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क्रन्दोगपरिशष्टम्‌ २५७.१। ५५५.२० |

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तन्तवा्तिंकम्‌ ५११९.४

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बेशाखमासंविभानानि ४द९ व्रतादिशज्निपाते favafaurag ४४४

शक्रष्वजोलया पनविधानम्‌ ५७१ गहृचक्रादिषारखविधानम्‌ ५.१ WATS विधानम्‌ qua शमविधानम्‌ १६१२ भिष्ठावन्धनविधानम्‌ १७९ चिषरातित्रतविषानम्‌ @22 येवादेनिन्दा RRR

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८६८ पटे २४ UE अखिनाविति afew पटं qefaq: प्रमादान्‌ सुद्ितमभूत्‌ सन्ति चात्र दोषानराणि dee: प्रमादजातामि तानि विहि; कपया परिगोधनौयानौति afe-

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तथा कालिदासः « याच्‌ञ। मोघा वरमधिणुख नाधमे लब्धकामा | दूति

भस्पज्ञोवास्तब्येन मूबाजोशसलतपिद्या्याचयापक -वरेख कशिकाता राजकौय संस्क्‌ तविद्यालय संस्कत साडहित्याश्लहारा- ध्यापकेन | विद्यारन्नोपाजिकेन RATATAT AT

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wu विवार उपनयने वा उपक्रान्ते यदि arcs बधुवरयोवा माता THAT तदा विधानसुश्वते तथा शान्विपटले |

विवा व्रतबन्धे माता यस्य रजखला सत्यु जडता नरया क्रमाग्मङुजसन्तम | त्र शान्तिं प्रवश्यामि सर्व्वेषां हितकारिशोम्‌ यस्मिन्‌ दिने समुत्पन्नं मातुर्दोषिकरं रजः तस्ाहिनास्षमारणभ्य FATT Se जपम्‌ चतुर्थेऽहनि सम्प्राप्त पञ्चमे वा समाहितः

] © मृलश्चयं मृत्यञ्चयमनु प्रथम क्ख ४०० इष प्रदत्तम्‌ Vidhdéna-Périjdta, Vol. 11, Fasc. I,

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कुाच्छिवीर्चनं विदान्‌ पायसेन यधाविधि मण्डकः पूरकशचापि तण्डते शकंरागितेः

भक्तेन एतयुकेन THT: पूजयेच्छिवम्‌ TUM: कार्या पूरकंर्मोदकंस्तथा भक्स्य परिधिं कत्वा पायसेनाचंयेख्छिवम्‌ दोपान्‌ षोडशसंख्याकानान्यप्रज्वलितान्‌ शभान्‌ | भ्रपयेषहेवदेवाय उपचारः समन्वितान्‌

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त्र खण्डिलमाधाय CATHAY: अग्निमोलेति मन्त्रेण" जुहुयादयुतं gut: पाग्रसेनेव साज्येन खग्यद्मोक्ञविधानतः वणयेप्तजिद्वस्य सप्तजिह्वा नरे्वर |

करालो लोहिता शेता eee लोहिता | पोता UNA भुवर्ण॑ख्या तथेव लोहिता yer श्रेया महत्पव्वां शचेदिंगि सुवण दचिणे Far पश्चरागा नेते

श्वेता तु वारुणि भागी योता वायोदिंशि समृता Curent (दिशि)दिव्या विष्याता या fret orate: सुवणा मध्यभागी खाकिद्धिदचुमंनोषिणः | करालो नाम BW Tar तया cafe तोषयेत्‌

© HUW १९४।१९५।१९९ इषु प्रदर्धितेन | प्रथम खष्ठसख ११० ve प्रदथितब |

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mata: सतवक्षः

लोहितायां पिथाचां an विदान्‌ शतक्रतौ महालोहितया wart ठसिमरायाति शाण्ठतोम्‌ सुव्ंया यमो देवः पन्नगाः पश्मरागया WAIT देवाश्च पोतया चेटकादयः wa जिद्रास्तो्रम्‌ स्कान्दे aaa रसने देवि तपनस्य करालिनि vas त्वयि समश्रन्ति रासा बलदपिताः नमस्ते लोहितं fax ate सुशोभने | ` पिशाचास्तुिमायान्ति इते त्वयि इविष्यक नमस्ते रसने देवि महालोहितसंश्नके ते तयि समश्रन्ति यक्षमन्धव्नैकिब्रराः नमस्ते वोतिषो्रस्य सुवशरसने शमे | afa aa यमो दैवि ददाति विपुलं सुखम्‌ प्राग नमलुभ्यं देवपन्रगतपणे | ` आयते शाश्वतं देवि हुतं त्वयि yaaa ग्रहाणां तपणं देवि कुर fare इविभुजः | इते हविषि fara ग्रहठतिभवेदिष चेटका: कामदेव समस्ताः कुलदेवता | पोतायां wat जाते ढि मायान्ि शाण्तोम्‌

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9 इति एति भवे, इतायानिति पाठो युकः, रसनाशब्द्य खौ लङ्गलात्‌ | + तपशमिति te: |

विधानपारिजति

दूति जिद्वाशुतिं mart समाप्य विधिवदुतिम्‌। ufatal ततः कुग्यादुद्धाः सूनुना सह ततु दचिणां दश्वा आचायाय मनोषिषे | अन्येभ्यो ब्राह्मदेभ्य्च यथाशक्ति चमापयेत्‌ कमं चिश्चकं cary सोपधानं सद्िणम्‌ | Vacs wafer मन्तेणानेन सन्तम मन्तो यधा | नमस्ते धन्ीराजाय देवदेवाय तै नमः | AGHATS दानेन प्रोतो भव मम प्रमो यस्मिन्‌ वस्त्रे रजो दृष्टं aera परित्यभत्‌ | WAT AMAA ब्राह्मणान्‌ भोजयेत्ततः एवङ्कृते विधानेऽख्िम्‌ faut नश्यन्ति aca | मन्द्न्ते SCAT: सह मात्रा निजे we ्र्ञत्वेतदहिवाहो यः लभेद्‌; खमेव दूति विधानमालायां विवा रजोदोषथान्तिविधानम्‌ संग्रहे तु प्रकारागन्सरसुक्षं यथा। प्राप्तमभ्युदयस्ादं पुचचसंस्कारकाश्यणि | ' पत्रो रजखला रचेद्छाग्र कुान्तत्पिता तदा WAR ससु्टस्षस्य. THe शुपखिते | त्रियं सम्पूज्य विधिवत्ततो मङ्गलमाधरेत्‌ शोलादावपि एवभेव श्रेयम्‌ सरटे तु waft एवभेवोक्षम्‌

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we विधिवत्कन्धावरणमारभ्य जिरा्रयादिव्रतसमातिपसन्तं arate काले अभौचप्राप्तौ तदपो सद्यःगोचमाइ चद्दिका- कारः AH याश्नवश्काः | ऋत्विजां afenara afrd ae कुव्वेताम्‌ | afaafaawrarfteranwfaet तथा दाने वि(हारोवाहे an संग्रामे देशविड्षे आपद्यपि कष्टायां सद्यःशौचं विधोयते इति ऋत्विजामिति | | अरन्या धेयं पाकयन्नानम्िनि्टोमादिकाश्मखाम्‌ | यः करोति हतो यख्य तस्यतििगिोश्यते शति मनुक्ञवरणसंस्कारसंस्तानां AMAA ACT) AAT ATA ऋलतिवजां दोधकालाभौचपाते(मष्ये)ऽपि सव्यःशौचं विधोयते इति सम्बन्धः टरोकितानामिति। दौ्षणोयेच्चादिसंस्कारवतां यज- मानानां Serene प्रति अवश्वस्ानपयन्तं दोधकालागौचमध्ये सद्यःशौचं कथ्यते ACTA अविद्यस्य महामखे ara waa यावन्तावत्तस्य विद्यते इति ब्रह्मवचमनात्‌ | सजिग्रतिदादशब्दायोः सङ्गह दभिताः तथाहि

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सभो ग्टहोतनियमो यन्नदानेष्वदोक्तितः | चान्द्रायणाद्यनुष्ठाता व्रतो तब्रह्मचायपि AE छतसङ्कल्यो व्रतो भोज्ञा ahaa: | दाता नित्यमनादाता वानप्रखोऽच कर्तितः इति . ब्रह्मचारिब्रह्मविदौ afew दाने तुलापुरुषादौ, व्याधिपरि हाराय दानेवा। विवाहः afew) यज्ने संशतसम्भारस्य कालान्तरासम्भषे देशोपद्रषे महत्यामापदि एतीष्वपि दोघाभौच- aaa सद्यः शोच विधोयते इत्यनुषङ्गः तथाच कन्धादातुः प्रतिचहोतुश्च कन्धावरणप्रथति-विवाहइसंस्कारनिष्यत्तिपयन्तं दोघं- कालाग्ोचप्राप्तावपि सद्यःशौचं द्रव्यम्‌ | स्मृत्यन्तरेऽपि नरेन्द्रसजित्रतिनां विवाष्टोपश्नवादिषु | सद्यःशौचं समाख्यातं ween विथेषतः इति | तस्षतवाय्यं इति विथेषेणाभिधानादे्देवादिकन्धसु wild दोघं- मख्येव तब सदयःशोचविधानाभावात्‌, sawed वाचनिक- मिति त्यायरश्च। यतु पठिनसिवचनम्‌ . ` विवाब्रलयन्ेषु याज्यां तीधक्रि aay सूतकं कुग्थौत्कामं यन्नादि कारयेत्‌ ब्राद्मेऽपि। «a रेवपरनिष्ठःयां मर्यामादिकस्नि ! खाद पिद्धयन्ने कन्धादानै नो भवेत्‌

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तदेतद्पक्ान्तयन्नादिकक्षविषयं दर्व्यम्‌ | तथाच Seat: | ' विवाडोकवयन्नषु ART BAA पूल्धैसङ्कस्पिता्थे(बे)षु दोषः परिकौोन्तितः माधवोये ° TITAN aaTHSA माता यदि THAT | निहत्तिस्तस्य कन्तव्या सडलश्ुतिचोदनात्‌ # ब्राद्मेऽपि भ््रापेशमारभ्य ऋलतिजां वरणं तथा ` शावक सूतके चव saws विद्यते षट्‌बिंश क्मतेऽपि | विवादो कसवयन्नेषु ART BAAA | पररबर प्रदातव्यं भोकञव्य्च हिजोत्तमेः प्रररसगोत्रः विश्शुरपि | व्रतयन्ञविवाशषु ATS WAIT जपे WC सूतकं A स्यादनारय तु सूतकम्‌ tt आरन्भशच Aaa: भारण्मो वरणं यत्रे TET व्रतसन्रयोः

=-= ~~ ~ ~ ee ee बरदमिति मधुपक्ंपरं, रहौतमधपकंस यजमाना इऋलिन्नः। पश्चाद्वै पतित भवेदिति face इति winters) ayer, yay भदक वारो चिति शद्धिविषेकः।

विधानपारिजाति

arteries विवाहादौ यारे पाकपरिक्रिया इति नान्दोमुखावधिख्ाव्कत्वेऽधिक उकः | एकविं शत्यशर्यन्ने विवा दश वासराः faqa चौलोपनयने नान्दोयाद्ं विधोयते दति तेन एकविं शत्यादयष्रन्तःपति यधा यन्नादि भवति तथा भ्राव- प्यके यत्रादौ पूवं नान्दोशरादं कव्या दित्यधः | सध शआरण्भाभाषैऽपि कन्धाया sara सत्रिहितलब्ना- mrad शोमादिपृल्ैकं विश्शुख्मृतिरशौचेऽपि विवाहमाह अनार विशये कुभाण्डजं इया दृष्टम्‌ गां दथात्पञ्चगव्याशो ततः शध्यति सूतक इति तधा-संग्रह़ | UES समुप्रापे सूतके समुपागते | कुभाण्डोभिधतं इत्वा are दश्वा पयखिनोम्‌ | चुडोपनयनोदादप्रतिष्ठादिकमाचरेत्‌ . संग्रहस्मृ तिरपि | उदकलिपितबडसम्भारस्वापि सतरिहितलम्नाः.' राभावै स- भारस्य धारशागरल्लौ भशोचाभावमादइ fry: देव- प्रति्ठाविवाहयोः पू्धैसम्भृतसन्ारयोराशौवमिति

दति ओविधानपारिजाते विवाशादावशौचप्रापौ त्िषयः |

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Sala: स्तवकः |

अथेदानीं wearer वाग्दानानन्तरं विधिवदिवाशवैदिं कुखादिति | तव्ालमाश व्यासः क्नदलनयवारक^मण्डपडदेदिवणकाष्यखिलम्‌ I aera ian गतागते वेवाहिक Bary इति तद्मकारमाह नारदः इस्तोच्छ्ितां चतुषस्तअतुरखां समन्ततः | स्तन्धषतुभिः सुश्चच्छां वामभागी तु (च) सद्मनि समां तथा (चेव) चतुरि सोपानेरतिशोभिताम्‌ प्रागुदक्‌ प्रवणां रण्पास्तम्धंसशकादिमिः" विचिन्रामद्ितां ङुम्धनिहितेस्तोरणाङ्करः ग्गारपुष्यईनिकर्वणंकः समलह्ृगताम्‌ विप्राभोवंचनेः पुण्यैस्रिमिर्दीपि मंनोडराम्‌ वादिवरदत्यगोतादय्ं दयानन्दिनं एमाम्‌ एवंविधामारुरसेम्मिथनं साभ्निषेदिकाम्‌ इति इस्तप्रमाणमनर संस्कार््याया बध्वा ATT | सोपानकर्ष

चिक्षसा एति यख भाषा इति गोपौनाधः

इलिक्ादिभिरिष्याकरे पाठः |

fafaterfga: sufafavatcargt: इत्याकरे" पाठः |

श्ङ्गरपुष्यायि मालतौवकलादौनि इति गोपौनायः |

WATT: नभ ¦ कृपृ्ोद्रता खा

गयं रम्ये निगेमादा मभा जायाप्योरागिषेः सयुक्त इति वचनात्‌

ज्ये woe + कछ

१० विधानपारिजात

प्िम्रभागे उपरि चतुरि वा अधो वा यथाचारम्‌। वेद्या Cane सोपानव्यतिरेकेण द्रष्टव्यम्‌ | इति वेदिकाकरणम्‌ |

श्रध. विवाहमण्छपकरणप्रकारः |

वणिष्टः | षोडशारब्निकं कुर्या ण्डपं वा दिषट्‌ करम्‌ यदाष्टदस्तं रचये तुर्ारोपशोभितम्‌ | AUG Aaa तज्र वेदिं waaay इति तथाच यथासम्भवं षोड़शद्स्तं हदादशद्स्तमष्टष्टस्तं वा faare- ABI कला सश्रतोरणादिभिरलङ्कत्य मध्ये चतुस्तकां वेदिकां कग्बोदित्यधंः | नन्दिनो नलिनो चेव मेरा quar | पराग्नेयादिक्रमात्‌ पण्या मध्य ब्रह्माणम्‌ इति विवाइमर्डपकरणशविधानम्‌ | शव्येरोरमणमण्डलवक्ण पुष्डरोकदलस्रिभनेषम्‌ | चोरसागरसृतासृकलबं संनमामि मम वंशदुमिव्रम्‌

wart विवाहादौ areca विहितलाद्रारपणविधान- मभिधीयते

e Steere t= et ee 0) 2 1 7 1 षि भी 1

दिषद्कर wremven |

watt: सवकः |

stra: |

अधाहुरापणविधिं प्रव्छामि. faite: | शौनकोऽं दिजातोनां awenrqetfiary मवमे सप्तमे वापि पञ्चमे दिवसेऽपि वा, SAA वोजनश्श्रे भवार शभोदये I wae वितानध्वजतोरणेः

ae वादिवरदत्याद्यगला प्रागुत्तरां दिशम्‌ | तत्र VARA AAT WHAT पुनरागतः | WMATA वंशवेषु पाज षु वापयेत्‌ सुसुहन्तेऽथ TRAY गोमयेनोपलिप्य | faaraa: सम््मकोओ पालिका स्थापयेदिजः मध्ये चतुर्मुखं विद्यात्‌ पूवे वचिगभेव efaa तु यमं विद्यात्‌ पिमे वरुणं तधा उत्तरे थिनं विद्यात्‌ पालिकानाञ्च देवताः a वस्मोकसत्तिकां Slee शष्कगोमयभेव एतानि ufaaearg पालिकासु यथाविधि qarenaacay धिरोषं विह्वपत् कम्‌ | तासां मूलेषु विन्यस्य ्वेलसूत्ेण मण्डिताः | WY ब्रह्माणमावाश्च मन्धादेरश्चयेत्‌ क्रमात्‌ werfema रवं ts नम एव

= जनयिन ee मनः चणक

9 जदधडनिति qantas १४ एह पङ्गौ Bree}

११

£2 विधानपारिजाते

= तिष्न्‌ कर्ता sitet पञ्चात्‌ प्राशुख एव ` दिशां परतोन्नमस्यामि सब्यैकामफलप्रदान्‌ | HA सफलं क्म, कुव्येन्तु सततं एभम्‌ | ब्रोहियवमाषतिलमुदमिश्रितसषंपान्‌ | तान्‌ प्राश्यं तोयेषु वापयेदङ्करापंणम्‌ | रात्रौ सुकते कल्याणि कारयेदह्रापणम्‌ | बरह्मजन्नानमिति qe मध्ये ब्रह्माशमशयेत्‌ यत इन्दर भयामरैण प्राष्या प्ररेपयद्िजः | नाके सुपणमिति ab ततो दक्षिण तु तचचायामोतिऽ मन्तेण wala वापयेदहिजः सोमी भनुषमुदोष्याश्च भोषधोवापयेत्‌ क्रमात्‌ शाभिः सिकताभिश प्रच्छाद्यापः प्रसेचयेत्‌ विधाय gaa सव्यैमासानभिति मन्धते | भासप्तमा्रजानाश भाषषठात्‌ THAT पश्चमाडक्तिमान्‌ विष्णौ सन्येकामफलप्रदे , चते चाङ्गं विद्यात्‌ पापोयान्‌ जायते तु सः।

9 ब्रह्मणश्चानमिति मन्तोऽयंप्रथमखल ६०९ WE प्रदितः। बत एन्देति इगियं प्रथमखखष्य ११५ WE प्रदथिता। $ नाङ्गे सुपणलुप यत्‌ पतन्तं ser बेनी Seat | fetarad बरद दूतं यमख योनौ अकुनं yer I ( १०. (NAG. (कब्‌) § तलाबानौति भियं हिंविधा, प्रथम खण्डश ९९।११९ एृष्टयोदभिता रोमी Rafer ऋनिणं प्रयमलष्डल १९१ हे प्दध्रिता |

WA: सवक्षः १९

AAS सम्धकामानामहुराहनि चोदयात आयुष्करं ओोप्रदश्च शमेष्वन्धेषु TET: | ARIAT VAY वापयेद्षरापणम्‌ | यद्यहराणां रहितं AMAT TATA |, सदोऽहकरापणं वापि सद्यः करतुः wafer: THM AGS: YE: TT एव शभाङुरेः पालिकानि प्रपूर्वं og ओोष्येकभेव वा | Wea पश्राद्ः पुष्परापूथतेऽपि च। रोक्षाः क्रियाः सम्धासेस्तेरेव समाचरेत्‌ श्रोषधोनाश्च सर्व्वासां चन्द्रः प्रोक्घोऽधिदेवतम्‌ ARCATA तैन रात्यङ्करापेणम्‌ वासुकर्मणि चौले दिवा स्याद्ुरापणम्‌ | TIT रातौ Fala तथाहि कदाचन भधानं गभसंस्कारं जातक नाम च। दित्वाङ्रापेणं विद्यादन्धत्र शुभकर्सु इति शौनकोक्षमह्रापणविधानम्‌ | ware खष्टप्रयोगो लिख्यते यथा-- गभाधानादिनामान्तकर््ाणि yw भन्रप्रा्नादिविवाशा- Wy अपत्थसंस्कारेषु नवग्ड(ग्रइप्रवेशादन्येष्वपि yuaray करिष्माणकन्पशः yea’ नवमे Pa पञ्चमे तोये fest सदो वा WHC कश्यम्‌ | | ward क्रमः | पालिकादिसग्धारागुपकसख्प्य gata: पोटोप-

2B _ fearqarfcerra

विष्टो यजमानसिष्यादि adie भसुककसाफल्यनिरन्तरथमलः सिद्ि्टारा परभेष्ठरभोतबथेमहरापणासख्यं वाराहं करिष्ये इति aver शषभूमिसुपलिष्य , रङ्गवह्नयादिभिरलङ्कत्य aa सिता wary स्म्प्रकोय aa नववणपात्रं किश्िदन्भोरं सूत्रेणावेष् तदेव. पालिकात्मन dea तत्र श्ोकमल्तिकां Seay शष्कः गोमयवुशं्च प्रक्षिप्य पालिकामू(ले)लं भोततण्डुलेः पूरयित दूवोङ्राश्ठयश्निरोषविलपव्राणामुपरि WR . ASW तदेशपाठ प्रिष्य सितरक्षहरितवर्णनि पुष्पाण्यवकोय मध्यादिपद्धखामेष ब्रह्मा दिदेवाम्‌ पूजयेत्‌ |

तत्र ब्रह्मजन्नानं नकुलो ब्रह्मा feed, भगेन पालिका मध्य ब्रह्माशमावाश्येत्‌। यत इन्द्र प्रगाधो भग इन्द्रो हतो अनेन gat शन्द्रम्‌। नाके got यमो यमख्िष्टप्‌| waa दक्चिणे यम्म्‌। तच्वायामि वरुणस्तरषटुप्‌ भनेन पिमे वरुणम्‌ | सोमो aa गौतमः सोमस्ि्टेप्‌। भमेन चोत्तर सोममावाषटयेत्‌। एवं ब्रह्मादिलिङ्ककंरन्धेवा खशाखोक्षमन्त ्रद्यादिपञ्चदेवान्‌ यथाक्रभेशावाद्च ब्रह्मणि नमः। इन्द्राय नमः | यमाय नमः। वरुणाय नसः। सोमाय नमः। इति नामः मन्धेरासंनादिक्रभेण षोडशोपचार; पदाथानुसमयेन ATVs. समयेन वा पश्च देवताः «werner पालिकापबिमतः कर्ता प्रा्चुखस्तिठन्‌ उपतिहेत तब HAT -

® रदासादनादिष्वपिश इति gee पाडः |

waa: Baar १४

दिशां पतौत्रमस्यामि सब्धैकामफलप्रदान्‌ | ary सफलं कश्य Hay सततं शभम्‌ इत्यादयः | ततो ब्रीहियवमाषतिलसुदसषपान्‌ मोमयतोयेन were द्मजन्नानमित्यादिभिः gale: पञ्चमिरमन्धः क्रमेण पञ्चस ्ानेष॒॒वोजानावपेत्‌ ततः शद्वाभिः सिकताभिः प्रच्छाद्य पः प्रसेचयेत्‌ ततः) पञ्चगव्यं समन कं प्रसिश्चेदिति ग्रन्या- तरे Saez | सयोऽङ्रापणपक ब्रह्मादिदेवतावाहनादि लत्वा HRT: an: सिदर्धान्याङरेच पालिकां प्रपूयथ पश्रादिपुष्रलङ्खत्य ceca: सर्व्वाः क्रियास्तरेव -रयेत्‌ cence कश्च रात्रौ काथम्‌। वालुकादणि de mute दिवेव कायम्‌। पञ्चपालिकादिपक्षेऽपि प्रतिपालि- का)कमेवभेव क्रियाहसिः वंशपात्ररूपा पालिकैति प्रयोग 7रिजातोक्तिः। वि्ठप्रकाशादौ तु घातुमवरूपा warren वा ei इति योविधानपारिजात भह्करापणविधानम्‌ |

अथ कोतुकबन्धविधानम्‌ |

वधाथ शौनकः भथ कौतुकबन्धस्य प्रयोगोऽत्र निगद्यते | विषाहादौ शएमे कारे राक वादि छते तथा

# १२ प्र om: |

+ १९ शृ प्रद्भ्िः।

१९ विधानपारिजातै

सारे पालिकागुक्ते खले दुन्दुभि (पूरिषै,गादिपे सष्टाशषतेन कांस्येन steal निधाय | कार्पासोडवसूत्रन्तु वरिगुणेक्षत्य पश्च वा निधाय तण्डुलान्‌ पात्रे बू कुम्भं निधाय am: wate: wre विप्रः सुखासमे | qua: खः साविवया ऋभ्मवेदादिभिम्तथा | प्रापो हिष्टादिकाब्शिङ्गः श्वत्यवमषंसेः | WRIA खस्तिमत्या पावमानेस्तथव | रक्षोष्टण्च रातिश्च कणुष्वति तथव तर्मन्दो" पुरुषं yas तथेव wat दैवा wafeafa परो मात्रा तथेव Raw शिवसङ्कयं वायुसकञं तथेव सुश्चामि तेति are स्योना एधि भवेति | दविशोष्टाः सवितैति वो fad नयेति a ठलकया -पिशङ्गेति ऋभिरेताभि(ऋो लिजः¶ I

# प्रथमखण्ठसख ३३९ पृष्ट "१० at SR: | MURATA १९४।१९४।१९९ WHE om: | yung बिपादृह इत्यादिकं valend प्रथम ण्ठ १५४।१५९ Tat: ्रद्ितम्‌ ! § वबावुसूक्ताभावात्‌-“बात बाबातु १) tag waty नो we | प्रमे wate तीरषत्‌ ॥* wate शष्यादिपाठपूभैक पाठ्य एति तुलाएदषदागपदतौ तदंवाचसतवः | ¶ु एते मन्ता अगुपदभेव cafes |

waa: स्तवकः १९

जातवेदस इत्यु घा» सूव्रमादाय लेपयेत्‌ |

गन्धेन दिशे हस्ते TAT: Teg तन्तुना

विश्वेत्ता तै सवनेति स््नोशां सव्परकरे तधा |

faa जात ऋवंकयागंगप्यष्वयुखच समाहितः

शतं जोवेति दाभ्या ठहस्ाभेत्युचेकयायु

ये aga तघाष्टाभिस्तियम्बकश्चचेकयाई

भस्मना चाक्षतंर्वापि रक्तां AAT समापयेत्‌

दद्यादाचार्ये मादि ऋलिग्माः पश्य शक्तितः

विदान्‌ सर्वबप्रयव्रेन कुर्यात्‌ कौतुकवन्धनम्‌ इति

GATS प्रयोगः | विवाहादौ waaafe aret पालिकायुक्ने खले मद्गल-

quae कते सति कौतुकबन्ध कुर्य्यात्‌ तज्रायं क्रमः आचार्या द्ममये कूचे उदकुम्भं निधाय areata पञ्च- ` श्रितं विगुणितं वा arateas निधाय तमीप यजमानसुप- वेश्य कु शहस्तेशऋतिम्मिः सह कुम्भोदकेन तत्‌ सूरमभिषिद्धेत्‌ |

[यकाया सा NE eT a रोपी

© प्रथमब्रष्डछ ४५० पृष्टे प्रदशितया | + प्रथमशणस ego WS प्रदितया। } दहत्‌साब्रो गानाशक्तौ- afafe eras सात वालख कारवः ^ लां safes संपति नरखां vee fa: पाठः काव्यः एति तक वाचश्यतयः। area यजामह सुगन्धि greater | अन्व दक मिव बन्बगममृत्वामुखोय Heyyy रष. Com. ayy: |

3 १०

१८ विधानपारिजाते

तत्र मनाः |

व्याहृतिपूर्वां गायो" भ्रम्िमोले† x8 लों ला | अन्न भ्रायाहि{ शत्रो .देवोः¶। भापो हि ठति area एतो व्विन्द्रम्‌## wa चेति मन्वदयम्‌†† प्रशद्ीयेति मनवः fe नो भिमोतामिति मन्तच्रयम्‌ऽ§ खारि येति ewe सूक्तम्‌ ¶¶ |

© प्रधम सम्डख ७९ परे प्रदगिता | अध्रि मौनी इति मनतौऽयं प्रथम ग््डख ११० ve प्रदरितः। t शे ate त्वा वायवः w टैवो वः सविता प्रापयतु Sena HHT १अ. १म. यजुः § शप्र भायाहौति मनोऽय प्रधमखणल ११० पृष्ठे Heise: | शब्रा Safes waco प्रथमस्य २० पृषे प्रदशितः। | आपी हि एति नवं प्रथम खण्ठख ५८ एषे प्रदभितम्‌ es एतं) विन्द्रमिति शथे प्रथम खड १४॥ प्रहे प्रदथितः | + ऋते चेति मनय प्रथम खण्डस्य १४६ TE प्रदश्ितम्‌ ti प्रश्ाय मारताय खभागव एमां area पवतश्यते | wage दिव भरा reat Gea मह Cea ४म. ५४१. CRE ४१ खक नौ भिमोतामञ्चिना भगः खलति दैष्यदितिरनर्वेशः। सकि पूषा असुरो दधात्‌ नः खि Marwan sagan ११॥ स्वये वायुपपत्रवामहं Beale भुवनस्य Tate: | हष्यति सवगणं खलथ खलय Vises भवनु नः १९॥ fat दैवा गो war खल्ये वैश्वानरो वमुरप्रिः खणये | देवा अरवन्डभवः खले ate नो हसः ४म. ५१्‌. CRA 11 खादिष्ठया मदिष्ठया पवख सोम धार्या sere पातवै घतः १॥ Tater विश्रचधथिरमि योनि MATT दुखा PHAR २६ बरिषं,धातमं। भव afer एबहममः। परषिराधौ मघोनाम्‌ १॥

तोयः Vere: १९

रचोहशमिति पञ्चविंश सूक्तम्‌#। offers सूकषम्‌† aust पञ्चदशं सक्तम्‌ तरत्‌ welt ऋक यतुषटयम्‌§। सहस्रशोर्घेति wer सूक्म्‌¶ विष्णो- 4 कमिति षडुचं॑सुलम्‌|। भतो देवा इति षड्चं

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रमी te कक yr emma = ~~

mad महानां Sant वीतिमन्धसा अभिवाजहुत रवः त्वामच्छा चरामसि तदिद fet दिषै। इन्दो तेग भाशसः॥५॥ पुनाति ते परिसतं सोमं are दुद्धिता। वारेण wan तना तमौमणौः सम्य भगभूनि येष दश्च Bat: Wa दिवि ऽ। vat डिन्वन््युवो धमन्ति वाकुरं हतिम्‌। भिधातु वारण ay ८॥ अभोम aw उत श्रौणति घं नवः fag सोममिन्द्राय पातै ९॥ अस्येदिन्द्रो मरेष्वा fan ante faut शरो मघा मंहते रम. १. Lowe | रथोहणमित्यादिकं सू प्रथम खष्ठल ३४०।१४१।९४२ प्रषु प्रदगितम्‌। राशिव्ये्ादित्यादिकं दागिमूक प्रथम ख्व १९४।१९५ प्या सक्तम्‌ | छण्यव्यादिकं सूक प्रथम खण्डस्य १५८।१५९।१९० THY ठक्तम्‌। तरत्‌ सं मन्दौ धावति धारा मूतय्यागसः। तरत्‌ मन्दो wats ne भरापदख avfanty रयि सोम सुवौर्यम्‌। अख श्रवः८सि wea २॥ अलु WAT जायवः पदं नवौयो wags! रवै जनमत सूम्‌ ॥* अषां सोम टमत्तमाऽभि द्रो यानि राङवत्‌ ° सौदन्र्‌ योनौ amen सामवेदः, अधवा CH. ५९१. ४कब्‌ सहसभशौषत्यादिकं सृकं प्रथम खण्डस्य १९४।१९५४।१४९ Wy प्रदशितम्‌। fawa कं वौर्याखि प्रवोचं यः [णि fant रजसि | यो अक्भायदुत्तरं awe franreawtena: प्र तदि: सवते वौेश qat भौमः कचरा निरिहाः। aeney fay विक्रमरेष्यधिकियनि सवनानि fa x २॥

१४ विधामपीरिजात

Gaye परो मारयेति सपं सहनम्‌ |

प्र विष्व शुषमेतु aa गिरिचित samara vo) एं दौच प्रयतं सधस्यमको विममे चिभिरित्यटेभिः १॥ यख भौ पूर्णामधना पदान्दचौयमाशा खधय। मदन्ति | a बिधातुं cfenqa aaa दाधार भुवनानि fea ne i age प्रियमभि are) wat नरो as टैवयवो मदति | anne हि बन्धरित्या fae: पदे परी मध्व उत्सः ५॥ तावां वाणुग्छश्मसि मध्ये यष गावी मूरिशृङ्गा sare: | TUE AAMAS धशः WH परदमबभाति भूदि १म. १५४. CRA! अतो Zar भवनु ने। यतो विष्यविचक्रम। परथिव्याः सप्तथामभिः॥ १॥ विष्णुविचक्षपि र्धा निदधे wey समूदमश्य पांसुरे ९॥ रीण पदा विशक्रमि fagatar wena: अतो धर्माणि चारयन्‌ १॥ विष्णोः कश्यपि पयत यती व्रतानि पश्ये TRS युज्यः TST तदिष्णौः एरमं पदं wel पष्यति सूरयः। दिवौव aqua ५॥ तदिप्रासो विपन्यवो जागृव।पबः समिन्धते। विशोयत्परमं पदम्‌ एम. इदप, CRA! परो माग्रथा तम्बा ठार ते महिल्वमन्वश्रवनि | खमे ते fay रज्ञसौ एथिष्या faut टैव लं परमस विते १॥ गे तै fowl जायमाने लातो टैव महिन; परमसमापर See! AAAS eat we प्राचो ककुभं af: २॥ एरावतो षेनुमतौ डि भूतं भूयवसिनौ aye que | mera रोदसौ विष्डवेते crud परथिवौमभितो waa: ९॥ VX AWG चक्रधर लोकं अनयन्ता सूथीसुषासमप्पिम्‌। दसि वचिडृदषसिप्रख माया Yar एतनाञ्छे¶ १द्राविख् Tika: nace नव पुरो गवतिख प्रथिहम्‌। बतं वचिनः सल साकं इषो सप्रलसुरस् दौराम्‌ ५॥

WAT: स्वकः | re

हिरख्ववर्णामिति wees सूलम्‌# aero इतिं red सुकम्‌ वोतिहोत्रेति wwe arena) सुश्वामोति

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दयं मोषा हतौ नोशक्रमा तवसा वयन्तौ

दरे at ata विदथेषु विशो पिन्वतमिषो इन्नेषिन्धर॥ ck ,

वटति fawire भक्षो am शुष शिपिविशे इव्यम्‌ |

वन्तु लवा qeaal गिरोमे ययं पात खल्िभिः सुदा नः॥

श्म. ९९. OWA डिरण्यवर्णामिति aw प्रथम खग्डख ३६४।३९४ पटयोरक्रम्‌। aman दूरमुदैति देवं तद्‌ que तथवेति। दुर्गम ज्योतिषां ज्योतिरेक तगरे मनः शिवसहल्वमसु १॥ येन कममण्यपसो मगौषिरं। as wate विदथेषु धौराः | यद्पूवं यच्छ सनतः प्रजानां तक सनः TATA ₹॥ यत्प्रक्नागसुत चेतो wire यल्जयोतिरन्रमृतं प्रमु यस्मान्न ऋते किञ्चन कथो क्रियते तया मनः गिवसहस्वमस्तु el धनेटं भूत सुवनं भविष्यत्‌ परिग्हौतममूतेन सब्यम्‌ | येन Awad PAVIA AA ममः चिवसदखमस्तु ४॥ यद्र; साम ayia यद्धनम्‌ प्रतिष्ठिता रथनाभाविवाराः | afafan aerate प्रजानां तम्प्र मनः शिव सहत्वमस्तु ५॥ मुषारयिरशरानिव वन्धरुष्धान्रेनौयतेऽभोषुनिर्वाजिन इव | इक्रतिह यदजिरं जविह तनं मगः शिनसडखमस्तु १४अ. CH. दशः | { बौतिोशत्वा कषे gaa समिधौमहि। wt owe?

अवा नो अग्र ऊतिनिर्गायत्र् मवि feng wy वन्दा शानो भपरे Ufa भर eee aia) विश्वासु एतमु दुशटरम्‌। रान्‌]. अपर सुचेतुना रथि विश्वायुपाषसरम्‌ माकं चडि alas अमं Feary गो धियः सतिमाणमिवाजि तेन कख धमं धनम्‌ सामरैदः।

रर विधानप्रारिजाते

Uwe Game) स्यो ना एथिवि"। द्रविशोदाः। सविता पञ्चातात्‌ { नवो नवो ,भवति ¶। विद्युन्न या पतन्ती | उलुकयातुम्‌ ae | पिशङशषिम्‌ Pp एताः सप्त we: | एतै. ata पिङ्ृश्रटिमिवनतरमन्धेः कूर्चेन wean ay.

© quia लद्हविषाशशलौवनाय कमन्नातय्मादुत cere | ufesare यदि वै तदेनं तथा इनरापर प्रहहमेनम्‌ यदि चितायुण्दि वा परेतो यदि मृ्यारन्तिकं मौत एव तमाइरामि निकरतेरपसा दस्या्षपरनं शतशारदाय सहलाचेख शतसारदेन गतायुषा इषिषा इाधमेनम्‌ | यथम रदो यातो विगर दुरितस्य पारम्‌ eI शतं जोव रदो व्॑मानः शतं हेमनाज्दतपु वसमान्‌। ब्रतनिन्र्रौ सविता इडइस्यतिः शतायुषा इविषेमं mes ४॥ आहवं लवा विदं लवा पुनरागाः पुनव | सर्मा सक ते wy: serge तेऽपिदम्‌ ५॥ tom, १९११. ऋक्‌ t खो भा एथिविःनो भवादृचरा निषेथनौ यच्छा नः गदो ney १म. रदम्‌. CHA | द्रविवीदाः पिपौषति शुष्टोत प्र तिष्ठत नैष्ाहतुभिरिथते ९९अ. रम. यशुः | सविता पञातात्‌ सषित। पुरलात्‌ aftr सवितधराषात्‌ | सेषिता नः सुवतु सब्ैतातिं सपिता नो रासतां दौधमायुः १०म. NER, १४दग्‌ | गवौ नवो भवति जावमानोऽङं तुर्व साव्ययम्‌ | भागं Real िदधावयायन्‌ meee Seay: १०. CHE. १९ इम्‌ | frou या पतन्तौ दविदोदृभरन्तौ मे son काग्यानि। जनिष्टो अपोनयः सुजातः ated तिरट दौर्घमायुः १०. ९५ब्‌. १०अब्‌। ee Samay एएलकयातु जड शरयातुसतद कोकयातुम्‌ | SWATH ग्भयाते इदेव प्रमृख रच इन्दः शम. १०४६. Rae | tt famenferen पि्ाविनिद्र Gee | cel रथो fava १. cet \अब्‌

mata: Be | २१

मभिषिख आतवेदस इति aaa गन्धेन av शेपयिला विश्वेत्ता इति aware भाचाथ्थः पुंसो दक्षिण्स्ते चबं वक्रो यात्‌। ferarg श्रिये जात इति मन््ेण" वामहस्ते बप्नोयात्‌ तत ऋलिजोऽक्तेयजमानस्य समन्तं रकां कुरः तच मनाः शतं जीवेति इयम्‌ ये यज्ेनेत्यषटश्म्‌६ wea यजा-

en ela

# farm ति सवनेषु प्रवाच्या या aay मघवच्विन््र Fae | पारावतं यत्‌ पुलसश्तं दबखपाढणोः शरभाय सषिबन्धवे॥ SH. १००१. GUN] प्रमखर्डस्य १९० We प्रथितेन | ¡ reve ११--१४ ding nef § gaia दिशया समक्ता THA स्रामम्‌ तत्वमानश | Ral भद्रमद्धिग्सो वो भस्तु प्रति wala aad सुपैधमः॥ उदान्नन्‌ पितरौ गोमयं बस्ने नाभिन्दम्‌ परिवन्छरे बलम्‌। दौघागरहटमङ्किरमी वो wey प्रतिग्टभौत भागव सुमेधसः २॥ कतेन पमागोडयम्‌ दिषव्यप्रथयन्‌ एथिवो मातर वि सुप्रज्ासवमङ्धिरमो a अस्तु प्रति wala मानवं सुमेधसः १॥ अयं भाभा वदति aM वौ VS देवपुत्रा wrae Sala नः | सुब्रह्मण्यरमङ्किगमो वो wey प्रतिग्टभौोत मानवं सुप्रधसः॥ ४॥ विकश्पास इ्षयस इद्रभोरवेपसः। ते अद्धिरसः Grr WT: परिजज्जिरं wen ये au: afcrfnt विश्पासो दिषस्यरि। नवम्बोतु दथग्बो अङ्धिरतमः सथा दैवेषु संहते ९॥ इन्द्रश gon निःखलन्त वातो ब्रती गोमसलमञ्धिनम्‌ | ससं प्रे ददतो अटक द॑; गवो Stem 9 भ्र मृं ामतामयं मनु lay रोइत्‌। अः सहत MAT सद्यो दानाय AWN Low, (य्त्‌. SHI

२४ विधानपारिजाते

महे इति च# ततो यजमानः कश्चसाद्गुश्याधथमाचा्यादिभ्यो

यथाशि दल्िशां दद्यात्‌ ' Waal बन्धनं प्रोतं Nara तदिसजनम्‌

Aw मनो यथा

कङ्कणं मो चयाम्यद्य Tat तु) तु कदाचन | मथि cat विधायाशु देव लं गच्छ कङ्कण I

इति मन्त्रेण काङ्णं frase |

इति शौनकोक्तं कौतुकबन्धनविधानम्‌

रथ कात्यायनमतानुसारि कौतुकबन्धनविधानम्‌ | विनायकं नमस्छत्य गिरिपुजोख्च सूरैनि | कात्यायनमनुप्रोक्षो र्ाबन्धो विधोयते विनायकं तु संपूज्य गुहगन्धाचतादिभिः | प्राणायामश्रयं क्त्वा BRT यथाविधि WATS कांस्यपात्रन्तु कुणभस्मजलेन | ताम्बुलं तजर विन्यस्य भस्मना सहितं तथा

_ सौवणं राजतं वापि क्षौमं कार्पासमेव वा तन्तु्रयं तथा पुसां Margy दिगुणोकतम्‌ पावमानेन मन्द्रेण" सूजद्धेवाभिषिचयेत्‌ प्रापो हि हेति aaah संस्काये स्याभिषेचनम्‌

-- ng eg @ mica १७ प्रे uefieT:

+ सलं शतधारमृषिभिः पावनं wey | तेन लामभिषि्ामि पावला(नौः)णः एुगनु ते एवमादिष्पेश { प्रषमदष्छल ६८ nena

देतोयः स्तवकः | २५

aa गन्धेन भंलिम्पेदंएना तेति मन्तः | दोर्घायुसतेति मन्ते भाशिषष योजयेदटुम्‌.॥ जियम्बकेन मग्धेणयः भूतिं cat ललाटके | तृष्णीं ततो दिवारश्च भस्म दद्यास्षथव यदाबक्नेति wares पुंसो वं chery कर बभरीयात्‌ सूचरक्धैव स्तरियाेदामके कर तरीणि भाहमन्तेणष इति कात्यायनोदितम्‌ इति कात्यायनो कौतुकबन्धविधानम्‌ |

श्रध ठतिश्रा्म्‌

AAS भ्राखलायनकारिका स्यादाभ्युदयिकं ae हदिपूर्तंषु ang हषिपू्तशब्दाथं खयमेवाह | अना ते भदः एच्यतां पडषा परः | IMG सोममवतु मदाय रसी GU: Wow. REM. ay!” दौर्घायुखल stad खनिता यख त्वा दनाग्बडइम्‌ | अथो लं दौघायुभलवा शतवल्‌ शा विरोडतात्‌ १९अ, १००म. शुः WATS १९१ VE SHA : यदावध्र्‌ Swe FETS ताहौकाय मुमनखनानाः | न्ध MW अतद्षारदायायुखान्‌ ATTA १४अ. ४२. यशुः Tf आषटिषि sania शौष्यसु Sern: ay? | Ce पे बद्वन्डग्छवन्‌ ag आहः परमं अनिषम्‌ Lm. CERT. +अक

९६ विधानधारिजाते

पुंसः सावन्ोमन्तचौलोपनयगेषिह विवाह तानलाधामप्रथतिगीमक्स्‌ # we यां प्रकुव्वेन्ति हिला ठदिनिमित्तकम्‌। Ta: पोडशसंस्कारग्रावस्छादिष्वपोश्वत | ` वाप्यादुद्खपनादौ YHA: पू्तनिमितस्तकम्‌ इति चद्दिकायां विशुपुराशे | |

कन्धापुच्चविवा्ेषु प्रवेशे aaa |

नामकश्चणि वालानां चुहाकर््मादिके तधा सोमन्तोग्रयने चेव पुचादिरुखदशने नान्दोमुखान्‌ पितृनादौ तर्पयेत्‌ प्रयतो शे तानिष्टा पिढयज्नेन वेदिकं कञ्चिदाचरेत्‌

ब्राद्मेऽपि।

जब्मन्धधोपनयने विवाहे gaa पित्ब्ान्दोमुखाब्राम तपयेहिषिपूल्यैकम्‌ वेदव्रतेषु चाधानयश्रप॒सवनेषु

` मवाब्रभोजने खाने भार्यायाः प्रथमा

लाने समावते |

देवारामवष्ागादिप्रतिष्ठासूकवैषु | . राजाभिपैके बालान्रभोजने ठदिसं्नकान्‌ मान्दोसुखान्‌ Terai मादढगशाभपि

पि

hia AS

भान्दोलुदध पिदमखम्‌ इति केस्कारलस्वे पाठ;

दतीवः स्तवकः Vo

SHAT गच्छन्‌ YAY: सद्य एव

पितन्‌ gett fa fron waar arafawa +. एति क्चिन्रान्दोशाइस्य AMAATE |

गणशः क्रियमाणानां मातृणां पूजनं सत्‌

| Rhea भवेच्छाहमादौ पएथगादिषु y

were: दैशान्तरगतख्यः चिरकालागरुयमाणसद्वावस्व खत- {दया पुच्चादिना छतप्रेतकायस्व कालान्तरे समामतस्य तस्येव पदा wana: संस्कारा युगपत्‌ क्रियन्ते,--्रथवा उप RAAT] प्राक्‌ खकाले कथञ्चिदक्षतचोलपयन्तसंस्कारस जात Kaela यदा उपनयनकाले संभूय क्रियन्ते,- तदा ay भूय क्रियमाणेषु संस्कारेषु माष्टपूजाया नान्दोखादस्य सलत्‌- rau प्रथमतः क्रियमाशकन्चणः भादावनुष्ठानं कव्यम्‌, | पएृथगादिषु aera संस्कारकश्णामादिषु कायमित्यधंः | अनर माटपूजमं erga विष्णुपुराणे |

तत्रापि मातरः पूवव पूजनोयाः प्रयब्नतः

THAT माढयागन्तु वदिकं यः समाचरेत्‌ | तस्य क्रोधसमाविष्टा हिंसामिष्छन्ि मातरः इति मनुरपि .

कन्धादिषु सर्व्वेषु मातरः सगणाधिपाः |

पूजनोयाः; weet पूजिता पूजयन्ति ताः

© वानप्रागरमादिक, यदा eer विदाव वनं गन्तुमिष्यंलर्दत्यधः |

a faurrarfcort

मातर उक्नातुविश्यतिमते | ae श्च्बुदये)यप्ामरे देवलाखापनं समृतम! जातिधनक्कलब्रेशोलोकानां हहिकारकम्‌ | तिजः पूज्याः पितुः पके तिखो मातामहे तथा इत्येता मातः प्रोक्ताः पितुमातुः खसाष्टमो ब्रह्माख्याद्यास्तथा सप्त Satara fears | इष्यादौ पूजयित्वा तु पञाजरान्दोसुखान्‌ पितृन्‌ माढूब्बौन्‌ पितृन्‌ पूज्य ततो मातामहानपि मातामहहोमतः कैचिदूयुग्मा भोज्या दिजातयः wert: sferé कर्तव्ये सति ge whee were: संपूच्यस्तद्यधा पिढप्ै fret मादटपितामहेप्रपितामश्चः पूज्याः | तथा माताम्वगे मातामश्चादयस्तिखः freee माढष्वशेत्यष्टौ ASM मातरः। AWA सप्त देवमातरः। तथा दुगोगणाधिपकतत्राधिपांख षोडशेरुपचारेः संपूज्य नान्दोमुखान्‌ पितृन्‌ area पूजयेदिति प्रयोगपारिजातै व्याख्यातम्‌ * अधवा ATTA AMT मातरः पूज्याः यथा गोरो पद्मा शचो मेधा साविभ्री विजया जया देवसेना खधा खाहा मातरो लोकमातरः तिः पुष्टिस्तथा. तुष्टिरामदेवतया सह WHAM गन्धपुष्याणि धू दोपं निवेदयेत्‌ तथा वसोधारामातरः FE समालिख्य Jour Tew त्भेव

ढतोयः खवकः ३९

HTS AT वसोरधाराः पञ्च वाध तैन तु wear वा नातिनोका चोख्छिताः॥ agente uray जपित्वा समाहितः | agar: पिदढभ्यस्तदनु श्राददानमुपक्रमेत्‌ इति दं कात्यायनपरिशिष्टोह्यकातोयानां कारमाध्यन्दिनानाभेषैति वेदितव्यम्‌ wear: fra इति केषां सत्रं नान्दो्राइख् षटुवेत्यभिधानादविरुदम्‌, ane वा खग्डद्मोक्षमिति वचनानु- WETS प्रयोगपारिजातक्षतातु षड्भ्यः श्रादमुपक्रमेदिल्येवं व्याख्यातम्‌ fra: पित्रादिभ्यस्तिभ्यो मातामष्टादिभ्यो ara- ATTA अा्मुपक्रभेत्‌ | उक्मवानन्दसन्ताने यन्नोद्वाहादिमङ्गले | मातरः प्रधमं पूज्याः पितरस्तदनन्तरम्‌ ततो माताम; पूज्या विष्वेदेवास्तथेव इति हेमाद्रौ मदख्छयुराणवचनात्‌। तदेतदाश्लायनमशाखादि- विषयत्वेन नेतुं शक्यते माता पितामहो चैव संपूज्या प्रपितामह पिज्रादयस्त्रयस्चव मातुः पित्रादयस्नयः। एतै नवाञ्॑नोयाः स्युः पितरोऽभ्युदये दिजः इत्याश्वलायनस्मरणात्‌। भ्र नान्दोञ्रादे भाश्लायनकाणा- दोनां पेशादिक्रम एव तु प्रपितामहादिकमः। तन्तच्छा(सो)- खिप्रवस्तकाश्वलायनकात्यायनाभ्यां खखस्तरे ताहधक्रमस्य प्र- b दथितलात्‌।

विधानपारिजाते

नान्दोमुखे विवाहे प्रपितामदपूरव्यैकम्‌

नाम सद्ठो्तयेदिदानन्धत्र पिढपूम्बेकम्‌ # दवशिष्टवचनं तदेतच्छाखान्तरोयमिति मन्तव्यम्‌ | Par ीऽप्येवभेव मेनिरे aay वशिष्ठः; |

Gaqniaa Ae WATS पेठकं तधा

उत्तरेद्युः NFA मातामहगणस्य तु (ARMAS दद्ठशातातपः |

gate Area AE WATS पेढकं तथा

ततो मातामडहानान्तु दौ खरादत्रयं BAT ATHY THAT: |

WT श्राइकालानां नान्दोराशवयं बुधः पूर्वेद्युरेव Fala Gare माटपून्यकम्‌ इति तातपसु

एथग्दिनेष्वशक्षेदेकस्मिम्‌ पूव्यैवासरे

mwas प्रकुर्वीत वेश्वदेवन्तु तान्तिकम्‌ इति ममाह प्रचेताः |

AEA Fed, स्यात्‌ पितृशां तदमन्तरम्‌ ततो मातामङानान्तु Te Twas खुतम्‌ ङादिमहाकश्यविषयम्‌ | भल्पे तु तदहरेव कायम्‌ द्यपरिथिष्टम्‌

ठतोयः स्वकाः at

महत्सु पू्ववद्युस्तदहरेवाख्पेषु इति | सअतिरपि। ` | gare तु मवेहिविना जन्भरनिमित्तकम्‌ | पुचजग्मनि कुर्व्वीत are ता्तालिकं बुधः शति वश्वदेवादयोऽज् ager दति fated इत्यु डेमाद्रौ | 7 अष्ंवक्तासु ये ततर ते नान्दोमुखसंन्नकाः 1 इति कात्यायमसजरेऽपि नान्दोमुखान्‌ पितृनावायिष्ये इति एच्छतोत्यादि mad तात्पथम्‌ दिविधा नान्दोमुखाः पित्रादयस््रयः प्रपिता- मदपिव्रादयश्च। तत्र पित्रादयो नान्दोभुष्वा हरिखाद्देवता भयाः पिता पितामषशेव तथव प्रपितामशः an शयमुखा wa पितरः परिकौत्तिताः | प्रसव्रसुखसंश्नास्तु मङ्गलोया यतस्तु ते # दूति ब्रह्मपुराणे तेषामेव मङ्कलकम्धसु ठेवतात्वश्रवणात्‌ ¢ प्रपितामदस्य पित्रादयसतु प्रीष्ठपदपीणमासोनिमिन्तश्रादे देवता दति मन्तव्यम्‌ | पिता पितामडशेव तथेव प्रपिताभष्ः | qa तेभ्यः TRA: पञ्च प्रजावन्तः सुखंषिशः | तेतु नान्दोमुखा नान्दो सङ्दिरिति कष्यते

१२ विधानगपारिजामे

दति तेषामपि{नान्दोमुखसंश्नां विधाय नान्दोसुखानां was कन्धाराशिगते रवौ | पौणेमास्यान्तु aust वारादवचनं यथा

दति ब्रह्मएराणवचनात्‌। शतः fad afer पिवरादि-

faawa देवतात्वमिति प्रयोगपारिजाते हेमाद्रौ एवभेव

व्याख्यातम्‌ |

waste विशेषाः कारिकायाम्‌

प्राश खोऽव्रोपवोतो स्या(द)दुपचारः प्रदक्षिणम्‌ | तिलकाय्यं aa: कुर्यात्‌ युग्मानत्र fara तु ऋलुदभानमूलांसु दच्चेषामासमेषु तु प्राक्‌ संखेष्वप आसिच्य पूव्ववच्ानुमन्धा ताः तिलो सोति cewit यवोऽसोति पद वदेत्‌ खधयेति पदख्थाने तुध्याशष्टं ASAT पित॒निति cerqet वदेन्रान्दोमुखानिति खधानमःपदस्थाने वदेत्‌ खाशानमःपदम्‌ अपान्धन्तु यथा पाठसुक्षार््येष्वावपेद्यवान्‌ | नान्दोसुखासु पितरः. प्रोयन्ताभिति warn: # सम्बन्धनामरूपाणि वस्जयेदव कर्णि निपातो हि सव्यस्य erat विद्यते कचित्‌ पिवर्थसुपविष्टभ्य सल्लदध्यं' निवेदयेत्‌ | दििगन्धादि दातब्यमित्यादि

अन्देऽपि विशेषाः खखसूव्ादवगन्तव्याः |

Sata: स्तवकः

तथा भव ठ्तिपरिज्नानपयन्तं पूव्ववदवेत्‌ मधुवातेत्युवः खाने SATA गाग्रता नरः

ces खावयित्वा्चबितिग" ावयेहचम्‌ . . सम्पब्रवचनादि स्यादाचाम्तेषु हिजकासु दिजभुक्षाशयं सम्यग्गोमयेनोपलेपयेत्‌ |

WA प्रागब्रकान्‌ द्भौनास्तृणाति ततः परम्‌ एषटाज्यं Hala दध्या (लयन्ति) नयति सपिषा | एषदाच्येन afar भुक्तशेषं एतं भवेत्‌ एकंकस्योक्षमन्त्ेण हौ हौ पिण्डो तु निर्व॑पेत्‌ | श्रथानुमन््रणादि स्यात्तत्तु नेच्छन्ति केचन |

परथ सम्पव्रवचनं विप्राणान्तु विसञ्जनम्‌ इति

werent eee षि = ee 1" न= ~ s [` अवे ane oe { ०5, oe 1,

SUB गायता नरः पवमानायेन्दवे भभिरटव। sags ९२॥

afegea मघवनव्रवरन्छ भास्वरे इरिवौ गविष्टी।

यल्वामनमनुमदन्ति विप्राः fare सोम्यं सगणा wate: €३॥

जनिष्ठा sa: सह पे तुराय ae भाजिष्ठी बहल।निमानः |

watine मरतशिदव माता यद्ौर देधनजचनिष्ठा ६४

श्नात्‌ इन्द्र ठवदत्रखाकमरं wate! महान्‌ महोमियतिभिः॥ ९५॥

त्वमिन्द्र प्रतृ्तिष्वभि fra रसि qu: |

Aste जनिता विश्तूरसि a तू तरष्य ६६म. १३अ. ay | अथत्रमोमदन्त छवप्रिया अधूषत |

अलीषत खभागवं। विप्रा नविष्ठया मतौयोज्ना निन्द ते हरौ ५१, १अ. वजः |

9

28 विधानपारिजाते

तथा बदहुमाढकस्यापि पिष्डभेकंमेव अनेका मातरो यस्य afeare मखारये | भर्ष्यदानं एथक्‌ कुर्यात्‌ पिण्छभेकन्तु निन्बेपेत्‌ # दति लोगाशिवचनात्‌ वधया पिठवगे मादवर्गं तथा मातामदस्य जोवेत्‌ यदि वर्गा्यस्तदगन्तु परित्यञीत्‌ | दति वचनाद्यदि वगाद्यः सम्पूर्णो वर्गो वा जोवति तदा afi शाादौ तहगेखवाज्यः। तथा पिण्टानमपि विकल्येनोक्ष हदिगखादे | पिष्डनिवेपणं gata वा कुर्य्याज्नराधिप | इति भविष्यपुरावचमात्‌ | भामश्राच्ं पिष्डवजे sel नान्दोमुखे सदा इति ठचयाश्नवस्कावचनाच अपिण्डकं ठदिश्रादमनम्निकविषय- मिति केचित्‌ | MAMTA उत्सन्राग्निस्तयेव | aragtey सब्बासु सहल्पमा्रमाचरेत्‌ इति BUT: aguas fatuars लोगास्तिः | ATTY यदा FAS कुरस्य चपूरणम्‌ | AAT Ha चेवाध्ये नाग्नौकारशमेव विकिरं पिणडटानच् are सङ्कखपसंननि(ते)तम्‌ इति |

बतोयः सवयाः ३४

ay जोवत्पिढकख्व fattware मनुः | ger ale संग्धस्ते ताते प्रतिस सति | भेभ्य एव पिता दद्यात्तेभ्यो ददात्‌ खयं सुतः इति | अस्यार्थः | पिटके क्धणि हदयादो यदि पिद्धप्रतिनिषि am gue age तदा पिढपिन्रादय एव यष्टव्याः तु खमाद- मातामहादय vit wage सखयनोनिपेकादिकश्षणि तु पितरि जोवत्बपि खमाढमातामशहादिभ्बो care | पितरो जनकस्येज्था यावदहुतमनाहितम्‌ | समादहितव्रतः wary खान्‌ यजेत पितृन्‌ सदा इति ठदयान्नवल्कोक्तैः समाहितव्रतः समाप्त्रह्मचय्य इत्यधेः | तत्रापि प्रथमविवाहे खख agate सायनाचाययः नान्दोखादं पिता कव्यादाद्ये पाशि बुधः | अत ae प्रकुर्वीत खयमेव तु नाण्दिकम्‌ इति कात्यायनोऽपि | frag: पिता दद्यात्‌ सुतसंस्कारकन्धसु पिष्डानोहदनात्तेधां त(द)स्याभावे तु तत्क्रमात्‌ अत्र frre: area) भोदष्ुनादित्यज्र भभिविधावाडङ्‌ः | ततश्च खापत्यस्य गर्भाधानादिप्रथमविवाडहान्तसंस्कारेषु पिता ख- पिदभ्यः ard दद्यात्‌। तस्य पितुरभावे तु तग्रतिनिषिपिढव्यादि- सतत्पु्ारेजौतकग््ादिविवाडान्तकसकारेषु तेषां संस्काग्यपित्रादोना- भेव क्रभेण दब्यात्‌ पितुभौवादखमावि तु daraw भ्रावादिभि- रपि खपिव्रादोनाभेव दातब्बम्‌

२६ विधानधारिजाते

भसंस्छतालु संस्कार्या ्राठभिः पूष्यैसंस्छतेः fa सखरणात्‌। समावप्तनस्यापि विवाहाव्राचोनसुतसंस्कार- त्वाल्लोवत्पि्टकस्य समावत्तने पिता खपिदभ्यो श्यात्‌ अरजोव- त्पिढकसु पूव्वसंस्छतभ्नाढसम्भवेऽपि खयमेव खपिदढभ्यो दद्यात्‌ | उपनोत्या कर््ाधिकारस्य जातत्वादिति | wet चेष्लोवत्पिता तदा fatware टद्मपरिशिष्टे। जोवत्थिता PRAY माढमातामडहयोः कुर्य्यात्‌ तस्यां | जीवन्त्यां मातामष्टस्येवेति | येभ्य एव पिता दद्यादिति तु साग्निविषयम्‌ | जोवतः पितुः कुय्याच्छाचमग्निते दिजः | (aaa एव पिता care: ङुर्व्वोत सागनिकः पितामहेऽप्येवमेव कु्याज्जोवति साग्निकः | साग्निकोऽपि कुर्व्वीत जोवति प्रपितामहे इति सुमन्तुवचनात्‌ | इति मोमददिधानपारिजाते ठतोयस्सवके ददिखादइनिणेयः |

अथ वरस्य कन्धाग्छदं प्रति गमनविधानम्‌ |

लवर शौनकः पश्ये Ae कुर्व्वीत विवाहं fairies: | तव्राभ्युदयिकं खरां gata wher वाचयेत्‌

ठतीयः VATA ३७

अपरः छतज्ञानो छतधौताम्बरहयः भूषितो गन्धमाश्यादयेः WEA समन्वितः ब्राह्मणान्‌ भोजयिलान्ते HAGA KATA: | छतकोतुकबन्धखच मिव(बन्धादि)बान्धवसंयुतः ५, यानं यथादेमारद्च यातव्यं वधु्ड(ह)इम्‌ तस्य हाराः खित्वा प्राश्ुखोऽभिसुखागतेः ग्टहोतपू्णकु्भादिपाणिभिवनिताजनेः क्रताभ्युद्रमनो गीं प्रविशे व्सष् बन्धुभिः इति वधूवरभोजनविषये बौधायनः, erat भुक्तवान्‌ प्रतोदपाणिरपदातिगेला बन्धुन्नातिभिः दरतिथिवद्चिंतः ख्रातामषहतवाससं गन्धानुलिप्तां afiaut भुक्षवतोमिषुषस्तां ay समोक्तेत इति व्यासोऽपि भुक्ता BATS साविभोग्रणं तथा | उपोषितः gat catefaara हिजातये इति ATH STH qa: स्वस्तिवाचनं नान्दोखाबं समाचरेत्‌ aur निश्यद्कि पूष्याद्धे उहषटे्रिभि सब्वेदा a दति कन्धाग्छइगमनविधानम्‌

= सक्ति मपकरेषलोलनपरमिति निकयसिन्धः।

ae विधानपारिजातै

भ्रधदानीं मागताय वराय कन्धादाभ्ा मशु विधानेन पूजा कार्या | लथा AAAI ऋलिजो हत्वा मधुपक माहरेत्‌ ज्ञातकायोपखितायेति | कात्यायनग्धद्ममपि। aye भवन्ति भावाय ऋविवन्बेवा्यो राजा भियः wren एति | वरस्य या भवैच्छाखा तंच्छाखाग्डदवोटितः | मधुपकंः प्रदावब्योऽप्यन्धशाखेऽपि दातरि इति यवं खखतुजोक्षप्रकारेण मधुपक विधिना भर्धिताय वराय कन्धा- हानमभिधोयते | तथाच शौनकः | नानाविधा जानपदा ग्राम्याशोदाहकश्चणि कियन्ते लौकिका watery खकुलपूरषेः gacafeary कत्वा कुग्याहारपरिग्रम्‌ सन्वंसाधारणं कर्थ तत्तु तावदिदोश्यते aa wen कस्िंखितदन्धुपरिकण्िते | feet? प्राश्चुखः सम्यगासिल्वा चरणौ खयम्‌ .

Gn 1 ११ es

@ यतर बरदाढनन्द्‌ ऋलिमादपलचकः तदाह; woe ATE इति चस wares वाथ ASST मधपकं इति याचिकाः ततु Hikes इद्धाः इति freafea: |

$ पजा भवेन्ना तदन तु विष्टरः | Slant why समयकषे्स्तु विष्टरः | इचिषशादसको aay दालावतेस्तु free: पदतेषालग्वतलर्पे

ढतोयः स्तवकः | ae

प्रसाख्वायम्ब छतप्राणायामः समाहितः | उयशिप्य तथोिख्व खण्डिले ग्निं निधाय # career, प्रतिष्ठाप्य पेषणोमश्मनिश्िताम्‌ | MYM: SATA पूणङुम्भमयो वरः CATS प्राञ्च खः खित्वा AAA SAAT तदानोमालना दन्तं नूतनं बसनदयम्‌ i वसित्वाचान्तसलिलां भूषितां कुसुमादिभिः | पश्चाशत्कुश्रको ब्रह्मा acer तु विष्टरः

जह केशो भवेषद्या लब्बकेशसु विष्टरः | दक्षिणावकषको ब्रह्मा वामावर्लु विष्टरः परत्यच्नूखः प्राश्मुखीं तां खितामामसमोपतः | कन्धकां प्रतिग्डज्नोयाहनतां पिश्रादिभिवंरः कन्धादानप्रकारख FATA उच्यते वरख्याभिमुखं खित्वा कन्धायाः प्रतिपादकः |) चतुष्यन्तं ACA नाम AeA ATT ततः सत्वकश्मभ्य इत्यु चाय ततः परम्‌ | पाद(गामिनि,मामिति चोखा प्रोतिपूर् ततः परम्‌ वरस्य इस्ते यो दद्याहवतोर्येन शान्तधोः तद्यथा गाग्बगोवाय परमेष्वरशस्मशे साषेयगोव्रप्रभवां पाव्वैतीं प्रददाम्बहम्‌ wat सदइत्वकव्यम्यः करोमि प्रतिपादिताम्‌ कन्धकादानका्वमाचरग्ति मनोषिषः |

४० ` विधानपारिजातै

विभवानुगुणं शेषं सुवणंरजतादिकम्‌ | aed विहित(मन्तेण)मचरेव काले दद्याखष्ोदकम्‌ | तिष्ठन्‌ कन्यादानं कु्खात्‌ age हषस्मतिना |

चतष्यादं हं कन्यां दासों शरं रथं तरम्‌ |

तिष्ठब्रेतान्‌ द्विजो दयाद्ुम्यादोनुपविश्च

ततो मङ्गलसूत्र ध्यायत्रिष्टाश्च देवताम्‌

बद्धाः कण्ठे प्रदेयेऽस्या भूषणानि शक्तः |

कान्ध कां afar वरः पूव्यैवदासने इति wa शौनकोये भग्नं प्रतिष्ठाय वध्वा वरः पाणिं द्धौयादिति age त्तु वाजसनेयादिविषयम्‌ तच्छाखाप्रव्लककात्यायना- चार्येण उद तावोत्िते भग्निसुपसमाधाय fare विवाद उदगयन waaay कुमाग्याः पाणिं खक्ञोयादिति सूत्रप्रणयनात्‌ | सभाश्लायनादोनान्तु पाणिग्रहणानन्तरमग्निसापनं वेदितव्यम्‌ | पश्चादग्नेदषदमश्मानं प्रतिष्ठाप्य sais निधाय समन्धारथायां इतति सूत्रात्‌ |

wert दत्तिणे ond ay तामुपवेश्य |

उपलेपादि gale शविरभुक्सथापनान्तकम्‌

इति कारिकाकारमताश्च | नारदः

TERA हादधाङ्गलमायतम्‌

arenas तदशभिः पलेः

ताख्रपाव्रे अलेः FX Waa वाथवा शभे |

ढतोयः स्तवकः ४१

मण्डलार्दोदयं see Tray विनि्तिपेत्‌# ACA मङ्गले UT यन्लच्छाधादिनाथवा इति wa gagdaaa वियेषोऽभिहित भाश्ललायनकारिकायाम्‌ | स्रातालङ्कतकन्यायाः ATCA, प्रत्यगाननः , Ia तण्डलस्थाया AAS FY सा मुहृत्तं शोभने सभ्यक्‌ fedat सुखयोमिथः | सगुडां जोरकां कन्धां वरयेदथध तां वरः इति। तण्डु जप्रमाणमुकं यमस्मृतो Wie AAMAS वधूम्‌ इति अत्र कन्धादानप्रकार उक्तः ख्ह्मपरिशिष्टे। यथा। चतु(प्यादे)ष्यदे सोत्तरच्छदे इरितदभास्तोशं wend वरः wig उपविगेत्तस्य पुरम्तात्‌ प्रत्यद्मु खों भद्रपोठासोनां सुखराता- मकङ्तामादहतवाससम्‌† सखम्विणों कन्यां पुरस्छत्य दाता सामात्य- उपावेद्वरं विधिवद (शयेत्‌)भ्य्चयेञ्च wa दक्षिणतः पुरोधा BUS उपविश्य मये प्रागग्रोदगग्रान्‌ दर्भानास्तोय तेजस मपां पूणं कलसं निधाय ब्रोहियवानोष्य तं गन्धादिभिरलङ्कत्य द्‌ ओ(जख)पन्रवैसं खमवस्तीय wafers facie ताभि रिः प्रयोजयेत्‌

ee ne जाक eee णि oT eee पकः |

e निकचैपमन्ता यथा- सुखा aafa aargt ब्रह्मणा निर्धितं GT भव भावाय Saal: कालमाधनकारणम्‌ एति निणयसिन्धः | भाहतवासौलचणं यथा-- ईषद्धौतं नवं एमं सदशं यत्र धारितम्‌। wea तदिलानौयात्‌ seas पावनम्‌ दवत्‌ सू, धारितं पडिडहितनिति मेम्कारतच्म्‌ |

४२ विधानपारिजातै

अथ दाता gwareretfa वाचयित्वा शिवा ara: सन्तु सौम- wang wad चारिषटच्चासुं दोधमायुरणसु शान्तिः yfeafeary निथिकरणमु हसन ्रसम्प्चा लु tae भारग्णादिसभेतः सद्र. aera कन्यां प्रतिग्टद्म वत्सगो्रो(इवा)त्मन्रामसुष्य प्रपौच्नी- म॑सुष्य पौचोमसुष्य gat सुशोलानानोमिमां कन्यां वरिष्ठमोत्रो (व्पन्राय)द्वाय WET प्रपौचाय भसुष्य पौचाय wT ware शुतशोलनाखन अस्म वराय सम्प्रददे कन्यां प्रतिग्टह्वातु भवानिति व्रुवन्‌ वरस्य पाणो हिर्यमुषधाय कलसोदकधारामासि्ेत्‌ मनसा प्रजापतिः प्रोयतामिति ब्रूयात्‌

भथ वरः शिरसि पुखयाङाशिषो वाचयित्वा दसिणेःसे कन्धामभिखण्य “क इदं कस्मा श्रदात्‌ कामः कामायादात्‌ कामो दाता कामः प्रति्रद्ोता कामं समुद्रमाविश काभेन त्वा प्रति- warfa कामेतत्ते ्टिरसि दौख्वाददातु ufaat परिग्णह्वातु इति जपित्वा प्रजापतिमशुस्मृत्य धभप्रजासिषधथं कन्धां afar. मोति ब्रूयात्‌ एवं चिः प्रयुज्य पुरोधा दाढवरौ प्रति “ऋतस्य fe wen सन्ति पूर्व्वो "रिति तिस्र wits जपित्वा एतदः सत्य- wawag इति ब्रूयात्‌।

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* wae हि wee: सनत yafane चौ तिदंजिनानि इसि | WAS Wet बधिरा तवहं कूरलारधानः weary चायो; ऋतस्य दृहा धरुणानि सनि gale चन्द! वपुषे वपूषि। ऋतेन दौछमिषणन्त प्रच तेग गाव ऋतमा विवेशः॥ WA यमान सतमिदनोल्येतख WHY wy: | BNA VS) बदले गभोरे aE घन्‌ परमे दुहते ४म. Vey, १०८ब्‌

WAT, स्तवकः | ४३

अथानयो निरो्चणम्‌ सखलङ्कते वेश्जनि मङ्गल गोततू्ेनिर्घोपे पूरव्बापराव(न्यु)त्य- fet रस्तान्तरालौ शक्ततण्डुलराशो wat मध्ये खस्तिकां तिर स्कारिणों धारयेयुः wa gafaq राशौ प्रत्यङ्मुखी गु- आोरकपाणिं कन्यां खापयेयुः। अपरल्ित्‌ प्राङ्मुखं तथाभूतं qq तौ मनसा दृष्टदेवतां ष्यायन्तौ समाहितौ (समायिकौ) तिष्ठताम्‌ ब्राह्मणाः सुव्यक्तं पठेयुः पुरन्ध्ो मङ्गलगोतीः कुथः | aa ज्योतिबिदादिषटे काले (प्रविष्टे) सव्यम्तिरखारिणोमुद- गपसाथ कन्यावरो परस्मरसिन्‌ गुडजोरका(नवकिरतःनव- किरन्तो परस्परं निरोक्तेयाताम्‌ श्रश्राढघ्नोमितिन तामोन्माणो नपलयघोरचन्रपतिष्रेधोति तथे्त्य)माणोऽयास्या भुवो- ध्यम्‌ इटमहमितिई दर्भाग्रेण ofa दभ face भ्रप उप- येत्‌ ततो भि बोऽखोति वधु द्तिणसे zwar एकमिष ति वेदिमुपनयेत्‌। भध ब्राह्मणा बान्धवाः yea ता- ब्र शोभिरभिनन्दयेयुः

पिष भि का |

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* खदु्थभित्यादिक्ं nua ४०० प्रे प्रदणितम्‌ | 1 भभाढत्नौं वरशापतित्नीं eye sequal wormed सितुः af | { wetreqeafadiie शिवा que: gaa: सुवर्चाः | बौरमूदेवक्ामा खोना छं मो भव fee si चतुषयदै॥ १०म. ८४म्‌. ४४९क्‌। § इदमहं या त्वयि पतिघ्राल्ालां निदिधामि। एकमिषे विषण्ल।ऽन्वतु हे ऊजं lana faqenstg ) मम्कारबरमाना।

४४ विधानपारिजां

अधानयोराद्री्चतारोपणम्‌

ब्राह्मणाः तेजसेन पारश क्षीर(मानोय)मादाय छतमासिश्च पुरन्धयादिभिः भराद्रौ्षततण्ड लानादाय तदारोपणरूपं तथा- खितयोबधूवरयोवनकभेतत्‌ कारयेयुः wad श्षोरमायुधत- मरिष्टमक्लतान्धाप रतषामारोपणमिष्यते इति सूत्रात्‌ ततो वरः प्रक्षालितपाणिवष्वाः प्र्ालितेऽच्नलौ श्षोरषटतं पाणिना हिरुप- wet हिस्तण्डलानच्नलिना वपति यघापूर््ेत ततो दिरूपरिष्टा- दभिधारयति एवं वराच्लावन्यस्तर्लापूरणं Fate! दाता तयोरश्ख्योदिरण्यमवदधाति भध वरः कन्धाश्नलौ Tafel धारयेत्‌ दाता कन्यां धारयतु दक्तिणाः पान्तु aged चासु प्यं व्ैताम्‌ शान्तिः पुश्सिष्टि्ासु तिथिकरणसुङ्ृत्तनक्षवसम्पदसत YM कन्धामुत्लिप्य तदच्नस्यत्चतान्‌ वर बूदैपारोपयत्‌ | वरोऽपि ante खाश्नष्यक्षतानारोपयेत्‌ एवं fry: ge acre ततच्िर्वरः बध्वश्ञलौ तण्ुलपूरणं gala) तदच लावन्योऽथ , ततल्षमारोपणं कारयेत्‌ इदानों दाता वराय गोभूमिदासोयान- श्थनान्रादिकमनुदानं दद्यात्‌ |

wa पुरोधाः कांस्ये (पयः) wa आसिच्य श्रदु्ब्या भादर शाखया सपलाशया सहिरण्यपवित्रया सदूरव्वाम््रपक्ञवया अरभि- धिश्धेदवबलिङ्गाभिक्रग्भिः ^

RCT Pe aera कक = > -

e wat fe हा aaiga इत्यादिकाभिः, प्रथमद्धष्डस ४८ We प्रदतितानिः।

ठतोयः VAM: | ४५

ay aaa खगेखरपुष्यं Meda परस्मरतिलकां Hea: कण्डे खजं चामुञ्चतः कौतुकसूर्जं परस्परं के aut याताम्‌ अथ पुरोधास्तयोरुत्तरोयान्तयोः पच्च पश्च पू(गो)ग- कलानि विवाद्त्रतरक्षिणं गणाधिपमनुखमुत्य गणानां ला गणपतिं इयाम इति श्रातून इन्द्र त्ुमन्तमिति बधुवरयोरुस- Darah नोललोहितं भवतोति wee बभ्नोयात्‌ | अथ दाता सभार्य sat: पुरन्ध्रयो न्रातिबान्धवाखच क्रमादा- ओभिराद्रासतारोपणं कुरिति | रव कन्धानिरोकशदानादिषु भौनकब्द्मपरिशिष्टयोः क्रम- व्यत्ययो wy दृश्यते aa शिष्टाः प्रमाणम्‌ | सतर कन्धादानमनग्धो वावुपुराशे यधा | कन्यां कनकसम्पन्रां कनकाभरणेयताम्‌। दास्यामि (लििच्छवे) विष्णव तुभ्यं ब्रह्मलोकजिगोषया विश्वम्भ,रः)रा सन्भूताः सा्तिख्छः सन्येदेवताः | द्मां कन्धां प्रदास्यामि पितृणां तारणाय

mee गि षप ee on

Gee ewe 2 17 8)

e गणानां त्वा मशपतिं इवामङ्े प्रियालं a प्रियपति ware निधौनां ला निधिपति इवामर वसो मम आहमजानि गर्भधम। लमजासि THT RUG. (eH. यजुः + WA ve gaa fas oe awa | aves efeaa च्म. HUF. (RAI $ नौललोहितं भवति ल्नत्यासज्गिन्यन्धते | एधन्ते अला Mea: पतिर्बन्धेषु बध्यते} Com. CHE. शल्कम्‌

४६ दिधानपारिजाते

भध प्राधेनामन््ी | WII: | | गरो# कन्यामिमां विप्र यथागशक्धिविभूषिताम्‌ | गोत्राय WAG तुभ्यं दत्तां विप्र समास्य | व्यासोऽपि। कन्धे ममाग्रतो भूयाः कन्ये मे देवि पा्वयोः कन्ये मे पृष्ठतो भूयास्वहाना ो्तमाप्रयाम्‌ इति | दासोदासासनाद्यश्च भूषणानि we (ततः) तथा ante धनच्यापि तथान्यानि प्रदापयेत्‌ इति विवाष्ोत्षरमनुदानान्युक्ानि अध कन्धादानाङ्गभूतानुदानमन््राः प्रोयन्ते। यन्नसाधनभूता या वि्स्याघप्रणाशनो विश्रूपधरो देवः प्रोयतामनया गवा इति गोः | VATA (ATM भूमिवराहेण समुहता भअनन्शस्यफलदा भरतः शान्ति प्रयच्छ मे बति भूमेः। श्यं दासो मया तुभ्यं atfan प्रतिपादिता सदा WHAT भोग्या यथेष्टं AG पै

(वि 1181 तए 7.7 |

© ब्धलवाविकयां तु गोरौमितिपदस्ानै मयेति fatale, अधिकवार्िकं ` Ufedfareneey: कषाय एति मोपौनायः | GUAGE इत्यव अधोधन विनो एति दरख।ररवनालायां पाठः |

Sala, सवकः

दति दास्याः ।.

विशुखवमण्वरूपेण यस्मादसतसेम्भवः |

चन्द्रावावाहइ(नो)नं नित्यमदः भन्ति प्रयच्छ भे इत्यस्य |

aya शयनं यस्मादनुनां धियसुब्रतिम्‌

सौभाग्यं देहि मे नित्यं शय्यादानेन केशव इति शय्यायाः |

हिरण्यगभसम्भतं सोवणं चाद्गलोयकम्‌ |

ware प्रदाश्यामि wag कमलापतिः CATIA |

प्षौरोदमथने पूव्मैसुयितं Fwaeay t

प्रिया सह Baga ददे भ्रौ; प्रीयतामिति दूति कुण्डलस्य |

ददं WE WHIT तवं सर्व्वोपस्करसंयुतम्‌

तव विप्र प्रसादेन ममास्वभिमतं फलम्‌ दूति रहस्य

83

wa विभवे सति अन्यान्यपि दातव्यानि तम्भन््ातु sae

स्तवक्े FU | कन्धादानफलसुक् ATH HAT परया ART श्लङ्कत्य प्रयन्नतः | कुलोनाय सुरूपाय गुणच्नाय fava: | कन्धां वरयमालाय दद्यादेष विधिः खतः +

हदः विधानपारिजाते

लेङ्गऽपि | कन्यादानं प्रव खानि सम्बेदानोत्षमोत्तमम्‌ | यह्वा सप्वैदानानां फलं प्राप्रोति मानवः महोदातुशच MTT: कन्धादातुश्च ये तथा। कन्धादानानुगाः पश्चात्‌ समं यानि रयो रयाः खतिरपि | सहस्रमव धेनूनां शतं चामु, नडुहां समम्‌ दशानदुक्षमरं यानं दशयान॑समो शयः दश्वाजिसम्रा कन्धा भूमिदानं (च) AMAA | तस्मात्न प्रदानेभ्यः कन्यादानं विशिष्यते | मनुरपि | पम्निोत्रादिभियद्छादोक्लातो ब्राह्मणस्य | amar विधिवदृष्वा फलमाप्नोति मानवः | wares fa वेवाहिकप्दानं (at) वा यो sare नरोत्तमः , विम्रानैन faerie किङिणोजालमालिना | महेन्द्रभवनं याति वोन्यमानोऽसरोगरशेः | संवर्तोऽपि ways तु यः कन्धां भूषणाच्छादनादिभिः। SATAN (स भा) समाप्नोति पूज्यते वासवादिभिः | HHS AIT) aaa प्राणदाता भयेषु समं यान्ति रधा येषां चयो वे नाजर संशयः

SA: स्तबकः. ४९.

Bye: (que) इति सालङ्ारकन्धादातेत्वयंः। सत््त्वाशङ्कां wart यो ददाति gee (कषद) इतसभिषानात्‌ | भ्राग्नयेऽपि | | wat येतु प्रयच्छन्ति carafe खलङ्कताम्‌ | ब्रह्मदेयां fers ब्रह्मलोकं व्रजन्ति ते शरुता कन्धाप्रदानञ्च पितरः प्रपितामहाः fagat: सब्वेपापैभ्यो ब्रह्मलोकं व्रजन्ति ते तिलराभिः कतो यावदिवाकरसमुख्छितः | वर्षान्ते aye तख तिलो ity यावता | संचयं लभते+ तावद्रह्मलोकोऽख निचितम्‌ | यावन्ति सन्ति रोमाखि कन्धायाश्च तनौ पुनः। तावदषेसदसराि ब्रह्मलोके महोयते† इति uta: | बालुकाभिः छतो रािर्यावत्‌ सप्तपिंमणडलम्‌ | गते लयसशस तु एकमेकं विशोधत चय दृष्टसस्यापि कन्धादाने विद्यतेऽ |

9 कृ Wa eat एति पाठं ga: | ,

बहो kad एति पदश्वमिति जातः, एक्षपदते तु ail’ एति इपं शात्‌ | { अवाः प्रलयाः ween vet: तेषां aye afeq |

$ warerregereg इति it: |

४५१. विधानध्रारिजाते

शंवन्तसु च्योतिष्टोमातिरा्राणां शतं शतगुणोक्ततम्‌ | पराप्नोति कन्यकां दक्वा शोममन््ेब aera इति अध दम््रतिकसव्यमुश्यत | यदाह कात्यायनः, सवर्णायासधा पाणिं खोता विधिषहरः | ages प्रा्धयित्वा तां wat देवों गुशाययाम्‌ भरलोक्यवज्ञमां दिष्यगन्धंमास्ाम्बरा, fe frre | ATTA स्व्बाभरणभूषिताम्‌ | विलासिनोसहसरौषेः सेग्यमानामहर्निशम्‌ एवंविधां कमारोनतु पूजान्ते प्राथयेत्ततः कात्यायनोश्च प्राञ्च गौरोभेवं प्रपूजयेत्‌ इति एवं गौरं संपूज्य वरो मङ्ृलसूजं TNS खेषटदेवतां ध्या(ला)य aware ae am, Alaa AWM AA HRT TAT कण्ठे वक्नामि सुभग, सा जोव शरदः शतम्‌ इति भद्धिन्‌ समये वरो वधू खकोयवसतालङारभूषरभूषयिला पूरो विवाषवैदिकामागत्य खद्रमासनमध्यास्य पशिममागेख नियमित ard वधूमानोय दत्धिणतस्तामुपवेश्च खखशाखोक्षमागेश विवा शोप FAT तथाचाश्ललायनः।

तीयः सवक; | `

ated व्यतोते तु ate: प्रातरेव fe | गशपरवैशनोयः स्यादिति धन्नविदो fare: uefa

व्रतविरेषमाश शौनकः | अरत oy face ती हाषटशाहमधापि वा |

aint वोद तथाब्दश्च चरेतां दम्पतो व्रतम्‌

AAAS एव | भारलवणशाहारी भवेतां भूतले तथा

शयोयातां समावेशं द्योता बधुवरौ

AIT मधुनम्‌ at समामे बध्वा विवाहसमये एतम्‌ |

ae प्रदद्यात्तसस्म ब्राह्मणाय विपित | सूग्ानासो चो%ऽष्येति Wey यः |

| “4 . अग्रका: यथा-- wife; द्वाः. सना भूमिः gales enfaren दीः "4 Ghee > मौ afufan:

ctl. , छौगादिवािष्ठनि fet Aig! १॥ सामिगादिन्या बलिभः समिन एथिदौ मष | | TUNIS सीन भाहितः॥ ३॥ शा भन्ते पपिवान्‌ यते शपिन्योपषिम्‌ | सोमं rue) वु Terai कभ १॥ भाश्छदिषानेतुपितो वाहते लोम रितः | eerie ति erty पारि ४॥ यवा दम प्रपिवति तत कायाय पुगः 1 13: समल रचिता समानां मात sre: ५॥

{| विधाषधारिजाते

वल्येनो्तम्मितेधाथागथयमारण्य वा ET:

रयासीदगरैषौ गाराधंसौ ayer | शव्याया सद्रमिशालो माचेति परिषतम्‌ ९॥ दित्िरा eqavd बद्र अभवन्ननम्‌ | whifg: शोध भासोद्यदयात्‌ पूरा पतिम्‌ कोना भासम्‌ Maes: कुरौर we aH: पर्याया अश्विना वराप्रिरादचीत्‌ पुरोगवः ८॥ सो दूयुरभवदविनालाह्ठभा वरा eat aoe steall मनसा सविताददात्‌ ९॥ लनो wer अन भादौशौरासौदुत च्छदिः | परकरावगाहावालां यदवा पूव्यां हम्‌ १०॥ श्तामाध्वामभिदहिती गादौ ते सामनावितः | are ते ब्त आरा दिवि पन्धाशराधरः | ११ eel ते चङ्ग यात्वा व्यानो भच CET: | अगो मनय TATE प्रयतौ पतिम्‌ ११॥ जे कतुः May सविता वमवाङ्लवं |

^ इन्धने TMS: UWA | १६॥

भदित पष्छमानावयातं frm, Wear. | पा Steamer पितराषशौत पूषा te wert वरय दया |

Be चन्र वामासौत्‌ ry TRE: # १५॥

षत पे अर्नव seer fing: |

अशं चङ्ग tery बदद्ातय शिः

he निव णय भू १९॥

कीन १०॥ चरो भाय नः १८

SANT, सववाः ५९

fafwat तौरङश(ग्तं)त भैग्रमित्याद्यधो पुरा श्रश्रीरान्ता Tare Garren सूरिभिः, ब्राह्मान्‌ भोजयित्वा तेः Tawa वाचयेत्‌ इति

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नवौ नवो भवति लायमानौऽ्ं वेतुषवसािबगम्‌। भातं Stet वि दधालयायम्‌ प्र चन्रमालिरते Fiery: १९॥ gfeus wale fered feces सुतं guar! SHG GA अमृतख लोकं Sle पर वहतु ATT २० छदौर्णातः पतिषतौ we ferry नमसा aCe | quifave पिटषदं eat ति भागो जहुषा तद्य विहि ६१॥ छटौष्वातो विश्रादसो नमसेडामह AT | ` अनवामिच् परपनया जायां पवा खन २६॥ ` WOOT लवः सन्तु पन्या fe; aerat यनि नो वरेयम्‌ | समयमा भगो गो गिनौयात्‌ NG qaqa Sat: २१ ्र तवा जामि SRO पाशाद्येन BTW सविता GHA: | तल यानौ yeaa लोकेऽरिष्टां ला खड पया टवामि " ew प्रती Hales नातः सुषडधामहतसरम्‌ | | taf Hs: सुषु पुभगासति ४, aCe तवा प्रवहतां il cal aul विदध Waite २६१ वहान्‌ WS arate | ox पिय प्रजया ति समृषयताणिन्‌ य९ ore दृषणखाधा fart Tree जञा Fara: W ९९॥

ceatier reefer इती पापवाहमा

पतिशदणो वाहा ज्जलङ्गननिविकते gem. GRE १०ब्‌।/

विधानपारिजाते

भष Nay forty वर्तव्यविशेषमाह एव दम्पतो रोहिशोसोमौ भूता प्रधमके दिने | दायो यजैयातां हितोये दिवशेऽपि तौ पूजयतां मादेव गनधर्वासरसौ तौ भअग्निखार aalasts पूजयेताच्च कालिकाम्‌ meat तौ यजैयातां शाङ्करी मानदस्तियौ एवं प्रतिदिनं (करु) लया पूजां तौ दन्ती तथा चतुधन्तेषु दिवसेषवयेद्ाद्मणान्‌ aye | वसलङमादिमिषटात्रं ताम्बूलादि प्रयब्रतः। शाशोव्यादेवंइुविेवतु्वंदोदितैरहिंजः अच टम्पतिसहभोजने संग्रहकारः | माभ्रा सहोपनोते खादिवाहे भाया सह eA qr (quite) gare: पाति प्ा्याश्रः ।, तथा मान्दोखदमारभ्य माढकाविसतणेनावधि वल्य

नितथादःध्ययनं ज्ञानं wea =^ ओति arta’. _ ऊपोदासनावधि

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gway. | अपसब्ये equa (ATs) ATE mars, areas |

efit मेव Gente यादनादविस्ेमम्‌ दा भद द्यन्ति सधासिरिति सन्धि

अनर) अस्तो Feo, बम्‌ इति पा EH इरे {िदचनासलात्‌ | @.

ढतोयः VAM: | ४५४

अन्धत्रापि। ‘eared Weare मदोसोमागिशङ्कनम्‌ | सपिण्डा नेव कुरव्वीरन्‌ यात्र ाठविसत्वनम्‌ पिभोः प्रतयाष्दिकै प्रप are be कारयेत्‌ | यदि मोहादिजः कुर््याकमाङ्स्यमशभं भवेत्‌ = उपवासव्रतश्धेव तथा व्रतविसख्मेनम्‌ दा लानं नेव कुर्यात्‌ सुरे TAA | सपिण्डा नेव कुववीरन्‌ यावमाढविसस्वनम्‌ | इति ग्रोमदनन्तमद्टविरचिते विधानपारिजाति विवाइदिधानम्‌ | -

wa पुनविवाहविधानम्‌।

प्रयोगपारिजाते। wa विवाहे छपे पञ्चास्ल्म्नादाशदिन्नानं चेदा श्योतिः- WAM काले पुनविवाह कुर्यात्‌ . तदाह Baw: gafaary seria दम्पत्योः शमहविदम्‌। शब्नेन्दुलम्नयोरदोपि ग्रतारादिखम्भवे अन्येष्वशुरे . कासेषु दुष्टयोगादिसम्भवे विवाह wa टम्यत्योराशौचौदिससद्धबे i अवराशोषं etcetera अन्ध्र सद्यः शौचं विधीयते <भावश्नोक्षलात्‌ |

४६ िधानपारजात

विवाषमधे प्राते यत्रे AA)

स्यातां तदा पुनव छे काशे समाचरेत्‌ दति वचनाच्च |

केचितु aterafiner शुरकताभौदविषयमेतत्‌ चः

सामान्धाभौचे ATA दादू LATTA LATS:

तख दोषश्च Maes पुनववा मिष्यते

gaa aut Ae ह्ये तु विशेषतः |

आषाद़मागेभीर्षौ दौ व्यौ शेषाः एमावहाः

विवाहोश्र्धतिष्यं शराशिवारादिवगजाः

करणयोगसंत्नानि ग्रहगोचरयोगगाः

तसिन्‌ (ब,बिवाहसमये शुभग तथेव

पूषा पूरा विवाहः एमदो भवेत्‌ इति | axaitsan fata: सगो बरादिविवाहप्रायित्तविधाने द्रष्टव्यः

अध हितोयविवाहविधानम्‌

तज चुतिर्धा तद्मारैको aerate वि(ग्दे्दत इति गुत्यन्तरमपि त्मादेकख AUT जाया भवन्ति मेकां बहवः सह इति

9 बहप fatten इति ग-एुलके as: |

दैतोयः सवकः ys

तदिषयमाडहइ VT: धर्मा्रजासम्यते दार नानं कुर्व्वीत was

काया प्रागम्धाधानादिति

card: | यदि प्रागूढा wee प्रजया सम्पन्ना तदा मान्धां विवहेत्‌। भन्धतराभाषै भम््ाधानात्‌ WTA इति अमना वै पुरुषस्िभिश्छणवान्‌ जायते इति नापुत्रष्व शोकोऽस्तोति ज्ुतैः। स्मृति |

WU: सम्‌ पुन्दारान्‌ परिशोय ततः पुमः |

परिशोय समुत्पाद्य नो चेदापुन्ञदशनात्‌

विरह्शेदनं गच्छेत्‌ संन्यासं वा समाश्रयेत्‌ |

owe टारे सतौति वथनामृमूते तिन्‌ mayer carafe gwar wears पनदारपरिगडवं कर्म | तवा नुः | wad ganic दच्वाप्रीनन्धक्षि | पुनर्दारक्रियां क्यात्‌ पुनराधानमेव याश्रवख्कीऽपि | आहरदिथिवहारान्रौडेवाविलन्ययन्‌। इति गोपौनाधः | 7 प्रामव्याधानात्‌ सतामपि धप्रलासष्यत्ती रागा कटाचिह।रगहवे नातौव दोषः | wanfearduidn eg veer अज्ञा वा मवति Swe मृता अनुत्तरा ब। तदा कतम दव विवाह एति भ्वाखयातष्ववाह्नता `

yt faurnarficara

ATTA: | Tere व्याधिता yet बम््ावंश्रापरिय॑वदा खोप्रसूशाधिवेत्तव्या पुरुषेषिणो तथा अधिविवापि weer महदेनोऽन्धथा भवेत्‌ अधिधे्ग्या तदुपरि erent कर्तष्यमिव्य्ः | अधिभेदने प्रतोद्यकाशमाड मनुः! बन्या्टमेऽपिवेन्तव्या दशमे तु BAUM | waren Dinara सयस्वप्रियवादिनो संग्र तु | waa दशमे वषं स्लोप्रजां हादे aT सत्रां weed सथस्वप्रियवादिनोम्‌ इति सतिभास्करेऽपि व्याधिता einen waar wearer विगता्ववा दुष्टा लभते त्यागं तोधती तु धमतः a तीधतो योनितः। धकारे तु सहायभूता भवत्येव ` क्ंडितायां विेषमाह एव या रोगिणो are हिता सम्पन्ना चेव shea: सारुश्नाप्याधिवेसष्या नावमान्या तु afte इति

4 षि 1

9 सुरापाने नाधिवैदनमारं feng mache “तथा वति पातक” इति वागरतुमेषं तल खतावसिधानात्‌, “ones चरौरख धस्य भाग्या तुरं पिवेत्‌” एवि वचनाच | व्वशेदषिविन्टेत्‌ तु भोगं अनेदिति aren: |

बतोयः Vee , (1

warts fe एकासुतक्रम्य कामाथमग्धां (लब्ध) वोदुं इष्छति समधस्तोषयिल्वारथः पूर्व्वोद़ामपरां वहेत्‌

TWO | ाश्रासम्पादिनौं दशां acy प्रियवादिनोम्‌। ` त्वजन्‌ दाप्यस्तुतोयांमद्रव्यो भरणं स्यं इति सनेन ayaa देयः। निधनेन भब्राच्छादनादि देय

fire: | | या तु उद्मद्रव्यापरितोषादिना खडातिगच्छेत्‌ तां प्रत्याश

aq, |

ufafear 4 या नारो निगेच्छट्रोषिता were | सा सद्यः सबरिरोव्या त्याज्या ae कुलसन्निधौ इति

पदोषदत्वे वियेषमाइ कात्यायनः | अगम्निथिष्टादिश्मुषां बहुमायः सवणया कारयेत्तदहुलं चेष्टया गहिता चेत्‌ इति अस्वार्धः। पम्निशयूषा यौतसमारसाग्निसाध्यकनी fire- एयूषा भतिधिपूजादिका पन्नोसहायसम्पाद्ं यदेतत्‌ सब्बे सवर्णासवणंभारग्यासमुदायवान्‌ सवणभायया कारयेत्‌ भरनैक- सव्भाग्बायुक्यसु श्येष्टया सवया कारयेत्‌ यदि सा गर्हिता

nee निति

® WN वा इत्यध area इति सक्तारदबमालाधां पाठः, एव समोचौनतय

nfawnfe |

१० विधानपारिजात

स्यात्‌। ayes ध्ायोम्धलोपयादकदोषोपलशः तै दोषा भन्तलङुहिलादंयः |

इदमप्याधा(न)ने सहाधिह्ठतामेकभाग्ा विषयम्‌ भः Waray प्रसह्यभाद एव तत्रापि केवलक्रलधंमान्धावेश्चर यजमानौदुम्बरोससामवरेकयैव सवया श्यष्टया कारयेत्‌ ' सजहनादिकवं करतुः dency सहाधिष्ठताभिः स्बौभिरित मोम।सासारवेदिनां सृ्वागम्‌। सआ्तामनिसाध्ये तु क, सर्वासां सहाधिकारः। प्रथमविवाहाम्नावेवापरविवाहष विधानात्‌ तदसश्भवेऽग्निहयसंसगेविधानाश्# |

तथाच कात्यायनाश्वलायनौ सदारोऽन्धान्‌ PUTAS कारणशन्भरात्‌

यदोच्छेदग्निमान्‌ weary होमोऽख विधीये खेऽ(खा)म्नावेव भवे्ोमो लौकिके कदाचन इति

तदिषानं ae weal ्ययोवो मं सपोभेदनातयीः |

: avitwercfagrtay व्यानि ब्रौगकः॥ अरोगातुदरत्वन्णा धदलोपभयात्‌ खयम्‌ | हति तश्र विवाह प्रताने तु परे{डनि। req खख्िलवोरग्रिं समाधाय ववापिषि तशु RTT AT TART NTT ततः | शुहवात्‌ era तवाग्वारम चाहती; प्मोरेका यदि भृता दभ्वा Rory तां पुतः चादषोताकदा सारलावागविपिना गो एवादि

ढतोयः स्तवकः | ae

इदन्तु सति aut: प्रामान्तरादावसश्यवे तु लौकिकाग्नौ विवादृष्ोमं छता तदनन्तरं मण्डभादयुलतपकारेश% पुनराधा्ं कायम्‌ | बतपनोकख दितोयविवारे कालदिगेष om: सङ्के भ्रमदाङ्तिवासरादितः पुनरहाहइविधिवेरख | विषमे परिवन्सरे शुभो युगे चापि" खतिप्रदो भवैत्‌ इति Samat पूर्वपद्रयं हितोयादिषिवारे हु नायं कालनियमः | दति ओोदिधानपारिजाते दितोयविवाहविधानम्‌ |

अध ठतोयमारुषोषिवाषस्व निषिषलात्तखिम्‌ कम्य विवाइविषिरश्ते |

तज ढतोयां निपिधति area कश्यपः wares ऋणं चापे erent सियसुदषेत्‌ पुचपौत्ादिसम्पन्रः दुम्ब साग्निको (ज्वरः) मदः |

9 तदुक्परक्षारो वषा-

आद्यायां विद्यमानां हितौ बाहुदरदवदि |

लदा वैवाहिकं wh qérereatsfueny एति) Gee अपिरेवक्षाराथैश्च इति गोपौनाषः।

६२ ` विधानपारिजाते.

छषरैद्रतिसिद्ाथे ढतोयां कदाचन

मोषादन्नानतो वापि' यदि गच्छसु माठुषोम्‌।

न्यव MRK गगेस्य वचनं यथा इति भन्धत्रापि।

ध्यागनिमि(त्तो) तेऽपि नोदर्मारुषौं सखियम्‌ |

ढतीयां यदि चोहारत्‌# तदं सा विधवा भवेत्‌

चतुथादिविवाहाये ठतोयेऽक समुत्‌

श्ादित्यदिवसे वापि werd वा wat |

we दिने वा gate कुर््यादकंविवाहकाम्‌ देशादि ब्रह्मपुराणे दितम्‌ |

ग्रामाग्राश्यामुदोष्यां वा सुपुष्यफलसंयुतम्‌ |

Uther यत्रतोऽधस्तात्‌ खण्डिलादि यथाविधि | व्यासः |

ज्नालालं पूतवासासु रक्तगन्धादिभूषितः।

सपुष्यफलशासे ATS समाचयेत्‌ |

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अककन्धाप्रदानार्वमाचा्ै कल्पयेत्‌ पुरा

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9 छदारदिवाषम्‌, उदरिलः निषेयसिमावपि wate पाठो इन्त t swrey गुखमिति ष-पुरुके ae: 3

SAT: BTM: ९१

नान्दोओाहे हिरण्येन wel वगोन्‌# प्रपूयेत्‌ पूजयेश्मध्ुपकंण वरं (विप्रस्य हस्ततः) दाता तु शक्तितः | यज्नोपवोतं वस्त्र हस्तकणादिभूषणम्‌ उश्णोषगन्धमाश्यादि वरायाख्य प्रदापयेत्‌ खशाखोक्षविधामेन' मधुपक समाचरेत्‌ ब्रह्मपुराणे यथधाविधोत्यस्यानन्तरसुक्तम्‌ | कलाकं पुरतस्िष्न्‌ प्राथयेशु दिजोत्तमः जिलोकवासिन्‌ सप्ताख च्छायया सहितो रषै। ढतोयोद्ाशजं दोषं निवारय सुखं कुड्‌ तच्राध्यारोप्य देवेशं छायया ated रविम्‌ | TAMAR गन्धेस्तसमन्तेश प्रपूजयेत्‌ THAT MURAL भन्धत्रापि। Waa संवैथ्य तथा कार्पासतन्तुभिः |

Hay माठकाटैवाख्लयः पिद गशालधा | गकेशदुगा चैष शाः कलरदव्य्टवगेका)॥ इति शृतिदर्प॑दः MB Vana एति केचित्‌, बरशातरेवयकछे। WS या भवेच्छाखा तच्छा तग्टद्यवोदितः। मधपकः Herren sees sf दातरि इति दचनात्‌ एतदेव समौ चौनं मन्धामई | TMS रसा are निषेधयन्रमृतं मर्श | हिर्येन afar रथेना हवो बाति हवनानि पठन्‌

६४ विधानयारिजात

गन्धपुष्यश्तथाभ्यश भव लिङ्े$रमिविश्य Overy मेवेदं ताम्बूल समपेयेत्‌ ware अकं प्रदतिणोकुवयैन्‌ जपेश्मन्वमिमं बुधः मम परोतिक्रा येयं मया ख(ङ्टा पुरातनो अवज ब्रह्मणा इष्टा साखाकं प्रतिरक्तु पुमः प्रदक्िणोक्याश्मन्धेशानेन मन्तवित्‌ | नमस्ते ANS देवि नमः सवितुरामज | जाहि मां कृपया देवि cal लं इहागता | wa तं ब्रह्मणा इष्टः सब्धैप्राणिहिताय इलाणामादिभूतस्लं देवानां प्रोतिवरैनः | दतोयोदाहजं (दोषं) पापं waren विनाशय wigefe यशो देहि प्रजां देहि पशूनपि | देष मेऽव fra पुटं खसथागेऽकं सिरो भव | तत्र कन्धावरणं व्रिपुरुषं कुलमुश्चरेत्‌ , आदितः सविता चाकः yet पौच्नो नम्निका गों काश्डपमिन्यक्ञं लोके लौकिकमाचरेत्‌ | GIN निरोखाव खसिसूकषशुदोरयेत्‌ #

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इरिद्रागन्धसंयुक्ं पूरयेष्छोतलं जलम्‌

ufagal महाविष्णुं सम्पूज्य परमेश्वरम्‌

पाद्ाव्यार्घादिनिषेदयान्तं yataraa ara fir | अव्र होमप्रकारः शौनकेन प्रदथितः।

ढतोयस्नोषिवाहे तु सम्प्राप्ते FATT तु

आक विवा वामि भौनकोऽषं विधानतः

9 जा्नौर्चोबवद्धिरिति गोपौनाचधः। t अहक नोषायासुकब्णोरे इति गोपौनावः।

१९ विधागपारिजाै

भ्रव संज्रिधिमागत्य तत्र eens वाचयेत्‌। नाग्दोमुखं परकुर्वीत खद्डिशखच प्रकस्ययेत्‌ | ` भकमम्य्ा सां गन्धप्याचतादिमिः। सौरो सूयदेवत्या ऋक्‌ भ्ाक्षशेभित्यादिषया water खयं चालङ्तस्तषदङमास्यादिभिः इमैः | अकस्यो्तरदिग्भाग समन्वारण्च एतया एतया THAT | SHIA ea कु्याटाघारान्तमतः परम्‌ | भाज्याइतिच्च शुहयात्‌ सं गोभिरनयेकयाभ यद्ये ला काम कामायेत्येतयर्षा' ततः परम्‌ व्यस्ताभिश्च समस्ताभिपुसखतख fares परिपिचनपथन्तमयाशेत्यादिकं क्रमात्‌ wa प्राधेनामन््ादिविशेषमाह व्यासः | पुमः प्र द्षिणं wat मन््रभेतमुदोरयेत्‌ | मया कृतमिदं कम्म खावरेषु जरायुणा |

` # सं गोभिराङ्गिरसी aware भम veces निनाद | am fared दम्पतौ भन्ति दस्यते aay रिवानौ ares ' Ue ला क्षामं क्षामाय षयं Teer | तमां क्षामं canes तं एतं पिष ety श्दभप्रे। व्वादृतिभिरिति it) St भूः ary ष्दमण्यै। ओं छवः सान इदं mee} शीं खः लाहा se तथाव शं ante: खः ery ४६ प्रजापते रण्दपाभि; | $ ततः लिहते इदिति पाठो ogg Fredy इष |

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ABEL | 9 कोऽदात्‌' कथा Garey कामोऽदात्‌ कामायादात्‌ ' कामो दाता कानः प्रतिहता ST शच, UCT. दशु + पश्ाहलनिति च-पुंलै पाठः|

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Oe विधानपारिजाते

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Ta Tare वामदेव ऋषिरम्मरदेवता faery इन्दः wae

विवाहाङ्गभूतान्यहोमे# विनियोगः

यसं लला काम कामाय वयुं सस््राङ्यजामरे |

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ततो व्याहृतिभिश्तुषटयं yar facaerfertatd समा-

पयेत्‌ एवं होमं समाप्य ae प्राथेयेत्‌। पनः प्रदिशं लला मन्वमेतमुदाहइरेत्‌ |

मया Haas कन्य Weary जरायुणा |

भर्कापत्यानि नो देहि तस्रन्यै चन्तुमहसि | CMT wifey war तं fray पुनः गोयुग्मं feat दद्यादाचार्याय भक्तितः तद स्नप्रतिमादोनि सब्बे STAT: | खयं नुतमवस््राणि एत्वा पुश्याहमाचरेत्‌ | इतरेभ्योऽपि विप्रेभ्यो देया तत्र दक्षिणा |

ततलुष्टौ WY गत्वा भुष््रोयादन्धुभिः

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अकवाप्रदेशमेत्याय TTA सम्पूज्य प्यैवत्‌ भराक्ञण्येगैति मन्ते मन्धादिभिदितविषैः।

विखब्वाभ्निं away मागुषोमुहरेत्यराम्‌ इति |

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9 अकविवादुप्रधानानाहोपि इति वखाररबमाशायां पाठः | नेन वाव एादौनि, MUGS ४२४ We प्दर्धितानि।

९१ विधानपारिजतिं

अगेनाग्निसंरलशं पश्चमदिनपग्दन्तं कततव्यिति गम्यतै | अनेन विधिना यसु कुग्यादकंविदाहकम्‌ | पश्षपोचादिसग्यत्तिं चतुच्यां लभते aCe दति श्रोविधानपारिजाते शरोमदनन्तभटविरचिते भरकविवाप्रयोगः समाप्तः

अध विवादषोमोचतरकसव्यमौपासमहोमविधानमभिषोयते |

ATA TTT पाणिग्णा(दि)दौ wei परिशरेदिति। अनर पाणियडशादिवचनं center rare | तथाच ग्परिशिष्टम्‌ अथ नित्योपासनं तस्य arate इति | शोनकोऽपि। यस्िब्रह्धि विवाहः स्यात्‌ सायमारभ्य तस्य तु परिचग्यां विवाशमनविंदधोत खयं हिज; | ` यदि रात्री विदाहाग्निरत्पज्ः carne सति | उपक्रम्योलरखयाडकः सायं परिचर्दमुम्‌ a इति |

9 अयं चाकंपिवाहः क्षा्पमोविशो भवति नोरेक्यात्‌ एति कचित्‌ मारेखयलव

` नं दोषायेवन्डे। Saad दरः खनोवाविददहमोषिदमावाययं परिषलया renee प्रति wala) Wg एंव ent बिभाग क्ा्यपमोषखानि qaty इन्वापिरिषदतेन सहो wfewefarsen® सपितानहपिमोः खख नामानि क्रक atten, एवे day -.

CINTA wefrervt fareaten भवतीति बोपौनादः।

ढतोयः स्तवकः | oR

इदमपि नवनाद्यनतिक्रमे दृष्टव्यम्‌ तथाचापस्तम्बसूत्रभाष्यलत्‌ सुटशनाचाभ्ः तस्य Bice रात्रावेव यदि, नवनाद्यौ नातोताः। waaay परेद्युः सायमम्निोतवेलायामारण् इति

भ्रन्यत्रापि | प्रातरहोमि सद्गवान्तः#कालस्वमुटितऽथवा | सायमस्तमिते शमः कालसु नवनाहिकाः॥ शति भअ्रानुदितदोमकालखु वाजसनेयिनां वैदिवव्यः | तथाच कात्यायनस्चम्‌ श्रौपासनस्य परिचरण्मस्तमितानुदितयोरिति | तेषामौपासनस्यारग्भोऽपि चतुर्धीश्ोमानन्तरमादहितेऽग्नो भवति तु विवाश्ाग्नौ। भ्राषसष्याधानं areata दायायकाले वेति काव्यायनसत्रात्‌। तद्गाथमपि। दारकालबतुु्रकालः | दायाश्चकालो धनविभागकाल इति भरौपासनात्‌ yet यदि विवाहाणिः शाम्येत तदा प्रायशिच्चमुक्ं विषादे | उद्ाष्ौपासनात्‌ FAAS शान्तिमागतै | खालोपाकं ततः AAT श्मौपासनमथाचरेत्‌ मवनाहिभ्य जँ चेत्‌ खालोपाको भवेत वं प्नौपासनं तदा Fay परेद्युः सायजैव इति

re नरको = न्न wee , , ता

9 यतु वाहिकः कालः पडाटैवोदबाद्रवेः। इोलकरालो विप्रां सङ्गवान्‌ एति तः उन्वागरलाथनः | 10

9४ विधानपारिजति

AS प्रादुष्करणकाल SH भा्ठलायन घम | TATA RTA प्राटुष्करणहोमकालौ व्याख्याताषिति तत्कारिकापि | हबलयेदपराहेऽग्निमं याते दिवाकरे | पर््चाग्नि परिस्तीय पर्थु ततः परम्‌ इति अचर पाषटमाषह कात्यायनः | aa तु गेलमप्रापते षट्बिंशतिरिदाङ्गलेः | प्रादु्करणमम्नोनां प्रातभासामदशंमे शति तधा | दुहिज्रा quan वाग्निविषटारो विध्यते नि(लंपार्नेजनख्च पात्राणासुपलेपनमेव इति| SMA प्रादुष्करणाभावे प्राय्ि्तसुक्मा्वलायमकारि कायाः प्रायश्चित्तं विषेण ay ate भवेहिषिः। होतव्याज्याइतिस्त भूर्भवःस्रितीति A परनुदितास्तमयलक्षणमाड कात्यायनः | TAY TST भागे प्रहनन्तत्रभूषिते कालं ated च्राला ततर होमं प्रकल्पयेत्‌ तथा यावस्षम्यङ्‌ भाव्यन्त नमस्युक्षाणि सव्यतः | लीहित्यमायाति तावत्तायन्तु इयते |

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« ! ,, 7 ग्ण गणी ममत

e fame fagcequcafafa यावत्‌ एति नोपौनाचः। + लोडहितत्वश्च nals इति सेखाररबभालायां पाठः, एव समोचौगतया प्रतिभाति

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अभ्र भरा्ठलायनादोनां WA मुख्यकालमाह चद्दिकायामतिः | इस्तां रवियावडुवं हिला गच्छति | तावहोमविधिः get नान्धोऽभ्युदितहोमिनाम्‌ राजौ प्रदोषो सुख्यः स्यादिति वेदविदो विदुः शति। QT गौणकालमाड शौनकः | QUITMAN यो भवेचिमुहश्ठकः | सायं होमकाल प्रदोषान्त उदातः UY Tae: कालः पञचादैवोदयाद्रवः शोमकालो विप्राणां सङ्कवान्त दति aaa इति यदि गोशकालोऽप्यतोतः खात्तदा प्रायशिन्तमुक्ं ख्द्मपरिगिष्टे | नित्यहोममतोत्य मनखत्या AYIA YAY | हादथ- राजादूं पुनराधानमिति केचित्तु wafer कछला प्रातर्होमात्‌ पथ्यं सायं होमः काथः सायं होमात्‌ yar wre ie: काय इत्याहः AAT AAT: प्रातराप्रातः सायं AAT: | भाडतिर्नातिपद्येत TAT पाव्वणान्तरात्‌ इति बौधायनस्मतेरिति तश्च faerie ai प्रपञ्चितं शौनकेन भम्िहो्रवदित्येतच्छोनकेन प्रपञ्चितम्‌ पुमः TAT चाङ्गारानुदगम्नरपोश्च

® यच निदानसूर सब्येमडः प्रातराहइतैः यान सम्या रातिः सायमाहइतः पुणः पश) ae OW. पचः Guaree इति, तद्रज वादिनहावि परत्तिविवयमिति गापानाधः।

विधानपारिजातै

Great दादशानान्तु पक्ञमेतेष्वधिखयेत्‌ पयो यवागूः पिंश भोदनं दधितण्लाः सोमसंलमयो तौदिददादशते तिला यवाः | पय भ्रादोनि चलारि विदुः पक्षानि याचिकाः दध्वादोनामपक्ञानामधिख्चयणमिष्यति उस्छकेन AHTAATT THAT # धिति सुवेणापः परिषिष्धन्नवानि पनलिग्व॑लता तेन परिग्युद्च प्रहत्य तत्‌ I उ(द्‌)दाकषंन्रिवोहास्याप्यङ्कारानतिष्ञ्य wer, TaTRasa निधाय समिधा सड | तैषाभेकं GRATE WHAT सायमम्नये | षां हादशद्रश्याणां wer एकं द्रव्यमित्यधः | खाहैति wager gata प्रथमाहतिम्‌ | प्रात्हौमे तु सव्याय arefa प्रधमाहतिम्‌। Tat प्रजापतिं ध्यायेदुभयन्र हि तीयकम्‌ इति भाग्यो विशेषः खखशाखातोऽवगन्तव्यः | होमखानं सू व्यधसारे वुशष्कन्धनेनाग्नौ सुसमिदहं इताशमे | भकारे लेलिहाने होतव्यं नान्धधा कचित्‌ योऽमविषि चु्टोत्यम्नौ aye शैव मानवः | मन्दामनिरामयावो दरिद्रशोपजायते पनन; प्रद्िणावत्तः aie शभावः इति

दतोवः सवकः ७७

अन्धुपसापनमन््ानाह शौनकः

परिसमुश्च पथश्याध्युपतिषटेविभुजम्‌ |

अग्नेः GHGs Way प्राजाप्यैख नित्यशः याश्रवखकयोऽपि

इत्वा मन सूर््देवतान्‌ strana समाहितः | एतदोमप्रशंसामाहाङ्किरः |

प्रदद्यातकाश्चनं He एथिवौ (च) वा ससागराम्‌

तत्‌ सायं wrasse तुला भवति वा नवा इति। भन्यज्रापि।

नाजिष्ोज्रात्परो wat नाजिशोज्रात्परं तपः |

नाभ्निहोक्रात्मरं (ख्ञा)दानं नामििदोज्ात्पयरा गतिः

तथा भादा व्याद्रतयसिखः खधा खा नमो वषट्‌ | Aaa बेश्मनि सदा ब्रह्म(लोकः)भूतः एव तु अकरणे प्रत्यवायमा गगेः क्ञतदारो तिष्ठेत कणमप्यम्निना विना तिष्ठेत चैदिजो व्रात्यस्तधाच पतितो भवेत्‌ यथा ज्ञानं यथा सस्या वेदस्याध्ययनं यथा तधेवोपासनं ara खितिसदहियोगतः यो fe हिला विवाहाग्निं wee इति मन्धते

eat ee re ED Cae

9 कभ्साकाकाकः, प्थमङखल ५९९ एह प्रदिः | + छदुव्यमिवादिकः, प्रम कखछ ४०० पृष nein: |

श्ट विधानपारिजाति

अन्नं तस्व भोक्ष्यं हथापाको हि सृतः aa नाश्रन्ति वं देवा; पितरोऽतिथयस्तथा हधापाकः विन्नेयो cea a हथापाकस्य भुक्ञानः प्रयितं माचरेत्‌ |

प्राणायामथ्रतं कला छतं प्रादय विदष्यति% इति)

शति नित्यहोमविधानम्‌ | अथ सूतकादो होमविधानम्‌

तव कात्यायनः | सूतके wat प्रापे नित्यकश्म सग्धजैत्‌ | faa चरं हाममसगोग्रेस कारयेत्‌

चरं थालोपाकं, होमं निलहोमम्‌ |

शौनकोऽपि।

Siete सूतके शावे खयं शुडुयादिजः | , Rafa खयं इत्वा समाप वा खयं Faz

स्मात्तम्निमामनोऽन्येषामभावे सूतकादिषु समारोप्य तदन्ते तु fewer जुष्टयात्छयम्‌

© we प्रतिप्रसवमाह एव। पिटरपाशोपलौवौ बरादपाकोपजौविकः | ज्रानाध्यवननिषो वा gemfan fam i

SAT सचकः | ॐ€

शअरतोताहतयः सभ्या इगेबरिष्तिपूत्विकाः हमेषतुगेहोतेसु कार्या ततरिष्कुतिः सदा wala SSMS तु पूणडत्य टक इनेत्‌ | ्राङ्ा(मा)ना् ततो इला गा््ोऽप्यगिर्विनष्ठति जाग्रत्यनरैऽपि एवाह ग्रत्येवानले होमानतिक्रामेदहनपि | भाज्यं चतुरगोलेतत्‌ सुवेण प्रतसुचि तदा AAA यथोक्षविधिना ततः | प्राज्यं चतुगगहोलतत्‌ सवेण प्रहतसुचि | Sar मन्व मनो ज्योतिजुषतामिति% पूव्वैकम्‌ इत्वा सक्तदतोतांब मान्‌ HAT यथाक्रमम्‌ | पञ्चात्‌ खकालष्ोमञ् विदधोत यथा षरा | प्रायित्तमिदं कचित्‌ प्रतिषोमव्यतिक्रभे इति श्आशुरिति शषः। चद्द्रिकायामपि | कालातीतैषु रोमेषु उन्तरेष्वा गमेषु चं कालातोतानि yrs उत्तराणि ततश्चरेत्‌ यस्वतोतान्धतिक्रम्य उत्तराणि समाचरेत्‌ | देवाबेव पित्‌ सद्विस्तृपतिषटृते इति अतरेतिकसव्यतामाड एव

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9 मनो ग्योतिलषतामान्यछ दहष्पतियश्रमिमं तनोतु afte यज्नं सनिनं दधातु feadqra इड मादयन्तामो प्रतिह y

विधानपाग्जिातें

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मवो मवोऽयमित्याभ्यां चन्द्रस्याज्याइतिदयम्‌ | उहयम्‌ उदु ws fadg रवैराज्याइतिव्रयम्‌ | yar प्रतिपदि दिने ततो होमं समाचरेत्‌ |

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असाधः | अनवाधानिरिमपरे प्रसं चेदा इदिरासादनाग्वे चन्दर ग्रहे मपो नवः शत्याभ्यामाहुतिदयं सूख्ग्रहे उदयमिति तिरभिराडतिश्रयं yer verfefé कु्थादिति प्रयोगपारिजातै व्याख्यातम्‌ weraafead सोमश रहदोषप्रायदित्ताधं argatere इति सह्यः | - प्रायबिन्तं तु यत्रोक्षमम्नित्यामोपपातके। मनुना AURA क्कालानुषारतः। ^ जेमासिकं गोवधो (तक्रा) ठतवागनेनिष्वृतिभेवैल्‌ चान्द्रायशख्च सासखदानं वापि समाचरेत्‌ संवतरन्तु weft ङुर््याजचाम्दायशचयम्‌ | अधवाण्युपवासपु प्रतिमासं दिनं भवेत्‌ याऽजिनिं त्यजति नास्तिक्धात्‌ प्राजापत्वं समाचरेत्‌ Ware पुनराधानं START तथेव प्रमादादन्यत्र तु कात्मायनः। यावन्धव्दान्धतीतामि निरमनेविप्रजब्मनः | तावन्ति छच्छाणि ater दद्याहि(जातये)जकने इति AST पुनराधानभिच्छन्‌ Barta artes:

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_ Vidhana-Paripita, Vol. U1, Fasc, II, 13 `

विधानपारिजाति

सिकता पश्रपश्र्च वराषविहता इत्‌

शमो मुखाः FUCA प्राधानदरव्यसंन्नकाः

उपलेपादिकङ्कला सश्मारा(बिदधाति तत्‌) frets वे सम्भारेणादधोतानिनं ग्रोभियादिन्शागतम्‌ | उत्तमोऽरशिसण्भरतो मध्यमः सूखकान्तजः। प्रधमः खद्ानोतः ओरोभियागारजोऽथवा

शोवियस्वाहिताम्निः |

शौनकः |

पौणमासो तु सम्प्राप्ता या विवाहादनन्तरम्‌ | ततः प्रक्रम्य HA खालोपाकन्तु TT तश्र यद्यप्यमावाख्या विवाहस्यान्तरा पतेत्‌ तथापि प्रौषमास्यादिः खालोपाकक्रिया खयृता इति बौधायनोऽपि चतुर्धो्ोममध्ये तु प्राप्यति यदि gfe तत्रेव यागः AHA श्न्वाधानपुरःसरः ` अधिमासादिप्राप्तौ तु सङ्कार श्रा पाव्येषेष्टि(रा)माण्यशं सन्ध्योपासनमेव च| कुय्यात्रित्वानि कासि प्रारग्भमिति खितिः। TRUMAN चन्दर सूखग्रहे तधा इति वचनात्‌ प्रधमारग्भो wre: | UTC तु ware: | आज्यं. हादशक्तसु खशोत्वा FLATT | तया चाज्याइतिरया स्थात्‌ सा पूर्थातिरिते

ढतोयः स्तवकः ९९

सुवपू्शा इतिवा स्यादित्येके याच्चिका विदुः। nrafet कते पशादतोतमपि कश्च षे। कार्ैमिलेकं भाया start तुः विपबितः इ्ाधाने क्ते दुष्टं प्रधानं इविर्र चेत्‌ , ATMA जुडयादान्यमद्ष्टन्तु जुहोत्यथ

एवं समाप्य यष्ट acy प्रिपेत्‌ ga: |

खिष्ट क्षतं (इविःयेषं) शेषडविराज्यनमव समापयेत्‌ May नखः केशः कोटेवोऽमेष्यसेविभि; | वसाङ्श्नदोमखाखिमूबरविटखेदन्ञभकः | भिन्ानि चेव सिक्ञानि cerare fafafaty | deel यख्य खद्ाम्िरन्धद्छद्माम्निना यदि | चरुविविचये कार्या यहा पूर्णाइतिभवेत्‌ अग्निगुणो भवैदैषु विविचोत्यादिको gue | चरः सषामाय AMA were विधिः प्रायधिल्तचरुख्याने पूशोहतिरिष्टो ते | शवाग्निना तु Hee कुर्व्वीत Tat चरम्‌ ग्राम्यदावाभ्निसंसर्गेऽप्ययभेव चरभवेत्‌ |

वैतेन तु सं.सगे,खष्टे कुष्यादपमतशरम्‌ GAMMA तु कारौ व्रतपते:

wate व्रतलोपे (तु) कार्ययो व्रतपतषरः

9 तिविश्याद्गुषाः छता एति वैखाररवमालायां wa) # यथा fafafay एचि Quy व्रतथहादयुमांसतः। ततः vege एति

१०० विधानवारिजाते

समानतन्तं हष्यति पाव्यैदेन तु कर्कशा) च्याचेत्यविज्रयो गोशः खात्यविद् पत्रः अन्वाधागेष्टिमध्वे तु चण्निभाशो चेद्वद शलोवियाजिनिं मानय प्रायदिन्ताइतो(येत्‌) ईत्‌ | ` प्रायडिश्चविधेकस्य यच्च नोक्तो किषिः कि $ होतव्या्याइृतिरभ que: लरितोति (च) तु अक्ताग्रयशोऽग्रोयाग्रवाशनं यसु साभ्निकः | वेश्ठानराय SATE: पूर्णाडतिषच वा fered यदा YER तथाप्येष चरेत्‌ $ कपालनायेऽप्येष स्याच्छवणाकभारणमपि # कपालन्तु watt प्रागेव पणाद्धदि | मन्त्ेणानप्ठस्षेति कपालं सन्दधाव्यध भिन्नो wa इत्याभ्यां मन्त्राभ्यां hates भिन्द्ादयदि पुरोडाणमुदष्डछेद्यदि बा तथा i किमुत्पतसि were afead निधाय च। अभिमश्वयते aq मा हिंसोदितिन मन्तः # भाहतिरेयमाना तु ate: छन्दत बाग्बितः | देवाश्ञममरगन्धन्च इत्यनेना मिरखश् ताम्‌

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9 मामा हिसौखनिता यः एथिव्या यो वा fed सद्यधच्या व्वानट्‌। यसापसन््राः प्रयती जलान wa Sarg इविषा fase CAG. १०२. aye! an मनु अभ एकलमविवचिवं तेन qaqa गद्ये ने च्या ईंदाह्चन-

WRT: स्तवकः ११६१

दसभद्ेत्वाहुतिं इला प्रजिपेदनले धुमः निभिश्ानन्तरं सब्येपराग्रबधित्तं wifes प्रागैवोत्यश्यते दीष WOMAN यदि प्रायचिक्तं भवैदाच्यसंस्ारानन्तदं ततः + SIMA देवतानान्तु THe भवेद्यदि | मन्त्राणां YRAAEUAAS भवेद्यदि मध्यात्पष्वो्ैतशेति श्युत्करमञच भवेद्यदि , SUG ष्युतक्रमः sree निष्योप्रणादिषठ | यहो SarP WAT AB YAW Aaryar: कस्मचिदुब्राह्मणयाश्िन्‌ aa द्रव्यं ददाति चेत्‌ | ङोतव्य काडतिसतच QCA सुषयः यजमानखु जुडयादृब्रद्माभावे सवातो | WATE नाते इ्दह्कत्वा THAT: अविन्नावव्रिपग्याषे विदितां देवतां सरन्‌ ACS तत AGA व्युतक्रमावबमे सति, प्रायशिन्तमिदरङ्क्ना यायं विवं्चमे्ततः

भया नकमकमेनि SEG ek mer ape

HAY VHA मा वश्रद्याभोशागच्छतु way! Tenaga) पिदन्रननः ata! भप ओषधीवनस्यतोज्जनम-वदंताम्‌। VeRtenTatng! इति ® UVa इथिवौमनु मिमं. योगिमन यस YT ware योगिमनुसशरनत za जुहोम्यनु साधाः १९. UA. यजुः। कदो टैवाषह्नस जिद्ठया मुह मनसो वा प्रयुतो. Saez | अरावा यो गो भनि दुश्छुनायते तिन्‌ त्न वसवो fra १०. FON, VAM |

१०२ विधानपारिजातं

यदा लविहितां काश्विरेवतामिषटवांस्तदा | प्राय्वित्तमिदङ्कला यागं लाव्तयेत्‌ छतम्‌ यदा हविरपक्षं स्याक्तेनेव इविषा यत्‌ | चतुः शरावपाव्रेु पवेदुत्रौहिभिरोदनम्‌ | WITT. MAT चतुरो ब्राद्मणशाभध | ayennea वा किञ्चिदेव यदा इविः। SALT पुनर्यागः स्यादारमभ्यादितस्तथा लल्लञदग्धं यदा तकात्‌ पुनर्त्मादयेहविः। एव यागः HUNT पुमयागलु नेष्यते मध्यातूवाैतोऽवनत दुष्टं यदि भवेशविः | तक्षा इविषोऽवद्याशध्यातपूनोरैतः पुनः गमनार्थेन (धो च) ae वयसुक्षा पथस्पधम्‌ ृव्वेवगरतयुचं होमं HAY TNS वा जपम्‌ A दक्तपादः कपोताख्यः किञ्िदारुणकच्छविः | चेच्छालां प्रविशति wate वा प्रलेदयदि | परिषैचनपयन्तमन्वाधानादि पूववत्‌ |

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© वं सोम ब्रते तव HEY पिभतः।

WMA, सचेमहि १अ. LEH. यजुः |

पथसदः परिपतिं बचा कमेन हतो GTA | सनो रासष्दुदषषन्रयाषिठं चिद सोषधातिप्र पूषा

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कतोयः स्तवकः | १०३

देवाः AUIS WS जुहयादृष्टतम्‌ पठेत्‌ स्वाहेति जुहयाप्मत्युचं ग्रहशेषिह |

इट्‌ सूनं जपेद्यदा विकल्पो Kawa: गत्वा रजखलां भायां निषिद्ठदिवकेऽथवा wary याजयित्वा तु विषादि प्रतिष्डश्चच। अरप्रतिमाद्यपुरषा ह्यं वा प्रतिष्टष्च। खष्टामिनिं चयनखं वा युं वाऽभोज्यभोजने एषु fafauy भवेदन्धतमं यदि पथुद्याम्नि परिसतोग्य पुश्य ततः परम्‌ पुनवाभेति मन्ाभ्यां†* शुडयाकंस्ततं एतम्‌ ` एताभ्यामेव Haat णुदुयास्षमिधोऽथवा i पथुहणोश्े स्यातामन्ध्न््ं तु नेष्यते खाहाकारविनिसुक्गौ (यश wal) यदहो मन्ध जपेदिह

Reet re ee RS EEE we —re ‘inip 2 3, ee ee oe OD

/ © देवाः कपोत एषितो यदिष्छन्‌ टतो निशा इदमान्नगाभ तद्धा अर्ाम wee fale थं अन्तु faqs शं चतुष्पद ROM RAT LARRY इत्यादिक्गेन | | वाममद्य सवितर्ामह्शरो दिवे fe? Taw साबो; | वामद्य डि wae दैव ब्ूररया चिवा वामभाजः BT) SW. इम. यजुः sume गहौतोऽसि afanste चनाधाखनाधा असि चनामयि vie. fare यजं जिन्व यज्रपतिं भगाव दैवाय ला सषि चअ. शम. ay | { १०१ प्र प्रदशितम्‌

tos विधाभधारिजाते

श्रध विषुरोपासमम्‌ |

तज्राषलायनः | seem arfet प्रणवेन चादा- वैन्वम्निभरित्याहग्येत्‌† पुरखात्‌। निधाय षष्टो दिविषुं मन्वकेश ततश Fler: शकलेखतुर्भिः लेखादयो नेव तत्‌ सतां facatins नोव्यान मै मन्वा | नारोपणं वाप्यवरोपणं वा चोत्पर्िरेवं विधुरानलस्य | नित्यानि नेमिसिककाम्यकश्र waa बुव्यादिषुरे सदेव इति आ्लायनमाचाथमभिगम्य महषयः | प्रतिपूज्य यथाचारमिदं वचनमहुवन्‌ + iii प्रथमौ जातवेदाः |

WRI पुरवा रौ नर्‌ दावाए्थिवौ भातत ११, १७. ae | भह्रयदिवषादद़ामावन्डन्दोभद्गभयात्‌ Vee: | भपि माषं मधं क्याष्ठन्दोभद धैद्भिरमिति कुमारसण्मवटौकःर्या म्विनाधषटतवचनात्‌ | 1 welfefe vetsfa: परथिष्यां get fray ओषधौराविषेश Sana: ayer Tel अधिः सनौ दिषा रु fiseng mma) cw, ७०, aq 9 विज्रानि ईव सवितदूरितानि परापृव | UNE तद्र MGT १०अ. इम. यलुः।

WAT: QT: १०४

सरगवन्‌ विराणां हि wire वहुमरसि | विवाहे लसमथसख विधुरस्य क्रिया कथम्‌ शाहानि पञ्चयज्नाख काय्य मेमित्तिका; क्रियाः | यस्मिन्‌ येन विधानेन डख(;)सहशो भवेत्‌ दश्विला यन उवाच कात्यायनभरदाजघोम्यवोधायनादिभिः aga विषुराणाश्च तदेव कथयामि बः चन्द्रानुकूलदिवशे ज्ञात्वागत्य दिजः सष Tare वाचयिलला areas महानसात्‌ | भ्रम्निमाष्ृत्य विधिवत्‌ खण्डिले तं निधाय सङ्कल्पा विधुरश्चाथ पनः सन्धास्य इत्युचा (त्वथ) | एनः सन्धानवत्‌ कु्याज्ञाजोमं विवाहवत्‌ चतुगेहोतं जुहयादयाखाग्नेसु सन्धतः.। तथा यधाविधानोक्तिः सप्त ते भ्रमन TESTE तन्धमन्यस्षमानं AAAI समापयेत्‌ | तदानीमेव जुहयात्तस्िननम्नौ एताहतीः॥ WRG पावमानोख तन्ुमानोष, माधि(पावि)कोः | हप्रवेश्डोमा्ं जुहुयादाइतोरिमाः वेष्ठानरोत्रातपतोकुलवा येषं समापयेत्‌

= णामि

# सप्ते भग्र ठंनिचः an जिंदा सप्त षयः an धाम प्रियायि। सा होताः सप्तधा ला यजन्ति सप यौनीरापरख एतिन are (OW. OCF. TY | 14

‘faaraaricsa

चतरुभिव्याहृतिभिषतसरः समिधसधा | सायं MAT शुहयादौपासनमधाचरेत्‌(मतः परम्‌)

ary पोणमासश् नितयेश्याग्रये तधा

श्रा्ानि पश्चयत्नांख तसिब्रम्नौ समाचरेत्‌ एवङ्कृते तु विधुरो षखसटटशो भवेत्‌

भनाखमखदोषोऽख नासि इत्याह श्रालायनः |

दानव्रतेषु Say Alay आाहकश्सु

विषुरोऽपि षदा पूज्यो श्म्निवेदसमनिितः | तस्मासब्वप्रयत्रेन वकं परिचरेत्‌ खयम्‌

ae नित्यानि लुप्यन्ते पतितः सोऽभिधीयते | तस्ना्रियानि कुवत निलानि लोपयेत्‌ दति

wa विभुराम्युत्पत्तिविभिः |

प्रथोगपारिजात |

_ arantarferan eat ant wate तां भिभिः।

र्शिहनोदहलन्यां पुनित्रागिनि मान्‌ यजेत्‌ प्रागुदाहाश्च firey खार्भसयागेधाविषि | Vera इष्टि कुवीत वा वा साय्रातर्होमधव्यमशमनादपि Taty |

इति ्रा्टलायनः। | भखाथः। सआात्तकश्च भरुतिष्ठन्‌ प्रौपासनखया्ेन सृतां पतनं

तोयः स्तवकः १०७

derea fare पूल्यैवत्‌ aria बुर्व्यात्‌। ओोतक् भलुतिष्ठ्‌ खपत्रीसंस्कारे निभिरप्यम्निभिमुतां cat स्त्य पुनरदाहानन्तर- aferarata यजैदिति। तथाच ब्राह्मणभाष्ये WY: | भार्याये PRAT TTT TTT पुनर्दारक्रियां Fay पुनराधानभेव इति एतत्‌ पुनबिंवारैश्छविषयम्‌ | तदनिच्छसु प्रन्यमनम्निं प्रमोत- भार्याये वियोज्य भरग्नोनवखाप्य कुशमयीं cat कत्वा पूत्वेवत्‌ परिचरेत्‌ न्धा दोषखवणशात्‌ | तघाच मेत्रायणोयन्रुतिः | यसु खेरम्निभिर्भायां संस्करोति कच्चन | असौ सतः सौ भवति At चेदाख पुमान्‌ भवेत्‌ wa विशेषमाह विष्णुः | सतायामपि भार्यायां वंदिकं estes: | उपाधिनापि तत यावल्नोवं समाचरेत्‌ इति , उपाधिः कुशमयादिपनोकल्पना | तथाच AAT | wal कुशमयों Gal Hat तु खृमेधिनः | सम्नहो्रमुपासन्ते यावव्मोवमनुत्रताः॥ इति + atefag | qenaaa नान्दोमुखं wer विचक्षणः | प्चाणत्विन्नलंः कार्या ख्ियाकारा खवेश्मगा

१०४ feqranrfcart

शआरैशसाना दोषी `खादशतीमेव Afr | रिदा चतदुलयभिबन्दमेष वारयेत्‌ Rael घोहशपलेरमाषकः Ayah ) ततोऽणि प्रतिष्ठाप्य लाजहोमश्च faster + रषद WAST थायतायतिता तकार | खशाणोक्श्च went तलु यातकषस्नितम्‌ ्रा्नान्ते ATMA वासो वा सथर धनुः प्रतोदमथवा रकं ततस्तां TTT ` ARTA AWA शोमन्क्ान्‌ लयमाहरेत्‌ भन्दा यश्रशालायां खापनोया प्रयज्रतः इति fafaca | vaftytaren नित्यं react प्र्वाययुतेः बदुह्षद््विधामे . भ्राहतं rte पञ्चवारं दिले दिने Wares विना दोषो सृथेदिधुरं ततः तथा | Gee uted पञ्चवारं दि fed | विष्रो वा साम्डिकस्य यत्‌ फलं तत्‌. फलं शमीव्‌ wa यदि भावये उर्नोऽपि छाततोग्निदंशसतदा कहुत्य्ति- प्रकारमाह बौधायनः; | गन

* wens carafe: sfe a gra: |

+ नवीं १०४ we प्रदिः +

Mater: WE: 1 १०६.

मानय इदो दिवो रोलस्सति aftera तत्‌ सवितुग॑ खां सदितु शा गो दिव सवितःर्बिष्ानि देव शत्रितरिति चतुः wera: परव्याख नित्योप्ास्मादि चला तमभिन कुष्ादिति

भाखलायनोऽ विधेवमादइ |

qarat पतितायां क्न प्रोषितायाच्च Fee:

AGATE TTT वा बहो + ` ति.पाव्यणनिषेधात्‌ सङ्करा भङत्पेद सभां भा्वलायन- ्ञारिकाप्रि पूयमवोज्ञा $

क्ति विहसोपरास्तशम्‌

सष WATS प्रायज्िककिश्ननम्‌ 1

प्रयोगपारिन्छते SER: |

9 mated woo प्रदिः |

तत्‌ afaghtet maf हिज Miah:

धियो यो गः परचोदत्ाद्‌ GRE: COL ,

t at सवितु्वरेष्छल चिषामाहं इशे सुमतिं पिगणन्वाम्‌।

MHS कणो अदुहत्‌ प्रपौनां सडलवारां पयसा aH गम्‌ १७. OUT. बहुः} अद्या नौ शैव सवितः प्रलावष्तषीः day}

परा ETS सा भन, दद्‌, जद)

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विधानपारिजाते

यदि काष्टाद्मभावेन नष्टो वाम्निमेवे्दा | भस्मापनोग्रायतनं गोमयेनोपलिप्य तत्‌ उक्षिखय चामिमादध्यादाह्ृतं चोतियालयात्‌। विनाशकालादारभ्य परस्ताहोमकालतः | qa दिष्यु पवर्त AEM TAT होमकाले तु गुुयाद्यधापूवव पति; खितः feat यदि रोगादयरुपवसतं शक्रुयात्‌ | तदा प्रयोगमाश्रित्य तेतिरोयप्रकखितम्‌ afta fawe areracts: परिसमुश् | परिस्तीग पयुद्य ततोऽगनेरुसरे कुशान्‌ सतोय तेषु प्रोक्षण्या सममासादयेत्सुवम्‌ प्राच्यपात्रेण सं(माय)गृन्य णानि सह सादयेत्‌ | war पवित्रे तु तयोमध्ये ofa प्रकस्ययेत्‌ ततः प्रोच्षणपात्रे तं निषिच्य सलिलं सुचि ताभ्यां वृष्णो विर्त्पूय पवित्राभ्यां यधा पुरा सुवाज्यपाव्र उक्षाने क्ता प्रोच्य facarar were निषिष्याज्यं तस्याधिश्रयणादिकम्‌ | RATATAT वहृल्िस्तृष्णोभेव तत्‌ पुनः | पुनराहारमुत्पु पवित्राभ्यां arg ते |

पवित्र ग्रनिसुण्ुखच wera area परिषिश्च ततो वद्धिं सक्लदेव समन्ततः | VARA UU: संगेन सुषेण तु

ढतोयः स्वकः | १११

प्राज्यं होतवाऽयाशामे नो विश्ववमादिकम्‌# | wager विधायकामाइतिं तदनन्तरम्‌ कुथादोपासनं होमं यथापूव्वंमतन्दरितः यद्वा सच्छासरविहितप्रयोगेनाज्धसंसछतिम्‌ लला मन्तमयाश्ाम्े नो विश्ववमारिकम्‌ | BRT इत्वा सछत्माच्जुहयाश्च यथा पुरा इति अत्र विधानान्तरं कारिकोक्षं “aes पुनराधानमित्यादिकं” तद- Wa द्रष्टव्यम्‌ | गटह्मपरिशिष्टिऽपि | भत ag विवार्णषप्रवैश्ोमाभ्याभेकतन्धाभ्यामादध्या- Wa विवाषहाज्याहतयो खषप्रवेशाइतया Eearway भवति aaa लाजञानावपति तत्‌ पुनराधानमिति। wa भ्रया्ेति मन्त्रेण होमो विवाषहोमखेति विधानहयसुक्तम्‌ | तवर भ्रयाशेति होम भ्रापदि त्यक्तागनिविषयः faearevtag भनना- पदि त्यक्तान्निविषय इत्याह एव स्मृतिरूपेण | प्रायित्त विधानश्च कालच तदतिक्रमे | AS यतस्य WHA ATTA TCT मया तज्राजुक्षो विगेषोऽज्र faery समासतः | वच्छन्ते होमयोः सम्यक्‌ ये तच्राभिकारिणः AMARC AAA TAT |

iS tS meee eS ee nee,

खनं) विश्रान्धा भर सुवितानि शतक्रती। यदिन्द्र Heats नः॥ SH. Ce, २९कक्‌।

११२ विधानपारिजाते

भाहरेहिधिनेवामिनं दरवैबापि तदोरितेः | व्यक्ाम्निमापदि area इत्नाज्येनाइतिश्च ताम्‌ | भूरादवंहिमाद्भत्य पालयेत्पुचचवन्तदा ॥. यदि wa लनापन्नो द्वा शका हिज वश | विवाहषिधिनेवाग्निमाहरे यथा पुरा पारिग्रहः परिणयश्ाभ्र वज्यंसदुसवः गऋषवेोपलारोषौ TH सप्तपदो तथा AAG जुडयाज्ञाजान्‌ पब्रारब्यस्तदोरितम्‌ मन्तः wets तावश्च इनेदग्निं विवाहवत्‌ | भ्रनश्रब्नम्निमाद्रत्य सायं इला ततश्चरेत्‌ | चरेदगरोयात्‌। एतिधानं हाद णाहपथन्तं Afar तद विगेषम्ाह कारिकाकारः। भराहादशदिनादेवसू षं विच््छिद्यतेऽनलः | प्रायशित्तन्तु यगरोक्तमम्नित्यागोपपातकष | मुना angela तत्तकालानुसारतः इति नासिन्नादुविश्ष्टामेरविधानान्तरमाष एव अथ LUT ASA द्यम्नेराधानमुश्यपै | wate sere दक्वा Wheel हिजातये (जोम) दर्यं किञ्चिद्यथाशक्ि ब्राद्मणायादहिताम्बये | भादध्यादपराहेऽग्निमाधानद्रव्यसच्चितौ | सिकता; पद्मपत्रञ्च वराहविहता सत्‌ | Wet Vay celery शक॑रा |

: 7) [क [ | ens Gee 1१) 2, = swe —_—

ढतोयः स्वकः | ११३

दन्दोवर शमोसप्तपा्डयविकहताः#

mage विश्रेया भाधानद्रव्यसंत्रकाः (च्रिताः) | अन्धापतन एतानि पुनराधानकश्चणि निधायेषामलामे तु aren निधापयेत्‌ | उपलिप्योक्षिखेदेतान्‌ सिकतादोत्रिधाय शव

xe एकमित्यम्नौ सव्याषति तथाहितम्‌ तन्बह्कलाज्यभागान्तमन्ाधानादिपूव्वकम्‌ चतुगोतमाग्यन्तु जुहयाद्ि यथाक्रमम्‌ शुद्धामेव BAIT खास्यामादाय Twa चतुरगृहोतमाच्यन्तु AYA) उदाद्तम्‌ I लमम्ने सप्रथा असि यो भग्निर्देववोतये¶ | wa तन्वं लवं नो भग्ने; सत्वं मो Ser सप्त aT

विक्षतः सकदकठचः।

aad सप्रथा भसि yet होता वरेशः |

ल्या as वितन्वते ५म. १११. BRA

यौ अग्मिदेववीर्तये इविषा भविबासति।

AG पावक मृडय म. १२्‌. CRE

a] अगऽवमो भवंती नेदिष्ठो Wer saa: et |.

अवख नो aed रराशो Mie मृदिक qual नएचि।

RUT. QA. GY: | eH वै अर- wate १०४ UH प्रदन्नितः |

16

{ १४ विधामपारिजातै

मनो च्योतिः# greater इलया श्ष्टामिरेव | सुषेण जुडयादाण्यं मन्वेधापि यथाक्रमम्‌ WaT CANTATA WAS पावकाय च। wed wad घापि wera ofant ततः भरमये तन्तुमते Ta: पश्च चाडइतीः | सौविष्टक्षतमारभ्य Wats समापयेत्‌ अरनडान्‌ दक्षिणा देया ब्राद्मणयाहिताभ्ने। नासिकयेन विष्टान्निबोरचान््रायशत्रतः प्रनेनेवामिमादध्याशिरोत्ङृष्टग्तरेव इति भयं पुनराधानध्रकार भरा्लायनादोनाम्‌। wast तु खख- शासोहलोऽतुसंन्धेयः। प्रनयगौरवमीत्या नाच प्रददति | भ्र वहकालाणयये कार्थं प्रायिसमुकतं विष्ठादरे | BH मास्यं teats yrs merge fare ep RH स्यात्‌ पराकम्तत परि पयोमासमष्दाचचिमासम | नास्ति तश्रमादे लसुनियमशतं† प्राक्िराबाह्मरं चैत्‌ फुाधेकोपवासं faferquatfinteyiaey

मक ee [नि का ee पी गी यभ. कोषय

* मनो व्योतितुषतामान्यव्व हस्यनिदन्नमिनं ठनोतु |

अरिष्टं यन्तं समिम दधातु विषे Sarg oy मादयनाम।५ प्रतिष्ठ | CoH. २१, यशः)

पनन्त दिला सदा वमवः wat YATE Tye a: |

एतेन लं तनं ate ae: सनु धत्रमागं्य WAN १२१. ४४न. यजुः। प्रषायामग्रतमि्धैः |

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रन्‌ वद्धः यरद उपरि Megara sf. 7 हि केहादण [ह तिदिनमुपवसेद्ठादशाडृन्तु मासे ; waresy ave तदपि भवति समायन चाष्दयुम्मे Wey AHAB: खलु भवति धनो are दद्याहिजाय

न्ञोकषयस्यायमथंः नासिद्यादम्ित्माग पासश्यपथन्तं WE: मास्ये पृण मासचतुषटयपथन्तम्रतिह्ञश्छरः। मासचतुषटये पथे षरासपयन्तं पराकः तदृहमब्दपथन्तं मासं प्यव्रतम्‌ | we पूणं ्रमासिकं aati प्रमादादन्नित्यागे तु जिराभ्रात्‌ प्राक्‌ प्राणायामशतम्‌। तदू विंशतिदिनपयन्त- भेकसुपवासं चरेत्‌ age मासदयपयन्तं भिरा ब्मुपवसेत्‌। तदू wade प्राजापत्यम्‌ तदृ यथान्धायमूश्चमिति। भाल- स्यादग्नित्याग (तु) वादशाश्पगन्तं निदिगसुपवरशेत्‌। et- देशा We मासपय्यन्तं हादशाहइम्‌। मारे ge weasel मासमुपवसेत्‌, पयोमथणं बा gay भव्दादृदं हिवषप्थन्तं चान्द्रायणम्‌ तदू Tread चाद्रायशं सोमायनद्च age तप्तक्च्छः धनिनो गोदानं चेति

मनुरपि | भमििहोश्रापविधयामि ब्राह्मणः कामकारतः चान्द्रायणं Beard वोरत््रासमं हि तत्‌

ज. afufsers अग्रोनिन्याकरे पाठः। अच्‌ बहुवचवनिदंशान्‌. रक्प्ियणि कलना

कापया एति मेधातिधिः। + TG GWU इत्था इननं ततष्देतत्‌ ।. तथाच गतिः Tew वा एष देवानां

बोऽप्रिह्ुहासयते। इति aye:

११९ विधानपारिजावै

मासमपविध्येत्यन्बयः। भगिहो्रापविष्या$मिं मासादृहन्तु कामतः | we wares कु्ादेवाविचारयन्‌ इति यत्तु WITTY भमिहितम्‌ | प्राशायामश्तमाहादथरा्रा†'द्पवासः स्यादाषिंशति- राभात्‌ भत जष्ंमाष्टिराज्रात्तिस्ती राभरोरपवेत्‌ | भत OY वरात्‌ प्राजापत्यं चरेत्‌ भरत AY काशवहुते दोष- गुरखमिति | एतत्‌ प्रमादादम्नित्यागविषयम्‌। नास्िक्षादन्नितयागे ठु व्याघ्रपाद श्राह | योऽन्नं त्जति नासिकयात्‌ प्राजापत्यं atic: | WEY पुनराधानं दानमन्धत्तधेव इति विगेषसमृतैरतर प्राजापत्यस्योपलश्षणताच्यागकालस्व लाघव. गौरवायुसारेष ब्रतान्तराणुहनोयानोति | दूति प्रायशिन्तप्रकरणम्‌ |

भथ सालोपाकविधानम्‌

) विवाहानन्तरं मलमरासादिप्राप्षावपि प्रारश्मषोय- मिति हैमाद्विमाधवौ + ay पादयि चाग्रयणमित्यादिनिपिध- वचनं तत्‌ काम्यपिषयम्‌

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१२०१ विधानपारिजाते

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१२४ विधानपारिजाते

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१२८ पिधानधारिजतें

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यदि गौणोऽप्यतिक्रान्सदा लोपः प्रजायते |

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तोवप्रभतोनान्तु पवयैशमतिपातमे |

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दद पूमास लुप्येत इयमेव वा |

एकस्मिन्‌ कच्छरपादेन LAA शोधनम्‌

दूत्यतिपत्रयागविधानम्‌ |

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छातिस्रे। धनायथै व्रजा यदि तीर्यमवाष्यात्‌ यालोनो लभते are तदध waa | TCT प्रवासः स्यात्र तु पत्या; aera | प्रवसब्रनलं पश्ादुपविश्चोपतिषत। प्व्छामोति सल ततो urate’ WRT: Tee wha

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११ विधानधारिजाते

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११४ विधानयारिजातै

श्योतिःसागरेऽपि। drurfeafgarey यावत्तिष्ठति ware: | तावच्छक्री भवेदन्धः VHS गमनं शभम्‌ | नारदः भरभ्योहाहदिवसात्‌ षष वाप्यधवाऽटमे# बधूप्रवेधः सम्प EMA समे दिने I षषे वियोगामयदुःखदः स्यादिति निषिधलु सति aut xem: समदिनमपि षोड श्रदिनादवीगद्रष्टव्यम्‌ | बधुप्रवेशो युग्मायां ferent षोहशवासरात्‌ | दति संग्रहः एवं मासवरषेषवपि द्रष्टव्यम्‌ ` तथा मासे वषे तत उदं TTT | दूति ata areata: | We AMATATATE वमति; | कुलोरकन्धका्घगमे feat विेद्खछहम्‌ | ग्रामं वा नगरं वापि प्नं वा नराधिपः शति भमनसमये ककषश्यवियषसु खखसूभतोऽवगन्तव्यः | ` सामान्धसु . | antag निवाशेषु ay पश्यन्ति ये जमा |

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SAT: स्तबकः | १११५

सृमङ्लोरियं वधूरिमामित्यादुं+ जपेत्‌ CATA AR वेश्म बधूमानाय्य तां दरः तया सष WHEN प्राश्न खः खितः | प्रदोपपूर्णकुम्धादिपाणिभिवैनिताजनेः सत्क्तताभ्युहमस्तज्र खयानादवरश्च | - प्रद्तिणप्रक्रमणमनुभूय चषशान्तरम्‌ ततस्ता पूत्यैवत्ाणौ परिग्छद्म बधु वरः प्रवेशयेद्ग्टहंग्टइमित्यादयुचग' हुवजरिति i खे वार्तव्यमाह कारिकाकारः। विधाय पू खडदेवताशीं सग्मङ्गलालङ्कतदेशगेशः | तखने्मङ्कलगोतपूश- कुम्भरविंथेदिप्रवधूसमेतः खस्तिवाचनपुरः सरं ततो विप्रसङ्मभिपूज्य शक्तितः | बन्धुनिः विधाय भोजनं संविथेदभिमताङ्कनासखः ~ श्रोपतिरपि |

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` @ सुमङ्गलीरियं eufcat समेत qa | | सौभाग्यमन्ं दखावावालं वि परेतन १०. ८४१. ११अब्‌। + ष्टर्ग्टहमडहना यल्वच्छा दिषिदिषे अधि नामा दधाना | सिषाखनतो सोता शत्रदानादगव्रसगरतिश्रजते Tee म. URN, URE

ery विधानपारिजाते'

विवाहमारभ्य बधुप्रवेो yra तिधौ षोडशवासरान्तात्‌ |: ACERTAY पच्चमान्ता- ततः परस्तावियमो STAT warfy वियेषमाह नारदः | समे वर्षे समे मासि यदि नारो टं विपत्‌ भ्ायुषयं हरत पत्युः सा नारौ खतिमा्यात्‌

अध AMARA: |

प्रयोगपारिजाते |

विवाहा्तुधदिवसे ut वा संक्रमव्यतीपातादिवस्ितै ATS पन्या सह MAAK AAT वरः प्राणानायम्य ` नागब सवं शरिये एति aval अश्र ष्छहमष्ये समभूमौ मानससरोवर- न्माणाधमषटौ रेखाः (प्रसव्य) सध्ये तियगृहच्च तण्लपिषटा- दिभिः दमालिख्य एकोनपश्वाश्लीष्ठानि ङुग्यौत्‌। त्य चतु शोेषु प्रे कमषटरेखा; प्रसन्य मध्ये ` चयोदशग्डहान्‌ TANT एष- मवचिष्टहादगद्होपेतमषटकोणानितं चतु्शारोपशोमितं चतुः राख मानससरः BAT TANT षदकोणमण्डलं Tafa तग rated रचयिता ara wernt सकर्णिकं रचयिता rafter: सिताशतेभित्तिं रचयित्वा तत्र ब्राद्मयादिसप्तमाठकाः camera maces सिताचतेरेसशकपद्मारोन्‌. सम्बग्रच-

इतौयः VA १३७

यित्वा सरसोवहिः Gena रक्ञाकचतब्द्मायं पिमभागे पोताचतेः wet वहिःकोणाग्रभागीषु पोतदट(दु)युक्षवहनोनेऋत्यां श्ेततसु- रेन वायव्यभागी wate चान्धोन्धाभिसुणौ प्राकंपाटौ इस्तिनो रचयित्वा fafact कपूरमिश्रजलपूरितं घटं क्िंकामध्ये संखाप्य सरसो asennad गुडजोरकफलगन्धपुष्यसंयुक्ञां सोपलां दृषदं tena खयं पिमभाग सभाथः सोत्तर च्छदभद्रपोठासनखः सङ्कल्पपूर्वकं AUT ब्रह्म जन्नानमिति#% AAT ब्रद्माणमा- AM रद्रम तेण शङ्करं Vary कुरे दाच्चायणोमावाषयेत्‌ | तत्र मन्त्राः | | श्रावाहयेखष्टारेवों सब्यैसम्पग्रदायिनीम्‌ वरपाशाङ्कशयुतां तधा चाभय(शालिनोम्‌)दायिनेोम्‌ रतकैयुरकटकमुक्कटादेरलंङ्घताम्‌ | विदित्रवसनोपैतां सन्बलक्षणलक्षिताम्‌ विलासिनोसहस्रौघेः शेव्यमानामहनि शम्‌ | देवासुरेरपि सदा वन्धमानपदाम्बुजाम्‌ भरणिमादिगुणोपेतामषटेथप्रदायिनोम्‌ | स्व॑रूपां देवं ध्याला FA wary पद्मस्य प्रागादिसप्तदसेषु यथाक्रमं ATT मारेषरौं कौमा वेशवौं वाराहोमिन्द्राशीं चामुष्ामिति सप्त मातः तिकोणमण्डलागेषु qaifey firey दिक्च यथाक्रमं महादेवीं कालीं शान्तिकरीं षद्कोणमण्डलामर व्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरलादिसौयतः geut वैन भावः|

स॒ बुध्या उपमा भख विष्ठाः Tay योनिमस्तश रिवः १११. इम. युः | 18

११८ विधा्नपारिजिातै

ब्रह्माणं सावि्ीं द्षिणमभागी शक्रम्‌ उमां पदिमभागे weit नारायणम्‌ उत्तरभागे इन्र शचीं Tare तकण्डलाहदहिः पूर्व्वा aefeg कपालिने भोषणं चण्डं Te क्रोधम्‌ उन्मत्तम्‌ भसिता्ग रंहारमित्यषट मैरवानावाश्र तथैव शरावतं ARETE पुण्डरोकं वामनं पुष्यदनतं साव्येमौमं सुप्रतोकम्‌ weay tare दिमजाना- वाह तथेव इ्द्रादिलोकपालांशावांश् सरसो मधये भ्र्रसः सोमं पावकञ्च देव्यभिसुखानावाद्च हिरश्यगभादिपाषकान्तटेवताभ्य- सतततव्राममन्ेरासनादिपु्यसमर्पणान्तोपचारान्‌ (ला) THT एष्ममालादयलष्कतां दुरिकां कु समोपे निधाय |

हुरिक तलं महादेवि सम्भदेवाभिपूजि(ते)ता |

भतस्वां पूजयिथामि सब्पैसम्यग्रदा भव Via समा तस्या भ्रासनादिषुष्यान्तोपचारान्‌ दश्वा पूलैरचित- इस्ि्यमपि संपूज्य भावाहिताभ्यः सन्धदेवताभ्यो धुपदोपनमै- दादि समग्यं हस्तिनोरपि च्प्ारं दक्वा सरोवरख समन्तात्‌ दोपमालां दद्यात्‌ | / , ततः कन्यापिता बधूवरयोव॑स्नादि दद्यात्‌। ततो वरो वध्वा सह सत्यनोसितेति+ UR शरुत्वा ततृसूक्ञपाटकाय बधु परिदितवस्रहयं दापयेत्‌ ततः कन्यामाता भूषणाद्यलङ्कता सतो भर्रापूपपूसितं पाज्रान्तरेणापिदहितं कस्यिमाजनम्‌ अन्ध वासिना ` मून प्रारोपितं दोपसडितं ला तदुपरि aq) fen

9 सतेगोषभिता Ge,

शतेन दिव्यातिष्टसि दिषि सोम] भि far: RoW CLG. CRT

mee: सककः ११९

yerrate धारयिता oferta सरोवरं nfs भा सश aa प्रदत्तिणोकषत्य aieard ger पुरतो निधाय पाश्रखमजं किचित्‌ qa fafera पुनः किषिदबरं aire fry fafede |

ततो वरमाता बधुमातरं CETTE: संपूजयेत्‌ | ततो बधू- वरी सरं खं afar अन्प्रोन्धाभिमुखौ भूत्वा भा तून इन्द्रेति Mega Wes चा(ख)शयित्वा इस्तिषिनिमयं ङुर्या- वाम्‌ ततोःवरः खासमे उपविश्य aM वरं द्वा wary RU खसतिवाचनं Rat शरेण दोयमानदाकोदासपयष्कादि- युक्तो! माङ्लवटोपमन््ाश्षतान्‌ बडविधानि भाशोव्यैचनानि aaa बन्धुभिः सह aap: समाथः कतदेवपूनः खं gate काले विवाहाश्निपुरःसरं प्रविथेत्‌ |

ware क्रमः | yrs इत्यसय सथः (at) सावित्रो freq नेन" वधु गजादियानमारोष्य पथि शा चैद्रोदिति तदा जोवं दन्तीति मन्व जपन्‌ सुमह्लोषूक्षपाठकोबरौद्मणेः सुवासिनोभि- टमङ्लसंन्रकोदपणपू्कल-वन्धा-युष्याचत-दोपमालाध्वजलाजे-

EN TATOO SO 19

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9 पात्‌ नड उवहक्रताकम्मागहि। 7 महान्‌ महोभिदतिभिः॥ UN CUA. बलु; पृषते महत्ते विश्रदेवाब वायव | SIG गायकवैपसे STAT HTT १म. १४२्‌. CTL THRE {old रुदति वि मयं ते wat दोर्ामलु परसितिं दौधिवुनरः | दामं faa a ve GAIT मथः पतिभ्यो लनयः परिख १०. 80%, LOWY

१४० विधानपारिजात

सङ्ृलतूधनारेड सह तशवेतच्छभः STATE गला सृवासि- नभिः कतमोराजनविषिः बधूपाणिं afta we fre प्रजया ते सरध्यतामिति AAT एमि GRA SY प्रविष्य ततर पु खां

वाचयिला शमे सुहन्तं तासुपगच्छेत्‌। . दूति ओोमद्रनन्तमह्टविरवचित विधानपारिजातनिबन्धे

संस्कारकाण्डे नागबलिग्छप्रवै विधानम्‌ अध स्तन्च(उ्ब)वलिविधानमुख्यते |

तश्र शोनक: | भौनकोऽदं प्रव्यामि स्तम्मवल्याख्यमुत्तवम्‌ | पश्चगेऽइनि कुर्व्वीत भरभ्यद्गखानपूव्येकम्‌ ब्राह्मरोबसुभिः सार FATS वाचयेत्ततः gaquad qu वसन्तोद कपूरिते वसन्तं पूजयेत्तत्र ध्यानाषाहनकादिभिः कनकारुणभासुरं प्रसन्न SAAR प्रदनस्य साषटचगम्‌ दिभुजं तपल्वप्रसुनं भजतामिषटदम्चयेदसन्तम्‌

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# दृ प्रिय प्रलया ते समृष्यतामखिन्‌ रहे गाहपल्याय जारि एना प्या तन्वं Gar जित्रौ विदध मा sere I १०. ८५. ROWRE

SAT: स्तवकः | १४१

aaa विनिषेदोवं बलिश्वेव समर्पयेत्‌ |

स्तममेषव्रवलिं दथात्रानाभश्यान्नविस्सरेः

दूयं संपूज्य विधिना अभिषेकश्च कारयेत्‌

पू्ैङुम्धेऽथ संखाप्य भङ्करोयकमु्षमम्‌ |

कौतुकं रचयेन्त त्र दम्पतिभ्यां AAA: |

वेदोतेविंविधर्मन्तेरभिषेकं समाचरेत्‌

वसन्तादौ सम्माय दिङागान्‌ दिकूपतोनपि

ब्राद्मणेबन्युभिः सादैमभिषिश्ेश्च तलम्‌ |

ततः सम्भबलिं Tar ब्राद्मेभ्यो निषैदयेत्‌

दक्षिणाश्च यधागश(कधा)क्नि दश्वा Wale तेः सड

val स्तश्च(म्व)वलिङ्घला सर्व्वान्‌ कामानवाष्रुयात्‌ इति

TAA प्रयोगः प्रसतुयते। वरो बध्वा सह पश्चमे दिवसे ayaa कछला देशकालौ aE भ्रायुरारोग्यादिसम्बकामा- वातिहारा ओोपरमेश्वरमोत्यये सम्भव्य सवाख्यं Hay करिष्य दति ayer बन्धुभितब्रोद्मणेच सद खस्तिवाचनं wet पूत्मैदिवश समितं कुं पालाश्पुष्यसृवणोदिमिभ्रितवसन्तोदकेन पूरयिला" तत्कु कनकारणभासुरं प्रसब्रमिति wane वसन्तं ध्याला उपचारेरभ्य्यं नानाविधभश्याब्रेः BUY बलिं दद्यात्‌ | ततो ब्राह्मणाः कुम सृवशोङ्कलोयं Fahey त्र carat wa-

कौतुकौ सू्ोचिततस्लेन भ्रवलिङ्कममग्बेरभिषिश्ेषुः। ततो वरो बसन्तादोन्‌ षदुतून्‌ दिम्गजान्‌ इद्रादिलोकपालांख प्रणवादि.

® TRIS उक्तेन

९४३ विधानपारिजातै

चतुष्पनलनमोऽनामभिः पूज पूवकं समाये ब्राद्मरवुभि सष तसललमभिषिश्च समस्तम्भवलिं ब्राह्मणेभ्यो द्वा यथाशक्नि दच्चि- शाश्च THT बन्धुभिः सह YA बति ्रीमदनन्तभहविरचिते विधानपारिजाताख्ये निबन्धे संसकरारकाण्डे सश्वलिविधानं समाप्तम्‌ |

भथ देवकोल्यापनम्‌ |

A नारदः। समै feat कुर्म्ाध्वकोलापनं बुधः | wey विषमं te सुक्षा cedar uty षष्ठं विषमेषु पञ्चमसपतमातिरिङ्गं नाचेष्टमित्यर्धः। दिनसंष्या च्योतिनिबन्पे | परविहादिनमारम्य याव्‌ षोटश वातरराः | देवकोथापनं RNAS at टश Vue thew दिनानि व्रते on दिनानि काल car: | भद ACU: | कणं मोचयाम्यद्य TI कदाचन | मयि cat विधाया रेव लं गच्छ nec शति, तधा aware: | mit विवार यातायां सामे रेशविहे | नगरग्रामदाहे खषा Tue

दैतोयः सवकः १४९१

वैयोतिषे | | ard aie frafeerara प्रताजुयानं कलशप्रदानम्‌ | RIVIERA | विवजणयेकङ्गलतोऽव्दभेकम्‌ #िलमियकन तिलतपणं ATA , तथाच सङ्गह | विवाहव्रतषुष्ास वर्षम तद्ैकम्‌ पिदानं खटा खानं ङ्यासिलतपेषम्‌ संसारेषु तदन्येषु मासं मासारैमेव इति एतदपि दशसंक्राग्यादिश्रादपरम्‌ | महालये गयाज्रादे" मातापित्रोमतैऽइनि | TA कस्यापि Aas aware तथा | क्तोदहाहोऽपि कव्वौत पिष्डनिवपणं सदा इति हेमाद्रौ fate: | waren fatto: पश्चमस्तवके द्रष्टव्यः | एवं ब्राह्मविधानेन ज्ञतकन्यादानख्य पितुः ware सुद्धि, निषधोऽभिहितः | लाक दिषाहादी wanes च। WAMU नेव नेष HASTA

` ति ` नि ५५।

लौठभाष्डादि याज्यं गतमानं तथा

HY विवाहात्‌ Fw तथाच व्रतबन्धनात्‌ |

आत्गो सुख्छनं नेव वैष वर्षमेव इति न्धोतिश्रदौपः। गयग्रादंपदं Bahasa |

१४४ विधानपारिजातै

अपराकं Ae) gee | विशं जामातरं मन्ये तस कोपं कारयेत्‌

शरप्रजायान्तु कन्यायां ATRL वे डरे aMeat वे कन्यां SAMRAT कदाचन भ्य YA मोहात्‌ SAT नरके वसेत्‌ इति मदनरत्रेऽपि। IAAT कन्यायां YS कदाचन | दौहि्रश्य मुखं दृष्टा किम्थमतुशोचति इति। शरप्रजायामिति वियेषणात्‌ प्रजोत्मच्यनन्तरं yal दोष इति गम्यते | वधूविषये ज्योतिनिवन्धे गगेः उदाहाग्रथमे शचौ यदि ARTS कन्धका इन्यात्तलननों wa निजतन्‌ं ज्येष्ठे पतिच्येष्ठकम्‌ | पोषे agi पतिश्च मलिने चे खपित्रालये तिष्ठन्तो पितरं निहन्ति भयं तेषामभावे भवैत्‌ इति | ये चयमासे मलिने मलमासे wa हितोयागमनै विग्रेषस्तशरेव | माघफालानवशाखे Wes एमे दिम | Talfeafager स्थाचरित्यं प(ब्रो)रन्ा हिरागमः बादरावशः | नोहारांएदिनोत्तरादितिगुरब्रह्मातुराधाण्िनी- शक्रे भारवागुविष्युवरणतवाे प्रसते fA ¦

ठेतोयः Bree: १४५

कम्भाजालिगते रवौ शुभकरे प्राप्तोदये anna देवेज्येनविदां दिने नवबधुवेशमप्रवेणः एभः | Raat गुरः। इनः सूथः विदृबुधः wa भधानं विधोयते ,. तञ ज्रौतमाष्ठलायनादोनां arte पाणिग्रहशेनेव fav. लात्‌। काल्यायनम(व्रोतिनान्तु उभयसपि भावसथ्याधानं टार- काले दायाद्यकाल एकेषामिति काल्यायनसुबात्‌ दारकाल- अतु तरकाल इति तदष्याश्च तन्नापि दारकालोऽ्राढठकखय भ्नाढठमतो दायादयकालब्यवखा | तच व्यासः अग्निविवाहिको येन zeta: प्रमादिना | पित्चुपरते तैन aera: प्रयब्रतः | योऽ्छष्टोत्वा faarerfer wew इति मन्यत | wa तस्य भोक्षव्यं हवापाको हि स्मृतः wa विरषमाह गग; | पिढपाकोपज्ोवो षा ादपाकोपजोषिकः। त्रानाध्ययननिष्ठो वा दुष्यताग्निना विना॥ पितरि ज्येष्ठभ्रातरि वा साम्नो तद्पजवो श्रानादिनिष्टो =

es ता eee Oe On ewe eee

nett

@ दायादकालो चनविनागेकषालः | 19

TT विधानपारिजतै

प्रायित्तौ भवतोः इदमाधानं च्यषेःहताधागे कनिष्ठेन ral वचनं तृक प्राक्‌ | WITH उशनाः , पिता पितामहो यख्य wast वापि कस्यचित्‌। तपोऽम्निोषमंनषु दोषः परिदधे | पितुरान्रायामप्यदोषमाह सुमन्तुः | पिशा यस्य तु जाधाबं कथं gery कारयेत्‌ भरनिहोरेऽधिकारोऽस्ि pe वचनं यधा इति नाधानं नाधानं wafer: | तलालमाह भाषखलायनः | wear daar छत्तिकासु Cire anfirefa फलानोष विशाखयोरुत्तरयोः प्रोष्टपदयोरतैषां «= afaifacaay पव्वैरि ब्राह्मण भ्रादधोत गरोवर्षाशरत्सु शचियैश्योप- कष्टाः यिन्‌ कलिंबिहतावादधोत सोभेन यश्यमाणो ` नशु wea areata | कालादर्थेऽपि | भग्र दप्रोशमासावप्यु्रायशे उपक्रम्य यथाकालमुपासोरन्‌ दिजातथः सोम पशवश्च सरग्वी विक्लतीरपि | सौम्यायने यथाकालं पिदधयुगेहमेधिनः॥ इति ¢ waetaata रणवारादः। dana “euanternniny अदो छतु यत्वे शद पएनमेदधादपौत दवायरिरिति बोधायनोकतेः।

SANT: BEM: १४७

Be विवाहाभिधसंसारसत्पुष्यं समजायत ,

¢ भरतेन प्रोयतां देवो रमालालितपादुकः |

+ - उपमानं यस्लार्बनन्तो यो देकालतः |

pe ग्रौमत्परमषदि

इति कश्रोनागदैवभहालजेन TAMER विरचित विधानपारिजाताख्ये निबन्धे ठतोयसवकषे

विवाहविधामं माप्तम्‌ |

वैदधासनिधिं वन्दे पिृब्रागेधसंत्रितान्‌ + THAT AR TANS HATTA # भ्रनन्तमहनामाहं काखशाखो Wat |e |

wifsa खनिबन्धेऽखित्‌ daria यधामति।

यख्य सरणमातेण HH सब्धूशतामियात्‌ |

& ते प्रणम्य महाविषुमाह्िकं कथये्वना

द: तभ are सुत्तं Stara चिन्धयेदाममो हितमिति वचना- हित)चिन्सबं विधातव्यम्‌ अचर ब्राह्मो सुहत सूर्योदयात्‌

+ ee,

peeve मुहः | | नाहिकाः षट्‌ पश्चाशग्रातसख्छेकाधिकोऽदणः | 3 STATA TUTTE: सूर्योदयः खतः +

१४ विधगिपाररिभावे

बति wate: cig परमे atte सुहत ane उष्यते इति wat वा Ure: | तत्रो्याय भामचिन्तनं कायम्‌ तथाच FATA |, ae awe Sara whey चिन्तयेत्‌ | कायक तदे ध्यायोत ATH इति विष्णुरपि उयायौलाय eet महइयसुपखितम्‌ मरणव्याधिशोकानां किमद्य निपतिष्यति दत्यानिष्टं अरब्रष्टदैवतां खरेत्‌ | तत्र व्यासः प्रातः aif भवभोतिमहा्तिशान्द् नारायणं गरुड्वाहनमलनाभम्‌ | ग्ाहाभिभूतवरवारणमुक्निहैतं चक्रायुधं तरुणवारिजपत्रनेचम्‌ परातनेमामि मनसा वचसा मृदा पादारविन्दयुगलं परमस्य पंसः। नारायरस्य.नरकारंवतारणस्य

पाणयणप्रवणविप्रपरायणस्य

e = a Oe es

शी ज्मा 9 पिमे वामे शेवारे | तथाच निण्यामृते सुनुः

Ty पिमे यामे षतो यम्दतीयकषः |

UME ऽति frre बिहः सत्रगोधने

wate, स्तवकः १४९.

प्रातभंजामि मजताममयङ्करं तम्‌ प्राक्‌ सब्यैजग्मक्ञतपापभयापत्ये | यो ग्राहवक्षपतिताङ्किगजन्ृवोरः- | WATT TARGA GAM:

श्लोकश्रयमिदं YR प्रातः प्रातः USAT. लोक्रयगुरसस्म दश्यादामपदं इरिः +

UTA |

ब्रह्मा मुरारिख्िषुरान्तकारो भातुः शशो भूमितो Fae गुरु शक्रः शनिराइके(तू)तवः Fay Tal मम सुप्रभातम्‌ गुरुव॑शिषठः करतुरदह्िरा्च

मनुः YAMA: FAS: सगौतमः रेभ्यो मरोचिशमवगच SH: FAY सब्बे मम सुप्रभातम्‌ | सनत्कुमारश्च सनन्दश्च सनातनोऽप्यामुरिपि{क्कष्यली | सप्तखराः सप्ररसातलानि Fay सर्वे मम सुप्रभातम्‌ AACA: TARATTATS सप्तषयो होपवरा् सपन भूरादिक्नला वदनानि wy

१५०

विधानपारिजाते

FAY GA मम सुप्रभातम्‌ tt

VA सगन्धा सरसास्तथापः

ait वायुख्वंलितश्च तजः |

नमः TUS महता सैव

ay Ta मम सुप्रभातम्‌

शं प्रभाते परमं पवित्र

पठेत्‌ ख्रे(हा) खः Ware (तदत्‌) तख

दुःखप्रना श(स्िड)खिरसुप्रभातं

way नित्यं भगवप्रसादात्‌ महाभारतमाख्यानं चितिं गाञ्च सरखतोम्‌ | ब्राह्मणान्‌ कैशवश्चव को्लयब्रावसोदति | व्यासं विभोषणं भोर यम्रं रामं दमं (गलम्‌) बलिम्‌ | IH (Te) संसमरे(तरितय) सु दुःख (प प्रसस् नति Mata नलो राजा पुण्यन्नोको युधिष्ठिरः | प्यघ्नोका वेदेह पुश्यक्षोको जनान

-वार्वाटिकस्य ATA SATA मलस्य |

WITT राज्य; Alea कलिनाशनम्‌ भ्याम वलिब्यांसो wate विभोषणः |

WU: परशरामख सप्तत चिरजोविनः |

सषेतान्‌ data माकण्डेयमधाष्टमम्‌ |

भह ्रौपदो (सोता) कुन्तो तारा मन्दोदरी तथा | परेताः UH teal Aegan बाध्यते |

aaa, स्तवकः | १५१

त्यादि afsat भूमिं प्राधयेत्‌ TT मन््ः समुद्रवसने देवि पव्यैतस्तनमख्डितै | विष्णुपत्नि wage पादस्थं wee भे इति |

अथ मूषपुरोषोखगेः

Ry पाराशरः | ततः प्रातः समुयाय ङुव्यदिरमु बमेव मेकां दिभोषुरैपश्मतोत्याभ्यधिकं भुवः अन्तर्धाय ठरेभमिं गिरः प्राहत्य वाससा | ara नियम्य यत्नेन होवनोच्छासवजितः AMAT AAA इारोतनाप्युक्घम्‌ Set qua चैव प्रसा दन्तधावने | भोजमक्षाले घटम मौनं समाचरेत्‌ इति हे | BAT यन्नोपवोतन्तु WSs: कण्ठलम्बितम्‌†

9 Wedd तदि्ेपयं) ग्व, तहं एपरिमा वमाह पिवामः मध्यमेन तु चापेन facta भरचयम्‌। SAS NA सादं कलवा fase: इति + पृष्ठतः We, एहलन्वितष्ठाच निवोतदप पद्म्‌ भा पृहदेयावलनय TUNA भिमलपरिभिष्टवषनात्‌ qe निधाय संवौतमिति सगुवचनाद।

१५२ विधानपारिजाप

विरमू्मु खर क्यात्‌ कणखः प्रधमायमो fama तु णो कुादृयदा we समाहितः इति दिशोऽपि कणनिधानवचनभेकवस्विषयम्‌ | aga शाङ्कायनग्दच यदयेकवस्ो यश्नोपवोतं कणे wear भवगुखटितो+ मूष एुरोषो सगे कुखदिति कर्णोऽ्र दच्चिणः | पवित्रं fad कर ner विरम बमुल्डजेदिति शारोतोक्तः | मनुः | qiarcagat fear gatgeqa: | दत्तिणाभिसुखो रात्रौ सव्यो यधा fear शति। यदपि मनुनव | दायायामन्कारे वा राज्रावहनि वा दिजः | यथासुखमुखः कग्यो्राणएवाधभयेषु sea तदपि रात्रावहनि वा नोहाराद्यन्धकारजनितदिष्ष् ` विष्णं नेयम्‌ WF: | मू परोषं नो कुर्यात्‌ सोपानत्क; are | TET सकले दुर्ाग्रस्नावे Aes दिजः तथा

नमा [कक

वगु ष्ठितः जतश्चिरोरव गणम, ,

दतोयः सवकः। १५३

तनौ रौप्यसंयुकां बरह्मग्निबुतां चिखाम्‌

मोजने मयने मूग yey aT एष्यति इति सहे | WA वज्यटेशानाह AT: |

qa पथि कुर्व्वीत भसति गोत्रज

फालष्ष्टे जले चित्यां पव्येव

जोणदेवायतने TMT शादले

aay way गच्छत्रापि खितः |

नदोतोरमासाद्य TATA , वायुजिविप्रमादित्यमपः पण्यं स्व गाम्‌ कदाचन geile विसभुश्र्य fraeray इति werrat faite: सत्यन्तरे | ६; दशषस्तं परित्यज्य मूतं कु्याखलाशये | शतदस्तं gery ate नद्यां ape इति ततोऽपक्षय feed कालोदृटलादिना | रिसटगदलिङ्गो गटहोतभिश्रसोत्तिषठेत्‌+ |

दति विरमुज्रोकगविधानम्‌

te

= @ saearar उति दं बितमेडनः इत्य्िकतच्च पाठः |

१५४ प्रिधानपारिजाते

भध शौचम्‌

तत्र दत्तः)

We यत्र: सदा काथः शौचमूलो दिजोत्तमः।

शौचाषारविहेनष्य मस्ता निष्फलाः क्रियाः

देवलः | |

wafacfad इस्तमधः Me योजयेत्‌ |

तथेव वामहस्तेन ATASE शोधयेत्‌ am देवतागडघरक्षोकमूषकोलरादि(वलितां) अङ्गिं खदसुदतो- दकं ` चादाय वागूयत seat दिवा शौचं gat wat चेह- चिणमुखः तदप्ुदपाव्रं मलमूबोसन्ननसमये हस्ते धायम्‌ |

यदाह गौतमः

क्ररखोदकपाच्रसु विस्मृत कुरते यदि |

THA PTE सुरापानेन तकमम्‌ इति, खकस्यादिकमाह Where: |

UST तु त्तिका लिङ्ग fre: सव्यकरे ae: |

करदये बय स्याशदरमाणमथोच्यते

भरामलकमात्रा मूत्रशौचे तु सृत्तिका |

Wary दिगुशौशा शकते Aut विगुणा waz |

लिङ्थोदमिदं itt गुदभौचमधोच्त

पञ्चापाने सदः चेष्या केरे वामे ट्श स्मृताः

इस्तयोः सप दातव्याः प्रेण स~,

ठतोयः सववाः ` ६५५

क; पगरषतिमात स्वासदैन्ु ततः परम्‌ ee रादशोचमिति ww पादथौचमथो्ते। ee एकेकं पादयोदंदादसतयोलिक्थो वत्‌

{६ रतच्छोचं शानां दिलुणंबर्मवारिणाम्‌ | Rage सयाइनखानां यतोनां स्याशतुगखम्‌ afearfafed शौचं तदे निभि alfa |

कः तद्रैमातुरे प्रोक्षमातुरस्या्ैमध्वनि /,* स्नगूदरयोरवैमानं शौचं परोक्षं मनोषिभिः |

# ay

5 सोशृदादेरथनानां बालानां चोपनोतिनाम्‌ गन्धलेपच्यकरं शौचं gata deity इति

be

एः याश्चवर्क्योऽपि

खशटोतणिग्र्ोयाय afraqqase |

¢: गनलेपच्चयकरं शौदं बुग्योदतददरितः

शुष गन्धलेपक्यकरं शौचं सम्धैवणौश्रयिशां साधारणम्‌। सत्‌- de TAG RESTA इति विक्रानेषरः |

लिङ्गशीचं पुरा ara गुदधौचं ततः सृतम्‌

हति वचनातिङ्गगोचानन्तरं qoute क्त्यम्‌

गङ़गतोयेन AT स्वार नगोपमेः |

भादलोराचरन्‌ शोकं भावदुष्टो एष्वति

हति खतेमौवश्दिरप्यपेचिता |

E तथाच व्याप्रपादः |

शौचन्तु दिषिषं परोहतं वाद्रमाभ्यन्तरं तक्ष +

१११ विधागपारिजिाते

सललाम्यां खतं वाश्रं भावशदिसधान्तरम्‌ अगरोकषवंख्यानियमातिक्रमे प्रायदिसमुक्तं खतिरत्राबस्याम्‌ | गायशष्ट्तव प्राणायामत्रयं तधा प्रायबित्तमिदं ate नियमातिक्गमे सति इति कचिरिष्णुखरणगेवोक्षम्‌। भरगुदकमूत्रकरणे तु Tee स्नानं व्याहृतिहोमर्ेति प्रायशित्चहयमिति प्रयोगपारिजापे उक्तम्‌ | तत भ्राचमरनात्‌ प्राक्‌ वामभागी गरणवान्‌ चिपैत्‌। AEH मादारदोप। मूते FUT भुक्यनते tansy तथा | चतुरटहिषद्हय्टगण्डपः शुष्यते ATT पुरतः sarees द्विपे पितरस्तथा | ऋषयः TA: (सन) तसपाहामे TERT इति | दति शोचविधानम्‌ |

भरधाचपममनविधिः।

तत्र athe | WAAAY शुचौ WT उपविष्ट उदश्चुखः। राव ब्रामण तोयेन दबो निलशुपसभेत्‌

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ठतोयः स्सवकाः | १५७

कनिष्ठारेशिन्यङ्ग्टमूलान्धग्रं करस्य प्रजापतिपिढब्रह्मदेवतोधाग्धगुक्रमात्‌ मध्ये लग्नितोथे पैन प्रतिग्रहं क्त्‌ दषिणहस्तमध्य [दणस्वागेयं Atay भग्नेयेन प्रति्छ्गोयादिति वपिषठोकञेः * संहताक्लिना तोयं डोला दत्धिशेन तुः। सक्ताङ्गषटकनिषठे (तु) पेषेणाचेमनं चरेत्‌ व्रेवमितिकनतव्यता | आसने MINS SYST वोपवि्य प्रनतिखं फेनृददादि- हितमनुणसुदकं संहताङ्कलिना दक्धिणकरेणादाय श्रह्ृ्टकनि- हक gat शेषं Aft ब्राद्येश प्राजापत्येन देवैन वा तोयेन agate पिबेत्‌ पेतरेण कायव्रेदथिकाभ्याख्च पत्रेण कदाचन (ति मनृङ्ञः। ततः जिः प्राश्यापो freq मुखमेतान्युपरूगेत्‌ | (त्यादि वचनादपः पोता watt ware, भोष्ठावन्तः सहो #इताङ्ठमूलेन भलोमकेन qe fe: wae ततो हस्तौ प्रद #हताङ्ृलिमिस खं vara wel ware पादौ fircang- a वा। ततः संहताभिसिङमिरहृलोभिरास्मलोमकदेशे DET सतौ rare प्ङगष्टप्रदेशिनोभ्यां प्राणं खरा भ्ङृष्टानाभिकाभ्यां VET

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१४द बिधानपारिजाते

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सुख्थाचमनम्‌। भ्तराशङ्गौ तु निरपः पोता शस्तो प्रास्य मुखं प्रमृज्य खान्युपसयेत्‌। vast तिः det vet पराश Tala VAT

भथ पौराणाचमनम्‌ सङ्गह कैशवादिश्रिभिः deat हाभ्यां प्रकषालयैत्वरो | हाभ्यामोष्टौ संमृज्य हाभ्यासुशालेयेत्ततः तथा wae Hels ततः सष्षणादिभिः। AR SAAT AT ATA सृशेत UAATAHAPAT साक्षान्नारायणो भवेत्‌ WAHT: | भवरिः। ताख्पाव्खितेर्वापि तथा तोयाशयसितेः | कर्वोताचमनं विपरसतः खानि समालमेत्‌ | तदलाम तु Fale पाव्राधारोदकेन च# तथा | ताद्द्रोपखरेदहिप्रो यावदहामेन Nz | वामे fe हादथादित्या वरुणस्ते श्वरः ee

© पाव्धारोदकेन एति प्ाचपा्ोदक्षन्‌ एति छ-ग-पलक्षय); mat |

कतोयः WAM: | ११८

वन्ते VAST यस्मा्तस्मादामेन TBAT |

YRIaCY नाचामेबरेकपाश्थाद्ृतेरपि

तथेवात्रतहस्तेन नापरिन्रातदस्ततः

अत्रतोऽबुपनोतः।

सख्ानमाचमनं होमं भोजनं दैवताश्चनम्‌

प्रीदृपादो wala खाध्यायं पिष्टतयंणम्‌ ARAVATE हारोतः |

भआसनारुढृपादसु Hiatal) TATA RTT

छतावसक्‌थिको# यञ Wisate: Tew n षति। मरुः |

कांस्येनायसपाव्रे तुसोखकपिन्नलेः |

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श्राद्रवासा जलान्तःखः WRI वहिःखितः।

भ्राचा्मेदि परोतशेदशएचित्वमबाद्रयात्‌

पादशेषं पोतथेषं शौचयेषश्च यलललम्‌ |

aan रधिरेलुष्यं पथ्ग्िकरणं विना |

पथग्निकरणमपि सति Gus इष्टम्‌

उटकपरिमाणमाइ AMAT: |

इकर्ठतालुगाभिसु यथासंख्यं हिजातयः।

GAT Bl शूद्रश्च Tay ख्ष्टाभिरन्ततः |

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सन्ततः अन्तेन तालुना certificate | Wa शौचाचमनम्‌ | पाराशरः देव्याः पादेल्िभिः Tear भवृलिष्गेनवधा WAT | एनर्ग्याहृविगायव्रा शिरोमन््रहिधा wit शति भ्वलिङकरापोशिष्टा श्त्यादिभिखिभिः शुतिपादैः यः करोति प्रयत्नेन श्रौतमाचमनं दिजः | शरणदामापि पापिष्ठः पूतो नात्र संशयः इति प्रकारान्तरेणापि। भाषलायनः दक्षिण उपवोयोपविश्च हस्ताववनिन्य विराचामेत्‌। fir: परिखज्य सललदुपर्श्य facagat नासिके ओभे इदय- मालम्बा सव्यं पाणिपादं प्रोत्तति। यच्छिरषश्ुषो नासिक Wa ददयमालभते तेन रधरववाङ्किरसोब्राद्मणा(न)निति- हासान्‌ पुराणानि माधा नारा्सो; प्रीणातीति | WATS ब्रह्मयन्ने शोभे देवार्चने तथा | - च्रौतभेतदिजः कामिति बौधायनोऽ्रवोत्‌ पौराणमथवा साततं योतमादमनं तथा | aay कुर्व्वीत यथेष्टं वा विधीयते अथाचमननिमित्तानि। तवर ere: | १" eects ects

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WAT: स्तवकः १६१

स्तोशूद्रोच्छिष्टामिभाषशे मूवपुरौषोसर्गद्ने देवतामभि- गन्तुकाम भ्रावामेत्‌। यमः ¦ वि उन्तोर्योदकमाचाभेदवतोय तथेव इति awata: | : रधोवायुसमुगें WAS ATTA ATM CACHAN प्रहाकेऽदतभाषणे | निमित्तेष्वेषु way a कुव्वैतुपस्शेत्‌ इति ःप "न्योऽपि विप्रो विप्रेण dee oferta कटाचन। , भ्राचम्येव तु शदः खादापस्तम्बोऽत्रवोुनिः मनुरपि | उच्छिष्टेन संसृष्टो द्रव्यहस्तः कथञ्चन | अनिधायेव तद्रव्यमाचान्तः शचितामियात्‌ पभ्ाचामेश्व्वेे नित्यं Ya: aT IAT wet विलोम(शौ)कौ wer वासो विपरिधाय sft भथ हिराचमननिमिन्षानि। तत्र यान्नवरकयः | BAT HAT रुते सुपे Yar रण्योपसपषे आचान्तः पुनराचामेद्वासो विपरिधाय भआचारदोपिऽपि यमः 21

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प्रजने वने HR उथचारेऽध प्र्िपरहे सस्याज्रयाग्बपागेष yet पशाहिराधमित्‌ # scant war दचचिणं कणे सेत्‌ | तदाह वसतिः | निमित्ते (व) way दक्षिणं वणं सेत्‌ प्राित्या वसो रद्रा वायुरमनिश्च धर्मराट्‌) विप्रस्य दक्षिणे के नित्यं तिष्ठन्ति वं यतः+ सव्र STATE पराशरः | प्रभासादोनि तोयानि mere: सरितस्षरथा | विप्रस zfat कणे वसन्तोति मनोमेतम्‌ इति , प्राचम्रनोसङ्कात्‌ सपविश्राचमने विषः कष्यते WAG: | सपवित्रेण waa कुव्यादाघमनक्रियाम्‌ 1 नोट तत्पविषरम्तु सुक्गोच्छिषटन्तु वसयेत्‌ | सपविष्रतं दिश्य faq सव्ये तु भिप्रयतिक्शा धार्याः | ere कैल्यायनः\ | सव्ये पाणो कुशान्‌ लला दिशे पविः इति गोभिलः उभयत्र खितेर्दभः सभाचाम्रति वौ दिजः | सोमपानफलं (तस्य) सोऽपि Yar game शत्‌ cher | इारोतोऽव विेषमाह | सष्यापषयो Halt सपविद्रौ करो बुधः

HAR HEH १६१ गयिर्थख पितरस 4 Reread रेत्‌ इति।

तथा प्रथमं aya हितोयन्तु शङ्कयेत्‌ इयसु पत्ैवो्मे पितरं घारयेदुषः तज्ञच्णमाह कात्यायनः | अनन्तगभि(कंतं# सारं कौशं हिदलमेव चर wenn दिन्रयं पदिन्रं aw कुब्रचित्‌ fata, पदिब्रलक्षणं Borat | wns मूलतः कुयादृग्रन्धिरेकाङलस्तथा | चतुरङ्लमग्रं स्यात्यविन्रश्य TTT | प्रणवेन पविन्रग्रयिक्गरणसुक्णं तत्रे तारेण कुग्या दृश्रजिन्तु पवि विचक्षणः तारः प्रणवः इारोतः। लाने दाने MI होमे arena frac’ भगुन्धन्तु करं कुर्यात्‌ सुवणरजतेः केः चद्दिकायां aH: | करे aes firgrara कणंयो रेभयोरपि पविग्रधारको यब पापेन लिप्यते इति

$ सवसगःदतमन्तमीमधुन तथाच xtra: | श्रणनलश्णो al तु Gat meaty | अनदठ्येदितो सयो ती पदिषारिक्रायक्ो

११४ विधानपारिजात

भनन्तगमितमिलयक्षयविन्रासम्भवे मनुः हौ दभो दिशे इसे सव्ये भ्रोनासने सन्त्‌ waa शिखायाश्च पादयोरु aaa इति अघ प्रसङ्गात्‌ कुशग्रहणविधिः कष्यते wear विभक्षखाहो दितीये भागे एचिभूला पू्वोततराहखः eaterte कुशान्‌ सदा | विरिञ्चिना सष्टोत्मब्र परमेहिनिसगंज | मुद सर्व्वाणि पापानि (मम) कुश खसतिकरो भव इति wager दभोन्‌ aafeur equity! दभन्‌ खय- माहरेत्‌ | सङ्गह | समिदुष्यङशादोनि^ ब्राह्मणः खयमाहरेत्‌ MTNA: क्रयक्रोतेः कग gery व्रजत्यधः भचर विशेषमाह कात्यायनः मासे नभस्मेऽमावास्या तस्यां दर्भोश्चयो मतः | भयातयामास्ते eat नियोच्ाः(च) स्युः पुन; पुन; ` शुः | दभौः क्ष्णाजिनं मन्ना ब्राह्मणो गौुता शनः अयातयामान्धेतानि नियोज्यानि पुनः पुनः |

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9 चादिपदेनं gaifeauy: | entifes mat) खख secerns). बन्न चच्िववेप्ाहतेः WHAT दषो नेति। लदपुषयाइंनादौ त्‌ त्रयक्रौतदोषो्पि ग। we: प्ादंनाद। तु क्रयक्गोतमपोषयते इति वचनात्‌।

wala: सवकाः।

STATE हारोतः घथि दर्भदितौ दभा ये दभा यन्नभूमिषु t स्तरशसनपिच्छेषु षट्‌ कुशान्‌ परिवृत्‌ # TWAS ये दभौ थे दभाः पिढकपेशे इता सूत्रपुरोषाभ्यां तैषां व्यामो विधोयते, देवलः | aga गर्भता चाग्रच्छेदितां नख | क्वाधिता भमििदन्धा Bat वन्याः प्रयब्रतः # Tice | कुशः काशा SMS यवा FAA वलजा; | गोबालसुक्नौ कन्दा पूव्धाभाषै परः परः सग्रन्यिपविनश्रलक्तशमाडह प्रचेताः | दिमूलभेकतः कु्हयोरग्रं तथेकतः | लयं IS परोक्षं Ulta भवेत्‌ | वतुरङ्लमग्ं स्यात्‌ पविश्रस्येति लश्षणम्‌ | वक्रायुधं यथा विष्णोदरस्मापि चिशूलकम्‌ | rgd यथेन्द्र एवं विप्रकरे कुशः॥ इति.। दूत्याचमनविधानम्‌ |

१६४

१९३ निप्रासपारिनाति

अध दन्तधावनविधिः | त्र दः Qe पश्चषितै नित्यं भवत्यप्रयतो गरः | तदाद्रकाषठं TH वा TALK TATA # विष्णुः। , करटकिच्ोरदक्ोटयं हादशाङ्‌ लम्रणम्‌ | कनिषिज्ञा्वत्‌ खलं पून्वापैलतकूरंकम्‌' # जम्बूदमरचूताव कदम्बो लोप्रवम्बको | बदरोति हुमा What दन्तप्रधावने| ay पिगोष्रमाह ग्रातालपः | दुम्बरेश्र वाफिरिदा मधुर्लरः | ALAA महालक्छ्मोराख्रणा रोग्यभेब च्च # भपामागोदहिरोगल्वं alae प्रियङभिः सपामागे सब्येसिदब्रनभूके हदा मतिः, चारोग्यं करिक्रारेव ACA TH अयः =

© Mame काषारदतनाचसल्नवाहवयेदित Meas इति रताः qaltefeciag | wfeygue 7 खदिर कदण्दच wey तथा षटः। fafa वैएपहच safe) तथेव अपामागीष विख अकं सोढष्वरसया। एत Auer: कथिता दनवादणकषोपु इति।

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गगेः | aurpag विप्राणां चचियाणी Aare ey 1 werray वेश्यानां शूद्राणां SARA चतुर ङ्लमामैन arte fafreed UTA AAY | वितस्तिमागमुदिषटं दन्तकाष्ठं दिजब्मनाम्‌ | AAMT स्याब्रातिशष्कं wag रति तथाच परिमाणे विकचः | काष्टग्रहणमन्तसु | श्रायु्बलं यथो वचः प्रजाः पशएवसूनि चै | ae प्रश्ना भेधाश्चल्वं नो (दे, हि anna इति faqa: ) RIG (WAY) TCA AY | अन्नादाय ब्युहष्वम्‌ सोमो राजनिमागमत्‌ | समे मुखं प्रमारूते यशसा भगीन च॥ इति कात्यायनोल्ञः। ततस्तेन कठेन fanrgfeer कृं mere सऋत्यां दिभि उत्डजेत्‌ | अत्र वज्यकाष्ानि। माकंष्डयः | कोविदारशमीताश्धेभातकविभोतकान्‌ वज्येहन्तकाहे शुग MYR तदा + सूत्यथसारे

, १९८ विधानयारिजाते

Waa शयने यानै पादुके दन्तधावने | पालाश्ाणखत्यकौ वर्ज्यो सन्धेकुक्ितकग्धमु # mena दन्तकाष्ठानां निषिद्वायां तिधौ तथा | wat हादशगण्डुषविंदध्याहन्तधावनम्‌ यहा ठणपर्णोदज्ञेन मध्यमानामिकाष्ष्टानामन्धतमेन धावयेत्‌ | अथ निषिदहतिधयः | चतुश्यष्टमोदरपूणिमासंक्रमेषु | नन्दाय नवम्याश्च दन्तकाष्ठं विवस्वंयेत्‌ उत्पत्तौ विपत्तौ मधुने दन्तधावने Tay श्ुदधिखाने तिधिस्तात्ाणिको खता तथा | are यत्ने नियमे तथा प्रोषितभर्ुका THAR सूतिका वस्नयेदन्तधावनम्‌ भत्रापवादः TTT रजखला चतुेऽहि सूतिका दशमेऽहनि | मरोचिः नाद्यादजोशवमयुश्वासकासन्वरादिभिः। एरोदयाद्रवेस्बद्यात्रोदितेऽस्तमिते खौ maa भक्तयेदन्तकाष्ठमिति शेषः |

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# प्रतिषिद्धदिने तधा इति ayy निबषु gra: | Gastafadlad एति साता; पठति |

दतौयः Bre; १६९.

तोधप्राप्तौ वचनादग्धदापि भवति | यमः श्राह Tafa, Sa विवाहेऽजषदूषिषै व्रते चेवोपवासे वस्लंयेहन्तधावनम्‌ दूति दन्तधावनविधानम्‌

अथ केशप्रसाधनादिमाङ्गश्यविधिः स्कान्दे | SAARI ततः FAY पुमान्‌ कैशप्रसाधनम्‌ | पादाश्च नमाङ्ृल्यदववाद्याल। ,भनानि ब्रद्मेऽपि | BATRA एतै पश्येद्यदोष्छेशिरजोविताम्‌ MIATA ततः कग्याश्हेपैण यथोदितम्‌ | सन्ध्यां वापि तथा कुर्खादङ्गमुग्ृण्च यब्रतः॥ इति

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9 सचागस्तु इति भाडिकतच्व पाठः। + ANE नारदः --

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(quai शएिरादिल भापो राना तथाशटमः

यतौनां sandy Gam भाषणं तषा

कषयः पूयते नितं तसात्‌ पठेत fra: इति | 22

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wa यश्नोपवोतविधिः |

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उपवीतं सदा धामिति लासायनोऽ्रवोत्‌। अगुरपि |.

सदोपवोतिना भावं सदा autre च।

विभिखो व्युपवोतश्च यकरोति तत््रतम्‌ अशुः |

निहदृहंहतक्षे तन्तु्रयमधोहतम्‌

भितं (चो)तूपवोतं खासषखको ग्रनिरिथते

aged दियं करमूहं wert बणितमिल्य्धः# |

विष्टः |

नामैर्षटुमनायुखमधो AAT:

तस्मा वराभिसमं कुग्यादुपवोतं विचः इति काए्यायनलु | |

Wat नाभ्याश्च तं safes कटिम्‌ |

तद्वायेमुपवोतं ्यान्रा(तो)तिलम्बं चोक्तम्‌ भच विशेषमाह एव,

कापासमुपवोतं स्वादि्रस्योदंठतं चिहत्‌।

शशपूच्रमयं TM वेश्यखाविकशुश्यत शति

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CMAN देवलः | काफीव्नौमनोवासथणवत्वटशा दिकम्‌ यथा(सदा)शष्धवतो धाञुपवोतं दिजातिभिः शति AT Val wrest स्याद्य दुमा इत्बमरसिंहीज्गः वर wend ठरत्वक्‌ carafe: अखन्मवत इति, शदवम्यासतिला) feu, gern’ carl: ततरणप्रकारर्‌ चो. देणे शुचिः aa संहताङ्गलिमूलके भावैध्य TEMA AMC यजतः दूतथादिगोज्ञः। भचारप्रदोपि बश्नोपवोतं कुरते ae मवताग्तवम्‌ इति | तन्ुदेवतासलु + ॐ(अ)कारवाभिनानौ सोमः fresco. + वायुः सूथः ARAVA इत्याहः सन्धरेदताः अगुः | यन्नोपवोते wrk Hs सासे क्ीरि। बद्नाभावै हतो्दं खारेकश् प्रधमाज्रमो th तधा उपवोतं वटोरेकं हे तचैतरयोः सतै + इति wut ब्रह्मचारिणः एकन्तु area तहयन्‌ |: तोयं चो्नरोयं स्याहसराभाषे ढतोयकषन्‌

| १७ विधानपारिजाते

wares ठतोयकमिति पुनवेदगन्ु उपाके तु प्रतिनिधौ मुख्योऽों wae यदि तवर ञुश्यमनाहत्य Mes समाप्यते # दति ane दाधाथम्‌। तथाव उत्तरोयाभावदशायाभेवं तख्वातुकललं ARTA तु पूष््टतयन्नोपवोतभेद हनोकरोयमपि तटा धायैमषैत्या्रयः | तथा| धारयेजित्यमेतानि गदसंख्यामि बे दिजः | तत्परिधानञ्च यक्नोपवोतमितिभ मन्वे ard; शत्र पूरव पशा्चाचम्रनं कायम्‌ | मलापकषणज्ञामे गावाभ्यङ्ग तेव च। HUEY WA क्यादन्धथा नरकं TH इति qa: उक्ादन्धव कदापि नो्षारयेत्‌। यद्लारयैशदा मन्वपूल्यैकमन्यत्‌ परिदध्यात्‌ | मन्बन्यस्तोपवोतं यब्रोदरेसलदाचन | ,~ मोहादिजसदुदृत्य पुनंग धारयेत्‌ इति गालवोकषेः। एवमन्य्टतमपि दध्यात्‌ तदु सहे खपानहो वासख तमन्येन धारयेत्‌ | खपवोतमलष्ारं Sat करकमेव च्‌ me

* बनोपतोतं परमं पपिधं इतरं gery MUSHY पतिहद ye यश्नोपवोतं wing द. + इति

दतौयः भ्तषकः। ger

मेखलामजिनं दण्डसुपवोतं कमण्डलुम्‌ | wy प्राखेहिनश्टानि लां चान्यानि मन्तः इति तथा देवलः सावि दशल्ललोऽद्विमंन्विताभिस्तदुशयेत्‌ | विचितं बाप्यधोवातं युक्ता निरितनुर्शजत्‌ दूति anteater: | शति यच्नोपवोतविधानम्‌ |

* सध परिखाबन्धः »

तव व्यासः | सूलोक्ार्च मायौ निग च्छिखां ततः + एनराचम्य इदयं बाह खान्धौ संसपरेत्‌ तश्च बन्धनं शिरसो eft कायम्‌ |

गायत्या तु शिखां वद्वा नेकतयां ब्रह्मरनरतः |

Care feat बहा ततः कयं समाचरेत्‌ इति वचमात्‌#

e are निखान्धमनर्‌ु-- ब्रद्मवादोसंहताङि frsarwianta = | विनाम षले चि खावन्धं wthergT च्छन्‌ eee दैवा ब्रह्मविकमररराः। तिषटलचाचला लो: धि्ठाहक करोष्वडम्‌ एति

१७४ विधानपारिजातै

अष प्राशायामः।

तत्र wwata: | aera frerearet wer (चाषा) चष्यादिक्ं ततः | षद्योलितशस्नौगो प्राणायामं एमरभ्यरेत्‌ # प्रशवग्याद्रतिदुतां arfrat चिरा सह | वरिजपेदायतप्राणः प्राणायामः Sue

योगिवाश्रवखाः | कुशकः पूरको Ue) a: प्राणायामस्िलक्षशः | ` पूरकः पूरणं वायोः ङ्कः erat चित्‌ वहिनिःसारणं तस्य रेचकः परिकोत्तितः | द्विशे tedera वाभेनापूरितोदरः # gua धारयेत प्राणायामं विदरबधा | भकृष्टन पुटं प्रानं नासाया दशचिणं पुनः कनिष्टानामिकाभ्याश्च वामं प्राण्य सङहे | भषटटतचनोभ्यान्तु ऋग्ेदि-साममायमैः |

~ ङृष्टानामिकाभ्यानतु are सर्वरथव्यभि, y

शङोऽत्र विेषमाह |

दचचिे teat gate चोदरम्‌ |

इश्केन जप कुर्यापाणायामख लक्षणम्‌ इति . सत व्याहृतयः प्रोष प्राणायामे हु नित्यशः | भूमुवः Ww: सत्यं तैव प्रतोहारसमायुहं तधा तद्विः परम्‌,

SAT, VAT | १७१

want च्योतिरित्येतच्छिरः पवाग्रयोजयेत्‌ तिराषन्त योगाच्च प्राणायाम शब्दितः # wa विशषः arent ऊकारस्य ऋषिब्रदह्मा देवोऽगिस्तस् कष्यते | गायत्रो भवैच्छन्दो नियोगः सब्यैवश्सु तिरावरन्तु WAT WIT TANT | AWA गन्तु सर्व्वासामाषंसेव प्रजापतेः गायजपख्िगनुष्टेप्‌ इतो त्रिष्टुबेव | dfaa जगतो चेव छन्दांस्येतानि सप्त वे अस्निवायुम्तथा qat हषस्मतिरपांपतिः | इन्द्र विश्देवाश्च देवताः समुदादृताः प्राणस्य यमने देव विनियोग उदातः सविता देवता यस्या मुखमग्नितरयामकम्‌ वि्ामित्र ऋषिन्डन्दो गायत्रो सा बिधिष्यते | जयष्टोमोपमयने विनियोगो विधोयते श्रोमापो च्योतिरिष्ेष मनो वे तेत्तिरोयके | AS प्रजापतीराषं न्दोङोनं WAT: ब्रद्माख्निवायुचूग्बाख देवताः समुदाहृताः | प्राणस्य यमन चेव विनियोमः प्रकौत्तितः इति। व्यासः | नित्ये Saree होमे सन्ायां aww fe | GA दाने तवा ध्याने ATATITATHTAa: #

१७६ विधानपारिजातं

भावाष्प्रदोपैऽपि। हो हो maa aare fate: बन्धयाव्रयेऽशवमे | वे्देषे WIA प्राणशयामासु षोडश |

UACHAATY ANAC: |

afen: कुरते पापं मनसा aera गिरा

विकालसन्याकरणाद्ाशायामेव्यंपोहति

मनुः qual यमानानां धातूनां हि यथा wen: | तधैद्धियाणां ewe दोषाः प्राणस्य संयमात्‌

इति प्राणायामविधानम्‌ |

अथ प्रातःल्ामषिधिः |

तत्र योगियान्नवचछाः | MITA TBA: खानं ATA RTT: | यतस््िषवणं प्रोक्तं wae प्रह्मचारिशः बरह्मचारिण : सलत्ल्ञानमशक्षविषयम्‌ ज्रायाग्रातच्च मध्याङ्गे AWA तधा we ति faye: | माकण्डयः। अल्ातख क्रियाः eat भवन्तीषाफला यतः | प्रात, समाचततजञानं तश्च नित्यमिति खतम्‌

wala: खषकः | ges

प्रातःल्ञानगुणा SAT: VAT | JU दथ स्ञानपरस्य fara SY तेजख Ta शोययम्‌ ^ भायुष्मारोग्यमलोलुपतवं दुःखप्रनाशखच तपश्च भिधा इति, दत्तः अत्यन्तमलिनः कायो नवच्छिद्रसमल्वितः स्रवत्येव दिवा रात्रौ (सदा तस्य) प्राषःलानं विशोधनम्‌ | waar प्रशंसन्ति दृ्टाृ्टफलं हि तत्‌ ee मलापकर््रादि wee प्रत्यवायपरोहारादि | _ WINS तु सप्ताहं प्रातरज्ञायो fee: शृद्रलमा्रयात्‌ | तस्माच्छद्रलश्दा्े रविवारे समाचरेत्‌ कात्यायनः, याशि तधा प्रातनित्यं ज्ञायादनातुरः | दन्तान्‌ WAT नद्यादौ HF चेत्तदमन्तवत्‌ [षि सथ्यैधा मन्वनिपिधः किन्तु मन््वाहल्यनिपिधः zz sfa दिजातोनां मन््रवल्ज्नाममिष्यते , विधिलोपं तै कथः साम्ये सति किचित्‌ (ति जेमिनिस्ममैः। भरत्यलादोमकानख TATA: ; प्रातं तमुयात्लञानं डोमसोपो faafen:

१७द विधानपारिजाते

afa काल्यायनोक्गिलिष्राच्च वशिष्ठः | प्रातः स्यतः ara Meare afer | मन्ेलु विधिनिष्यायं wears (तु) स्यात्‌ सविस्तरम्‌ पत्र प्रातः शव्देन."उदयाद्माक्नाशतस्नो नाद्य SAA | श्ररणकिरणग्रसतं प्राचोमवलोक Sate | इति बौधायनो | व्यासः | aay fefad प्रोक्तं सुख्यगौणप्रगीदतः | तयोसु वारणं मुख्यं aaa, chew सतम्‌ जलनिष्पाद्यं वारणम्‌ | fret नेमित्तिकं काम्यं क्रियाः मलकर्षणम्‌ | क्रियाज्ञानं तथा षष्टं षोढ़ा ज्ञानं प्रकौल्चितम्‌ तत्र Weare नित्यम्‌ | प्रातः समाचरेत्‌ स्नानं तञ्च नित्यमिति ख्यतम्‌ | दति माकण्योक्षः | WRU सूतकादौ यत्‌ ज्ञानं तत्रमित्तिकम्‌ HATE) TATA SATA warts caer सवासा जलमाषिेत्‌ carafe नमित्तिकभेव | TU TITAS व्यतीपाते away भमायाश्च नदोख्ानं पुनालयासपमं क्लम्‌ |

WaT: VATA: |

ATER लानं काम्यम्‌ £ धशक्रियां कन्तु यत्‌ पूव्वैखानं तत्‌ क्रियाङ्गम्‌ | ~. मलापकषणं नाम ज्ञानमभ्यद्कपूव्यैकुम्‌ ‡‡ मलापकषणायेव प्रहत्तिस्तत्र नान्धा अवियुक्त खानं मनापकषेणम्‌ | ` प्रसङ्कादभ्यङ्ग निषिषास्िधयः कथ्यन्ते गगः | पञ्चदश्यां चतुदृश्यामष्टम्यां रविसंक्रम हादश्यां सप्तमोषष्टो AN विवजंयेत्‌# तचा षष्टाष्टमो पश्चदभो पक्दयचतुश भो | अर सव्रिहितं पापं तले मासे Gt wa ey carat द्रष्टव्यम्‌ | | प्रचेतास्तु | साषपं गन्धतेलख् यलं पुष्पवासितम्‌ wag ad a दुष्यति कदाचन #

ae Os ककव ष्क

बारविरपेष्वपि भभ्यद्गनिषेधी eat—aure ज्वातिषम्‌। सन्तापः कौत्तिरन्पायुधनं निषनपेव UTS सब्ेकामापिरभ्यङ्ग भाकरादिषु t we प्रतिप्रसवोऽपि तडेव रवो पुष्पः गुरौ cat भूमिं भूमिलषासर। WH Alaa दथतिवलदषोपभासये॥ मति.

१७९.

१८१ विधानपारिजाते

तेलाभ्यङ्निषेष तु तिलतेलं निषिध्यते sare fart तु सापरपादेरपोष्यते व्यासः | . तथा दे सप्तम्यां संक्रान्तौ रषैदिने। TREAT ज्ञानमामलकंश्यमीत्‌ | यत्तु तोधदिषु ज्ञानं क्रियाज्ञानं तदो रितम्‌ जञानमाच्ाद्यत्र फलं तत्‌ क्रियाज्ञानमिचर्धः | श्रध areata विवियते | त्र AAT aR: मान्वं भोमं तथाग्नेयं वायव्यं दिव्येव च| वारुणं मानसञ्चव सप ज्ञानान्यनुक्रमात्‌ | भत्र गोणमध्ये मुख्यस्य वारुणस्योपादानं दृष्टान्तार्थम्‌ | सामथ्ये सति वारणं मुख्यम्‌। एवमापदि carder: | जाबालिग्पि | भ्रसामध्याच्छरोरस्य रेशकालायपचया wearer: सप्त केचिदिष्छन्ति सूरयः पापोदिष्टादिभि्मान्तं मृदालम्धरश# पाथिबम्‌ | Wed WMAP ज्ञानं वायव्यं रजसा गवाम्‌ wis: सातपवषाभिः art तदिव्यसु्यते |

® Aare गङ्गामृततिक्षातिलकर्पः। t Wa सक्ततमक्षना एति elaine | { गारनः(खृताक्ञतमिति wiser पाड; +.

तोयः स्वकर, १८१

वारणशद्ावगाहष (शश्च) मानसं विष्णु चिन्तनम्‌ इति ्िरस्कावगाहाशक्ो जाबालिः | अशिरस्कं मवेत्‌ खानं खानाशक्तो तु क्िणाम्‌ | आद्रेण वाससा वापि माखन कापिलं विदुः# ऋचाभिमन्वितस्तोयेः प्रोचे waite: | अतुकस्यमिदं ज्ञानं Ta कृशाम्‌ TH भापलु FIT भापोष्िष्ठाघमषंणम्‌ | एतेलु पञ्चभिमेन्वे मंन्वञ्चानं तदुच्यते इति इन्र aaa wasn fant वा शक्धादयपेश्या. ate: ज्ञान एकेन भनेकेन वा वाससा ATA | एकेन वाससा ज्ञायाहाभ्यामनियमः खतः | ayfira प्रतोपिधः ज्ञाने फलमभोसताम्‌।॥ दूति विष्णः नैकवासाः क्रियां कुर्यात्‌ खानक विना कचित्‌ ति च। सन्धत्रापि। असृश्यस्य्शने चेव वार्तायां gusta | एतहिवासला काथमन्य्केन वाससा इति।

तधा |

9 देकं सारम खातम्‌ एति हा्तानां पाठः + एभिशतुरभिरशयाभमेनखागघदाषकम्‌। इति erent षाठः एव सनौचौगः

Haat एडसहयलासन्वात्‌।

१८ विघ्रानपारिजाते

नग्नो नान्धदयेन aren ae ग्रधिरीन विक्ठतेन वासता ज्ञायादित्याचारतिलके | नाबालिः। स्रोतसोऽभिमुखो wea: प्रवहन्ति वं | खावरेषु चु aay भ्रादित्याभिमुखस्तधा | सङ्गेऽपि | स्रोतसोऽभिमुखः लायाद्माजंमे चाघमषेे। भ्न्यत्राकमुखो रातौ प्राशुखोऽकंसुखोऽपि वा सम््यामुखसु सन्यायां ज्ञानं Fala यत्रतः इति भापस्तम्बः | प्वाहाभिमुखं स्नानमद्य माधव्यैवेदिनाम्‌ | भ्रादित्याभिरुखं ard argue सदैव दि waa सूय्याभिसुखो निम्ेदिति वाजसनेयिन्नानसूत्रम्‌ तदपि खावरविषयमिति केचित्‌ निमल्लनमातरं सूर््याभिमुखं तदमन्ं स्नान प्रवाहाभिमुखं तच्च समन्रकमित्यन्ये भापस्तस्बानामपि ध्याभिसुखं स्नानम्‌ | care wan दितोयाध्याये शनेरपोऽभ्यवेयादनभिप्रब्रभिमुख भादित्मुटकमुपर्े- दिति सबत्रोद्कस्शनविधिरिति | यत्तु त्व प्रथमाध्याये सथिरोऽवमलनमणु aaa सरानमिति atacand निषिदं तत्‌ waa teratoma घक्ञषान्‌ |

तोयः ATM: १८३

` कैक | | सिंहककटयोर्मध्ये सर्व्वा नद्यो रजखलाः | तासु Bla कुर्व्वीत कतं रैत्रिष्फलं भवेत्‌ इत्यत्रिवचनं तसमु गाव्यतिरिक््तुद्रनदो विषयम्‌ | गङ्कादिसरितः सर्व्वाः श(भाः)हाः समल स्वेदा | दति विशेषोक्ञेः wa विरेषो वामनपुराणे | निषिश्य तोर) कुशपिश्ललानि gaara मदं wae: VATS पादौ FAY AW amiaaae जलं पिषैचिः कण्ठे यन्नोपवोतमिव्येतहचनं कर्ाब्रात्तामिल्येतदधम्‌ | तधाच निवीतं कला प्र्ालयेदित्यधंः | कराभ्यां धारयेदमान्‌ शिखावन्धं विधाय च। प्राणायामा स्तघा कुयात्‌ कालन्नाने यधाविधि इति कालश्नानम्‌ wa ब्रह्मणो दितोये परां carte Staal नदौख्नानं तडागे मध्वमं Baz | कूपे aay सामान्यं भाख्ल्ञानहूः्तं sar |

0 = जामि, => == ee ee ee te

are ween

wifsaae तु | यव्यहयं श्रावणादि सन्या नद्य] THAN: | ताम aia Haale वचखयिला Vyas इति। वचनमिद्मेरद्प दश्यते पव्यग््दौ मसपरथवः।

विधानपारिजाते

पविः | खानं रजकं तोये भोजनं गणिकाणश्टहे | ये कवयैन्ति दिज sere यान्ति निरयं परम्‌ नमो नारायणायेति सप्तवारं जपन्‌ व्रजेत्‌ arfuara at खिला क्ता केशान्‌ हिधा दिजः निरुष्य कौ नासाञ्च जिःक्षत्वो aad ततः | ज्ञाने दिशतः AAT भलकासु प्रयत्नतः सजोवपिढठकेषवमन्ये रभयतः सषा दिराचम्याभिषिकन्तु क्ु््यादष्टा्षरेण तु+ | VAs जपेकमम्नस्तिह्ञवखाघमर्षणम्‌ वमषणम्‌ ऋतं सत्यं वेति सूङ्ञम्‌ हुपदां† a विराहत्य ara गोरिति वा ऋषचम्‌। प्राणायामं सशिरखां जलेऽन्तस्िजपेत्तथा | भ्ावत्तयेदा प्रणवं ater विष्णुमव्ययम्‌ इति rama are वाजसनेयिविषयाः तत्रे तथाविधानात्‌ प्राखलायनन्लानविधिसदृश््मपरिशिष्टे।

* िराचन्यभिरषैफम्त sat werte तु wake पाठः atte, ance Ta | भो नमो नादुयणाय sea

दुपदादिव qaqa: fan: कालौ(तो) enter |

पूत पविञरेवान्यमापः Wary मनसः १०. ROR. वशु; |

Wa गौः एत्रिरक्रमौदसदश्यातर पुरः |

पितर भयन्‌ खः।. १अ. CH. aR |

दतौयः स्तबक. | १४६४

ira; सह गोमयेन galyer मध्यन्दिने सायं शबाभि- रह्विः। प्रातः ज्ञानात्‌ प्राक्‌ सन््वामुपासोत प्रातः प्रातङत्डष्टं गोमयमन्तरि्श्यं day भूमिष्ठं are earl तोधभेत्य धौतपाणिपादसुख चाचम्य सन्ध्योह्वदा- आभ्य्णादि समै war हिराचम्य संयतप्राणः सद्या गोमयं वोतितमादाय सव्ये पाणौ लला व्याद्तिभिख्िधा विभज्य दक्षिणं भागं प्रणवेन fag fare ont ate frat मध्यमं मा नः सोके+ इयुषाऽभिमन््ा गन्धदारा- मित्यनेन" मूद्ादिसर््बाङ्मालिप्य प्राश्चलिव रणं fece- गृङ्कमिति «rath wears cecal इति सूक्तेन प्राथ या प्रवत इत्येतया TAA WATT सातो वे

नानः सो तनये सान rae ar a गोषुमानो जवेषु रौरिषिः। ज्ञानो वौराम्‌ ee भामिनो बधौहंविसनः दसि ता इवामई LEN. १९म. et अन्हार guest famget करोषिषोौन्‌। ` nt सब्येभृतानां लाभि पशय श्रियम्‌ दिरख्णङ्गोऽयो सस्य पादा awe अवर एर अमोत्‌ | हवा एष्य इविरद्यमायन्‌ गरो अन्नं प्रथमो अध्यतिष्ठत्‌ eS. ROM वुः | र्नाशासः सिलिकमध्यमालः eyecare! feared war , gen इव प्रविश यतने यदाचिषु दिग्यमव्ममश्राः WSN. RRA. यवु: | emt इरदरचा गभोरं ब्रम Tears चृता ` दि यौ जवान असितेन चर्धरोपस्तिरे एषिवो aang WA. Cue १२१ 24

१८१ विधागधारिजाते

ep =e

हिराचम्य माखंयेदम्बयो यन्डध्वभिरिवष्टाभिः+# भपो- हिष्ेति नवभिः। wa तोधमङृठेन दमं मे गङ्गे शत्या fr: referee प्रकाशषृष्ठमग्नोऽधमषंणसूङ्गं† वि. राव्य निमव्मोशल भ्रादिलमालोदय हादथलल भरा Ufa शङरुद्रयोदकमादाय मूर सुखे बाहोररसि चामानं waa whitey लं नो भ्रमे वरणस्य विहा- निति wnat ace मन्दो धावतोतिई aaa पुनः एनः ख्यात्‌ ate चाभिषिेत्‌। तदिषणोः¶ भरग्र्षाणो weal वन्यध्वभिर्जामयो भष्वरोयताम्‌। पतों प्ना पयः ९॥

अपृयां aoe याभि ae सह तानो हिनन्वध्वरम्‌ २॥ अपो ईैवौरुपहये ay गावः पिबति नः। सियगयः कच्च इवि;

` अभुलरमृतमस्‌ मषलमपाञ्त प्रलये देवा भवत्‌ वाजिनः

अप सोम। भव्रभौटतविश्रानि arn) भि विश्रशगुवमापस बिग्रमेवशौः

पापः एषौत Rast वदं ते मम व्योक्‌ षयं RE qi

शृद्ापः प्रवहत यतृ fey दुरितं aie | यदहाहमभिददरोह यहा शेप उताकृतम्‌ | ७॥ /

भाप याववारिषं रेन aerate! पयलानप्र आगहि तंमा मल वेसा | ८॥ | (न २११. १६--२१९ब्‌।

अपतऽएपू्म्‌ रतं सरं चैयादिकब्‌ | |

लनो पप्र वरुषसय विदान्‌ दैव डो अवयासिदौषठाः |

विशो वह्ितिमः arena) विभा deity पह॒तण्धा्त्‌॥ दम. Rew. ae |

लं नो श्रदवमो भवोतौ नेदिष्ठो wey छषसोव्य टौ |

भवयत वरुणं रापो वौहि मृडो हदो एषि | ४म. २१. ay

तरत्‌ मन्दौ धावति धारा सुतल्ायस; | तरत्‌ मन्दौ धावति

ATW: Wt पदं सद्‌ पररा RG दिवीव बद्ुराततम्‌॥ रम ४८१. (HR

SAT: WIM: १८४.

- अंहसो afergé वरशद्ये जनः इत्येता ज(पेत्‌)पन्‌ $: सोतोऽभिमुखः. afte ज्ञायादन्धतरादित्याभिमुख इति oRergiaaratiad हददाडक पेठोनृसिः। ४4. तिदतो प्रतिक्ततिङ्कला कुशमयं नरः मजयेत्त यसुर्हि्य सोऽष्टमांशं फलं लभेत्‌ पितरं मातरं वापि ्रातरं शुरं गुरम्‌ | यमुद्दिश्य fanaa सोऽष्टमांशं लभेत. वं : लन्र मन्व: | कृशोऽसि त्वं पविवोऽसि ब्रह्मणा निशितः पुरा तपि ज्ञाते सःच स्नातो यस्येदं प्रगिवन्धनम्‌ इति। | अृतपित्रादिविषये aq: | मातरं पितरं वापि भ्रातरं वा प्रमोलकम्‌ t यमुदिश्य farsa श्र्टमांशं लभेत सः इति STAT शालग्रामतो्धेन खायात्‌ | AEM स्कान्दे काशोखण्डे | पाटोदकेन देवस्य इत्याकोटिसमन्विताः शएध्यन्ति नाज. BRERA शङ्कोदकेन यदत्यथें रहस्यन्तु पापमाचरितं (भत्‌) रभिः | प्रायविन्तन्तु तस्येकं शालग्रामथिलाज्ञलम्‌

Qala ee "सीद "स = ae nee eae.

—— ee eee ममाणो Pie

© अग्रे रथा णो See: प्रतिक दैव Cem: | तपिष्ठ THAT Om tu CURR afered वर्ण oa जगेऽनिद्र हं मरुश्छा्रामसि ` अविक्तौ यत्तव धणालुलौषिम मा गतजादेनसो,. वं रोरिषः

१८८ विधानपारिजातै

ज्ञातः waaay Tea दोचितः। शालग्रामधिलातोयेर्यौऽभिषैकं समाचरेत्‌ | OTH माघमाहात्म्ये AFT गोदावरो रेवा गयो सुद्धिप्रदाश्च याः। निवमन्ति सतोधास्ताः शालग्रामग्रिलाजले ये पिबन्ति नरा fret शालग्रामधिलाजलम्‌ पश्रगवयससेलु प्राशितेः किं प्रयोजनम्‌ इत्यादि | गौतमोयतन्ने STATA | शालग्रामशिलातोयं तुलसोदलमिधितम्‌ | लला शङ भरामयंस्िनिचिपेत्रिजमूरैनि श्ालग्रामशिलातोयमपोत्वा यसु मस्तके | WAY प्रकुरते ब्रह्महा निगद्यते विष्एुपादोदकात्‌ at विप्रपारोदकं पिबेत्‌ | विर्दमाचरक्मोहादामद्ा fanaa | एथिव्यं यानि तोर्थानि तानि(तीधौनि) सर्वादि शागरे। ` ससागराणि तोधौनि पाट विप्रस ददिषे | ततः ABT देवाकनुयंस्तपेयत्पितन्‌ भत्र विशेषो वायवोये अमृतेन समा WaT: पुरतः कैश बिन्दवः | सुराबिन्दुसमा श्रेया; wea: केशविन्दवः पिबन्ति भिरसो देवाः पिबन्ति पितरो मुखात्‌ WaT: सब्येगन्धव्यी MTS: |

wale: स्वक्षः | १८९

RATA YU भअग्बरेशं करेण AT |

केथान्दत्तिणतः wen जलमध्येन तप्येत्‌ इति पराशरः |

नित्यं नेमित्तिकं काम्यं तरिविधं खानमिष्यते

तर्पणन्तु भवेस Mas प्रकोत्तितम्‌ ॥.

सव्येन चोपवोतैन दैवतानाञ् ATT

पितृणामपलब्येन सरु्थाणां निवोतिना विष्णुः |

ज्ञातशाद्रंवासा देवधिपिदठतपमश्च TT Tela तपे

चाशून्यं करं कुर्यात्‌ | तथाच यो गियाच्रवस्काः

अनामिकाशतं हेम rere रौप्यधारणम्‌ |

कनिष्ठिका्टतं ङ्गं ततस्तपणमाचरेत्‌ इति ज्ञानाहृतर्षणप्रकारस्‌ प्रा्ठलायनग्छश्मपरिशिष्टे | अथ areata: प्राश्चुख ठपवोतो देवतीर्थेन ब्याह्न- तिभिरव्यससमस्ताभिब्रद्मादोन्‌ देवान्‌ सल्तकक्ञनर्पयिल्य्र ` अधोदश्नलो निवोतो सयवाभिरद्विः प्राजापत्येन तोयेन ऋषीस्ताभिर्व्याद्तिभिदिंदिस्तपयित्वा wa दज्षिणासुखः प्राचौनावोतो पिढतोर्धेन सतिलाभिरदि््याद्रतिभिरेषव सोभः fray यमोऽङ्किर अङ्किरखागमिनः क्रष्यवाइन- शत्यादींखिच्िररपयेत्‌। एतत्‌ जञानाङ्गतपणम्‌ अघ ara दच्िणाशुखः प्राचोनावोतो “वे के बादल

[९० विधानपारिजातें

जञाता०५ eft wet निषद्य उपवोल्यप errata Xe तरपं येषां शाखिनां aa नास्ति तेरपि कथम्‌ पारक्मः मविरोपि यदिति वचनात्‌ सर््बोपसंहारन्यायाच्च | wa ate जलेनेव जपुण्ड्‌ कायम्‌ |

were विष्णुः जलखेन हि aera AAA ETAT यतः शून्यललाटेन क्तं ततिष्फलं मवेत्‌ इति।

प्रथ यश्छतपणमाह WANT: | AATHATTFAT यच्छे अलमाहइरेत्‌ |

THY | meat दूषितं तोयं शारोरमलसश्चयात्‌ t तहोषपरिहाराधे wert तपयाम्यहम्‌ इति

पश्रोदवां afe: fata षदाचारात्‌ प्रकरणाच्च

TESTE | भआत्रह्मस्तम्बपयन्तं जगत्तुप्यतिति क्रमात्‌ लला्नलित्रयं ददादेतकह्पतपणम्‌

SAUNA त्रयं सहुःपशब्दश्रवणात्‌ |

ay विरेषमाह शौनकः | VAI वान्ते भ्रश्रुपाते YI भगी ara नंमित्तिवं aret देवपित्राविवरितम्‌

जक भक जामा जिया कन पकणी

[ गणि ATR RIE

@ wae गोषिशो भृताः। ते aay नया दतं बखनिथीडगोदकम्‌

दतोयः VIR: | १९१

उदतेरुदकः जातो ङुर्यादन्धदा पुनः aay aad विहांखतोऽन्यव्र हापयेत्‌ इति wa विगेषमाद् देवलः | : अलाभे टेवखातानां सरितां सरसां तधा | BET चतुरः पिण्डान्‌ पार्ये सख्ानमाचरत्‌ पार्ये सन्धसक्लो हे नानुत्ष्टे अशुः 1 मागान्तरा नदोप्राप्तौ ज्ञानादि परपारतः। SMART सरखत्या एष मागगतो विधिः | इदमपि अर््वाक्तोरे तोर्धविधेषाभावि द्रष्टव्यमिति ferent | गहे सरानप्रकारमाह व्यासः | शोताख्वपो निषिष्येव+ मन््रसम्भारसंभताः | » esha शस्यते स्नानं तद्ोनमफलं waz we चेत्तदमन्रवदिति मन्ववाइुल्यनिरेधाधं fama THATS कात्यायनः | qa eat vaca paraifest इति wae

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ष्णी भिरि i Serene

` # निपेन्याखा एति भाक्त पाठः | ¶† ष्म टवा GaGa Ga महते शाय TER ज्याय Awl त्ानराज्यठदश्यन्द्ि Mel sHaRe पुचमभुष्यं पुमे विश एष वोऽमौ रक्रा dale ब्राह्मणाना, पना yom. १८. वजुः। oe भापोद्िष्ठा Haye owe दधातन |

मरहरणाब BUG WLW. ४५०. aM |

R22 विधानपारिजातै

इदमापः+ Wal देवोण'हू पदादिष रव इतिः स, aa महोमयादयः। इदन्तु नथादिन्नानाचशसं जेयम्‌ ay षटृव्रिंशन्मते | पः खभावतो भेष्वाः किं gerafwdgen: | तेन सन्तः eater ज्ञानसुष्णेन वारिणा इत्यत्व प्राधान्धकथनं तदातुरषिषयम्‌। शोदकं लातुरश्येति विशेषस्मृतेः | wire वड्िततेन तथेव परदारिषा | शरोरथदिमवति तु जानफलं( भवत्‌ बूति mga निषिदतया तस्योक्षलात्‌ |

बौ वः शिवतमो came भाजयतेह मः | छशतौरिव मातरः ११अ. ५१म. यजुः तथ्या अर गाम वो ae चथाय fray |

सापो जनयथाचनः॥ ११. ५२. ae | TRANG: KTVT सलं यत्‌ | यदाभिदुदरोहादृते य़ शपे जमौदम्‌। जाप) मा Taare: पवमान घुषतु | ६ब. (OW. बशः | अत्रा देवोर(भौ)निष्टरे भापो भवनु dina | अयारभिसवनु नः , १९७. ! रज. अधरम्‌ हुपदादिव मुरं {८४ पृहे पदर्भितः | जञागफकं वेधम्‌ भायुव्वेदौठ तु भवत्येव | SUG: Trae प्ररिषैको eeray: तेनेव SUNS बर्रुत्‌ aRNQiT शति TAR: |

SAA: स्तबकः १९१

अश्र वियेषमाष swag: | - सते wats संक्रान्तौ are wated तथा | भसपृश्य स्यशंने चव ज्ञायादुष्णवारिणा इति सरेतत्‌ सञ्यमनातुरद्य नद्यादिसड्ावविषयम्‌ | जद्याद्यभावे लाइ यमः | नित्यं मैमित्तिकश्चेव क्रियाङ्गं मलकषंणम्‌ Aas तु कन्तव्यमुष्णोदक्षपरोदकंः | परोद कैः शोतोदवे रित्यधः तथा LEGA कुवीत AMA चाघमषणम्‌ | नान्तरा aad बुर््यात्‌ पञ्चादाचम्य शुध्यति ग्रहे ara यदा कुर्य्या दस्रमूढं परित्यभैत्‌ अधधाग्रण TAT पाराशष्थवचो यथा पतिमतृश्नोविषये व्यासः | कुलस््रो सशिखं ज्ञायादुकवे सति aaa: वारे वा Gad क्ीखन्यदाकण्टसंज्ञवा इति इति खहल्ञानविधानम्‌ |

wa वसखपरिधानविधिः।,

ay नाङ्गभ्यस्तोयमुदरेदिति निषेधात्‌ किञ्चित्कालं विलम्बम्‌ TAA कायम्‌ |

१९.४ विधानपारिणीते

शुष्कं Tey eat तथा THT वाससा | ज्ञातो नाष्ठानि severe पाणिना विन्हु वाससा शति विष्णुपुराशात्‌ | करेण नोनाव ज्ञानवसेश वा पुनः | एनोच्छिष्टं मेष्ात्ं पुनः ज्ञानेन एष्यति दूति पारिजातो | वस्नविषये ag: | arava सितं वसं qd रक्तसुरषणम्‌ पीतं awe शूद्रस्य att मलवदिष्वत wi धातुरक्ञुषखठणं निविहम्‌#। नोल नोलोरक्षम्‌ मलवः क्ष्णम्‌ मिताकषणयाम्‌ नोलोरकं यदा वदं विप्रः खाङ्गषु धारयेत्‌ | तन्तुसप्ततिसंद्याके वसेब्ररके धवम्‌ सान्देऽपि नोलोरशन्तु are दूरतसददिवल्लयेत्‌। सोणा क्रोडाधसंयोगे शयनोये दधति सते waft या नारो नीलोवस््रन्तु धारयत्‌ | भन्तं तु नरकं याति सा नारौ तदनन्तरम्‌ कम्बले पट तरे नोलोदोषो विद्यते इति कम्बलादो प्रतिप्रसवः |

इतकटर हविषि wet: |

तोयः. AIM | १९४

बहा | pid कादधोतश् पूर्वदयुधौतभेव wy यत्पोडितं वस्रं reed सब्यैथा दिजः अष्टहस्तं नवं श्वेतं सदश नाग्धधारितम्‌ | अहतं तदिजानोयात्‌ Senay CAAA AU: TAT: ज्ञालेवं वाससो धौते भक्तितः परिधाय च। प्र्ास्योरू Seer WA WHA TA: Koel aa. षतं सदशं य(न्व)त्र धारितम्‌ अदतं# तदिजानोयात्‌ care पावनम्‌ इति। था | प्रहतं यन््निमुक्षसुकषं वासः ATTA शस्तं ATR तावत्रालं सब्बेदा.॥ दति im एकवस्नो yet न, हे वाचनम्‌

कुययात्पिढकन्चाणि होमं दानं तधा. जयम्‌ इति ।..

rer | भराजानुमूलं वलं स्यात्पश्चकच्छन्तु धारयेत्‌ तन्मुनमधिकश्चव. सव्ये करस महहितम्‌ Arrest तथा ष्ठे नामौ हौ परिकौर्भितौ | वस्त्रस्य धारणं यचच पश्चकष्डन्तु aes: |

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# भादतनिति sum: पठसि

विधानपारिजातं

१८९

यडा | कलां नाभौ तथा पष्ठ कच्छन्रयमुटाषतम्‌ कच्छश्रयसमाङुक्ञो यो विप्रः शुचिः सुतः एकको हिकच्छलु MNT | एकवाक्त श्वासा नम्नः पञ्चविधः मृतः | बरुतसु TRIATAT कायम्‌ | प्रागग्रसुदगग्रं वा धीतं वासः प्रसारयेत्‌ | afaard eferard पुनः प्रसषालनाच्छचि it ufwacfraramerc’ पनः प्रलालनविधानान्धा काथमिति भावः। WAG दशा Away VAT गोतमः | सप्तवाताहतं वस्रं शष्कवप्रतिपादितम्‌। शराद्रश्चापि दिजातोनामाहतं गौतमादिभिः धोताधौतं तथा दग्धं सन्धितं रजकाष्टतम्‌ शक्रमू ब्राद्यसंखष्टमाविकं चातसोभदम्‌ | , पवित्रमिति विन्नयं सन्यकीखसंशयः इति ard भरतसोभवं haz नववस्र परिधाने योपि; | मात धं (व्रणः) यः शणधरे ज्ञे णः सदा भूमिजे ae (वस्ने) लाभकरं ge सुरगुरौ विद्यागमः सम्पदः | मानायोगरतिः प्रमोदवनिताशस्यादिलाभो भमौ दोनः (दध) भाषतरोगवांब मरुजो एटलाम्बरं सु

WANT: स्तवकः ! १९७

तवा | रोदहिशोषु करपञ्चकैऽशिभे शयसरेऽपि पुनव्यैसुहये। श्वतोषु agert Re नव्यवस्रघरिधानमिष्यते ° मववस्रपरिधानं खसव्रोकमन्बेण कायम्‌ ATTA ETT. पूर्वाणि Sarg शति कात्यावनोक्तः जातातपोऽपि | परिधाय नवं वास ठत्रोयश्च मन्तः हिराच)चाभैद्िजो va धौते विपरिधाव हितोयवस्तरामाषे कात्यायनः | wa चेत्पूववैख्यो्षरवगेण प्रश्छादयोतेति ^ जातूकग्येः | शअ्रभावचेहितोयस्य TAT तदा WIT URS WES वापि चतुरद्कलमेव वा aa Taras कुग्यातेन स्यादुश्तरोयकम्‌ इदसुत्तरोयं यज्नोपवोतेन ae योज्यम्‌ अजिनं वासो वा दजि- शत उपनोय द्िणं वाहुमुहरते warn सव्यमित्यापस्तब्बोक्तः | wn विशेषः age

(RR A पपि

# इताचिषाखातिषिद्नाङ्धागुराधादु वसुटेवते, धनिषायाम्‌ शश्र छत्तराश्ये SHE GUA उत्तराषाद्‌ा ठन्तदभाद्रपदणषिव्यधः.।

reo विधानपारिजाते

SMe योगं तललन्यां रजतं तथा | जोवत्पिठकरधायं च्यष्ठो बा frat यदि इति। Raker नोत्तरोयं कुख्ादिलत्रोत्तरोयं नोपरिवासोमावं किन्तु सग्रयिपरिमण्डलं व््रमुत्तरोयं कुखादिति जातूकर्ोकञम्‌ | प्रतएव ठतोयसुत्तरोया्धं इति ढतोयभुपवोतं तत्खानापत्रमपि निषिहम्‌ नववस्माभ्रं हितोवम्‌। तथा पादुकारोषणं चव इत्यादि वचनात्तदारोहणमपि कायम्‌ + स्िया fata: age | यत्र पुसः सचैलं खात्‌ Gra तश्र मुबाडिनो कुवौतेवाथिरःज्ानं भिरोरोमो जट तथा रजीदोषनिमित्तादिष्नानं सिरस भवैत्‌ विधवायाः fircata wares विधीयते शति , तथा | | ब्ानङ्कतलाः Were त्यजब्रद्यामरधो हिज; हज्नानमयो ज्ञला विषमैदेतदूदतः | भत्रानादन्धथा HAT पुनः Maat एष्यति - ततस्तदा RII दथायां टला निष्रोडयेत्‌ मरय

चेत्तपणादूह्‌ एति वस्नपरिधानविधानम्‌

SUM, NA: | १९९.

परध तिलकधारणविधिः। धाराशरमाघवोये EGET मशानसटशं FS पवलोक्य मुखं तख श्ादित्यमवलोकयेत्‌ इति ज्ञानं दानं जपो Hr: खाध्यायः पिढतपणम्‌ |. भस्तौभवति तक्यम्‌ बं प्ट विना छतम्‌ (ति व्रारदौयवचनेन तिलकाकररे प्रत्यवायश्रवणात्‌ तिलक- वधिरावश्यकः | यसु | तिलकं Wael FAH स्मात्ते aay | WAT वाप्यधवा भोक्ता कुर््याश्छा्क्षणि इति पत्तिक पर्डनिषेधपरम्‌ | wey तिलकं कुर्याव पितरा wate | निराशाः पितरो यानि दृष्टा चेव भिपुण्ट्ुकम्‌ | एति दष्टत्वाराशरोक्ः तधा वामुदवोपनिषरि | AAA भगवानब्रारदः सर्वे रं वासुदेवं पप्रच्छ भग- वनूहुएण्टुविधिं द्रव्यमन््शथानादिसदहितं भे avifa नार- देन vel भगवान्‌ हितोयकण्डिकायां तदिधिमाइ | भध गोपोचन्दनं AAAS STA | गोपोचन्दन पापन्न विण्णुदेशसमुङ्व | चक्राहित नमस्तुभ्यं धारणाक्तिटा भव

Ree विधानपारिजावै

इति प्राथ इमं मे गङ्ग इति अलमादाय विष्णो कमिति मयेत्‌। ततः भतो देवा भवन्तु दरयेताभिविष्ुगायत्युग बिबारमभिमन्य्‌ , MEANT इारकानिलयाच्ुत गोविन्द एररोका्च रच मां शरणागतम्‌ + षति मां ष्याला हस्यो ललाटादिषु remedy भ्रनामि(कया).- anger विशुगायत्या वैशवादिमिहाद शनामभिवां धारयेत्‌ ! AMT Tare वा ललाटकर्छदयबाहुमूलेषु यतिलु ¦ तलन्धा िरोललागहृदयेषु धारथेदित्यादि | तथा तत्रव चतुर्थकण्डिकायां भखमधारणसुक्षम्‌ | परथ रात्रावनिहोतरभस्मना ्रमेभसासीद्विशासीरि पदानोति; तरिभिर्मन्बेरहलनं gate एवं विधिना गोषी- चन्दनं धारयेदृयश्मतदधोते स्वेभ्य; पापभ्यः पूतो भव- तोति। भार दानधर्मं

== ~ ~ Se ne pe

"oa ae aga दरखति AZ लीमेस TEEN | भसिक्। रहे वितलया्नौकौये mow geen + fewrta वोरा ante दः पा्धिवानि freak cnife र्ठभायदुक्षरं Bue विषक्रमादधधोरगावः विश्वपे ary ४, sear way गः यतो विशुदिषक्गम wien: areata: १म.

(SH, यजुः |

२१. (Le | श्रोणि पदानि अनिन. भाविः सनिति गृहा परः|

को तख पदनि; aly शदः प्र SH. प्‌, र्‌ |

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दतोः खवकः | Toe

gwarceta ऽपि। जहृपुण्ट' यः करोति तुलसोमूलमत्शया ata नेवं तख स्याूर्नी्दोवियावकलाम्‌ ऋलसंदहितायामपि | SETS खदा काय्यं विप्रेण ब्रह्मवादिना उद्टतासोति मन्तरेण वेष्णवैन विशेषतः इति serene fare SH पाराशरमाधवोये ब्रह्माण्डं जहृषु प्रमाणानि carey fated: | वर्णानि aarenia प्रवच्यामि फलानि पव्धतायरे नदोतीरे मम ae विशेषतः | सिम्युतीरे वलम तुलसोमूलमायिते मृद एतासु सङ्गाद्या वञ्जयेदन्यसत्तिकाः श्यामं शान्तिकरं प्रोक्तं रक्तं वश्यकरं तथा Sat पोतमित्यादवएवं खलमुच्यते |i are: पुष्टिदः प्रोक्तो मध्यमायुष्करो भवेत्‌ | अनामिकाऽब्रदा नित्यं मुक्तिदा प्रदैशिनो

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Syms बरार ACT शतवाहना। Taw मम गात्रि Bes GIA प्रमाचय॥ 26

१०१९

पिधानपारिशाते

एतेरहलिभेदैलं कारयैव नखः WRT | दर्भपाणिः प्रजु्वीत भू(भू मध्यात प्रदोपवत्‌ कामः पुर्किामसु यथेच्छं तिलकं चरेत्‌ | नासामूलं समारभ्य वंशपत्रनिभं शभम्‌ | वंशकानो feo: Falter चन्दनादिना

भादिशब्दाईख्मतोयमदो यथाकालं HAT! | aga पारिजाते |

WAT YS’ GET FAA चेव तु AAA | टेवानभ्य्यं गन्धेन जलमध्ये जलेन इति

तथा!

व्तिदोपाक्षतिं वापि षैशपत्राक्षतिं तधा | OWS सुककलाकारं तद्व कुमुदस्य मद्छकूखाक्षतिं वापि शङाकारमतः परम्‌ दशणाङ्कलप्रमाशं ACTA TATA |

TAT मध्यम ख्ादष्टाङ्कलमतः परम्‌ |

षट्‌ सप्त पञ्चमिः ge’ मध्यमं तरिविधं खमतम्‌। चतुसिदाङ्कलेः qe’ कनिष्ठं विविधं सृतम्‌ | पादुकखी नादे जले वावलोकयेत्‌ |

प्राहतभ्रिराः garter wire

WaT कश्ाङ्म्‌

ललाटे केशवं विदयाब्रारायण्मधोदर | माधवं एदि विन्य गोविन्दं कश्ढकूपके |

wala, स्तवकः २०३१

विष्णुश्च दते कुचौ तद्ुजै+ मधुसूदनम्‌ तिविक्रमं TUT TAHA तु वामनम्‌ योधर PRAT वामयो कौइकणयोः | UMA VON कड 'हामोदरं सरत्‌ तग्मक्तालिततोयश्च वासुदेवं शिरो न्यसेत्‌ | इति @ केशवाय नम इत्या(य)दिरव्र प्रयोगः :चाचारदोपिऽव्र faire: | ऊहपुण्ड दिजस्योज्ञं चच्चियस्य वि पुण्ड ay | uray वेश्यस्य वर्तुलं शृद्रजातिषु यदा समस्तजातीनामूटुर् परं स्युतम्‌ इति उदं एण्ड" खदा दुर््याचिपुण् भस्मना (सदा) तथा तिलकं वे दिजः कुर््याश्चन्दमेन यदृच्छया. इति. + aR सूतक चेव fears पुच्चजग्मनि माङ्गल्येषु सब्देषु wal गोपिचन्दनम्‌ देवविसजंन(देवकोल्ापन)पयन्तम्‌ | विखानससूत्रे तु मस्मनोदृपुण्ड्मुलम्‌ भूतिः सेति wa होला ललाटद्कदयवाइकण्डेषु श्रादित्यः सोमो नम इनयद्ग्रमालिष्येति | हन्तं वा चतुरखरं वा विन्दुमहन्दुमेव वा |

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५" कवर eee के टज दवि णत इत्यथैः SUT प्रक्रासलात्‌ oo e e 1 ¢ ककुत्‌ ककुदि विभक्तिह्लोप sie: qari अध्रद्याबङ्गतिः। एवं शिर saute |

३०४ विधानपारिजाते

ललाटे aren पुण्ड" लिखितं fara तां yore सनयोखान्तरे लिखेत्‌ दूति पुरषार्घप्रवोधगरयक्लतोशम्‌ भरतएव भग्नो Tra याच्िकैर्ष्पुण्डं (क्रि)प्रियमाणं दृष्यते | ब्रह्मचारिभिविन् कारद्च तेन यथाचारं व्यवखधातव्यम्‌ येनाख् पितरो याता इति मनुवचनात्‌ | शाखां शिखाच्च पुर्डश्च समयाचारमेव पूर्वैराचरितं इुग्यादग्धथा पतितो way इति fayaa | तथा | शङ्चक्रादाहृनन्तु तुलसोदलभक्तणम्‌ | यः कु््यात्रियमं fast याति परमां गतिम्‌ इति शङ्गः | नान्यं देवं नमस्ूर्याब्ान्यं देवं समशयेत्‌ चक्राङ्कितः सदा तिष्ठकद्क्षः पाण्डनन्दन इति स्क्ान्देऽपि काशोखण्ड शङ चक्राह्धिततनुः शिरसा wats | गोपोचन्दनलिप्ताङ्को Erased कुतः शिखा यश्रोपवोतश्च चिपुर््धेव नित्यकम्‌ ब्राद्मणख AIS शङ्षचक्रादिधारणम्‌ इति

e ame पितरा दाता येन याताः पितामहाः | तैन यायात्‌ इतां माग तेन aaa रिष्यति

wae: सवकः Roy

श्राखलायनतु |

fuatwantfas शूलयक्रादिकं fea: |

धारयेत मतिमान्‌ वैदिके वनि fern इति व्व सा(व)धारणमिति न्ायारैदिकमाअमार्गखितस्य निषधा- दिकताज्विकोभयमागेखितस्य भवत्येवेति सब्यैमनवद्यम्‌ भरद वेचारविशेष भराषाढ़्मासविधाने Sea | धारणप्रकारः साततसंहितायाम्‌ |

चक्रं पदं दत्िणे तु गदां श्च वामतः |

श्र्टा्तराहितां मुद्रां सन्बैखानेषु धारयेत्‌ ¦

wie पद्म ललाटे गदां शिरि. धारयेत्‌ प्रकाशसंहितायां विशेषः |

कु्लौ चत्वारि चक्राणि ond efae तथा |

छदि इयं तधा धाय स्तन हे fae तथा

चक्रो हे fad वाहौ चक्रमैकं गले पुरः

तधा पथादहरेदेक हे पाशे दसिषे तधा

पष्टादधस्तथा चकं धाथमेदं सुदरथनम्‌ |

WHEY AAI स्तने वामे इयं तथा |

वामबाहौ हयं धायभैकमेव TS तधा

एकं पाण्डे तथा धाय्ये तधा पालस्य |

WHA तथा चकं wed चेकभेव

धायथभेकं पाञ्चजन्यं शङ्खानविदो विदुः

छदि Gai Wa चेकं बाडमूले इयं तथा

२०६ | विधानपारिजात

धा पद्मं दक्षभाग गदां वं वामतस्तथा | नारायणस्य सुद्रान्तु सम्बेखानेषु धारयेत्‌ इद्‌ सुद्राधारणं वेणवद्पियम्‌ | उपवोतादिवहा्ग्याः शहचक्रगटादयः | ब्राद्मणक्षन्चियविशां ayaa चान्धधा दूति पञ्चरात्ोकेरिति दिक्‌

dag तिक्‌ genta धाथम्‌। तदुक्ं स्कान्दे | सम्िहोतज्रामिजं wa भगिकार्य्योड्वं तथा भ्रोपासनालमुत्यत्रं लच्षहोमोद्वं तधा AVA aT भस्म दद्रशथानोडइवं तथा | warfa afeurarg: सव्येपापहराणि # ्रवणिकानां सर्षामम्निहोत्रसमुदधवम्‌ | भगििकार्यासमुत्यन्रं तदायं ब्रह्मचारिणा | आवसथ्यानिसंभूतं WHAT धाथते पेषं भस्मभरयद्येव Ver; Tey धायते | देवषिज्नतहोमखं धाय्ये यत्रेन सन्पैदा

अगस्यः | प्रातस्तु सजलं WA WITS चन्दनान्वितम्‌ | सायन्तु केवलं.भख गेवधाय्यं सदेव तु षति)

कालागििरद्रोपनिषदपि। भथ कालान्निरंद्रं भगवन्तं सनत्कुमारः WWE | अपोहि भगवंसिपुण्डकविधिं ar किदरव्यं किंखानं कति.

SAA: स्तवकः | १०७

प्रमाणं कारेखा fa देवतं के मन्वाः काः शक्तयः कः कत्तं fa फलमििति। तदु होवाच भगवान्‌ अद्रव्य तदाग्नेयं भस्म सदोजातादिपञचव्रह्ममन्ेः परिषद्य अग्निरिति भस्मे,त्यनेनाति चाभ्यामभिमन्द्‌ मानः स्तोकेतिः समुद्य त्यम्बकं यजामहे इति शिरोललाट- व्तःस्कनपेष्वभिमृश्य निभिख्यायुषे%ख्यम्बकंञच तिक्‌ - तिखो रेखाः कुर्व्वीत व्रतभेतच्छाम्मद सन्येषैदटेषु बेद- वादिभिशङगं तस्माचरेनुमु्रपुनभवायेत्यादि स्मृतिसङ्गहे |

भाले fagua भाति गले रुद्राक्षमालिका | वक्त TSA BATS रुद्रो नात्र संशयः ये भस्मधारिणं दृष्टा वाचा निन्दन्ति. मानवा; | तेषां yey संभूतिरनुमेया विपरिता

इति तिथकूपुण्डधारणविधिः |

पणार निष्पक्ष

मागः स्तोके aaa ar arate at a गोषुमानो अक्षु रौरिषः। मा मो वौरान्‌ रद्र भामिनौ वधौरदिष्नतः सदसि त्की CARN १९ब. १९म. यजुः areaa amae gaia पृ्टिवहनम्‌। अश्वारकसिवाबन्धनक्यीरोय मामुतात्‌॥ कश्यपस्य AAT ज्नलददृस्ययृषं ASAT AZT ASR रायु Dag: | st नमः शिवाय। रएव्द्पः। तथाच--

ओहारादिसमायुकतं नमस्कारामक्षौरितम्‌ |

ama सन्बैसष्वानां मन्‌ इत्यभिधौयते

२०द विधानपारिजावं

सध सन्याषन्दनविधिः। Aq व्यासः | ` प्रातःसन्यां सनकं wars ज्ञानकर्मणि

सादित्यां ofaat सन्ध्यामुपासोत यधाविधि सूर्ययीदयात्‌ पूरव्वघटिकाइयं प्रातःसन्याया सुख्यकालः। तथ सायं सूर््यास्तमयात्‌ yet घटि कादयम्‌ |

भ्रयाचम्य Baa भासने समुपखितः

करं सम्पुट कल्ला सन्ध्यां नित्यं समाचरेत्‌

AAT पुण्डरोकान्नमुपात्ताघप्रणान्तये

ब्रह्मावा्ये षयं प्रातःसम््यां वन्धामुपास्महे इति |

सश्यावन्दनप्रकारसु ्रादलायनग्द्यपरिशिष्टे भ्रव BAMA यावहारात्रयोः सन्धो यश पूर्व्वापराहयो-

स्तत्कालभवा देवता स्या तामुपासोत afeatary प्राच्या सुदो्ां वा दिशि भअ्रनिन्दितायामनल्यमुटकाशयमेत्य प्रातःशुचि. भूतः पाणिपादसुखानि परक्तार्य एचौ Vt भूमिष्टपादो (नयत्रित) सुप्रविष्ट॒भ्राचामेत्‌ प्रकतिखमफेनवुष् दमुदकमोक्तितं दक्षिण पाणिनादाय कनिष्ाङ्ष्टौ fafaet वितत्य तिसरोऽन्तराङ्लोः संहतोहाः Bat are aaa हदयप्रापि जिः पीला पासि VATS Bera श्रङ्ष्टमूलेन भाङुञ्धितोष्ठमास्यं हिः war समञ्च संहतमध्यमाङ्गलिभिः पाणिं प्राय सव्यं पाणिं पादौ

# dang aaa सनच्रासुपासौत यथाविधि। aifeat पञचिमां सम्धाम ईाहमितभाक्षराम्‌

ठतौयः स्वकः २०९

शिरशाभ्यद्य wena संहतमध्यमाहशित्रयेख weg wigea प्रदेशिन्या प्राणविनदइयमनामिकया चद्ुःखोे कनि- हिकया नाभिं तलेन हदयं सब्बाभिरङृलिभिः भिरस्तदपेरंसो केदित्येतदाचमनम्‌

एवं दिराचम्य भासानमभ्युच् दभंपविष्रपारिः प्रथमममन्वकं पञ्चदथमाभिकं प्राणायामन्रयं कत्वा Waa TA ङुर््यादायत- प्राणः सप्रणवां सव्याहृतिकां सावित्रीं शशिरसं वि रावक्तयेदित्येष समनः प्राणायामः!

रधक ARV शचौ पाने सव्ये पाणौ वा भप भाधाय fat तूदकाश्रये यावति gaia तावत उदकस्य विभागं कल्पयित्वा तोधानि तत्रावाह्य ता so; सदभंण पाणिना अआदायादायोत्तानं शिरसि माज्येदोूव्वै भथ रापो हिष्ठेति तिभिः | भरधाचमनमुदकमादाय सू्ैशतिन' पिबैदेतत्‌ समन्व- माचमनम्‌ |

श्रध पुनराचम्य मानयेत्‌ प्रणवव्याहृतिसाविव्रोभि(क कखय)-

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e तो्षावाहनमन्ती वथा- गङ्ग यमुने aq गोदावरि सर्खति। wae सिन्धु कावेरि nasfaq afafy शर शइति।

+ मेश मा मन्धश्च मन्युपतयश्च HRA: पपेभ्यो रन्त az पापमकाषं मनसा घाचा wera पदभ्यामुदरख शिग्र अ्रहमदबलुम्यतु इदमहनापो श्रमृतवोगी gar न्दोतिषिं पर्मानि गुहोमि खाहा।

27

२१० विधानपारिजातं

श्रापो feafa aaa गायत्रीगिरसा चाग्रसासानं परिषिश्चदेत- कार्लनम्‌ |

अथ Wawa क्रतेन पाणिना उदकमादाय नासिकाग्र धारयन्‌ क्ष्णघोरपरुषाक्ञतिं पामानमामानमन्तर्व्याप्य खितं विचिन्य संयतप्राणोऽचमषणसुङ्गं# दूपदामचं चावच्यं दत्तेन नासाविकेन शनं: प्राणं रेचयन्‌ aaa: संहत्य aU aa वत्मना पाणिख उदक पातितं ध्याता तदुदकमवेक्षमाणो वामतो भुवि तोत्रपातेन faat तं पामानं वहतं सषखरधा दलितं भाव- यदेष पामव्यपोहः एनभेके कुव्यैन्ति। adda तस्य व्यपोदहितलात्‌। इति दुपदकं पापशोधनो

vara टभपार्णिः पूणमुटका ज्ञलिमुदत्य वलिल्ा पव्वे- ताना {मिव्यादिल्याभिमुखः खिला प्रणवव्याद्ृतिपू्वैया साविव्या चिनिवेदयन्‌ चिपत्‌। येतु पुनः awaits नेच्छन्ति पेऽना- ama ब्रध्यसुल्तिपेयुरेतदेव श्रष्यनिषेदनम्‌ |

श्रसावादिल्यो ब्रह्मति प्रदक्धिणं परियन्‌ परिषिच्य aa उप- BMI Tal देणे दभाग्भसोत्तितें दभानास्तोय व्याहृतिभिरुपविश्च प्राणायामवयं क्षत्रा ्रासानं व्यादृतिभिरभ्यु्छ सावित्यू ऋषि- दवतच्छ दास्यतुखुत्य तामेतां चतुरक्षरणो विभक्ता(मुचित-

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शि नि NB 9 = ce ee Lae ee

केत चमनं इव्यादिकम्‌। द्पदादिर्वेति aise १८४ पृ प्रटभित; | वलितया पष्पतानां fee विभि एथिषि | भया भूमिं भवतति भहा भिगोपि मह्गि॥ भरम. aca, pay

ढतोयः VAR: २११

फी जितेः,मधितपोजितेः षडभिस्तदङ्मन्ेयधाङृमा मनि न्यस ered तूपं भावयेत्‌ | यथा तसवितुद्दयाय नम इति wee | किस शिरसे arer xfa facfe | भर्गो देव्य शिखाय वष- किति शिखायाम्‌ धोमहि कवचाय इमिलयुरसि। feat at नो नेतत्याय वोषडिति नेतरलला्ेषु विन्यस्य wa प्रचोदया- zara फडति aad प्रा्यादिद शदिष्तु न्धरेत्‌। एषो- SKATE: | एनमयेक नेच्छन्ति, हि विधिरवेदिकं इति। अध मन््रदेवतां ध्यात्वा ्रागच्छ वरदे देवोत्यावाश्य fas- WAST नन्तचेषु भ्रामण्डलदशनाश्न्ाथमनुसन्दधानः प्रणव- व्याहृतिपूत्िकां सावित्रौ जपत्‌ जपंचक्षसूत्रेण भनामिकाया म्यमादारभ्य werd दशभिरङलिपव्येभिवा गणयेत्‌ आगच्छ वरदे रेवि जपे मे afer मद गायन्तं Aaa यस्माद्वायतो लं ततः WAT

इत्यावाहनमन्ः सवितुवरणोयं तेलो वयं ध्यायेम योऽस्माकं रियः परेरयतोति मन्थः |

` श्रध देवताभ्यानम्‌ या सख्या सेक मन््ञोक्ञा देवता aA पास्यव एतां समैटेकरूपां ध्यायेदनुसब्यमन्यान्यरूपां बा यरेक- रूपाख्ग्ग्रुःसामतिपदां तिथगू ही धरदिक्तु wate पञ्चशिरम- मग्निमुखों faqrea ब्रह्मशिरस्कां tafnei दण्डकमण्ड़ल्सत्त्‌- सूत्राभयाङ्चतुभुंजां MII शजाग्नरानुलेपनस्रगाभरणां शर- ्दरसहसप्रमा सम्बटेवमयोमिमां देवीं गायवौभेकाभेव fray यासु ध्यायेत्‌।

२१९ विधानपारिजिाते

wa यदि भिब्रशपां तां प्रातर्बालां बालादिव्यमण्डलखां रक्ष- बरी रक्ञाग्बरातुशेपनसखरगाभरणां AFA दण्डकमण्डलखत्त सूत्रा- wT Agus इसासब्रारूढागनेदमुदाहरन्तीं भूर्लौकाधिष्टारतो गायतं नाम देवतां ध्यायेत्‌ gu wafer तां युवतिं युवादित्यमण्डलमध्य खां Raat ह्ेताम्बरानुद्धेपनस्लगाभरण्ं पश्चवक्तां विनेत्रा waited faye खद्यशा्गडमरुकाहृचतुरमुजां ठषभानारूढृं रद्रदवत्ां TYAe- मुदारन्तीं भुवर्लोकाधिष्टात्रीं atfaal नाम देकतां ध्यायेत्‌ | श्रथ सायं तां ati ठषादिव्यमण्डलमध्यस्थां aarti श्या माग्बराभरणसखगनुलेपनाभे कक्षां शङ्कचक्रगदापद्माङ्चतुभरजां गरुडासनारूढ्ं विष्णुदेवल्यां सामवेदमुदाहरन्तौं waatatfastat सरखतीं नाम देवतां ध्याला Mara जपा wa जातवेदसे सुनवाम सोमशषमित्युपखाय तच्छंयोराहणोमहे नमो ब्रह्मे qa इत्ये ताभिरुपश्याय प्रदक्षिणं few: सन्ध्यां नला अथ TAA गायके साविव्रो सरखत्ये स्बाभ्यो देवताभ्यश्च नमस्छत्य, * तत; उन्त(रे)मे fret देवो भूम्यां पत्वेतमृद्ैनि ब्राह्मपेभ्योऽभ्यनुन्नाता गच्छ देवि यथासुखम्‌ दति स्यां विरच्य भद्रं वो भ्रपि वातयमन इत्युक्ता शान्ति

© mates सुनवाम सोममरातौयतो निदहाति वेदः गः पदति gaify fan नावेव सिनध दुरिता्ग्िः॥ १. ९९द्‌ स्कन्‌ t ग्राहकः AQUA इति बहुषु निबन्षु पाढः।

GAT: MI: | २१४

िरषरमो fececaat ame इति प्रदरं परिक्रामन्‌ नासत्यलोकादा- कताललोकादालोकालोकप्यैताद्य सन्ति ब्राह्मणा Sarat esi नमो नम इति नमस्छत्य गुरून्‌ ठदांश्नोप(सं ्एद्गोयात्‌ | रः एवं सायमपि विगेषसु quafa मन्ते भ्रम्निदेति ब्रूयात्‌ अपंबाहास्तमिताकमण्डलादानशव्रदशनादासोत wa मध्यन्दिन तु अपः पुनन्छिति# मन्छाचमनं कला area ware ary fa; सज्लहाध्यसुत्चिष्य जह बाइरदश्मख | दु त्यं madcap चित्रं देवानाईमिति qanai तशवक्¶रित्े- कया चादित्यमुपखयाय जपमासोनो यथेष्टकालं कुग्यादि्येष् : सन्ध्याविधिव्याख्यात इति | :. श्रध वाजसनेयो) यिसम्भयो च्यते तत्र कात्यायनः। बदा AS करौ प्रकाश्य ae fe

© GIT: gay एथिकौ Veal पूता पुनातु मान्‌ पुनन्तु ब्रह्मशश्यतित्र Mya पनात माम्‌ ~. यदुष्छिटमभान्धश्च यदा दुरित Az | wae पुनन्तु HAIG) भसताच् प्रतिग्रह खाहा॥ TMNT GHG रलसा इत्यादिकया, सवत्या Ve: इचिषदिवयादिक्षवा। $ शद्‌ w जातदेदत्त देदं ayia केतवः। इषे fang a GIT OM. ४१. ay: | § fas dqnrgemets चद्धमि्रख weve: | आप्रा छावाप्यिषौ अनरिच सृथ wry जगतत्तद्छषस साहा श्य. ४१. ay waqeaten पुरखाश्युकषघठश्रत्‌। Gwe ददः शतं Tay शरदः चत दृष्या ALS, द्रत प्रब्रवाम ACE. अतमदोना; खान ALE, अत भूवद AT: तात्‌ | १६. am. BY: |

२१४ विधानपारिजाते

रायम्यासून्‌ पुष्पाण्डग्युमिश्राखयदँ प्रचिग्य जवा इरुदय५मुदुत्यं चितं तच्चतुगायव्या यथाशक्ति विभराडित्यतुवाक"पुरुषसूज्ञ- शिवसङ्ल्यमण्डलब्राद्मणेरुपखाय प्रद्षिणोक्षत्य नमरूत्य उप विशेदिति | Wa यदापि सूत्रकारेण सङ्घ्पतो मध्याहसन्या (उक्ता) प्रद- शरिता तथापि स्शाखाधिकरणन्यायेन | सम्थाव्रयच्च HAA ब्राह्मणेन विपरिता ware ata याति सन्बेक(खमा)अकरोऽपि सन्‌ | serfs qat विकालोना माना दिसो पवंहिता सा वाजसनेयिभिरपि कारां विरहं णलु त्याज्य एव पारक्यकु- मविरोधि यदिति वचनात्‌ | भर्यानन्तरं सथ्यातपेणं काथम्‌ शौनकः | THA वा जपान्ते वा प्रागासौनः कुशासने सन्ध्याम तपणं कायं स्मृत्वा ऋष्यादिवां ततः ऋषिव्यासः समुदिष्टो amt देवतसुयते | छन्दो manawa विनियोगसु तपण | प्रयोगलु $ भू; पुरुषं तपयामि भगवं त- मण्डलम्‌ |

षि 1 |

* eta तमस॒सरि खः Ta उत्तरम्‌।

देवं देवरा CoAT न्योतिशुलमम्‌ २०५, २१. यजुः | frag दहत्‌ पिबतु सोम्यं मध्वायुटं घटृयश्चपतावविड् तम्‌ |

AAA यौ अभिरचति तना प्रजाः पुपोष पुरुधा विराजति ३१३अ. Rom. AW! { परोक्षमिति बहदु निबरषु gia: |

WA: स्तवकः | ३१५

्रसग्मरूपिसम्‌ श्रामानम्‌। गायतीम्‌ वेदमातरम्‌ | ऋ्कगतिम्‌ सख्याम्‌ gay) mM) उषसम्‌ नं जम्‌ सम्य सिदिकरोम्‌। सन्ैमन्त्ाभ्िपतींस्तपयामि Swat प्रणवमुच्चाय तपयोत तदन्तिके |

waa विधिना कुर्यात्‌ सन्यातपणसुत्तमरम्‌ इति

भथ सन््यावन्दनविधिः |

तत्र योगियान्नवख; | आपो feefa तिमिकटग्मिस्‌ प्रयतः शविः | नवप्रणवगुक्ञाभिजलं शिरसि निक्षिपेत्‌ शौनकः , gaitaaa विधिना प्रोक्षयेत्कुशवारिणा | विषपो चिपैदृहमधो यस्य ware (च) सः इति | #ष्यासस्‌ भूमौ afe तथाकाशे qirrart तथा मुवि। sata भुवि aie स्यान्ञ्नानं विधोयते | STAT दये भूमौ पादयोः भरष्यविषये | गोग माचमुदुत्य रविं वोच जलाश्ञलोन्‌ हौ पादौ समौ लला पाणो see निचिपेत्‌

# Uae 72 Wena yal रघुनन्दनः |

are विधानपारिजाते

AMER दातव्यं मुद्रां तश्र कारयेत्‌ | तज्न्ङ्ृ्ठयोर्यागे creat सुद्रिका भवत्‌ राक्षस्या FRAT Sa तत्तोयं रुधिरं भवेत्‌ ` गोगरद्लक्तणन्तु | प्रादेणसु प्रदेशिन्या तालो मध्यमया भवेत्‌ | गोख गृङ्कमनामिक्या faafag कनिष्ठया शातातपः | TAT प्रदातव्यं Tans शचिखले | प्रातमध्याहयोः काले उलायाध्यं जले Fade उपविश्य तथा सायं खले चाध्यं विनिहिपेत्‌ व्यासः कराभ्यां तोयमादाय गायत्रा चाभिमन्ितम्‌ | भ्ादित्याभिमुखस्तष्टंखिरुं aaa: हिपेत्‌। WAS Teas पेपणोयं दिजातिभिः a aa हेतुः Gre | famenrant: महावो्या मन्देहा नाम TANT: कृष्णातिदारुणा घोराः सग्यमिच्छन्ति खादितुम्‌ |

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faa: alalstatal weer नाम Tear | उदयन्तं महसां एमभिगुध्यि ते gery गायत्रा चाभिमन्ुह ललं Fwy: fade | am शाप्यमि ते देखा वौभूतिन वारिणा

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ठलौयः म्तवक्षः | २१७

सतो देवगणाः TA WAT तपोधनाः | उपासते सदा सन्ध्यां प्रधिपन्छदकाश्जलिम्‌ दद्मन्ते तेन तै SAT वव्योभूतेन वारिणा ततः प्र(या)पाति भगवान्‌ ब्राह्मणेरभिरलितः बालखिल्यादिभि्षव जगतः पालनोद्यतः पशाव्लपेचच साविभ प्रादतिश्छविवत्तनम्‌ | FAMAT नासाख्च चचचुःग्रोत्रमुपखशेत्‌ ्ौपसाने विशेषमाह कश्यपः | इस्ताभ्यां afeagar प्रातस्तिषठेहिवाकरम्‌। WATE FY ऋज्‌ ATH सायं मुङ्कलितौ करो | मग््विगेषमाह देवलः | मित्रस्य चषणोसिखो वसबस्वेति†' चोदयेत्‌

मिवख weal: एतोऽबा दैवस्य सानसि |

Gea चिब्गरवल्मम्‌ ११. qa. यलुः।

faa सवितौदपतु सुपाणिः खङ्टिः gaya sw)

अभ्यचमाना एचिन्यामाश्ा fem wise ११. Cam. दलः

खल्याय दहतो भवीद्‌ तिह प्रवा लम्‌

सितां set परिददाम्बभित्या एषा मादि ११ब. Cum. ag: |

बसवस्त SSA गायञ्च इन्दलाङ्िरखत्‌ |

Aza Gey Sens इन्दसाङ्धिरखत्‌

wifcara Gey जागतेन इन्द साद्धिरखत्‌ |

विवरे ला दैवा dre बाच्छन्दन्वानुष््मेन इन्दसाद्धिरब्वत्‌ ११अ. Cum. am 25

Are विधानधागिजिातं

दमं मेति चतुष्केश+ सायं कुग्यादुपखितिम्‌ arg! सन्धया ्रयेऽप्यकभेव श्युपखयानं प्रचक्षते | उइयमुदुतयं fad तचश्ुस्तिष्ठेहिवाकरम्‌ | कात्यायनसु |: ठञ्चित्रर्ग्‌ दयेनव-मुपतिषे(दनन्तरं)हिवा करम्‌ | सन्धया दयेऽप्युपखानमेतदाइमनोषिणः। मध्ये ay उपयम्य विश्ा(जा)हाटोच्छया अपैत्‌ अर्को दिनस्य मध्ये | भस्य उदुत्यं fad देवानामित्युग्दयस्य उपरि विभरा(जा)डादि इच्छया यथेच्छं जपैदित्यथेः | श्रथ AUNT: | AH व्यासः | तजोऽसोतिगः Trad maarared fest: | भ्रावाद्न तु जपैवरान्नो गायत्रीं तां महाफलाम्‌ गायत्रकपदोत्यादि§ गायत्याः प्राथनं चरत्‌ नमस्त तुरोयायेति¶ नमस््त्य तां जपेत्‌

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oH मे वर्ण WH इव मद्या AST लामवस्युराचक्षै २१अ. a. यजुः। इत्यादिना मनुबतु्टयेन | Sea तमसः इत्यादिना चित्र देवानामिल्यादिना इम्‌इवेन | बेगोऽसि गक्रममतमायुष्या sya पारि देवस्य al मवितुः प्रसवऽञिगोर्बाहन्यां Ge इशाग्यामाददे २९अ. १म. यजुः मायत्राख्यं कपदो हिपदौ fara चतुषपद्यपदसि।

| नमे तुरोयाय दश्िताय पदाय परोरजपै। सा पदो मा प्रापत्‌

WITS

WAT: स्वकः ११९

aca देवोत्वादिना wer विकल्पः वैजोऽसोत्यादेवीज-

समैयिशाखापठितला्षदिषयलवं वा | TIAMAT प्रकारान्तरेणाग्युक्म्‌

मुक्ञाविदुमहेमनोलधवलच्छायसुं खः पश्चभि- यक्षामिन्दुनिवचरद्रसुङ्रां तच्वामवणौखिकाम्‌ गायों वरदाभयाह शङ्ख शान्ढुभ्वं कपालं गुणं शङ्कं चक्रमधारदिन्दयुगलं शसो वदन्तीं भजे

जपप्रकारमाइ UTS: |

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प्रणवव्यादृतियुतां MANY जपेत्ततः | समाहितमननास्तुष्णीं मनसा चापि चिन्तयेत्‌ ध्यायेश्च मनसा मन्तं जिद्वोष्टौ चालयेत्‌ कम्पयेच्छिरो WA दन्ताब्रेव प्रकाशयेत्‌ RAAT करौ प्रातः सायं Rafat (करौ) तु तौ मध्ये तिक्करौ प्रोक्गीः जप एवसुदाषतः विधियश्नाच्जपो ast विशिष्टो दशभिमुकः | SUT: स्याच्छतगुशः साहस्रो मानसः खतः | विना we जपो ag चलजिद्वादिजच्छट्‌ः | उपांथ्‌ तं जपं प्राइमनसा मानसं बुधाः gaat समध्यां जपंसिष्ठेकावितरोमाकं दर्शनात्‌ | पशिमान्तु समासोनः सम्यगक्षविभावनात्‌# |

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8 @ e * weeny, अरकनिावनात्‌--दयमेतदसमनम्‌ | उभयव Walk qual, wae

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मध्याङ तु) तिषठ बेरौशमाणोऽकं अपं ङुब्यां समाहितः अन्था MTS: FATA: कु शासने श्रासनान्धाह व्यासः | केयं क्रम्बश्तेव अजिनं पदमेव वाः | दारुजं बलपव्रश्च भासनं परिकल्पयेत्‌ लञष्णाजिने श्रानसिदिर्माकयोर्ग्याप्रचश्यसि गजा[विा)जिने व्याधिना शः स्य वं चित्र कम्बले मादोितशोपविेत्‌ क्षष्णसाराजिने wei दूति निषेधारोितविषयं कृष्णाजिनम्‌ | शाकशग्यासनं TA AAI AAW: | wearers एतानि परेषां कदाचन पादेन पादमाक्रम्य जपं नेव तु कारयेत्‌ शिरः WITT TAT ध्यानं नेद प्रशस्यते न्‌ पाणिपादचपलो नेतचपलो दिजः वाक्‌चपलद्चव जपन्‌ सिहिमवाष्रयात्‌

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e sree सब्धसिद्धा anwedy siafaar मगालिनन्‌ | wearer रोगहरं वैन चरो विवहंनन्‌।

Witte पदं प्रो कम्बलं द्‌; ढमोषमनम्‌ बग्माविकं तु कार्पासमयम्‌।

चासने कापांसमये जपो नवति force: | ठति ज्ह्रजामते कार्पादनववन्ञाने Serer |

BAT, स्वकः RV

मनःसन्तोषणं शौचं मौनं मन्ताथेचिन्तनम्‌ प्रव्यग्रतमनिर््वेदो जप(सम्पत्ति)संसिदिष्टेतवः I खसिकासन(मा)अासोनो अपसिदिमवाप्रुवात्‌ ATA सम्यक्‌ लता पादतले उभे # ऋलुकायः Taran: खस्तिकासनमुष्यते | पद्नासनसमासोनः सम्बेलिदिमवाष्रुयात्‌ उत्तानौ चरणौ aT जरसंखयौ प्रयब्नतः | eatery AMAT पाको लला ततो TMT } नासाग्रे विन्धशेहषटिं पद्यासनमिदं स्मृतम्‌ शआ्आसनान्तराणि तु ्रन्यगौरवभोत्यात्र नोक्षानि | बसरेशाच्छाद्य खकारं द्विषं यः सदा जयेत्‌ | Ae तत्फलं जप्यं तद्ोनमफलं WIT लपकाले aware गुरोरपि दयेत्‌ | euted तथा भैरो पतिते दा्षसूतके प्राशायामतरयङ्कला तप्राश्नमाचरेत्‌ | GT शष्वस््रेण खले चेवाद्रंवा सज्ञा | जपो होमस्तथा दानं तमन्ये निष्फलं भवेत्‌ # अथ जपमालाप्रकारः | पाश्च | अरिष्टं cesta ny ow तथा मिम्‌ कुशग्रयिखध शद्रा्लमुत्तमं चोत्तरोत्तरम्‌ अङलोजपसंख्यानमेकमेकं वरानने |

१२९

विधानपारिजाते

पर्मैभिदशसंख्यातं प्रजो वफलेदध |

शतं पर शहमणिभिः प्रवालेश्च सहस्रकम्‌ | मौिवोरंशसाहसरं सौवरशेलं्तमु ते FUTIAN Alleys तुलस्यानन्तकं फलम्‌ | WHTM AAT afeqat est नवा | निशला ग्रथिताऽव्यङ्गा अन्योऽन्यं धृष्टिवज्जिता | UTA TIM Aly Afear afar | ara भिन्नसूत्रेण ग्रथिता cee पुरातनो माला दुःखप्रदायिन्धो ग्रथिता निन्यतन्तुभिः।

पाषण्डस्य तत्सम्बन्धिनो |

werfeara मणयः Fer, स्यजंपकमणि | अष्टोत्तरशतं संख्या मणोनां श्रेयसो भवेत्‌ तदशैसंख्या कथिता मध्यमा चाधमा पुनः | सप्तविंशतिसंख्याता ततो नेवाधमा भवेत्‌ तखन्धा Blea क(धै)गमे्र विधूनयेत्‌ | ङ्क्स तु TAS परिवन्ते समाचरत्‌ मध्यमाकषणं तस्याः सन्धैसिद्िप्रदायकम्‌ | नान्धाङ्गलिभिराकर्षेब age तथा WHT अभावे तत्षमालायाः कुशग्रन्यााध पाणिना जप एवं हि कव्य एकाग्रमनसा सदा |

पाणिमाला चेयम्‌ |

श्नामिकाया मध्ये मध्याघःप्रक्रमेष च|

SAT: सवकः | २२९

तत्लन्यादिगतान्ते भक्माला करे खिता waa: | श्रनामिकामध्यरेखामादिं war तदधःक्रभण प्रद- सिणावर्ततल्णं न्धा भ्रादिरेखा भन्ते काया शेयं at खिता माला दूत्यं; | यमः | सहस्रपरमां sal शतमध्यां दशावराम्‌ गायतोन्तु जपेतित्यं सन्येकछमषनाशिनोम्‌ | पव्वेभिसु जपि्वोमन्यव्रानियमः स्मृतः | TAG वेदवोजलवाहेदः पव्वस गोयते मध्यमादिपन्वैहयं जपकाले तु THAT ए(तं)नं Re विजानोयादपितं ब्रह्मणा सखयम्‌# WESTTT यज्जप्तं aed भेरलङ्कनात्‌ ्रसंख्यातन्तु यज्जप्तं cae निष्फलं भवेत्‌ भ्रायमविशेषे जपविशेषमाइ मनुः ब्रह्मचारो षस शतमष्टोत्तरं जपेत्‌ | वानप्रस्थो यतिरेव दिसष्टखाधिकं जपेत्‌ VEU संख्यान्तरमुक्त यमेन | अष्टोत्तरशतं कुखौञ्चतुःपश्चाशिकापि वा सपतविंशतिका areal ततो नवाधमा (भवेत्‌) मता ` दशावरामिति काणयोग्धरासक्षविषयम्‌ | यान्नवरक्थोऽच्र विग्ेषमाष्न |

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२२४ विधानपारिजातै

सब्बे षाद्धेव पापानां सङ्करे समुपखिते | दशसाहस्िकोऽभ्यासो गायत्याः शोधनं परम्‌ सन्रसिरिकामस्य चतुव्विं शतिलक्जप wm: शारदातिशक्ते | तत्चलक्षशविधानेन भिक्षो विजितेद्दरियः | व्याहृतिन्नयसंयुक्षां गायं दोक्ठितो जपेत्‌ इति तथा | we लेकगुणं श्रयं aay हिगुशं wary गवां गोष्ठे दशगुणमन्दगारे दशाधिकम्‌ fafatay way देवताया afer | सहसशतकोटोना॑मनम्तं विष्ुसब्रिधौ काम्यविगेषेशङ्लिविगेषः ` aa वशिष्ठः | WES ated विद्यास्तखंनौ waarTa मध्यमा धनसिष्ा सखाच्छान्तिक्ीख्यनामिका | कनिष्टाकषशै Sar ज(प)यक्खि सिदिदा कूश्मवक्र दोपं लला जपे सब्धैसिदिरिति$ं कृनधचक्रमु्यते

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ae चतुब्विंशति्द्डा, चतुष्विशतितचानि इति कपिलोक्तः।

सहलकाटिगुदितस्षिति निबन्वानरषु पाठः, एव समौयोगः कोटौ गाभिति षरा भनन्वयापएते. |

{ तनसारपि-

Tawny समाति कतं कणौ फलप्रदम्‌ | दोप्यते पुरुषो यप Agena तद्ग्यते |

SUT स्तवकः | १२४

वर्तुलं नव कोष्ठं तत्त्वा PTAs लिखेत्‌

सखरयुग्मक्रमेशव न्यादयशटसु fey

काटोन्‌ बगौन्‌ तमोशान्धां# तथा मध्ये खलाधिपम्‌ |

AMAIA यञ्च FARTS तश्च दोपकम्‌

` तत्पाशकोष्ठौ WET दौ अधोऽधः कु्तिपादकौ |

शेषं कोष्ठं भवेत्प च्छं मुखे सिद्िरनुत्षमा

कराने ARAN: FN दुःखमवाप्रुयात्‌

पटोरहानिम्तथा gee पोडा सखाहन्धनादिभिः॥ `

मोक्षा वदने कु्याहत्तिणे ताभिचाशि्किः ।.

ग्रोकामः प्थिभे qareat शान्तिदं भषेत्‌

शणान्ये WATT: स्यादाग्नेये शशरु(दायकः,वरैनम्‌ |

Awe Wait, स्यादायब्ये तु पलायनम्‌ |

ग्रामे देषे बने थापि ay कुब्रावलोकयेत्‌ |

arena जपः कायः सम्यैसिदिमभोणुभिः।

quamatamay यः कु्यास्लपयन्नकम्‌ |

तस्य (जाप्योयन्नरफलं नाम्ति सन्बानधाय कल्यते | एति | , Way |

eee ee Ts we coer te वनन Sa ee "नः, = bl swe ee ee

# awat इति तन्टसारः। t ghane भगावा्मकलहुकं कतिपदख्यलेषु sa कर्ये प्रया गधासागरमङ़मे। सड।काल Gime द्‌) पश्यान्‌ चित्तवत्‌ इति। "|

२२६ विधानमपारिजात

चोरौदनतिला get शौरदुमसमिदरः | परथक्छदहसरभितथं सुया शन्छ सिश्वये तक्तसंख्यासशखाणि मन्तविल्नइयात्तिलेः। सम्धपापविनिभंक्षो दोघमायुः विन्दति॥ भ्ररणाच्येसिमध्वकञ जंइयादयुतं ततः, TRAM AIA षरमासान्राज संशयः बहना fafaetaa यधावक्षाधुसाधिता | हिजश्मनामियं विद्या सिष्ठा कामदुघा मता॥ fa श्रखजपे तु शौनकः | प्रातविप्रः ofa: ज्ञाती इविथाशो जितैन्द्रियः | शअरष्टोत्तरसदहसखं वा शतमष्टोत्तरन्त्‌ वा Sara जपयन्नां्च निलयं gana बे तधा | सन्यैकसगद्यथं परं ब्रह्मेदमुखपे एपव प्रतिलोमोक्ञा पाटाच्छतु विनाशने | कपिलान्येन यः कुाहोममष्टोस्षरं शतम्‌ | | तस्य कामाः प्रसिध्यन्ति षरमाकादेव SHA: TH AMAT यथाशक्ति जपं WAT गावयजोध्यानं षटङ्कन्यासश्च विधाय out शिखरे जातेति गायत्री विसच्ध ब्रह्माणं काथम्‌। योगे |

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देवा गातुविद) मातु विश्वा गातुमित। HVT एम टेव वत्र Se TWA a घ्र. २१म. ae |

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fatederd प्रातः प्रयोगस्लश्र wee प्रातः कब्याङ्गभूतेन MATEY जपेन सान शतसंख्येन ब्रह्माः मे प्रोयतां रविः इति ।॥ FAAS सन्ध्यावन्द्नाकरणे प्रायिस्मुखते | तत्र व्यासः श्रादित्योऽभ्युदिखादयस्य सन्ध्योपास्तिमङ्व्बेतः | ज्ञात्वा प्राणां खिरायम्य गायत्युषट शतं जपेत्‌ | पारिजाते तु , कालातिक्रमणे चेव चतुर््या्य प्रदापयेत्‌ | युक्तम्‌ सद्गवपयेन्तंक् प्रातःसन्याया गौणकालः। शराः प्रदोषावसानं सायंसन्यायाः। इति Wawa: | उदयाम्तमयाटृहं यावत्छाहरिका त्रयम्‌ तावलन्ध्यामुपासौत प्रावचित्तमतः परम्‌ इति स्कान्दे faite om | WATE तु दत्तः | भ््यरैयामादासायं सन्ध्या माध्याह्िकोष्यते | श्र्यप्रदानतः पूव्वमुदयास्तमयेऽपि बा | गायत्यष्ट शतं अग्यं प्रायि. दिजातिभिः.॥ इति MUA STAT यमः |

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© BRAVA ATEAR MTT: HIM: | प्रातःकालो ARMA सद्रवभावटेव q | क्ति वचनात्‌|

“शरद विधानपारिजाते

दिवोदितानि कारि प्रमादादज्ञतानि चेत्‌ भव्यः प्रथमे यामे तानि ङर्याद्यथाक्रमम्‌ | UT सुखयज्ञालाुरोधात्‌ सायंसब्योपासनं पूवे AAT भ्रागुना मन्ते fata दति न्यायेन अतोतक्षालं क्म पश्चालकायेमिति न्यायतः प्राप्तं कस्य निषेधाचै यधाक्रममिति वचनमिति | मदनपारिजातं | दिवोदितानि कञ्माणि प्राप्रवग्धु्तराणि दिवादितानि awa विदध्यादुत्तराणि तु | दूति Geta | Way awe सौरजप्यश्च wag) इति ज्ञानं went त्यजन्‌ विप्र SATE SA व्रजत्‌ | तस्मात्ल्ञानच् सभ्याश्च सूतकेऽपि सग्यजत्‌ सूतक AAS चेव VITA समाचरेत्‌ | waaay प्राणायामद्त दिजः ्राणायाममन्धा मनसापि नोरा इत्यथैः | पठोनसितु | सूतके साविल्ललिं प्र्तिप्य प्रदत्तिशं कला qa ध्यायन्‌ नमर ASAT ATTA सम्यामाइ | Wal तु। TAA वाचा TAN ददादर््याश्नलोनपि | शर्टाविश्तिक्ललोऽ्र गायनौ मनसा जपेत्‌ + इति

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ति गायीजपमप्याइः अर यथाचारं ब्वस्येयम्‌ खादइभोजिनोऽच fate: सङ्गे दशक्ञत्वः पिबेदाषो गायद्मया शराहर्शुग्हिजः + ततः सन्धयामुपासोव शध्यते तदनन्तरम्‌ गोभिलः | सन्ध्या येन विन्नाता सन्या मेवाप्युधासिता जोवमानो AIR कतः शला चानिजायते अच जपात्‌ पूवे पाहा SHAN का ART दशेनोयाः। ताोन्ना गायगोद्दये चतुंशतिः। aye सम्पुट fart faeite दिसुख frau चतुमुख पञ्चमुख FEW अधोमुख व्यापका- च्लिक शकट यमपा ग्रन्थि सण्धखोगुखे विलम्ब मुष्टिक मो कूर वराक सिंहाक्रान्त ASAT ART पहठवाख्याः | तवर | wad संहतौ wenger कुच्िताक्रलो | VUE पद्मकोशाभौ तावेवान्धोऽन्धशहतो विततं WH इस्तावु्लानावावताङ्गलो | faethe संहतौ पालो मिघोमुक्ञाङ्लिदयो SUTRA: TA: कनिष्टाइययोगतः | शेषाङ्लोनां acerfrqatagare: agafa ` सम्खासक्षपाण्योः कनिष्टाहययोगैन Rory ait facaaa अह्गष्टहयमारग्य भरनामिकान्तं यावत्‌ feqefa- मुखचतुमु खपञ्चमुखा मुद्राः सयुः

२३० विधानपारिजासे

पिषाहृलोनां संयोगात्‌ पूव्यैयोगविना शतः

तिथक्छंयुल्यमानाग्रौ dare fare |

हस्तो षरमखमित्य्गौ मुद्रा सुद्राविशारदः अत्र पूवैयोगविना शत इत्यत्र Taal: कनिष्ठादइययोगस्तहिनाभेः Rae: | येषं गमम्‌

अकुच्िताग्रौ egal yet इस्तावधोसुखौ |

SHA तादटशाषैव व्यापकाश्नलिवां करौ

अधोमुखो AY TATA SA करो

शकटं नाम कथितमिति

बचमुशिकयोः OSTA वामतल्लेनो

कुञ्चित ग्राऽन्यया युक्ञा तजन्या न्यु भवक्रया +

यमपाश्मिति प्रोक्घम्‌ wera: बहमुशटिकयोः area उत्ताना कुचिताग्रा वाम- तच्लनो सा भन्धया eeu न्युलवक्रया युक्षा यमपाथ- gata

उ्तानसन्धिसंलोनबदाङ्गलिदलौ करौ

ससुपो्ाटितो दोघावङ्ठौ ग्रन्यमु्ते wa ग्रनितभृद्रे््धः। उत्तानानि सन्धिसंलोनानि बदानि भद्ुलिदलानि aaa तथोक्लौ येषं खष्टम्‌

क(स)चितोद्गाङ़लिर्वामस्ताहथा दचिरेन तु।

wager dye: समरो Ta |

waa, Mae | २११

उन्तानो नतकोटो विलम्बः कथितः करौ |

मरो चान्योऽन्यसंयुक्तादुत्तानो afear भवेत्‌

aay TAA Jarra partes |

उसंयुक्तवक्राग्रशेषाङ्लिदलो करो | ga संगुले भमामिकाकनिष्ठिके ययोस्तौ तथोक्तौ तावन्योऽन्यं सष्मखोभूतौ तथा ऊहसंगुक्ानि वक्राग्राणि शेषाङ्रुलिदलानि ययोः करयोस्तौ मोनो नाम FET |

अधोमुखः करो वामस्तादणा दचिशेनतु।

UBS समाक्रान्तः FM नामाभिधोयते #

BLA वाममुजो THRAA करे |

वाराहो नाम ate: | SARaaAa करे सति उक्तलक्षणो वामभुजो awe माम सुद्रा |

तथातघाङ्कलोग सिंहाक्ान्सः कर्णायितौ करौ |

किञ्चिदाकुञ्चिताग्रो चेक्महाक्रामं ततः परम्‌ तावेव HAA महाक्रान्तं नाम मुद्रा |

किचधिदृष्गतौ पाणो मुद्रो वामतस्लनो | werd: किञ्धिदूषवंगतयोः पाण्डोयां वामतच्नो दक्षिणहस्तेन WAT Aq सा सुहरमुद्रा।

® उलनात्रतक्षोटौ एति ग-पु्के gis: | + अनाम अनामिका

aw ay mgm: gatasa ङलयो वयन्तौ |

19% fauraaricara

अधोमुखः सितो मूष owt afer: करः Vas: | उक्रलक्तणवामत्जन्या मूषि watge: खितो दकिणः करः mat नौम qatar |

जातु Wat महाजनसमागभे |

देवास्तस्य पश्यन्ति विफलश्च छतं भवेत्‌ इति तपादरहस्येव मुद्रा दश्नोयाः |

Waar गायबोत्पणमुक्तं शौनकेन |

THA वा जपान्ते वा प्रागासोनः कुशासने |

सन्यास तयण (कार्थ) बुर्यात्‌ सला ऋषादिकं ततः

ऋषिर्व्यासः wafeet ब्रह्मा रेवतमु थते |

छन्दा गाय कद्व विनियोगशु तप॑चे | नैविदप्रोतियोगाय गायच्रोतपणमहं afte इति ayer भूः पडषद्छषेदं तपयामि. ya: पुरषयजबेदं तपयामि खः परुषसामवेदं तपयामि महः पुरुष wate तपयामि जनः gaa एतिहालपुराणं तपयामि तपः पुरषसर्नवा- ` ad तपयामि wat पुश्वसल्यलोकं तपयामि ¥ मुवः सः परुषमणलानर्गतं तपयामि भूरेकपदां TTT fi तपयामि ya: feuet mat तर्पयामि, खस्िपदां mrant तपयामि ya: तुषा grat तपयामि भोसुषसं तपयामि गायत्रीं तपयामि, सावित्रीं तपयामि सरलतीं तपयामि वैदमातरं तपयामि | एथिवौं तपयामि। जयां तर्पयामि कौशिकीं तप-

ढतोयः स्तवकः | २१९

| : साङ्कतिं तपयामि ® सर्नबापराजितां तपयामि Rawegia तपयामि। भोमनन्तमूर्तिं तपयामि |

~ गायत्रीं quae afta स्यात्‌ (सचराचरम्‌ aaa विधिना ङुर्यौत्रातःकाले तपंणम्‌ मध्या चैव GATS मन्तेरेतेश्च तपंणम्‌ |

दति गायतोकसये प्रातःसम्याविधिः।

श्रध अभिवादनम्‌ |

तत्र UTTAR: £ सम्या्च विधिवल्क्षत्वा मन्ययोरुभयोरपि | | ततोऽभिवादयेहदानसाव्रहमिति हुवन्‌

यमः | waren दौक्ितो नाजा यवोयानपि यो भवेत्‌ | भो भवत्ूजकं लेनमभिभाषैत wire

मनुः | , विप्राणां श्रानतो SST न्नन्निधाणान्तु वोत; : धनधान्येन वेश्यानां शूद्राणान््ेव HAA: Lt ‡" भ्रायुान्‌ भव सौम्येति वाश्यो विप्रोऽभिवादने श्रकारधास्य ATA ATS: FATAT: प्रतः -क्षीशिनिर्पि |

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२३४ विधानपारिजीते प्र्भिवादेऽशूद्र इति | ्र्भिवादे टेः लो भवति तु शूद्रे एति सूत्राथः+# तथाचायं प्रयोगः) ° ्रायुषान्‌ भव सौम्य देवदत्तेत्यादि | यो वै्यभिवादस्य विप्रः प्र्यभिवादनम्‌ नाभिवाद्यः विदुषा यधा ERAT सः दष्स्यतिः | जपयन्नजलख्छच्च समित्पुष्यकुशानलान्‌ | उदपातार्घ्यम(क्षा)्वा्थं वहन्तं नाभिवादयेत्‌ | पाषण्ड प्रतितं व्रात्यं महापातकिनं शम्‌ | सोपानलं RATE नाभिवादेकंदाचन मनुः यस्य देशं जानाति खानं विपूरषं कुलम्‌ कन्यादानं Anat खां तक्म विवल्वयेत्‌ AeA सभायां यन्नशालायां देवतायतनेष्वपि | प्रत्येकन्तु नमस्कारो हन्ति पुं पुराक्तम्‌ तस्मात्‌ सभाखभ्यः Vas नमक्कर्यादिति मावः |

000 कि ति er eee = ~=" = ~

मय

# स्तियार्माप निषे (ति काल्यायमवचनात्‌ सखियामपि प्रदयभिवादनवाश्चे पुतः | गोविन्दरालस्ु ब्राह्मण नाति शपपदं fre प्रामभिध।य प्रल्यभिवादमवाको TAM भवं सोम्य भद्र ति वदन्‌ गिरुपपदसोपपदादाहरणानसिश्रलमेव fast पयति धरणोधरोऽपि आयुष्मान्‌ भव सौम्येति सब्बदधिविभश्यने मरुवचनं gaat अम्ददधिप्रथमेक वचमानतम्‌ अमुकभशरो इया ईरन्‌ वि चचपोरुपैरयौय एब। |

ठतोयः VTA | २३१

क्वान यमोक्ञो faite: | = e. eararata कनोयांसं सन्यायामभिवादयैत्‌

( Et विना gay शिष्यश्च दौहित्र cfg पतिम्‌

५. oe

Seagal Jl Lo wetsfa वा नमस्कार्या सब्बावद्यासु सन्दा इति + erat विशेषो बरह्मचारिविघाने evar: | . अघ प्रातर्होमः।

wa eu, | सथ्याकम्भावसाने तु खयं होमो विधोयते ¢ ` खयं MA फलं यश्च तदन्धेनामु यत. 4 ऋत्ययसारे | यजमानः प्रधानं स्यात्पत्रौ YAS कन्यका | ऋलिक्‌ शिष्यो गुरुभ्वाता भागिनेयः सुतापतिः : एतेरेव इतं यत्तु aE खयमेव हि vat कन्या जुहुयाहिना पयु्तशक्रियाम्‌ त्यादि , वजमानस्य तत्पत्न्या वाः श्रसव्रिधाने अन्येन होतव्यम्‌ त्याग “wel यजमानपन्नो वा उक्नादप्रसवादावन्योऽपि :“, नोपवासो प्रवासे स्याद्रो धारयते व्रतम्‌ , +; WAST यजमानो वा त्यजन्ति खः. शचि; | £ Wale पचामः काथः |

२१६ विधानपारिजाति

मरोचिः। aula प्रकुर्वीत प्रवसम्नम्निमान्‌ यदि | पश्चयश्रविधानन्तु लौकिकेऽग्नौ विधोयते हृडस्मतिः। rel धान्यचतुःषष्टिराइतेः परिकीर्तितम्‌ | तिलानान्तु तदं MASS स्यादृ्टतसय तु कात्यायनः | पाण्याइतिर्हादशपन्धैपूरिका। छरतादिना त्‌ सुवपूरमाचिका इत्यादि अध नलिकादिना अग्निधमनम्‌ | सुखेनेत्यादि मदनपारिजाते | गोभिलः अग्निहोत्रख ward शदिस्तात्कालिको भवेत्‌ | पश्चयन्नाव्र कुर्व्वीत WV: पुनरेव सः AAS: | सूतके समुत्पत्रे स्मात्ते कश्च कथं भवेत्‌ | पिण्डं ad चरुं होममसगोजेण कारयेत्‌ | await: | सूतके wae चेव wal खाहमोजमे प्रवासादिनिमिन्ेषु cada तु हावयेत्‌ इति। TAY Tet भागी ग्रहनच्त्रभूषिते कालब्छगुदितं Aral Va कुय्यदिचक्षणः

Sa: स्तवकः २३७

इति काल्यायनवचनं वाजसमेयिविषयम्‌ | उपयमनप्रशत्वौपा- सनस्य परिचरणमस्तमितानुदितयोरिति तकूव्रात्‌ उदितहोमखुं प्रा्ललायनापस्तम्बादोनाम्‌ तत्सत्रे तथा विधानात्‌। भद्र UR सायं तदेव प्रातः। एवं कर्तापि WA मुख्य कालासम्भषे गोणकालमाहइ मण्डनः ° खकालादु्रो गौणः कालः पूरय ake: | यदागामिक्रियामुख्यकालस्याप्यन्तरालवत्‌ गोणकालत्वमिच्छन्ि कैचित्माक्ननक्रणि इति VAM उक्तो मदनपारिजापै। Maracas ah विदितं तस्माम्बुस्यकालादुत्तरो यः काल उत्तरकद्चकालावधिकः पू्य- RAT गोणकालः। यदा भगामिक्मणो यो मुख्यकाल- रूस्यापि पूतैकश्णि केचिद्रौणकालत्वमिच्छन्ति | तत्र दृष्टान्त; | भ्रन्तरालवदिति यथा पूर््वोत्तिरकश्चणोमष्यकालम्तहदयमपी. त्यथः | उत्तरकग्मकाले पूर्बबौत्तरकश्षणोः समावेशे यहति पत्त; | तदसमावेशे तु VATA एव गोण इति BIBT Far) ae गौणे यधा cara कुय्योदित्युपवन्धादिति न्यायादिहिताङ्गा-, भाषे तत्सह शप्रतिनिधिग्रषणस्या चितलादावश्यकेषु नित्यमेमित्ति- aaa सुख्यकालासम्भवे ङ्गः तु काम्येऽपोति। aad दशंशराहादेरमावास्यादिषिहितक्ालातिक्रमे गौशकाल-

-- ~~~ ~ = या ति = योजनया यनेका क्छ

# मलमासतत्व तु एवं व्याातम्‌। येति TAT! AMAR मध्यकाशवत्‌ प्गामक्रियमुखाकाशखापि ahem तनं सायदम्याया राबिः प्राते.सम्बादालस ae. काल इति|

२३८ विधानपारिजाते

कव्यता स्यादिति चैत्‌ भ्रतो्ते। कालो्ेन at विधौ- aa a कमणि कालः AMAIA! तथाच कालो निमित्तम्‌। निमिक्षभूतकालामावे चाधिकाराभावादन्यकाले ad wa भरक्ततमेवेति तत्र गोणकालग्रषटणम्‌ यानितु मुष्यकालासम्भवै गौणे arate वाचनिकानि तान्येव We कार्याणि

यथा कथञ्चिलर्तव्यं नित्यं aa विजानता |

प्राप्तस्य विलोपोऽस्ि पेढकस्य विशेषतः दिवोदितानि aaify प्रमादादक्ततानि राल्याः प्रथमप्रहरे कार्याणोति। dea नाम श्राद्दिकग्राहम्‌ |

श्राद्विप्रे समुत्पत्रे कदाचित्सूतकादिना |

सूतकान्ते तु AMA YAMS दूति सया wala: | दशंश्राहादौ वचनाभावान्र गौरकालः- कात्तव्यतति सव्ये समन्ञसमित्यलं विस्तरेण wa प्रायधिततादि- सन्धेविशेष श्रौपासनविधाने दरषटव्यः |

श्रोपासनानन्तरं ब्रद्मयन्नकालः। carer प्रातराडइतेरिि कात्यायनोक्ञः। भव्रासम्धषै तर्पणात्‌ पूव कायः भश्रावसरे देवतानिश्चाद्योहासनमु्गं aces |

श्रपसारितनिन्ाल्यं तरणेः किरणात्‌ पुरा

पूजकसु ततः कुग्योदाखनादिकमामनः

अविवाहितकन्धा श्रञ्नाता सरखती |

देवता सनिर्माश्था इन्त ge पुराक्ञतम्‌ इति

ठतोयः स्तवकः | २३९.

किरणात्‌ किरणोदयादित्यथः। मरोचिः। विदध्या वतापूजां प्रातर्होमादनन्तररम्‌ | खण्डिले प्रतिमायां वा ast वा हृदयेऽपि वा दति प्रातर्होमविधानम्‌। `

wa नित्यदानम्‌। तत्र ATTACH: | दातव्यं प्रल्यद्ं ura fafa fanaa: | याचितेनापि दातव्यं श्रहापूलन्तु शक्गितः avaeta यकिञ्धि्ोयपैऽगुपकारिषे | श्रतुदिष्य फलं तस्य ब्राह्मणाय तु नित्यकम्‌ इति हेमाद्रौ | , गला होये दानं तदनन्तफलं सतम्‌ | सहस्रगुणमाहइय याचिते तु acta श्ति। ग्रामादश्ैतरो ग्रासो wae: किंन टयक | श्ष्छागुरुपो विभवः कटा कस्य भविष्यति भरल्ञाताओो मलं Yea Wat पूयशोणितम्‌ | प्रहत्वाम्नि क्रिमिं gem weer fala wae देयवस्याह ANAC: | गोभूतिलहिरण्यादि पारे दातब्यम्चिंतम्‌ नापात्रे विदुषा किञ्चिदासनः श्रेय इच्छता

२४० विधानपारि्जिति

अचर नापात्र इत्यनेन gaffe ura भसत्रिहिते aes त्यागं aa प्रतिश्रवणं वा क्तवा भपयेब्र ताते देयमिति सुचि तम्‌। प्रतिगुलापि' wae पापं त्राला ae दद्यात्‌ sara दाननिषधात्‌। अनधिकारिणा तद्वाम्‌ विद्यातपोभ्यां vita तु are: प्रतिग्रहः | WEF प्रदातारमधो नयल्यामानमेव इति qa: भ्रतेतिकन्नव्यविगषशतुधस्तवके (न्यः) वच्छ | अत्र Wal सो AYR Yaa yA लभते aga Far- feat | | | | ret यच्च पितादिकेभ्यः कुया इत्ताभ्यञ्चनं सत्करियाञ्च | तस्यां सा तत्फलं नान्यचित्ता नारो भुङ्के MYT TA | या वञ्चयन्ति wart योनिदूषाश्च या; fea | यानिटोषात्‌ gene नाश्रन्ति निरवङ्माः भ्रनाक्नायमला वेदा ATM TATA मलम्‌ कौतूहलं मलं साध्वया मलं दानस्य कौत्तनम्‌ दति नित्य दानबिधानम्‌ |

® तच भ्रा say |

कतोयः स्तवकः २।॥

अध मङ्गलावेच्रम्‌ |

गुरुनग्नों were प्रातः पश्चेकदा बुधः इति भारतं | * awl ्रातियधामिव्रं दरिद्रो वो भक्षेदपि | ग्टहे वासयितच्छास्ते धनमायु्(भेव च)मिच्छता | WE पारावता धन्याः Ware सहसारिकाः | ग्टहेष्वेते पापालु तधा वं तैलपायिकाः | BETAS WATT कपोता भ्रमराम्तथा | अमङ्गल्यानि चेतानि तथाक्रो्ो महासनाम्‌ A कात्यायनः ख्रोवियं सुभगामन्निं गामग्निचितमेव | WIAA यः प्येदापद्भ्यः प्रमुश्यते खोतियलक्षणमुक्षं भारते | जनना ब्राह्मणो Va: संस्कारहिज उश्यते विद्यया याति विप्रलं विभिः atfaa उयते » याञ्चवरकयः qe: क्रियाः wer बेदमसे प्रयच्छति

` एकदेशमुपाध्याय ऋतिवगयशनकतं दुच्यते 31

२४१ विघानपारिजातं

नारद. लोकेऽसिषषकलान्यष्ट ब्राह्मणो Tears: 1 हिर्यं सपिंरादित्य wat राजा तथाष्टमः एतानि सततं पश्य ब्रमस्येदश्चयेधः प्रदचचिशानि कुवीत यस्तस्थायुन शोयते इति मङगलावैक्षणविधानम्‌ | इति गोमव्रागदैवभहामजग्रोमदनन्तभष्टविर चिते विधानपारिजाते ्राङ्किकविधो दिनप्रथम- भागक्षत्यविधानं समाप्तम्‌

अथ हिलोये भागे Waa कायम्‌

aa दत्तः | fama तथा भागी Fenarar विधोयते समित्यष्पकुशादोनां क्षालः समुदाहृतः

, वेदाभ्यासो ऽनेकधा भवति | वेदस्वोकरणं yo विचाणोऽभ्यसनं पुनः |

aera चेव भिष्यभ्यो वेदाभ्यासो हि प्चधा^ इति

( ce a re EN

# तदाप्यादौ परम्परागतो वैदः पठनौयः। तथाच वशिहिः- पागम्प्यागतो यषां वेदः सपरिषंहणः | प्रथम तमधौयौत ABS कभ चाचरत्‌ | यः mat परिव्यन्य परशाग्ां समाश्रयत्‌ | शद्विः सकाम aryfa: उति।

————

दतोयः स्तवकः २४३

aa तावष्टष्ादिकमुश्यते | ऋग्वेदस्य अग्निक्रंषिरम्निरदेवताः गाधन्रो न्दः अध्ययनादौ विनियागः। aqaew वायुऋ्छषिवीयुरदेवत्म freq छन्दः अध्य - यनादो विनिधथोगः। सामवेदस्य रादित्य ऋषिरादित्यो देवता जगतो छन्दः waaay विनियोगः waaay गुरुचवाप्युघासोत खाध्यायाथं समाहितः | श्राहतखाप्यधोयोत Marya निवेदयेत्‌ | इति विधिना कर्तव्यम्‌ water बेदार्घोऽवगन्तव्यः | श्रधोत्य विधिवदेदं sere विचारयेत्‌ | सान्वयः शूद्रसमः पात्रतां TTA | इति सतः | क्ञतन्नाद्रोदिमेधाविष्चिक(खया)ल्यानस्यकाः | TMT waa: साधुशकरान्यन्नाजश्वित्तदा" कल्य आधिव्याधिरहितः। शक्तो गुरुशशरुषायाम्‌ WEAN 1 एतं क्तन्रलादयो wal व्यस्ताः समस्ता. वा यधासश्बवं वदि- तव्याः वेदाभ्यासरतं क्षान्तं महायत्नक्रियापरम्‌ खृशन्तोह पापानि महापातकजान्यपि मनुः |

9 SUN ज्ानानदम्‌। + मनुस्तु -आचखपुचः Wags पाशिकः ate आपः MMS: मापेः खोऽध्याप्या दज wey:

९४४ ¶वधानपारजातं

निन्ाताने कुर्यात्‌ प्तं शिष्यश्च तायेत | TINT Wits arrange वक्षसि carte | भधानध्यायाः। , तत्र उशनाः | waa विषुवे चेव शयने बोधने तथा भ्रनध्यायं Waele मन्वादिषु युगादिषु ary परतेष्वनध्यायः शि्यलिमारुबसुषु उपाकश्मणि चोमे खशाखाशोत्रिये (aa) तथा चतुदश्यां पञ्चदश्यामष्टम्यां राइसूतके# ऋतुसन्िषुण yw रादिकं afr चथ इदभेकोदिष्टव्यतिरिक्र विषयम्‌ मेको दिष्टे are Stew दति fatale: | पश्मण्टृकादिभिरन्तरागमने अर्ोराव्रमन- ध्यायः{ देशे शचावामनि चेति सप्त्िं्रदनध्याया यान्न- AAT TAT: तघा।

जना ee ee ee 11 ए. 1 7

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# राहतूतके यत्युहानध्यायक तनं तदृग्रलालविषयमिति कथित्‌ t ayuiag इतुसन्बिगतामु प्रतिपल्षु इति विन्नानेश्रः | शाखि प्रतिग्टह्म इष्यत्‌ प्येएविषयम्‌। एकोदिशटमोजनादौ मनादिभि- ख्यक: इति गोपौनाथः | $ प्म्डकगक्लगाहिमा्जारमूषकः | BAA PTT शक्रपाते तथोष्णे

++

इति याश्चवस्कावचनात्‌। शक्रपातोकयक्षारसु भ्रायिनक्नखपदचन्ा तदुल्यापनं विलवदशब्वां तद्वरोपश्मिति |

waa: BTN } २४४

रात्रौ यामदयादर्व्बागूयदि प्ेचयोदभौम्‌ प्रदोषः तु विन्नेयचतुर्थी yx | सप्तमो साैयामख्या प्रदोषोऽधोतिर्वसिितः इति saan विषो ब्रह्मचारिप्रकरणे द्रष्टव्यः | दति योविधानपारिजाते भङ्िकविषौ हितोयभागन्नत्यविधानं समाप्तम्‌ |

श्रध धनाद्णनपिधिः |

तत्र दक्षः | ढतोये तथा भागे पो्यवर्गाथेसाधनम्‌ | पोष्यवगलु | माता पिता गुरुभार्यां प्रजा दोन: समाथितः। अभ्यागतोऽतिथिशान्निः बोष्यवगें sere: योगोखरः | उपैयादोष्ठर्ेव योगचेमार्थसिषये दततरममिषेकादिशुशबुक्तमन्धं वा शरोमन्तम्‌ भअरलबलाभो योगः लब्धस्य रक्षणं Bq: az: | सप्तवित्तागमा wat दायो लाभः aay जवः प्रयोगः BATE सद्मतिप्रह एव हायो(ः)न्यायागतं धनं लाभो निधिदर्थनं प्रयोगो ह्यध घन-

२४१ विधानपारिजाते

प्रदानम्‌। कमयोगः कृष्यादिः। इदन्तु विप्रादेयधायोगयं क्रेयम्‌ | तथाहि | अध्यापनमन्ययन यजनं याजनं तथा | दानं प्रसिग्रयेव षट्‌ कश्मा्यग्रजश्मनः I षान्तु aaa जोरि कश्माणि जोविका। याजनाध्यापने चेव विशुाश प्रतिग्रहः प्रधानं faa कम प्रजानां परिफलमम्‌ | कुसोदक्लषिवाणिण्यपाशपास्यं विशः स्मृतम्‌ कुसोदो हदिजोवनम्‌ | शूद्रस्य हिजशुगुषा तयाऽजोवन्‌ बणिग्वेत्‌ | शिल्येव विविधो वेदिजातिहितमावहन्‌ मनुः अद्रोहेण भूतानामल्यद्रोहेण वा. पुनः | या हत्तिस्तां समाखाय fam जोवेदनापदि ऋतायताभ्यां जोषै(त)त्त Bia प्रसृतेन वा! सत्यावृताभ्यां जोवेत# MTU कदाचन | ऋतमुन्दशिलं Sarat स्यादयाचितम्‌ | खतन्तु याचितं भं प्रमृतं कषंशं सृतम्‌ सत्यादरतन्तु वाणि तेन चेवापि aera | सेवा षहत्तिराख्याता तस्मा त्ता परिवन्नंयेत्‌ |

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9 sUaMeia वापि इति मनुषडितायां az: |

हतोयः स्तवकः | २४७

¢ कुसूलङुम्भोधान्धो वा क्हिकोऽखस्तनोऽपि are yee @tea कुम्भो उदष्टिका ताभ्यां धरिमितं wei aa a संवीक्षः। अष्पर््यापतं धान्यं यस्य त्ाहिकः। नासि waa ग्धं यस्य सोऽश्वस्तनः कु चलधान्धारिसङ्गहो पायमाह यान्नवश्काः | जोवेद्ापि शिलोञ्छेन खेयानेषां परः परः | शाल्यादेनिपतितपरिव्य क्ञवक्रो ग्रहणं शिलम्‌ | एकं कस्य त्यक्षकण- स्योपादानमुञ्छः। एषां कु घूलधान्धादोनां मध्ये परः पर उभ. VA ग्रयान्‌ प्रणस्यतर इत्यथः, एतश्चातिरंयतं यायावर प्रतयच्यते शालोनं प्रति एतहविध्यमुक्लं वशिष्ठेन | दिविधो fe weet यायावरः शालोनथेति | तच्रासंयतो यायावरः शलोनलु प्रेथचतुष्पटधनधान्यादियुक्षः। शालोनस्यापि चातुविध्यसुक्लं मनुना | षटकर्को भवल्येषां वरिभिरन्धः प्रवतत | हाभ्यामेकश्चतुधतु ब्रह्मसन्रेण Talay

[ ५१ ए) ~~ ~~ ~~--~~ ~~ =

# मनुतहतायान्तु वचननिद किद्चित्परिवत्तित टश्यत- कश्नलधान्धक) वा खात्‌ Siwy एव वा। aIvival वापि भवेदगरल्निक एव वा॥ t रषं रहण्यानां मव्य एकः (यो बहपाग्यः) ऋतामृतादिपश्चकं कुसोदस्च भाययेत्‌।

अन्दलतऽ्पाव्यः वि.भर्याजनाध्यापनप्रतिगहैः eat याजनाध्यापनाभ्यां aweae शअध्यापमेनं इति aaa: |

ast विधानपारिजातं

भ्र पट्कममाणि याजनाध्यापनप्रतिग्रहक्षषिवाणि्यपाश्धास्थानि। शेषं सुगमम्‌ HAT | देवभ्य frawe दवाद्वागन्तु विंशकम्‌ | तिंशड़ागन्त॒ विप्राणां afagat दोषभाक्‌ | कुषिप्रकारो awarerant द्रष्टव्यः | अथापि प्रतिग्रहहत्िः | चतुबिंश्रतिमते | सोदंेयतिरटङ्णोयाद्ाद्मषैभ्यसतो arg | TAY AAYS A: WES वचनं यथा भरसोदतसु | faaara wa ag प्रतिग्रहरुचिर्दिजः | रौरवं नरकं प्राप्य तत्रव परिपश्यते | इति व्यासोक्षमाकलनोयम्‌ | याश्नवक्कयोऽपि | , राजान्तेवासिया्येभ्यः सोदिष्छेनं नुधा | दभमिहैतुकपाषण्डिवकषत्तींशच वल्लंयेत्‌ युतिबलेन सब संगयकारो हैतुकः राजाऽत्र व्यायपरो तु राजमात्रम्‌। या रात्रः प्रतिङ्वाति लुस्योच्छास्रवर्िन; | पयायेण यातोमात्रकानेकविं शतिम्‌ दयन्धायपरराजप्रतिग्रहे निन्द्ाय्वणात्‌ |

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प्रारिरदिसापरः वको afer: ध्वजो सुराविक्रयो वेष्या

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| i अराजन्यप्रस्‌तस्य UE: खच्छन्दवस्तिनः x : चोरः प्रतिग्रषस्तस्य मध्वाखादो विषोपमः तथव राजमदहिषो राजामात्याः पुरोहिताः | fi पापेनार्थेन संयुक्ताः सवे ते राजधर्िशः दते टानधम्माधिकारे | ' वेदविक्रयिणश्चव वटानाश्चव दूषकाः , वेदानां लेखकाश्चव ते निरयगामिनः ` मनुः एधोदकं मूलफलमनव्रमभ्य यतश्च यत्‌ | सन्यतः प्रतिग्टह्लोयाकध्वधाभयदल्तिणाम्‌ | pia: शूद्रादपि प्रभयदचिणान्तु च्छादेरपोति alae: | aa विशेषो विशुपुराणे | म्रोद्य विप्रो wearer मागतम्‌ |

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@भ्यदयतम्‌ ममु खक पर्मतनित्ि रघातिधिः। safeties तमिति aan | a 32

Ryo विधानपारिजात

अच शूद्राव्रमामारम्‌। नादयाच्छुदख Tara विहाभश्रादिनो+ दिजः | श्राददोतामभेतंसमादहन्तादेकराचिकम्‌ इति WIM: | तथा भ्राममांसं ay एतं धाना; श्ौरमधोदितम्‌ | गुड़ं तक्रञ्च Vata निहन्तेनापि ya: याक्नवर्क्योऽपि | कुशाः शाकं पयो waar गन्धाः पुष्यं दधि चितिः | मांसं शय्यासनं धानाः प्रत्याख्येयं वारि y चकाराद्ष्टहादि | श्रयाचिताहतं ब्राद्ममपि दुष्कुतक्मशः | अन्यत्र कुलटाषरपतितभ्यसधा fer: दति विशेषकैः कुलटादः प्रतयाख्येयमेव। भयमुपदेशः प्रतिग्रह प्र्तस्यव तु निहन्तस्येति विन्नाने्ठरः

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* अगाजनिनः याद़ादिपस्चयशशखश् इति कुहकः मेधातिचिस्तु ena ore. यश्ादिक्रिवा शरम विहिता लचाते ततुक्रियानयुष्टायिनः | wafer इतिवा पाठः waeraa- एति nee) णं याचष्ोौ।

WAT: BT? २५१

wa आपत्तिः |

Wa हश्सतिः |

अजोवन्‌ कश्या खेन विप्रः wre समाशयेत्‌

वश्यक््ाथवा Searels विवलयेत्‌ wired

Has कषिवारिच्ये प्रकुर्वीत खयङ्कतम्‌ |

कषैरभावे बाणिज्यं तदभावे कुसोदकम्‌ ` कुसोदो हदिजोवनम्‌

हरिमाह याश्रवश्काः भरशोतिभागो हिः सखाश्नासि मासि सबन्धके | वशेक्रमाख्छतं विजिचलुःवद्चकमन्धधा इति

अश्रोतिभागः भगोतितमो भागः। अन्यधा बन्धकरदहिते प्रयोगी वणेक्रमादिभिचतुःपशकं शतं wel भवति. wa भावः ब्राह्मणे sae दिकं शतं रौ भागौ अस्िष्डते हविदींयते इति हिकं तम्‌ तदस्मिन्‌ हदयायलाभण्चश्कापदा cat इति सूत्रेण कन्‌ एवं सषचचिवादौ जरिकादिश्तं प्रतिमासं श्रयम्‌ aa विगेषान्तरमाह एव |

कान्तारगा दशकं STAR विंशकं शतम्‌ |

दद्यवौ wnat हिं wel सर्वास जातिषु | ay: |

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# होक scam तेवदिक्पनिधदैः |

२५२ विधानपारिजातं

नातिसांवस्षरीं afe नामीषटान्तु पुनहरत्‌ चक्रहदहिः कालिका वा कारिका कायिकाचया॥ awaframate: प्रतिमासन्तु कालिका | इच्छाकृता कारिका स्यात्‌ कायिका कायकब्मणि Slash परिदौशमृणाथे कारयेत्‌ | ्राद्मणलु ufcate: शनेरदाप्यो यथोदयम्‌ मनुः | वानखल्यं फलं मलं Seaver तथेव गोभ्यो ग्रासाधेमस्तेयं मुरब्रवोत्‌ | यत्त॒ भारते लिष्ठितम्‌। भृष्टा फलं हतो हखकत्तनम्‌ तदमकारान्तरेण fare सति तथा काथमिलयेतदधमित्यः धेयम्‌ sifecr: | व्याधितस्य ददद्रिख कदटुम्बाद्र्युतस्य | mata वा प्रत्त भिकश्ाचग्यं विधोयते देवलः | याजनं योनिसम्बन्धं खाध्यायं सहभोजनम्‌ | Wal सद्यः पतत्येव परतितेन संशयः उशनाः | पतिताहइनमादकते YER वा ब्राह्मो यदि कृता तस्य समुख्गमतिक्ञचछं समाचरेत्‌ दति योगक्तेमविधानम्‌ |

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४६ + : 11}. ow ? fe ¢ age ,' (00: ` चथ चतुदभागहत्यम्‌

are: ज्ञातुमायामैः aw गच्छन्ति देवताः पितरशापि गच्छन्ति वायुभूता जलायिनः गत्वोदकान्तं विविकञं खाप्येक्तान्‌ एधक्‌ चितौ तान्‌ मदादिसषश्चारान्‌ | faut क्ता कदं तान्तु गोमय विचक्षणः | अटेकया शिरः are erat नामेरधोपरि wae तिभिः (कायः) साख्यं षड्भिः पादौ तथेव ! ware सम्भेकायञ्च हिराचम्य यधाविधि | AMAA यब्रोदरेतत्वदाचन शि. ऋतेः कर्टस्मेव उपवोतं शालनोयमिन्युलम्‌ | wefan ठहदाद्धिके |

३५४ विधानपारिजाते

तेवा माः कठाः काशा ये वाजसनेयिनः | AUTEN Gay कुर्वीरन्‌ लालनं हिजाः॥ AKA: rasa ये चान्ये याजुषा भ्रपि। . कश्हादुत्ताये FA पुनः TATA: तथा। तष्णोभेवावगाहैत यदि ख्वादशचिनंरः | भाचम्य विधिषत्प्ात्ततः ज्ञानं समाचरेत्‌ Ta: | सपवित्रं करङकतवा भाचम्य nT: खितः | प्राणावामव्रयं कुग्याकालत्रानमतः परम्‌ इति | गङ्गाश्चतिरिक्षखले faery वामनपुराणम्‌ | ate तु कल्येहि हाकूलमन्नेश मन्नवित्‌ | नमो नारायणेति मूलमन्न खदाषतः चतुहस्तप्रमाणन्तु चतुरस्रं समन्ततः | प्रकलपावाषयेदङ्ामेभिमंन्तेविचक्वशः विष्णो. पादप्रघतासि व्णषो विणुदेवते# | UT ate नख्ेनसस्तस्ादाजखमरणान्तिकात्‌ fore: कोवोऽ्ैको(टिश्)ठो cute वायुरब्रवीत्‌ | दिवि गुब्यन्तरिषे तानि & षन्ति जाङवि | नन्दिनोत्मेव ते नाम देवेषु गलिनोति ee

# बिश्पूलिता एति बहषु निसु aia: |

SMa: BIT: २५४

zat gal दिगा विष्वकाया शिवाऽसता# वियाधरो great तथा लोकप्रसादिनो सेमा जावो चेव शान्ता शान्तिप्रदायिनी एतानि पुख्छनामानि ज्ञानकाले प्रवर्षेत्‌ भवकत्रिहिता ay गङ्गा जिपधगामिनो # oft प्रकारान्तरमपि। नन्दिनो नलिनो सोता areal महापगा | वि शुपादान्नसम्भृला गङ्गा जिपथगामिनेो VIM भोगवतो जाङवो बिद्‌ खरे। | हाटशतानि नामानि यत्र तत्र जलाशये | स्रानोदयतः पठेबवित्यं तत्र तत्र वसाम्यष्टम्‌ इति TTA तोधोन्तरं सव्यमित्यज्गं स्कान्दे | UMA समासाद्य नान्यां खाने नदीं सरत्‌ | यदि सरेत्तदा waa ye विनश्यति + खानकालेऽन्यतोर्षु जप्त HTT जमः विना faquel ल्ान्यमथेमघग्ोधमे इति

wa मध्याङल्ञानविधिः।

प्राखलायनपरिशिष्टे। श्रथ मध्यद्दिनि तोधमैत्य धौतपादपाणिमुखो हिराचम्य भ्रायत प्राणः शचौ et खनित्रेण भूमिं mage खनित्वा उपरि बः

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# द्न्टा पृष्वौ सुभगा विगृकाया fan (fa सिता। पादोऽयं eden |

२५६ पिधानधारिजाव

चतुरङ्कलसुदाख भ्रधस्तान्‌खदं खनित्वा MAT भ्रादाय गत मुहासितया दा परिपू गदसुपात्तां शचौ (देष) तरे निधाय गायत्या प्रोद्य इस्तादयङ्गमतुलिष्य wage ्षालयिला भादित्य निरो तं ध्यायन्‌ ज्ञायादेतकद्गलघ्रानं प्राहः

श्रथ तोरे ferret ढतोयशमल्रेणादाय स्ये पाणौ RAT व्याषृतिभिखेधा विभन्य द्तिशभागमस्तरेण दशसु fog fafera उत्तरं ata fear ठतोयं गायत्याऽभिमन्ितमादिव्याय दयिता तैन मू (दः भरापादाद्रायल्या प्रणवैन वा सरनबाङ्मनुलिष्य भु- मित्या भ्राप wows: सन्तु इति सक्तदहिरामानमभिषि् दुमिव्यास्तस्म सन्तु योऽस्मान्‌ देशि यं वयं few इति acafk: त्तालयेत्‌। wa वरुणप्राधेनादिना तपंशान्तेनीह्लेन विधिना स्रायात्‌। नात्र प्रागृबरह्मयश्नतपंशाहखं निष्पौयेत्‌ श्रपुत्तादयो wai प्या इयेष ज्ञानविधिः | तरैतदसम्भषे भडिरेव कुथादोमा- दिषु। नच ग्रहे सदा ख्ञायात्‌ शोतदकषेन। शोतोष्णोदकैन ze खायान्मन्तविधिश्च वलंयेत्‌। feat शचौ देशे सम्भे पात्‌ gate: wa

प्रातमृत्तिकाज्ञानं ATS ahaa |

दति निप्ेधाद्ोमयच्नानं नोक्तं तदाश्ललायनविषयम्‌। कात्या- यनानान्तु मध्याहृऽपि तत्सत्रे गोमयज्जानमुक्षम्‌ तेषां प्रातः- खानं Ete भवति भ्रतुदितहोमितात्‌ |

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* मृदशमिल्येः प्रहतलात्‌ |

तोयः WAR: 1 ४.७

aaa छन्दोगपरिशिष्टे कात्यायनः | भल्पतादीमकालस्य वहलात्ललानकर््मणः | प्रातनं तुयात्‌ ata होमलोपो विगतः | प्रातः WFUA: ज्ञानं HATS तु सविष्ठरम्‌ दति परतश्च vara नित्यल्लानं नद्यादावित्येष ज्ानविधिरित्यन्तकण्डि- aimee ेपवहितं खानं मध्वाङ्क एव तेषां भवति aarefa तथा प्रातनित्यं ज्ञायादनातुरः | दति कात्यायनवचनन्तु प्रधानभूतज्ञानपरमनाहिताम्निपरं वेति नेयम्‌ | प्रातनं तनुभात्‌ खानमिति eM: | काम्याघमषंषे AMATS ATTEN: | HAA नाम ATTA FS वाजसनेयके भरन्तजंले CAMA ब्रह्महत्यां व्यपोहति Tea दमं म्रन्तभसुक्ला श्यनो faqufa तदिष्णोरिति मन्छेणण" छ्ञायादणु एनः पनः। गायत TOR WaT प्राजापत्यषिका स्मृता aural agaatafatuare योगो याश्रवल्काः | एष विस्तरतः via: ara विधिर्त्तमः। असामर्ध्यात्र करुासे्तश्रायं विधिरुच्यते

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@ इदमापः बत यत्कि्च दुरितं मयि | बहाहमभिदुद्रीह यहा RT उतागृतन्‌ | + तरिः परमं पदं खदा प्रष्ठनि aa: | दिवीव शषृगाततम्‌। 33

१५८ दिधानपारिभाते

AMARA चेव ATMA AAA तथा |

जलाभिमन्णश्ेव तीर्थस्य परिकस्पनम्‌

अघमषशसक्तेन' चिराहन्तेन नित्यशः |

जानाचरणमित्येतदुपदिष्टं महामभिः॥ इति

wa विश षमा"स एव | दा खानं A FAA रातौ TAIT | नेमित्तिके तथा जाने तथा भौमाकंवारथोः सा

भानौ Ma तवोदण्यां मन्दाभगुमघ,सु

म्रदा खानं पिण्डदानं कुर्ग्यात्तिलतपणम्‌ पिण्डदानमत्र काम्यं नित्यन्तु wareaterfe भवत्येव |

sifzaseta seared तधा जबतिधावपि |

शोभनेऽस्य fea चेव कुर््यात्तिलतपंणम्‌ # शोभनदिनेषु areata कायम्‌

ये वा भद्रं दूषयन्ति खधाभिरिति शतैः दति पारिजाते। ज्ञानाङ्गतपंणादि gala) मध्याङसन्या- वन्दने faite: पूव्यभेवोक्ञः |

श्रथ मध्याङसन्यातपेशप्रयोगः | सावित्याः कश्यपस्तिष्टप्‌ मध्याङसन्यातपणे विनियोगः | भुवः पुरषं तपयामि यजुर्वेदं मण्डलं रदर-

रूपिणं भ्रोमन्तरामानं सावित्रीं वेदमातरं apf wat 9 युवतिं dat tard faust सबाध

Bala: सवकः.। २१९

सिरिकरीं सम्बैमन््ाधिपतिं भूवः खः gary! एवं बपयिलवाः saute wel समाप्य | मध्यासय्याङ्गतवेन गायत्या जपितैन | यथासंख्येन THA रुद्रौ मे प्रोयतामित्ति॥ दति, वशिष्ठोज्ेन मने जपं fata मुद्रादि प्रदश्यं away ay त्र शतिः शातपथो अथ ब्रह्मयन्नः खाध्यायो वं ब्रद्मयन्न. इत्यादिः ।" योगो प्रदिशं समाहत्य areas = | दर्भेषु दभपाणिः स्याग्माश्नुखसु arate: | खाध्याब्च यथाशक्ति क्ह्मयन्नाधमारमेत्‌ | शत्र कर्कटो पविन्रादिप्राप्तावपि दभपाशिरिति पुनवचनं पवि, जोपग्रहव्यतिरिक्रदभप्रा्यथम्‌ | AWA ये दभासेषां त्यागी विधोयत. |. दति तेषां त्यागञ्.गुयते तु पविन्रादेः | योगो भ्रादावारभ्य वैदनु ज्ातवोषवधुपरि क्रमात्‌ यदधोतेऽन्वहं शक्या खाध्याय इति स्मृतः इति ।' WAIT: | War स्यादिकं सत्वा भोक्कारव्याहृतिगायत्रो- gaa मन्छबराद्मणामकं Ae प्रणवाद्न्तं aerate पटित्वा प्रति- दिनभेवभेव. उपय्युप्रथभ्यय्रनेन. समाप्य भ्रन्धवेदमारभ्य. एवमेव. समापयेदिति

२९० विधानवारिजाते

ऋषिच्छन्दोरेवतानि विनियोगं तथेव ! अविदित्वा जपेद्यसु महानथेमवा्यात्‌. # भाष्नलायनः। ्रद्मयश्रप्रह्यधे खग्छद्मोक्ञविधानतः खाध्यायं.प्रशवादान्तं कुर्यादेवं दिजः सटा | तदन्ते तपयेदद्विटेवतषिपितु स्तथा शौनकोऽव विथेषमा | ग्रामाग्राथामुदोष्थां वा प्रागुदोच्याम्रधापिवा। निष्क्रम्य तत्र mete तडागखेऽपि arate STAT यश्नोपवोतो भूल्वाचग्योदकं तधा | पवित्रे लचण्ल्े कत्वाऽच््छित्रे gach तयोरेकंकमेककं पाणिना धारयेत्‌ एथक्‌ एवं पविग्रवन्तो €ौ पाशो कुला इयोरथ + सव्यस्य पाणिरङ्गष्टप्देशिन्योखु मध्यतः | दधिणस्याहृलो (व्य) नयस्य चतसरोऽङ्विताः तथा सव्यकराङ्ृषटं दच्चिणाङटवे्टितम्‌ | Rata चेवं aaa पाणो दक्षिणजानुनि निधाय खस्य wed पश्यन्‌ कैवलमम्बरम्‌ | सग्मोलिताचियुग्मो वा निरध्य मनसो गतिम्‌

# नादेय नरोसब्बण्िनि।

wea: स्तवकः २६९

योगाधिर्ढृमामानङ्कलानन्धमनासततः। यावन्तं मन्रमध्येत शक्छं ATTA: तावन्तमतुवाकं वा AM वगमधापि AT VEU मनाः पूव्वेमिदमध्येष्य इत्यथ | समस्ता AWA: पूर जपन्‌ WU साविन्रोख अपत्पच्छः+ Goer शतः पश्चामस्तामित्येवं जपित्वा जिः समाहितः ततो यावव्रतिन्नातमध्यायं BRAT का # ऋचं वाक्यं ततो (ऽ)व्यमधोयोद शदिः waret मम Karat करोमोत्यन्तसंयुताम्‌ ऋचं जपिला पञ्चादोमितयेवं ससुदोरयेत्‌(यन्‌) | यशटद्याटतिथिभ्यः at amare दक्षिणा इति! माध्याद्धिकात्ूल्ैभेव तरपणच्ारवैदिनाम्‌ | HATTA AIBA पादा FIAT वा इति स्मृत्यन्तरम्‌ | जप्यानाइ AAA: | ऋचो यजंषि सामानि भयव्वाङकिरसो ब्राह्मणानि कष्या(खा) नाराशंसोरितिहासषुराशानोति | ऋम्बिधाने |

© Gwe: पादयोः पादं पादनिन्रैः।

९६२ विधानपारिजाते

wire जपेकूक्ष# पापन्नं बोकरं परम्‌

पारायणफलं तस्य केदानां वं सहस्रकम्‌ इति.। यमः |

sere व्यादृतोसिखो मायं facet तधा

मनसेक्मनुसृत्य वेदादिकसुपक्रमेत्‌

खरव()रलयोपीतं मऋखानक्रियाज्वितम्‌।

वेदमेव पठेद्यलु खाध्यायफलमश्ुते

मनुः

वेदोपकरणे चेव खाध्याये चैव नैत्यक

मागुरोधोऽस्यनध्याये होममन्त्रेषु चेव हि #

तथा ब्रह्मयन्रे पुरुषसू्षस्य फलातिशय इङ्गः माछ

AMAR जपेत्‌ GR पौरुषं चिन्तयन्‌ हरिम्‌

सब्बान्‌ जपते वेदान्‌ साङ्कोपाङ्कान्‌ हिजोत्तमः इकि। एवमुक्षविधिना ग्रह्मयन्नं लला खखशाखोक्षमागेर देवपिपिद- तपण कुर्यात्‌ |

भथ तपणधन्धा श्यन्ते | WATT |

वामहस्ते तिलान्‌ दक्वा जलमध्ये तु तप॑येत्‌।

तिलान्‌ संखाप्य तर्पयेदिति शेषः

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#. WuMe पुरोहितं ane देवमृत्विजम्‌ | Vad .रबधातसम्‌ + Baltes षोडशम्‌

दतीयः सवकः २६९

Banaras पात्रे रोमकूपै# a कुषरचित्‌ | अरसंसछतप्रमोतानां खले दद्याललाश्जलिम्‌ टराह्भ्यः। AWAIT जपो होमो afferent wae जतं सज्ये भवेसिदिकारकम्‌ + इति सेन तपणप्रयोग भोहारः प्रयोज्ञव्यः | wom | WFAA जले कुर््यात्तपणाचमनं जपम्‌ | THAT: शे कुय्यादिति वेदविदो विदुः तधणजलप्रसेपलं जते कायः यन्तु काष्णीजिनिराह | देवानाञ्च पितृणाश्च जले दद्याललाच्नलिम्‌। इति तदशएचिखलविषयम्‌ | तधाच fay: | ` यज्राशुचिखल्च स्यादुदके देवतापितुन्‌ | तपयेत्तु यथाकाममण्यु सम्य प्रतिष्ठितम्‌ सव्येन देवकार्याणि वामेन पिटठतपणम्‌ | निवोतेन मनुष्याणां तपणन्तु विधोयते वाभेन प्रपसव्येनेत्यधेः |

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# रोमकूपेषु दषातिशय उक्ती टेवलेन।

रोमसस्छान्‌ तिलान्‌ नत्वा यन्तु सन्तप्येत्‌ पितृन्‌ | पितरकलपिता्ेन <fute aaa इति,

२६६ विधागपारिजातं

यत्त॒ | एकंकमच्नलिं देवा हौ हौ तु सनकादयः | uefa पितरस सन्‌ स्तरियस्वेकं कमञ्जलिम्‌ इति व्यासवचनम्‌ अन्वारव्धन+ सव्येन पाणिना दकिणेन तु इति योगिवचनम्‌ तथा उभाभ्यामपि पाशिभ्यामुटकं यः प्रयच्छति समूढो नरकं याति कालसूत्रमवाक्‌ शिराः | इति व्याप्रपादवचनञ्च तच्छराद्वादिषिषयमिति मदनपारिजात उकम्‌ FRAT | ave विवाहकाले पाशि्ेकेन टोयते | तपणे तूभयैनेव विधिरेष पुरातनः इति काण्णाजिन्युकञः। यदा येषां शाखायां विभिष्य एकरसेन तपणसुङ्मं तद्िषवमिति भरेयम्‌ माषे | CHART: कला सलिलैः पूमश्नलिम्‌ देवानाञ्च पितृणाश्च एविसतर्पशमाचरेत्‌ MUTATE TASTY मानुषान्‌ | तानेव fequtae तपयेत्रयतः पितृन्‌

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* Weeds: |

SRA, सवक; | २६५

प्राचोनावोत्यादिलशशसुक्तं ACTA | fern वामबाहो तु eferwenarariray प्राचोबावोतिभित्याइस्तति्यिव्रेायष्येव व्यसु करहावलम्बितसचेव ब्रह्मसूत्रं यदा भवेत्‌ | तब्रिवोतमिति ख्यातं wel aria भादुषे"। यधाखानखितं सव्यं देवे क्यणि शस्यते हिवपिदिभ्यपिढतपणं जोवत्पिढकस्यापि भबति जोवत्थिढकोऽप्येतानन्धांयेतर इति काल्यायनोक्ञेः | नं जोवत्पिटकः कम्य सरपणमिति निषेधसं पिदतपणमा षविषयः | तस्यापसब्यप्रकारमाष गुः | अपसव्यं दिजाग्याणां पिच्य aay कौ्तितम्‌ | श्राप्रको हायकन्ग्यं मातापिश्रोसु जोवलोः इति | घाप्रकोष्ठात्‌ प्रकोष्टपय्यन्तम्‌ जोवत्पिढकः HA MTT तपणम्‌ एति छष्णतिलनिषेधास्षस्षपशे शक्ञतिला एव are: अतिशमेव पपणमिति केचित्‌ UTA: | शक्तंसु तपयेरहेवाकनुष्वाब्डवलस्तिमेः पित॒न्धन्तपयेतकृ्ं सपे water दिजः area बु, दैवान्‌ AWM तपयेदक्षतोटकः | पित्‌ स्तिलेख सन्त्पेदिति धक्मेविदो विदुः॥ शति 34

२६५ विधानपारिजातं

aurea Safran saat शक्ततिलेधेति fervent बाह पूरं तितः कला. जलखम्तपयेत्पितृन्‌ | खलेन uel पितृणां प्रोतिमिच्छता दूति पराशरः | यत्तु। रोमरंखेस्तिेनैव तपयेग्मतिमान्‌ पितन्‌। इति तत्तु खलतपंणविषयम्‌ | योगो | TA पूवधवक्मन्नेरास्तोय कुशाब्डुभान्‌ | प्रागग्रेषु सुरान्‌ सम्यग्दधषिणागरेषु वे पितन्‌ प्रज ॒भ्रावाहनमन्वा fata: आगतैत्याद्या दैवपिपिट. fayat ate) कुशास्तरशमपि खलतपंणविषयम्‌ जले TAMA | यमः हौ हस्तौ युम्मतः BAT पूरथेद्दकाश् लिम्‌ | TAPAS जलमध्ये जलं fata परादेशमात्रमुदत्य सलिलं प्राजल खः सुरान्‌ | उदश्ननष्मां स्पत पितन्दच्िणतस्तथा मुरषिकग् gate: सव्यं जानु निपातयेत्‌ | पितृणां के कुशो array निपातयेत्‌ a पारिनेकगुणं iw दभः शतगुणं भवेत्‌ | तपं खद़्पा ते श्रचग्यायोपकस्पे |

ढतोयः स्तवकः २९७

दर्तः | कुशायस्तपयेदेवाश्नगुष्यान्‌ कुशमध्यतः। पितृनथ समूलाप्रसतपणन्तु यथाक्रमम्‌ ङ्गमौक्तिकस्तेन aaa पिठतर्पणम्‌ | मरणिकाञ्चनदर्भेवा Yaa कदाचन दति शातातपक्वनादशन्यो शसः खङ्गादिमुद्विकया कन्लब्यः। हु खङ्गादिपाज्रगरहिन | var अन्ति पितरस्तीसतीनित्यक्नलि विधायकवाद्बाधापन्तेः अतणएदाङ्कं योगिना | नामिक्यां एतं हेम तच्वेन्धां रौप्यभेव क? ~ared खङ्गं तेन gat भवैब्ररः इति oer शिष्टाचाररक्षाथे यस्मिन्‌ aera wa भ्रक्नलिभङ्गो नः भवति तद्राद्चमित्यवेयम्‌ | नलधाच कागलेयः | AYU करे कत्वा सौवण ay art राजतं तारजं वापि तैन सन्तपयेत्पितन्‌ बधा | जलान्ते तिलदभादोन्‌ योऽगुष्टानायः याचते | नानुष्ठानफलं तस्य दातुरेव हि तत्फलम्‌ mara निषिधादन्धन्र तदृग्रष्णे दोषः, देवातिष्यश्चैनलते गुरुभत्यादिदन्तरे. | न्यतः प्रतिष्डद्गोयादिल्बज्गलात्‌ ।.

२६द विधानघारिजासै

तिललापवादमाह रोचिः | सप्तम्यां tart we जकदिने तथा AYMARA कुर््वात्तिलतपणम्‌ | भ्रन्यच्रापि। पक्चयोरभयो राजन्‌ सम्या निशि सन्ध्ययोः | विद्यापुच्कलश्राथों तिलान्‌ weg वल्नयेत्‌ तधा, सप्तम्यां रविवारे जग्म्तदिवसे तधा | ze निषिदं सतिलं तपं तदहिरभेत्‌ बौधायनः | विवाहः चोपनयने चौले सति वधाक्रमम्‌ वषम तदश्च नेत्या इस्तिलतधंणम्‌ wre कविदपवादमाषह वशिष्ठः | खपराग पितुः श्राह भमायाव संक्रम निषिषेऽपि fe wake तिरस्त पशमाचरत्‌ काल्यायनः। मघायुगादिभरणोतोधेपव्यषिेषतः | तिधिषारनिषैषैऽपि तिलैस्तपणमा चरेत्‌ | तथा तोये तिधिविशेषै थायां प्रेतपचक |

निषिेऽपि दिने कुर्यात्तं तिलमिश्रितम्‌ + इति जिखलोसेतौ |

GAA: स्तवकः | २९९

स्ह तु कठाः ATTA जाबाला ये वाजसनेयिनः | सतिलं aad कुथनिषिद्ेषु दिने ष्वपि षटतोदकतरपशे तु faites | aged निषिश्चत्त॒ तिलान्‌ स्धिश्रयेष्नले,। अरतोऽन्धधा तु सव्येन तिला arm विचक्षणः अन्यथा भरलुदतोदकतपे | area तपेणं श्रां कु््याहारिधारया | कुर्याचेहारिधाराभिसखश्धब्ब निष्फलं भवेत्‌ VACUA पावर तालं ्ाखससुद्रवम्‌ | पितृणां तपे शस्तं खकयन्तु परित्यञीत्‌ acfaneyge पात्रसुत्तमं परिकौत्तितम्‌ मध्यमन्तु चिभागोन्‌# कनिष्ठं दादशाङ्कलम्‌ दति firrwwe | तपणस्यावश्यकतामाह कात्यायनः | दायां TEATS TAT: पयः fauty: चितो aaraq बालो जनिं जननो बालं योषित्पुमांसं gare योषाम्‌ तधा शर्ग्बाषि भूतानि खावराङि चराणि च।

चतुक्िितयहलनिग्यवेः |

२९० विधानपारिजाते

विप्रादुदकमिष्डछन्सि सन्बभ्युटयक्दि सः | पतितसद्रासिजोवत्पिढकसु देवषिंदिव्यपिढतपणं कला खपिट- पिश्रादिभ्योऽपि तपयेत्तदाह लोगाचिः |

हद तोधे सद्यस्ते ताते पतिते सति।

येभ्य एव पिता दद्यात्तेभ्यो दद्यात्‌ खयं सुतः अविभक्ञरपि आराढभिब्रद्मयन्नत्परे कार्ये

ातृणामविभङ्गानाभेको ध्यः प्रवतत

विभागे सति wag भवेत्तेषां एथक्‌ एथक्‌ |

हामाग्रदानरहितं भोक्तव्यं कदाचन |

भविभलेषु संखषटश्वकेनापि कतङ्घतम्‌ |

एषगब्येकपा कानां Aw दि(जाति)जकनाम्‌ |

भम्निहोतरं सुरार्ा सम्या तपंणभेव

MTA ATA कायमेव TIE एयक्‌ श््याणलायनोक्ेः। अग्निहोत्र भोपासनम्‌ भमि निषिदलात्‌। ` तपणक्रममाह afire: |

देवानां तपं पूल्ैरषोणां तदनन्तरम्‌ |

ततो दिव्यपितृणाश्च खकोयानां aa: परम्‌

व्यासः पूवं पित्रादय्र्याखतो मात्रादयोऽपि च।

ततो मातामहादैव ArT Ga: परम्‌ | हेमाद्रौ |

तीयः सवका २७१

पिषटमाढमातामहपिढव्यभ्नातरः सुताः | पिटखसा मातुला तहगिन्यश्च यामयः | भार्व्यापिदटव्यपुच्ाब भ्रादटपुचचास्तेव | दुहिता MANCHA भानुका गुरवस्त था | भाचायः सुषदः श्या(शा)ला उपाष्ायस्च पीषकः खामिनस सखायस् मातापितरो वान्धवाः | WHA AAAS श्राताज्नाता वधाक्रमम्‌ | ATT गयाश्राड ala महालये क्रमः#॥ ति सङहे तु ताताम्बातितयं सपवब्रजननो मातामष्ादित्रयं स(स्ि) खरौ स्रौतनयादितातजननोखभ्नातरः afea: | ताताम्बाममभगिन्यपत्यधवयुग्‌जायापितासद्‌गुसः शिथाप्ताः पितरो महालयविधौ तीर्थे तथा तपे इति nef fracetaty faa एकं कमश्नलिम्‌ | rae aa विशेषमाह शालङायनः | माढमुख्यासु याम्तिखस्तासां ददयाल्नलाश्नलोन्‌ | atalaa तथान्यासां दव्यारैक कमलम्‌ सपल्न्याचाथपन्नोनां दौ हौ दयाकललाश्ललोन्‌ qual सपव्रमाता भावाः प्रसिहः पत्रो भ्राकनः। खस्य मा मरि Nai सप(बरो)व्रजननो मता | तपयेलकेवलाभेकां पुचिणौं वाप्यपुच्िणोम्‌

@ तो चेव नड़ालय। ब्रयव पाठः समौचौनः।

२९

२७२ विधानपारिजातें

तथा| सपिर्ोकरणादूषँ पिभोरेव हि orate | पिढवथाढमातृणाभेकोदिषटं पाव्यैशम्‌ इति हेमाद्रौ जातूक्खोक्ञरयं विगेषः। मातामहः areata तरपं कामिति कैचित्‌। तन्न भन्तमांतामहान्‌ ज्ञता मातृणां यः प्रयच्छति ast नरकं याति यावदाभूतसंश्रवम्‌ | इति हिमाद्रौ तद्विषेधात्‌। चेतदन्धविषयम्‌ | पिभ्यस्तपणं कुर्यात्ततो are एव | तती माताम(हानाञ्च)हिभ्यञ क्रम एष हि तर्पणे इति हारोतोक्ञः। तपण दरत्युपलक्षणात्‌ पिष्छदानादा मेव त्रयम्‌ | प्रवोगक्रममाह वमः | सम्बन्ध प्रधमं बरूयात्रामगोत्रमतः परम्‌ AIRY तपरे चेव विधिरेष सनातन; वशिष्ठः | सम्बन्धमगुको्येव नामगोब्रमनन्तरम्‌ | वखादिरूपं (सङो) सञ्चित्य खधाकारेण तर्पयेत्‌ योगो तु!

ष्यलिति समुश्ाथे दर्यताभिल्मधापि ar | विषिश् प्ररिपैत्तोयं देवादोनामेषतः » भमु तपयामोति वा प्रयोग; |

दलोयः स्तवः | २७४

नामान्ते तपवामोति श्रादावोमिति हवन्‌ इति काल्यायनोक्ञेः। तथाच यधा चूतं प्रयोनष्यवखा द्रष्टव्या | यमतपणन्तु काम्यं दिक्विधेष एव | तदाह ACHAT: | यां काञ्चिस्रितं प्राप्य araae aes t यमुनान्तु fanda नियतो नियतेन्द्रियः यमाय धन्राजाय AUT ATA | ववखताय कालाय सबन्बेभूतश्चयाय भ्रौ ड) दुम्बराय दक्नाय नोलाय परमेष्ठिने हकोदराय चित्राय चिज्रशुप्ताय वे नमः दूतेतर्नाममन्वेस प्रणवादिनमोऽन्तकः | aufaat यमं देवं सन्ैपापेः प्रमुच्यते इति AVE तु। AYR चथोदश्यामङ्कारकदिनं यदि तदा GAT BR तोये तपभेद्‌(यमुनामपि)यमनामभिः एलुकम्‌ यमतपणं वाजसमैयिनां नित्यं तु काम्बम्‌ तत्‌. wa नित्यत्वेन विधानादिति केचित्‌ | SHAT AMITTH विष Sm: यवरक्षचनसंखयानां FLMTTATHATA ant हि canawafacag तिलोदकम्‌ | स्ह तु

२७४ विधानपारिजाते

आत्रह्मस्तम्बघय्यन्तं# टेवपिंपिदढमानवाः | way पितरः सब्बे माहमातामहादयः श्रतोतकुलकोठीनां सप्षहोपनिवासिनाम्‌ ्ाब्रह्ममुवनाज्ञोकादिदमसु तिलोदकम्‌ एवसुक्ञविधिना सन्तप्यं ae चतुर्ग णोढत्य खले भरपसव्येनेष पो(निष्पो)हयेत्‌ तदाह पराशरः | एवं हि तपंणङ्कतवा सब्बेषां विधिवदिजः | निष्योडयेत्जञानवस्रं तिलदभंसमन्वितम्‌ पून तपणादसतं चाम्भसि पादयो; शिलाखधोदशं नेव दिगुणं विगुणं वा एत पोडयन्‌ वसं राक्षसीं कुरुते क्रियाम्‌ यतत | TSU पञ्चदश्याच्च संक्रमे श्राहइवासरे | वसं निष्योडयेब्रेव चारेण योजयेत्‌ शति , Aq समन्तनिष्योडननिपिधपरम्‌ | तग्मन््रसु एयक Mage जाता अषुत्ा गोत्रिणो सृता; | ते यन्तु) हन्तु मया दन्तं वस््निष्योडनोटकम्‌ इति, श्रथ ग्रादाङ्गतपणे विशेष; कथ्यते | प्रयोगपारिजातै |

MARTA ata इयद्यत्तपणपञ्चतौ

ठतोयः WIR: | २७

दर्थे तिलोदकं पूर पशादद्याश्महालये |

मातापित्रोः चये gat cary परेऽहनि

aa (te WA येषामन्बेषामु frets

इशातातपः |

gaa तिलोदकं दत्वा WTAATY समाचरेत्‌ |

WAR waa परेऽहनि तिलोदकम्‌ | हारोतोऽपि WAS WATE

ततः परेद gala तर्पणं पुरुषः सुधोः |

तच्छेषसिलदर्भेलु प्रातः SAT सुधासमम्‌ गाम्बे

परेयुः aware यो तपयते पितुन्‌ |

waar: पितरस्तस्य शापं eer व्रजन्ति ते

ज्ञाता at समासाद्य उपविश्य कु गासने |

सन्तपयेत्पितन्‌ पूर्वान्‌ ज्ञातया TAY धारयेत्‌ इदन्तु खरारे रदेवताभूतपिविषयम्‌ aa नित्यतपणं ayaa श्राइदिने यथाकालं भवत्येव | श्रतएव

निषिदेऽपि दिने कुयात्‌ ware तिलतपंणम्‌ | इति वचनं युज्यते नित्यतपणविषयल्वेन अन्यधा चयाई तर्पणमेव नास्तोति कुत्र प्रतिप्रसवः स्यादि्युक्गं प्रयोगरत्रे नारायणभदेः | महालयश्रादे तु देवषिपिढतपणं कला शाहं कुर्य्यात्‌, wera. तरन्तु श्रा(दे)हदेवताभूतपितनेव तपयेत्‌। क्यार तु नित्य: are yaya कायम्‌ श्रााङ्गभूततपणं दितोयटिने सम्ध्या

१.७६ विधानार्जितं

वन्दनात्‌ yaaa काश्यं तथेव गिष्टाचारात्‌ तथा प्खादन्तु frre aad स्यादिने fer | सक्लकाहालये दद्यात्परेऽहनि तिलोदकम्‌ जोवमानः frat wer माता यदि विपद्यते मातुः चां सतः Fale कुर््याच्छात्रतपंशम्‌ दूति age श्रादइतपंणं श्रादाङ्गतपणमित्यधंः | हदिश्रादादो ठु माख्येव afeate सपिण्डे nant was च। मासानुमासिकै चेव इुर्व्यात्तिलतपणम्‌ . दूति गार्गोक्षिः। तोधप्राप्तौ तु खशाखोक्तपणङ् ला देवा यन्ता- स्तथा नागा दल्यादिशपुराणोक्षमन्तेदेबान्‌ सन्तप्यं सनक सनन्द इति मनर ऋषोन्‌ सन्तर्प्य मन्निष्वात्तास्तधा सौम्या शत्या पिढतपणं कुर्यादिति विखलोशेतावुक्षम्‌ | तपणफलमाह शङ्क;

SAT GAGS नागा गनधरव्वासरसोऽषुयः |

क्रूराः सर्पाः सुपण तरवो ज(लि)श्गाः wear: विद्याधरा ललाधारासदेवाक्षाध्गाभिनः | निराहारा ये ata: पापे धश्च ony a | तेषा्नाप्वायनायेवदौयते सलिल मया

VARY समन्दख दतोयङ् सनातनः कपिलशापुरिषेव aig: gefaeeas|

Us ते दत्िमावानतु महचेभाष्वन! सटा

हतोयः VERT | २७ॐ

एवं यः सब्धैभूतानि तपयेटन्वहं हि जः | गच्छेत्परमं खानं sated निरामयम्‌ शति | अकरणि faster कात्यायनेन | wafaat देहादुधिरं पिबन्तीति तपणानन्तरं जले देवताश्चनमाह योगो ATT: fata ज्ञानवस््रन्तु ara विधिक्ततः | देवानामथंनं कुर््याद्रद्मादोनाममकरः ब्र्मवेष्णवरौदसु साविनर्मन््रवारषः | afapta weg भरश्येत्प्रसमादहितः | असृग्नो हृदये qa खण्डिते प्रतिमासु षट्‌ष्वेतेषु हरेः सम्यगच्चनं मुनिभिः स्मृतम्‌ इति AAW मन्ता ब्रह्म जक्नानमिल्यादयः | भन्रावसरे नवग्रहपूजां केचिदिच्छन्ति ततः quater दद्यात्‌ | तदुक्तं ृसिंशपुराशे -ततोऽध्ये मानष दद्यात्तिलपुकसमन्ितन्‌ | wary aera गाग्रनोमग्लसुद्धरन्‌ y इति योगो

ततोऽवलोकयेदके -हंसः -शविष्दिन्युथा+ 8

Ln कमाय a ED IAD

# सः एचिषहसुरनरिचसहीता वैदिषदतिधिदे रोसत्‌ | गृषदरडहतणद्ग्योमहदम। गोला MAT द्विना ऋतं ऋत्‌ + १०अ, २४. Ty

oT विधानपारिजाते

खयंभू+रित्युपखाय सूययस्येति प्रद्तिणम्‌ |

waa नमस्कुग्यादिशो दिग्देवता aft a तग्रयोगलु प्राश्यं fet नमः इन्द्राय नम श्रत्यादिकरूपी Wa) एवमुक्ञविषधिना ज्ञानादि क्षता कलसमुस्मोदवेनापूय UAW खड व्रजेत्‌ |

ae ATT | जलदेवं नमस्छत्य ततो WHS बुधः पौरुषेण तु सङ्गेन ततो fay weedy इति इति श्रोमदनन्तभट्टविरचिते विधानपारिजातै मध्याङृलानादिविधानम्‌ |

wa we देवताञ्चंनविधिः | तच विधाय देवतापूजां प्रातर्हौमादनन्तरम्‌ | प्वाह्न एव gala देवतानां समश्चनम्‌ ~ इति मरोचिवचनात्‌ पूबाह्नो दैवताश्वनस्य मुख्यः कालः पौरुषेण तु Gua ततो विश्णुं सम्येत्‌ | वेश्वदेवं ततः ङु्यादइलिकगय तथेव धूति कूश्पुराणोक्षो मध्याहकालो गौणः |

सवभूरसि वष्टो रशिवर्धोदा भसि वशो मे Sty पूथथखाहतमन्ववत्ते रब. २६म, यजुः |

ठतोयः स्तवकः | २७९.

नारदोये तु प्रातर्मध्यन्दिने सायं विष्णुपूजां समाचरत्‌ | यथा सम्या समृता नित्या देवपूजा तथा बुधैः | waa विस्तरेशव प्रातः ayer केशवम्‌ मध्या चैव सायच्च पुष्याश्नलिमपि चिपेत्‌॥ इति पूज्यदेवतां निगमे दशिता: | ब्रह्माणं विण्णुमोशानं सूथमग्नि गणाधिपम्‌ दुगां सरखतीं weit गौरं वा नित्यमर्चयेत्‌ पद्मेऽपि | श्रादिल्यं गशनाधच्च देवों रुदर यथाक्रमम्‌ | नारायणं विशदाख्यमन्ते कुलदेवता; कौम्ये विष्णुराधनादन्यदहिदयते ay षेदिकम्‌। तस््ादनादिमध्यान्तं विष्णुम।(राघयेन्ररः | afaarafat देषे सन्मेमाराधितं भवेत्‌ इति पञ्चायतनसख्यापनक्रम SA भ्राचाररोपै शम्भौ मध्यगते इरोनहरभूदेव्यो हरौ शङ्कर भाख्यनागमृता रवौ इरगशेशाजाम्विकाः writer: | देव्यां विष्णुरे कदन्तरवयो लब्बोदरेऽजेषखर- नाः शङ्करभागतोऽतिशभदा व्यस्तासु पै हानिदा; प्रधानस्य शहरभागतः। इनः सूधः। भार्या शक्ति; रगा. ज्धादिक्रमेषेत्य्ः। गेषं प्रसि

Qo विधानपारिजाते

न्यासमाह योगो | wre चैव गोविन्दे तत्वन्धाश्च AMT मध्यमायां दषोकेशमनामिकां भिविक्रमम्‌ + कनिष्ठायां न्धरेदिष्णुं करमध्ये माधवम्‌ हसन्धासो मया wat हिजानां पावनः परः म्नौ इतच्चन्दवश्च देवताश्च॑नमेव | हसन्धासप्रसादेन Tea भवति चाक्षयम्‌ शारदातिशकै | wage तथा प्राणप्रतिष्टां माटकास्ततः | सन्ध्यादौ तु ARMA HVAT: पुनः पुनः KYAT | भध अङ्गन्यासः | करयोः पादयोजान्बौः कव्योनामौ इदि क्रमात्‌ | कण्ठे MMs नेतरे aie वामादितो न्यसेत्‌ अयं प्रतयुचं TAME: TENA इत्येके बहङ्गन्वास TIF Ay: TTA SUT | यथधासनि तथा देष ग्यास परिकल्पयेत्‌ भोहारपूव्यैकं मन्वेः Tenia: एक्‌ एथक्‌ | न्यासेन तु भवैकोऽपि खयमेव अनाहनः | श्रावा्नासनं पा्यमध्यमाचममोयकम्‌ wit वस्रोपवोरेन मन्धमाख्यादिभिः क्रमात्‌+

a [ ee i 0 er RY = तकण कण काक

® FalTHa गलमाण्धादि क्रमात्‌ भयव समौचौनः पाठः दरतौयानपदयी रनन्वयात्‌ |

ठलौयः स्तवकः | २८१

धूपं दोपश्च ata नमस्कारं प्रदच्चिणम्‌ |

षोडग्योहासनं कुययादेष नारायणो विधिः#

खाने वस्त्रे AG दद्यादाचमनीयकम्‌ |

Tal खाने तधा ae उपवोतोपषारयोः इति भ्रागमरोक्षावतसु तदागमोक्षप्रकारेण न्धासान्‌ कैला वेदिक- ताज्िकमिप्रमार्गेण पूजा कायां तदुक्ञभेकादशस्छन्धे |

वदिकं ताज्िकं मिश्रं fafad तत्र मिश्रकम्‌ |

उत्तमं सम्धपूजानां विष्णुभक्षश्य माधव इति

अत्रोपयुतं लिख्यते |

THTS पाटावाचम्य टेवतायतनं विशेत्‌ |

समासोनसु ARAYA पाश्रासादनमाचरेत्‌ |

भ्राराधकः खस्य पुरः शङ्कखापनमाचरेत्‌ I

a: we भुवि संस्थाप्य पूजयेत्‌ पुरुषोत्तमम्‌

तस्य पूजां Waris Aas प्रकस्थयेत्‌ |

शङ्घोदकं सदा पु्छमतिप्रियतमं इरेः

उष्रिण्छा wagrel नाणु we निमज्जयेत्‌

शङ्खस्य WRT पयः पापकरं हवम्‌ |

तेन ल्ञापयेहेवं पूजनात्पापसम्भवः

सब्डाद्य सितवस्रेश fag: सशो धितजलैः

सुवर्शतास्ररनतपा वश्ये: गङ्गसंखितेः।

या नूतनरत्पा्रसंखिितेः ्पयेच्छिवम्‌

CITE ane

$ Tea तत्धण्यया परपसूक्तोयया कवचा इत्यधेः | ४७

२८२ विधागपारिजाते

दू्यादित्यपुरा पूर्वाध्याये क्षम्‌ नारदोये | प्रानो दक्तिपे भागी तुलस्यादि निधापयेत्‌ ! एतदोपञ्च तत्रव awe तु विपययः | वामरभाग जलेः पूणं शङ्कमेव निधापयेत्‌ यथा देहे तथा देवे AMAT समाचरेत्‌ न्यासनिषेधः खावरपरः | चलाचलेति दिषिधा प्रतिष्ठा जोवमन्दिरम्‌ | उद्ासावाहने स्तः सख्िरायामुदवाचने | भ्रखिरायां विकल्पः स्यात्‌ Bier तु भवेहधम्‌ दति भागवतोक्तेः | तथा | दिजानामेष नान्येषां शालग्रामभिलार्चनम्‌ | स्तोणाश्चवाय शूद्राणां विप्रहस्तेन पूजनम्‌ स्लोणामनुपनोतानां शूद्राश्च TAIT स्ने नाधिकारोऽस्ि विशौ वा शष्करेऽपि,वा दति हषब्रारदोये | कौ्येऽपि ब्राह्मण्यपि रं विष्णुं सशेष्छेय इच्छतो सनाधा मृतनाधा वा तस्या नास्तोह निष्कृतिः इति लिङ्गखशनिपेधोऽपोदानोन्तनप्रतिषठितलिङ्कविषयः | तथाहि नारदोये

wala: aa | arg

यदा प्रतिष्ठितं fay मन्विदिियथाविधि | ततः प्रथ्ति शूद्रश्च योभिश्चापि cate दोचितानां हिजान्येषां स्रोणामपि तथेव | लिङ्ग खगुरुणा TH पूजा नान्यत्र A AAT I दति afeguata: aggre पाथिवलिङ्गादिपूजाधिकारो न्यः | यत्तु | जयस्तपम्तोधयात्रा प्रव्रज्या मन्साधनम्‌ देवताराधनञ्चव स्रोशूद्रपतनानि षट्‌ इति तत्‌ शालग्रामादिविषयमिति सञ्चमनवयम्‌ | निख्माल्याहासनं प्रातः कायमिलु्ञं acer ETT यः प्रातरुखयाय विशाय निलयं निश््ालखमोशसख्य निराकरोति। तख्यदुःखंन दरिद्रता नाकालखत्युन रोगमात्रम्‌ क्रियासारे मध्यमानामिकामध्ये पुष्यं HT पूजयेत्‌ | श्ङ्ृष्ठतल्लन्य ग्राभ्यां निश्भाखमपनोदयेत्‌ | ग्राद्मपुष्पाणि ृसिंदपुराशे | पुष्येररच्यसंभूतेः waar गिरिसन्भवेः | श्रपयुषितनिग्छिरः प्रोधितजन्तुवसितेः प्रामारामोद्धवे्वापि पुष्पः संपूजयेद्ठरिम्‌ +

रद४

विधानपारिजाते

शमोपुष्यं विखपुष्यं चम्पकं तगरं तथा करवोरं तधा श्वेतं पाटलं कुशपुष्यकम्‌ | वनमालाऽप्यणोकश्च Saat कुभ्मालतो तिसम्यञ्च तथा श्वेतं कुन्द शतप(पा)वरकम्‌ | afeay चेव जातो सब्बैपुष्ादहिशिषते

प्रयोगपारिजाते व्यासः |

Tay |

प्रतिमापय्यन््ाणां निलयन्नानं कारयेत्‌ | कारयेत्पव्येदिवसे यदि वा मलधारणम्‌

AAG MICAS TATA सुशोभनाम्‌ | विणे विधिवद्या तस्य प्यमनन्लकम्‌ | भपामागें भ्राजं wate खादिरम्‌ | Fal कुशपत्रञ्च दमनं ATA तथा |

ततः; ae विषपत्रं ततस तुलसो वरा CITY यथालाभं पनेरभ्यश्चयेहरिम्‌

guy कलिका वन्यां ग्राह्यं कमलचम्पकम्‌ | ख्रातेन तुलसो ATT नान्यथा राजवज्ञभा # warar तुलसोँ हिष्ठा Zara पिदकश्मणि। aed निष्फख याति पञ्चगव्येन एष्यति +

इति we ` भध वज्यपुष्पाणि विष्णुधर्मोत्तरे

उग्रगन्धोन्धगन्धोनि कुसुमानि दापयेत्‌

wala: स्वकः

श्रन्यायतनजातानि कण्टकोनि तथेव रक्ञान्यकालजातानि चेत्यवक्तोडवानि ्शानजातपुष्याशां दानं SF विवखयेत्‌ MATA पुष्पाणि तथा YA WATS | HUG TGA नेव देयं जनाहमे "

शिवस्य वज्यपुष्पाणि प्रसाददोपिकायाम्‌ |

जपा बन्पूकसिन्टूरं तथा Taft एमे |

मदन्तो कैेतको युधो मालतो कुटजानि वव्यैरो GAIN तथाच कुमुदहयम्‌ |

भानोतं नापयेच्छ(कोः)गरौ प्रमादादपि दोषक्लत्‌ |

कन्दे तु ग्राद्मान्ुक्ञानि।

aed कणिकार् करवोरं तिलस्य विखवपच्रश्च कन्ारमकं मन्दारमेव नोलोत्मल्च THe कमलं पद्मसंन्न कम्‌ | कदम्ब कुमुद भ्रशोक Ae तथा। एवमादोनि पुष्पाणि विशिष्टानि वाचने 1

काशोखण्डे |

कस्तूरिकाया हौ भागौ दौ भागौ SEAS | चन्दनस्य तयो भागाः शशिनद्वेक एव हि यच्चकदेम इत्येष समस्तसुरवक्नभः

मारं |

कपूरं चन्दनं दमे TENS खमा शकम्‌

५८५

२८४ विधानपारिजाते

सब्यैगन्धमिति MH समस्तामरवन्नमम्‌ It देवोपुराणे विशेषः |

fag विवर्ज्येतकुन्दसुमत्तचच ta सदा।

देवोना(म)श्चाकमन्दारावादित्वे तगरं तथा ्राचाररोपेऽपि।

प्र्ततेनार्चयेदिष्णु' तुलस्या गणेश्वरम्‌

ू्व्वाभिनौश्चयेह गां केतक्या महेश्वरम्‌

जलं परुषितं त्याज्यं पव्ाणि कुसुमानिः |

तुलस्यगख्यविलवानि गद्गनवारि gaat

fade डेमपुष्यमपयेदपितं सदा इति तथा

बस्रानोतं करानोतं खयं पतितभमेव

एरण्डपत्ररानोतं तस्य पूजा निष्फला

योऽशयेदिधिवद्वक््या परानोतेशच साधने; |

पूजाफलाैभेवास्य समग्रफलं लभेत्‌ | शौनकोऽपि

उत्तमा TAN पूजा क्रयक्रोता तु मध्यमा |

saat याचिता पूजा alae तु निष्फला

wage: शूद्रस्य ददिजस्य age मिताक्षरायां याच्न- वल्कान ` ग्रासेच्छया गोप्रचारो भूमोराजवशेन वा हिजसमणेधपुष्याणि ware; खवदा हरेत्‌ |

ग्ग Se ee eT eee a =

waa: स्तवकः | acs

ae वा यदि वा are पुष्यं वा यदि वा फलम्‌ अनाण्च्छन्‌ fe wera: शूद्रो वं cwaeta दति तुलसो ग्रहणे निषिहदिवसादि कालनिणये WAN भागवभोमे व्यतोपाते वेष्टौ संक्रान्तं पक्षयोरन्त दादश्यां निशि सन्ध्ययोः तुलसीं a विचिन्वन्ति तै छिन्दन्ति रेः शिरः वेशवस्य तु विरेषः qr | च्छिन्यात्तलसीं विप्रो हादध्यां awa: कचित्‌ अन्येष्वपि निषिष्टषु चिनुयाततुलसो सदा इति गारुडऽपि | भानुवारं faat gai तुलसीं event विना इति तुलसोग्रहणमन्तसतु | तुलस्यसृतजन्मा(नामा)मि सदा लवं के शवप्रिये aaa विचिन्वानि,चिनोमि ai) वरदा भव शोभने wa विखादोनामनिश्चालयत्वदिनसंख्योश्यतं दददाङ्िके | विललापामागजातोतुलसिश्(स, मिशताकेतकोख्कटष्वा- मन्दा ख्मोजाहिदभा सुनितिलतगरब्रह्मकद्वारमक्चयः | चम्पा पञ्चा) खारातिङ,न्तो)श्ोदमनमरुवका विलतोऽदहानि wets सिंगत्‌२०तरारेका१य९रो६णो११दधि४्निधिष्वसुष्भू१- भू १यमारे भूय एवम्‌

[ह =+ ae - -~~

# Gee | मन्दौ मन्दारः। शता अतावरोौ। भह्िनागकेभरः। पुनिरगच्ः |

te विधानपारिजातै

भारते ST | इरिवन्दनकसतुरोकपुरः कैसरान्वितम्‌ | गन्धं दद्यामयब्रेन दु्टगन्धान्‌ विवल्लयेत्‌ गन्धेन देवास्तप्यन्ति दशनादयक्षरा्षसाः | नागाः समुपभोगेन त्रिभिरेतेखु मानुषाः | भत we प्रवच्मि धुपदानविधैः फलम्‌ | faatar, सारिणिेव afaaraa ते चयः | निर्यासाः शक्नकोवन्या देवानां दयितासु Trg: प्रवरस्तेषां सर्मेषामिति निश्चयः अगुरुः सारिणां sea यकत्तराक्चसभो गिनाम्‌ | देत्यानां wears काष्ितो यश्च afew: रथ सन्नरसादोनां गन्धैः पार्थिवदारवैः | फलितो रससंयुक्ञमनुष्ाणां विधौयते | दोपदाने प्रषद्यामि फलयोगमतुस्षमम्‌ यथा येन यदा चेव प्रदेयो यादृशा चसः। च्योतिसेजः प्रकाशचचापयषुगश्चापि TWIT प्रदानं तेजसां यस्मासेजो aad णाम्‌ अन्धं तमस्तमिखश्च दकध्धिशायनभेव | विनाशयति mated तमसेव पेषजम्‌ |

Queers eS eee ee = = [दि ~ ~ ~~ ~~ ~~“ ~ भत भजो SE A न>

: 4 अशरारातिः wet sa पाटला। fama भहिपर्थतं गरयित। aaa एनणिंरादि गप्यत्‌। रएतदिगातर पयपरिव मौय इति पदार्पदभ |

SAT, WAR: | २८९.

भालोकदानाचक्ुपान्‌ प्रभायुक्तो भवेन्नरः |

दोपान्दा नोपदिं(ख्े)ख्यान्र etary

Sawa भवेदन्धस्तमोगतिरसुप्रभः

इविषा प्रथमः wert दितोयश्ौषधोरसेः इत्यादि पथा |

ज्ञाने धूपे तथा St AT भूषणे तथा |

घण्टानादं प्रकुर्वीत तथा नोराजमेऽपि

वनस्मतोति मन्त्रण Saute धूपयेत्‌ |

धुपयेद्व्यजनैनेव करेण वाससा

तुलसोरहितं पुष्पं we wet ममापितम्‌।

तुलसोमश्ञरो ATT तदभावे तु पल्लवः

तदभावे तु पत्रं सखात्तदभावे तु काठकम्‌ |

तदभावे तु मूलं स्यास्षदभावै तु खत्तिका |

मृत्तिकाया श्रभावे तु तुलसोशब्द उश्यते |

खयं faarfad दोपमाजिघ्रन्ति gee: |

तस्मानिव्धापयेहोपं देवानां प्राणतुष्टये

पूजाकाले तु aaa चतपुष्पादिनेव तु

कल्यनोयं यथा चोक्ष इरिणेवाल्लनाय वे

परं पुष्यं फलं तोयं यो मे भ्या प्रयच्छति |

ey भहधुपहृतमञ्रामि प्रयताक्नः इति गोताः

कमज [क

@ बगस्यतिरसो(दिष्यी)तपत्रो गन्धादयः सुमनोहरः | मवा निषैदिती wear जुपी प्रतिगश्नताम्‌ 37

Ree fauraarfcernrt

वशिष्ठः उपादेयानि शाकानि मश्याणि फलानि gratia सृष्द्यानि पवित्राणि निवेदयेत्‌ Mee कारवन्नौ पटोलो हषहतोहयम्‌ | SUS FIST उर्व रदयभेव पनसं नारिकेशख्च arnt बदरोफलम्‌ | कपिलं शुद्रहन्ताकमास्रमास्नातकं तथा & अपविन्राणितु Tare | कोद्रवाणि कुलिलयानि fray मसूरकम्‌ | छष्णानि यावकल्यानि सूलकं तिलपिष्टकम्‌ | एतानि वस्लंयेवित्यं हरमे वेश्यवेदने | परश्चर पाकसंखानहविभाण्डान्‌ वारिभिः सषालितान्‌ बहिः | तदड्खमभिषतुदिष्च wattage | देवस्य दक्षिणे ang नोता फलकभूमिषु सुवणादिषु पातेषु परिखाप्यापयेदरः | पिबेच्छछ्लोयश्च भूमौ विनिशिपैत्‌ | Tata Ale YW वे वाघवान्‌ भषेत्‌ तस्मात्‌ कुम्भोदतेनब नवेद प्रोक्तयेदधः | ततः प्राणाद्याहूतयो दातव्याः परमाभनि

ee ed ~~: = ~=

@ प्राणाद्याइतयो यचा--प्रशाय BY, श्रपानाय Qe, BANE खान, उदाना - Se, व्यालाय are इवि।

|

SAA: SAT: २९१

मूलमन्त्रं AIT ततो नारायणामकम्‌ | ग्रष्टोल्तरशतद्चैव अष्टाविंशतिमेव वा | ज्ञाने वस्ने नवेद दद्यादाचमनोयकम्‌ धूप दोपि पाद्ये ता्बूले दन्तधावने घण्टानादं विना yd विदान्‌ दातुमहनि + दोपोपचारं मेवेदं घर्टासखनसमन्वितम्‌ | चतुरषटाङ्लोखेधं दोपवत्तिसमन्वितम्‌ | उचचैरादाय हस्ताभ्यामापादतलमस्तकम्‌ | fa; परिभाग्य देवेशं afeta तत; क्षिपेत्‌ tt Arad महाविणोमखं सुय(फत)सम प्रभम्‌ | ये पश्यन्ति महाभागास्तेषां पुखखमनम्तकम्‌ Slant ठे ब्रद्महत्यानाममम्यागमकोरयः | दहत्यालोकमाव्रेश विष्णोराराव्रिकं(रविकं) सदा i इति। तवव | भ्रावाशनश्चासनश्च सान्निध्यं सत्रिरोधनम्‌ | पअ्यश्छाचमनखेव गन्धपुष्यविभूषणम्‌ | SMAI Taye एधक्‌ TAF, सदाकरणसंखेभ्यः खाहान्तेः खस्नामकः धूपदोपादिकं तैषां ame विष्णुना ae इति अध विष्णुगक्षयः | विमलाल,पि) कशो were क्रियायोगा तथेव Wet सत्या तथेभानाऽगुग्रहा विष्ु्रक्षयः॥

REX विधानपारिजाते

शिवख | वामा GUST तथा गौरो कला कलविकरिका te fanfcearwar परोक्षा बलावलविकरिका | मनो सरनोहि सममोक्षाः शेवपोठस्य शङ्गयः अध गसेशस्य | तत्रा ख्योल्घलशिनो नन्दा भोगदा कामरूपिणो | ग्रा पैजोवतो सत्या नवमो विन्ननाशिनो॥ भध TAS सच्छा जया भद्रा विभूतिविमला तथाः | श्रमोचा वद्युतो चेति नवमो सन्येतोमुखो रथ SAT: | fagfaqufa, कान्िः खष्टिः कोस्ति wafer: | afeqafenies दुगार उदाहृताः तथा हादश्यां इरेः GANTT नं काये Taw Tawi चर्य्यायाम्‌ | जन्भप्रेति afenfay सुक्षतन्तु पुराण्नितम्‌ नश्यति हादशदिने इरेनि माष्यलङ्कनात्‌ | इति arta: | चतत्‌ निमा ख्थलद्नविषयं तस्य सब्यैरेवसम्ब- fara; सज्छदा निषिदत्वेन इरिदहादशोपदयोवयध्थापन्तः। ava यो इरे दद्याहादश्यां वेष्णवा दिवा पचपूजाफलं तस्य वाष्कलेयापगच्छति दूति wees स्यष्टमभिधानात्‌ दिवानिषधाद्राच्रावभिषेको,

SAT, स्तवकः २९३

हादश्यामिति गम्यते | दमनकपवितश्रारोपणदादश्चोखु carafe नाभिषिञः SAACTSM चेव पविव्रारोषणो तंया | ज्ञानं इर्ये दद्याद्राव्रावपि कदाचन इति स्मृतैः काति कहादण्यां प्रातःखपनमु क्षं fread | प्रातङ्लयाय मतिमान्‌ विष्णोः wit प्रकखयेट्‌ दभ्रा छषोरेण मधुना तथा मन्धोदकेन च.॥ इति ATTUTA TA स्कान्दे | aay (ead) राजतं ave कांस्यं पालाथपव्रकम्‌ | . मषेद्यायालपत्रं वा पात्रं दिशोरतिप्रियम्‌ we भोज्यश्च लेद्ञ्च चोष्यं पेयं गुणान्वितम्‌ दद्याष्ट्रोहरये नित्यं यद्‌ यग्पियमथावनः प्रिष्य तुलसीं प्राच्य सपक्लत्लोऽभिमन्बयेत्‌। Aaa शङकतोयेन WAIT कदाचन पानोयश्चागृतोक्ञत्य परेशाय निषेदयेत्‌ | ततो जवनिका कार्या सुह्मनवै्षणात्‌ श्ासोनो जपतोति नित्वपूजाप्रकरशे बौधायनो; ANTE जलं TMT दद्यादाचमनं ततः | इस्तवासं सकपूरं YRS भूषणानि कपुरंला दिसंबुलं ताम्बूलश्च निवेदयेत्‌ | प्रदशेयेदधादभे कश्पयेच्छब्रचामरे | महानोराजनश्चव पुष्पाक्ञलिमथ fete

३९४ विधानपारिजावै

प्रद्षिणनमस्कारान्‌ Fare भिपूव्यैकम्‌ पदात्पदान्तरं WHT चलनवलिलितौ वाचा स्तोत्रं मनीध्यानं चतुरङ्ग प्रद्तिणम्‌ उरसा शिरसा ष्या मनसा वचसा तथा Oat कराभ्यां जागुभ्यां प्रणामोऽष्टाङ्ग Thea: यसु | CH WET गुदं Wer लिङ्गं wer तथेव हि iui वत्षःखलं Wer खा भूमिनश्यति yay इति तन्रमस्कारव्यतिरिक्षविषयम्‌ नमस्कारे उरसेति विधानात्‌ एकां suri रवौ सप्त तिखन दद्यादिनायके | चतखः केशवे carat चारैप्रद्तिणम्‌ wanefauala देवालये ZF तत्र हषचश्डाद्यभावात्‌ ततो देवं gata जितं तै पुण्डरोकाश्च नमस्ते fared | नमस्तेऽसु WHAT महापुरुष Fas नमो हिरप्डगभाय प्रधानाब्यक्नङूपिशे। S नमो भगवते वासुदेवाय शदन्नानख्रभाविने देवानां दानवानाश्च सामान्यमधिदेषतम्‌ | Waal Waa व्रजामि शरणं तव इत्यादि what sid waned पुदषसश्विधामे दषटब्यम्‌ | एवं भगवन्त प्रपष्व ब्रह्मादोन्‌ पूजरेत्‌।

wala: Bee | २९५

सख्ये orale खा गणेशादा्चनं भवेत्‌ | गणेश TI FAINT सूगधक्रामाडवेत्‌ इत्याचारदोपोक्े; | तव मनः TATAWTSA देवाः सनकाच्याः शुकादयः | मोदरसिंशप्रसादोऽयं Waa ZR शाभ्मवाः॥ Ufa गणेशस्य तु यक्रतुण्डाय। wrx तु ees; शक्धासु उच्छिष्टचण्डास्यं इति दद्यात्‌ भध पूजापराधाः स्कान्दे | MPSACATT नाधःपुष्येः समश्चयेत्‌ | कराग्रं fated वच्चपातखमरं भवेत्‌ | शालग्रामशिलातोयमपोल्वा यसु मस्तके | प्रचेपणं प्रकु(र)ष्वीत ब्रह्महा निगद्यत गारुड | पादोदकं पिषै्ित्यं Haat wera: | शेषासु wee धार्या एति वेदातुशामनम्‌ धादोदकसखरूपन्तु | उदकं Wem चक्रां शङ्क तुलसोदलम्‌ | घण्टा ga शिला are नवभिखरशीदवाम्‌ दति पावनं विष्णुनेयेदयं सुरसिदहरषिं भिः स्यतम्‌ श्रन्धदैवस्व मेवेदं मुक्ता चान्द्रायशररत्‌

विधानपारिजातै

२९३

स्कान्दे, विष्णुमूक्निं खितं पुष्यं शिरसा यो atac अपयुषितपापः स्यादृयावदुयुगचतुषटयम्‌ तोर्थग्रहणप्रकारसु | ` वस्त्रं ayer प्रसाय वामक्षे करे दक्षिणेन करेणाथ शङ्खोदकमथाददैत्‌ | प्रततिप्य मस्तक विशंसोये are fran: देवदेव जगवाथ शहृचक्रगदाधर | देहि देव aargui तव तोधेनिषेवणे | लश्चागुश्रां aerate पठेखन््मिम्रं (ततः) बुधः शालप्रामरिलावारि पापष्ारि निषेयताम्‌ भकालमतयुहरणं सम्मेव्याधिविनाशनम्‌ | सन्येपापोपशमनं विशुपादोदकं शभम्‌ - विष्णोः पादोदकं पोतं कोटिजग्माघनाशनम्‌ | तदेवाष्टगुणं पापं भूमौ बिन्दुनिपातनाव्‌ स्नाने चाचमने चेव भोजनादौ तथेव तथेव भोजनस्यान्ते शालग्रामजलं पिवेत्‌ इति भादित्यपुराणे तु | ware शिवनिश्भाद्यं पत्रं पुष्यं फलं जलम्‌ | शालग्रामस्य aerated याति पवित्रताम्‌ इति विथेषोकेनिषेधसु केवलपरोऽवगन्तश्बः। frame त॒ ज्राह्ममपि भवति

Sa सवक; ` 228

Grate धारयेद्‌ wea शिरसा- पावतोपतैः | राजसूयस्य awe फलं प्राप्रोति निशितम्‌ ति वचनात्‌| wa भक्ति वदता लोभादिना are भिति सूचितम्‌

यद्वा निषिधोऽयं महाखान परः | qa aa विनिक्तिपैदिति पाश्मोक्तेः 4 अन्यत्ापि-

वाशलिङ्गं खय॑भूते चन्द्रकान्ते इदिख्थिते | aad मारकते शश्धोनेषेद्यभक्षणम्‌ | afa | भध वाराहोक्षाः पूजापराधाः। हाजिंशत्ततमुख्यास्ते वारारविष्णुनो दिताः तिथर्कपुण्धरो भूत्वा waar देवतार्ब॑नम्‌ याचितः cagera यः करोति ममाश्चनम्‌। श्प्रलषालितपादोयः प्रविशेम afer | मम दृष्टे रभिसुखं ताम्बुलं wade यः

कौ (क) Buna मर्यो यो भक्षयेग्मम सेवकः उर्वुकपलाशखे # YM: FATA

ee eee ~ ~~ Ee ere eee fee oe ener क-म ay मायाभिर केम eS ST

© एर्छपवस्चेः |

Vidhéna-Périjata, Vol, I, Fasc. IT.

३९४

विधानपारिजाते।

ARTE माशुरे are यः करोति विमृढृधोः | TAUNTS पक्ञान्नं यो मद्यं विनिषैदयेत्‌ नोलोरल्जितवस््ं यश्मर्त्योौ मद्यं निषैदयेत्‌ | नवमन्षालितं वस्तं जणं aa निषेदयेत्‌ | भवेषणवैषु eg मत्पूजां विदधाति यः | वातमूत्रनिरोधन मल्पूजां विदधाति यः | दिनान्तरितपक्षान्नं यो ag विनिैदयेत्‌ | wart घश्चलिप्ताङ्गो मल्पूजां विदधाति यः | नखोदकेन Wad कुरते मम मानवः HAT वातमनाचम्य तथा प्राठतकम्बलः पोठासनोपविष्टसं पूजयेद्ा निरासनः wma yoewd दोपं कुरतऽ्ने मल्पूजको कुरुते तां तु पूजां वदामि तै मत्पूजकः frat axa शिवो्यमः | भूताष्टम्यो नं कुरुते am at इरिवासरम्‌ परस्य परिधानं यत्‌ परिधायाचयेख माम्‌ | अपूजयित्वा frat सम्भाग्यच कपालिनम्‌ | ger यत्‌ कर क्रियते तिकालाश्च॑नवितप्रजञत्‌ अन्धकारे VLA TATA रजखलाम्‌ | वामहस्तेन मां कला Wade यदि yout: महापराधान्‌ जानोहि हां ( ब्रशमापितान्‌ ) क्षच्तणानिमान्‌

, इतोयः स्तवक; Ree

wa sfa— ayant atta वस्रं देवे नचापयेत्‌ मृन्‌सये भित्रपात्रे वा.पाषाणे लोहकाष्ठजे पज्ञषे करभूम्योसु Adal समपयेत्‌ | यानेर्वा'पादुकं वपि गमनं भगवदह , देवोव्वाद्यसेवाच श्रप्रणाम Wea! | उच्छिष्टे चेव चाभौचे भगवदम्दनादिकम्‌ | शक्तो गोणोपचारथ भनिषेदितभक्षणम्‌ | तत्तकालोडवानां फलादोना मनयणम्‌ ` इति भ्रगस्योक्ञापराधाः

अथ हिकन्तेकपूजायां पूज्यदेवतानिथमो भविष्य पुराणे-

ze लिङ्ग दयं नाञ्च गशेशतितयं Jaa | शक्तित्रयं तथा ART शालग्रामहयं तथा दौ शङ्खो नाञ्येचैव भग्नांच' प्रतिमां तधा नाञ्चयेश्च तथा wer कृून्धयादि दशकं तथा हे चक्रे हारकायासु नाच्च Berea तधा शालग्रामाः TAT Feat विषमा+न कदाचन | विषभेयु ai शस्तं aay हितयं नहि एतेषां पूजनान्नितय मुदे प्राष्रयाद्‌ हो तथा रक्षा र्ता वक्राऽतिख्युना, शालग्रामशिला पज्या

Zoo विधानपारिजाते |

cafe gua) wa खहोलयुपादानाद्‌ awafiaene नै दोष इति गम्यै | शालम्रामलक्षण Ya स्कान्दे- शालग्रामशिलायासु प्रतिष्ठा नेव विदत | महापूजां तु क्ञत्वादो पूजयेत्तां ततो बुधः खण्डितं स्पुटितं भगं पातश्च विभेदितम्‌ शालग्रामसमुद्ुत गेलं Saray नहि चत्र वा केवलं TT प्रन सह संयुतम्‌ कैवला वनमाला वा हरिलंद्छपा ae खितः # अत्रापि दोषाभावो यल्यादिपरः। RINT सभे चक्रो दृश्येते नान्तरोयक्षे | वासुदेवः विक्रयः wera खातिश्रोभनः हौ चक्रा्ैकलग्नौ तु पूवंभागश् पुष्कलः | सङ्कषेणः सविन्नेयो रक्ताभ IAAT ।॥ परयः सूच्छवक्र शु पोतदोपिस्तथेवच | शषिरे (सुखिर) च्छिट्रवइलं दोघांकारं तु तद्‌ भवेत्‌ भनिरुदसु नोलाभो वर्तुल खातिशोभनः। रेखा(्र)दय तु यारि ws पद्मेन लालितम्‌

= ~ a EE Se पण भी मि यि 2 का re aE Ei aD

# प्रशुजः quran: efez de विचिवितम्‌ | (षि) खिरान वडिग्डिद्र dia senza: We Walsahy स्प gar |

ठतोयः स्तवकः

मानावणं मनन्तं स्यात्रागभोगेन विड्धितम्‌ | अनेकमूर्तिसंयुक्ष' सवेकामफलप्रदम्‌ | fafeg दिश्च aatg यस्योधै' दश्यते मुखम्‌ | देवदैवोविश्नयः पुराशः पुरुषो ततमः अरैचन्दराक्रति Sat waaay उदाहृतः तमाशा लभत खगे विषयां समोहितान्‌ खोधरं तु तथा देवं fated वनमालया कदम्ब कुसुमा कार रेखा पञ्चक संयुतम्‌ मद्छरूपं तु Sau दोघौकारं तु तद्‌ भव्‌ विन्दुदय समायुक्ष' कांस्यवणं सुशोभनम्‌ | वामपाश्वं खित चक्र शुश्रव्ेच विन्दुकै |

लच््मोतरसिं्ो विषयातो uf सुक्ि फलप्रदः |

कपिलो नारसिंहोऽथ पथुचक्रे सुश्रोभने | बरह्मचाथधिकारो स्यान्नान्य स्तस्य UTA नरसिंह fafag: स्यात्‌ कपिलः पञ्चविन्दुकः। ब्रह्मचर्येण पृज्यः स्यादन्यथा watane: | सथलं Wes मध्ये गुडलात्तासवणं कः | दारोपरि तथा रेखा पूजकस्य सुशोभना | स्फुटितं विषमं चक्र' नारसिंं तु कापिलम्‌ | सम्पूज्य ofa माप्नोति dara विजयो भवेत्‌ | त्रिविक्रमं तथा देवं श्यामवणं महाद्युतिम्‌ | THOT तधा चक्रे रेग्वाचेव तु दक्तिषि

Rok

३०१ | विधानपारिजाते।

प्रद्तिशावक्तल्लता वनमाला विभूषिता | सा शिला Nada स्याद्‌ धनधान्यसुखप्रदा a दामोदरो "त्रयः GMT भवेत्तु यः | चक्रच मध्यदेशस्य पूजितः मुखदायकः | चतस्रो यत्र श्यन्ते रेखाः पाश्वे समोपगाः हे चक्रे मध्यदेशे तुसा fret gq चतुर्मुखो तज्राप्यामलकोतुख्या सच्छा चातोव या भषेत्‌ | तस्या भेव सदा ब्रह्मस्डिया सह वसाम्यहम्‌ यथा यथा शिला सच्छा तथेवच महत्‌ फलम्‌ | तस्मात्तां पूजयेन्नित्यं घ्मकामा्थंसिश्ये इत्यादि | हारकायां चक्रों चक्रां नैतसुत्तमम्‌ समुत्पन्रं मुभे साक्तात्‌ क्षष्णटध्यावलोकितम्‌ | तस्माशक्राङ्मिथुनं पूज्यं भक्ता दिजः सदा | भिनरं चेदधनाभाय we दुद्िविना शनम्‌ दोषै चागुषरं Sa’ wel वुशिषिनाशक्तत्‌ | Wart i चक्र दत्तचक्र' तथेवच (स्कान्देऽपि) प्रतिमामूत्तिं लक्षणादयपि काशोखण्डादौ -- नेयम्‌ भत्यगौरवभियान्रा तोुतम्‌ aa ,. पूज्य पूजकयोमध्ये पूव॑मिद्यभिषीयते | शानं पूजकापेत्तं पूष्यापे्चं तु तद्‌ भषेत्‌ |

aaa; स्तवकः | | ३०३

Paw मुखमारभ्य दिशं प्राचीं प्रकश्पयेत्‌ तदादिपरिचाराणा महगद्यावरणं क्रमात्‌ इद मागमोक्घपूजा विषयम्‌ | यस्मिन्‌ fara विषुवल्युदेति uratta तां बैेदविदो वदन्ति | मध्यं पुनः पूजकं TAA सदागमन्नाः प्रवदन्ति year ति सङ्गदोक्षेः | तथा-- aay देवतापूजां सुक्नोयाद्ाद्मणो यदि ` ग्राससद्घयान्नोहपिष्डानश्राति यममन्दिरे i वि्णूराधनादन्य feat कै वेदिकम्‌ | तस््मादनादिमध्याम्तं नित्य माराधयेचरिम्‌ | इति argues रित्यलमतिमङ्गलम्‌ | दति सोमदनन्त भष्टविरचिते विधानपारिजापै देवताश्वन विधानम्‌

४०४ विधानपारिजाते। परध पञ्च मदहायन्ताः।

aq Ra: |

पञ्च सूना सखस्य TASTE! सदा

HBA पैषणो TH जलकुम्भ उपस्करः

एतानि वा्टयन्‌ विप्रो वाध्यते वा सुहमुंडः |

एतेषां पावनार्थाय पच्चयन्नाः प्रकोत्तिताः +

हिंसा खानं सूना | उपस्करो माजनादिः | कात्यायनोऽपि-

देषभूत पिढब्रह्म AGUA मनुक्रमात्‌ |

मषासन्राणि जानोयात्तएवहि महामखाः | एतच- `

पञ्चयश्रविधानं तु खो निलयं हापयेत्‌ |

दति शङ्कवचनात्रिल्या एव | तु फलश्रवणात्‌ काम्याः |

वा कण्डन्यादिनिमिस्षश्रवणत्रेमित्तिकाः |

age मिताक्षरायाम्‌ |

यदेषां फलश्रवणं तत्‌ पावनल-

waaay काम्यलप्रतिपादनायेति |

एव मैषां नित्यत्वेऽपि

सायं प्रात्वेखदैवः कर्तव्योवलिकर्मच |

अतश्रतापि सतत मन्यथा किखिषो भवैत्‌

इति कात्यायन वचना इंखदेवाख्यं क्म Tet भेव

दरतोयः स्वकः | १०६४

भवव्रसंत्कारकम्‌। अतएव प्रवसतोऽप्यावष्यक faz भित्याह परिचिष्टकारः।

प्रवसेदाहिताग्निदेत्‌ कदाचित्‌ कालपय्ययात्‌

यस्िन्रम्नौ भेत्‌ पाको वैष्वदेवसु तत्र वं अतुरप्येव Fare |

amaeag निवत्ते यद्यन्योऽतिचिरात्रजैत्‌

तखा wa यथाशि प्रदद्याब्र वलिं इरेत्‌ +

गथ्ब्रसं्ारः arate वलिं नाम aed कुयादिति। wa वलिहरण निषेधा दनब्रसंस्काराभावो दैश्वदेशस्य अवगम्यते इति तष्टोकापि केचित्‌ सायंप्रातः fare हविष्यस्य जुहयादित्ा ष्ललायर्- वचनात्‌ पुरुषा्थकत्र मन्रसंष्कारकलतवं चैत्युभयामकतवं मन्धन्ते अत्र सायं शब्देन रातिः कथ्यते, प्रातः wea दिनमिति त्रेयम्‌ aaa Fa Aare क्रियते यस ad a दोयतेन तद्‌ Waafafa यदेति क्मणिषष्ठो यदन्रमित्यथः। अग्रं भिन्त age sta—

भ्रातृणामविभक्लानां एक्‌ पाक भवेद्‌ यदि

वखदेवादिकं ae Fa स्तेऽपि एथक्‌ एथक्‌ वधा-

ufauaa पुत्रेण पिदमेधो मृतेऽहनि

BATA Tay कार्यो ears aay

` बति

39

१०६ विधागपारिजौतै |

अधागन्धविपिषं मदंनपारिजाते जमदम्निराह-- awed तथा रात्रौ कुथा दलि (इतिं) इतिं तथां | भतः पञ्च य्रांसु feadare धशमवित्‌ ata | warm: |, येषां तु शाखिनां away व्यतिरिक्न wer यज्नानां वेखदेषे वलिहरणे चान्तर्भाव स्तेषां वाजसनेयादोनां दिवेव वेश्वदेवाख्यं कदन रात्रौ। येषांतु खशाखायां काल- येऽपि तदधान मस्ति नासि वा तेषा माशलायनादोनां काशहयेऽपि भवतोति निण्य इति ततेव ब्ाख्यातम्‌ | इविष्ेषु यवासुख्या weg ates: खता: | इत्यादि इविष्य' त्रयम्‌ पश्चयन्रलक्षण माह मनुः- परष्यापनं aman: पिठयन्नलु तपणम्‌ | होमो देवो वलिभौतो ृयन्नोऽतिथिपूजनम्‌ अध्यापन मध्ययनस्यागयुपलकत्तवान्‌ तपशं नित्यग्रादम्‌ wa विकल माह कात्यायनः | यादं वा पियन्नः स्यात्‌ पिकश्रयोबलिर्धापिवा | ति | faa: खधा नमष्तियो वलिः पिदढवलिः। मवुः- दद्यादषरहः AIG मनब्राद्येगोदक्षेन वा पयोमृलफले वापि fie: Wit मावदम्‌ |

दतोः सवक; + १०४

पितृणदिश्य fantg मोगयेदिपरसेवकः दति x द््गितोऽ्रव्यवसखेयम्‌ | अतरवियेष are व्यासः-

बरह्मचश्धादिनियमो विश्वेदेवा स्तधवच J

नित्यश्राहे त्यजेदेतान्‌ aad प्रकल्पयेत्‌ यान्रवल्कयोऽपि-

नित्यश्रादं दैवहोनं नियमादिषिवस्ितम्‌

efaurcfed चेव दाढमोल व्रतो ज्भितम्‌ |

अत्र दच्िणानिषिवो ante दक्िशणापरः तु तत्‌

WAT परः |

द्लातु eferat wear नमस्कारं विं सन्नयेत्‌ | दूति नित्यश्राद प्रकरणे व्यासोक्ञः इदं त्रां षड्दवतम्‌

तु षट्‌ पुरषं Sa’ दत्तिणापिण्डवचितम्‌ इति व्यासोक्षः ददं यत्र भमावस्याश्राहादौ षडपि देवतां cer द्र भवति। यत्र साम्बस्सरिकादो नेष्टा स्र भवति।

नित्यश्राहं agata प्रसङ्गाद्‌ यत्रसिध्यति।

इति चमतकारखण्डोक्ः |

तधा कालविपेषे काम्यश्राहमप्यकं हेमाद्रो-

अयनदहितये ara fagafeaa तधा मन्वादौ युगादौ पिणडनिवंपणाहते |

१०२ विधानपारिजात |

सवेसंक्रान्तिष्वपि तधा t इत्यादि स्मृतिवशाद युगादि मन्वादि संक्राग्धमा पूर्किमा

वटति महालयाट जापातेषु काम्यादिश्रादान्यप्यतुसपयानि। we वेश्वदेवधश्राः तत्र व्यासः--

लु डइयात्‌ सपिषाभ्यकतं तेलं wit विवल्लयेत्‌

SAM पयसाक्त वा तदभावेऽख्रस्षापिवा। सृत्धसारे-

waa येन कैनापि फल शाकोदकादिभिः।

पयोदधिष्टतेः gal हं देव सुषेण तु |

इस्तनात्रादिभिः gat दहि रश्लिमा ततः कात्यायनः-- पाण्याऽऽइति हादशपवं पूरिका एतादिना चेत्‌ सुव माव पूरिका, वेन aaa इयते हविः खङ्गारिणि सर्चिंषि तश्च पावके

उत्तानेन तु हस्तेन श्ङकष्टायेण पोडितम्‌ | संहताङ्कलिपारिसतु वाग्यतो जुयाहविः | , कोद्रव चनकं माषं मसूरं कुलिल्यकम्‌ शारं लवणं at वैश्वदेवे विवच्जंयेत्‌ भापस्तम्बोयेऽपि- छषारलवणषोमो विद्यते तथा पराब्रसंखष्टस्येति | शरलवण परान्नसंखृष्टन हविषा a wae पिति मदन पारिजाते व्याख्यातम्‌ |

देतोयः स्तवक्षः १०८.

लषणं पुराणे |

तिल मुहाढते शव्यं शस्ये गोधूमकोद्रवौ (चोनकं) वेणुकं aural aang तथेवहि खिद्रधान्धं सवशाका एष क्षारगणः सृतः भाखलायनष्टष्य प.रगिष्टे अत्र fata उकः" एषं Sarit {रह रगोदानसम्बितः सर्वाभोष्टेप्रद स्तस्मादेन ance: कुर्व्वीत तमेनं वेष्ठरेव YAR vanaa वा कुर््याब्रारेषेण sass watfefa एर पञ्चायतन वूजाङ्प इत्यवे; | तप्रकरणल्वात्‌ | इट्‌ तु शाक्तविषयं। वष्णवानांतु-- . विशोनिषैदितान्नेन यष्टव्यं देवतान्तरम्‌ | faawarfa aga तदानन्त्याय कल्यत fast तयो दष्याहरये परमासमे। tater: पितर सस्य भवन्ति क्रोशभागिनः इति पञ्चरात्रे नवेद षैणेव पञ्च महायन्नाः स्युः पेषनिवेदने दोषश्चवणशात्‌ यदि qa awa mat Mee सनुश्वयश्चात्‌ yaaa WM | a(q)a श्ुतिजपः प्रोक्तो ब्रह्मयन्नतु स्मृतः| SAAT तपणात्‌ कायः पश्षाहा प्रातराईतैः वैश्ठदेवावसाभेवा मान्धतरेयमिति स्मृतिः इति कात्यायनोक्तेः। प्रत्यहं सक्लदेव खात्‌

३११ विधावपारिजातै |

इन्ततिं होमं खाध्यायं पिढतपंखम्‌ | नेकः श्रादहयं कुर्यात्‌ समानेऽहनि कुजचित्‌। दति adga: i हन्तति मतु्यन्ः। होमो दैवयन्नः। Sai feat ala aorta निषिदः। तपण मपि ater fate प्राप्तौ भवत्येव छततपणकोविप्र लो सन्तपरयेत्‌ पितन्‌ | दूति स्कान्दाङ्गः। प्रथं AMSA: ATG साग्नेः पूर्व निरग्नेः Tats भवति तदु कालनिणयदोपिकायाम्‌- (देव) भित्राब्ेनेव तु वेश्ठदेव श्रां चरेत्‌ साम्निकः पश्ाद्‌ भूत मखाटि भनग्निकजन स्व नोक्त वोत्तरं | CUM ARTA चान्तरत तत्‌ प्राक्‌ कालेनावरेदिति | we वेष्वदेवानन्तरं are चरेदित्यधः। हेमाद्रावपि- aera कश निवत्त area’ सामिकः | पिष्डयन्नं ततः कुर्यात्‌ ततोऽन्बाहाथकं बुधः | fa | तथा- वे्वदेवाइतोरम्ना वव्याग्‌ ब्राह्मशभोजनात्‌ पित्न्‌ न्त्ये पिधिवहलिं दद्यादिधानतः दूति

aaa; eee: | ११९

म्नो भम्नाकरशे TH ब्राद्मणभोजनात्‌ TT वं दैवः काय waa: यहा- SRST तथा HAT पाद्‌ ब्राह्मणवाचनम्‌ | , xf waa विकरानन्तरं खस्तिवाचनात्‌ ga क्त्य इति गम्यते पिव निव पेत्‌ पाकं दैश्वदेवार्धं Aaa | वेश्ठदेव' पित्रथं दाशं वेषदेविकम्‌। इति can पाकोक्तेः। वाजघतैपिनासमुभयाय मेक एव पाकः। उदुत्य ताकत मत्र एच्छति भग्नौ करिष्ये इति सूत्रव्याख्याने wataraiq तथा व्याख्यातत्वात्‌ | साम्मेरपि क्षविदन्ते भवति - ATHY प्रागेव कुर्व्वीत sara तु साभ्निकः। एकादशाहिकं FMT AT श्यन्तेविधोयते ति शालद्धायनोक्ञेः। निरग्निविषये षट्‌ तिंशग्मतम्‌ (प्रा)प्रति वास्तरिको होमः rately क्रियत यदि। देवा wat wefer कव्यानि पितरस्था इति Ufeafacfa— पिदटपाकं anwar वेश्ठदेव' करोति यः आसुरं तद्‌ wieere पितृणां नोपतिष्टति खाद षैखेतदपि एवा |

३१२ विधानपारिजाते |

are fate विधिवद्‌ षै ्ठदेवादिकं तत॑ः ganfeai ततो ददयादहन्तकारादिकं ततः | इति यतोऽब्रा्छरादं तत इति निव धकार व्याख्यातम्‌ | तस्मा देका- दथाहयराचे भन्ते भिव्रणाकेन वेष्वदेवोभवति | wales तु येषं तु Aa: TART दूति देवलेन तदन्रस्योसखगविधानात्‌ | VA TAY WE Tales तधेवच ग्रता वेग्बदवः स्यात्‌ पद्राटेकादये ऽहनि i इति वेष्ठदेव विधानाेति सत्न waaay वेशशवाना मनर fate ve: पञ्चरात्रे- सामे (सु) स्तद्रहितस्थापि sure fate: | शाहनेबेदयपेषेण वैश्वदेवा दिपूव्यैकम्‌ पभादिशब्दा इलिहरणम्‌ | Bey पाराशर पञ्चमाध्याये-- amuse कटाकाथं Ae समुपरखिते | पाकंशुशवयथं Raa पून भेव विधोयते वेष्वदेवोऽग्रत्ेव Meret arte कस्यच MUM UAT भुकोच्छिषटं तु say ws कान्बादेरपि fata) waramad-— fase awa वे देव fares तलो ग्हवलि देयः ae कादादिक्ञान्‌ विला

व॑तोयः स्तवकः ११३

ति | खयालोपाकदिने विशेषमाहदेवलः wa Rar sae (aq aay यालोपाकाः प्रवोत्तिताः। waa fraarary सोऽपराङके विधोयते पिदढयन्नः पिष्डपिढयन्नः। खालोपाका इति ववचनं खालो- पाकं साध्य कर््रोपलक्षकम्‌ | fared पिषटयन्न इत्याश्वलाय- नादि विषयम्‌ | बाजसनेयिनां तु पिश्रगोवलिः foram) sata Ale Hala इति सुत्रव्याख्यानं Raat RAAT aes रज सूयवत्‌ (सु) सुदायनामधेयल्ं पूवं पिला wertat afa मन्व णादिना पिण्डदाने पितृणां देवतालावगमात्‌ पिख- दानस्यैव नामधेयत भिल्युक्रलात्‌ अङ्ग -प्रधानचिन्तायाः प्रयो- लनं तु प्रधानाकरणे नामकरण मिति तन्मते ब्राह्मणभोजनस्याङ्ग- त्वात्‌। गयादौ तथा दृटलाज्च इत्यलं प्रपञ्चेन अध मनुष्य AT: अचिन्तित मनां वेश्वदेषेष्ववख्ितम्‌ | ufafa तं विजानोयान्नेकग्रामनिवासिनम्‌ a IY ईदा शमनोदद्यादाचं दद्याच्च सुकृताम्‌ | भनुत्रभेद्पासोत यत्नः पञ्चद्िणः दति दानधर््ये। शत्यादिलक्षणोपैताय भनाष््टगोव्रकलाय श्र सनादिना wafer wa परिविष्य seq: शनकादोन्‌ ध्यायन्‌ इदमन्नं सनकादि --मशुणेभ्योऽहं ददे LAW दद्यात्‌

अव्रदानासामर्थ्ये काशाजिनिः। 40

३१४ विधानपारिजाते |

frat वा पुष्कलां दद्यादन्तकार मधापिवा। इति | भवः-- | ग्रामां भवेद्‌ भिचा we प्रासचतुशटयम्‌ wet waren इन्तकारोऽभिधोवते ज्ाह्मणाभावे कात्यायनः aq (भयु) दत्य aerate fanfare’ यथाविषिं। पिदभ्योऽथ ayaa दश्याददरह fea: | eye पात्रेनिश्िपेदित्यथः तदभावे गवादौ दद्यात्‌ वदा के्देवात्‌ प्रागतिचि रागच्छति तदा व्यासः- GHA ्देठेतु firga wean | Sua serene भिशां cer fraeray fingefa तेनेव afta: | award यतिदेव विद्यां शुरुपोषकः ` अध्वगः चोणठत्तिख wea fingat: अताः दते पश्चमरहयन्ना यथाक्लाले यदि अक्षता सदाह यमः- दिबोदितानि कन्धाणि प्रमादादक्षतानि चेत्‌ | शव्वर्याः प्रथमे याभे तानि सव्याङि कारयेत्‌ जरह्मवाओ्रवगां चौरं परिवल्नंयेत्‌ एवंस शाखो Wate वेश्लदेवः साम्ने भवति | निरने- दपि weifefe: विधानेन सख याखोक्न एद | aga. काल्नाकन ww परिषिषे।

कतौवः Sew: ११४

अथातो wifararer | केयगन्तादृष्ं मपलोक उढाज्ञाभ्नि cafere: प्रवासो awed दिधुरोवा भअन्दम्निरिति# ब्रामादमि area Tet- दिवो" व्यधिष्ाप्य विभिष साविवेः ware “any सवितु सत्‌ खवितु} विंष्यानि देव सवितः” दति पू्यैवदश्चते Gar पाकां धचेत्‌। तच खगाखोतरं बेष्ठदेवं कुडा ठथापाको भवतिण हवापाकं पेत इथापाक् asta was पिष्छपिद्यन्च पशा- च्ाप्रयशानि कुर्यादिति बाश्लायनोऽपि- Sara मेवच तत्‌ सतांस विश्वानि नोष्यान इमे मश्वाः नारोप वाप्यवरोपणं वा व्युत्यस्तिरेवं वि्ठरानशख इति | अथ यदि-भाणस्यादिना wetfefe विधानं करोति तदा शाकण वेष्वरेवः कायः। तदुक्॑ब्यासस्मुतौ | सनम्निकसु यो विप्र आादायाब्रं एतद्चुतम्‌ | arate विधानेन जुहुया कौकिकेऽनले

अनन्चि ere अग मषा उनि प्रथमो जातवेदाः भत सथ Ee राच रनौ नन्‌ दावा एथिवौ आततन्य ११अ, १७७. यशः | + शष्टोदिषि wafer एथिव्यां भेता शिन्धूलां षभः कियानाम्‌ | wma दिवि विभाति Sarre) बाहधानो eRe भ्म. त्‌. EL { हत्‌ ufey Stel wat Qua Wate) वियोयोगः प्रजोदवात्‌ o § fararfer शेव खवित्‌ रितानि renee बद्भदर' तन्न TTT NH ERE. NTR

११८ विधानपारिजाकै |

व्यसताभि# area (तो) fing समस्ताभि† स्ततः परम्‌ षडिम देवक्ञतस्येतोत्यादि wa यथाक्रमम्‌ प्राजापत्यं खिष्टजञतं gad हादशाहु (तिः) तीः देवज्ञतस्येति षरमन्ासु-- | Sta अरलखृनसोऽवयजनमसि सखाहा मनु्क्लतचख्येनसो- ऽवयजनमसि aren! पितृ कतश्येनसोऽवयजवमसि खाहा WIR 7तस्येनसोऽवयजनमसि AT भ्रन्यक्ञतस्यैनसोऽवयजन मसि खाहा। एनत नसोऽवयज्नमसि खाहा wad नम. भेति सवत्रत्यागः | ऊकारपूवेः खाहान्त स्यागः शिष्टविधानतः | भुवि दभन्‌ समासतो वलिक समाचरेत्‌ विश्वेभ्यो दै-भ्य इति सवमूतैभ्य एवच भूतानां पतये चेति नमस्कारेण शास्रवित्‌ दद्याहलिभ्रयंचाग्रे पिषम्यष्च खधानमः। पात्रनिरेजनं वारि वायव्यां दिगि fafate | ECT षोडशग्रासमःत्र मन्न एतोचितम्‌ इद AM मनुष्येभ्यो HATA TATA गो नाम aaa: पिढभ्यश्ापि शक्गितः वड भ्योऽरमन्वहं दद्यात्‌ पिटठयन्नविधानतः

oe पी प्ण = Bete eee 7

* भूः खाहा धवः Mw खः खहा एवं sara | 1 ae खः any एवंद्पानिः |

aaa; WaT: | are

ततोऽग्धदब्रमादाय निगेत्य भवनादहिः | aaa श्वपचेभ्यश्च ulate ग्रास aaa उपविश्य खारि तिष्ठेद्‌ यावन्ुहसकम्‌ | प्रम तोऽतिधिं लिषु भोवशडः परो्कः दूति | सच्छदरप्यापि वेश्वदेव Val याश्नवस्केान। भाथारतिः शचि भूं खभत्ता च्रादक्रियापरः | ANA AAI पञ्चयन्राब्रहापयेत्‌ sft | ₹ापयेदनुतिेत्‌ | नमल्क्ारेण मन््ेथेति। देवेभ्योनमः। भूतेभ्योनमः। पिदटभ्योनमः मनुखेभ्योनम इति नमस्कारान्तेन मन्तेण यदा-- देवताभ्यः faawa महायोगिभ्य एवच | नमः area aura नित्यमेव नमोनमः | दति वायुपुराणोक्षेन (वा) शूद्रस्य पञ्च werent भवन्ति | wage ara: aaa निषिशलात्‌ पाकाभावे WATS AWA नोषधो स्तथा | पयोदधिष्टतं वापि कन्दमूल फलानि वा इति समत्युक्लानुकस्द्रव्येण पञ्च महायन्नान्‌ कला तद्रव्यं fanaa प्रवे शयितव्य मिति शास्नरइस्यम्‌ | ate तु “Mana तु शूद्रस्य" इत्यादि नियमादाभेनेव खा कार्ष्यम्‌ विवारतु- |

११४ विधानपारिजाते |

दिवादइतरावं सकारं शूट्राऽपि wat षदा | इति विवाहेतरसं कारनिषिधपराद्राद्मष वनात्‌ चिषटषमा- चाराश्च लोिकरेऽमनौब्राह्मणरारा नाम wat चतादिना होमो भवतोति गन्यते। STS प्रभाषदण्डे yew निषि qaq— दभोगुदरेच्छुदरो पिवेत्‌ कापिलं पयः मध्यपते yw aware माभिनि॥ नोशवरेदेदमन्राशच पुरोडाशं भश्चयेत्‌ शिखां नोपवोतं नोच्चरेत्‌ संस्छतां गिरम्‌ पठेेदवचनं fad महि सेवयेत्‌ ममष्वारेख मन्ते क्रियासिदि भवेदृक्ठुवम्‌ # निषिद्ाचरणं qeaq पिभिः aw मण्लति | इति

भिषा मिलयेतदसब्छदरविषयम्‌। wees तु परिचथा शूद्र नियताहतति रनियताः कैश्रवेशा इति वचिहल्मरणाद्‌ बिकष्येन थिखा भवतोति गम्यते |

मनुः- शूद्रानां मासिकं काय दपनं न्धायवत्तिनाम्‌ अयवच्छोच-वाल्यव fenfere भोजनम्‌ | wali eee सतकादौ कल्यः प्रकारः। येषं अष्टम्‌ अन्धद्च-- Sarat पुरतः wat ब्राह्मणानां दिजोसप्न | array भेष yee nary दिजातिभिः |

wala: Gee: | ११९.

qat ft: Ysa Weal war arwe मप्रतः | Jue चेति (ख) wiral fea दिनि) wet अमा सत्वं दमः wre दानमिन्दरियमिग्रहः | अहिंसा गुङ्हग्रुषा तोधानुगमनं दया Wad लोभशून्धलवं देवबराह्मखपूजनम्‌ | सनभ्यसूयाच तथा we: सामान्य रच्यते इति विष्णुता साधारणध भाः गूद्रेणाप्युष्ठ या ware wy naeifa waa arena | एवं छतकेश्वदेवो गो ग्रासं दद्यात्‌ | तदाह Way: गवां ग्रासं gata frente समाहितः गवां कण्डूयनं सथ प्रास aif भेवच तच मन्तो यथा- acta, सहिताः पवित्राः पापनाशनाः प्रतिग्यद्नन्तु मे ग्रासं गाव सेशोक्धमातरः $ इतिमन्तेण संपूज्च MATE ददात्‌ | ततो वहिः काकवलिः। a wary पतितानां ऋपा crac firerg | वायसानां (ज्ञ) firattet नकं निचिपेद्‌ शुषि

are विधानपारिजात

ANAT - रेन्द्रवारणवायव्था याम्या वं नेक्ता सधा वायसाः प्रतिञ्नतु भूमौ पिं मयापितम्‌ वायसेभ्यानम इति नमस्कु ात्‌। इति वायसवलिः | वधा-- हौ श्वानौ श्याम शवलौ ववत कुलो इवौ | ताभ्यां पिण्डं प्रदास्यामि रक्ततां पथिमां सदा ्वभ्योनमः इति शववलिः | तधा- पिपोलिंकाकोट vayare वुभुलतिताः कंश्मनिवहव (प्राः) at: | प्रयान्तु ते afa भिदं vara तेभ्यो (पि) विष्टं सुखिनो भवन्तु | क्रिमिकोट पतङ्केभ्योनम इति तहलिर्देयः | तथा- प्रवासं गच्छतोयख wearer विद्यतै। पञ्चानां महता भे(ष)तेः यन्नः सह गच्छति दत्यतरिग्मरणात्‌ प्रवासेऽप्येते यथाशक्ति कर्तव्या एव तत्रापि वेष्लदेवकश्यो fafa: | GREAT व्रात्यदान AA गमनं तथा | असंख्यातं तु यज्जप्तं तत्‌ सब्यै' निष्फलं भवेत्‌ wat पश्चेद्‌ भूवलिं वोर दस्वा ग्रह्वलोन्‌ हिजः | खयं तच्चो.नेवो)दरेशोहात्‌ यदि तच्छोविनष्यति

WMT: स्तवकः १२१

गार्लवः- awed दिवा नकं भवेत्‌ एथक्‌ एधक्‌ प्रातरेव हिरादच्या कन्तव्यं खातिश्रासमात्‌ तथा - feat ar यदिवा रात्रौ क्रियते वे्दैषिकम्‌ | fetrren तदा gaifefa वेदविदोविदुः | एतच्च यच्छाखायां सायं प्रात देश्देवो विहित स्टिषयम्‌ अन्येषां THVT भवतोल्युहञभेव . शौनकः - aed तधा श्रु AMIN सूतक | कुर्यात्‌ खयमन्येन काश्येन्रच सर्वधा | भत्यवं सारेऽपि- कुत्‌ पञ्च महायन्नात्रित्यदा सूतकं विना fat rat Waa पचनं यस्य Tas यस्य मथनम्‌ | awe ae चाधोतं निष्फलं तस्य जोवितम्‌ तथा- अल्ञाताशो मलं भुङ्क्तं aaa पूयशोणितम्‌ अहुत्वाशो क्रिमिं yea अनश रुधिरं तधा इत्यादि | लतस्तदोया Was गद्या यथाह aay) भन्धेऽपि

३९२. विधानपारिजाते

तेत्‌ ATA समागता भोजनोयाः। भोजन काले समागताम्‌ सखि सम्बन्धि वा्वान्‌ भोजयेदिति वणिष्टोक्षेः। एवं प्च महायन्ना METH; कायाः | wana केनचिदाकाष्ठादेवेभ्यः fret मनुष्य ate aratfefa arerraate: | विना सूतकं पश्चमषायन्नाकरणे प्रायबित्त ya सृतौ खकब्धहानौ पतन मब्देनेवत्वनापदि | सखकहानो नास्तिक्याग्मासेन पतनं सृतम्‌ हादशाब्टव्रमेनेव तख Vieg नान्यधा सत्रिरोश्याकं मोत स्मे खानं सचेसकम्‌ वेदोदितानां नित्यानां कमणां समतिक्रमे | MAHATMA प्रायशित्तमभोजनम्‌ | care मति प्रपश्ेन इति ओोद्रदनन्त भहविरचिते विधानपारिजाते साद्धिकाविधौ aes विधानम्‌

waa: Brea १२१ अथ भोजनं विधानम्‌

तत्र याश्रवस्काः | सश्चोज्यातिथि wate दम्पत्योः येष भोजनम्‌ | वालसु(ख)वासिनो aw गभिश्यातुर कन्धकाः | दम्बत्योरपि मध्ये get खुहपतिः वेष्टाज्र मश्रोया चतः cathe भारतेदानधन्ं भव्यातिधिषु यो ae yar नरः सदा wad केवलं aR इति विदि युधिष्ठिर अभुक्वल्तु नाश्नाति ब्राह्मणेषु यो नरः अभोजनेन तेनाथ जितः खर्गोभवत्युत दैषैभ्यख fray diate सथवच | अवशिष्टानि यो ye तमाहविघक्षाशिनम्‌ इति | दैवलः- प्राहरं तु रहः कुर््याव्रिष्ारं चेव सब्धदा गुप्ाभ्यां लख्छयापैतः स्यात्‌ प्राकाश्ये होये त्रिया | रह एकान्ते। निर्हारः पुरोषाश्ुसगेः सोसंसगश | मेधुनं सततं गुप्त माहारं सदाचरेत्‌ दूति दान waiter: | area पशचाद्रौ भोजनं कुयात्‌ ATMS मौन मासतः |

३२४ विधामपारिजाते।

WR पाठौ AMAT मेषा पच्चाद्रतास्मृता | भाचारदोपे- ल्ञास्यतोवरणः कान्ति | लुद्तोऽम्निः धियं qty} Waray रायुष्यं carat विषु स्मृतम्‌ मतुः-- धुष्यं WMA सुद्ध यशस्यं ef मुखः | fad VATA YR ऋतं YRUCGS: एतत्‌ काम्यं faufafag प्राञ्च खोऽत्रानि भुज्ञोत तथोत्तर मुखोऽपि वा fa | wage at सुखस्य भोजनं मातु रिव्युपदिशतोत्याप म्बे सरणा Ramana दक्षिणामुख भोजननिषिवः। भ्राचार- दोपेऽपि- पत्रवान्‌ खण्डे faa’ नाश्रोया दृत्तरामुखः | सोमवारे तथात्यन्तं AHA सदा वुधः | भोजनकाल माह मतुः- सायं प्रातदिंजातोना मशनं सुति चोदितम्‌ नान्तरा भोजनं कुथादम्निहोत समोविधिः i मारते दानधन्मे--

J I OS TS a Se wee ee eee प्री

9 @ (तु) तस्तु वरग aM एत्याह्धिक तच्च पाठः। एद समौबोनतया ४िभाति ag भविष्यत्‌ कालत विदलन प्रज्नतागुपयोगात्‌ |

aaa: सकाः १९१

सायं प्रातमंनु्याणां भोजनं देवनिर्मितम्‌ नान्तरा भोजनं ष्ट सुपवास विधिदहि सः WAY AAAI प्रातराश यो AT: | सदोपासो भवति यो भुङ्क ऽन्तरा (नरः) कचित्‌ अत प्रातः शब्दः पश्चधाविभक्ञ दिनस्य ठनोयभागवाचकः | तथा - ततो भोजन वैलायां क्षलाचारं सटामवान्‌। Maat THA भोजनं कारये इधः मातापिता गुरर्भाथा पुत्ोदास स्तथेवच | पअभ्यागतोऽतिथि्वामििः पोष्य ant भमो नव ब्रह्म पुराणे- भरतु (उप) fad समे स्थाने एचो शदासनानिते। मण्डलं गोमयेन स्या दधवा MAGA tt ABA AY व्यासः- aqua’ निकोणश्च THA ae चन्द्रकम्‌ कर्तव्य AAA ब्राह्मणादिषु म्लम्‌ गः-- आदित्या वसवोरुद्रा aw विष्णु wae | मण्डलं तूपजोवन्ति तस्मात्‌ कुर्वत मण्डलम्‌

SS 1 1 7 177 Sw es = ककय ०"

$ आदिप्न faut अदाणां परिग्रहः ततव ame रतुरसं चि ue विकोकं वैश्वम्य ager acer अर चन्द्रभं acest विति निति वैदितग्यन्‌ |

१२९ विधाक्पा रिजातं |

यातुधानाः पिशाचाश अषुरा राक्षसा Bayt - हरन्ति रसम त्रस्य मण्डलेन विवसिनतम्‌ भासन माह मनुः- ATT शमो WAY कदम्बोवारण सधा | पश्चाषललोपविष्टसु जानशोमादिकं चरेत्‌ वच्य Ya प्रचेतसा aay was first तथा पालाश पेष्यलम्‌ लोश्वदं तथे(सदे)वाकं वल्लयेदासनं FT तधा- मधु पकं भोजनान्ते Aertel निल्यकश्चणि। WAR: सदाचामे दन्यत्र FRCTAMA; | AY भोजनवेलाया मासनख उपम्पृथेत्‌। ब्राह्मणो भोजनात्‌ पूर्वै तमाहः पंक्ति दूषकम्‌ cafe स्मृते रासनखस्य भ्राचमन निषधः | पठोनसिः- एकएवतु ayes विमले कांस्य भाजने | चत्वारि तख वरन्ते आयुः प्रत्ना यग्रोवलम्‌ fire भोजन निषेधा दभितव्रं ate पात्रं त्रयम्‌ सौव राजते चव पात्रे भोजन TAT इ्तिखमतिः। सौवणोादिक मपि विभवे सति काम्‌ सास्र पात्रे भुच्ोत भिन्रकांस्ये मलाचित। इति हह aye स्ता्रपाश्रनिषेधः।

ठेतोयः Be 229

सयपात्रे सव्यैदा भोज्यम्‌ परपाद्रषु YW प्राजापत्यं Vth: | इति स्मतेः। पात्रपरिमाश माह योगो-

पञ्चाशतः पला दूष महा भाजनमि्ते ।., atfaatd नातिङखं रत्नि मा प्रमाणकम्‌ प्रन्यान्तरेतु- पलदि शति मारभ्य पतजदं यथेष्छया इदमेव उडखयानां यति ब्रह्मचारिणाम्‌ CUT WATE AYN | तत्‌ समन्ता Maratha निधेयारनि maT लघोयांस्यपि arate भूमौ खाप्यानि भारत | पयः शाक्षादि भुश्यधे महाभाजनोपरि सव्ये andy पानोयपावं दद्याहिचच्चशः साचारदोपे- efed तु परित्यज्य वामे नोरनिधापनात्‌ अभोज्यं तद्‌ WITT पानोयं भरयासमम्‌ तधा- ताम्बूलाभ्बश्जने चेव कांस्यपात्रे भोजनम्‌ | afae werent विधवा विद्येत्‌ बति व्यात्रपादुक्ते य॑त्वादेः कांसवपाच निषधः अन प्रसङ्गाहिधवा धाः कष्यन्ते

gre विधानपारिजातै |

TR —- पत्यौ खतेऽपि या योषिह wai पालयेद्‌ यति, | सा पुनः प्राप्य AT खगलोकान्‌ समश्रुते एकाहारः सदा कार्यो डितोयः कथञ्चन | fata. weed वा पश्चत्रत मधापिवा यवान्न फलाहारः शाकाहारः पयोव्रतः | प्राण याजं wala यावत्‌ प्राणः खयं AAT Arye कारिक ara विपरेषनियमं चरेत्‌ | खानं दानं तोधेयातरां वि णोनौम प्रह पुनः नाधिरोहे दनद प्राणे; करठगतेरपि mga a afc (रो) दध्याहासो विक्षतं वबेत्‌ | विधवा कवरो वो भक्तं बन्धाय जायते | शिरसोवपनं तस्मात्‌ ara विधवया सदा पङ्क शायिनो नारो विधवा पातयेत्‌ पतिन्‌ तस्मात्‌ भूशयनं कायं प्रति सौख्य समोहया नेवाङ्गो दत्तनं कायें सिया विधवया कचित्‌ TATU सम्भोगो ATHTA सया पुनः | यद्‌ यदिश्लमं लोके यश्च पत्युः समोहितम्‌। ane गुणवते देयं पति wheat काम्यया | AUG प्रत्यहं कार्यम्‌ भर्तुः कुशतिलोदकेः तत्यितु सत्पितुषेव त्मावादिभ्य एवच

सर्पणं तु पुत्र पौवामावै चेयम्‌ |

ठतोयः स्वकाः ३२९

aie तपरं चेदव कुर्यात्‌ पुविशी सदा |

इति गृहः - विशोसु पूजनं काश्यं पति quar चान्यथा | पति मैव wert ध्याये दिण्णुरुपधरं प्रम्‌ | ष्टा तु सृतान्‌ किञ्चि agate wy त्रा

ate |

पजाद्यमावे इरिवंये gana कलये विशेष ow wud frat वापि कला भर्तार मालनः MSHA ATTA HATS माचरेत्‌ सदा

| इतिं | अथ waa मरगुल्ियते। कांस पात्राभावै aa: |

THT कुटज MATT जम्बू पनस चम्पकाः |

पश्मोदुम्बर पालाश ब्रह्मपत्रं पवित्रकम्‌# wfa:—

बटार्काश्वलख cag कुम्भो तिन्दुक पत्रयोः |

श्रीकामो नेव Yala कोविदार ACA:

करे qua चेव भिलायां तास भाजने

भिदकास्ये वसे Yala तथा ऽऽयसे Waa पाद मारोप्य यो YE ब्राद्मणः कचित्‌ मुखेन घमितं चान्नं तुषं गोमांसभक्षणेः

Fe " +य = 1

# पाव जिति शेषः | तथाच cunts पवष alma कोऽपि दीष इति माषः | `

42

३९० विधानपारिजाते |

द्श्षः- भोजनं हवनं दान सुपार, प्रतिग्रहः | वहिजीनु कार्याणि तदाचमनं जपम्‌ | नाग्मोयाद्‌ भाया साहं नाकाे तघोधितः शयानः We पादश्च ला चेवावसक्‌धिकम्‌ आकाशे यन्वादौ। पादारोपित पादः प्रौढ्पादः। ayesa विरेष उक्ञः- मात्रा सशोपनोते स्या fear? भाया सह | अन्यत सद YUTA: समः स्यात्‌ पशभिः सह a प्रयोग पारिजाते गगः- रदग्भापव्रपलागेषु यः कुयात्‌ पारणं कचित्‌ | सप्तजश्मक्षतं पुण्यं तत्छणादेव नश्यति यत्तु मिताक्षरायाम्‌- परलाश्पत्रभोजो श्रहोरात्रेण Gata | इति यो नित्यनिषेध om: वज्ञो पलाश विषयः | मदनपारिजावे व्याख्यातम्‌ | पलाशपतरभोजो यः सोऽनन्तं फल TTA इति विरेषोक्षेः | यमः- शाकादि पुरतः खाप्यं wel भोज्यश्च वामतः | wa मध्ये प्रतिष्ठाप्यं दिशे एतपायसे | पावर wat तु वामेन यावद्‌ भवति भोजनम्‌ |

इति

दतोयः सववाः 222

पाणिना efataa care परिषेचयेत्‌

UES GA चेव मध्यमा चेव सवदा |

ferent दचे(ह)काङलो चेव प्रशस्ता पाव्धारषे भारते-

आज्धाइतिं विना चेव यत्‌ किञ्चित्‌ परिव्रि्ते।

दुराचारश्च यद्‌ भुकं तं भागं र्सां विदुः माकण्डयो ca fata माह-

न्यस्तपाव्रसु TAA पञ्च ग्रासान्‌ महासने |

शेष YEA भोक्तव्यं श्रूयता AA कारणम्‌ |

| इति|

THA यन्ादौ खापयिलेत्यधेः |

यन्व yn We

कांस्यस्य काष्टकस्यापि वंशस्यापि तथेव (च) fet

यज्िका तु विकोणा वं कर्तव्या पातरधारशे वट्‌ विं्कते-

श्रोदने परमानत्रच एतपात्रं खितं यदि |

एतदाज्यं Wig Aca मांसमुच्यतें aT

Gaya लवणं चव तधा मानससम्भवम्‌ |

सामुद्रं भूमिजं चव प्रत्यतते चेव दुष्त: |

नस्मादिदं द्रव्यान्तर ya परिषेव्यम्‌ (वेश्यम्‌) |

aratfe भोजने पात्राभाषे fata sat arn

RV विधानपारिजाते |

पञ्चग्रासां सु ale कषचिरहेश्मनि awe पार्त शेषं तु wade Geass t गगंः- सत्यं चैति वे प्रात वरिणा परिषेचयेत्‌ | सायंकाले त्थवखयाहतं चेत्यादितः क्रमात्‌ a भापस्तम्बः- कौशं तु विभूयाबित्यं पवित्रं दिशे करे wary विशेषेण welata विशये | भोजनं वर्शुलं war पवितं afer वज्नितम्‌ | इति तथा- oye किच्चिदन्राग्र धश्चराजाय वे वलिम्‌ | दत्वा faaqura ware तथवच अवेनेव PATA नमस्कारेण वे भुवि fae एवाइतोदं शाद्‌ भोजनादौ दिशे # इति भवि पुराणे भोजनादा वत्रेनेतयुक्ष भोजनादन्धव- फलादारादौ चि(पवि) व्राइतिरिति mae | केचित -- भूपतये भुवनपतये भूतानां पतये नमः ` एवं वलित्रयं दद्याद्‌ भोजनादौ विशेषतः इत्याद: | पबाचारतो व्यवखा farnraq— पितृणा मग्र cage वलिं garter ये दिजाः।

ama: स्तवकः। १३९

प्रासुरं तद्‌ भदेच्छाहं पितृणां नोपतिष्ठति ay ara शेदब्रं daa वलिं इरेत्‌। SAY मधुवातान्ते होमान्ते चोदकं पिषेत्‌ ‘uta t तदै श्वदैविकदिजविषयम्‌ पित्रमहिजस्य वलिदान निषधात्‌ t इति खाइ कल्य सूतके;पि वलिदानापा शान प्राणाति ary. धारणादयो भुजिनियमा भवन्तोति स्मृत्यधसारे स्ट सुक्षम्‌ भन्यवापि- | नित्यज्ञानं शौचं भोजनं नियमाजितम्‌ | “we GHA खानं कुाटेवव सूतक शरन्यव्रानधिकारा way देवा्चादयो भवन्ति मनुः- द्वा तु चित्रगुप्ताय स्तं प्रल्षालयेदहिजः | श्रक्षालितकरो भु (द्भ) क्षा रोरवं नरका ब्रजेत्‌ aferatat दक्षः- भोजनादौ वलिं qa समुदत्य भोजनम्‌ | शरगुह्टत्यच यो HEM प्राणायामा्टकं चरत्‌ A च्चा ऽगृतोपस्तग्णमसि Area मेवच | श्रापो शानं तदित्याह भोजनादौ पिवैवलम्‌ श्रापोशान मल्ला तु यो aE दिजससमः। श्रभोच्चं तद्‌ भवेदन्रं AMT दोष मवाप्रुयात्‌

२२४

विधानपारिजातै।

तदोषपरिहाराये प्राणायामान्‌ समाचरेत्‌ श्रापोशनाथे यत्तोयं एतं चे्िःखतं मवेत्‌

इस्तं प्रलाश्य तोयेन पुनं धारयेच्ललम्‌ आपोशानं करे क्ता यद्याभ्ौवचनं पठेत्‌ Wael तद्‌ VATS दाता ater किखिषी। यो यस्याब्र समश्राति तस्याश्नाति किखिषम्‌ ॥. तदोष परिहाराथं मनर मेत सुदोरयेत्‌

अब्र ब्रह्मा रसोवि्णु मोक्षा देवो महेष्वरः

एवं ध्यात्वा fen ae wa दोषे afar प्राणाइतीरदच्ला (THAN) तु Tata’ परिम्‌ महितं भोजयेद्‌ यु प्राजापत्यं ततचरेत्‌

चिव्राहतिदानानन्तरं इस्तं. cere पंक्ति दोषसम्भावनायां

जलधारादिना ofa’ भिन्यादिलयक्तं पारिजात

छह मनुना |

एकपंश्युपविष्टानां दुष्कुतं यदहुरामनाम्‌ सर्व्वेषां तत्‌ समं तावद्‌ यावत्‌ पंक्ति ममिद्यते | अग्निना भस्मना चेव स्तम्बेन सलिलेन वा हारेणवच मागें पंक्षिमेदो वुधैः स्मृतः |

स्तम्भेनेति कचित्‌ पाठः | यान्नवल्काः-

भरापोशानेनोपरिष्टादधस्तादश्नं तथा | अन (ग्न) ग्रममृतं चव काय मत्रं हिजक्मना |

ढतोयः VAT 1 १३५

ea शब्देनापोशनं पोत्वा शब्देन PATTARA 1 शब्टेनापः पयः Tat सुरापानसमं भवत्‌ भराद्रामलक मात्रं (तु) वा यहा वदर मात्रकम्‌ प्राणाइति प्रमाणं स्यात्‌ wears az स्रवेत्‌ + walt तु यो भृङ्ग नर साति पञ्चकम्‌ पश्चाद्‌ तेन यो UE दिजघान्द्रायणं चरेत्‌ एताभाषैतु गव्येन संस्कर्ववीत जलेन वा

गव्येन दुग्धा दिनेत्वथः |

पराशरः- सुते wae निकतेपो मन्वे; प्राणादि पञ्चभिः भोजनं ति विन्नेयं aaa नियमाः सताः | पाश्रालग्भ स्तथा मौनं ASE मपि चेच्छया |

शोवकः- खाहान्ताः प्रणवायाच्च नामना AAT वायवः | जिद्रया waded दशनेन संर्ेत्‌ तथेव wet दद्यात्तु सचतन्ये सुखामनि | AMM मध्यमाङृष्ठ लम्ना प्राणाइति way मध्यमानामिकाङ्कष रपाने जुवा (इविः) eu: | कनिष्ठानामिकाङ्गष्ट व्यानेतु जुहुया दधः

~ - --ॐ शोकम क-+ o- Le

# प्राशय SIE) अपानाय BAR | समानाय SIE | Bz खाहा | व्यानाय खाहा। Taea: |

are विधानपारिजात |

कनिष्ठा तजन्यङ्कहे रुदानाय इनेशविः | सवाङ्गलिभिरादाय समानख्याहति भषेत्‌ | तथेव षष्ठौ जुह्यात्‌ सचेतन्ये सुखानि | . इति | केचिद्रद्मशे खाति सप्तमोमाहः शायां प्राते निविष्टौ. sai लुोमोति तेत्तिरीयार्यके तथोक्षलादिति। इदं प्राणानि होजरमिति श्रयम्‌ aga शतपथ arma ते पुरुषमाविशत wea मुखमेवाष्वनोयं कुव्याते जिद समिध aa भेव शक्रामाहतिं पै पुरुषं तपयतः सय एवं विहा मश्राति ufereta Fara दतं भवतीति धुवन्तरःपि- सय te मविदहानमिहोतरं लुषहोति agra wafa YAM तत्‌ स्यात्‌ wa एतदेवं विहानगिनिरोतं शुष्टोति त्य सर्वेषु लोकेषु स्वेषु भूतेषु सरधेष्वामसु इतं भवतीति गोभिल से- पश्ग्रासान्‌ Wala प्राणाय खाहति argue भेव तैन eis | पानाय खाहैत्यन्वाहाथ पचनं मेव मेन शुष्टोति व्यानाय खाहैत्याहवनोय भेव तेन शुदोति। wera arefa सभ्य मेव तेन शुषोति। समानाय azarae भेव तेन waite | सामोपनिषदयपि- तद्‌ यद्‌ भक्त प्रधम मागच्छदित्रादि),

तोयः स्तवकः . ३७९

नाग्रोख्छिष्ट दोषः प्रद्याहइति | तदाह मनुः- मधुपक MAT EY प्राणाहतोषु wie Way सर्वेषु afer मनुरत्रवोत्‌ तथा सति सङृहे- एवं पश्चाइतर्ईतवा ब्रद्मग्रयियं free | WATS वामहस्तं तु WATS भोजन माचरेत्‌ तजन्धां तु fad da awa aia कनिष्ठिक्यां खिति qe नेव भोजन माचरेत्‌ ` भ्रन्यथा भोजनं कृव्यन्‌ प्राणायाम शतं चरेत्‌ | यद्‌ यद्‌ भुङ्क aca तु fate हे खापयेत्‌ एथक्‌ यद्‌ यद्‌ यख्छेशितं ara खोल्वा भोजनं चरेत्‌ | अनिधाय waa aa गायत्रालभिमच्ितम्‌ | पनर wwlare यदि yale दोष भाक्‌ | पेक्कि aa यो yea परकोये खकेऽपि वा तदन्न मांसभित्याहः सषयरोगोच जायते सव्वाभि रङ्कशलोधिः सम water दिति वश्िष्टोक्षेः समुदिता- wafer wate तधा- जलपात्रं तु नि्तिप्य afar द्विषे fart भोजनकाले तु पिवेहाभेन पाणिना

43

"$ विधानपारिजाते।

अन्यत्र तु- धारया नोदकं पयं पोलला दोष मवाप्रुयात्‌ | जलपाव्रेण तत्‌ पेय मिति शातातपोऽत्रवोत्‌ एक पंक पविष्टानां विप्राणां ae भोजने | यदयेकोऽपि त्यजत्‌ पातं नाश्रोगुरितरेऽप्यनु yaray तु विप्रेषु योऽग्रे ara विसुश्चति a ast नरकं याति ब्रह्महा निगद्यते मय्योदाकररे दोषो Lae भेव प्राक्‌ एक पंकयुपविष्टाना मन्योन्यं Wat यदि | TSA AAA YR गायतरा्टशतं जपेत्‌ wagfere dant wie वां भाजनस्य वा Wa तदेव भोक्षव्यं TRG भाजने खितम्‌ भरन्यटब्रं भोक्गव्यं यदि yata किखिषो | ज्ञाता ततो जपेदेवं शतमष्टोत्तरं दिजः ae शातातपरु- यदा भोजनकाले तु अचि भवति दिजः | भूमौ निरिष्य तं यासं ara शुदि मवाघ्रयात्‌ | ufirerr सवं भेवापि विरात्रे विश्ध्यति पन्नानाद्‌ भोजनं ory WAITS शतं जपेत्‌ Kane) मदनपरिजाते माकंण्डेयः |

Nene a eae ae ee ee

@ dal maadtfaqad: |

ठनोयः VAR: | ११९

ag पाणितले भुङ्क्ष यः सशब्दं समश्रुते अङ्कलिं ante ag गोमां साशनवत्‌ सृतम्‌ | दिष्णुपुराणे-- WHITMAN पूवं तु मधुरं रसम्‌ लवणान्ो तथा मध्ये कटुतिज्ञादिकान्‌ ततः प्राग्‌ eazy मश्रोयाग्मष्ये तु कटिनाशनः | भन्ते पुनद्रवाशो वलारोग्ये मुञ्चति a alfesviva arate तथा गव्यं fanaa: जठरं पूरयेदर wa भागं (जलस्य च) जले सथा वायोः सश्चारणार्थाय चतुथ मवयेषयेत्‌ अपस्तम्बः- अष्टौ ग्रासा सुने भतं षोडशारण्यवासिनः | हातिंश्तु zeae wis ब्रह्मचारिणः षलस्धः-- भोजनं तु fata कुय्यात्‌ परान्नः कथञ्चन | ware दधिसक्षाज्य परल Me मधवपाम्‌ | पललं मासम्‌ | पनिन्दयं भक्षयेन्नित्यं वाग्यतोऽब्र aaa | इत्यादि स्मृते theca भोक्तव्यम्‌ त्च निन्यात्‌ we faery तदत मिति तेत्तिरोय ya

i me ( पि | =-= —<_— न्द्ध ->* ~~ = "ण ee 7 1

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© Baad इत्यत स्वादिगकोयम्य अ्रगधता AMAA Yala निगत।

तथाप्य प्रकरशादुपद्ःयौगाहा wine चैवं दरेतव्यम्‌।

३४० विधानपारिजते।

TT ANT माह यान्रवल्काः-- wafad aur मासं केश कोट समन्वितम्‌ एकं पर्षितोच्छिष्टं we खपच कामतः उदक्धारष्टसंषु्टं पथायानत्र aay ward, शकुनोच्छिष्टं पदाख्ष्टं कामतः wafaa सुत्तमायभ्रवन्नादत्तं यदन्र' तत्‌ | हधामांसं- प्राणात्यये तथा are प्रो्ितं हिज काम्यया देवान्‌ पितन्‌ समभ्यश्चा खादन्‌ मांसं दोष भाक्‌ TUM प्रकारेण श्रसम्पादितं मासं | केश कोट समन्वित मत्र | wal a खय मननं सलकालं- परिवासादिना भ्॑लोभवति तदिलथः पर्युषितं रा्न्तरितं उच्छिष्टं भुक्नीच्छिष्टं। उदक्या रजखला तया wea | dye को aE इत्यादि यदाघुथ दोयते watara’ भरन्धसम्बभि भन्ध- व्यपदेशेन यदोयते इत्ययः wary MEA पयुधिते प्रतिप्रसव are एव aa पथ्ुषितं भोज्यं Gera चिर संखितम्‌ | wearer रपि गोधूम यव गोरषविक्रियाः गोधूम विकारो मण्डकः यवविकारः सङ्घः | शहः-- ` अपूपाः सक्कवो धाना सतक्रं दधि wa मघु। एतत्‌ TRY भोक्ष्यं भाण्लेपो नचेद्‌ भवेत्‌

SANT: VAR! | ३४१

तधा- श्राभोर भाखसंखयानि पयोदधिष्टतानि तावत्‌ प्रतं हि तद्‌ are areas तिष्ठति कलिङ्गगच पटोलंच sara सन्धितानि च। उपोदकी रक्षशाकं Hara वे वल्लयेदिजः 4 नारदोयेऽपि- sara कलिङ्गगच दग्ध aa मपूरिका। उदरे aw तिष्ठन्ति तस्य दूरतरोहरिः | शाक मूलफले्ुणि caress नं भक्षयेत्‌ | ` लवणं THAW छतं ad तथेव

aw tag fafad weet भक्षयेत्‌ wat लवणादि cart देवम्‌ |

WU Be पक्षं नतु दव्वैा कदाचन

CUM रक्त पक्षे Heine देये Shaw हन्ताकनिषेधः श्वेत TAH पर इत्याहुः |

वस्लयेच्छेतहन्ताक मनावु' THA तथा छत्राकं लशुनं चेव मुक्ता चान्द्रायणं चरेत्‌ | इति विथेषोकेः। तन्नु निवन्धे aqua ete राग- मूलत्वात्‌ उपलम्भे वा aaa विषं दोषाधिक्धाय | afe- तर प्रतिप्रसवाय प्रायिन्तापिश्च कथनादिति न्यम्‌ तधा- राजौ दधि भोक्तव्यं fer नवनोतकम्‌ |

ABR विधानर्पारिजानेः।

पय CHIH हेयं तधा क्रामेलकाषिकम्‌ x |

दूति कान्द तथा तिधिविरेष वान्या |

awata:— FAG तरणो चेव yaa Teal तधा alee त्र कलिदक ural प्रतिपदादिषु AMAT सप्तमो याव TAIT RH माचरेत्‌ | सप्तम्यां रविवारे दिवारात्रौ तथेवच धात्रोफलं नरोऽश्रोयादलक्छको Wa (ae: away | विप्राणां भोजने काले यदि दोपोविनश्यति पाणिभ्यां पात्र मालभ्य गायतां मनसा स्मरेत्‌ पाश्च दौपकं दृष्टा तच्छेषं yaa दिजाः अन्यदन्न' UMA भुक्ता कच्छ समाचरेत्‌ | मक्षिका सन्तता घारा वेद सम्बन्धि विन्द्वः + | BU alee चेव पवित्रं मगुरत्रवोत्‌ |

अन्धत्र- प्राणात्यये तथा खा प्रोचितं हिजकाम्यया | देवान्‌ पितृन्‌ समभ्यश्च खादन्‌ मांसं दोषभाक्‌ |

दति यदुज्ञं तस्यायमधः। भक्गाभाषेन यदि प्राणनाथ eer मांस भक्षे दोषः सव (तः) घा भलानं गोपायोतेति शतैः तथा ae निमन्ितो मांसमग्नोयात्‌ |

# maya खाः अविष amefa | t वैदाप्यायिनः मुग्वनिःदत। mentee:

Say, स्तवकः | २४४

यधा fafa faqa g at मासं नात्ति मानवः) प्रेत्य पतां याति सम्भवा नेकषिं शतिम्‌ # इति ` wae: | तथा प्रोत्तणाख्य चरोतसंस्कार संस्छतम्रांस- wat दोषः | विहितत्वात्‌ भक्षणे यागासिशेख | तथा wfrasard सम्पादितं anid दिजप्राथनया तद्‌- भक्षणे दोषः भत्र यद्यपि दोषाभाव sm स्तथापि यागाद- न्यत्र मांसं वच्यम्‌ aafe— अस्ता (गोपश्षेव) ATH मांसं तथा मधु | टेवराञ्च सुतोत्पत्तिः कलौ पञ्च विवस्जेयेत्‌ इति हद्त्रारदोयोकेः भक्ता क्तविवाहा way युगा- ्रवन्र विवाद्चेत्यथः शौचं ura Ufea ware परमा यदि। wat afrnwere एतत्‌ खलु निरामिषम्‌ tt षति हहत्‌ पाराशरोक्ष्च सिप कूपे यथा किचिदाल(मा,भाष्ु तदिच्छति पतत्यन्नामतः सोऽपि मांसेन खाहज्ञसधा I इति निगमोक्ः | दद्यादामिषं ae चाद्यादश्मनस्ववित्‌ | मुग्धन्रैः स्वात्‌ परा प्रोति (यथा) स्तथा पण्ड्या #

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* gua waa | तथाच वेन एकविंशति sag quale, eraeysy मिव्यधैः |

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३४४ विभानपारिजाते |

षति भागवतोक्तेः | सर्वान्‌ कामप्ानवाप्रोति शयमेधफलं तथां खहेऽप्रि निवसन्‌ विप्रोमुनि मे सविवरलनात्‌ ति याज्ञव नेख | प्रोक्तितगभ्यु्ितं मांसं तथा ब्राह्मण काम्यया sue भिदं sa fade तु सिप्यते इति caw अल्यदोष श्रुते | ननु-- पितृणां मासिकं are मन्वा षिदुवुधाः | तदामिषेण waa प्रशस्तेन प्रयत्नतः सधा- कालशाकं ARTA: खब्रलीषहालिषं मधु NTT BA मुन्यन्नानि सर्वधा ति मनु याक्रवलक दि स्मृतौ are मांसविधानाहिषधिनिषे- धानां शेशमेरेन व्यवसा कुतो arpifaad इति Ya मांस- निषेधकंवाक्ये कलावितिवहेश भेद ग्रहणा भावात्‌ तत्‌ कल्य- नायां तु यावति देशे ater दृश्यते | तहेशवाचक पदाभावा दनक पद कल्यनेनेकवाक्ध मेदा पत्तिः प्रसज्येत देणाचाराः परिग्राश्चा स्तश्देशोयजनरेः | ware पतितो Wa: wen वहिष्कृतः इति awarceta वचनवलान्रापि देशाचारतोग्यवद्या इटं चनें AHEM सदाचाराणाभेव AAAI | दुराचार |

ar: खवकः | १४६

afay देधे arent: पारम्पथक्रमागतः | श्रुति खत्यविरदश मरुष्टातु महति बति Gaeta: | कलौ पञ्च विवल्नयेदिति निरवकाच ware विरोधाश्च। इत्यलं समङ्ातुप्रसङ्गन। प्रक्रत Fad | AAT AT ; पराकं रचिनंस्या दनिन्धामन्वणाहते षट्विंशक्रतेऽपि- दुराचारस्य विप्रस्य निषिदहाचरणशस्यं च| wa yar दिजः garter मेक मभोजनम्‌ | fafen:— पररपाक्भिठन्षस्य परपाकरतस्य अपचस्य yma हिज खान्द्रायणं चरेत्‌ It चान्द्रायण मभ्यासविष्यम्‌ | भ्रनभ्यासेतु जिराव्रमभोजन भेवं | wees मपि care ोतल्लामिने समारोप्य पश्चयन्नाब्र निवत्‌ | परपाकनिहक्तोऽसौ मुनिभिः परिकौत्तितः पञ्चयन्रान्‌ खयं HAT पराब्र मुपजोवति सततं प्रातर्द्याय परपाक TAY सः WHAT हन्तो यो ददाति ufcafera: # ऋषिभि धर्वतच्चन्नरपचः प्रकोर्तितः

=e Wg [यि a anny eee ee ee eee: + eee ee ee

® ददातिदानं तेन परिवर्जितः शून्यः ware seed: | 44

३४६ विधानपारिजाते |

इलादित्य पुराणे एकादशाध्याये।

तसराद्रहर्देय मनर मेव विचक्षणैः | प्रपरोच्छेव wan इति areas शासनात्‌

WIA AA खषखायं पक्त नव कदाचन |

दातव्यं fe निषिषं act ate शिवोऽत्रवोत्‌ ति शातातपः!

aqua गते Ma पराव्रयेतु भुन्नते।

वेषां मास aa पुण्यं दातार मधि गच्छति॥

उपासते ये खस्था; परपाक मवुयः | तेन ते प्रेत्य पश्तां व्रजन्यत्रा (घ) ददायिनाम्‌ ufa मनु वचनं लोभेन ग्रामाद्‌ ग्रामान्तरं गता परात्रं भुष्तो दोष विशेषाषेदक मित्याकलनोयम्‌ | अभोज्ात्रा नाह याशवल्काः | कदय वहचौराणां क्तौवरङ्गावतारिणाम्‌ | वेनाभिशम्त are गणिका गण(जोविनाम्‌) दोततिणाम्‌ चिकिककातुर He पुं्लोमत्तविदिषाम्‌ | ्रुरोग्र पतितव्रातल्य दाभ्भिकोच्छिष्ट भोजिनाम्‌ | TATA खणकार सरजित ग्रामयाजिनाम्‌

eed pe terre -- ~ == मी te 9 oe ne |

* may एति इन्दोऽलरोधादौष ङौ अपिमाषं ad gree wae गिरम्‌ एति वचनात्‌

AAA: सवक्षः | १४७

शस्रविक्रय कश्मर तन्तुवाय हस्तिनाम्‌ | aig राज रजक HAW वधजोविनाम्‌ चेलधाव सुराजोव सहोपपति वेश्मनाम्‌ x पिशनादृतिनोशेव तथा चक्रिक वन्दिनाम्‌ | एषा aa भोक्घव्यं सोमविक्रविण सधा fa | भरस्याधः- कदर्य्योऽतिलुब्ः। ant निगडादिना चौरो ब्राह्मण हेमव्यतिरिक gered | क्रोवो नपंसकः। TTA तारो नटादिः। वेणो बैणष्छेदनजोवो | भ्रभिशस्तः पतनोय क्मणाऽभियुक्ञः। वाथो निषि हदयपजोवो गणिका प्य- स्रो गणदोक्षो वहयाजकः | चिकिकको भिषग्ब्युजोवो WIT महारोगाभिभूतः। gaat व्यभिचारिणो | मत्तो विद्यादिना गवितः। विदिद्‌ शतुः क्रुरोऽभ्यन्तरा- पिककोपः। उग्रो वागादिना उद्जकः। पतितो ब्रह्महादिः। व्रात्यः पतित सावितोकः। दाभ्भिको वञ्चकः श्रवोरा सनो पति- qatfeat waaay | ग्रामयाजो ग्रामशान्यादि aay | HAC लोषशक्षारः तन्तुवायः gat शिक्पोपजोवो। wav ्वभिवृत्तं जोवनमस्याम्तोति नोचसेवको वा शंसो निहयः। रजको वसररङ्क्षत्‌ चलधावः वस््रनिर्णेजकः सषोपपति वेश्मा सह सहितमुपपतिना जारेण वेशम VE यस्याः सा तधा foun; परदोष वक्ता | चक्रिक्र सोलिकः। वन्द TARTAN:

१४८ विधानपारिजाते |

सोमविक्रयो यत्ने सोमलताविक्रता। कदटथत्वादिदोष- दृष्टाना Sat हिजाना aa मोक्तव्य मिति समूहाय तथा- ufereta दिजातैख नात्र मथ्ादनापदि | दति | भम्निषोनः सत्वप्यधिकारे खौतस्मात्तामि रहितः | शूद्रस्यान्ं मोक्तव्य मिति वचनात्‌ शूद्रस्य भभोज्याग्रतवे प्रापे प्रतिप्रसव माद, Wey दासगोपाल कुल मिश्रा्ैसोरिणः। भोज्यान्ना नापितद्ेव wares निवेदयेत्‌ दासा गभदासादयः। Wea सोरोपलसित कषिफलाईै are गेषं प्रसिदम्‌ सब्र zea चारनालख कोद्रवान्र' मसूरिका | कांस्यपात्रं ad मन्ध वोदष्राणि षट्‌ TITS गणिकान्र' AISA ग्रामयाजकात्‌। Saas तथा भुक्ता fen array चरेत्‌ शूद्रं WET दइृटाच aes तत्रिमन्वणम्‌ प्रषिताब्र' «cara yer षड्विधं सतम्‌ waray तु विप्रेषु प्रमादात्‌ खवते गुदम्‌ | खच्छिष्ठ मशचित्वं तस्य शौचं कथं भवेत्‌ पूवे कत्वा तु तच्छौचं प्रात्‌ खानं समाचरेत्‌

ठतोयः स्तवकः | ३४२

प्रहोरात्रोषितः erat पञ्चगव्येन शुध्यति हत्‌ पाराशर | AMT ददच्छद्रः RTT ब्राद्मणोददत्‌ | हावप्येतावमोज्यात्रौ चरेतां तौ wi विप्रेणमन्वितोविप्रः शूद्राहृतु aaa भामन्तयिठमोक्ञारौ श्येता AAA FP वात्ताकग्टञ्जनं जग्धुऽङोरातोपोषणा च्छविः गणिका गणयोरत्र' यदत्र वहुयाजके सोमन्तोत्रयने war दिजयान्द्रायगं चरेत्‌ | OF शव्याऽऽसनखोयः पिषद्रापि दिजोत्मः॥ say हि तुल्यं चरेचानद्रायणं व्रतम्‌ सासनारूढ़ पादः सन्‌ TATE पटे क्षतम्‌ मुखेन धमितं yan हिजषान्द्रायणं चरेत्‌ ठदुष्य वामहस्तेन यत्‌ fafa पिवते नरः सुरापानेन तत्तु पोत्वा चान्द्रायणं चरेत्‌ चान्द्रायणं ATA पराको माभिके तधा wifes पाद कच्छरःस्या देकाह मपराष्डिके ज्ञान RAY कुर्व्वीत प्राणायामं जपं तथा

# onfnsq चानद्रयकम्‌ |

+ छन्दरवेन चष्राय॒कम्‌।

१५४ विधानपारिजाते।

उच्छिष्टोच्छिषट cael AUG कदाचन | कुर्व्वीत तत्तथे खान माचामेन faerie ददतु चवियादिषखष्ट ब्राह्मणएविषयम्‌ ब्राह्मण खगं तु- उच्छिष्टोव्राह्मणः we उच्छिष्टेनाग्रजग्मना | भाचम्येवतु शबः स्यादिष्णुनामानुकोर्ततात्‌ भुक्कानाचम्य guife faye केनिरष्कृतिः नङ्गोपवासो war तु हितोये दशगुणं चरेत्‌ भदे ya wa amaataa विना भोजनं कु रतीदिजः | अध मूत्रपुरोषि वा रेतः सेचनमेवधा | विरातरोपोषितोविप्रः पादक्षश्छेण भूमिपः) श्रहोरात्रोषितो वेश्यः शुदि रेषाप्रकोत्तिता विप्रः शुत्कुत्य faster छल्वावाऽदृतभाषणम्‌ वचनं पतितः क्षत्वा eft श्रवणं सेत्‌ | arenas खितं तक्रं मभुमिखं तु(यत्‌ क्रतम्‌)यद्‌ एतम्‌ areata शितं गव्यं विषु aft: सुरासमम्‌ पारिजाते भगुः- गव्यं तारेण संयुक्त कांस्ये Way गोर (सः) सौ ante नारिकेलाम्ब्‌ मद्य qe तं विना y Wea सगुडं va दधि सम्परित्रितो गुडः | नारिकेलाम्बु सश्धिश्र Herd बदरं तथा |

SMa: स्तवकः | २५१

अनुः- ताम्रे गव्य' भुजौ # मदय समं परिवेषशे दोहे पाक तथा WA ava गव्यं दुष्यति | गगेः-- मूला ऽपूपफलेच्छादि दन्तच्छदं मक्तयेत्‌ ग्रास शेषं चाश्रोयाव्‌ पोतशेषं fata अन्यधा कुरुते यसु अपहवो शतं ततः aera यति orvet यतिना प्ररितं यत्‌ दम्पत्योभुक्षेषं भुक्ता चान्द्रायणं चरेत्‌ | अकंदिपवरात्रौ ¢ चतुरदश्य्टमो दिवा | एकादश्या महोरातं भुक्ता चान्द्रायणं चरेत्‌ Wa सवत्र चान्द्रायण प्रायचित्तकधन aware विषयम्‌ | भनभ्यासेतु बहोराव मभोजनम्‌ | एषु सवेषु जातषु WHA मभोजनम्‌ | इतिविरेषोक्ञः ऋगविधानेतु- पर्वशो रकवारेच रात्रौ भृङ्कदिनो यदि। तवे समन्तं जपेद्‌ भोक्ञादश्वारं fay (ध्यति) इये

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9 भुजि भोजिनक्गिया afaq |

Sana मरोत्तर aaa safe: |

WHA पवणो पूणिम। अमा तयो राविभोजमे चाद्धायण मनहं fae: सुपुत शवसोऽएतन्‌ कामकातयः त्वामिन्द्राति रियत |

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इति घ्म. शम्‌. (ewe |

३५२ दिधानपारिजाते।

quai चतुर्दश्यां यदि ug दिवा दिजः। ` दशवारं sauna मभि हटि # मेवच एकादश्यां यदा YR खेच्छया व्याधि वज्जितः। लं सोभेति (सोमासो) Tam जपेत्पापात्‌ प्रसु(ते)क्षये w wafer मवे णव विषयम्‌ Sere तु एकादथो- भोजने wiafaufata खवणशादितिदिक्‌ | यद्यप्यव्र- कुष्माणडं तरुणो चेव मूलकं दहतो तथा दति avafan तिधिविरषे मूलक wat निषेध om स्तथापि ब्राह्मणस्य सवदा मूतक भक्षणनिषैध उक्तो qaqa पन्तिमाध्याये- पितृणां देवतानां मूलकं नेवदापयेत्‌ | SEACH माप्नोति भोक्ताच ब्राह्मण सधा tt ब्राह्मणोमूलकं भक्तं षरेचान्द्रायण व्रतम्‌ अन्यधा यांति नरकं पातित्यं चेवविन्दति at am मेध्यं fader afed कचित्‌ |

oe ~~~ = ~ 4 कः | = - - - es a ee ee -- ~~ ~~ [य

* अभि खठरि a2 ve gam रध्वौरिव प्रवण सकषक्तयः | इन्द्रो यदौ एषमाशो अन्धसा भिनदलस्य परिधौरिव तरितः | षति एम. ५२्‌ ५ब्‌ लपसोभप्विकितोमनोषालररजिष्टमरनेषिपन्याम्‌ प्रशौतौ पितरो इन्दौ दषैषु रव मभज्रतधौराः ---इति १९अ. ५रम. AM |

दतीयः संषकाः | Rue

वल्लनोयं सदाविप्ेमुशकां मदिरासमम्‌ | पितृणां वकमा येच भन्ये ते वरमूलकाः | खयं जाताः पविज्राश्च wafer वनवासिनः Wifead वा सितं वापि मूलकं मदिरासमम्‌। Sarat ama येस्यु रन्ध ते वनमूलकाः मूलकं तु नरो ug दुोारं दिनेदिने। तस्य नरकोत्तारो यावदाभूत स्रवम्‌

इति | उशनाः -- सुरकश्णि वान्ते सानमावेण wate | afer

ufiarat जोवत्‌ frame faite उक्षः) कनोयान्‌ सपताचेवमु मु) we arftar भोजनम्‌ | प्राणानि हो्रादन्यत्र मौनं समाचरेत्‌ | ara qa fad gary प्राश्न: ways GATT TH: WITT एतात्‌ सक्षुभ्व एवच + भुक्ता पोल्वातु यः कञिच्छन्धं पात्रं विसुद्ति। que: सपिपासात्तां मवेव्लकनि जन्मनि भुश्नोच्छिष्टात्‌ समादाय waar किश्धिदेवतु | efere भाग ेयेभ्यः सोदकं निवपैद्‌ भुवि waaay यथा-- | | UE हवन संखानां हुुणोपहतामनाम्‌ 45

३५४. विधानपारिजातै |

दुर्गतीनां waren were मुपतिष्ठत रौरवैऽपण्छनिलये पद्माश्वदनिवासिनाम्‌ | सथिना मुदकं दत्त मश्च सुपतिष्ठतु | ष्यासः-- रदं पोलातु गण्डष AE त्याज्यं महोतले। दसातलगता नागा सेन प्रोणन्ति नित्यशः यदु) दु्सिष्ठदनाचान्तो मुक्षवानासनादिलः सद्यः खानं HANA नान्यया प्रयतो भवेत्‌ उच्छिष्टोच्छिष्ट dae: शना wen वाहिजः। उपोष्य रजनो मेकां पञ्चगव्येन शुष्यति + गरण्डृवकरणात्‌ पूरवे wel Naas दिजः (न्तं) तं देवं पद्व शछ्यामाचेवोपपातकेः यो 8 गण्डषसमये तच्नन्या वक्त शोधनम्‌ gata यदि agra रौरवं नरकं aay साचम्यच ततः FATCATATSA भक्षणम्‌ | भोजने दन्तमम्नानि निद याचमनं चरेत्‌ हं पञ्च तधा सप्त alfa श्रोणि तथवच | भाचाभेचुलुकान्‌ UTM Gauls यदोच्छति इति गौतमः- भाचान्तो;प्यएटचि स्तावद्‌ यावत्‌ पातं नचोहरेत्‌ ees sayfa स्तावद्‌ यावद्‌ भून प्रमाज्जिता इति |

दतौयः VIA: | १४५

ब्रह्मपुराथे- भोजनान्ते हिराचाय तज्जले नेत्र मानम्‌ | कां चत्तुविहदयधं भार्गवादोंख WATT A wen भारते भारण्यक wate शर्यातिं चं सुकन्यां भागवं चाखिनौ (सरः) नरः। भोजनान्ते Wz यतु तस्य चक्षु नश्यति wert परिणामाथ मन्यानपि सरत्‌ | wre Fant शनिं वडवानलम्‌ waa परिणामाय खरे (gta) डोमं पश्चमम्‌ इति माकंरयः- ` भूयोऽप्याचम्ब कत्तं ताम्बूलस्य भक्तणम्‌ (चव्यैणम्‌) | TAY चेतिहासस्य तथा रामायणस्य च॥ दति | लाम्बृल भक्षणे विशेष माह गगेः-- प्रातःकाले फलाधिद्चं चु्णाधिं तु मध्यतः | निशि पर्णाधिकं qitae लच्छम। निवर्ते i फलं पूगोफलम्‌- पणंमूले भवषेहयाधिः पर्णाग्रे पापसम्भवः | चृणपणं हरत्यायुः शिरा gfe विनाशयेष्‌ तस्मादेतान्‌ परित्यज्य ताम्बुलं WIA खदा | अनिधाय Ae पणं पूगं खादति योनरः +. सपजन्मदरि (दरो) द्रःस्या दन्ते नेव सऋगेहरिम्‌

१६६ विधानपादिभीतै

पञ्च सप्ताषटप पा) वराणि दश दादश वापिवा। दयात्‌ खयं टद्कोयाद्‌ Way Hazara तु+ तच्नन्धा Fe मादाय ताम्बुलं तु WAT | यदि वा भक्चयेश्भुढ़ो नरकं प्रतिपद्यते मध्यमाष्रलिनादाय qe पशे विलेपयेत्‌ | QESTAT वा तददन्यधा दोष AAT SATIN तधा Are मातापिवोमंतैऽहनि | उपवासे ताम्बुलं दिषा रात्रौ विवन्जयेत्‌ afaa award विधवा रजखला ताम्बुल TAG तेषां GH गोमांसभच्सेः ति भायुर्षद्‌- yar वहि que शनः सप्तपदों व्रभैत्‌ शयोत वामभागेन यतो रोगेनं पडते मुक्रोपविशतः wre वलसुत्तान शायिनः | आरोग्यं sage तु सत्यु धौवति धावतः इत्यादिके भोजन विधो पञ्चमभाग कन्यम्‌ भध भोजनानन्तर क्त्य माह SA; | इतिहास पुराणाद्येः षष्ठ सप्तमकौ नयेत्‌ | अष्टमे waaay वहिः सन्ध्या ततः घनः यान्नवल्कोऽपि- अरः येषं समासोत गिरिरेष बन्धुभिः | इति

wma: Geer: | nt

इत्य नन्ताहिक विधौ षह ara भागञत्वम्‌ | भध सायंस्या निरष्यते | भविथोत्षरे- We Ral यथान्याय मर्हाम्तमित भाक्कर | वहिः सन््यामुपासोत भासोन awa we शातातपः- wad मद्यगन्धं दिवा मेन भवच | एनाति हषलस्याब्रं वहिः सथ्याद्युपासिता यमः- रवैरम्तमयात्‌ पूव्यं घटिकंक्षा यदा Naz | सायं सब्यामुपास्याथ ङुर्खयाशोमख् पूवेवत्‌ wa भेव दोपदानसमयः रषे रस्तं समारभ्य यावत्तस्यो (सर्ग्या) दयो भषेत्‌ यस्य fase z? दोप स्तस्य नासि दरिद्रता GAS: ATS दोपो धनदः स्यादुदश्नुखः। AGA दुःखदोऽसो हानिदोदक्षिणामुखः दूति ag?) सश्याध्यानारिकं पूवभेवोक्षम्‌। अथ सायंसन््यातपण मुच्यते | सरखत्या वशिष्ठ ऋति विष्णुदेवता जगतो च्छन्दः सायंसन्ध्या nae विनियोगः | oa: पुरषं तपयामि | मासरषेदं तपयामि

Qc विधानपारिजाषै।

मण्डलं तपयामि | विणुरूपिशं तपयामि | परमामानं तपयामि सरखतों तपयामि | वैदमातरं तपयामि साष्ुतिं तपयामि | हदा तपयामि awat तपयामि | उषसं तपयामि निर्मुजीं तपयामि | स्वाथसिहिकरों तपयामि | सवमन्ताधिपतिं तर्पयामि | qua खः पुरुषं तपयामि एवं तपं कला सूर्योपसानादि काथम्‌ | सतर faite माह व्याषः- BITTY मन्बतु दमं मे वरणारिक।न्‌#। ^

® एमं aed Til इत्र मदाच ण्डय a सतख aH !॥ तत्‌ ल्वा यासि ब्रह्मणा वन्दमान HMA THAT Ele: | GSS मानो TEMG Fy Hs मान A: प्रमौपौः॥ २॥

हं मे| wo वकस्य fray टेव डो भववसिगौष्ाः |

ufaw षहितमः wine fog इषांसि प्रसुरृन्धादत्‌॥ १। BRA asad wae मेदि wear इषम व्यौ |

अनग्नो वर्‌ र्गो कोहि मृङ्‌ ARN AO yr ew. | णु. |

दैतोयः सवक्षः | aye

चतुमन्त्ान्‌ विशेषज्नः earner मवाप्रुयातै गौतमः-

SUE तु AMAA Way. | ANAT: |

जल्ोनं तु यानं सत्‌ सवं निष्फलं भवेत्‌ |

जप मध्ये गुरु याति यति ब्राह्मणोत्तमः |

तस्य पूजां समाय्याथ ATAY समापयेत्‌

यथाकाले सन्याया अकरणे पारिजातविगेष are

गोतमः

सन्ध्याकाले लतिक्राम्ते ज्ञालाचम्य यथाविधि।

जपेदटशतं देवां # ततः सन्ध्यां समाचरेत्‌ | यमलु-

प्राणायाम श्रयं प्रातः सङ्गःवे हिगुणं चरत्‌

मध्याङ्गे विगुणं wa मपराहे चतुगुणम्‌ |

सायाहे पश्चगुणकं सन्ध्यातिक्रमणे भवेत्‌ वचिष्टसु-

कालातिक्रमणे चेव तरिसन्धय मपि ares

चतुर्था यं प्रङुर्बोत भानोर्व्याहति सम्य॒टम्‌ सवधाऽतिक्रभे जमदणनिः-

एकां चाप्यतिक्रस्य सस्यावन्दनकनश्य च।

प्रहोराज्रोषितो भूत्वा maar (चा) चायुतं जपेत्‌

पाकि जदो भमो जयो योयो योजा ननन्दा क" ==

9 दवौ वायौ fame: |

३.६५ विधानपारिजाते

हिरातरे हिगुं win चिरात्रे faze स्तम्‌ | Facrary परत त्‌ ATER एष नसंशयः यः स्यां कालतः प्राप्ता मालस्यादति बत्तते सु इत्मामवाप्रोति मन्देषु (स) जायते मन्देहा राक्षसाः » TEM Baa रोगास्त भय भागते | देषाम्निदिज दानां काय्यं महति संख्धिते सन्ध्याहानौ दोषोऽस्ति यत स्तत्‌ YA साधनम्‌ इत्यादि | तधा- “Teaterer ie कश्याणि प्राप्रवष्ट्तराणि दिवोदितानि aaa विदध्यादुत्तराणि तु॥

[. षा ति 0 किष केपी षे ee eae ma ne ES 18 1 eee

e ते खच aaa नवादितं कृं खादितुं fares: we समन्ताद्‌ waft | यतमं Bae वख AMT) यदा पुन ्राह्मपाः ya wel ददति तदैव ते तशरिणा aga गतेन दग्धविनण्यसि। afferent oat एवं प्रतय सुत्पदयमानासे हिजाष्यतोपरेन ayaa |

--एति पौर खिकौवार्ता।

दाशायशेडपि--

तत्र लेखनिभाभौमा शन्देहानाम रचसाः। नेल EY सत्वने नाना पा MATTEL: a पतति जले faa queued प्रति | अतितपास qian लम्वनोख पुनः पुनः निहता aw तेजोनि रडहन्दहनि crear:

इति |

तोयः स्तवकः rat

wrarsfa fate: प्रातःसन्ध्याप्रकरशे gee इति fea कम्विधाने q— यढा shafts Hae सप्तवारं अपेद्‌ यदि | अकाले कुवतः कय काले काले py छतानि तु भवन्तोति रेषः |

अाहभोजिनां तु गगः-- दश क्लवः पिषैदाघो गायता श्रा्मुग्िजः | ततः सश्धयाजुपासोत शध्यते तदनन्तरम्‌

ततः शराङादिक्ञद्‌ भवेदिति क्षचित्‌ ara:

महाभारते तु- जलामावे महाभागे वन्धने लशएचावपि | .. उभयोः TAM: काले रजसायाध्यं सुल्धिपेत्‌ तथेव महाराज दंशिता cuits

सन्ध्यागतं avery मादित्य quafat | इति

अथ सायंहाम विधानम्‌ |

we कालादिकं पूवभेवोक्नं |

$ दयदादौष्छ दविषाण्येभिः परायद्भ्योऽबहौयै afta:

पाश्च गवो वाचमक्रत रमौ देषां निष्कतं जारिणौव --इति yom. eq. WAI

+ we काले saa यथा काल मिति पाठः Sy: |

{ देरिता adewar 1 रणमूरनि gees |

१९१ विधानपारिजति।

ठपशयाने विशेष cad जपैदाग्नेयमन्ां सु सायं होमादनन्तरम्‌ | खयं होमः प्रकर्तव्यः परवरा पत्रादिकंरपि | खयं होमस्य नियमो यजनोयेऽदहि ate’ दद मपि यजमानस्य सत्विधाने देशान्तरगतस्य नेतिन्नेयम्‌ सदा समस्य रोमं तु कुथात्‌ सायं विचकच्षणः। पथक्‌ कर्तुम शतिशेदरतादस्य विवलेनात्‌ | cate | गालवः- मस्माभिधारणं काय हदसरभेत्यचा५ fest: | ललाटे Wea वाद्रोयहा सब्वाङ्कलेपनम्‌ | परव्रावसरे रात्रिभोजनं काथं तदिधिलु Gaara: arate fea निषिदं हितोय भोजनम्‌ | ग्राहा पत्धैकाले रविवारे तथेवच ufaufin नं कर्भव्या water दिजसन्तमः इति qa: इत्यनन्ताहिके भर्टमभागक्च्यन्‌

अध शयनविधानम्‌ |

तव्र AAACN: |

eR 7 ए. ee! eres Ee 1 ema En 1 1 1 1 १]

9 “त्वा मिहि इवामर सातौ वाल्य कारवः | at इषं (eae सत्पतिं गरख। area ॥* sft |

ढनोयः सवकः | ११९१

उपास्य पञ्चिमां सथ्ध्यां इताग्नों सारुपास्यच | शलयः ufcantyan नाति ठ(प्या)प्ोऽथ संवियेत्‌ | संवित्‌ खधैत्‌ चकारेण वेश्वदेवादिकं समुशिनोति , परव पाकान्तर सुक विश्शुपुराणे। पनः पाकं मुपादाय सायमषप्यवनोपक | वेष्वदेवनिमिन्तं वे सायं पत्रा वलिं रेत्‌ पव्राच- स्तोभि agers: काथ मेषधश्चः परः च्याः | दति ष्यते रान्नाकारिण्या wgeat भवितव्यम्‌ यदि भरु राज्नां सम्पादयति तदा श्रधिेत्तव्या। | age areata सुरापी व्याधिता wat वन्ध्याधत्नाप्रियंवदा | स्प्रतूधाधिषित्तव्या पुरुषदेषिणो तधा warafa माह मनुः- वन्याऽष्टमेऽधिषिव्याब्दे नवमे तु सृतप्रजा। एकादशे स्नोजननो सद्य सूवप्रियवादिनो fa | व्यासः- कुचौ टेश विवि तु गोमयेनोपलेपिपै प्रागुदक्‌ प्रवे चेव संवित्त सदा वृधः सहरे- जलं टेवग्डदहं चेव शयनं दिजालयम्‌ | fafan पादः प्रविगेव्रानिनिक्षः कदाचन |

९६९ विधागपारिजाते |

निरिक्षपादः प्रसालित aca: | भविधे- उपानहौ वेशुदेख्ड मम्धुपात्रं तथेवच | ताग्बुलादोनि सर्वाणि समोपै शापयेद्‌ ओहो यानि कानि gare यत्‌ विञ्धिदमुक्षेपनम्‌ | waa परिषारा्ं नित्यं कुर युधिष्ठिर माङ्गल्य Taal तु शिरः खाने निधापयेत्‌ वेदिकं गारुड मन्ते रक्तां छता खपेत्ततः मारु मन्ना हातन्‌ प्रदशिताः | wea नमः प्रात AUNTS नमोनिि। ममोऽसु WHE तुभ्यं पा (at) हि मां विषसपतः a सर्पापसपं भद्रं तै दूरं गच्छ महाविष | जनमेजय यन्नान्ते AMATI खर भरास्तोकवचनं खला यः सर्पा निवर्तते | शतधाभियते सुह शिंश aaa यथा | इति माकंणयः- Yaad श्मशाने एकह चतुष्पथे | महादेव ze चापि analy खपेत्‌ पराशरः- - प्राश्यं दिपि धिरः wet याम्यायाम्रध वा

waa: Saw १९१

सदेव # Bum: पसो विपरीतं तु रोगदम्‌ | सङ्हेतु- खणे प्राक्शिरः कुब्या ष्छाशएरे' दशिणासु(खः)खम्‌ | प्र्यस्ु(खः)खं प्रवासेव कदाचि दुदश्म (खः) खम्‌ माता वा भगिनो वापि खषा वाऽन्धस्ियोऽपि ar | एतासां सब्रिधौ चेव खपेश्च कदाचन इन्द्रियाणि प्रमाधोनि हरन्ति went मनः ¢ स्मृत्यन्तरे निद्रासमयमासाद्य ange बदनाच्यञेत्‌ | शिरसः पुष्पमालां भायां शयना यजत्‌ प्रत्तां इरति ताम्बूल मायुहेरति (पुण्ड कम्‌) पुष्पकम्‌ | साद्‌ भयं पुष्पेभ्यः प्रमदा वलनाभिनीो इति | रतिरहस्ये पयं सृविशाके रभम पुष्यमण्डिते | MGA यनं कुखा ब्र azrat कदाचन दोपे serena तु fearay समाचरेत्‌ |

[मरणभयं ति १777. 1 7

सदैव yea खाट एति प्रासादं इति चग a Samat: पादौ। + अरे WaT) इत्यर्थः |

t ननृरपि। मात्रा खला ates a विविक्काशनो भवेत्‌| ब्ववानिद्धियग्रामो विषांसमपि कषति॥ इति।

३९१ विधानपारिजाते।

दोप नष्टे तुयः सङ्क करोति मनुजः सिया सप्तजश्मदरिद्रतवं लभते नात्र संशयः दो(व)पशग्यासनच्छाया कारपासाहन्तधावनम्‌ ४४ A भजाखुररजःखथः शक्रस्यापि श्रियं हरेत्‌ षकृहेऽपि- अजारजः शुररजस्तथा सम्मालनीरजः | दोपमश्चकयोग्डाया शक्रस्यापि श्रियं इरेत्‌ TAT TAG खपेत्‌ | पालशय्यासनं वस्तं जायाऽपत्यं कमण्डलुः | arm: शरि रतानि परेषामशविमधेत्‌ # | ९१ ° पादौ TATAAT पूष पात्‌ खापं समाचरेत्‌ | WATE WAAC दोघमायु रव्यात्‌ | areasafanrsm: रातिसूङ्गं जपेत्‌ समृता cata सुखशायिनः | नमद्छत्याश्ययं fay’ समाधिखः खपैत्रिशि रावि qm शतपथ्राद्मणेऽभिहितं। चिववसो खस्ितै पारमशोय fatasxufa रादिर्वैचित्रावसु रित्यादि | wats राजिब्यस्य दित्यादिकम्‌ © शचोग्रह्मन एतानि cae कदाचन| एति पाठोयुक्तः। ग्रिरित्थख शरचिरिश्स् अगन्वधापतेः | wl ग्यद्खादायतौ पुरवा 2a सनिः | fen अधि वरियीऽधित।॥ ey

कतोयः सवकः ९६७

भुखशायिनसु- भगस्तिर्माधवदषव मुशुङ्घन्टो महामुनिः | कपिलो मुनिरास्तोकः wea सुखशायिनः इति गोभिलोज्नाः दक्तः- प्रदोष afaat यामौ वेदाभ्यासेन तौ नयेत्‌ यामयं शयान ब्रह्मभूयाय कल्पते दूति

TS. = जा SP eGR "भोभो VO

gam seat निवतो Saree: | न्यीतिषा वाते तमः kt faq खसारमस्छतोषसं टैग्यायतो | अपेदु हासते तमः a ml wa aen fa ते यामनव्रविश्छडिं। ve वसतिं वयः ४। नि wena अवित ति qean नि afer: | fa नास शिदरथिनः ua यावया TH ठकं यवय स्तेन Ae | अथा मैः सुतरा भव॥ | A छप मा पेपिशत्तमः aw व्यक्नमख्ित | SF BUT यातय छप ति मा इवाकरं ovis दुहितदिवः। ufa eta frre ॥८॥ fa १०५. १९०द्‌, wate: |

३९ विधानपारिजीते।

सतर MATT: प्रधमयामवाचकः | SATE तथोक्तेः |

अथ सुथूभिग्मन fate: |

यस्मात्तश्मात्‌ fea: Sar इति याच्रवश्कासरणात्‌ पुभोत्यादनाये feta: सेव्याः afete माह एव घोडगरसरनिशाः Stat तासु युग्मासु संविपेत्‌ ब्रह्मचार्येव पव्ीखाद्या्चतस्चसु THAT A रलोद्शनदिनमारभ्य षोडश राजय ऋतु गंभाधानयोष्यः कालः| तभ fea ब्रह्मचार्येव उपेयात्‌ तज्राद्याबतसरोराभौः प््वारिच वस्नयेदित्यधः | TOT RAT, गगेः-- चतुद eal चेव भरमावस्या पूपिमा चताेतानि परव्वाणि मनुः खायन्भुवोऽत्रवोत्‌ # मकस - ATA मापश्चतः सव्वानिन्दितिकादगोतघा | व्रयोदभो शेषाः स्युः प्रशस्तादशरातरयः इति। AWA: एवं गच्छन्‌ fed सामां मघां मूलच wendy |

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भख # इन्दौ aay पुत्रं Ter जनयेत्‌ पुमान्‌ anfegn रेकसां राव्रावैकवार मेव गमन भिति नियम्यते चामामिति fata | पुमान्‌ पषोऽधिके शक्रे सरोभवत्यधिकैख्ियाः इति वचना च्छो ग्िताधिशे पुरुषाकारा स्येव भवतोति Set ए्यभोजनादिना लिया; कामता सम्पाद्या ्येतद्म्‌। Te एक्राधि चे पुमान्‌ शक्र शोणितयोः समले नपंसकं four ated युगल भित्येतदथें चेतिश्नेयम्‌ wa q dfatfeae नियमविधिलेऽपि। ऋतु ज्ञातां तु यो भार्या afew नोपगच्छति घोरायां भ्वूणदत्यायां युज्यते ATH सं णयः तधा- waa तु यो भायां खशः सत्रोपगच्छति। घोराय अगद यायां युज्यते नात्र संशयः ay सत्रिपो ae इत्यादि विगषणवलात्‌ समथः afafen: छन्‌ यदि ऋतौ नोपगच्छति तदादोषो नत्वसन्निधानादा विति चेयम्‌ भरजातपुव्रस्मवाय अतुगमननियम इति मदन पारि लात छत्‌

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© सुख war चस एति पाठे fray इष्यते एव साधीयान्‌ भख प्रथते vet चन््रधुहाविग्यधैः। पृश एति पठतु एखटैह see: | + wifes शप्रत्वादि परिष्डः। | 47

जपि

१७१ विषानपारिजते।

ऋतौ श्ोविषये यमोऽपि- | ऋतु-खाता तु या नारो भर्तारं नोपगच्छति तां ora विच्याप्य भुखन विवासयेत्‌ + दति परतृतावपि सोकामनायां प्रतिषि वलं मुपेयादैव eet वा प्रतिषिदवखमिति गौतमोज्ञः | यथा कामो भवैद्यापि Slat वरमगुखरन्‌ | इति वाच्रवल्काोक्तेः। यथा कामो वाकाम (मा) (नो) fanfa (तोः) सग्यवाम (बेम) इति वचनादिति काल्यायनोकञेड wat गच्छेदितिनियमे सत्येव नियमान्तरमिद fafa वा were: | घत्रव- ऋतुलात। fad गच्छेवातुरां रजखलाम्‌ वातिवालां कुपितां नाप्रशस्ता नं गभिणोम्‌ इत्यादिविशेषोद्रटव्यः | गर्भिखा faite माह ब्राष्ठलायनः- बधनं Hee तों aerate गभिंेपतिः। आं बपमान्‌ मासा दृरेवान्धश्च वेदवित्‌ इति waren faite: प्रथम स्तवक waters प्रकरशे द्रष्टव्यः अतर गमा षानप्रसद्ा द्टाचलवारिंशत्‌ सकारा लिष्छन्ते- malate मोहि पुंखवनकं सोमन्तजात-क्रिया मामाञ्ादन चौलकोपनयमे वैदवताश्यप्युत्‌

वतौयः स्वक्षः ११

चत्वारि aot विवाहइकरथं पञ्चापि यन्ना भवो संस्थाः ara सप्त सतत गदिता सिंयदथाप्यत्रतु एवं चानश्रनैन वेदपठनं कणे जपर्बोभिति प्राणोत्कान्ति रथोद्देहिक मतः ey (वू) इनं मष्मनः wet संचयं ततः परमपि श्राहानि सापिशछकं चत्वारिंशदिति # स्मृतौ निगदिताः संख्ारकाद्म्ट CaM मामकौ सङ्गहक्नोकौ एकविं शतिः dary wear UG ATE श्रावणो भ्राग्रहायणो प्रौषठपदो Tat भाश्वयुजोति सप्र पाकयश्नसखाः wea दशपूणंमासाग्रयण चातुमौसख fres पश- कन्ध सोव्रामणोति सप्त इवियन्नसंखाः

* Maan तु चत्वरि Gear बटौ गुणास ब्राह्म्य ईतदो दर्चिंताः। चत्वारिं शत्‌ संस्कारा गण सहिता sereaftafeds ) तच गमवग पसवन सौमनोत्रयन जातक्षषोनामकरवाद्रप्राशन चोडोपनयनानि। अल्वारि वेदव्रतानि art AU¥: VST: टक्षाग्टका पवशन श्ाषण्यापडायशौ चश्राग्रयुजौति Age Fen) अनग्न्याधयाचचि- होवदधपौडमासाप्यणानि चात्माल fares cae सौषामदौति on vieosten, च्ि्टोमोऽयप्रिोम eww: ite बालपयोऽतिराब amtate एति ea Magen wea चत्वारिंशत्‌) ql Geng दवा SAGA MTT मलाः कापश्यासपडहाषपाः | AAR भकार गुखाष Vl) नस ब्राह्नषः VW खमते, यद्य पुनः संलाराशा- awash अटावादागुदा Tee सादन्यं esi भति ET

१७१ विधानपारिजाते |

भमिष्टोमात्निषश्टोक्ष षोडशो वाजपेयो)या (हि)होरा्रा- प्नोऽयमिति aa सोमसंखाः। | यमः- | अषटटाचत्वारिं शदेते dearer विहिता fee aed: सस्तो fant ब्रह्मलोकं गच्छति | इति ay: वेदिकः aufr: get frtanfe हिंजग्मनाम्‌ | काथः शरोरसंस्कार, पावनः HATS sfa | aay कतिपय संस्कारा मन्धवल्वे शूद्रस्यापि यथायोग्यं भवन्ति | श्रौतं दिजातयः Fa: सान्तं शूद्रः समाचरेत्‌ दति arate: | प्रक्षतमनुसरामः | हाषैतावहवो स्यातां sara शयनं गतौ | शयनादुलिता नारो ofa: areata: पुमान्‌ इत्यापस्तम्बोज्ञाणवित्वनिरासा्ं एका लिङ्ग करे सव्ये frat हे हस्तयो दयोः | मूष शोषं समाख्यातं wag हि गुणं भवेत्‌ इति शातातपोकं शौचं artery | इदे मगरतुकाल विषयम्‌ ऋतु कालगमनेतु- eae aga वान्ते विरक्त शुरकधमणि | वितियुपग्मशानास्षां खथने ज्ञान माचरेत्‌ |

तोयः VT: Reg

इति conde ara ara wfeeraraia ल्ञानमाह सृतिः- aver quai दिवा cafe मेधुमम्‌ कत्वा सवेलं Wear तु वारयोभिष array | इति। शयनसमये VAT UA जप माह गगः- रामं ere हनूमन्तं पेनतेयं कोदरम्‌ शयने यः स्मरेबरित्यं दुःखप्रस्तस्व नश्यति इत्यनन्ताद्धिके यनविधानम्‌ |

अथ यमनियमादिक मुच्यते |

ऋणानि aqua मनो me निषे शयेत्‌ waar तान्येव मोल्मिच्छन्‌ व्रजत्यधः दति मनुक्ञं मुलिप्राषये भ्रामोपासनां कुर्यात्‌ |

छान्दे-

यख नियमेव भ्रासमेः प्राश संयमः |

प्रत्याश्ारेख ध्यानेन धारणाभिः समाधिना a

अष्टाङ्गन प्रयोगेण उपाखामा विमुश्यते

चानेमेव सदेतानि नित्यकर्माणि कुव्यैतः

निहत फल ayer मुक्ति स्तस्य करेखिता |

शहा सत्य aaa awed चमा एतिः +

३१४

faurnatfewra |

warscend ferrrerc: शचं देति यादथ शोच मिश्या तपः शौवं खाध्यायोपसखनिग्रहौ ब्रतोपषासौ मौनं ara नियमा ew दति ग्थासोक्ता यमादयः | जानूर्वोरन्तरे सम्यक्‌ HAT पादतले ठम | WY: Bardia: खस्तिकं तत्‌ प्रचश्ते इत्यादिक मासनं

प्राणायानः ATTN: |

इद्दरियाणां प्रचरतां विष (भै) येषु खभावतः | वलादाशरणं तषां प्रत्याशारः उश्यते इति प्रत्याष्ार SM: |

ध्यान तु-

निगुलं त-

ध्यान AMASTS Tey मनसा भषेत्‌

तदैव हि (गं) विधं प्रोक्ष सगुणं निगुणं तथा

श्वो (waft) SY मनः छत्वा wad चिन्तयेच्छिवम्‌ ayaa दशभुजं fata सितसुन्दरम्‌

कपरगौरं चन्द्रा Tet सुविभूषितम्‌

नोलगरोवं नागहारं anaes विभुम्‌ |

कमण्छल्वत्च Iie पाश शूलधरं (विभुम्‌) इरम्‌ | इत्यादि aye

अद्ध भव चरं AW परमाम wea: |

wate: Weer: | १३९

एवं तदना तञ्च निर्गुणं ध्यान शुष्यते दति | निर्गुणोपासनातु श्रानिन एव काम करोधादि gery विषयासक्नसेतसः | पहं ब्रह्मेति यजुन्नान मालनाशाय केवलम्‌ | दति ब्रह्मवेवर्ताह् : | चारणातु- यमादिशुणयुक्षस्य मनसाखितिरामनि | धारणा What सद्विर्योगशास्राघकोविदेः | इति | समाधिरु-- समाधिः समता तावस्लोवामपरमामनोः | परामनिखितिः ate: समाधिः wera: sft ceaaiiea यमादिलखणशविधानम्‌ |

अथ कद्र जप विधानम्‌

छदे वेवि Way दद्राष्यायज्नपः परः | इद्राध्या (Mar fart जग्मसंसारसागरात्‌ fayraa सद्रजप सथा शिवतिचिव्रयम्‌ | वाराणस्यां मरणं ofa रवा चतुविधा

३७९ विधानपारिजीते |

रद्रजापो शिवः arerge एव संशयः | तस्मात्‌ स्वे परित्यन्य TATA भवेत्‌ षदा ब्रह्मचारो खख वानप्रखो यति स्तथा | रंद्रजापिन परमां गतिं गच्छन्ति नान्यतः रोगादयुपश्माधीय परमाभ्युदयापये मनोरथफलप्राष्ये सद्रजापो भवेन्नरः + इति ere जावालोपनिषदि | यः श्त रद्ियमधोते खोऽभम्निपूतो भवति ब्रह्महत्यातः परतो भवतोति तत्रेव- किं samara नोब्रुहोति शतरद्वियकेशेति। शतद्द्भियं (क) रद्राध्याय एव चरमाया fafearat शतरद्वियं शुो- तोल्यादि ब्राद्मणवा शे तस्यव विनियोगात्‌ शतपधत्राद्णेपि- अथातः शतरद्वियं जुष्ोतीति चयने तस्व विनियोगाञ्च | दद्‌ ध्यायत्‌ ANZ भगवहाचकः WATS नामधेयान्धे- तानीति जावालोपनिषदुक्षेः। "यावजोवं प्रशवमधवाऽऽवन्तयेदराद्वियं वा ayaa” मिता दिना arama तख्जपविधानादवश्यं त्पादि कायम्‌ | मदनम्रहाशवेऽपि- यद्यपि चरभेष्टिक्षाया भेकादश्मो रद्रानुवाकं्होमो विदित arf इद्राध्यायो Fas सव्व पातकंरिति

ढतोयः स्तवकः 209

तथा- संद्राशं जपहोमाश्चनविधिं व्याख्यास्ाम इति वोधायनादि- वाश्च जयष्ोमार्चन कश्चख्यपि विनियोगादद्राध्यायस्य जपादिषु श्रहृत्वमस्तोति | शिवगोतायां च- यसु रुद्रं जपेतरित्यं ध्यायमानो ममाक्ततिम्‌ षडस्रं वा प्रणवं निष्कामो विजितैन्द्रियः | तेनेव देहेन शिवः सन्ञायतं धवम्‌ | इति याश्रवल्कोऽपि- सूराः ater रुद्रजापो जलेखितः। ARAMA ANT # FAA सव्यैकिणषिषेः | दति | uaf¥ir:— ana? चमकं चेव aed aa { मेवच। 9 सषसरौषा इति मन्त्राश्च wale) मन्तोषचा -- सहलणोषापुरधः VAT: SEAT | afar (सततो) हत्वा भत्यतिष्ठहशाड़ लम्‌ एति १०म. «णब. pat + नमक दट्राध्यायम्‌ | wae "वाज्रशमे प्रसव्य -इ्यादिक मकादशानृवाका्मकम्‌।॥ प्रोडथइ ayantiafes asa यत्रभिन्यनं। तव पथम खण्ड १४५। १४९ पृष्टयः wafer | 44

वि्मनपारिजाते।

नित्यं वयं WET ब्रह्मलोके महोये A इद्राध्यायो वेद्‌ यत्र गाभेवा नगरेऽपिवा

तव शुत्िपासाद्या दुभिक्ं व्याधयोऽपिच AMAT Y सुराः सर्वे साध्याधेव fara: सततं हि समायान्ति वोचितुं हद्रजापिनम्‌ |

वायुपुराणे

अनपत्यादिदोपेषु शाकिन्यादि ग्रहेषु च।

सव्यैज्वरविनाशाय Tal जाप्यो संशयः

WU ऽ्ल्यं जपेद्‌ यलु रद्रंकादशिनों एचिः।

तधा सन्तान गोपालविद्यां चैव AIA:

अरनपत्यत्रनाशाधं खखलाभाध सिये |

©

सववश कत्तव्यो FSA: प्रयत्नरतः

sfa |

Bey पाराश्र-

रद्राः पञ्चविधाः प्रोज्ञा देशिकं रत्तरोक्तरम्‌ साङ्सूषायोरूपकाख्यः प्रथमो TESA एकादशगुणं स्तदुद्रोसंन्नोहितोयकः | एकादश्रभि रेताभि स्त॒तोयो लघुश्द्र कः लघ्‌ कादशभिः What महारुद्रशचतुथकः |

` पञ्चमः स्यान्‌ महार्द्र रेकादशमि रन्तिमः

UAE: समाख्यातः सवभ्योद्यु्तमोत्तमः इति |

कतोयः स्तवकः ३७९

श्गान्युङ्ञानि जावालेन- शिवसङ्ल्यकं « (हृदयं) इल्छात्‌ सूं स्यात्‌ Tee शिरः | प्राहुनारायणं चेव शिखां तस्योक्षराभिधाम्‌ wy: शिशानः कवचं नेतरं विभ्रादहहत्‌ स्मृतम्‌ | भतरुद्रिय मखं स्यात्‌ षडङ्गक्रमररितः पूव्वेमङ्गानि संजप्य रुद्राध्यायं तनोजपैत्‌ | तदन्ते स(त्य)प् vais वयं सोम § महच्छिरः | खग्र्ेति | यजुमन्ं जटामाह जपेदिति

यज्ायतो gata ad तद्‌ que तयति | aga ailfaar saifa गक मनः श्विमदरन्धमनत्‌। --वृति ३४. १, यत्नुः। + wy fama) दषम) मोमो aaa सौभगव्रवगोनाम्‌। सक्रन्दमो ऽजिनिष ण्कतरौरः गत मना aay माक्षमिनद्रः॥ दति १३१. 838. यनु ; fare aga पिवत्‌ aie मध्वागुटधशन्नपता वव्िहलम। वालजलो यौ श्रलितसति श्न प्रजाः पृपाष qauifaciata - दति ३३ ३ण्म YT | वय्यं मोम a4 लवर AA RAR नभत. | प्रजावतः मवमहि॥ इनि शद ३३म | aay wey धानय ya |

सामहःगराभि yaaa faferg नवादा

डद विधानपारिजाते।

NI शतरद्वियं नाम लममे रुद्रौ WET इत्यादि वयं. श्याम प्तयोरयोना fred मन्रजातमिति महाणवकारः |

वाजसमेयिनां तु षोडशर्च; प्रथमानुवाकः शतद्वयं

शिवसङ्कत्यमित्याद्यतुवाक पाठ सामानाधिकरश्यात्‌। शत- रद्ियलधम्भस्य वेदलादिवद्‌ व्याप्यहृत्तिलात्‌ fae समा- चाराश्च

अत्र नेत्रजपादि वाजसनेयिविषयः। शआ्रापस्तम्बादोनामनुक्ञ- लात्‌ चमकपाढ प्रकारमाह वौधायनः। नमस्ते रुद्रमन्यवे दत्यादयेकादशातुवाकाना AM एकमेकं चमकानुवाकं पठेद्‌ यावदैकादशाहन्तोति।

श्रयं प्रकार स्तत्तिरोयाणा भेव वाजसनेयिनां तु चमका- ध्याये नवानुवाका इति क्त्वा यधासंख्याभावात्‌। भरतस्तं रेका- दशवारं रुद्राध्यायं जपिता wai चमकाध्यायः पठनोय इति गम्यते। यहा शाखन्तराधिकरण न्यायेन तेषामपि यथासंख्य सम्भवः सम्पादनोयः। तद्‌ यथा AAT ब्रष्टावनुवाकाः। नवमे ऽमुवाके WI नाम ग्राहं जुहोति वाजाय खाहा इत्युपक्रम्य प्रजानां लाधिपत्यायेति शतपधे मन्वहयस्य एकष्टोमाङ्त्व मुकं तधा WA HU जुहोति wy इत्यस्य aaa हितीय होमाङ्गल सुकम्‌ तथा भ्रधाहस्तोमचच यजुश्च इति ame

देवौ मरुतोऽजनुनरभा नोऽभवन्यधिनर देवोर्दिभो ममतं पनृव्ानोऽभवन्‌ | एवमिम agent देवोत विकोमानुषौ यानुग्रक्मानो भवम्‌ -- एति YOR, ८६म. WH. |

ठतोयः स्तवकः | ace

हतोय होमाङृल yay) Ars Maa भ्रन्यागुवाक्े ज्रयो विभागा इत्येवं यथा aya इति | यहा भन्धानुवाक स्िरावत्तनोयः। aa) warenfer मधातः पञ्चाङ्ग रुद्राणां raga भिल्यापस्तस्बादयुक्ष सनुसन्धे- यम्‌ ग्रन्यगोरवभोत्याना लिख्यते एव YACHT TaN कला होमः काये cae शानातपेन - एवं रद्रजपं क्रत्वा Taya समाचरेत्‌ | तिले; सविलछपतेषच दशांशो होम इते तत्र मन्बविभागो agar दृष्यते तवर तेत्तिरोषे वेधा fev लुष्टोति त्रय दमेलोका दति तेधाविभाग oe तधा fra उत्तरा श्रातो जुहोति षद्‌ सम्पदन्ते इमे लोका इति षोढ़ा ` विभागोऽपि | वाजसमेयकैऽपि जानुदन्न प्रथमं खाषहाकरोति wey नाभि. ZH Wa मुखदघ्रे « इति | afarq ua मन्रविभाग WHIT नमस्त रुद्र ANT इत्यारभ्य नमः सभाभ्यः सभापतिभ्यश्च वोनम इत्यन्त एकरोमन्ः ^ सवा

# are करौतौति ava afar | + नमम्त श्ट मन्यन BAA इने नम्‌ | वाहन्यामृत नमः॥ ?॥ नम aw मभापलिथथ ब} नम |

afana पते aquaria RANA RA HMA

३८२ विधानपारिजाते |

श्आशोत्यांच खाहाकरोति प्रथमे चानुवाके दति जुतैः। तधा नमो WI इत्यारभ्य नमः पाथाय इत्यन्तो हितोयो मन्बः। तथा ; नमः प्रतरणाय LATTA जग इयन्त सुतोयो we! wa भरविच्छित्रानामनुवाक्तानां मरतं जेयं गवांशतं eferar इतिवत्‌

यहा प्रत्यनुवाकव्रयभेकंको मन्व: तथा षोढा पर्लोऽपि। fa (विः) wa: प्रल्यवरोहतोत्यु चा fafa agittefa तक्ृषट्‌ aera वन्धु रिति शतपथे om: |

TITS Tata खयो AAT: | नमोऽसु रुद्रेभ्यो येदिवो- त्वादि natty संन्नका wat मना इयेवं षड़्‌ भवन्ति |

नेत्तिरोयाणं प्रकारसु महार्णवादौ Wa: |

नधा षोहशधापक्तोऽपि वोधायनोक्ञः

waa रद्र मन्वे camaqaat सेधाविभज्य wear

नमो अश्म्योऽगपतिश्यशथ वा ममः १६१. ऽम नमः पाथायचावायायच YEW. रम. जुः अद्धिन्‌ पत्ते मति मग्वाणामकमन््त वैदितय्यम्‌ | नमः प्रतरणाय MATT १९१.२म.यनः। नमो ae vt मर fai यःलरिचे धदिवि येषा व्रषसिषनः। मिभ्यौ-दश arden दसिका enue! दशोदोचो ठशोहाः। तभ्यो नमो Wey ते गोऽमनत ते ae

4a fem ग॒चनोडरि aasi जन aw |

इति १६अ. (५ ay.

ढतोयः स्तबकः | ३८२

प्रथमा दुपक्रम्य भरनुवाक WANA: | चतुधमारभ्य षष्टान्तो हितीयः | सपषममारभ्य भ्रावत्तनावधि सुतोयः।

लतो दशावता (त्ता) नादश मन््राः। प्रत्यवरोहाणि व्रणो wa षोडश भवन्तोति तधा सप्तद शधापक्तोऽपि तजर प्रघमानु- वाक एकोमन्वः। तदुत्तर मगुवा कयं हितीयः येषं erat

भध श्र्टाचत्वारिंशत्पक्लो(ऽपि) वोधायनोज्ञः | यथा प्रधमानु- वाके षोडशमन््राः हितोय aala चतुध पञ्चमानुवाका Bare मन्त्राः ततः ब्टानुवाक्गे नमः सत्याय इत्यारभ्य बमोहसतेभ्यो इरिकेगेभ्य इत्यन्त # Hla: | AMAA ATA एतावामेकं Waa | ततो नमः श(स)श्भवाय इत्यादिः शिवतरायच इत्यन्त waar? ततो नमः पार्याय इत्यारभ्य $ घनुष्कद्भ्यब् वोनम इत्यन्त एकोमन््ः। ततो नमोवः किरिकेभ्यो देवानां इदयेभ्य- Caley त्वारो मन्ाः Ws देवानां wea caw विशे-

9 नमः Aas पथ्याय (EM. १०. यजुः | नमो ठम ETH | १९. ४०म. AM! |

t ममः सक्ताय मयोभवाय | १६१. BULA. Ay: |

Hea इट्राध्याधनीपलनन्यत |

Me Pe १९. oe ko नम WGRVAUAHAIT AAA. CEM. ४९म. TH |

§ wal a: fafeaot देवान इदवन्यः UES. ४९म. aT: | mal विचोषङन्यः॥ १६॥ नमं विचिनवत्कश्यः॥ १४॥

मम ब्रानिरहतन्य. | १८॥

१८४ विधानपारिजाते।

षण उत्तरेषु यजुः ्नुषङ्गः RAM | ततोद्रापे Warde इवा दभ्यय एतावन्तश्च इयन्ताः सप्तदश AAT | ततः Waatterfa alfa यजुषोत्येव म्टाचलारिं्न्मन्तविभागो श्रेयः

भरव षष्टयत्तर शतामको विभागः प्रदश्यते तत्र प्रथमारुवाक्ष RSH ततो नमो हिरण्य वाहवे" इत्यारभ्य नमः eq पतिं WT वोनम CAR SHUM AAS: पञ्चचत्वारिंशत्‌ |

ततो नमो भवायचरद्रायच इत्यारभ्य शआ्रनिहतैभ्य इत्यन्ता अन्यतरतोनमस्कारा नवसप्ततिः ततो द्राप दल्यादिः yaa विशति रिव्ययं प्रतिमन्वविभागः।

एवं पिखिष्टवे न्रोणि शतानि wa fanen पञ्चविंश दित्यादि शतपथ शुतिप्रमाशकाः सपादचतुःशताशोत्यधिकशत- इयादि wer sama: | ते चास्माभिः शतरद्रियाध्याये प्रप- शिताः | ग्रन्यगौरवभयाटिष्नोज्ञाः |

एते व्रेधाविभागादि cer: शक्तिफलतारतम्येन योज्याः | ग्रहशाग्रणवत्‌ तत्तिरोयाणां प्रतिमन् विभागे एकोनसपत- तयुत्तरशत विभागः प्रसिद़् एव इत्युपरम्यत |

0 7 [1

# zit saad दरिद्र me लोहित भासां vera परषां पशूनां समि माडः मोच नः किञ्चनाममः। १६१. ४५. aH | एताव qaiag दिशौ acy fanfe? AU awe aaa धन्वानि तन्मसि

1 नमो ्िरण्परषाइवे सैनान्ये दिशां पतये नमः। १९अ. १७८. वज्रः गभः मभ्य gale वानमः। १९अ ASA. UT |

ठतोयः स्वकः | ३८५

एभिः प्रकारं वदिषोम भेव चिकोषति तदा होम एव प्रधान- भूतः WAM जपादङ्ग लेन होमचिकोषां चे सदा दशांशशतां- शादिमेदेन शोमः कायः तव बेधाविभागपक माचिल् एका दशाहष्यालक्षजपरद्रहोमे faa अआदहतयोभवन्ति |

चमकाध्यायेन भन्ते वसोर्धारा; TAT: | सम्पूणं होम परेतु प्रति रूपकं faafaa शआहइतय इति मिलिता खयस्िंशत्‌ प्रति र्पकं चमकागुवाकाना मेकादशाडइ (तिः)तयः।

' वसोर्धारा त्वाज्येनेव WA सवत्र चमकाध्यायेन काथा।

वसोधारालाश्येनेवोद्‌ ख्या सुचेत्यादि तैः एवं षोढ़ा विभागादि पक्ैऽपि arefa संख्या sat) ग्रन्यगोरवभयाब्रो श्यते |

शां VAY लघुरद्रा (देव) दावैव AAG तत्‌ सम्भवात्‌ | तथाहि agua एकविंशत्युत्तरं शतं रूपका भवन्ति तेन शतांश इहोमपन्ः सम्भवति | तत्र शतरूपाशा Aa-eawa: |

तवापि वधादि पकाः संयोज्याः अ्रवशिष्टेक विंश्रतिरूयाणा- ae नमस्ते रद्र श्त्यनेन मन्तेण # एकाहुतिः। एवं मषारद्रादौ योज्यम्‌ wag यधाभिलषितरुद्रजपानन्तरं नमः श्वायेति + मूलमन्वेशेव होममिच्छन्ति। तदाह वौधायनः। मूलमन्ेण al Wra क्यादिति। तत्‌ प्रकारसु हेमाद्रौ मूलागभेऽभिहितः।

~~ = ~

$ 88) ge प्रदर्ितिन | + नमः maa इति, मन्ता acy पृषं oie |

4५

३८६ विधानपारिजाते |

ततो शमं aera नमः शश्विति मन्रतः। इदरेकादशनो जाप्या ्रयसिंशत्तथाहुतिः ददर तत्रयं प्रोक्ते eat जऋधिकमाधिकम्‌ UE लघुरुद्रे इत्यथः | चल्ारष महारुद्र TWAT: समवलिताः | चत्वा रिं शत्‌ THATS AAA VTA: | जनाश्च सप्तसप्तत्या (श्म) त्यति रद्र शति fea: 1

मूलमन्न्धासादिकं प्रथम wat रद्रख्ानविधानेद्रष्टव्यम्‌ | अधापरदतुःषरटिविभागः Rael शन्तिकाण्डे श्द्रख wrasfufeat भविङ्दताद्योभेऽपि भवति

तथाहि-

सुखासनोपविष्टाना माचार्य्यो सद्रजापकः |

अभिषिद्ेत्तत्चषा waaay पुटाम्बुना |

भच्छिद्राणप्यनुनानि ज्ञानाये तान्युपाररेत्‌

चतुःष(शटि) ऋचेनेव रद्रेणेकादथेन तु

शतानि सप्तवणौनां चतुभिरथिकानि तु

वर्णानां मग््ाणाभित्यधः। तेषां चतुःषि संख्याना भेका-

दश we: पटितानामियं संख्या निष्यद्यते यदपि प्रायो दद्रा ध्यायख.यशुष्टा-टक्न नासि तथापि काखशाखायां चतुःषष्टि कण्डिका wate स्वदभिप्राय सम्बचन मिति द्रष्टव्यम्‌

तत्‌ प्रकार सु भरतुवाक्षेऽध्याये SAAT: | यथा नमस्त

SA: स्तवकः ३८२

इति षोडशः नम्रो हिरण्डवाहवे-। नम उच्योषिषेयँः | नम स्तक्षभ्यः नमो च्येष्ठाय |। नमः BATA नमः पार्याय. t दति पञ्च पञ्च द्रापे washer ¶। अ्टाठुवाकेषु चतुः दष्टिरिति। प्रथ सम्पूणं रुद्राध्यायेन एकाडति पक्चोऽप्यभिहितः। परशराम पडतो रदजामले- प्रतिं इविषापूग इद्राध्याय मधोत्यच जहयादा इतिं Ani सवकामसमृष्धये sia इपि दत्र तिलादि afsazerq प्रति पूरण व्यपदेशात्‌ | एतीषु सरेषु मन्विभागपकेषु शक्षितारतम्येन योजितेग्वपि षच्यु तरशतविभागः पकः wear इति गम्यते। शुत्युक्लात्‌ तथाहि प्रथमानुवाके षोडश्रमन्वाणां Flay प्रथमे चानुवाकै इति aaa ततो नमोहिरण्छवाहवे इत्यारभ्य नम श्रानिहतेभ्य इत्यन्तेषु प्रति कर्कं. चत्वारबत्वारो मनाः | नमो हिर ण्वाषवे सेनान्ये दिश! पतये नम vad रूपा

मं [गि 1 =m = = —_—_- = msec

© मम्ोऽख ३८१ पृषं दितः |

+ नमो दिरग्यव्राहद इति) ममतं १८८ एत दग्नि; |

! नम उच्लोषिगे निरिचराय Fart पव AA: १९. र्द्म. मम Mee TIMI नी नम. ` १९१. ण्म

' नमा rary कनित्रःग्रच-- १६०. RRA.

धु पे waa उति ¦ aval ३८४ प्रत दन्तः |

gud विधानपारिजाते।|

भयतो नमक्लाराः पश्चचतलारिंशत्‌ ततो नमो भवायच इत्या- QI भ्रन्धतरतोनमस्करा नवसप्ततिः | श्रथ tient जुष्टोति नमोऽमु्षच इत्युपक्रम्य नमो हिरख वाहवे सेनान्ये दिशांच पतयेनम इति yaa मन्वविभागख् दशितत्वात्‌ tiered चात्र वा्याभिप्रायेण मुक्षानां परमा गति रितिवत्‌ नतु वाचकाभिप्राओेण तेषां वडलदशंनात्‌ | तथाच हिरण्यवाहवे सेनान्ये इत्येकं नाम दिशां पतये इति हितोयम्‌ एवमुत्तरत्र द्रश्व्यम्‌ तथा नमो हकतेभ्योहरिकेशेभ्य इत्येकं नाम नमस्तारायेति हितोयम्‌। ततोऽन्यानुवाके विंशति मनाः | अधोत्तराणि जपति gia अन्धसस्यते इत्युपक्रम्य सदेतानि यजुषि natin दशेतानि दशावतानान्‌ जुद्ोतोलयुक्घा वोणि यजुंषि भवन्तोति श्त्या एवं मन्विभाग कथनादित्यलं प्रपञ्चेन ara प्रति मन्तं प्रयोगः कष्यतं-- ABA मन्त्राणां प्रयोगः फल गोचरः | नमस्ते TZ इत्यस्याः पुरश्चरण सिये प्राजापत्यं चरिलकं जपेन्मन् ममु ततः | एकादश सषख्राणि शद काले निरन्तरम्‌ wefan नमस्कारो कुर््यादोशस्य मन्तः | मन्तः भ्रनेनेव मन्वेण प्रद्तिण नमस्कारौ GaAs काय॑ | हविष्य wa yaa aR wT खपत्‌

SAT: स्तवकः zoe,

पुरश्चरण सिस्य दधिशामूति सजिधौ

एकादश सष्सराणां जपात्‌ सव्याधिनाशनम्‌ |

रध ATA GAT पापं प्रणयति

लतः wey विधिना खापयित्वा इताशनम्‌ |

पायसं सरपयित्वाज्य ya त्ुहयाहविः |

दशांश संख्यया पश्चात्‌ साक्षाेवं पस्यति | अपयान त्यस्य # |

दिना (दि) नि हादशेवामं चरुभोजो जपेश्मनुम्‌

विनियोहं भवेद्‌ योग्यः सव्यैकामाथे सिष्ठयै जपसंख्या TTA |

‘aaa सिहमन्त्रेश यद्‌ यत्‌ कामयतेहिजः।

लभ्त्‌ काम मवाप्रोति जपादयुत संख्यकात्‌

इति |

भ्रथ यात रद्र इत्यस्य | |

वामरवितयं यावच्धिरन्तर जपाब्ररः |

नित्यकग््ाविरोधेन पुरथरणवान्‌ भवेत्‌ ,

नतः प्रयोगयोग्यः स्थाद्‌ यदा गो गान्ति कामना॥ जपहोमादि पूववत्‌ |

# NNT ग्य मन्त्रा शटरध्याय नौपन्नभ्यत्‌। याने इदरशितरतनुग्चोगाःपापकारिनौ | Aaaaanaaafatenafaaa mee i

--ढति न? अञ BR!

३९ विधानपारिजाते |

wa यामिषु faa # शिवैन वचसा } इत्यस्य चः WALA भेको मन्तः निरन्तरं जपेन्मन्त्रं दिनाना मेकविंश्यतिम्‌ | BLATT AS स्यात्‌ प्रयोगा स्ततो भवेत्‌ SATA ACUTE नाशमायाति (वेयदा) चेत्तदा | महोपतिः शान्ति कम्य कारयेदग्रजन्मना ऋगृभ्या ane तिलत्रोददिगोधुमयवकल्यितम्‌ | efa: wagarad वासरेष्वकविंशतो अकाल मरणाज्नातं साध्वसं नाशासच्छति। अध्यवोचदित्यस्य aka चरित्वा वासरान्‌ पञ्च सयत: | शाकमूलयवाब्राश्ो दिवातिष्ठबिरन्तरम्‌ जपन्‌ पुर्रणवान्‌ प्रयोगाहस्ततो भवेत्‌ | रत्तापुरःसरं राजा कामयन्‌ चिरजोवनम्‌ | कारयेदिधिना कश वश्यमाणं दिजग्मना शेत सर्षपटूरवाग्र यवे स्तण्डलमिधरितेः

यािषु fafena इन्त fener |

जवां गिरित्र तां कृड ar feud: Jar जमगन्‌॥ ४ङक्‌। + शिवेन वचसा ar गिरिशा्छा aziafa | | यथानः सवमिजगन्यच् Uy Fa अमत्‌ ॥५॥ खक्‌ १अ, ¦ अध्यवोच zfuaar प्रथमं गरोभिषक्‌ |

BENT सवाल. AIG सवाग TAMIA | एअर. इम. `

SAG: स्तवकः | ३९

शर्म चा्टसषसं स्यात्‌ ware:g निरन्तरम्‌ | धान्यो गभरोगस्य नाशाय प्रो्तेविधिः ALARA मनुना शतक्ञतल्ोऽथवा पुनः | अभिमन्छा फलं सम्यङ्‌ नारङ्गः पयसिक्षिषेत्‌ क्ञाधयित्वा ततः खाम्नो होमः कार्यो विधानतः | त(तः)व संख्या मवेदष्टौ सहस्राणि शतानि शेषं पिबेत्‌ पयो गभेरोग एवं प्रणाशयति

असो यस्ताल # दति मन्वहय प्रयोगः- कच्छ मेकं चरेत्‌ ya ततः षोडशवासरान्‌ | निरन्तरं जपेकन्त्ं नित्यकन्धराविरोधतः श्रनाहष्टिभिये घोरे समुत्पन्ने समन्ततः | पञ्चविप्रानधाहय कारयेहरि साधनम्‌ ii हवि (fa) षा पायसं aa तश्ड लांच तिलान्‌ यवान्‌ ! aaa al: समिधशापि जुदयान्नक्षसंख्यया | एकाद शदिनेः ang मखिलं atafeey | पञ्चानां तु जपेटैक Bare Hye जाः

मौय ae WET उत वभ. GAT: | ग्र चैना दद्रा अभितो fey चिताः महमभो Ss Faz ऽम. असौ योऽवसपति नौलग्रोवो विलोडितः। उतनं MG VEN BEM ABT: | ain fon yaa age asafa नः-- त्म

BER विधानपारिजाते।

भध नमो श्रतु नोलग्रोवायेति मन्वख प्रयोगः- भ्रालये प्चिमहारे महेशस्य समोपतः | जपा दिवसान्‌ सप्त सततं daa: ave जुडयादकंपुष्ये दं शदिनावधि | पुर्रणमेषं स्थात्‌ प्रयुष्नोत ततो मतुम्‌ | Gaara: पुरोशन्तु †` रालये वाध गोषके शमो समिद रक्षामि देष्याज्यमधुना WAT A एकादश aware Mawar | wel awaree वा शतान्यष्टापि षैशितुः | प्राणि शिरसि विन्यशे चदभावतः॥ शमो प्राणि तावन्ति | gaara: शिषैऽपयेत्‌ | शतं हिजान्‌ भोजयित्वा पुतं प्राप्नोत्यसंशयम्‌ अध naa 7 धन्वने दत्यादि (faeai) त्रयाणां प्रयोगः-

9 नमं ay नौलेगौवाय सहसाशाय मोदट्‌)

Sal Gq सलानाऽषहं तेभ्योऽकरं नमः| --न १. CHR] + परैहनु खिपुरदाहकस शिवस्य व्यधः | ¦ क्तानि भिगरिताभिः। . अङं wert awifa |

तावति an aera मन्बतमष्पाकि।

प्रमुख धन्वन म्व सुभयो गदबियी ज्याम्‌। UI त॑ SH इषवः पयता भगवो वप ee

ढतीयः स्वकः ३८४

wes मेकं चरित्वादौ जपेच्च नववासरान्‌ एवं छते भवेत्‌ सिदहिः grace HAT: महोपते रायुधानि मन्रयित्वा दचेनतु कुशकण्टकहोमसु लक्तसंख्योऽथ शक्तितः | विदेषोविलयं याति शिवस्येव प्रसादतः परथ याते हेति रिति ढचप्रयोगः «— पुरवरणमासां ख्यात्‌ पूर्व्वाक्ञाना मचाभिव | एकादश सहस्राणां Sarai दानमोण्ठरे meat (ऽसतो) ततो रिपौ गच्छेत्‌ Sara: पाथिषवेविना हष्ाव्वालां प्रदोपानां शजुसेना विनष्यति यषा WE ससाणि भरभिमन्वा रिपोः gt देषालये ऽथवा देवारामे वापि aquest

अवरतत्य waeaty मडह़लान्न शतेषुध |

fasta शरव्धानां qa faal 4: सुमना भव।॥ ११॥

विज्य धनुः कपर्दिनो विशल्यौ वाशव।८ उत

अनेन््र्यषव one निषङ्धिः॥ ११. १२अब्‌ @ गाति Ufa aigea we वभूव Huq |

तयास्याम्‌ fara Aaa परिजन १३॥

मनम अस्वायुधायाऽनातताय एवै |

उभाभ्या AA ते नमो दाहभ्यां तव षने १४॥

परि 4 धन्वनो ईति दशमान्‌ som far: |

अधो sgh मवार भअश्नत्रिच हितम्‌ १४॥।ब.

50

२९४ विधानपारिजाते !

खाति शालासु चान्येषु नगराङ्गषु निक्तिपेत्‌ नश्वेदर्षत्रयात्‌ सापूर््याध्यादिमि aga: दूति प्रथमानुवाकं प्रयोगः अंध दितोयानु वाकस्य # ग्रथ MAA यख श्वेत कमलेः शभः अयुतं FATA Wary भवति मानवः a अध aaa अधानेनानुवाकेन वच्छे कश्ाभिचारिकम्‌ | Ute रोगमिच्छन्‌ राजा वं कारयेत्‌ क्रियाम्‌ वराद मेषमांसानि जुहुधाल्नत्तसख्यया अथ Aqua चतुर्थनानुवाकेन Aer aa | भेषवान्‌ खानले wa Forq सौद्रेण सपिषा | प्रति मन्त नमस्कारं मन्विष्छेद ईरितः | संख्या नवसषस्याणि होमान्‌ मेषो पिनश्यति

= ~ ~~ ~ ~ +न [गी = = a: ce aes कः -- ~~ =e ~~ [गीष

9 हितीषानु्राकषस्य नम हिरस्यवाहषे Gara दिशां gaara: इत्यादैः नमः RANMA धावते सत्वनां पतये नमः | इत्यतस्य Valea HAMMAR |

ठंतौयश्य भनुवाकखति शेषः। नमः सहमानाय निव्याधिन अन्यासिगौनां ad नमः इत्यादिः नमो अनगरेभ्योऽग्पतिन्यश्च वी नम दत्यनोश्र सक्तदश AMINA: |

¦ चतुधेख मम ब्ान्याधिनौत्यो विधिष्यन्ोग्यष्र वोनमः sane: नतः तभ्य. वरपतिभ्यप्र aaa: | sae सप्रदश मन्त्राय Ne |

ठतोयः स्तवकः |

मेहः प्रभेहरोगः- श्रन्येषामपि कृष्ठादिरोगानां शान्तयेऽपिवा | अध पञ्चम षयोः # - श्रगुकाकयस्यास्य पुरञ्चरणसिष्टये | जिराज्रं चरुभोजोस्याज्पैदथ निरन्तरम्‌ एकाद शदिनान्येवं पुर्चरणयुग्‌ भवेत्‌ | श्रध राज्यरमा afe कामो राजातु कारयेत्‌ मन्वसिदं दिजः क्म वश्छमाणातदन्बितम्‌ | यावदेकादशाहत्ति रनयोरमुवाकयोः तावदेव सपथाख्यात्‌ पू््वोक्ञातु fea दिने | एकादश प्रतिदिनं भोजयेच्च हिजानपि॥ ूर्वा्ञा कमलादिना लिङ्गपूजत्यध; | एवं छते राज्यलच्छ्रो निष्पत्य farsa aq सप्तमस्य - एकोपवासं Hala तत Bend जपेत्‌ |

Gaal | GHA नमो wy seers | इ्यादौनि

नम: सोनस्यायच dona इयन्तानि aqen rH fy मनि।

GR नमो sea कनिष्रामन त्यादि

नमः शताय त्मना $न्य्ानि चतुद वरजति मनि। + AAA | नम, TMI ASAT श्यद्‌

नमः UT, ताम्तुपाय se geL ST भुरतावक्रथ।

RCH

१९१ विधानपारिजते।

ee पुर्रण मेद स्यात्‌ प्रयोगारसतो HAT चातुव (शं)ख व्यं यः कामयेताभनो हिज; उदुम्बर TATA न्ध ग्रोधश्नरभूरहान्‌ चलत्पजोऽश्वलयः समिधो दधिमध्वाज्य संयुक्ताजुहयादटसौ | अयुतं होम संस्यास्तरादष्य भेव समन्ते मेधाकाम सु जुहुयात्‌ सहस्राणां तु पञ्चकम्‌ कपिलाच्यं दिः प्रोक्त मेवं मेधा समश्रुते अध द्रापे इत्यस्य #- Raa मेकां Kay मधायुतम्‌ पुरखरण मेवं स्यादथ चेदनकामना | ङ्‌ द्रायां जुहयादाज्यं कापिलं प्रयतोऽयुतम्‌ धनं वदु MINS महेशस्य प्रसादतः च्रे Tease wie शिरस्तो भुवि Ciara: | JRA WTAwat Para; जर शान्तये दव्वाष्ोभे gar वयं होतव्य fafa परिभाषाया yaa अरभिचारस्य शान्यधें ककं तत्तदृहवा; समिधोजुहया बोम संख्यात श्रायुतं Haq

* द्रापिं श्रन्धसस्पतं दरिद्र नौलनदित। एः TANT तवा पशनां ae AISA) Al ony ज्चिनाममन्‌) --ईति १०५ १३१

दतोयः सवकः २८

महाजनकतद्रोह शाग्वथं होम माचरेत्‌ | तिलाना(तुषाना)ज्येनघम्मि श्ाहोमसंस्यापिशाबुतम्‌ wa यातैरद्र शिवा aa: fata « wel शतानि gala प्राणायामां सतः परम्‌ सहस्राणि जपेत्‌ पश्च grace सिष्ठये कन्धार्थो लभते Ha इत्वा लाजान्‌ ALATA | अपामागसमिच्ोमं रलं नाशयेदुधः सवकष््षनाशाय जुहुया तिलाइतोः | HTT मुपोष्यव' पुत्रकामः शुचिव्रतः पायसं जुहयादम्ना ASINT शताहतोः | ऋतुल्लातां ततो भागां शएुचिवसरामलङ्कताम्‌ भोजयेद्लशेषं तु जपन्रष्टशतं Fy: | ब्राह्मणान्‌ भोजयिलवातु ya प्राप्रोति मानवः रध मानो महान्त fare 4 उपवासत्रयं RAT जपत्‌ पश सषखरकम्‌ | पुरश्चरण fax: स्यात्‌ प्रयुश्नोताथ ware

a याते ङ्द शिवा तन्‌" शिवा विाहभप्रतरी | शिशा ace NTH तथान सड जावर - इनि yom 2a. माने महान मृत भागो चमक मान Zoe मान्‌ Slag | सा लो तथ पितर भान सतर fun भानं क्नु ag afer

sf 1५१५, WA.

२९ विधानपारिजाते।

स्नोपत्रोवासहद्वानां शन्तिमिच्छब्रिदं चरेत्‌ प्रति संवत्रं लाद्रानत्तते स्यादुषक्रमः। यवानां तिल मिश्राणां जुदयादयुताइतोः |

श्रध मानःस्तोके इत्यस्य * कच्छ Fa चरित्वादो पात्र seat छतम्‌ निधाय कापिलं तस्य कुाञ्वेवाभिमन्वणम्‌ | Wea संख्यया तेन खाग्नौ वा मधितऽपिवा जुहयादष्टसाहसती तथा व्याहृतिभिः शतम्‌ एव कते सवकाम माप्रोत्येव संशयः |

श्रध श्रारास्त इत्यस्य - ल्ाायुष्कामना यस जु इयात्‌ सोऽयुताहइतोः | WAM स्तण्डलेः शक्तं हेते तस्य ATTN ¢ दिनश्रय quia ura सिहमन्तस्य चोच्यत

इति

रः —_

माम ate तनय मान arf arom गोषुमा नौ erg Afra: | वौरान्‌ ar ag मानितो at इवि्मन्तो नमसा वि्मते। --इ्ति १०अ. {म oT गोप्र उत पर्षन सथरनौराय सुतर मक a seq | ` ग्साच नो प्थिच देवर Fe चनः ग्रमो यच्छ हिव | —siq १०अ 0m, (aa: sappy sheer लोकमाता मातर्मा तनया cat ईनि कष |

ठतोयः स्तवकः | med.

श्रव मोदुष्टमेत्यस्य # एकरा(त्े) away पञ्च सहस्राणि सुसंयतः | पुरञ्चरणसिहः स्यात्‌ प्रयोगा स्ततो भवेत्‌ प्रधनाग्रभये UTA तथेव प्राणसष्टे | तस्करादिभये चैव जुह्यात्‌ सपिषाहतोः | पञ्चेवतु सषटसाणि भयेभ्योमुखते शम्‌ |

अध सहसराणोत्यस्य | | कच्छ मेकं चरित्वादौ जपत्‌ पञ्चस कम्‌ | सचिवादि प्रधानानां पुरुषाणा सुपद्रवे तच्छान्तये ARITA: कारये दयुताइतोः समिधस्तव्र शाल्पस्थो विकद्धतभवा भ्रपि॥ aware यवाश्चापि होमद्रव्यं तिला भ्रपि। यदि मारणकामः RATA सहस्रकम्‌ | ततो awa संभूत मदोलिष्गः way | मन्तेणानेनाभिषि्धेद्‌ यावच्छोगां भवि तत्‌ एवं aa भवेश्मत्युरि feat नात्र संशयः

wizea शिवतम भिव सुमनाभव | ata रायु निधाय afa वमान भचर पिनाक विबदाण्ह। -- दनि १०अ. १०. + महमागि सहसन) बाहो लव इत. | तासा मौजानो भगवः पराचोना qual af a

--दति neg, 228.

yoo ` विधानपारिजति।

शयं प्रकारो वाज्ञघनेयिनामपि साधारणो वलुमखयावुक्ः | mae रत्र नलिखितः |

अधावरसवनब्रदिणेयत्ता निरूप्यते। सापि महाणवे टत्तिशाद्युत्तमा मध्याऽधमाचेति जिधामता | तवर सोवशनिष्काणां दशसारस्िकोत्तमा age मध्यमा प्रज्ञा ठतोया जि eater उन्मा ANA सास्या हितो मध्यमा मता शतमा त्राऽधमा श्रेया प्रकारोऽन्यश्च ATA | etary चतुः ष्टि Mee मध्यमा खता चतुर्विंशति caret carat विधिरुच्यते | aval दक्षिणादेवा दथपूरुष करके शतानि पञ्च देयानि तिक्‌ पञ्चक कन्तके अथक करसं st देयं शतव्रय मिति खिति सरवग्रहि गुणां दद्यादाचाथायतु दिशाम्‌ वहुपूरषनिष्याद्य उत्तमा प्रतिपूरुषम्‌ अथयेक केके कर्शुरेकस्यवोत्तमामता | ust तसटटशानां दक्िणाकथितोत्षमा अन्येषां मध्यमाऽ$न्या वा दक्िणादाननिकयः |

(मु) am दक्षिणावैषु प्रयोगवियमोरिता विभवे सति यो मोहा ब्रङुग्याहिषिविसरम्‌ | नेव तत्‌ फलमाप्रोति प्रलोभाक्रान्त मानसः इति दस्िषेयत्ता |

` इतोयः सवक; | ४०३

तत्रव - भवर न्धूनातिरिक्षोक्ि प्रत्यवाय जिहोषेया सौमि स्लम्बेरमाधोश च्दानिर्ित वाससम्‌ जय जय महामेरव महामोमभूत भूतिभूषित मशङ्खणलिं

कुषडलालङ्कत अतिघनविलसित चहिदुपमित wa ETA करवाल निखिलनिगमोपगोयमानसुरवरकरपरिथयविरचित चतुर अरण गृषारकमल कलितकपाल सरसिजासन franfta समस्त व्यस्लजगदिस्तारसंषारसभ्भारसन्रहरुण निरवधिकपरिमाणनोहार परीवार मरोचिविरिश्धिव्यापार पागोजललोन शणितजटाजुटाभि- रामर इर दुरितर भपरदिगङ्कनासंभोगसराग पतङ्ग Heft. RAAF WAAAAA मदनदमन ANAYART शार FETA quay संराव fafen wher afar पदाहतिक्षिब्रमहो मण्डलाधाराण्डजपति प्रस्तुयमान ATHRATS MT फुत्कारोत्‌ RGU देत्यदानवसङ्कातान्तरन्तरित शान्तान्तःकरश्च भनवरत- ` धाराधरध्वानगमीरवर्वरगलगवय «Genre निरस्त AAT गुहा राजो विराजमान धराधराधोश्कन्धका कान्ति संक्रान्त निज कलेवरे करे अखिलजगदधोश नमस्ते नमस्त नमस्त | , पवमन्धदपि स्तोत्रं स्तोतव्यम्‌ | परव्रहदरहोमादौ येऽन्ये Fate भागमोल्ा स्ते ग्न्ान्तरतोऽवसेयाः | दरधुपरस्यते

इति विधानपारिजाते दद्राध्यायविधानं समाप्तम्‌ |

४०१

विधानपारिजातै)

अथ-उपक्रान्त उपसंडशियते

प्रचारः प्रथमो धः TM: सत्तं एवच तस्मादस्मिन्‌ समायुक्कोनित्यं स्यादात्मवान्‌ दिजः + विदिताकरणं wa निषिद्ाचरणं तथा |

माना नरकदं Cet होनयोनो TATA भाचाराद्ि्युतो विप्रो वैद फल wae | आचारेणतु sym: सम्पृणं फलभाम्‌ भवेत्‌ सवश होनोऽपि सम्यगा (समुदाचारवान्नरः ख्धानोऽनसूयश्च शतं वषाणि जोवति | अक्रोधनः सत्यवादो भूताना मप्यहिंसकः | अजिडृश्च वदान्धस्च शतं वर्षाणि जोवति | अन्यनि विप्राणां at नित्यमिहोदितम्‌ | wat निवत यस्मादाह्िकं तद्िदु धाः अनन्ताञ्धिक नाभेद मनन्ताथे प्रकाशकम्‌ अनन्तेन छतं यस्मादनन्तस्व प्रसादतः

मागदेव तनुजोऽयं भटहोऽनन्तो महामतिः wifgatad सेकेन हिजषहल्ानव्ैयत्‌ |

सन्ति wa awerfe भ्राद्धिकख विधौ वुधा: |

कोऽप्यख महिमा वेदोऽभिच्रं जयति सव्यतः

mata: स्वकः ४०९

पाण्डित्यामिमानेन वित्तस्य लिया | रचितं arfwal किन्तु विदुषां परितुष्टये a अनिन ग्रन्यदोपैन खसन्देहालकं तमः | पाख ay gary निभया श्ानिसंसदि | वचन प्रसूनमाला वासुदेवे समर्पिता | wera विदुषा मानानिणंय चितिता

इति योम दिको लम ames भहसूगुना प्रथम शाखिना ओरोमदनन्तभह विरचिते विधानपारिजात समाद्ये निवन्धे ठतोयस्तवके भराद्धिक प्रकरणं समाप्तम्‌ |

गगेशाय नमः|

मत्वा ल्छमोपतिं we तधा ब्रह्मादिकान्‌ सुरान्‌ |

गणेशं पिन्रहर्तारं वन्दे इमवतोसुतम्‌

चतुद शसु विद्यासु निष्णाताः शद मानसाः |

अपरो AeA जयन्ति गुरवो मम

वन्दे ग्रोपिष्टचरणान्‌ veri सं्जितान्‌ |

यत्‌ प्रसादाददं परान्नः सश्रातो जडधोरपि |

गओ्रोमाननन्तमहोऽशं काखशाखो सतां मुदे

कालस्य निणंयं वच्छे सृतिवाक्यानुसारतः 4

कला ASCH e कालेनावस्यन्‌ जगत्‌ |

सवे नियमयल्येको wat स्तात्‌ मे हरिः।

उकानां कमणां काले AMAT कालः प्रस्तूयते

षोढ़ा welanagqaia: पलो दिवसशे(द)ति। ay oz: ufe मेदः। तदाह गाग्यः-

प्रभवो विभवः wa: प्रमोदोऽथ प्रजापतिः |

afer: ओोमुखो भावो युवा धातैश्वर स्वधा |

ayaa: ware विक्रमोऽथ sree |

चित्रभानुः सुभानुख तारणः पाविंवोऽग्ययः

wifey सवंधारोच विरोधो विक्नतिः खुरः |

नन्दनो विजयश्षेव जयो मथ दुर्मुखो

४०६ विधामपारिजाते |

Gua विलम्बोव # विकारो शाव्यैरो aa: | शएभक्ष्छोभनः क्रोधो विश्वावसु पराभवौ Way: कोलकः सोम्यः साधारण विरोधल्त्‌ परिधावो प्रमादो ara (न्दो)न्दो राक्षसौ तलः पिङ्गलः कालयुक्तश्च सिद्ार्धी रौद्रदुर्मतो दुन्दुभोरुधिरोहारो रक्षा(चो)चः क्रोधनः चयः | sta | अयनं Sey Tara | “Aen जितयं प्रदिष्टमयन” मिति atfuate: 1 तत्‌ दिविधं efan मुत्रं चेति। aa aa- संक्रान्तिदंचिणं मकरसंक्रान्ति रत्तरं। अनयो विनियोग are सत्यत्रतः- देवतारम वाप्यादि प्रतिष्ठोदक्षुखे रवौ | दत्षिणाशामुखे Yor तत्फल मवाप्रुयात्‌ i वखानषः- - माढमेरव वारा नरसिंहविविक्रमाः | महिषासुर wat खाप्या वे दक्षिणायने ` वेशष्टो sad ag दच्चिणायनएवैतिनियमः। पूवं वचने efeqqrat fafawrat देवप्रतिष्ठाया देवान्तरे प्रतिप्रसव मानात्‌ | ऋतु मासदयालकः पोका वसन्तग्रो्वर्षा शरेमन्त- भिशिरमेदात्‌। मलमासे तु मासश्यामक एकोमास स्तेन मास-

~ im ~ ~ 8 | - SE EM nenee कयन

© Var} विलल्वोऽच एति fanafaad aa: |

हतोयः SAN goo

इयामकत्वमस्याऽविरच मिति। देधा चान्द्रः सौर TATA वसन्तादिः मोनारण्भमोभेषारन्नो वा सौरः, मोनभेषयो मेंष- हषयोवा वसन्त इति वौधायनोक्ञेः। अनयोविंनियोग मा जिकाण्डमण्डनेः- श्रौतस्य क्रियाः wat: कुर्या ान्द्रमसन्त षु | तदभावेतु सौरतृषिति श्योतिविदाश्मतम्‌ मासा aarat खतुर्धा भिच्यन्ते। तदाह माधवाचायः- मासासु सावनः MTA नाक्षत्र इत्यमो | दान्तः पूर्णिमान्तो वा चान्द्रोऽसौ विप्रवेश्वयोः | सौरो रान्न: सावन ae ज्योतिषिकै परः # | दूति | ZUIATATA मासो faa दस्िणिभागी इतरसु sate व्यवङ्धियते। संक्राग्यादि संक्रान्यवधिः सौरोमासः ` विं्रहिनः सावनः नक्षत्र परिवस्षनेन area: | एतषां व्यवसा माह गगः- सौरो मासोविवाहादौ यत्नादौ सावनः स्मृतः arfea पिदक्ञत्येच चान्द्रोमासः प्रशस्यते द्मायुर्दायविभागस प्रायचिन्त क्रिया तधा सावनेनेवकर्सव्या शवुशां चाप्युपासना fa |

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9 विप्र ante: Game ofan see) परो area: |

Bot विधानपारिजाते।

fay wi— नत्त व्रसत्राख्ययनानि Vel मासेन कुाद्‌ भगणामकैनं | षति बरार - fafa aera क्षणा दिं व्रते शज्ञादिभेवच |

विवाहादौ सौरादिं मासं aa विनिर्िभेत्‌ | मलमासादिक माह माधवाचाथः-

चान्द्रोऽधिमासोःऽ संक्रान्त: सोऽन्तभेवति चोत्तरे ee | असंक्रान्तायैकवषे हौ चेत्‌ daa भादिमः + + waar दिसंक्रान्तः सचाहस्पति सन्नकः |

aa स्वाश्या विवाहादौ संसर्पाहस्मतो उभौ

wer Ala तथा सान्तं & मलमासो विषि खतं | SA तत्‌ समापिं मलमासे farenaz भरम मलमासात्‌ प्राक्‌ कच्छ सत्रादिकं तु यत्‌। तत्‌ समाप्यं सावनस्य मासस्यानति Aware § |

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सः अथिमासः ent प्रहठते मासि अनमवतौत्यधैः |

1 अ्थाटन्िमोऽधिमास इति भावः

तथाच अधिमास संसर्पाइस्पतिषु fats विवाहादि agement 4

कालानि गौत wife तु तेसरपाडस्पत्योः काायौत्ययेः।

§ तथाच aa नवतिदिन साध्यं कणो orcad तच्च तथाविधं सवन मासानुरोभन मललासेऽपि तत्‌ समापने काये fame: |

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wana: स्तवकः Bod

WS समापेख मध्ये Tay मलिन्चः | wenafed काम्यं तदामुष्ठेय मेव तु

कारोयोदि तु यत्‌ काम्यं तस्थारम्म समापन |

काये कालविलबम्बख Hara अप्षन्भवात्‌ # I

अनन्य गतिकं निल्धसम्नि हो भादि (कारयेत्‌) त्यजत्‌ | गत्यन्तर युतं fred घोम यागादि वर्जयेत्‌

भगति ग्रहण खानं जातष्टि गति संयुता #

ed नमितिकं तख्य ष्यवखा नित्बबन्‌ मता

शद माप्त तानां तु मलिने wanting |

e कारौ मम maa | भवग्रशश शुष्यतां aera agen मन्ंःवन तत्‌ फलम Wea कालप्रतोचा सश्लदति |

| भग्रिहीतराटं vay गतिकल were: कतत्यत्यत्‌। तदपरोलयाश SNS AACA Ba |

¦ अगतौति अनन्दगतिकमिलधेः। ग्रहण सामभ्य अबन्धगतिकतय मलिम्खेचं गय सति तदिडितख aire शमामे BANAT वं.्यम्‌। "देश्ानरं ददथ कपाल गिढपेत्‌ पुवं जते इति fat era mae: पत aaa mata जरि लातकश कन्ध पानानां क्रमेन विडितलयान्‌ तदान तत्‌ करक कदाचित्‌ वाल विधि अदापि ary) sae asta मढचापगपऽपि तदा सरकात्‌ sen. सगतिकल्व सिति भावः। aU अनन्धगतिकं afafen मलभासेऽपि काय्यं wang तु Aaa: |

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52

४१० विधानपारिजात।

मलमास मृतानां तु मले खादाष्दिकान्तरम्‌ + fi , इति

जावालोऽपि-

Rene सपिण्डान्तं कश्च ग्रहण जकनोः

सोमन्ते Gas are हावेती जातकश्च

रोगे शान्ति cea योगे are व्रतानि च)

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अश्दोदकुन्भ मन्वादि महालय युगादिषु |

ATT दर्येऽप्यदरहः Ate मूलादि मासिकम्‌

मलिन्तुचान्धमासेषु wart याह माब्दिकम्‌

श्रां तु yaeey तो्थेष्ेव बुगादिषु

मन्वादिषु aera दानं देनन्दिनं यत्‌

तिल गोभूदिरण्यानां सब्ध्योपासनयोः क्रिया

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नित्यानि eta होम देदतातिचि पूजनम्‌ +

ज्ञानं ज्ञानविधिनाप्यभच्यापिय वस्नम्‌ |

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इति

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® पूरवाब्दे ve चेषादौ ant que चेषा मलमासने मलमास एब प्रथमाग्दिकं स्यादिव्यधैः। मलमास चेषादौ wre प्रयाष्दिक we पुभरषाईे मलमासे मख जाप एष कत्यनतु ददं चद इव्यथः |

AT, QTR: ४१९१

ae तु- भनिन्दु टिन्दुपूणाच हइरिवारो qurea | माधिमासे परित्याज्याः सोमन्ताश्रा्मे fart: xfer i अनिन्दु रमावस्छा यद्यप्यत्र सवे afin अचं मलमासे शद मासेव कव्य faa तथा माधव रमाद्रयादि मतात्‌ प्रथमाब्दिकं वयोदओे मलमासे हितोयादाष्डिकं तु शब मास्येव ATA असंक्रान्तेऽपि esa माग्दिकं प्रधमं दिजः तथेव मासिकं are सपिष्डोकरणं तथा | ति हारोतोक्षः। वर्षे वर्षे तु यच्छा मातापिभोमृतेऽहनि AAAS तत्‌ काय्यं व्याघ्रस्य वचमं यथा दति सत्यव्रतोयं wet हदि तोयादिवाधिकविषयम्‌ | wifegal प्रधमं यत्‌ ख्यास्तत्‌ Fala मलिन्खुचे जयोदयेव संप्राप्ते Hay पुनराद्द्किम्‌ दूति aay: | fadarad qi मलमासे श्राहटिनस्य वन्यवनिरासाय पिवररेथेन ब्राह्मणान्‌ भोजयित्वा शदमासे मपिष्डकं श्राह कर्तव्यम्‌ fours मसंक्रान्तो संक्रान्तो पिण्डलंवुतम्‌ | प्रति damit श्राह मेवम्‌ मामहयेऽपि

४१० विधानपारिजिते।

मलमास मतानां तु मले खादाष्दिकान्तरम्‌ # ht , इति जावालोऽपि-

हादशार सपिष्डान्तं कच VEY TA: | सोमन्ते Gat are हावैती जातक रोगे शान्ति रलभ्येच योगे are व्रतानि प्रायचिन्तनिमित्तस्य वशात्‌ पूर्वे परत्र अब्दोदङ्म्भ मन्वादि महालय युगादिषु खाद दर्थेऽप्यषरहः खाद मूलादि मासिकम्‌ मलिन्हुचान्धमासेषु मतानां aie माब्दिकम्‌ श्रां तु पूवृष्टेषु तोर्येष्वेव युगादिषु मन्वादिषु यानं दानं देनन्दिनं यत्‌ तिल गोभूहिरण्यानां सन्योपासनयो; क्रिया # wav अाग्रयणं साम्ने रिटि पयण नित्यानि व्र होम टेवतातिथि पूजनम्‌ aria ज्ञानविधिनाप्यभश्यापेय दलनम्‌ तपणं निमि सस्व नित्यत्वा दुभयभष

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तोयः VIM | ४१९

माष्छेतु- अणिन्दु रिन्दुपूर्णाच इरिवारो वुधाशटमो नाधिमाशे परित्याज्याः सोमन्ताश्राशने शिशोः xfer अनिन्ु रमावख्वा यद्यप्यत्र aa afte ate मलमासे शद मासेच कत्तव्य faa) तथा माधव हेमाद्रयादि मतात्‌ प्रथमाब्दिकं amen मलमासे। हितोयााद्दिकिं तु शद- मास्येव काम्‌ | असंक्रान्तेऽपि कर्तव्य माश्दिकं प्रथमं fest: | तथेव मासिकं are सपिष्डोकरणं तथा | दति हारोतोक्घेः ad वषं तु यच्छं मातापिशोमतेऽहनि | मलमासे तत्‌ काम्यं व्याघ्रस्य वचनं यथा इति सत्यत्रतोयं वचनं हितोयादिवातिकविषयम्‌ | आआष्टिकं प्रधमं यत्‌ स्वात्‌ Fala मलिम्ुचे ्रयोदयेच ara कुयात्‌ पुनराब्डिकम्‌ | इति यमस्मृतैः | निरयास्ते तु मलमासे श्राहटिनस्य वन्यवनिरासाधे faqtiia ब्राह्मणान्‌ भोजयित्वा gee पिण्डकं ग्रा कर्तव्यम्‌ | पिष्डवज्ं मसंक्रान्तौ संक्रान्तो पिण्ड़लंयुतम्‌ | प्रति dame चाह मेवम्‌ मामदयेऽपि |

४१२ विधानपारिजाते।

इति हषटपाराशर समता AM भत्र देशाचारतो व्वा Sar) क्षयमास are तु warhead gait सतः सेवतिधिः MIATA पूवेमांसखाग्राद्चा उत्तरार्देचेषमृतस्तदा | SAT मासखा | तिष्य प्रथमे पूर्वी हितोयेऽशं तदुत्तर | मासाविति वुधधिन्यौ लयमासस्य मध्यगौ | इति हमार मलमास AA सुकरं इमादो ATT | अधिमारेतु data गुडकपिर्यतानि जरयस्तिंशदपूपानि दातव्यानि दिने feat | साज्यानि गुड मिश्राणि अधिमासे ठृपोत्तम। श्रधिमासे तु dare वयस्तिंगत्त देवताः उदिश्यापूपरानेन एष्वोदान फलं way | एकस्मिन्‌ वाहनि तथा भक्ति शक्चाद्यभावतः aafeineqara aia पाते निधाय च। aed सहिरण्यं ब्राह्मनाय निषेदयेत्‌ | तत्र मनाः - विष्णुरूपी away: सत्वे पाप प्रणाशनः अपूपाव प्रदानेन मम पापं व्यपोहतु नारायण AAT भास्करप्रतिरूपक waaay gate सम्पदं चाभिवशैय यख WA गदाचक्र ATH यस्य वाहनम्‌ |

ढतोयः स्वकः |

TE, करतले यस्य मे विष्णुः प्रसोदतु | कला काष्ठाटिर्पेण निमेष घटिकादिना | यो वश्चयति भूतानि aa कालामने नमः कुरे मयं देशः कालः पञ्चे दिजोहरिः | एष्वोसममिदं दानं ग्टहाण पुरषोश्षम | मलानां विशुद्धं पापप्रशमनायच | पज्र पौज्राभि sera तवदाख्यामि भास्कर दति | भध पक्षः सच देधा शुक्तः aware | ` देषैमुख्थः ware: लषणः foar विशिष्यते | दति माधवाचार्योङ्गः। परथ तिधिः- साच eur शुचा faatafa | तदाह माघवाचायः शुङाविदा # fafa: ger wien faaraartefa | उदये पूवया तिष्या विध्यते faqurea: |

fafa: प्रथमतो fefour war विहा तत्र मग्रद्यमाग््य gaia gaa कानलक्पै अहनि अन्यया पव्या उत्तरया बा तिथ्यारहिता तिथिः wee) szafa mam साध्य कनोकि। एतन सूर्या दथ aie हितौय aaifzy arn सर्वर कर्मादि परति कंमुतिक न्ययन मृखिनम्‌।

४१९

४१४

विधानपारिजाते |

सायं तू्षरया तदश्युनयातु विध्यते | वैष्याऽपि faguta an वैध महति | शायां नास्ति ew देवे पितरेयच कर्णि | उपवास अेकभक्तं नक्तं चायाचितव्रतम्‌ |

दानं ufed देवं क्रमादत्रविवि्यते | watfes aaa पिज हिविध मोते।

अथ प्रतिपतिर्णोयते-

शुक्तपत्ते entrar हृष्ण विष्ठा हितोयया | उपोष्या प्रतिपष्छुक्ते मुख्या स्या दापरा्धिको तदभाषैतु सायाद्नव्यापिनो परिषद्मताम्‌ | प्रातः AWA AAAS: सायभित्यसौ अ.त)ज्राह्ञः पञ्चधा भागो मुख्योदहिश्मादि भागतः | अभावेऽपि प्रतिपदः wea: प्रातरिष्यते तिचिस्ियामतोऽ्व्बाक्‌ चे # स्तिष्यन्ते पारणं भवेत्‌ | यामज्रयोहंगामिन्धां प्रातरेव पारणम्‌

QUIT YAY रुपवासवदाचरेत्‌

मुख्य तिष्यन्तराये तु > तिथि येषोऽपि शद्ताम्‌ शहाथिकातु छष्णापि पूर्व्वा संपू्तिं सभवात्‌

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* समाप्यते इति पेषः |

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SAT: स्वक्षः

ोतव्यालेकभक्ञे मध्याह्न व्यापिनो तिधिः। परेदयुरेव पूर्वश र्व व्यातिहिं नहये a |

. ahead साम्यं are भित्वमो | षट्पत्तासेषु SHA सवाभ WTA दिनदहयेऽपि avert भव्याप्तौ चेकरेशतः aaa yaa वेषम्ये धिकैष्यताम्‌ अन्धाङ्गस्येकभकषस्व कालस्वश्चनुलारतः | उपवासप्रतिनिधेस्तिथिः ख्यादुपवासवत्‌ प्रदोषव्यापिनो am तिथि व्थाति्दिंनहये | परव्यातिर्वायवांधेन व्याति; स्थात्‌ सवधोश्तरा सौरनक्ते तु सायाह्न व्यापिनो प्रदोषगा। अयाचिते तु तिथयः खोका्या उपवासवत्‌ i area fa quwiat § कुयांहानं व्रतानि उभयत्र तथात्येतु yaa स्तदशुहितिः

Urata तद व्यपिः gaa at eae) शाकट पाटः

पृषद्यरेव मध्वाश्ष्याति free: ce.) swrate तथैचपरः | दिगदयऽपि wamanth free: ) नेककिन्नपि दिने मध्याहग्याति fragt: | कदित्रपि दिने सत्यं मध्याह्न व्यापिः किनतुभयं san सहामि fear oe) अयं Woes ee मान्य वैषम्या

दिका भिद्यते saa} षट्‌ पराः | qarfa रेवः। wate स्तु arene एति भावः। हदयेन afer स्वयो मु शला ven सिति feay: |

४१५

४११

विधानपारिजिवि।

परत्रैव aurea gat श्राद्ातिचिशये

fat: साम्येच awl yet तिचिद्र्तरा # | VAT (अप्रापे) ARITA व्यातौ पूर्ववष्टहनताम्‌ I एकषष्ट तु मध्याह्न युका स्या देकभक्षवत्‌ एकदेश CAAT शये FATA HAITI ATMA राष्दिक SAAT तदभावैऽपराहस्य व्यापिका wea fafa: ॥: ये पूर्वोत्तरा ठौ व्यातिषेदपरा्नयोः

aren तिथिगौ हदिया वृहृतिथेसु तौ साम्ये eta ater परविदेव ठदहिवत्‌ मरख्े दपराश्नौ चेत्‌ पूवाख्य।त्‌ कुतपो्ठघा वेषम्येनेकटेशस्य व्याप्तौ AGT ACA: | साम्येन चेत्‌ wa पूर्वा परास्याहरहिसाम्ययोः afwarea wat ग्राष्तिथिगा ater इह gala रसती प्रातः परेद्यु सिमुहत्तगा

सा हितीया परोपोष्या qafaar ततोऽपरा

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तोयः स्वकाः | ४१ॐ

सद्यारथोयः साभाग्यालिचिहु प्रतिपश्य; अथ दतोया- रण्भाढतोया FAAS A रास्यादुतान्तरे atten नाख्ठि देत्‌ पूंविद्ठाऽप्यसु व्रतान्तर सुहृत ara asta दिने meta at # शहाधिकाया aay गश्योग f प्रशंसनात्‌ अथ चतुर्धो- चतुर्बौ तु परोपोष्या गणनाथ ATT | मध्याहृव्यापिनो पृच्छा AEA चतुप्यपि atts मध्यान्न व्याप्तौ fewer सोत्तरा अन्यधा Gates सावो पः प्रपेसनात्‌ पर्वदयुरेव aera पूवा सपं प्रिया तिथिः |

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यापि एव हृष परवा नोत्‌ परेव पडि परदिनेऽपि नि Gee am नशद बा तदापि पूर्वैव एव" परदिने चि que भ्यापिल एष Tar परा, घदि परदिभे ततो श्यना नाश्णेषवा तदापि पृष्व

9 परे दिने ग्ययैः। ब्रहसतलारेति पूव विद) fara मिति केचित्‌ परदिभे सुहत मार सोऽवप ते षटसि छतं माषति मतसर नतु Uae मंतं। तन्ते रितहततादर रवेबि। एडाषिः कावा निति तु पूवंदिने षटिक्ञावबोत्तरं ्रतविषयं तदा तलाः छष्डातयेऽपि दिविध विदालमभाषैन qoiey ए§त्वादिति we: |

+ ag eats afafe बतुर्चोति बावत्‌

माता मादश्ैवताका तीवा

+

११८ विधामपारिजातै।

नोचेत्‌ ATS पञ्चम्या योगोऽत्न्तं प्रशस्यते

गोधा; शुदजयाप्यसु नागविद्धा निषिध्यते अध पञ्चमो-

BIN पञ्चमो पूवा ATH SAAT परा # श्रध ष्टो- |

arafaet ्कन्दषष्ठो सा निषि व्रतान्तरे

उरस्या अलाभेतु नागविदापि wearers |

विना wren नाडोभि नागवैधो दोषल्त्‌ अध सप्तमो-- |

सप्तमो yafawa aty निखिकैष्वपि |

अलामे पूव्वैविकावाः परविदापि weary wa अष्टमो-

AAM ATA HUT FAt शक्ता्टमो परा

galeat warty पूव्यविद्ाविधोयते

पचयेऽप्युस्तरयुक्‌ †` शिवशक्ति महोस्वै |

कि 1 oe eee en 2, (पि 1, 1.1.77. 1, षा 1 em पि 1" ति ge eg a मिष

माधव मव Ray Caries मतैतु हा पूवा सितापरा | merge ger सिता परयुता खात्‌ पणमौति दौपिकोक्ेः वस्तुतस्तु भाधवोक्ति खपवास पिषया। प्रतिपत्णखभौ चेव साबिवौ मूत पिमा नवमौ दमौ चैव Mate: परयुता दति ब्रह्मवे वतेवयनात्‌ |

$ Gand प्यत्रंव शलयाकरे पाठ. |

WAT: स्तवकः | ४१९

च्यष्ठा योगीतु पूवव UTE ग्येहात्रतीतिधिः मध्याह्वादृह ATUY परेष्यः सा Awe RSS भागुवाराभ्यां धुक्ञा्टम्यतिदुलंभा जयग्थाख्यं व्रतं भिं छणजब्धाटमोव्रतात्‌ | WUE सप्तमोविदेत्येवं जन्माष्टमो हिधा ! सप्तमो चेब्रिशोधात्‌ प्राज्िडा guise भवेत्‌ शायां नास्ति सन्देहो विक्ठाच विविधे्यते fata योगः Gag: utgat इयोदत पूर्वैव प्रथमे पचे परवो ्तरपक्षयोः

अष्टमो Ufeatqat waa सा चतुर्विधा | शुदा शुदाधिकैलयेवं विदा विहाधिकेति ap a शुायामपि विहायां सश्बाग्यो्तरा fafa: | शुाधिकायां ane टेकस्िन्‌ वा दिनहये x नेकयोगऽस्ति सन्देष्टोहियोगी प्रथमं दिनम्‌ | सदा fama पादेत्युत्तमो मध्यमोऽधमः॥ योग fennfa पूर्वेद्युः सम्पूणेत्वा दुपोषणम्‌ |

© Me gaa इव्यकरे पाटः |

+ या पूरदिने सपमौयौग मप्रा्तामती तवद aaa मा चलौ गा। यातु पदिन सन्या सतो परदिनेऽपोकन्निःमरति मा agen या पुनः सपरभोगृक्तापि पवदिन एव्र मम्यते मा faery यात्‌ पृष्दिने सप्मौविहठामतो पर्दिनेऽपि निःवग्ति मा विहाधिका।

बनि |

४२४ विधागनपारिजाते

वि्वाधिकराया मथ्येकदिन योगे द्यताम्‌.॥ इयोर्योगल्तिधाभिग्नो fame after: | aaferfen एकद्मिनुभयो नोभयो रिति एकस्िंषेस्तहिनं खात्‌ पचयोरग्ययोः प(रा)रम्‌ qe सोमे जयन्तो चेहरे सातिफलप्रदा तिष्यु्यो इयोरन्ते उत्तमं पारणं भवेत्‌ | एकश्यान्ते मध्यसंख्यादुक्वान्तेऽधमं Wee यस्मिन्‌ वं जयन्वाख्यो योगे जग्माष्टमो तदा पन्तभूता जयग्थां खा Ewa प्ररस्तितः | mustard काथमुपोष्यं तु परं दिनम्‌ wa नवमो- werent पूवेविेव पश्यो श्भयोरपि # कुर्यामो चैव दशम्येतां कदाचन परथ दशणमो-- ष्णा पूर्वोत्तरा शक्ता दशभ्येवं व्यवसिता मथ एकादगो- सनत्कुमारसंडितायाम्‌- WHS सदोपोष्या द्योः शक्त HAT: | तस्यां तु मोजनं कव्यम्‌ रौरवं मरकं asi

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$ नध्याद्धेरालनवमौ पुनव्रसुसभन्बिता। याद्या भेषा्टमोयुक्ता सनचन्रापि swe: इति कमनकरः।

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वरं खम देगमनं वरं गोमांसमशलणशम्‌ वरं शत्यां सराधानं are भेकादभोदिने साय माद्यन्तयो THY: सायं प्रातश्च मध्यमे | उपवास फलं HY जलाद्‌ भक्षचतुष्टयम्‌ भय मुपवासो faa: काम्यब- नित्यं षदा यविदायु गेकदाचि दतिक्रभेत्‌ | Sart (weqwat) तिक्रमे दोष शरुते carat चोदनात्‌ | फला शुरो सयाच afer मिति कौतितम्‌ हादशो प्रमोक्तव्या यावदायुः बुहत्तिभि, | एकादश्या सुपवसेब्रं कदाचिदतिक्रभेत्‌ परमापद मापन्न इषं वा समुपश्िते | सूतके waar त्वजेहादशोत्रतम्‌ पै पचेय कत्तव्य भेकादण्यामुपोषणम्‌ | उपवासे सश्ज्ञाना मोर जोविनाम्‌ एकभन्ञादिकं काथ माह वोधायनो ata: | एक भक्तेन नक्तेन तथवाया चितेन | उपवाशेन eran निहादशिको भवेत्‌ | पयोमूलं फलं वापि afer greats मानवः अषामर्ध्ये wits व्रते aqufed | mrcawaral वा ya वा षिनयाज्ितम्‌ | ञ्ातरं भगिनीं fird arcturwerfee: 1 एषामभाव cared arms विनियोजयेत्‌

BRR विधानपारिजाकै।

पिष्ट aia ae ara yaa विशेषतः | उपवासं WHAT: पुष्यं wage शमेत्‌ दक्िणानात्र दातव्या शुषा विहिताहि सा नारो ufagfea एकाटश्यासुपोषिता यज्नजं फल माप्नोति प्राहुरेवं faafaa: | उपवाश्षफलं तस्याः पतिः प्राप्रोत्यसंशयम्‌ राज्यस्य Aaa एकादश्या सुपोषितः पुरोधाः afraare फलं प्राप्नोतिनिशितम्‌ fantawrelafer एकादश्यामुपोषणे wa तेतु खयं विप्राः समग्रं फल ART: ते पितामदहादवयः- कत्तीदशगुं GS प्राप्रोत्यत संशयः | एकादश्या महो रातं भुक्ता चान्द्रायणं चरेत्‌ इत्याद्यस्य नित्यत्वाववोधकम्‌ | एकाद समं किञ्चित्‌ पापवाणं विद्यते सर्ग मो प्रदाष्ेषा Trey Fw प्रदायिनो॥ सुकालतप्रदाद्येषा शरोरारोग्यदायिनेो | अनायासेन राजेन्द्र प्राप्यते वेवं पदम्‌ | इत्यादि काम्यत्वाववोधकम्‌ | काम्ये नेक भक्षादि प्रतिनिधिः- area प्रतिनिधिर्नाभ्ति नित्ये नेमित्तिकै fe मः। काग्येऽपयुपक्रमाटूहं केचित्‌ प्रतिनिधिं विदुः

तोयः स्तवकः | gre

इति वचनात्‌ wa दिनतरयेतिककषग्यता लिख्यते | ब्रह्मवेवत्ते-- प्रापे effet सम्यग्‌ विधाय नियमं निभि। दशम्या मुपवासस्य प्रकुयाह धावनम्‌ अ्तारलवणाः स्वे हविष्याव्रनिभेविशः | अवनोतल्यशयना; प्रियासङ्गविवखिताः इ्दमक्षारादिक मन्यस्य विहित प्रतिषिदस्योपलक्षणं काम्ये तदुपसंहारस्य भ्रावश्यकलत्वात्‌ | | उपवासफलं AY AUT भक्षचतुष्टयम्‌ | TAT फलपदश्रवशेन काम्यविषयतायाः सखशोकरणशाच | एतद्‌ व्रताररमन्तो विष्णुधर्मोत्तरे शरीर मन्तः करणोपधातं वाचस विष्णुभेगवानगेषम्‌ | शमं नयत्सु AAW WH पायादनन्तो whe afafaz: प्रनतः शुं वहिः शिं एषो wate: | करोतु ममेतस्मिन्‌ शचिर्वासि सवदा वाद्मोपघाताननचघो वहां # भगवानजः | wa नयल्नन्ताता विष्शुशेतसि dfea: दति

+ वाद्धोपनश्नातनिलयानौररथ। एनेकादनौतहे पाठः|

४२४ विधानपारिजातै |

एकादग्यां सह्दमन्तीद्यते- उपवास निवचनं विष्णुधर्मोत्तरे | CUTAN पापेभ्यो यसु वासो FT: | उपवाखः Vana: सवभोगविवज्ितः पापेभ्यो त्रताङ्कनिषेधङ्पेभ्यः। तानिष wee भाषणं दुतं दिवा ad मथुनम्‌ | एकादश्यां कुर्वत ठपवास परो नरः # इत्यादोनि | शख व्र॑ताङ्गतलेन विहितेजप ध्यानार्थ॑नादिभिः | ते faquatat— तस्प्य जपनं ध्यानं तत्‌ कथा श्रवणादिकम्‌ तदनं तस्येव BUA सखरणादिकम्‌ एकादश्यां fate मोक्षव्यं भोजनहयम्‌ | रात्रौ जागरणं चेव दिवाच शरिकौर्सनम्‌ उपवासक्षताभेते गुणाः प्रोक्लामनोषिभिः इति | सर्वमोगाः भोजनताम्बुल सम्बनितासङ्गादयः तेवैर्ित we: धासः अहोरात्र area feared: | Wary विष्णुरडस्ये-- -खत्यालोकन गन्धादिशादनं परिकौ ततम्‌ | अश्रस्य वत्मयेक्वे ग्रासानां चाभिकाङ्सम्‌ A गाजराभ्यङ्ग भिरोऽभ्बङ्ग ताम्बुलं चागुशैपनम्‌ |

ढतोयः स्तवक; ।. ४२५

ware दिवाखापं मेषुनम्‌ | व्रतश्योवव्जयेत्‌ सवे यश्चान्धश्च विनाज्ञतम्‌ शारोतः- पतित पाषख्डि नास्तिकसंभाषश मदृताश्नोलादिकं उप- वासादिषु वल्येत्‌ FATA | वदिग्रामाग्यजान्‌ सूतिं पतितं रजखलाम्‌ | HAN ब्राभिभाषेत मेसेत व्रतवासरे उपवासे तथा ATG खादेहन्वधावनम्‌ | खादोपवासदिवसे खादिता दन्तधावनम्‌ | गायश्रयाः शतसंपूत aT विशरष्यति केचिकु - aq परण; सदा कुाटमाभेकाद्ों विना तयोरपिहि कुर्व्वीत जम्बुञ्जलास्रपलवेः TAT: | Sarat array स्यशासाभिः सहृधनादपि भिद्यते awed खदारेष्वमुसङ्गमात्‌ दति च| त्राह्य- एकादश्यां नरो भका निराहारः समाहितः | नानापुष्यं मुनिग्रेषठ विचिवरं पुष्यमखपम्‌ | MAT Vacs arena कारयि 54

४२६. विधानपारिजाते।

सम्पृज्य विधिवर्िष्णुं श्या gaarfea: |

प्रातः aren wht पश्य उपवासं समपयेत्‌ |

sata तिभिरान्धस्येति मन्तरेण #

हादश्वां पारणं कुब्धादल्नंयितवाद्ुपोदकोम्‌ दूति |

आघवावार्ययाऽपि-

जयन्तोव्रतवरित्यं काम्यं चेकाटभोप्रतम्‌ |

भरुणोदयवेधोऽगरवेधः सूर्योदये तधा

Sw हौ दशमोवेधौ वेष्णव ATT: क्रमात्‌

कला काष्ठादि बैधोऽपि areca जिसुहत्तवत्‌

AQAA TMS प्राप्तोहिवेष्णवः § |

विषा त्याज्या वैष्णवेन quranfiardea |

एकादशो erent वा ऽपिकाचेयन्यतां दिनम्‌ |

पूवं मरां et स्यादिति वशशवनिर्णयः

0 ey nee EE EES ES SES यणीया eee ee ee ee oe 1

e amafatauaa व्रतेनानेन Ga! प्रसौद ठो नाथ श्रानहरिप्रदो wu

+ ठपीदक्षौ पूतिक्षा wert agree निषेधात्‌ |

¡ sear प्राक्‌ चतसो नाडिका अदशोदयः। तच amet Rae ऽदकोदव भेष: qaifed तत्‌ प्रवे पूर््योदियेष इतिं विवेकः |

§ आदिना नारद पश्राचादि परिग्रहः। तेगाप्रखिद्रैखषोऽपि मागबतः ष्यपि eam एव तथापि तेन अददोदयविडापि इवथा त्वाया इति वेदितव्यम्‌ |

aaa, सबकः)। ४२७

तच्चवादिनलु - एकादशो यदा शषा हादश्छेवातिरि्यते | उपवास्यं क्त्वा हादष्या मेव पारयेत्‌ war at घटिका वापि atqetem यदि। हादथ crest Whar) पूर्वेद्युः पारणे छते # दति aw पुराणो रिताः उदये मवमो किञ्चित्‌ सकला दशमो यदि | तदा परदिनं ane fafa aaa स्तिः | परमापद ATTA इषं वा AAT | नेकादशों त्वजेद्यसु ay Vref बेष्णवो ‘earn सवजोवेषु निजाचारा fag: | frafaafgararc: हि वेष्णव sua यथा शक्ता तथा AUT श्रुपोष्या TT: सदा इति पद्मपुराणोक्षस्मानंनिणय उश्यते | एकादभो Tet चेत्युभयं वधैते यदा तदा पूरवदिनं त्याज्चं wreatw परं दिनम्‌ एकादभो माच हौ हियत्मोग्यवखितिः | उपोष्या ऋडिभिः gat यतिभि सृत्तरातिधिः elem ara हदौतु शहा fae व्यवखिते एषा पूर्वोत्तरा विद्वा आसनिशय ten: हादयो ATH AW तु सान्तः TAA: |

ap eee 7 ~ teen ०५००१ ene

9 aarrat तु पारशनिश्कादनोतस्व पातुः |

—— [षमी

४२६ विधानपारिजापे |

ae हेमाद्रौ - व्ुवाश्च विरोधेन सन्देशो जायते यदा | हादशो तु तदा UTM ब्रयोदण्यां तु पारणम्‌ | इति माकंण्डेय वचनं | तधा- afenig वाक्येषु हादशौं समुपोषयेत्‌ | पारणाच व्रयोदश्या AWA मामको AA दति पद्मपुराण वचनं तदेष्णवविषय मिति मन्तव्यम्‌ विवादेषु way हादण्यां समुपोषणशम्‌ दष्शवशु तदा Far wile तु पारयेत्‌ दति पुराण समुच्चयोक्तेः | यसु-- एकादश्यां yaa पश्षयोरभयोरपि | ane यति धर्मोऽयं शक्ता भेव aera | दति टेवलवचनम्‌ | शयनो वोधनो चेव ARTHAS भवेत्‌ | VATA # TRA ATTA कदाचन इति पाद्मवचनम्‌ | तधा- विधवाया वनस्य यते खकादशओोदये |

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+ galt इति avy निवन्डवु पादः |

SMa: Wee | 6२९

उपवासो Wee ara मेव yfaw: | इति सुमन्तु वथनं च। Faas AAS कर्ण कादश्युपवासं निषेधति | तदवेशशवविषयम्‌-- पुववांब हरस वन्धुयक्ञ स्तथवच उभयोः THAT व्रतं कुर्याञ्च वेणवः | इति नारदोक्ञः। उपवासनिषेधेऽपि भोजनं कायम्‌ | तदुक्ं वायवोयसंहितायाम्‌- उपवासनिषेधतु # किञ्चिद्‌ wer प्रकल्पयेत्‌ | दुष्यत्युपवासेन उपवासफलं लभेत्‌ भच्यमपि तवेवोक्ञम्‌- an efaara मनोदनं वा फलं तिलाः चोरमथाम्बु चाज्यम्‌ | यत्‌ पञ्चगव्यं यदि वाथ वायुः प्रशस्त मबरोत्तरमुत्तरं P wa एकादशो व्रलोपयुक्तं fafyeus | माधवोये कात्यायनः- अष्ट व्षाधिको मर््वोद्वगोतिन्धुगवससरः |

» छपवाप fafag तु एति eran? a: |

+ उपवामा मनधम्तु एकमभक्गादोनि कथ्यान्‌। तथाच शतिः. - SUH AMA मति इहजोविनाम्‌ | एकभक्तादिक काण मा्‌ बोधायनं सूनिः। इति

४१४ विधानपारिजाते।

एकादशो Foray पक्षयोरभयोरपि ब्राह्मणः शषवियोवेश्यः शूद्राश्चापि तधास्ियः दूति |

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पत्यौ जोवति या नारो suaraad चरेत्‌ |

प्रायुष्ं हरते भनु नरकां चेवगच्छति

इति विष्णु वचनं तत्तु भक्तं नुज्चाविषयम्‌ |

Wat पत्यु मतेनेव व्रतादोनाचरेत्‌ सदा

इति कात्यायनीक्षः

एकादशो व्रताकरणे प्रायधिन्षमाड कात्यायनः |

TH TACT रात्रौ BETA दिवा

एकादश्यामदहोराव्रं YM चान्द्रायणं चरेत्‌ |

भथ द्शम्यादिनियमाः। कू पुराणे-- कास्यं मांसं मसूरा चनकान्‌ कोरदूषक्षान्‌ शाकं AY पराब्रं त्यजेदुपवसन्‌ स्यम्‌ # शाकं माषं मभूरांखच पुनर्भोजन मधुने | वुतमलयम्बुपानं दशम्यां वेष्णवरूधजेत्‌ | हेमाद्रौ रेवलः- WAAAY सल्लत्ताम्बुलचव्यैणात्‌

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SAS ee 7 972. SS Qe oe == = om

# भरवपवमन्निति तदहनि winrar सामोप्यात्‌ पूरवापग्दिनयो aye |

तोयः VAR: | ४११

उपवासः प्रणश्येत दिवाखापाश्च मेधुनात्‌ | अक्षौ चाम्बुपानेत नोपवासः प्रश्यति विष्णुरहस्येऽपि- गाज्राभ्यङ्ग शिरोऽभ्यङ्ग ताम्बुलं चानुलेपनम्‌ | AAG THA सवे say निराक्लतम्‌ # | एषु सजातेषु nrafenga सहहे- स्तेन हिंसकयोः wet war wal हिंसनम्‌ | wrafan व्रती qatextara waaay मिथ्यावादे दिवाखापे व्ुशोऽग्बु निषिवषे प्र्टा्चरं †' व्रतोजपा तम टोत्तरं एचि; पठोनसिरपि- ताम्बृलचव्वेणे Meith मां समिषैवशे | AAA नचेत्‌ कुयात्‌ क्ष्णनामजपं इदि इति उपवासे तधा ATS कुरय्याहन्तधावनम्‌ | दन्तानां ASIANA दहत्यासप्तमं कुलम्‌ ¢ | SY पर्णैः सदा कुथादमाभेकादभौं विना दति ढणशाटेरपि निषधः |

त, = —e

o faced दोषलमकलेन सुनिभिनिषिहम्‌ | + नमो लादाथमाय एयण्मकम्‌ मन्त्रमिति ite: | + इत्ति सपर कुलानि | इति area पादः।

४२२ विधानपारिजाते |

प्रमादादन्तकाषह UNM प्रायबिक्षसुक्तं विष्णुरषस्ये- खादहोपवासदिवसे खादिला दन्तधावनम्‌ TANT: शतसंपूत wee प्राश्य विष्ष्यति | AMA पारणे मांसं व्रताहेऽप्वौषधं षदा इति | एकादश्या ओादप्राप्तौ माधवोये कात्यायनः | उपवासो यदानित्यः wre नेमित्तिकं भवेत्‌ | उपवा तदाकुग्यादाघ्राय पिढसेवितम्‌ | मातापित्रोः चयेप्रापे भवेदेकादभो यदि | waar पिददेवां शाजिघ्रेतपिदठसेवितम्‌ | इति हेमाद्भि निवन्धेच | aa awa fata उक्ञोढृसिंहपरिचथायां विष्णुभक्तिं चन्द्रोदये ONG | एकादश्यां यदा राम awe नमित्तिकं भवेत्‌ तिनं तु afta दादश्या जरा माचरेत्‌ चारं areata: wer! तदादिवाभिश्म्बन्धा सदन्त मपकर्चेस्यादिति azarae: मांसन्धा.स)यसिहत्वादिति | स्मृति चद्दिकायामपि- भज्ञा्चितानि पापानि तद्भोह्णर्दातुरेवच मन्ति पितरस्तख नरके शाश्वतो समाः | एकादशं ततो नेव गाद दुर्वी वैष्णवः afar |

ठतोयः waa

WARIS AAT ATTN गट होतो दुम्बरं ord # वारिपूशं सुदश्चुखः | उपवासं तु WMA वहा aay धारयेत्‌

लत मन्वः- एकादश्यां निराहारः faare aatsefa | भोश्यामि पुण्रोकाक् शरणं मे भवाच्युत | दति

केविष्टशम्यां दन्तधावनं क्त्वा Tea त्वसुमन्तं पठन्ति

भन्नानतिमिराख्स्य व्रतेनानेन केशव | प्रसो(सा)द सुमुखो भूता waefe प्रदोभव k इति i

दादग्य। वन्यान्याह वहस्यतिः-

दिवानिद्रा परान्नं पुनर्भोजन aaa

aig कांस्यामिषे तलं हाद श्यामष्टवल्नयेत्‌ | ब्रह्माण्डपुराणेऽपि--

पुनर्भो जन मध्यायो भार भायास मधुने |

उपवासफलं way दिवानिद्राच पञ्चमो विण्णुधर्--

रतश्नाश्यन्‌ fe aurea तुलख्ठतसिक्ादनम्‌।

aaa: फलं वापि पारणे प्रा शुध्यति।

9 डीटुग्बरं ताभन्‌। 55

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४३४ विधानपारिजाते

पारणे पारणासमये- एकादशोव्रतं qacaqeataary fay:— सूतके aaa वापि arsed हादभो व्रतम्‌ त्यजन्‌ वे नरकं याति यावदाभूतसं्जवम्‌ # तत्र waa दानादि तु सूतकान्ते देयम्‌ सूतकान्ते नरः STAT पूजयित्वा अनान्‌ दानं दत्वा विधानेन व्रतश्य फल wa | इति मात्स्यो एतद्रजखलयापि कायम्‌- एकादश्यां wala नारो दृष्टे crete | इति पा्नोक्षेः | एते नियमाः काम्यत्रत नियताः निद्यव्रतेतु यथाशि कायः | इति विन्नाय ङर्व्वोताक्छय मेकादशो व्रतम्‌ | fata नियमाशक्षोऽशोरातं भुजिवसजितः इति ब्रह्मवेवर्लो्िः हादश्यां यदि अवण भवति वदा हादश्यामुपवासः काथः | शक्ता वा यदिवा war हाटभो अरवशान्विता) तयो(रष्य)रवोपवास्च वयोदश्यां तु पारणम्‌ | इति नार(दोङ्ञः) ata SUNITA AN हदशो समुपोषयेत्‌ | | इतिं

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waa: स्तवकः 1 ४३६ श्रया्टौ महाहादश्यः।

तत॒ शडाधिककादशो बुता went उश्नोलनो dw हादश्येव शदाधिका वमाना वश्लुलो। वासरव्रयस् afi तिरूणा wai पशः सम्पूणाधिकले पशवरैनो पथक्युता जया शअ्रक्णक्तेयुता दिज्ञया पुनवसुयुता जयन्तो रोडहिषशो- बुला पापनाशनो अत्र fata वचनानि कालनिणयरोपिका विवरणशादौ दरषटव्यानि। दि्णुप्रोति कामः पापक्षयमुक्षिकाम्रण एता WET महारादशो रपवसेत्‌ | एकादभो सुपोष्यव eM समुपोषयेत्‌ | दति विष्ुरहस्योकेः। भशक्ष trem Fa | एव मकाद MMT Liza! समुपोषयेत्‌ पूषवा्षरजं पुरं सवे प्राप्रोत्यलंणयम्‌ ति ततेवोज्ञः | Wale महाहादभोषु शरव हादश्युपवास Tana: मोऽपि दादशो TAMA मध्याद् योगे सन्येव | Wat at यदिवा aur eres खवकान्विता। प्रातरारभ्य मध्याह्न व्यापित्वे समुपीष्यत | इति fagevate: | पतएव माधवावार्ययोऽपि ब्रन्यदादण्याः AUNT AFWIssy | अवशेन FAV स्याहादभो मा fe aay: | ain डोपोषणोगरास्याटिति वैदविदाश्नतम्‌ इति |

४३२९ विधानपारिजाते।

यदा हादश्यल्या तदा वि्रिषोऽभिहितो शेमादौ माद्छ - ` यदा भव्ति खल्यापि हादशो पारशादिने |. उषः HIS दयं कुर्यात्‌ प्रातमोध्याद्धिकवं तदा नारदोयेऽपि-- अद्याया मधकविपरन्द्र हादश्यामरूणोदये | लरानाच्चनक्रियाः काथा दान होमादि संयुताः इति | इादश्यतिक्रमे दोष are विणशुधर््रात्तरे | हादगोतु कला माजरा तस्यामेव तु पारयेत्‌ ` हादण हादभो हन्ति trem यदि लङ्धिता | aa वणवानां विषो कृसिं परि चर्यायां fayufa चन्द्र दयेच | हादगो ate ्रयोदशो श्राह मपि कला ata हाद सेव कायम्‌ तथाहि एकादश्यां यदा राम इव्युपक्रम्योक्षम्‌ ¦ हदशो चेत्‌ कला माजरा faster दू ate | watt: क्रियाः सर्वा; AHA: शम्भु शासनात्‌ | दूति सङ्कटेतु माधवोये टेवलः-- सङ्कटे विषमे प्राप्ते हादश्या पारयेत्‌ कथम्‌ | अहित पारणं wale gate दोषक्तत्‌ अशगिताऽनशितायस्मा दापोविह्धिरोरिताः

aver केवलेनव करिष्ये व्रतचारणम्‌ ` दूति

तोयः सवक; 829

सत्र fata ont faquatat— दादश्याः परथमः पादो efcaracafea: | तमतिक्रम्य gata पारणं विश्णु तत्परः इति | मदन Ta यदा भूयसो हादथो तदापि प्रात HRCA पारणं wy सवेषामुपवासानां प्रातरेवहि पारणम्‌ gata afaarfaai विना धारण पारणम्‌ दूति गर्गोक् : प्रमादा देकंदश्युपवासातिक्रमे MUTT वाराह, एकाद fagat चेद्‌ हादभो परतः खिता | उपोष्या हादभो तत्र यदोच्छत्‌ परमं पदम्‌ + इति एव भेकादटशीं निर्णीय व्रतान्तरे निणय माह माधवाचाथः उपवास व्रतादन्यत्रते मार मुहर्सकः | सप्तभिदशमोवि्ा भेता Rares त्यजत्‌ दादश पूव विद्व निखिलेषु anata | शक्त अ्रयोदभरो पूर्वा परा छण बयोदशो #

ees ee 2, ee = we कसः

परदिने विमुशलान्याम हृखश्यंदत्रपि पूरे ata are | परति सगौ Ge ्रगोद्णो gala tere: |

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अलामे सापि gaa पराऽनङ्ग ्रयोदभो |

या शक्ता VHA पूर्वा ख्यतं साऽपराहधिको # ATTY शक्ता पूर्वा ल्ष्णाचतुरगौ % sea fequnifa are amaa fafa: | शक्तापि राति युक्ता स्या चब्रश्रावण मासयोः ft शक्तासवीपि पूर्वव यदिख्ादापराह्विको § प्रदोषे वा fame वा योवा यास्ति सा wiz | शिवरा्िव्रते as इयोः सन्ता प्रशस्यते

तदभावे निभोधेक व्यापिनो afer | तस्याासश्भवे Ary प्रदोषध्यापिनोतिधिः।

पूवं विव साविश्रोव्ते पञ्चदशो fafa: || 1

ATA See भूतस्य Wars परेऽहनि |

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या रक्ता षयोद्शौ पूर्वा ग्राद्यल्नोक्तास्ा wane मावव्यापिनौ fay sociale: |

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§ az देवत्योपवापते fava माह ower म्वपौति अपिना aw oftay: | यदिग्यादिन्यनेनं अपराह्न sme qualia afanq |

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कैतोयः सवकः |

व्रतान्तरासि सव्थारि परेऽहन्धेव सवदा | दूति हादश्यादि नियः |

अथ भ्रमावाख्यानिणयः |

साच व्रतादो परिहा are भूतविहा ear ware परिमा | वञ्जयित्वा amas सावितीव्रतसु्तमम्‌ दूति ब्रह्मबेवक्त वचनात्‌ भत योगविेषे फलदिरिषमाइ शातातपः | प्रमावाख्या भवेरारे यदा भूमिसुतस्य | जाद्नवोखानमात्रंण गोसहस्रफलं लभेत्‌ | अमादस्येन्दुवारेण रविवारेण सप्रमो | चतुर्थं भौमवारेण विषुवत्‌ wen फलम्‌ व्यासोऽपि- सिनोवालो awarfa यदा सोमदिने भवेत्‌

गोसहस्रफलं दद्यात्‌ खानं मौनिना कतम्‌ + इति

४१९

गाहे तु भमाषाखा तेधाविभ्गदिनख् ठतोयांश व्यापिनो

ग्राद्चा पिष्छान्बादहांवं are Me राजनि अस्यते

न: ` क-म, | थि षि; 1 ee ores ——-— [ 2 7 षि [रै रिं

# सर्वानि उपवामादौनि atar mente पति अकति चनव. |

४४५ विधानपारिजातै।

वासरख तोऽ ना तिसन्धयासमोपतंः # इति काल्यायनोक्तैः। ad पौणंमासं पितुः साम्बस्सरं दिनम्‌ ! पूववि agater नरकं प्रतिपद्यते इति नारदोयेनिन्दनाश्च | दशं ग्रां तु यत्‌ Wie पावंणं तत्‌ प्रकोस्तितम्‌ wary पितृणां तत्र दानं प्रशस्यते इति शातातपीक्षेश्च | दिनव्ये तलाः Te या सर्वापराहव्यापिनो Bare | अपरादह्दयश्यापिन्यमाशस्या यदा भेत्‌ | तव्राल्यत्व aan निर्णयः पिष्ट कणि NUS ATMA aware याधिका भवेत्‌ | दति माघवोयस्मुते निर्णेता | दिनहयेऽपराद्व्या्यभार प्रंशतोव्याप्तौ तिधिचये पूर्व प्राह्ना इति tafe: | यदा चतुरशोयामं तुरोय मनु पूरयेत्‌

e fawn fafa: ततः प्रथति पितरः faesant लेभिरे” इति aan पिम्डानां पितृणां sarge मादेक दतनिजननक यत्‌ तथा। तथाच मनुः पिष्डानां मासिकं शाह warwea विदुर्वधाः। unix ee शस्ते sary करिन्द्र सथाभावेऽपि ay afer) शतोयैऽरे fawfauma fora ana? | afaear समौपत vit) eaaedic gee

हतीयः Saw ४४१

रो |! अमावास्या सोयमणा तदव are fas #॥ इति कात्यायनोक्षेः |

यमा परदिने परान्न surf मचेदिलधः

| (क ~ 8 pe (ति 1 ee ee een, ater ee 7 = - —o

अआपदापि वजछंनौय wee) तेन cee Fara मपि सुहत इय AAI अतिन्ष्ट्‌ खदसात्‌। अतएव इारौतः- तिन्ह तापि atom gat दर्जा awe: इति तिन पूर्दिने सहेव मार लाम परदिने वासर्ढतौर्याथालामे पूवदिन एव NARA चतुदृशौ याममिवि। aqem सन्बखि दिन याम निव्यधेः तदि मख GHA सन्बन्धऽपि चतुदश्नौनि्देशः अधिकेनव्यपरेष्ा ` भवन्ौति व्ायात्‌। तेन चतह aafafere aye प्र ara fafena बा ware अगुपूरयेत्‌ व्याप्नोति प्रहरत ब्दापिनौ fafezfarnycra ग्यापिनौ बा चतुदद्रौतववगम्यते। any उभयवासरौय adigin af प्चधाविभह्नापरद्ीे Wien wen gee: “age नियमे घटिकंकावद। भवेत्‌ स।तिथिः aan Sa पिव चापरद्धिकौ। इति भवि पुराणात्‌ मृरूत[न्गदभल।म गेषम्‌ गलेकदिनमाबं awh अत gate ana weaken हं धागदथात्‌। एव हं पूव fen चतुद aaa परदिने अमावाल्या चौदमाणा ग्युनकाष ग्यापिनौ नतु पूवापर्टिवसौय यावइतुद पेखा चनपस्डिनैः | एव लन्धितादरईमानयोर्पि mae पूवंदिनण्व। ata gat परदिने दादर anata नुखापरह्न बुह्तोनि दभनाभ शत्रापि पूवंदिने याइ wat दतोर्या eeu बन्द खरसात्‌

वितरत पौवनुर,धाच इति आत्ताः | 50

४४० विधानपारिजीतैः।

वासरख हतोऽ. नातिसन्यासमोपतंः # इति काल्यायनोक्तः दशं पौणमासं पितुः साम्बस्सरं दिनम्‌ | पूवविष्ठ agatet नरकं प्रतिपद्यते इति नारदोयेनिन्दनाश्च | दशं ख्रां तु यत्‌ wie Tad तत्‌ प्रकौर्तितम्‌ पपराह पितृणां ae दानं प्रशस्यते | इति शातातपोज्ञेच | दिनग्ये तस्याः से या स्वापराह्ृव्यापिनो साग्राश्या | भरपराह्वदयश्यापिन्यमा शास्या यदा भषेत्‌ तवास्त महच्वाभ्यां नियः far कमणि श्र (ऽपरा त्याज्यास्याद्‌ arrears याधिका भतेत्‌, दति माघवोयस्मृते निर्ेतश्चा | दिनहयेऽपराह्नव्या्यभाओ भ्रं शतोष्यापौ तिथिकये पूर्वा प्राह्चा इति हेमाद्रिः यदा चतु्शोयामं तुरोय मतु पूरयेत्‌,

पिष्डान्वाडाश्मक्च fafa ततः प्रयति पितरः पिष्डमेनना त्‌ लेभिरे” इति वचनात्‌ पिम्डानां पितृणां sara मासक ठिजनक् यत्‌ तथा। तथाच मनुः frat मासिक गाह aaa विदु्ैधाः। राजनि ae शलते इत्यनेन कविचन्द्र सथामावेऽपि aig afer: amasa fawfaama दिनख वतोयभाभे। afmas समौपत एति सथ्यासमौप gee

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wala: सवक्षः

री अमावश्या सोयमाणा तदव are मिष्यते #॥

इति कात्यायनोज्ञः |

चोयमाणा परदिने अपराह्न व्यापिनो नरेदितवधंः।

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पदापि वज्नौय ead.) तेन रादसौ Fara मपि मुहत इय aque अतिद्रब्दट ace अतएव wila:—faqe: शपि कततव्या qui दर्थाज awe: एति तिन पूदिने सुहत्तबय मा लाम परदिने वासरढतौयाशाषामे पूव दिन एव ग्राहम्‌ चतुदशौ याननिवि। चतुदश्रौ सन्धि दिन्‌ वाम fame: तहि- गख अम वख। सम्बन्ध ऽपि चतुदश्नौनि्देशः अधिक्षनव्यपटेणा

भवन्तौति न्धायात्‌। तेन eget सन्बल्धिदिन्य चतुथे प्रहर

ara fafa वा ware अनुपूरयेतु ग्याप्रोति प्ररत safer डिदधिदधिकप्रहरषय भ्यापिनौ बा चतुदभौलवगम्यते। aay उभयवासरौय amain मभ्वन्वि पञधाविमन्नापर द्रौण कट्‌ cen सुहत “adiang नियते घटिक कावद्‌। भवेत्‌! सतिधिः waar Sa पिव चापराद्धिकौ। इति भविक

पुराणात्‌ मृहतन्डनदलमि tua) मलेकदिनमान awe अव ware ama एत्नेकेव Caza एव हयं पूव दिन चतुहु पैखय। परदिने अन। वास्या Vag ware व्यापिनोमत्‌ पूदापर्दिबमौय यावत्‌ rate चनृपस्डिनः |

एव शगन्ितावरईमानयोरपि तदैव पृददिनषव। ayy पूर्णा परदिने wee ठनो्यांोय quran eft दभनाभ

त्रापि पूकदिने याइ mat उतोर्यान चद्रखयति He दवरमरत्‌

वित्र) पौ यनृरं धाइ इति erat: | 50

४८९

४४२ विधानपारिजातै।

तथाच वौधायनः- ATER चतु्यामे ऽप्यमावस्या दृश्यते | anya प्रतिपत्‌ स्याद्भूते कव्यादिका क्रिया॥ इति| वद्रमागतेतु पराग्राद्चा | परेऽहनि कतोयेऽओे घटि कार्डऽप्यमा यदि | aaa पिढयन्नः स्यादन्धधा प्रथमेऽहनि इति सरतः पिष्डपिदयन्रणु कालायन यागदिनात्‌ gag: काथः | qaiwary fowfaaan इति तत्‌ ang | व्याख्यातं चेतत्‌ Baas: | ya एव दर्शात्‌ पिरपिदढ- यन्नो पश्चात्‌ कुतः aa) तथाच य॒तिः। तस्मात्‌ yay: पिढभ्यः क्रियते owe महदेवान्‌ यजते इति gaa: पिद्धभ्यो ad निएणोय प्रात्टेवेभ्यः प्रतनुते इति च। तैन तन्मते अहमेव पिच्छपिदयन्नः। तदुक्तम्‌ we वा समभिष्याषारा- दिति। तैन कर्काचायमते चतुशोयुक्षद्े पिष्पिदयश्नः काथय इति| ओरोमदनन्तभाष्येतु परेगयुरित्बुक्षम्‌ भत्र देधा- प्याचारोषश्यते। अापस्तम्बादोनां परदिने निमुहश्षमपिदथ- aa ata पिपिदढयन्नो भवति पमावास्यायां sewer a प्यति ace: पिष्डपिदढयश्रं कुरते दत्यापस्तम्ब सत्रात्‌ | हद्रदत्तादिभि सधा तदयाश्यानाश्च यदैषेष पुरस्ता पश्चाद्‌ zen भथ पिहभ्योददातोति शतपधश्रुमेब सा्लायनाना

ढतोयः स्वकः ४४३

मपि येष पकरि पिणपिदयन्रः स्वात्‌ भमवास्यायाः मपराह पिरपिदयन्न शत्याणलायन aay नारायणशहत्तिक्द्नि सधा VTQITAATS | 7a पक्तान्तं wa fare Saad साम्नि: | पिण्डयन्नं ततः कुर्या सतोऽग्वाहाथकं बुधः

दति क्रमविधायक लोगातति वचनं विर्दमिव दृश्यते तक्षु rege दर्थं विषयं काल्ायनविषयं वैति सवेमगक्दाम्‌

पान्तं कश्च अन्वाधानं वेष्डदेवः परश्चमहायश्रान्तःपातो लिहरणान्तः frwaw: पिण्ड पिठयन्नः। भनु पिण्डपिह- ine पादाहियते इवयानवाहाथकं दशश्रादमिति माधवा ra fee व्याख्यातम्‌ ननु क्तुहशोगुक्ष दशे पिणपिटटयन्न mae काल्यायनेः KN CEN! तन्नोपपद्यते तं (लेजनाम ब्राह्मं योऽख शक्ताति व्रतं चरितं समामि मासि Vaal दश्वात्‌। यदष्रेष पुरस्ताचन््रमा नोदेति तदश्ददाति एव वै सोमो राजा देवानामत्र aera weary सतिं wat (ame देवाना wa पिन्यो ददालोति |

यदेपेष पुरस्ताश्र पषाटणे wa पिदभ्यो ददाति cafe एतपव शतो एष चन्द्रमा यदहः पुरप्तात्‌ पका CA तदङ्ग: ‘aman ददातोति कात्यायन बरलवधविरोध इति चेत्‌ cA.

कते रखर्दशविवयलात्‌ चतुदंभो चतुर्यामा भमावाखा EAA

$88 विधानपारिजाते

तोभूते प्रतिपत्‌ स्यात्‌ Tat ततव कारयत्‌ चतुर्दगो यदा पणा हितोया कषयगामिनो wafate रमायां खाद्‌ भूते कव्यादिकाक्रिया #

पिष्डानबाशाथक Ae शोणि राजनि Wad | वासरस्य ठतोयेऽओे नातिसन्यासमोपतः इति वोधायन काल्यायनस्मृतिमि स्तथा

व्यवस्थापनात्‌ aa यदा चतुर्दशो यामं तुरोयमनुपूरयेत्‌ अमावास्या Waara तदेव शादमिष्यते |

दूति कात्यायन aaa तदपि विर्हम्‌। श्रमा- वास्याया gem चतुधयामपूरणं कादाचित्क तदपि अरतिपदि चन्द्रद्भनशमं Haq) ware एतत्‌ सख्मृतोनां निवि- aaa शअप्रामाण्यापन्तः। माधवाचार्गयोऽपि एव fare तथाहि एतेषां वचनाना मथमथः अद्धि चतुर्दशो wart भस्त. भयादन्धाक्‌ भमावस्वा खल्पास्ति तत एव अपरान्नव्या्यभावात्‌ aera भन्वाघधानाय वापूर्वोक्करोत्या यद्यपि निमित्तभावं भजते तधापि प्रतिपदि हितोयायां सत्यां wee हश्यमान- त्वात्‌ तहने चे निषिद्तवात्‌ प्रतिपश्युताया ममावाखाया, मिषटिः ख्पामावास्योपेतायां केवलायां वा चतुरद्या मन्वाधान गाङ्गादिकं कन्लव्यनिति |

Bara: WIT | ४४१५

agena दृष्टि faqufa वणिष्ठः-

uifeasafaa we: प्रतोश्या मुटियाद्‌ यदि,

प्रतिपद्यतिपत्तिः स्यात्‌ पञ्चदश्यां तदा यजेत्‌ I

अतिपत्तिरिषटि निहत्तिः। wareraa यागी wa प्रायिक

माह काल्यायनः-

यजनोयेऽह्ि सोमेत्‌ uate दिशि दृश्यते |

तच arefafa gat दण्डं दद्याहिजातये

इति |

यदहः पाश्न्दरमा अभ्युदेति तदष्यजन्निमा न्नोका- matin शतप ब्राह्मशम्‌ एष वे सुमना नामैटियं मघे जानं caren अभ्युदेति wfiatara लोकैधुकं भवतोति तेत्तिरोय ard च। an चन््रदथनदिने दृष्टिं विदधाति तहोधायन काल्यायनश्तिरिक्न शाखिविषयम्‌। एतदेव वौधाय- मादिमत सुपोहलयति तेत्तिरोय af: यस्िन्नहनि पुरस्तात्‌ पकात्‌ सोमो हृष्यते तदश्यजैत इति शतपथ गतिरपि यागदिने चन्द्रदशंन aaa साधनमित्याह भदा पमावस्येति मन्यमान उपवसति भयेष पष्ट Wares: शा यजमानस्य पशूनम्यवै्ते तदपशव्य स्यादिति, were) कर्तारश्च भरमावश्ेति मला व्रतं erat featashe यागं करोति तहने afgarai दिशि एष चन्द्रमा यदि ह्यते चन्रमा दिवि भवः विव यजमानस्य aaa स्ठादितु मिष्णनि।

तस्मात्त दिनि यजन मपषहितं स्यादिति।

४४६ विधानपारिजात |

CAMARA माइ काव्यायनः- भषटमेऽ ये षतुदश्याः Wet भवति चन्द्रमा; | परमावस्याष्टमांयेच पुनः किल भवेदशः षति AQUA अष्टमे प्रहरे इन्दुक्य प्रारम्भः भमावास्यायाः सप्तमे प्रहरे तत्‌ समाधिः। अष्टमे प्रहरे पुनर भवतोत्यधेः | वेदभाष्यकारोऽपि चन्द्रदशेनदिने यागं निषिष्ठवान्‌ तथाहि सवधा यागदिने चन्द्रदधेनं निषिषठम्‌ | हितोया जिसुह सचेत्‌ प्रतिपश्चापराद्धिको | अन्वाधानं AAR परतः सोमदशनात्‌ इति ttre: भवजिमुह्व्यापिल्य मुपलश्षणं चन्द्र enw Raa तेन एकमुष्तदिमुहत्तं सद्भावेऽपि प्रतिपदि यदि चन्द्रद्नं तदा यागः पूर्वेद्युः चतुदंश्या मन्वाधावं पिणडपिढटयन्ो दशंश्राहं भवतोति परमाधेः | इदमेव ufanaia काल्यायनेन-- यजनोयेऽद्धि सोम बेहारण्यां दिशिटश्यते | ay व्याद्ृतिभिहुला दण्डं दद्याद्िजातये ति | Vararaafang उक्षः- यज्नकालक्धिचिषपे षद्कलो यदि लभ्यते | ad तत्रोत्तरं wel होने पूवं उपक्रमेत्‌ कलार मुहं नतु घटिका इति waaay |

दतोः सषक्षः | ४९७

ब्ईैमाना ममावस्या लमशेदपरे;इनि | यामां खोनधिकान्‌ वापि पिदयन्नस्ततो भवेत्‌ fa | AR SAATA सत्येव ATA मश्वाधानादि ATA नान्ध- येति fading, निषयोऽयं साम्ने vai निरम्निकादि- भिलु प्रमावखा कुतपकालब्यापिनो पर ग्राद्मा | भूत विहाप्यमावाख्या प्रतिपश्चिजितापिषा। पिते करि विदद्ि्राद्चाङुतुपकाशिको CURT - सिनोवालो fea, काया साग्निके; पिढकनचि। शोभि: शुद्धः कुहः काथ्या तचेवानन्निकं दिजः afa लोगाक्िणा विरेषोक्तेः। अचर साभ्निरौपासनाभ्ि रपति मदनपारिजाते saz | सिनोवा व्यादिललण माइ व्यासः- cour सिनोवालो aera कुहः सृता | कुतप - owt सुहता fw ar दश पश्च सवदा तत्राष्टमो FRU: कालः कुतपः खतः तुलापुरुषादिदान faa देव परोल पवासादो पराग्रा्रेति पूवभेवोक्षम्‌ भूतविष्ठा कव्या इत्यादिना | दे मासिक वाधिक are प्राप्तौ कालाद faite om: | ene चोदङृष्सय दशं मासिकयोरपि |

rhs विधानपारिजाते।

नित्यस्य चाब्दिकद्यापि दाथिकाण्दिकियोरपि

इयुक्ञा- संपाते देवता भैदाच्छ्ाहयुग्म' समाचरेत्‌ दति अवर क्रमो निणयदोपे उक्ञः-

नष्टवन्द्रे यदा काले चयाहेदिवसो भवेत्‌ t Buea MAAS कुर्यात्‌ प्रार्दश- कणः waga surata— eat wate शाहं Fated ततः परम्‌ दति | एतदनुपनोतेनापि काणम्‌ अमावस्याषटमो HUT पक्ष पञ्चटशोषु | एतश्चानुपनोतीऽपि FATA way wag भायोविरहितोऽप्येत्‌ wareertsfa निल्यशः | शूद्रोऽप्यमन्धवत्‌ कुादनेन विधिना वुधः इति rat पुराणात्‌ शदममश्राहं षड्देवतम्‌ नित्यश्वाहं तादशं षडदेवत्यं समाचरेत्‌ | इति हारोतोक्षेः। भ्र tne: स्मार्साम्निश्च पमौ अम्नोकरणशं gary विच्डिबाभ्निकादिश दिजपाणौ | साम्निरग्ना दनन्नि सु दिजपाणावधासुवा | कु धादम्नौ क्रियां नित्यं लौकिके मेति निचितम्‌ 1 इति वाक्य qe) यणु Walaa wafers.

‘wala: शवक; ४४९

न्नितया भाखोविधुरतया वा परम्निरहित सख्य दिजपाणौ अले बा होमो भवतोति हमादिश्याख्यानात्‌ | इदं खां नित्थम्‌ | पमावाशया व्यतोपात पौषमाख्यषटकाञ few: ग्राद Agere: प्रायिनोयते हि सः दति गगे स्मृतैः प्रायदित्तसुक्षमग्विधाने- गयुषुवाचं neat शतवारं दिने दिने # ware यदा नास्ति तदा सम्पूणं (मेति तत्‌) तां व्रजेत्‌ xe are दिज्ञातिमि cata कायम्‌ | WATE सयाच WHAT समाचरेत्‌ | | इति हारोतोह्ठ : | परत्रा(तद) सन्ध तु ामहेमभ्यामपि काय नि्नलात्‌ |

इति गओ्रोमदनन्तभहक्नते विधानपारिजाते (पञ्चदश) .तिथिनिषयः |

श्रथ नक्तम्‌ |

we दिवानशनपूवं राजिभोजनरूपम्‌। तच प्रयोष्यापिनो fafa ater

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© aged प्रभरे भवाम freee सदने farce: | a fafe ca सरतानिषाबिदघ्रदृतिद्र fealty wee | १. ५११, ! म्‌ 41

४१५१ विधानपारिजातै

प्रदोष व्यापिनो aren ति चिनक्षत्रते सदा #। इति वल्ोक्ञः। प्रदोषसु- faqyt: प्रदोषः साद्‌ भानावस्तं गतै सति | नकं तत्र तु waa मिति शास्र विनिश्चयः 1 दति व्यासोक्षेः। ततापि art free वच्यम्‌ | तत्र चलारि कक्माणि wana परिवस्येत्‌ | wert मेधुनं निद्रां खाध्यायं चतुधकम्‌ दति areas भोजन निषेधात्‌ | सायं सम्या चिधटिका श्स्तादुपरि area: | दति स्कान्दे दण्डत्रयस्य सश्यालात्‌। सायंकाले नक्त तु दिनदये vetoed प्राश्यम्‌ WANS परवरस्यादस्तादर्वाग्‌ यतोहि सा | इति जावाल्युक्ेः प्रदोष व्थापिनो स्याहिवानक्षं विधोयते | (aratat दिशगुणोष्छाया) भरांमनोदिशुणोख्छाया मन्दोभवति भाखर aan नक्तमित्याह्‌ नं नक्तं निभि भोजनम्‌ | इति स्कन्दात्‌ यत्यादोनामिद भेव |

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BMA: VIM: ४५१

यति विधवा चेव gate सदिवाकरम्‌ | दति माधवोय स्मृतैः इति तिथिनक्षम्‌ | वस्िब्रस्तमिवाद्‌ भातु TTT मुपोषणे | मुख्यं तस्यासश्यवेतु श्रोतव्यं निशोधयुक्‌ | suas यदं स्यास्ति कमक्षयोः + उदये विमुहन्तखं aed व्रतदानयोः दिनदयतथालवतु पूवे were: | वणं yet ¢ प्राद्यमुपाकरण afer faar तु तिथिवत्‌ सर्वो ream विनिषयः | पूवः § स्वादुपवासादा वुक्षरो व्रतदानयो; योगः are कश्कालव्याप्सु परिग्ठद्मताम्‌ करणं | यदिमे तस ग्राह्यं रात्रौ यदातदा। दिनहयेकभक्ाभ्या grata: प्रसिध्यति

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# तथाच नाष तिचिदत्‌ मध्या प्रदोष व्या] निक इति भवः

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§ योगे निय are) oh पूददिन wer भादेन। नतत कभकरो ufray: |

weqe faatfanenferca eet मन्द इमान्‌ यहे weed तिने एदोपवाषः। यद्‌ तु सागमारभ्य प्रएत्‌ करक परेष्यः तुर्योदियात्‌ mite परिमभाप्यते तदा yi cena) रेकभक्ताग्यानुपवारषिडि रिति arya |

४५९ विधानपारिजाते |

वारेषु संशयाभावाद्‌ ब्रहोतश्वं यथाख्ितम्‌ इति |

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saa: संक्रान्तेः GUT: खानादिक््ममु चरे(षु)तु विंशतिः पूवां मकरे विंशतिः परा a वत्तमाने तुला AI नाद्य सतुभयतो दश हषभादौ fat पण्याः प्राक्‌ पश्चादपि षोडश | मिधनादौ fea’? उत्तराः षष्टिनाहिकाः | अशः संक्रमणे TAT वनुष्ठान निषेधतः॥ इन्नो कालौ व्यवखाप्यो तलात्‌ पूवेपिमौ | TAN संक्रमणे भानो fears ख्ञानदानयोः + अरा त्ादधस्तस्िन्‌ मध्याह्नस्योपरिक्रिया | HE संक्रमणे VE Feary प्रहरदवम्‌ gat चे द्ैरात्रे तु यदा संक्रमते रविः। प्राहू रिनश्यं ge मुक्ता मकर ककंटौ MHS मकरे राव्रावध्याचारा zafeta: sh

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oat पूर्ेपिमौ कालौ cael विङहतया कयपरेनानत्रेयतेनाग्रयकोधो | + अरात्‌ परतः समके चरदिने उदथादुषं प्रहरदय निन्यधैः + eafefa, जिरच।दानुसारेशानुहाननिग्ययैः। as राता वथम्‌

सेकषमे cote पूर्वापर भाविन कालादि विमति प्रादयज्निहाचादः।

हतोयः स्वक्षः | BUR

atfafa | भेष ककलुला antferad: | एव सुत्तर्रापि। Rarfe चतुषं राशितरिकषेषु प्रथमा बत्ारो भेषादयद्रसंत्नाः # मध्यमा हषभादयः शिरसंत्राः भवमा मिधताद्या fee: ay सवेषु यथोक्तया विंशत्यादि dear geratarafa दभिधोयते इत्ययः | संक्रान्तिषु काथविशेषा हेमाद्रौ भेष गोषेखधान्धं दतेन Wass | ससुवणं छश्रदानं वैश्मनां दानभेव गोरसा दोपमालाच वस्नाणि वाहनानि Wen तथा खानं मेषादिषु यथाक्रमम्‌ arcane भानोः प्रशस्तं एथिषोपते दति विण्णुधर््रोत्तरात्‌ VATAETY सवमन्ादिनि्शय sae | कालनिगय दोपिकायाम्‌- faut fafa स्तिष्याे छ्ष्णेभोऽनलो aw: | तिष्यकौ शिवोऽखोऽमातिधो मन्वादवोमधोः | ware: | तिथिः awem पूिमा भन्नि खुतोया नेति

रातौ waza पूमरिव दितं मकरसक्ञालोतु पर प्रैव दिं ara निति afwere वि्टाचारः। तथाव fren nary fafa भावः |

9 afar हाक man Anis) man, प्रदिः |

Sem: |

Bus विधानपारिजातै।

वेशादे ATMA | शा दशमो Aa MUTA | अनल खतोया aw नवमो wat हादभो नेति मागणे नास्तोलखधेः | धिव एकादभो भश; समो | भरमा भमावास्या मधोरैतरादारभ्य MATT मन्वादय Tard: | रएतामन्वादयः warren: पौरवाहधिका प्रानाः | BUI प्रापरादिकाः- पूर्वाह्णे तु AST ATT: शक्तामनुयुगादयः। देवे कर्मणि पित्राच ary चेवापराहिकाः। fa गर्डपुराणात्‌ | SAAT माधवे शक्ता ALAM ्योदशो HUT नभस्ये माधेऽमा क्षता (2) एते युगादयः हे शक्रं हे तथा HU युगादो कवयो विदुः कतं are विधानेन मन्वादिषु युगादिषु हायनानि fratee faqat afire भवेत्‌ | दूति हायनानि वषाणि हायनोऽस्रो शरत्‌ समा दत्यभिधानात्‌। मन्वादि are’ मलमासे सति माषयेऽपि काथम्‌ | मन्वादिकां तधिंकं कुरयाश्नासदयेऽपिच | षति स्मूतिचद्धिकोक्षः। xe are aioe तदु कालाद्े- विषुवायन संक्रान्ति मन्वादिषु युगादिषु विहाय पिष्डनिवपं सवै are समाचरत्‌ |

SUT: स्वक्षः | ४५४

दति वनात्‌ xe गाद नित्यं अकरणे प्रायदित्त वणात्‌ | तदुक्षर्ग्विधाने- लं सुवः प्रतिमन्त्रं # शतवारं जले जपैत्‌। मन्वादयो वदा AT: Fea मेव वापि यः

fa | एवं ay ay प्रायबिक्षवोसादि end तानि ceafe श्राहानि fraraifa श्रयम्‌, . तानिच-

` भमामतुयुगक्रान्ति wha पातमहालयाः | भान्व्टकयं yee: षखवत्यः wafer: दति वचनसिहानि। चकारादशटका ग्र्णम्‌ |

अथ ग्रहण विधानम्‌ | भागवाद्चनदोपिक्षायां मेधातिथिः | भारनालं पयस्तक्रं दधिल्ञषहाज्य पाचितम्‌ | मणिकखोदकं †` चेव दुष्य ery सूतके इति | wae सुक्तावल्यामपि- भत्र cafe सानं सवसनं ग्रहे

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9 a yt प्रतिमाने पृथिव्या wetive aye: पतिभः | for amt safes महित्वा ae ae गकिरन्धलावान्‌। म. ४०१्‌. kam मकि मरित लाला एति यख यामोक्धिः।

४५९ विधानपारिजातै |

| वारि तक्रारनालादि freed नेदु्ति॥ ` प्रहे ग्रहे Care | अले तदोषो गाङ्ग विषय; | ग्रहोषितं जलं पोला Tea समाचरेत्‌ इति मन्वयं qarcet चतुर्विं्तिमतवषनेन भन्यजलपाने orate: | वच्थे परुषितं पुष्य' वश्यं पर्युषितं जलम्‌ वच्छ तुलसोपत्रं वज्धं जाहवोजलम्‌

इति नारदोक्घ्च | निशंयदोपे- तत्र सर्वोऽपि वशः सूतकौ- भवति | तथाच दषवणिष्ठः-

सर्वेषा मेव वर्णानां सूतकं राइदथने | सचेलं nay खानं गृत मन्नं विवल्लयेत्‌ | fa |

गतं UN WI तु दोषो नासि,

दधिदुग्धाज्धमांसेषु लवणे सारषे तचा

ग्रहणाव्याक्‌ % faded ततो ye दुश्वति गरहते कालविथेषे तोधविपेषोऽभिदहितो Sat पुरारे

मागे तु ग्रहणे Gel देविकायां मामे

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BAR दरणा FAT चेष पुण्या सरखती |

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em} चद्रभानाच ous Tere कौभिषौ | प्षादृ तापिका gear faye शरावे तधा भाद्रे & गणको Ger भराश्ठिने सरयु सधा | कात्तिक awe ae गङ्गय(या)मुन are

awafane awe फलं are शनेः -

व्ये राद्धं तथा मन्दरं प्रागवेश्वं वासवं तचा |

व्व वेश्वदैवं पुरहतख मण्डलम्‌

wee say agen ग्रहणे अगतां एम |

परानन्दः सर्वभूतानां भवत्येव विशेषतः

तिष्य माजपदं चेव याम्यं भाग्यच पटकम्‌

शेन्राम्नि ममिदेवं सतते छ्नलोगणाः |

भागले ASS दृष्टं awe aaa: |

Tet भयकरं विद्यात्‌ प्रजानां वडुवित्रक्तत्‌

wifegu तथा पौष्णं मौल साप्यं शाहृरम्‌।

are सपदेवत्यं वारणं मण्डलं सृतम्‌

एतख्िब्रपरागी स्यान्‌ ABs Taga: |

दुभि भयनाशौच प्रजानामिति नियः

wife चामादौनि चत्वारि पुमव् |

सौम्य चेवाश्िदेवत्यं वायव्यं मण्ड लं स्मृतम्‌ |

समरं मयं चेव दुभि कुदतेऽचिरात्‌

व्याधि werfe कोपः खाग्मण्डलेऽसिन्रुपश्तवै षति i.

९४ .

8५७

विधानपारिजाते+

४५द

Cay मण्डलेषु THE रान्ना तक्षष्ेवतापूजाजपहोमादिर्पा शान्तिः काया--द्सयुक्ष' काश्यपेन भाग्नयीं कारयैष्छानितिं शान्ति gate वारशोम्‌ | वायव्यां (कारयेष्छान्ति) शान्तिभिश्छेत arta तत्र कारयेत्‌ शकम राश्यादिषु ग्रशणफलमुक्ष' ATT अग्मससाष्ट रिपफाङ्दश्मखे दिवाकरे | (शेष्टोरि्प्रदोराजंक्तं निधमैऽ पिष t दिवाकरे «aa निशाकरे इति कचित्‌ पाठः fon हादशोराधिः। श्रो नवमः | जग्मे जखन तारा। निधनं सप्तमो तारा | तधा- गासासुतोयोऽषटमगतुचे | WTI: शभदः खराभिः | WUT सप्तमगश्च मध्यः पूज्यो दिषटहादशगस्तथादयः | ara एकादशरागिः धर्मोनवमः। weitere: | धोः पञ्चमः | fe feat: | षट्‌ षष्टः rent ज्मराभिः। अत WIS SHAM मधमलतं द्रष्टव्यम्‌ | वचनात्‌ | तधा- ` होरायां ष्यते यस्य नक्षत्रे वा निशाकरः प्राण सन्देह माप्नोति यहा मरण बश्डति | होरायां wT |

तोयः सवकः | eye

aqi— : अभिभवति dfeta शनाका aw जन्य नचत्र तस्यान्तकारिज भयं feared मनस्तापम्‌ अन्तको cat रमि षः aera भयमिव्रवः | तधा- येषां (यस्य)चिजक् wea # werd शथिभाख्करो | तला तैषां भवेत्‌ पोडा ये नराः भान्तिवजिताः ॥. ण्योतिनिवन्धेऽपि- सं्रान्तिरथवा येषां अद्मतितयेऽथवाऽहिसंसमशं; | वडरोगमत्यजननो दानाइतयो ATT AAA: wufand अग्मदशमेकोनविं शतारामु GETTY: | जन्न- रातौ ग्रे ate निवशाय शान्तिरदिता Barat णनि काष्ठे म्रव्छपुराषे | यख्य राशिं समासाद्य भवेद्‌ ग्रहण सम्भवः | ae खानं प्रवश्यामि मन््ोषधिसमन्बितम्‌ PRATT संप्राप HAT ब्राह्मण वाचनम्‌ | wage चतुरोविप्रान्‌ Wa ATT AAT: ` पूवमेवोपरागख्य waratnaurfeay श्यापयेचतुरः Fea: सागराणि च॥ NAAT AMA SKATES TRA |

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४६१ विधानपारिजातः।

राजहारप्रदेशाश्च खद wa fafa पश्चगव्यं पञ्चष्वरं पञ्चलक्‌ TUT +

रोचनं पद्मकं गहं HEA रक्ञचन्दनम्‌

शद स्फटिक तर्थाम्बु सितसषपगुममु लन्‌ |

(धु) धृक देवदारुश्च विष्णुक्रान्तं शतावरोम्‌

वलांच ageal निश्ादहितय मेव च॑

-गजदन्तं FER तथेवोधोरचन्द्रमम्‌

एतत्‌ aa विनि्चिष्य कुम्मष्वावाषयेत्‌ सुरान्‌ |

स्वं समुद्राः Ver Arai जलदा नदाः

भायान्तु यजमानख दुरितच्चयकारका; |

योऽसौ वथधरो हेव wifearat waa:

UTS नयन WHS प्रह Uist व्यपोहतु °

मुखं यः सर्वदेवानां सप्तिं रमितदुतिः

चग्दरोपरागसंभूतामन्निः पो व्यपोहतु

यः UAT लोकानां wat महिषवाहनः यमन््रोपरागोलयां शपो व्यपोहतु

रच्ोगणाधिपः साखाश्नोलाच्नन TATA: #

BRATS ग्रपोडां sare |

नागपाश्रधरो देवः सदा AACAT TA:

जलाधिपति अन्दर प्रहपोडं व्यपोहतु

—— कभ चण्डा

eyo ~ ~+ = ~ew = = ~ ~~ [१

+ खन्द sma शङ्गः इति निष afer पाठः|

ama: waren ४६९

प्राशरूपोहि लोकानां सदा छष्यमगप्रियः वायु शन्द्रोपरागोलां यष्पोडां व्यपोहतु योऽसौ निधिपति देवः खद्शुलगदाधरः चन्ध्रोपराग कलुषं धनदो भे व्यपोहतु | योऽसादिन्दुधरो देषः पिनाको ठषषाहनः चन्द्रोपराग पापानि नाशयतु WET: | aaa यानि भूतानि erecta चराशिच। AMAR द्रा दहन्तु मम पातकम्‌ विष्ठान्तःखानि भूतानि पवित्राशोतराणिव a तानि waite चन्द्रोपग्रहदोषं ददन्तु पि एवमावायेदेवाकन्ते र्मिष ares: | वारुणं form वर्श इत्यादिभिः «1 एतानेव तधा aay स्प विलेखयेत्‌ | ताख्रपरेऽथवालिष्य मववस्तेऽधवा पुनः मस्तके यजमानख निदध्युरोदिजोत्तमाः | कलशान्‌ द्य संगुक्लान्‌ नानारूपदिभूषितान्‌ & weal Gade Te भद्रपोटोपरिखितम्‌ | गूढुं श्ण दलं यथा भवति तथा छभरादिना व्यवधानमित्यः | ूर्वोक्गरेव wag यजमाने दिजोक्तमाः |

oa. 1 - ew ——-2 =

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® wanna Vag नद्य त्वा wae ea | एति १्१अ. th. एजः

४६९३ विधानपारिजाते।

fata ततः बुर्यमंन्र्वा रल gam: a ततः शक्राग्बरधरः शक्त मास्थानुलेपनः | aaa वरयेत्‌ Gary खणंपटह निबैदयेत्‌

अनर कवलं पूजनं HUTS वरणस्य छ्तल्यात्‌ | aaa दिशां दथाद्‌ गोदानं aut: | पूजयेद्र गोदानं ब्राह्ानपि शक्षितः | wid चापि प्रकुर्वीत तिलेव्याहइतिभिस्तथा fart रदे सवे ब्राह्मणेभ्यो निषेदयेत्‌ | दानं शङ्ितो care यदोच्छडित मासन; | GATS सदा GA नाम मन्तं x कौर्षयेत्‌ |

qaimalay चन्द्रपदस्धाने सू पदं प्रिपेदित्य्धः | अमेन विधिना ag षे ज्ञानमाचरेत्‌ तस्य प्रते दोषः कदाचिदपि जायत | इति |

एष्रोचन््रोदये तु प्रकारान्तरेण शान्तिरक्ा पुराण समुश्चयै सुखस्य संक्रमो वापि ग्रहणं sagen: | यख fang नसवर तस्य रोगोऽधथवा सतिः aw दानं मं देवाश्चनजपौ तथा | उपरागाभिषेकं कुर्या ख्छान्ति भविश्यति स्वेन वाथ पिष्टेन जता ace चाक्ततिम्‌ |

न्क ~ ~ = = 5 -_— षि ति - णमी -— © नो = किरि 2 —_— ——— a ee ie

e mana इति ayaa पाठः|

ढेतोयः स्तवकः van

ब्राह्मणाय zeue रतोगादिश्च तत्‌ az: | RIS तदाकारस्व राष्ट fear: | अहु तसानरे भागेवः- यख UWA नते खभावबुरुपरज्यते | Treeuy Ewa मरणं ary निहिभेत्‌ Ta awa राज्याभिषैक नशते यसिन्नलते राखे अभिषिक्त सश्चिनियधंः |

च्योतिःसागरेऽपि- सौव कारथेन्नागं utara (तददैतः ।) waka: तदेन तदन फशायां मौक्तिकं न्यसेत्‌ | तलास्रपाते निधायाथ gare विशेषतः | कांस्ये वा कान्तिलोषेवा व्यस्य cary सदर्षिणम्‌ | GEIS तु we विम्बं दद्यात्‌ सदक्षिणम्‌ नागं र्कामयं सूयग्रह विम्बं हेमजम्‌ | तुरङ्गरवगोभूमि तिल सपिय काञ्चनम्‌ बूति काशविवैकेऽपि- gad fated नागं सतिनं कांस्य भाजनम्‌ | सदक्षिणं सवस्त्रं ब्राह्मणाय निवेदयेत्‌ तहानमन्धो यथा-

तमोमय महामोम सोमभूययंविमन

Tt विधानपारिजाते।

हेम नाम प्रदानेन # मम शाग्ति प्रदो wa A विषुनतुद नमलुभ्यं सिंदहिकानन्दन प्रभो दानेनानेन नागस्य TH मां Aware भयात्‌ wana पि शान्तयः सन्ति विस्तरभवाजात्रो हताः | ‘aa भगुेयक्रमो दशितो माधवोये प्रश्यमाने भवेत्‌ ज्ञानं ग्रसते होमो विधोयते सुखखमानै भवेहानं |e खानं विधोयते . चतुदिं्ति मतैऽपि- Gat यसु नुवीत खानं awe सूतके | सूतको WIAA यावत्‌ स्यादपरोग्रहः इदं ज्ञान समन्क मिति रब्रावलो कारः | व्यासः ~ इन्दो Sage Gel रवैटंशगुणं ततः | TPT तोये तु संप्राप्ते दन्दो: कोटोरवैदश् sf | गवां कोटि awarer§ यत्‌ फलं लभते नरः

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9 Ga ara प्रदानेन इति favafaal पाठः।

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तोयः स्तवकः $40.

भाषे एव भ्रामथाहमित्माह | पाकाभावे दिजातोनामामश्राहं विधोयमे | इति सुमनः | मथा- | सेिकेयो यदा TY ग्रसते पवशन्धिषु | गजच्छायातु साप्रोक्ना त्यां श्राह प्रकश्ययेत्‌ एतेन मोजयेदिप्रान्‌ तं भूमौ समुत्सृजेत्‌ इति वायवोयोक्घेख विन्नामेखरोऽप्याद- ग्रह ATE भोक्घर्दोषो दातुसभ्युदय इति। सूतके मतके सुकते WHA शथिमास्करे Sarat इस्तिनथेव नभूयः पुरुषोभवेत्‌ | दत्यापस्तम्बेन भोजननिषैधाच्च श्रयं निषेधः are भोज- नस्य हसिच्छायासाषहवर््यात्‌ भ्रव देशचारतो ष्यवखादरटष्या | अत ग्रहण निमित्तकश्राहनेव war संक्राग्यादि ग्राह सिः) दाशिकालम्ययो रपोति कालादर्णोक्ञः। wa शोच सद्भावेऽपि खान ग्रारादि काय मेव.- सूतके ARIA दोषो राड दशमे | तावदेव भवेच्छहि यावन्‌ मुक्ति दृश्यते दूति माधवोये हह वग्िोक्ञः | स्मान्न क्य परित्यागो TEA Ere | sfa व्याघ्र पादोक्ञेष। इयं शुदि रविगेषान्‌ मन्वदोशा-

४८ विधानपारिजावै |

urge सवस्मार्तकग्म विषया रजखलाया अप्यत Blara-

धिकारः | सूतकादिदोषोऽस्ति ग्रहे होमजपादिषु | ग्रसे ज्ञाया दुदक्यापि तोधौदुहुत वारिणा दूति सूर्योदय निवन्धोकेः | ana नैमित्तिक प्राप्त नारो यदि रजखला | पात्रान्तरित तोयेन खानं ज्ञता ad चरेत्‌ इति मितात्तरोक्तः ्नानविधिद्रष्टव्यः | ग्रहणे रात्रा वपि खान ादादि कयम्‌- ग्रणोदाद्संक्रान्ति arate प्रसवेषु दानं afafaa sa carafe तदिष्यत इत्यपराक ATA: | चन्द्रग्रहे ANT Al BTA दानं प्रशस्यते षति टेवलखतेश्च यदाच श्योतिःशास्रगस्यो दिने चन्दर ग्रहो रात्रौ Gare स्तदा ज्ञानादिकं कायेम्‌। सूगग्रहोयदारात्रो दिनेचन्द्र ग्रहस्तथा | त्र स्नानं कुवीत दथाहानं कचित्‌ दति षट्चिंशन्मतीक्षेः। गरहणदिने श्राहप्राप्तो तु प्रयोगपारि्जिाते गोभिलः-- en रविग्रह पित्रोः प्रत्याब्दिक सुपख्ितम्‌ | HANTS ईमा कुखादामैन वा सुतः : इति |

तोयः षकः | ४९९

at दरविपिटटसृतथद्दाः प्रदधनार्थाः। न्धायसाम्यात्‌ | तेन च्दरग्रहणेऽपि सपिष्डादि वापिक श्राह aatfeat ति एव काये मिति मदन पारिजात व्याख्यातम्‌ | यत्तु WIAA प्रकुर्वीत मात संवल्नराहत | परवेनवाग्दिकं कुभारे शावाऽभेन नक्षचित्‌ a दति मरोचि लोगात्तिवचनं। तद्‌ cee दिनातिरिङ्षविषय मितिनिणंयाश्तीक्गिः।

यानि तु- ग्रहणात्‌ दितोयेऽदहि रजोदोषान्ु पश्चमे TR यदा We WAR समुपशितम्‌ ated चोपवासः स्थात्‌ प्रत्यब्दं तु परेऽहनि | ग्रस्ताववासतमानं तु रवौनदूप्राषृतीयदि HATS तु तदा काथं परेऽशन्येव सवदा | चर सूर्योपरागेच तथा शाहं परे{हनि a caneifa वचनानि तानि महानिवसेषु क्षा्यतुपन- wreqaifa aaa वा देथाचारतो व्यवखग्ानि | ai ख-खष्ट टेवतामश्रजपं कुथात्‌ waa: | चद््रसूर्योपरागेतु माजिन्य मज्पाद्‌ भवत्‌

दत्तो जात्यम्‌

9 विधानपारिजातंः।

WA MANTRAS: कथ्यते} ग्रहणादि wafer पयन्तं Stat कुर्यात्‌ मन्वाद्यारश्मणं कुर्याद्‌ TET चन्दरसूरययोः | ग्रहशाहापि टेवशि कालः सप्तदिनावधिः

इति शिवाञ्चनचन्द्रिकोकः |

बरसषागरेऽपि-

सततोर्थेऽकं YAN तन्तुदामनपवणोः %

मन्तदोक्ता RAT मासक्ताोत्र शोधयेत्‌ श्रत्रापि | ग्रहोमुख्यः-

सूथग्रहणकाले तु नान्य दन्व षितं भवेत्‌ t

GAIT कालेन समो नान्यः कदाचन

arafafa वारादि शोधनं सूयं cafe |

इति

अथ ग्र्टगा वेध Waray प्रयते

ay चन्द्रोपरागे यस्मिन्‌ याभ wet भवति तसात्‌ पूवं प्रहर ये नमुन्ञोत। addy प्रहरचतुष्टयं yaa मय परेतुनाश्रोयात्‌ पूवं यामचतुष्टयम्‌ |

9 mage परमेग्ररोपवौतद।न तिथिः यावी इदो | दामनपवं दमन MUAY बपक्रसनदगौ |

अत णषु मलोयादिष्‌ सम Tel गृहण मृत्यं तिपः मृत्य, गर प्रतम |

aay सवकः। 5७१

चन्र्रहेतु यामांस्लोन्‌ वालहदहातुरेविना दति माधवोये हहपाराथर्यतेः | Tat गरहणं तु भवदिन्दोः प्रथमा दधि यामतः। भुश्जोतावत्तनात्‌ पूरवे पिमे प्रथमादधः रवेस्ावत्त नाद मर्वागिव निग्ोघतः | चलतुग्र्रे चेत्‌ स्या्चतुरधप्रहरा दधः # दूति माकष्डयोजञेव | भ्रधिरत्र agi: 1 ननु चन्दरप्रषशे यामचतुष्टयनिषैध उचितो त्‌ सूथग्रहे। सूर्योदयात्‌ प्राग्‌ भोजनाप्रापेः। नेवं वचनस्यास्य प्रथमप्रहरे सूग्यग्रे सति ूरवद्युः yatra भोजन निप cca | चन्द्र प्रह विशेष मांह ay वषिष्ठः-- ग्रस्तोदये विधोः पूवं नाह भोजन माचरेत्‌ | इति। NVA तु व्यासः- TAMA रस्तगयो Tat दृष्टापरेऽनि | इति

9 दारौ प्रथम UH ze BINT A WAN मध्याह्नात्‌ पूष मृत्रौत। गाति पश्चिम याचन्‌ गर्जं प्रधम यामादवाम्‌ HBT | अद्र लृतीय wy? चद्रविगह लदा पुरदिनश्याई॑राचान्‌ भाग. AA अह्र धतु प्रहरे रविग्रङ्‌ रवं तुथ प्रहर दुधी

भश्रषत। इति माधवाचाच्यः |

४७२ विधानपा रिजाते।

विशुधश्यऽपि- अहोरात्रं भोक्षव्यं चन्द्रस्य ग्रहोयद। | ala दृष्टाऽनुभोक्षव्यं ज्ञानं कला ततः परम्‌ I

aa अोरात्र निषेधः सश्यग्रस्तास्ते। ` एतंदनाहितामिं विषयम्‌ भ्रपराङ्ग त्रतोपायनोय waite इति कात्यायनोक्त - वरतस्यथ्रौततेन विहितस्य प्रावश्यात्‌। श्रहिव्रतं कुर्यादिति नि्णयदोपत्‌ | वाशदरदवातराणां तु ग्रहण यामात्‌ पूभेकयामो निषिदः MAG THY चेत्‌ स्वादपराद्के भोजनम्‌ SAUTE मध्याह्न मध्याह्ने तु सङ्के yeaa aya चेत्‌ स्यान्न पूवे भोजन क्रिया दूति माकंण्डयोक्त : | wee निद्रायां जायते व्याधिमूर दारिद्रा माष्ुयात्‌ | gaa (क्रि) मियोनिः स्यान्‌ मेथुने ग्रामगूकरः | WAFS भवेत्‌ कुष्ठो भोजनेस्यादधोगतिः | वन्धनैच भवेत्‌ सर्पो ATS नरकं व्रजत्‌ पत्र दारढणं पुष्यं शाकं नवह (भचयेत्‌) तश्चयेत्‌ दति वेधक्षासे प्रण समये वा भोजने प्रायशित्तमुक्ष' माधवोये

कात्यायनेन- चन्द्रसूयपरर ye प्राजापत्येन शुध्यति |

तोयः स्तवकः ४१

तस्िनेवदिने war जिरावेरेव शुष्यति ° दति तधा एकरात्रं fara वा उपोष्य त्रेयोऽधिभि भदक art ara fae far पुराणे | एकरात्र मुपोष्यव Brat Tara शक्तितः | agatfes wom निष्कतिः पापकोष,श)तः विरावं समुपोष्टव aya चन्द्रसूदयोः। खात्वा cura विधिवद्रह्मणशा सह मोदते | द्द पुज्रवदविरिक्षविषयम्‌। श्रादित्येऽषहनि संक्रान्तो चन्द्रसू्ग्रह तधा पारणं चोपवासं कुर्यात्‌ पुत्रवान्‌ we दति जेमिनि qa: | यदातु रवेग्रस्तास् wer पतिणः nected fear वालादिवद्‌ भोजनं नतूपवासः | सायाह्न AAMAS सक्गवादधः | मध्याह्न परतोऽग्रोयान्नोपवासो care दूति fargia: | शारदोऽपरान्नः माधवाचाय्तु पुतिणोऽप्युपवासं मन्धते अष्ोरात्रं भोक्षव्यं चन्द्रसूख ग्रहोयदा | दूति पूर्वोक्ञनिप्रेधसख तेनापि पालनोयत्वात्‌ | उपवास- निषेव्‌ व्रतरूपोपवास परः किशिद्धश्यपरोवति श्रयं ठपवामनिषघत्‌ किञ्चिद्‌ wel प्रकश्पयेत्‌ इति वगशिष्ठोक्गः |

७9

४७9 विधानपारिजते |

meq गिदा विविषोऽभिहितो ब्रह्मसिद्रानते- aa: पटखितं ate’ खरं तेलाम्बुटपयेः | गरहणं गुरविंशो जातु पश्येत पटं विना तथा aya aay वेध fatat रेमाद्रौ- तयोदश्यादितो वश्यं दिनानां नवकं धवम्‌ AIPA समस्तेषु WY चन्द्रस्थयोः प्रकारान्तरं चोक्षं AAA हादण्यादि स्लतोयान्तो वेध इन्दुग्रर्मृतः | एकादश्यादिकः सौरे चतुच्यन्त; प्रकोत्तितः ददे सम्पूणं प्रारेदरषटव्यं ATE णण्डग्रहेतयोरिति TAA: | तधा- निव्येनमित्तिके ara होमे an क्रियासु च) Suara waar ग्रषटवेधो नविद्यते | fa | ददमपि प्रारब्धनित्यकग्मविषयम्‌ | प्रन्यश- UIA त्वाज्यं मङ्गलेषु ऋतुतयम्‌ | यावच्च रविशा yar मुक्तं भं दग्धकाषह्टवत्‌ गहण प्रसङ्गात्‌ ada दाने विधिर्यते- म्युत्तारण पू्ै तु राजाधिराज AAA: | mae we प्रतिमां दद्यात्‌ सूय ग्रहेवुधः मनो यधा-

TUT स्तवक्षः | ४७५

BAUM देव कुवेर नरवाशन | निधोनां we पद्मानां पते ओोकरटवन्रम प्रदाना (द) Ga यत्‌ WIN दारिद्र ममदुःखदम्‌ | तत्‌ wal लामदानेन पापमाशुविनाशय इति फलत तु- तयोदशगुणा afaaaien दिनावधिः | द(व)त्येकगुख्ामित रैम ठद्धिः चेते gent feaafaaa: सूर्योपरागे ददतां नराणं हरि स्तथा नित्तिपतां wa स्थात्‌ रमागिनियुम्मन्दु नन्द ठा नागासि afe प्रमिता मणा; स्रः; वविन्ुगेरेदशनोनरकय | मापे महेन्द्रदश रत्तिकादिः। इति। अय तप्रति्रह प्राग्रवित्त मुयनं-- तथा aan wat प्रतिग्राद़ो Hea भूयः पुरुषौ भवत्‌ | तथापि मनसः शा प्रायचित्तं ममाचरत्‌॥ तप्त क्च्छरदयं Fat cea समन्वितम्‌ | Ham वा यजेताथ AIR AM मप्तकम्‌ | AVA WAT: प्राधान्यात्‌| नथा-- वापोकृपतङ्ागाटि सवननि ग्नम्‌

४७६ विधानधारिजाते |

ब्राह्मणस्य विवाहादिक्रियायं args इति | तच्च uated धनोत्गनन्तरं कायम्‌ , यद्‌ गहितैनाल्लयन्ति AAT ब्राह्मणा धनम्‌ तस्योलरगेण शुध्यन्ति दानेन तपसेवच दूति मनुखते रिति दिक्‌ भग्र केचित्‌ साक्ताद्‌ ग्रहण दशणे खानादि कायं नान्यथा खानं दानं तपः ATE मनन्तं TSN चन्र मर््योपरागेतु यावदगनगोचरः | इति जावालस्पृतौ चाशुषन्नानस्यव प्रयोजकलोज्ञरित्याइः | निणयाकतेऽपि- तेन भे घाच्छादने भ्रन्धादोनां ख्ञामयाहादौ नाधिकार sta | तदेतन्तुच्छं | यदि चाश्ुष sia निमित्तं स्यात्तदा सूखग्रहो यदा रात्रौ दिवा चन्दरग्रहस्तथा। aq Gla कुर्व्वीत ददयाहानं क्रचित्‌ i दूति वाश्चं व्यथं स्यात्‌ चाशुषन्नानाभावैन प्राछ्यभावात्‌ | mfaqanarfatwe | किञ्च | निेतोन्त मादित्य मस्तं यान्मपि afa | नोपरक्षं नवारिखं नमध्यं नभसोगतम्‌ दति मनुवचनं वाध्येत | WA gaara वैधदव याव ana भोजननिपेधापरसि्च |

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faq AMAA WANTAA AATF: प्राप्तं रुपवास TAFT | राहदशने vaafafraard संक्रान्तौ श्वायादितिवत्‌। ARENA वाद्यानां गरस्तास्त विषयत्वात्‌ WAM चातः प्राते ग्रहणन्नानमातं निमित्तं तेन भेधाथाख्छादने wate क, क, araife waaafa सवमनवद्यम्‌ | ति ग्रहण निणंयः

अथ प्रसङ्गात्‌ समुद्र्लान विधानम्‌ |

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afefug— पिप्पलाद समुत्यव्र क्त्य लोक भयहर पाषाणं मया SH माहारा प्रकश्याताम्‌ दूति aaa समुद्र पाषाणं प्रलिप्य विष्ठाचौ एताचोच favaata विशां पत ..

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नलं नोलं गवाक्षं गवयं गन्धमादनम्‌ जाम्बवन्तं इनुमन्तं ANS वाङ्गदं तथा मेन्दं हिविदं चेव ऋषभं शरभं तथा रामं लक्षणं चेव सतां वेव यशखिनोम्‌ एतांसु तपयेदहिष्ठा afar (waar विशेषतः प्राब्रह्मस्तम्बपय्यन्तं यत्‌ किञ्चित्‌ सचराचरम्‌ मया दत्तन तोयेन ठति मैवाभिगच्छतु | इति दूति समुद्र-ख्ञानविधानम्‌

दति ग्रोमत्‌ परमवेदिक नागदैवभदसूनुना ग्रोमदनन्तभदटेनविर चितै विंधानपारिजाते तिधिनिषणंयः aare: |

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# अतः पर ममनतन्नगदधिार ज्डनक्रगदाभर | रेवट्‌हि ममान्नं सव Malas | वितस्वाकक्त dine नमो निशुमुमःपतिम्‌ | सात्रिध्य कर @an सागर ल्ममाग्ममि।

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नलं नोलं Tare गवयं गन्धमादनम्‌ जाम्बवन्तं हनूमन्तं FRE APS तथा | मन्दं दिविदं चेव ऋषभं शरभं तधा रामं लक्षणं चैव सोतां चव यशखिनोम्‌ एतांसु auafeer नखि (जल)मध्ये वि्ेषतः mama यत्‌ किञ्चित्‌ सचराचरम्‌ 1 मया दत्तन तोयेन ठति मेवाभिग्छतु | ata | fa ससुद्र-ज्रानविधानम्‌।

इति श्रोमत्‌ परमवेदिक मागदैवभद्टसूनुना खोमदनन्तभटनविर चितै विंधानपारिजाति तिथिनिणयः समाप्तः

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४८१ विधानपारिजाते |

AS हस्ते AAR गरुडो AT वाहनम्‌ | लक्छोयस्याहसंखयाना भे fay: प्रसोदतु

wa मास विधानानि उच्यन्त

aa aa शुक्त प्रतिपदि संवल्सरारग्म उक्ल: | सा चोद्घ व्यापिनो are | चेते मासि जगद्रद्मा Bas प्रथमऽहनि शक्तपक्ते समग्रं तु तदा सूर्योदये सति i aft हेमाद्रौ ब्रद्मपुराणात्‌ |

दिनदये तदयापतौ VATA वा पूर्व्व | aa सितप्रतिपदि यो वारोऽर्कोदये adm: | उदय feaa gat नोदय युगलेऽपि ga: स्यात्‌ इति च्धोतिनिवघोक्ञः। यदातु चैत्रो मलमासो भवति तदा तव देवकाग्यस्य fafararq शहमासि संवत्सरारम्भ इति केचित्‌ | निष्कषलु शक्तादेमंलमासस्य सोऽन्तभवति चोत्तरे | इति वचना दग्रिमवर्षान्तः पातिलेन मलमासमारम्येव नव- वर्षारश्मः शक्राग्तादाविव काथ इतिवयं साधु प्रतोमः।

TART, VAT: | ४८१

अतं तलाभ्यह्णो नित्यः- ATTEN वसन्तादौ वलिराज्ये TAT तेलाभ्बङ्क AAT नरकं प्रतिपद्यते इति awafaraim: भविषेच- चेत्र मासि महावाष्ो Gear प्रतिपदा परा | vei वे निम्बपत्राणि प्राश्य संश्णयात्तिथिम्‌ | शक वक्षरभूपमन्विणां रसधान्धेश्ठर Ha पालिनाम्‌ | यवात्‌ पठनाच्च वे ami एभतां यास्यशभं सत्रिया दति wari प्रतिपदि नवरा्ारण् Set माकंणयपुराषे- शरत्काले महापूजा क्रियते या वाषिको वसन्तकाले सा प्रोक्षा कार्या wear: शमाथिभिः बति | fafaca परविद्या arg | अमायुता aA प्रतिपश्चरडि काशने | महन्तं मात्रा कव्या हितोयादिगुशान्विता इति देवोपुराणात्‌ | तिश्लोद्नाः पराः प्रोक्ञा स्तिधयः कुरुनन्दन | कालिकाश्वुजोमासोयेवे मासि मारत इति ब्राह्मोकेच |

पराः परयुता; | ८1

४८४ विधागपारिजाते।

अन्योऽव्र fata; थारद नवरात्रं swe अब्र प्रपादान AM ANTS भविष्य पुरावै- भतोते फार्गुने मासि प्राप्ते चेर महोकवे guste विप्रकथिते प्रपादानं # समाचरेत्‌ तत शोकयेदिदान्‌ मन्तेणानेन मानवः मनो यथा- nad सवंसामान्धाद्‌ भूतेभ्यः प्रतिपादिता | असया; प्रदानात्‌ पितर Mera पितामहाः इति | अनिवाय्ये ततो देयं जलं मासचतुषटयम्‌ | परपांदातु aaa विेषादकमोप्ठमा | प्रलयं धोचटको वस््रसंवेष्टिताननः | ब्राह्मस्य We देयः गोतामलजलः शुचिः ay मन्ः- एष ध्घटोदत्तो ब्रह्मविष्णुणिवामकः सख प्रदानात्‌ सफला मम सन्तु मनोरथाः अनेन विधिना यसु wirgel प्रयच्छति | प्रपादानफलं सोऽपि प्राप्नोतीह संशयः इति प्रपा दामैतिकंव्यता विगेषषतुर्धस्वके evar |

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= प्रपा पानौव बालिका जलसशनिति gem: प्रसिद्दः |

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Saqmattarat मौरोमौष्रदुतां समपूष्य Steers इर्त्‌ ढतोयाथां aseat शरेण समन्वितान्‌ t कुषुमागुर कपूर मणिवसः सुगन्धकेः सम्गन्ध quale दमभेन fate: (AAA TH याकन्माधवमासकम्‌

दूति निषंयामते देवोपुराशोकषेः | xa fafa: परदिदाप्राश्ना- मुह्तमाव सश्वेऽपिदिने मोरोत्रतं परे दूति माधवोक्षं ¦ चैत्र शक्ञढतोयायां & मच्छ जयन्तौ श्रेया चैत शक्त ढतीयायां भगवाम्‌ मोनरूपष्टक्‌ | दति मद्छषुराण वचनात्‌ |

अत्रेव प्रसङ्गात्‌ दशावतार जयन्ल्ो निर्थौयनत |

पुराण समुशये- मद्छोऽनृद तमुग्दिने ayfat कुर्ख्ोविधौ माधवे | वारा भिरिजासुतै नभसि यदुत सिते माधवे + Fist भाद्रपदे faa इरितिधौ त्रोवामनो माधवे रामो मौरितिधा वतः पर मभूद्रामो नवम्यां मधो छाच्योऽषटम्यां नभसि परे चाश्विने यदणम्यां au; कल्ति भसि सम भूच्छ कपष क्रमेण

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४८ विधानपा दिजातै।

कालविपेषोऽपि aia - VBA वामनो TATA ae: क्रोहवापराङ्ख विभाग कुः सिंहो quae सायं क्रशोरातौ कालसाग्येथ पूर्वा | | fa | इतभुग्‌ दिनं ठतोया | मधुसिते चे्रशक्तपत्े। गिरिजासुतशतु्धो | भूतं चतु्ह्ो इरितिधि atest मौरितिथि स्तृतौया WAT | aq भ्राष्राठ़े TAIRA एकादश्यां महातिधौ जयन्तो मद्छनाश्नोति तस्यां काय मुपोषणम्‌ दूति वराह वचनं विर्दं भाते तत्‌ कलपमेदेन व्यवखाप- नोयम्‌। एला जयन्य सतकदुपासकानां नित्याः ward तु काम्या इति हेमाद्रिः | ब्रह्मणो यो दिमस्यादिः कल्पादिः सा प्रकौसिता। SUSY SAAT या AUT या फालानस्य पञ्चमो चैत्रमासस्य ALATA तथा पररा | शक्ता वयोदणो माघे कातिंकथ्य तु सप्तमो i ATA AAMT THAT: संसराम्यम्‌ | कल्पानामादयो MAT दस्तखाश्य कारिका; | afar | प्रच सर्व्वोनिरयोमन्धादिवञज्‌ Va: | चेत्र शुक्तनवमो ओोरासमवमो सा मध्याह्न योगिनो प्राश्न |

वतोयः Bee: | ४८४

चेत्र (शक्ता तु) शक्ता नवमो एमश॑घुुता यदि छव मध्याहयोगेन महापुष्यतमा भवेत्‌ | इति erin: | दिनहये मध्याह्ृग्यापतौ तदभावे वा निशयमाइ माधवाचायः- मवमो areal विद्धा त्याश्चा विष्णुपरायणः | उपोषणं नवम्यां दशम्यां चेव पारणम्‌ नक्षत्र योगतु- पुनव संयोगः खल्पोऽपि यदि हष्यते चेच शुक्तनवम्यां तु सा तिथिः सवकामदा a इति सरणाश्मध्याहयोगाभावैऽपि WAM बोपोष्या | योगस्य प्रति प्राशश्यात्‌ पारणं तु उभयान्ते एकान्ते वा स्यात्‌ इति ददं व्रतं संयोग एधक्षन्धायेन काम्यं नित्यं च। छपोषणं जागरणं पिलशुदिष् तपणम्‌ | तसिन्‌ दिने तु कर्तव्यं ब्रह्मप्राति मभोषुभिः॥ यः गरोरामनवम्यां त्‌ मुद्ध मोहादिमूदृषोः। कुरौ पाकेषु घोरेषु पश्यते मात्र संशयः इति Sangre: कैविदिदं ओरामोपासक्षाना मेव नित्यं नलन्धेषाभित्याष्ः। प्रत्यवाय WMA व्रतमाते मख्वात्‌ मवव्रतस्य नित्यत्व wayrfe- wfae मपि वदन्ति। wareal वोपाप्रत्मवायादि यवणात्रियद्ति सतं समश्जसम्‌ |

४८६ fanatic? |

aa प्रकारतु भगस्तिसंडहिताय। ge: } तत्‌ प्रयोगसु - यथाशक्ति सुवर्णेन सोतासभित रघुनाथ प्रतिमां भरत aw ame प्रतिमा निश्राय पश्चारतैन dary संपृष्य दण्डवत्‌ प्रणिपत्यच भशोक कुसुमेयक्त AA दद्यात्‌ | तत्र मन्ः- दशानन वधाधाय धरसंश्यापनाय राक्षसानां विनाशाय carat निधनायच afcarara साधुनां जातो रामः खयं हरिः WUT मया Te arate: सहितोऽनघ पष्याश्नलिं पुनदश्वा याभे याभे प्रपूजयेत्‌ | ततो TR जागरणं ज्ञता waa विधाय साश्यनपाय- सेन सूलमन्त्ेख शतमष्ट तरं इत्वा प्रतिमा (चतुष्टय) ararara नित्यच ब्राद्मणेःसह सुश्ोत इति aq रामनवम्यादै नित्यल्वपतते मल्तमादेऽपि कसव्यताख्याइरि- वासरवदितिचेन्र | एकादश्यां yeaa पक्षयो रभयोरपि इत्यादि निषधस्य मलमासेऽपि पालनोयत्वादिह तथात्वाभावात्‌। SUe देवका्जारि पिढकार््वानि चोभयोः शति तेश्च quae एव जयन्धुपवास एति सिषम्‌ | WATT HAF | इति रामनवमोव्रतविधानम्‌ |

तोयः Baw. ४८३

चेत्र शक्तं कादश्ां इर्दाशोष्सव उदो ATT चेभमासस्य शक्ताया मेकादश्वां तु Tae: | arian देवेशः सशख्मौको aetna: इत्यादि | चेत्र शक्त हादश्यां eters sat रामानचद्दिकायाम्‌- creat च्रसासख्य शुङ्ञायां दमनोत्छवः वौधायनादिभिः wre: कर्य प्रतिषङरम्‌ इति NACHCG प्रत्यवाय SM: पाशे Mead मधौ दोलां रावे तन्तु पूजनम्‌ चेते दमनारोप ARAMA: इति | शिवस्य तु- शिवाय चतुरेष्या मपयेहमनं बुधः इति विपेषः। say हादभोमतन््ो्लत्य पारणशदिनं ary fan तव्रेव- पारणा लभ्येत हादभो घटिक्षापि चेत्‌, तदा WAM याश्चा पविव्र दमनापरे + दति गौववाकोऽप्ु्न सत्रव ~ eta दमनारोपः rat fawn यदि

yas विधानपारिजाते।

are श्रावशे वापि afer स्वात्तदपणम्‌ इति | अन्यच्च - उपा खल्लनं पचिन्रदमना्पणम्‌ | दृणानस्य वलिंविष्णोः शयनं परिवन्तनम्‌ | ्छक्रस्य गुरोमौव्यिऽपोति विनिणंयः # | इति च्योतिर्निवन्धे शक्रास्तादावपि काञमिल्युक्षम्‌। मल- aaa Te A भवत्येव उपाकर्म त्सव्लेनं पविश्र दमनापकम्‌ | इति वर्षु परिगणनात्‌। एतत्‌ प्रयोगसु खयमारा- arena सानोय Vara मतन वस््नोपरि ्रवख्याप्य तत्र काम- वरती warm पूजयिला क्रं कामदेवाय नमः रत्ये नम दति यथाशक्ति भभिमग्धा erga विष्णुदिभ्यः समपयेत्‌ |

इति ग्रोमदनन्तभहविरसिति विधान पारिजाते aaa कन्तव्यानि

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रि ~ _ # {8 ~ 9 भपशावविं शकारे करलद्दसिति नारदः इति पाढानरन्‌।

wala: स्तषकः | yte.

wa auraarafaurarfa |

walang: firey: तुला मकर Ay प्रातः ara विधोयते efae awed महापातकनाशनम्‌ इति dicare om: भन्धत्‌ पचचदयमपि eH ततेव-- मभुमासश्य रक्ताया भैकादश्यालुपोविषः qqerat भो वोर मैषसंक्रमरे तु वा॥ वेधा ज्ञान नियम ब्राह्मणाना मनुन्नया मधुसूदन MAT Fay सदस्य sory तत्र मन्ोयघा- वंशाखं सकलं भासं Race ch: प्रातः सनियम; are प्रोयतां मधुसूदनः AYWA: प्रसादेन ब्राह्मशाना मनुग्रहात्‌ | निरविन्न मसु भे पुं वशाखल्ञान (मन्बहं) सश्ववम्‌ माधे Rah भानौ सुरार मधुचूदम | प्रातःलानेन मे नाध फलदो भव पापहन्‌ दूति। वदि ala ara तदा vara UTE तदच्रामे विचेषो तरादड- यटा WAR नाम तस Mae भो हिना; | ८2

४९० विधानपारिजावै |

त(वे)दैत्यु्ारणं काथं विशुतोधमिदं लिति | maw दैवता विष्णुः सवत्रापि संशयः sta way तुलसो Ayre तयाभ्यश्वा ayfeay | विशैषेण तु amg नरो नारायणो भवेत्‌ माधवं सकलं मासं तुलस्या योऽ्व॑येश्ररः | faqad मधुशन्तारं तस्य नास्ति पुनभेवः कण्डू (य) Wwe at gy ara पिप्पल सेचनम्‌ | Bat गोविन्दमभ्यश्चा दुगति मवाष्यात्‌ तधा- एकभक्तमधोनक्न मयाचित मतद्धितः। माधवे मासि यः कुर्याल्लभते सवमोपितम्‌ amg विधिना ara देवनद्यादिक्े वहिः | हविष्यं ब्रह्मचय्ये भूशय्या नियमखितिः व्रतं दानं दमो दैवि ayaeaqaay रपि saan पापं दति दारुणम्‌ CF सम्पूणखानाशक्तो वराहं वा ज्ञायात्‌ | Age पाश्च मयोदश्यां चतुरष्यां षेशाख्यां at दिन्रयम्‌ एवं सम्यग्‌ विधानेन नारो पुरुष एव वा # |

~

* नारौ ar gansta wa इति निगयसिषौ पाद

तीयः वकः ४९१

प्रातः शातः सनियम; waar: प्रमु ते दूति यदि मलमासो वेशाख स्तदा माषहयेऽपि ल्ञातव्यम्‌ faa- लादिति #। अन्यो fate उक्नोऽपराकं वामनपुराणे - गन्धा माल्यानि तथा ante सुरभोणिच। फलानि पानकादोनि मधुनि सुरभोणि देयानि दिजमुख्येभ्यो मधु खूदनतुष्टये प्रत्ये दिनमेकं वा श्यभावेन मानवः दूति | एवं Bal भन्ते उद्यापनं काम्‌ तच्च पाड द्रष्टव्यम्‌ AMAT A तु तव्वोक्षम्‌- वशाख्यां विधिवत्‌ खात्वा भोजयेद्राह्मणान्‌ दश पश्च तीन्‌ वा यथाशक्ति qua सव्यैपातकंः sfa | ana शुक्रढतोया wT sila sari माच gaiw व्यापिनी ग्राह्या fered तद्‌ व्यापी परेव ¦ तदुक् निगया- सते नारदीये प्ेणाते Way तु sata रोहिणो युता दुभा बुधवारेण सोमेनापि गुता नधा

+ कालन ARH aarvafanuifeta कमलाकर |

ger विधानपा रिजाति |

geafaut कर्तव्या धरविता med इति | इयं बुगादिरपि घा चोक्ता रल्रमाशायाम्‌- माधे पश्चदथो WUT नमस्ये भयोदभो SAAT ATS MAT नवम्युल्ले AAT: इति भव Ae सुकं ATI wa are विधानेन सन्वादिषु युगादिषु | हायनानि हिसा पितृणां afte भवेत्‌ इति | reste पूर्वाह्न व्यापिन्धेव प्राद्या- Gere तु सदा कायाः शुक्ता AY युगादयः। 23 कणि fara लष्णाचेवापराद्धिकाः इति aterm: हे शुक्ते हे तथा HG युगादो कवयो विदुः | ore पौवाधिके are ae चेवापराश्चिके ग्रति हेमाद्रौ नारदोयोङ्केष aera सारेऽपि- युगादि मन्वादि आदेषु qace उदयव्यापिनो छं शपथे अपराह्व्यापिनो fafa ater इति। दिवोदासोषे गोभिलः- वैशाखस्य alata: qetaat करोति हि,

wala: सवक, BEN

wal tar wafer were पितर war I इति fenced az व्याप्तौ acafa Sareea: | यत्तु कालाद भमाथराहइ मापराद्धिक frau एष मन्बन्तरादोनां युगादोनां विनिषेयः | CaM हे qa varie वचनं तु विष्णुपूजनविषय मिल्यु्षन्‌ | तत्‌ पूर्वोल्लानेकमतविरोधाद्‌ गोभिलेन कव्यं पितर era | cereal निषेधा दुपे्कोयम्‌ | wa दानविधेषो भविषे- SFM सकनकान्‌ ATA TAT: सह | यवगोधूमचणशकान्‌ aay दध्योदनं तथा fea सवे Hava wel दाने प्रणते | afar |

उदकुग्भदानमन्वसु - एष घटोदत्तो ब्रह्मविष्णुगिवामकः | WA प्रदानात्‌ way पितरोऽपि पितामहाः गन्पोदकतिलमिगरं सागरं gar जलान्वितम्‌ | faa: wazrenfa awa मुपतिष्ठत दनि | wa पिडरहितं याद' कुष्यात्‌- qaafeaa are विषुवदहितये तधा मन्वादौ युगादौ पिर्निर्वयकाहने

४९४ विधानपारिजाते।

एति हेमाद्रौ पुलश्योज्ेः | भरव राजरिभोजने प्राययित्त मुक्त ऋम्विधाने- TW YR वत्सरे तु मन्वादिषु युगादिषु, भरभिखद्टि मन्तं # जपेद्‌ शन पावकम्‌ इति अज्र मलमाशे माषदयेऽपोदं काथम्‌ | यौगादिकं मासिकं are’ चापरपक्तिकम्‌ | मन्वादिकं Afra कुाश्मासश्येऽपि इति ofa चद्दिकोक्षः wate: HUTT | तु महा- लयः we aa निषिधादिति ततोज्गम्‌। wa ओ्रादाकरणि प्रायबित्त qa सृम्बिधाने- यख AAA 4 शतवारं तदा जपेत्‌ |

* अनि खव्टि भटे se युध्यतो रध्वोरिष प्रवणं ससखतयः। 8%) यदतो एवमाणो अन्धसा निनहनस्य परिधौ दिषवितः॥ --इति १म. YA. WR यद्ये aa wen wwe males नाद्रयः मोमो Ter | यदथ मन्ड रधिनौयमानः पणाति az इन्रति द्थिरागि॥ ---¶ति (om. ८९१्‌. दस्क्‌। यख area sq) afaaa रज्रमो अन मानः नोत्‌ wale a2 चस्य pa एको saa | ` -बति एम ५२म्‌ Cea अनय) THAT |

तोयः स्तवकः | ४९५

युगादयो यदा तूनाः कुरते नेववापि यः . fa सम्पृणो भवन्तोति Qa: TANI SAAT परशराम जयन्तो। सा प्रदोष व्यापिनो are वेशाखस्य सिप्पे ठतोयायां पुनर्वसौ | निशायाः प्रथमे यामे जातोरामः कुदार शत्‌ बति राभाच्चन चद्दरिकोक्ञः। fered वदृव्यापतौ sant anit WITH AT) परेव | शएक्राढतोया ame aera दिने | निशायाः पूवयाभे चेदु्तरान्धन पूव्धिका दति तधा दशाख शक्त सप्तम्यां APIA TMT ATH - वेशाख शुक्त सप्तम्यां ABA जाह्कवो पुरा | क्रोधात्‌ पोता पुनस्यक्ञा care दच्िणात्‌ | तां तश्र पूजये्वां गङ्गां गगन Hear | इति | द्यं मध्याद्नव्यापिनो ares शिष्टाचारात्‌ ante. Te चतुभो दृसिंह जयन्तो सा चप्रदोषव्यापिनो are Aw हेमाद्रौ दृखिंहपुराण- amy nace तु wae निणामुखे AMG सम्भव GS प्रतं पाप प्रणाशनम्‌ | व्वेव्षे तु AUR मम सन्तुषिक्षारकम्‌

४८६ ` विधागफरिजाते,।

रतिं | स्कान्दे I वैधाखश्च Azeri सोमवारेऽनिश्च॑के | पवतारो दृसिंहख् प्रदोष waa feo) | efi अनिलं raters: fered agent wat amit sac ure) fawaadt तु पधिकव्यापिमतो aver. feavasfa amit परेति ( परदिने गोणकालब्यापेः सात्‌ पूवे. दिने तदभावात्‌ ) freee . waka योगविधेषे मतिप्र्स्ता। aga तृसिंहपुराके- Sat Waa योगे शनिवारे तु महतम्‌ सिश्योगस्य संयोगे वनिजेकरदेतथा | पुंसां सोभाग्य योगिन लम्बते देवयोमतः | तधा - एभिर्योगेविनापिखयान्‌ महिनं पापनाश्ननम्‌ | सर्वेषा निष water मधिकारोऽस्ि महते | aaa शु विपे क्त्यं मत्‌ परायनः uf |

तथा - | बिन्राय महिनं aq away cama: | याति मरकं चोरं बरावदण्द्रदिषाकरौ इति।

ढतोयः स्तवकः ४९७ `

एतदपि नित्यं काम्यं संयोगण्थकलन्यायात्‌। प्रयोग एसिंहपुगणोज्ञः | ware तिलामलकेः Tat

afay देवदेवेश तवजकदिने शमे ¦ उपवासं करिष्यामि सवभोगविवलििं तः

¶ति मन्त्रेण सहृ्पं कत्वा WAT हला सायंकाले Flere हित नृसिंहस्य यथाग्नि qufafaat प्रतिमां कलभोपरि तिष्टाप्य षोडथोपचारे; सम्पश्य रात्रौ जागरणं WAT प्रातः रानादि विधाय gazed सम्पृज्य-

कृसिंहायुत देवेश wearer जगत्यते MAMTA TTA सफलाः स्यु AAMT: दति मन्तरेण भाचार्य्याय प्रतिमां दवा ब्राद्मणान्‌ भोजयिता ad पारणं कुवयादिति संदेपः वेश्ाखपौणमास्यां विथेषमाइ sacra जावालिः- ara सुदकुम्भं वशाख्यां विशेषतः | निर्िश्य धद्मराजाय गोदान फल AAA सुवणतिलयुक्ञ सु ब्राह्मणान्‌ सप्त पञ्च वा तपंयेद्दपावरेसु ब्रह्महत्यां व्यपोहति | | दूति प्सु एष धीघटोदत्त इति अयदढठतोयाप्रकरणे अभिहितः विष्युरपि- तिलान्‌ ह्णाजिने ष्णान्‌ हिर्यं मधुसपिषी

63 ` Vidhéna-Panigta, Vol. TL. Fase TV.

ger विधानपारिजाते |

ददाति ag विप्राय सै तरति दुरष्वतम्‌ | दति |.

इति ्ोमदनन्तभदटविरचिते विधानपारिजाते ््ाखविधानामि समाप्तानि

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अथ अयेषहमासविधानानि

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AE ATES हरेजंलक्रोडा SAT

scar epee जल STATE बे अना qe ते यान्ति ATI छपा ऽवा Char तासे वा बकथेऽपि बा तोयखं Homa, थालप्रामधिलोडवम्‌ | प्रतिमां दा महामाग तद्व पुछ मनन्तकम्‌ इति त्न श्ञदतोयायां COTTAM माधवोये भविषे-

भदे कुष्य THM CUTS व्रतमुत्तमम्‌ |

ICA tC ४८९

was शङ्ञदतोयायां ज्जातानियमतत्यरा + इत्याहि | साच पूरवेविहा काणा van प्राङ्‌ | WS UREN दशहरा | rem हेमाद्रौ aT च्यष्ेमासि सितेपवे दथमो हस्तसंयुता इरते दशपापानि तस्यादशडरा शृता दति | वाराषेऽपि- दशम्यां शक्पकेतु च्यष्ठमासि क्जेऽइनि | वती यतः ant werde सरिहरा | हरते दश पापानि तसमादइशणडरा समृता इति अन्राग्योविरेवः काशोखण्डे om: विख्रमोत्वा नाव- लिखितः यदि श्यष्ठोमलमासो भवति तदा ततेव cre Ma AA इद, दथषरासु नोलाषशतुष्वंपि युगादिषु दति हेमाद्रौ WTP!) गङ्ाया Gawd तीर्षान्तर $पि ददं काथम्‌। यां काश्चित्‌ सरितं प्राप्य wren दद्यात्तिलोदकषम्‌ | qua दशभिः पापे; महापातकोपमैः षति areas 1 ,.

Yoo ` विधानपारिजाते |

cei fart सेतुवन्धराभेश्वर नमस्कारादि fatager काया cae स्कान्दे सेतु ATTICA च्यष्ठेमासि सितै पके दशम्यां वुधहस्तयोः | गरानन्दे व्यतोपाते कन्धाचन्दरे FATA द्यो सेतुमध्ये लिङ्गरूपधरं इरम्‌ | रामो वें खापयामास शिवलिङ्ग मनुत्तमम्‌। तख्िन्‌ दिने तमोशानं नला स्यान्‌ मोक्षभाजनम्‌ | इति | MS शद्धे काटभो fra तत्र fara समुपोष्य खदङ्शं विप्राय दश्वा सुष्यते शति निर्णयाम्ते उकम्‌ ज्येष्ठ पौणमास्यां सावित्रोब्रतसुक्त' भविषे - व्य्ेमासि सितपक्ते पौणमास्यां तया व्रतम्‌ चों पुरा मषाभक्चा कथितं ते मया बृप | इत्यादि | शृदं च्येषठामावस्यायामय्युक्ष' निणयामते भविष्ये - अमायां ज्येष्ठ मासस्य वटमूले महासतो | विरात्रोपोषिता नारो विधिनाऽनेन पूजयेत्‌ इदं aa दाक्षिणात्याः gfaarai crater भमाया मावरन्ति। अव्रापि पूणिमामावास्ये पूवविहे are | ` हहत्षपा तथा Tar सावित्रो वटपढको छष्णाषटमोवभूताच THAT AAA: दति eran: |

ढतोयः स्तवकः ५०९

भूतविद्ासिनोवालो तु ततर व्रतं चरेत्‌ ` वल्लयित्ा तु साविनरोत्रतं भोः शिखिवाहन ufa वचनाच्च यदा तं परदिने पष्टादघटिकाश्चापिनौ वदा परेव ग्राह्या | पूवविषट्व सावित्ोत्रते agent तिथिः | नाद्योऽष्टादश भूतस्य परतसत्‌ परेऽहनि इति साधवावार्ययोक्ः। we fata भरादित्यपुराणे oa:— व्यमा सि तिलान्‌ दद्यात्‌ पौणमास्यां fatten: | wate यत्‌ पुखं तत्‌ प्राप्रोति daa: इति इ्यंमनादिरपि। सा पौवाहिकौ ग्राद्या Sa प्राक्‌

दूति विधानपारिजाते ज्यष्ठमासविधानानि।

(यन, ey

अथ आषाटमासविधानानि।

casey 6

WETS शक्रदशमो पोणमामो मनादिः। ate gals धापिनो गाद्या Kare) MATS शक्त कादण्यां. वातपू eng चक्रादि धारक मुक्त गमाश्नचद्दिकायां sfewaferarat भविषे-

४०२ विधानपारिजाते।

शयन्धां चैव वोधिन्धां aerate तथेव शङहचक्रोविधामेन वड पूतो waa: | We मप्तमाषटके ठतोयाधयायेऽपि- पवितं ते विततं ब्रह्मणस्ते प्रभुर्गात्राणि पर्येषि विष्लतः | WAR ततु नं तदामो UA गतास इन्त स्तत्‌ समाशत He. ८३, ऋक्‌ ei तधा - तपोष्पवित्रं विततं दिवस्पदे शोचन्तो we तन्तवो व्यखिरन्‌। Ta पवोतार माशवो feawe मधि तिष्ठन्ति चेतसा We, ८३. कक्‌ २। तधा तत्रेबा्टके चतुधध्याये- चमूषच्छ्येनः शकुनो विता गोविन्दुद्रस भायुधामि विश्वत्‌ अपा afar सचमानः समुद्रं तुरोयं धाम महिषो विवक्षि He. सू ८३. ऋक्‌ Le! तथा परोमाव्रयेति सूक्नपरिचिषटेऽपि- an विभ्तिवपुषाभितप्तं वलं टेवाना ममतख विष्णोः | स्याति नाकं दुरिता विधूय विशन्ति यद्‌ यतयो वोलरामाः देवासो (अ) त्यवितेनवाषना शुदशनप्रयताः खगे मायन्‌ | ये लाङ्धिता मानवा लोकि वितन्वति बाद्मणासदषन्ति इति | यजुवदेऽपि-

येन देवाः पवित्र areata पुनते सदा |

तोयः QAM: ५०९

तेन परविवेश AEA पावमान्यः YAY मा I इति |

पितिरोयारण्यके- |

चरण पवित्रं विततं पुराणं येन पूतस्तरति दुष्कृतानि

सिन प्रविवेश शेन पूता अतिपामानमरातिं तरेम i

इति |

काणखशाखायामपि-

ufaae पुनोहि मा gare Sala |

पन्ने ल्वा क्रतू TAAS पवित्र मर्चिष्यमने विततमन्तरा

AW तेन JAZ AT 4

ईति भतपथेऽपि- WATS यान्नवल्का Wary पुमानामदहिताय इरि wz | garnare aureaferar सन्न | इति | साम्रवेदेऽपि- प्रते विणो भज चक्रो wt पाश्रेऽपि-

अग्निहोत्रं यधा fra वेदश्याध्ययनं यथा ब्राह्मणस्य तथषेदं तायक्रादिधारणम्‌ # इति

ae, [किमी मीर tat wien mp nA

9 मक; gat? algae,

pee eee pee ve

५०४ विधानपारिजाते।

विष्णुभलिचनद््रोदयेऽपि arg मारदः-

fayaranfeat मुद्रा मष्टा्षर समन्विताम्‌ शङ्कवक्रायुधेयु्षां खणरौप्यमयीं तधा

wa भागवतो यसु कलिकाले fade: | WHA समो श्रेयो छन्यथा कलि sew WFAA eA WAIT ATE यः कुरते दिजः विधिनं तु सम्पुणं पितृणां तु गया समम्‌ यथागम्निदहते we वायुना प्ररितोशम्‌ तधा eater पापानि दृष्टाज्ञष्णायुधानि वे॥ ayifeaaafam ye यस्य तु वेश्मनि। aza खय मश्राति पिभिः ae केशवः

. छष्णायुधाद्धितं दृष्टा waa करोति a: | हादणाब्दालिनितं gel वाष्छले यापगच्छति | ष्णायुधाद्ितोयसतु श्मशाने श्यते यदि | प्रयागे या गति स्तस्य सागतिनियताभरुवम्‌ छण्णायुपैः कलौ नित्यं मण्डितोयस्य विग्रहः | ama water विबुधा वासवादयः यः करोति et पूजां छष्णशस््राद्धितोनरः | तख्वापराधसाषसर नित्य इरति केशवः # we काष्ठमयं विम्बं wey चिड्धितम्‌ | area चामानं तत्‌ समो नास्ति वेष्णवः | पाषष्छपतिते व्रात्यं नौख्विक्षालाप तत्परे; |

ढतीयः WaT: ५०५

लिप्यते afana: कशणशस्त्राहितोनरः | इत्यादि | दारकामाहास्म्ये ऽपिवायबे- अगम्निनेवतु सन्तपं चक्रमादाय वणाव: धारयेत्‌ सर्ववर्णानां हरिसालोक्य सिये i Har धातुमयोँ सुद्रां तापविला खकां तनुम्‌, fasaz awat यस्तु याति परमां गतिम्‌ नवप्रश् पञ्चरात्रे शक्रमारष्वरसंवादेऽपि- सौवणां गाजतं कांस्यं तामं काष्ठमयं तुवा! चक्र कत्वा तु मेधावो धारयोत विचक्षणः मारदोय पश्चरावेऽपि-- हादशारं तु षट्कोणं वलपच्र (संयुतम्‌) समन्वितम्‌ | हरेः सुदशनं तपं धारयोत विचश्चणः पाच्रेऽपि- उपवोतादिवदा््याः शहृचक्रगदादयः | ब्राह्मणस्य विषेण sare fata: | उपवोतं fararaay अक्रलाल्छन मेवच | स॒क्रलाख्कन vine विप्रस्य विफलाक्रिया i चक्राङ्किताय दातव्यं wal कव्यं हिजोत्तमः | लस्माच्क्रादहितस्तिष्टेत्‌ पवितं रति शतः वाराहेच- शङ्वक्राहनं कुर्खादालनो BETA: |

४५०६ विधानपारिजाते |

maar way पलादिषु विपिषतः efae तु भुजे विप्रो विश्या शुदशेनम्‌ | सव्ये तु शं विभयादिति ब्रह्मविदोबिदुः चक्रादि धारणं cat इरिसम्बन्धवेदनम्‌ | पातित्रत्यनिमिन्तं fe यथा वलयनूषशम्‌ § aa वे विचिवत्‌ met पच्चायुधविधानतः | AMAA AM: प्रतिष्ठाप्य एक्‌ धक्‌ मोतमोतन्ेऽपि- ललाटे गदाधार्खया ale चापं शरं तथा मन्द्वां चेव YMA शह यत्रां भुजदये ति

निन्दने fatoe wr तप्तचक्राद्धितं cer ये निन्दन्ति नराधमाः | अवलोक्य मुखं तैषामादित्य मवलोकयेत्‌ इत्यादि | काशोखण्ेऽपि- अन्येऽपि ये sefeecrguct धरायां ते दूरतः Face परिषश्ननोयाः | इ्याटि | तेव धुवाख्याने-- शङ्कशक्राहिततनुः शिरसा wate गोपोचन्दनलिपाङ्गो eared ङतः शति |

IMT WIT: t ४५०७

भारतैऽपि-

नाग्धदेवं नमतु Aa Mes निरोचयेत्‌ | चक्षाह्ितः सदा तिहेषबदधक्नः पाण नन्दन भोषपवेष्छपि देवाग्ति ब्रह्मवचनम्‌ |

एष शालतोदिष्यः सवभूतम्रयोदरिः वासुदेव इति mat a मां एष्छत्ति भारत | बराद्मषेः चज द्यैः yaw wwe: | सेव्यते Quart चेव नित्वभक्ञः warufe:

बति | ` छगलः aaefefas रित्वधः। देवो भूत्वा देवान्‌ यजेतेति शतैः | चदिवंपेऽपि-

चक्राहिताः प्रवेष्टव्या यावदागमनं मम | लासुद्िताः प्रष्टव्या याक्दागमनं मम | दति

एषं गुतिखतिपुराशेतिहासागमादिरिदत्वा्क्ना खहनं at व्यमिति aq पक्त्र तै canfe जुति स्तासुद्राधारे प्रमाणलत्वेनोदाद्रता | तन्नोपपद्यते | वेदभाषलतामाधवाणार्येक अन्यया BTA | तथाच तङ्काजम्‌। परितं ते इति cee an) प्राकर पविवख घाप जागतं पवमानसोम- देवतां तथाचानुक्नान्तं। oft ते इत्वभिषटवे चाद्ये wih ama) सुवितं «i ofaa ते विततं ageaet धति इ।

‘yor विधानपारिजाते |

वियत्‌ पवित्रं धिषणा भ्रतन्वत इति aa प्रथमा ofa वै afa| ब्रह्मशस्यते wae खामिन्‌ सोम ते पवित्रं शोधकं सङगं विततं aaa विस्तृतम्‌ प्रभुः प्रभविता लवं गात्राणि पा(गा)तु रङ्गानि पर्येषि परितोगच्छसि विष्ठतः सवतः तव तत्‌ पवित्रं WANA: पयोव्रतादिना भ्रसन्तसगाज्रः TATA भरामः रपरिपक्तः नाश्रुते नव्याप्रोति। तास दत्‌ wares परिपक्षा एव वन्तो यागं निवहन्तः तत्‌ पवित्र' समाशत व्याप्रुवन्ति |

तपोः Wat तापकस्य सोमस्य पवित्र गोधकमङ्गः तजो वा दिवस्दे दुनोकस्य उच्छ्रिते ख्याने विततं frat ठतोयस्या- मितोदिवि सोम भरासोदितिहि ब्राह्मणम्‌ wer तन्तवः अरशवः शोचन्तोदोप्यमानाः व्यशिरन्‌ विविधं तिष्ठन्ति एथिव्यां हविर्धाने वा। We सोमस्य wwe: शोप्रगामिनो रसा भ्रवन्ति रन्ति

कं पवोतारं पावयितारं यजमानं Steet

पश्चात्‌ इताः दिवोद्युलोकस्य पृष्टं ween सु्रतदेशं चेतसा FUT देवगमनेच्छावत्या sfufasfa भ्राश्रयन्ते इति |

तधा चमूषच्छान इति एकोनविंशो सोमावापै विनिबुक्ञा | चमूषदिति wafer भक्षयन्ति wa इति चम्बश्षमसा ag सोद- नोति चमूषत्‌ यदहा। चम्बौ पधिश्रयणफलक्षे। तयो व्- मानः। तधा श्येनः शंसनोयः शकुनः mm: सामध्यैकारो fazer हरतेरालोमनिन्नित्यादिना afaqi पात्रेषु विह- रणग्ोलः। waht इतिभत्वं गोविन्दुः यजमानानां गवांलम्भकः। विन्दु रिष्छुरित्यनेन samara निपातः |

ढतोयः VAT | ५०९

दसो वूवशभोलः। भ्रायुधानि ear कपालादोनि विभ्रत्‌ धारयन्‌ ` अपामूगिं प्रेरकं समुद्रं षन्तरिक्षनाम एतत्‌ अन्तरिक्षलोकं सथ- मानः सेवमानः महिषो महान्‌ एवंविधः सोमः तुरोयं चतुथं धाम चाग््रमसखयानं विवक्षि सेवते सूथलोकषस्योपरि चन्द्रलोको विद्यतं। यमः एचिव्या अधिपतिः मावतु श्त्या दिभिः चन्द्रमानशव्राणामधिपतिः मावतु श्यन्ते मन्ते त्रायत fa |

तथा

चरणं ufaafafa विणोत्रीद्मणस्य वा लुतिरियम्‌ |

ufaaafa aa पवित्रमिति सौज्रामणोयागी विनि- यु(हषाक्ञे। होवाच इत्यादयन्तु पल्छमानतया नोपलभ्यन्ते Wail AAT प्रमाणं एष्वौचन्द्रोदयनिवन्धे तप्ताहधारण निषिधाञ्च। नधा- ag सन्तप्त शङ्ारिलिङ्गचिडतनुनरः | सवयातनाभोगौ चण्डानोजश्मकोरिषु fest तु an शङ्कारिचक्राङ्किति तनु नरः, sara रौरवं याति यावदिन्द्राबतु्दग इति ठब्रारदोयोक् : | शङ्कचक्रा शङ्कनं वृत्यगोताटिकं ga एकजातरयं Wt जातु Arie:

आङ्कचक्रगदां WY कुर्या तप्तायसेन वा

४११ वि्षानदारिजाङै।

शूदरवहहिष्कायः qaarferatra: यथा NTA ATS मनर STAG | तथा wafer विप्रः wtariry afer: इति faqrereranfe वचनात्‌ | शरोरेऽन्ध(हे) VF वा भवैदजिकिणो fea: इति मनुतेः AEA प्रदह THVT कामकारतः | नाधिकुर््वीत दग्धाङ्ुः aay arg इति वौधायनव चनात्‌ शेवान्‌ पाशपतान्‌ जनान्‌ लोकायतिकनास्तिकान्‌ | तप्तचक्रधरान्‌ SET सवासा Haarfaty बति समृतिसंप्रहवचनाञ्च तस्मादिधानाभावात्‌ fafawary सपताहूनं धायम्‌ यदितु पुराण वचनानि भ्राकरखतया उपलभ्यन्ते। तदापि शृद्रमाव विषय मेतत्‌ | एकजातेरयं धर्मां जातु खादिजश्मनः | इति विष्णुखूत्या तथा व्यवखापनात्‌ | तस्मादेतत्‌ शुद्रविषय भेव प्रापेऽभिधोयते | वेदिकं धौओमाकलासत्‌परिग्रहदार्व्वतः प्रत्वशचश्रुतिमूलत्वास्प्राङ्गः सप्रमाख्का; लिङ्काद विधिः कल्ययोश्नश्वदाम तोयया | निषिधवचनं wa दत्िकायसचक्षगम्‌ | अदोखाविषध्चं येत्येव मतग्धवखितिः

wala: Bae: | ५१९

तधाहि-

बेदोऽखिलोधश्च मूलं तिभोलेच तदिदाम्‌ |

भाचारव साधूना मामन सुष्टिरेवच

इति aqaan ध्मौश्चसमयः प्रमाणम्‌ Serearfz

शत्या सदाचारख प्रामाण्यकषनात्‌। वेदविद्धिवंहभि सख्य धायमाणत्वात्‌। मच तैषां क्वा तारण भिति वाच्यम्‌ माध्य रामागुजोय विण्ुखामि सम्मदायिना मनेकेषां भान्ति SUAS VATA afar होलाकाद्याचारस्य यदा सदाचारलत्वं तदा किसुताश्छ धवदेशानुगतस्य सदटाधारत्व sway मिति। किच्च यदेते अशिष्टलेणाभिमता स्तदा एभि वैदिकानां विवाहमोजनादयविगोतव्यवहारे मिधो ख्यात्‌ | ननु--

यस्िन्‌ Si भाचारः पारष्ययेक्रमागतः |

शरुतिखमुत्यविर्दचच सदाचारः उश्यते

दति wan सदाचारस्य निवचनात्‌ WHET तपाङ्गख्य खदा

avafa विर्हत्वात्‌ कथं सष्टाथारत्वमिति खेत्‌। श्यं मवेहि। यश्रविधिंविना निषिधमातव्रं तस्यव भरसदाचारत्वं कल (नि) भक्षणादिषत्‌। यष तु इयमपि अस्ति तत्र fren ग्रशाग्रहशादिवत्‌। फलाति्चय तदभाव कामेख्येष यहा--

शुतिरधं तु यच खात्तत धन्ावुमौ जतौ

तिरेत्‌ विवयः कल्यनोयः पथक्‌ Tee |

५१२ विधानपारिजात |

दूति वचना fatue मदायसादि निशित aate विषयत्व fafa साधुः cart: | चक्रविम्बं Get HAT तथा तप्तायसेन वा | तदङ्कघारणान्‌ मर्यो नरकं प्रतिपद्यते | सौवशे राजतं ताम्बर चक्रं कांस्यमयं तधा हिजाति्धीरयेतरित्यं सवकस पाव (वाच)नम्‌ | इति नारदोय पञश्चरावोक्षः। aut— चक्रादिकं सदाधाय्ये sifeaa waaay विष्णुभक्तविेषेश हिज वंदा तत्परः | अरदो्ितो धारयेद्‌ a: पतत्यव संगयः। इति acter मोहन पञ्चरात्रोक्तख

चात्र तप्रायसेनेति gaia श्लोके तप्तपदवयथ्यं भ्रायसेन दत्येतावतेव भअरधसिदेरिति वायम्‌ | तप्तपदस्य शदपग्धायत्वन कुदलोहनिर्भितमपि चक्रं धाम्‌ श्तयतदधपरत्वात्‌ त्रायसं शलो मिति विष्षकोषोक्षेः |

यदुक्षम्‌-- शहन्यक्रा्यहनं ठृत्यमोतादिकं ठा पएकजाते दयं wat जातु ख्वादिजन्मनः | दति |

क्रा दिधारशं वस्ननोयं ( दिजः ) zai oar ₹रिभक्धि रहितं

जनतोषक्ञटिति स्कान्दे मागभोषमास माहात्म्य HATER: |

wala: Sew: | १११

चद्नादिकं सदाधायं Sift ठे वागमे विष्णुमक्तवि शेषेण fea ere तत्‌ परः + इति gate fare | मवेषां वचनानां निवन्धादावनुपलब्भादव्यवखावकषलमिति वाख्यम्‌। परषदोषोऽयं ware दोषाः। ware भारतादि समस्त पुराणस्य निवन्धादावनुहादहतलाचसख्यापि wnrare VISA इत्यलं प्रपञ्चेन | यहा एकजातैः एकस्मादेव पितु्जातिजग्न यख एकलातिः विशु मातापिदक स्तस्येवायं wat feet enat पिदभ्यां अश्म यस्म afer कुणछगोलकादि सख नायं wh शति area: | जाति शब्दस्य rere “aq सि्िलाति सारूप्य? fafa मोमांसा qaarera अम्िवं anwe दतु दारण वाक्धादो TEAS

विष्डुटोजाधिकारखु urea नान्धा aw यथा वच्छ. मूकपतितादिविवस्लनादिति gh पराशोकेः। प्रभावं तु पविदं तै इति सुतिरक्षव यदुक्ञ' तेषां कर््यान्तरे विमिबुश्त्वेन भाष्यादौ तत्‌ परत्वातुपलब्बिरिति। तदपि साग्रतम्‌

श्वा दिवि दज्िशावन्लो we (ख) वं अश्वदाः ey) वे सूर्यश इत्यादि awe aaa विनिबुन्नख्ापि fayremernfe विधायकलवं यथा मोमासकं रङ्गोक्ततं तथाऽव्रापोति कौऽपि दोषः |

65

५१४ विधानपारिजाते |

AEH राणक | ये भरदा: सह ते सूरण tafe aw faytfaanaeta फलविषे रङोकारारिति। यहा we faa प्रपा fare मन्ाणां तत्तत्‌ कणि विनिथुक्ञाना मपि प्रपाप्रवस्तनादि fronton त्यधिकरणे TREAT यथा वा- arate पथिभिरोलितेभि anf नो भागयं शुषख दां जहमातुलस्येव योषा भागस्ते पटढष्वसेयो वपाम्‌ # इत्या दोनां ब्राह्मन तत्तत्‌ कर्मणि विनिथुक्ञानामपि मातुल- कन्धादिवाहविष्याचेपकल् मङ्गोज्ञतं माधवाचार्येश पाराशर सृतिटोकायाम्‌ | यथा वा | देवांश्च यामि यजत ददाति इति were याच्या- aa fafaqnenfa याभिरिति यागकरणल्वेनाभिधानादहानैश साम्येन कमैकारकतया Wes Tea यागदानदिधाथ- यत्व afaasfafa ग्यायसुधायाङुपपादितम्‌ यया वा- चत्वारि शका रयो We पादा शोषं सप्त LAT We चत्वारि वाक्‌ परिमिता पदानि तानि विदुङ्राह्मणा येमनोषिषः | CAM: प्यब्रददशं वाचं उतलः शृखन्‌ aay | इत्यादि

णीते 2 1

* अथा मातुल योषा दुहिता भानिनेयश्च जानः भनोया भामिने धरयितु gem) यथाच पदढषपेयो gee भागः| तचयं ते 4 पाल्य) भाग VAY, ,

दतौयः सवक; ११५

aan मन्य aug विनिगुक्कानामपि वयाकरशाध्ययन विधि कल्यकतवं भगवता पतञ्जलिना महाभाष्ये भ्भ्युपगतम्‌ | यथावा-

fafunfaa aaa नियोगेन अरपनोग्रते। खतोविधाश्यति देष नियोगात्‌ स्मारयिष्यति | इति तन्छरवास्तिक्षे भह्ाचार्येणापि विधायकत्व मङ्गोशतम्‌ तथा wari पवित्र तै इत्यादि sata विशिष्टफल crane ane धारणस्य विकल्यकलत्वे fate चुद्रोपद्रवशङ्म इत्युपरम्यते

WATS AAT: AF सर्वेवेदा यत्‌ पदसामनन्ति तपांसि सर्वाणि यददन्ति। इति कटमथुखा | dew सर्ववरह Rata:

इत्यादि. qara “an समन्वयात्‌” इति ्ह्मसवेण स्वेषां शब्दानां परत्र्मभूतं विशौ समनयकयनात्‌ SAEs म्तत्तत्‌ परत्व मभ्यहितम्‌। तदयं पवित्रः A इति मन्नाथः | हे ब्रह्मणस्पते Ize aqaas वा स्वामिन्‌ विष्णो ते तव पिव पवित्रयति भूतानोति पविवदू ववत्‌ जयत रक्षति सुजनमिति बा पवि awa विततं तजोभिर््याषं विम्ततं वा वत्तत तन चक्रेण प्रभुः सर्वोत्तमस्वं गाताणि vara शरोराणि पर्यषि पविश्रयसि किं पञ्चगव्यादि प्रागनवत्‌ कतिपयाङ्गगनि afew. करोषि Rare fra इति। faa: सवतः aateayrfa पवि ब्रयसोत्यधः। परिपूवं इण गतावितिधातुः create वर्ष

५१६ विधानपारिजाते

वविवर mew विशुचक्रवाक्षलं तु काखशाश्ायां शतपथे सौत्रा- मणो प्रक्ररे दृष्टम्‌ यक्ते ofea मिति। तद्यथा विशोक्रं तधा पविग्रमसोत्येवेतदाइ | ufwarta— afer चरं नेमि cane सुदरथनम्‌ सहकारं Nia सोकहारं महौजसम्‌ नामानि दिष्छुशक्रसखय carte निवोध मे षति | तधा- पवितः चरणं चक्रं लोकहारं garg पर्वायवाचकाद्धेते चक्रस्य परमासनः | इति | तधा- | equate ewe afew शण aa | इति विषकोगेऽपि ष्टम्‌ | एवं yaaa चक्ररुतिसुक्षा खत्तरा्ंन चक्रधारण रद्िलानां fara तद्ारिणशां ओरोविष्णुप्रातिर्श्यते | अतप्ततलुरिति waar शो विष्णुचक्रेण adem ae पुमान्‌ Wa: याखोकयक्रसंस्काराभावादपरिपक्षः सम्‌ तत्‌ प्रसि frqretan wat प्राप्रोति। wat वहन्तः विशुच्र भका धारयन्तः शाखोङ्विधिना ते गूतासश्त्‌ arava इति धातोर्गिष्ठान्त् Sa मेतत्‌ तथाच wrete dente परिपन्न;

waa: खवकः | ५१७

नि्लान्तःकरणाः सन्त एव तत्‌ विशु खं परंब्रह्म समाप्त प्राप बन्ति, तच्छब्दस्य भगवदायकत्वं “तदिति वा एतस्य महतो ANS नाम भवतोति व्छमसि षेतक्षेतो इति तत्‌ सदिति निहो ब्रह्मणस्तिषिधः aa: | इत्यादि शुतिलिद्दम्‌ | महाभूतं तु भगवानेव एकोविष्छु्मशडूतमितिदान - धर्मोक्तेः तपोः। यथाच न्रानवतः | तप भाशोयने इति धातोङ्प्रत्ययान्तस्य रूपम्‌ यहा | तपोः शवुसन्तापकस्य विणोः | लप सन्ताप इति धातोकूपं यत्‌ पवित्रं चक्रं दिवस्पदे क्रोढादि qufafne पेकुणटादिश्याने विततं व्याप्तं वत्त ve चक्रस्य तन्त(यः)वः रमयः शोचन्तो दोप्यमाना व्यश्िरम्‌ भक्तेषु विविध- फल दाढत्वेन fasta: | नधा we पविन्रस्य ane: शनोत्रगामिनः व्यापिनोवा। owe व्याप्तापितिधातोरप्र्यया- mre रूपमेतत्‌ तन्तवो रमयः पवोतार लापादि dete श्रामानं पविभोकुव्धाणं सत्वनं वा भवन्ति cafe) पवोतार- मिति gu पवने बति धालोस्तुण प्रत्ययान्तस्य श्पं। नं केवलं मवन्ति किक चेत (सा) सि सम्यग्‌ न्नागदानन दिव we वे शटादिखानं श्रधितिष्ठन्ति। पवोतारं वैकुणटादावधिष्टापयन्तो- au: ufinite wrat we इति aaa va feta faufa Far | चमूषदिति। wet संसार सेनायां दुगमलेन सोदतोति चमूषत्‌ नथापि श्येनः शंमनोयः eat जोववमेः afar:

५१८ विधानपा रिजाते।

hres | ऋकारान्तलं ered भरायुधानि शङ्वक्रादोनि fara विश्वाणः दसः द्रवणभोलः Wary tas: | अपा- afa ware: कदवाचो प्रसि्ः भारथ क्मशासुत्कटभोगं सचमानः सेवमानोऽपि महिषो महान्‌ भव्यभिचरितभक्धा ave प्रातः सन्‌ समुद्रं SCAT लक्षणं तुरोयं धाम चतुथं खानं faafa सेवते | सुक्गो Hadad: | शोरसागरस्य चतुथं खानलवं मो शधम््ादो AEF | गत्यां चतुय गच्छन्ति नारायण परायणाः | इति देतरोपमाषातय |

येन देवा इति 2 पावमान्यः देवताविगरेषा; येन पवित्ेख चक्रेण देवा ब्रह्मादयः श्रामानं सदा पुनते पविन्रोकुव्वेन्ति तेन पवित्रेण सहस्तसंख्यधारावता मां भवत्यः पुनन्तु इति वाक्धाधः पवित्रेरेति cay देदोप्यमान हे देव भग्ने क्रतून्‌ भनु च्योतिष्टोमादि क्रतुफल were (थे) क्रत्वा क्रतुना संकल्यित- HATA शक्रेण शदेन पवित्रेण मां पुनोहि |

यत्त इति 2 भग्ने ते तव afafe ज्वाला (मन्तरा) मध्य विततं यत्‌ पवितं वत्तते। तैन पवित्रेण ब्रह्म वेदो मगवान्‌ वा मां पुनातु |

acy मिति पवित्रयनोति पवित्रं विततं faa प्राशं quad were चक्र' वत्तते। येन सनो दुष्कृतानि तरति gea तेन पवित्रेण अरातिं भरन कारित्वन way पामानं area मनादि swat श्रतितरेम ब्रतिक्रान्तावभूविम।

SAA, स्तवकः | ५१९

स्रं पविश्रमिति। ary पुनरहिः। गोषलोवरे न्यायात्‌ सकोचके मसल पू रिति वत्‌ एव मन्या भपि श्रुतय SAT NATURA | BAMA भयात्रात्र Saat) भवर कचिद्‌ mere) भवतु तप्तवक्नादिधारणं fam, wife nave feu तधापि aeeae विप्राधिक्षारिकम्‌।

तथाच स्कान्दे यन्व्रेभवखण्डे हातिंशाध्याये aera पुरस्छत्य उक्तम्‌ पाश्चराते चक्रपाले तथा कालासुखेऽपिच | शाङ्ग दोषितायुयं भवेत ब्राद्मणाधमाः दौ चाड्ग्मति चेव तथा पाशपतऽपिच

तथा ata— प्रायुपैः शङ्क चक्राय स्तदोयं HATHA: | शरग्नितमे बहामोहाद्‌ भवेयु शांसयोहयोः | दति शाग्बपुराशेऽपि- पञश्चराव' भागवतं तनं वं खानसाभिधम्‌ |

वैदशष्टान्‌ समुद्दिश्य कमलापति THAT दति |

सूतसंहितायां च- अल्यन्तरवलितानां हि दिानां वेदमागतः | पाच्राव्रादयो मार्गा; कालेनेबोपकारकाः

५२. विधानपारिजाते |

Sua प्रायवित्तकाण्ड पाग्रेऽपि- गणु राम महावाहो शिङ्कचक्रादिधारशम्‌ शूद्रधमरतानां हि तेषां नास्ति genta: fanaafermary प्रायधित्त मुदोरितम्‌। इयादिवडव वनदशनात्‌ शह चक्रादिधारणं ३दभष्ट दिज- विषय मिति यत्‌ कैषाधिन्‌ मतम्‌। तदत्यन्तग्रन्यानवलोकन जनितान्नान विजुम्भणमाच्म्‌ एषां वचनानां नारदोय पञ्च रदाद्व्यतिरिक्ञागम विषयलात्‌। तथाहि पाशे पातालखण्डे एकलप्तत्यध्याये MAA प्रस्तावे | मौतमेनाभिश्प्तासु feat उदिम्नमानसाः। कञ्चित्‌ काल मतिक्रम्य ag केचित्त मन्युः | भूयसा प्रणिपातेन गौतमं तेऽभ्यपूजयन्‌ | शश्षायां खिता विप्रामनोवाक्‌ काय कदभिः गौतमं प्रोणयामासुः शापस्यान्तम्रभोप्तवः। शत्र प्रोतमनास्तषां गोतमो मुनिसत्तमः | उवाच मुनयः किंवो ददामि मुनिपुङ्गवाः | ANAT AMWAY FATA यदभोरितम्‌ मुनय AE arate मनभिवाष्डास्ति वरेषु सुनिखत्तम | ` शापदग्धाः fa भ्रा सस्यात्‌ शापं निवर्तय गोतम उवाच -- waa नोक्पूवे मे युयं मदक्तिभाविताः |

aT: SUR: | ५२१

AMAT प्रवेयेऽपि वेदभाग प्रवर्तकाः भविष्यथ यथपूव्वं an: संगूृणत हिजाः | वेदानां सारशुषुत्य anal इरिदक्षवान्‌ MAN नारदाय मो्कामाय waa वैदाविरदं त्तरं सवंवेदाधं हितम्‌ | तत्तन्धदोशां प्राप्तानां were धारणाम्‌ | qara वेदमार्गोऽपि म्यति ममान्नया वेदशासख्राध वेश्तापि यो waa संसृतः | नस वेदफलं WH यधा गौभांरवाषकः सववेद मयं तं नारदे पाच्चरात्रकम्‌ अन्धानि यानि तन््ाणि efcara इरेश (a) | क्तानि षिभिश्षापि मोहनानि संशयः | wa ये विदिता wat विरा वेदवादिनाम्‌ wa सतत्र faery Gara मत्‌ प्रलादतः॥ fa: ब्रह्माण्डेऽपि षोहश्राष्ववे- array प्रोतं weet वेदोपवुहितम्‌ तदेव afematel नान्यद्‌ गौतमगशापतः आरतैऽपि नारदोये ara पाश्चरातस्य AWS ANT ATTA: परः सर्वेषु मुपनवरेष्ठ त्रानेष्वेतददिभिषते |

यथागमं चाज्ञानं निहा मागयबः प्रभुः | 6८

५९२ दिधानयपारिजातै |

चेन भेव जानन्ति तमोभूता fated तचा- वैद Sa सांख्ययोगं area भेवच | UCHIHA पञ्चरात्रं कण्यते पश्चराश्रविदो ये तु AAMT AT दकान्तभावोपगता स्तं इरि प्रविशन्ति ते। यथः कान्तिषेने चर्ण नाराय पराकः इति areata Tern वेदामकलतवसमुकषम्‌ | चाग्ने ATH ATETR isha विप्राशामवंष्वते निन्दनमुक्तम्‌- अरेष्णवोडतो विप्रो इतं श्राहमदच्िणम्‌ wm छपाकमिव Fla लोक विप्रमवे्णवम्‌ | इति |

यवारैनिन्दापि मिता्रायाम्‌- Hara पाएपतान्‌ Wer लोकायतिक नासिकान्‌ faartrara हिजाम्बृदरान्‌ सवासा जलमावियेत्‌ खान्दे- इरे यदावयोभेदं करोति महामतिः | fire: feet महापाशपतड खः ब्ह्मवेवतते-- कावोसंत्लागिनं विप्रं ब्रह्माहमितिबादिनन्‌ |

इतोयः Baer: | ४९६३

wa ब्रह्मोभय ae विककोखं तजे्रम्‌ इत्यादिना | वथिहसंहितायातपि- सर्गादौ ब्राद्मशाः Wer देशवलेन चोदिताः ` इतरेऽपि वरयो वशा ब्रह्मणा विष्डुरेविना were वेष्णवाविप्राः प्रह्ञत्यादिजषत्माः अवेवतवं विप्राणां महापातक afer षत्यादिना | वेष्णवशब्दोऽतर संस्कारविधिष्ट वाचकः युपाहवनो- दादिशब्दवत्‌- वेष्ठानसाद्यागमोक्षदोशां प्राप्तो हि वैष्णवः दति कालनिणये माधवाचार्योजञेः | aya fefad ate वाद्चमाभ्यन्तरं तथा | शङवक्रादिभिर्वाद् मान्तरं वोतरागता इति urate | rarefa warmarfe स्यैप्रमाण farang: nyenfe धारणं सवधा कर्लंब्यमिति सिम्‌

तत्‌ प्रकारल्‌ पाश्चरावरेऽभिहितः- waar चव वोधिन्धां दोक्ाकाले विपेवतः। लप्तशङ्ादिकं धाय विधानेन समन्वितम्‌

aye शोभिते रम्य वितानध्यजणोभिति |

` ५९४ विधानपारिजतं।

मण्डपे weaed yo दोप निंवैदनेः WIM ततः क्या चक्रस्य TATA: | खणेन कारयेशचक्रं शं रौप्येण कारयेत्‌ | षट्कणेखच समायुक्ष' षडक्षर समन्वितम्‌ | मध्य प्रणवसंयुकञं वाद्ये वसुदलेयुतम्‌ मूलमन्त्र. संयुकभेतशक्रमिषोष्यते

मध्ये atts dae we कुथादिचश्षणः BT # पश्चामतेः र्चा तत्‌ पुरतीषशरेः | ध्याला भुदशनं afar avert महौजसम्‌ | कोटि सूषमप्रख्य' तेजसा मुवनश्रये | षड़सरेण away fp पूजयित्वाविधानतः जपं कुर्यात्ततः पशाच्छतसाहस्रसंख्यया |

षट्‌ AWS तु वा HAT TAWA समाचरेत्‌ wyard चतुदिश्ु गोमयेन सवारिण | उपलिप्य खण्डिलं तु चतुरखं सुशोभनम्‌ तग्मष्येऽमिनिं प्रतिहाप्य खष्टद्योक्ञविधानतः | राज्य संस्कारपूवे तु दथाधानं समाचरेत्‌

श्राघारा वाज्यभागो तु इत्वा होमं (समा) चरेत्‌ Tr:

e mata wa) समास णव श्यपोदिधानात्‌ |

, Yenaana oy ate,

wala: Wee |

परमन भ्रायुषोति ढचं x द्रो UTES { तथा | प्रजापते मेति ऋचं विषे देवा इत्यृचम्‌ { त्वया वयं सधन्येति | जुहुयात्‌ ware तथा

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५२१५

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पञ्चात्‌ Bent तस्मिन्‌ we’ वाग्नौ विनिक्षिपेत्‌ दक्षिणं भुजं पूवे चक्रेण प्रतपे्ततः

दामं संप्रतपेत्‌ पषाच्छङ्केनेव festa: |

ओतो दके विनिचिप्य पूजयेत्‌ सुसमाहितः

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अथ wats शुक्रहादश्यां विशेषो भविष्ये- i EG

ana arg सिते पतै मचश्रवश र्वतो सङ्गमे मेव भोक्षव्यं हाद हादभोष्रेत्‌ WATE: | भावाद्‌ भाद्रपद कालिक हादभोषु अनुराधा अवशा रेवतोभिः MAG योग सति तत्र पारकं इु्बादिति | अत्रविपेषोविष्णुधण्यं- मेचाद्यपादे खपितोहविष्डुः qrereure प्रतिवोधमेति शतैव मध्ये परिवत्तमेति ofa wate परिवसं नमेव gow) इति

५२६८. | ` बिधानधारिजाते |

aaa विष्णुशयनोश्चव उक्षो हेमाद्रौ ब्राह्मे एकादश्यां तु श्क्ताया Aras भगवान्‌ हरिः | भुजङ्ग शयने येते चोराणव्रजले सदा दति BIR हाद्यासुक्ञः- श्राभाकाद्येषु मासेषु मिथुने aware | हादश्यां WRIT प्रस्वापावन्षनोखवः तथा - Creat सन्धिसमय नक्षताणामसम्भवे | अआभाका लितपचेषु शयनावत्तनादिकम्‌ fa वाराहेच हादशोति पारणाहोपलक्ष(णम्‌) कम्‌ पारणा FACTS घण्टादोन्‌ वादयन्‌ सुहः | इति faquatta: | WA एक्षादभोदादष्योदे मदेन व्यवखाद्रष्टव्या | अयमुत्तवो मलमासे सति ara: | देशानस्य वलिं विष्णोः शयनं परिवन्लंयेत्‌ इति कालादर्गोकञः | यत्त- एकादश्यां तु WRAY UTA कर्कटस्य CATT, वा नरो भशवा चातुर्माश्यत्रतक्नियाम्‌

aaa: Wee ५२९.

इति ब्रद्मपैव्वचनं agate तव्रतविधाधकं तत्‌ Ae rasta दव्यम्‌ मिधुनखयो यदाभानु रमावश्छा इयं WNT fecrars: fasat विश्णुः खप्रितिककटे दति Sarat मोहषुषोकषः अत्रेव चातुर्मा खव्रतारथ उह्नोमहाभारी- watse सितेपके एकादश्या सुपोषितः | श्रातुर्माख व्रलं Fare यत्‌ किञ्चित्नियतोनरः इति wafagqagqa ata— वापिकांतुरो arary वाहयेत्‌ केनचिब्ररः | व्रतेन नोचेदाप्नोति fafert वक्रोडवम्‌ | WET तुलारकेऽपि कव्यं तत्‌ aaa: | fa | ce शक्राशताटावपि orcad पूवं चेत्‌ कायम्‌ शवं Malet एवगुरयोनवा fat: eye चिन्वयेदादौ चातुमास्व विधो मरः इति हद्गार्गबोङ्ग : |

QUANTITY भवत्येव- चारब्धे gare वास्ति ware तु दूषणम्‌ इति free: | 67

५९४. विधीनवारिजाकैः।

arrests एवभेष- सचिवा शचि्वापि यदि सो यदि वा पुमान्‌ t व्रतभेतन्नरः RAT सवपापः waa इति स्कान्दोक्ञः। एतश्च प्रतिवशं कायम्‌ | प्रतिवषै चयः Fated संस्मरन्‌ इरिम्‌ दृष्टान्ते ऽतिप्रदोपेन विमानेना्कवकसा | मोदते विशुलोकषेऽसौ यावदाभूत संप्रवम्‌ fa Sarat भविष्योकह्मः। इटं विष्णुभक्ष तरोरपि काम्‌ | frenzy faa वा भक्तिसंयुक्तो भागौ वा गणशनायके | क्त्वा त्रतसिदं ब्रह्मन्‌ aula फलभाग्‌ भवेत्‌ # दूति ब्रद्मवैवलतवचनाच |

भध इरिशयनोह्छवः |

Sq संपूज्य विधि (ना) वद्‌ यानमारोप्य wie: जलाशयं ततो नोता क्या हे शयनं इरेः सुत्वा पुरुषसुकन भअग्भस्यपार इत्धपि

शेष पयङ्कवग्येऽखिन्‌ फणशामणि विभूषिते

श्वे तदोान्तरे देव कुद निद्रां जगत्पते

¶ूति ware तं देवं खापयिला ngewe | MANA भोगिनाधे योगनाये fat लयि॥ चातुमास्व व्रतीऽगुज्रां हेहि vena मम

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MATHML MFCR इमं मन्व मुदोरयेत्‌ इति cares चद्दरिजायाम्‌ WATE प्रकारल हेमाद्रौ मविषे- महापूजां ततः कुग्यहेवदेवस्व alee: | जातो FOR मालाभि मन्धेवामेन पूजयेत्‌ नन्लु-- त्वयि शपते anata जगत्‌ शुरं भवैदिदन्‌ faqs विवुष्येव neat मे wary एवं तां प्रतिमां विष्णोः पूजयिता खयं मरः | प्रभाषेताग्रतोविष्णाः aarafa पुट सया |i चतुरो वाषिकान्‌ माषान्‌ दैवसूीलयापनावधि | ca करिष्ये नियमं fafad ge केशव इदं व्रतं मया देव हतं पुरतस्तव | fafant fafa माप्नोतु प्रसादात्तव केशव व्दहोतेऽस्िन्‌ व्रते देव Gaal यदि मे भवेत्‌ | AVE TAAL यातु तत्‌ प्रसादाद्रमापते | होतेऽस्मिन्‌ व्रते देव cage fez तख भवतु AGO लत्यसादास्लमाईन afr अचर ब्रतदियेष उको urrarerafararat भविषे- श्राव वल्लयेष्छाकं दथिमभाद्रपदे तथा| दग्धद्माश्युजे मामि कार्तिके fered व्जेत्‌ शति

TAQ विधानपारिजाते |

wares fa चलवार्येतानि नित्यानि aqeeraafe (afd) नाम्‌, प्रथमे मासि कर्संव्यं नित्यं शाकषत्रतं we: हितोये भासि काम्यं दधित्रतमगु्तमम्‌ | पयोत्रतं ढतोयेतु चतुर्धतु निशामय दिदलं agate वन्ताकं चेव वस्ल॑येत्‌ | नित्यांन्येतानि विव्रष्ट्र व्रतान्धाह्‌ मंनोषिशः | HAT राजमाषांख्च मूलका रक्षमुलकम्‌ | कुभाण्डमिनुदण्छं चातुमास्ये त्यजहधः विशेषाषदरीं धारौ कुषा ण्डं तित्ति (नो) waz जोशं धाश्रोफलं are तति कायस शोधनम्‌ # Ms सौखेऽपि-- वाषिकां ्तुरोमाखान्‌ wea वे जनारमै | मश्चखष्टादि शयनं वस्लयेद्‌ भक्तिमाबरः waa rete भाथा मांसं ay परौदमन्‌। पटोलं मूलं चेव aural नं भसयेत्‌ अभर वश्येह्रान्‌ मसूरं सितसषेपम्‌ | राजमाषाम्‌ कुलिय।घ भ्राशएधान्धं वस्लयेत्‌ शाकं दधि पयो माषाञ्डावणादिषु (वजंयेत्‌) cars | wa शक्यते wing मनेनेति शाक इति eee सूपादे-

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अन्यत्रापि-

Team महिषो शोरादन्ध दुग्धादि चाभमिषम्‌।

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हिंअक्रोतारताः wat aad (भूमिजं) afad स्था

तापा वखितं गव्यं जलं पश्नलसंखितम्‌ |

arate पाचितं are मामिषं तत्‌ खतं दुषेः faquatatsfa—

चतुष्यपोह मासेषु हविष्याशो दोषभाक्‌ |

हन्ताकं खन्धितं चेव सु दैवे विवस्लं येत्‌

सन्धितं वल्लान्तर प्रणुत गवादि दुग्धं लवणं शाकं चेत्यन्धे

हविष्य qa भविष्ये |

waters सिताऽखिव्रं धान्यं सुहास्िलायवाः |

कलाय कङ्कनोवारा वास्तवं हिलमोचिका

षष्टिका कालशाकं मूलकं केसुकेतरत्‌

कन्दं Gara साभुद्रे गव्ये दधिसर्पिषो

पयोऽगुदत सारं पनसास् इरोतको

पिष्यलो Sica चेव नागरङ्गं तिन्तिो

कदली ATR धामो फलान्धगुड मवम्‌ |

अतेलपक्ञ' सुनयो वि्ाजं प्रथते

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ब्तान्तराष्डक्ञानि हेमाद्रौ भविषे-

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शाक पन्राशनाद्‌ भोगो भपक्षादोऽमलो भवेत्‌ भूमौ प्रस्तरशायोच ` विपरोमुनिवरो भवैत्‌ एकषान्तरोपवासेन AGT THAT धारशाव्रखरोकां FTAA फलं मत्‌ मौनत्रतो भवेद्‌ ay तस्वान्नाऽख्वलिता भषेत्‌ | भूमौ गुदः सदा यसु एचिव्याः पतिभवैत्‌ प्रदक्िण शतं ag करोति of पाठकः | ंसयुक् विमानेन fe वि्णु पटं व्रजेत्‌ पयाचितेन प्राप्रोति gary whraitea: | षहाब्रकाल HINTS Berra भवैदिविं # पणव यो नरो YE कुरदेषफलं लमत्‌ | गुडव्लीनिरोदद्यास्त्‌ पूं ताल भाजनम्‌ सहिरण्यं saw qaqa विधिः # |

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यत स्वान्दे- नास्ति Strat vay यन्नो व्रतं नाप्युपोषषन्‌ | भन्ते शनूषयेवेह लोकानिष्टान्‌ वरजन्ति ताः तद्‌ भर्षनुन्ना विषयमिति निबन्धकाराः भूतन व्रतारण्च काललु दब्नमाशायाम्रभिहितः MANA गुङद्क्रवासराः स्वकर्मसु (नितान्त) भवन्ति fafeer: i

68

aye विधानपारिजाति |

भातु भौम शनिवासरेषु miata खलु at सिष्यति विर्दसंन्ना इश ये योगा orang: खलु पाद TTT | सवष्टतिसु व्यतिपातनामा सर्वोऽप्यनिष्टः aftr चारम्‌ faag योगी प्रथमे सवच व्याघात dy मव पच शले | गण्डेऽतिगण्डेव षडेव नाद्यः Bay कार्येषु विवज्नोयाः न्‌ fafa मायाति ad विच्यां विषारिघातादिकमवरसिद्ठम्‌ | व्यवहार समुश्चये भत fata om:— सपिणोतु fad पते क्णेचैव तु हिव | afrearg सुणं त्याज्यं afar: eras च्‌ माधवोये तु- fafe derefa तिेरपराजाता पूथ्वाैजा निभि तदा शुभदा पुच्छे ब्रह्मवामलेऽपि- दिनभद्रा यदा राजौ राज्रिभद्रा यदा fear | त्याज्या WHAT प्राहुरेवं पुरातना; इति fafa ary सत्यत्रतः-- seat तिथि at fe a भवेहिनमध्यभाक्‌ | सा SOT व्रतानां खादारख समापनम्‌ तेति पेषः | इति

wala: Gam | ५३९

देवलः- GYM प्रातराहारं ल्लात्वाऽऽचम्य समाहितः wate देवताभ्यश्च fata व्रतमाचरेत्‌ | त्रतान्ते ATA ATT

जाला व्रतवता BARAT AIHA:

पूज्याः सुवणं AAT: # शक्तया वे भूमिथायिना

जपोहोमष् सामाग्धं व्रतान्ते दानभेवच |

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विप्राः पूज्या यथाशक्ति तेभ्यो care दक्षिणाम्‌

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अत विप्रा इति पुंनिङ्कनिरहभात्‌ पुरुषा एव भोष्याः। तु

fea: विरूपकगेषख प्रमाणान्तरं विना भयुक्षलात्‌ एषं सहस्रभोजनादावपि जेयम्‌ wa एकस ब्राह्मणस्य GET भोजनमपि परास्तम्‌ बहुत्वस्य एकपद शरुत्या ब्राह्मणाणज्वित- बिन मोजनान्बयाभावादिति पाधसारथि मिश्राः भदिष्ठे--

TIMTY तत्‌ संख्या देवता प्रतिमा कृष |

सौवर्णो राजतो ताम्बा wera मालिको तथा

चित्रजा पिष्टलेपील्या निजवि्लानुरूपतः |

अचामाषात्‌ पलपथन्तं ae शह्िवस्नितेः

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५६३०. विधानपारिजाते |

श्क्गिवजिति रश रित्यर्थः |

खद्यापनानुक्ञो नन्दिपुराणे विशेषोऽभिहितः, yaad तस्य समाप्तौ यदुदोरितम्‌ उद्यापनं विना यत्तु aga निष्कलं भवेत्‌ | यदि चोद्यापनं नीलं व्रतानुगुणतश्चरेत्‌

विक्षागुसारतोदद्यादगुक्ञोद्यापने व्रते | गांचेव का श्नं ददयादुतस्य परिपतये ama तु नारदोये- सर्वेषा मप्यलामेतु यथोक्षकरणं विना विप्रवाक्यं स्मृतं ge व्रतस्य परिपूलये war विप्रवचो यसु waifa मनुजः (एमं) प्रिये भदस्वा दस्तिणां पापः याति नरकं भ्रुवम्‌ भारते- ब्रतोपनिषदे चेव waaay दक्षिणा | aay तु मयोदिष्टा मूमिगावोऽथ काञ्चनम्‌ शिवनेभोद्ठवं यस्मात्‌ सवत्र पिदषह्ञमे | अमङ्गलं तद्यब्रेन देवकार्येषु THAT व्रतिना परां avafiran Saige’ | व्रते तोरधेऽध्ययने atesta fatten: | पराज्रभोजनाहेवि यस्यान्नं तस्व तत्‌ फलम्‌ इदमपि यतिब्रह्मचारिगब्यतिरेकेष तयोः पाकनिषेधात्‌ |

aaa: wera | ४४१

तदुक्षमामेये-

निलन्ञायो मिताहारो गुददेवदिजाचकः |

तारं शौद्रं लवणं मधुमांसानि wade

तिलमुदा्तै tial (स) स्वे गोधूमकोद्रवौ |

धान्धकं देवधान्धं शमोधान्ध' तथशवम्‌ |

खिब्रधाग्धय' तथा पण्ड मेष स्षारगणशः स्मृतः इति |

ग्होतव्रतत्यागी BINT: ga wel खटोला यो माचरेत्‌ काम मोहितः | shaq भवति चण्डालो सतः णाचाभिजायते तत्‌ wrafanga गारुड -- क्रोधान्नोभात्‌ प्रमादाहा AANHY भवेद्‌ यदि। दिनवयं भुज्ञोत ged शिरसोऽथवा दूति प्रायबिनोक्त रतिक्रान्त त्रतावुष्टानं कालान्तरे नासोति गम्यते। श्दं प्रायबिन्तं meaty) | oN हेमाद्रौ- | उपवासासमथशदेकं fad तु भोजयेत्‌ aravarfe वा careemufege तदा | ava afaat देवीं जपैहा प्राणसंयमान्‌ | FACTS संख्याकान्‌ AATAAATTTAT: पराकं देवलः- ब्रह्मच मथा शौचं सत्व मामिषवस््नम्‌ |

५४९ विधानपारिजाते |

व्रवैषवेतानि चलवारि वरिष्ठानोतिनिशषयः माक्छे- |

तस्मात्‌ ANITA खान WAY पूवकम्‌।

वज्जनोयं प्रयत्नेन SOW तत्‌ परं कृप

भ्न्येऽपि व्रतनियमासतव तत्र वच्यन्ते | wiaa विगेषो ₹ईमाद्रौ -

गन्वालङहूगर ताम्बुनं पुष्पमालाङुलेपनम्‌ |

उपवासे दुष्येत दन्तधावनं मक्ञमम्‌ |

विधवा पतिमार्गेश कुमारो वा azar

षति |

विष्णुधर्मे -

समस्तेषुपवाशेषु पुमान्‌ वाध सुवासिनो

धारयेद्रक्षवस्राणि कुसुमानि सितानिच।

विधवा शक्तवसन भेकभेवहि धारयेत्‌ सनगुरपि-

पष्यालङ्भारवस्राणि गबधुपानुलेपनम्‌ |

उपवासे दुष्यन्ति दन्तधावन waa दति)

यद्यपीदं सर्वोपवासविषयतवेन प्रतोयते तथापि सौभाग्या्धक

नवराताद्युपवासविषयम्‌ नल्वकादश्यादयुपवास दिषयम्‌ |

पअसंलव्वलपानाचच THAT ATTA |

उपवासः प्रणश्येत दिवाखापाञच सेषुनात्‌

इति देवलेन तत्रिषरिधात्‌ |

कतोयः स्तवकः ५४९

यत्तु इरिवंग काम्य व्रतेऽपि ततिषैध om: waa रोचनं चेव गन्धं सुमनस सधा | व्रते चेवोपवाशेच नित्य भेव fare येत्‌ इति त्तु aie पुण्यक व्रतमा ्रविषयम्‌ तु सवदिषयम्‌ qatar वचनविरोधादिति मदनरतरे उन्नम्‌ शिवधर्म -- दानव्रतानि नियमा ज्ञानं ध्यानं तपोजपः। यत्नेनापि कृतं सवं क्रुदस्य तु ठधाभवेत्‌ तविषो रेमाद्रौ पाप्चे- गभिणो सूतिकादिष कुमारो वाधरोगिशो | यदा WAT तदान्येन कारयेत्‌ प्रयता खयम्‌ sfa |

पुसोऽप्येवं लिङ्गस्य भरविवच्तितलात्‌ aa यिन्‌ व्रत यत्‌ पूजादि विहितं तदन्येन कारयेत्‌ रोरमावसाध्यनियर्मा- सु स्वयं कुर्यादिति ! हेमाद्विरेवं व्याख्यातवान्‌ | माधवावायसु-- काम्योपवासे प्रक्रान्ते AAT BATA | तत्र काम्यव्रतं कुर््याहानाश्चन faafenay इरतय्ञवान्‌ एवं रजस्वलाया भपि | प्रारदोतपतां arctet चेद्रजो भवेत्‌ |

UT दिधानपारिजाते |

manila व्रत स्यादुपरोधः कदाचन इति सत्यत्रतोहेः | nfafaatare पठोनसिः- श्रन्तरातु CHANT पूजामन्धेन कारयेत्‌ | भाज wand क्याद्‌ भार्याया पतिव्रतम्‌ | waa पर Arai व्रतभङ्गो नजायते खान्देऽपि- ge वा विनयोपेतं भगिनीं आ्रातरं तथा एषामभाव एवान्य ब्राह्मणं वा नियोजयेत्‌ काल्ायनः- पिद ara पति waraqaa विशेषतः | उपवासं WHAT: FS शतगुणं लभेत्‌ प्रमासखण्डऽपि- wal पुत्रः पुरोधा राता cat सख्ठापिवा चावायां घ्क्ारेषु जायन्ते प्रतिडसकाः | एभिः aad महादेवि खयमेव छतं भवेत्‌ इटं ware साधारणं, भविगेषात्‌ | अतविरेव ary निकाण्डमण्डनः- काम्ये प्रतिनिधिनस्ति faa नेमिसिकेच a: | काम्ये Tq) पक्रमा दूह केचित्‌ प्रतिनिधिं विदुः खात्‌ प्रतिनिधि मन्व खानि देवानि aig, Suara नस्ति नारदे ciate सः॥ शति।

UAE, पवकः | ४४१

अथ व्रतादि afana fada:—

aa तिधिदयसबिपाते तत्रततोङ्गं दागहोमादि क्रमेण धतु हेयं अविरोधात्‌ | aw q नतक भक्ञादौ विरोध व्रतादौ त्वे) एकं ae Tat feala भाशादिना कारयेत्‌ इति माघवाचाय भइ | ax तु भिवरव्राादौ तिथिमये पाराय अहिभोज्न विहितम्‌ भूताष्म्योरदिंवा भुक्ता cay भुक्षाच cafe एकादश्या AWA भुक्ता चान्द्रायणं चरेत्‌ दूति भोजन fatwa om) तत्र पारणश्य बेधल्वादिषेष मोजनं ard निप्रधस्य रागप्राप्त मोजनपरत्वात्‌। विधिप्राषे निवेधानवकाशात्‌ भरम्नाषोमोयादिवत्‌ | एव मष्टम्यादिनकव्रते संक्रान्ति रविवारादि संपातेऽपि am अजन भेव खात्‌ | यत्र पुनर्टम्यादौ दिवा yfafata सतव संक्राक्यादौ षति राति afafata शति fatara प्राप्तम्‌ तत्र उपवास एवं स्वात्‌ , तत्रापि पुतरिको णडखस्य उपवासनिषिधात्‌ fatay wel मवति | eaararaia तु किचिद्‌ wei प्रकल्पयेत्‌ दति wa: तथा चान्द्रायणं ATA एकादण्यादौ तु Ye:

षाया चान्द्रायणस्व काम्यल्वेन नित्यबाधकलात्‌। 69

४४६ विधानपारिजाते |

अभ्र कैचित्‌। चान्द्रायणादि वरतमध्ये एकादश्यादौ ATH ठप- बास एव काः एकादभोदिन ग्रासासु हादश्यां ATW | यथा कथद्धित्‌ पिष्टानां चलारिं शच्छतदयम्‌ | mea YS चान्द्रायण सधापरम्‌ दूति यान्नवल्कान यथा कथचिदिव्यक्षलात्‌ काम्येषूपक्रमादूहं केचित्‌ प्रतिनिधिं विदुः | दूति जिकाग्डमण्डनवचनाश्च प्रतिनिदध्यादिव्याहः | एव भेकादश्या भेकान्तरोपवासादि पारणायां प्राप्तायां जल धारणां mar उपवासः काथः wat ar भगशित मनशितं इति fata wa: एवं दद्यां मासोपवासथादप्रदोषादिषु way एव भेव श्रेय भि्युपरम्यते eras पौर्णमास्यां कोकिलाव्रतसुक्तं हेमाद्रौ भविषथ- आषाढ़ पौणमास्यां तु सन्याकालेद्युपखिते | सङ्ृर्पयेन्‌ मासमेकं AAT TAY लम्‌ ara करिष्ये नियता ब्रह्मचर्यं खिता सतो भोश्छामि aa भूशय्यां aca प्राणिनां दयाम्‌ cafe | एतस्य मश्त्रतलात्‌ सायाहृव्यापिनो तिथि ater अतैव व्यासपूजा विहिता dearer feaafet चिरुहतत- व्यापित्वे परैव aren अन्यधा पूर्वेति | ` afa ओओोमदनन्तभहटविरचिते विधानपारिजातं भराषाद़मासविधानानि॥

SP RESTS

हतोयः WIM | vee

wa श्रावणमास विधानानि।

तव ATAAGRSAAT मपुसवाख्या गुष्णरदेणे प्रसिशा |

साच परा ग्राह्येति दिवोदासनिवन्षे।

श्रावण शक्त चतुर्थी तु गणिशत्रमे पूञैविहेव are

माढविदो गणेश्वर इति स्मृतेः |

श्वावण शुक्तपञ्चमो सपपूजादौ परव | पञ्चमो नागपूजायां ane षष्ठो समन्विता ` तस्यां तु तोषिता नागा इतरा सचतुधिका दति कान्दोक्तः भविष्ये -

aranaifa पश्चम्यां शक्तपत्तेनराधिप हइरस््ोभयतोलेख्यागो मयेन विषोखणशाः

areasfa— |

मागायेव तु WAIT: खष्रवेटकधारिणः

ae सर्पाक्ति स्तपां नामे ख्डंतु पौडषो mura fe क्त्या दिजिद्वावहवोऽसमाः। कला वा कौद्कमाक्रागान्‌ गोधुमेः पयसाश्येत्‌ पूजये दिधिवदोर afugatet: कपेः गन्धपृष्पो पार्य व्राह्मताना Aa

५४८. विधानपारिजातै।

ये तान्‌ वं पूजयन्तीह नागान्‌ भल्िपुरःसराः | तषां सपतो वोर भयं भवति कुत्रचित्‌ इति श्रावण शुक्खहादश्यां हरेः पवित्रारोपण ya हेमाद्रौ विष्णु रहखे- | श्रावणस्य faind waze दिवाकर | हादश्यां वासुदेवाय पवित्रारोपणं सतम्‌ Creat खवणे वापि पञ्चम्यामथवा fea: | भआुकूष्येषु कन्तव्यं पञ्चदण्यामधापि ary

दति। VA I कालोन्र-

भरावादृान्ते चतुटश्यां नभस्यनभसोम्तधा | अष्टम्यां चतुदेश्यां पक्चयोरभयोः समम्‌

इति तत्‌ प्रकारसु दोपिकादौ-

गादोहान्तरिते काले पूरवेुर्वाधिवासनम्‌ | इति wa गोरकालो care चद्दिकायाम्‌- पविन्रारोपणं विन्नाच्क्रावणे भवेद्‌ af | काति क्यवपिषक्रास्ते arian मिति नारदः हेम रोप्य तात्रल्तौमेः सुः कौपेय owe | कणः ante कार्पासे atwerafda: wit +

wae सवक्षः | ४५६९.

wear fagfad aa तिगुणो रत्य श्रोधयेत्‌ | तत्रोत्तमं पवित्रं तु षश्या aenafafix: सपत्यासहितं दाभ्यां शताभ्यां मयम स्मृतम्‌ साशोतिना शतनापि कनिढं तत्‌ समाचरत्‌ साधारण afaarfs fafa मते; समाचरत्‌ | उत्तमं तु शतप्रल्यि पश्चाशद्‌ “fa मध्यमम्‌ कनिष्ठं तु पवितं स्थात्‌ षटत्िंशद्‌ ्रन्धिशोभनम्‌ | षट्‌त्रिंशश्च चतुविंश हादथेति कैचन, चतुविशं हादगशाटावियेक मुनयो विदुः | विष्णुरषस्ये तु प्रकारान्तरमु्म्‌ - MCA कुाञच्चतुःपञ्चाशदेव at | सप्तविंशति & (र) वाथ ज्यढमध्यकनोयसम्‌ अधमं नाभिमावं स्यादूकमातं तु मध्यमम्‌ उत्तमं वं जानुमात्रं & प्रतिमायां निगद्यते शिषरपविवं तु शेवागमे - एकाशोत्याधकत्रा मूत च्तिगतावाष्टयुक्षया। पञ्चाशता वा AHA तुलग्रन्यान्तरानकम्‌ | हादशाहनलमानप्नि व्यासादष्टाङ्कननानि वा लिङ्कविस्तारमानानि चतुरङ्लकानिवा। अधिकारिणोऽपि तवरवोज्ञाः- ब्राह्मणः afaat दश्च स्तथा स्रो शूदर एवच |

ween 50 ee 0

2 omen जानृभाक्सिति faeagfga |

४४४ विधानपारिजते।

खधर््ादखिताः सवे मक्थाङुर्थंः पवित्रकम्‌ | पतो देवेति « are दिजो faut निेदयेत्‌ शूद्रस्य मूलमन्त्रोवा येन वा पूजयेदरिम्‌ | इति एतश्च नित्यम्‌- करोति विधानेन पवित्रारोपणं तु a: | तस्य वाल्षरिको पूजा निष्फला मुनिसत्तम तद्छाद्‌ भकतिसमायुक्रे नरं विष्णुपरायरैः | aa वषं waa पविद्रारोपणं शरेः A दूति तत्रेवोजञेः हेवताषिपेषे तिथयोऽपि तत्रेव- धनद TAT गौरो गणेशः MATE गुहः | भाखरथर्डिकाःऽम्बाच वासुकि aud: # क्रपाशिद्धंनङ्कव शिवो ब्रह्मा aaa प्रतिपत्‌ प्रभतिष्वेताः qearfafay देवताः यथोक्ताः शक्तपक्ते तु तिथयः अवशस्य i

इति | wafers रेमाद्विः- चतुद॑श्या मथाष्टम्यां सवसाधारणं (दिनम्‌ ) तु तत्‌ : afar |

EES Ets 7 1 ea

Qa te eee

e भरतो टद अवन्‌ नो यतो fagfaqaa | पचिष्याः en धामभिः एम, १९ब्‌ १६कक्‌

wala: सवकः 1 ५५६

वचा माखपसषमहोरावरं fact धारयेत्तधा | देवतं सूवरसन्दभं देकालदिवक्षया | इति| एतदकरणे प्रायथित्तमप्यक्तम्‌- पवित्रारोपणं काले करोति ares तदाऽयुतं जपेन्‌ मन्तं स्तोत्रं वापि समाहितः श्रावण शएक्तचतुदभो पूवविहा ग्राह्या श्रावण शक्त पञ्चदश्या FTAA AAA | पवख्छोदयिके ga: areal a jt तेत्तिरोयका; | ब्रुवाः AIT Fa १इंक्रा म्तिवज्जिते दति area: Qefaasfa पव्वेणि fate: पाराशर माधवोये- श्रावणो पौणमासो तु Bale परतो यदि तदेवोदयिकौ are नान्यधोदयिकौ भवेत्‌ इति wa पर्याप्तं चेत्‌ परमेव पवं इति सदशन भाष्येऽपि। त्तिरोयग्यतिरिङ्न agifeat yqaafa हेमाद्विमदनपारि- लातश्च | Gara गोनिलः- सअभ्यायाना FAIA कुर्यात्‌ कालेऽपराड्िके gate तु विसगः स्यादिति बैदविदोविदुः

४१३ बित्रानपारिज्ञातै |

षदं तु सामगविषयम्‌-

भवेदुपाञतिः पौणंमाघयां पूव ह्न तु इति प्रचेतोवनना दन्येषां पूव

एति कालनिषयदोपिकाकारः।

पौषमास्या AANA TATA कायम्‌ '

श्रथातोऽष्यायोपाकश्र ग्रोषधोनां प्रादुभ3 श्रवन Aree पोणमाम्यां cea इस्तन वा इति का.खायन इतरात्‌ | खवणशस्य fara गाग्यः - धनिढामंयुत कुव्यौच्छरावगं Ha यद्‌ भवेत्‌ | तत्‌ HU AHA GT मुपाकरण संङ्तम्‌। खवणे चव यत्‌ HT उत्तराषाठसंयुते। संवत्सर छतोऽध्याय स्तत्णशादेव नश्यति इ्ति। व्यासः उदयथ्यापिनि त्वव विष्ुत्ने घटिकाहयम्‌ | तत्‌ कश्य सफलं श्रयं तस्य पुण मनन्तकम्‌ इति कात्यायनः

` अ्ैराश्रादधम्ताचेत्‌ संक्रान्तिःहणं तदा

उपाक Hala परते ब्र दोषलत्‌ | इति |

wata: aaa 1 ४५४९;

तधा- | संक्रान्ति पणं वापि पौणंमाखां यदा भवेत्‌ | उवाज्ञतिनतु पश्चम्यां कायां वाजसनेधिभिः॥ यत्त- वौधायनसूते Brew Meare ararent वा उपाक ria मिल्क्ञः। तत्‌ प्ौष्ठपद्यामपि दोषै revert काय aaa परम्‌ | 6 वेदोपाकरणे प्रापे कुलीरे संखे दवी उपाकर्म क्लं HUT सिंहयुकषके | नश्रदो्तरभागी तु aia सिंहयुक्के | wae संखिते wrargargary द्तिषे | इति ह्यतिः | xe साम्रगविषयम्‌- fae? रवौ तु पु्यक्तं पूवाङ्ग विचरेदहिः # छन्दोगा मिलिताः Fae खखहन्दसाम्‌ | WAIT तु Waa उपाकश्मापराद्धिकम्‌ A इति गार्ग्यः यमः- शवष्यौषधयस्तख्िन्‌ मासे तु भवन्ति चेत्‌

e पाह sfaat बहिः भरदिदर बहादिदोषहीने। fawvefy रिति

Qs waa एति कमनाकङः | 70

४५४ विधानपारिजात)

तहा भाद्रपदे मासि अवशेन तदिष्यते इति ददं एक्रासादावपि काथम्‌- faaafafaa ma होमयश्नक्रियासु च। उपाकश्णि seat द्यस्तदोषो विद्यते इति davia: परथमारण्मर्‌ भवति | शुरभागेवयो Wear वाल्ये वा वारैकेऽपि ar तथाऽधिमास संसप मलमासाटिषु fee प्रथमोपाक्षति ने स्यात्‌ छतं कै विनाशक्षत्‌ इति aay: | वाल; शक्रो दिषसदशकं Tea चेव aw: , quest नितयमुदितः पर्षमन्द्रयां क्रमेण stat हः शिशुरपि तथा पक्षमान्धे शिशू तौ *। awl wiet दिवषद शकं चापरः सप्तरात्रम्‌ एतश्च मलमासे कायम्‌ | उपाकश्च AMT: प्रसवाहोस्वाषटकाः माख्द्दौ परे काया वल्लयित्वा तु पदकम्‌ + इति च्योतिः पराशरोकङ्गः | एतद कवा BTA sel तदभावे लौकिकेऽम्नौ काकम्‌ अष्यायोपाज्जतिं कुया त्तमोपासमवड्किना |

किन + ay me - Se eee oe => आक 6 eer 68 eee ~~ ED ee 277. ee शि) o> aw

# WeRreg मृतौ इति geen `

SAA: VIM: | ४५१

क्हयमिदं कविद्गोकिकाम्नौ प्रङव्येते दूत्या्ललायन कारिकोङ्ैः | चिषोमोऽपि areata खात्‌- खेऽम्नावन्ध होमः स्यागयुक्ञेकां समिदाइतिम्‌ | दूति काल्नायनोन्णः | एतच्च अध्यापनान्निमत एव इति क्काचादः। Seren ard गोशकालः- ga तूखजनं ङुयदुपाकम्दिनेऽथवा | xfa खादिरब्द्मोक्षः। मुष्यकाललु-- दौषमासख रोडहिश्ामष्टकाया मधापिवा | दति याश्वस्क्योह्नः। Great माघ्यां वा पोशम्रास्या qaafefa वौधायनः qari माध्यां पौणमास्यां विधोयते | दव्याखलायनकारिका। aaa राडिखखाम्र्टकायां वा murat fata कात्यायनः | fie रवो तु gas qatesfaacate: | बति eaharearat कालः यदा तु eae ककसंक्नानतौ मवति तशा विेषन्ढन्दोगपरिशिश-- ब्रा प्रोष्ठपदे हस्तात्‌ पुष्यः पूर्वोभवद्‌ यडा nea गाणे waren wea दिजः। ThA

४५५६ विधानपारिजाते |

na विपिषमाह का्णाजिनिः- - | उपाकग्मणि Vert यथाकालं Aaa ऋषोन्‌ दर्भमयान्‌ RAT पूजये्षपेये्तधा | दूति | उपाकश्मणि sare विरात्र मनध्यायः | ay सरुद्रगाव्यतिरिक्षानामपि नदोनां रजोदोषौ नासि उपाकर्मणि saa रजोदोषो विद्यते इति areata: | SUMMITS उपाक शकालतवे पूवं मुक- जनं कला पषादुपाक कुर््यात्‌- SUMAN स्यादुत्सगः प्रातरेवहि | इति हेमाद्रौ गोभिलखयतैः | भन्धोऽजविगेषः संस्कार प्रकरणे द्रष्टव्यः| waa र्तावन्धनमुक्त' हेमाद्रौ fra AM SUTIWAAS TH पोटलिकां शमाम्‌ | araeua, wet, सिहाधे हेमभूषितेः॥ इति ददं भद्रायां कायम्‌- भद्रायां हे AC श्रावणो फालानो तधा श्रावणो Zafer हन्ति ग्रामं दहति फालगो दति संग्रहाक्तः। Aarne काञमिति निणयाश्ते- तन्‌ मन्वलु- येन वषो वलोराजा दानवेन्द्रो महान; |

wala: स्वक्षः ५५७

aa ला मपि वक्नामि रदे area माल | ब्राह्मणे: Mas वेश्यः YE Tae मानवैः कर्तव्यो रक्षिताचारो हिजान्‌ सम्पुञ्च शक्तितः | इति | TAT TAMIA SHANTI - waa; खावणकनम saat divarer fafa काल्यायम RICE इति योमटनन्तभटरविरचिते विधानपारिजाते खावणमासविधानाति

भथ माद्रमासविधानानि।

"निनि

Va गोप्रभवे नारदः | भानौ ferent चेव we गोः मंप्रसूयतें | मरणं aw fafee षड्भि ata नं संधयः | wa शान्ति प्रषखछामि येन संपद्यत शभम्‌ | wari तत्तलादेव ai गां विप्राय दापयेत्‌ इन्यादि |

५५८ विधानपारिजाते |

भाद्रपद लष्यचतुधं वइलाख्या मध्यदेपे ufeeri साच सायाषृयापिनो arg दिनदहये तथाल पूर्वव Maraqul वटधेतुपूजा दुगा शनं दुभरहोलिकेच वश्य पूजा शिवराति रेताः परान्विताप्नन्तिकृपं सराष्म्‌ षति दिवोदास निवन्धोक्गः wa पेतुपूजाशब्देन बहला apa ata व्याख्यातम्‌ WE RUA जम्माष्टमो साच Far) Wareal जयन्तो त्र भादा केदला- टमो सेव रोहिणोयुक्षा जयन्तोसंन्ना | कषणाषटम्यां भवेद्‌ यत want रोहिषोयदि जयन्तो नाम सा प्रोक्ता उपोष्या सा प्रयव्रतः

इति व्िपूराणो क्ष : केवलापि eater | भाद्रे वं वहले पके कछष्णजगमाष्टमोव्रतम्‌ करोति नरो ag भवेत्‌ क्रुरराचसः इति भविष्योज्ग : | यत्तु इणिवंधे-- ufafawra wed जयन्तो नाम Waa | सुह्र्तीविजयोनाम यव जातो जनाहंनः दइति-वचनादभिजिनत्राम vad रोहिष्येव। सव्यैपुराशाना भेक array भ्रभितः पापं अयतोति भभिजिदिति ब्ुत्य- शेख |

ama: सवक्षः | ` ave.

ee waeat व्रतं fray वषं वेतुयानारो AUN AEAl AAT | a करोति माप्रा sare भवति कानने इति वोषठाशुतैः gatafrerste जयन्तो व्रतं तु काम्यम्‌- AVANT HET जयन्तो ARMac WHAT कामं मोत्तं मुनिपुङ्गव | ददाति वाञ्डितानर्थान्‌ येचान्येऽप्यतिदुलभाः दति फलश्रवणात्‌ | WRTAA तु यत्‌ पापं शवहस्त(ख)ख भोजने | तत्‌ पापं लभते कुन्ति जयन्तोविभुखो नरः दूति निन्टात्रवणाञ्च। यदा अष्टम्यां रोहिकणोयोग रदा अश्नाटमो जयन्त्या मन्तभूता WaT! AY aT एयक्‌ कार्या + omgacraaa तत्‌ faa: | nem माधवन-- afary वषं जयन्याख्य योगो जस्माटमो तदा पन्तमृता जयन्वा Brewin प्रशम्तितः + इति | किच्च- aa रोहिखा चदैरा्रयोगो aw | afer alate यदा wareal भरेत्‌

५९१ विधानपारिजाते|

तस्यामभ्यश्चनं शौरे हन्ति पापं farang + इति विश्णुधम्यवचनात्‌ |

समायोग तु Ufeai fame राजसत्तम |

समजायत गोविन्दो बालरूपो चतुर्भुजः |

ware पूजयेत यथाविन्तानुसारतः। दूति यद्धि पुराणवचनादरैरा रख कन्मकालत्व मवगम्यते | अतः-- कर्णो यख्य यः काल स्तत्वालब्यापिनोतिचधिः तथा कश्माणि कुर्वति ङस हदो कारणम्‌ इति विशुधगम वचनात्‌ सप्तमो सहिताष्टम्यां fama रोहिणो यदि | तत्लोपवासं gata तिथि मान्ते पारणम्‌ दति afegera वचना yaaa उपवासादि aie: परदिने शतोऽपि रोदिणोयोगस्य प्रयोजकल्वं weer बुधवारादै- दपि प्रयोजकलापनतः। यकष -- रोहिणी संयुतोपोष्या सर्वाधौघ विनाशने अरावा दधथोड कलया वा यदा भवेत्‌ | जयन्तौ नाम सा परोक्षा सवेपाप प्रणाशो इ्यम्िपुराण wat! तत्‌ कंमुतिकन्धायेन निभोष योग्ये शुल्बं मवगन्तग्बम्‌

वतीयः eee: | ४.६१

यशापि कान्द उदये चाष्टमो किञ्विश्रवमो सकला ate | भवते AGAMA प्राजापत्यक्तं संयुता अपि वर्षशतेनापि लभ्यते वा(सा)ऽधवा वा॥ इति| तदहानादिविष्यम्‌ | उपवास शब्दाश्रवणादिति हेमाद्रि श्चे- यदा | उदये चन्द्रोदये। भरतो ब्रतमद शति ary: पन्धाः। इदं व्रतं fae काम्यं चेति ववो निवन्धक्लारा माहुः | We अष्टम्या अपि निगोधवेधो arg: | fear मरैराते यदा wureal भवेव `इति वचनेन तस्येव मुख्काशतोष्ेः अष्टमो रोहिशोयुक्ञा fay (faite) दृष्यते यदि मुख्यकाल इतिख्यात VAT जातो इरिः खयम्‌ + दूति वचिष्ठ feria | अष्टम्यव्र चतुधा भिदते। लद्यधा | ूर्वेदयुरेव निभोधयो गिनो | atta निभोधयोगिनो छमयैदयुरेव निभोधयोगिनो नोभयेद्यु नि भोयोभिनो शव चादयो सन्देहः TMNT) 71

५६२ विधानपारिजति।

जश्ाष्टमौ रोहिणो शिवराति सथवच | पूर्ववि्वा प्रकत्ब्या तिथिभान्ते पारणम्‌ एति wana | भरगवयोशु परेव प्रातः aware व्याप्ेराधिश्यात्‌। AMAT प्रयन्नेन सप्तमोसंयुताष्टमो |

afa amauta एवमंशतः समव्याप्तावपि परव)

विषमश्याप्तौ तु ्राधिक्येन निणयः कायः,

रोहिणो योगोऽपि एव भेव चतुष्य कारो Sa: |

निम्बादित्यसम्प्ररायिनां तु उदटयव्यापिन्येव ब्राह्मा |

पूवविदहाष्टमो या तु उदये नवमोदिने।

gre मपि संयुक्ता सम्पूर्णा areal भवेत्‌

कलाकाष्ठा FRAG यदा क्ष्णाषटमो fafa: |

मवम्यां Mae UTM स्यात्‌ सप्तमो संयुता नहि इति पद्मपुराणोक्त ¦ |

उदय व्यापिनो arent कुले तिथिरुपोषशे |

निम्बार्को भगवान्‌ येषां वाव्किताधं फलप्रदः %

दति वचनाश्च

हेमाद्विषु सर्वेषां पूरवेव cary! पूर्वि इत्यादि org.

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© भित्वादिव्यपासकाडि ज्मो रामनदमो भिवरावादौ पूर्वहि कनक्ञालौनामपि तिथि aw हिति qenifa ote तिचि र्वाचा

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दतोयः सवकः | ६६१

वचनं तु gait fama अष्टम्यभाष fenaife vet चन्द्रो दयसमये कलादिमावराणटम्यां व्रतं क्त्यमित्येतडिषयम्‌ | छदयशथापिनोति वचनमपि निम्बसप्तमोत्रत पर fafa कोऽपि दोषः भव कस्य qe भविषे - ततोऽष्टम्यां तिलः ज्ञातो नद्यादौ विमले जले | Bet शोभनं कु्याहे वक्याः सूतिकाग्म्‌ त्म्ये प्रतिमा खाप्या साचाप्येवंविधा सृता काश्चनो राजतो ताम्बर पत्तो WAT तथा वारौ मणिमयोचेव वंकंलिचिताथधवा ! सव लक्षण ATA TAT पटाहते | wari प्रसूतां खापयेन्‌ मश्कापरि। at तत्र वालकं सुप्तं cay स्सनपायिनम्‌ « it यशोदां aa antag प्रदेशे सूतिकाण्र | ACY कणपयेत्‌ पाथ प्रसूनवरकन्यकाम्‌ maa वसुदेवोऽय मदितिशव देवको | Hata वलभद्रोऽगरं यक्रोदा सितिरन्भूत्‌ मन्द्‌; प्रज्ञापतिदक्तो गगखापि चतुमखुः | NGA कुञ्चरदेव दानवा; WITT:

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द) eI! हवन ;

४९४ विधानपारिजावै।

लैखनोया ava कालियो यनुना | इतयेवमादि यत्‌ किञ्चिच्छक्यते चरितं मम सेखयिला wan पूजयेद्‌ भक्ति तत्परः | मन्त्रेणानेन # कौन्तेय देवको THAT: Owes: Graal नमो दैव्ये रिया इति ततोमन््ेण वं ATTRA समाहितः चोरोदाणेवसम्भूत भति मै (गो) 1 aR VMAS यशाङेदं रोहिर्या सहितो मम WTA नमसुभ्यं नमस्ते च्योतिषाम्पते | नमस्ते रोडिशोकान्त भ्यं नः प्रति्टद्चताम्‌ प्रभाते ATAU STA भोजयेद्‌ भक्तिमाबरः | नमस्ते वामदेवाय गोब्राह्मण हितायच | शान्तिरलु शिवं चालु caer मां विसस्जयेत्‌ दति |

ae cee आ^आ«$«£िअःं6 षं - Se Oe ee ee ee ee ee ee oe 7 28, 1 ees 7) ^+ ~~ 7

nate: कित्र: सतते परिषता वे बौपानिनदैः. VHT कुक प्रवर AAMT: fee: सेव्यमाना | aay aga या भदिषतर gal पुतिकौ सम्बगाक्त, eq) देव माता जयति तनया Zea) कान्श्पा। एषं ate

' दवौ रख तमन्त ae | पदी सवाड्यन्तौ क्रोठंददय शरवग,

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दतौयः सवैकः | ५९१

तच हेमाद्रौ नारदः- तिथिर्टगुखं हन्ति नभर चतुगणम्‌ तस्मात्‌ प्रयत्नतः कुर््यास्तिधि भान्ते पारणम्‌ ` तिष्यु्चयोयदाच्छेदोौ vena मधापि वा)! प्रईैरागेऽथवा कुर्यात्‌ पारणं त्वपरेऽहनि इति वचनाद्‌ हयो रन्ते पारणं मुख्यम्‌ |

सरे ष्वेवोपवासेषु दिवा पारण मिष्यते |

दूति ब्रह्मवेवक्षवचनं तु व्रतान्तरविषय मिति SartE: |

ara निरोध भोजननिषिधः प्रवर्त |

WATT ऽथवा कुयात्‌

इत्यादिना विशिष्य तदिधानात्‌ |

अत्राशक्षो वद्धि पुराणम्‌- भान्ते कुासिथेवापि शस्तं भारत पारणम्‌ | तिच्यन्ते वो्सवान्तेवा व्रतो कुर्वीत पारणम्‌ |

दूति गौणं पारणम्‌ उभयान्ते पारख भिति तिथिनच्-

व्योः समयोगी द्रष्टव्यं | तिधेरेव प्राधान्धात्‌। सांयोगिक्षे व्रते प्रापे यशकोऽपि वियुख्यते aaa पारणं कुादिति वेदविदो विदुः दूति निणयामताच्च | इति जग्माषटमोत्रतविधानम्‌ |

भाद्रपदामावास्यायां

५६१ विधानपारिजाते |

कुश प्रण मुत हेमाद्रौ हारोषन- मासे नभखमावाखया तस्यां दर्मोश्चयो मतः| भयात यामासे दभो नियोज्याः eq एनः एनः 4 | sta | मभसि are) तैन दर्णान्तमासपन्चतेन जश्माषटभ्यनन्तर दर्शा शभ्यते। तत दभ ग्रहणं कव्य मिति केषाच्चिक्मतम्‌ | न्धे तु- माके मभस्येऽमावास्या तस्यां दर्भोशचयः स्मृतः | इति पाठं कलयित्वा नभस्ये argue «ft arena तत्र दभग्रहणं aay fare: | अथ भाद्रपद शक्ञढतोयायां इरितालिकात्रतसुक्त' स्कान्दे- Al SY aU urge: qutiara awsfa दिने गौरो व्रतं पर | शद्ठाधिकाया प्येवं गण्योग प्रशं सनात्‌ | इति areata: | चतुरी afeat arg ar बतोया फलप्रदा | अवेधव्यकरा Bat ga पौष विवर्हिनो हितोया सहितां तां तु याकरोति विमोहिता, सा वेध्य मवाप्नोति रुम्नदेहा जायते CIT Tea पाद्या मधुच्रावगिक्षा ama इरितानिक्षा |

दतौयः स्तवकः ४६१४

aqut fafaar सीमि fearam विधौयते AMAT नभसः शक्ता PTAA अता, WES कललो क्षणा शक्ता इरितालिक्षा इति दिवोदासनिवन्धववनाश्च | भाद्र RUT wp वरद विघ्नेश aque | साच warearfer are प्रातः शक्ततिलेः STAT WATS THAT | एति Garay भवि्योक्षः। परदिने मध्याहव्याप्यभावेतु gafawt प्राद्मा माद्धविदो ntact: | wae: BTS वारविगेषेप्रगस्ता। भादर णुक्तचतुर्घी या भौमेनाकंगवायुता | मतो साऽ faun मिले्टफलं लभीत्‌ इति निणयाङतोक्ञः। श्रव घन्द्रदशंनं निविदम्‌। ARTY VATA माकण्डयः- सिंहादित्ये शक्रपते * चतुच्यां चन्द्रदशनम्‌ मिष्याभिदूषणं कुात्तसात्‌ TAT तं तदा # तहोषशान्तये सिंहः प्रसेन मिति वं पठेत्‌

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yat विधानपारिजातै।

aag विष्णुपुराशे- सिंहः प्रसेनमवधोत्‌ सिंहो जाम्बवताइतः | सुकुमारक मारोदो स्तवद्नेषस्मन्तकः + षति भाद्र Ware ऋषिपञ्चमो | साच हेमाद्विमते परा) सिता परयुता UTM पञ्चमो एति दोपिकोक्े; माधवमते पूवा सर्वत्र पञ्चमो पूवा इति age: | लत ऋषोन्‌ पूजयित्वा wae भूमिजातेन # वर्तत ud सप्तवषौणि कत्वा सपङुम्पेषु प्रतिमासु ऋषोन्‌ संपूज्य ctf तस्मन्नेण अष्टो तरशतं तिलेदत्वा सप ब्राद्मणान्‌ भोज- यित्वा तेभ्यः इश्धाजिषेदयेत्‌ | इति निण्या दपि | अष भादर शक्त सप्तमो अमुक्षाभरण सप्तमो सा परवा ATW | ASA SAT | समम पूर्यैविद्ेव व्रतिषु निखिलेष्वपि ware पूवविद्ायाः परविदापि weary इति माधवोक्ञ : तश्च व्रतं यावस्लोवं कातव्यमित्युक्ल' मदनरत्रे -

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ढतौयः सवकः | ५९९

wa भाद्रपदेमासि ani हि जलाशये ज्ञात्वा शिवं मरडशके लेखयिला तथाम्बिकाम्‌ | भधा संपूज्य समयं FATT करे YR | वावश्नीवं मयास तु शिवाभ्यां संनिषेदितः | carte i परध ATE RTA FAA | at पूवेविदाग्रान्ना- श्रावणो दुगे नवमो दूर्वा चैव HATTA ga fant तु wnat शिवराद्विवं लेदिनम्‌ | इति वमस्मृतैः | wareaifata al हु मासि भाद्रपरे मवेत्‌ gateat तु सा कार्या ज्येष्टां मूलं वललयेत्‌ # दति यत्‌ परदिन विधायका aeret मूलयोगे बति दरह- व्यम्‌ | galeal सदालवाज्था व्येष्ठामूल्ं STAT | Tare पूजिता gat इन्धपत्यानि नान्धधा पतयुरादुरामूले तस्ता परिवस्नयेत्‌ | दति Garth निषेधात्‌ इदं व्रत मगस्बोदये कन्धाके कायम्‌ | wa भाद्रपदे मासि दूर्वासंन्रा तथा्टमो

लिहा एव WUT वम्धाकें HATS | 72

woe दिधानपारिजाहे।

fawa सोमा qa sqfet सुनिसन्तमे # इति मदमरतरे स्वान्दोक्न : | भाद्‌ शङ्ञा्टम्था मगर्योदये भादिनि पूवे area भेव कादिति Gare | इटं व्रतं स्रोणां नित्यम्‌-- या पूजयते gat मोहादिषटयधाविधि Tift जन्मानि awed लभते नात्र संशयः तस्मात्‌ सम्पूजनोया सा प्रतिवध (यथाविधि) वधूजनः इति पुराण aaa यदालषटम्बां ज्यष्ठादैः सम्पूण योग सदा-- HRA AHA CUBA यदा भषेत्‌ al मभ्य्येद्‌ भक्षा वन्हंप दिवसं गयेत्‌ इति arate स्तज्रापि व्रतं काय भेव। विधिरु भविषे- शचौ देशे प्रजातायां दूर्वायां ब्राह्मणोत्तमः | ख्य लिङ्गं ततो गन्धः पुष्य WG: समशयेत्‌ दध्य्षतेहिजग्रे्ठ Wa दद्याच्निलोचभै दूर्वा शमोभ्यां विधिवत्‌ पूथयेच्छदयाग्वितः मन्वणु- a ूर्वेऽतजसासि वन्दितासि geet: | सौभाग्यं सन्ततिं देहि aaarrarenel भव

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9 सुनिशलमे wre eae. |

कतोयः स्ववक्षः | yes

ववा MTS प्रधालामि विखुता लं ANAT ¦ तधा ममापि सन्तानं देहि लमजरामरम्‌ | सनम्निपक्ष मग्रोयादननं दधि फलं तथा अचार लकं AWA मधुना(सम्रम्‌) गितम्‌ | इति | मद्रे अधिमास सति निर्षयदोपे खान्दे- अधिमाते तु संप्राप्ते नभस्य खदये मुनेः | अर्वाग्‌ दूरवाब्रतं काय्य परतो नेव कुतचित्‌ इति अकव BTN उक्ता माधवोये स्कान्दे मासि भाद्रपदे wae च्ये्ठक्षसंयुते | afary कस्मिन्‌ दिने कुया जेष्टायाः परिपूजनम्‌ इति | fenea नस्षत्रयोगे षति परा arm) पूर्वहि रावियोगै yaa | नवम्यासदकार्ययाखादष्टमो ATT GWT: मासि भाद्रपदे शक्तपते exes संयुता राजियस्मिन्‌ दिनै quina श्चेष्टाप्रपूजनम्‌ दति लज्रवोके:। क्षचिदस्य amare: | afary दिने भवेव्लाष्ठा AUK Fy मप्यशुः | afag efrd gare न्धुनाचेत्‌ पुववासरे fa |

ROR विधानपारिजातं |

इदं केवल तिधो wat चोह्मम्‌ | famaaraterad featt केवशचक्षे | इति aa: | दाचिशात्यासु awa एव इदमाचरणन्ति | anfe— मेजेणावाषटयेदेवौं च्यष्टायां तु प्रपूजयेत्‌ मूले frasatat विदिनं व्रतमुत्तमम्‌ | दूति | ART मन्वसु- श्येष्ठाये ते नमो नित्यं बेष्ठाये ते नमो नमः | श्वा (ये) ण्डे ते नमोनित्यं चायं ते नमो नमः aft | अघ WRG Creat अवणयोग रहितायां पारणं ङुरवात्‌- आभाकासितपचेषु मेज खवर रेवति सङ्गमे नहि भोक्षव्यं दादश हाद शोहरेत्‌ i इति निषेधात्‌ wufa fara विण्णुधश्च- मेजाद्यपादहे खपितोह विष्णुः are पाटे प्रतिवोधमेति | aay मध्ये परिषत्तमेति सुति प्रषोध परिवकेन मेव वज्चेम्‌ far

aaa स्वक्षः Koy

अभेद शक्र्वजोयापनमुक्षमपराके हादश्यां तु सिते पशे मासि भाद्रपदे तथा | शक्रमुल्यापयेदराजा fam अवण ara’ + ति | इयमेव AUTISM | तत रएक्रादश्यां दादभौ अवणयीपी सवीपोष्या | एकादभो हादभो वैष्णव्यमपि तरचेत्‌ | तदिष्णुगरक्णलं नाम विष्णु सायुज्य क्षद्‌ भवेत्‌ वति faryuatie: | dared राजन्‌ हादभोमपि dey | रवशं ल्योतिषां ze ब्रह्महत्यां व्यपोहति ।॥ इति नारदोयोक्ञेष | तब यदि कलामात्रं अवशं भवति तदा पूर्वव fafa नक्रयोर्योगो area नराधिप | ferent यदि लभ्येत सन्नेयोश्यष्टयामिकः इति नारदोयोक्ञः | दिवोदासोये तु ay विष om: रातेः प्रथम पाटै)याभेचेच्छवणं हरिवासर | तदा पूर्वामुपवसेत्‌ प्रात भान्ते पारणम्‌ fa feast यदि waa इति पृववचनं तु कंशुतिकन्धायैन प्राशख्यपर मित्यवगन्तश्यम्‌ |

909 विधानपारिजिते |

इयं वुधवारे wanna वुधश्रवण GYM सेव चेदादशो भेत्‌ | अत्यन्त महतो VATE भवति चाश्षयम्‌ इति ATI: | यदातु एकादश्सेव Araya तदापि yaa | यदा प्राप्यते we Ure वष्णवं कचित्‌ एक्ादगो तदोपोष्या पापन्नो खवणाज्िता | इति नारदोयोक्षेः | यदा हादश्येव TT युता #। तदा उपवासहयम्‌ एकादशो wren विष्णु aaa संयुता | उपवास इयं WAT leat तु पारयेत्‌ | इति विशुक्ञः। ननु पारशेनेव व्रतसमापे रेका दभो व्रत WAAAY कथं व्रतान्तरख्य प्रारम्भः | UAT AA पूर्वे मेव ङुर्यदुतान्तरम्‌ | इति fatarfefaaa | उभयोत्र॑तयो रकटेकतत्ेन विहि ACT जिषैधाप्रहतेः | निषेधस्य aware विषवन साव काशलात्‌ | ` एकादशो सुपोष्येव हाद ससुपोषधेत्‌ नचा विधिलोपः ख्यादुभयोदंवतं हरिः इति हेमाद्रौ भविष्योक्ञशच |

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wala: स्तवक्षः ५०५

TY राजन्‌ परं काम्यं AIT CAM व्रतम्‌ दति शृरधोर्षवचनादिदं व्रतं काम्यमेवैति गौडादय STE: दाक्िणाल्यालु | एकादश्यां नरोभुक्ता Weal समुपोषशात्‌ | व्रतहयज्ञतं YR सवं माप्रोत्यसंभयम्‌ उपवास ARAT तु मरो मरक सच्छति। इति वामरनपुराशोक्ष ; शवणहादशोव्रतं नित्मित्बाहुः | अत्र पभुक्गोति Vea: यहा मुक्कति फलाहार परम्‌ | AAAI | “genfrarfa पापानि" इति एकादशो प्रकरणे परभ्रस्येव निषेधात्‌ उपवासदयं ae शक्रोति नरो यदि | प्रथमेऽह्धि wareral निराहारोऽपरेऽहनि sfafearerata भविष्योक्ञेष | उपवासहयाशक्नो तु खहोतेकादगोव्रतो यस्तं TAM मच्छ | इाद्ष्वां wars तु aaa way यदि। खपोष्ये कादशं तत्र creat पूजये * दरिम्‌। पूजयेत्‌ पारयेदिति हेमाद्रिः WHA RTS HATY एव भेकादभशीं yur हाद्ीं समुपोषयेत्‌ |

9 gran, उपवमेदिति Saar |

8, | विधानपारिजातै |

पूवेवासरजं gal से प्रप्रोतयसंशयम्‌ , , इति नारदोयोक्षी सीदशोभेव उपवरसेत्‌ | पारणं तु SHAT अरन्धतरान्ते वा FAN fafa awa संयोग उपवासो यदा भवेत्‌ 1 पारणं तु कर्तव्यं यावव्रंकस्य संक्षयः विधिषेश मोपाल zat ake यदि। तिथिय weal हादभौं नेव aware इति निशयार्ते नारदोक्षो: अखाधः-- fafa aaa संयीगनिभमित्तकोपवासव्रते तिध्यन्ते aera बा प्ररयेत्‌। इयोः समकालव्याप्लेतूभयान्ते | Awa हौ त्रयोदश्या मिति ALATA Fi दादशोहरौ अवश दहदौ वा waaay एव पारणं कयत्‌ t पारणं तिथि wet तु दादश्यामुड संक्षयात्‌ t awl कुष्योचयोदश्यां तत्र दोषो विद्यते इति वद्धिपुराणादिन्युक्षम्‌ | हरौ संपू remand भयोदण्यां पाण्येदिल्ः। wert बण adam मध्याह्न व्यापित्वे एव तब्रोपोष जयोदश्यां पारयेत्‌ | शक्तावा यदिवा क्ष्णा हादयो खवशाज्विता।

TAA सदकंः | ५७३

श्रा मध्याहकाद्पोषा सा व्रयोदण्यां तु पारणम्‌ दूति विष्णुर्स्व वच्चनादिति afeery: | वामनावतारनिमित्तोपवासतु (व्रत) हेमाद्रौ मविषे-

दादण्या स्तेविधिः प्रोक्ष rata युधिष्ठिर

सवंपापप्रशमनः सर्वसौख्य प्रदायकः

एकादशो यदा सा खयाशच्छदेन समज्िता।

विजया सा fafa: what भक्ञानां विजयप्रदा इत्यपक्रम्य--

परथ काले बहुतिथे गते सा yf भवत्‌ |

S34 wah मासि ga सा बाप्रनं इरिम्‌। इ्यादुक्षा-

एतत्‌ सवे समभव Sate युधिषिर

विनष्टा टेवदेवश्य सवधा विजया fafa: 1

एषा व्युष्टिः समाख्याता एकादश्यां मया तव

इ्युपलंशारा्छवणान्वित काद्या मेव भवति

afefag तचवाग्निषुराणे-

गदौनां सङ्गमे Gat द्ंधेदव्र वामनम्‌

सौवण वसत्सु Cres मुदितम्‌

दिरस्मयैन पाव्रेष दद्यादष्यं प्रयब्रतः | अष्य'दान मन्बलु-

ANS पश्चनाभाय नमसते जलशायिने |

तुभ्य मघं प्रयच्छामि वारवामन ङपिषे ® 3

yar विधानपारिजातै।

एवं सम्पूज्च देवेशं प्राधयोतं व्रतो ततः | नमः कममल किष्शक पोतनिग्ल वाससे महारव रिपुखन्ध (ट) तचक्राय चक्रिणे नमः शाक सोरवाण पाणये वामनाय यश्रभु्षलपात्रे वामनाय नमो नमः, शेषैश्वराय देवाय देवसंभूति कारिणे a प्रभवे सवं देवानां वामनाय नमो नमः | एवं संपूजयित्वा तं हादश्या yea रैः भङ्कार सहितं तं तु ब्राह्मणाय निवेदयेत्‌ | वामनः प्रतिद्ङ्काति वामनोऽषं ददामिते, वामनं सदैतो भद्रं दिजाय प्रतिपादये दूति | एकादश्यां अवशयोगाभावे तु दशमोविद्वापि अवण युता ATE | दशस्येकादभो यव सखा Marat भवेत्तिधिः यवेन समायुक्ञा सेवस्यात्‌ सवकामदा दूति वद्किपुराशादिल्ुक्ं मदगरब | बाघ्नन पूजाच मध्याङ्गे काय्य अद्कोमध्ये वामनीरामरामो- इति gate qa: चवणादश्वां तु जनादनपूजाविडहिता ` इादभ्ौ यवशोपिता तस्यां पूज्यो जनार्दनः | तिम्‌ संपूजिते दैषै सवं वं पूजितं भवेत्‌ दूति बथमात्‌ जनादन पूजाविधि बामनपूजा विधिवज्‌ श्रेयः |

वतोयः स्वकः; ४५७९

पिध्यन्तरख भनुक्षत्वादितिनिषयायते omy | Waa Wren विष्णु पञच्चकाव्रतारण्ध Sa स्कान्दे प्रोह पथां सिते पके हादश्वां aad यदि | तदारभ्य व्रतं कुर्वान्‌ मागणशोषं थवा कृप मागभ्रोषस्य Yaar भेकादण्यां समारभत्‌. | एकादशो हयं AT ्रमावास्याच पिमा a खवणं fay awa मुपोष्यं प्रतिमासक्षम्‌ | एवं संवत्सरं Asta उद्यापनं चरेत्‌ पत fafata तु- उदयब्यापि दशः स्यात्‌ पणमासो तु यामगा मध्याह्व्यापि awat दूह इरिदिन इयम्‌ दिनहये तथाव्याप्ता gare तृत्तरंदिनम्‌ | दति विष्णुरशस्ये अतेव दुग्ध व्रतस्य dare: काः | wae fat दुग्धवत्‌ पायसं aed मवेति। वश्य. मति केचिदाहुः नहि प्रक्षति cent विकार wert ae धिष्टतादोना मपि वक्लनापरषः। यत प्रकषतिरसो-पमण्भ षत्‌ पायसादि aed # | दध्यादेरतथालाब्र तद्‌ वजन मिति वाच्यम्‌ भौषृदध्यादे ॥व्जनापत्तेः। WY दध्यादौ तु दुग्धरसानुपलग्भात्‌ तस्मा

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हध्यादिवत्‌ पा्यसादि wer मिति। aera?) यच विकारे wafacacen सज) विक्तारथ्यापि निषेधः भांस- fata मांसविकारस्येव | भ्रस्तं मांसविकारे -ांसरषो- UAH स्तत्‌ प्रत्यभिज्ञा मांसलानप गमात्‌ | यत्त॒ भोषदध्यादेरनिषिधापत्तिरिति। aw wy मेक शफं सश भरण्यकमथाविक्षम्‌ | cea ty मिति विकाराधविहिततरितात्‌ शकलम्‌ मूषा- दोना मपि निषैध इति विन्ाने्षरेण तदिकारमात्रख निषिधात्‌। aad afararfremtsaet गोपयः परिवस्छयेत्‌ भष सज्धिन्धादि सोरनिषैधेऽपि त्यादि (awe) निषेधः स्यात्‌ सत्यं वचनान्तरेण तस्वापि निपिधात्‌ तथा चापराकें गहः चलोराथि याग्धभश्याशि तहिकाराशने बुधः | SHUT व्रतं Bay प्रयत्नेन समाहितः # इति | व्रतं गोमू यावकं तस्माध्यादि are पायसादिषनज् fafa fad: केचित्त पायसं चोराद्व्यान्तरं। विथिशटलात्‌ | दध्यादिषत्‌ इतरथा areata दधिलवापन्तेः | तद्रस प्रत्यभिन्रातु सेयं दोपकलिका इति वत्‌ साहश्छादुप- aat| मांसविकारे तु मांसत्वानपगमादिव्यादुः | | ufo नः aye भूयाद्‌ योनो caTAAeNs |

wala: Ware: | ४८१

पायसं अुसपिर्था autg were इति भारत वचन निरवकाशलाशच | अन्धे तु पूर्वोक्त meses सवषिकारनिपिष cary: | तत्‌ षदाचारविङ्दं अथ भाद्शक् AE मनन्तत्रतं विरहितं | सातु विसुहत्तापि भ्रोदयिको aren इति ares: | sea दिमुहत्तापि चाश्नानन्तत्रते fate: इति कचित्‌ पाठः “aware भोज्यवेलाया मिति कथायां अदशन्‌ मध्याह्न व्यापिनो ave: इति दिवोदासनिषन्ध t ane. afmag यत षदं परह्ञतिरूपमितिहास art विधायकं विधिवाचकानां at gaty करोतु क्त्यं करोति बति लिङ्लोट्‌ तव्य पश्चमलकार प्रलयाना ममावात्‌ | प्रातः एक्ततिलेः जात्वा ware हेव wey | fa गेशत्रतादादिव अनन्तकधायां कालविधायकषववना- म्तराभावाच्च | भन्यधा- सापि ोला तरतं चक्रे करे वद्गाखुडोरकम्‌ | धायैय ite विप्राय द्वा yw तथव दति वथनादन्येषासपि व्रतानाभारमोमध्याद्न एव प्रसन्येत | निविदः व्रतानां प्रातरेव sree (काथतात्‌) माशलयात्‌ | AEN रेमाद्रो- प्रातरारभ्य मतिमान्‌ कुर्या ब्ह्रतादिकम्‌ `

YsR विधानपारिजाते।

नापराह्न मध्याह्न पि्रौकालौ fe तौ अतो इति | भन्धेऽताहुः भ्रनन्तव्रतस्य TNS, ATH व्यापिन्धा मेव काय fafa तदपि Wave we विप्राय camara कुर्यादि- व्येकभक्षत्रतस्य भ्रविधानात्‌। fay OWT Wa एतैनेव गोधुमानां प्रयब्रतः | we विप्राय दातव्य at मामनि भोजनम्‌ | दत्यनन्तत्रताहतन भोजनविधानात्‌ | अतोऽत्र अनन्तपूजन- स्येव प्राधान्यं गम्यते। तस्य देविकलात्‌ gael वे टेवानाः भिति ya: पूर्वाह्न एव विधानं ga. war भन्धस्यापि मागेखस्येव पुंसः fara पत्यनरुच्नाताया एव श्रत्राधिकारः। पाथेयगेषस्यंव Saat naa | पअतोऽत्युपङ्चव पद्यते | तस्मात्‌ पूर्वाह्णो वे देवाना भिति खरुतिसूलकात्‌ | उदये feqenifa ग्राह्या amaa fafa: | fa माधववथनादुक्ष एव कश्मणामिति सिषम्‌) नमु माधववचने अपि शब्द प्रयोगात्‌ “aaah नमस्कारं कुवन्‌ frat: पटं व्रजत्‌” इत्यादिवन्‌ मध्याद्स्येव सुति नं काशाम्तर- विधाने तात्य fafaaa दष्टान्तासमरवात्‌। दशन्तेडि वचनान्तरेण भश्याद्युपेतस्य नमल्कारश्य सफललसिह सद्रहि- तस्य fafasaa नमस्कार मुतिमात्र ary) wa तु

कतोयः स्तवकः | ५८३

कालान्तर विधायक free प्रमाणान्तराभाव faqaty काल fata विधाने तात्प fafa महान्‌ fait: | fay— तथा भाद्रपदष्यान्ते चतुृश्यां हिजोत्तमः | पौणमास्वा समायोगे व्रतं चानन्तकं चरेत्‌ तधा- मुहं मपि Myre पूणिमायां चतुहयो सम्पूर्णा तां विदुस्तस्यां पूजयेदिष्णु मव्ययम्‌ इति निणयामते स्कन्दवचनसद्भावष | , उपवास व्रतादोनां घटिककापि या भषेत्‌ | sea सा fafa dar विपरौतातु पढे 1 cea अपि शब्दादेकभक्तनक्षादेः dae दुदयव्यापिन्धेव fafa ग्राह्या उदिति वतं भानौ पित्रा arena रवो | fe fa axtast या सातिधि हष्यकव्ययोः + दूति सुमन्तु वचनाच भ्य कणो देषिकला ce fe agnita ure एति सिदम्‌ | wa way) दगस्याष्यदानविधि Tua | aaa व्रत हेमाद्रौ मवि्े- कन्याया मागते सुरे ware सप्तमेऽहनि | कन्धायां aaa fare searat मपि सप्तदिनेषु भवत्येव |

५८४ विधानपारिजाते |

्ासप्तराश्रादुदयाद्‌ यमस्य

erat मेतत्‌ was नरेण |

यावत्‌ समा; सप्त दशाथवास्

रधो ers वदन्ति केचित्‌

परमस्य अगस्वस्येत्यधंः। तदुदय कालो TAT: |

उदेति याभ्यां इरिसंक्रमाद्रषे

रेकाधिक्ते विंशतिमे were: |

सप्तमे ऽस्तं ठषसंक्रमाच्च

प्रयाति ग्गादिभि रभ्यभाणि

afefag विशुरहस्ये--

का yer रम्यां जला मूत्तिं तु वाहणेः प्रदोषे विग्रं तु पूणङुम्भेष्वलङ्कताम्‌ | कुम्भां पूजयतां तु पुष्पधुपविलेपनेः दध्य्षत बलिं TITRA इयात्‌ प्रजागरम्‌ प्रभाते At सप्रादाय यायात्‌ FA जलाशयम्‌ निशावसाने तां पश्यन्‌ जलान्ते प्रतिमां a: | श्रयं SATS महधा सम्यगुपोषितः # +

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„9 ae तु-- aye साधर पुषं तष्टेव सौवण मन्यासतं TY दष्छम्‌। aque gugefawa धान्यानि gage agaist MUTE पुष्यात Ulm Fe eae दद्यह्विजिपुङ्कवाय Sq ceticadt दद्यात्‌ ereawened दिज्नाव शति

देतोयः स्तवकः ५८१५

fees: सपधाग्धेख वंशपत्र निधापितैः | सौवण SOY पात्रेण ताम्रवंशम्रयेन वा | afe feta aay जानुभ्यां धरी गतः |

अष्यदानमन्ाः- काशपुष्पप्रतोक्षाश वड्धिमारतसश्चव | मिन्रावर्षयोः पुत्र कुश्चयोने नमोऽलु तै विन्ध्य ठदिश्चयकर मेघतोय विषापड | Taam Sty लगवाम नमोऽसु ते वातापि भक्तितो येन समुद्रः शोषितः पुरा

- लोपासुद्रा पतिः श्रोमान्‌ योऽसौ तस्म नमोनमः येनोदितेन पापानि विलयं यान्ति चाधयः | तस नमोऽख्वगस्याय सशिष्याय पुत्रिणे aren: खनमानेति विप्रोऽष्यं ` विनिषेदयेत्‌ zwa we aca प्रणिपत्य विसस्नयेत्‌ afaaed यथा शका) ति नमोऽगस्य महर्षये | Ufgarafaat cat arafafe व्रजखमे। विसस्जयितवाऽगक्चं तं विप्राय प्रतिपादयेत्‌ श्रगस्तो मे मनखोऽसु भगम्तगोऽस्िन्‌ ache: | aman हिजरुपेण प्रतिष्न्नातु सत्कृतः | अगस्तयः सप्तजन्भाघं नाशयत्वावयोरयम्‌ I अतुलं विमनं सोख्यं प्रयच्छ तं महामुने

त्बभेदगस्ता मुदिश्य waar रलम्‌ 74

yrg fauraaricand |

होमं HAT ततः पथादल्णयेन्‌ # मानवः फलम्‌ होमषाज्येन WH प्रन्धरेव कर्तव्यः SAU सप्तवर्षाणि क्रमेणानेन GTA | ब्राह्मणः स्या्तुवंदः सत्रियः एथिवोपतिः वश्छख धान्यसम्पन्नः शूद्र धनवान्‌ भवेत्‌ , यावटायुश यः Fal परंब्रह्म गच्छति | इति भविष्योक्मगरयाष्य टानविधानम्‌

wa भाद्र पोर माद्यां प्रपितामहात्‌ परां सौनुदिश्य My काव्यम्‌ age इम द्रौ- नान्दोसुखानां VAS कन्धाराशिगते रवी | VATS AWA ATE वचनं यथा दति माकंश्डेये ब्रा्रेऽपि परिता पितामहदेव तथेव प्रपितामहः | जयोद्चगरमुखाद्चेते पितरः परिकोत्तिताः तेभ्यः पूवेतरा ये प्रजावन्तः शुखधिताः तेतु नान्दोमुखा मानदो समदि रिति कथ्यते |

एतश्च प्रलब्दमित्यु तयात्‌ प्रच ब्रादपके सछत्‌। महासय- away लाव्लकमिति प्रयोग पारिजाते क्म्‌

[० [1 - मी ee toate = ` eee Ae कन

9 जयेदिति निवड:

SNA सवक; ate

wa मातामहा भ्रपि arat: पितरो aa पृष्यन्ते aa मातामहा भ्रपि। afanta कत्तव्या fataraca व्रजत्‌ दति धोम्योक्ेः। पिठशब्दस्य पिढमावापब् पूव्वेजपरलात्‌। वाषिक are तु वचनात्रिहत्तिरिति केचित्‌ aa यद्यपि कषु समन्वितं मुक्ता तथायं यरा षोडशम्‌ | परत्याष्टिकं शेषेषु fawn: a: षडितिखितिः।॥ afa कात्यायनेन दर्णादौ षटपिष्डा भरभिदहिताः। तथापि नात्र मातामदप्रासिः। पिढशब्दस्य जनकपोषक्षादौ Sean प्रपितामष्पिव्रादा वहतस्तित्वात्‌। afer वा तेषामपि भषु- मुखत्वेन नान्दोमुखत्वाभावानब्र Zanrafafe: frawew सपिश्छोकरशादिना पिढभावापनश्रपिढपरत्वम AY प्राप्नो तु तोधादौ भचार्ययोहिगेन क्रियमाश गाहे तत्‌ wife: स्यादितिदिक्‌ |

ति भादरपदमाम विधानानि

अश्राश्विनमासविधाननि।

तज महानया UF | तच हदमनुः श्राषाढो मवधिं कलवा aga पर माथिताः। कीहःन्ि पिर: fae waaay कृनम्‌ |

you विधामपारिजातै।

तत्रापि कन्धासंक्रान्ि योगी ्रतिप्राश्स्यामाह fay:— RAAT, TH सोऽत्यन्तं पुश उच्यते | दूति सत्रविधेष माह ae मनुः- मध्ये वा यदिवाप्यन्ते यत्र कन्धां व्रजेद्रविः। पत्तः सकलः AS: ग्राइषोडशकं प्रति ब्रह्माण्ड पुराणेऽपि- कन्धां गतं सवितरि दिनानि दश पञ्चच) पावशिनेषविधिना are aa विधोयते तवव- कन्यां गत सवितरि यान्यहानितु षोडश | क्रतुभिस्तानि तुख्यानि देवो नारायणोऽव्रवोत्‌ vfa पञ्चदशदिनानि षोडशदिनान्यप्युक्ञानि। aa हेमाद्रिः षोडशकं भिधा व्याचष्टे तिथि sen पक्षस्य षोडशदिनाकलतवे aresera मेकः पक्षः भादरपूणिमया सहेति हितोयः। भाष्डिन शएक्तप्रतिपदा सहेति ढतोयः। aa ae (ठतोयं) od am मुत्प्यामः | अदः षोडशकं यत्त शक्तप्रतिप्दा ae | चन्द्रयाविशेषेण सापि दशका खता | fa टेवलोक्गः | Gata GY UM Sa हमाद्रो ATW WAAR ATTY तु श्रां Hatfeafer

ढतोयः स्वकः | ४८९

विभागहोनं ad वा विभागं we मेव वा | we: ) दिने दिने पर्षपथन्त मित्येक प्तः | विभाग-

होन मिति पञ्चम्यादि हितोय भर्टमिति weenfe खुतोयः। विभागमिति दशम्यादिषतुधः। faq: प्रत्यब्ददिनतिधौ तद- aut भरमावस्यादो वा स्न्‌ महालयश्राईइ मिति पञ्चमः पक्षः सच

प्राण्डिनस्यासिते पत्त रां कत्‌" शक्यते |

दिने दिने तदा कुर्यात्‌ faq: प्रत्याद्दिकैऽडनि ।॥

षति qa: गोतमोऽप्यार- श्रधापरपक्े याहं पिढभ्यो दद्यात्‌ पञ्चम्यादि ete | चष्टम्यादि दशम्यादि सवस्िंखति |

wa दर्णान्तमिति erated | तधा हेमाद्रौ नागरखग्ड- प्राषाग्याः पञ्चमे पक्त कन्धासंखय दिवाकरे यो वं ग्राहं नरः कुर्याटेकस्ित्रपि वासर तस्य संवल्सरं यावत्‌ daar: पितरो भ्रुवम्‌ इत्यक; THM: | महन्‌ महालये , च, वज्यनिष्यादयु्षं प्रयोग पारिज्ञातादौ |

वशिहः-- ari भागवित्‌ चतुदश्यां fang |

Yeo विधानपारिजातं |

एषु AE कुर्व्वीत WH पुत्रधनक्षयात्‌ दूति। mares तत्‌ पूवं तदुत्तरं चेति त्रिजन्मनि, हहगाम्यः-- प्राजापत्येच पौष्णे पितरक्त भागवे तधा aq A प्रकुर्व्वीत तस्य पुत्रो विनश्यति प्राजापत्यं रोहिणो पौष्णं रेवतो fore मघा! aye sfa— नन्दाकामरव्यार wafafas कालम्‌ | गण्ड ayfa ara पिर्डास्याज्याः सुतेषुभिः। दूति अस्याधः नन्दाः प्रतिपत्‌ ष्टमकादश्यः भः सप्तमो | काम स्रयोदशो। ्रारोभौमवारः। wy: wa! fen कत्तिका faad मघा। कालम भरणो। ष्टं षवं सल्ल सहालयविषय मित्याह एषयोचन्द्रोदये नारदः | सल्लन्‌ मालये काम्ये पुनः श्रादेऽखिलेषु | anata विषये चेव सव मेतद्‌ विचिन्तयेत्‌ अत्रापि क्रविदपवादो इमाद्रा am: परमापाते भरण्यां CST (AIAG; GAs } are तिथिं aed ant चन विचारयेत्‌ दनि | पराशर माधवोयेऽपि एव मेवाभिरहितम्‌ |

TMA: स्तवकः ५८

तथा faaaare faut ana महालय करणेऽपि एत्र निषि मित्याह निशयदोपै नागरखण्डे afar: |

प्राषाच्याः पश्चमे पत्ते wade दिवाकरे |

मृताहनि faqat वे ae दाख्यति मानवः

तख संवत्षरं BATA: स्युः पितरो धवम्‌ |

तस्मास्तन्रप्रकन्तव्यं AN गहापरं नरः

दति संगष् भत मताहनोति विेषोपादानान्तत्र नन्दा- wafe निषेधानवकाश इति तद्‌ ग्रन्धकारः अादकाशिकायां aee: सम्पद्यते acefefa सूत्रमपि एवं व्याख्यातम्‌ | कात्यायनः--

या fafa यस्य मासस्य मता तु प्रवत्तते

सा fafa: पिदटपत्तेऽपि पूजनोया प्रयब्रतः |i

तिचिष्छेदो कन्तव्यो विनाऽभौचं यदृच्छया |

पि्डश्राहं anal fafesfe नेव कारयेत्‌ |

ANH: पक्चमरध्येतु करोल्यकदिने यदा।

निषिहेऽपि fet कुर्य्यात्‌ पिण्डदानं यधाविधि

षति | तथा सम्पूणं प्च ATE करणेऽपि नन्दादि fata vary

पराशर माधवोये छष्णाजिनिः।

श्राखिनस्यासितैशपचै याहं कायं fer fer |

नभगययाप रपम दत BRAT

५८२ विधानपारिजाति |

मैव नन्दादि aed स्यारेव निन्दा चतुभो इति अतः- ` प्रतिपत्‌ प्रतिषेकषां वल्लयिता चतुदभोम्‌ Ae प्रशस्तास्तिथयो यथेता तथापराः इति मनुवचनं काम्यपश्चम्यादि पत्त विषय मिति ea मदनपारिजातैऽपि एव मुपसंद्ृतम्‌ | wat नन्दादौ सपिष्डक- ae पुत्रवतोऽपि अधिकार इति | अरविरपि- मषहाशये Wares दशं पुरस्य जक्मनि। लैर्धेऽपि निवपेत्‌ पिण्डान्‌ रविवारादिक्षेष्वपि | afar aay नन्दादिनिषेधो aarenfafem सक्तन्‌ महालव fara: | पोणमासो मत रादविषयदेति सिम्‌ | यत्तु Aaa सारे विवाह ब्रत चुासु वष ae तदेकम्‌ | पिण्डदानं aera galfea तपंणम्‌ इति तदपि महालयव्यतिरिक्ग काम्यश्रादषिषयम्‌ | ate deat प्रेते fran महालये | fageri ngeata युगादि भरणो मधे इति awe: |

SMa: Bee: | Wee

महालये marae ararfeat:(wa) मृतेऽहनि watervista gata पिख्छनि्परं wer दति aaitwa) अयमभिप्रायः षोड़शाहग्धापि are wa पिण्डदान fate) ware are मेऽपि व्यतिपातादो सति पिष्डनिषेधः। मृताहे सञ्जन्‌ awreasfa पिष निषेधः। सताइव्यतिरिन्न any महालये तु निषेधः इति सग्यासिनां तु हादण्यां were: | यतोनां वनखानां वे शवानां विशेषतः | crew विहितं are क्ष्णपसे विशेषतः इति संप्रशोज्ञेः। उङ्नकाले arerace गौणशकाल ary दम द्रौ qa! कंसे कन्यासु wate शाकेनापि खरे वसन्‌ | पश्चम्योरन्तरे दा UAT qe: श्राश्िन कष्ण शक्त पश्चम्योमध्ये Tae: तज्राप्यसंभवे भविष्ये - येयं दोपाग्विता राजन्‌ ख्याता पञ्चदशो भुवि | तस्यां द्याब्रचेषसं पितृणां वं महालये AMAIA भारते AIS कन्धा तुलयोः करमादास्ते fearac: | yay प्रेतपुरं तावहिकं यावदागतः ब्राह्मे - हदिक्े समतिक्रान्ते पितरोदेवतेः सह (6

५९.४६ विधानपारिजाते।

fame प्रतिगच्छन्ति शापं द्वा बुटादशम्‌ AY MARSA A t प्आकाहन्ति पितरः cyt पशमाधिताः। लख्मात्तव्वदातमग्धं दत्तमन्धव निष्फलम्‌ दूति तत्‌ फलातिश्यपरं तु अन्यत निधैधकम्‌ बसे कन्यासु एति वचनस्य वेय प्रसद्गादिति दिक्‌ अन्धक पुराण aqua— UNITE Gata सूतकं निपतद्‌ वटि समना इताह पितरः सूतकान्ते विखच्बयेत्‌ | यदि नेव मरः कुयात्‌ सूतकान्ते समापनम्‌ | प्राग्‌ दत्तानि मगुधेख याहान्दसुरदपये इति | इटं ओद WHAT कायम्‌ मृताह सपिण्डं NANT महालयम्‌ | araaisfa कुर्व्वीत are area किचित्‌ a इति सूतिदयये गालवोज्ेः | wary देवताः तव विश्वेदेवाः | विषे देवो mq eel स्वाबिटिषु कोल्तितौ WAR कालकामौ काम्ये पुरिलोषनौ | पुरूरवा द्वौ चेव TTS VAST HAT हदि शादेषु सर्वेषु देवौ सत्य वसु खतो | दति हेपराष्रौ awafa सतिः |

ठतोयः स्तवकः, ४९४

qat— ताताग्बावितयं खपव्रजननो मातामह्ादिभरयं afer स्नोतभयादि तातजननो खज्नातर स्तत्‌ जियः + ताताग्बामभगिन्धपत्यधवबुक्‌ जायापिता बहुः frrarar: पितते महाणयविधौ ate तथा aces इति प्रघटहके सग्रहवचनम्‌ | खत्म सारेऽपि महालये erase एषम्‌ ae मिति अत्र विशेषः खतिदपणे गालवेनोक्षः-- WHAT मातरो यख ATG चापरपश्िकं weed TAR Hate foes Aa तु निवपेत्‌ fa | शिष्टा we अशक्षविषयतां मला waa foe प्रयच्छन्ति waaay रेकोदिष्ट मेव मपिचडोकरणादृहं पित्रोरेवहि पाव्यम्‌ fara ara मातृणा मेकोटिष्टं सदेवहि इति argent: | जोवश्माढकोऽपि aaaagentee कुर््यान्रतु. werey पुवद्मतिः ग्ाहदोपकनिकायां तु पावक मुन्नम्‌ | ULM TANIA गयाश्राडइ' महालयम्‌ | fomaaly IW काथं पावंशवद्‌ भवेत्‌ इति ayaram: |

५८६ दिधानपारिजाते

wa aafa मातामादोनां waa are नोपलभ्यते तथापि frat सति तत्‌ area | महाशये गयाश्रादे हौ चाग्बटटक्षाशु च। नेयं tien देवत्यं ata Me मघाश्ुष इति निगमोक्षेः कुर्याद णदेवत्यं aay gers तधा MG गयायां एष धरी; सनातनः | इति काल्यायनोक्ञेच हेमाद्रि नवदवल्यमाह AMAT TAA हरौ चान्बष्टकास | गवदेवत्च wae येषं षापौरषं विदुः इति | पार्वशेको दिष्ट व्यवखा चोक्षा तवेव उपाध्यायगुरुषश्पिदव्याचाये मातुलाः | प्शुरज्बाढ तत्पुत्र पुषरलिक्‌ fire पोषकाः भगिनो खामि efea sara भगिनोसुता; | पितरौ faa पल्नोनां पितु मातु या war | सखि द्रग्यदगि्ादासतोे चेव महालये एकोद्दिष्ट विधानेन पूजनोया; प्रयब्नतः | faa मातामहादोनां पावकं तु विधोयते इति चतुविंशतिमतेऽपि - भयाद गुदविषेम्बः afew एवच |

wT, रवकः) ५९ॐ

तत्‌ पलोम्बच स्वाभ्यः खपद्याड अलाष्लिम्‌ | पिच्छं तेभ्यः घटा दद्यात्‌ एषम्‌ भाद्रपदे गरः | May चेव सर्वेषु माघमासे मधा Tk इति अच क्रमाग्धतेऽपि ब्राचाराद्‌ Saw श्रेया अव्र विधवा कनेक are faite: afr सहर चत्वारः पावलाः प्रोक्षा विधवायाः सदेवडहि | ery छशरादोनां मातापिभो स्तथेवच | ततो मातामहानां श्रादइदान मुपक्रमेत्‌ तधा-- aera विशेषेण arate स्तयेवच | दति षद्पावेणपक्लोऽप्ुक्षः wat तु खमभनतप्रतिभ्यख खपिटठम्यस्तथेवच | विधवा कारयेच्छराद' aerate afar awe: विधवा खयं awed war पन्य ब्राह्मणहारा

artafeqe प्रयोगपारिजाते। एतदपुष्रवतोविषयं | पुषरवत्वाद्वनधिक्षार एव | quae:

महालये मयात्र गतासूनां wasefa

AME ATS HAT ATE FAY TAR TIN यरकत्र मवैयाता Rafe पाव्यैणम्‌ | पर्वं त्र fare एकोदिष्टं समापयेत्‌ +

ye@ विधानपारिजाते।

wa wan एकोदिरेषु प्रसेकं ब्राद्मश्भोजनं काथं ane तु एकलिन्रपि ame भोजिते सरवेकोदिष्टानि (सम्यज्नानि) साद्रानि भवन्ति अतएव चतुर्विं थति मते “पाया गुरुधिषयेभ्यः” इत्युपक्रम्य- तीर्थेषु चेव सवेषु ATs मघासु wafers ब्राह्मणे सवानाचा््यादोन्‌ प्रपूजयेत्‌ cay | भध्यपि्डदानं तु एधगीव प्राधान्वात्‌- एकस्िन्‌ ब्राह्मणे सर्वानावा्यारौन्‌ प्रपूजयेत्‌ | दश tren वा पिण्डान्‌ दद्यादकरशनतु। इति योहि | एकोदिष्ट ASTATE याश्रवख्काः | watfed देवोन मेका्येकपविव्रकम्‌ | सावाहइनाम्नौकरणरदहितं त्वपसष्यवत्‌ | waifee सपन्नोकाय ससुताय भयं पिण्डः aur मम दति wantin पिष्डदानं कायम्‌ aged जोवति तत्‌ care नं पिखदानम्‌ | AMA TANT वा टभ्वत्योः पिषदानतः। oye frre are’ पिण्डं चोदकलपंणम्‌ | इति वाबुपुराशादित्याइः | प्रत पुरिनोयनौ ameay कार्यो)

wily: स्तवकः | ५८९

प्रपि कन्धागते qa काम्ये धुरिलोचनौ | दूति ईेमादरावादिश्छपुराशोक्ञः | wa प्रतिदिनं भिन्न प्रयोगे दक्षिशामेदः Wares तु अन्त एव एकव See देया इति काल SW KATANA | une संन्धस्तपिटठकादिना जोवत्पिदरक्षेणापि काथन्‌ हृष्टौ ala संन्यस्ते ताते पतिते सति | येभ्य एव पितादव्यातेभ्योदद्यात्‌ खय सुतः & इति काव्यायनोज्गः | aq SOE NAPE याहं चापरपक्िकषम्‌ जोवत्विठकः Faas सपण भेव दति afew वचनं तत्‌ संन्धख्लपिठकाद्यतिरिष विषयम्‌ काम्यश्ादइविषयं वा re याहाङ्क तपं तु पक याहे प्रतिदिनं Tee कायं | aay महालये तु परेऽ कायम्‌ AEN नारदेन - aware यटा कुर्खात्तपवं तु दिने दिने aay महालये चैव परेऽहनि तिलोदकं: | गर्गोऽपि-- aw आरे हिरण्ये चमुत्रन्य तिलोदकम्‌ sfa |

gee faaraatfcar’ |

तथा प्रयोग पारिजाते एव

wy भाद्रपदे मासि शाहं प्रतिदिनं भवेत्‌ |

पितं प्रं काथं निषिषठारऽपि तपशम्‌

Gay महालये श्व; खादषटकाखन्त cafe धति तधा-

ae तिधिविशैषे गयायां प्रेतपशचक्षे |

निषिदेऽपि fe% gatas तिलमिचितम्‌

दति खतिरब्रावलोकारवदनाश्च निषि्ाहेऽपि तपं भवः स्येव WS AW मलमासे कायम्‌,

हदि are’ तथा सोम मग्याधेयं महालयम्‌ |

राजाभिषेकं काम्यं Rate भानु लिते हेमाद्रौ नागरखण्डऽपि-

नभो वाध MATA मलमासो यदा भषेत्‌ |

सप्तमः frre: स्या दन्धभेव तु पञ्चमः ।॥ एतश्च faatace सति wanes ज्नताह्लतमिति निखलोसेतौ दूटं नित्यं काम्यं च।

पुव्रानायुखधारोम्ब म्य मतुलं तथा

प्राप्रोति पश्चमे छता गाह कामांश पुष्कलान्‌

| इति जावालो; | दिके सम्रतिक्रान्ते पितरो देवतः सह निष्वख प्रतिगच्छन्ति शापं द्वा शुदारशम्‌ इति कार््थाजिनि वदनाच |

कतोवः सवकः | got

एतदतिक्रमे प्रायदित्त qe बगृविधावे-~ दुरो Waa # मन्तं anata हिमासयोः | महालयं यदा AM तदा सम्पूशं मेति तत्‌ A इतिं भव भरणो ATE मति प्रशस्तं AeA ATA I भरणो faaay तु महतो परिकोन्तिता भ्यां Te छतं येन गयाश्रादक्षदषेत्‌ दूति भत्र fata are att: नभस्यापरपक्षस्य हितोया यदि याग्यमे। ठतोयाचाम्निताराभिः सहिता प्रोतिदा पितुः arent भरणो भग्नितारा afar wa षष्ठयां विषो वाराहे- नभस्य HUTS तु fet पातभूसुतः | AMT षष्ठो Grew: कपिला परिकौत्तिता वरतोपवासनियमं भास्करं तत्र पूजयेत्‌ | कपिलां गां दिजाग्राय दक्वा क्रतुफलं लमेत्‌ | पुराणसमुषखये- WE माख्यसिते पचे भानो चेव करे fae

© टरो wae acre गोरसि दुगो यवस्य age !इनदतिः। free: श्रदितो अपाम कञ्चन: सषा सदधि लभिदं एषोमनि | -- Sit ra. ५१ब्‌. Veet | 1४

- = ~ ~~~ णी ee ere

६.० | विघानपारिजाते |

पाते wa रोरिश्छां सा षष्टो कपिशा भवेत्‌ + ay eniat मासाश्रयशेन ANAT भाद्र ware श्रेय can निणवामते | विषप्रक्ाये wa fata उकः खान्दे- काश्ागति URE मासि भाद्रपदे सने | May तु या षष्ठो भौमवारेण संयुता रोडिलो we saat व्यतोपातेन संयुता | यदि सा गरनागाभ्यां करणशाम्यां युता WAT आग्नेयेन सुह्तेन षष्ठो युक्ञा भवेद्‌ यदा तस्यां षषयां STRAT कपिलो भगवानभूत्‌ gaia महाषष्टो वषे षष्टितमे भवेत्‌ | gaat चैव दानानां सत्ुण्छफलदायिनो जञात्वा सम्यग्‌ विधानेन यथाविष्युक्षमागतः पितन्‌ सन्तपयं देवा सू््यायाच्यं' निवेदयेत्‌ मन्त्रेणानेन Sara गन्धपुष्याशतेर्य॑तम्‌ guard तु यत्‌ TS तत्‌ (FS) सवै चायं कुड aging नमस्यं ग्दहाणाध्यं' दिवाकर एव मर््पभयं THT WE प्नं समाशि्डेत्‌ तत्र न्यसेत्‌ प्रखमात्रं धान्धं तत्र घटं चेत्‌ ता्रपाने तु प्रतिमां va न्यस्याथ पूजयेत्‌ कपिशं regret रेवति कदमम्‌

aaa Vee: ९१०४

पूजयिला सप्रतिमं घटं दद्याहिजातये tt AAG CHEM दश्वा पापेः प्रसृते अधोगति गतान्‌ प्रेतान्‌ wafer eater: | विलपाव्रादिदानेन तागुदरति सङटात्‌ # इति | इय Ra चन्द्र षष्टोल्युखयते- खाच चन्द्रोदय ब्धापिनो प्राद्ना। रमयत ताले THF age भविष्ये- तदद्‌ भाद्रपदे मासि qert पशे खितेतरे चन्द्रषष्ठोत्रतं कुयात्‌ पूवं वेधः प्रशस्यते चन्द्रोदये यदा षष्ठो Fare चापरेऽहनि चन्द्रषषठासिते पके सवोपोष्या प्रयब्रतः | पतर सप्तम्यां Fay Weare कायम्‌ | अनर अष्टम्या माष्डलायनेन माध्यावष UT याहइशुक्षम्‌ | शतेन साध्यां प्रोष्ठपद्या wary इति fanz बृं सप्तम्यादिषु fay अहःसु कामिति नारायणहत्तिह्णत्‌। प्रचमाटकापक्तः षटम्यामिति काल्वायनोऽपि | garaged are प्ाषाश्याः TRA पदे ग(ल)यामष्वाऽ्टमोजता चयोदभो गजच्छाया गयातुल्या तु Tae

अतेव महानस्मोत्रत YMA |

६०४ विधानपारिजाते।

पुराणसमुचये-- भिधोऽशनं भाद्रपदे सिताष्टमी मारभ्य कन्धागत सूओ एव # | समापयेत्तव्र तिधौ यावत्‌ सूयसु पूर्वारैगतोयुवत्याः fa | तथा कन्यागतेऽके प्रारभ्य eel चियोऽचेनम्‌ इसप्रान्तदलस्ेऽकं तद्रतं समापयेत्‌ पूजनोया ्टदश्ाना मष्टमो प्राहषि धियः | दोषंशतुभिः सं(यु)त्यज्ञा सवसम्पतकरो fafa: | तथा- पुत्रसोभाग्य राज्यायुनाशनो सा प्रकोत्तिता | तस्मात्‌ सवप्रयत्रेन त्याज्या कन्यागते रवौ विशेषेण परित्याज्या नवमो (दूषिता) संयुता यदि

दूति दोषचतुष्टयमपि तवेवोक्षम्‌ -

fafed aaa चव seat नोपवासयेत्‌ पुता नवमो विदा awl रस्ताईी रवौ | इति| त्रिदिनावमलक्षण qa रव्रमालायाम्‌- यत्रैकः सदृशि तिथिदयावसानं

* G4! मग्तच ya दति निगमौ az:

ठतोयः स्तवकः १०५

वारषेदवमदिनं amare: | यः wate भवति तिथि are चाहा faqea कथित मिदं इयं नेष्टम्‌ एते दोषाः प्रथमारश्चविषयाः। श्रनन्तरं तु यधासष्भवं जेयाः AAAS घोडशवष साध्यत्वेन मध्ये त्यागायोगात्‌ द्यं चन्द्रोदय व्यापिनो ग्राह्या | तैव gare: | परदिने चन्द्रो दयादृदं चिमुहन्तव्यापिले परेव are | अन्यथा पूर्वव - gaat वा acfaar ar are चश्द्रोदये सदा। जिसुष्ृत्तीऽपि सा पूज्या परतश्षोशेगाभिनो + इति निणयामृतोक्नः atca मतिक्रम्य वसते योत्तरा तिथिः नदा तस्यां तिथौ काय्यं महाल््मोत्रतं सटा दूति मदनगब्रोक्गेव इति fea इति महालन्व्रतनिषयः |

अथाव नम्यामन्वषटका ग्राहं कार्यम्‌ |

कात्यायनः श्रनष्टकासु नवभिः favs: ग्राह मुदाहृतम्‌ faatfe माठमध्यं ततो मातामहान्लकम्‌ | ब्रह्माणडऽपि - पितृणां प्रधमं दद्यान्‌ ATA तदनन्तरन्‌ |

१०७ विधानयारिजाते।

ततो मातामहानां MTS क्रमः सृतः - तदेतत्‌ FA मासा Wear refers | ताभिश्लपते गवमो या पुण्य mea | TAT UTE: कायः पिदमुख्या मनोषिभिः | पिदिमाठङ्कले arat याः काशत इतिं गताः | दाष मातरो ज्या Brat Ae प्रदापयेत्‌ दूति शओ्रादकाशिकायां पुराणसमुशचयोक्तेः MCRAE शागलेयः- शेवलाशु शये काय्य हदहावादौ wafer: ` अन्वष्टकासु AAU नान्धा कायसु मातरः ति दोपिक्षाया.तु माढयाइ मन्बषटकाभ परादौ कायं ferw- म्‌ मादयजनं तु भअन्ष्टकांच भादित इति | तदेतत्‌ शवां खये मादढपूवे मन्ब्टकषादि are after तदिषयं। नतु भाष्ललशायनक्षाखवादिविषिय मित्ववधेयम्‌ | इदं पितरि sheaf सतमाहक्षेण कायम्‌ | ew fe मेश्ायशोयपरिशिष्टे- wrqcad गयाप्रा्तौ सत्यां ae मृतेऽहनि | मातुः ATE तः कुयात्‌ पितग्येपि जवति दूति | यद्यपि जोषत्‌ fasta सर्वाटकाः कायाः तथापि प्रौह- दद्य का अत्यावद्छको |

wala: स्वकः ९०ॐ

Terasawa: पिदढलोके (भविति) सुखावहा | water भेव मातृ जरां कन्वागते दवौ नवम्धां हि प्रदातव्यं AWAIT AA: | दति Sarat सूतवचनात्‌ | अत्र water faqe.: खमातरि stearate सपन्नमाद्रभ्बो दश्चात्‌। We सर्वासां नामनि्देशेन एको ब्राह्मणः ष्यः fags कावः | नामेश्येतु ferenfe प्रयोग van नारायण TAT अग्र VATA पूवत Aree काय मिति केवि- avy: | पठन्ति च- AW नवम्यां कुर्यातम्‌ मते भक्तं रि लुप्यते | | इति तदेतत्‌ सवनिवन्धविरदत्वात्‌ प्रतारशामाभम्‌ HARA & सता या जो सा संपूज्या TAMA: weafa मते wer पाग्बष्टकं लुप्यते दति सुमन्तः अश्र wan fate: खाद्कवशिकायां ब्राद्य- पिढमाढ ङलोत्पन्ना याः कान्त गताः खयः | अदा मातरोच्वेया स्तासां तव प्रदोयते | इति

* लौट wet लौवद wars आश्यान समातालविररजिशलाहा उताहान्ताभावः |

९०८ विधानपारिजावे।

अवर कुलाचारात्‌ TAA | इदं भ्रमुपनोतेनापि काश्यम्‌ | अमावाखयाषटका AY Teeny च। एतश्वानुपनोतोऽपि कर्णात्‌ way पव इति मद्छपुरागोक्ग :

षदं याहं सपिष्डकं कायम्‌ |

अन्वष्टकासु TMU Ae काय्यं त्वच | Ta

पिण्डनिवंपणं ara तस्यां वरृपसन्तम

afa हेमाद्रौ विष्युषर्मोत्तरोक्ग; |

wa सुवासिनो भोजवितव्या age माकणये-

मातुः याचे तु सम्प्राप्ते ब्राह्मणः सड भोजनम्‌

सुवा सिन्य प्रदातव्यमिति शातातपोऽत्रवीत्‌

WH मृता नारो सह STFA वा कता |

तस्या; Ale भोजयोत विप्रः सह garfaat: # तत्रैव मदालसावाक्यम्‌-

Sl ATSY प्रदेयाः स्यु रलष्मराश्च योषिते

HAL मेखलादाम कणिका AKAs:

sfa i

एतच्छ्रा शाशक्षख TTR ATH माश्वलायनः-

WASH यवसमाहरेत्‌। अग्निना वा कश्च भुपोषित्‌।

© wer ख्याने नियुञ्जोत विरः सह सुदाखिनोन्‌ | —sfaq fawafean पाद.

wate: स्तवकः | १०९

एषा मे wats नलेदानष्टकः स्वादिति एतदकरणे प्रायशित्िरक्ना शम्विधाने- एभि शयुभि # camel शतवारं तु तर्हिने भराग्ब्टकयं यदा शनं सम्पू याति सवधा wa went faite om: पूवम्‌ | वायवोयेऽपि- संन्धासिनोऽप्याष्दिकादि पुषः gare यथाविधि

महालये तु यच्छरारं Creat पाशं तु तत्‌॥ इति |

aa ववोदश्यां fancafeararye: watem भाद्रपदे aur qe पिदप्रिया | ष्यन्ति forcerent शराहात्‌ (खयं) पञ्चशत समाः | मघायुतायां vert तु जलाद्यरपि तोषिताः | हष्यन्ति पितर सद ्षाणामयुतायुतम्‌ दृति |

एतत्‌ wale ae नित्यम्‌- फ्रौहपष्यामनोतायां तथा wean |

इत्यादयुक्ना- एतां शु ate कालान्‌ नित्यानां प्रजापतिः |

कष्य eens se "9 = —— —_ ——a

e एभिदभिः gam एथिरिन्दुभि निदन्धानो अमति atferfam | seq ew ददयस wef युत tea: afer रभेमहि - -$ति न. RG भक्‌ 77

६६५ विधानपारिजाते

खाइ Raga नरकं प्रतिपद्यते 1 इति हेमाद्रौ faquate: | एतश्च अविभक्ं रपि state, एथक्‌ काणम्‌ तधाच हेमाद्रौ देवलः- ferret भविभक्षा वा ye: ग्रादं एथक्‌ सुताः मघासु ततोऽन्धन्र नाधिकारः एथक्‌ Waa # «fat ITH sfa वायुपुराशे- इसे wafeas या तु मघायुक्ञा त्रयोदशो तिथि वैवखतो नाम सा च्छाया FATS तु + इट्‌ राइ मपिष्डकां कायम्‌- मघायुक्ष भयोटण्डां पिष्डनिवंपणं दिजः | सघन्तानोनेव Hata ते कवयो विदुः 4 इति हत्‌ पराशरोक्ञः। इदं मखमासेऽपि कायम्‌ | मघा salem शाहं प्रत्युपखिति हेतुकम्‌ अनन्धगतिकत्वेन कव्यं खाग्मलिग्ुचे | इति काठक TEM: यानिहु- Waal ATTY यः शाहं Fa मरः |

i 7१ os = te a 9 ae ome

e yer बिना sf faeafeal पाठः समोचोनः ferry sate! क्यं wat wad:

1 oe ee

दतोयः सवशः gee

aaa तश्च armareregwe निदितम्‌ | इत्यङ्किरोषचनंः | aa WAM तु वे ATE कुर्यात्‌ FAT] VT यदि मोहेन gata sao विभ्यति दति वामनपुराशवचनं | तानि सर्वाणि वचनानि पु्रवदिषयाणि। यहा aware fra केवल aatem याइविषयारि। अथवा afawarate- विषयाणोति दृष्टव्यानि। हेमाद्रयादयसु एकवगेमावर अ्राइविषयाकि ATE नेवंकवगस्य तयोदश्यामुपक्रमेत्‌ ठप्तास्तवर ये ae प्रजा हि सन्ति तय त॑ | दति काणाजिनिस्मुतेरित्याहुः # | ufagqara पुत्रवहिषयाण्यवेति मेनिरे | VAG सस्य Ae प्रोज्ञा वरयोदो | सन्तानयुक्षो य: FATA ठं गश्यो भवेत्‌ इति हेमाद्रौ मागरखण्छोक्ञ : | पूववाक्य मपि भसन्तानस्यव एकवगं निषैधक मिति | परत मघाव्रयोदशो महालय युगादि खाहानां संपाते aT

e गदापि पितर) गरव पृज्यम तव मातामङ अपि। sin चौब्दाक्िम faa foaangy प्राति श्चापि

नमामि aafataag fan क(नद्धिति anime |

६१२ विधानपारिजावे।

प्रयोगः कार्योनतु wey सििः। देण काल कर्चेकलात्‌। इत्यलं विस्तरेण |

अथ चतुरहश्यां faite माह प्रचेताः-

हारो ater विं्ुलखलविषाग्निभिः | नखिदंद्विविपन्रा(मां) ये तेषां शस्ता eae ब्राह्मे तु- युवानः पितरोयस्य गताः शसेण वा इताः तेन कायं चतुरश्यां तेषां ठसिमभोपता नागरखण्डेऽपि- waaay भवेद्‌ येषां शस्य रथापि वा तेषां rie प्रकर्तव्यं चतुरश्यां नराधिप दूति | यदव-- जलाम्निभ्यां विपन्नानां सश्यासे वा ze पयि। याहं कुर्वीत तेषां वे दल्यित्वा चतुहंशोम्‌ इति शाकटायन वचनं जलाम्निडतस्य are निषैधयति | ae प्रायशित्ताधे जलादिभिमेतन्रादविषयम्‌- जलादिमरणं येषां विहितं शास्नमागतः | शाथे ग्राह मेतेषां चतुरष्यां कारयेत्‌ इति शोगाक्तिस्मृतेः | अतएव वधत्वात्‌ सषगमनेऽपि Ae यादं का मिति

SAT: BAe: | ११९

Salary | दूद्‌ याहं Baym भेकोषिष्टं काणम्‌ age’ प्रयोग पारिजाते- प्रेतपते aye भेकोदहि,)ष्ट विधानतः | Saya तु तच्छं पितृणा wea भवेत्‌ ASE Saw चेत्‌ पुत्रदारधनशयः | एको दिष्टं cage fad मनु रव्रवोत्‌ इति | wa शस््रहतदटव agua मिति नियमः। तु चतुरता aa शस्नहतस्येति | ATS WAT VACA महालये दति कालादर्थोक्षेः। तेन मह।लये दिनान्तरेऽपि ore विधिना एतत्‌ काय्य मित्यवगम्यते wart वाषिकादेरपि लोपापन्तः | वदि पितामहोऽपि werea सदा एकोदिष्टदयं काणम्‌ uafaq द्यो aatfee मिति हेमाद्रौ वचिष्ोक्षेः। fey Waray dee कायः यत्त देवखामिना ony तिष्वपि शसहतेषु एथगेकोरिष्ट षयं कायं तु पाव द्ाहत्यवचमाभावादिति। तदयुक्म्‌ पित्रादयखरयो AM इताः शस्ररगुक्रमात्‌ | संभूते पावें कुर्ग्बादाण्दिकानि worm एक्‌ दति इशत्पाराथरोक्नः |

९१४ विधानपारिजाते।

तधा- एकञ्िन्‌ वा इयोर्वापि विद्युच्छस्रेण वा इत एकोदिष्टं सुतः कुर्या तचयाणां दशेवद्‌ भेत्‌ दूति हेमाद्रौ गालववचनसद्गावाश्च | ag waa चतर्यां शद््रादिना इत स्तस्य वाषिकं are’ aad वा एको्िष्टं वा का नतु ग्राह्यं प्रसङ्कसिष्ठतवा- feam एष्वोचन्द्रोदये faa | aa aTatfama भग्रिमपत्ते दिनान्तरे पावंणविधिना एतत्‌ कायनिति arate | इति चलुदंशो |

अमावाद्यायां विशेष माह WaT यमः-

हसे करखिते या तु भ्रमावास्या Herat | सा Vat कुष्लरच्छाया इति वौोधायनोऽ्रवोत्‌ करान्विता शस्तमष्टानक्त रयु त्यथः तधा- वनसखतिगते सोमे याच्छाया प्राञ्चो भवेत्‌ TABATA A VA तस्यां Ae प्रकल्पयेत्‌ भारते- अजेम सवलोहेन वाश नियतव्रतः | इस्तिच्छायासु विधिवत्‌ कणेव्यजनवोजितम्‌ are कुर्यादिति यषः सवं लोहन समग्राङ्गं नो हितवङंन |

aa: वकः ५१५

एवं गजच्छाया अनेकविधा war) एवं प्रतिपदादि तिथिषु खाद कायम्‌ re पठयश्चियो होमो लौकिकाग्नौ विधोयते | ana विना खाइ मारहिताम्न विधीयते इति मनुवचनं भाहिताम्नेदर्णादन्यव्र are निषेधकमिष प्राभाति। we safe ager विधिना are कतव्य माहिताग्निना। इति केचित्‌ भभिरुक्षासु aq मन्धदिनेषु प्राप्त माहितामे en नियम्यते इत्याहुः | wa भ्राश्िन शक्गप्रतिपदि दोहिवस्य मातामह गाइ ami गर्गेण | जातमात्रोऽपि दौहित्रो विद्यमानेऽपि मातुले। कु्या्नातामष्श्रादं प्रतिपद्याशिमे faa i ्ति। va तिथिः सङ्गवब्यापिनो ara दति निणयदोपे उक्नम्‌- प्रतिपश्याश्िने शक्ते दौहितसत्यकपावणम्‌ ग्राहं ATATAY कुग्यात्‌ सपिता सङ्के सदा जातमाग्रोऽपि दौदहिन्रो जोवत्यपि मातुले प्रातः सङ्कवयोमध्ये भार्यस्य प्रतिपद्षेत्‌ दूति qa.) 2 जञोकत्पिढके्ेव कामिति विटाः

११६ | विधानपारिजते 1

प्राहुः we श्रां सपिण्डकं काय्य रौहिषर्वेकापावश मिति पूर्ववचनादिति केचिदाहः | अपिण्डकभेतदिति तु वयं वदामः। पावणणष्दस्य पिष्ड- दहित अादेऽपि प्रयोग सम्भवात्‌ |

मुनं पिण्डदानं प्रेतकर्य सर्वेशः

जोदत्पि्टकः कुर्याद्‌ गुविणोपति रेवच

इति दक्तोक्यापि पिण्डनिषेधात्‌। भान्बषट्यादिवत्‌ सपि.

चकं कायमितिदिशेष वचनाभावाच

इति गओीविधानपारिजाते महाणयच्रादइ पिधानम्‌

वतोयः wean: | are

भध wifsaa शुक्तप्रतिपदि नवराज्रारश्नः।

जिय निरूप्यते-

तत्र देवोपुराषे, सुमेधा उवाच - खश राजन्‌ प्रव्यामि चण्डिकापूजनक्रमम्‌ | भणिनस्य सिते पचे प्रतिपस्ुमेदिने + इत्युपक्रम्य शदे fan प्रकन्तष्यं प्रतिपद्चोहृ गामिनो | gray नाडिका eam षोडश हादशापि at | पपरा (प्र) कर्लव्यं qe सन्तति काभिः ce प्पराद्वयोग प्राश्यं दितोयदिने प्रतिपदीऽभाषै जेयम्‌ | TARA दैवोपुराखे वनान्तरे अमायुक्षा AAT प्रतिपत्‌ पूजने मम मुहश्तमावा ween हितोयादि गुशाज्विता अद्याः वोडशनाडोखु लबा यः कुरुते नरः were तस्य छानि(रि)्टं जायते धवम्‌ | इति |

माकंखवेऽपि- पूववि तु या wer भवेत्‌ प्रतिपदाश्विनो |

नवराभरव्रतं तखां काय्यं शुभमिच्छता

देवभद्गो भवेत दुभिक्तं चोपजायते @ 78

६१६ विध्ानपारिजाके.।

मन्दायां दशं युक्षायां यदि स्यान्‌ मम पूजनम्‌ दूति ।. खान्देऽपि- विष फलदा सा हि दुव्रदार भयावहा | इति | तधा देवोषुरशेऽपि- यो at पूजयतेनित्यं हितोयादि गुणानिताम्‌ | प्रतिपच्छारदों wren सोऽश्रुते सुखमव्ययम्‌ यदि gateatgat प्रतिपत्‌ खापने मम AS शापायुतं SAT WATT करोम्यहम्‌ CUNT कुरते AY कलसशापनं मम we सम्दिनाशः स्या ere: पुरो विनश्यति | CAIN कल्व्या प्रतिप्ण्डिकार्धने | warfafa faite define जायते | wea fequuita are सोदयदायिनो # गोविन्दा गगः- या चाश्चयुजि मासे खात्‌ प्रतिपद्‌ भद्यान्विता | QU ममार्चनं तस्यां शतयन्रफलप्रदम्‌ दूति

भद्रा featat—

eee 1 शि | eee [ 1 कि ee पोगर

we पूर्वां दणेकलय। gw प्रतिपदि कामे | एदं frdufert इवि |

MAT, वकः are

दद्‌जामले- anger सदायेव प्रतिपजिन्दिता मता तव्र चेत्‌ way EN दुभि जायते धवम्‌ प्रतिपत्‌ सहितोया हु ङग्भश्वापन कीरिं fafare— प्रातरावाहयेदहेवों प्रातरेव waway प्रातः प्रात सम्पू प्रातरेव विसन्नेयेत्‌ कल्यतरो- कुह काष्टोपसंगु्मं cate प्रतिपत्तिचिम्‌ | राच्यनाशाय सापरोक्षा निन्दिता arene | इत्यादि | Uy वयनेषु Taare. तटेव प्रथमदिने निषिध्यते | तु उपवासादि। तच पूवविषाया भेव कायम्‌, प्रतिपदा ऽप्यम्रावास्या इति युग्मवाश्चात्‌। शक्रा खात्‌ प्रतिपत्तिचिः aaa: | इति दोपिकोक्ञेः। शक्तपचे enfan इति anon दति केचिदाहुः वलुत्लु पूर्वोक्षवाक्पेषु चख्िकान वारसि RATT गरणा दुपवासादेख तदद्र्यात्‌ साङ्ग कथ तेव काखम्‌ | बुग्मवाकयादेरन्धोपवाखविषयत्वन वक्तं TATA | पतएव टेवनलः -- वरतोपवामभनियमे घटिकका (यदा,पि या wae मा निचि cafes gra विधरोना तु oak इति।

५३० किधानपारिजाते |

यदा तु पूर्वदिभे सम्पूण शठा भूत्वा परदिने वैत तदा सम्पृशेत्वादमायोगाभावा्च पूर्वव ATT यानि हितोयायोग निषिधक्षानि वचनानि केचििवन्व- काराः पठन्ति, तानि शुदाधिक निषेधपराणोति श्रेयम्‌ यदि परदिने ufaafadcan तदा दशंयुतापि ब्राद्ा तदाषहलक्नः-- fafa: wot तिथिरेव कादशं fafa: प्रमाणं तिथिरेव साधनम्‌ i दूति | यानितु- पअरमायुक्षाप्रकसंव्या प्रतिपश्चख्डिकाश्चने | श्त्यादोनि ठृतिंप्र्षाद fara वचनानि तानि बमूलतव सति एतत्पराणोत्यवधेयम्‌ | wa देवोपूजेव प्रधानम्‌ उपवासादि त्नम्‌ अष्टम्यां नवम्यां जगस्मातरमम्बिकाम्‌ पूजयिल्वाण्ठिने मासि विशोको जायत मरः! दूति हेमाद्रौ भविष्वपुराणवचने तखा एव फल सम्बन्धात्‌ नवभोतिधिपययन्तं हया पूजाजपादिकम्‌ | इति देवोपुराणशवचने तथात्वा | a4 उपवासादिकं मुकं हेमाद्रौ भविध्े- एवं वे विश्यवासिन्धां नवराव्रोपवासतः | एक UNA AM A तथ्ेवायाचितेन

कलतोयः स्तवकः | $२१

पूजनोया अनेदेबो खाने खाने पुरे Gt WE WH भक्गिपरे # UIA UIA वने वने जातेः प्रमुदिते शे ब्राद्मलेः fea (नृपः) सथा | येः YS मक्तियुते कें च्छे CUE मानवे इति टेवोपुराणेऽपि- HATTA रवौ शक्र शक्ञामारम्य नन्दिकाम्‌ | श्रयाचोत्यथवेका यो AMT वाथवा ATT: भूमी शयीत चामन्ा कुमारो मोजयेन्‌ मुदा वस््ालद्गरदानेख सन्सोष्याः प्रतिवासरम्‌ वलिं प्रत्यहं टद्यादोदनं मांसमाषवत्‌ | विकालं पूजयेहवीं जप सोर परायणः «fa व्यो विगतभोजनः wa महापूजनं रात्रौ कायम्‌, प्रश्ने मासि मेघान्ते महिषाङुरम्हिनोम्‌ | निशाम पूणयेदक्या सोपवासो यथाविधि दति टेवोपुराशात्‌ | दातरित्रतमिदमिव्यभिप्रतव माधवोऽप्याह तस्य गक्त्रतला- हिति। नतु राजि भोजना ब्रहव्रतमिदं किन्तु रात्रौ पूजनात्‌ |

9 कति परटरिलि fawafanl पाठः एव तमोचोनः। wan ain युतं fram पौन WaT | , mangize कमात्‌, sft निनवनिमी a @

६२ विधानपारिजाते |

arfiad मासि मेघान्ते प्रतिपद्‌ या तिथि मवेत्‌, तस्यां जज्ञ प्रकुर्वीत राजौ देवीं प्रपूजयेत्‌ दूति संग्रहवचनात्‌ | यतु - भासि चाश्वयुजे शक्ते aware विशेषतः | संपूर्य नवदुर्गा नक कुयात्‌ समाहितः | मवराज्राभिधं क्या नक्षत्रत मिति सृतम्‌ इति स्कान्दे नक्षभोजन कथनं तत्‌ पालिक नक्ताभुवादकं | इतरथा नररा ्नोपवासतः CATS: भयाचोत्यथवा इत्यादेश gate वचन we वेयथय TANTEI तस्मात्‌ urferararmryare एवायम्‌ मनु रातेः कश्चकालल तदयापिनौ eigen yaa प्रतिपत्‌ प्राप्रयात्‌। सा a A ATE sam मिति चेत्‌ सव्य

क्रो यस्व यः काल सत्ालव्यापिनोतिधिः | दति सामान्ध दवचन प्राधिः पूर्वो कषविशेषदचने वाध्यते | यथा fata सतोमपि gal जन्माष्टमी aa रोडिशोगुख- Aer परा काग TaN माधवावा्थल | तथा इयमपि हितोया गुशयुला काणो इति अथ केचिजवराब्रशब्दो नवसंख्याहोराव्परः- am समरामि cea ङासेऽमा प्रतिपन्निगि | सारक्मो ATHY ATTA मतोऽधवत्‌

waa: Wee ६२६

दति व्नादित्वाहः। तश्र अतिद्कास हयो ग्धनाधिक arog: तैन fafaare वाचो अयं नवरात्र शब्दः | तिचिहदौ fafasre वरात aurea | WITS दोषोऽयं नवरात्र fafaea

इति davin: Wa नवरावशब्दः ufaweqat कन्म वाचो यथा MITA नवरा दव्यव। तौषमाख्छां पौरंमास्या यजेत इत्यादादिष |

देवोषराशे- ary Sufagar चेत्‌ प्रतिपश्चणिकाषमे aac विधातव्यं कलसारोपणं गुड दति | any चिव्ानस्षशरं हितोया युतापि रेचित्रा वटति gar प्रतिपत्‌ तदा sates

warfare चेत्‌ प्रतिपन्तु शभ्यते विश्डयोगरपि सद्गताखतो | सवापराह्के विवुधं विधेया a पुत्र राज्चादि faafe हेतुः दति भद्रा हितोया। विद feat aut) यदातु avanfe

परिषारेष प्रतिप शम्यते तदा कन्तम्य माह कालयानः प्रतिपश्चाश्िने मासि भावो वेति feet: |

१२४ विधानपारिजाते।

आद्यपादौ aftaren प्रारमि अवरात्रकम्‌ |

fat. भविथतु- faardufa सम्पूशा nfrawxtan त्वाश्याष्वंशास्रयस्माद्यासुरोयेऽये तु पूजनम्‌ इति रब्रजामलेपि-

धेष्टतौ पुत्रनाशः स्याञ्चित्रायां धननाशनम्‌ तस्मान्न शापयेत्‌ gai चितायां वे्टतौ तथा aqui प्रतिपदेव चि्रायुक्षा यदा भवेत्‌ | ayer वापि युक्षा ख्यास्तदा मध्यन्दिने रवौ ufufarg gat यत्तत्र खापन मिष्यते इटं HAAS रातौ कायम्‌ रात्रौ खापनं कओं कुम्भाभिषैचनम्‌ | इति areate: | भाखरोदयमारभ्य यावन्त दग्र नादहिकाः। प्रातःकाख इति ate: खापनारोपणादिषु इति विश्शुधर््रोक्ेख | खानं माङृलिकं wet ततो Sat प्रपूजयेत्‌ इमामि दर्तिंकषाभिच ga wer तु वेदिकाम्‌ | यवान्‌ वे वापये्तष गोधूमेशापि संयतान्‌ |

waa: स्वकः | १२५

तश्र संखयापयेत्‌ gai विधिना मन्पूव कम्‌ सौवण राजतंवापि तासन ara जंतु) Ae aT देवो प्ुरराके- कुर््याहव्यासु way पूजां लोरषटतादिभिः जयन्तो मङ्गला कालो मदरकालो कपालिने | दुगा चमा शिवा धारो खाहा खधा नमोऽरु ते॥ अनेनव तु मन्त्रण जपष्टोमो तु कारयेत्‌ | यदा - qaqa मन्ते पूजाङोमादिकं भवेत्‌ | | दति

दुर्गे दुगं रत्तिगि खाहा इति नाणका (नवात्तरो) मनवः | तब्रायं प्रयोगः। प्रतिपदि sary कृत्वा शमदा ग्षपूवभागी वेदिकां विधाय कलसादि संभारान्‌ ware भराचम्य प्राणा नायम्य देशकालो Mat मम दृह vata जन्मान्तरे दुर्गा ्रोतिहारा सर्वोपद्रवनाथपूरवक दोर्घायु विपुलधमपुव्रपौजाद्यनवः fees सन्तति हदि लिरलच्छ्रो afear शत्रु पराजयाद्य- ate सिद्मधं शारदा नवरात्र प्रतिपदि विहित कलशख्धापन दुर्गापूजन कुमारो पूजादिकं करि इति awe agian #

9 uviat wena एत यज मि्मिचतान्‌। पिप्रतः न) भर्मिनि |

-yin cw ष्म धनु @

६२६ विधानपारिजीते।

frarfe ware nad वेद्यां संखाप्य वल्षावेष्य पूर्यादर्वोति # were तव पूर्णपात्रं (dere) निधाय दमं मै बरदेति aa दं संपूज्य Metal नृतनायां वा प्रतिमायां gat मावाइयेत्‌ तत्र मन्वः-- .. भागच्छ वरदे देवि देत्यदपनिषुदनि पूजां ग्टहाण gaa) fe नमस्ते गह्करपरिये सवतोधमयं वारि सर्वदेव समन्वितम्‌ <a घटं समागच्छ तिष्ठ Zane: सड दुगे देवि समागच्छ सान्निध्यमिह aaa | वलिं पूजां wera माभिः ae शकङ्गिभिः। दूत्यावाश्र पूर्वोक्षमूलमन्ेण घोढ़शोपयारः पूजयिला माष- भक्ञवलिं कुषाण्ादिवलिं वा निददयेत्‌ | ततः कुमारोपूजा काया AEN हेमाद्रौ खान्दे- एक कां पूलयेत्‌ कन्धा Aaa ages |

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e पशाद परापत ggel gana वेव विक्रौणा aw sa gd हतक्रतो। --¶ति श्च vem OR: i + ga वरद a) wa wae gs | ATW ETS | पति ष१अ. (म uy

QT: खकः |

fore विगुणं वापि प्रत्यहं # नवकंतुकवा॥

कचा -

नवभि लभते भूमि मणय दिगुरेनतु एकत्या लभेत्‌ चेम मेककेन भियं नमेत्‌ एकवा तु या कन्धा पूजार्थे तां विवस्लयेत्‌ गन्धपुष्यकलाटोनां प्रोति arent विद्यते तेन हिव्वामारभ्य गव्धान्त पूजनम्‌ | तासां नवनामानि तेन तेन weer कुमारिका fagferg कन्वाको रोहितो तधा | काको यको MTNA) दुगा सव Que इति।

चासां प्रत्यक THAT चथ वच्यन्ते मामान्ध TAY -

recat न्यां मातृकां कुपधारिकोम्‌ |

नवदुर्गा भिका GAT कन्धामावराहयाम्यहम्‌ sfa

एव MIWA कुर्यात्‌ कुमागोणां प्रग्रव्रनः

कुक खव aera गन्धपुष्यासनादिभिः

नानाविध wenitea भोजयेत्‌ पायरमादिभिः ,

ग्रयिश्फुटित भोकाङ्गों रज्ञ पुय त्रणाङ्धिनाम्‌ i

amytan: amafate रनकध) oz

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१२६ विधानपारिजाषि 3

जात्यन्धां केकराशच & Heat तनु रोमशाम्‌

संत्यञद्रो गिणो कन्धां दासोगभंसमुडवाम्‌ | तधा- |

ब्राह्मणों वकारेषु जयाय च्व शम्‌

लाभा वश्यव॑शोलयां सुताय शूटरवं शजाम्‌

दारुणे चान्धजातोयां पूजगरेहिधिना मरः

इति

श्रत जप Sal दद्जामकले-

एकोत्तराभिषहया तु नवमो यावदेवहि |

चण्डोपाठं Hoe जापयेहा विधानतः वराहतन्धेतु -

प्रणवं चादितो जघ्रा ata वा संहितां पठेत्‌ |

भरन्ते प्रणवं दश्यादित्युवायादिपूरुषः

भ्राधारे स्यापयितवा तु पस्तकं (पूजयेत्‌) प्रजपेत्‌ Ea: |

इस्तसंखापनादेव यतसतदिफलं भवेत्‌

स्वयं लिखितं यश्च शद्रण fafed यत्‌,

भअव्राह्मणेन लिखितं varia विफलं भषेत्‌

wie पाते विश्य स्वन्धधा विफलं भवेत्‌ |

रषिच्छन्दादिकं न्धस्य पठेत्‌ सोतं fears:

ait दृष्यते यत्र प्रणवं तच विन्धशेत्‌ |

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9 Fan owe) tin eater)

तोयः स्तवकः ९२९.

waa पाल्ये fasta quae विफलं भवत्‌ भ्रं वेदपारायण मुकं इद्रजामशे- एवं चतुर्वेदविदो विप्रान्‌ स्वान्‌ प्रसादयेत्‌ | तेषां वरणं काशं वैदपारायणाय वे | यहामग्रेयसे Bra वेदपारायणं दिभः | षडङ्कसहितां शाण्ठां मन्त ब्राह्मष ङपिकाम्‌ | पारयेरिधिवत्‌ प्राञ्चो मन््ान्‌ वाब्राह्मशंतुषा। अरयातयामवस्वाय पारदेब्रवरातक्षम्‌ इति| afafuaquaaat वदते देवोपुराशे- यदाद्य दिवसे कव्या ण्डका पूजनादिकम्‌ | हिशगुणं afenlasfs विगुणं तत्‌ परेऽइनि नवमोतिचि पन्तं हया पूजाजयपादिकम्‌ + इति एतेनापि नवरात्र पूजव प्रधानमिति गम्बते। उपवासादि ay भेव तन fafasra तिचिदयनिमिन्तं पूजादि महालय यादइवरैकदिने wise कायम्‌ दं मवं खस्य भशहते लति WA कारयेत्‌ | खयं वाप्यन्धलो वापि पूजयेत्‌ पूजयेत वा दूति टेवोपुराणोक्ञः | wan: waa पूजयेत ai कारयेदित्यथः। Baad शक्रास्तादावपि काम्‌ |

९३० विधानपारिजाते

ae Ue तथा Me fiwa हस्तौ | areal चेरे Gael # प्रत्यब्दं चाण्िनेऽपि च। दति धमप्रदोपोक्ञेः | मलमासे तु भवत्येव वचनाभावात्‌ - अव्र विशेषो भविषे-

केशलच्कारद्रव्धाखि प्रदद्यात्‌ प्रतिपरिने। पक्षतेलं > हितोयायां केश संस्वार fb हेतवे aad ठतोयायां सिन्दूराशक्षकं तथा | मधुपक चतुर्णा न्तु तिलकं नेत (भाल) मण्डनम्‌ | पञ्चम्या मङ्कराग शत्धालङकरणानि | वहां विशछतरौ वोधं सायं सन्यास कारयेत्‌ सप्तम्यां प्रातरानोय HATA प्रपूजयेत्‌ | खपोषण मथाष्टम्या ATH MMA तु पूजनम्‌ नवम्या सु्रचर्डायाः पूजां कुय्योदलिं तथा संपू प्रेषणं कुया हशम्यां सारवोकवेः nan विधिना यलं देवों प्रोणयते नरः |

-—— a + |

* काथ) dq alagl ame कृमचनोत्‌ इति froufaaltaa | 1 agslefafs afeq पाठ. | AMIGA सयमत sla us ay aye |

; awertagq agafa mia पराद्‌

SMa: स्तवकः | (११

way पालयेरेवो तं पुव धन को्तिभिः इति | wa अशं. fay ol नि्षयाद्ते- भाश्िने शङ्खके तु प्रारब्ध मवरावरके शवानौ ससुत्पजे क्रिया काम्या कथं gw: a सूतक्षे AAT ATTA खटा बुधः देवपूजा प्रकर्तव्या wy aw विधानतः सूतके पूजनं wie दानं चेव fate: देवो gina awed त्र दोषो विद्ते | इति | , गौडा चपि एवं मन्धन्ते रजखला तु TUN कारयेत्‌| सूतकादिषद्‌ विपेषवचनाभावात्‌। wie नवराव्रव्रते ताग्बुलादिदवषं भवतोतयु्ञ ब्रत- हेमाद्रौ गार्ह - गन्धालङ्कार ताम्बूल पुष्यमालानुलेपनम्‌ | उपवासे cafe दन्तधावन AGATA carfe | एतत्‌ सभक्त का विषयम्‌ विधवानां watt agate AAR ATS | | अश्र ofan एकपद्डम्या Aare ललिताव्रतनुह्नम्‌ « |

9 तताल aguyy ४६१३१।

{A विधानपारिजाते।

सा पूववि ग्रा्ना- शुक्ला जागरे नक्तं MTA तधा तारात्रतेषु सर्वेषु शाजियोगोविशिष्यते # इति हेमाद्रिवनात्‌। युग्मवाद्यात्‌ रातौ जागरणं Fal दिति ana राविजागरणस्योक्नतवाच्च | भराश्िन शक्तपतचे yan सरखतो खापनसुक्ष fawaraa देवौपुराणे- मूलेषु wrod देव्याः पूर्वाषाढासु पजनम्‌ उत्तरासु वलिं ददयाच्छवणे(म)घु विसस्येत्‌ दद्रनामले- मूल WS सुराधोश पुजनोया सरस्वती पूजयेत्‌ प्रत्यहं देव यावदेष्णव BNR | marae wefee ाधोयोत कदाचन पुस्तके खापिते टेव विद्याकामो festa: सङ्गहेऽपि- प्श्िनस्य सिते परे Murata: सरखतोम्‌ मूलेनावाइयेरेवो ween विसस्वयेत्‌ | ATT पारे areata aera विसस्जमम्‌ | इति

[प शि वि 1 1 ee ee

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# YR Qe sae पद तिन्‌ ठते wed) wa भुकव्ला-

स्तः १ति waar |

aaa: स्तवकः | १११

ब्रद्माखऽपि- प्रादि भागो निशायां तु wae यदा भवेत्‌ सम्मेषणं तहा Seay TATA कारयेत्‌ # # इति पथ वोक्तं देवोपराण - च्येष्ठान्लबयुक्ञायां षष्ठयां विशलाभिमन्नणम्‌ | सप्तम्यां मूलयुज्ञायां परिकायाः प्रमैशनम्‌ + पुवाषाढृा युता्टम्यां garetareatrny | Sate नवम्यां तु वलिभिः पृजयेच्छिवाम्‌ | श्रवणेन दशम्यां तु प्रणिपत्य विसजयेत्‌ wa fafuarea dat मुखः- तिचिनक्षत्रयोगे त्‌ इयोरेवानुपालनम्‌ योगाभावे तिचिग्राद्मा देव्याः पूञजजनकमणि †' इति देवलोक्षः | तत्‌ प्रकारलु विखतङखमोपं गत्वा देवीं fred सम्पश्य ATTA | तव मन्वाः- रावणस्य वधाधाय रामखादुग्रहाय च,

exert aying इति निर्कयनिन्धौ ws: | + तथ दिथीपतिः-- तिथिः रोर fem fat नव शभातरितम्‌। nariafu avai मचत fate fear» इति। . 50

६२४ विधानपारिजाते।

सकाले ब्रह्मणा वोधो देव्यास्षयि क्षतः पुरा अह मप्या चितः) fat षष्ठयां सायाड बोधयाम्यतः 1 ग्रो्शथिखरेजात ओोफल ओोनिकेतन नेतव्योऽसि समागच्छ FU दुगाखरूपतः एवं विखतर' निमन्वा हितोयदिने faafern विखशाणा caiman पूजां कुग्यात्‌ मूलाभावै तु सप्तम्यां केवलायां प्रषेशयेत्‌ युग्माभ्यां मवविषख्य फलाभ्यां शाखिकां तधा | तथेव प्रतिमां देव्याः सरालाऽभ्ुख प्र शयेत्‌ इति fayacreta: | प्रतिपदादि aafafay उपवासादि awa fram) तत्र असमधस्य सप्तम्यादि दिनवये arafaary पीम्यः- wifaa मासि शक्रे तु कन्तव्यं नवरात्रकम्‌। प्रतिपदादि क्रभेणेव यावच नवमो भवेत्‌ farsi वापि कर्भंव्यं सप्तम्यादि यथाक्रमम्‌ इति | सङ्गह -- अथवा नवरात्रं सप्तपश्चव्रिकं दिका एकभक्तेन नक्तनामावितोपोषषेः क्रमात्‌ ति दिवतयेकराषमुलः | sane सप्तम्याः gate एव fre: | मुगाण्या waafee सप्तमो पावैतोप्रिया

ढलोयः स्तवकः १११

रवैददयमोखन्ते तत्र तिथि युम्मता

इति खमत्यापि श्रौदयिको +

दुगामू्तिदक्षा देषोपुरार-

दुगाग्यं ANS चतुरस्रं सुशोभनम्‌ | mana वेदिकां gareqvet ममां एभाम्‌ # went सिंहासनं whi कञ्बल्लाजिन संयुतम्‌ we gay प्रतिष्ठा्य सवैनक्चण संयुतम्‌ भुजेशतुभी रचिरदशभिर्वा विभूषिताम्‌ | लपहाटकवर्णाभां fatat शशिरेखराम्‌ अनेककुमुमाकोर्णी' Hae सुशोभिताम्‌ | नितब्बविम्बसब्रहकिङ्धिको anv नादिनोम्‌ शूलयक्रदर्ड शतरि वच्वपाशामि # धारिशोम्‌। घण्टा्षमालाकरक पानपा लसत्कगाम्‌ लदप्रद्िब्रशिरमं महिषं रधिराञ्जतम्‌ | निःखताैतनं कण्ठनाले चरामि धारिणम्‌ देवो्टतकरग्रोवं शूलेनोरति ताडितम्‌ | नागपाशेन विलिप्तं इयत्तेणापि विहतम्‌ वमहुधिरवक्तण धुन्वतोहं मटान्‌ इषा स्वनो ATA सेव्यमानां सुरम्तथा एवं Sat प्रकसब्या इमो वा जतो तथा

e asifafeas wiaifa fain ganas |

६१६ विधानधारिनाति |

Berea ACTA GayA ऽथवा यजेत्‌ # arat दारुमयो तथा-

याम्याख्या शभदा दुगा FATA ATTA

परिमाभिरखो निलयं खाप्या सौम्ब fey तधा-

इम राजत अदातु शैलचित्रापितापि वा

खे Tasfaar देवो खवेकामफलप्रदा |

य्यद्‌ यस्यायुधं प्रोक्तं तस्मिं स्तां प्रतिपूजयेत्‌ |

देवो श्यावता पुंसां राच्ायुः सृत सौख्यदा तथा-

भगलिङ्काभिधानेख antag प्रगोतकः |

भगलिङ्कक्रियाभिष तोषयेदरचण्डिकाम्‌ i

gtaifeadt ag यः पराब्रा्चिपत्यपि |

लस्य RUT भगवतो शापं TAT FTAA |

षति |

सप्तम्यां देवीं संपूज्य franpal समर्पयेत्‌

waned Sad शहरस्य सदाप्रियम्‌ |

तं ते दुगे प्रयच्छामि waaay सिष्ठये इति, प्रच प्राथना- मदिषत्नि महाभागे चामु सुखमाशिनि |

कः चमषः 2 * &

was यनेन pag हत fneafaat as |

SAT: QAR ६१७

प्ायुरारोम्य are देहि दैवि नमोऽखु तै

Bear समालख्छे चन्दनेन विलपित |

faeray कतापोड्‌ दुर्गेऽष्ं शरणं गतः

wa Sfe यशो देहि भाग्यं भगवति देहिभे।

gary देहि धनं देहि सर्वान्‌ कामांश देहि मे

संवमद्गल ape शिषे सर्वां साधिके,

शरण्ये area देवि नारायणि नमोऽसु ते।

दति संप्राथ्यं पत्रिकाः पूजयेत्‌ | तत्‌ प्रकारलु कदश्ां ब्रह्मार्षीं

टाहिमे गक्दन्तिकां धान्य ल्यं हरिद्रायां दुगा माने cat कचौ कालिकां fre शिवां भरशोके शोकरहितां sani कार्तिकीं aa संपूज्च ante वलिं दद्यात्‌ ततः शुतिं पठेत्‌ |

दुगा" शिवां शान्तिकरौँ ब्रह्माणो ब्रह्मणः प्रियाम्‌

सर्वलोक weet प्रणमामि खदा शिवाम्‌ |

मङ्गलां गोभनां wei निष्कलां परमां कलाम्‌ |

विश्वेश्वरीं वि्मातां चख्डिकां प्रणमाम्यहम्‌

इत्यादि | पथ पषटमौरषधम्‌ | साच व्रतादो परविडा are | TRI swat चेव BRIG चतुदश | ूर्वविहा कव्या HWM परमंयुता sfa a छवेतो |

६३ विधानपारिजाते।

शरन्‌ महाष्टमो FU नवमो संयुता सदा | सप्तमो संयुता नित्वं ` शोकसन्तापकारिणो | सप्तमो WH afer वल्ननोया सदाटमौ | स्तोकापि सषा महापा यस्यां सूर्योदयो भषेत्‌ a इति खृति समुश्योकषेश | श्य मेव मूल्ंयुताचेन्‌ महागवमोत्य यते | WAAR WHIT याऽषटमो मूलेन संयुता | सा AeA प्रोक्ता चलोक्येऽपि eer | इति स्कान्दात्‌ | Ga सप्तमोयुता चेत्‌ त्याज्येव wen निषेयासते- मूलेनापि हि संयुक्ञा षदा त्याश्याष्टमो qu: | लेशमात्रेण सप्तम्या भ्रपि स्याद्‌ यदि दूषिता इति ARTY टमो परा * ग्राह्या, aq सपम्या मुदिते qa परतो areal भवेत्‌ | aa दुर्गोवं Fale कु्याद परेऽहनि दति विश्ठङूपनिवन्ध वचनं | तटाणिनक्ञव्णाष्टमो विषयम्‌ | कन्धायां aque तु पूजयिल्वा्टमोदिने |

@ परा परवा नवस) विति ara:

ढतोयः QAM: | १३९

नवम्यां वोधयेहेवीं गोतवादिव निखनेः दति Sagas awfa दैवो पूजोक्तरिति हेमाद्रौ निया सते चोक्षं यानितु- भराख्िनस्य सिताषटम्या ates तु पावो | भद्रकालो समुत्पन्ना पूर्वाषाढा समायुता इति मदनरने | महाषटम्याश्िने मासि शक्ता कल्याणक्षारिशो | सप्तम्यापि युता काया मूलेन तु विेषतः॥ carelfa वचनानि। तानि परदिने अष्टम्यभाव विषया- णोति मदनरत्ने निर्णोतम्‌ यदा सूर्योदये स्याज्रवमो चाधरेऽहइनि तदाष्टमीं प्रङर्व्बीति सप्तम्या सहितां aa i दति aia wewta: | aa TE भद्रा भद्राहं नावयोरन्तर कचित्‌ | wafafé प्रदास्यामि भद्राया म्विताद्चहम्‌ | दति दैवोपुराण वचनं तदि्टिकरणमध्ये पूजावि्ा- नाम्‌ विष्टिं aur महाटम्यां ममर पूजां करोति a: | तस्य पूजाफलं array मवमानिता + दृति तब्रवोक्ेः।

१४१ विधानपारिज्ञाते |

ब्राष्टम्या सुपवासश पुत्रवता Hay: उपवासं महाटम्यां FATA समाचरेत्‌ | यथा तथा वा पलाला व्रतो Sat प्रपूजयेत्‌ दूति देवो पुराणोकषेः | aa fatal हेमाद्रौ भविषे। कन्यागते सवितरि शङ्ञपक्ेऽ्टमो युता मूल AWA CART सा महानवमो खता तस्यां सदा पूजनोया चामुण्डा सुण्डमालिनो | तसां ये श्ुपयुज्यन्ते प्राणिनो महिषादयः ते सवं खगति यान्ति wat पापं विदयते यावन्न घालयेद्‌ ATA पशस्तावनब्रहन्यते | तथा वलिदानेन पुष्यधूपविलेपनः | यथा सम्तुष्यते भेषमंहिषे वि ्यवासिनेो | एवं पूज्या नरे देवो ब्राह्मणः सभ्रिये(विशः) Aa: | सोभिख कुराल विधान मपरं यण जयाभिलाषो दृपतिः प्रतिपत्‌ प्रभति क्रमात्‌ लोषहाभिसारिकं कश्च कारयेद्‌ यावदष्टमि तद्‌ यथा- प्रागुदक्‌ प्रवणे Vt पताकाभि Tapa | मण्डपं कारयेहिष्यं नव सप करं परम्‌ मिलित्वा षोडश इसत प्रमाण faa: | WMA कारयेत्‌ FSW इस्तमातं gM |

arta: Wee: | १४१

मेखला AT GYM योगन्धाण्यदन्लाभया राजचिष्कानि सवखि शसखाश्छस्ञाकि यानि च। प्रानोय मण्डपे तानि सर्वाख्डव्राधिवासयेत्‌ | ततरु ब्राह्मणः जातः शज्ञाग्बरधरः एचिः।

कार पूवक मन्त सिङ्ग जंडयाद्‌ ए(तेः)तम्‌ WATS मन्नं Carat पायसं एतसंबुतम्‌ |

VARS तुरद्गगंब # राजानभुपष्ारयेत्‌ लोहाभिखारिकं at तैनतषटषिभिः सृतम्‌ VACUITY AAT CHARA wraaant fra वन्दिधोषपुदःसरम्‌

mere sata: ज्ञाला सम्यृश्य पिददेवताः पूजयेद्राजचिद्कानि फलमाख्वविक्ेपनेः | a(ajarfiracararent विजयः समुटाद्तः पूजामन्तान्‌ प्रवश्यामि पराणोक्षानडं तव |

यैः पूजिताः प्रयच्छन्ति कोर्तिमायु यंशो(धनम्‌) वलम्‌

ब्दल्य-

यधाऽब्बुदन्डादयति धिवायेमां agar | तथाश्छाटय राजानं विजयारोग्बहये

अच चामर्च--

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NUE BET लोर डिक्ोर age |

querer मिति निश्वलिन्धौ पाठः ४1

६४२ विधानगपफरिजावे |

प्रोक्लारयाश दुरितं चामरामरदुलंभ carat gare मादौ रेवन्त पूजनं काये

तन्न लु-

GAYA महावाहो छायाषदयनन्दन्‌ |

शानि कुर तुरङ्गाणां रेवन्ताय नमो नमः भथ WI

गन्धवक्कलजातस््वं माभूयाः कुलदूषकः |

ब्रह्मणः सत्यवाक्येन सोमस्य वर्णस्य

प्रभावाच्च इताशस्य वैय तवं तुरङ्गमान्‌ «|

रिपून्‌ विजित्य समरे (राश्रा)शाव्रा GST भव भच धजय-

शक्रकेतो ACTA ATATAT ATTA

1 ` = कना ee = mn re ee ee et

* अतः प्द- anata qae gaint तपसा तथा| इदरख nwede पवनस्य वलेनच॥ छार हव राणपु कं कौस्तुभ मकिखर। यां गतिं ब्रह्महा गणेन स।दडा पिडा ae wey samme चचियश् que: | eiregret वायु यावत्‌ पानि दुष्डतम्‌ ware तां गति feo we पापं भवेव निष्तो यदि ater qanafa तुरम

—wefwatss चाकर ged)

ata: Bae: |

प्चिराज नमस्तेऽलु तथा ATTIC काष्छपैयारुशग्बात att विष्णुवाहन | भप्रभेय दुराधषं रणे देवारिसूदन TeMTy माङ्तगति स्यि afafent यतः सारवनग्धायुधान्धतर र्त त्वं रिपून्‌ ee भथ पताक्ायाः- इतभुग्‌ वसवो TAT वायुः सोमो महषयः | नागकिज्नर गन्धव यत्त BATT ग्रहाः | प्रमवाम्त॒ सादितं भूतेशो , माढभिः सह शक्रः सेनापतिः स्कन्दो वरगश्षाथितास्बयि प्रदहन्तु रिपून्‌ स्वाम्‌ राजा विजयमच्छतु यानि प्रयुज्ञान्यरिनि रायुधांनि समन्ततः | पतन्तूपरि शत्रणां हतानि तव तजसा | दिरण्यकशिपोय्े ge देवासुरे तथा कालमेमि वधे यदद्‌ यहचिपुरघातने | श्ोभितासि तथेवाद्य योभयास्मांब ware नोलान्‌ खलतानिमान्‌ TET न्ना BUTT: | व्याधिभिविविधं aft: were युधि निजिताः पूतना रेवतोनाका काराजरिषया aan दष तांश रिपुन्‌ सर्वान्‌ पताके त्वं मयाचिता + ay THAI कुमुदेरावणौ पञ्चः पुष्यदन्तोऽच वामृनः।

१४४ विधानपारिजाते |

मुप्रतोकोऽल्ञनोनोल एपीऽष्टौ देवयोनयः तेषां gare पौत्राश्च वनान्य (टौ)ग्ये समाचिताः। मन्दो भद्रो AIT गजः TRG एवच वने वने प्रसूतासते युधानि सुमहान्ति च। पान्तु लां वववोर्द्रा भादित्याः समर्दषाः | भर्तारं Te नागन्दर खामिवत्‌ प्रतिपाश्यताम्‌ अवाप्नुहि जयं युश गमने खस्ितोप्रज Ra Mares विणो स्तेज: सुग्योलवोऽनिलात्‌ BA मेरो जयं दद्राद्‌ यशो देवात्‌ पुरन्दरात्‌ | Ae Tey नागार्वां दिशश्च सह देवतः | अख्िनौ सदह गन्धवेः पान्तु लां सवतः सदा

4 खस्य - असि विशसनः खङ्ग स्तो्णधारोदुरासदः | anit fares watt quae एतानि तव नामानि खयसुक्षानि war aaa छलिकातेतु गुरुदेवो AeA: रोहि (at च) wa शरोर ते देवतं जनारेनः पिता पितामशो देवस्वं मां पालय सवदा नोलजोसूल TWIT AUS: ATT: | भाव (दष्टो) शठो ऽमषेशष अतितेआस्तयेवच इयं येन ता Stet wae महिषासुरः | तोश्छधाराय शुहाय AM खङ्गाय ते नमः

इतोयः Sree: ९४५

अथ इुरिकायाः- सवायुधानां प्रथमं गिद्धितासि पिनाकिना | शूलायुधाहिनिष्कष्य हतवा मुषटिष्रहं एमे चद्डिकायाः प्रदत्तासि age निवेशो | तया विस्तारिता शासि देवानां प्रतिपादिता a

सर्वसष्वाङृभूतासि सर्वाणभनिवदणो |

ofca ca मां नित्यं शान्ति यच्छ aay Fs मध कहारकस-

रस्ताङ्गानि गजान्‌ रश ce वाजि धनानि |

मम दें सदा MECH AAI ते अच धनुषः-

सर्वायुधमहामात्र सवदवारिसूदन |

चाप मां समरे TH साकं शरवर रि

एतं HUA THT संहाराय हरेण

वयोमू ल्िगतं देवं धनुरखरं नमाम्यहम्‌ अथ कुन्तख-

HTS पातय शबं खूब मनया नाकमायया

ग्रहाण जोवनं तेषां मम सन्धं र्त माम्‌ अध Be:

WENT समरे मम सन्ये यशोद्यभे।

TS सां रखशोयोऽदं तापनेय ममोऽनु ते

९१४६ विधानपारिजाते |

अच कनकदण्डस्य-- प्रोखारणाय दुष्टानां साधूनां TATA ब्रह्मणा निग्मितश्षासि व्यवहारप्सिशये यशोदेहि सुखं देहि -जयदो भव भूपतैः | argue रिपून्‌ सर्वान्‌ Pacey ममोऽलु तै भध दुन्दुमेः- दुन्दुभे लं षपवरानां घोरोहृदय (मदनः) कम्पनः | भव भूमिप सेन्धानां तथा विजयव्ैनः यथा जोमूत शब्देन प्रद््यति शिखावलः | तथा SY तव शब्देन इर्षोऽसाकं AAW: यथा जोमूतशब्देन Brat ब्रासोऽभिजायते तथात्र तव शब्देन ब्रस्यम्छसदिषोरणे अथ गहख- Gael TE पुण्यानां मङ्गलानां मङ्गलम्‌ | विष्णुना विष्टतो नित्य मतः शान्तिप्रदो भव॥ अध सिंहासनस्य- विजयो जयदो जेता रिपुचातो शुभङ्करः | दुःख(द्रा)हा wae: शान्तः सर्वारिष्ट विनाशनः एतै वे सबिधौ gerne सिंहा महावला; | तेन सिंहासमेति लवं वेदमन्धेब गोयसे afa खितः शिवः wrareafa शक्रः qt: | मम त्त सवतोभद्र भद्रदो भव yaa: |

ढतोयः वकः | ६४७

चर लोद्ध जयसवेख सिंहासन नमोऽलु षै एवं चिद्धानि सर्वाणि » खानि पृल्यानि farferfa: लोहाभिसारिकं कर्मी कत्वं मन्पूवकम्‌ नियमं तथाष्टम्यां gale खान माचरेत्‌ कुहमचन्दनचम्पक UTA: (Ke) are fae | afeamat देवीं ङु ह)सुमे रभ्यश्चयेदडुभिः | कुसुदेः सपद्पुष्यः सदोपधुपेः aaa: | मांसे वेश्युपहारे मङ्गल शब्देः समुच्छलितेः + दुगा सा पूजनोया तदिन द्रोशपुष्यकः | ततः ON नमस्छत् TTT वधसिष्ठये ` इच्छेत विजयं राज्यं सुभि चात्मने कृपः | Ga: एनः प्रणम्याया संखमरेददये शिवाम्‌ aa छतयेति कौरव्य अष्टम्यां जागरेणिचि | नटनन्त कगोतेख AAG AAA + एवं इषटेनि शां Mar प्रभाते चर्णोदये |

घातयन्‌ महिषान्‌ मेषानग्रतोनतकन्धरान्‌ श्रतमरैशतं वापि तदं वा aera | Quart: FU Bray aay कापालिकेम्य wea व्वलबिदौपहचकः कशि्चोपोषितोवोरवषिषटतोऽन्धेन खञ्नवाम्‌

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9 wee wafenty एति निडबसिन्धौ पाठ + ga दाखन्रति तथा) एति faeafaadl ara: | &

९१४८ विधानपारिजाते |

भूतेभ्य सहलिं दद्याश्मन्तेणामेन सामिषम्‌ | सरकं सजलं चारं गन्धपुष्याशतेयेतम्‌ at सन्‌ वारान्‌ aaa fefateg किरेदलिम्‌ | मग्रसु- वलिं wzeferd Gar भ्रादित्या वषवस्तथा | मरतवाख्िनौ रद्राः सुपर्णाः WANT प्राः SEU यातुधानाश्च पिश्ाचोरग रासा: | डाकिन्यो यषैताला योगिन्धः पूतना: शिवाः दिकपाला लोकपालाश्च ये विघ्नविनायकाः, जगतां शान्तिकर्तारो ब्रह्माद्या महषयः म्रा fad ara & arg at सन्तु परिपयिनः। सौम्या भवन्तु दपा BANAT: SATAN: “afar इति महाष्टमो |

अथ महानवमी |

साच पूवेविदा ग्राद्मा। श्रावणो दुर्गनवमेो दृद्व इताशनेो | पूवं विदा प्रकेष्या शिवराभि वंशेदिनम्‌ इति हेमाद्रौ arate: वेधषाव्र सुहत्तत्रयामक्षोच्रेयः | यश्यपि हेमाद्विमते We. 0 वेधोऽस्ति तथापि चूर्गीदमे एव are: |

ठतौयः Sere: | १४९

सायं तु सुहृशत्रयाकक एव aed क्ालनिदयदोपि- कायाम्‌- विसुहषसगा तु सकला सायमिति | माधवोयेऽपि- सायं TATA तहश्युनया तु विध्यते | इति | तेन विमुहृ्तयोगी पूर्वा are were परेति विवेकः | यसु - WAAR शुक्तनवमो सुहवा कना यदि) सा fafa: सकला Sat wen विद्या जयाधिभिः॥ दूति सौरपुराणवचनम्‌ | सूर्योदये परं fomt पूणां स्यादपरा यदि बलिदानं प्रकनव्यं ततर (2H) काले एभावहम्‌ दति देवोपुराण वचनं परतिधिविधायकं। तत्त नोपवाखादौ fay वनिदानादाविति मदनरतरे निर्णीतम्‌

aaa नवम्यामपराह (a तु वलिदानं प्रणश्यत | दशमीं वज्येसव्र नात्र काओा विचारणा इति वलिदानैऽपि परिधि fatwa द्यते | तदपि शहाधिकनिपेधपरम्‌ |

नवम्यां वनिदानं तु क्षव्यं वे यथाविधि 9

aus विधानपारिनातै |

oat wae विधिवत्‌ qatar भेव नाग्धथा 1 इति कालिकरापुराणोक्षेः | afew होममिष्डनिति | अष्टम्यां वाथ रिज्ञायां वतो होमं समाचरत्‌ | इति देवोपुराशोक्ञेः | WR विपिषो डामर तन्ते-

पायसं सर्पिषा युक्तं fre: शक्तं वि मिथितम्‌ | होमयेरिधिषद्‌ भका euita sates | दद्राध्याये यधा होमो मन्तं दकेन साध्यते, तथा MAA होमं Hass साधयेत्‌

UCT सप्तशतो अप्या STAT नवाश्लरः

इति | maT TTY Gaye: TST रौ ergata few इति wareac दति केचित्‌। gate एव arm aft तु युक्षम्‌ इदयामसे तु-

quran fee arzera तिला eer | किकः सर्पः quate gatgccf

वेषा शोफे fea गानाविधफले सथा | रत्चन्दमखच्डेद गुम्गलेख मनोहरे; प्रतिश्लोकं लुडुयात्‌ waxenfe(at) क्रमात्‌ | गवाचरे सुयामो Sa wait

TAT, सवशः

wa वलिदानम्‌ | देवोपुराके- RATER रदौ शक्र शज्ञाटम्यां प्रपूष्व तु दरो guy विख्वाग्ब जतोपुखामम्धकेः WTS लच्णोपेतं गन्धपष्यतमन्वितम्‌ | विधिवत्‌ कालि कालोति war खङ्गेन चातयेत्‌ # AT <= कालि कालि anafe शोडदण्छाय नमः | इति | त॑दुक्षा # दधिरं मांसं होता पूतनादिषु AW: प्रदातव्यं महाकौशिकमन्ितम्‌ तदश्रतो दषः WAY हत्वा शबरं तु पेष्टकम्‌ ena घातयित्वा तु दद्यात्‌ खन्द विशाखयोः + UUM शव्रियादे ब्रोद्मषख वलिप्रकारः | कालिकापुराषै- gure मिचुदण्छ' urd (ard) सारस भेव षा | एतै वलिसमाः परोक्षा Vat शागसमाः घदा दद्रयामलेऽपि- STATA तु FATS Aas वा मनोहरम्‌ |

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nyway iagaie favafent पाड + जादि xerecel दिदारौ पापरिश्चो aun इति gree: |

९५१

नीक 8 पं

१६५२

विधानपारिजाते।

aadafed wen शेदयेष्छुरिकादिना |

बराह्मणेन दा देयं Hare वलि कश्चणि |

AeA वा सुराधोश दं नेव तु कारयेत्‌ उन्तराभिमुखोभूलला वलिं पुव॑मुखं तथा |

निरोश साधकः पञ्ादिमं मन्व सुदोरयेत्‌ |

Une वलिङूपैण मम भाग्यादुपागतः

प्रणमामि ततः सवूपिणं वलिरूपिणम्‌ |

चण्डिका प्रोतिदानेन दातु रापहिनाशन | चामुण्डावलिङरूपाय at तुभ्यं नमो नमः |

यच्चारथे पशवः इष्टाः खयमेव GAA |

अतस्ां घात(यिथामि)याम्यद्य तस्माद्‌ यन्न वधोऽवधः} छो योमिति मन्व वलिं तं मत्खरूपिणम्‌ | चिन्तयित्वा न्यसेत्‌ पुष्पं वलिमूरैनि भरव |

रसना त्वं AGMA: (ASR TAT: HTT प्रसा(र)धकः | St st ay fa arg ध्याता खङ्ग प्रपूजयेत्‌ | gufaar ततः oe (आं) ह' फडिति मन्ध(तः)कंः होत्या विमलं ox ैदयेरलि मुत्तमम्‌

शौ ठे डो कौशिकोति रुधिरः प्यायतामिति | बलिदाने तु qatar: सवत्रायं विधिः स्मृतः

अथाव प्रसङ्गात्‌ शतचण्ो विधान मु थते |

इद्यामले-

शतचष्डोविधानं तु प्रोष्यमानं शृणुष्व तत्‌

SAT: स्तवकः |

सर्वीपद्रवनाशाधं werregt warez

षोडश स्तश्चसयुक्तं मण्ड पं owaleTay | agate युतां afé मध्ये gathers: पक्ञे्टकचितां रम्या ARTs हइस्तसन्िताम्‌ TUT रजोभिष कुओाच्छरोमरछपं + शभम्‌ A quaufaar किङ्कणो जालमण्डितम्‌ | प्राचार्यण समं विप्राज्ा)न्‌ वरये सुत्रतान्‌ | Uk) शान्धां खापयत्‌ aa पूर्वोक्ृविधिना इरे वारुण्यां प्रकन्तव्यं कुड ary afer | मूत्तिं देव्याः प्रकुर्वीत सुवशस्व पलेन वं तदन ASW तदशन महामतं

श्रष्टादश भुजां देवीं कु्याहाषटकरामपि। पषटकूनल युगच्छन्रां देवों (वदि) मध्ये निधापयेत्‌ देवीं मम्ूज्य विधिवलपं कुयुदश feo: |

श्रत मादौ शतं चान्ते Aare नवाणकम्‌ | चणो सप्तशतीं मध्य सम्पुटोऽय मुटाद्ृतः।

एकं हे भोणि चत्वारि जपेदिनचतुषटयम्‌ I Safa क्रमश BET पूजनादिकमावरेत्‌ |

पश्चमेदिवसे प्रातर्होमंङखा (दशां गरतः) दिधानतः

गुड़, चीं पायसं gat तिलान्‌ wary यवानपि |

9 कुयान्‌ ATS GUA इति SAMS I

९५३

९५४

विधानपारिजातै।

चणोपाटख होमं तु प्रतिज्ञीकं दशांशतः Wad Fate were: समिदाच्य चरन्‌ क्रमात्‌ | yar quryfa car हिपेभ्यो दक्षिणां क्रमात्‌ | कपिलां at नोलमरिं ward ew चामरे | fata ततः ga area ऋलिजः Ui हतेऽमरेणान aafafe: प्रजायते |

गति <qaraata शतवखोविधानम्‌

सथ सहस्रचणडौ विधानम्‌ |

a Tay

avawet विधिवच्छणु विणो महामते | Treat APTA जनमारे महामये गजमारेऽश्मार परथक्षभये तथा इत्यादि विविधे दुःखे सयरोगादिजें भये ससर चणिकापाठं क्वाह कारयेथा | नापक्षासं शतं प्रक्षा विंशदस्तश age: भोश्याः सहस्र विप्रेष्रा गो यतं दिशां feta | aca दिशुशं देयं warera तवच | सप्धान्धं भूदानं श्वेताश्वं मनोहरम्‌ पञचनिष्कमितामूततिः wear ater: अष्टादश भुजां देवं स्वायुध विभूषिताम्‌ | aarfcara दातव्यं खख Ware प्रभो

ढतोयः WAT: १५१

शतं वा नियताहारः पयः पानेन वर्तयेत्‌ | एवं यशख्छिकापाटं AWE’ समाचरेत्‌ तख स्वात्‌ काथ fate gy नात्र काणो विचारणा इति एतदयं यद्यपि महा निदन्धेषु नासि तथापि प्रषरहूपला- a इति इद्रयामलोक्ं सहसचख्डिक्ा विधानम्‌

अथ नवरा पारणानिशयः।

साच दशम्यां का्या- प्रणिन मासि शक्ते तु awed गवराच्रकम्‌ प्रतिपदादि क्रभेष्ठव यावच्च नवमो भवेत्‌ | विराजं वापि कश्तब्बं सपतम्यादि दिनत्रयम्‌ i दूति हेमाद्रौ चीम्योज्ञः मवमो fafa caret हया पूजाजपादिकम्‌ इत्यादि प्रागुह्मवचनेनेवमोपथन्तं प्रधानभूत TT इपवासादेव wean तत्यथन्तागुेयत्वात्‌ भादिगष्देन उपवासोकनेः। facrwag नवम्बा अपि भमिब्यातिदनात्‌ पारणशान्तत्वेन warned facta aTeqi विष्डु- विरा्ादावपि तथाल्वापत्तः। खात्रोपवासे मानाभाव इति

वाचम्‌ | uy विन्बवासिश्धां नवरात्रोप्बासतः |

ave विधानपारिजति

एकभक्तेन क्तेन तथेवायाचितिन | पूजनोया जनेदेवो खाने खाने पुरे पर इति हेमाद्रौ मविष्योक्ञेः मवराज्र समाख्यातो नवम्या अपि उपो्लाश्च | इति मदनरब्र प्रतिपादितम्‌ aq तिचिषासै werafa उपवासा भवन्तोति कथं नवरा समाख्या तैन wafer एवायं नवरात्र wees: इति चेत्‌ सत्यं तिचिद्काैऽपि नवतिधोना सुपोषलाब्रवरातला- चतेः। wera सुतगे: ' वापे सति oad) एतेन att प्राधान्धात्‌ ासेऽपि भरमावास्या मादाय नवत्मिति मूर्खोह्नि- शपि परास्ता | Gate वचनेरमावास्याया VATA: aaa निणेयदोपे उकम्‌-- urfaa शक्तपरेषु मवराजि मुपोषितः मवम्यां पारणं कर्याहशमो भिचिता नचेत्‌ दशमो fafaat ay पारणे मवमो भवेत्‌ दुःखदारिद्रादा श्रेया तथा व्रतविनाशनो दूति aryl वचनम्‌ | तथा-- नवम्यां पारिता देवो कुलहरि प्रयच्छति | दशम्यां पारिता देवो कलनां करोति वे तमास पारणं कुथाजवम्यां विवुधाधिप इति दद्रयामल वचनं एतानि यदि समृशानि तदेषा शौहाभिसार कम्यविषयस्वं वेदितब्यम्‌

waa! सवकषः que

अयाभिलाषो दृपतिः प्रतिपत्‌ प्रश्ति क्रमात्‌ लौहाभिसारिकं कश्य कारयेद्‌ यावदष्ट(भि)मोम्‌ + इति तख भष्टमोपयन्तत्योक्ञेः। warn महाष्टभ्यां पर विदायां पारणानुष्ठाने पव्यैनिवम्धे विरोधो gate: स्यात्‌ तस्मा- em मैव ary पारशाह सूतकादि प्राप्तौ तमेव पारणं कुयात्‌ | काम्योपवासे प्रक्रान्ते AAT मृतसूतके | तत्र काम्यव्रतं कु्ाहानार्धन विवलिितम्‌ इति कूशपुराणोङ्गः | व्रतयश्चविवारेषु Ae होभेऽश्वने जपे WW सूतकं स्यादनारब्धे तु सूतकम्‌ दूति विष्णु वचना wits मध्येऽपि तत्‌ कर््व्यतावगतैः | पारणान्ततवादतस्व केविदभ्ौयापगमे सति दानाच्चनादि पूवकं पारणं कुर्यात्‌ दानाञ्चनविवजजिंत firm रिव्याः | रजः सूतकेऽप्येव मैव नियमखा यटानारे प्रपश्ये दन्तरा रजः | SHG तु ANTM: ज्ञात्वा शेष व्रतं चरत्‌ इत्यङ्किरोव चनात्‌ #

cae 1 पि 1 = an Se [8 -

# WAMST SCNT we पारक aH AAT प्रारदोचच तपं नारौकां यद्र) WaT तवापि तरतव दुपणेषः कदाचन| ्परहतऽपि cafe ae ere ठतम्‌ | Seis वचन प्रानाख्छात्‌। रू 83

que विधाभपारिजाते |

ततः प्रातः Guten दशम्यां fafrqaary 1 संपरेषणं तु क्त्यं गोतवादिषर fren: | इयं ठेडि यथो देहि भगं भगवति देहि भे | gary देहि धनं देहि सर्वान्‌ क्षामां देहि ने इति durex देवीं तु तत यापयेधः | उत्तिष्ठ देवि चण्डि gui gat प्रद्र Fes समर कल्याणं अष्टाभिः ae aff: | गच्छं गच्छ परं खानं खखानं देवि चण्डिके व्रज स्ोतोजलं Fer खोयतां जसे विह इति जलं नोता | दरगे देवि अगतः wart गच्छ चण्डिके संवक्षरे wale तु पुनरागमनाय cat पूजां मया दैवि यथाशहुपपादिताम्‌ | राये लं समादाय ANT खानमुत्तमम्‌ इति लले प्रवायेत्‌ इयमेव -

विजयादशमी

दतु ते साच हितोयदिने zee योगाभावे gator | तदु हेमाद्रौ सन्दे - दथम्बां तु At: Gera, पूजनोयाऽपराजिता Cart दिशमाचिल्व अपराहे प्रयतः |

wala, re: | gue

या पूर्वा meager vert qoursaer fare | Sara विजयायै पूर्वाह्न विधिना नरः नवमो रवबुद्नायां Sasa मधरा्जिता हदाति विजयं देवो. पूजिता, जयव्दैनो + बधा men arian Gace तु दम्यं THAT: | एकादण्ां ala पूजनं चापराजितम्‌ दति | यदा हु पूर्वदिने weer, परदिने चाख्योऽपि त्योग सदाः घरव . AEM हेमाद्रौ वतका कश्पेन- wea दशमो किद्धित्‌ सम्पुखंकादथो यदि | श्रवणं यदाक्षाले सा fafa विंजयाभिधा # अवत्ते तु पूर्वायां areca: प्रखितो यतः | उ्महकशेयुः सोमानं तदिन ततो. नवा; दूति. कालमाड ATS: aq सम्यामतिक्रान्तः fafagize तारकः। विजयोनाम कामोऽयं सवं कार््याथसिदिदः अतेतिकनब्यता भविष्य - WAGE AGTH भह्लानामभयङरम्‌ | अर्चयित्वा शमो ASAE पुनः पुनः

६९० विधातपारिजावे |

शमो प्राधना AAT अमङ्गलानां यमनो शमनीं दुष्कृतस्य दुःखप्र शमनीं धन्यां woes शमीं शभाम्‌ तथा भविषे- शमो शमयते पापं शमो(शवु विनाशो) लोहित कण्टका धारिण्यङ्गुन वाणानां रामख प्रिय(वादिनो)कारिषौ a करिष्यमाण यात्रायां यथाकालं FE मया aa निरविन्न कर्त लं भव ओोराम पूजिते | दूति तधा- WHA साक्षतामाद्र' शमोमूलगतां मदम्‌ गोतवादित्र निर्घोषे रानयेत्‌ खण्डं प्रति Rata तु- सूर्योदये yuse वर्तते दशमो तिधिः। भ्राश्ठिने शक्गपसे या सा भवैव्लयदा कृणाम्‌ | निषि मपि कर्तव्यं तलाभ्यश्नन सादरात्‌ निषि Raed व्रताङ्कल्वेन | अश्लानामपि कव्यं तलज्ञानं नदोजले तू घोष समायुक्ञ पुरं प्रवेशयेयान्‌ पुष्पमाला परीतां स्तां खामरं इपभथोभितान्‌ | cratic समाविष्टान्‌ खोभि नोराजितानथ संपूज्य विधिवद्रात्रो भोजबेन्तुरगाजरुपः |

aT: वक्षः १९१

वाहाधिक्षारिशः सर्वान्‌ दानमानेश तोषयेत्‌ i

तथेव वारणान्‌ मुख्यान्‌ THAT MARTA AAT THACA शमो AMAT मन्वतः + साहय ब्राह्मणान्‌ प्राज्नान्‌ वाचयेत्‌ खस्तिमङ्गलम्‌ | sya सृस्तिकां तत्र wat कुर्यात्‌ प्रदल्िणम्‌ qaifefay तिष्ठं rar रारोहयेत्‌ क्रमात्‌ | षति नोराजल BR तमेव | तत्र मस्नः- चतुरद्गः वलं मद्यं निरनिषटं afar | aaa विजयो Asy तत्‌ प्रसादा(द्रमापती)त्‌ gts | इति

सथाश्विन पौण मासी |

सा परा aE सावित्रोत्रतमन्तरेश भवतोऽमापौषमास्लौ परे इति दोपिकोक्घः। way WEE उकम्‌ पाष्ठबुण्या म्ाष्वयुजो क्ति LAAT: awd gate व्यापिनो aren देवककलासस्व-

aaa मपि चत्र पवदिक्षाजम्‌।

९९२ विधानपारिजावे।

शर श्चाधयं ara cafe स्वा्दुष्यते | इति sites: | किम्वा eae: परं पौषंमारेेब प्राग्‌ भवति | THEA: परमुक्न माग्रयणकं प्राक्‌ पौणमाघाच्च तत्‌ # इति दोपिकोक्णः | तश्चाप्यणं Yar) ब्रोद्चाग्यणं यवाग्रयणं श्यामाका- wad तैषां क्रभेण कालमाह भ्रापस्तम्बः वर्षा श्यामाव यजेत ब्रोद्ियवाभ्यां शरदषन्तयोरिति तव्रापि श्यामाक्षागप्रयणम्‌ नित्यं इतरे लनाहिताननेनित्ये श्यामाकः wet कु्योश्राग्रयणमिति नारायण हसौ व्याख्यातम्‌ इदं पवंशोऽन्यतर क्रियते चेत्तदा wane saree कत्तिकादि विशा- शान्ते काय मिति सूत्वधसारेऽभिदहितम्‌। किं च। यदाले- तदाण्िनपौषमाख्यां क्रियते तदा एककाललयादाश युजो waret- {ख समानतन्वता भवति तदेतदततिक्ञता एकव रिथा- च्येति qa We सुकम्‌ कात्यायनानां हु पवेनियमो नासि अनाहिताम्ने vane मिति आात्यायनसवरे ककण तथा ष्याखयातलात्‌ | एतदकरणे प्रायतत qe जुति चन्द्रिकायां कात्वायनेन | निलखयश्नात्यये चेव वेश्वरेवद्यस्य | अनिष्टा नवयच्तेन नवाज प्रा थने तथा भजि पतिताजख चद वेष्वानरो भवेत्‌

इतोयः ATR: | १६९

कारिक्ापि- अह्नताव्रव शोऽग्रोयाजवाश्रं यदि वे नदः | वेष्ठानराय HATE: पूर्वाइति स्तदा इति | ऋगम्विधानेतु- समिद्रराया मन्तं # वे वषे जपेच्छतम्‌ | आग्रयणं यदान्धुनं तदा wage भैति तत्‌ इति | इति अश्विनमास विधानानि

रि a aie 7 ee ot = - = —_— ^ वषये ब्दा = ~ ~ = नधि = णी mer 8 1 1 2 ae

@ ef, रावा सिषा रमेमहि वाजेभिः goed? throfa: | है aan Vit Gua नोखुदवाकादन्यादमिमडि -- शति १. ६९ब्‌ शश्च

aa कात्तिकमास विधानम्‌।

त्र तुलासंक्रमे पूर्वापरा दशघटिकाः gens राज्रौ- निगोथात्‌ प्राक्‌ परतश्च संक्रमे पूर्वोत्तरदिना ge निशे तु संक्रमे दिनहयं पुण्यमिति प्रागेवाभिहितम्‌ | पा्र- तुला मकरभेषेषु प्रातः जञानं विधोयते | इविष्य aaa महापातकनाशनम्‌ दूति |

wa तुलेत्यादिना सौरमास WIT Sw) प्रा्ाशेतदटेव ाद्वियन्ते | दार्धिंणात्याल- भआख्िनख तु मासस्य या WHAT भवेत्‌ | काल्तिकख्य व्रतान्‌ तस्यां वं प्रारमेत्‌ सुधोः a दूति विष्णुरहख्योक्ष रिदभेव भाद्वियन्ते | केचिन्तु- ge घाश्मयुजे मासि पौणमास्यां समाहितः | इतयज्ञा- मासं wad परया महया समाप्यते काति कपौणमाख्याम्‌ |

ढतीयः सवक; ६६५

इति @endt चादि geratiacfian शक्पश्चदष्या मारभ्य कार्तिक पौर्दमाखवां कालतिंकत्रतं समापमेदित्बाहः | पत टेशाचारतो ATA TERT | wa तोधेविरेषः पापे gata कोटिगुखो गयायामपि तत्‌ समः | ततोऽधिकः पुष्करे स्याहारवत्यां भागव पुण्याः Fare समेव yea मधुराऽधिका दुलभः काल्तिको विप्रा मधरायां कृशामिह + यवा्चितः खवा रपं UM ae: प्रयच्छति | <2 चानं काशोपदचनदेऽपि भतिप्रधस्तम्‌ | शतं समा सपस्तघ्ना हतं यत्‌ प्राप्यते फलम्‌ तत्‌ कालिके पञ्चनदे सज्ञत्‌ ञानेन शम्यते दूति काोखण्ोल : ज्ञान मन्व are— anfeasy करिष्ठामि प्रातः era wet | Tae तब Va दामोदर मयासह | मया went ow महितस्येत्यथेः aw मन््ोऽपि- व्रतिनः कालिके मासि जातस विधिवन्मम |

महाशापं मया eet राधया सितोऽनच 84

११६ विधानपारिजाते |

नित्ये नैमित्तिके कालिके पापनाशने | ETAT मया दसं दुजन्द्रनिषुदन दमौ मनौ AAA प्रात Aver प्रयच्छति x | HUTA पुष्याग्बु TUTE पुण्यवान्‌ | सुवणपूश एथिवो तैन दन्ता संशयः दति तत्फलम्‌ एवं सम्पृश ज्ञानाशक्षौ वराहं STATA | वारानस्यां TEAS WE खानेन काल्तिक्े। अमो ते Aga मुक्िभाजो भवन्ति वं fa काशो खण्ोकञेः।

अर मालाधारण सुकं खान्दे- निवेदय केशवे मालां तुलसो काष्ठ Wary | वते यो नरो मधा तस्य नास्ति पातकम्‌ जद्मासषलसोमालां धात्रोमालां fae: | मङापातकसंदन्ीं सव॑कामाधंदाथिनेोम्‌

faqwasfa— any यानि Cafe धावोमाला कलो TAT | तावह्षसष्खाणि THAW वसेद्‌ Way | arerget तु यो नित्यं धावोतुलसिषश्चवम्‌ aye कण्ठदेशे तु कल्यकोटो वेसेहिवि +

पोषण aw प्रयच्छति। --इति frea ean wa: |

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इतोयः सकः |

तुलो काहसंभूत मासे कश्य (जनप्रिय) awe |

विभि लवा महं कण्ठे कुड मां TANT I

एवं dary विधिवश्मालां ज्ृष्णगकेऽपिताम्‌

धारयेत्‌ कार्तिके यो वे ATT पदम्‌ + sfa

तधा-

अगस्ति कुमुमेदवं योऽशयेर जनादनम्‌ SUATHSA देवर्षे नरकं नाशते AT:

विषाय सवपुष्याणि सुनि पुष्पेण केशवम्‌ | कास्िक्षे योऽ्येद्‌ भक्ष्या वाजपेय फलं समेत्‌

नथा पाश्च-

कार्िक्षे नाचित यलु कमले: कमलेश्लणशः लग्मकोटिषु UNE तवां कमला गहे कार्तिके कमल. पूजा येषां नाजा सते: BAT | fanaa रव; पुत्रं वसन्ति विदिवे सदा। तलसोदन लेण कालिके योऽशंयेहरिम्‌ पत्रे पतर मुनिर मोक्किकं लभत फलम्‌ धाबोच्छाये तु यः Fay पिण्डदानं महासने | afa प्रयान्ति पितरः प्रादान्‌ माधवस्य 4 4 ures fafaargt धात्रोफलविभूविनः। धाज्ोफन HATHIT नरो नारायणौ भवत्‌ water ममाचित्य यो ऽचयेशक्रधारिकम्‌

९९७

१६८ विधानपारिजाते।

पुष्पे पुष्य sane फलं प्राप्रोति मानवः कात्तिक्षे माति विप्रेन्द्र धाोह्षोपथोभिते वने दामोदरं विष्णुं चिश्ारेसतोषयेदिभुम्‌ मूशेन पायसेनापि होमं क्यादिचचणः | ब्राह्मणान्‌ भोजयेच्छक्धा खयं youl बन्धुभिः fa तधा- कार्षिके दिदलं स्यजेदिव्युक्षम्‌ |

पार राजिकां areal चेव नेवाद्यात्‌ कात्तिक व्रतो हिदलं fread तथान्यत्‌ प्रतिदूषितम्‌ + कार्तिके वजये्ददिदलं वहुवोजकम्‌ | माष मुत्र मसरा wate कुलियकान्‌ निष्यावा राजमाषा urge रिदलं सतम्‌ नूतनान्धपि satin सर्वाख्डेतानि वलयेत्‌

wa कैचित्‌। उत्पत्तिसमये ceed यख भवति तुतः ganar दिदलमुते। vary रुदाषरन्ति

वोजभेव समुद्ुतं हिदलं षाहुःरंविना eran यत्र wary feed तज्निगद्यते | | «fa

तशा ay wife seat कािके वजये |

तोयः weer: | ११.

arid व्छयेत्‌ wie कार्तिके oa सन्धितम्‌ + शक्तं पथचषितं। सन्धितं लवधाकमित्वथेः | भरन्येऽपि साधारण wart: पूवसुशाः। areata कान्दे- रोहयो यव गोधृमाः fica तिश शालयः एत हि साखिकाः ter: खग मोत्तफशप्रदाः art दम्यो विधात्यो afer केनचित्‌ afar | अव्रतेन ate यशु मासं दामोदर्प्रियम्‌ | तिग्‌ योजि मवाप्नोति जग्म कोटिषु दुःखम्‌ भन्धान्यपि ताब्बूल तेल trainer सष्स्परूपाचि व्रतानि प्रागुक्ञानि sata | निषयाइते - तुलायां तिलतक्ेन सायंकाले समीगते | भाक्षाधदोपं यो gary arene इरिप्रियम्‌ + महतीं चियमाप्रोति ङ्प सौभाग्य सम्पदम्‌ | तत्‌ प्रलारवादित्व प्ुरावै- दिषाकरेऽस्ताचल मौलि (भूते) याते गहाददूरे FATA | यपाक्लतिं यश्नियषहच्चकाह मारोप्य भूमावथ तख मूष हत्वा चतस्रो एदनाह्नतो शं याभिभवेदष्टदिभ्ानुलारो |

९७१ विधानपारिजाते।

तत्‌ कणिक्रायां सु (तु) महाप्रकापो दोपः प्रदेयोदलगासथाष्टौ | fata wala इराय ya STATA NTT TH) | warfare सत्‌ free: प्रतेभ्य एवाध तमःखितेभ्यः दूति GT भक्स्य AMAT दामोदराय नभसि तुलायां लोलया ay प्रदोपं ते प्रयच्छामि नमोऽनन्ताय Buz एति | का्तिकज्ण्णचतुर्धीं न(क)रक चतुर्धी। a चन्द्रोदय- व्यापिनो avert | दिनये तथाल पूर्वा तव्रव पूजाद्याक्नानात्‌ कार्तिक हष्णदहादभो alee dat) सा प्रदोषव्यापिनो are दिनहये aurea पूवा युम्मवा चात्‌ ae पूजा वट सेव कत्तव्य प्रथमेऽहनि | दूति निशया ङ्तेऽभिधानाश | सवर कारस्य सुक्तं भविष्ये- सवल्मां तुख्पवणाश्च शोलि्नों गां पयखिनेोम्‌ | चन्दनादिभि राशिष्य पुष्यमालाभिरशयेत्‌ Wel ताम्रमये पाच कतवा पुष्यात स्िलेः पादमूशे तु दद्या हं मन्देणानेन TBA

aaa: Bae: | ९७१

चोरोदाववषंभूति सुरासुरनमस्छते | सर्वदेवमये मात गृहावाध्यं नमोऽलुते ततो मावादि संसिष्ठान्‌ षटक्षान्‌ निवेदयेत्‌ | तत्र मन्ः- सुरभि ea’ naar दैवो faque खिता सर्वदेवमय ग्रां मया en मिमं प्रस ततः- सवदेवमये रेवि सवदेवेरलङ्ते | मातममाभिनषितं सफलं कुर नन्दिनि | बति प्रा्येत्‌। तधा- afea vaca खालोपक्ष' युधिषिर | TA Med चेव दधि तक्र oa + श्योतिनिवन्धे नारदः- काञ्चिके ष्पद तु terres ayy | fafaqe: पूवरात्रौ दृशां नोराजनाविधिः + नोराजयेयु देवांश्च विप्रान्‌ गाङ तुरङ्गमान्‌ | WEA येषाम्‌ Meaty माठसुख्या योषितः + इति faqarat स्कान्दे - | atfawenfat पचे autem निशासु |

१७२ विषानपारिजाते

यमदोपं विदयादपमल्यु विनश्यति | afar AAG - SAAT पाशदण्डाभ्यां कालेन यमया सह waterat दोपदानासुष्टोभवतु सुञः # | कार्तिक छष्णचतुदभो नरकचतुभो aw प्रभाति चन््रो- दये अभ्यङ्ग कुर्यात्‌ नरक चतुर्ष्या तलाभ्यद्गं कारयेदिति OTe: Paral भविष्यो्र- कार्तिके wanes तु चतुरष्यां fayed | अव्य मेव wast खानं नरकभोरभिः | gafawagquet कार्तिकस्य faint | परे HATERS GTA तेन कारयेत्‌ खतिदपथेऽपि- AGC चाशयुजख AUT AYA युक्षा भवेत्‌ प्रभाते ज्ञानं WIV ACY काथ सुगन्ध तलेन विभूति कामे; 1 इति |

aera: Want भम —tfa favafeat पाठ.

aaa: स्तवकः gor

एष्वोचन्रोदये ani— TTR SITTIN geri विधुदये तिलतलेन waa aa नर कमोरणा |

दूति ay wagfafa samara माष मभिप्रेत्य oe नित्य. वधैयम्‌ | तधा-

AT TH जले THT ace (दोपवल्याः) TEMA | nia fara: प्रातः ज्ञान (मतः) न्तु यः कुय्यादमलोकं पश्यति fear’ विधुदये चतुरं शो we पूवदिने काथ मिति निर्षय- दोपमरतम्‌। परदिने काय मिति fret ary: | तधा कष्ण चतुरं या माश्िनेऽर्कादयात्‌ पुरा | यामिन्धा; पिमे यामे aanagt विधोयते दति सवशर नारायणोक्गः | दिनध्येऽप्यसख्वे तु पूर्वहि aden aay कु्यादिति दिषवोदाषः- वरयोदशो यदा प्रातः चयं याति चतुभो | राति शेषै लमावास्या तटाऽभ्यङ्ग वयोदभो दति नारदसृतः | चित्त दिनदयेःप्यसस्वपचैऽपि aqua भेव nay

योदश्याम्‌ | 83

९६७४ विधानपारिणाते।

wafer चतुदंश्चा मिन्दुशयतिधावपि

छरजादौ खाति संयुक्ते तदा दोचावलो मवेत्‌

कुर्यात्‌ deen Aare दौपोकव दिनत्रयम्‌ |

इति च्योतिर्निवन्े नारदोक्त रित्याइुः व्रयोदथो यदा ara रिति वचनं q हमाद्रयादि महानिवन्येषु saree fad. शम्‌। समूलत्वेऽपि चतुर॑ष्याः सर्द यदयासम्बन्धित रूपः योऽ विवल्ितः # किन्तु eae कालात्‌ प्राक्‌ समाति शप; wan विवक्षितः सौरपश्षवदाषपधैशापि यदा कास स्तत्र इति wufacaa fafa; अवर देचाषारतीव्य- वजा द्रष्टा | wa इतिकर्तव्यता खन्ना प्र - अपामागं मथो Aa प्रपुब्ाटमधापरम्‌ |

्रामयेत्‌ STAM तु नरकश्च Wars वे प्रपुन्राट GMAT: |

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® अतः परं fadafeah— eatery प्राम aaa चन्द्रोदय काल देच तथैवाङ्ौकारात्‌। एविकीऽ ची इष्ठे | ay ee BAT पाक्‌ यदा शत्‌ TT: | ATA ATG दतुदेधादम्‌र Ga Qua

इति कष न्रलाक्चरः |

wate, eT: | १०४

मन्वलु- सो(सि)तालोर « समायु सकाण्टकदलाण्डित | इर पाप HOTA WTA: पुमः पुनः इति। अस्वा भव प्रदोषे Stat देया इतयु स्कान्दे ततः प्रदोष TAT दोपान्‌ द्यान्‌ मनोरमान्‌ | ब्रद्मदिष्णु faaretat भवनेषु मठेषु इति| शिङ्कपुरषे- AUTH शाकेन Ya तद्दिने AT: | प्रताख्यायां चतुश्डां सवंपापेः WAT लचा- तत तपं काये wc नामभिः यमाय धन्यराजाय AAT चान्तकाय च॥ $वसखताय कालाव सवभूतश्चयाय सदुम्बराय दक्नाय नोलाय cafes हकोदराय faara चिवगुप्ताय वे ममः | वद्धोपवोतिना काय प्राचोनावोतिनाऽचवा इति |

[च षि 7 1 नणि "क = --- = - ~ =~ —_—-_sawe— a ~ « oot Qeaeeteewes ame ae

e mane इहि woee पाठ. |

म॒ Ve gia |

१७६. विधानपारिजाते |

ce जोवत्‌ पिहक्ेशापि कायम्‌ | antag पितापि कुर्वीति aad यमभोभयोः इति areata: कार्तिक्षामावाख्याया MIAH SM: कालाद | TAT WAGE छताभ्यङ्कादि मङ्गलः | भ्या प्रपूजयेश्वो cere विनि्ठस्ये wa भ्रादिशष्दम पद्चत्वगुदक्षखानादेः सङ्गः | AER पुष्कर पुराणे- खातौ fad रवाविन्दु यदि खातिगतो भवेत्‌ | पश्त्वगुदकज्ञायो क्ताभ्यङ्कविधिनरः | नोराजितो महाल्छो मश्वयन्‌ त्रिय aye तघा-- इन्दु ्यऽपि संक्रान्तौ रवौ घाते दिनस्य AMRIT दोषाय प्रातः पापापनु्तये are - का्तिकस्य मासस्य यामावाख्या तिथिभवेत्‌ | दोपेर्नीराजनाद् सषा दोपावलो खता wa fatal हेमाद्रौ मविष-- दिवा तवर भोकषव्यं ऋते वालातुरं जनम्‌ प्रदोषसमये weit पूजयित्वा ततः क्रमात्‌ SUSAN दातव्या महा देवग्टटेषु |

तोयः QT: १७

MAA सर्वमेवेह रात्रौ देत्यपते वलैः ` पूजां Parga: arene भूमो तु THs शम | वलि मालिषख्य cae aca: cece वहस्य मध्यशालायां विशालायां ततोऽशषयेत्‌ tt लोकस्वापि खहस्यानः शालायां एकत Awe: संलिख्य वलिराजानं we: पुष्पञ्च पूजयेत्‌ मन्रसु- वलिराज waged दत्यटानववन्दित | इन्द्रशत्रो सुराराते fayarfauet भव i इति | वलि मुहिश्य दोयन्ते दानानि gees | यानि तान्यक्षयाख्याह ata कासखौविचारणा दनि | दूयं प्रतिपत्‌ पूवंविहा ग्राद्मा- qafaar nanan शिवराज वले्दिमम्‌ | इति पाद्मोक्षः | Wa गोपूजाण्युक्ञा- या ay: प्रतिपक्भिया aa गाः yaaa पूजनाचचोकि वरैन्ते प्रजा गावो धनानिच। इति निषग्रागरते दिव्ये ararganfaa परा ग्राद्ना- गवां क्रोडादिने यर रातौ टत चन्द्रमाः |

११८ विधानपारिजातं |

सोमोराजा पशून्‌ इन्ति afer: पूजकां सथा + दतिपुराशसनुशयोहेः Ta TART खा PATA! TE तसातं प्रकतं प्रभाते Ae मानवः | तिन्‌ यूत जयो यख AS संवक्षरं जयः # पराजये विदद शाभनाश करो भषेत्‌ | दयिताभिद सहिते नेया साच Hafan इति अचर taka पूणप्यु्णा। हेमाद्रौ कान्द प्रातर्गो व्ैनं goa ga चापि समाचरेत्‌ भूषकोया सथा भावः पूज्यादावाइदीहनाः arate मोषदैनपवेतो गोमयेन कायः मन्रलु- HAC धराधार गोकुलव्राशकारक | वड वाड wears गवां कोटि प्रदो भव गोमन्वसु- या लो लोकपालानां Agate संखिता | wa वति aura मम पापं व्यपोहतु

इति ततोऽपणड शमये Geet दिशि भारत | मार्मपालौं प्रवन्नोयान्तु्ग सत (गवे) को पादपे कधकाशमयौ feat ware वेमि (वताम्‌) जप

wale: Bee: | ९५९

wate हि जन्तु बक्नोयान्‌ मार्गपालिकाम्‌

ARAL ततः FAY ARTA GAT

मागेपालि नमसुभ्यं सवलोक gene

fata: पुव्रदाराद्यः पुनरेहि are भे

नोराजनं ATT ATS TERIA

राजानो राजपुताडं ब्राह्मणाः ATTA: |

मार्गपालौँ ससुक्ष्चय गोरजः स्युः सुखान्विताः

कात्तिक शङ्ञदितोया यमदितोया घा पूथैविदा are fara are

जलं शङ्ञहितोयाया मपराङ्क wate यमम्‌

ज्ञानं कला सनन्दायां # यमलोकं पश्यति I इति

सनन्दा प्रतिपदिल्वथः | afre sfa—

arfaa gaawer हितोयायां युधिष्ठिर |

यमो यमुनया Fa मोजितः खग्डहेऽरितः।

अतो aafenad सवेलोकेषु frre

अश्वां निजग्धहे fan मोहब्धं ततो नरः

Gea भगिनोहस्ताद्‌ vitae gfe वदनम्‌ |

दानानि प्रदेयानि भगिनोम्यो विधानतः 9 इति।

® ancrafana mama निति freefall az: |

६८० विधानपारिज्ाते |

ब्रह्माण्टेऽपि- यातु भोजयते नारो रातं eae तिथौ भचयेश्ापि ताम्बूले नं सा वेधब्य मध्यात्‌ श्रातरायुः चयो राजन्‌ HAT किचित्‌ | तधा- यस्यां तिधौ यमुनया यमराजदेवः संपूजितः प्रतिजगत्‌ खड दौद्ृदेन | तस्यां ag: करतलादिह यो भुन प्राप्रोति Ta सुखधान्य ATA सः निण्य सागरेऽपि- ततः प्रभाते विमले भगिनो राढ मन्दिरम्‌ | गत्वा निम्रयेद्‌ आातुन्‌ जनकं जननीं तथा wala सकलान्‌ WET] Wa खं मण्दिरं प्रति अभ्यङ्गः कारयैद्ब्रा MEN भोज्ये भोजयेत्‌ पिवादि सवेवन्धुभ्यो दद्यादस्नाणि भूरिशः स्य MSTA वस्त्रालङ्कार भूषणम्‌ इति #।

कका ~ -० == = . . = = = खा —_— ee Eg ee

e तिचितले wes मन्तो इष्यते यथा-- भतलवापलाताहं तुङ्‌ भक्तं मिहं णभम्‌ Wad यमरालख ugar विशेषतः इति | कनिहाचेदनुक्ाताहइ भिति षदैत्‌ |

तोयः वकः १८१

कार्तिक शुक्रनवमी युगादिः।

साच पौवाद्धिको Ary | शके पौर्वाद्धिके प्राचे

दूति वचनात्‌ अनर पिर्डरहितं शाहं areata

वेशाखविधाने- wa faafacd व्रतसुक्ं हेमाद्रौ पाप्र- wifes शुक्र मवमो मवाप्य विजितैद्धियः। इरि विधाय सौवणे तुलस्या सहितं विभुम्‌ पूजयेदिधिवद्‌ भक्धा ant aa दिनत्रयम्‌ | एवं यदोङ्ञषिधिना कुग्या इवाहिकं विधिम्‌ इति | ` तुलस्या सह विष्णुविवाइ विपि SGU VIS वच्यते | अत्र भोषपश्चकव्रतसुकं मारदोये-- अतो नरैः Waa wa भो पञ्चकम्‌ कात्तिकख्ामले पे ज्ञात्वा सम्यग्‌ यतव्रतः | एकादण्लां ङ्कोयाद्‌ प्रतं पञ्चदिनालकम्‌ इति

80

रे विधानपारिजात

तहिधिलु मौनो weraa: पद्शव्येशच विणं dara संपूज्य पायसं fata हादशात्षर ame aelat शतं aa षडक्षरेण TUT एताङ्ञान्‌ यवान्‌ Aleta भ्रष्टो तरशतं इला भूमौ खपेत्‌ | एवं पश्चदिनेषु Fata विधेषलु भादेऽहि हरेःपाटौ कमलः संपूज्य fated प्रा्यम्‌ | दितोये fret जागुनो सम्यूज्य गोमू ढतोये aPC नाभिं सम्पूज्य ANT चतुथे ACHAT: स्कन्ध संपूज्य दधि | Tea पौणमास्यां होमान्ते लौहम्यों पापप्रतिमां ख्वक्र- इस्तां aut वैषटितां तिलप्रशयोपरि deny धश्मराजनामभिः wae; संपूञ्च- wafaq जन्मनि तथा cautery मयाक्लतम्‌ | त्‌ सवे प्रशमं यातु पातकं तव पूजनात्‌ इति मन्त्रेण पुष्या्जलित्रयं दश्वा कष्णप्रतिमां संपश्य . विप्राय द्वा विप्रान्‌ भोजयेत्‌ भध द्धिणां दश्वा पञ्चगव्यं प्राश्य गं सुनोत दति लपुनारदोये | TENT प्राशनं षडक्शरेण मन्तरेण एति हेमाद्रिः | भविष्ये तु भाकर्मुनयतेरवा cere cea सुकम्‌

[यि रि ee + रिष्यति os Oh Ose Sa 2 ee ee ee ——— ae ee

नमो भगवते HASTE एब इपम्‌। नमो fared इपेख |

ware: स्तवकः t

यद्‌ भोषपञ्चकमिदं प्रथितं veer

भेकादशो प्रभति पश्चदशो निर्म

qua भोजनपरस्य ace afar

fac फलं दिशति area शाद्गःधन्वा

दति ame | तधा oy - CYTE CENA WAIT पञ्चसु | प्रहःखपि तथा TAT मन्तेशानेन सुव्रत सत्यत्रताय शएचये गाङ्गेयाय AYA | मीभायेतहदाम्यष्य ATT AAT वेयाप्रपद्यगोज्राय ala प्रवराय च। श्रपुत्राय ददाम्येतत्‌ afad भोऽवश्रणि | वसूना मवताराय शन्तनो राजाय च। ae ददामि भाय stare ब्रह्मचारिणे | सब्येनानेन aay ace साठंवरिकम्‌। दति aifan शक्रदाद्श्यां श्वसो नक्ष्रयोगरहितायां पारणं कायम्‌ | तदुक्त हेमाद्रौ - प्राभाकासित cay म्र रवण रेवतो aya नहि भोक्ष्य ere दादगो इरेत्‌॥ fa

६८४ विधानपारिजाते

यदातु रेवतो योगरडिता ered शभ्यते तदा रेवत्माखतुचे पादं वल्लंयेत्‌ वचनं तु प्रागुक्म्‌ | परस्या भेव रात्रौ देवोल्ापनसुक्न' रामाचन चद्दिकायाम्‌- पारणाह पूवरातरे घण्टादोन्‌ वादयन्‌ भुः | देवसुलखापयेदश्र महापूजादि पूवंकम्‌ इति | BETZ Taran पूविका तत्‌ परिमाणादुक्तं ary पञ्चामृतानां कलसान्‌ पूजयेत्‌ खापयन्‌ क्रमात्‌ ततः पश्चामरर्भव्यैः जञापये सत्‌ प्रकाशकं; avatar गभिखया नह्वायाः कदाचन | नावल्घाया उपादेयं waste विफलं भवेत्‌ सद्य WA तं UB महोरातोषितं दधि | Qi ग्राद्यमतपतं द्रोण Arafat Tay तावन्मानं छतदधि तावदेव मा्तिकम्‌ तावानिश्ुरसः प्रोक्त सदलामे तु WATT | अः वा खादादकं वा नुनं चेदासुरं भवेत्‌ afa ब्राह्म | एकादशं तु शङ्ञायां कात्तिक मासि केशवम्‌

wae: सवक; |

MEH वोधयेद्रात्ी अहा uf समन्वितः | इति | भविष्येऽपि- कालिके शङ्तपते तु एकादश्यां एथासुत | मन्तेणानैन राजेन्द्र टेवमुल्यापयेदहिजः WA देशाचारतोग्यवखा CAT | afefag— waa दैव देवस्य ara पूर महद्‌ भवेत्‌ महापूजां ततः क्त्वा देवमुलापयेत्‌ Fw: I मन्ालु वाराह पुराणे उक्नाः- ating Tari Hat सु सोमादिभि वन्दित वन्दनीय | युध्य ety जगब्रिवास मन्प्रभावैण सुखेन देव श्यं हि wemt टैव satura विनिश्धिता। त्वयेव खवंलोकानां हिताधं येष शायिना ofasifas गोविन्द वयज निद्रां जगत्पते wf सपे जगश्नाथ जगत्‌ EH भवेदिदम्‌ ठलियित चेष्टते सवे ofasifas माधव |

गता मेघा farsa fate fawarfen: |

शारदानि garfa ere जगदोष्वर।

६८४

६८९ विधानपारिजाते |

ve विष्णुरिति « ret मन्ददल्यापनै इरः इति | एवं जला(दि)न्तसमये देवसुलाप्य aca चातुर्मा व्रत समाति कुर्यात्‌ | wea महाभारते चतुधा awe चों चातुर्मास व्रतं नरः कार्तिके Wes तु Creat तत्‌ समापयेत्‌ कात्ति के शक्रपत्े तु लत्‌ प्रसादाल्लनाहंन व्रतेनानेन चोन wat भव रमापते | इट्‌ व्रतं मया टेव क्षतं प्रत्ये तव प्रभो यूनं सम्यूणतां यातु लत्‌ प्रसादाखनाहंन तथा ब्राह्ने- महातूथरवे रात्रौ aay खन्दनखितम्‌ | उलिितं देवदेषेशं नगरे पार्थिवः खयम्‌ रथस्य wad विष्णोर्देवरैवस्य यो नरः | करोति क्रतुसुख्यानि narrate संशयः रथेन ay गच्छन्ति पुरतः पृष्ठतोऽपि (वाये | ते ब्राह्मणसमा ज्याः शूद्रा श्रपि dna: | रथश्ितो भरयंसु पूजितः पुरुषोत्तमः | © ve बिशुविचक्र sw निदधं पदम्‌ | समुद मख TVA | --इति tH RR LOHR

aaa, Wee: ६८७

ददाति वाष्डितं तेषा मन्ते परमां गतिम्‌ दोलायमानं गोविन्दं ae AYA | THR वामनं TET YAN MATT भवत्‌ wre fraterard ये पश्यन्ति जनाहनम्‌ | famaefaceista fasiar: खपचाध्माः येषां ग्टहाग्रतो याति cre: ओोृकेशरो | पूजा तेसतेः Mareen वि्तथाव्यविवसितेः wafaat यदा याति प्रमादात्‌ खगहाषरिः। पितरस्तश्य विसुखा यावत्‌ dant कृप | गहे समुपवेश्यनं ARATE मथयेत्‌ सोऽसा ATTRAC भगवान्‌ प्रह प्रमा) मस्ितेन array विजुग्धन्‌ | sara विश्लविजयाय च(मनो दिषादं माष्वा गिराऽपनयतात्‌ पुरषः पुराणः पलायध्वं पलायध्वं रेरे दितिजदानवाः | संरक्षणाय लोकाना मुदितः पुरुषोत्तमः ये yard विष्णो स्ते नरा मुक्तिभागिनः। स्ियोऽपि सुक्तिमायान्ति रथोल्लव परायणाः रथोक्वस्य महाम कलौ वितनुते हि यः GUA TARTAR दत्ता तैन AFA तधा- चतुरो वार्षिकान्‌ मासान्‌ नियमो येन यः क्तः

९८८ विधानपारिजातै |

कथयित्वा festa सद्‌ दद्याद्‌ भका सदधचिकम्‌॥ यस्य wae नियमनं छतं तद्रव्यं ब्राह्मणेभ्यः सदक्षिणं दथा- दित्यधः। ve शक्रास्तादावपि काडम्‌। भ्रशौचे सति अन्धेन कारयेत्‌ वचन सूक्त प्राक्‌ | कार्तिक went dear मनादिः- पे पौवौद्धिक्छौ arg t शक्तपलखलात्‌ कात्तिक शुक्त ASM वकण संशा | साच निभोधव्यापिनो are | दिनष्टये aura या प्रदोषध्यापिनो भूत्वा fate ब्थापिनो सेव UTE कार्तिकस्य सिते पत्ते चतुदश्यां नराधिप | सोपवाषखु संपूज्य eft रारो जितेद्धियः दति हेमाद्रौ मविष्योज्ञः | अमैव शिवप्रोत्यथे यद्युपवसेसदा अरणोदयश्यापिनो प्राचा | ad शैमलम्बाख्ये तथा ata कातिक्षे | शक्तपसे चतुदेष्या मरुणाभ्युदयं प्रति ayes fart arm सुदन्तं मणिकणिके | खात्वा विश्वे्रो देव्याविष्वेष्डरमपूजयत्‌ इति जिखशो सेतौ मत्‌ Wace:

ware: सवकः | ६८९ प्रथ का्तिकतव्रतोदापनमुकष

पाग्रं कालिकमाहामा - अधोजत्रतिनः सम्य गुशयापनविधिं शृण HH शङ्तचतुरषयां कुया दृष्यापनं व्रतो | तुलस्या उपरिष्टात्‌ कुर्य्यान्‌ मण्डपिकां एभाम्‌ तुलसो मूलदेथेच सवेतोभद्र Aaa | तस्योपरिष्टात्‌ कलसं cate समन्वितम्‌ पूजयेत्तत्र east dat गुवेगुन्नया TH जागरणं Hare गोतवादिव्र मङ्गले: | ang पीणंमाख्यां वे सपन्ोकान्‌ हिजोन्मान्‌ | विंशश्ितानयेकं वा खशा वा निमन्रयेत्‌ पतोटेवा इति हाभ्यां # जुहयाल्िलपायसम्‌ ततो गां कपिलां cary पूजयेदिधिवद्‌ शुरम्‌ दूति प्रवर पीणमासो परा UT BT qarardaren परे इति दोपिकोक्षः |

गकि नी = = - - ee कक ~~

eo अतोरेदा अवन्तु नो यतो विकव्चिक्रमे। van: काधामभिः १९॥ ez fagfaema बचा faze पदम्‌। सनूढ मश TTT --षति ११, RRA. LOWE | 81

९९१ विधानपारिजाते |

wa विशेषो हेमाद्रौ ब्राह्मे पुण्या मषहाकार्तिंको Sense: कत्तिका |

Aaa गं रसोमयो रित्यथेः |

तधा- प्राजापत्यं यदा wea तिधौ wert धराधिप | सा महाका्तिंको Sat देवाना मपि दुलेभा I इति | प्राजापत्य we Ute | पाद्रतु- विशाखासु यदा मातुः क्ल्िकासु चन्द्रमाः | योगः पद्मको नाम पुष्करेष्वति दुलभः una पुष्करे प्राप्य कपिलां यः प्रयच्छति

यज्ञा सर्दपापानि लभते वष्णवं पदम्‌ इति |

Gl मेव मद्छयावतारोलात CYR पद्मपुराणे-

वरान्‌ SAT यतोविष्ठु AAT ङू(पो)प्यभवत्ततः तस्यां दसं इतं जपं तदक्षयफलं स्मृतम्‌ | इति म्छोऽमृदतमुग्‌ दिने मधसिते- carfe विरोध quater कामेदेन वा परिहरणोयः |

SAA ATH | १९१

waa चिपुरोव emt हेमाद्रौ- पौणमास्यां तु सन्धायां कर्तष्यस्िपुरोकवः | zarzaa way प्रदोपांश सुरालये कोटा: CAPT मशका TAT जले खले ये विचरन्ति जवाः | दृष्टा प्रदोपं जक्मभागिनो भवन्ति नित्यं खपवचाहि विप्राः ufa >

सव ATA Sia UAT: |

qe UTI कासियं atta कत्वा aM समाचरेत्‌ शेवं पट मवाप्नोति शिवरा विव्रसं यतः fa | waa aifacia qe कान्दे- atferant छ्तिकायोगे यः कुर्यात्‌ खामिदशनम्‌ | ware wafer waren वेदपारगः | यिन्‌ समपितं ah मोक्तेकफलदं खलम्‌ CAPPER तमनन्तं समुपाश्रय #

fa ग्रोमदनभटविरचिते विधान पारिजाते काल्तिकमाम विधानानि।

अध ATT मास faararla |

wey © Ga

AT ARNG AUTCA RATATAT Ge |

ara राव्रिव्यापिनेोग्राश्ना- arama sfaareeat कालमभेरव सत्रिधौ उपो जागरं Fay सवपापः प्रसुष्यत | इति काशोखच्डादस्य रात्रित्रतत्व मवगम्यते | सदरव्रतेषु स्वषु कस्या wuel fafa: 1 इति ब्रह्मववर्ताश्च | अत्र क्लव्यसुक्तं frat ठपोषणस्याङ्कभूत मध्य दान fay way | तथा जागरणं रात्रो पूजा याम्रचतुष्टये श्रय AAT - कालना नमस्तेऽसु काशोवास प्रदे नमः)दो भव | VET मया दन्तं दोनं मा मासात्‌ कुर fa | war विविधां पूजां महाविभवविस्तरः | नरोमार्गासिताष्टम्यां कषिकं fares लोधं काशोदके जात्व) AAT ATT AAT |

कतोयः QT: १८१

विलोङ्ख कालराजं निरया gute पितन्‌ + दति द्यं कान्तिक्यनन्तरा गौण चाद्द्राभिप्रारेष | अथ मागेशोषं शक्त पञ्चम्यां सपपूजा SAT हेमाद्रौ कान्दे- शक्ता मागंशिरे FIT श्रावणे या पञ्चमा ¦

जञामदानेवहफला मागशोकं प्रदायिनो इति | Sa नाग पूजायां परविद्ा ग्राह्या | पञ्चमो नागपूजायां (काय) are षहो समन्विता | तखा तु तोषिता नागा इतरा सचतृधिका दति मदन रव्रोक्ेः |

अथ मागंशौषशक्रषष्ठौ चम्याषष्ठौति

महाराष्रषु प्रषिहा। सा परविदा are षर्मृन्धोरिति युग्मवाक्छात्‌ gate देविकं कश gatfefa बचनादस्य देविक कश्मला श्य भेव यीगविरशेषेण चम्पत्यु्तं | rem बरह्मा्छपुराणे मन्ञारिमाङमा- मागे भाद्रपदे war षष्ठो वंषटतिकंयुता |

१९४ विधानपारिजाते।

रविवारेर cq aerate प्रकोत्तिता # तस्यां दन्तं इतं ज्ञानं सवैमन्चग्यतां व्रजेत्‌ fa | aga पिशाचविमोचनतोये art area fa खलो सेतावुक्षम्‌ तख uma खपिव्राुदेश्छकलत्ये पावणलवादियमपरा्न व्यापिनो ane | श्रन्नातनाम्रपिशाचायुहेश्यकलते तु एकोदि्टला- श्मध्याङृव्यापिनो ग्राह्या कुलध्ैव्रतादौ तु उन्तरेव | चे ्नभोगतेतरसिता स्या दूरम्‌ इति टोपिकोक्षः | मार्गगीर्षपौशमास्यां SATAATAATT: तदुक्त स्कान्दे सद्नाद्रिखण्डे arama तथा मासि दशभेऽदहि सुनि, सगभीर्षयुते पौणमास्यां (शरस्य च) awer वासरे a जनयामास दैदोप्यमानं Ga सतो THF | तं विष्णु मागतं श्नालवा अविर्नामाकरोत्‌ खयम्‌ | दन्तवान्‌ खस्यपुजत्वाहश्तातरेयद्तोष्ठरः दति इयं प्र दोषबव्यापिनोति (शिष्टाः) हाः | मागेशोषं पौ्मास्यमन्तराटमो wea द्युते एवं पौषादिमास aasfa |

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fenrar ataalde सा चस्यतौह wife | --$ति मदन Ta WS: |

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SAS: स्तवकः | ९९१५

हेमन्तगिशिरयोखतुरामपरपसाणा मषटमोषु अष्टका एकस्यावा CANAAN: | तासां पूर्वेद्युः पर्युश्च अन्वष्टका ग्राह AM कालाद ATM पौषे माधे Te ae छष्पदेषु yea Tea तथाष्टका दूति माग्रायष्या स्तिस्लोऽषटका इति कात्यायनदत्रेऽपि TW IVA सपराहृव्यापिनेो ग्रामा अधाच्छादनपययन्तं ATE पावणवद्षैत्‌ इति भाष्ठलायन कारिकायां पावेण धकातिदेशोक्ष रकायाः ूरवेथरषटका AEM लु अष्टम्यनुरोधेन नियः कायः | वायुपुराणे- WIT पूपः सदा काथ ATTA सदा मवेत्‌ शाकं; काया ठतोया स्या देष द्रव्यगतो विधिः

इति

सच कामक्ालौ विक्वटेवो - शटि याहे क्रतूदशा वष्टम्यां कामकालको इति maya: अत्र शाहाकरणे प्रायित्त मुक्ङ्ग्विधाने-- एभिदयुभिजजपैन्‌ मन्त्रः शतवारं तु तदिन

ES A TT Foe TT TT a MT

एकां इति wren कचित्‌ qeaan |

्रीहपयदटक। qu: पिदढलो$ भविष्यति एति पाघ्नात्‌। ,

१९६ विधागपारिजाते |

areal यदाशन्धं Gye सवथा भवेत्‌ इति पभ्ा्लायन सुत्ेऽपि- अध AYA अष्टकाः पशना खालोपाकेन चाप्यनडुहोयवस मारे दम्निना वा क्च सुपोषेदेषा भेऽषटकषेति नलेवामष्टकः स्यादिति | aramlalfeg मलमासे सति तवर षटका काया चतुर्ण मिति ग्रहणादिल्युहणं नारायण त्तौ काठकर्छेऽपि- महालयाटका अाच्ोपाकश््द्यपि कन्य यत्‌ we मासविरेषाख्या विहितं वस्जेयेन्‌ मले इति। ज्ागौदि रविवारेषु काम्यत्रत सुज्ञ हेमाद्रौ तत्र भश्याण्यक्तानि eae सोरधन-- cafaa तुलस्यासिफलमधषतं मागभोषादि we, मुोनां चिसिलानां व्रिपलदधि तथा दुग्धकं गोमयं विल्वं तोयाद्छलोनां विमरिचकमथो farce: शक्तवःस्यु, ममू अकरा सवि रिति विधिना मानुवारक्रमेण इति |

दति ओओविधानपारिजाते मागेशोषंमाख विधानानि |

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तीयः QTM! t dee

अथ परौषमासविधानानि |

गनि 6 Ga

ततर uqidma पराः aren घटिकाः gar: भन्धत्‌ प्राग्वत्‌ | अत्र उत्सजंननिखयो वक्ञयोऽपि उपाकन्छप्रसङ्गात्‌ प्रागी- alm तवर भरनुषन्धेयः - पौषशक्तंकाटशौ मन्ादिः। ततिशेयश् प्रागुक्तः | पोषामावास्याप्रामद्ौदशो योगविक्षेषः | aga महाभारते - अमाकपातखवणे्यक्ता Yq ्यमाषयोः + | भर्होदयः fata: कोटिमुब्यग्रहैः समः इति पुष्वमाघयो मध्यवर्तिनो at पौण मासो तदुत्तर प्रमावाद्या रबि- वा एव्यतौपात वव॑नच्तरेर्यक्वा चेदा बरहोदयो योग शत्यः

a a a ST A PRE ee ee a

पोव्रमधयोरिति faferret पादः मद्भग्वे तु IAA Aa vay Sm: | we हमाद्रिविगोधात्‌॥ ae fe माघएवोक्ः 1 इति कमलाकरः | 88

Vidhdna Paérijata Vol, IT, Fase. १,

qs fawranfen®

ता feta योगः शस्तोऽयं नतु रात्रौ कदाचन, are - माच।दिनदु्ये प्राते अबरकाकयुते दिनै योगो भवेदयतीपातः सोऽहोँदय इति खतः ` अर्धोदये तु सम्प्रति at गङ्गाजलं खतम्‌ © सवं काशौसमं wa सवे ब्रह्मसमा fear: यत्विच्िहौयते दामं ana मेरसन्निभम्‌। कथयिष्यामि ते og अहोंदयव्रतं एमम्‌ चतुःषटटिपलं सुख्यममन्रं तवर कारयेत्‌ तदै मध्यमं प्रोकं तस्याप्यरैमधाघमम्‌ | एवं¶वटितं काय्यं शम॑ कांखद्य भाजनम्‌ निधाय पायसं aa पद्ममष्टदलं fase भूमौ तु AGA: शैः शत्वाष्टटलजुत्तमम्‌ | संनतं खापये्तच ब्रह विष्युशिवानलकम्‌ तेषां पूजा ततः काय पवेतमाखेलु चोभभैः | वस्ादिभिरलङ्स्व ब्राह्मदाय निवेदयेत्‌ MAY - सुवशपायसामत्रं यस्मादेतच्चवीमयम्‌ | (वि)प्तेसतारवं यस्म सद्गहाण eT

[पिप पिप a ee ee aii

ae गङ्गासमं जलमिति रथुमन्दनाः।

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saraqat yet सम्यग्‌ eye यत्‌ कलम्‌ तत्‌ we aul Aa: BAS दानमुत्तमम्‌ | बति तबा Meruarat भूमिं यो caewted तिषौ . gre cad aie eae Thy | इति श्रौविधानपारिजाते पौवमासविधानम्‌।

अथ माघमासविधामम्‌।

ततर fay: तुशामकरमेषेषु प्रातःल्ञायी aer waz: चुविष्यं amaa माचल्ला(नोनं महाफनेम्‌ इति सौरमाम om: | WG तु सवम उक्षः तथाहि UMA TAI NAAT समारभत्‌ |

066 दिधानपारिज्ाते

हादश्ठां Aeareat वा wees समाप(मम्‌)येत्‌

पाश्रेपि एषसैकादयीं एङ्ञ(मारभ्ब खर्षिलेशयः। भासमाव्रं निराहारस्जिकालं ज्ञानमाचरत्‌ fanraazafeg’ त्यक्ञभोगोजितद्धियः। Maat Gai यावदिद्याधरोत्तम दति अनर व्रिकाशश्ञानं मासोपवासविषयं निराद।र ca: एषवोचद्रोदये तु भन्धयोक्ष' विष्णुना - eH वा पोषंमासीं वा भारभ्य छ्ञनम।चरेत्‌ | षश्ाग्धहानि firq मकरखे दिवाकरे * + इति Ga BUTI aT - यदा तु माघो मलमासो भवति तदा arcana नित्वलान्‌ माषदधेऽपि भवतोति हेमाद्िराहइ |

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अत अचिक्षारिषो भविं - WUT Vala वानप्रखं,ऽच firga: | वलाहृदयुवनडइ तर MUAY Sa: | war भाषे एमे ay प्रप्रदशौख्धितं फलम्‌ पा9- बर्देषिकारिशोद्यव विष्भको यथा 2g | षति

वतीयः Baw: | Ger

मकरज्ञानमन्वः uw HATH रवो AG गोविन्द area | wiamaa मे देव यथोक्तफलदो भव ca मन्तं aque ज(याकानसमनितः -

दति अव परत्यं Gala WY दातव्यम्‌ | AHA पान्न - सविवि nafata परं घाम जले AA | ल्तेजसा परिभ्रष्टं पापं यातु षडस्लधा दूति

ज्ञानकालसु aw - श्ररणोदयमारभ्य प्रातःकाल्लावधि प्रभो | माचन्ञानवतां FS क्रमात्त्र(वधार(णम्‌) SNe J Gawd FRAT तु ध्यमम्‌) afana दिते भूप ततो इनं प्रकौत्तितम्‌ #॥ इति

नाभयो नवम == = = = =+ = ककः = छः = ia Se | ee es ee

भविष्योत्तर तु योमाधमाश्ववसि मय्य करभि me wre समाचरति खाद्‌ नदोप्रवारे छथ सप्त पुरषान्‌ पिठमाकर्दश्यान्‌ वनं प्रयात्यमररैडधगो नरोमी

1 11|| विधानपारिजिते

WAKA प्रभासखण्डे say माषे मासिखयः are carae(araa: aa. पौर्डरौकफश' तस्य feast feat भषेत्‌ STIGMA BY षा ज्ञायादिलयुक्ं पाश्च सस्मिन्‌ योगे लथक्षो$पि ज्ञाथादपि दिनत्रयम्‌ | प्रयाग माघमासे तु AY GAT यत्‌ फलम्‌ नाश्रमे धषदसेण तत्‌ wa लभते भुषि। ति | माघनियमासु नारदौये-- वद्धि" सेवयेत्‌ ज्ञातो waratsfa वरानने | होमाधं सेवयेदङ्किः Wars कदाचन सडन्धहनि पातव्बास्िल्लाः शकेरयान्विताः। विभागा तिलानां खखतुर्धः wate: AMAURY वरारोहे सवं सासं मेयेद्रती | तथा- श्प्राहतशरोरस्‌ यः कष्टं ज्ञानमाचरेत्‌ | पदे पषेलमेधस्य wa प्राप्रोति मामवः तिलल्ञायो तिलोदर्तां तिलशोमी तिलोदकौ | तिलभुक्‌ तिलदाता षटतिक्षाः पापनाशनाः ©

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तधा हातश्यो दीयकोऽचरो रेव षुदिष्ल माधवम्‌ | utara वेत परिवादं वल्येत्‌ इत्यादि भाषन्ते विचेषमाह नर्दः माघावसाने BAT Vy भोजन स्मृतम्‌ |

दन्य योर्वाससौ GR सप्तधग्धसमन्विते | तरिं मोदक। Gar: पकं रातिलकंबुनाः aftr भरव ~

एक्तादभौ विधानेन माघस्योदूय।पनं अलम्‌ शत्युक्षत्वासदुद्यापनं प्रयो गर्पे GA माश वतुरष्या मन्धस्मिम्‌ वा दिने ठपवासपूजनादिक्षं शला परेऽङ्कि तिनचर्वा जेप्टोत्तरगतं होमं wear सपल्ोकान्‌ ब्राह्म चान्‌ भोजयित्वा चमाप्य aa Trea तत्र मनः - दिवाकर अगन्राव प्रभाकर नमोऽस्तु तै), परिपू कुरष्वेदं माचस्ञानमहपते इति searanfafee: ¢ Va Zaral इतकम्बल(करण दानसुक्षन्‌ माचशक्त वतुद्खामुपोख निधमखितः। fanaa draaret तु gale ेतकम्बसम्‌

O08: विधानपारिजाते

wifay वेदिप्रश्न्तं यो दृश्याद्‌ एतकयंलम्‌ |

तस्यानन्तं भवेत्‌ Gel विष्णोदेवस्य वा पुनः fa

afefag चतुर्धस वके द्रव्य: मकरसंक्रान्तो पराश्चतवारिशद्‌ घटिक्राः gear: | विंशत्‌ कर्कटके नाद्यो मकरे तु दशाधिका; | दति ब्रह्मववन्समुदाजहार arf: माधवसु जिशत्‌ ककटके पूवां मकरे विंशतिः परा ) इति वशिष्टस्तिमुदाजहार | यदातु रात्रौ wae fama a मक्षरसंक्रान्तिर्मवति तदा माधवमते हितौयं दिनं guy य्यस्तमनवेलायां मकरं याति भारकरः। TAT वाहईैरातेवा wit दानं परेऽहनि दति ठहगाग्यवचना दित्य दाद्नम्‌ दाक्षिणात्याश एतेष पाद्वियन्ते। aarfequaarcel तु निणोवान्‌ पूवभाविनि संक्रमे निशोधात्‌ परनोभाविनि संक्रमे पूवापरदिनं gaa धरुर्मो वतिक्रम्य कन्यां निधनं तधा पूकोपरविभारीन रातौ संक्रमणं यदा दिनान्ते पञ्च नाद्यसु तदा पुण्यतमाः सृताः | छदयेऽपि तथा परञ्च दैवे पिसृच क्चीडि। दति स््रान्दवचनादिन्युह्नम्‌ |

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UTR STA meine यदा श्ये भषं याति दिवाकरः परदोषे वाईैरात्रे वा तदा ge दिनदयम्‌ दति बौघायनवयनादिव्युक्म्‌ | गु्म॑रपाच्योदौख्यारु इदमेव ाद्वियन्ते मकरे कर्मव्यसुकं ATA - a तिलमयौँ राजन्‌ Tay योत्षरायषे | सर्वान्‌ कामानवाप्नोति विन्दते परमं सुखम्‌ faquasfa Sue aaa विप्रा aware महत्‌ फलम्‌ t तिलपूरंमगदा हं दश्वा रोगे प्रसुष्यते तिलोदर्तं कक्श्यस्तिना देयाः waar: तिलतेरेन दीपा हेया विष्णुभिवादिषु। तत्र याहं प्रकर्तव्यं पित्णां ढतिकारणम्‌ + इति माघन्ञष्टचतुं श्यां यमतरपजसुह्' माद्री यमेन - अनर्वाभ्य दिते काले माधे ्णचतुथोम्‌ | खातः सन्तप्यं तु यमं खवेपापैः प्रसु्यते ¶्ति

wwegqent प्राप्येति येषः . ATATATAATATATFEAATT IAAT TATA परी LATS 89

org विधानपारिन्ाति

gaara मवतौत्यक्ष' पौषमासविधाने | माचशक्ञवतर्थो तिलचतुधीं

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यमेव कुन्दचतुर्धो खाद्यायते va gage: धिबपूजन-

गतिप्रचस्तम्‌ माघशुक्रपश्चमो ATTA |

सा माधवमते पूर्वा हेमाद्विमते ae

तव ERAN वाराहे माघदक्ञचतुष्यन्तु हइर(वर)माराष्य fag: | पञ्चम्यां क्ञन्दङ् पुमः पूजां gary aed माघश्क्तसपमो रथसप्तमो | साच श्ररणोदयव्यापिनो प्राना, सुप्यग्रहयतुख्या तु शकता माघ सप्तमौ भद रोदयवेलायां aati ज्ञानं महाक्लम्‌ | afafayatintie : |

9 दुख शिति cana नामान्तरम्‌ |

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भरशोदयपषेलाय। शक्ता माश्च वामी, प्रयागी यदि aaa aifeqaa’: घमा

इतिपाद्चोक्ग

अतर कतं age ae हला Terenas साम्यां निदलं जम्‌ | Creal चालयां बला गि (वि दोपक्षम्‌ तधा जले प्रक्रम्य स्ान्देऽपि - केन चाद्यते यावल्ावत्‌ ज्ञानं वमाचरेत्‌ |

NAT राजते पाशे मह्वाऽलबुमये, तथ );धवा

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समाहितमना भूत्वा दश्वा facie दौपकम्‌।

arent Wea ष्वालवा मं मन्वसुदोरयेत्‌

नमस्ते ददङूपाय रसानां पतये नमः

AGU नमस्तेऽलं इरिवास नमोऽ ते।

qa परिदरेशोपं ध्याला aera देवताः

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Oot विधानपारिजति

एतत्नकाक्नतं पापं यचच जग्धान्तरालिंतम्‌ ` भनोवाक्कायजं TY WAT UTS यत्पुनः दति सप्तविधं wid arene सप्तसप्ति सप्तव्याधिलमायुक्ं इर mare सप्तमि दतिमन्तरयं अब ज्ञाता पादोदके नरः। केवादिल्यमाशोक्य aura भवेत्‌ इति स्रान्दे | यं मन्वादिर्पि। सा शक्तप्खतवात्‌ पोवाद्धिको are | यदाच माघो मलमास भवति तदा माख्दयेऽपि मन्वा दिशां

कायम्‌ मन्वादिकं मेथिकाच दुर्व्यान्‌मासदयेऽपिच | दति शतिचद्धिकोकतेः | माघशक्षा्टमौ भोमष्टमौ

तत्र कत age हेमाद्रौ प्रे - माघमासे fare सतिलं मौतपणरम्‌ आं चे गराः Fae श्यः सन्ततिभागिनः भारतैपि शक्ञाटम्बां तु AAS TANT Aiwa यो जलम्‌ | ववर्त पापं तत्णादेव नश्यति तकर्‌ वाच्रपद्यगोल्लाय sinfanatra |

दतोः सदकः | 9०९

अपुत्राय ददाम्बेतखलं ware whe oa: AAAI WANT | | me '.अर्प)ददामि ature warerwefie एतच्च जौवत्पिद्केणापि कायम्‌ | लौवत्पितापि gata ace यमभौषयोः + दरति urvit: | wa भपषठव्यमिति दिवोदासः | धवलनिबन्ध ऽपि ~ avert तु सितै परे ata तु विलोदक्षम्‌ | wat विधिवद्‌ ea: सव वर्णाहिजातयः xfer स्थे वर्णा caw दिजातय इति सम्बोधनं वेदितव्यं तेन शूद्रादौना- मपि wa भधिक्षारः। wa ae कम्य ace तु निलम्‌ | aware ये वणा द्युम्नाय नाजलम्‌ | घंवत्सरज्ञतं तैषां get नश्प्रति ततृच्तशत्‌ इति azarae: |

9 इतः पूवे- atta: ब्रातनवोवौरः सथयवादौ faafaga: | enfercefacenity gautaifent क्रियाम्‌

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‘te . विधानपारिजाते

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© va पूवेविद्। aren एति निषयदिन्वौ पाठः | एषसमोचौनतय। प्रतिभाति

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eaafafacaaquaataerqagas aa wast वा द्याषलशायनोक्तेः Tet माच्दामषटकायामित्ववेः | तथा माचा- Val प्रक्रम्य ahead area CATT NT |

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७१९ विधानपारिननि -

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कैषुचिविशौचव्यापिनौति तत्राद्या माधवीये

त्रयोदश्श्ती qa चतद्ष्वेव नादिषु |

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प्रदोष # व्यापिनी arg faacfaaqent |

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भदित्यास्तमये काले afer चेत्‌ सा चतुदणी।

धिवर तित्रतौ ततेवाश्लभेधफलं लमेत्‌ हितौयापि नारदौये-

भवेद्‌ यवर wert भूतव्यापा महानिशा |

शिवरातिव्रतं तव कथल्लागरण' तथा दैणानसंहितायामपि

माघह्नच्थचतुरं ।मादिषेवो महानि

® प्रदोषोराबिः छत्तर तला Qgatn : | + Water wget) - | तद्राबिः दिदराविः जात्‌ सा भविद्तमततमा | इति freafeat ore:

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इत्यादि «| एवं सति पूर्े्ुरेव उभवकाशब्यापौ yas

watemt यदा दैवि दिनभुकिप्रमाशतः | जागरे शिवरात्रिः ` ्याजरिधि पूरा चतुरहणो इति कन्दो; 1 दिनसुक्षिरस्मयः। दिनषयेऽपि निगोथव्यापतौ तु पूवां कायेति Sarfk: , अर्ैरात्रात्‌ पुरस्ताशेव्लयायोगो यदा भेत्‌ yifaea कत्तव्या शिवराचिः भिवप्रियेः

इति गर्गः मदनरङेऽपि एवभेव अभिहितम्‌

माधवाचा्यलु परदिने प्रदोषनिशोधोभयश्यातिषदाषात्‌ परेवेत्याह इदमेव (wae) युक्षसुत्प्यामः |

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इतिवचनं सदोष |

9९४ विधानपारिखात

तथा पूर्शुनिभोचस्य cea: प्रदोषसेले कंकव्याप्तौ तु पूर्वैव | अैरातात्‌ पुरस्ताशेदितिषचमेन जयायोगस्य ATTN माधफाशुनयोमध्ये असिता या चतुभो CARA समायुक्ना UAT सा सदा feria | इति नामरखण्डोकेखच | महतामपि पापानां हृष्टा वे निष्कृतिः पुरा दृष्टा कुवतां पुसां बषयुक्षां तिथिं शिवाम्‌ इति स्कान्दे दशंयोगस्य निषिहत्वाञ्च यदा चतुरो Gagfaatarge प्रहत्ता परेदुख निगोधा- galita समाप्ता तदा परुरेकब्यापिसच्लात्‌ परेव माधासिते भूतदिनं हि गजन्‌ उपति योगं यदि पश्चदश्या | जयाप्रयुललां तु जातु कुयात्‌ शिवस्य रातिं franferre I इति गार्ढोक्षः। अच दिनदये प्रदोषव्याप्यमावै निशोयव्यापिसच्छात्‌ पूर्वैव ca रविभौमसोमवारेषु शिवयोगी चातिप्रणसता | रविभौमेन्दुवारेषु शिवयोगि तथेव गिवरातिः शिवकरो महापातकनाशनो दूति arte: | शिवराव्रिपारशे तु frqurit वामानि दृश्यन्ते

water, Seer: | ७१६

तवाहि खान्दे- ` छष्थाषटमो स्कन्दषहौ शिवरात्रिचतुहं गो | UAT: AQT; area feral पारणं भेत्‌ तघा- sare रोहिणो शिवरात्रिस्तथेव | , पूवंविद्ैव aden तियिमान्ते पारणम्‌ कचित्तु तिथिमध्येऽपि पारण्सुक्न कान्दे- उपोषणं AAR चतुदश्यां तु पारणम्‌ Ha सुक्लतलच्ेव लभ्यते वाधवा नं वा Berea तु यानि तोर्थनि सन्ति a संखातानि भवन्तो भूतायां पारणे wa तिधोनामेव सवाखामुपवासत्रतादिषु | तिष्यन्ते पारणं कुर्या हिना पिवचतुरगोम्‌ fat अत्र यामत्रयादर्वागिव चतुदशोसमापरौ तदन्ते तदहंगामिन्धां तु प्रातस्तिथिमध्य एव पारणं कायम्‌ यामज्रयोशगामिन्यां प्रातरव हि पारणम्‌ | दति स्मृतेरिति हेमाद्िमाधवादयो व्यवद्यामाहः | नवोनास्तु तिधिमरध्य एव पार णमित्यादुः ति्यन्ते पारणं भवैदित्यादिषचनः' तु लष्णाषटम्यादिपिषयम्‌ | तु शिवराभिविषयम्‌ | शिवराजित्रतसय त्मध्ययाठसु पूवयुमत्वमाव्रकधना्धः |

eta विचानपोरिवापै 1.

विना भिवचतुरं गौमिति पर्थद(से)ष्तायाः भिवर्िः सर्व प्रकारेषु तिथिमध्व रब पारणाप्रापकलात्‌ # तवा ` शिषटा- शाराच। इदं र्त षंयोगदधक्‌लग्धायेन fared काय्यं |- तथाहि खन्दे- as परात्यरतरं नास्ति शिक्रातिः परात्यरम्‌ पूजयति went श्रं तचिलुवनेलरम्‌ | लन्तुजकसहसेषु भ्रमते मा संशयः इत्य करणे प्रत्यवायग्रुतेः | ay चं aerefa award प्रतिघ्रता शिवरात्रौ महादेवं नित्यं भक्तया प्रपूजयेत्‌ प्ति ataraa: अर्णवो यटि वा शयेत्‌ सीयते हिमवानपि | quad कदाचिद निखलं हि शिवत्रतम्‌ | इतिवचनाश्च नित्यता मम amg यो रेवि शिवरावरिशुपोषितः | गणलमलयं feared शिवशासनम्‌ i wala AMT महाभोगांस्ततो मोत्तमवाष्रुयात्‌ | इति सकन्दपुराणवचनात्‌ | हादशाष्दिकमेतत्‌ खाच्तुविशाष्टिकं तु aT | दूति शेशानपंडितावथनाशच्च काम्यता चेति a

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: 9 पारशौचिलादिति ad युक्त मामहे

दतौयः सवकः 4 ` तट,

माचेतर-प्रतिमास्च-यिबरातित्रते तु नायं निर्थयः। किन्तु तत्र॒ याम-चतुष्टय-पूजाविधानाद्‌ यस्मिन्‌ दिने अक्षा राचः भ्वति; शा गाद्या साव्येतु पूरवेव इति हेमाद्विराइ। वर्तय प्रतिमाषद्ण्छचतुश्यामपि | सवकामप्रदं छष्णचतुरेश्वां शिवव्रतम्‌ | इतुपक्रम्य-- चतु्हशाब्दं कर्तव्यं शिवरात्रिव्रतं एभम्‌ इति कालोत्तरे शिवरात्रि-शब्द्‌-प्रयोगात्‌ कौ खपायिना- मयनामिषोजे नत्यकाम्बिहो बधन इव त्ीप्रा्तिः area) watsatfa प्रदोषनिभोयोभयव्यास्यादिमेव निणेय इति ad

प्रतोमः | VATA माद्र कान्द- आदौ maint मासि दोपोत्सव दिनेऽथवा | ग्णह्लोयाश्राघमामे वा हादगेवमुपोषयेत्‌ weanfe AUT. अमावश्या तु युगादिः ! “माघमासे लमावास्या"दति वचनात्‌ तत्‌-कर्चध्यं मल-

भाषे सत्यपि काम्‌ दशष्रासु नोल्पथतुष्वपि युगादिषु इति ऋष्यगृङ्गवचनात्‌ ay योगविधेप्ो विष्णुपुराणे माघासिते quem! कदाचिद उपति योगं यदि वर्णेन |

mC विधागपारिजातै |

WAC कालः परः पितृ

AWTS शम्यतेऽसौ # वधार्थं शतभिषा दं ganfza श्रेयमिति quite: | आरऽपि-

कति धनिष्ठा यदि नाम afaq

waq भूपाल तदा पिढब्यः।

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वर्षायुतं तव्कलजर्मरुषयः |

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फालानपीणमासी हो लिकषैलच्यते |

साच सायाहृश्यापिनो प्ाद्मा। साया होलिका gale gate करोढनं गवाम्‌ | दति areata: तदश्च प्रदोषव्यापिनो ang | साहि मोविन्दाणष नारदः-- प्रतिपद्-भूत-भद्रासु याकता शहोलिक्षादिना। dat तद्रा पुरं दति साद्ुतम्‌ प्दोषव्यापिनो aren पूणिमा फाकुनो षदा | तखां भद्रासु Aw पश्या होला निधाङुखे इति

wala: सदयः | 9६€ |

Rad पूवैविहा ww AT SAA दूर्वा चेव इलाथनो पूव॑विेव wear शिवराजिवलेदिं नम्‌ # इति ब्रह्मपरैव्षवथनात्‌ | दिनै प्रदो व्यातौ परेव | पूवदिभे मद्रासस्ात्‌ | aa निषेधात्‌ | ew हि निपेयारते- भद्रायां रोपिता होल -राष्रमङ्गं करोति नगरस्य मेवेष्टा तस्मात्तां तच AMAT तधा-- भद्रायां हे Waa श्रावणो फालानो तथा श्रावणी gate wie ard दहति फाला नो तधा- दिनात्‌ परतोऽपि स्यात्‌ फालुनो पू(पो)िंमा यदि रातौ भदरावसने तु होलिका दोप्यते तदा यदा तु पू दिने चतुभो प्रदोषव्यापिनो परदिने पूर्थिमा वशात्‌ HATTA प्रागेव ATs तदा पू्वदिमे सम्पू रात्रो ugar तवर afar परेऽइनि प्रतिपद्येव कयात्‌, साईैयामव्रयं वा wrfentafere यदा | प्रतिपदशमाना तु तदा खा होिका खता दूति भविश्च-दवनादिति निर्षयागतकारः

| ' विधानपारिजावे।

मोषिन्दाक्वादयसु- प्रदोषव्यापिनी aren पूर्णिमा फालानो सदा तां भद्रासुखं Wa कायां होला मनोषिभि; प्रदोष्यापिनो रेत्‌ ere यदा yates तदा अद्राङुखं wefan होलिकाया प्रदोपनम्‌ | इति नार ट्वचनाभ्याम्‌ यामरत्रयोशैयुक्षा चेत्‌ प्रतिपन्न भवेत्तिथिः भद्रासुखं परित्यज्य काश्यां star मनोषिभिः दति arate भदरामुखं विय पूवदिमे एव होलिका काया इत्याहुः | . भद्रासुखप्रमाणत्‌) MING पश्चवदन ATH तु कण्ट uh, रतेमालोते त्यम्‌ चिष्टाचारोऽपि एवभेवास्ि भवर कण्व्यसुक्गं भविष्योत्तरे फाहगुने मासि सम्प्राप GRIT सुखास्पद | पश्चमोप्रसुखास्ततर तिधयो दग Waar: ताह बालेख ANS काष्टसयं विधोयते प्राप्तायां पौषमास्यां तु कु (यात्‌) a: काटप्रदोपनम्‌.। प्मामाडिख सध्ये तृय्येनादषमन्वितम्‌ |

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* अश्लेषा एति freafeat पाठः|

wala: सवः | ७६१

त्मन्नलु- दोपयामि महाघोरे wifes रा्षधेश्षरि | हिताय सर्वजगतां प्रोतये पावतोपतैः + लतोऽभ्यु चितिं स्वां साज्येन पयसा quit: गन्धपुष्पैः समभ्यथा AAT चेव प्रदक्षिणम्‌ MAMTA Ba, सा रातिर्मीयते नरः | भगलिङ्गादिगष्देष क्रोडं कुणुर्मिधो जनाः | हितोयदिवे arat axa परिवन्दयेत्‌ , भस्मोचूलितसर्वाङ्ाः सिन्दूरोऽ्ततिताङ्गकाः . पलाशङ्खसुमोङ्ुतान्‌ (7) एभवारिप्रसेषनम्‌ हुय॑मिधो लोकमध्ये वसन्सपरोतथे धुवम्‌ हितोयादि समारभ्य यावदत्‌सरषेचनम्‌। waaay सृतलेन दघ्ना पयसापि ary षति | Wife मलमासे भवति श्रयं मन्वादिरपि | सातु पौवािको aren:

मलमासे सति मासदयेऽपि त्राह काण fea प्राक | अथ AIR MATS THAT MTT: ATT: |

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विन्ञलोषेतो we:— सर्वेषां सवैतोर्यानि # पापन्नानि सदा कृशाम्‌ | यरद्यरानपेलाणि कथितानि मनोषिभिः 1 avercraterfa प्रत्येकमेव सर्वपापन्नानोत्बधः |

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धुनन्ति पापं ale ये ते प्रयान्ति सुखं परम्‌ भारते एतदकरणे भनिशटसुक्म्‌-

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एतेन विदाजोपत्राषादोनां aqut प्रत्येकं दारिदरिाभावः फल- far:

तथा- यान्यगम्यानि तोथानि दुर्गाणि विषमाणि च। मनसा तानि गच्छेत सव॑तोधेसमोशषया

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O24 विधानपारिजातै।

तदुक्ष' भादते- एथिवयां नैमिषं पष्डमन्तरिै पुष्करम्‌ रयाशामपि लोकानां कुरुचेशं विशाम्पते कागोखण्डे - ay रवि विशालात्ति तों लिङ्गमुदाद्तम्‌ | ललाशयेऽपि Auten जाता मूततिपरिग्रहात्‌॥ मूर्तयो ब्रह्मविष्णु कंशिवविभ्ने्ठरादिकाः | fay रवमिति ख्यातं यत्ैतत्तोधंभेव तत्‌ तधा- ललाङ्रतदेहस्य खानमित्भिधोयते | BH Wal योदमल्लातः रहाशदमनोमलः॥ योऽशदः पिष्टनः क्रुरो दाश्विकोविषयानमकः सवेतीर्येष्वपि ara: प्रापो मलिन एव सः दानमिष्या तपः भौं तोधंसेवा Aa तथा | सर्वाण्येतानि तो्धानि यदि भावो fare: निग्धरोतेद्धियग्रामो aaa वसते मरः | AS तत TIAA नेमिषं पुष्करं तथा ध्यानपूते ज्ञानजले रागदोषमलापहे | यः ज्ञाति मानसे ate याति परमां गतिम्‌ शरोरमरलल्यागो नरो भवति frre: | मानसे तु मले # मुक्ते मवत्बन्तः aaa: i @ feade faced) भानसो नल out | _ asa fe fara wan सहुदाडतम्‌ |

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जायन्ते farm जलेष्वेव अलौक्षषः | © ay गश्डछम्ति ते खगमविशदमनोमलाः wa भव्राधिकारिणः- AWA Way वानप्रश्योयतिम्तया तोर्धयाशां प्रकुर्वीत खगमोचफलापतये * ay Wh

यखष्टिधग्मष्वधिकारितास्ति वरं WY WHAM सवं | एवं ग्टहख्याश्रमसंखितस्य viva गतिः पूव॑सर fafirer दूति | area sfq— यः awaiq परित्यज्य तीधंसेवां करोति fe तस्य तोधं फलति ew शोके aera दूति zwme तोधंयात्रानिपरिधवचनं तदम्निहोतादयनु- हानशह्मादरिद्रविषयम्‌। यस्ये्टिधश्मष्वधिकारितािं इति पूर्वाक्ष विशेषवचनात्‌ भक्षददिद्रादेम्तदसश्भवात्‌ यहा षानिकय qaraferaa णस्य तोधयाव्राधिकारः ayiferat सपत्रोको गच्छे सोधानि संयतः | खव पापविनिर्मुक्ञो यथोक्षां गतिमाद्रयात्‌

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ere विधानपारिजाते।

प्रायदित्त व्रजैक्नोे पचोषिरहितोऽपि वा।

यज्नष्वनधिक्ारो AT यहा ART साधकः # दति स्रणशाच्च |

भारते- army: चत्रियो वेश्यः शुद्र वा राजसन्म वियो (निं)गं व्रजन््ेते ज्ञातासोयें तथा fers: | इति वश्नात्‌ चजियादेरप्यधिकषारः। यस्‌ - तपोजपस्तोधयावा प्रवज्या मन्साधमम्‌

देवताराधनं चेति स्नोशद्रपतनानि षट्‌ ष्ति।

तधा - विप्रसेवेव शूद्रस्य विशिष्टं धर्मलक्षणम्‌ | यदतोऽन्धरि कुरते Axara निष्फलम्‌ इति मनुवचनं तदेषां खातन्वा निष्िधपरम्‌ | बाख्ययौोवनवत्या वा $ हया वापि योषिता | खातने कर्यं fafaq कायं wife "इति तदुक्ञेः ® यष A Reale: | इवयाक्षरे पाठः | वियोनि विहं योनि प्रकियोनि'षा। विथोगभिति पदे बन्धभिः ay face wo wafer शमने eats | बालया AT युषत्याषा Kit Ts gw NRE

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ति areata: प्रायि तु पद्मादिरहितलाप्यधिकारः। प्रायिकी व्रजेत्तोधं पत्नौविरहितोऽपिषा। दति gata: अथ तलोर्धयाव्राविचिः। तजादौ तोधेमाडामाम्‌ --

मनवो वसवो शद्रा arf wets: | विष्डेदेवाषुषाः घाध्या नागा याब TWAT: 4 इत्या यने कदेवाष me: सिदिमवाप्न वम्‌ | भागवाङ्किरिघागस्ति विष्ामिवातिकष्यपाः वथिषह्ाश्चा महामान ate सामथयमरद्रुवन्‌ | विष्ड मिवः सपुव्रसु महापापमपोश्े # qatdaqer ब्राह्मा प्राप्य वाथिषठश्रापतः। व्रिशह मपि षाण्डाशं विप्रं wear प्रभावतः

92

७३१ विधानपारिजाते

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तश्मारेते विोनल मवं तोधफलं नमेत्‌ | afa जावालिवचनात्‌ सवभेव यानादिकं. त्याज्यम्‌ यत्त -

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दति कूर्मापुरा गवचनं तदशक्षविषयम्‌ |

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विधानपारिभावै

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०३१४ विधानपारिजापे

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बदुभगधिरा मेवमनुराधा dhe र्वतो faawrfenen- 9

9६ विधानषारिजातै |

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सोमोऽपि ara गदितः gue: कचित्‌ तधा -

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संन्धासो शवयात्रा aafaaafafa: कणवेधसु दोक्षा |

मोक्ञोबन्धाऽथ wer परिणयनविधिवासुदेवप्तिष्ठा

व्याः afx: प्रयन्नचिदश्पतिगुरौ सिंहराशि खत तथा-

दविक्तेतरं गतै जोषे जोवक्तश्रं गतै रवो |

amay wale त्रतखस्ययनानि तका -

qaifea शुरो सिंहे शक्रे चास्तमुपागते |

MAE यानं # महादानं aa टेवविलोकनम्‌ e wufaaa दानमिति (ग) yak पाठः, एव समौकोनतया पतिनाति |

Aa: VM: ३९

तधा - वापोकूपतडागयागगमन-चोर प्रतिष्ठा व्रतं विष्यामन्दिरकषवेधनमहादानं नोशेवनम्‌ | तोधा नविवाहइ -देवभवनं मण्वादि-देदेशणं दूरेणेव जिजोविषुः परिषरेदसतं गते भागवे ॥, तथा qatfea गुरो भिरे ae शक्रे afawe | याम्यायने et gt सवक्षश्यारि amay fiefar anda ge यत्रेन aig, saa सिंहभागेष्‌ विवाहादि fautat द्दमपूवंविषयम्‌ - सपूरवटेवतां दृष्टा शुचः agua मलमासेऽप्यनाहत्ततोचयात्रां परित्यजेत्‌ sfx mate | पनाहत्ततीधयावामपूव तीया व्रामिव्यवः | तधा - रतिचारननोजोवस्तं दापि मेति चेत्‌ पुनः लुपः damit इयः aang nfea: i wfazeqraaiz:* - हषे AQ भपे Ru यदयनोचारगो ye: नत्र Baa: स्यादित्ाइर्गालवादयः » क्षविक्त गुव्यदिगोच्च दोषाभाव om: | |

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UGS मोष्यदोषो विद्यते वाबुपुराशेपि -

गयायां सवकालेषु पिण्डं दद्यादहिधानतः |

अधिमास अमदिमे अस्ते गुरशकरयोः |

naw nay five aval Wa ACS याव्रापूवकलवाद्‌ यात्रापि a निषिरेति कैचित्‌। भत्र qe सम्लमां चचन्द्रता राशु्दयादयो व्योतिविद्भ्योऽवगन्तष्याः 9

दति याच्राक्षालः। wa गमनविधामम्‌ |

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Atdarat featy: प्राग्‌ विधयोपोषणशं ae

aed पितम्‌ विप्रान्‌ साधुम्‌ श(भ)ल्षाा प्रपूज्य

WANT Wet गच्छेजजियमक्लत्‌ पनः |

भागत्याभ्यश पित्न्‌ यथोलफलमाग्‌ Wag आागल्ेति। तीर्थयात्रां war ayaa पुनः यादादिकं काय्यमित्बधः।

aa: कडिकोर्धयाव्रां तु गच्छेत्‌

सुसंयतः पूवं गहे Si

ह्ञतोपवासः शचिरप्रमन्तः

aquag भक्तिनम्रो मेयम्‌ |

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देवान्‌ पितम्‌ ब्राह्मणादेव साधुम्‌ धोमान्‌ विप्रो वि्तशहधा परयब्नात्‌ प्रत्यागतक्चापि queria देवान्‌ पितम्‌ ब्राह्मणान्‌ पूजयेच एवं कुवसख तीर्थाद्‌ यदुं फलं तत्छाज्रात्र afearafer दति ब्रहमपुरादवचचनात्‌ | ward क्रमः। पूष दिने उपोष्य परदिने adnate aeqee- ae wer साधम्‌ विग्रं वि्तादिना सन्तो कापटिकवें wea तये गच्छेत्‌ ष्यतु गयां गमन ग्राहं कलवा विधानतः विधाय कापटौवेषं ग्रामं ज्ञत्वा प्रदकषिषम्‌ ततो प्रामान्तरं गत्वा श्रादेषस्य भोजनम | ततः (लला) प्रतिदिनं गच्छेत्‌ प्रतिग्रहविवल्नितः इति naga: | केचित्तु गयायाव्रायामेवक्षापंटिकषवेषः | गया-याव्रा-सुपक्रम्य तदिधानत्‌ नतु तोयौन्तरयात्राया farang: | केचिदत्र उपवाखदिने श्राहत्‌ पूवं A waaay | प्रयाग Maasai मात पिहवियोगतः। कथानां वपनं कायं gar विका भवेत्‌ दति fawn: |

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ee ana प्रायबिक्ताधं तौर्धयाव्रायाभेव इत्यन्ये | AMAA al वपनं TA | प्रतो काय्य वपनं गयाश्रादा्धिंना सदा ये भारतैऽखिन्‌ पिडिकयनष्परः सन्धाय केशानतिभक्गिभाविताः | ऋप्छयाथे पिद्रतीयंमागता wary संत्तग्रमे्यति प्रवम्‌ oe fa quafadar | ay +~ गला wa agala वपनं तदनन्तरम्‌ | दति त्मषलन्नानपरम्‌ artes atataara: avian: शिरसो मुण्डनं ता नधा - यदह Manta: खयात्दद्धः geared | उपवासः HART: MASE श्राहदो Haq | HUA तु देवनः TWA arse सवतोेष्वयं विधिः | वल्णयितवा gata famet विरजां गयाम्‌ wa faite: छत्यन्तरे - संमन्दाहिमासोनात्‌ gage व्रजेद्‌ यदि

ठतोयः वकः OBR

तदा वपनं शस्तं mafenada fen) nat प्रतियाच्रं हु योजनवय द्यते सौरं wear तु विधिवत्‌ तनः ज्ञायात्‌ सितासिते | तथाच हहद्यतिः - सौरं भेमिन्तिकं ara fata सत्यपि yar fuarteafaererg atafease alee | अपराकं Be उदङ्मुखः प्राडमुखोवा वपनं कारयेत्‌ Gut: कश्मला मनखान्ध॒दकमं खानि वापयेत्‌ द्‌ प्रयागो सधवानामरपि समूलं भवतोति केचित्‌ सर्वान्‌ केशान्‌ समृत्य छेदयेदश्र.लदयम्‌ एवभेव fe नारौणां शस्यते वपनक्रिया दतिवचनाद्‌ दाङ्गलच्छेदएव युक्त इत्यन्ये एतत्‌ प्रयाग निसं arma ददं जीवतपिदङ्णापि तीय wag नच qua fawe इति.दक्वच्नविरोधः | विना aa विना aw मालापित्रोमृतिं विना। यो वापयति लोमानि ga: पिठघातकः + दूति समन्या तत्‌ सङ्काचात्‌ | एतत्‌ प्रयागे प्रतियान्र Aya tart द्द्ययाद्रायामेव' शति fae: | शाहं Wa Geta मक्देवतं दादशदेवतंवा Sarat पादवत्‌ wiry | ददं एतश्राहमिन्यखते एतप्रधानतवात्‌ |

9४४. विधानपारिजाते।

गन्ेरेथान्तरं ag श्रां क्यात्‌ सपिषा | याव्राधमिति तत्‌ प्रोक्ष atta शच संशयः दति विश्णुपुराशोक्ेः|

द्रव्यान्तराश्चवणाद्‌ एतमा वरद्रव्यकसिदमिति कचित्‌ az- GAA हतमाव्रस्य खतन्तमश्यल्वाभावेन श्रादद्रग्यल्वासमभ- वात्‌ सपिषिति ठतोयाराः प्रतिख्यदिप्रधानभूतद्ष्यान्तरानु- पेलाथकताच्च एवं चात्र -

तिलेत्रौहियवर्मापिरहिमलफलेन वा

दत्तेन मासं प्रोयन्ते विधिवत्‌ पितरो गृणाम्‌॥

दति मनुदचनखतिलेरिव्यादिवन्षलोया निबन्धकारेरपि

एवभेव व्याख्यातम्‌ ददं द्वश्रादइधन्धकषम्‌ | विरेषागुक्ञेः। भत ग्रामान्तरं क्रोशभ्यन्तरखं ग्राद्नम्‌ अध्वनि क्रोधपूरशे Kafer हानन्तरं क्रोशगमननिषिधात्‌ | Wa उपवाशासमर्धस्य विधिः-

aa इविष्यान्नमनोदनं वा

फलं तिलाः चौरमथाब्ब च्यम्‌ |

यत्‌ पञ्चगव्य यदि are ary:

प्रथस्तमतो्तर्मुसरं

श्त्यह्नद्पोश्चेयः।

wa कापटिकवेशो गमनकाशएव नतु ज्ञानादिकाले |

न्नः कषाधवासतसा इति तज्निपैधादिति केचिदाहः |

wala; Gee | art

wal तु खपक्रमादारम्ब याचासमातिपथैन्तं प्रतिष्रहाडि निष्ठत्तिवत्‌ षदा पंटिकवेधधादषमित्या हुः | तत हेथाचारतो ष्यवखा क्षस्य |

अथ तीधयाताया नियमाः |

व्यावः कामं क्रोधंचलोमं योजिला तौथंमाविचेत्‌ | तेन fafqenra ती्धाभिगमनाद्‌ भवेत्‌ गह. ~ य्य इस्तौ पादौ wanda सुसंयतम्‌ विष्ठा तपश्च कौरिंख तोर्धंफलमशते a प्रतिग्रहादुपाहत्तः सन्तुष्टो यम केनचित्‌ | अशहारविसुक्षच तीधफलमश्रमे पकलवकोनिरारभो लघुहारो जितेद्धियः | विमुक्षो दुषटसंसगे; तोधफलमश्रुते # दति areasia amtUNe UH ant war: wrmiune भूतेष तोदपशमशूते। afer 04

+ ^ | विधानवा free:

UAVS पादौ इत्यादैरयमर्धः। इससंयमः परः ताहनपरलादिद्रहशनिषहठशच्या पादसंयमः पादताइनागम्बदेश- गतिनिहत्तया मनःसंयमोऽनिष्टचिन्तनादिनिहत्तया # बिद्या Weaafeasiay तप उपवासैकमन्षादि alfa: सच्चरित्र लेन afafe: |

परतिग्रहनिहत्तिया तोपक्रमादनन्तरं यतिब्रहमवायदौम्‌

UM aa तेषां दर्यघंप्रहनिपेधात्‌ | प्रतिप्रहं विना याता- या भनि्वीहाच्च। येन केनचित्‌ सम्तुषटामिषटमच्चशादावलोलुषः सअकरकक्रो faca: 1 face: द्रव्याय-क्रयविक्रयादिव्यापार- qr लघुहारः व्वल्यभोजो जितेद्धियः शद्दियाणं दिषयासकिशृन्यः। परतर ब्रद्मचय्यङ्पेन्ियजय ऋतुकालं विना

malta went नित्यमद्ति ब्रह्मचारिणा।

| afa we:

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चित्तमन्तगतं दुष्टं aright नशष्यति

TAI gente तु सुराभार्डमिवाषशचि |

"व कका Ae er EE "गयि

०. परदरग्येयभिध्यावं भनसानिहचिकन्‌। farenfufaitere wine विविध भतम्‌ | दृति निषिषपापनिषतिम नःसंयम्‌ इति arcaque: |

weta: Wem! ese ब्रह्यपुराशै ~~

गङ्गा दितीर्धेवु वसन्ति मन्या देवालये परिषंघाश्च राजन्‌, भावोलकितासते Te लभन्ते तोर्घाश्च टेवायतनाश तस्यात्‌ भावं ततोद्धलपरज्े निधाय

तीर्थानि सेवेत समाडहिताला,

अन्यत्रापि way ata fet 22 Saw भेषजे र्‌ arent भावना ae fafewafa ताहथौ किन भक्तिभावं मनसि निधाय ate कुर्यादिति भावः। एत

इस्तसंयमादयाजिवमास्तोधयावा तौव नादितकशक्वाङ्गभूताः तींफलमश्रुते श्तिषामान्धोक्तेः। यन्वया दोष om: |

ad - Medal प्रुवंन्ति दोन कपटेन(ब)वे।. Ae सृता सिष्यन्तिति गदा दरवणिनि॥ बंप्रखितस्तोर्धंयावां areas |

नासौ प्रतिनिवर्तत neat तय लौवितम्‌ s AG ney हिनः समन्धाम्िक THA ना(वा)चरेत्‌

eXe विधानपारिभाकै

देवे कणि पित्रोाच पद्ठभेऽह्नि शध्यति। इति wa:

गत्यन्तरासम्धवे पूववद्‌ VAT | ad ata गच्छतो यदि मध्ये तौर्धान्तरमापतति तदा तव स्ञामश्राहादि वश्यं क्षयम्‌ प्रासरहिकलात्‌

पदं तीधथंफलंतस्य यः प्रसङ्गेन गच्छति।

ala ae तक्ापि उपवासक्तोरे खातामिति केचित्‌ |

यात्रायां यद कर्मनाशाकरलोग्ादिनिविहनदौ भापतति तद्‌! यथा जलखखपोदि wala तथतरितव्यम्‌ |

कक्मनाशजलबर्थात्‌ करतायाविलङ्कनात्‌ | गण्डकौवाहइतरणात्‌ पुनः संस्कारमहति।

ula wa: | एवमन्येऽपि पि्टालारप्राप्तधन्माः कत्त व्याः | थद्‌ तु ata प्रति चलितस्तीधमाप्राप्येव सृत सतर fan गारे

यश्तौ्धसन्धुखोभूवा व्रजकनशने कते) देभियेदन्तराले qo witet मण्डलं व्रजेत्‌ #

cama मासोपवखादिष्पत्रते कने इति चकारोऽजाह।यैः।

दतौयः स्वक्षः ext

हिषिधष्यापि भन्तराले ane कपिलोकप्रातिभवतौल्धः।

बति तोचयाद्रागमनविधानम्‌ |

पथ तीये प्राप्तिदिनक्लषम्‌।

aw यदि यानार्दृः सोपानकोवा गच्छेत्‌ तद तीयं प्रातिः दिनेयावान्‌ art, पादचारेख गन्तुं शक्यस्तावन्तं मागे यानादि- afegite गत्वा ata efeamante aey awe fadaeaagatie afta ate गच्छत्‌

यानानि तु परिवयश्य भाव्यं पादलरंमरैः

शुटिला Maat तत्र तौर्धं agente: a

इति शतैः |

wisi wera: # ततः फलपुष्यादि तीर्थे

घमपयेत्‌ |

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cepa Ne मनय कत = ER = छक NS नक

eupat. wnat लनुम्यां face चोरा तवा। मनका wat इन्वा ceratsere kira: |

CUE: विधानपारिजातै

तवः - प्रथमं सालगत्तीयं प्रणपेन अलं शचि GAM ततः Wars यथावश्मन्धयोगतः।॥

प्रणवेन aa Her ale जलमवकाहेत्‌ | ततः भवगाइन- AR: SAAS कश्च व्यम्‌ | AMT प्रभासखण्डे | नमो(गमोऽसु) देवदेवाय शितिक्ठाव्रदखिने | wera चापषस्ताय चक्रिणि वेधसे नमः।॥ घरस्वतो सावित्रौ वेदमाता गरोयसौ। सकिधाश्नी भवत्व तौचपापप्रणाशिनो॥ र्देवा भेव तीर्थानां मन्एष उदाहतः | att - छागरलरनिर्घोष दण्डहस्ताषुरन्तक | लगत्खष्टजेगन्‌मदिब्रमामि लां जनादंन। तौीखदेषट महाकाय कस्पान्तदषहनोपम | मेरवाय नमसुभ्यमनु्ांदेड्धिमे प्रभो) टातुमश्सि दताम्‌ सन्न्‌ AAC तये जानं समाचरेत्‌ Ug MATA aaa इरति भ्रुवम्‌

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तीयः सदक्षः aur

सतः VENTS खाता दपनं Kaley | पूवं मावाहनं तोयं मुखनं तदननरम्‌ | ततः ज्ञानादिकं कुर्य्यात्‌ ase समाचरेत्‌ | afer मृतिः अत ज्ञानादिकमिव्य्र पादिशब्दादुपवसो AW: | उपवासं aa: क्या तस्िन्रहनि gaa: तोर्घोपवा साहवैशि अधिकं नास्ति किञचन॥ इति अतेः waa कागोखण्डे aefs त्धप्रामिः स्यादः पूव्ववासरे ठप्वासः प्रकर्तव्यः Washes weet भषेत्‌ इति वचनं atdma: qafet ठप्रवापदिधायकम्‌। तत्त्‌ कागोप्रकरशश्चतात्‌ कापोमातरपरमिति केचित्‌ कषागोप्रकरव- wasfa सकलतोंसाधारणविष्युपक्रमात्‌ पूवंवदनेन बह Tet विकस्य इत्यपरे | तत तीयं प्रतेः पूवं दिम तहने वा तीर्थोपवाषः कतव्य दति सिध्यति | aa तीरमासाद्य कुर्वीति नरः शचिङ्पोषणम्‌ | उपवासविषश्हामा waa क्तमहंति।

दतिद्छनो तौचेपरापिरेव हपदासनितित्तलदशनात्‌ | 95.

eu दिचधागवारिजाव |

Tae सुरडन विधानम्‌ | विखलशौधेतो देवलः qed Ronee सतीरयेयं विधिः वजंयित्वा कुरक्ेतं विध्ालं विरजं गयाम्‌ + + विरलभुत्कलदेे प्रसिषठं †' दल्िणदेशखलोणणेत्रमपि विरजम्‌ | nerafaefinra वदरीदेतरमिति केचित्‌ तम्र, Taree वपनविधानाव्‌ | अत केचिदा; 1 स्वाणि तीर्थानि सन्ति ufafafa- वदुत्रौहिणासवतीधं श्ट प्रयागमावपरतासत्रैव ठपवासवपने भवतोनाग्धत्र CNTY aT) एकवचनेन विग्रहे मन्वप-

awe प्रयाग ameter एकलात्‌ सर्वतो्येखिति agaey BATT wa:

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wit, सदशः oun

ONT वपनं Falercrwat तम्‌ं TAT एतदपि wrammaat तु mutant तजिषेधपदम्‌

मङ्का्थां भास्करचेतरे मातापित्रोभतेहनि |

भाधाने ayaTrs ara: षटसु विधौयते,

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सवं तौवंया वराविधिनुपक्रम्य

तीर्न पवासः क्तव्यः यिरसो ger तथा

चिरोगतानि पापानि यान्ति सुष्नगतो यतः

इति सामाग्येन वपनविधानात्‌। प्रभासखष्ठेऽपि - amy सवप्रयन्नेन कैगांसेह परिव्बजेत्‌। भश्वमिधसशखष्य ays यमाचरेत्‌ | मासौ तत्‌ फलमाप्नोति waz यश्च maa | gerd शस्तं स्याद्‌ योषितां तु वरागने। सभरकाकां ततैव विधिं तासां ae तरतु सवान्‌ कणान्‌ Vaya Vzizy लिहयम्‌ दयाटोनां तवर तव वयनविधायकवदुवशनानां दद्नात्‌ वस्लयिल्वा कुरचेतरमिति निषिधागुपपक्तेड | तस्मात्‌ इुर्चेत्रादिग्यतिरित्रमहालोयवु वपनं भवतौति लिहम्‌ |

wud विधानपारिजाते

भथ प्रसङ्गात्‌ चौरकालः कथ्यते

त्रिखलौषेतौ भरदाजः रव्यारसोरिवारेषु TAN पातै व्रताहइनि। चाद्ाहप्रतिपद्विक्ाभद्राः सौरेषु वरयेत्‌ भारोमङ्गलः। सोरिः शनिवासरः व्रताइमैकादश्यादि | रिकाबतुर्धोनवमीचतुदंश्यः। मद्रा दितीयासप्तमौदादश्वः। शेषं खष्टम्‌ | तथ - षष्टयमापुणिमा पात अतुदं्यष्टमौ तथ। सामु सत्रिहितं पाणं विषु तैले भगी qt अनर भमापूपिमानिषेधसत्वनाहितानिषरः | भाहि तानेदव्र- wea | क।त्ययनादिश्रोतसू्र aw वपननिषिधात्‌ wife मासि yaa परे प्ते यञ्वनः | दति स्मृतश्च | तथा- मश्वे TAA + यक्षिन्‌ जातो “dat |

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प्रोष्ठपदयोः Aa eae g भादत। दारशेषु तु सवेषु दुटतारां # wea stad छत्तिका। anf walsdar ज्येशटामूलानि। जग्रत्‌ पञ्चमं aged वयोविंषं geareT तधा- | कनो waza चैव कन्यायां काके cay रोमखण्ं (खण्डे) cea fray प्र शयते यमः तवा- विवाहमौक्ञोषासु Tae तदहकम्‌ | aca जायायां Aaa कैशवापनम्‌ व्यो तिःथासेऽपि

नाभ्यहलभुक्षरणकालनिरासनानां

नान्नातसूप्तगमनोलषकभूषितानाम्‌ |

सन्यानिशाकंकुलसौरिदिने नराणं

ae fed मवति wife a afa विद्याम्‌ fa

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e nga ¶ति हचित्‌ पादः।

Tt विषानपारिजातै |

वाल सवद भपवादसीर्धप्रा्ौ

चोरं नेमित्तिकं कायें fat? सत्यपि धवम्‌ fenfeafadtarg प्रायचिन्तेय Ree 2

इति aa: | zafamiwar at मरणे बन्भूमोषूरे | छद! हेःखिलवारचं fafag चौरमिष्टदम्‌। इतिनारदवचने निमित्तपगि दनख उपल त्वाच्च | षदं सुखडनोपवासादि दशमासानन्तरं great काम्‌।

संवरे हिमासोने greta व्रजेद्‌ यदि मुण्डनं चोपवाशादि तनो) दा यत्नेन कारयेत्‌

इति wmcere |

अन्तरागमने तु फलेच्छया मवति नतु faaa इति wan CMa: |

वपने ayy करिष्ये acfatraquaarfa भवति वपनं कारयिष्यामि। वपाम्यषमितिचोभयविधवचनशडावात्‌ करिष्ये इत्येव VPM Laat) wat वपनं कुर्व्यादित्यादिविधिभि- द्लोधैप्रातिनिमित्तकदपनस्व विडितत्वप्रतीतैः are निमिश्तरदितेनेव नापितेन क्ियमाखलात्‌ मेमिस्तिकविध्य- योगात्‌ | |

WAT NIM: | ere

wrefawratfnaraig साधं चिशप्र्चयान्ततवेनापि संभवति | इदे वपनं व्मशरपुवकं क। खम्‌ तथाच सापस्तम्बशुतो हेवा यद्‌ ansyan तदसुरा sada AsqT रच परहे(द)भ्यो नापश्यन्‌ ते केशानपरेऽवपन्त भथ mafe wnat AAAS WAY पराभवम्‌ | यस्यैवं वपति cafeta अधो परेव भवति श्र रेवा जर्ष प्रठेम्योऽपश्न्‌ डपपस्चावपरेऽवपन्त | भव wife भथ ary ततस्तेऽभवन्‌ सुवगलोक मायम्‌ ate

वपल्वाकना भरथो TATA ART अयेलस्मनुवप्रे मिबुनदिषामप- श्रत्‌ HT aaa अथोपपक्ो पथ केशान्‌ |

ततो § प्रजायत प्रजया पशभिः aed वपन्ति प्रणा पद्ठभिमिंवनेर्जायतषनि एवं THETA ब्पनेवान्‌ qwanant safafeeatts भवतोत्ययं बदुखक्तः पथः

वपनप्रका रषा चराकं -

खदश्चुखः TESA वपनं कारयेत्‌ aut: | कयजः मनणान्धु दकमंश्वानि वापयेत्‌ afee asa wird पापलचचये

७६० दिधा्नपारिजाति |

firgiad नवसंस्कारे * fagraat शिरो वपेत्‌ # whamatfeaqa दक्िणकये शदक्मंखं (कछला)

- वापरधरेत्‌ पापसञ्चये पित्रादिमनो वा दर्चिणसंखं aan मथवा वाम््मश्ुषपनमादाविति। इदं वपनं रव्यादिभिः शिखामरक्ितवेव कायम्‌ -

यतिः शुद्रश्च विधवा सशिखं वपनं ata

दति aa: | atasta यतिभिः

कस्तोपखशिखावजं ऋतुसन्धिषु वापयेत्‌ |

इति ऋतुसन्धिष्येवेति परिसंख्यानादतुसन्िष्वेव कायम्‌ |

शिष्टयत्याचारोऽपि एवभेव | लोवत्यिढक्षेणापि तोधसुण्डनं कायम्‌ | विना तौ विना aw मातापित्रोमृंतिं विना। यौ वापयति aaa aga: पिदघातक्ः॥ इति हह तिष्मृतैः |

ae पुत्रब्रहपालोतत्विढक विषयता) इतरथा a पिदघा- तक CAT भाख्यत्‌ |

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= भवतसतारे चङाकषरते दचिरक्ात्‌ fig नि्ामारण दामक्यानं चं दपेदिन्यषेः | इति नारायशमभद्ः |

तौव, Gee: | | ७६१.

ददं प्र्ागमावदिषयम्‌। `

` राजा gaat नरौ mtane पितुः षतः | सुष्डनं wing garg रणि रोपतिः इति प्रयागप्रकरणोक्तेः। get frees PO सर्वधः न्‌ लौवत्पि्कः gang गुधिविलौ पतिरेव इति दश्रसतिभुदाद्रत्व विधिप्राहसुष्छन निषेधा | Ae वपनमाश्ययाव्राया्ेव प्रयागे तु प्रतियाचतिति Shaq | तीचप्रातिदिनि वपनादि भवति चेत्‌ ` तदा दिनान्तरे तत्‌ कषायम्‌ * तथाहि anteyy - ग्रकालेःप्यथवा काले तीं ग्राहं तपंकम्‌। विशम्ेन कव्यं मेव विश्न घमाचरेत्‌ दति शा एतसवायम्थेः। अकाले 9 परकाशयावादौ weitere fe- bl HINTS अधिकारिविेषणत्वात्‌ प्रहा [दवत्‌ सवाखवखाघ ATE भद- ` तील्वाश्यः। भुक्घोषाप्यववासुक्तो रात्रावहनि OW |

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६१ विधानपारिभाते

काशनियमो wfe ant प्राप्य सरिदराम्‌॥ इति भरतोक्तेः अवर - | Sarat याव(ता)तौ संखा च्छित्ानां जआहवौगशै | aragdavenfe खगंलोके महीयते दति वचनात्‌ खलोपविषटस्तथा वापयेत्‌ | यथा fret: कणा arayar गङ्गादौ पतन्तोति चिदाहुः ot अन्येतु तुषक्षे्पएरोष-भमाखि देष-नश-लोमानिनाषु जपेदिति गद्यरूपगह वचनान्न जले Qo: | किन्तु तौरे गतं हत्वा At केणनखादोनि चिपेदिव्याहः | Ga रेशाशारतो व्यवसखयम्‌ |

दूति Maqewafauray |

अथ तौयस्लानबिधानम्‌

भाव्रतोगाह्लता्ना argfet vec | शाति ataq ator वक्नमतिर्नरः।

== enema नचि door ननन भीगी

arefa न्लोमानि वायुना परितानि © | दलन्ति आङदौ तोवै weet genders | cafe

arta: Gag: |

कोका - एविष्यां षषतौर्ेषु खल्या gate few: ; geet पातकैः ad: समस्तैरपि ger + wa we जपोरोमः aivermnfed कतम्‌ | CRAM मुनिगेषहाः पुमाल्वालतमं कलम्‌ ee अत्र wafene विपरौतप्रवाहादि weft |

तत्र कायैम्‌ | ्रव्वाहन्तोदकते जानं ae wat हिज्ातिधिः।

Bat रजकतोे(ष)तु दथहसोन वशयेत्‌ | तवा - COTTA Bay नद्याः RATATAT: | प्रलोभिता केनापि तथा तोवाहिनिगताः afer सर्वेत गह्ायामपवादः प्रतिख्ोतोरजोयोगो रण्याजजलनिषेयनम्‌। गहायां a agate ar हि wigs: खयम्‌ ule मतेः | निषिधान्तरमपि areet-fafael-faaceia इरोतक्षौ | antfaere-afaanre-searce-fnaa: | Ree खदिरदेवां खानं erage way, aatfe) वदरौ विभौतक्षौ इति चित्‌ as:

eqs ` विधागपारिजाति

aw ufaearfey ज्ञाननिषिधः सोऽपि भाकद्िक- तीव प्राप्तौ पवन्ते | नेनिसिक्षलात्‌ | चतएव शातातपः - राद्रौ ज्ञानं नदुर्वोत होमं दाभे रतिषु afafaad तु रीत ज्ञानदाने रातिषु इदयाश्रवल्कोऽपि प्रहणोहाहसंक्रान्तियावान्तिप्रसवेषु च| ज्ञानं afufad ad राश्रावपि afew? » एच्च रात्रो तयज्ञानम्‌ प्राद्यन्तप्रहरहयविषयम्‌ | awifaar तु fatar मध्यखाहरहयम्‌। प्रदोषपञिमो यामो दिनवत्‌ ज्ञानमाचरत्‌ इति पराशरोक्गेरिति कचित्‌ | इदं तोवश्ञानादिकम्‌ s SNe पाकसिक-तीपाततौ कायम्‌ | विवाहदुगयचचेषु यात्रायां तौ्धककदि + | तत्र are तदत्‌ wae कारयेत्‌, aft पैठीनसिखतेः। eae दतक्स्यापि चपशलकम्‌ |

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9 afro’ तु द्मां लित बदति पाठः| Geen तु पितानहधाठनातामहभमातुलवृदराथदपोका चय गृपाष्यावा चे Ret पथां weg पिदववये कतवा अमः नन १। aimfawe gaéqqataa |

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०६६ विधानपारिजातै

प्राषङिकतीयंलाने कलमाह यहः तीये प्राप्यामुषङ्गेख ¢ खानं तीचे समाचरन्‌ |

wine फलमाप्नोति तीर्धयाबा(फलंलछलतं तु a इति भाग मध्ये नदोप्रातौ fataary एव- मागान्तरा नदौप्रातौ ज्ञानादि परपारतः। भवाक्तोरे area एव aan विधिः १्ति इदमपि gaat तोषं देवाभा द्रव्यम्‌ | wae तु तवेव भवति। तधा प्रवाहाभित्ुखो ARs यत्रापः प्रवहन्ति @ | खवरेषुच सर्वेष भादित्याभिषुखसधा।

षति तोवज्ञानविधानम्‌।

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# अनुदर वारिन्दराजपैदादिपशङ्गेन।

wala: wae: ०६१

अथ तर्पशविधानम्‌।

MAT AUS Teg (de) हला पात्‌ Rafarde war पित्‌ सपेत्‌ arate डि wie fanet चेव तप्॑‌। इति देवौ पुराषोदः परैः लौधमिति्ैषः |

तधा- aq ay नरः wena कुखात्‌ पिहतपंकम्‌।

पिवन्ति देहनिःसावं पितरोख ललशारिनः॥ aft यो गियद्रवस्छयोहे तपंदाननर aware श्काश्नलणिं $ दश्यात्‌। तदुक्तं विष्णुपुराश देवाभुराश्तधा नागा AIMS: | fanrar quar: विदाः saws: खाः जलेखरा भूमिका वायाधाराङ्च Here; | afaaaa याना महसेनान्यनाऽकिनाः॥. नरकेषु समस्तेषु यातनसुचये खिताः | तेष(माप्यायनायेनरोयते सलिलं aar पेःवाम्धवावान्ध वाव। Barwin grazer: |

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ते उपिमखिला यान्तु येऽक्षरोयादिकाङ्किखः #।

यत्र MAN संखानां FHMC

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aa केचित्‌ प्रतिमन्तमक्ञलिचतुष्टयमिच्छन्ति | manasta cramgaraafaafe इदमसु तिलोदकमित्बन्तं॑पूर्व- Quan भभिहितम्‌ †। एतकलमपि विष्णुपुराणे उक्म्‌-

कामोदक्प्रानं तै मयैतत्‌ कथितं a

AS प्रो खयत्वेतन्‌ मनुष्यः सकलं जगत्‌ |

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SW कामोदकं सम्यगीमभ्यः अदहइयान्वितः |

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awa | ; cease fevaaraqaea तिलोदकम्‌ इति TARIT- are Ramage यादोयत्ाद्मशविसर्नानन्तरं तोषं -

निनिततपयम।दरण्ति केचित्तु पूम्‌ ATTA TE वचतेस्तौ्ल्ानानन्तरमेव तदिधानात्‌

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gra तर्पकं कव्यीदिति गयामाहात्ये। grag तर्पयेरीमास्तोधें चेव विेषतः। इति वाराहे ज्ञानं mar तर्पणं तु काद्‌ भङिषमन्बितः। ति AWTS समन्तवचभं तु येषां दानां चाहङ्गभूतं aud विहि- wafer) तेषां fecerat तत्‌ पाद्‌ faze | भरतएव प्रयोग च।रिजाति श्रा क्नतपंशं प्रत्य CAEN | त्मात्तौवेतनय- fancy errs कामिति fang

बहन चन्धोवियेषोनिबन्धान्तराभ्च्ातन्नः। farercttar मी WaT |

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69: विधानपारिजाते

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रिकथं धनम्‌ पिता faarfeaafaad: | एवं मातेव्ववापि।

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ससि सीतनयादि तातजननौ खभ्वातरस्तत्‌स्ियः

तातम्बाकभगिन्धपत्बधवयुग्‌ जायापिता eye

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wa fenaneam ताताम्बाभ्यां wae सम्बन्धः wwtia मातामहादिव्रयस्म fated wat तु माता- मन्नदौनां एवन्‌ तपंशमिष्न्ति away सोतनयादौनि तपयिन्रपेचथा त।तजननोखभ्नातर शति areas: पि्टवयाः माद्भ्वातरो माठलाः ena carta

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तपरे प्रवन्नलि aerate: काय।। ay मन्तख तपेणकनोकि करखलात्‌ संष्याश्जलिदानस्त एकवमीलात्‌ “ua amet waqaaracefata maura wate args इति eq मवं” cagfa fe weary दौयते। ततश्च यत्र aw: age: तद्धंएव BIT Masia इति विपेषपश्वात्‌ संवारा सिदै- सामृसिये निषपकलव दादिवत्‌ greta nargia मन्त- हस्तिः च्यव :

aura मन्ताहत्तिरिति eraramae cad wee | अवधातप्रोचण्ादौ ATT Miwa Yatra चेव वेदिः पुनः प्री खत; दति द्व्येकतेन dence waa: तस्मत्‌ सम्भव्य दा गवत्‌ प्रल्वच्ति मन्वाहस्िरिति सदम्‌ |

OR विधाकपारिभाते

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भानौ MA त्रयोदश्यां नन्दाभगुमघास च।

faupera शद खानं कु्यसिलतपंणम्‌ मरीचिः

सप्तम्यां रदिवारे गहे जग्मदिने तद्।

भत्यपुव्रकलतार्थो क्ुर्यासिलनपं शम्‌ अत्यथसारे

विवाह चोपनथमे चौले सति यधाक्रमम्‌।

wae तदहं काशसिहलतपंणम्‌ इत्यादिना तिलतपं एनिषेधः | सोऽत प्रवक्षते |

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fafaesfa दिने aaradd frafafang

इति maven: ata ती्धविशेषे का प्रेतैच सर्वदा | इति स्मतयर्थसारोक्ते्च | लौवत्पितक्षशापि wa तपं कारम्‌ लौवप्पितृदेखलादितिकात्यायनोक्तेः।

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तथा fawanfa ade wey कामं मन्तः क्तिशोदकंः | aafaqerafaqerta नामगो वादिपूवंकम्‌ | इति काप्ोखण्डं तपथथ naw विधानात्‌ ate afafe- MAAT YATE तदधिक्षारात्‌। इदं पुत्रपोव्राभावविषयम्‌। nenarfemasta एवमेव | garifaa g aad कायम्‌- कुर्यात्‌ ana fag: यादपिष्डोदकक्रिवाम्‌

दति mat दूति तीथेतपरणविधानम्‌ अध तीर्धज्ञानतपंणप्रसङ्गत्‌ नदौनां रजोदोषः | कष्यते

तत्र देवलः AANA सवनद्योरजललाः | arg ज्ञानं a gata देवति fanndey |

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मतिः | सिंहककटयो मध्ये सर्वानच्योरनखलाः | armen कश्ाखि ag कुर्वति मानकः॥ ददं मडनदैःर्यतिरिक्षविषयम्‌ सिंहवाकंटयो मेष्ये सर्वानष्छोरजखशाः | AG ज्ञानं ह्ुर्वोत वजंयिलवा समुद्रगाः इति ब्यात्रपादोक्नेः। महानदीषु विशेषान्तरं भविष्योनर mai quate टेवि मषनद्यो cea: | fafet तु aqasts wet: खर्जाहृवौ यथा दति महानद्यव ब्रह्मपुरे - गोदावर भौमरथौ तुङ्गभद्रा षैरणिक।। तापी cats @ विन्यख दल्चिेतु प्रकीर्तिताः + afa भागौरथौ AST यमुना सरखती | faite चै विहस्ता विन््यस्योच्चरतः खिताः | इदप्ेता महानद्यीदेवपिकेतक्मवाः a , षति aM तु भगस्धोदयावधि CHARMAN |

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९७६ विधानपारिजीति

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महदब्बु समं वापि यदि fade पुरातनम्‌

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wart गोमहिषो चैव बाध्मषौ प्रसूतिका |

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भथ तीरध्राहे भधिक्षारिणः कथ्यन्ते |

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पितुः gas ae पिखदानादिक्षा frat | AUS तु पन्नो Brews तु Pere

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तच्च dra: प्रपौतोषा आता वा जादसन्ततिः | शुचिष्डसन्ततिवौपि अदा कृप जायते

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ठदाहोऽव्र हितौयादिः। sak पितुरेव अधिकारात्‌

पुत्रजनने जातक्षनैकि | इदमपचसंस्कारमात्रोपलचचकम्‌ | faar- श्यां चातु्माखान्तर्गतायां सौमिके ae तार््ौयसवनिकैः पुरोडापणखण्डेः खचमसषाधस्तत्‌ पिण्डदाने | ब्राह्मख पायते | तिमधसख्िुपकश््यादिगुणयुतविप्रलंपदि लौवतः पितुः पुव Qa aware: afer: | aq प्रतिरव कन्तंव्यमित्यनेन प्राप्यनन्तरकालणएव सद कत्तश्यलोतेदिनान्तरे Azz ATT qaatfafaw सति शराद्- लोपवदबापि लोपणएच खत्‌। चयाडह।देलु सलक्षाद्यनन्तरमपि अरुष्टानं युक्षम्‌ | तद्रेत प्रदुष्येत केनवित्‌ सूतकादिना। सूलकानन्तर wala पुगस्तदहरव वा | इत्य (दिव वनात्‌ इहतु वचनाभावषाज्ञोप एव दुहः | qd रातौ aaatat वा तोधेपरात्ो easy ufaaaaa’: कराइनिषेधात्‌ | SHCA प्राप्ानन्तरकाल भावात्‌ | स्वनि भवेत्‌ यदि भरमाबद्यादिवत्‌ कालविधानं खात्‌ दह तु तोष

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दिति areca प्रातिटिनैे यादविधायकषवचनं तु Serre विषयम्‌ तावतैव पूर्वीक्षवचनचारिताथात्‌ waa तु रात्रिसस्ययोभु्षवतश्च aint हितौयदिगे एव मवति आशौचे तु MUA भाशौचापगभे। ती्धसम्बन्धस्य तदानी मपि wea ग्रहशादिवेलशण्यात्‌ |

मलमाकैऽपि तदानौमैव ard कषायं म्‌ विलम्बनिषेधात्‌ मलमासात्‌ ut तीर्धसभ्वन्धसच्वे तु शधमासेऽपि कायम्‌

योगादिकं मासिकं याहं चापरपिकम्‌।

मन्बादिकं त्थिकं कु््याश्मासदयेऽपि

दति खतिशद्दिकोज्ञोः। va qatafaa नाम प्रतिमासं अश्णपर्तश्राहं तु महा- लयग्राहं | त्य मलमासे निषेधात्‌ eure yaaa पिन्ेध्यां सौमिके मखे | at ब्राह्मण परायात षडेते saa: पितुः a दूति मैतायणयोयपरिशिष्टवशनं जोवल्विटढक्षस्य याहं विधन्त Me उदेश्यानाह काष्णाजिनिः हदो तोषं daa ताते पतिते सति। येभ्य एव पिता दद्यात्तेभ्यो दद्यात्‌ खयं इतः दति

WAT सषकषः | ere.

तत्रापि marge निषेधति लोगा्धिः SUG गवाह यादइश्रापरप्चिकम्‌ | जौवत्पिठकः कुथात्तिलेः ay तपंदम्‌ इति मवायशयपरिण्िपि- महानदोषु स्वाश् तौर्येषु गयाम्‌ते | जोदत्पितापि कुर्वीत are पाव शधषवत्‌ सृतमाटक्षख तु प्रासङ्किकगयाप्राप्तो areas परितिष्टएव. प्रतिप्रसवः यूयते | तथाच तद्ममाणम्‌ - प्ान्दष्टकयं Tama सत्यां यश्च मनेऽइनि | माटय्राह सुतः gaia पितय्यपि जोवति॥ इति प्रासहिकप्राप्ाविल्यज्े सखदुहेणेन गयाग्रात्रान कार्यां इति सिष्यति *। मतमिदं कालाद खतिदपशकारादयो बहवोमेनिरे wut तु Staficawarefawrawarerral साधारख्याद्‌ गथायामपि जीवत्िदक्ेष पिदपित्रादिभ्यः are कायम्‌ | afate are मतमाठकषस्य पिदपल्लोलेन माटशाहइ सिषहावपि

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* तथाच अवन्तग्म्‌ -- att WAT) गत्वा सानुः WE ममाचरत्‌ |

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त्वाग्बषटक्यमितवादिवचमं arzarfeete wae ardent धम्‌ | यानितु गयाओ्राइतिपिधवचनानि। तानि eae Suara TRIMER गला खां शार्ण॑म्‌ | किन्तु प्रासदहिक- गयागमन एव शलयेतंपरायि इति वचनानां व्यवखामाङजुः | एवसुमथथा वचनव्यवडायां सत्यां देथाचाराद्‌ waver वदि- तव्या | हमयधापि जौवत्पिटकख्य तोवाच भधिकारिदिः

सपितुः पिदटलयेषु अधिकारो विद्यते |

जोवन्तमतिक्रम्य किञ्चिहव्यादिति ya:

इति कात्दायनदकनम्‌ | ay - fact जौवत्यितु्ोकषमिति नियमवचः

तदिहितकाशषट्‌कातिरिक्न विषयमिति चरेयम्‌

मतु यदि stafaanerfa तीर्थयारे भधिकारसश पितरि तौषवाखिनि देधान्तरागतेन gee अहं क्तं जात्‌ | fafama हत्ततवात्‌ कतव्यमेवेति वदामो वाधक्षामावात्‌। afe foar शशानतेनापि कुतो क्रियते -

ख्यते | वचनात्‌ MMA) शोकविदिष्टलाक तदरुषानम्‌ | तदुकम्‌

vem लोकविदिष्टं whaanrete fe |

| इति पिद््नतेन प्रसङ्ग सिदेरनवुष्ठानं हतो मेति वारम्‌ |

Sata ee | ere

भिवे प्रसङ्गाभावात्‌ |

aq fat ओवत्यिकख्वापि भधिकारितवम्‌ |

क्लीव त्वितरोऽपि पिता aw ate गताखेत्‌ एवक्‌ TEN शाहं कर्णः भ्वातरलु यदि frat बुगपदेयु मपद्‌ वा तीष गतास्तदा प्रत्येकं Teme wa: | अविभङ्ञेष गतस्तेन कादं | तषां सर्वेधाभेकदेव गमने तु गला दिषत्‌ wae ashe aay नतु खवः)

अ्रातकाम विभक्लानामेकोधनः wae

विभागी सति waite मेतां एषक्‌ एष्‌

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विधवा त्‌ यदि gaan ae मता। तदा इत्र art gaz | खयं इरव्यात्‌ अपुत्रा चेत्‌ खयमेव ख्यात्‌ |

पुत्रा सी यथा ga: पुव्रवल्बपि wel te

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इति वचनात्‌ |

चित्तु gaaqaat इति पठित्वा gaaanfa gat afew armufenter are arcetafereny: |

अनुपनोतोऽपि तौये ae Fae qa uy Sees चाद प्रहत्य

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आथ" साधारणं ATA सवकामपलप्रदन्‌

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भा्याविरडितोषापि प्रवासखोऽपि afar, `` शूद्रोऽप्यमन्वकं कुया दनेन विधिना कृष ¶ति ततर fear भनुपनौतिन ameaat ब्राह्मषादिरास करणौयम्‌ | खंयं वा भरमन्कं कयन्‌ तदुक्तं सत्यसारे भनुपनोताः fear: शूद्रा श्राहसतिजा कारयेयुः | खयं वा.भमन्तकां नामगोवाभ्यां कुः देवेभ्यो नमः fam: खधानमष्ति aaa art चेजज।टोनां तु यो fans: asa Naa | दन्तीरसेतरेषां ya परिग्रहः इति तैषां कलो पुत्रलनिषेधेन भरुपयोगात्‌। भन्धत्रापि- सप्रौशाममन्धकं असं तधा YAGAS | प्राग्‌ दिजाख व्रतादेशं कुषयुरयेव दति वारारेऽपि अयमेव विधिः tim: शूद्राणां aarafete: | भमन gyre fantaaty wpe + WRG Deda, गद्यते सम्बध्यते) तेन PRS ज्ञान-

SAT: ATA: ७९१

दानादौ fare पुराणमन्धो amen ति तात्य ate: |

sare विष्वेदेषाः |

तौधेखादव्य पाव ब्रहतिकतया

पुरूरवाद्रवौ चेव पावे समुदादृती | ,

ति awa पुषरवाद्रवौ afta fated प्राप्तौ तथापि तख संयोगप्थक्लन्धायेन काम्यलस्यापि सचा गोदोनन्धायेन काम्यस्य नित्य(ल) वाधकलात्‌ नेनित्तिक- स्यापि चावश्यकतथ्रा निल्लात्‌ काम्ये धुरिलोचनो इति दच- नात्‌ पुरूरवाद्रषौ वाधित्वा हरिलोचनौ भवतः ! यदातु manna केवलनित्यतया करोति तदा पुररवाद्रवावेव भवतः |

तथा - यौ ae कयं धनं वा भपडरेत्‌ | तख याहं कुयादटिन्युलं काच्णाजिनिना सीहो घनडारौ gary पिण्ोदकक्रियान्‌ | दति

एवमन्येऽपि अधिकारिशो ग्रनवान्तरतोश्रेयाः |

अध भरधिक्षाराप्रवादः।

तत्र॒ वतिना are न. कार्यम्‌

4९९ 'दिधानपारिजति

Bag ae firg: arefaigrea far: | madara wae व्रतम्‌ | niatfercd et पिढमादकुलं घम्‌ - इति अतेः | पतितोऽपि gaaiy दिजातिकरमभ्वोहानिः पतनमिति निषेधात्‌ | उपपातद्यादिना तु rata तद्य नितनेमित्ति ककारो तिषिधाभादात्‌।

दति तोर्ध्रादाधिकारिषिधानम्‌

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अथ भत्रामहमग्राहविधानम्‌। mee

me गत्वा तु यः शाह rare भोजने fee |

यशा VAT THA AAT: खात्‌ कदाचन काल्वायनोऽपि ` एतां व्यवलामाहइ-

आपद्यनग्नौ तोये प्रवासे पुत्रजन्मनि

सआमरशाहं NRE भाथारजसि संक्रमे, मन्तुः ~ |. .

पाक्षाभावेऽधिक्ारः खाहिप्रादौनां नराधिप |

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waatat awe fatuaamfefit: सदा देवतु retains विदुर्बुधाः, पानो देधकालाभ्यां fag? aqafae | waaay चेव caret faiten: 1 तवा ~~ maT aw प्रकुर्वीत wakes विथेषतः | सामानेन हिरण्येन कान्दमूशपशेरपि। एतामभाषे ware awarfa जशेनवा, wa args दिज्ञानावे प्रवादे georefi THANE wert aS भाया रजल्ललशा uta एवं Wa UTNE YA! were त्राद्मशा सभवे QUAM, | तखाप्यसन्मवे Fae क्तंव्यनिति az- नपारिजातदिगेदाषादवः | aver अपि एवमिव भावरन्ति। तएव भोकषूर्दोषो दातु ager इति पहर-वाहं प्रत्य मितासरयाध्यक्नम्‌। aft दञ्ञावलोकारादयशु wwe ata waa gaa WT Ee, पाकश्रादै तुन भवत्वेव cary: | UAT FWATUATA: | Te awe? cay देना वा ae कायम्‌

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02.9 विध्ालपारिनापि

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इति वचनात्‌ अह दावजेनेव : दाचिशाल्याशु wud इुष्यैन्ति | Me at dyer पक्ञाशेत faite: | इति वचनात्‌ |

अत्र देशाचारतोव्यवखेयम्‌ | शेश तु वंदा भामेनेव कार्यम्‌ सदा चेव तु धद्रा्ामामश्राह (विधौयतै)विदुर्बधाः। पर्ल भोषयेहिपराम्‌ ae शूद्रः + कदाचन भोजयन्‌ प्र्लवायौ स्याश्च तद्य फलं शमेत्‌ इति सुमन्हुवचनात्‌ भामा विशेषमाह व्यासः भामं ददत्‌, कौन्तेय दद्या (दामं)दजं तुरग दम्‌ fage दिगुखं वापि त्ेकगुशमपयेत्‌ ATMA were सर्वोपस्छरसं युतम्‌ इति waar wqwa तु एकगुखमपि दद्यादिति; firerafe: `

UR RE रवप सचदोऽपि।| varet पाडः | 1 अच Salecawe प्रा्मद्यनिति भावः |

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इति विर्दक्चनम्‌ | तदटमावाश्याटिशराहविषयम्‌ | WANG भोजनसम्बहा भापोधानादयो लुपप्रयोजना fara | BY भवपातवत्‌ दतिशश्रोवगाङव लुषप्रश्रोययासुखम्‌ WAR NAMA पञ्चमम्‌ इतिं came: भङ्ग निवे धनं | तत पामश्रादपत्ते at भवन्ति भावहनादयव् } तीच AWA UHM तु भावाहनादयणएव मे भवन्तीतिषिवेकः | हेमय्रादपचे पिणनिहस्तिरपि | बति दिषोदाषः। Madar तु विकलः | तधा- ` अासनराहे केषांचित्‌ मन्नाकामूहोऽपि भवति

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भन्धक्ाखनद्नाः छुरामशरादविषिः शमनः + षति

यथा भ्रवाहने पितन्‌ इविषे पल्लवे

दस्यव पत्तव एति पदणने (लोकव दति पदोड ) लौक- तवे इति cate: खधाकारे तु नमोवः पिततो रताय शति मन्ते रसायेति पश्यन SATAY: #

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यतः gafeq dara गोभ्यो वापि गवाह़िकम्‌ cay अधिशब्दथवलात्‌ |

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६०९ विधानपारिजाते

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पाध्यदच्छेदेन तदिधानात्‌। फलसंस्काररूपत्वाच फलखाति- परसङ्गेन |

अथ ग्राहान्तरसन्निपाते निशंयविधानम्‌ |

ay यदि तौधप्रातिदिने वापिकवाहं प्राष्रयात्‌ तदा तत्‌ wate Baz en fe काशादगं awmifedy चाशभ्ययोगष॒ निहतस्य संपाते देवतामेदाच्छरादवुग्मं समाचरेत्‌

कतौयः wae: | Eee

तत्रापि wel Mea ततोवाधिकयराहं way Tere तीर्थप्र्यनन्तरमेव कव्यतलेन विशब्बायोमात्‌ दाश्िंक-व्यतोपात बुगादि-मन्वादि-संक्राख्यादि-निमित्तलानि तु यदि waa ger वा तोयदं fat तदा vate कार्व्याशि | तेषां पक्षाग्रसाध्यलेन geen प्रषह्मयोभात्‌ | यदातु तौ््(इमपि पाकेन क्रियते तदा दव्यपदाभाषात्‌ सर्वा साच atamat Mane एव Sear, प्रसङ्टाततोर्वयादेनेष इत- fafa: |

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शाहु] करे कत;न्वन fray तत्र पय॑न्‌। इति

Toe विधानपारिजाते

मेषं तेषां सिदिरिखादयोनिशंयाः wae: | इदं atdare दथमासानन्तरं तीर्थप्राप्तौ नियमेन काययन्‌। TAT तु GABA हताल्लतम्‌ | दति तौधेयराद विधानम्‌ |

अय तौव श्राहे(देवताविचारः)सम्प्रदाननिखयः।

सपिण्डोकरयादूहं aa यत्र प्रदौयते। Wass तत्र कतंव्यमेोदिष्टं afefer | ; पिवादोनां aatat तत्तीर्थे aaa पार्वखम्‌ + दति वचनात्‌ पित्रादिवयाकां तावत्‌ use aaa | एव मातामहादिव्रकाशामपि पाशमेव | पितरोयव पश्यन्ते तत ararayrafa | भवियेषैष कत्तव्यं विथेषान्रकं व्रभेत्‌ दति गौतमोकञेः | कषृसमनितं gar तथ घय।इषोहयम्‌ | प्र्ाद्दिकं गेपेषु पिडा: स्युः षडिति खिति; इति कात्वायनोह्ञद् एवं nafafcantag are षङ्देवत्वमितिश्मतिरब्रावली- कारादयो भेनिरे। भन्ये तु तौवादिषामाश्वशादमुपक्रभ्

| wate: Vay: | Cod

इविःेषात्तोनुरिमादिकेक पराहतः |

wan: fracdtat पिष्डनिवे परं चरत्‌ |

इति Qeaqtatqerafa तोदं पावकं मश्वन्ते | watat तु fare om: | मययां मावादिषावंदमवश्डकमुक्तं TATA ETT |

अन्वष्टकासु हरौ गयायां तेहन)

मादनं wae gateaa पतिना सह

इतिं

uae maads पिक्ादिपिखडानां पडिष्ठमाग ara- fafa भाहायनः। एवं नवदेवत्यं भवति |

पन्ेत्‌ मातामन्नादिपा्वणमपि एवम्‌ भवतोश्बाहुः `

क्िचिदिष्छन्ति moet veg यहं AT: |

दति wafanfaat, नारोकामिति सामाग्धोक्ञेः,

पितादिनवदैवल्वं war हादथदेवतम्‌ |

इति भन्निपुरशोक्नेष |

ga दैयाशारात्‌ गिष्टाशराश्च waar guar एवं सति यदा देवलं ` ज्रां क्रियते ` तदा मादमातानन्नादौनां पितु- armagifey सपद्नोकत्येल [निगमेषु fad: कायं; | लेन मनो समं शाहं माता YER ुषाघमम्‌ | पितामहो श्येनेव aaa प्रपितामह « दति हर्शतिना मात्रादीनां पित्रादिभिः ayuda देवता.

Toa विधानपारिजाते

लक्षैः

भगष्टकां तचा मादथा चेव दपिऽइनि |

एकोषष्टं तथा Awl Wry नान्यत्‌ एधम्‌ भवेत्‌ t

इति mea प्रक्‌ साहं निषैधता ayaa भवेदिल्वभ्य- शुज्नानाश्च |

मातरादौमां gaa शाहदपक्ैऽपि यदि ताः हतषहगमना- सदा anit तांच sie ate summa mia) पिण्डोऽपि उभयोदेशेन एक एव देयः |

रृताहति समासेन पिण्डनिवपणं पथक्‌ |

MAINE तु दम्पत्योरन्वारोहणएव त्‌

इति लोगा्षिष्यतैः |

भस्याथः दम्बत्योरन्वारोहषेन निमित्तेन eafrana

पिष्डनिवेपथं श्रां उक्प्रकारेण

हिपिदठकयराहैवत्‌ समासेन स्यात्‌।

mae त्‌ प्राक्त खपिश्डोकरणात्‌ एथगेव | मतु समासेन।

पत उताहनि इति विशेषोपादानात्‌। सततिषेभंरे त्‌ gare: | किन्तु gait)

Va nae एव पथक्लविधानाहगरसांवत्‌सरिकतौर्थवाश- fen परिसंख्यया समास एव अवगम्यते |

एवमनेकासामन्बारोहशेऽपि दिन्रियम्‌।

वतीयः Bae: ६,

यच व्यन्तरे -

एकचित्यां earest zum निधनं गतौ

एक AUG तयोः कु्जाटोदनं पथक्‌ एक्‌ |

दति yaa अाहविधानं तज्नवयादविषंयम्‌ एवं मदन- पारिजातक्षाराद्यामेनिरे। Farfeq सता wae परि- संश्यापरिडाराय मृताहइनोति aargar(al) नुरोधेन सवत्‌

सरिक्षश्राहम वविषयमेतदित्याह तैन तौधोदौ waa एषेद- मिति प्रतोध |

सत्र यथाचारं Mal EVAN; तदेतत्‌ amsay faw- दानमा पिषयम्‌ | तदाहामिः सूतिरुपेक

एकचित्यां समारद्र सतयोरेकवहिषि।

fam: पिण्डान्‌ एथग्‌ cary foe वापत्‌ तततः

दति एकक।ले गतासूनां AAA Lat: | AAT ATG लला चाहं FAN एथक्‌ A | | इति qa: |

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quaaraatanfarrateanst Re cary | faavat: सर्वा मातर इति शुमन्तुना घवासां तासां माहलाति- देशात्‌ | तब्रापि जनन्धादिश्चानौयब्राद्महे ages

eet विधानपारिजाकै.

तामपि searing एक्‌ | | waar aaa ate शापरपचित। weer! vem, gary पिण्डमेकं तु निर्वपेत्‌ इति areata: | farerg wre भरशक्न विषयतां मला wata ओं यि कुवन्ति तवा सपल्नमातामहेम्योऽपि चाहं कार्यम्‌ मादठसपन्नोनां हुम न्तुना aaa भतिदिष्ट तत्पितष्ठामपि गोकमातामहत्वसिदेः | तदेतत्‌ GEN ओक्ये Rafer | aera नानापिदढद्वसिकामनया fafa? ayreafeare गश्रदिनौधवियेषे वा जाह कात्‌ तदा पुत्रवतीनामपुबा्ा षा मादलपन्ञोनां याहं कुयात्‌ पुवरवतीनामपि तासं श्राह wr Ser वा सपद्गीपुतल्ेन पाचिकाधिकारवश्वात्‌ | एतेन पिद्जननोतिरिक्ाः पितामद्पत्राः पितामश्जननौ- व्यतिरिक्लाः प्रपितामहप्बनोऽपि aera: # पिदब्यदनयोरपि(या) क्म्‌ भावादीनां

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बचना

wreragqefqeae: सखिद्नातिभ्ब एष च।

ATE लर्वाभ्बस्तधेष जलाञ्जलीन्‌ पिष्छांसेभ्यः wer cary wen भाद्रपदे मरः Widg शेव aig माघमा ages ,,

इति चअतुविधतिमतात्‌।

waa: पिदष्यशुतमातुलाष्यः। दिशे सश्योऽपि fate:

दौहित्रपुवदाराशषये कनिहाःसहोदरः।

निःखन्ताना डता मे तैभ्योऽप्यत्र प्रदोधते हदथातातपोऽपि

प्रोता ae g ade: स्वेषां वदिंलिहधिनाम्‌।

एवं geet: सम्यक्‌ महतीं frenzy

afefafeet ब्रह्मयारियत्यादयः। भत्र शामाश्वोक्गादपि ww शव ते प्राञ्चः |

aa पिदब्यादिपज्ञोभ्यः vate देयम्‌ तत्पज्ञोभ्यरेति रो वचनात्‌ एतेषां स्व ्ाभेको दिष्टमेव भवति

छपिण्डीकरणादूर' favita fy पाव॑षम्‌ |

पिदब्धज।दमातलानिकोदिष्टं सदेव हि

इति लातुभ्छोनिः | पिश्डोकरकादूैः वच यत्र प्रदौयते। 102

८११ वि्ानपारिजात

wry भगिन्यै gars लामभिने माहुलव च। fawra get शादभमेकोदिष्टः ने पावकम्‌ इति graye | Wa wand ` सपलमाहपरम्‌ सखमातुः पाव शविधानात्‌। पिदष्यादिसमभिव्णहाराच्च इति हेमादिराह। aq— frmeraramrerngaret तथेव मातामडस्यापुत्र् श्राहादि पितवद्‌ uty इति वचतं | तदाव्लकतया तुष्यलन्न पनाय तु पावंशविधा- नेन AWWA GA AMAT: सापन्नो जेयः Faraz पावंखविधानात्‌ |

Rin Ee ED

अथ प्रार्वयोहेश्यानां निवेशक्रभः।

Aa Gara: = पिता nwa दानं मातेशा तदनन्तरम्‌ | ततो मातामहानां पितृव्य इतश्च कागलेयः- ware भेदश कार्या हदावादौ wether: | wate हि aren ane: maty मातरः

waite: Gree: cee

यत्तु-

पितृमातामहावादौ पातरस्तदनन्तरम्‌

तपदैःन्वषटकाश्राहे तीये चायं कमः सूतः

दति सतिरजावलोकरेलोषतं वचनम्‌ |

तत्‌ तेनेव निमंशलवोङेदपेखम्‌। अतएव amfatd निषि धति ठथनाः -

अन्तमा तामहम्‌ WAT मातृशां दः प्रयच्छति

समूढो मरकं याति arrange बावाशोऽपि-

am निवेधयेद्‌ aq मातः चारेषु मानदः `

मूढौ नरकं याति कालपूत्रमवाकथिरा

तखन्तोर्थादो पितपावंवागन्तरमेव argads कायम्‌ | अनेनैव न्यायेन मातामहपावं शानन्तरनेव मातामङहौपाढशम्‌ | uarretat तु तपंशोहणएव जमोपाद्ः |

wai farmrarayarée नित्ये, warfa तु ordeal. हिशनि क्षाम्यानि यथाशक्ति कावद नतु भावद्यक्ञानि। एवं पावंदेकोहिशनामनेकेवां . बुगपत्‌ nit. तन्नैष पालं gary

बहनामधवा हाभ्यां शाहं रेत्‌ श्यात्‌ लमेाहनि।

त्वे अपदं हत्वा शाहं कुयात्‌ एषक्‌ पृषक्‌

दति gueate:

BR विधानपारिजाते

पा्वशानि fader पषादेकोदिष्टानि कार्णाकि। यद्येकत्र भवेत्‌ mee भेकोहिषटं पवंशम्‌ uae aa fader catfee समा(चरेत्‌) पयेत्‌ + , दति actya: | एतश्च शलौ ear) wat तु पावंकेकदिष्टानि तन्ते इयात्‌ एकोदिषटेषु शक्तौ प्रत्येकं ब्राद्मणमोजनम्‌ पणह्लो त्‌ एकञजिन्रपि ame सन्पृव्य भोजयिला भ्यं पिण्डान्‌ Tay Way दद्यात्‌ were चतुविंश्रतिमतम्‌ मावा्यगुदभिषेम्य शतयुपकरम्य , तोयेषु चेव सर्वेष माघमासे aay | एकचिन्‌ ब्राह्मे सवानाचार्गयादौन्‌ प्रपूजयेत्‌ दति भष्याखि चेव पिण्डं सदा दद्यात्‌ एक्‌ पृथक्‌ | afa एवं wat सत्वां वेयादेवमप्रि प्रतिपाण एव्‌ wag) अशक्तो तु तन्ते कार्यम्‌ | | काशमेदे तन्नं खारहेधमेदे खव हि |

ee रो सि ` em,

eee OR et ee EE en pe oe षीम रीण

# भचतु प्राप्तमिश्यष भवेवातानिवयाक्षरे पाठ; | अद्मह्ली तु एकलिद्रपि mee सवाखकोदिदानि caret पाठः|

इतीय: Gra: ८१९

त्मा विधानान्तु योगपद प्रतोयते

दति प्रहे देशकारौकये टेवतन्लाभिधनात्‌।

मातामरहौनाम्येवं तन्तं वा Swe विकम्‌ |

इति काल्यायनचत्रोदेष |

qe तु wart गन्छति दव्यलिष्या। शोऽपि तत्‌पित्रादिभ्यः पूवं जाह wer पथात्‌ fom: gate | waned चतत्‌ हेमाद्रि areas | अतएव वायुपुराणे -

सखधनदामेन प्रेतो रितश्य कण चिदशिजो गयां गत्य wre प्रेताय foward ततः रूपिदभ्य amy) `

met गल्ला marae प्रेतराजाय faery |

sacra: ae खपिदभ्यसततो ददौ ©

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वामरनपुराकेऽचि तदेव प्रक्रम्य- पिष्छनिवंपशं aa परेतानामतुपूषयः चज्ञार खदायाद।न्‌ faye तनन्त(रान्‌) रम्‌ | | ˆ इति विधवा तु भर्तंवावेखं छपिदवारववं कुयात्‌ | मतं पअतितिम्बः खपिदढभ्वस्तथेव | विधवा कारयेष्ाहं दथकालम्मतद्धिता। दति afradwia: |

६१७४ विधानपारिजात

तथैव far एव |

यथाकालं aa तीर्थमहाशयादौ -अनक्षटैवत्यं विदितं तजे. ma: |

wa पित्राहं पितुः दत्रपोव्राभाषविषयम्‌ इति दिवोः हासः | धन्ये तु-~

पुवादिमतोऽपि भवति सपुत्रा पुत्रवतपन्ौ इति वच

॥खवतिप्रत्वयेन प्रकरथागुरोधात्‌ खादक्रियातुख्यताभिधानात्‌ yaa च॒ खपिदमातामहपावंशयोरथिकारात्‌ शपुवां प्रति | तत्पिष्ादोनां भत्रोदिरूपत्वात्‌ तस्मातामहादौनां पिवा- fequary gaamagaret वा खपिवादौनां तीर्धवचादौ एुव्रवदेव विधवाया अपि भधिक्षारावगमात्‌ | agate पति विपिषस्मत्वभावाशच cary: |

my एवं gua मातामहलादिश्पैश aggre चधिकारा- tren अपि wade wrag पिद्धललादिना मेवम्‌ एकापि व्व न्धिभेठेन परि भिवत्‌ सम्बन्धितावच्छेदक रूपभेदात्‌ a प्रति वैन Ste सम्बन्विता तं प्रति तेनेव शहेश्तवात्‌। तावतापि बयुजञक्रियातुश्यतानिर्वाहात्‌ तत यथा पुषं प्रति पिदरलादिना

"~ a अयम पा

9 यद्यपि साधिद्धारिकलात्‌ खपिदश्राहमसरङ्गतया चादौ cea तषापि eames वाचायः परकौवलेन तदनशरहपशिवभावाश पित्राहं Terie भादः |

इतीव; Saw: | ८१६

Stararafa एतां प्रति भततंलादिना उदेत तवा माता- महत्व दिना उदेश्लानामपि पिदलयादिना भविष्ति | wage: श्वता्मेव हि खमभतपयतौति वयनं तज्ादिधवाया भरतु पादं पिद्वपावं पावष्डवम्‌। अवश्कलाैव onig ian | |

भयाद तुया नारौ मौष्यात्‌ ordearety |

तेन तृष्यते भतत हला तु नरकं व्रजेत्‌

शतिं qari

तत्‌ चयार एकोरिष्टयथपधं सार्धम्‌ तु , सैषा पावद- निपिदा्म्‌। ware खमततुपरदतितिभ्य इति वदनं निरवि- ad छात्‌ | यच्यारु करो जौवति खा भरेतत्पितामदपपि- तामरभ्यः कुयात्‌

छष्टर-तत्पितरोर्जोवतोमं तं -तत्‌प्रपिताम हढव्पितामरैभ्वो- दद्यात्‌ दवं game; कष्वादिपावदमपि waren एवं च॒ नवदेवत्यं भवति केचिन्‌ दतमादकायाः wary- ardenfa भवति इति हादगदेवत्वभाडः | अपरं जमातामहपार्दकेन सह पच्चदग्रदेवल्वभाडः |

अन्धे खभातामहौपावशेन सह पष्टादयदेवलं भन्न |

न्दतज्वमपुवविषयमिति ga प्रतिभाति।

तथाषि जाध्याद्जौवमे हारशोपाह्ञोपदच

भकैमातामहादीनां तु atenep एव mie

८१६ विधानपारिजातै

द्वु दिमाव्रादिपावशगोरकरषे भक पिद्टपावं शयोरेव aura पदञोकानामिति भक्रादोनां fattad प्रयोन्यम्‌ |

अन्येषां तु एक्ोदिष्टाग्येव |

स्र AMV .व्यवखेयम्‌ | तथाच dae

चत्वारः पवश; काथा विधवायाः सदेव fe |

खभततशवदरादोनां मातापित्रोख्धेव

ततो मातामहानां eget विथेषतः।

मातामरहोनामष्येवं FAUNA:

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Straqfoarafa ad खपिद्ठपिवरादिभ्यः ane कनं fran RAAT

fier Q(sfa) त्‌ पितरि पूर्वेषामेव निवपेत्‌

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amt ala dee पतिते तु fata: +|

येभ्यएव पिता zaeaizar. खयं चुतः |.

wafafa लाधिक्ञारिता oa? | ufragur® तु | |

जोवत्पिदकषः पितामरहापित महयोरे¶ दथादिल्ब म्‌ |

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* ताति पतिते सति शव्याक्षरे पाठः |

तोदः सवलः | ` Kye:

WIAA टैयं खाद्‌ ATE भरतसत्तम | तख्ाव्णोवत्विता कुडाद्हाभ्यामव संथयः। दति

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पितरि जीवति a: are ज्यात्‌ पिता येषां gare Rui कुत्‌ पितरि fama? tafe वेषां (ama gary तेषां इयात्‌ | fay Sieg नव यात्‌) aw पिता प्रेतः खात्‌ चितामहे प्रपितामहे जोवति पित fow निधाय प्रपिताम्रहात्‌ पराभ्यां दात्‌ aw पिता पितामह प्रेती स्याताम्‌ ताभ्यां fowl cer पितासत्‌ चराभ्यां wat ददात्‌ | मातामहानामप्येवं TE कुग्यहिचचवः। AMC यथाश्वावं Raret मन्नवस्तितम्‌ एवमिति पितरि जओौवति यः श्रां gaifeaw चति Qn: 1 तथाच माताम जीवति वेष मातामहः gate at कु दित्वादि योण्वम्‌। मढजोवनेऽपि रएवमीव श्वाय घाम्बात्‌।

ततद Stafaae: पिदढपिवादिभ्य भिभ्योदस्वा afe गत- AACA खमातरादिभ्वो wary मादसद्नावे पितामन्नादिभ्व स्तिङ्भ्यो cw मातामादिभ्यो vary मतामहशमाब मादपितामहादिमभ्बज्िभ्यो दथादिति फलिताः |

108.

eye: विचानपारिजाते

येभ्य एव पिता earfefa वचनविरोधः। माढमातामदहशब्दयोः «safari पुत्रसम्बद्यानानिव मावादीनां मतामहादौनां यत्तच्छन्दवाश्यतेन ary तचार

रेवतातलमिति व्याख्यानात्‌ ततद लीवतविद्रकस्य ससब्बन्धि- भादमातामहादोनामेव खादइमिति

तदटपेणरम्‌--

यच्छन्दव ेभ्यस्तच्छन्दव येभ्य इति aes wwe: शेचक्ापन्तेः। पिदपितादि-विषये qad-ewta युशपदु्ति- इयकल्यनाप्रसङ्गाशच faw—

wa arenas वाक्ये fren: |

सोऽपि येभ्यः पितेति पिद्धप्रतियोगिक्षलेन | तु anfa- योमिकलेन | ware खसम्बन्धिब्दवलात्‌ पुत्रसब्बन्धिमावरादि- प्रातिः। वतश्नात्‌ दतमादडकखापि Safran तौर्श्रादे पिद्ठषव्यहा माबादयस्तन्सम्बवै एव मातामहादयश्च शओादहइ- देवता तु were इति frend: |

wary पिदपल्नौत्वेन एकोदिटम्‌ एवं खमातामहद्यापि faamgran एको हिष्टभेव |

इति सवं समन्नसम्‌।

अव्र जौदपपिद्ककोऽपि साम्निरेत्तीयं ant gaz नतु facfew: |

इतौयः Baw: Ete.

जोवत्पिदकः कुया च्छा दस मिते fre: | ace पिता cate: gaty (gata) afore: इति wa: साजिकः tain waren वा अन्विना। Safaae: सानिरेव me we galfefa मदन- चारि जातक्षारादयः | | साग्नोनामपि-मैवायसोध-सुत्ोपलौ विनानिष | तु adat | wea alae: पितु रिति gitarera तत्परिथिष्ट एष ऋवलादिति, भतिदन वलोक्षारदिदोदाक्षाथाः। इदं मतद्यमपि wy | कुधादडहरहः याहं परमोलपिढको दिजः | सानिकोऽनन्निकोवापि artery तु faite: दति उथयनः तिविरोधात्‌ | त्नात्‌ सालिकानन्निकवोरभयारपि ates पधिक्षादः | amafaan, garfefa सोमन्तवं नितिधववनं तु अम्विरड्ितः पिष्छपिढयश्नविधिना ai gait सान्निरेव तु तडिचिना कुखादित्वेनत्यदन्‌ aay Stafaqwa सामेरनमेरपि Aunt अधिकार इति faye नि 4 पद अतिस्चन यपि Seretiacfefine रष कृं तथापि गत qarieere दौ तोंच शादि mye वचनान SIUC qe sufgerercecsy व्याश वम्‌

८२५ विधानपारिजाक

यदातु इतपिदकोऽपि जौवन्नादकस्तदा मादपाक- wags: किन्तु तव यथायोग्यं सपद्लीकानामिति पित्रादि. fated योज्यम्‌ एवं नोक्ञदोषावकाथः | एवं aaa. Haat मातामहौजोवनेऽपि gay |

पितुवरगे मातुवर्ग तथा arava |

लोवेचेद्‌ यदि वर्गा ्स्तददगे तु परित्यरीत्‌

इति गालवोक्षेः |

पितृवगं इतयेतदमावस्वादिविषयम्‌ जोषस्पितृकल तौर्घादौ चआह्ाधिकाराभिधानात्‌ # एवं मातृवर्गेऽपि।

एवं पावले को दिष्टोदिष्येभ्यः किण्डान्‌ eer पवत्‌ सामान्ध- पिण्डो देवः | तरह देवलः-

ततः पिष्डमुचाशय संस्तु Arey तख(चोवा

fai wee घामान्बमिति निर्वपेत्‌ #

इतोति | वखमाशमन्तेद | ब्रन पितृष॑धे तावेव द्खादिः। dat पिण्डो मया. दतोद्रच्खपतिष्ठताम्‌ |

ome भैतिवचनाजौबप्पिकलापि पिशपिश्रादिपावंशलोकत्तला- दिश्वाकरे पाठः|

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mata वाश्वादेपरि मतिः | तधा - |

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WAT वंमा मदोयाः gaea ये समर दासभूता दत्वासथैवाजितसेवकाड

मित्रारि पश्यः way ठचाः स्टाङ दष्टा हतापकाराः |

mat ये मम ERAT तेभ्यः खधापिष्डमरहं ददानि।

इत्यनेन मश्वान्तरे शपि पिश्ान्तर दयम्‌ | aaifa श्लोकय एकावलादेकमन्बलं चेयम्‌ |

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पिके aT Ae मादने यै ae | गददृहरवन्ुनां ये चाक वान्धदाकलाः।

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TAR विधानपारिजिाते

एवं पिखदनं war ब्राह्नदानुतरजनान्तं at wate.

विधिना समापषेत्‌।

एवं विष्ठुतश्रहे अशक्तिः

तावतः काशस्य waite एवं संचिप्तश्ादं कमात्‌ तद्‌ Aer |

aqrat सं शिषश्राहमशं करिषे |

इति घंकषा-

& पिता पितामहषेव तथेव प्रपितामहः |

माता fanrayt चेव aaa प्रपितामहो,

मातामशस्तंप्पिता प्रमातामहकादयः |

मालामहौ तच्छश रच्छ दिएवेव

तेवां पिणं सयादल्तमच्ग्यमुपतिहताम्‌

इति nae एकं पिण्ड दशात्‌

दति ओमदनन्तभह-विरदिते विधानपारि त्राति तौषंशाददेष- ताविधानम्‌ |

ANG: Sew: | द्दह

अथ प्रसङ्गादस्लिचे पिधानम्‌ |

(व्र कलमाह गोतमः अस्तं गते गुरो इतरो तथा मावे परशिष्छुवे। गङ्गावामसखिनिचेपं कुण्डन रब्रषोत्‌ ॥वा- afeta marae aracafqay | wanes Twas यदिन स्यात्‌ afrgny | हतेऽपि gq सपिश्डने दूति कचित्‌ पाठः) तषा- afeed marine are चापरपचिकम्‌ | awaresta gata यदि qrafwary इतः) at aalhtefeafats eqeare @faq usted | एवं विद्दवदनानां यथागदं व्यवसा Signer | दथपहाभ्यन्तरे यख aT ase मन्वति |

अङ्गायां ATS याव्‌ MTR फनमवाहुणत्‌। fa qa: |

६२४ विधानपारिलातै

अभ्र भन्धोऽपि faite: न्दे मतुः कुलं foage वचं यित्वा नराधमः | wears लोयानि ater चान्द्रायणं चरेत्‌ इति निषिधोऽयं दन्यादिकशोभविषयः। पखोनि मातािद्धवंशजानि गयन्ति गङ्गामपि 2 कदाचित्‌ | सदान्धवष्यापि दयाभिभूता स्तेषां Matis फलप्रदानि | fa अन्धस्यापि aceite agri न्यस्य पूड्षः | दयया AMAT फलमाप्रोखसंययः i इति fagatn: | aa यश्पि ufataa warn: aaah: फलं तथापि तौथेलारतम्या्तव ACMA RIF | गङ्गायां तु fata awe afay काले कृशमखि गङ्गायां चिषप्यते नर; तं कालमादितः wat ब्रह्मलोके ayia’ #।

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, ४८३६ विधानपारिजातै

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अध प्रसङ्गादस्थ्यानयनादि प्रकारो लिख्यते

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नोनको, प्रवद्यामि भखिशहिविधिं क्रमात्‌ | ग्रामादडिश्ततोगत्वा ज्ञानं कुयात्‌ wang |

qiwaq पञ्चगव्येन awaafaawe: | ससखिनिखनगनभूमि ¢ पश्चगव्येन तत्तग्रकाधकमन्तेः प्रोचे-

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उपसया दिभिमन्तेः # प्रानं खननं तथा |

सत्तिकोहरशं चासां पणं यथाक्रमम्‌

ठपषपादोनां चतषणां (wet) गद कविज्जिषटपडन्दः पितरी- देष्ता भूप्ाधंनखननगरतिकोररलाखिप्रहदेहु विनिथोगः। एव- मलयौनि aviat -

ततो जलाशयं गत्वा ज्ञानं Haz यथाविखि

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an ज्ञानानि कुर्वीत तत्षकमन्धेविंचर्चणशः

Tat गोमयं सौरं दधि पिः कुगोदकंम्‌ |

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८११ विधानपारिजाते

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सतिन स्यथ तमाप चायशदिलन्रानः एदयः पादक; | न° Oho ५९० !९।

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सजोषसो यस्मा frat नवति cael अतिरिदः।

नतमहो दुरितं इुतदन नरातज्ितिदमेह afen |

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एतयोरेकतरं खल छो वेदितव्यम्‌ | t इतिदा इतिमे मनो may समृदानिति।

कुदस्षोमल)पानिति

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Same ततः कुयात्‌ पितनुदिश्च यन्नतः |

पि्डदानं विधायाथ प्ङ्ओास्तिलतपशम्‌

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@ उदोरतां पूरृतारत्परन्धौ इटग्रयः एएवानासी wer | शया हदमूनि तमम पगूहा विष रवसोदिभातीः | उदौरतामवर उत्‌: परा `उणा्यमाः Bene) अपु यहगुरहक्षाङतशर। AAT पितिरो; wey | अनयीरेकतरेव ‘+ पिखदातं agate अतश france) TUM पाठः।

wala: Bae: ८३१

अजिनं कम्बला दभा maar wake च।

Wad त'इपत्रं सपधा वेष्टनं शृतम्‌ कचित्तु mam ysicamy ताद्पवंच नेत्रं रेषु वेष्टन सपत्तकमिति पाठः|

हेमं wife qa प्रवालं गोलकं तवा

नितिपेदखिमध्ये तु शदिभवति नान्यथा +

ततो होमं ugenta तिलाण्येन विदत; |

खटीरतेति qua दुनेदष्टो त्तरं शतम्‌ |

ततः faaq सुतीधषु खश्दोषो विद्यते ,

मूते gaa ward * कु्याज्रखयोनि धारयन्‌

परख्षटहोगजातिलु एचिःखात्‌ afar:

द्द्‌ कर्मापसव्छेन कायमित्याह चोनकः॥ काथोखण्डेऽपि -

धनष्नयोऽपि waa माढभक्किषरायशः।

WTA AYP गन्तु प्रचक्रमे।

पञ्चगव्येन PHY ततः GYTTAy |

यश्चकरंमलेपेन fear gu: प्रपूज्य

araeq Ragae ततः पटाम्बर्य

तत सुरवस्श ततो माज्जिहठवाषत्रा।

सुरवरं शवेतचोनांएकम्‌ |

नुषपुरोचावमन। इति arg निष्प पाद. |

६२६ विधानयारिजाते

ने पालक्षम्बलेनाय सदा चाथ विश्या |

तास्रसं पुट Bea मातुर रा) खौन्धथो वरिक्‌

अखष्टहोगजातिः एचिभान्‌ खण्डिलेशयः |

व्यासः | Uzaet कोयं माश्िष्ठं श्वेतवस््रकम्‌ | कम्बलं meee भरजिनं तधोक्षरम्‌। इति

केषां वेष्टनसाधनानां बेष्टनक्रमाणां fawe: |

दति विधानपारिजाते भखिचेपविधानम्‌

अथ प्रकीण RATT:

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तत्र देवलः age fqatarat reed सदशिशम्‌ | तीं ate गोदानं नियतः arnt fafa: + विधिष्टख्यातशिङ्गेषु इषदानं विधोयते ज्ञानं ` विलेपनं पूजां देवतानां समाचरेत्‌ +

दतोयःखषकः |

arwaan # भूमिदानं देवपूजाकराय दा |

aia देवयाव्रायां विधिरेव प्रवर्तते

तथा पञ्ाङ्तल्ञानं नमस्कारं प्रद्िषम्‌।

कयात्‌ सवेषु देवेषु arava: फणललिष्ठया

तधा

टेवानां cua ge दनात्‌ Gua वरम्‌ | स्म यनादश्चनं Re एतलानमतःपरम्‌ | ्र्टक्नतवोमन्वजपेः सुप्रभूतसुगन्धिभिः प्राहगङ्गाजलेः खानं एतज्ञानं समं बुधाः

मानौ q विशेषः

भधदरव्यविरषेण गङ्गातोये यः सकृत्‌ मागधप्रखमानेख तास्रपा्रखितन a भानवेऽघं aeare सकौोयपिढभिः शह पुतरपोवेखच संयुक्तः arate महौयतं WIAA अरष्टाङ्गाप्राद्नः।

ARTY स्कान्द

ara: सौरं gurafe एतं मधु गवां दधि।'

रक्षानि करवोराशि रक्षचन्दनमरिक्षपि अष्टाङ्ग र्धीऽयमुदिषटस्वतोद रवितोषषः।

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$ ब्राह्रनानानमित्ति dasa परदः |

८१७

cat विधानपारिजाते

aa nefaurat faite; ae - एकां wart रधो an तिखोदश्चाहिनायकरे। चतस्रो विष्णवे देयाः शिवस्यादं प्रदच्चिषाम्‌ # | तधा - | शिवप्रदचिणं कुवन्‌ सोमस्तं शङ्येत्‌ | हषं चण्डं हषं सेव सोमसूत्रं पुमवेषम्‌ | चण्ड सोमसुतं YUE पुनवेषम्‌ गच्छ [द तियेषः | नमस्कारऽपि fara: wa we वामभागे समोपे गमेमन्दिर | HAMAARSATUA कु्याहेवतालये प्रे मत्यमवाप्रोति Ws BIG: QA: | वामभागी aterm ददिषे सवकामदाः देवीपुराणे - देवक्षमा पनयनं ` देवामारसमूहनम्‌ | ज्ञापनं सवंदेवानां गोप्रदानफलं सृतम्‌ | समूहनं सम्माजनादि पतितखोलयापने |

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ary - gad फलं तोयं शिवखं any ufey ayaa निर्यासं कूपे सवं विनि पत्‌ म्थिक।पादमा्रं यः पिवखशुपजोवति | लोभाकमोहत्‌ TIT wT (न्ते) नतं नरके नरः ब्राह्मेऽपि- ° ब्द्मद्रलनं faral aqed प्रदापयेत्‌। हद्रारलग्नमनौ दशेत्‌ वं ततच्चणात्‌। waaay देवानां यत्तहोमेषु निक्षिपेत्‌ 1 | दति विपिभ्यस्यथ aga मादढम्यो afaafers | areaag aya गगा दि निवेदितम्‌ + faxgut तु नायं नियमः एवं संपूज्य विधिषदिप्वेगज्ञपनोदकम्‌ | fa: पिक्षैच्चिविधं ard तष्यहाष्ट विनश्यति | इति स्कान्दे विगिषोक्तेः। fn तु पष्ःपि नमस्कारः काखः। , पशोः प्पतरगरे copay यः aaa fat पतन्ति caer ainsi कदाचन 9 | इति fatwa: |

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४9 दिधानपारिजातें

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Raat इतं Ma जोवनाधं इतं त्रतम्‌ | असत्या (खोच इता वाणो तथा पेशन्यवादि(नः)नौ तोये प्रतिन्ञोयात्‌ प्राणः कण्ठगतेरपि। तोये प्रतिग्रहोसतु तोथविक्रयएव a: | विक्रीतायां तु गङ्गायां विक्रोतः ख।जनादट्नः | अनाने तु विक्रीते विक्रोतं स्यास्नगचयम्‌ | ag Mates: (चेरे) ata प्रतिग्रहरविभषेत्‌ | नेव तस्य परालाका नायं लोकोदुरामनः। गङ्गा गया TIAN AT चामरकण्टके ददद्दाति after ग्न्नन्‌ ग्ह्नाति area | महादानानि ये विप्रा wef mazda: | aaa fexetq जायन्ते ब्रह्मराच्चसाः। वेदवलमाच्रितय प्रतिग्रहर विभंत्‌ | अत्रानाहा RATS जायन्ते नरकालवः।

इति arate: |

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खितो दृपतेरहारि ङथारेदविक्रयम्‌ |

war md परं मासं भकयोतं दिजाघमः।

अथ चेत्‌ प्रतिणङ्नाति ब्राद्मरोढत्तिक्षपितः।

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इति संप्रहोकष।

प्राखिितं परखितसम्बन्धिनम्‌ +

तीर्थवासिनश fata om: पापे पश्चमाध्यासे

सरो चेद्ीनिरलो वहिरखिलवित्तभुक्‌ *

SIT! (र) रो योग्धोऽव ग्यद्धोधादिमलं वसु +

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भक्धातिष्यं तु SF |

काहि विद्यते टेवो शिलायां were |

भवि हि विद्यते टेवमल्लाद्‌ भावं समाश्रयत्‌

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तधा - | |

पुखचेजाभिगमनं पुषछातो्यनिपषणम्‌

e पापि ~ - ) |

wes यत्कन। पाप ततो दाति नाषव्म्‌।

a दोचत्रतमन्वभरःह चिन्‌ पपर नपोहति

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दरे दिधानपारिजात

amt at विविधो ब्र्मश्धक्नाचारं रक्षति | देवलः न्‌ नदोषु may ब्रूयात्‌ पवंतेषु पवतम्‌ नान्यत्‌ प्रंसेत्तव्रखस्तोरयेष्यायतनेषु यत्र॒ खानेवु ante wactqaarfa ar तदयायेष्मनसा चैव arte विचिन्तयेत्‌ अन्यदिति गङ्गातिरिङ्गतोध विषयम्‌ | गङ्गा तु सर्वतीर्थ Gan TaN स्कान्दे - ज्ञानकासेऽन्धतीरयेबु सथ (ज्य) ते areal जनैः | विना विष्णुपदीं ज्ञान्धत्‌ समरथेमघयोधने॥ दति छतं तौधयातादिफलं विष्णवे समपेयोयमितयुकं are | यानि afaa तौ्धानि दानव्रततपांसि च। तानि सर्वादि सिध्यन्ति विष्णोः werden fei mcafee wa येतु gets खहतानि वै। तानि निष्फलतां यान्ति wage फलं भवेत्‌ | तवा -

NTA सरा कार्या मनुषे: FAAS: |

Qfarsfa सदा ata sara जिधते यदि।

शम Nias धीमान्‌ wade fafes: 1 arama गतेन तु ale (ened wees

arta: Bae | ८४९३

तोषं सप्रधिगम्याद उपवावव्रतादिबुक्‌ | तरिरद्रोपोवितस्तव्र -पवपापेः प्रमुखे +॥ =, इति wa: यत्र तु fatten: पश्च वा aay वा UW माषमवाधिकम्‌। निश्दे्तोेदेये तु यवाकषालं नरः षदा | दति शतिनियमोऽक्ि ततर तावन्ति दिनानि बसशन्‌ |

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wa प्रतिग्रहमलमूषादिविसर्गनिषिधावे atd- गर्भादिकमुच्यते।

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प्रवाहमदिं weal यावहस्सचतुषटयम्‌ |

तव नारा्यंशः Brat ara: खामी कदाचन

तव प्रतिखङ्गोयात्‌ mie: कच्हगतरपि। दति

CA प्रवाहयन्दोजलावध्यपलचक्ः तेन पुष्करादो तष्टाग- पशादिरूपे तों प्वाहाभाकेयि wean. TUVY-

६४४ विधानपारिजाते

एयाभ्यन्तरे निषेधोच्ेयः | erawas(a WHY (शुक्त) चतुर्दशा # वाकदाक्रमति जलम्‌ | तावद्‌ विजानीयाद aqua तौरावधिष awe - aver यावद्‌ magia तोराद्‌ गब्यूतिमाव्ं तु परितः चेवसुखते गब्यूतिमाज्रं तटहये प्रत्येकं क्रोयदयपरिभितस्ानं चेव्रनिद्धेः भतएवोक् भविषे ayratat लङन्ति arava: | दिशोदश पलायन्ते fae eg यथौ मगाः एकयोजनविस्तौण Aaglar तटदये | इति भत दानं जपोहोमो गक्राथामेव नान्यदा †। पूवं पूवं amet स्वात्‌ फलातिशय हेतुतः | मलमूवदिसादिपापमेष्वेवभेव तु |

© भाद्रषक्तवतटद्यां कदाचिशश्वभावेन ललठहाभाषेऽपि किखिदण्माविहन्चव नशं शयम्‌ | | + बङ्धायां नात्र dua एति Mee Ts)

ठतीयः Brae: cet

wa गभं प्रतिग्रहनिपधः प्रसिहषवंनदौष प्रसिहतर- गङ्ागखश्च दिमह नदीषु तु उभयतः साहंशतहलिमिते तौर. $पि निषेध इति शिष्टाभख्न्ति। रेते fatag गादिषय तेव Raney | यस ब्रह्मपरा -

यव ग्म महाराज TATA तपोवनम्‌ | धिशिचेवं तज्‌ sa समन्तात वियोजनम्‌ # इति नियोजनमितख सिदिशेव्रलकथनं तद्‌ गङ्गचेव्र- भरणे फलशातिश्यप्रतिपादनथै तु प्रतिग्रहनिषिधाधम्‌ | दिपन्रस्तव्र योमल्वोगङ्गायामेव नान्यथा इति ततुप्रकर शात्‌। समन्तात तरियोजनमित्यव्र शमन्तादष्ठयोजनमिति पठे तु

कश्चिहिराधः।

= एकंक्धिन्‌ पानं माईयोजननितनि ममनाचिये।तरनमिद्ष्वाच |

८४६ विधानपारिजाते

अथ लिङ्ायचने विशेषो निर्प्यते

भारदोये यः शूद्रेणाचितं लिङ्गः विष्णुः वा प्रणमेश्नरः। तस्य निष्कतिः परोक्षा # प्रायितवुतैरपि aaa शूद्रसंखयषटं fay वा हरिमेव वा | सवयातनाभोगौ यावदाशन्रतारकम्‌ k ada प्रणम्येत्यधेः पाषण्डपूजितं fay मला पाषच्डतां व्रजेत्‌ प्राभोरपूजितं fay नत्वा नरक-मनगरते। तधा - योषिहिः पूजितं लिङ्गः fay’ वापि नमन्‌ यः। कोटिङ्षलसंुक्षोरोरवे नरके वसेत्‌ | तदेतत्‌ सवं मिदानोन्तनप्रतिहित लिङ्गा दि विषयम्‌ तु पुराणपषिद्दमदहिम्रलिङ्गादिविषयम्‌। यदाप्रतिहितं fay मन्वविद्धियंधाविधि तदा प्रति शूद्रश्च योषिरा नेव संख्येत्‌ इति शिवपुराशोज्ञेः | 9 निषति्ज्ति six Mead पाठ. | भक्षस्य Ted वदेत्‌ एति चित्‌ Ts: |

दतौयः VIM | cye

पतएव स्कान्दे कयौलिङ्गानि प्रत्यक्षम्‌ पटश्लाश्धपि (लिङ्गानि) exact दुरवखाश्धपि पिये | मन्नान्यपिच कालेन तानि पृञ्चानि शुन्द्रि॥

दुरवखानि सौगूदरादिपूथितानि। ` wears कित्‌ |

तधा -

प्न्धोऽपि fatamya | गूदोवाऽनुपनौतोवा feratat पतितोऽपि aut वा fad ofa सा नरकमश्ुते अङातीर्थल गमननुपवासव्रतानि daqat gaia महागुङनिपातने + तधा - Nase महादानं wie fanmade : aqmaa gata महागुरंनिप।तमे | परावरं तद्नोजनरिल्वधः तधा ~ . | + वपनं मेन्‌ तोये aaa, गुष्विणौपतिः। साहं सपतमान्‌ मासादूहं (ना) वश्वव्र वेदवित्‌ | अव्र ATE ग्राइभोजनम्‌।

cyt | विधानपारिजातै

अचर गयादौ प्रतिप्रसव उक्तः |

तथाहि wr: -

Saya शोतलभानुभान्वो-

wed वा कपिलाख्यषष्याम्‌ |

सुरासुरेश्यास्तमयेऽपि ata

याव्राविधिः संक्रमेऽपि शसः |

इति

उपद्रवोग्रहणशम्‌ Baas निविहकालोपलचक- त्वात्‌ मद्यागुरनिपातसिंहगुवादिकालानरेऽपि * ग्रहणादौ निषधडत्यवगन्तव्यम्‌ | चिंदखिचेपायैयाच्ायाम्‌ भ्राद्यवषऽपि न. दोष garg:

fae TAT Me चापरप्तकम्‌ |

प्रथमाब्देऽपि gala alata’ छते

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सथा -

उपवासीोत्रतं शोमस्तौधज्ञानजपादिकम्‌ |

विप्रैः भंपादितं बस्य cad तख तत्‌ फलम अन्यच्च -

waaw गवां गोष तौर्व्पि परवश!

राोदंश्रनकाले Era नेव विद्यते सतकमिति सतकषष्वापि उपलकच्षकम्‌।

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* प्रत्वागतद्ापि qagee देषाम्‌ पितन्‌ वराननाम्‌ पूजये 107

८४१ विधानवारिजातै

w हकं सख Male यदु फलं तद्‌ खा ara संदिग्धमस्ि `

दति सौमजागदेवमहामजग्रोमदनन्त भषटविरचिपि- विधामपारिजाते तोध्याज्राविधानं समाम्‌ #

TY, NARS ATA: प्रलुयते |

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मन्दे शोभे बुेऽ्यङ्नोभूतपर्वा्टमीविना |

व्यतीपातं संक्रमं चव्रतशराहाहभेवच॥ मैमित्तिकविगषेव निविरऽपि उमाचरत्‌ camernafa— `

रविस्तापं कान्तिं वितरति शयो भूमितमयो

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अथ तिलकल्वलानक्षालः |

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८४४ विधाक्धारिन्नाते

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अथ ANAT परिधानकालः |

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अथ गृहारम्मकालैः |

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८६० विधानपारिजाते

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यदा भानुलतु मोनस्स्तदा गेहं कारयेत्‌ भिधुनखोयदा wae वेशम कारयेत्‌ प्रस्तं गते शुरो शक्रे गहारश्मोन शस्यते। Wale aka स्यादापोक्ूपैषु चेव fe णाल।विधिसु खलदत्रादवगन्तव्यः। ग्रनयभूयस्वभिया नैह- AUG | प्राचोसाधनसिहान्ते

ठतेऽ्म.सुसमीक्तचितिगते secant: क्रमाद्‌ waa विशत्यपति यतस्तश्रापरेष्रगौ fem | तत्‌कालापमजोवयोलु fare भाकरमित्धाहता

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भन्धरे्मख्धितं दासं नेवान्धसिम्‌ प्रयोजयेत्‌ तत्र वसते भर्ता वसक्रपि लौवति। दटका-क।ठ-पापाण-मृतिङ्ञाचुगेमावकृन्‌ ठशपषं Ad: wa TedW Awe नृतने नूतने शस्तं vite जोर ana

ANG नूतनं यस्त नो जरं नृते इमम्‌ |

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TER विधानपारिजाते

कामुकं भारदोये

बखोदुन्रचुनास्या निम्ब हिविभौतकाः दग्धाःकण्टकिनो ठच्च वटाधकपि यकाः | भागस्तिजिश्वालास्याचिनोनोकाश्च निन्दिताः। अन्धे sayfa aerate: सदा हुमाः।

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प्रासोहारे धनावासिद्तिशे पुवगोकदम्‌ | सौभाग्यं पञ्चिमे दारे रसोम्यहारेऽधंसम्मदः नवभागं Be कुर्यात्‌ पञ्चभागं shay y विभागं वामतः wear शेषरारं प्रक्पयेत्‌ |

हदनारदः -

ज्ञानामारं दिशि प्रा्यामानेध्यां पशचनाकयम्‌ |

याम्यायां शयनागारं नैश्खां वम्बप्द्दिरम्‌ |

Tarai दतरतागारमिति गेडविदो विदुः|

पष रहवासुकेवनपूजावलिदानादिक्रं कत्तं |

सत्‌ aad चतुयम्तपके सिङ्गप्रतिहाविधाने द्रष्टयमिल्यप

दभ्यते |

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अथ ठेवताप्रतिष्ठाकालः |

faquafat SF oy Gren दापि cua वा माधवे aur माघे वा सवटेवानां प्रतिष्टा Quer भषेत्‌ भुजवलभोमे युगा दावयने ge ana विष वहये |: | amarae वापि दिने grasa wag | या fafaaw tam तस्यां या तस्य कारभत्‌। इति तधा - | ware: wasiai ana: मवटेष्यते। कष्णपतविभगी तु प्रथमे स्याच्छमावहा | मध्या हितोयभा तु ठलोव ayant |, ' एवमेव हि शुक्तस्य पच व्यत्यास ree विण्ुधर्मोत्तरे तजखिगो qaled ae माषा भवेत्‌ |

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५६९

८९४ विधानपारिजाते

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गुरुणा गुणदा नित्यं लोकानन्द्करो faa |

्राचद्द्राकं fet ate प्रतिष्ठा समुदाद्रता॥ fa

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कौ सयेहासुदेषं श्रतुकरेष्वयपि माधवम्‌ भराकोद्य सवधास्राणि व्चिये पुनः GA: | इदमेकं सु निष्यत्रं ध्येयोनाडायणः मदा | सर्वाणि नामानि हि तख राजन्‌ सर्वाधसिहि हि wafa wary तथाण्यपेष्टं खलु देवतानां

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aaaa निवन्धेष, यावान उदोरितः। सवैः संणहीताऽव विदूलनमुटे मया रम्बा भागोरवी यद्य. नागटेवः प्ति aU: | तिनानक्िन TAA: काननिशयमंग्रहः 4

aaa प्रीयतां देषानश्मोगः सवदा मरम यदय प्रषादादृब्रह्म्णः सिहिमंखन्ति सवदा , अनिन प्रन्दोपेन aaayina तम. |

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भपादिजाताखयनिवन्धे काकमिणयविधानानि समाप्तानि |