्भराः |

अन्ये ्ामान्तरात्मानो निन्दन्ति विगतस्यहाः तदच कतरो मामे माद्‌ भ्रामिह yous |

ग॒ खचथामोऽ तिनं सन्दे इमेवभाइते ARTHAS युक्ोऽस्माकं watt ` नेवेकपशनि्ेपो विधातुमिह get

एषा aed afgal तेषां कमेपड्ूतिः | तन्छकाश्ार्णां sary बुद्धिः क्मानुसारिणौ ततस्ते WITT मन्यन्ते Gea | wana वतको fa a ATER IT: ततो ओोकविदद्धानि areca aera रूष्रेद्धिवलौदोेग नापायान्‌ भापुवनधतः विचकणएोक बुध्यन्ते विशेषं वचनस्य ते WEST STG केवरं नालरन्ति भोः ait बाकजिग्लोकरेन ङुवंन्ि खेहनिर्भराम्‌

way तददिपाकेन रौद्रां दुःखपर पराम्‌ 38

Ree

२९८

उधमितिभवप्रपश्चाश्या।

अवणवादं ate प्राप्रुवग्ति संश्रयः | संगे: पापलोकेन सर्वानर्थंकरो थतः

चदा पुगः wae विदुषां वचनानि ते। अआचरन्ति विश्चाय actat हितरूपताम्‌ तदा ते विगताबाधा भवन्ति सुखिनो गराः | महा पुडवखन्पका भन्ते AMAA पण्डिता इव ते नित्यं गङ्रेवतपखिनाम्‌ | AWAIT: सन्तः कुर्वनधचेनवन्दनम्‌

तदि दमाचार्चौवं वचगमाकश्डे मध्यमबुद्धिना चिभितं

एते Gear परोक्षा मध्यमानां Gaya: | सखसंवेदनषंसिद्धास्ते ममापि खगो चरे

aatfaat चिन्तितं |

ufed ufcufed वचनेः quite: चरितं मध्यमाां तश्मदौये तरि खितम्‌

arrears |

तदेवं कचिता ल्ावग्मध्यमानां गणागृणाः + TAMIA खरूपमधनोच्यते जचन्यास्ते नरा Hat ate स्पेने श्यम्‌ | अवा मानुषं जका बन्धुबद्यादवधारितम्‌ परारिरूपतामख्छ जानन्धेव ते खयम्‌ | परेषामपि इष्यन्ति विदुषां हितभा षिणाम्‌ qua easy पामाकष्डूयनोपमे

ware: wena: | ace

परमार्थेन दुःखेऽपि इवखलेगऽतिग्टक्नवः खगऽयं परमार्थोऽयं watsd सुखसागरः | अस्माभिरिति मन्यन्ते विपर्यासवशं गताः ततो we तमसतेषां प्रविसपंति सर्वतः | विवेक श्नोषकासित्ते wea रागरश्पयः गष्टसत्पयसङद्धावा ध्याश्च्यान्धौग्डतबृड्ूयः | कूर्वन्तोऽनायेकार्याणि aaa केम ते ततः धमेखोकविद्धानि निन्दितानि sens: | कार्यांष्याचरतां शोकः शचुभावं प्रपद्यते कुलं चब्द्राप्दविश्दं ते asf मलूोमसम्‌ | sTanaefta: पापाः प्रयाज जनहास्यताम्‌ अरगम्यगमनासक्रा निमर्यादा नराधमाः | अरकंठूलादपि पर ते जने यान्ति लाघवम्‌ दु शेभर्या दि विषयः कथं चिदसदायहः |

यद्‌ पुनर्विवतेत इदयेऽतिमदाय्रहः

तदा ते यामि दुःखानि aq लोके विडम्बनाः | ्ाभरुवन्ति शक्यन्ते ता यावणेयितुं गिरा केवलं गदित शक्यमियदेव शमासतः | wad ते नराः सर्वा शोके दुःख विडम्नमाः त्येव भवन्धेते गसदेवतपखिनाम्‌ प्र्नोका महापापा निर्भाग्ण wager: सन्परागेपतितं वाक्यसुपदिष्टं हितैषिणा |

Ree उपमितिभवप्रपञ्चा Wat |

mafia aoe ते महामोहदूषिताः ततखेदं सुनेर्वाक्यं fafafya मनौ षिणा | विचिन्तितमिदं चित्ते तथा मध्यमवुद्धिना स्पशेनेद्दियशब्धानां यदेतद्‌ पवणिितम्‌ | gut et जघन्यानां सूरिभिविं शदाचरेः तदेतक्छकलं बाले प्रतोतं स्फटमावयोः | नाप्रतौतं वदन्ते यदि वा ATE: बालेन तु गरोर्वाश्यं मनागपि लङितम्‌ | तस्यां मदनकन्दल्यां लिक्तचिन्सेन पापिना afreare | तदेवं भो महाराज जघन्यनरचेष्टितम्‌ | faafed मया तुभ्यं तजेदमभिधोयते एते जघन्या wzatet भुवने सन्ति मानवाः | इतरे तु यतः श्लोकाः सकलेऽपि जगच्रये स्पेने न्द्रियजेतारो facet भुवने गराः | तेनास्माभिरिदं ya wag: प्रतिपादितम्‌ मरपतिङवाच | धमे यतो कुर्वन्ति हेतुः प्रतिपादितः | भगवन्ञाशितोऽस्माकं भवद्भिः संशयो महान्‌ waa तु सुबुद्धिमन्तिफामिहितं भगवन्‌ एते जघन्यमध्यमोक्छष्टोक्ष्टतमरूपतया Ws: पुरषाः पञ्चादनुपू्व्या भगवद्भिः खण्ूपतो व्याख्याताः एते किमेवं खदूपाः mead भवन्ति

श्तोयः परतावः। ३०९

शराहो खिदेव विधखरूपजगकमेतेषां कि चित्कारणएमस्तौति कथयन्त भगवन्तः भगवानाह | महामण्तिन्नाकणय तावन्मारतमि- दमेषां wed fa afe कारणजं av थे तावदुलष्टतमाः gate: प्रतिपादिताः ते केवखसुत्छष्टभ्यो निष्यश्नख प्रयोजनतया भिद्यन्ते न॒ परमाम | यतस्त Weel यदावाप्य मनुव्मभावं fama भवखरूपमाकलय्य ata तदासेवनेन दलयिलवा aaa frre स्पेनेन्दियं मिति प्राप्ता भवन्ति तदोत्छ्ट- तमा इत्यभिभौयन्ते निरतो तेषां खरूपेणावसख्ामं ताम- वस्धामपेच्छ किं चिष्वगकमस्ति | तेनोक्छष्टतमानां पुरषाणां कचिष्णनको जननो वा एते पुनजेघन्यमध्यमोत्छष्टाः पुरूषाः संसारोदरविवरवतिंनः खकमेविचि्रतया जयन्ते | तस्मात्स एव कमेविलासस्तेषां जनकः तच्च कमे जिविधं वतेते तद्यथा गएभमङ्ुश्रज सामान्यरूपं aw या कमेपद्धतिः शमतया सुन्दरौ सा इएमुन्दरौ मनुब्यतवेगोष्छष्टानां जननौ या पुनर- कु ग्रखकमेमाला घा Haare जननो | या पुनः कुशला कुश्रखतया सामान्यरूपा कमपद्धतिः सा मध्मनराणां भन- fant वि्चेयेति मनोषिशा fafa: wa tae गणेश्चरितेन चेतेऽस्माकमुक्छ्टतमोक्छष्टम्यमजचन्याः पुरषाः समानरूपा भगवद्धिर््याख्याताः fa तदि जनमोजनकव्यतिकरो ऽ्यसा केतेः सह AS एव भगवता रितः त््॑ाचनमे तद्रू वैरेवास्ाभिर्भवित्यं तथाहि योऽसौ भवजन्तुमा facie fasfa प्राप्त सति शूशेनेमासभ्यं निवेदितो ae तेन जननो

ReR उपमितिभवप्रपद्चा Sur |

oma वा afy@ene: | तस्मादुक्छष्टतमोऽसाविति trates | च्रस्माकं पुनख्याण्णामपि aafaeret waa: भगवदादिष्टामि- धाना एव जमन्यः तस्मादिदमचावसौयते यद्‌ जघन्यो बाखो मध्यमो मध्यमबुद्धिः उक्छृष्टोऽहमिति सुबद्धिनामिहित भगवन्नेतेषामुत्छष्टतमादोनां पुरुषाणां fa सवेदावख्ितमेव रूपं उत परस्पर खरूपपरावर्तेऽपि भवति ware: aw- afaameanat तावद वश्ितमेव रूपं कदाचिद न्यथाभावं ते भन्ते इतरेषां पुनरमवस्थितं eed यतः कमविलासा- न्ताः wea वतन्ते | विषमगौलखासौ प्रशत्या कदाचिदुक्ष्टा- नपि मध्यमयति अजचन्ययति वा मध्यमामपि चोक्छष्टयति जचन्य- यति वा जघन्वानपि मध्यमयति उष्छष्टयति वा तस्मादनेन कमेविशासेन सुक्रामामेवेकङूपता भवति नेतरेषां « मनोषिणण चिन्तित ) एतदपि घटत एवास्मद्रातिकरे तथाहि विषम- We एवास्मव्वनकः यतः कथितं तेनेव मे यथा मयि प्रतिकूले यत्छंपद्यते aad awefa ततश्च यो निजतनयस्यापि प्रति- कूलवारितया एवविधां दुःखपरपरां संपादथति कथमन्येषां धमायिवति सुबुद्धिनाजिहितं | भगवनुषछष्टतमाः पुरुषाः Fe महाम्येन भवन्ति गडराह कस्यचिदन्यस् किं aft खवोयण सुबुद्धिनाभिदहितं कसयाविधवौरयंशाभोपायः fare भागवतो भावदौच्ा मनौषिण्ण चिन्तितं श्रये aga ततो युव्यते ममोक्छष्टतमस्य भवितुं किमनमथागरेषविडम्ब- नया werent भगवदादिष्टां भागवतौमेव stat दति

waa: QETT: | Rok

भावयतः संजातो मनौषिणएश्रणएपरिणामः मध्यमवुद्धेरपयवं गङमग्तिणोः परस्यरजन्यमाकणेयतः संजातश्रणाभिलाषः | wae माहमेतावतो नेषटिकानुष्टामस्य ea इति चिन्तितमेनम | ख्छबद्धिनानिहित | भदन्त योऽयमश्मामिरहिधर्मोऽभिध्यौयते एष तादृश्वोयंस्य किं भवेत्कारण वा॥ गुराह स्यादेष aaa तादृशस्यापि कारणम्‌ | वोयेस्य पुमः werent मध्यजनोचितः उक्छष्टतां करोत्येष aerawe निषेवितः | ततस्ताद्‌ शवौयेख्य WAG साधकः | अग्रषङ्घोश विच्केदकारिका भवदारिका। तावद्भागवतो ser दुलंभेव सुनिमला कितु ्रावकधर्मोऽपि भवतानवकारकः | शरत्यन्तद्‌ जेभो Hat महामात्य भवोदधौ तदेष WAI: | उत्छष्टतमतां साच्ादोर्यातिश्ययोगतः | WAT साधयल्यु्वेरेष तु व्यवधानतः तदाकश ततिन्ते ai मध्यमबद्धिना | amt ममेषोऽनुष्टातुं खरिधरमो faites: दतञ्चाङुग्रलमालया स्पशेनेन मध्यवर्तितया विधृरितयिन्त- इन्र्वाशस्ट farina विपर्यासविकश्पाः। यदुत श्रो wert रूपाति-

Rog उपमितिमदप्पञ्ा KUT |

श्रयः wet सुकुमारता WIE श्रमिमतोऽहमस्याः यतो विखो- कयल्येषा मामधांडिविकेपेःएतदक्गसङ्गसुखाग्टतसेकानुभवनेनाधना मे सफलं भविग्यति जनेति ततशचेषंविधवितकपरम्बरापर्घाङ्लौ- गूतचतसस्तस्य विद्धतमात्मखरूपं AMIGA चःतं मदनकन्दलो- यरहरीकतानमन्तःकरणं | ततोऽविचा्ं कार्याकायेमन्ध Ta मत्त दरव गरदग्टहौत दव तस्यामेव मदनकन्दर्ां निखलविन्यस्तमयनमानसः पश्चत एव तावतो जनसमभुदायस्य एन्यपाद्पातं तद भिमुखं धावति ai ततः किमेतदिति उत्थितो जनदहादारवः प्राप्नो ऽसौ मदनकन्दलोसमोपं | ततः सावेगं एष इति निरोकि- तोऽसौ नरपतिना wfad gfefaartu aera एवायं पापो बाल इति प्रत्यमिन्ञातोऽनेन | जातस्य कोपाङूणा दुष्टिः Ba भासुर वदनं सुकरो कारः | ततो बालस्यादृष्टविपाकतया ्राद्श्व॑तभयातिरोकख् नष्टो ATA प्रत्यागता चेतना TARTS दैन्यं aa: warned ay vent थावच्छिथिलोग्डेतानि सन्धि- बन्धनानि विल्लीयते wot amt गतिप्रसरः। तथापि afafe- त्यदानि कथंविद्धला प्रकम्यमानसमस्तगा्ः पतितोऽसौ तले gaat waste: स्पश्रेनो निगंतो भगवद वयात्‌ गतो दूरदेभे fad प्रतौचमाणः विरतः कलकलः afer मनौ षिमध्यमवद्धौ बालचरितेन ततः कोऽस्यापि वराकस्टोपरि कोप दति विचिन्त्य श्ान्तौगभ्रतो राजा ष्टोऽनेनाचायेः यदुत भगवन्नल्लौ किकमिदमस्य पुरुषस्य चेष्टितं श्रतौ तमिव विचारणया श्रश्रद्धेयमनतुग्ंलटन्तान्तार्नां। तथादि। विमलज्ञानाघ्योकेन साचा-

Zara: प्रस्तावः | ३०५

ङ््‌तसमस्तमुवनटन्तान्तः पश्वेव भगवाननेन यत्युवेमाचरितमासोत्‌ यद्चेदानौमध्यवसितं तथापि मेद मच कौतुकं यदत arya कमस्याचरणं कद्‌ चिदिवि्रतया सत््वचरितस्य wraia ta- waa पुनमेहदिखनाणलमिव प्रव्यचमपि ममा्द्धयं प्रतिभा- wa यतो भगवति रागादि विषधरोपश्रमवेनतेये सज्जिदितेऽपि कथमतिक्गिष्टजन्तूनामघेवेविधोऽध्यवसायः menafefa भगव- लाभिहितं महाराज कतेव्योऽजातिविस्मयो यतो are पुर- घस्य तपख्िनो दोषोऽयं मृपतिरूवाच तदं कस्यायं दोषः | भगवातुवाच Femara श्रोराल्िगेत्य योऽयं बहिःखितः पुरूषः नृपतिनाभिदहितं GE दृष्टः भगवानाह aga ततो ऽख्ेवायं समस्लोऽपि दोषो यतोऽस्य वश्रवर्तिनानेन wa- मिदं समस्तमाचरितं। श्रनेन हि वशोक्ृताः पुरुषास्तन्नाख्टयेव किचिष्वगति पापं यश्नाचरन्ति। तख्ान्ञाच किचिदलौकिकं विचारातौतमश्रद्धेयं वा भवद्धिः संभावनोयं नरपतिरूवाच | यद्येवं ततः fafaaa पुदषोऽसुं श्रोरवतिनमात्मगोऽनयेषेत्‌- शतमपि धारथति a) भगवानाइ जानाद्येष वराकोऽख दुःओोखलतां परमरिपुरपि ग्होतोऽयमनेन चख्िग्धबन्धुबद्या मरपतिद्वाच किम पुमः कारणं भगवताभिडहित श्रस्यस्य TOR योगशक्रिदारेणण warquayl श्रकुशलमाश्ा नाम मनौ साच कारण। किं च। यदिदमतिदुजेयमधनेव स्पश्रेने दधियमस्माभिः प्रतिपादितं तद्रूप एवायमस स्यश्रमामिधाभः

UTE वतेते श्रयं तु जघन्यपुरूषो बालः दयं तद- 39)

Rog उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

भिधानेव शअरङुश्रलकमेमालारूपेवः जननो acy किं खंभा- aa) wate भगवस्सक्निधानेऽपि कथमेवं विधाध्यवसायप्रादु माव दति aqua एव माञ्चयबृद्या Ore थतो fee जगूनां कमे सोपक्रमं fread तच सोपक्रममेव महापुरवसज्ि- धानादिना खयच्योपश्रमभावं प्रतिपद्यते a निङ्पक्रमं तदश्च गाञ्च statute विषूपकर्माचरम्तः केन वार्यन्ते तथाहि येषामचिग्धपुश्छप्राग्भारवतां भगवतां तौर्थशतामिह जगति गन्धरस्तिनामिव विचरतां विारपवनगन्धादेव चद्राशेष- गजकण्या दुर्िंङेतिपरचक्षमारिवेरग्रश्तथः सर्वं एवोपद्रवाः सम- धिकयोजनश्रताद्‌ दूरत एव भव्यन्ते तेषामपि भगवतां खन्ि- धाने निर्पक्रमकमेपा शावपाशिताः चुद्रष्त्वा tae नोपश्रा- म्यन्ति किं afe तेषामेव भगवतां Meat चुद्रोपद्रवकरणे mare श्रूयन्ते हि तथाविधा भगवतामणुपसगेकारिणो ate सङ्गमकादयः पापकर्माण इति अन्यञ्च तेषामेव भगवतां देवविरदचितसमवसरष्णनामध्यासितसिंहासन चतष्टयानां मृतिमाच- भेनादेव प्राणिनां faa विलौ यन्ते रागादयो विदलति at जालं प्रशाम्यन्ति वेराबन्धाः विच्छिद्यन्तेऽल कखेहपा प्राः प्रलौयते विपरौताभिगिवेश्यो यावता asf केषांचिदभव्यतया निरूपक- मकमेघनपटलतिर स्त विवेको धितिप्रषराणं वा Fae yat- कगण्डेश्देशोऽपि संजायते किं afe प्रादुभवन्धेवविधा भगवन्तमधिष्टत्य कु विकल्पाः | agai wet सिद्धमस्वेग्रजालं wet Bey लोकवश्चनचातुयं wet गाढमूढता लोकानां यदेतेऽनेना-

wale: wee | Roe

ध्यलोकवाचा लेनाखनाखरचेणारत्रर प्रता्चन्त इति तदेवंख्िते महाराज किचिदिदमल्थद्वुतं वदनेन पुरषेण मन्ध्िधानेऽणेवं fawaaafed | अथमपि डि निद्पक्मयागयाङ्ुश्लणमाखया सदे इव्तिन्या निजजगन्या प्र्माण्णोऽसुं wis पापसदण्वरग्ुरस- हत्येवं चेष्टते तन्ना भवद्धिविंयो fade: खबुद्धिनामि- हितं | भदन्त किंचिदिदमाश्चयं भगवद्‌ागमावदातधिथां | एवं विध एव मिडपक्रमकमपरिणएामो नाच सन्देहः | केव मिरा- waa भगवत्पादम्रखादादेव देवः खश्वेवविधपदाषु शखवुद्धिभं- fafa) तेनेवं भगवन्तं विश्ञपयति राजा awa: WIE wafafed सखे we श्रो तेऽवषरभाविता) ततो राजेव भगवन्त प्रत्याह थया कोऽस्य पुनः Teas परिणामो भविति) भगवताभिहितं ददानो तावदेष इृष्टयु्मत्को पविपाकतया भयातिरेकपरस्तददयो किचिश्चेत्ते गतेषु पुनरितो युश्र- दादिषु प्रव्युपखलगखंश्नः सशेष थो ऽप्यधिष्टास्यते ऽनेन Guan | ततो युष्मद्भवादेव gufefaen धामोत्धाकूतेन प्रपलायमानो महता RI यास्यत्येव कोल्लाकशन्निवेशरे तच कमेए्रकामि- WAS ग्रामस्य प्रत्याखन्न्धमागे पयि arm: fanfeat दूरत एव इष्यति रदन्तडागं ततः खानपानाये चखिग्यते तदभि- मुखं इतख प्रवं मेवागमिग्यति तज चाष्डाश्चमिथनं ततख्ाष्डा- शस्तडागतटवतिषु तङगहनेषु पतजिगण्मारणएप्रवणः सम्नटारिव्यते | qwrt पुनर्विंजनमिति मला खानाथमवतरिषखति तडागं | ततोऽवतीरष्णयां तस्यां wee तस्य At) ततो ऽसुसुपल्भ्य शा

Bos उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

मातङ्गौ स्यष्ठपुरषोऽयं कलहयिव्यति मां खरोवरावतरण्णापराध- gfeafa भयेन निमंश्छति afea स्यादति पश्रखण्डे wh: अयमपि मनष्नभायेमवतोर्यानाभोगेनेव चास्ति तन्धम्मोपं भविग्यति तया सार्धमाश्ञेषः वेद यिव्ते acyed संजनिगष्यते तस्योपरि waqaeg) कथयिष्यति wagered] | तथ।पि afta तखाः शरौ रपर बखामोटिकया विधा- ति सा हाहारवं। तमाकष्ये धाविव्यति afiagrere: | विशोक यिद्धल्धेनं तथावस्थितं प्रश्वलिग्यति नितरां को पानखेभ सधाद्यति कोदण्डे भ्िलौमुखं मार यिष्यति अरे रे दुरा- कऋमलधमपुड्व पुरषो भवेत्याह्य चाण्डालः कन्पमानमेक- प्रहारेण - प्रहरिब्यति तं। तदाध्यासितो रौद्ध्यानेनेति amt याद्यति नरकेषु: तेभ्योऽणहन्तस्ततः कुयोनिषु पुनभेर- केव्वेवानन्तवाराः एवं दुःखपरन्परथा सखास्खत्धनन्तमपि कां पतितः संखारचक्रवाखे wifeafs नरपतिरूवाच ae अतिदाङणेयमकु ्रशमाखा wing यदगरेनेदमश्य de wae भगवताभिदहितं महाराज किमनोच्यतां पर्याप्तिमोद्श्ता दाङ्णतया सुबुद्धिनामिदहितं भदगम किमेते श्यशनाङुश्रखमाखे meq Gere प्रभवतः आहोसखिदन्येवामपि प्राणिनां भगवा- माइ | महामात्य केवलम पुडषोऽभिव्यक्ररूपे wat) पर- मायेत: पुनः Saat सकमसंखारिप्राणिनां प्रभवत एव यतो यो गिनौवमक्लुगशलमाला waged श्यनः योगिनां भवत्येनेदू शक्तिः यया कचिदभिग्य्ृरूपाः कचिदना वि्भंता

wale: प्रश्तावः | १०९

aa गृपतिना भिहितं भगवश्ञनयोः किमखद्धः चरोऽप्यस्ि प्रभावः भगवानाईइ बाढमस्ि

ततो राजा afew yay) ae पापयोरनथोरमदितयोः केदृशो ममाद्यापि अचमदेनता ततो यद्यपि युकं भगव- waved af तथापि दुष्टनिगरहो राशां धमे इति wacafatiaa | तदाकणेयलाैः सुबुद्धिनाभिदडित समा- दिशतु देवः। राश्चामिदहितं। भादिष्टमेतन्नावद्गगवता थयेते स्यग्रेनाङ्खुश्रख्माले अनेन GREW सदह area: ततो नेदानीं तावदेते वधमहतः | केवलं समाश्चाप्य was) यथा मदिष- `. चाज्िगंत्य ganat दूरतोऽपि दरं गन्तव्यं Asafa FAR मास्माकोगविषये प्रवैष्टव्यमितरथा युवथोरस्माभिः शरोरो <a: करिग्धते | श्रथेवमप्यादिषटे gata श्रस्मददिषये प्रविशतां ant भवता निर्विचार शोहयन्न्रेण पोडनोये एवमतिदुषटयोरारट- तोरप्यमथोडपरि नेवदपि दथा fader सुनुद्धिना चिन्तितं 1 अदो देवद्यानयोदपथविगातिश्यः। यतोऽस्य तद्ग्रेन विदतं तदपि feanafe भवन्तं भियो इति मङ़ोचर वरप्रदानं | भवतु तयापौदमेव प्रतिबोधकारणं भगवन्तः कण्ययिष्यन्ति | मम ल्वान्चाप्रतिपल्तिरेव व्यायसोति विकिनधाभिडहितमनेन | यदान्नापयति देवः ततः प्र क्ोऽसौ तयोरान्ञापनाय aft प्ाभिडित | महाराज अखमनयोरेवमाश्चापमेन खण्वेतयोर- यजुन्पूलमोपायो यतोऽम्तरङ्गखोकजातोये एते सप्ेनाङ्शखमाले | अन्तरङ्गशोकेषु प्रभवन्ति लोदयन््ादौनि अगम्बरूपा

१९० उपमितिभवप्रपश्चा wet |

हिते arqueret | नुपतिरवाय भदन्त कशद्धेनयोरन्यो निदेलनोपाथो भविव्धति | भगवतामिडहितं अप्रमाराभिधान- मन्तर कमेव यन्तमनयोर्भिदंखनोपायः | Ad शाधवोऽनयोरेवं निन्पोडकार्यमहर्भिंड arwafia gufteare कानि gre ware यन्स्योपकरष्णानि भगवानाडइ वान्ये एव साधवः प्रतिखर्मनुश्नोखयन्ति नुपतिष्वाच कचं भग- ame समाक्थंय यावश्डोवमेते नाचरन्ति तनौोयसौमपि परपौडां ATM इच्छमणण्ोकवयनं wef दनम्तन्नरोधन- माजमप्यदन्तं धारयन्ति नवदु्तिख्गायं ager वर्जयन्ति भिःतरेव- तया परिग्रदं a विदधते धर्मोपकरशश्ररौरकोरपि ममलबुधिं nea रजन्यां चतु मंदमप्याहारजातं आददते दिवा प्रवकगो- qafed खमस्तोपधिद्एद्धं सथमयाजामाजसिद्धवे निरवद्यमाहा- रादिकं aime समितिशभिपरिप्रितेनाचारेण पराक्रमन्ते विवि- साभिग्रहकरदन परिहर न्धकस्ाएमि योगं रगेयन्ति खतामा- wera erat निजाुचितख्िति when eta aerefer गदसंइति चेष्टन्ते awe अआकषेयन्ति भगवदा- गमं भावयन्ति मदायनेन NIE द्रव्यापदादिषु Ve पर्याखो- चथनधामामिगमपायं यतन्ते प्रतिखदमसपनयोगेषु खख्यन्ति चिष्छविखोतमिकां प्रतिविदधते चानागतमेव त्याः. प्रतिदिधानं faawafe सत तमसङ्गताभ्धासरततथा मानसे अभ्वष्यन्ति ata मागे ख्ापथन्ति Safe परमात्मानं गिवन्नग्ति तज urcet परित्यजन्ति बदिर्विखेप gain तत्मत्यवेकतागमन्लःकरण्ं यतन्ते

zara: cena | ११६

थो गसिद्धौ अ्ापूरथन्ति geet पश्यन्ति दे डेलियादि विविक- भात्मानं लभन्ते परमखमासिं भवन्ति शौरि णोऽपि सन्तो gfn- ष्युखभाजगमिति तदेवमेते मशाराज मुनयोऽमूनि पर पौडाव- जंमादौोनि सुक्तिसुखभाजनत्पयवसानानि तस्याप्रमादभानो यन्छ- ष्योपकरणानि sfasunaniwafa वतोऽमौ भिरनुश्नोखिते- Tau तहृढोभवति यन्तं तथागतं तदनयोः qim- शलमाखलयो रपरेषामध्येवजातोयानामम्तरङ्गलानां दुषटलोकानां निष्यौडने चमं संपद्यते तेन निष्यौडितास्तेऽग्तरक्तरोका पुमः प्रादुभेवन्ि ततो महाराज यद्येतज्जिष्यौडनाभिलावोऽस्ति भवतस्तदिदमप्रमादयन्छं सखचेतसि निधाय दृढकी्यंयश्चावष्टभ्य श्वश्वेते निष्पोडनौये खत एव मन्तिणोऽप्यादेशो देयः we परेण निष्यौडिति श्रयते परमार्थतो गिष्यौडिते भवतः 4

एवं भगवति नृपतिगोचरमुपदेश ददाने मनौषिणः करम wae शएभपरिणए मानल्लो गतोऽभिषद्धि भगवद वनपवनेन | कवचं पूर्वोप्तरवाक्वो विष्रयविभागममवधारवन्‌ Aa सन्दे इव विरचितकरमुकुलः भगवन्तं प्रत्याह मदन्त यासौ भग- वद्धिभागवतो भावदौचा वोर्योत्कर्वंाभरहेतुतया पुर्षस्योत्टष्टत- मत्वं खाधयतौति प्राक्‌ प्रतिपादिता यच्चेदमिदानौं दुषटाशतरङ्ग- लोकनिष्पौडनच्मं श्वो्येयषिकमप्रमादयन्तं प्रतिपाद्यते अनयोः परस्थर किथान्‌ विशेषः भगवतामिहितं भद्र कियानपि विशेषः केवलममयोः शब्दो भिद्यते ars: थतोऽप्रमादयभ्लेव परमाथतो भागवतौ भावदोदत्यमिधौयते मनोषिणाभिहितं |

Bre उपमि तिभवप्रपश्वा कथां |

ततो दौयतां भगवता सा भागवतौ भावदोका aqfeatse तस्याः | भगवमाइ | बाढमुचितः ष्टु दोवते गृपतिनाभि- हितं भदन्त ममानेकखमरसङ्गइ gear wert anager युश्रदचनतः श्रुयमाणमपि दुरनुष्टेयतया मनसः प्रकन्पसुन्पादयति | एष पुनः कः Raat away येनेदं ayia मडहाराव्यमिव जिगौषुणाभ्युपगतमिति भगवताभिदडित महाराज मनोौषि- नामायमचेव fafanfafea वास्तव्यः राज्ञा चिन्तितं) अये यदायं पापः पुश्वो मया व्यापाद यितुमादिष्टस्दा शो केः चाध्य- मानः अरुत एवाखोक्नोषो चदुत एकस्मादपि पितुर्जातयोः पश्तानयो रियाम्‌ विग्रेषः wee विचेष्टितं तु तथात मनोषो महत््ेति तदैष एव मनोषौ प्रायो ufaafa swat भगवन्तमेव fanaa: एच्छामोति विचिनग्धयाभिडित- मनेन भदन्त कौ पुनरस्या मगरे मातापितरौ के वा Wrage इति भगवागाइ sea fafanfafsae भोक्ता aa- विलासो awats: सोऽस्य जनकः तस्येवायमदिषौ शएमसुन्दर नाम देवौ a जमनौ। तस्येवेयमङकुश्रखमाला wal अयं पुरूषो बालाभिधानः सुत इति तथा योऽयं मनौचिणः पाशै वर्तो पुरषः सोऽपि तस्येव सामान्यरूपाया देव्यासतमयो मध्यम- बुद्धिरभिधौयते एतावदेवाजेदं कुटुम्बकं Towa देशा- maa: किं agra मृपतिराह किमस्य नगरस्य कमं- विलासो भोक्ता Gate! भगवानाह बाढ राजोवाच। कथं भगवानाईइ | समाकणटय |

wats: THT: |

यतस्तट्‌। नां सवेऽपि waafararaar: |

एते नागरिका नेव arate कदाचन तवापि राश्यहरणे तहाने वा यथेच्छया | श्रक्रोऽसौ तथा तेऽज THAT प्रकाशते परमान तेनासौ भोक्रास्येव्यमिभौयते |

यतः प्रभुवमान्नायां aazet किल गोयते

नरपतिश्वाच |

ययेवं भगवन्नेष कस्मा लेशो पलभ्यते | afturfifed राजन्‌ समाकण्य कारणम्‌ यतः कमंविलासोऽयमन्तरङ्गो महानृपः | अतो au याति शवंदेव भवादुश्राम्‌ अन्तरङ्गा fe ये खोकास्तेषां vafacigm | स्थिताः प्रष्छसरश्पेण सर्वकार्याणि gaat aaa बुद्धिदृष्पेव घोराः wafer तान्‌ दा | आविग्धेता इवाभान्ति अन्येषामपि तत्पुरः चसावभावना कार्या भवता प्रयोजने |

Rae तोऽनेन भवानेव पराजितः कितु mae सर्वेऽपि संसारोदरवतिनः। खवोयंण विभिजिंत्य प्रभवोऽपि वश्नौङताः a ततो wel राजा ate: सुबुद्धिना

देव श्रातो मयाप्येष राजा योऽवणि रिणा

देवाय कथयचथिव्यामि one परिस्फुटम्‌ | 40

RXR

Re vufafanaguel क्था |

अहमेव भद न्तेस्ठ सवमेव निवेदितम्‌ TAZ | fawraraat तेन पूवे संजातवृद्धिना | अथानतभिरस्केन प्रोक्त मध्यमनृद्धिना योऽसौ भगवतादिष्टः रंसारतनुताकरः | ग्टडिधमेः मे माय दरौयतामुकितो चदि ्रर्वाच | mer मागवतौं tet कतुः शक्रुवन्ति चे तेषां गटहष्वधरमेऽखौ Gu एव भवादृशाम्‌ मुपतिश्वाच भदन्त किञखरूपोऽथं गटहिधर्मोऽभिधौ यते | सखरिराड महाराजं समाकर्णय कथ्यते ततो भगवता वणितं परमपदकश्पपादपनिरूपरतमौलजं सम्ब- qua प्रतिपादितानि रंसारतदहकन्दश्छेदकतयाचिरेख सख्र्गाप- वगेमामेखंसगंकारोष्छणत्रतगणव्रतशिषापदानि ततः संजाततदा- वरण्टौयकमेखयो पश्रमतथा भावतः प्रादुग्धैतसम्यम्द्ेनदे ्रविरति- परिणामेन शक्थोऽवमस्माद्‌ शामण्यनुष्टातु wea इति ser मरपतिनामिदहित भदन्त क्रिवतामेतहानेनास्माकमप्यनु गदः | भगवानाह SE करियते ततो दश्तस्तथोदंयोरपि विधिना ग्टिधर्मो भगवता मनौषिदेशाद्‌ानायै Tawa भगवति भगवच्चरणयोनिपत्य मरपतिरूवाख | भदन्त गटरोतेवानेन महात्मना भावतो भागवतौ दौचेति रतहत्य एवायमधुना ait तथापि

Bae: GENT: | ११५

वयमेभं ममो षिएमुदिश्य किचित्छग्नोषालुरूपमाचरितुमिच्छामः लदनुलानातु भगवानिति तदाकष्छं feat भगवगद्ष्े- भावेन | सुनुद्धिनाभिदहितं देव पृच्छन्ते द्रवयस्तवप्रटृत्तिकाञ्े भगवन्तः अनधिकारो we भगवतां युक्र एव यथो चितः स्र यमेव द्रव्यस्तवः कतु YwENt शेव्रखमेतेऽपि विदितं तमनु- मोदन्त एव द्रव्यश्वं ददति तद्गोचरं गेषकालमुषदेग्रं यथा HART yr भगवतां we विन्तसान्यच्छंभतरं खानमि- त्थादिवचनसन्दभंण त्मात्छत एव कुरत यथो चितं युधं केव - मनग्यथयामः कालक्रतौ खं प्रति मनोषिएं नुपतिरवोकत्‌ wa HA) ततोऽ्ययथितः खबडमानं राजमन्ति्धां मनौषो चिन्तित- मनेन a युक्रः कालविख्नो धमप्रयोजमे तथापि महापुरुष- प्रणयभङ्गोऽपि सुदुष्कर इति मन्यमानेन प्रतिपन्न तक्म हितं

ततख्रथता तेन नरनमायेन तोषतः |

व्यापारिता aerate: सवं मग्तिमदन्तमाः

nag: qwarse wea जिममन्दिरम्‌ |

faferrafaentfafed विगतातपम्‌

कुरक्रना मिकश्मौरमलयो इवरूपया | |

atta ma तदघस्तादिलेपितम्‌

तचाशिङुलसङ्गोतेः पञ्चवर्ेमनोहरेः

श्राजामुल्सेधिभिः पुष्यः सर्वतः परिप्ररितम्‌ `

खौवणंस्तन्भ विन्यस्तम शिद पेणराजितम्‌ |

दियवस्लष्टतोक्नो चबद्धसुक्षावचलकम्‌

are

उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

मष्टान्धकारसम्बन्धं रन्नोद्योतेः सुनिमेलेः | विष्वन्लागेषदुगेन्धं सषटष्णागरधुपतः देवजोकाधिकामोदं पटवासेर्विंशषपिं भिः | खसत्केतकसङातगन्धेन भुवना तिगम्‌ ऋसदिलासिगोखोकप्रारभचखानसाधनम्‌ | एवं विधाय aed प्रस्त देवपूजनम्‌

VITA |

पारिजातकमन्दारनमेडहरि चम्दनेः अन्तान देवौ घास्तयान्येजेशचजेतरेः quasar विमानानि gaat नभसलम्‌ | हतोत्कु ण्टिरवा खणेमाजम्मस्त जिनालयम्‌ ततः प्रसुदिताशषशोकलखोचनपूजिताः |

gat जगद्ुरूर्णां ते जातानन्दाः प्रचक्रिरे सुन्चिष्टबणविन्याखां पूजामालोक्य तत्छताम्‌ | निखलाचतया लोकाले जग्पादेवद्ूपताम्‌ ततोऽनन्तणामन्दपरि पूरितचेतसा

ACSW सलोकेन देवानानन्द afer प्रभे सुभेरुवन्तङ्गे Glut भद्र विष्टरे fate बिम्बे sax विधिनारम्मि aera

aa

खातस्य wuaae किरोटाङ्गदधारिएः | गोश्ौरंण fafere हारराजितवच्चसः

zara: Teta: |

छुष्डलोद्धासिभण्डष्य naracraarf<: | afesrafaaca निमलोग्धतचेतसः महन्तमोऽयमस्माकमेष एव नायकः | एष एव महाभाग एष एव पूजितः॥ येन भागवतौ दौचा दुष्करापि जिष्टक्िता | एवं प्रभाषमाणेन नरेद्रेए मनोषिणः सन्तोर्योदकसपरषंस्तापनोयो मनोहरः | सद्धमंसारसंपूणेसुनिमामससन्निभः गोगोषेचन्दनो fearqraarra: | समन्ताचचितञार्‌ इरभेखन्दमदस्तकेः SAY प्रयमख्ामे खाचकारतया सुदा | समर्पितोऽभिषेकाथे feagant भवच्छिदः श्रानन्दपुखकोद्धेदं दधानो aff: |

जग्राह नृपतिः कुम खयमेव दितोयकम्‌ a

तचा मध्यमवुद्धिख्च खपुचख सुलोचनः | दतो सुवननायस्य छानकारणतत्परौ चण्ोद्योतच्छटाच्छेन चामरेण विश्षिता | खिता fratanrae पुरो मदनकन्दशलो

दितोया खापिता रान्ना तस्याश्चामरधारिणौ |

देवौ पद्मावतौ नाम तदाकारानुकारिणौ भूपभाजनमादाय गाढं भावितमानसः। सुबद्धिवेधितानन्दः खितोऽपरे पिहिताननः

२९७

ars उपमितिभवप्रपश्चा कथा |

तेनेव राजादिषटेन गेषकर्भ॑सु सादरम्‌ | ये ये sen लोकास्ते ते सम्यङ्‌ नियोजिताः # यतः |

एव wit ओके ति जातास्ते समुन्लताः

ते कलाल्ापविश्चानशालिगस्ते महाधनाः

ते Saag शूराः ते क्ुखश्यापि aver: |

ते wagueguh: rere yaaa

किङ्रोरूतश्क्रस् wtwarere afer |

येऽ किङ्करतां arfr नराः कष्ाणभागिनः 8

ततः want भगवतोऽमिषेकमशोत्धवः परवति दिक्र्क-

वाश्मुद्‌ामदेवदुन्दुभिनिर्धोषः बधिरयति जनककोटराख्ि रटत्पटहपाटवप्रतिभिनादखमूरिंतो विविधट्ंभिनादः। wawr- स्ते कणकणकभारकरवोश्धिश्रः Bearer | गोय- नतेऽनतरान्तरा प्रश्रमखुखरसाखादावेदनचतुरा णि भगवसाधुर॒श- सम्बन्धप्रबद्धानि अवणोकखवकराणि गौतकानि पने परिषद Tatty ध्वनिना सवे्ग्रणोतवरनोक्नतिकराशि रागादि विषध- रपरममन््ङूपाणि भावषार महारोजाणि | swf विविध- करणङ्गहारहारोणि प्रमोदातिरेकङ्वकानि महानुत्तानि तदेवं महता विमदेन guetta कनकभिरिभिश्वरे निवर्तिते भगवद भिषेकमङ्गले पूजितेषु सविशेषं भुवनाधिनाय बिन्बेषु fate तेष जिःगरषहृव्य विधामेषु वन्दितेष साधुलोकेषु दके महादानेष्‌ स्रानितेषु वित्रेषतः साधरिकगफषु मभौ षिः खगेदमथमाय

Sara: ARTA: | १२९

प्र्लोकारितो नरपतिना VISA: | श्रारोपितसषच मनोषो | Featsa qaarqearca: | घोषितं भरपतिना इर्षाति- रेकरोमाञ्चितवपुषा Twa शष्देन यदुत भो भोः सामन्ता भो भो मन्तिमहन्तमाः समाकण्यत युयं

विष्डतिर सारे नरस्य ननु तत्वतः |

सत्वमेवाविगानेन प्रसिद्धं सवेवादिनाम्‌

ततो यस्याधिकं शत्वं जर खड प्रकाशते |

Waa प्रभुतं कदुमरंति

एवं faa | सत्वोत्कषेष्य माहाक्य' azarae attire: | तहृ्टमेव quia: सर्वे रेव परिस्फटम्‌ तथाहि |

यत्तद्कगवतादिष्ट argut बाषकारशम्‌ |

अनेन रभसा ae याचितं तस्महात्ममा

ATT यावदस्माक सदनुगडकाम्बया |

ze तिष्ठति aaa: erat रैवो ye: पिता॥

qaqa wang सवं किडरतां गताः |

विधूतपापमात्मानं विनथात्करवा महे

ततः VARGA प्रमो दोद्ुरमानसेः

यदाटिश्रति Tae: कशे ताज रोचते `

अचाम्तरेऽतितोषर Bear सा मनौ विः |

विजभ्िता fare जननौ इभसुन्दरौ

उपमि तिभवप्रपश्चा SUT |

ततः सश्रौकतामाप्य शणेन भुवनातिगाम्‌ रराज Tag परिवारितविग्रहः करेककाथिरूढेन ey मध्यमवुद्धिना | अथावाप पुरद्वार सुयमानः सुबद्धिना & छृतो च्छितिपताके इहृश्रोभामनोरमे | विग्रेषोश्वखनेपष्ये इ्षाससष्यखमागते अथासौ नगरे तजन मनोषौ तोषनिभरः | एवं नागरकेखोकेः प्रविबेग्र छतस्ठ॒तिः # तद्चथा | धन्योऽयं रतहृत्योऽयं महामाय AAA: | aaa सफलं जगमा शषितानेन मेदिनो Rel धन्यतास्माकं Bae खपन्तने | संजातो धन्यानां Tagay मौखकः ततख्च | कामिनौगयनानन्दं कुर्वाणोऽ्थाभिलाविण्ाम्‌ ददान महादानं दधानौ देवरूपताम्‌ aga vera देडिनामात्मचेष्टितेः जनयश्चनितानग्दो विचचार पुरेऽखिङे 4 ततौ महाविम्देन स्भाप्नो राजमन्दिरम्‌ | रन्नराजिप्रभाजाणेः सदा बद्धन्रकामुंकम्‌ | तजर चागरेवराजादिलोकसद्मानमानितः | खकामक।मिनौटन्द लो जलो चनवो दितः

Sala: प्रस्तावः | ५३

गौतनुन्तप्रबन्धेन सोऽमराखयविभमे

देवराजवदाश्थानं दत्वा निःग्रड्मानसः

ततो विललौनरागोऽपि भुपतेस्तोषटद्धये |

उत्थाय AMT अजगाम विगतस्मय #

लज्र गतस्य तद्य

भातुः सूनो रिवात्यग्तवक्ञभस्य सगौ रवम्‌ |

शतं मदनकन्दश्धा शरोरपरिमाजेनम्‌

DOTA TCT AAT: खानकर्मणा |

रराज Uwererverefa: परिवारितः

TARAS दूयं पद्मरागादिरो चिषा

that यन्छवापौनां aa विमले अले

ततो YMA HABA सुवाससौ |

परिधायागतो देवभवन सुमनोहरम्‌

तज स्ुवुद्धिसम्बस्थिनि विरचनाचाङतया चिन्तनिर्वाणएका-

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RRS डपमितिभवप्रपच्चा कथा |

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BRE ख्पमितिभवप्रपञ्चा कथा |

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३२८ खयमितिभवप्रषश्ा कथया |

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चोरश्सारकान्तारचारमिःसारकाम्यया |

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Ree खपमितिभवप्रपश्चा ar |

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अयं पदा तिस्तः चोरनौरेश्वरोपमः |

मन्तं; प्रयोजनं Wat सुवेषख्लितोऽखिखः

रल्नाखदारमेपष्यसट्रव्यपटलाङ्खलाः |

प्रथिता वारनारौोणमेते वारा वरेणा:

मनो षिपुण्यषम्भाराहृष्टासढकं समागताः |

एते विबृधसहाता द्योतयन्ति मभस्तल्लम्‌

एष नागरको शोकः कौौतुकाकिक्तमामसः |

कुरूते wate: सागर चोभविभ्नमम्‌

शरयता | | 22 ant विदितडन्तान्तो मनोषिगृणरञ्ितः। ज्ञातयु्मदभिप्रायः को वाचाप्रगुणणो भवेत्‌ # देव तत्घाश्मतसुत्थातुमरेव यूयं ततः समुत्थितौ मनोषिन-

Del भिगैतौ इारदे्े। ततो रल्नकिङ्धिपणौजाश्कविग्डषिते समारूढः प्रधानसखन्दने HAT ततः खुखसुकुमारासमोपविष्टः खयप्रतिपल्लभारयिभावेन ae नरपतिना विलसक्किरोरटाश्डर- शख्ितो्तमाङ्गभागो भियमारेन निजयन्नोधवलेनातपभेण कपोख- डोशाचमागद्ुष्डशो धुयमानेन wus धितिच्छटाच्छेन वरवि- काधिनौकरवर्तिला चामरप्रकरेण स्छूलसु काफलकशापविर। जित-

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३३४ डपमितिभवप्रप्चा कथा |

चितस्तेन तिखतुवजनिभागमाजोऽपि चेतोविकारः प्रह्युत माडतरं चारग्डत्पुटपाकादिभिरिव विचिजसंखारगिकसितद गेनघञयुडर तेर्भाव- ना विशेषे निंम॑लोग्टतं fence ततः परण्यराभुविद्धतया भम्‌ः श्र- रोरयो्जातमचश्च wean wit fadfai we यावनत्तेजखामिगत. दिनकरकरमिकरतिरख्छतमिव तारकानि- VU राजते मनो पिणोऽभ्यणेवति तद्राजकं ततलदौयमुण- प्रकवेबहमानेन राज्ञोऽपि fawtd तदिवन्धकं wane dona खरणपरिणामो भिबेदितः सुबुद्धिमष्यमबुद्धिमदगकन्द्रश्ौखामन्ता- feet निजोऽमिप्रायः ततोऽविनधमाहाम्यतथा नशपुरुषषन्ि- wire विचिचतथा कमेखवोपश्रमख्च रचख्ितचिन्ततया .निष्कजिमि- मनो षिद्णेः खमुक्षसितं सर्ववां तटा लौववोवे ततस्देरभिदहितं

ae साधूदित. देव धुक्मेतद्धवाद्‌ ग्राम्‌ |

संसारे qe निःसारे array विवेकिनाम्‌

तथा हि _

देव aqy sat किचिक्छाद्रामष्टणोयकम्‌ .

WY सारसुपादेय AY सुन्दरमेव वा॥

ततः किमोडश्राः सन्तः gear य्मादृद्रामपि |

SHAT Beaman सरहाधिषः

ततोऽमृढू शसद्लोकलत्धा गादेवावमम्बते |

ares किचित्छंसारे शार चारकसजिभे

ait anfafren देव नेवा य॒च्यते `

व्यात्‌ वि्नाततच्वानां भवे अरिभयाकरे

ema: प्रखावः Rea

अन्यश्च देव सर्वेषामस्माकमपि साग्मतम्‌ ।` दृषा मनौषिशचिन्तं fen रमते भवे येवाख् प्रभावेण संनातद्यरणो्मः | अरस्माकमेष निर्वाहं तथा aaa areata AN AAAI संसारोष्छेटकारि | येन भागवतौ zrerayiga: सुमि्मलाम्‌ a गृपतिद्वाचं | wet विबेको यु्माकमहो गमरौर चिता | अहो वसगविन्यासश्चथाहो सत्वसारता साष्वध्यवदितं Hg: साधु प्रोत्साहिता वयम्‌ ary भो चण्यमाभेण भोटितं भवपश्चरम्‌ एवं सामान्यतस्तावत्‌ सवंषाममिनन्दमम्‌ | शला प्रव्येकमप्याइ राजा इषं निभरः तच सुबुद्धि तावदुवाच | ea विदितषशारस्लभावेन वथा गहे। ` cami तिष्ठता are वयमेव प्रतौकिताः अन्यथा ते. ze कि वा छाद्वच्याभकारंणम्‌ | को नाम राख्यलाभेऽपि भवेशाण्डाश्चदूपताम्‌ very विहितं wry शेतोऽस्माकमगुणहः ` एवमाचरता मिष दगिता सुमिषता॥ मध्यमबुद्धि RATT | लमादावेव धन्योऽसि qe apt aatfirar 1

ददद्‌ उप्रमितिभवप्रपच्ा कथा।

भेव HATA गरोऽकष्यारमरंति |

अधना चरितेऽप्यस्य दधानेन मतिं लया |

खभ्नातुनिंर्विगेषेव दिता were

mary विदतं भद्र यः पञ्चादपि TET

सोऽपि खुन्दर एवेति यतो इद्धाः प्रते ततो मदनकन्दसौं प्रत्याह

धार सुकुमारं देवि काश्चनपद्मवत्‌ |

तावकोनमिदं चित्तं येनाङ्गौ शतमो दृ ग्रम्‌

प्रसिद्धा घर्मपनोति धत्वं शोकोपचारतः | मम तश्छ्यतां मोतं waaay लयाधुना तक्छाधु विहितं देवि are warez | मियग्वितानां. जौ वानां कतेव्यमपर वरम्‌ तथा a धेरभ्वपगता star तानन्यानपि. भावतः

राजा मधरेरेवं THAT तोषतः तद्यथा , , धन्या यूथं ACTA: BAIT नरोत्तमाः

ACT SW सोचा पारमेश्वरौ

ware विहित भद्रा युक्रमेतद्कवाद्शाम्‌ |

थमेव पर लोके निमिश्या मम . बान्धवाः ततञ्च , राजचिक्रापेण्णद्रा्ये eofsar सुखोचनम्‌ .

Bae प्र्तावः। RRO

ततः waranaa: प्रविष्टो जिममन्दिरे त्रश

विदहिताग्रेषकतेग्याः पूजयिला जगह्ुरम्‌ |

श्रा चायेभ्यो निजाकूतं ते सवेऽप्या चज्रचिरे

ततोऽभिगन्दितास्तेऽपि सूरिभिः anwar गिरा |

अश विशम्बितेनाज संसार इति भाषिणा

ततः प्रवचनोक्तेम विधिना धूतकस्दषैः |

स्वे ते चणएमाजेण aifeat गङ्भिजेनाः

अथय सवेगद्ययं कर्पोऽयमिति वा च्यम्‌ |

शता VAG लोकस्य सूरि भिर्धं मदेशमा तद्यथा | | |

अना द्यमन्तसंसारे -अग्मन्हव्युभयाकरे

मौनोखौ दुलंभा सेः VATE स॒निमेखा थतः

तावहुःखान्यमन्तानि तावद्रागादिसन्नतिः।

प्रभवः RATAN AT AIT

farzenazanreragal fae: |

तावहोनानि oeafer नरा एव पुरो नृराम्‌

तावदौगंत्यषद्धा वस्तावद्रोगघभु द्वः |

तावदेष AWA घोरसंसारसागरः

यावन्जिःग्रेषषावद्ययोगोपर तिलखणा |

एषा भ्यते MA: प्रत्रव्यात्यन्तद्‌ | 43

४६९८

aa. |

उपनितिभवप्रपस्चा XU |

VICI HTTS खकमंविवरेख च।

यदा तु weed प्रत्रव्येयं जिनोदिता

तदा forte पापानि धानि ते परमां गतिम्‌ | अनगन्तागन्द लं पूणा निःगेष्गश्रवजिताम्‌ ततोऽभ चे पुरः परोक्षाः washa भवभाविनः। चुद्रोपद्रवह्ाता FIT भव्न्ति ते

कि ख।

इहापि भो भवन्ते प्रश्रमाग्डतपायिनः प्र्रव्था्राददिो जोषा निर्बाधाः सुखपूरिताः खा भागवतो ster चुश्माभिरधुना सुरम्‌ erat तेन संप्राप्तं यप्प्रापषव्यं भवोदधौ

केवलं सततं यन्नः प्रमादपरिवर्जितेः |

wae frauen भवद्धिरिदमुश्थते

नाधन्याः पारमेतच्तरा गच्छन्ति पुदवाधमाः ।. ` ये तु पारं ्रजग्यष्याख एव पुरवोन्तमाः | ATG: प्रणतैः Cader सरि खसुखम्‌ | इच्हामोऽसुरहं नाव कुर्मो नायानुग्राखनम्‌ ्गिताननदे गेन सुखवख्िकया सुदा | अजानारे हतः प्रन्नः शरचुमदंनशाभुना

कयं |

विश्राशं fate पौरं गौरं एरूदकिरम्‌ |

aata: Weta: |

दवापरोतं निखिन्नं देवाभिषङ्गवभिंतम्‌

foferi wag यदा वाग्णो रातिम्‌ ` wuts fer गाय वाद्‌ मनो पिषः + we रष्टितमाशोक्य जिविक्ोभतबन्धनाः

एते खव aw क्ता मोधात्‌ शशवारवारकात्‌

TRANG |

धा विज्ञाता वयाप्य जननौ शरदुभपुन्दये | चावनशाक्छुतारेवां सव वामोदघ्रं मनः

ततो ग्रौततश्ोऽपि राजर्विरिदमन्रवौत्‌ + ature भुग्धशोकानां विनथागतमण्तकः fa तस्याः शभयखुन्दर्या वियन्ते बहवः सुताः | अस्माभिश्च पुरा ज्रातमयमेककपुश्रकः ` `

गुरख्वाच | बाढं विद्यन्ते तथाहि

ये ये भिभुवनेऽणन greats चादृश्राः `

ते श्वं एभसन्द्ाः ger ares संशयः fa a |

चे केदिदु मा शोत सषमार्गाबुयाविगः ते पाः एभडन्द्ा्दद्या gar मनोषिषा

राजविद्वाच |

चाङ्ौ seam भननो भवह्िदपवन्विता , भदन्त बाज्नादग्येऽपि cer कि बन्ति पनः

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gach उषमितिभव्प्रपशचा कथा |

afcenfatea नितरां सन्ति तथाहि 1 ये ये जिभुवनेऽपज sua: क्िष्टजन्तवः ते तेऽङुग्यमालावाः पुजा ANA Swe: ते बाखखदशेरेव fager qeefen: | एतेऽङ्ग्रश्मालायाः Wea: सुषरिखछटाः.॥ `. राअर्विङवाच | यद्येव तहिं | wer: सामान्यरूपायाः किमम्ये षन्ति इनवः | भदन्त किंवा गो षन्ति मध्यबुदधः eet: afcurfifed awaare विदन्ते धतः ये awe: केचिक्मनौ षिचरिताख्च चे | एतेभ्यो ये परे wen: श्वं Aye सोदराः वे मेचिच्छवलायाराः समा मध्यमबुद्धिना | सुताः सामान्यङूपायास्ते जवा भुवनोदरे सकाश्नादितराभ्वां ते गष्छमाना Hwa श्रनन्तग शितास्तेन परोक्षा भरितमा मया राजर्विंङवाच भदन्त aud ततो मम Safe परिष्फरति यथेव व्यवसिते eazy | aaa | | arataeaa जनित जचन्योन्तममध्यमम्‌ | AGW कमविल्ासस्य जग दे तत्क टम्बकम्‌ afreara i आयं नेवाच way: शम्यगारंक ङितम्‌ | मार्गानुलारिशौ बुद्धिभेवत्येव भवादृशाम्‌

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तथाहि | ` ` | 2 जअचन्यमध्यमोक्ष्टाः Vat निषु जन्तवः 1 faut केवशं मृतवे epee भवनि ते

Are | | masta विनिर्दिष्टं याणेवेदं geanq 1 aay विदुषा काये afeerat निबोधत व्यक Wee कायंखबन्धमागमः | | मनो षिचरिते aa: ane: सुखमिच्छता. ` यतोऽ बहवो जवाः प्रायो मध्यमबुद्धथः : " ते सन्वगुषटागात्‌ swe मनौ विशः एतदिश्चाय भो भव्याः सर्वेऽपि मदिता wat 1 कायं मदतुरोधेन cues aaifee वजेनौोयस्च यत्नेन पापमितैः मागमः , यतः स्यशेनसन्यर्कात्‌ बालो निधनं गतः वनेन THB मनौषौ खपरिस्फुटाम्‌ | लोके शेखरतां we जातोऽयं मोकषाधकः-.॥ aerate: कर्तव्या ast पुसा दितिषि्ण.1, द्हासु् fanaa हेतुः waaay दोषायेह geet: geaal शशावहः Uae इयमणब्र मध्यवुद्धौ प्रतिहितम

तया डि वालः श्यरेनशत्न्णादेषोऽभहुः खभाजनम्‌ |

शश डपमि तिगवधपच्चा कथा |

Gages एव एव मनोौषिशा तदिदं भो विभिचित्य afecgrnt: खटा | वार्थो qa: vy: वतेः सुजने: उड ततश्च | ्दमाक्छं मोनोक कदनं सुमनोहरम्‌ प्रबुद्धा कवः सत्वा जाता घमेवरावशाः प्रान्ना रेषा निजं शानं fet cre gute: | गतोऽग्यजविहाराब क्रिः frend: wes aay विद्य कालं watearratany aaa | vaerara daa fawra सकलं विधिम्‌ च्रागध्यानतवोवो्ेदद्धिनिरेग्धकश्यवः ` मनोषौ fasft भाक्तो fer खं Bereta 8g wamt“ale तगुष्दतकमेकाः | मता नव्धमवुद्याचा देवश्ोकेषु ere: | बालक तु चादिष्टं भरन्तेशा विचेशितिम्‌ | AMGaThee जतं नाम्बया सुनिमावितम्‌

शप्रनकयानक कमा प्तम्‌

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उपमितिभवप्रप्ा क्था ( ठतोखप्रस्ताये safagart: )

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विद्र eae) gar तदिदं मया. इः कथानकमकिरि- तमाकणबतसख्च मम अहितं fea तेभ वुश्र्षमौपे -भागतौऽखि भभिदहितं भद्र सन्दरभरुशितं धतोऽतिरमणोयभिदः क्षथा- गकं बुध्यत एव ओतु श्रो अत्धनादुरभः पापमिच्न्बन्धो तस्तस्य बाणस्य शप्नसश्वका दिहामु मिबिडविडगम्बनागभा दु-खपरं परेव Rae cour नान्यत्किचनेति विदुरेण fete: qewagaa कथानकतात्प्ांयं इति भविति मे वचनाव- काशः इलख तच्रावक्षरे aut नातिदूरे वतते Bae: शतं तेव मामकोनं कचनं चिन्तितिमनेन श्रये विरूपको मन्दि बधगषटोक्षापो | खत्पादितप्रायोऽथमनेन fete तज सुन्दर

Rs उपमि तिभवप्रपश्चा wear |

fag वतते ve: शस्वेव विदुरो श्रापविग्धत्यस् मरौवखरूपं इति wwe: det वेश्वानरः॥ विद्रेणाभिरहितं। कुमार शत्धमिरं सम्बगवधारितं कुमारे अन्यच्च प्रशुतिरेषा प्रावः पराङिनां चथा अण gufefawn दृष्टं रुतं वा खवेमात्म विषये चोजवन्ति ततो मथापौदं augue aye चिन्तिते aga! afe छमारख्छ कदाचिदपि पापमिभखम्नन्धो भवति ततः सुन्दरं संपद्यते, मयाभिदितं भद्र किम fete area मे नापि भविति पापमिग्रसमबन्धमन्धोऽपोति विदुरः WE) ववमेतावदेवा्थामहे ततः fet मदौयकर्णाग्बकं विदुरः। owe: ग्रभेरभिदहितं चानेन यदुत केवखमेषोऽपि वैश्वानरो लोकवातेया दुषटप्ठतिः शयते तदवं wg परो- चणोवः gute: मा रेष wines पापमिज्रतया भवतोऽनर्चं परपराकारणमिति |

faciea तस्िश्चवसरे वेश्वानरः aga: उश्नभिशुखो मदौयवदनं। शक्चितोऽहमनेन मुखदिकारतस्तेविदुरवचनेदु बमानः। ततः war aerate मां प्रति खा पूवं ादेतिका स्रा afer मया कर चिन्लाभिधानं तदटकं ततस्तपप्रभावाश्छे wea ag snare: शखुल्लखिताः खेद विन्दवो जात yaaa wit avg विषमदष्टोष्ठ भप्रोयण्छङ्कुरितरक्गमतिकराल वङ्ककुहर सतौ भदरं ॒अग्टहोतषरते तथा वेश्वानरवरकप्रभावाभिभ्ताक्मना मया पापकमंणानाकलस्य AG बल्छशतामनाखोच्य हितभाषितामवि- मय्य चिर परि चथं परित्धश्य अहभावसुररौ श्य gat ser

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